मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
गुरूवार, दिनांक 18 जुलाई, 2019
( 27 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 3 ] [अंक- 7 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 18 जुलाई, 2019
( 27 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.04 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री(श्री आरिफ अकील):-अध्यक्ष महोदय, आजकल आप ज्यादा समय उधर ज्यादा देते हैं और इधर कम समय देते हैं.
श्री तुलसी राम सिलावट:- अध्यक्ष महोदय, आप हमारे सबके भीष्म पितामह हैं, थोड़ा आप इधर भी देख लिया करो.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- यह तो हमारा शिष्टाचार और व्यवहार है.
अध्यक्ष महोदय:- देखिये, कल मैंने सज्जन भाई और विजय लक्ष्मी जी को जितना समय दिया होगा, इस तरफ नहीं दिया होगा.
श्री आरिफ अकील:- सारी गलतफहमियां दूर हो गयीं, देखने के लायक अब आप बचे हो ?
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- आपको अपने बारे में क्या गलतफहमी है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- नहीं, अभी ईमारत बुलंद है. ( हंसी )
श्री जितु पटवारी:- पुराना इतिहास भी हम लोग, आपका सुनते रहते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- कुछ नया तो बनाओ कि दूसरों का ही सुनते रहोगे.
श्री जितु पटवारी:- आप तो इतने रंग पुत कर आते हो कि आपको क्या बतायें.
श्री आरिफ अकील:- मैं पुराना वक्ता हूं, मेरा नाम नहीं आ रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- आज आप ही से शुरू कर दीजिये ना.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
मुरैना जिलांतर्गत सड़क निर्माण की जाँच
[लोक निर्माण]
1. ( *क्र. 1880 ) श्री कमलेश जाटव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना से पोरसा एवं पोरसा से अटेर तक सड़क निर्माण कार्य निर्माणाधीन है? यदि हाँ, तो उक्त निर्माण कार्य किस कंपनी/ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा है? कार्य पूर्ण होने की समय-सीमा क्या है एवं रोड की मोटाई एवं साइज क्या है? ठेकेदार/कंपनी के नाम, पते की जानकारी दें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित रोडों का निर्माण घटिया किस्म का होने एवं पूर्व से बने डामरीकरण रोड पर ही उक्त नवीन रोड डाला जा रहा है? यदि हाँ, तो क्या पक्के रोड के ऊपर बिना खुदाई किए नवीन रोड डाला जाना स्टीमेट में प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो स्टीमेट की कॉपी प्रदाय की जावे। यदि नहीं, तो ऐसा क्यों? (ग) क्या शासन प्रश्नांश (क) में वर्णित घटिया रोड निर्माण की जाँच उच्च स्तरीय समिति से कराने एवं तत्काल प्रभाव से उक्त घटिया निर्माण को रोके जाने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी नहीं, कार्य उचित गुणवत्ता एवं मानक मापदण्डों के अनुसार किया जा रहा है, केवल कुछ आबादी क्षेत्रों में भारतीय सड़क कांग्रेस के मापदण्डों के अनुसार विद्यमान डामरीकृत सतह के ऊपर 200 एम.एम. मोटाई का कांक्रीट ओवरले का कार्य किया जा रहा है। शेष मार्ग में डामरीकृत सतह हटाकर पुनर्निर्माण किया जा रहा है। प्राक्कलन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्री कमलेश जाटव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां पर एक सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है, वह सड़क मुरैना से पोरसा तक ओर पोरसा से अटेर होते हुए भिण्ड तक जा रही है. मैंने जो प्रश्न लगाया है, उसमें एक तो उसकी एजेंसी की जानकारी मांगी थी और दूसरा वहां मेरे द्वारा जो कार्य देखा गया है, वह कार्य संतोषजनक नहीं था. इस वजह से इन सारी चीजों की जानकारी चाहता हूं, क्योंकि वहां पर जो कार्य हो रहा है, वह संतोषजनक हो. सड़क बनाने में क्वालिटी मेंटेंन नहीं की जा रही है. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री से मेरा आग्रह है कि उसकी क्वालिटी मेंटेन की जाये, क्योंकि अभी कार्य शुरू हुआ है और बरसात में बहुत दिक्कतें आ रही है. अभी सिर्फ मिट्टी का ही कार्य शुरू हुआ है. उसकी समय के अनुसार स्पीड बढ़ायी जाये, यह मेरा मंत्री जी से निवेदन है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा प्रपत्र में पूरी जानकारी दे दी गयी है. एक-एक चीज की जानकारी दी गयी है कि कौन ठेकेदार है, कौन सी एजेंसी है, कितनी लंबाई है, उसमें मैंने हर चीज का उल्लेख कर दिया है. जहां तक गुणवत्ता का प्रश्न है तो समय-समय पर हमारे अधिकारी गुणवत्ता की जांच करते रहते हैं, बिल्कुल स्पेसिफिकेशन के अनुसार यह सड़क बन रही है. इसमें कहीं भी त्रुटि नहीं पायी गयी है और माननीय सदस्य यदि चाहें तो एक बार फिर से जाकर अवलोकन कर लें. वह सड़क मापदण्ड से भी अच्छी बन रही है.
श्री कमलेश जाटव:- मेरा माननीय मंत्री जी से यही आग्रह है कि उसकी एक बार और जांच करवा लें और जांच करवाकर संतोषजनक कार्य करवायें, वह मेन रोड है, इसलिये विशेष रूप से उसकी जांच करवा कर और अच्छा काम करवाने की कृपा करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, सड़क बिल्कुल व्यवस्थित बन रही है. मैं अपने सीनियर इंजीनियर को एक बार वहां पर पुन: भेज दूंगा. यदि माननीय सदस्य चाहें तो उनके साथ जाकर परीक्षण कर सकते हैं.
बिजावर स्थित शास. महा. में स्नातकोत्तर की कक्षा प्रारंभ की जाना
[उच्च शिक्षा]
2. ( *क्र. 2097 ) श्री राजेश कुमार शुक्ला : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बिजावर विधान सभा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के अध्ययन हेतु कितने शासकीय महाविद्यालय हैं? उक्त महाविद्यालय में प्रश्न दिनांक तक कौन सी संकाय संचालित होती है? विभागीय कैलेण्डर अनुसार कितने छात्र प्रवेश लेते हैं? कितने पद स्वीकृत हैं? कितने कार्यरत हैं? (ख) क्या सहज, सुलभ उच्च शिक्षा प्रदाय करवाना शासन की मंशा होती है? यदि हाँ, तो बिजावर स्थित शासकीय महाविद्यालय में अन्य संकाय खोले जा सकते हैं? क्या स्नातकोत्तर की कक्षा शुरू की जा सकती है? यदि हाँ, तो कब तक?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) बिजावर विधान सभा क्षेत्र में एक शासकीय महाविद्यालय है, जिसमें कला संकाय संचालित है तथा सत्र 2018-19 में प्रवेशित छात्र संख्या 446 है। महाविद्यालय में राजपत्रित श्रेणी के स्वीकृत 08 पदों में 01 पद पर सहायक प्राध्यापक कार्यरत हैं तथा अराजपत्रित श्रेणी के स्वीकृत 15 पदों में से 07 पदों पर कर्मचारी कार्यरत हैं। (ख) जी हाँ। जी हाँ। नवीन संकाय/ स्नातकोत्तर कक्षा प्रारंभ करने की कार्यवाही की जावेगी। किन्तु समय-सीमा बतायी जाना संभव नहीं है.
श्री राजेश कुमार शुक्ला:- अध्यक्ष महोदय आपका एवं पूरे सदन के सदस्यों का स्नेह और आशीर्वाद चाहूंगा, क्योंकि मुझे आज पहली बार सदन में बोलने का मौका मिला है और भाग्य से ऐसे मंत्री के सामने प्रश्न लगा, जिनसे हमें आशा है कि आज हम पहले ही प्रश्न में कुछ न कुछ यहां से लेकर जायेंगे.
अध्यक्ष जी, उच्च शिक्षा मंत्री महोदय, यह बताने का कष्ट करेंगे कि बिजावर विधान सभा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के अध्ययन हेतु कितने शासकीय महाविद्यालय हैं ? उक्त महाविद्यालय में प्रश्न दिनांक तक कौन सी संकाय संचालित होती है ? विभागीय कैलेण्डर अनुसार कितने छात्र प्रवेश लेते हैं, कितने पद स्वीकृत हैं, कितने कार्यरत हैं ? (ख) क्या सहज, सुलभ उच्च शिक्षा प्रदाय करवाना शासन की मंशा होती है ? यदि हां, तो बिजावर स्थित शासकीय महाविद्यालय में अन्य संकाय खोले जा सकते हैं ? क्या स्नातकोत्तर की कक्षा शुरू की जा सकती है ? यदि हां, तो कब तब ?
श्री जितु पटवारी:- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित विधायक जी ने जो प्रश्न किये हैं. मैं समझता हूं कि इसका उत्तर पुस्तिका में पूरा विवरण दिया हुआ है.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय विधायक जी, आपने जो प्रश्न किये थे, उसका लिखित उत्तर आ गया है. अब लिखित उत्तर में अगर कहीं आपको कोई खामीं दिख रही है या आपके जहन में कोई ऐसी बात आ रही है कि और कोई ऐसा प्रश्न बन के आ रहा है.
श्री राजेन्द्र कुमार शुक्ला:- अध्यक्ष महोदय, लिखित उत्तर में खामीं नहीं है, पर हमारी मंत्री जी से मांग है कि 20 साल पहले बिजावर में महाविद्यालय खोला गया था. 15 साल इनके भी निकल गये. मैं चाहता हूं कि इसी सत्र में बीएससी और बीकॉम की क्लॉसें दी जायें ? तो आपकी मेहरबानी होगी.
श्री जितु पटवारी:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का जो भाव है, वह बिल्कुल पवित्र है और मैं समझता हूं कि बिजावर एक ऐसी ऐतिहासिक जगह है. उसमें यह आवश्यक है कि वहां से और कालेजों की अथवा महाविद्यालयों की दूरी थोड़ी ज्यादा पड़ती है. आपकी मांग जायज है 100 प्रतिशत इस सत्र से अगले सत्र के बीच आपका काम हो जायेगा.
महाविद्यालयीन छात्रों को स्मार्ट फोन का वितरण
[उच्च शिक्षा]
3. ( *क्र. 2804 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रतलाम में पिछले तीन सत्रों से (17-18, 18-19 और 19-20) कॉलेज छात्रों को स्मार्ट फोन का वितरण नहीं हो पा रहा है? सभी तीन सत्रों के स्मार्ट फोन छात्रों को कब तक वितरित कर दिये जायेंगे? क्या इस संबंध में प्राचार्यों को शीघ्र निर्देश देने की कार्यवाही करेंगे? (ख) क्या वितरित स्मार्ट फोनों की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हुये हैं तथा फोन ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, यदि हाँ, तो क्या स्मार्ट फोनों की गुणवत्ता की जाँच कराई गई है? यदि हां, तो जाँच रिपोर्ट के निष्कर्ष क्या हैं? दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ, पूरे प्रदेश में ही प्रश्नांकित वर्षों के लिए स्मार्टफोन का वितरण नहीं हुआ है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) गुणवत्ता के संबंध में मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोंरेशन (MPSEDC) लिमिटेड को शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसकी जाँच MPSEDC द्वारा कराई गई। जाँच प्रतिवेदन संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। विभाग द्वारा इस विषय को स्वत: संज्ञान में लेते हुए जाँच कराई जा रही है।
श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न हमारे युवा मंत्री जी से था कि पिछली सरकार के समय प्रथम वर्ष में 75 प्रतिशत से ज्यादा उपस्थित रहने वाले बच्चों सन् 2018 तक स्मार्ट फोन वितरित किये गये. पिछले दो साल से कोई भी स्मार्ट फोन वितरित नहीं किये गये इसमें जो जवाब दिया गया है उसमें स्पष्टता नहीं है, न ही समय सीमा बतायी गई है ? न ही उसमें कोई बजट का प्रावधान ही किया गया है ? क्या यह योजना आगे चालू है या बंद है, इस बारे में भी कोई उल्लेख नहीं है ? दूसरा स्मार्ट फोन की गुणवत्ता पर भी कई बार प्रश्न उठे ? एम.पी.एस.ई.डी.सी. की एक रिपोर्ट लगी है, वह रिपोर्ट बिल्कुल बैतुकी है, जबकि आपने विभागीय जांच का लिखा है उसमें प्रारंभ कर रहे हैं. स्मार्ट फोन की गुणवत्ता को देखने के लिये एम.पी.एस ई.डी.सी. की रिपोर्ट है उसमें खरीदी के विषय में भी कई प्रश्न हैं, उन पर भी कहीं कोई प्रकाश नहीं डाला गया है ? तो कृपया युवा मंत्री जी कहना चाहता हूं कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिये उपस्थिति भी आवश्यक है उनके स्मार्ट फोन की योजना माननीय शिवराज सिंह सरकार की थी. इसके बारे में सरकार का क्या स्पष्ट मत है, कृपया बतायें ?
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल सही है माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है वह आज के दौर का वाजिब प्रश्न है. स्मार्ट फोन या आई.टी. सेक्टर से संबंधित योजना सरकार लाती है वह मोटे तौर पर बच्चों को आधुनिकीकरण से या आई.टी.के माध्यम से नया ज्ञान तथा विश्व का ज्ञान मिले, इसके लिये लाती है. यह भी बिल्कुल सही है कि सरकार ने जो निर्णय लिया था स्मार्ट फोन का उसकी गुणवत्ता को लेकर कई बार अखबारों में खासकर किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं आयी,परन्तु अखबारों में इसके खिलाफ कई बार प्रश्न उठाये गये ? हम आपस में भी कई विधायक बात करते थे कि तथा पिछली सरकार में मंत्री भी बात करते थे कि 21 तथा 22 सौ रूपये का स्मार्ट फोन थोड़ा कल्पना से परे है कि कैसे दे सकते हैं ? तथा कैसे दिया गया होगा ? मैं समझता हूं कि यह अपने आप में यह प्रश्नचिन्ह उठाता हूं? जहां तक प्रश्न है जिस एजेंसी ने उसकी जांच की थी तथा जिस एजेंसी ने टेंडर दिये, उसी एजेंसी ने ही उसकी जांच की. 9 बिन्दुओं पर उसकी जांच हुई 9 बिन्दुओं में अपने आप को उन्होंने स्पष्टतः साफगोई से यह कहा कि उसमें कोई गलती नहीं है. 21 सौ रूपये के स्मार्ट फोन में शिकायत आती है कि 21 दिन नहीं चला तो विभाग ने अपने संज्ञान में लिया तथा उसकी हम नये सिरे से जांच करवा रहे हैं. रही बात योजना के संदर्भ में यह आगे चलेगी कि नहीं चलेगी. मैं समझता हूं कि 21 सौ रूपये का स्मार्ट फोन एक राजनीतिक नयी व्यवस्था को लाभ-हानि दे सकता है, परन्तु बच्चे को नवाचार में सहयोग करे, ऐसा इस सरकार को नहीं लगता है. इस योजना को बंद नहीं किया जा रहा है, लेकिन इससे अच्छी योजना पर काम अभी चल रहा है उस योजना को आगे बढ़ाया जायेगा.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न था कि प्राचार्यों को कोई स्पष्टता नहीं है. बच्चे भ्रम की स्थिति में है. अगर आप नयी योजना देना चाहते हैं तो नयी योजना कब तक देंगे, इसके बारे में भी कोई उल्लेख नहीं है ?
श्री कुणाल चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी सवाल है.
अध्यक्ष महोदय--मेरी बिना अनुमति के बीच में बोलेंगे उनका नहीं लिखा जायेगा. मेरी बिना अनुमति के न बोलें सिर्फ अपना हाथ खड़ा कर लें, अगर उसमें जरूरत होगी तो पूछ लूंगा धन्यवाद आप विराजिये सशरीर मत खड़े होईये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का जो प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- उनको पूरा करने दो गोपाल भाई मूल प्रश्नकर्ता को अपना प्रश्न पूरा करने दीजिये आप लोग इतने जिज्ञासु हो जाते हैं.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि 21 सौ रूपये का फोन है उसकी जगह 5 हजार अथवा 10 हजार रूपये का स्मार्ट फोन दें, उसमें स्पष्टता तो करें युवा लोग जब प्राचार्यों के पास में जाते हैं कि उसमें क्या होगा तो उनको उनका संतोषजनक उत्तर मिलना चाहिये. युवाओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि क्या होने वाला है?
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आप कह रहे थे कि सशरीर न खड़े हों कोई अदृश्य रूप से कैसे खड़ा हो सकता है? अदृश्य रूप से खड़ा होगा तो आपके पास कौन सी शक्ति है जिससे आपको दिखेगा.
अध्यक्ष महोदय--यह अदृश्य रूप है.
श्री जितु पटवारी - माननीय अध्यक्ष जी, पिछली सरकार ने वर्ष 2014 में इस योजना की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने की थी. यह 2014-15 में दो साल लगातार स्मार्ट फोन का कोई वितरण नहीं हुआ. फिर इसका 2016-17 में लगातार तीन वर्षों का एक साथ वितरण करने की बात कही गई. चूंकि आपने प्रश्न बढ़ाया है इसलिए इस बात को कर रहा हूं, नहीं तो मैं नकारात्मक उत्तर देने का आदि नहीं हूं. राजनीतिक लाभ के लिए चालू की हुई योजना, बच्चों को मूल ज्ञान के लिए उसका सहयोग बने इसके लिए योजना चालू की गई थी, तो 5 हजार या 8 हजार का स्मार्ट फोन देने की योजना बन सकती थी, लेकिन 2100 रूपए में योजना में प्रावधान आर्थिक रूप से नहीं करना और 2014 में घोषणा लागू कर देना और 2016-17 में उसका वितरण करना, यह अपने आपमें एक तरह से भावनात्मक रूप से बच्चों के साथ छलावा था. फिर भी आपने जो कहा कि स्मार्ट फोन किस उद्देश्य को लेकर वितरित किए गए थे, तो उसका मूल भाव था कि बच्चों को नई तकनीक, नई टेक्नोलॉजी से जोड़े और आज के दौर की आईटी सेक्टर में बच्चे पारंगत हो और उसको शिक्षा का लाभ मिले. हम इससे अच्छी योजना, आज समय बताना चूंकि मैं नहीं समझता कि आज सही होगा, पर आप भरोसा रखें. आपका मनोभाव अच्छा हैं, आप अच्छे विधायक हैं, जागरुक विधायक हैं, बड़े वोट से जीतकर आते हैं. आपकी और हमारी एक ही भावना है. मैं भी शिक्षा मंत्री बना हूं तो मेरा भी मानना है कि कोई अच्छा नवाचार करें, तो कार्य योजना बन रही है. मैं अभी घोषणा नहीं कर सकता हूं, यह मुख्यमंत्री का अधिकार होता है. पर यह जरूर है कि आपकी भावनाओं के अनुरूप होगा, जांच होगी, स्मार्ट फोन को लेकर तो मैं घोटाला तो नहीं कहूंगा पर यह जरूर है कि जांच के पक्ष में आएगा, हमने विभागीय जांच कराई है. अगर आपको लगता है कि इसकी जांच और व्यापक दृष्टि से हो तो मैं तो आपकी अध्यक्षता में भी जांच करवाने को तैयार हैं, इसमें हमें कोई परेशानी नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है वह एकदम गोलमोल उत्तर दिया है. आपने कहीं स्पष्ट रूप से नहीं कहा कि आगे की नीति क्या होगी? क्या प्रावधान होगा? करेंगे कि नहीं करेंगे? करेंगे तो कब से करेंगे? कितने मूल्य का मोबाइल होगा? अभी आपने जो जांच की बात कही तो शौक से जांच करवाए, उसके लिए कोई रोक नहीं है, जो कुछ भी करवाना हो करवाए, लेकिन यह बहुत अच्छी महत्वाकांक्षी और छात्रों के लिए उपयोगी योजना थी, जिसको बंद कर दिया गया है, मंत्री महोदय भी बताएंगे कि बंद किया गया है या नहीं किया गया. दूसरी बात यदि बंद नहीं किया गया है तो क्या इसी वर्ष उसे बजट में प्रावधान करके फिर से बच्चों के लिए मोबाईल 5 हजार या 8 हजार का जितना भी देना चाहे आप क्या देंगे?
श्री जितु पटवारी - माननीय अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष सबसे सम्मानित हैं, वरिष्ठ हैं, रही बात इसकी कि जैसा मैंने कहा प्रश्न के उत्तर में कि यह राजनीतिक लाभ के लिए लाई गई योजना थी.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, जितु भाई इसके लिए घुमाना फिराना ठीक नहीं, इस बात के लिए आप स्पष्ट रूप से बताए. राजनीतिक लाभ के लिए तो सारा का सारा संसार चल रहा है, राजनीति राजनीतिज्ञों के लिए, राजनीतिक व्यक्तियों के लिए, राज्य के हित में, लोकहित में, जनहित में, समाज हित में सारी चीजों में इसके पीछे कहीं न कहीं यह भाव है, कोई कुछ भी कहे मैं यह बात स्वीकार करता हूं.
श्री जितु पटवारी - अच्छा लगा मुझे कि आपने स्वीकार किया कि स्मार्ट फोन आपने वोट के लिए बांटे थे, पर आप बैठे तो मैं उत्तर दूं.
श्री गोपाल भार्गव - आप मंत्री बने हो तो किसके लिए बने हो यह बताओ, ये बेकार की बातें क्यों, काम की बात करें. सीधी सीधी बात बताएं मंत्री जी क्या आप इसी वर्ष छात्रों के लिए मोबाईल उपलब्ध करवाएंगे कि नहीं करवाएंगे? एक लाइन में आप उत्तर दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - आप विराजेंगे तब तो वे खड़े होंगे.
श्री जितु पटवारी - मुझे आपने ही सिखाया है कि जब तक प्रश्नकर्ता खड़ा रहता है तब तक बैठना है, तो अनुरोध यह था कि मैंने जैसा कहा कि योजना पहले तो बंद नहीं की गई है. दूसरा चूंकि योजना में कई खामियां हैं, योजना का राजनीतिक लाभ का, इसलिए मैंने दूसरे प्रश्न के उत्तर में कहा. चेतन कश्यप जी ने सवाल किया कि क्या 2100-2200 रूपए का स्मार्ट फोन आ सकता है, आज तो महंगे स्मार्ट फोन आते हैं, उसमें बैटरियों की जांच हुई.
श्री गोपाल भार्गव - आप हां या न में उत्तर दें. मैं फिर कह रहा हूँ.
श्री जितु पटवारी - यह आप मुझे बाध्य करेंगे कि मैं हां में बोलूँ या न में बोलूँ. यह तो आपका अधिकार नहीं हो सकता. यह मेरा अधिकार है कि उत्तर कैसे दूँगा ? यह आपका क्या तरीका हुआ ? आप अपने शब्दों से उत्तर क्यों चाहते हैं ?
श्री गोपाल भार्गव - मैं स्पेसिफिक प्रश्न पूछ रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - वह ठीक है, लेकिन यह बात भी सही है, यह पूर्व से उदाहरण रहा है. हम मंत्री जी को बाध्य नहीं कर सकते.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. यह क्या बात हुई ? राजनीतिक लाभ के लिए (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - अब वे नहीं दे रहे हैं तो मैं क्या बोलूँ ?
श्री गोपाल भार्गव - यह क्या पूरी साधु-महात्माओं की जमात बैठी है, भजन मंडली है. हम यह जानना चाहते हैं कि (...व्यवधान....)
श्री जितु पटवारी - आपको यह नहीं बोलना चाहिए.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - आपको सन्यासी का प्रमाण-पत्र किसने दिया.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे घोर आपत्ति है.
(...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - भाई, प्रश्नकाल चलने दीजिये.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) - आप दादागिरी से उत्तर लेना चाहेंगे. हमारी सरकार आपका दादागिरी से उत्तर नहीं देगी (...व्यवधान....)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हां या न में उत्तर दिलवा दें. आप इसी वर्ष से मोबाईल उपलब्ध करवाएंगे या नहीं करवाएंगे.
श्री कुणाल चौधरी - लोगों ने चोरी करना छोड़ दिया कि नहीं, हां या न में जवाब दीजिये. इस तरह से बात हो जाएगी. (...व्यवधान....)
डॉ. मोहन यादव - आप जवाबदारी से जवाब नहीं दे रहे हैं.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, विराजिये. आगे के प्रश्न चलने देंगे कि क्या यहीं पर आप लोग अपनी इम्पोर्टेंस बताएंगे ? मैं जिनको परमिट नहीं करता हूँ, आप उनको बिल्कुल नहीं लिखेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा - (XXX)
डॉ. मोहन यादव - (XXX)
श्री चेतन्य कुमार काश्यप - (XXX)
श्री जालम सिंह पटेल - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह क्या तरीका हो गया ? माननीय जिन विधायकों ने प्रश्न किए हैं. मंत्री जी, आप विराजिए, शर्मा जी विराजिए. मूल प्रश्नकर्ता विराजिए. आप मेहरबानी करके बैठिये, बहुत सारे महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. हम एक प्रश्न पर ऐसे उलझकर रह जाएंगे तो जिसका अगला प्रश्न है, उसके मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? वह तो चुपचाप बैठा सोच रहा है कि क्या मेरा प्रश्न आएगा कि नहीं आएगा. उस बात को ध्यान में रखते हुए, यह ठीक है कि मैंने मूल प्रश्नकर्ता को 3 प्रश्न करने की इजाजत की, बाकी किसी को एक दी है तो यह परम्परा रही है कि हम बाध्य नहीं कर सकते हैं. यह आप भी जानते हैं. आपने भी यह सब चीजें देखी हैं, की हैं. आप मेहरबानी करके प्रश्नकाल सुव्यवस्थित चलाने में मुझे सहयोग प्रदान करें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मुझे आपत्ति है. 108 विधायकों का एल.ओ.ओ.पी. प्रश्न कर रहा है और आसन्दी से उत्तर नहीं दिलाया गया तो मेरे यहां पर बैठने का क्या अर्थ है ?
अध्यक्ष महोदय - बाध्य नहीं कर सकते.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष जी (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, आप बैठ जाइये. बाध्य नहीं कर सकते.
श्री गोपाल भार्गव - मंत्री जी, यह बताएं कि इसका उत्तर देंगे कि नहीं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 4, डॉ. योगेश पंडाग्रे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हम लोगों को भी आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - मैंने पूरा संरक्षण दिया हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव - प्रश्न का उत्तर ही नहीं आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी, बाध्य नहीं कर सकते. मैं कितनी बार बोलूँ ? यह आपके समय पर भी चलता था.
श्री गोपाल भार्गव - मंत्री जी, कह दें हां बैठिये.
अध्यक्ष महोदय - वहां से संसदीय मंत्री तक बोलते थे. आप किसी मंत्री को बाध्य नहीं कर सकते.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इसका मतलब हम यहां फालतू बैठे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप किसी मंत्री को बाध्य नहीं कर सकते. (...व्यवधान....)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, अब यदि उत्तर नहीं मिलता है तो हमारे यहां बैठने का क्या अर्थ है ?
अध्यक्ष महोदय - जब आप यहां बैठते थे, तब आप भी यही बोलते थे, नहीं करवाएंगे.
(...व्यवधान....)
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने स्मार्ट फोन के नाम पर जनता के पैसे लूटे हैं. (...व्यवधान....)
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें आपका संरक्षण चाहिए. (...व्यवधान....)
एक माननीय सदस्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, इन लोगों ने 15 वर्षों से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है और दो-दो हजार रुपये के स्मार्ट फोन बांटे हैं. (...व्यवधान....) इन लोगों ने वोट लेने के लिए स्मार्ट फोन बांटे हैं. (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(11.24 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.29 बजे
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या - 4 डॉ. योगेश पंडाग्रे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें आपका संरक्षण चाहिये. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैं इस पर कुछ चर्चा नहीं करूंगा मेहरबानी करके मुझे सहयोग करिये, मुझे संचालन करने दीजिये. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सादा सा प्रश्न है, क्या मंत्री जी जवाब देने की कृपा करेंगे ?(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैं मंत्री जी को बिल्कुल बाध्य नहीं कर सकता हूं. आप वरिष्ठ मंत्री रहे हैं, आप भी पहले जवाब देते आये हैं. माननीय संसदीय मंत्री यहां बैठे हुये हैं, कई मर्तबा वह यही से बोलते थे कि मंत्री को जवाब देने के लिये बाध्य नहीं कर सकते हैं. मेहरबानी करके पुरानी पंरपराओं को ध्यान में रखते हुये मुझे सदन संचालित करने दें. माननीय सदस्यों के इतने महत्वपूर्ण प्रश्न लगे हुये हैं, कल भी ऐसे ही प्रश्नकाल की आहूति चढ़ गई थी. (कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने-अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) आप सभी बैठ जायें. कल भी ऐसे ही प्रश्नोत्तर की आहूति चढ़ गई थी. क्या मैं रोज ऐसे ही प्रश्नोत्तर की आहूति चढ़ा दूं ? माननीय विधायकों को अपने प्रश्न न करने दूं ? यह आप लोग तय कर लीजिये. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि एक प्रश्न का भी सही उत्तर मिल जाये तो पूरी प्रश्नोत्तरी सफल हो जायेगी. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं यह बहस का विषय नहीं है. नेता प्रतिपक्ष जी यह बहस का विषय नहीं है. (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न का भी जवाब सही नहीं आया है. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता जी यह बिल्कुल भी बहस का विषय नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मेरा उल्लेख किया है. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, ऐसा है अगर आपका कोई प्रश्न आये और पूरा सदन ऐसी बात करे तो आपका प्रश्न कहां जायेगा ? एक विधायक प्रश्न उठा रहा है. आप समझिये तो हम कहां जा रहे हैं ? (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या सारे उत्तर हवा में होंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आपसे अनुरोध है, कृपया आप बिराजियेगा. (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मेरा उल्लेख किया है, इसलिये मुझे बोलना है. आपने कहा था कि जब मैं संसदीय कार्य मंत्री था तो यह संसदीय कार्य मंत्री बैठे हैं (डॉ. गोविन्द सिंह जी की ओर देखते हुये) वह जवाब दे देंगे, उनका जवाब आप सुन लें. (व्यवधान)....
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) --माननीय अध्यक्ष महोदय, हमको भी सुन लें, बात यह है कि यह अराजकता पैदा कर रहे हैं. यह सदन में अराजकता पैदा करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपका यह तरीका ठीक नहीं है, क्या मैंने आपको परमीशन दी है ? (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस सदन के संरक्षक हैं लेकिन मैं भी 108 लोगों का संरक्षक हूं (मेजों की थपथपाहट) (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- क्या मैं प्रश्नकाल समाप्त कर दूं ? (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- इनके प्रश्नों का उत्तर दिलाना मेरा कर्तव्य है. मेरा धर्म है. अध्यक्ष महोदय -- मुझे भी यहां 108 विधायकों ने चुनकर बैठाया है. (व्यवधान)....
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) --माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 108 का प्रश्न नहीं है. आप 230 विधायकों के संरक्षक हैं (व्यवधान)....
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह सदन में इस तरह से दबाव बनायेंगे और मंत्री को जवाब देने के लिये बाध्य करेंगे ? (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- संसदीय कार्यमंत्री बोल रहे हैं. (व्यवधान)...
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री जी आपका जवाब देने के लिये तैयार हैं, कृपया कर आप शांतिपूर्वक जवाब सुने. आप इस तरह की बात नहीं कर सकते हैं कि जैसा आप चाहे वैसा मंत्री उत्तर दे. मंत्री अपने नियम कायदे के अंतर्गत और जो उनकी सीमायें और क्षमतायें हैं, उनके अनुरूप आपको उत्तर दे रहे हैं. आप जरा धैर्य रखिये. (व्यवधान)....
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- वह उत्तर नहीं दे रहे हैं, यही विवाद है. वह हां करे या ना करे जो करना है करें, पर वह उत्तर दे कहां रहे हैं. विवाद का विषय डॉक्टर साहब सिर्फ इतना ही है कि वह कोई भी जवाब स्पष्ट रूप से नहीं दे रहे. हमें हां पर आपत्ति है, न ही हमें ना पर आपत्ति है. पर वह हां या न में जवाब दें तो सही.(व्यवधान)....
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपसे अनुरोध है कि कृपा कर आप बैठ जायें.आप धैर्य रखें. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- डॉक्टर साहब आप बैठ जायें. पर मुझे इस बात पर आपत्ति है. यह नियम कानून में विद्यमान चीजें हैं, जिनका उल्लेख समय-समय पर आप लोगों के द्वारा भी किया गया है. हम किसी भी मंत्री को उत्तर देने के लिये बाध्य नहीं कर सकते हैं. अब बात हां या ना की नहीं आती है.(व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस सदन के संरक्षक हैं.
अध्यक्ष महोदय -- (कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने-अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) आप यह बतायें कि यही गरिमा नेता प्रतिपक्ष की होती है कि जब वह खडे़ हों और दस माननीय सदस्य एक साथ खड़े हो जायें ? क्या यह गरिमा भी मैं आप लोगों को सिखाऊं ? क्या यह गरिमा भी मुझे आप सभी लोगों को सिखाना पड़ेगा ?(व्यवधान)....
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न लगे हैं (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे दो वाक्य सुन लें. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. प्रश्न संख्या -5 श्री संजय शुक्ला. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन आपके संरक्षण में चलता है. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या -6 श्री भारत सिंह कुशवाह. (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन विधायकों को सही उत्तर मिले यह भी मेरा कर्तव्य है. प्रश्नों का उत्तर दिलाया जाये और मैं उत्तर दिलाऊं.
अध्यक्ष महोदय -- भाई मैंने मूल प्रश्नकर्ता को 3 प्रश्न करने दिये, आपको बीच में आज्ञा भी दे दी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप पूरे सदन को उद्वेलित कर दें, यह तरीका सही नहीं है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- वह आपकी आज्ञा से ही बोल रहे हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आप पूरे सदन को उद्वेलित कर रह रहे हैं. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नेता प्रतिपक्ष जी ने आपकी आज्ञा से ही प्रश्न पूछा है, अगर आपकी आज्ञा से प्रश्न पूछा है तो जवाब क्यों नहीं आयेगा ?
अध्यक्ष महोदय -- आप परंपराओं से विमुख हो रहे हैं. आप जवाब के लिये बाध्य नहीं कर सकते हैं. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं दबाव की बात नहीं कर रहा हूं, मैं जवाब की बात कर रहा हूं. अगर उन्होंने आपकी आज्ञा से प्रश्न पूछा है तो कुछ जवाब तो आयेगा ही.
अध्यक्ष महोदय -- मैं परंपराओं का पालन कर रहा हूं. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी कोई परंपरा नहीं है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैं अपने नियम नहीं बना रहा हूं. मैं परंपराओं का पालन कर रहा हूं. यह मेरा नियम नहीं है. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- क्या हां और ना मैं जवाब नहीं हो सकता है ? . (व्यवधान).
अध्यक्ष महोदय -- नहीं हो सकता है, यह तो आप बाध्य कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कोई दबाव है ही नहीं. . (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- भाई घर में रोटी परोसी, अब आप बोलो घर में कि बताओ रोटी खाओगे कि नहीं खाओगे. यह तो बाध्य करने वाली ही बात हुई. . (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- हम लोग यहां पर 108 लोग क्यों बैठे हैं ? हम लोग राज्य के हितों की, नौजवानों के हितों की बात करने के लिये बैठे हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- यह हितों की बात नहीं हो रही है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अगर यह प्रश्नोत्तरी है तो उत्तर कहां पर है ?
अध्यक्ष महोदय -- यह आने वाले विधायकों के जो प्रश्न हैं, उनको रोकने की बात हो रही है. आने वाले बहुमूल्य प्रश्न जिन विधायकों के हैं, उनको रोकने की बात हो रही है. आप जितने भी जागरूक विधायक हैं, उनको प्रश्न नहीं करने दे रहे हैं. यह अच्छी चर्चा, अच्छी पंरपरा नहीं है. वरिष्ठ जन आज पूरे नये नये विधायकों के प्रश्न लगे हैं, सभी नये विधायकों के प्रश्न लगे हैं. आप लोग चर्चा नहीं होने देना चाहते हैं. क्या संजय शुक्ला नये विधायक नहीं है, क्या कृष्णा गौर नये विधायक नहीं है ? (व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 साल इन्होंने कितने जवाब दिये, बिजली के मुद्दे पर, घोटालों से बचने की यह साजिश है. आप विधायकों का हक नहीं ले सकते हैं. इनकी कलई न खुल जाये, इनके घोटाले न खुल जाये इसलिये यह व्यवधान मचाते हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आप नये विधायकों के जानबूझकर प्रश्न नहीं आने दे रहे हैं, आप जानबूझकर प्रश्नकाल में बाधा पैदा कर रहे हैं, यह न्यायोचित नहीं है. सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(11.35 बजे सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.)
12.03 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
(अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुये)
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
स्थगन एवं ध्यानाकर्षण की दी गई सूचनाओं पर चर्चा कराई जाना.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, नमस्कार.
अध्यक्ष महोदय-- जय जागेश्वर.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, एक निवेदन था.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष जी, हम लोगों ने स्थगन और ध्यानाकर्षण सूचनायें दी हैं. प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रोफेसर हड़ताल पर हैं. पूरे प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था बहुत ही प्रभावित हुई है. हजारों मरीजों की लाइनें लगी हुई हैं, मरीज लॉन में, कॉरीडोर में बैठे हुये हैं, तड़फ रहे हैं, अनेकों की मृत्यु भी हो चुकी है. इसी तरह से प्रदेश के 1 लाख से ज्यादा कम्प्यूटर आपरेटर्स भी हड़ताल पर हैं, दफ्तरों में काम नहीं हो रहा है. इन दोनों विषयों को लेकर के हम लोगों ने स्थगन और ध्यानाकर्षण की सूचनायें दी है. आप कृपा करके जल्दी से जल्दी इन पर चर्चा करवाने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय-- निश्चित तौर पर मैं आपकी बात को ध्यान में रखते हुये कैसे, किस विषय में कब ले सकता हूं, पूरा ध्यान रखूंगा.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष जी, जब चर्चा हो तब ठीक है, यदि संभव हो तो आप मंत्री महोदया को या जो भी संबंधित मंत्री हैं उनके लिये अभी निर्देशित कर दें, खास तौर से चिकित्सा शिक्षा के मामले में. अध्यक्ष महोदय, यह बहुत लोक महत्व का मामला है और मरीज तड़फ रहे हैं. समाचारपत्रों में भी और ज्ञापन के माध्यम से भी यह सब बातें जानकारी में आई हैं. चर्चा नहीं हो लेकिन यदि आप निर्देशित कर देंगे तो यह बड़ा हित होगा.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग गोपाल भार्गव जी को इतना हल्का मत जानिये. बहुत वजनदार व्यक्तित्व के धनी हैं. उनको सपोर्ट मत करिये. आप जो बोल रहे हैं. आपकी जो चीजें आई थीं मेरे पास किसी न किसी प्रस्ताव के माध्यम से. मैं पहले से ही कह चुका हूं कि इन सबके जवाब मंगवा लें. मैं आलरेडी कर चुका हूं. अब नरोत्तम जी बोलिये लेकिन मुस्करा कर बोलिये
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, तनाव आता ही नहीं है आपको देख लेता हूं. आप जब मुस्कुराते हैं तो मजा आ जाता है. वह गाना याद आता है कि तेरा मुस्कराना गजब ढा गया.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्यक्ष महोदय, हमारी विधान सभा में एक ही स्मार्ट व्यक्ति है अमिताभ बच्चन जी.
गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री(श्री आरिफ अकील) - अध्यक्ष महोदय, " जुल्फें संवारने से बनेगी ना कोई बात, उठिये, मुझ गरीब की किस्मत संवारिये "
डॉ.नरोत्तम मिश्र - " दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिये, बस, एक बार मेरा कहा मान लीजिये."
अध्यक्ष महोदय - अब इतना भी बता दो कि आप दोनों में रेखा कौन, अमिताभ बच्चन कौन ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह निर्णय तो आपको ही करना है. अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना छोटी सी थी. कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में 100 रुपये बिजली का बिल आम आदमी को देने को कहा. हमने संबल योजना में 200 रुपये कहा था इन्होंने 100 कहा. इन्होंने आधा कर दिया. बिजली आधी हो गई. बिल आधा नहीं हुआ. 4-4 हजार, 8-8 हजार,10-10 हजार, 20-20 हजार के बिल पूरे प्रदेश में आ रहे हैं. बिजली नहीं आ रही. बिल आ रहे हैं. हमने इस पर स्थगन और ध्यानाकर्षण दोनों दिये हैं. मेरी प्रार्थना है कि आप चाहें तो नियम 139 पर, चाहे ध्यानाकर्षण, चाहे स्थगन के माध्यम से इन बिलों के ऊपर जो गरीबों को 10-10 हजार के बिल मिल रहे हैं. इस पर आपसे मेरी प्रार्थना है कि इस पर चर्चा जरूर कराएं.
अध्यक्ष महोदय - निश्चित तौर पर इस संबंध में 3 दिन पहले शून्यकाल के पहले यह बात उठाई गई थी और तब भी मैंने कहा था कि हां, जो आमजन से जुड़े हुए विषय हैं. उको जैसे-जैसे बजट सत्र में जो-जो काम निपटते जाते हैं.तद्नुसार मैं इनको कहां ले सकता हूं. मैंने कहा था.
12.08 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी :-
1. श्री के.पी.त्रिपाठी
2. श्री भारत सिंह कुशवाह
3. श्री संजय यादव
4. इंजी.प्रदीप लारिया
5. श्री देवेन्द्र वर्मा
6. श्री पंचूलाल प्रजापति
7. श्री रामकिशोर कावंरे(नानो)
8. श्री दिनेश राय "मुनमुन"
9. श्री शरदेन्दु तिवारी
10. श्री हरिशंकर खटीक
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था(क्रमश:)
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रिविलेज का मामला है. अध्यक्ष महोदय, आप जरा नियम पढ़ लें उसके बाद आगे बढ़ें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, प्रिविलेज मोशन माननीय सदस्य ने दिया है.
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, नियमों में प्रिविलेज मोशन शून्यकाल के पहले आता है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, प्रिविलेज मोशन माननीय विधायक महेश राय जी ने दिया हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - मुझे मालूम है दिया हुआ है लेकिन हर चीज का उल्लेख करना जरूरी है. मैं शून्यकाल में एक या दो सदस्यों को जैसे लोक सभा में प्रथा है मैं एक-दो लोगों को बोलने की अनुमति दे सकता हूं लेकिन हर सदस्य को अनुमति नहीं दे सकता.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, एक-दो सदस्य की नहीं पांच सदस्यों की है.
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राथमिकता क्रम देख लीजिये आप, अध्यक्ष के स्थाई आदेश में.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, प्रिविलेज मोशन पर व्यवस्था दे दीजिये आप.
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल के बाद लिया जाता है प्रिविलेज को.
(..व्यवधान..)
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, एस.डी.एम. ने अपमानित किया है. एस.डी.एम. ने खड़े होकर विधायक को बाहर कर दिया.(..व्यवधान..) आप संरक्षण नहीं दोगे तो कौन देगा. एस.डी.एम. ने कमरे से उनको बाहर कर दिया. चपरासियों जैसा व्यवहार किया.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के कारण दो-दो दिन के प्रश्नकाल नहीं हो सके. समय जाया हो रहा है विधान सभा का, लोक महत्व की चर्चाएं नहीं हो पा रही हैं. ध्यानाकर्षण नहीं आ पा रहे हैं. इस प्रकार की व्यवस्था इन्होंने बनाकर रखी हुई है.
(..व्यवधान..)
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - (XXX)
(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)
(व्यवधान) ..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी) - (XXX)
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)
(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय - पहले आप अपने दल में व्यवस्था बना लीजिए. अगर नेता प्रतिपक्ष खड़े हों और आपके दल के पूरे सदस्य खड़े हों, यह मुझे कहीं से उचित नहीं दिखता है. पहले आप अपने दल की व्यवस्था बना लीजिए. आप खड़े होते हैं पीछे से सब खड़े हो जाते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - हमारे सारे सदस्य पूर्णतः अनुशासित हैं.
अध्यक्ष महोदय - वह खड़े हो जाते हैं कैसे अनुशासित हैं?
श्री गोपाल भार्गव - आपके आदेश का सारे लोग पालन कर रहे हैं. आप देखिए. आप देख सकते हैं. यह बात जो आई है विद्युत कटौती की और उसके साथ में बढ़े हुए विद्युत देयकों की. (XXX)
(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह - (XXX)
12.11 बजे बहिर्गमन
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, सदन में इस पर चर्चा नहीं करवाई जा रही है. प्रदेश के ऐसे लाखों करोड़ों लोग प्रभावित हैं (व्यवधान).. हम इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में प्रदेश में विद्युत कटौती एवं विद्युत देयकों के संबंध में सदन में चर्चा न कराये जाने के विरोध में बहिर्गमन किया गया.)
अध्यक्ष महोदय - जितनी अभी चर्चाएं हुई हैं, पूरी विलोपित. शून्यकाल में मैंने जो पढ़ा, उसके बाद की जितनी बातें हैं वह सब विलोपित.
12.12 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम लिमिटेड, भोपाल का तेरहवां वार्षिक लेखा एवं प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
(2) मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग, इन्दौर का 61वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 स्पष्टीकरणात्मक ज्ञापन सहित
(3) (क) जिला खनिज प्रतिष्ठान शहडोल एवं दमोह के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
(ख) जिला खनिज प्रतिष्ठान छिन्दवाड़ा का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
(4) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, इन्दौर का 15वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
(5) (क) मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
(ख) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 50वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयक
मध्यप्रदेश पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019
ध्यानाकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य से अनुरोध यह है कि आपने मुझसे ध्यानाकर्षण लेने के लिए प्रार्थना की है मैंने उसको ले लिया है. प्वाइंटेड प्रश्न करें, आप सीनियर मंत्री रहे हैं, वर्तमान में विधायक हैं प्वाइंटेड तीन प्रश्न करियेगा. किसी अन्य सदस्य को मैं चर्चा करने का अवसर नहीं दे पाऊंगा क्योंकि आज विभिन्न मांगों पर चर्चा करवाना है, कृपया सहयोग करिये.
उज्जैन जिले में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत सहायक वार्डन की नियुक्ति में अनियमितता से उत्पन्न स्थिति
कुंवर विजय शाह ( हरसूद ) -- अध्यक्ष महोदय,
स्कूल शिक्षा मंत्री( डॉ प्रभुराम चौधरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा यह कहना है कि 2006 से 2017 तक के शिक्षा विभाग के सारे निर्देश मेरे पास हैं. सहायक वार्डन के पद पर नियुक्ति की नियम प्रक्रिया कैसे होना चाहिए, उसका इसमें उल्लेख है. क्या मंत्री जी बतायेंगे कि जब इनकी नियुक्तियां हुई थीं, जिसका आपने अभी उल्लेख किया है. हमारे मंत्रित्वकाल में जब हमारे पास में शिकायत आयी थी तो हमने उसकी जांच करवाई थी और उसे जेल भेजा था. ऐसी एक वार्डन नहीं है उज्जैन में 4 - 5 वार्डनों की नियुक्ति हुई है. आप बतायें कि नियुक्ति के निर्देश और नियम प्रक्रिया क्या थी.
डॉ प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो चिंता व्यक्त की है मैं उनको बताना चाहता हूं कि जो भी नियुक्ति हुई हैं आपके ही कार्यकाल में हुई हैं. हमने एक भी वार्डन या सहायक वार्डन की नियुक्ति नहीं की है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि 2006, 2007 से नियुक्ति चल रही हैं, आप पुनर्नियुक्ति के नियम क्या हैं यह बतायें.
डॉ प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय जो नियम प्रक्रिया हैं वह मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित कर चयन किया जाता है. आवासीय ब्रिज कोर्स में कार्यरत शिक्षिकाओं को प्राथमिकता, आवासीय ब्रिज कोर्स में कार्यरत् शिक्षिकाओं को प्राथमिकता. स्थानीय निवासी महिला को निवास स्थल के छात्रावास में नियुक्त नहीं किया जाएगा. आवेदनों का परीक्षण जिला जेंडर कोर ग्रुप द्वारा. अंतिम चयन एवं पदस्थापना कलेक्टर के अनुमोदन पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा. योग्यता स्नातक हो. व्यावसायिक दक्षता कौशल(Vocational Skill) का डिप्लोमा. बालिकाओं की देखभाल करने में सक्षम हो. बालिका छात्रावास में पूर्णकालिक रुप से रहने हेतु सहमत, सेवाभावी,सहृदय. बालिकाओं की पढ़ाई में भी सहायता कर सकती हों. विधवा,परित्यक्ता, 35 वर्ष से अधिक उम्र की अविवाहित महिलाओं को प्राथमिकता. विवाहित महिलाओं की स्थिति में ऐसी महिलाएं, जिनके बच्चे 10 वर्ष से छोटे न हों, उनको नियुक्ति देने का प्रावधान है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, आपने जो वर्ष 2006,2007 एवं 2008 में सहायक वार्डनों की नियुक्तियां कीं. आप मुझे यह बताइये कि क्या तत्समय जो अधिकारियों ने नियुक्तियां कीं, वह सहायक वार्डन स्नातक थीं क्या. दूसरा, क्या उनके बच्चे 10 साल से छोटे थे.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, नियुक्ति हमने तो की नहीं है. नियुक्ति जो भी हुई हैं, माननीय सदस्य जो पूछ रहे हैं, उन्हीं के कार्यकाल में या उनके शासन के कार्यकाल में ही हुई हैं, लेकिन फिर भी वे जानना चाहते हैं, तो मैं बताना चाहता हूं कि उज्जैन जिले में किसकी नियुक्ति कब हुई है और उनकी क्या योग्यता थी,यह मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं. केजीबीव्ही, उज्जैन में सुश्री मधु चौहान, 12.7.2007 को, स्नातक थीं. केजीबीव्ही पानबिहार, घटिया श्रीमती रफत बैग 27.10.2005 को, स्ननातक. केजीबीव्ही, महिदपुर श्रीमती सुधा बाली 8.10.2007, स्नातक. केजीबीव्ही नागदा, श्रीमती सीमा ठाकुर 20.8.2008 को हायर सेकेण्डरी. बालिका छात्रावास,तराना श्रीमती दीप्ती भारती 27.10.2006 हायर सेकेण्डरी. बालिका छात्रावास, उज्जैन श्रीमती मंजुश्री ठक्कर 26.10.2006 स्नातक. बालिका छात्रावास नांदेड कु. राखी चन्द्रावत 16.6.2011 हायर सेकेण्डरी. बालिका छात्रावास, नजरपुर श्रीमती ज्योति चौहान 12.12.2006 हायर सेकेण्डरी. बालिका छात्रावास, खाचरोद सुश्री सीमा नागपुरे 8.3.2019 स्नातक. बालिका छात्रावास, चांपाखेड़ा श्रीमती शारदा नवल 21.1.2013 स्नातक. बालिका छात्रावास, झारडा श्रीमती गेंदकुंवर राय 1.11.2007 स्नातक.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, इसमें पुष्पा चौहान की जिस समय नौकरी लगी, उस समय वह ग्रेजुएट नहीं थी. डाक्युमेंट के आधार पर हमने जांच की. ऐसी और भी हैं दीप्ती मेडम भी हो सकती हैं, जिनकी बहुत सारी चीजें इसमें हैं. मंत्री जी, मेरा एक ही प्रश्न है कि वर्ष 2006 से लेकर के बाकी जो नियुक्तियां हुई हैं, मेरी जानकारी के मुताबिक उसमें अनियमितताएं हुई हैं. क्या विस्तार से, यहां से भोपाल से अधिकारी भेज करके सहायक वार्डनों की नियुक्ति की जांच करायेंगे. दूसरा, जो उस समय, जिनके बच्चे नियम में नहीं आते थे, छोटे थे, उनकी नियुक्तियां हुई हैं. जो ग्रेज्युएट नहीं थीं, उनकी नियुक्तियां हुई हैं और जो छात्रावास में नहीं रहती हैं, उनकी नियुक्तियां हुई हैं, उनकी विस्तार से मेरे पास जानकारी है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अनुमति चाहूंगा कि मैं सारी जानकारी मंत्री जी को उपलब्ध करवाता हूं. वे भोपाल से किसी अधिकारी को भेज करके विस्तार से इसकी जांच करायेंगे क्या.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विजय शाह जी ने जो चिंता व्यक्त की है. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि जो अनियमितताएं हुई थीं, श्रीमती रत्ना जॉनी, जिनको 4.12.2007 को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. नम्बर दो, पुष्पा चौहान, जिनको 26.4.2018 को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. उसके बावजूद भी माननीय सदस्य चाहते हैं कि इसमें जांच होना चाहिये, तो वे हमे जानकारी उपलब्ध करा दें, हम उसकी जांच करा लेंगे.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जांच कराकर इसी विधान सभा सत्र के अंदर जानकारी देंगे, तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय -- विजय शाह जी, पहले उनको जानकारी दे दीजिये, फिर वे पलटाकर आपको जानकारी दे देंगे.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, यह बच्चियों और बालिकाओं से जुड़ा हुआ प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- यह कौन मना कर रहा है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि विधान सभा सत्र खत्म होने के पहले अगर आप जानकारी पटल पर रखेंगे, तो बड़ी मेहरबानी होगी.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में ही बताया है, अभी हमें सरकार में आए हुए सिर्फ 6 महीने ही हुए हैं, हमने तो किसी की नियुक्ति की नहीं, जो भी अगर अनियमितताएं इनके शासनकाल में हुई हैं, उनकी पूरी जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, श्री विनय सक्सेना अपनी ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- हमें कोई दिक्कत नहीं है, हम आपकी भावनाओं से सहमत हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप दोनों को दिक्कत नहीं है भाई, पुराने शिक्षा मंत्री और नए शिक्षा मंत्री, आप दोनों को दिक्कत नहीं है. धन्यवाद.
2. ग्वालियर स्थित राज्य महिला अकादमी द्वारा प्रदेश की महिला खिलाड़ियों को प्रताड़ित किया जाना
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर) -- अध्यक्ष महोदय,
खेल और युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) -- आदरणीय अध्यक्ष जी,
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्य तो यह है कि यह वे आधार कार्ड हैं जिसमें उत्तरप्रदेश के आधार कार्डों की कॉपी लगी है. यह शिवानी यादव से लेकर ज्योति सिंह, रितिका सिंह, छवि, पूनम, अक्षिता यादव, के आधार कार्डों की कॉपी उत्तरप्रदेश की हैं. यह सभी गाज़ीपुर, उत्तरप्रदेश, सीपरी बाजार, इलाहाबाद, यह सब फर्जी आधार कार्ड हैं क्योंकि वास्तविक रूप से अगर हिन्दुस्तान में, उत्तरप्रदेश के आधार कार्ड सही हैं, तो फिर यह मध्यप्रदेश के आधार कार्ड कैसे बन गये ? अधिकारी अगर इस तरह से फर्जी कागज़ात विधान सभा में सबमिट करेंगे और हर बात को असत्य मान लेंगे, तो इन आधार कार्डों की जांच करा ली जाये. यह माननीय खिलाडि़यों के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है, यह अक्षम्य है, क्योंकि प्रदेश के खिलाडि़यों का जो भाग्य है, उसको आपने कचरे के डब्बे में डाल दिया है.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य की भावना पवित्र है. मैं, मानता हूं कि अकादमी का जो उद्देश्य था कि उत्कृष्ठ खिलाडि़यों को हमारे मध्यप्रदेश के खिलाडि़यों के साथ रखकर, खिलवाकर उनके खेल में प्रवीणता लायी जाये. स्थानीय प्रमाण पत्रों की जांच करने का प्रॉवीजन जिला प्रशासन के पास है. मैं, समझता हूं कि यह खेल विभाग से संबंधित विषय नहीं आता है, फिर भी चूंकि माननीय सदस्य ने जो अनुरोध किया है कि उत्तरप्रदेश के कार्ड बने हुए हैं, तो विभाग इसकी जॉंच करायेगा. जिला प्रशासन को लिखेगा और अगर यह सही पाया गया, तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही भी की जायेगी.
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे तीन प्रश्न हैं, जैसा आपका आदेश हो.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करिये.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, भारी अनियमितता का मामला आधार कार्ड के माध्यम से सामने दिख गया, कागजात मेरे पास सुरक्षित हैं. बाहरी प्रदेश के खिलाड़ी बोर्डिंग में 50 परसेंट से ज्यादा रह रहे हैं, जो कि रह नहीं सकते. नियम 1. परमजीत सिंह जो इस अकादमी के अध्यक्ष हैं, उनका मकान भत्ता भी मध्यप्रदेश सरकार दे रही है, जबकि उनको सेन्ट्रल से पैसा मिलता है. उनको गृह भाड़ा के साथ-साथ मानदेय 10,000 मिल रहा है और अन्य कई राशियां उनको प्रदेश सरकार दे रही है. क्या हिन्दुस्तान में एक अधिकारी दो-दो सरकारों से पैसा ले सकता है ? यह भी एक जाँच का विषय है. एक और मैं, आपसे कहना चाहता हूं कि जबलपुर के 20 खिलाडि़यों ने वहां रहने की माँग की थी, लेकिन उनको आज तक प्रवेश नहीं दिया जा रहा, क्योंकि उनको मालूम है कि जबलपुर की प्रतिभाएं जरूरत से कुछ ज्यादा और अन्याय के खिलाफ बात करने की हिम्मत भी रखती हैं, इसलिये जबलपुर के खिलाडि़यों को रहने की अनुमति नहीं दी जा रही. माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि अगर उनमें भी प्रतिभा हो, तो जबलपुर के उन खिलाडि़यों को भी वहां रहने की, बोर्डिंग की अनुमति दिलाने का कष्ट करेंगे.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बता दूं कि पहला, हम उनको कोई मकान का भत्ता आदरणीय कोच, जिनका आपने नाम बताया है, उनको नहीं दे रहे हैं. दूसरा, इस एकेडमी में प्रवेश की एक प्रक्रिया होती है, उसके ट्रायल होते हैं और उसके अनुरूप ही बोर्डिंग में, एकेडमी में रखने का प्रॉवीजन होता है. जबसे यह नई सरकार बनी, तबसे इसमें और पारदर्शिता कैसे आये, जब ट्रायल होते हैं उनकी वीडियोग्राफी के साथ-साथ उसके क्रॉस वेरीफिकेशन की व्यवस्था भी हमने की है ताकि जो बच्चों का चयन हो, वह खिलाड़ी की जो उपयोगिता है, जो उसकी योग्यता है, उसके आधार पर हो. यह हमने प्रयास किया है. जहां तक प्रश्न यह है कि अगर सर्विस में कोई व्यक्ति दो जगह से लाभ ले रहा है तो इसकी भी जॉंच कराने का शासन प्रयास करेगा.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - अध्यक्ष जी, मैं, आपकी अनुमति से कुछ बोलना चाहता हूं. माननीय सदस्य का मूल प्रश्न यह था और भावना भी यह थी कि जबलपुर के खिलाडि़यों को वहां पर जगह नहीं दी जा रही है. इस पर माननीय मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया है.
श्री जितु पटवारी-- माननीय मंत्री जी, मैंने कहा कि एकेडमी में प्रवेश को लेकर एक नियम, एक प्रक्रिया, होती है, जिसकी ट्रायल होती है...
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, ये केबिनेट में तय तो कर लिया करें, कब क्या बना रहे हों.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, यह भी एक दुर्भाग्य है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, भाग्य है ये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- ये तो पूरे समय सब जाँचें ही कराते रहेंगे और एक मंत्री कह रहा है कि यह मंत्री जवाब सही नहीं दे रहा है. मैं नहीं कह रहा, आप कार्यवाही देख लें.
श्री तरुण भनोत-- ये नहीं कहा. (हँसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- वित्त मंत्री कह रहे हैं कि खेल मंत्री जवाब ठीक नहीं दे रहे.
हर जगह खेल खेलने लगते हैं.
श्री तरुण भनोत-- आप इसको खेल भावना से नहीं ले रहे हैं. मैंने यह कहा कि इसका जवाब भी दे दें कि जबलपुर....
अध्यक्ष महोदय-- आप दोनों लंगड़ी-धप्प न खेलें. (हँसी)
श्री विनय सक्सेना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय नरोत्तम भैय्या तो दूसरे की डी में भी जाकर खेलने लगते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न करिए.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि क्या वहाँ पर बोर्डिंग में जो फिफ्टी-फिफ्टी आपने बाहर के प्रदेश के लोगों को रखा है, कृपा कर सबसे महत्वपूर्ण जो बात है उस पर मंत्री जी गौर करेंगे? खिलाडियों को खेल के माध्यम से नौकरियाँ मिल जाती हैं. हमारे प्रदेश के इन खिलाड़ियों को नौकरी का मौका इसलिए नहीं मिलेगा क्योंकि हमारे खिलाड़ी कम खेल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक बात है.
श्री विनय सक्सेना-- मैं तो चाहता हूँ कि पूरे प्रदेश की तरफ से समर्थन मिलना चाहिए, सबका संरक्षण मिलना चाहिए (मेजों की थपथपाहट) कि पूरे प्रदेश के खिलाड़ियों को मौका दिया जाए. (मेजों की थपथपाहट) बल्कि जो 20 परसेंट का कोटा किया गया है, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से भी संरक्षण चाहता हूँ कि 80 और 20 का कोटा और किसी प्रदेश में नहीं है और कोई प्रदेश 20 परसेंट भी नहीं लेता. यह तो हमारा हृदय बहुत बड़ा है कि हर जगह हम दूसरे लोगों को मौका दे देते हैं, तो यह 80 और 20 भी खत्म किया जाए और 100 परसेंट प्रदेश में अगर खिलाड़ी उपलब्ध हैं, किसी विशेष परिस्थति में ही बाहर के खिलाड़ियों को मौका मिलना चाहिए. ऐसी नीति बनाई जाए. अध्यक्ष जी, मैं हाथ जोड़कर आप से आग्रह करता हूँ, आपका संरक्षण चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश के खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने की इस नीति को रोका जाए और माननीय मंत्री जी इस पर जाँच करके, अगर वह अधिकारी दोषी है जिसके कागजात मेरे पास हैं, अगर कलेक्टर जाँच में आधार कार्ड फर्जी पाता है तो इनके खिलाफ केस रजिस्टर्ड, सिर्फ उन खिलाड़ियों के नाम नहीं होना चाहिए, वे तो पैसे की लालच में, पैसा देखकर आए, व्यापम टाइप के, लेकिन उन अधिकारियों ने, जिन्होंने हिम्मत दिखाई है, उनको जेल में जाना चाहिए. यह मेरा आप से आग्रह है.
श्री जितु पटवारी-- माननीय अध्यक्ष जी, सदस्य जी के लास्ट के वक्तव्य में तीन प्रश्न उद्भूत हुए हैं, एक तो उन्होंने कहा कि 80:20 के रेशियो को समाप्त कर देना चाहिए.
80: 20 के रेशियो का इसलिए मैंने पहले अपने जवाब में कहा था कि खिलाड़ियों की प्रवीणता को निखारने के लिए, अच्छे खिलाड़ियों को साथ रखना, एक अच्छी परंपरा है उसके मापदण्ड के अनुरूप यह विभाग ने निर्णय लिया था. दूसरा प्रश्न यह था कि क्या जाँच में उन लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर. होगी, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी...
श्री अजय विश्नोई-- (माननीय मुख्यमंत्री जी के आसन पर किसी अन्य माननीय सदस्य द्वारा आकर बैठ जाने पर) माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या मुख्यमंत्री जी की सीट पर कोई और आ गए हैं, आपके नये मुख्यमंत्री जी एप्वाईंट हो गए हैं?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई स्थायी व्यवस्था दे दें, रोज-रोज बोलना पड़ रहा है कि मुख्यमंत्री जी की कुर्सी पर काँग्रेस के सदस्य रोज-रोज बैठ जाते हैं. (तदुपरान्त माननीय सदस्य माननीय मुख्यमंत्री जी के आसन से उठ गए.)
श्री जितु पटवारी-- आदरणीय अध्यक्ष जी, मैंने जाँच का आश्वासन दे दिया है कि ऐसे फर्जी सर्टिफिकेट से कोई बच्चा अगर वहाँ रह रहा है, जिसकी योग्यता नहीं थी और....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- गोविन्द सिंह जी मना भी नहीं करते रोज कोई न कोई बैठ रहा है.आप भी चाह रहे हैं बिल्कुल.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप तो जारी रखिए.
श्री जितु पटवारी-- फर्जी बना उसकी जाँच होकर कार्यवाही की जाएगी. तीसरे प्रश्न का उत्तर यह है कि मध्यप्रदेश के बच्चों को नौकरी मिले, यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है और मैं माननीय सदस्य को धन्यवाद देना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी की सरकार आई उसके बाद हमने निर्णय लिया कि हर प्रोत्साहन का वह विषय, जो खिलाड़ियों के लिए अवसर प्रदान करे और माता-पिता की सोच ऐसे कैसे बने कि हमारे बेटे का मैं खेल के माध्यम से अपना भविष्य चुनूँ, ऐसा वातावरण माननीय कमलनाथ जी की सरकार बनाने वाली है. हमने आकर कई निर्णय लिए. मैं कई बार प्रेस के माध्यम से बता चुका हूँ और माननीय सदस्यों को एक एक कॉपी फिर पहुँचवाऊंगा कि हमारी नई सरकार बनने के बाद प्रोत्साहन के रूप में, चाहे व नौकरी का हो, चाहे आर्थिक हो, चाहे अन्य अलग-अलग प्रकार के और प्रोत्साहन, जैसे-जैसे भी दे सकते हैं, उसमें हमने खूब बढ़ोत्तरी की है और खूब बढ़ोत्तरी का अर्थ है सौ गुना तक बढ़ोत्तरी. मैं समझता हूँ आपकी भावना से विभाग अवगत है और हम आगे और इसमें प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- (नेता प्रतिपक्ष जी एवं श्री रामपाल सिंह जी के खड़े होने पर) पहले मेरे को तो कह लेने दो, पहले मैं कह लूँ? रामपाल जी, मेहरबानी करके तशरीफ़ रखिए. मंत्री जी, पहली बात, मध्यप्रदेश की लड़कियाँ क्यों नहीं खेल पा रही हैं? बाहर की लड़कियों को लाकर आप अगर पारितोषक जीत रहे हैं तो कहीं न कहीं मध्यप्रदेश की लड़कियों के साथ कुठाराघात है. (मेजों की थपथपाहट) नंबर दो, जितने भी कागज माननीय विधायक जी आपने दिए हैं, वह आप पटल पर रख दीजिए, उनकी जाँच होगी. (मेजों की थपथपाहट) नंबर 3 यह भी सुनिश्चित कर लीजिए कि जो लड़कियाँ वहां रह रही हैं, मैं बोल रहा हूँ उसको संज्ञान में ले लीजिए. वहां पर पिछले दो साल में क्या-क्या घटनाएं लड़कियों के साथ हुई हैं उसको संज्ञान में लीजिए और वहां के अधिकारियों ने जो-जो चीजें की हैं उनके ऊपर एक्शन करिए, उसके कागज मैं आपको अलग से उपलब्ध करवा रहा हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष जी आप छा गए, आपको बहुत धन्यवाद. कोटिश: धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, सारे सम्मानित सदस्यों की ओर से आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. गजब कर दिया आपने, सबेरे वाली कसर निकाल दी.
श्री जितु पटवारी--माननीय अध्यक्ष जी, मैं कुछ कहना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--जवाब आने दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था आ गई अब क्या दिक्कत है. आपकी व्यवस्था पर अब जवाब ?
अध्यक्ष महोदय--अच्छा ठीक बात है. हमारी व्यवस्था है .
श्री जितु पटवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय ने जो व्यवस्था दी है और जो निर्देशित किया है, विभाग उसका अक्षरश: पालन करेगा और एक माह के अन्दर जाँच प्रतिवेदन फिर से पटल पर रखेगा.
अध्यक्ष महोदय--अब आप लोग बैठ जाइए. अब कार्यवाही आगे चलने दें. गोपाल जी अब आगे चलने दीजिए, प्लीज.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, अभी जब शून्यकाल शुरु हुआ था तो आपकी अनुमति से...
अध्यक्ष महोदय-- अब पीछे मत जाओ.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण है हम लोगों ने बिजली के संबंध में, बिजली कटौती के संबंध में, मेडिकल प्रोफेसर्स की हड़ताल के संबंध में और कम्प्यूटर ऑपरेटर्स के संबंध में बातें रखी थीं. मुझे यह जानकारी मिली है कि शायद उनको कार्यवाही से विलोपित किया गया है. हम प्रदेश भर के लोगों का यहां पर प्रतिबिम्ब हैं.
अध्यक्ष महोदय--मैं कार्यवाही देख लूंगा, चलिए हो गया. आपने प्रश्न किया मैं कार्यवाही देख लूंगा. विराजिए. अच्छा उस समय की कार्यवाही हो गई होगी. अब तो बात आ गई न.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--आ गई. अध्यक्ष महोदय, कल जब मैं ध्यानाकर्षण पढ़ रहा था तब आपके निर्देश पर संसदीय कार्य मंत्री जी ने 24 घंटे में कार्यवाही करने का कहा था. अब 24 घंटे हो गए हैं इसलिए मैं पूछ रहा हूँ कल मंत्री जी ने कहा था इस पर व्यवस्था हो जाए. मेरे ध्यानाकर्षण पर संसदीय कार्य मंत्री जी ने जवाब दिया था, गृह मंत्री जी जब जवाब दे रहे थे कि हम 24 घंटे में कार्यवाही करेंगे. तो क्या कार्यवाही हुई 24 घंटे हो गए हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो 24 घंटे का नहीं कहा था मैंने (हँसी) आप कार्यवाही निकाल लीजिए. लेकिन हमें यह विश्वास है कि हमारे गृह मंत्री जी जिन्हें आज अन्य विषयों पर जवाब देना है उनके पास तकनीकी शिक्षा विभाग भी है, बजट आने वाला है. उन्होंने कहा था लेकिन कार्यवाही उन्होंने कल ही की है कल शाम तक ही कोई निर्देश दिए हैं. जब माननीय मंत्री जी आ जाएंगे तो आपको अलग से अवगत करा दिया जाएगा.
12.44 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जाएंगी.
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय--आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.45 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
माननीय मुख्यमंत्री से संबंधित मांगों के बारे में प्रक्रिया संबंधी
सदन द्वारा सहमति दी गई.
12.46 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान..(क्रमश:)
(1) |
मांग संख्या 11 |
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन |
|
मांग संख्या 15 |
तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं |
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मांग संख्या 21 |
लोक सेवा प्रबंधन |
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मांग संख्या 32 |
जनसम्पर्क |
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मांग संख्या 46 |
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी |
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मांग संख्या 47 |
तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार |
|
मांग संख्या 51 |
अध्यात्म |
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मांग संख्या 65 |
विमानन |
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मांग संख्या 70 |
प्रवासी भारतीय |
|
मांग संख्या 72 |
आनंद. |
अध्यक्ष महोदय--अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्ताव की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है, प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने हेतु सहमति देंगे, उनके कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या- 11 औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन
श्री बहादुर सिंह चौहान 7
मांग संख्या - 15 तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से
संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त
परियोजनाएं.
श्री बहादुर सिंह चौहान 1
मांग संख्या - 21 लोक सेवा प्रबंधन
श्री बहादुर सिंह चौहान 1
मांग संख्या - 32 जनसम्पर्क
श्री बहादुर सिंह चौहान 2
मांग संख्या - 46 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 2
श्री बहादुर सिंह चौहान 4
मांग संख्या - 47 तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास
एवं रोजगार
डॉ. सीतासरन शर्मा 2
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 9
मांग संख्या - 51 अध्यात्म
श्री बहादुर सिंह चौहान 2
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 4
मांग संख्या - 65 विमानन
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 1
श्री बहादुर सिंह चौहान 3
मांग संख्या - 70 प्रवासी भारतीय
इस मांग संख्या में कोई भी कटौती प्रस्तावित नहीं है.
मांग संख्या - 72 आनंद
इस मांग संख्या में कोई भी कटौती प्रस्तावित नहीं है.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब, मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
12.47 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
मांगों एवं कटौती प्रस्ताव पर सदस्यों के नाम दिए जाने संबंधी
अध्यक्ष महोदय-- मेरा अनुरोध है, फिर से कर रहा हूँ जो कल मैंने किया था. आप लोगों की बुराई मेरे ऊपर न लादें. आप ज्यादा नाम दे देंगे अध्यक्ष महोदय के ऊपर बुराई हाथ लगेगी. मैंने अनुरोध किया था कि 2 सीनियर और 3 जूनियर, मेहरबानी करके इसमें अगर काम करेंगे तो अंतिम मांग पर भी चर्चा होगी. यदि हम इसको अभी खींचते हुए ले जाएंगे तो फिर अंतिम मांगों की चर्चा नहीं हो पाएगी. इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए सहयोग दीजिएगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी की तरफ से अधिकृत वित्त मंत्री जी ने अभी अनुदान की मांगों का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. मैं इसके विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि वित्त मंत्री जी ही इसका जवाब देंगे और वित्त मंत्री जी के बजट भाषण में ही उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की सोच है कि औद्योगिक निवेश मांगने से नहीं आता है, यह व्यवस्था में विश्वास से आकर्षित होता है. मैं विरोध नहीं करना चाहता हूँ लेकिन पिछले 7-8 महीनों का जो शासन रहा है उस पर सरकार को आत्म चिन्तन करने की जरुरत है कि क्या वास्तव में जो विश्वास मध्यप्रदेश के प्रति निवेशकों के मन में पिछले 15 सालों में मध्यप्रदेश की सरकार ने पैदा किया था क्या वह विश्वास उस तरीके से कायम है या नहीं है. हम लोग इस बात को भूल नहीं सकते हैं कि मध्यप्रदेश की हालत इस प्रकार से हो गई थी. मध्यप्रदेश की हालत इस प्रकार से हो गई थी कि मध्यप्रदेश में निवेश करने वाले मध्यप्रदेश से किनारा करने लगे थे, लेकिन कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता है कि एक समय ऐसा भी आया जब निवेशक देश के अंदर सबसे बेहतर डेस्टीनेशन मध्यप्रदेश को मानने लगे थे और इसके पीछे कारण थे. निवेश ऐसे नहीं आता है. निवेशक देखता है कि वहां पर बिजली की स्थिति कैसी है, निवेशक देखता है कि वहां पर सड़कों की स्थिति कैसी है, निवेशक देखता है कि वहां पानी है कि नहीं है, वहां की इंडस्ट्रीयल पॉलिसी कैसी है, वहां ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस कैसा है, वहां पर उद्योग क्षेत्र कितने हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि हम निवेश करने जाएं और विकसित क्षेत्र ही हमको न मिले और यदि उद्योग क्षेत्र है तो उसको उद्योग लगाने के लिए किस दर पर जमीन मिल रही है. मुझे इस बात का कष्ट हुआ जब आपने अपने बजट भाषण में पिछले 15 सालों में जो क्रांतिकारी बदलाव हुआ जिसके कारण निवेशक तेजी के साथ मध्यप्रदेश की और आकर्षित हुए, उसके बारे में आपने अपने बजट भाषण में एक भी शब्द का उल्लेख नहीं किया. सरकार किसी की भी हो सकती है कल हमारी थी, आज आपकी है, लेकिन सरकार तो सरकार है प्रदेश तो वही है. यदि हम अपने बजट भाषण में उद्योग क्षेत्र में किए गए क्रांतिकारी सुझाव की चर्चा नहीं करेंगे तो निवेशकों के बीच में कैसा संदेश जाएगा? क्या वह यह नहीं सोचेंगे कि अब मध्यप्रदेश फिर से बदल गया है, चलो अब गुजरात चलते हैं, चलो अब महाराष्ट्र चलते हैं और इसीलिए आपने कहा है कि हमारे मुख्यमंत्री जी का नाम देश, विदेश के उद्योग जगत में सम्मान के साथ लिया जाता है. हम इसका स्वागत करते हैं, हमें इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि हम वह लोग नहीं हैं कि जब नरेन्द्र मोदी जी ने उद्योग जगत को आकर्षित करने के लिए जो तमाम तरह के प्रयास किए, Make in India का नारा दिया तो कुंठा से ग्रसित विपक्ष ने कहा था यह सूट-बूट की सरकार है. हम यह नहीं कहेंगे कि आपकी सरकार सूट-बूट की सरकार है. हम मुख्यमंत्री जी की पृष्ठभूमि में भी नहीं जाएंगे. सूट-बूट की सरकार हो, चाहे न हो लेकिन आपकी पॉलिसीज़ क्या हैं? आपके पास योजनाएं क्या हैं? क्या ऐसा खतरा तो पैदा नहीं हो जाएगा कि जिन उद्योग क्षेत्रों को विकसित करने के लिए हम लोगों ने हजारों करोड़ के टेंडर करके उन योजनाओं को पूरा किया और जो योजनाएं चल रही हैं कही उनका बंद होने का खतरा तो नहीं रहेगा. मैं नेता प्रतिपक्ष जी की उस बात का पूरा समर्थन करता हूं जब उन्होंने बजट पर भाषण दिया था. उन्होंने कहा था दो लाख पैंतीस हजार करोड़ का जो बजट आपने प्रस्तुत किया है यदि वित्तीय अनुशासन नहीं रहेगा तो भुगतान पर रोक लग जाएगी. हम लोगों ने ऐसे मध्यप्रदेश को देखा है कि टेंडर हो गए, वर्क आर्डर हो गए, काम शुरू हो गया, लेकिन ठेकेदारों के भुगतान रुक जाते थे, अधिकारियों, कर्मचारियों की तनख्वाह रुक जाती थी, ओवरड्राफ्ट हो जाता था. उस वित्तीय अनुशासन के लिए हमने क्या व्यवस्थाएं की हैं. जहां से हमने पैसा उठाने की सोची है क्या उनके लिए जो आवश्यक औपचारिकताएं हैं उसको पूरा करने की हमने व्यवस्था की है. मुझे याद है जब हमारी सरकार बनी थी तो मध्यप्रदेश के उद्योगपति नियामक आयोग में रातभर के लिए धरना देकर बैठे रहा करते थे. उद्योगों को भी हम 24 घण्टे बिजली नहीं दे पाते थे. यह बात अलग है कि जब संकल्प लिया गया तो उद्योगों को 24 घण्टे बिजली देना तुरंत शुरू कर दिया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में, घरेलू क्षेत्रों में भी 24 घण्टे बिजली देने का ऐसा काम किया जिसका इसी विधान सभा में ऊर्जा मंत्री के नाते जब मैंने घोषणा की थी कि 24 घण्टे बिजली देंगे तो विपक्ष के सारे साथियों ने खड़े होकर कहा था कि 24 घण्टा बिजली देंगे. हो ही नहीं सकता, यह असंभव है तो मैंने कहा था कि आप लोगों ने बिजली क्षेत्र को क्या इतना बिगाड़ दिया. क्या आपको अपने बिगाड़ने पर इतना भरोसा है.
12:54 बजे उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.
उपाध्यक्ष महोदया, यदि हम 24 घण्टा बिजली देना चाहते हैं तो क्या हम 24 घण्टा बिजली नहीं दे सकते हैं. आखिर हम ऐसी कौन सी गलत बात कर रहे हैं और आपने देखा है कि यदि इच्छाशक्ति, दिशा सही हो, दृष्टि सही हो, तो संकल्प कैसे पूरा होता है यह 24 घण्टे बिजली देकर हम लोगों ने पूरा करके दिखाया था. मध्यप्रदेश में बाहें फैलाई हुईं फोर लेन की शानदार सड़कें बनेंगी क्या कभी किसी ने सोचा था, लेकिन आज जिस तरह से सड़कें बनी मुझे याद है मण्डीदीप के उद्योगपति हमेशा कहते थे कि भोपाल से मण्डीदीप के बीच एक पुल बन जाए. इस प्रकार की यहां की सड़क बन जाए और उद्योगपतियों से बात करके जिस प्रकार से व्यवस्थाएं की क्या वर्ष 2008 के पहले मध्यप्रदेश की धरती पर इनवेस्टर समिट हुआ करते थे. आप देखिए क्या पहले सरकारें नहीं हुआ करती थीं. लेकिन इनवेस्टर समिट नहीं होता था.
उपाध्यक्ष महोदया, मुझे याद है जब मैं विधायक भी नहीं था और मुम्बई में कुछ लोगों के साथ बैठा था तो लोगों ने कहा कि आपके मध्यप्रदेश को तो कोई जानता ही नहीं है. मध्यप्रदेश में क्या है? उस समय मुझे लगता था कि हमारे मध्यप्रदेश को मुंबई में हमारे देश में ही कोई नहीं जानता है तो दुनिया में कैसे जानेंगे और फिर मध्यप्रदेश में लोग कैसे अपना निवेश करने के लिए आएंगे. लेकिन मैं आदरणीय शिवराज सिंह जी को धन्यवाद देता हूं, बधाई देता हूं उन्होंने जो दृढ़इच्छाशक्ति का परिचय दिया है. वर्ष 2008 में उन्होंने इनवेस्टर समिट किया, वर्ष 2010 में उन्होंने इनवेस्टर समिट किया, वर्ष 2014 मे किया, वर्ष 2016 में किया. मुम्बई में, दिल्ली में, हैदराबाद में, अहमदाबाद में रोड शोज़ किए. विदेशों में जाकर इंटरनेशनल रोड शोज़ किए और जब मुख्यमंत्री जी भाषण के दौरान मध्यप्रदेश में बिजली, सड़क, पानी के क्षेत्र में हमारी उद्योग नीति के बारे में, हमारे तेजी से विकसित हो रहे उद्योग क्षेत्रों के बारे में जब चर्चा करते थे तो बड़े-बडे़ उद्योपति कहते थे कि हमको मालूम ही नहीं था कि मध्यप्रदेश इतना बदल गया है. उसके बाद जिस तरह से मध्यप्रदेश में उद्योग लगाने की होड़ चालू हुई है चाहे वह टैक्सटाईल का क्षेत्र रहा हो, चाहे वह ऑटोमोबाईल का क्षेत्र रहा हो, चाहे वह फार्मास्यूटीकल क्षेत्र रहा हो, चाहे रिन्यूएबल एनर्जी का क्षेत्र रहा हो, क्या हम कभी सोच सकते थे कि मध्यप्रदेश के रीवा के गुढ़ में पांच हजार करोड़ का निवेश करके साढ़े सात सौ मेगावाट का सोलर प्लांट जो उस समय दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट हो सकता था उसको लगाने का काम मध्यप्रदेश की धरती पर किया जाएगा. अमेरिका के केलिफोर्निया में 550 मेगावॉट का सोलर प्लांट था. यह बात अलग है कि जब हमारा सोलर प्लांट का काम शुरू हो गया था वह आज पूरा हो गया है. अब चाईना में, दुबई में भी हजार, दो हजार मेगावॉट के सोलर प्लांट बनना शुरू हो गए हैं लेकिन जब हमने शुरू किया था तो वह दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट था. वॉल्वो, आईसेट जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां जिन्होंने यह तय कर लिया था कि हम बैंगलोर में एक प्लांट लगाएंगे और फिर बाकी दूसरा, तीसरा, चौथा भी बैंगलोर में लगाएंगे. उन्होंने जब मध्यप्रदेश की स्थिति देखी तो उन्होंने कहा कि हम दूसरा प्लांट इंदौर में लगाएंगे तो दूसरा इंदौर में लगाया, फिर तीसरा लगाया, चौथा लगाया पांचवा, छठवां लगाया और अब सातवां भोपाल के बगरौदा में वॉल्वो आईसर सोलर प्लांट लगा है. हम लोग जानते हैं कि आई.टी. का क्षेत्र हमारे नेता प्रतिपक्ष जी बता रहे हैं हमारी आई.टी. के क्षेत्र से कितने रोजगार के अवसर पैदा होते हैं. हम रोजगार की बात करते हैं कि रोजगार किन क्षेत्रों से पैदा हो सकता है. इसमे टेक्सटाईल का क्षेत्र है, इसमें आई.टी. का क्षेत्र है. आई.टी. के क्षेत्र में जिस तरीके से प्रयास किए गए.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- थोड़ा राजीव जी के बारे में भी बोल दें कि इस देश में आई.टी. राजीव गांधी जी लाए हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- वह अंडरस्टुड है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- ठीक है, मैं आपकी बात स्वीकार करता हूं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- मोबाईल, कम्प्यूटर, इन चीजों का केन्द्र में यही भाजपा विरोध करती थी. आज उन्हीं के माध्यम से सारा काम हो रहा है. माननीय विश्वास जी आप बैठ जाइए.
श्री विश्वास सारंग-- उपाध्यक्ष महोदया, मंत्रियों का थोड़ा प्रशिक्षण दें. यदि कोई बोल रहा है और इस तरह से व्यवधान होगा तो ठीक नहीं है इतना अच्छा फ्लो में चल रहा है और आप राजीव गांधी जी की बात कर रहे हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- उपाध्यक्ष महोदया, स्वर्गीय राजीव गांधी जी हमारे नेता थे अगर उन्होंने अच्छी चीज की तो इसमें इनको क्यों आपत्ति हो रही है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, स्वर्गीय राजीव गांधी इनके नेता नहीं थे. स्वर्गीय राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे. हमारे नेता ने वही बात तो कही है कि इस सरकार का दुर्भाग्य है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने पहली सरकार ने 15 साल जो अच्छा काम किया है उसका उल्लेख अगर करते हैं तो हम तारीफ कर रहे हैं. हमारे नेता वही बात कर रहे हैं. हम कौन सी बुरी बात कर रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- उपाध्यक्ष महोदया, हमारे वित्त मंत्री जी ने भाषण में शेरो शायरियों का बहुत उपयोग किया है. इस प्रकार से यदि गंभीरता नहीं होगी तो जिस लक्ष्य को हम प्राप्त करना चाहते हैं वह प्राप्त नहीं कर पाएंगे.
''हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के
इस प्रदेश को रखना मेरे बंधुओं संभाल के''
मैं आपसे कह रहा था कि जितने भी क्षेत्र जिसमें निवेश की संभावना है टेक्सटाइल का क्षेत्र है. मैं वित्त मंत्री जी को यह बताना चाहता हूं कि इन क्षेत्रों में हमें निवेश के कार्यक्रम लगातार चलाने पड़ेंगे. वहां निवेश के लिए इच्छुक लोगों की क्या मांग है, क्या आवश्यकता है, हमें उसे सुनना पड़ेगा क्योंकि शिवराज सिंह जी प्रत्येक सोमवार को निवेशकों से वन टू वन मीटिंग किया करते थे. निवेशकों को प्रोत्साहन देने के लिए CCIP (कैबिनेट कमेटी फॉर इन्वेस्टमेंट प्रमोशन) नामक कैबिनेट कमेटी बनाई गई थी और मुझे जानकारी मिली है कि पूर्व में जिस प्रकार नियमित रूप से CCIP की बैठकें होती थीं, वे अब नहीं हो रही हैं. बैठक क्यों नहीं हो रही है, क्योंकि निवेशकों के प्रस्ताव ही नहीं बन रहे हैं. कोई निवेशक मध्यप्रदेश में अपनी दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहा है लेकिन हमारे समय में तो निवेशकों की लाईन लगी रहती थी. हम जिस औद्योगिक क्षेत्र के विकास का कार्य प्रारंभ करते थे, उसी समय वहां की बुकिंग प्रारंभ हो जाती थी और निवेशकों के प्रस्ताव आने लगते थे. हम निवेशकों को कैसे और अधिक प्रोत्साहन दे सकते हैं, इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर CCIP में रखते थे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- XXX
उपाध्यक्ष महोदया- भार्गव जी, आप कृपया बैठ जायें. वित्त मंत्री जी सब कुछ नोट कर रहे हैं. आप कृपया बीच में न टोकें. भार्गव जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा. केवल शुक्ल जी का लिखा जायेगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि बुधनी में ट्राइडेंट समूह द्वारा 6 हजार करोड़ का निवेश कर टेक्सटाइल प्लांट लगाया गया. उसमें 7 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ. नाहर और वर्धमान जैसे टेक्सटाइल समूहों ने अपनी क्षमता को दुगुना और तीगुना किया. टेक्सटाइल के क्षेत्र में जिस तरीके से हमारे समय में निवेश बढ़ा, यदि उसके कारणों पर हम नहीं जायेंगे, यदि हम किए गए उन बेहतर कार्यों को आत्मसात नहीं करेंगे तो फिर हम किस प्रकार निवेश को अपने प्रदेश की ओर आकर्षित कर पायेंगे ? समय निकल जायेगा और फिर से मध्यप्रदेश के, गड्ढे में गिर जाने का खतरा पैदा हो जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदया- राजेन्द्र जी, आप कितना समय और लेंगे ? कृपया जल्दी समाप्त करें. आपके 3 मिनट शेष हैं. प्रथम वक्ता के लिए 15 मिनट का समय निर्धारित किया गया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कम से कम इन्हें आधा घंटा दिया जाये. ये हमारी ओर से पहले वक्ता हैं और विभाग के मंत्री भी रहे हैं, इन्हें विषय की पूरी जानकारी है.
उपाध्यक्ष महोदया- निश्चित रूप से आप सही कह रहे हैं लेकिन यह समय आप सभी की सहमति से तय किया गया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि प्रत्येक क्षेत्र में हमने जमीनी स्तर पर इतना काम कर दिया है कि अब उसे केवल आगे ले जाना है. मैं जानता हूं कि वित्त मंत्री जी बहुत सकारात्मक रूप से कार्य करते हैं और मुझसे कभी-कभी बातों ही बातों में पूछते भी हैं कि यह काम कैसे हुआ ? आप बताइए, हमें इसे करना है. इसे आगे बढ़ाना है. मैं कहना चाहता हूं कि कुल-मिलाकर हम सभी मिलकर अपने प्रदेश के अंदर औद्योगिक क्रांति लाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं औद्योगिक क्रांति लाने के लिए जिस तरह की कनेक्टिविटी की आवश्यकता है. हमने उस पर काम किया है. हमारा मध्यप्रदेश एक लैण्डलॉक्ड स्टेट है. हमारे अगल-बगल में समुद्र नहीं है और निर्यात को बढ़ाये बिना हम औद्योगिक क्रांति किसी भी रूप में नहीं ला सकते हैं. इसके लिए हमारी सरकार के समय जो काम किया गया है वह भी ऐतिहासिक है. इनलैण्ड कंटेनर डिपो जिसे ड्राय-पोर्ट भी कहा जा सकता है, हमने पीथमपुर में दो इनलैण्ड कंटेनर डिपो बनाए. मण्डीदीप, होशंगाबाद और इटारसी में भी इसी प्रकार के इनलैण्ड कंटेनर डिपो बनाए गए. जहां से लगभग 25-30 हजार करोड़ रूपये के उत्पाद, जिनका निर्माण मध्यप्रदेश में होता है, उनका सीधे वहीं कस्टम क्लीयरेंस हो जाता है और यहीं से सीधे मुंबई के पोर्ट में पहुंच जाता है, जहां से इसका विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है. लैण्डलॉक्ड स्टेट होने के बावजूद हमें जिन व्यवस्थाओं की आवश्यकता थी, उसे हमने यदि पिछले 8-10 वर्षों में किया है तो क्या इसकी तारीफ यह सरकार नहीं करेगी तो इसका प्रचार कैसे होगा ? निवेशकों तक एक संदेश कैसे जायेगा ? यदि यह संदेश निवेशकों तक नहीं जायेगा तो निवेशक हमारी ओर आकर्षित कैसे होंगे ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सवाल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का नहीं है, सवाल मध्यप्रदेश में औद्योगिक क्रांति लाने का है. जिससे बेरोजगारी की समस्या दूर होगी, नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और फिर उससे ही गरीबी समाप्त हो सकेगी. इसलिए हमें बहुत गंभीरता के साथ किए गए कार्यों का आंकलन करना होगा और किए गए कार्यों का आंकलन करने के पश्चात् हमें उसे गति भी प्रदान करनी होगी क्योंकि कभी-कभी हम इस बात को लेकर चिंतित हो जाते हैं कि जिन सड़कों का, औद्योगिक क्षेत्रों का बजट में प्रावधान हो चुका है, उसके टेण्डर हो गए हैं, उसके काम शुरू हो गए लेकिन जब से यह सरकार बनी, उन सभी सड़कों का काम बंद हो गया, सभी औद्योगिक क्षेत्रों के विकास का कार्य बंद हो गया. ठेकेदार घूम रहे हैं उन्होंने काम बंद कर दिया है और ऐसा लगता है कि जैसे ये औद्योगिक क्षेत्र कभी बनकर तैयार ही नहीं होंगे. इस दिशा में हमें चिंतन करने की आवश्यकता है. मुझे प्रसन्नता है कि मुख्यमंत्री जी स्वयं उद्योग विभाग देख रहे हैं और वित्त मंत्री जी इसके बिंदु नोट कर रहे हैं. निश्चित रूप से वे इन कमियों को दूर करेंगे और तेजी के साथ जो विकास कार्य हुए हैं, उन्हें हम आगे बढ़ायें न कि उसे रोकें. नहीं तो फिर लोग कहेंगे कि यह काम रोको सरकार है. काम रोको सरकार का, यदि मैं यहां कोई और उदाहरण दूंगा तो मेरे सत्तापक्ष के सम्माननीय सदस्य मुझे पुन: टोकना शुरू कर देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसके अतिरिक्त मैं विमानन के विषय में अपनी बात रखना चाहता हूं क्योंकि बजट भाषण में वित्त मंत्री जी ने कहा है, मैं बताना चाहूंगा कि आप कृपया अधिकारियों से चर्चा करें क्योंकि इसे सुधारना पड़ेगा. विमानन की भी बहुत बड़ी भूमिका निवेश को आकर्षित करने में होती है. आज देश भर में क्नेक्टिविटी का कार्य, केंद्र सरकार द्वारा ''उड़ान योजना'' के माध्यम से किया जा रहा है. उड़ान योजना से जुड़ने से हमें यह लाभ होगा कि हवाई और रेलवे की सेवा का जितना अधिक विस्तार होगा, निवेश में उतना ही सहायक होगा. वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में कहा है कि- ''प्रदेश में रीजनल कनेक्टिविटी के लिये भारत सरकार के साथ एम.ओ.यू. निष्पादित किया गया है. इस हेतु निविदायें स्वीकृत की जा चुकी है एवं संबंधित एजेन्सियों ने वायु सेवा प्रारंभ करने की सहमति भी दी है. इस योजना में दतिया, रीवा, उज्जैन और छिंदवाड़ा को वायु सेवा उपलब्ध होगी.''
1.06 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें सुधार चाहता हूं क्योंकि रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम, जिसका उल्लेख बजट भाषण में किया गया है वह समाप्त हो चुकी है और इसे उड़ान योजना में मर्ज़ कर दिया गया है. UDAN योजना का पूरा अर्थ है- ''उड़ेंगा देश का आम नागरिक''. जिसके पीछे हमारे प्रधानमंत्री जी की यह मंशा है कि हवाई चप्पल पहनने वाला आदमी भी हवाई यात्रा कर सके. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- आपको 16 मिनट हो गए हैं. पहले वक्ता के लिए 15 मिनट का समय तय किया गया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अभी केवल दूसरे विभाग के बारे में ही बोल रहा हूं. मेरी यह बात यदि गंभीरता से नहीं नोट की जायेगी तो बजट में जरूर कहा गया है कि प्रदेश में चार स्थानों पर हवाई सेवा प्रारंभ होगी लेकिन वह प्रारंभ नहीं हो पायेगी इसलिए मेरी बात को सुनना जरूरी है. मैं इस विषय में कहना चाह रहा हूं कि उड़ान योजना में 50 प्रतिशत सीटों की सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है. इसमें दो प्रकार की सीटें होती हैं- VGF (Viability Gap Funding) एवं NON VGF. मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा NON VGF सीटों के लिए प्रावधान नहीं होने के कारण, मध्यप्रदेश की एक भी हवाई पट्टी उड़ान योजना में नहीं होने के कारण, एयरलाइन्स वालों ने टेण्डर में भाग नहीं लिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है और हमने आपके लिए एक और सपोर्ट सिस्टम दिया है जिसके अंतर्गत अपनी शिवराज सिंह जी की सरकार की अंतिम कैबिनेट बैठक में हमने NON VGF सीटों के लिए भी सब्सिडी देने के लिए कैबिनेट से अनुमोदन करवाकर, केंद्र सरकार को यह सूचना दे दी थी कि अब मध्यप्रदेश में भी उत्तरप्रदेश की तरह NON VGF सीटों के लिए राज्य सरकार सब्सिडी देगी और VGF सीटों के लिए केंद्र सरकार सब्सिडी देगी. अब हमारी यह पॉलिसी फूल प्रूफ हो चुकी है. इसलिए अब आप हमारे राज्य की हवाई पट्टी को उड़ान योजना में शामिल करके तेजी से उसका काम करवायें और टेण्डर करें. मैंने उड्डयन मंत्रालय की ज्वाईंट सेक्रेटरी, जो इस कार्य को देखती है उनसे बात कर ली है और उनका कहना है कि अब आपकी पॉलिसी पूरी तरह से फूल प्रूफ है और मुझे पूरी उम्मीद है कि उड़ान योजना का जब चौंथा राऊण्ड होगा तो उसमें रीवा, दतिया, छिंदवाड़ा और उज्जैन के लिए भी बिड आयेगी. इसमें जैसे ही हमें बिड प्राप्त होगी तो उस हवाई पट्टी को हवाई अड्डे में बदलने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 200-250 करोड़ रूपये दिया जायेगा. हम सदन में यह तो कह रहे हैं कि हम चार हवाई अड्डों को उड़ान योजना में शामिल कर रहे हैं लेकिन हम इस बात को छुपा रहे हैं कि केंद्र सरकार, इस बिड के सफल होने के पश्चात् 250-250 करोड़ रूपये प्रत्येक हवाई पट्टी को हवाई अड्डे में बदलने के लिए दे रही है. यह केंद्र की ओर से कितना बड़ा सहयोग है. अभी सदन में कहा गया था कि केंद्र सरकार द्वारा डिवैल्यूशन का हमारा 2 हजार करोड़ रूपया काट दिया गया लेकिन इस बात को आपने छुपाया कि यह कार्य सफलतापूर्वक हो गया तो हमें केंद्र सरकार से राशि प्राप्त होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात यहीं समाप्त करता हूं और अनुदान की मांगों का विरोध करता हूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- श्री कुणाल चौधरी जी, घड़ी आपके सामने लगी है कृपया केवल 15 मिनट का समय लेंगे और मुझे टोकना न पड़े.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपके संरक्षण की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय- 15 मिनट के लिए मेरा पूरा संरक्षण रहेगा.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री तुलसीराम सिलावट)- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये नए विधायक है आपके संरक्षण की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय- तुलसी जी, आपने ये चार सेकण्ड बर्बाद कर दिये. बीच में जो कोई खड़ा होगा उसका नहीं लिखा जायेगा.
श्री कुणाल चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुदान की मांगों के समर्थन में खड़ा हुआ हूं और जिस प्रकार से अभी हमारे पूर्व मंत्री जी द्वारा अपनी बात यहां रखी गई और दो-तीन दिनों से सदन का जो माहौल है, उसे देखकर एक शेर याद आता है कि-
कैसे कैसे मंजर सामने आने लगे, लोग गाते-गाते चिल्लाने लगे,
वो जब सलाखों के करीब आये तो हमें कायदे कानून समझाने लगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन की बात करूंगा कि जिस प्रकार की बातें यहां कही गई और यह बात स्पष्ट है कि निवेश भरोसे से आता है. अभी मैं पूर्व मंत्री जी की बात सुन रहा था कि हमने इतनी दूर, इतनी यात्रायें कीं, विदेशों में जाकर प्रचार किया. वर्ष 2008 से इन्वेस्टर्स समिट किया. हमें देखना होगा कि इन इन्वेस्टर्स समिट में खर्चा कितना हुआ और विदेश यात्राएं कितनी करीं, 24 विदेश यात्राओं पर पांव-पांव वाले भैया निकलें और 2009 को सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और जापान और 2010 में जमर्नी, नीदरलैंड, इटली, चीन, जापान और कोरिया जो पांव-पांव वाले भैया, पांव-पांव चलने लगे, कई देशों के अंदर उन्होंने बड़े-बड़े रोड शो किये. लगभग जितने इन्वेस्टर्स समिट के इन्होंने नाम लिये, वह सारी इन्वेस्टर्स समिट हुई. मैं भी एक इंजीनियरिंग कॉलेज का स्टूडेंट था. मुझे भी खुशी होती थी कि प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट्स हो रही हैं, प्रदेश में निवेश आयेगा और आप निवेश का यदि आंकड़ा देखें तो समिटों में करीब 17 लाख करोड़ रूपये के निवेश के वहां एमओयू साईन हुए, लेकिन मध्यप्रदेश के नौजवान को रोजगार को के लिये दूसरे शहरों में भटकना पड़ रहा है. यहां न तो रोजगार मिल रहा है, मध्यप्रदेश के नौजवान की सोच खत्म हो गयी है कि उसे मध्यप्रदेश के अंदर रोजगार मिलेगा. मध्यप्रदेश का नौजवान जब इंजीनियरिंग, एम.टेक करे तो उसे कभी पुणे, बैंगलोर और कभी हैदराबाद दिखे, परन्तु उसे मध्यप्रदेश के अंदर की धरती मध्यप्रदेश के अंदर नहीं दिखे. यह जो भरोसे की बात कि बात कह रहे थे कि हमारे मुख्यमंत्री जी, जिस दिन कमलनाथ जी बने. पिछले मुख्यमंत्री जिन्होंने बड़ी-बड़ी घोषणाएं और बड़े-बड़े वादे किये और बड़ी-बड़ी बातें करने का काम किया तो पिछले कई सालों से दावोस में एक इन्वेस्टर्स समिट होती है, तो उसमें पिछले 10 साल से कोशिश करते रहे कि कभी तो हमें बुला लिया जाये कि कभी हम भी इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से वहां पर बैठ जायें, लेकिन 10 साल में उन्हें कभी नहीं बुलाया, जैसे ही कमलनाथ जी, जैसे मुख्यमंत्री आये, जिनके ऊपर भरोसा, जिनके ऊपर विश्वास उद्योग जगत का है तो वहां पहले ही दिन कमलनाथ जी को बुलाया गया और उसके ऊपर बात हुई. आज इन्हें बड़ी-बड़ी बातें याद आ रही हैं तो मैं, इनको बताना चाहूंका कि किस प्रकार से औद्योगिक नीति को लेकर, उसका सिर्फ ढिंठोरा पीटना, इसका प्रचार करना और जनता की गाढ़ी कमाई को सिर्फ विदेशों में भ्रमण करने के लिये लूटाने का काम इन्होंने किया. इन्होंने बड़े-बड़े उद्योगपतियों को जमीनें दी परन्तु उन पर उद्योग तो नहीं लगे, पर उनके नाम से जो जमीन लीज़ पर दी थी, उनको मॉर्डगेज करके कई उद्योगपतियों ने उसके ऊपर लोन निकाल लिया. आपने पीथमपुर में अनिल अंबानी को 200 एकड़ जमीन और छिंदवाड़ा में आपने जमीन दी. आपने सिर्फ पूरे प्रदेश में जमीन देने का काम किया, कोई उद्योग लगाया हो, कहीं पर कोई काम हुआ हो वह नहीं हुआ. आपने सिर्फ औद्योगिक विकास का ढिंठोरा पीटकर, झूठ की बात करके जनता के पैसे का विज्ञापन करके कभी एयरपोर्ट पर जाओ तो इन्वेस्टर्स समिट, कोई विदेश जाये तो बोर्डिंग पास में देखे कि शिवराज जी का फोटो दिख रहा है कि ऐसी इन्वेस्टर्स समिट होगी. समिटों से उद्योग नहीं आते हैं. आपने पिछले सालों में कितनी इकाईयां स्थापित करीं, इस बात को भी देखना पड़ेगा. जब हम लोग औद्योगिक विकास की बात करें तो पिछली सरकार ने जो विश्व और देश के अंदर एक ग्लोबलाईजेशन का दौर आया, पुणे जैसे शहर 100-100 गुने बढ़ गये, अहमदाबाद, सूरत, बैंगलौर और हर शहर हिन्तुस्तान का बढ़ा, परन्तु मध्यप्रदेश के अंदर कोई भी शहर ऐसा नहीं बन पाया, जहां नौजवान को भरोसा हो कि वह यहां पर पढ़ाई करेगा तो उसको मध्यप्रदेश के अंदर रोजगार मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं तकनीकि शिक्षा की बात करूंगा और उसके साथ और कई मुद्दों पर भी बात करना है, क्योंकि मुझे समय कम दिया गया है. विज्ञान और टेक्नालॉजी विभाग की बात करें तो बड़ी टेक्नालॉजी और विज्ञान भारत में माननीय स्व. राजीव गांधी जी लाये थे. उनकी एक सोच थी उनका एक विचार था कि कैसे औद्योगिकी और विज्ञान के माध्यम से इस देश के अंदर सिक्योरिटी आयेगी. पहले जो लोग टेण्डरों में बड़े-बड़े घोटाले कर देते थे, उन्हें कैसे खत्म कर दिया जायेगा, पर शर्म आती है कि पिछली सरकार के लोगों ने उस टेक्नालॉजी को भी नहीं छोड़ा और उसमें ई-टेंण्डरिंग जैसे घोटाले कर दिये. हमें इस बात को समझना पड़ेगा कि डिजिटल के सपने दिखाकर, जनता के टैक्स का इस्तेमाल करके, जो इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर में हो सकता था, उसका अपने चहेते बड़े-बड़े ठेकेदारों को ठेके दिलाने में उपयोग किया. जिस प्रकार से व्यापम जैसी संस्था को, जिसको भरोसे के लिये मध्यप्रदेश के लिये, पिछली सरकारों ने 1980 में शुरू किया था कि मध्यप्रदेश के नौजवान भी मध्यप्रदेश के अंदर डॉक्टर, इंजीनियर बनेंगे और मध्यप्रदेश के लोगों को कहीं न कहीं सेवाएं देने का काम करेंगे. वह भरोसा जो 2003 से पहले मध्यप्रदेश के अंदर उस व्यापम पर था. परन्तु जब से 2003 के बाद यह सरकार आयी तो व्यापम के माध्यम से किस प्रकार से योग्यताओं का बेरहम कत्ल और पढ़ने वालों का सामूहिक नरसंहार इन्होंने किया है. कई मामाओं की कहानियां हम सुना करते थे कि कंस अपने भांजें-भांजियों को मार दिया करता था, ऐसे ही हमारे मामा ने मध्यप्रदेश के नौजवान के भविष्य का कत्लेआम कर दिया. मेरा आग्रह है कि उस व्यापम का नाम बदलने से....
डॉ. सीतासरन शर्मा:- अध्यक्ष महोदय, यह क्या बात कर हैं. इसको कार्यवाही से निकालें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) :- मैं माननीय सदस्य को एक सुझाव देना चाहता हूं कि पिछली सरकार की उपलब्धियों और नाकामियों के बारे में आप जो विलाप कर रहे हैं. मैं इतना कहना चाहता हूं कि आपकी आगे दृष्टि क्या है. आपने एक बात भी यह नहीं बतायी कि आपकी आगे की दृष्टि क्या है.
श्री कुणाल चौधरी:- इतिहास सबक लेने के लिये होता है, आप इससे सबक लें.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग उनको बोलने दें. कुणाल चौधरी के अलावा जो भी बोल रहे हैं वह कार्यवाही में नहीं आयेगा.
श्री गोपाल भार्गव:- (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग दूसरों के बोलने के समय टोका-टाकी न करें, नहीं तो जब आप बोलेंगे तो वह टोंकेगे. इसमें बर्बाद होता है.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, राजेन्द्र शुक्ला जी ने भाषण दिया.इतना प्रामाणिक भाषण दिया, शायद आप अंदर थे.
अध्यक्ष महोदय:- मैं आ गया था. मैं यहां पर आ गया था और अंदर भी सुन रहा था. मैं मानता हूं कि उन्होंने प्रामाणिक भाषण दिया.
श्री गोपाल भार्गव:- उन्होंने कहीं किसी की कोई आलोचना नहीं की.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय आप नये विधायकों न टोको.
श्री विजय लक्ष्मी साधौ:- अध्यक्ष महोदय....
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- भार्गव जी चाहते हैं कि ई-टेंडरिंग घोटाले (व्यवधान) जेल भेजने के लिये नहीं, ई-टेंडरिंग घोटाले का पूछना चाह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- सज्जन भाई एक तरफ संस्कृति और एक तरफ वह खड़े हो गये तो अब कोई क्या भाषण देगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- अध्यक्ष महोदय, भार्गव साहब को सी.एम जल्दी बनना है.इसलिये यह बार-बार खड़े हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं, यह क्या तरीका है, प्रद्युम्न जी आप क्यों अपने सदस्य का समय बर्बाद कर रहे हैं. कम से कम नये विधायकों को बोलने का समय दीजिये,वरिष्ठ लोगों को बिल्कुल टोका-टाकी नहीं करना चाहिये. आप उनको सुनिये.
श्री कुणाल चौधरी :- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार व्यापम की स्थिति है तो मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि नाम बदलने काम नहीं बदलते जो नाम उसका पिछली बार बदला गया और जिस प्रकार की हालत पिछले तीन सालों में 110 इंजीनियरिंग कॉलेज मध्यप्रदेश में बंद हुए हैं, इंजीनियरिंग सीटों की संख्या जो पहले 1 लाख 20 हजार थी, वह घटकर 56 हजार हो गयी है. अभी मैंने पता किया, अभी काउंसिलिंग चल रही है, उसमें सिर्फ 26 हजार लोग ही आये हैं. जिस प्रकार से मैं भरोसे की बात कर रहा था और इनका कहना है कि हम निवेश लाये, इन्होंने भरोसा दिलाया, पर मध्ययप्रदेश के नौजवान को भरोसा नहीं हो पा रहा था. आज माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में जिस प्रकार से मध्यप्रदेश के अंदर यहां पर विमानन की बात, यहां पर तकनीकी शिक्षा की बात कि आज मध्यप्रदेश के नौजवान को लगने लगा है कि जब से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि प्रदेश के 70 प्रतिशत नौजवान को यहां पर रोजगार मिलेगा.
मैं एक बात विमानन के बारे में करना चाहता हूं कि पहले विमानन की स्थिति यह थी कि मैं एक बार एक मंत्री जी को दिल्ली से लेकर आ रहा था तो पता चला कि दिल्ली से सुबह सात बजे फ्लाईट आ जाती है और रात को 10 बजे के बाद निकलती है. उन मंत्री जी को जयपुर जाना था तो वह जयपुर भी नहीं जा पाये. जब से माननीय कमलनाथ जी, मुख्यमंत्री बनकर आये हैं तो लोगों को भरोसा इस प्रदेश पर बढ़ा है और यहां पर किस प्रकार से विमान बढ़े हैं,किस प्रकार से यहां पर हवाई सेवाएं बढ़ीं हैं. मध्यप्रदेश निरंतर प्रगति की ओर है और कई बातें और करनी थी, लेकिन समय का अभाव है. आपने बोलने का समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11, 15, 21, 32, 46, 47, 51, 65, 70, 72 के कटौती प्रस्ताव के समर्थन में तथा मांग संख्या के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं विरोध या कटौती के प्रस्ताव में इसलिये अपने आपको खड़ा करना चाहता हूं. मैं अपनी चर्चा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से शुरू करना चाहता हूं. कहीं यहां पर इस बुक में यह मेंशन किया गया था कि तकरीबन 20-22 सौ महाविद्यालयों में, 10 ज्ञानोदय में, 224 विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा पिछली सरकार ने शुरू की. मुझे यह बताते हुए गर्व होता है कि पिछले वर्ष पूरे भारत में जावद एक ऐसी विधान सभा थी जिसके सभी हायर सेकेन्डरी स्कूल डिजीटल हुए और डिजीटल करने के लिये जब केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री जावद पधारे थे तब 10 हजार बच्चों के कार्यक्रम में उनकी 2 घंटे पिनड्राप सायलेंट में उसका अंतर सिर्फ इतना सा पड़ा कि मध्यप्रदेश में हायर सेकेन्डरी में सेकण्ड बेस्ट स्कूल जावद की कन्याशाला आयी. इस अंतर को सब विभाग तथा मध्यप्रदेश शासन को पता होने के बाद भी मुझे इस किताब में कहीं पर भी पता नहीं चल रहा है कि शिक्षा का जो मूल विषय है उसमें साईंस एवं टेक्नालॉजी में क्या तरक्की करते हुए, क्या इस स्कीम को आगे बढ़ाने के लिये कुछ फंड का प्रावधान करेंगे या नहीं करेंगे, इसलिये मैं विरोध कर रहा हूं ? क्योंकि अगर जिस प्रदेश का शिक्षा में टेक्नालॉजी में सकारात्मक समन्वय होगा वह प्रदेश बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा. यहां पर कई विषयों पर चर्चाएं आयीं. वर्चुअल क्लास रूम, स्वान सिस्टम लागू करने की बात मैंने पिछली मांग संख्या में यहां माननीय मुख्यमंत्री जी भी बैठे हुए हैं मैं उनका ध्यान चाहूंगा बाकी चर्चा दो मिनट बाद कर लेंगे. मैं महत्वपूर्ण विषय पर बात कर रहा हूं. जावद में जहां हमने 40-50 विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा शुरू की. स्वान सिस्टम चालू करके सबको कनेक्टिविटी दिलवाने में विशेष ध्यान देकर दे देंगे तो वहां के बच्चों को और आगे बढ़ने का मौका बढ़ने का मौका मिलेगा. दूसरा मैं दो महत्वपूर्ण शिक्षा जिसमें डिजिटल और उसका कंसर्न है उसके बारे में बात करना चाहता हूं कि कहीं न कहीं इस डिजिटल शिक्षा का अगला कदम लेंगवेज ट्रेनिंग जिसके लिये केन्द्र सरकार ने स्पेशल प्रावधान किया है. मैंने कल उच्च शिक्षा मंत्री जी से भी इस विषय कहा था कि पूरे भारत में सबसे पहला प्रयोग जावद से 15 बच्चों को हमने जापान में स्किल डेवलपमेंट फॉर इंटरप्रिन्योरशिप के लिये भेजा वह भी सीएसआर व निजी फंड से भेजा. वह एक महीने जापान में ट्रेनिंग लेकर के आये वहां की समस्या और जापान इज अ ओल्ड एज सिटी कन्ट्री और नौजवान वहां पर मात्र 13 से 14 प्रतिशत वर्किंग पापूलेशन है. वहां पर जब यह चर्चाएं शुरू हुईं वहां पर उन बच्चों की ट्रेनिंग के बाद उनका जब एग्जाम हुआ यह बात सामने आयी कि आप जावद से या मध्यप्रदेश से जितने मर्जी बच्चे जिनको जेपनीज लेंगवेज आ जाये हम उन्हें रोजगार देने के लिये तैयार हैं. वहां के सदन में 5 लाख से 9 लाख भारतीयों को वीजा वर्क परमिट देने का प्रस्ताव पास हो चुका है, उस पर क्या मध्यप्रदेश की सरकार ध्यान देते हुए उन्हें डिजिटल माध्यम से शिक्षा में उनकी जेपनीज लेंगवेज की जो केन्द्र सरकार से प्रावधान इस बजट में विशेष रूप से मैंने करवाया. मैंने उच्च शिक्षा मंत्री जी से भी कहा उन्होंने कहा कि सोचेंगे. मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से विशेष आग्रह है कि ऐसी चीजों पर थोड़ा सा ध्यान देंगे तो शायद मध्यप्रदेश की जनता एवं मध्यप्रदेश की इकानॉमी पर बहुत बड़ा असर आयेगा. मैं थोड़ा सा दो विषय पर तथा टेक्नालॉजी की बात पर जब चर्चा हो रही थी कि दुनिया की टेक्नालॉजी तथा भारत के मध्यप्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी समस्या पॉवर स्टोरेज है. यह सीधा डायरेक्ट विषय नहीं है चूंकि मुख्यमंत्री जी खुद सदन में बैठे हैं. बिजली मंत्री जी से मैंने एक दो बार चर्चा भी करने की कोशिश की. पॉवर स्टोरेज के दुनिया में दो या तीन तरीके ही कुल है. मध्यप्रदेश पहले पॉवर शार्टेज में था जब आज पॉवर सरप्लस में आ गया मध्यप्रदेश तो मध्यप्रदेश में पॉवर स्टोरेज के लिये मुझे जो बताया गया है कि आप बेट्री वाले प्रोसेस का कर रहे हैं वेनेडियम रि आक्स बेट्री के माध्यम से आप प्रयास कर रहे हैं, लेकिन मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के ध्यान में साईंस एवं टेक्नालॉजी विभाग का अगर आप उपयोग करके दुनिया के और कौन कौन से नये तरीके आ गये हैं उसमें आज की तारीख में जापान ने हाइड्रोजन में पर्याप्त प्रयोग किया. पिछले चार वर्षों से जापान पूरी बिजली लिक्विड हाइड्रोजन इम्पोर्ट करता है ऑस्ट्रेलिया से और उससे अपनी फीडिंग करता है. हमारे यहां बिजली का शार्टेज नहीं है, लेकिन पॉवर स्टोरेज अगर आप बेट्री के माध्यम से करेंगे तो 12 रूपये स्टोरेज की कास्ट आयेगी जो अनवाइबल हो जाएगी. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के ध्यान में साईंस एवं टेक्नालॉजी विभाग के उस डॉयरेक्शन पर भी ध्यान दिलाने का आग्रह करना चाहता हूं जिसके माध्यम से दुनिया के लेटेस्ट टेक्नालॉजी क्योंकि आज भारत दुनिया से 30-35 साल पीछे नहीं है. आज भारत दुनिया से चार पांच वर्ष कुल पीछे हैं. अगर आप चार पांच वर्ष का गेप भी पूरा करना चाहते हैं तो भारत में सबसे पहले हाइड्रोजन का सबसे पहले मध्यप्रदेश स्टोरेज में उपयोग करे तो बहुत बड़ा अंतर आयेगा, क्योंकि 2020 में जापान ने यह तय किया है कि टोटल ऑटो मोबाइल, टोटल डोमेस्टिक गैस में हाइड्रोजन का प्रयोग और पॉवर स्टोरेज में भी हाइड्रोजन के माध्यम से करके पूरे पाल्यूशन को भी फ्री करेगा. आने वाले समय में पाल्यूशन सबसे बड़ी समस्या है. मेरा आपसे आग्रह है कि इसलिये मैंने दो विषयों पर आपका एवं माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेष ध्यानाकर्षित किया कि साईंस एवं टेक्नालॉजी का उपयोग उस विषय में भी करना शुरू करें. मैं थोड़ी सी चर्चा इस बात पर भी करना चाहता हूं कि साईंस एवं टेक्नालॉजी के इस प्रतिवेदन में लिखा है कि महिलाओं की प्रतिभागिता बढ़ाने के लिये भिंड, सीहोर में कुपोषण को कम करने के लिये टेक्नालॉजी का आपने उपयोग करना इसमें दिखाया है. वहीं मैं सरकार का दूसरा पक्ष भी आपके तथा सबके ध्यान में लाना चाहता हूं कि रतलाम में हमारे ही माननीय विधायक जी के निजी सीएसआर फंड से 23 सौ कुपोषित बच्चों में प्रयोग किया उसमें 11 सौ बच्चे कुपोषण से बाहर निकल गये. यह सिर्फ एक साल के प्रयोग में अंतर आया, लेकिन इस सरकार की दुर्भावना और इस सरकार के अधिकारियों का प्रयोग पर बड़ी आपत्ति है कि उस प्रयोग को रोक दिया गया आठ महीने से उस प्रयोग को बंद किया गया क्या मध्यप्रदेश की सरकार के अधिकारी या अगर मुख्यमंत्री जी के ध्यान में है तो उन अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करेंगे उनके बारे में उनके उत्तर में जरूर सुनना चाहूंगा कि ऐसा गलत प्रयोग और जिस अधिकारी ने रोका उस पर एक्शन अगर कुपोषण से निकाल रहा है सीएसआर फंड से दूसरी तरफ आप यह बात कर रहे हैं कि जो काम चल रहा है उसे रोकना उसमें शासन का पैसा नहीं लग रहा है, यह बहुत गलत नीति है. मैं थोड़ा सा ध्यान रेवेन्यू की तरफ करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--थोड़ा सा ध्यान घड़ी की तरफ ले लें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--अध्यक्ष महोदय, आप जब चाहेंगे तब बोलना बंद कर दूंगा मैं न तो कोई राजनैतिक बात करने के लिये खड़ा हूं न ही मैंने एक दूसरे पर आरोप प्रति आरोप कर रहा हूं. आप जितना समय बोलेंगे उतना समय लूंगा. मुझे रात को दस बजे फोन आया कि पहले वक्ता के रूप में आपको बात करनी है इसलिये मैंने सोचा कि आप समय देंगे. आपकी जब इच्छा होगी तब बोलना बंद कर दूंगा. बाकी शार्ट में थोड़े विषयों के बारे में संबंधित को चिट्ठी लिखकर के भेज दूंगा और मैं क्या कर सकता हूं.
अध्यक्ष जी, एक विषय पर और बोल लेता हूं, अगर आपकी आज्ञा हो तो. टेक्निकल एजुकेशन यह दूसरा सबसे महत्वपूर्ण विषय भविष्य के लिए, मध्यप्रदेश के लिए, सबसे जरूरी काम है. अगर टेक्निकल एजुकेशन पर बात करें, पिछली बार भी कुछ कमियां मैंने ध्यान में लाई थी. अभी मेरे पूर्व वक्ता ने कहा इतनी सीटें कम हो गई है. मैं बोलता हूं उतने क्रिमिनल्स मध्यप्रदेश में कम बनेंगे, क्योंकि सबस्टैण्डर्ड एजुकेशन इज ए प्यूोरली ए क्रिमिनल अफेंस. मेरी भाषा मैंने एक बार पहले भी बोला था और उस समय विधानसभा में मंत्री के उत्तर में आया कि वह रोल हमारा नहीं है, वह रोल केन्द्रीय बोर्ड तय करता है. मैंने कहा स्टेट को भी यह अधिकार है कि जहां जहां, जो-जो कॉलेज प्रॉपर नहीं कर रहे हैं, उन सब कॉलेजों की अगर आप रिपोर्ट लगा दें तो मैं देखता हूं भारत सरकार में भी कोई उस रिपोर्ट के विरूद्ध जाकर उनकी मान्यता नहीं रखेंगे. हमें इस बात को गंभीरता से देखना पड़ेगा कि अगर मैं आपकी टेक्निकल एजुकेशन के बारे में बात करूं तो पहला सुझाव मेरा यह होगा कि उसकी रेटिंग आपके कितने लोगों को, कितने पढ़े हुए बच्चों को कहां प्लेसमेंट मिलती है और किस लेवल की प्लेसमेंट मिलती, उसको अगर शासन पूरा डिस्प्ले करवा दें किसी भी तरीके से तो पूरे मध्यप्रदेश के हर बच्चें का भविष्य सुधर जाएगा, वरना गांव के गरीब किसान का, क्योंकि वह किसान का बेटा जब लोन नहीं मिलता है और किसान हमारे पास आता है तो हम उसे बोलते है कि इस कॉलेज में एडमिशन लेने से तेरा भविष्य अंधकार में जाएगा तो वह बोलता है साहब आपको हमारी अनुशंसा करनी है या नहीं करनी है, आप सिर्फ इतना बताइए. मेरा बेटा इंजीनियर बन रहा और आपको तकलीफ हो रही है, क्योंकि उसकी समझ में यह नहीं है कि उस कॉलेज में पढ़ने के बाद उसे कभी जीवन में कोई जॉब मिलेगा या नहीं मिलेगा. मैं थोड़ा सा ध्यान इस विषय पर भी है और एक ही निवेदन है कि कभी किसी समय आप विशेष रूप से मध्यप्रदेश के भविष्य के बारे में, चिंतन के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करने के लिए समय जरूर दीजिएगा, धन्यवाद.
मुख्यमंत्री(श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं अभी सखलेचा जी की बात बड़ी गंभीरता से सुन रहा था और बड़ी विशेष और महत्वपूर्ण बात उन्होंने कही और मुझे ताज्जुब हुआ, आश्चर्य हुआ कि इनको इस प्रकार की नॉलेज और इस प्रकार का ज्ञान कैसे हैं. मैं तो इनसे अलग बैठकर चर्चा करूंग, ताकि मुझे भी वह ज्ञान प्राप्त हो.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट के अंदर इसी चीज में एक सुझाव दे रहा हूं. इसी से संबधित है, एजुकेशन से संबंधित है
अध्यक्ष महोदय - मत दीजिए, बाद में आपका मौक आएगा, प्लीज समय बर्बाद मत करो. मैं जब तक अनुमति नहीं दूं कोई खड़ा हो बिलकुल न नोट करें.
अध्यक्ष महोदय - सखलेचा जी, धन्यवाद. हमेशा आप पाइंटेड बोलते हैं, पढ़कर आते हैं. एक नई बात छोड़कर जाते हैं, निश्चित रूप से यह प्रदेश के लिए लाभान्वित है.
01:33 बजे स्वागत उल्लेख
श्री नकुलनाथ, सांसद का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थिति पर सदन द्वारा स्वागत
अध्यक्ष महोदय - आज सदन की दीर्घा में माननीय सांसद श्री नकुलनाथ उपस्थित है. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
श्री कुंवर विजय शाह - नकुलनाथ जी को देखकर मुख्यमंत्री जी की जवानी याद आ गई.
अध्यक्ष महोदय - क्या बोल रहे विजय भाई.
श्री कमलनाथ - अभी तो मैं जवान हूं.
01:34 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री निलय विनोद डागा(बैतूल) - माननीय अध्यक्ष जी, सबसे पहले तो मैं छिन्दवाड़ा के नवनिर्वाचित सांसद नकुलनाथ जी का सदन में स्वागत करता हूं(..मेजो की थपथपाहट)
अध्यक्ष जी, मुझे आपने उद्योग नीति पर बोलने का मौका दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. उद्योग ऐसा विभाग है, जिसके माध्यम से हमारे प्रदेश में, देश में रोजगार जनरेट किया जाता है. उद्योग लगाने के लिए हमें जरूरत है कि इन्वेस्टमेंट को आकर्षित कराया जाए. इस प्रदेश में इन्वेस्टमेंट आए ताकि हमारी रेवेन्यु बढ़े. नए उद्योग लगाने के लिए आज के समय में सबसे कठिन और सबसे महंगा अगर कोई इनवेंचर है तो वह जमीन खरीदना और जमीन एलॉटमेंट होने के बाद उस पर यदि उद्योग नहीं लगे तो उसके खिलाफ कार्यवाही करना यह हमारी जिम्मेदारी है, सरकार की जिम्मेदारी है. जमीन एलॉटमेंट होना बहुत जरूरी है. साथ में हमें बिजली, पानी, सड़क और ऐसे ही एक सिंगल विंडो जिससे हर विभाग की परमीशन उस उद्योगपति जो इन्वेस्टमेंट करने आ रहा है उसको मिलना चाहिए, ऐसी सुविधा हमें बनाने की जरूरत है. पिछले सालों में क्या हुआ, उसके बारे में मैं बात नहीं करना चाहता हूं लेकिन हमें ऐसी व्यवस्था बनाना बहुत जरूरी है, जिससे हम एक आकर्षण का केन्द्र बने और हमारा प्रदेश ऐसा आकर्षण बनाए कि हर उद्योगपति इस प्रदेश में आकर उद्योग लगा सके और आकर्षण पैदा होगा व्यवस्था के साथ. साथ में उनके इन्वेस्टमेंट का रिर्टन उनको कितनी जल्दी मिल सकेगा और सरकार की तरफ से हम क्या सहयोग कर सकते हैं उस उद्योगपति को इन्वेस्टमेंट करने के लिए, यह हमें सोचना बहुत जरूरी है. सब्सिडी के माध्यम से सब्सिडाइज बिजली के माध्यम से, पानी की उपलब्धता के माध्यम से हमें उनको आकर्षित करना बहुत जरूरी है. सबसे मुख्य उसके अंदर होता है सब्सिडी, सरकार कितने साल का टैक्स हॉलीडे दे और अगर वह उद्योग हमारे प्रदेश में उत्पादन करके उसको एक्सपोर्ट के लिए ले जाता है तो उसमें हम उनको कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं, इस पर हमें ऐसी नीति बनाना बहुत जरूरी है. अभी कुछ देर पहले बहुत सारी इंडस्ट्रीज की बात हुई, टैक्सटाइल्स इंडस्ट्री, कॉटन इंडस्ट्री आयी, ऑटोमाबाइल्स इंडस्ट्री आयी, लेकिन हम हमारी ट्रेडीशनल इंडस्ट्रीज को भूल गए जो पिछले 30-40 साल से जो इंडस्ट्री ट्रेडीशनल हुआ करती थी, वह आज हमारे प्रदेश से विलोपित होती जा रही है, जैसे दाल मिल हो गई, राइस मिल हो गई, सोयाबीन प्लांट हो गए, ये इंडस्ट्री हमारे प्रदेश से खत्म होती जा रही है. हम नया इन्वेस्टमेंट लाने का सोच रहे हैं और विदेश से इन्वेस्टमेंट लाने को सोच रहे है. हमारे प्रदेश के और देश के उद्योगपति इतने सक्षम है कि हमारे प्रदेश में उद्योग लगा सकते हैं. हमें जरूरत है कि वह ट्रेडीशनल इंडस्ट्रीज जिससे रोजगार पैदा होता था, हर एक छोटी-छोटी इंडस्ट्रीज जहां 50-100 लोग काम करते थे जिससे रोजगार पैदा होता था, पहले अनाज, तिलहन, दलहन, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स की जो इंडस्ट्रियां लगती थीं, हमने उन्हें सपोर्ट नहीं किया. पिछले कई सालों से उनके ऊपर कर्ज की मार पड़ती गई, उनको अगर सपोर्ट किया होता तो आज मध्यप्रदेश की ये हालत नहीं होती. एक्सपोर्ट में सब्सिडी और रिबेट देना चाहिए यह हमारी सोच होना चाहिए.
अध्यक्ष जी के माध्यम से मैं इस सदन में बोलना चाहूंगा कि हम बड़े सौभाग्यशाली है कि हमें कमलनाथ जी जैसे मुख्यमंत्री मिले जो 9 बार के सांसद हैं और कई बार केबिनेट मिनिस्टर रहे, कॉटन मिनिस्टर रहे, इंडस्ट्री मिनिस्टर रहे, कॉमर्स मिनिस्टर रहे. हमें उनके एक्सपोजर का जरूर फायदा मिलेगा, यह हमारी उम्मीद, हमें पूरा भरोसा है. साथियों राजनीतिक द्वेष को छोड़कर हमें यह सोचना जरूरी है कि हमारे प्रदेश को हम कैसे आगे बढ़ाए. इंडस्ट्री के माध्यम से, उद्योग के माध्यम से, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास यह हमारी जरूरत है. हम प्रदेश के युवाओं को किस तरह से रोजगार दे सकें और जो हमारा प्रदेश इतने साल से बीमारू प्रदेश कहलाया जाता था, उसको एक विकासशील प्रदेश में हम कैसे ला सके. पिछले 15, 20, 30 सालों में बड़े-बड़े उद्योगपतियों का जो भरोसा टूटा है, उस भरोसे को हमें फिर जिन्दा करना पड़ेगा. आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद निलय.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, श्री निलय विनोद डागा ने बोला और सीनियर डागा बैठे हुए हैं, यह बहुत अच्छी बात है. निलय जी को बधाई.
अध्यक्ष महोदय - मैं वही बोलना चाह रहा था. जूनियन डागा ने कितने अच्छे से बोला और समय-सीमा में बोला.
श्री विश्वास सारंग - मैं वही बोल रहा हूँ, बहुत अच्छे से बोले.
अध्यक्ष महोदय - आपने तारीफ नहीं की. पहली बार का विधायक कितना अच्छा बोला.
श्री विश्वास सारंग - पिताजी अध्यक्षीय दीर्घा में बैठे हैं और बेटे ने इतना अच्छा बोला. मैं तारीफ कर रहा हूँ इसलिए बधाई दे रहा हूँ.
श्री गोपाल भार्गव - मुझे तो खुशी इस बात की है कि पिताजी मेरे साथ विधायक थे और बेटा मेरे साथ विधायक है.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी, आप यह तो मान रहे हैं कि दोनों रहें.
श्री गोपाल भार्गव - जी.
श्री निलय विनोद डागा - माननीय विधायक जी, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके साथ विधायक हूँ एवं आपके साथ कार्य करने का मौका मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - श्री चेतन्य कमार काश्यप, समय सीमा का ख्याल रखें.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप (रतलाम सिटी) - अध्यक्ष महोदय, यह डागा जी का बड़ा अच्छा समय है, उन्होंने पहली बार उद्योग नीति पर जो कहा, वह निश्चित तौर से महाजन परिवार के बच्चों में एक पैतृक गुण होता है, उसका उन्होंने परिचय दिया है.
मैं मांग संख्या 11, 15, 21, 32, 46, 47, 51, 65, 70 एवं 72 के कटौती प्रस्तावों के समर्थन में अपनी बात रखना चाह रहा हूँ और विशेषकर उद्योग नीति के संदर्भ में, जो उद्योग नीति में निवेश प्रोत्साहन की राशि बजट में पूर्व के 687 करोड़ रुपये के प्रावधान के स्थान पर इस बार 554 करोड़ रुपये की गई है, 100 करोड़ रुपये की कटौती की गई है, इसका कोई कारण नहीं दिखता है जबकि हमारे वित्त मंत्री जी ने भाषण में कहा है कि हम प्रदेश के अन्दर उद्योगों के विकास के लिए एक भरोसा पैदा करेंगे और निवेश का प्रोत्साहन में यह पहली नीति थी, उसी के अन्दर 100 करोड़ रुपये की राशि की कटौती की गई है तो यह भरोसा बढ़ाने की बात नहीं है, घटाने की बात है और निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश का औद्योगिक वातावरण एक बहुत अच्छे माहौल में है और हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की प्रतिष्ठा के बारे में हमारे सभी साथी कहते हैं, उनका पूरा लाभ मिला तो हम लोग आगे बढ़ेंगे. परन्तु हमारे यहां की नीतियों में भूमि आवंटन उद्योग के लिए सबसे बड़ा कार्य होता है. अध्यक्ष महोदय, भूमि के मामले में हमारे औद्योगिक क्षेत्र की नीति के लिए अभी तक कोई प्रावधान नहीं रखा है कि जो पुराने औद्योगिक क्षेत्र है, अभी जो वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र चल रहे हैं, कुछ एमएसएमई लघु उद्योग मंत्रालय के पास हैं, कुछ संवर्धन के लिए एकेव्हीएन के पास हैं और उन्हीं औद्योगिक क्षेत्रों में दोनों एजेन्सियां औद्योगिक क्षेत्र का संधारण करती हैं. अभी तक उसके बारे में कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया गया है और कई औद्योगिक क्षेत्रों के अंदर कई उद्योग वर्षों से बन्द पड़े हैं, लम्बी-चौड़ी भूमि करीब-करीब 50 से 60 प्रतिशत हमारी भूमि उसके अन्दर फंसी हुई है परन्तु कोई एक्जिट पॉलिसी नहीं है. गुजरात और महाराष्ट्र के अन्दर जो औद्योगिक क्षेत्र के अन्दर उद्योग लगे हैं, वे बन्द हो जाते हैं, उनके लिए एक एक्जिट पॉलिसी है, उसके निवारण, टैक्स सेस जो शासकीय बकाया हैं, उनका बकाया पूर्ण करके, उनको एक्जिट पॉलिसी के तहत बाहर किया जाता है. मध्यप्रदेश के अन्दर एक एक्जिट पॉलिसी की आवश्यकता है, उसके बारे में कोई भी प्रावधान या नीतिगत निर्णय इस बारे में नहीं लिया गया है. खास कर पुराने औद्योगिक क्षेत्रों के संधारण के बारे में, उनका विकास शुल्क तो उद्योगों से लिया जाता है परन्तु संधारण कौन करेगा ? कई जगह पर रतलाम के औद्योगिक क्षेत्र में वहां पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ है. स्ट्रीट लाईटें उद्योग विभाग ने लगाईं लेकिन उनको कौन चलायेगा ? और पिछले बजट में रतलाम के एल्कोहल प्लांट हेतु 3 करोड़ रुपये की राशि रखी गई थी, उस एल्कोहल प्लांट के औद्योगिक क्षेत्र के विकास में इस वर्ष राशि निरंक कर दी गई है. यह इससे निश्चित रूप से यह मालूम चलता है कि हम कौन सा विश्वास बढ़ाना चाहते हैं ? और यह जो राशि के आंकड़े का खेल है. मैं सबसे महत्वपूर्ण बात कहना चाहूँगा कि उद्योगों की नींव जब हम रखते हैं तो व्यापार की आवश्यकता होती है और मध्यप्रदेश व्यापार संवर्धन मंडल की पिछले वर्ष में 45 लाख रुपये की राशि का आवंटन हमारी सरकार के द्वारा किया गया था और उसके अंदर कई कार्य भी हुए थे. प्रदेश के व्यापारियों का एकत्रिकरण हुआ क्योंकि उत्पादन और विपणन करना, ये एक ही गाड़ी के दो पहिये होते हैं. निश्चित तौर पर इस बार व्यापार संवर्धन मंडल के लिये बजट में कोई प्रावधान नहीं है. इसका मतलब यह है कि हमारी वर्तमान सरकार चाहती है कि व्यापारियों की कोई आवश्यकता नहीं है, व्यापारियों को संरक्षण और संवर्द्धन कुछ भी नहीं चाहिए. इस बारे में मुझे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री जी ध्यान देंगे कि व्यापार संवर्द्धन एक महत्वपूर्ण कार्य है और युवाओं को रोजगार देने में हमें आगे आना चाहिए, अभी वर्तमान में जो औद्योगीकरण की नीति है, इसमें लघु और मध्यम उद्योग, छोटे व्यापार और छोटे व्यापारी इनके माध्यम से ही रोजगार के अवसर आते हैं, वे इस पर निश्चित ही ध्यान देंगे. अभी खासकर सकलेचा जी ने जो पॉवर की बात की है, पॉवर का स्टोरेज, लीजियम बैटरी का जो मामला है. पूरी दुनिया के अन्दर लीजियम बैटरी से कैंसर के रोग को रोक दिया गया है, इसमें निश्चित तौर पर हम आगे बढ़ें. मैं चाहूँगा कि जो औद्योगिक नीति, 2019 बन रही है, उसमें आगे बढ़ें. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास) - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. जैसा कि हमारे मुख्यमंत्री, कमलनाथ जी हैं और उनकी अपनी विश्वस्तर पर और औद्योगिक स्तर पर पहचान है, उनका एक सम्मान है. निश्चित रूप से एक सम्मान है तो एक भरोसा है. इस भरोसे के बल पर हम यह कह सकते हैं कि उनके विजन के हिसाब से हमारे यहां निवेश बढ़ेगा. एक उम्मीद जागी है, पूरे प्रदेश के अंदर, युवाओं के अन्दर, उन बेरोजगारों, मजदूरों, जो शिक्षित हैं, प्रशिक्षित हैं, इंजीनियर, मेडिकल और मैनेजमेंट के छात्र जो आज बेरोजगार हैं, उनके अन्दर एक विश्वास जागा है कि कमलनाथ जी के आने के बाद रोजगार बढ़ेगा, विकास होगा. इसके साथ, मैं एक बात और जोड़ूँगा, जैसा बहुत समय से मांग की जा रही थी कि प्रदेश के बेरोजगारों को, प्रदेश के युवाओं को 70 प्रतिशत इन उद्योगों में स्थान मिलेगा, निश्चित रूप से इसका हम सब स्वागत करते हैं. हालांकि यह 100 प्रतिशत होना चाहिए, फिर भी अगर यह 70 प्रतिशत भी है तो हम इसका पहले स्वागत करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, औद्योगिक नीति, प्रोत्साहन, तकनीकी शिक्षा प्रशिक्षण, इसके साथ में तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, इन क्षेत्रों में अभी बहुत विकास होना बाकी है. जो हमारे आदिवासी क्षेत्र हैं, जिसमें से मण्डला भी एक है, जिसका मैं प्रतिनिधित्व करता हूँ. बहुत विकास हुआ है लेकिन फिर भी हमारा जो ट्रायबल क्षेत्र है, वह विकास से बहुत पिछड़ा हुआ है. तकनीकी शिक्षा या कौशल विकास की बातें करें, बड़े-बड़े उद्योगों की भी बात करें लेकिन इसका किसी भी रूप में बहुत ज्यादा अच्छा फायदा नहीं हो पाया है. हमारी बहुत उम्मीदें जागी हैं, हमने मुख्यमंत्री जी से भी कहा है कि बड़े उद्योग वाले बेशक यूनिट न लगा पायें लेकिन तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास के आधार पर कुछ कार्य हमारे यहां पर हों, जिससे युवाओं को किसी भी स्तर पर रोजगार मिल सके, उनको प्रोत्साहन मिल सके. इसके साथ मैं एक बात और कहना चाहूँगा कि जो सीएसआर का फण्ड होता है, यदि लोकल स्तर पर जहां उनके उद्यम लगे हैं, अगर उस क्षेत्र के विकास के लिए खर्च किया जाये तो मुझे लगता है कि उसका काफी कुछ फायदा मिलेगा. जिस जगह पर लोकल क्षेत्रों के लिए इन्वेस्टरों ने इन्वेस्ट किया हुआ है, उस क्षेत्र का किसी हद तक विकास होगा. मनेरी क्षेत्र मेरे विधानसभा क्षेत्र में आता है. इसमें यह स्थिति है कि वहां बहुत से उद्योगपतियों ने लीज पर लिया है पर वहां पर किसी भी प्रकार से कोई इन्डस्ट्री नहीं लगाई है, वे बन्द पड़े हैं और उसी राशि से वे उन्होंने कहीं और इन्वेस्ट किया हुआ है तो एक प्रकार से उन्होंने वहां कब्जा जमाया है, इस पर भी जांच हो कि जो इन्डस्ट्रीज़ बन्द है, उस पर कार्यवाही हो. एक नया विभाग आनन्दम् बना है लेकिन इसमें मैं आपके माध्यम से बताना चाहूँगा कि यह किस प्रकार से है ? इसमें भर्तियां किस प्रकार से हुई हैं ? धन्यवाद
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
श्री कमल पटेल - अनुपस्थित.
श्री शैलेन्द्र जैन - अनुपस्थित.
श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे पहली बार इस सदन में बोलने का अवसर दिया है, इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.वैसे तो मेरे पिता स्व.रेवनाथ चौरे जी इस सदन के सदस्य हुआ करते थे. आदरणीय कमलनाथ जी और रेवनाथ चौरे जी की जोड़ी वर्ष 1980 और 1990 के दशक में जोड़ी नंबर वन कहलाती थी. मेरे पिता के निधन के बाद मेरी माता और उसके बाद मेरे बड़े भाई और चौथे पुत्र के रूप में मुझे इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य मिला है. यद्यपि परिवार में कितने भी सदस्य इस सदन के सदस्य रहे हों पर पाठशाला में जो आता है, उसी को सीखने को मिलता है और निश्चित रूप से मेरा प्रयास यह रहेगा कि मैं इन पांच वर्षों में कुछ अच्छी चीजें ग्रहण करने का प्रयास करूं.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन के माध्यम से हमारे जिले के और हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री, परम आदरणीय कमलनाथ जी को बधाई और धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस विभाग को स्वयं के पास रखा है, क्योंकि उनकी एक दूर दृष्टि थी कि वह इस क्षेत्र में कुछ अग्रणी कार्य करें. वर्ष 1980 और 1990 के दशक में जिस डिजीटल इंडिया की बात माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी करते हैं, जिस स्किल इंडिया की बात आदरणीय मोदी जी करते हैं, वह समय वर्ष 1980 और 1990 का जब दशक था, जब आदरणीय कमलनाथ जी जब छिंदवाड़ा से प्रतिनिधित्व करते थे, तब उन्होंने सौंसर क्षेत्र में पूरे इंडस्ट्रियल एरिया का एक जाल बिछाया है, जिनके माध्यम से और ए.के.वियन के माध्यम रेमंड, पी.बी.एम., पॉलिक, भंसाली और जमाने भर के उद्योग वहां लगे हैं. कहीं न कहीं हजारों युवाओं को उस क्षेत्र में रोजगार मिला है. मुझे यह कहते हुये प्रसन्नता हो रही है कि हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी ने केवल यहीं नहीं उसके बाद जब दस साल केंद्र की सरकार थी, तब भी उन्होंने छिंदवाड़ा जिले के बहुत-बहुत सौगातें दी हैं, फिर चाहे वह औद्योगिक क्षेत्र के मामले में हो, चाहे एफ.डी.डी.आई. का मामला हो, चाहे स्किल डेव्हलपमेंट का मामला हो, अशोका लेलैंड के माध्यम से चाहे वह रोजगार का माध्यम हो, इस प्रकार से जमाने भर के उद्योग और जमाने भर की कंपनिया उनके राज में स्थापित हुई हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे खुशी है कि बी.पी.ओ. के जो कॉल सेंटर खुला करते थे, जिसमें हमारे हजारों युवा रोजगार प्राप्त कर नौकरी कर रहे हैं. पहले हम मुंबई, पुणे और दिल्ली में ही बी.पी.ओ. सेंटर सुनते थे, लेकिन माननीय कमलनाथ जी ने छोटी-छोटी जगह पर छिंदवाड़ा जिले में तीन बड़े बड़े बीपीओ सेंटर खोले हैं.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद आप बैठ जायें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह बोलें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) -- अनुपस्थित.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मुख्यमंत्री जी बोलें.
मुख्यमंत्री (कमलनाथ) -- माननीय अध्यक्ष जी आपकी अनुमति के साथ और सदन की अनुमति के साथ मैं बीच में हस्तक्षेप करना चाहता हूं क्योंकि आज नीति आयोग की एक सब कमेटी जो प्रधानमंत्री ने बनाई है. उस कमेटी के करीब दस मुख्यमंत्री सदस्य हैं और उसमें मुझे चुना गया है कि मैं उन मुख्यमंत्रियों में रहूं, तो यह मध्यप्रदेश के लिये अच्छा है कि मध्यप्रदेश की आवाज नीति आयोग तक भी पहुंचेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हर सदस्य की बात पर चर्चा नहीं करना चाहता हूं लेकिन नेता प्रतिपक्ष जी ने जो कहा था कि आपका नक्शा और दृष्टिकोण क्या है ? मैं केवल सीमित रूप से इसी विषय पर बोलूंगा कि हमारे सामने कौन सी चुनौतियां है ? इसमें कोई राजनीति नहीं है. जब हम उद्योग की बात करें, जब हम औद्योगीकरण की बात करें, जब हम निवेश नीति की बात करें तो वह राजनीति से नहीं जुड़ी है, अगर वह बात जुड़ी है तो मध्यप्रदेश के नौजवानों के भविष्य के साथ जुड़ी है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूं कि नौजवानों के भविष्य की बात ही हमारी सबसे बड़ी चुनौती है.आज के नौजवान और दस बीस साल पहले के नौजवान में बहुत अंतर है. आज के नौजवान में ज्ञान है ,वह इंटरनेट से जुड़ा है. आज के नौजवान में तड़प है. वह कोई ठेका कमीशन नहीं चाहता है, वह तो अपने हाथों को काम चाहता है, या व्यवसाय का मौका चाहता है. (मेजों की थपथपाहट) और यह तभी संभव है जब आर्थिक गतिविधि अपने प्रदेश में बढ़ेगी, यह कैसे बढ़ेगी ? निवेश नीतियां बनी हैं, मैं उस पर नहीं जाना चाहता हूं पर भविष्य में हम कैसी निवेश नीति के बारे में सोच रहे हैं ? हम एक ऐसी निवेश नीति बना दें जो हर क्षेत्र पर लागू हो, यह चल नहीं सकती है, जो गारमेंटस की इंवेस्टमेंट नीति है, जो आई.टी. की इंवेस्टमेंट नीति है, उसमें अंतर तो होगा. हमें इस दृष्टिकोण से निवेश नीति बनानी है तो उससे कितना रोजगार बनता है. कोई कहे कि हम सौ करोड़ रूपये का निवेश लगा रहे हैं और हम सौ लोगों को रोजगार देंगे, उसका स्वागत है. परंतु अगर कोई कहे कि हम सौ करोड़ रूपये का निवेश लगा रहे हैं और पांच सौ लोगों को रोजगार देंगे तो उसका हम और भी ज्यादा स्वागत करते हैं. (मेजों की थपथपाहट) हमें निवेश नीति को ऐसा मोड़ देना पडे़गा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अलग-अलग जिले में अलग-अलग समस्याएं हैं. हमें यह देखना होगा कि यह कौन से जिले में हैं. मध्यप्रदेश के हर जिले में औद्योगीकरण हो और औद्योगीकरण बिना निवेश के नहीं होता है. निवेश एक विश्वास पर आता है. हम सबको मिलकर मध्यप्रदेश में एक ऐसा वातावरण बनाना है कि लोगों को मध्यप्रदेश पर विश्वास हो. आज जब नया जी.एस.टी. रेज़ीम आया, आज जो जी.एस.टी. है अगर इसमें पूरे देश भर में किसी प्रदेश को लाभ हुआ है, तो वह मध्यप्रदेश को हुआ है क्योंकि हम बिल्कुल बीच में है. जी.एस.टी. रेज़ीम से मध्यप्रदेश को लाभ होगा, क्योंकि टैक्स के कारण जो लोग अन्य प्रदेशों में उद्योग लगाते थे, अब उनको मध्यप्रदेश ज्यादा जचेगा. हम इस पर भी अध्ययन कर रहे हैं कि कैसे उद्योग को अट्रेक्ट करें. हम सबको कहें कि जो आये, सो आ जाये यह बात भी नहीं चलने वाली है. हमें लॉजिस्टिकस की बात करना है, हमें इस दृष्टिकोण से देखना है. हमें नये नजरिये से अपनी निवेश नीति और उद्योग नीति को देखना पड़ेगा, केवल औद्योगीरण के लिये नहीं, पर मैं दोहरा रहा हूं यह मध्यप्रदेश का भविष्य है क्योंकि यह नौजवानों का भविष्य है जो नौजवान मध्यप्रदेश का निर्माण करेंगे उनके भविष्य का है. (मेजों की थपथपाहट) अगर नौजवानों का भविष्य सुरक्षित नहीं रहे तो आप और हम यहां बैठने लायक नहीं रहेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे जितना भी समय मिला, 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल की शपथ हुई और सरकार बनी, इसके बाद दो महीने आचार संहिता में, आप जानते हैं कि हम एक महीने लोकसभा चुनाव में लगे रहे. इस प्रकार हमें जितना भी तीन, चार, साढ़े चार महीने, साढ़े तीन महीने का समय मिला, उसमें हमने इस पर काम चालू किया है. यह आलोचना की बात नहीं है, मैं भी वाणिज्य मंत्री रहा हूं पर पिछले पंद्रह साल में अगर हम तुलना करें कि जितना निवेश डोमेस्टिक इंवेस्टमेंट और फॉरेन इंवेस्टमेंट देश में आया और उसका कितना प्रतिशत मध्यप्रदेश में लगा, तो हम सब कुछ बात कहने लायक नहीं रहेंगे क्योंकि उसका बहुत कम प्रतिशत मध्यप्रदेश में आया है. इसके कई कारण थे, जो भी कारण रहे हों, उस पर जाने की आवश्यकता नहीं है, पर उससे हमें सबक सीखना है कि यह कारण थे जहां पर लोग नहीं आते थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सिस्टम में अगर कोई आये और तहसीलदार उसे परेशान कर रहा हो. मेरे पास एक उद्योग लगाने आये थे, वह उद्योग लगा रहे हैं. मैंने उनसे पूछा कि सब ठीक-ठाक चल रहा है तो उन्होंने कहा कि सब ठीक-ठाक चल रहा है आपके कलेक्टर बहुत अच्छे हैं, आपके अधिकारी बहुत अच्छे है. बस हमें पटवारी से बचवा दीजिये, वह पटवारी से दुखी थे. हमें अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना पड़ेगा. इससे भी अट्रेक्शन बनता है. जब तक हम अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं करेंगे, तब तक यहां कोई निवेश लगाने वाला माहौल नहीं बनता है. हमारे अधिकारियों से कर्मचारियों से पटवारी से लेकर ऊपर तक एक माहौल बनता है कि हम आपका स्वागत करते हैं और इसी स्वागत की दृष्टि से भी हमें अपनी कार्य प्रणाली बनानी पडे़गी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी टेक्नोलॉजी की बात हुई, तब मैं सुन रहा था. मेरा सौभाग्य है कि मैं उस समय हाउस में बैठा हुआ था. टेक्नोलॉजी की बात हुई तो यह बात सच है कि हम मध्यप्रदेश में टेक्नोलॉजी का एक केंद्र बना सकते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का केंद्र बना सकते हैं. हम किस प्रकार की टेक्नोलॉजी की बात कर रहे हैं, आज पूरे विश्व में टेक्नोलॉजी में कितना परिवर्तन होता है. एक-एक साल में परिवर्तन हो जाता है. आप अपना फोन जेब में रखिये, आपके पास दो साल पहले जो फोन था, उसमें टेक्नोलॉजी में कितना अंतर आ जाता है. जब तक आप फोन अच्छी तरह चलाना सीखेंगे, एक नया मॉडल आ जायेगा, क्योंकि टेक्नोलॉजी बदल गई होगी. पहले जब आप दस साल पहले टेलीवीजन खरीदते थे, तो उसे आप 3,4,5 साल रखते थे, पर आज जब तक आप उसका रिमोड चलाना सीखते हैं, तब तक एक नया मॉडल आ जाता है. यह टेक्नोलॉजी का परिवर्तन है. हम कौन सी टेक्नालॉजी की ओर जायें. आज सुबह ही मैं बात कर रहा था, चर्चा कर रहा था आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का, आई.टी. सेक्टर की बात करें, आई.टी. की बात बहुत हो गई. आईटी, आईटी, आईटी, एक फैशन बन गया, पर आईटी में भी कौन से सब्जेक्ट में, तो मैंने यह तय किया कि हम इसको आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का केन्द्र बनायेंगे. आज सुबह मैंने टाटा कंसल्टेंसी टीसीएस के चेयरमेन से बात की, खुद उनको फोन लगाकर बात की कि आप आईये, आप नहीं आते तो मैं आता हूं, हम सब मिलकर मध्यप्रदेश को एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का केन्द्र बनायें. बेंगलौर बहुत बन गया, आंध्रा बहुत बन गया, हम मध्यप्रदेश को बनायें, तो टेक्नालॉजी में हम कौन सा रास्ता अपनाना चाहते हैं, यह हमारे सामने चुनौती है और अगर हमने गलती कर ली, अगर हम गलत रास्ते पर चल पड़े, 3 साल बाद यह कहेंगे कि यह तो पुरानी बात हो गई, इसका कोई फायदा नहीं था, तो आज हमारे सामने यह चुनौती है और मैं मानता हूं मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी चुनौती है हमारे नौजवानों की चुनौती. अभी बात की आई.टी. स्किल की, जावद की बात हुई. मैं माननीय साथी सखलेचा जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इतनी दिलचस्पी से उन्होंने जावद के स्कूल और तकनीकी शिक्षा पर इतना ध्यान दिया है, यह बहुत आवश्यक है. हम स्किलिंग की बात करते हैं, प्रशिक्षण की बात करते हैं. कैसा प्रशिक्षण, ऐसा प्रशिक्षण जहां उसे नौकरी न मिले. क्योंकि केवल नंबर गिन लें, 2000 लोगों का प्रशिक्षण हो गया, स्किलिंग हो गई, ट्रेनिंग हो गई. उसमें से दो हजार के दो हजार या उन्नीस सौ बाहर बैठे हैं. यह कौन सी स्किल है, क्या ऐसी स्किलिंग हम चाहते हैं ? हम वह प्रशिक्षण चाहते हैं जहां हम कहें कि 80, 90 या 100 प्रतिशत लोगों को उसके बाद रोजगार मिलता है या वह खुद काम कर सकते हैं. यह कौन से सेक्टर्स हैं, इसका मैंने छिंदवाड़ा में उपयोग किया. सबसे ज्यादा प्रशिक्षण केन्द्र मध्यप्रदेश में नहीं, देश में नहीं, विश्व में यदि कहीं हैं तो छिंदवाड़ा में हैं और मैं आपको आमंत्रित करता हूं आप जाकर देखियेगा और मैं यह नहीं गिनता कि कितने लोगों की ट्रेनिंग हुई, मैं गिनता हूं कितनों को रोजगार मिला, हर महीने मैं रिपोर्ट लेता हूं. ट्रेनिंग हो गई, खर्चा सीएसआर से आ गया या सरकार से आ गया या कहीं से भी आ गया और वह जाकर अपने गांव में, न गांव का रहा न शहर का रहा, यह स्थिति बन जाती है. उस नौजवान की भी पीढ़ा समझिये जो अपना गांव, खेत छोड़कर, वह गांव में कहता है कि अब तो मैं शहर जाऊंगा, मुझे रोजगार मिलेगा और रोजगार तो मिला नहीं, गांव का रहा नहीं, शहर का रहा नहीं उसकी पीढ़ा भी हमें समझनी है. इस प्रशिक्षण को भी हमें एक नया रूप देना पड़ेगा. कैसा प्रशिक्षण, किस प्रकार का जहां उसको रोजगार मिले. जब तक वह न हों, हम गिनती करें, आंकड़े बनायें, बहुत सारे आंकड़े हम आपके सामने पेश कर सकते हैं, कोई भी सरकार हो आपके सामने आंकड़े पेश कर देगी, एक लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया गया, कोई भी सरकार कर देगी, पर कितनों को रोजगार मिला, प्रश्न यह है और यही हमारे सामने चुनौती है कि हम सही स्किलिंग चुने. अगर हमारी ट्रेनिंग गलत हुई, हम इसमें बहुत आगे मार खायेंगे. मुझे नई टेक्नालॉजी में स्टोरेज की बात कही थी कि आज हमारा विंड एनर्जी है, हमारी सोलर है, सोलर दिन की है, विंड कभी कम हो जाती है, कभी ज्यादा हो जाती है, हमारे थर्मल प्लांट हैं. हम स्टोरेज कैसे करें, इस पर मैंने अध्ययन किया. मैं डेवोस में, वर्ल्ड इकॉनामिक फोरम में हर साल लगभग 20 साल से जाता रहा हूं, जब मैं पर्यावरण मंत्री वर्ष 1991 में था, उस समय से मैं जाता था. वहां जाकर मैंने, जब इस समय मैं मुख्यमंत्री बना मैंने कहा मध्यप्रदेश के लिये क्या उचित है, इस पर मैंने अध्ययन किया और एक बात निकली स्टोरेज. स्टोरेज भी बहुत प्रकार के हैं अगर हम दो, तीन सौ मेगावाट की स्टोरेज कर लें तो हमारा सोलर स्टोरेज हो जायेगा. जब हमारा पीक-लोड है वह बेलेंस हो जायेगा स्टोरेज से, पर अभी तो स्टोरेज जब हम बैट्री की बात करते हैं, कार की बैट्री की बात करते हैं, बस की बैट्री की बात करते हैं. हमें तो बात करनी है दो सौ, तीन सौ मेगावाट की. फौरन आकर हमनें विज्ञापन निकाला, विश्व के अखबारों, देश के अखबारों में विज्ञापन निकाला, एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट कि कौन आना चाहता है मध्यप्रदेश में स्टोरेज के लिये. उसका जबाव आने वाला है. मैंने वहां अध्ययन किया कि कौन कर रहा है यह, चीन कर रहा है और अगले 10 दिन में, 10 दिन में नहीं मेरे ख्याल में अगले 5 दिन में. मैंने उस डेलीगेशन को आमंत्रित किया जो चीन की कंपनी है, अमेरिका ने खोली है चीन में, अमेरिका और केनेडा ने मिलकर खोली है, उनकी टीम को आमंत्रित किया है कि आप आईये मध्यप्रदेश में. मैंने कहा कि आप स्टोरेज का करिये और स्टोरेज की बैट्री भी यहां बनाईये, हम आपको पूरी सेवा देंगे, किस चीज की आवश्यकता है, उनको जमीन की आवश्यकता है, किसी चीज की उनको आवश्यकता नहीं है, उनको कोई पैसों की आवश्यकता नहीं है. अगर हम मध्यप्रदेश में यह स्टोरेज कर पाये तब मध्यप्रदेश पूरे देश में इसका लीड ले लेगा. इस प्रकार यह आज हमारा दृष्टिकोण है, नजरिया है और इसमें हम एक दूसरे की आलोचना करें, हो सकता है इसमें आपका दृष्टिकोण कुछ अलग हो, हो सकता है. मैं तो चाहूंगा कि जितने सुझाव कि मध्यप्रदेश में निवेश आये यह कोई विवाद की बात नहीं है, तनाव की बात नहीं है, यह तो हमें मिलकर मध्यप्रदेश के विकास का, मध्यप्रदेश के नौजवानों के भविष्य का एक नया नक्शा बनाना है और मुझे पूरा विश्वास है, मुझे पूरे सदन का सहयोग इसमें मिलेगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मुख्यमंत्री जो को मैं धन्यवाद भी देता हूं और एक अच्छी दृष्टि प्रदेश की औद्योगीकरण के बारे में और नौजवानों को रोजगार देने के मामले में आपने अभी यहां पर प्रस्तुत की. अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी से सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि आपने कहा कि जो विजन, मैं चाहता हूं कि आप एक दृष्टिपत्र इस बारे में लायें और उसके लिये आगे की आपकी क्या योजनायें हैं, आपने बताया यह बेहतर है, यह बेहतर है, यह हो सकता है, यह हो सकता है. चूंकि आप शासन में हैं, आप सरकार हैं, तो यह काम आप ही को करना है, यह काम हम लोगों को नहीं करना. अभी हमारे पूर्व में उद्योग मंत्री जी थे, ओमप्रकाश सखलेचा जी थे, इन्होंने अपने अनुभव के आधार पर अच्छा वक्तव्य दिया था. माननीय मुख्यमंत्री जी सौभाग्य से आज हमारा प्रदेश बिजली के मामले में एक अच्छे उत्पादन वाला प्रदेश है और हम पॉवर जनरेशन भी पर्याप्त कर रहे हैं, हमारे पास में भूमि की कमी नहीं है, हमारे पास में पानी की भी कमी नहीं है, हमारे पास में नौजवानों की भी कमी नहीं है जो काम करने वाले हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर की भी कमी नहीं है सड़कें बहुत बेहतर हो गईं, हवाई सेवायें भी हमारे यहां बेहतर हो रहीं हैं और हो जायेंगी. अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाहता हूं इन सबके बावजूद भी और हम लोगों ने पिछले 10-15 वर्षों में जैसा अभी कहा, हम लोगों ने प्रयास किया तमाम कंपनियां आयें, बाहर भी इनवेस्ट मीट हुईं, हर दो वर्ष के अंतर से हुईं. टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी आईं आप जो बता रहे हैं, टीसीएस भी, इंफोसिस भी हमारे इंदौर में सभी. आपने उनसे बात की अच्छी बात है, लेकिन नारायण मूर्ति जब आये थे उस समय मैं भी गया था. अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाहता हूं आपकी जो दृष्टि है इसके लिये हम किस तरह से आकार दे सकते हैं और किस तरह से हम राज्य हित में इसका उपयोग कर सकते हैं नौजवानों को काम दिलाने के मामले में उपयोग कर सकते हैं, इसके लिये मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूं. बहुत बडे़-बड़े उद्योगों के स्थान पर यदि हम मध्यम और लघु उद्योगों के लिये प्रोत्साहन देंगे तो यह भी एक बहुत बड़ा काम होगा और इसके लिये आप की जो स्टार्टअप और बैंकों से फाइनेंस, पहले बैंकों से फाइनेंस की सुविधा और आपने जो कहा कि सरलीकरण होना चाहिये औद्योगीकरण तो पहले हमने सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया था और उसमें पटवारी से लेकर चीफ सेकेट्री तक का जो भी होती थी, हम लोगों ने किया था. एक बार आप उसकी मॉनीटरिंग कर लें क्या वह सिस्टम व्यवस्थित रूप से चल रहा है यदि चल रहा है तो बेहतर है और यदि नहीं भी चल रहा है तो मैं मानकर चलता हूं जैसा आप खुद सोच रहे हैं कि औद्योगीकरण से लाभ न बीजेपी को होना, न कांग्रेस को होना, न किसी को होना, राज्य के नौजवानों के लिये होना है, बेरोजगारों के लिये होना है. जीडीपी भी बढ़ेगी आपका जीएसटी भी बढ़ेगा सब कुछ बढ़ेगा. मैं यही चाहता हूं कि हम एक तरफ छोटे मध्यम और लघु उद्योग हैं उनको ही प्रोत्साहन दें और बाहर की कोई इंडस्ट्री आती है तो उनका भी स्वागत है और जहां जिस प्रकार की जो कहते हैं न लाल फीताशाही शब्द दे लें या उसको ब्यूरोक्रेसी कह लें, कुछ भी कह लें. इसमें से यदि हमने सारे बेरियर हटा दिये तो निश्चित रूप से जो आपकी मंशा है वह फलीभूत भी हो जायेगी, मूर्त रूप भी ले लेगी इसीलिये मैं चाहता हूं कि एक दृष्टिपत्र निकले. इस बारे में आपने अपना विचार दिया और विस्तारित रूप से इसे और कर लें. हमारी योजना भूमि देने की, पानी देने की, बिजली देने की, तो इससे और पूरा का पूरा साफ हो जायेगा और इसका ग्लोबल एडवर्टाईज हो. पूरी दुनियां में यह बात प्रचारित हो. हमारा प्रदेश शांति का टापू है वे यहां आये. मैं मानकर चलता हूं कि जबसे डाकू उन्मूलन हुआ है और जबसे मध्यप्रदेश में बहुत अच्छी कानून-व्यवस्था है. सभी चीजें हमारे पास है और यदि लोग यहां पर आते हैं तो इससे जो बेरोजगारी की जो स्थिति है उसको हम बहुत कुछ खत्म करने में हम कामयाब होंगे. आपकी सद्इच्छा के लिये आपको धन्यवाद भी देता हूं लेकिन उसके साथ उसको कार्यरूप में कैसे परिणित करेंगे इसके बारे में भी हमारी दृष्टि होनी चाहिये.एक कार्य योजना होनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 11,15, 21, 32, 46, 47, 51 एवं 65 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुये राज्यपाल महोदया को -
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य हुआ तो माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा था कि शेष लोग बाद में बोल लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - हुआ यह है, मैं बता रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव - जो हम लोगों के बीच में कमिटमेंट हुआ था.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बड़े जिज्ञासु हैं. सुन लीजिये. मैं समझ गया लेकिन जिन विषयों पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी दृष्टि डाली चाहे आपकी, चाहे सखलेचा जी की, विषय लगभग उन्होंने पूरा कवर कर लिया..
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय,
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - प्लीज अब आगे बढ़ने दीजिये. विश्वास जी, ऐसा कभी होता है क्या.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, 2 घंटे का समय था.
अध्यक्ष महोदय - एक तो यह आदत बड़ी गंदी हो गई है. जब नेता प्रतिपक्ष खड़े होते हों तो उनको ज्ञान देने के लिये उनके ही और लोग खड़े हो जाते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) - हमारी और नेता प्रतिपक्ष की बात हुई उस बात को अध्यक्ष महोदय तक नहीं पहुंचा पाये. यह सच्चाई है अध्यक्ष जी को नहीं बता पाये.
श्री गोपाल भार्गव - चूंकि सी.एम. साहब को जाना था. आपने बात की तो इस कारण मैंने कहा कि सी.एम. साहब का वक्तव्य हो जाये. वक्तव्य है लेकिन अध्यक्ष महोदय, डिमाण्ड पर चर्चा के लिये मैं आपसे निवेदन करूंगा.
अध्यक्ष महोदय - अब आगे बढ़ गये. विषय का पूरा लब्बोलुवाब आ गया था. मैं तो सोच रहा था कि वह एक बात बोलेंगे लेकिन उन्होंने सभी विभागों के बारे में कुछ न कुछ बोल दिया. अब मेरे को आगे बढ़ने देंगे.. मेरे को आगे बढ़ने देंगे आप लोग.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्य मंत्रणा समिति में जो समय तय हुआ था उससे भी कम समय हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - उससे ज्यादा हो गया. ईमानदारी से साढ़े बारह बजे से ढाई बजे गया.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, सी.एम. साहब को नीति आयोग की बैठक में जाना है वे चले जाएं. डाक्टर साहब आपने कमिटमेंट किया था.
डॉ.गोविन्द सिंह - कमिटमेंट था. वास्तविकता थी. मैंने सभी माननीय मंत्रियों से कह दिया था कि मुख्यमंत्री बीच में अपनी बात कहकर वापस जायेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - मैं सहमत हूं.
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय तक यह बात नहीं पहुंच पाई है तो मेरा आपसे निवेदन है कि आगे जो विषय आ रहे हैं उनमें ज्यादा बुलवा लें. अब गाड़ी आगे बढ़ गई है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी चर्चा हुई थी कि सी.एम. साहब बीच में बोलकर बैठक में चले जायेंगे. इसके बाद में संबंधित मंत्री बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय - एक शर्त रखी जायेगी कि मंत्री जवाब देगा आपमें से एक नहीं टोकेगा. हम मंत्री से जवाब दिलवा दे रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हो गये हैं.
अध्यक्ष महोदय - हम दोबारा पढ़ लेंगे.
गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री (श्री आरिफ अकील) - कार्यवाही आगे हो गई.
अध्यक्ष महोदय - हम दोबारा पढ़ लेंगे. आप जरा धीरज तो रखिये. आप लोग मुझे सुझाव क्यों दे रहे हैं. आप लोग मुझे नियम-कानून सिखायेंगे. मुझे मालूम है मैंने कटौती प्रस्ताव पढ़ दिये. मैं दोबारा पढ़ सकता हूं. आप लोग मुझे मत सिखाईये. बैठ जाईये लेकिन ईमानदारी से गोपाल भाई, आपको सब लोग साक्षी मानकर उनको बोलने दीजिये. आप लोग टोकाटाकी नहीं करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - नहीं करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - 5 नाम दिये थे 5 आये. मैंने 5 नाम का बोला था. 5 नाम दोनों तरफ से पुकारे. 1 निर्दलीय तक का पुकारा. आप 20 नाम दे देंगे मैं नहीं पुकारूंगा. मैं बिल्कुल निवेदन नहीं सुनूंगा. नेता प्रतिपक्ष की सहमति लेने के बाद मैंने यहां निर्देश दिये हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, दो-दो मिनट.
अध्यक्ष महोदय - नहीं बिल्कुल नहीं. मैं फिर पूरा पढ़कर खत्म कर दूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, 12.48 बजे शुरू हुआ था. आप टाईम देख लें.
अध्यक्ष महोदय - मैं पढ़े दे रहा हूं फिर यह. मैं सिर्फ मंत्रियों का जवाब दिलवा सकता हूं. बोलने नहीं दूंगा. मैंने 5 नाम की आपसे प्रार्थना की. मैं निवेदन पर नहीं जाऊंगा अब, मैंने इन सब बातों का ध्यान रखते हुए आप लोगों से प्रार्थना की लेकिन आप बार-बार निवेदन करके ऐसा न करें. आज सुबह भी टाईम बर्बाद हुआ.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, एक-एक मिनट जिनके नाम हैं. उमाकांत जी हैं, हरिशंकर जी हैं. केवल एक-एक मिनट बोलेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो आवंटित समय जो कार्यमंत्रणा समिति में तय हुआ था उस आवंटित समय में भी कटौती होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि इसी तरह चलाना है तो गुलेटिन कर लें. आप कर लें गुलेटिन. ऐसे नहीं चलेगा अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - कार्यमंत्रणा में निर्णय अनुसार पी.डब्लू.डी. को 2 घंटे आवंटित हुए थे लेकिन चर्चा 3 घंटे चली. आपकी गल्ती से मैं बुरा बनूं. ये तरीका नहीं है. मैंने शुरू में निवेदन किया कि आप लोग खामी करें और गल्ती का भोग अध्यक्ष भोगे यह नहीं चलेगा. आपने 5 नाम की बात कही आप क्यों 10 नाम दे रहे हैं. चलिये मैं आगे बढ़ रहा हूं. विराजिये आप.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च,2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुये राज्यपाल महोदया को -
अनुदान संख्या - 11 औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन के लिए
एक हजार, बारह करोड़, सैंतीस हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 15 तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से
संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं
के लिए दो हजार रुपये
अनुदान संख्या - 21 लोक सेवा प्रबंधन के लिए इक्यासी करोड़,
उनतालीस लाख, पचास हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 32 जनसम्पर्क के लिए चार सौ पचास करोड़,सात
लाख, पिचासी हजार रुपये
अनुदान संख्या - 46 विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के लिए दो सौ
छियालीस करोड़, इकहत्तर लाख, बानवे
हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 47 तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार
के लिए एक हजार छह सौ छियासठ करोड़,
छह लाख, तिरासी हजार रुपये
अनुदान संख्या - 51 अध्यात्म के लिए अन्ठानवे करोड़, बत्तीस लाख
अठासी हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 65 विमानन के लिए एक सौ सात करोड़, चौहत्तर
लाख, छियालीस हजार रुपये
अनुदान संख्या - 70 प्रवासी भारतीय के लिए नब्बे लाख, तिरानवे
हजार रुपये, एवं
अनुदान संख्या - 72 आनंद के लिए दो हजार रुपये,
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि सी.एम. साहब की बात थी इसीलिये मैं सहमत हो गया. अब बाकी तो चर्चा होने दें. माननीय सदस्यों को बोलने दें.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाएं. मैं खड़ा हूं. मैं फिर से निवेदन कर रहा हूं. मैंने कृपापूर्वक जब विभाग की मांगों पर चर्चा शुरू हुई तो मैंने अनुरोध कियाथा 5-5 नाम दीजिये. ये दे दें 10 और आप दे दें 12 तो मैं 5-5 नाम ही लूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जनसंपर्क पर चर्चा नहीं हुई. किसी पर चर्चा नहीं हुई.
अध्यक्ष महोदय - आप जो बहस कर रहे हो तो कई मांगों में आपके कटौती प्रस्ताव ही नहीं आये हैं. जिन विषयों की आप बात कर रहे हो.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - जनसंपर्क पर अलग से चर्चा करा लेना.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - सज्जन भईया, ऐसा कभी नहीं हुआ है.
2.20 बजे
(2) मांग संख्या - 23 जल संसाधन
मांग संख्या - 45 लघु सिंचाई निर्माण कार्य
मांग संख्या - 57 जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं.
जल संसाधन मंत्री (श्री हुकुम सिंह कराड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदया की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुए राज्यपाल महोदया को -
मांग संख्या - 23 जल संसाधन के लिए छह हजार सात सौ तेरह करोड़, चौंसठ लाख, सत्तर हजार रुपये,
मांग संख्या - 45 लघु सिंचाई निर्माण कार्य के लिए एक सौ बासठ करोड़, छियासी लाख, उनहत्तर हजार रुपये, एवं
मांग संख्या - 57 जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं के लिए एक हजार रुपये
तक की राशि दी जाय.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - ऐसा कभी नहीं हुआ है सज्जन भैया, तरुण भाई, अनुदान मांगों को ऐसा डिलीट करना कभी नहीं हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यदि इसी तरह से सदन को चलाना है तो हम लोग बाहर जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं. मत जाइए. आप विराजिए. आप शांति से बैठिए. यह प्रस्तुत हो जाने दो, अभी चर्चा करता हूं. मैं गोपाल जी से बात कर लूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जनसंपर्क विभाग पर चर्चा नहीं हुई, बाकी विभागों पर चर्चा नहीं हुई. बहुत महत्वपूर्ण विभाग थे.
अध्यक्ष महोदय - आगे इस पर बोल लीजिए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - यह तो हो गया पास.
श्री गोपाल भार्गव - बहुत महत्वपूर्ण विभाग थे अध्यक्ष महोदय. कोई चर्चा नहीं हुई.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, ऐसा कभी नहीं हुआ. लोक सेवा प्रबंधन, जनसम्पर्क, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, तकनीकी शिक्षा, विमानन, अध्यात्म विभाग रह गया.
अध्यक्ष महोदय - मैं अभी इसके बाद बात कर रहा हूं.
2.23 बजे बहिर्गमन
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इस तरह से यह सदन चलेगा, हम सदन से बहिर्गमन करते हैं. यह अलोकतांत्रिक है, असंसदीय है और यह तानाशाही है, हम बहिर्गमन करते हैं.
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में मांगों पर चर्चा के लिए समय न दिये जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)
2.24 बजे वर्ष 2019-2020 के अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकतः वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
इस मांग संख्या में कोई भी कटौती प्रस्तावित नहीं है.
अब फिर मेरा अनुरोध है मैं अपने नीचे टेबल पर बोलता हूं मैंने 5-5 सदस्यों की बात की है अब फिर यहां पर 18 और यहां से 10 नाम आए हैं. आप लोग ही लम्बी लाइन फैला रहे हैं. मुझे आप कठघरे में खड़ा करते हैं. मैं आप लोगों से कई बार निवेदन कर चुका हूं कि कृपया 5-5 सदस्यों के नाम दीजिए. अन्यथा होगा यह कि आखिरी विभागों की मांग संख्या पर कोई चर्चा नहीं हो पाएगी और कैरिफार्वर्ड हो जाएगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूं कि 5 नाम जो पहले नम्बर पर हों उनको आप ले लें बाकी जो ज्यादा नाम हैं तो उसमें आप कटौती कर दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग ही कांट-छांट कर क्यों नहीं पहुंचाते हैं? मुझे क्यों तकलीफ में डालते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, ऊपर के जो 5 नाम हैं आप जो स्वीकार कर रहे हैं उसके लिए आप सहमति दे रहे हैं तो उतने नाम ले लें.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, 5 नाम कैसे हो सकते हैं ? इतनी बड़ी संख्या है. 5 नाम संभव नहीं हैं. इतनी बड़ी हम लोगों की संख्या है.
अध्यक्ष महोदय - ऐसा है कि घंटों और मिनटों का आवंटन होता है. संख्या है किन्तु उसके बाद आपको भी मालूम है कि रोहाणी जी यहां पर बैठते थे, शर्मा जी यहां पर बैठते थे, जिस दल की जितनी संख्या होती थी उनका टाइम बांटते थे. मैं उस टाइम से ज्यादा टाइम दे रहा हूं. आप मुझे बार-बार कठघरे में खड़ा मत करो.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, मैंने सिर्फ इतना निवेदन किया है कि 5 लोगों में समझौता नहीं हो सकता है. सिर्फ 5 लोग बोले यह कैसे हो सकता है?
अध्यक्ष महोदय - इस विभाग में 45 मिनट आपके पास हैं और 57 मिनट कांग्रेस के पास हैं.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - अध्यक्ष महोदय, जाने के पहले मैं बस एक ही बात कहना चाहता था. मुझे दुःख हुआ जब विपक्ष ने वाकआउट किया. मैं प्रतिपक्ष के नेता से यही कहना चाहूंगा कि आपकी बात सही थी, परन्तु हमारे अध्यक्ष महोदय की बात भी सही थी. कट मोशन्स पर अब एक दफे उन्होंने शुरू कर लिया था, बीच में इसको स्थगित कर देना भी उचित नहीं था. आपकी बात भी सही थी कि जो चर्चा हुई थी कि यह मेरी बात के बाद यह चलती रहेगी, कितना समय हुआ, कितना समय नहीं हुआ इसकी जानकारी में मैं जाना नहीं चाहता कि अध्यक्ष जी ने कहा कि समय भी पूरा हो गया था तो हमारा प्रयास यह रहना चाहिए कि हम एक दूसरे के साथ और अध्यक्ष जी की अंडरस्टेंडिंग से यह सदन चलाएं क्योंकि यह सदन केवल आपका या हमारा नहीं है, पूरे प्रदेश का है. हम पूरे प्रदेश का प्रतिनिधित्व यहां करते हैं. (मेजों की थपथपाहट).. तो इस बात से मुझे तो दुःख हुआ. अंत में जितना अनुभव मुझे है, बहुत दफे हम सहमत नहीं होते, आप सहमत नहीं होते जो अध्यक्ष जी की बात होती है परन्तु अध्यक्ष महोदय की बात का पालन करना यह हमारी परंपरा और नियमों के अनुसार रहता है. (मेजों की थपथपाहट)...
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं लेकिन थोड़ी संसदीय कार्यमंत्री जी से यदि जानकारी हो जाती, मैं इसलिए कहना चाहता हूं कि जो बात हुई, क्योंकि सारे सदस्यों को बोलना था. अब मुझे भी रिस्पांसिबल होना पड़ता है इस कारण से अध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि आपने बोलने का अवसर नहीं दिया. अब फिर अध्यक्ष महोदय समय बर्बाद होगा, नहीं तो फिर मैं डिवीजन की बात करने लगूंगा . मैं नहीं चाहता कि इस प्रकार की कोई स्थिति पैदा हो क्योंकि (XXX) तो फिर हमें मजबूर होना पड़ता है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - यह आरोप गलत है.
श्री गोपाल भार्गव -यह आज हुआ, इसको सज्जन भाई आप स्वीकार करें. मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि कम से कम उन्होंने इस बात को स्वीकार किया.
अध्यक्ष महोदय - जो आसंदी के प्रति बोला गया है...
डॉ. गोविन्द सिंह - एक मिनट माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में हमारी माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से चर्चा हुई थी और हम लोगों की बात हुई थी कि हम सब पूरा भाषण नहीं देंगे, एक दो बिन्दु पर सदन का ध्यान आकर्षित कराकर चूंकि नीति आयोग की ढाई बजे से वीडियो कांफ्रेंसिंग है, इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी को वहां जाना है लेकिन इस बात के लिए मैं क्षमा चाहता हूं कि यह हमारी आपकी बात अपने माननीय मंत्रियों को तो सबको बता दी लेकिन अध्यक्ष जी को मैं इस बात को नहीं बता पाया कि हमारी आपकी बात क्या हो गई है, इसलिए यह गलतफहमी हो गई. अध्यक्ष महोदय ने जो समझा कि नेता और नेता प्रतिपक्ष बोल चुके हैं तो समापन हो गया, यह मैं अपनी भूल स्वीकार करता हूं. हमें विश्वास नहीं था कि यह ऐसा हो जाएगा.
श्री विश्वास सांरग - गोविन्द सिंह जी की साफगोई के लिए धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, अब आप रूठे-रूठे से न रहें.
अध्यक्ष महोदय - मेरे ऊपर जो टिप्पणी की उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. नहीं उसको अंकित रहने दो, मत विलोपित करो.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - मेरा प्रतिपक्ष से अनुरोध है कि आदरणीय अध्यक्ष महोदय को थोड़ा-सा लगा है कि जो टोका-टिप्पणी हुई उस पर आप भी थोड़ा प्रकाश डालें. वैसे बड़े दिल के हमारे अध्यक्ष महोदय हैं. सबको साथ में लेकर चलते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - मैं यह नहीं कह रहा हूं. मैं यह कह रहा हूं कि संवाद और जानकारियों का हो सकता है कि थोड़ा अंतर रहा हो. इस कारण से यह सारी बातें हुईं.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल भाई, ऐसी तो कई दो दिन से व्यवस्थाओं के लिए मैं तैयार होता हूं, लेकिन अंत में आप लोग क्या कर देते हैं. मैं तो यहां (व्यवधान)..नहीं करता हूं. न मैं यह बोलता हूं कि आप लोगों ने यह क्या कर दिया? मैं आप लोगों को सहयोग करता हूं और इसके बाद इतना लम्बा लम्बा चीजें खींच जाती हैं लेकिन कभी मैंने यहां पर बयां नहीं की, जो आज यहां पर बयां की जा रही हैं.
श्री आरिफ अकील - जो अध्यक्ष महोदय के लिए बोला है उसे आप खुद विलोपित करवा दीजिए. आप लोग ही विलोपित करवा दो, आप ही बोल दो. जो अध्यक्ष महोदय के लिए बोला है उसको आप खुद विलोपित करवा दीजिए. आपकी कृपा होगी.
श्री गोपाल भार्गव - मैंने क्या कहा? आसंदी को जानकारी नहीं थी विषय की इस कारण से सारी बातें हो गईं. अब हम इस बात को समाप्त करते हैं. आसंदी के प्रति हमेशा सम्मान रहा है और रहेगा. 40 सालों से मैं सम्मान देता रहा हूं और हमेशा देता रहूंगा.
श्री आरिफ अकील -- आप उनसे निवेदन कर लें कि उसको विलोपित कर दें.
श्री गोपाल भार्गव -- हां, वह तो उनका अधिकार है, कर सकते हैं, अध्यक्ष महोदय जी जो भी बात ऐसी हुई हो तो अध्यक्ष महोदय..
श्री आरिफ अकील -- विलोपित कर दें उसे, मगर यह नहीं कहेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आत्मभाव से आप लोगों का सहयोग करता हूं लेकिन कब किस मोड़ पर कैसी टिप्पणी कर देते हैं, उससे मैं बहुत आत्म रूप से दुखी होता हूं ऐसी टिप्पणी करें ताकि मेरा दिल न दुखे, अभी तो मैं इसको केंसिल कर रहा हूं, इसे विलोपित कर दीजिए, लेकिन स्वमेव सोचिए, एक क्षण में आपने क्या कर दिया, ऐसी टिप्पणी कर दी जो चुभ गई.( एक एक माननीय सदस्य के बैठे बैठे बोलने पर कि दिल से निकाल दें) दिल से क्या क्या निकाल दें.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय के दिल में बहुत बहुत बातें हैं वह नहीं निकालना अध्यक्ष जी आपको मेरी कसम ....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मुझे तो महान कर दो.
डॉ सीतासरन शर्मा ( होशंगाबाद ) -- अध्यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी ने जो मांगे प्रस्तुत की है उनका विरोध करता हूं, कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. अध्यक्ष महोदय जल संसाधन विभाग यह कितना महत्वपूर्ण है यह इस बात से जाहिर होता है कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने इसको अब जल शक्ति कर दिया है और क्यों कर दिया है क्योंकि यह केवल सिंचाई के ही काम नहीं आ रहा है, पेयजल यह भी बांधों से मिल रहा है हमें, उद्योगों को देते हैं, बिजली इससे पैदा होती है तो पूरे प्रदेश के सर्वांगीण विकास और सर्वसुविधा से संबंधित यह विभाग है. किंतु खेद का विषय है, मेरे पास में वित्त मंत्री जी का बजट भाषण रखा है केवल 4 लाइन लिखी गई हैं यह इतना महत्वपूर्ण विभाग है और उस पर कुल 4 लाइन लिखी गई हैं, रूपया घटा दिया है पिछले वर्ष से इस वर्ष आपने रूपया घटा दिया है, इतने महत्वपूर्ण विभाग को जो उद्योग को पानी देता है, जो जनता को पीने का पानी देता है जो खेतों को सिंचाई के लिए पानी देता है, वह बिजली देता है उसका बजट आपने वर्ष ...
2.34 बजे ( उपाध्यक्ष महोदया( सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुई )
...2018-19 से घटा दिया है. सरकार का जो बजट होता है वह उसका विजन होता है 5 माह की बात नहीं है वह साल भर की बात है, जो बजट आपने दिया है वह साल भर का बजट है और वह आपका विजन है. इसलिए आप यह कहकर पीछे नहीं हट सकते हैं कि हमें 5 माह ही हुए हैं, आपको आगे क्या दिख रहा है, आगे आपको यह दिख रहा है कि इस विभाग का बजट कम कर दें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया बड़ी वाह वाही ली वित्त मंत्री जी ने की हमने 145 प्रतिशत कृषि का बजट बढ़ा दिया है और कृषि का आधार क्या है. कृषि का आधार है सिंचाई, सिंचाई का बजट घटा दिया है और कृषि का बजट बढ़ा दिया है और आप इससे किसानों की वाह वाही लूटना चाहते हैं. यह वोट की राजनीति है. उपाध्यक्ष महोदया सिंचाई की कितनी आवश्यकता है 155.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि होती है और 33 लाख हेक्टेयर में हम जल संसाधन विभाग के माध्यम से सिंचाई करते हैं, कितना बड़ा डेफिसिट है अभी और आप बजट घटा रहे हैं. इस प्रदॆश की 69 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर करती है. पूरे देश में जीडीपी के लिए कृषि नीचे रहती है और उद्योग ऊपर रहते हैं, लेकिन सिर्फ मध्यप्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां पर जीडीपी में कृषि का बहुत बड़ा आधार है उसके आधार को आप खत्म करना चाहते हैं, 69 प्रतिशत किसान जिस पर निर्भर हैं. इस बात को शिवराज जी की सरकार ने समझा था.7.5 लाख हेक्टेयर में 2003 के पहले सिंचाई होती थी और अब वह हमने 33 लाख हेक्टेयर पर 15 साल में ला दी है फिर भी पूछते हैं कि 15 साल में क्या किया है. 15 साल में सिंचाई 5 गुना बढ़ा दी है, और अब आप उसको कम करने पर तुले हैं और इसीलिए हमारी कृषि की ग्रोथ 22 और 23 प्रतिशत तक गई है.
उपाध्यक्ष महोदया, आप आगे क्या करने वाले हैं इसका विजन बजट में नहीं दिया है. यह बजट भाषण आप देखें, आप कुछ भी नहीं करना चाहते हैं, या मुख्यमंत्री जी आपको बजट देना नहीं चाहते हैं. माननीय वित्त मंत्री जी ने अपने भाषण में लिखा है कि वर्तमान में 31 वृहद, 57 मध्यम और 441 लघु सिंचाई योजनाएं निर्माणाधीन हैं. इसमें भविष्य का विजन नहीं हैं, यह आप वार्षिक प्रतिवेदन देख लें इसमें भी वही संख्या लिखी हुई है. आप प्रदेश में एक सिंचाई योजना के लिए नहीं सोच रहे हैं, जो पुरानी चल रही हैं उसी को आपने बजट में लिख दिया है. अब आप इस साल सिंचाई के लिए कुछ नहीं करेंगे तो हम क्यों आपके बजट का समर्थन करें. आप तो एक कदम भी आगे नहीं बढ़ना चाहते हैं. एक भी नई योजना नहीं है प्रशासकीय प्रतिवेदन में 481 लिखी हैं और बजट में कुल 441 लिखी हैं पता नहीं 40 इसमें से भी कहां गई हैं.
उपाध्यक्ष महोदय 2018-19 में वर्षा कम हुई है और इस वर्ष भी वर्षा ठीक नहीं है. नदियों में जल भराव कुल 70 प्रतिशत रहा है इसलिए और आवश्यकता है जल संसाधन विभाग को आगे आने की, इस साल भी कोई अच्छे आसार नहीं दिख रहे हैं, इन सबको दृष्टिगत रखते हुए आपको इसका बजट बढ़ाना था, नई योजनाएं लाना था हम जल का संरक्षण कैसे करेंगे. नर्मदा, चंबल, बेतवा, केन, सोन, ताप्ती, बेनगंगा और मोही यह सब नदी वर्षा पर आश्रित हैं किंतु इस जल को कैसे रोका जाय उसकी कोई योजना इस बजट में नहीं है, हिम पर आश्रित हमारी नदियां नहीं हैं कि बर्फ पिघलकर आ जायेगी. वृक्षारोपण की बात भी वन विभाग वाले बतायेंगे, वृक्षारोपण की भी कोई योजना नहीं है वह तो अभी जांच कराने में लगे हैं, काम कराने में नहीं, प्रश्न भी आते हैं तो ऐसे ही आते हैं कितनी नेगेटिव थिकिंग हो गई है आप लोगों की. हमारे राजेन्द्र शुक्ल जी कह रहे थे कि हम लाये हैं तूफान से निकाल के तो सिंचाई 7.5 लाख हेकटेयर से बढ़ाकर 33 लाख हेक्टेयर कर दी थी, कश्ती निकाल कर और इस प्रदेश को रखना मेरे साथियों संभाल कर, लेकिन उपाध्यक्ष महोदय एक पतवार तो उधर मुख्यमंत्री जी के हाथ में है और 28 डुबाने के लिए बैठे हैं तो चलेगी कैसे कश्ती तो डूबने ही वाली है, 28 डुबाने के लिए बैठे हैं और एक खींच रहा है, नहीं चल सकती साहब यह कश्ती तो डूबेगी क्यों इतने परेशान हो रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- जो 2 लाख करोड़ के कर्जे पर लाकर छोड़ा है उस कर्जे से तो निकालने दो हमें...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- उपाध्यक्ष जी, अगर हम इतना घाटा छोड़कर गये हैं तो वचन पत्र में फिर बड़ी बड़ी बातें कहां से पूरी हो जायेंगी. फिर जम्बोजेट वचन पत्र कैसे पूरा होगा, उसकी भी तो चिंता कर लें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- उपाध्यक्ष जी, यही तो दूर द्रष्टि है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- उपाध्यक्ष जी, दो तीन स्वतंत्र प्रभार के अलग घूम रहे हैं, वे अलग अलग इकट्ठे कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप कृपया बैठ जाइये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- उपाध्यक्ष जी, जैसा मैंने अभी कहा कि बांधों के बारे में आगे की कोई योजना नहीं है कि हम वृहद,छोटे,बड़े, मध्यम बांध कोई बनायेंगे, कोई चर्चा नहीं है. बांधों की तो बात कर ही सकते हैं, यदि नहीं बना सकते थे तो. बांधों में सिल्ट जमा हो रही है. आपने उस सिल्ट को हटाने का कोई प्रावधान रखा है. जल भरण सिर्फ रोकने से नहीं होगा. यदि हमको नदियों में भी जल भराव की व्यवस्था करनी है, तो बांधों में जो सिल्ट जमा हो रही है, उस सिल्ट की भी सफाई करना होगी, क्योंकि उसका केचमेंट एरिया कम होता जा रहा है, किन्तु कोई विजन हो, कोई मन में काम करने की इच्छा हो, तो इन सब पर ध्यान दें. चूंकि कोई विजन ही नहीं है, इसलिये हम जल भराव कैसे करें कम वर्षा में भी, उसकी भी कोई योजना नहीं है. थोड़ा पानी होगा, गेट खोलना पड़ेगा, पानी निकल जायेगा. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि इस वर्ष तो यह हो नहीं सकता, क्योंकि बरसात चालू हो गई है. अगले वर्ष सभी बांधों को दिखवायें और सभी बांधों को दिखवाकर के उनमें यदि सिल्ट जमा है, क्योंकि मैं अपने क्षेत्र में जाता हूं, मेरे यहां तवा बांध है. उसमें बहुत सिल्ट जमा हो गई है. मैं पहले भी इस विषय को एक बार उठा चुका हूं, किन्तु इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, उसमें सारणी की राखड़ भी आती है. पर सब बांधों में यही व्यवस्था होगी. बांधों की सुरक्षा के संबंध में आपने कुछ व्यवस्था की है, किन्तु मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि कोई सुरक्षा व्यवस्था किसी बांध की नहीं है. दैनिक वेतन भोगियों से बांधों की सुरक्षा कराई जा रही है. एक सुपरिन्टेन्डेन्ट इंजीनियर थे, वे बता रहे थे, हरदा, हरसूद वाले विधायक जी बैठे हैं कि यदि तवा बांध टूट जाये, तो हरदा के घण्टा घर पर दो पुरुष पानी रहेगा. होशंगाबाद और इटारसी का तो पता ही नहीं चलेगा, किन्तु आप दैनिक वेतन भोगियों से सुरक्षा करवा रहे हैं. कभी एकाध बार आप सब बांधों का दौरा कर लेंगे, तो आपको सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी ठीक से मिल जायेगी. कृपया उसको सुदृढ़ करें और वहां स्थाई कर्मचारी नियुक्त करें,उनकी ड्यूटी नियुक्त करें और उनकी कांस्टेंट मॉनीटरिंग करें. आपने नहरों की लाइनिंग कराई है, पिछली सरकार ने कराई है, अब पता नहीं आप इस काम को आगे बढ़ायेंगे कि नहीं बढ़ायेंगे, ताकि पानी टेल तक जा सके. पानी का नुकसान भी नहीं हो सीपेज से. हमारे जिले में लगभग काम चल रहा है और पूर्ण होने पर है. यह अन्य जगहों की भी कराई जा सकती है, किन्तु इसमें एक समस्या भी आ रही है, उसका कोई वैज्ञानिक समाधान आपको ढूण्डना पड़ेगा. वह समस्या आ रही है कि फिर भूजल का स्तर बांधों से भी ग्राउंड वॉटर लेविल बढ़ता है, किन्दु अब जब आप उसकी लाइनिंग कर देंगे, तो वह ग्राउंट वॉटर लेविल कम हो जायेगा. इसके लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं, लाइनिंग भी जरुरी है. मैं शुरु से इसके पक्ष में रहा हूं, क्योंकि लाइनिंग से टेल तक पानी जाता है. हरदा वाले हमेशा लड़ते हैं और मेरा खुद का क्षेत्र भी टेल पर है, किन्तु भूजल स्तर बढ़े, इसके लिये क्या हम कोई नहर के बीच में होल्स बना सकते हैं या किस प्रकार से, इसलिये मैंने बोला कि उसका वैज्ञानिक परीक्षण कराकर के भूजल स्तर को ठीक कराने की व्यवस्था करें. कृषकों की भागीदारी के लिये सिंचाई पंचायतें आपने बनाईं. एक तो पहले कोई उनको अधिकार नहीं थे. यह सब इसलिये किया गया था, यह पहले की सरकारों में हुआ है, 15 साल पहले आप बिजली मंत्री थे. तो हमारे यहां बिजली चली जाती थी और आपके यहां नहीं जाती थी. मुझे मालूम है. छिन्दवाड़ा और राजगढ़ में भी नहीं जाती थी. बाकी जिलों में जाती थी. अध्यक्ष जी भी उस वक्त थे. यह चुनाव इसलिये करवाते थे, जिससे आम जनता का ध्यान इस पर से हट जाये. सिंचाई पंचायतों को कुछ पावर ही नहीं दिये, पर पावर नहीं दिये, तो थोड़ा बहुत पैसा दे देते थे तो वह साफ सफाई करवा लेते थे. आपने तो बजट में उसके पैसे आधे ही कर दिये. लगभग आधे, नहीं तो आप कहेंगे कि 60 प्रतिशत किये, आधे कहां किये. तो आप चुनी हुई संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं. उनके पावर्स घटा रहे हैं. बजाये इसके कि चुनी हुई संस्थाओं को पावर्स दें, 20-20 साल हो गये उनके चुनाव होते. आप उनके पावर्स घटा रहे हैं, उनका बजट आपने 60 प्रतिशत कर दिया पिछले साल से. उपाध्यक्ष जी, मंत्री जी, एक विधेयक भी ला रहे हैं, जब विधेयक पर चर्चा का अवसर आयेगा, तो चर्चा करेंगे. उसका पुरःस्थापन हो गया है. उसमें भी आप यही कर रहे हैं, चुनाव कराने की बजाये कहते हैं कि कार्यकाल बढ़ा दो. मंत्री जी, मैं आपसे दो तीन बातें पूछना चाहता हूं कि नदियों को जोड़ने की योजना हमारी माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार ने बनाई थी और नर्मदा का पानी क्षिप्रा में लाये थे. उसका आपने भी भरपूर उपयोग किया. महिदपुर में आ गई. नदियों की जोड़ने की योजना के बारे में इसमें क्या प्रावधान है. आपकी कोई योजना है कि नहीं है. वित्त मंत्री जी के बजट भाषण में भी कोई बात नहीं कही गई है. तो आप इस महत्वाकांक्षी, महत्वपूर्ण योजना पर क्या करना चाहते हैं, क्या आप यह बतायेंगे. केन बेतवा लिंक योजना, इसका तो सर्वेक्षण भी प्रारम्भ हो गया था. इसके बारे में आपकी क्या योजना है. मेरा आपसे अनुरोध है कि इससे प्रदेश की बहुत बड़ी समस्याएं हल हो सकती हैं. इन योजनाओं को आप आगे बढ़ायें. अब बस अपने क्षेत्र की समस्याएं बताकर बात समाप्त करुंगा. यह आपने इस बजट में जबलपुर में, क्योंकि वित्त मंत्री जी वहां के हैं, तो कुछ न कुछ जबपुर का तो आना ही चाहिये. दूसरा आता है छिन्दवाड़ा का. छिन्दवाड़ा के लिये आपने सिंचाई काम्पलेक्स की योजना दे दी, धन्यवाद आपको और ग्वारी घाट से तिलवारा की भी आपने योजना दे दी 45 करोड़ की, इसके लिये भी आपको धन्यवाद. हमारे होशंगाबाद जिले में नर्मदा का कटाव क्षेत्र बढ़ता जा रहा है. जल संसाधन विभाग को इसकी व्यवस्था करना चाहिये, ऐसा मेरा आपसे अनुरोध है. उसकी तैयारी हुई है, मेरा आज प्रश्न भी लगा है, उसमें बहुत सी कार्यवाहियां नीचे के स्तर पर हो चुकी हैं. मैं आपको उस प्रश्न की कॉपी भी भेज दूंगा, ताकि आप आगे उसमें कार्यवाही कर सकें. भारत सरकार से भी हम उसमें सहयोग आपको दिलवा सकेंगे. टेल क्षेत्रों में पानी नहीं जाता है. यह मेरे विधान सभा में भी हो रहा है और सब जगह जहां सिंचाई चलती है, वहां होगी. पर वहां का आप टैक्स ले लेते हैं, क्योंकि वह कमाण्ड एरिया में बताते हैं आपके नक्शे. तो या तो पानी दें या तो टैक्स न लें. और पानी दें, तो ज्यादा अच्छा है, टैक्स की बात नहीं है. नदी के किनारे वृक्षारोपण और बांधों के किनारे भी वृक्षारोपण होना चाहिये. इंदिरा गांधी जी ने सड़कों के किनारे भी वृक्षारोपण कराया था, कमलेश्वर पटेल साहब कह रहे थे कि अच्छी बात भी बताना चाहिये या और कोई कह रहे थे. वह विजयलक्ष्मी साधौ जी कह रही थीं. इंदिरा गांधी जी ने नहरों के किनारे भी वृक्षारोपण कराया था और सड़कों के किनारे भी वृक्षारोपण कराया था. ..
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्य बड़ी अच्छी बात कह रहे हैं और वृक्षारोपण संजय गांधी जी के टाइम में पूरे देश में हुए थे. सड़क के किनारे हुए थे और वे पेड़ आज दिखाई देते हैं, पर ऐसे पेड़ नहीं लगाये नर्मदा जी के किनारे कि 500 करोड़ रुपये खर्चा कर दिया और उन पेड़ों का कहीं पता ही नहीं है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- हम तो अच्छी बात कर रहे हैं. आपके पास तो कोई योजना ही नहीं है. हमने मेहनत तो की और देख लेना, जांच करा लेना.
श्री कमलेश्वर पटेल -- जांच होगी.
..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया बैठ जायें. मंत्री जी, कृपया बैठ जाइये.डॉ. सीतासरन शर्मा जी, कृपया आप समाप्त करिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- उपाध्यक्ष जी, ये ऐसे लोग हैं, जो गांधी परिवार की तारीफ भी नहीं सुनना चाह रहे हैं. अब इनका करें क्या, सिवाय कमलनाथ जी के किसी की तारीफ मत करना भैया यहां.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया समाप्त करें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- गांधी परिवार की तारीफ कर रहे हैं तो भी उनको पीड़ा हो रही है. गजब कर रहे हैं साहब तो. गजब कर रहे हैं, इस्तीफा ही मंजूर कर लो.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया समाप्त करें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- उपाध्यक्ष महोदया, एक आखिरी बात करूंगा, वृक्षारोपण नदी के किनारे भी कराया, रिपेरियन जोन में भी और साथ में ...
कुँवर विजय शाह -- उपाध्यक्ष जी, ऐसे लोगों के कारण इनके अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया.
उपाध्यक्ष महोदया -- बैठ जाएं, कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सीतासरन शर्मा जी इस तरह से गांधी परिवार की प्रशंसा करते हुए बहुत अच्छे लग रहे हैं, उनको बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- तो आप टोक क्यों रहे हैं फिर ?
श्री कमलेश्वर पटेल -- नहीं, रोक नहीं रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आप टोक रहे हैं...(व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया -- मंत्री जी, कृपया बैठ जाइये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आप विवाद बना रहे हैं. ...(व्यवधान) ...
श्री विश्वास सारंग -- कमलेश्वर पटेल जी को केवल अजय सिंह जी की तारीफ अच्छी लगती है और किसी की नहीं.
उपाध्यक्ष महोदया -- विश्वास जी, कृपया बैठ जाइये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- उपाध्यक्ष जी, आखिरी बात, माननीय मंत्री जी, मोरंड-गंजाल, इस बांध की स्वीकृति हो गई है, लेकिन टेण्डर नहीं हो रहे हैं, कृपा करके इसको पर्सनली देख लें.
उपाध्यक्ष महोदया, जो मैंने कारण गिनाए हैं, उन कारणों के आधार पर मैं इन अनुदान की मांगों का विरोध करता हूँ. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूँ कि जो विषय मैंने उनको दिए हैं, उन पर वे विचार करेंगे.
श्री जितु पटवारी -- आदरणीय उपाध्यक्ष जी, पहली बार हमने यहां बैठे हमारे पूर्व अध्यक्ष जी को, आसंदी के संरक्षक को गांधी परिवार की तारीफ करते सुना, पर गांधी परिवार की जो तारीफ वे कर रहे थे, मुझे शंका हुई कि आप कैसे गांधी परिवार की तारीफ कर सकते हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- हम सही बात बोलते हैं, वहां बैठकर भी सही बात बोलते थे और यहां बैठकर भी सही बोल रहे हैं. ...(व्यवधान) ...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- पर विषय यह आ गया कि उनको ठीक नहीं लगा और उन्होंने काट कर दी.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं 25 वृहद, 39 मध्यम तथा 441 लघु निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं के साथ मांग संख्या 23, मांग संख्या 45 तथा मांग संख्या 57 की मांगों का समर्थन करता हूँ. जल संसाधन विभाग पर जो बात अभी हमारे पूर्व अध्यक्ष जी ने कही, बड़ी अच्छी बातें उन्होंने रखीं कि इन्होंने सिंचित एरिया 7 लाख हेक्टेयर से लगभग 33 लाख हेक्टेयर तक करने का काम किया. पर उसमें जल संसाधन विभाग की कितनी भागीदारी है, वर्ष 2003 में 17 प्रतिशत सिंचाई नहरों से होती थी, वही 17 प्रतिशत की परियोजनाएं आज तक हैं और लगभग 67 प्रतिशत सिंचाई कुँओं आदि पर निर्भर थी, वही आज भी है. माननीय मंत्री जी के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, क्योंकि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए हमारी वृहद सोच है कि किस प्रकार से ...(व्यवधान) ...
श्री भारत सिंह कुशवाह -- कुणाल जी, कुँओं में पानी ही नहीं है. आप गलत कह रहे थे कि कुँओं के माध्यम से सिंचाई होती है.
उपाध्यक्ष महोदया -- भारत जी, कृपया बैठ जाएं.
श्री कुणाल चौधरी -- उपाध्यक्ष जी, मैं वही तो कह रहा हूँ, मैं चुनौतियों पर ही आ रहा हूँ. मैं कहा रहा था कि किस प्रकार से सिंचाई की व्यवस्था कर दी थी, किस प्रकार से डैम बनाते थे, एक तरफ चंबल, एक तरफ मां नर्मदा और कई नदियां बहती हैं, उस प्रदेश में जनता सूखी है. जनता प्यासी है और यहां पर न तो सिंचाई की व्यवस्था की गई है और पैसे की भी बात करूंगा कि क्यों कम किए गए और कितना खर्चा करके किस प्रकार से लूट सको तो लूट योजना पिछले 15 सालों में चलाई गई है. हमें चुनौतियां हैं, बहुत बड़ी चुनौतियां हैं कि कैसे खेती को लाभ का धंधा बनाएं क्योंकि बातें पिछले 15 सालों से बहुत चल रही हैं कि खेती लाभ का धंधा बने. ...(व्यवधान) ...
श्री आशीष गोविंद शर्मा -- कुणाल भाई, खेती लाभ का धंधा बन चुका है, डॉ. मनमोहन सिंह ने कृषि कर्मण पुरस्कार बार-बार दिया है. ...(व्यवधान) ...
श्री कुणाल चौधरी -- तभी तो आपके पाप का कर्जा चढ़ा हुआ है और हम उतार रहे हैं. आपने पाप कर करके गलत नीतियों से किसान पर कर्जा चढ़ाया. ...(व्यवधान) ...
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू -- भावान्तर योजना का पैसा तो दिलवा दो. ...(व्यवधान) ...
श्री कुणाल चौधरी -- देकर क्यों नहीं गए. ...(व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया बैठ जाइये माधव जी, ऐसे आमने-सामने बात नहीं करें. कुणाल जी आप अपनी बात जारी रखिए.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं यही बात कर रहा हूँ कि बड़ी चुनौतियां माननीय मंत्री जी के सामने हैं कि जो वर्ष 2004-05 में कैसे सिंचाई 17 प्रतिशत नहरों के माध्यम से थी, आज भी 15 सालों के बाद भी वह 17 प्रतिशत पर ही है. हम तब तक खेती को लाभ का धंधा नहीं बना सकते, जब तक 50 प्रतिशत सिंचाई की व्यवस्था नहरों से नहीं कर सकते और कहीं न कहीं उसका महत्वपूर्ण योगदान यह भी रहेगा कि उसके माध्यम से कुँओं का वाटर लेवल भी बढ़ेगा. आज बड़ी समस्या है कि पूरे मालवा और पूरे चंबल में 800 से 1000 फिट तक नलकूपों का भूजल स्तर नीचे जा चुका है. लगातार जिस प्रकार की समस्या है, उसी से पार पाने के लिए हमारे धीर-गंभीर नेता के रूप में, एक मंत्री के रूप में जिनकी सोच है और गंभीरता है और उन्हीं के माध्यम से वृहद योजनाओं की विस्तृत तैयारी की गई है. जो बात अभी हो रही थी कि बजट कम है तो बजट में पहले लूट सको तो लूट योजना चलती थी, क्योंकि पूर्व सरकार में रिस्ट्रक्चरिंग प्रोजेक्ट बनाने के नाम पर लगभग 250 हजार करोड़ रुपये की 654 परियोजनाएं ... ...(व्यवधान) ...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- लूट सको तो लूट क्या है, बड़े-बड़े डैम बनाए हैं उस समय. ...(व्यवधान) ...
श्री कुणाल चौधरी -- मैं वही तो बता रहा हूँ कि कैसे लूटा. ...(व्यवधान) ...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- पूरे प्रदेश में जल स्तर ... ...(व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया -- परिहार जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री कुणाल चौधरी -- आपने इसे 33 लाख किया, हम इसे 5 साल में 65 लाख हेक्टेयर कर देंगे, चिंता मत करो. ...(व्यवधान) ...
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- आप आलू से सोना बनाओ. ...(व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया -- शर्मा जी, कृपया बैठ जाइये. कुणाल जी, आप उनकी बातों का जवाब मत दीजिए. आप अपनी बात करिए.
श्री कुणाल चौधरी -- चिंता मत करो, उठक-बैठक मत करो. मैं बोल रहा हूँ, नया व्यक्ति हूँ साहब, इतना मत डराओ, धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा बोलना सीख रहा हूँ, आप तो डराने लगते हो.
उपाध्यक्ष महोदया -- कुणाल जी, आप आसंदी की तरफ देखकर बात करिए.
श्री कुणाल चौधरी -- उपाध्यक्ष जी, जैसे ही घोटालों की बात करो, कैमरे की बात करो तो ये उठक-बैठक लगाने लगते हैं. जैसे ही घटिया मोबाइल की बात करो, जिसकी भी बात करो, (XXX) ये उठक-बैठक करने लगते हैं. मैं डरने वाला नहीं हूँ. यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष भी हूँ, यह मैं इनको बता दूँ, इन्होंने मुझे बहुत जेल भेज दिया, बहुत केस लगा दिए. ...(व्यवधान) ...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अभी तो आप कह रहे थे कि डराओ मत और अभी आप कह रहे हो मैं डरने वाला नहीं हूँ.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- डरने, डराने की बात मत करो, आप तो अच्छा बोलो.
उपाध्यक्ष महोदया -- यशपाल जी, कृपया बैठ जाएं. परिहार जी, कृपया बैठ जाएं. कुणाल जी, आप अपनी बात जारी रखो.
श्री कुणाल चौधरी -- मैं डरने वाला ही नहीं हूँ, चिंता मत करो. हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी हैं.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- उन्हें बोलने दीजिए, प्लीज.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बड़ा एक महत्वपूर्ण विषय है. नई चीजों के क्रियान्वयन में पिछली सरकार ने जो गलतियां कीं, जिन गलत नीतियों के कारण आज मध्यप्रदेश का वाटर लेवल इतना गिरा, जिनके कारण हमारी सिंचाई परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाईं, और जिनके कारण हम लोगों की, किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरनी थी, आज वह नहीं सुधर पाई. उसके ऊपर विचार करके, चिंतन करके वृहद नई परियोजनाओं के साथ, नए वीजन के साथ आए हैं. हमारा एक वीजन है कि कैसे हम लोग नए काम करेंगे क्योंकि पिछली सरकार को 18 बड़े डैम, 300 छोटे डैम बनाना था और इनको बनाने से मध्यप्रदेश की जनता को पीने का पानी भी मिलता. सिंचाई के लिए भी पानी मिलता, पर उसमें कैसे लूट सकें और उनको खत्म करके कहीं न कहीं नई परियोजनाओं को बढ़ाने की जगह कर्जा तो ये लेते गए. कर्जा जो पहले 20 हजार करोड़ रुपये था, उसे लगभग पौने 2 लाख करोड़ पहुँचा दिया, पर बात करते रहे कि कृषि को लाभ का धंधा बनाएंगे और उस धंधे के माध्यम से खेती और किसानों को कर्जदार बनाने का काम इन्होंने किया. ये चुनौती है कि इन्होंने ढाई सौ हजार करोड़ रुपये लगाकर 654 परियोजनाओं को आधुनिकता का ... ...(व्यवधान) ...
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू -- कुणाल जी, मण्डी के आंकड़े उठाकर देखो.
उपाध्यक्ष महोदया -- अनिरूद्ध जी, कृपया बैठ जाइये. कुणाल जी, आप आसंद की तरफ देखकर बात करिए.
श्री कुणाल चौधरी -- ये आंकड़ों की बाजीगरी कर गए, कृषि कर्मण पुरस्कार ले गए और 20 हजार किसान मर गए. ये आंकड़े ही तो समझ नहीं आ रहे, ये आंकड़े लाते कहां से हैं. आंकड़ों का ही तो खेल कर दिया. ...(व्यवधान) ...उपाध्यक्ष जी, मैं छोटे से गांव का व्यक्ति हूँ, मुझे ज्यादा आंकड़े समझ में नहीं आते, पर ये समझ में आता है कि 20 हजार किसानों ने आत्महत्याएं कीं. ...(व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया (अनेक माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) -- सभी माननीय सदस्य बैठ जाएं. यह बात ठीक नहीं है. कुणाल जी, आप आसंदी की तरफ देखकर बात करिए.
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX) उसके पाई-पाई का हिसाब हम लेकर रहेंगे. ...(व्यवधान) ... मैं वही तो कह रहा हूँ कि कितनी गलत नीति थी कि ढाई सौ हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया. 654 परियोजनाएं लीं और उसमें से मात्र 228 का पुनरुद्धार कर पाए. इन नीतियों से सबक लेने की जरूरत है. 500 प्रतिशत राशि चंबल के कछार में लगा दी और दूसरी परियोजनाओं में आधी से ज्यादा कम कर दी. अगर किसी परियोजना को 500 प्रतिशत तक बढ़ाना पड़ रहा है तो इसका मतलब उसमें किस प्रकार से (XXX) हुई, इस बात को समझने की जरूरत है.
उपाध्यक्ष महोदया -- यह शब्द विलोपित कर दें.
श्री कुणाल चौधरी -- उपाध्यक्ष महोदया, कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है. 5 बार कृषि कर्मण अवार्ड इन्होंने लिया और उसके बावजूद भी जिस प्रकार से किसान की हालत है, यह जो सिंचाई परियोजनायें पूरी नहीं कर पाये, जल संसाधन विभाग ठीक से काम नहीं कर पाया और मैं यह नहीं कह रहा हूं, यह 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष कह रहे हैं कि मात्र 17 प्रतिशत जो सिंचाई होती थी, 15 साल में भी वही 17 प्रतिशत सिंचाई होती है. हमारा लक्ष्य है कि हम कैसे इसे 40 से 50 प्रतिशत तक लेकर जायें. यह बार-बार कहते हैं कि इन्होंने 7 लाख से 35 लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित किया. इन्होंने 15 साल में सिर्फ 26 लाख हैक्टेयर बढ़ाया है. हम, अगले 5 साल के अंदर 35 लाख को डबल करके लगभग 65 लाख हैक्टेयर भूमि को सिंचित करने का काम करेंगे और जो जल स्तर गिरता जा रहा है, जो चेन्नई की हालत हुई है, वह मध्यप्रदेश की नहीं होगी. जो 800 से 1,000 फिट पानी नीचे जा चुका है, उसे अगली बार हम 500 फिट तक लाने का काम करेंगे. हमारी सोच है, माननीय मंत्री जी की सोच है, मैं, उनको भी धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने माइक्रो सिंचाई परियोजनाओं का विचार किया. जहां कहीं ऊपर के गॉंवों में नहरों से पानी नहीं पहुंच सकता, उनको माइक्रो सिंचाई परियोजना के माध्यम से ऊपर पहुंचाने का काम किया है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि डगर कठिन है, रास्ता कठिन है, क्योंकि जिस प्रकार के हालात में यह प्रदेश को छोड़कर गये हैं, जिस प्रकार से लूटकर गये हैं, आपको बड़ी ताकत के साथ काम करना होगा.
उपाध्यक्ष जी, आप देख रही हैं, मैं अपने आखिरी शेर के माध्यम से बात खत्म करूंगा. दुष्यंत कुमार कहते थे कि ''कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो जरा उछालो तबियत से यारो'' और माननीय मंत्री जी, यह आपकी सोच, माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की सोच और अनुभव के माध्यम से इस प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था को हम बेहतर बनायेंगे और इसी सोच के लिये मैं, इन अनुदान मांगों का समर्थन करता हूं कि हम 65 लाख हैक्टेयर तक जमीन को सिंचित करें और 40 से 50 प्रतिशत तक उसके अंदर नहरों से काम करें. मुझे बोलने का मौका दिया, धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री जालम सिंह पटेल ''मुन्ना भैया'' (नरसिंहपुर) - उपाध्यक्ष महोदया, मैं, मांग संख्या 23, 45, 57 का विरोध करता हूं और उसका कारण है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने जल संसाधन विभाग का जो बजट है और जो परियोजनाएं हैं, उसमें उन्होंने लगातार कटौती की हैं. हम सभी जानते हैं कि बिना पानी के जीव-जंतु, पेड़-पौधे जीवित नहीं रह सकते. मगर जिस प्रकार से जल की आज हालत है, प्रदूषित जल है और इस प्रकार से जितने हमारे नदी, नाले हैं, जल के कु-प्रबंधन के कारण या तो सूख रहे हैं या उन्होंने गटर का रूप ले लिया है. जल के जो स्त्रोत हैं, वह लगभग समाप्ति की ओर हैं. इस पर हमको जरूर विचार करना चाहिये. मैं, ऐसा मानता हूं कि हमारे जो पूर्वज थे, वह हमसे ज्यादा ज्ञानी हुआ करते थे. पहले बहुत सारे तालाब हुआ करते थे. चाहे वह सरकारी तालाब हो, लगानी तालाब हो, सारे के सारे तालाब वर्षा के पानी में भरते थे और तालाब की एक अलग रचना हुआ करती थी. आज की अगर हम बात करें, तो जितने भी लगानी तालाब हैं, सरकारी तालाब हैं, उनमें लगातार अतिक्रमण हो गया है. कालोनी बन गईं या सरकारी बिल्डिंग बन गईं और लगानी तालाबों को लोग जोतने लगे.
उपाध्यक्ष महोदया, अगर हमारे गोटेगांव की बात करें, तो उसमें एक लगानी तालाब हुआ करता था. पिछले कार्यकाल में जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, वहां पर कॉलेज की बिल्डिंग बन गई. अब, आज वह पूरा भर जाता है. वहां की बिल्डिंग गिर रही हैं. इस प्रकार से कु-प्रबंधन हुआ है, उसके कारण तालाबों की आज स्थिति बिगड़ी है. तालाब से बहुत सारे रोजगार भी मिलते थे. हमारे बहुत सारे मछुआरे भाई, उस वर्ग के कहार, उस तालाब की संरचना में सहभागी भी होते थे. उनकी मेढ़ों पर बहुत सारे झाड़-पेड़ लगते थे, उसके कारण भी लोगों को रोजगार मिलता था. मगर लगातार उसमें कमी आ रही है. आरोप-प्रत्यारोप तो बहुत सारे लगाये जा सकते हैं. आप सामने बैठे हैं, हम यहां बैठै हैं, हम अपनी बात कहेंगे, आप आलोचना करेंगे, मगर जल का संकट जिस प्रकार से है, मॉं नर्मदा जी की अगर हम बात करें, तो नरसिंहपुर जिला मॉं नर्मदा जी के किनारे पर है और नरसिंहपुर, जबलपुर, होशंगाबाद, रायसेन जिले की जो उपजाऊ भूमि है, काली मिट्टी है, वहां राजा परमार ने कभी एक बंधान प्रणाली का शुभारम्भ किया था. बड़े-बड़े खेत हुआ करते थे, बंधान होते थे, पानी वहां इकट्ठा होता था और वाटर रीचार्ज थे, छोटे-छोटे झिरना नर्मदा जी तक जाते थे. अब वहां सारे के सारे बंधान समाप्त हैं, क्योंकि सोयाबीन महराज आ गये. सोयाबीन में हमने सारे खेत बराबर कर दिये. फिर हमारे यहां गन्ना होने लगा. इस प्रकार से जो बंधान प्रणाली थी, वह लगभग समाप्ति की ओर है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि अभी सिंचाई की योजनाओं की बात चल रही थी. माननीय सदस्य बड़ी तेज आवाज़ में अपनी बात शेर-ओ- शायरी के माध्यम से कर रहे थे. आलोचनाओं से ज्यादा कुछ होने वाला नहीं है. मैं, आंकड़ों के रूप में आपको बताना चाहता हूं कि वर्ष 2003 में जब आपकी सरकार हुआ करती थी और 15 वर्ष के बाद की अगर हम बात करें, तो जल संसाधन का बजट 584.72 करोड़ हुआ करता था, मगर जब हमारी सरकार 2018-19 में गई, हमारा जल संसाधन का बजट 644.22 करोड़ हुआ करता था. इसमें 35 करोड़ का बजट हमने बढ़ाया है. इस वर्ष की अगर हम बात करें, तो पिछले वर्ष की तुलना में आपकी सरकार में कई योजनाओं में कमी आई है. आपकी सरकार ने सिंचाई बढ़ाने के लिये कोई अतिरिक्त बजट का प्रावधान नहीं किया है. हमारी सरकार में 2018-19 के बजट में गैर आदिवासी क्षेत्र की 33 योजनाओं को सम्मिलित किया था, लेकिन आपकी सरकार ने इसी बजट में मात्र 23 योजनाएं सम्मिलित की हैं. पिछले वर्ष के बजट से आप मिलाकर देख सकते हैं. हमारी सरकार में 24,191 लाख के बजट का प्रावधान किया गया था, आपकी सरकार ने मात्र 13,733 लाख मात्र का प्रावधान किया है. यह अंतर है. पिछले वर्ष की तुलना में आपने 10,458 लाख कम बजट का प्रावधान किया है. दूसरा, आदिवासियों के कारण आपकी सरकार बनी. आदिवासी क्षेत्र में हमारी सरकार ने वर्ष 2018-19 में जो बजट था, 37 योजनायें प्रस्तावित की थीं, लेकिन आपकी सरकार ने इस वर्ष मात्र 6 योजनायें इसमें सम्मिलित की हैं. आपकी मांग संख्या में यह जानकारी है. इस प्रकार से अगर हम पैसे की बात करें, तो हमारी सरकार ने 29,073 लाख का प्रावधान रखा था, लेकिन आपकी सरकार ने मात्र 18,776 लाख का मात्र प्रावधान रखा है. मैं, यह बात इसलिये कह रहा हूं कि बड़ी-बड़ी बातें आपके द्वारा की जा रही हैं, आपके सदस्यों द्वारा की जा रही हैं, बहुत सारी जानकारियां उनको नहीं हैं, इसके बाद भी बहुत बड़ी-बड़ी, कई प्रकार की बातें की जाती हैं. नहरों की अगर हम बात करें तो नहरों में बहुत से झाड़-झंकाड़ उग आते हैं उसमें भी भारी भ्रष्टाचार होता है. अगर जल प्रबंधन होता है तो अपने आप बहुत सारी समस्याएं ठीक हो सकती हैं. साफ-सफाई के लिये आपने बजट में कोई राशि का प्रावधान नहीं किया है. आप अपना वचन पत्र पढ़ लें, आपने अपने वचन पत्र में मैंने बहुत सारे प्रश्न विधान सभा में लगाये हैं, वचन पत्र की कोई जानकारी सही नहीं दी जा रही है. आपके वचन में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करेंगे, हर खेत तक पानी पहुंचायेंगे, लेकिन सिंचाई सुविधाओं के लिये आपने कोई बजट नहीं दिया है. कैसे पानी हर खेत तक पहुंच जायेगा ? सिंचाई की दरों को नहीं बढ़ने देंगे, इस तरह अनेक प्रकार के वचन दिये हैं. मैं, दावे के साथ कह सकता हूं कि जिस प्रकार से आपकी सरकार काम कर रही है कहीं से कहीं तक जल की व्यवस्था आप नहीं कर सकते और जो हमारा बरसाती पानी है, उसको रोकने की कोई योजनाएं नहीं हैं. अभी हमारे माननीय सदस्य कह रहे थे कि हमने कुछ नहीं किया. यह हमारी सरकार का, पिछले वर्ष का जल संसाधन विभाग का जो प्रशासनिक वित्त प्रतिवेदन है उसको अच्छे से सुन लें या पढ़ लें, अगर ज्ञान नहीं है तो जरूर पढ़ें कि हमने जो बहुत सारी योजनायें भबद्ध सागर परियोजना, वीरपुर तालाब परियोजना, चंदिया तालाब परियोजना, चंदौरा परियोजना, चौरल परियोजना, देपालपुर तालाब परियोजना, डोंकरीखेड़ा परियोजना, गांगी सागर परियोजना, हथाईखेड़ा परियोजना, कांचन तालाब परियोजना, काका साहब गाडगिल सागर परियोजना, कलियासोत परियोजना, केरवा बाँध परियोजना, कुण्डा तालाब परियोजना, माही परियोजना, मंसूर वारी तालाब परियोजना, भटिया परियोजना, नंदवारा तालाब परियोजना, पीपल्या कुमार तालाब परियोजना, राजघाट परियोजना, रेतम बैराज, रुबलम तालाब परियोजना, रूपनिहाल तालाब परियोजना, टिल्ला परियोजना, बीरसागर परियोजनाएँ. इसके अलावा और बहुत सारी ऐसी परियोजनाएँ हैं जो हमारी पूर्ण हो चुकी थी, उनसे सिंचाई भी हो रही थी. मैं यह बात इसलिए कह रहा हूँ कि आपको जानकारी होना चाहिए. लंबी-लंबी बातें करने से मध्यप्रदेश की समस्याओं का कोई हल नहीं निकल सकता है इसलिए आप से मेरा विनम्र निवेदन है कि अगर हम सबको मध्यप्रदेश का भला सोचना है, इसका विकास करना है, तो कृषि पर जरूर ध्यान देना पड़ेगा और यह तभी हो सकता है जब हम सिंचाई के साधन बढ़ाएँगे.
उपाध्यक्ष महोदया, अभी कृषि कर्मण पुरस्कार पर हमारे एक माननीय सदस्य अपनी बात कह रहे थे कि वह नकली या फर्जी मिल गया है. आपकी सरकार ने दिया और चार-चार बार फर्जी नहीं मिल सकता.
उपाध्यक्ष महोदया-- जालम सिंह जी, कृपया समाप्त करें.
श्री जालम सिंह पटेल “मुन्ना भैय्या”-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का मौका दिया. मैं अपनी बात समाप्त कर रहा हूँ. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया-- धन्यवाद.
श्री निलय विनोद डागा (बैतूल)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मांग संख्या 23, 45 और 57, जल संसाधन, लघु सिंचाई निर्माण कार्य, जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएँ, का मैं समर्थन करता हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जल ही जीवन है, यह हम हर जगह पढ़ते हैं, दीवारों पर, कागजों पर एवं अनेक जगह लिखा मिलता है. लेकिन क्या हम जल के मामले में इतने जागरूक हैं कि नहीं हैं? यह सबसे बड़ा सवाल है. आज हमारे प्रदेश में कुछ जिलों में तो जल स्तर अच्छा है. लेकिन ज्यादातर जिलों में हमारा जल स्तर नीचे जाते जा रहा है. पाँच सौ, हजार, फिट के ट्यूबवेल खोदे जा रहे हैं. फिर भी हमें पानी नहीं मिल पा रहा है. हम जल जमीन में से निकालते तो जा रहे हैं, लेकिन जमीन को हम वापस नहीं दे रहे हैं. आपको मैं बताना चाहूँगा कि हमारा प्रदेश, बारिश में जितना पानी होता है, सिर्फ 5 परसेंट पानी ही हम आज तक रोकने में सफल हो पाए हैं. यह आँकड़े वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनायजेशन के हैं, मेरे नहीं हैं. माननीय सदस्यगण अभी बोल रहे थे कि इतनी परियोजनाएँ हमने कीं, तो हम 5 परसेंट से 6 परसेंट पर तो पहुँच गए होते तो ही हमारी उपलब्धि रहती. आज हम बड़े-बड़े डेम बनाने की बात करते हैं, हम बड़ी-बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ बनाने की योजना बनाते हैं लेकिन कभी हम इस तरफ नहीं सोचते हैं कि ये इतनी बड़ी-बड़ी परियोजना हम जब बनाने की सोचते हैं तो इसमें खेती की जमीन डूबती है और इसके कारण आपकी खेती का रकबा साल-दर-साल कम होते जा रहा है. हमारे पास इसका दूसरा रास्ता भी है. पहले नदियों और नालों के बीच में स्टाप डेम बनाए जाते थे, छोटे-छोटे से बनाते थे, जिसमें 2 महीने भी पानी नहीं रुकता था और वह सूख जाता था. आज ये स्टाप डेम, जिसके अन्दर पटियाएँ लगाई जाती थीं, जब पजहर का पानी बारिश के बाद आता था तो उन पटियाओं को लगाने का काम पंचायतों का रहता था कि उस पानी को रोका जाए. लेकिन विगत कई सालों से वे स्टाप डेम की पटियाएँ, उनके गेट बन्द नहीं किए जाते और पानी बहकर चला जाता है. हमारा उद्देश्य यह रहना चाहिए कि हम भूजल स्तर कैसे बढ़ाएँगे और उसके लिए महाराष्ट्र में शिरपुर गाँव है जहाँ पर एक पहल की गई, उसमें यह पहल की गई कि हर गाँव, हर शहर और हर कस्बे के, जो हमारे बसे हुए हैं, वह आपको मालूम होना चाहिए कि कोई छोटी नदी, बड़ी नदी की जो ब्रांच रहती है, उसके बाजू में या नाले के बाजू में, ये गाँव बसाए गए हैं. ये पिछले कई साल पहले जो बसे हैं. यह हमारे पुराने लोगों की बुद्धिमानी थी, जो नदी-नालों के बाजू में गाँव बसाए गए. हमें जरुरत है कि वह शिरपुर पैटर्न बैराज को अपनाया जाए. इसको मैं विस्तार में आप लोगों को बताऊँगा कि यह कैसे बनाया जाता है. इसको 20 फिट गहरा किया जाता है, एक दीवार खड़ी की जाती है, जिसको बैराज बोलते हैं, उस दीवार के सहारे पानी रोका जाता है और उससे 15 फिट छोड़कर, उस नदी को या नाले को खोदकर, काटकर 60 फिट चौड़ा कराया जाता है और 20 फिट गहरा कराया जाता है और कम से कम 1500-1800 फिट लंबा किया जाता है, यह खुदाई और चौड़ाई, तो आपको बता दूँ कि 20 फिट गहरा, 7 मीटर, 60 फिट चौड़ा, 20 मीटर और 500 मीटर लंबा जब हम इसको खोदते हैं, 500 मीटर लंबा जब यह रहता है, तो 70,000 क्यूबिक मीटर पानी इसके अन्दर आता है और 70000 क्यूबिक मीटर को जब आप मल्टीप्लाय करेंगे 1000 से, 1 क्यूबिक मीटर में 1000 लीटर पानी आता है. 7 करोड़ लीटर पानी एक बैराज में आता है और ये साल में बारिश होने के बाद चार बार यह भराता है जो पजहर का पानी खेतों से बह कर आता है तो आप यह समझिए कि एक बैराज से 28 करोड़ लीटर पानी हम जमीन को दे रहे हैं. जो हमने जमीन से निकाला है उसको वापस हमको जमीन को देने का इससे अच्छा कोई रास्ता नहीं है. दूसरी चीज, जो 30-40 साल पुराने डेम हो चुके हैं, जिनके अन्दर खेतों से सिल्ट बहकर आई है, खेतों से जो पानी बहकर आता है, जिसके साथ मिट्टी, उस खेत से बहकर आकर उन डेमों में जमा हो गई है. हमारा यह लक्ष्य होना चाहिए कि हम उन डेमों की सफाई के लिए, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि उन डेमों की सफाई के लिए, एक स्पेशल बजट बनाया जाए न कि जनभागीदारी के सहयोग से कराई जाए बल्कि टेण्डर निकाल कर सफाई कराई जाए क्योंकि यदि जनभागीदारी में अगर जनता उसे साफ करेगी और जो डेम की सामने की वॉल है अगर उसके पडल को जे.सी.बी. से मार दिया गया तो वह डेम फूट जाएगा और जितनी सिल्ट जमी हुई है, सिर्फ उतनी ही सिल्ट निकालने की परमीशन दी जाए. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि ऐसी योजना आप लाएँ. ताकि हमारा भूजल स्तर बढ़ सके साथ में जो पुराने डेम, जिनकी नहरें मिट्टी की बनाई गई थीं, आज वे नहरें फूट रही हैं. किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुँच पा रहा है. या तो उनको सीमेंट की लाइनिंग कराई जाए ताकि जो 20 से 30 परसेंट पानी बह जा रहा है, किसान के उपयोग में नहीं आ रहा है, वह उनको मिल सके और अगर यह नहीं हो सकता है तो उन पुरानी परियोजनाओं में ऊँचे टावर बनाकर पानी ऊपर लिफ्ट करके और पाइप लाइन से पानी हर हैक्टेयर में, 2 इंच का अगर वॉल्व दिया जाए और उससे अगर सिंचाई के लिए स्प्रिक्लर सिस्टम से किसान को प्रोत्साहित किया जाए तो हमारा पानी बच सकता है. यह बड़ा गंभीर विषय है और हम सबको, सामने बैठे हुए लोगों को भी, हमारे साथी गणों को भी और सरकार में हम लोग हैं, हमें इसको गंभीरता पूर्वक सोचना पडे़गा क्योंकि पानी के बगैर न उद्योग आएँगे, न खेती बढ़ेगी, न रोजगार मिलेगा. यह बड़ा गंभीर विषय है. हमें इस पर सोचना बहुत जरूरी है. उपाध्यक्ष जी मेरी तरफ देख रही हैं, मैं अपना वक्तव्य दो लाइन बोलकर बन्द करूँगा. जब महाभारत का युद्ध हुआ था तो कृष्ण भगवान ने अर्जुन से कहा था कि हमारा शरीर पाँच महाभूत से बना हुआ है और उसमें 70 परसेंट पानी है, आग, हवा और धरती जो मिट्टी है, हमारा शरीर मिट्टी का बना हुआ है और आकाश, जिससे रोशनी आती है तथा इसके बाद 5 पदार्थ, 5 कर्मेन्द्रियाँ, 5 ज्ञानेन्द्रियाँ, 3 गुण और उसके बाद परमात्मा का अंश जिसको आत्मा बोलते हैं. इन सब के बाद भी हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी है तो इस पानी का महत्व समझना बहुत जरुरी है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
3.21 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के द्वितीय प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
3.22 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगो पर मतदान..(क्रमश:)
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह (पन्ना)-- उपाध्यक्ष महोदया, जल संसाधन विभाग से संबंधित जो मांग की गई है उसके विरोध में मैं खड़ा हुआ हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, मैंने वित्त मंत्री के भाषण में यह सुना था कि मध्यप्रदेश में नदियों की जो सम्पदा प्राकृतिक रुप से मिली है वह एक उपहार स्वरुप है. मैं मानता हूँ कि 8-8 नदियाँ यहां पर हैं उनका यहीं से उद्गम स्थल है. इसके बारे में आदरणीय शर्मा जी ने भी कहा था. मध्यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता में से 70 प्रतिशत कृषक हैं जिसमें से 52 प्रतिशत लघु और सीमांत कृषक हैं. हमारी नदियों के बहाव का हम कुल 75 प्रतिशत तक जल एकत्र कर रहे हैं. इस 75 प्रतिशत में से 81500 एमसीएम पानी हम एकत्र कर रहे हैं उसमें से मध्यप्रदेश सिर्फ 56800 एमसीएम पानी उपयोग कर रहा है. इसका आधा 24700 एमसीएम पानी आप दूसरे राज्यों को दे रहे हैं. कृषि योग्य जमीन 155.25 लाख हेक्टयर है जिसमें से मात्र 35 लाख हेक्टयर जमीन सिंचित हो रही है. मेरा कहना है कि जो अन्तर्राज्यीय एग्रीमेंट हैं जिसके तहत आप अपनी नदियों का पानी दूसरे राज्यों को दे रहे हैं. हमारी खुद की जमीन प्यासी है, हम खुद प्यासे हैं और हम हमारे यहां का पानी दूसरे प्रदेशों को दे रहे हैं. अपनी जमीन को हम सिंचित नहीं कर रहे हैं. ऐसे जो एग्रीमेंट है इनको रिवाइज करना चाहिए. यह आदम जमाने के एग्रीमेंट चले आ रहे हैं. हम इस बात से खुश हैं कि हम साढ़े सात लाख से 33 लाख हेक्टयर पर चले गए हैं. एक सदस्य बोल रहे थे कि अगले पांच साल में टार्गेट 65 लाख हेक्टयर का है. मैं तो यहीं पर प्रश्न चिह्न लगाने वाला हूँ कि 15 साल में 33 लाख हेक्टयर और 5 साल में 65 लाख हेक्टयर, संभव है क्या ? सदन के अन्दर इस प्रकार की बातें नहीं करना चाहिए. मंत्री जी ने भी लिखा है कि 5 साल में हमारा टार्गेट 65 लाख हेक्टयर का है. आपके प्रशासकीय पत्र में 65 लाख का टार्गेट दिया हुआ है. मेरा यह कहना है कि इस पर विचार करें. यदि 65 लाख का है तो कहीं-न-कहीं 60 लाख तक लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पूर्व में काम किया होगा. पुरानी योजनाएं चल रही हैं, उसमें भी आप 5 लाख बढ़ा रहे हैं इसके लिए भी मैं आपको धन्यवाद दे रहा हूँ. अभी डागा जी बोल रहे थे कि हमारे प्रदेश का जो पानी है उसको कैसे रोका जाए. आज हम अपने प्रदेश का पानी दूसरे प्रदेशों को दे रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूँगा कि आपके विभाग का लक्ष्य है कि 45 लाख हेक्टयर भूमि सिंचित करेंगे जिसे जल संसाधन विभाग करेगा इसके अलावा अन्य सोर्स से आप करने वाले हैं. मैं भी मेरे विधान सभा क्षेत्र में इस तरह के एग्रीमेंट का भुक्तभोगी हूँ. मेरे अलावा छतरपुर जिले के खजुराहो, राजनगर के विधायक जी भी बैठे हुए हैं यह भी भुक्तभोगी हैं. बरिहारपुर डेम का सिंगल पेज एग्रीमेंट है जो दिनांक 31.1.1977 को तत्कालीन मुख्यमंत्रियों श्री एन.डी.तिवारी और श्री श्यामाचरण शुक्ल जी के बीच में हुआ था. इस एग्रीमेंट में 37 टीएमसी पानी देने की बात कही गई है. हमें उसमें कोई कंडीशन ही नजर नहीं आ रही है कि जमीन हमारी, पानी हमारा. खरीफ और रबी की फसल मिलाकर तीन साढ़े तीन लाख हेक्टयर भूमि सिंचित करने के लिए हम उत्तर प्रदेश से बंधे हुए हैं. इस तरह के एग्रीमेंट चल रहे हैं. मझगाय डेम की बात आपने की है इसकी लागत है 35899 लाख रुपए है. इस पर आप 22773 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं. मझगाय डेम में आपने 196 लाख की जल निगम के माध्यम से पाइप लाइन भी बिछा दी है. इस डेम में पानी आना चालू नहीं हुआ है और जल निगम की पाइप लाइन भी बिछ गई. मेरा आपसे आग्रह है कि मझगाय डेम में पानी कैसे आएगा, पहले इस पर विचार हुआ है क्या ? यह डेम नहीं बनने वाला है आपने इस पर इतना पैसा खर्च कर दिया है, आपकी एक किलोमीटर की केनॉल पर उत्तर प्रदेश का आधिपत्य है. वे उसको खोदने नहीं दे रहे हैं. आपके पीएस लिख रहे हैं कि आप उसको अतिक्रमित कर लें. आप मझगाय डेम से 196 लाख रुपए की जल निगम की योजना के द्वारा उससे 118 गांवों में पानी ले जाने वाले हैं, इसी से रकबा सिंचित करने वाले हैं. जो एक किलोमीटर का विवाद है जिसके लिए उत्तर प्रदेश परमीशन नहीं दे रहा है जो हमारी जमीन है उसको आप खोद क्यों नहीं पा रहे हैं. हम या तो ऐसी एग्रीमेंट खत्म करें. रनगुआं का, बेतवा का पानी आप उत्तर प्रदेश ले जा रहे हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि आप इस तरह के एग्रीमेंट पर विचार करें. जो हमारे यहां के स्त्रोत हैं उनको आप कंजर करें यदि हमने इस पानी को बचा लिया तो जो जमीन हमारी बची हुई है वह पूरी सिंचित हो जाएगी आपको कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव (विदिशा)-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 23, 45, 57 का समर्थन करता हूं. जैसा कि मेरे पूर्व वक्ताओं ने बताया और पूरा देश इस बात को जानता है कि आज प्रत्येक इंसान को पानी की अति महती आवश्यकता है और उसको संरक्षित करने के लिए हमको और हमारी सरकार को आगे आना चाहिए. इसके लिए हमारी सरकार ने जो कदम उठाए हैं वह राज्य में बेहतर भूमि जल प्रबंधन हेतु वृहद एवं मध्यम परियोजनओं के अधीन स्वच्छ क्षेत्र में निर्मित क्षमता से अधिकतम उपयोग के लिए आयुक्त कमांड क्षेत्र संचालन का गठन किया गया है. संचालनालय के अंतर्गत 13 वृहद एवं 10 मध्यम परियोजना के माध्यम से 10.377 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित है जिसमें से 6.928 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वॉटर पोर्स एवं वॉटर फील्ड चेनल का निर्माण दिनांक 31.03.2019 तक पूर्ण किया गया था. मैं जल संसाधन विभाग को इस कार्य के लिए बधाई देता हूं और यह प्रार्थना करता हूं कि पानी को संरक्षित करने के लिए कमांड एरिया बढ़ाने के लिए हम जो चेनल फील्ड कोर्स बना रहे हैं वह एक बहुत ही अच्छा काम है और उसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए. मैं मंत्री जी के सामने विदिशा विधान सभा क्षेत्र के बारे में भी कुछ बात रखना चाहता हूं. विदिशा जिले में पानी की कमी को देखते हुए मकोडि़या डेम जो कि रायसेन जिले में बेतवा नदी पर प्रस्तावित है उसे स्वीकृत कर कार्य प्रारंभ कराया जावे. इस डेम के निर्माण के पश्चात् हमारी जो बीना रिफायनरी है उसको भी हम पानी दे सकेंगे ऐसा मेरा प्रस्ताव है और अगर बेतवा नदी के ऊपर यह डेम बनता है तो गंजबासौदा, कुरवाई एवं बेतवा नदी जिस रास्ते से जाती है तमाम जगह पीने के पानी की और सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. इसलिए मैं मंत्री जी से इस बारे में निवेदन करता हूं कि इस डेम का तुरंत सर्वे करवाकर कार्य प्रारंभ कराया जाए. प्रस्तावित डेम में विदिशा विधान सभा क्षेत्र के दरगंवा और अमरोही तालाब भी आता है. उसका भी सर्वे हो चुका है, रिपोर्ट आ चुकी है और दरगंवा डेम के लिए तो भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही भी प्रारंभ है लेकिन अभी वहां पर राशि नहीं पहुंची है जिसकी वजह से वह कार्य रुका हुआ है. हमारे पड़ोसी जिले रायसेन में प्रस्तावित जल योजना हैदरी और जमनिया डेम है. दोनों डेमों को यदि बनाया जाता है तो इससे विदिशा और रायसेन जिले को लाभ मिलेगा और वहां पर जो हमारा पूरा प्राकृतिक स्त्रोत है वह हम सिंचित कर सकेंगे जिससे कि आगे आने वाले समय में करीब 25 हजार हेक्टेयर सिंचाई की सुविधा विदिशा जिले को और 10 हजार हेक्टेयर सिंचाई की सुविधा रायसेन जिले को प्राप्त होगी. मेरा मंत्री जी को सुझाव है कि मध्यप्रदेश में निर्मित नहरों में दोनों ओर जो रिक्त भूमि पड़ी है उससे हमें पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए और दोनों तरफ पेड़ लगाना चाहिए यह मेरा आपसे निवेदन है. जो निर्माणाधीन डेम हैं और जो निर्मित डेम हैं उनमें सिंचाई सुविधा को बढ़ाने के लिए कमांड एरिया को बढ़ाने के लिए हमको माइक्रोएरीगेशन सिस्टम पर ध्यान देना चाहिए. हमारे जो डेम बन चुके हैं उसमें भी यदि हम माइक्रोस्प्रिंकलर सिस्टम लगा सकते हैं तो उससे हमारा कमांड एरिया भी बढे़गा, पानी की भी बचत होगी और हम अधिक से अधिक किसान भाइयों को पानी दे सकेंगे. हलाली डेम को प्रत्येक वर्ष भरने के लिए एक महती योजना है वह मैं आपके सामने रख रहा हूं. पार्वती नदी है वह अपर स्ट्रीम में बहती है. अगर हम उस पर एक छोटा सा डेम बनाकर पार्वती नदी का पानी हलाली डेम में लेकर आते हैं तो हलाली डेम प्रत्येक वर्ष पूरी तरह से भर जाएगा और उसकी ऊंचाई बढ़ाकर हम और ज्यादा किसानों को लाभ दे सकेंगे. छोटे स्टॉप डेम को भी प्राथमिकता पर बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए. विदिशा जिले का एक मामला है. शमशाबाद विधान सभा के संजय सागर डेम पर सगर डेमों का कमाण्ड क्षेत्र बढ़ाने के लिए तिलातिली मरखेड़ा, भूपेर, नेवली, जोगी, परपौधा, जाठौदा, नोनियाखेड़ी, यह सब ग्राम सड़क परियोजना के अंतर्गत आते हैं इन पर नहरों का काम कई वर्षों से पूरा नहीं हुआ है इन्हें तुरंत कराया जाए. संजय सागर बांध के कुछ ग्राम भी छूट गए हैं. नानकपुर, बरौना, महुआखेड़ा, पिपरिया, ताजी, खेजड़ा आदि ग्राम भी कमांड एरिया के अंतर्गत आते हैं लेकिन नहरों का निर्माण नहीं हुआ है. मुझे बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि पिछले पंद्रह वर्षों में सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए हमारे स्थानीय मंत्री और हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कोई ध्यान नहीं दिया है. कांग्रेस के समय में जो सिंचाई सुविधा उपलब्ध थी वही सुविधा आज भी उपलब्ध है. अभी हमारे कुछ भाई बोल रहे थे कि हमने यह कर दिया, वह कर दिया लेकिन विदिशा जिला पूर्व मुख्यमंत्री जी की गृह स्थली थी वहां के लिए भी कुछ नहीं किया. आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद.
श्री भारत सिंह कुशवाह (ग्वालियर ग्रामीण)-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 23 एवं 45 पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. यदि काम करने वाले की नीयत ठीक हो तो नीति भी अच्छी बन सकती है और नीति अच्छी बनती है नीति सफल कैसे हो यदि अच्छे मन से कोई काम करे तो वह नीति भी सफल होती है. अच्छी नीयत का परिणाम यह है कि अगर सरकार की नीयत अच्छी न होती तो मां नर्मदा का पानी क्षिप्रा में नहीं पहुंचता. अगर शिवराज सरकार की अच्छी नीयत न होती तो छिंदवाड़ा में खुरी डेम न बना होता. अगर अच्छी नीति न होती, अच्छा मन न होता तो हर्सी हाई लेवल का पानी ग्वालियर और भिण्ड के अंतिम छोर तक नहीं पहुंचता. सरकार अच्छे मन से सारे काम करती है तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है. जैसा अन्य सदस्यों ने कहा कि वर्ष 2003 के पहले मध्यप्रदेश की सिंचाई का रकबा कितना था और आज कितना है. मैं विस्तार से न कहते हुए अपनी बात इसलिए और मजबूती के साथ रख रहा हूं क्योंकि एक कहावत है कि सांच को कोई आंच नहीं होती. सच्चाई से, ईमानदारी से इस मध्यप्रदेश के किसान के बारे में यदि किसी सरकार ने सोचा था तो भारतीय जनता पार्टी की, शिवराज जी की सरकार ने सोचा था.
उपाध्यक्ष महोदया-- भारत जी समय कम है आपके कोई सुझाव हों तो आप दे दीजिए.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं तैयारी करके आया हूं अगर दो, तीन मिनट भी नहीं मिले तो फिर क्या अर्थ रहेगा.
उपाध्यक्ष महोदया-- आपके दो मिनट हो चुके हैं कोई सुझाव हों तो आप दे दीजिए.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- उपाध्यक्ष महोदया, मुझे विपक्ष में पहली बार बोलने का मौका मिला है.
उपाध्यक्ष महोदया--हमने आपको कल भी सुना था.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- उपाध्यक्ष महोदया, मैं निवेदन करना चाहूंगा कि जिस प्रकार से प्रदेश का जो सिंचाई का रकबा बढ़ा है वह इसलिए बढ़ा है कि शिवराज जी किसान के बेटे थे और किसान का दर्द वह ठीक प्रकार से समझते थे. आज मुझे खुशी इस बात की है और मैं इतना कहूंगा कि वह किसान के बेटे थे और उन्होंने किसान के बारे में सोचा. आज सदन के अंदर वर्तमान में जो जल संसाधन मंत्री जी हैं वह भी किसान हैं. हम सभी को और मुझे भी यह उम्मीद है कि पूर्व की सरकार द्वारा जो भी कार्य स्वीकृत किए गए हैं और जो कार्य चल रहे हैं उन कामों को तीव्र गति से पूरा किया जाए. यह पूरे प्रदेश के किसान के हित की बात है. मैं अपने क्षेत्र की एक दो बातों को कहना चाहूंगा मेरे क्षेत्र में एक बीरपुर बांध है और मेरे ही क्षेत्र में नहीं प्रवीण पाठक जी भी यहां बैठे हैं उनके भी क्षेत्र में उस डेम के बनने से दोनों विधान सभा के क्षेत्र के लोगों को, स्थानीय निवासियों को लाभ मिलेगा. एक पैसाली कैनाल है उसका प्रस्ताव शासन में बहुत दिनों से विचाराधीन है अगर वह कैनाल बन जाती है तो निश्चित रूप से बीरपुर बांध भरेगा. मेरा अनुरोध यह भी है कि मेरे क्षेत्र के दो बहुत ही महत्वपूर्ण तालाब हैं उनका जीर्णोद्धार और गहरीकरण काफी वर्षों से नहीं हुआ है यदि उन दोनों तालाबों का गहरीकरण, जीर्णोद्धार कराया जाता है. जिसमें से एक जखारा तालाब है और दूसरा पारसेन तालाब का गहरीकरण और मरम्मत होने से निश्चित रूप से आस-पास के किसानों को काफी लाभ मिलेगा. इसके अतिरिक्त मेरा यह निवेदन है कि मेरे क्षेत्र में साख नदी पर वर्ष 2018-19 में एक रपटा स्वीकृत हुआ था. उसका आज तक टेण्डर नहीं हुआ है. यदि वह टेण्डर हो जाएगा तो वहां के किसानों को पर्याप्त पानी मिलेगा और साथ ही सरकार के लिए मेरा एक महत्वपूर्ण सुझाव है कि बहुत बड़ी-बड़ी नहरें बनाई गई हैं लेकिन जब गांव के खेतों में पानी देने की बात आती है तो परेशानी होती है इसलिए वहां जो जल उपभोक्ता समिति बनाई गई हैं उनके कार्यों की समीक्षा कम से कम वर्ष में दो बार होनी चाहिए. जल उपभोक्ता समिति के कार्यों की समीक्षा इसलिए होनी चाहिए क्योंकि नहरों के माध्यम से जो बरये बनते हैं, वे ठीक प्रकार से बनें और किसानों के खेतों तक पानी पहुंचे. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव)- उपाध्यक्ष महोदया, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में बनी, हमारी मध्यप्रदेश की सरकार केवल कुछ ही माह होने के बावजूद बड़ी प्रतिबद्धता के साथ, बड़े संकल्प के साथ मध्यप्रदेश के विकास के लिए आगे कदम बढ़ा रही है और इन कदमों को आगे बढ़ाने में हमारे माननीय मंत्री जी द्वारा भी इतने कम समय में बहुत-सी परियोजनाओं की स्वीकृति दी और उन्होंने इसे बजट में शामिल किया है, यह बहुत ही सराहनीय कदम है. हमारे वचन-पत्र में किसानों के प्रति पूरे पांच वर्षों के लिए जो संकल्प लिया गया था कि 65 लाख हेक्टेयर भूमि पर मध्यप्रदेश के किसानों को पानी उपलब्ध करवाया जायेगा किंतु माननीय मंत्री जी ने पहले ही बजट में 45 लाख हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य निर्धारित किया है और उसमें काम करना भी प्रारंभ कर दिया है. उपाध्यक्ष महोदया, मैं मानती हूं कि छ: माह की अवधि में 57 हजार करोड़ रूपये की लागत की 37 सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की गई है जो कि बहुत बड़ा सराहनीय कदम है.
उपाध्यक्ष महोदया, हम सभी जानते हैं कि पूरे मध्यप्रदेश के लगभग 80 प्रतिशत किसान खेती से जुड़े हुए हैं और खेती पानी के बिना संभव नहीं है. आज हम जो स्थिति देख रहे हैं, वर्षा की कमी से सबसे अधिक नुकसान यदि किसी को होता है तो किसानों को होता है. इस नुकसान से बचने के लिए यदि कोई प्रमुख माध्यम है तो वह माध्यम तालाब हैं. इसके अलावा हमारी एक बड़ी कमी यह रही है कि हमारे यहां भू-जल स्तर गिरता जा रहा है. हम पेयजल के लिए नलकूपों का खनन करते हैं तो हमें 700-800 फीट तक खनन करना पड़ता है और इसकी एक वजह यह है कि हमारे द्वारा पानी का संरक्षण नहीं किया गया, तालाबों का निर्माण नहीं किया गया. यदि ऐसा ही चलता रहा तो आगे आने वाले दिनों में हमारे सम्मुख बहुत ही भयावह स्थिति का निर्माण हो जायेगा. इसे ध्यान में रखते हुए माननीय मंत्री जी ने सिंचाई परियोजनाओं को शामिल किया है.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगी कि मेरे क्षेत्र में पिछली बार चुनावों के तुरंत पश्चात् सरकार के बनते ही मैंने 6 तालाबों (बोरवाल तालाब, धुपा बुजुर्ग तालाब, मलगांव तालाब, कुड़ी तालाब, मीटावल तालाब और बेड़छा तालाब) की साध्यता के लिए आपको लिखित में दिया था. हमने पिछले छ: माह में पूरी तैयारी के साथ इनकी साध्यता के लिए आपके समक्ष भेजा है. यदि इन तालाबों के लिए आपके द्वारा स्वीकृति प्राप्त होगी तो निश्चित रूप से मेरे क्षेत्र में चहुंमुखी विकास होगा. इसके अतिरिक्त मेरा एक और निवेदन है कि हमारे जो पुराने 32 तालाब हैं, उनके गहरीकरण के अभाव में वहां जल का भराव बहुत कम हो गया है. गहरीकरण का कार्य या तो सरकार के द्वारा किया जाये अथवा इसके लिए किसानों को स्वीकृति एवं अनुमति प्रदान की जाये. जिससे किसान उस उपजाऊ मिट्टी को निकालकर अपने खेतों में डालकर फायदा ले सकें. आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 23, 45 और 57 का विरोध करते हुए मैं अपनी बात यहां रखना चाहता हूं. हमारे वित्त मंत्री जी के बजट भाषण में लिखा हुआ है कि प्रदेश में 31 वृह्द परियोजनायें, 57 मध्यम परियोजनायें और 441 लघु परियोजनायें हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या ये सभी योजनायें भाजपा शासन के दौरान माननीय शिवराज सिंह जी द्वारा बनाई गई योजनायें हैं ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं अपने क्षेत्र की बात यहां पहले रखना चाहता हूं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार में माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना, 2100 करोड़ रूपये की बनाई गई थी और महाकाल की नगरी उज्जैन में प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल में सिंहस्थ का महापर्व आता है. इस हेतु नर्मदा जी का पानी क्षिप्रा जी में डाला जाता है. महापर्व में आए अधिकांश लोगों ने क्षिप्रा नदी के इसी पानी से स्नान किया. आप लोगों में से कई लोगों ने भी उसमें स्नान किया होगा. मेरा यह सौभाग्य है कि इस नदी का पानी लगातार 30 किलोमीटर दूर जाकर मेरी महिदपुर विधान सभा में भी आता है. माननीय मंत्री जी, मैं आपको अवगत करवाना चाहता हूं कि वर्षा हो या न हो क्षिप्रा नदी हमेशा बहती रहती है. 15 दिन या माह में एक बार पानी जब उज्जैन से छोड़ा जाता है तो वह पानी बहकर महिदपुर से बहते हुए आगे आलोट तक जाता है. लगभग 58 किलोमीटर मोक्षदायिनी क्षिप्रा महिदपुर में बहती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आपसे आग्रह है कि पूर्व में मेरे क्षेत्र में कालीसिंध नदी पर 100 करोड़ से अधिक की राशि के एक बांध का लगभग 80 प्रतिशत कार्य हो चुका है और यह एक महत्वपूर्ण योजना है जो कि वल्लभ भवन में लंबित है. इस योजना को बनाने के लिए सरकार द्वारा बहुत खर्च किया गया है लेकिन बार-बार इस योजना को पैसे के अभाव में हटा दिया जाता है. साधिकार समिति की बैठक जब भी हो तो मेरे क्षेत्र की इस योजना जिसका नाम बड़ी हरबाखेड़ी बांध है, आप कृपया इसका ध्यान रखें. माननीय मंत्री जी, आप मालवा के हैं, मेरे पड़ोस के जिले के हैं और एक किसान हैं इसलिए आप इस योजना पर अवश्य ध्यान दें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव सरकार को देना चाहता हूं. आप चाहें तो अगली बार मेरा कुछ समय काट लीजियेगा. मैं कहना चाहता हूं कि जहां पानी है वहां कृषि योग्य भूमि नहीं है, जहां कृषि योग्य भूमि है वहां पानी नहीं है और जहां कृषि योग्य भूमि एवं पानी दोनों है वहां बिजली नहीं है. मेरा यह आग्रह है कि आप जहां कहीं भी कोई नई योजना बनायें तो पहले कृषि विभाग से प्रमाण-पत्र लें कि वहां कृषि योग्य भूमि है अथवा नहीं. यह भी देख लें कि जहां कहीं बांध बन जाता है तो उसके पानी को लिफ्ट करने के लिए वहां पर्याप्त बिजली 132-133 के.व्ही. है या नहीं. कृषि, जल संसाधन एवं ऊर्जा विभाग इन तीनों का आपस में बहुत गहरा संबंध है. मेरा सरकार के लिए सुझाव है कि इन तीनों विभागों का समन्वय किया जाये और उसके पश्चात् जो योजना बनेगी तो मेरा यह मानना है कि किसी योजना को तैयार कर, सरकार जो परिणाम प्राप्त करना चाहती है उससे दुगुना से अधिक परिणाम प्राप्त होंगे क्योंकि जब तक कृषि योग्य भूमि नहीं होगी, तब तक बांध के पानी और बिजली का कोई महत्व नहीं है. इसलिए मेरा सरकार से आग्रह है कि इस पर गंभीरता से विचार कर इन तीनों विभागों का समन्वय करें. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, धन्यवाद
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि जो 25 योजनायें सरकार लाई है उनमें से 16 योजनायें तो मंत्री जी के क्षेत्र शाजापुर की हैं. कृपया हमें भी कुछ दे दें. हम लोग परेशान हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- बृजेन्द्र भाई, अनुपूरक में आ जायेंगी.
उपाध्यक्ष महोदया- कृपया आप सभी बैठ जाइये. ऐसे तो बाकी सभी सदस्य भी बोलने लगेंगे. आप लोग मंत्री जी से अलग से मिल लीजिये और मिलकर निवेदन कर लीजिये.
श्री रामलाल मालवीय (घट्टिया)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 23, 45 और 57 का समर्थन करने के लिए एवं कटौती प्रस्ताव का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ जी एवं जल संसाधन विभाग के ऐसे मंत्री जी जो स्वयं किसान हैं और जिनके नेतृत्व में ऐसा विभाग जो किसानों से जुड़ा हुआ है और किसान इस देश की रीढ़ की हड्डी है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अभी हमारे बहुत वरिष्ठ सदस्य आदरणीय सीतासरन शर्मा जी कह रहे थे कि आपके बजट में सिंचाई की क्षमता बढ़ाने के लिए कोई योजना ही नहीं है. माननीय शर्मा जी, अभी नहीं है, मैं, बताना चाहता हूं कि आगामी पांच वर्षों में सिंचाई क्षमता 65 लाख हेक्टेयर बढ़ाने का वचन मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने और माननीय कमलनाथ जी, ने इस प्रदेश को दिया है, उसको पूरा करने के लिये हमारे मंत्री माननीय कराड़ा जी वचनबद्ध हैं. इस वचन को सम्मिलित रूप से जल संसाधन एवं नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण पूरा करेगा. इस दिशा में काम करने के लिये और 65 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य को पूरा के लिये जल संसाधन विभाग का हिस्सा 45 लाख हेक्टेयर तथा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण का हिस्सा 20 लाख हेक्टेयर जमीन का प्रस्तुत किया गया है. मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है पिछले 6 माह में लगभग 57 हजार करोड़ की 37 नयी परियोजनाओं की स्वीकृति प्रदान की गयी है. इन योजनाओं को पूर्ण होने से लगभग 2 लाख 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा का लाभ किसानों को मिलेगा. अभी जालम सिंह पटेल जी कह रहे थे कि 33 लाख हेक्टेयर की जमीन सिंचाई क्षमता को हमने बढ़ाया था.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि आगामी 2025 तक 33 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 48 लाख हेक्टेयर तक की योजना बढ़ाने का काम हमारे मुख्यमंत्री और हमारे जल संसाधन मंत्री जी के नेतृत्व में किया जा रहा है.
मैं अपने क्षेत्र की बात रख कर अपनी बात समाप्त करूंगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में दो नये तालाब बिलखेड़ा और खोरिया बनाने के लिये हमने माननीय मंत्री जी को निवेदन किया है.मेलनाथ डेम, गुराचा स्टाप डेम, सिंगाल्दा स्टाप डेम और गुड़ा यह चार स्टाप डेम बनाने का भी मंत्री जी से निवेदन किया है. दोधारी नदी पर भी हमारे यहां पर स्टाप डेम बना है. अगर उसकी क्षमता बढ़ जायेगी तो उसका भी फायदा किसानों को मिलेगा. गुनाई स्टाप डेम और पंचड़ स्टाप डेम यह दो स्टाप डेम जब हम आप 2008 से 2013 के बीच में हम इस विधान सभा में थे तो 6 स्टाप डेम हम लोगों ने मंजूर करवाये थे. उसमें से तीन स्टाप डेम पूरी तरह से टूट चुके हैं. मैं चाहूंगा कि उन स्टाप डेमों की मरम्मत हो जाये, ताकि किसानों को उनसे सिंचाई का लाभ मिले. एक खाचरौद विधान सभा का एक बांचाखेड़ी स्टाप डेम भी टूटा हुआ है, उसकी भी मरम्मत हो जाये. हमारे यहां मालवा में एक कहावत है कि -मालव माटी घन गंभीर, पग-पग रोटी, डग-डग नीर, यह मालवा में एक पुरानी कहावत है. हम चाहते हैं कि हमारे मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जो हमारी मालवा की कहावत है वह पूर्ण हो. आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामलल्लू वैश्य(सिंगरौली):- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय मंत्री जी से अपने क्षेत्र के बारे में आग्रह करना चाहता हूं कि सिंगरौली जिले में एक रिहन्द बांध है, जहां पर तमाम औद्योगिक परियोजनाएं स्थापित हैं और वहां पर किसानों की जमीनें एक तो कम बची हुई हैं. इसलिये यदि वहां से रिहन्द माइक्रो सिंचाई परियोजना का पिछले कार्यकाल से प्रस्ताव लंबित है, यदि इसे स्वीकृति मिल जाती तो 104 गांवों के किसानों को सिंचाई के लिये, अपनी आय बढ़ाने के लिये और बागवानी के लिये बहुत ही उपयुक्त होता. मंत्री जी से यही अनुरोध है कि आप 63 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की बात करते हैं तो आप उसे भी इसमें शामिल कर लें, तभी मैं मानूंगा कि आप सभी किसानों के हित में काम कर रहे हैं. इतना ही कहते हुए अपनी बात को समाप्त करता हूं, बहुत- बहुत धन्यवाद्.
श्री सुनील सराफ (कोतमा):- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं पहली बार का विधायक हूं और पहली बार ही सदन में बोलने का समय मिला है, आपका भी भरपूर संरक्षण चाहता हूं.
मैं मांग संख्या 23, 45 और 57 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद कई परियोजनाओें में तेजी आई है. कैग की रिपोर्ट में उल्लेख है कि कई वृहद परियोजनाओं की गति धीमी है. विकास के संकल्पित हमारी सरकार और हमारे मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी, हमारे जल संसाधन मंत्री आदरणीय कराड़ा जी, इन परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के संकल्पित हैं. पिछली सरकार के समय टेण्डरों में पारदर्शिता का अभाव था और ई-टेंडरिंग जैसा घोटाला इस विभाग में हुआ. वर्तमान सरकार पूरी पारदर्शी प्रक्रिया का पालन कर रही है. पिछली सरकार में बुन्दलखण्ड क्षेत्र के विशेष पैकेज में भारी भ्रष्टाचार हुआ. आज बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भारी त्राहि-त्राहि मची हुई है.
मैं यह कहना चाहता हूं कि पिछली सरकार के समय भी जो बात हो रही थी कि कई बांधों में लीकेज़ की समस्या है. अभी एक सप्ताह पहले ही मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक बांध बना और अभी वह विभाग को हेण्ड ओव्हर भी नहीं हुआ था. वह पहली बारिश हुई और वह टूट गया, उस संबंध में मैंने ध्यानाकर्षण भी लगाया है.यह एक उदाहरण है कि पिछली सरकारों में क्या हुआ. पानी की जैसी भयावह समस्या आ रही है तो हमें छोटे-छोटे गांवों का पानी वहीं छोटे-छोटे स्टाप डेम बनाकर रोकना चाहिये. पूर्व में जो स्टाप डेम बने हैं, उनमें इतना भ्रष्टाचार हुआ है कि वहां मैदानों में ही स्टाप डेम ही बना दिये हैं, आप चलकर देख लें, सिर्फ कमीशनखोरी के लिये. मैदानों में पुलिया बनी हैं, जहां उसकी आवश्यकता ही नहीं है, जहां पर थोड़ा सा भी पानी नहीं रूकता ही नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदय से एक और निवेदन करूंगा कि मेरा विधान सभा क्षेत्र का कॉलरी बाहुल्य है, वहां पर कौल माईन्स हैं. वहां पर नीचे खदानें चल रही हैं, वहां पर जल-स्तर है ही नहीं.वहां डेमों की बहुत आवश्यकता है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक सीतामढ़ी बांध परियोजना लंबित है, जो 334 करोड़ रूपये की है. मैं माननीय मंत्री जी से करबद्ध प्रार्थना करूंगा कि उस योजना में तेजी लायें, जिससे हमारे क्षेत्र का किसान खुशहाल हो सके. आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद्
श्री हरिशंकर खटीक(जतारा):- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 23, 45 और 57 का विरोध करता हूं. हमने जल संसाधन विभाग का जो बजट देखा और उसका प्रशासकीय प्रतिवेदन देखा, उसमें पहले साढ़े सात लाख भूमि सिंचित हुआ करती थी. लेकिन हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी कि मेहनत के आधार पर अब 40 लाख हेक्टेयर भूमि अब सिंचित होने लगी है. वैसे तो 155 लाख हेक्टेयर भूमि, कृषि योग्य भूमि है, उसका हम सब लोगों को मिलकर लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये कि वह हम सब लोगों को मिलकर उसका लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये कि वह पूरी भूमि किस प्रकार से सिंचित हो. अब हमारे क्षेत्र की बात क्योंकि समय बहुत कम है. हमारे यहां पर एक वृहद सिंचाई परियोजना हमारे यहां टीकमगढ़ और छतरपुर जिले की बीच की धरती को चीरकर निकली एक धसान नदी है. जिसका एक बूंद पानी टीकमगढ़ और छतरपुर के किसानों को नहीं मिलता था. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रयास किया और हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने दिनांक 4.10.2008 को 1768 करोड़ रूपये की यह योजना स्वीकृत की. धसान नदी पर इस परियोजना का लक्ष्य था कि इससे 75 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. इसमें 187 गांवों के किसानों को पानी देने का देने का प्रावधान किया गया था.
4.00 बजे {माननीय सभापति (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए.
श्री हरिशंकर खटीक--150 गांवों में साढ़े तीन फिट नीचे जमीन के नीचे पाईप लाईन बिछाकर किसान ऊपर से खेती कर सके तथा नीचे से पानी जाये इसके लिये 150 गांवों में पानी की व्यवस्था हुई, लेकिन इसमें कुछ गांव छोड़ दिये गये हैं. मैं मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि टीकमगढ़ जिले के खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में 2003 में योजना बनवायी थी तब पूरे गांव उस योजना में लिये गये थे, लेकिन उसके बावजूद लगभग 37 गांव उसके छोड़ दिये गये हैं. मैं चाहता हूं कि जो गांव छोड़े गये थे तथा सर्वे में आ गये हैं उन गांवों में भी पाईप लाईन बिछाने का काम किया जाये. इसके साथ एक अनुरोध है कि बान सुजारा बांध का पानी अगर जतारा विधान सभा क्षेत्र में पहुंचता है वह गांव पास में लगा हुआ है. पूरे गांव में यह पानी पहुंच सकता है इसलिये मेरा अनुरोध है कि बान सुजारा बांध की योजना की पुनरीक्षित परियोजना की स्वीकृति देने का कष्ट करें. टीकमगढ़ जिले में लगभग 1 हजार चंदेरी तालाब हैं उन चंदेरी तालाबों पर कई लोगों ने कब्जा कर लिया है तथा कई अभी खाली भी पड़े हुए हैं जिनसे किसान पानी लेता है. हमने एक योजना बनाई थी नदी तालाब जोड़ो योजना हमारे पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने इस योजना को मूर्त रूप दिया तथा हरपुरा सिंचाई योजना के लिये स्वीकृति दी. हरपुरा सिंचाई योजना के माध्यम से मोहनगढ़ व अचर्रा के तालाबों में पृथ्वीपुर विधान सभा क्षेत्र में जहां माननीय राठौर जी बैठे हैं वहां पर फेस-1 में तो पानी पहुंच गया, उस नदी के माध्यम से लेकिन फेस-2 का काम था उसको रोक दिया गया है उसमें दिगोड़ा बरारा तालाब में पानी भेजने का काम फेस-2 में था क्या माननीय राठौर साहब नहीं चाहते कि दिगोड़ा के तालाब में पानी पहुंचे. माननीय मंत्री जी क्यों शांत हैं उनको बोलना पड़ेगा.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)--सभापति महोदय, जो माननीय सदस्य कह रहे हैं, यह स्वाभाविक रूप से हम सबकी चिन्ता है और हम सब चाहते हैं कि बुंदेलखंड का जो अंचल है, जहां का जिक्र कर रहे हैं वहां पानी के पानी की तथा सिंचाई के पानी की बहुत समस्या है, इसके लिये सरकार भी चिन्तित है. यह अभी नहीं रोक दिया गया है पूर्ववर्ती सिस्टम में रोक दिया गया था, लेकिन हम सब मिलकर चालू करवाना चाहते हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी बुंदेलखंड में एक भी योजना शामिल नहीं है. आप जैसे चिन्ता कर रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--आप चिन्ता न करिये बुंदेलखंड सबसे आगे रहेगा.
श्री हरिशंकर खटीक--सभापति महोदय, योजना में 33 करोड़ 18 लाख रूपये आज भी स्वीकृत हैं. नयी राशि स्वीकृत करने का काम बजट में नहीं किया जाना है. स्वीकृत कार्य वहां पर बंद हो गया है. हम चाहते हैं हरपुरा सिंचाई परियोजना का पानी दिगोड़ा के तालाब में जो पृथ्वीपुर विधान सभा में आता है इसके बाद बराना के तालाब में नहर के द्वारा पानी आये हम सब लोगों को जीवन की खुशी क्षेत्र के किसानों के लिये होगी. एक अंतिम अनुरोध यह है कि हमने अपने कार्यकाल में टीकमगढ़ जिले की पराई नदी पर पर परेवा बांध बनवाने की योजना स्वीकृत की थी उस योजना में राशि का प्रावधान भी किया गया था. राशि का प्रावधान होने के साथ-साथ उसके टेन्डर भी हुए, टेन्डर होने के बाद ठेकेदार वहां पर मशीने लेकर भी पहुंच गया, लेकिन वहां पर मशीनों को रोक दिया गया. माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जो पराई नदी पर परेवा बांध का काम बंद हुआ है उसका काम भी शुरू करवाया जाये और हरपुरा सिंचाई परियोजना का काम तथा बराना तालाब में पानी भेजने का काम करेंगे तथा अपने जवाब में भी उसका उल्लेख करेंगे. बान सुजारा बांध का पानी इससे 75 हजार हैक्टेयर सिंचित भूमि का लक्ष्य था उसको जतारा विधान सभा में सिस्टम बनाकर पूर्व सरकार ने किया है. जो गांव छूट गये हैं उन गांवों में पाईप लाईन बिछाने का काम किया जाये. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री गिर्राज डिण्डौतिया(दिमनी)--सभापति महोदय, सिंचाई परियोजना जल संसाधन विभाग के द्वारा संचालित है उसमें मेरे विधान सभा क्षेत्र दिमनी में जिसके अंतर्गत करीबन 7-8 डेम बनाये गये. उन 7-8 डेमों की आज यह पोजीशन है कि उनमें 4-5 डेमों के बगल में इतनी बड़ी दरारे पड़ गई हैं वहां पर बगल से मिट्टी खेतों से पार बांधी थी वह कट चुकी है. पानी बेसिकल नदी के बीचोंबीच जाता था उसको रोककर जो पार कटी है जिससे 50-50 और 60-60 बीघा जमीन का नुकसान किसानों का हो गया है, यह बड़ी ही चिन्ता का विषय है उस पर आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है, उस पर ध्यान दिया जाये उसमें जो बांध बांधे गये हैं उन डेमों को जांच करायी जाये कि वह किस इंजीनियर ने, किस तरह से उनका नक्शा बनाया वह डेम सफल नहीं है उससे हमारे किसानों को फायदे की जगह नुकसान झेलना पड़ा रहा है. ऐसी स्थिति में मैं आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. दूसरा कृषि के क्षेत्र में दिमनी विधान सभा में जिसमें दतेरा नल-जल परियोजना अभी अभी लागू की गई है उसका कहीं पर कोई जिक्र नहीं है एक डेढ़ साल से वहां पर काम चल रहा है. हमारा कुतवास डेम जिससे पिलुआ डेम में पानी जाना है. मैं मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि उस क्षेत्र में कम से कम 25-26 गांव हैं उन गांवों में पानी का लेवल कम से कम 7 सौ फुट नीचे है उसमें भी पानी 1-2 इंच पानी मिलता है. पानी ज्यादा समय तक भी नहीं चलता है. उस डेम में से पानी पीने के लिये ला रहे हैं. वहां पर सिंचाई के लिये भी एक कूल एवं बम्बा नहर बनायी जाये जिससे किसान सिंचाई की चिंता से मुक्त हों. जिस प्रकार से सिंचाई मंत्री जी ने बजट पेश किया है उनकी मांगों का पुरजोर से समर्थन करता हूं. पूर्वकालीन जो सरकार रही उनके जो गुणगान यहां हो रहे हैं उनका ज्यादा जिक्र न करते हुए पूर्व में जो डेम बनाये गये हैं उनकी पूरी जांच की जाये तथा उसमें जांच कमेटी बनायी जाये जिससे पता चले कि उसमें कितना पैसा खर्च हुआ है उन किसानों को शासन के पैसे का कितना लाभ हो रहा है तथा कितना किसान बर्बाद हो रहा है इसके लिये आपको समिति बनानी चाहिये. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी(कोलारस)--सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 23, 45, 57 का विरोध करते हूं तथा कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. जल संसाधन पर बहुत से साथियों ने सुझाव दिये हैं, यह हम सब जानते हैं कि पानी को लेकर पूरा विश्व समुदाय चिन्तित है. आदरणीय मोदी जी ने भी पांच वर्ष के लिये पानी को लेकर तमाम योजनाएं बनाकर घर-घर पानी पहुंचाना तथा पानी पर ही फोक्स किया है. मैं सदन की ओर से उनको धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने विश्व जगत की चिन्ता के साथ भारत की चिन्ता को भी व्यक्त किया है. माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार में जिस तरह से 7 लाख हैक्टेयर से 33 लाख हैक्टेयर तक की सिंचाई का काम किया था. हमारे सत्ता के साथियों से मैं पूछना चाहता हूं कि सदन में केवल पुरानी सरकारों का रोना-धोना बंद करें. जनता ने आपको चुनकर यहां पर भेजा है आप जनता का विकास करके दिखायें. माननीय शिवराज सिंह जी की विकास की लाईन को अपनी लाईन से और लंबी बनाये. उनकी लाईन को मिटाने तथा अंदर सदन में कुछ भी कहने से यह फर्क नहीं पड़ता यह किसान हमारा जानता है कि उसका सिंचाई का रकबा 33 लाख हैक्टेयर तो छोड़िये जो परियोजनाएं हम छोड़ करके गये हैं. उसमें 15 लाख हेक्टेयर की सिंचाई होना है चाहे वह वृहद योजनाएं हो, मध्यम योजनाएं हो या माइनर एरिगेशन हो. अभी आपकी सरकार है आपके अधीनस्थ वे विभाग हैं अगर यह आंकड़े ठीक हैं तो आप अपने दिल से पूछिए कि अंदर इस तरह की बातें करने से, लूट लूट बार बार कहने से, जनता जनार्दन के अंदर कोई अच्छे मेसैज नहीं जाते, सदन की गरिमा गिरती है. अगर लूट की बात करना है तो अपने ट्रांसफर उद्योग को गिरेवान में झांक लें इससे अधिक कुछ नहीं कहना चाहता. मैं अपने क्षेत्र की भी थोड़ी सी बात करना चाहूंग. मैंने माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार के समय जल संसाधन पर इसलिए भी अलग से हटकर समय दिया और काम किया कि मैं पिछले 10-12 सालों से जल संरक्षण, वृक्षारोपण, गौ-सेवा और नशामुक्ति अभियान पर समाज सेवी भाव से काम करते आया हूं और कोलारस से विधायक न होने पर भी मैंने सिंध नदी के ऊपर स्टाप डेम की मांग की और उन्होंने पांच स्टाप डेम लगभग 5-5 करोड़ रूपए के स्वीकृत भी किए हैं. मैं तुलनात्मक उदाहरण देने के लिए यह बात कह रहा हूं न कि ये कि अपने विधानसभा की बात करना है और उसी के साथ साथ तीन मैदानी डेमों की भी स्वीकृति हुई जो लगभग 20-20 करोड़ की लागत के थे तो तुलना मैं यह करना चाहता हूं सदन के अंदर और वर्तमान सरकार और माननीय मंत्री जी को सुझाव देना चाहता हूं कि 5-5 करोड़ के जो डेम थे ठेकेदारों ने प्रतिस्पर्धा में उनको मात्र 4-4 करोड़ में बना दिया और एक स्टाप डेम से नदी में लगभग 4 से 5 किलोमीटर तक पीछे तक पानी भरने का काम हो रहा है, कम लागत में अधिक पानी का संरक्षण हो रहा है और कोई भी एनओसी लेने की आवश्यकता नहीं हुई, कोई भी विलंब की आवश्यकता नहीं हुई, किसी किसान की जमीन, खेती बाड़ी की जमीन उसमें डूब में नहीं गई. मैं कहना यह चाह रहा हूं कि मैदानी डेमों की तुलना में नदियों पर, जितनी भी हमारे प्रदेश की नदियां हैं उन पर स्टाम डेम बनाने की अनेक योजनाएं बिना किसी जनप्रतिनिधि की मांग के एक सामान्य सर्वे करवा कर पूरे प्रदेश के अंदर अगर हम स्टाप डेम बनाने का काम करेंगे तो हमें किसी एनओसी की जरूरत नहीं, लागत में हमारा 25 प्रतिशत में काम होगा. जैसे कि मैंने तीन योजनाएं में 20-20 करोड़ रूपए का जो जिक्र किया उसमें मात्र कंस्ट्रक्शन में 5-5 करोड़ रूपए लगा है, लेकिन 14-15 करोड़ रूपए की राशि एक डेम में किसानों की खेती की जमीन भी डूबी और उसको मुआवजा भी देना पड़ा तो लागत की दृष्टि से अगर हम देखें तो 4 करोड़ के जो स्टाप डेम से सिंचाई किसानों की हो रही है और 20 करोड़ की लागत से जो सिंचाई हो रही है उससे भी सभापति महोदय सिंचाई 4 करोड़ की लागत से हो रही है. मैं माननीय मंत्री जी को वर्तमान सरकार को यह सुझाव देना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में इसी तरह की बहुत छोटी छोटी 2 योजनाएं और लंबित है मैंने माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार के समय के प्रस्ताव आपके पास भेजे हैं. एक राजगढ़ पाली के नाम से है, जिसमें 28 गांवों की सिंचाई होना है और बहुत मुश्किल से 20-25 करोड़ की लागत उसमें लगना है, दो पहाडि़यों के बीच में एक छोटा सा डेम बनना है और एक दूसरी योजना हमारी और लंबित है छोटी सी सींगन की वह भी 14 गांव को पानी देने की योजना और बहुत छोटे लागत की योजना है तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि ये दोनों योजनाओं को आप स्वीकृति देंगे तो आपको भी कम लागत में अधिक सिंचाई के उदाहरण मिलेंगे और दो योजनाएं हमें मिलेगी. मैं इतनी बात कहकर यही निवेदन करूंगा कि यह पूरे प्रदेश के अंदर हर नदी के ऊपर स्टाप डेमों के ऊपर अगर हम ध्यान दें तो लागत की कमी, सिंचाई अधिक और समय की भी कोई बर्बादी नहीं, कोई किसान और खेती की जमीन उसमें डूबने वाली नहीं. आदरणीय सभापति महोदय आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं, सदन को प्रणाम करता हूं.
श्री विश्वास सारंग - सभापति जी, बीरेन्द्र रघुवंशी जी ने बहुत अच्छा सुझाव दिया है.
श्री सजंय शर्मा (तेंदूखेड़ा) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 23, 45, 57 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. जल संसाधन विभाग के आज के समय में नदियों का संरक्षण नहीं हुआ तो आने वाले समय में यहां पर बैठे सभी लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि पूरे देश में और खासतौर में मध्यप्रदेश में कम वर्षा होने के बाद, लगभग 5-7 वर्षों से जिन क्षेत्रों में ग्राउंड वाटर लेवल बहुत अच्छा था, वहां पर भी सूखे की स्थिति है. हमारे साथियों ने बहुत सुझाव दिए हैं, वास्तव में जितनी नदिया मध्यप्रदेश में हैं इन सब में स्टाप डेम बनाने का काम माननीय मंत्री जी आप करवाएंगे तो इतिहास में आपका नाम लिख जाएगा, क्योंकि आज तक इस विभाग में जो भी योजनाएं बनी है, जिनको भौगोलिक दृष्टि से उस क्षेत्र का कोई ज्ञान नहीं है, जिन्हें नदियों के बारे में जानकारी नहीं है वह लिखते हैं कि यहां पर पानी नहीं रुक सकता और वहां पर जो लोग रहते हैं, उनसे अगर पूछा जाए, जनप्रतिनिधियों से सलाह ली जाए तो वास्तव में ऐसे बहुत से स्थान हैं जहां पर 4-5 करोड़ की लागत में स्टाप डेम बन सकते हैं और 5-5 किलोमीटर तक पानी रुक सकता है. इसलिए इस ओर बहुत ध्यान दिया जाए और एक टारगेट बनाया जाए कि हमारे जो पुराने तालाब थे हर विधानसभा क्षेत्र में 10-10 तालाब जो बड़े तालाब है, जिनमें बरसात का पानी रुकता है, जैसे सड़क मेंटेनेंस का ठेका 5 साल का होता है वैसे ही बनाने वाली एजेंसी को गहरीकरण का और बरसात का पानी उसमें भरे और पानी भरने के बाद पानी उसमें रुके, उन किसानों को फायदा मिले यह हमें करना चाहिए. बहुत सी योजनाएं पहले बनी एक बरगी नहर हमारे यहां पर है आधी विधानसभा में बरगी नहर का पानी आता है. गोटेगांव से नरसिंहपुर और करेरी तक पानी आता है, लेकिन दुर्भाग्य उस समय जिन्होंने भी योजना बनाई ऐसे 200 गांव हमारी विधानसभा और नरसिंहपुर विधानसभा के रह गए हैं जहां पर दक्षिण तट कहलाता है, नर्मदा जी की इस तरफ वाला वहां पर नहर नहीं पहुंचाई है. कई बार प्रयास किया पूर्ववर्ती सरकार को भी हमने लिखकर दिया, माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी से भी चर्चा हुई थी, लेकिन उनके अधिकारी बताते हैं कि पानी की कमी के कारण वहां पानी नहीं पहुंच सकता. डेम में इतना पानी नहीं है, जबकि डेम का पानी रीवा तक जा रहा है, रीवा वहां से 300 किलोमीटर है और नरसिंहपुर वहां से 100 किलोमीटर है. अगर आप चाहेंगे तो इससे भी एक बहुत बड़ी पानी की समस्या उस क्षेत्र के किसानों की हल होगी. उसी क्षेत्र में एक चिंकी परियोजना नई स्वीकृत हुई है इसमें जिले की 38 हजार 500 हेक्टेयर भूमि सिंचित होना प्रस्तावित थी, किन्तु पूर्ववर्ती सरकार ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया और टेण्डर की प्रक्रिया नहीं कराई. वर्तमान में चिंकी उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना की पुनरीक्षित लागत 1 हजार 762 करोड़ रूपए की आवश्यकता होगी. अनुरोध है कि अतिशीघ्र उपरोक्त परियोजना को प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान करें जिससे टेण्डर लगाए जा सके, इससे किसानों को राहत मिलेगी. इसी तारतम्य में मेरी विधानसभा क्षेत्र के काचरकोना वियर परियोजना की साध्यता भी हो चुकी है, इसके टेण्डर लगना शेष है इसका भी टेण्डर अतिशीघ्र लगवाने की कृपा की जाए. पिछले समय जो नहरें बनी है, बरगी की उनमें आखिरी पलोहा टेन तक पानी नहीं पहुंचा है. पडनागगरोला, सडुमर, पलोहा ये तीन हमारे क्षेत्र हैं जो नहर के आखिर में है, इनमें आज तक नहर का पानी नहीं पहुंचा है जो ठेकेदार काम करते हैं जब तीन साल की उनकी गारंटी खत्म हो जाती है उसके बाद नहरों में पानी छुड़वाने का काम होता है. पहले से ऐसा होता आया है कि ठेकेदार का जब गारंटी अवधि खत्म हो तब पानी छूटे, नहीं तो अधिकारी कहीं न कहीं बीच में एकाध स्पाट ऐसा रखते हैं कि पानी छोड़े तो नहर फूट जाए और आगे तक पानी न जाए. अभी यही प्रक्रिया चल रही है कई जगह पानी छोड़ते हैं, लेकिन हम लोगों ने हर वर्ष कहा कि मई के महीने में आप पानी छोड़ें फसलें कट जाती है लेकिन अभी तक पानी छोड़ने का काम नहीं हो पाया है, तो इस नहर भी आखिर तक पानी पहुंचे यह व्यवस्था करवाने की कृपा करेंगे. तालाबों में कई कई जगह अतिक्रमण है वह भी छुड़वाए जाए. हमारे यहां पर बहुत बड़े बड़े तालाब है चिर्रिया है, मडेसुर में है, अजंसरा में है, निजोर, दिलवार, तेन्दूखेड़ा, गुंदरई में है इन तालाबों में पानी भरेगा तो निश्चित ही आसपास के 5-5 गांवों क किसानों को इससे फायदा. मंत्री महोदय, हमारे यहां प्रमुख नदियां हैं, जिन पर स्टाप डेम बन सकते हैं इन नदी पर देवरी और गुटौरी के पास बरांझ नदी पर खमरिया, इमझिरा एवं काचरकोना भामा के पास सिंदूर नदी पर मदनपुर मर्यावन के पास, लेंडी नदी पर चिर्रिया के पास एवं कोठिया लिलवानी के बीच में, शक्कर नदी पर शाहपुर एवं कल्याणपुर में स्टाप डेम बनाएंगे तो इससे भू-जल स्तर बहुत सुधरेगा और किसानों की पानी की समस्याओं का समाधान होगा. इस वर्ष इन क्षेत्रों में पीने के पानी की बहुत दिक्कत हुई है अगर यहां पर स्टाप डेम या तालाब से पानी रोका जाए तो भू-जल स्तर भी बढ़ेगा और लोगों के लिए बड़ी बड़ी योजनाएं जो पीने के पानी के लिए बना रहे हैं, इसका समाधान होगा. यही आपसे अनुरोध है, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामकिशोर जी कावरे - अनुपस्थित.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय (आष्टा) - माननीय सभापति जी, कुणाल चौधरी जी ने बार-बार ऐसे शब्द बोले हैं.
सभापति महोदय - आप अपनी बात बोलिए.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - हमारे मध्यप्रदेश में माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने सिंचाई के मामले में साढ़े सात लाख से साढ़े 33 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित की है, मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ. मेरे क्षेत्र में नर्मदा-पार्वती लिंक योजना जो 45,000 करोड़ रुपये की है, मैं इसके लिए भी माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इतनी बड़ी योजना, हमारे आष्टा तहसील को दी है. जल नहीं है तो जीवन बेकार है, पानी बिना कुछ नहीं होता है. मैं तो यही कहना चाहूँगा कि ज्यादा से ज्यादा तालाब बनाये जाएं, बैराज बनाए जाएं ताकि मध्यप्रदेश में जो पानी की दिक्कत आ रही है, वह खत्म हो जाए. जैसे हमारे यहां कान्याखेड़ी तालाब है, जिसका श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने भूमिपूजन भी किया है लेकिन अभी तक उसका 2 बार टेण्डर लग गया है लेकिन उसका काम अभी तक चालू नहीं हुआ है. मैं माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि उसका टेण्डर जल्दी लगाकर काम चालू करवाएं, ऐसे ही एक हमारा तालाब गुराडि़यावर्मा का है, उसमें भी टेण्डर लगना है, अभी तक टेण्डर नहीं लगा है, उसमें भी काम किया जाये और मैं माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र के अन्दर 10-12 तालाब है, उनके सर्वे हो चुके हैं लेकिन उनमें अभी तक कोई काम आगे नहीं बढ़ा है. हमारे यहां के तालाब बिलपान, डूका, भटौनी, काश्मपुरा, अमीपुर, कांदराखेड़ी, कजलास, ग्वाला, रूपहेड़ा, बान्दरियाहाट, कादूखेड़ी, सेकूखेड़ा और हाल्याखेड़ी हैं, इन सभी तालाबों के सर्वे हो चुके हैं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि इन सभी तालाबों को जोड़ा जाये ताकि पानी की समस्या हल हो क्योंकि मेरे यहां यह तालाब बनेंगे तो निश्चित रूप से आष्टा, इछावर और सीहोर, इन तीनों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिलेगा. मैं आपसे यही निवेदन करना चाहता हूँ कि ये तालाब जोड़े जाएं एवं पानी की व्यवस्था की जाये. इन्हीं शब्दों के साथ, बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द, जय भारत.
सभापति महोदय - धन्यवाद.
श्री तरबर सिंह (बण्डा) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 23, 45 एवं 57 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. मैं, हमारे आदरणीय कमलनाथ जी और आदरणीय जल संसाधन मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने जो सन् 2019-2020 के बजट में जो नीतियां बनाकर दी हैं, उससे वास्तव में हमारे मध्यप्रदेश के किसानों को फायदा मिलेगा. जैसा कि जो नदी पुनर्जीवन योजना है, इसमें 40 नदियों को शामिल किया गया है, इससे भी हमारे मध्यप्रदेश के किसानों का सिंचित रकबा बढ़ेगा और मैं बण्डा विधानसभा 2011-2012 में एक बीलापूसक नहर (बीला बांध) बनाई गई थी. मैं उसके संबंध में आपको अवगत कराना चाहता हूँ. 10-12 वर्षों से बांध में पानी नहीं भर रहा था तो उसके लिए 47 करोड़ रुपये की एक योजना सन् 2012 में शुरू की गई थी ताकि उस बांध में, जो बीला बांध बनाया गया था, उसमें काम तो हुआ था और 47 करोड़ रुपये पूरे खर्च हो गए. लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ, जहां जितनी खुदाई होनी थी, न ही खुदाई की गई और जहां जितना पुराव होना था, उतना पुराव नहीं किया गया. पैसा पूरा खर्च किया गया लेकिन फायदा कुछ नहीं मिला. मेरा सभापति महोदय जी से निवेदन है कि इसकी जांच कराई जाये.
4.25 बजे (उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.)
उपाध्यक्ष महोदया, मेरे बण्डा अंतर्गत एक कैथोरा गांव है, उसके पास में एक ऐसा स्थान है, जहां बांध बनाया जा सकता है. उसके संबंध में पहले सर्वे भी करवाया गया है लेकिन किन्हीं राजनीतिक कारणों से इसे रोक दिया गया. इसको भी इसमें शामिल किया जाये. दूसरा, महुवाझौर स्थान है, यहां यदि बांध बनता है तो इससे कम से कम 10-12 गांव के किसानों को लाभ मिल सकता है. जैसा कि पेयजल की समस्या है, इस वर्ष बण्डा में पेयजल की बहुत बड़ी समस्या है तो बण्डा के पास एक पगड़ा डैम है, यदि वहां से पाइप लाईन डालकर बण्डा के लिए पानी लाया जाये तो बण्डा की पेयजल की समस्या का निदान हो सकता है तो इसकी भी अनुमति दी जाये. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया - धन्यवाद.
श्री राकेश पाल सिंह - अनुपस्थित.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 23, 45 और 57 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ. पिछली सरकारों में जो काम जल संसाधन विभाग ने किए हैं, मैं उनकी तारीफ करूँगा, उनको धन्यवाद करूँगा. सन् 2003 में, मैं जनता के आशीर्वाद से सदन में चुनकर आया था तो उस समय श्री अनूप मिश्रा जी, जल संसाधन मंत्री थे तो उन्होंने गाडगिल सागर और खुमानसिंह शिवाजी डेम मुझे दिया था, उसके बाद श्री जयंत मलैया जी थे, उन्होंने ठिकरिया डेम दिया और हमारे डॉ. नरोत्तम भाई साहब ने हबीबिया डेम देने का काम किया. आज हमारे जिले के प्रभारी मंत्री, कराड़ा जी हैं, मैं उन्हें धन्यवाद दूँगा कि आपने वचन-पत्र में सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने के लिए जो बातें कही हैं मगर वह तभी बढ़ेंगी जब आप हमारे क्षेत्र में डेम देंगे क्योंकि आप वहां के प्रभारी मंत्री भी हैं, किसान नेता भी हैं और हम सब किसानों से आप प्यार भी करते हैं. मेरा आपसे एक ही निवेदन है कि मेरा जो क्षेत्र है, रामनगर चिताखेड़ा तालाब, जो आपके यहां साध्यता के लिए है, उस डेम को आप स्वीकृत कर दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मेरे क्षेत्र मंदसौर और नीमच जिले के प्रभारी मंत्री आदरणीय श्री हुकुम सिंह कराड़ा जी है, हम चाहते हैं कि आप नीमच जिले का भी पूरा ध्यान रखें और मंदसौर जिले का भी ध्यान कर लीजियेगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार - क्योंकि नरोत्तम भाई साहब ने भी दिया था और आप भी दीजिये. (हंसी)
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - कराड़ा जी, किससे ज्यादा प्यार करते हैं ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - नरोत्तम जी ने हमको खूब योजनाएं दी हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा - और बाकी लोग क्या करेंगे ?
उपाध्यक्ष महोदया - बहादुर सिंह जी, दिलीप सिंह जी अपनी बात रख सकते हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार - उपाध्यक्ष महोदया, जो-जो भी मंत्री रहे हैं, सभी ने योजनाएं दी हैं. मैं सभी को धन्यवाद दे रहा हूँ और 'मालवा माटी गहन गंभीर, पग पग रोटी, डग डग नीर' की कहावत इसीलिए चरितार्थ हुई है कि सबने पानी संचय करने का काम किया है.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - प्रभारी मंत्री ने एक भी योजना नीमच में नहीं दी है.
उपाध्यक्ष महोदया - सकलेचा जी, आप बैठ जाइये.
श्री दिलीप सिंह परिहार - उपाध्यक्ष महोदया, हम क्षेत्र में पानी का संचय करेंगे और मैं 'रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून, पानी गये न ऊबरे, मोती मानूस चून।।' कि कहावत चरितार्थ होनी चाहिए. आज हम देखते हैं कि संसार में यदि पानी न रहे तो यह संसार मसांणा वैराग्य होगा और आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी पानी संचय के लिए जल शक्ति, जिसका नाम दिया है और उस जल का संचय सबको करना है और यदि मोती में से पानी चला जाये तो मोती की भी कीमत नहीं है. संसार से पानी चला जाये तो यह संसार मसांणा वैराग्य होगा इसलिए हम सब लोग मिलकर पानी का संचय करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में एक वनांचल है, जहां हमारे मीणा जाति के आदिवासी बंधु रहते हैं और वहां फॉरेस्ट विभाग का एक ऐसा प्राकृतिक स्थान है, उसके दोनों तरफ पहाडि़यां हैं और बीच की अगर दीवार बना दी जाये तो वहां पानी संचय हो सकता है और मैं जो बता रहा हूँ, उसका नाम है- बांदरखोरा. बांदरखोरा जागीर चैनपुरा के पास में है और वह एक फॉरेस्ट की जमीन है, वह प्राकृतिक बढि़या स्थान है, उसमें दोनों तरफ पहाड़ हैं, केवल जल संसाधन विभाग उस पर एक दीवार बना देगा तो उस दीवार की वजह से 1000 किसानों को फायदा मिलेगा. वे मिट्टी बेचकर अपना जीवन-यापन करते हैं. बहुत गरीब लोग वनांचल में रहते हैं, यदि उस क्षेत्र में आप ये दो काम कर देंगे तो हम आपका आभार भी प्रकट करेंगे और नीमच जिले के प्रभारी मंत्री होने के नाते आपका स्वागत अभिनंदन भी उस जिले में जोर-शोर से होगा.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया श्री दिलीप जी समाप्त करें. आपकी पूरी बात आ गई है.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप कुछ बात नहीं कहने दे रही हैं तो कोई बात नहीं है. मगर पानी का संचय होना चाहिये और तालाबों के आसपास पेड़ लगाये जाने चाहिये. वहां पर मां भादौमाता का स्थान है, मैं आपको और प्रभारी मंत्री जी को भी आमंत्रित करता हूं. वहां हम चार अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और सभी सांसद और सारे संसदीय क्षेत्र के विधायक श्री हरदीप जी और हम सभी जाकर एक लाख पौधे वितरित करने वाले हैं. हम बीस हजार पौधे आसपास के क्षेत्र में बोने वाले हैं, उससे पानी का रूकाव होगा और पेड़ होंगे तो आनंद भी रहेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरी दादी कहती थी कि पहले एक-एक माह तक पानी गिरता था और कहीं भी सूरज के दर्शन नहीं होते थे क्योंकि जंगल बहुत होते थे, इसलिये हम पेड़ लगायेंगे. मां भादौमाता के स्थान पर प्रभारी मंत्री जी आप भी आमंत्रित हैं. आप और हम सब मिलकर एक लाख पौधों का वितरण करेंगे और बीस हजार पौधे लगायेंगे. मेरा पुन: आपसे यही निवेदन है कि रामनगर का डेम, चीता खेड़ा का डेम साध्यता में है, आपका विभाग इसे स्वीकृत करे और वांदर खौ को भी आप स्वीकृत करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं. पूरे सदन को जल संसाधन मंत्री ने कुछ न कुछ दिया है तो आप भी कुछ न कुछ देने का काम करें. आओ हम सब लोग मिलकर पानी का संचय करें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' (भिण्ड) -- अनुपस्थित.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) -- अनुपस्थित.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या में जल संसाधन विभाग की चर्चा पर अपना विरोध प्रकट करता हूं. वैसे सभी वक्ता अपना-अपना विषय रख चुके हैं लेकिन आज के समय में पानी बहुत बड़ी समस्या है जिस तरह से खेती का रकबा बढ़ रहा है और जंगलों को काटकर लोग अपनी खेती के लिये भूमि को चालू कर रहे हैं, उस हिसाब से आने वाले समय में न सिर्फ पेयजल बल्कि प्रत्येक खेत तक सिंचाई के लिये पानी पहुंचाना भी एक बहुत बड़ी चुनौती होगी क्योंकि जिस तेजी के साथ जल स्तर नीचे जा रहा है, उसके कारण सिंचाई बहुत मुश्किल से हो रही है और खासकर रबी की फसल में एक पानी, दो पानी भी किसान को मिल पाना बहुत मुश्किल होता है. इसलिये आने वाले समय में प्रधानमंत्री जी का जो विजन है कि मोर क्राफ्ट, मोर ड्राफ्ट, एक-एक पानी की बूंद का उपयोग करते हुये किसान के खेत तक पानी पहुंचाया जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मध्यप्रदेश के सिंचाई विभाग से भी आग्रह करता हूं कि मेरे कुछ सुझाव है जो विभाग की अगर योजनाओं में शामिल किये जायेंगे तो निश्चित ही मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ेगा, जैसा कि माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार ने पिछले पन्द्रह वर्षों में सात लाख से लगभग 35 लाख हैक्टेयर तक सिंचाई का रकबा बढ़ा दिया है. आपके प्रयास भी हैं और आपकी मंशा भी है कि हम आने वाले पांच वर्षों में इस काम को और आगे तक ले जायेंगे क्योंकि आप बजट के अभाव में नई कोई परियोजना तो अभी स्वीकृत करने की स्थिति में नहीं है, लेकिन जो पुरानी योजनायें चल रही हैं उनके बाद जब काम पूरा हो जायेगा तो मध्यप्रदेश में जो सिंचाई का रकबा बढ़ा हुआ दिखेगा और उससे हमें समृद्ध मध्यप्रदेश और एक खुशहाल मध्यप्रदेश के दर्शन होंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं यह कहना चाहता हूं कि अभी जमीन अधिग्रहण के कारण आपकी बहुत सारी परियोजनायें लटकी हुई हैं. इसलिये यदि जमीन अधिग्रहण का कार्य पूरी तरह से राजस्व विभाग को सौंप दिया जायेगा तो जिलाधीश और तहसीलदार और राजस्व विभाग का अमला इस अधिग्रहण के काम को बहुत तेजी से निपटा पायेगा. छोटे-छोटे भूमि अधिग्रहण के प्रकरणों के कारण परियोजनाएं विलंब से चालू हो रही हैं और उनकी लागत बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही है. अभी जल संसाधन विभाग एक हैक्टेयर भूमि पर साढ़े तीन लाख के हिसाब से डेम निर्माण में राशि खर्च करता है, इस राशि को भी बढ़ाया जाये. आईडियल साईड पर तो बहुत सारे डेम बन रहे हैं लेकिन जो टिपिकल साईड हैं, जहां पर कुछ न कुछ फारेस्ट का मसला आ रहा है या अन्य को पेजीदगियां आ रही हैं, उनको भी दूर किया जाये तो अच्छा होगा.
उपाध्यक्ष महोदया -- आपका नाम रिक्वेस्ट पर ही आया है इसलिये आप जल्दी अपनी बात समाप्त कर दें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं बस समाप्त कर रहा हूं. एन.बी.डी.ए. भी सिंचाई परियोजनाएं चला रहा है और जल संसाधन विभाग भी काम कर रहा है तो इन दोनों की आपस में ट्यूनिंग करके और कुछ न कुछ सम्मिलित विभाग बनाकर जल संसाधन का काम या सिंचाई का काम एक ही विभाग को देना चाहिये. आर.ई.एस. के द्वारा जो छोटे-छोटे बांध बन रहे हैं, उनकी राशि भी जल संसाधन विभाग को देना चाहिये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, डेम रिहेब्लीटेशन एंड इम्पूर्वमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत 26 बांधों के रिपेरिंग के लिये राशि दी गई है, लेकिन जो छोटे-छोटे बांध है उनके रिपेरिंग के लिये राशि नहीं दी गई है, वह राशि देना चाहिये. मेरे क्षेत्र की तीन परियोजनायें इस बार विभाग के बजट में चिन्हित की गई है और उनकी डी.पी.आर तैयार हो चुकी है. इससे हजारों किसान लाभान्वित होंगे. देवास जिले के कन्नौद, खातेगांव तहसील की कासरनी मध्यम सिंचाई परियोजना, जिसकी लागत 181.64 करोड़ है, किशनपुर मध्यम सिंचाई परियोजना, जिसकी लागत 275.39 करोड़ रूपये है और पटरानी मध्यम सिंचाई परियोजना, इन तीनों परियोजनाओं को स्वीकृत किया जाये क्योंकि काफी लंबे समय से किसान इन परियोजनाओं की स्वीकृति की मांग कर रहे हैं. आपने बोलने का समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारे क्षेत्र सेचंबल नदी से निकली है, जो मेरे विधानसभा से करीब 50 किलोमीटर में होकर जाती है, इसलिये मेरे जल संसाधन विभाग से विगत पांच साल में बहुत ज्यादा अच्छे रिश्ते भी बने रहे हैं. मैंने इनके कार्यालय के खूब चक्कर काटे और एक-एक अधिकारी, एक-एक बाबू से लेकर सभी टेबलों पर फाईले रखने और आवेदन देने का अच्छा अनुभव रहा है. जब पांच साल बाद पुन: जनता ने मुझे मौका दिया तो मुझे उम्मीद थी कि जल संसाधन मंत्री कौन बन रहा है. उसके बाद हमारे माननीय हुकुम सिंह कराड़ा जी का नाम आया तो मुझे खुशी हुई और उसके बाद डबल खुशी तब हुई जब प्रभारी मंत्री भी बनकर मंदसौर और नीमच जिले से आये हैं. मुझे विश्वास है कि जो काम करने की उनकी शैली है, उससे इस क्षेत्र को और ज्यादा फायदा मिलेगा. चंबल मईया मेरे विधानसभा के दोनों तरफ से निकली है, जो आधी इधर है और आधी उधर है. अभी वर्तमान में 1650 करोड़ रूपये की योजना संचालित हो रही है. दूसरी तरफ यदि सारे किसानों को पीने का पानी और सिंचाई के लिये पानी मिल जाता है तो उससे बड़ा सहयोग और कुछ हो नहीं सकता है. हमारे पास चंबल मईया का पानी भरपूर है, यह योजनाएं बनकर इनके कार्यालय भोपाल में पड़ी हुई है और मुझे विश्वास है कि अधिकारी मिलकर और मंत्री जी, सब मिलकर उस योजना को कयामपुर, सीतामऊ सिंचाई योजना को जल्दी मंजूरी देंगे, जिससे पूरी विधानसभा में प्रत्येक किसान के खेत पर पानी जा सकेगा. दूसरा सेदरा करनाली डेम योजना जो साध्यता होकर भोपाल कार्यालय में पड़ी हुई है, मुझे विश्वास है कि उसको भी जल्दी मंजूरी मिलेगी. खन्डेरिया मारू की जनता और वहां के कृषक चाहते हैं कि वह जल्दी बनकर तैयार हो इसलिये खन्डेरिया मारू योजना भी जल्दी से जल्दी बने. इसके साथ ही बंजारी, भटूनी, प्रतापपुरा, विशनिया, महूवी और अजयपुर योजनाओं के संबंध में मुझे विश्वास है कि मंत्री जी के नेतृत्व में जल्दी से सिंचाई योजना और यह सारे डेम मंजूर होंगे. आपने बोलने का समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री देवीलाल धाकड़(एडवोकेट) (गरोठ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं अनुदान संख्या 23, 45 और 57 के विरोध में बोलने के खड़ा हुआ हूं और कुछ महत्वपूर्ण और आवश्यक सुझाव देने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं सदन में भी आखिरी छोर और मध्यप्रदेश में भी आखिरी छोर राजस्थान सीमा पर गरोठ विधानसभा से निर्वाचित होकर पहली बार आया हॅूं. मेरे क्षेत्र में गांधीसागर पर चंबल बांध बना तब से उसमें पानी भरा हुआ था, पर किसानों को उसका लाभ नहीं मिल रहा था. पहली बार पूर्ववर्ती सरकार ने जो पानी नजर आ रहा था, उस पानी को खेतों तक पहुंचाने का काम किया है. हमारे क्षेत्र में देश की पहली माइक्रो एरीगेशन योजना श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा रिमोट से बटन दबाकर खेतों में पानी पहुंचाने का काम किया है (मेजों की थपथपाहट) और उसी के परिणामस्वरूप पहली बार मध्यप्रदेश में पांच साल में तीन बार विधानसभा के चुनाव हुये और तीनों बार भाजपा के उम्मीदवार इस क्षेत्र से जीते हैं. मैं यह सुझाव देना चाहता हूं कि पहली यूनिट बनी है, जो ओपन केनाल है, उसमें खेतों को पानी गया परंतु बीच-बीच में कुछ भूमि बाकी बच गई है जिसमें पानी नहीं पहुंचा है. मैं माननीय जल संसाधन मंत्री जी, जो हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. मैं उनसे निवेदन करता हूं कि वहां पर सप्लीमेंट्री स्कीम कुछ माइनर की बना दें ताकि बीच-बीच में जो जमीन बच गई है वह भी सिंचित हो जाये. एक और महत्वपूर्ण योजना गांधीसागर पठार पर लगभग 10 गांव हैं जहां पर आदिवासी समाज, चारण समाज के गरीब लोग निवास करते हैं जिनके पास 4-4, 5-5 बीघा जमीन है, यदि वहां पर चंबल नदी से लिफ्ट एरीगेशन की योजना स्वीकृत हो जायेगी तो ऐसे सभी लोगों को भी उसका लाभ मिलेगा जो अभी मजदूरी के लिये भानपुरा, गांधीसागर अन्य जगह पर जाते हैं उनके खेतों में पानी पहुंच जायेगा. मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि लिफ्ट एरीगेशन की योजना बने. एक और महत्वपूर्ण सुझाव मेरा लेदी गांव में एक बड़ा तालाब है जिससे 2 हजार हेक्टेयर जमीन पीयत (सिंचित) होती है, वह हर साल फूट जाता है. मेरा निवेदन है, मैंने पहले भी योजना समिति की बैठक में निवेदन किया था कि उस तालाब को स्थाई रूप से और इस प्रकार बनाया जाये ताकि वह हर साल फूटे नहीं और किसानों को खेतों में उसके द्वारा लाभ मिल सके. मैं निवेदन करना चाहता हूं माननीय हुकुम सिंह कराड़ा जी से जो हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं, उनको केवल हुक्म करना है, वह हुक्म कर देंगे तो मेरे क्षेत्र में अधिकतर सभी जमीनों को पानी मिलेगा. आपने सुना इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट)-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं चित्रकूट विधान सभा क्षेत्र से आता हूं जहां भगवान राम का साढ़े 11 साल का वनवास काल बीता. दुर्भाग्य की बात यह है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने उस चित्रकूट तपोभूमि की ओर नजरें इनायत नहीं कीं. जिन लोगों ने, जिनके पूर्वजों ने भगवान राम की सेवा की थी आज वह एक-एक बूंद पानी के लिये तरस रहा है. चूंकि मैंने आपसे विनती करके सूक्ष्म समय लिया है इसलिये आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि चित्रकूट विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत जो प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त योजनायें हैं वह पाथरकछार बांध नाम से है. इस योजना में 64 हेक्टेयर वन भूमि आती है. कलेक्टर जिला सतना से 64 हेक्टेयर राजस्व भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाना है ताकि इस कार्य को आगे बढ़ाया जा सके. इसी प्रकार दूसरा जो झगरहा बांध है इस योजना की निविदा आमंत्रित की जानी है, निविदा आमंत्रित करके इस कार्य को भी आगे बढ़ाने की कृपा की जाये. इसी प्रकार से नरदहा बांध, कन्हर बांध और भियामऊ और गडोखर बांध इन चारों-पांचों बांध के बन जाने से चित्रकूट परिक्षेत्र में पानी की व्यवस्था पूर्ण रूप से की जा सकती है. एक जो बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है दौरी सागर परियोजना, उस परियोजना के माध्यम से हम कम से कम 150 गांवों में पानी की व्यवस्था कर सकते हैं और जो बारिस का पानी बहकर निकल जाता है नदीयों के माध्यम से उसको एकत्रित करके मंदाकिनी और पयस्वनी को भी जीवित कर सकते हैं. इस परियोजना का सर्वे कार्य माननीय मंत्री जी के निर्देश में चालू है उसमें और थोड़ी प्रगति और स्पीड आ जाये ताकि उसमें जो वनभूमि के ट्रांसफर का काम है और अन्य चीजें हैं उसकी प्रशासकीय स्वीकृति है वह मिल जाये ताकि आगे आने वाले समय में हम इस कार्यकाल में उन चीजों को पूरा कर सकें. इसी प्रकार से एक अधरखोह बांध है, धारकुड़ी आश्रम जो हमारे गुरूदेव का आश्रम है वहां पर अधरखोह बांध पहले से बना हुआ है, वहां पर सीपेज की प्रोबलम है, ज्यूलोजिकल सर्वे भी हो चुका है, लेकिन उसमें पॉलिटीकल कारणों से सीपेज की जो प्रोबलम है उसका साल्यूशन नहीं दिया गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि माननीय मंत्री जी इस ओर ध्यान आकृष्ट करके हमारी समस्याओं का निदान करें.
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय (बहोरीबंद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कटनी जिले के बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र से आता हूं. मैं यहां मांग संख्या 23, 45, 57 के विरोध में और कटौती के पक्ष में खड़ा हुआ हूं. मेरी विधान सभा क्षेत्र बहोरीबंद में लगभग 57 योजनायें सिंचाई की हैं जिसमें से आधी योजनायें बंद हो गई हैं, नई योजना चालू करने की बहुत बात हुई है. मेरा यह निवेदन है आपसे और माननीय मंत्री जी से भी कि मेरे यहां जो छोटी-छोटी योजनायें हैं वह छोटे-छोटे बजट में चालू हो जायेंगी अगर उनके लिये कुछ प्रशासन कर सकता है या आप प्रशासन से जानकारी मांग लें, बहुत छोटी-छोटी समस्यायें हैं. छोटी-छोटी समस्या से बहुत जल्दी और बहुत आसान तरीके से क्योंकि उसमें न तो मुआवजा लगना है, न कुछ बांटने की जरूरत पड़ेगी और न ही किसानों का विरोध झेलना पड़ेगा, वह योजनायें चालू हो जायेंगी,उसमें एक हमारे यहां का लगभग सवा सौ साल का ब्रिटिश काल का एक बहोरीबंद बांध के नाम से जिससे साढ़े 4 हजार हेक्टेयर की सिंचाई होती है अगर आप उसको पक्की नहर करने का काम करेंगे तो हमारे यहां सिंचाई का रकवा जैसी आपकी मंशा है आप कह रहे हैं कि 65 लाख करने का है, उसमें आपको भी सहयोग मिलेगा और मेरा बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र जो एक-एक बूंद पानी के लिये तरसता है उसको भी भारी लाभ मिलेगा. एक और बड़ी समस्या से हम जूझ रहे हैं वह समस्या यह है कि मैं और मेरे बाजू से विधान सभा सीट कटनी भी लगती है, हमारे यहां से नर्मदा नहर की बहुत बड़ी नहर जो रीवा को जा रही है उस नहर से भी हमको एक बूंद पानी नहीं मिल रहा जो मेरी विधान सभा से लगभग 22 किलोमीटर से निकलती है उसका एक बूंद पानी मुझे नहीं मिल रहा, उसका पूरा पानी या तो रीवा, सतना को जा रहा है या कहीं और जा रहा है. मेरा उपाध्यक्ष महोदया आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि उसका थोड़ा सा पानी भी अगर हम लोगों को मिल जाये तो हमारी बहोरीबंद विधान सभा, चूंकि वह पहाड़ में बसी हुई विधान सभा है. एक गौरव और उस विधान सभा का हम लोगों को प्राप्त है 5 बड़ी नदियां मेरी विधान सभा से निकलती हैं उसमें एक सुहार है, एक केन नदी जो पूरे बुंदेलखंड को पानी देती है वह मेरी बहोरीबंद विधान सभा से निकलती है, सुहार है, पत्नेय है, अलोनी है और एक जो हमारी कटनी की जीवन दायनी है वह कटनी नदी भी मेरी विधान सभा बहोरीबंद से निकलती है, इन नदियों का भी अगर संरक्षण किया जाये. इनको पानी रोकने का छोटे-छोटे बांधों के माध्यम से या बड़े बांधों के माध्यम से काम किया जाये. आपने बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, चूंकि मुड़वारा विधान सभा का अभी इन्होंने उल्लेख किया. नर्मदा नहर का पानी हम लोगों को कहीं भी नसीब नहीं हो पा रहा है तो कम से कम उसके माध्यम से चाहे लिफ्ट एरीगेशन के माध्यम से सिंचाई की एक योजना बनाई जाये क्योंकि हम लोगों के यहां किसानों को पानी के लिये कोई भी प्रावधान नहीं है, बहुत बड़ी परेशानी है. इस पर जरूर विशेष ध्यान दिया जाये. धन्यवाद.
श्री पहाड़ सिंह कन्नौजे (बागली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मुझे सदन में पहली बार बोलने का आपने जो समय दिया है इसके लिये सबसे पहले आपको धन्यवाद देता हूं. साथ ही मांग संख्या 23, 45 और 57 का विरोध करता हूं. मेरी बागली विधान सभा से बड़ी-बड़ी बहुउद्देशीय योजना जो मंजूर हुई है उसमें नर्मदा कालीसिंध लिंक परियोजना, नर्मदा पार्वदी फेस-1, नर्मदा पार्वती फेस-2 एवं बहुउद्देशीय नर्मदा योजना इन चारों योजनाओं का जो पानी है वह मेरे क्षेत्र से जा रहा है जो कि ओंकारेश्वर डेम और इंदिरा सागर डेम का मेरी बागली विधान सभा क्षेत्र का 100 किलोमीटर का किनारा है लेकिन हमारे संपूर्ण क्षेत्र को किसी न किसी कारण से वंचित रखा गया है जिसमें मैं आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं. पूर्व की हमारी जो सरकार थी उन लोगों का ऐसा कहना था कि उस समय जो सर्वे हुआ था, यह पहाड़ी क्षेत्र है और इस पहाड़ी क्षेत्र की वजह से इसको 50-50 किलोमीटर पानी का सेक्टर एरिया जो कम है और इसका खर्चा और लागत ज्यादा होने की वजह से उस क्षेत्र को सिंचाई से वंचित रखा गया है. मुझे ऐसा कहना पड़ रहा है कि इन योजनाओं से वहां जंगल में 27-27 मीटर की चौड़ाई से पेड़ काटे जा रहे हैं. हर योजना में लाखों के पेड़ कट रहे हैं और ऐसी हालत में वहां हरा भरा जंगल तो उजाड़ा जा रहा है, पानी वहीं का जा रहा है, जमीन वहीं की जा रही है और वहां के क्षेत्र को इस चीज से वंचित रखा जा रहा है. मेरा इस सदन के माध्यम से संपूर्ण क्षेत्र के प्रतिनिधि एवं सदन में बैठे हुये मेरे बंधुओं से बोलना चाहता हूं कि उस ट्राइबल क्षेत्र में इस व्यवस्था का ध्यान नहीं रखा गया है. मुझे ऐसा कहना पड़ रहा है कि इतने घने पेड़ को काटने का जो प्रस्ताव रखा गया उस जगह वापस जब योजना की पाइप लाइन डल जायेगी उसके बाद 27 मीटर जंगल जो कट रहा है उसी के किनारे-किनारे पुन: पेड़ पौधे लगाये जायें और उसके बदले में आगर मालवा के क्षेत्र में जो पेड़ लगाये जा रहे हैं उस क्षेत्र का न तो हमारे क्षेत्र में जलवाऊ और वाइल्ड लाइफ पूरा क्षेत्र प्रभावित हो रहा है. मुझे आपने बोलने का मौका दिया, धन्यवाद.
डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मुझे एक मिनट का समय दिया जाये.
उपाध्यक्ष महोदया- बोलिये.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- धन्यवाद उपाध्यक्ष महोदया, मैं कुछ बात रखना चाह रहा था कि मेरा क्षेत्र भी चूंकि चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है, लेकिन उसके बाद भी चूंकि पहाड़ी और जंगल वाला क्षेत्र है, लेकिन वहां पर न तो बारिस का पानी टिक पाता है और न ही हम निचले स्तर से ले जा सकते हैं. एक बहुत बड़ी समस्या है और यही वजह है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने भी उसकी तरफ बिलकुल ध्यान नहीं दिया. माननीय मंत्री जी से मैं यह चाहूंगा कि लिफ्ट एरीगेशन के माध्यम से, स्प्रिंक्लर के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था की जाये ताकि आये दिन पूरे गांव के गांव वहां से पलायन कर जाते हैं, अगर सिंचाई की सुविधा मिल जाती है तो जो किसान हैं वह उपज हासिल कर सकते हैं ताकि वहां पर पलायन रोका जा सके. उपाध्यक्ष जी धन्यवाद.
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लगभग 26-27 लोगों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिये हैं और अपनी-अपनी बात रखी है कि कैसे प्रदेश में किस तरह से बेहतर प्रदेश में सिंचाई की व्यवस्था हो सके और कैसे बेहतर हम इस दिशा में कार्य कर सकें ? यह सभी लोगों ने सुझाया है. मैं अभी तो अपनी योजनाओं के बारे में बताना चाहता हूं. डाक्टर साहब कहकर चले गये उन्होंने कहा था कि आपका विजन क्या है, डाक्टर साहब यहां होते तो अपनी बात अच्छे से कहता. आप लोग मेरी बात उन तक पहुंचा दीजिये. जल संसाधन विभाग की मांगों को विधान सभा से पारित कराने के लिये मैं खड़ा हुआ हूं. जल संसाधन विभाग मुख्यत: प्रदेश में तीन उद्देश्यों पर काम करता है पहली सिंचाई क्षमता के लिये, दूसरा उपलब्ध क्षमता के भरपूर उपयोग के लिये और तीसरा भविष्य की योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिये. यह कार्य हमारा कितना फलीभूत होगा, यह निर्णय तो प्रदेश की जनता करेगी, मैं तो इतना बताना चाहूंगा कि आप सब लोगों ने एक बात जो बार-बार कही है. 45 हजार हेक्टेयर, 55 हजार हेक्टेयर, 33 हजार हेक्टेयर और अंत में 7 लाख हेक्टेयर की बात कही. मित्रों, आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि जब हम 2003 में छोड़कर गये थे तो उस समय 20 हजार हेक्टेयर, 20 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र था. यह बार-बार उस समय की बात कह रहे हैं कि किसी एक साल में अवर्षा के कारण 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो सकी थी. मैं आपको बता दूं कि 45 लाख 55 लाख की जो बात आप कह रहे हैं, मैं यह कहूं कि आज सिर्फ डब्लू.आर.डी. की बात कर लें, सिर्फ सिंचाई विभाग की बात कर लें तो सवा सत्ताईस लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती है. कैसे करते हैं लोग आंकड़ों की बाजीगरी, खरीफ और रबी दोनों को जोड़ देते हैं और जब दोनों को जोड़ते हैं तो रकबा बढ़ जाता है. ऐसा संभव नहीं है और ऐसा नहीं करना चाहिये. इस मसले पर मैं आगे और बात करूंगा. इस मसले पर माननीय मंत्रियों ने हमारे साथियों ने भी मंत्रिमण्डल में इस बात को...
4.52 बजे अध्यक्ष महोदय { श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) } पीठासीन हुए
....उठाया था. आज विधान सभा में भी यही बात उठाई है. जल संसाधन विभाग प्रदेश में सिंचाई का लक्ष्य 45 लाख हेक्टेयर का निर्धारित कर रहा है. इसको आप 27 लाख कह लें या 29 लाख कह लें. वही बात, खरीफ और रबी को जोड़ लोगे तो 29 लाख हेक्टेयर हो जायेगा और अगर एक को जोड़ोगे तो सवा सत्ताईस लाख होगा. तो इस हिसाब से देखा जाये तो इसको सवा सत्ताईस लाख ही मानना चाहिये. बढ़ा-चढ़ाकर तमगा लेने की जरूरत नहीं है. कार्य अपने आप दिखता है. हमने 45 लाख हेक्टेयर का 2025 तक का एक विजन बनाया है और इस विजन पर हम 2025 तक 1 लाख 10 हजार करोड़ सिंचाई क्षमता पर खर्च करेंगे. सिंचाई योजना के बजट में इस वर्ष 6877 करोड़ का प्रावधान आपके सामने रखा है और जैसे-जैसे जरूरत होगी तो पैसे की कमी इसमें नहीं आने देंगे. आप बोलेंगे कि पैसे की कमी है योजना बड़ी बना ली. आज भी हमारे मुख्यमंत्री जी, नीति आयोग की बैठक में गये हैं उसमें भी प्रथम क्विश्चन भी यही है. तो हम प्रयास करेंगे कि केन्द्र सरकार से हमें सहायता मिले और केन्द्र सरकार के बाद भी आवश्यकता पड़ी तो और भी विकल्प हमारे सामने खुले हैं. उन विकल्पों से आप भली भांति परिचित हैं. आप लोगों ने भी वह रास्ते देखे हैं और उन रास्तों का उपयोग करना आवश्यक होता है परन्तु इस विजन को 2025 तक हम लोग पूरा करेंगे. जैसे 2018-19 में खरीफ, रबी की फसल में हमने 2 लाख 47 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की और रबी में 27.19 लाख हेक्टेयर में सिंचाई कराई है. यह तो ठीक है प्राकृतिक रूप से जो सिंचाई होती है, वह होती है पर जहां वन भूमि है, ऊंचे पहाड़ हैं, ऐसे दुर्गम स्थल हैं, जहां नहर का उपयोग नहीं किया जा सकता हो और सिंचाई की व्यवस्था नहीं की जा सकती हो, उसके लिये सूक्ष्म सिंचाई परियोजना की व्यवस्था भी इसमें शामिल की गई है माननीय अध्यक्ष महोदय. अब बात यह है कि आप बोलेंगे कि हमारे क्षेत्र की बात, आपके समय की बात, हमारे समय की बात, यह योजनाएं कभी 1 साल, 2 साल, या 5 साल या 10 साल में पूरी नहीं होती है. काफी समय लगता है. अब मैं ये कहूं कि 2003 के बाद की पाईप लाईन की योजनाएं आपके कार्यकाल में पूरी हुईं. वही बात हुई जैसी कल सज्जन सिंह वर्मा जी बोल रहे थे कि मंगल यान 1 दिन में या 9 महीने या 5 साल में नहीं बन गया तो इस बात से अलग रहकर प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये, प्रदेश की सिंचाई की योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिये, लोगों में खुशहाली लाने के लिये इन सब बातों को नगण्य करना होगा. जहां तक इन योजनाओं की बात है, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति में हमारी लगभग 24 वृहद और 35 मध्यम और सूक्ष्म योजनाएं निर्माणाधीन हैं और जब यह पूर्ण हो जायेंगी तो लगभग 15 लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई हो पायेगी. इसके साथ-साथ जो अपव्यय की बात हुई है. सदन में भी माननीय सदस्यों ने यह बात रखी है कि जल का अपव्यय होता है. उसके लिये भी हम लोगों ने तवा बांध में इस कार्य को करने के लिये कार्य शुरू किया है. वहां तक भी पानी पहुंचाना सूक्ष्म परियोजनाओं का लक्ष्य रहा है. अधिकतम जल का उपयोग कर लिया जाता है. जहां नहरों में पानी पहुंचाना संभव नहीं है, सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं से उपलब्ध कराया गया है. हमने अभी 9483 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण कार्य की एजेंसियों का निर्धारण कर लिया गया है. इनके पूर्ण होने पर 5 लाख 41 हजार हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई और प्राप्त हो सकेगी. राज्य में बेहतर जल प्रबंधन के लिए हम लोगों ने सिंचाई क्षमताओं का विकास किया है. इसका सीधा प्रभाव प्रदेश के कृषि उत्पादन क्षमता पर पड़ता है. आज की स्थिति में कुल 23 वृहद एवं मध्यम सिंचाई योजनाओं से 10 लाख 37 हजार हेक्टेयर में कमांड क्षेत्र में वाटर कोर्सेस एंड फील्ड चैनल का कार्य चल रहा है. काफी काम पूर्ण भी हो चुका है. पूर्ववर्ती वृहद एवं मध्यम परियोजनाओं में जल रिसाव और अपव्यय की बात आई थी , उसके लिए हमने 2 वृहद परियोजनाओं का काम हाथ में लिया है और तीव्र गति से वह कार्य चल रहा है. तवा बांध और बारना दोनों में लाइनिंग का काम प्रगति पर है इसके साथ साथ 54 लघु योजनाएं हैं जिन पर आरआरआर के माध्यम से कार्य किया जा रहा है. सिंचाई के प्रबंधन के लिए समुचित बंटवारे में सहभागिता के लिए हमने 2064 जल उपभोक्ता समितियों के माध्यम से 24 लाख 74 हजार हेक्टेयर कमांड एरिया में सिंचाई का कार्य सहभागिता से सफलतापूर्वक संपूर्ण किया है. काफी सकारात्मक इसके रिजल्ट्स आए हैं. इन सिंचाई योजनाओं के रख-रखाव के लिए जो समितियां, संस्थाएं हैं उनको प्रशिक्षण के लिए समय समय पर वाल्मी संस्था के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जाता है इनका भ्रमण कार्य भी कराया जाता है ताकि इनकी प्रबंधन क्षमता और बढ़ सके. इसको हम पूरा करेंगे और इसको आगे और शक्तिशाली बनाने का हमारा संकल्प है. शासन की मंशा के अनुसार हमारी सरकार का संकल्प है हमारा वचनपत्र है उस वचनपत्र के एक-एक बिन्दु पर सिंचाई विभाग के सभी मुद्दों पर तथ्यपूर्वक योजना बनाकर इस कार्य को पूर्ण गति और प्रगति के साथ करने का काम जारी है.
अभी जैसा कहा गया था माननीय सदस्यों ने चिंता जाहिर की थी उनके बारे में मैं बताना चाहता हूं बेसिन वाइज़ किन योजनाओं का कितना लाभ और कितना खर्च होगा और प्रदेश की आने वाले समय में कितनी बेहतरी हो सकती है. मालवा अंचल में सिंचाई विभाग की परियोजनाओं में 5 लाख 38 हजार हेक्टेयर में आज सिंचाई हो रही है. वर्ष 2025 का जो हमारा विज़न है उसमें 2 लाख 30 हजार हेक्टेयर को और अतिरिक्त सिंचाई करने का हमारा लक्ष्य है जिसमें मंदसौर जिले में श्यामगढ़ सुवासरा, उज्जैन जिले में इंदोक परियोजना, धार जिले में कारम परियोजना, बरखेड़ा परियोजना बुरहानपुर जिले में भावसार परियोजना, शाजापुर जिले में पिलियाखाल परियोजना, खंडवा जिले में भाम तथा आंवलिया परियोजना, इस अंचल में 147 लघु परियोजनाएं भी क्रियान्वित की जा रही हैं. इन परियोजना 4487 करोड़ रुपये का व्यय लक्षित है. इस अंचल में बुरहानपुर जिले की वृहद परियोजना, पांगरी परियोजना, धार जिले की बिरलई परियोजना, खरगौन जिले में कुंडियातालाब परियोजना, बड़वानी जिले में बेनीतालाब योजना, आगर जिले में आहू परियोजना प्रस्तावित है. इन परियोजनाओं के निर्माण से 45610 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई अनुमानित है. इस कार्य में लगभग 1577 करोड़ रुपए की राशि व्यय होना अनुमानित है. विंध्यांचल तथा जबलपुर अंचल में सिंचाई परियोजना 4 लाख 97 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जा रही है. हम लोगों ने वर्ष 2025 तक का लक्ष्य बनाकर जो कार्यक्रम बनाया है उसमें 2 लाख 77 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई की व्यवस्था और की जाएगी, जिसमें 8000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, इस अंचल में छिंदवाड़ा जिले में सिंचाई, छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्प्लेक्स, डिंडौरी जिले में मुर्कीतालाब, खरमेर परियोजना, डिंडौरी परियोजना, करंजिया परियोजना, जबलपुर जिले में छीताखुर्द परियोजना, हिरण परियोजना, बगराजी परियोजना तथा इस अंचल में 73 लघु योजनाओं का निर्माणाधीन कार्य चल रहा है. इन परियोजनाओं 2 लाख 59 हजार 227 हेक्टेयर में सिंचाई होना अनुमानित है. इसी प्रकार इसी अंचल में बालाघाट में डोकरिया परियोजना, मंडला जिले में थावर परियोजना का निर्माण प्रस्तावित है. इन परियोजनाओं में 9900 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई की संभावना हो सकेगी. बघेलखण्ड तथा रेवांचल में सिंचाई परियोजनाओं में 3 लाख 37 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जा रही है. वर्ष 2025 में बघेलखण्ड तथा रेवांचल में 3 लाख 59 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी. इस अंचल रीवा, सतना, सीधी जिले में बाणसागर परियोजना के चरण 2 के अंतर्गत त्यौंथर बहार, बहुतीनार तथा मंझगवां का निर्माण किया जा रहा है. सतना जिले में रामनगर सूक्ष्म सिंचाई परियोजना, मझगवां सूक्ष्म परियोजना तथा झिन्ना सूक्ष्म परियोजना, सिंगरौली जिले में गोल्ड सिंचाई परियोजना, शहडोल जिले में भन्नी परियोजना तथा हिरवार सूक्ष्म परियोजना का निर्माण का कार्य चल रहा है. इस अंचल में 54 लघु सिंचाई योजनाओं का कार्य भी निर्माणधीन है. इन परियोजनाओं के लिए 3 लाख 19 हजार 865 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई की क्षमता बढ़ेंगी. इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में सिंगरौली जिले में रिहन्द की जो अभी बात आई थी इस परियोजना में अनूपपुर की सीतामढ़ी परियोजना का निर्माण कार्य प्रस्तावित है. जिस पर 39400 हेक्टेयर सिंचाई की संभावना है. इस कार्य को भी हम प्राइरिटी में ले रहे हैं. बुन्देलखण्ड अंचल में विभाग की परियोजनाओं में 2 लाख 75 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जा रही है. चूंकि बुन्देलखण्ड में काफी सूखा है और वहां पर पेयजल की भी काफी समस्या है. इन तमाम बातों को लक्ष्य को ख्याल में रखते हुए इस कार्यक्रम को हाथ में लिया गया है. वर्ष 2025 तक बुन्देलखण्ड अंचल में 9 लाख 33 हजार हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की जाएगी. लगभग 31942 करोड़ रुपये का हम बुन्देलखण्ड में निवेश करेंगे. इस अंचल में दमोह जिले की साजली सिंचाई परियोजना, पंचम परियोजना, इससे जुड़ी हुई परियोजना सतरूज, सतधारू परियोजना तथा सीतानगर सिंचाई परियोजना, टीकमगढ़ जिले में बाणसुजारा सिंचाई परियोजना, सागर एवं विदिशा जिले में संयुक्त रूप से बीना परियोजना, सागर जिले में केथ परियोजना, कडान परियोजना, बंडा परियोजना, कोपरा परियोजना, हनौती सिंचाई परियोजना और आपचंद परियोजना तथा पन्ना जिले की मझगांय रून्झ परियोजनाओं का निर्माण कार्य किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त 45 लघु सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य भी अतिरिक्त रूप से जारी है. इन निर्मित कार्यों में 4 लाख 37 हजार 855 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्राप्त हो सकेगी. इस अंचल में दमोह जिले में ब्यारम सिंचाई योजना, पन्ना जिले में पथनेय परियोजना, सागर जिले में बेबस परियोजना तथा मिडढास परियोजना के निर्माण के कार्य का प्रस्ताव हमारे पास में है. इन परियोजनाओं के निर्माण में 4 लाख 95 हजार 800 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी. इन परियोजनाओं की लागत लगभग 18000 करोड़ रुपये आंकलित की गई है.
भोपाल अंचल में सिंचाई परियोजनाओं में 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर में आज सिंचाई क्षमता है. इसको वर्ष 2025 तक हमारे लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमने 4 लाख 51 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई की व्यवस्था की गई है, जिसमें 13700 करोड़ रुपए का निवेश हम करने जा रहे हैं. इसमें राजगढ़ जिले का मोहनपुरा परियोजना, कुंडालिया परियोजना, पार्वतीवृद्ध सुठालिया परियोजना, विदिशा जिले की टेम परियोजना तथा कोठा बेराज परियोजना, सीहोर जिले की खरसानिया, मोगराखेड़ा सनकोटा तथा कानियाखेड़ी परियोजनाओं का निर्माण कार्य चल रहा है. इस क्षेत्र में 58 लघु सिंचाई योजनाओं का कार्य भी क्रियान्वित किया जा रहा है. इन निर्माणाधीन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर 4 लाख 12 हजार 334 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी. गुना जिले में कुंभराज वृहद परियोजना, राजगढ़ जिले में घाटखेड़ी परियोजना, रायसेन जिले में घाटाखेड़ी तालाब परियोजना , सीहोर जिले में श्यामपुर परियोजना का निर्माण प्रस्तावित है इस कार्य में लगभग 1487 करोड़ का निवेश किया जायेगा. ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र में 8 लाख 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वर्तमान में सिंचाई की जा रही है. 2025 तक हम ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था करेंगे, इस पर 7286 करोड़ रूपये का निवेश करेंगे. इस अंचल में अशोक नगर, शिवपुरी, दतिया की सीमाओं में लोअर ऑर परियोजना अशोक नगर जिले में चंदेरी परियोजना व श्योपुर जिले में चंबल सूक्ष्म परियोजना, मंजूरी सिंचाई परियोजना, दतिया जिले में मां रतनगढ़ परियोजना एवं शिवपुरी जिले में सिरगमा मध्यम परियोजना के निर्माण का काम चल रहा है. इस अंचल में 26 लघु परियोजनाओं का काम भी चल रहा है. इन परियोजनाओं में 2 लाख 27 हजार 673 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई होगी. इसके अतिरिक्त अशोक नगर जिले में आरोन वृहद परियोजना, अपर लोअर परियोजना, शिवपुरी जिले में लोअर बुजना परियोजना एवं सनगढ़ा परियोजना का निर्माण कार्य प्रस्तावित है इन प्रस्तावित योजनाओं से 57330 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई करना संभव हो सकेगा. होशंगाबाद तथा सतपुड़ा अंचल में अभी 4 लाख 2 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है 2025 तक का जो हमारा विजन है उसमें इस क्षेत्र में 1 लाख 43 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई किया जाना संभव हो सकेगा, तथा इस क्षेत्र में 4608 करोड़ रूपये का निवेश करेंगे. इस क्षेत्र में बैतूल तथा खण्डवा क्षेत्र की ताप्ती चल्लूर परियोजना बैतूल की पारसडोह, गढ़ा परियोजना, वरधा परियोजना,घोघरी परियोजना, निर्गुट परियोजना, सातलदेही तथा मेढ़ा परियोजना भी निर्माणाधीन हैं इसके अतिरिक्त 38 लघु परियोजनाएं..
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय हमारा विशेष आग्रह है कि कल भी लोक निर्माण मंत्री जी ने जो बजट पिछले साल हमने पेश किया था उन्हीं सड़कों के नाम का उल्लेख कर दिया था आज भी लगता है कि आपने हमारे पुराने मंत्री जी का भाषण पढ़ दिया है, आप देख लें इस पर आपकी व्यवस्था चाहिए.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं विधायक जी से अनुरोध करूंगा कि मैं अगर आपसे यह पूछूं कि 2003 के बाद में हम कितनी योजनाएं छोड़कर गये थे और पाइप लाइन में कितनी थी यह बतायें. यह योजनाएं कभी भी एक दो या पांच साल में पूरी नहीं होती हैं.
श्री रामपाल सिंह -- पिछले बजट में जो आ चुकी हैं उनका कृपा कर उल्लेख न करें.
अध्यक्ष महोदय -- विधायक जी मेरा कहना है कि कुछ काम सतत प्रक्रिया में चलती हैं.
श्री हुकुमसिंह कराड़ा -- अध्यक्ष महोदय इनमें 38 लघु परियोजनाओं का काम चल रहा है इन निर्माणों में 1 लाख 42 हजार 742 हेक्टेयर सिंचाई संभव हो सकेगी कुल मिलाकर अध्यक्ष महोदय 19 लाख 92 हजार 174 हेक्टेयर में अतिरिक्त रूप से सिंचाई योजना विकसित करेंगे और लोगों को लाभ मिलेगा, इसीलिए मैंने कहा कि जो 27 हजार की क्षमता आज है वह 20 हजार मिलाकर 47 हजार होती है, उसमें हम 45 हजार का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, यह 45 हजार पूरा करेंगे, उसके बाद में सूक्ष्म प्रणाली का अलग से एनवीडीए के लिए तैयारियां की हैं वह आपको अलग से एनवीडीए के मंत्री जी आपको बतायेंगे.
अध्यक्ष महोदय मैं यह ही कहना चाहता हूं कि मित्रों आपका और हमारा कुछ भी नहीं होता है, न आप अपने लिए करते हैं, न हम हमारे लिए करते हैं, जो कुछ करते हैं इस प्रदेश के लोगों के लिए करते हैं, प्रदेश की जनता के लिए करते हैं. लोगों की भलाई के लिए करते हैं और सिंचाई का मतलब यह है कि ज्यादा से ज्यादा सिंचाई का हमारा लक्ष्य है इस लक्ष्य के लिए भले ही हम अलग अलग विचार रखते हैं परंतु हमारा उद्देश्य एक ही हैं. इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए जो प्रयास आपने किये हैं वह प्रशंसनीय हो सकते हैं, कहीं गलती आपने भी की होंगी, कहीं पर हम भी गलती करेंगे, यह अलग मेटर हो सकता है लेकिन लक्ष्य तो आपका और हमारा एक ही है कि सिंचाई योजनाएं निरंतर तरीके से चलती रहें, निरंतर प्रक्रिया में चलती रहें मैं आपको यह कहना चाहता हूं कि प्रदेश का हित सर्वोपरी है उसको ध्यान में रखकर, हमारी यह सरकार बहुत ही संवेदनशील है हम अपने वादों को पूरा करेंगे. यहां पर बार बार बात आती है वचन पत्र की उसको हम गीता मानकर उस वचन पत्र को निभायेंगे. पांच साल में उसको पूरा करेंगे यह आपको वचन देते हैं और आप बार बार एक बात कहते हैं. मैं यहां पर इससे थोड़ा सा इससे अलग हटकर निवेदन करना चाहूंगा कि जो बारबार इस सदन में बात आती है कि दो लाख का कर्जा माफ नहीं होगा. मैं आ ज आपसे अधिकृत रूप से यह कह रहा हूं कि हम इसी सदन के अंदर आपको बतायेंगे कि दो लाख रूपये का किसानों का कर्जा माफ होगा, यह अटल है, सत्य है और वचन है. इसलिए आपके मन में कोई क्फ्यूजन नहीं होना चाहिए, हम सब लोग मिलकर बेहतरी के लिए काम करें.
श्री रामपाल सिंह -- मंत्री जी आपके यह दो लाख के कर्ज माफ करने के लिए 10 दिन कब होंगे. वह भी बता दें...(व्यवधान)..
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा कहना है कि जो आप निजी भूमि का अधिग्रहण करेंगे उसमें किसान हर जगह पर मांग कर रहे हैं कि हमें मुआवजा ज्यादा मिलना चाहिए मैं केवल आपसे यह जानना चाहूंगा कि उन किसानों के लिए आप क्या कोई समिति बनायेंगे या ऐसा नियम बनायेंगे कि उनको पर्याप्त मुआवजा मिल जाय और आपकी परियोजनाएं सुचारू रूप से चलें. धन्यवाद्य
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- माननीय सदस्य को मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि यह जो मुआवजे का रेट है वह तो कलेक्टर के रेट के हिसाब से होता है वह कम है मैं उसको मानता हूं क्योंकि कलेक्टर के रेट कम हो गये हैं, इसलिए वह कम हुआ है परंतु जो पैकेज की बात की थी तो जो 3.5 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर की बात की थी वह इस तरफ बैठे लोगों की करामात थी उसके लिए आप और हम सब भुगत रहे हैं, इसके लिए आप और हम सब मिलकर बैठकर विचार करेंगे और कोई न कोई निर्णय करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - इनका 20 प्रतिशत का कोई असर तो नहीं होगा उस पर.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं इनकी बात का जवाब नहीं देना,मंत्री जी और कोई विषय रह गया है.
श्री हरिशंकर खटीक -- एक ही विषय रह गया है कि हम लोगों ने जो बात की थी उसका जवाब नहीं आया.
श्री उमाकांत शर्मा -- अ ध्यक्ष महोदय विदिशा जिले की टेम परियोजना का उल्लेख किया गया है उसमें विदिशा जिले को थोड़ा भी फायदा नहीं है एक बूंद भी पानी नहीं मिल रहा है. उसके बाद में भी लटेरी को, उसके बाद में भी लटेरी के किसानों को 7.5 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर और भोपाल के किसानों को 14 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जा रहा है इस विसंगति को दूर किया जाय.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से यह है.
श्री उमाकांत शर्मा -- कलेक्टर गाइड लाइन का इतना दुगना अंतर.
अध्यक्ष महोदय -- मेरी अनुमति के बिना जो भी सदस्य बोलेंगे वह रिकार्ड में नहीं आयेगा, और जो सीधी सीधी बात करे उसको बिल्कुल रिकार्ड में मत लेना.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- अध्यक्ष महोदय, इस पर मैं कोई वाद विवाद नहीं चाहता हूं. ..
श्री अजय विशनोई -- अध्यक्ष महोदय, रिकार्ड में नहीं आयेगा और बिलकुल नहीं आयेगा, इन दोनों का फर्क हमें बतला दें, ताकि हम लोग वैसा व्यवहार करें.
अध्यक्ष महोदय -- दोनों में फर्क है. प्यार करना और प्यार हो गया, दोनों में फर्क है. ..(हंसी)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, रिकार्ड में नहीं आये, तो नहीं आये, सुन तो सब ने लिया.
अध्यक्ष महोदय -- आइसक्रीम खाना और आइसक्रीम पिघलाकर खाना,दोनों में फर्क है. ..(हंसी)..
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- अध्यक्ष महोदय, मैं इस विवाद में ज्यादा जाना नहीं चाहता. मैं तो सिर्फ यह कहता हूं कि मेरे अधिकारियों ने भी नोट किया है और मैंने भी सारे एक एक माननीय सदस्यों के सुझाव नोट किये हैं. मैं सबका आभार व्यक्त करता हूं और सब लोगों को बधाई देता हूं और आश्वस्त करता हूं कि इस प्रदेश के लिये, सिंचाई की व्यवस्था के बारे में जो बेहतर हो सकता है, जो बेहतर से बेहतर हम कर सकते हैं, वह काम करने के लिये संकल्प के साथ आपका काम पूरा करेंगे. आप इस भरोसे के साथ मेरे विभाग की मांगों को स्वीकार करने का कष्ट करें, पारित करने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय -- (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया,सदस्य के खड़े होने पर) यशपाल सिंह जी, एक मिनट रुक जाइये. यशपाल जी, आप सब लोग अपने अपने बारे में बोल लेते हैं, मैं कभी बोल नहीं सकता. कभी कोई मेरे लिये बोलेगा. मैं सभी सदस्यों को अनुमति देता हूं, कभी किसी ने मेरे लिये बोला, मेरे क्षेत्र के लिये बोला, किसी ने नहीं बोला. कोई बात नहीं.
एक बात है , मैं आप लोगों से सलाह लेना चाहता हूं कि अभी गृह मंत्री जी की मांगों पर चर्चा चालू होगी. अभी 5.30 बज रहे हैं. मेरी इच्छा है कि 8.00 बजे के बाद वाणिज्यिक कर विभाग की मांग पर रात में ही डिसकशन करें, तो ज्यादा अच्छा होगा,क्योंकि विभाग वैसा है. यह मेरा सुझाव है, मैं कुछ बोल नहीं रहा हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष जी, हम सब बिगड़ जायेंगे. राठौर साहब वाली मुख्यधारा से जुड़ जायेंगे. ..(हंसी)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, गृह विभाग के लिये आपने दो घण्टे निर्धारित किये हैं. गृह मंत्री जी की मांगें 7.30 बजे तक पूर्ण हो जायेंगी. और बाकी वाणिज्यिक कर विभाग की मांग है, आधे घण्टे में वह पूरी हो जायेगी.
5.25 बजे
(3) |
मांग संख्या 3 |
पुलिस |
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मांग संख्या 4 |
गृह विभाग से संबंधित अन्य व्यय |
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मांग संख्या 5 |
जेल.
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उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब, मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) -- अध्यक्ष महोदय, आपने कहा था कि अनुमति लेकर बोलें. मेरा एक निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- हां बोलिये, क्या बोल रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय, मुझे नहीं पता कि नियम के अंतर्गत है या व्यवस्था के अंतर्गत है. अनुदान की मांगों पर, मैं भी तीसरी बार का विधायक हूं. पिछली दो सरकारों के समय मैंने देखा कि मंत्री जी एक एक सदस्य का नाम नोट करके जब अपना भाषण देते हैं, तब उनके नामों का उल्लेख करते हैं. अभी लगातार दो दिन से जो डिमांड्स पर चर्चा चल रही है, इसमें मंत्री गण द्वारा किसी भी सदस्य का नाम नहीं लिया जा रहा है. मैं चाहता हूं कि आप व्यवस्था दें, अगर प्रक्रिया, परम्परा है, तो निर्वहन करें. जैसा आसंदी इसको सुनिश्चित करे, धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, लोकसभा में भी नाम लेते हैं.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)-- अध्यक्ष महोदय, मैं भी एक अनुमति चाह रहा हूं. इतनी व्यवस्थित विधान सभा चली है. आसंदी को आप धन्यवाद दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- सिसौदिया जी, वैसे मंत्री गण सुन रहे हैं. ठीक बात है. जब आप अपना जवाब दें, तो कुछ माननीय सदस्यों का उल्लेख जरुर कर लें, ताकि उन्हें समझ में आये कि आपके ध्यान और संज्ञान में बात है.
श्री बाला बच्चन -- जी, अध्यक्ष महोदय.
श्री भूपेन्द्र सिंह (खुरई) -- धन्यवाद अध्यक्ष जी. आज यहां पर गृह विभाग की मांगों पर चर्चा हो रही है. हम सब इस बात को जानते हैं कि किसी भी राज्य के विकास का आधार उस राज्य की कानून व्यवस्था होती है. जो बजट मंत्री जी ने प्रस्तुत किया है, उस बजट में अगर हम देखें, तो टोटल जो बजट है सरकार का, उस कुल बजट का 3.24 प्रतिशत बजट गृह विभाग को प्रस्तावित किया गया है और गृह विभाग के बजट में कमी है. अध्यक्ष महोदय, चुनाव के समय मुख्यमंत्री जी ने ट्विटर के माध्यम से यह कहा था कि राज्य में अगर हमारी सरकार बनती है, तो हम गृह विभाग का बजट 5 प्रतिशत करेंगे. अगर 5 प्रतिशत के आधार पर हम देखें, तो यह जो बजट है, लगभग 9600 करोड़ के आस पास यह बजट पहुंचता है, परन्तु वह नहीं हो पाया. चुनाव के समय जो गृह विभाग के संबंध में, राज्य की कानून व्यवस्था के संबंध में प्रदेश की जनता से आपने कुछ आश्वासन किये थे. इसमें 50 हजार नये पुलिस कर्मियों की भर्ती की बात उस समय हुई थी. पर अभी के बजट में जो पूर्व की सरकार ने लगभग 5 हजार पदों की भर्ती की स्वीकृति इस वर्ष दी थी, वह स्वीकृति भी इस बजट में मंत्री जी नहीं है और आपको मालूम है कि उस समय हम लोगों ने यह तय किया था कि प्रत्येक वर्ष लगभग 6 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती करेंगे और 5 वर्ष में 35 हजार भर्तियों का लक्ष्य हम लोगों का था. 15 हजार हम लोगों ने पहले किए, उसके बाद 5 हजार, इस तरह से अलग-अलग वर्षों में किए.
माननीय अध्यक्ष जी, अवकाश की बात भी हुई थी, पुलिस को अवकाश देने की बात भी हुई थी, वह भी कितना हो पाया, आप बताएंगे. इसके अलावा ड्यूटी के समय में कमी की बात भी आपकी तरफ से आई थी. पुलिसकर्मियों के लिए 40 हजार अतिरिक्त भवन की बात भी आई थी. महिलाओं और बच्चों के प्रति जो अपराध हो रहे हैं, इनके रोकथाम के लिए ठोस कानूनी व्यवस्था के संबंध में भी उस समय आपकी तरफ से कहा गया था. मैं चाहूँगा कि माननीय मंत्री जी जब उत्तर दें तो अपने उत्तर में ये बताएं कि इस संबंध में सरकार ने क्या-क्या योजनाएं बनाई हैं, क्या-क्या आप कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, आपको मालूम है कि हमारे देश का मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य था, जहां पर हम लोगों ने सबसे पहले डॉयल-100 सेवा शुरू की थी. डॉयल-100 के कितने अच्छे परिणाम पूरे राज्य में मिल रहे थे, यह सब आपने भी उस समय देखा, आप भी विधायक थे. हम लोगों ने डॉयल-100 के लिए 1 हजार गाड़ियां दी थीं. यह बहुत उपयोगी है, तत्काल 3 मिनट या 5 मिनट के अंदर शहर में पुलिस पहुँच जाती है, गांवों में लगभग 25-30 मिनट में पुलिस पहुँच जाती है. हम लोगों ने इस वर्ष के लिए प्रावधान किया था कि 500 डॉयल-100 हम लोग इस वर्ष बढ़ाएंगे. परंतु अभी जो बजट आपकी तरफ से आया है, माननीय मंत्री जी, उसमें डॉयल-100 बढ़ाने की बात नहीं की गई है, 500 डॉयल-100 जो बढ़ाने की बात थी, यह प्रावधान इस बजट में नहीं है, क्या कारण है, यह क्यों नहीं हो पाया, जबकि यह महत्वपूर्ण था.
5.31 बजे {सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए}
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय सभापति महोदय, राज्य की सुरक्षा को ध्यान में रखकर हम लोगों ने प्रदेश के सभी 51 जिलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए थे. कुछ स्थानों पर जैसे पर्यटक स्थलों पर या कुछ तहसीलों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. इन सीसीटीवी कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए विभाग की तरफ से आपके पास प्रस्ताव आया 900 करोड़ रुपये का, आपने एक पैसा नहीं दिया. अब आप ये बताइये कि राज्य की सुरक्षा के लिए जो आज की टैक्नॉलाजी में सबसे मजबूत तंत्र है, उस सीसीटीवी कैमरे की मॉनिटरिंग के लिए विभाग की तरफ से 900 करोड़ रुपये का प्रस्ताव आया था, वह भी इसमें सम्मिलित नहीं है. बिना मॉनिटरिंग के हमारी सुरक्षा कैसे हो पाएगी, क्योंकि आज के समय में पुलिस बहुत बड़ा इनवेस्टिगेशन सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से कर पाती है. वह सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से अपराधियों को पकड़ पाती है.
श्री कुणाल चौधरी -- अभी तो सीसीटीवी कैमरों की मॉनिटरिंग करवानी पड़ेगी साहब, क्योंकि 362 इंदौर में लगे थे...(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आप बैठ जाओ यार, क्यों डिस्टर्ब करते हो...(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- कुणाल जी, बैठ जाइये.
5.32 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन की लॉबी में चाय की व्यवस्था
सभापति महोदय -- माननीय सदस्यों के लिए सदन की लॉबी में चाय की व्यवस्था की गई है. अनुरोध है कि सुविधानुसार चाय ग्रहण करने का कष्ट करें.
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय सभापति महोदय, मेरा पक्ष एवं विपक्ष के सभी माननीय सदस्यों से आग्रह है कि आपको बोलने का पर्याप्त समय मिलेगा. यह राज्य की सुरक्षा को लेकर चर्चा हो रही है, थोड़ी गंभीरता हम रखेंगे तो बाहर अच्छा संदेश जाएगा. मैं समझता हूँ कि हो-हल्ला से बाहर अच्छा संदेश नहीं जाता, इसलिए मेरा आपसे आग्रह है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय सभापति महोदय, उसमें जांच..
सभापति महोदय -- आप व्यवधान न करें, कुणाल जी जो भी बोल रहे हैं, नहीं लिखा जाएगा.
...(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX)
...(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- (अनेक माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) माननीय सदस्यगण, बैठ जाइये. पटेल साहब, बैठ जाइये. वर्मा जी, बैठ जाइये. दिलीप सिंह जी, बैठ जाइये. आशीष जी, आप भी बैठ जाइये. हरिशंकर जी, आप भी बैठ जाइये. भूपेन्द्र सिंह के अलावा जो कोई भी बोलेगा, वह रिकार्ड नहीं होगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय सभापति जी, मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही अपराधियों को ऐसा लगा कि जैसे मध्यप्रदेश में उनकी सरकार आ गई हो.
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX)
सभापति महोदय -- कुणाल जी, आप व्यवधान खड़ा न करें. बैठ जाइये.
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX)
सभापति महोदय -- आपका जब समय आएगा तो आपको बोलने का अवसर मिलेगा.
श्री मनोहर ऊँटवाल -- (XXX)
सभापति महोदय -- मनोहर जी, बैठ जाएं.
श्री जालम सिंह पटेल -- (XXX)
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- (XXX)
सभापति महोदय -- पटेल साहब, व्यवस्था में सहयोग दीजिए, भूपेन्द्र सिंह जी ओपनर हैं. पूर्व गृह मंत्री हैं, वरिष्ठ नेता हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय सभापति जी, मैं आंकड़ों पर नहीं जाना चाहता, माननीय मंत्री जी के पास भी आंकड़े हैं, मेरे पास भी हैं. एनसीआरबी के आंकड़े उनके पास भी हैं, मेरे पास भी हैं. वे कहेंगे, मुझे उसमें कोई आपत्ति नहीं है, उनको कहना चाहिए, पर अपराधों की संख्या हम कुछ कम-ज्यादा करके बता दें, इससे मामला नहीं सुलझता. अपराधों की श्रेणी क्या है ? अगर माइनर अपराध कहीं कम हो गए हैं, पिछले समय में यदि हम देखें तो इतने गंभीर श्रेणी के अपराध हमारे प्रदेश के अंदर हुए हैं जो हम सबके लिए चिंता का विषय है और माननीय मंत्री जी, हमारे प्रदेश में पहले डकैती की समस्या थी, आज डकैती की समस्या नहीं है. हमारे प्रदेश में आतंकवाद की समस्या थी, आज आतंकवाद की समस्या नहीं है. नक्सलवाद की समस्या थी, आज नक्सलवाद की समस्या नहीं है. अब इन समस्याओं से हमारा प्रदेश निकल चुका है, आज हम लोग इन समस्याओं से बाहर हैं. आज तो हमारे राज्य की कानून-व्यवस्था की चुनौती सिर्फ हमारे सामने है. कोई बाहरी चुनौती हमारे सामने नहीं है, फिर क्या कारण है कि हमारे राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी गंभीर स्थिति में पहुँच गई मध्यप्रदेश के अंदर कि आज प्रदेश में कोई नागरिक अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है. लोग अपने-अपने मोहल्लों में समितियां बना रहे हैं, समितियां बनाकर अपने परिवार के बच्चों की, बच्चियों की चिंता कर रहे हैं. अभी तक तो बच्चियों की चिंता करनी पड़ती थी, लेकिन अब तो लोग बच्चों को घर से उठाकर ले जा रहे हैं.
माननीय सभापति जी, यह स्थिति प्रदेश के लिए, हम सबके लिए बहुत चिंताजनक है. इसके लिए माननीय मंत्री जी, जब तक हम कार्य योजना नहीं बनाएंगे, कोई भी सरकार हो, चाहे आपकी हो, हमारी हो, तब तक हम इन गंभीर अपराधों से नहीं निपट सकते. इसलिए हमें कार्य योजना बनानी पड़ेगी. जनता को यह विश्वास दिलाना पड़ेगा कि सरकार प्रदेश में हो रहे अपराधों के प्रति गंभीर है.
सभापति महोदय, अपराध दो तरह के होते हैं, एक अपराध परिस्थिजन्य होते हैं, एक अपराध संगठित होते हैं. इस समय माननीय मंत्री जी, प्रदेश के अंदर संगठित अपराध बढ़े हैं जो हमारे लिए चिंता का विषय है, आपके लिए चिंता का विषय है. इसमें अगर हम देखेंगे तो 6 माह के अंदर, आपका ही उत्तर है, हत्या के मामले 1 हजार, दुष्कर्म के 2800, अपहरण के 5500, लूट के 700, डकैती के 35, मासूमों से दुष्कर्म के 44, अपहरण कर हत्या के 110, चोरी के 14 हजार, माननीय सभापति जी, इसमें भी हम अगर देखें, तो इन्दौर हमारे प्रदेश में शांति का टापू और आर्थिक क्षेत्र माना जाता है. जिसे हम लोग प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहते हैं, वह इन्दौर इस समय अपराधों के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर है. हम प्रदेश को कहां ले जा रहे हैं ? मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा इन्दौर में 6 महीने में अपराधों की टोटल संख्या 3,762 हैं. हत्याएं 154, बलात्कार 447, लूट 96, चोरी 283 हैं. इस तरह से अगर हम देखें तो बच्चों के विरुद्ध यौन शोषण के मामले में पूरे देश में मध्यप्रदेश का दूसरा स्थान है. यह हम सबके लिये चिन्ता का विषय है और इसलिये इसको लेकर हम लोग इस सदन में बैठे हैं और मंत्री जी, इसको गम्भीरता से ले रहे होंगे. उनकी तरफ से प्रदेश में एक संदेश जाना चाहिये कि हम इन अपराधों के प्रति इस तरह से गम्भीर हैं, हमारी यह कार्य योजना है. एक कार्य योजना होती है. वह विश्वास आपको प्रदेश की जनता को दिलाना पड़ेगा. हमारे प्रदेश में जहां एक तरफ इस तरह के अपराधों में इन्दौर नंबर वन है, वहीं प्रदेश में बेटियों के साथ अपराध में भोपाल नंबर वन है. एक हमारा आर्थिक समृद्धि वाला क्षेत्र है, तो दूसरा प्रदेश की राजधानी है. वहां पर हम इस मामले में नंबर वन हैं. हमारे प्रदेश में यह जो घटनाएं हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ 6 महीने में सड़क हादसे में 6,567 लोगों की मृत्यु हुई. अब इसको लेकर मंत्री जी ने कहा है कि 23 जिलों में 81 ओव्हर लोड डम्परों के कारण मौत के शिकार हुए, तो क्या जो ओव्हर लोड डम्पर चल रहे हैं, उनको रोकने की जिम्मेदारी हमारी नहीं है ? फिर आप यह कहो कि हमारे प्रदेश में जनसंख्या बढ़ गई, वाहन बढ़ गये, इसलिये दुर्घटनाएं हो रही हैं. यह भी एक कारण हो सकता है, परंतु हमारे उसमें प्रयास क्या हैं ? माननीय मंत्री जी, तमिलनाडु के अंदर 15 परसेंट एक्सीडेंट कम हुये, हमारे राज्य में क्यों नहीं हो सकते ? इसको लेकर भी आप सड़क सुरक्षा समिति के चेयरमेन हैं, आपको सदन के सामने कार्य योजना रखना चाहिये कि हमारे प्रदेश में दुर्घटनाओं में लोगों की मृत्यु न हो और इसको लेकर सरकार गम्भीर है.
माननीय सभापति जी, फिर सायबर अपराध की तरफ हम देखें. सायबर अपराध की हम बात करेंगे, तो आज पूरे देश में, अकेले मध्यप्रदेश की नहीं, पूरे देश की बात करें, अपराध अकेले मध्यप्रदेश में हो रहा है ऐसा मैं नहीं कह रहा, परंतु आज सायबर क्राइम हमारे सामने चुनौती है. हमारे प्रदेश में 80 प्रतिशत बच्चे स्मार्ट फोन के कारण जो वूलिंग है, वह बढ़ रही है. इसको रोकने की हमारी क्या कार्य योजना है ? मादक पदार्थों के कारण आज जिस तरह से बच्चों पर उसका असर हो रहा है, एक नई चुनौती हमारे सामने है. उसको लेकर क्या कार्य योजना है ? माननीय मंत्री जी, जब मेरे पास यह विभाग था, तो उस समय हमने एक योजना बनाई कि हम अवैध शराब के खिलाफ अभियान चलायेंगे. हमने अवैध शराब के खिलाफ अभियान चलाया और उस अवैध शराब में हम लोगों ने तय किया कि यह जो छोटे-छोटे लोग होते हैं, यह जो गांव में जाकर जिस तरह से शराब बेचते हैं, उनसे काम नहीं चलेगा, जब तक हम शराब निर्माताओं के खिलाफ, जो लायसेंसी हैं, उनके खिलाफ एफ.आई.आर. एवं कार्यवाही नहीं करेंगे, तब तक हम अवैध शराब पर रोक नहीं लगा सकते. हमने अभियान चलाया था. उस समय लगभग दो लाख लीटर अवैध शराब भी जप्त की थी और पहली बार 47 शराब ठेकेदारों के खिलाफ हम लोगों ने एफ.आई.आर. दर्ज की थी. वह कार्यवाही जितनी प्रभावी होनी चाहिये उसको करने की जरूरत है और इसलिये जब तक मंत्री जी, आप यह नहीं करेंगे, तब तक यह अवैध शराब नहीं रुक सकती है. आप शराब ठेकेदारों के खिलाफ एफ.आई.आर. करिये. यह जो छोटे-छोटे बेचारे लोग उनके एजेंट बनकर बेचते हैं, उनको पकड़कर पुलिस खानापूर्ति करती है. इससे काम नहीं चलेगा और इसमें जो दिक्कत है, वह भी आपको बता देता हूं. एक्साइज़ ने सर्कुलर निकाल दिया कि बिना कलेक्टर की परमीशन के आप चालान नहीं कर सकते और इसलिये आपके जो वाणिज्यिक कर मंत्री हैं, उनके साथ बैठकर, आपको ज्वाइंटली देखना पड़ेगा. जिससे इस अवैध शराब के खिलाफ हम लोग ठीक ढंग से कार्यवाही कर पाएं. अब आपके पास बड़ी संख्या में एक्सीडेंट जो होते हैं, वह शराब पीने के कारण होते हैं. अब हमारे डिपार्टमेंट के पास ब्रीथ एन्हेलायज़र नहीं है. आप शराब कैसे चेक करोगे ? इसके लिये आपको बजट का प्रॉवीजन करना पड़ेगा कि ब्रीथ एन्हेलायज़र हों और एक अभियान चलाया जाए. अब तो भारत सरकार ने जो नया मोटर व्हीकल एक्ट बनाया है, उसमें यह प्रॉवीजन कर दिया है कि कोई शराब पीकर गाड़ी चलाते पाया जाता है, तो 10,000 का फाइन लगाया जायेगा. परंतु हम अगर जांच ही नहीं करेंगे, तो एक्सीडेंट नहीं रोक पायेंगे और इसलिये उस बारे में भी माननीय मंत्री जी, आपकी तरफ से जवाब आयेगा.
सभापति जी, अब ट्रांसफर हों, मुझे इसमें आपत्ति नहीं है. सरकार को अधिकार है और जो आवश्यक ट्रांसफर हैं, वह होना चाहिये. परंतु ट्रांसफर इस सीमा तक हो जाएं कि काम ही प्रभावित हो जाएं और इसलिये जो ट्रांसफर बड़े पैमाने पर हुए हैं, अब हमारे प्रदेश में लगभग 650 टी.आई. हैं, अब उसमें से आपने 500 बदल दिये. बदल दो आप, कोई दिक्कत नहीं है. आप 600 ही बदल दो, आपको अधिकार है. सरकार को लगता है, तो बदलना चाहिये, उसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है. परंतु जिनको भी आप बदलो, जहां पर भी भेजो, कम से कम इतना तो होना चाहिये कि वह उस थाने में रहेंगे. उनका 3 महीने बाद, 1 महीने बाद, 15 दिन बाद, 20 दिन बाद, कोई विशेष कारण हो, तो होता है, पर इस तरह से नहीं होगा. माननीय सभापति जी, दिक्कत यह है, इसको अन्यथा में न लें. मंत्री जी भी कई चीजें चाहकर नहीं कर पाते. दिक्कत क्या है कि कई सूबों में बंटी हुई सरकार है और इसलिये कोई किसी को पकड़ लेता है, कोई किसी को पकड़ लेता है. अब गृह मंत्री भी क्या करें ? उस जगह गृह मंत्री बेचारे कमजोर पड़ जाते हैं. इसलिये यह जो ट्रांसफर उद्योग चल रहा है...जितु भाई, आप बैठो.
श्री जितु पटवारी - मैं कोई टोंका-टांकी नहीं करूं, आप बहुत अच्छा बोल रहे हैं, मैं तारीफ कर रहा हूं, अभी तक ठीक थे. यह गुटों और सूबों में बंटी सरकार है, यहां से ट्रेक भटका है, इसको थोड़ा सही करेंगे, तो और अच्छा आयेगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अब आप किसी गुट में नहीं हैं इसलिये यह आपको हो सकता है. अब आप समझो.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य अपनी बात कंटीनिव करें.
श्री रामेश्वर शर्मा - सभापति जी, यह जिस गुट में गये थे इनका नेता इस्तीफा देकर चला गया.
सभापति महोदय - रामेश्वर जी, आप अपने स्थान पर बैठिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - आप भी कोई गुट देखो, नहीं तो आगे दिक्कत हो.
श्री हरिशंकर खटीक - सभापति जी, हम चाहते हैं कि जितु पटवारी जी गृह मंत्री बन जाएं. गृह मंत्री बाला बच्चन जी के बगल में बैठै हैं. उनका पद छीनना चाहते हैं.
सभापति महोदय - हरिशंकर जी, बैठिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - सभापति महोदय, मंत्री जी एक और बात, सबको थोड़ा सा उत्सुकता भी है कि यह जो डॉग हैंडलर हैं, इनके ट्रांसफर हो गये. अब यह 46 हैं और इनके जो हैंडलर हैं उन्होंने कहा कि उनको क्लाइमेट सूट नहीं कर रहा है. वहां जो डॉग आपने भेज दिये हैं, वह बदल दिये हैं, यह जरा क्या है ? प्रदेश में उत्सुकता है कि डॉग के ट्रांसफर कैसे हो गये ?
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी, जिस बात का उल्लेख माननीय सदस्य कर रहे हैं, मैं भी जानना चाहूंगा और आप अपने उत्तर में निश्चिचत रूप से इस बारे में कहेंगे. मादक द्रव्य पदार्थों के हमारे जिले मंदसौर, नीमच और रतलाम हैं. यहाँ के ट्रेंड डॉग्स भी वहाँ पर स्थानान्तरित हो गए हैं. एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत अफीम, ब्राउन शुगर, स्मैक, आदि आदि. उसको लेकर के जो ट्रेंड डॉग्स हैं, जो खुशबू के आधार पर तस्करों तक पहुँचता है.उनके स्थानान्तर को लेकर के भी जो हुआ है, मंदसौर से तीन ट्रांसफर हुए हैं. मैं आप से इस बात को लेकर के ताकीद करूँगा कि कम से कम जो जलवायु है, फिर विशेषकर सुगंधित पदार्थों के सेवन वाले जो क्षेत्र हैं, विशेषकर के अफीम उत्पादक जिला है, उनके डॉग्स को आपने स्थानान्तरित कर दिया है. अब जो डॉग आएगा क्या वह तस्करों को पकड़ पाएगा? इस पर आप थोड़ा सा अध्ययन करें...(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- कुणाल जी, आप बैठिए.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय सभापति जी, आपने तो बता दिया कि हमारे यहाँ के तीन डॉग बदल दिए और अफीम तस्करों को नहीं पकड़ पा रहे. अगर भोपाल से नहीं बदले जाते तो जो वरुण की हत्या हुई थी, 24 घंटे पुलिस उसके द्वार के आसपास मंडराती रही. अगर हमारे पास ट्रेंड डॉग होते तो, हो सकता है कि वह बच्चा हमको जीवित भी मिल जाता. मैं पुलिस पर सवाल नहीं कर रहा लेकिन व्यवस्था पर तो सवाल आया है.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय सभापति जी, मंत्री जी इसको बताएँगे. मंत्री जी के पास जेल विभाग भी है और अभी नीमच में जेल ब्रेक हुआ और मंत्री जी का उसके बाद बयान भी आया कि हम 24 घंटे में पकड़ लेंगे परन्तु क्या अभी तक हम उन आरोपियों को पकड़ पाए? इसलिए इस मामले में, क्योंकि अगर हमारी जेलें ही सुरक्षित नहीं होंगी तो प्रदेश में हम भरोसा कैसे कायम कर पाएँगे?
5.52 बजे
{उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
उपाध्यक्ष महोदया, इसलिए इस बारे में भी आपको थोड़ा गंभीरता से देखना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदया, जिस तरह से घटनाएँ हो रही हैं उसको लेकर जब तक हम यह विश्वास स्थापित नहीं करेंगे कि अपराधी को हम जल्दी से जल्दी सजा दिलाएँ. अपराधी को जितनी जल्दी सजा मिलेगी, उतनी ही ताकत से हम लोग अपराधों को रोक पाएँगे क्योंकि जो अपराध हो रहे हैं. उन अपराधों में अगर हम सजा का प्रतिशत देखें तो सजा का प्रतिशत बहुत कम है. किसी में 25 परसेंट है, किसी में 30 परसेंट है, मेरे पास अलग-अलग हैं, समय लगेगा इसलिए सजा का प्रतिशत हमारा बढ़े, हालाँकि अपने प्रदेश में इन्वेस्टिगेशन अन्य राज्यों से अच्छा है. इस बात को मुझे स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है. अन्य राज्यों की तुलना में हमारे मध्यप्रदेश की पुलिस अच्छा इन्वेस्टिगेशन करती है इसलिए ये सजा का प्रतिशत बढ़े, जितनी जल्दी हम सजा दिलाएँगे, जितना सजा का प्रतिशत बढ़ेगा उतना अपराधों पर हम नियंत्रण कर पाएँगे. अभी बिहार सरकार ने एक निर्णय लिया कि जहाँ पर भी महिलाओं या बेटियों के साथ कोई दुर्व्यवहार के मामले में अगर कोई हमारे पुलिस के अधिकारी, कर्मचारी, कोई भी अगर दोषी पाए जाते हैं तो उनको हम थाने में पदस्थ नहीं करेंगे, क्योंकि कुछ चीजें हमें तय करना पड़ेंगी. दूसरा, हमें थानों को कुछ मापदण्डों के आधार पर मूल्यांकित करना पड़ेगा. उपाध्यक्ष महोदया, मापदण्डों के आधार पर इसको हम लोगों को मूल्यांकित करना होगा और मैं माननीय मंत्री जी से यही कहना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश में जनता में इस बात का विश्वास कायम हो कि वह राज्य में सुरक्षित है, चाहे वह बेटियाँ हों, चाहे बच्चे हों, राज्य में सुरक्षित हों. यह विश्वास दिलाने की जिम्मेदारी इस सरकार की है और मैं आप से आग्रह करूँगा कि आप अपने उत्तर में इन सब बातों पर गंभीरता से विचार करके और राज्य में एक सन्देश सुरक्षा को लेकर के जाए. ऐसा मैं आग्रह करूँगा. उपाध्यक्ष महोदया, बहुत धन्यवाद.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव(बदनावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 3, 4 और 5 पर सरकार के पक्ष में, बजट के पक्ष में, बोलने के लिए उपस्थित हूँ. अभी हमारे माननीय पूर्व गृह मंत्री जी बहुत विस्तार से तमाम तथ्यों पर सदन का ध्यानाकर्षित कर रहे थे, मैं इनसे सहमत हूँ. जो इन्होंने शुरुआत की कि राज्य के विकास का आधार क्या होता है, क्या होना चाहिए, शांति होनी चाहिए तभी प्रगति होगी और फिर इन्होंने तत्पश्चात् यह कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री जी, जो तब हमारे प्रदेश काँग्रेस के अध्यक्ष के नाते कुछ वादे कर गए थे, हमने वचन पत्र बनाया, तो उस वक्त उन्होंने क्या वादे किए थे, उन्होंने कितने पूरे किए न किए, तो मैं इन्हें बताना चाहता हूँ कि जो इन्होंने बजट प्रेषित किया था, मुझे पता नहीं कितने आँकड़े इनको याद हैं, नहीं हैं और कितनी उसकी सब डिमांड्स उनको याद हैं, नहीं हैं, लेकिन जो इन्होंने प्रदेश को दिया था उससे बढ़ाकर हमने प्रदेश को दिया है, तकरीबन 7 फीसदी ज्यादा हमने प्रदेश को दिया. न सिर्फ दिया है, बल्कि हमने विशेषतः उसमें क्या ध्यान रखा इन्होंने एक और महत्वपूर्ण बात का जिक्र किया डायल हंड्रेड, तो मैं सदन के संज्ञान में लाना चाहूँगा कि तकरीबन 122 करोड़ रुपये हमने एलोकेट किया है, सेंट्रलाइज्ड पुलिस कॉल सेंटर को और कंट्रोल रूम्स सिस्टम को, जो इसकी बेहतरी के लिए है और इस दिशा में काम करेगा. जहाँ तक कमलनाथ जी की बात ये कर रहे थे तो मैं बड़े निर्भीक और बहुत स्वच्छ मन से यह कह सकता हूँ, सदन इससे सहमत होगा कि वे ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके लिए हम कह सकते हैं—
“जब से चला हूँ मेरी मंजिल पे नजर है, मैंने कभी मील का पत्थर नहीं देखा.”
उपाध्यक्ष महोदया, इतने वर्षों से जो आदमी निरन्तर उस प्रगति पथ पर है. जिसने देश में बहुत सारे प्रगति के कार्य किए हैं. आप एक बात और कह रहे थे कि पुलिस कर्मियों के लिए भी कुछ नहीं किया. अब आपने क्या किया यह तो आप जानते होंगे लेकिन हमें इतना पता है कि उनके अवकाश के बारे में न तो आपने कभी सोचा, न आपने उसकी घोषणा की. कम से कम कमलनाथ जी ने मुख्यमंत्री बनने के उपरान्त पुलिस के अवकाश का जो वादा किया था, उसको निभाने का प्रयास किया है. (मेजों की थपथपाहट) हाँ बीच में कुछ कारण रहे होंगे जिसकी वजह से उसमें कुछ दिक्कतें आईं. लेकिन चूँकि वह हमारे वचन पत्र में है और वह लागू होगा उस बात पर निश्चिन्त रहें कहीं कमियाँ भी रह गई हों तो हम पूरे करेंगे. आपने एक और एक बात कही कि हमने तमाम 51 जिलों में....(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा-- वैसे कहीं पुलिस का अवकाश लागू नहीं हुआ.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- तमाम 51 जिलों में सी.सी.टी.व्ही. कैमरे लगाए, इतने पैसे उसमें लगाए,..(व्यवधान)..
श्री तुलसी राम सिलावट-- इनकी पूरी जानकारी हम दे देंगे.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- हमारे एक साथी कह रहे थे. उनका कितना मेंटेनेंस हुआ, उनसे क्राइम व्यवस्था को कितना वेल्यू एडिशन हुआ. वह जमीन पर कितना कारगर साबित हुआ. यह हमारे क्राइम के आँकड़े बताते हैं, हम और आप सब जानते हैं. एक और बात आपने कही, आपने यह फरमाया कि, लेकिन वह कहने से पहले मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूँ कि यह पवित्र सदन है, कोई हारता है, कोई जीतता है, सरकारें आती जाती हैं लेकिन बहुत आएँगे हमसे बेहतर कहने वाले, इनसे बेहतर सुनने वाले, लेकिन सदन को हम गुमराह न करें. आपने एक आँकड़ा प्रेषित किया, यह कहते हुए कि 67 हजार 66 लोगों की मृत्यु हुई, दुर्घटनाएँ हुईं. लेकिन मैं सदन को कहना चाहता हूँ, जानना भी चाहता हूँ और मेरे क्षेत्र के उदाहरण भी देना चाहता हूँ, आप पिछले कुछ दिनों से प्रश्नोत्तरी उठाकर देखिए, पक्ष विपक्ष के कितने विधायकों ने लेबड़, नयागाँव के प्रश्न लगाए हैं और आज से नहीं जब से यह डी-नोटिफाय हुआ है, मैं जानता हूँ, इन्होंने कहा इसलिए मैं उसका जवाब दे रहा हूँ. यह जब से डी-नोटिफाय हुआ है, तो विजवर्गीय जी, हमारे लोक निर्माण मंत्री हुआ करते थे और राज्य के पास आया करीब 750 करोड़ इसका ठेका दिया गया, बॉण्ड बी.ओ.टी. के तहत एक हुआ, क्यों, जिस तरीके से इसकी रोड सरफेस मेंटेन होना चाहिए थी हुई क्या जो नियम शर्तें उस पर लागू होनी चाहिए थी वह उस तरीके से उन्होंने रखरखाव किया. एक उदाहरण दे रहा हूँ. पूरे मध्यप्रदेश में यही हालत है. यशपाल सिंह जी हमारे काबिल मित्र इससे सहमत होंगे. सखलेचा जी भी सहमत होंगे. नीना वर्मा जी भी सहमत होंगी. क्यों, क्योंकि एक विधायक दल ने उसका दौरा किया था. यह मृत्यु क्यों हो रही हैं क्योंकि रोड सरफेस की क्वालिटी ठीक नहीं है उस पर ध्यान नहीं दिया गया है. सुरक्षा की व्यवस्थाएं नहीं की गईं. उनमें से इनके कितने चहेते थे कितने नहीं थे इस पर मैं नहीं जाना चाहता हूँ. यदि मंत्री जी चाहें तो जांच करा लें. आप जो 6766 का आँकड़ा दे रहे थे इसके लिए रोड सरफेस जिम्मेदार है. इसका ध्यान रखना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सदस्य कह रहे थे कि स्मार्ट फोन की वजह से क्राइम बढ़ गया है. जब आप गृह मंत्री हुआ करते थे उस समय मैंने आपका एक बयान पढ़ा था. जब दुष्कृत्य बढ़ने लगे, महिलाओं पर अत्याचार बढ़ने लगे तो आपने कहा था कि यह पोर्नोग्राफी की वजह से हुआ है. मैं नहीं जानता कि आपने कितना मनोविज्ञान का अध्ययन किया है लेकिन मैं तो इतना जानता हूँ कि आदिकाल से हमारे यहाँ खजुराहो है. मेरे बगल में ही राजनगर के विधायक विराजमान हैं तो क्या वहां पर रेप प्रतिशत सबसे ज्यादा है. यह कोई मानने लायक बात नहीं है. जब आप गृह मंत्री थे तो आपने इस चीज को काउन्टर क्यों नहीं किया. आपने इन चीजों का पूरा रिसर्च क्यों नहीं किया.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सदस्य महोदय से मेरा आग्रह है कि कई मामलों में छोटी उम्र के बच्चों के द्वारा जो अपराध होते हैं उसमें पोर्न साइट फिल्में भी उसका एक कारण होती हैं. जब मैं गृह मंत्री था तब हमने मध्यप्रदेश में 32 पोर्न साइट्स बैन की थीं. चूंकि इन सब चीजों में समय बहुत लगता इसलिए मैंने यह सब चीजें नहीं बोलीं. हमने जो-जो किया उनको गिनाएंगे तो आधा घंटा लगेगा.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--माननीय सभापति महोदया, शायद माननीय सदस्य मेरा मतलब नहीं समझ पाए. मैं जो कहने का प्रयास कर रहा था. जब यह गृह मंत्री थे और इनको लग रहा था कि साइबर लॉ का उल्लंघन हो रहा है, उसके लिए पहले से कानून है इसको आप पहले से रोक सकते थे. मेरे कहने का तात्पर्य यह था कि 15 साल तक इनकी सरकार रही है. पहले उमा भारती जी आईं, बाबूलाल गौर साहब आए, शिवराज सिंह जी रहे. कई गृह मंत्री आए गए, तब भी यह कार्य हो सकता था.
उपाध्यक्ष महोदया, जेल विभाग के बारे में इन्होंने फरमाया है. हमारे मंत्री जी ने जेल के बारे में भी सोचा है उस दिशा में हमने कुछ कदम उठाए हैं. जेल प्रशासन के आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त राशि दी है. जिला बुरहानपुर में नवीन जेल की व्यवस्था की है. जेल सुधारों की योजना के अन्तर्गत कुछ निर्माण कार्य में राशि दी गई है. जेलों की सेनिटेशन की व्यवस्था के बारे में इस बार गंभीरता से विचार करके मंत्री जी ने बजट में कार्य किया है. सेलफोन फ्री एक्टीवेटर (जेमर) के लिए भी प्रावधान किया गया है. जेलों में दूसरे सुरक्षा प्रावधान के लिए भी कार्य किया गया है.
मैं मानता हूँ कि जेल ब्रेक्स हुए हैं. जेल ब्रेक्स पर सरकार गंभीर है. तत्काल इस पर एक्शन लिया गया, जो संबंधित हैं उनको सस्पेंड किया गया. निरन्तर हमारी पुलिस कार्यरत् है, प्रयासरत् है. मुझे विश्वास है कि दोषियों को सजा दी जाएगी. जो इलेक्ट्रिक फेन्सिंग होती है उसके लिए भी बजट में प्रावधान रखा है. मुझे विश्वास है हमारी सरकार और मंत्री जी इस पर काम करके, इसकी ओर ध्यान देकर ऐसा कार्य करेंगे जिससे हमारे प्रदेश में आपके मन में जो शंका कुशंका है उसका समाधान होगा और सभी सुरक्षित रहेंगे. उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सदस्य जितनी भी बातें कह रहे थे उस पर मैं इतना जरुर कहना चाहूँगा कि--
धुंधला ही रहने दीजिए आइना,
साफ होगा तो सच सह नहीं पाएंगे.
माननीय सदस्यों ने आकड़े गिनाए. मैं तो जानता हूँ कि गीता तो एक ही होती है. उस पर हाथ रखकर जब शपथ लेते हैं तो मन साफ होना चाहिए. किस मन से इन्होंने काम किया, किस मन से हम काम कर रहे हैं इसका निर्णय 5 साल बाद जनता करेगी जब हम उनके बीच में जाएंगे. इन्होंने और भी बातें कहीं, इंदौर के बारे में बात कही. लेकिन पता नहीं आदिकाल से पुरातनकाल से, हमारे भाई कमल पटेल साहब व्याकुल हो रहे हैं उनके बारे में भी आगे बात करुंगा. AT
श्री कमल पटेल-- पांच साल बाद क्या तीन माह में, छ: माह में रिजल्ट दे दिया. सफाया हो गया.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह, दत्तीगांव-- आप चिंता न करें लेकिन भोपाल जो कि संस्कार की राजधानी जानी जाती थी आदिकाल से, पुरातन काल से हम सुनते आ रहे हैं कि दो प्रकार के मामा बड़े कुख्यात हुए थे कंस मामा और शकुनी मामा, लेकिन एक मामा हमारे यहां निकले जिन्होंने संस्कार की राजधानी को क्राइम की राजधानी बना दिया. आपको आंकड़े सुनने हैं मैं आपको आंकडे बताउंगा और आप जानकर हैरान होंगे जिस क्राइम की आप बात कर रहे थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय संस्कारधानी जबलपुर है भोपाल नहीं है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह, दत्तीगांव-- अर्जुन सिंह जी ने भारत भवन बनाकर भोपाल बना दी थी और तमाम चीजें भी की थीं शायद आपके संज्ञान में न होगा. मंदसौर की बता इन्हें याद दिला दूं. क्राईम की बात कर रहे थे. मंदसौर में इनके अध्यक्ष की हत्या हुई थी और किसने की थी यह भी जानते हैं, पूरा सदन जानता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- किस के कार्यकाल में हुई? किसने मारा आप नाम बता दीजिए.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह, दत्तीगांव-- यह और सुनना चाहते हैं. इन्ही का मंडल अध्यक्ष जिसकी हत्या हुई, इंवेस्टीगेशन हुआ और क्या पता लगा कि इन्हीं के तीन कार्यकताओं ने उनकी हत्या की. पता नहीं क्या मामला था? कोई पुराना हिसाब किताब बाकी रहा होगा. समझ में नहीं आता और आगे चलते हैं क्राइम की बात कर रहे थे. उपाध्यक्ष महोदया, हमें बड़ी निराशा हुई कुछ दिनों पहले क्रिकेट का वर्ल्डकप हो रहा था. हमने सोचा भारत सेमीफाइनल जीतेगा, फाइनल में जाएगा. हमारे बल्लेबाजों ने हमें निराश किया, लेकिन उसकी पूर्ति कहां हुई, इंदौर में जाकर हुई टी.वी. पर हमने क्या बल्लेबाली देखी, पूरे मध्यप्रदेश ने देखी, पूरे देश ने देखी. हमारे नौजवान बहुत अच्छे शार्ट्स लगा रहे थे. यहां तक की प्रधानमंत्री जी को संज्ञान लेकर कहना पड़ा अरे भाई बल्लेबाजी क्रिकेट के मैदान में करो, अधिकारियों पर बल्लेबाजी मत करो. क्या ऐसा उदाहरण इस सदन में, इस प्रदेश में हम पेश करना चाहते हैं? क्या यह कानून व्यवस्था है? उसके बाद क्या हुआ. हरसूद में क्या हुआ? बाकी जगह क्या हुआ? यह आप सब जानते हैं मैं उसमें नहीं जाना चाहता हूं, लेकिन आंकड़ों की बात हो रही थी स्टेटिस्टिक्स, फिगर, फैक्ट्स. मैं आपके माध्यम से हमारे काबिल मित्र भूपेन्द्र सिंह जी के संज्ञान में लाना चाहता हूं. मैं फैक्ट्स आपको दे रहा हूं. कंपेरटिव क्राइम जो हमारा कार्यकाल जनवरी से जून तक आप आई.पी.सी. की बात कर रहे थे, आप माईनर की बात कर रहे थे, आप सी.आर.पी.सी. की बात कर रहे थे.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सिलसिलेवार सदन को बताना चाहता हूं. मर्डर, आपको पता है तब क्या था और अब क्या है. इसमें करीब-करीब 6 फीसदी की कमी हुई है, आपके समय में वर्ष 2017 में 930 था. Attempt to murder धारा 307 था. 307 का फिगर करीब सात फीसदी कम हुआ है. तब एक हजार के ऊपर था आज 854 है, डकैती की बात कर रहे थे.
इंजी. प्रदीप लारिया-- उपाध्यक्ष महोदय, वह एक साल का था यह छ: माह का है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह, दत्तीगांव-- मैं कंपेयर कर रहा हूं आपके पिछले सालों से वर्ष 2017 से, वर्ष 2018 से, वर्ष 2019 से आप फैक्ट्स उठाकर देख लीजिए. क्राइमब्यूरो की रिपोर्ट है. मेरी नहीं है. आपने जो बवाल किया आपने जो कमाल किया हमने उसको कंट्रोल तो किया आप मेजें थपथपाकर सराहना तो कीजिए कि हमारे गृह मंत्री जी ने उसे कंट्रोल किया क्या यह सराहनीय कार्य नहीं है. जब आपके लोग बल्लेबाजी कर रहे हैं, आपके लोग मंडल अध्यक्षों की हत्याएं कर रहे हैं और तो और बीस लाख का इंश्योरेंस देने के लिए मेरे पड़ोस के जिले रतलाम में इनके एक संघ के कार्यकर्ता ने क्या किया, बीस लाख का इंश्योरेंस लेने के लिए अपने पड़ोसी की हत्या कर दी और अपने कपड़े पहनाकर उसकी लाश पटक दी. क्राइम की बात करते हैं. पूर्व गृह मंत्री महोदय ने कहा था कि दो प्रकार के क्राइम होते हैं. क्लाइंट और परिस्थितिवश यह तो मुझे सुनियोजित क्राइम लग रहा है जो इनके पदाधिकारी लोग कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं, निरंकुश हैं अभी भी इनके मानस से यह बात नहीं उतरी है कि सत्ता चली गई अब कोई बचाने वाला नहीं है. क्राइम करेंगे तो हमारे गृह मंत्री पकड़ेंगे, हमारे मुख्यमंत्री पकड़ेंगे उस पर कार्यवाही होगी. और फैक्ट्स और फिगर चाहिए आपको चोरी के बारे में अभी करीब सात फीसदी कम हुआ है. आपके समय में 15283 था और अभी 14000 है. बलात्कार के बारे में आप जानना चाहेंगे तीन फीसदी वह भी कम हुआ है. आप मोलिस्टेशन के बारे में जानना चाहेंगे, वह भी कम हुआ है. आप दंगों के बारे में जानना चाहेंगे वह भी 32 फीसदी कम हुए हैं, आप आर्म्स एक्ट के बारे में जानना चाहेंगे, वह भी कम हुए हैं. आप एक्साइज़ की बात कर रहे थे कि पहले कैसे शराब बिकती थी, ठेकेदारों पर केस नहीं हुए. मैं कहना चाहता हूं कि यदि हम आंकड़ों को देखें तो वे कुछ और ही कहानी बताते हैं. इनके समय में वर्ष 2017 की बात कर रहा हूं उस समय 24 हजार 114 केस थे और आज वे आंकड़े 56 हजार 268 पर हैं. हमने इनसे 60 फीसदी ज्यादा कार्यवाही शराब के अवैध व्यापार पर की है जो ये करने की हिम्मत, पता नहीं क्यों न दिखा पाये. क्या आप जुए-सट्टे के बारे में और सुनना चाहेंगे ? वर्ष 2017 में आंकड़ा था 10 हजार 259. क्या आप जानते हैं कि आज कितने केस दर्ज हुए हैं ? हमने कितनों पर कार्यवाही की है ? क्योंकि ये नहीं कर पाये, पता नहीं क्या वेतन-भत्ते, तमाम चीजें हुआ करती थीं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप जानते हैं कि जुआ-सट्टा कैसे चलता है, क्यों चलता है, किसके संरक्षण में चलता है, क्या यह संभव है कि यदि सरकार चाहे तो जुआ-सट्टा चल जाये, क्या यह संभव है कि किसी क्षेत्र के थानेदार को नहीं पता हो कि कौन-कौन जुआ-सट्टा खेला रहा है और करवा रहा है. हमारे गृहमंत्री जी ने इस पर कार्यवाही की और आज इसमें 15 हजार 978 केस दर्ज हो चुके हैं. हमने उनसे 50 फीसदी ज्यादा केस दर्ज कर उन पर कार्यवाही की है.
उपाध्यक्ष महोदया- आप और कितना समय लेंगे. कृपया दो मिनट में अपनी बात पूरी कर लीजिये.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप कहें तो बैठ जाऊं क्योंकि दो मिनट में तो बात पूरी करना मुश्किल है लेकिन आप कह रही हैं तो आपकी बात माननी ही पड़ेगी. माइनर क्राइम की यहां बात हो रही थी. आमतौर पर धारा110 में कार्यवाही नहीं हुआ करती थी और उसी से गुंडागर्दी बढ़ती थी और माहौल खराब होता था. इस पर भी हमने कार्यवाही की है और हमने 140 फीसदी ज्यादा प्रकरणों में कार्यवाही करके उन्हें पाबंद किया है. धारा 107, 116 की भी यही स्थिति है. धारा 151 का राजनैतिक रूप से बहुत अधिक दुरूपयोग होता है. इस धारा के अंतर्गत आप, हमारा और इनका वक्त देखेंगे तो पायेंगे कि इसमें 25 फीसदी की कमी आई है यानि हमने तंत्र का दुरूपयोग नहीं किया है. हमने न्याय को न्याय माना है और उसके हिसाब से ही कार्य किया है. एन.एस.ए. के बारे में भी आप देख लीजिये जिन पर ये लोग कार्यवाही नहीं कर रहे थे, हमने उन पर कार्यवाही की है और इसमें भी हमने करीब 60 फीसदी ज्यादा केस दर्ज किये हैं, जो आप लोग नहीं कर पाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, शायद कभी-कभी परिवार एवं पुत्र का मोह धृतराष्ट्र बना देता है लेकिन मुझे पूरी आशा ही नहीं अपितु पूरा विश्वास है कि हमारे यहां कोई धृतराष्ट्र नहीं है. अगर हमारे परिवार का कोई अन्याय करेगा, गलत करेगा तो हमारी सरकार, हमारे मंत्री, हमारे मुख्यमंत्री जी उस पर कार्यवाही करेंगे और सबको न्याय मिलेगा. प्रदेश के किसी भी नागरिक को डरने की आवश्यकता नहीं है. जिला-बदर के मामले में भी हमने कार्यवाही की है. आपसे 104 फीसदी ज्यादा मामले हमने दर्ज किए हैं. मेरे पास आंकड़े बहुत सारे हैं लेकिन उपाध्यक्ष महोदय, आपने कहा है कि बैठ जाइये. समय हो गया है इसलिए मैं अपराध के आंकड़ों के संबंध में कुछ झलकियां यहां बताना चाहूंगा. पूर्व गृह मंत्री जी ने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि दोषसिद्धि (कन्विक्शन) नहीं होता है. मैं कहना चाहता हूं कि यह हमारी वजह से नहीं है. आपके जमाने में भी एक रिपोर्ट आई थी और उसमें आपको जानकार हैरानी होगी कि जो कुल एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी उसमें से 1 लाख 35 हजार आरोपी बरी हुए. इसमें करीब-करीब 3 लाख 50 हजार केस थे. यह विरासत आप हमें दे गए थे, उसे हम ढो रहे हैं और जैसे-तैसे धोकर उसे ठीक करके उज्जवल मध्यप्रदेश की अवधारणा, जिसका वायदा माननीय कमलनाथ जी ने किया है उस ओर अग्रसर होने का हम प्रयास कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं तमाम आंकड़े गिना सकता हूं. मेरे पास भूपेन्द्र सिंह जी की हर बात का जवाब है लेकिन मैं कुछ प्रकरण रेखांकित करके बताना चाहता हूं जिससे सदन समझ जायेगा कि मेरे कथन की मंशा क्या है और वास्तविकता क्या है. क्या आप जानते हैं कि आपके समय भोपाल में 58 फीसदी महिलायें छेड़छाड़ का शिकार थीं. क्या आप जानते हैं कि यहां से और क्या-क्या निकलकर आया है ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- राजवर्धन जी, आप अखबार में छपी खबरों को आधार बना रहे हैं. अखबार वालों को कई बार खण्डन करना पड़ता है. प्रिंटिंग की गलती भी हो सकती हैं.
श्री अजय विश्नोई- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अखबार के भरोसे 58 फीसदी महिलाओं अर्थात् भोपाल की हर दूसरी महिला की आप बात कर रहे हैं.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भोपाल के इस 58 फीसदी के आंकड़े पर हमें आपत्ति है. ये भोपाल की महिलाओं का अपमान है.
(...व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदया- कृपया आप सभी बैठ जायें और राजवर्धन जी आप जल्दी समाप्त करें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- नहीं-नहीं, यशपाल जी ये क्राइम ब्यूरो के आंकड़े हैं. क्या प्रीति रघुवंशी का प्रकरण मध्यप्रदेश भूल गया ? क्या वह भी अखबार की कहानी है ?
(...व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदया- राजवर्धन जी, जल्दी समाप्त करें. मेहरबानी करके बाकी सभी बैठ जायें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, ये लोग गजब कर रहे हैं. क्या-क्या नहीं हुआ उन 15 सालों में. प्रदेश की कई अबलाओं की आत्मायें विलाप कर रही हैं उन्हीं अबलाओं का श्राप लगा है तभी आप विपक्ष में विराजमान हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यशपाल जी मंदसौर से जीत कर आये हैं तीसरी बार के विधायक हैं. ये बार-बार कहते हैं. मैं इनके स्मरण में एक दिनांक जरूर लाना चाहूंगा और वह दिनांक कौन सी है और आप बताइये उपाध्यक्ष महोदया, महंगाई दिन पर दिन बढ़ती है या नहीं. जब महंगाई बढ़ती है तो पटवारी हड़ताल पर जाते हैं, शिक्षक हड़ताल पर जाते हैं. इनके कार्यकाल में तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, कोटवार तक हड़ताल पर गये. अब बता दीजिये कि जो किसान हमारा अन्नदाता है और देश का पेट भरता है, उसने कहा कि मुझे भी महंगाई के अनुपात में महंगाई के अनुपात में फसल का दाम चाहिये,यदि आप नहीं देंगे तो मैं हड़ताल करूंगा. मैं अपनी फसल और दूध बाजार में नहीं बेचूंगा और किसान हड़ताल पर चला गया.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- महंगाई के कारण आंदोलन नहीं हुआ है, कांग्रेस के कारण आंदोलन हुआ है. (व्यवधान) कांग्रेस ने किसानों को भड़काने का काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदया:- यशपाल जी आप बैठ जायें. (व्यवधान)
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव :- 6 जून, 2017 को मंदसौर में आपकी तत्कालीन सरकार ने किसानों के ऊपर गोली चलायी. उसमें एक 19 साल के नौजवान की गोली मारकर हत्या कर देते हैं. आपको पता है कि जिस जैन आयोग को रिपोर्ट तीन महीने में देनी थी, उसने वह रिपोर्ट एक साल में दी, उसमें सबको निर्दोष बता दिया, कलेक्टर भी बहाल हो गये सब बहाल हो गये. मैं तो आपके माध्यम से सदन में यह पूछना चाहता हूं कि कितनी विसंगतियां उस रिपोर्ट में बतायी गयी. क्या इस रिपोर्ट में यह नहीं माना गया कि पहले गोली सीने पर नहीं चलायी जाती है, अश्रु गैस छोड़ी जाती है, क्यों सीने पर गोली चलायी, किसके आदेश से चलायी गयी, क्यों निर्दोष लोगों की हत्या करी गयी. कौन इसका असली जिम्मेदार है ? .(व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप ही की सरकार के, कांग्रेस सरकार के प्रश्न के उत्तर देख लीजिये, बाला भाई.(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय:- यशपाल जी आप बैठ जायें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव :- किसान हितैषी दावा करने वाली इनकी तत्कालीन सरकार ने इस मध्यप्रदेश के हजारों किसानों पर केस कर दिये. मैं मेरे क्षेत्र की बात करूं तो दसई, कोट, बड़वाल, मांदोद सेमिया, खजूरिया और कानौन में सब गांवों के किसानों पर केस किये थे, सब निर्दोष थे. ऐसा पूरा मध्यप्रदेश में हुआ है ? मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि हमने अपने वचन-पत्र में किसानों की चिंता की है, आपने ने तो नहीं की. आपने तो किसानों को न्याय नहीं दिया और जब हमारे मंत्री जी जवाब देंगे तो वह यह जरूर कहेंगे कि जितने भी हमारे किसान भाईयों पर जो गलत तत्कालीन सरकार ने लगाये थे, उनको हमारी कांग्रेस की सरकार वापस लेगी और उन केसों को वापस लेगी. अंत मैं एक ओर बात कहना चाहता हूं, यह बहुत ही गंभीर विषय है, मैं सदन से निवेदन करूंगा कि जिस चीज से लेकर हमारे पूर्व गृह मंत्री महोदय ने अपने उद्बोधन की शुरूआत की और कहा कि यह कहा कि शांति व्यवस्था हो तभी विकास होता है. अभी मेरे क्षेत्र में अकारण छोटी सी बात पर हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए, उसमें नुकसान किसका हुआ, टायर की दुकान वाला, पंचर वाला, फल की दुकान लगाने वाला और गरीब लोगों का नुकसान हुआ तो मेरा इसमें निवेदन है कि पहले दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में एक प्रस्ताव आया था कि कहीं भी दंगे हो, कोई भी करे, क्योंकि इसमें नुकसानी बहुत होती है, लाखों की नुकसानी होती है. उनको मुआवजा 20- 30 हजार रूपये का मिला. मैं खुद प्रमुख सचिव, गृह विभाग को एक पत्र देकर आया था,हालांकि आज तक उनकी तरफ से मुआवजा नहीं आया है. हमने उनको स्थानीय व्यवस्था में मुआवजा दिलवाया है. लेकिन उनको जो भी मुआवजा मिला वह बहुत कम मिला.
इस संबंध में एक कानून बनाया जाये कि जो भी उसमें आरोपी होगा, वह उस नुकसान का जवाबदार होगा. चाहे उसकी संपत्ति ही हमको कुर्क क्यों न करनी पड़े. ताकि हमारे इस अमन-चैन के इस टापू मध्यप्रदेश में कोई भी व्यक्ति हिमाकत न कर सके कि किसी का मकान जला दे, किसी की दुकान जला दे, यह हमारी सभ्यता नहीं है और न ही हमारे देश की सभ्यता है न ही हमारे यहां की परम्परा है. मैं आपसे निवेदन करूंगा कि यदि सदन चाहेगा तो हम इस बात को सर्वानुमति से भी पारित कर सकते हैं.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्तीगांव"--और जो अभी कुछ दिन पहले एक कानून पारित किया माननीय कमलनाथ जी द्वारा जहां पर अपने आप को स्वयंभू मानकर लोग बिना मतलब के उपद्रव करते थे गौवंश एवं गौरक्षा के नाम पर तमाम तरह का एक उद्योग चालू हो गया था उसमें अवैध वसूली भी होती थी उस कानून का पूरे सदन को स्वागत करना चाहिये उसके विरोध में हमने अहम कदम उठाया है मेरे ख्याल से मध्यप्रदेश देश का एक पहला राज्य है जिसने यह कानून बनाया है, इसका स्वागत होना चाहिये.
श्री विश्वास सारंग--उस पर तो अभी चर्चा ही नहीं हुई है अभी. उस पर चर्चा तो करायो.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्तीगांव"--उपाध्यक्ष महोदय, मेरे साथियों को फिर से कहना चाहता हूं तथा आगाह करना चाहता हूं तथा उनको आईना दिखाना चाहता हूं कि आपके कार्यकाल में कैसा जनता महसूस करती थी वह बताना चाहता हूं.
बेखबर थे यहां सिर्फ वो ही जिन्दा थे.
खबरदार तो अपने वजूद पर जिन्दा थे.
आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा--उपाध्यक्ष महोदय, यहां का जनमानस ऐसा महसूस करता है कि 24 घंटे पहले एक बच्चे का अपहरण हुआ उसकी हत्या हो गई. कल फोन लगाकर एक अपराधी आया बाहर से आदमी को बुलाया और राजधानी में गोली मार दी, ऐसा महसूस करता है भोपाल.
उपाध्यक्ष महोदया--आप रामेश्वर जी बैठिये. कुंवर विजय शाह
कुंवर विजय शाह--(कसरावद)उपाध्यक्ष महोदय, गृह विभाग की मांग संख्या 3 एवं 5 का विरोध करते हुए, कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मैं अपनी बात पहले जेल विभाग से शुरू कर रहा हूं. इसलिये शुरू कर रहा हूं कि जेलों में जो व्यक्ति हैं उनके साथ भी हमें मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिये. कोई भी व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता हमारा समाज तथा हमारी परिस्थितियां और तत्कालीन कुछ ऐसे हालत बन जाते हैं कि आदमी अपराध कर बैठता है इसलिये इसमें गांधी जी ने भी कहा है कि अपराधी से घृणा न करें, अपराध से घृणा करें. जो व्यक्ति आज भी मध्यप्रदेश की जेलों में है उसका कारण कुछ भी हो मैं उसके लिये वाहवाही नहीं कर रहा हूं, लेकिन वह भी ठीक ढंग से रह पाये, जी पायें, सो पायें, उसका यह मानवीय अधिकार है. आज यहां पर आपने विधान सभा को जो दस्तावेज सौंपे हैं उसके मुताबिक लगभग 42 हजार 57 कैदी जेलों में हैं, जबकि आपके मध्यप्रदेश के जेलों में कैदी रखने की क्षमता है 28 हजार 601, 13 हजार 756 अपराधी अतिरिक्त हैं और कहीं कहीं तो हम अंदर जब जेलों की व्यवस्था को जब देखने जाते हैं या कभी कभी 151 में यह लोग हमको भेज देते हैं.
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री(श्री जीतु पटवारी)--आप बताईये कि कब भेजा है.
श्री विजय शाह--उपाध्यक्ष महोदय, मुझे अपनी बात कहने दो. जेलों के अंदर इतनी दुर्दशा है. आपने इस बजट में केवल एक बुरहानपुर जेल बनाएंगे, इसके अलावा कोई पैसा नहीं रखा है. मेरी बात सुन लें. मैं ऐसी कोई बात नहीं बोलूंगा कि आप खड़े हों, यह मैंने तय कर लिया है. अभी मैं कानून व्यवस्था की बात बाद में करूंगा. जेल की मैं बात कर रहा था अभी हमारे और भी सदस्यों ने यह बात रखी है तथा इसके पहले भी मैंने यह बात रखी थी. जेलों की सुरक्षा के लिये हम आये दिन अखबारों में पढ़ते हैं. मोबाइल फोन अपराधियों के पास में पाये जाते हैं उसके लिये सबसे बेस्ट उपाय यह है कि हम जेलों में जेमर लगा दें, सब काम छोड़ दें एक एक जेल में एक एक जेमर लगा दें उसमें बहुत ज्यादा खर्चा आने वाला नहीं है, इसको लगाना चाहिये. लेकिन आपने बजट में प्रावधान कितना रखा है 40 हजार रूपये ?अब 40 हजार रूपये जेल अधिकारी यहां पर बैठे हुए हैं, उससे कितने जेमर आयेंगे.
श्री जितु पटवारी - आप 430 करोड़ रूपए को 40 हजार रूपए बोलते हैं, मल्हार आश्रम का नाम क्यों डूबा रहे हो मुझे यह बताओ. मुझे यह दर्द नहीं है कि आप बीजेपी के हैं. मुझे उस स्कूल का दर्द है, जिसमें आप पढ़कर आए और मैं भी बाद में पढ़ने गया.
कुंवर विजय शाह - जितु भैया, उसमें 40 ही लिखा है, आंकड़े हजारों में है और 40 लिखा हुआ है तो उसको आप क्या मानेंगे.
श्री जितु पटवारी - अनुदान भाग क्रमांक 3 संख्या में 430 करोड़ है, जिसमें जैमर लाने हैं, अब क्या करें भैया, आप ऐसा मत करो यार. आप क्या कर रहे हो. (हंसी)
कुंवर विजय शाह - आप थोड़ा पढ़ लो, ये योजनावार सब स्कीम प्रावधानों का विवरण, आंकड़े हजारों में, सेल फोन फ्री, एक्टीवेटर जैमर 40, आंकड़े हजारों मैं अब इसको क्या पढूं?
उपाध्यक्ष महोदया - आप अपनी बात जारी रखें.
कुंवर विजय शाह - जितु भैया बहुत पढ़े लिखे हैं, अगर मुझसे गलती हुई तो मैं क्षमा चाहता हूं.
श्री विश्वास सारंग - यह तो इन्होंने बता ही दिए है कि बाला बच्चन से ज्यादा पढ़े लिखे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - विश्वास जी कृपया बैठ जाए.
कुंवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, अगर मुझसे गलती हुई तो मैं क्षमा चाहूंगा. आंकड़े महत्वपूर्ण नहीं है आपकी नीयत साफ होनी चाहिए, अगर जेल में आपको अपराध रोकना है तो जैमर लगाना होगा. केवल चंद रूपया देकर के आप मध्यप्रदेश की जनता को गुमराह नहीं कर सकते.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - कुंवर साहब, यह तो बता दो कि अपराधियों से आपकी बात कैसे हो गई.
कुंवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, एक और बात मैं कहना चाहूंगा कि जेलों के अपराध की इसमें संख्या नहीं दी है कि कितनी कमी है, कैदियों की संख्या दी है, लेकिन कर्मचारी कितने कम है, कब तक पूर्ति करेंगे, उनकी पूर्ति के लिए कितना बजट रखेंगे, कुछ भी नहीं है. आने वाले समय में आप कैसे भर्ती करेंगे? भर्ती करके कैसे अपराध रुकेंगे? इसका कोई उल्लेख इसमें नहीं दिया है. माननीय उपाध्यक्ष जी, इसी तरह और भी चीजों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करूंगा. मेरे कुछ सुझाव थे गृह विभाग के मंत्री जी के लिए, गृह विभाग के जो कर्मचारी हैं. पिछले वर्षों में जब प्रतिवेदन आता था, तो उसमें लिखा होता था कि इतने स्वीकृत पद हैं, इतने कम पद हैं, इतने भरे जाएंगे. लेकिन यह प्रतिवेदन में कुछ नहीं लिखा है कि हम कब तक भर्ती करेंगे, कितने पद कम है. माननीय मंत्री जी, मेहरबानी करके यह कानून व्यवस्था का मसला है और इसको बताईए कि इतने पद कम है, इतने इंस्पेक्टर कम है, इतने पुलिस वाले कम है, इतने हम भरेंगे, कोई उल्लेख ही नहीं है तो यह क्या दर्शाता है, हम इससे क्या सोचे. जब अपराध रोकने के लिए कर्मचारी नहीं होंगे तो हम अपराध कैसे रोकेंगे. सरकार आपकी हो, हमारी हो, किसी की हो, लेकिन कर्मचारी भरने के लिए पर्याप्त पैसा और पर्याप्त नीति एवं नीयत साफ होनी चाहिए. मैं केवल माननीय गृह मंत्री जी को दो-तीन सुझाव दूंगा. माननीय मंत्री जी मैं भी 29 साल से विधायक हूं, 7 बार यहां चुनकर आया हूं. गांव में हम जो देखते हैं, हम गांव देहात के लोग है, अधिकांश जो दुर्घटना होती है और दुर्घटना का जो 50 प्रतिशत हिस्सा है वह केवल इसलिए होती है कि मोटरसायकल अनबेलेंस हो गई, एक मोटरसायकल में 3-4 आदमी बैठ रहे, दूसरी दुर्घटना बिना हेलमेट संबंधी है. मंत्री जी आप एस.पी. एवं थानेदार को स्पष्ट निर्देश दे कि आपके प्रांगण में, जिले में अगर तीन सवारी देखी, बिना हेलमेट वाले देखे तो उन्हें सस्पेंड कर दें, आप जरा आर्डर करके देखों इसमें कुछ पैसा नहीं लगेगा. यदि तीन सवारी नहीं होगी, बिना हेलमेट व्यक्ति नहीं चलेगा तो 50 प्रतिशत दुर्घटनाएं, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश में जो दुर्घटना में मृत्यु होती है वह 50 प्रतिशत तक रुक जाएगी आपके एक आदेश से, थोड़ा सख्ती करिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, उसी तरह हमारे पुलिस विभाग में महिला पुलिस कर्मचारियों का मुद्दा है. कई बार हमारी महिलाएं अपराध होने के बाद थाने जाती हैं तो बड़ा संकोच महसूस करती हैं क्योंकि थाने पर महिला कर्मचारी नहीं होती हैं इसलिए आप यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक थाने, प्रत्येक चौकी पर कम से कम एक महिला कान्स्टेबल वहां पर रहे ताकि हमारी महिलाएं, यदि बात थाने तक जाती है तो वह कान्फर्टेबल महसूस कर सकें.
उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आपसे निवेदन है कि आप भी निर्देश देंगे कि थानों पर अनिवार्य महिला कर्मचारियों की नियुक्ति हो सकती है, अगर यह सरकार करेगी तो अच्छा होगा. यह बहुत बड़ा काम है, जितु भैया.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह - उपाध्यक्ष महोदय, मैं बस 2 मिनट लूँगा. किसी तरह और भी बातें आई थीं. पुलिस अभिरक्षा में मौतें खण्डवा में हुईं, हर जगह होती हैं. मैंने पिछली बार भी कहा था कि आपने जो थाने का गेट बनाया है, जिसमें अपराधियों को रखते हैं, वह गेट छ: फीट का है, सवा छ: फीट का है. आदमी सामान्यत: साढ़े पांच फीट का होता है, वह अपनी लुंगी खोलता है, वहां लगाता है और कई बार वहां लटक जाता है.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें. आप एक मिनट में अपनी बात समाप्त कर दीजिये.
कुँवर विजय शाह - उपाध्यक्ष जी, बहुत जरूरी बातें हैं. थानों पर जो आत्महत्याएं हो रही हैं, सबसे बड़ा कारण गेट है. आप उसका एक बार परीक्षण कर लें. यहां पीएस वगैरह सब बैठे हुए हैं. सवा छ: फीट और छ: फीट का गेट है. उस गेट को अगर आप पांच फीट और साढ़े पांच फीट कर दीजिये तो लटकरकर मरने वाले की संख्या कम हो जाएगी. हमको बार-बार आन्दोलन और प्रदर्शन करना पड़ता है. पुलिस अभिरक्षा में मौतें हो गईं और ऊपर से हमको पिटना पड़ता है. हमने आन्दोलन किया, प्रदर्शन किया, ऊपर से हमारे ऊपर केस लग गए. माननीय मंत्री जी, और भी बहुत सारी चीजें हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - विजय शाह जी, आप तो पिटने के आदि ही हो. आप कई बार पिट चुके हो. (हंसी)
कुँवर विजय शाह - माननीय गोविन्द सिंह जी, मैं अगर पिटा हूँ तो मैंने कोई अपराध नहीं किया, मैंने किसी पर बुरी नजर नहीं डाली है. मैंने कोई चोरी नहीं की है, गुण्डा-गर्दी नहीं की है. मेरा अपराध सिर्फ इतना था कि जो थाने पर पुलिस कस्टडी पर उस एससी-एसटी वाले व्यक्ति की जो मौत हुई थी, उसका मैंने पक्ष लिया था. मैं इसलिए पिटा था. (विपक्ष की ओर से मेजों की थपथपाहट) इसलिए मुझे कांग्रेस ने मारा था. मैं कोई अपराधी नहीं हूँ. आज भी मैं दावे के साथ कह सकता हूँ और आपके पीटने के बाद आपकी सरकार 29 वर्ष से मुझे हरा नहीं पाई.
डॉ. गोविन्द सिंह - अच्छा, शाह जी.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, यह कांग्रेस की सरकार क्यों पीटती है?
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, आपको सुनना पड़ेगा. मेरा निवेदन है. अब आखिरी बात आई है. इनके मुख्यमंत्री गए चुनाव में, आपके मुख्यमंत्री आदरणीय मुख्यमंत्री, कमल नाथ जी, हरसूद गए. जरा बात सुन लीजिये.
श्री जितु पटवारी - आपके मुख्यमंत्री नहीं हैं क्या ? प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं कि नहीं, पहले यह बताओ कि पूरे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं कि नहीं. आपको बताना पड़ेगा, यह व्यवस्था का प्रश्न है. वे मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश के हैं कि नहीं हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जाएं.
श्री जितु पटवारी - अरे हैं कि नहीं, पहले यह बताइये.
कुँवर विजय शाह - सुन लीजिये, मेरे भाई. (XXX)
श्री जितु पटवारी - देश के प्रधानमंत्री मेरे भी प्रधानमंत्री हैं. अब आपके मुख्यमंत्री आपके हैं कि नहीं हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - यह शब्द विलोपित कर दीजिये.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल - इतनी बढि़या एक्टिंग चल रही थी. आपने गड़बड़ कर दी. क्या एक्टिंग चल रही है ?
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह - प्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय कमल नाथ जी से मुझे यह उम्मीद नहीं थी. हरसूद जाते हैं. अब मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि (XXX) की परिभाषा क्या है ? मुझे नहीं मालूम. (XXX) ठीक करो, ठीक करो. भैया, (XXX) की परिभाषा क्या है ? कितने अपराध मेरे ऊपर दर्ज हैं ?
उपाध्यक्ष महोदया - यह शब्द विलोपित कर दीजिये. कृपया समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, इनके मुख्यमंत्री ने जाकर, जिस तरह की भाषा का उपयोग किया, वह बहुत ही शर्मिन्दा करने वाला और निन्दनीय है, बहुत ही निन्दनीय है.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें. रामेश्वर शर्मा जी, आप बैठ जाइये. इसमें आपका नाम है.
श्री रामेश्वर शर्मा - तो यह हमारे आदिवासी लीडर का अपमान है. विजय शाह का अपमान है, ऐसे नहीं बोलना चाहिए, माननीय मुख्यमंत्री जी को.
उपाध्यक्ष महोदया - शांति से चल रहा था.
कुँवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, या तो ये (XXX) की परिभाषा बताएं और अगर क्षेत्र का विकास कराना (XXX) है तो (XXX). पानी लाना, नल लगाना , रोड बनाना यह (XXX) है तो हां, (XXX). कृपया (XXX) की परिभाषा बता दें.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह - बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जितु पटवारी - बाकी तो सब ठीक है. आप (XXX) नहीं हो, बस इसका मैं प्रमाण देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय - यह शब्द विलोपित कीजिये.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - आपको बहुत बढि़या एक्टिंग का पाठ दिया जा सकता है.
श्री विनय सक्सेना(जबलपुर-उत्तर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3,4 और 5 के संबंध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हॅू ...(व्यवधान) ........
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आपको वाणिज्य कर से मनोरंजन कर लगाना पड़ेगा क्योंकि यह आपका ही विभाग है. ...(व्यवधान) ........
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री यशपाल जी आप बैठ जायें, श्री विनय जी आप अपनी बात जारी रखें. ...(व्यवधान) ........
नर्मदा घाटी विकास, पर्यटन मंत्री (श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं विजय शाह जी से यह जरूर चाहूंगा कि वह हमारे टूरिज्म के बारे में भी कुछ भावनायें व्यक्त करें. ...(व्यवधान) ........
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, ...(व्यवधान) ........
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप बैठ जायें.विनय जी आप अपनी बात जारी रखिये. ...(व्यवधान) ........
श्री गोपाल भार्गव -- श्री बृजेन्द्र जी, हमारे विजय भाई बहुत लोकप्रिय विधायक हैं. सातवी बार के विधायक हैं. भाई निर्दलीय विधायक रहे हैं और पार्टी से भी विधायक रहे हैं. घर में भाभी जी खण्डवा से मेयर हैं, वह भी सामान्य सीट से मेयर हैं, इससे बड़ा लोकप्रियता का सबूत और कोई भी नहीं हो सकता है....(हंसी) ...(व्यवधान) ........
उपाध्यक्षा महोदया -- कृपया आप बैठ जायें. श्री विनय जी आप अपनी बात करें. ...(व्यवधान) ........
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) -- कुंवर विजय शाह जी राज परिवार के हैं और (XXX)..... (हंसी) ...(व्यवधान) ........
कुंवर विजय शाह -- (जोर-जोर से चिल्लाकर) आप मेरी खानदान की जांच करा लो. ...(व्यवधान) ........
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह आपत्ति जनक है. असली और नकली क्या होता है. ...(व्यवधान) ........
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप सभी बैठ जायें, कुछ नोट नहीं होगा. कोई भी बात नोट नहीं हो रही है. ...(व्यवधान) ........
श्री विश्वास सारंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, क्या आदिवासी राजा नहीं हो सकता है ? क्या केवल श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ही राजा हो सकते हैं?.(व्यवधान)
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह गलत है. यह घोर आपत्तिजनक है. ...(व्यवधान) .......
उपाध्यक्ष महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने-अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) कृपया आप सभी बैठ जायें, उसे विलोपित कर दिया गया है, ..(व्यवधान) .
श्री गोपाल भार्गव -- हमें संसदीय कार्य मंत्री जी के कथन पर घोर आपत्ति है. ..(व्यवधान) ..
श्री जितू पटवारी -- उन्होंने आदिवासी राजा ही बोला है. ..(व्यवधान) .......
कुंवर विजय शाह -- आप एक हजार साल का रिकार्ड देख लें. ..(व्यवधान) .......
उपाध्यक्ष महोदया -- यह शब्द विलोपित करवा दिया गया है, आप बैठ जायें.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इतिहास है कि आदिवासियों राजाओं ने ही हिंदुस्तान में आजादी की लड़ाई भी लड़ी है, मुगलों से लड़ाई भी लड़ी है और अग्रेंजों से लड़ाई भी लड़ी है. आदिवासी राजाओं ने ही लड़ाई लड़ी है और यह बहादुरी के प्रतीक है. ..(व्यवधान)...
कुंवर विजय शाह -- आप शंकर शाह और रघुनाथ शाह को भूल गये और आपको विजय शाह ही याद रहा. ..(व्यवधान) .......
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर --हम खुद नहीं बोल रहे हैं, वह खुद बोल रहे हैं ...(व्यवधान) ........
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं नेता प्रतिपक्ष से कहना चाहता हॅूं कि यह बात मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि अनेकों बार हमारी और इनकी मित्रता में इन्होंने कहा है कि हम और आप दोनों ही राजपूत हैं. (हंसी) ...(व्यवधान) ........
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह विधानसभा का फ्लोर है, जो बात कहो सच कहो, सच के अलावा कुछ भी मत कहो. ...(व्यवधान) ........
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री विनय जी आप अपनी बात शुरू करें. ...(व्यवधान) .....
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इन सभी बातों को हटाया जाये.
उपाध्यक्ष महोदया -- यह सारी बातें विलोपित हो चुकी हैं. ...(व्यवधान) ........
डॉ. गोविन्द सिंह -- कुंवर विजय भाई हटाईयें नहीं, आप हनुमान जी की कसम खा लो... (हंसी) ...(व्यवधान) ........
उपाध्यक्ष महोदया -- कोई बात रिकार्ड नहीं हो रही है. ...(व्यवधान) ........
श्री अजय विश्नोई -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, इन्हीं के भाई को आपकी पार्टी के लोगों ने ही आदिवासी सीट से चुनाव लड़वाया है, और उसके बाद भी आप इन्हें (XXX) कह रहे हैं. ...(व्यवधान) ........
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह अंदर की बात है कि जब हम रिश्तेदारी के लिये गये थे तो इन्होंने अपने परिवार के लोग हमें नहीं दिये थे और बोला था कि आप आदिवासी हैं. ...(व्यवधान) ........
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया बैठ जायें, श्री विनय जी आप बोलें. ...(व्यवधान) ....
श्री जितू पटवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह इतना बता दें कि इनके सारे भाईयों ने शादी की है, यदि इन्होंने शादी राजपूतों में की होगी तो राजपूत होंगे और आदिवासियों में शादी की होगी तो यह आदिवासी होंगे. ...(व्यवधान) ......
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कास्ट बाय बर्थ होती है, जाति जन्म से होती है (हंसी) . ...(व्यवधान) ......
श्री गोपाल भार्गव -- यह शंकर शाह, रघुनाथ शाह, विजय शाह और संजय शाह सभी परिवार के हैं और जनजाति के हैं. . ...(व्यवधान) ......
श्री विनय सक्सेना -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, श्री गोपाल भार्गव जी खड़े थे इसलिये मैं सम्मान में बोलना नहीं चाह रहा था, क्योंकि नियम आप ही लोगों ने बनाये हैं. मैं मांग संख्या 3,4 और 5 में जो बजट माननीय बाला बच्चन जी ने पेश किया है और माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो प्रदेश के पुलिस बल के लिये बजट पेश किया है, उसके संबंध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हॅूं. अभी माननीय भूपेन्द्र सिंह जी कह रहे थे कि बजट में पुलिस बल के लिये और डॉयल 100 के लिये बहुत कम राशि दी गई है. मैं बता देना चाहता हूं कि पुलिस आधुनिकीकरण योजना का मुख्य उद्देश्य पुलिस बल को सभी अत्याधुनिक संसाधनों से सुसज्जित कर, पुलिस की कार्य क्षमता और दक्षता में गुणोत्तर वृद्धि करने के लिये मध्यप्रदेश की इस योजना में न सिर्फ पुलिस के लिये भवन हैं, आवास हैं, वाहन हैं, हथियार हैं बल्कि दूरसंचार, प्रशिक्षण गुप्ता वार्ता, कम्प्यूटरीकण, एफ.एस.एल. एवं रेल्वे घटना सभी शामिल किये गये हैं. पुलिस आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत पुलिस बल और विशेष दस्ते एटीएस, हॉक फोर्स इत्यादि के लिये 80 हजार 916 नग, आवश्यक आधुनिक हथियार के विरूद्ध 64 हजार 903 नग हथियारों की पूर्ति भी की जा रही है.
जिससे संतुष्टि स्तर पर वृद्धि 80 प्रतिशत तक हुई. योजना में प्रदाय संसाधनों और नवनियुक्त पुलिस बल की भर्ती 2 हजार से बढ़ाकर 10 हजार की गई है. पुलिस आधुनिकीकरण योजना में पुलिस विभाग के नये प्रशासकीय भवन थाने, चौकी का निर्माण कराया जा रहा है. पुलिस को अपने कर्तव्यों में निष्पादन करने में सुविधा हुई है और नवनिर्मित भवनों में नागरिकों के लिये आवश्यक सुविधायें भी उपलब्ध कराई गई हैं. पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत 10 हजार 500 आवासीय भवनों का निर्माण भी कराया गया है जिससे पुलिस बल की आवासीय समस्या से कुछ राहत मिली है. मैं यह कहना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी कि सबसे अधिक अगर कोई चिंता का विषय है जो पिछले 15 सालों में चरमरा गया था वह इसी गृह विभाग का था. मुझे आदरणीय कुंवर विजय शाह जी की अभी साहसिक की बात चल रही थी, कहीं कोई आपत्ति नहीं है, बहुत साहसिक व्यक्ति हैं. क्योंकि रघुनाथ शाह, शंकर शाह की बात आई है, हम लोगों ने जबलपुर में तो मूर्तियां भी लगाई हुई हैं. लेकिन आज यहां देखकर आनंद आया कि भूपेन्द्र सिंह जी ने बड़ी गंभीरता से कुछ बातों पर ध्यान दिलाया. मैं उस बात का समर्थन करना चाहता हूं, उन्होंने कहा कि अगर पुलिस विभाग में कुछ अधिकारी जो महिलाओं के साथ खास तौर से दुर्व्यवहार करते हैं, इन्हें प्रमुख जगहों पर नहीं रखना चाहिये. आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले 2 दिन पहले रेलवे में भी एक घटना हुई, एक बड़े अधिकारी ने रेल अधिकारी की पत्नी के साथ छेड़छाड़ की, ऐसे मामलों में कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये, लेकिन माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में ऐसे अधिकारियों से लेकर खास तौर से नेताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाहियां हो रही हैं. चाहे वह बल्लेबाजी का मामला हो और चाहे भाजपा के नेता हों चाहे कांग्रेस के नेता हों, किसी को भी पुलिस का मनोबल गिराने का कोई काम न हो, ऐसा प्रयास माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में हो रहा है और मेरा मानना है कि एक बहुत बड़ी गलती पिछली सरकारों से हुई है. राजनीतिक व्यक्ति जहां ज्यादा होते हैं, किसी भी पार्टी के हों वह पुलिस के मनोबल को, पुलिस व्यवस्था को गड़बड़ करते हैं. लेकिन एक राष्ट्रीय पार्टी ने एक मिस्ड कॉल से नेता बना दिये उसके चलते हम किसी को नेता बनाते हैं, चुनते हैं, पुलिस अधिकारी बनाते हैं तो कम से कम पुलिस वेरीफिकेशन तो कराते हैं. एक बड़ी संख्या एक दल की ऐसी हो गई कि जिसके दवाब के चलते पिछले 15 साल में पुलिस का मनोबल टूटा है.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मिस्ड कॉल से कोई नेता नहीं बनते, सदस्य बनते हैं.
श्री विनय सक्सेना-- अरे सदस्य बनना, सदस्य ही तो नेता बन जाते हैं.(XXX)
श्री दिलीप सिंह परिहार-- बहुत चक्की में चलना पड़ता है, फिर नेता बनते हैं.
श्री विनय सक्सेना-- कई लोगों को तो आपके यहां एक दिन में टिकट मिल गई. ...(व्यवधान)...
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया... ...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय सदस्य आपसे निवेदन है कृपया बैठ जाइये.
श्री विनय सक्सेना-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, उनकी संस्कृति वैसी ही है जैसे आप लोग कह रहे थे मैं तो शांत बैठा था. मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं. विपक्ष का भी संरक्षण मिलना चाहिये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- उपाध्यक्ष जी, इसको विलोपित करवा दें, मोदी जी के बारे में जो कहा है.
उपाध्यक्ष महोदया-- विलोपित कर दें.
श्री विनय सक्सेना-- आपने कहा कि एक दिन में सदस्य की बात की, मैंने कहा कोई भी व्यक्ति बन सकता है इस देश में. आदरणीय मोदी जी ही कहते हैं कि छोटा आदमी ही बड़ा नेता बन सकता है, यह तो अच्छी बात है. इसमें बुराई की क्या बात है.
श्री गोपाल भार्गव-- प्रधानमंत्री के बारे में इस तरह ठीक नहीं है.
श्री विनय सक्सेना-- माननीय, मैं सम्मान के साथ कह रहा हूं वह खुद कहते हैं, इसमें कोई शर्म की बात है. मैं बहुत छोटा आदमी था.... (व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार-- उपाध्यक्ष महोदया, यह संस्कृति की बात कर रहे हैं, यह इनकी संस्कृति है.
श्री विनय सक्सेना-- माननीय, संस्कृति तो (XXX) की दिखती है. आकाश जी बल्लेबाजी करते हैं और (XXX) कहते हैं कि तुम जज हो क्या. पत्रकारों के साथ जो व्यवहार करते हैं, वह संस्कृति है. ...(व्यवधान)...
श्री उमाकांत शर्मा-- यह शब्द हटना चाहिये कि मिस्ड कॉल से अपराधी भाजपा के सदस्य बन गये.
उपाध्यक्ष महोदया-- आप बैठ जाइये, नेता प्रतिपक्ष जी ने उठकर अपनी बात रखी है. शब्द विलोपित करवा दिया गया है, आप बैठ जाइये.
श्री विनय सक्सेना-- मैंने अच्छे से बात रखी, आप गुस्से में बात करेंगे तो समझ में नहीं आयेगी.
कुंवर विजय शाह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. जो सदस्य इस विधान सभा का सदस्य नहीं है. माननीय (XXX) इस विधान सभा के सदस्य नहीं है अगर उनके बारे में कोई बात रखी जाती है तो मैं समझता हूं आप उसको विलोपित करवा दें.
श्री विनय सक्सेना-- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं इनकी बात से सहमत हूं, यह सीनियर हैं, लेकिन आज सुबह से शाम तक माननीय मोदी जी का कम से कम 4 बार नाम लिया गया. क्यों लेते हैं फिर आप लोग. मैं तो कहता हूं बिल्कुल सही बात कह रहे हैं आप.
कुंवर विजय शाह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. मैं आपसे चाहता हूं कि आप व्यवस्था दें. माननीय (XXX) का नाम यहां से हटायें.
उपाध्यक्ष महोदया-- विलोपित कर दें.
श्री विनय सक्सेना-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आपसे आग्रह है कि कांग्रेस के या भाजपा के नेताओं को कम से कम इस बात पर संयम रखना चाहिये कि कोई गलत काम उनकी पार्टी का नेता करे तो उस पर कड़ी कार्यवाही होना चाहिये जिससे पुलिस का मनोबल बढ़ेगा और माननीय कमलनाथ जी और माननीय बाला बच्चन जी के नेतृत्व में इस दिशा में अच्छा काम हो रहा है जिसका समर्थन मिलना चाहिये. मैं आपसे कुछ आंकड़े भी बताना चाहता हूं. मैं उसके पहले एक घटना याद दिलाना चाहता हूं. आदरणीय विजय शाह जी ने कहा कि नीयत बड़ी साफ होनी चाहिये. अगर शासन,प्रशासन की नीयत साफ हो तो कार्यवाही प्रभावी ढंग से हो सकती है. आदरणीय लखन घनघोरिया जी बैठे हैं सरकार बनने के पहले कुछ दिन पहले की बात है. मेरे क्षेत्र में एक बड़े नेता द्वारा मादक पदार्थ बेचे जा रहे थे उनको संरक्षण दिया जा रहा था. उस समय के तत्कालीन एस.पी. को मैंने बोला तो उनने बोला कि हिम्मत है तो चलकर दिखाओ. जब मैं एस.पी. को स्थल पर लेकर गया, उन्होंने लोगों को पकड़ा, तीन दिन के अंदर उन एस.पी. महोदय का ट्रांसफर कर दिया. आप बताईये, अगर कोई नेता गलत काम रोकने के लिये किसी को ले जाये तो एस.पी. का काम है गलत काम को रोकना. अब नीयत किसकी कैसी है यह हमको समझ आना चाहिये. सरकार की नीयत क्या है यह समझ में आना चाहिये लेकिन वर्तमान सरकार की नियत साफ है. मैं कहना चाहता हूं कि हमने एक फिल्म देखी थी "उड़ता पंजाब" स्मैक, जो सबसे घातक बीमारी प्रदेश और समाज में थी पिछले कुछ सालों में उसमें प्रभावी कदम उठाए गए. माननीय कमलनाथ जी ने सरकार बनते ही जो स्मैक और अन्य मादक पदार्थ हैं उस पर जो कड़ी कार्यवाहियां हुई हैं, उसके जो आंकड़े हैं वह पिछले तीन वर्षों की तुलना में बहुत ज्यादा हैं. मतलब ज्यादा अपराध पकड़े गये, अपराधी भी ज्यादा पकड़े गये. इसका मतलब यह नहीं कि अपराध बढ़ गये. पहले जिन अपराधियों को छोड़ दिया जाता था एक फोन पर, उनके ऊपर कड़ी कार्यवाहियां हो रही हैं. यह मेरे पस आंकड़े हैं. मैं यह भी कहना चाहता हूं अभी भूपेन्द्र सिंह द्वारा कहा गया कि कैमरे बंद पड़े हैं. मैं आपको इनके समय के कुछ काम बताना चाहता हूं. एक बड़ी कम्पनी को बड़े-बड़े टावर पूरे मध्यप्रदेश में चौराहों, सड़कों पर लगाने का ठेका दिया गया और मैं यह कहना चाहता हूं कि गलत काम को सुधारेंगे कौन, हम लोग मिलकर ही तो सुधारेंगे. आदरणीय गोपाल भार्गव जी कह रहे हैं कि हर अच्छे काम में हम सब साथ हैं. रिलायंस कंपनी को ठेका दिया गया. हर चौराहे पर,भोपाल में बड़े-बड़े टावर लग गये. उसको हटाने में सरकार को राशि देनी पड़ेगी. उसमें शर्त थी कि उन टावरों में हाईटेक कैमरे लगवाए जाएंगे. मैं पूछना चाहता हूं कि अगर उन टावरों में कैमरे लग गये थे तो 9 हजार कैमरे लगवाने की माननीय भूपेन्द्र सिंह जी को क्यों जरूरत पड़ी ? नीयत की बात आ रही थी. जो कैमरे बंद पड़े हैं वह ए.एम.सी. के तहत् हैं ? उनमें 95 प्रतिशत आज चालू हालत में हैं ?
श्री भूपेन्द्र सिंह - एक मिनट माननीय सदस्य सुन लें. अभी माननीय मंत्री जी जब उत्तर देंगे तो जो भी टावर, कैमरे के बारे में आप कह रहे हैं, तो मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि उसकी जांच के आदेश दे दें, अगर कहीं कुछ गड़बड़ हुई होगी तो पता चल जायेगा.
श्री विनय सक्सेना - माननीय हमारे पूर्व मंत्री जी जब कह रहे थे तो हम लोगों ने तो नहीं टोका, कुंवर साहब जब कह रहे थे तो हमने नहीं टोका. थोड़ा समय हमें भी दे दो. पहली बार के विधायक हैं. पहली बार के विधायकों को संरक्षण मिलना चाहिये. साईबर क्राईम पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिये उसके लिये नई सुविधाएं और व्यवस्थाओं के लिये सरकार ने प्रावधान रखा है. पबजी गेम, अवैध शराब और हुक्का लाउंज जैसी पिछले सालों से गड़बड़ी फैली हुई है उस पर भी कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये. नेशनल क्राईम ब्यूरो ने कहा था माननीय शिवराज जी की सरकार के लिये, कि महिला अत्याचार और बलात्कार में प्रदेश नंबर वन था, जो संख्या अब घटी है. सड़क दुर्घटनाओं की बात आई थी. जो सड़कें पिछले कुछ सालों में बनी हैं तो उसमें क्रासिंग सीधे-सीधे है. गांव का व्यक्ति सड़क पर आता है तो सीधे हाईवे पर क्रास करके चला जाता है. इन पर दोनों तरफ बेरियर्स लगना चाहिये. यह गल्तियां पिछली सरकारों से हुई हैं जिससे सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जिन पर रोक लगनी चाहिये. मैं कुछ आंकड़े देना चाहता हूं, जो पेश किये गये, उसकी अनुमति उपाध्यक्ष महोदया दे दें. 2016 में केमिकल से लेकर स्मैक, अफीम के सिर्फ 69 केस, 790 प्रकरण बने थे और 1100 अपराधी पकड़े गये थे. पिछले 6 माह के अंदर 1458 केस और 1890 अपराधी पकड़े गये हैं. मतलब इस पर नियंत्रण करने के लिये सरकार प्रभावी कार्यवाही कर रही है. ये जो आंकड़े पेश किये जा रहे हैं कम से कम इतने सीनियर जो पूर्व मंत्री रहे हैं उनका सदन को गुमराह करना, कहीं से उचित नहीं है. धन्यवाद.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) - उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 3, 4 एवं 5 गृह एवं जेल विभाग पर प्रस्तुत कटौती प्रस्तावों के समर्थन में खड़ा हुआ हूं और अनुदान मांगों का विरोध करता हूं. श्री राजवर्धन सिंह, सदस्य विराजमान होंगे. बहुत अच्छे ढंग से सरकार की प्रशंसा कर रहे थे और मुझे लगता है कि उसका पुरस्कार उनको बहुत जल्दी मिल जाएगा. माननीय श्री लक्ष्मण सिंह जी भी साथ में पुरस्कृत साथ में होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है और इसलिए ऐसी प्रशंसा करना जरूरी है.
श्री लक्ष्मण सिंह - वह तो आपका टिकट बदल गया नहीं तो आप अंदर नहीं, बाहर होते.
श्री उमाकांत शर्मा - चलो आपका आशीर्वाद है. उपाध्यक्ष महोदया, मैं विनम्रता के साथ और पीड़ा, दुःख के साथ कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की कांग्रेस की सरकार में बाल अपराधों, बाल यौन अपराधों का जितना तेजी से प्रतिशत बढ़ा है, वह घोर निंदनीय है ऐसी सरकार को, ऐसे गृह मंत्री, मुख्यमंत्री को काम नहीं करना चाहिए और नैतिक जिम्मेदारी लेकर त्यागपत्र दे देना चाहिए.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव - पहले से आंकड़ें कम हुए हैं उन्होंने शायद देखा नहीं है.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री तुलसीराम सिलावट) - उपाध्यक्ष महोदया, यह घोर आपत्तिजनक है. अभी तक का आप रिकॉर्ड दिखा दो. आपके समय में भ्रष्टाचार में नम्बर वन, हत्या में नम्बर वन, बलात्कार में नम्बर वन रहे.
श्री उमाकांत शर्मा - कितने तेजी से कितने गंभीर अपराध घटित हो रहे हैं. (व्यवधान)..उपाध्यक्ष महोदया, माननीय गृह मंत्री जी का आपके माध्यम से मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. चित्रकूट में श्रेयांश और प्रेयांश नाम के दो भाइयों का 12 फरवरी को अपहरण हुआ और 21 फरवरी तक वे अपराधियों के चंगुल में रहे. पुलिस देखती रहे. सुनती रही. तलाश नहीं किया गया. जहां जहां अपराधी गये वहां पुलिस पहुंची लेकिन पुलिस ने उनको गिरफ्तार नहीं किया . (शेम-शेम की आवाज)..
उद्यमेन
हि सिध्यन्ति
कार्याणि न
मनोरथैः ।
न हि
सुप्तस्य
सिंहस्य
प्रविशन्ति
मुखे मृगाः ॥
उद्यम से ही कार्य सिद्ध होता है, प्रयास करने से कार्य सिद्ध होता है. केवल सोचने भर से नहीं. शर्मनाक है काग्रेस सरकार के लिए 12 दिन तक अपराधी नहीं पकड़ सके. इस सरकार के लिए इसके लिए (XXX) हूं.
(व्यवधान)..
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) - व्यापमं में आपके भाई ही थे ना? (व्यवधान)..व्यापमं में कितने लोगों को मरवाया? व्यापमं के बारे में भी थोड़ा-सा बोल दो.
(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा - उपाध्यक्ष महोदय, (XXX) की जिम्मेदारी (XXX) को देना, मेरे ऊपर सवाल करने का अधिकार आपको किसी ने नहीं दिया है.
उपाध्यक्ष महोदया - यह शब्द विलोपित कर दें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - उमाकांत जी में परशुराम जी प्रविष्ट हो गये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप सभी कृपया बैठ जाइए.
डॉ. गोविन्द सिंह - पंडित जी, आपको हमला करना चाहिए था शिवराज सिंह जी पर, जिन्होंने आपके भाई को जेल में डाला उन पर तो आप नाराज नहीं हो रहे हैं. आपके सहयोगी रहे हैं आप उन पर कुछ नहीं बोलते जिन्होंने यह सब आपकी दुर्दशा कर रखी है.
(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा - आप क्या कह रहे हैं वह समझ में नहीं आ रहा है, मैं क्या बोलूं आप बोल ना, आप बोलें आपको जितना बोलना है. उपाध्यक्ष महोदया, श्रेयांश और प्रियांश की अपहरणकर्ताओं ने हत्या कर दी. पुलिस देखती रही., मैं गृह मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि वहां पर जांच के पहले उन पुलिस अधिकारियों को बहाल क्यों किया गया जब तक जांच पूरी नहीं हुई थी इसका उत्तर सदन में दें. मैं यहां पर साथ में यह भी कहना चाहता हूं कि श्रेयांश और प्रियांश के पिता जी लूट के शिकार हो गये हैं जब से कांग्रेस की सरकार आयी है उनको राहत नहीं दे रही है. उपाध्यक्ष महोदया कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं से पक्षपात करके गंभीर प्रकृति के मुकदमे वापस लिये जा रहे हैं यह गृह मंत्रालय के लिए अच्छी बात नहीं है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर --(XXX)..(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा -- आप जाकर व्यक्तिगत रूप उनसे पूछ लें...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया सभी सदस्य बैठ जायें. मंत्री जी आप भी बैठ जायें. यह कौन सा तरीका है आप लोग आपस में बात कर रहे हैं. माननीय मंत्री जी द्वारा जो कहा गया है वह विलोपित किया जाय.
श्री अजय विश्नोई -- उपाध्यक्ष महोदय इस तरह के व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाने चाहिए. विलोपित किया जाय....(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह -- यह जो सदस्य ने पूछा है कि जेल में क्यों डाला है तो यह गलत नहीं है...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया जो सदस्य यहां पर उपस्थित नहीं है उनके नाम का उल्लेख करना मैं समझता हूं उचित नहीं है उसे विलोपित किया जाय...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय -- सारी बातें विलोपित करवा दी गई हैं. यह कौन सा तरीका है नेता प्रतिपक्ष जी ने बोल दिया है फिर आप लोग भी बोल रहे हैं..(वयवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा -- उपाध्यक्ष महोदया गौवंश प्रतिषेध अधिनियम में जो संशोधन किया गया है इसके अलावा कांग्रेस का शासन जब से आया है तब से गौमाता की तस्करी बहुत बढ़ गई है और गौहत्या बड़े पैमाने पर हो रही हैं. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि गौवंश प्रतिषेध अधिनियम के कारण कोई भी आदमी सरकार को सूचना नहीं देगा...(व्यवधान)..
श्री सुखदेव पांसे -- पहले आप भारत सरकार का निर्यात देख ले उसके बाद में बात करना ...(व्यवधान).. आपने तो गौ माताओं को चक्का जाम करने के लिए छोड़ दिया है..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- आप सभी से मेरा निवेदन है कि आप सभी बैठ जायें..(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह -- वह बीमार हो जायेंगे, इतनी जोर जोर से बोलते हैं, उनको कहें कि शांति के साथ बोला करें. हमें उनके स्वास्थ्य की चिंता है.
श्री नीलाशु चतुर्वेदी ( चित्रकूट ) -- उपाध्यक्ष महोदया पूर्व की सरकार की लचर व्यवस्था की वजह से दिन प्रतिदिन की घटनाओं में इजाफा हुआ है. जब से हमारे कमलनाथ जी मुख्यमंत्री बने हैं तब से अपराध और अपराधियों में भय का वातावरण बना है..(व्यवधान)..महात्मा गांधी जी का स्वराज और राम राज्य की ओर बढ़ते हुए हमारी सरकार के कदम हैं. महत्वपूर्ण यह नहीं है कि अपराध आपके शासनकाल में हुए हैं या हमारे शासनकाल में हो रहे हैं, महत्वपूर्ण यह है कि जो अपराध सामने आये हैं उससे समाज का एक विकृत रूप सामने आया है. उसमें किसी शासन, प्रशासन के साथ साथ प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक जन प्रततिनिधि की जिम्मेदारी है कि इसके संबंध में सोशल एक्टिविटी को पैदा किया जाये, सोशल वर्कर को पैदा किया जाये. हम समाज के बीच में बैठे हैं. इस प्रकार की जो समाज में विकृतियां पैदा हुई हैं, उनको कंट्रोल करने की आवश्यकता है. प्रदेश में जो घटनाएं हुई हैं, चाहे वह श्रेयांश और प्रियांश की घटना हुई हो, चाहे भोपाल में घटना हुई हो, उनको कंट्रोल करने की आवश्यकता है. यह सिर्फ समाज में परिवर्तन से ही हो सकता है. हमारी जो सरकार है वह कानून के हिसाब से उस पर अंकुश लगाने का काम कर रही है. इससे अपराधियों के अदर भय है. चाहे वह किसी राजनेता से जुड़े हुए अपराधी हों या जो बड़े प्रभावशाली व्यक्ति के लोगों के द्वारा किेये गये अपराध हों. मैं आपको बताना चाहूंगा कि पूर्व में जो हमारी सरकार थी, अभी हमारी जो सरकार है, उसकी जो उपलब्धियां है, उसके बारे में आपको बताना चाहूंगा. मंत्री परिषद् द्वारा 17 जनवरी,2019 को निर्देश जारी किये गये कि व्यापक लोकहित में आपराधिक प्रकरणों में प्रताड़ना के लिये एक प्रक्रिया निर्मित की गयी है. अब किसी भी आवेदक को राजधानी में आने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. वह अपने जिले के ही जो जिले के दण्डाधिकारी हैं, उनके सामने जाकर अपनी समस्या को प्रस्तुत कर सकते हैं. इसी प्रकार पुलिस कर्मियों के सप्ताह में अवकाश की बात एक माननीय सदस्य कर रहे थे कि इस संबंध में कहीं कोई भी आदेश जारी नहीं हुआ है. मैं बताना चाहूंगा कि पुलिस कर्मियों को अनिवार्य अवकाश देने के लिये, कार्मिक शाखा के परिपत्र दिनांक 1.1.2019 द्वारा साप्ताहिक अवकाश की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है. अनुसूचित जाति और जनजाति के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों की रोक थाम के उपाय किये जा रहे हैं. जो बहन, बच्चियों को बहला फुसलाकर कहीं ले जाकर अपराध किया जाता था, उनकी रोकथाम के उपाय करने के लिये मध्यप्रदेश के समस्त पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किेये गये हैं. प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद अपराधियों की धर-पकड़ और अपराधियों से अवैध हथियारों की जप्ती के लिये प्रदेश में व्यापक रुप से विशेष अभियान शुरु किये गये हैं. इस अभियान के तहत प्रदेश भर में 5947 अवैध हथियार, लगभग 3 लाख 6856 लीटर अवैध मदिरा पुलिस ने जप्त की है. साथ ही इस कारोबार में लिप्त अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा आबकारी एक्ट के तहत कार्यवाही की गई है. जो पहले कभी नव दुनिया, भोपाल में छपता था कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में भोपाल टॉप पर है. आज की स्थिति में महिलाओं से संबंधित आपराधिक प्रकरणों में पुलिस द्वारा न्यायालयों में पुख्ता साक्ष्य रख कर जनवरी से मार्च तक माह अवधि में 836 अपराधियों को सजा दिलाई गई है. 73 को आजीवन कारावास, 157 को 10 वर्ष या उससे अधिक सजा दिलाई गयी है. उपाध्यक्ष जी, मेरा आपसे अनुरोध है, चूंकि चित्रकूट क्षेत्र की बात आई थी. तो कहना लाजमी है कि जो चित्रकूट क्षेत्र में श्रेयांश और प्रियांश की घटना हुई थी, वह निश्चित ही समाज को कलंकित करने वाली घटना थी, लेकिन वह अपराधी, अपराध करने वाले और अपराध का जो स्थान था, वह पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी का जो शासित राज्य था, वह उत्तर प्रदेश का था, वहां पर बांदा जिले के जब एसपी साहब से बात की तो उन्होंने सिर्फ एक वर्ड में जवाब दिया था, जब उन बच्चों का पोस्ट मार्टम चल रहा था कि हार्ड लक. हमारे मध्यप्रदेश के पुलिस कर्मियों ने आदरणीय एसपी और डीआईजी लोगों ने बोला कि यहां के उत्तर प्रदेश के पुलिस कर्मी हमारा सहयोग नहीं दे रहे हैं, आप उनसे जाकर, योगी जी से जाकर सवाल करिये कि आपने कितना ज्यादा अपराधियों को संरक्षण दे रखा है, ताकि हमारे मध्यप्रदेश के बच्चों को ले जाकर वहां पर घटनाएं हुई हैं. उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्यों ने बहुत सारी बातें कीं कि डकैत उन्मूलन हो गया. प्रदेश में डकैत उन्मूलन अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. चित्रकूट भगवान राम की तपो भूमि है. जहां गौरवशाली इतिहास है चित्रकूट का, जहां साढ़े ग्यारह साल भगवान श्री राम ने वनवास का समय वहां व्यतीत किया. लेकिन दुर्भाग्य देखिये कि चित्रकूट क्षेत्र में डकैतों द्वारा लोगों को जिन्दा जला दिया जाता था, लेकिन उप चुनाव के समय मंत्रीगण, मुख्यमंत्री जी वहां दौरे कर रहे थे, लेकिन उनके परिवार के पास जाने की उन्होंने हिम्मत नहीं की, उनके परिवार के पास नहीं गये. एक बहुत महत्वपूर्ण बात जो है. दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि पिछली सरकार ने डकैतों के परिवार को सहायता राशि प्रदान की है, लेकिन डकैतों द्वारा मारे गये लोगों को कोई आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की..
श्री उमाकांत शर्मा -- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदया -- शर्मा जी की बात नोट मत करिये. ..(व्यवधान).. कृपया आप लोग बैठ जायें. नीलांशु जी, शीघ्र समाप्त करें.
श्री शरदेन्दु तिवारी -- जहां अपहरण हुआ था, वहां से 500 मीटर के अंदर दो दिन तक दोनों बच्चों को रखा गया था.
उपाध्यक्ष महोदया -- नीलांशु चतुर्वेदी जी, कृपया समाप्त करें.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, पिछली सरकार द्वारा, हमारी कांग्रेस सरकार द्वारा मझगवां-चित्रकूट क्षेत्र में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के लिए जमीन आवंटित की गई थी. लगातार 15 साल हो गए, लेकिन आज तक वहां पर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर की उपलब्धता नहीं हो पाई है, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगा कि अपने वक्तव्य में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना करने की बात रखें ताकि वहां पर जो डकैतों की समस्या है, बेरोजगारी की समस्या है, उससे निदान पाया जा सके. मेरी सिर्फ दो लाइनें और हैं, तुलसीदास जी ने कहा है -
चित्रकूट में रम रहे, रहीमन अवध नरेश,
जापर विपदा पड़त है, सो आवत यही देश,
तो मेरे जो विपक्ष में बैठे हुए सीनियर सम्मानित सदस्य हैं और हमारे जो हमउम्र सदस्य भी हैं, मैं उन सबको आमंत्रित करता हूँ कि आएं, कामतानाथ जी के दर्शन करें, उसके बाद कमलनाथ जी, हमारे मुख्यमंत्री जी की शरण में आएं और अपनी विपदाओं को दूर करें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री बहादुरसिंह जी, दो मिनट आप ही से शुरू होता है.
श्री बहादुरसिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मांग संख्या 3, 4 और 5 का विरोध करते हुए और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करते हुए मैं अपनी बात रखना चाहता हूँ. चर्चा अलग दिशा में ही चली गई है. पुलिस विभाग के लिए बजट में 7635 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. इसमें शस्त्र और गोला के लिए पहले 50 करोड़ रुपये हुआ करते थे, अब 37 करोड़ रुपये कर दिए गए हैं. विशेष सेवाओं के लिए पूर्व में 372 करोड़ रुपये हुआ करते थे, अब 280 करोड़ रुपये हो गए हैं. कांग्रेस की सरकार आने के बाद चर्चा में ऐसा लग रहा है कांग्रेस की ओर से कि मध्यप्रदेश में रामराज्य आ गया है, पुलिस की आवश्यकता नहीं है, ऐसा अनुभव हो रहा है. मैं एक उदाहरण पेश करना चाहता हूँ कि नीमच में कनावटी जेल ब्रेक की घटना कांग्रेस की सरकार में हुई है. उस जेल से फरार 3 कैदी आज दिनांक तक नहीं पकड़े गए हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार में, मैं महिदपुर से आता हूँ, जहां सिमी का गढ़ है, और भोपाल से जैसे ही आतंकी भागते हैं जेल से, उनको गोली मार देते हैं, वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. (मेजों की थपथपाहट) जेल से भागे हुए अपराधियों को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता है, लेकिन इस सरकार से 3 फरार कैदी आज तक नहीं पकड़े गए, ये सरकार है, ये रामराज्य है.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया समाप्त करें.
श्री बहादुरसिंह चौहान -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बोलेंगे, मैं सीनियर हूँ इसलिए थोड़ी मेरी बात को रखने दो.
उपाध्यक्ष महोदया -- आपकी सीनियारिटी देखते हुए मैंने 2 मिनट से 3 मिनट कर दिया. आप एक मिनट में बोल दिजीए.
श्री बहादुरसिहं चौहान -- ये आज का पत्रिका पेपर है. भोपाल में जनवरी, 2017 से अभी तक 1513 नाबालिग बच्चे गायब हुए हैं. उसमें से 118 बच्चे किस माह में हुए हैं, इसमें पूरा लिखा हुआ है, और इनके आईजी बोल रहे हैं ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर पुलिस अपडेट नहीं. तलाशी में टालमटोल किया जाता है और अपराधों में कमी, किसी में 5 प्रतिशत की कमी आई....
श्री कुणाल चौधरी -- वर्ष 2017 में तो सरकार आपकी थी... (व्यवधान) ...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हाऊस के अंदर इस तरह से पेपर...
... (व्यवधान) ...
श्री कुणाल चौधरी --(XXX)
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदया, यह विलोपित करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदया -- विलोपित कर दें.
श्री बहादुरसिंह चौहान -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मुझे ऐसा लग रहा है कि कुणाल चौधरी को ज्यादा ज्ञान हो गया है.आप पहली बार पधारे हैं. थोड़ा संयम रखिये.
श्री कुणाल चौधरी - आज आपके पूर्व विधायक ने भी बयान दिया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - आप बोलने से रोक सकते हैं हमको ? क्या आपको अधिकार है ? यह क्या तरीका है ? हमने कौन सी बात गलत की है ?
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - उपाध्यक्ष महोदया, क्या हाऊस के अंदर इस तरह से पेपर दिखाया जा सकता है ?
श्री बहादुर सिंह चौहान - हां, दिखाया जा सकता है.
उपाध्यक्ष महोदया - नहीं, नहीं, आप पेपर नहीं दिखा सकते हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मेरा निवेदन यह है कि मैं जो बात रख रहा हूं, वह आंकड़ों की रख रहा हूं. यह कह रहे हैं कि अपराध में कमी आयी, अपहरण में कमी आ गई, डकैती में कमी आ गई, सट्टों में कमी आ गई, मैं इस सदन में आरोप लगा रहा हूं कि जब फरियादी थानों में रिपोर्ट डालने जाते हैं, तो उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती, अपराध कायम नहीं हो रहे हैं, इसलिये आंकड़ों मे कमी आ रही है.
उपाध्यक्ष महोदया - बहादुर सिंह जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उपाध्यक्ष महोदया, रतलाम, मंदसौर, नीचम में भारतीय जनता पार्टी के सभी लोगों को नोटिस दिये जा रहे हैं और उनको परेशान किया जा रहा है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्य अपनी सरकार का अच्छा तजुर्बा जानते हैं. इनकी सरकार में ऐसा होता था. इसलिये आज यह आरोप लगा रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - हर डिबेट में क्या आ रहा है, यह कहेंगे कि जांच करवायेंगे. आप जांच करिये. जांच के लिये कौन रोक रहा है ? आज तक कितनी जांचें आपने करवाईं ? कितने लोगों को जेल में डाला ?
उपाध्यक्ष महोदया - बहादुर सिंह जी, आपका समय समाप्त हो गया है. कृपया आप बैठ जाएं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - भय पैदा करना चाहते हो ? सरकार में आकर डराना चाहते हो ? यह संभव नहीं है. हम कहना चाहते हैं कि करिये जांच अगर ताकत हो तो ? किसी प्रकार की जांच करके बताइये कि इतने लोगों को जेल में डाला है. कोई भी विषय आता है, तो कहते हैं कि आप जांच कर रहे हैं. 6 महीने में आज प्रदेश में त्राहि माम, त्राहि माम है. किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ है. इसलिये मैं कहना चाहता हूं कि पुलिस को कांग्रेस के नेताओं का हर थाने में दबाव है. थाने नीलाम किये जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - बहादुर सिंह जी, आप नहीं सुन रहे हैं. बहादुर सिंह जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान - (XXX) .. .. (व्यवधान) ..
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि कृपया बैठ जाइये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया - बहादुर सिंह जी, आप बैठ जाइये. आप यह क्या कर रहे हैं यह कौन सा तरीका है ? ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया - किसी की बात नोट नहीं होगी. केवल महेश परमार जी बोलेंगे. उन्हीं की बात लिखी जायेगी.
श्री सुनील सराफ - (XXX)
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - (XXX)
श्री बहादुर सिंह चौहान - (XXX)
श्री महेश परमार (तराना) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपका धन्यवाद. मैं मांग संख्या 3, 4 और 5 का पुरजोर समर्थन करता हूं और आपके माध्यम से मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी, युवा ऊर्जावान अनुभवी गृह मंत्री आदरणीय बाला बच्चन जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं कि हमारे उज्जैन जिले में 15 साल में इतने अपराध बढ़े हैं कि गुण्डों ने लोगों के घरों पर कब्जा कर लिया और आमजन का घरों से निकलना मुश्किल हो गया था, लेकिन हमारे मुख्यमंत्री जी और गृह मंत्री जी ने वहां बड़ी गुण्डा गैंग के लिये पुलिस अधीक्षक एन. अतुलकर जी को एनकाउण्टर का आदेश दिया और आदरणीय गृह मंत्री जी के मार्गदर्शन में हमारी उज्जैन पुलिस ने एनकाउण्टर किया और 7 कुख्यात अपराधी, जिनके ऊपर 37 प्रकरण दर्ज थे, उनको पकड़ा और लगभग 3 घंटे तक मुठभेड़ हुई. मैं माननीय गृह मंत्री जी, हमारे पुलिस विभाग को और हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. यह ऐतिहासिक काम आदरणीय गृह मंत्री जी के नेतृत्व में हुआ. इसके बाद उज्जैन पुलिस ने लगातार लगभग 60 से 70 मकान, जो पिछले 10 से 15 वर्षों में (XXX) ने उन मकानों पर कब्जा कर लिया था. लेकिन हमारे आदरणीय गृहमंत्रीजी के नेतृत्व में उन हकदारों को मकान दिलाया गया. यह मध्यप्रदेश पुलिस का ऐतिहासिक काम है.माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जब से मध्यप्रदेश में काँग्रेस की सरकार बनी, कमलनाथ जी की सरकार बनी, हमारी बेटियाँ सुरक्षित हैं और हर क्षेत्र में अपराध में कमी आई है. आप और हम जानते हैं. हमारे 3 बार के विधायक, आदरणीय बहादुर सिंह चौहान जी कह रहे थे, मैं इनके बारे में कहना चाहता हूँ कि इनके क्षेत्र का एक झारडा गाँव है, वहाँ एक जैन परिवार इनकी (XXX) के बारे में अगर पिछले 10 साल की इनकी जानकारी निकालेंगे.....(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- यह शब्द निकाल दीजिए.
श्री महेश परमार-- तो आप देखेंगे कि क्या स्थिति है.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- एक मिनिट, माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे परिवार पर एक भी केस मिल जाए....(व्यवधान)..
श्री महेश परमार-- उपाध्यक्ष महोदया, इनके वीडियोग्राफ और सब चीज की जानकारी हमें मालूम है और समाचार पत्रों में यह देखा जा सकता है...(व्यवधान)..और मैं आपको बताना चाहता हूँ...(व्यवधान)..और आपके आशीर्वाद से एक बात कहना चाहता हूँ...(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- एक विधायक ने इनका चिट्ठा खोल दिया...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- विलोपित हो गया है...(व्यवधान)..ये बातें विलोपित हो गई हैं. आप बैठ जाइये...(व्यवधान)..यशपाल सिंह जी, कृपया बैठिए...(व्यवधान)..यह कौनसा तरीका है आप लोग कैसे खड़े हो गए?..(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- सुनो, (XXX) मुझे मालूम है...(व्यवधान).. इनके कितने डंपर चल रहे हैं...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- बहादुर सिंह जी, यह कौनसा तरीका है? इसको विलोपित करें. ..(व्यवधान)..
श्री महेश परमार-- जाँच कराओ ना मेरे कितने डंपर चल रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- मेरा एक भी धंधा नहीं है..(व्यवधान)..
श्री महेश परमार-- उपाध्यक्ष महोदया, जितने डंपर चल रहे हैं सब ऑन रिकार्ड कागजों पर हैं जो सही हैं वही चल रहे हैं...(व्यवधान)..मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूँ...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- उज्जैन जिले में ये (XXX) करते हैं, मैं कह रहा हूँ, पटवारियों के, सचिवों के 50 हजार, 75 हजार...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- बहादुर सिंह जी, आप नान स्टाप बोले जा रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री महेश परमार-- उपाध्यक्ष महोदया, आज बेटियाँ कमलनाथ जी के नेतृत्व में सुरक्षित हैं, गृह मंत्री जी के नेतृत्व में सुरक्षित हैं...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- परमार जी, कृपया शांत रहिए. नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं आप बैठ जाइये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- उपाध्यक्ष महोदया, हमारी विधान सभा की बहुत स्वस्थ परंपराएँ रही हैं. उपाध्यक्ष महोदया, एक सदस्य विधान सभा के यदि दूसरे सदस्य पर इस प्रकार का आक्षेप करेंगे, (XXX), ये, वो, सब, तो मैं मानकर चलता हूँ कि यह हमारी परंपराओं को ध्वस्त करने का काम शुरू, माननीय सदस्य, आप पहली बार आए हैं, वरिष्ठ सदस्य हैं, मैं चाहता हूँ कि एक सम्मान सभी सदस्यों का बना रहे. यदि इस प्रकार का...
श्रीमती इमरती देवी-- हमने 10 साल देखा है इनकी कितनी क्षमताएँ रही हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जाएँ.
श्री गोपाल भार्गव-- ऐसा है कि हमें एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करना होगी. बहुत सी बातें ऐसी हैं कि सदन के सदस्यों के बारे में जिनको मैं भी कह सकता हूँ. लेकिन हमें एक मर्यादा में रहकर चलाना पडेगा तभी सुचारु रूप से व्यवस्था चलेगी. उपाध्यक्ष महोदया, जो आपत्तिजनक शब्द हैं उन्हें कार्यवाही से निकालें और यदि विधायक जी यह उचित समझें तो वरिष्ठ सदस्य से खेद व्यक्त करें.
उपाध्यक्ष महोदया-- सारा विलोपित कर दिया जाए.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- उपाध्यक्ष जी, मेरे ऊपर एक भी केस हो, मेरे परिवार के ऊपर एक भी केस हो...(व्यवधान)..त्यागपत्र देने को तैयार हूँ. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- नेता प्रतिपक्ष ने सारी बात आपकी रख दी है...(व्यवधान)..अब आगे बढ़ें हम?
श्री महेश परमार-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक मिनिट में बात समाप्त कर दूँगा. आदरणीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में गृहमंत्री जी और कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में...(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया-- परमार जी आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री महेश परमार--माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बस 30 सेकंड में मैं मेरी बात समाप्त करुंगा (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--नहीं आप बैठ जाइए. बहादुर जी आप किसकी परमीशन से खड़े हुए हैं. परमार जी आप बैठ जाइए नहीं तो बहादुर सिंह जी नहीं बैठेंगे इसलिए आप बैठ जाइए (व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान--रेत का, डंपर का कोई भी धंधा हो (व्यवधान)
श्री महेश परमार--उपाध्यक्ष महोदया, मेरी एक महत्वपूर्ण बात रह गई है. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--परमार जी आप बैठ जाइए (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, आप यह बात विलोपित करवाएं. माननीय सदस्य को खेद व्यक्त करना चाहिए. पहली बार का सदस्य. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--परमार जी आपकी बात नोट नहीं हो रही है, आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपका धन्यवाद आपने विलोपित करवाया, खेद व्यक्त करना चाहिए. छह महीने नहीं हुए निर्वाचित होकर आए, तीन बार के विधायक को (XXX) कह रहे हैं (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--उपाध्यक्ष महोदया, बाला बच्चन जी सीनियर हैं इन्टरप्ट नहीं कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हैं तो उनकी मर्यादा रखें. (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय उपाध्यक्ष महोदया, नए सदस्य हैं. आवेश में यदि आपने यह सब कह दिया है यदि आपका अन्तर्मन कहता है कि आपने एक वरिष्ठ सदस्य का इस प्रकार से अपमान किया है... (व्यवधान)
श्री सुखदेव पांसे--उन्होंने ने भी गलत बोला है, दोनों ने गलत बोला है, दोनों तरफ से खेद व्यक्त होना चाहिए.. (व्यवधान)
श्री महेश परमार--(XXX)
वाणिज्यकर मंत्री (श्री बृजेन्द सिंह राठौर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदया, नेता प्रतिपक्ष जी ने जो बातें कही हैं मैं भी उन बातों से सहमत हूँ कि हमें आपस में एक दूसरे के ऊपर ऐसी कोई टीका-टिप्पणी नहीं करना चाहिए दोनों तरफ से जो गलत बात आई हो उसको विलोपित किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदया--निश्चित रुप से वह विलोपित कर दी गई हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान--उपाध्यक्ष महोदया, मेरी एक बात रह गई है.. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--माननीय सदस्य खेद व्यक्त कर लें.
उपाध्यक्ष महोदया--आपके सामने नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हैं आपको समझ नहीं आ रहा है.
श्री विश्वास सारंग--दोनों तरफ से खेद व्यक्त हो जाएगा. आप भी खेद व्यक्त कर दीजिए और आप भी खेद व्यक्त कर दीजिए. आप खेद व्यक्त कर दो, यह भी व्यक्त कर देंगे. जितु भाई दोनों खेद व्यक्त कर देंगे न भाई. यदि इन्होंने जो बोला है यह भी व्यक्त कर दें, महेश जी ने बोला वे भी खेद व्यक्त कर दें. (व्यवधान)
श्री रामपाल सिंह--वे खेद व्यक्त कर दें, इधर से भी हो जाएगा. राठौर साहब ठीक है न. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--बाकी सदस्य कृपया बैठ जाएं..(व्यवधान)
श्री महेश परमार-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं खेद व्यक्त करता हूँ. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--परमार जी, बस बैठ जाइए, बहादुर सिंह जी आप भी, आप लोग शांत रहिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान--उपाध्यक्ष महोदया, मैं शार्ट में कह रहा हूँ, आधा मिनट भी नहीं लूंगा..
उपाध्यक्ष महोदया--खेद ही व्यक्त करना है, उन्होंने ने भी केवल खेद व्यक्त किया है.. (व्यवधान)
श्री महेश परमार--(XXX)
श्री बहादुर सिंह चौहान--मैंने यदि कुछ बोला है. मेरा पूरा परिवार, मैं कुछ भी आरोप नहीं लगा रहा हूँ. मेरी बात तो सुन लीजिए आप. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--आपको केवल खेद व्यक्त करने का अवसर मिला है. (व्यवधान)
संस्कृति मंत्री (डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ)--उपाध्यक्ष महोदया, जब सम्मानित सदस्य ने खेद व्यक्त कर दिया तो आपको भी करना चाहिए. इतना लंबा बोलने की क्या जरुरत है. (व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान--मैं खेद व्यक्त कर रहा हूँ सुन लो. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--आपको खेद व्यक्त करने के लिए ही अवसर दिया है.
एक माननीय सदस्य--इतने गुस्से में नहीं प्रेम से खेद प्रकट करो, महात्मा गाँधी के भाव से करो, गोडसे के भाव से नहीं, प्रेम भाव से. (व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान--मैं खेद प्रकट कर रहा हूँ, उनके बाद मैं बोला हूँ. मैंने जो आरोप लगाए हैं. मैं फिर कह रहा हूँ कि मेरे ऊपर मेरे परिवार के ऊपर किसी प्रकार का कोई केस नहीं है तो मैं गुण्डा कैसे हो गया. मेरे कोई अवैध धंधे हों तो मैं सरकार से चाहता हूँ... (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--बहादुर सिंह जी आपको केवल खेद व्यक्त करने का अवसर दिया गया है.
श्री महेश परमार--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--नहीं परमार जी बिलकुल नहीं, आपने कनफेस कर लिया बस अब बैठ जाइए. इनकी कोई बात रिकार्ड में नहीं आएगी. हरिशंकर खटीक जी आप अपनी बात रखें..(व्यवधान)
श्री महेश परमार--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--कोई बातें रिकार्ड में नहीं आएंगी. पूरी बातें विलोपित कर दी गईं हैं. केवल उनका खेद व्यक्त है वही आएगा. यह कौन सा तरीका है. कुणाल जी आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी (XXX)
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा)-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 3, 4, 5 का विरोध करता हूं. आज हमें सदन में ऐसी उम्मीद थी कि गृह विभाग के लिए बहुत अच्छे सुझाव मिलेंगे, लेकिन जो आज का वातावरण हुआ उसका हमें भी दुख है. सबसे पहले तो मेरा यह अनुरोध है कि जहां-जहां पुलिस थानें और पुलिस चौकियां खोली गईं हैं आपके पास पर्याप्त बजट है. हम लोगों ने थाने खोले, पुलिस चौकियां खोलीं, पुलिस की भर्तियां भी हुईं लेकिन हमारा अनुरोध है कि जहां पर हम लोगों ने नए पुलिस थाने खोले हैं और नई पुलिस चौकियां खोली हैं उनके भवन बनवाए जाएं. जैसे हमारे टीकमगढ़ जिले में हमने स्वयं अपने जतारा विधान सभा क्षेत्र में थाना बमौरीकला और थाना चमेरा खुलवाया था. उसके भवन आज भी नहीं हैं. न कर्मचारियों के लिए आवास की व्यवस्था है. इसके साथ-साथ ग्राम खजरी और जियोर में जो दो पुलिस चौकियां खोली गईं थीं वह पूरी उत्त्ार प्रदेश बार्डर से लगी चौकियां हैं. उनके लिए भवन राशि स्वीकृत करके भवनों का निर्माण कराया जाए. मैं जेल विभाग की बात भी करना चाहता हूं. जेल विभाग के लिए मैं यह बताया चाहता हूं कि पुलिस विभाग, गृह विभाग और जेल विभाग में अंतर महसूस किया जा रहा है, लेकिन गृह विभाग के कर्मचारी जो पुलिस के होते हैं चाहे वह टी.आई. हो चाहे सिपाही हो, चाहे प्रधान आरक्षक हो, चाहे एस.पी. हों 24 घंटे नौकरी करते हैं. क्या जेल विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, आरक्षक 24 घंटे नौकरी नहीं करते हैं? जेल विभाग के कर्मचारी भी 24 घंटे नौकरी करते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि जैसे गृह विभाग के लिए, पुलिस के लिए 13 माह का वेतन देने का प्रावधान किया गया है वैसे ही जेल विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए भी 13 माह का वेतन देने का प्रावधान किया जाए. इसके साथ-साथ एक और अनुरोध है हमारे वाणिज्यिक कर मंत्री बैठे हुए हैं. उनसे भी हमारा अनुरोध है कि हमने टीकमगढ़ में पुलिस हाऊसिंग बोर्ड के जो मकान बनावाए थे, वह कॉलोनी बनवाई थी मेरा अनुरोध है कि वह कॉलोनी हमारी सरकार के कार्यकाल में बनी, हमारे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने बनाई है. हमारे क्षेत्र में जो भी कार्यक्रम हों माननीय मंत्री जी आएं उनका भी स्वागत है, लेकिन साथ-साथ में हमें भी खबर दी जाए. हमारा भी सम्मान बना रहे कि यह काम हमारे कार्यकाल में हुआ है.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, चूंकि उन्होंने नाम कोड किया है इसलिए मैं आपको बता रहा हूं. अभी दस दिन के अंदर ही तीन थानों के भवनों का शिलान्यास टीकमगढ़ में हुआ, वहां के आवासों का उद्घाटन टीकमगढ़ में हुआ. माननीय विधायक जी को आमंत्रित किया गया था चूंकि टीकमगढ़ का प्रोग्राम था इसलिए टीकमगढ़ के सम्मानीय विधायक जी का कार्ड में नाम था, उन्हें आमंत्रित भी किया गया था.
श्री हरिशंकर खटीक-- आपने टीकमगढ़ का कर दिया, टीकमगढ़ के पुलिस थानों का कर दिया लेकिन क्या आप जतारा विधान सभा क्षेत्र के मंत्री हैं? आप पूरे मध्यप्रदेश के मंत्री नहीं हैं क्या? आपने हमारे बमौरीकला के लिए और चंदेरा के लिए क्यों नहीं किया?
श्री बजेन्द्र सिंह राठौर-- नाम कोड किया है तो उत्तर भी सुन लो. जिस दिन आपके विधान सभा क्षेत्र में ऐसा कोई प्रोग्राम होगा आपके बिना नहीं होगा.
श्री हरिशंकर खटीक-- धन्यवाद. मेरा एक और अनुरोध है, कानून की बात आ रही थी कि पुलिस का गृह विभाग बहुत अच्छा काम कर रहा है. छतरपुर में एस.पी. ऑॅफिस में एस.पी.साहब के पास स्वयं एक फरियादी अपनी फरियाद लेकर जाता है छतरपुर के विधायक भी यहां पर बैठे हैं वह भी बता सकते हैं. छतरपुर में एस.पी. साहब के पास कोई अपना आवेदन लेकर जाता है कि मेरे साथ न्याय किया जाए, मुझे सुरक्षा दी जाए, मेरी रखवाली की जाए. वहां वह अपना आवेदन लेकर जाता है उसकी फरियाद नहीं सुनी जाती है, जब उसकी फरियाद नहीं सुनी जाती है तो वह एस.पी. ऑफिस के बाहर निकलता है. वहीं घटनास्थल पर दरवाजे के बाहर वह कन्हैयालाल अग्रवाल नाम का व्यक्ति पैट्रोल डालकर अपने आप में आग लगा लेता है और वहीं उसकी मौत हो जाती है.
कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी-- उपाध्यक्ष महोदय, यह गलत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय सदस्य ऐसे बीच में टोका टिप्पणी नहीं करेंगे.
श्री हरिशंकर खटीक-- उपाध्यक्ष महोदय, हम इस पर स्थगन भी लाना चाहते हैं. यह सच्चाई है. इसके साथ-साथ मैं एक और घटना आपको बताना चाहता हूं. छतरपुर जिले का झमतुली का एक किसान शंकर पटेल नाम का व्यक्ति उसकी जमीन का पट्टा उसके नाम से है लेकिन अन्य दबंग लोगों ने उस जमीन पर कब्जा कर लिया है. वह छतरपुर कलेक्टर के पास अपना आवेदन लेकर जाता है, वह दिव्यांग है, विकलांग है, उसको मानसिक हॉस्पिटल ग्वालियर भेजा जाता है. यह कानून है, यह न्याय मिल रहा है जनता को?
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी. मैं जेल विभाग पर अपना एक सुझाव देना चाहता हूं कि जेल में बरसों से जो कैदी बंद हैं और वे यदि पे-रोल के लिए आवेदन लगाते हैं तो उन्हें पे-रोल मिलनी चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सन् 1989 का कानून आज भी चल रहा है. इसका भी थोड़ा सरलीकरण होना चाहिए. क्षणिक भावुकता में यदि किसी व्यक्ति ने कोई घोर अपराध कर दिया है लेकिन उसके घर में यदि उसके बहन-भाई की शादी है तो उस शादी के लिए, यदि उसके माता-पिता का देहांत हो गया तो कम से कम उसे अंत्येष्टि के लिए पे-रोल जरूर मिलनी चाहिए. आप 15 दिनों के लिए नहीं तो कम से कम 1-2 दिन का पे-रोल उसे जरूर दें. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारा कांग्रेस के मित्रों से अनुरोध है कि कृपया अंधा कानून न बनायें. आज ऐसी बहुत सी घटनायें हो रही हैं. इसके साथ ही कलेक्टर तथा एस.पी. को निर्देशित किया जाये कि जनता का सम्मान होना चाहिए और जनप्रतिनिधियों का भी सम्मान होना चाहिए. आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री गिर्राज डण्डौतिया (दिमनी)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बहुत देर से यहां बड़ी चहल-पहल थी लेकिन ऐसा कोई विशेष तथ्य सामने नहीं आया. पिछले 15 सालों में जो कुछ हुआ हमने अपनी आंखों से देखा है और पूरे मध्यप्रदेश ने देखा है. मैं अधिक बिंदुओं पर नहीं जाना चाहता हूं. यहां बार-बार, बेटी-बेटी की बात आ रही है इसलिए मैं केवल एक छोटा सा उदाहरण दे रहा हूं. मुरैना जिले की अम्बाह तहसील के रूअर गांव में दो साल पहले आठ साल की बच्ची का अपहरण हो गया था. दो साल पहले आपकी सरकार थी लेकिन आज तक उस बच्ची का कोई पता नहीं है. यह कितने शर्म की बात है, मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूं ? (शेम-शेम की आवाज)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं पूछना चाहता हूं कि इस प्रकरण में क्या कार्यवाही की गई, क्या अपराधी पकड़े गए, दो सालों में ये लोग कोई सुराग नहीं ढूंढ पाये. आज किसी छोटी से घटना पर यहां ताण्डव क्यों मचा रहे हैं, यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है ? (मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कहना चाहता हूं कि एक माननीय सदस्य ने कहा था कि मोटरसाइकिल पर तीन लोग बैठते हैं तो उन्हें रोकना चाहिए. यदि मैं अपने घर से मोटरसाइकिल लेकर निकला और अगर मेरा कोई दोस्त बीमार है, उसे मैंने अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा लिया, आगे पहुंचने पर मेरा कोई ऐसा दोस्त जो बीमार है या दिव्यांग है और उसको भी मैंने अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा लिया तो मैं कोई अपराध थोड़े ही कर रहा हूं ? (मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारे गृह मंत्री जी यहां है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय कोई व्यक्ति गांव से 500 रूपये जेब में रखकर आता था कि मैं अपने बच्चों के लिए गुड़ और सब्जी ले जाऊं, उसको पुलिस वाले रोककर हेलमेट के नाम पर, उसके तीन सवारी बिठाने के नाम पर और कई तरह के चालान बनाकर, उसके 500 रूपये झड़ा लेते थे और वह गरीब वापस अपने घर को खाली हाथ चला जाता था और उसके बच्चे घर पर रोते थे. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कमलनाथ जी की सरकार ने जो बजट पेश किया है मैं उसके लिए उन्हें बहुत धन्यवाद दूंगा. हमारे गृह मंत्री जी को भी धन्यवाद दूंगा क्योंकि यह बहुत अच्छा बजट है, बहुत भव्य बजट है, इसमें सब कुछ है.
उपाध्यक्ष महोदया- गिर्राज जी, कृपया समाप्त करें.
श्री गिर्राज डण्डौतिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं क्षमा चाहूंगा. मैं पहली बार आया हूं. मैं अपनी बात कहूंगा. हम सड़क से यहां तक उठकर आये हैं, कोई ऊपर से नहीं टपके हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं केवल अपनी दो-तीन बातें कहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदया- आप क्षमा मत मांगिये, केवल अपनी बात जल्दी समाप्त करें.
डॉ. योगेश पंडाग्रे- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इनके कहने का तात्पर्य क्या है ? क्या एक मोटरसाइकिल पर तीन-तीन लोगों को बैठकर घूमना चाहिए, क्या लोगों को मोटरसाइकिल पर बिना हेलमेट के घूमना चाहिए ? माननीय सदस्य किस बात का समर्थन कर रहे हैं ?
श्री गिर्राज डण्डौतिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बिना हेलमेट के घूमना चाहिए हेलमेट लगाकर कर ही मोटरसाइकिल पर घूमना चाहिए लेकिन जिन्होंने हेलमेट नहीं लगाया है उन पर चालान नहीं होना चाहिए. जिसका चालान होता है उसकी जेब में पैसा ही नहीं होता है. गरीब आदमी चालान कहां से देगा. मोटरसाइकिल वाले को अपनी खोपड़ी की चिंता खुद है. तुम्हें उसकी खोपड़ी की क्या पड़ी है ? उसकी खोपड़ी फूटनी होगी तो फूटेगी.
कुँवर विजय शाह- माननीय गृह मंत्री जी, इनको प्रणाम है.
उपाध्यक्ष महोदया- गिर्राज जी, कृपया समाप्त करें. कोई महत्वपूर्ण बिंदु हो तो वह कह दें. केवल एक मिनट है.
श्री गिर्राज डण्डौतिया- माननीय मंत्री जी, मैं मुरैना जिले से हूं. मेरा जिला डाकू अधिनियम के तहत धारा 11/13 से आज भी ग्रसित है. हजारों बेकसूर लोग आज भी जेल में पड़े हैं जबकि डाकू समस्या चंबल के अंदर से समाप्त हो चुकी है. यह बात आप सभी एवं मंत्री जी के संज्ञान में है. इसलिए इस धारा को तत्काल समाप्त कर दिया जाये. चंबल में जब डाकू नहीं हैं तो वहां यह धारा क्यों लगाई जा रही है. इसके बहुत से दुष्परिणाम सामने आते हैं. निर्दोष लोगों को जेलों में बंद किया जाता है.
उपाध्यक्ष महोदया- गिर्राज जी, आपकी बात आ गई है.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया:- मैं डण्डौतिया जी, आपकी बात से सहमत हूं. 6 जिलों में धारा 11/13 है. उसके अंतर्गत कई लोग बंद है. उनके ऊपर झूठी धारा लगायी है. इस धारा में दो साल तक जमानत नहीं होती है.
श्री आरिफ मसूद :- अरविंद भाई आप 15 साल तक समाप्त नहीं करवा सके. श्री गिर्राज डण्डौतिया:- मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि यदि कोई कैदी जेल में बंद है तो ठीक है, अपराध गलत हो सकता है लेकिन अपराधी नहीं. महात्मा गांधी जी ने कहा है, अभी शाह जी ने बोला था. मैं एक निवेदन करूंगा कि पूर्व में जेल में जो कैदियों को सुविधा थी, वह हाल ही में आईजी जेल द्वारा समाप्त कर दी गयी है. जबकि शासन द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है, जेल महानिदेशक ने ही अपना आदेश चला दिया है. जिससे जेल में बंद कैदियों को उनके जीवन-यापन के लिये टमाटर, मूली और गाजर यह चीजें पहुंच जाती थीं, जिससे उनका मानसिक संतुलन ठीक रहता था. आज उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है और स्वास्थ्य भी बिगड़ गया है. मैं आपके माध्यम से गृह मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि जेल में कैदियों का थोड़ा सा ध्यान रखा जाये. मध्यप्रदेश में कैदी बहुत बुरी स्थिति में पहुंच गये हैं. उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री आरिफ मसूद:- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इस संबंध में, मैं भी बोलना चाहता हूं, यह बहुत ही गंभीर विषय है. मैं आपसे एक मिनट का समय चाहता हूं. दण्डौतिया जी ने जो कहा है वह बहुत गंभीर विषय है. मुख्यमंत्री जी भी इस पर बोल चुके हैं.
उपाध्यक्ष महोदया:- आरिफ जी, मैं आपको अंत में समय दूंगी, आप बोल दीजियेगा. आप बैठ जाईये. संदीप जी आप अपनी बात रखें.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल(मुड़वारा):- पहले तो मेरी शिकायत यह है कि मेरा माईक बड़ा करवा दिया जाये. पता ही नहीं कि मेरी ही लाईन में, मेरे को ही छोटा माईक मिला हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदया:- आपकी आवाज अच्छे से आ रही है, आप बोलिये.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल:- मुझे लगता है कि हम सब एक ऐसे विभाग पर बात कर रहे हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण है. अगर यह विभाग गड़बड़ होगा तो सारे विभाग गड़बड़ जो जायेंगे. हम सुनते आये हैं कि कानून अंधा होता है, जब हम कोर्ट में मामले को ले जाते हैं तो कोर्ट पुलिस द्वारा प्रस्तुत गवाहों और सबूतों के आधार पर निर्णय लेती है. यहां पुलिस विभाग की बहुत बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है कि उनकी विवेचना बहुत स्पष्ट और पक्षपात रहित हो. अभी कंविक्शन के प्रतिशत की बात हो रही थी. मैं यहां पर असहमत होते हुए यहां यह कहूंगा कि हम सब को यहां कंविक्शन के प्रतिशत की बजाय, जिन कैसेस में कंविक्शन नहीं होता, उसमें इंवेस्टिगेशन ऑफिसर की जवाबदारी कहीं न कहीं तय करनी चाहिये. शायद हम राजनीति में इस आदत के गुलाम हो चुके हैं कि जो अधिकारी हमारे मन की बात करता है तो वह हमें अच्छा लगता है, जो हमारे हिसाब से एफआईआर करता है तो वह अच्छा लगता है. शायद यही कारण है कि फेसबुक और अन्य जगहों पर सबसे ज्यादा हम नेता ही उपहास के पात्र बनते हैं. हम ज्यादा से ज्यादा दिन में एक बार या सप्ताह में एक बार एक टी.आई से बात करते हैं. लेकिन उस एक बात का 99 जगह कितना गलत इस्तेमाल होता है, हम उस बात को नहीं समझ पाते हैं. अभी हमारे एक साथी हेलमेट की बात कह रहे थे, शायद वह अपनी बात को सही ढंग से नहीं कह पाये. जब हम हेलमेट न लगाने पर चालान की बात करते हैं तो हमसे कहा जाता है कि यदि कल अगर कोई एक्सीडेंट होगा तो आप जवाबदार होंगे. विवाद तब होता है, जब बहुत से लोग बिना हेलमेट के निकल जाते हैं, लेकिन किसी विशेष को रोककर हेलमेट न होने पर चालान किया जाता है.
माननीय उपाध्यक्ष जी, रेत की बहुत सी गाडि़यां हमारी मर्जी से निकल जाती हैं, लेकिन जिससे हमारी सेटिंग नहीं है उस रेत की गाड़ी को रोक दिया जाता है. मेरी इस बात को दलगत नहीं लीजियेगा. यह एक आचरण है जो बीसियों साल से समाया हुआ है. यहां कुछ अधिकारी बैठे हैं, उनका शिकार मैं भी हुआ हूं और एक दूसरे पर आरोप लगाने के पहले, जब तक आरोप साबित न हो कोई अपराधी नहीं होता. आज माननीय पूर्व गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह जी ने बात की थी, संगठित अपराध और असंगठित अपराध की. तकनीक के साथ अपराध करने का तरीका बदला है. हम पूरी तरह से पुलिस को दोषी ठहरा कर भी नहीं बच सकते हैं. अपराध के प्रतिशत जनसंख्या के प्रतिशत के साथ भी बढ़ रहे हैं.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--जहां एक ओर हम वोट मांगने जाते हैं वहां अधिकांश जगह पर हम सबने महसूस किया होगा कि युवा बच्चे घरों में नहीं है. सब बड़े शहरों में नौकरी के लिये जा रहे हैं, क्योंकि उनके नौकरी तथा व्यवसाय के अवसर समाप्त हुए हैं. बुजुर्गों की चिन्ता ज्यादा है. अपराध संगठित रेकी कर के हो रहा है. मेरे यहां पर दुबे कॉलोनी में पिछले 12 साल में 4 घटनाएं हो चुकी हैं तीन चड्डी बनियान गेंग की एक और. हां इस गेंग का ऐसा ही नाम है. वह अपराध करके रेल्वे लाईन के किनारे किनारे चले जाते हैं उनको कोई सक्षम माध्यम नहीं मिलता. पुलिस हर जगह पर नहीं हो सकती है. अपराध के क्षेत्र बढ़े हैं. आज बच्चे एवं बच्चियों के साथ अपराध हो रहे हैं. अभी माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से भी चर्चा की कि हर मोहल्ले में हर आदमी क्रोधी नहीं होता. हर आदमी 302 नहीं करता, हर आदमी 307 नहीं करता, हर आदमी 376 नहीं करता, लेकिन कहीं न कहीं शारीरिक विकृति हमें अपराध होने के कारणों का भी पता करना चाहिये. ठीक है अपराधी पर कार्यवाही हो, क्या कारण हैं कि बच्चे एवं बच्चियों पर अपराध बढ़ रहे हैं. क्या उनका चिकित्सकीय परीक्षण कराएंगे, क्या उनका मनोचिकित्सक से परीक्षण कराएंगे ? क्या उनके नशे होने के आदि का परीक्षण कराएंगे, क्या अपराध का वातावरण था ? अपराध करने की जगह एक सी है या उसको एकांत मिला है, किन कारणों से यह अपराध हुए हैं ? उनकी भी जांच करेंगे तभी हम भविष्य में अपराधों को रोक पाएंगे ?
उपाध्यक्ष महोदया--कृपया संदीप जी समाप्त करें बहुत समय हो गया है.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- उपाध्यक्ष महोदय, थोड़ा समय दे दीजिये. मैं कहना चाहता हूं कि100 डॉयल का संचालन जिला स्तर पर भी हो. अभी हम 100 डॉयल करके कोई फोन करते हैं सीधे भोपाल में फोन करते हैं वह दस तरह की बातें करते हैं. 100 डॉयल को जिला स्तर पर जोड़ने का प्रयास हो. 100 डॉयल की जो गाड़ी है उसमें केमरे लगाने का भी प्रस्ताव किया जाये ताकि घटनाओं का हम लोगों को सबूत मिल सके. एक एस.पी. गौरव तिवारी जी के बारे में बताना चाहूंगा कि केमरे से पूरे समय के लिये आप निगरानी नहीं कर सकते हैं, यह एक मानवीय कमजोरी है. लेकिन आपने करोड़ो रूपये के केमरे लगाये हैं उनके माध्यम से चार चालान भी ट्रेफिक के होने लगेंगे तो लोगों के मन में डर आयेगा. जेल अपराध की पाठशाला है. हमें एक और प्रावधान करना चाहिये कि जेल में संख्या से ज्यादा अपराधी बढ़ रहे हैं उसमें जो आदतन अपराधी नहीं हैं छोटे-मोटे अपराध में जेल में जाते हैं. उनके लिये अलग व्यवस्था का प्रावधान किया जाये ताकि वह लोग आदतन अपराधियों से मुक्त हो सकें उनकी संगत में बिगड़े नहीं उसमें माननीय उच्च न्यायालय के जो निर्देश हैं उन निर्देशों को थानों में भेजा जाये कि किस तरह के अपराधों में क्या कार्यवाही करना चाहिये ? एक क्षेत्र की समस्या की ओर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं विजरावगढ़ विधायक माननीय संजय पाठक जी भी बताकर गये सिलोड़ी और बाकल में थाने की व्यवस्था की जाये. कारीतलाई मेरे क्षेत्र में दुबे कॉलोनी तथा मंडी क्षेत्र में चौकी की व्यवस्था मंत्री जी करें. एक परिसीमन एस.पी. एवं कलेक्टर के माध्यम से होता है. परिसीमन में एरिये बहुत ही डिस्टर्ब हैं उसमें जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाये या उनसे राय ले ली जाये. हमारे यहां पर कनवाड़ा क्षेत्र विजरावगढ़ थाने में लगता है उसमें 15 किलोमीटर तक लोगों को जाना पड़ता है उसको कुटला थाना क्षेत्र के अंतर्गत कर दिया जाये. तकनीक पर ध्यान देते हुए जो भी कार्यवाहियां हों उसमें केमरों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा हो. अपराध किन कारणों से हो रहा है, किस तरह के लोग कर रहे हैं ? कटनी में स्मेक के बारे में बोलना चाहता हूं. अगर स्मेक को प्रदेश स्तर पर कंट्रोल नहीं किया तो कभी हम उड़ता मध्यप्रदेश में हम न गिने जायें. स्मेक के बारे में मां-बाप घरों में बोल रहे हैं हमारे बच्चों को जेल में बंद करवा दीजिये. स्थिति यह है कि इसमें मैं पुलिस का पक्ष लूंगा कि पुलिस जब स्मेक पीने वाले को पकड़ती है तो पुलिस भी परेशान हो जाती है, पुलिस उनको कंट्रोल नहीं कर पाती है. नशा मुक्ति केन्द्र हर जिले में स्थापित होने के संबंध में कार्य किया जाये तथा स्मेक के सप्लायर पर कोई बड़ी कार्यवाही की जाये. चाहे हमारी सरकार हो, चाहे आपकी सरकार हो, अभी तक स्मेक सप्लाई करने वाले को नहीं पकड़ पाये हैं. मैं चाहूंगा कि स्मेक के लिये एक ठोस कार्य योजना प्रदेश स्तर पर बनाई जाये. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव)--उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 3, 4, तथा 5 पर अपनी बात रखना चाहती हूं तथा इसका समर्थन भी करती हूं. मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था दुरूस्त रहे प्रदेश में शांति एवं सद्भाव बना रहे इसको लेकर राज्य सरकार बहुत महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. इसके लिये गृह विभाग को 7 हजार 635 करोड़ के बजट के बजट का प्रावधान किया है. तो निश्चित ही पूरे मध्यप्रदेश में यह व्यवस्था अच्छी बनेगी और हमारे इस सदन में हमारे जनप्रतिनिधि कितने सजग हैं, आपस में कितनी बहस हुई वह भी हम देख चुके हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गृह विभाग वास्तव में सभी विभागों से महत्वपूर्ण है, सुख, शांति, चैन, अमन यदि होता है तो इस विभाग के द्वारा ही होता है. इसके पहले भी 15 साल से हम लोग देख रहे थे. महिलाओं के ऊपर बढ़ते अपराध में मध्यप्रदेश एक नंबर पर था, इसी तरह से बाल अपराध में भी मध्यप्रदेश एक नंबर पर था, क्या व्यवस्थाएं सरकार ने उस समय की यह बड़ी सोचनीय और विचार करने वाली बात है, किन्तु एक बात के लिए मैं पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी का धन्यवाद करती हूं कि बाल अपराध के लिए, बच्चों के साथ जो दुष्कर्म हो रहे थे, उसमें फांसी की सजा की व्यवस्था की है, यह वास्तव में बहुत सराहनीय है. (...मेजो की थपथपाहट) मैं महिला विधायक हूं मैं तो इससे भी ज्यादा सोच सकती हूं कि यदि ऐसी दुर्घटना होती है तो फांसी से भी बढ़कर कोई सजा हो तो वह भी उसको देना चाहिए. हमारी सरकार जैसे बनी वैसे ही पुलिसकर्मियों के ऊपर जो काम का बोझ होता है उसको दूर करने के लिए एक दिन की छुट्टी का जो प्रावधान किया है वह बहुत अच्छा कदम है. इसी तरह से महिला पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए दुर्गावती प्रशिक्षण संस्थान प्रारंभ किए गए और पुलिस बल में आरक्षकों की नवीन भर्ती भी शुरू होने वाली है और उसके बाद भी नव सैनिकों को भी उपुयक्त अवसर दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदया, अनुसूचित जाति, जनजाति के ऊपर हो रहे अत्याचार के रोकथाम के लिए भी पुलिस की विशेष जवाबदारी निर्धारित की गई है. पुलिस परिवार के लिए पुलिस परिसर में सेवा केन्द्र विकसित किए जाएंगे और उसमें उनके परिवार की महिलाओं को शामिल किया जाएगा, यह बहुत बड़ा सराहनीय काम है. और साथ ही इस विभाग के उसके परिवार के जो बच्चे पढ़ते हैं, यदि वह आगे प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होना चाहते हैं तो उनके लिए भी विशेष प्रशिक्षण का प्रावधान सरकार ने किया है. मैं इसके लिए भी विभाग को बहुत बहुत बधाई देती हूं. प्रदेश सरकार में अपराधियों की धर-पकड़, अवैध हथियार कहे, शराब की जप्ती कहे इसमें विशेष अभियान चलाकर उनको पकड़कर अंदर किया है और इतनी हिम्मत का काम हमारे मंत्री जी ही कर सकते हैं. मैंने पहले ही कहा था कि उन्होंने मंत्री बनते ही सुधार के काम शुरू कर दिए हैं. मध्यप्रदेश में महिला अपराधों की रोकथाम के लिए त्वरित अनुसंधान पूर्ण करके निर्धारित दो माह की समय अवधि में आरोप पत्र सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किए गए. दो माह के भीतर, अभी सदन चल रहा था और उसके बीच भी एक फैसला आया था, यह उसी का परिणाम है. महिलाओं, बालिकाओं के विरूद्ध घटित अपराधों में 2017 से 2018 के बीच 6 प्रतिशत की कमी आई, इसमें खुश होने वाली बात नहीं है. मैं तो चाहूंगी कि यह अपराध पूरी तरह से खत्म हो और अपराध जीरो प्रतिशत हो जाए, जैसे अन्य प्रदेशों में हमारे प्रदेश का नाम इस मामले में लिया जाता है उससे प्रदेश का नाम हटना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, सिर्फ आधा मिनट ले रही हूं, मैं आपसे निवेदन करके इसकी मांग कर रही हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में चूंकि क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा एरिया है, पहले पड़ावा क्षेत्र जहां पर था, वहां पर पुलिस चौकी है वह थाने के रूप में उन्नयन हो जाए, क्योंकि 35 गांव उससे जुड़े हुए हैं और पूरा पहाड़ी अंचल है और साथ ही बमनाला, अंजनगांव और दौड़वा यह भी भीकनगांव तहसील से काफी दूरी पर है, वहां भी थाना खोले जाए और महिला अपराध कम करने के लिए महिलाओं की भर्ती अधिक से अधिक हो और हर थाना पर महिलाओं के लिए डेस्क भी लगे और महिलाकर्मी भी वहां पर उपस्थित हो, चाहे सिपाही हो, सब इंस्पेक्टर हो, उनकी व्यवस्था जरूर करवाएं, निश्चित ही इससे अपराधों में कमी आएगी. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया - धन्यवाद. अशोक जी आप अभी बैठ जाइए.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 3, 4 और 5 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ. समाज के सौम्य शक्ति की रक्षा करना पुलिस विभाग का, गृह विभाग का दायित्व है. मगर नीमच में जिस प्रकार का व्यवहार चल रहा है, उससे ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश में अराजकता का वातावरण है, उसके साथ नीमच जिले में जो अंतिम छोर में है, वहां पर भी अराजकता का वातावरण है. वहां स्मैक बिक रही है. यदि कोई यात्री फोर लेन से निकलता है, वहां बांछडि़या जाति के लोग निवास करते हैं, यदि वाहन में साथ में जाने वाला कोई व्यक्ति लघु शंका के लिए बीच में रुका तो उसको लूटने का काम वहां किया जा रहा है, पुलिस इस ओर ध्यान नहीं देती है. पुलिस के लिए सिर्फ वहां से पैसा लेने का काम चल रहा है. जब अभी नीमच में चुनाव का अभियान था. आई.पी.सी. की धारा 188 में हम लोगों को भी जेल की यात्रा करने का अवसर मिला. हमें इस प्रकार गिरफ्तार किया गया, जैसे कोई बहुत बड़ा माफिया, हथियारा या गुण्डा हो. एक जनप्रतिनिधि ने मिठाई बांट दी, सांसद का टिकट होने के लिए ढोल बजा दिया तो आई.पी.सी. की धारा 151 लगा दी, जो नॉन बेलेबल अफेन्स है.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से, इस सदन से यही आग्रह करूँगा कि जिस प्रकार वह राजस्थान में बेलेबल ऑफेन्स है, उसे मध्यप्रदेश में भी लागू करना चाहिए. हम जब जेल में गए, वे हमें इस प्रकार से ले गए कि जैसे कोई बहुत बड़ा अपराध किया हो, जेल में गए तो जेलर साहब ने हमारी तलाशी लेकर फोन आदि सब बाहर ही रखवा लिये. जब जेल में अन्दर गए तो वहीं उनका बाथरूम करना, वहीं सोना, वहीं रुकना, एक राजनीतिक कैदी और एक अपराधी कैदी में क्या फर्क होता है ? यह बात अच्छी तरह आप जानते हैं मगर जिस प्रकार का व्यवहार जेल में हो रहा था और उसमें जब अन्दर गए तो वहां मोबाईल भी थे, वहां चाय की पत्ती भी थी, वहां शक्कर भी था और हम सबको लोग अतिथि की तरह बुला रहे थे. हमारे साथ जो व्यवहार हुआ, आप उसकी कल्पना नहीं कर सकते. अभी जब जेल टूटी, 4 अपराधी भागे, उन 4 अपराधियों के पास आरी कैसे पहुँची ? उनके पास रस्सा कैसे पहुँचा ? उनको किसने उतारा ? जेलर कैसे उनसे मिला हुआ था ? अधिकारी कैसे मिले हुए थे ? उनके खाते में पैसे कैसे गए ? यह सब बातें जांच की हैं. किस प्रकार के लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाये ? समाज की सौम्य शक्ति की रक्षा करने का दायित्व पुलिस विभाग का है, गृह मंत्रालय का है. जो अपराधी है, उसके मन में भय होना चाहिए. आज यह बात मैं इसलिए कह रहा हूँ कि यह जो अपराधी थे, वे सामान्य अपराधी नहीं थे.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
श्री दिलीप सिंह परिहार - उपाध्यक्ष महोदया, उनने जो काम किए हैं, उनमें लूट के अपराधी थे, अफीम के अपराधी थे, इस प्रकार के अपराधी जेल से भागे थे. मगर 26 एवं 27 की रात्रि को जब एक गांव में, वीरान में जब चोर को पकड़ने के लिए निकले तो एक मोटर साइकिल जो हेड लाईट बंद करके जा रही थी तो उस गाड़ी से उस जेल का कैदी भाग रहा था तो गांव के लोगों ने उसको पकड़ लिया. उसको पकड़ने के बाद उससे कहा गया तो अपराधी कहता है कि आप मुझे छोड़ दो. मुझ पर 50,000 रुपये का इनाम है और मैं एक लाख रुपये, एक फोन पर आपके घर पहुँचवा देता हूँ. आप मुझे छोड़ दो. वहां के लोगों ने उसको पकड़ा और जिस महिला के घर में चोरी हुई थी, उस महिला की मृत्यु हो गई. मैं बड़े दु:ख के साथ यह कह रहा हूँ. कहीं न कहीं अपराधियों के मन में भय होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
श्री दिलीप सिंह परिहार - उपाध्यक्ष महोदया, गृह मंत्रालय अपनी इस प्रकार की व्यवस्था करे. स्मैक नहीं बिके, पुलिस के जवानों के, अधिकारियों के ट्रांसफर हो रहे हैं, अभी हम देख रहे हैं कि जेल ब्रेक हुआ, थाना ब्रेक हुआ, थाने से अपराधी भाग गया. अब तो ट्रांसफर को भी ब्रेक कर देना चाहिए. जब मैं टी.आई. साहब को फोन लगाता हूँ तो थाने से बोले कि टी.आई. साहब का ट्रांसफर हो गया है एवं लगातार ट्रांसफर हो रहे हैं. हत्या, बलात्कार के मामले मध्यप्रदेश में दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं. मैं अंतिम बात कह रहा हूँ. हमारे यहां नीमच सिटी में थाना खोलने की मांग की थी. यदि वहां गृह मंत्री जी बिल्डिंग दे देंगे तो बड़ा अच्छा रहेगा. इसके अलावा हम देखते हैं कि जो जेलों की स्थिति है, उसको सुधारने के लिए सीसीटीव्ही कैमरे लगें, इस घटना के बाद भी वहां सीसीटीव्ही कैमरे सुधारे नहीं गए हैं. उसके अलावा नीमच में जो डिब्बे का कारोबार चल रहा है, उन डिब्बे के कारोबार से कई युवा बर्बाद हो रहे हैं. स्मेक बिक रही है. हमारे माननीय श्री कराड़ा जी वहां के प्रभारी मंत्री हैं. मैंने योजना समिति में एक बात रखी थी, तब हमारी बहनों ने हमें घेर लिया था, वहां पर अवैध दुकान शराब की दुकानें खुली हुई हैं और पुलिस के एस.पी. साहब बोलते हैं, हम उन पर कुछ कार्यवाही नहीं कर सकते हैं, यह कानून व्यवस्था है. हत्याएं हो रही हैं, बलात्कार हो रहे हैं और समाज की सौम्य शक्ति को परेशान किया जा रहा है. मेरा निवेदन यह है कि जो 100 डॉयल आपने चालू की थी, उसमें और 100 डॉयल प्रशासन दे और उस पर अच्छे बजट का प्रावधान करे, जिससे कि मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था ठीक हो सके.
07.56 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें धारा 188 को जमानतीय करने के लिये कहीं न कहीं कानून बनाना चाहिये. जेल में स्टॉफ की बहुत कमी है, इस संबंध में बजट में कहीं प्रावधान नहीं किया गया है. कहीं न कहीं जेल में भी स्टॉफ बढ़े और पुलिस विभाग में भी स्टॉफ बढ़े और समाज की सौम्य शक्ति को यह लगे कि कानून व्यवस्था ठीक चल रही है. आजकल तो ऐसा लगता है कि पूरी कानून व्यवस्था चरमरा गई है. मेरा आपसे यही निवेदन है कि हमारे यहां एक बहन वहां रिपोर्ट लिखवाने गई थी तो वहां पर हेडकांस्टेबल घावरी ने उसके साथ में कुकर्म किया, यह कितने शर्म की बात है कि पुलिस विभाग में यदि कोई रिपोर्ट लिखवाने जाये तो उस बहन के साथ यौन शोषण करते हैं. मैं गृहमंत्री जी से और आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि मैं उन उच्च अधिकारियों को धन्यवाद दूंगा क्योंकि वह नीमच में टी.आई. के पास गई तो उन्होंने रिपोर्ट नहीं लिखी, वह एस.पी. के पास गई तो भी उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी, जब वह उच्च अधिकारी के पास गई, तब उन्होंने जांच करके उसकी रिपोर्ट लिखी और उस बहन को न्याय दिलाने का काम किया है. कम से कम जो बहन जा रही है, उसको न्याय मिलना चाहिये परंतु उसके साथ हेडकांस्टेबल घावरी जैसा व्यक्ति लगातार यौन शोषण करता है. यह अव्यवस्थायें हम सबके लिये बड़ी ही दुखदायी है. कहीं न कहीं कानून व्यवस्था में सुधार होना चाहिये, जेल की व्यवस्थाओं में भी सुधार होना चाहिये. अपराधियों की भी कोई श्रेणी निश्चित होना चाहिये कि इस अपराध से ऊपर के लोगों को अन्य जगह स्थानांतरित किया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नीमच में इतने अपराधी भरे हुये हैं कि जेल भी छोटी पड़ रही है. वहां योगा और पानी की व्यवस्था भी होना चाहिये क्योंकि पानी तो सबको मिलना चाहिये. हमारे पुरूखों ने पियाऊ खोलकर लोगों को पानी पिलाने का काम किया है. जब हम जेल में जाते हैं तो हमें भी बाल्टी से और कहीं न कहीं डिब्बे से भरकर पानी लाना पड़ता है, इन सभी व्यवस्थाओं को आप लोगों को देखने की आवश्यकता है. कहीं न कहीं अराजकता और कानून व्यवस्था जो बिगड़ रही है, उस पर रोक लगानी चाहिये. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है इसलिये मैं धन्यवाद देता हॅूं. भारत माता की जय.
07.58 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- पुलिस गृह एवं जेल विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
वर्ष 2019-2020 की अनुदान मांगों पर चर्चा (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय -- श्री लक्ष्मण सिंह जी आप बोलें.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मैं आग्रह करूंगा कि साहूकारी एक्ट को और सख्त बनाईये. साहूकारी एक्ट को सख्त बनाना इसलिये आवश्यक है क्योंकि जो किसानों की आत्महत्याएं हो रही हैं, वह इसलिये हो रही हैं कि दस, बीस प्रतिशत ब्याज जबरदस्ती लिया जाता है. यह सारे देश में हो रहा है और यह हमारे मध्यप्रदेश में भी हो रहा है. उस एक्ट में इतना सख्त प्रावधान नहीं है, इसलिये उसमें कोई कार्रवाई नहीं होती है. इस कारण से साहूकारी एक्ट को बहुत सख्त बनाईये जिससे कि इस तरह की आत्महत्या न हो और यह जो दस, बीस प्रतिशत ब्याज दादा लोग वसूल करते हैं, यह जेल की सीखचों में बंद हों.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि जो मासूम वरूण की हत्या हुई है इसने हम सबको जकझोर दिया है. वरूण के दादा को मैं जानता हूं, वह वन विभाग में फारेस्ट गार्ड है और बड़े निष्ठावान और मेहनती इंसान है. मैं उनके घर जाउंगा, आज और कल समय नहीं मिल पाया था. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि जिस महिला को पकड़ा गया और गिरफ्तार किया गया है, वह पुलिस की मुखबिर है. यह आश्चर्य की बात है कि पुलिस को ऐसे मुखबिरों और लोगों की क्यों आवश्यकता है, वहां पर कुछ तांत्रिक विद्या का सामान भी मिला है. उस तीन साल के मासूम की हत्या करने के लिये तांत्रिक विद्या. पूजा, पाठ, हवन यह समझ में आता है, लेकिन इस तरह की तांत्रिक विद्या जो करते हैं और ऐसे पता नहीं कितने मध्यप्रदेश में और पूरे देश में होंगे. समय आ गया है, इन तांत्रिकों के खिलाफ बहुत ही सख्त कानून हम बनायें, चाहे वह कोई भी हो, इनके खिलाफ सख्त कानून बनना चाहिये, यही मेरे दो सुझाव हैं. आशा करता हूं आप इनको अपने कानून में सम्मिलित करेंगे. धन्यवाद अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. श्री आशीष गोविंद शर्मा. (अनुपस्थित)
श्री ग्यारसीलाल रावत (सेंधवा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा, दो मिनट में अपनी बात पूरी करूंगा. वर्ष 2019 की अनुदान मांग संख्या 3,4,5 का मैं समर्थन करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, पूरा प्रदेश जब बड़े हर्ष और उल्लास के साथ में त्यौहार मनाता है तब हम लोगों की रक्षा पुलिस विभाग करती है. पूरा प्रदेश जब रात को सोता है तब भी वह रक्षा करती है. उनका भी परिवार है, उनको भी उम्मीदें होती है कि हम भी परिवार के साथ में हर्ष और उल्लास के साथ त्यौहार मनायें. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं और गृह मंत्री जी माननीय बाला बच्चन जी को धन्यवाद देता हूं जो उन्होंने उनके परिवार में वार, त्यौहार मनाने के लिये सप्ताह में एक दिन रहने के लिये जो एक दिन की छुट्टी घोषित की है, यह बहुत ही सराहनीय कदम है. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आज हम लोग आये दिन जब सफर करते हैं कई ऐसी घटना घटती है, उन घटनाओं के माध्यम से कई ऐसे प्रकरण भी बनते हैं. आज मेरे पूर्व वक्ता ने बात कही है कि हेलमेट अनिवार्य होना चाहिये. मैं इस बात से सहमत हूं, कई ऐसी घटनायें घटती हैं जिससे हम अपने सर के बल गिरते हैं जिससे कई चोटें आती हैं जिससे मृत्यु हो जाती है. यह एक अलग विषय है कि उन घटनाओं को हम लोग बड़ी गंभीरता से नहीं लेते हैं, मगर लेना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं माननीय गृह मंत्री जी से यह निवेदन भी करूंगा कि आये दिन ऐसी घटनायें भी घटती हैं, प्रकरण दर्ज होते हैं, आये दिन लूट-पाट भी होती है. जेलों में कहीं ऐसी व्यवस्था नहीं हो पाती, अभी हमारे माननीय सदस्य ने बहुत अच्छी बातें बताई हैं कि जेलों में जिस प्रकार खान-पान की व्यवस्था में जो कमी आई है उसकी ओर भी हम लोगों को ध्यान देना चाहिये. आज जेलों में हम कैदियों को ठूंस-ठूंस कर भर देते हैं, उनकी वहां पर पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, लेकिन हमारे मंत्री महोदय, राठौर जी ने बताया कि हमारे पुलिस विभाग के जो रेसीडेंस हैं अगर उनको हम देखें तो कई ऐसे होटल और कई ऐसे रेस्ट हाउस जिनके बाथरूम होते हैं उनसे भी छोटे बने हुये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, वह भी एक परिवार में रहता है, उनके भी अच्छे मकान होना चाहिये, उनके लिये भी हम लोग अच्छी व्यवस्था करें, यह भी हमारी जिम्मेदारी है. मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन भी करूंगा कि आपने जो बजट रखा है 7635 करोड़ रूपये का इससे हमारे इस पुलिस विभाग का और हमारी जेल विभाग की जो भी मांगे हैं वह पूर्ण होंगी. आपने मुझे जो समय दिया है उसके लिये मैं धन्यवाद देता हूं.
श्री वीरेन्द्र रघुवंशी (कोलारस) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, बजट में मांग संख्या 3,4,5 का विरोध करते हुए कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. बहुत से विषय, बहुत सी बातें, प्रदेश की समस्याएं मेरे से पूर्व वरिष्ठ सदस्यों ने रखी हैं. मैं अपनी बात रखते हुए 2-3 सुझाव भी दूंगा. पूरे प्रदेश के अन्दर यह सही है कि हमारे साथियों ने कहा चाहे विकास हो, चाहे अमन चैन हो, हमारा जीवन सुखमय हो इसके लिये सबसे ज्यादा दायित्व गृह विभाग का बनता है. मेहनत से कमाया हुआ धन हो, या सुख सुविधाएं हों, यदि हमारी सुरक्षा नहीं है तो वह हमारी मेहनत, जीवन का समय व्यर्थ चला जाता है. तो गृह विभाग के लिये बजट कम है, मैं ऐसा मानता हूं. इसे और बढ़ाना चाहिये. मुझसे पूर्व जो सदस्य बोल रहे थे उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की चिंता की है मैं भी इस बात से सहमत हूं कि एक दिन का जो उन्हें अवकाश दिया है मैं उस निर्णय का सरकार को धन्यवाद देता हूं सरकार बधाई की पात्र है लेकिन उसे शीघ्रातिशीघ्र लागू करें लेकिन उसे लागू करने के लिये और पुलिस बल की जरूरत पड़ेगी जिसकी भर्ती के लिये और धन की आवश्यकता होगी. इस तरह के कदम अगर सरकार उठाएगी तो हम सरकार की वाहवाही करने से भी पीछे नहीं हटेंगे लेकिन वर्तमान में यह निश्चित रूप से देखने में आ रहा है कि पिछले 6-7 महीनों में अपराधों में वृद्धि हुई है अगर रिकार्ड में नहीं आई अलग बात है पर हम इस बात को महसूस कर रहे हैं. चाहे स्मैक का मामला हो, जो नशे के रूप में जगह-जगह फैल रहे हैं. मैं अपने ही शहर का उदाहरण देना चाहता हूं. मैंने अध्यक्ष जी को भी निवेदन किया है कि इस विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव हमने लगाया है. हमारे विधायक साथी ने भी लगाया है उसको चर्चा की अनुमति देंगे ऐसा मैं प्रदेश की युवा पीढ़ी की ओर से आपसे अनुरोध कर रहा हूं. इसलिये इस समय मैं एक-दो लाईन कहूंगा जब आप उसे आज्ञा देंगे तो विस्तार में रखूंगा. मेरे नगर में पिछले एक हफ्ते में वहां स्मैक का बड़ा कारोबार सामने आया है. एक शिवानी शर्मा,उम्र 18 साल, की बच्ची की उसमें ओवरडोज से मृत्यु हुई है. उसके ठीक एक हफ्ते बाद एक पुलिस कर्मी मुकेश शर्मा की भी स्मैक के ओवरडोज से मौत हो गई है. निरंतर नगर में घूमने के बाद जनप्रतिनिधि आंदोलित हैं. यहां तक कि मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि पिछले दो दिन पहले जिले के समस्त जजों द्वारा चाहे डी.जे. हों या छोटे जज हों, नगर में अवेयरनेस के लिये उन्होंने नागरिकों को बुलाकर हिम्मत और हौसला बढ़ाने का काम किया है. पूरे शहर में भय का वातावरण है. बच्चे स्कूलों मेंजा रहे हैं माता-पिता चिंतित हैं. कोचिंगों में जा रहे हैं चिंतित हैं. बहुत ज्यादा भय का वातावरण है. इसमें दुखद बात यह है कि इस कारोबार में मेरे शिवपुरी शहर और कोलारस में जो छोटे पुलिस कर्मचारी तैनात हैं, वह यह काम कर रहे हैं. मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं यह प्रमाणित हुआ है. जब आंदोलन शहर में हुए, जब सड़कों पर नागरिक आये तो पुलिस प्रशासन ने सख्ती दिखाई और स्मगलरों के साथ जो मोबाईल में नंबर ट्रेस हुए तो 6 पुलिस कर्मियों के नंबर ट्रेस हुए और उन पर जांच जारी है. फौरी तौर पर अभी सस्पेंशन किया है. मैं गृह मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से भी निवेदन करूंगा कि उनके उचित ईलाज की व्यवस्था के लिये स्पेशल पेकेज करें और इस तरह के कारोबार में सप्लायर कौन हैं, बड़ी मछलियां कौन हैं. छोटे-छोटे पुलिस के आरक्षक किनसे लेकर सप्लाई कर रहे हैं इनके साथ जो लोग जुड़े हैं उनको थोक में सामान कौन दे रहा है उन पर हाथ डालने की जरूरत है उनको पकड़ने की जरूरत है. हमें युवा पीढ़ी को बचाना है और यह पूरे प्रदेश का मामला है और युवा पीढ़ी हमारी स्वस्थ रहेगी और भारत देश भी विकास करेगा और हम सब जो मेहनत करके विकास की बात कर रहे हैं उस विकास में निश्चित रूप से चार चांद लगेंगे. हेलमेट और अवैध शराब पर मैं एक-दो सुझाव देना चाहता हूं कि जेलों के अन्दर जिस तरह से आप और हम व्यवहारिक रूप से मानते हैं कि आधे से ज्यादा निर्दोष लोग जेलों में बंद हैं. एक परिवार में झगड़ा होता है. दो लोगों के झूठे नाम लिखाते हैं उनके साथ मानवीय व्यवहार हो. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. धन्यवाद. जय भारत.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, आपका आदेश था कि 5-5 सदस्य दोनों पक्षों से बोलेंगे. हमारी माननीय नेता प्रतिपक्ष से भी चर्चा हुई थी तो हमारा निवेदन है कि 8 बजे तक आपने कहा था कि समाप्त करवा देंगे. अधिकांश हमारे सदस्यों की मांग है कि आप कृपा करके हम सब पर मेहरबानी करें. कल सुबह भी सबको तैयारी करके आना है.
अध्यक्ष महोदय - हम तो चाह रहे थे कि 8 बजे के बाद दूसरा विभाग ले लें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - और वह विभाग ही ऐसा है कि जिस पर देर रात चर्चा नहीं करें.
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी जरा अपनी जगह पर आइए, आप दोनों से मैं कुछ वजह फरमाना चाहता हूं.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, केवल एक सम्मानीत सदस्य श्री डंग साहब रह गये हैं दो तीन मिनट में उन्हें बोल लेने दें उसके बाद माननीय गृह मंत्री जी से भी हमारी प्रार्थना है कि वे संक्षिप्त में जवाब दें.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, आपकी बात से सहमत हैं.
श्री गोपाल भार्गव -अध्यक्ष महोदय, वाणिज्यिक कर विभाग को कल ले लें? वैसे भी रात हो रही है तो कोई मतलब नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - देखिए, रात में ही तो उस पर चर्चा होनी थी. (हंसी)..(कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर ) आप लोग क्या है जो विषय आ जाता है अध्यक्ष अगर उस पर कोई टिप्पणी करना चाहे तो आप लोग जरा चैतन्य अवस्था में बैठें. मंत्री जी, स्मैक की बात सही है जो नये विधायक ने उठाई है. (मेजों की थपथपाहट).. और अगर पुलिस कर्मियों के मोबाइल में उनके नम्बर आ रहे हैं तो इतनी देरी नहीं लगना चाहिए. अगर यही घटना कहीं विदेश में होती तो दो दिन के अंदर सब लोग लॉक-अप में चले जाते. मेहरबानी करके जो विषय उठाया है, इसका ध्यानाकर्षण भी आया है. कृपापूर्वक विभाग की चर्चा के बाद आप निर्देश करिए. कल वहां पर बिल्कुल रेड अलर्ट करके स्मैक के दोषी चाहे पुलिस हों, चाहे कोई हों, उनको पकड़िए एक अलग से क्योंकि शिवपुरी के 4-5 ध्यानाकर्षण लगे हैं सिर्फ स्मैक के, कुछ न कुछ करिए. आपके अधिकारी लॉबी में भी सुन रहे हैं. मैं उनकी दक्षता और उनकी चैतन्यता पर तभी ध्यान दे पाऊंगा, जब शिवपुरी में जब वे कुछ करेंगे.
श्री जालम सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, नरसिंहपुर के लिए भी निर्देशित कर दें, अपने यहां पर पुरानी व्यवस्था है, वहां जो अफीम पी जाती थी, इसलिए बहुत बड़े बड़े घराने उसमें बर्बाद हुए हैं. नरसिंहपुर जिले में भी बहुत बड़ी समस्या स्मैक की है, उसके लिए भी निर्देशित करवा दें.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है. धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव - सारे प्रदेश के जितने ध्यानाकर्षण आए हैं, मेरे ख्याल से आपका स्थायी आदेश है विभाग के लिए.
अध्यक्ष महोदय - मैं अभी बोलूंगा ना. मैं बोल रहा हूं ना.
श्री गोपाल भार्गव - नहीं तो उड़ता एमपी हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - मैं बोलूंगा तो बोलोगे कि बोलता हूं, रुक जाइए. श्री प्रताप जी आप मेहरबानी करके तीन मिनट में अपना उद्बोधन पूर्ण करिए, फिर मैं कुछ बोलूंगा, फिर माननीय मंत्री जी बोलेंगे.
श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3, 4 एवं 5 का समर्थन करता हूं. अध्यक्ष महोदय, एक अच्छे राज्य के निर्माण के लिए एक अच्छी कानून व्यवस्था की जरूरत होती है. जब मेरे विपक्ष के साथी यह कह रहे थे कि हमारे 15 सालों में कानून व्यवस्था अच्छी रही, ठीक-ठाक रही तो मेरा विपक्ष के साथियों से यही सवाल है कि इतने घोटाले पर घोटाले क्यों होते रहे? और जिनको सलाखों के पीछे होना चाहिए था, वह आज खुलेआम क्यों घूम रहे हैं ? अध्यक्ष महोदय, मैं जब कल सदन में यहां बैठा था तो हमारे कई नये विधायकों के प्रश्न लगे, लेकिन भोपाल में जो 3 साल के बच्चे वरुण की हत्या का मुद्दा विधानसभा में उठा और हमारे गृह मंत्री जी का इस्तीफा मांगा गया तो मैं अपने विपक्ष के साथियों से यह पूछना चाहता हूं कि जब हम सत्ता में रहते हैं तो हमारी भावनाएं संवेदनाएं क्यों बदल जाती हैं?
मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपके कार्यकाल में राजधानी भोपाल में निशातपुरा थाने में 11 अप्रैल 2018 को सर्वेसिंह की बेटी का अपहरण हो जाता है. जब वह उसकी रिपोर्ट निशातपुरा थाने में दर्ज कराने के लिए जाता है तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है, बाद में उसकी बेटी की लाश मिलती है. जब हमारे विपक्ष के साथी सत्ता में थे तो पिछली सरकार की एनसीआरबी की 2016 की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश बच्चों की असुरक्षा के मामले में तीसरे नम्बर पर था उसमें यह भी उल्लेख है कि 7 हजार लड़कियां गायब हो रही थी बुंदेलखंड और आदिवासी जिलों में महिला तस्करी बढ़ रही थी. देश में अगर गुमशुदगी की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं तो उसमें भी मध्यप्रदेश का चौथा स्थान रहा है. आपका कम समय में बोलने का आदेश है वैसे तैयारी तो बहुत थी लेकिन मैं आपके आसंदी के संरक्षण से मैं अपने विधान सभा क्षेत्र की कुछ बातें रखना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय हमारी सरदारपुर तहसील में जो नया एसडीओपी कार्यालय तो बन गया है लेकिन वहां पर आवास की स्वीकृति नहीं हुई है साथ ही साथ सरदारपुर, अमझेरा, राजौद और राजगढ़ में थाने के कर्मचारियों की आवास की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही सरदारपुर क्षेत्र में माछलिया घाट और टांडा घाट है जहां पर रात में सुरक्षा के लिए कानवाई लगाई जाती है वहां पर पैट्रोलिंग के लिए भी वाहन की आवश्यकता है. साथ ही तिरला और रिंगनोद में नई चौकी बनायी गई है वह भवन विहीन है अध्यक्ष महोदय मैं आपका संरक्षण चाहते हुए माननीय गृह मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि वहां पर चौकी के भवन का शीघ्रता से निर्माण किया जाय. जयहिन्द धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय मेरा नाम भी चौथे नम्बर पर था. थोड़ा सा समय मिल जाय.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं. आपका नाम नहीं था गेहलोत जी का नाम था, ऐसा नहीं होता है कि नाम ट्रांसफर हो जाय.
श्री अनिरूद्ध माधव ''मारू'' (मनासा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मां सरस्वती को प्रणाम करते हुए मुझे इस सदन में बोलने के लिए पहला अवसर मिला है. मैं अध्यक्ष महोदय सहित इस सदन में उपस्थित सभी (XXX) को प्रणाम करता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- बहुत बढ़िया. अब क्या करें. यह विलोपित किया जाय.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- अध्यक्ष महोदय मैं क्षमा प्रार्थी हूं. पहली बार बोलने का अवसर मिला है. प्रदेश में कानून की व्यवस्था बहुत बिगड़ चुकी है. हम सब इसको माने या नहीं माने, सत्ता पक्ष इसे माने या न माने उससे फर्क नहीं पड़ता है जो स्थिति है वास्तव में धरातल पर, सारे थानों का पुलिस का राजनीति करण हो गया है. राजनीतिक इशारों पर थाने चल रहे हैं. इसका एक उदाहरण बताऊं कि हमारे यहां से 13 साल की बच्ची को कुकडेश्वर थाने में वहां के टीआई ने 13 घंटे तक भूखे प्यासे बैठाकर रखा. एसपी से बात की तो एसपी ने जवाब दिया कि वह टीआई हमारी सुन नहीं रही है. इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता कि एक टीआई एसपी की न सुने. ऐसा ही एक मुकदमा हमारे यहां पर प्राथमिक सहकारी संस्था में जांच हुई किसानों के साथ में धोखाधड़ी के मामले में जगदीश नाम के एक व्यक्ति पर 420 का अपराध पंजीबद्ध हुआ वह अभी नौकरी कर रहा है और पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है. यह सब केवल राजनीतिक इशारे पर, क्योंकि जब तक यह राजनीति खत्म नहीं होगी तब तक पुलिस ढंग से काम नहीं कर पायेगी और दूसरी बात यह है कि पुलिस को सुविधा के नाम पर कुछ नहीं दे रहे हैं. जब तक पुलिस को सुविधा नहीं मिलेगी और जब तक यह राजनीतिक करण खत्म नहीं होगा तब तक पुलिस खुलकर काम नहीं कर सकती है. इस सदन में स्मैक पर भी चर्चा हुई है. इस सदन के आधे से ज्यादा लोग जानते हैं कि स्मैक कौन कौन बेचते हैं सब अपने अपने क्षेत्र में जानते हैं, सब लोग जानते हैं कि स्मैक कौन बेचता है यहां पर किसको पता नहीं है कि कौन स्मैक बेचता है पर बोलता कोई नहीं है यहां पर हल्ला सब करते हैं. पर यहां बोलता कोई नहीं है, हल्ला सब करते हैं. पता सबको है और पुलिस भी काम नहीं कर रही है, इसलिये कि सबको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. जब तक यह संरक्षण खत्म नहीं होगा, तब तक आपके स्मैक वाले नहीं पकड़ायेंगे और हमारा प्रदेश उड़ता पंजाब बन जायेगा.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा महत्वपूर्ण मामला यह है कि हर 50 गांव के ऊपर एक थाना होना चाहिये. डेढ़ सौ गांव एक एक थाना क्षेत्र में आ रहे हैं, क्या व्यवस्था करेंगे वे. हम बार बार पुलिस को दोष देते हैं. इतने अपराध हो रहे है कि वह पंजीबद्ध नहीं हो रहे हैं. थानों तक नहीं जा रहे हैं. जब तक 50 गांव के ऊपर एक थाना तय नहीं होगा टीआई का, तब तक आप स्थिति नहीं सुधार सकते. दूसरी व्यवस्था हमारी विशेष सशस्त्र बल की है, उसके लिये किसी ने कोई मांग नहीं की. उनकी स्थिति पर विचार नहीं किया. वह 33 हजार कर्मचारी हैं. 100-100 एसएफ के जवान आपके जिलों में पड़े रहते हैं, उनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं है. आपके पास उनके लिये आवास है क्या. एक एक साल के लिये उनको रखते हैं. एक साल तक उनको कोई छुट्टी नहीं मिलती है. वह जवान बेचारे अपने परिवार को कैसे संभालें, उनके परिवार में कुछ हो जाता है, तो उनकी छुट्टी कौन करे. उनकी व्यवस्था कौन करे. न तो उनके आवास हैं. मेरा निवेदन है कि उनको 5 साल के लिये परमानेन्ट वहां जिलों में फिक्स किया जाये, ताकि वे अपने बच्चों को ढंग से पढ़ा सकें. उनके आवास की व्यवस्था करें. उनकी सुविधा की चिंता भी करें. जो लोग 24 घण्टे काम करते हैं, पुलिस के लिये अपशब्द तो सब लोग बोल देते हैं, पर जरा सा भी अपराध होता है, तो फिर दौड़कर थाने में क्यों जाते हैं. अगर पुलिस पर अविश्वास है तो. उस पुलिस की चिंता हमको करनी चाहिये. यह इस सदन की जवाबदारी है. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि मेरे यह सब सुझाव हैं. आप उन सब की चिंता करें. आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं मांग संख्या 3,4 एवं 5 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. धन्यवाद.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) -- अध्यक्ष महोदय, अगर आप ठीक समझें, तो इसको विलोपित करा दें कि यहां पर सारे लोग जानते हैं कि स्मैक कौन कौन बेच रहा है. हम लोगों को तो नहीं पता, अगर आप लोगों को पता हो तो आप जानों.
अध्यक्ष महोदय -- बात यह है कि जैसे नरसिंपुर एवं कटनी की बात आई है. पता हम लोगों को हो न हो, लेकिन जिनको होना चाहिये, उनको पता रहती है. (मैजों की थपथपाहट) क्यों कार्यवाही नहीं होती. महीने की तनख्वाह तो मिल रही है ना. क्यों कार्यवाही नहीं होती. ध्यान रखियेगा.
श्री मुरली मोरवाल (बड़नगर) -- अध्यक्ष महोदय, अभी सुबह से हम विधायक एवं मंत्री गण के भाषण सुन रहे हैं. आज मैं उज्जैन जिले की बात करना चाहता हूं और यह निवेदन करना चाहता हूं कि उज्जैन जिले में हमारे वहां के एस .पी. और वहां के एस.पी. के सभी अधिकारीगण ने जो लूट खसोट करते थे, उनके खिलाफ केस बनाये. मैं इसके लिये एसपी साहब को धन्यवाद देना चाहता हूं और गृह मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि जो अपराध कर रहे थे, उन 3 लड़कों का एनकाउंटर किया और उनके पैर पर गोली मारी. मैं गृह मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जो पुलिस व्यवस्था हमारे जिले में और पूरे प्रदेश में चल रही है, बहुत अच्छी व्यवस्था चल रही है. मैं प्रतिपक्ष के जो साथी बैठे हैं, उनसे निवेदन एवं विनती करना चाहता हूं कि 6 पहले आपकी सरकार थी. 6 महीने पहले आप सरकार में बैठे थे, 6 महीने पहले आपका मुख्यमंत्री था, आप जो वहां बैठे हैं, आप मंत्री थे. 6 महीने बाद आपको लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि वहां ऐसा हो रहा है. 15 साल में आपने क्या किया. 15 साल आपकी सरकार थी, तो 15 साल में आपको यह निर्णय लेना था. आज 6 महीने की हमारी सरकार है और आप आरोप,प्रत्यारोप लगा रहे हैं. यह सरासर गलत है. आज हमारी सरकार कोई से भी मुद्दे पर आप देख लीजिये. हर मुद्दे पर, हर मामले के ऊपर पूरी खरी उतर रही है और जहां भी कोई पुलिस विभाग के मामले होते हैं, तो तत्काल उनके खिलाफ कार्यवाही करते हैं. जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, थाने के अंदर कोई सुनता नहीं था.
थाने के अंदर कोई रिपोर्ट नहीं लिखी जाती थी, थाने के अंदर जाते थे तो अधिकारी लोग बोलते थे कि कितने पैसे लेकर आ रहे हो, बताओ, उसके बाद रिपोर्ट लिखाएगी. अत: मेरा अध्यक्ष महोदय से निवेदन है कि हमारा ग्राम लुहाना बड़नगर तहसील का सबसे बड़ा एरिया है. मेरा निवेदन है कि बड़नगर विधान सभा में स्थित लुहाना कुटी ग्राम पंचायत लुहाना में क्षेत्रवासियों द्वारा नवीन पुलिस चौकी व भवन की मांग आए दिन की जा रही है. इस क्षेत्र में लगातार आपराधिक घटनाएं जैसे चोरी, डकैती आदि हो रही हैं. थाना बड़नगर लुहाना कुटी से 30 किलोमीटर की दूरी पर है और यहां पर थाने की मांग की जा रही है. इस क्षेत्र के आसपास 45 गांव से ज्यादा गांव आते हैं. अध्यक्ष जी, आपने बोलने का मौका दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीपसिंह डंग (सुवासरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3, 4 और 5 का समर्थन करता हूँ. हमें खुशी है और गर्व है कि हमारे बीच में गृह मंत्री एक ऐसे व्यक्ति बने हैं, हॉलीवुड और बॉलीवुड में जिनका नाम अमिताभ बच्चन है, वह फेमस हैं और यहां पर मंत्रियों में बाला बच्चन जी फेमस हैं. इन्होंने लगातार, जब से गृह मंत्री बने हैं, अपनी कुशलता के कारण, जो जमावट की है और लगातार कानून-व्यवस्था सुधार रहे हैं, मैं उनको धन्यवाद देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं पुलिस के बारे में यही बोल सकता हूँ कि कुछ पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के कारण समस्त पुलिस के ऊपर जो उंगली उठती है, यह केवल कुछ पुलिसकर्मियों के कारण होता है, नहीं तो पुलिस ने जो अपना काम कर रखा है, जो अधिकारी काम करते हैं, उनको मैं धन्यवाद देता हूँ. एक बात जरूर यह कहना चाहता हूँ कि आज पुलिस की जो छवि है, आम आदमी में पुलिस का खौफ है, लेकिन अपराधियों में उनके दोस्त हैं. अपराधियों को दोस्त माना जाता है और आम आदमी उस ड्रेस से, उस पुलिस की वर्दी से खौफ खाता है. इस खौफ के वातावरण को सुधारना पड़ेगा. मेरा मानना है कि पुलिस थानों में मुखबिर ये रखते हैं, मुखबिर रखने भी पड़ते हैं, पर दलालों की आवाक-जावक वहां पर ज्यादा होती है. थानों में जो सीसीटीवी कैमरे होते हैं, उनमें आप देखेंगे कि वहां पर दलाल लगातार सक्रिय होते हैं और तोड़बट्टे वहां पर कराते हैं. हमारे नीमच और मंदसौर क्षेत्र में अफीम ज्यादा पैदा होती है, वहां 8/29 एनडीपीएस एक्ट की जो कार्यवाही होती है, उसमें अपराधी तो दो लोगों को बनाते हैं और 20 लोगों से वसूली होती है. वसूली भी ऐसी कि 5 लाख, 10 लाख, 25 लाख, ऐसी-ऐसी वसूली करते हैं. कहते हैं कि तेरा नाम लिखा जाएगा, नहीं तो तू इतने में तोड़बट्टा कर ले. 8/29 एनडीपीएस एक्ट पर ध्यान देना पड़ेगा. इस धारा के कारण कई घर बर्बाद हो गए हैं.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि जब कोई एक आदमी अपराध करता है और अगर अपराधी कहीं एक-दो दिन के लिए भाग जाता है तो उसके बूढे़ मां-बाप को पकड़ कर लाकर थाने में दो-दो, तीन-तीन दिन तक बैठाया जाता है या उसके भाई को, उसके चाचा या मामा आदि को भी लेकर आते हैं. वे पूछ-ताछ करें, कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन उसके हर रिश्तेदार को उसके साथ जोड़कर जो उनको कष्ट दिए जाते हैं, इस पर थोड़ा ध्यान रखें. इसके अलावा मोबाइल फोन जब अपराधी के विरोध या पक्ष में किसी नेता के जाते हैं और जब पुलिसकर्मियों को लगता है कि इसके बचाव या विरोध में नेताजी का फोन आ गया तो उस बचाव पक्ष वाले को वे कहते हैं कि नेताजी का फोन आ गया, तो ये जो फोन के बारे में उनको बताने का जो चलन है, क्योंकि दुश्मनी करानी होती है तो ये फोन के बारे में भी बताते हैं. अभी कुत्तों की बात आई कि कुत्तों के ट्रांसफर किए गए. यशपाल जी ने कहा कि मंदसौर जिले के तीन कुत्तों का ट्रांसफर कर दिया गया. मेरा निवेदन है कि मंदसौर जिले में जो कुत्ते हैं, मैंने तो आज तक उनको ...(व्यवधान)...
कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, वे कुत्ते नहीं हैं, उनका रैंक है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- शाह साहब मेरी बात सुनो.
कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, देखो समय हो रहा है.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- ये कुछ नहीं लिखा जाएगा.
कुँवर विजय शाह -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- अच्छा भाई, डॉग को हिंदी में क्या कहेंगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- श्वान बोलेंगे.
कुँवर विजय शाह -- (XXX)
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय -- आपका समय खत्म हो गया.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, कुत्तों के ट्रांसफर की जो बात कही थी, मेरा मनना है कि मैंने आज तक मंदसौर जिले में स्मैक और अफीम के तस्करों को पकड़ने के लिये उन कुत्तों को वहां पर जाते हुए नहीं देखा. दूसरी बात, जो गली मोहल्ले में अगर अपराध हो रहे हैं, तो छोटे-छोटे मोहल्लों में दारू के ठेकेदारों ने छोटी-छोटी दुकानें बस्तियों में खोल रखी हैं, अगर उनको बंद नहीं कराया जाता, तो इन अपराधों में कमी नहीं आयेगी. उसका मूल कारण एक यह भी है. इसलिये गली मोहल्लों की छोटी-छोटी दारू की दुकानें बंद की जानी चाहिये. सट्टे की बात आयी, तो सट्टे में कभी भी डायरेक्ट सट्टेदार थानों पर नहीं, उनको संरक्षण कहीं न कहीं मिलता है, सट्टे चलाने वाले अलग होते हैं और सैटिंग जमाने वाले अलग होते हैं, जो सैटिंग जमाकर सट्टे चलवाते हैं, पहले उन पर कार्यवाही की जाए. मेरी आखिरी मांग है, हमारा पूरा बेल्ट राजस्थान से जुड़ा हुआ है. भवानी मण्डी, झालावाड़, चोमेला वहां पर मध्यप्रदेश का अपराधी अपराध करके राजस्थान में चला जाता है, तो वहां पर वह अच्छा नागरिक कहलाता है और हमारे देहात इलाके में रहने वाले कंजर वह राजस्थान के रहते हैं, वह एम.पी. में अपराध करके उधर पूरा संरक्षण प्राप्त करते हैं. इसलिये मेरा निवेदन है कि उसके लिये राजस्थान और एम.पी. दोनों की पुलिस मिलकर या सरकार के साथ बैठकर कोई योजना बनाकर कंजरों का खात्मा किया जाए. हमारे यहां खेताखेड़ा में 2-2, 3-3 कंजर मुठभेड़ के कारण वहां पर उनकी मृत्यु हो गई. अजयपुर में भी कंजर मारे गये और मेरा निवेदन है कि लगातार वहां पर कंजर आते हैं, इसलिये खेताखेड़ा में एक नवीन पुलिस चौकी खोली जाए. आपने बोलने का मौका दिया, धन्यवाद.
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
औचित्य का प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान विभागीय प्रमुख अधिकारियों का अनुपस्थिति रहना
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, एक व्यवस्था का प्रश्न है और वह आपकी व्यवस्था से जुड़ा हुआ था. थोड़ा ध्यान आकर्षित करूंगा और माननीय गृह मंत्री जी, मेरी ओर मुख़ातिब होने का कष्ट करें. मान्य परम्परा ऐसी है कि जब गृह विभाग पर चर्चा हो या जिस भी विभाग पर चर्चा हो, तो उस विभाग के प्रमुख अधिकारी यहां पर रहते हैं. मैं देख रहा हूं कि गृह विभाग पर लम्बे समय से चर्चा हो रही है, क्या डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को यहां होना था ? मैं गृह मंत्री जी, आपसे पूछ रहा हूं. क्या वह आपकी अनुमति से अनुपस्थित हैं ? या आपसे अनुमति ली है ? गृह मंत्री जी, आप वहीं से बोल दें. इशारा कर दें. माननीय अध्यक्ष जी, मौनम् स्वीकृति लक्षणम् होता है. मैंने यह व्यवस्था का प्रश्न इसलिये उठाया कि आपने आसंदी से यह व्यवस्था दी थी कि अधिकारी, जब उनके विभाग की बात हो, तो वह उपस्थित रहना ही चाहिये. मैंने ऐसा निरीह गृह मंत्री नहीं देखा. अधिकारियों की क्या स्थिति है ? यह पूरा सदन आपके संरक्षण में चलता है और हम सबको पक्ष और विपक्ष दोनों को ताकत आपसे मिलती है. डी.जी. जेल नहीं हैं, डी.जी. पुलिस नहीं है. यह इनके विभाग की स्थिति बता रहा हूं और मध्यप्रदेश में यह प्रतिबिंब उभरकर आता है कि आज अधिकारियों की स्थिति और मंत्रिमण्डल की स्थिति क्या है ? इसलिये मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि इसको आप संरक्षण दें और कोई व्यवस्था मेरी व्यवस्था पर दें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविंद सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वरिष्ठ सदस्य नरोत्तम जी ने जो प्रश्न उठाया है, वास्तव में गंभीर है. आपने पूर्व में भी निर्देश दिये थे कि विभागीय प्रमुख और विभागाध्यक्ष उनके विभाग की मांगों पर उपस्थित रहेंगे, लेकिन आज कोई भी परिस्थिति हो, हमें ऐसी जानकारी मिली है कि विशेष मीटिंग में हैं, लेकिन विधान सभा से ज्यादा महत्वपूर्ण मीटिंग कहीं हो नहीं सकती. यह प्रजातंत्र का मंदिर है और प्रजातंत्र में अगर वास्तव में नौकरशाही इस तरह का काम करेगी, तो मैं माननीय गृह मंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी से और आपके गृह सचिव जी से अनुरोध करूंगा कि इस पर आप जरूर कार्यवाही करें और पूछें कि आखिर क्यों उपस्थित नहीं हुए. यह मामला गंभीर है.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, जैसा माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा आपने जब जनरल बजट पर भाषण हो रहा था उस समय आपने निर्देशित किया था कि जनरल बजट के वक्त पर सभी विभागों के विभागाध्यक्ष और सचिव यहाँ रहेंगे और जब विभागीय चर्चा हो तो विभाग के सभी एच.ओ.डी. और सेक्रेट्रीज रहेंगे. लेकिन अध्यक्ष महोदय, इसके बावजूद भी मुझे लगता है कि आपके निर्देश का, आपके आदेश का, पालन समुचित रूप से नहीं हो रहा है. मैं आज आप से आग्रह करता हूँ, एक विशेष व्यवस्था के अंतर्गत कि मंत्री जी आज आप उत्तर न दें, जब डी.जी.पी.साहब और डी.जी.,जेल, कल या जब भी उनको टाइम हो, उपस्थित रहें उसके बाद ही उनकी उपस्थिति में आप उत्तर देंगे तो यह एक बहुत अच्छा उदाहरण बनेगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, आपकी व्यवस्था, यह नजीर आगे तक के लिए बन जाएगी, आने वाली पीढ़ी तक के लिए यह नजीर बन सकती है सिर्फ अध्यक्ष जी, आज 15 मिनिट में जवाब दे देंगे, कल दे देंगे, माननीय मंत्री जी जवाब देने में सक्षम हैं, नेता प्रतिपक्ष रहे हैं. बहुत सीनियर हैं, हमारे साथ कई विभागों के मंत्री रहे हैं. पर मैं चाहता था कि आपकी कोई व्यवस्था अगर आ जाती तो बड़ी कृपा होती.
अध्यक्ष महोदय-- सदन के निर्देशों का अगर जो पालन नहीं करेगा, निश्चित रूप से
मुझे अपनी किताबें पलटाना पड़ेंगी. (मेजों की थपथपाहट) 6 दिन पहले मैंने, आपने और माननीय संसदीय मंत्री ने, मुझे यह बात ज्ञात करवाई थी कि वहाँ की कुर्सियाँ खाली हैं, अब ऐसी परिस्थिति में सदन चल रहा हो, जिस विभाग की मांग संख्या चल रही हो, मैं तो यह जानता हूँ कि नीचे से लेकर वो व्यक्ति ऊपर तक का, उत्तरदायित्व रखता है, उसे हाजिर रहना चाहिए. मेरी एक दलील मैं आपको याद दिला दूँ, जब मैं बिजली मंत्री था, बिजली पर चर्चा चल रही थी ओ.एण्ड एम. मेंबर मिस्टर भोंडे, मेरी चर्चा में हाजिर नहीं थे, मैंने उनको नोटिस दिया था और धारा 11 ए के तहत उन पर कार्यवाही की थी. मैं यह चाहता हूँ, हमारा सदन, सदन है लोकतंत्र का मंदिर है. अगर उसके लिए ऐसी गफलतबाजी की जाएगी तो निश्चित रूप से ये सदन की अवमानना की परिधि में आता है. (मेजों की थपथपाहट) मैं इसलिए आगाह कर रहा हूँ संबंधित जितने भी विभाग के अधिकारी हैं भविष्य में ऐसी बात न दोहराएँ. अगर यहाँ पर मेरा नया विधायक कोई बात उठा रहा है और वह बात उनके संज्ञान में जाना चाहिए, जिनकी जाना चाहिए और नहीं जा रही है, तो मेरे इस सदन में नये विधायक के कहने का कोई औचित्य नहीं होता है. मैं इस चर्चा को कल विराम करवाऊँगा. (मेजों की थपथपाहट)
अतः विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनाँक....
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. यह व्यवस्था हमेशा काम आएगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- यह विधान सभा की कार्यवाही में नजीर बनेगी. अध्यक्ष जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनाँक 19 जुलाई 2019 को प्रातः 11 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 8.39 बजे विधान सभा कार्यवाही दिनाँक 19 जुलाई 2019(28 आषाढ़ शक संवत् 1941) के प्रातः 11 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल
दिनाँक 18 जुलाई 2019
अवधेश प्रताप सिंह
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा.