सदस्यों द्वारा पालनीय नियम |
248. | (1) | कोई प्रस्ताव करने या किसी विषय पर कोई चर्चा करने का इच्छुक सदस्य अपने स्थान पर खड़ा |
होगा और यदि अध्यक्ष पुकारे तो वह अपनी बात अध्यक्ष को संबोधित करेगा. यदि अध्यक्ष उसके | ||
न पुकारे तो वह अपना स्थान ग्रहण करेगा. | ||
(2) | यदि किसी समय जब कोई सदस्य बोल रहा हो और दूसरा सदस्य औचित्य प्रश्न के लिये खड़ा हो | |
तो बोलने वाला अपना स्थान ग्रहण करेगा. | ||
249. | (1) | जब कभी खड़ा हो तब उसे शांतिपूर्वक सुना जायेगा और कोई सदस्य जो उस समय बोल रहा हो |
या बोलने का उपक्रम कर रहा हो, तुरंत बैठ जायेगा. | ||
(2) | जब अध्यक्ष सभा को संबोधित कर रहा हो, तो कोई सदस्य सदन में प्रवेश नहीं करेगा और अपने | |
स्थान को नहीं छोड़ेगा. | ||
250 | जब सभा की बैठक हो रही हो तो कोई सदस्य :- | |
(1) | ऐसी पुस्तक, समाचार पत्र या पत्र नहीं पढ़ेगा, जिसका सभा की कार्यवाही से संबंध न हो, | |
(2) | किसी सदस्य के भाषण करते समय उसमें अव्यवस्थित बात या किसी अन्य अव्यवस्थित रीति से | |
बाधा नहीं डालेगा. | ||
(3) | सदन में प्रवेश करते समय या सदन से बाहर जाते समय और अपने स्थान पर बैठते समय या | |
वहां से उठते समय भी अध्यक्ष पीठ के प्रति नमन करेगा, | ||
(4) | अध्यक्ष पीठ और ऐेसे सदस्य के बीच में जो भाषण दे रहा हो, नहीं गुजरेगा, | |
(5) | जब अध्यक्ष सभा को संबोधित कर रहा हो तो सदन से बाहर नहीं जायेगा, | |
(6) | सदैव अध्यक्ष-पीठ को ही संबोधित करेगा, | |
(7) | सभा को संबोधित करते समय अपने सामान्य स्थान पर ही रहेगा, | |
(8) | जब सभा में नहीं बोल रहा हो तब शांत रहेगा, | |
(9) | कार्यवाही में रूकावट नहीं डालेगा, सीत्कार नहीं करेगा, बाधा नहीं डालेगा और जब सभा में भाषण | |
दिये जा रहे हों तब साथ-साथ उनकी टीका नहीं करता जायेगा. | ||
(10) | जब किसी दीर्घा में कोई अजनबी प्रवेश करे तो प्रशंसा घोष नहीं करेगा. | |
(11) | भाषण करते समय दीर्घाओं में बैठे हुए अजनबियों के प्रति कोई निर्देश नहीं करेगा. | |
251. | बोलते समय कोई सदस्य :- | |
(1) | किसी ऐसे तथ्य-विषय का निर्देश नहीं करेगा, जिस पर न्यायिक विनिश्चय लंबित हो, | |
(2) | किसी सदस्य के विरूद्ध व्यक्तिगत दोषारोपण नहीं करेगा. | |
(3) | संसद या किसी राज्य विधान मंडल की कार्यवाही के संचालन के विषय में आपत्तिजनक पदावली का उपयोग नहीं करेगा; | |
(4) | सभा के किसी निर्णय पर उसे रद्द करने के प्रस्ताव को छोड़कर अन्य प्रकार से आक्षेप नहीं करेगा; | |
(5) |
उच्च प्राधिकार वाले व्यक्तियों के आचरण पर आक्षेप नहीं करेगा, जब तक कि चर्चा उचित रूप में रखे गये मूल प्रस्ताव पर आधारित न हो.
व्याख्या :- शब्द “उच्च प्राधिकार वाले व्यक्तियों” का तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जिनके आचरण की चर्चा संविधान के अधीन केवल उचित रूप से रखे गये मूल प्रस्ताव पर ही की जा सकती है या ऐसे अन्य व्यक्तियों से है, जिनके आचरण की चर्चा अध्यक्ष की राय में उसके द्वारा अनुमोदित किये जाने वाले रूप में रखे गये मूल प्रस्ताव पर ही की जानी चाहिए |
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(6) | अभिद्रोहात्मक, राजद्रोहात्मक, या मानहानिकारक शब्द नहीं कहेगा; | |
(7) | अपने भाषण के अधिकार का उपयोग सभा के कार्य में बाधा डालने के प्रयोजन के लिये नहीं करेगा; | |
(8) | अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताव को छो़ड़कर अध्यक्ष की व्यवस्था, आदेश या निदेश पर कोई प्रश्न नहीं करेगा. | |
252. |
किसी सदस्य द्वारा वाद-विवाद में किसी व्यक्ति के विरूद्ध मानहानिकारक या अपराधरोपक आरोप नहीं लगाया जायेगा जब तक कि वाद-विवाद में भाग लेने के एक दि न पूर्व उस सदस्य ने अध्यक्ष को तथा संबंधित मंत्री को भी पूर्व सूचना न दे दी हो, जिससे कि मंत्री उत्तर के प्रयोजन के लिये विषय की जांच कर सके :
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253. | जब चर्चा के दौरान स्पष्टीकरण के लिये या किसी अन्य पर्याप्त कराण से, किसी सदस्य को उस समय सभा के विचाराधीन किसी विषय पर किसी अन्य सदस्य से कोई प्रश्न पूछना हो तब वह अध्यक्ष के मार्फत प्रश्न पूछेगा. | |
254. | अध्यक्ष ऐसे सदस्य के आचरण की ओर, जो वाद-विवाद में बार-बार असंगत बातें करे या स्वयं अपने प्रतर्कों की या अन्य सदस्यों द्वारा प्रयुक्त प्रतर्कों की उक्ता देने वाली पुनरूक्ति करता रहे, सभा का ध्यान दिलाने के बाद उस सदस्य को अपना भाषण बन्द करने का निदेश दे सकेगा. | |
255. | कोई सदस्य, अध्यक्ष की अनुज्ञा से वैयक्तिक स्पष्टीकरण कर सकेगा यद्यपि सभा के सामने कोई प्रश्न न हो, किन्तु उस अवस्था में कोई विवादास्पद विषय नहीं उठाया जायेगा और कोई वाद-विवाद नहीं होगा. | |
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