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आकृति व विकृति से गुजरी आत्मा को प्रभु सेवा के लायक बनाती है कथा
-दीदी मंदाकिनी किंकर की रामकथा में पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा
-आत्मा को कथा से मांज कर व्यक्ति फिर से उसे प्रभु की सेवा में लगा सकता है
-सांसारिक जीवन में प्रभु के स्थान को अधिक प्रभावी बनाने के लिये कथा श्रवण आवश्यक
भोपाल। आकृति व विकृति से गुजरी आत्मा को कथा प्रभु सेवा के लायक बनाती है। यह कहना है मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का। वह मानस भवन स्थित तुलसी मानस प्रतिष्ठान के सभागार में पद्मभूषण मानस विद्वान पं.राम किंकर उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह के तहत आयोजित रामकथा में शामिल हुए थे। यहां उन्होंने सांसारिक जीवन में प्रभु के स्थान को अधिक प्रभावी बनाने के लिये कथा श्रवण को आवश्यक बताया।
इसके पहले श्री तोमर ने जीवन में प्रभु के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि सांसारिक जीवन में प्रभु के स्थान को अधिक प्रभावी बनाने के लिये कथा श्रवण आवश्यक है। यहां उनका कहना था कि सामान्यत: जिस प्रकार भोजन करने के बाद बर्तन को साफ करना ही पड़ता है, तभी वह दूसरे के उपयोग के लिये तैयार होता है। ठीक इसी प्रकार जब हम सांसरिक जीवन में काम करते हुए आकृति व विकृतियों गुजरते हैं तब आत्मरूपी अंश में जमी उस धूल को साफ करने में कथा मददगार है। उन्होंने बताया कि आत्म प्रबलता के लिये कथा एक ऐसी विधा है जिससे आत्मा को मांज कर, व्यक्ति फिर से उस आत्मा को प्रभु की सेवा में अर्पित कर सकता है। इस अवसर पर कार्यक्रम में तीर्थ मेला प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष माखन सिंह, कार्यक्रम संयोजक राजेंद्र शर्मा और समिति के अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा व पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी सहित बड़ी संख्या में कथा रसिक मौजूद थे।
मुझे मिला कथा सुनने का सौभाग्य
इसके पहले श्री तोमर ने कहा कि बहुत प्रसन्नता है कि दीदी मंदाकिनी श्रीरामकिंकर के मुखार बिंदु से प्रभुराम के चरित्र का वर्णन और उनकी कथा सुनने का सौभाग्य मिलेगा। उनका कहना था कि इनकी वाणी देश भर में सुनी जाती है। बता दें कि दीदी मंदाकिनी श्रीरामकिंकर बीते 13 अगस्त से यहां रामकथा कर रही हैं।
विस/ जसं/ 24
नरेंद्र मिश्रा
अवर सचिव