मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
मंगलवार, दिनांक 23 मार्च, 2021
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
मुख्यमंत्री
स्थाई कृषक
पंप कनेक्शन
योजना का
क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
1. ( *क्र. 6261 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना प्रारंभ कर अस्थाई पंप कनेक्शन मुक्त बनाने के लिए योजना लागू की थी, जिसे सरकार ने बंद कर दिया है तथा जिनके आवेदन लंबित थे, उनका भी कार्य न कराते हुये उनके द्वारा जमा की गई राशि वापस करने हेतु निर्देशित किया गया है? (ख) उक्त योजना पुन: कब तक प्रारंभ की जावेगी? अगर नहीं तो क्या इससे कृषकों का कृषि क्षेत्र में नुकसान नहीं हो रहा है एवं भविष्य में नहीं होगा? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित क्षेत्रान्तर्गत उक्त योजना हेतु शासन द्वारा कितनी राशि आवंटित की गई थी तथा कितनी राशि व्यय की गई? शेष राशि किसके अनुमोदन से किस कार्य में व्यय की गई/की जा रही है एवं क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। कृषकों को सिंचाई प्रयोजन हेतु स्थायी पंप कनेक्शन प्रदान करने हेतु ''मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना'' की अवधि योजना लागू करते समय दिनांक 31.03.2019 तक निर्धारित थी। निर्धारित अवधि पूर्ण होने पर उक्त योजना बंद हुई है। वितरण कंपनी अंतर्गत उक्त योजना के तहत जिन कृषकों द्वारा योजना समाप्ति की दिनांक 31.03.2019 के पश्चात अंश राशि जमा कराई गई है, उन आवेदकों से प्राप्त राशि को वापिस करने के निर्देश दिये गये हैं। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित योजना को पुन: प्रारंभ किये जाने संबंधी कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। जी नहीं। वर्तमान में कृषकों द्वारा स्वीकृत प्राक्कलन की शत-प्रतिशत राशि जमा कर अथवा सहमति पत्र देकर 3 प्रतिशत सुपरविजन राशि जमा कर ''अ'' श्रेणी के ठेकेदार द्वारा लाईन विस्तार का कार्य कराने के बाद स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन प्राप्त किया जा सकता है। उक्त के अतिरिक्त राज्य शासन द्वारा दिनांक 11.12.2019 को लिये गये निर्णय अनुसार प्रदेश में ''मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना'' आरम्भ की गई है, जिसका क्रियान्वयन नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग म.प्र. शासन द्वारा किया जा रहा है। (ग) मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना अन्तर्गत योजना प्रारंभ से योजना समाप्त होने की दिनांक तक की अवधि में म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई एवं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा व्यय की गई राशि का वर्षवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा उक्त प्राप्त राशि का पूर्ण उपयोग योजनान्तर्गत कार्यों में किया गया है, अत: प्रश्न नहीं उठता है।
अशोकनगर विधान सभा क्षेत्र में विद्युत ट्रांसफार्मरों की स्वीकृति
[ऊर्जा]
2. ( *क्र. 1921 ) श्री जजपाल सिंह जज्जी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोकनगर विधान सभा क्षेत्र में कितने ग्राम, टोले मजरे विद्युतीकरण से वंचित हैं? कौन-कौन से टोले मजरों में विद्युतीकरण का कार्य वर्तमान में चल रहा है? (ख) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र अशोकनगर में कुल कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित हैं? वितरण केन्द्रवार, क्षमतावार संख्या बतावें। (ग) क्या वर्तमान में हुये उपचुनाव अशोकनगर में पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल ग्राम मसीदपुर, करैयाराय, फतेहपुर, कजराई एवं भादौन में विद्युत सब-स्टेशन स्वीकृति की कोई कार्यवाही प्रचलित है? यदि नहीं, तो उक्त चुनावी घोषणा पर कब तक अमल होगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) अशोकनगर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत सभी राजस्व ग्राम एवं उनके संसूचित मजरे/टोले विद्युतीकृत हैं एवं वर्तमान में प्रश्नाधीन क्षेत्र में किसी भी मजरे/टोले में विद्युतीकरण का कार्य नहीं चल रहा है। (ख) अशोकनगर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कुल 7041 विदयुत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित हैं, जिनकी प्रश्नाधीन चाही गई वितरण केन्द्रवार एवं क्षमतावार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। ग्राम-मसीदपुर, करैयाराय, फतेहपुर, कजराई एवं भादौन में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य तकनीकी रूप से साध्य नहीं पाया गया है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
व्यापाम परीक्षाओं की सी.बी.आई. द्वारा जांच
[गृह]
3. ( *क्र. 5526 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 413, दिनांक 17.03.2020 के खण्ड (ख) के सन्दर्भ में बताएं कि क्या शिकायतकर्ता पत्र में विभिन्न परीक्षाओं का उल्लेख को अलग-अलग लिपीबद्ध जाँच करने में विभाग सक्षम क्यों नहीं है, क्या विभाग के इस तरह की कार्यवाही से सारे खतरे उठा कर शिकायत करने वाले निरूत्साहित नहीं होंगे? इसी प्रकार की नस्तीबद्ध की गई 60 शिकायतों की प्रति देवें तथा उनकों नस्तीबद्ध किये जाने की आदेश की प्रति देवें? (ख) प्रश्नाधीन प्रश्न के खण्ड (घ) के सन्दर्भ में सी.बी.आई. से प्राप्त जानकारी की प्रति देवें तथा बतावें की उत्तर में यह कहा गया कि सी.बी.आई. 2004 से 2011 की जाँच नहीं कर रही है तो सी.बी.आई. ने हाल ही में 2011 के फर्जीवाड़े का चालान कैसे पेश किया? (ग) म.प्र. शासन के पत्र क्रमांक 1277/CMS/PRS/2019, दिनांक 01.08.2019 की प्रति देवें तथा बतावें कि 2008 से 2011 में किस सम्पुष्टि कारक साक्ष्य का अभाव था तथा 2012 और 2013 में पी.एम.टी. परीक्षा को लेकर जो F.I.R. दर्ज की गई है। उसकी प्रति देवें। (घ) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 412, दिनांक 17.03.2020 के खण्ड (ग) के सन्दर्भ में बताएं कि पूर्व विधायक पारस सकलेचा के बयान डेढ़ साल पहले दर्ज हुए थे, अभी तक जाँच क्यों पूर्ण नहीं हुई तथा कब तक पूर्ण होगी।
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) शिकायत पत्र की जाँच आवेदन पत्र में उल्लेखित शिकायत के बिन्दुओं के आधार पर की जाती है। अगर आवेदन पत्र में विभिन्न परीक्षाओं संबंधित शिकायत की जाती है, तो सभी शिकायत बिन्दुओं पर जाँच की जाती है। 60 शिकायतें प्रक्रिया अनुसार जाँच उपरांत नस्तीबद्ध की गईं। विभागीय प्रक्रिया अनुसार नस्तीबद्ध की गई हैं। पृथक से आदेश जारी नहीं किया जाता है। (ख) सी.बी.आई. से प्राप्त पत्र में प्रश्न संबंधित जानकारी का उद्धरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) पत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। 2008 से 2011 में सम्पुष्टि कारक साक्ष्य का अभाव था, जैसे-नकल करना, अनुचित साधन का प्रयोग करना, साल्वर बैठाना, प्रतिरूपण का प्रयोग करना, ओ.एम.आर. शीट खाली छोड़ना, पैसों का लेनदेन करना आदि। एस.टी.एफ. में उपलब्ध रिकॉर्ड अनुसार पी.एम.टी. परीक्षा से संबंधित दर्ज 03 प्रकरण की एफ.आई.आर. की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। म.प्र. के विभिन्न जिलों में दर्ज एफ.आई.आर. की जानकारी संकलित की जा रही है। (घ) शिकायत जाँच वर्तमान में प्रचलित है।
विधानसभा क्षेत्र त्योंथर अंतर्गत नवीन महाविद्यालय की स्थापना
[उच्च शिक्षा]
4. ( *क्र. 1097 ) श्री श्याम लाल द्विवेदी : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उच्च शिक्षा की लोक व्यापीकरण के लिए नवीन महाविद्यालयों की स्थापना एवं संचालन के शासन के मापदण्ड क्या हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रत्युत्तर में त्योंथर के क्षेत्रीय जनमानस की आकांक्षाओं के अनुरूप एवं अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को उच्च शिक्षा से लाभान्वित किए जाने के लिए शासन द्वारा रायपुर में नवीन महाविद्यालय की स्थापना का लक्ष्य क्या है? यदि वर्तमान में प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है तो लोक महत्व के इस विषय पर नवीन महाविद्यालय की स्थापना के संबंध में स्थिति स्पष्ट की जाये? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) के प्रत्युत्तर में जनहित में नवीन महाविद्यालय की स्थापना आगामी शैक्षणिक सत्र में किया जाना उचित होगा।
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रस्ताव विचाराधीन नहीं। निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति न होने के कारण रायपुर में नवीन महाविद्यालय खोले जाने में कठिनाई है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नागदा संभाग अन्तर्गत वोल्टेज ड्रॉप की समस्या का निराकरण
[ऊर्जा]
5. ( *क्र. 6214 ) श्री दिलीप सिंह गुर्जर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नागदा संभाग के अन्तर्गत अतिभारित किन-किन ग्रीडों पर वर्तमान में कितने-कितने एम.वी.ए. ट्रांसफार्मर की और आवश्यकता है? इस हेतु विभाग से प्राप्त मांग पत्र पर शासन द्वारा क्या-क्या स्वीकृति प्रदान की गई है? (ख) विधानसभा क्षेत्र के कई इलाकों में वोल्टेज ड्रॉप की समस्या है, के निराकरण हेतु बेरछा रोड ग्रीड, कलसी, संदला बड़ागांव ग्रीड पर 5 एम.वी.ए. का अतिरिक्त ट्रांसफार्मर व नागदा नगर में लगभग 5 नग 200 के.व्ही.ए. के अतिरिक्त ट्रांसफार्मर की मांग की है? यदि हाँ, तो क्या स्वीकृति प्रदान कर दी गई है? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) नागदा शहर में वर्तमान में 11 के.व्ही. की कितनी खतरनाक लाईनों में केबल डालना शेष है? शेष कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जायेगा तथा पूर्व में कितनी लाईनों में केबल डाल दी गई? (घ) नागदा के मेहतवास क्षेत्र में 200 पोल-शीर्ण होने के कारण बदलने व चेतनपुरा में 20 नये पोल लम्बे-लम्बे गाले के कारण लगाना आवश्यक है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा कब तक स्वीकृति प्रदान कर दी जायेगी? कारण सहित विवरण दें। (ड.) क्या विधानसभा क्षेत्र में 117 विद्युत ट्रांसफार्मर अतिभारित हैं? स्थान का नाम, ट्रांसफार्मर की क्षमता सहित विवरण देते हुए अतिरिक्त ट्रांसफार्मर स्थापित करने अथवा ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने हेतु क्या कार्यवाही की है? (च) ट्रांसफार्मर संबंधी निम्न दाब लाईन का संधारण कितने वर्षों से नहीं हुआ है? क्या शासन द्वारा इसके संधारण हेतु कोई योजना बनाई जा रही है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों? (छ) वर्ष 2020-21 में रबी सीजन में क्षेत्र के 145 किसानों को अस्थाई कनेक्शन प्रदान करते हुए 21 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर किराये पर दिये थे? यदि हाँ, तो विभाग किसानों को स्थाई कनेक्शन प्रदान करते हुए किराये के ट्रांसफार्मर को स्थाई रूप से लगाने हेतु क्या कार्यवाही कर रहा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं, नागदा खाचरौद विधानसभा क्षेत्र में वोल्टेज की समस्या नहीं है। तथापि विद्युत प्रदाय की गुणवत्ता में सुधार हेतु नागदा बैरछा रोड पर अतिरिक्त 5 एम.व्ही.ए. पावर ट्रांसफार्मर स्थापना का कार्य एवं ग्राम संदला में अतिरिक्त 3.15 एम.व्ही.ए. पावर ट्रांसफार्मर स्थापना का कार्य तकनीकी रूप से साध्य पाया गया है। ग्राम कलसी में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र पर अतिरिक्त पावर ट्रांसफार्मर की स्थापना तकनीकी रूप से साध्य नहीं है। 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र बड़ागांव पर वर्तमान में 3 पावर ट्रांसफार्मर स्थापित होने से स्थान के अभाव के कारण अतिरिक्त पावर ट्रांसफार्मर स्थापित करना संभव नहीं है, किन्तु ग्राम संदला में अतिरिक्त पावर ट्रांसफार्मर की स्थापना से 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र बड़ागांव का भार भी कम किया जावेगा। उक्त साध्य कार्यों को वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता अनुसार इसी प्रकार के अन्य कार्यों की वरीयता को दृष्टिगत रखते हुये स्वीकृत किया जा सकेगा। नागदा नगर में 5 नग 200 के.व्ही.ए. क्षमता के वितरण ट्रांसफार्मर अतिभारित हैं। इन वितरण ट्रांसफार्मरों से संबद्ध भार को कम करने हेतु 100 के.व्ही.ए. क्षमता के 5 नग अतिरिक्त विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना के कार्य के प्रस्ताव का तकनीकी परीक्षण किया जा रहा है, तकनीकी रूप से साध्य पाए जाने पर एवं वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता अनुसार इसी प्रकार के अन्य कार्यों की वरीयता को दृष्टिगत रखते हुये इन कार्यों को स्वीकृत किया जा सकेगा। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) नागदा शहर में 1.2 किलोमीटर 11 के.व्ही. लाईन में केबल डाल दी गई है, जिसके तहत 11 के.व्ही. आर.एस.डब्ल्यू. फीडर पर 0.60 किलोमीटर एवं 11 के.व्ही. खाचरौद फीडर पर 0.60 किलोमीटर केबल डाली गई। उक्त के अतिरिक्त वर्तमान में नागदा शहर में 11 के.व्ही. की अन्य किसी लाईन पर केबल डालने का कार्य आवश्यक नहीं है। (घ) जी नहीं, प्रश्नाधीन उल्लेखित कार्य की तात्कालिक आवश्यकता नहीं है। उल्लेखनीय है कि विद्युत लाईनों का संधारण आवश्यकता अनुसार समय-समय पर किया जाता है। (ड.) नागदा-खाचरौद विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 117 अतिभारित विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों में से 3 नग ट्रांसफार्मरों के कार्य की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, जिनमे से 02 नग विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों का कार्य (01 नग की क्षमतावृद्धि एवं 01 नग अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मर स्थापना कार्य) पूर्ण कर दिया गया है एवं 01 नग अतिरिक्त विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर का कार्य फसल खड़ी होने के कारण लंबित है। शेष 114 नग अतिभारित विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना का कार्य तकनीकी रूप से साध्य है। उक्त साध्य कार्यों को वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार इसी प्रकार के अन्य कार्यों की वरीयता को दृष्टिगत रखते हुये स्वीकृत किया जा सकेगा। उक्त 117 नग विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थान एवं क्षमतावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (च) नागदा संचालन-संधारण संभाग के अंतर्गत ट्रांसफार्मर संबंधी निम्नदाब लाईनों का संधारण आवश्यकता अनुसार समय-समय पर किया जाता है। इस कार्य हेतु पृथक से किसी योजना की आवश्यकता नहीं है। (छ) जी हाँ, वर्ष 2020-21 में रबी सीजन में प्रश्नाधीन क्षेत्र के 145 किसानों को अस्थाई कनेक्शन प्रदान करते हुए 21 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर किराये पर दिये गये थे। किराये के ट्रांसफार्मर को स्थाई रूप से लगाने हेतु शासन की कोई योजना वर्तमान में प्रचलन में नहीं है।
तहसील बहरी में महाविद्यालय की स्थापना
[उच्च शिक्षा]
6. ( *क्र. 3494 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी जिले में विकासखण्ड सिहावल अन्तर्गत तहसील बहरी में महाविद्यालय की आवश्यकता है, सिहावल से दूरी 30 कि.मी. व बहरी से सीधी की दूरी 30 कि.मी. है तथा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है? यदि हाँ, तो कब तक महाविद्यालय खोला जायेगा? (ख) बार-बार मांग के बावजूद भी बहरी में महाविद्यालय क्यों नहीं खोला जा रहा है? कारण सहित बतायें। कब तक बहरी में महाविद्यालय खोला जावेगा? (ग) सिहावल (बमुरी) महाविद्यालय में कितने पदों की स्वीकृति है? स्वीकृत भरे, रिक्त पदों की जानकारी उपलब्ध कराई जाये? कब तक रिक्त पदों पर पदस्थापना की जावेगी? (घ) सिहावल (बमुरी) महाविद्यालय में केवल बी.ए. की कक्षाएं संचालित हो रही हैं, बी.एससी. एवं बी.कॉम. कक्षाएं संचालित नहीं होने से छात्र-छात्राओं को अध्ययन हेतु जिला मुख्यालय सीधी जाना पड़ता है, कब तक सिहावल (बमुरी) महाविद्यालय में बी.एससी. एवं बी. कॉम. की कक्षाएं संचालित किये जाने संबंधी समुचित आदेश जारी किया जावेगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) जी नहीं। बहरी में 01 अशासकीय मुकुन्द महाविद्यालय, बहरी संचालित है तथा बहरी से 27 कि.मी. दूरी पर शासकीय महाविद्यालय, देवसर एवं 30 कि.मी. दूरी पर शासकीय महाविद्यालय, सिहावल संचालित है, जहां पर विद्यार्थी अध्ययन कर सकते हैं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ख) निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति न होने के कारण महाविद्यालय नहीं खोला जा रहा है। 30 कि.मी. की दूरी में शासकीय/अशासकीय महाविद्यालय संचालित नहीं होना चाहिये तथा कैचमेंट एरिया में कम से कम 500 से अधिक विद्यार्थी होना चाहिये। वर्तमान में संसाधनों के अभाव में बहरी में नवीन महाविद्यालय खोले जाने में कठिनाई है। (ग) स्वीकृत, कार्यरत एवं रिक्त पदों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। रिक्त पदों की पूर्ति हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) सिहावल के कैचमेंट एरिया अंतर्गत संचालित हायर सेकेण्डरी स्कूलों में वाणिज्य संकाय में विद्यार्थी संख्या निरंक होने के कारण कक्षायें प्रारंभ नहीं की जा सकती हैं। वर्तमान में संसाधनों के अभाव में बी.एससी की कक्षायें प्रारंभ किये जाने में कठिनाई है।
नगर पालिक निगम रीवा में सीवर लाईन का कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( *क्र. 5983 ) श्री प्रदीप पटेल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिक निगम रीवा में सीवर लाईन बिछाने का कार्य किस नाम/पते वाली कम्पनी को किन-किन शर्तों के तहत किस दर पर क्या-क्या कार्य करने, कितने समय-सीमा में कार्य समाप्त करने कार्यादेश जारी हुये? किस दिनांकों से कार्य शुरू हुये? प्रश्नतिथि तक ठेकेदार कम्पनी को किस-किस मद या क्या-क्या कार्य पूर्ण करने पर कितना-कितना भुगतान किया जा चुका है? मदवार/कार्यवार/भुगतान/राशिवार/माहवार/वर्षवार/निगमवार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) क्या सीवर लाईन बिछाने में जो सड़कें या क्रांक्रीट क्षतिग्रस्त होते हैं, उन्हें सीवर लाईन बिछाने के पश्चात् पुन: जैसे पहले थी, वापस उस स्वरूप में (as it is) करने की जिम्मेदारी ठेकेदार की है? क्या कार्य की शर्तों में इसका उल्लेख है? क्या रीवा में जिन कॉलोनियों में या अन्य जगहों पर जहां सीवर लाईन डल गई है, वहां पर क्या ठेकेदारों द्वारा सीवर लाईन बिछाने के बाद पुन: उस सड़क/स्थान को (as it is) वापस बना (निर्मित) कर दिया गया है? अगर हाँ तो किस-किस स्थान/कॉलोनी के बना (निर्मित) कर दी गयी सड़कों का किस-किस स्थान में, क्या-क्या नाम के, किस-किस वार्ड क्रमांक के कितनी-कितनी लंबाई के, किस-किस प्रकार के (सी.सी./आर.सी.सी./डामर रोड/अन्य सभी प्रकार) के कार्यों का कितना-कितना भुगतान कब-कब किस दर पर करते हुये, किस-किस नाम/फर्म/अन्य/को किया गया? राशिवार/माहवार/वर्षवार में? (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित शर्तों में खुदाई के बाद, खुदाई के पश्चात (as it is) पुरानी स्थिति में सड़कें/अन्य स्थान को वापस करने/ठीक/कार्य/मरम्मत करने का भुगतान पूर्व (पहले) गुणवत्ता/उपयोगिता प्रमाण-पत्र जारी करने का विवरण उपलब्ध कराते हुये बतायें कि किस-किस नाम/पदनाम ने स्थल का भौतिक निरीक्षण कर स्थलों पर कार्य पूर्ण होने पर (खुदाई के पश्चात्) सड़कें वापस (as it is) पुन: ठीक हो गई हैं, के प्रमाण-पत्रों पर हस्ताक्षर किये?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) नगर निगम रीवा में सीवर लाईन बिछाने का कार्य मेसर्स के.के. स्पन इंडिया प्रा.लि., नई दिल्ली को अनुबंध में वर्णित शर्तों के तहत लम्प-सम अनुबंध राशि रू. 201.04 करोड़ पर सीवर लाईन नेटवर्क तैयार करने, 07 नग सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण एवं रीवा नगर के 42000 घरों में हाउस सीवरेज कनेक्शन हेतु दिया गया था। अनुबंध की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। उक्त कार्य हेतु समय-सीमा 36 माह की थी, जिमसें 02 बार समय वृद्धि प्रदान की जा चुकी है, अर्थात दिनांक 31.03.2021 तक का समय कार्य हेतु प्रदाय है। कार्य प्रारंभ का दिनांक 18.11.2016 है। प्रश्न तिथि तक ठेकेदार को कुल राशि रू. 49.03 करोड़ का भुगतान हुआ है। जिसमें से राशि रू. 19.93 करोड़ मोबलाइजेशन एडवांस एवं शेष राशि रू. 29.10 करोड़ सड़क में सीवर लाईन डालने, रेस्टोरेशन कार्य, मेनहोल निर्माण, आई.सी. चेम्बर निर्माण कार्य के विरूद्ध किया गया है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) जी हाँ, सीवर लाईन बिछाने में जो सड़के या कांक्रीट क्षतिगस्त होती है उसके पुराने रूवरूप में करने की जिम्मेदारी ठेकेदार की है। जी हाँ, कार्य की शर्तों में इसका उल्लेख है। जी हाँ, रीवा में जिन कालोनी में सीवर लाईन डल गई है वहॉ पर ठेकेदार द्वारा पुन: उस सड़क/स्थान को वापस बना दिया गया है। अभी तक कुल 120 किमी. सड़क का रिस्टोरेशन किया जा चुका है। शेष का कार्य प्रगति पर है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित शर्तों में खुदाई के पश्चात् पुरानी स्थिति में सड़के/अन्य स्थान को वापस ठीक/कार्य/मरम्मत करने का कार्य प्रगतिरत होने के कारण गुणवत्ता/उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं है। कार्य का भौतिक सत्यापन शासन द्वारा नियुक्त कंसल्टेंट (प्रोजेक्ट डेवलपमेंट एण्ड मैनेजमेंट कंसल्टेंट) की है। जिसके रेजीडेंट इंजीनियर श्री अर्जुन सिंह चौहान, असिस्टेंट रेजीडेंट इंजीनियर श्री जिया खान, श्री विनीत सिंह, श्री अविनाश कुशवाहा, श्री रतन तिवारी, श्री विलास द्धिवेदी, श्री जयवर्धन सिंह चंदेल एवं मटेरियल इंजीनियर श्री सोमदत्त वाजपेयी द्वारा किया जाता है।
मुरैना जिलांतर्गत प्रधानमंत्री आवासों का निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
8. ( *क्र. 6115 ) श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना जिले में विगत तीन वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कितने आवासों के निर्माण का लक्ष्य था? (ख) उक्त में से कितने आवासों का निर्माण पूर्ण कर कितने व्यक्तियों को आवास सुपुर्द किये जा चुके हैं? (ग) क्या विभाग द्वारा इन योजनाओं में लोगों को आवास देने में लापरवाही की जा रही है? यदि हाँ, तो सरकार को अब तक ऐसी कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं तथा इन शिकायतों पर सरकार द्वारा क्या कार्यवाही की गयी है? (घ) सरकार को मुरैना जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी और अनियमितता की कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं तथा सरकार द्वारा उन पर क्या कार्यवाही की गई? (ड.) सरकार आवास विहीन लोगों को सस्ते आवास दिलवाने के लिए क्या-क्या प्रयास कर रही है? अवगत करावें। नहीं तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के ''अ'' अनुसार है। (ग) जी नहीं, शिकायतों संबंधी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ड.) आवास विहीन परिवारों को सस्ते आवास देने के लिये, प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत ए.एच.पी. घटक, बीएलसी घटक तथा सी.एल.एस.एस. घटक अंतर्गत योजना का लाभ प्रदान किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश में 8.21 लाख आवासों की स्वीकृति भारत सरकार से प्राप्त की गई है व इसमें मुरैना जिले के नगरीय निकायों के द्वारा 7,282 आवास स्वीकृत करवाये गये है।
किसान आन्दोलन के दौरान दर्ज प्रकरणों की वापसी
[गृह]
9. ( *क्र. 6172 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2017 में प्रदेश में हुए किसान आन्दोलन के दौरान किस-किस जिले में कितने-कितने किसानों पर प्रकरण दर्ज किया गया? (ख) क्या पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार ने खण्ड (क) में उल्लेखित प्रकरणों को वापस लिये जाने का आश्वासन दिया था तथा इस संदर्भ में कार्यवाही भी प्रचलन में थी? यदि हाँ, तो बताएं कि प्रकरण वापस लेने की प्रक्रिया कि अद्यतन स्थिति क्या है? (ग) क्या शासन खण्ड (क) में उल्लेखित प्रकरणों को वापस लेने की प्रक्रिया को आरम्भ रखना चाहता है या इस प्रक्रिया को रोकना चाहता है? (घ) क्या यह सरकार खण्ड (क) में उल्लेखित सारे प्रकरणों को वापस लेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
नगरपालिका सेवा में संविदा नियुक्ति के नियम
[नगरीय विकास एवं आवास]
10. ( *क्र. 4647 ) श्री बाबू जण्डेल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगरपालिका सेवा में संविदा पर लगाने के शासन के क्या नियम हैं? विज्ञप्ति जारी किये बिना किसी भी व्यक्ति को संविदा पर नियुक्त किया जा सकता है? यदि हाँ, तो नियम बतावें? (ख) नगरपालिका श्योपुर नवम्बर 2020 से फरवरी 2021 तक कितने लोगों को संविदा पर लगाया है। नाम, पिता का नाम, पता, उम्र, आधारकार्ड नम्बर सहित जानकारी देवें। (ग) नवम्बर 2020 से नियुक्त कर्मचारियों को कितनी राशि का अभी तक कितना भुगतान किया गया है एवं किस नियम से भुगतान किया जा रहा है? (घ) प्रश्नांश (ख) अनुसार क्या न.पा.प. श्योपुर में की गई नियुक्ति नियम विरूद्ध है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है तथा जिम्मेदारों के विरूद्ध शासन स्तर से कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या तथा कब तक?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर है। जी नहीं। (ख) उक्त अवधि में किसी भी कर्मचारी को संविदा पर नहीं लगाने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ब्यौहारी नगर पंचायत क्षेत्र में सर्व सुविधायुक्त बस स्टेंड का निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
11. ( *क्र. 6247 ) श्री शरद जुगलाल कोल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल जिले के ब्यौहारी नगर पंचायत क्षेत्र में बस स्टैण्ड का निर्माण कब कराया गया? अगर नहीं कराया गया तो क्यों? इसके निर्माण बावत् शासन की क्या कार्ययोजना है? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में नगर पंचायत क्षेत्र ब्यौहारी अन्तर्गत सर्व सुविधा हेतु नवीन बस स्टैण्ड के निर्माण बावत् कब तक राशि जारी करावेंगे? अगर नहीं तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में अगर बस स्टैण्ड का निर्माण नहीं कराया गया, यात्रियों को आवागमन में परेशानी हो रही है, जबकि शासकीय भूमि उपलब्ध है, तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) एवं (ग) में उल्लेखित तथ्यों के आधार पर नवीन सर्व सुविधा युक्त नवीन बस स्टैण्ड के निर्माण बावत् राशि कब तक उपलब्ध करा देंगे? अगर नहीं तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) शहडोल जिले की ब्यौहारी नगर परिषद क्षेत्रान्तर्गत जिला दण्डाधिकारी शहडोल द्वारा खसरा क्रमांक 1919/1 के आंशिक भाग, एक एकड़ में बस स्टेण्ड हेतु भूमि आवंटित की गई थी तथा म.प्र. परिवहन विभाग द्वारा अधिसूचना क्रमांक 22-12-83 दिनांक 22.09.1982 द्वारा बस स्टेण्ड ब्यौहारी घोषित किया गया है। उपरोक्त भूमि विवादित होने के कारण भूमि विवाद का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में एफए 28/2001 प्रचलित है, जिसके कारण शहडोल जिले की नगर परिषद ब्यौहारी में कोई स्थायी बस स्टेण्ड का निर्माण नहीं कराया गया है। नगर परिषद ब्यौहारी में स्थायी बस स्टेण्ड निर्माण की कोई कार्य योजना नहीं है। पर्याप्त बजट आवंटन उपलब्ध होने पर स्वीकृति पर विचार किया जा सकेगा। (ख) नगर परिषद ब्यौहारी में स्थायी बस स्टेण्ड निर्माण की कोई कार्य योजना नहीं है। पर्याप्त बजट आवंटन उपलब्ध होने पर स्वीकृति पर विचार किया जा सकेगा। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में बस स्टेण्ड हेतु आवंटित (विवादित) भूमि का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रकरण क्रमांक एफए 28/2001 प्रचलित होने के कारण स्थायी बस स्टेण्ड का निर्माण नहीं कराया गया है। अत शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश (क) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत आवास स्वीकृति में अनियमितता
[नगरीय विकास एवं आवास]
12. ( *क्र. 5136 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2017 से 2020 तक प्रधानमंत्री योजना अंतर्गत कालापीपल नगर परिषद पोलायकला सीहोर नगर पालिका द्वारा कितने आवास स्वीकृत हुए? क्या स्वीकृत प्रकरणों में अपात्र लोगों को भी योजना का लाभ मिला या नहीं? नाम सहित जानकारी देवें। (ख) कालापीपल एवं सीहोर नगर पालिका अंतर्गत पी.एम. आवास योजना में कितने अपात्रों ने शासन को कर्मचारियों के साथ सांठ-गांठ कर क्या गलत जानकारी देकर योजना का लाभ लिया गया? अपात्रों को क्या पी.एम. आवास योजना अंतर्गत राशि स्वीकृत की गई। यदि की गई है तो क्यों? अपात्र व्यक्तियों से शासकीय योजना का गलत तरीके से लाभ लिये जाने पर क्या विभाग द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज कराई जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) प्रश्नाधीन अवधि में स्वीकृत आवासों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। अपात्र लोगों को योजनांतर्गत लाभांवित किये जाने संबंधी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ-1''अनुसार है। (ख) सीहोर नगर पालिका में 9 अपात्र हितग्राहियों को राशि स्वीकृत की गई थी। ऐसे अपात्र हितग्राहियों का नाम निरस्त कर उनसे वसूली तथा नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। नगर परिषद् कालापीपल तथा पोलायकलां में किसी भी अपात्र हितग्राही को लाभ दिये जाने का प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है।
इंदौर/ग्वालियर संभाग में वायु प्रदूषण की स्थिति
[पर्यावरण]
13. ( *क्र. 6275 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मार्च 2020 से प्रश्न दिनांक तक इंदौर एवं ग्वालियर संभाग में वायु प्रदूषण का क्या-क्या कारण है? किस-किस के द्वारा, कहां-कहां पर, कितना-कितना प्रदूषण फैलाया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में इसकी रोकथाम हेतु क्या कार्य योजना एवं उसकी अद्यतन स्थिति क्या है? पृथक-पृथक बतायें। (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में कारण परिलक्षित होने पर कब-कब, क्या-क्या कार्यवाही, किस-किस के विरूद्ध, किस-किस प्रकार की गई? (घ) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में क्या विभागीय अधोसंरचना एवं जाँच उपकरण पर्याप्त नहीं है? यदि हाँ, तो किस प्रकार से वायु प्रदूषण रोकथाम के कार्य किये जा रहे हैं? (ड.) वायु में कौन-कौन से तत्वों की अधिकता से वायु प्रदूषण होता है? संभाग/जिलेवार पृथक-पृथक बतायें।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ( श्री हरदीपसिंह डंग ) : (क) इन्दौर व ग्वालियर संभाग में वायु प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत वाहनों से उत्सर्जित धुआँ तथा परिवहन जनित धूल है। इसके अलावा विकास कार्यों के तहत् चल रहे विभिन्न निर्माण कार्य, सड़कों की खुदाई, कचरा जलाने व कृषि क्षेत्र में पराली जलाई जाना आदि भी वायु प्रदूषण के संभावित स्त्रोत हैं। इन्दौर व ग्वालियर संभाग में मार्च-2020 से फरवरी-2021 तक की अवधि में वायु प्रदूषकों का औसत स्तर पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) वायु गुणवत्ता के आधार पर इन्दौर व ग्वालियर शहर को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली द्वारा ''नॉन अटेन्मेन्ट सिटी'' की श्रेणी में रखा गया है। इन शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार हेतु एक्शन प्लान बनाये गये हैं, जिसका क्रियान्वयन किया जा रहा है। एक्शन प्लान का क्रियान्वयन मुख्य रुप से नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा प्रेषित जानकारी अनुसार भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 हेतु इंदौर शहर को रुपये 50.5 करोड़ तथा ग्वालियर शहर हेतु रुपये 25.5 करोड़ की प्रथम किश्त आवंटित की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) उत्तरांश (ख) के प्रकाश में एक्शन प्लान अनुसार वायु गुणवत्ता के उन्नयन हेतु कार्यवाही जारी है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) जानकारी उत्तरांश (क) अनुसार है।
नगर पालिका गोहद एवं मौ में मस्टर रोल पर रखे गये श्रमिक
[नगरीय विकास एवं आवास]
14. ( *क्र. 5668 ) श्री मेवाराम जाटव : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले के नगर पालिका गोहद एवं मौ में वर्तमान में मस्टर रोल पर कार्यरत किन-किन कुशल एवं अर्द्धकुशल श्रमिकों को किस-किस कार्य हेतु किस-किस की अनुशंसा पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा कब कब से रखा गया है? इन श्रमिकों के नाम, पते एवं उम्र सहित संपूर्ण ब्यौरा दें। (ख) क्या उक्त रखे गये श्रमिकों में से अधिकांश श्रमिक इन नगर पालिका क्षेत्र से बाहर के हैं, जो कि बिना काम के मात्र वेतन ही प्राप्त कर रहे हैं? यदि नहीं, तो क्या इसकी जाँच स्थानीय विधायक की उपस्थिति में कराई जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या जो श्रमिक बिना काम के वेतन ले रहे हैं, उन्हें हटाया जाकर उत्तरदायी नगर पालिका अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) नगर पालिका परिषद गोहद जिला भिण्ड में कोई कुशल एवं अर्द्ध कुशल श्रमिक नहीं रखे गये हैं। नगर परिषद मौ जिला भिण्ड में रखे गये श्रमिकों की जाँच संभागीय संयुक्त संचालक ग्वालियर संभाग से कराई जा रही है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार। (ग) नगरपरिषद मौ जिला भिण्ड में रखे गये श्रमिकों की जाँच संभागीय संयुक्त संचालक, ग्वालियर संभाग से कराई जा रही है। जाँच प्रतिवेदन के निष्कर्ष अनुसार कार्यवाही की जायेगी।
सागर जिलांतर्गत महिलाओं पर अत्याचार के दर्ज प्रकरण
[गृह]
15. ( *क्र. 6289 ) श्री हर्ष यादव : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में विभिन्न मामलों में सागर जिले में दिनांक 03 जनवरी, 2020 से 31 जनवरी, 2021 तक की अवधि में महिलाओं पर अत्याचार के कितने प्रकरण दर्ज किये गये? इनमें से कितने प्रकरण माननीय न्यायालय में पेश किये गये एवं कितनों को सजा मिली? (ख) उक्त समयावधि में महिलाओं से ब्लैकमेलिंग के कितने प्रकरण दर्ज हुए? संख्यात्मक जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (ख) संदर्भित कितने प्रकरण में दिनांक 01 जनवरी, 2020 से 31 जनवरी, 2021 तक की अवधि में ब्लैकमेलिंग के कारण कितनी महिलाओं ने आत्महत्या की? इनमें ऐसे प्रकरण कितने हैं, जिनके सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो एवं वीडियो वायरल होने के कारण महिलाओं ने आत्महत्या की? (घ) प्रकरण में कितने अपराधियों को पकड़ा गया और कितने अपराधी अब भी पुलिस की गिरफ्तारी से बाहर हैं? संख्यात्मक जानकारी देवें।
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) मध्यप्रदेश में सागर जिले में विभिन्न मामलों में दिनांक 03 जनवरी, 2020 से 31 जनवरी, 2021 तक की अवधि में महिलाओं पर अत्याचार के कुल 997 प्रकरण दर्ज किये गये। इनमे से 755 प्रकरण माननीय न्यायालय में पेश किये गये एवं 27 प्रकरणों में सजा मिली। (ख), (ग) एवं (घ) जानकारी निरंक है।
नर्मदा नदी का संरक्षण
[नगरीय विकास एवं आवास]
16. ( *क्र. 352 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) फरवरी 2021 की स्थिति में माँ नर्मदा में किन-किन शहरों का सीवेज/गंदा नाले का पानी औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट बिना शुद्धिकरण के मिल रहा है? (ख) नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु क्या-क्या कार्य योजना तैयार की गई है तथा इस हेतु राज्य शासन द्वारा भारत सरकार से किन-किन कार्यों हेतु विगत तीन वर्षों में कितनी राशि की मांग की गई? प्रश्न दिनांक तक किन-किन कार्यों हेतु कितनी राशि प्राप्त हुई? (ग) नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु दिनांक 01 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा क्या-क्या कार्य कराये गये? पूर्ण विवरण दें। (घ) प्रश्नांश (ग) में स्वीकृत कौन-कौन से कार्य कब पूर्ण हुये तथा कौन-कौन से कार्य अपूर्ण एवं अप्रारंभ हैं, उक्त कार्य कब तक पूर्ण होंगे?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) प्रदेश में किसी भी औद्योगिक इकाई का अपशिष्ट नर्मदा में नहीं मिलता है। सीवेज/नालों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु स्वीकृत कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु विगत तीन वर्षों में विभाग द्वारा राशि की मांग नहीं की गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु कराये जा रहे कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
जबलपुर जिले में बिजली चोरी के प्रकरण
[ऊर्जा]
17. ( *क्र. 4927 ) श्री संजय यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जिले में बीते 5 वर्ष में बिजली चोरी के कितने प्रकरण बने? इनसे कुल कितनी राशि की बिलिंग की गई? जानकारी दी जावे। (ख) क्या बिलिंग की राशि के अनुसार वसूली हुई? नहीं तो क्यों? कितने मामले न्यायालय में हैं और कितने विभागीय स्तर पर निराकृत हैं? लोक अदालत के माध्यम से कितने उपभोक्ता इस अवधि में लाभांवित हुए? उनसे कितनी राशि ली गई कितनी रियायत दी गई? क्या इससे वितरण कंपनियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, जिसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदकर चुकाना पड़ रहा है? (ग) पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत सौभाग्य योजना में अभी किन-किन जिलों में जाँच जारी है? क्या प्रारंभिक जाँच में किसी तरह की गड़बड़ी उजागर हुई है? यदि हाँ, तो उसमें दोषी कौन-कौन है? क्या उनके खिलाफ वसूली की कार्यवाही की जा रही है? जाँच को पूरा होने में कितना वक्त और लगेगा? (घ) क्या वित्तीय हानि और भ्रष्टाचार के मामले में मैदानी अमले के अलावा मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं की गई है? इसके अलावा इस योजना में समय से पूर्व कार्य करने वाले कितने अभियंताओं को वितरण कंपनी से क्या-क्या पुरुस्कार अवार्ड/राशि दी गयी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अंतर्गत जबलपुर जिले में विगत पाँच वर्षों यथा वित्तीय वर्ष 2016-17 से वित्तीय वर्ष 2020-21 में माह फरवरी 2021 तक बिजली चोरी के कुल 19859 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें राशि रू. 3222.86 लाख की बिलिंग की गई। (ख) उक्त दर्ज किये गए चोरी के 19859 प्रकरणों में से 10922 प्रकरणों में राशि रू. 1585.24 लाख की वसूली की गई है। न्यायालय में विचाराधीन होने एवं कम्पनी स्तर पर वसूली की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने के कारण शेष प्रकरणों में राशि वसूल किया जाना बाकी है। कुल 4516 प्रकरण न्यायालय में दर्ज किये गये हैं तथा कुल 5098 प्रकरण म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर निराकृत किये गये हैं। लोक अदालत के माध्यम से 5824 प्रकरणों में राशि रू. 750.48 लाख उपभोक्ताओं से ली गयी है तथा राशि रू. 242.16 लाख की रियायत प्रदान की गई है। उक्त प्रकरणों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। राष्ट्रीय एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण तथा राज्य शासन के निर्देशों के अनुसार लोक अदालत के माध्यम से विद्युत अधिनियम की धारा 126, 135 एवं 138 के अंतर्गत दर्ज प्रकरणों में आंकलित सिविल दायित्व एवं सरचार्ज राशि में छूट दी जाती है। लोक अदालत के माध्यम से निराकृत प्रकरणों से प्राप्त राशि से कंपनी की आय में वृद्धि होती है और इससे उपभोक्ता टैरिफ दर में वृद्धि नहीं होती है। (ग) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर में सौभाग्य योजना अंतर्गत किये गए कार्यों में कथित रूप से अनियमितता की विभिन्न माध्यमों से प्राप्त शिकायतों हेतु जाँच कार्यवाही की गई है/की जा रही है। म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के अन्तर्गत मंडला, डिंडौरी, सीधी, सिंगरौली, सतना, छिंदवाड़ा, सागर (देवरी तहसील) एवं दमोह (हटा तहसील) जिलों में योजनांतर्गत किये गए कार्यों की जांच, जाँच दल गठित कर कराई गई है, विभागीय जाँच कार्यवाही प्रक्रियाधीन है एवं रीवा, अनूपपुर, उमरिया एवं शहडोल जिलों में जाँच दल गठित कर जाँच कराई जा रही है, जो वर्तमान में प्रक्रियाधीन है। प्रारंभिक जाँच प्रतिवेदन अनुसार 11 के.व्ही. विद्युत लाईन, निम्नदाब लाईन एवं अन्य सामग्री पारित किए गए देयकों से कम मात्रा में लगना, पोल कांक्रीटिंग नहीं होना, मीटर-कम-प्रोटेक्शन बॉक्स नियमानुसार नहीं लगना, नए कनेक्शन में आर्मर्ड केबल के स्थान पर अन आर्मर्ड केबल लगना, बिना कनेक्शन दिए कनेक्शन दिखाया जाना, कनेक्शनों में अर्थिंग नहीं पाया जाना इत्यादि की गड़बड़ी पायी गयी है। जाँच प्रतिवेदन अनुसार प्रथमदृष्टया दोषी पाए गए कार्मिकों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। जाँच प्रतिवेदनों के आधार पर प्रथमदृष्टया दोषी पाए गए कार्मिकों के विरूद्ध विभागीय जाँच संस्थित की गई है, जो वर्तमान में प्रकियाधीन है। विभागीय जाँच के अंतिम निष्कर्ष प्राप्त होने के उपरांत आगामी कार्यवाही की जावेगी। अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जाँच दल द्वारा प्रस्तुत जाँच प्रतिवेदन में प्रथमदृष्टया दोषी पाए गए कार्मिकों के नाम में मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी के नाम सम्मिलित नहीं है, अत: प्रश्न नहीं उठता। सौभाग्य योजना के कार्य समय से पूर्व पूर्ण करने पर संबंधित 275 अभियंताओं को नगद पुरूस्कार/प्रशस्ति पत्र एवं शील्ड प्रदान किए गए हैं।
नर्मदा नदी को पूर्णत: प्रदूषणमुक्त करने हेतु प्रस्तावित कार्ययोजना
[नगरीय विकास एवं आवास]
18. ( *क्र. 5528 ) श्री विनय सक्सेना : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में नर्मदा नदी पर कितने-कितने नगरों के कितने-कितने नाले/नालियाँ/सीवर/औद्योगिक अपशिष्ट मिल कर जल को प्रदूषित कर रहे हैं? (ख) नर्मदा नदी में नाले/नालियाँ/सीवर/औद्योगिक अपशिष्ट मिलने से रोकने व प्रदूषण मुक्त करने हेतु विगत 10 वर्ष से आज दिनांक तक क्या-क्या कदम उठाये गयें हैं? कितनी-कितनी राशि व्यय की गयी है। (ग) क्या नर्मदा नदी को जीवित इकाई का दर्जा दिए जाने संबंधी प्रक्रिया लंबित है? यदि हाँ, तो लंबित रहने के कारण बतावें तथा उसे कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा? (घ) नर्मदा नदी को पूर्णत: प्रदुषण मुक्त करने हेतु शासन की क्या कार्य योजना है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) प्रदेश में किसी भी औद्योगिक इकाई का अपशिष्ट नर्मदा में नहीं मिलता है। सीवेज/नालों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) मध्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दूषित जल के नर्मदा नदी में निस्सारण पर जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा–25/26 के तहत उपयुक्त दूषित जल उपचार संयंत्रों की स्थापना करवाकर उद्योगों के परिसर से बाहर शून्य निस्त्राव की स्थिति बनाई गई है तथा माँ नर्मदा में औद्योगिक दूषित जल निस्त्राव पर प्रभावी रूप से रोक लगाई गई है। विगत 10 वर्षों से आज दिनांक तक नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए स्वीकृत कार्यों एवं राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) उपलब्ध जानकारी के अनुसार, जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) नर्मदा नदी को पूर्णतः प्रदूषण मुक्त करने हेतु शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सीवर लाईन बिछाने एस.टी.पी. का निर्माण कार्य एवं घरों के हाउस कनेक्शन का कार्य किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप नालों में सीवेज का गंदा पानी स्वतः ही प्रवाहित होना बंद हो जावेगा एवं इन नालों में मात्र वर्षा जल ही प्रवाहित होगा।
नगर पालिका निगम द्वारा कार्यों को पूर्ण किया जाना
[नगरीय विकास एवं आवास]
19. ( *क्र. 4654 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के विधानसभा प्रश्न क्रमांक 128/28-12-2020, 493/29-9-2020, में नगर निगम द्वारा अविलंब कार्य पूर्ण कराने का लेख किया गया था, अगर हाँ तो कार्य प्रगति की जानकारी कार्यवार देवें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार सांईनगर पतेरी की रोड नाली, प्रभात विहार में 11 के.व्ही. लाइन संकरी रोड की वजह से किनारे विस्थापित करने, राजेन्द्र नगर गली नम्बर 5 में रोड एवं नाली निर्माण करने, वार्ड 37 में रोड निर्माण आदि का कार्य शामिल था, अगर हाँ तो कौन-कौन से कार्य पूर्ण कर दिये गये हैं और कौन-कौन से कार्य अभी प्रारंभ नहीं किये गये, प्रारंभ न करने का कारण बतावें? (ग) प्रश्नांश (ख) में वर्णित कार्य आश्वासन के बावजूद अभी तक अवधि समाप्त हो जाने पर कार्य क्यों पूर्ण नहीं किये गये? कारण विवरण सहित देवें। (घ) उपरोक्त कार्य कब तक प्रारंभ कराकर पूर्ण कराये जायेंगे एवं विलम्बता के लिये कौन दोषी है उसके विरूद्ध क्या और कब तक कार्यवाही की जावेगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) विधानसभा प्रश्न क्रमांक 128/28.12.2020 एवं प्रश्न क्रमांक 493/29.09.2020 के उत्तर दिनांक 18.12.2020 में नगर निगम द्वारा कार्य समय-सीमा में कराये जाने का लेख किया गया है, कार्य प्रगति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जानकारी उत्तरांश (ख) अनुसार है। (घ) कार्य पूर्ण करने में आ रही बाधाओं को दूर कर कार्यों को पूर्ण कराने की कार्यवाही की जा रही है, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। कार्य प्रगतिरत है, शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सीधी बस दुर्घटना की जाँच
[गृह]
20. ( *क्र. 5802 ) श्री जितू पटवारी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी में एक सीमेन्ट कम्पनी के कारण एक मुख्य मार्ग दिसम्बर 11 फरवरी, 2021 से 16 फरवरी, 2021 तक बंद था तथा इस अवधि में उस मार्ग से गुजरने वाला सारा यातायात बाण सागर बांध की प्रमुख नहर के पास बने हुए मिट्टी के गीले रास्ते से गुजारा गया? (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर यदि हाँ, तो बतावें कि जिला प्रशासन द्वारा सीमेन्ट कम्पनी द्वारा अवरूद्ध किये मार्ग को चालू करवाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया तथा नहर में हुई दर्दनाक घटना के बाद मात्र 3 घण्टे में कैसे चालू हो गया? (ग) प्रश्नांश (क) तथा (ख) से यह स्पष्ट है कि सीमेन्ट कम्पनी और जिला प्रशासन कि मिली भगत से जान बूझकर गम्भीर लापरवाही की गई, जिससे 55 लोगों को जिसमें 42 बेरोजगार युवा थे, अपनी जान से हाथ धोना पड़ा? (घ) क्या कलेक्टर, एस.पी. तथा सीमेन्ट कम्पनी के मालिकों पर धारा 304-A में प्रकरण दर्ज किया जायेगा तथा मृतक के परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा दिया जायेगा? यदि दोनों का उत्तर नहीं तो क्यों?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
टोन्स हाईडल प्रोजेक्ट सिरमौर हेतु अधिग्रहित भूमि
[ऊर्जा]
21. ( *क्र. 6295 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या टोन्स हाईडल प्रोजेक्ट के लिए सिरमौर सहित अन्य जगह के किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी? यदि हाँ, तो किन-किन तहसीलों की कुल कितनी भूमि अधिग्रहण की गई थी? क्या अधिगृहण की गई सम्पूर्ण भूमि का उपयोग प्रोजेक्ट के लिये किया जा रहा है? (ख) टोन्स हाईडल प्रोजेक्ट सिरमौर के लिए रीवा-सतना जिलों में अधिग्रहित की गई कुल भूमि में से प्रोजेक्ट में अनुपयोगी भूमि को क्या उनके भू-स्वामियों को वापिस किये जाने का निर्णय लिया गया था? यदि हाँ, तो इसके क्या मापदण्ड तय किये गये थे? कब तक कितने भू-स्वामियों को उनकी जमीन वापिस की गई है? कितनों को नहीं और क्यों? कब तक भूमि वापिस की जायेगी? (ग) प्रोजेक्ट में अनुपयोगी भूमि कहां-कहां की कितनी कितनी है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। टोंस हायडल प्रोजेक्ट के लिये तत्कालीन मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल द्वारा रीवा जिले के अंतर्गत तहसील हुजूर, सिरमौर, जवा एवं सेमरिया तथा सतना जिले के अंतर्गत तहसील रामपुर बघेलान एवं कोटर तथा सीधी जिला अंतर्गत तहसील रामपुर नैकिन की कुल 4818.377 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गयी थी। जी नहीं। (ख) जी हाँ। राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि टोंस बैराज की ऊंचाई रूपांकन के अनुसार 282.52 मीटर के स्थान पर 280.5 मीटर यथावत रखी जाए एवं इस निर्णय के परिप्रेक्ष्य में डूब से अप्रभावित क्षेत्र की भूमि जो कि वर्तमान में टोंस जल विद्युत परियोजना जिला रीवा के नाम से अंकित है, को मूल भू-स्वामियों को वापिस करने के लिये राजस्व विभाग द्वारा म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के सहयोग से कार्यवाही की जाये। निर्णय अनुसार डूब से अप्रभावित क्षेत्र को चिन्हांकित कर भूमि के मूल भू-स्वामियों तथा उनके विधिक वारिसों को राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड-एक, क्रमांक-4 में दी गयी प्रक्रिया का पालन करते हुये ऐसे भू-स्वामियों/वारिसों से, भू-अर्जन अधिनियम 1894 के अंतर्गत कार्यवाही करते हुये, उनकी भूमि के अर्जन के समय उन्हें भुगतान की गयी प्रतिकर राशि वापिस प्राप्त कर भूमि लौटाई जानी है। अभी तक 36 ग्रामों में से 10 ग्रामों के 112 काश्तकारों द्वारा प्रतिकर की राशि जमा की गई है एवं 12 काश्तकारों को भूमि वापिस की गई है। शेष प्रकरणों में भूमि नामांतरण की कार्यवाही प्रचलन में है। जिन जमीनों के प्रकरण तैयार कर राजस्व विभाग को प्रस्तुत किये हैं, उनमें से अधिकांश प्रकरणों में भू-स्वामियों द्वारा प्रतिकर की राशि जमा नहीं की गई है, राशि जमा किये जाने पर आगामी कार्यवाही संभव होगी। जिन भू-स्वामियों द्वारा प्रतिकर राशि जमा की गई है, उनकी भूमि वापसी की कार्यवाही की जा रही है। भू-स्वामी या उनके वारिसों को भूमि वापिस की जाना है। अधिकांश भू-स्वामी फौत हो चुके हैं, इसलिए उनके वारिसों का निर्धारण विधिक प्रक्रिया से किया जा रहा है, जिनसे प्रकरण, न्यायालयों में विचाराधीन है। विधिक वारिसों के निर्धारण के पश्चात् भूमि वापिस की जा सकेगी। अत: निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) टोंस हायडल प्रोजेक्ट सिरमौर के अंतर्गत टोंस बराज के डूब से अप्रभावित सतना जिले की तहसील रामपुर बघेलान में 202.079 हेक्टेयर एवं तहसील कोटर में 646.199 हेक्टेयर भूमि अनुपयोगी है।
नगर निगम, बुरहानपुर द्वारा अमृत योजना का कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
22. ( *क्र. 2960 ) श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम बुरहानपुर के द्वारा अमृत योजना का कार्य किया जा रहा है? डी.पी.आर. में योजना के पूर्ण होने की दिनांक क्या है? वर्तमान में उक्त योजना पर कितना कार्य कहां-कहां और क्या-क्या कार्य हुआ है, कि पूर्ण जानकारी क्रमवार सूची अनुसार बताएं और कितना भुगतान किया जा चुका है और किस दिनांक को पूर्ण होकर चालू हो जायेगी? (ख) उक्त योजना में जो रोड खोदकर रिपेयरिंग किया जा रहा है? क्या इसमें पूर्ण रोड का नवीनीकरण किया जाना शामिल है या सिर्फ पेंचवर्क करना शामिल है? (ग) इस योजना में क्या-क्या कार्य सम्मिलित हैं, उसकी लागत क्या है, संपूर्ण विवरण प्रदान करें एवं इस योजना में क्या-क्या कार्य होना शेष है कि सूची प्रदान करें एवं कब तक पूर्ण होगा।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी हाँ। निविदा सूचना अनुसार कार्य पूर्ण होने की दिनांक 16.02.2020 है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। संबंधित एजेंसी को राशि रू. 90.77 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। एजेंसी द्वारा दिनांक 31.12.2020 को योजना पूर्ण होकर चालू है। (ख) जी नहीं। योजनान्तर्गत रोड को पूर्व की अवस्था के अनुरूप रिस्टोर किया जाना शामिल है। (ग) इस योजना में सम्मलित कार्यों एवं लागत की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। योजना दिनांक 31.12.2020 को पूर्ण हो जाने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सड़क निर्माण में पावर हाऊस की राख का उपयोग
[पर्यावरण]
23. ( *क्र. 5618 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सड़क निर्माण में पावर हाऊस की राख के उपयोग से संबंधित भारत सरकार के राजपत्र में दिनांक 27 जनवरी, 2016 को प्रकाशित अधिसूचना में क्या-क्या प्रावधान दिया है, इस प्रावधान का पालन करवाए जाने के सबंध में पार्यावरण विभाग एवं म.प्र. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्या कार्यवाही की है? (ख) राज्य के किस स्थान पर वर्तमान में थरमल पावर हाऊस का संचालन किसके द्वारा किया जा रहा है, उसमें से किस पावर हाऊस से सड़क निर्माण हेतु राख प्रदाय के संबंध में क्या-क्या व्यवस्था की है? (ग) म.प्र. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गत दो वर्षों में सड़क निर्माण में राख का उपयोग नहीं किए जाने पर कितने प्रकरण किस-किस के विरूद्ध पंजीबद्ध किए कितने प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किए, कितने प्रकरण वर्तमान में लंबित हैं? (घ) भोपाल संभाग में सड़क निर्माण में राख का उपयोग नहीं किए जाने पर सड़क निर्माण करने वालों के विरूद्ध म.प्र. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल क्या कार्यवाही कर रहा है, कब तक करेगा?
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ( श्री हरदीपसिंह डंग ) : (क) कोयला एवं लिग्नाईट आधारित पावर हाउस की राख के उपयोग से संबंधित भारत सरकार के राजपत्र दिनांक 27.01.2016 द्वारा मूल अधिसूचना दिनांक 14.09.1999 को संशोधित किया गया, जिसके द्वारा सड़क निर्माण में राखड़ के उपयोग के दायरे को ताप विद्युत गृह के 100 कि.मी. की परिधि से बढ़ाकर 300 कि.मी. किया गया। यह भी अंतःस्थापित किया गया कि सड़क निर्माण में राखड़ के परिवहन की लागत का वहन 100 कि.मी. तक संबंधित ताप विद्युत गृह द्वारा एवं 100 से 300 कि.मी. तक का परिवहन की लागत का वहन उपयोगकर्ता एवं ताप विद्युत गृह के बीच समान रूप से अंश भाजित किया जावेगा, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनान्तर्गत बनने वाली सड़कों में फ्लाई एश के प्रयोग हेतु 300 कि.मी. की परिधि में परिवहन की लागत का वहन ताप विद्युत गृह द्वारा किया जावेगा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी सड़क संनिर्माण का संविदाकार, सड़क निर्माण में एश का उपयोग करता है, सड़क संनिर्माण के लिए संबद्ध प्राधिकारी संविदाकार को किए जाने वाले संदाय को तापीय विद्युत संयंत्र से एश के प्रदाय के प्रमाणीकरण के साथ जोड़ेगा तथा विभिन्न संनिर्माण परियोजनाओं का अनुमोदन करने वाले सभी राज्य प्राधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि ताप विद्युत गृह एवं संनिर्माण अभिकरण या संविदाकारों के बीच फ्लाई एश या फ्लाई एश आधारित उत्पादों के उपयोग के लिए परस्पर समझ ज्ञापन या अन्य कोई ठहराव किया जावे। तत्संबंध में पर्यावरण विभाग एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समय-समय पर निर्माण कार्य विभागों को पत्रों, बैठकों, कार्यशालाओं के माध्यम से अवगत कराया जाता है। इस हेतु दिनांक 05.07.2011 को राज्य स्तरीय बहुविभागीय मॉनिटरिंग समिति का भी गठन किया गया है, जिसकी समय-समय पर बैठकें भी होती हैं एवं समीक्षा की जाती है। म.प्र. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा परिवहन व्यय की प्रतिपूर्ति न करने पर सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन, सारणी, जिला बैतूल के विरूद्ध दिनांक 19.06.2019 को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 15, 16 के अन्तर्गत न्यायिक दण्डाधिकारी जिला बैतूल के न्यायालय में वाद दायर किया है, जो माननीय न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जानकारी उत्तरांश (क) अनुसार है। (घ) राज्य में सड़क निर्माण कार्य कराने वाले सभी शासकीय एवं अर्द्ध शासकीय विभाग फ्लाई एश अधिसूचना के अनुपालन हेतु अपने उत्तरदायित्व से अवगत हैं तथा सड़क या फ्लाई ओवर एंबेंकमेंट निर्माण के तकनीकी विषयों पर निर्णय लेने हेतु सक्षम है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी अनुसार उनके द्वारा भोपाल संभाग अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 69 के अब्दुल्लागंज-इटारसी खण्ड एवं राष्ट्रीय राजमार्ग-12 के लालघाटी-मुबारकपुर खण्ड एवं राष्ट्रीय राजमार्ग-52 के ब्यावरा-देवास खण्ड में सतपुड़ा थर्मल पावर सारणी से प्राप्त राख का उपयोग किया गया है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
भोपाल के बड़े तालाब में मिलने वाले सीवेज नाले पर रोक
[नगरीय विकास एवं आवास]
24. ( *क्र. 5413 ) श्रीमती कृष्णा गौर : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल शहर के बड़ा तालाब द्वारा शहर के नागरिकों को प्रतिदिन कितना पेयजल किन-किन क्षेत्रों में आपूर्ति की जाती है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित तालाब के कुल कितने (सीवेज मिला हुआ) नाले मिल रहे हैं? इनका विवरण कॉलोनियों के नाम तथा अनट्रीटेड सीवेज पानी के मात्रा सहित बताया जाये? (ग) शासन एवं नगर निगम भोपाल द्वारा इन नालों को रोकने की, क्या योजना है और इस पर कब तक रोक लगा दी जायेगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) अमृत योजनान्तर्गत, सीवरेज परियोजना के माध्यम से क्षेत्रों में सीवेज पाईप लाईन बिछाने, पंप हाउसों एवं एस.टी.पी. के निर्माण कार्य प्रगति पर है। उक्त कार्यों को दिनांक 31.03.2022 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। कार्य पूर्ण होने के पश्चात् तालाब में मिलने वाले सीवेज की रोकथाम हो सकेगी।
भोपाल रेलवे स्टेशन पर हटाये गये अतिक्रमण
[नगरीय विकास एवं आवास]
25. ( *क्र. 4670 ) श्री आरिफ मसूद : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 28.11.2020 को भोपाल मुख्य रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म 06 के तरफ के अतिक्रमण को हटाया गया था? यदि हाँ, तो रिक्त कराई गई भूमि के खसरे की जानकारी वर्तमान में भूमि किसके नाम पर दर्ज है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या माननीय उच्च न्यायालय द्वारा कार्यवाही के बाद स्टे दिया गया था? (ग) क्या अतिक्रमण संबंधी कोई भी शिकायत प्रशासन को भूमि स्वामी द्वारा नहीं की गई थी? (घ) क्या अतिक्रमण हटाने से पूर्व कब्जाधारियों को किसी प्रकार का कोई भी नोटिस जारी नहीं किया गया था? यदि हाँ, तो इस प्रकार नियम विरूद्ध बल पूर्वक कब्जे हटाने की कार्यवाही करने पर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी यदि नहीं, तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी हाँ, प्लेटफार्म नं. 06 की तरफ से रिक्त कराई गई भूमि का खसरा क्रमांक 675/1/1 मद शासकीय महकमा फायनेंस रकबा 1.1370 हेक्ट. शासकीय दर्ज है। (ख) जी हाँ। मान. उच्च न्यायालय द्वारा प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में डब्ल्यू.पी. नम्बर 19280/2020 में स्टे दिया गया है। (ग) चूंकि भूमि स्वामी शासन है, इसलिये शिकायत का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। (घ) नगर पालिक निगम भोपाल भवन अनुज्ञा शाखा द्वारा अतिक्रमण हटाने हेतु कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है। नगर निगम भोपाल द्वारा बिना अनुमति किये गये अवैध निर्माण पर निरंतर अधिनियम की धारा 302 (1) 307 (2) के प्रावधान अंतर्गत कार्यवाही की जाती है जो कि एक सतत् प्रक्रिया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
विद्युत
कंपनियों के
निजीकरण से
शासन को हो रही
क्षति
[ऊर्जा]
1. ( क्र. 760 ) श्री सुखदेव पांसे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. सरकार को केन्द्र सरकार द्वारा विद्यत कंपनियों के निजीकरण हेतु जारी स्टैण्डर्ड बिड डॉक्यूमेंट (एस.बी.डी.) दिया गया है तथा आठ महीने की समयावधि के भीतर निजीकरण करने हेतु कहा गया है? यदि हाँ, तो म.प्र. सरकार का इस संबंध में क्या विचार है एवं वह क्या करना चाहती है स्पष्ट करें? (ख) क्या प्रदेश सरकार ट्रांसमिशन कंपनी के निजीकरण हेतु शुरू किये गये टी.बी.सी.बी. को वापस लेगी? पूरा विवरण देवें। (ग) क्या पूर्व में भी प्रदेश सरकार द्वारा सागर एवं उज्जैन को निजी कंपनियों को सौंपने का प्रयास किया गया था, इनकी व्यवस्था किन-किन कंपनियों को सौंपी गई थी क्या वह सफल रही थी? यदि हाँ, तो उसे जारी क्यों नहीं रखा गया? यदि नहीं, तो फिर यह निजीकरण क्यों किया जा रहा है? (घ) निजीकरण की दशा में क्या घरेलू, कृषि, औद्योगिक एवं व्यवसायिक बिजली महंगी नहीं होगी? स्पष्ट करें। निजीकरण की दशा में निजी कम्पनियों की विद्युत दरों पर शासन का किस प्रकार नियंत्रण रहेगा क्या इस संबंध में शासन द्वारा कोई नीति निर्धारित की गई है। (ड.) निजीकरण की स्थिति में वर्तमान में कार्यरत कमर्चारी जैसे विद्युत मंडल के कंपनी के आउटसोर्स के, संविदा के तथा पेंशनर के भुगतान का दायित्व किसका होगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) केन्द्र शासन से विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण हेतु अंतिम स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट प्राप्त नहीं हुआ है, अपितु इस संबंध में विचार-विमर्श एवं विभिन्न हितग्राहकों के अभिमत प्राप्त करने के उद्देश्य से स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का प्रारूप प्राप्त हुआ था, जिसमें निजीकरण की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों एवं उनसे संबंधित अनुमानित समयावधि का उल्लेख किया गया है जिसके आधार पर संपूर्ण प्रक्रिया चरणबद्ध रूप में आठ सप्ताह में पूर्ण किया जाना अनुशंसित/प्रस्तावित/उल्लेखित है। वर्तमान में राज्य शासन के समक्ष निजीकरण का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) राष्ट्रीय विद्युत नीति, 2016 के प्रावधान अनुसार प्रदेश की कुछ पारेषण परियोजनाओं को टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धात्मक बोली (TBCB) प्रक्रिया के माध्यम से क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है, जिसके अंतर्गत अति उच्चदाब विद्युत उपकेन्द्रों/लाईनों के निर्माण संबंधी नवीन कार्यों को शामिल किया गया है। उक्तानुसार वैधानिक प्रावधानों के अन्तर्गत की गई कार्यवाही के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। (ग) निजीकरण नहीं अपितु विद्युत वितरण एवं खुदरा आपूर्ति के कार्य के लिये निर्धारित अवधि हेतु फ्रेंचायजी अनुबंधित की गई थी। सागर शहर एवं उज्जैन शहर में विद्युत वितरण एवं खुदरा आपूर्ति हेतु प्रतिस्पर्धात्मक बोली के आधार पर दिनांक 10.05.2012 को 15 वर्ष की अवधि हेतु क्रमश: मेसर्स एस्सेल वि.वि.प्रा. लि., सागर एवं मेसर्स एस्सेल वि.वि. प्रा.लि., उज्जैन फ्रेंचायजी चयनित की गई थीं किन्तु फ्रेंचायजी अनुबंध की शर्तों के पालन में असफल रहने पर इनके अनुबंध समाप्त किये गये। उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। (घ) एवं (ड.) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
जनभागीदारी मद प्रदाय राशि
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( क्र. 1783 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले में पब्लिक के सहयोग से जनसुविधाओं के विस्तार हेतु जनभागीदारी मद में विगत तीन वर्षों में कितनी-कितनी राशि प्रदाय की गई है? वर्षवार बताएँ। (ख) सागर नगर में जनभागीदारी राशि से कब-कब तथा कौन-कौन से कार्य कराये गये हैं? (ग) क्या जनभागीदारी राशि कम मात्रा में प्रदाय की जा रही है, जिससे जो निर्माण कार्य प्रचलन में है वह अधूरे पड़े है? क्या शासन जानभागीदारी मद से कराये जाने वाले कार्यों हेतु पर्याप्त राशि मुहैया करायेगा तथा कब तक?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) सागर जिले के समस्त नगरीय निकायों में से नगर पालिक निगम सागर में पब्लिक के सहयोग से जनसुविधाओं के विस्तार हेतु जनभागीदारी मद से विगत तीन वर्षों में प्रदाय की गयी राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेष निकायों में उक्त मद से कोई कार्य नहीं कराया गया है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। जनभागीदारी राशि कम मात्रा में प्रदाय नहीं की जा रही है। जनभागीदारी की राशि 50 प्रतिशत जनता से प्राप्त होने पर प्रकरण तैयार किया जाता है। शेष 50 प्रतिशत की राशि जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग के माध्यम से स्वीकृति उपरांत प्राप्त होती है। जो कार्य 2017-18 एवं 2018-19 में प्रचलन में थे वह पूर्ण हो चुके है। उत्तरांश के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
शासकीय नेहरू महाविद्यालय अशोकनगर में स्वीकृत पदों की जानकारी
[उच्च शिक्षा]
3. ( क्र. 1923 ) श्री जजपाल सिंह जज्जी : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासकीय नेहरू महाविद्यालय अशोकनगर में शासन द्वारा कितने पद किस-किस मद से स्वीकृत किये गये हैं? (ख) स्वीकृत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर वर्तमान में कितने पदों की पूर्ति हुई है यदि नहीं, तो कारण बतायें? (ग) प्रश्न दिनांक तक यदि इन पदों की पूर्ति आउटसोर्स से नहीं हुई है तो क्या शासन अन्य मदों से पदों की पूर्ति करेगा यदि हाँ, तो शासन की क्या योजना है और कब तक पद पूर्ति की जावेगी?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) शासकीय नेहरू महाविद्यालय, अशोक नगर में राजपत्रित एवं अराजपत्रित संवर्ग में शासन द्वारा स्वीकृत पदों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) शासकीय नेहरू महाविद्यालय, अशोक नगर में तृतीय श्रेणी के 09 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 04 पद भरे हैं तथा 05 पद रिक्त हैं एवं चतुर्थ श्रेणी में 05 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 03 पद भरे हैं और 02 रिक्त हैं। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
नल-जल योजना के क्रियान्वयन में अनियमितताएं
[नगरीय विकास एवं आवास]
4. ( क्र. 1926 ) श्री कुँवर विक्रम सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड भोपाल के अन्तर्गत परियोजना क्रियान्वयन इकाई सागर में ए.डी.बी. पोषित कुल कितनी नल-जल योजना स्वीकृत की गई, जिनकी भौतिक एवं वित्तीय स्थिति से अवगत करायें। (ख) स्वीकृत योजनाओं को पूर्ण करने की निर्धारित समय-सीमा क्या थी कब तक पूर्ण किये जायेंगे। यदि समय-सीमा बढ़ाई गई तो क्यों। (ग) नल- जल योजना पैकेज 6 ए खजुराहों राजनगर में करोड़ों के घोटालों एवं भ्रष्टाचार के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई हैं, प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। (घ) नल-जल योजना पैकेज 6ए खजुराहों राजनगर में पाईप लाईन बिछाने हेतु नगर पंचायत की टूटी-फूटी रोड का पुन: निर्माण कब तक पूर्ण किये जायेंगे। (ड.) नल-जल योजना पैकेज 6 ए खजुराहों राजनगर से संबंधित परियोजना प्रबंधक एवं टाटा कन्सलटेन्सी द्वारा कार्य गुणवत्ता एवं कार्य सुरक्षा हेतु कब कब निरीक्षण किये गये?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) म.प्र. अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड भोपाल के अंतर्गत, परियोजना क्रियान्वयन इकाई सागर में ए.डी.बी. वित्त पोषित कुल 04 नलजल योजना स्वीकृत की गई है। भौतिक एवं वित्तीय प्रगति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है। (ग) नल-जल योजना पैकेज – 6ए खजुराहो व राजनगर में करोड़ों के घोटालों एवं भ्रष्टाचार के संबंध में कोई शिकायत संज्ञान में नहीं है। (घ) पैकेज- 6 ए खजुराहो एवं राजनगर में कुल 222.97 कि.मी. पाइप लाइन डाला जाना प्रस्तावित है। वर्तमान स्थिति तक 111.96 कि.मी. पाइप लाइन डाली जा चुकी है, इसमें 92.548 कि.मी. रोड का स्थाई रोड रेस्टोरेशन कर दिया गया है। योजना पूर्ण होने के साथ ही रोड रेस्टोरेशन का कार्य भी पूर्ण हो जावेगा। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "स" अनुसार है।
अंतिम मूल्यांकन के लंबित प्रकरण
[नगरीय विकास एवं आवास]
5. ( क्र. 2306 ) श्री रामपाल सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) फरवरी 2021 की स्थिति में रायसेन जिले की नगर पालिका तथा नगर परिषदों में पूर्ण कौन-कौन से कार्य अंतिम मूल्यांकन हेतु किस स्तर पर कब से क्यों लंबित है? (ख) पूर्ण कार्यों के अंतिम मूल्यांकन के संबंध में शासन के क्या-क्या निर्देश हैं तथा किस-किस अधिकारी की क्या-क्या जवाबदारी है? (ग) रायसेन जिले में पूर्ण कार्यों को अंतिम मूल्यांकन न होने के लिए कौन-कौन अधिकारी जवाबदार हैं तथा पूर्ण कार्यों का अंतिम मूल्यांकन कब तक होगा? (घ) पूर्ण कार्यों को अंतिम मूल्यांकन न होने की स्थिति में किस-किस ठेकेदार को कितनी-कितनी राशि का भुगतान होना शेष है? निकायवार जानकारी दें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) पूर्ण कार्यों के अंतिम मूल्यांकन के संबंध में मध्यप्रदेश नगर पालिका (लेखा एवं वित्त) नियम 2018 के नियम 113, 114 एवं 115 द्वारा तथा अधिकारियों की जवाबदारी हेतु नियम 111 से दायित्व व जवाबदारी प्रावधानित की गई है नियमों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) रायसेन जिले की 11 नगर पालिका एवं परिषदों में से 04 निकाय- रायसेन, बाड़ी, मण्डीदीप एवं सांची में पूर्ण कार्यों के अंतिम मूल्यांकन हेतु कोई प्रकरण शेष नहीं है, 07 निकायों के पूर्ण कार्यों के अंतिम मूल्यांकन निकायवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। इन नगरीय निकायों में कार्यों के अंतिम देयक, कार्यपूर्ति रिपोर्ट एवं कार्यपूर्ति प्रमाण-पत्र तैयार करने की कार्यवाही प्रचलित है। समयावधि बताया जाना संभव नहीं है। (घ) अंतिम मूल्यांकन की गणना न होने के कारण शेष राशि बताया जाना संभव नहीं है। निकायवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है।
बसों की खरीदी में अनियमितता
[नगरीय विकास एवं आवास]
6. ( क्र. 2342 ) श्री सुखदेव पांसे : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बी.सी.एल.एल.) ने वर्ष 2013 से 20 नग लो फ्लोर ए.सी. बसें किस कम्पनी की व किस दर पर खरीदी थी। खरीदी गई बसें क्या वर्ष 2010 की निर्मित थी? (ख) क्या बी.सी.एल.एल. ने 3 वर्ष पुरानी बसें खरीदने से पहले बस की दरों को कम करने के लिये कोई निगोशियेशन किया था? यदि नहीं, तो क्यों तथा 3 वर्ष पुरानी निर्मित बस खरीदने का क्या औचित्य था क्या यह नियमानुकूल एवं शासन राजस्व हित में था यदि नहीं, तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है, उनके पद सहित नाम बतायें? (ग) वर्ष 2013 में बी.सी.एल.एल. द्वारा खरीदी गई बसों में करोड़ों रूपये का अतिरिक्त भुगतान और भ्रष्टाचार करने के संबंध में विभाग को कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं, संबंधित शिकायतों पर विभाग ने अब तक क्या कार्यवाही की है, यदि कार्यवाही नहीं की तो क्यों व कब तक की जायेगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) नगर पालिक निगम भोपाल द्वारा जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी मिशन (जे.एन.एन.यू.आर.एम.) योजना अंतर्गत केन्द्र शासन द्वारा प्रदत्त स्वीकृति अनुसार बस प्रोक्योरमेंट योजना अंतर्गत विधिवत प्रक्रिया पूर्ण कर कुल 225 नग बसों हेतु मेसर्स टाटा मोटर्स को दिनांक 09.11.2009 कार्यादेश जारी कर खरीदी गई। उक्त 225 नग बसों में से 20 नग लो-फ्लोर ए.सी. बसें राशि रू. 60.87 लाख (मूल लागत राशि रू. 46.65 लाख तथा राशि रू. 14.22 लाख समस्त कर एक्ससाईज ड्यूटी, सेस, परिवहन, वेट एवं एन्ट्री टैक्स सहित) प्रति बस के मान से खरीदी गई थी। जी हाँ। दिनांक 09.11.2009 को जारी कार्यादेश अंतर्गत खरीदी गई बसों के चेचिस वर्ष 2010 के निर्मित थे। (ख) जी नहीं। नेगोशियेशन का कोई प्रावधान नहीं था। उक्त बसों का वर्ष 2012 में प्रोटोटाईप इन्सपेक्शन उपरांत वर्ष 2013 में बसें प्राप्त की गई एवं बी.आर.टी.एस. कारीडोर निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत बी.आर.टी.एस. कारीडोर में 20 नग लो-फ्लोर ए.सी. बसों का सितम्बर 2013 से संचालन प्रारम्भ किया। अत: शेष का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता हैं। (ग) बी.सी.एल.एल. को दो शिकायत प्राप्त हुई है। नगर पालिक निगम भोपाल द्वारा खरीदी गई 20 नग लो-फ्लोर ए.सी. बसों के संबंध में कोई भी अतिरिक्त भुगतान या अनियमितता नहीं की गई है। उक्त शिकायतों पर अतिरिक्त भुगतान एवं अनियमितता नहीं किये जाने की वस्तुस्थिति का तत्थात्मक प्रतिवेदन संबंधित को प्रेषित किया जा चुका है। अत: शेष का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है।
देवास नगर पालिक निगम में स्वच्छता अधिकारी की पदस्थापना
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( क्र. 2953 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास नगर पालिक निगम में स्वच्छता निरीक्षक, सहायक स्वच्छता अधिकारी एवं स्वच्छता अधिकारी के कितने पद स्वीकृत है? इन पदों की शैक्षणिक योग्यता क्या निर्धारित की गई है? इन पदों के विरूद्ध कितनी अधिकारी पदस्थ है? नाम पदवार सहित बताया जाय। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित पदों पर प्रतिनियुक्ति पर (अन्य नगर पालिक निगम) से कितने-कितने अधिकारी किस-किस पद पर पदस्थ है? मूल पद एवं नाम सहित बताया जाय? (ग) क्या यह सही है कि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर माह दिसम्बर 2020 द्वारा किसी अधिकारी को पद से पदानवत (हटाने) करने हेतु आदेश दिया है? यदि हाँ, तो निगम प्रशासन द्वारा अभी तक क्या कार्यवाही की गई है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (अ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) देवास नगरपालिक निगम में प्रश्नांश (क) के पदों पर कोई भी अन्य नगरपालिक निगम से प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा श्री सूर्यप्रकाश श्रीवास्तव के विरूद्ध प्रचलित प्रकरण क्रमांक डब्ल्यू ए 799/2010 में आदेश पारित किये हैं। उक्त प्रकरण में संबंधित द्वारा पुन: डबल बेंच माननीय उच्च न्यायालय में प्रकरण क्रमांक आर.पी. 28/2021 दायर किया है। जिसमें पक्ष समर्थन की कार्यवाही प्रचलित है।
ताप विद्युत गृहों को प्राप्त कोयले के ग्रेड में परिवर्तन
[ऊर्जा]
8. ( क्र. 3006 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पॉवर जेनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड के ताप गृहों में कोल इंडिया से प्राप्त होने वाले कोयले के ग्रेड में परिवर्तन होता रहता है? (ख) यदि हाँ, तो क्या कोयले के ग्रेड में परिवर्तन के आधार पर कोल इंडिया को अतिरिक्त राशि प्रदान की जाती है अथवा राशि वसूली जाती है? (ग) कृपया विगत पाँच वर्षों की ताप विद्युत गृहवार/वर्नवार कोयले के ग्रेड में परिवर्तन के कारण अतिरिक्त देय राशि अथवा अतिरिक्त वसूली जाने वाली राशि का विवरण दें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) प्रश्नाधीन अवधि में ताप विद्युत गृहों में प्राप्त कोयले के ग्रेड में हुए परिवर्तन के कारण मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा अतिरिक्त देय राशि अथवा वसूली जाने वाली राशि का विवरण ताप विद्युत गृहवार संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
अमृत मिशन अंतर्गत पार्क एवं हरित योजना की धीमी गति
[नगरीय विकास एवं आवास]
9. ( क्र. 3332 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन के तहत उज्जैन संभाग में किन-किन जिलों में पार्क एवं हरित क्षेत्र विकास योजना स्वीकृत की गई है? योजना प्रारंभ वर्ष एवं कार्य पूर्ण होने की तिथि के संबंध में जिलेवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे। (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शाई गई योजना क्या नीमच शहर में भी क्रियांवित की गई है? यदि हाँ, तो इस योजना अंतर्गत क्रियांवित क्षेत्र स्कीम नम्बर 34 एवं जवाहर नगर पार्क तथा सिटी पार्क के संबंध में क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा कब-कब कार्य प्रारंभ कराया गया तथा कार्य पूर्णता की तिथि से अवगत करायें। (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में दर्शाये कार्यों के अंतर्गत समय-सीमा में कार्य पूर्ण न किये जाने की स्थिति में संबंधित क्रियांन्वयन एजेंसी के विरुद्ध कोई वैधानिक कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो प्रति उपलब्ध कराई जावे। (घ) अनुबंध अनुसार तय समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किये जाने के संबंध में क्या शासन ऐसी क्रियान्वयन एजेसिंयों को ब्लैक लिस्टेड करने की कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। स्कीम नम्बर 34 एवं जवाहर नगर में योजना का कार्य वर्ष 2018 में प्रारंभ होकर दिनांक 18.03.2020 को पूर्ण हो चुका है। सिटी पार्क में योजना के प्रारंभ होने का वर्ष 2018 तथा पूर्ण होने की संभावित तिथि 31.12.2021 बताई गई है। (ग) जी हाँ। नगर पालिका परिषद नीमच से प्रस्तुत जानकारी अनुसार योजना क्र. 34 एवं जवाहर नगर पार्क में विलंब से पूर्ण किये जाने पर निविदा शर्तों अनुसार डिले पेनल्टी राशि रू. 0.47 लाख अधिरोपित की गई है। सिटी पार्क निर्माण कार्य में पशु हाट व्यवसायों द्वारा न्यायालयीन वाद व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 नीमच प्रकरण क्र. 52ए/2015 के निर्णय दिनांक 14.07.2017 प्रचलित होकर विगत 01 वर्ष से कार्य बंद है। निर्णय दिनांक 14.07.2017 के आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जानकारी उत्तरांश 'ग' अनुसार है।
अमृत मिशन अंतर्गत पेयजल योजना की धीमी गति
[नगरीय विकास एवं आवास]
10. ( क्र. 3333 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन के तहत उज्जैन संभाग में किन-किन जिलों में पेयजल योजना स्वीकृत की गई है? योजना प्रारंभ वर्ष एवं कार्य पूर्ण होने की तिथि के संबंध में जिलेवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) में नीमच शहर में स्वीकृत योजना पर अब तक कितनी राशि का भुगतान किया जा चुका है? क्या किया गया भुगतान राज्य स्तरीय तकनीकी समिति/संभागीय स्तर पर गठित समिति के निरीक्षण उपरान्त किया गया है? यदि हाँ, तो निरीक्षण प्रतिवेदन का विवरण उपलब्ध कराया जावे। (ग) नीमच शहर में क्रियान्वित पेयजल योजना अंतर्गत स्वीकृत योजना लागत राशि के विरुद्ध संबंधित क्रियान्वयन एजेंसी को राशि रुपये 1194.00 लाख का भुगतान अब तक किया जा चुका है? यदि हाँ, तो अब तक कितने घरों को इस योजना से जोड़ा गया है तथा कितने घर योजना के लाभ से वंचित है? (घ) योजना अंतर्गत वर्तमान में क्या कार्य होना शेष है, उसकी लागत राशि का ब्यौरा दें। समय-सीमा में योजना पूर्ण न होने के कारण क्रियान्वयन एजेंसी के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई तथा इसके लिये कौन-कौन दोषी है। दोषियों के विरुद्ध क्या कोई कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) नीमच शहर में स्वीकृत योजना पर अब तक राशि रू. 1194.00 लाख का भुगतान किया जा चुका है। जी नहीं। अमृत योजना के क्रियान्वयन हेतु परियोजना विकास एवं प्रबंधन परामर्शदाता (पी.डी.एम.सी.) नियुक्त है। पीडीएमसी के रेसीडेन्ट इंजीनियर के निरीक्षण एवं अनुमोदन उपरांत ही भुगतान किया गया है। (ग) जी हाँ। अनुबंध अनुसार स्वीकृत सभी घरों को योजना से जोड़ा जा चुका है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। समय-सीमा में योजना क्रियान्वयन नहीं होने के कारण निविदा शर्तों के अनुसार क्रियान्वयन एजेंसी के विरूद्ध राशि रू. 78.50 लाख की पेनाल्टी अधिरोपित की गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
परमिट कैंसिल करवाये बगैर बिजली सप्लाई से हुई दुर्घटना
[ऊर्जा]
11. ( क्र. 3418 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र में 1 जनवरी 2020 से फरवरी 2021 तक किस-किस जगह पर परमिट कैंसिल करवाये बगैर बिजली सप्लाई चालू किये जाने के कारण लाईनमैन/सहायक लाईनमैन या अन्य व्यक्तियों को करंट लगने से जनधन की क्षति हुई है तथा उक्त दुर्घटनाओं में कब-कब, किस-किस व्यक्ति को करंट लगा है? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित दुर्घटनाओं में विभाग के किस-किस कर्मचारी ने लापरवाही करते हुये बगैर परमिट कैंसिल किये लाईन चालू की है तथा घायल व्यक्तियों के उपचार की व्यवस्था कैसे की गई और उसके लिए तत्काल खर्च किस मद से किसके द्वारा किया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शित दुर्घटनाओं के दोषी कर्मचारीयों के विरुद्ध आज तक क्या कार्यवाही की गई तथा 5 फरवरी 2021 को पचोर में हुई दुर्घटना में किस अधिकारी द्वारा किससे कितने समय का परमिट लिया था और दुर्घटना किस समय घटित हुई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) राजगढ़ जिले के सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र में 1 जनवरी 2020 से फरवरी 2021 तक की अवधि में किसी भी कर्मचारी द्वारा परमिट कैंसिल कराये बगैर बिजली सप्लाई चालू नहीं की है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। दिनांक 5 फरवरी 2021 को श्री विशाल नरगावे सहायक यंत्री, संचालन-संधारण उपसंभाग पचोर द्वारा 33 के.व्ही. इंडस्ट्रियल फीडर पर परमिट नं. 176/53, दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लिया गया था, जिसे दोपहर 4 बजकर 45 मिनट पर निरस्त किया गया। दोपहर 3.45 बजे बन्द लाईन में निकटवर्ती 33 के.व्ही. पचोर फीडर के कारण इन्डेक्शन करेंट आने से प्रश्नाधीन अघातक विद्युत दुर्घटना घटी थी।
ऊर्जा विभाग कार्यरत संविदा कर्मियों का नियमितीकरण
[ऊर्जा]
12. ( क्र. 3455 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत संविदा नियुक्ति में कार्यरत कर्मचारियों को नियमितीकरण किये जाने का कोई प्रस्ताव विभाग के समक्ष विचाराधीन है? यदि हाँ, तो इस प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही प्रचलन में है? (ख) क्या पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2019 में संविदा कर्मियों को नियमित करने एवं आउटसोर्स कर्मियों को संविदा नियुक्ति देने एवं अन्य समस्याओं के समाधान हेतु समिति का गठन किया गया था? यदि हाँ, तो उक्त समिति द्वारा की गई कार्यवाही से अवगत करायें? (ग) क्या पूर्व विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों द्वारा कम वेतन एवं बिना किसी सुविधा के अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाये प्रदान की जा रही है। क्या शासन इन्हें संविदा नियुक्ति प्रदान करेगा तथा कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी नहीं, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर में संविदा नियुक्ति में कार्यरत कार्मिकों को नियमित किए जाने का कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। उल्लेखनीय है कि म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में कार्यरत संविदा कार्मिक कंपनी में प्रचलित ''संविदा सेवा (अनुबंध तथा सेवा की शर्तें) संशोधन नियम, 2018'' से शासित होते हैं जिसके अनुसार सीधी भर्ती के विज्ञापित पदों में संविदा कर्मिकों हेतु पद आरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। (ख) जी नहीं। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी नहीं, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में बाह्य स्त्रोत सेवाप्रदाता कंपनियों द्वारा आउटसोर्स कार्मिकों को निविदा की शर्तानुसार श्रमायुक्त इंदौर द्वारा समय-समय पर पुनरीक्षित वेतन दरों के अनुसार पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है एवं आवश्यकतानुसार सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराए जाते है। उक्त आउटसोर्स कार्मिकों को संविदा नियुक्ति प्रदान करने संबंधी कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
ऊर्जा विभाग के संविदा कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन योजना लाभ
[ऊर्जा]
13. ( क्र. 3456 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमी. भोपाल को ई.पी.एफ/राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है तथा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमी. जबलपुर एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमी. इन्दौर को उक्त लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसका क्या कारण है? क्या शासन शेष दोनों विद्युत वितरण कंपनियों को ई.पी.एफ./राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ दिलायेगा तथा कब तक? (ख) क्या शासन के ई.पी.एफ./राष्ट्रीय पेंशन योजना कटौत्री संबंधी नियम तीनों विद्युत वितरण कंपनियों पर ऊर्जा विभाग द्वारा जारी एक समान संविदा नियम 2018 लागू है, परन्तु केवल मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संविदा कर्मियों से ई.पी.एफ. कटौत्री की जा रही है, शेष से नहीं? इसका क्या कारण है? (ग) क्या म.प्र. की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में वर्ष 2012 से 2018 तक NPS कटौत्री की गई एवं वर्ष 2018 के बाद इसे बंद कर दिया गया। इसका क्या कारण है तथा संविदा कर्मियों से कटौत्री की गई राशि किस मद में जमा की गई अथवा उक्त राशि संविदा कर्मियों को उनके अनुबंध समाप्ति पश्चात वापिस लौटाई गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) एवं (ख) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी एवं म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में कार्यरत कंपनी कैडर के नियमित कार्मिकों को राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है। वितरण कंपनियों में कार्यरत संविदा कार्मिक उक्त कंपनियों में प्रचलित ''संविदा सेवा (अनुबंध तथा सेवा की शर्तें) संशोधित नियम, 2018'' के अन्तर्गत शासित होते हैं। उक्त संविदा सेवा नियम में संविदा कार्मिकों को राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ दिये जाने का कोई प्रावधान नहीं है। म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में वर्ष 2011 में स्वीकृत संगठनात्मक संरचना के विरूद्ध भर्ती किये गये संविदा कार्मिकों को प्रारंभ से ही कर्मचारी भविष्य निधि (ई.पी.एफ.) में पंजीकृत कराया गया था। तत्पश्चात सहायक भविष्य निधि आयुक्त क्षेत्रीय कार्यालय, भोपाल के पत्र दिनांक 19.07.2018 से म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को प्राप्त निर्देश ''भविष्य निधि सदस्य को एक बार भविष्य निधि सदस्यता प्राप्त होने के पश्चात्, सदस्य का वेतन रू. 15000/- से अधिक होने पर भी भविष्य निधि सदस्यता निरस्त नहीं की जा सकती। ऐसी परिस्थिति में भविष्य निधि सदस्य का अंशदान अधिकतम रू. 15000/- के वेतन पर कटौत्रा किया जाना अनिवार्य है'' के अनुपालन में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा पूर्व में पंजीकृत संविदा कार्मिकों को ई.पी.एफ. की सुविधा का लाभ तद्नुसार दिया जा रहा है। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में ई.पी.एफ. सुविधा प्राप्त करने हेतु अधिकतम वेतन की सीमा रू. 15000/- प्रतिमाह होने से किसी भी संविदा कार्मिक को ई.पी.एफ. की सुविधा हेतु पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। (ग) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी एवं म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अन्तर्गत वर्ष 2012 से वर्ष 2018 तक की अवधि में कार्यरत संविदा कार्मिकों को राष्ट्रीय पेंशन योजना का कटौत्रा किया गया। तत्पश्चात् वितरण कंपनियों में संविदा कार्मिकों हेतु ''संविदा सेवा (अनुबंध तथा सेवा की शर्तें) संशोधित नियम, 2018'' लागू किये गये। उक्त संविदा सेवा नियम में संविदा कार्मिकों को राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ दिये जाने का कोई प्रावधान नहीं हैं। संविदा कार्मिकों के वेतन से काटी गई राशि एवं कंपनी की अंश राशि सहित उनके एन.पी.एस. खाते (PRAN) में जमा की गई। जिसका प्रबंधन नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (NSDL) द्वारा किया जाता है। संविदा कार्मिकों को उक्त जमा राशि की वापसी उनके द्वारा आवेदन दिये जाने पर नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (NSDL) द्वारा नियमानुसार उनके बैंक खाते में सीधे वापस दी जावेगी। म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अन्तर्गत कार्यरत संविदा कार्मिकों को एन.पी.एस. का लाभ नहीं दिया गया।
थाना बैकुण्ठपुर अंतर्गत वाहन दुर्घटना में दर्ज प्राथमिकी पर कार्यवाही
[गृह]
14. ( क्र. 3555 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कारण है कि दिनांक 30 नवंबर 2020 को थाना बैकुण्ठपुर अंतर्गत कंदैला मोड़ में घटित वाहन सड़क दुर्घटना में मृतक के परिवार के द्वारा चिन्हित किये गए वाहन को आज दिनांक तक जप्त क्यों नहीं किया गया? (ख) थाना बैकुण्ठपुर में दर्ज प्राथमिकी रिपोर्ट में अभी तक कोई गिरफ्तारी न किये जाने का क्या कारण है? दुर्घटना कारित करने वाले वाहन को जब्त कर वाहन चालक की गिरफ्तारी कब तक की जा सकेगी? (ग) यह कि थाना बैकुण्ठपुर में दर्ज उपरोक्त प्राथमिकी रिपोर्ट पर कार्यवाही करने में लापरवाही करने वाले जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध क्या कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) दिनांक 30.11.2020 को कंदैला मोड ग्राम माडौ में हुई सड़क दुर्घटना के संबंध में सूचनाकर्ता चंद्रशेखर कुशवाहा पिता रामसजीवन कुशवाहा उम्र 39 वर्ष निवासी वार्ड क्रमांक 7 बैकुण्ठपुर की रिपोर्ट पर थाना बैकुण्ठपुर में 374/2020 धारा 279, 337, 304 ए ताहि. पंजीबद्ध किया गया है, प्रकरण में रजनीश कुशवाहा पिता सुखलाल साकेत उम्र 18 वर्ष निवासी बैकुण्ठपुर अपने अन्य रिश्तेदार सुनील कुशवाहा पिता राम बहोर कुशवाहा उम्र 31 वर्ष निवासी उमरी तथा घायल रवि कुशवाहा पिता कमलेश कुशवाहा उम्र 18 वर्ष निवासी उतैली जिला सतना के नवा गांव मोटर सायकल से जा रहे थे कि रात्रि 09.20 बजे बोलेरो वाहन क्रमांक MP17CB-5288 से घटित सड़क दुर्घटना में रजनीश कुशवाहा पिता सुखलाल साकेत उम्र 18 वर्ष निवासी बैकुण्ठपुर की मृत्यु हो गई थी एवं सुनील कुशवाहा पिता राम बहोर कुशवाहा उम्र 31 वर्ष निवासी उमरी तथा घायल रवि कुशवाहा पिता कमलेश कुशवाहा उम्र 18 वर्ष निवासी उतैली जिला सतना घायल हो गये थे। प्रकरण विवेचनाधीन है जिसमें साक्ष्य संकलित किये जा रहे है एवं घायलों की मेडिकल रिपोर्ट, बेडहेड टिकिट अप्राप्त होने से एवं चिन्हित वाहन के दस्तयाब न होने से जब्ती नहीं की जा सकी। (ख) चिन्हित वाहन क्रमांक MP17CB-5288 का चालक अभी तक चिन्हित न होने से गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। प्रकरण विवेचनाधीन है चिन्हित वाहन की जब्ती एवं चालक को चिन्हित कर गिरफ्तारी का प्रयास जारी है। (ग) प्रकरण विवेचनाधीन है अब तक विधिसंगत कार्यवाही की जा रही है। शेष कार्यवाही शीघ्र पूर्ण कर माननीय न्यायालय में पेश किया जायेगा। विवेचना में कोई लापरवाही नहीं की गई है। अतः किसी अधिकारी कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की गई है।
विकासखण्ड जवा में बदले गए ट्रांसफार्मरों की जाँच
[ऊर्जा]
15. ( क्र. 3561 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 01 जुलाई 2020 से 31 दिसंबर 2020 की अवधि में (त्यौंथर) जवा एवं अतरैला डी.सी. में कुल कितने ट्रांसफार्मर खराब हुए, कुल कितने परिवर्तित किये गए? स्थलवार सूची उपलब्ध करावें। (ख) क्या विकासखण्ड जवा अंतर्गत ट्रांसफार्मर जल जाने की शिकायतें लगातार आती रहती हैं, यदि हाँ, तो ऐसे घटिया किस्म के ट्रांसफार्मर किस कंपनी के द्वारा सप्लाई किये जाते हैं तथा कुल कितनी राशि उक्त कंपनी को वित्तीय वर्ष 2020-2021 में भुगतान की गई है? ट्रांसफार्मर सप्लाई करने वाली कंपनी के द्वारा कितनी अवधि की गारंटी दी जाती है? क्या गारंटी अवधि में बदले गए ट्रांसफार्मर का पुनः भुगतान किया जाता है? यदि हाँ, तो क्यों? (ग) विकासखण्ड जवा अंतर्गत कितने अवैध कनेक्शनों के विरुद्ध विभाग के द्वारा कार्यवाही प्रस्तावित की गई? पंचायतवार विवरण उपलब्ध करावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) रीवा जिले के त्यौंथर संचालन-संधारण संभाग के जवा एवं अतरैला वितरण केन्द्र अन्तर्गत 01 जुलाई 2020 से 31 दिसम्बर 2020 की अवधि में क्रमश: 122 एवं 112 ट्रांसफार्मर जले/खराब हुए एवं उक्त सभी जले/खराब ट्रांसफार्मर बदल दिये गये है, जिनकी स्थानवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) विकासखण्ड जवा अन्तर्गत सामान्य रूप से ट्रांसफार्मर फेल होने की सूचना प्राप्त होती है, जिस पर नियमानुसार बदलने की कार्यवाही की जाती है। वितरण ट्रांसफार्मर के फेल होने का मुख्य कारण तेज आंधी तूफान, आकाशीय बिजली तथा अनाधिकृत रूप से बिजली का उपयोग करना आदि है। ट्रांसफार्मरों का क्रय वितरण कंपनी द्वारा संपूर्ण कंपनी क्षेत्र हेतु किया जाता है तथा भण्डार गृह में विभिन्न कंपनियों से क्रय किये गये ट्रांसफार्मर उपलब्ध होते हैं जो कि आवश्यकता अनुसार क्षेत्रीय कार्यालयों को उपलब्ध कराए जाते हैं। अत: किसी क्षेत्र विशेष में किस कंपनी से क्रय किये गये ट्रांसफार्मर आवश्यकतानुसार लगाए/बदले गए हैं, इसकी पृथक से जानकारी संधारित नहीं की जाती। प्रदायकर्ता फर्मों द्वारा सामान्यत: ट्रांसफार्मरों की 3 वर्ष की गारंटी दी जाती है तथा इस अवधि में खराब होने पर प्रदायकर्ता द्वारा इनका सुधार नि:शुल्क किया जाता है। तथापि क्षेत्रीय कार्यालयों से गारंटी अवधि पूर्ण होने के बाद खराब हुए ट्रांसफार्मरों को विभिन्न रिपेयरकर्ता फर्मों से रिपेयर करवाकर क्षेत्रीय भण्डारगृह में प्राप्त किया जाता है। भण्डार गृहों में प्राप्त सभी रिपेयर्ड वितरण ट्रांसफार्मरों की टेस्टिंग की जाती है तथा इनकी गारंटी अवधि 18 माह होती है। गारंटी अवधि में फेल होने वाले ट्रांसफार्मरों को पुन: रिपेयर किये जाने पर संबंधित फर्म को भुगतान नहीं किया जाता है। विकास खण्ड जवा के अंतर्गत जले/खराब ट्रांसफार्मरों को रिपेयर करने वाली फर्मों को वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिनांक 15.3.21 तक भुगतान की गई राशि का फर्म के नाम सहित विवरण पुस्तकालय के रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) विकासखण्ड जवा के अन्तर्गत प्रश्नाधीन अवधि में 76 अवैध कनेक्शनों के विरूद्ध कार्यवाही प्रस्तावित की गई है जिसका पंचायतवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
विद्युत ट्रांसफार्मर के परिवहन पर व्यय राशि
[ऊर्जा]
16. ( क्र. 3678 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर अंतर्गत वर्ष 2019-20, 2020-21 से प्रश्न दिनांक तक कितने-कितने विद्युत ट्रांसफार्मर जलने या किसी अन्य कारणवश चल नहीं पाये? विद्युत वितरण केन्द्रवार, भारक्षमता, स्थान, दिनांकवार जानकारी से अवगत करावें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कितने-कितने विद्युत ट्रांसफार्मर को वितरण केन्द्र से स्थापित स्थान तक लाने ले जाने के परिवहन में कितनी-कितनी राशि का भुगतान कंपनी द्वारा किया गया? वितरण केन्द्रवार, वर्षवार किस-किस को कितनी-कितनी राशि भुगतान की गई? जानकारी देवें। (ग) क्या एम.पी.पॉवर मेनेजमेंट कम्पनी लिमि.जबलपुर का परिपत्र क्र. 158 दिनांक 05.03.2018 के द्वारा वितरण केन्द्र से विद्युत ट्रांसफार्मर स्थापित स्थान तक परिवहन करने का भाडा कम्पनी द्वारा वहन करने के आदेश है? यदि हाँ, तो फिर विद्युत ट्रांसफार्मर का परिवहन किसानों के वाहन से क्यों कराया गया? कारण सहित स्पष्ट करें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में 25 के.व्ही.ए. क्षमता के 310, 63 के.व्ही.ए. क्षमता के 81, 100 के.व्ही.ए. क्षमता के 123 एवं 200 के.व्ही.ए. क्षमता के 14, इस प्रकार कुल 528 वितरण ट्रांसफार्मर फेल हुए हैं एवं वर्ष 2020-21 में प्रश्न दिनांक तक 25 के.व्ही.ए. क्षमता के 260, 63 के.व्ही.ए. क्षमता के 79, 100 के.व्ही.ए. क्षमता के 108 एवं 200 के.व्ही.ए. क्षमता के 7 इस प्रकार कुल 454, वितरण ट्रांसफार्मर फेल हुए, जिन्हें संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की राशि जमा करने पर निर्धारित अवधि में बदल दिया गया है। उक्त फेल विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की वितरण केन्द्रवार, क्षमतावार (भार क्षमता नहीं) स्थानवार, फेल होने की दिनांकवार एवं वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर में प्रश्नाधीन अवधि में जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को स्थापना के स्थान से वितरण केन्द्र लाने एवं नए/सुधार किये हुए वितरण ट्रांसफार्मर को वितरण केन्द्र से स्थापना स्थल तक ले जाने का कार्य म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के वाहनों से ही किया गया है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी हाँ। उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन वितरण ट्रांसफार्मरों के परिवहन का कार्य म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के वाहनों से ही किया गया है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
ऊर्जा विभाग में अनियमितता की जांच
[ऊर्जा]
17. ( क्र. 3750 ) श्री अजब सिंह कुशवाह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना वन के अंदर राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत मेसर्स बजाज इलेक्ट्रीकल कंपनी द्वारा अत्यंत घटिया किस्म का जो विद्युतीकरण कार्य किया गया है जिसकी अनेक शिकायतें की गई एवं दैनिक समाचार पत्रों में भी समाचार प्रकाशित हुए के आधार पर कंपनी स्तर से पाँच सदस्यीय जाँच कमेटी बनायी गई? यदि हाँ, तो क्या जाँच कमेटी द्वारा पत्र क्र. 370 दिनांक 20.003.2020 से मुख्य महा प्रबंधक ग्वालियर को जाँच रिपोर्ट दी गयी? यदि हाँ, तो उस जाँच के आधार पर दोषी के विरूद्ध अब तक क्या कार्यवाही की गई है? (ख) क्या जाँच रिपोर्ट को नजर अंदाज करते हुए संबंधित ठेकेदार को प्रस्तुत बिलों का भुगतान कर कंपनी को करोड़ों रूपयों का आर्थिक नुकसान किया है? यदि ऐसा है तो बिल भुगतान करने वाले अधिकारी के प्रति कब तक दण्डात्मक कार्यवाही की जा सकेगी? समय-सीमा बताएं। यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) क्या मेसर्स बजाज इलेक्ट्रीकल कंपनी द्वारा रिटेन्सन एवं सुरक्षा राशि काटकर बिल प्रस्तुत किए थे? यदि हाँ, तो मात्र पाँच प्रतिशत राशि को रोक कर कंपनी की आर्थिक हानि की पूर्ति संभव है जबकि बजाज कंपनी द्वारा 50 प्रतिशत घटिया किस्म का काम किया है जिससे कंपनी का ही शत्-प्रतिशत नुकसान हो रहा है? क्योंकि घटिया कार्य से पूरी विद्युतीकरण संरचना ध्वस्त हो रही है? यदि हाँ, तो दोषी का पता लगाकर दोषी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) मुरैना प्रथम संभाग के अंतर्गत मुरैना का सम्पूर्ण शहरी क्षेत्र आता है। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना अंतर्गत मैसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल कंपनी द्वारा सम्पूर्ण मुरैना जिले हेतु प्रावधानित कार्यों में से 16 नं.मजरे टोलों में विदयुतीकरण के कार्य कराये गये जिसमें पृथक से घटिया किस्म के कार्यों संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई। अपितु मुरैना जिले में राजीव गांधी ग्रामीण विदयुतीकरण योजना बारहवां प्लान के अंतर्गत मैसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल कंपनी मुम्बई द्वारा क्रियान्वित कार्यों के संबंध में लोकायुक्त कार्यालय मध्य प्रदेश भोपाल को प्राप्त शिकायत जा.प्र. 1107/17 के संबंध में लोकायुक्त कार्यालय से प्राप्त पत्र क्रमांक 6094/जा.प्र./1107/17 दिनांक 07.08.2018 एवं मुख्य महाप्रबंधक (ग्रामीण परियोजना) कार्या. प्रबंध संचालक भोपाल द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुक्रम में 5 सदस्यीय जाँच कमेटी मुख्य महाप्रबंधक (ग्वा.क्षे.) ग्वालियर के आदेश क्रमांक 6912-13 दिनांक 11.09.2019 के माध्यम से गठित की गई। जी हाँ, उक्तांकित आदेश से गठित जाँच कमेटी द्वारा जाँच रिपोर्ट उनके पत्र क्रमांक 370 दिनांक 20.03.2020 से मुख्य महाप्रबंधक ग्वालियर को दी गई। जाँच रिपोर्ट का स्वरूप अति वृहद एवं अत्यधिक तकनीकी होने के कारण अध्ययन करने में समय लग रहा है एवं म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कपंनी द्वारा इसका परीक्षण प्रक्रियाधीन है। शेष प्रश्नांश लागू नहीं। (ख) जी नहीं, जाँच रिपोर्ट को नजर अंदाज करते हुए संबंधित ठेकेदार के प्रस्तुत बिलों का भुगतान नहीं किया गया है। शेष प्रश्नांश लागू नहीं। (ग) जी नहीं, मैसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल कंपनी द्वारा रिटेंशन एवं सुरक्षा राशि काटकर बिल प्रस्तुत नहीं किये गये थे। मैसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल कंपनी के कार्यों की जाँच के संबंध में उत्तराश (क) में दर्शाये अनुसार जाँच रिर्पोट परीक्षाधीन है। परीक्षण उपरांत नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
युवा बेरोजगारों को 100 दिन का रोजगार
[नगरीय विकास एवं आवास]
18. ( क्र. 3814 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश शासन ने युवा बेरोजगारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री रोजगार योजना कब शुरू की हैं, इसके तहत युवाओं के लिये ट्रेनिंग की क्या व्यवस्था की गई एवं इसके संचालक की जिम्मेदारी किन-किन विभागों को सौंपी गई? वर्तमान में योजना की क्या स्थिति हैं? (ख) प्रश्नांकित योजना के तहत नगर निगम जबलपुर सीमान्तर्गत कितने युवा बेरोजगारों ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया? इसमें से चयनित कितने-कितने युवाओं को किन-किन संस्थाओं के माध्यम से किन-किन ट्रेडों में कितने दिवसीय प्रशिक्षण दिलाया गया? वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक की जानकारी दें। (ग) प्रश्नांकित प्रशिक्षण प्राप्त कितने युवाओं को 100 दिन के रोजगार के पारिश्रमिक की किस मान से कितनी राशि का भुगतान किया गया एवं कितने युवाओं को कब से पारिश्रमिक की कितनी राशि का भुगतान किया गया एवं कितने युवाओं को कब से पारिश्रमिक की कितनी राशि का भुगतान नहीं किया गया है एवं क्यों? इस संबंध में शासन के क्या निर्देश हैं?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) प्रदेश शासन द्वारा युवा बेरोजगारों को 100 दिवस का अस्थाई रोजगार उपलब्ध कराने हेतु "मुख्यमंत्री स्वाभिमान योजना" दिनांक 09 फरवरी 2019 से प्रारंभ की गई। इसके तहत युवाओं को प्रारंभिक 10 दिन की ऑन-जॉब ट्रेनिंग नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा नगरीय निकायों के माध्यम से एवं शेष 90 दिवस की ट्रेनिंग तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण विभाग द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण संस्थाओं के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदाय करने की व्यवस्था की गई। वर्तमान में योजना अंतर्गत कौशल प्रशिक्षण संचालित नहीं है। (ख) योजना अंतर्गत नगर पालिक निगम जबलपुर सीमा अंतर्गत 12296 युवा बेरोजगारों ने पोर्टल पर पंजीयन कराया। इसमे से 5820 युवाओं द्वारा नगर पालिक निगम जबलपुर में योजना अंतर्गत पोर्टल के माध्यम से ई-केवाईसी उपरांत ऑनबोर्डिंग कराई गई जिसमे से 1412 युवाओं को तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा प्रशिक्षण प्रदाय किया गया। वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक की संस्थावार एवं ट्रेडवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) योजना अंतर्गत प्रशिक्षित 1412 युवाओं में से 944 पात्र युवाओं को राशि रू. 4000 प्रतिमाह के मान से उपस्थिति के आधार पर कुल राशि रू. 6591183/- का भुगतान किया गया। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- 'ब' (पृ.क्र. 1 से 15 तक) अनुसार है। योजना अंतर्गत प्रशिक्षण में 100 दिवसों में से न्यूनतम 70 दिवस की उपस्थिति सुनिश्चित न करने के कारण अपात्र पाये गये 468 युवाओं को पारिश्रमिक की राशि का भुगतान नहीं किया गया। शासन के निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- 'स' अनुसार है।
तिराहे-चौराहों का विकास
[नगरीय विकास एवं आवास]
19. ( क्र. 3815 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम जबलपुर ने स्मार्ट योजना के तहत शहर की यातायात व्यवस्था में आवश्यक सुधार लाने, जाम की समस्या से निजात पाने, दुर्घटनाओं को रोकने हेतु तिराहों, चौराहों को विकसित करने संवारने की क्या योजना बनाई है? किन-किन तिराहों- चौराहों को चिन्हित कर इनकी डिजाइन कब किस कंसलटेंट एजेंसी से कितनी राशि में तैयार कराई हैं? इसमें किन बातों का विशेष ध्यान रखा गया हैं? किन-किन तिराहों-चौराहों का निर्माण/विकास कब किस एजेंसी से कितनी-कितनी राशि में कराया गया है? (ख) प्रश्नांकित चिन्हित किन-किन तिराहों चौराहों पर यातायात को नियंत्रित करने, दुर्घटनाओं को रोकने ट्रैफिक सिंग्नल, आई.टी.एस.एस. सिस्टम व लाईट की पर्याप्त व्यवस्था की गई है तथा कहां-कहां पर पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं की गई है एवं क्यों? (ग) प्रश्नांकित किन-किन तिराहों-चौराहों पर जाम की समस्या बनी हुई है? कहां-कहां पर वाहन चालकों को वाहनों की गति को नियंत्रित करने, टर्न लेने में असुविधा एवं दुर्घटनाएं हो रही है? इसका प्रमुख कारण क्या है? वर्तमान में बंदरिया चौराहा, रद्दी चौकी, नागस्थ चौक की यातायात की स्थिति क्या हैं? जाँच किसने की हैं? क्या शासन इन चौराहों के निर्माण व विकास कार्य में यातायात नियमों का पालन न करने व दुर्घटनायें होने के लिये दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) नगर निगम जबलपुर में स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत 15 तिराहों-चौराहों का विकास कार्य किया गया है। चिन्हित तिराहों/चौराहों की डिजाईन कन्सलटेंट एजेंसी, निर्माण कार्य एवं एजेंसी को किये गए भुगतान की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) चिन्हित तिराहों-चौराहों जहां ट्रैफिक सिंग्नल, आई.टी.एम.एस. सिस्टम एवं लाईट की व्यवस्था की गई की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत चिन्हित सभी तिराहों/चौराहों पर पर्याप्त व्यवस्था की गई है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। (ग) स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत चिन्हित तिराहों/चौराहों का निर्माण एवं विकास कार्य मुताबिक डिजाईन अनुसार किया गया है। इन तिराहों-चौराहों पर टर्न लेने, वाहनों की गति को नियंत्रित करने की समुचित व्यवस्था है एवं जाम की समस्या नहीं है। चौराहों पर किये गए विकास कार्य से कोई दुर्घटना नहीं हुई है। बंदरिया चौराहा, रद्दी चौकी, नागस्थ चौक का यातायात सुचारू है एवं यातायात की जाँच समय-समय पर यातायात पुलिस द्वारा की जाती है। चिन्हित चौराहों के विकास कार्य में यातायात के नियमों का पालन किया गया है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
स्वयं का ट्रासफार्मर योजना के मापदण्ड
[ऊर्जा]
20. ( क्र. 3997 ) श्री रामपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना में व्यक्तिगत तथा कृषकों के समूह में ट्रांसफार्मर लगाये जाने की योजना में क्या-क्या शर्तें मापदण्ड हैं तथा किस हेतु किसान को क्या-क्या कार्यवाही करना पड़ती हैं, पूर्ण विवरण दें। (ख) फरवरी 2021 की स्थिति में बरेली एवं रायसेन संभाग में प्रश्नांश (क) से संबंधित कितने आवेदन पत्र कब से किस हेतु किस स्तर पर क्यों लंबित हैं तथा उनका कब तक निराकरण होगा? पूर्ण विवरण दें। (ग) क्या अस्थायी कृषि पंप कनेक्शनों को भी पूर्व से देय ऊर्जा प्रभार में 50 प्रतिशत की रियायत दी गई? यदि हाँ, तो किसानों को कितने हार्स पावर के कनेक्शन के लिए कितने माह का कितना शुल्क निर्धारित है तथा पूर्व में कितना शुल्क लगता था? (घ) अस्थायी कृषि पंप कनेक्शनों को स्थायी करने की विभाग की क्या योजना है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) कृषक द्वारा व्यक्तिगत रूप से एवं कृषकों के समूह द्वारा स्वयं का ट्रांसफार्मर लगाए जाने की योजना से संबंधित शर्तों/मापदण्डों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। उक्त योजना के अंतर्गत कृषक अथवा कृषकों के समूहों द्वारा कृषि पम्प कनेक्शन प्राप्त करने हेतु म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा अनुमोदित 'अ' श्रेणी के ठेकेदार का चयन कर एवं संकल्प पोर्टल पर स्व-जनरेट माँग पत्र अनुसार राशि जमा कर ट्रांसफार्मर स्थापना/लाईन विस्तार का कार्य पूर्ण कराया जाकर कार्य पूर्णता रिपोर्ट म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यालय में प्रेषित कर कनेक्शन प्राप्त किया जाता है। (ख) फरवरी 2021 की स्थिति में संचालन-संधारण संभाग रायसेन एवं संचालन-संधारण संभाग बरेली में कृषि पम्प कनेक्शन के लिये स्वयं का ट्रांसफार्मर स्थापित किये जाने हेतु क्रमश: 11 एवं 30 आवेदन, आवेदकों द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान नहीं किये जाने के कारण लंबित है। उक्त आवेदन लंबित रहने की अवधि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। आवेदकों द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान करने एवं निर्धारित औपचारिकताएं पूर्ण किये जाने के उपरांत आगामी कार्यवाही की जा सकेगी, जिस हेतु समयावधि बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ, अस्थाई कृषि पंप कनेक्शनों को भी पूर्व से ऊर्जा प्रभार में 50 प्रतिशत की रियायत दी जा रही है। कृषि पम्प उपभोक्ताओं से विभिन्न हार्सपॉवर के कनेक्शन हेतु विभिन्न अवधि के लिये पूर्व एवं वर्तमान में लिये जाने वाले शुल्क का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द-1 एवं द-2 अनुसार है। (घ) अस्थाई कनेक्शन को स्थाई कनेक्शन में परिवर्तित करने हेतु कोई भी योजना संचालित नहीं है। तथापि म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा जारी परिपत्र दिनांक 29.09.2018 में निहित प्रावधान के अनुसार ऐसे कृषक जिनके कृषि पम्पों के संयोजन बिन्दु विदयुत वितरण कंपनी की विद्यमान निम्न दाब लाईन से 45 मीटर की परिधि में हैं, को ऑनलाईन स्थाई कनेक्शन दिये जाने की दृष्टि से कंपनी के कृषि संकल्प पोर्टल में एक अलग श्रेणी ''अस्थाई से स्थाई संयोजन'' का प्रावधान किया गया है। परिपत्र के प्रावधान अनुसार वर्णित श्रेणी के संयोजनों से आवेदन शुल्क की राशि रू. 5/- मात्र आवेदन के साथ लिये जाने तथा सुरक्षा निधि की राशि रू. 1500/- एवं अनुबंध स्टाम्प शुल्क की राशि रू. 500/- उपभोक्ता के प्रथम बिल में जोड़े जाने का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु चयनित भूमि
[नगरीय विकास एवं आवास]
21. ( क्र. 4008 ) श्री विजयराघवेन्द्र सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य किस-किस घटक के अंतर्गत चल रहा है? प्रधानमंत्री आवास निर्माण हेतु किस-किस विभाग की भूमि का चयन किया गया है? पृथक-पृथक विवरण दें। किस-किस विभाग की भूमि पर निर्माण हो रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) के आवासों के निर्माण हेतु वर्ष 2016-17 में जो निविदा स्वीकृत थी, में क्या दरें थी तथा इन्हीं आवासों के लिए इसके पूर्व जो निविदा आमंत्रित की थी, उसमें क्या दरें प्राप्त हुई। क्या जिस निविदा में कम दरें प्राप्त हुई थी उन्हें निरस्त करते हुये अधिक दर कि निविदा स्वीकृत की गई? दोनों में कितना अंतर था तथा शासन को इससे कितना अधिक व्यय करना पड़ेगा? इस अधिक व्यय करने के लिए किसे जिम्मेदार माना गया है? (ग) झिंझरी में बन रहे प्रधानमंत्री आवास के चल रहे निर्माण कार्य के निरीक्षण एवं सुपरवीजन के कार्य को एजीस (EGIS) कंपनी द्वारा नगर निगम को इस आशय का पत्र देकर निरीक्षण कार्य रोक दिया है और मनमानी कार्य बिना सुपरवीजन के चल रहा है? क्या बिना सुपरवीजन के जो निर्माण किए गए हैं? उतने कार्यों के देयकों के भुगतान को रोका जावगा? यदि हाँ, तो कब तक बताएं तथा ठेकेदार के विरूद्ध कब और क्या कार्यवाही की जायेगी? (घ) नगर पालिका निगम कटनी सीमा क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास के बी.एल.सी. घटक के प्रारंभ दिनांक से प्रश्न दिनांक तक हितग्राहियों के कुल कितने आवेदन प्राप्त हुये एवं कितने आपात्र पाये गये, अपात्र पाये गये आवेदनों में अपात्र होने के क्या कारण थे आवेदनवार विवरण दें एवं कुल कितने पात्र हितग्राहियों को प्रश्न दिनांक तक कुल कितनी किश्तें प्रदान की गई? हितग्राहीवार सूची दें एवं योजना प्रारंभ से अब तक बी.एलसी घटक के पात्र अपात्र करने एवं किश्तों के भुगतान समय से न करने की कुल कितनी शिकायतें प्राप्त हुई? उक्त शिकायत पर की गई कार्यवाही की प्रति दें। यदि नहीं, की गई तो क्यों कारण बताएं। गलत भुगतान के कुल कितने प्रकरण प्राप्त हुये। क्या प्रश्न दिनांक तक गलत किया भुगतान वापस प्राप्त कर लिया गया।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) वर्ष 2016-17 में प्राप्त न्यूनतम दर 2.91 प्रतिशत अधिक मे. गेनन डंकरले एण्ड कम्पनी की स्वीकृत हुई थी। निविदाकार द्वारा कार्य का अनुबंध न करने के कारण निविदा निरस्त करते हुये अमानत राशि राजसात की गई थी। पुनः आमंत्रित निविदा में प्राप्त न्यूनतम निविदा दरें मे. बी.आर.पी. एसोशियेट्स भोपाल की 3.90 प्रतिशत अधिक आईएसएसआर-2012 स्वीकृत की गई थी पूर्व में स्वीकृत दरें 0.99 प्रतिशत कम थी, जिसमें राशि रू.111.93 लाख का अधिक व्यय होगा। प्रथम निविदाकार की याचिका क्र. डब्ल्यूपी 710/2017 में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्णय के अनुपालन में अमानत राशि वापसी की गई है जिससे किसी के दोषी होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हा। झिंझरी में विगत लगभग एक वर्ष से अधिक समय से कार्य बंद है, उक्त स्थल पर अनियमितताओं की जाँच हेतु जाँच के निर्देश दिये गये है। जाँच समिति द्वारा जाँच की जा रही है, जिसका प्रतिवेदन प्राप्त होने पर यथायोग्य कार्यवाही की जा सकेगी। उपरोक्त अवधि में कोई कार्य न होने से सुपरविजन नहीं किया जा रहा है न ही किसी भी प्रकार का भुगतान किया गया है। संविदाकार के कार्य बन्द रखा जाने के कारण निकाय ने ठेका समाप्त करने एवं निर्माण स्थल पर कार्य करने से पृथक करने हेतु सूचना पत्र जारी किया है। (घ) प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार हितग्राहियों का नगरीय निकाय द्वारा सर्वेक्षण किया जाकर सूची तैयार किये जाने का प्रावधान है। नगर पालिक निगम कटनी, द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के बीएलसी घटक अन्तर्गत वर्ष 2017 से जनवरी 2019 तक योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार 08 डी.पी.आर. तैयार कराई गई, जिनमें हितग्राहियों की संख्या 6554 है। जिसमें 885 हितग्राही अपात्र पाये गये है। जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। जनवरी 2019 के पश्चात प्राप्त 2308 आवेदनों एवं उन पर की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। नगर पालिक निगम कटनी द्वारा योजनान्तर्गत शासन से समय-समय पर प्राप्त राशि पात्र हितग्राहियों के खातें में अंतरित की गई राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स-1' अनुसार है। कार्यालयीन अभिलेखों के अनुसार कुल 52 शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें शिकायतकर्ताओं से संपर्क किया जाकर शिकायतों के संबंध में वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए निराकरण कराया गया। इसी तरह योजनान्तर्गत हितग्राहियों द्वारा सी.एम. पोर्टल पर कुल 1137 शिकायतें की गई हैं, जिनके संबंध में शिकायतकर्ताओं से संपर्क कर वस्तु स्थिति की जानकारी से अवगत कराकर 1008 शिकायतों का निराकरण सी.एम. हेल्पलाईन पोर्टल पर दर्ज कराया गया है तथा इन्हीं शिकायतों में से 09 शिकायतों के निराकरण से शिकायकर्ता को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है, जिसकी प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है। कटनी नगर निगम में बी.एल.सी. के हितग्राही चयन/पात्रता/किश्त वितरण संबंधी शिकायत के परीक्षण हेतु संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास जबलपुर संभाग-जबलपुर की अध्यक्षता में जाँच समिति गठित कर जाँच के निर्देश दिये गये है।
लंबित भुगतान का निराकरण
[ऊर्जा]
22. ( क्र. 4267 ) श्री सुनील सराफ : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अमरंकटक ताप विद्युत गृह चचाई जिला अनूपपुर को सी.एच.पी. 210 मेगावाट तथा C.T.D. के संविदाकार कार्यादेश संख्या 001-04/sep/Che/wo-288/3283 दि. 09-10-19 तथा 001-04/sep/chp/ wo-259/1533 दि. 29-06-19 तथा 001-04/sep/chp/wo-278/2594 दि. 30-08-2019 के द्वारा श्रमिकों को साप्ताहिक अवकाश की राशि नहीं दी जा रही है तथा राशि की मांग करने पर सेवा से पृथक किया जा रहा है? chp210 मेगावार एवं C.T.D के संविदाकारों द्वारा 01-01-2016 से प्रश्न दिनांक तक कितने श्रमिकों को कितनी राशि साप्ताहिक अवकाश के मद में दी है वर्षवार बतावें? (ख) उपरोक्तानुसार जिन श्रमिकों को साप्ताहिक अवकाश की राशि नहीं मिली है उन्हें लंबित भुगतान कब तक किया जाएगा? उनके नाम, राशि सहित जानकारी देवें। (ग) दि. 01-1-18 से 31-12-2020 तक कितने श्रमिकों को निलंबित तथा सेवा से पृथक किया गया है? इनकी सूची वर्षवार देवें। इन्हें कब तक सेवा में वापस लिया जाएगा? (घ) कार्यपालन अभियंता एवं Chp के सहायक अभियंता कब से पदस्थ है? नाम, पदनाम सहित जानकारी देवें। विगत 3 वर्षों में इनकी कितनी शिकायतें कहां-कहां की गई? उन पर की गई कार्यवाही सहित देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) प्रश्नाधीन कार्यादेशों के अंतर्गत श्रमिकों को न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत श्रमायुक्त म.प्र.शासन इन्दौर द्वारा समय-समय पर जारी पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन दरों के आधार पर मासिक वेतन का भुगतान किया जाता है। इस अधिनियम के अन्तर्गत यदि किसी सन्दर्भ में एक दिन का वेतन संगणित करना हो तो देय मासिक वेतन को 26 का भाग देकर संगणित किया जाता है। साप्ताहिक अवकाश हेतु पृथक से भुगतान का प्रावधान नहीं है अपितु न्यूनतम वेतन की दरों में साप्ताहिक अवकाश (विश्राम दिवस) का पारिश्रमिक सम्मिलित है। श्रमिकों को साप्ताहिक अवकाश प्रदान किया जाता है। राशि मांगने पर किसी भी श्रमिक को कार्य से पृथक नहीं किया गया है। उक्त के परिप्रेक्ष्य में सी.एच.पी. 210 मेगावाट एवं सी.टी.डी. के संविदाकारों के द्वारा दिनांक 01.01.2016 से प्रश्न दिनांक तक साप्ताहिक अवकाश के मद में पृथक से कोई भुगतान नहीं किया गया है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं। अत: जानकारी निरंक है। (ग) अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई के अंतर्गत संचालित ठेकों में श्रमिकों का नियोजन ठेकेदारों के द्वारा किया जाता है। दिनांक 01.01.2018 से 31.12.2020 तक की अवधि में ठेकेदार द्वारा कुल 06 श्रमिकों को कार्य से पृथक किया गया है। पृथक किये गये श्रमिकों की वर्षवार सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। इन श्रमिकों में से चार श्रमिकों के द्वारा औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अंतर्गत पीठासीन अधिकारी माननीय श्रम न्यायालय, शहडोल में प्रकरण दायर किया गया जो कि विचाराधीन है। प्रकरण पर माननीय न्यायालय के निर्णय के अनुसार उचित कार्यवाही की जावेगी। दो श्रमिकों पर संबंधित ठेकेदार द्वारा थाना चचाई में प्राथमिकी दर्ज की गई है, पुलिस कार्यवाही पूर्ण होने के उपरांत उचित कार्यवाही की जावेगी। श्रमिक श्री रवि तिवारी को उसकी अनुशासनहीनता एवं कार्य के दौरान लापरवाही बरतने तथा अन्य साथी कार्मिकों के साथ दुर्वव्यवहार करने के कारण, जिससे दुर्घटना हो सकती थी, ठेकेदार द्वारा कार्य से पृथक किया गया है। श्रमिक के दुर्वव्यवहार के कारण इसे पुन: कार्य पर नहीं लिया जा सकता है। (घ) मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड अंतर्गत अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई जिला अनूपपुर के सीएचपी 210 मेगावाट अंतर्गत प्रश्नाधीन अवधि में पदस्थ अभियंताओं की जानकारी निम्नानुसार है– (1) श्री व्ही.एम. पाठक, कार्यपालन अभियंता दिनांक 31/08/2016 से प्रभार में है। (2) श्री मनीष दौलतानी, सहायक अभियंता दिनांक 02/03/2010 से पदस्थ हैं। (3) श्री राजीव कुमार प्रजापति, सहायक अभियंता दिनांक 15/03/2018 से पदस्थ हैं। (4) श्री रूद्र प्रताप सिंह परमार, सहायक अभियंता दिनांक 14/07/2020 से पदस्थ हैं। इन अभियंताओं के विरूद्ध किसी भी प्रकार की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अत: इन पर किसी कार्यवाही का प्रश्न नहीं है।
भिण्ड जिले में सड़क का रेस्टोरेशन/मरम्मत कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
23. ( क्र. 4303 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले के लहार, मिहोना, आलमपुर एवं दबोह नगर में कितनी-कितनी लागत की पेयजल योजना का कार्य चालू है एवं वर्तमान में प्रगतिरत किस-किस पेयजल योजना का कितना-कितना कार्य हो गया है एवं कितना-कितना कार्य शेष है तथा किस-किस योजना में कितना-कितना भुगतान किया जा चुका है? (ख) क्या पेयजल योजनाओं हेतु पाईप लाईन डालने के लिए उक्त शहरों के अन्दर से रोड की खुदाई की गई है एवं खुदाई के बाद संबंधित ठेकेदार द्वारा रेस्टोरेशन/मरम्मत का कार्य नहीं कराया गया है, जिससे नागरिकों को आवागमन में काफी कठिनाई हो रही है एवं धूल के कारण लोगों में श्वास की बीमारियां हो रही हैं? (ग) यदि हाँ, तो पाईप लाईन हेतु रोड की खुदाई के बाद रोड की मरम्मत/रेस्टोरेशन कार्यों हेतु अनुबंध अनुसार क्या-क्या प्रावधान हैं एवं अनुबंध के प्रावधानों के अनुरूप क्या ठेकेदार द्वारा रोडों का रेस्टोरेशन/मरम्मत कार्य नहीं कराये जाने के लिए जिम्मेदार अधिकारी एवं ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या उक्त योजनाओं के पाईप लाईन का टेस्टिंग कार्य हो चुका है? यदि नहीं, तो टेस्टिंग कार्य पूर्ण कर आम नागरिकों को कब तक पेयजल उपलब्ध करा दिया जायेगा? नगरपालिका/परिषद वार बतायें?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) भिण्ड जिले के नगर परिषद लहार में रू. 60.69 करोड़, नगर परिषद मिहोना में रू. 28.53 करोड़, नगर परिषद आलमपुर में रू. 26.16 करोड़ एवं नगर परिषद दबोह में रू. 31.66 करोड़ की पेयजल योजना का कार्य चालू है। वर्तमान में प्रगतिरत पेयजल योजना में कितना-कितना कार्य हुआ है एवं कितना कार्य शेष है उसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। नगर परिषद लहार में रू. 24.67 करोड़, नगर परिषद मिहोना में रू. 11.33 करोड़ नगर परिषद आलमपुर में रू. 11.57 करोड़ एवं नगर परिषद दबोह में रू. 8.65 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। (ख) जी हाँ। पाइप लाइन डालने हेतु रोड की खुदाई की गई। खुदाई के बाद संबंधित ठेकेदार द्वारा रोड को तुरंत मोटरेबल कर दिया जाता है। जिससे आम नागरिकों को आवागमन में किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होती है एवं धूल उड़ने से रोकने के लिए पानी का छिड़काव किया जाता है। (ग) अनुबंध अनुसार पाइप लाइन हेतु रोड की खुदाई के बाद ठेकेदार को यथास्थिति में रोड की मरम्मत कराये जाने का प्रावधान है। अनुबंध के प्रावधानों के अनुरूप ठेकेदार द्वारा रोड रेस्टोरेशन का कार्य किया जा रहा है। जिसके लिए कोई अधिकारी एवं ठेकेदार जिम्मेदार नहीं है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) नगर परिषद लहार में 106338 मी., नगर परिषद मिहोना में 52056 मी., नगर परिषद आलमपुर में 31351 मी. एवं नगर परिषद दबोह में 36632 मी. पाइप लाईन की हाइड्रोटेस्टिंग की जा चुकी है। नगर परिषद लहार में अनुमानित दिनांक 31.08.2021 तक, नगर परिषद मिहोना, आलमपुर एवं दबोह में अनुमानित दिनांक 31.08.2021 तक पेयजल उपलब्ध कराया जाना लक्षित है।
डूब प्रभावित ग्रामों के पुनर्वास हेतु मूलभूत सुविधायें
[ऊर्जा]
24. ( क्र. 4314 ) श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन जिले की विधानसभा क्षेत्र कसरावद के ग्राम लेपा, अमलाथा, भटटीयाण बुजुर्ग, ससावड, तेलियाव, मलगांव और नहारखेड़ी महेश्वर जल विद्युत परियोजना के डूब प्रभावित ग्रामों के पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाओं के अन्तर्गत विद्युतीकरण नहीं कराये जाने के कारण उक्त ग्रामीण पुनर्वास स्थलों पर विस्थापित नहीं हुए है। इस संबंध में शासन द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (ख) ग्रामीण पूर्ववत स्थानों पर ही निवासरत हैं, परन्तु इन ग्रामों में मूलभूत सुविधाओं के अन्तर्गत विद्युतीकरण की सुविधा उपलब्ध कराना शासन द्वारा क्यों बंद की गई है इस लापरवाही में शासन द्वारा संबधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की जायेगी। (ग) उक्त ग्रामों में मूलभूत सुविधाओं के अन्तर्गत विद्युतीकरण हेतु शासन द्वारा म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर को कितनी-कितनी राशि उपलब्ध कराई गई है और कितनी-कितनी राशि के कार्य डूब प्रभावित ग्रामों की श्रेणी में होने के कारण भी राशि का उपयोग नहीं किया जा रहा है ऐसा क्यों? क्या म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर द्वारा विद्युतीकरण हेतु उपलब्ध कराई गई राशि का उपयोग विद्युतीकरण कार्यों हेतु कर लिया है अथवा नहीं जानकारी देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) खरगोन जिले की विधानसभा क्षेत्र कसरावद के ग्राम लेपा, ससावड, तेलियाव, मलगांव और नहारखेड़ी महेश्वर जल विद्युत परियोजना के डूब प्रभावित ग्रामों के पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाओं के अंतर्गत बाह्य विद्युतीकरण का कार्य निजी क्षेत्र की कंपनी, श्री महेश्वर हायडल पावर कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा पूर्ण किया जाकर म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर को हस्तांतरित किया जा चुका है एवं 11 केव्ही लाइन, निम्नदाब लाइन एवं विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर चालू स्थिति में है। ग्राम अमलाथा एवं भटटीयाण बुजुर्ग के पुनर्वास स्थल चिन्हित नहीं किये गये हैं अत: बाह्य विद्युतीकरण का कार्य नहीं कराया गया है। उपरोक्त उल्लेखित ग्रामों में किये गये विद्युतीकरण कार्य की स्थिति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि विद्युतीकरण नहीं कराये जाने से ग्रामीण पुनर्वास स्थल पर विस्थापित नहीं हुए हैं। अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं। (ख) पूर्ववत स्थान जैसे ग्राम लेपा, अमलाथा, भटटीयाण बुजुर्ग, ससावड, तेलियाव, मलगांव और नहारखेड़ी की मूलभूत सुविधाओं के अंतर्गत विद्युतीकरण की सुविधाएं सुचारु रुप से पूर्ववत चालू है। अतः प्रश्न नहीं उठता। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित ग्रामों का बाह्य विद्युतीकरण का कार्य निजी क्षेत्र की कंपनी श्री महेश्वर हाइडल पावर कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा ही कराया जाना है एवं समस्त राशि उनके द्वारा व्यय की जानी है न की शासन द्वारा। म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर को केवल सुपरविजन चार्जेस 5 प्रतिशत एवं उस पर देय 10.30 प्रतिशत सर्विस टैक्स की राशि का ही भुगतान प्राप्त हुआ है। अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं।
किसानों को सिंचाई हेतु 8 घंटे बिजली का प्रदाय
[ऊर्जा]
25. ( क्र. 4408 ) श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के किसानों को सिंचाई हेतु 24 घंटे में से कितने घंटे बिजली दी जा रही है? (ख) क्या प्रदेश के किसानों को 6-7 घंटे ही बिजली सिंचाई हेतु मिल पा रही है? क्या इस कारण से रात में लाईट न होने के कारण तारों की चोरी एवं ट्रान्सफार्मरों से तेल चोरी हो रही है? (ग) क्या रात्रि में बिजली न मिलने के कारण किसानों के साथ सर्पदंश तथा चोरियों की घटनायें हो रही है। क्या समस्याओं के निराकरण हेतु शासन रात्रि में एक या दो फेस बिजली किसानों को देगी? (घ) क्या शासन द्वारा प्रदेश में 8 घंटे बिजली किसानों को सिंचाई हेतु देने का प्रावधान किया गया है? यदि हाँ, तो आदेश की छायाप्रति उपलब्ध करावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) प्रदेश में किसानों को सिंचाई हेतु तकनीकी व्यवधानों को छोड़कर सामान्यत: प्रतिदिन 10 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। माह दिसम्बर 2020, जनवरी 2021 एवं फरवरी 2021 में प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा कृषि फीडरों पर किये गये औसतन प्रतिदिन विद्युत प्रदाय का विवरण निम्नानुसार है :-
माह |
कृषि फीडरों पर विद्युत प्रदाय के औसत घण्टे (घण्टे : मिनिट) |
||
पूर्व क्षेत्र |
पश्चिम क्षेत्र |
मध्य क्षेत्र |
|
दिसम्बर-20 |
09:50 |
09:51 |
9:55 |
जनवरी-21 |
09:50 |
09:52 |
9:52 |
फरवरी-21 |
09:52 |
09:54 |
9:54 |
(ख) जी नहीं, प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा विगत 3 माहों में कृषि फीडरों पर किये गये औसतन प्रतिदिन विद्युत प्रदाय की अवधि का विवरण उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार है। विद्युत प्रणाली से संबद्ध भार के प्रबंधन के दृष्टिगत कृषि फीडरों के समूह बनाकर दिन में भिन्न-भिन्न अवधि में नियमानुसार 10 घण्टे विद्युत प्रदान सुनिश्चित किया जाता है किन्तु चोरी की घटनाओं का संबंध उक्तानुसार भार प्रबंधन हेतु निर्धारित की गई विद्युत प्रदाय की अवधि से नहीं है। (ग) प्रदेश में किसानों सहित समस्त उपभोक्ताओं को घरेलू उपयोग हेतु 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) राज्य शासन द्वारा दिनांक 14 मई 2010 को विधानसभा में संकल्प 2013 पारित किया गया था जिसके तहत कृषि प्रयोजन हेतु 8 घंटे (वर्तमान में राज्य शासन की मंशानुसार 10 घंटे) तथा अन्य प्रयोजन हेतु 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। संकल्प 2013 की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
रिक्त पदों की पूर्ति
[ऊर्जा]
26. ( क्र. 4409 ) श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) निवाड़ी एवं टीकमगढ़ जिले में बिजली विभाग में किस-किस श्रेणी के कितने-कितने पद स्वीकृत हैं? पदों के विरूद्ध किस-किस श्रेणी के कितने अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं? कितने पद रिक्त हैं? (ख) कब तक रिक्त पदों की पूर्ति कर दी जावेगी? क्या रिक्त पदों के कारण कर्मचारी कम होने से बिजली सप्लाई एवं अन्य कार्य बाधित हो रहे हैं? (ग) उक्त जिलों में किस स्थान/गांवों में बिजली के तार टूटे हैं? कब से कब टूटे तारों को जोड़ दिया जायेगा? निवाड़ी एवं टीकमगढ़ जिले की बिजली सप्लाई टूटे तारों एवं खराब ट्रांसफार्मरों की कितनी शिकायतें विगत 3 वर्षों में प्राप्त हुईं? इन शिकायतों के निराकरण हेतु कब-कब क्या प्रयास किये गये एवं कितनी शिकायतें दूर की गईं एवं कितनी शेष हैं? (घ) क्या तारों के टूटने एवं बिजली सप्लाई की समस्या वर्तमान में पूरे प्रदेश में है? यदि हाँ, तो कहां-कहां? कब तक उक्त समस्याओं का निराकरण किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर की स्वीकृत संगठनात्मक संरचना में तत्समय जिला टीकमगढ़ (निवाड़ी क्षेत्र सहित) हेतु पद स्वीकृत किये गए, निवाड़ी जिला निर्मित नहीं हुआ था। निवाड़ी जिला बनने के पश्चात संचालन एवं संधारण संभाग पृथ्वीपुर का मुख्यालय जिला निवाड़ी में किया गया है। तद्नुसार संचालन-संधारण संभाग पृथ्वीपुर के अंतर्गत आने वाले समस्त कार्यालय एवं संचालन-संधारण संभाग एवं वृत्त टीकमगढ़ में श्रेणीवार स्वीकृत पदों की संख्या, पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी की संख्या एवं रिक्त पदों का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सामान्य प्रशासन विभाग, म.प्र.शासन के पत्र क्रमांक एफ-7-53/2019/आ.प्र/एक दिनांक 04.01.2020 के साथ संलग्न अधिसूचना दिनांक 24.12.2019 के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों हेतु 10 प्रतिशत आरक्षण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को 27 प्रतिशत आरक्षण हेतु शामिल करने के लिये मॉडल रोस्टर जारी किया गया है। उक्त मॉडल रोस्टर के अनुसार स्वीकृत पदों के विरूद्ध श्रेणीवार कार्यरत कर्मचारियों एवं रिक्तियों की गणना कर राज्य शासन के अनुमोदन उपरांत म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा भर्ती की कार्यवाही की जावेगी। तथापि जिला निवाड़ी एवं टीकमगढ़ में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों के विरूद्ध जिला टीकमगढ़ में 300 एवं जिला निवाड़ी में 133 बाह्य स्त्रोत कार्मिकों के माध्यम से विद्युत संबंधी समस्याओं का निराकरण एवं अन्य कार्य संपन्न कराया जा रहा है। (ग) वर्तमान में प्रश्नाधीन जिलों में कही भी बिजली के तार टूटे हुए नहीं हैं। टीकमगढ़ जिले में विगत तीन वर्षों में टूटे तारों की कुल 674 शिकायतें प्राप्त हुयी, उक्त सभी शिकायतों का निराकरण कर दिया गया हैं, जले/खराब ट्रांसफार्मरों से संबंधित कुल 1989 शिकायतें प्राप्त हुयी थीं, जिसमें से 1984 शिकायतों का निराकरण कर दिया गया है एवं शेष 05 शिकायतों से संबंधित जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर, संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण, बदलने हेतु शेष हैं। निवाड़ी जिले में विगत तीन वर्षों में टूटे तारों की कुल 169 शिकायतें प्राप्त हुयी, उक्त सभी शिकायतों का निराकरण कर दिया गया हैं, जले/खराब ट्रांसफार्मरों से संबंधित कुल 590 शिकायतें प्राप्त हुयी थीं, जिसमें से 584 शिकायतों का निराकरण कर दिया गया है एवं शेष 06 शिकायतों से संबंधित जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण बदलने हेतु शेष हैं। (घ) जी नहीं, तारों के टूटने एवं बिजली सप्लाई की समस्या प्राय: आंधी तूफान/अतिवृष्टि एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण होती है जिन्हें त्वरित सुधार कार्य कराकर सतत् विद्युत प्रदाय सुनिश्चित किया जाता है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
कार्यशाला में कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी
[नगरीय विकास एवं आवास]
27. ( क्र. 4412 ) श्री राकेश मावई : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर निगम मुरैना के गाड़ी अड्डा (कार्यशाला) में फिक्स वेतन पर कार्यरत कर्मचारियों एवं स्वास्थ्य शाखा में कार्यरत कर्मचारियों तथा पम्प चालकों की जानकारी प्रदान करने बाबत् आयुक्त नगर निगम मुरैना को प्रश्नकर्ता सदस्य ने पत्र क्र.125/2021 दिनांक 20-01-2021 दिया गया? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक जानकारी उपलब्ध क्यों नहीं कराई गई? इसके लिये कौन दोषी है? दोषी पर क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) नगर निगम मुरैना के गाड़ी अड्डा (कार्यशाला) में कितने कर्मचारी/चालक कार्यरत हैं? उनके नाम, पिता का नाम, पता सहित जानकारी देवें। स्वास्थ्य शाखा में कितने कर्मचारी फिक्स वेतन, मस्टर दैनिक वेतन भोगी तथा स्थाई वेतन पर कहां-कहां कब से कार्यरत हैं? उनकी वार्डवार नाम, उपनाम सहित जानकारी देवें। (ग) वर्तमान में नगर निगम मुरैना में कितने पम्प चालक कब से किस-किस पम्प पर कार्यरत हैं? उनके नाम, पिता का नाम एवं पता सहित जानकारी देवें। (घ) वित्तीय वर्ष 2017-18 से प्रश्न दिनांक तक नगर निगम मुरैना से कौन-कौन सी लाईट कब-कब कहां से कितनी-कितनी राशि में खरीदी गई एवं कहां पर लगाई गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी वृहद स्वरूप की होने के कारण तैयार करने में समय लगा। पत्र क्रमांक 24 दिनांक 08/03/2021 के द्वारा जानकारी दी जा चुकी है। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है।
संजय गांधी ताप विद्युत गृह में कोयले का प्रदाय
[ऊर्जा]
28. ( क्र. 4422 ) श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन. पी.) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंगपुर में 51 करोड़ रूपये का कोयला प्रदाय हेतु अल्टरनेटिव पाथ से इर्नागो कंपनी द्वारा बनाया गया है तथा क्या इससे कोयले की रैक जल्दी खाली हो जाती है एवं अनावश्यक लगने वाले डैमेज से बचा जा सकता है? (ख) क्या प्रश्नांकित पाथ से वर्तमान में चालू अवस्था में है? यदि है तो इसके चालू होने के पश्चात डैमेज में कोई कमी आई है? (ग) प्रश्नांकित पाथ से प्रारंभ होने से दो वर्ष पूर्व एवं प्रारंभ होने से आज दिनांक तक अद्यतन माहवार होने वाले डैमेज का विवरण बतायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। तथापि प्रश्नांश में उल्लेखित राशि रू. 51 करोड़ नहीं अपितु रू. 48.90 करोड़ है। (ख) आल्टरनेटिव कोल पाथ का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है एवं ट्रायल प्रगति पर है। आल्टरनेटिव कोल पाथ पूर्ण क्षमता (भार) पर चलने के उपरान्त ही डेमरेज में कमी परिलक्षित हो सकेगी। (ग) उत्तरांश (ख) में इंगित अनुसार प्रश्नांकित पाथ का ट्रायल अगस्त-2020 से चल रहा है एवं परफॉर्मेन्स गारंटी टेस्ट किया जाना शेष है। जो अप्रैल, 2021 में प्रस्तावित है। प्रश्नांकित पाथ के पूर्ण क्षमता पर चलने के उपरान्त ही डेमरेज में कमी के संबंध में निष्कर्ष निकालना उचित होगा। प्रश्नांकित अवधि में वेगन ट्रिपलर पर खाली की गई कोयला रेक पर रेलवे द्वारा अधिरोपित डेमरेज चार्जेस का माहवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
पुल निर्माण पर व्यय राशि
[नगरीय विकास एवं आवास]
29. ( क्र. 4427 ) श्री पी.सी. शर्मा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल शहर के कोलार उपनगर (दामखेड़ा बस्ती के निकट) कलियासोत नदी पर विगत 2 वर्ष पूर्व एक कांक्रीट सीमेंट के पुल का निर्माण कराया गया है? इस पुल के निर्माण पर कितनी राशि व्यय की गई है? (ख) क्या इस पुल के निर्माण कार्य को कलियासोत डेम के नीचे किनारे-किनारे में पूर्व से प्रभावशील सड़क से जोड़कर चूना भट्टी चौराहे तक जोड़ा जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या इस पुल को आगे चूना भट्टी चौराहे से जोड़ने में कोई अवरोध है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो निर्माण कार्य में इतना विलंब क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी हाँ। राशि रूपये 5,97,99,459.00 व्यय की गई। (ख) जी हाँ। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान (वाल्मी) भोपाल से अनापत्ति प्राप्त होने पर निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। निश्चित समय बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान (वाल्मी) भोपाल से अनापत्ति प्रतीक्षित है।
अवैध खनन के प्रकरण में दर्ज एफ.आई.आर.
[गृह]
30. ( क्र. 4428 ) श्री पी.सी. शर्मा : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में 01.04.2020 से प्रश्न दिनांक तक अवैध रेत खनन, गिट्टी मुरम कारोबारियों के मध्य गैंगवार होने और गोली चलने के कितने-कितने प्रकरण में एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। (ख) उपरोक्त अवधि में अवैध कारोबार में संलिप्त लोगों द्वारा प्रशासनिक, पुलिस, वन विभाग के कर्मियों के ऊपर हमले किये जाने के कितने-कितने प्रकरण में एफ.आई.आर. दर्ज की गई। (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) के अनुसार दर्ज एफ.आई.आर. पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (घ) उपरोक्त अवधि में अवैध खनन में संलिप्त खनन माफिया के हमलों से कितने कर्मियों की मौत हुई। कितने घायल हुए और दोषियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) अवैध रेत खनन, गिट्टी, मुरूम कारोबारियों के मध्य गैंगवार होने और गोली चलने की कोई घटना घटित नहीं हुई है। (ख) से (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
संबल योजना अंतर्गत पंजीकृत हितग्राहियों का सत्यापन
[नगरीय विकास एवं आवास]
31. ( क्र. 4570 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना अंतर्गत सागर विधान सभा क्षेत्र में प्रश्न दिनांक तक कितने हितग्राहियों का पंजीयन किया गया? क्या निर्धारित लक्ष्य अनुसार पंजीयन पूर्ण कर लिये गये है अथवा वर्तमान में पंजीयन किये जा रहे? यदि नहीं, तो इसका क्या कारण है? (ख) क्या पंजीकृत सभी हितग्राहियों का सत्यापन कर लिया गया है? यदि नहीं, तो कितने शेष है? शेष हितग्राहियों का सत्यापन कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा? सत्यापन उपरान्त कितने हितग्राही पात्र तथा कितने अपात्र घोषित किये गये? क्या कुछ पात्र हितग्राहियों से बगैर संपर्क किये गैर मौजूदा अपात्र घोषित किया गया है? यदि हाँ, तो शासन ऐसे पात्र हितग्राहियों का पुनः सत्यापन करायेगा तथा कब तक? यदि नहीं, तो इसका क्या कारण है? (ग) सागर विधान सभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना अंतर्गत कितने हितग्राहियों को किन-किन योजनाओं में लाभ मुहैया कराया गया? (घ) क्या सागर नगर निगम में मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना अंतर्गत अनुग्रह सहायता राशि के बड़ी संख्या में प्रकरण स्वीकृत होने के उपरान्त बजट के अभाव में सहायता राशि प्रदत्त नहीं की गई है? क्या शासन शीघ्र इन हितग्राहियों को लाभ दिलाये जाने हेतु राशि उपलब्ध करायेगा तथा कब तक?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) नगर पालिक निगम, सागर द्वारा प्रश्न दिनांक तक कुल 58489 हितग्राहियों का पंजीयन किया गया है। निर्धारित लक्ष्य अनुसार पंजीयन पूर्ण कर लिए गए है। वर्तमान में नगर पालिक निगम द्वारा पोर्टल बंद होने के कारण हितग्राहियों का पंजीयन नहीं किया जा रहा है। (ख) नगर पालिक निगम द्वारा हितग्राहियों का पूर्ण सत्यापन नहीं हो पाया है। कुल 12766 श्रमिकों का सत्यापन शेष है। सत्यापन का कार्य जारी है, सत्यापन में कुल 30385 श्रमिक पात्र एवं 15338 श्रमिक अपात्र पाये गये है। नहीं, वार्ड प्रभारियों द्वारा श्रमिकों से संपर्क करने पर वार्ड में श्रमिक न मिलने पर अपात्र किये गये हैं। हाँ, जानकारी प्राप्ति उपरांत जाँच में अपात्र श्रमिकों का पुन: सत्यापन किया जा सकता है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। वर्तमान में भौतिक सत्यापन में अपात्र श्रमिकों का पुन: सत्यापन का कार्य जारी है। (ग) सागर विधानसभा क्षेत्र में नगर पालिक निगम द्वारा अनुग्रह सहायता योजनांतर्गत कुल 80 श्रमिकों को लाभ प्रदान किया गया है। (घ) हाँ, नगर पालिक निगम द्वारा 307 प्रकरण स्वीकृत किये गये, जिसमें से 227 प्रकरण बजट अभाव के कारण लंबित है। यथा शीघ्र लाभ उपलब्ध कराया जायेगा, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
सड़क सुरक्षा समिति के गठन का नियम
[गृह]
32. ( क्र. 4580 ) श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सड़क सुरक्षा समिति के गठन के क्या नियम हैं और किन आधारों पर समिति सदस्यों का चयन होता हैं? क्या कटनी-जिले में सड़क सुरक्षा समिति गठित हैं? हाँ, तो समिति का गठन कब किया गया? समिति के कौन-कौन सदस्य हैं और किन-किन विशेषज्ञता/योग्यताओं से इन्हे सदस्य नियुक्त किया गया हैं? (ख) कटनी-जिले में जनवरी-2019 से सड़क सुरक्षा समिति की कब-कब बैठक आयोजित हुई? बैठकवार क्या–क्या निर्णय लिए गए? पारित अनुसंशाओं के क्रियान्वन/पालन की ज़िम्मेदारी किन-किन शासकीय सेवकों एवं कार्यालयों/विभागों की थी? (ग) प्रश्नांश (ख) क्या समिति द्वारा की गयी अनुसंशाओं/निर्णयों का पालन किया गया? हाँ, तो पालन में की गयी कार्यवाही का विवरण बताइये। (घ) क्या कटनी-नगर के मुख्य बाजार क्षेत्रों में अव्यवस्थित पार्किंग एवं यातायात में अवरोध की समस्या व्याप्त हैं? यदि हाँ, तो इसके क्या कारण हैं? इस समस्या के निदान हेतु विगत 02 वर्षों में क्या-क्या प्रयास और कार्यवाही की गयी और क्या परिणाम परिलक्षित हुये? (ङ) थाना-यातायात,कटनी में रैंकवार शासकीय सेवकों के कितने-कितने पद स्वीकृत हैं? कितने और कौन-कौन शासकीय सेवक वर्तमान में पदस्थ/कार्यरत हैं? कितने पद रिक्त हैं? (च) प्रश्नांश (घ) से (ड.) के परिप्रेक्ष्य में क्या कटनी नगर में यातायात और वाहन पार्किंग की समस्या के निदान के लिए कोई कार्ययोजना बनाकर कार्यवाही की जाएंगी? हाँ,तो किस प्रकार और कबतक? नहीं,तो क्यों?
(गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (घ) जी हाँ। शहर के मुख्य बाजार-सुभाष चौक, बरहीनाका, सराफा बाजार, झण्डा बाजार, कमानिया गेट थाना तिराहा (गांधी द्वार), घण्टा घर क्षेत्र में वाहनों के लिये पार्किंग स्थल का आभाव है। शहर के मुख्य बाजार में व्यवसायिक क्षेत्र होने के कारण प्रतिदिन दुकानों के सामने लोडिंग-अनलोडिंग का कार्य किया जाता है। मार्ग सकरा होने के कारण यातायात में अवरोध तथा जाम की स्थिति निर्मित होती है। पार्किंग स्थल उपलब्ध कराने, वाहनों की लोडिंग-अनलोडिंग हेतु निश्चित समय निर्धारित करने, शीघ्र-अतिशीघ्र टांसपोर्ट नगर की शुरूआत करने एवं शहर में नो-पार्किंग में खड़े वाहनों पर कार्यवाही करने के लिए एक छोटी क्रेन मय चालक तथा नगर निगम