मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
जुलाई, 2019 सत्र
गुरूवार, दिनांक 25 जुलाई, 2019
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
सड़क/भवन के निर्माण व मरम्मत हेतु प्राप्त राशि
[लोक निर्माण]
1. ( *क्र. 4037 ) श्री गिर्राज डण्डौतिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग खण्ड मुरैना में विधान सभा क्षेत्र दिमनी जिला मुरैना में विगत 03 वर्षों में कितने रोड (सड़क) निर्माण कार्य स्वीकृत, प्रक्रियाधीन/प्रस्तावित हैं, की जानकारी मार्ग का नाम, दूरी, प्राक्कलन, क्रियान्वयन एजेंसी, लागत राशि आदि सहित दी जावे। (ख) निर्माणाधीन कार्य की वर्तमान में क्या स्थिति है व प्रक्रियाधीन एवं प्रस्तावित कार्य स्वीकृति हेतु किस स्तर पर हैं व कब तक स्वीकृत हो जायेंगे? (ग) प्रश्नांश (क) अन्तर्गत विगत 03 वर्ष में भवन/सड़क निर्माण/ मरम्मत हेतु कितना बजट प्राप्त होकर कहाँ-कहाँ व्यय किया गया? क्या उक्त कार्यों हेतु मान. सांसद व विधायकगण व अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा भी प्रस्ताव प्रस्तुत किये? यदि हाँ, तो इसकी जानकारी भी कार्यवार दी जावे।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
कटनी जिले में पर्यावरण संरक्षण के कार्य
[पर्यावरण]
2. ( *क्र. 4112 ) श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले में वर्ष 2017-18 से प्रश्न दिनांक तक पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के क्या-क्या कार्य किन-किन शासनादेश/विभागीय निर्देशों के तहत किस योजना एवं मांग/सुझाव और आवश्यकता के आधार पर किन-किन विभागों के किस नाम, पदनाम के सक्षम प्राधिकारी द्वारा कब-कब स्वीकृत किए गये? (ख) प्रश्नांश (क) किए गये कार्यों हेतु कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गयी और कार्यों में कितनी-कितनी राशि व्यय की गयी? कार्यों को किस-किस व्यक्ति/ठेकेदार/ संस्था/विभाग द्वारा किस नाम/पदनाम के विभागीय अधिकारी की देख-रेख में किया गया? (ग) क्या कटनी नगर में खनिजों की कई खदानें वर्तमान में बंद पड़ी हैं और इनमें पानी उपलब्ध है? यदि हाँ, तो कटनी नगर में कितने रकबे की कौन-कौन सी खदानें वर्तमान में बंद हैं? इनके भूमि स्वामी कौन हैं? क्या इन खदानों का जल संरक्षण/पर्यावरण संरक्षण हेतु उपयोग किया जा सकता है? यदि हाँ, तो किस प्रकार? और इस प्रकृति की खदानों के उपयोग के क्या शासनादेश और विभागीय निर्देश हैं? (घ) नगरीय सीमा में पर्यावरण और जल संरक्षण किस-किस विभाग और संस्था/निकाय की ज़िम्मेदारी होती है एवं इसके क्या शासनादेश/विभागीय निर्देश हैं? कटनी नगर में विगत 03 वर्षों में पर्यावरण संरक्षण/विकास और जल संरक्षण के क्या-क्या कार्य नगर पालिक निगम कटनी द्वारा किन शासनादेशों/विभागीय निर्देशों के पालन में कब-कब किए गए?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) पर्यावरण विभाग के माध्यम से राष्ट्रीय हरित कोर योजनांतर्गत कटनी जिले के 250 विद्यालयों एवं 02 महाविद्यालयों में ईको क्लबों का संचालन किया जा रहा है। इस योजनांतर्गत पर्यावरण संबंधी विभिन्न जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रतिवर्ष अनुदान राशि रू. 5,000/- प्रति ईको क्लबों को प्रदाय की जाती है। इस विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से जल अधिनियम, वायु अधिनियम तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अधीन नियमन का कार्य किया जाता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जी हाँ, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। तकनीकी रूप से खदानों का जल संरक्षण हेतु उपयोग करने में कठिनाई नहीं है। इण्डियन ब्यूरो ऑफ माइन्स द्वारा अनुमोदित माईन क्लोजर प्लॉन के अनुसार कार्यवाही का प्रावधान है। माईन क्लोजर प्लॉन के संबंध में मिनरल कन्सरवेशन एण्ड डेवलपमेन्ट रूल्स 2016 में दिशा-निर्देशों का उल्लेख है। (घ) नगरीय सीमा में पर्यावरण एवं जल संरक्षण में प्रमुख भूमिका संबंधित नगरीय निकाय की है। नगर पालिक निगम, कटनी द्वारा विगत 03 वर्षों में पर्यावरण संरक्षण/विकास और जल संरक्षण हेतु निम्नानुसार कार्य किये गये हैं :-
(1) अमृत योजनांतर्गत नगर निगम सीमांतर्गत 03 पार्कों का विकास कार्य किया गया है :- (1) कटाये घाट स्थित सुरम्य पार्क, (2) मंगल नगर छपरवाह में पार्क निर्माण कार्य, (3) कलेक्ट्रेट स्थित पार्क का निर्माण कार्य।
वृक्षारोपण का कार्य:- (1) वर्ष 2016-17 में 4974 वृक्ष, (2) वर्ष 2017-18 में 5349 वृक्ष, (3) वर्ष 2018-19 में 4100 वृक्ष, (4) वर्ष 2019-20 में वृक्षारोपण का कार्य प्रगति पर है।
नगर निगम सीमांतर्गत विभिन्न घाटों एवं कटनी नदी पर स्थित बैराज के अपस्ट्रीम, घिनौची स्थित स्टाप डेम, कटनी बायपास एवं स्टाप डेम के गहरीकरण का कार्य नगर निगम, कटनी द्वारा विभागीय आदेशानुसार प्रतिवर्ष किया जाता है।
सतना जिलांतर्गत स्थापित नवीन उपकेन्द्रों की संख्या
[ऊर्जा]
3. ( क्र. 3326 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रैगांव, शिवराजपुर तथा ग्राम मुड़हा में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र स्थापित किया जाना प्रक्रियाधीन है? (ख) अगर हाँ तो कब तक स्थापित किया जावेगा, नहीं तो कारण बतायें? (ग) सतना जिले के क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2018-19 में स्थापित किये गये नये 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों की सूची तथा पूर्व में विद्यमान 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र से इनकी दूरी बतायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी नहीं। रैगांव में माह नवम्बर, 2003 से ही 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र स्थापित है तथा ग्राम शिवराजपुर एवं ग्राम मुड़हा में वर्तमान में नए 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण तकनीकी रूप से साध्य नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। (ग) सतना जिले के क्षेत्रांतर्गत वर्ष 2018-19 में स्थापित किये गये 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों की सूची एवं पूर्व से विद्यमान 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों से उनकी दूरी से संबंधित प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
टीकमगढ़-खिरिया नाका सड़क निर्माण हेतु काटे गये पेड़
[लोक निर्माण]
4. ( *क्र. 4160 ) श्री राकेश गिरि : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा टीकमगढ़ से खिरिया नाका तक सड़क निर्माण का कार्य किस वर्ष में किया गया था? ठेकेदार का नाम, अनुबंध दिनांक एवं कार्यपूर्ति का दिनांक बतावें। (ख) क्या सड़क निर्माण कार्य के दौरान टीकमगढ़ से खिरिया नाका के बीच वर्षों पुराने सैकड़ों पेड़ों को काटा गया था? यदि हाँ, तो कितने पेड़ों को काटा गया? (ग) क्या पेड़ों को काटने की विधिवत अनुमति ली गई थी? यदि नहीं ली गई थी, तो पेड़ों को बिना अनुमति के कैसे काटा गया इसके लिये कौन दोषी है? दोषियों के विरूद्ध विभाग द्वारा कब तक और क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) क्या काटे गये एक पेड़ के बदले दस पेड़ लगाने का शासन का नियम व माननीय उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश हैं? यदि हाँ, तो नियमों एवं निर्देशों की अनदेखी कर अब तक नये पेड़ क्यों नहीं लगाये गये? इसके लिए कौन दोषी है? दोषियों के विरूद्ध कब तक? क्या कार्यवाही की जावेगी और कब तक, कितने नये पेड़ लगाये जावेंगे?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) टीकमगढ़ महरोनी मार्ग का निर्माण कार्य बी.ओ.टी. (टोल+एन्यूटी) योजनांतर्गत वर्ष 2013 में किया गया था निवेशकर्ता मे. एस.व्ही.टी. इन्फ्रास्ट्रक्चर (इंडिया) लि. भोपाल द्वारा अनुबंध दिनांक 16.03.2011 अनुसार कार्य प्रारंभ किया जाकर दिनांक 13.04.2013 को सी.ओ.डी. जारी की गई। (ख) जी हाँ। कुल 639 पेड़ काटे गये हैं। (ग) जी हाँ। अत: शेष का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। (घ) जी हाँ। निवेशकर्ता द्वारा अनुमति में दिये निर्देशों के पालन में समय-समय पर कुल 8410 पौधे लगाये गये हैं। चूंकि समय-समय पर निवेशकर्ता द्वारा वृक्षारोपण का कार्य किया गया है अत: कोई दोषी नहीं है एवं कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। 31 अगस्त, 2019 तक नये 500 पौधों का वृक्षारोपण करने की कार्य योजना है।
विद्युतविहीन ग्रामों में सौर ऊर्जा से विद्युत व्यवस्था
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
5. ( *क्र. 4022 ) श्री कमल पटेल : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. में विद्युतविहीन ग्रामों, मजरों, टोलों में शासन/विभाग द्वारा सौर ऊर्जा के द्वारा विद्युत की व्यवस्था करने हेतु काई प्रस्ताव बना है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि नहीं तो क्यों एवं बनी है तो क्या कार्ययोजना कब बनी? (ग) क्या विद्युतविहीन ग्रामों, मजरों, टोलों में सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युत व्यवस्था सुचारू रूप से की जा सकती है? (घ) प्रश्नांश (ग) यदि हाँ, तो कब तक शासन/विभाग द्वारा इन ग्रामों मजरों/टोलों में विद्युत व्यवस्था कर दी जाएगी?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) जी हाँ। प्रदेश में विद्युतविहीन ग्रामों व मजरों टोलों में सौर ऊर्जा के द्वारा विद्युत की व्यवस्था डीसेन्ट्रलाइज्ड डिस्ट्रीब्यूटेड जनरेशन (डी.डी.जी.) योजना अन्तर्गत म.प्र. विद्युत वितरण कम्पनी के द्वारा चिन्हित ग्रामों में की जाती है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित डी.डी.जी. योजना वर्ष 12 जनवरी, 2009 से निरंतर चालू है। (ग) जी हाँ। डी.डी.जी. कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा चिन्हित अविद्युतीकृत ग्रामों, को विद्युतीकृत करने हेतु प्रस्ताव रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कार्पोरेशन भारत सरकार, नई दिल्ली की ओर स्वीकृति हेतु भेजा जाता है। भारत सरकार से परियोजना स्वीकृत करने के उपरान्त ग्रामों में सोलर संयंत्रों की स्थापना कर प्रकाश व्यवस्था की जाती है। (घ) उत्तरांश (ग) के सन्दर्भ में विद्युतीकृत किये गये ग्रामों की सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत संचालित योजनायें
[खेल और युवा कल्याण]
6. ( *क्र. 3918 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग अंतर्गत बहोरीबंद विधान सभा में वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि व्यय कर, कब-कब, कहाँ-कहाँ, कौन-कौन से कार्य/योजनायें/खेलकूद गतिविधियाँ संचालित की गईं हैं? वर्षवार, तहसीलवार सूची देवें। (ख) शासन की योजनानुसार बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कहाँ-कहाँ पर कितनी लागत से कब स्टेडियम का निर्माण प्रस्तावित किया गया है? प्रस्तावित स्टेडियमों में से कौन-कौन से कब निर्मित हो गये हैं एवं कौन-कौन से प्रश्न दिनांक तक किन कारणों से अपूर्ण हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित निर्मित स्टेडियम वर्तमान समय में किस स्थिति में किस विभाग के नियंत्रण में है तथा यहाँ पर कौन-कौन से खेल एवं अन्य प्रकार की गतिविधियाँ संचालित हो रहीं हैं? इन स्टेडियमों का निर्माण किन उद्देश्य की पूर्ति हेतु किया गया था? निर्माण उद्देश्य अनुरूप इनका उपयोग न होने के क्या कारण हैं? (घ) क्या ग्राम रीठी, जो तहसील मुख्यालय भी है, में स्थित जनपद खेल मैदान में प्रतिवर्ष राज्य स्तरीय लेदरबाल क्रिकेट प्रतियोगिता एवं अन्य खेलकूद गतिविधियाँ आयोजित होती है? यदि हाँ, तो क्या विभाग इस शासकीय खेल मैदान को विकसित कर यहाँ स्टेडियम का निर्माण करेगा? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) विभाग द्वारा विधान सभा क्षेत्रवार योजनाएं संचालित नहीं की जाती हैं। बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कार्य/योजनायें/खेलकूद गतिविधि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विभाग की ओर से वर्तमान में बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत कोई स्टेडियम का निर्माण प्रस्तावित नहीं है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) रीठी तहसील मुख्यालय पर जनपद खेल मैदान में प्रतिवर्ष प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं, परन्तु यह राज्य स्तरीय नहीं है। जी नहीं, क्योंकि विभागीय नीति अनुसार मैदान खेल और युवा कल्याण विभाग के स्वामित्व का होना आवश्यक है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
गंजबासौदा में आई.पी.डी.एस. योजनान्तर्गत विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
7. ( *क्र. 3825 ) श्रीमती लीना संजय जैन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला विदिशा के नगरीय क्षेत्र गंजबासौदा में आई.पी.डी.एस. योजनान्तर्गत विद्युतीकरण का कार्य किया जा रहा है? यदि हाँ, तो निर्माण कार्य एजेंसी का नाम एवं कार्य की समय-सीमा बतावें। (ख) उक्त योजनान्तर्गत किन-किन स्थानों पर कौन-कौन सा कार्य कितना-कितना स्वीकृत है? कितना कार्य हो चुका है और कितना कार्य शेष है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) के उत्तर में वर्णित निर्माण कार्य एजेंसी द्वारा उपरोक्त कार्य निश्चित समय-सीमा में न करके अपूर्ण है? यदि हाँ, तो उसके विरूद्ध विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं तो कारण स्पष्ट करें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। प्रश्नाधीन कार्य टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स पंकज फुलवानी, भोपाल द्वारा किया जा रहा है तथा उक्त ठेकेदार एजेन्सी को जारी किये गये अवार्ड की शर्तों के अनुसार प्रश्नाधीन कार्य दिनांक 19.09.2019 तक पूर्ण किया जाना है। (ख) आई.पी.डी.एस. योजना के प्रावधानों के अंतर्गत म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के विदिशा वृत्त के गंजबासौदा नगरीय क्षेत्र में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र, उच्चदाब लाइन विस्तार, निम्नदाब लाइन विस्तार, नये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना, केबलीकरण तथा बंद/खराब विद्युत मीटर बदलने का कार्य किया जाना स्वीकृत किया गया है। उक्त योजनान्तर्गत स्वीकृत कार्य की मात्रा सहित कार्यवार एवं स्थानवार विवरण तथा इसमें से पूर्ण किये गए एवं शेष कार्य की मात्रा की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी द्वारा प्रश्नाधीन कार्य पूर्ण किये जाने की समय-सीमा दिनांक 19.09.2019 है, अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अशोक नगर में प्रस्तावित सिंचाई योजनाएं
[जल संसाधन]
8. ( *क्र. 4018 ) श्री जजपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोक नगर जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा कितनी नवीन सिंचाई योजनाओं पर काम चल रहा है? कितनी पूर्ण हो चुकी हैं? इन योजनाओं से कितने ग्रामीणों को लाभ मिलेगा? (ख) क्या कोई नवीन सिंचाई परियोजना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कहाँ पर एवं कौन सी योजना?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) अशोक नगर जिले के अंतर्गत चंदेरी सूक्ष्म सिंचाई परियोजना एवं गरेठी वियर कम-काजवे लघु सिंचाई परियोजना का कार्य प्रगतिरत है। निर्मित परियोजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। इन परियोजनाओं से 9,792 कृषक लाभान्वित होना प्रतिवेदित है। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
शा. स्नातक महाविद्यालय सेंधवा में स्थायी प्राचार्य की पदस्थापना
[उच्च शिक्षा]
9. ( *क्र. 1959 ) श्री ग्यारसी लाल रावत : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शा. स्नातक महाविद्यालय सेंधवा में 2700 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, स्थायी प्राचार्य पिछले कई वर्षों से नहीं हैं एवं कार्यालयीन स्टॉफ भी नहीं है, कब तक नियुक्तियां की जावेंगी? (ख) क्या जनभागीदारी समिति में घोटाले के संबंध में कई शिकायतें भी की गईं हैं। यदि हाँ, तो कब तक जाँच की जायेगी? (ग) जनभागीदारी समिति सेंधवा का गठित दिनांक से वर्ष 2018-19 तक का ऑडिट नहीं किया गया है। कब तक किया जायेगा तथा दोषी अधिकारियों एवं लेखापाल पर कार्यवाही कब की जायेगी? (घ) विज्ञान संकाय, जूलॉजी, गणित, फिजिक्स की स्नातकोत्तर कक्षाएं कब से प्रारंभ की जायेंगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। रिक्त पदों की पूर्ति यथाशीघ्र करने का प्रयास किया जा रहा है। (ख) जी हाँ। जाँच कार्यवाही प्रचलित है। यथाशीघ्र जाँच पूर्ण कर निर्णय लिया जावेगा। (ग) जनभागीदारी समिति सेंधवा का गठित दिनांक से सत्र 2016-17 तक का ऑडिट हो गया है। वर्ष 2017-18 का ऑडिट कार्य प्रक्रियाधीन है। वर्ष 2018-19 का ऑडिट कार्य शीघ्र करा लिया जावेगा। दोषी पाये जाने पर संबंधित अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। (घ) सीमित संसाधनों के कारण उल्लेखित कक्षाएं प्रारंभ करने में कठिनाई है।
परासिया स्थित महाविद्यालय में ई.लाईब्रेरी की स्थापना
[उच्च शिक्षा]
10. ( *क्र. 4180 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महाविद्यालयों में पुस्तकालय विकास अन्तर्गत ई-लाईब्रेरी स्थापित किये जाने के क्या दिशा-निर्देश व नियमावली है? (ख) क्या परासिया में स्थित श्री ल.ना.शास.पेंचव्हेली स्नातकोत्तर महाविद्यालय परासिया में छात्र/छात्राओं को आधुनिक ग्रंथालय सेवा/सुविधा प्रदान करने हेतु ई-लाईब्रेरी नहीं है? क्या महाविद्यालय में ई-लाईब्रेरी नहीं होने के कारण अध्ययनरत् छात्र/छात्राओं को अनेक असुविधाओं व परेशानियों का सामना करना पड़ता है? (ग) प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि हाँ, तो महाविद्यालय में अध्ययनरत् छात्र/छात्राओं के हित एवं आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, पुस्तकालय विकास अन्तर्गत ई-लाईब्रेरी को स्थापित किये जाने एवं ई-लाईब्रेरी हेतु आवश्यक सामग्री, स्टॉफ एवं राशि उपलब्ध किये जाने हेतु विभाग द्वारा कार्यवाही कब तक की जायेगी? (घ) उक्त महाविद्यालय परासिया में ई-लाईब्रेरी स्थापित किये जाने के संबंध में विभाग द्वारा कब तक स्वीकृति प्रदान कर दी जायेगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) शासकीय महाविद्यालयों में "पुस्तकालय का विकास" योजना क्रमांक-5550 के अंतर्गत प्रावधानित बजट से ई-लाईब्रेरी स्थापित किये जाने हेतु महाविद्यालयों से प्रस्ताव प्राप्त कर आवंटन किया जाता है। (ख) जी हाँ। महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने महाविद्यालय में ई-लाईब्रेरी नहीं होने के कारण किसी प्रकार की असुविधाओं और परेशानियों के संबंध में प्रश्नांकित तिथि तक कोई शिकायत नहीं की है, अत: उक्त प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) निर्धारित प्रक्रिया से महाविद्यालय द्वारा प्रस्ताव प्राप्त होने पर परीक्षण उपरांत बजट सीमा के अंतर्गत आवश्यक सामग्री के क्रय हेतु आवंटन की कार्यवाही की जावेगी। इस योजना के अंतर्गत स्टॉफ के लिए राशि उपलब्ध नहीं कराई जाती है। (घ) उत्तरांश (ग) अनुसार। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
महाविद्यालयीन प्रयोगशाला परिचारकों की पदोन्नति
[उच्च शिक्षा]
11. ( *क्र. 3891 ) श्री विष्णु खत्री : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्रयोगशाला परिचारकों को दिनांक 1.1.1996 से तृतीय श्रेणी में घोषित करते हुये 31.5.2002 तक इससे संबंधित पालन प्रतिवेदन शासन को प्रस्तुत किया जाना था? यदि हाँ, तो इससे संबंधित आदेश की प्रति उपलब्ध कराते हुये प्रश्नांश दिनांक तक तृतीय श्रेणी में क्यों घोषित नहीं किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में हायर सेकेण्डरी या स्नातक उत्तीर्ण प्रयोगशाला परिचारकों को कब तक तृतीय श्रेणी में घोषित किया जावेगा? (ग) क्या शासन के निर्देशानुसार विभिन्न पदों पर कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों को सम्पूर्ण सेवाकाल में पदोन्नतियों का प्रावधान है तो प्रयोगशाला परिचारकों के लिये भी पदोन्नति के प्रावधान हैं अथवा नहीं? यदि नहीं तो विभाग द्वारा प्रयोगशाला परिचारकों के लिये कब तक पदोन्नति के प्रावधान बना लिये जायेंगे? (घ) वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में संभागवार प्रयोगशाला परिचारकों की संख्या बतायें। (ड.) महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों की भांति विभाग में कार्यरत कर्मचारी जो पी.एस.सी./नेट/सेट उत्तीर्ण हैं। पी.एस.सी./नेट/सेट में अंकों का अधिभार देने का प्रावधान कब किया जावेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। विभिन्न पदों पर कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों को सम्पूर्ण सेवा काल में पदोन्नति/क्रमोन्नति का प्रावधान है। म.प्र. शासन, उच्च शिक्षा विभाग की अधिसूचना क्र. 2304/0262/38-2/91 भोपाल दिनांक 19.08.1991 के अनुसार ऐसे प्रयोगशाला परिचारक जो संबंधित विषय सहित उच्चतर माध्यमिक परीक्षा 10+2 स्कीम की 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण हो तथा प्रयोगशाला परिचारक के रूप में 9 वर्ष का अनुभव हो, उन्हें प्रयोगशाला तकनीशियन के कुल स्वीकृत पदों में से 25 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति दिये जाने का प्रावधान है। अधिसूचना की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ड.) प्रयोगशाला परिचारकों के लिये इस तरह का अभी कोई प्रावधान नहीं है।
विद्युत मण्डल कर्मियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति
[ऊर्जा]
12. ( *क्र. 3857 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल कर्मियों के आश्रितों को 17 नवंबर, 1997 से अनुकंपा नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई थी? इसके लिये कोई निर्देश जारी किये गये थे अथवा अघोषित रूप से रोक लगाई गई थी। (ख) क्या मण्डल द्वारा लंबित अनुकंपा नियुक्ति प्रकरणों में नियुक्ति प्रदान करने का कार्य दिनांक 10 अप्रैल, 2012 से पुनः प्रारंभ किया गया है? यदि हाँ, तो 17 नवंबर, 1997 से 10 अप्रैल, 2012 के मध्य दिवंगत हुए मण्डल कर्मियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति क्यों प्रदान नहीं की गई? (ग) मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल के अधीन पावर जनरेटिंग कंपनी के सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, में दिनांक 17 नवंबर, 1997 से 10 अप्रैल, 2012 तक अनुकंपा नियुक्ति के कितने प्रकरण लंबित हैं? नाम सहित सूची उपलब्ध करावें। क्या मण्डल द्वारा इन्हें अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी नहीं, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) जी हाँ। विद्युत कंपनियों द्वारा दिनांक 10.04.2012 के उपरांत कंपनियों में अंतिम रूप से आमेलित म.प्र. राज्य विद्युत मंडल के कार्मिक एवं कंपनी कार्मिक की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर पात्र आश्रित को नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति प्रदान किया जाना आरंभ किया गया। वर्तमान में दिनांक 15.11.2000 से 10.04.2012 के बीच मात्र कार्य के दौरान दुघर्टना मृत्यु के प्रकरणों में पात्र आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान है। उक्त प्रावधान दिनांक 15.11.2000 से इसलिए किया गया है, क्योंकि अविभाजित मध्यप्रदेश के दिनांक 01.11.2000 को पुनर्गठन के बाद मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के बीच राज्य विद्युत मंडलों का बंटवारा दिनांक 15.11.2000 से हुआ था। (ग) सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, मध्यप्रदेश विद्युत मंडल/मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल/म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड सारनी में दिनांक 17 नवंबर, 1997 से 10 अप्रैल, 2012 तक अनुकंपा नियुक्ति के 238 प्रकरण लंबित हैं, नाम सहित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में दर्शाये अनुसार है। उक्त लंबित प्रकरणों के संबंध में उत्तरांश (ख) अनुसार कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
अनुदान प्राप्त महाविद्यालय में कार्यरत कर्मियों का वेतन निर्धारण
[उच्च शिक्षा]
13. ( *क्र. 3810 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश में शासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालय में कार्यरत शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक संवर्गों में जो कर्मचारी जनभागीदारी समिति, शासी निकाय एवं कॉलेज प्रबंध समिति के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं उनके लिए न्यूनतम वेतन का निर्धारण किया गया है? अनुदान प्राप्त महाविद्यालय में कार्यरत शैक्षणिक संवर्ग के स्व-वित्तीय पाठ्यक्रमों में शासी निकाय अथवा कॉलेज प्रबंध समिति के द्वारा नियुक्त कर्मचारियों को अतिथि विद्वान का पदनाम एवं मानदेय शासन द्वारा दिया जा सकता है कि नहीं? (ख) इन कर्मचारियों के भविष्य संरक्षित करने की क्या तैयारी है? (ग) मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा प्रदेश के निजी महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षक संवर्ग एवं कर्मचारियों का बीमा तथा भविष्य निधि में शासन द्वारा वचन पत्र के बिन्दु क्रमांक 17.20 के पालन के लिए जो कार्यवाही प्रारंभ की गई थी वह किस स्थिति में है? कर्मचारियों को इसका लाभ कब से मिलेगा? इसके लिए क्या सीमाएं एवं नियम निर्धारित किए गए हैं? आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग भोपाल के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी द्वारा जारी चतुर्थ स्मरण पत्र क्रमांक 843/453/आ ऊ शि/अनु. बजट/18 भोपाल दिनांक 16/05/2019 की कार्यवाही किस स्थिति में है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ, न्यूनतम वेतन निर्धारण के संबंध में निर्णय लिया जाना प्रक्रियाधीन है। जी नहीं। (ख) इन कर्मचारियों के भविष्य संरक्षित करने के संबंध में शासन के वचन पत्र के बिन्दु क्रमांक 17.20 के तहत योजना परीक्षणीय है। (ग) जी हाँ। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
नियम विरूद्ध मैदानी पदस्थापना
[लोक निर्माण]
14. ( *क्र. 4214 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. कार्य मैन्युअल 1983 की कंडिका 1.014 में डिवीजन/संभाग व कंडिका 1.015 सब डिवीजन/उप संभाग के प्रभार हेतु लेखा परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है? यदि हाँ, तो इसके विरूद्ध कितनी मैदानी पदस्थापनाएं हैं? इनको कब तक हटाया जायेगा? विभागीय लेखा परीक्षा पास को कब तक मैदानी पदस्थापना दी जावेगी? (ख) क्या कार्यपालन यंत्री लो.नि.वि.वि./यां. संभाग इंदौर के पद पर प्रभारी श्री पी.आर. इंदोरे विगत 2 वर्षों से व विगत 10 वर्षों से अनुविभागीय अधिकारी लो.नि.वि.वि./यां. उपसंभाग इंदौर के पद पर पदस्थ हैं? क्या उपरोक्त पदस्थापना स्थानांतरण नीति वर्ष 2019-20 की कंडिका 11.4 के विरूद्ध है? क्या इनके द्वारा संभाग व उपसंभाग के दायित्व हेतु विभागीय मैन्युअल की कंडिका 1.014 व 1.015 अनुसार अनिवार्य लेखा परीक्षा उत्तीर्ण की गई है? यदि नहीं तो इनको नियम विरूद्ध मैदानी पदस्थापना प्रभारी कार्यपालन यंत्री लो.नि.वि.वि./यां. संभाग इंदौर के पद से कब तक हटाया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। उप संभागों में अनुविभागीय अधिकारी के रिक्त पद के प्रभार की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'', ''द'' एवं ''ई'' में निहित प्रावधान अनुसार दिया जाता है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। जी नहीं, स्थानांतरण नीति की कंडिका 11.4 के तहत यह अनिवार्य नहीं है कि तीन वर्ष पूर्ण होने पर स्थानांतरण किया जावे। जी हाँ। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
शासन की हितग्राही मूलक योजनाएं
[श्रम]
15. ( *क्र. 4104 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन की संबल योजना क्या प्रदेश में दिनांक 28.06.2019 की स्थिति में लागू की गई है अथवा क्या नई योजना बनाई जा रही है? यदि हाँ, तो इस योजना के अंतर्गत हितग्राही को क्या-क्या सुविधाएं/सहायता दी जाती है? दिए गए निर्देशों की छायाप्रति उपलब्ध करावें। यदि नहीं, तो क्या वैकल्पिक योजना बनाई जा रही है? जिससे गरीब हितग्राहियों को लाभ हो सके? यदि हाँ, तो योजना का नाम क्या रखा गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में सिरोंज-लटेरी विकासखण्डों में कितने हितग्राहियों के नाम इस योजना में जोड़े गए हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में 01 जनवरी, 2017 से 30 जून, 2019 तक कितने हितग्राहियों को कौन-कौन सी योजनाओं के अंतर्गत क्या-क्या लाभ/आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई तथा कितने हितग्राहियों के प्रकरण 30 जून, 2019 की स्थिति में लंबित हैं और निराकरण कब तक कर दिया जावेगा?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। योजना अंतर्गत हितग्राहियों को दी जा रही सुविधाओं एवं सहायता की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है तथा दिये गये निर्देश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) सिरोंज-लटेरी विकासखण्डों में 102912 हितग्राहियों के नाम इस योजना में जोड़े गये। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। दिनांक 30 जून, 2019 तक के सभी प्रकरण पोर्टल पर स्वीकृत किये जा चुके हैं। अतः 30 जून, 2019 की स्थिति में कोई प्रकरण लंबित नहीं है।
विधान सभा क्षेत्र मंदसौर की सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
16. ( *क्र. 3874 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 1 जनवरी, 2018 के पश्चात मंदसौर विधान सभा क्षेत्र की लोक निर्माण विभाग की कितनी सड़क स्वीकृत होकर कार्यादेश जारी हुए, उनमें कितनी सड़क पूर्ण हैं तथा सड़कों के निर्माण को लेकर आंशिक या पूर्णकालीन भुगतान की राशि कितने ठेकेदारों की बकाया है तथा कितनों की पूर्ण राशि भुगतान कर दी गयी? (ख) उक्त अवधि में मंदसौर विधान सभा क्षेत्र में विभाग द्वारा स्वीकृत सड़क ग्राम रांकोदा से गुराडिया लालमुँहा, गरोड़ा से अकोदड़ा, हवाई पट्टी मंदसौर से भालोट, रिछालालमुँहा से निम्बोद, साबाखेड़ा से मंदसौर मंडी के कार्यादेश जारी होने के उपरांत कितने ठेकेदारों को आंशिक तथा कितनों को पूर्ण भुगतान प्रश्न दिनांक तक कर दिया गया? कितने ठेकेदारों की कितनी बकाया भुगतान राशि किन-किन कारणों से शेष है? (ग) उक्त सड़कों की निर्माण एजेंसी एवं ठेकेदार कौन-कौन थे?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) से (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
ग्राम परसवाड़ा में खेल परिसर का निर्माण
[खेल और युवा कल्याण]
17. ( *क्र. 3672 ) श्री रामकिशोर कावरे : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम परसवाड़ा में खेल परिसर निर्माण कार्य तत्कालीन मान. मुख्यमंत्री की घोषणा क्रमांक 1985 अनुसार खेल युवा कल्याण मद से स्वीकृत था? यदि हाँ, तो क्या कार्य पूर्ण हो चुका है या अधूरा है? (ख) क्या पत्र क्रमांक 3405/खे.युवा.कल्याण/अधो./2013 भोपाल दिनांक 11/07/2013 द्वारा खेल परिसर स्वीकृत हुआ था, किन्तु आज दिनांक तक कार्य अधूरा है? क्या कारण है? कार्य अधूरा होने में दोषी कौन-कौन अधिकारी हैं? (ग) क्या बजट के अभाव में कार्य अपूर्ण है? यदि हाँ, तो क्या बजट उपलब्ध करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र परसवाड़ा को खेल परिसर विहीन रखेंगे? यदि नहीं तो 5 वर्ष से कार्य क्यों अधूरा है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (घ) जानकारी संकलित की जा रही है।
''इंदिरा गृह ज्योति योजना'' अंतर्गत बिजली बिल का प्रदाय
[ऊर्जा]
18. ( *क्र. 1159 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में वर्तमान में गरीबों को घरेलू बिजली उपयोग करने पर न्यूनतम एवं अधिकतम कितनी राशि के मासिक बिल दिये जाने का प्रावधान है? (ख) क्या संबल योजना अंतर्गत पिछली सरकार द्वारा गरीबों से अधिकतम 100 रु. प्रतिमाह लिये जाने का प्रावधान था? (ग) क्या वर्तमान सरकार द्वारा उक्त नियम को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है? जिसके कारण प्रदेश के गरीबों को हजारों रु. प्रतिमाह के बिल प्राप्त हो रहे हैं? यदि हाँ, तो क्यों? (घ) क्या संबल योजना कार्डधारी को अधिकतम 100-150 रु. प्रतिमाह घरेलू बिजली बिल दिये जाने के पूर्व सरकार के निर्णय को यथावत रखा जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) वर्तमान में लागू ''इंदिरा गृह ज्योति योजना'' के अंतर्गत सम्मिलित 1 किलोवाट तक के संयोजित भार वाले सहज बिजली बिल स्कीम के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रथम 100 यूनिट के विद्युत उपभोग पर 100 रूपये का बिल दिये जाने एवं 100 रूपये से कम बिल होने पर वास्तविक राशि का बिल दिये जाने का प्रावधान है। उक्त योजना में सम्मिलित उपभोक्ता द्वारा 100 यूनिट से अधिक विद्युत का उपभोग करने पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित टैरिफ एवं मीटर में दर्ज वास्तविक खपत के आधार पर बिल दिये जाने का प्रावधान है। इस प्रकार कोई न्यूनतम एवं अधिकतम बिल की सीमा निर्धारित नहीं की गई है। (ख) जी नहीं, अपितु संबल योजना में 1 किलोवाट तक के संयोजित भार वाले पंजीकृत श्रमिकों एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल के पंजीकृत कर्मकारों को सरल बिजली बिल स्कीम के तहत अधिकतम 200 रूपये प्रतिमाह बिजली का बिल दिये जाने का प्रावधान था। (ग) जी नहीं, तथापि दिनांक 07 फरवरी, 2019 को राज्य शासन द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितग्राहियों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से पूर्व में चल रही संबल योजना को समाहित करते हुए दिनांक 25.02.2019 से ''इंदिरा गृह ज्योति योजना'' लागू की गई, जिसके अंतर्गत 1 किलोवाट तक संयोजित विद्युत भार वाले सरल बिजली बिल योजना में सम्मिलित उपभोक्ताओं द्वारा घरेलू उपयोग के लिए 100 यूनिट तक खपत करने पर अधिकतम 100/- रूपये का देयक दिये जाने का प्रावधान किया गया है। 100 यूनिट से अधिक खपत होने पर प्रथम 100 यूनिट के लिए 100/- रूपये एवं शेष विद्युत खपत के लिए लागू टैरिफ अनुसार विद्युत देयक की राशि उपभोक्ता द्वारा देय है। (घ) प्रश्नांश में उल्लेखित हितग्राहियों को घरेलू उपयोग हेतु अधिकतम 100-150 रूपये प्रतिमाह बिजली का बिल दिये जाने का पूर्व सरकार का कोई निर्णय नहीं था, अत: प्रश्न नहीं उठता।
मेंटेनेन्स हेतु सामग्री की खरीदी
[ऊर्जा]
19. ( *क्र. 1895 ) श्री मुन्नालाल गोयल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.म.क्षे.वि.वि.क.लि. ने R.C.A. (T.S-440) के अंतर्गत मेंटेनेन्स हेतु कुल कितनी राशि की सामग्री खरीदी तथा इसका यूटीलाईजेशन (उपयोगिता) सर्टिफिकेट कब-कब लिये गये? (ख) लोकल परचेज में महाप्रबंधक (वृत) को D.O.P. के तहत किस सीमा तक अधिकार है? प्रबंध संचालक ने एक आदेश में 50 लाख और वर्ष में 5 करोड़ खर्च करने की अवैध अनुमति कैसे प्रदान की? (ग) मुख्य महाप्रबंधक के पत्र क्रमांक 2019/115, दिनांक 3-6-2019 में इस बात का खुलासा नहीं हो रहा है कि उक्त केन्द्रों पर घटिया सामग्री लगाई, जिसके कारण विद्युत व्यवधान बढ़ा है। (घ) क्या टी.एस. 440 की खरीददारी में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर जाँच रोक दी गई थी? यदि नहीं, तो प्रबंध संचालक के विरूद्ध जाँच कराई जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा R.C.A. (T.S-440) के अंतर्गत कुल राशि रू. 6, 15, 93, 181/- की सामग्री विद्युत अधोसंरचना के रख-रखाव कार्यों हेतु क्रय की गई थी। उक्त क्रय की गई सामग्री का उपयोग विद्युत अधोसंरचना के रख-रखाव हेतु आवश्यक कार्यों के लिए किया गया था। उक्त सामग्री का उपयोग एक साथ न होकर आवश्यकता के अनुरूप किये जाने के परिप्रेक्ष्य में वितरण कंपनी द्वारा कार्यादेश के विरूद्ध खरीदी गई सामग्री के उपयोगिता प्रमाण-पत्र लेने का प्रावधान नहीं किया गया है। (ख) वर्तमान में लागू कंपनी की डेलिगेशन ऑफ पावर पुस्तिका के अनुसार लोकल पर्चेस के लिए महाप्रबंधक को एक बार में रू. 2.00 लाख, एक माह में रू. 5.00 लाख एवं एक वर्ष में रू. 50 लाख की सीमा तक सामग्री क्रय करने के अधिकार हैं। संचालक मण्डल म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अनुमोदन उपरांत R.C.A. (T.S-440) के अंतर्गत विद्युत लाइनों एवं विद्युत उपकेन्द्रों के रख-रखाव हेतु सामग्री क्रय करने के लिए एक बार में राशि रू. 50 लाख एवं अधिकतम वार्षिक सीमा राशि रू. 5.00 करोड़ के अधिकार प्रदान किये गये थे। (ग) मुख्य महाप्रबंधक (एम.एण्ड बी.एम.) कार्यालय प्रबंध संचालक, म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल के पत्र क्र. 2019/115 दिनांक 03.06.19 में विद्युत व्यवस्था सुचारू रखने हेतु उपकेन्द्रों के निरीक्षण के दौरान पायी गयी रख-रखाव से संबंधित कमियों का उल्लेख किया गया है। उक्त पत्र में सामग्री की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं होने के कारण विद्युत व्यवधान बढ़ने से संबंधित कोई लेख नहीं है। (घ) जी नहीं। R.C.A. (T.S-440) के खरीदी से संबंधित अनियमितता की शिकायत की जाँच पूर्ण की गई थी एवं जाँच उपरांत उक्त शिकायत निराधार एवं भ्रामक पाई गई।
बल्देवगढ़ मुख्यालय पर सर्वेक्षण एवं अनुसंधान उपसंभाग कार्यालय को बंद किया जाना
[जल संसाधन]
20. ( *क्र. 2906 ) श्री राहुल सिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बान सुजारा बाँध, जल संसाधन विभाग के अन्तर्गत खरगापुर विधान सभा के बल्देवगढ़ मुख्यालय पर सर्वेक्षण एवं अनुसंधान उपसंभाग क्र.-01 एवं 02 की स्थापना शासन के किस आदेश से की गई थी? आदेश की प्रति देवें। (ख) क्या उक्त दोनों कार्यालय एक निजी भवन में संचालित थे जिन्हें लगभग 2 माह बाद अचानक बंद कर दिया गया है? (ग) यदि हाँ, तो उक्त कार्यालय बंद करने संबंधी आदेश किसका है? आदेश की प्रति देवें एवं उक्त कार्यालयों को कहाँ संविलियत किया गया है एवं उनमें पदस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों का वर्तमान मुख्यालय कहाँ है? (घ) यदि उक्त कार्यालय शासनादेश के बिना बंद करके मुख्यालय परिवर्तित किया गया है, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई अथवा की जाएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। जी नहीं। मितव्ययिता के कारण निजी भवन से शासकीय भवन में कार्यालयों को स्थापित किया गया है। (ग) एवं (घ) उत्तरांश (ख) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। प्रश्नाधीन कार्यालयों का मुख्यालय बल्देवगढ़ है।
एन.एच.3 पर स्थित टोल टैक्स बेरियर को बंद किया जाना
[लोक निर्माण]
21. ( *क्र. 1876 ) श्री कमलेश जाटव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना नगर निगम सीमा एन.एच.3 पर स्थित टोल टैक्स बैरियर को संचालित करने की समय-सीमा कब तक है? (ख) क्या उक्त टोल बैरियर की समय-सीमा समाप्त होने के बावजूद भी अनैतिक तत्वों के बल पर अवैध रूप से शासकीय भूमि पर नगर निगम सीमा में टोल टैक्स लगाकर करोड़ों रूपयों का गोरखधंधा संचालित है? यदि हाँ, तो उसके लिये दोषी कौन है? दोषी के प्रति क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) क्या अवैध रूप से संचालित टोल बैरियर पर विगत वर्षों में अनेक बार गोलीकाण्ड हुआ एवं मौतें भी हो चुकी हैं, यातायात भी घण्टों बाधित रहता है? यदि हाँ, तो शासन जनहित में इस खुली लूट को बंद करने के उद्देश्य से कब तक उक्त टोल बैरियर को हटाने की कार्यवाही करेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। (ख) एवं (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
पार्वती रेसई परियोजना के डूब क्षेत्र में आ रहे क्षेत्र
[जल संसाधन]
22. ( *क्र. 4124 ) श्री राज्यवर्धन सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले के जल संसाधन संभाग नरसिंहगढ़ अंतर्गत प्रश्न दिनांक तक पार्वती रेसई परियोजना के डूब क्षेत्र में कौन-कौन से ग्राम/मंदिर/अन्य सम्पत्तियां आ रहीं हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या विभाग द्वारा डूब क्षेत्र में आ रहे ग्रामों/मंदिर व अन्य ऐसी सम्पत्ति जो प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व रखती है, के विस्थापन/पुनर्वास के लिये कोई कार्य योजना बनाई है? यदि हाँ, तो क्या तथा क्या पुनर्वास हेतु भूमि चिन्हित कर आवंटित की जा चुकी है? यदि हाँ, तो खसरा नंबर सहित स्थान बतावें। यदि नहीं तो उक्त संबंध में किस स्तर पर कार्यवाही लंबित है तथा कब तक भूमि आवंटन की कार्यवाही पूर्ण करा ली जावेगी? (ग) क्या विधान सभा क्षेत्र नरसिंहगढ़ अंतर्गत प्राचीन ऐतिहासिक सांका श्यामी जी मंदिर डूब क्षेत्र में आ रहा है? जो कि पर्यटक स्थल होकर क्षेत्रीयजनों के आस्था का केन्द्र भी है? यदि हाँ, तो क्या विभाग द्वारा उक्त मंदिर तथा ऐसे सभी प्राचीन ऐतिहासिक महत्व वाले स्थानों के विस्थापन उपरांत पुनर्वास हेतु कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो क्या? नहीं तो कब तक, उपरोक्तानुसार पुनर्वास की कार्यवाही की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (ग) पार्वती रेसई नाम की कोई सिंचाई परियोजना नहीं होने से शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
रिक्त पदों के विरूद्ध जिले के अन्य महाविद्यालय से डिप्लायमेंट
[उच्च शिक्षा]
23. ( *क्र. 1123 ) श्री संजय उइके : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नवीन महाविद्यालय में छात्र हित में अध्यापन एवं अन्य कार्यों के संपादन हेतु रिक्त पदों के विरूद्ध जिले के अन्य महाविद्यालय से डिप्लायमेंट किया जाना है? यदि हाँ, तो इसके लिये कोई नियम या निर्देश तय किये गये है तो उसकी प्रति उपलब्ध करायें? (ख) क्या डिप्लायमेंट के लिये नजदीकी तहसील मुख्यालय एवं जिला मुख्यालय के महाविद्यालयों में पर्याप्त पद भरे होने के बावजूद भी जिले के दूरस्थ अन्य महाविद्यालय से डिप्लायमेंट किया गया? क्या यह उचित है? (ग) बालाघाट जिले के आदिवासी विधान सभा क्षेत्र के नवीन महाविद्यालय मलाजखण्ड से जहां की वर्तमान में दो सहा. अध्यापक ही पदस्थ हैं? 01 सहा. अध्यापक का डिप्लायमेंट नजदीकी तहसील एवं जिला मुख्यालय को छोड़कर लगभग 165 कि.मी. दूर के शासकीय महाविद्यालय किरोड़ी में किन कारणों से किया गया है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। शासकीय नवीन महाविद्यालयों में छात्र हित में अध्यापन कार्य अवरूद्ध न हो इस दृष्टि से अन्य महाविद्यालयों से डिप्लायमेंट किया जाता है। जी नहीं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा डिप्लायमेंट किये जाने संबंधी आदेश संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। (ग) एक ही जिले के महाविद्यालय होने से दिनांक 04.06.2019 को डिप्लायमेंट किया गया था, जिसे आदेश क्रमांक 1177/1193/आउशि/शा-2/19, दिनांक 20.06.19 द्वारा निरस्त किया गया।
सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2017 की चयन सूची में विसंगतियां
[उच्च शिक्षा]
24. ( *क्र. 3358 ) श्री रामखेलावन पटेल : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत विज्ञापन क्रमांक 07/2017 दिनांक 12.12.2017 में विज्ञापित सहायक प्राध्यापक संगीत एवं संगीत गायन पदों का अलग-अलग विज्ञापन जारी किया गया था? यदि हाँ, तो क्या इसमें एक व्यक्ति एक ही मुख्य विषय के रिक्त पद में सम्मिलित होने की पात्रता की शर्त भी रखी गई थी? (ख) क्या शर्त का पालन न करते हुए दोनों विषयों की परीक्षाओं में एक ही प्रमाण-पत्रों के माध्यम से सम्मिलित होकर उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों के दोनों परिणामों को निरस्त कर प्रतीक्षा सूची वाले अभ्यर्थियों का नाम मुख्य चयन सूची में सम्मिलित किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक और अपात्र अभ्यर्थियों तथा आयोग की लापरवाही के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। अभ्यर्थी यदि एक से अधिक विषयों में पात्रता एवं अर्हता रखता था, तो उसे एक से अधिक विषयों में आवेदन की पात्रता थी। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तरांश के अनुसार प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
शास. महा. में कार्यरत अतिथि विद्वानों/क्रीड़ाधिकारी/ग्रंथपाल का नियमितीकरण
[उच्च शिक्षा]
25. ( *क्र. 3077 ) श्री अनिरुध्द मारू : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों/क्रीड़ाधिकारी/ग्रंथपाल के नियमितीकरण के बारे में कोई नीति बनाई गई है? (ख) क्या राज्य शासन के अपने वचन पत्र में महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों एवं अन्य के लिए नियमित करने हेतु घोषणा की गई थी? यदि हाँ, तो क्या सरकार ने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र के अमल को लेकर कोई नीति तैयार की है और इनका नियमितीकरण करने की कोई योजना है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी नहीं। (ख) वचन पत्र के बिन्दु क्र. 17.22 में उल्लेख है कि ''अतिथि विद्वानों को रोस्टर के अनुसार नियमित करने की नीति बनायेंगे ...।'' किसी भी अतिथि विद्वान को किसी भी स्थिति में पदमुक्त नहीं किया जायेगा और रोस्टर के अनुरूप कार्य योजना पर कार्य जारी है।
भाग-2
नियम 46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
बाह्य
सेवा के
कर्मचारियों
को सेवा से
पृथक किया
जाना
[ऊर्जा]
1. ( क्र. 85 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विगत 3 वर्ष से 30 जून, 2019 तक जिला जबलपुर में बाह्य सेवा (out sourcing) के तकनीकी कर्मचारियों को सेवा से पृथक किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो कितने कर्मचारियों को पृथक किया गया है? पृथक करने के कारण बतावें? (ग) यदि इनके कार्य की आवश्यकता नहीं थी तो इन्हें क्यों रखा गया था? इसके लिये कौन जवाबदार है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। अपितु बाह्य सेवा प्रदाता कंपनियों के माध्यम से जिला जबलपुर में प्रश्नाधीन अवधि में कार्यरत 19 कार्मिकों को कार्य निर्वहन में लापरवाही, आवश्यक शैक्षणिक योग्यता नहीं होने, कार्य करने में अक्षम होने, आदि विभिन्न कारणों से उपयुक्त नहीं पाये जाने पर म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा संबंधित बाह्य सेवा प्रदाता कंपनियों के माध्यम से कार्य की आवश्यकता के अनुरूप इन्हें उपयुक्त कार्मिकों से प्रतिस्थापित करवाया गया। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
फर्जी लाइनमेन के नाम से वेतन आहरण पर कार्यवाही
[ऊर्जा]
2. ( क्र. 86 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं.लिमि. कटनी में ऐसे कितने लाईनमेन है जो कार्यरत नहीं है परन्तु वेतन आहरण किया जा रहा है? (ख) यदि हाँ, तो बिना कार्य के वेतन आहरण के संबंध में म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं.लिमि. कटनी को विगत 5 वर्षों में शिकायतें प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो कितनी शिकायतें सही पाई गई तथा क्या कार्यवाही की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के क्षेत्रांतर्गत संचालन एवं संधारण वृत्त, कटनी में ऐसा कोई लाईनमेन नहीं है जो कार्यरत नहीं है किन्तु उसके द्वारा वेतन आहरण किया जा रहा है। (ख) संचालन एवं संधारण वृत्त, कटनी अंतर्गत विगत 5 वर्षों में बिना कार्य के वेतन आहरण के संबंध में कोई भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
उपलब्ध राशि के संबंध में
[उच्च शिक्षा]
3. ( क्र. 662 ) श्री रामपाल सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 3 वर्षों से प्रश्न दिनांक तक रायसेन जिले में किन-किन शासकीय महाविद्यालय के पास किस-किस मद योजना की राशि किस खाते में जमा है? उक्त राशि किन-किन कार्यों योजनाओं में व्यय की जा सकती है? (ख) उक्त राशि छात्र-छात्राओं के हित में व्यय क्यों नहीं की गई इसके लिये कौन-कौन जवाबदार है छात्र-छात्राओं से किस-किस मद में कितना-कितना शुल्क लिया जाता है? (ग) प्रश्नांश (क) के किन-किन महाविद्यालयों के पास कितनी भूमि है उक्त भूमि का क्या-क्या उपयोग किया जा रहा है उक्त भूमि पर किन-किन व्यक्तियों द्वारा कब से झुग्गी बनाकर निवास किया जा रहा है? उक्त झुग्गीवासियों को वैकल्पिक भूमि क्यों उपलब्ध नहीं कराई जा रही है? (घ) शास. महाविद्यालय बरेली के छात्रावास में कितने छात्र निवास करते है यदि नहीं तो क्यों? उक्त छात्रावास की मरम्मत एवं पुताई हेतु विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' पर है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' पर है। (ग) रायसेन जिले के 11 शासकीय महाविद्यालयों में से 08 महाविद्यालयों के पास भूमि है। 03 महाविद्यालयों को भूमि आवंटित नहीं है। जिन 08 महाविद्यालयों के पास भूमि है उनके उपयोग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' पर दर्शायी गई है। केवल शासकीय महाविद्यालय, उदयपुरा में निर्मित भवन के अतिरिक्त शेष भूमि पर अतिक्रमण है। इस महाविद्यालय के परिसर में झुग्गी बनाकर रहने वाले व्यक्तियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' एवं भूमि से अतिक्रमण हटाने एवं वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराने के संबंध में विभाग एवं जिला प्रशासन स्तर पर की गई कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। अद्यतन रूप से अतिक्रमण हटाने हेतु जिला कलेक्टर, रायसेन को दिनांक 11.07.2019 को पुनः लिखा गया है। (घ) शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बरेली में 50 सीटर बालक छात्रावास में 1994-95 से किसी भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है और न ही छात्रावास की मांग छात्रों द्वारा आई है। अतः शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। छात्रावास की मरम्मत एवं पुताई से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ई'' अनुसार है।
सिरमौर विकासखण्ड में स्वीकृत मिनी स्टेडियम के निर्माण
[खेल और युवा कल्याण]
4. ( क्र. 1168 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2017-18 में सिरमौर विकासखण्ड में मिनी स्टेडियम निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया था? यदि हाँ, तो क्या कारण है कि लगभग 02 वर्ष व्यतीत हो जाने के उपरांत भी अभी तक निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका? (ख) उक्त मिनी स्टेडियम का निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ किया जा सकेगा? विभाग के द्वारा निर्माण कार्य पूर्ण करने हेतु क्या समय-सीमा निर्धारित की गई है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा सिरमौर विकासखंड में मिनी स्टेडियम निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नोत्तर ‘‘क‘‘ के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अधूरे सेतु निर्माण कार्य एवं पहुंच मार्ग को पूरा किया जाना
[लोक निर्माण]
5. ( क्र. 1170 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिलान्तर्गत जवा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत भनिगवां एवं ग्राम पंचायत कोल्हा के सेतु निर्माण एवं पहुंच मार्ग का निर्माण कार्य लगभग 02 वर्ष पूर्ण हो जाने के पश्चात् भी पूर्ण नहीं किया जा सकने का क्या कारण है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उल्लेखित पंचायतों में निर्माणाधीन सेतुओं तथा पहुंच मार्गों का निर्माण कब तक कराया जा सकेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के कॉलम 6 अनुसार है।
सिविल हॉस्पिटल सारंगपुर का अपूर्ण निर्माण कार्य
[लोक निर्माण]
6. ( क्र. 1193 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र सारंगपुर में सिविल हॉस्पिटल सारंगपुर का निर्माण कार्य प्रगति पर है? यदि हाँ, तो कार्य का कार्यादेश की तिथि, कार्य प्रारम्भ की तिथि एवं कार्य पूर्ण करनें की तिथि से अवगत करावें, एवं कार्यादेश की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) क्या सिविल हॉस्पिटल सारंगपुर के निर्माण कार्य में अतिरिक्त कार्य की बढ़ोत्तरी होने से बढ़ी हुई राशि की पुनरीक्षित स्वीकृति सक्षम अधिकारी से प्राप्त की गई थी? यदि हाँ, तो बढ़े हुये कार्य एवं बढ़ी हुई राशि के विवरण से अवगत करावें? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) मे दर्शित बढ़े हुये कार्य प्रश्न दिनांक तक पूर्ण कर लिये गये है? यदि नहीं तो किस कारणों से अपूर्ण है? (घ) प्रश्नांश (ग) में अपूर्ण होने के कारणों का कब तक निराकरण कर दिया जावेगा? उन कारणों का निराकरण न करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, मूल प्रशासकीय स्वीकृति अनुसार, मुख्य अस्पताल भवन कार्य पूर्ण एवं हस्तांतरित लेकिन पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति में स्वीकृत अतिरिक्त कार्य शेष, पुराने अस्पताल भवन को तोड़ने की अनुमति अप्राप्त होने के कारण अतिरिक्त कार्य अप्रारंभ। मूल प्रशासकीय स्वीकृति अनुसार पूर्ण अस्पताल भवन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार एवं कार्यादेश की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जी नहीं। संबंधित विभाग द्वारा विद्यमान मैटरनिटी वार्ड को ध्वस्त करने की अनुमति न दिये जाने के कारण बढ़े हुये कार्य प्रारंभ नहीं किये जा सके, अत: पूर्णता की निश्चित तिथि बताया जाना संभव नहीं है। (घ) पुराने मैटरनिटी भवन को ध्वस्त किये जाने की अनुमति प्राप्त होने पर अतिरिक्त कार्य प्रारंभ किया जावेगा। प्रश्न ही नहीं उठता।
सारंगपुर-सण्ड़ावता मार्ग पर निर्मित ब्रिज का अपूर्ण कार्य
[लोक निर्माण]
7. ( क्र. 1194 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र सारंगपुर अन्तर्गत सारंगपुर-सण्ड़ावता मार्ग पर काई नदी पर ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है? यदि हाँ, तो ब्रिज निर्माण के कार्यादेश की तिथि कार्य का प्रारम्भ करने की दिनांक तथा कार्यपूर्ण करने की दिनांक से अवगत करावें? (ख) क्या ठेकेदार के द्वारा धीमी गति से कार्य करने करने के कारण ठेकेदार का ठेका समाप्त कर दिया गया था? यदि हाँ, तो उसको पुनर्जिवित करने के क्या कारण था? नियम विरूद्ध पुनर्जिवित करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) ठेकेदार का ठेका पुनर्जिवित करने के उपरान्त ठेकेदार द्वारा प्रश्न दिनांक तक कितना कार्य किया गया है? दिनांकवार कार्य की प्रगति से अवगत करावें एवं कार्य को कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा (घ) ठेकेदार द्वारा कार्य को निर्धारित समयावधि में पूर्ण न करने हेतु ठेकेदार के विरूद्ध कितनी शास्ति आरोपित कर कितनी राशि वसूली की गयी है? करावें एवं क्या ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं तो क्या?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। कार्यादेश दिनांक 19.12.2016 को जारी किया गया। कार्य प्रारंभ करने की तिथि 20.12.2016 एवं कार्य पूर्ण करने की अनुबंधित तिथि 18.02.2019 थी। (ख) जी हाँ। ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत आवेदन में लिखित आश्वासन के आधार पर अनुबंध की धारा-12 के प्रावधान के अनुरूप सक्षम अधिकारी द्वारा ठेका पुनर्जिवित किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) अनुबंध पुनर्जिवित होने के पश्चात ठेकेदार द्वारा रूपये 23.57 लाख का कार्य किया गया है। दिनांकवार कार्य की प्रगति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। वर्तमान में अनुबंध समाप्त है, अत: कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (घ) कार्य को निर्धारित समयावधि में पूर्ण न करने के कारण प्रथम चल देयक से रूपये 2.00 लाख की राशि डिपॉजिट में रखी गई है। दिनांक 13.03.2019 को ठेकेदार का पंजीयन काली सूची में दर्ज किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ओरिएन्टल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा जी.एस.टी. की राशि में अनियमितताएं
[लोक निर्माण]
8. ( क्र. 1199 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं. 03 देवास ब्यावरा मार्ग के उन्नयनीकरण का कार्य ओरियन्टल कंस्ट्रक्शन कम्पनी द्वारा 1600 करोड़ रूपये की लागत से किया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या वाणिज्यकर अधिकारी राजगढ़, शाजापुर एवं देवास द्वारा करोड़ों के कार्य का सब कांट्रेक्टर, लेबर कांट्रेक्टर, सप्लायरों को टुकड़ों में कार्य दिया जा रहा है? क्या इनसे जी.एस.टी. काटी गई है? यदि हाँ, तो कितनी-कितनी राशि अवगत करावें? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या कम्पनी द्वारा प्रश्न दिनांक तक जी.एस.टी. सम्बंधित वाणिज्यकर विभाग को जानकारी दी गई है अथवा नहीं? (घ) क्या यह सही है कि वाणिज्य कर विभाग द्वारा करोड़ों की जी.एस.टी. राजस्व की होने वाली आय के सम्बंध में ओरियन्टल कम्पनी के देहरीबामन कैम्प, सुनहरा कैम्प, देवास मक्सी के बीच स्थिति कैम्पों के दस्तावेज की जी.एस.टी. संबंधी जाँच की गई है? यदि हाँ, तो किस दिनांक को की गई?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नांकित मार्ग लोक निर्माण विभाग के कार्य क्षेत्रान्तर्गत नहीं है, अपितु भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) से (घ) उत्तरांश (क) अनुसार।
सदर क्षेत्र में रेल्वे क्रासिंग पर अडंरब्रिज की मांग
[लोक निर्माण]
9. ( क्र. 1277 ) श्री निलय डागा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल शहर के सदर क्षेत्र से चिचोली मार्ग जाने के लिये हो रही असुविधा के लिये रेल्वे लाईन से अंडर ब्रिज बनाने की मांग क्षेत्रीय जनता एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही है या नहीं? (ख) यदि हाँ, तो क्या विभाग द्वारा अंडर ब्रिज निर्माण किये जाने हेतु प्राक्कलन तैयार किया जा रहा है? यदि नहीं तो क्यों? यदि हाँ, तो प्राक्कलन लागत बताएं? (ग) यदि प्रावधानित है तो कब तक निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जावेंगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। इस संबंध में कोई मांग पत्र विभाग को प्राप्त नहीं हुआ है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
रिजेक्ट कोल की चल रही अनियमितताएं
[ऊर्जा]
10. ( क्र. 1298 ) श्री विनय सक्सेना : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतपुड़ा ताप विद्युत् गृह में रिजेक्ट कोल के संबंध में अनियमितताओं की शिकायतें विभाग में दर्ज हुई है? उन पर क्या जाँच व कार्यवाही की गयी एवं तत्पश्चात निष्कर्ष व हुए निर्णय का विस्तृत विवरण देवें? क्या उत्पादन कम्पनी की सारणी ब्लॉक में रिजेक्ट कोल को 50 वर्षों से निविदा निकालकर विक्रय किया जाता था? दिनांक 1/10/2012 से विद्युत् ताप गृह के रिजेक्ट कोल का निष्पादन क्यों रोका गया था? (ख) दिनांक 1/10/2012 के पूर्व कितना रिजेक्ट कोल स्टॉक में था? जो फर्म रिजेक्ट कोल उठाने का काम कर रही थी उसका सप्रमाण विवरण देवें? (ग) रिजेक्ट कोल के निष्पादन कार्य को रोकने से विद्युत् कम्पनी को क्या लाभ हुआ? उक्त से संबंधित उच्च न्यायालय में प्रस्तुत जनहित याचिका में कम्पनी द्वारा माननीय न्यायालय में दिए गये आश्वासन पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गयी? (घ) आज दिनांक तक रिजेक्ट कोल की सम्पूर्ण स्थिति से अवगत करावें? दिनांक 05/09/18 को उक्त से संबंधित आयोजित समझौता बैठक में क्या निर्णय लिए गये?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। प्राप्त शिकायतों के दृष्टिगत एवं ठेकेदार द्वारा कार्यादेश की शर्तों का पालन न करने के कारण कार्यवाही करते हुए कोल मिल रिजेक्ट विक्रय ठेके संबंधित आदेश को दिनांक 01.10.2012 को स्थगित किया गया था। फर्म द्वारा अनुबंध के नियम एवं शर्तों का पालन नहीं करना पाया गया एवं कार्यादेश में निहित प्रावधान अनुसार फर्म को शोकाज नोटिस जारी किया गया तथा ठेका दिनांक 21.05.2013 को निरस्त कर दिया गया। फर्म द्वारा ठेका स्थगन आदेश के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय (म.प्र.) जबलपुर में रिट याचिका दायर की गई। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रकरण में सुनवाई हेतु आर्बिट्रेटर नियुक्त किया गया। आर्बिट्रेटर द्वारा अंतिम अवार्ड पारित किया गया। तदानुसार फर्म को उनके क्लेम की धनराशि का भुगतान म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। इसी के तहत म.प्र.पा.ज.कं.लि. द्वारा पेनाल्टी एवं मटेरियल शिफ्ट न करने के एवज में क्लेम की गई राशि को निरस्त किया गया। आर्बिट्रेटर द्वारा पारित अवार्ड पर उक्त प्रकरण में म.प्र.पा.ज.कं.लि. द्वारा माननीय जिला न्यायालय एडीजे जबलपुर में की गई अपील पर म.प्र.पा.ज.कं.लि. के पक्ष में स्थगन आदेश प्रदान किया गया। प्रकरण की अगली सुनवाई दिनांक 25.07.2019 को नियत है। आर्बिट्रेटर द्वारा पारित अंतिम अवार्ड के तारतम्य में फर्म द्वारा निष्पादन प्रकरण, अवार्ड/डिक्री के निष्पादन हेतु एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जबलपुर में, पंजीबद्ध किया गया। इस प्रकरण में डिक्री के निष्पादन हेतु माननीय जिला न्यायालय द्वारा कुर्की आदेश जारी किया गया है जिस पर पूर्व में उल्लेखित मुख्य प्रकरण में स्थगन आदेश प्राप्त किया गया है। इस प्रकरण की अगली सुनवाई दिनांक 30.07.2019 को नियत है। जी नहीं, अपितु उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी में कोल मिल रिजेक्ट निविदा के आधार पर लगभग 22 वर्ष से अधिक समय से विक्रय किया जा रहा था। कोल मिल रिजेक्ट के विक्रय हेतु कार्यादेश के विरूद्ध न्यायालय में प्रकरण लम्बित है, अतः 01.10.2012 के पश्चात कोल मिल रिजेक्ट विक्रय नहीं किया गया। (ख) दिनांक 01/10/2012 के पूर्व लगभग 30, 000 घनमीटर रिजेक्ट कोल स्टॉक में था। फर्म मेसर्स श्यामसुन्दर चिरौंजीलाल अग्रवाल बगडोना रिजेक्ट कोल उठाने का काम कर रही थी प्रमाण स्वरूप आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) कोल मिल रिजेक्ट के कार्य को रोकने से कम्पनी को लाभ या हानि का प्रश्न नहीं है। उल्लेख है कि मुख्यतः सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी के विद्युत गृह क्रमांक-1, जिनसे अधिक कोल मिल रिजेक्ट निकलता था, की इकाईयां अक्टूबर, 2012 से जनवरी, 2014 के मध्य सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। वर्तमान में क्रियाशील इकाईयों से कोल मिल से “रिजेक्ट कोयला” के साथ पत्थर मिट्टी भी निकलता है। रिजेक्ट कोल की मात्रा कम निकलती है, जिसका उपयोग कारपेट कोल के रूप में किया जा रहा है, इसका वित्तीय आंकलन किया जाना संभव नहीं है। माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत जनहित याचिका में कम्पनी द्वारा दिये प्रत्युत्तर के अनुसार कोल मिल रिजेक्ट का भण्डारण एवं उपयोग सी.एच.पी. के कोल यार्ड में कारपेट कोल के रूप में किया जा रहा है। (घ) वर्तमान में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी में लगभग 3, 00, 000 मी.टन.कोल मिल रिजेक्ट उपलब्ध हैं। लेख है कि दिनांक 05/09/2018 को प्रकरण पर कोई समझौता बैठक नहीं अपितु फर्म एवं म.प्र.पा.ज.कं.लि. के अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई थी, जिसमें फर्म द्वारा विभिन्न प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये थे, जिन पर कम्पनी द्वारा परीक्षण किया जा रहा है, परंतु प्रकरण न्यायालय में लंबित होने के कारण इस संबंध में कोई कार्यवाही किया जाना संभव नहीं है।
विधान सभा क्षेत्र विकास निधि से स्वीकृत ट्रांसफार्मर लगाये जाना
[ऊर्जा]
11. ( क्र. 1378 ) श्री गिरीश गौतम : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधायक देवतालाब रीवा से प्राप्त अनुशंसा पत्र क्रमांक /1415/1416 दिनांक 26.09.18 द्वारा दिये गये प्रस्ताव अनुसार कार्यपालन यंत्री संचा./संधा. संभाग म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं.लि. जिला रीवा द्वारा तकनीकी स्वीकृति अनुसार वर्ष 2018-19 के आवंटन से कलेक्टर (संभागीय योजना एवं सांख्यकीय) रीवा द्वारा प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृत प्रदान की गयी? प्रशासकीय स्वीकृत आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या उक्त प्रशासकीय स्वीकृत ग्राम पंचायत रतनगवां एवं ग्राम पंचायत बमुरिहा जनपद मऊगंज के ट्रांसफार्मर स्थापना हेतु प्रशासकीय स्वीकृत 3.50 हजार के विरूद्ध प्रथम किस्त 2.625 रूपये तथा 3.335 रूपये के विरूद्ध प्रथम स्वीकृत 2.50 रूपये निर्माण एजेंसी अधीक्षण यंत्री/सदस्य सचिव (जिला क्रय समिति) संचा./संधा. संभाग म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं.लि. मऊगंज को निर्गमित किया जाकर उनके खाते में पैसा जमा कर दिया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) में वर्णित एजेंसी द्वारा उक्त कार्य का ठेका किसको दिया गया और प्रश्न दिनांक तक ट्रांसफार्मर की स्थापना क्यों नहीं की गयी? इसके लिए कौन जिम्मेदार है तथा कब तक उक्त ट्रांसफार्मर स्थापित कर दिये जायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय की अनुशंसा पर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत वर्ष 2018-19 के आवंटन अनुसार प्रश्नांश में उल्लेखित तकनीकी स्वीकृति अनुसार कलेक्टर (संभागीय योजना एवं सांख्यिकीय) रीवा द्वारा प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है। प्रशासकीय स्वीकृति आदेश की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-‘अ‘ अनुसार है। (ख) जी हाँ, ग्राम पंचायत रतनगवां एवं ग्राम पंचायत बमुरिहा, जनपद मऊगंज के अंतर्गत अतिरिक्त ट्रांसफार्मर स्थापना के प्रश्नाधीन स्वीकृत कार्य हेतु सदस्य सचिव (जिला क्रय समिति) संचा.-संधा. संभाग, म.प्र.पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, मऊगंज रीवा के खाते में प्रथम किश्त की राशि क्रमश: रू. 2.625 लाख एवं रू. 2.5 लाख जमा करवा दिये गये हैं। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित कार्य हेतु आवश्यक विद्युत लाईन विस्तार कार्य सहित अतिरिक्त ट्रांसफार्मर की स्थापना का कार्य जिन ठेकेदारों को दिया गया है, उनका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र- ‘ब‘ अनुसार है। ट्रांसफार्मर की स्थापना हेतु 11 के.व्ही. लाईन विस्तार के कार्यस्थल में आर.ओ.डब्ल्यू. की समस्या आने से लाईन निर्माण कार्य समय से पूर्ण नहीं किया जा सका। समय से कार्य पूर्ण नहीं किये जाने हेतु कोई भी अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार नहीं है। वर्तमान में आर.ओ.डब्ल्यू की समस्या के निराकरण उपरांत उक्त दोनों ग्राम पंचायत रतनगवां एवं बमुरिहा में ट्रांसफार्मर स्थापना के कार्य प्रगति पर है, जिन्हें माह अगस्त-19 तक पूर्ण कराये जाने के प्रयास हैं।
रीवा-हनुमना फोर-लेन सड़क में क्वालिटी टेस्ट
[लोक निर्माण]
12. ( क्र. 1381 ) श्री गिरीश गौतम : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा से हनुमना फोर-लेन सड़क का निर्माण एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा ठेकेदार से कराया गया है? जिसमें टोल वसूली हेतु अनुबंध के तहत प्रत्येक साल टोल टैक्स में वृद्धि किया जाना है? परंतु यह वृद्धि राइडिंग क्वालिटी टेस्ट के पश्चात ही किया जाना है तथा यह टेस्ट प्रतिमाह किया जाना है? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित सड़क में एक साल पूर्व तक कब-कब सड़क की क्वालिटी टेस्ट किया गया तथा कौन-कौन अधिकारी जाँच करने गये? उनका विवरण तथा रिपोर्ट की प्रति भी देवें (ग) क्या जून 2018 में रीवा-हनुमना फोर लेन सड़क का निरीक्षण किया गया जिसमें हजारों पैच पाये गये जहां डामर का पैच लगाया गया जो सड़क लेवल से ऊंचा (फूल हुआ) था और सड़क सुगमता से चलने लायक नहीं पायी गयी थी? जाँच रिपोर्ट की प्रति दें (घ) रीवा से हनुमना सड़क सुगमता से चलने लायक नहीं होने के बावजूद टोल टैक्स में वृद्धि क्यों की गयी? क्या वृद्धि को वापस लिये जाने की कार्यवाही की जायेगी और सड़क को सुगमता पूर्वक चलने लायक अनुबंध के अनुसार बनाया जायेगा? जिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण बी.बी.डी. टेस्ट एवं राइडिंग क्वालिटी टेस्ट नहीं किया जा सका है उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं, रीवा से हनुमना फोरलेन सड़क का निर्माण भारत सरकार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा नियुक्त नोडल एजेन्सी म.प्र. सड़क विकास निगम लि. के माध्यम से निजी पूंजी निवेशकर्ता मे. विन्ध्यान्चल एक्सप्रेस वे प्रा.लि. मुम्बई से डी.बी.एफ.ओ.टी. पद्धति से कराया गया है। जी हाँ। जी नहीं। (ख) दिनांक 14.01.2016, 10.11.2016, 05.07.2017 एवं 30.07.2018 को रफनेस टेस्ट निवेशकर्ता के प्रतिनिधि की उपस्थिति में किये गये है। टेस्ट रिपोर्ट की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) जी नहीं, आंशिक रूप से। निरीक्षण प्रतिवेदन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (घ) रीवा से हनुमना सड़क में यातायात का आवागमन सुगमता पूर्वक हो रहा है, टोल टैक्स में वृद्धि कंसेशन अनुबंध के प्रावधान अनुसार है। जी नहीं। मार्ग का रख-रखाव निवेशकर्ता कंपनी द्वारा नियमित किया जाता है एवं वर्तमान में मार्ग पर यातायात सुगमतापूर्वक चल रहा है। कंसेशन अनुबंध में संधारण हेतु शेड्यूल-के प्रावधान अनुसार राइडिंग क्वालिटी टेस्ट किया गया है। बी.बी.डी. टेस्ट कराने का शेड्यूल-के में प्रावधान नहीं है। चूंकि टेस्ट प्रावधान अनुसार किये जा रहे है अत: किसी अधिकारी की लापरवाही का तथा किसी के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
शासकीय महिला विश्वविद्यालय खोले जाना
[उच्च शिक्षा]
13. ( क्र. 1423 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के परि.अता. प्रश्न क्र. 2290 दिनांक 28.07.2015 के उत्तरांश में बताया गया था कि, शासकीय उत्कृष्ट कन्या महाविद्यालय को महिला विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने का आश्वासन तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया था तो अब तक की गई कार्यवाही से अवगत करायें। (ख) क्या मध्यप्रदेश में अब तक कोई भी महिला विश्वविद्यालय स्थापित नहीं किया गया है? क्या शासन महिला सशक्तिकरण, प्रत्येक विभाग में महिलाओं की भागीदारी हेतु महिला शक्ति को (शिक्षित) उच्च शिक्षा दिलाये जाने की दिशा में मध्यप्रदेश के हृदय स्थल एवं संभागीय मुख्यालय सागर में महिला विश्वविद्यालय खोले जाने की स्वीकृति प्रदान करेगा और कब तक? (ग) क्या शासकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय सागर, संभाग का सबसे प्राचीन है? यहाँ दस हजार छात्रायें अध्ययनरत है एवं विश्वविद्यालय के गठन संबंधी आवश्यक मापदण्डों को पूरा करने पर इसे RUSA ने प्रथम स्थान दिया गया है? तो क्या शासन शासकीय उत्कृष्ट कन्या महाविद्यालय सागर को महिला विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने की स्वीकृति प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) प्रश्न में उल्लेखित पूर्व विधानसभा प्रश्न क्रमांक 2290, दिनांक 28.07.2015 के उत्तरांश में शासकीय उत्कृष्ट कन्या महाविद्यालय, सागर को महिला विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने संबंधी आश्वासन का उल्लेख नहीं है। (ख) जी हाँ। सीमित संसाधनों के दृष्टिगत पृथक से महिला विश्वविद्यालय खोले जाने में कठिनाई है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। जी हाँ, विश्वविद्यालय के गठन संबंधी आवश्यक मापदण्डों की पूर्ति के संबंध में रूसा द्वारा कोई रैंकिंग नहीं की गयी है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
पथरिया-तिली-मोतीनगर चौराहे तक रोड का निर्माण
[लोक निर्माण]
14. ( क्र. 1424 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत शासन से स्वीकृत पथरिया-तिली-मोतीनगर चौराहे तक सी.सी. रोड निर्माण कार्य कब प्रारंभ किया गया था? इसमें क्या कार्य होने थे तथा इसके पूर्ण कराये जाने की समय-सीमा क्या थी? अब तक इस कार्य की क्या प्रगति है? (ख) क्या इस सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ हुए दो वर्ष से अधिक की अवधि बीत चुकी है, परन्तु अब तक कार्य पूर्ण नहीं हो पाया इसका क्या कारण है? (ग) क्या शासन इस व्यस्ततम मार्ग पर बढ़ते यातायात के दबाव को दृष्टिगत रखते हुए शीघ्र ही इस कार्य को पूर्ण करायेगा तथा कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) दिनांक 21.03.2017 को। इसके अंतर्गत मार्ग की 12.80 कि.मी. लंबाई में सीमेंट कांक्रीट मार्ग निर्माण के साथ आवश्यकता अनुसार पुल/पुलियों का नवीन निर्माण/ चौड़ीकरण कार्य तथा सड़क के ऊपर जमा होने वाले स्टार्म वाटर निकासी हेतु आवश्यक स्थानों पर ड्रेन का निर्माण सम्मिलित था। कार्य पूर्ण करने हेतु अनुबंधित समय, अनुबंध दिनांक 21.03.2017 से 15 माह थी कि.मी. 1.50 से 12.80 कि.मी. तक 11.30 कि.मी. का कार्य पूर्ण। मार्ग का शेष भाग (0.00 से 1.50 तक) अनुबंध से विलग किया जाकर अनुबंधित कार्य पूर्ण घोषित। (ख) निर्माण कार्य के अनुबंध से कि.मी. 0.00 से 1.50 तक का भाग अपूर्ण रहने का मुख्य कारण नगर निगम सागर अंतर्गत स्वीकृत सीवर पाइप लाइन का कार्य नगर निगम सागर द्वारा अनुमति प्राप्त कर लेने के बावजूद नहीं किया गया, साथ ही मार्ग के उक्त भाग की क्षतिग्रस्त पेयजल पाइप लाइनों जिनसे प्रतिदिन मार्ग पर पानी लीकेज होता है, की मरम्मत/स्थानांतरित करने का कार्य नहीं किया गया। इस कारण 1.5 कि.मी. शेष भाग का कार्य नहीं हो पाया। (ग) जी हाँ। उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्यों में वर्तमान में समय-सीमा बताना संभव नहीं।
किसानों को फ्लैट रेट पर बिजली बिल का भुगतान
[ऊर्जा]
15. ( क्र. 1677 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर शहर के अंतर्गत नवीन वार्ड क्रमांक 65 में कितने ग्राम आते हैं एवं इन ग्रामों द्वारा खेती की जा रही है? (ख) शासन की नीति के अनुसार यहां के किसानों को बिजली बिल भुगतान फ्लैट रेट के आधार पर दिया जा रहा अथवा शहरी रेट यूनिट के आधार पर लिया जा रहा है? (ग) क्या शहरी क्षेत्र में सम्मिलित कुछ ग्राम पंचायतों के ग्राम के किसानों से कृषि पंप पर फ्लैट रेट के हिसाब से बिजली बिल का भुगतान न कराते हुए मीटर प्रणाली के हिसाब से बिजली के बिल भेजे जा रहे है? यदि हाँ, तो दोहरा मापदण्ड किसानों के साथ क्यों? (घ) क्या शहरी वार्ड 65 के अंतर्गत गिरवाई, अजयपुर एवं वीरपुर के किसानों से भी फ्लैट रेट बिल पर कृषि पंप के लिए बिजली प्रदाय की जावेगी? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) ग्वालियर शहर के वार्ड क्रमांक 65 के अंतर्गत तीन ग्राम यथा-गिरवाई, अजयपुर एवं वीरपुर आते हैं। उक्त तीनों ग्रामों में रहवासियों द्वारा पक्के घरों का निर्माण कर विद्युत का घरेलू उपयोग किया जा रहा है तथा साथ ही इन तीनों ग्रामों में खेती भी की जा रही है। (ख) एवं (ग) प्रश्नाधीन शहरी क्षेत्र में सम्मिलित ग्रामों के किसानों को कृषि कार्य हेतु नियमानुसार मीटर में दर्ज खपत के अनुसार बिजली के बिल दिये जा रहे हैं, जो कि म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के अनुसार है। कृषि उपभोक्ताओं की आवश्यकता के अनुरूप पृथक कृषि फीडरों के माध्यम से 10 घन्टे विद्युत प्रदाय किये जाने की स्थिति में उन्हें वर्ष में दो बार माह अप्रैल व अक्टूबर में फ्लैट रेट पर बिल दिये जा रहे हैं तथा प्रश्नाधीन क्षेत्र में ऐसे स्थान जो कि 24 घन्टे विद्युत प्रदाय वाले फीडरों से संबद्ध है तथा जहाँ कृषि पम्प कनेक्शनों को तकनीकी कारणों से पृथक से 10 घन्टे विद्युत प्रदाय किया जाना संभव नहीं है, उन्हें मीटर लगाकर वास्तविक खपत के आधार पर विद्युत बिल दिया जा रहा है। (घ) उत्तरांश (ख) एवं (ग) में दर्शाए अनुसार, प्रश्नाधीन क्षेत्र के किसानों को नियमानुसार विद्युत बिल जारी किये जा रहे है, अत: अन्य कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
श्रमिकों के पंजीयन के संबंध में
[श्रम]
16. ( क्र. 1683 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना की जिलेवार पंजीकृत हितग्राहियों की संख्या बतावे? पंजीकृत हितग्राहियों में कितने हितग्राहियों को कार्ड एवं ब्रोशर प्रदाय किये जा चुके है? (ख) क्या मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में नवीन पात्र श्रमिकों का पंजीयन माह 2018 से बंद है? यदि हाँ, तो कारण स्पष्ट करें? (ग) असंगठित श्रमिकों को प्रमुख योजना में नवीन पंजीयन बंद करने के पीछे शासन की क्या मंशा है? स्पष्ट करे नवीन पंजीयन कब से प्रारंभ कर दिये जायेंगे?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जिलेवार पंजीकृत हितग्राहियों तथा वितरित कार्ड एवं ब्रोशर की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। केवल निर्वाचन आचार संहिता के प्रवर्तन के दौरान नवीन पंजीयन किये जाने पर रोक थी। (ग) पंजीयन कार्ड बंद नहीं किया गया है, बल्कि पूर्व में हुए पंजीयन, जो आधार सीडेड एवं मोबाईल से लिंक नहीं है, को आधार सीडेड एवं मोबाईल से लिंक किये जाने का निर्णय लिया गया है एवं पूर्व पंजीयनों का सत्यापन कराया जा रहा है। तदनुसार कार्यवाही प्रचलन में है।
बुरहानुपर क्षेत्र के शनिवारा चौराहा एवं सिंधीबस्ती चौराहा के फ्लाय ओवर के सबंध में
[लोक निर्माण]
17. ( क्र. 1697 ) ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बुरहानपुर क्षेत्र के शनिवारा चौराहा एवं सिंधी बस्ती चौराहा के फ्लायओवर निर्माण की योजना बनाई गई है? यदि हाँ, तो इस योजना का नाम, लागत क्या है? (ख) यदि उक्त प्रकार की योजना नहीं बनाई गई है तो क्या उक्त रोड पर दुर्घटना के आंकड़े एवं यातायात दबाव को देखते हुये कोई योजना भविष्य में बनाने का विचार है यदि हाँ, तो कृपया जानकारी प्रदान करें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ताप्ती नदी पर बांध निर्माण
[जल संसाधन]
18. ( क्र. 1698 ) ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बुरहानपुर जिले के ताप्ती नदी पर बांध निर्माण कर पानी रोकने हेतु क्या योजना बनाई गई है योजना का नाम, लागत व किस मद से बनाया जाना है? (ख) उक्त योजना से कितने क्षेत्र को लाभ मिलेगा? (ग) यदि ताप्ती नदी पर बांध निर्माण संबंधी कोई योजना नहीं बनाई है तो क्या भविष्य में जल संकट के निवारण के लिए कोई योजना बनाने का विचार है यदि हाँ, तो कब?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) बुरहानपुर जिले की ताप्ती नदी पर नावथा वृहद सिंचाई परियोजना एवं झिरमिटी मध्यम सिंचाई परियोजना चिन्हित होकर प्रारंभिक सर्वेक्षण कर लिया जाना प्रतिवेदित है। डी.पी.आर. अंतिम नहीं होने से परियोजना की लागत, सैंच्य क्षेत्र एवं मद बता पाना संभव नहीं है। (ग) उत्तरांश ''क'' एवं ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
स्वीकृत निर्माण कार्यों के संबंध में
[लोक निर्माण]
19. ( क्र. 1710 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नीमच जिले में विगत दो वर्षों में कितनी सड़कें एवं पुल (सेतु) के निर्माण की शासन द्वारा स्वीकृति की गई है? स्वीकृत कार्यों की लम्बाई, चौड़ाई, कार्य की लागत, निर्माण ऐजेंसी का नाम तथा कार्य पूर्ण होने की अवधि सहित विधानसभावार क्षेत्रवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे। (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत कार्यों में से कौन-कौन से निर्माण कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं और कौन-कौन से निर्माण कार्य प्रारंभ किये जाना शेष है? शेष कार्यों को कब तक प्रारंभ किया जा सकेगा? (ग) नीमच विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में से क्या हर्कियाखाल-जीरन डामरीकृत सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है? यदि नहीं तो कार्य की प्रगति की जानकारी उपलब्ध करायें प्रश्न दिनांक तक कितना कार्य किया गया, निर्माण एजेंसी को कितना भुगतान किया गया है? क्या उक्त मार्ग का निर्माण कार्य वर्तमान में बन्द है? यदि हाँ, तो विलम्ब के लिये कौन-कौन उत्तरदायी हैं? उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित मार्ग के पूर्ण न होने से क्या आवागमन बाधित हो रहा है? यदि हाँ, तो कार्य किस दिनांक से पुनः चालू किया जायेगा तथा कब तक पूर्ण किया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जी नहीं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। जी नहीं। कोई उत्तरदायी नहीं। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं। कार्य प्रगतिरत है। कार्य पूर्ण होने की संभावित तिथि 31.03.2020 है।
शमशाबाद विधान सभा क्षेत्र में शासकीय कॉलेजों में स्वीकृत पद
[उच्च शिक्षा]
20. ( क्र. 1844 ) श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शमशाबाद विधान सभा क्षेत्र में कितने शासकीय कॉलेज शासन द्वारा खोले गये हैं? (ख) इन शासकीय कॉलेजों में शासन द्वारा कितने पद स्वीकृत किये गये है और इन स्वीकृत पदों के विरूद्ध कितने पद भरे गये हैं? पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) यदि नहीं भरे गये है तो क्यों और इनकों कब तक भरा जावेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र में 02 शासकीय महाविद्यालय खोले गये हैं। (ख) स्वीकृत एवं रिक्त पदों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक स्टॉफ की कमी के कारण पद नहीं भरे गये। रिक्त पदों की पूर्ति हेतु समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
क्लास ब्लोअर को समयमान वेतनमान के संबंध में
[उच्च शिक्षा]
21. ( क्र. 1871 ) श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत म.प्र. के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों में क्लास ब्लोअर के कितने पद स्वीकृत है, ? (ख) क्या क्लास ब्लोअर के स्वीकृत पद पर समयमान-वेतनमान के अंतर्गत उच्चतर वेतनमान के लिए वित्त विभाग मंत्रालय, भोपाल में परिशिष्ट-2 में विभाग/संवर्ग का उल्लेख करा दिया गया है? यदि नहीं तो कब तक करा दिया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (ख) के संबंध में परिशिष्ट-2 में विभाग/संवर्ग का उल्लेख करा दिया गया है? तो क्या क्लास ब्लोअरों को समयमान का उच्चतर वेतनमान का लाभ दे दिया गया है? यदि नहीं तो कब तक दे दिया जायेगा।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत म.प्र. के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों में क्लास ब्लोअर के 06 पद स्वीकृत हैं। (ख) जी नहीं। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
निजी कृषि महाविद्यालयों के संबंध में
[उच्च शिक्षा]
22. ( क्र. 2105 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में कितने निजी कृषि महाविद्यालय कार्यरत है तथा किस-किस विश्वविद्यालय के अधीन है? (ख) क्या प्रदेश के कई निजी कृषि महाविद्यालय ICAR की गाईड लाइन का पालन नहीं कर रहे है? यदि हाँ, तो क्यो? क्या ऐसे महाविद्यालयों की मान्यता निरस्त की जाएगी? (ग) क्या ऐसे निजी महाविद्यालय के BSC कृषि स्नातक के छात्र शासन के कृषि विश्वविद्यालयों से स्नातकोत्तर डिग्री के लिये प्रवेश ले रहे है? यदि हाँ, तो क्या इससे कृषि महाविद्यालय के स्नातक छात्र-छात्राओं का अहित हो रहा है? क्या कृषि स्नातक बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है? (घ) क्या शासन द्वारा जमीन की उर्वरा शक्ति जाँचने की मृदा विज्ञान प्रयोगशाला का निजीकरण कर दिया गया है? यदि हाँ, तो क्या इसे निरस्त कर प्रयोगशाला तकनीशियन की नियुक्तियाँ की जायेगी? य़दि हाँ तो कब तक? (ङ) प्रदेश में कृषि स्नातक/ स्नातकोत्तर डिग्री के बेरोजगार छात्र-छात्राएँ रोजगार के लिये क्या कार्ययोजना है? क्या विभाग के विभिन्न रिक्त पदो पर शीघ्रता से नियुक्ति की कार्यवाही की जाएगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (ड.) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
शासकीय महाविद्यालयों में विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय प्रारंभ कराये जाना
[उच्च शिक्षा]
23. ( क्र. 2127 ) श्री संजय शर्मा : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय तेंदूखेड़ा एवं सिहोरा में कौन-कौन से संकाय संचालित हैं एवं वर्तमान में प्रत्येक संकायों की कक्षाओं में कुल कितने-कितने छात्र एवं छात्रायें अध्ययनरत हैं? संकायवार जानकारी प्रदान करें। (ख) क्या उक्त दोनों शासकीय महाविद्यालयों में विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय स्वीकृत हैं? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (ग) के अनुसार, क्या छात्र-छात्राओं के हित में शासकीय महाविद्यालय तेंदूखेड़ा एवं सिहोरा में विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय स्वीकृत कर कक्षायें प्रारम्भ की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत शासकीय महाविद्यालय, तेंदूखेड़ा एवं शासकीय महाविद्यालय, सिहोरा में केवल कला संकाय संचालित है। वर्तमान में शासकीय महाविद्यालय, तेंदूखेड़ा में कला संकाय में 110 छात्र एवं 89 छात्रायें इस प्रकार कुल 199 विद्यार्थी तथा शासकीय महाविद्यालय, सिहोरा में कला संकाय में 146 छात्र एवं 129 छात्रायें इस प्रकार कुल 275 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। (ख) जी नहीं। वर्तमान में सीमित संसाधनों के कारण शासकीय महाविद्यालय, तेंदूखेड़ा एवं शासकीय महाविद्यालय, सिहोरा में विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय खोले जाने में कठिनाई है। (ग) उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के संबंध में
[जल संसाधन]
24. ( क्र. 2240 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास जिले के खातेगांव विधान सभा क्षेत्र में कितनी सिंचाई परियोजनाओं का सर्वे विभाग द्वारा विगत वर्षों में करवाया गया है? परियोजनावार जानकारी प्रदान करें। (ख) क्या विभाग की पटरानी, किशनपुर एवं देवसिराल्या मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण के लिये ''साध्यता'' हेतु उपयुक्त माना है? (ग) यदि हाँ, तो क्या आगामी विभागीय बजट में खातेगांव विधान सभा की किसी परियोजना को शामिल किया जा सकता है? (घ) यदि नहीं, तो कौन सा कारण है कि ये मध्यम सिंचाई परियोजनाएं निर्मित नहीं की जा सकती?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जल संसाधन विभाग द्वारा प्रश्नाधीन विधान सभा क्षेत्र में विगत 05 वर्षों में किसी भी सिंचाई परियोजना का सर्वेक्षण कार्य नहीं किया जाना प्रतिवेदित है। (ख) से (घ) नर्मदा घाटी विकास विभाग से प्रथम दृष्टया उपयुक्त पाई गई पटरानी, किसनपुर एवं देवसिराल्या (कासरानी) मध्यम सिंचाई परियोजना की डी.पी.आर. जल संसाधन विभाग को हस्तांतरण उपरांत प्राप्त हुई, जिनका परीक्षण प्रचलन में है। जी नहीं। प्रश्नाधीन परियोजनाएं विभागीय तकनीकी एवं वित्तीय मापदण्ड पर उपयुक्त पाए जाने के उपरांत अंतिम निर्णय लिया जाना संभव होगा।
छात्र-छात्राओं को स्मार्ट फोन देने के संबंध में
[उच्च शिक्षा]
25. ( क्र. 2246 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को स्मार्ट फोन का वितरण किया जाता है इसकी पात्रता श्रेणी में किन कक्षाओं के विद्यार्थियों को सम्मिलित किया जाता है एवं क्या यह उन्हीं छात्र-छात्राओं को दिया जाता है जिनके पास स्मार्ट फोन पहले से नहीं होता है? (ख) वर्ष 2018-19 में पूरे प्रदेश के महाविद्यालयों में कितने छात्र-छात्राओं को स्मार्ट फोन का वितरण किया गया है? संख्या छात्र-छात्राओं की पृथक-पृथक बतायें। (ग) यदि गत वर्ष वितरण नहीं किया जा सका तो किस कारण से एवं यदि कुछ महाविद्यालयों में शत प्रतिशत स्मार्टफोन वितरण नहीं किया जा सका है तो ऐसी संस्थाओं की जानकारी प्रदान करें। (घ) क्या इस वर्ष सत्र प्रारंभ होने के साथ ही छात्र-छात्राओं को स्मार्ट फोन प्रदाय कर दिये जावेंगे?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) राज्य शासन के आदेश क्रमांक 23-4/2014/38-2 दिनांक 08/09/2014 द्वारा विद्यार्थियों को स्मार्टफोन दिये जाने हेतु पात्रता निर्धारित की गई है। जिसकी प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर है। (ख) वर्ष 2018-19 में प्रदेश के महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को वितरित किए गए स्मार्टफोन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। गत वर्ष स्मार्टफोन वितरण हेतु कार्यालय आयुक्त उच्च शिक्षा के पत्र क्रमांक 200/आईटीसेल/19 दिनांक 25 जून 2018 द्वारा निर्देश जारी किए गए थे, जिसके अनुसार 2 जुलाई 2018 से 14 जुलाई 2018 तक सत्र 2016-17 के स्मार्टफोन वितरण करने हेतु अंतिम अवसर दिया गया था, इस अवधि के पश्चात स्मार्टफोन वितरण की कोई योजना नहीं है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में इस वर्ष (2019-20) सत्र प्रारंभ होने के साथ छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन दिए जाने की कोई योजना नहीं है।
जलाशयों का जीर्णोद्धार
[जल संसाधन]
26. ( क्र. 2271 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा जिला ग्वालियर विकासखण्ड मुरार का भू-जल स्तर नीचे जाने से ग्रे-क्षेपी में चिन्हित किया गया है? यदि हाँ, तो भू-जल का स्तर बतायें। (ख) क्या विकासखण्ड मुरार के जलसंवर्धन एवं संरक्षण हेतु सिंचाई विभाग के 31 जलाशय बने हुए हैं? कितने जलाशय मरम्मत के अभाव में अनुपयोगी हैं? जलाशयों की अनुमानित जीर्णोद्धार की राशि एवं जल-भराव क्षमता सहित सूची उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) जलाशयों को प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या शासन हेतु आवंटन उपलब्ध करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) ग्वालियर जिले को वर्ष 2018-19 में हैण्डपंप खनन का कितना लक्ष्य स्वीकृत किया विधान सभावार जानकारी देवें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी नहीं। भू-जल आंकलन वर्ष 2017 के अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र सुरक्षित श्रेणी में वर्गीकृत किया जाना प्रतिवेदित है। (ख) एवं (ग) जी नहीं, 42 जलाशय। सभी निमज्जित तालाब होने के कारण मरम्मत के अभाव में क्षतिग्रस्त हैं एवं डूब क्षेत्र में संबंधित कृषकों द्वारा खेती की जाना प्रतिवेदित है। कोई सुधार प्रस्ताव विचाराधीन नहीं होने से शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं। (घ) प्रश्नांश लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से संबंधित होने के कारण जानकारी दी जाना संभव नहीं है।
अनियमितताओं के संबंध में
[उच्च शिक्षा]
27. ( क्र. 2333 ) श्री ग्यारसी लाल रावत, श्री मनोज चावला : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या वर्ष 2009-10 में कालेजों के लिए सहायक प्राध्यापकों की सीधी भर्ती मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की गई तथा इसमें गड़बड़ियों के आरोप के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने जाँच कराई थी। यदि हाँ, तो जाँच रिपोर्ट में क्या आया तथा इसके आधार पर क्या कार्यवाही की गई।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
सोलर प्लांट की स्थापना
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
28. ( क्र. 2365 ) श्री रामलाल मालवीय : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या रीवा में विश्व का सबसे बड़ा सोलर प्लांट स्थापित है? यदि हाँ, तो क्या इससे उत्पन्न हो रही बिजली राज्य को मिल रही है? यदि नहीं तो उत्पादित बिजली का उपभोक्ता कौन है?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : जी नहीं। रीवा सौर परियोजना की कुल क्षमता 750 मेगावाट है, जिसमें से अभी तक 730 मेगावाट कमीशन हो चुकी हैं। इससे उत्पादित बिजली उत्पादन के प्रारंभ, यथा 6 जुलाई 2018, से ही राज्य की विद्युत वितरण कम्पनियों को मिल रही हैं, जिसके लिए म.प्र. पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड से अनुबंध निष्पादित है। कुल 750 मेगावाट ओपन एक्सेस के विरूद्ध 651 मेगावाट क्षमता से म.प्र. पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड को और 99 मेगावाट के विरूद्ध दिल्ली मेट्रो को विद्युत प्रदाय की व्यवस्था है।
नियम विरूद्ध भवन निर्माण के संबंध मे
[जल संसाधन]
29. ( क्र. 2472 ) श्री ठाकुर दास नागवंशी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम बीजनवाडा तहसील पिपरिया जिला होशंगाबाद में स्थित मूल खसरा नम्बर 20 जल संसाधन विभाग के स्वामित्व की भूमि है? (ख) क्या विभाग द्वारा उक्त भूमि का हस्तांतरण अन्य विभाग/पुलिस विभाग को नहीं किया गया है? (ग) क्या जल संसाधन विभाग के स्वामित्व की भूमि पर बगैर सहमति/हस्तांतरण के पुलिस थाना स्टेशन रोड पिपरिया, जिला होशंगाबाद के भवन निर्माण का कार्य स्वीकृत है एवं कार्य का टैंडर भी हो चुका है, यदि हाँ, तो नियम विरूद्ध कार्य की स्वीकृति हेतु कौन जिम्मेदार हैं, क्या स्वीकृत कार्य के निर्माण पर प्रश्न दिनांक तक हुये व्यय की भरपाई की जावेगी यदि हाँ, तो कार्य की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति किसके द्वारा जारी की गयी? (घ) कंडिका (ग) अनुसार नियम विरूद्ध किये गये कार्य के लिये कौन उत्तरदायी हैं, क्या उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) एवं (घ) जल संसाधन विभाग द्वारा भूमि का हस्तांतरण नहीं किया गया है। भूमि हस्तांतरण के संबंध में पारित आदेश के विरूद्ध अपील वर्तमान में आयुक्त नर्मदापुरम के समक्ष अर्धन्यायिक प्रक्रिया के तहत विचाराधीन है। अत: वर्तमान में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
खोडाना तालाब योजना के संबंध में
[जल संसाधन]
30. ( क्र. 2551 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन/विभाग द्वारा खोडाना तालाब की कार्ययोजना मुख्य अभियंता नर्मदा-ताप्ती कछार इंदौर द्वारा बनाई जाकर पूर्व में अनुदान संख्या-45 लेखा शीर्ष 4702 लघु सिंचाई पर पूंजी परिव्यय आयोजनों में गैर आदिवासी मद में स्वीकृति प्रदान की गई? (ख) क्या म.प्र. शासन जल संसाधन विभाग के पत्र क्रमांक आर-1508/लघु/3332278/वीआईपी/सीएम एल 08 भोपाल दिनांक 22 जुलाई 2008 के जावक क्र. 1741/1742/08/लघु /अ के द्वारा प्रस्ताव पर स्वीकृति दी गई? (ग) यदि हाँ, तो क्या नर्मदा ताप्ती कछार जल संसाधन इंदौर के पत्र क्रमांक 335/कार्य/डी-22/2006 दिनांक 20.04.06 द्वारा 4.41 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति डूब क्षेत्र का भू-अर्जन कर नहर निर्माण के सर्वेक्षण कार्य हेतु प्रदान की गई थी? (घ) यदि हाँ, तो रतलाम-मंदसौर जिला सीमा स्थित खोडाना तालाब जो कि काफी बड़ा होकर दोनों जिलों की लगी तहसीलों के अंतर्गत आने वाले सैकड़ों गांवों को सिंचाई सुविधा कराने के साथ ही आसपास के संपूर्ण क्षेत्र के जलस्तर में काफी वृद्धि करने वाला होगा तो क्या भीषण जलसंकट के इस दौर में इस कार्ययोजना को कब तक क्रियान्वित किया जा सकेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (ग) जी हाँ। जी हाँ। जी हाँ। (घ) खोडाना एक निमज्जित तालाब है। निमज्जित तालाब का मुख्य उद्देश्य वर्षाऋतु उपरांत तालाब के पानी को खाली कर रिक्त भूमि में भू-स्वामियों द्वारा रबी की खेती करना है। परियोजना तकनीकी एवं वित्तीय मापदण्डों पर असाध्य होने से इसकी प्रशासकीय स्वीकृति शासन के आदेश दिनांक 16.06.2011 द्वारा निरस्त की गई। अत: परियोजना को क्रियान्वित किया जाना संभव नहीं है।
विभागीय कार्यों के संबंध में
[लोक निर्माण]
31. ( क्र. 2552 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन/विभाग द्वारा अपने अधीन कार्य करने वाले पी.आई.यू. विभाग के माध्यम से रतलाम जिले में वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2018-19 की अवधि तक अनेक निर्माण कार्यों का कार्य किया है? (ख) यदि हाँ, तो उपरोक्त वर्षों में रतलाम जिला अन्तर्गत वर्षवार किन-किन स्थानों पर किस-किस प्रकार के कौन-कौन से कार्य प्रारंभ हुए, कितने कार्य उनमें से पूर्ण हुए, कितने कार्य प्रगतिरत हैं, कितने कार्य उनमें से पूर्ण हुए, कितने कार्य अप्रारंभ होकर किन कारणों से लंबित रहे? (ग) उपरोक्त वर्षों की अवधि में किन-किन कार्यों को पी.आई.यू. द्वारा किया गया है/किया जा रहा है, उन समस्त कार्यों की पृथकत: बजट राशि कितनी स्वीकृत होकर, कितनी व्यय हुई? कार्यवार बताएं। (घ) रतलाम जिला अन्तर्गत उपरोक्त उल्लेखित वर्षों में क्या सीधे पी.आई.यू. विभाग द्वारा कार्य किये गये अथवा अन्य कार्य एजेंसी या ठेकेदारों के माध्यम से हुए कार्यवार, ब्लॉकवार, कार्यों की स्वीकृत बजट राशि के व्यय के भौतिक सत्यापन सहित जानकारी दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के अनुसार है। (घ) सभी कार्य, अन्य कार्य एजेन्सी/ठेकेदारों के माध्यम से कराये गये है, शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
विद्युत प्रदाय की नीति
[ऊर्जा]
32. ( क्र. 2840 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को रियायती दर पर विद्युत प्रदाय करने सहित सूक्ष्म उद्योगों और गुमठियों में छोटे धंधे करने वाले उपभोक्ताओं को विद्युत प्रदाय करने के संबंध में शासन की नीति/योजना क्या है? (ख) क्या 1 जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक प्रदेश में प्रतिमाह 100 यूनिट तक विद्युत उपभोग करने पर मात्र 100 रूपए विद्युत भुगतान लिया गया है? यदि हाँ, तो सागर संभाग के जिलेवार लाभान्वितों की संख्या बतायें। यदि नहीं तो, कब से उक्त योजना प्रारंभ की जावेगी? (ग) क्या गुमठियों में छोटे धंधे करने वाले उपभोक्ताओं को घरेलु दर पर विद्युत प्रदाय करने की योजना प्रदेश में लागू की गई है? यदि हाँ, तो लाभान्वित उपभोक्ताओं की सागर संभाग में जिलेवार संख्या कितनी है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) प्रदेश में 50 यूनिट प्रतिमाह तक की मासिक खपत वाले आर्थिक रूप से अत्याधिक कमजोर घरेलू उपभोक्ताओं एवं सूक्ष्म उद्योगों में बुनकर क्षेत्र से जुड़े पावरलूम उपभोक्ताओं को राज्य शासन के आदेश क्रमांक 6793/एफ 5.15/2011/तेरह, दिनांक 01.09.2018 के अनुसार सब्सिडी प्रदान करते हुए रियायती दर पर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त गरीब तबके के घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को इंदिरा गृह ज्योति योजना के अंतर्गत पात्र होने पर राज्य शासन के आदेश क्रमांक 1164/एफ-3-08/2019/तेरह, दिनांक 13.02.2019 के अनुसार सब्सिडी प्रदान करते हुए रियायती दर पर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। उक्त आदेशों की छायाप्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'1' एवं '2' अनुसार है। राज्य शासन द्वारा गुमठियों एवं छोटे धंधे करने वाले उपभोक्ताओं को रियायती दर पर विद्युत प्रदाय किये जाने संबंधी कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। (ख) जी नहीं। अपितु प्रश्नाधीन उल्लेखित प्रावधान दिनांक 25.02.2019 से आरंभ इंदिरा गृह ज्योति योजना में 1 किलोवाट संयोजित भार वाले पात्र उपभोक्ताओं हेतु लागू किया गया था तथा वर्तमान में भी उक्त योजनान्तर्गत 100 यूनिट तक मासिक की खपत वाले उपभोक्ताओं को अधिकतम 100 रूपये तथा उपभोक्ता द्वारा किये गये विद्युत उपभोग अनुसार 100 रूपये से कम का बिल होने पर उपभोक्ता को बिल की वास्तविक राशि ही देय होती है। वर्तमान में सागर संभाग सहित संपूर्ण प्रदेश में उक्त योजना लागू है तथा इसके अंतर्गत सागर संभाग के सागर, दमोह, छतरपुर, पन्ना एवं टीकमगढ़ जिलों में लाभान्वित उपभोक्ताओं की संख्या क्रमश: 23427, 9257, 12849, 4933 एवं 9893 इस प्रकार कुल 60359 है। (ग) जी नहीं। अत: प्रश्न नहीं उठता।
बीना नदी परियोजना की प्रगति के संबंध में
[जल संसाधन]
33. ( क्र. 2843 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले की बहुप्रतीक्षित बीना नदी उद्वहन सिंचाई योजना अंतर्गत वर्तमान में कौन-कौन से कार्य प्रगति पर हैं? कौन-कौन से कार्यों की निविदाएं होना है? वर्तमान में परियोजना की क्या स्थिति है? (ख) सरकार द्वारा उक्त परियोजना को शीघ्र पूर्ण कराये जाने हेतु विगत 6 माह में किए गए प्रयासों की जानकारी भी दें। योजना को कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) बीना सिंचाई परियोजना अंतर्गत मडिया एवं चकरपुर बांध का कार्य प्रगतिरत है। परियोजना अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से भूमिगत पाईप लाइन बिछाकर सिंचाई प्रदाय करने की निविदा आमंत्रित की जाना प्रतिवेदित है। दोनों बांधों के अंतर्गत सर्वेक्षण, ड्राइंग डिजाईन का कार्य पूर्ण कर लिया गया है तथा चकरपुर बांध में नींव खुदाई का कार्य नदी क्षेत्र में पूर्ण कर कांक्रीट का कार्य प्रांरभ किया जाना प्रतिवेदित है। (ख) विभाग द्वारा विगत 06 माह में परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाली वनभूमि की अंतिम स्वीकृति प्राप्त कर दोनों बांध स्थल की वनभूमि का आधिपत्य वन विभाग से प्राप्त कर कार्य प्रारंभ करा दिया गया है। डूब क्षेत्र की भूमि के अधिग्रहण हेतु सार्थक प्रयास कर कार्यवाही प्रचलन में है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। कार्य का पूर्ण होना उपलब्ध वित्तीय संसाधन पर रहता है। अत: समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
बान सुजारा बाँध की निरीक्षण गैलरी का निर्माण
[जल संसाधन]
34. ( क्र. 2907 ) श्री राहुल सिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में निर्मित बान सुजारा बाँध की निरीक्षण गैलरी का निर्माण कार्य कब पूर्ण किया गया? (ख) क्या घटिया निर्माण के कारण उक्त निरीक्षण गैलरी में हो रहे पानी के रिसाव को रोकने हेतु मरम्मत कार्य के लिए कोई निविदा आमंत्रित की गई? यदि हाँ, तो कितनी राशि की? (ग) उक्त निरीक्षण गैलरी की मरम्मत हेतु आमंत्रित निविदा के तहत् किस निविदाकार को कितनी राशि का भुगतान किया गया है? (घ) उक्त बाँध निरीक्षण गैलरी के घटिया निर्माण हेतु दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की गई? मरम्मत कार्य के कारण शासन पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय भार की क्षतिपूर्ति हेतु क्या कार्यवाही की गई अथवा की जाएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (घ) वर्ष 2015 में। जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता हैं।
सीधी जिले के अन्तर्गत, वृहद, माध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाएं
[जल संसाधन]
35. ( क्र. 3023 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले के अंतर्गत कितनी वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई योजनायें संचालित हैं? कितनी नवीन सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति शासन से प्राप्त हुई है? परियोजना लागत राशि सहित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में संचालित कितनी सिंचाई परियोजनाओं की नहरें क्षतिग्रस्त हैं? क्षतिग्रस्त नहरों का पक्कीकरण/जीर्णोद्धार कब तक करवाया जायेगा? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या स्वीकृत नवीन सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण कार्य क्या प्रारंभ कर दिया गया है? यदि हाँ, तो इन परियोजनाओं को कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में नहरों की मरम्मत हेतु मनरेगा मद से कितनी राशि की स्वीकृति वर्ष 2018-19 में प्रदान की गई? क्या स्वीकृत राशि से नहरों की मरम्मत का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है? यदि नहीं तो कब तक नहरों का मरम्मत कार्य पूर्ण करा दिया जावेगा? जिन नहरों की मरम्मत का कार्य अपूर्ण है उन्हें कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा? जिन मजदूरों की मजदूरी का भुगतान शेष है उनका कब तक भुगतान कर दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ग) सीधी जिले के अंतर्गत एक वृहद, एक मध्यम एवं बत्तीस लघु सिंचाई परियोजनाएं तथा बाणसागर परियोजना की सिंहावल नहर संचालित होना प्रतिवेदित है। दो नवीन सिंचाई परियोजनाएं की स्वीकृति प्रदान की गई। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) तीन परियोजनाएं क्रमश: कोडार, बकिया तथा वरचर जलाशय की नहरे क्षतिग्रस्त है। तीनों परियोजनाओं के मरम्मत का प्राक्कलन क्रमश: आर.आर.आर. एवं ई.आर.एम. मद के अंतर्गत प्रमुख अभियंता कार्यालय को प्रेषित किया जाना प्रतिवेदित है। डी.पी.आर. अंतिम नहीं होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (घ) वर्ष 2018-19 में कोडार एवं लुरघुटी परियोजना के नहरों की मरम्मत एवं वाटरकोर्स/फील्ड चैनल के निर्माण हेतु मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सीधी द्वारा मनरेगा के तहत दिनांक 24.12.2018 को रू. 200.93 लाख की प्रदान की गई। निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया गया था किन्तु आवंटन की अनुपलब्धता के कारण कार्य बंद किया जाना प्रतिवेदित है। स्वीकृत कार्यों की पूर्णता तथा मजदूरी का भुगतान मनरेगा के अंतर्गत आवंटन पर निर्भर होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
कुसमी, मझौली एवं देवसर में सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
36. ( क्र. 3026 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले के विकासखण्ड कुसमी, मझौली एवं देवसर के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के द्वारा कितनी सड़कों की वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक शासन द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है? सड़कों का नाम स्वीकृत राशि सहित जानकारी उपलब्ध करायें? सड़कों के निर्माण का मापदण्ड क्या हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितनी स्वीकृत सड़कों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है? कितने अपूर्ण एवं कितने सड़क का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ हैं? अपूर्ण कार्य को कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? जिन सड़कों का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है उन्हें कब तक प्रारंभ किया जायेगा? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उपरोक्त स्वीकृत सड़कों को पूर्ण करने की समयावधि क्या है? समय-सीमा के अन्दर कार्य पूर्ण न होने के क्या कारण हैं? दोषी अधिकारी कर्मचारी एवं संविदाकार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? जिन्होंने गुणवत्ताविहीन सड़कों का निर्माण किया गया है? क्या सड़कों की गुणवत्ता परीक्षण हेतु लैब टेस्ट कराये जाने का प्रावधान हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में जिन सड़कों का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है, उसका क्या कारण है? समय-सीमा के अन्दर कार्यों को पूर्ण कराने के लिये आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। भारतीय रोड कांग्रेस के मापदण्ड IRC-37 अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। कोई भी कर्मचारी, अधिकारी दोषी नहीं है। जी नहीं। जी हाँ। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। सीमित वित्तीय संसाधनों के अंतर्गत कार्यों को पूर्ण करने के प्रयास किये जा रहे है।
मालवा का गिरता भू-जल स्तर तथा रतलाम का 30 हजार टन जहरीला कचरा
[पर्यावरण]
37. ( क्र. 3033 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मालवा में भू-जल स्तर के गिरने की रोकथाम के लिये विभाग द्वारा पिछले पाँच वर्षों में क्या-क्या कार्य किये गये? भविष्य की क्या योजना है भू-जल स्तर गिरने में पर्यावरण की कहाँ तक भूमिका है? (ख) रतलाम में 20 वर्षों से ज्यादा समय से पड़े 30 हजार टन जहरीले कचरे से निष्पादन हेतु पिछले 5 वर्षों में क्या-क्या प्रयास किये गये? इस जहरीले कचरे के डिस्पोजल हेतु क्या किसी संस्था द्वारा अध्ययन किया गया है तो उसकी रिपोर्ट देवें तथा मानव स्वास्थ्य के लिये बेहद खतरनाक इस जहरीले कचरे को 20 साल में इसको उठाया क्यों नहीं गया? (ग) प्रश्नांश (ख) के कचरे से शहर की कितनी कॉलोनी तथा पास के गांव में जहरीला लाल पानी ट्यूबवेल में निकल रहा हैं? उस कचरे के ढेर से प्रभावित कुल आबादी बतावें। पानी प्रभावित जमीन तथा प्रभावित मानक स्वास्थ्य का पिछले 10 वर्षों में कब-कब, किसके द्वारा अध्ययन किया गया? (घ) प्रश्नांश (ख) के कचरे के लिये कौन-कौन उद्योग जिम्मेदार हैं तथा विगत 5 वर्षों में किस-किस जिम्मेदार व्यक्ति पर किस धारा में, किस दिनांक को प्रकरण दर्ज किया गया तथा उनकी गिरफ्तारी किस दिनांक को की गई, एफ.आई.आर. की प्रति देवें।
लोक
निर्माण
मंत्री ( श्री
सज्जन सिंह
वर्मा ) : (क) केन्द्रीय
भूमिजल बोर्ड
(उत्तर मध्य
क्षेत्र)
भोपाल से
प्राप्त
जानकारी
अनुसार मालवा
में भू-जल
स्तर के गिरने
की रोकथाम के
लिये मालवा
क्षेत्र के
देवास, उज्जैन
एवं इंदौर
जिले में
एक्यूफियर
मैपिंग एंड
मैनेजमेंट
प्लान तैयार
किया गया है, जिसे
प्रदेश
स्तरीय भूजल
समन्वय समिति
के समक्ष
प्रस्तुत
किया गया है।
इंदौर जिले का
एक्यूफियर
मैपिंग एंड
मैनेजमेंट
प्लान जिला
स्तर पर मुख्य
कार्यपालन
अधिकारी जिला
पंचायत और
विभिन्न विभागों
के
अधिकारियों
के समक्ष
प्रस्तुत
किया गया है।
केन्द्रीय
भूमिजल बोर्ड
के तकनीकी
सहयोग से
मनरेगा
द्वारा भू-जल
संवर्धन तथा
कृत्रिम भू-जल
पुनर्भरण का
कार्य बड़नगर
ब्लॉक जिला उज्जैन
में किया जा
रहा है तथा
सेंट्रल
सेक्टर स्कीम
के अंतर्गत जल
ग्रहण
क्षेत्र-5 धार ब्लॉक, जिला धार
एवं नरवर जल
ग्रहण
क्षेत्र
उज्जैन ब्लॉक, जिला
उज्जैन में
केन्द्रीय
भूमिजल बोर्ड
के सहयोग से
लोक
स्वास्थ्य
यांत्रिकी
विभाग द्वारा
भू-जल संवर्धन
तथा कृत्रिम
भू-जल पुनर्भरण
का कार्य किया
गया है।
उपसंचालक
किसान कल्याण
तथा कृषि
विकास, जिला-रतलाम
से प्राप्त
जानकारी
अनुसार जिले
में भू-जल
स्तर उन्नयन
हेतु बलराम
तालाबों का
निर्माण कराया
गया है।
(ख)
रतलाम
के बंद
उद्योगों में 20 साल से पड़ा
कचरा
परिसंकटमय
अपशिष्ट है न
कि जहरीला
कचरा। रतलाम
जिले के डोसीगांव
औद्योगिक
क्षेत्र में
दो बंद उद्योगों
मेसर्स सज्जन
केमिकल्स एंड
इनवेस्टमेंट
प्रा.लि. का
कुल 22316.6
मे.टन तथा
मेसर्स जयंत
विटामिन्स लि.
के परिसर में
लगभग 0.4
मे.टन
परिसंकटमय अपशिष्ट
वर्तमान में
संग्रहीत है।
मेसर्स सज्जन
केमीकल एंड
इनवेस्टमेंट
प्रा.लि.रतलाम
के आधिपत्य के
प्लांट नम्बर-61 बी. में
भंडारित 789.45 मे.टन अपशिष्ट
का सुरक्षित
अपवहन
पीथमपुर
स्थित कॉमन
ट्रीटमेंट
सिक्योर्ड
डिस्पोजल
फेसिलिटी
वर्ष 2018 में
हो गया है। अपशिष्ट
का निपटान न
करने के कारण
जिम्मेदार
उद्योगों के
विरूद्ध
वैधानिक
प्रकरण दायर
किये गये हैं।
केन्द्रीय
प्रदूषण
नियंत्रण
बोर्ड, म.प्र.प्रदूषण
नियंत्रण
बोर्ड व अन्य
संस्थाओं द्वारा
स्थल पर
भण्डारित
परिसंकटमय अपशिष्टों
के जाँच,
आंकलन
आदि की दिशा
में किये गये
प्रयासों की जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र-‘‘अ’’ अनुसार है।
भारत सरकार
पर्यावरण एवं
वन मंत्रालय व
केन्द्रीय प्रदूषण
नियंत्रण
बोर्ड दिल्ली
द्वारा देश के
इस प्रकार के
प्रदूषित
क्षेत्रों के
अपशिष्टों के
निपटान एवं
स्थल के रिमेडियेशन
हेतु
कन्सलटेंट के
माध्यम से
अध्ययन कर
योजना की
डी.पी.आर.
तैयार की जा
रही है एवं
अध्ययन रिपोर्ट
प्राप्ति
उपरांत ही इस
कचरे को
उठाने/निपटान
करने का
निर्णय लिया
जाना सम्भव
होगा। (ग) लोक
स्वास्थ्य
यांत्रिकी
विभाग के
अनुसार कचरे
से रतलाम शहर
के आस-पास के
ग्रामीण
क्षेत्र के 07 गांवों
में भूमिगत जल
प्रदूषित
होकर
ट्यूबवेल से
लाल पानी निकल
रहा है। सात
प्रभावित
गांवों की
वर्ष-2011 के
जनगणना के
अनुसार कुल जनसंख्या
7213 है।
नगरपालिका
निगम, रतलाम
क्षेत्रान्तर्गत
वार्ड
क्रमांक- 1, 2, 3, 6, 8, 9 व 30 भी
प्रभावित है।
पानी, प्रभावित
जमीन तथा मानव
स्वास्थ्य के
अध्ययन की
जानकारी
उत्तरांश ‘ख’ अनुसार
है। (घ) उद्योगों
द्वारा
प्राधिकार
शर्तों के
उल्लंघन व
भण्डारित परिसंकटमय
अपशिष्ट के
डिस्पोजल
नहीं करने के
कारण विगत
पाँच वर्षों
में कोई
प्रकरण दायर
नहीं किया है।
अपितु जिम्मेदार
उद्योगों
मेसर्स सज्जन
केमिकल्स एंड
इनवेस्टमेंट
प्रा.लि.,
रतलाम
के विरूद्ध
दिनांक 02/11/2001 को
प्रकरण क्र. 535/2002 व दिनांक 05.03.2013 को प्रकरण
क्र. 460/2013 व
मेसर्स जयंत
विटामिन्स लि.
रतलाम के
विरूद्ध
दिनांक 10/04/2012 को
प्रकरण क्र. 247/2012 पर्यावरण
(संरक्षण)
अधिनियम-1986 की धारा 15 व 16 के
अन्तर्गत
रतलाम
न्यायालय में
वाद दायर किये
गये हैं,
जो
कि विचाराधीन
हैं। उक्त
अधिनियम के
अंतर्गत
एफ.आई.आर. दर्ज
कराने का
प्रावधान
नहीं है। जिन
जिम्मेदार
व्यक्तियों
के विरुद्ध
न्यायालयीन
कार्यवाही की
गई है उनके
ब्यौरे पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र ‘‘ब’’ अनुसार है।
घरेलू बिजली कनेक्शन के मीटरों के संबंध में
[ऊर्जा]
38. ( क्र. 3137 ) श्री राम दांगोरे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग में यह नियम है कि उपभोक्ताओं का मीटर उसके घर के बाहर पोल पर लगाया जाएगा? यदि नहीं तो पंधाना नगर में सारे उपभोक्ताओं के मीटर घर के बाहर सड़कों पर पेटियों में क्यों लगाए गए हैं? क्या यह पेटियां आपके विभाग द्वारा मीटर लगाने हेतु खरीदी गई थी या अन्य किसी कार्य हेतु? (ख) यदि नहीं तो उक्त पेटियों पर विभाग को कितना खर्चा आया एवं जिस प्रोजेक्ट के लिए खरीदी गई थी उस प्रोजेक्ट का क्या हुआ? (ग) क्या लगाई गई मीटर पेटियां इतने नीचे व बिना किसी सुरक्षा के लगाई गई है कि जिससे बारिश व अन्य समय में जानवरों व इंसानों को करंट लग रहा है यदि हाँ, तो क्या इसकी जाँच करवाएंगे एवं जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 177 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा विद्युत मीटरों के अधिष्ठापन तथा प्रचालन के संबंध में बनाए गए विनियमों के अंतर्गत उपभोक्ता मीटरों को अनुज्ञप्तिधारक द्वारा उपभोक्ता परिसर में अथवा उपभोक्ता परिसर के बाहर स्थापित करने का प्रावधान है। लगाये गये मीटर की सुरक्षा की दृष्टि से मीटर को बॉक्स में लगाया जा सकता है। अनुज्ञप्तिधारी द्वारा उपभोक्ता परिसर के बाहर मीटर अधिष्ठापित करने की स्थिति में उपभोक्ता से अनुरोध प्राप्त होने पर उसकी सूचना के लिये उसके द्वारा उपभोग की गई विद्युत को दर्शाने के लिये रियल टाईम डिस्प्ले यूनिट उपभोक्ता परिसर में उपलब्ध कराने का प्रावधान भी विनियमों में किया गया है। उक्त वैधानिक प्रावधानों के अन्तर्गत प्रश्नाधीन क्षेत्र में विद्युत मीटर स्थापित किये गये हैं। प्रश्नाधीन उल्लेखित बक्से (पेटियाँ) ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति पंधाना द्वारा चोरी एवं मीटर से छेड़छाड़ की रोकथाम के लिये विद्युत मीटर लगाने हेतु क्रय की गई थीं, किसी अन्य कार्य हेतु नहीं। (ख) ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति पंधाना द्वारा मीटर बॉक्स (पेटियाँ) के क्रय हेतु राशि रु. 18, 05, 500/- का खर्च किया गया था। उक्त मीटर बॉक्स (पेटियाँ) मीटर लगाने के लिए ही क्रय किये गये थे, किसी अन्य प्रोजेक्ट के लिए नहीं। (ग) जी नहीं, अपितु उत्तरांश (क) में वर्णित केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित विनियमों के अनुसार प्रश्नाधीन उपभोक्ताओं के परिसर से बाहर स्थापित किये गये मीटरों की अवस्थिति और भूतल से मीटर डिस्प्ले की ऊँचाई निर्धारित मानकों के अनुरूप रखी गई है, ताकि मीटर वाचक द्वारा खड़े रहकर आसानी से मीटर में अंकित खपत को पढ़ा जा सके। मीटर स्थापना हेतु लगाए गए मीटर बॉक्स के कारण करंट लगने के संबंध में प्रश्नाधीन क्षेत्र में कोई भी शिकायत वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालयों में प्राप्त नहीं हुई है। अतः किसी प्रकार की जाँच कराए जाने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
मार्गों के अपूर्ण कार्य के संबंध में
[लोक निर्माण]
39. ( क्र. 3147 ) श्री ठाकुर दास नागवंशी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र पिपरिया जिला होशंगाबाद अन्तर्गत शोभापुर-खैरी-तरौन मार्ग एवं सांडिया-बनखेड़ी-उमरधा मार्ग स्वीकृत कर कार्य प्रारंभ किया गया था यदि हाँ, तो कार्य प्रारंभ दिनांक व किस ठेकेदार द्वारा कार्य किया जा रहा हैं? (ख) क्या स्वीकृत कार्य वर्तमान में अपूर्ण हैं यदि हाँ, तो लम्बी समयावधि व्यतीत हो जाने के बाद भी कार्य अपूर्ण होने का क्या कारण हैं, इसके लिये कौन उत्तरदायी हैं क्या कार्य के अपूर्ण के होने पर विभाग द्वारा संबंधित ठेकेदार के विरूद्ध कोई वैधानिक कार्यवाही की गयी हैं, यदि हाँ, तो क्या, नहीं तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार दोनों मार्गों का अपूर्ण/शेष कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। शोभापुर-खैरी-तरोन कलां मार्ग का कार्य प्रारंभ दिनांक 25.04.16 ठेकेदार श्री रामपाल सिंह मुख्तयार अहमद नोएडा (उ.प्र.) एवं सांडिया-बनखेडी उमरधा मार्ग का कार्य प्रारंभ दिनांक 01.09.16 ठेकेदार मेसर्स सांईगॉन इन्फ्राटेक प्रा.लि. नोएडा (उ.प्र.) (ख) जी हाँ। ठेकेदारों द्वारा कार्य की गति धीमी होने के कारण। ठेकेदार ही उत्तरदायी है। जी हाँ। शोभापुर-खैरी-तरोन कलां मार्ग के ठेकेदार का पंजीयन मुख्य अभियंता राजधानी परिक्षेत्र भोपाल के पत्र क्र. 1882 दिनांक 31.03.18 एवं सांडिया-बनखेडी उमरधा मार्ग के ठेकेदार का पंजीयन मुख्य अभियंता राजधानी परिक्षेत्र भोपाल के पत्र क्र. 1591 दिनांक 10.03.17 द्वारा काली सूची में दर्ज जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 एवं 2 अनुसार है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) शोभापुर खैरी-तरोनकलां मार्ग का ठेका विखण्डित कर नवीन निविदा आमंत्रण की कार्यवाही प्रचलन में है। अत: वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। सांडिया बनखेडी उमरधा मार्ग दिनांक 31.03.2020 तक पूर्ण होने की संभावना है।
जलाशय के मरम्मत एवं अन्य कार्यों के संबंध में
[जल संसाधन]
40. ( क्र. 3165 ) श्री बिसाहूलाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिले में वित्तीय वर्ष 2012-13, 2013-14, 2014-15 और 2015-16 में कौन-कौन से सिंचाई जलाशय हेतु कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गई तथा उक्त राशि में से कितनी राशि से क्या-क्या निर्माण कराया गया? (ख) अनूपपुर जिले के लतार जलाशय में कैनाल मरम्मत एवं बांध मरम्मत हेतु उक्त अवधि में कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गई उसमें से कितनी राशि के क्या-क्या कार्य कराये गये? कार्यवार, राशिवार जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) उपरोक्त राशि स्वीकृति के उपरांत भी लतार जलाशय का कैनाल निर्माण एवं बांध का कार्य अधूरा है? उपरोक्त निर्माण कार्य में कौन ठेकेदार एवं अधिकारी संलिप्त रहे है जाँच पश्चात क्या उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) लतार जलाशय में नहर एवं बांध मरम्मत का कार्य नहीं कराया गया है, अपितु आर.आर.आर. मद के अंतर्गत कराए गए कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जी नहीं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। कार्य पूर्ण होने से ठेकेदार अथवा अधिकारियों पर कार्यवाही किए जाने की स्थिति नहीं है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर का विखण्डन
[उच्च शिक्षा]
41. ( क्र. 3170 ) श्री अशोक रोहाणी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर का विखण्डन कर छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी खोलकर तीन जिलों छिन्दवाड़ा, सिवनी एवं बालाघाट को छिन्दवाड़ा यूनिवर्सिटी में समाहित कर दिया गया है? यदि हाँ, तो क्या इससे रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में शामिल कालेजों की संख्या में कमी आयी है? इससे विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या एवं सालाना फीस में कमी के चलते विश्वविद्यालय प्रबंधन को हो रहे नुकसान के लिये कौन जिम्मेदार है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार सिर्फ रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी जबलपुर का ही विखण्डन किया गया है तथा अन्य किसी यूनिवर्सिटी का विखण्डन नहीं किया गया है, यदि हाँ, तो सिर्फ जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का विखण्डन किस नियम/आधार पर किया गया है? विखण्डन के कारण विश्वविद्यालय को राज्य शासन से मिलने वाली ग्रांट में कमी होने के कारण कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन एवं अन्य सुविधाएं प्रभावित होगी तथा विद्यार्थियों को दी जाने वाले आधुनिक सुविधाएं भी प्रभावित होगी? क्या विखण्डन के कारण विश्वविद्यालय के विकास एवं उन्नयन आदि कार्य प्रभावित होंगे?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। 88 महाविद्यालय, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय में स्थानांतरित किये गये हैं। शासन द्वारा छिंदवाड़ा में विश्वविद्यालय की स्थापना होने से छिंदवाड़ा, बालाघाट एवं सिवनी जिले के विद्यार्थियों को विश्वविद्यालयीन कार्यों के लिये अब विश्वविद्यालय मुख्यालय से भौगोलिक दूरी पूर्व की तुलना में घटकर क्रमश: 217 से शून्य, 239 से 158 एवं 148 से 70 किमी लगभग रह गई है। विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में आदिवासी बाहुल्य जिलों को प्रमुखता से समाहित किया गया है, ताकि आदिवासी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा का समुचित लाभ प्राप्त हो सके। छिंदवाड़ा में विश्वविद्यालय के गठन से प्रशासनिक कार्यों में भौगोलिक दृष्टि से सुगमता भी प्राप्त हो सकेगी। शासन द्वारा छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय की स्थापना छात्रहित में लिया गया निर्णय है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी नहीं। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल से 50 महाविद्यालय स्थानांतरित किये गये हैं। छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय की स्थापना मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (संशोधित) अध्यादेश द्वारा की गई है। शासन द्वारा किसी भी प्रकार के अनुदान में कमी नहीं की गयी है। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
जबलपुर जिले हेतु नाबार्ड एवं मैन्टीनेंस राशि
[लोक निर्माण]
42. ( क्र. 3189 ) श्री अजय विश्नोई : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जिले में विगत तीन माह में नाबार्ड प्लान एवं मैन्टीनेंस के मद में विभाग को कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई है? (ख) जबलपुर जिले में प्लान मद के कौन-कौन से काम चल रहे है? इन कार्यों की लागत क्या है? इन कार्यों के कार्य आदेश कब जारी किये गये थे और ये कार्य कब तक पूरे कर लिये जायेगें? (ग) MPRDC के द्वारा NDB मद से जबलपुर जिले में कौन-कौन सी सड़कों का निर्माण चल रहा है? ये कब तक पूर्ण हो जायेंगे। (घ) प्रश्नांश (ग) के अनुक्रम में क्या इस मद के निर्माण कार्यों का लाखों रूपयों के देयक लंबित है, शासन जिनका भुगतान करने में असमर्थ है? यदि हाँ, तो क्यों यदि नहीं तो इनका भुगतान कब तक कर दिया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' अनुसार है। (घ) जी नहीं। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
त्योंथर उद्वहन सिंचाई परियोजना के स्वीकृत कमाण्ड एरिया
[जल संसाधन]
43. ( क्र. 3208 ) श्री श्याम लाल द्विवेदी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला रीवा के त्योंथर तहसील अन्तर्गत स्वीकृत एवं संचालित त्योंथर उद्वहन सिंचाई परियोजना के कमाण्ड क्षेत्र में कौन-कौन से ग्राम सम्मिलित हैं (ख) प्रश्नांश (क) में बताये गये कमाण्ड एरिया के ग्रामों में कौन-कौन से ग्राम में सिंचाई का पानी पहुँचता है और किन-किन ग्रामों में सिंचाई हेतु पानी अब तक उपलब्ध नहीं है। (ग) कमाण्ड एरिया के जिन ग्रामों में अब तक सिंचाई हेतु पानी नहीं पहुंच रहा है उन ग्रामों में, नहर का निर्माण कर, कब पानी पहुंचाने की योजना है।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) कमाण्ड एरिया के जिन ग्रामों में अब तक सिंचाई हेतु पानी नहीं पहुंच रहा है उन ग्रामों में नहर निर्माण हेतु निविदा आमंत्रित की जा चुकी है। निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात शेष ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाना संभव होगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
चौराघाट का निर्माण
[लोक निर्माण]
44. ( क्र. 3209 ) श्री श्याम लाल द्विवेदी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला रीवा, उपखण्ड त्योंथर में चौराघाट निर्माण की स्वीकृति म.प्र. शासन द्वारा की गई है। (ख) यदि हाँ, तो प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति का क्रमांक एवं दिनांक तथा स्वीकृति राशि की जानकारी प्रदान की जाये। (ग) क्या उक्त स्वीकृत कार्य की निविदा हो चुकी है यदि हाँ, तो निविदा में कार्य पूर्ण करने की अवधि क्या है यदि नहीं तो निविदा की कार्यवाही कब तक पूर्ण की जायेगी।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। अनुबंधानुसार 24 माह वर्षाकाल सहित, दिनांक 3.10.2020 तक पूर्ण होना नियत है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
घुघरानाला लघु सिंचाई योजना में अनियमितता
[जल संसाधन]
45. ( क्र. 3220 ) श्री संजय यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विकास खण्ड शहपुरा जिला जबलपुर के अन्तर्गत घुघरानाला लघु सिंचाई योजना की कुल कितनी राशि की प्रशासकीय स्वीकृति शासन द्वारा प्रदान की गई है? स्वीकृत राशि में से कितनी राशि व्यय कर कितना कार्य पूर्ण हो चुका है निर्मित सिंचाई योजना से कितने ग्राम एवं कितने कृषक लाभान्वित होगें? ग्रामों/कृषकों की संख्या रकबा सहित जानकारी देवें? (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत लघु सिंचाई योजना के संबंध में क्या संबंधित विभाग द्वारा जिला योजना समिति की बैठक में 521.34 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति एवं 3 ग्रामों के 90 कृषकों की 233 हेक्टेयर भूमि लाभान्वित होना बताया है? यदि हाँ, तो मात्र 3 ग्राम एवं 90 कृषकों के ऊपर राशि व्यय कर बांध निर्माण का औचित्य क्या है? बांध निर्माण स्थल पर कितनी वन भूमि प्रभावित हो रही है? (ग) क्या बांध निर्माण गुणवत्ता विहीन किया गया है इस संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा संबंधित विभाग/ शासन को जाँच हेतु पत्र लिखा गया था, उस पर क्या कार्यवाही की गई प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा अवगत नहीं कराया गया है, क्यों? क्या विभाग द्वारा जाँच नहीं की गई अथवा बांध निर्माण में की गई अनियमितता से जनप्रतिनिधि को अवगत नहीं कराना चाहते (घ) क्या शासन घुघरा नाला लघु सिंचाई योजना की सम्पूर्ण जाँच प्रश्नकर्ता के समक्ष करावेंगे? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) घुघरानाला लघु सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 27.08.2013 को रू. 521.34 लाख एवं पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 01.10.2018 को रू. 676.01 लाख की 233 हेक्टर हेतु प्रदान की गई। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जी हाँ। जिला योजना समिति की बैठक में दी गई जानकारी में लिपिकीय टंकण त्रुटि हुई, उसी बैठक में इस त्रुटि के संबंध में अवगत कराया जाना प्रतिवेदित है। वास्तविक रूप से परियोजना से 04 ग्रामों के लगभग 120 कृषक लाभान्वित होंगे, जो औचित्यपूर्ण हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ग) जी नहीं। जी हाँ। प्रमुख अभियंता द्वारा दिनांक 08.03.2019 को जाँच दल का गठन कर जाँच करायी गयी एवं मान. सदस्य को जाँच निष्कर्ष से उनके पत्र दिनांक 15.07.2019 द्वारा अवगत कराया गया। पत्र की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (घ) जी नहीं। उत्तरांश ''ग'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
चेटीखेड़ा बांध परियोजना
[जल संसाधन]
46. ( क्र. 3263 ) श्री
बैजनाथ
कुशवाह : क्या
जल संसाधन
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) क्या
जिला श्योपुर/मुरैना
जिले के पीने
के पानी एवं
खेती के लिये
सिंचाई से
पूर्णत: अभाव
ग्रस्त
क्षेत्र के
लिये पिछली
सरकार में
चेटीखेड़ा
बांध की लगभग 400 करोड़ की
परियोजना को
सिद्धांत स्वीकार
किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो
वर्तमान
सरकार इस
परियोजना को
कब शुरू
करेगी।
जल
संसाधन
मंत्री ( श्री
हुकुम सिंह
कराड़ा ) : (क) एवं
(ख) जी नहीं। डी.पी.आर.
अंतिम नहीं
होने से
समय-सीमा
बताना संभव
नहीं है।
ग्राम जमुनिया में अवैध उत्खनन
[लोक निर्माण]
47. ( क्र. 3293 ) श्री राहुल सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भीलमपुर से बालाकोट सड़क निर्माण का ठेका दिलीप बिल्डिकॉन कंपनी को दिया गया था उक्त सड़क में उपयोग के लिए कोई मुरम की खदान स्वीकृत है, यदि हाँ, तो कहाँ और कौन से विभाग द्वारा स्वीकृति दी गई? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या वर्ष 1999 में काले पत्थर के उत्खनन के लिए उक्त अधिकारियों द्वारा बिना उच्चतम न्यायालय की गाईड लाइन फालो करते हुये प्रायवेट कम्पनी को लीज स्वीकृत कर दी। याचिकाकर्ता के द्वारा मामला NGT के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया। जिसमें कोर्ट के द्वारा स्पष्ट आदेश करके कहा था, कि दोनों अधिकारी शासकीय सेवा के दौरान वन विभाग की कोई भी डील साईन नहीं करेगें तथा इस आदेश के परिपालन में तत्कालीन एस.डी.ओ.फारेस्ट को सेवा से पृथक कर दिया गया परन्तु श्रीनिवास शर्मा के विरूद्ध कार्यवाही नहीं करने के क्या कारण है। (ग) वर्ष 1999 में काले पत्थर के उत्खनन में प्राईवेट कम्पनी को जो लीज स्वीकृत की थी उस कम्पनी पर कोई कार्यवाही हुई यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं तो उक्त खदान की नपाई कर शासकीय राजस्व की हानि की भरपाई करायेंगे। (घ) वर्तमान सड़क निर्माण में अवैध खदानों से मुरम जो का उत्खनन किया जा रहा है तो शासन को कितनी राजस्व की हानि हुई? तो इसकी भरपाई कब और किन फर्मों से की जा रही है? दोषी अधिकारियों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं, शेष प्रश्नांश की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) से (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
लैब टेक्नीशियन को शिक्षक संवर्ग का लाभ
[उच्च शिक्षा]
48. ( क्र. 3296 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकीय संवर्ग अंतर्गत प्रयोगशाला के विषय में लैब टेक्नीशियन के पद निर्मित किये गये है? यदि हाँ, तो क्या शिक्षकीय पदों की भांति लैब टेक्नीशियन को भी समस्त लाभ जैसे सेमेस्टर ब्रेक/ग्रीष्मावकाश/अध्ययन अवकाश/स्टेपअप प्रोग्राम/ सेवानिवृत्त व अन्य लाभ प्रदान किये जा रहे है? यदि हाँ, तो ब्यौरा दे यदि नहीं तो क्यों नहीं (ख) यदि लाभों से वंचित रखा गया है तो उक्त पद को शिक्षकीय संवर्ग में रखने का क्या औचित्य है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत शासकीय महाविद्यालयों में प्रयोगशाला के विषय में लैब टेक्नीशियन के पद निर्मित किये गये हैं, जिन्हें म.प्र. शासन उच्च शिक्षा विभाग के आदेश क्रमांक 18-40/95/38/2 भोपाल दिनांक 01.04.97 द्वारा शिक्षकीय पद माने जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है, महाविद्यालयों में कार्यरत लैब टेक्नीशियनों को शासन के निर्देशानुसार सेमेस्टर ब्रेक/ग्रीष्मावकाश का लाभ दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश अवकाश नियमों के अंतर्गत अध्ययन अवकाश की स्वीकृति प्रशासकीय विभाग द्वारा दी जाती है एवं 62 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जा रहा है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
रैगांव रोड से झरकुवा मार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
49. ( *क्र. 3325 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रैगांव विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत रैगांव रोड से झरकुवा मार्ग के निर्माण हेतु कार्यादेश जारी किये गये हैं? उक्त मार्ग का निर्माण किस मद से कराया जा रहा है? ठेकेदार कौन है? कार्यादेश की प्रति एवं मार्ग निर्माण के लागत की पूर्ण जानकारी देवें। (ख) उक्त निर्माण कार्य की निर्माण एजेन्सी कौन है एवं कब तक उक्त कार्य पूर्ण किया जाना है? अभी तक कितना कार्य पूर्ण किया जा चुका है? क्या उक्त मार्ग का निर्माण मापदण्डों के अनुरूप गुणवत्ता युक्त नहीं किया जा रहा है? (ग) क्या समयावधि में उक्त मार्ग का निर्माण कर दिया गया है? यदि नहीं तो क्यों उत्तरदायी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? (घ) प्रश्नांश (ख) अनुसार कार्य के गुणवत्ता की जाँच हेतु कमेटी का गठन कब तक किया जावेगा एवं उक्त मार्ग का निर्माण कब तक पूरा करा दिया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। उक्त मार्ग का निर्माण ए.डी.बी. वित्त पोषित एम.पी.डी.आर.-II एस.पी. परियोजना अंतर्गत कराया जा रहा है। उक्त कार्य के ठेकेदार मे. ए.बी.सी. एसोसियेट्स ज्वाइन्ट वेन्चर भाटी एसोसियेट्स प्रा.लि. सतना (म.प्र.) हैं। इन परियोजनाओं में कार्यादेश के स्थान पर कार्य आरंभ करने की तिथि घोषित की जाती है जिसकी प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। अनुबंध के प्रावधान के अनुसार मार्ग निर्माण कार्य की लागत राशि रू. 44, 99, 56, 116/- है। (ख) उक्त निर्माण कार्य की निर्माण एजेन्सी मे. ए.बी.सी. एसोसियेट्स ज्वाइन्ट वेन्चर भाटी एसोसियेट्स प्रा.लि. सतना (म.प्र.) है। उक्त कार्य, कार्य आरंभ दिनांक 03.05.2018 से 457 दिवस में पूर्ण किया जाना था। अभी तक 16.38 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका है। जी नहीं। उक्त मार्ग का निर्माण निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप गुणवत्ता युक्त किया जा रहा है। (ग) जी नहीं। ठेकेदार द्वारा दिनांक 26.06.2019 को अनुबंध के प्रावधान अनुसार समयावृद्धि आवेदन विचाराधीन है। प्रकरण के परीक्षण उपरांत गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाकर जिम्मेदार के विरूद्ध कार्यवाही की जा सकेगी। (घ) कार्य के गुणवत्ता की निरंतर जाँच हेतु म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा सुपरविजन कंसलटेंट मेसर्स आई.सी.टी. प्रा.लि. इन एसोसियेशन विथ रोडिक कन्सल्टेन्ट्स प्रा.लि. नई दिल्ली को नियुक्त किया गया है। मार्ग निर्माण कार्य का सुपरविजन कंसलटेंट के अलावा समय-समय पर म.प्र. सड़क विकास निगम में पदस्थ अधिकारियों द्वारा भी कार्य की गुणवत्ता की जाँच की जाती है। अत: पृथक से जाँच कमेटी के गठन किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। ठेकदार द्वारा प्रस्तुत समयावृद्धि आवेदन वर्तमान में विचाराधीन होने के कारण मार्ग निर्माण पूर्ण किये जाने की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
रोडों की जानकारी
[लोक निर्माण]
50. ( क्र. 3343 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरदा जिले में लोक निर्माण अंतर्गत विगत 3 वर्षों में विभाग द्वारा कितने कार्य स्वीकृत थे आज दिनांक में उनकी क्या स्थिति है कितने कार्य पूर्ण हैं कितने अपूर्ण हैं अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण किये जाएंगे। (ख) विधान सभा प्रश्न क्र. 435 दिनांक 21.2.2019 के अनुसार करतना टिमरनी मार्ग के साईड सोडलर क्या आज दिनांक तक नहीं भरे गए इस संबंध में क्या कार्यवाही हुई अवगत कराएं। (ग) हरदा जिले में सिराली में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण लोकनिर्माण (पी.आई.यू.) द्वारा किया जा रहा है कार्य की स्वीकृति दिनांक एवं कार्य पूर्ण होने की दिनांक कार्य कब तक पूर्ण हो जाएगा? (घ) हरदा जिले में पी.आई.यू के अन्तर्गत कौन-कौन निर्माण कार्य चल रहे कार्य कब तक पूर्ण होंगे।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'अ-1' एवं 'अ-2' अनुसार है। (ख) विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' के सरल क्रमांक-10 पर उल्लेखित है। (ग) पी.आई.यू. द्वारा नहीं अपितु लोक निर्माण संभाग हरदा द्वारा किया जा रहा है विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' अनुसार है।
सतना जिले के सुखेन्द्र सिंह स्टेडियम में हुई किशोर की मृत्यु
[खेल और युवा कल्याण]
51. ( क्र. 3351 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना स्थित सुखेन्द्र सिंह स्टेडियम का संचालन किसके द्वारा कब से किया जा रहा है, कितने कर्मचारी तैनात है उन्हें कितना भुगतान किया जा रहा हैं? (ख) 24 मई को यहां पानी में डूबने से किशोर की मौत पर क्या जि.पं. सी.ई.ओ. को डी.एस.ओ. द्वारा गलत जवाब दिए गए एवं इस घटना के दोषियों पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) पुल का पानी फिल्टर प्लांट से कब-कब साफ किया गया? दिनवार और पी.एच. वैल्यूवार जानकारी उपलब्ध करायें? एक पूरी सफाई में कितने यूनिट बिल आता है? विगत तीन माह का बिल कितना है? (घ) शासन के नये नियम से डी.एस.ओ. के नियंत्रणकर्ता अधिकारी कौन है? जिले में खेल एवं युवा विभाग अब किस अधिकारी के नियत्रंण में है? क्या पूल का संचालन अनुमति से हो रहा था? यदि हाँ, तो पूल संचालन के मापदंड क्या है क्या पूल संचालक द्वारा उनका पालन किया जा रहा था? यदि नहीं तो उस पर क्या कार्यवाही की गई?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (घ) जानकारी संकलित की जा रही है।
सीमेंट कारखाना अन्तर्गत कार्यरत ठेका श्रमिकों के संदर्भ में
[श्रम]
52. ( क्र. 3353 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले के स्थापित सीमेंट कारखाना क्षेत्र में कार्यरत ठेका श्रेमिकों की संख्या कितनी है? इन कारखानों में स्थायी व अस्थायी श्रमिकों की संख्या कितनी है? (ख) पिछले 05 वर्षों में इन कारखानों से सेवानिवृत्त होने वाले स्थायी श्रमिकों की संख्या कितनी है? सीमेंट कारखाना से सेवानिवृत्त होने वाले स्थायी श्रमिकों की जगह कितने ठेका श्रमिकों को स्थायी किया गया है? (ग) मध्यप्रदेश में चल रहे सीमेंट उद्योगों के अन्तर्गत कार्यरत ठेका श्रमिकों की सेवानिवृत आयु क्या है? क्या इस संबंध में मध्यप्रदेश शासन द्वारा सेवानिवृत्त आयु 58 से 60 वर्ष बढ़ाने हेतु जो संशोधन किया गया है वह पूर्णत: लागू हुआ है अथवा नहीं? यदि नहीं तो विभाग द्वारा इसे पूर्णत: लागू कराने हेतु क्या-क्या कार्यवाही की गई है? (घ) मध्यप्रदेश के लागू ESIC के स्कीम के तहत कुल कितने श्रमिकों को लाभ पहुंचाया गया है। सतना जिले के मैहर तहसील में कार्यरत श्रमिकों हेतु ESIC का अस्पताल कितनी दूर पर स्थित है? ESIC में कंट्रीब्यूशन स्वरूप श्रमिकों का अंशदान जब मैहर क्षेत्र में जब से ज्यादा है तो ESIC का अस्पताल वहां क्यों नहीं है? ESIC के मानक स्तर के अनुसार सतना जिले में कितने अस्पताल कार्यरत है?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) मध्यप्रदेश राज्य में म.प्र. औद्योगिक नियोजक (स्थाई आदेश) अधिनियम 1961 के अंतर्गत राज्य शासन की अधिसूचना दिनांक 28.06.2017 के द्वारा श्रमिकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष की गई है। सतना जिले में 2 सीमेंट कारखाने मैहर सीमेंट एवं सतना सीमेंट ने इसे मान्य नहीं किया है। मैहर सीमेंट द्वारा याचिका क्र. 12790/14 एवं सतना सीमेंट द्वारा याचिका क्र. 786/15 माननीय उच्च न्यायालय में दायर की गई है जिसमें मैहर सीमेंट को दिनांक 08.01.2015 एवं सतना सीमेंट को दिनांक 20.04.2015 को स्थगन प्राप्त हुआ है। (घ) ई.एस.आई.सी. स्कीम केन्द्र शासन के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा संचालित है। इस संबंध में कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा प्रदत्त जानकारी अनुसार जहां बीमितों की संख्या 50 हजार से कम है वहां अस्पताल के नियम में प्रावधान नहीं है अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
एन.एच. 86 बायपास निर्माण
[लोक निर्माण]
53. ( क्र. 3360 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा शहर हेतु एन.एच.-86 पर बायपास निर्माण कार्य किस वर्ष स्वीकृत हुआ था? (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में स्वीकृत बायपास निर्माण कार्य हेतु केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गई? (ग) प्रश्नांश (ख) के क्रम में स्वीकृत राशि अनुसार कार्य पूर्ण कर लिया गया अथवा निर्माण कार्य किया जाना शेष है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) वित्तीय वर्ष 2014-15 में। (ख) केन्द्र सरकार से राशि रू. 91.995 करोड़ स्वीकृत, राज्य सरकार से कोई राशि स्वीकृत नहीं। (ग) जी हाँ, दिनांक 15.11.2017 को कार्य पूर्ण, शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाएं
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
54. ( क्र. 3401 ) श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं/कार्यों की विस्तृत जानकारी देवें। (ख) उक्त विभाग द्वारा संचालित योजनाओं/कार्यों का लाभ प्राप्त करने के लिए हितग्रहियों की योग्यता/पैमाना क्या-क्या रहता है? विवरण देवें। (ग) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा रीवा में विश्व का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट स्थापित किया है। इससे प्राप्त ऊर्जा का उपयोग कहाँ-कहाँ किया जा रहा है? (घ) प्रश्नांश (क) में प्राप्त ऊर्जा (बिजली) से प्रतिवर्ष कितनी आय होती है। विगत पाँच वर्षों की जानकारी सूचीवार देवें।
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) विभाग के अंतर्गत प्रदेश में पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायोमास आधारित ऊर्जा एवं लघु जल विद्युत परियोजनाएं, स्थापित की जा रही हैं। प्रदेश में माह जून 2019 तक कुल 4614.32 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं, स्थापित हो चुकी है, जिनका सारांश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। परियोजनाओं की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। विभाग के अधिनस्थ म.प्र. ऊर्जा विकास निगम द्वारा वर्तमान में 1) रूफटॉप सौर फोटोवोल्टिक पॉवर प्लांट कार्यक्रम, 2) सोलर पम्प कार्यक्रम, 3) सौर तापीय कार्यक्रम, 4) डी.डी.जी. कार्यक्रम, 5) अक्षय ऊर्जा शॉप कार्यक्रम, 6) सूर्यमित्र स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम, 7) बायोगैस आधारित विद्युत उत्पादन तथा तापीय उपयोग कार्यक्रम, 8) वेस्ट टू एनर्जी कार्यक्रम, 9) उजाला संरक्षण एवं प्रबंधन कार्यक्रम, 10) ऊर्जा संरक्षण एवं प्रबंधन कार्यक्रम, क्रियान्वित किए जा रहे हैं। कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ख) विभाग के अंतर्गत प्रदेश में पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायोमास आधारित ऊर्जा एवं लघु जल विद्युत परियोजनाएं में हितग्राहियों का चयन/परियोजना का आवंटन एवं विकास शासन की पवन ऊर्जा परियोजना क्रियान्वयन नीति-2012, सौर ऊर्जा परियोजना क्रियान्वयन नीति-2012, लघु जल विद्युत आधारित परियोजना क्रियान्वयन नीति-2012 एवं बायोमास आधारित परियोजना क्रियान्वयन नीति-2011 के प्रावधानों के अन्तर्गत किया जाता है। नीतियों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है। विभाग के अधिनस्थ म.प्र. ऊर्जा विकास निगम की योजनाओं/कार्यों का लाभ सभी श्रेणी के हितग्राहियों को प्राप्त करने की पात्रता है। योजनाओं में केन्द्र और राज्य शासन द्वारा प्रदान की जा रही वित्तीय सहायता/अनुदान के पश्चात शेष राशि हितग्राही द्वारा वहन किया जाने पर योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाता है। योजनाओं में अनुदान तथा अन्य जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ग) रीवा सौर परियोजना की क्षमता 750 मेगावाट है, जिसमें अभी तक 730 मेगावाट कमीशन हो चुकी है। रीवा परियोजना से उत्पादित बिजली उत्पादन के प्रारंभ, यथा 6 जुलाई 2018, से ही राज्य की विद्युत वितरण कम्पनियों को मिल रही है, जिसके लिए म.प्र.पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (एम.पी.पी.एम.सी.एल) से अनुबंध निष्पादित है। कुल 750 मेगावाट ओपन एक्सेस के विरूद्ध 651 मेगावाट क्षमता म.प्र.पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड को और 99 मेगावाट के विरूद्ध दिल्ली मैट्रो को विद्युत प्रदाय की व्यवस्था है। (घ) एम.पी.पी.एम.सी.एल. द्वारा राज्य की विद्युत वितरण कम्पनियों के उपयोग हेतु नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से विद्युत क्रय किया जाता है, जिसके लिए विक्रेता को अनुबंधित दरों पर भुगतान किया जाता है। चूंकि नवकरणीय ऊर्जा व परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से प्राप्त विद्युत को संयुक्त रूप से एक ही ग्रिड में संचालित कर क्रय व विक्रय किया जाता है, अत: नवकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से प्राप्त विद्युत को अलग से विक्रय किया जाना संभव नहीं होता और न ही इसके लिए अलग से कोई विक्रय टैरिफ निर्धारित है। अत: आय की जानकारी देना संभव नहीं है। उत्तरांश (क) में उल्लेखित म.प्र. ऊर्जा विकास निगम द्वारा क्रियान्वित की जा रही योजनाओं के अन्तर्गत स्थापित संयंत्रों से सीधे हितग्राही लाभांवित होते हैं। ये संयंत्र हितग्राही की ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति वैकल्पिक ऊर्जा से करने हेतु स्थापित किये जाते हैं। नवकरणीय ऊर्जा संयंत्रों के उत्पादित विद्युत की दर अब ग्रिड की विद्युत से कम हो गई है, जिससे हितग्राहियों को नवकरणीय ऊर्जा के प्रयोग से लाभ हो रहा है।
विभाग द्वारा विगत पाँच वर्षों में किये गये कार्य
[खेल और युवा कल्याण]
55. ( क्र. 3402 ) श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा पिछले पाँच वर्षों में खरगोन जिले में क्या-क्या कार्य किए गए कार्यवार, वर्षवार, लागत और कार्य के नाम और कार्य की गांरटी की सूचीवार जानकारी देवें?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : खरगोन जिले में विगत 5 वर्षों में से वर्ष 2017-18 में स्टेडियम भवन में विद्युत फिटिंग कार्य दर राशि रू. 4.22 लाख वर्ष 2018-19 में स्टेडियम ग्राउण्ड की बाउण्ड्रीवाल का निर्माण कार्य हेतु राशि रू. 11.84 लाख तथा वर्ष 2018-19 में घास लगाने का कार्य पर रू. 34.77 लाख व्यय की गई। उक्त कार्य सम्बधित एजेन्सियों से कराये जाते है पृथक से गांरटी का है प्रावधान नहीं है।
यू.जी.सी. को कॉलेज कोड 28 का निजी महाविद्यालयों द्वारा खुले-आम उल्लंघन
[उच्च शिक्षा]
56. ( क्र. 3416 ) श्री प्रदीप पटेल : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा संभाग में स्थित निजी महाविद्यालयों को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के द्वारा जारी नियमावली के अनुसार कालेज कोड 28 या धारा 28 को लागू करना राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग के नियमों के तहत कितना अत्यावश्यक है? कॉलेज कोड 28 या धारा 28 जो नियमावली/मापदण्ड/ मानदण्ड/नियम शर्तें/ कानून हैं उसकी एक प्रति उपलब्ध करायें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित निजी कॉलेजों के द्वारा किस-किस प्रकार की डिग्रीधारी (सभी डिग्रियों का उल्लेख करें) किस-किस पदनाम के शिक्षकों को किस-किस वेतनमान पर 01 अप्रैल 2017 से प्रश्नतिथि तक रखा है? उनकी वेतन नगद रूप में दिया जाता है या कैश? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कालेज कोड 28 में बिल्डिंग के क्या नियम (नार्मस) हैं? नियमों की प्रति दें? किस-किस महाविद्यालय ने स्थापना दिनांक से नार्मस पूरे कर रखे हैं? नाम दें? किस-किस ने प्रश्नतिथि तक पूरे नहीं किए हैं? नामवार/जिलेवार जानकारी दें?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) प्राचार्य एवं सहायक प्राध्यापकों के पद पर नियुक्तियों के लिए परिनियम 28 कॉलेज कोड लागू करना नितांत रूप से आवश्यक है। परिनियम 28 कॉलेज कोड की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) निजी महाविद्यालयों में मास्टर डिग्री के साथ पी-एच.डी., नेट, स्लेट उपाधिधारी आवेदकों को सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति दी जाती है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' और 'स' अनुसार है। (ग) कॉलेज कोड 28 में बिल्डिंग के नियम नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
प्राध्यापकों की पदस्थापना के संबंध में
[उच्च शिक्षा]
57. ( क्र. 3433 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उदयपुरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत बरेली स्थित शासकीय महाविद्यालयों में विषयवार प्राध्यापकों को स्वीकृत पदों की जानकारी दें, उनमें कितने पद भरे एवं कितने रिक्त हैं? (ख) तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के श्रेणीवार स्वीकृत पदों एवं भरे तथा रिक्त पदों की जानकारी दें। (ग) रिक्त पदों की भर्ती एवं पूर्ति कब तक होगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बरेली में शैक्षणिक संवर्ग अंतर्गत विषयवार स्वीकृत, कार्यरत एवं रिक्त पदों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के श्रेणीवार स्वीकृत, कार्यरत एवं रिक्त पदों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) रिक्त पदों की भर्ती एवं पूर्ति के संबंध में निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।
नवीन विद्युत सब स्टेशनों की स्वीकृति
[ऊर्जा]
58. ( क्र. 3434 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत वर्ष 2019 में आज दिनांक तक कितने नवीन सब स्टेशनों की स्वीकृति प्रदान की गई है? (ख) कितने सब स्टेशनों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, तथा कितने अपूर्ण है? (ग) वर्ष 2019-2020 में नवीन विद्युत सब स्टेशनों की स्वीकृति प्रस्तावित है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) उदयपुरा &