मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
गुरुवार, दिनांक 25 फरवरी, 2021
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
श्रमायुक्त
द्वारा
निर्धारित दर
से मजदूरी भुगतान
[श्रम]
1. ( *क्र. 869 ) श्री सुनील उईके : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्रमिकों को प्रदेश में निर्धारित दैनिक दरों से कम भुगतान ठेकेदारों एवं विभाग के अधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है? (ख) क्या मजदूरों की मजदूरी वित्त विभाग के वर्ष 2014 के आदेश से सभी मजदूरों के खातों में जमा की जाना थी, वह खातों में जमा नहीं की जा रही है तथा ठेकेदार श्रमिकों की मजदूरी नगद भुगतान कर रहे हैं? (ग) कब तक सभी श्रमिकों की मजदूरी ठेकेदार एवं विभाग द्वारा खातों में जमा की जावेगी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) श्रमिकों को निर्धारित दैनिक वेतन दरों से कम भुगतान अनुज्ञेय नहीं है। यदि उक्त संबंध में कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो उस पर जाँच उपरांत संबंधित के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है। (ख) जी नहीं। श्रम विभाग में ऐसी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। (ग) प्रश्नांश (ख) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
भितरवार विधानसभा क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन
[खनिज साधन]
2. ( *क्र. 991 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भितरवार विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत लोहारी से रेत माफियाओं द्वारा किये जा रहे अवैध रेत उत्खनन के संबंध में कलेक्टर ग्वालियर को प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा (1) पत्र क्र. 180, दिनांक 05.01.2021 (2) पत्र क्र. 193, दिनांक 11.01.2021 (3) पत्र क्र. 202, दिनांक 18.01.2021 द्वारा व्यक्तिगत उपस्थित होकर उक्त पत्रों के माध्यम से शिकायत की गई थी? यदि हाँ, तो उक्त पत्रों की छायाप्रति प्रस्तुत करें? उक्त पत्रों पर कोई कार्यवाही प्रश्न दिनांक तक न करने का क्या कारण है? क्या रेत माफियाओं को अवैध उत्खनन की खुली छूट दे दी गई है? यदि नहीं, तो फिर कैसे अवैध उत्खनन किया जा रहा है? (ख) ग्वालियर जिले में खनिज विभाग द्वारा 30 जनवरी, 2021 की स्थिति में किन-किन प्रकार के खनिज को किस-किस ग्राम पंचायतों से किस-किस खसरा नं. से कितने रकवा में कितनी राशि में किस दिनांक वर्ष से किस दिनांक वर्ष तक उत्खनन की स्वीकृति (ठेका) दिया है? (ग) दिनांक 1 अप्रैल, 2021 से प्रश्न दिनांक तक ग्वालियर जिले में अवैध उत्खनन की किस-किस व्यक्तियों द्वारा शिकायतें की गई है? उनका नाम, पता दें। उन शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई है?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। प्रश्न अनुसार पत्र की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। पत्रों पर कार्यवाही की गई, कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। जिले में अवैध उत्खनन एवं परिवहन के प्रकरण प्रकाश में आने पर कार्यवाही की जाती है। जी नहीं। (ख) जानकारी पुस्तकालय में परिशिष्ट के प्रपत्र-स पर दर्शित है। (ग) प्रश्नांकित तिथि से जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।
विधान सभा क्षेत्र चंदला में संचालित पत्थर खदानें/क्रेशर
[खनिज साधन]
3. ( *क्र. 1128 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन के नियम-निर्देश के अनुसार पहाड़ों से गिट्टी पत्थर निकालने की अनुमति के पूर्व पर्यावरण एवं वन विभाग से अनुमति लेने का निर्देश है? क्या शासन के नियम-निर्देश के अनुसार 500 मीटर से कम दूरी पर गिट्टी पत्थर खदाने संचालित की जाने की अनुमति प्रदेश शासन या प्रशासन द्वारा नहीं दी जा सकती है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार छतरपुर जिले में कितनी खदानें 500 मीटर या कम की दूरी पर संचालित हैं तथा अनुमति जारी किये जाने वाले अधिकारी का नाम, पदनाम सहित सत्यापित जानकारी उपलब्ध करायी जाये। (ग) जिला छतरपुर की विधानसभा क्षेत्र चंदला अंतर्गत वर्ष 2018 से किन-किन व्यक्तियों को पहाड़ों से गिट्टी बनाने हेतु पत्थर निकालने की स्वीकृति आदेश जारी किए गए थे? (घ) जिला छतरपुर की विधानसभा क्षेत्र चंदला अंतर्गत पत्थर से गिट्टी बनाने के लिए कितनी क्रेशरें संचालित हैं? सूची उपलब्ध करायें। क्या उक्त क्रेशरों का संचालन शासन के नियम-निर्देश अनुसार सक्षम अधिकारी के आदेश से संचालित है? यदि नहीं, तो क्यों कारण स्पष्ट करें।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। पहाड़ों के संबंध में पृथक से कोई प्रावधान नहीं है। म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में 500 मीटर से कम दूरी पर गिट्टी पत्थर खदानों की अनुमति दिये जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ग) विभाग द्वारा इस प्रकार की जानकारी पृथक से संधारित करके नहीं रखी जाती है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है तथा उक्त क्रेशरों का संचालन शासन के नियम निर्देश अनुसार सक्षम अधिकारी के आदेश से संचालित है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
शास. तुलाई केन्द्रों के माध्यम से गेहूँ एवं चने का उपार्जन
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
4. ( *क्र. 271 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिला अंतर्गत विगत वर्ष रबी की फसल हेतु शासकीय तुलाई केन्द्रों के माध्यम से कितने टन गेहूँ एवं चने का उपार्जन किया गया? उपार्जन केन्द्रवार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) क्रम में उपार्जन किय गये गेहूँ एवं चने की खरीदी उपरांत कितना गेहूँ और चना गोदामों में परिवहन किया गया एवं कितना गेहूँ एवं चना परिवहन नहीं होने से खुले में पड़े होने के कारण वर्षा के पानी से खराब हुआ? खराब हुए अनाज की मात्रा सहित जानकारी दें एवं अनाज खराब होने के लिए कौन दोषी है एवं दोषी व्यक्ति अथवा अधिकारी के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई, के संबंध में जानकारी दें? (ग) क्या शासन ने किसानों से खरीदी गई फसल को तुलाई केन्द्रों पर सुरक्षित रखे जाने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही हेतु दिशा-निर्देश जारी किए हैं? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों? कृषि उपज मण्डी विदिशा के नवनिर्मित परिसर में प्लाटों की दर तय कर कब तक नवीन मण्डी परिसर में कृषि उपज तुलाई कार्य प्रारंभ किया जायेगा?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) विदिशा जिले में रबी उपार्जन वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर गेहूँ-723709.9 एवं चना-57865.4 मे.टन का उपार्जन किया गया है। उपार्जन केन्द्रवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में उपार्जित मात्रा में से गेहूँ-723596.1 एवं चना-57860.8 मे.टन का परिवहन किया गया है। उपार्जन केन्द्र पर परिवहन हेतु कोई मात्रा शेष नहीं है। गेहूँ-113.89 एवं चना-4.60 मे.टन उपार्जन केन्द्र स्तर की कमी है। जिले में खरीदी के दौरान असामयिक वर्षा होने के कारण 4987.80 मे.टन गेहूँ पानी से प्रभावित/अमानक हुआ है। उपार्जन के दौरान असामयिक वर्षा से गेहूँ प्रभावित/अमानक होने के कारण कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन हेतु जारी नीति, उपार्जन एजेंसी तथा उपार्जन समिति के मध्य हुए अनुबंध तथा समय-समय पर जारी निर्देशों में उपार्जन केन्द्र पर खरीदी गई फसल को सुरक्षित रखने हेतु उपार्जन केन्द्र पर तिरपाल, कवर, अग्निशमन यंत्र एवं रेत की बाल्टियां रखे जाने का प्रावधान किया गया है। कृषि उपज मण्डी, विदिशा के नवीन मण्डी प्रांगण मिर्जापुर में अनुज्ञप्तिधारी व्यापारियों हेतु भू-खण्ड आवंटन नियम, 2009 में विहित प्रावधानों के अंतर्गत 4 बार नीलामी का आयोजन किया गया, किन्तु व्यापारियों द्वारा नीलामी में भाग नहीं लेने से भू-खण्ड आवंटित नहीं हो सके हैं। वर्तमान में नवीन मण्डी प्रांगण में सम्पूर्ण कृषि उपज का नीलामी कार्य एवं उपज का आंशिक तौल कार्य किया जा रहा है।
खाद घोटाले में ट्रांसपोर्टर पर FIR दर्ज की जाना
[सहकारिता]
5. ( *क्र. 24 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 02 दिसंबर, 2020 को मंदसौर नीमच जिलों में ट्रांसपोर्टर व्यवसाई द्वारा गेहूँ उपार्जन तथा खाद को सोसाइटी तक पहुंचाने में हेराफेरी का प्रकरण विभाग के प्रकाश में आया है? इसमें क्या अनियमितता हुई है? (ख) क्या सोसाइटियों को ठेकेदार द्वारा खाद परिवहन जो की RO के माध्यम से जिला विपणन विभाग से जारी हुआ बताकर स्टेट वेयर हाऊसिंग मंदसौर से खाद सोसाइटियों तक पहुँचाना था, वह पहुंचा ही नहीं, जिससे ट्रांसपोर्टर द्वारा 3 करोड़ 50 लाख का घोटाला प्रकाश में आया? क्या ठेकेदार के पिता वेयर हॉउस में चौकीदार पद पर कार्यरत हैं, जिससे दोनों की मिलीभगत से खाद की चोरी हुई? यदि हाँ, तो इतने बड़े घोटाले में पुलिस F.I.R. क्यों दर्ज नहीं कराई गयी और कार्यवाही के नाम पर मात्र कुछ सोसाइटियों के प्रबंधकों को निलंबित कर खानापूर्ति की गयी? (ग) क्या घोटाला मीडिया में उजागर होने के पश्चात परिवहन ठेकेदार ने शपथ पत्र दिनांक 07 दिसंबर, 2020 को देते हुए लिखा कि घोटाले की 3 करोड़ 50 लाख की राशि मेरे परिवहन के बिलों के भुगतान में समायोजित कर ली जाये? क्या यह शपथ पत्र विधि सम्मत है? यदि नहीं, तो ठेकेदार के खिलाफ FIR कब तक दर्ज करा दी जायेगी?
सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) मंदसौर एवं नीमच जिले में परिवहनकर्ता द्वारा खाद को सोसायटी तक पहुंचाने में हेराफेरी का प्रकरण प्रकाश में आया है एवं गेहूँ उपार्जन की कोई हेरा-फेरी प्रकाश में नहीं आई है। विपणन संघ द्वारा म.प्र. स्टेट वेयर हाउसिंग एण्ड लाजिस्टिक्स कार्पोरेशन पिपल्या मण्डी में भंडारित किये गये उर्वरक की अफरा-तफरी वेयर हाउस के कर्मचारी श्री ठाकुर प्रसाद तिवारी एवं परिवहनकर्ता श्री कमल तिवारी द्वारा समितियों में उर्वरक के आर.ओ. का दुरूपयोग कर की गई है। (ख) जी हाँ, सोसायटियों के लिये बैंक द्वारा जारी आर.ओ. एवं चेक की प्रति विपणन संघ के द्वारा म.प्र. स्टेट वेयर हाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन पिपल्या मण्डी के गोदाम में भण्डारित स्कंध सोसायटियों को प्रदाय नहीं करते हुए ट्रांसपोर्टर द्वारा गोदाम के चौकीदार से मिलकर अनुमानित राशि रू. 4,63,79,443/- (अनुदान सहित) की हेरा-फेरी किया जाना पाया गया है। जी हाँ, विपणन संघ द्वारा प्रकरण में विधिक अभिमत प्राप्त किया जा रहा है, प्राप्त विधिक अभिमत अनुसार विपणन संघ के स्तर से कार्रवाई की जावेगी। प्रकरण में उप आयुक्त सहकारिता द्वारा कराई गई जाँच प्रतिवेदन के अनुक्रम में दोषियों के विरूद्ध प्राथमिकी एवं अन्य कार्रवाई हेतु विपणन संघ को पत्र दिनांक 15.02.2021 प्रेषित किया गया है। (ग) जी हाँ, परिवहनकर्ता द्वारा खाद की गबन की राशि का समायोजन उपार्जन के परिवहन देयकों से करने हेतु शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। शपथ पत्र नोटरी के समक्ष शपथ लेकर प्रस्तुत किया गया है, शपथ पत्र के परिप्रेक्ष्य में विपणन संघ द्वारा राशि रू. 3,32,52,285.17 का समायोजन आज दिनांक तक कर लिया गया है, विपणन संघ द्वारा शेष वसूली योग्य राशि प्राप्ति हेतु विधिक अभिमत उपरांत विधिक कार्रवाई की जावेगी। प्रकरण में उप आयुक्त सहकारिता द्वारा कराई गई जाँच प्रतिवेदन के अनुक्रम में दोषियों के विरूद्ध प्राथमिकी एवं अन्य कार्रवाई हेतु विपणन संघ को लिखा गया है।
हरपुरा सिंचाई परियोजना फेस-2 का कार्य प्रारंभ किया जाना
[जल संसाधन]
6. ( *क्र. 1230 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा हरपुरा सिंचाई परियोजना फेस-2 का बंद कार्य पुन: चालू कराने एवं पराई नदी पर परेवा बांध बनाये जाने बाबत् विधानसभा में तारांकित/अतारांकित प्रश्न किये जा रहे हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर बतायें कि जामिनी नदी पर हरपुरा सिंचाई परियोजना बनाने के पूर्व क्या उत्तर प्रदेश की सीमा पर भैराट बांध बनाया जा रहा था? अगर हाँ तो उस समय पानी की साध्यता फिर क्यों दी गई थी और बाद में फेस-2 के कार्य हेतु क्यों साध्यता निरस्त कर दी गई है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर बतायें कि जब फेस-1 का काम पूरा कराया गया तो विभाग को बम्हौरी बराना तालाब में भी फेस-2 का नहर द्वारा पानी भरने का कार्य भी पूरा किया जाना चाहिये था? ऐसा क्यों नहीं किया गया? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर बतायें कि फेस-2 हेतु जो साध्यता निरस्त कर दी गई है, उसकी पुन: गणना करवाकर साध्यता दी जावेगी तो कब तक? विभाग ऐसा आदेश जारी करेगा तो कब तक और नहीं तो क्यों? प्रश्न दिनांक तक पराई नदी पर परेवा बांध बनाये जाने एवं उसकी वित्तीय एवं प्रशासकीय स्वीकृति शासन से प्राप्त कराने हेतु विभाग ने क्या-क्या कार्यवाही पूर्ण कर ली है? निश्चित समय-सीमा सहित बतायें कि कब तक परेवा बांध के टेण्डर हो जावेंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं, तत्समय उत्तर प्रदेश द्वारा बांध बनाने संबंधी प्रक्रिया प्रचलन में नहीं थी। वर्तमान में जामनी नदी पर भैराट बांध निर्माणाधीन होना प्रतिवेदित है। (ग) फेस-1 में हरपुरा नहर की अधिकतम क्षमता 7 क्यूमेक पानी चलाने की रूपांकित होकर नहर का निर्माण कराया गया है। जामनी नदी पर उत्तरप्रदेश द्वारा भैराट बांध के निर्माण किए जाने सेहरपुरा नहर में पानी की उपलब्धता केवल 10 तालाबों को ही भरने की रह गई है। अत: अतिरिक्त तालाबों को भरने हेतु पानी की उपलब्धता न होने से हरपुरा विस्तार नहर फेस-2 तकनीकी रूप से असाध्य हो गई। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (घ) हरपुरा सिंचाई परियोजना फेस-2 तकनीकी रूप से असाध्य होने से वर्तमान में पुनः गणना करके योजना बनाने संबंधी कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। पराई नदी पर परेवा बांध का डी.पी.आर. तैयार किया जाना प्रतिवेदित है। डी.पी.आर. मैदानी स्तर पर परीक्षणाधीन होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता हैं।
बाणसागर एवं गुलाबसागर की नहरों के कार्यों की जांच
[जल संसाधन]
7. ( *क्र. 1247 ) श्री शरदेन्दु तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले में चुरहट विधान सभा के अंतर्गत गुलाब सागर बांध की मुख्य नहर एवं माइनर के काम में भारी अनियमितता हुई है, जिस कारण जगह-जगह सीपेज एवं नहरों के फूट जाने की समस्या बनी रहती है? अब तक इस हेतु क्या कार्यवाही की गयी है? यदि जाँच हुई है तो उसकी रिपोर्ट देवें? यदि नहीं, तो कब तक गुलाब सागर के घटिया कार्यों की जाँच हो जायेगी? (ख) अब तक गुलाब सागर परियोजना में नहरों हेतु कितनी धनराशि खर्च की गयी है? किन-किन संविदाकारों ने नहरों के काम किए हैं? इनकी ऑडिट रिपोर्ट क्या है? पृथक-पृथक संविदाकार, नहरों पर खर्च हुयी धनराशि की वर्षवार जानकारी देवें। (ग) बाणसागर बांध से चुरहट क्षेत्र के वंचित गांवों में सिंचाई हेतु लिफ्ट एरीगेशन की क्या योजना है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) सीधी जिले में चुरहट विधानसभा के अंतर्गत गुलाब सागर बांध की मुख्य एवं माइनर नहरों के काम में कोई अनियमितता नहीं हुई है। कार्य गुणवत्ता पूर्ण निर्धारित मापदण्डों के अनुसार संपादित कराया गया है। मुख्य नहर एवं माइनर नहरों में सीपेज एवं नहर फूटने की समस्या नहीं है। अत: किसी कार्यवाही एवं जाँच का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) गुलाब सागर परियोजना के नहरों के निर्माण में रू. 214.88 करोड़ व्यय किया जाना प्रतिवेदित है। संविदाकार एवं कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। निर्माण कार्यों का विभागीय अधिकारियों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किया गया है। किसी भी अधिकारी द्वारा कोई प्रतिकूल टीप नहीं दिया जाना प्रतिवेदित है। (ग) लिफ्ट इरीगेशन की कोई योजना प्रस्तावित नहीं है।
धरमपुरी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत स्वीकृत रेत खदानें
[खनिज साधन]
8. ( *क्र. 1272 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले के धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नर्मदा नदी की रेत खदानें किस-किस को कब-कब, कितने-कितने क्षेत्रफल की स्वीकृत की गई हैं? (ख) क्या नर्मदा नदी की स्वीकृत रेत खदान क्षेत्र से बाहर जाकर रेत माफिया द्वारा अवैध उत्खनन किया जाकर सैकड़ों डंपर रेत निकाली जा रही है, जिसमें पुलिस एवं खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रहती है? इतना नहीं नर्मदा तट के खेतों में से भी अवैध रूप से रेत मशीनों के माध्यम से निकाली जा रही है तथा बड़े गड्ढे किये जाने से किसान खेती करने से वंचित हो गये हैं? यदि नहीं, तो क्या इन तथ्यों की प्रश्नकर्ता के समक्ष उच्च कमेटी बनाकर जाँच कराई जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या उपरोक्त संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा एवं स्थानीय नागरिकों द्वारा जिला कलेक्टर धार तहसीलदार एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं खनिज अधिकारी को माह नवम्बर-दिसम्बर 2020 में शिकायतें की थी? यदि हाँ, तो उक्त शिकायतों पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या स्वीकृत खदानों का सीमांकन कराकर उन्हें चिन्हित करने की कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) धार जिले के धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नर्मदा नदी में स्वीकृत रेत खदानों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर दर्शित है। ये खदानें श्री वीरेन्द्र सिँह जादौन ई-7/एम 708, अरेरा कॉलोनी, भोपाल म.प्र. को दिनाँक 30.06.2023 तक आवंटित की गई हैं। (ख) यह कहना सही नहीं है कि नर्मदा नदी की स्वीकृत रेत खदान क्षेत्र से बाहर जाकर रेत माफिया द्वारा अवैध उत्खनन किया जा रहा है, जिले में रेत माफिया जैसी कोई स्थिति नहीं है। यह कहना भी निराधार है कि पुलिस एवं खनिज विभाग के अधिकारी की मिली भगत रहती है, जिले में ऐसी स्थिति भी नहीं है। यह कहना भी गलत तथा निराधार है कि नर्मदा तट के खेतों में से अवैध रूप से रेत मशीनों के माध्यम से निकाली जा रही तथा यह कहना निराधार है कि बड़े-बड़े गड्ढे किये जाने से किसान खेती करने से वंचित हो गये हैं, अतः ऊपर वर्णित स्थिति नहीं होने से प्रश्नकर्ता के समक्ष उच्च कमेटी बनाकर जाँच कराने का कोई औचित्य नहीं है। (ग) उपरोक्त संबंध में प्रश्नकर्ता एवं अन्य स्थानीय नागरिकों द्वारा जिला कलेक्टर धार, तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी (रा.) एवं खनि अधिकारी को माह नवम्बर-दिसम्बर 2020 में शिकायत नहीं की गई थी। अतः कार्यवाही का प्रश्न नहीं उठता है। (घ) खदान की खनन योजना बनाने के पूर्व खदानों का सीमांकन तथा चिन्हांकन करके ही खदान नियमानुसार स्वीकृत की जाती है।
धरमपुरा जलाशय का निर्माण
[जल संसाधन]
9. ( *क्र. 480 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पूर्व रीठी तहसील अंतर्गत धरमपुरा जलाशय के निर्माण हेतु डूब क्षेत्र की भूमि अधिग्रहीत कर निविदा आमंत्रित की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो इस जलाशय का निर्माण प्रारंभ न होने के क्या कारण हैं एवं इस जलाशय के निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई थी? (ग) क्या उल्लेखित धरमपुरा जलाशय का आकार छोटा कर कम लागत से एक लघु जलाशय का निर्माण किया जा सकता है? यदि हाँ, तो इसके निर्माण में कुल कितनी लागत अधिग्रहीत डूब क्षेत्र की भूमि की लागत छोड़कर आयेगी? नवीन प्राक्कलन की छायाप्रति देवें। (घ) क्या शासन नवीन प्राक्कलन अनुसार धरमपुरा जलाशय का निर्माण करायेगा? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। (ख) जलग्रहण क्षेत्र में कमी होने के कारण जलाशय का निर्माण प्रारंभ नहीं होना प्रतिवेदित है। परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 28.02.2013 को रू. 646.80 लाख की 301 हेक्टर हेतु प्रदान की गई। (ग) जलग्रहण क्षेत्र में कमी होने के कारण विस्तृत सर्वेक्षण उपरांत जलाशय के निर्माण के संबंध में गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाना संभव होगा। प्रस्ताव मैदानी कार्यालय में परीक्षणाधीन होने के कारण परियोजना की जानकारी वर्तमान में दिया जाना संभव नहीं है। (घ) उत्तरांश (ग) अनुसार। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
विधान सभा क्षेत्र पनागर अंतर्गत शासकीय तालाबों का निजीकरण
[राजस्व]
10. ( *क्र. 833 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र पनागर के शासकीय तालाबों का निजीकरण किया जा रहा है? (ख) क्या बिझुआ, जैतना, कालाडूमर, अमखेरा, झिरमिली, पुरैना तालाब पूर्व में शासकीय मद में थे? (ग) यदि हाँ, तो वर्तमान स्थिति में प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित तालाब निजी व्यक्तियों के नाम पर कैसे दर्ज हो गये? (घ) क्या इन तालाबों का रिकॉर्ड दुरूस्त कर कब्जा मुक्त कराया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। (ग) एवं (घ) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उदभूत नहीं।
नगर निगम सतना अंतर्गत शास. जमीनों को निजी भूमि में दर्ज किया जाना
[राजस्व]
11. ( *क्र. 963 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सन् 1958-59 के अभिलेखों में सतना वर्तमान नगर पालिक निगम एवं रैगांव विधानसभा क्षेत्र के किन-किन पटवारी हल्कों में कितनी-कितनी जमीनें/भूखण्ड/रकबा म.प्र. शासन दर्ज था और प्रश्न दिनांक तक किन-किन पटवारी हल्कों में कितनी-कितनी जमीनें/भूखण्ड/रकबा म.प्र. शासन के नाम दर्ज है, जिन पर अतिक्रमण/अनाधिकृत कब्जा आदि है? पटवारी हल्कावार, तहसीलवार ऐसी आराजियों की पूर्ण जानकारी देवें, शासकीय/म.प्र. शासन के नाम दर्ज जमीनें/भूखण्ड/रकबा को निजी करने के नियम/आदेश की प्रति देवें। (ख) सन् 1958-59 में शासकीय/म.प्र. शासन के नाम दर्ज भूमि किस आधार पर निजी भूमि में परिवर्तित की गई, किसके आदेश से की गई, वैधानिक/अवैधानिक परिवर्तन की जानकारी देवें। (ग) क्या नगर निगम सीमा सतना में म.प्र. शासन/शासकीय नाम से दर्ज भूखण्डों को निजी भूमि में दर्ज कर छोटे-छोटे भूखण्ड कर उनकी बिक्री आदि की गई है? यदि हाँ, तो जानकारी देवें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के लिये उत्तरदायी कौन है? उनके खिलाफ क्या और कब तक कार्यवाही की जावेगी? क्या एफ.आई.आर. कराई जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो कारण बतावें। वर्तमान में जो जमीनें/भूखण्ड/रकबा म.प्र. शासन/शासकीय दर्ज है एवं उन पर अनाधिकृत कब्जा है, उनके कब्जे कब तक हटाये जावेंगे तथा जो निजी की गई हैं, उन्हें पुन: कब तक म.प्र. शासन/शासकीय दर्ज किया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सन् 1958-59 में शासकीय/म.प्र. शासन के नाम दर्ज भूमि विभिन्न आधार पर निजी भूमि में परिवर्तित की गई है, जैसे कि पट्टा पर वितरण, कृषि कार्य हेतु बंटन, माननीय उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के आदेश, व्यवहार न्यायालय द्वारा सिविल वाद में आदेश, नजूल भूमि का बंटन, औद्योगिक लीज़, नगरीय क्षेत्र में पट्टाधृति अधिनियम अंतर्गत एवं मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, आर.बी.सी. के विभिन्न प्रावधान अंतर्गत, वर्तमान में भी नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमि के धारकों के धारणाधिकार के संबंध में जारी परिपत्र अंतर्गत कार्यवाही की जा रही है। (ग) मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता में छोटे-छोटे भूखण्ड की परिभाषा स्पष्ट नहीं होने के कारण जानकारी देना संभव नहीं है। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) की कार्यवाही शासकीय नियम, उपनियम एवं अधिनियमों के अंतर्गत एवं न्यायालयीन आदेशों अनुसार किये जाने के कारण कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। अनियमितता पायी जाने पर प्रकरण का परीक्षण कर कार्यवाही की जाती है। अनाधिकृत कब्जे के विरुद्ध धारा 248 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर गुण-दोष के आधार पर निरंतर कार्यवाही की जाती है। शेष प्रश्नांश उदभूत नहीं होता।
भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रांतर्गत मत्स्य पालन
[मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास]
12. ( *क्र. 1000 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत अपरवेदा डेम, नवलपुरा तालाब एवं उटखेड़ा तालाब अन्तर्गत मछली पालन कौन कर रहा है? क्या इनकी मत्स्य विभाग में समिति बनाकर पट्टे प्रदाय किये गये हैं? यदि हाँ, तो यह पट्टे कब जारी किये गये हैं तथा इसकी क्या समयावधि है? मत्स्य पालन हेतु पट्टे किसे प्रदाय किया जाना है? इसके क्या नियम हैं? (ख) शासन द्वारा निर्धारित नियमावली की प्रतिलिपि प्रदाय करें। क्या मत्स्य पालन हेतु निर्मित समीतियों में डूब प्रभावित परिवार के अधिकतम सदस्य होना अनिवार्य है? (ग) यदि हाँ, तो क्या नवलपुरा उटखेड़ा एवं अपरवेदा डेम की वर्तमान पट्टे प्राप्त समितियों में सभी सदस्य डूब प्रभावित हैं? यदि हाँ, तो कितने सदस्य हैं? तीनों तालाबों की समितियों में डूब प्रभावित सदस्यों के नाम सहित सूची उपलब्ध करावें, नहीं तो उन्हें पट्टा किस आधार पर जारी किया गया है? (घ) क्या उपरोक्त वर्णित तीनों तालाबों में अवैध समितियां बनाकर मछली पालन करने की शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो उस क्या कार्यवाही की गई है? (ड.) क्या डूब प्रभावित व्यक्तियों की अन्य समितियों ने मछली पालन पट्टे हेतु मांग की है? यदि हाँ, तो वह समितियां कौन-कौन सी हैं तथा कौन से तालाब के लिये हैं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) प्रश्न में उल्लेखित तालाब को पट्टे पर दिये जाने, इनकी समयावधि तथा नियम संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) मध्य प्रदेश मत्स्य पालन की नीति एवं त्रि-स्तरीय पंचायतों को मत्स्योद्योग के अधिकार/कार्यक्रम 2008 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। नीति में पंजीकृत समितियों में डूब प्रभावित सदस्यों को प्राथमिकता दी गई है। (ग) तीनों तालाबों के पट्टे धारक समितियों में सभी सदस्य डूब प्रभावित नहीं है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (घ) एवं (ड.) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
गोहद विधानसभा क्षेत्र में संचालित अवैध क्रेशर
[खनिज साधन]
13. ( *क्र. 1283 ) श्री मेवाराम जाटव : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले के गोहद विधानसभा क्षेत्र में कहां-कहां पर कौन-कौन सी खदानें, किस-किस के नाम पर स्वीकृत हैं, खदान क्रेशर संचालक के नाम सहित पूर्ण जानकारी दें। (ख) उक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या क्रेशर संचालन हेतु विधिवत खनिज विभाग एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति/सम्मति प्राप्त की है? यदि हाँ, तो कब-कब, अनुमति/सम्मति की प्रमाणित छायाप्रति उपलब्ध कराएं। (ग) क्या गोहद क्षेत्र में अवैध रूप से क्रेशर संचालित किए जा रहे हैं, जिससे शासन को रॉयल्टी की क्षति एवं प्रदूषण फैलाए जाने की जाँच विगत 05 (पांच) वर्षों में कब-कब किस अधिकारी से कराई गई एवं अवैध रूप से संचालित क्रेशर के संचालकों के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई? क्या शासन द्वारा अवैध रूप से संचालित क्रेशरों को बंद किया जाएगा? यदि नहीं, तो क्यों?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रश्नाधीन विधानसभा क्षेत्र में पत्थर से गिट्टी निर्माण हेतु स्वीकृत उत्खनन पट्टों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। उक्त के अलावा प्रश्नाधीन क्षेत्र में अन्य गौण खनिज साधारण मिट्टी के स्वीकृत उत्खनन पट्टा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। (ख) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में क्रेशर संचालन की अनुमति नहीं दी जाती है। अपितु पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ में उल्लेखित पत्थर से गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर के उत्खनन पट्टे मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के प्रावधानों के तहत स्वीकृत किए गए हैं। जहाँ तक पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ में उल्लेखित क्रेशर संचालकों का प्रश्न है, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र में अवैध रूप से क्रेशर संचालित नहीं हैं। क्रेशर संचालकों द्वारा सम्मति प्राप्त की गई है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड द्वारा जारी सम्मति की प्रमाणित प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स पर दर्शित है। (ग) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड ग्वालियर से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र में अवैध रूप से क्रेशर संचालित नहीं है। कार्यालय कलेक्टर खनिज शाखा में उपलब्ध अभिलेख अनुसार शासन को रॉयल्टी की क्षति नहीं हो रही है। विभाग द्वारा लगातार खदानों एवं क्रशरों की जाँच हेतु अभियान चलाया जाता है। ग्राम पिपरसाना में अवैध रूप से बिना किसी अनुमति के क्रेशर स्थापित कर कार्य प्रारंभ करने के कारण मेसर्स श्रीजी इन्फ्राटेक पार्टनर श्री प्रतीक खण्डेलवाल के विरूद्ध पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द अनुसार कार्यवाही भी की गई है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड द्वारा करायी गई प्रदूषण जाँच रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ई पर दर्शित है। इस रिपोर्ट में इन क्षेत्रों में परिवेक्षीय वायु गुणवत्ता मानक सीमा में होना मिली है। शेष के संबंध में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सी.एन.जी. से संचालित ऑटो एवं मैजिक वाहन से प्रदूषण
[परिवहन]
14. ( *क्र. 1036 ) श्री रामलाल मालवीय : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सी.एन.जी. से संचालित ऑटो एवं मैजिक वाहन प्रदूषण मुक्त होते हैं? यदि हाँ, तो क्या कारण है कि नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित ऑटो एवं मैजिक वाहन प्रदूषित धुआं छोड़ते हैं, जिससे प्रदूषण अधिक मात्रा में होता है? सी.एन.जी. संचालित ऑटो एवं मैजिक वाहन जहरीला धुआं क्यों और कैसे छोड़ते हैं? कारण स्पष्ट करें। (ख) क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/परिवहन विभाग द्वारा अधिकृत एजेन्सी द्वारा सी.एन.जी. से संचालित ऑटो एवं मैजिक वाहन की नियमित जाँच की जाती है? यदि नहीं, तो इसका क्या कारण है तथा नियमित जाँच नहीं करने पर इन पर क्या कार्यवाही की जाती है या कार्यवाही की गई है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) पूर्णतः प्रदूषण मुक्त नहीं होते हैं। सी.एन.जी. से संचालित ऑटो एवं मैजिक वाहनों को केन्द्रीय मोटरयान नियम, 1989 के नियम 115-ख के अनुसार उत्सर्जन मानकों का पालन करना होता है। वाहनों में किसी तकनीकी खराबी के कारण वाहन उक्त मानकों का पालन नहीं कर पाने की दशा में अधिक मात्रा में प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं। उत्सर्जन मानक नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सी.एन.जी. से संचालित ऑटो एवं मैजिक वाहनों को नियमानुसार समयावधि में परिवहन विभाग द्वारा प्राधिकृत प्रदूषण जाँच केन्द्रों से प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है। परिवहन विभाग तथा पुलिस विभाग की यातायात शाखा द्वारा समय-समय पर वाहनों में उक्त प्रदूषण प्रमाण पत्रों की जाँच की जाती है तथा नियम विरूद्ध पाये जाने पर उनके विरूद्ध चालानी कार्यवाही की जाती है।
शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण हेतु पट्टा वितरण
[राजस्व]
15. ( *क्र. 1176 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिला अंतर्गत तहसील मझौली के पटवारी हल्का नं. 25, टिकरी के हाल खसरा क्र. 1142, 1243, 1142, 1143, 1144, 814, 1814, 1815, 1816 एवं 1817 कुल रकबा 4.477 हेक्टेयर भूमि को वृक्षारोपण हेतु वर्ष 1997-98 में शासकीय पट्टेदार के रूप में श्री आनंद बहादुर सिंह, पिता श्री रन्नूसिंह चौहान ग्राम चौहानन टोला को आवंटित किया गया था? क्या उक्त भूमि पर वृक्षारोपण का कार्य किया गया था? यदि हाँ, तो जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या उक्त भूमि वर्ष 1958-59 एवं 1959-60 में म.प्र. शासन की थी? यदि हाँ, तो पूर्ण विवरण के साथ जानकारी उपलब्ध करायें। यदि उक्त आराजी की भूमि को वृक्षारोपण हेतु शासकीय पट्टा दिया गया था तो भू-स्वामी कैसे और कब घोषित किया गया? क्या शासकीय भूमि को भूमि स्वामी घोषित किया जा सकता है? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या म.प्र. शासन की भूमि को वृक्षारोपण हेतु आरक्षित एवं आवंटित किया गया था? यदि हाँ, तो उक्त आराजी की भूमि पर होटल, ढाबा, बारात घर, पेट्रोल पम्प एवं ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण कैसे कराया गया है? क्या यह अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण की श्रेणी में आता है? यदि हाँ, तो अतिक्रमण हटाने के संबंध में अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई? (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रश्नकर्ता द्वारा दिनांक 15.12.2020 को कलेक्टर सीधी को पत्र लेख कर उच्च स्तरीय जाँच कराकर निर्माण कार्य रोके जाने एवं अतिक्रमण मुक्त कराये जाने हेतु लेख किया गया था? तत्संबंध में आज दिनांक तक की गई कार्यवाही की पूर्ण जानकारी देवें। यदि कार्यवाही नहीं की गई तो कारण बताएं, कब तक कार्यवाही पूर्ण कर ली जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) वर्ष 1997-98 के अधिकार अभिलेख अनुसार आराजी खसरा 1813, 1814, 1815 के भूमि स्वामी केमला पिता त्रिभुवन लोहार एवं 1243 में रामजियावन पिता महाबीर लोहार भूमिस्वामी एवं 814 में केमल सिंह पिता ललई सिंह गोड एवं 181 में मु. मन्तोरिया बेबा किनका वगैरह के नाम भूमिस्वामी स्वत्व दर्ज है तथा आराजी नम्बर 1142, 1143, 1816, 1817 वर्ष 1997-98 में आनंदबहादुर पिता रन्नू सिंह चौहान शासकीय पट्टेदार वृक्षारोपण हेतु दर्ज अभिलेख है। आराजी नम्बर 1144, वर्ष 1997-98 के अधिकार अभिलेख में मु. छोहरिया पति परमसुख बानी सा. देह शासकीय पटृटेदार के रूप में दर्ज है, आवंटन संबंधी अभिलेख उपलब्ध नहीं है। (ख) वर्ष 1956-57 से 60-61 के खसरा अनुसार उक्त भूमि म.प्र. शासन की भूमि नहीं थीं, शेष प्रश्नांश उदभूत नहीं होता है। (ग) वर्ष 1997-98 के खसरा के नकल के अनुसार आराजी क्रमांक 507, 508, 511/532/2, 534/2 में आनन्द बहादुर सिंह तनय रन्नू सिंह चौहान साकिम देह वृक्षारोपण हेतु बिना लगानी दर्ज है एवं अधिकार अभिलेख वर्ष 1997-98 में खाता क्रमांक 6 पर आराजी क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 पर आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चौहान साकिन देह शासकीय पट्टेदार (वृक्षारोपण हेतु) दर्ज है, आरक्षित एवं आवंटन संबंधी अभिलेख उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2008 में न्यायालय नायब तहसीलदार उप तहसील मडवास के राजस्व प्रकरण क्रमांक 24/अ-6/2007-08, दिनांक 13.08.2008 द्वारा उक्त शासकीय पट्टेदार प्रविष्टि को विलोपित किया जाकर भूमि स्वामी के रूप में दर्ज किया गया। इसके पश्चात भूमि का व्यपवर्तन प्रकरण क्रमांक 32/अ-2/2011-12, दिनांक 24.10.2011 एवं प्रकरण क्रमांक 73/अ-2/2012-13, दिनांक 13.01.2013 द्वारा किया गया। वर्तमान अभिलेख अनुसार कॉलम नम्बर 3 में भूमिस्वामी स्वत्व में दर्ज है। इस कारण अतिक्रमण की श्रेणी में प्रथम दृष्ट्या नहीं माना जा सकता है। इसी के बाद ढाबा, पेट्रोल पम्प का निर्माण कार्य कराया गया। पेट्रोल पम्प स्थापित करने की अनुमति न्यायालय कलेक्टर द्वारा जारी की गई है। (घ) प्रश्नकर्ता द्वारा दिनांक 15.12.2020 को प्रश्नांश (क) के सन्दर्भ में शिकायत की गयी थी, जिस पर उपखण्ड अधिकारी से जाँच प्रतिवेदन मंगाया गया है। जाँच प्रतिवेदन में मुख्यतया अभिलेखों में फर्जी प्रविष्टि कराकर भूमिस्वामी स्वत्व दर्ज कराये जाने का उल्लेख किया गया है। जिसकी वृहद जाँच एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रकरण न्यायालय में प्रक्रियाधीन है। जाँच उपरांत विधि अनुसार कार्यवाही की जा सकेगी समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
जिला सिंगरौली में उपभोक्ता फोरम न्यायालय की स्थापना
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
16. ( *क्र. 671 ) श्री राम लल्लू वैश्य : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सिंगरौली में उपभोक्ता फोरम खोले जाने की क्या योजना है? कई वर्ष पूर्व अर्थात 2008 से सिंगरौली को जिला बनाया गया है? (ख) सिंगरौली के उपभोक्ताओं को सुलभ न्याय मिले इसके लिये क्या शासन व विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 में उपरोक्त फोरम खोला जायेगा? यदि नहीं, तो कब तक खोला जावेगा?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) जिला सिंगरौली में उपभोक्ता फोरम खोले जाने की कार्यवाही विचाराधीन है। (ख) कार्यवाही विचाराधीन है।
जनपद पंचायत शहपुरा भिटौनी अनुभाग में राजस्व अधिकारी की पदस्थापना
[राजस्व]
17. ( *क्र. 1287 ) श्री संजय यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्रांतर्गत आने वाली जनपद पंचायत शहपुरा भिटौनी हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की पदस्थापना स्थानीय जिला प्रशासन के द्वारा प्रशासनिक कार्यों के अनुसार की जाती है, किंतु शहपुरा भिटौनी अनुभाग के लिये अनुविभागीय अधिकारी राजस्व का पद स्वीकृत नहीं है, तो बताया जावे कि शासन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व शहपुरा भिटौनी के पद की स्वीकृति क्यों नहीं कर रहा है? (ख) क्या उक्त प्रस्ताव शासन के पास लंबित है? यदि हाँ, तो वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हुए किये गये पत्राचार/नस्ती की प्रति उपलब्ध करायें एवं यह भी बतायें कि इसकी स्वीकृति कब तक दी जावेगी? (ग) क्या उक्त प्रस्ताव की स्वीकृति दी जायेगी? यदि नहीं, तो पद स्वीकृत नहीं करने के कारणों सहित संपूर्ण जानकारी दी जावे।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) शहपुरा भिटौनी अनुभाग सृजित व अधिसूचित नहीं होने से शहपुरा भिटौनी अनुभाग के लिये अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) का पद स्वीकृत नहीं है। (ख) कलेक्टर जिला जबलपुर से प्राप्त नये अनुविभाग के गठन के प्रस्ताव दिनांक 19.09.2019 में वर्तमान तहसीलों की सीमाओं में भी परिवर्तन प्रस्तावित किया जाने से प्रस्ताव त्रुटिपूर्ण होने से प्रस्ताव चाहा गया था, जो अभी तक अपेक्षित है। पत्राचार/नस्ती की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) कलेक्टर जिला जबलपुर से प्रस्ताव प्राप्त होने पर यथोचित निणर्य लिया जा सकेगा। पद स्वीकृत न होने की जानकारी उपरोक्त प्रश्नांश (क) अनुसार है।
जिला राजगढ़ अन्तर्गत अवैध रेत खदानों पर कार्यवाही
[खनिज साधन]
18. ( *क्र. 598 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले की रेत खदान आवंटित की जा चुकी है? यदि हाँ, तो, उक्त आवंटित रेत खदान में किस-किस विधानसभा क्षेत्र की कौन-कौन सी नदी की सर्वे नं. में कितनी-कितनी मात्रा का आंकलन कर नीलाम की गयी है? (ख) राजगढ़ जिले की रेत खदान किस एजेन्सी को प्रदान की गयी है एवं उसके अनुबंध अनुसार रेत खनन किस दिनांक से प्रारम्भ किया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शित खनन दिनांक से प्रश्न दिनांक तक किस-किस नदी के सर्वे नं. में से कितनी-कितनी मात्रा का खनन किया जा कर कितनी मात्रा की रॉयल्टी काटी गयी है? काटी गयी रॉयल्टी राशि के विवरण से अवगत करावें? (घ) एजेन्सी के द्वारा विभाग को अनुबंध के अनुसार कब-कब कितनी-कितनी राशि जमा करायी जाना थी, उसके विरूद्ध विभाग को वास्तविक रूप से कितनी-कितनी राशि जमा करायी गयी है? यदि निर्धारित लक्ष्य से कम राशि जमा करायी गयी है तो विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गयी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ख) प्रश्नाधीन जिले की रेत खदान का समूह मेसर्स गिरजा ट्रेडिंग कंपनी को ई-निविदा के माध्यम से प्रदान किया गया है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। (ग) प्रश्नानुसार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। (घ) राशि के संबंध में जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स पर दर्शित है। अनुबंध अनुसार बकाया किश्त राशि के संबंध में ठेकेदार को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है तथा ई.टी.पी. को बंद किया गया है।
तहसील बाबई अंतर्गत प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री सम्मान निधि का भुगतान
[राजस्व]
19. ( *क्र. 702 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर के अंतर्गत तहसील बाबई के ग्राम गूजरवाड़ा, जावली व ग्राम गोरा से एन.आई.सी. से ऑफलाईन सॉफ्टवेयर पर मजरे टोले से निर्मित नवीन राजस्व ग्राम क्रमश: सकतपुर, डूंडियाघाट, कीरपुरा बना दिये गये थे, किंतु ग्राम गूजरवाड़ा, जावली व गोरा के नक्शे वेबसाईट पर पूर्व के होने से गिरदावरी तथा अन्य राजस्व कार्यों का रिकॉर्ड अभी पोर्टल पर दर्ज क्यों नहीं हो पाया है? रिकॉर्ड कब तक संशोधित हो जायेगा? (ख) क्या उपरोक्त ग्रामों में पोर्टल पर रिकॉर्ड संशोधित न होने के कारण किसानों को प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री सम्मान निधि का भुगतान नहीं हो पाया है? यदि हाँ, तो इन किसानों को भुगतान कब तक हो जायेगा? (ग) प्रश्नांश (क) के संबंध में जब तक रिकॉर्ड संशोधन नहीं हो जाता, तब तक किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि के लिये वैकल्पिक व्यवस्था हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जायेगी, ताकि किसानों को नियमित लाभ मिल सके?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। उक्त ग्रामों के राजस्व अभिलेख पोर्टल पर उपलब्ध हैं जिन पर गिरदावरी एवं राजस्व रिकॉर्ड अद्यतन किया गया है। शेष ग्राम गुजरवाडा का रिकॉर्ड अद्यतन कार्य जारी है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी नहीं। किसानों का नाम पोर्टल पर होने से PM KISAN/CM KISAN योजना का लाभ पात्रता अनुसार दिया जा रहा है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधी योजना अन्तर्गत लाभ से वंचित कृषकों को लाभ दिलाने हेतु रिकॉर्ड का सुधार पोर्टल पर किया जा रहा है। पात्रता परीक्षण एक सतत् प्रक्रिया है, जिसमें हितग्राही के दस्तावेजों के पूर्ण परीक्षण उपरांत ही नियमानुसार लाभ देने हेतु प्रावधान नियत किये गये हैं, जिसके पश्चात किसानों को नियमित लाभ मिल सकेगा।
जावरा नगर चौपाटी स्थित लीज़ भूमि
[राजस्व]
20. ( *क्र. 1048 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत वर्षों में जावरा नगर चौपाटी स्थित सर्वे नंबर 225 एवं 226 पर औद्योगिक कार्य किए जाने हेतु तत्कालीन जावरा स्टेट नवाब द्वारा अनुबंध कर अनुबंधित औद्योगिक कार्यों हेतु भूमि प्रदान की थी? (ख) साथ ही तत्कालीन समय में उक्त सर्वे नंबर की अनुबंधित लीज़ भूमियों पर अनुबंधकर्ता तथा फर्म इकाइयों द्वारा निजी रूप से स्वयं की धनराशि व विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेकर औद्योगिक मशीनरी विभागीय कार्यों हेतु कार्यालय, कर्मचारी हेतु आवास व गोडाउन इत्यादि का निर्माण कर संपूर्ण भूमि के परिसर को बाउंड्रीवॉल से कवर्ड करते हुए बताया गया था? (ग) यदि हाँ, तो किस नियम प्रक्रिया के साथ ही किस प्रकार की संवैधानिक नियमों को कानूनी रूप से तत्कालीन अनुबंधकर्ता/फर्म इकाई के बकायादार होने पर अनुबंधित लीज़ भूमि का विक्रय किस प्रकार, किस वर्ष में, किन नियम प्रक्रिया के माध्यम से किया गया? क्या यह नियमानुसार किया जा सकता है? (घ) उक्त आजादी के पूर्व की सर्वे नं. की भूमि का विक्रय पूर्णतः अवैध व नियम विरुद्ध हुआ तथा उक्त सर्वे नंबरों को न्यायालय द्वारा भी स्वामित्व विहीन पाकर किसी का भी स्वामित्व घोषित नहीं किया गया तो जनहित की मांग व आवश्यक जन कार्यों हेतु शासन/विभाग एक पक्षीय अधिग्रहण कर जन सुविधा प्रदान करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता है। (घ) प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
विधानसभा
क्षेत्र
दिमनी में
पट्टे पर दी
गई भूमि
[राजस्व]
21. ( *क्र. 1234 ) श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला मुरैना में विधानसभा क्षेत्र दिमनी में विगत 20 वर्षों में कितनी भूमि के पट्टे स्वीकृत किये गये? पट्टे धारी का नाम, पट्टा स्वीकृत करने का वर्ष, कितनी भूमि का पट्टा दिया गया, भूमि सिंचित हैं अथवा असिंचित बतावें। (ख) विधानसभा क्षेत्र दिमनी के अन्तर्गत कितनी शहरी भूमि किस-किस प्रयोजन हेतु लीज़ पर दी गई। व्यवसाय हेतु लीज़ पर भूमि किस-किस व्यक्ति को, कितनी भूमि किस वर्ष में स्वीकृत की गई। (ग) मुरैना जिले में राजस्व अधिकारी/पटवारी आदि द्वारा नामांतरण बंटवारा, सीमांकन आदि प्रकरणों के निराकरण में संबंधित को परेशान किया जाता है, अवैध वसूली कर राजस्व कार्य किये जा रहे हैं। इस संबंध में सुधार हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जिला मुरैना में विधानसभा क्षेत्र दिमनी में विगत 20 वर्षों में 630.399 हेक्टेयर भूमि के पट्टे स्वीकृत किये गये। ग्रामवार एवं व्यक्तिवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी निरंक है। (ग) जी नहीं। आवेदक के द्वारा स्वयं या लोकसेवा केंद्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जाता है, जिसका निराकरण शासन निर्देशानुसार समय-सीमा में किया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
गृह निर्माण सहकारी समितियों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों की जाँच
[सहकारिता]
22. ( *क्र. 1291 ) श्री सज्जन सिंह वर्मा : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रमुख सचिव, सहकारिता ने माह नवम्बर 2020 के अंतिम सप्ताह में विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलायी थी, जिसमें अक्टूबर 2019 से 24 मार्च, 2020 तक अवधि में गृह निर्माण सहकारी समितियों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों का निराकरण करने हेतु निर्देशित किया था? (ख) यदि हाँ, तो इंदौर और भोपाल शहर में किस-किस गृह निर्माण सहकारी समितियों के विरूद्ध प्राप्त किन-किन शिकायतों में क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) इंदौर और भोपाल में कितने-कितने पीड़ितों को भू-खण्ड प्लाट उलब्ध कराये गये हैं? (घ) क्या भोपाल शहर में सहकारिता विभाग के अधिकारियों की सहकारिता माफियाओं से मिलीभगत होने के कारण प्राप्त शिकायतों में प्रभावशाली कार्यवाही नहीं की जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों? संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जाँच कराई जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित विशिष्ट अवधि की शिकायतों के संबंध में बैठक नहीं बुलाई गई। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) इन्दौर जिले में 767 पीड़ितों को भूखण्ड/प्लाट उपलब्ध कराये गये हैं, भोपाल जिले में कोई भी प्लाट उपलब्ध नहीं कराया गया है। (घ) भोपाल शहर में सहकारिता विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की शिकायतों की जाँच की जा रही है। जाँच प्रतिवेदन के अनुसार कार्यवाही की जावेगी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
शा.मा. विद्यालय सीतापुर की भूमि में अतिक्रमण
[राजस्व]
23. ( *क्र. 457 ) श्री गिरीश गौतम : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासकीय माध्यमिक विद्यालय सीतापुर वि.ख. मऊगंज जिला रीवा का भवन किस भूमि में बना है? खसरा नम्बर पटवारी हल्का रकवा सहित पूर्ण जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांक (क) में वर्णित स्कूल की भूमि में अवैध अतिक्रमण हटाये जाने के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पत्र दिये गये? उस पर क्या कार्यवाही की गयी? पत्रों की प्रति एवं कार्यवाही विवरण देवें। (ग) प्रश्नांक (क) में वर्णित शासकीय स्कूल की भूमि का सीमांकन कराकर उसकी सीमा में किये गये अवैध अतिक्रमण को हटाये जाने के संबंध में कोई कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक सीमांकन कराकर अवैध अतिक्रमण हटा दिया जायेगा? अवैध अतिक्रमण के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही कब तक की जायेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) रीवा जिले के तहसील मऊगंज अन्तर्गत ग्राम सीतापुर पटवारी हल्का सीतापुर की शासकीय भूमि खसरा नं. 238 रकवा 0.073 हे. के अंश भाग 0.050 हे. एवं खसरा नं. 245 रकवा 0.040 हे. के अंश भाग 0.008 हे. में शासकीय माध्यमिक विद्यालय सीतापुर विकासखण्ड मऊगंज जिला रीवा का भवन स्थित है। (ख) जी हाँ। प्रधानाध्यपक शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय सीतापुर जिला रीवा म.प्र. द्वारा भूमि का सीमांकन एवं अवैध अतिक्रमण हटाने के संबंध में पत्र प्राप्त हुआ है प्राप्त पत्र की प्रति संलग्न परिशिष्ट-क अनुसार है। उक्त पत्र पर कार्यवाही करते हुये दिनांक 06.02.2021 को सीमांकन किया गया। सीमांकन के दौरान पाया गया कि विद्यालय म.प्र. शासन के स्वत्व की भूमि 238 के अंश भाग 0.050 हे. एवं भूमि खसरा नं. 245 के अंश भाग 0.008 हे. पर कई वर्षों से स्थापित है। आराजी क्रमांक 238 के अंश भाग 0.008 हे. नूर मोहम्मद पिता गफारवक्श व 0.015 हे. में कमलेश पिता रामविलाश गुप्ता एवं भूमि खसरा नं. 245 के अंश रकवा 0.016 हे. में सावरे अयूब पिता मोहयद्दीन व 0.016 हे. में ताहिर मोहम्मद पिता नूर मोहम्मद द्वारा मकान निर्मित किये गये हैं। अतिक्रामकों को नोटिस जारी कर म.प्र. भू.राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है। प्रकरण क्रमांक निम्न हैं :- रू. 0041/अ.68/2020.2021, 0042/अ.68/2020.2021, 0043/अ.68/ 2020.2021, 0044/अ68/2020.2021। (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित शासकीय भूमि नं. 238, 245 का सीमांकन किया गया। सीमांकन के दौरान पाये गये अतिक्रामकों के विरूद्ध म.प्र. भू.राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के अन्तर्गत प्रकरण न्यायालय नायब तहसीलदार वृत सीतापुर में विचाराधीन है। विधि अनुसार कार्यवाही पूर्ण कर अतिक्रमण हटाया जा सकेगा।
रीवा जिलांतर्गत पटवारी द्वारा जमीन नपती में की जा रही अनियमितता
[राजस्व]
24. ( *क्र. 732 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिले के ग्राम सगरा, तहसील-हुजूर, वार्ड-16 में शासकीय स्कूल के समीप स्थित शासकीय भूमि एवं उस पर स्थित शासकीय हैण्डपंप के आसपास की भूमि पर अतिक्रमण करके खेत एवं पत्थर की मेड़े बनायी जाकर वर्षों से बने पुराने पहुँच मार्ग और किसानों का रास्ता अवरूद्ध किया गया है तथा बुजुर्ग महिला किसान के पेड़-पौधों को नुकसान पहुँचाकर अतिक्रमित किया जा रहा है? क्या इस प्रकार पहुँच मार्ग एवं किसानों का रास्ता अवरूद्ध किया जाना नियमानुकूल है? (ख) प्रश्नांकित क्षेत्र में अतिक्रमणकारियों के अतिक्रमण हटाकर पुन: रास्ता कब तक बहाल किया जायेगा? यदि नहीं, तो क्यों? प्रश्नांकित क्षेत्र के प्रारूप-24 अतिक्रमणों के रजिस्टर की स्वच्छ प्रति दी जाए एवं अतिक्रामकों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) प्रश्नांकित क्षेत्र में शासकीय भूमि खसरा क्रमांक 640 की नपती पटवारी द्वारा विवादित रूप से करते हुए अतिक्रमणकारियों से मिलीभगत कर की जा रही है? क्या संबंधित पटवारी के द्वारा किये गये उक्त अवैधानिक कृत्य की जाँच की जाकर कार्रवाई की जायेगी? यदि नहीं, तो अतिक्रमणकारियों पर पटवारी द्वारा क्या कार्रवाई की गई? (घ) प्रश्नांकित क्षेत्र में अतिक्रमणकारियों द्वारा अतिक्रमण किये जाने की सूचना प्रशासन को प्राप्त होने के उपरांत भी अतिक्रमण न हटाया जाना अथवा अतिक्रमण करने से न रोकने के लिये कौन जिम्मेदार है? क्या संबंधित की जिम्मेदारी सुनिश्चित कर उस पर कार्यवाही की जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) क्या प्रश्नांकित क्षेत्र की शासकीय भूमि खसरा क्रमांक 640 की नपती अधीक्षक, भू-अभिलेख या प्राधिकृत अधिकारी से कराई जाकर मुनारे गड़वाई जायेंगी तथा अवैध अतिक्रमण हटाया जाएगा? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) रीवा जिले के तहसील हुजूर अन्तर्गत ग्राम सगरा के वार्ड क्रमांक 16 में प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सगरा के नाम शासकीय आराजी क्रमांक 640/1/2 रकवा 3.200 हे. आवंटित एवं अभिलेख में अंकित है। स्कूल को आवंटित शासकीय भूमि में स्थित हैण्डपम्प के आसपास अंश भाग 0.253 हे. भूमि में रामजी तिवारी पिता श्रीनिवास तिवारी द्वारा फसल बोकर एवं मकान बनाकर अतिक्रमण किया गया है। अतिक्रामक के विरूद्ध भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के अन्तर्गत प्रकरण न्यायालय तहसीलदार तहसील हुजूर में प्रचलित है। प्रश्नांकित मार्ग (रास्ता) भूमिस्वामी रामजी पिता श्रीनिवास तिवारी वगैरह की भूमि आराजी क्रमांक 664/8 के अंश भाग से व स्कूल की भूमि से होकर स्कूल भूमि पर स्थित पी.सी.सी. रोड तक पहुंचने हेतु अस्थाई रूप प्रचलित था। भूमिस्वामी द्वारा अपने भूमिस्वामी स्वत्व की भूमि पर फसल बो लिए जाने के कारण मार्ग (रास्ता) संकीर्ण हो गया है, किन्तु अवरूद्ध नहीं हुआ है। उक्त मार्ग (रास्ता) का उपयोग केवल दिलराज कुमारी पति सुरेश प्रसाद मिश्रा द्वारा किया जाता था। प्रश्नांकित पेड़ पौधें भूमिस्वामी रामजी तिवारी के भूमि आराजी क्रमांक 664/8 में स्थित है, बुजुर्ग महिला के पेड़ पौधें नुकसान किये जाने का प्रश्न ही नहीं है। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित स्कूल के नाम आवंटित शासकीय भूमि से अतिक्रामक के विरूद्ध अतिक्रमण की न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण कर विधि अनुसार अतिक्रमण हटाया जावेगा। प्रश्नांकित शासकीय भूमि के बेजा कब्जा करने का (इन्क्रोचमेन्ट) रजिस्टर (च्.23) के संबंधित पृष्ठ की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट पर है। (ग) शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सगरा के नाम आवंटित भूमि खसरा क्रमांक 640/1/2 रकवा 3.200 हे. की नपती (सीमा का निर्धारण) न्यायालय तहसीलदार तहसील हुजूर द्वारा गठित राजस्व निरीक्षक सहित राजस्व टीम द्वारा किया गया है। इसलिये पटवारी द्वारा अतिक्रमणकारियों से मिलीभगत किये जाने का प्रश्न ही नहीं है। गठित टीम द्वारा अभिलेख के आधार पर सही जाँच की गई है। अतिक्रामक रामजी पिता श्रीनिवास तिवारी के विरूद्ध हल्का पटवारी द्वारा अतिक्रमण की रिर्पोट न्यायालय तहसीलदार तहसील हुजूर को प्रस्तुत किया गया है, जो न्यायालयीन प्रक्रिया अन्तर्गत विचाराधीन है। (घ) प्रश्नांकित क्षेत्र में अतिक्रमण की सूचना प्राप्त होने पर तहसीलदार हुजूर द्वारा राजस्व निरीक्षक सहित टीम का गठन किया गया। गठित टीम द्वारा अतिक्रमण का चिन्हांकन किया गया। चिन्हांकन अनुसार पटवारी हल्का द्वारा अतिक्रामक के विरूद्ध अतिक्रमण रिपोर्ट तहसील न्यायालय में प्रस्तुत करने पर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया, जो प्रचलित है। प्रकरण में न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण कर, अतिक्रामक के विरूद्ध विधि अनुसार कार्यवाही की जावेगी। (ड.) प्रश्नांकित क्षेत्र शासकीय भूमि खसरा क्रमांक 640/1/2 रकवा 3.200 हे. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सगरा की नपती (सीमा का निर्धारण) राजस्व निरीक्षक एवं गठित टीम द्वारा की जाकर देशी पत्थर स्थापित करा दिये गये हैं। अत: अधीक्षक भू-अभिलेख या प्राधिकृत अधिकारी से नपती कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। विधि अनुसार अतिक्रमण के संबंध में न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण कर अतिक्रमण हटाने के संबंध में विधि अनुसार कार्यवाही की जायेगी।
धार जिलांतर्गत खाद्यान्न पर्ची धारी हितग्राहियों को खाद्यान्न की पूर्ति
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
25. ( *क्र. 811 ) श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में धार जिले में खाद्यान्न पर्चीधारी कितने हितग्राहियों को खाद्यान्न के अभाव में खाद्यान्न नहीं दिया जा रहा है? विधानसभा क्षेत्रवार संख्या बतावें। (ख) खाद्यान्न की कम मात्रा में आपूर्ति होने पर विभाग क्या कार्यवाही कर रहा है? (ग) पात्रता पर्ची अनुसार समस्त हितग्राहियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए शासन क्या कदम उठा रहा है?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) प्रश्नांकित जिले में खाद्यान्न पर्चीधारी पात्र परिवारों में से उचित मूल्य दुकानों पर राशन हेतु पहुंचने वाले सभी पात्र परिवारों को उनकी पात्रतानुसार राशन सामग्री आवंटित की जा रही है। खाद्यान्न के अभाव में पर्चीधारी हितग्राहियों को खाद्यान्न नहीं मिलने की विधानसभावार जानकारी निरंक है। (ख) उचित मूल्य दुकानों का आवंटन पूर्व माहों में अवितरित मात्रा का समायोजन करके जारी किया जाता है। फिर भी जिलों से मांग प्राप्त होने पर परीक्षण उपरांत अतिरिक्त आवंटन जारी किया जाता है। (ग) जिन नवीन परिवारों की उचित मूल्य दुकानों से मैपिंग की जाती है, उन्हें आवंटन भी जारी किया जाता है। आवंटन जारी करने हेतु मैपिंग का डाटा एन.आई.सी. को भेजा जाता है, तदुपरांत आगामी माह हेतु जारी होने वाले अग्रिम आवंटन में आवंटन उपलब्ध कराया जाता है।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
गृह
निर्माण
सोसाटियों की
भूमियों को
नियम विरूद्ध
बेचा जाना
[सहकारिता]
1. ( क्र. 29 ) श्री प्रदीप पटेल : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर के उपायुक्त सहकारिता कार्यालय अंतर्गत रजिस्टर्ड लक्ष्मण नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित एवं श्री राम गृह निर्माण सहकारी संस्थ मर्यादित, जय हिन्द गृह निर्माण सहकारी संस्था एवं राजस्व ग्राम कर्मचारी सहकारी संस्था मर्यादित की भूमियों का विक्रय एवं बड़े-बड़े भूखण्डों को प्रायवेट कंपनियों/व्यक्तियों को विक्रय करने उस पर निर्माण करने के जो प्रस्ताव इन सहकारी संस्थाओं की मीटिंग में पास (पारित) हुये उनकी एक-एक प्रति उपलब्ध करायें? क्या विभाग इन प्रस्तावों को वैध मानता है या अवैध? (ख) इन सहकारी संस्थाओं की खजराना, छोटी खजरानी, निरंजनपुर, देव गुराडिया क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्रों में स्थित भूमि पर बनाये जा रहे आवासीय प्रोजेक्टों (कालोनी) को खुले बाजार में विक्रय करने पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही प्रश्नतिथि तक की गई हैं? जारी सभी आदेशों की एक-एक प्रति दें? (ग) इंदौर के उपायुक्त सहकारिता विभाग के द्वारा प्रश्नांश (क) में वर्णित इन सहकारी संस्थाओं को 01/04/2018 से प्रश्नतिथि की कब-कब व क्या-क्या पत्र जारी किये? सभी की एक-एक प्रतिलिपि उपलब्ध करायें? उक्त संस्थाओं ने उक्त समयानुसार क्या-क्या जवाब विभाग को दिये उन सभी की प्रकरणवार एक-एक प्रतिलिपि दें?
सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) इन्दौर के उपायुक्त सहकारिता के कार्यालय में पंजीकृत लक्ष्मण नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्या. इन्दौर, श्री राम गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित इन्दौर, जयहिन्द गृह निर्माण सहकारी संस्था इन्दौर एवं राजस्व ग्राम गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्या. इन्दौर की भूमियों का विक्रय एवं बड़े-बड़े भूखण्ड को प्रायवेट कंपनियों/व्यक्तियों को विक्रय करने की जांच/सत्यापन करने हेतु विभागीय अधिकारियो/कर्मचारियों को उपायुक्त सहकारिता जिला इन्दौर के आदेश क्रमांक/वि.स./2021/472 दिनांक 11.02.2021 से आदेशित किया गया है, प्रतिवेदन प्राप्त होने पर वास्तविक स्थिति ज्ञात हो सकेगी। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- 01 अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के अनुसार जाँच आदेश का प्रतिवेदन प्राप्त होने पर वास्तविक स्थिति ज्ञात हो सकेगी। (ग) उपायुक्त सहकारिता जिला इन्दौर से प्रश्नांश (क) में वर्णित सहकारी संस्थाओं को दिनांक 01-04-2018 से दिनांक 31-01-2021 तक जारी पत्रों की सूची एवं प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 अनुसार है। उक्त संस्थाओं द्वारा दिये गये जवाबी पत्रों संबधी जानकारी उत्तरांश (क) में नियुक्त जाँच अधिकारियों के प्रतिवेदन प्राप्त होने के उपरांत वास्तविक स्थिति ज्ञात हो सकेगी।
कमेटी के गठन के चार वर्ष बाद भी जाँच पूर्ण न होने पर कार्यवाही
[राजस्व]
2. ( क्र. 30 ) श्री प्रदीप पटेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तत्कालीन कलेक्टर सतना द्वारा पत्र क्रमांक 87 दिनांक 22/03/2016 को पत्र जारी कर वर्णित प्रकरणों की पतासाजी पूर्व बन्दोबस्ती एवं वर्ष 1959 की भूस्वामी शासकीय स्थिति के आधार पर कार्यवाही करते हुए जाँच हेतु जिले के समस्त अनुविभागों के संबंधित अनुविभागीय अधिकारियों की अध्यक्षता में एक विशेष जाँच समिति गठित की गयी थी कमेटी गठित हुए चार वर्ष से अधिक हो गये उक्त चार वर्षों में पूरे जिले के तहसीलों में कितने एकड़ जमीन शासकीय घोषित की गई कितने प्रकरणों में संबंधित थाने में एफ.आई.आर. कराई गई है। प्रकरणवार, तहसीलवार बताये? अगर एफ.आई.आर. नहीं करायी गयी तो कब तक करा दी जायेगी तथा राजस्व विभाग के पटवारी एवं तहसीलदारों जो शासकीय जमीन को खुर्द-बुर्द करने में शामिल रहे उन पर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई उसे भी तहसीलवार बताये? (ख) तहसील रघुनाजनगर ने पत्र क्रमांक 112 दिनांक 04/04/2016 के जरिये नायब तहसीलदार एवं राजस्व निरीक्षकों को उपरोक्त जाँच की जानकारी निर्धारित प्रपत्र पर प्रदाय करने के आदेश दिये थे? क्या मौजा मझबोगवा की आराजी नं. 11 रकबा 8.55 उक्त मौजा मझगवां की आराजी क्रमांक 39/2क, रकबा 0.0970, 40/2, रकबा 0.0360, 42/2 रकबा 0.2390 उक्त आराजी वर्ष 1958-59 में शासकीय दर्ज थी वर्तमान में निजी स्वत्व में दर्ज है। क्या ग्राम बम्हनगवां पटवारी हल्का बरदाडीह की आराजी नं. 32 रकबा 3.22 एकड़ ग्राम सतना की आराजी नं. 138 रकबा 1.92 एकड़ पटवारी हल्का अमौधा की आराजी नं. 751 व वर्ष 1958-59 की खतौनी में चार बटांकों में था 751/1 मध्यप्रदेश शासन 39 एकड 91 डि. सन् 1992, 1993 के बीच 751/1 अ और 751/5/1 को शामिल नंबर बनाया गया उसी साल लाल स्याही से गोला लगाकर 35.72 एकड और 35.66 कर दिया गया है? क्या ग्राम लिलौरी/पतौड़ा की शासकीय आराजी 307 के 18 बटांक हो चुके है इसी तरह मौजा डिलोरा की आराजी नं. 775/1 रकबा 14-1 एकड़ उक्त आराजी सन् 1966-67 में कालम नं. 12 में महंत बद्रीदास फौत 30 धि. प्रबंधक चेला जगन्नाथ दास काबिज दर्ज दर्शित है उक्त आराजी के 94 बटांक हो गये है चेला महत मंदिर की आराजी है उसका क्रय विक्रय नहीं हो सकता हैं? हॉ/नहीं में जानकारी उपलब्ध करावें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ, जिला सतना में 234.057 हेक्टेयर भूमि शासकीय दर्ज करायी गयी है. जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। एफ.आई.आर. की जानकारी निरंक है, तत्कालीन पटवारियों की मृत्यु के कारण एफ.आई.आर. दर्ज नहीं करायी गयी. (ख) जी हाँ. प्रश्नांश के तीनों उप-प्रश्नांशों की जानकारी हाँ/नहीं में से हाँ है।
राशन दुकानों के विरूद्ध कार्यवाही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
3. ( क्र. 50 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह में कितनी राशन दुकानों का वितरण मशीनों के द्वारा किया जाता है। क्या कुछ राशन दुकानों का वितरण बिना मशीन के किया जाता है यदि हाँ, तो क्यों? हटा एवं पटेरा विकासखण्ड में किस-किस राशन दुकान पर कौन-कौन विक्रेता एवं सहायक विक्रेता पदस्थ हैं जानकारी नाम व पतावार दी जावे। (ख) प्रश्नांश (क) जिलान्तर्गत विगत वर्ष 2015 से आज दिनांक तक कितने विक्रेताओं एवं सहायक विक्रेताओं पर शिकायती आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुई नाम व दुकानवार जानकारी सहित यह बताया जावे कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कितने प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है एवं प्रशासन द्वारा उन प्रकरणें के निराकरण हेतु क्या उपाय किये एवं शेष विक्रेताओं एवं सहायक विक्रेताओं जिन पर प्राथमिकी दर्ज है। क्या कार्यवाही की गई?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) जिला दमोह में संचालित समस्त 491 शासकीय उचित मूल्य दुकानों पर लगाई गई पीओएस मशीन के माध्यम से पात्र परिवारों को राशन वितरण किया जाता है। वर्तमान में जिले की किसी भी उचित मूल्य दुकान से बगैर पीओएस मशीन के राशन का वितरण नहीं किया जा रहा है। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। विकासखण्ड हटा एवं पटेरा की शासकीय उचित मूल्य दुकानों में कार्यरत विक्रेता एवं सहायक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) वर्ष 2015 से आज दिनांक तक शिकायत के आधार पर जाँच उपरांत अनियमितता पाए जाने पर अध्यक्ष/प्रबंधक/विक्रेता/सहायक पर दर्ज एफ.आई.आर. की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। प्राथमिकी दर्ज होने के उपरांत माननीय उच्च न्यायालय में लंबित प्रकरणों की दुकानवार एवं विक्रेतावार जानकारी एवं की गई कार्यवाही पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। शेष प्रकरण जिनमें प्राथमिकी दर्ज की गई है, उनमें की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द अनुसार है।
स्टापडेम निर्माण व नहरों की मरम्मत
[जल संसाधन]
4. ( क्र. 53 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला दमोह में किसानों की सिंचाई के उद्देश्य से विकासखण्ड हटा में सुनार नदी पर अदनवारा स्टापडेम लागत-816 लाख, गैसावाद स्टापडेम लागत 1025 लाख एवं दादपुर स्टापडेम लागत-578 लाख की साध्यता प्राप्त स्टापडेमों की प्रशासकीय स्वीकृति हेतु लंबित है। यदि हाँ, तो कब तक प्रशासकीय स्वीकृति प्रदाय कर दी जावेगी। (ख) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र हटा के जलाशयों की नहरें खराब होने के कारण कई बार निवेदन उपरांत भी आज दिनांक तक सुधार कार्य क्यों नहीं हुआ? साथ ही पिपरिया जलाशय, खोवा जलाशय, विनती जलाशय, पवैया जलाशय आदि जलाशयों की नहरें क्षतिग्रस्त का सुधार कार्य कब तक कराया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) शासन स्तर पर कोई प्रस्ताव लंबित नहीं होने से स्वीकृति दिए जाने की स्थिति नहीं है। प्रश्नांश में उल्लेखित परियोजनाओं की स्थिति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जलाशयों की नहरें क्षतिग्रस्त होने पर जल उपभोक्ता संथाओं के माध्यम से वार्षिक मरम्मत कराने की व्यवस्था है। प्रश्नांश में उल्लेखित जलाशयों की नहरों का वार्षिक मरम्मत कार्य जल उपभोक्ता संथाओं को प्राप्त राशि से कराया जाकर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाना प्रतिवेदित है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
बीना संयुक्त सिंचाई परियोजना का क्रियान्वयन
[जल संसाधन]
5. ( क्र. 89 ) श्री रामपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले की बीना संयुक्त सिंचाई परियोजना में किन-किन कार्यों की निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है? उक्त कार्यों की फरवरी 2021 की स्थिति में क्या स्थिति है? (ख) उक्त परियोजना का किसानों द्वारा विरोध क्यों किया जा रहा है कारण बतायें। किसानों की क्या-क्या मांग है? किसानों की मांगें शासन द्वारा क्यों नहीं मानी जा रही है इसमें क्या-क्या कठिनाईयाँ है? किसानों की प्रतिनिधियों से किन-किन अधिकारियों ने कब-कब बैठक कर चर्चा की? (ग) उक्त परियोजना में रायसेन जिले के किन-किन ग्रामों तथा बेगमगंज शहर की कितनी-कितनी भूमि डूब में आयेगी किसानों को किस दर से मुआवजा राशि दी जायेगी? (घ) उक्त परियोजना से रायसेन जिले के किन-किन ग्रामों की कितनी भूमि सिंचित होगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) कृषि भूमि एवं अन्य परिसम्पत्तियों के परियोजना में डूब से प्रभावित होने के कारण किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है। किसानों की मांग नियमानुसार नहीं होने के कारण उनकी मांग माना जाना संभव नहीं है। मांगों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार एवं बैठक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ग) डूब प्रभावित भूमि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द अनुसार है। भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 एवं विशेष पुनर्वास पैकेज के अनुसार। (घ) प्रश्नाधीन परियोजना से रायसेन जिले के किसी भी ग्राम की भूमि सिंचित नहीं होगी।
संबल योजना के लंबित प्रकरण
[श्रम]
6. ( क्र. 90 ) श्री रामपाल सिंह : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना के अंतर्गत अनुग्रह एवं अन्तेष्टि सहायता तथा प्रसूति सहायता की राशि भुगतान के रायसेन जिले में किन-किन के प्रकरण कब से एवं क्यों लंबित है? कब तक राशि का भुगतान होगा? (ख) मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना में पात्र हितग्राहियों का नवीन पंजीयन क्यों नहीं हो रहा है? इसं संबंध में विभाग के अधिकारियों द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की जा रही है? पूर्ण विवरण दें।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) रायसेन जिले में मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना के अंतर्गत अनुग्रह सहायता के कुल 451 प्रकरण, अन्त्येष्टि सहायता के निरंक तथा प्रसूति सहायता के 39 प्रकरण लंबित है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। पर्याप्त बजट प्राप्ति पर प्रकरणों में भुगतान संबधी कार्यवाही की जा सकेगी। (ख) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना के अंतर्गत शासन द्वारा 01 अप्रैल 2018 से 15 मई 2018 तक अभियान के रूप में पंजीयन की कार्यवाही निर्देश क्रमांक 3068/एस.ओ.बी./बी-16/2018 दिनांक 17.03.2018 के अनुक्रम में की गई थी। तत्पश्चात सतत् पंजीयन हेतु कोई निर्देश जारी नहीं किये गये हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
वृहद पार्वती परियोजना प्रोजेक्ट के कार्य
[जल संसाधन]
7. ( क्र. 125 ) श्री सुदेश राय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विकासखण्ड सीहोर अन्तर्गत विभाग द्वारा जो वृहद पार्वती परियोजना प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है उसका कमाड एरिया कितना होगा तथा योजना में कौन-कौन से निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं? (ख) उक्त योजना हेतु शासन द्वारा कितने बजट का प्रावधान किया गया है तथा कितने चरणों में कार्य पूर्ण होगा? समय-सीमा बतावे। (ग) कार्य पूर्ण होने के उपरान्त कितनी जमीन सिंचित होगी और इसका लाभ किन-किन गांव को मिलेगा और विकासखण्ड सीहोर का कितना एरिया कवर होगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) पार्वती परियोजना का रूपांकित सैच्य क्षेत्र 48,000 हेक्टर है। परियोजना के अंतर्गत बांध एवं सूक्ष्मदाब नहर प्रणाली का निर्माण कार्य प्रस्तावित है। (ख) पार्वती परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति रू.1815.54 करोड़ की एवं वर्ष 2020-21 में रू. 365.35 करोड़ का आवंटन प्राप्त है। पार्वती परियोजना निर्माण कार्य 2 चरणों में किया जा रहा है। अनुबंध अनुसार बांध का निर्माण कार्य सितम्बर 2021 एवं नहर कार्य जुलाई 2024 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। (ग) परियोजना से 48,000 हेक्टर कृषि योग्य भूमि सिंचित करना प्रस्तावित है। डी.पी.आर. अनुसार ग्रामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। सीहोर विकासखण्ड की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।
ग्रामीण क्षेत्रों में उचित मूल्य की दुकानों का संचालन
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
8. ( क्र. 126 ) श्री सुदेश राय : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीहोर विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत कितनी शासकीय उचित मूल्य की दुकानें है एवं इनके कार्यक्षेत्र अन्तर्गत कितने ग्राम प्रत्येक सोसायटी अंतर्गत आते हैं? (ख) शासन के नियमों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी आबादी पर दुकान संचालित किये जाने के शासन के निर्देश हैं, आदेश की प्रति उपलब्ध कराये? (ग) क्या वर्तमान में सीहोर विधानसभा क्षेत्र में उचित मूल्य की दुकानों की संख्या पर्याप्त है यदि नहीं, तो क्या दुकानों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव विभाग के समक्ष विचाराधीन है यदि, हाँ तो स्पष्ट करे और नहीं तो कारण बतायें?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) प्रश्नांकित विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 45 उचित मूल्य दुकानें हैं। प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं के द्वारा 42 तथा स्व-सहायता समूहों के द्वारा 03 उचित मूल्य दुकानें ग्रामीण क्षेत्र में तथा 20 उचित मूल्य दुकानें नगरीय क्षेत्र के अंतर्गत संचालित हो रही हैं। प्रश्नांकित विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण उचित मूल्य दुकानों के कार्यक्षेत्र एवं नगरीय उचित मूल्य दुकानों के कार्यक्षेत्र की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2015 की कण्डिका क्रमांक 7 (2) के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक पंचायत में एक उचित मूल्य दुकान खोले जाने का प्रावधान है, किन्तु किसी ग्राम पंचायत में 800 से अधिक पात्र परिवार होने की स्थिति में वहां अतिरिक्त दुकान खोली जा सकती है, किन्तु उक्त नवीन दुकान खोली जाने पर दोनों दुकानों में 400 से कम हितग्राही नहीं होना चाहिए। नियंत्रण आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (ग) वर्तमान में सीहोर विधानसभा क्षेत्र में 80 ग्राम पंचायतों में 45 उचित मूल्य दुकानें संचालित है। शेष 35 ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य दुकान आवंटन हेतु ऑनलाईन आवेदन पत्र मंगाए गए थे जिनमें से 20 ग्राम पंचायतों में पात्र आवेदन प्राप्त होने के फलस्वरूप अनुविभागीय अधिकारी सीहोर के कार्यालय में उचित मूल्य दुकान आवंटन की कार्यवाही प्रचलन में है। शेष 15 ग्राम पंचायतों में पोर्टल के माध्यम से पुन: ऑनलाईन आवेदन पत्र मंगाये जा रहे है।
बुरहानपुर जिले की सातोड सिंचाई योजना का निर्माण
[जल संसाधन]
9. ( क्र. 159 ) श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बुरहानपुर जिला के सातोड सिंचाई योजना का निर्माण कार्य वर्ष 2018 में पूर्ण हुआ, प्रथम वर्षाकाल में बांध क्षतिग्रस्त हो गया एवं शासन का परियोजना पर 425.80 लाख व्यय हुआ? उक्त योजना से क्षेत्र के कितने किसानों को एवं कितने हेक्टेयर जमीन को लाभ मिल रहा है? अवगत करावें। (ख) उक्त परियोजना का मरम्मत एवं नवीनीकरण कार्य कब तक और किस योजना से किया जायेगा? (ग) उक्त घटिया निर्माण के लिये दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों एवं कब तक कार्यवाही की जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। प्रथम वर्षाकाल में बांध की स्पिल चैनल क्षतिग्रस्त होने के कारण 158 हेक्टर में सिंचाई की गई। वर्ष 2019-20 में मात्र 10 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई हुई, जिससे 07 कृषकों को सिंचाई लाभ प्राप्त होना प्रतिवेदित है। (ख) परियोजना का मरम्मत कार्य योजना मद में ही किया जाएगा। निविदा आमंत्रण की कार्यवाही प्रचलन में होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों को आरोप पत्र जारी किए जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। कार्यवाही प्रचलन में होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
इन्दौर के ग्राम खजराना की अतिशेष भूमि का न्यायालयीन प्रकरण
[राजस्व]
10. ( क्र. 176 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर शहर की ग्राम खजराना की सर्वे क्रमांक 543/2 की भूमि शासन की अतिशेष भूमि है? क्या यह सही है कि उस पर भू-माफिया द्वारा जी प्लस 4 बहुमंजिला इमारत बनाई गई है? (ख) यदि हाँ, तो करोड़ों की शासकीय भूमि के केस में माननीय उच्च न्यायालय एवं राजस्व न्यायालय ग्वालियर में शासन का पक्ष कमजोर क्यों रखा गया? शासन को जो आर्थिक क्षति हुई है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? भू-माफिया को करोड़ों का लाभ क्यो पहुँचाया गया? (ग) शासन की इस भूमि को बचाने के लिए सही एवं वास्तविक तथ्यों के साथ माननीय उच्च न्यायालय में पुनः अपील कब की जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) इन्दौर शहर की ग्राम खजराना की सर्वे क्रमांक 543/2 की भूमि शासन की अतिशेष भूमि है। सर्वे क्रमांक 543 के बटांकन नंबर 01 एवं 02 को लेकर विवाद है, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय इन्दौर के सिंगल बैंच के आदेशानुसार उक्त भूमि को निजी माना गया है तथा शासन के अनुसार उक्त भूमि शासकीय भूमि है। उक्त भूमि पर बहुमंजिला ईमारत बनी है। (ख) प्रश्नांकित भूमि के संबंध में माननीय अतिरिक्त महाधिवक्ता के मार्गदर्शन में माननीय उच्च न्यायालय इन्दौर के सिंगल बैंच में अपील प्रस्तुत की गई थी तथा अतिरिक्त महाधिवक्ता के मार्गदर्शन में ही माननीय उच्च न्यायालय इन्दौर की डबल बैंच में मजबूती से शासन हित रक्षण की कार्यवाही की जा रही है। चुंकि शासन के हितरक्षण में डबल बैंच में अपील की कार्यवाही की जा रही है अत: भूमाफिया को करोड़ों का लाभ पहुँचाए जाने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (ग) अतिरिक्त महाधिवक्ता के मार्गदर्शन में माननीय उच्च न्यायालय इन्दौर के डबल बैंच में अपील प्रस्तुत किए जाने की कार्यवाही की जा रही है।
सीहोर स्थित शुगर मिल की अधिग्रहित भूमि
[राजस्व]
11. ( क्र. 179 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीहोर स्थित शुगर मिल की कृषि भूमि अधिग्रहित की गई है। यदि हाँ, तो किस कानून के कौन से प्रावधान के अंतर्गत की गई, पूर्ण विवरण दें? (ख) क्या उक्त शुगर मिल की ही एक उपयोगी कम्पनी द्वारा सीहोर रेल्वे स्टेशन के समीप विकसित नरेंद्र नगर कॉलोनी की डायवर्टेड भूमि भी शासन द्वारा अधिगृहित की गई है? यदि हाँ, तो ऐसा किस कानून के कौन से प्रावधान के अंतर्गत किया गया है। स्पष्ट करें। (ग) यदि प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित नरेंद्र नगर कॉलोनी की भूमि का शासन द्वारा अधिग्रहण नहीं किया गया है तो उक्त कॉलोनी के प्लॉट एवं भवनों के नामांतरण पर क्यों प्रतिबंध लगाया गया है, स्पष्ट करें एवं संबंधित आदेश की प्रति भी प्रस्तुत करें? (घ) यदि बिना किसी प्रतिबंध आदेश के उक्त कॉलोनी में नामांतरण रोका गया है तो इसके लिए कौन उत्तरदायी है, उसके विरूद्ध क्या दण्डात्मक कार्यवाही की गयी है।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। शुगर मिल की कृषि भूमि म.प्र. कृषि खातों की अधिकतम सीमा अधिनियम, 1960 के तहत अतिशेष घोषित की गई है (ख) जी नहीं। शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता। (ग) नामान्तरण पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। शेष प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता। (घ) नामांतरण पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। अत: दण्डात्मक कार्यावाही का कोई प्रश्न उत्पन्न नहीं होता।
वेयर हाउसिंग द्वारा नवीन कैंप का निर्माण
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
12. ( क्र. 226 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग द्वारा नवीन कैप निर्माण कराये जाने हेतु वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में प्रावधान किया गया है? यदि हाँ, तो सागर जिले में म.प्र. वेयर हाउसिंग द्वारा कहां-कहां कितने कैप निर्माण किये जाना प्रस्तावित किया गया है? कैप का वर्ग, कैप की क्षमता, लागत सहित जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित कैप का निर्माण कार्य कब तक निर्मित किये जायेंगे? किस कार्य एजेंसी द्वारा कैप निर्माण किये जाने हैं? कार्य पूर्णत: की समय अवधि, लागत सहित जानकारी देवें। (ग) क्या वर्ष 2018-19 एवं वर्ष 2019-20 में सागर जिले में कितने कैप विभाग द्वारा निर्मित किये गये थे? क्या सभी कैपों में भंडारण का कार्य किया गया था? कैप निर्माण की परफारमेंस गारंटी कितनी निर्धारित की गई थी, कैप की क्षमता तथा वर्तमान में कितने उपयोगी एवं अनउपयोगी है? (घ) यदि पूर्व में निर्मित कैप उपयोगी है तथा सम्पूर्ण कैपों का भंडारण में उपयोग नहीं किया गया था तो नवीन कैप निर्माण की आवश्यक्ता क्यों है? जानकारी देवें।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) जी हां। वर्ष 2019-20 तथा वर्ष 2020-21 में नवीन कैप निर्माण हेतु प्रावधान किया गया है। वर्ष 2019-20 में सागर जिले में 06 स्थानों पर 1.98 लाख मै.टन क्षमता के कैप का निर्माण किया गया है जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। वर्ष 2020-21 में 03 स्थानों पर 55 हजार मै.टन क्षमता का निर्माण किया गया है जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) कैप का वर्ग अस्थायी है। कैप की कुल निर्मित क्षमता 2.53 लाख मै.टन एवं कैप की कुल लागत 15.35 करोड़ रुपये है। कैप निर्मित किये जा चुके हैं। शेष भाग की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' में समाहित है। (ग) वर्ष 2018-19 में सागर जिले में म.प्र. वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कार्पोरेशन द्वारा कोई कैप का निर्माण नहीं कराया गया था। वर्ष 2019-20 में 06 स्थानों पर 1.98 लाख मै.टन क्षमता के कैप का निर्माण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार किया गया है। सागर जिले में साईखेड़ा, मझगंवा, बंडा, देवरी, खुरई एवं रहली में निर्मित कैप पर भंडारण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार किया गया। परफार्मेंस राशि, निविदा की दर 15 प्रतिशत तक या इससे कम होने पर 5 प्रतिशत जमा करायी जाती है। इससे अधिक कम होने पर अतिरिक्त परफार्मेंस राशि जमा करायी जाती है। यह लोकनिर्माण विभाग के टेण्डर दस्तावेज अनुसार है। कैप की क्षमता संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। वर्तमान में सभी कैप उपयोगी हैं। (घ) वर्ष 2018-19 में कैप का निर्माण नहीं किया गया था। इसलिए उपार्जित गेहूं अनुमानित मात्रा के आधार पर सुरक्षित भंडारण हेतु वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में कैप का निर्माण किया गया था।
स्वीकृत सिंचाई योजनाओं की जारी की गई निविदा
[जल संसाधन]
13. ( क्र. 227 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सागर जिले में विभाग की वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में कितनी सिंचाई योजनाओं को विभाग से स्वीकृति प्राप्त हुई थी? हाँ तो जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत योजनाओं में किन-किन सिंचाई योजनाओं की निविदा विभाग द्वारा जारी की गई/आमंत्रित की गई? आमंत्रित उपरांत किन-किन योजनाओं में कार्य एजेंसी द्वारा अनुबंध किये गये? (ग) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत जसराज जलाशय, टिपरिया जलाशय करियापाठा भी वर्ष 2019-20 में स्वीकृत हुई थी विभाग को केवल निविदा जारी करना था/आमंत्रित करना था तो विभाग द्वारा इन सिंचाई योजनाओं के निविदा जारी/आमंत्रित क्यों नहीं की गई? (घ) जसराज जलाशय एवं टिपरिया जलाशय एवं करियापाठा सिंचाई योजनाओं की निविदा जारी करने/आमंत्रित न करने के लिए कौन उत्तरदायी है? इनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? निविदा कब तक जारी होगी/आमंत्रित की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जल संसाधन विभाग द्वारा सागर जिले में वर्ष 2019-20 में निवोदिया वियर एवं वर्ष 2020-21 में जैरा मध्यम सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत किसी भी सिंचाई परियोजना की निविदा आमंत्रित नहीं होना प्रतिवेदित होने से शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) एवं (घ) जी नहीं। जसराज जलाशय एवं टिपरिया जलाशय की प्रशासकीय स्वीकृति क्रमश: वर्ष 2017-18 एवं वर्ष 2018-19 में प्रदान की गई। वर्तमान में वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता एवं निविदा सूचकांक की सीमा अधिक्रमित होने के कारण जसराज जलाशय एवं टिपरिया जलाशय सिंचाई योजनाओं की निविदा आमंत्रित नहीं की गई। करियापाठा जलाशय का कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित नहीं होने से स्वीकृति दिए जाने की स्थिति नहीं है। निविदा आमंत्रित नहीं करने के लिए किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री किसान सम्मान योजना देने के नियम
[राजस्व]
14. ( क्र. 242 ) श्री बैजनाथ कुशवाह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि दिये जाने हेतु शासन द्वारा क्या-क्या नियम निर्देश प्रचलन में है? नियमों की प्रति उपलब्ध कराते हुए इसके क्रियान्वयन हेतु कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी की जवाबदेही है? पद नाम सहित बतावें एवं इस योजना हेतु क्या-क्या दस्तावेज आवश्यक है बतावें। (ख) विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 03 सबलगढ़ (मुरैना) में योजना प्रारंभ से जनवरी 2021 तक क्या सभी पटवारी हल्को में किसान सम्मान निधि का लाभ दिया जा चुका है? यदि नहीं, तो क्यों एवं कितने लोग शेष है? दोनों की अलग-अलग संख्या बताते हुए शेष लोगों को किसान सम्मान निधि क्यों नहीं दी गई है? इसके लिये कौन-कौन किस स्तर पर दोषी है? उनके नाम एवं पद सहित बतायें। (ग) क्या तत्कालीन व वर्तमान कलेक्टर द्वारा योजना का लाभ दिये जाने हेतु कितनी बार निर्देश दिये गये व निर्देश उपरांत भी शेष लोगों को किसान सम्मान निधि नहीं दिया गया? इस हेतु कौन-कौन से अधिकारी कर्मचारी दोषी है? नाम, पद सहित बतावें एवं इनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। योजना के क्रियान्यन हेतु संबंधित राजस्व विभाग के शासकीय सेवक जिम्मेदार हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जिला मुरैना में तत्कालीन एवं वर्तमान कलेक्टर व्दारा साप्ताहिक टीएल बैठक एवं मासिक राजस्व अधिकारियों की बैठक में निर्देश दिए गए। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
खरीदी केन्द्रों पर की गई अवैध वसूली
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
15. ( क्र. 243 ) श्री बैजनाथ कुशवाह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा कृषकों द्वारा उत्पादित की गई सभी प्रकार की फसलों के शासकीय खरीदी हेतु क्या-क्या नियम/मार्गदर्शिका प्रचलन में है? इसकी प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या विगत माहों में जिला मुरैना के समस्त खरीदी केन्द्रों पर अवैध वसूली की गई थी जिसकी जानकारी जिले के संबंधित अधिकारी/कर्मचारी को है व इनके द्वारा खरीदी केन्द्रों पर भी गड़बड़ी पायी गई? (ग) प्रश्नांश (ख) हाँ तो इनके विरूद्ध क्या-क्या आपराधिक प्रकरण पंजीकृत किये गये, कार्यवाही से अवगत करावें। यदि नहीं, तो क्यों एवं जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की? कब तक की जावेगी? (घ) क्या शासन द्वारा भविष्य में जनप्रतिनिधियों की एक समिति बनाकर उनकी उपस्थिति में खरीदी केन्द्रों पर उनकी निगरानी में खरीदी की जावेगी?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) रबी एवं खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, मोटा अनाज, चना, मसूर एवं सरसों उपार्जन हेतु जारी नीति की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में मुरैना जिले में धान एवं मोटा अनाज उपार्जन हेतु स्थापित केन्द्रों पर संबंधित अधिकारी/कर्मचारी द्वारा अवैध वसूली करने की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। उपार्जन केन्द्रों की जाँच में 3 केन्द्रों पर कम मात्रा में स्कन्ध पाए जाने के कारण संबंधित केन्द्र प्रभारियों के विरूद्ध एफ.आई.आर. की कार्यवाही की गई है। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के अनुसार। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न उपार्जन हेतु प्रत्येक उपार्जन केन्द्र पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने एवं उपार्जन के प्रबंधन एवं पर्यवेक्षण हेतु राज्य, जिला एवं उप-खण्ड स्तरीय उपार्जन समिति का गठन किया जाता है। किसानों की समस्याओं के निराकरण हेतु राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष एवं सीएम हेल्पलाईन में शिकायत दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, इस कारण उपार्जन केन्द्रों की निगरानी हेतु पृथक से समिति गठन की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है।
फसलों की क्षति के लिए स्वीकृत राहत राशि वितरण में विलंब
[राजस्व]
16. ( क्र. 302 ) श्री महेश परमार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राहत आयुक्त मध्यप्रदेश के द्वारा मानसून वर्ष 2020 में बाढ़ और अतिवृष्टि से हुई फसल क्षति के लिए राशि 43 लाख 86 हजार रुपए एवं खरीफ 2020-21 की फसलों की क्षति के लिए 1915.04 लाख रुपए की राहत राशि की स्वीकृति हुई है? यदि हाँ, तो विधानसभा क्षेत्र तराना में दिसंबर 2020 से लेकर प्रश्न दिनांक तक किसी भी हितग्राही तक वन क्लिक की शुरुआत उज्जैन से होने के बाद भी नहीं पहुंची है। इस लापरवाही और विलंब का कारण क्या है? स्पष्ट करें। (ख) क्या आरबीसी 6-4 के निर्धारित मापदण्डों के अनुसार राशि कलेक्टर के माध्यम से आपके विभाग को प्राप्त नहीं हुई है? यदि हुई है तो कोषालय के माध्यम से प्राप्ति दिनांक से आज तक ऑनलाइन राहत राशि के भुगतान की जानकारी उपलब्ध कराएं। यदि नहीं, तो उन समस्याओं से अवगत कराये जिनके कारण प्रभावित किसानों को अभी तक भुगतान नहीं हुआ है। (ग) अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग के द्वारा राहत आयुक्त से अनुमोदित होकर आवंटन आदेश क्रमांक 1803 एवं 1801 भोपाल दिनांक 15/12/2020 माध्यम से जारी राहत राशि विधानसभा क्षेत्र तराना में प्रश्न दिनांक तक नहीं पहुँचने के लिए उत्तरदायी प्रशासनिक अधिकारी एवं उनके अमले पर क्या कार्यवाही की गयी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। राहत आयुक्त द्वारा राशि का आवंटन/आहरण की अनुमति दी जाती है। शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है। (ख) जिले में मानसून वर्ष 2020 में बाढ़ और अतिवृष्टि से हुई फसल क्षति के लिए आर.बी.सी 6-4 के निर्धारित मापदण्डों के अनुसार जिले की तहसील उज्जैन, कोठीमहल, खाचरौद व नागदा के कुल 1397 प्रभावित कृषकों को राहत राशि 1,65,49,626/- (एक करोड़ पैसठ लाख उन्नचास हजार छ: सौ छब्बीस मात्र) रूपये का भुगतान किया जा चुका है। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
पार्वती सिंचाई योजना में डूब भूमि का मुआवजा
[जल संसाधन]
17. ( क्र. 334 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीहोर जिले की पार्वती सिंचाई योजना में किन-किन कार्यों की निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है उक्त कार्यों की फरवरी, 2021 की स्थिति में क्या स्थिति है उक्त योजना का कार्य कब तक प्रारंभ होगा? (ख) उक्त योजना से किन-किन जिलों के किन-किन ग्रामों की कितनी भूमि सिंचित होगी। (ग) उक्त योजना में किन-किन ग्रामों की कितनी भूमि डूब में आ रही है तथा उनको किस दर से मुआवजा राशि दी जायेगी? (घ) मुआवजा राशि का वितरण कब से प्रारंभ होगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) प्रश्नाधीन पार्वती परियोजना में शीर्ष कार्य एवं प्रेसराइज्ड सूक्ष्म दाब नहर प्रणाली तथा पर्यावरण प्रभाव के आंकलन की निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर अनुबंध किया जाकर कार्य प्रगतिरत है। कुरावर क्षेत्र अंतर्गत विद्युत लाइन हटाने के कार्य एवं सांका श्यामजी स्मारक के संरक्षण हेतु प्रोटेक्शनवाल के कार्य की निविदा आमंत्रित की गई है। (ख) परियोजना से राजगढ़, भोपाल, सीहोर एवं शाजापुर जिले की 48,000 हेक्टर भूमि सिंचित किया जाना प्रस्तावित है। जिलेवार ग्रामवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के ''प्रपत्र-अ'' अनुसार है। (ग) एवं (घ) दर एवं भुगतान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के ''प्रपत्र-ब'' अनुसार है।
संबल योजना में किये गये संशोधन
[श्रम]
18. ( क्र. 335 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में मार्च 2020 से प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या संशोधन किये गये उनकी प्रति दें। (ख) संबल योजना में नाम जोड़ने तथा पात्र हितग्राही को हितलाभ न मिलने के संबंध में जिले के कलेक्टर को क्या-क्या अधिकार दिये गये उनकी प्रति दें। किन-किन मामलों में कलेक्टर के यहां हितग्राही अपील कर सकता है। (ग) संबल योजना में पंजीकृत परिवार को क्या-क्या सुविधायें मिलती है तथा इस हेतु उसको क्या-क्या करना पड़ता है? (घ) मार्च 2020 से फरवरी 2021 तक की अवधि में रायसेन जिले में किन-किन के आवेदन पत्र क्यों निरस्त किये गये कारण बताये?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में मार्च 2020 से वर्तमान तक अपील के प्रावधान जोड़े गये हैं। जारी आदेशों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार हितलाभ आवेदन में त्रुटि सुधार/विसंगति निराकरण तथा पंजीयन में अपात्र किये जाने के निर्णय से असंतुष्ट होने पर हितग्राही द्वारा जिला कलेक्टर अथवा उनके द्वारा नामांकित अपर कलेक्टर के समक्ष अपील की जा सकती है। (ग) संबल योजना में विभाग द्वारा पंजीकृत श्रमिक की मृत्यु पर उसके विधिक उत्तराधिकारी को अन्त्येष्टि सहायता व अनुग्रह सहायता प्रदान की जाती है। विवरण निम्नानुसार है।
क्र. |
योजना का नाम |
हितलाभ राशि |
1 |
अन्त्येष्टि सहायता |
5000 |
2 |
अनुग्रह सहायता (सामान्य मृत्यु) |
200000 |
3 |
अनुग्रह सहायता (दुघर्टना मृत्यु) |
400000 |
4 |
अनुग्रह सहायता (स्थाई अपंगता) |
200000 |
5 |
अनुग्रह सहायता (आंशिक स्थाई अपंगता) |
100000 |
(घ) मार्च 2020 से फरवरी 2021 तक की अवधि में निरस्त में किये गये प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।
राजगढ़ जिले के अंतर्गत पटवारी हल्का खिलचीपुर के सर्वे क्रमांक 1127 में पट्टा वितरण
[राजस्व]
19. ( क्र. 377 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले के खिलचीपुर विकासखण्ड के अंतर्गत पटवारी हल्का खिलचीपुर में स्थित सर्वे क्रमांक 1127 में वर्ष 1959 में अधिकार अभिलेख में कुल कितना रकबा दर्ज था व वर्ष 1959 के पश्चात से आज दिनांक तक, कब और किन व्यक्तियों को उक्त खसरा क्रमांक में से भूमि आवंटित/पट्टे दिए गए हैं? तत्समय अधिकार अभिलेख का उक्त भूमि का नक्शा, यदि पट्टे वितरित हुए हैं तो पट्टेदारों को दी गई भूमि का तत्समय का नक्शा एवं वर्तमान नक्शे की सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध कराएं। (ख) उक्त भूमि पर दिए गए पट्टों के आदेश मय खसरा एवं नक्शा बटान की सत्यापित प्रति उपलब्ध कराएं। (ग) पट्टा वितरण के समय बने नक्शे एवं वर्तमान नक्शे में अंतर की स्थिति में जिन आदेशों से नक्शे में परिवर्तन किए गए हैं, उन आदेशों की प्रति उपलब्ध कराएं। यदि बिना किसी आदेश के नक्शे के बटान डाले गये हैं तो कौन उत्तरदायी है? (घ) भूमि की वर्तमान स्थिति क्या है? यदि पट्टा वितरण के बाद उक्त भूमि के नक्शे में कोई परिवर्तन हुआ है, तो उससे संबंधित आदेश एवं नक्शा सहित खसरे उपलब्ध करायें। (ड.) यदि उक्त भूमि में पट्टे वितरण किये गये है तो वितरित भूमि में से फोती के अलावा किन व्यक्तियों को पट्टे की भूमि अंतरित की गई है? यदि भूमि अंतरित की गई है तो अनुमति की प्रति एवं नामांतरण देने वाले अधिकारी का नाम एवं अनुमति आदेश की प्रति उपलब्ध करायें। उक्त भूमि में क्या कोई क्रय-विक्रय हुआ है और क्या उसमें भू-राजस्व संहिता 1959 पालन किया गया है? यदि नहीं, तो कौन दोषी है एवं दोषी के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है? यदि कार्यवाही नहीं की गयी है तो उसका कारण क्या है? (च) उक्त भूमि में से किन व्यक्तियों के पट्टे कब निरस्त किये गये हैं? निरस्ती का कारण भी बतायें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) राजगढ़ जिले के विकासखण्ड खिलचीपुर के अन्तर्गत पटवारी हल्का खिलचीपुर में स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 1127 का वर्ष 1959 के अधिकार अभिलेख में 1047 बीघा 12 बिस्बा रकबा दर्ज था व वर्ष 1959 के पश्चात से आज दिनांक तक वर्ष 1968-69 में 38 व्यक्तियों को उक्त खसरा क्रमांक में से भूमि आबंटित/पट्टे खसरे में दर्ज पाये गये है, जिसकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। वर्ष 1958-59 में 15 लोगों को उक्त भूमि सर्वे क्रमांक में से पट्टे खसरे में दर्ज है, जो कि पत्र के संलग्न है। इस प्रकार कुल 53 पट्टे वितरण किये गये, जिसकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ख) तहसील खिलचीपुर में तत्समय का दायरा एवं प्रकरण उपलब्ध नहीं होने से आदेश एवं नक्शा बंटान दिया जाना संभव नहीं है। (ग) पट्टा वितरण के समय बने नक्शे की प्रति उपलब्ध नहीं है। वर्तमान नक्शे की फोटो प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। पटवारी नक्शे में पट्टों की पुरानी तरमीम नहीं है। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे के परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। बिना आदेश की तरमीम वर्तमान में 01 है। जिनका नक्शा सर्वे नम्बर 1127/30 का पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 अनुसार है । सर्वे क्रमांक 1127/30 के संबंध में न्यायालय कलेक्टर महोदय के राजस्व प्रकरण क्रमांक 13/स्वप्रेरित/19-20 आदेश दिनांक 06.12.2019 व न्यायालय तहसीलदार खिलचीपुर के राजस्व प्रकरण क्रमांक 57/बी-121/19-20 आदेश दिनांक 16.12.2019 प्रकरण दाखिल रिकार्ड किये गये है व प्रकरण माननीय राजस्व मंडल ग्वालियर में विचाराधीन है। (घ) उक्त भूमि में वर्तमान में कुछ में खेती हो रही है तथा कुछ पड़त पडी हुई है। पट्टा वितरण का अभिलेख उपलब्ध न हो पाने से यह बता पाना संभव नहीं है। कि नक्शे में क्या परिवर्तन हुआ है। जो परिवर्तन हुये है उनकी सत्यापित प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-6 अनुसार है। (ड.) फोती के अलावा जिन व्यक्तियों को पट्टे की भूमि अतंरित की गई है, उसकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-7 अनुसार है। क्रय विक्रय हुआ है एवं प्रकरणों में भू-राजस्व संहिता 1959 के अनुसार 36 प्रकरणों में अनुमति प्राप्त की गई है, शेष पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-8 अनुसार सूची में से 2 प्रकरण क्रमांक 1 व 2 में अनुमति प्राप्त नहीं की गई उक्त बिना अनुमति प्राप्त किये गये प्रकरणों में नामांतरण करने वाले अधिकारी तत्कालीन तहसीलदार खिलचीपुर श्री रमाकान्त श्रीवास्तव थे। (च) उक्त भूमि में से जिन व्यक्तियों के पट्टे निरस्त किये है उनकी सूची कारण एवं दिनांक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-9 अनुसार है। शेष प्रकरण न्यायालय कलेक्टर जिला राजगढ़ में प्रचलित है। जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-10 अनुसार है।
माफी की भूमि का अवैध बिक्री एवं अतिक्रमण
[राजस्व]
20. ( क्र. 404 ) श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना जिले के जौरा तहसील के ग्राम भूपतपुर एवं कस्बा जौरा में माफी की कुल कितनी भूमि है और कितनी भूमि को अवैध तरीके से बिक्री कर दिया गया है एवं कितनी भूमि पर अवैध अतिक्रमण है? सर्वे नंबर अनुसार कुल रकबा सहित पृथक-पृथक जानकारी दी जावे? ख) क्या वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक भूमाफियाओं द्वारा पदस्थ राजस्व अधिकारी/कर्मचारियों की मिलीभगत से माफी की जमीन को खुर्दबुर्द कर विक्रय कर दिया गया है? उक्त अवधि में माफी की भूमि का क्रय-विक्रय चरम पर पहुँच गया था? संलिप्त भू-माफियाओं एवं अधिकारियों/कर्मचारियों पर क्या दण्डात्मक कार्यवाही की जा जावेगी? (ग) वर्तमान की स्थिति में उक्त ग्रामों में कितनी भूमि पर अतिक्रमण प्रशासन के संज्ञान में आया है और अतिक्रमण हटाने के लिये क्या-क्या कार्यवाहियाँ की गई है? कितने अतिक्रमण हटा दिये गये हैं? अद्यतन जानकारी देवें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के परिप्रेक्ष्य में कस्बा जौरा एवं भूपतपुर की माफी की जमीन को खुदबुर्द करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रति कब तक दण्डात्मक कार्यवाही की जा सकेगी एवं भूमि को सुरक्षित रखने हेतु उच्च स्तरीय जाँच कमेटी गठित कर जाँच करवाई जा सकेगी? यदि हाँ तो कब तक? नहीं तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जौरा तहसील के ग्राम भूपतपुर में माफी की कोई भूमि नहीं है। कस्बा जौरा में शासकीय अभिलेख मुताबिक माफी/औकाफ भूमि के कुल सर्वे नम्बर 110 हैं जिनका कुल रकवा 25.769 हे. है, जिसकी सर्वे नम्बरवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। उक्त भूमि अभिलेख मुताबिक खुर्द-बुर्द नहीं की गई है एवं माफी औकाफ की भूमि में से जिन नम्बरों एवं रकबा पर अतिक्रमण है उसकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक माफी की जमीन को खुर्द-बुर्द एवं विक्रय नहीं किया गया है। अतः शेष प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता है। (ग) वर्तमान स्थिति में कस्बा जौरा की माफी औकाफ की भूमि पर जो अतिक्रमण है उसकी सर्वे नम्बरवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। कुल किता 29 सर्वे नम्बर अनुसार कुल रकवा 6.665 हे. में से अतिक्रमित कुल रकवा 4.834 हे. है। समय-समय पर पटवारी द्वारा अतिक्रमण की जानकारी दिये जाने के उपरान्त अतिक्रमणकर्ताओं के विरूद्ध धारा 248 की कार्यवाही की गई है। न्यायालय तहसीलदार जौरा अंतर्गत अतिक्रमण हटाने के कुल 18 प्रकरणों में विधिवत बेदखली की कार्यवाही की जा चुकी है। (घ) कस्बा जौरा एवं भूपतपुर में माफी की जमीन का किसी भी प्रकार से खुर्द-बुर्द नहीं किया गया है। अतः शेष प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता।
शिकायतों की जांच प्रतिवेदन पर कार्यवाही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
21. ( क्र. 413 ) श्री विजयराघवेन्द्र सिंह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले के नागरिक आपूर्ति निगम में वर्ष 2016-17 से लेकर प्रश्न दिनांक तक गेहूँ धान, परिवहन, अमानक धान खरीद, 10 राईस मिलों का अमानक चावल सप्लाई, 10 हजार कुन्टल एवं 2010-18 में जबलपुर से भोलाराम वेयर हाउस स्लीमनाबाद में मिट्टी युक्त गेहूँ परिवहन वितरण एवं ग्रेडिंग में आर्थिक क्षति पहुंचाने बाबत् तत्कालीन जिला प्रबंधक की शिकायत तथा अन्य गंभीर कई शिकायतें श्री चन्द्रशेखर अग्निहोत्री (राजगुरू) रचना नगर कटनी द्वारा की गई है। क्या प्रश्नकर्ता द्वारा दिनाक 19.09.2020 को अमानक गेहूँ खरीदी परिवहन की शिकायत लोकायुक्त महोदय को दिनांक 01.09.2020 को की जाकर कलेक्टर कटनी को भी कार्यवाही हेतु दिया गया है। दिनांक 14.12.2020 को प्रश्नकर्ता द्वारा जो शिकायत मुख्यमंत्री मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव खाद्य को पी.डी.एस. में वितरित अमानक चावल की है, उस पर कब कार्यवाकी की गई बताए। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित शिकायतें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं कलेक्टर कटनी को की गई है। उक्त शिकायतों की जाँच प्रश्न दिनांक तक शिकायतकर्ता को सुनाकर क्यों नहीं की गई क्या शिकायतों की जाँच न करने के लिए उत्तरदायी अधिकारी के विरूद्ध शासन कब क्या कार्यवाही करेगा बताएं। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित शिकायतों में से यदि किसी शिकायत की जाँच की गई तो उसका जाँच प्रतिवेदन की प्रति तथा जाँच प्रतिवेदन अनुसार की गई है, तो कार्यवाही से अवगत करावें। (घ) प्रश्नांश (क) की अवधि में श्री चन्द्रशेखर अग्निहोत्री (राजगुरू) द्वारा कलेक्टर कटनी को शिकायतें की गई है, उन पर कलेक्टर द्वारा क्या कार्यवाही की गई है। पृथक-पृथक विवरण दें यदि नहीं, की गई तो क्या कारण है बताएं तथा कब की जायेगी यह भी बताएं।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
शासन की भूमियों का स्थानान्तरण
[राजस्व]
22. ( क्र. 414 ) श्री विजयराघवेन्द्र सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले में शासन और सार्वजनिक निस्तार के लिए वर्ष 1958-59 की खतौनी के आधार पर जो भूमि सुरक्षित थी, उसका खसरा नम्बर रकबा स्पष्ट बताएँ तथा इसके बाद से अभी तक यदि किसी व्यक्ति, संस्था को स्थानांतरित किया गया है, तो कैसे और किन प्रावधानों और नियमों के तहत यह जमीन आवंटित की गई है। (ख) क्या अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के लोगों को भी इसमें से भूमि आंवटित की गई यदि हाँ, तो खसरा नम्बर एवं हितग्राही के नाम सहित बताए। यदि उनका विक्रय या अंतरण हुआ है तो किस कानूनी प्रावधानों के तहत ऐसा किया विवरण दें। (ग) क्या अधिकारियों से मिलीभगत कर नक्शा तरमीम में हेराफेरी की गई जिससे दूरदराज बहुत कीमती जमीनों को शहरी मुख्य मार्गों से लगी जमीन बताकर जमीन की अदला बदली के कितने आदेशों को निरस्त किया गया था, उनकी प्रतियां उपलब्ध करावे एवं वर्तमान में उनकी क्या स्थिति है यह भी बताएं। (घ) यदि शासकीय भूमि को इस तरह खुर्दबुर्द किया गया है तो क्या सरकार सचिव स्तर के अधिकारी से इसकी जाँच कराकर उक्त भूमि को वापस लाने का कार्य करेगी एवं दोषी अधिकारी/कर्मचारी एवं भूमाफिया के खिलाफ कार्यवाही करेगी यदि हाँ तो समय-सीमा बताएं।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) कटनी जिला अंतर्गत शासन और सार्वजनिक निस्तार के लिए वर्ष 1958-59 की खतौनी से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी वृहद स्वरूप की है। उक्त जानकारी संकलित की जा रही है। (ख) जी हाँ, जानकारी संकलित की जा रही है। (ग) प्रकरण संज्ञान में आने पर विधि अनुसार कार्यवाही की जावेगी। (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में यदि कोई प्रकरण संज्ञान में आता है तो विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
सिचांई योजनाओं की स्वीकृति के संबंध में
[जल संसाधन]
23. ( क्र. 436 ) श्री राज्यवर्धन सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता को प्राप्त कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग नरसिंहगढ़ जिला राजगढ़ के पत्र क्रमांक/1297/कार्य/स्टापडेम/2019 नरसिंहगढ़ दिनांक 20.06.19 में उल्लेखित स्टापडेम जलसंसाधन विभाग मध्यप्रदेश शासन के मापदण्ड़ अनुसार नहीं होने से ऑनलाईन साध्यता दर्ज नहीं की जा सकती है, संबंधी उल्लेख किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो क्या शासन द्वारा बड़ी-बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के स्थान पर छोटी-छोटी सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति प्रदान करने संबंधी निर्णय लिया गया हैं? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या विभाग द्वारा शासन निर्णय के परिपालन में उक्त वर्णित योजनाओं का पुन: सर्वेक्षण करवाकर स्वीकृति प्रदान करने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। जल संसाधन विभाग द्वारा बनाई जाने वाली लघु परियोजनाएं सिंचाई कार्य हेतु आबद्ध है। लघु सिंचाई परियोजनाओं की साध्यता उपलब्ध जल ग्रहण क्षेत्र, जीवित जल भराव क्षमता, डूब क्षेत्र, प्रति हेक्टर लागत पर निर्भर होती है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
भू-राजस्व संहिता अनुसार भूमि बंदोबस्त की कार्यवाही
[राजस्व]
24. ( क्र. 437 ) श्री राज्यवर्धन सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भू-राजस्व संहिता अनुसार कितनी समयावधि में भूमि बंदोबस्त किये जाने का प्रावधान है? नियमों की प्रति सहित बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न दिनांक तक प्रदेश के किन-किन जिलों में भूमि बंदोबस्त कब-कब किया गया था तथा भू-राजस्व संहिता में प्रावधानित समयावधि में भूमि बंदोबस्त नहीं किये जाने के क्या-क्या कारण हैं? उक्त संबंध में विभाग द्वारा वर्तमान में क्या कार्यवाही की जा रही है? जिलेवार जानकारी देवें। (ग) क्या भू-राजस्व संहिता अनुसार प्रति 10 वर्ष में भूमि बंदोबस्त किये जाने के प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो क्या प्रदेश के जिलों में नियमानुसार निर्धारित अवधि में तथा राजगढ़ जिले में वर्ष 1957 के बाद से भूमि बंदोबस्त नहीं किया गया है? यदि हाँ तो प्रावधान अनुसार भूमि बंदोबस्त कार्यवाही की जिम्मेदारी किन अधिकारियों की होती है? (घ) उपरोक्तानुसार क्या शासन प्रदेश के समस्त जिलों में नियमानुसार भूमि बंदोबस्त करने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 यथा संशोधित मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, (संशोधन) अधिनियम, 2018 (क्रमांक 23 सन 2018) में बन्दोबस्त किये जाने के प्रावधान नहीं है। शेष प्रश्न उद्भूत ही नहीं होता है। (ख) पूर्व में मध्यप्रदेश में सन् 1975-76 में बंदोबस्त की संक्रियाए प्रारंभ की गई थी। तत्समय 17 जिलों में बंदोबस्त पूर्ण किया गया। संलग्न परिशिष्ट के प्रप्रत्र-1 अनुसार तथा 11 जिलों में बंदोबस्त की समाप्ति के कारण बंदोबस्त अपूर्ण रहा संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार एवं 24 जिले ऐसे थे जिनमें बंदोबस्त शुरू ही नहीं हो पाया था। मघ्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग द्वारा 9 जून वर्ष 2000 में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा बंदोबस्त की संक्रियाए विखंडित की गई है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 यथा संशोधित मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, (संशोधन) अधिनियम, 2018 (क्रमांक 23 सन् 2018) में भू-सर्वेक्षण के प्रावधान संहिता की धारा 64 से 77 तक में किये गये है, जिसके अन्तर्गत ग्वालियर जिले की तहसील चीनोर के 02 ग्राम (1) चीनोर (2) अमरोल को पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत चिन्हाकिंत कर भू-सर्वेक्षण का कार्य शुरू किया गया है उक्त दोनो ही ग्रामों में भू-सर्वेक्षण का कार्य प्रगति पर है पायलेट प्रोजेक्ट पूर्ण होने पर अन्य जिलों में भी भू-सर्वेक्षण की कार्यवाही प्रारंभ की जावेगी। (ग) जी नही। शेष प्रश्न उद्भूत ही नहीं होता है l (घ) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 यथा संशोधित मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, (संशोधन) अधिनियम, 2018 (क्रमांक 23 सन 2018) में बन्दोबस्त किये जाने के प्रावधान नहीं है। शेष प्रश्न उद्भूत ही नहीं होता है।
खनिज प्रतिष्ठान मद से निर्माण कार्यों की स्वीकृति
[खनिज साधन]
25. ( क्र. 450 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परासिया विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत विभिन्न निर्माण कार्यों की स्वीकृति खनिज प्रतिष्ठान मद से प्रदान किए जाने के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा कलेक्टर छिंदवाड़ा को पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/2021/02 दिनांक 01.01.2021 एवं अनुस्मरण पत्र क्र.वि.स./परासिया/ 127/2021/03 दिनांक 01.01.2021 को प्रेषित किए जा चुके है। जिन पत्रों पर स्वीकृति प्रदान किए जाने के संबंध में अभी तक क्या कार्यवाही की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार प्रेषित किए गये दोनों पत्रों में उल्लेखित विभिन्न निर्माण कार्यों की स्वीकृति खनिज प्रतिष्ठान मद से अभी तक प्रदान नहीं की गई है? जिसका क्या कारण है? कारण सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (क) के अनुसार प्रेषित किए गये दोनों पत्रों में उल्लेखित विभिन्न निर्माण कार्यों की स्वीकृती खनिज प्रतिष्ठान मद से कब तक प्रदान कर दी जायेगी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित पत्र अनुरूप कार्यवाही जिला खनिज प्रतिष्ठान जिला छिन्दवाड़ा के न्यास मंडल की बैठक आयोजित न होने के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गई है। (ख) प्रश्नांश (क) में दिये उत्तर अनुसार। (ग) न्यास मंडल की बैठक आयोजित होने पर ही कार्यों के संबंध में निर्णय लिया जा सकता है। इसकी समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
जहरीले जन्तुओं के काटने से मृत्यु होने पर आश्रित को दी जाने वाली आर्थिक सहायता
[राजस्व]
26. ( क्र. 458 ) श्री गिरीश गौतम : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. राजस्व पुस्तक परिपत्र क्रमांक छः क्रमांक 4 के अन्तर्गत वर्णित प्रावधान के अनुसार सर्पदंश/जहरीले कीड़े आदि जन्तुओं के काटने से मृत्यु होने पर डाक्टर द्वारा सर्पदंश से मृत्यु का कारण न दर्शित किये जाने एवं विसरा जाँच हेतु भेजने की शव विच्छेदन रिपोर्ट दर्ज किये जाने के बावजूद राजस्व अधिकारी को पंचनामा के आधार पर एवं स्वयं के जाँच के आधार पर मृतक के बारिश को सहायता अनुदान राशि स्वीकृत करने की अधिकारिता का प्रावधान है? प्रावधान एवं नियम बतायें। (ख) जनवरी 2018 से दिसम्बर 2020 तक तहसील नईगढ़ी एवं मऊगंज में सर्पदंश/जहरीले कीड़े के काटने से हुई मृत्यु जिनके पंचनामा में उक्त कारण दर्शित किया गया परन्तु डॉक्टर द्वारा मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है प्रश्नांश (क) में वर्णित प्रावधान के अनुसार अनुदान सहायता राशि प्राप्त करने हेतु कितने आवेदन पत्र प्रस्तुत किये गये? प्राधिकृत अधिकारी द्वारा ऐसे प्रकरणों में क्या निर्णय लिया गया? विसरा जाँच रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए प्राधिकृत अधिकारी द्वारा क्या प्रयास किये गये तथा ऐसे प्रकरणों में मानवीय आधार पर कब तक अनुदान राशि का भुगतान कर दिया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ख) तहसीलवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। प्रकरणों में जानकारी प्राप्त होने पर विसरा जाँच रिपोर्ट प्राप्त करने हेतु राजस्व अधिकारी द्वारा तत्काल संबंधित थाना प्रभारी से संपर्क स्थापित किया जाता है। विसरा जाँच रिपोर्ट प्राप्त न होने पर ऐसे प्रकरणों में पटवारी प्रतिवेदन तथा पुलिस थाने में कायम मर्ग रिपोर्ट अनुसार निष्कर्ष निकालकर परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर अनुदान राशि स्वीकृत की जा कर प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। दिसम्बर 2020 तक स्वीकृत ऐसे प्रकरणों में भुगतान किया जा चुका है। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
कार्यपालन यंत्री द्वारा प्रोटोकाल का उल्लंघन
[जल संसाधन]
27. ( क्र. 482 ) श्री राकेश पाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (ख) क्या कार्यपालन यंत्री श्री पी.एन.नाग जल संसाधन संभाग क्रमांक-1 सिवनी के विरूद्ध प्रोटोकाल के उल्लघंन किये जाने की शिकायत की गई थी? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा प्रोटोकाल के संबंध कोई दिशा निर्देश विभागों को भेजे गये हैं? क्या प्रोटोकाल के तहत दिये गये निर्देशों का अधिकारियों के द्वारा पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या ऐसे अधिकारी के विरूद्ध शासन कोई कार्यवाही करेगा यदि हाँ,तो कब तक? (ग) क्या शासन द्वारा प्रोटोकाल के दिशा निर्देशों के पालन न करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जावेगी यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। श्री पी.एन.नाग को प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग के पत्र दिनांक 28.01.2021 द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है तथा आदेश दिनांक 15.02.2021 द्वारा श्री नाग को वर्तमान पदस्थापना स्थल से हटाकर कार्यालय मुख्य अभियंता, बेनगंगा कछार, जल संसाधन विभाग, सिवनी में पदस्थ किया गया है। (ख) जी हाँ। निर्देशानुसार कार्यवाही की जा रही है। शिकायत प्राप्त होने पर त्रुटिकर्ता के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। (ग) प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
विधान सभा क्षेत्र मुलताई के जूनापानी नाले पर डेम का निर्माण
[जल संसाधन]
28. ( क्र. 509 ) श्री सुखदेव पांसे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र मुलताई के विकासखण्ड प्रभातपट्टन के वर्धा जलाशय को नहर से ग्राम आष्टा, रायआमला, मंगोनाखुर्द, चरूड़, अमरावती घाट के किसानों हेतु सिंचाई सुविधा के लिये शासकीय डैम, नहर या अन्य कोई शासकीय सिंचाई सुविधा का साधन उपलब्ध है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित ग्राम के कृषकों के लिये रायआमला एवं बघौड़ा के बीच जूनापानी नाले पर डैम बनाने की शासन की कोई योजना है? यदि हाँ, तो प्रगति की स्थिति बताएं, यदि नहीं, तो क्या उक्त ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिये जूनापानी नाले पर डैम बनाकर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी? यदि हाँ तो कब तक, यदि नहीं, तो उक्त ग्रामों में सिंचाई हेतु शासन द्वारा क्या वैकल्पिक व्यवस्था की जावेगी? (ग) क्या वर्धा फेज-2 का सर्वे करवाकर प्रश्नांश (क) में उल्लेखित ग्रामों के लिये सिंचाई व्यवस्था की जाएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। रायआमला एवं बघोड़ा के बीच जूनावानी नाले पर बांध निर्माण हेतु स्थल उपयुक्त नहीं होना प्रतिवेदित होने से कोई योजना प्रस्तावित नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
उज्जैन जिले की सिंचाई योजनाएँ
[जल संसाधन]
29. ( क्र. 533 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले में विगत 05 वर्ष में विभाग द्वारा कितनी सिंचाई योजनाएं कहां-कहां स्वीकृत की गई हैं? स्थान, नाम, लागत सहित जानकारी देवें। (ख) नागदा जंक्शन स्थित ग्रेसीम उद्योग समूह को किस दर पर, कितनी मात्रा में एवं किस नियम के तहत जल उपलब्ध कराया जा रहा है? नियम की प्रमाणित प्रति देवें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जल संसाधन विभाग द्वारा उज्जैन जिले में विगत 5 वर्ष में स्वीकृत परियोजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जल संसाधन विभाग द्वारा ग्रेसिम उद्योग समूह को रू.1.55 प्रति क्यूबिक मीटर की दर से अनुबंध अनुसार 15 मि.घ.मी. जल उपलब्ध कराया जाना प्रतिवेदित है। म.प्र. सिंचाई अधिनियम 1931 की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है।
भण्डारण व्यवस्था
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
30. ( क्र. 552 ) श्री राकेश मावई : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. में वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में कितने मीट्रिक टन गेहूँ की खरीदी की गई? वर्षवार जानकारी उपलब्ध करायें। दिसम्बर 2020 तक कुल भण्डारण क्षमता कितनी है और कितने लाख मीट्रिक टन गेहूँ भण्डारित है जानकारी देवें। (ख) म.प्र. शासन द्वारा जून, 2020 तक कितने लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन किया गया एवं उसके भण्डारण की क्या व्यवस्था की गई? क्या लाखों टन गेहूँ सुरक्षित भण्डारण नहीं होने के कारण वर्षा में भीगकर खराब हो गया था? (ग) यदि हाँ तो प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में कितना कितना गेहूँ प्रदेश के किस-किस जिले में खराब हुआ? (घ) प्रदेश में भण्डारण क्षमता से अधिक गेहूँ खरीदी एवं उसका सुरक्षित भण्डारण नहीं करने का दोषी कौन है? उनके विरूद्ध शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई, यदि नहीं, तो क्यों? कारण स्पष्ट करें।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
प्रदेश में वितरित किसान सम्मान निधि
[राजस्व]
31. ( क्र. 563 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में किसान सम्मान निधि के लिए वर्ष 2019-20 में कितने किसान पात्र पाए उनकी संख्या बताएं तथा वर्ष 2019-20 में कितने-कितने किसानों को किसान सम्मान राशि वितरित की गई? क्या प्रदेश में लाखों पात्र किसानों को किसान सम्मान निधि नहीं दी गई? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार जिलेवार वर्ष 2019-20 के किसान सम्मान निधि के पात्र किसानों की संख्या व जिनके खाते में राशि जमा हुई उनकी संख्या बताएं। (ग) किसान सम्मान निधि के तहत पात्र किसानों के चयन का फार्मूला बताएं। क्या एक परिवार में एक से अधिक खाते हैं तो पूरे परिवार में एक को ही सम्मान निधि दी जाएगी? (घ) योजना के अन्तर्गत पंजीकृत कुल कृषक संख्या के अनुसार वर्ष 2019 तथा वर्ष 2020 में सम्मान निधि प्राप्त करने वाले कृषकों की संख्या का प्रतिशत कितना है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) प्रदेश में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत वर्ष 2019-20 में 6543912 किसान पात्र पाए गए जिन्हें योजना का लाभ दिया गया है। जी नहीं। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। जी हाँ। (घ) दिनांक 15.02.2021 की स्थिति में कुल पंजीकृत कृषकों की संख्या के विरूद्ध वित्तीय वर्ष 2019 में लगभग 79 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2020 में लगभग 100 प्रतिशत है।
सम्मान निधि की वापसी
[राजस्व]
32. ( क्र. 564 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शाजापुर जिले में कितने किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि मिली? उनकी संख्या बताएं। कितने किसान पात्र होने के बावजूद भी किसान सम्मान निधि से छूट गए हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार जो किसान पात्र होने के बावजूद किसान सम्मान निधि से छूट गए हैं उसके लिये जिम्मेदार कौन है तथा छूटे पात्र किसानों के नाम कब तक जोड़े जाएंगे तथा उन्हें कब से किसान सम्मान निधि प्राप्त होगी? (ग) क्या किसानों को सम्मान निधि देने के बाद उनको अपात्र बताकर किसान सम्मान निधि वापस मांगी जाने के लिये उन्हें कोई पत्र जारी किये गए हैं? यदि हाँ, तो क्यों तथा कितने किसानों को किस आधार पर अपात्र बताकर यह पत्र जारी किये हैं तथा कौन किसान पात्र हैं इस योजना के लिये? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार यदि अपात्र लोगों को पैसा डाला गया तो बिना जाँच किये सरकारी पैसा अपात्र लोगों को देने का मतलब योजना सुचारू रूप से नहीं चल रही तथा सरकारी धन का दुरूपयोग हुआ है एवं इसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ है? इसके लिये जिम्मेदार कौन है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) दिनांक 15 फरवरी, 2021 की स्थिति में जिला शाजापुर में 142248 किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ प्राप्त हो चुका है। किसानों की संख्या परिवर्तनशील होने के कारण संख्या बताया जाना संभव नहीं है। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के संबंध में अपात्रता हेतु नियम शर्तों के तहत अपात्र पाये जाने पर दिनांक 15 फरवरी,2021 की स्थिति में जिला शाजापुर में कुल 6309 हितग्राहियों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में अपात्र किया गया है। पात्रता संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
कबूलपुर वृहद सिंचाई परियोजना से लाभान्वित किसानों की जानकारी
[जल संसाधन]
33. ( क्र. 599 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शाजापुर जिले की कबूलपुर सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति शासन द्वारा प्रदान की जा चुकी है? यदि हाँ, तो कितनी राशि की कितने-कितने हेक्टेयर में सिंचाई प्रस्तावित की गयी है? (ख) क्या कबूलपुर सिंचाई परियोजना के कमाण्ड क्षेत्र में सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों को सिंचाई का लाभ प्रदान करने हेतु माननीय मुख्यमंत्री महोदय की नोटशीट/निर्देश विभाग को प्राप्त हुए है? यदि हाँ, तो उनके निर्देश के परिपालन में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गयी है? (ग) क्या कबूलपुर परियोजना निर्माण हेतु निविदा आमंत्रित की गयी है? यदि हाँ, तो उक्त निविदा में परियोजना के कौन-कौन से निर्माण कार्य सम्मिलित किये गये है एवं कितनी-कितनी राशि के उपशीर्षवार जानकारी से अवगत करावें? (घ) क्या प्रश्नांश (ग) में दर्शित निविदा में क्या नहर निर्माण कार्य भी सम्मिलित है? यदि हाँ, तो किस विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों को सम्मिलित किया गया है? ग्रामों के नाम व उनके विरूद्ध लाभांवित सिंचाई रकबे की जानकारी देवें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। कबूलपुर मध्यम सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 03.03.2020 को रू.129.53 करोड़ की 4090 हेक्टर सैच्य क्षेत्र हेतु प्रदान की गई है। (ख) से (घ) जी हाँ। मुख्यमंत्री कार्यालय से नोटशीट प्राप्त है जिसमें शाजापुर जिले अंतर्गत प्रस्तावित परियोजना से सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों को सम्मिलित किए जाने हेतु माननीय प्रश्नकर्ता का पत्र संलग्न कर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश हैं जो परीक्षणाधीन है। निविदा आमंत्रित की गई थी, जो अपरिहार्य कारणों से निरस्त की जा चुकी है। प्रकरण परीक्षणाधीन होने से शेषांश की जानकारी दी जाना संभव नहीं है।
मां रतनगढ़ बहुउद्देशीय परियोजना का क्रियान्वयन
[जल संसाधन]
34. ( क्र. 616 ) डॉ. सतीश सिकरवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्वालियर के जल संसाधन विभाग (राजघाट परियोजना) में 4800 करोड़ की परियोजना का काम मुख्य अभियंता के अभाव प्रभावित हो रहा हैं? (ख) क्या अक्टूबर 2020 से पचास से अधिक अधिकारी, कर्मचारियो का वेतन भुगतान नहीं हो रहा है जिन-जिन अधिकारी, कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है उनके नाम, पद सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) क्या मुख्य अभियंता का प्रभार एक कार्यपालन यंत्री को दिय गया है, उन्हें ड्राइंग, डिसवर्सिंग के अधिकार नहीं होते है, इससे अधिकारी, कर्मचारियो को वेतन नहीं मिल रहा हैं? (घ) शासन द्वारा विभाग की यह तकनीकी त्रुटि कब तक ठीक कर दी जावेगी? दतिया जिले को 2200 करोड़ की मां रतनगढ़ बहुउद्देशीय परियोजना जिसे 2018 में प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है, कब तक सुचारू रूप से चालू की जा सकेगी। पूर्ण जानकारी तथ्यों सहित दी जावें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) तत्कालीन कार्यरत मुख्य अभियंता के सेवा निवृत्त के कारण कार्यालयीन पत्राचार आदि के निर्वहन के लिए प्रभारी अतिरिक्त परियोजना संचालक, ओ.आर.पी.एम.यू. बॉमोरकलां को कार्य करने हेतु अधिकृत किया गया था। प्रश्नांश (ख) के उत्तर के तारतम्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) शासन आदेश क्रमांक-एफ-3बी-6/2021/पी-1/31 दिनांक 03.02.2021 द्वारा मुख्य अभियंता, राजघाट नहर परियोजना, जल संसाधन विभाग, दतिया का प्रभार सौंपा जाकर पदस्थापना की गई है। माँ रतनगढ़ बहुउद्देशीय परियोजना का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
नवीन जिला निवाड़ी में संयुक्त कलेक्टर कार्यालय का संचालन
[राजस्व]
35. ( क्र. 619 ) श्री अनिल जैन : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नवीन जिला निवाड़ी का संयुक्त कलेक्टर कार्यालय वर्तमान में अस्थाई रूप से शिक्षा विभाग के भवन में संचालित है और इस भवन को खाली करने हेतु शिक्षा विभाग के द्वारा कोई नोटिस भी जारी किया गया था? यदि हाँ, तो संयुक्त कलेक्टर कार्यालय का स्थाई भवन निर्माण कब तक किया जायेगा? (ख) दिनांक 01 अक्टूबर 2018 से प्रश्न दिनांक तक नव सृजित जिला निवाड़ी के संयुक्त कार्यालय हेतु किन-किन पदों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं? इनमें से किन-किन पदों की स्वीकृति जारी हो चुकी है एवं किन-किन पदों की स्वीकृति जारी होना शेष है? (ग) स्वीकृत पदों में से कितने पद कब से रिक्त हैं? इन्हें कब तक भरा जा सकेगा? शेष पदों की स्वीकृति कब तक की जा सकेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जिला निवाड़ी में विभागों के संचालन हेतु समस्त विभागों के पद पूर्ति हेतु प्रस्ताव भेजे गये हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' पर है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर है। प्रक्रियाधीन है, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
बाणसागर डूब प्रभावित किसानों के मुआवजा का भुगतान
[जल संसाधन]
36. ( क्र. 621 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बाणसागर परियोजना के यूनिट क्रमांक 5 और 6 के डूब प्रभावित हितग्राहियों के मुआवजा प्रकरण बाणसागर परियोजना द्वारा स्वीकृत कर कटनी जिले में भेजे जा चुके हैं? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ तो उक्त प्रकरण कटनी जिले में किन-किन के कब से लंबित हैं सूची सहित समयावधि बतावें। क्या मुआवजे की राशि संबंधितों को प्रदाय की जा चुकी है? नहीं तो क्यों? इस हेतु कौन-कौन दोषी हैं? नाम एवं पदनाम का उल्लेख करें। (ग) क्या कलेक्टर महोदय कटनी द्वारा मुआवजा प्रकरण को तत्काल संज्ञान में लेकर मुआवजे की राशि संबंधित हितग्राहियों को त्वरित प्रदाय की जावेगी? नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ । अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं भू-अर्जन अधिकारी, तहसील विजयराघवगढ़ जिला कटनी के भू-अर्जन प्रकरण क्रं. 001 अ 82/17-18 द्वारा ग्राम-लूली, मड़वा, तिमुआ, इटहरा, डीघी एवं गैरतलाई का प्राप्त अवार्ड प्रस्ताव दिनांक 18.01.2019 को प्रशासक बाणसागर परियोजना द्वारा अनुमोदित कर कटनी जिले के विजयराघवगढ़, अनुभाग की ओर भुगतान हेतु प्रेषित किया जाना प्रतिवेदित है। (ख) उक्त प्रकरणों के हितग्राहियों का भुगतान दिनांक 04.12.2019 से लंबित होना प्रतिवेदित है । जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है । अनुविभागीय अधिकारी विजयराघवगढ़ द्वारा अवगत कराया गया है कि कलेक्टर एवं भू-अर्जन अधिकारी कटनी के निर्देशानुसार अर्जित की गई भूमियों की राशि का दुबारा भुगतान न हो इस हेतु बाणसागर रीवा से पुराने अवार्ड की प्रतियां मंगाकर मिलान किया गया है। भुगतान की कार्यवाही नियमानुसार की जा रही है । किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है । (ग) भुगतान की कार्यवाही अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं भू-अर्जन अधिकारी, तहसील विजयराघवगढ़, जिला कटनी द्वारा नियमानुसार की जा रही है । शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है ।
बाणसागर परियोजना लंबित धारा 11 के प्रकरणों का निराकरण
[जल संसाधन]
37. ( क्र. 623 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बाणसागर परियोजना जलसंसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री पक्का बांध संभाग क्रमांक 3 बाणसागर देवलोंद जिला शहडोल के अधिकारियों द्वारा बाणसागर डूब क्षेत्र यूनिट क्रमांक 5 और 6 जो कि विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आता है के हितग्राहियों के मुआवजों प्रकरणों पर धारा 11 की कार्यवाही विगत 25 से 30 वर्ष उपरांत भी नहीं की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो कितने ग्रामों के कितने हितग्राहियों को कितनी राशि मिलेगी? (ग) प्रश्नाधीन लंबित मुआवजे की राशि भुगतान न करने के लिए कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं? क्या 25 वर्ष बाद पीड़ितों को वर्तमान दर पर मुआवजें की राशि प्रदान की जावेगी? नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी नहीं । कार्यपालन यंत्री, बाणसागर पक्का बांध संभाग क्रं. 03 देवलोंद, जिला शहडोल के द्वारा ग्राम उबरा, कुटेश्वर पोंड़ी, घघरोटाएवं जारारोड़ा तहसील विजयराघवगढ़, जिला कटनी की छूटी हुई शेष भूमियों के अर्जन हेतु प्रस्ताव अनुविभागीय अधिकारी, विजयराघवगढ़ की ओर प्रेषित किया गया । अनुविभागीय अधिकारी द्वारा ग्राम पोंड़ी, घघरोटा, जारारोड़ा के पृथक-पृथक प्रकरण तैयार कर धारा-11 के प्रकाशन हेतु प्रस्ताव कलेक्टर कटनी के माध्यम से उपनियंत्रक शासकीय केन्द्रीय मुद्रणालय भोपाल की ओर दिनांक 29.10.2020 को प्रेषित करना प्रतिवेदित है । उबरा एवं कुटेश्वर ग्रामों के भू-अर्जन प्रकरणों में धारा-11 की कार्यवाही हेतु कलेक्टर एवं भू-अर्जन अधिकारी कटनी के कार्यालय में प्रचलित होना प्रतिवेदित है । (ख) भू-अर्जन से प्रभावित 03 ग्रामों पोंड़ी घघरोटा एवं जारारोड़ा के हितग्राहियों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के अनुसार है। अवार्ड पारित नहीं होने से हितग्राहीवार राशि की जानकारी दी जाना संभव नहीं है । (ग) भू-अर्जन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अवार्ड पारित होते ही भुगतान किया जाना संभव होगा। किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है । मुआवजे के दर का निर्धारण शासन द्वारा गठित आयुक्त स्तरीय समिति से निर्धारित दरों पर भुगतान की कार्यवाही की जा सकेगी। अवार्ड पारित नहीं होने से दर आदि के संबंध में जानकारी दी जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
विधायक निधी से स्वीकृत नव निर्मित यात्री प्रतिक्षालय
[राजस्व]
38. ( क्र. 630 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत दिनांक 11.01.2021 को नगर विदिशा के विवेकानंद चौराहे पर यात्रियों की सुविधा हेतु बनाये गये 306327 की विधायक निधी की राशि से स्वीकृत नव निर्मित यात्री प्रतिक्षालय को तहसीलदार विदिशा एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद विदिशा की उपस्थिति में प्रशासन द्वारा तोड़ा गया? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो शासकीय सम्पत्ति को क्षति पहुँचाये जाने के संबंध में दोषी अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा मुख्य सचिव म.प्र. शासन, कलेक्टर विदिशा एवं प्रबंधक एम.पी.स्टेट एग्रो विदिशा, पत्र क्रमांक 5213 दिनांक 11.01.2021 के माध्यम से उक्त संबंध में दोषी अधिकारियों को निलंबित कर उनके द्वारा शासकीय सम्पत्ति को पहुँचाई क्षति की वसूली कर पुनः यात्री प्रतिक्षालय निर्माण कराये जाने की मांग की? यदि हाँ, तो पत्र पर कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो क्या? नहीं तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) नगरपालिका की बिना अनुमति के अनुचित स्थान पर यात्री प्रतिक्षालय लगा दिया गया था। अत: हटाया गया। (ख) विधायक निधि की राशि से स्वीकृत एम पी एग्रो विदिशा द्वारा अनुचित स्थान पर बिना अनुमति के यात्री प्रतिक्षालय निर्माण करने के कारण उसे हटाया जाने पर संबंधित अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। (ग) उपरोक्त प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार वस्तुस्थिति के दृष्टिगत कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
प्रवासी मजदूरी को सहायता राशि
[राजस्व]
39. ( क्र. 652 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) किस-किस क्रम के लॉकडाउन के दौरान म.प्र. के कितने कितने प्रवासी मजदूर वापस प्रदेश में आये तथा कितने मजदूरों को एक हजार की नगद सहायता दी गई. उनका चयन किस प्रकार किया गया? (ख) लॉकडाउन के प्रथम सप्ताह में कितने मजदूर वापस आये तथा उनमें से कितने मजदूरों को शासन द्वारा वाहन मुहैया कराया गया। वाहन का प्रकार तथा संख्या सहित जानकारी देवें? (ग) ट्रेन के द्वारा कुल कितने मजदूर आये तथा उन्हे गंतव्य तक पहुँचाने के लिए कुल कितनी बस लगाई गई तथा बस से कितने मजदूरों को लाया गया? (घ) प्रवासी मजदूरों को लाने में ट्रांसपोर्टेशन में कुल कितना खर्च हुआ तथा किस-किस अवधि में कितनी बसें किस किस स्थान पर लगाई गई?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) लॉकडाउन के दौरान लगभग 14 लाख प्रवासी मजदूर प्रदेश में वापस आये। लगभग 1.53 लाख मजदूरों को रू. 1000/- राशि की सहायता दी गई है। मुख्यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना-2020 के निर्देशों के तहत पात्रता अनुसार सहायता दी गई। (ख) लॉकडाउन के प्रथम सप्ताह में लगभग 2,00,000 मजदूर वापस आये जिनके लिए वाहन की व्यवस्था की गई। (ग) लगभग 2,00,000 मजदूर ट्रेन से आये एवं पूरे प्रदेश में लगभग 29,000 बस की व्यवस्था की गई। ट्रेन एवं बस से लगभग 10,00,000 मजदूरों को गन्तव्य तक पहुंचाया गया। (घ) प्रवासी मजदूरों के ट्रांसपोर्टेशन पर करीब 80 करोड़ रूपये का व्यय हुआ है तथा करीब 29,000 बसें जिलों में लगाई गईं।
जिला कलेक्टर बैतूल द्वारा शासन को लिखे गए पत्रों पर कार्यवाही
[राजस्व]
40. ( क्र. 669 ) श्री निलय विनोद डागा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन अवधि में बैतूल जिले के आटो चालक, मंदिर के पुजारी, बस ड्रायवर/कंडक्टर, बैंड संचालकों, कंस्ट्रक्शन कार्यों से जुड़े श्रमिक वर्ग, हाटल, रेस्टोरेंट, ढाबा एवं केटरिंग मजदूर, प्रिटिंग प्रेस व्यवसाय के मजदूर सेलून, प्रेस, भेल चाट आदि अनेकों फुटकर व्यवसाय से जुड़े मजदूरों को 5000/- रूपए की आर्थिक सहायता दिये जाने हेतु बैतूल कलेक्टर ने शासन को क्या किसी प्रकार का कोई पत्र लिखा है? यदि हाँ तो शासन द्वारा उस पर क्या कार्यवाही की गई? यदि कार्यवाही नहीं की गई तो कारण बतावें। क्या कलेक्टर द्वारा लिखे पत्रों पर कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ तो कब तक? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के संबंधितों को किसी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता दी गई? यदि हाँ तो कब-कब कितनी-कितनी राशि उन्हें दी गई? लाभार्थी के नाम सहित दी गई राशि की सूची उपलब्ध करावें। यदि नहीं, तो कारण बतावें। क्या उन्हें आर्थिक सहायता दी जावेगी? यदि हाँ तो कितनी आर्थिक सहायता दी जावेगी एवं कब तक दी जावेगी? राशि के विवरण सहित समय बतावें। यदि नहीं, तो कारण बतावें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। राजस्व विभाग द्वारा इस प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
श्रम न्यायालय की स्थापना
[श्रम]
41. ( क्र. 672 ) श्री राम लल्लू वैश्य : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला सिंगरौली में कई औद्योगिक परियोजनाएं है, यदि हाँ, तो क्या श्रमिकों के न्याय के लिये जिला सिंगरौली में न्यायालय खोला जाना उचित होगा? (ख) क्या सिंगरौली में भारत सरकार के उपक्रम के साथ कई औद्योगिक प्रोजेक्ट है जहाँ श्रमिकों के बात हेतु सीधी, रीवा, शहडोल जाना पड़ता है तथा सिंगरौली में न्यायालय खुल जाने से श्रमिकों को न्याय मिल सकेगा? यदि हाँ, तो क्या 2021-22 में श्रम न्यायालय खोला जायेगा।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ, नवीन औद्योगिक संबंध संहिता 2020 में श्रम न्यायालय का प्रावधान नहीं है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
भवन संनिर्माण कर्मकार मंडल के हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ
[श्रम]
42. ( क्र. 681 ) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबेरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जनपद पंचायत तेंदूखेड़ा एवं जबेरा में भवन संनिर्माण कर्मकार मंडल म.प्र. के पात्र हितग्राहियों को भौतिक सत्यापन में अपात्र कर दिया गया है। जिससे हितग्राहियों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है? (ख) यदि हाँ, तो संबंधितों पर क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या शासन द्वारा इसके लिए कोई योजना तैयार की गई है यदि हाँ, तो क्या तथा अपात्र किए गए हितग्राहियों को पुनः सत्यापन कराकर कब तक शासकीय योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाएगा?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत सत्यापन अभियान में निरस्त पंजीयन वाले कर्मकारों की समस्याओं को दृष्टिगत अपील का अवसर प्रदान करने हेतु विभागीय ज्ञापन क्रमांक 07/1652/2020/ए-16 दिनाँक 02/01/2021 जारी कर निर्देश दिये गये है। शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
गौण खनिज मद में जमा राशि
[खनिज साधन]
43. ( क्र. 687 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में संचालित खदानों से गौण खनिज मद में 2010 से प्रश्न दिनांक तक कुल कितनी राशि जमा हुई? (ख) गौण खनिज मद से चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम 2016 के तहत कौन-कौन से विकास/निर्माण कार्य कितनी-कितनी राशि के स्वीकृत किए गए विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में कौन-कौन से कार्य पूर्ण हुए एवं कौन-कौन से कार्य अपूर्ण है? पृथक-पृथक विवरण दें।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) गौण खनिज की रॉयल्टी विधानसभावार एकत्रित किये जाने का प्रावधान नहीं है। जिला स्तर पर जमा रॉयल्टी की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) गौण खनिज मद से जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के तहत विकास/निर्माण कार्य हेतु कोई राशि स्वीकृत नहीं की गई है। (ग) प्रश्नांश (ख) में दिये उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मंदाकिनी, सरयू एवं पयस्वनी नदियों का सीमांकन
[राजस्व]
44. ( क्र. 688 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या चित्रकूट प्रागैतिहासिक काल से आध्यात्मिक साधना का केन्द्र रहा है, जहां मंदाकिनी, सरयू व पयस्वनी जैसी पवित्र नदियों का संगम रहा है, जो धीरे-धीरे आधुनिक विकास की रफ्तार के आगे छोटा होता जा रहा है। नदियों की छाती पर आक्रमणकारियों ने अवैध तरीके से अपना अवैध निर्माण कर लिया है। ऐसे में नदियों के सीमांकन एवं उसे अतिक्रमण मुक्त करने के व्यापक अभियान की जरूरत है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में चित्रकूट की मंदाकिनी, सरयू एवं पयस्वनी नदी के सीमांकन हेतु कब-कब पहल की गई एवं उस पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) नदियों के संरक्षण संवर्धन के लिए शासन की नीति की स्पष्ट करते हुए बतावें कि चित्रकूट के धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व की नदियों की सीमा को सुरक्षित रखने के लिए शासन स्तर पर कब-कब,क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो कब करेंगे?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) चित्रकूट में मंदाकिनी, सरयू व पयस्वनी नदियों में अतिक्रमण 18 लोगों द्वारा अवैध निर्माण कर लिया गया था और उन्हें कार्यालय नगर परिषद चित्रकूट जिला-सतना (म.प्र. ) के पत्र क्र/न.प/तक./2020 चित्रकूट दिनांक 14/12/2020 द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार चिन्हित कर अतिक्रमण मुक्त किया गया है। (ख) विगत 10 वर्षों में चित्रकूट की मंदाकिनी, सरयू व पयस्वनी नदी के किनारे एन.जी.टी. के प्रकरण क्रमांक/2/2013 के अंतर्गत 18 अतिक्रमण चिन्हित किये गये थे, जिन्हें पूर्व में ही हटाया जा चुका है। अब वर्तमान में मंदाकिनी नदी के किनारे निर्माण कार्यों को पूर्ण रुप से प्रतिबंधित किया गया है। (ग) नदियों के आसपास शासकीय भूमि पर अतिक्रमण अथवा अनाधिकृत निर्माण के मामले में म.प्र. भू-राजस्व संहिता की धारा 248 तथा म.प्र. नगर पालिका अधिनियम, 1961 के प्रावधानों अंतर्गत कार्यवाही के निर्देश हैं। कार्यालय नायब तहसीलदार चित्रकूट के पत्र क्रमांक 411/प्रव.ना.तह.चि./2020 चित्रकूट दिनांक 08.12.2020 के अनुसार एन.जी.टी. प्रकरण क्रमांक 673/2018 में पारित आदेश दिनांक 20/09/2018 के अनुसार मौजा नयागांव की आराजी नंबर 190 रकबा 1.494 हे. का अंश रकबा 0.418 हे. पर मंदाकि