प्रथम राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन संपन्न
* संवैधानिक विधायी दायित्व के प्रभावी निर्वाह हेतु पर्याप्त सत्रावधि आवश्यक-प्रमुख सचिव, मप्र विधान सभा *
विधान मंडल सदनों में प्रभावी विधायी कार्यकरण एवम् संविधान में प्रदत्त कार्यपालिका का उत्तरदायित्व निर्धारण विधायिका के दायित्व के लिए सभा सत्रों की पर्याप्त बैठके आवश्यक हैं। यह उद्ग़ार अवधेश प्रताप सिंह,प्रमुख सचिव द्वारा मुंबई में राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन मुंबई में विधायी प्रदर्शन एवम् अपेक्षायें(Legislative Performance) विषय पर विगत सत्रों में अभिभाषण,बजट एवं विधेयकों पर चर्चा के आँकड़े प्रस्तुत करते हुए व्यक्त किए।
श्री सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृतकाल का यही सही समय है जब हमे विधायिका के कार्य निष्पादन के प्रगति की समीक्षा की जाय।मेरे द्वारा विभिन्न विधान मंडलों के सत्रों की स्थिति का अध्ययन करने पर यह पाया कि आज विधान सभाओं में वर्ष में औषत सत्र अवधि मात्र 21 दिन रह गई है,जबकि पूर्व में मध्य प्रदेश में ही राज्यपाल के अभिभाषण जो राज्य शासन की नीतिओ व विकास योजनाओं का दस्तावेज होता है उस पर 6से 8 दिन,बजट माँगो पर 15 दिन इसी तरह विधान प्रस्तावों पर लंबी चर्चाये की जाती थी जो आज बहुत कम हो गई हैं,इससे विधायिका की गरिमा प्रभावित हो रही है। देश के विधान मंडलों में क़रीब 60 प्रतिशत विधेयक बिना परीक्षण व चर्चा या नाम मात्र चर्चा के पारित हो रहे हैं। विधायिका की अल्प समयावधि के कारण विधायकों को जहां संविधान प्रदत्त दायित्वों से वंचित होना पड़ रहा है वहीं जन हित के मुद्दों का निराकरण नहीं हो पाता है।श्री सिंह ने आशा व्यक्त कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन में मंथन से इस दिशा में उपयुक्त पहल की जायेगी।उन्होंने इस संवन्ध में मध्य प्रदेश विधान सभा के नवाचारों का भी उल्लेख़ किया।
इस अवसर पर विभिन्न राज्यो के विधायकगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे इस के साथ राजस्थान विधान सभा,हिमाचल विधान सभा,सांसद श्री विवेक तनखा,पूर्व सांसद मा.सुब्रमणीयम स्वामी द्वारा भी अमूल्य विचार व्यक्त किये गये।अगला राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन गोवा में होगा।