मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
जुलाई, 2019 सत्र
बुधवार, दिनांक 24 जुलाई, 2019
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
शिवपुरी
शहर में समूहों
द्वारा
पौष्टिक आहार
का वितरण
[महिला एवं बाल विकास]
1. ( *क्र. 3236 ) श्री के.पी. सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) समेकित बाल विकास परियोजना आई.सी.डी.एस. अंतर्गत शिवपुरी शहर में वर्तमान में कुल कितने समूह पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम कर रहे हैं? केन्द्रवार समूहों की जानकारी दें। (ख) शहरी परियोजना में पके हुए पौष्टिक आहार वितरण हेतु समूहों के चयन संबंधी विभाग के क्या नियम हैं? उपलब्ध करावें। वर्तमान में कार्यरत समूहों का चयन किस प्रक्रिया अंतर्गत किया गया है तथा एक समूह को अधिकतम कितने आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम दिये जाने का प्रावधान है? (ग) क्या कार्यरत समूहों का किसी प्रकार का ऑडिट किया गया है? यदि हाँ, तो कितने समूहों की ऑडिट रिपोर्ट विभाग के पास उपलब्ध है? क्या विभाग के पर्यवेक्षण में सभी समूहों का काम ठीक पाया गया है? (घ) पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण करने वाले समूहों के संचालनकर्ताओं के समूहवार नाम तथा विगत 2 वर्षों में इन समूहों को कुल भुगतान की गई राशि की जानकारी दें। क्या शिवपुरी जिले में विभाग के कार्यरत अधिकारियों/ कर्मचारियों के परिजनों द्वारा समूहों का संचालन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो ब्यौरा दें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) समेकित बाल विकास परियोजना आई.सी.डी.एस. अन्तर्गत शिवपुरी शहर में वर्तमान में कुल 05 समूह एवं 08 महिला मण्डल पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम कर रहे हैं। केन्द्रवार समूहों एवं महिला मण्डलों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) शहरी परियोजना में पके हुए पौष्टिक आहार वितरण हेतु समूहों के चयन संबंधी विभाग के निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। वर्तमान में कार्यरत समूहों का चयन जिला स्तर से विभाग के उक्त निर्देशों के अनुसार किया गया है। शहरी क्षेत्र में महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल/महिला स्व-सहायता के परिसंघों को उनकी कार्यक्षमता, आर्थिक स्थिति के मूल्यांकन के आधार को दृष्टिगत रखते हुये एक स्थानीय संस्था को कम से कम 50 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम दिये जाने का प्रावधान है। (ग) जी नहीं। महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल/महिला स्व-सहायता के परिसंघों द्वारा शहरी क्षेत्रों में प्रदाय पूरक पोषण आहार के ऑडिट का प्रावधान नहीं है। शिवपुरी जिले के शहरी क्षेत्रों में पूरक पोषण आहार के कार्य में संलग्न महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल का कार्य विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी/परियोजना अधिकारी/पर्यवेक्षक के आंगनवाड़ी केन्द्रों पर भ्रमण में ठीक पाया गया है। (घ) शिवपुरी जिले के शहरी क्षेत्र में पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण करने वाले समूहों के संचालनकर्ताओं के समूहवार नाम पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' पर तथा विगत 02 वर्षों में इन समूहों को कुल भुगतान की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नगर पालिका इटारसी को सब्जी मंडी के लिए आवंटित भूमि
[राजस्व]
2. ( *क्र. 3497 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिका इटारसी जिला होशंगाबाद को सब्जी मंडी के लिये कब तथा कितनी नजूल भूमि आवंटित की गई थी? संबंधित आवंटन पत्र/लीज डीड की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) उक्त आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र के किस प्रावधान के अंतर्गत किया गया था? तत्समय प्रभावी राजस्व पुस्तक परिपत्र से संबंधित प्रावधान की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) वर्तमान में नगर पालिका को सब्जी मंडी के लिये नजूल भूमि का आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र के किस प्रावधान के अंतर्गत किया जाता है? (घ) वर्तमान में राजस्व अभिलेख में नगर पालिका के नाम पर सब्जी मंडी के लिये कितनी भूमि अभिलिखित है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) नगर पालिका इटारसी जिला होशंगाबाद को सब्जी बाजार के निर्माण हेतु दिनांक 25.05.1973 को कुल 50085 वर्गफीट भूमि निहित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) उक्त आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र 4 (1) के अनुसार किया गया है। राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधान पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ग) वर्तमान में नगर पालिका को सब्जी मंडी के लिये नजूल भूमि का आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र 4 (1) की कंडिका 26 के अनुसार किया जाता है। (घ) वर्तमान राजस्व अभिलेख में नगर पालिका इटारसी के नाम पर सब्जी मंडी हेतु 50081 वर्गफीट भूमि अभिलिखित है।
नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में अनियमितता
[चिकित्सा शिक्षा]
3. ( *क्र. 3092 ) श्री विनय सक्सेना : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2018 में प्रदेश में 350 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति प्रदान की गयी है? वर्ष 2018-19 में जबलपुर जिले के समस्त नर्सिंग कॉलेजों द्वारा प्रस्तुत मान्यता आवेदनों की प्रति देवें। (ख) क्या नर्सिंग कॉलेज स्थापना के न्यूनतम मापदंड लैब, लायब्रेरी, क्लासरूम सहित निर्धारित संख्या में बिस्तर युक्त अस्पताल इत्यादि अर्हताओं को पूर्ण न करने वाले कॉलेजों को भी अनुमति प्रदान की गयी है? यदि हाँ, तो विवरण देवें। (ग) क्या बिना स्थल निरीक्षण तथा सत्यापन किये कुछ नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गयी है? यदि हाँ, तो क्यों? (घ) विगत 2 वर्षों में मान्यता प्रदाय में अनियमितता संबंधी कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं तथा उन पर क्या-क्या कार्यवाही की गयी? क्या ई.ओ.डब्ल्यू./लोकायुक्त इस मामले में कोई जाँच कर रहा है? यदि हाँ, तो विवरण देवें।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। जबलपुर जिले में संचालित नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता आवेदनों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) मध्यप्रदेश नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम 2018 के उप बिन्दु 1 अनुसार कार्यवाही की गयी है। जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) आलोच्य अवधि में 12 शिकायतें प्राप्त हुईं हैं, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''3'' एवं ''4'' अनुसार है। जी हाँ। ई.ओ.डब्ल्यू./लोकायुक्त द्वारा की जा रही जाँच/कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''3'' एवं ''4'' के कॉलम सरल-6 पर अंकित है।
अनु. जनजाति के व्यक्तियों की भूमि विक्रय के नियम
[राजस्व]
4. ( *क्र. 3700 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. के आदिवासी की भूमि को गैर आदिवासी व्यक्ति के नाम से खरीदी कर उपयोग कर सकता है और आर्थिक लाभ भी कमा सकता है? यदि हाँ, तो प्रावधानों के बिंदुओं को स्पष्ट करें। (ख) यदि नहीं, तो ऐसे आपराधिक कृत्य के दोषियों के लिये दंड का क्या प्रावधान है? (ग) क्या कभी अनाधिकृत कब्जा व अनाधिकृत भूमि खरीदी ब्रिकी से संबंधित सर्वे कार्य आदिवासी क्षेत्रों में कराये जाने का प्रावधान शासन के निर्देशों में है? (घ) क्या आदिवासियों की जमीन सुरक्षित रखी जा सके, इसके लिये कोई कठोर प्रावधान शासन स्तर पर है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता -1959 की धारा 165 (6) में अनुसूचित/गैर अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति द्वारा विक्रय या अन्यथा या उधार संबंधी किसी संव्यवहार के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। जिसके अनुसार गैर अधिसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति की भूमि कलेक्टर से अनिम्न श्रेणी के पदाधिकारी की अनुमति के बिना गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को अंतरित नहीं की जा सकेगी तथा अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को अंतरित नहीं की जा सकती। (ख) म.प्र. भू-राजस्व संहिता की धारा 170 में धारा 165 (6) के उल्लंघन में किए गए कब्जे को वापस अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को दिलाए जाने का प्रावधान है। (ग) जी नहीं। प्रावधानों का उल्लंघन होने पर विधि अनुसार कार्यवाही की जाती है। (घ) जी हाँ।
दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थायीकर्मी में विनियमित किया जाना
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
5. ( *क्र. 3656 ) श्री पारस चन्द्र जैन : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. वेयरहाउसिंग एवं लॉजि.कार्पों. में शासन आदेश की कंडिका 1.8 के पैरा-2 में उल्लेखित 16 मई, 2007 के पश्चात के दै.वे.भो. कर्मी को स्थायीकर्मी किया गया है? (हाँ या नहीं) यदि नहीं, तो क्यों नहीं किया गया है? (ख) क्या विभाग ने शासकीय आदेश की क. 1.8 के पैरा-2 के विरूद्ध आदेश क्रमांक 7320 दि. 28.02.17 निकाला है? यदि हाँ, तो क्यों? (ग) क्या विभाग में शासन के आदेश लागू नहीं होते हैं? यदि हाँ, तो शासन के आदेश के परिपालन में शासन आदेश के विरूद्ध आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 में उल्लेख है कि 16.5.07 के पश्चात के दै.वे.भो. कर्मी इस योजना के पात्र नहीं होंगे को कब तक निरस्त किया जावेगा और 16.5.07 के पश्चात के सक्षम स्वीकृति/सक्षम अधिकारी द्वारा नियुक्त दै.वे.भो. कर्मियों को स्थायीकर्मी कब तक किया जावेगा? (घ) क्या विभाग में शासन के उक्त आदेश को यथावत निगम के बोर्ड द्वारा आदेश क्र. 4674 दि. 5.11.16 को यथावत लागू किया, किन्तु आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 में निगम बोर्ड का हवाला देकर शासन व निगम के बोर्ड के यथावत आदेश के विरूद्ध एक आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 को निकाला है? यदि हाँ, तो उक्त आदेश कब तक निरस्त किया जावेगा? पात्र दै.वे.भो. कर्मियों को कब तक स्थायीकर्मी किया जावेगा और शासन व निगम बोर्ड के विपरीत आदेश निकालने वाले अधिकारी पर शासन द्वारा कार्यवाही कब तक की जावेगी?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी नहीं, शासन के निर्देश अनुसार कार्यवाही की गई है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) शासन के आदेश नियमानुसार लागू होते हैं। निगम आदेश क्रमांक 7320 दिनांक 28.02.2017 शासन आदेश के विपरित नहीं है। बल्कि शासन आदेश अनुसार दिनांक 16.05.2007 की दिनांक को स्पष्ट करने हेतु जारी किया गया स्पष्टीकरण है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। वर्तमान में ऐसा कोई प्रकरण लंबित नहीं है। (घ) निगम संचालक मंडल की स्वीकृति उपरांत शासन आदेश यथावत लागू किए जाने हेतु आदेश क्रमांक 4674 दिनांक 05.11.2016 जारी किया गया है। शासन के निर्देशानुसार कार्यवाही की गई है, इसलिए शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सांईखेड़ा विकासखण्ड सागर में कैप का निर्माण
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
6. ( *क्र. 3814 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग द्वारा सागर जिले में सांईखेड़ा विकासखण्ड सागर में कैप निर्माण कार्य स्वीकृत है? स्वीकृति दिनांक/कार्य एजेंसी का नाम/कार्य अवधि/लागत सहित जानकारी देवें। (ख) कार्य एजेंसी द्वारा क्या कार्य प्रारंभ कर दिया गया है? यदि हाँ, तो वर्तमान में क्या-क्या कार्य किया गया है? किस-किस कार्य में कार्य एजेंसी को भुगतान किया गया है? (ग) यदि मुरम फिलिंग का भुगतान किया गया है, तो किस दर पर किया गया है एवं मुरम की खुदाई वहीं से की गई है एवं वहीं से पूर्ति (भराई) की गई है, तो कितनी मात्रा में एवं कितनी कीमत का भुगतान किया गया है? (घ) क्या कैप निर्माण कार्य में फ्लाई ऐश ईंटों का प्रयोग नहीं किया गया है, तो क्यों? फ्लोर में क्या प्रावधान है तथा उसकी ऊंचाई एवं मोटाई का क्या प्रावधान है? यदि पुराने निर्माण में भी सी.सी. की पक्की जगह थी, तो शासन को कैप निर्माण कार्य करने की जरूरत क्यों पड़ी?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। कैप निर्माण की टेंडर स्वीकृति दिनांक 20.03.2019 है। एजेंसी का नाम एवं पता मेसर्स अजय बिल्डकॉन, सागर है। कैप निर्माण की कार्यावधि 45 दिवस तथा लागत रुपये 2,99,03,597 है। (ख) जी हाँ। स्थल पर 54300 मैट्रिक टन की क्षमता के कैप का निर्माण पूरा कर लिया गया है। भंडारित स्कंध की सुरक्षा हेतु फेंसिंग का कार्य, पहुँच मार्ग का निर्माण-कार्य एवं चौकीदार/कार्यालय हट का कार्य किया गया है। उक्त संपादित कार्यों का भुगतान मे. अजय बिल्डकॉन, सागर को रनिंग देयकों के आधार पर किया गया है। (ग) अनुबंधित आयटम अनुसार मुरम फिलिंग का कार्य संपादित किया गया है। मुरम का भुगतान रुपये 230 प्रति घनमीटर की दर से किया गया है। पी.डब्ल्यू.डी. के एस.ओ.आर. से 24.24 प्रतिशत कम दर से भुगतान किया गया है। वहीं की खुदाई से प्राप्त अच्छी मिट्टी की 2021 घनमीटर मात्रा का उपयोग भी भराई में किया गया है। इस मद में ठेकेदार को अब तक 631.71 घनमीटर जिसकी कीमत 31,012.00 रूपये है, का भुगतान किया गया है। (घ) जी नहीं। स्वीकृत कार्य में फ्लाई ऐश ईंटों का प्रावधान नहीं है। इसके फ्लोर में M-10 CC का प्रावधान 10 सेंटीमीटर मोटाई में किया गया है। निगम के पुराने परिसर में सी.सी. की पक्की जगह पार्किंग एवं ट्रकों के आवागमन हेतु है तथा यह 60,000 मैट्रिक टन क्षमता के खाद्य भंडारण हेतु पर्याप्त नहीं है। रोड को सीधे कैप के रूप में भंडारण हेतु उपयोग में नहीं किया जा सकता है। कैप का निर्माण सड़क से 30 से 45 सेंटीमीटर ऊंचा प्लेटफार्म बनाकर किया जाना होता है। साथ ही सागर जिले में अनुमानित उपार्जन के विरूद्ध पर्याप्त कवर भंडारण क्षमता भी उपलब्ध नहीं थी, अत: पृथक स्थान पर कैप निर्माण कराने की आवश्यकता पड़ी।
ग्राम पंचायतों की नलजल योजनाओं का संधारण/विस्तारीकरण
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
7. ( *क्र. 3190 ) श्री अजय विश्नोई : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत 5 वर्षों में विभाग ने जिला पंचायत के माध्यम से ग्राम पंचायतों की नलजल योजनाओं के संधारण और विस्तारीकरण के लिये ग्राम पंचायतों को राशि जारी की थी? (ख) जबलपुर जिले की पाटन तथा मझौली विकासखण्ड में किस-किस पंचायत को कितनी-कितनी राशि इस मद में जारी की गयी है? पंचायतवार जानकारी दें। (ग) क्या विभाग ने पंचायत द्वारा दिये गये उक्त कार्यों का सुपरवीजन किया है? यदि हाँ, तो क्या विभाग उसकी जवाबदारी लेगा? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (घ) उपरोक्त कार्यों में से कितने कार्यों का कार्य पूर्णता प्रमाण-पत्र विभाग ने जारी किया है? यदि नहीं, किया है तो क्यों नहीं और कब तक कर देंगे?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। स्वीकृत प्राक्कलन के अनुरूप कार्य का दायित्व निर्माण एजेन्सी ग्राम पंचायत का होता है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश (ग) अनुसार। 7 ग्राम पंचायतों द्वारा कार्य पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी किये गये हैं। शेष नलजल योजनाओं के संधारण कार्यों के पूर्णता प्रमाण-पत्र संबंधित पंचायतों द्वारा जारी किये जायेंगे। निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नहीं है।
पाला पड़ने (ठंड) से नष्ट हुई फसलों का मुआवजा
[राजस्व]
8. ( *क्र. 2085 ) श्री रामलाल मालवीय : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में वर्ष 2018-19 में पाला पड़ने (ठंड) से फसलें नष्ट हुईं थीं? क्या फसलों को हुये नुकसान का मुआवजा किसानों को दिया गया है? यदि नहीं, तो इसका क्या कारण है? कृषकों को मुआवजा कब तक दिया जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) अंतर्गत घट्टिया विधान सभा क्षेत्र के जिन किसानों की पाला पड़ने (ठंड) से फसलें नष्ट हुई हैं उनकी सूची देवें एवं बतावें कि किस किसान को कितना-कितना मुआवजा दिया जा रहा है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। जिलों की मांग अनुसार आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत प्रदाय किया गया है। कुछ कृषकों के बैंक खाता नम्बर उपलब्ध न होने के कारण वितरण की कार्यवाही प्रचलित है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में जिला उज्जैन की घट्टिया विधान सभा क्षेत्र में पाला पड़ने (ठंड) से फसलों में 25 प्रतिशत से कम क्षति हुई है। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत 25 प्रतिशत से कम फसल क्षति होने से मुआवजा दिये जाने का प्रावधान नहीं है। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में डीन/अधीक्षकों के स्थानांतरण
[चिकित्सा शिक्षा]
9. ( *क्र. 1889 ) श्री मुन्नालाल गोयल : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पिछले पाँच वर्षों में म.प्र. के विभिन्न मेडिकल कॉलेज एवं उनसे जुड़े हॉस्पिटल में कितने डीन एवं हॉस्पिटल के अधीक्षकों के स्थानांतरण किए गए एवं नई नियुक्तियाँ कहाँ-कहाँ एवं कब-कब की गईं? (ख) इनको हटाने एवं नई नियुक्तियाँ करने का क्या कारण था? (ग) क्या म.प्र. विधान सभा चुनाव की घोषणा के बाद भी स्थानांतरण एवं नियुक्तियाँ की गईं? यदि हाँ, तो किस आधार पर? इसकी जानकारी दें। (घ) क्या इसकी जाँच कर समीक्षा की जाएगी तथा अनियमितता पाये जाने पर कार्यवाही की जाएगी?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) अधिष्ठाता, चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में अधीक्षक के प्रभार में पदस्थ चिकित्सक को शिकायत के आधार पर हटाया गया था। शेष महाविद्यालयों की जानकारी निरंक है। (ग) जी हाँ। चिकित्सा महाविद्यालयों में एम.सी.आई. के आगामी निरीक्षण संभावित होने तथा अधिष्ठाता/ अधीक्षक का पद रिक्त होने की स्थिति में एम.सी.आई. से आगामी वर्ष की मान्यता प्राप्त करने के उद्देश्य से चुनाव आयोग से विधिवत स्वीकृति प्राप्त कर पद भरने की कार्यवाही की गई है। (घ) उत्तरांश (ग) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
फिजियोथैरिपी पाठ्यक्रम हेतु पृथक परिषद का गठन
[चिकित्सा शिक्षा]
10. ( *क्र. 61 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या फिजियोथैरेपी भौतिक चिकित्सीय विधा है? जिसकी पृथक परिषद होना आवश्यक है? (ख) यदि हाँ, तो अन्य प्रदेशों की भांति मध्यप्रदेश में पृथक परिषद के अधीन क्यों नहीं है? (ग) क्या म.प्र. में पृथक परिषद का गठन किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। फिजियोथैरेपी पाठ्यक्रम वर्तमान में मध्यप्रदेश सह-चिकित्सीय परिषद की विषय-अनुसूची में शामिल है। परिषद के गठन से आज दिनांक तक समस्त सह-चिकित्सीय पाठ्यक्रमों का सफल संचालन किया गया है। अतएव मध्यप्रदेश में फिजियोथैरेपी काउंसिल के गठन का प्रस्ताव व्यवहारिक एवं उपयोगी नहीं है, बल्कि व्यय साध्य होगा।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं का नियमितीकरण
[महिला एवं बाल विकास]
11. ( *क्र. 2713 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या सरकार की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं और रोजगार सहायकों के नियमितीकरण की कोई योजना प्रक्रियाधीन है? यदि नहीं, तो क्या कारण है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या राज्य शासन के वचन पत्र में इस आशय का उल्लेख किया गया था? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? (ग) क्या प्रदेश सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं एवं आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में केन्द्र की घोषणा होने के बाद भी अनावश्यक विलंब किया गया है? यदि हाँ, तो क्या कारण है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) विभाग से संबंधित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के नियमितीकरण की कोई भी योजना विभाग में विचाराधीन नहीं है। भारत सरकार द्वारा उक्त पद मानसेवी श्रेणी में निर्धारित किये गये हैं। शेष प्रश्न विभाग से संबंधित नहीं। (ख) विभाग से संबंधित वचन पत्र के बिन्दुओं में उक्त वचन का उल्लेख नहीं है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। विभाग के आदेश दिनांक 27/06/2019 अनुसार विभाग द्वारा संबंधित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को राशि रू 10000/- का भुगतान प्रतिमाह किया जा रहा है। जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा वृद्धि उपरान्त देय मानदेय राशि रू. 4500/- तथा राज्य सरकार द्वारा देय अतिरिक्त मानदेय 5500/- सम्मिलित है। इसी प्रकार आंगनवाड़ी सहायिकाओं को राशि रू. 5000/- का भुगतान प्रतिमाह किया जा रहा है जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा वृद्धि उपरान्त देय मानदेय राशि रू. 2250/- तथा राज्य सरकार द्वारा देय अतिरिक्त मानदेय 2750/- सम्मिलित है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 07 का निर्माण
[राजस्व]
12. ( *क्र. 3686 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 07 के निर्माण में मैहर जिला सतना के समीप रीवा रोड पर स्थित रिलायंस पेट्रोल पंप बाधक है व अतिक्रमण न हटने से निर्माण कार्य प्रभावित है? यदि हाँ, तो उक्त बाधा दूर करने हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? नहीं तो क्यों? (ख) क्या प्रश्नांश (क) उल्लेखित संरचना/पेट्रोल पंप को तोड़ने के निर्देश माननीय न्यायालय द्वारा भी दिये गये हैं? यदि हाँ, तो निर्देशों-आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया? इस हेतु कौन उत्तरदायी है? (ग) राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण से प्रभावित मैहर तहसील के कितने भू-स्वामियों के मुआवजा संबंधी अपील प्रकरण संभाग आयुक्त्ा रीवा के यहाँ लंबित हैं? इनके निराकरण समय-सीमा में न किये जाने के क्या कारण हैं? अपीलवार जानकारी दें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। पेट्रोल पम्प को हटाये जाने हेतु अनु.अधि.रा. मैहर द्वारा पत्र क्रमांक 629 दिनांक 07/04/2018 एवं 115 दिनांक 26/04/2019 से पत्र जारी किया गया है। जिसके अनुक्रम में संबंधित द्वारा मान. उच्च न्यायालय जबलपुर में रिट याचिका क्रमांक 25783/2018 दायर की गई है जो विचाराधीन है। (ख) मान. उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्रमांक 25783/2018 विचाराधीन है। मान. न्यायालय द्वारा अभी कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। शेष प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता। (ग) कुल 467 आर्बिट्रेशन के प्रकरण आर.सी.एम.एस. में दर्ज हैं। इन प्रकरणों के निराकरण की कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है। सभी प्रकरण प्रक्रियाधीन हैं। प्रकरणों की वर्तमान स्थिति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
पटवारी हल्का शाहपुर की भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जाना
[राजस्व]
13. ( *क्र. 2528 ) श्री गिरीश गौतम : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिले की नईगढ़ी तहसील अन्तर्गत ग्राम शाहपुर पटवारी हल्का शाहपुर की भूमि खसरा क्रमांक 45/3 म.प्र. शासन आवास योजना 42 शासकीय पशु विभाग एवं सड़क शासकीय अभिलेखों में दर्ज है? जिसे अतिक्रमण मुक्त कराये जाने हेतु कौशल साकेत एवं अन्य आदिवासियों द्वारा कलेक्टर रीवा को दि. 29.9.16 को तथा दि. 14.9.16 को थाना प्रभारी नईगढ़ी को आवेदन दिया गया? उक्त भूमि खसरा क्रमांक 45/3 में सरपंच द्वारा तार बाड़ी लगाकर घर का निर्माण किया जा रहा है तथा खसरा नम्बर 42 जो पशु विभाग के लिए आरक्षित है, में शास.प्रा. स्कूल परसिया का भवन निर्माण कराया जा रहा है, जबकि परसिया अलग राजस्व ग्राम है और इस स्थल से 3 कि.मी. दूर है जिसकी शिकायत बी.आर.सी.सी. नईगढ़ी, सी.ई.ओ. जनपद नईगढ़ी को भी की गयी, सभी शिकायत आवेदनों का विवरण उपलब्ध करावें। (ख) क्या कौशल साकेत निवासी शाहपुर द्वारा तहसील न्यायालय नईगढ़ी में म.प्र. भू-राजस्व संहिता की धारा 248 सह पठित धारा 32 के तहत पेश किये गये आवेदन में तहसीलदार नईगढ़ी द्वारा 20.9.16 को प्रकरण पंजीबद्ध करते हुए स्थगन भी जारी किया गया था? पटवारी प्रतिवेदन में भी शासकीय भूमि होने एवं अनाधिकृत कब्जे होने का उल्लेख किया जाकर बेदखली की कार्यवाही नहीं होने से स्थिति निर्मित होने का प्रतिवेदन दिया गया। तहसीलदार के आदेश की प्रति एवं पटवारी के प्रतिवेदन दिनांक 12.9.16 की प्रति उपलब्ध करावें। कौशल प्रसाद साकेत द्वारा ऑन लाइन की गयी शिकायत जिसका जन शिकायत क्रमांक 10077776 भोपाल दिनांक 8.9.16 है, की प्रति भी उपलब्ध करावें। (ग) उक्त प्रश्नांश (क), (ख) में वर्णित शिकायतों में अब तक क्या-क्या कार्यवाही की गयी और अतिक्रमण हटाकर शासकीय भूमि को अनाधिकृत कब्जे से मुक्त करने हेतु किस-किस अधिकारी ने कब-कब कार्यवाही की तथा जिन राजस्व अधिकारियों द्वारा शिकायत होने के बाद भी शासकीय भूमियों में कब्जा होने दिया या कब्जा कराने में मदद की उनके विरूद्ध भी क्या कार्यवाही की जायेगी और प्रश्नांश (क) में वर्णित भूमि 45/3 एवं 42 ग्राम शाहपुर पटवारी हल्का शाहपुर तहसील नईगढ़ी जिला रीवा को अतिक्रमण से कब तक मुक्त करा दिया जायेगा तथा आवास हेतु वंटित किया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) रीवा जिले के नईगढ़ी तहसील अंतर्गत ग्राम शाहपुर पटवारी हल्का शाहपुर की भूमि खसरा नं. 45/3 रकबा 0.993 हे. मद शासकीय के कॉलम नं. 12 में मध्यप्रदेश शासन आवास योजना दर्ज है। खसरा नं. 45/3 में वर्तमान में कोई निर्माण नहीं हो रहा है। खसरा नं. 42 में पशु विश्राम और सड़क दर्ज है। खसरा नं. 42 में शा.प्रा. स्कूल परसिया का अधूरा भवन निर्मित है और वर्तमान में कार्य बंद है। बी.आर.सी.सी. नईगढ़ी एवं सी.ई.ओ. जनपद के पास प्राथमिक पाठशाला परसिया के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। शेष प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता। (ख) जी हाँ। नायब तहसीलदार न्यायालय वृत्त रामपुर के राजस्व प्रकरण क्रमांक 886/अ-74/2015-16 आदेश दिनांक 09.09.2016 द्वारा स्थगन जारी हुआ था। न्यायालय के आदेश एवं पटवारी प्रतिवेदन, कौशल प्रसाद साकेत की जनशिकायत क्रमांक 10077776 दिनांक 08.09.2016 की प्रति संलग्न परिशिष्ट पर है। (ग) न्यायालय नायब तसीलदार वृत्त रामपुर के राजस्व प्रकरण क्रमांक 886/अ-74/2015-16 आदेश दिनांक 09.09.2016 द्वारा ख. नं. 45/3 और 42 में निर्माण कार्य रोकने हेतु स्थगन जारी हुआ था। शिकायत होने के बाद शासकीय भूमियों में कब्जा हटाने हेतु हल्का पटवारी द्वारा प्रतिवेदन दिया गया। उक्त प्रकरण वर्तमान में न्यायालय नायब तहसीलदार रामपुर में प्रचलित है। जिसमें यथाशीघ्र नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये भवन का निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
14. ( *क्र. 1645 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नीमच विधान सभा क्षेत्र में प्रश्न दिनांक की स्थिति में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र कहाँ-कहाँ पर संचालित हो रहे हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र शासकीय भवनों में तथा कितने प्रायवेट भवनों में संचालित हो रहे हैं? प्रायवेट भवनों में संचालित हो रहे केन्द्रों को प्रतिमाह कितना-कितना किराया भुगतान किया जा रहा है? केन्द्रवार बतायें। (ग) वर्तमान में कितने आंगनवाड़ी भवन पूर्ण हो चुके हैं तथा कितने पूर्ण होना शेष हैं? अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण किये जावेंगे?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) नीमच विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत बाल विकास परियोजना नीमच (ग्रामीण) में 272 आंगनवाड़ी केन्द्र/उप आंगनवाड़ी केन्द्र तथा बाल विकास परियोजना नीमच (शहरी) में 98 आंगनवाड़ी केन्द्र/उप आंगनवाड़ी केन्द्र, इस प्रकार कुल 370 आंगनवाड़ी/उप आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे हैं। संचालित आंगनवाड़ी/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''01'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में संचालित 370 आंगनवाड़ी/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 233 आंगनवाड़ी/उप आंगनवाड़ी केन्द्र शासकीय/अन्य विभागीय भवनों में तथा 137 आंगनवाड़ी/उप आंगनवाड़ी केन्द्र प्रायवेट भवनों में संचालित हो रहे हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''02'' अनुसार है। (ग) विधान सभा नीमच अन्तर्गत वर्तमान में 118 आंगनवाड़ी केन्द्र भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। 65 आंगनवाड़ी केन्द्र भवन अपूर्ण (निर्माणाधीन) हैं। आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण हेतु शहरी क्षेत्र में नगर निगम/नगर पालिका तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत निर्माण एजेंसी होने से आंगनवाड़ी भवन निर्माण कार्य समय-सीमा में पूर्ण करने का दायित्व निर्माण एजेंसी का है। अतः भवन निर्माण कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
नायब तहसीलदार, बदरवास के विरूद्ध की गई शिकायत की जाँच
[राजस्व]
15. ( *क्र. 3765 ) श्री बीरेन्द्र रघुवंशी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के पत्र क्रमांक 43 दिनांक 12.4.2019 एवं स्मरण पत्र क्रमांक 58 दिनांक 04.6.2019 द्वारा डॉ. मधुलिका तोमर, तत्कालीन नायब तहसीलदार, तहसील बदरवास जिला शिवपुरी के विरूद्ध शासकीय कार्य में अपने अधिकारों के दुरूपयोग कर अनियमितता किए जाने संबंधी की गई शिकायत प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग भोपाल एवं आयुक्त, ग्वालियर संभाग ग्वालियर को प्राप्त हुई है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि शिकायत प्राप्त हुई है तो किस-किस दिनांक को प्राप्त हुई? विभागीय अधिकारियों द्वारा शिकायत प्राप्ति के उपरांत उक्त शिकायत पर प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई? क्या विभाग द्वारा इस हेतु कोई जाँच समिति का गठन किया गया है? यदि हाँ, तो समिति द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो संबंधित अधिकारी के विरूद्ध की गई शिकायत पर कब तक कार्यवाही की जावेगी? निश्चित समयावधि बतायें। विभाग द्वारा उक्त शिकायत के संबंध में प्रश्न दिनांक तक की गई कार्यवाही का विवरण उपलब्ध करावें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) दिनांक 20.04.2019 को विभाग को एवं दिनांक 20 जून, 2019 द्वारा आयुक्त, ग्वालियर संभाग ग्वालियर द्वारा जिला शिवपुरी को प्रेषित की गई है। प्राप्त शिकायत की जाँच कराये जाने हेतु कलेक्टर जिला शिवपुरी को लिखा गया। कलेक्टर जिला शिवपुरी के आदेश क्रमांक 6267/स्था./6-2/2019 शिवपुरी दिनांक 06 जुलाई, 2019 द्वारा डिप्टी कलेक्टरों की जाँच समिति गठित की गई। प्रस्तुत जाँच की कार्यवाही प्रचलित है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
नामान्तरण/बंटवारे के कार्यों के निराकरण हेतु प्रचलित प्रक्रिया
[राजस्व]
16. ( *क्र. 3851 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या 01 अक्टूबर, 2018 से पूर्व प्रदेश में फौती नामांतरण/रजिस्ट्री पंजी प्रचलित थी? यदि नहीं, तो किसानों के नामांतरण एवं बंटवारे जैसे कार्यों का किस प्रकार से निराकरण किया जाता था? (ख) क्या शासन/प्रशासन द्वारा नामांतरण पंजियों को बंद कर दिया गया है? यदि हाँ, तो क्यों? (ग) क्या नामांतरण पंजियों के बंद होने से दूर दराज के गरीब अशिक्षित किसानों को तहसील का चक्कर लगाना पड़ता है? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? (घ) क्या पूर्व में पटवारियों के द्वारा ग्राम में ही बैठकर नामांतरण/पंजी का कार्य किया जाता था? यदि हाँ, तो क्या शासन/प्रशासन किसानों के हित को देखते हुए नामांतरण पंजी को पुन: प्रारंभ करेगा? यदि हाँ, तो कब से अगर नहीं तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता। (ख) जी हाँ। सभी राजस्व प्रकरणों की मॉनिटरिंग एक साथ संबंधित पीठासीन अधिकारी के RCMS पोर्टल के माध्यम से की जा रही है तथा अविवादित नामान्तरण जो पहले पंजी में दर्ज होते थे भी RCMS पर अपलोड हो रहे हैं और उनकी समीक्षा एक साथ हो रही है। वरिष्ठ अधिकारी भी RCMS पोर्टल पर लम्बित प्रकरणों का स्तर देख सकते हैं। अब प्रकरण दर्ज कराने के लिये तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। पंजी पर समानान्तर प्रकरणों का प्रचलन बंद कर दिया गया है। इससे आमजन को सुविधा हो रही है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता। (घ) नामांतरण पंजी वर्षवार 01 अक्टूबर से 30 सितम्बर तक निर्धारित प्रपत्र में पटवारी के पास रहती थी। इसमें पीठासीन अधिकारियों के न्यायालयीन कार्यों की समीक्षा समुचित रूप से नहीं हो पाने के कारण अब सभी प्रकरण RCMS पोर्टल पर दर्ज हो रहे हैं जिससे प्रत्येक प्रकरण में दर्ज दिनांक से निर्णय दिनांक तक की ऑनलाइन समीक्षा हो रही है। अतएव पूर्व व्यवस्था सुविधाजनक न होने से बंद कर दी गई है।
विदिशा मेडिकल कॉलेज का भवन निर्माण
[चिकित्सा शिक्षा]
17. ( *क्र. 3366 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति किस वर्ष प्राप्त हुई? स्वीकृति दिनांक की जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में स्वीकृत मेडिकल कॉलेज के निर्माण हेतु केन्द्र सरकार द्वारा कितनी राशि प्रदान की गई एवं इस कार्य हेतु राज्य सरकार द्वारा कितनी राशि उपलब्ध कराई गई? (ग) क्या प्रश्नांश (क) के क्रम में प्राप्त राशि अनुसार कार्य पूर्ण कर लिया गया है? यदि नहीं, तो कब तक पूर्ण किया जायेगा?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) विदिशा में मेडिकल कॉलेज की प्रशासकीय स्वीकृति वर्ष 2015 में प्राप्त हुई। प्रशासकीय स्वीकृति की दिनांक 09.12.2015 है, जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) भारत शासन की योजना में मेडिकल कॉलेज, विदिशा के निर्माण एवं उन्नयन कार्य हेतु राशि रूपये 265.19 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है। इस परियोजना हेतु भारत शासन से केन्द्रीय राशि रूपये 83.40 करोड़ प्राप्त हुई व राज्य शासन से कुल 261.05 करोड़ का जारी किया है। (ग) जी हाँ। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बुन्देलखण्ड मेडि. कॉलेज के ऑडिटोरियम हॉल को सर्वसुविधायुक्त बनाया जाना
[चिकित्सा शिक्षा]
18. ( *क्र. 1419 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के अता. प्रश्न क्र. 369 दिनांक 09.03.2018 के प्रश्नांश (ख) के उत्तर में बताया गया था, कि बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज सागर के ऑडिटोरियम हॉल को सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिये ए.सी., ईको सिस्टम, साउण्ड सिस्टम एवं बैठने हेतु फर्नीचर आदि सहित व्यवस्थित किये जाने हेतु प्रस्ताव विचाराधीन है तो क्या उक्त प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया गया है? यदि नहीं, तो इसे कब तक स्वीकृति प्रदान कर बजट आवंटित कर दिया जायेगा? (ख) क्या ऑडिटोरियम हॉल का निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत भी ए.सी., फर्नीचर इत्यादि सुविधाओं के अभाव में उपयोगी साबित नहीं हो पा रहा हैं? यदि हाँ, तो क्या शासन इसे सर्वसुविधायुक्त बनाये जाने हेतु स्वीकृति प्रदान करेगा तथा कब तक?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) विधान सभा प्रश्न क्रमांक 369 दिनांक 9.3.2019 में दिये गये उत्तर के प्रकाश में ऑडिटोरियम के निर्माण एवं अन्य उपकरण का प्रस्ताव स्वीकृति की प्रक्रिया प्रचलन में है। अत: समय व बजट आवंटन का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
वाणिज्यिक कर चौकी/नाकों पर अधिकारी/कर्मचारियों की पदस्थी के नियम
[वाणिज्यिक कर]
19. ( *क्र. 4019 ) श्री गोपाल भार्गव : क्या वाणिज्यिक कर मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में कितनी वाणिज्यिक कर चौकियां व नाके कहाँ-कहाँ पर कार्यरत हैं? स्थानों के नाम सहित जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार वाणिज्यिक कर चौकी व नाकों पर अधिकारी/ कर्मचारियों की पदस्थी के क्या नियम हैं? (ग) 01 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक विभाग को चौकी/नाकों से कितनी आय प्राप्त हुई है? (घ) क्या समय-समय पर विभिन्न न्यायालयों एवं भारत सरकार द्वारा वाणिज्यिक कर चौकी/नाकों के आधुनिकीकरण हेतु निर्देश दिए गए हैं? यदि हाँ, तो क्या विभाग द्वारा उन निर्देशों का पालन किया जाता है? यदि नहीं, तो क्यों कारण बतायें?
वाणिज्यिक कर मंत्री ( श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ) : (क) प्रदेश की सीमाओं पर स्थित वाणिज्यिक कर जाँच चौकियों को मध्यप्रदेश शासन, वाणिज्यिक कर विभाग, मंत्रालय भोपाल की अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-20-2017-1-पाँच (29) दिनांक 24 जून, 2017 के अनुसार 01 जुलाई, 2017 से विखंडित किया गया है। अतः जानकारी निरंक है। (ख) से (घ) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में जानकारी निरंक है।
शासकीय पट्टे की भूमि का विक्रय
[राजस्व]
20. ( *क्र. 3948 ) डॉ. मोहन यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन तहसील स्थित ग्राम हामूखेड़ी पटवारी हल्का नं. 41 सर्वे क्र. 77 रकबा क्र. 0.261 हेक्टेयर भूमि शासकीय है अथवा निजी। क्या उक्त सर्वे नं. की भूमि का पट्टा अनुविभागीय अधिकारी उज्जैन द्वारा कृषक माना को दिया गया था तथा उक्त पट्टा जिला कलेक्टर उज्जैन में निगरानी प्रकरण क्र. 2/92-93 दिनांक 6/1/1995 द्वारा निरस्त किया गया? यदि हाँ, तो उपरोक्त के संबंध में क्या तहसीलदार उज्जैन द्वारा कोई कार्यवाही की गयी? यदि हाँ, तो क्या? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित भूमि क्या पट्टाधारी कृषक माना उर्फ माना के उत्तराधिकारियों ने दिनांक 30/8/2012 को अन्य व्यक्तियों को विक्रय की? यदि हाँ, तो शासकीय भूमि विक्रय के उक्त प्रकरण में जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कोई कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) तहसील उज्जैन तहसील स्थित ग्राम हामूखेड़ी पटवारी हल्का नंबर 65 स्थित भूमि सर्वे नं. 77 रकबा 0.261 हेक्टर राजस्व अभिलेख में वर्ष 1966-67 तक शासकीय भूमि के तौर पर दर्ज रही। न्यायालय अतिरिक्त तहसीलदार परगना उज्जैन के राजस्व प्रकरण क्र. 75/अ-19/1965-66 में आदेश दिनांक 22.05.1967 द्वारा सर्वे क्र. 77 रकबा 1 बीघा 5 बिस्वा को रामलाल पिता रत्ताजी जाति चमार निवासी ग्राम हामूखेड़ी को वंटित की जाकर राजस्व पुस्तक परिपत्र नियम खण्ड 4 क्रमांक 3 के नियम 30 के अंतर्गत पट्टा दिया गया। उक्त सर्वे क्रमांक की भूमि का अनुविभागीय अधिकारी द्वारा कृषक माना को पट्टा नहीं दिया गया था। पट्टा अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा रामलाल पिता रत्ताजी को दिया गया था। रामलाल पिता रत्ताजी द्वारा उक्त भूमि का विनिमय मान्याजी से किया गया तथा प्रकरण क्र. 426/बी-121/83-84 के माध्यम से उक्त भूमि पर मान्या पिता मूल्या का नाम भूस्वामी की हैसियत से दर्ज हुआ। उपरोक्त पट्टा कलेक्टर उज्जैन के निगरानी प्रकरण क्र. 2/92-93 दिनांक 06.11.1995 द्वारा निरस्त किया गया, परंतु कलेक्टर न्यायालय के उक्त आदेश को राजस्व मण्डल के निगरानी प्रकरण क्र. 1728-एक/2005 में पारित आदेश दिनांक 11.12.2012 के माध्यम से अपास्त किया गया एवं अपर तहसीलदार उज्जैन द्वारा जारी किये गये पट्टा आदेश दिनांक 22.05.1967 को स्थिर रखा गया। चूंकि कलेक्टर न्यायालय के आदेश को वरिष्ठ न्यायालय द्वारा अपास्त किया जा चुका है एवं पट्टे के संबंध में तहसीलदार द्वारा पारित आदेश को यथावत रखा गया है। ऐसी स्थिति में वरिष्ठ न्यायालय के आदेश के आलोक में कोई कार्यवाही नहीं की गई। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित भूमि को मान्या के उत्तराधिकारियों द्वारा दिनांक 30.08.2012 को आनंद शर्मा एवं विपिन गिरी को विक्रय की गई है। माननीय एकादश अपर जिला न्यायाधीश उज्जैन के समक्ष चले प्रकरण क्रमांक 15ए/2015 में पारित निर्णय व जयपत्र दिनांक 01.09.2016 के अनुसार उक्त आनंद शर्मा एवं विपिन गिरी को अन्य भूमियों के साथ उक्त प्रश्नाधीन भूमि सर्वे क्र. 77 का विक्रय पत्र सही व वैधानिक होना निर्णित किया गया है। अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता।
समूहों द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों में भोजन एवं नाश्ते का प्रदाय
[महिला एवं बाल विकास]
21. ( *क्र. 3156 ) श्री सीताराम : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) श्योपुर जिले में महिला एवं बाल विकास के आंगनवाड़ी केन्द्रों में किस-किस परियोजना में कौन-कौन से समूह आंगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यरत हैं? (ख) क्या श्योपुर जिले में नाश्ता एवं भोजन अलग-अलग समूहों द्वारा दिया जा रहा है और कब से? भोजन प्रदाय करने वाले समूहों की सूची प्रदाय करें। भोजन एवं नाश्ता प्रदाय करने वाले समूह कितने केन्द्रों से भोजन एवं नाश्ता प्रदाय कर रहे हैं? क्या शासन के निर्देशानुसार सही है? (ग) क्या एक समूह ग्रामीण क्षेत्रों में 25 से 30 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर नाश्ता एवं भोजन वितरित कर सकता है? (घ) क्या समूहों को भोजन एवं नाश्ता का शत-प्रतिशत भुगतान किया गया?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) श्योपुर जिले में विभाग के आंगनवाड़ी केन्द्रों में परियोजनावार कार्यरत समूहों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) श्योपुर जिले में नाश्ता एवं भोजन अलग-अलग समूहों द्वारा नहीं दिया जा रहा है। भोजन प्रदान करने वाले स्व-सहायता समूहों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। भोजन एवं नाश्ता प्रदाय करने वाले समूह कुल 1226 केन्द्रों पर भोजन व नाश्ता प्रदाय कर रहे हैं। जी हाँ, जिले में विभाग के निर्देशों के तारतम्य में ही भोजन एवं नाश्ता प्रदाय किया जा रहा है। (ग) विभाग द्वारा जारी निर्देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में पूरक पोषण आहार प्रदाय के लिये ताजा पका नाश्ता एवं भोजन हेतु सांझा-चूल्हा व्यवस्था, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित किये जा रहे मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम अंतर्गत गठित महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से लागू है, जिसके तहत् अधिकतम 01 कि.मी. की सीमा तक के आंगनवाड़ी केन्द्रों में स्व-सहायता समूह/महिला मंडल के एक किचन से पूरक पोषण आहार प्रदाय का प्रावधान है। जिले में पूरक पोषण आहार की संपूर्ण व्यवस्था हेतु जिला कलेक्टर अधिकृत है। श्योपुर जिले में कलेक्टर द्वारा परियोजना अंतर्गत सेक्टरवार औसतन 10 से 15 आंगनवाड़ी केन्द्रों का क्लस्टर बनाकर सांझा-चूल्हा कार्यक्रम में संलग्न स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आंगनवाड़ी केन्द्रों पर रेडी-टू-ईट नाश्ता तथा सांझा-चूल्हा कार्यक्रम अंतर्गत स्व-सहायता समूहों के माध्यम से गरम पके हुए भोजन प्रदाय की व्यवस्था की गई है। (घ) जी हाँ, स्व-सहायता समूहों द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों पर उपस्थित हितग्राही को वितरित किये गये भोजन एवं नाश्ते की मात्रा के अनुसार विभाग द्वारा निर्धारित दर के आधार पर भोजन एवं नाश्ते का भुगतान किया जाता है।
कुपोषण की रोकथाम हेतु आवंटित राशि
[महिला एवं बाल विकास]
22. ( *क्र. 3282 ) श्री दिनेश राय मुनमुन : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) भारत सरकार एवं म.प्र. शासन द्वारा संचालित किन-किन योजनाओं, कार्यक्रमों के तहत सिवनी जिले में बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कुपोषण एवं अल्परक्तता रोकने के लिये वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक वर्षवार कितनी-कितनी राशि का आवंटन प्राप्त हुआ? (ख) प्रश्नांश (क) में कितनी-कितनी राशि किस योजना, कार्यक्रम के अंतर्गत किस-किस कार्य, मद में व्यय की गई? (ग) सिवनी जिले में बच्चों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य सर्वेक्षण में वर्ष 2017-18 से क्या-क्या नतीजे रहे? वर्तमान में कुपोषित बच्चों और महिलाओं को स्वस्थ करने के लिये क्या-क्या कार्य किये जा रहे हैं एवं जिले में पोषण पुनर्वास केन्द्र कहाँ-कहाँ संचालित हैं? इन केन्द्रों के प्रभारी एवं पदस्थ शासकीय सेवकों के नाम, पदनाम सहित बतावें तथा इन केन्द्रों में वर्तमान में क्या-क्या सुविधाएं एवं संसाधन उपलब्ध हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) सिवनी जिले में बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कुपोषण एवं अल्परक्तता रोकने के लिये वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक वर्षवार प्राप्त आवंटन से संबंधित विभाग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' एवं स्वास्थ्य विभाग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में विभाग अंतर्गत राशि का उपयोग बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण एवं अल्परक्तता की रोकथाम हेतु पूरक पोषण आहार, मंगल दिवस, लालिमा योजना, सुपोषण अभियान एवं अटल बाल मिशन अंतर्गत मदवार व्यय की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''3'' अनुसार है। प्रश्नांश (क) के संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत राशि का उपयोग बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं में अल्परक्तता की रोकथाम हेतु आयरन फोलिक एसिड की सिरप एवं गोलियों का नियमानुसार क्रय किया गया। साथ ही पोषण पुनर्वास केन्द्रों के संचालन हेतु स्वीकृत राशि का उपयोग भर्ती किये गये गंभीर कुपोषित बच्चों के मानक उपचार एवं प्रबंधन, भर्ती बच्चे की माता के मजदूरी क्षतिपूर्ति भत्ता एवं डिस्चार्ज उपरांत फॉलोअप सुनिश्चित करने हेतु व्यय किया गया। मदवार व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''4'' अनुसार है। (ग) सिवनी जिले में बच्चों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी कोई सर्वेक्षण स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 में नहीं कराया गया है। कुपोषित बच्चों एवं महिलाओं को स्वस्थ करने के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही गतिविधियों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''5'' अनुसार है। जिले में संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्रों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''6'' अनुसार है। पोषण पुनर्वास केन्द्रों के प्रभारी एवं पदस्थ शासकीय सेवकों के नाम, पदनाम सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''7'' अनुसार है। पोषण पुनर्वास केन्द्रों में गंभीर कुपोषित बच्चों के मानक उपचार एवं प्रबंधन हेतु निःशुल्क चिकित्सकीय जाँच, निःशुल्क चिकित्सकीय आहार, भर्ती बच्चों की माताओं के लिये निःशुल्क भोजन एवं जाँच की व्यवस्था, निःशुल्क नैदानिक सेवाऐं, निःशुल्क परिवहन एवं छुट्टी उपरांत फॉलोअप सुविधाएं उपलब्ध हैं।
चिकित्सा विश्वविद्यालय में शोध निर्देशकों की निर्धारित योग्यताएं
[चिकित्सा शिक्षा]
23. ( *क्र. 3722 ) श्री केदारनाथ शुक्ल : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में नवस्थापित चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा आयुर्वेद संकाय के विभिन्न विषयों में शोधार्थियों के शोध निर्देशन हेतु निर्देशकों की क्या-क्या योग्यताएं निर्धारित की गई हैं? छायाप्रति उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में आयुर्वेद संकाय अंतर्गत कितने शोध निर्देशक, किन-किन विषयों में शोधार्थियों का निर्देशन कर रहे हैं? विषयवार एवं नामवार सूची दें। (ग) ऐसे कितने निर्देशक हैं जो अपने मूल विषय से हटकर अन्य विषयों में शोध निर्देशन कर रहे हैं? नामवार, विषयवार एवं उनके मूल विषयवार सूची देते हुए विसंगतियों का कारण बतावें।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) कोई नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होते।
नायब तहसीलदार के जिलेवार स्वीकृत पद
[राजस्व]
24. ( *क्र. 3381 ) श्री दिलीप सिंह गुर्जर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. में नायब तहसीलदार के कितने पद स्वीकृत हैं एवं कितने पद वर्तमान में रिक्त हैं? जिलेवार संख्या बतायें। (ख) म.प्र. में पदस्थ नायब तहसीलदारों में से कितने नायब तहसीलदारों द्वारा आज दिनांक तक राजस्व अधिकारियों की विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है? जिलेवार संख्या बतावें। (ग) प्रदेश में सैकड़ों नायब तहसीलदार के पद रिक्त होने के कारण क्या किसानों, आमजनों का कार्य प्रभावित हो रहा है? (घ) क्या म.प्र. शासन राजस्व विभाग, मंत्रालय, भोपाल की अधिसूचना क्र. एफ 1-57/स्था./प्र.रा.आ./2016/1 से क्र. एफ 1-57/स्था./प्र.रा.आ./2016/48 तक दिनांक 12-05-2016 एवं दिनांक 06-06-2016 तथा क्र. 1-57/स्था./प्र.रा.आ./2016/21 (पार्ट)/1676 दिनांक 16-03-2017 द्वारा कितने राजस्व निरीक्षकों को मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्र. 20 सन् 1959) की धारा 24 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुये नायब तहसीलदार के रूप में कार्य संपादन करने के लिये, उक्त संहिता में उल्लेखित तहसीलदार की शक्तियां प्रदान की गईं हैं। ऐसे सशक्त राजस्व निरीक्षक/सशक्त नायब तहसीलदार की संख्या जिलेवार बतावें? (ड.) क्या जिले में नायब तहसीलदारों के कई पद रिक्त होने के बाद भी उक्त सशक्त राजस्व निरीक्षकों से सशक्त नायब तहसीलदार का कार्य न करवाते हुये उनको वापस किया जा रहा है, जबकि जिले में कई पद नायब तहसीलदार के रिक्त पड़े हैं? (च) क्या कुछ अधिकारियों द्वारा शासन को गुमराह कर नायब तहसीलदार के रिक्त पद होने के बाद भी सशक्त नायब तहसीलदार की पदस्थापना नहीं होने दी जा रही है? (छ) क्या शासन प्रदेश में नायब तहसीलदारों के रिक्त पदों की पूर्ति होने तक सशक्त राजस्व निरीक्षकों को सशक्त नायब तहसीलदार के रूप में कार्य करने हेतु पदस्थ करेगा। जिससे किसानों एवं आमजन का कार्य समय पर शीघ्र हो सके?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) म.प्र. में नायब तहसीलदार के कुल स्वीकृत एवं वर्तमान में रिक्त पद की जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) म.प्र. में पदस्थ नायब तहसीलदारों में से आज दिनांक तक राजस्व अधिकारियों की विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की, की जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। (घ) राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदारों के रूप में प्रदान की गई शक्तियों की जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ड.) जी हाँ। जिलों में नायब तहसीलदार पर्याप्त संख्या में पदस्थ हो जाने से राजस्व निरीक्षकों की शक्तियां वापस ली गईं हैं। (च) जी नहीं। (छ) प्रश्नांश (ड.) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। जिलों में नायब तहसीलदार पर्याप्त संख्या में पदस्थ हो जाने से राजस्व निरीक्षकों की शक्तियां वापस लिये जाने से आम जनता का कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है।
अन्तर्राज्यीय मार्ग से शराब की दुकान का विस्थापन
[वाणिज्यिक कर]
25. ( *क्र. 2813 ) श्री जयसिंह मरावी : क्या वाणिज्यिक कर मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिला अन्तर्गत जैतहरी नगर में संचालित अंग्रेजी शराब की दुकान म.प्र. व छ.ग. राज्य के अन्तर्राज्यीय मुख्य मार्ग से कितने मीटर दूर संचालित है? क्या यह मुख्य मार्ग में संचालित है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार भवन स्वामी व भूस्वामी का राजस्व अभिलेख अनुसार नाम पिता का नाम तथा वर्ष 1958-59 में किस भूमि स्वामी के नाम दर्ज था वह किस वर्ग का है? (ग) क्या वर्ष 1958-59 में अनुसूचित जनजाति वर्ग के भूमि स्वामी को वर्तमान भूमि स्वामी ने धोखाधड़ी कर भू-स्वामी बनकर कब्जा किया है? यदि नहीं, तो सक्षम अधिकारी की अनुमति व भूमि के ट्रांसफर की वैधानिक स्थिति बताएं। (घ) भूमि व भवन स्वामी तथा शासकीय अंग्रेजी शराब ठेकेदार के किरायानामा की छायाप्रति उपलब्ध कराते हुए स्पष्ट करें कि अवैध स्वत्व पर शासकीय नियंत्रण की शराब दुकान कैसे संचालित है? (ड.) क्या शराब दुकान के निकट ही स्टेट बैंक का ए.टी.एम. संचालित है? यदि हाँ, तो 2-3 वर्ष पूर्व ए.टी.एम. लूट का प्रकरण जैतहरी थाना में दर्ज है? यदि हाँ, तो लूट की राशि तथा ए.टी.एम. के निकट एम.डी.आर. रोड में शराब दुकान संचालन कराया जाना प्रशासन व जनहित में है?
वाणिज्यिक कर मंत्री ( श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ) : (क) अनूपपुर जिला अंतर्गत ग्राम जैतहरी नगर में संचालित विदेशी मदिरा दुकान जैतहरी मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ राज्य के अन्तर्राज्यीय मुख्य मार्ग से लगभग 10 मीटर की दूरी पर संचालित है। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार वर्तमान भू-स्वामी अभिलेख में खसरा नं. 0337/1/ख रकबा 0.030 है. भूमि स्वामी विष्णु कुमार पिता धनराज जैन सा. देह के नाम पर है। वर्ष 1958-59 के राजस्व अभिलेख में प्रश्नांश (क) भूमि बैठाली तनय टेडकू बैगा के नाम दर्ज है, जो अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। (ग) वर्ष 1958-59 में अनुसूचित जनजाति वर्ग के भूमि स्वामी को वर्तमान भूमि स्वामी ने धोखाधड़ी कर भू-स्वामी बनकर कब्जा किया है, कहा जाना संभव नहीं है। उक्त भूमि का नामांतरण क्रमांक 44 निर्णय दिनांक 03.11.1993 के अनुसार वर्तमान भूमि स्वामी के नाम पर दर्ज है। (घ) श्री नंदलाल सोनी पिता स्व. श्री गोपीलाल सोनी का ठेकेदार के द्वारा की गई किरायानामा की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ड.) जी हाँ। जैतहरी थाने में अपराध क्रमांक 233/15 राशि रूपये 1370200/- अज्ञात के विरूद्ध दर्ज है। ए.टी.एम. के निकट एम.डी.आर. रोड में मदिरा दुकान संचालित किये जाने के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
पनागर
तहसील में
सीमांकन के
लंबित प्रकरण
[राजस्व]
1. ( क्र. 73 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर जिले की पनागर तहसील में 2-2 साल पुराने सीमांकन के प्रकरण लंबित है? (ख) यदि हाँ, तो क्यों? (ग) क्या लंबित 115 प्रकरणों में सीमांकन का कार्य किया जावेगा? (घ) यदि हाँ, तो कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं होता। (ग) जी हाँ। (घ) समय-सीमा बतायी जाना संभव नहीं है।
अवैध शराब की बिक्री को प्रतिबंधित किया जाना
[वाणिज्यिक कर]
2. ( क्र. 74 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या वाणिज्यिक कर मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वि.स. क्षेत्र पनागर में शराब की ब्रिकी सिर्फ अनुज्ञप्त मदिरा दुकान से किये जाने का नियम है? (ख) यदि हाँ, तो क्या वि.स. क्षेत्र पनागर में वर्तमान में अनुज्ञप्त दुकान के अतिरिक्त अन्य 15-20 स्थानों में विक्रय की जा रही लायसेंसधारी के मार्का की शराब जब्त कर कार्यवाही की जावेगी? (ग) क्या अवैध शराब विक्रय की जाँच की जायेगी कि यह शराब कहाँ से लाकर सप्लाई की जाती है? (घ) क्या गली-गली हो रही शराब की बिक्री को प्रतिबंधित किया जायेगा?
वाणिज्यिक कर मंत्री ( श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ) : (क) जी हाँ। शराब की बिक्री सिर्फ अनुज्ञप्त मदिरा दुकान से किये जाने का नियम है। (ख) अनुज्ञप्त मदिरा दुकानों के अतिरिक्त किसी अन्य स्थलों से मदिरा के अवैध विक्रय के विरूद्ध आबकारी विभाग द्वारा निरंतर कार्यवाही की जाती है। (ग) आबकारी विभाग अंतर्गत कार्यपालिक बल द्वारा अवैध शराब विक्रय को रोकने हेतु निरंतर कार्यवाही की जाती है तथा जप्त मदिरा की आपूर्ति के संबंध में श्रोत के साथ-साथ उत्पादन एवं परिवहन एवं संग्रहण की निरंतर जाँच उपरांत आरोपी के विरूद्ध न्यायालयीन प्रकरण पंजीबद्ध किये जाते हैं। (घ) विधानसभा क्षेत्र पनागर में मदिरा के अवैध बिक्री की रोकथाम के लिये पदस्थ कार्यपालिक बल द्वारा निरंतर कार्यवाही की जाती है।
सीमांकन प्रकरणों के निराकरण
[राजस्व]
3. ( क्र. 263 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत पाँच वर्षों में विधानसभा क्षेत्र विजयराघवगढ़ के अंतर्गत तहसील बरही एवं विजयराघवगढ़ के कृषकों द्वारा सीमांकन कराये जाने हेतु कितने आवेदन प्राप्त हुए हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में प्राप्त आवेदनों में से कितने आवेदनों का निराकरण किया गया है? कितने शेष हैं, जिनका सीमांकन किया जाना हैं? (ग) क्या प्रश्नाधीन सीमांकन समय-सीमा में किये गये हैं? यदि नहीं, तो इसके लिए कौन-कौन दोषी हैं? क्या दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी? नहीं तो क्यों।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जिला कटनी अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र विजयराघवगढ़ के अंतर्गत तहसील बरही एवं विजयराघवगढ़ के कृषकों द्वारा सीमांकन कराये जाने हेतु प्रस्तुत आवेदन का विवरण निम्नानुसार है :-
तहसील का नाम |
वर्ष 2015-16 |
वर्ष 2016-17 |
वर्ष 2017-18 |
वर्ष 2018-19 |
वर्ष 2019-20 |
विजयराघवगढ़ |
164 |
175 |
792 |
253 |
211 |
बरही |
74 |
117 |
318 |
161 |
124 |
योग |
238 |
292 |
1110 |
414 |
335 |
(ख) विधानसभा
विजयराघवगढ़
अंतर्गत कुल 2127
सीमांकन
प्रकरणों का
निराकरण किया
गया तथा सीमांकन
के 262
प्रकरणों का
सीमांकन किया
जाना शेष है। (ग) विधानसभा
क्षेत्र
विजयराघवगढ़
अंतर्गत सीमांकन
हेतु प्राप्त
आवेदन पत्रों
का निराकरण
समय-सीमा में
किया गया है।
शेष प्रश्न
लागू नहीं
होता है।
सेवा सहकारी समिति द्वारा धान खरीदी
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
4. ( क्र. 320 ) श्री रामकिशोर कावरे : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में कितनी सेवा सहकारी समिति हैं कितनी समिति किसके आदेश पर धान खरीदी करती है? आदेश की छायाप्रति देवें? (ख) वर्ष 2016 में सरकार द्वारा धान खरीदी के क्या आदेश थे? खरीदी की अंतिम तारीख क्या थी? (ग) प्रश्नांश (ख) अवधियों में कितनी सेवा सहकारी समिति ने अंतिम तारीख के बाद भी धान खरीदी किसके आदेश पर किस दर से की और किसानों के खाते में कितनी राशि का भुगतान किया गया? कितनी राशि किसानों को बाकी है? बाकि राशि का भुगतान कौन करेगा? (घ) बालाघाट जिल में केन्द्रीय बैंक मर्यादित बालाघाट एवं उनके शाखाओं में 2016 से आज तक क्या-क्या खरीदी की, वर्षवार जानकारी देवें।
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) बालाघाट जिले में 126 सेवा सहकारी समितियां हैं। खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन हेतु संस्थाओं का निर्धारण कलेक्टर के अनुमोदन से किए जाने का प्रावधान था। धान उपार्जन हेतु केन्द्र निर्धारण हेतु जारी आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन हेतु जारी निर्देश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। धान उपार्जन की अंतिम तारीख 15 जनवरी, 2017 निर्धारित थी। (ग) धान उपार्जन की अंतिम तारीख 15 जनवरी, 2017 के पश्चात् किसी भी समिति द्वारा धान का उपार्जन नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) बालाघाट जिले में जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक मर्यादित बालाघाट एवं उनकी शाखाओं हेतु खरीदी गई सामग्रियों की वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
महाराजा यशवंतराव चिकित्सा महाविद्यालय, इन्दौर में अत्याधुनिक अग्निशमन
[चिकित्सा शिक्षा]
5. ( क्र. 597 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या महाराजा यशवंतराव चिकित्सा महाविद्यालय इन्दौर में कुछ वर्षों पूर्व शार्ट सर्किट से बच्चों का आई.सी.यू. जल गया था? क्या एक जनहित याचिका पर माननीय मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार को यह निर्देशित किया है कि महाराजा यशवंतराव चिकित्सा महाविद्यालय इन्दौर में अत्याधुनिक अग्निशमन सुविधा उपलब्ध कराई जावें? (ख) यदि हाँ, तो सरकार द्वारा इसके लिए कितना बजट आवंटित किया गया है? इसे कब तक पूर्ण किया जावेगा? (ग) क्या यह सुविधा मध्यप्रदेश के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों से सम्बद्ध चिकित्सालयों में भी है? क्या वहाँ भी यह सुविधा उपलब्ध कराई जावेगी?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) अत्याधुनिक अग्निशमक सुविधा के लिए राशि रूपये 1.00 करोड़ का बजट निर्माण एजेन्सी को आवंटित किया गया है। कार्य प्रक्रियाधीन होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) मध्यप्रदेश के नवीन निर्माणरत चिकित्सा महाविद्यालयों में अग्निशमन सुविधा उपलब्ध है। पूर्व निर्मित चिकित्सालयों में परीक्षण की कार्यवाही प्रचलन में है।
महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय, इन्दौर में बिजली एवं बिजली बैकअप की व्यवस्था
[चिकित्सा शिक्षा]
6. ( क्र. 599 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जून-2019 में बिजली कटौती के समय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय इन्दौर में भी लगभग तीन घंटे तक बिजली नहीं थी? क्या वर्तमान में चिकित्सालय का विद्युत कनेक्शन 11 केवीए के 2 फीडर से जुड़ा हुआ है? क्या इसे 33 केवीए से जोड़ने का प्रस्ताव शासन के पास भेजा गया है। यदि हाँ, तो इसके लिए कितना बजट आवंटित किया गया। इसे कब तक जोड़ दिया जावेगा? (ख) क्या महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में विद्युत इमरजेंसी हेतु 250 केवीए के 2 जनरेटर लगे है जो सन् 2006 में लगे थे? चिकित्सालय में कितने ब्लॉक है जो जनरेटर से जुड़े हुए नहीं है? (ग) चिकित्सालय में 2 जनरेटर के अलावा क्या 2 अतिरिक्त जनरेटर स्टैंडबाय हेतु किए जाने की कोई योजना है? यदि नहीं, तो क्यों? इमरजेंसी में कोई जनहानि होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। नवीन प्रस्ताव 33 केवीए का प्राप्त प्रशासकीय विभाग से स्वीकृति उपरांत बजट प्रावधान किया जाता है। प्रस्ताव प्रक्रियाधीन होने से समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं। (ख) जी हाँ। एम.वाय. चिकित्सालय में मरीजों से संबंधित सभी ब्लॉक जनरेटर से जुड़े हुए है। (ग) एम.वाय. चिकित्सालय में स्थापित दो जनरेटर के अलावा दो अतिरिक्त 500 केवीए क्षमता के जनरेटर स्टैंडबाय हेतु प्रस्ताव पर परीक्षण किया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपलब्ध सुविधायें
[महिला एवं बाल विकास]
7. ( क्र. 661 ) श्री रामपाल सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) आंगनवाड़ी केन्द्रों में विभाग द्वारा क्या-क्या सामग्री, राशि प्रतिमाह किन-किन कार्यों हेतु उपलब्ध कराई जाती है? रायसेन जिले में वर्ष 2015-16 से 15 जून तक कितनी राशि प्राप्त हुई तथा कितनी राशि व्यय की गई? (ख) जिला रायसेन में कुपोषण की क्या स्थिति है? कुपोषित चिन्हित कितने बच्चों को उक्त अवधि में पोषण पुनर्वास केन्द्रों में उपचार हेतु भर्ती किया गया? (ग) 1 जनवरी 2015 से जून 2019 तक रायसेन जिले में कितने आंगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ता-सहायिका के रिक्त पदों पर भर्ती की गई? इन भर्तियों में कितनी आपत्तियां आई तथा क्या निराकरण किया गया? (घ) जून 19 की स्थिति में रायसेन जिले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका के कितने पद रिक्त हैं उक्त रिक्त पदों की पूर्ति हेतु क्या-क्या कार्यवाही की गई।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) विभाग द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्रतिमाह पात्र हितग्राहियों को घर ले लाने जाने हेतु राशन (टेक होम राशन) तथा सामुदायिक गतिविधियों (मंगल दिवस) के आयोजन हेतु प्रतिमाह राशि रूपये 500/-उपलब्ध कराई जाती है। प्रश्नांकित अवधि में रायसेन जिले में प्राप्त राशि एवं व्यय का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ‘ अनुसार है। (ख) जिला रायसेन में कुपोषण की स्थिति एवं चिन्हित कुपोषित बच्चों को उपचार हेतु वर्णित अवधि में पोषण पुनर्वास केन्द्रों पर भर्ती कराये जाने संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब‘ अनुसार है। (ग) रायसेन जिले में 01 जनवरी 2015 से जून 2019 तक आंगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ता एवं सहायिका के रिक्त पदों तथा भर्ती, प्राप्त आपत्तियों एवं निराकरण संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स‘ अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘द‘ अनुसार है।
पात्रत पर्ची का वितरण
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
8. ( क्र. 664 ) श्री रामपाल सिंह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 13 के अंतर्गत पात्र परिवारों को पात्रता पर्ची वितरण के संबंध में क्या-क्या निर्देश हैं? (ख) जून 19 की स्थिति में रायसेन जिले में किन-किन पात्र परिवारों को पात्रता पर्ची का वितरण नहीं किया गया तथा क्यों? कारण बतायें। (ग) पात्रता पर्ची पर क्या-क्या सामग्री किस दर पर मिलती है तथा रायसेन जिले में क्या-क्या सामग्री किस दर पर दी जा रही है? (घ) पात्र व्यक्तियों को कब तक पात्रता पर्ची का वितरण किस आधार पर कैसे करवायेंगे?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत 25 श्रेणियों के परिवारों को पात्र परिवार के रूप में सम्मिलित किया गया है। समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के पोर्टल पर इन परिवारों को स्थानीय निकाय द्वारा पात्रता श्रेणी के अंतर्गत सत्यापन उपरांत विभागीय अमले द्वारा उचित मूल्य दुकानों से मैप किया जाता है। इस प्रकार, सत्यापित परिवारों को प्रदेश की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 75 प्रतिशत आबादी की सीमा तक नवीन पात्रता पर्ची जारी की जाती है तथा स्थानीय निकाय द्वारा पात्रता पर्ची का वितरण किया जाता है। (ख) रायसेन जिले में माह जून, 2019 की स्थिति में राज्य की सीमा में जारी समस्त पात्रता पर्चियों को वितरण किया जा चुका है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत प्रदेश की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 75 प्रतिशत आबादी की सीमा तक ही लाभ दिया जा सकता है। इस सीमा से अधिक हितग्राहियों को लाभांवित करने का प्रावधान अधिनियम की धारा-3 के अंतर्गत नहीं है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत पात्र परिवारों को स्थानीय निकाय द्वारा सत्यापन उपरांत पात्रता पर्ची (ई-राशनकार्ड) जारी की जाती है। वर्तमान में सम्मिलित पात्र परिवारों में से हितग्राही की मृत्यु होने, विवाह होने से, अन्य स्थान पर निवास करने एवं पात्रता श्रेणी में न रहने के कारण हितग्राही की पात्रता में परिवर्तन होना एक निरंतर प्रक्रिया है। तदनुसार नवीन पात्रता पर्ची निर्धारित सीमा में जारी की जाती है। जिले में 01 मई, 2017 की स्थिति में परिवारों की संख्या के विरूद्ध जितने अपात्र परिवारों को पोर्टल पर विलोपित किया जाता है, उतनी ही संख्या में संबंधित जिले के नवीन सत्यापित परिवारों को सम्मिलित किया जाता है। जुड़ने वाले नवीन परिवारों में बी.पी.एल. एवं अनुसूचित जाति/जनजाति श्रेणी को प्राथमिकता दी जाती है। माह अप्रैल, 2018 से समस्त पात्रता श्रेणी के 12.22 लाख नवीन हितग्राहियों को लाभांवित किया गया है। (ग) पात्रता पर्चीधारी परिवारों को गेहूँ, चावल, बाजरा एवं नमक रू. 1 प्रति किलो, चना रू. 27 प्रति किलो तथा केरोसीन रू. 33 से 34.50 प्रति लीटर एवं इसके अतिरिक्त अन्त्योदय अन्न योजना के पात्रता पर्चीधारी परिवारों को शक्कर रू. 20 प्रति किलो की दर से वितरण किया जाता है। रायसेन जिले में भी पात्रता पर्चीधारी परिवारों को उक्त राशन सामग्री एवं दर पर प्रदाय की जा रही है। (घ) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के अनुसार।
खण्डवा की अनफिट बसें
[परिवहन]
9. ( क्र. 1155 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खण्डवा जिले में लोकसभा निर्वाचन के दौरान मतदान कर्मियों को हरसूद ले जाने वाली बस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी? जिसमें कई शासकीय कर्मचारी घायल हुए थे। यदि हाँ, तो दुर्घटना होने का क्या कारण था? (ख) क्या निर्वाचन कार्य में दुर्घटनाग्रस्त बस का फिटनेस कई माह पूर्व समाप्त हो चुका था? यदि हाँ, तो इसके लिये परिवहन विभाग के कौन अधिकारी जवाबदेह है? (ग) क्या खण्डवा इंदौर मार्ग पर होने वाली दुर्घटनाओं में प्रमुख कारण उन बसों का परिवहन के नियमों से उपयुक्त नहीं होना भी है? निजी बसों के वाहन चालकों वाहन के फिटनेस, वाहन बीमा आदि जाँच करने की कोई कार्ययोजना नहीं है? (घ) क्या परिवहन विभाग में सिंगल विंडो सिस्टम एवं ऑनलाइन होने के बावजूद कार्यालय में दलालों का कब्जा हो गया है? यदि हाँ, तो उक्त व्यवस्था में सुधार किया जायेगा? यदि हाँ, तो क्या कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) खण्डवा जिले में लोकसभा निर्वाचन के दौरान मतदान कर्मियों को हरसूद ले जाने वाली बस क्रमांक एम पी 41 एफ 0321 दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। पुलिस थाना, नया हरसूद से प्राप्त जानकारी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) अनुसार दुर्घटना में 7 कर्मचारी घायल हुये थे एवं चालक द्वारा तेज व लापरवाही से बस को चलाकर रोड के नीचे उतारने से दुर्घटना घटित हुई थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) यात्री बस क्रमांक एम पी 41 एफ 0321 का फिटनेस प्रमाण-पत्र विभागीय पोर्टल पर प्राप्त जानकारी अनुसार दिनांक 22/08/2017 तक वैध था। वाहन के फिटनेस की समाप्ति की वैधता, फिटनेस प्रमाण-पत्र पत्र पर दर्ज होती है। फिटनेस की वैधता समाप्त होने के तीस दिन पूर्व वाहन स्वामी को नियमानुसार ऑनलाइन फार्म मय रसीद व अन्य आवश्यक वैध दस्तावेज संलग्न कर वाहन भौतिक परीक्षण हेतु कार्यालय में प्रस्तुत करना होता है। तत्पश्चात् वाहन का फिटनेस प्रमाण-पत्र कार्यालय द्वारा जारी किया जाता है। उक्त वाहन में वाहन स्वामी द्वारा नियमानुसार फिटनेस हेतु कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया था। चूंकि निर्वाचन कार्य में प्राथमिकता के तहत समय-सीमा में वाहनों को उपलब्ध कराना आवश्यक होता है। इस कारण से अधिग्रहित वाहन का फिटनेस चैक करने में चूक हुई है। यद्यपि वाहन के वाहन स्वामी को जिला निर्वाचन अधिकारी के वाहन अधिग्रहण आदेश में उल्लेखित दिशा-निर्देशों के तहत वाहन अच्छी हालत में मय चालक, फुल टैंक डीजल/पेट्रोल, आईल, लाग-बुक एवं वैध दस्तावेजों के साथ उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया था। (ग) सामान्यतः चालकों द्वारा यातायात नियमों का पालन नहीं किये जाने से दुर्घटनाएं होती है। कार्यालय द्वारा मोटरयान नियम एवं शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में समय-समय पर व्यावसायिक एवं निजी वाहनों की चेकिंग संबंधी कार्यवाही की जाती है। जिनमें व्यावसायिक वाहनों के आवश्यक दस्तावेज जैसे परमिट, बीमा, चालक-परिचालक लायसेंस, फिटनेस, ओव्हरलोडिंग एवं निजी वाहनों में पंजीयन, बीमा एवं पी यू सी की जाँच की जाती हैं। (घ) वर्तमान में परिवहन विभाग की विभागीय वेबसाईट एवं ऑनलाइन यूजर द्वारा सभी प्रकार की फीस, टैक्स एवं ऑनलाइन आवेदन का कार्य किया जाता हैं तत्पश्चात् कार्यालय में प्राप्त उन आवेदनों का निराकरण नियमानुसार निश्चित समयावधि में किया जाता है। कार्यालय में दलालों के कब्जे जैसी कोई स्थिति नहीं है।
खण्डवा नगर तहसील की स्थापना
[राजस्व]
10. ( क्र. 1157 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खण्डवा जिले की तहसील खण्डवा अंतर्गत ग्रामीण एवं नगरीय तहसीलों का पुनर्गठन किया गया है? यदि हाँ, तो उक्त अधिसूचना का प्रकाशन कब किया गया एवं जिला स्तर पर इसके आदेश कब प्राप्त हुए? (ख) क्या खण्डवा नगर एवं खण्डवा ग्रामीण का तहसील कार्यालयों का कार्यविभाजन, कार्यालय की स्थापना तथा अधिकारियों के मध्य कार्यों का बंटवारा कर दिया गया है? यदि हाँ, तो खण्डवा नगर एवं ग्रामीण में पदस्थ अधिकारी एवं कर्मचारियों की जानकारी दे? (ग) शासन द्वारा जारी अधिसूचना के उपरान्त खण्डवा नगर की तहसील कार्यालय की स्थापना के लिये राजस्व अधिकारियों द्वारा क्या प्रयास किये गये? (घ) क्या राजस्व विभाग द्वारा इस कार्य में रुचि नहीं लिये जाने के कारण नागरिकों को उक्त सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है? खण्डवा नगर के नवीन तहसील कार्यालय का लाभ जनता को किस दिनांक से मिलना आरंभ हो जाएगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। नवीन तहसील खण्डवा नगर का सृजन आदेश दिनांक 17.12.2018 को जारी किया गया जो राजपत्र में दिनांक 28.12.2018 को प्रकाशित हुआ एवं जिला स्तर पर इसके आदेश 24 दिसम्बर 2018 को प्राप्त हुए। (ख) जी नहीं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) खंडवा नगर की तहसील कार्यालय की स्थापना के संबंध में प्रशासनिक कार्यवाही प्रचलित है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं। उपलब्ध संसाधनों से नवीन शहरी तहसील खंडवा का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है।
दो पहियां एवं चार पहियां (कमर्शियल एवं गैर कमर्शियल) लायसेंस जारी करने की अहर्ता [परिवहन]
11. ( क्र. 1271 ) श्री निलय डागा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दो पहियां एवं चार पहियां (कमर्शियल एवं गैर कमर्शियल) वाहन चलाने के लायसेंस हेतु कौन-कौन सी अर्हता (योग्यता) आवश्यक हैं? (ख) क्या उपरोक्त लायसेंस जारी करने हेतु लिखित परीक्षा का प्रावधान है? यदि हाँ, तो लिखित परीक्षा वर्ष में कब-कब आयोजित की जाती हैं? विगत् 01 जनवरी 2017 से आज तक बैतूल जिले में कब-कब लिखित परीक्षा आयोजित की गई तारीखवार बताएं? (ग) यातायात नियम सिखाने हेतु शासन के क्या नियम है? नियम की प्रति उपलब्ध कराएं। (घ) क्या बैतूल जिले में उपरोक्त सभी नियमों का पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों एवं इसके लिये कौन-कौन जिम्मेदार हैं?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) गैर कामर्शियलः- दो पहिया, चार पहिया वाहन चलाने के लायसेंस हेतु न्यूनतम शैक्षणिक आर्हता संबंधी प्रावधान मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 4 में तथा आयु सीमा संबंधी प्रावधान केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 नियम में उल्लेख किया गया है। व्यवसायिक वाहनः- 1. केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 के नियम 4 में पते एवं आयु के सही होने का साक्ष्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है। 2. नियम-8 में परिवहनयान चलाने की अनुज्ञप्ति प्राप्त करने के लिये आवेदक की न्यूनतम शैक्षणिक आर्हता 8वीं स्तर उर्त्तीण होना अनिवार्य है। 3. व्यावसायिक वाहन के लाइसेंस प्राप्त करने हेतु आयु सीमा 20 वर्ष होना अनिवार्य। 4. हल्का मोटरयान चलाने के लिये कम से कम एक वर्ष पुरानी चालक अनुज्ञप्ति होना आवश्यक है। 5. राज्य शासन द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था से चालक प्रशिक्षण प्राप्त करने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है। (ख) नियमों में लिखित परीक्षा का प्रावधान नहीं है। शिक्षार्थी लायसेंस का टेस्ट टेबलेट पर प्रतिदिन कार्यालय में सम्पादित किया जा रहा है। (ग) परिवहन विभाग के समस्त जिला परिवहन कार्यालयों में यातायात संकेतिक चिन्हों के बोर्ड कार्यालयों में लगाये गये हैं तथा स्कूल कॉलेजों में भी यातायात पुलिस के साथ प्रशिक्षण दिया जाता है। (घ) जी हाँ। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटी सेवाएं
[चिकित्सा शिक्षा]
12. ( क्र. 1420 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के हृदय स्थल सागर में शासन द्वारा स्थापित बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटी जैसे कॉर्डियोलॉजी एवं न्यूरोलॉजी सेवायें उपलब्ध हैं? यदि नहीं, इसका क्या कारण है? (ख) क्या शासन रीवा, ग्वालियर, जबलपुर मेडिकल कॉलेजों की तरह सागर बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज में भी चिकित्सा जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं को देखते हुये शीघ्र ही सुपर स्पेशलिटी सेवायें उपलब्ध कराये जाने पर विचार करेगा तथा कब तक?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। कार्डियोलॉजी एवं न्यूरोलॉजी विभाग सुपर स्पेशलिटी के अंतर्गत आते है। (ख) भारत सरकार द्वार PMSSY योजना के अंतर्गत चिकित्सा महाविद्यालय, सागर हेतु कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं होने से समय-सीमा का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय, इन्दौर में कृष्णा डायग्नोस्टिक द्वारा जाँच अनुबंध
[चिकित्सा शिक्षा]
13. ( क्र. 1596 ) श्री संजय शुक्ला : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कृष्णा डायग्नोस्टिक एवं महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय, इन्दौर के बीच अनुबंध किन शर्तों पर किया गया है? कौन-कौनसी जांचों हेतु अनुबंध किया गया? जांचों की दरें क्या निर्धारित की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कृष्णा डायग्नोस्टिक के स्थापित दिनांक से प्रश्न दिनांक तक कुल कितने मरीजों की जांचें की गई एवं चिकित्सालय द्वारा किस दर पर कृष्णा डायग्नोस्टिक को स्थापना दिनांक से प्रश्न दिनांक तक कुल कितना किस-किस मद से भुगतान किया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में कृष्णा डायग्नोस्टिक से स्थापित दिनांक से प्रश्न दिनांक तक किराये के रूप में एवं बिजली बिल के रूप में कितनी राशि चिकित्सालय को अथवा अन्य को जमा कराई गई है?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) अनुबंध की शर्तों व जांचों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 एवं 2 अनुसार है। (ख) कृष्णा डायग्नोस्टिक के स्थापित दिनांक से प्रश्न दिनांक तक कुल 109356 मरीजों की जांचें की गई। एम.वाय.चिकित्सालय द्वारा जांचों की दरों पर कृष्णा डायग्नोस्टिक को स्थापित दिनांक से प्रश्न दिनांक तक दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना के अंतर्गत आवंटित बजट में से मद क्रमांक 34-002 से रूपये 4,55,80,373/- का भुगतान किया गया। (ग) कृष्णा डायग्नोस्टिक के स्थापित दिनांक से प्रश्न दिनांक तक रूपये 2,93,37,000/- किराये के रूप में प्राप्त हुए है। संस्था के नाम से स्वयं का मीटर हो कर विद्युत खपत का भुगतान संस्था द्वारा किया जाता है।
एम.वाय.
हॉस्पिटल एवं
अन्य संस्थाओं
में सर्विस
प्रोवाईडर
कम्पनी
द्वारा
अनियमितता
[चिकित्सा शिक्षा]
14. ( क्र. 1602 ) श्री संजय शुक्ला : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मेडिकल कॉलेज के अधीन एम.वाय. हॉस्पिटल एवं चाचा नेहरू हॉस्पिटल, मानसिक चिकित्सालय, एम.टी.एच. हॉस्पिटल, इंदौर में किस कम्पनी को सफाई, सुरक्षा, हाउस किपिंग एवं सर्विस प्रोवाईडर आदि का कार्य दिया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में सर्विस प्रोवाईडर कम्पनी को किस शर्तों पर उक्त कार्य करने की स्वीकृति दी गई व कब से कम्पनी द्वारा कार्य किया जा रहा है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में सर्विस प्रोवाईडर कम्पनी टेण्डर शर्तों के अनुसार ही कार्य कर रही है? क्या उक्त कम्पनी द्वारा किसी अन्य कम्पनी को सब कान्ट्रेक्टर पर ठेका दिया जाकर उससे कार्य कराये जा रहा है? क्या कम्पनी द्वारा सब कान्ट्रेक्टर का ठेका दिया जा सकता है? सर्विस प्रोवाईडर कम्पनी को ठेके दिनांक से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि का भुगतान किया जा रहा है? भुगतान किस-किस मद से कब-कब किया गया? कितने कर्मचारी उक्त कम्पनी द्वारा किस-किस कार्य पर लगाये गये है? चिकित्सालय प्रशासन/कॉलेज अधीनस्थ संस्थाओं द्वारा हेडकाउंट कराया गया, कब-कब किन-किन अधिकारियों के द्वारा कर्मचारियों का निरीक्षण किया गया? क्या कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन कराया गया? हाँ या नहीं?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) भारत सरकार के केन्द्रीय उपक्रम एच.एल.एल. इन्फ्रा लि. (HITES) को दिया गया है। (ख) चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं संबद्ध चिकित्सालय के अधीक्षकों द्वारा किये गये अनुबंध अनुसार कार्य करने की स्वीकृति कंसलटेंट एच.एल.एल. इन्फ्रा लि. (HITES) को दी गई है, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। दिनांक 01.01.2018 से संस्था द्वारा कार्य किया जा रहा है। (ग) जी हाँ। जी हाँ। भारत शासन के 100 प्रतिशत केन्द्रिय उपक्रम एच.एल.एल. इन्फ्रा लि. (HITES) द्वारा यू.डी.एस कंपनी के माध्यम से अनुबंध शर्तों के अनुसार कार्य कराया जा रहा है। भुगतान का मदवार, वर्षवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। चिकित्सा महाविद्यालय, म.प्र. चिकित्सालय कैंसर चिकित्सालय, मानसिक चिकित्सालय, बॉयज/गर्ल्स मेडिकल हॉस्टल, एम.टी.एच. हॉस्पिटल, नर्सिंग महाविद्यालय हॉस्टल आदि स्थानों पर एवं सफाई (हाउसकीपिंग), सुरक्षा, डाटा एंट्री, वार्ड बॉय, तकनीकी कुल 655 कर्मचारी आदि लगाये गये है। जी हाँ। प्रत्येक दिवस संबंधित चिकित्सालय अधीक्षक/प्रभारी अधिकारी द्वारा निरीक्षण एवं कार्यों का भौतिक सत्यापन किया जाता है।
देशी एवं विदेशी मदिराओं के संचालन
[वाणिज्यिक कर]
15. ( क्र. 1713 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या वाणिज्यिक कर मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला नीमच में वर्तमान में देशी एवं विदेशी मदिरा की कुल कितनी दुकानें संचालित हैं। स्थान सहित विस्तृत ब्यौरा दें। (ख) वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में कहाँ-कहाँ पर अवैध देशी एवं विदेशी मदिरा की दुकानों का संचालन होने पर मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम के तहत पुलिस विभाग एवं आबकारी विभाग द्वारा अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किये गये। (ग) पंजीबद्ध प्रकरण किन-किन धाराओं के तहत दर्ज हैं तथा कितने प्रकरणों में चालान पेश हो गये हैं तथा कितने जाँच अधीन है। धारा एवं थाने का नाम सहित पूर्ण विवरण दें।
वाणिज्यिक कर मंत्री ( श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ) : (क) जिला नीमच में वर्तमान में 46 देशी मदिरा एवं 08 विदेशी मदिरा की दुकानें संचालित हैं। स्थान सहित विस्तृत ब्यौरा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) आबकारी विभाग एवं पुलिस विभाग द्वारा वर्ष 2018-19 एवं वर्ष 2019-20 में अवैध देशी एवं विदेशी मदिरा की दुकानों का संचालन होने पर अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध संबंधी जानकारी निरंक है। (ग) जिला नीमच में आबकारी एवं पुलिस विभाग द्वारा देशी मदिरा एवं विदेशी मदिरा के अवैध धारण एवं विक्रय संबंधित कुल 980 प्रकरण आबकारी अधिनियम के अन्तर्गत पंजीबद्ध किये जाकर 986 आरोपी गिरफ्तार किये गये तथा 954 चालान न्यायालय में प्रस्तुत कर दिये गये है एवं 25 प्रकरण जाँच अधीन है। वृत्तवार/थानावार आबकारी अधिनियम के तहत् पंजीबद्ध किये गये प्रकरणों, धाराओं तथा प्रकरणों में चालान पेश होने व जाँच अधीन प्रकरणों, थानों के नाम सहित विस्तृत विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है।
आबकारी नीति का पालन
[वाणिज्यिक कर]
16. ( क्र. 1896 ) श्री मुन्नालाल गोयल : क्या वाणिज्यिक कर मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के आबकारी नीति के तहत स्कूलों, धार्मिक स्थलों, प्रमुख बाजारों से 100 मीटर दूर शराब की दुकानें हटाने की नीति का पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो ग्वालियर जिले में इस नीति का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों एवं लायसेंस धारियों के विरूद्ध क्या कोई कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो जानकारी दें। (ख) प्रदेश के विभिन्न जिलों में कितने नशा मुक्ति केन्द्र तथा पुनर्वास केन्द्र संचालित हैं? क्या सरकार द्वारा ब्लाक स्तर पर नशा मुक्ति केन्द्र स्थापित किये जायेंगे? (ग) क्या बिहार की तरह म.प्र. को नशा मुक्ति प्रदेश बनाने की कोई नीति सरकार बनायेंगी?
वाणिज्यिक कर मंत्री ( श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ) : (क) मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम-1915 के अन्तर्गत संरचित सामान्य प्रयोग के नियम-1 के तहत् धार्मिक स्थलों, शैक्षणिक संस्था, वैध गर्ल्स होस्टल, अस्पताल, अनुसूचित जाति के सदस्यों की कॉलोनी, श्रमिक कॉलोनी से 50 मीटर के अन्दर देशी/विदेशी मदिरा दुकान संचालित न होने का प्रावधान है। उक्त प्रावधान के अन्तर्गत मदिरा दुकानें आपत्ति रहित स्थल पर संचालित/स्थापित हैं। उपायुक्त आबकारी, ग्वालियर से प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार, जिला ग्वालियर की देशी मदिरा दुकान नयागांव की चतुर्सीमा के सत्यापन हेतु समिति गठित की जाकर दिनांक 15.05.2019 को उक्त दुकान की चतुर्सीमा के सत्यापन किये जाने पर पाया गया कि देशी मदिरा दुकान नयागांव, शा.उ.मा. विद्यालय के मुख्य द्वार से 45.5 मीटर की दूरी पर है जो मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 के अन्तर्गत निर्मित सामान्य प्रयोग नियम-1 का उल्लघंन है। सहायक आबकारी आयुक्त, जिला ग्वालियर की ओर से पत्र क्रमांक 3124 दिनांक 06.07.2019 से लायसेंसी श्री प्रवीण शिवहरे डायरेक्टर, कमला इन्फ्राट्रेडकॉम प्रा.लि. को उक्त मदिरा दुकान 07 दिवस के अन्दर अन्यत्र स्थान पर स्थापित करने हेतु निर्देशित किया गया है। लायसेंसी द्वारा निर्धारित समयावधि के अन्दर यदि उक्त दुकान का संचालन अन्यत्र स्थान पर नहीं किया जाता है, तो मदिरा का विक्रय, उक्त दुकान से प्रतिबंधित कर दिया जायेगा। इस संबंध में आबकारी उपनिरीक्षक श्री तीर्थराज भारद्वाज को, जिनके द्वारा इस दुकान की चतुर्सीमा अंकित की गई थी, आबकारी आयुक्त, मध्यप्रदेश, ग्वालियर के आदेश पृष्ठां.क्रं./2 (ब)/वि.जा./17-2019/897 दिनांक 12.07.2019 से निलंबित किया जाकर, निलंबित अवधि में उनका मुख्यालय कार्यालय सहायक आबकारी आयुक्त, जिला रीवा किया गया है। (ख) आबकारी विभाग से संबंधित नहीं होने से जानकारी निरंक है। (ग) वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
फसल बीमा राशि नहीं मिलना
[राजस्व]
17. ( क्र. 2036 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास जिले के खातेगांव विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष फरवरी 2018 में लगभग 50 गांवों में गेहूँ और चने की फसल भीषण ओलावृष्टि में पूरी तर नष्ट हो गई थी जिसका सर्वे कार्य राजस्व, कृषि विभाग द्वारा किया गया था एवं बीमा कंपनी को भी सूचित किया गया था। (ख) इन गांवों के किसानों को यह आश्वासन दिया गया था कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ अतिशीघ्र दिलवा दिया जावेगा किन्तु लगभग डेढ़ वर्ष का समय बीतने पर भी बीमा राशि किसानों को नहीं मिली है। (ग) बीमा कंपनी एवं बैंकों के द्वारा कोई संतोषजनक जवाब किसानों को नहीं दिया जा रहा है? बीमा राशि मिलने में हो रहे विलम्ब का क्या कारण है। (घ) क्या आगामी एक दो माह में बीमा राशि किसानों को मिलने की संभावना है।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। 52 गावों का सर्वे कर जानकारी प्रेषित किया गया था। (ख) जी हाँ। फसल बीमा योजना के तहत पात्रता अनुसार किसानों को बीमा राशि उपलब्ध कराने की कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) प्रश्नांश ’ख’ अनुसार प्रस्ताव स्वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है। (घ) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
नल-जल योजना बाबत्
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
18. ( क्र. 2064 ) श्री विष्णु खत्री : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्रांर्गत दिनांक 15 जून 2019 की स्थिति में कहाँ-कहाँ नल-जल योजना स्वीकृत हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित योजना में से कितनी योजनायें संचालित हो रही हैं एवं कितनों में जल आपूर्ति बाधित है? (ग) प्रश्नांश (क) में दर्शित स्वीकृत योजनओं में से कितनी योजनायें निर्माणाधीन हैं एवं कब तक इसका लाभ स्थानीय नागरिकों को मिलने लगेगा? (घ) प्रश्नांश (ख) में दर्शित जल आपूर्ति बाधित योजनाओं का संचालन कब तक प्रारंभ हो जावेगा?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) प्रश्नांकित दिनांक की स्थिति में कुल 103 नल-जल योजनाएं स्वीकृत हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 70 नल-जल योजनाएं संचालित एवं 12 योजनाओं में जल आपूर्ति बाधित है। (ग) 4 योजनाएं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
गौशालाओं की भूमि आवंटन बाबत्
[राजस्व]
19. ( क्र. 2065 ) श्री विष्णु खत्री : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गौशालाओं को भूमि आवंटन के संबंध में शासन के क्या-क्या निर्देश हैं? आवेदन प्राप्ति के कितने दिन के भीतर प्रकरण का निराकरण होना चाहिए? (ख) प्रश्नांश दिनांक की स्थिति में भोपाल संभाग के जिलों सहित बैरसिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत किन-किन गौशालाओं के भूमि आवंटन के प्रकरण कब से क्यों, किस स्तर पर लंबित है? (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शित प्रकरणों का कब तक निराकरण होगा? (घ) गौशालाओं के भूमि आवंटन के लंबित प्रकरणों का निराकरण समय-सीमा में हो इस हेतु विभाग क्या-क्या कार्यवाही करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) गौशालाओं को भूमि आवंटन के लिये विभाग द्वारा पत्र क्रमांक एफ-16-6/07/सात/2ए दिनांक 4.9.2008 एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पत्र 124/348/2019/पं.-1/22 दिनांक 06.02.2019 प्रसारित की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’ अनुसार है। (ख) प्रश्न दिनांक की स्थिति में भोपाल संभाग के अंतर्गत जिला विदिशा, सीहोर, राजगढ़, रायसेन में गौशालाओं के भू-आवंटन का कोई प्रकरण लंबित नहीं है। जिला भोपाल में 10 ग्रामों के गौशाला हेतु भूमि आवंटन के प्रस्ताव जिला स्तरीय गौशाला समन्वयन समिति को अनुमोदन हेतु भेजे गये है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’ अनुसार है। (ग) प्रश्नांश ‘’ख’’ में दर्शित प्रकरणों के निराकरण हेतु कार्यवाही प्रचलन में है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) उत्तरांश ‘’ग’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
महिला सशक्तिकरण एवं महिला बाल विकास का गठन
[महिला एवं बाल विकास]
20. ( क्र. 2090 ) श्री रामलाल मालवीय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या वर्ष 2018 में एकीकृत बाल विकास योजना संचालनालय एवं महिला सशक्तिकरण संचालनालय को समाप्त कर संचालनालय महिला एवं बाल विकास गठित किया गया है? (ख) क्या संभाग एवं जिला स्तर पर संचालित कार्यालयों को भी समाप्त कर संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास किया गया है? क्या संभाग एवं जिला स्तर पर महिला सशक्तिकरण कार्यालय समाप्त किये जाने के उपरान्त भी इन अधिकारियों को आहरण-संवितरण अधिकार प्रदान किये गये हैं यदि हाँ, तो क्यों? (ग) क्या शासन द्वारा संभाग स्तर पर दोनों कार्योंलयों के अमले को जिला कार्यक्रम अधिकारी के अधीन पदस्थ किया गया है यदि हाँ, तो शासन आदेश के विरूद्ध प्रदेश में अभी तक किस-किस संभाग एवं जिलों में पृथक-पृथक कार्यालय संचालित किए जाकर पृथक-पृथक कार्य संचालित किया जा रहा है? इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार है? क्या शासन दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी हाँ, क्योंकि वित्त विभाग द्वारा इस वित्तीय वर्ष के प्रथम चार माह के लिये दोनों संचालनालयों हेतु निहित बीसीओ कोड में बजट प्रावधान रखा गया है। (ग) संभाग एवं जिला स्तर पर एकीकरण की प्रक्रिया प्रगति पर है। संभागवार, जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। अतः शेष कार्रवाई का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी भवन निर्माण कार्यों में की गई अनियमित्ता
[महिला एवं बाल विकास]
21. ( क्र. 2132 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) जिला राजगढ़ की जनपद पंचायत सारंगपुर अंतर्गत आई.सी.डी.एस. मिशन योजनान्तर्गत वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक कितने कितने आंगनवाड़ी भवन उन्नयन के कितने कार्य स्वीकृत किये गये थे, स्वीकृत कार्य का पंचायतवार, ग्रामवार, राशि निर्माण एजेंसी के विवरण से अवगत करावें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों में से प्रश्न दिनांक तक कितने कितनें आंगनवाड़ी भवन निर्माण कार्य पूर्ण, अपूर्ण तथा अप्रारम्भ की स्थिति में है? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) अनुसार अपूर्ण/अप्रारम्भ आंगनवाड़ी भवनों की शेष राशि निर्माण एजेन्सी द्वारा आहरित कर ली गई या उनके खातों में जमा है? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार दर्शित आहरित राशि करने के उपरान्त भी आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य न कराया गया है तो उनकों शासकीय राशि का गबन करने का दोषी ठहराते हुये उनके विरूद्ध कार्यवाही की गयी है? यदि हाँ, तो की गई कार्यवाही से अवगत करावें? यदि नहीं, तो कब तक कार्यवाही की जावेगी एवं अपूर्ण/अप्रारम्भ आंगनवाड़ी भवनों को कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) जिला राजगढ़ की जनपद पंचायत सारंगपुर में आई.सी.डी.एस. मिशन योजनान्तर्गत वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक आंगनवाड़ी भवनों के उन्नयन कार्य स्वीकृत नहीं किये गये है। शेष का प्रश्न ही नहीं है। प्रश्नांश (ख) से (घ) की जानकारी निरंक है।
रीवा जिले में चावल की सप्लाई
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
22. ( क्र. 2257 ) श्री कमल पटेल : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या 1 जनवरी, 2019 से 19 जून, 2019 के मध्य रीवा जिले में 75 हजार क्विंटल चावल परिवहनकर्ता एवं मिलर्स की सांठ-गांठ से गोदामों में न रखते हुये सीधे अन्य जिलों में भेज दिया गया? यदि हाँ, तो इसमें कौन-कौन दोषी है? (ख) उपरोक्त चावल की कुल कीमत कितनी है तथा क्या इसमें दोषी पाये जाने वाले परिवहनकर्ता एवं मिलर्स के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई तथा यदि नहीं, की गई तो क्यों नहीं की गई? कारण बताएं। (ग) उपरोक्त प्रकरण में कौन-कौन अधिकारी दोषी है? दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? क्या यह कृत्य आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है? (घ) खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा किस-किस मिलर्स को कितना-कितना धान कब-कब चावल बनने हेतु दिया गया था? मिलर्स द्वारा कब-कब कितना-कितना चावल वापस किया गया?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) माह जून 2019 में रीवा जिले से शिवपुरी जिले को प्रेषित किए गए 3 रेक से 77766.12 क्विंटल चावल भेजा गया है। इसमें से मिलर्स के यहां से सीधे रेक में 52785.40 क्विंटल एवं गोदाम से 24980.72 क्विंटल प्रेषित किया गया है। इस संबंध में राज्य स्तरीय जाँच दल द्वारा जिले में जाँच कर जिला प्रबंधक म.प्र. स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन एवं जिला प्रबंधक म.प्र. स्टेट वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन की लापरवाही प्रतिवेदित किया है। (ख) उपरोक्त चावल की कुल कीमत 24,93,83,504/- रूपये है। प्रकरण में अनियमितता पाए जाने से 24 राइस मिलर्स को प्रबंध संचालक म.प्र. स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन भोपाल द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए गए हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) उपरोक्त प्रकरण में राज्य स्तरीय जाँच दल द्वारा जिले में जाँच कर शाखा प्रबंधक म.प्र. स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन एवं जिला प्रबंधक म.प्र. स्टेट वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन को दोषी प्रतिवेदित किया है। प्रबंध संचालक म.प्र. स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन भोपाल के आदेश क्रमांक/स्थापना/2019/294 दिनांक 14/06/2019 से दोषी पाए गए जिला प्रबंधक श्री राकेश चौधरी को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक मुख्यालय भोपाल उपार्जन शाखा में संलग्न किया गया है। प्रबंध संचालक म.प्र. वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन के आदेश क्रमांक/मपवेलाक/स्था.-07/2137 दिनांक 01/07/2019 से श्री संतोष कुमार खलको प्रबंधक (गु.नि.) शाखा प्रबंधक, म.प्र. वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा रीवा की सेवाएं आगामी आदेश तक वाणिज्य शाखा मुख्यालय भोपाल में संबंद्ध की गई हैं। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
भिण्ड जिले में प्रायवेट बस ऑपरेटरों द्वारा टैक्स नहीं देना
[परिवहन]
23. ( क्र. 2296 ) श्री संजीव सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 31 मार्च 2019 की स्थिति में भिण्ड जिले में कितने प्रायवेट बस ऑपरेटरों को परमिट जारी किये गये हैं? (ख) प्रश्न दिनांक की स्थिति में कितने बस ऑपरेटरों ने कर (टैक्स) जमा किया? कितनों ने नहीं? (ग) विगत एक वर्ष में कितने बस ऑपरेटरों पर बिना परमिट व टैक्स जमा नहीं करने पर चालानी कार्यवाही की गई? कितनों के परमिट रद्द किये गये?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) 31 मार्च 2019 की स्थिति में प्रायवेट बस ऑपरेटरों को भिण्ड जिले से कुल 17 अस्थायी परमिट जारी किये गये हैं। भिण्ड जिले हेतु संभागीय परिवहन कार्यालय मुरैना से 114 स्थायी परमिट जारी किये गये हैं। (ख) प्रश्न दिनांक तक कुल 100 ऑपरेटरों द्वारा टैक्स जमा किया गया है शेष 14 ऑपरेटरों द्वारा टैक्स जमा नहीं किया गया है। (ग) विगत एक वर्ष में 74 बस ऑपरेटरों पर बिना परमिट व टैक्स जमा नहीं करने पर उनके विरूद्ध चालानी कार्यवाही की गई।
गंगा बावड़ी पेयजल योजना
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
24. ( क्र. 2517 ) श्री अनिरुध्द मारू : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गंगाबावड़ी तह. मनासा पेयजल परियोजना में किन गाँवों के कौन-कौन से वार्डों में पेयजल लाइन डालना प्रस्तावित थी? (ख) ठेकेदार से सम्पादित अनुबंध एवं योजना से सम्बंधित निर्देश एवं उनकी मॉनिटरिंग की जानकारी दें। (ग) कितनी मात्रा में पेयजल कहाँ-कहाँ उपलब्ध कराया जाना था? (घ) प्रश्नांश (क) अंतर्गत कितने गाँवों से कार्य पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त किये जा चुके है? (ड.) स्थानीय जल उपभोक्ता/जल वितरण समितियाँ बनायी जाना है अथवा नहीं और यदि हाँ, तो नीमच जिलान्तर्गत कहाँ-कहाँ समितियां बन गई, नहीं बनी तो क्यों नहीं बनाई गई? (च) क्या स्थानीय जल उपभोक्ता/जल वितरण समितियाँ बनायी गई क्या वे अपना कार्य सुचारु रूप से कर रही है अगर नहीं तो उन्हें बदलने के क्या प्रावधान है?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। अनुबंधानुसार कराये गये योजना के कार्यों की मॉनिटरिंग सुपरविजन एवं क्वालिटी कंट्रोल के अंतर्गत पदस्थ तकनीकी अमले एवं परियोजना क्रियान्वयन इकाई, इंदौर अंतर्गत पदस्थ मध्यप्रदेश जल निगम के विभागीय तकनीकी अमले द्वारा की गई है। (ग) गंगाबावड़ी समूह जलप्रदाय योजना में सम्मिलित गांवों में अनुबंध अनुसार 55 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित था। (घ) योजना में सम्मिलित सभी ग्रामों में अनुबंध अनुसार कार्य पूर्ण किया गया है, जिसका सत्यापन जल निगम के अंतर्गत सुपरविजन एवं क्वालिटी कंट्रोल इकाई तथा परियोजना क्रियान्वयन इकाई के तकनीकी अधिकारियों द्वारा किया जाता है। (ड.) जी नहीं, अपितु मध्यप्रदेश ग्रामीण नल-जल प्रदाय योजना संचालन एवं संधारण नियम 2014 के अनुसार ग्राम की आंतरिक जलप्रदाय व्यवस्था के संचालन हेतु योजना में सम्मिलित 30 ग्रामों में से 29 में पेयजल उप समितियों का गठन किया गया है, 1 ग्राम में ग्रामीणों में आपस में विवाद होने के कारण ग्राम पेयजल समिति गठित नहीं हो सकी है। (च) जी नहीं, शेष जानकारी उत्तरांश (ड.) अनुसार है। गठित सभी समितियां सुचारू रूप से कार्य कर रही हैं अतः शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
रीवा जिले के देव तालाब से तमरी सड़क को राजस्व रिकार्ड में म.प्र. शासन दर्ज करने बाबत्
[राजस्व]
25. ( क्र. 2531 ) श्री गिरीश गौतम : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिले के तहसील मऊगंज अंतर्गत राजस्व निरीक्षक मंडल में देवतालाब से तमरी सड़क का निर्माण कई दशक पूर्व किया गया थ, जिसका डामरीकरण पहले लोक निर्माण विभाग तथा बाद में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत सड़क का निर्माण किया गया? यह सड़क देवतालाब सोनवर्षा, घुघरी, पिपरी, ढनगन, पटपरा, तडौरा, पनिगवा, शुकुलगवां, तमरी आदि गांवों से निकलती है। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित सड़क राजस्व निरीक्षक मण्डल देवतालाब के किन-किन पटवारी हल्का से निकलती है तथा पटवारी हल्कावार खसरा नम्बर एवं रकबा का विवरण देवें। (ग) क्या उक्त प्रश्नांकित सड़क कई पटवारी हल्का में राजस्व रिकार्ड में भूमिस्वामी के कालम में म.प्र. शासन एवं विवरण में सड़क दर्ज है परंतु कई पटवारी हल्का में केवल सड़क दर्ज है और भूमिस्वामी के काल में व्यक्तियों का नाम दर्ज है? जिससे बार-बार सड़क की मरम्मत में बाधा उत्पन्न होती है और सड़क में अतिक्रमण भी किया जा रहा है जबकि इस सड़क से सैकड़ों की तादाद में वाहन एवं कई हजार यात्रियों को आवागमन होता है। (घ) उक्त प्रश्नांकित सड़क में जहां भूमिस्वामी के कालम में म.प्र. शासन दर्ज नहीं है क्या वहां भी म.प्र. शासन दर्ज किया जायेगा तथा जिन राजस्व अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा सड़क को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया उनके विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जायेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित ग्रामों की पटवारी हल्कावार खसरा नम्बर एवं रकबा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) देवतालाब तमरी मार्ग में कुल 9 पटवारी हल्कों के 15 ग्रामों में से कुल किता 31 रकबा 3.100 है. शासकीय भूमि दर्ज है। प्रचलित मार्ग में किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं है। प्रश्नांकित मार्ग में कुल किता 151 रकबा 6.666 है. भूमि में भूमिस्वामियों के नाम अभी भी दर्ज है। (घ) न्यायालयीन विधि एवं प्रक्रिया अंतर्गत भूमि म.प्र.शासन रास्ता दर्ज कराये जाने हेतु नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
शासकीय भूमियों पर अतिक्रमण
[राजस्व]
26. ( क्र. 2549 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा नगर एवं नगर की दो कि.मी. की परिधि अंतर्गत आने वाली शासन के स्वामित्व की राजस्व एवं नजूल भूमियों पर विगत वर्षों में लगातार अवैध कब्जे, अवैध निर्माण कार्य एवं अवैध आधिपत्य कर उन्हें षडयंत्र पूर्वक निजी भूमियों के नाम पर नामांतरण करवाये जा रहे है? (ख) यदि हाँ, तो जावरा नगर की सीमा से लगी भूमि सर्वे क्र. 960 (नवाबी रियासत की घुडदौड़) 30 से 40 फीट चौड़ाई की होकर लगभग 5 कि.मी. से अधिक लंबाई की दूरी की है, जिस पर अनेक विभिन्न अतिक्रमण किये जा रहे है? (ग) साथ ही भूमि सर्वें क्र. 640 एवं 670 (ताल नाका क्षेत्र) तथा जावरा क्लब की सर्वे क्र. 94 रकबा 0.544 पर एवं नगर में काटी गई कालोनियों के अंतर्गत भी शासकीय भूमियों पर अवैध निर्माण एवं अवैध कब्जे किये गये है? (घ) यदि हाँ, तो उपरोक्त उल्लेखित चिन्हित स्थानों के साथ ही शासन के राजस्व एवं नजूल रिकार्ड के दस्तावेजों में अंकित रिकार्ड के अनुसार स्थल पर अवैध कब्जे अतिक्रमण एवं किये गये अवैध निर्माण कार्यों को हटाये जाने हेतु शासन/विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 से लेकर वर्ष 2018-19 की अवधि तक क्या-क्या कार्यवाहियाँ की गई? उसके क्या परिणाम आए एवं अतिक्रमण मुक्त किये जाने हेतु आगामी क्या-क्या कार्यवाहियां की जा रही हैं?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में जी नहीं। कस्बा जावरा स्थित सर्वे क्रमांक 960 रकबा 0.379 हे. भूमि निजी स्वामित्व की भूमि है बतौर भूमिस्वामी मेसर्स गोल्ड स्टार इंफ्रा.प्रोजेक्ट लिमिटेड द्वारा अधिकृत प्रवीण पिता पारसमल बर्डिया वगेराह अन्य 2 दर्ज है। (ग) जी नहीं। कस्बा जावरा के ताल नाका क्षेत्र में सर्वे क्रमांक 640 रकबा 1.417 हे. मद रास्ता नजूल शासकीय एवं सर्वे क्रमांक 670 रकबा 0.025 हे.कुआं निजी ग्राम कुम्हारी के जावरा क्लब क्षेत्र के सर्वे क्रमांक 94 रकबा 0.544 हे. में आउटडोर व इनडोर स्टेडियम नगर पालिका परिषद् जावरा के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज है तथा इन भूमियों में अवैध निर्माण नहीं है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं होता।
बालिका सुधार गृह के संबंध में
[महिला एवं बाल विकास]
27. ( क्र.
2550 ) डॉ.
राजेन्द्र
पाण्डेय : क्या
महिला एवं बाल
विकास मंत्री
महोदया यह बताने
की कृपा
करेंगी कि (क) क्या
शासन/विभाग
द्वारा केन्द्र/राज्य
प्रवर्तित
योजनाओं के
माध्यम से
निराश्रित
बालिकाओं एवं
महिलाओं हेतु
रतलाम, मंदसौर एवं
नीमच जिला
अंतर्गत
किन-किन स्थानों
पर कौन-कौन से
केन्द्र
शासनाधीन
होकर संचालित
किये जा रहे
है? (ख) साथ
ही उपरोक्त
तीनों जिला
अंतर्गत
शासनाधीन
होकर केन्द्र
किन-किन स्थानों
पर कार्यरत है? पते
सहित सक्षम
अधिकारी/कर्मचारियों
के नाम सहित
एवं वहां पर
रह रही बालिकाओं
एवं महिलाओं
की संख्या
सहित जानकारी
दें। (ग) बताएं
कि क्या शासन/विभाग
के शासनाधीन
केन्द्रों
के अतिरिक्त
निजी संस्थाओं, एन.जी.ओ., सामाजिक
संस्थाओं
अथवा अन्य
किसी और माध्यम
से भी उक्ताशय
के कार्य किये
जाते रहे हैं? (घ) यदि
हाँ, तो
उपरोक्त उल्लेखित
प्रश्नागत (क) (ख) (ग) अंतर्गत
आने वाली समस्त
गतिविधियों
हेतु वर्ष 2014-15 से
लेकर वर्ष 2018-19 तक
की अवधि में
केन्द्रों
पर मारपीट, दुर्व्यवहार, यौन
प्रताड़ना
इत्यादि
कितनी
शिकायतें
प्राप्त हुई? उन पर
क्या
कार्यवाही
हुई, साथ
ही केन्द्रों
के संचालन
हेतु उपरोक्त
वर्षों में
वर्षानुसार
कितनी बजट राशि
प्राप्त
होकर कितना व्यय
हुआ?
महिला
एवं बाल विकास
मंत्री (
श्रीमती
इमरती देवी ) : (क) वर्तमान
में मंदसौर
एवं नीमच जिले
में निराश्रित
बालिकाओं के
लिए बालिका गृह
एवं शिशु गृह
संचालित है
एवं महिलाओं
हेतु स्वाधार
गृह संचालित
नहीं है। जिला
रतलाम में
बालिकाओं के
लिए कोई आश्रय
गृह एवं
स्वाधार गृह
संचालित नहीं
है। पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार
है। (ख) पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र ‘‘ब‘‘ अनुसार
है। (ग) जी
हाँ। पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार
है। (घ) हाँ, प्रश्नागत
(क) (ख) (ग) अंतर्गत
आने वाली
समस्त
गतिविधियों
हेतु वर्ष 2014-15 से
लेकर वर्ष 2018-19 तक
की अवधि में
अशासकीय
संस्था कुंदन
वेलफेयर, रतलाम
द्वारा
संचालित बालिका
गृह पर मारपीट, दुर्व्यवहार, यौन
प्रताड़ना की
एक शिकायत
प्राप्त हुई
है। जाँच
समिति द्वारा जाँच
किये जाने के
पश्चात उक्त
बालिका गृह को
बंद कर दिया
गया है एवं
संबंधित के
विरूद्ध
आपराधिक
प्रकरण दर्ज किया
गया है प्रकरण
न्यायालय में
विचाराधीन हैं। पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र ‘‘स‘‘ अनुसार
है। केन्द्रों
के संचालन
हेतु उपरोक्त वर्षों
में
वर्षानुसार
बजट राशि
प्राप्त होकर
व्यय की जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र ‘‘द‘‘ अनुसार
है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में हो रही अनियमितता
[महिला एवं बाल विकास]
28. ( क्र. 2600 ) श्री राकेश गिरि : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) टीकमगढ़ नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत बाल विकास परियोजना टीकमगढ़ शहर में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है? शहरी परियोजना के समस्त आंगनवाड़ी केन्द्रों में सांझा चूल्हा कार्यक्रम अंतर्गत किस समूह द्वारा नाश्ता, भोजन एवं थर्डमील का प्रदाय वर्तमान में किया जा रहा है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में प्रदायकर्ता समूह द्वारा प्रदाय नाश्ता एवं भोजन की गुणवत्ता परीक्षण हेतु शासन द्वारा क्या व्यवस्था नियत है? यदि हाँ, तो समूह द्वारा केन्द्रों में प्रदाय नाश्ता, भोजन एवं थर्डमील की गुणवत्ता का परीक्षण कब-किस समिति द्वारा कराया गया? वर्ष 2016-17 से 2019-20 तक की जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) क्या समस्त आंगनवाड़ी केन्द्रों के नाश्ता एवं भोजन रात में तैयार किया जाकर सुबह 12 बजे केन्द्रों में वितरित किया जाता है, जिससे नाश्ता एवं भोजन खराब स्थिति में वितरित होता है तथा नाश्ता एवं भोजन की गुणवत्ता बच्चों के खाने योग्य न होने के बाद भी निरंतर प्रदाय किया जा रहा है? इस अव्यवस्था के लिये कौन जिम्मेदार है और जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कब तक और क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) टीकमगढ़ शहरी क्षेत्र में वर्ष 2014-15 से 2019-20 प्रश्न दिनांक तक समूहों को भुगतान की गई कुल राशि का विवरण उपलब्ध करायें। यदि समूह द्वारा अनियमितता की जाना पाई जाती है तो क्या समूह के विरूद्ध कार्यवाही करते हुये समूह को हटाने की कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) टीकमगढ़ नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत बाल विकास परियोजना टीकमगढ़ शहरी में 74 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं। शहरी परियोजना के समस्त 74 आंगनवाड़ी केन्द्रों में सांझा चूल्हा कार्यक्रम के अंतर्गत चन्दा स्व सहायता समूह टीकमगढ़ द्वारा निर्धारित मीनू अनुसार नाश्ता, भोजन एवं थर्डमील का प्रदाय वर्तमान में किया जा रहा है। (ख) विभाग द्वारा पोषण आहार व्यवस्था के संबंध में जारी निर्देशों के अनुक्रम में महिला स्व सहायता समूह द्वारा प्रदाय नाश्ता एवं भोजन को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा प्रतिदिन चखकर एवं सप्ताह में कम से कम एक बार मातृ सहयोगिनी समिति/वरिष्ठ नागरिक की उपस्थिति में खाद्य सामग्री की मात्रा एवं गुणवत्ता परीक्षण के उपरांत ही हितग्राहियों को वितरण किये जाने का प्रावधान है। वर्ष 2016-17 से 2019-20 तक पर्यवेक्षक एवं परियोजना अधिकारी द्वारा परीक्षण प्रतिवेदन की सत्यापित प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ’’ अनुसार है। (ग) जी नहीं। शहरी क्षेत्र के 74 आंगनवाड़ी केन्द्रों में अनुबंधित समूह द्वारा प्रतिदिन ताजा पका हुआ नाश्ता एवं भोजन गुणवत्ता पूर्ण प्रदाय किया जाता है। समूह द्वारा नाश्ता एवं भोजन खराब स्थिति में वितरण संबंधी कोई षिकायत प्राप्त नहीं है। अतः कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं उठता है। (घ) टीकमगढ़ शहरी क्षेत्र में वर्ष 2014-15 से 2019-20 (अप्रैल 2019) तक भुगतान राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब’’ अनुसार है। समूह द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों में वितरित नाश्ता एवं भोजन के संबंध में कोई अनियमितता की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नल-जल एवं पेयजल व्यवस्था
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
29. ( क्र. 2653 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले के मझौली विकासखण्ड में बनास नदी आधारित समूह नल-जल योजना की स्वीकृति कब और कितनी राशि की गई थी? स्वीकृत राशि के साथ कितनी राशि व्यय की गई है? नल-जल योजना को कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में मझौली विकासखण्ड में बनास नदी आधारित समूल नल-जल योजना आज दिनांक तक पूर्ण नहीं की जा सकी है? इसके लिये कौन-कौन दोषी है? दोषी अधिकारी व कर्मचारी एवं संविदाकार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में अपूर्ण समूह नल-जल योजना को कब तक पूर्ण कराकर नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा? (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उक्त योजना के संबंध में कितनी बार क्षेत्रीय विधायक के द्वारा शिकायत की गई है? तत्संबंध में क्या कार्यवाही की गई?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) सीधी जिले के मझौली विकासखण्ड में बनास नदी आधारित समूह जल प्रदाय योजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 19.07.2013 को लागत रू. 81.6621 करोड़ की प्रदान की गई थी। इस योजना पर प्रश्न दिनांक तक रू. 51.19 करोड़ की राशी व्यय की गई है। योजना को दिनांक 30 सितम्बर 2019 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। (ख) बनास नदी आधारित मझौली समूह जल प्रदाय योजना के प्रस्तावित कार्य सोन घड़ियाल वन्य प्राणी अभयारण्य एवं संजय दूबरी टाईगर रिजर्व अंतर्गत होने के फलस्वरूप कार्यां की अनुमति राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड से प्राप्त करने में समय लगने के कारण कार्य में विलम्ब हुआ। योजना पूर्ण होने पर हुये विलम्ब का विस्तृत विश्लेषण किया जाकर उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जा सकेगा। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) दिनांक 30 सितम्बर 2019 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। योजना पूर्ण होने पर पेयजल प्रदाय किया जा सकेगा। (घ) कोई शिकायत इस कार्यालय को प्राप्त नहीं हुई है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
दोषियों पर कार्यवाही के साथ अतिक्रमण मुक्ति
[राजस्व]
30. ( क्र. 2668 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले के नगर पालिका, नगर निगम, नगर पंचायत एवं ग्राम पंचायतों में कितने शासकीय तालाब स्थित हैं? उनमें से कितने तालाबों में अतिक्रमण किया गया है? अतिक्रमण हटाने बावत् क्या कार्यवाही की गई? विवरण देवें। वर्तमान में किनके द्वारा तालाबों पर अतिक्रमण किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में शासकीय तालाबों के अतिक्रमण मुक्त कराये जाने बावत् शासन ने क्या कार्य योजना तैयार की है? क्या तालाबों के स्वरूपों में परिवर्तन कर अतिक्रमण किया गया है। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के तारतम्य में तालाबों के सुरक्षा अतिक्रमण मुक्त कराये जाने एवं उसके सौंदर्यीकरण एवं विकास बावत् क्या शासन द्वारा राशि प्रदान की गई? प्रश्नांश (क) के अनुसार जिले में कितने ऐसे तालाब हैं जिनसे सिंचाई की जाती है? यह भी बतावें कि इनसे मिलने वाले राजस्व का उपयोग किन कार्यों में किया गया एवं कितने तालाब नवीन सिंचाई बावत् तैयार करने हेतु जमीने अधिग्रहित की गई? (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के तालाबों के रख-रखाव अतिक्रमण मुक्त कराये जाने उनके गहरीकरण हेतु क्या शासन ने कोई नीति एवं नियम तैयार किये हैं, यदि हाँ, तो प्रति दें। राजस्व अभिलेखों में दर्ज रकबे अनुसार तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कब तक करा देंगे आज दिनांक तक इस बावत् कार्यवाही न करने के लिए किन राजस्व अधिकारियों को दोषी मानकर कार्यवाही प्रस्तावित करेंगे एवं प्रश्नांश (ग) अनुसार प्राप्त राजस्व का दुरूपयोग करने के जिम्मेदारों की पहचान कर उन पर क्या कार्यवाही करेंगे? अगर नहीं तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) सतना जिले में नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में कुल 1088 शासकीय तालाब स्थित है। उनमें से 62 तालाबों पर अतिक्रमण किया गया है। अतिक्रमण हटाने के लिए तहसीलदारों द्वारा भू-राजस्व संहिता की धारा 248 की तहत नियमित रूप से कार्यवाही की जाती है वर्तमान में जो प्रकरण संज्ञान में है उनमें तालाबों के आसपास के रहवासियों द्वारा सामान्यत: अतिक्रमण किया गया है। (ख) जिले में तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराये जाने के लिए म.प्र. भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों अनुसार अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही निरन्तर की जाती है। जिले में वर्तमान में तालाबों के स्वरूपों में परिवर्तन कर अतिक्रमण नहीं किया गया है। (ग) राजस्व विभाग से तालाबों की सुरक्षा अतिक्रमण मुक्त कराये जाने एवं सौंदर्यीकरण/विभाग हेतु कोई राशि प्रदान नहीं की गई है। जिले में शासकीय तालाबों से सिंचाई नहीं की जा रही है। इसलिए राजस्व प्राप्ति का प्रश्न ही नहीं है। (घ) जी नहीं। जिलों के तालाबों की सुरक्षा हेतु शासन की कोई पृथक नीति/नियम नहीं है। जिले में जिन तालाबों में अतिक्रमण है उनमें तहसीलदार द्वारा भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत प्रकरण दर्ज कर नियमानुसार कार्यवाही नियमित रूप से की जाती है। शेष प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता।
प्रदेश में किसान सम्मान निधि योजना से लाभांवित कृषक
[राजस्व]
31. ( क्र. 2744 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केन्द्र सरकार द्वारा इस वर्ष प्रारंभ की गई किसान सम्मान निधि योजना में प्रदेश के लगभग कितने किसान परिवारों को लाभ प्राप्त होगा? (ख) प्रश्नांक (क) अनुसार इस योजना को प्रदेश में कब तक लागू किया जायेगा? अभी तक लागू न किये जाने के क्या कारण हैं?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) पात्रता परीक्षण की कार्यवाही की जा रही है। तदुपरांत पात्र किसान परिवारों को लाभ प्राप्त होगा। (ख) योजना प्रदेश में लागू है। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
समर्थन मूल्य में बोनस की राशि प्रदाय करना
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
32. ( क्र. 2777 ) श्री के.पी. त्रिपाठी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. में किसानों के समर्थन मूल्य पर धान एवं गेहूँ खरीदी का समर्थन मूल्य का निर्धारण केन्द्र सरकार द्वारा नियत किया जाता है? केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर प्रदेश सरकार अपना अंश मिलाकर बोनस के रूप में अतिरिक्त मूल्य किसानों को अभी तक प्रदाय करती आई है। लेकिन इस वर्ष धान एवं गेहूँ के समर्थन मूल्य की खरीदी में बोनस क्यों नहीं दिया है? उपार्जन वर्ष 2018-19 में गेहूँ का समर्थन मूल्य क्या था? इसमें राज्य सरकार ने कितना बोनस दिया है? कृषक संख्यावार, तहसीलवार, पटवारी हल्कावार विवरण सहित बताएं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में यदि बोनस नहीं दिया गया है तो कब तक कितना बोनस दिया जावेगा? उपार्जन वर्ष 2018-19 में प्रदेश में कितने गेहूँ की खरीदी हुई है, खरीदी केन्द्रवार किसानों के संख्यात्मक विवरण सहित स्पष्ट करें।
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। राज्य सरकार द्वारा धान एवं गेहूँ उपार्जन पर विपणन वर्ष 2014-15 तक समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस की राशि का भुगतान किसानों को किया गया है। भारत सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान एवं गेहूँ पर बोनस दिए जाने की स्थिति में राज्य की लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अन्य योजनांतर्गत आवश्यकता के अतिरिक्त उपार्जित खाद्यान्न मात्रा का निराकरण राज्य को ही करने एवं उस पर होने वाला व्यय राज्य को वहन करने के निर्देश के कारण राज्य सरकार द्वारा उपार्जन मात्रा पर बोनस नहीं दिया जा रहा है। रबी विपणन वर्ष 2018-19 में गेहूँ का समर्थन मूल्य रू. 1735 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था। राज्य सरकार द्वारा गेहूँ उपार्जन पर बोनस का भुगतान न करने के कारण शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) भारत सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर उपार्जित खाद्यान्न पर बोनस दिए जाने पर प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रावधान के कारण राज्य के किसानों को रबी विपणन वर्ष 2019-20 में बोनस नहीं दिया गया है। रबी विपणन वर्ष 2018-19 में समर्थन मूल्य पर 73.16 लाख मे.टन गेहूँ का उपार्जन किया गया है। जिलेवार उपार्जन मात्रा की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
प्रदेश में वाटर लेवेल की स्थिति व जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करना
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
33. ( क्र. 2838 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के विभिन्न जिलों में फरवरी 2019 की स्थिति एवं जून 2019 की स्थिति में वाटर लेवेल की स्थिति क्या-क्या है? (ख) फरवरी 2019 से अभी तक प्रदेश के किन-किन जिलों/तहसीलों को जल अभावग्रस्त घोषित किया गया है? (ग) प्रश्नांक (ख) की अवधि में पेयजल संकट को दूर करने हेतु क्या-क्या योजनाएं शासन स्तर पर लागू की गई हैं? जल अभावग्रस्त जिलों/तहसीलों में पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जून 2019 तक कितनी-कितनी राशि व्यय की गई?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 के अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) आवश्यकता अनुसार वित्तीय संयोजन के आधार पर नवीन नल-जल योजनाओं का क्रियान्वयन, नवीन नलकूप खनन हैण्डपंप स्थापना का कार्य, जलस्तर नीचे जाने से बंद हैण्डपंपों में राइजर पाईप बढ़ाने एवं हैण्डपंप के स्थान पर नलकूपों में सिंगलफेस मोटरपंप स्थापित कर पेयजल उपलब्ध करवाने की योजनाएं लागू की गई। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
निविदा शर्तों का उल्लंघन
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
34. ( क्र. 2913 ) श्री रामकिशोर कावरे : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पो. एवं मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्या. द्वारा जब निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं, तब निविदा दस्तावेज की शर्तों में स्पष्ट उल्लेख होता है, कि समस्त परिवहन कार्य निर्धारित भारक्षमता अनुसार ही कराया जाएगा एवं परिवहनकर्ता को जो दरें स्वीकृत की जाएगी वह निर्धारित भारक्षमता (अंडर लोड) कार्य करने के लिए होंगी, जबकि परिवहन कार्य प्रारंभ होते ही मानक भारक्षमता से अधिक ओवरलोड परिवहन कराया जाता है? यदि हाँ, तो जानकारी देवें। (ख) निविदा दस्तावेज में यह भी शर्त है कि मानक भारक्षमता से अधिक (ओवरलोड) कार्य करने वाले परिवहनकर्ता के विरुद्ध विधि के अनुरुप कार्यवाही की जाएगी व पेनाल्टी शासित की जावेगी, यदि हाँ, तो विगत एक वर्ष में अभी तक कितने परिवहनकर्ता से कितनी राशि वसूली गई? (ग) मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन द्वारा जबलपुर संभाग में चावल व मोटा अनाज की निविदा क्रमांक 1704 एवं रबी खरीफ उपार्जन की निविदा क्रमांक 25229 में, क्षेत्रीय प्रबधक कार्यालय स्थित संभागीय परिवहन निविदा समिति द्वारा, निविदा में चाही गई तकनीकी अर्हता को पूर्ण न करने वाले निविदाकार को असफल कर घोषित कर दिया गया तथा बाद में उसे सफल घोषित कर दिया गया। क्या विभाग के द्वारा इस अनियमितता की जाँच कराई जायेगी?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ, परिवहनकर्ता की नियुक्ति जारी दस्तावेजों में समस्त परिवहन कार्य निर्धारित भार क्षमतानुसार ही कराए जाने एवं उसके अनुसार दरें आमंत्रित की जाती है, निर्धारित भार क्षमता अनुसार परिवहन करने की समस्त जिम्मेदारी परिवहनकर्ता की होती है। निविदा शर्त की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। विगत एक वर्ष में ऐसे किसी भी प्रकरण में कार्यवाही नहीं की गई है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन द्वारा जबलपुर संभाग में एल.आर.टी. सामान्य चावल की निविदा में एक परिवहनकर्ता की निविदा क्षेत्रीय स्तर पर नहीं खोली गई थी तत्पश्चात् परिवहनकर्ता के आवेदन पर टेण्डर की कंडिका में यह प्रावधान कि ट्रकों के फिटनेस का प्रमाणीकरण अनुबंध के समय मांगा जाता है, के आधार पर योग्य घोषित करते हुए निविदा मान्य कर दरें खोली गई। इसी प्रकार, रबी एवं खरीफ की निविदा में यही स्थिति थी जिसे निविदा की कंडिका के अनुसार मान्य कर परिवहनकर्ता की निविदा की दरें खोली गईं। इस प्रकार निविदा में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विभाग के स्वामित्व की भूमि का बंटवारा
[राजस्व]
35. ( क्र. 2945 ) श्री ठाकुर दास नागवंशी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम बीजनवाड़ा तहसील पिपरिया, जिला होशंगाबाद में स्थित भूमि मूल खसरा नं. 20 (शासकीय म.प्र. शासन) भूमि स्वामी/जल संसाधन विभाग के स्वामित्व की भूमि का बंटवारा कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पिपरिया द्वारा प्रकरण क्रमांक 15 आ.दि. दिनांक 30/04/2016 के अनुसार (तहसीलदार द्वारा स्वीकार किया गया हैं) कर खसरा नं. 20/3 रकबा 0.708 हेक्टेयर पुलिस विभाग को एवं खसरा नं. 20/2 रकबा 0.109 हेक्टेयर लोक अभियोजन विभाग को आवंटित की गयी हैं? (ख) यदि हाँ, तो क्या भूमि स्वामी/जल संसाधन विभाग से सहमति/विक्रय पत्र/अनुमति ली गयी हैं? यदि हाँ, तो प्रमाणित छायाप्रति प्रदान करें। (ग) यदि हाँ, है तो बंटवारा किस नियम के तहत किया गया हैं? यह अधिकार किसको है? प्रकरण के समस्त दस्तावेजों की एवं दायरा पंजी में दर्ज इस प्रकरण के पृष्ठ की प्रमाणित छायाप्रति दी जावे। (घ) प्रश्नांश (ख) का उत्तर यदि नहीं, है तो क्या यह बंटवारा नियम विरूद्ध कर भूमि आवंटित की गयी हैं, यदि हाँ, तो इसके लिये कौन उत्तरदायी हैं, क्या उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जावेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। (ख) से (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
प्रदेश के शासकीय चिकित्सा संस्थाओं में उपकरण की उपार्जन प्रक्रिया
[चिकित्सा शिक्षा]
36. ( क्र. 3008 ) श्री संजय यादव : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश की शासकीय चिकित्सा संस्थाओं में उपकरण की उपार्जन प्रक्रिया हेतु मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कार्पोरेशन का गठन किया गया था यदि हाँ, तो इस कार्पोरेशन में क्या कमियां थी जो मध्यप्रदेश शासन को चिकित्सा उपकरण उपार्जन हेतु HITES नामक संस्था से अनुबंध करना पड़ा? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत क्या शासनादेश के तहत रूपये तीस लाख प्रति यूनिट तक का क्रय MPPHSCL से किया जा सकता है? यदि हाँ, तो मध्यप्रदेश के शासकीय चिकित्सा संस्थानों द्वारा कब-कब तीस लाख रूपये प्रति यूनिट की लागत से कम के क्रय हेतु HITES को टेंडर दिया गया? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के तहत कि क्या HITES से उपकरण उपार्जन हेतु प्रदेश सरकार को 100 प्रतिशत राशि एडवांस में देना पड़ता है? यदि हाँ, तो क्या घाटे के सौदे वाले MOU को रद्द किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। चिकित्सा महाविद्यालयों की टर्सरी केयर, सात नवीन चिकित्सा महाविद्यालयों को एम.सी.आई. के नार्म्स अनुसार समय-सीमा में खोलने व सुपरस्पेशलिटी की आवश्यकताओं के अनुरूप MPPHCL के अतिरिक्त HITES को भी high ended उपकरणों के लिये कैबिनेट से पारित आदेश उपरान्त दिनांक 25.03.2017 अधिकृत किया गया है। (ख) जी हाँ। सामग्री की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। उक्त अग्रिम राशि पर बैंक से प्राप्त ब्याज संस्था को प्राप्त होता है, अत: घाटे का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सीधी एवं सिंगरौली जिले में पात्र हितग्राहियों को कूपन प्रदाय
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
37. ( क्र. 3022 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले में कितने पात्र हितग्राहियों को खाद्यान्न कूपन जारी किये गये हैं? कितने पात्र हितग्राहियों को इस सुविधा से वंचित रखा गया है विकासखण्डवार, वर्गवार जानकारी उपलब्ध करायें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, पेंशनधारी एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले कितने पात्र हितग्राहियों को खाद्यान्न कूपन जारी नहीं किया गया है? उन्हें कब तक खाद्यान्न कूपन जारी कर दिया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितने अपात्र हितग्राहियों को खाद्यान्न कूपन दिया गया है? यदि हाँ, तो विकासखण्डवार, वर्गवार जानकारी उपलब्ध करायें? अपात्र हितग्राहियों की जाँच कराकर उन्हें जारी किया गया खाद्यान्न कूपन निरस्त किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में शासन द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत में उचित मूल्य की दुकानें संचालित करने का नियम है? यदि हाँ, तो क्या सभी ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य की दुकानें संचालित हैं? कितनी उचित मूल्य की दुकानें भवन विहीन हैं? भवन विहीन उचित मूल्यों की दुकानों के लिये भवन का निर्माण कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत जारी वैध पात्रता पर्ची (ई-राशनकार्ड) धारक परिवारों की श्रेणीवार एवं विकासखण्डवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। वैध पात्रता पर्चीधारी परिवारों को राशन से वंचित नहीं किया गया है। (ख) अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, पेंशनधारी एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले जिला सीधी में 1,92,522 एवं सिंगरौली में 1,97,234 परिवार पात्रता पर्ची जारी की गई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत प्रदेश की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 75 प्रतिशत आबादी की सीमा तक ही लाभ दिया जा सकता है। इस सीमा से अधिक हितग्राहियों को लाभांवित करने का प्रावधान अधिनियम की धारा-3 के अंतर्गत नहीं है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत पात्र परिवारों को स्थानीय निकाय द्वारा सत्यापन उपरांत पात्रता पर्ची (ई-राशनकार्ड) जारी की जाती है। वर्तमान में सम्मिलित पात्र परिवारों में से हितग्राही की मृत्यु होने, विवाह होने से, अन्य स्थान पर निवास करने एवं पात्रता श्रेणी में न रहने के कारण हितग्राही की पात्रता में परिवर्तन होना एक निरंतर प्रक्रिया है। तदनुसार नवीन पात्रता पर्ची निर्धारित सीमा में जारी की जाती है। जिले में 01 मई, 2017 की स्थिति में परिवारों की संख्या के विरूद्ध जितने अपात्र परिवारों को पोर्टल पर विलोपित किया जाता है, उतनी ही संख्या में संबंधित जिले के नवीन सत्यापित परिवारों को सम्मिलित किया जाता है। जुड़ने वाले नवीन परिवारों में बी.पी.एल. एवं अनुसूचित जाति/जनजाति श्रेणी को प्राथमिकता दी जाती है। (ग) जी नहीं। वर्तमान में सम्मिलित परिवारों में से मृत्यु होने, प्रवास करने एवं पात्रता श्रेणी में न रहने आदि कारणों से अपात्र हुए परिवारों का विलोपन एक सतत् प्रक्रिया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी हाँ। प्रत्येक ग्राम पंचायत में शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालित करने का नियम है। सीधी एवं सिंगरौली जिले की सभी ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य दुकानें संचालित है। जिला सीधी- 256 एवं सिंगरौली- 190 उचित मूल्य दुकानें किराए के भवनों में संचालित है।
उज्जैन, इंदौर संभाग की राशन दुकानों में घोटाला
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
38. ( क्र. 3038 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन-इंदौर संभाग में उचित मूल्य (कन्ट्रोल) की 2004 जनवरी तथा 2019 जनवरी को कितनी-कितनी दुकानें थी, जिलेवार सूची भी देवें तथा इंदौर, उज्जैन, रतलाम तथा धार, मंदसौर, झाबुआ शहर की शासकीय उचित मूल्य दुकानों की शहर अनुसार कुल हितग्राही की संख्या जनवरी 2014 तथा जनवरी 2018 की बतावें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित शहरों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 तथा मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना अंतर्गत शहर की प्रत्येक राशन की दुकान में जनवरी 2014 तथा जनवरी 2018 की अन्त्योदय परिवार, अन्त्योदय सदस्य, प्राथमिकता परिवार, प्राथमिकता सदस्यों की संख्या बतावें। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित राशन दुकानों द्वारा उल्लेखित वर्ष के जनवरी माह में कौन-कौन सी वस्तु किस-किस मात्रा में वितरित की गई, यदि मात्रा में कमी हुई या वृद्धि हुई तो उसका कारण बतावें? (घ) क्या रतलाम शहर में राशन वितरण में घोटाले पर प्रकरण दर्ज हुआ तो वह किस अवधि से किस अवधि का है, घोटाला किस तरह किया गया है, कितनी दुकानों का प्रकरण है, क्या शेष दुकानों पर इस प्रकार का घोटाला जाँच में नहीं पाया गया, यदि हाँ, तो जाँच रिपोर्ट की प्रति देवें तथा दर्ज FIR की प्रति देवें?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) उचित मूल्य दुकानों की संख्या की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। शेष प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘द’ अनुसार है। (घ) रतलाम शहर में राशन वितरण में मार्च 2014 से मार्च 2017 तक की अवधि में अनुविभागीय अधिकारी के प्रतिवेदन अनुसार काल्पनिक परिवारों को राशन वितरण किये जाने की अनियमितता पायी गई हैं। उक्त अवधि में रेन्डम पद्धति से 08 दुकानों की जाँच में अनियमितता पाये जाने पर एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई। जाँच रिपोर्ट की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ई' अनुसार तथा एफ.आई.आर. की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'फ' अनुसार है।
सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
39. ( क्र. 3039 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र की कुल आबादी में से कितने प्रतिशत आबादी को शुद्ध पेयजल प्राप्त नहीं हो रहा है। शुद्ध पेयजल किसे कहा जाता है तथा उसका पैरामीटर क्या-क्या है। जितनी आबादी को शुद्ध पेयजल दिया जा रहा है उसका परीक्षण आखिर में किस दिनांक को किया गया। (ख) शुद्ध पेयजल आदिवासी बहुल इलाके में उपलब्ध कराने हेतु, सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र में, पिछले 03 वर्षों में क्या-क्या कार्य किये गये तथा उन कार्यों पर कितना-कितना व्यय किया गया। (ग) सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र में कितनी आबादी पाईप लाइन से, तालाब, कुएं से तथा ट्यूबवेल से पीने का पानी उपयोग कर रही है। उन पानी के परीक्षण का क्या रोस्टर है तथा पिछले वर्ष यदि परीक्षण किया गया हो तो प्रत्येक जल स्त्रोत के परीक्षण रिपोर्ट की प्रति देवें। (घ) सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र में कितने ट्यूबवेल मई 2019 तक जीवित है। कुल ट्यूबवेल से उनका प्रतिशत क्या है। जिस गांव में स्त्रोत ट्यूबवेल है, उनमें से कितने ट्यूबवेल गर्मी में बंद हो गये। उन गांवों में गर्मी में पीने के पानी की क्या व्यवस्था की गई।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) शत्-प्रतिशत आबादी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध है। जो जल भौतिक, रासायनिक व जीवाणु परीक्षण में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित गुणवत्ता के मापदंडों के अनुरूप हो, उसे शुद्ध पेयजल कहा जाता है। मुख्य पैरामीटर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट प्रपत्र-1 एवं समस्त पैरामीटर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। सतही स्रोत आधारित (तालाब, बांध) योजनाओं से प्रदाय किये जाने वाले जल का नियमित रूप से परीक्षण किया जाता है। नलकूप एवं कुंए आधारित पेयजल योजनाओं के जल का परीक्षण निर्धारित मापदण्ड एवं आवश्यकतानुसार नियमित अंतराल से सतत् प्रक्रिया के तहत किया जाता है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (ग) वर्तमान आबादी 3,48,367 आबादी में से नल-जल योजना की पाईप लाइन के माध्यम से-97984 आबादी को, तालाब (बांध) आधारित योजना से-69003 आबादी को, कुएँ एवं नलकूपों (हैण्डपंप) के माध्यम से-3,48,367 (शत्-प्रतिशत) आबादी को पेयजल उपलब्ध है। रोस्टर अनुसार कुएँ एवं नलकूपों के जल नमूनों के रासायनिक परीक्षण वर्ष में एकबार एवं जीवाणु परीक्षण दो बार तथा आवश्यकता अनुसार किया जाता है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। (घ) 1576 ट्यूबवेल ( हैण्डपंप) कार्यरत हैं जिनका कुल स्थापित ट्यूबवेल (हैण्डपंप) से प्रतिषत 72.72 है। 591 ट्यूबवेल (हैण्डपंप) गर्मी में जल स्तर नीचे जाने से बंद हो गये थे, जिन ग्रामों में अत्यधिक जलस्तर नीचे जाने से हैण्डपंप बंद हो गये थे उनमे राईजर पाईप बढ़ाकर एवं हैण्डपंप के स्थान पर सिंगल फेस मोटरपंप स्थापित कर पेयजल की व्यवस्था की गई है।
मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में अनियमितता
[चिकित्सा शिक्षा]
40. ( क्र. 3095 ) श्री विनय सक्सेना : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर के तत्कालीन नामांकन प्रभारी द्वारा सत्र 2017-18 में विभिन्न सम्बद्ध कॉलेजों के आवंटित सीटों से अधिक छात्रों के नामांकन किये गये हैं? यदि हाँ, तो ऐसे महाविद्यालयों की आवंटित सीटों तथा नामांकित छात्रों एवं परीक्षा में बैठे छात्रों की सूची देवें। (ख) विगत 2 वर्षों में मुरैना, ग्वालियर, मंदसौर जिलों के कालेजों के कुल कितने छात्रों को नामांकित किया गया और कितने छात्र परीक्षाओं में सम्मिलित हुए? कालेजवार सूची देवें। (ग) क्या उक्त विश्वविद्यालय में परीक्षा नियन्त्रक के रूप में कार्य करने हेतु, आचार्य पद का तीन वर्ष का अनुभव होना आवश्यक है? यदि हाँ, तो क्या वर्तमान परीक्षा नियन्त्रक को आचार्य पद का तीन वर्ष का अनुभव है? यदि नहीं, तो उन्हें परीक्षा नियन्त्रक का प्रभार क्यों दिया गया? (घ) क्या वर्तमान परीक्षा नियन्त्रक को नामांकन प्रभारी रहते हुए नामांकन में की गयी अनियमितता के लिए हटाया गया था? यदि हाँ, तो तत्पश्चात उससे महत्वपूर्ण, परीक्षा नियन्त्रक का प्रभार क्यों दिया गया तथा उन्हें नामांकन में की गयी गड़बड़ी के लिए मूल विभाग वापस क्यों नहीं भेजा गया?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। विश्वविद्यालय आटोमेशन कार्य हेतु अनुबंधित फर्म मेसर्स रीको/न्यासा द्वारा सत्र 2017-18 के लिए ऑनलाइन नामांकन आवेदन जमा कराए गए थे। कार्य में गलतियां एवं समय-सीमा का पालन नहीं करने के कारण विश्वविद्यालय द्वारा मेसर्स रीको/न्यासा के साथ अनुबंध समाप्त किया गया है। अनुबंध समाप्ति उपरांत मेसर्स रीको/न्यासा द्वारा विश्वविद्यालय को नामांकन का डाटा उपलब्ध नहीं कराया गया। विश्वविद्यालय द्वारा तत्पश्चात् ऑनलाइन डाटा के अभाव में ऑफलाइन नामांकन आवेदन पत्र महाविद्यालयों से प्राप्त करके महाविद्यालय को आवंटित सीटों के प्राचार्य द्वारा प्रमाणीकरण उपरांत विश्वविद्यालय अध्यादेश क्रमांक एफ Eligibility-Enrollment of students for undergrduate course की कंडिका 6,7 एवं 8 अनुसार नामांकन किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 अनुसार है। निम्नांकित महाविद्यालयों के प्राचार्यों द्वारा आवंटित संस्था से अधिक संख्या में विद्यार्थियों के आवेदन प्रमाणित करके आवेदन विश्वविद्यालय को भेजे गए थे:- 1. प्रेस्टन कॉलेज आफ नर्सिंग, ग्वालियर- बी.एस.सी. नर्सिंग पाठयक्रम स्वीकृत सीट संख्या-40, प्रवेशित विद्यार्थी-50. 2. द एकेडमी आफ नर्सिंग साइंस, ग्वालियर- पोस्ट बेसिक बी.एस.सी. नर्सिंग पाठयक्रम स्वीकृत सीट संख्या-30, प्रवेशित-40. 3. माधवी राजे नर्सिंग कालेज, मुरैना- पोस्ट बेसिक बी.एस.सी. नर्सिंग पाठयक्रम स्वीकृत सीट संख्या-20, प्रवेशित विद्यार्थी-40. नामांकन शाखा द्वारा परीक्षण उपरोक्तानुसार प्रेस्टन कालेज आफ नर्सिंग, ग्वालियर के 10 द एकेडमी आफ नर्सिंग साईंस, ग्वालियर के 10 एवं माधवी राजे नर्सिंग कालेज, मुरैना के 20 विद्यार्थियों के नामांकन निरस्त किए गए हैं तथा कार्य परिषद द्वारा उक्त विद्यार्थियों की परीक्षाएं अमान्य की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 पर है। (ग) जी हाँ। नहीं। वर्तमान में कोई भी परीक्षा नियंत्रक विभाग द्वारा पदस्थ नहीं है। योग्य आचार्य उपलब्ध होने तक रिक्त पद की पूर्ति हेतु प्रशासकीय कारणों से अस्थाई प्रभार दिया गया है। (घ) नहीं, वर्तमान में परीक्षा नियंत्रक द्वारा नामांकन में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं की गई। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता।
धान खरीदी केन्द्रों की जानकारी
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
41. ( क्र. 3124 ) श्री हरदीपसिंह डंग : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक मंदसौर जिले में कितने केन्द्रों पर धान खरीदी का कार्य किया गया है? केन्द्रों के नाम सहित जानकारी देवें। (ख) शासन द्वारा धान खरीदी केन्द्रों पर किसानों हेतु क्या-क्या सुविधा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं के नाम सहित जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) शासन द्वारा जिले को कितनी राशि उपलब्ध कराई गई थी तथा प्रत्येक खरीदी केन्द्र पर उपलब्ध कराई गई राशि की केन्द्रवार जानकारी देवें। (घ) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में खरीदी केन्द्रों पर किसान की सुविधा हेतु समस्त मदों पर खर्च की गई राशि का ब्यौरा, मद का नाम और खर्च की गई राशि की केन्द्रवार अलग-अलग जानकारी उपलब्ध करावें।
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) मंदसौर जिले में धान उत्पादन क्षेत्र न होने के कारण खरीफ विपणन मौसम 2018-19 हेतु धान उपार्जन हेतु कोई केन्द्र स्थापित नहीं किया गया। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) मंदसौर जिले में धान उपार्जन केन्द्र स्थापित न होने के कारण सुविधा उपलब्ध कराने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विधानसभा क्षेत्र पंधाना अंतर्गत स्वीकृत पेयजल योजनाएं
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
42. ( क्र. 3136 ) श्री राम दांगोरे : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पंधाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत मुख्यमंत्री पेयजल योजनाएं कितने ग्रामों में विगत 5 वर्षों में स्वीकृत है एवं कितने ग्रामों में पूर्ण हो चुकी है व कितने ग्रामों में अपूर्ण है? (ख) योजना जिन गांवों में पूर्ण हो चुकी है क्या वहां सफलतापूर्वक संचालित हो रही है यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ यदि नहीं, तो क्यों संचालित नहीं हो रही है? (ग) पंधाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम घाटाखेड़ी में 24 × 7 के आधार पर जो योजना विभाग द्वारा बनाई गई थी क्या वहां यह योजना संचालित हो रही है? (घ) यदि नहीं, तो ग्राम पंचायत घाटाखेड़ी में अभी तक इस योजना 24 × 7 पर कितनी राशि व्यय की जा चुकी है?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) 13 ग्रामों में। 08 ग्रामों में पूर्ण एवं 05 ग्रामों में अपूर्ण है। (ख) जी हाँ, 08 ग्रामों (विकासखण्ड छेगांवमाखन के ग्राम सोनगीर, आवल्याखारवा, टेमीकला, टाकलीमोरी एवं विकासखण्ड पंधाना के ग्राम टाकलीकला, बगमार, बामंदा रैयत एवं बलखडघाटी) में योजना संचालित हो रही है। (ग) जी नहीं। विभाग द्वारा सामान्य नल-जल योजना बनाई गई है, जो संचालित है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
कुपोषण निवारण
[महिला एवं बाल विकास]
43. ( क्र. 3157 ) श्री सीताराम : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) श्योपुर जिले के कराहल विकास खण्ड में कुपोषण निवारण के क्या-क्या उपाय किये गये हैं? (ख) कुपोषण निदान हेतु प्रत्येक परिवार को मिलने वाली राशि रू.1000 (एक हजार) प्रतिमाह का कब तक का भुगतान हो चुका है? यदि नहीं, हुआ है तो क्यों? स्थिति स्पष्ट करें। (ग) वर्ष 2015-16 से आज दिनांक तक कुपोषित बच्चों की श्रेणीवार एवं वर्षवार जानकारी दें? (घ) कुपोषण निदान हेतु सस्ते दर पर कुपोषित बच्चों हेतु मूंग की दाल दी गई, वह कब से नहीं दी गई और कब से दी जायेगी? क्या योजना बंद हो चुकी है? यदि नहीं, तो भविष्य में क्या उपाय है? यदि हाँ, तो क्यों बंद कर दी गई। स्थिति स्पष्ट करें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) श्योपुर जिले के कराहल विकास खण्ड में कुपोषण निवारण हेतु किये गये उपाय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘