सत्र का समापन

          अध्‍यक्ष महोदय--  माननीय सदस्‍यगण,

          श्री रामनिवास रावत--  शासन के उत्‍तरों की बात आते ही माननीय अध्‍यक्ष महोदय के चेहरे पर हंसी आ जाती है.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता--  तब का याद आ जाता है माननीय अध्‍यक्ष महोदय को.

          अध्‍यक्ष महोदय--  एक बात और कि सदन की कार्यवाही देखने वाले दर्शकों की संख्‍या भी इस बार उल्‍लेखनीय रूप से बढ़ी. स्‍कूल कॉलेज के छात्र बड़ी संख्‍या में आये. इस बार लगभग साढ़े 6 हजार दर्शकों ने कार्यवाही का अवलोकन किया और कई समूहों ने मुझसे एवं माननीय मंत्री गणों से ....

          श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश के बाहर से भी छात्र आये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  प्रदेश के बाहर से भी छात्र आये राजस्‍थान से और विधायकों से भी सीधी चर्चा की. सदन की कार्यवाही प्रतिपक्ष और सत्‍तापक्ष के सहयोग के बिना संचालित नहीं की जा सकती. इस सत्र में जहां सत्‍ता पक्ष के सदस्‍यों तथा माननीय मंत्रियों ने अपने दायित्‍वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया, वहीं विपक्ष के माननीय सदस्‍यों ने भी अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन पूरी सजकता, समर्थता और आक्रामकता के साथ किया. लोकतंत्र में सहमति असहमति, पारस्‍परिक सम्‍मान एवं संवाद के गुण निहित होते हैं. विभिन्‍न अवसरों पर ये गुण भी चरितार्थ हुये हैं.

          कुछ नई परंपरायें भी आईं, आप सबकी सहमति से एक तो 10.30 की जगह 11.00 बजे हमने सदन प्रारंभ किया और दूसरा जिस दिन महिला बाल विकास विभाग की चर्चा थी उसमें सभी हमारी माननीय महिला सदस्‍यों ने भाग लिया. आसंदी पर भी सभापति के रूप में हमारी महिला सदस्‍य भी बैठीं, ये भी एक नई परंपरा महिला वर्ष में प्रारंभ हुई. इस अवसर पर सबसे अधिक सहयोग इस सदन के संचालन में जिनका मुझे मिला है ऐसे हमारे सम्‍मानीय माननीय उपाध्‍यक्ष जी, मैं उनका अत्‍यंत आभारी हूं कि उन्‍होंने बड़ी सक्षमता से और मैं तो ऐसा मानता हूं कि मेरे से ज्‍यादा कुशलता से उन्‍होंने सदन का संचालन किया.

          सभापति तालिका के सभी माननीय सदस्‍यों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं जिनके सहयोग के बिना इस सदन के संचालन में कठिनाई हमें होती. मेरा यह मानना है कि सदन के नेता मुख्‍यमंत्री जी के बिना सहयोग के इस सदन को ठीक से संचालन करना शायद संभव नहीं होता.                       

 

 

            अध्यक्ष महोदय -- सदन के नेता जी ने भी  न केवल इस संबंध में बहुत सकारात्मक भूमिका का निर्वाह किया, बल्कि अनेक महत्वपूर्ण अवसरों पर अपने हस्तक्षेप के द्वारा उन्होंने कई निर्णय भी कराए. मैं उनका भी बहुत-बहुत आभार मानता हूं.

माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी, जिन्होंने बड़ी सजगता से और बड़ी तैयारी के साथ शासन के सामने जनता की और प्रतिपक्ष की बात रखी और साथ में सहयोग भी किया, उनका भी मैं अत्यंत आभार मानता हूं.

माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, पिछले बार माननीय मुख्यमंत्री जी ने उनको सचिन तेंदुलकर की उपाधि दी थी, किन्तु इस बार उन्होंने उसको प्रामाणित बखूबी किया, न केवल फ्लोर्स मैनेजमेंट में, उन्होंने इस बार सारे विभागों के उत्तर दे दिये. आज भी दो विभागों के उत्तर दे दिये और एक माननीय विधायक ने उनको कॉम्प्लीमेंट भी दिया.

डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, पहले भी उनको पूर्व अध्यक्ष महोदय स्वर्गीय श्री ईश्वरदास रोहाणी जी ने सदन की ऐश्वर्या राय की उपाधि दी थी.

अध्यक्ष महोदय - अभी वर्तमान के विराट कोहली, पूर्व के सचिन तेंदुलकर. हमारे प्रतिपक्ष के माननीय सदस्य और मुख्य सचेतक श्री रामनिवास रावत जी ने भी, उनकी जो शैली है उसी आक्रामकता से और उतने ही बुद्धिमत्ता से जनता के सवालों को और प्रतिपक्ष की बात को रखा, उनके दल की बातों को रखा, मैं संसदीय कार्यमंत्री जी का और श्री रामनिवास रावत जी, मुख्य सचेतक का भी आभार मानता हूं. (माननीय सदस्य श्री अनिल फिरोजिया द्वारा माननीय सदस्य श्री सुन्दरलाल तिवारी जी का नाम लिये जाने पर) उनके कारण मुझे अनेक अनुभव प्राप्त हुए हैं.

मैं  सभी माननीय मंत्रिगण का भी बहुत आभारी हूं, जिन्होंने पूरी गंभीरता से बिना किसी उत्तेजना के विभाग की बातें रखीं, चाहे वह बजट का समय हो, चाहे प्रश्नकाल का समय हो, चाहे ध्यानाकर्षण का समय हो और बड़ी सजगता के साथ माननीय सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर दिये और उनकी आकांक्षाओं के अनुरुप अनेक बार कार्य भी किये.

मैं सभी माननीय सदस्यगण का बहुत-बहुत आभार मानता हूं, जिन्होंने इस सदन की कार्यवाही में न केवल भाग लिया, बल्कि समय-समय पर सहयोग देकर इस सदन के संचालन में अपनी महती भूमिका का निर्वाह किया. मैं आप सभी माननीय सदस्यों का भी आभार मानता हूं.

एक बात और मैं माननीय सदस्यों से कहना चाहता हूं कि हमारे सदन की सम्मान की रक्षा और स्वयं के सम्मान की रक्षा का पूरा दायित्व आप पर ही है. (मेजों की थपथपाहट)..अनेक लोग आपसे यह कहेंगे, मैंने पूरे सत्र में यह सुना कि बड़ा नीरस सत्र चल रहा है. यह हमें समाज को बताना पड़ेगा कि यहां मनोरंजन के लिए नहीं आते हैं. यहां जनता के काम करने के लिए आते हैं, इसलिए नीरसता का और मनोरंजन का प्रश्न नहीं है. ऐसी बातें इसलिए आती हैं कि कुछ उत्तेजित कर दिया जाय. मेरा आपसे अनुरोध है कि जिस सम्मान और शालीनता से जनता की भावनाएं यहां पर आईं, इसी शीलनता और सम्मान की अपेक्षा जनता को आप सबसे है और मैं सोचता हूं कि यह परम्परा आगे भी चलेगी. किसी के समझाए हमें समझना नहीं है, स्वयं के विवेक से ही काम लेना ठीक होगा.

मैं सदन के सुचारु संचालन हेतु पुनः सभी माननीय मंत्रिगण, सभी माननीय सदस्यगण के साथ-साथ विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों, कर्मचारियों और विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों का भी आभार मानता हूं. सुरक्षा स्टॉफ, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों का भी मैं आभार मानता हूं, उन्होंने सदन की कार्यवाही को जनता के बीच सही ढंग से रखा है. हम सभी पावस सत्र में पुनः सम्मिलित होंगे, मैं अपनी ओर से आप सभी को और प्रदेश वासियों को चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा और चैती-चांद की शुभकामनाएं देता हूं और सबकी खुशहाली की कामना करता हूं. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)...