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मध्‍यप्रदेश विधान सभा
प्रश्‍नों की ग्राह्यता हेतु आवश्‍यक नियम एवं अन्‍य मुख्‍य शर्तें
  नियम
35. (1) मंत्री को संबोधित प्रश्‍न लोक कार्य के संबंध में होगा, जिससे वह पदेन संबद्ध हो, या शासन के
संबंध में होगा, जिसके लिये वह उत्‍तरदायी हो या लोक संबंध के विषय के बारे में होगा, जो
उसकी विशेष जानकारी में हो,
(2) मंत्री को छोड़कर अन्‍य सदस्‍य को संबोधित प्रश्‍न किसी विधेयक, संकल्‍प अथवा सभा के कार्य
से संबंधित अन्‍य विषय से संबंधित होगा, जिसके लिये वह सदस्‍य उत्‍तरदायी हो,
36. इस हेतु कि प्रश्‍न ग्राह्य हो सके व निम्‍नलिखित शर्तों का समाधान करेगा अर्थात :-
(1) वह स्‍पष्‍टत: तथा ठीक-ठीक अभिव्‍यक्‍त किया जावेगा और उसमें साधारणत: दो सौ शब्‍दों से
अधिक नहीं होंगे.
(2) उसमें कोई ऐसा नाम या कथन नहीं होगा, जो प्रश्‍न को सुबोध बनाने के लिये सर्वथा आवश्‍यक न
हो.
(3) यदि उसमें कोई कथन हो, तो सदस्‍य को उस कथन की परिशुद्धता के लिये उत्‍तरदायी होना पड़ेगा.
(4) उसमें प्रतर्क, अनुमान, व्‍यंगात्‍मक पद, अभ्‍यारोप, विशेषण या मानहानिकारक कथन नहीं होंगे,
(5) उसमें राय प्रकट करने या किसी अमूर्त विधि संबंधी प्रश्‍न या किसी काल्‍पनिक प्रस्‍थापन के समाधान
के लिये नहीं पूछा जायेगा या सांविधिक नियम या उपविधि का वैधिक निर्वचन नहीं पूछा जायेगा.
(6) उसमें किसी ऐसे तथ्‍य विषय का उल्‍लेख न होगा जिस पर न्‍यायिक विनिश्‍चय लंबमान हो तथा
उसमें न्‍यायालय के विनिश्‍चय पर अभ्‍युक्ति न की जावेगी,
(7) वह उस विषय से संबंधित नहीं होगा, जो मुख्‍यत: राज्‍य शासन का विषय न हो,
(8) वह उस विषय से संबंधित नहीं होगा, जो मुख्‍यत: किसी स्‍थानीय प्राधिकारी का विषय हो जब तक
कि उसमें शासन द्वारा कोई हस्‍तक्षेप न हो चुका हो या हस्‍तक्षेप के लिये युक्तियुक्‍त आधार न हो
(9) उसमें किसी व्‍यक्ति के पदेन या सार्वजनिक हैसियत के अतिरिक्‍त उसके चरित्र या आचरण के
बारे में उल्‍लेख नहीं किया जावेगा.
(10) उसमें किसी ऐसे व्‍यक्ति के चरित्र व आचरण पर अभ्‍युक्ति नहीं की जायेगी, जिसके आचरण
पर मूल प्रस्‍ताव के द्वारा ही आपत्ति की जा सकती हो.
(11) उसमें तुच्‍छ विषय पर जानकारी नहीं मांगी जायेगी तथा वह अनिश्चित या अर्थहीन नहीं होगा.
(12) उसमें साधारणत: विगत इतिहास के विषयों पर जानकारी नहीं मांगी जावेगी तथा उसमें ऐसी
जानकारी नहीं मांगी जायेगी, जो प्राप्‍त दस्‍तावेजों या साधारण निर्देश ग्रंथों में दी गई हो.
(13) वह राज्‍य शासन के अधीन सेवायुक्‍त किसी व्‍यक्ति से संबंद्ध सेवा विषय से संबंधित न होगा,
जब तक की अध्‍यक्ष उस विषय को पर्याप्‍त महत्‍व का न समझें.
(14) वह उन विषयों को आंदोलित नहीं करेगा, जिन पर प्रथमत: राज्‍य शासन को आवेदन पत्र करना
चाहिये.
(15) उसका ऐसे विषयों से संबंध न होगा जो अध्‍यक्ष के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत हो,
(16) उसमें ऐसी नीति के प्रश्‍न नहीं उठाये जायेंगे जो इतने विस्‍तीर्ण हों कि प्रश्‍न के उत्‍तर की सीमा
के भीतर ना आ सके.
(17) उसमें ऐसे प्रश्‍नों की सारत: पुनरोक्ति नहीं की जायेगी, जिनके उत्‍तर पहले दिये जा चुके हो, या
जिनका उत्‍तर देना अस्‍वीकार कर दिया गया हो.
(18) जब प्रश्‍न की रचना समाचार पत्रों में प्रकाशित सम्‍वाद का निर्देश करते हुए की जाये, तब उस
प्रश्‍न में उस विषय का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख होगा, जिस पर जानकारी मांगी गई हो और उसमें केवल
समाचार सम्‍वाद की सत्‍यता के बारे में नहीं पूछा जायेगा.
(19) उसमें साधारणत: ऐसे विषयों के बारे में नहीं पूछा जायेगा, जो न्‍यायिक या अर्द्धन्‍यायिक कृत्‍य
करने वाले किसी सांविधिक न्‍यायाधिकरण या सांविधिक प्राधिकारी के या किसी विषय की जांच
या अनुसंधान करने के लिये नियुक्‍त किसी आयोग या जांच न्‍यायालय के सामने विचाराधीन हो.
(20) वह परिणामत: स‍ंक्षिप्‍त भाषण नहीं होगा या जानकारी देने तक सीमित नहीं होगा, और उसकी रचना
इस प्रकार नहीं की जायेगी कि वह स्‍वयं अपना उत्‍तर सुझाये या विशिष्‍ट दृष्टिकोण व्‍यक्‍त करें : और
(21) उसमें सुझाव करने का अभिप्राय न होगा.
37. जिन विषयों पर भारत सरकार और राज्‍य शासन के बीच वाद-विवाद चल रहा हो या चल चुका
हो. उनके बारे में तथ्‍य विषयों को छोड़कर कोई प्रश्‍न नहीं पूछा जायेगा और उत्‍तर तथ्‍य कथन
तक ही सीमित होगा.
38. अध्‍यक्ष, विनिश्चित करेगा कि कोई प्रश्‍न या उसका कोई भाग इन नियमों के अधीन ग्राह्य है
अथवा नहीं और वह प्रश्‍न या उसके किसी भाग को अस्‍वीकृत कर सकेगा, जिससे उसकी राय
में प्रश्‍न पूछने के अधिकार का दुरूपयोग या इन नियमों का उल्‍लंघन होता हो.
परंतु वह उसके रूप में संशोधन भी कर सकेगा और संबंधित सदस्‍य को उसे संशोधित करने का अवसर दे सकेगा.
  अध्यक्ष के स्थायी आदेश- अन्‍य मुख्‍य शर्तें :
(1) प्रश्‍न में व्‍यापक स्‍वरूप की तथा राज्‍य व्‍यापी विस्‍तृत जानकारी नहीं चाही जावेगी.
(2) प्रश्‍न व्‍यक्ति विशेष अथवा प्रकरण विशेष की पैरवी के रूप में नहीं होगा.
(3) प्रश्‍न एक ही विषय तक सीमित होगा,
(4) प्रश्‍न में छोटा-छोटा अनावश्‍यक ब्‍यौरा नहीं चाहा जावेगा.
(5) प्रश्‍न अत्‍यंत सामान्‍य रूप का न होगा.
(6) प्रश्‍न ऐसे विषय का न होगा, जिसकी जानकारी स्‍थानीय अधिकारियों अथवा संबंधित विभागों से
अन्‍यथा प्राप्‍त की जा सकती हो.
(7) प्रश्‍न में राज्‍य शासन अथवा स्‍वायत्‍त शासन संस्‍थाओं के सेवा विषयक दैनदिन कार्यों से
संबंधित जानकारी नहीं चाही जावेगी.
                                                                                                                                                                                         प्रमुख सचिव,
                                                                                                                                                                             मध्‍यप्रदेश विधान सभा