मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
गुरूवार, दिनांक 18 जुलाई, 2019
( 27 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 3 ] [अंक- 7 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 18 जुलाई, 2019
( 27 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.04 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री(श्री आरिफ अकील):-अध्यक्ष महोदय, आजकल आप ज्यादा समय उधर ज्यादा देते हैं और इधर कम समय देते हैं.
श्री तुलसी राम सिलावट:- अध्यक्ष महोदय, आप हमारे सबके भीष्म पितामह हैं, थोड़ा आप इधर भी देख लिया करो.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- यह तो हमारा शिष्टाचार और व्यवहार है.
अध्यक्ष महोदय:- देखिये, कल मैंने सज्जन भाई और विजय लक्ष्मी जी को जितना समय दिया होगा, इस तरफ नहीं दिया होगा.
श्री आरिफ अकील:- सारी गलतफहमियां दूर हो गयीं, देखने के लायक अब आप बचे हो ?
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- आपको अपने बारे में क्या गलतफहमी है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- नहीं, अभी ईमारत बुलंद है. ( हंसी )
श्री जितु पटवारी:- पुराना इतिहास भी हम लोग, आपका सुनते रहते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- कुछ नया तो बनाओ कि दूसरों का ही सुनते रहोगे.
श्री जितु पटवारी:- आप तो इतने रंग पुत कर आते हो कि आपको क्या बतायें.
श्री आरिफ अकील:- मैं पुराना वक्ता हूं, मेरा नाम नहीं आ रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- आज आप ही से शुरू कर दीजिये ना.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
मुरैना जिलांतर्गत सड़क निर्माण की जाँच
[लोक निर्माण]
1. ( *क्र. 1880 ) श्री कमलेश जाटव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना से पोरसा एवं पोरसा से अटेर तक सड़क निर्माण कार्य निर्माणाधीन है? यदि हाँ, तो उक्त निर्माण कार्य किस कंपनी/ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा है? कार्य पूर्ण होने की समय-सीमा क्या है एवं रोड की मोटाई एवं साइज क्या है? ठेकेदार/कंपनी के नाम, पते की जानकारी दें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित रोडों का निर्माण घटिया किस्म का होने एवं पूर्व से बने डामरीकरण रोड पर ही उक्त नवीन रोड डाला जा रहा है? यदि हाँ, तो क्या पक्के रोड के ऊपर बिना खुदाई किए नवीन रोड डाला जाना स्टीमेट में प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो स्टीमेट की कॉपी प्रदाय की जावे। यदि नहीं, तो ऐसा क्यों? (ग) क्या शासन प्रश्नांश (क) में वर्णित घटिया रोड निर्माण की जाँच उच्च स्तरीय समिति से कराने एवं तत्काल प्रभाव से उक्त घटिया निर्माण को रोके जाने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी नहीं, कार्य उचित गुणवत्ता एवं मानक मापदण्डों के अनुसार किया जा रहा है, केवल कुछ आबादी क्षेत्रों में भारतीय सड़क कांग्रेस के मापदण्डों के अनुसार विद्यमान डामरीकृत सतह के ऊपर 200 एम.एम. मोटाई का कांक्रीट ओवरले का कार्य किया जा रहा है। शेष मार्ग में डामरीकृत सतह हटाकर पुनर्निर्माण किया जा रहा है। प्राक्कलन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्री कमलेश जाटव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां पर एक सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है, वह सड़क मुरैना से पोरसा तक ओर पोरसा से अटेर होते हुए भिण्ड तक जा रही है. मैंने जो प्रश्न लगाया है, उसमें एक तो उसकी एजेंसी की जानकारी मांगी थी और दूसरा वहां मेरे द्वारा जो कार्य देखा गया है, वह कार्य संतोषजनक नहीं था. इस वजह से इन सारी चीजों की जानकारी चाहता हूं, क्योंकि वहां पर जो कार्य हो रहा है, वह संतोषजनक हो. सड़क बनाने में क्वालिटी मेंटेंन नहीं की जा रही है. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री से मेरा आग्रह है कि उसकी क्वालिटी मेंटेन की जाये, क्योंकि अभी कार्य शुरू हुआ है और बरसात में बहुत दिक्कतें आ रही है. अभी सिर्फ मिट्टी का ही कार्य शुरू हुआ है. उसकी समय के अनुसार स्पीड बढ़ायी जाये, यह मेरा मंत्री जी से निवेदन है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा प्रपत्र में पूरी जानकारी दे दी गयी है. एक-एक चीज की जानकारी दी गयी है कि कौन ठेकेदार है, कौन सी एजेंसी है, कितनी लंबाई है, उसमें मैंने हर चीज का उल्लेख कर दिया है. जहां तक गुणवत्ता का प्रश्न है तो समय-समय पर हमारे अधिकारी गुणवत्ता की जांच करते रहते हैं, बिल्कुल स्पेसिफिकेशन के अनुसार यह सड़क बन रही है. इसमें कहीं भी त्रुटि नहीं पायी गयी है और माननीय सदस्य यदि चाहें तो एक बार फिर से जाकर अवलोकन कर लें. वह सड़क मापदण्ड से भी अच्छी बन रही है.
श्री कमलेश जाटव:- मेरा माननीय मंत्री जी से यही आग्रह है कि उसकी एक बार और जांच करवा लें और जांच करवाकर संतोषजनक कार्य करवायें, वह मेन रोड है, इसलिये विशेष रूप से उसकी जांच करवा कर और अच्छा काम करवाने की कृपा करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, सड़क बिल्कुल व्यवस्थित बन रही है. मैं अपने सीनियर इंजीनियर को एक बार वहां पर पुन: भेज दूंगा. यदि माननीय सदस्य चाहें तो उनके साथ जाकर परीक्षण कर सकते हैं.
बिजावर स्थित शास. महा. में स्नातकोत्तर की कक्षा प्रारंभ की जाना
[उच्च शिक्षा]
2. ( *क्र. 2097 ) श्री राजेश कुमार शुक्ला : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बिजावर विधान सभा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के अध्ययन हेतु कितने शासकीय महाविद्यालय हैं? उक्त महाविद्यालय में प्रश्न दिनांक तक कौन सी संकाय संचालित होती है? विभागीय कैलेण्डर अनुसार कितने छात्र प्रवेश लेते हैं? कितने पद स्वीकृत हैं? कितने कार्यरत हैं? (ख) क्या सहज, सुलभ उच्च शिक्षा प्रदाय करवाना शासन की मंशा होती है? यदि हाँ, तो बिजावर स्थित शासकीय महाविद्यालय में अन्य संकाय खोले जा सकते हैं? क्या स्नातकोत्तर की कक्षा शुरू की जा सकती है? यदि हाँ, तो कब तक?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) बिजावर विधान सभा क्षेत्र में एक शासकीय महाविद्यालय है, जिसमें कला संकाय संचालित है तथा सत्र 2018-19 में प्रवेशित छात्र संख्या 446 है। महाविद्यालय में राजपत्रित श्रेणी के स्वीकृत 08 पदों में 01 पद पर सहायक प्राध्यापक कार्यरत हैं तथा अराजपत्रित श्रेणी के स्वीकृत 15 पदों में से 07 पदों पर कर्मचारी कार्यरत हैं। (ख) जी हाँ। जी हाँ। नवीन संकाय/ स्नातकोत्तर कक्षा प्रारंभ करने की कार्यवाही की जावेगी। किन्तु समय-सीमा बतायी जाना संभव नहीं है.
श्री राजेश कुमार शुक्ला:- अध्यक्ष महोदय आपका एवं पूरे सदन के सदस्यों का स्नेह और आशीर्वाद चाहूंगा, क्योंकि मुझे आज पहली बार सदन में बोलने का मौका मिला है और भाग्य से ऐसे मंत्री के सामने प्रश्न लगा, जिनसे हमें आशा है कि आज हम पहले ही प्रश्न में कुछ न कुछ यहां से लेकर जायेंगे.
अध्यक्ष जी, उच्च शिक्षा मंत्री महोदय, यह बताने का कष्ट करेंगे कि बिजावर विधान सभा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के अध्ययन हेतु कितने शासकीय महाविद्यालय हैं ? उक्त महाविद्यालय में प्रश्न दिनांक तक कौन सी संकाय संचालित होती है ? विभागीय कैलेण्डर अनुसार कितने छात्र प्रवेश लेते हैं, कितने पद स्वीकृत हैं, कितने कार्यरत हैं ? (ख) क्या सहज, सुलभ उच्च शिक्षा प्रदाय करवाना शासन की मंशा होती है ? यदि हां, तो बिजावर स्थित शासकीय महाविद्यालय में अन्य संकाय खोले जा सकते हैं ? क्या स्नातकोत्तर की कक्षा शुरू की जा सकती है ? यदि हां, तो कब तब ?
श्री जितु पटवारी:- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित विधायक जी ने जो प्रश्न किये हैं. मैं समझता हूं कि इसका उत्तर पुस्तिका में पूरा विवरण दिया हुआ है.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय विधायक जी, आपने जो प्रश्न किये थे, उसका लिखित उत्तर आ गया है. अब लिखित उत्तर में अगर कहीं आपको कोई खामीं दिख रही है या आपके जहन में कोई ऐसी बात आ रही है कि और कोई ऐसा प्रश्न बन के आ रहा है.
श्री राजेन्द्र कुमार शुक्ला:- अध्यक्ष महोदय, लिखित उत्तर में खामीं नहीं है, पर हमारी मंत्री जी से मांग है कि 20 साल पहले बिजावर में महाविद्यालय खोला गया था. 15 साल इनके भी निकल गये. मैं चाहता हूं कि इसी सत्र में बीएससी और बीकॉम की क्लॉसें दी जायें ? तो आपकी मेहरबानी होगी.
श्री जितु पटवारी:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का जो भाव है, वह बिल्कुल पवित्र है और मैं समझता हूं कि बिजावर एक ऐसी ऐतिहासिक जगह है. उसमें यह आवश्यक है कि वहां से और कालेजों की अथवा महाविद्यालयों की दूरी थोड़ी ज्यादा पड़ती है. आपकी मांग जायज है 100 प्रतिशत इस सत्र से अगले सत्र के बीच आपका काम हो जायेगा.
महाविद्यालयीन छात्रों को स्मार्ट फोन का वितरण
[उच्च शिक्षा]
3. ( *क्र. 2804 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रतलाम में पिछले तीन सत्रों से (17-18, 18-19 और 19-20) कॉलेज छात्रों को स्मार्ट फोन का वितरण नहीं हो पा रहा है? सभी तीन सत्रों के स्मार्ट फोन छात्रों को कब तक वितरित कर दिये जायेंगे? क्या इस संबंध में प्राचार्यों को शीघ्र निर्देश देने की कार्यवाही करेंगे? (ख) क्या वितरित स्मार्ट फोनों की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हुये हैं तथा फोन ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, यदि हाँ, तो क्या स्मार्ट फोनों की गुणवत्ता की जाँच कराई गई है? यदि हां, तो जाँच रिपोर्ट के निष्कर्ष क्या हैं? दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ, पूरे प्रदेश में ही प्रश्नांकित वर्षों के लिए स्मार्टफोन का वितरण नहीं हुआ है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) गुणवत्ता के संबंध में मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोंरेशन (MPSEDC) लिमिटेड को शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसकी जाँच MPSEDC द्वारा कराई गई। जाँच प्रतिवेदन संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। विभाग द्वारा इस विषय को स्वत: संज्ञान में लेते हुए जाँच कराई जा रही है।
श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न हमारे युवा मंत्री जी से था कि पिछली सरकार के समय प्रथम वर्ष में 75 प्रतिशत से ज्यादा उपस्थित रहने वाले बच्चों सन् 2018 तक स्मार्ट फोन वितरित किये गये. पिछले दो साल से कोई भी स्मार्ट फोन वितरित नहीं किये गये इसमें जो जवाब दिया गया है उसमें स्पष्टता नहीं है, न ही समय सीमा बतायी गई है ? न ही उसमें कोई बजट का प्रावधान ही किया गया है ? क्या यह योजना आगे चालू है या बंद है, इस बारे में भी कोई उल्लेख नहीं है ? दूसरा स्मार्ट फोन की गुणवत्ता पर भी कई बार प्रश्न उठे ? एम.पी.एस.ई.डी.सी. की एक रिपोर्ट लगी है, वह रिपोर्ट बिल्कुल बैतुकी है, जबकि आपने विभागीय जांच का लिखा है उसमें प्रारंभ कर रहे हैं. स्मार्ट फोन की गुणवत्ता को देखने के लिये एम.पी.एस ई.डी.सी. की रिपोर्ट है उसमें खरीदी के विषय में भी कई प्रश्न हैं, उन पर भी कहीं कोई प्रकाश नहीं डाला गया है ? तो कृपया युवा मंत्री जी कहना चाहता हूं कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिये उपस्थिति भी आवश्यक है उनके स्मार्ट फोन की योजना माननीय शिवराज सिंह सरकार की थी. इसके बारे में सरकार का क्या स्पष्ट मत है, कृपया बतायें ?
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल सही है माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है वह आज के दौर का वाजिब प्रश्न है. स्मार्ट फोन या आई.टी. सेक्टर से संबंधित योजना सरकार लाती है वह मोटे तौर पर बच्चों को आधुनिकीकरण से या आई.टी.के माध्यम से नया ज्ञान तथा विश्व का ज्ञान मिले, इसके लिये लाती है. यह भी बिल्कुल सही है कि सरकार ने जो निर्णय लिया था स्मार्ट फोन का उसकी गुणवत्ता को लेकर कई बार अखबारों में खासकर किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं आयी,परन्तु अखबारों में इसके खिलाफ कई बार प्रश्न उठाये गये ? हम आपस में भी कई विधायक बात करते थे कि तथा पिछली सरकार में मंत्री भी बात करते थे कि 21 तथा 22 सौ रूपये का स्मार्ट फोन थोड़ा कल्पना से परे है कि कैसे दे सकते हैं ? तथा कैसे दिया गया होगा ? मैं समझता हूं कि यह अपने आप में यह प्रश्नचिन्ह उठाता हूं? जहां तक प्रश्न है जिस एजेंसी ने उसकी जांच की थी तथा जिस एजेंसी ने टेंडर दिये, उसी एजेंसी ने ही उसकी जांच की. 9 बिन्दुओं पर उसकी जांच हुई 9 बिन्दुओं में अपने आप को उन्होंने स्पष्टतः साफगोई से यह कहा कि उसमें कोई गलती नहीं है. 21 सौ रूपये के स्मार्ट फोन में शिकायत आती है कि 21 दिन नहीं चला तो विभाग ने अपने संज्ञान में लिया तथा उसकी हम नये सिरे से जांच करवा रहे हैं. रही बात योजना के संदर्भ में यह आगे चलेगी कि नहीं चलेगी. मैं समझता हूं कि 21 सौ रूपये का स्मार्ट फोन एक राजनीतिक नयी व्यवस्था को लाभ-हानि दे सकता है, परन्तु बच्चे को नवाचार में सहयोग करे, ऐसा इस सरकार को नहीं लगता है. इस योजना को बंद नहीं किया जा रहा है, लेकिन इससे अच्छी योजना पर काम अभी चल रहा है उस योजना को आगे बढ़ाया जायेगा.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न था कि प्राचार्यों को कोई स्पष्टता नहीं है. बच्चे भ्रम की स्थिति में है. अगर आप नयी योजना देना चाहते हैं तो नयी योजना कब तक देंगे, इसके बारे में भी कोई उल्लेख नहीं है ?
श्री कुणाल चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी सवाल है.
अध्यक्ष महोदय--मेरी बिना अनुमति के बीच में बोलेंगे उनका नहीं लिखा जायेगा. मेरी बिना अनुमति के न बोलें सिर्फ अपना हाथ खड़ा कर लें, अगर उसमें जरूरत होगी तो पूछ लूंगा धन्यवाद आप विराजिये सशरीर मत खड़े होईये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का जो प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- उनको पूरा करने दो गोपाल भाई मूल प्रश्नकर्ता को अपना प्रश्न पूरा करने दीजिये आप लोग इतने जिज्ञासु हो जाते हैं.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि 21 सौ रूपये का फोन है उसकी जगह 5 हजार अथवा 10 हजार रूपये का स्मार्ट फोन दें, उसमें स्पष्टता तो करें युवा लोग जब प्राचार्यों के पास में जाते हैं कि उसमें क्या होगा तो उनको उनका संतोषजनक उत्तर मिलना चाहिये. युवाओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि क्या होने वाला है?
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आप कह रहे थे कि सशरीर न खड़े हों कोई अदृश्य रूप से कैसे खड़ा हो सकता है? अदृश्य रूप से खड़ा होगा तो आपके पास कौन सी शक्ति है जिससे आपको दिखेगा.
अध्यक्ष महोदय--यह अदृश्य रूप है.
श्री जितु पटवारी - माननीय अध्यक्ष जी, पिछली सरकार ने वर्ष 2014 में इस योजना की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने की थी. यह 2014-15 में दो साल लगातार स्मार्ट फोन का कोई वितरण नहीं हुआ. फिर इसका 2016-17 में लगातार तीन वर्षों का एक साथ वितरण करने की बात कही गई. चूंकि आपने प्रश्न बढ़ाया है इसलिए इस बात को कर रहा हूं, नहीं तो मैं नकारात्मक उत्तर देने का आदि नहीं हूं. राजनीतिक लाभ के लिए चालू की हुई योजना, बच्चों को मूल ज्ञान के लिए उसका सहयोग बने इसके लिए योजना चालू की गई थी, तो 5 हजार या 8 हजार का स्मार्ट फोन देने की योजना बन सकती थी, लेकिन 2100 रूपए में योजना में प्रावधान आर्थिक रूप से नहीं करना और 2014 में घोषणा लागू कर देना और 2016-17 में उसका वितरण करना, यह अपने आपमें एक तरह से भावनात्मक रूप से बच्चों के साथ छलावा था. फिर भी आपने जो कहा कि स्मार्ट फोन किस उद्देश्य को लेकर वितरित किए गए थे, तो उसका मूल भाव था कि बच्चों को नई तकनीक, नई टेक्नोलॉजी से जोड़े और आज के दौर की आईटी सेक्टर में बच्चे पारंगत हो और उसको शिक्षा का लाभ मिले. हम इससे अच्छी योजना, आज समय बताना चूंकि मैं नहीं समझता कि आज सही होगा, पर आप भरोसा रखें. आपका मनोभाव अच्छा हैं, आप अच्छे विधायक हैं, जागरुक विधायक हैं, बड़े वोट से जीतकर आते हैं. आपकी और हमारी एक ही भावना है. मैं भी शिक्षा मंत्री बना हूं तो मेरा भी मानना है कि कोई अच्छा नवाचार करें, तो कार्य योजना बन रही है. मैं अभी घोषणा नहीं कर सकता हूं, यह मुख्यमंत्री का अधिकार होता है. पर यह जरूर है कि आपकी भावनाओं के अनुरूप होगा, जांच होगी, स्मार्ट फोन को लेकर तो मैं घोटाला तो नहीं कहूंगा पर यह जरूर है कि जांच के पक्ष में आएगा, हमने विभागीय जांच कराई है. अगर आपको लगता है कि इसकी जांच और व्यापक दृष्टि से हो तो मैं तो आपकी अध्यक्षता में भी जांच करवाने को तैयार हैं, इसमें हमें कोई परेशानी नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है वह एकदम गोलमोल उत्तर दिया है. आपने कहीं स्पष्ट रूप से नहीं कहा कि आगे की नीति क्या होगी? क्या प्रावधान होगा? करेंगे कि नहीं करेंगे? करेंगे तो कब से करेंगे? कितने मूल्य का मोबाइल होगा? अभी आपने जो जांच की बात कही तो शौक से जांच करवाए, उसके लिए कोई रोक नहीं है, जो कुछ भी करवाना हो करवाए, लेकिन यह बहुत अच्छी महत्वाकांक्षी और छात्रों के लिए उपयोगी योजना थी, जिसको बंद कर दिया गया है, मंत्री महोदय भी बताएंगे कि बंद किया गया है या नहीं किया गया. दूसरी बात यदि बंद नहीं किया गया है तो क्या इसी वर्ष उसे बजट में प्रावधान करके फिर से बच्चों के लिए मोबाईल 5 हजार या 8 हजार का जितना भी देना चाहे आप क्या देंगे?
श्री जितु पटवारी - माननीय अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष सबसे सम्मानित हैं, वरिष्ठ हैं, रही बात इसकी कि जैसा मैंने कहा प्रश्न के उत्तर में कि यह राजनीतिक लाभ के लिए लाई गई योजना थी.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, जितु भाई इसके लिए घुमाना फिराना ठीक नहीं, इस बात के लिए आप स्पष्ट रूप से बताए. राजनीतिक लाभ के लिए तो सारा का सारा संसार चल रहा है, राजनीति राजनीतिज्ञों के लिए, राजनीतिक व्यक्तियों के लिए, राज्य के हित में, लोकहित में, जनहित में, समाज हित में सारी चीजों में इसके पीछे कहीं न कहीं यह भाव है, कोई कुछ भी कहे मैं यह बात स्वीकार करता हूं.
श्री जितु पटवारी - अच्छा लगा मुझे कि आपने स्वीकार किया कि स्मार्ट फोन आपने वोट के लिए बांटे थे, पर आप बैठे तो मैं उत्तर दूं.
श्री गोपाल भार्गव - आप मंत्री बने हो तो किसके लिए बने हो यह बताओ, ये बेकार की बातें क्यों, काम की बात करें. सीधी सीधी बात बताएं मंत्री जी क्या आप इसी वर्ष छात्रों के लिए मोबाईल उपलब्ध करवाएंगे कि नहीं करवाएंगे? एक लाइन में आप उत्तर दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - आप विराजेंगे तब तो वे खड़े होंगे.
श्री जितु पटवारी - मुझे आपने ही सिखाया है कि जब तक प्रश्नकर्ता खड़ा रहता है तब तक बैठना है, तो अनुरोध यह था कि मैंने जैसा कहा कि योजना पहले तो बंद नहीं की गई है. दूसरा चूंकि योजना में कई खामियां हैं, योजना का राजनीतिक लाभ का, इसलिए मैंने दूसरे प्रश्न के उत्तर में कहा. चेतन कश्यप जी ने सवाल किया कि क्या 2100-2200 रूपए का स्मार्ट फोन आ सकता है, आज तो महंगे स्मार्ट फोन आते हैं, उसमें बैटरियों की जांच हुई.
श्री गोपाल भार्गव - आप हां या न में उत्तर दें. मैं फिर कह रहा हूँ.
श्री जितु पटवारी - यह आप मुझे बाध्य करेंगे कि मैं हां में बोलूँ या न में बोलूँ. यह तो आपका अधिकार नहीं हो सकता. यह मेरा अधिकार है कि उत्तर कैसे दूँगा ? यह आपका क्या तरीका हुआ ? आप अपने शब्दों से उत्तर क्यों चाहते हैं ?
श्री गोपाल भार्गव - मैं स्पेसिफिक प्रश्न पूछ रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - वह ठीक है, लेकिन यह बात भी सही है, यह पूर्व से उदाहरण रहा है. हम मंत्री जी को बाध्य नहीं कर सकते.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. यह क्या बात हुई ? राजनीतिक लाभ के लिए (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - अब वे नहीं दे रहे हैं तो मैं क्या बोलूँ ?
श्री गोपाल भार्गव - यह क्या पूरी साधु-महात्माओं की जमात बैठी है, भजन मंडली है. हम यह जानना चाहते हैं कि (...व्यवधान....)
श्री जितु पटवारी - आपको यह नहीं बोलना चाहिए.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - आपको सन्यासी का प्रमाण-पत्र किसने दिया.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे घोर आपत्ति है.
(...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - भाई, प्रश्नकाल चलने दीजिये.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) - आप दादागिरी से उत्तर लेना चाहेंगे. हमारी सरकार आपका दादागिरी से उत्तर नहीं देगी (...व्यवधान....)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हां या न में उत्तर दिलवा दें. आप इसी वर्ष से मोबाईल उपलब्ध करवाएंगे या नहीं करवाएंगे.
श्री कुणाल चौधरी - लोगों ने चोरी करना छोड़ दिया कि नहीं, हां या न में जवाब दीजिये. इस तरह से बात हो जाएगी. (...व्यवधान....)
डॉ. मोहन यादव - आप जवाबदारी से जवाब नहीं दे रहे हैं.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, विराजिये. आगे के प्रश्न चलने देंगे कि क्या यहीं पर आप लोग अपनी इम्पोर्टेंस बताएंगे ? मैं जिनको परमिट नहीं करता हूँ, आप उनको बिल्कुल नहीं लिखेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा - (XXX)
डॉ. मोहन यादव - (XXX)
श्री चेतन्य कुमार काश्यप - (XXX)
श्री जालम सिंह पटेल - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह क्या तरीका हो गया ? माननीय जिन विधायकों ने प्रश्न किए हैं. मंत्री जी, आप विराजिए, शर्मा जी विराजिए. मूल प्रश्नकर्ता विराजिए. आप मेहरबानी करके बैठिये, बहुत सारे महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. हम एक प्रश्न पर ऐसे उलझकर रह जाएंगे तो जिसका अगला प्रश्न है, उसके मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? वह तो चुपचाप बैठा सोच रहा है कि क्या मेरा प्रश्न आएगा कि नहीं आएगा. उस बात को ध्यान में रखते हुए, यह ठीक है कि मैंने मूल प्रश्नकर्ता को 3 प्रश्न करने की इजाजत की, बाकी किसी को एक दी है तो यह परम्परा रही है कि हम बाध्य नहीं कर सकते हैं. यह आप भी जानते हैं. आपने भी यह सब चीजें देखी हैं, की हैं. आप मेहरबानी करके प्रश्नकाल सुव्यवस्थित चलाने में मुझे सहयोग प्रदान करें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मुझे आपत्ति है. 108 विधायकों का एल.ओ.ओ.पी. प्रश्न कर रहा है और आसन्दी से उत्तर नहीं दिलाया गया तो मेरे यहां पर बैठने का क्या अर्थ है ?
अध्यक्ष महोदय - बाध्य नहीं कर सकते.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष जी (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, आप बैठ जाइये. बाध्य नहीं कर सकते.
श्री गोपाल भार्गव - मंत्री जी, यह बताएं कि इसका उत्तर देंगे कि नहीं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 4, डॉ. योगेश पंडाग्रे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हम लोगों को भी आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - मैंने पूरा संरक्षण दिया हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव - प्रश्न का उत्तर ही नहीं आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी, बाध्य नहीं कर सकते. मैं कितनी बार बोलूँ ? यह आपके समय पर भी चलता था.
श्री गोपाल भार्गव - मंत्री जी, कह दें हां बैठिये.
अध्यक्ष महोदय - वहां से संसदीय मंत्री तक बोलते थे. आप किसी मंत्री को बाध्य नहीं कर सकते.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इसका मतलब हम यहां फालतू बैठे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप किसी मंत्री को बाध्य नहीं कर सकते. (...व्यवधान....)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, अब यदि उत्तर नहीं मिलता है तो हमारे यहां बैठने का क्या अर्थ है ?
अध्यक्ष महोदय - जब आप यहां बैठते थे, तब आप भी यही बोलते थे, नहीं करवाएंगे.
(...व्यवधान....)
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने स्मार्ट फोन के नाम पर जनता के पैसे लूटे हैं. (...व्यवधान....)
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें आपका संरक्षण चाहिए. (...व्यवधान....)
एक माननीय सदस्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, इन लोगों ने 15 वर्षों से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है और दो-दो हजार रुपये के स्मार्ट फोन बांटे हैं. (...व्यवधान....) इन लोगों ने वोट लेने के लिए स्मार्ट फोन बांटे हैं. (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(11.24 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.29 बजे
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या - 4 डॉ. योगेश पंडाग्रे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें आपका संरक्षण चाहिये. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैं इस पर कुछ चर्चा नहीं करूंगा मेहरबानी करके मुझे सहयोग करिये, मुझे संचालन करने दीजिये. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सादा सा प्रश्न है, क्या मंत्री जी जवाब देने की कृपा करेंगे ?(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैं मंत्री जी को बिल्कुल बाध्य नहीं कर सकता हूं. आप वरिष्ठ मंत्री रहे हैं, आप भी पहले जवाब देते आये हैं. माननीय संसदीय मंत्री यहां बैठे हुये हैं, कई मर्तबा वह यही से बोलते थे कि मंत्री को जवाब देने के लिये बाध्य नहीं कर सकते हैं. मेहरबानी करके पुरानी पंरपराओं को ध्यान में रखते हुये मुझे सदन संचालित करने दें. माननीय सदस्यों के इतने महत्वपूर्ण प्रश्न लगे हुये हैं, कल भी ऐसे ही प्रश्नकाल की आहूति चढ़ गई थी. (कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने-अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) आप सभी बैठ जायें. कल भी ऐसे ही प्रश्नोत्तर की आहूति चढ़ गई थी. क्या मैं रोज ऐसे ही प्रश्नोत्तर की आहूति चढ़ा दूं ? माननीय विधायकों को अपने प्रश्न न करने दूं ? यह आप लोग तय कर लीजिये. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि एक प्रश्न का भी सही उत्तर मिल जाये तो पूरी प्रश्नोत्तरी सफल हो जायेगी. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं यह बहस का विषय नहीं है. नेता प्रतिपक्ष जी यह बहस का विषय नहीं है. (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न का भी जवाब सही नहीं आया है. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता जी यह बिल्कुल भी बहस का विषय नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मेरा उल्लेख किया है. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, ऐसा है अगर आपका कोई प्रश्न आये और पूरा सदन ऐसी बात करे तो आपका प्रश्न कहां जायेगा ? एक विधायक प्रश्न उठा रहा है. आप समझिये तो हम कहां जा रहे हैं ? (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या सारे उत्तर हवा में होंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आपसे अनुरोध है, कृपया आप बिराजियेगा. (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मेरा उल्लेख किया है, इसलिये मुझे बोलना है. आपने कहा था कि जब मैं संसदीय कार्य मंत्री था तो यह संसदीय कार्य मंत्री बैठे हैं (डॉ. गोविन्द सिंह जी की ओर देखते हुये) वह जवाब दे देंगे, उनका जवाब आप सुन लें. (व्यवधान)....
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) --माननीय अध्यक्ष महोदय, हमको भी सुन लें, बात यह है कि यह अराजकता पैदा कर रहे हैं. यह सदन में अराजकता पैदा करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपका यह तरीका ठीक नहीं है, क्या मैंने आपको परमीशन दी है ? (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस सदन के संरक्षक हैं लेकिन मैं भी 108 लोगों का संरक्षक हूं (मेजों की थपथपाहट) (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- क्या मैं प्रश्नकाल समाप्त कर दूं ? (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- इनके प्रश्नों का उत्तर दिलाना मेरा कर्तव्य है. मेरा धर्म है. अध्यक्ष महोदय -- मुझे भी यहां 108 विधायकों ने चुनकर बैठाया है. (व्यवधान)....
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) --माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 108 का प्रश्न नहीं है. आप 230 विधायकों के संरक्षक हैं (व्यवधान)....
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह सदन में इस तरह से दबाव बनायेंगे और मंत्री को जवाब देने के लिये बाध्य करेंगे ? (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- संसदीय कार्यमंत्री बोल रहे हैं. (व्यवधान)...
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री जी आपका जवाब देने के लिये तैयार हैं, कृपया कर आप शांतिपूर्वक जवाब सुने. आप इस तरह की बात नहीं कर सकते हैं कि जैसा आप चाहे वैसा मंत्री उत्तर दे. मंत्री अपने नियम कायदे के अंतर्गत और जो उनकी सीमायें और क्षमतायें हैं, उनके अनुरूप आपको उत्तर दे रहे हैं. आप जरा धैर्य रखिये. (व्यवधान)....
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- वह उत्तर नहीं दे रहे हैं, यही विवाद है. वह हां करे या ना करे जो करना है करें, पर वह उत्तर दे कहां रहे हैं. विवाद का विषय डॉक्टर साहब सिर्फ इतना ही है कि वह कोई भी जवाब स्पष्ट रूप से नहीं दे रहे. हमें हां पर आपत्ति है, न ही हमें ना पर आपत्ति है. पर वह हां या न में जवाब दें तो सही.(व्यवधान)....
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपसे अनुरोध है कि कृपा कर आप बैठ जायें.आप धैर्य रखें. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- डॉक्टर साहब आप बैठ जायें. पर मुझे इस बात पर आपत्ति है. यह नियम कानून में विद्यमान चीजें हैं, जिनका उल्लेख समय-समय पर आप लोगों के द्वारा भी किया गया है. हम किसी भी मंत्री को उत्तर देने के लिये बाध्य नहीं कर सकते हैं. अब बात हां या ना की नहीं आती है.(व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस सदन के संरक्षक हैं.
अध्यक्ष महोदय -- (कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने-अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) आप यह बतायें कि यही गरिमा नेता प्रतिपक्ष की होती है कि जब वह खडे़ हों और दस माननीय सदस्य एक साथ खड़े हो जायें ? क्या यह गरिमा भी मैं आप लोगों को सिखाऊं ? क्या यह गरिमा भी मुझे आप सभी लोगों को सिखाना पड़ेगा ?(व्यवधान)....
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न लगे हैं (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे दो वाक्य सुन लें. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. प्रश्न संख्या -5 श्री संजय शुक्ला. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन आपके संरक्षण में चलता है. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या -6 श्री भारत सिंह कुशवाह. (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन विधायकों को सही उत्तर मिले यह भी मेरा कर्तव्य है. प्रश्नों का उत्तर दिलाया जाये और मैं उत्तर दिलाऊं.
अध्यक्ष महोदय -- भाई मैंने मूल प्रश्नकर्ता को 3 प्रश्न करने दिये, आपको बीच में आज्ञा भी दे दी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप पूरे सदन को उद्वेलित कर दें, यह तरीका सही नहीं है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- वह आपकी आज्ञा से ही बोल रहे हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आप पूरे सदन को उद्वेलित कर रह रहे हैं. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नेता प्रतिपक्ष जी ने आपकी आज्ञा से ही प्रश्न पूछा है, अगर आपकी आज्ञा से प्रश्न पूछा है तो जवाब क्यों नहीं आयेगा ?
अध्यक्ष महोदय -- आप परंपराओं से विमुख हो रहे हैं. आप जवाब के लिये बाध्य नहीं कर सकते हैं. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं दबाव की बात नहीं कर रहा हूं, मैं जवाब की बात कर रहा हूं. अगर उन्होंने आपकी आज्ञा से प्रश्न पूछा है तो कुछ जवाब तो आयेगा ही.
अध्यक्ष महोदय -- मैं परंपराओं का पालन कर रहा हूं. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी कोई परंपरा नहीं है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैं अपने नियम नहीं बना रहा हूं. मैं परंपराओं का पालन कर रहा हूं. यह मेरा नियम नहीं है. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- क्या हां और ना मैं जवाब नहीं हो सकता है ? . (व्यवधान).
अध्यक्ष महोदय -- नहीं हो सकता है, यह तो आप बाध्य कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कोई दबाव है ही नहीं. . (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- भाई घर में रोटी परोसी, अब आप बोलो घर में कि बताओ रोटी खाओगे कि नहीं खाओगे. यह तो बाध्य करने वाली ही बात हुई. . (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- हम लोग यहां पर 108 लोग क्यों बैठे हैं ? हम लोग राज्य के हितों की, नौजवानों के हितों की बात करने के लिये बैठे हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- यह हितों की बात नहीं हो रही है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अगर यह प्रश्नोत्तरी है तो उत्तर कहां पर है ?
अध्यक्ष महोदय -- यह आने वाले विधायकों के जो प्रश्न हैं, उनको रोकने की बात हो रही है. आने वाले बहुमूल्य प्रश्न जिन विधायकों के हैं, उनको रोकने की बात हो रही है. आप जितने भी जागरूक विधायक हैं, उनको प्रश्न नहीं करने दे रहे हैं. यह अच्छी चर्चा, अच्छी पंरपरा नहीं है. वरिष्ठ जन आज पूरे नये नये विधायकों के प्रश्न लगे हैं, सभी नये विधायकों के प्रश्न लगे हैं. आप लोग चर्चा नहीं होने देना चाहते हैं. क्या संजय शुक्ला नये विधायक नहीं है, क्या कृष्णा गौर नये विधायक नहीं है ? (व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 साल इन्होंने कितने जवाब दिये, बिजली के मुद्दे पर, घोटालों से बचने की यह साजिश है. आप विधायकों का हक नहीं ले सकते हैं. इनकी कलई न खुल जाये, इनके घोटाले न खुल जाये इसलिये यह व्यवधान मचाते हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आप नये विधायकों के जानबूझकर प्रश्न नहीं आने दे रहे हैं, आप जानबूझकर प्रश्नकाल में बाधा पैदा कर रहे हैं, यह न्यायोचित नहीं है. सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(11.35 बजे सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.)
12.03 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
(अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुये)
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
स्थगन एवं ध्यानाकर्षण की दी गई सूचनाओं पर चर्चा कराई जाना.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, नमस्कार.
अध्यक्ष महोदय-- जय जागेश्वर.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, एक निवेदन था.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष जी, हम लोगों ने स्थगन और ध्यानाकर्षण सूचनायें दी हैं. प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रोफेसर हड़ताल पर हैं. पूरे प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था बहुत ही प्रभावित हुई है. हजारों मरीजों की लाइनें लगी हुई हैं, मरीज लॉन में, कॉरीडोर में बैठे हुये हैं, तड़फ रहे हैं, अनेकों की मृत्यु भी हो चुकी है. इसी तरह से प्रदेश के 1 लाख से ज्यादा कम्प्यूटर आपरेटर्स भी हड़ताल पर हैं, दफ्तरों में काम नहीं हो रहा है. इन दोनों विषयों को लेकर के हम लोगों ने स्थगन और ध्यानाकर्षण की सूचनायें दी है. आप कृपा करके जल्दी से जल्दी इन पर चर्चा करवाने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय-- निश्चित तौर पर मैं आपकी बात को ध्यान में रखते हुये कैसे, किस विषय में कब ले सकता हूं, पूरा ध्यान रखूंगा.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष जी, जब चर्चा हो तब ठीक है, यदि संभव हो तो आप मंत्री महोदया को या जो भी संबंधित मंत्री हैं उनके लिये अभी निर्देशित कर दें, खास तौर से चिकित्सा शिक्षा के मामले में. अध्यक्ष महोदय, यह बहुत लोक महत्व का मामला है और मरीज तड़फ रहे हैं. समाचारपत्रों में भी और ज्ञापन के माध्यम से भी यह सब बातें जानकारी में आई हैं. चर्चा नहीं हो लेकिन यदि आप निर्देशित कर देंगे तो यह बड़ा हित होगा.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग गोपाल भार्गव जी को इतना हल्का मत जानिये. बहुत वजनदार व्यक्तित्व के धनी हैं. उनको सपोर्ट मत करिये. आप जो बोल रहे हैं. आपकी जो चीजें आई थीं मेरे पास किसी न किसी प्रस्ताव के माध्यम से. मैं पहले से ही कह चुका हूं कि इन सबके जवाब मंगवा लें. मैं आलरेडी कर चुका हूं. अब नरोत्तम जी बोलिये लेकिन मुस्करा कर बोलिये
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, तनाव आता ही नहीं है आपको देख लेता हूं. आप जब मुस्कुराते हैं तो मजा आ जाता है. वह गाना याद आता है कि तेरा मुस्कराना गजब ढा गया.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्यक्ष महोदय, हमारी विधान सभा में एक ही स्मार्ट व्यक्ति है अमिताभ बच्चन जी.
गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री(श्री आरिफ अकील) - अध्यक्ष महोदय, " जुल्फें संवारने से बनेगी ना कोई बात, उठिये, मुझ गरीब की किस्मत संवारिये "
डॉ.नरोत्तम मिश्र - " दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिये, बस, एक बार मेरा कहा मान लीजिये."
अध्यक्ष महोदय - अब इतना भी बता दो कि आप दोनों में रेखा कौन, अमिताभ बच्चन कौन ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह निर्णय तो आपको ही करना है. अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना छोटी सी थी. कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में 100 रुपये बिजली का बिल आम आदमी को देने को कहा. हमने संबल योजना में 200 रुपये कहा था इन्होंने 100 कहा. इन्होंने आधा कर दिया. बिजली आधी हो गई. बिल आधा नहीं हुआ. 4-4 हजार, 8-8 हजार,10-10 हजार, 20-20 हजार के बिल पूरे प्रदेश में आ रहे हैं. बिजली नहीं आ रही. बिल आ रहे हैं. हमने इस पर स्थगन और ध्यानाकर्षण दोनों दिये हैं. मेरी प्रार्थना है कि आप चाहें तो नियम 139 पर, चाहे ध्यानाकर्षण, चाहे स्थगन के माध्यम से इन बिलों के ऊपर जो गरीबों को 10-10 हजार के बिल मिल रहे हैं. इस पर आपसे मेरी प्रार्थना है कि इस पर चर्चा जरूर कराएं.
अध्यक्ष महोदय - निश्चित तौर पर इस संबंध में 3 दिन पहले शून्यकाल के पहले यह बात उठाई गई थी और तब भी मैंने कहा था कि हां, जो आमजन से जुड़े हुए विषय हैं. उको जैसे-जैसे बजट सत्र में जो-जो काम निपटते जाते हैं.तद्नुसार मैं इनको कहां ले सकता हूं. मैंने कहा था.
12.08 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी :-
1. श्री के.पी.त्रिपाठी
2. श्री भारत सिंह कुशवाह
3. श्री संजय यादव
4. इंजी.प्रदीप लारिया
5. श्री देवेन्द्र वर्मा
6. श्री पंचूलाल प्रजापति
7. श्री रामकिशोर कावंरे(नानो)
8. श्री दिनेश राय "मुनमुन"
9. श्री शरदेन्दु तिवारी
10. श्री हरिशंकर खटीक
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था(क्रमश:)
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रिविलेज का मामला है. अध्यक्ष महोदय, आप जरा नियम पढ़ लें उसके बाद आगे बढ़ें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, प्रिविलेज मोशन माननीय सदस्य ने दिया है.
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, नियमों में प्रिविलेज मोशन शून्यकाल के पहले आता है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, प्रिविलेज मोशन माननीय विधायक महेश राय जी ने दिया हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - मुझे मालूम है दिया हुआ है लेकिन हर चीज का उल्लेख करना जरूरी है. मैं शून्यकाल में एक या दो सदस्यों को जैसे लोक सभा में प्रथा है मैं एक-दो लोगों को बोलने की अनुमति दे सकता हूं लेकिन हर सदस्य को अनुमति नहीं दे सकता.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, एक-दो सदस्य की नहीं पांच सदस्यों की है.
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राथमिकता क्रम देख लीजिये आप, अध्यक्ष के स्थाई आदेश में.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, प्रिविलेज मोशन पर व्यवस्था दे दीजिये आप.
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल के बाद लिया जाता है प्रिविलेज को.
(..व्यवधान..)
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, एस.डी.एम. ने अपमानित किया है. एस.डी.एम. ने खड़े होकर विधायक को बाहर कर दिया.(..व्यवधान..) आप संरक्षण नहीं दोगे तो कौन देगा. एस.डी.एम. ने कमरे से उनको बाहर कर दिया. चपरासियों जैसा व्यवहार किया.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के कारण दो-दो दिन के प्रश्नकाल नहीं हो सके. समय जाया हो रहा है विधान सभा का, लोक महत्व की चर्चाएं नहीं हो पा रही हैं. ध्यानाकर्षण नहीं आ पा रहे हैं. इस प्रकार की व्यवस्था इन्होंने बनाकर रखी हुई है.
(..व्यवधान..)
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - (XXX)
(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)
(व्यवधान) ..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी) - (XXX)
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)
(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय - पहले आप अपने दल में व्यवस्था बना लीजिए. अगर नेता प्रतिपक्ष खड़े हों और आपके दल के पूरे सदस्य खड़े हों, यह मुझे कहीं से उचित नहीं दिखता है. पहले आप अपने दल की व्यवस्था बना लीजिए. आप खड़े होते हैं पीछे से सब खड़े हो जाते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - हमारे सारे सदस्य पूर्णतः अनुशासित हैं.
अध्यक्ष महोदय - वह खड़े हो जाते हैं कैसे अनुशासित हैं?
श्री गोपाल भार्गव - आपके आदेश का सारे लोग पालन कर रहे हैं. आप देखिए. आप देख सकते हैं. यह बात जो आई है विद्युत कटौती की और उसके साथ में बढ़े हुए विद्युत देयकों की. (XXX)
(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह - (XXX)
12.11 बजे बहिर्गमन
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, सदन में इस पर चर्चा नहीं करवाई जा रही है. प्रदेश के ऐसे लाखों करोड़ों लोग प्रभावित हैं (व्यवधान).. हम इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में प्रदेश में विद्युत कटौती एवं विद्युत देयकों के संबंध में सदन में चर्चा न कराये जाने के विरोध में बहिर्गमन किया गया.)
अध्यक्ष महोदय - जितनी अभी चर्चाएं हुई हैं, पूरी विलोपित. शून्यकाल में मैंने जो पढ़ा, उसके बाद की जितनी बातें हैं वह सब विलोपित.
12.12 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम लिमिटेड, भोपाल का तेरहवां वार्षिक लेखा एवं प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
(2) मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग, इन्दौर का 61वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 स्पष्टीकरणात्मक ज्ञापन सहित
(3) (क) जिला खनिज प्रतिष्ठान शहडोल एवं दमोह के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
(ख) जिला खनिज प्रतिष्ठान छिन्दवाड़ा का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
(4) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, इन्दौर का 15वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
(5) (क) मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
(ख) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 50वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयक
मध्यप्रदेश पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019
ध्यानाकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य से अनुरोध यह है कि आपने मुझसे ध्यानाकर्षण लेने के लिए प्रार्थना की है मैंने उसको ले लिया है. प्वाइंटेड प्रश्न करें, आप सीनियर मंत्री रहे हैं, वर्तमान में विधायक हैं प्वाइंटेड तीन प्रश्न करियेगा. किसी अन्य सदस्य को मैं चर्चा करने का अवसर नहीं दे पाऊंगा क्योंकि आज विभिन्न मांगों पर चर्चा करवाना है, कृपया सहयोग करिये.
उज्जैन जिले में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत सहायक वार्डन की नियुक्ति में अनियमितता से उत्पन्न स्थिति
कुंवर विजय शाह ( हरसूद ) -- अध्यक्ष महोदय,
स्कूल शिक्षा मंत्री( डॉ प्रभुराम चौधरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा यह कहना है कि 2006 से 2017 तक के शिक्षा विभाग के सारे निर्देश मेरे पास हैं. सहायक वार्डन के पद पर नियुक्ति की नियम प्रक्रिया कैसे होना चाहिए, उसका इसमें उल्लेख है. क्या मंत्री जी बतायेंगे कि जब इनकी नियुक्तियां हुई थीं, जिसका आपने अभी उल्लेख किया है. हमारे मंत्रित्वकाल में जब हमारे पास में शिकायत आयी थी तो हमने उसकी जांच करवाई थी और उसे जेल भेजा था. ऐसी एक वार्डन नहीं है उज्जैन में 4 - 5 वार्डनों की नियुक्ति हुई है. आप बतायें कि नियुक्ति के निर्देश और नियम प्रक्रिया क्या थी.
डॉ प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो चिंता व्यक्त की है मैं उनको बताना चाहता हूं कि जो भी नियुक्ति हुई हैं आपके ही कार्यकाल में हुई हैं. हमने एक भी वार्डन या सहायक वार्डन की नियुक्ति नहीं की है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि 2006, 2007 से नियुक्ति चल रही हैं, आप पुनर्नियुक्ति के नियम क्या हैं यह बतायें.
डॉ प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय जो नियम प्रक्रिया हैं वह मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित कर चयन किया जाता है. आवासीय ब्रिज कोर्स में कार्यरत शिक्षिकाओं को प्राथमिकता, आवासीय ब्रिज कोर्स में कार्यरत् शिक्षिकाओं को प्राथमिकता. स्थानीय निवासी महिला को निवास स्थल के छात्रावास में नियुक्त नहीं किया जाएगा. आवेदनों का परीक्षण जिला जेंडर कोर ग्रुप द्वारा. अंतिम चयन एवं पदस्थापना कलेक्टर के अनुमोदन पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा. योग्यता स्नातक हो. व्यावसायिक दक्षता कौशल(Vocational Skill) का डिप्लोमा. बालिकाओं की देखभाल करने में सक्षम हो. बालिका छात्रावास में पूर्णकालिक रुप से रहने हेतु सहमत, सेवाभावी,सहृदय. बालिकाओं की पढ़ाई में भी सहायता कर सकती हों. विधवा,परित्यक्ता, 35 वर्ष से अधिक उम्र की अविवाहित महिलाओं को प्राथमिकता. विवाहित महिलाओं की स्थिति में ऐसी महिलाएं, जिनके बच्चे 10 वर्ष से छोटे न हों, उनको नियुक्ति देने का प्रावधान है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, आपने जो वर्ष 2006,2007 एवं 2008 में सहायक वार्डनों की नियुक्तियां कीं. आप मुझे यह बताइये कि क्या तत्समय जो अधिकारियों ने नियुक्तियां कीं, वह सहायक वार्डन स्नातक थीं क्या. दूसरा, क्या उनके बच्चे 10 साल से छोटे थे.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, नियुक्ति हमने तो की नहीं है. नियुक्ति जो भी हुई हैं, माननीय सदस्य जो पूछ रहे हैं, उन्हीं के कार्यकाल में या उनके शासन के कार्यकाल में ही हुई हैं, लेकिन फिर भी वे जानना चाहते हैं, तो मैं बताना चाहता हूं कि उज्जैन जिले में किसकी नियुक्ति कब हुई है और उनकी क्या योग्यता थी,यह मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं. केजीबीव्ही, उज्जैन में सुश्री मधु चौहान, 12.7.2007 को, स्नातक थीं. केजीबीव्ही पानबिहार, घटिया श्रीमती रफत बैग 27.10.2005 को, स्ननातक. केजीबीव्ही, महिदपुर श्रीमती सुधा बाली 8.10.2007, स्नातक. केजीबीव्ही नागदा, श्रीमती सीमा ठाकुर 20.8.2008 को हायर सेकेण्डरी. बालिका छात्रावास,तराना श्रीमती दीप्ती भारती 27.10.2006 हायर सेकेण्डरी. बालिका छात्रावास, उज्जैन श्रीमती मंजुश्री ठक्कर 26.10.2006 स्नातक. बालिका छात्रावास नांदेड कु. राखी चन्द्रावत 16.6.2011 हायर सेकेण्डरी. बालिका छात्रावास, नजरपुर श्रीमती ज्योति चौहान 12.12.2006 हायर सेकेण्डरी. बालिका छात्रावास, खाचरोद सुश्री सीमा नागपुरे 8.3.2019 स्नातक. बालिका छात्रावास, चांपाखेड़ा श्रीमती शारदा नवल 21.1.2013 स्नातक. बालिका छात्रावास, झारडा श्रीमती गेंदकुंवर राय 1.11.2007 स्नातक.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, इसमें पुष्पा चौहान की जिस समय नौकरी लगी, उस समय वह ग्रेजुएट नहीं थी. डाक्युमेंट के आधार पर हमने जांच की. ऐसी और भी हैं दीप्ती मेडम भी हो सकती हैं, जिनकी बहुत सारी चीजें इसमें हैं. मंत्री जी, मेरा एक ही प्रश्न है कि वर्ष 2006 से लेकर के बाकी जो नियुक्तियां हुई हैं, मेरी जानकारी के मुताबिक उसमें अनियमितताएं हुई हैं. क्या विस्तार से, यहां से भोपाल से अधिकारी भेज करके सहायक वार्डनों की नियुक्ति की जांच करायेंगे. दूसरा, जो उस समय, जिनके बच्चे नियम में नहीं आते थे, छोटे थे, उनकी नियुक्तियां हुई हैं. जो ग्रेज्युएट नहीं थीं, उनकी नियुक्तियां हुई हैं और जो छात्रावास में नहीं रहती हैं, उनकी नियुक्तियां हुई हैं, उनकी विस्तार से मेरे पास जानकारी है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अनुमति चाहूंगा कि मैं सारी जानकारी मंत्री जी को उपलब्ध करवाता हूं. वे भोपाल से किसी अधिकारी को भेज करके विस्तार से इसकी जांच करायेंगे क्या.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विजय शाह जी ने जो चिंता व्यक्त की है. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि जो अनियमितताएं हुई थीं, श्रीमती रत्ना जॉनी, जिनको 4.12.2007 को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. नम्बर दो, पुष्पा चौहान, जिनको 26.4.2018 को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. उसके बावजूद भी माननीय सदस्य चाहते हैं कि इसमें जांच होना चाहिये, तो वे हमे जानकारी उपलब्ध करा दें, हम उसकी जांच करा लेंगे.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जांच कराकर इसी विधान सभा सत्र के अंदर जानकारी देंगे, तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय -- विजय शाह जी, पहले उनको जानकारी दे दीजिये, फिर वे पलटाकर आपको जानकारी दे देंगे.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, यह बच्चियों और बालिकाओं से जुड़ा हुआ प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- यह कौन मना कर रहा है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि विधान सभा सत्र खत्म होने के पहले अगर आप जानकारी पटल पर रखेंगे, तो बड़ी मेहरबानी होगी.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में ही बताया है, अभी हमें सरकार में आए हुए सिर्फ 6 महीने ही हुए हैं, हमने तो किसी की नियुक्ति की नहीं, जो भी अगर अनियमितताएं इनके शासनकाल में हुई हैं, उनकी पूरी जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, श्री विनय सक्सेना अपनी ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- हमें कोई दिक्कत नहीं है, हम आपकी भावनाओं से सहमत हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप दोनों को दिक्कत नहीं है भाई, पुराने शिक्षा मंत्री और नए शिक्षा मंत्री, आप दोनों को दिक्कत नहीं है. धन्यवाद.
2. ग्वालियर स्थित राज्य महिला अकादमी द्वारा प्रदेश की महिला खिलाड़ियों को प्रताड़ित किया जाना
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर) -- अध्यक्ष महोदय,
खेल और युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) -- आदरणीय अध्यक्ष जी,
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्य तो यह है कि यह वे आधार कार्ड हैं जिसमें उत्तरप्रदेश के आधार कार्डों की कॉपी लगी है. यह शिवानी यादव से लेकर ज्योति सिंह, रितिका सिंह, छवि, पूनम, अक्षिता यादव, के आधार कार्डों की कॉपी उत्तरप्रदेश की हैं. यह सभी गाज़ीपुर, उत्तरप्रदेश, सीपरी बाजार, इलाहाबाद, यह सब फर्जी आधार कार्ड हैं क्योंकि वास्तविक रूप से अगर हिन्दुस्तान में, उत्तरप्रदेश के आधार कार्ड सही हैं, तो फिर यह मध्यप्रदेश के आधार कार्ड कैसे बन गये ? अधिकारी अगर इस तरह से फर्जी कागज़ात विधान सभा में सबमिट करेंगे और हर बात को असत्य मान लेंगे, तो इन आधार कार्डों की जांच करा ली जाये. यह माननीय खिलाडि़यों के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है, यह अक्षम्य है, क्योंकि प्रदेश के खिलाडि़यों का जो भाग्य है, उसको आपने कचरे के डब्बे में डाल दिया है.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य की भावना पवित्र है. मैं, मानता हूं कि अकादमी का जो उद्देश्य था कि उत्कृष्ठ खिलाडि़यों को हमारे मध्यप्रदेश के खिलाडि़यों के साथ रखकर, खिलवाकर उनके खेल में प्रवीणता लायी जाये. स्थानीय प्रमाण पत्रों की जांच करने का प्रॉवीजन जिला प्रशासन के पास है. मैं, समझता हूं कि यह खेल विभाग से संबंधित विषय नहीं आता है, फिर भी चूंकि माननीय सदस्य ने जो अनुरोध किया है कि उत्तरप्रदेश के कार्ड बने हुए हैं, तो विभाग इसकी जॉंच करायेगा. जिला प्रशासन को लिखेगा और अगर यह सही पाया गया, तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही भी की जायेगी.
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे तीन प्रश्न हैं, जैसा आपका आदेश हो.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करिये.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, भारी अनियमितता का मामला आधार कार्ड के माध्यम से सामने दिख गया, कागजात मेरे पास सुरक्षित हैं. बाहरी प्रदेश के खिलाड़ी बोर्डिंग में 50 परसेंट से ज्यादा रह रहे हैं, जो कि रह नहीं सकते. नियम 1. परमजीत सिंह जो इस अकादमी के अध्यक्ष हैं, उनका मकान भत्ता भी मध्यप्रदेश सरकार दे रही है, जबकि उनको सेन्ट्रल से पैसा मिलता है. उनको गृह भाड़ा के साथ-साथ मानदेय 10,000 मिल रहा है और अन्य कई राशियां उनको प्रदेश सरकार दे रही है. क्या हिन्दुस्तान में एक अधिकारी दो-दो सरकारों से पैसा ले सकता है ? यह भी एक जाँच का विषय है. एक और मैं, आपसे कहना चाहता हूं कि जबलपुर के 20 खिलाडि़यों ने वहां रहने की माँग की थी, लेकिन उनको आज तक प्रवेश नहीं दिया जा रहा, क्योंकि उनको मालूम है कि जबलपुर की प्रतिभाएं जरूरत से कुछ ज्यादा और अन्याय के खिलाफ बात करने की हिम्मत भी रखती हैं, इसलिये जबलपुर के खिलाडि़यों को रहने की अनुमति नहीं दी जा रही. माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि अगर उनमें भी प्रतिभा हो, तो जबलपुर के उन खिलाडि़यों को भी वहां रहने की, बोर्डिंग की अनुमति दिलाने का कष्ट करेंगे.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बता दूं कि पहला, हम उनको कोई मकान का भत्ता आदरणीय कोच, जिनका आपने नाम बताया है, उनको नहीं दे रहे हैं. दूसरा, इस एकेडमी में प्रवेश की एक प्रक्रिया होती है, उसके ट्रायल होते हैं और उसके अनुरूप ही बोर्डिंग में, एकेडमी में रखने का प्रॉवीजन होता है. जबसे यह नई सरकार बनी, तबसे इसमें और पारदर्शिता कैसे आये, जब ट्रायल होते हैं उनकी वीडियोग्राफी के साथ-साथ उसके क्रॉस वेरीफिकेशन की व्यवस्था भी हमने की है ताकि जो बच्चों का चयन हो, वह खिलाड़ी की जो उपयोगिता है, जो उसकी योग्यता है, उसके आधार पर हो. यह हमने प्रयास किया है. जहां तक प्रश्न यह है कि अगर सर्विस में कोई व्यक्ति दो जगह से लाभ ले रहा है तो इसकी भी जॉंच कराने का शासन प्रयास करेगा.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - अध्यक्ष जी, मैं, आपकी अनुमति से कुछ बोलना चाहता हूं. माननीय सदस्य का मूल प्रश्न यह था और भावना भी यह थी कि जबलपुर के खिलाडि़यों को वहां पर जगह नहीं दी जा रही है. इस पर माननीय मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया है.
श्री जितु पटवारी-- माननीय मंत्री जी, मैंने कहा कि एकेडमी में प्रवेश को लेकर एक नियम, एक प्रक्रिया, होती है, जिसकी ट्रायल होती है...
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, ये केबिनेट में तय तो कर लिया करें, कब क्या बना रहे हों.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, यह भी एक दुर्भाग्य है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, भाग्य है ये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- ये तो पूरे समय सब जाँचें ही कराते रहेंगे और एक मंत्री कह रहा है कि यह मंत्री जवाब सही नहीं दे रहा है. मैं नहीं कह रहा, आप कार्यवाही देख लें.
श्री तरुण भनोत-- ये नहीं कहा. (हँसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- वित्त मंत्री कह रहे हैं कि खेल मंत्री जवाब ठीक नहीं दे रहे.
हर जगह खेल खेलने लगते हैं.
श्री तरुण भनोत-- आप इसको खेल भावना से नहीं ले रहे हैं. मैंने यह कहा कि इसका जवाब भी दे दें कि जबलपुर....
अध्यक्ष महोदय-- आप दोनों लंगड़ी-धप्प न खेलें. (हँसी)
श्री विनय सक्सेना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय नरोत्तम भैय्या तो दूसरे की डी में भी जाकर खेलने लगते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न करिए.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि क्या वहाँ पर बोर्डिंग में जो फिफ्टी-फिफ्टी आपने बाहर के प्रदेश के लोगों को रखा है, कृपा कर सबसे महत्वपूर्ण जो बात है उस पर मंत्री जी गौर करेंगे? खिलाडियों को खेल के माध्यम से नौकरियाँ मिल जाती हैं. हमारे प्रदेश के इन खिलाड़ियों को नौकरी का मौका इसलिए नहीं मिलेगा क्योंकि हमारे खिलाड़ी कम खेल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक बात है.
श्री विनय सक्सेना-- मैं तो चाहता हूँ कि पूरे प्रदेश की तरफ से समर्थन मिलना चाहिए, सबका संरक्षण मिलना चाहिए (मेजों की थपथपाहट) कि पूरे प्रदेश के खिलाड़ियों को मौका दिया जाए. (मेजों की थपथपाहट) बल्कि जो 20 परसेंट का कोटा किया गया है, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से भी संरक्षण चाहता हूँ कि 80 और 20 का कोटा और किसी प्रदेश में नहीं है और कोई प्रदेश 20 परसेंट भी नहीं लेता. यह तो हमारा हृदय बहुत बड़ा है कि हर जगह हम दूसरे लोगों को मौका दे देते हैं, तो यह 80 और 20 भी खत्म किया जाए और 100 परसेंट प्रदेश में अगर खिलाड़ी उपलब्ध हैं, किसी विशेष परिस्थति में ही बाहर के खिलाड़ियों को मौका मिलना चाहिए. ऐसी नीति बनाई जाए. अध्यक्ष जी, मैं हाथ जोड़कर आप से आग्रह करता हूँ, आपका संरक्षण चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश के खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने की इस नीति को रोका जाए और माननीय मंत्री जी इस पर जाँच करके, अगर वह अधिकारी दोषी है जिसके कागजात मेरे पास हैं, अगर कलेक्टर जाँच में आधार कार्ड फर्जी पाता है तो इनके खिलाफ केस रजिस्टर्ड, सिर्फ उन खिलाड़ियों के नाम नहीं होना चाहिए, वे तो पैसे की लालच में, पैसा देखकर आए, व्यापम टाइप के, लेकिन उन अधिकारियों ने, जिन्होंने हिम्मत दिखाई है, उनको जेल में जाना चाहिए. यह मेरा आप से आग्रह है.
श्री जितु पटवारी-- माननीय अध्यक्ष जी, सदस्य जी के लास्ट के वक्तव्य में तीन प्रश्न उद्भूत हुए हैं, एक तो उन्होंने कहा कि 80:20 के रेशियो को समाप्त कर देना चाहिए.
80: 20 के रेशियो का इसलिए मैंने पहले अपने जवाब में कहा था कि खिलाड़ियों की प्रवीणता को निखारने के लिए, अच्छे खिलाड़ियों को साथ रखना, एक अच्छी परंपरा है उसके मापदण्ड के अनुरूप यह विभाग ने निर्णय लिया था. दूसरा प्रश्न यह था कि क्या जाँच में उन लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर. होगी, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी...
श्री अजय विश्नोई-- (माननीय मुख्यमंत्री जी के आसन पर किसी अन्य माननीय सदस्य द्वारा आकर बैठ जाने पर) माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या मुख्यमंत्री जी की सीट पर कोई और आ गए हैं, आपके नये मुख्यमंत्री जी एप्वाईंट हो गए हैं?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई स्थायी व्यवस्था दे दें, रोज-रोज बोलना पड़ रहा है कि मुख्यमंत्री जी की कुर्सी पर काँग्रेस के सदस्य रोज-रोज बैठ जाते हैं. (तदुपरान्त माननीय सदस्य माननीय मुख्यमंत्री जी के आसन से उठ गए.)
श्री जितु पटवारी-- आदरणीय अध्यक्ष जी, मैंने जाँच का आश्वासन दे दिया है कि ऐसे फर्जी सर्टिफिकेट से कोई बच्चा अगर वहाँ रह रहा है, जिसकी योग्यता नहीं थी और....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- गोविन्द सिंह जी मना भी नहीं करते रोज कोई न कोई बैठ रहा है.आप भी चाह रहे हैं बिल्कुल.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप तो जारी रखिए.
श्री जितु पटवारी-- फर्जी बना उसकी जाँच होकर कार्यवाही की जाएगी. तीसरे प्रश्न का उत्तर यह है कि मध्यप्रदेश के बच्चों को नौकरी मिले, यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है और मैं माननीय सदस्य को धन्यवाद देना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी की सरकार आई उसके बाद हमने निर्णय लिया कि हर प्रोत्साहन का वह विषय, जो खिलाड़ियों के लिए अवसर प्रदान करे और माता-पिता की सोच ऐसे कैसे बने कि हमारे बेटे का मैं खेल के माध्यम से अपना भविष्य चुनूँ, ऐसा वातावरण माननीय कमलनाथ जी की सरकार बनाने वाली है. हमने आकर कई निर्णय लिए. मैं कई बार प्रेस के माध्यम से बता चुका हूँ और माननीय सदस्यों को एक एक कॉपी फिर पहुँचवाऊंगा कि हमारी नई सरकार बनने के बाद प्रोत्साहन के रूप में, चाहे व नौकरी का हो, चाहे आर्थिक हो, चाहे अन्य अलग-अलग प्रकार के और प्रोत्साहन, जैसे-जैसे भी दे सकते हैं, उसमें हमने खूब बढ़ोत्तरी की है और खूब बढ़ोत्तरी का अर्थ है सौ गुना तक बढ़ोत्तरी. मैं समझता हूँ आपकी भावना से विभाग अवगत है और हम आगे और इसमें प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- (नेता प्रतिपक्ष जी एवं श्री रामपाल सिंह जी के खड़े होने पर) पहले मेरे को तो कह लेने दो, पहले मैं कह लूँ? रामपाल जी, मेहरबानी करके तशरीफ़ रखिए. मंत्री जी, पहली बात, मध्यप्रदेश की लड़कियाँ क्यों नहीं खेल पा रही हैं? बाहर की लड़कियों को लाकर आप अगर पारितोषक जीत रहे हैं तो कहीं न कहीं मध्यप्रदेश की लड़कियों के साथ कुठाराघात है. (मेजों की थपथपाहट) नंबर दो, जितने भी कागज माननीय विधायक जी आपने दिए हैं, वह आप पटल पर रख दीजिए, उनकी जाँच होगी. (मेजों की थपथपाहट) नंबर 3 यह भी सुनिश्चित कर लीजिए कि जो लड़कियाँ वहां रह रही हैं, मैं बोल रहा हूँ उसको संज्ञान में ले लीजिए. वहां पर पिछले दो साल में क्या-क्या घटनाएं लड़कियों के साथ हुई हैं उसको संज्ञान में लीजिए और वहां के अधिकारियों ने जो-जो चीजें की हैं उनके ऊपर एक्शन करिए, उसके कागज मैं आपको अलग से उपलब्ध करवा रहा हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष जी आप छा गए, आपको बहुत धन्यवाद. कोटिश: धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, सारे सम्मानित सदस्यों की ओर से आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. गजब कर दिया आपने, सबेरे वाली कसर निकाल दी.
श्री जितु पटवारी--माननीय अध्यक्ष जी, मैं कुछ कहना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--जवाब आने दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था आ गई अब क्या दिक्कत है. आपकी व्यवस्था पर अब जवाब ?
अध्यक्ष महोदय--अच्छा ठीक बात है. हमारी व्यवस्था है .
श्री जितु पटवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय ने जो व्यवस्था दी है और जो निर्देशित किया है, विभाग उसका अक्षरश: पालन करेगा और एक माह के अन्दर जाँच प्रतिवेदन फिर से पटल पर रखेगा.
अध्यक्ष महोदय--अब आप लोग बैठ जाइए. अब कार्यवाही आगे चलने दें. गोपाल जी अब आगे चलने दीजिए, प्लीज.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, अभी जब शून्यकाल शुरु हुआ था तो आपकी अनुमति से...
अध्यक्ष महोदय-- अब पीछे मत जाओ.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण है हम लोगों ने बिजली के संबंध में, बिजली कटौती के संबंध में, मेडिकल प्रोफेसर्स की हड़ताल के संबंध में और कम्प्यूटर ऑपरेटर्स के संबंध में बातें रखी थीं. मुझे यह जानकारी मिली है कि शायद उनको कार्यवाही से विलोपित किया गया है. हम प्रदेश भर के लोगों का यहां पर प्रतिबिम्ब हैं.
अध्यक्ष महोदय--मैं कार्यवाही देख लूंगा, चलिए हो गया. आपने प्रश्न किया मैं कार्यवाही देख लूंगा. विराजिए. अच्छा उस समय की कार्यवाही हो गई होगी. अब तो बात आ गई न.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--आ गई. अध्यक्ष महोदय, कल जब मैं ध्यानाकर्षण पढ़ रहा था तब आपके निर्देश पर संसदीय कार्य मंत्री जी ने 24 घंटे में कार्यवाही करने का कहा था. अब 24 घंटे हो गए हैं इसलिए मैं पूछ रहा हूँ कल मंत्री जी ने कहा था इस पर व्यवस्था हो जाए. मेरे ध्यानाकर्षण पर संसदीय कार्य मंत्री जी ने जवाब दिया था, गृह मंत्री जी जब जवाब दे रहे थे कि हम 24 घंटे में कार्यवाही करेंगे. तो क्या कार्यवाही हुई 24 घंटे हो गए हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो 24 घंटे का नहीं कहा था मैंने (हँसी) आप कार्यवाही निकाल लीजिए. लेकिन हमें यह विश्वास है कि हमारे गृह मंत्री जी जिन्हें आज अन्य विषयों पर जवाब देना है उनके पास तकनीकी शिक्षा विभाग भी है, बजट आने वाला है. उन्होंने कहा था लेकिन कार्यवाही उन्होंने कल ही की है कल शाम तक ही कोई निर्देश दिए हैं. जब माननीय मंत्री जी आ जाएंगे तो आपको अलग से अवगत करा दिया जाएगा.
12.44 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जाएंगी.
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय--आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.45 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
माननीय मुख्यमंत्री से संबंधित मांगों के बारे में प्रक्रिया संबंधी
सदन द्वारा सहमति दी गई.
12.46 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान..(क्रमश:)
(1) |
मांग संख्या 11 |
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन |
|
मांग संख्या 15 |
तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं |
|
मांग संख्या 21 |
लोक सेवा प्रबंधन |
|
मांग संख्या 32 |
जनसम्पर्क |
|
मांग संख्या 46 |
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी |
|
मांग संख्या 47 |
तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार |
|
मांग संख्या 51 |
अध्यात्म |
|
मांग संख्या 65 |
विमानन |
|
मांग संख्या 70 |
प्रवासी भारतीय |
|
मांग संख्या 72 |
आनंद. |
अध्यक्ष महोदय--अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्ताव की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है, प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने हेतु सहमति देंगे, उनके कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या- 11 औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन
श्री बहादुर सिंह चौहान 7
मांग संख्या - 15 तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से
संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त
परियोजनाएं.
श्री बहादुर सिंह चौहान 1
मांग संख्या - 21 लोक सेवा प्रबंधन
श्री बहादुर सिंह चौहान 1
मांग संख्या - 32 जनसम्पर्क
श्री बहादुर सिंह चौहान 2
मांग संख्या - 46 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 2
श्री बहादुर सिंह चौहान 4
मांग संख्या - 47 तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास
एवं रोजगार
डॉ. सीतासरन शर्मा 2
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 9
मांग संख्या - 51 अध्यात्म
श्री बहादुर सिंह चौहान 2
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 4
मांग संख्या - 65 विमानन
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 1
श्री बहादुर सिंह चौहान 3
मांग संख्या - 70 प्रवासी भारतीय
इस मांग संख्या में कोई भी कटौती प्रस्तावित नहीं है.
मांग संख्या - 72 आनंद
इस मांग संख्या में कोई भी कटौती प्रस्तावित नहीं है.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब, मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
12.47 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
मांगों एवं कटौती प्रस्ताव पर सदस्यों के नाम दिए जाने संबंधी
अध्यक्ष महोदय-- मेरा अनुरोध है, फिर से कर रहा हूँ जो कल मैंने किया था. आप लोगों की बुराई मेरे ऊपर न लादें. आप ज्यादा नाम दे देंगे अध्यक्ष महोदय के ऊपर बुराई हाथ लगेगी. मैंने अनुरोध किया था कि 2 सीनियर और 3 जूनियर, मेहरबानी करके इसमें अगर काम करेंगे तो अंतिम मांग पर भी चर्चा होगी. यदि हम इसको अभी खींचते हुए ले जाएंगे तो फिर अंतिम मांगों की चर्चा नहीं हो पाएगी. इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए सहयोग दीजिएगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी की तरफ से अधिकृत वित्त मंत्री जी ने अभी अनुदान की मांगों का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. मैं इसके विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि वित्त मंत्री जी ही इसका जवाब देंगे और वित्त मंत्री जी के बजट भाषण में ही उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की सोच है कि औद्योगिक निवेश मांगने से नहीं आता है, यह व्यवस्था में विश्वास से आकर्षित होता है. मैं विरोध नहीं करना चाहता हूँ लेकिन पिछले 7-8 महीनों का जो शासन रहा है उस पर सरकार को आत्म चिन्तन करने की जरुरत है कि क्या वास्तव में जो विश्वास मध्यप्रदेश के प्रति निवेशकों के मन में पिछले 15 सालों में मध्यप्रदेश की सरकार ने पैदा किया था क्या वह विश्वास उस तरीके से कायम है या नहीं है. हम लोग इस बात को भूल नहीं सकते हैं कि मध्यप्रदेश की हालत इस प्रकार से हो गई थी. मध्यप्रदेश की हालत इस प्रकार से हो गई थी कि मध्यप्रदेश में निवेश करने वाले मध्यप्रदेश से किनारा करने लगे थे, लेकिन कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता है कि एक समय ऐसा भी आया जब निवेशक देश के अंदर सबसे बेहतर डेस्टीनेशन मध्यप्रदेश को मानने लगे थे और इसके पीछे कारण थे. निवेश ऐसे नहीं आता है. निवेशक देखता है कि वहां पर बिजली की स्थिति कैसी है, निवेशक देखता है कि वहां पर सड़कों की स्थिति कैसी है, निवेशक देखता है कि वहां पानी है कि नहीं है, वहां की इंडस्ट्रीयल पॉलिसी कैसी है, वहां ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस कैसा है, वहां पर उद्योग क्षेत्र कितने हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि हम निवेश करने जाएं और विकसित क्षेत्र ही हमको न मिले और यदि उद्योग क्षेत्र है तो उसको उद्योग लगाने के लिए किस दर पर जमीन मिल रही है. मुझे इस बात का कष्ट हुआ जब आपने अपने बजट भाषण में पिछले 15 सालों में जो क्रांतिकारी बदलाव हुआ जिसके कारण निवेशक तेजी के साथ मध्यप्रदेश की और आकर्षित हुए, उसके बारे में आपने अपने बजट भाषण में एक भी शब्द का उल्लेख नहीं किया. सरकार किसी की भी हो सकती है कल हमारी थी, आज आपकी है, लेकिन सरकार तो सरकार है प्रदेश तो वही है. यदि हम अपने बजट भाषण में उद्योग क्षेत्र में किए गए क्रांतिकारी सुझाव की चर्चा नहीं करेंगे तो निवेशकों के बीच में कैसा संदेश जाएगा? क्या वह यह नहीं सोचेंगे कि अब मध्यप्रदेश फिर से बदल गया है, चलो अब गुजरात चलते हैं, चलो अब महाराष्ट्र चलते हैं और इसीलिए आपने कहा है कि हमारे मुख्यमंत्री जी का नाम देश, विदेश के उद्योग जगत में सम्मान के साथ लिया जाता है. हम इसका स्वागत करते हैं, हमें इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि हम वह लोग नहीं हैं कि जब नरेन्द्र मोदी जी ने उद्योग जगत को आकर्षित करने के लिए जो तमाम तरह के प्रयास किए, Make in India का नारा दिया तो कुंठा से ग्रसित विपक्ष ने कहा था यह सूट-बूट की सरकार है. हम यह नहीं कहेंगे कि आपकी सरकार सूट-बूट की सरकार है. हम मुख्यमंत्री जी की पृष्ठभूमि में भी नहीं जाएंगे. सूट-बूट की सरकार हो, चाहे न हो लेकिन आपकी पॉलिसीज़ क्या हैं? आपके पास योजनाएं क्या हैं? क्या ऐसा खतरा तो पैदा नहीं हो जाएगा कि जिन उद्योग क्षेत्रों को विकसित करने के लिए हम लोगों ने हजारों करोड़ के टेंडर करके उन योजनाओं को पूरा किया और जो योजनाएं चल रही हैं कही उनका बंद होने का खतरा तो नहीं रहेगा. मैं नेता प्रतिपक्ष जी की उस बात का पूरा समर्थन करता हूं जब उन्होंने बजट पर भाषण दिया था. उन्होंने कहा था दो लाख पैंतीस हजार करोड़ का जो बजट आपने प्रस्तुत किया है यदि वित्तीय अनुशासन नहीं रहेगा तो भुगतान पर रोक लग जाएगी. हम लोगों ने ऐसे मध्यप्रदेश को देखा है कि टेंडर हो गए, वर्क आर्डर हो गए, काम शुरू हो गया, लेकिन ठेकेदारों के भुगतान रुक जाते थे, अधिकारियों, कर्मचारियों की तनख्वाह रुक जाती थी, ओवरड्राफ्ट हो जाता था. उस वित्तीय अनुशासन के लिए हमने क्या व्यवस्थाएं की हैं. जहां से हमने पैसा उठाने की सोची है क्या उनके लिए जो आवश्यक औपचारिकताएं हैं उसको पूरा करने की हमने व्यवस्था की है. मुझे याद है जब हमारी सरकार बनी थी तो मध्यप्रदेश के उद्योगपति नियामक आयोग में रातभर के लिए धरना देकर बैठे रहा करते थे. उद्योगों को भी हम 24 घण्टे बिजली नहीं दे पाते थे. यह बात अलग है कि जब संकल्प लिया गया तो उद्योगों को 24 घण्टे बिजली देना तुरंत शुरू कर दिया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में, घरेलू क्षेत्रों में भी 24 घण्टे बिजली देने का ऐसा काम किया जिसका इसी विधान सभा में ऊर्जा मंत्री के नाते जब मैंने घोषणा की थी कि 24 घण्टे बिजली देंगे तो विपक्ष के सारे साथियों ने खड़े होकर कहा था कि 24 घण्टा बिजली देंगे. हो ही नहीं सकता, यह असंभव है तो मैंने कहा था कि आप लोगों ने बिजली क्षेत्र को क्या इतना बिगाड़ दिया. क्या आपको अपने बिगाड़ने पर इतना भरोसा है.
12:54 बजे उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.
उपाध्यक्ष महोदया, यदि हम 24 घण्टा बिजली देना चाहते हैं तो क्या हम 24 घण्टा बिजली नहीं दे सकते हैं. आखिर हम ऐसी कौन सी गलत बात कर रहे हैं और आपने देखा है कि यदि इच्छाशक्ति, दिशा सही हो, दृष्टि सही हो, तो संकल्प कैसे पूरा होता है यह 24 घण्टे बिजली देकर हम लोगों ने पूरा करके दिखाया था. मध्यप्रदेश में बाहें फैलाई हुईं फोर लेन की शानदार सड़कें बनेंगी क्या कभी किसी ने सोचा था, लेकिन आज जिस तरह से सड़कें बनी मुझे याद है मण्डीदीप के उद्योगपति हमेशा कहते थे कि भोपाल से मण्डीदीप के बीच एक पुल बन जाए. इस प्रकार की यहां की सड़क बन जाए और उद्योगपतियों से बात करके जिस प्रकार से व्यवस्थाएं की क्या वर्ष 2008 के पहले मध्यप्रदेश की धरती पर इनवेस्टर समिट हुआ करते थे. आप देखिए क्या पहले सरकारें नहीं हुआ करती थीं. लेकिन इनवेस्टर समिट नहीं होता था.
उपाध्यक्ष महोदया, मुझे याद है जब मैं विधायक भी नहीं था और मुम्बई में कुछ लोगों के साथ बैठा था तो लोगों ने कहा कि आपके मध्यप्रदेश को तो कोई जानता ही नहीं है. मध्यप्रदेश में क्या है? उस समय मुझे लगता था कि हमारे मध्यप्रदेश को मुंबई में हमारे देश में ही कोई नहीं जानता है तो दुनिया में कैसे जानेंगे और फिर मध्यप्रदेश में लोग कैसे अपना निवेश करने के लिए आएंगे. लेकिन मैं आदरणीय शिवराज सिंह जी को धन्यवाद देता हूं, बधाई देता हूं उन्होंने जो दृढ़इच्छाशक्ति का परिचय दिया है. वर्ष 2008 में उन्होंने इनवेस्टर समिट किया, वर्ष 2010 में उन्होंने इनवेस्टर समिट किया, वर्ष 2014 मे किया, वर्ष 2016 में किया. मुम्बई में, दिल्ली में, हैदराबाद में, अहमदाबाद में रोड शोज़ किए. विदेशों में जाकर इंटरनेशनल रोड शोज़ किए और जब मुख्यमंत्री जी भाषण के दौरान मध्यप्रदेश में बिजली, सड़क, पानी के क्षेत्र में हमारी उद्योग नीति के बारे में, हमारे तेजी से विकसित हो रहे उद्योग क्षेत्रों के बारे में जब चर्चा करते थे तो बड़े-बडे़ उद्योपति कहते थे कि हमको मालूम ही नहीं था कि मध्यप्रदेश इतना बदल गया है. उसके बाद जिस तरह से मध्यप्रदेश में उद्योग लगाने की होड़ चालू हुई है चाहे वह टैक्सटाईल का क्षेत्र रहा हो, चाहे वह ऑटोमोबाईल का क्षेत्र रहा हो, चाहे वह फार्मास्यूटीकल क्षेत्र रहा हो, चाहे रिन्यूएबल एनर्जी का क्षेत्र रहा हो, क्या हम कभी सोच सकते थे कि मध्यप्रदेश के रीवा के गुढ़ में पांच हजार करोड़ का निवेश करके साढ़े सात सौ मेगावाट का सोलर प्लांट जो उस समय दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट हो सकता था उसको लगाने का काम मध्यप्रदेश की धरती पर किया जाएगा. अमेरिका के केलिफोर्निया में 550 मेगावॉट का सोलर प्लांट था. यह बात अलग है कि जब हमारा सोलर प्लांट का काम शुरू हो गया था वह आज पूरा हो गया है. अब चाईना में, दुबई में भी हजार, दो हजार मेगावॉट के सोलर प्लांट बनना शुरू हो गए हैं लेकिन जब हमने शुरू किया था तो वह दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट था. वॉल्वो, आईसेट जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां जिन्होंने यह तय कर लिया था कि हम बैंगलोर में एक प्लांट लगाएंगे और फिर बाकी दूसरा, तीसरा, चौथा भी बैंगलोर में लगाएंगे. उन्होंने जब मध्यप्रदेश की स्थिति देखी तो उन्होंने कहा कि हम दूसरा प्लांट इंदौर में लगाएंगे तो दूसरा इंदौर में लगाया, फिर तीसरा लगाया, चौथा लगाया पांचवा, छठवां लगाया और अब सातवां भोपाल के बगरौदा में वॉल्वो आईसर सोलर प्लांट लगा है. हम लोग जानते हैं कि आई.टी. का क्षेत्र हमारे नेता प्रतिपक्ष जी बता रहे हैं हमारी आई.टी. के क्षेत्र से कितने रोजगार के अवसर पैदा होते हैं. हम रोजगार की बात करते हैं कि रोजगार किन क्षेत्रों से पैदा हो सकता है. इसमे टेक्सटाईल का क्षेत्र है, इसमें आई.टी. का क्षेत्र है. आई.टी. के क्षेत्र में जिस तरीके से प्रयास किए गए.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- थोड़ा राजीव जी के बारे में भी बोल दें कि इस देश में आई.टी. राजीव गांधी जी लाए हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- वह अंडरस्टुड है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- ठीक है, मैं आपकी बात स्वीकार करता हूं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- मोबाईल, कम्प्यूटर, इन चीजों का केन्द्र में यही भाजपा विरोध करती थी. आज उन्हीं के माध्यम से सारा काम हो रहा है. माननीय विश्वास जी आप बैठ जाइए.
श्री विश्वास सारंग-- उपाध्यक्ष महोदया, मंत्रियों का थोड़ा प्रशिक्षण दें. यदि कोई बोल रहा है और इस तरह से व्यवधान होगा तो ठीक नहीं है इतना अच्छा फ्लो में चल रहा है और आप राजीव गांधी जी की बात कर रहे हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- उपाध्यक्ष महोदया, स्वर्गीय राजीव गांधी जी हमारे नेता थे अगर उन्होंने अच्छी चीज की तो इसमें इनको क्यों आपत्ति हो रही है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, स्वर्गीय राजीव गांधी इनके नेता नहीं थे. स्वर्गीय राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे. हमारे नेता ने वही बात तो कही है कि इस सरकार का दुर्भाग्य है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने पहली सरकार ने 15 साल जो अच्छा काम किया है उसका उल्लेख अगर करते हैं तो हम तारीफ कर रहे हैं. हमारे नेता वही बात कर रहे हैं. हम कौन सी बुरी बात कर रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- उपाध्यक्ष महोदया, हमारे वित्त मंत्री जी ने भाषण में शेरो शायरियों का बहुत उपयोग किया है. इस प्रकार से यदि गंभीरता नहीं होगी तो जिस लक्ष्य को हम प्राप्त करना चाहते हैं वह प्राप्त नहीं कर पाएंगे.
''हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के
इस प्रदेश को रखना मेरे बंधुओं संभाल के''
मैं आपसे कह रहा था कि जितने भी क्षेत्र जिसमें निवेश की संभावना है टेक्सटाइल का क्षेत्र है. मैं वित्त मंत्री जी को यह बताना चाहता हूं कि इन क्षेत्रों में हमें निवेश के कार्यक्रम लगातार चलाने पड़ेंगे. वहां निवेश के लिए इच्छुक लोगों की क्या मांग है, क्या आवश्यकता है, हमें उसे सुनना पड़ेगा क्योंकि शिवराज सिंह जी प्रत्येक सोमवार को निवेशकों से वन टू वन मीटिंग किया करते थे. निवेशकों को प्रोत्साहन देने के लिए CCIP (कैबिनेट कमेटी फॉर इन्वेस्टमेंट प्रमोशन) नामक कैबिनेट कमेटी बनाई गई थी और मुझे जानकारी मिली है कि पूर्व में जिस प्रकार नियमित रूप से CCIP की बैठकें होती थीं, वे अब नहीं हो रही हैं. बैठक क्यों नहीं हो रही है, क्योंकि निवेशकों के प्रस्ताव ही नहीं बन रहे हैं. कोई निवेशक मध्यप्रदेश में अपनी दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहा है लेकिन हमारे समय में तो निवेशकों की लाईन लगी रहती थी. हम जिस औद्योगिक क्षेत्र के विकास का कार्य प्रारंभ करते थे, उसी समय वहां की बुकिंग प्रारंभ हो जाती थी और निवेशकों के प्रस्ताव आने लगते थे. हम निवेशकों को कैसे और अधिक प्रोत्साहन दे सकते हैं, इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर CCIP में रखते थे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- XXX
उपाध्यक्ष महोदया- भार्गव जी, आप कृपया बैठ जायें. वित्त मंत्री जी सब कुछ नोट कर रहे हैं. आप कृपया बीच में न टोकें. भार्गव जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा. केवल शुक्ल जी का लिखा जायेगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि बुधनी में ट्राइडेंट समूह द्वारा 6 हजार करोड़ का निवेश कर टेक्सटाइल प्लांट लगाया गया. उसमें 7 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ. नाहर और वर्धमान जैसे टेक्सटाइल समूहों ने अपनी क्षमता को दुगुना और तीगुना किया. टेक्सटाइल के क्षेत्र में जिस तरीके से हमारे समय में निवेश बढ़ा, यदि उसके कारणों पर हम नहीं जायेंगे, यदि हम किए गए उन बेहतर कार्यों को आत्मसात नहीं करेंगे तो फिर हम किस प्रकार निवेश को अपने प्रदेश की ओर आकर्षित कर पायेंगे ? समय निकल जायेगा और फिर से मध्यप्रदेश के, गड्ढे में गिर जाने का खतरा पैदा हो जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदया- राजेन्द्र जी, आप कितना समय और लेंगे ? कृपया जल्दी समाप्त करें. आपके 3 मिनट शेष हैं. प्रथम वक्ता के लिए 15 मिनट का समय निर्धारित किया गया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कम से कम इन्हें आधा घंटा दिया जाये. ये हमारी ओर से पहले वक्ता हैं और विभाग के मंत्री भी रहे हैं, इन्हें विषय की पूरी जानकारी है.
उपाध्यक्ष महोदया- निश्चित रूप से आप सही कह रहे हैं लेकिन यह समय आप सभी की सहमति से तय किया गया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि प्रत्येक क्षेत्र में हमने जमीनी स्तर पर इतना काम कर दिया है कि अब उसे केवल आगे ले जाना है. मैं जानता हूं कि वित्त मंत्री जी बहुत सकारात्मक रूप से कार्य करते हैं और मुझसे कभी-कभी बातों ही बातों में पूछते भी हैं कि यह काम कैसे हुआ ? आप बताइए, हमें इसे करना है. इसे आगे बढ़ाना है. मैं कहना चाहता हूं कि कुल-मिलाकर हम सभी मिलकर अपने प्रदेश के अंदर औद्योगिक क्रांति लाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं औद्योगिक क्रांति लाने के लिए जिस तरह की कनेक्टिविटी की आवश्यकता है. हमने उस पर काम किया है. हमारा मध्यप्रदेश एक लैण्डलॉक्ड स्टेट है. हमारे अगल-बगल में समुद्र नहीं है और निर्यात को बढ़ाये बिना हम औद्योगिक क्रांति किसी भी रूप में नहीं ला सकते हैं. इसके लिए हमारी सरकार के समय जो काम किया गया है वह भी ऐतिहासिक है. इनलैण्ड कंटेनर डिपो जिसे ड्राय-पोर्ट भी कहा जा सकता है, हमने पीथमपुर में दो इनलैण्ड कंटेनर डिपो बनाए. मण्डीदीप, होशंगाबाद और इटारसी में भी इसी प्रकार के इनलैण्ड कंटेनर डिपो बनाए गए. जहां से लगभग 25-30 हजार करोड़ रूपये के उत्पाद, जिनका निर्माण मध्यप्रदेश में होता है, उनका सीधे वहीं कस्टम क्लीयरेंस हो जाता है और यहीं से सीधे मुंबई के पोर्ट में पहुंच जाता है, जहां से इसका विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है. लैण्डलॉक्ड स्टेट होने के बावजूद हमें जिन व्यवस्थाओं की आवश्यकता थी, उसे हमने यदि पिछले 8-10 वर्षों में किया है तो क्या इसकी तारीफ यह सरकार नहीं करेगी तो इसका प्रचार कैसे होगा ? निवेशकों तक एक संदेश कैसे जायेगा ? यदि यह संदेश निवेशकों तक नहीं जायेगा तो निवेशक हमारी ओर आकर्षित कैसे होंगे ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सवाल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का नहीं है, सवाल मध्यप्रदेश में औद्योगिक क्रांति लाने का है. जिससे बेरोजगारी की समस्या दूर होगी, नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और फिर उससे ही गरीबी समाप्त हो सकेगी. इसलिए हमें बहुत गंभीरता के साथ किए गए कार्यों का आंकलन करना होगा और किए गए कार्यों का आंकलन करने के पश्चात् हमें उसे गति भी प्रदान करनी होगी क्योंकि कभी-कभी हम इस बात को लेकर चिंतित हो जाते हैं कि जिन सड़कों का, औद्योगिक क्षेत्रों का बजट में प्रावधान हो चुका है, उसके टेण्डर हो गए हैं, उसके काम शुरू हो गए लेकिन जब से यह सरकार बनी, उन सभी सड़कों का काम बंद हो गया, सभी औद्योगिक क्षेत्रों के विकास का कार्य बंद हो गया. ठेकेदार घूम रहे हैं उन्होंने काम बंद कर दिया है और ऐसा लगता है कि जैसे ये औद्योगिक क्षेत्र कभी बनकर तैयार ही नहीं होंगे. इस दिशा में हमें चिंतन करने की आवश्यकता है. मुझे प्रसन्नता है कि मुख्यमंत्री जी स्वयं उद्योग विभाग देख रहे हैं और वित्त मंत्री जी इसके बिंदु नोट कर रहे हैं. निश्चित रूप से वे इन कमियों को दूर करेंगे और तेजी के साथ जो विकास कार्य हुए हैं, उन्हें हम आगे बढ़ायें न कि उसे रोकें. नहीं तो फिर लोग कहेंगे कि यह काम रोको सरकार है. काम रोको सरकार का, यदि मैं यहां कोई और उदाहरण दूंगा तो मेरे सत्तापक्ष के सम्माननीय सदस्य मुझे पुन: टोकना शुरू कर देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसके अतिरिक्त मैं विमानन के विषय में अपनी बात रखना चाहता हूं क्योंकि बजट भाषण में वित्त मंत्री जी ने कहा है, मैं बताना चाहूंगा कि आप कृपया अधिकारियों से चर्चा करें क्योंकि इसे सुधारना पड़ेगा. विमानन की भी बहुत बड़ी भूमिका निवेश को आकर्षित करने में होती है. आज देश भर में क्नेक्टिविटी का कार्य, केंद्र सरकार द्वारा ''उड़ान योजना'' के माध्यम से किया जा रहा है. उड़ान योजना से जुड़ने से हमें यह लाभ होगा कि हवाई और रेलवे की सेवा का जितना अधिक विस्तार होगा, निवेश में उतना ही सहायक होगा. वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में कहा है कि- ''प्रदेश में रीजनल कनेक्टिविटी के लिये भारत सरकार के साथ एम.ओ.यू. निष्पादित किया गया है. इस हेतु निविदायें स्वीकृत की जा चुकी है एवं संबंधित एजेन्सियों ने वायु सेवा प्रारंभ करने की सहमति भी दी है. इस योजना में दतिया, रीवा, उज्जैन और छिंदवाड़ा को वायु सेवा उपलब्ध होगी.''
1.06 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें सुधार चाहता हूं क्योंकि रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम, जिसका उल्लेख बजट भाषण में किया गया है वह समाप्त हो चुकी है और इसे उड़ान योजना में मर्ज़ कर दिया गया है. UDAN योजना का पूरा अर्थ है- ''उड़ेंगा देश का आम नागरिक''. जिसके पीछे हमारे प्रधानमंत्री जी की यह मंशा है कि हवाई चप्पल पहनने वाला आदमी भी हवाई यात्रा कर सके. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- आपको 16 मिनट हो गए हैं. पहले वक्ता के लिए 15 मिनट का समय तय किया गया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अभी केवल दूसरे विभाग के बारे में ही बोल रहा हूं. मेरी यह बात यदि गंभीरता से नहीं नोट की जायेगी तो बजट में जरूर कहा गया है कि प्रदेश में चार स्थानों पर हवाई सेवा प्रारंभ होगी लेकिन वह प्रारंभ नहीं हो पायेगी इसलिए मेरी बात को सुनना जरूरी है. मैं इस विषय में कहना चाह रहा हूं कि उड़ान योजना में 50 प्रतिशत सीटों की सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है. इसमें दो प्रकार की सीटें होती हैं- VGF (Viability Gap Funding) एवं NON VGF. मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा NON VGF सीटों के लिए प्रावधान नहीं होने के कारण, मध्यप्रदेश की एक भी हवाई पट्टी उड़ान योजना में नहीं होने के कारण, एयरलाइन्स वालों ने टेण्डर में भाग नहीं लिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है और हमने आपके लिए एक और सपोर्ट सिस्टम दिया है जिसके अंतर्गत अपनी शिवराज सिंह जी की सरकार की अंतिम कैबिनेट बैठक में हमने NON VGF सीटों के लिए भी सब्सिडी देने के लिए कैबिनेट से अनुमोदन करवाकर, केंद्र सरकार को यह सूचना दे दी थी कि अब मध्यप्रदेश में भी उत्तरप्रदेश की तरह NON VGF सीटों के लिए राज्य सरकार सब्सिडी देगी और VGF सीटों के लिए केंद्र सरकार सब्सिडी देगी. अब हमारी यह पॉलिसी फूल प्रूफ हो चुकी है. इसलिए अब आप हमारे राज्य की हवाई पट्टी को उड़ान योजना में शामिल करके तेजी से उसका काम करवायें और टेण्डर करें. मैंने उड्डयन मंत्रालय की ज्वाईंट सेक्रेटरी, जो इस कार्य को देखती है उनसे बात कर ली है और उनका कहना है कि अब आपकी पॉलिसी पूरी तरह से फूल प्रूफ है और मुझे पूरी उम्मीद है कि उड़ान योजना का जब चौंथा राऊण्ड होगा तो उसमें रीवा, दतिया, छिंदवाड़ा और उज्जैन के लिए भी बिड आयेगी. इसमें जैसे ही हमें बिड प्राप्त होगी तो उस हवाई पट्टी को हवाई अड्डे में बदलने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 200-250 करोड़ रूपये दिया जायेगा. हम सदन में यह तो कह रहे हैं कि हम चार हवाई अड्डों को उड़ान योजना में शामिल कर रहे हैं लेकिन हम इस बात को छुपा रहे हैं कि केंद्र सरकार, इस बिड के सफल होने के पश्चात् 250-250 करोड़ रूपये प्रत्येक हवाई पट्टी को हवाई अड्डे में बदलने के लिए दे रही है. यह केंद्र की ओर से कितना बड़ा सहयोग है. अभी सदन में कहा गया था कि केंद्र सरकार द्वारा डिवैल्यूशन का हमारा 2 हजार करोड़ रूपया काट दिया गया लेकिन इस बात को आपने छुपाया कि यह कार्य सफलतापूर्वक हो गया तो हमें केंद्र सरकार से राशि प्राप्त होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात यहीं समाप्त करता हूं और अनुदान की मांगों का विरोध करता हूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- श्री कुणाल चौधरी जी, घड़ी आपके सामने लगी है कृपया केवल 15 मिनट का समय लेंगे और मुझे टोकना न पड़े.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपके संरक्षण की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय- 15 मिनट के लिए मेरा पूरा संरक्षण रहेगा.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री तुलसीराम सिलावट)- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये नए विधायक है आपके संरक्षण की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय- तुलसी जी, आपने ये चार सेकण्ड बर्बाद कर दिये. बीच में जो कोई खड़ा होगा उसका नहीं लिखा जायेगा.
श्री कुणाल चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुदान की मांगों के समर्थन में खड़ा हुआ हूं और जिस प्रकार से अभी हमारे पूर्व मंत्री जी द्वारा अपनी बात यहां रखी गई और दो-तीन दिनों से सदन का जो माहौल है, उसे देखकर एक शेर याद आता है कि-
कैसे कैसे मंजर सामने आने लगे, लोग गाते-गाते चिल्लाने लगे,
वो जब सलाखों के करीब आये तो हमें कायदे कानून समझाने लगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन की बात करूंगा कि जिस प्रकार की बातें यहां कही गई और यह बात स्पष्ट है कि निवेश भरोसे से आता है. अभी मैं पूर्व मंत्री जी की बात सुन रहा था कि हमने इतनी दूर, इतनी यात्रायें कीं, विदेशों में जाकर प्रचार किया. वर्ष 2008 से इन्वेस्टर्स समिट किया. हमें देखना होगा कि इन इन्वेस्टर्स समिट में खर्चा कितना हुआ और विदेश यात्राएं कितनी करीं, 24 विदेश यात्राओं पर पांव-पांव वाले भैया निकलें और 2009 को सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और जापान और 2010 में जमर्नी, नीदरलैंड, इटली, चीन, जापान और कोरिया जो पांव-पांव वाले भैया, पांव-पांव चलने लगे, कई देशों के अंदर उन्होंने बड़े-बड़े रोड शो किये. लगभग जितने इन्वेस्टर्स समिट के इन्होंने नाम लिये, वह सारी इन्वेस्टर्स समिट हुई. मैं भी एक इंजीनियरिंग कॉलेज का स्टूडेंट था. मुझे भी खुशी होती थी कि प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट्स हो रही हैं, प्रदेश में निवेश आयेगा और आप निवेश का यदि आंकड़ा देखें तो समिटों में करीब 17 लाख करोड़ रूपये के निवेश के वहां एमओयू साईन हुए, लेकिन मध्यप्रदेश के नौजवान को रोजगार को के लिये दूसरे शहरों में भटकना पड़ रहा है. यहां न तो रोजगार मिल रहा है, मध्यप्रदेश के नौजवान की सोच खत्म हो गयी है कि उसे मध्यप्रदेश के अंदर रोजगार मिलेगा. मध्यप्रदेश का नौजवान जब इंजीनियरिंग, एम.टेक करे तो उसे कभी पुणे, बैंगलोर और कभी हैदराबाद दिखे, परन्तु उसे मध्यप्रदेश के अंदर की धरती मध्यप्रदेश के अंदर नहीं दिखे. यह जो भरोसे की बात कि बात कह रहे थे कि हमारे मुख्यमंत्री जी, जिस दिन कमलनाथ जी बने. पिछले मुख्यमंत्री जिन्होंने बड़ी-बड़ी घोषणाएं और बड़े-बड़े वादे किये और बड़ी-बड़ी बातें करने का काम किया तो पिछले कई सालों से दावोस में एक इन्वेस्टर्स समिट होती है, तो उसमें पिछले 10 साल से कोशिश करते रहे कि कभी तो हमें बुला लिया जाये कि कभी हम भी इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से वहां पर बैठ जायें, लेकिन 10 साल में उन्हें कभी नहीं बुलाया, जैसे ही कमलनाथ जी, जैसे मुख्यमंत्री आये, जिनके ऊपर भरोसा, जिनके ऊपर विश्वास उद्योग जगत का है तो वहां पहले ही दिन कमलनाथ जी को बुलाया गया और उसके ऊपर बात हुई. आज इन्हें बड़ी-बड़ी बातें याद आ रही हैं तो मैं, इनको बताना चाहूंका कि किस प्रकार से औद्योगिक नीति को लेकर, उसका सिर्फ ढिंठोरा पीटना, इसका प्रचार करना और जनता की गाढ़ी कमाई को सिर्फ विदेशों में भ्रमण करने के लिये लूटाने का काम इन्होंने किया. इन्होंने बड़े-बड़े उद्योगपतियों को जमीनें दी परन्तु उन पर उद्योग तो नहीं लगे, पर उनके नाम से जो जमीन लीज़ पर दी थी, उनको मॉर्डगेज करके कई उद्योगपतियों ने उसके ऊपर लोन निकाल लिया. आपने पीथमपुर में अनिल अंबानी को 200 एकड़ जमीन और छिंदवाड़ा में आपने जमीन दी. आपने सिर्फ पूरे प्रदेश में जमीन देने का काम किया, कोई उद्योग लगाया हो, कहीं पर कोई काम हुआ हो वह नहीं हुआ. आपने सिर्फ औद्योगिक विकास का ढिंठोरा पीटकर, झूठ की बात करके जनता के पैसे का विज्ञापन करके कभी एयरपोर्ट पर जाओ तो इन्वेस्टर्स समिट, कोई विदेश जाये तो बोर्डिंग पास में देखे कि शिवराज जी का फोटो दिख रहा है कि ऐसी इन्वेस्टर्स समिट होगी. समिटों से उद्योग नहीं आते हैं. आपने पिछले सालों में कितनी इकाईयां स्थापित करीं, इस बात को भी देखना पड़ेगा. जब हम लोग औद्योगिक विकास की बात करें तो पिछली सरकार ने जो विश्व और देश के अंदर एक ग्लोबलाईजेशन का दौर आया, पुणे जैसे शहर 100-100 गुने बढ़ गये, अहमदाबाद, सूरत, बैंगलौर और हर शहर हिन्तुस्तान का बढ़ा, परन्तु मध्यप्रदेश के अंदर कोई भी शहर ऐसा नहीं बन पाया, जहां नौजवान को भरोसा हो कि वह यहां पर पढ़ाई करेगा तो उसको मध्यप्रदेश के अंदर रोजगार मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं तकनीकि शिक्षा की बात करूंगा और उसके साथ और कई मुद्दों पर भी बात करना है, क्योंकि मुझे समय कम दिया गया है. विज्ञान और टेक्नालॉजी विभाग की बात करें तो बड़ी टेक्नालॉजी और विज्ञान भारत में माननीय स्व. राजीव गांधी जी लाये थे. उनकी एक सोच थी उनका एक विचार था कि कैसे औद्योगिकी और विज्ञान के माध्यम से इस देश के अंदर सिक्योरिटी आयेगी. पहले जो लोग टेण्डरों में बड़े-बड़े घोटाले कर देते थे, उन्हें कैसे खत्म कर दिया जायेगा, पर शर्म आती है कि पिछली सरकार के लोगों ने उस टेक्नालॉजी को भी नहीं छोड़ा और उसमें ई-टेंण्डरिंग जैसे घोटाले कर दिये. हमें इस बात को समझना पड़ेगा कि डिजिटल के सपने दिखाकर, जनता के टैक्स का इस्तेमाल करके, जो इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर में हो सकता था, उसका अपने चहेते बड़े-बड़े ठेकेदारों को ठेके दिलाने में उपयोग किया. जिस प्रकार से व्यापम जैसी संस्था को, जिसको भरोसे के लिये मध्यप्रदेश के लिये, पिछली सरकारों ने 1980 में शुरू किया था कि मध्यप्रदेश के नौजवान भी मध्यप्रदेश के अंदर डॉक्टर, इंजीनियर बनेंगे और मध्यप्रदेश के लोगों को कहीं न कहीं सेवाएं देने का काम करेंगे. वह भरोसा जो 2003 से पहले मध्यप्रदेश के अंदर उस व्यापम पर था. परन्तु जब से 2003 के बाद यह सरकार आयी तो व्यापम के माध्यम से किस प्रकार से योग्यताओं का बेरहम कत्ल और पढ़ने वालों का सामूहिक नरसंहार इन्होंने किया है. कई मामाओं की कहानियां हम सुना करते थे कि कंस अपने भांजें-भांजियों को मार दिया करता था, ऐसे ही हमारे मामा ने मध्यप्रदेश के नौजवान के भविष्य का कत्लेआम कर दिया. मेरा आग्रह है कि उस व्यापम का नाम बदलने से....
डॉ. सीतासरन शर्मा:- अध्यक्ष महोदय, यह क्या बात कर हैं. इसको कार्यवाही से निकालें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) :- मैं माननीय सदस्य को एक सुझाव देना चाहता हूं कि पिछली सरकार की उपलब्धियों और नाकामियों के बारे में आप जो विलाप कर रहे हैं. मैं इतना कहना चाहता हूं कि आपकी आगे दृष्टि क्या है. आपने एक बात भी यह नहीं बतायी कि आपकी आगे की दृष्टि क्या है.
श्री कुणाल चौधरी:- इतिहास सबक लेने के लिये होता है, आप इससे सबक लें.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग उनको बोलने दें. कुणाल चौधरी के अलावा जो भी बोल रहे हैं वह कार्यवाही में नहीं आयेगा.
श्री गोपाल भार्गव:- (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग दूसरों के बोलने के समय टोका-टाकी न करें, नहीं तो जब आप बोलेंगे तो वह टोंकेगे. इसमें बर्बाद होता है.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, राजेन्द्र शुक्ला जी ने भाषण दिया.इतना प्रामाणिक भाषण दिया, शायद आप अंदर थे.
अध्यक्ष महोदय:- मैं आ गया था. मैं यहां पर आ गया था और अंदर भी सुन रहा था. मैं मानता हूं कि उन्होंने प्रामाणिक भाषण दिया.
श्री गोपाल भार्गव:- उन्होंने कहीं किसी की कोई आलोचना नहीं की.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय आप नये विधायकों न टोको.
श्री विजय लक्ष्मी साधौ:- अध्यक्ष महोदय....
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- भार्गव जी चाहते हैं कि ई-टेंडरिंग घोटाले (व्यवधान) जेल भेजने के लिये नहीं, ई-टेंडरिंग घोटाले का पूछना चाह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- सज्जन भाई एक तरफ संस्कृति और एक तरफ वह खड़े हो गये तो अब कोई क्या भाषण देगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- अध्यक्ष महोदय, भार्गव साहब को सी.एम जल्दी बनना है.इसलिये यह बार-बार खड़े हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं, यह क्या तरीका है, प्रद्युम्न जी आप क्यों अपने सदस्य का समय बर्बाद कर रहे हैं. कम से कम नये विधायकों को बोलने का समय दीजिये,वरिष्ठ लोगों को बिल्कुल टोका-टाकी नहीं करना चाहिये. आप उनको सुनिये.
श्री कुणाल चौधरी :- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार व्यापम की स्थिति है तो मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि नाम बदलने काम नहीं बदलते जो नाम उसका पिछली बार बदला गया और जिस प्रकार की हालत पिछले तीन सालों में 110 इंजीनियरिंग कॉलेज मध्यप्रदेश में बंद हुए हैं, इंजीनियरिंग सीटों की संख्या जो पहले 1 लाख 20 हजार थी, वह घटकर 56 हजार हो गयी है. अभी मैंने पता किया, अभी काउंसिलिंग चल रही है, उसमें सिर्फ 26 हजार लोग ही आये हैं. जिस प्रकार से मैं भरोसे की बात कर रहा था और इनका कहना है कि हम निवेश लाये, इन्होंने भरोसा दिलाया, पर मध्ययप्रदेश के नौजवान को भरोसा नहीं हो पा रहा था. आज माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में जिस प्रकार से मध्यप्रदेश के अंदर यहां पर विमानन की बात, यहां पर तकनीकी शिक्षा की बात कि आज मध्यप्रदेश के नौजवान को लगने लगा है कि जब से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि प्रदेश के 70 प्रतिशत नौजवान को यहां पर रोजगार मिलेगा.
मैं एक बात विमानन के बारे में करना चाहता हूं कि पहले विमानन की स्थिति यह थी कि मैं एक बार एक मंत्री जी को दिल्ली से लेकर आ रहा था तो पता चला कि दिल्ली से सुबह सात बजे फ्लाईट आ जाती है और रात को 10 बजे के बाद निकलती है. उन मंत्री जी को जयपुर जाना था तो वह जयपुर भी नहीं जा पाये. जब से माननीय कमलनाथ जी, मुख्यमंत्री बनकर आये हैं तो लोगों को भरोसा इस प्रदेश पर बढ़ा है और यहां पर किस प्रकार से विमान बढ़े हैं,किस प्रकार से यहां पर हवाई सेवाएं बढ़ीं हैं. मध्यप्रदेश निरंतर प्रगति की ओर है और कई बातें और करनी थी, लेकिन समय का अभाव है. आपने बोलने का समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11, 15, 21, 32, 46, 47, 51, 65, 70, 72 के कटौती प्रस्ताव के समर्थन में तथा मांग संख्या के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं विरोध या कटौती के प्रस्ताव में इसलिये अपने आपको खड़ा करना चाहता हूं. मैं अपनी चर्चा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से शुरू करना चाहता हूं. कहीं यहां पर इस बुक में यह मेंशन किया गया था कि तकरीबन 20-22 सौ महाविद्यालयों में, 10 ज्ञानोदय में, 224 विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा पिछली सरकार ने शुरू की. मुझे यह बताते हुए गर्व होता है कि पिछले वर्ष पूरे भारत में जावद एक ऐसी विधान सभा थी जिसके सभी हायर सेकेन्डरी स्कूल डिजीटल हुए और डिजीटल करने के लिये जब केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री जावद पधारे थे तब 10 हजार बच्चों के कार्यक्रम में उनकी 2 घंटे पिनड्राप सायलेंट में उसका अंतर सिर्फ इतना सा पड़ा कि मध्यप्रदेश में हायर सेकेन्डरी में सेकण्ड बेस्ट स्कूल जावद की कन्याशाला आयी. इस अंतर को सब विभाग तथा मध्यप्रदेश शासन को पता होने के बाद भी मुझे इस किताब में कहीं पर भी पता नहीं चल रहा है कि शिक्षा का जो मूल विषय है उसमें साईंस एवं टेक्नालॉजी में क्या तरक्की करते हुए, क्या इस स्कीम को आगे बढ़ाने के लिये कुछ फंड का प्रावधान करेंगे या नहीं करेंगे, इसलिये मैं विरोध कर रहा हूं ? क्योंकि अगर जिस प्रदेश का शिक्षा में टेक्नालॉजी में सकारात्मक समन्वय होगा वह प्रदेश बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा. यहां पर कई विषयों पर चर्चाएं आयीं. वर्चुअल क्लास रूम, स्वान सिस्टम लागू करने की बात मैंने पिछली मांग संख्या में यहां माननीय मुख्यमंत्री जी भी बैठे हुए हैं मैं उनका ध्यान चाहूंगा बाकी चर्चा दो मिनट बाद कर लेंगे. मैं महत्वपूर्ण विषय पर बात कर रहा हूं. जावद में जहां हमने 40-50 विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा शुरू की. स्वान सिस्टम चालू करके सबको कनेक्टिविटी दिलवाने में विशेष ध्यान देकर दे देंगे तो वहां के बच्चों को और आगे बढ़ने का मौका बढ़ने का मौका मिलेगा. दूसरा मैं दो महत्वपूर्ण शिक्षा जिसमें डिजिटल और उसका कंसर्न है उसके बारे में बात करना चाहता हूं कि कहीं न कहीं इस डिजिटल शिक्षा का अगला कदम लेंगवेज ट्रेनिंग जिसके लिये केन्द्र सरकार ने स्पेशल प्रावधान किया है. मैंने कल उच्च शिक्षा मंत्री जी से भी इस विषय कहा था कि पूरे भारत में सबसे पहला प्रयोग जावद से 15 बच्चों को हमने जापान में स्किल डेवलपमेंट फॉर इंटरप्रिन्योरशिप के लिये भेजा वह भी सीएसआर व निजी फंड से भेजा. वह एक महीने जापान में ट्रेनिंग लेकर के आये वहां की समस्या और जापान इज अ ओल्ड एज सिटी कन्ट्री और नौजवान वहां पर मात्र 13 से 14 प्रतिशत वर्किंग पापूलेशन है. वहां पर जब यह चर्चाएं शुरू हुईं वहां पर उन बच्चों की ट्रेनिंग के बाद उनका जब एग्जाम हुआ यह बात सामने आयी कि आप जावद से या मध्यप्रदेश से जितने मर्जी बच्चे जिनको जेपनीज लेंगवेज आ जाये हम उन्हें रोजगार देने के लिये तैयार हैं. वहां के सदन में 5 लाख से 9 लाख भारतीयों को वीजा वर्क परमिट देने का प्रस्ताव पास हो चुका है, उस पर क्या मध्यप्रदेश की सरकार ध्यान देते हुए उन्हें डिजिटल माध्यम से शिक्षा में उनकी जेपनीज लेंगवेज की जो केन्द्र सरकार से प्रावधान इस बजट में विशेष रूप से मैंने करवाया. मैंने उच्च शिक्षा मंत्री जी से भी कहा उन्होंने कहा कि सोचेंगे. मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से विशेष आग्रह है कि ऐसी चीजों पर थोड़ा सा ध्यान देंगे तो शायद मध्यप्रदेश की जनता एवं मध्यप्रदेश की इकानॉमी पर बहुत बड़ा असर आयेगा. मैं थोड़ा सा दो विषय पर तथा टेक्नालॉजी की बात पर जब चर्चा हो रही थी कि दुनिया की टेक्नालॉजी तथा भारत के मध्यप्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी समस्या पॉवर स्टोरेज है. यह सीधा डायरेक्ट विषय नहीं है चूंकि मुख्यमंत्री जी खुद सदन में बैठे हैं. बिजली मंत्री जी से मैंने एक दो बार चर्चा भी करने की कोशिश की. पॉवर स्टोरेज के दुनिया में दो या तीन तरीके ही कुल है. मध्यप्रदेश पहले पॉवर शार्टेज में था जब आज पॉवर सरप्लस में आ गया मध्यप्रदेश तो मध्यप्रदेश में पॉवर स्टोरेज के लिये मुझे जो बताया गया है कि आप बेट्री वाले प्रोसेस का कर रहे हैं वेनेडियम रि आक्स बेट्री के माध्यम से आप प्रयास कर रहे हैं, लेकिन मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के ध्यान में साईंस एवं टेक्नालॉजी विभाग का अगर आप उपयोग करके दुनिया के और कौन कौन से नये तरीके आ गये हैं उसमें आज की तारीख में जापान ने हाइड्रोजन में पर्याप्त प्रयोग किया. पिछले चार वर्षों से जापान पूरी बिजली लिक्विड हाइड्रोजन इम्पोर्ट करता है ऑस्ट्रेलिया से और उससे अपनी फीडिंग करता है. हमारे यहां बिजली का शार्टेज नहीं है, लेकिन पॉवर स्टोरेज अगर आप बेट्री के माध्यम से करेंगे तो 12 रूपये स्टोरेज की कास्ट आयेगी जो अनवाइबल हो जाएगी. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के ध्यान में साईंस एवं टेक्नालॉजी विभाग के उस डॉयरेक्शन पर भी ध्यान दिलाने का आग्रह करना चाहता हूं जिसके माध्यम से दुनिया के लेटेस्ट टेक्नालॉजी क्योंकि आज भारत दुनिया से 30-35 साल पीछे नहीं है. आज भारत दुनिया से चार पांच वर्ष कुल पीछे हैं. अगर आप चार पांच वर्ष का गेप भी पूरा करना चाहते हैं तो भारत में सबसे पहले हाइड्रोजन का सबसे पहले मध्यप्रदेश स्टोरेज में उपयोग करे तो बहुत बड़ा अंतर आयेगा, क्योंकि 2020 में जापान ने यह तय किया है कि टोटल ऑटो मोबाइल, टोटल डोमेस्टिक गैस में हाइड्रोजन का प्रयोग और पॉवर स्टोरेज में भी हाइड्रोजन के माध्यम से करके पूरे पाल्यूशन को भी फ्री करेगा. आने वाले समय में पाल्यूशन सबसे बड़ी समस्या है. मेरा आपसे आग्रह है कि इसलिये मैंने दो विषयों पर आपका एवं माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेष ध्यानाकर्षित किया कि साईंस एवं टेक्नालॉजी का उपयोग उस विषय में भी करना शुरू करें. मैं थोड़ी सी चर्चा इस बात पर भी करना चाहता हूं कि साईंस एवं टेक्नालॉजी के इस प्रतिवेदन में लिखा है कि महिलाओं की प्रतिभागिता बढ़ाने के लिये भिंड, सीहोर में कुपोषण को कम करने के लिये टेक्नालॉजी का आपने उपयोग करना इसमें दिखाया है. वहीं मैं सरकार का दूसरा पक्ष भी आपके तथा सबके ध्यान में लाना चाहता हूं कि रतलाम में हमारे ही माननीय विधायक जी के निजी सीएसआर फंड से 23 सौ कुपोषित बच्चों में प्रयोग किया उसमें 11 सौ बच्चे कुपोषण से बाहर निकल गये. यह सिर्फ एक साल के प्रयोग में अंतर आया, लेकिन इस सरकार की दुर्भावना और इस सरकार के अधिकारियों का प्रयोग पर बड़ी आपत्ति है कि उस प्रयोग को रोक दिया गया आठ महीने से उस प्रयोग को बंद किया गया क्या मध्यप्रदेश की सरकार के अधिकारी या अगर मुख्यमंत्री जी के ध्यान में है तो उन अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करेंगे उनके बारे में उनके उत्तर में जरूर सुनना चाहूंगा कि ऐसा गलत प्रयोग और जिस अधिकारी ने रोका उस पर एक्शन अगर कुपोषण से निकाल रहा है सीएसआर फंड से दूसरी तरफ आप यह बात कर रहे हैं कि जो काम चल रहा है उसे रोकना उसमें शासन का पैसा नहीं लग रहा है, यह बहुत गलत नीति है. मैं थोड़ा सा ध्यान रेवेन्यू की तरफ करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--थोड़ा सा ध्यान घड़ी की तरफ ले लें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--अध्यक्ष महोदय, आप जब चाहेंगे तब बोलना बंद कर दूंगा मैं न तो कोई राजनैतिक बात करने के लिये खड़ा हूं न ही मैंने एक दूसरे पर आरोप प्रति आरोप कर रहा हूं. आप जितना समय बोलेंगे उतना समय लूंगा. मुझे रात को दस बजे फोन आया कि पहले वक्ता के रूप में आपको बात करनी है इसलिये मैंने सोचा कि आप समय देंगे. आपकी जब इच्छा होगी तब बोलना बंद कर दूंगा. बाकी शार्ट में थोड़े विषयों के बारे में संबंधित को चिट्ठी लिखकर के भेज दूंगा और मैं क्या कर सकता हूं.
अध्यक्ष जी, एक विषय पर और बोल लेता हूं, अगर आपकी आज्ञा हो तो. टेक्निकल एजुकेशन यह दूसरा सबसे महत्वपूर्ण विषय भविष्य के लिए, मध्यप्रदेश के लिए, सबसे जरूरी काम है. अगर टेक्निकल एजुकेशन पर बात करें, पिछली बार भी कुछ कमियां मैंने ध्यान में लाई थी. अभी मेरे पूर्व वक्ता ने कहा इतनी सीटें कम हो गई है. मैं बोलता हूं उतने क्रिमिनल्स मध्यप्रदेश में कम बनेंगे, क्योंकि सबस्टैण्डर्ड एजुकेशन इज ए प्यूोरली ए क्रिमिनल अफेंस. मेरी भाषा मैंने एक बार पहले भी बोला था और उस समय विधानसभा में मंत्री के उत्तर में आया कि वह रोल हमारा नहीं है, वह रोल केन्द्रीय बोर्ड तय करता है. मैंने कहा स्टेट को भी यह अधिकार है कि जहां जहां, जो-जो कॉलेज प्रॉपर नहीं कर रहे हैं, उन सब कॉलेजों की अगर आप रिपोर्ट लगा दें तो मैं देखता हूं भारत सरकार में भी कोई उस रिपोर्ट के विरूद्ध जाकर उनकी मान्यता नहीं रखेंगे. हमें इस बात को गंभीरता से देखना पड़ेगा कि अगर मैं आपकी टेक्निकल एजुकेशन के बारे में बात करूं तो पहला सुझाव मेरा यह होगा कि उसकी रेटिंग आपके कितने लोगों को, कितने पढ़े हुए बच्चों को कहां प्लेसमेंट मिलती है और किस लेवल की प्लेसमेंट मिलती, उसको अगर शासन पूरा डिस्प्ले करवा दें किसी भी तरीके से तो पूरे मध्यप्रदेश के हर बच्चें का भविष्य सुधर जाएगा, वरना गांव के गरीब किसान का, क्योंकि वह किसान का बेटा जब लोन नहीं मिलता है और किसान हमारे पास आता है तो हम उसे बोलते है कि इस कॉलेज में एडमिशन लेने से तेरा भविष्य अंधकार में जाएगा तो वह बोलता है साहब आपको हमारी अनुशंसा करनी है या नहीं करनी है, आप सिर्फ इतना बताइए. मेरा बेटा इंजीनियर बन रहा और आपको तकलीफ हो रही है, क्योंकि उसकी समझ में यह नहीं है कि उस कॉलेज में पढ़ने के बाद उसे कभी जीवन में कोई जॉब मिलेगा या नहीं मिलेगा. मैं थोड़ा सा ध्यान इस विषय पर भी है और एक ही निवेदन है कि कभी किसी समय आप विशेष रूप से मध्यप्रदेश के भविष्य के बारे में, चिंतन के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करने के लिए समय जरूर दीजिएगा, धन्यवाद.
मुख्यमंत्री(श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं अभी सखलेचा जी की बात बड़ी गंभीरता से सुन रहा था और बड़ी विशेष और महत्वपूर्ण बात उन्होंने कही और मुझे ताज्जुब हुआ, आश्चर्य हुआ कि इनको इस प्रकार की नॉलेज और इस प्रकार का ज्ञान कैसे हैं. मैं तो इनसे अलग बैठकर चर्चा करूंग, ताकि मुझे भी वह ज्ञान प्राप्त हो.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट के अंदर इसी चीज में एक सुझाव दे रहा हूं. इसी से संबधित है, एजुकेशन से संबंधित है
अध्यक्ष महोदय - मत दीजिए, बाद में आपका मौक आएगा, प्लीज समय बर्बाद मत करो. मैं जब तक अनुमति नहीं दूं कोई खड़ा हो बिलकुल न नोट करें.
अध्यक्ष महोदय - सखलेचा जी, धन्यवाद. हमेशा आप पाइंटेड बोलते हैं, पढ़कर आते हैं. एक नई बात छोड़कर जाते हैं, निश्चित रूप से यह प्रदेश के लिए लाभान्वित है.
01:33 बजे स्वागत उल्लेख
श्री नकुलनाथ, सांसद का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थिति पर सदन द्वारा स्वागत
अध्यक्ष महोदय - आज सदन की दीर्घा में माननीय सांसद श्री नकुलनाथ उपस्थित है. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
श्री कुंवर विजय शाह - नकुलनाथ जी को देखकर मुख्यमंत्री जी की जवानी याद आ गई.
अध्यक्ष महोदय - क्या बोल रहे विजय भाई.
श्री कमलनाथ - अभी तो मैं जवान हूं.
01:34 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री निलय विनोद डागा(बैतूल) - माननीय अध्यक्ष जी, सबसे पहले तो मैं छिन्दवाड़ा के नवनिर्वाचित सांसद नकुलनाथ जी का सदन में स्वागत करता हूं(..मेजो की थपथपाहट)
अध्यक्ष जी, मुझे आपने उद्योग नीति पर बोलने का मौका दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. उद्योग ऐसा विभाग है, जिसके माध्यम से हमारे प्रदेश में, देश में रोजगार जनरेट किया जाता है. उद्योग लगाने के लिए हमें जरूरत है कि इन्वेस्टमेंट को आकर्षित कराया जाए. इस प्रदेश में इन्वेस्टमेंट आए ताकि हमारी रेवेन्यु बढ़े. नए उद्योग लगाने के लिए आज के समय में सबसे कठिन और सबसे महंगा अगर कोई इनवेंचर है तो वह जमीन खरीदना और जमीन एलॉटमेंट होने के बाद उस पर यदि उद्योग नहीं लगे तो उसके खिलाफ कार्यवाही करना यह हमारी जिम्मेदारी है, सरकार की जिम्मेदारी है. जमीन एलॉटमेंट होना बहुत जरूरी है. साथ में हमें बिजली, पानी, सड़क और ऐसे ही एक सिंगल विंडो जिससे हर विभाग की परमीशन उस उद्योगपति जो इन्वेस्टमेंट करने आ रहा है उसको मिलना चाहिए, ऐसी सुविधा हमें बनाने की जरूरत है. पिछले सालों में क्या हुआ, उसके बारे में मैं बात नहीं करना चाहता हूं लेकिन हमें ऐसी व्यवस्था बनाना बहुत जरूरी है, जिससे हम एक आकर्षण का केन्द्र बने और हमारा प्रदेश ऐसा आकर्षण बनाए कि हर उद्योगपति इस प्रदेश में आकर उद्योग लगा सके और आकर्षण पैदा होगा व्यवस्था के साथ. साथ में उनके इन्वेस्टमेंट का रिर्टन उनको कितनी जल्दी मिल सकेगा और सरकार की तरफ से हम क्या सहयोग कर सकते हैं उस उद्योगपति को इन्वेस्टमेंट करने के लिए, यह हमें सोचना बहुत जरूरी है. सब्सिडी के माध्यम से सब्सिडाइज बिजली के माध्यम से, पानी की उपलब्धता के माध्यम से हमें उनको आकर्षित करना बहुत जरूरी है. सबसे मुख्य उसके अंदर होता है सब्सिडी, सरकार कितने साल का टैक्स हॉलीडे दे और अगर वह उद्योग हमारे प्रदेश में उत्पादन करके उसको एक्सपोर्ट के लिए ले जाता है तो उसमें हम उनको कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं, इस पर हमें ऐसी नीति बनाना बहुत जरूरी है. अभी कुछ देर पहले बहुत सारी इंडस्ट्रीज की बात हुई, टैक्सटाइल्स इंडस्ट्री, कॉटन इंडस्ट्री आयी, ऑटोमाबाइल्स इंडस्ट्री आयी, लेकिन हम हमारी ट्रेडीशनल इंडस्ट्रीज को भूल गए जो पिछले 30-40 साल से जो इंडस्ट्री ट्रेडीशनल हुआ करती थी, वह आज हमारे प्रदेश से विलोपित होती जा रही है, जैसे दाल मिल हो गई, राइस मिल हो गई, सोयाबीन प्लांट हो गए, ये इंडस्ट्री हमारे प्रदेश से खत्म होती जा रही है. हम नया इन्वेस्टमेंट लाने का सोच रहे हैं और विदेश से इन्वेस्टमेंट लाने को सोच रहे है. हमारे प्रदेश के और देश के उद्योगपति इतने सक्षम है कि हमारे प्रदेश में उद्योग लगा सकते हैं. हमें जरूरत है कि वह ट्रेडीशनल इंडस्ट्रीज जिससे रोजगार पैदा होता था, हर एक छोटी-छोटी इंडस्ट्रीज जहां 50-100 लोग काम करते थे जिससे रोजगार पैदा होता था, पहले अनाज, तिलहन, दलहन, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स की जो इंडस्ट्रियां लगती थीं, हमने उन्हें सपोर्ट नहीं किया. पिछले कई सालों से उनके ऊपर कर्ज की मार पड़ती गई, उनको अगर सपोर्ट किया होता तो आज मध्यप्रदेश की ये हालत नहीं होती. एक्सपोर्ट में सब्सिडी और रिबेट देना चाहिए यह हमारी सोच होना चाहिए.
अध्यक्ष जी के माध्यम से मैं इस सदन में बोलना चाहूंगा कि हम बड़े सौभाग्यशाली है कि हमें कमलनाथ जी जैसे मुख्यमंत्री मिले जो 9 बार के सांसद हैं और कई बार केबिनेट मिनिस्टर रहे, कॉटन मिनिस्टर रहे, इंडस्ट्री मिनिस्टर रहे, कॉमर्स मिनिस्टर रहे. हमें उनके एक्सपोजर का जरूर फायदा मिलेगा, यह हमारी उम्मीद, हमें पूरा भरोसा है. साथियों राजनीतिक द्वेष को छोड़कर हमें यह सोचना जरूरी है कि हमारे प्रदेश को हम कैसे आगे बढ़ाए. इंडस्ट्री के माध्यम से, उद्योग के माध्यम से, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास यह हमारी जरूरत है. हम प्रदेश के युवाओं को किस तरह से रोजगार दे सकें और जो हमारा प्रदेश इतने साल से बीमारू प्रदेश कहलाया जाता था, उसको एक विकासशील प्रदेश में हम कैसे ला सके. पिछले 15, 20, 30 सालों में बड़े-बड़े उद्योगपतियों का जो भरोसा टूटा है, उस भरोसे को हमें फिर जिन्दा करना पड़ेगा. आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद निलय.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, श्री निलय विनोद डागा ने बोला और सीनियर डागा बैठे हुए हैं, यह बहुत अच्छी बात है. निलय जी को बधाई.
अध्यक्ष महोदय - मैं वही बोलना चाह रहा था. जूनियन डागा ने कितने अच्छे से बोला और समय-सीमा में बोला.
श्री विश्वास सारंग - मैं वही बोल रहा हूँ, बहुत अच्छे से बोले.
अध्यक्ष महोदय - आपने तारीफ नहीं की. पहली बार का विधायक कितना अच्छा बोला.
श्री विश्वास सारंग - पिताजी अध्यक्षीय दीर्घा में बैठे हैं और बेटे ने इतना अच्छा बोला. मैं तारीफ कर रहा हूँ इसलिए बधाई दे रहा हूँ.
श्री गोपाल भार्गव - मुझे तो खुशी इस बात की है कि पिताजी मेरे साथ विधायक थे और बेटा मेरे साथ विधायक है.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी, आप यह तो मान रहे हैं कि दोनों रहें.
श्री गोपाल भार्गव - जी.
श्री निलय विनोद डागा - माननीय विधायक जी, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके साथ विधायक हूँ एवं आपके साथ कार्य करने का मौका मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - श्री चेतन्य कमार काश्यप, समय सीमा का ख्याल रखें.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप (रतलाम सिटी) - अध्यक्ष महोदय, यह डागा जी का बड़ा अच्छा समय है, उन्होंने पहली बार उद्योग नीति पर जो कहा, वह निश्चित तौर से महाजन परिवार के बच्चों में एक पैतृक गुण होता है, उसका उन्होंने परिचय दिया है.
मैं मांग संख्या 11, 15, 21, 32, 46, 47, 51, 65, 70 एवं 72 के कटौती प्रस्तावों के समर्थन में अपनी बात रखना चाह रहा हूँ और विशेषकर उद्योग नीति के संदर्भ में, जो उद्योग नीति में निवेश प्रोत्साहन की राशि बजट में पूर्व के 687 करोड़ रुपये के प्रावधान के स्थान पर इस बार 554 करोड़ रुपये की गई है, 100 करोड़ रुपये की कटौती की गई है, इसका कोई कारण नहीं दिखता है जबकि हमारे वित्त मंत्री जी ने भाषण में कहा है कि हम प्रदेश के अन्दर उद्योगों के विकास के लिए एक भरोसा पैदा करेंगे और निवेश का प्रोत्साहन में यह पहली नीति थी, उसी के अन्दर 100 करोड़ रुपये की राशि की कटौती की गई है तो यह भरोसा बढ़ाने की बात नहीं है, घटाने की बात है और निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश का औद्योगिक वातावरण एक बहुत अच्छे माहौल में है और हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की प्रतिष्ठा के बारे में हमारे सभी साथी कहते हैं, उनका पूरा लाभ मिला तो हम लोग आगे बढ़ेंगे. परन्तु हमारे यहां की नीतियों में भूमि आवंटन उद्योग के लिए सबसे बड़ा कार्य होता है. अध्यक्ष महोदय, भूमि के मामले में हमारे औद्योगिक क्षेत्र की नीति के लिए अभी तक कोई प्रावधान नहीं रखा है कि जो पुराने औद्योगिक क्षेत्र है, अभी जो वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र चल रहे हैं, कुछ एमएसएमई लघु उद्योग मंत्रालय के पास हैं, कुछ संवर्धन के लिए एकेव्हीएन के पास हैं और उन्हीं औद्योगिक क्षेत्रों में दोनों एजेन्सियां औद्योगिक क्षेत्र का संधारण करती हैं. अभी तक उसके बारे में कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया गया है और कई औद्योगिक क्षेत्रों के अंदर कई उद्योग वर्षों से बन्द पड़े हैं, लम्बी-चौड़ी भूमि करीब-करीब 50 से 60 प्रतिशत हमारी भूमि उसके अन्दर फंसी हुई है परन्तु कोई एक्जिट पॉलिसी नहीं है. गुजरात और महाराष्ट्र के अन्दर जो औद्योगिक क्षेत्र के अन्दर उद्योग लगे हैं, वे बन्द हो जाते हैं, उनके लिए एक एक्जिट पॉलिसी है, उसके निवारण, टैक्स सेस जो शासकीय बकाया हैं, उनका बकाया पूर्ण करके, उनको एक्जिट पॉलिसी के तहत बाहर किया जाता है. मध्यप्रदेश के अन्दर एक एक्जिट पॉलिसी की आवश्यकता है, उसके बारे में कोई भी प्रावधान या नीतिगत निर्णय इस बारे में नहीं लिया गया है. खास कर पुराने औद्योगिक क्षेत्रों के संधारण के बारे में, उनका विकास शुल्क तो उद्योगों से लिया जाता है परन्तु संधारण कौन करेगा ? कई जगह पर रतलाम के औद्योगिक क्षेत्र में वहां पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ है. स्ट्रीट लाईटें उद्योग विभाग ने लगाईं लेकिन उनको कौन चलायेगा ? और पिछले बजट में रतलाम के एल्कोहल प्लांट हेतु 3 करोड़ रुपये की राशि रखी गई थी, उस एल्कोहल प्लांट के औद्योगिक क्षेत्र के विकास में इस वर्ष राशि निरंक कर दी गई है. यह इससे निश्चित रूप से यह मालूम चलता है कि हम कौन सा विश्वास बढ़ाना चाहते हैं ? और यह जो राशि के आंकड़े का खेल है. मैं सबसे महत्वपूर्ण बात कहना चाहूँगा कि उद्योगों की नींव जब हम रखते हैं तो व्यापार की आवश्यकता होती है और मध्यप्रदेश व्यापार संवर्धन मंडल की पिछले वर्ष में 45 लाख रुपये की राशि का आवंटन हमारी सरकार के द्वारा किया गया था और उसके अंदर कई कार्य भी हुए थे. प्रदेश के व्यापारियों का एकत्रिकरण हुआ क्योंकि उत्पादन और विपणन करना, ये एक ही गाड़ी के दो पहिये होते हैं. निश्चित तौर पर इस बार व्यापार संवर्धन मंडल के लिये बजट में कोई प्रावधान नहीं है. इसका मतलब यह है कि हमारी वर्तमान सरकार चाहती है कि व्यापारियों की कोई आवश्यकता नहीं है, व्यापारियों को संरक्षण और संवर्द्धन कुछ भी नहीं चाहिए. इस बारे में मुझे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री जी ध्यान देंगे कि व्यापार संवर्द्धन एक महत्वपूर्ण कार्य है और युवाओं को रोजगार देने में हमें आगे आना चाहिए, अभी वर्तमान में जो औद्योगीकरण की नीति है, इसमें लघु और मध्यम उद्योग, छोटे व्यापार और छोटे व्यापारी इनके माध्यम से ही रोजगार के अवसर आते हैं, वे इस पर निश्चित ही ध्यान देंगे. अभी खासकर सकलेचा जी ने जो पॉवर की बात की है, पॉवर का स्टोरेज, लीजियम बैटरी का जो मामला है. पूरी दुनिया के अन्दर लीजियम बैटरी से कैंसर के रोग को रोक दिया गया है, इसमें निश्चित तौर पर हम आगे बढ़ें. मैं चाहूँगा कि जो औद्योगिक नीति, 2019 बन रही है, उसमें आगे बढ़ें. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास) - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. जैसा कि हमारे मुख्यमंत्री, कमलनाथ जी हैं और उनकी अपनी विश्वस्तर पर और औद्योगिक स्तर पर पहचान है, उनका एक सम्मान है. निश्चित रूप से एक सम्मान है तो एक भरोसा है. इस भरोसे के बल पर हम यह कह सकते हैं कि उनके विजन के हिसाब से हमारे यहां निवेश बढ़ेगा. एक उम्मीद जागी है, पूरे प्रदेश के अंदर, युवाओं के अन्दर, उन बेरोजगारों, मजदूरों, जो शिक्षित हैं, प्रशिक्षित हैं, इंजीनियर, मेडिकल और मैनेजमेंट के छात्र जो आज बेरोजगार हैं, उनके अन्दर एक विश्वास जागा है कि कमलनाथ जी के आने के बाद रोजगार बढ़ेगा, विकास होगा. इसके साथ, मैं एक बात और जोड़ूँगा, जैसा बहुत समय से मांग की जा रही थी कि प्रदेश के बेरोजगारों को, प्रदेश के युवाओं को 70 प्रतिशत इन उद्योगों में स्थान मिलेगा, निश्चित रूप से इसका हम सब स्वागत करते हैं. हालांकि यह 100 प्रतिशत होना चाहिए, फिर भी अगर यह 70 प्रतिशत भी है तो हम इसका पहले स्वागत करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, औद्योगिक नीति, प्रोत्साहन, तकनीकी शिक्षा प्रशिक्षण, इसके साथ में तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, इन क्षेत्रों में अभी बहुत विकास होना बाकी है. जो हमारे आदिवासी क्षेत्र हैं, जिसमें से मण्डला भी एक है, जिसका मैं प्रतिनिधित्व करता हूँ. बहुत विकास हुआ है लेकिन फिर भी हमारा जो ट्रायबल क्षेत्र है, वह विकास से बहुत पिछड़ा हुआ है. तकनीकी शिक्षा या कौशल विकास की बातें करें, बड़े-बड़े उद्योगों की भी बात करें लेकिन इसका किसी भी रूप में बहुत ज्यादा अच्छा फायदा नहीं हो पाया है. हमारी बहुत उम्मीदें जागी हैं, हमने मुख्यमंत्री जी से भी कहा है कि बड़े उद्योग वाले बेशक यूनिट न लगा पायें लेकिन तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास के आधार पर कुछ कार्य हमारे यहां पर हों, जिससे युवाओं को किसी भी स्तर पर रोजगार मिल सके, उनको प्रोत्साहन मिल सके. इसके साथ मैं एक बात और कहना चाहूँगा कि जो सीएसआर का फण्ड होता है, यदि लोकल स्तर पर जहां उनके उद्यम लगे हैं, अगर उस क्षेत्र के विकास के लिए खर्च किया जाये तो मुझे लगता है कि उसका काफी कुछ फायदा मिलेगा. जिस जगह पर लोकल क्षेत्रों के लिए इन्वेस्टरों ने इन्वेस्ट किया हुआ है, उस क्षेत्र का किसी हद तक विकास होगा. मनेरी क्षेत्र मेरे विधानसभा क्षेत्र में आता है. इसमें यह स्थिति है कि वहां बहुत से उद्योगपतियों ने लीज पर लिया है पर वहां पर किसी भी प्रकार से कोई इन्डस्ट्री नहीं लगाई है, वे बन्द पड़े हैं और उसी राशि से वे उन्होंने कहीं और इन्वेस्ट किया हुआ है तो एक प्रकार से उन्होंने वहां कब्जा जमाया है, इस पर भी जांच हो कि जो इन्डस्ट्रीज़ बन्द है, उस पर कार्यवाही हो. एक नया विभाग आनन्दम् बना है लेकिन इसमें मैं आपके माध्यम से बताना चाहूँगा कि यह किस प्रकार से है ? इसमें भर्तियां किस प्रकार से हुई हैं ? धन्यवाद
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
श्री कमल पटेल - अनुपस्थित.
श्री शैलेन्द्र जैन - अनुपस्थित.
श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे पहली बार इस सदन में बोलने का अवसर दिया है, इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.वैसे तो मेरे पिता स्व.रेवनाथ चौरे जी इस सदन के सदस्य हुआ करते थे. आदरणीय कमलनाथ जी और रेवनाथ चौरे जी की जोड़ी वर्ष 1980 और 1990 के दशक में जोड़ी नंबर वन कहलाती थी. मेरे पिता के निधन के बाद मेरी माता और उसके बाद मेरे बड़े भाई और चौथे पुत्र के रूप में मुझे इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य मिला है. यद्यपि परिवार में कितने भी सदस्य इस सदन के सदस्य रहे हों पर पाठशाला में जो आता है, उसी को सीखने को मिलता है और निश्चित रूप से मेरा प्रयास यह रहेगा कि मैं इन पांच वर्षों में कुछ अच्छी चीजें ग्रहण करने का प्रयास करूं.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन के माध्यम से हमारे जिले के और हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री, परम आदरणीय कमलनाथ जी को बधाई और धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस विभाग को स्वयं के पास रखा है, क्योंकि उनकी एक दूर दृष्टि थी कि वह इस क्षेत्र में कुछ अग्रणी कार्य करें. वर्ष 1980 और 1990 के दशक में जिस डिजीटल इंडिया की बात माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी करते हैं, जिस स्किल इंडिया की बात आदरणीय मोदी जी करते हैं, वह समय वर्ष 1980 और 1990 का जब दशक था, जब आदरणीय कमलनाथ जी जब छिंदवाड़ा से प्रतिनिधित्व करते थे, तब उन्होंने सौंसर क्षेत्र में पूरे इंडस्ट्रियल एरिया का एक जाल बिछाया है, जिनके माध्यम से और ए.के.वियन के माध्यम रेमंड, पी.बी.एम., पॉलिक, भंसाली और जमाने भर के उद्योग वहां लगे हैं. कहीं न कहीं हजारों युवाओं को उस क्षेत्र में रोजगार मिला है. मुझे यह कहते हुये प्रसन्नता हो रही है कि हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी ने केवल यहीं नहीं उसके बाद जब दस साल केंद्र की सरकार थी, तब भी उन्होंने छिंदवाड़ा जिले के बहुत-बहुत सौगातें दी हैं, फिर चाहे वह औद्योगिक क्षेत्र के मामले में हो, चाहे एफ.डी.डी.आई. का मामला हो, चाहे स्किल डेव्हलपमेंट का मामला हो, अशोका लेलैंड के माध्यम से चाहे वह रोजगार का माध्यम हो, इस प्रकार से जमाने भर के उद्योग और जमाने भर की कंपनिया उनके राज में स्थापित हुई हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे खुशी है कि बी.पी.ओ. के जो कॉल सेंटर खुला करते थे, जिसमें हमारे हजारों युवा रोजगार प्राप्त कर नौकरी कर रहे हैं. पहले हम मुंबई, पुणे और दिल्ली में ही बी.पी.ओ. सेंटर सुनते थे, लेकिन माननीय कमलनाथ जी ने छोटी-छोटी जगह पर छिंदवाड़ा जिले में तीन बड़े बड़े बीपीओ सेंटर खोले हैं.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद आप बैठ जायें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह बोलें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) -- अनुपस्थित.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मुख्यमंत्री जी बोलें.
मुख्यमंत्री (कमलनाथ) -- माननीय अध्यक्ष जी आपकी अनुमति के साथ और सदन की अनुमति के साथ मैं बीच में हस्तक्षेप करना चाहता हूं क्योंकि आज नीति आयोग की एक सब कमेटी जो प्रधानमंत्री ने बनाई है. उस कमेटी के करीब दस मुख्यमंत्री सदस्य हैं और उसमें मुझे चुना गया है कि मैं उन मुख्यमंत्रियों में रहूं, तो यह मध्यप्रदेश के लिये अच्छा है कि मध्यप्रदेश की आवाज नीति आयोग तक भी पहुंचेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हर सदस्य की बात पर चर्चा नहीं करना चाहता हूं लेकिन नेता प्रतिपक्ष जी ने जो कहा था कि आपका नक्शा और दृष्टिकोण क्या है ? मैं केवल सीमित रूप से इसी विषय पर बोलूंगा कि हमारे सामने कौन सी चुनौतियां है ? इसमें कोई राजनीति नहीं है. जब हम उद्योग की बात करें, जब हम औद्योगीकरण की बात करें, जब हम निवेश नीति की बात करें तो वह राजनीति से नहीं जुड़ी है, अगर वह बात जुड़ी है तो मध्यप्रदेश के नौजवानों के भविष्य के साथ जुड़ी है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूं कि नौजवानों के भविष्य की बात ही हमारी सबसे बड़ी चुनौती है.आज के नौजवान और दस बीस साल पहले के नौजवान में बहुत अंतर है. आज के नौजवान में ज्ञान है ,वह इंटरनेट से जुड़ा है. आज के नौजवान में तड़प है. वह कोई ठेका कमीशन नहीं चाहता है, वह तो अपने हाथों को काम चाहता है, या व्यवसाय का मौका चाहता है. (मेजों की थपथपाहट) और यह तभी संभव है जब आर्थिक गतिविधि अपने प्रदेश में बढ़ेगी, यह कैसे बढ़ेगी ? निवेश नीतियां बनी हैं, मैं उस पर नहीं जाना चाहता हूं पर भविष्य में हम कैसी निवेश नीति के बारे में सोच रहे हैं ? हम एक ऐसी निवेश नीति बना दें जो हर क्षेत्र पर लागू हो, यह चल नहीं सकती है, जो गारमेंटस की इंवेस्टमेंट नीति है, जो आई.टी. की इंवेस्टमेंट नीति है, उसमें अंतर तो होगा. हमें इस दृष्टिकोण से निवेश नीति बनानी है तो उससे कितना रोजगार बनता है. कोई कहे कि हम सौ करोड़ रूपये का निवेश लगा रहे हैं और हम सौ लोगों को रोजगार देंगे, उसका स्वागत है. परंतु अगर कोई कहे कि हम सौ करोड़ रूपये का निवेश लगा रहे हैं और पांच सौ लोगों को रोजगार देंगे तो उसका हम और भी ज्यादा स्वागत करते हैं. (मेजों की थपथपाहट) हमें निवेश नीति को ऐसा मोड़ देना पडे़गा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अलग-अलग जिले में अलग-अलग समस्याएं हैं. हमें यह देखना होगा कि यह कौन से जिले में हैं. मध्यप्रदेश के हर जिले में औद्योगीकरण हो और औद्योगीकरण बिना निवेश के नहीं होता है. निवेश एक विश्वास पर आता है. हम सबको मिलकर मध्यप्रदेश में एक ऐसा वातावरण बनाना है कि लोगों को मध्यप्रदेश पर विश्वास हो. आज जब नया जी.एस.टी. रेज़ीम आया, आज जो जी.एस.टी. है अगर इसमें पूरे देश भर में किसी प्रदेश को लाभ हुआ है, तो वह मध्यप्रदेश को हुआ है क्योंकि हम बिल्कुल बीच में है. जी.एस.टी. रेज़ीम से मध्यप्रदेश को लाभ होगा, क्योंकि टैक्स के कारण जो लोग अन्य प्रदेशों में उद्योग लगाते थे, अब उनको मध्यप्रदेश ज्यादा जचेगा. हम इस पर भी अध्ययन कर रहे हैं कि कैसे उद्योग को अट्रेक्ट करें. हम सबको कहें कि जो आये, सो आ जाये यह बात भी नहीं चलने वाली है. हमें लॉजिस्टिकस की बात करना है, हमें इस दृष्टिकोण से देखना है. हमें नये नजरिये से अपनी निवेश नीति और उद्योग नीति को देखना पड़ेगा, केवल औद्योगीरण के लिये नहीं, पर मैं दोहरा रहा हूं यह मध्यप्रदेश का भविष्य है क्योंकि यह नौजवानों का भविष्य है जो नौजवान मध्यप्रदेश का निर्माण करेंगे उनके भविष्य का है. (मेजों की थपथपाहट) अगर नौजवानों का भविष्य सुरक्षित नहीं रहे तो आप और हम यहां बैठने लायक नहीं रहेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे जितना भी समय मिला, 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल की शपथ हुई और सरकार बनी, इसके बाद दो महीने आचार संहिता में, आप जानते हैं कि हम एक महीने लोकसभा चुनाव में लगे रहे. इस प्रकार हमें जितना भी तीन, चार, साढ़े चार महीने, साढ़े तीन महीने का समय मिला, उसमें हमने इस पर काम चालू किया है. यह आलोचना की बात नहीं है, मैं भी वाणिज्य मंत्री रहा हूं पर पिछले पंद्रह साल में अगर हम तुलना करें कि जितना निवेश डोमेस्टिक इंवेस्टमेंट और फॉरेन इंवेस्टमेंट देश में आया और उसका कितना प्रतिशत मध्यप्रदेश में लगा, तो हम सब कुछ बात कहने लायक नहीं रहेंगे क्योंकि उसका बहुत कम प्रतिशत मध्यप्रदेश में आया है. इसके कई कारण थे, जो भी कारण रहे हों, उस पर जाने की आवश्यकता नहीं है, पर उससे हमें सबक सीखना है कि यह कारण थे जहां पर लोग नहीं आते थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सिस्टम में अगर कोई आये और तहसीलदार उसे परेशान कर रहा हो. मेरे पास एक उद्योग लगाने आये थे, वह उद्योग लगा रहे हैं. मैंने उनसे पूछा कि सब ठीक-ठाक चल रहा है तो उन्होंने कहा कि सब ठीक-ठाक चल रहा है आपके कलेक्टर बहुत अच्छे हैं, आपके अधिकारी बहुत अच्छे है. बस हमें पटवारी से बचवा दीजिये, वह पटवारी से दुखी थे. हमें अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना पड़ेगा. इससे भी अट्रेक्शन बनता है. जब तक हम अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं करेंगे, तब तक यहां कोई निवेश लगाने वाला माहौल नहीं बनता है. हमारे अधिकारियों से कर्मचारियों से पटवारी से लेकर ऊपर तक एक माहौल बनता है कि हम आपका स्वागत करते हैं और इसी स्वागत की दृष्टि से भी हमें अपनी कार्य प्रणाली बनानी पडे़गी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी टेक्नोलॉजी की बात हुई, तब मैं सुन रहा था. मेरा सौभाग्य है कि मैं उस समय हाउस में बैठा हुआ था. टेक्नोलॉजी की बात हुई तो यह बात सच है कि हम मध्यप्रदेश में टेक्नोलॉजी का एक केंद्र बना सकते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का केंद्र बना सकते हैं. हम किस प्रकार की टेक्नोलॉजी की बात कर रहे हैं, आज पूरे विश्व में टेक्नोलॉजी में कितना परिवर्तन होता है. एक-एक साल में परिवर्तन हो जाता है. आप अपना फोन जेब में रखिये, आपके पास दो साल पहले जो फोन था, उसमें टेक्नोलॉजी में कितना अंतर आ जाता है. जब तक आप फोन अच्छी तरह चलाना सीखेंगे, एक नया मॉडल आ जायेगा, क्योंकि टेक्नोलॉजी बदल गई होगी. पहले जब आप दस साल पहले टेलीवीजन खरीदते थे, तो उसे आप 3,4,5 साल रखते थे, पर आज जब तक आप उसका रिमोड चलाना सीखते हैं, तब तक एक नया मॉडल आ जाता है. यह टेक्नोलॉजी का परिवर्तन है. हम कौन सी टेक्नालॉजी की ओर जायें. आज सुबह ही मैं बात कर रहा था, चर्चा कर रहा था आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का, आई.टी. सेक्टर की बात करें, आई.टी. की बात बहुत हो गई. आईटी, आईटी, आईटी, एक फैशन बन गया, पर आईटी में भी कौन से सब्जेक्ट में, तो मैंने यह तय किया कि हम इसको आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का केन्द्र बनायेंगे. आज सुबह मैंने टाटा कंसल्टेंसी टीसीएस के चेयरमेन से बात की, खुद उनको फोन लगाकर बात की कि आप आईये, आप नहीं आते तो मैं आता हूं, हम सब मिलकर मध्यप्रदेश को एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का केन्द्र बनायें. बेंगलौर बहुत बन गया, आंध्रा बहुत बन गया, हम मध्यप्रदेश को बनायें, तो टेक्नालॉजी में हम कौन सा रास्ता अपनाना चाहते हैं, यह हमारे सामने चुनौती है और अगर हमने गलती कर ली, अगर हम गलत रास्ते पर चल पड़े, 3 साल बाद यह कहेंगे कि यह तो पुरानी बात हो गई, इसका कोई फायदा नहीं था, तो आज हमारे सामने यह चुनौती है और मैं मानता हूं मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी चुनौती है हमारे नौजवानों की चुनौती. अभी बात की आई.टी. स्किल की, जावद की बात हुई. मैं माननीय साथी सखलेचा जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इतनी दिलचस्पी से उन्होंने जावद के स्कूल और तकनीकी शिक्षा पर इतना ध्यान दिया है, यह बहुत आवश्यक है. हम स्किलिंग की बात करते हैं, प्रशिक्षण की बात करते हैं. कैसा प्रशिक्षण, ऐसा प्रशिक्षण जहां उसे नौकरी न मिले. क्योंकि केवल नंबर गिन लें, 2000 लोगों का प्रशिक्षण हो गया, स्किलिंग हो गई, ट्रेनिंग हो गई. उसमें से दो हजार के दो हजार या उन्नीस सौ बाहर बैठे हैं. यह कौन सी स्किल है, क्या ऐसी स्किलिंग हम चाहते हैं ? हम वह प्रशिक्षण चाहते हैं जहां हम कहें कि 80, 90 या 100 प्रतिशत लोगों को उसके बाद रोजगार मिलता है या वह खुद काम कर सकते हैं. यह कौन से सेक्टर्स हैं, इसका मैंने छिंदवाड़ा में उपयोग किया. सबसे ज्यादा प्रशिक्षण केन्द्र मध्यप्रदेश में नहीं, देश में नहीं, विश्व में यदि कहीं हैं तो छिंदवाड़ा में हैं और मैं आपको आमंत्रित करता हूं आप जाकर देखियेगा और मैं यह नहीं गिनता कि कितने लोगों की ट्रेनिंग हुई, मैं गिनता हूं कितनों को रोजगार मिला, हर महीने मैं रिपोर्ट लेता हूं. ट्रेनिंग हो गई, खर्चा सीएसआर से आ गया या सरकार से आ गया या कहीं से भी आ गया और वह जाकर अपने गांव में, न गांव का रहा न शहर का रहा, यह स्थिति बन जाती है. उस नौजवान की भी पीढ़ा समझिये जो अपना गांव, खेत छोड़कर, वह गांव में कहता है कि अब तो मैं शहर जाऊंगा, मुझे रोजगार मिलेगा और रोजगार तो मिला नहीं, गांव का रहा नहीं, शहर का रहा नहीं उसकी पीढ़ा भी हमें समझनी है. इस प्रशिक्षण को भी हमें एक नया रूप देना पड़ेगा. कैसा प्रशिक्षण, किस प्रकार का जहां उसको रोजगार मिले. जब तक वह न हों, हम गिनती करें, आंकड़े बनायें, बहुत सारे आंकड़े हम आपके सामने पेश कर सकते हैं, कोई भी सरकार हो आपके सामने आंकड़े पेश कर देगी, एक लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया गया, कोई भी सरकार कर देगी, पर कितनों को रोजगार मिला, प्रश्न यह है और यही हमारे सामने चुनौती है कि हम सही स्किलिंग चुने. अगर हमारी ट्रेनिंग गलत हुई, हम इसमें बहुत आगे मार खायेंगे. मुझे नई टेक्नालॉजी में स्टोरेज की बात कही थी कि आज हमारा विंड एनर्जी है, हमारी सोलर है, सोलर दिन की है, विंड कभी कम हो जाती है, कभी ज्यादा हो जाती है, हमारे थर्मल प्लांट हैं. हम स्टोरेज कैसे करें, इस पर मैंने अध्ययन किया. मैं डेवोस में, वर्ल्ड इकॉनामिक फोरम में हर साल लगभग 20 साल से जाता रहा हूं, जब मैं पर्यावरण मंत्री वर्ष 1991 में था, उस समय से मैं जाता था. वहां जाकर मैंने, जब इस समय मैं मुख्यमंत्री बना मैंने कहा मध्यप्रदेश के लिये क्या उचित है, इस पर मैंने अध्ययन किया और एक बात निकली स्टोरेज. स्टोरेज भी बहुत प्रकार के हैं अगर हम दो, तीन सौ मेगावाट की स्टोरेज कर लें तो हमारा सोलर स्टोरेज हो जायेगा. जब हमारा पीक-लोड है वह बेलेंस हो जायेगा स्टोरेज से, पर अभी तो स्टोरेज जब हम बैट्री की बात करते हैं, कार की बैट्री की बात करते हैं, बस की बैट्री की बात करते हैं. हमें तो बात करनी है दो सौ, तीन सौ मेगावाट की. फौरन आकर हमनें विज्ञापन निकाला, विश्व के अखबारों, देश के अखबारों में विज्ञापन निकाला, एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट कि कौन आना चाहता है मध्यप्रदेश में स्टोरेज के लिये. उसका जबाव आने वाला है. मैंने वहां अध्ययन किया कि कौन कर रहा है यह, चीन कर रहा है और अगले 10 दिन में, 10 दिन में नहीं मेरे ख्याल में अगले 5 दिन में. मैंने उस डेलीगेशन को आमंत्रित किया जो चीन की कंपनी है, अमेरिका ने खोली है चीन में, अमेरिका और केनेडा ने मिलकर खोली है, उनकी टीम को आमंत्रित किया है कि आप आईये मध्यप्रदेश में. मैंने कहा कि आप स्टोरेज का करिये और स्टोरेज की बैट्री भी यहां बनाईये, हम आपको पूरी सेवा देंगे, किस चीज की आवश्यकता है, उनको जमीन की आवश्यकता है, किसी चीज की उनको आवश्यकता नहीं है, उनको कोई पैसों की आवश्यकता नहीं है. अगर हम मध्यप्रदेश में यह स्टोरेज कर पाये तब मध्यप्रदेश पूरे देश में इसका लीड ले लेगा. इस प्रकार यह आज हमारा दृष्टिकोण है, नजरिया है और इसमें हम एक दूसरे की आलोचना करें, हो सकता है इसमें आपका दृष्टिकोण कुछ अलग हो, हो सकता है. मैं तो चाहूंगा कि जितने सुझाव कि मध्यप्रदेश में निवेश आये यह कोई विवाद की बात नहीं है, तनाव की बात नहीं है, यह तो हमें मिलकर मध्यप्रदेश के विकास का, मध्यप्रदेश के नौजवानों के भविष्य का एक नया नक्शा बनाना है और मुझे पूरा विश्वास है, मुझे पूरे सदन का सहयोग इसमें मिलेगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मुख्यमंत्री जो को मैं धन्यवाद भी देता हूं और एक अच्छी दृष्टि प्रदेश की औद्योगीकरण के बारे में और नौजवानों को रोजगार देने के मामले में आपने अभी यहां पर प्रस्तुत की. अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी से सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि आपने कहा कि जो विजन, मैं चाहता हूं कि आप एक दृष्टिपत्र इस बारे में लायें और उसके लिये आगे की आपकी क्या योजनायें हैं, आपने बताया यह बेहतर है, यह बेहतर है, यह हो सकता है, यह हो सकता है. चूंकि आप शासन में हैं, आप सरकार हैं, तो यह काम आप ही को करना है, यह काम हम लोगों को नहीं करना. अभी हमारे पूर्व में उद्योग मंत्री जी थे, ओमप्रकाश सखलेचा जी थे, इन्होंने अपने अनुभव के आधार पर अच्छा वक्तव्य दिया था. माननीय मुख्यमंत्री जी सौभाग्य से आज हमारा प्रदेश बिजली के मामले में एक अच्छे उत्पादन वाला प्रदेश है और हम पॉवर जनरेशन भी पर्याप्त कर रहे हैं, हमारे पास में भूमि की कमी नहीं है, हमारे पास में पानी की भी कमी नहीं है, हमारे पास में नौजवानों की भी कमी नहीं है जो काम करने वाले हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर की भी कमी नहीं है सड़कें बहुत बेहतर हो गईं, हवाई सेवायें भी हमारे यहां बेहतर हो रहीं हैं और हो जायेंगी. अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाहता हूं इन सबके बावजूद भी और हम लोगों ने पिछले 10-15 वर्षों में जैसा अभी कहा, हम लोगों ने प्रयास किया तमाम कंपनियां आयें, बाहर भी इनवेस्ट मीट हुईं, हर दो वर्ष के अंतर से हुईं. टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी आईं आप जो बता रहे हैं, टीसीएस भी, इंफोसिस भी हमारे इंदौर में सभी. आपने उनसे बात की अच्छी बात है, लेकिन नारायण मूर्ति जब आये थे उस समय मैं भी गया था. अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाहता हूं आपकी जो दृष्टि है इसके लिये हम किस तरह से आकार दे सकते हैं और किस तरह से हम राज्य हित में इसका उपयोग कर सकते हैं नौजवानों को काम दिलाने के मामले में उपयोग कर सकते हैं, इसके लिये मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूं. बहुत बडे़-बड़े उद्योगों के स्थान पर यदि हम मध्यम और लघु उद्योगों के लिये प्रोत्साहन देंगे तो यह भी एक बहुत बड़ा काम होगा और इसके लिये आप की जो स्टार्टअप और बैंकों से फाइनेंस, पहले बैंकों से फाइनेंस की सुविधा और आपने जो कहा कि सरलीकरण होना चाहिये औद्योगीकरण तो पहले हमने सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया था और उसमें पटवारी से लेकर चीफ सेकेट्री तक का जो भी होती थी, हम लोगों ने किया था. एक बार आप उसकी मॉनीटरिंग कर लें क्या वह सिस्टम व्यवस्थित रूप से चल रहा है यदि चल रहा है तो बेहतर है और यदि नहीं भी चल रहा है तो मैं मानकर चलता हूं जैसा आप खुद सोच रहे हैं कि औद्योगीकरण से लाभ न बीजेपी को होना, न कांग्रेस को होना, न किसी को होना, राज्य के नौजवानों के लिये होना है, बेरोजगारों के लिये होना है. जीडीपी भी बढ़ेगी आपका जीएसटी भी बढ़ेगा सब कुछ बढ़ेगा. मैं यही चाहता हूं कि हम एक तरफ छोटे मध्यम और लघु उद्योग हैं उनको ही प्रोत्साहन दें और बाहर की कोई इंडस्ट्री आती है तो उनका भी स्वागत है और जहां जिस प्रकार की जो कहते हैं न लाल फीताशाही शब्द दे लें या उसको ब्यूरोक्रेसी कह लें, कुछ भी कह लें. इसमें से यदि हमने सारे बेरियर हटा दिये तो निश्चित रूप से जो आपकी मंशा है वह फलीभूत भी हो जायेगी, मूर्त रूप भी ले लेगी इसीलिये मैं चाहता हूं कि एक दृष्टिपत्र निकले. इस बारे में आपने अपना विचार दिया और विस्तारित रूप से इसे और कर लें. हमारी योजना भूमि देने की, पानी देने की, बिजली देने की, तो इससे और पूरा का पूरा साफ हो जायेगा और इसका ग्लोबल एडवर्टाईज हो. पूरी दुनियां में यह बात प्रचारित हो. हमारा प्रदेश शांति का टापू है वे यहां आये. मैं मानकर चलता हूं कि जबसे डाकू उन्मूलन हुआ है और जबसे मध्यप्रदेश में बहुत अच्छी कानून-व्यवस्था है. सभी चीजें हमारे पास है और यदि लोग यहां पर आते हैं तो इससे जो बेरोजगारी की जो स्थिति है उसको हम बहुत कुछ खत्म करने में हम कामयाब होंगे. आपकी सद्इच्छा के लिये आपको धन्यवाद भी देता हूं लेकिन उसके साथ उसको कार्यरूप में कैसे परिणित करेंगे इसके बारे में भी हमारी दृष्टि होनी चाहिये.एक कार्य योजना होनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 11,15, 21, 32, 46, 47, 51 एवं 65 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुये राज्यपाल महोदया को -
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य हुआ तो माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा था कि शेष लोग बाद में बोल लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - हुआ यह है, मैं बता रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव - जो हम लोगों के बीच में कमिटमेंट हुआ था.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बड़े जिज्ञासु हैं. सुन लीजिये. मैं समझ गया लेकिन जिन विषयों पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी दृष्टि डाली चाहे आपकी, चाहे सखलेचा जी की, विषय लगभग उन्होंने पूरा कवर कर लिया..
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय,
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - प्लीज अब आगे बढ़ने दीजिये. विश्वास जी, ऐसा कभी होता है क्या.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, 2 घंटे का समय था.
अध्यक्ष महोदय - एक तो यह आदत बड़ी गंदी हो गई है. जब नेता प्रतिपक्ष खड़े होते हों तो उनको ज्ञान देने के लिये उनके ही और लोग खड़े हो जाते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) - हमारी और नेता प्रतिपक्ष की बात हुई उस बात को अध्यक्ष महोदय तक नहीं पहुंचा पाये. यह सच्चाई है अध्यक्ष जी को नहीं बता पाये.
श्री गोपाल भार्गव - चूंकि सी.एम. साहब को जाना था. आपने बात की तो इस कारण मैंने कहा कि सी.एम. साहब का वक्तव्य हो जाये. वक्तव्य है लेकिन अध्यक्ष महोदय, डिमाण्ड पर चर्चा के लिये मैं आपसे निवेदन करूंगा.
अध्यक्ष महोदय - अब आगे बढ़ गये. विषय का पूरा लब्बोलुवाब आ गया था. मैं तो सोच रहा था कि वह एक बात बोलेंगे लेकिन उन्होंने सभी विभागों के बारे में कुछ न कुछ बोल दिया. अब मेरे को आगे बढ़ने देंगे.. मेरे को आगे बढ़ने देंगे आप लोग.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्य मंत्रणा समिति में जो समय तय हुआ था उससे भी कम समय हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - उससे ज्यादा हो गया. ईमानदारी से साढ़े बारह बजे से ढाई बजे गया.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, सी.एम. साहब को नीति आयोग की बैठक में जाना है वे चले जाएं. डाक्टर साहब आपने कमिटमेंट किया था.
डॉ.गोविन्द सिंह - कमिटमेंट था. वास्तविकता थी. मैंने सभी माननीय मंत्रियों से कह दिया था कि मुख्यमंत्री बीच में अपनी बात कहकर वापस जायेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - मैं सहमत हूं.
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय तक यह बात नहीं पहुंच पाई है तो मेरा आपसे निवेदन है कि आगे जो विषय आ रहे हैं उनमें ज्यादा बुलवा लें. अब गाड़ी आगे बढ़ गई है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी चर्चा हुई थी कि सी.एम. साहब बीच में बोलकर बैठक में चले जायेंगे. इसके बाद में संबंधित मंत्री बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय - एक शर्त रखी जायेगी कि मंत्री जवाब देगा आपमें से एक नहीं टोकेगा. हम मंत्री से जवाब दिलवा दे रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हो गये हैं.
अध्यक्ष महोदय - हम दोबारा पढ़ लेंगे.
गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री (श्री आरिफ अकील) - कार्यवाही आगे हो गई.
अध्यक्ष महोदय - हम दोबारा पढ़ लेंगे. आप जरा धीरज तो रखिये. आप लोग मुझे सुझाव क्यों दे रहे हैं. आप लोग मुझे नियम-कानून सिखायेंगे. मुझे मालूम है मैंने कटौती प्रस्ताव पढ़ दिये. मैं दोबारा पढ़ सकता हूं. आप लोग मुझे मत सिखाईये. बैठ जाईये लेकिन ईमानदारी से गोपाल भाई, आपको सब लोग साक्षी मानकर उनको बोलने दीजिये. आप लोग टोकाटाकी नहीं करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - नहीं करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - 5 नाम दिये थे 5 आये. मैंने 5 नाम का बोला था. 5 नाम दोनों तरफ से पुकारे. 1 निर्दलीय तक का पुकारा. आप 20 नाम दे देंगे मैं नहीं पुकारूंगा. मैं बिल्कुल निवेदन नहीं सुनूंगा. नेता प्रतिपक्ष की सहमति लेने के बाद मैंने यहां निर्देश दिये हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, दो-दो मिनट.
अध्यक्ष महोदय - नहीं बिल्कुल नहीं. मैं फिर पूरा पढ़कर खत्म कर दूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, 12.48 बजे शुरू हुआ था. आप टाईम देख लें.
अध्यक्ष महोदय - मैं पढ़े दे रहा हूं फिर यह. मैं सिर्फ मंत्रियों का जवाब दिलवा सकता हूं. बोलने नहीं दूंगा. मैंने 5 नाम की आपसे प्रार्थना की. मैं निवेदन पर नहीं जाऊंगा अब, मैंने इन सब बातों का ध्यान रखते हुए आप लोगों से प्रार्थना की लेकिन आप बार-बार निवेदन करके ऐसा न करें. आज सुबह भी टाईम बर्बाद हुआ.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, एक-एक मिनट जिनके नाम हैं. उमाकांत जी हैं, हरिशंकर जी हैं. केवल एक-एक मिनट बोलेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो आवंटित समय जो कार्यमंत्रणा समिति में तय हुआ था उस आवंटित समय में भी कटौती होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि इसी तरह चलाना है तो गुलेटिन कर लें. आप कर लें गुलेटिन. ऐसे नहीं चलेगा अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - कार्यमंत्रणा में निर्णय अनुसार पी.डब्लू.डी. को 2 घंटे आवंटित हुए थे लेकिन चर्चा 3 घंटे चली. आपकी गल्ती से मैं बुरा बनूं. ये तरीका नहीं है. मैंने शुरू में निवेदन किया कि आप लोग खामी करें और गल्ती का भोग अध्यक्ष भोगे यह नहीं चलेगा. आपने 5 नाम की बात कही आप क्यों 10 नाम दे रहे हैं. चलिये मैं आगे बढ़ रहा हूं. विराजिये आप.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च,2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुये राज्यपाल महोदया को -
अनुदान संख्या - 11 औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन के लिए
एक हजार, बारह करोड़, सैंतीस हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 15 तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से
संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं
के लिए दो हजार रुपये
अनुदान संख्या - 21 लोक सेवा प्रबंधन के लिए इक्यासी करोड़,
उनतालीस लाख, पचास हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 32 जनसम्पर्क के लिए चार सौ पचास करोड़,सात
लाख, पिचासी हजार रुपये
अनुदान संख्या - 46 विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के लिए दो सौ
छियालीस करोड़, इकहत्तर लाख, बानवे
हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 47 तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार
के लिए एक हजार छह सौ छियासठ करोड़,
छह लाख, तिरासी हजार रुपये
अनुदान संख्या - 51 अध्यात्म के लिए अन्ठानवे करोड़, बत्तीस लाख
अठासी हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 65 विमानन के लिए एक सौ सात करोड़, चौहत्तर
लाख, छियालीस हजार रुपये
अनुदान संख्या - 70 प्रवासी भारतीय के लिए नब्बे लाख, तिरानवे
हजार रुपये, एवं
अनुदान संख्या - 72 आनंद के लिए दो हजार रुपये,
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि सी.एम. साहब की बात थी इसीलिये मैं सहमत हो गया. अब बाकी तो चर्चा होने दें. माननीय सदस्यों को बोलने दें.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाएं. मैं खड़ा हूं. मैं फिर से निवेदन कर रहा हूं. मैंने कृपापूर्वक जब विभाग की मांगों पर चर्चा शुरू हुई तो मैंने अनुरोध कियाथा 5-5 नाम दीजिये. ये दे दें 10 और आप दे दें 12 तो मैं 5-5 नाम ही लूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जनसंपर्क पर चर्चा नहीं हुई. किसी पर चर्चा नहीं हुई.
अध्यक्ष महोदय - आप जो बहस कर रहे हो तो कई मांगों में आपके कटौती प्रस्ताव ही नहीं आये हैं. जिन विषयों की आप बात कर रहे हो.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - जनसंपर्क पर अलग से चर्चा करा लेना.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - सज्जन भईया, ऐसा कभी नहीं हुआ है.
2.20 बजे
(2) मांग संख्या - 23 जल संसाधन
मांग संख्या - 45 लघु सिंचाई निर्माण कार्य
मांग संख्या - 57 जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं.
जल संसाधन मंत्री (श्री हुकुम सिंह कराड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदया की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुए राज्यपाल महोदया को -
मांग संख्या - 23 जल संसाधन के लिए छह हजार सात सौ तेरह करोड़, चौंसठ लाख, सत्तर हजार रुपये,
मांग संख्या - 45 लघु सिंचाई निर्माण कार्य के लिए एक सौ बासठ करोड़, छियासी लाख, उनहत्तर हजार रुपये, एवं
मांग संख्या - 57 जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं के लिए एक हजार रुपये
तक की राशि दी जाय.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - ऐसा कभी नहीं हुआ है सज्जन भैया, तरुण भाई, अनुदान मांगों को ऐसा डिलीट करना कभी नहीं हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यदि इसी तरह से सदन को चलाना है तो हम लोग बाहर जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं. मत जाइए. आप विराजिए. आप शांति से बैठिए. यह प्रस्तुत हो जाने दो, अभी चर्चा करता हूं. मैं गोपाल जी से बात कर लूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जनसंपर्क विभाग पर चर्चा नहीं हुई, बाकी विभागों पर चर्चा नहीं हुई. बहुत महत्वपूर्ण विभाग थे.
अध्यक्ष महोदय - आगे इस पर बोल लीजिए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - यह तो हो गया पास.
श्री गोपाल भार्गव - बहुत महत्वपूर्ण विभाग थे अध्यक्ष महोदय. कोई चर्चा नहीं हुई.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, ऐसा कभी नहीं हुआ. लोक सेवा प्रबंधन, जनसम्पर्क, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, तकनीकी शिक्षा, विमानन, अध्यात्म विभाग रह गया.
अध्यक्ष महोदय - मैं अभी इसके बाद बात कर रहा हूं.
2.23 बजे बहिर्गमन
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इस तरह से यह सदन चलेगा, हम सदन से बहिर्गमन करते हैं. यह अलोकतांत्रिक है, असंसदीय है और यह तानाशाही है, हम बहिर्गमन करते हैं.
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में मांगों पर चर्चा के लिए समय न दिये जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)
2.24 बजे वर्ष 2019-2020 के अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकतः वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
इस मांग संख्या में कोई भी कटौती प्रस्तावित नहीं है.
अब फिर मेरा अनुरोध है मैं अपने नीचे टेबल पर बोलता हूं मैंने 5-5 सदस्यों की बात की है अब फिर यहां पर 18 और यहां से 10 नाम आए हैं. आप लोग ही लम्बी लाइन फैला रहे हैं. मुझे आप कठघरे में खड़ा करते हैं. मैं आप लोगों से कई बार निवेदन कर चुका हूं कि कृपया 5-5 सदस्यों के नाम दीजिए. अन्यथा होगा यह कि आखिरी विभागों की मांग संख्या पर कोई चर्चा नहीं हो पाएगी और कैरिफार्वर्ड हो जाएगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूं कि 5 नाम जो पहले नम्बर पर हों उनको आप ले लें बाकी जो ज्यादा नाम हैं तो उसमें आप कटौती कर दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग ही कांट-छांट कर क्यों नहीं पहुंचाते हैं? मुझे क्यों तकलीफ में डालते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, ऊपर के जो 5 नाम हैं आप जो स्वीकार कर रहे हैं उसके लिए आप सहमति दे रहे हैं तो उतने नाम ले लें.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, 5 नाम कैसे हो सकते हैं ? इतनी बड़ी संख्या है. 5 नाम संभव नहीं हैं. इतनी बड़ी हम लोगों की संख्या है.
अध्यक्ष महोदय - ऐसा है कि घंटों और मिनटों का आवंटन होता है. संख्या है किन्तु उसके बाद आपको भी मालूम है कि रोहाणी जी यहां पर बैठते थे, शर्मा जी यहां पर बैठते थे, जिस दल की जितनी संख्या होती थी उनका टाइम बांटते थे. मैं उस टाइम से ज्यादा टाइम दे रहा हूं. आप मुझे बार-बार कठघरे में खड़ा मत करो.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, मैंने सिर्फ इतना निवेदन किया है कि 5 लोगों में समझौता नहीं हो सकता है. सिर्फ 5 लोग बोले यह कैसे हो सकता है?
अध्यक्ष महोदय - इस विभाग में 45 मिनट आपके पास हैं और 57 मिनट कांग्रेस के पास हैं.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - अध्यक्ष महोदय, जाने के पहले मैं बस एक ही बात कहना चाहता था. मुझे दुःख हुआ जब विपक्ष ने वाकआउट किया. मैं प्रतिपक्ष के नेता से यही कहना चाहूंगा कि आपकी बात सही थी, परन्तु हमारे अध्यक्ष महोदय की बात भी सही थी. कट मोशन्स पर अब एक दफे उन्होंने शुरू कर लिया था, बीच में इसको स्थगित कर देना भी उचित नहीं था. आपकी बात भी सही थी कि जो चर्चा हुई थी कि यह मेरी बात के बाद यह चलती रहेगी, कितना समय हुआ, कितना समय नहीं हुआ इसकी जानकारी में मैं जाना नहीं चाहता कि अध्यक्ष जी ने कहा कि समय भी पूरा हो गया था तो हमारा प्रयास यह रहना चाहिए कि हम एक दूसरे के साथ और अध्यक्ष जी की अंडरस्टेंडिंग से यह सदन चलाएं क्योंकि यह सदन केवल आपका या हमारा नहीं है, पूरे प्रदेश का है. हम पूरे प्रदेश का प्रतिनिधित्व यहां करते हैं. (मेजों की थपथपाहट).. तो इस बात से मुझे तो दुःख हुआ. अंत में जितना अनुभव मुझे है, बहुत दफे हम सहमत नहीं होते, आप सहमत नहीं होते जो अध्यक्ष जी की बात होती है परन्तु अध्यक्ष महोदय की बात का पालन करना यह हमारी परंपरा और नियमों के अनुसार रहता है. (मेजों की थपथपाहट)...
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं लेकिन थोड़ी संसदीय कार्यमंत्री जी से यदि जानकारी हो जाती, मैं इसलिए कहना चाहता हूं कि जो बात हुई, क्योंकि सारे सदस्यों को बोलना था. अब मुझे भी रिस्पांसिबल होना पड़ता है इस कारण से अध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि आपने बोलने का अवसर नहीं दिया. अब फिर अध्यक्ष महोदय समय बर्बाद होगा, नहीं तो फिर मैं डिवीजन की बात करने लगूंगा . मैं नहीं चाहता कि इस प्रकार की कोई स्थिति पैदा हो क्योंकि (XXX) तो फिर हमें मजबूर होना पड़ता है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - यह आरोप गलत है.
श्री गोपाल भार्गव -यह आज हुआ, इसको सज्जन भाई आप स्वीकार करें. मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि कम से कम उन्होंने इस बात को स्वीकार किया.
अध्यक्ष महोदय - जो आसंदी के प्रति बोला गया है...
डॉ. गोविन्द सिंह - एक मिनट माननीय