मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
दिसम्बर, 2022 सत्र
बुधवार, दिनांक 21 दिसम्बर, 2022
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
वन
विभाग के
कार्यों की
जानकारी
[वन]
1. ( *क्र. 938 ) श्री अनिल जैन : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र में विकास हेतु एवं आदिवासियों की मूलभूत सुविधाओं हेतु सरकार के द्वारा वन विभाग के विभिन्न कार्य स्वीकृत किये गए हैं? (ख) प्रश्नांकित (क) अनुसार यदि हाँ, तो विगत 03 वर्षों में कौन-कौन से मद से कितनी-कितनी राशि के कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये थे? कार्यवार, राशिवार एवं किन-किन स्थानों पर उक्त कार्य किये गये? सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) उक्त स्वीकृत कार्यों में से कितने कार्य पूर्ण, अपूर्ण एवं प्रगतिरत हैं? अपूर्ण कार्यों को कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा? उक्त कार्यों की कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया है, कितनी राशि भुगतान हेतु शेष है तथा सत्यापनकर्ता अधिकारी का नाम एवं निर्माण कार्य एजेंसी का नाम बतावें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
जलाशयों का निर्माण
[जल संसाधन]
2. ( *क्र. 951 ) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दमोह जिले की जबेरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पारना जलाशय के निर्माण हेतु तीन बार निविदाओं का आमंत्रण किया गया है? निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात निर्माण एजेंसी निर्धारित की गई, किंतु एजेंसी द्वारा कार्य न किए जाने के कारण तीन बार निविदा प्रक्रिया निरस्त हुई है, इसका क्या कारण है? क्या निविदा प्रक्रिया के नियमों में शिथिलता व सरलीकरण की आवश्यकता है? चौथी बार निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर कब तक निर्माण कार्य पूर्ण किया जायेगा? (ख) जल संसाधन विभाग, उप संभाग तेंदूखेड़ा के अंतर्गत झापन नाला जलाशय, देवरी जलाशय आदि योजनाएं मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल में लंबित हैं? यदि हाँ, तो उक्त योजनाओं पर आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? (ग) उक्त योजनाओं की विभागीय स्वीकृतियां कब तक पूर्ण की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) वस्तुस्थिति यह है कि दमोह जिले की जबेरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पारना जलाशय के निर्माण हेतु तीन बार निविदाओं का आमंत्रण किया गया। निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात प्रथम बार वन भूमि प्रभावित होने, द्वितीय बार एकल निविदा प्राप्त होने के कारण एवं तृतीय बार एजेंसी द्वारा समय पर अनुबंध न करने के कारण निविदा निरस्त की गई। जी नहीं, निविदा प्रक्रिया के नियमों में शिथिलता व सरलीकरण की आवश्यकता नहीं है। चौथी बार निविदा आमंत्रण करने की प्रक्रिया प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग भोपाल कार्यालय में प्रचलन में है। निविदा की समस्त प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात कार्य प्रारंभ कराना संभव होगा। निर्माण कार्य पूर्ण करने हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) तथ्यात्मक स्थिति यह है कि झापन नाला जलाशय योजना की हाइड्रोलॉजी की स्वीकृति एवं देवरी जलाशय योजना की डी.पी.आर. अधीक्षण यंत्री, जल संसाधन मण्डल सागर कार्यालय में परीक्षणाधीन होना प्रतिवेदित है। (ग) शासन स्तर पर डी.पी.आर. प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर स्वीकृति हेतु निर्णय लिया जाना संभव होगा। स्वीकृति हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
नहरों की लाईनिंग का गुणवत्ताहीन कार्य
[जल संसाधन]
3. ( *क्र. 919 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर के अंतर्गत वर्ष 2022 तक कितनी वृहद/मध्यम/लघु सिंचाई परियोजनायें संचालित हैं? नाम सहित जानकारी देवें। (ख) इन परियोजनाओं में जो लाईनिंग एवं पक्कीकरण का कार्य हुआ है, वह अत्यन्त ही गुणवत्ताहीन है, इस पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा नहरों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने एवं गुणवत्ताहीन कार्य होने के संबंध में विभाग को पत्र प्रेषित किये गये थे? यदि हाँ, तो कब-कब तथा प्रश्नकर्ता के पत्र पर विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक की स्थिति में कब-कब और क्या-क्या कार्यवाही की गई? सम्पूर्ण विवरण सहित बतावें। (घ) बाईं तट नहरों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने तथा गुणवत्ताहीन कार्य होने से कौन-कौन अधिकारी एवं एजेन्सी जिम्मेदार हैं? अधिकारी एवं ठेकेदार का नाम बताते हुये क्या विभाग द्वारा उनके विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर के अंतर्गत वर्ष 2022 तक तवा वृहद परियोजना की दायीं तट नहर 0 से 07.10 कि.मी. तक दायीं तट नहर की पिपरिया शाखा नहर के 0 से 28.29 कि.मी. तक, बागरा शाखा नहर के कि.मी. 0 से कि.मी. 23.59 तक बायीं तट नहर प्रणाली के 0 से 23.47 कि.मी. तक तथा एक गुड्डीखेड़ा लघु जलाशय संचालित होना प्रतिवेदित है। (ख) नहर लाईनिंग एवं पक्कीकरण का कार्य मापदण्डों के अनुरूप कराया गया है, जिस स्थान पर गुणवत्ताहीन कार्य हुआ था, वहाँ लाईनिंग के कार्य को तोड़कर ठेकेदार से स्वयं के व्यय पर पुनः लाईनिंग का कार्य कराया जाना प्रतिवेदित है। (ग) अभिलेख अनुसार कार्य पूर्ण नहीं होने तथा गुणवत्ताहीन कार्य से संबंधित माननीय सदस्य का कोई पत्र शासन स्तर पर विभाग में प्राप्त नहीं होना प्रतिवेदित है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) बायीं तट नहर का कार्य पूर्ण हो चुका है। बायीं तट नहर की आर.डी. 6523 से 23470 मीटर के मध्य लाईनिंग कार्य में कुछ स्थान पर गुणवत्ता अनुसार कार्य नहीं पाये जाने पर तत्काल कार्यवाही करते हुये उक्त स्थानों की लाईनिंग को तोड़कर संबंधित ठेकेदार मेसर्स सोरठिया वेलजी रतनम एण्ड कम्पनी से स्वयं के व्यय पर पुनः विभागीय मापदण्ड एवं गुणवत्तानुसार कार्य संपादित कराया जाना प्रतिवेदित है। कार्य से संबंधित अधिकारियों को जाँच उपरांत दोषी पाये जाने पर प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग के आदेश दिनांक 08.02.2018 द्वारा दण्डित कर एक-एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी जाना प्रतिवेदित है। दोषी अधिकारी के नाम निम्नानुसार है :- (1.) श्री अरविंद कुमार यादव, सहायक यंत्री। (2.) श्री एम. एल. चन्द्रोल, उपयंत्री। (3.) श्री बी. के. उपाध्याय, उपयंत्री। (4) श्री एन.के. सूर्यवंशी, उपयंत्री।
अनुग्रह सहायता के लंबित प्रकरण
[श्रम]
4. ( *क्र. 814 ) श्री बाबू जन्डेल : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सम्बल योजनान्तर्गत जनपद पंचायत श्योपुर में सामान्य मृत्यु के सामान्य अनुग्रह सहायता के पात्र हितग्राही 202 तथा दुर्घटना मृत्यु के 15 प्रकरण स्वीकृत होकर भुगतान हेतु लंबित हैं? यदि हाँ, तो प्रकरणवार (हितग्राहियों का), दिनांकवार कब से लंबित हैं? अवगत करायें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार स्वीकृत एवं पात्र प्रकरणों का भुगतान लंबित रहने का क्या कारण है? (ग) क्या ज.पं. श्योपुर में लम्बे समय से लंबित पात्र प्रकरणों की भांति ही श्योपुर जिले के समीपस्थ जिले शिवपुरी की ज.पं. करैरा, पोहरी या अन्य जनपदों में भी उक्त अवधि का भुगतान लंबित है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या उक्त जनपदों में भुगतान किये जाने के नियम मापदण्ड पृथक से बने हैं? यदि हाँ, तो अवगत करावें। (घ) प्रश्नांश (क) अनुसार ज.पं. श्योपुर में अनुग्रह सहायता के लंबित प्रकरणों का भुगतान कब तक किया जावेगा? यदि नहीं, तो कारण बतावें।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। वस्तुतः जनपद पंचायत, श्योपुर में सामान्य मृत्यु के 190 प्रकरण भुगतान हेतु, 13 प्रकरण पात्रता सत्यापन हेतु लंबित है एवं दुर्घटना मृत्यु के 13 प्रकरण भुगतान हेतु एवं पात्रता सत्यापन हेतु 02 प्रकरण लंबित हैं, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) स्वीकृत एवं पात्र प्रकरणों में बजट उपलब्धता अनुसार भुगतान किया जाता है। (ग) जी नहीं। पूरे प्रदेश में समान नियम से भुगतान किया जाता है। (घ) स्वीकृत एवं पात्र प्रकरणों में बजट उपलब्धता अनुसार भुगतान किया जाता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
खनिज प्रतिष्ठान निधि
[खनिज साधन]
5. ( *क्र. 911 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में प्रदेश में जिला खनिज निधि की कुल कितनी राशि संग्रहित है? जिलेवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) जिला अनूपपुर में वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक खनिज प्रतिष्ठान मद से कुल कितनी राशि जिले की रॉयल्टी के नाम पर प्राप्त हुई? वर्षवार प्राप्त राशि की जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़, कोतमा एवं अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र में जनसंख्या और स्थानीय आवश्यकतानुसार कितनी-कितनी राशि के कौन-कौन से निर्माण उक्त निधि से स्वीकृत किये गये? कार्य का स्वरूप सहित वर्षवार, विधानसभा क्षेत्रवार कार्य की जानकारी उपलब्ध करावें। (घ) उक्त अवधि एवं जिले में खनिज प्रतिष्ठान मद से कितने प्राथमिक, माध्यमिक, हायर सेकेन्डरी भवनों का निर्माण, मरम्मत, साज सज्जा, रख-रखाव पर कितनी राशि व्यय की गई? वर्षवार विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ड.) विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ में स्थानीय विधायक की सिफारिश पर कौन-कौन से कार्य उक्त अवधि में स्वीकृत किये गये? स्वीकृत न होने के क्या कारण रहे? उक्त जिले में उक्त अवधि में खनिज प्रतिष्ठान निधि का कहां-कहां उपयोग किया गया तथा कौन-कौन से कार्यों को किया गया? कौन से कार्य पूर्ण हो गये तथा कौन से कार्य अपूर्ण हैं? अपूर्ण रहने के कारण सहित विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी उपलब्ध करावें।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रदेश में जिला खनिज निधि की कुल राशि रूपये 5461.615 करोड़ संग्रहित है। जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ख) अनूपपुर जिला खनिज प्रतिष्ठान मद में वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक रॉयल्टी जमा करने का प्रावधान न होने से रॉयल्टी के नाम पर कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। अतः शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर अनुसार प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उक्त अवधि में वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक जिला खनिज प्रतिष्ठान मद से प्रश्नांश अनुसार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। (ड.) विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ में स्थानीय विधायक की सिफारिश पर स्वीकृत किये गये कार्यों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स पर दर्शित है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। प्रश्नांश अनुसार अनूपपुर जिले में वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि के उपयोग के संबंध में वांछित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द पर दर्शित है।
वनग्रामों की भूमि का अन्तरण
[वन]
6. ( *क्र. 903 ) श्री आरिफ अक़ील : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भोपाल, सीहोर एवं रायसेन जिले के वनग्रामों के अन्तरण हेतु मंत्रालय से जारी आदेश क्रमांक 12427/1/64, दिनांक 07.10.1964 एवं आदेश क्रमांक 3263/10/62, दिनांक 26.4.1962 से अन्तरित ग्रामों की भूमि भा.व.अ. 1927 संशोधन 1965 धारा 20 'अ' के अनुसार आरक्षित वन प्रतिवेदित की जा रही है? (ख) यदि हाँ, तो वनग्राम की कितनी आबादी भूमि, कृषि भूमि, निस्तार मद की भूमि शासन के किस आदेश दिनांक के अनुसार राजस्व विभाग को किस दिनांक को हस्तांतरित की गई? इनमें से किस ग्राम की भूमि को धारा 20 'अ' के अनुसार आरक्षित वन भूमि प्रतिवेदित कर रहा है? (ग) 1962 एवं 1964 में अन्तरण के लिए आदेशित वनग्रामों की भूमि को 1965 में स्थापित धारा 20 अ के तहत आरक्षित वन प्रतिवेदित करने का आदेश या निर्देश वनमंडल को किस दिनांक को किसने दिया? यदि कोई आदेश नहीं है, तो आरक्षित वन प्रतिवेदित करने का कारण क्या है?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। (ख) मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग की अधिसूचना क्रमांक 3263-10-62, दिनांक 26.04.1962 एवं आदेश क्रमांक/5730/4640/10/2/75, दिनांक 4/12/1975 तथा 4670/3238/10/2/75, दिनांक 06.10.1975 से प्राप्त निर्देशानुसार भोपाल, सीहोर एवं रायसेन जिले के अंतर्गत आने वाले वन मण्डल भोपाल, सीहोर, रायसेन एवं औबेदुल्लागंज के अंतर्गत वनग्रामों को राजस्व विभाग को हस्तांतरित किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) 1962 एवं 1964 में अन्तरण के लिए आदेशित वनग्रामों की भूमि को 1965 में स्थापित धारा-20 ''अ'' के तहत आरक्षित वन प्रतिवेदित करने संबंधी कोई आदेश, प्रश्नाधीन जिलों के अंतर्गत आने वाले वनमंडलों के अभिलेख में उपलब्ध नहीं हैं। राजस्व विभाग को हस्तांतरित आरक्षित वनक्षेत्रों में स्थित वनग्रामों की उक्त भूमियां डिनोटिफाइड नहीं होने से भा.व.अ. 1927 की धारा-20 ''अ'' के तहत आरक्षित वन प्रतिवेदित की जा रही है।
अवैध उत्खनन के प्रकरणों में वसूली
[खनिज साधन]
7. ( *क्र. 890 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा प्रश्न क्रमांक 3346, दिनांक 17.03.2022 के माध्यम से अवैध उत्खनन की जानकारी मांगी गई थी, जिसके उत्तर में माननीय मंत्री महोदय द्वारा बताया गया था कि 15 अवैध उत्खनन के प्रकरण दर्ज हुए थे, जिनमें से 13 प्रकरणों में कलेक्टर न्यायालय राजगढ़ द्वारा जुर्माना राशि जमा कराई जा चुकी है? शेष दो प्रकरण कलेक्टर न्यायालय राजगढ़ के समक्ष विचाराधीन बताये गए? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कलेक्टर न्यायालय राजगढ़ में शेष दो प्रकरण किस कारण से विचाराधीन हैं? क्या उपरोक्त दोनों प्रकरणों में करोड़ों रूपयों का जुर्माना लगाया गया है? यदि हाँ, तो कब तक वसूली हो जायेगी? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित जुर्माना नहीं वसूले जाने से शासन को जो वित्तीय हानि हो रही है, इसके लिये जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की जायेगी? (घ) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित जुर्माना को शीघ्र वसूलने हेतु क्या कार्यवाही की जा रही है? कब तक वसूली हो जाएगी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रकरणों में से 02 प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत् विचाराधीन हैं। एक प्रकरण में अर्थदण्ड राशि रुपये 11,51,05,500/- अधिरोपित की गई थी। इस आदेश के विरूद्ध अपील प्रकरण में संचालक, भौमिकी तथा खनिकर्म द्वारा अर्थदण्ड संबंधी आदेश को अपास्त किया जाकर शिकायत की जाँच तथा प्रकरण में पुनः विधि संगत कार्यवाही के निर्देश दिये गये थे। शेष 01 प्रकरण न्यायालय में आदेश हेतु नियत है। न्यायालयीन प्रक्रिया होने से जुर्माने की राशि वसूली की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर में उल्लेखित जुर्माने की राशि की वसूली के संबंध में पारित आदेश के विरुद्ध प्रस्तुत अपील प्रकरण में आदेश अपास्त किया गया है एवं निर्देशानुसार कार्यवाही प्रचलित है। अत: जुर्मान की राशि वसूली का प्रश्न नहीं है व शासन को वित्तीय हानि जैसी स्थिति नहीं है। शेष 01 प्रकरण में न्यायालयीन आदेश अपेक्षित है। अत: अधिकारी/कर्मचारियों पर किसी प्रकार की कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर अनुसार।
रेत/पत्थर का अवैध उत्खनन
[खनिज साधन]
8. ( *क्र. 114 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह में रेत खदान व पत्थर खदान हेतु कितने घाट/स्थल चयनित हैं व रेत/पत्थर हेतु किन-किन ठेकेदारों को वर्ष 2022-23 का ठेका दिया गया है? नाम, पतावार, राशिवार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) क्या जिला दमोह में अवैध रेत/पत्थर उत्खनन का धंधा जोरों पर चल रहा है? यदि हाँ, तो प्रशासन द्वारा क्यों कार्यवाही नहीं की जा रही है? विगत वर्ष में प्रशासन द्वारा जिला दमोह में कितने केस दर्ज किये व क्या कार्यवाही की एवं जिला प्रशासन द्वारा अवैध उत्खनन रोके जाने हेतु क्या प्रयास किये हैं?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' पर दर्शित है। (ख) जी नहीं। विगत तीन वर्ष में दर्ज किये गये प्रकरणों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' पर दर्शित है। मध्यप्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम, 2022 अनुसार कार्यवाही की जा रही है।
संबल योजना में स्वघोषित प्रमाणीकरण व्यवस्था
[श्रम]
9. ( *क्र. 992 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या संबल योजना में शहरी क्षेत्रों में नये पंजीकरण हेतु आवश्यक पटवारी प्रमाणीकरण के स्थान पर स्वघोषित प्रमाणीकरण व्यवस्था लागू करेंगे? (ख) पटवारी के प्रमाणीकरण प्रारूप के कारण हितग्राहियों को हो रही परेशानियों के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा मंत्री जी को अवगत कराया था और मंत्री जी ने स्वघोषित प्रमाणीकरण व्यवस्था लागू करने का आश्वासन दिया था, इस आश्वासन की पूर्ति कब तक कर दी जायेगी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल 2.0) योजनांतर्गत पंजीयन हेतु वर्तमान में पटवारी प्रमाणीकरण आवश्यक नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल 2.0) योजनांतर्गत पंजीयन हेतु जारी दिशा निर्देश क्रमांक 745, दिनांक 05.05.2022 अनुसार भूमि प्रमाणीकरण हेतु पटवारी से प्रमाणीकरण आवश्यक था, जिसके स्थान पर संशोधित जारी आदेश क्रमांक 2504, दिनांक 29.08.2022 द्वारा भूमि प्रमाणीकरण हेतु भू-अभिलेख पोर्टल से बी-1 की प्रति के आधार पर भूमि प्रमाणीकरण किया जाना प्रावधानित किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बीना परियोजना के डूब क्षेत्र में प्रतिपूरक वनीकरण
[वन]
10. ( *क्र. 710 ) श्री हर्ष यादव : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिले की बहुउद्देशीय बीना-परियोजना के निर्माण में डूब में आई वनभूमि के एवज में प्रतिपूरक वनीकरण कार्य कराया गया है? विभागीय जांच में गड़बड़ी पाई गई? यदि हाँ, तो उक्त वनीकरण कार्य किन स्थानों पर कराया गया है, उसका स्थल-चयन एवं निगरानी के लिए किन-किन अधिकारियों को नियुक्त किया गया? उसकी प्रस्तावित रिर्पोर्ट में दर्ज व्यय का अनुमान क्या था, जिसे पूर्ण करने के लिए कितनी राशि जारी की गई एवं उसमें कितनी राशि व्यय कर कितना कार्य पूर्ण कराया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार वनीकरण-कार्य की विभागीय जांच में क्या गड़बड़ी पाई गई है? यदि हाँ, तो जांचकर्ता अधिकारी का नाम, जांच प्रतिवेदन एवं कृत कार्रवाई से अवगत करायें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) अनुसार क्या विभागीय जांच एवं कार्यवाही में जिला-स्तरीय एवं निगरानीकर्ता अधिकारियों को बचाया गया है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो कृत कार्यवाही बतावें। नियमानुसार उनकी पदस्थापना अन्यत्र क्यों नहीं हुई? जांच में जिला-स्तरीय अधिकारियों की संलिप्तता एवं लापरवाही उजागर होने के बाद भी कार्यवाही लंबित है? लंबित कार्यवाही कब तक की जावेगी? जांच अनुसार दोषियों के विरूद्ध विभाग कब तक कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) सागर जिला के अंतर्गत बीना बहुउद्देशीय परियोजना के डूब क्षेत्र में आई वन भूमि के बदले गैर वन भूमि एवं बिगड़े वन क्षेत्रों में वन मण्डल दक्षिण सागर में रकबा 166.61 हेक्टेयर एवं उत्तर सागर में रकबा 1206.02 हेक्टेयर में प्रतिपूरक वनीकरण कार्य कराया गया है। रोपण स्थलों पर कराये गये कार्यों की मुख्यालय स्तर से हुई जांच में कार्यों में कमी पाई गई है। वर्नीकरण कार्य की स्थलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 में है। वन विभाग में रोपण स्थलों के चयन का दायित्व परिक्षेत्र अधिकारी व उप वन मण्डल अधिकारी एवं निगरानी का दायित्व क्षेत्रीय वन अधिकारियों का होता है। वन मण्डल दक्षिण सागर एवं उत्तर सागर के अंतर्गत उपरोक्त योजनांतर्गत वनीकरण कार्यों को कराने हेतु तैयार की गई योजना का अनुमानित व्यय, कार्यों को कराने हेतु आवंटित राशि एवं कार्यों को कराने पर व्यय की गई राशि की स्थलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 में है। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार मुख्यालय स्तर से वन मण्डल दक्षिण सागर के अंतर्गत कराये गये कार्यों की जांच श्री असीम श्रीवास्तव, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) म.प्र. भोपाल एवं वन मण्डल उत्तर सागर के अंतर्गत कराये गये कार्यों की जांच श्री संजय शुक्ला, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (सूचना प्रौद्योगिकी) व श्री एस. पी. शर्मा, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) म.प्र. भोपाल के द्वारा की गई है। जांच प्रतिवेदनों की प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 में है। जांच प्रतिवेदन अनुसार दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध प्रस्तावित अनुशासनात्मक कार्यवाही/विभागीय जांच की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-03 में है। (ग) जी नहीं, जिला स्तरीय एवं निगरानीकर्ता अधिकारियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 में है। तत्समय वन मण्डल दक्षिण सागर एवं उत्तर सागर में पदस्थ रहे वन मण्डल अधिकारियों की प्रशासकीय आधार पर पदस्थापना अन्यत्र की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 में है।
जांच प्रतिवेदन पर कार्यवाही
[खनिज साधन]
11. ( *क्र. 1053 ) श्री सुनील सराफ : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा में दिनांक 10.03.2022 को प्रश्न क्रमांक 1175 के आश्वासन संबंधी गठित जांच दल ने क्या कार्यवाही पूर्ण कर ली है? यदि हाँ, तो इस जांच रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति देवें। (ख) यदि जांच अभी तक पूर्ण नहीं हुई है तो कब तक पूर्ण कर ली जावेगी? (ग) जांच को लंबित रखने वाले अधिकारियों पर विभाग कब तक कार्यवाही करेगा?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। जाँच दल की रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर दर्शित है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त जाति प्रमाण पर कार्यवाही
[राजस्व]
12. ( *क्र. 749 ) श्री राज्यवर्धन सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 973, दिनांक 27.07.2022 के उत्तर की कंडिका (ग) में माननीय विभागीय मंत्री जी द्वारा बताया गया है कि जांच प्रतिवेदन के निष्कर्ष अनुसार अनावेदक द्वारा अपना मूल हिन्दू धर्म बदल कर बौद्ध धर्म को अपनाना और फिर हिन्दू धर्म के आधार पर जाति प्रमाण पत्र हासिल कर सरपंच पद का चुनाव लड़ना इस बात का द्योतक है कि अनावेदक ने केवल सरपंच पद के निर्वाचन का लाभ उठाने के लिए गलत आधारों पर जाति प्रमाण पत्र हासिल करने का एक सुनियोजित कुचक्र किया है? यदि हाँ, तो क्या प्रश्न दिनांक तक अनावेदक के विरूद्ध विभाग द्वारा कोई कानूनी कार्यवाही की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में उक्त अनावेदक द्वारा कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र हासिल करना, शासन-प्रशासन को गुमराह करना एवं आरक्षण का नियम विरूद्ध लाभ लेकर सरपंच के रूप में वित्तीय अनियमितता करना स्पष्ट रूप से एक गंभीर अपराध होने से क्या शासन तत्काल अनावेदक के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करवाकर वित्तीय अधिकारों के दुरूपयोग के दृष्टिगत राशि वसूली की भी कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) नरसिंहगढ़ जिला राजगढ़ के आदेश क्रमांक 483/स्टेनो/2022 नरसिंहगढ़ दिनांक 02.03.2022 के द्वारा तहसीलदार नरसिंहगढ़ के अधीन एक जांच दल गठित किया गया। जिनके द्वारा प्रारंभिक जांच की गई। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने “Kumari Madhuri Patil vs Addl. Commissioner on 2 September, 1994'' 1995 AIR 94, 1994 SCC (6) 241 में निर्देश दिए हैं कि
(4) All the State Governments shall constitute a Committee of three officers, namely, (I) an Additional or Joint Secretary or any officer higher in rank of the Director of the department concerned, (II) the Director, Social Welfare/Tribal Welfare/Backward Class Welfare, as the case may be, and (III) in the case of Scheduled Castes another officer who has intimate knowledge in the verification and issuance of the social status certificates. In the case of the Scheduled Tribes, the Research Officer who has intimate knowledge in identifying the tribes, tribal communities, parts of or groups of tribes or tribal communities. मान. सर्वोच्च
न्यायालय ने जाति प्रमाण पत्र संबंधी मामलों की जांच राज्य स्तरीय छानबीन समिति से कराने हेतु उक्त आदेश पारित किया है। अत: प्रकरण राज्य स्तरीय छानबीन समिति को आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजा गया है। (ख) राज्य स्तर से गठित छानबीन समिति के प्रतिवेदन के आधार पर ही नियमानुसार उचित कार्यवाही की जाना संभव होगा। राज्य स्तरीय छानबीन समिति से प्रकरण की जांच हेतु प्रस्ताव पत्र क्रमांक/वि.स/जाति प्रमाणपत्र/2022/520, दिनांक 13.12.2022 से आयुक्त अनुसूचित जाति विकास मध्यप्रदेश भोपाल को प्रेषित किया गया।
सीमेंट कारखानों हेतु भूमि अधिग्रहण
[राजस्व]
13. ( *क्र. 58 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में स्थापित सीमेंट कारखानों को निजी भूमियों में उत्खनन हेतु कितनी भूमि म.प्र.भू.रा.सं. की धारा 247 के तहत अधिगृहित कर भू-प्रवेश की अनुमति कितने दिनों के लिये प्रदाय की गई है? लीज़ एवं खसरा अनुसार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) क्या म.प्र.भू.रा.सं. की धारा 247 के तहत भूमि का अधिग्रहण निर्धारित समय-सीमा के लिये होता है? यदि हाँ, तो समय-सीमा की समाप्ति के पश्चात् क्या भूमि किसानों को वापस करने का प्रावधान है? निर्धारित समय-सीमा के पूर्ण होने पर मूल किसानों को क्या भूमि वापस की गई है? यदि हाँ, तो कितनी भूमि वापस की गई है? (ग) यदि नहीं, तो कितनी भूमियों का पुनर्मूल्यांकन कर किसानों को नई अवधि का मुआवज़ा प्रदाय किया गया? यदि नियमानुसार कार्यवाही नहीं की गई है, तो दोषियों के विरूद्ध कब तक एवं क्या कार्यवाही की जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। म.प्र.भू.रा.सं. की धारा 247 के तहत भूमि का अधिग्रहण निर्धारित समय-सीमा के लिए नहीं होता है। बल्कि खनिपट्टा की स्वीकृत अवधि के लिए होता है। सतना जिले में किसी सीमेंट संयंत्र के खनिपट्टा की अवधि पूर्ण नहीं होने के कारण मूल किसानों को भूमि वापस किये जाने की जानकारी निरंक है। (ग) सतना जिले में सीमेंट प्लांट की किसी भी लीज़ की अवधि समाप्त नहीं होने के कारण जानकारी निरंक है।
अतिवृष्टि का मुआवज़ा
[राजस्व]
14. ( *क्र. 1041 ) चौधरी सुजीत मेर सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) चौरई विधान सभा क्षेत्र में वर्ष 2019 में अतिवृष्टि से हुई हानि की क्षतिपूर्ति के लिए तीन किश्तों में मुआवज़ा स्वीकृति की जानकारी प्रदाय की गई थी, लेकिन प्रश्न दिनांक की स्थिति में प्रभावितों को दो किश्त/एक किश्त दी गई एवं कहीं-कहीं एक भी किश्त नहीं दी गई, ऐसा क्यों? (ख) सर्वे रिपोर्ट में शामिल प्रभावित ग्रामों एवं कृषकों की सूची ग्रामवार देवें। प्रत्येक कृषक को तय मुआवज़ा राशि की जानकारी देवें। इस तय मुआवज़ा राशि में से प्रश्न दिनांक की स्थिति में भुगतान राशि की जानकारी कृषकवार एवं ग्रामवार देवें। (ग) इस लंबित राशि का भुगतान कब तक कर दिया जावेगा? वर्ष 2022 में हुई अतिवृष्टि का सर्वे प्रश्न दिनांक तक नहीं हुआ है, इसमें बहुत बड़े क्षेत्र में फसलें खराब हुई थी? यह सर्वे कब तक किया जा कर मुआवज़ा प्रदान कर दिया जायेगा? (घ) राशि लंबित रख कृषकों को प्रताड़ित करने वाले उत्तरदायी अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित देकर बतावें कि शासन उन पर कब तक कार्यवाही करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) चौरई विधानसभा क्षेत्रांतर्गत तहसील चांद, चौरई एवं बिछुआ में वर्ष 2019 में अतिवृष्टि से फसल क्षति होने पर राहत राशि 1,56,40,827/- स्वीकृत की गयी है। जिसका शत-प्रतिशत वितरण प्रभावित कृषकों को किया जा चुका है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) समस्त प्रभावित कृषकों को राहत राशि का वितरण किया जा चुका है। वर्ष 2022 में चौरई विधानसभा क्षेत्रांतर्गत सर्वे किया जा चुका है। तहसील बिछुआ में 41 ग्रामों के 676 प्रभावित कृषकों को फसल क्षति हेतु राहत राशि 40,63,760/- रूपये का वितरण किया जा चुका है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
सुकलाना बैराज एवं धुरेरी बैराज का निर्माण
[जल संसाधन]
15. ( *क्र. 958 ) श्री मुरली मोरवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में ग्राम सुकलाना में जल संसाधन विभाग द्वारा चामला नदी पर सुकलाना बैराज लागत 260.52 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति जारी होकर निविदा क्र. 664, दिनांक 25.02.2019 के द्वारा आमंत्रित की गई थी, परंतु लगभग 3 वर्ष के बाद भी बैराज का निर्माण कार्य प्रांरभ नहीं होने के क्या कारण हैं? इसमें दोषी अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) बड़नगर विधानसभा अन्तर्गत ग्राम धुरेरी में धुरेरी बैराज की स्वीकृति बजट में प्रदान की गई थी, उक्त बैराज की प्रशासकीय स्वीकृति कब तक जारी कर दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) विधानसभा क्षेत्र बड़नगर अंतर्गत चामला नदी पर सुकलाना बैराज के निर्माण कार्य की निविदा प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग, भोपाल के आदेश दिनांक 13.04.2022 द्वारा राशि रू.220.53 लाख स्वीकृत की गई है। ठेकेदार द्वारा अनुबंध संपादित कर कार्य प्रगतिरत होना प्रतिवेदित है। (ख) विधानसभा क्षेत्र बड़नगर अन्तर्गत धुरेरी बैराज की प्रशासकीय स्वीकृति शासन के आदेश दिनांक 04.02.2022 द्वारा राशि रू.278.30 लाख की प्रदान कर दी गई है।
नामांतरण एवं बंटवारे के लंबित प्रकरण
[राजस्व]
16. ( *क्र. 1016 ) श्री राकेश मावई : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा यह घोषणा की गई थी कि भूमि एवं मकान विक्रय होने पर तुरन्त ही स्वयं नामांतरण एवं बंटवारा हो जाएगा तथा पटवारियों व तहसील में नहीं जाना पड़ेगा? यदि हाँ, तो मुरैना जिले में पटवारियों द्वारा बंटवारा एवं नामांतरण भूमि विक्रय के तुरन्त बाद स्वयं क्यों नहीं किए जा रहे हैं? (ख) प्रश्न दिनांक तक तहसील मुरैना एवं बामौर में कितने बंटवारे के प्रकरण क्यों विचाराधीन हैं तथा कितने नामांतरण क्यों विचाराधीन हैं? तहसीलवार बंटवारे एवं नामांतरण की जानकारी देवें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। अविवादित नामांतरण के विभिन्न श्रेणी के प्रकरणों में विक्रयपत्र द्वारा अंतरण की दशा में पक्षकारों को व्यैक्तिक उपस्थिति से छूट प्रदान करते हुए नामान्तरण की कार्यवाही के लिये सायबर तहसील का गठन किया गया। इसे माह जून 2022 से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जिला सीहोर एवं सागर जिले से प्रारम्भ किया गया है। वर्तमान में इसके अन्तर्गत प्रदेश के जिले इन्दौर, दतिया, डिडौंरी एवं हरदा को भी शामिल किया गया है। मुरैना जिले में अभी सायबर तहसील प्रारम्भ नहीं की गई। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न दिनांक तक मुरैना जिले में सायबर तहसील न होने से वर्तमान में आवेदकों द्वारा स्वयं/ऑनलाईन आवेदनों, लोकसेवा केन्द्रों से प्राप्त आवेदनों तथा ई-संपदा पोर्टल से प्राप्त आवेदनों का नियमानुसार निराकरण किया जा रहा है। प्रश्न दिनांक तक तहसील मुरैना एवं बामौर में बंटवारा एवं नामान्तरण के विचाराधीन प्रकरण निम्नानुसार है :-
क्र. |
शीर्ष |
तहसील मुरैना |
तहसील बामौर |
कुल योग |
1. |
बंटवारा |
76 |
45 |
121 |
2. |
नामान्तरण |
1685 |
765 |
2450 |
बंटवारा एवं नामान्तरण के उक्त समस्त प्रकरण म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 में विहित प्रावधानानुसार न्यायालयीन प्रक्रिया के अन्तर्गत न्यायाधीन है।
वन विकास निगम द्वारा किया गया पौधारोपण
[वन]
17. ( *क्र. 1065 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले में वन विकास निगम द्वारा किन-किन कक्षों में कितने हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण किया जा रहा है? कार्य का नाम, राशि, भौतिक स्थिति, कार्य पूर्णता दिनांक, सहित कक्षवार, वर्षवार, तहसीलवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कौन-कौन से सर्वे नंबर, रकबा, बीट में क्या-क्या कार्य कराये गये? कार्य का नाम, फर्म/वेंडर/व्यक्ति का नाम, भुगतान राशि, खाता संख्या, दिनांक, भुगतानकर्ता अधिकारी का नाम सहित जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में किये गये कार्यों/पौधारोपण में भ्रष्टाचार किया गया है? यदि हाँ, तो बतावें दोषी पर क्या कार्यवाही की गई? यदि कार्यवाही नहीं की गई तो कब तक की जावेगी? कितने पौधे जीवित हैं? रकबा, बीट एवं परिक्षेत्रवार जानकारी देवें। (घ) मुरवास, इस्लाम नगर शहरखेड़ा, बलरामपुर ग्रामों के पास वन भूमि, वन विकास निगम की वन भूमि पर कितने-कितने व्यक्तियों का अतिक्रमण है एवं कब-कब, किस-किस का अतिक्रमण हटाया गया? यदि अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो इसके लिए दोषी कौन है और कब तक अतिक्रमण हटा दिया जावेगा? (ड.) विदिशा जिले में वन विकास निगम के कार्यों का निरीक्षण प्रमुख सचिव, प्रबंध संचालक, अपर प्रबंध संचालक, क्षेत्रीय मुख्य महाप्रबंधक, संभागीय प्रबंधक, जिला प्रबंधक द्वारा दिनांक एक अप्रैल 2019 से प्रश्नांकित दिनांक तक कब-कब निरीक्षण किया गया, निरीक्षण में क्या कमियां पाई गई? दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? वर्षवार, तहसीलवार, बीटवार जानकारी दें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) विदिशा जिले में वन विकास निगम द्वारा वर्तमान में कोई वृक्षारोपण नहीं किया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) मुरवास, इस्लाम नगर, शहरखेड़ा, बलरामपुर ग्रामों के पास वन भूमि, वन विकास निगम की वन भूमि पर अतिक्रमण निम्नानुसार है :-
भूमि |
अतिक्रमण (हेक्टेयर में) |
व्यक्तियों की संख्या |
वन भूमि |
निरंक |
निरंक |
वन विकास निगम की वन भूमि |
554.629 |
555 |
हटाये गये अतिक्रमण का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-01 अनुसार है। अत: दोषी कोई नहीं है। अतिक्रमण हटाये जाने की तिथि निर्धारित किया जाना संभव नहीं है। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 अनुसार है।
टेम परियोजना से प्रभावित परिवारों का विस्थापन
[राजस्व]
18. ( *क्र. 968 ) श्री विष्णु खत्री : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टेम परियोजना में बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के कितने ग्राम एवं परिवार प्रभावित हो रहे हैं? (ख) क्या विभाग द्वारा इन प्रभावित परिवारों के विस्थापन की कोई कार्य योजना बनाई गई है? (ग) क्या इन प्रभावित परिवारों को विस्थापन हेतु मकान की मुआवज़ा राशि प्रदान करने का प्रावधान है? विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) टेम परियोजना में बैरसिया विधासभा के 05 ग्राम के 923 परिवार प्रभावित हो रहे हैं। (ख) विस्थापन हेतु भूमि अर्जन, पुनर्वासन पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 11 की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) भूमि अर्जन, पुनर्वासन पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 11 के प्रकाशन उपरांत प्रभावित मकानों का मूल्यांकन कर प्रभावितों को मुआवज़ा वितरण किया जावेगा। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नगरपालिका परिषद सारनी की सीमा में वनभूमि का निर्वनीकरण
[वन]
19. ( *क्र. 790 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल जिले के अंतर्गत नगरपालिका परिषद, सारनी में सार्वजनिक उपयोग की कितनी भूमि वन क्षेत्र के रूप में दर्ज है? (ख) क्या नगरीय क्षेत्र की अधिकांश भूमि वन क्षेत्र के रूप में दर्ज होने के कारण डब्ल्यू.सी.एल., मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी तथा नगरपालिका को निर्माण कार्यों हेतु वन विभाग से अनुमति लेनी होती है तथा इस बाध्यता के कारण निर्माण कार्यों में अनावश्यक विलंब होता है? (ग) सारनी नगर में स्थित सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि यथा सड़क, खेल मैदान, आवासीय कॉलोनी, शमशान घाट, कब्रिस्तान आदि को निर्वनीकृत कर भूमि को राजस्व मद में दर्ज किये जाने अथवा स्थानीय निकायों को सौंपने हेतु सरकार क्या कोई कार्यवाही कर रही है? (घ) यदि हाँ, तो कार्यवाही का स्वरूप क्या है? यह कार्यवाही कब तक कर ली जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) नगर पालिका परिषद, सारनी जिला बैतूल में सार्वजनिक उपयोग की भूमि की जानकारी वन विभाग द्वारा संधारित नहीं की जाती है। (ख) राजस्व अभिलेखों में वन के रूप में दर्ज भूमियों एवं भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-29, धारा-20 एवं धारा-4 (1) में अधिसूचित वनभूमि को गैर-वानिकी प्रयोजन के लिये उपयोग में लिये जाने हेतु वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधान लागू होते हैं। वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत भारत सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आवेदक संस्था से आवेदन प्राप्त होने पर नियमानुसार भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त करने की कार्यवाही की जाती है। (ग) जी नहीं। (घ) उत्तरांश 'ग' अनुसार। वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत प्रस्ताव प्राप्त होने पर भारत सरकार की स्वीकृति उपरान्त कार्यवाही की जाती है।
विस्थापित परिवारों का पुनर्वास
[राजस्व]
20. ( *क्र. 798 ) श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजस्व विभाग द्वारा अपने ज्ञापन क्रमांक 6-16/2018/सात/नजूल तथा क्रमांक 21-3/2008/पुनर्वास, दिनांक 03.04.2018 द्वारा मध्यप्रदेश में पश्चिम पाकिस्तान से आये विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के लंबित मामलों के निराकरण के संबंध में प्रदेश के सभी कलेक्टर्स को परिपत्र जारी किया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त निर्देशों के संदर्भ में प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, रीवा, कटनी, सतना, सागर, बुरहानपुर, खंडवा, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंदसौर, दतिया शहर में निवासरत सिंधी विस्थापितों के कितने-कितने मामले वर्तमान में लंबित हैं? कृपया शहरवार संख्या दें और उक्त जिलों के कलेक्टर्स द्वारा उक्त दर्शित शहरों के कितने-कितने मामले निर्देश दिनांक 03.04.2018 से प्रश्न दिनांक तक निराकृत किये गये, जिन विस्थापितों के मामलों को कलेक्टर्स द्वारा निपटाया गया, शहरवार उनके नाम भी दें?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
आबादी भूमि पर काबिज लोगों के नाम दर्ज होने संबंधी
[राजस्व]
21. ( *क्र. 352 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले के इटारसी एवं ग्रामीण क्षेत्र की आबादी भूमि पर निवासरत/व्यवसायरत नागरिकों के नाम राजस्व अभिलेख में अंकित किये जाने के संबंध में प्रश्न क्रमांक 732, दिनांक 18.11.2009 के संबंध में पूछे गये प्रश्न क्रमांक 610 में जानकारी दी गई थी कि इस संबंध में परिपत्र क्रमांक 2-11/2005/सात/शाखा-6, दिनांक 09.02.2005 एवं एफ 2-22/2010/2010/सात/शाखा-6, दिनांक 28.12.2010 जारी किया गया है? (ख) गरीबी लाइन, पुरानी इटारसी एवं नर्मदापुरम में आबादी की कुल कितनी भूमि है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित परिपत्रों के संबंध में अभी तक कितने नागरिकों के नाम आबादी भूमि पर अंकित किये गये हैं? (घ) क्या आबादी की भूमि पर बसे नागरिकों के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज न होने से (1) बैंक ऋण न मिलना. (2) नक्शा पास न हो पाना. (3) रजिस्ट्री या भू-अभिलेख न होने से जमानत न ले पाने जैसी समस्या हो रही है? यदि हाँ, तो उक्त समस्या का निराकरण कब तक हो सकेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) गरीबी लाईन इटारसी में आबादी भूमि नहीं है एवं पुरानी इटारसी क्षेत्र में अभिलेख में कुल ख.नं. 43 रकबा 19.323 हेक्टर भूमि पर यद्यपि आबादी अंकित है, तदापि नजूल निर्वतन निर्देश, 2020 के अनुसार वर्तमान में यह भूमि अब नजूल हो चुकी हैं, तहसील नर्मदापुरम नगर अन्तर्गत आबादी भूमि 30.677 हेक्टर है, तहसील नर्मदापुरम ग्रामीण अन्तर्गत आबादी मद में भूमि का अभिलेख में दर्ज रकबा 208.081 हेक्टर है। (ग) तहसील इटारसी अन्तर्गत प्रश्नांश (क) में उल्लेखित परिपत्रों के अनुसार नागरिकों के नाम आबादी भूमि पर अंकित नहीं किये गये। राजस्व विभाग के परिपत्र क्रमांक 2-22/2010/21010/ सात/शाखा-6, दिनांक 28.12.2010 द्वारा आबादी क्षेत्र में भू-खण्ड धारकों को प्रमाण-पत्र प्रदाय संबंधी निर्देश के क्रम में तहसील इटारसी में ग्रामीण क्षेत्र के आबादी भूमि पर निवासरत लोगों को 9177 भू-खण्ड धारक प्रमाण पत्र वितरण किये गये। वर्तमान में राजस्व विभाग के पत्र क्रमांक एफ 03 -04/2020/सात/शा-6, भोपाल दिनांक 07.07.2020 द्वारा प्रदत्त निर्देशानुसार ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी सर्वेक्षण कर अधिकार अभिलेख के निर्माण के लिए ''स्वामित्व'' योजना क्रियान्वित है। राजस्व विभाग के पत्र क्रमांक एफ 6-75/2019/सात/शा.3, भोपाल दिनांक 24 सितम्बर, 2020 द्वारा नगरीय क्षेत्र की शासकीय भूमि के धारकों को धारणाधिकार के तहत पट्टे जारी किये जाने हेतु शहर इटारसी में कुल 988 नागरिकों के धारणाधिकार के तहत आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे, जिनमें से कुल 15 नागरिकों को पट्टे जारी कर वितरण कर दिये हैं, शेष आवेदनों पर कार्यवाही परीक्षणाधीन है। (घ) जानकारी उत्तरांश 'ग' अनुसार है।
शासकीय आवासों में अतिक्रमण
[राजस्व]
22. ( *क्र. 244 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तहसील जवा अंतर्गत जनपद पंचायत जवा कार्यालय प्रांगण में कुल कितने शासकीय आवास निर्मित हैं? जिस भूमि पर शासकीय आवास निर्मित हैं, उसका भूमि खसरा क्रमांक एवं कुल रकबा की जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में ऐसे कितने शासकीय आवास हैं, जो अतिक्रमण में हैं? ऐसे कितने शासकीय सेवक हैं, जो सेवानिवृत्त होने के पश्चात भी शासकीय आवासों में निवासरत हैं? नामवार विवरण उपलब्ध करावें। (ग) ऐसे शासकीय सेवक जो जवा जनपद स्थित शासकीय आवासों में कब्जाधारी हैं, क्या उनसे बाजार मूल्य पर नियमानुसार किराया वसूल कर आवासों को रिक्त कराने की कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) रीवा जिले के तहसील जवा अन्तर्गत जनपद पंचायत जवा कार्यालय प्रांगण में कुल 17 शासकीय आवास निर्मित है, जिसमें से 11 आवासीय भवन सही हालत में हैं एवं 6 आवासीय भवन जीर्णशीर्ण हैं। जिनका खसरा नम्बर रकबा ग्रामवार निम्नानुसार है :-
ग्राम का नाम |
खसरा नम्बर |
रकबा |
बरौली ठकुरान |
101 |
1.536 |
बरौली ठकुरान |
103/1 |
0.809 |
जवा |
1533 |
0.336 |
जवा |
1580 |
0.162 |
जवा |
1581 |
0.360 |
जवा |
1583/1 |
0.162 |
(ख) प्रश्नांश में उल्लेखित शासकीय आवासों पर अतिक्रमण का सर्वे कराया जाकर जानकारी एकत्र की जा रही है। (ग) उत्तरांश (ख) अनुसार जानकारी प्राप्त होने पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
वियर सिस्टम से स्टॉप डेम का निर्माण
[जल संसाधन]
23. ( *क्र. 209 ) श्री संजय शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत किसानों के खेतों की सिंचाई की समस्या के समाधान हेतु वियर सिस्टम से स्टॉप डेम बनाये जाना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी नदियों पर स्टॉप डेम बनाये जाना है? (ख) बरांझ, पांड़ाझिर एवं सिंदूर नदियों पर कौन-कौन से स्थानों पर स्टॉप डेम बनाये जाना प्रस्तावित है? स्थानवार, लागत सहित जानकारी प्रदान करें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
सड़क निर्माण हेतु मकान, दुकान का अर्जन
[राजस्व]
24. ( *क्र. 417 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 69 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 59 ए के लिए होशंगाबाद संभाग के किस-किस ग्राम के कितने-कितने मकान, दुकान का अर्जन किया जाकर पीड़ित एवं प्रभावितों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन कार्यवाही प्रश्नांकित दिनांक तक भी नहीं की गई? (ख) भूमि अर्जन पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 30, 31 एवं 32 अनुसूची एक, दो एवं तीन में क्या प्रावधान दिया है? इन प्रावधानों में से किस-किस का पालन किए जाने की छूट राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित भू-अर्जन में किस अधिसूचना/आदेश से दी गई है? (ग) राष्ट्रीय राजमार्ग हेतु अर्जित मकान एवं दुकान के पीड़ित एवं प्रभावितों का पुनर्वास एवं पुनर्व्यवथापन नहीं किए जाने का क्या-क्या कारण रहा है? पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन के संबंध में किस दिनांक को पारित अवार्ड में क्या-क्या उल्लेख किया है। (घ) मकान एवं दुकान के अर्जन से प्रभावितों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन के संबंध में शासन क्या कार्यवाही कब तक करेगा? समय-सीमा सहित बतावें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) हरदा जिले अंतर्गत ग्राम हंडिया से टेमागांव तक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग 47 (पुराना 59 ए) के निर्माण हेतु कुल 134 भूमियों का अर्जन किया जा रहा है। जिसकी विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। बैतूल जिले के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 69 में 28 ग्रामों के 261 मकान/दुकान एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 59 ए में 14 ग्रामों के 60 मकान/दुकानों का आंशिक रूप से अर्जन किया गया हैं। नर्मदापुरम जिले की जानकारी निरंक है। (ख) प्रश्नांश से संबंधित प्रावधान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) भू-अर्जन अधिकारी/समुचित सरकार अनुसार उत्तरांश 'क' में उल्लेखित राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित भू-अर्जन प्रकरणों में आवश्यकता न होने से प्रभावितों का पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जानकारी उत्तरांश 'क' एवं 'ग' अनुसार है।
योजनाओं के लिए भू-अर्जन
[राजस्व]
25. ( *क्र. 194 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के विभिन्न जिलों में किन-किन योजनाओं के लिए भू-अर्जन का कार्य किया जा रहा है? जिले अनुसार परियोजना के नाम कितनी जमीन का भू-अर्जन किया जाना है तथा भू-अर्जन करने की निर्धारित तिथि अनुसार जानकारी देवें? भू-अर्जन पर भूमिस्वामी को दी जाने वाली राशि के संबंध में भी जिले अनुसार जानकारी देवें? (ख) क्या विभिन्न कारणों से भू-अर्जन में हो रही देरी की वजह से शासन को करोड़ों रूपये ब्याज की राशि का भुगतान करना पड़ रहा है? जिले अनुसार भू-अर्जन में देरी से दी गयी ब्याज की राशि की जानकारी दें। (ग) क्या शासन भू-अर्जन में देरी से ब्याज में शासन पर पड़ रहे करोड़ों रूपयों के वित्तीय बोझ की समीक्षा कर ऐसे उपाय करेगा, जिससे समय पर भू-अर्जन हो तथा ब्याज की राशि न देना पड़े।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) प्रश्नांश क की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जिला सिवनी, शहडोल, विदिशा एवं कटनी की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। शेष 48 जिलों की जानकारी निरंक है। (ग) भू-अर्जन परियोजनाओं में समय पर भू-अर्जन किये जाने के लिये उनकी सतत समीक्षा की जाती है।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित प्रश्नोत्तर
शासकीय
भूमियों की
हेराफेरी
[राजस्व]
1. ( क्र. 5 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सही है कि प्रश्नकर्ता द्वारा जावरा नगर, पिपलौदा तहसील एवं जावरा तहसील अंतर्गत शासकीय भूमियों पर निरंतर षडयंत्रपूर्वक कूटरचित दस्तावेजों एवं भ्रामक जानकारियों को आधार बनाकर की जा रही धोखाधड़ी अतिक्रमण के संबंध में शासन/विभाग का ध्यान आकृष्ट किया है? (ख) यदि हाँ तो वर्ष 2019-20 से लेकर प्रश्न दिनांक तक प्रश्नकर्ता द्वारा प्रेषित पत्रों पर शासन/ विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) पत्र क्रमांक 3081/22/जावरा दिनांक 19/05/2022, पत्र क्रमांक 3457/22/जावरा दिनांक 14/10/2022 एवं पत्र क्रमांक 3561/22/जावरा दिनांक 15/11/2022 के माध्यम से श्रीमान जिलाधीश रतलाम के साथ ही शासन/विभाग को कार्यवाही हेतु भेजा गया था? (घ) यदि हाँ तो प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित पत्रों के संदर्भों के साथ ही प्रश्नकर्ता द्वारा पत्रों के माध्यम से शासकीय भूमियों की हेराफेरी को रोके जाने एवं संबंधितों के विरूद्ध कार्यवाही की जाने का आग्रह किया था? यदि हाँ तो जांच की जाकर क्या-क्या कार्यवाही की गई?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) प्रश्नकर्ता द्वारा रतलाम जिले की तहसील जावरा में शासकीय भूमियों पर निरंतर षडयंत्रपूर्वक कूटरचित दस्तावेजों एवं भ्रामक जानकारियों को आधार बनाकर की जा रही धोखाधड़ी अतिक्रमण के संबंध में पत्रों के माध्यम से ध्यान आकृष्ट किया है तथा उनके द्वारा पूर्व में तहसील पिपलौदा में शासकीय भूमियों पर निरंतर षडयंत्रपूर्वक कूटरचित दस्तावेजों एवं भ्रामक जानकारियों को आधार बनाकर की जा रही धोखाधड़ी अतिक्रमण के संबंध में ध्यान आकृष्ट किये जाने से संबंधित जानकारी संज्ञान में नहीं है। (ख) वर्ष 2019-20 से लेकर प्रश्न दिनांक तक विभाग में प्रश्नकर्ता के 2 पत्र प्राप्त हुए जिन्हें कलेक्टर रतलाम को आवश्यक कार्यवाही करने हेतु दिनांक 21/06/2022 एवं दिनांक 01/12/2022 को भेजा गया। माननीय विधायक महोदय के पत्र क्रमांक 3195/22/जावरा दिनांक 02/08/2022 जो कि ग्राम हरियाखेडा की गोचर भूमि पर अवैध कब्जा करने एवं रिकार्ड में हेराफेरी करने से संबंधित है, जिसमें जांच प्रक्रिया प्रचलित होकर संबंधित कर्मचारी को सूचना पत्र जारी कर जवाब मांगा गया है। शेष अन्य प्राप्त पत्रों पर उत्तरांश (घ) के अनुसार कार्यवाही की गई। (ग) पत्र क्रमांक 3081/22/जावरा दिनांक 19/05/2022, पत्र क्रमांक 3457/22/जावरा दिनांक 14/10/2022 एवं पत्र क्रमांक 3561/22/जावरा दिनांक 15/11/2022 के माध्यम से जिलाधीश रतलाम को प्राप्त हुए हैं। (घ) प्रश्नांश (ग) के तारतम्य में जानकारी निम्नानुसार है - (1) पत्र क्रमांक 3081/22 जावरा दिनांक 19.5.2022 के सम्बन्ध में राजस्व न्यायालय में प्रकरण क्रमांक 19/ब.-121/22-23 पंजीबद्ध किया जाकर प्रकरण में दिनांक 27.9.2022 को पारित आदेशानुसार माननीय सिविल न्यायालय वर्ग.2 जावरा के वाद क्रमांक 134ए/173 आदेश दिनांक 23.04.1976 एवं माननीय द्वितीय अपर न्यायाधीश महोदय जिला रतलाम के प्रकरण क्रमांक 11ए/76 आदेश दिनांक 19.07.1980 तथा माननीय उच्च न्यायलय खंडपीठ इंदौर के सिविल रिविजन क्रमांक 370/75 में आदेश दिनांक 02.07.1980 के तारतम्य में शिकायत प्रमाणित न होने से समाप्त किया गया। (2) पत्र क्रमांक 3457/22/जावरा दिनांक 14.10.2022 के सम्बन्ध में राजस्व न्यायलय में प्रकरण क्रमांक 90/ब-121/22-.23 पंजीबद्ध किया जाकर प्रकरण आदेशार्थ नियत है। (3) पत्र क्रमांक 3561/22 जावरा दिनांक 15.11.2022 के तारतम्य में पत्र में उल्लेखित ग्रामों की शासकीय भूमि के सम्बन्ध में जाँच हेतु आदेश क्रमांक 5519 दिनांक 05.12.2022 के माध्यम से दल गठित किया गया है।
खोडाना तालाब कार्य योजना
[जल संसाधन]
2. ( क्र. 6 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मन्दसौर-रतलाम जिला सीमा स्थित ''खोडाना निमज्जित तालाब'' में वर्ष भर पर्याप्त पानी होने के साथ ही काफी मात्रा में पानी ओवरफ्लो भी होता है तथा गेट खोलकर व्यर्थ बहाया भी जाता है? (ख) यदि हाँ तो मन्दसौर तहसील, पिपलौदा तहसील एवं जावरा तहसील के अनेक ग्रामों में जल अभाव होकर जल संकट बना रहता है? सिंचाई कार्यों के साथ ही पेयजल मूलक कार्यों में भी कठिनाई आती है? (ग) यदि हाँ तो तात्कालिक समय के विगत वर्षों में शासन/विभाग द्वारा खोडाना तालाब से दोनों ओर नहर निकालकर विभिन्न ग्रामों तक जल पहुंचाये जाने की कार्ययोजना को साध्य पाया जाकर प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई थी? (घ) यदि हाँ तो विगत कई वर्षों की अनेक ग्रामों के कृषकों एवं आमजन की मांग रही है कि खोडाना तालाब कार्ययोजना को पुन: स्वीकृति दी जाकर जल संकटग्रस्त क्षेत्र को जल अभाव से बचाया जा सके तो शासन/विभाग द्वारा कब तक स्वीकृति दी जा सकेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) से (घ) खोडाना एक निमज्जित तालाब है। निमज्जित तालाब का मुख्य उद्देश्य वर्षा ऋतु उपरांत तालाब के पानी को खाली कर रिक्त भूमि में भू-स्वामियों द्वारा रबी की खेती करना है। यह सही है कि केन्द्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट वर्ष 2017 (प्रकाशन वर्ष 2019) के आधार पर प्रश्नाधीन क्षेत्र अतिदोहित क्षेत्र में वर्गीकृत है। जी हाँ, शासन के आदेश क्र.373/8/168/07/ल.सि./31/भोपाल दिनांक 07.08.2007 द्वारा रू. 819.18 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। परियोजना तकनीकी एवं वित्तीय मापदण्डों पर असाध्य होने से इसकी प्रशासकीय स्वीकृति शासन के आदेश दिनांक 16.06.2011 द्वारा निरस्त की गई। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
उचित मूल्य दुकानों की आकस्मिक जांच
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
3. ( क्र. 37 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) चाचौड़ा विधान सभा क्षेत्र में कुल कितनी राशन की दुकानें है? (ख) इस वर्ष प्रश्न दिनांक तक राशन वितरण में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए उपरोक्त में से कितनी राशन दुकानों की आकस्मिक जांच की गई? (ग) जांच में कितनी राशन की दुकानों में गड़बड़ी पाई गई? कितनी राशन की दुकानों पर कार्यवाही की गई तथा कितनी दुकानें निरस्त की गई? (घ) चाचौड़ा विधान सभा में राशन पर्ची निर्माण की प्रक्रिया एवं इस वर्ष निर्मित राशन पर्ची की संख्या से अवगत कराएं।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) विधानसभा क्षेत्र चाचौड़ा अंतर्गत कुल 132 उचित मूल्य की दुकानें संचालित हैं। (ख) चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र की 60 उचित मूल्य दुकानों की आकस्मिक जांच की गई। (ग) जांच में चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 19 राशन दुकानों पर अनियमितताएं पाई गई। जिसमें पांच दुकानों पर गंभीर गड़बड़ी पाए जाने पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई और उन्हीं में एक दुकान पर गंभीर अनियमितता किए जाने के फलस्वरूप चोर बाजारी अधिनियम, 1980 के तहत कार्यवाही कराई गई है। 14 दुकानों को निलंबित किया गया है। उक्त निलंबित दुकानों में एक दुकान का आवंटन निरस्त किया गया है बाकी अन्य संस्था/समूह से संलग्न है। (घ) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत सम्मिलित पात्र परिवारों को नवीन पात्रता पर्ची जारी करने, पात्रता पर्ची में नाम सुधारने एवं पात्रता पर्ची में नाम जोड़ने हेतु स्थानीय निकाय के अधिकृत कर्मचारी द्वारा कार्यवाही की जाती है। स्थानीय निकाय द्वारा प्राप्त आवेदन के परीक्षण उपरांत 28 पात्रता श्रेणियों के अंतर्गत पात्र पाए जाने पर स्थानीय निकाय के अधिकृत कर्मचारी द्वारा एम-राशन मित्र पोर्टल पर नवीन पर्ची जारी करने एवं पात्रता पर्ची में नाम सुधारने या नाम जोड़ने हेतु पोर्टल पर प्रविष्टि की जाती है फिर निकाय द्वारा सत्यापन किया जाता है। तत्पश्चात् खाद्य विभाग द्वारा सत्यापन किया जाता है। इसके उपरांत नवीन पात्रता पर्ची जारी होने हेतु ऑनलाइन डाटा को एन.आई.सी. भोपाल से एन.आई.सी. हैदराबाद को भेजा जाता है। डाटा अपडेट होने के उपरांत नवीन पर्ची को पोर्टल से डाउनलोड किया जाता है। चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत प्रश्नांकित अवधि में कुल 3115 पात्रता पर्ची निर्मित की गई है।
कृषकों को समर्थन मूल्य का भुगतान
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
4. ( क्र. 47 ) श्री प्रह्लाद लोधी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले में वर्ष 2021-22 में खरीफ एवं रबी की फसलों धान, गेहूँ, चना, सरसों आदि को कितने किसानों द्वारा समर्थन मूल्य पर बेचा गया? सूची उपलब्ध करायें। (ख) क्या पन्ना जिले के किसानों द्वारा बेची गई फसलों की राशि का समस्त भुगतान किसानों को हो गया है? यदि नहीं तो इनकी राशि का भुगतान कब तक किया जावेगा और कौन-कौन से किसान राशि भुगतान हेतु शेष हैं? (ग) भुगतान न होने की स्थिति में दोषी कौन है? दोषी समूहों, अधिकारियों पर अब तक क्या-क्या कार्यवाही की गई? (घ) मध्यप्रदेश कृषि मंडी बोर्ड द्वारा पवई विधानसभा क्षेत्र में कितनी सड़कों का निर्माण किया गया है एवं इनके रख-रखाव एवं मरम्मत का क्या प्रावधान है?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) पन्ना जिले में वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर कृषकों से उपार्जित गेहूँ, चना, धान एवं ज्वार की उपार्जित मात्रा एवं विक्रेता किसानों की संख्यावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-अ अनुसार है। (ख) पन्ना जिले में वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर गेहूँ, चना एवं ज्वार विक्रय करने वाले समस्त कृषकों को समर्थन मूल्य का भुगतान कर दिया गया है। वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान में से केवल 35 किसानों की राशि रू. 18,02,580/- भुगतान हेतु लंबित है। उपार्जन केन्द्र संचालन करने वाले स्व-सहायता समूह के अध्यक्ष, सचिव, केन्द्र प्रभारी एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर से धान की शार्टेज मात्रा की राशि वसूल करने हेतु चल/अचल सम्पत्ति कुर्क करने हेतु तहसीलदार, सिमरिया द्वारा कार्यवाही की जा रही है। राशि की वसूली होने पर शेष किसानों को भुगतान किया जा सकेगा। भुगतान से शेष किसानों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-ब अनुसार है। (ग) पन्ना जिले में वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन हेतु संस्था प्रिया स्व-सहायता समूह द्वारा धान की कुल उपार्जित मात्रा के विरूद्ध 92.915 मे.टन धान का अपग्रेड कराकर गोदाम में जमा न करने के कारण किसानों का भुगतान लंबित है। कृषकों के भुगतान न होने के लिए उपार्जन करने वाले प्रिया स्व-सहायता समूह के अध्यक्ष, सचिव, केन्द्र प्रभारी एवं डाटा एन्ट्री ऑपरेटर दोषी पाए गए हैं, जिनके विरूद्ध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है एवं धान की शार्टेज मात्रा की राशि वसूल करने की कार्यवाही की जा रही है। (घ) पन्ना जिले के पवई विधानसभा क्षेत्रांतर्गत 8 सड़कों का निर्माण का कार्य किया गया है। निर्माण कराई गई सड़कों का रख-रखाव एवं मरम्मत की गारंटी अवधि सड़क कार्य की पूर्णता दिनांक से 5 वर्ष तक प्रावधानित है, जो समाप्त हो चुकी है, जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-स अनुसार है। शासन के निर्णयानुसार मंडी बोर्ड द्वारा मंडी प्रांगण के बाहर निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। मंडी बोर्ड द्वारा सड़कों का रख-रखाव एवं मरम्मत का कार्य प्रावधानित नहीं है।
बैराज बांधों की प्रशासकीय स्वीकृति
[जल संसाधन]
5. ( क्र. 51 ) श्री प्रह्लाद लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले के पवई विधानसभा में कितने बैराजों की तकनीकी स्वीकृत हो चुकी है? क्या यह सत्य है, कि विधानसभा अंतर्गत 8 बैराजों की तकनीकी स्वीकृति हो जाने के बावजूद प्रशासकीय स्वीकृत नहीं हो पा रही है? यदि हाँ, तो इनकी प्रशासकीय स्वीकृति क्यों नहीं हो पा रही है या कब तक हो पायेगी? (ख) पवई विधानसभा अंतर्गत टिर्री गुरने बांध अधूरा पड़ा है, इसकी प्रशासकीय स्वीकृति कब की गयी थी हां, क्या योजना का बांध एवं नहर निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है? योजना से कितने हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है? क्या यह सत्य है कि बांध का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है तो फिर नहर पर व्यय क्यों किया गया? कौन-कौन अधिकारी इसमें दोषी है? उन पर क्या कार्यवाही की जा रही है एवं योजना को कब तक पूर्ण कराया जायेगा? (ग) पवई विधानसभा अंतर्गत सिंचाई विभाग की कितनी लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के प्रस्ताव शासन के पास भेजे गये हैं एवं भेजे गये प्रस्तावों की अद्यतन स्थिति क्या है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। सलैया बैराज एवं तुल्ला बैराज की स्वीकृति दिए जाने की कार्यवाही प्रचलन में है। शेष परियोजनाओं के प्रस्ताव पर प्रमुख अभियंता द्वारा उठाई गई आपत्तियों का निराकरण की कार्यवाही संभागीय कार्यालय में प्रचलन में होने के कारण स्वीकृति दिए जाने की स्थिति नहीं है। प्रस्ताव शासन स्तर पर प्राप्त होने पर निर्णय लिया जाना संभव होगा। स्वीकृति हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) वस्तुस्थिति यह है कि पवई विधानसभा अंतर्गत निर्माणाधीन टिर्री गुरने बांध का कार्य अधूरा होना प्रतिवेदित है। परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 12.02.2013 को प्रदान की गई थी। परियोजना अंतर्गत बांध एवं नहर का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। वर्तमान में योजना से कोई भी सिंचाई नहीं की जा रही है। बांध निर्माण के साथ-साथ नहर निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया था। वन भूमि की स्वीकृति के अभाव में बांध एवं नहर कार्य प्रभावित है। अत: किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं हैं। वनभूमि व्यपवर्तन की स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत कार्य पूर्ण कराया जाना संभव होगा। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) उत्तरांश 'क' अनुसार।
पन्ना जिले में खदानों का संचालन
[खनिज साधन]
6. ( क्र. 52 ) श्री प्रह्लाद लोधी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले में खनिज विभाग द्वारा पत्थर की कितनी खदानों का संचालन हो रहा है? कितनी जमीन खदानों को लीज पर दी गयी है? कृपया विस्तृत जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) पन्ना जिले में रेत एवं मुरम की कितनी खदानों का संचालन हो रहा है एवं खदानें किनके नाम पर आवंटित हैं? (ग) क्या यह सत्य है कि शाहनगर विकासखण्ड के ग्राम रैयासाटा में किसी राजेन्द्र सिंह के नाम से मुरम की लीज प्रदान की गई है? यदि हाँ, तो लीज कब स्वीकृत की गई एवं इस अवैध लीज से प्रश्न दिनांक तक कितनी मुरम निकाली गई?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) पन्ना जिले में पत्थर की 81 खदानें स्वीकृत हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ख) पन्ना जिले में रेत की कोई भी खदान संचालित नहीं है तथा खनिज मुरूम की 02 खदानें स्वीकृत हैं, जिसमें से 01 खदान संचालित एवं 01 खदान असंचालित है। शेष प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। (ग) जी नहीं। शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
नवीन संभाग बनाये जाने हेतु प्रतिवेदन पर कार्यवाही
[राजस्व]
7. ( क्र. 66 ) श्री आलोक चतुर्वेदी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कलेक्टर छतरपुर ने प्रमुख सचिव राजस्व विभाग को पत्र क्रमांक/182/एस.सी. 1/2019 छतरपुर दिनांक 18.10.2019 के द्वारा नवीन संभाग छतरपुर बनाये जाने हेतु प्रतिवदेन प्रेषित किया था? (ख) यदि हाँ तो प्रतिवेदन पर क्या-क्या कार्यवाही की गई?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) कलेक्टर छतरपुर से उत्तरांश 'क' में उल्लेखित प्रतिवेदन परीक्षणाधीन है।
मोहनपुरा विस्तार परियोजना
[जल संसाधन]
8. ( क्र. 68 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मोहनपुरा विस्तार परियोजना के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर का कुल कितने हेक्टेयर रकबा सिंचित किये जाने हेतु सम्मिलित किया गया है? ग्रामवार प्रस्तावित रकबा की जानकारी से अवगत करावें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्य की स्वीकृति कब तक प्रदाय कर दी जावेगी एवं निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ कराया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) एवं (ख) मोहनपुरा परियोजना में उपलब्ध जल का इष्टतम उपयोग करने के उद्देश्य से सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए मोहनपुरा विस्तार परियोजना चिन्हित किया गया है, जिसमें प्रारंभिक आंकलन के अनुसार डी.पी.आर. तैयार करने की कार्यवाही प्रचलन में है। डी.पी.आर. अंतिम नहीं होने से ग्रामों की संख्या एवं रकबे की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। डी.पी.आर. शासन स्तर पर प्राप्त होने के उपरांत निर्णय लिया जाना संभव होगा। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
ड्रोन माध्यम से भू-स्वामित्व अभिलेख तैयार किया जाना
[राजस्व]
9. ( क्र. 81 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना के अंतर्गत शासन द्वारा आवेदन प्राप्त करने का कोई प्रावधान नहीं है? (ख) यदि हाँ तो क्या ग्रामीण क्षेत्र की आबादी भूमि में निवासरत व्यक्तियों के भू-खण्ड का ड्रोन के माध्यम से सर्वे कर अधिकार अभिलेख तैयार किये जाते हैं? (ग) यदि हाँ तो प्रश्नांश (ख) के अंतर्गत योजना प्रारंभ से प्रश्न दिनांक तक क्या पनागर एवं बरेला तहसील में निवासरत व्यक्तियों के अभिलेख तैयार किये गये हैं? (घ) यदि हाँ तो सूची उपलब्ध करावें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना के अंतर्गत शासन द्वारा आवेदन प्राप्त करने का कोई प्रावधान नहीं है। (ख) ग्रामीण क्षेत्र की आबादी भूमि में निवासरत व्यक्तियों के भू-खण्ड का ड्रोन के माध्यम से सर्वे कार्य कर अधिकार अभिलेख तैयार किये जाने का प्रावधान है। (ग) जी हाँ। योजना के प्रारंभ से प्रश्न दिनांक तक तहसील पनागर एवं उप तहसील बरेला में निवासरत व्यक्तियों के अभिलेख तैयार किये गये है। (घ) सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार।
मुआवजा राशि का वितरण
[जल संसाधन]
10. ( क्र. 92 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कुण्डालिया बांध के डूब क्षेत्र में सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सामगीघाटा को मुआवजा राशि निर्धारण करने का प्रकरण शासन स्तर पर विचाराधीन है? यदि हाँ तो प्रकरण का निराकरण कब तक कर दिया जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित प्रकरण का यदि निराकरण कर दिया गया है तो उसके आदेश की प्रति उपलब्ध करावें तथा प्रभावित ग्रामवासियों को मुआवजा राशि का वितरण कब तक कर दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) एवं (ख) तथ्यात्मक स्थिति यह है कि कुण्डालिया बांध के एफ.टी.एल. से ऊपर स्थित ग्राम सामगीघाटा के व्यक्तियों को उनके मकानों के मुआवजा दिये जाने के प्रस्ताव पर वित्त विभाग की सहमति चाही गई, जिस पर वित्त विभाग द्वारा असहमति व्यक्त की गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
केनाल एवं नहरों की मरम्मत कार्य
[जल संसाधन]
11. ( क्र. 116 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह के पिपरिया जलाशय, गुदरी जलाशय, खोवा जलाशय, पवैया बांध का निर्माण कब व कितनी राशि से किया गया था? कितने किसान उक्त जलाशयों से सिंचाई का लाभ प्राप्त कर रहे हैं? जलाशयवार बताने की कृपा करें। (ख) उक्त बांधों/जलाशयों में से कितनों की केनाल व नहरें क्षतिग्रस्त है व मरम्मत हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा कई बार पत्राचार किये जाने उपरांत सुधार कार्य क्यों नहीं किया गया? उक्त केनाल/नहरों की मरम्मत कब तक की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित परियोजनाओं में से केवल गुदरी जलाशय की नहर में निर्मित सायफन क्षतिग्रस्त होना प्रतिवेदित है, जिसके सुधार कार्य हेतु डी.पी.आर. तैयार करने की कार्यवाही मैदानी कार्यालयों में प्रचलन में है। प्रस्ताव प्राप्त होने पर स्वीकृति दी जाना संभव होगा। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेष जलाशयों की नहरों की मरम्मत का कार्य रबी सिंचाई के पूर्व अनुरक्षण मद अंतर्गत आवश्यकता अनुसार सुधार कराया जाकर कृषकों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाना प्रतिवेदित है।
बाजरा खरीदी हेतु बनाये गये केन्द्र
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
12. ( क्र. 128 ) डॉ. सतीश सिकरवार : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर चम्बल सम्भाग में कितने किसानों द्वारा बाजरा एवं अन्य उपजों की शासन द्वारा खरीदी हेतु वर्ष 2022 खरीफ फसलों के पंजीयन कराये गये हैं? जिलावार संख्या सहित जानकारी दी जावे। (ख) शासन द्वारा कितने जिलों में बाजरा खरीदी केन्द्र बनाये गये एवं उन पर नवम्बर 2022 तक कहाँ-कहाँ खरीदी प्रारंभ की गई है? यदि खरीदी प्रारंभ नहीं की गई है तो उसके क्या कारण रहे? (ग) क्या शासन द्वारा समय पर खरीद प्रारंभ न कर किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है, क्यों? जानकारी दी जावे।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में ग्वालियर एवं चंबल संभाग में जिलेवार बाजरा, ज्वार एवं धान के किसान पंजीयन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट-अ अनुसार है। (ख) समर्थन मूल्य पर बाजरा उपार्जन हेतु बनाए गए उपार्जन केन्द्रों की जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट-ब अनुसार है। खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर मोटा अनाज (ज्वार, बाजरा) उपार्जन हेतु जारी नीति अनुसार बाजरा उपार्जन का कार्य दिनांक 01.12.2022 से प्रारम्भ किया गया है, इस कारण माह नवम्बर, 2022 तक बाजरा उपार्जन की जानकारी निरंक है। उपार्जन नीति अनुसार निर्धारित समयावधि में बाजरा उपार्जन की व्यवस्था की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) उपार्जन नीति में निर्धारित समयानुसार फसल उपार्जन की व्यवस्था की जाकर एफ.ए.क्यू. गुणवत्ता की उपज का उपार्जन किया जाता है। किसानों के एफ.ए.क्यू. गुणवत्ता की उपज का समर्थन मूल्य न मिलने के प्रकरण प्रकाश में नहीं आए हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
कृषकों को फसलों की क्षति का मुआवजा
[राजस्व]
13. ( क्र. 145 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिला अंतर्गत हुई अतिवर्षा से बड़ी नदियों में आई बाढ़ के कारण जल भराव से कृषकों की खड़ी फसलों को हुई क्षति के संबंध में कितने कृषकों की फसलों की क्षति हुई एवं उनको दी गई मुआवजा राशि वितरण की जानकारी तहसीलवार, ग्रामवार, उपलब्ध करायें। (ख) जिला प्रशासन द्वारा नदी के दोनों ओर किनारे के नजदीक लगे हुए कृषकों की हुई फसलों की क्षति का आंकलन किया एवं मुआवजा भी दिया गया लेकिन उसी नदी का पानी थोड़ी दूरी पर स्थित अन्य खेतों में जल भराव की स्थिति निर्मित होने पर भी उक्त किसानों को मुआवजा राशि नहीं दिये जाने के कारण सहित जानकारी दें। इस संबंध में कितनी शिकायतें अथवा आवेदन मुआवजा राशि हेतु कृषकों से प्राप्त हुए? इस संबंध में निराकरण की कार्यवाही से अवगत करायें। क्या उक्त संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा कलेक्टर विदिशा को पत्र क्र. 531 दिनांक 19.09.2022 के माध्यम से कार्यवाही हेतु आग्रह किया था? यादि हाँ तो पत्र के क्रम में की गई कार्यवाही से अवगत करावें। (ग) क्या शासन प्रश्नांश (ख) के क्रम में जल भराव से हुई फसलों को हुई क्षति के संबंध में यथाशीघ्र मुआवजा राशि से वंचित कृषकों को राशि प्रदान किये जाने के संबंध में निर्देश जारी करेगा? यदि हाँ तो कब तक? नहीं तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जिला विदिशा अंतर्गत अतिवर्षा से बड़ी नदियों में आई बाढ़ के कारण जल भराव से कुल 23758 कृषकों की फसल क्षति होने पर राहत राशि 38,74,26,740/- रूपये का वितरण किया गया है। तहसीलवार एवं ग्रामवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-''अ'' अनुसार है। (ख) संयुक्त सर्वेक्षण के अनुसार नदी किनारे के ग्रामों में नदी के नजदीक लगी हुई फसलों में आर.बी.सी 6-4 के तहत 25 प्रतिशत से अधिक क्षति होने के कारण मुआवजा दिया गया। साथ ही ऐसे खेत जो नदी के पानी से दूर स्थित हैं एवं 25 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति हुई है, उनके कृषकों को मुआवजा दिया गया है। इसके अतिरिक्त ऐसे खेत जिनमें 25 प्रतिशत से कम क्षति हुई है, उनके कृषकों को आर.बी.सी 6-4 की पात्रता में नहीं आने के कारण मुआवजा राशि नहीं दी गई है। इस संबंध में जिले में कुल 74 शिकायतें अथवा आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनका निराकरण कर दिया गया है। प्रश्नकर्ता द्वारा कलेक्टर विदिशा को प्रेषित पत्र क्र. 531 दिनांक 19.09.2022 के संबंध में प्रभारी अधिकारी राहत शाखा, समस्त अनुविभागीय अधिकारी एवं समस्त तहसीलदारों को विडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से फसल क्षति सर्वे कार्य तत्काल पूर्ण कर क्षति पत्रक तैयार करने हेतु निर्देशित किया गया। पत्र के क्रम में की गई कार्यवाही की नोटशीट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-''ब'' अनुसार है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
परासिया को जिले का दर्जा प्रदान किया जाना
[राजस्व]
14. ( क्र. 149 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परासिया को जिले का दर्जा प्रदान किये जाने के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा मुख्यमंत्री जी को पत्र क्र. वि.स./परासिया/127/2021/1068 दिनांक 20.12.2021 प्रेषित किया गया था, जिस पत्र पर मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग मंत्रालय भोपाल द्वारा पत्र क्रमांक 449/637/2021/सात/शा-7 भोपाल दिनांक 23/09/2022 के माध्यम से कलेक्टर जिला छिंदवाड़ा को पत्र जारी कर आवश्यक कार्यवाही करते हुए प्रतिवेदन व जानकारी विभाग को भिजवाने हेतु निर्देशित किया गया था, जिस पर अभी तक चाही गई जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई है, जिसका क्या कारण है? कब तक आवश्यक कार्यवाही पूर्ण करा दी जायेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार आवश्यक कार्यवाही व औपचारिकताओं को शासन द्वारा पूर्ण करते हुये परासिया को जिले का दर्जा प्रदान कर दिया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) प्रकरण में, कलेक्टर छिन्दवाड़ा द्वारा दिनांक 10/11/2022 को परासिया को जिला बनाये जाने बाबत् प्रतिवेदन प्रेषित किया है जो परीक्षणाधीन है। (ख) उत्तरांश (क) के संदर्भ में परासिया को जिले का दर्जा प्रदान करने की समय-सीमा निर्धारण में कठिनाई है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का वितरण
[राजस्व]
15. ( क्र. 160 ) श्री रामपाल सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिले की तहसील बेगमगंज एवं सिलवानी में राजस्व अभिलेखों में खातेदार के रूप में कितने किसानों के नाम दर्ज है? ग्राम पंचायतवार संख्या बतायें। उनमें से कितने किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि तथा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की राशि नहीं मिल रही है? ग्राम पंचायतवार संख्या बतायें। (ख) तहसील बेगमगंज एवं सिलवानी के सभी पात्र किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि तथा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की राशि क्यों नहीं मिल रही है? कारण बतायें तथा कब तक सभी पात्र किसानों को राशि मिलने लगेगी? (ग) तहसील बेगमगंज एवं सिलवानी में कितने वन भूमि के पट्टाधारियों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि तथा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की राशि मिल रही है तथा कितने पट्टाधारियों को राशि क्यों नहीं मिल रही है? कारण बतायें तथा उनको कब तक राशि मिलेगी? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के संबंध में मान. मंत्री जी तथा जिले के अधिकारियों को 1 जनवरी 2022 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में प्रश्नकर्ता विधायक के पत्र कब-कब मिले तथा उन पर क्या-क्या कार्यवाही की गई पूर्ण विवरण देवें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-'क' अनुसार है। उक्त खातों में से जिन पात्र खातेदारों द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के नियत मापदण्ड अनुसार सही जानकारी प्राप्त हुई है, उन्हें योजना का लाभ प्राप्त हो रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) उत्तरांश के अनु्क्रम में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) तहसील बेगमगंज में 539 एवं तहसील सिलवानी में 3336 वन भूमि के पात्र पट्टाधारियों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि तथा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की राशि मिल रही है। शेष तहसील बेगमगंज के 48 एवं तहसील सिलवानी के 546 वन पट्टाधारियों को योजना अनुसार अपात्र होने के कारण योजना का लाभ प्रदान नहीं किया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''ख'' अनुसार है।
अनुग्रह सहायता राशि का भुगतान
[श्रम]
16. ( क्र. 161 ) श्री रामपाल सिंह : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिले में मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना तथा मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मण्डल में पंजीकृत श्रमिकों की मृत्यु उपरांत अन्तयेष्टि एवं अनुग्रह सहायता राशि भुगतान के किन-किन के प्रकरण किस स्तर पर कब से एवं क्यों लंबित हैं? (ख) रायसेन जिले में स्वीकृत किन-किन श्रमिक शेड में द्वितीय किश्त का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है? कारण बतायें तथा कब तक द्वितीय किश्त का भुगतान होगा? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संबंध में मान. मंत्री जी तथा विभाग के अधिकारियों को 1 जुलाई 2022 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में प्रश्नकर्ता विधायक के पत्र कब-कब प्राप्त हुए तथा उन पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? पत्रों के जवाब क्यों नहीं दिये? (घ) प्रश्नकर्ता विधायक के पत्रों में उल्लेखित किन-किन समस्याओं का निराकरण हुआ तथा किन-किन समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं हुआ? कारण बतायें तथा कब तक निराकरण होगा?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) रायसेन जिले में मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को मृत्यु की दशा में अनुग्रह सहायता योजनांतर्गत 03 प्रकरण भुगतान किए जाने हेतु लंबित है। उक्त प्रकरण संबंधित पदाभिहित अधिकारी द्वारा स्वीकृत किए जा चुके हैं, भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अनुग्रह सहायता हेतु लंबित प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। रायसेन जिले में मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना अंतर्गत पंजीकृत श्रमिकों की मृत्यु उपरांत अनुग्रह सहायता राशि भुगतान के 287 प्रकरण लंबित है। अनुग्रह सहायता राशि का भुगतान शासन स्तर से बजट उपलब्धता अनुसार किया जाता है। अंत्येष्टि सहायता का कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-क अनुसार है। (ख) म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल की निर्माण श्रमिक आश्रय शेड योजना के अंतर्गत जिला रायसेन में स्वीकृत 21 श्रमिक शेडों में से 12 शेडों के संबंध में द्वितीय किश्त का मांग पत्र प्राप्त न होने से आवंटन नहीं किया जा सका है तथा 01 प्रकरण में आवंटन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। विस्तृत विवरण सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल से संबंधित प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संबंध में 1 जुलाई 2022 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में प्रश्नकर्ता विधायक के माध्यम से प्राप्त पत्र, उन पर की गई कार्यवाही एवं मान. विधायक महोदय को प्रेषित पृष्ठांकित पत्रों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। म.प्र. असंगठित शहरी एवं ग्रामीण कर्मकार कल्याण मण्डल से संबंधित मान. मंत्री जी एवं विभाग के अधिकारियों को 01 जुलाई 2022 से प्रश्न दिनांक तक निम्न पत्र प्राप्त हुये :- 1. मान. विधायक महोदय द्वारा प्रमुख सचिव, श्रम विभाग को प्रेषित पत्र क्रमांक 1229 दिनांक 26-08-2020 के तारतम्य में अग्रिम कार्यवाही हेतु श्रम पदाधिकारी, जिला रायसेन को मण्डल द्वारा पत्र क्रमांक 4583 दिनांक 19-09-2022 प्रेषित किया गया। 2. मान. विधायक महोदय द्वारा मान. मुख्यमंत्री जी, मध्यप्रदेश शासन को प्रेषित पत्र क्रमांक 1230 दिनांक 26-08-2020 के तारतम्य में अग्रिम कार्यवाही हेतु श्रम पदाधिकारी, जिला रायसेन को मण्डल द्वारा पत्र क्रमांक 5372 दिनांक 20-10-2022 प्रेषित किया गया। 3. मान. विधायक महोदय द्वारा मान. मंत्री जी, श्रम विभाग को प्रेषित पत्र क्रमांक 1488 दिनांक 23-10-2022 के तारतम्य में अग्रिम कार्यवाही हेतु श्रम पदाधिकारी, जिला रायसेन को मण्डल द्वारा पत्र क्रमांक 6172 दिनांक 21-11-2022 प्रेषित किया गया। 4. मान. विधायक महोदय द्वारा मान. मंत्री जी, श्रम विभाग को प्रेषित पत्र क्रमांक 1281 दिनांक 18-09-2022 के तारतम्य में अग्रिम कार्यवाही हेतु श्रम पदाधिकारी, जिला रायसेन को मण्डल द्वारा पत्र क्रमांक 6166 दिनांक 21-11-2022 प्रेषित किया गया। उपरोक्त वर्णित सभी पत्रों में निज सहायक मान. विधायक महोदय को प्रतिलिपि दी गई। कार्यवाही – 1. व 2. मण्डल के पत्र क्र. 5372 दिनांक 20-10-2022 तथा पत्र क्र. 4583 दिनांक 09-09-2022 समविषयक पत्र है। उक्त पत्र के तारतम्य में श्रम पदाधिकारी, मण्डीदीप द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत, बेगमगंज को पत्र क्र. 2135 दिनांक 30-11-2022 कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया, जिसकी प्रतिलिपि निज सहायक माननीय विधायक जी को पत्र क्र. 2136 दिनांक 30-11-2022 के माध्यम से दी गई। मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत, बेगमगंज से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रेषित 14 में से 04 प्रकरणों में अनुग्रह सहायता राशि का भुगतान किया जा चुका है। शेष 10 प्रकरणों में ई.पी.ओ. जारी किये जा चुके हैं। ई.पी.ओ. जारी प्रकरणों में बजट प्राप्त होने पर भुगतान किया जाता है। 3. उक्त पत्र के तारतम्य में श्रम पदाधिकारी कार्यालय मण्डीदीप जिला रायसेन द्वारा मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर परिषद्, देवरी को पत्र क्रमांक 2133 दिनांक 30.11.22 कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया। जिसकी प्रतिलिपि निज सहायक माननीय विधायक जी को पत्र कमांक 2134 दिनांक 30-11-2022 के माध्यम से दी गई। मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर परिषद् देवरी से प्रकरण में की गई कार्यवाही का जबाव अपेक्षित है। 4. उक्त पत्र के तारतम्य में श्रम पदाधिकारी कार्यालय मण्डीदीप जिला रायसेन द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बेगमगंज को पत्र क्रमांक 2135 दिनांक 30-11-2022 कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया, जिसकी प्रतिलिपि निज सहायक माननीय विधायक जी का पत्र कमांक 2136 दिनांक 30-11-2022 के माध्यम से दी गई। मुख्य कार्यपालन अधिकारी बेगमगंज से प्रकरण में प्राप्त जानकारी अनुसार स्व. श्री संतोष रैकवार आत्मज श्री शंकर रैकवार में अनुग्रह सहायता राशि 4.00 लाख रूपये का भुगतान किया जा चुका है। (घ) म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के संबंध में जिला रायसेन में स्वीकृत निर्माण श्रमिक शेडों की द्वितीय किश्त का भुगतान संबंधित अधिकारी से मांग पत्र प्राप्त न होने के कारण नहीं किया जा सका है। ग्रांम पंचायत सुमेर, जनपद पंचायत बेगमगंज के 01 प्रकरण में आवंटन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। म.प्र. असंगठित शहरी एवं ग्रामीण कर्मकार कल्याण मण्डल :- 1. माननीय विधायक महोदय द्वारा उल्लेखित प्रकरण स्व. श्री संतोष रैकवार आत्मज श्री शंकर रैकवार में अनुग्रह सहायता राशि 4.00 लाख रूपये का भुगतान किया जा चुका है। 2. स्व. श्री राजाराम कहार के प्रकरण में कार्यवाही हेतु मुख्य नगरपालिका अधिकारी देवरी को पत्र क्रमांक 2133 दिनांक 30-11-2022 प्रेषित किया गया है। कार्यवाही प्रचलन में है। 3. पत्रों के तारतम्य में मुख्य कार्यपालन अधिकारी कार्यालय जनपद पंचायत, बेगमगंज से प्राप्त जानकारी अनुसार अनुग्रह सहायता राशि के 14 प्रकरणों में से निम्न 04 प्रकरणों में अनुग्रह सहायता राशि का भुगतान हो चुका हैं :-
क्र |
श्रमिक का नाम |
मृत्यु दिनांक |
भुगतान राशि |
ई.पी.ओ. क्र. |
दिनांक |
1 |
स्व. श्री संतोष रानी |
14.12.21 |
4.00 लाख |
258547 |
04.03.22 |
2 |
मोजी लाल |
27.12.21 |
2.00 लाख |
256201 |
14.12.22 |
3 |
सोहन लाल |
09.12.21 |
2.00 लाख |
248837 |
11.01.22 |
4 |
शांति बाई |
23.11.21 |
2.00 लाख |
248065 |
06.01.22 |
शेष 10 प्रकरणों में ई.पी.ओ. जारी किये जा चुके हैं तथा भुगतान की कार्यवाही शासन स्तर से किया जाना है। माननीय विधायक जी द्वारा प्रेषित पत्र में उल्लेखित 02 प्रकरण जिनमें मृत्यु दिनांक 07-12-2020 तथा 19-12-2020 है, भी उक्त 10 प्रकरणों में सम्मिलित है।
गरीब परिवारों को पट्टे का आवंटन
[राजस्व]
17. ( क्र. 178 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सही है कि नगरपालिका परासिया अन्तर्गत वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड प्रबंधन द्वारा लीज पर ली गई भूमि की लीज खत्म हो चुकी है और लीज खत्म होने के बाद भी भूमि वे.को.लि. प्रबंधन के कब्जे में है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि हाँ तो क्या उपरोक्त भूमि को शासन के नाम पर परिवर्तित कर शासकीय मद में दर्ज कर नगरपालिका परासिया अंतर्गत गरीब व असहाय परिवारों को जिन्हें पट्टा प्रदान किया जाना आवश्यक है, क्या ऐसे विभिन्न पात्र गरीब वर्ग के हितग्राहियों को शासन की योजनांतर्गत आवास निर्माण हेतु भूमि का पट्टा प्रदान कराये जाने की शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही की जायेगी? अवगत करायें। (ग) वर्तमान समय में परासिया विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित खिरसाडोह रेलवे स्टेशन के आस-पास खमराजेठू (महादेवपुरी) में रेलवे की भूमि में निवासरत गरीब परिवारों के आवासों को रेलवे द्वारा तोड़ दिया गया है। ऐसे गरीब परिवारों को कब तक विस्थापित किये जाने हेतु शासकीय योजना के अन्तर्गत शासकीय भूमि का पट्टा प्रदान कर दिया जायेगा? (घ) नगरपालिका परासिया अर्न्तगत वर्ष 2014 से 2023 तक शासन की योजनांतर्गत किन-किन हितग्राहियों को भूमि का पट्टा प्रदान किया गया है? हितग्राहियों के नाम, पता, प्रदाय भूमि का विवरण उपलब्ध करायें। अगर भूमि का पट्टा प्रदान नहीं किया गया है तो इसका क्या कारण है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) वे.को.लि. प्रबंधन द्वारा लीज पर ली गई जमीन की लीज समाप्त होने पर भारत सरकार द्वारा प्रकाशित राजपत्र में अधिसूचना क्रमांक सा.का.नि. 717 (अ) दिनांक 01 अक्टूबर 2021 के अनुसार लीज नवीनीकरण स्वीकृत हो गई है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में उक्त प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। (ग) वर्तमान समय में परासिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत स्थित खिरसाडोह रेलवे स्टेशन के आसपास-खमराजेठू (महादेवपुरी) में रेलवे की भूमि में निवासरत व्यक्तियों के मकान एवं दुकान हटाने की कार्यवाही रेलवे द्वारा की गई है। जिनमें से 20 व्यक्ति ऐसे है जिनकी निजी भूमि नहीं है। उनमें से 07 व्यक्तियों को पूर्व में पंचायत द्वारा पट्टा दिया जा चुका है एवं 13 पात्र हितग्राहियों को आवासीय भू-खण्ड दिये जाने के संबंध में ग्राम खिसराडोह माल की शासकीय आबादी भूमि खसरा नम्बर 16/1/2 रकबा 1.595 हे. में से चिन्हित कर ले-आउट तैयार किया जा चुका है। (घ) शासन की योजना के अंतर्गत नगरपालिका परासिया में वर्ष 2014 से 2023 तक किसी भी हितग्राही को पट्टा वितरित किये जाने योग्य भूमि न होने से पट्टा वितरित नहीं किया। शेष प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता।
सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति
[जल संसाधन]
18. ( क्र. 179 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र परासिया के अन्तर्गत कौन-कौन सी सिंचाई योजनाओं के प्रस्ताव विभाग द्वारा प्रस्तावित कर शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु भेजे गये हैं? (ख) प्रश्नांश ''क'' के अनुसार जिन सिंचाई योजनाओं के प्रस्ताव विभाग द्वारा प्रस्तावित कर स्वीकृति हेतु भेजे गये हैं, उनमें से कौन-कौन सी सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति विभाग द्वारा प्रदान की जा चुकी है और किन-किन सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है? स्वीकृति प्रदान नहीं किए जाने का क्या कारण है? (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा माननीय मंत्री महोदय को विधानसभा क्षेत्र परासिया में प्रस्तावित सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति प्रदान किये जाने के संबंध में पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/ 2022/674 व पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/2022/672 एवं पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/2022/670 तीनों पत्र दिनांक 12.09.2022 को प्रेषित किये गये थे जिन पत्रों पर उल्लेखित सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति के संबंध में विभाग द्वारा अभी तक क्या कार्यवाही की गई है? मय दस्तावेज सहित जानकारी उपलब्ध करायें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) एवं (ख) विधान सभा क्षेत्र परासिया अन्तर्गत विभागीय वेबसाइट में दर्ज चिन्हित लघु सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-"अ" अनुसार है। शासन स्तर पर साध्यता स्वीकृति का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है। (ग) प्रश्नांश में उल्लेखित माननीय सदस्य द्वारा माननीय मंत्री जी जल संसाधन विभाग को लिखे गए पत्र पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-"1", "2" एवं "3" अनुसार हैं। पत्रों में की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-"ब", "स" एवं "द" अनुसार है।
अरूणाम घोष स्टेडियम सिहोरा का विस्तारीकरण
[राजस्व]
19. ( क्र. 205 ) श्रीमती नंदनी मरावी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 929 दिनांक 17 जुलाई 2019 में अवगत कराया गया था कि अरूणाम घोष स्टेडियम के विस्तारीकरण के संबंध में कराए गए सर्वे में 75 परिवार प्रभावित पाए जाने से उनके विस्थापन की कार्यवाही प्रचलित है। आज दिनांक तक काफी समय बीत जाने के बाद भी विस्थापन की कार्रवाई क्यों नहीं की गई? खेल प्रतिभाओं की मांग के अनुरूप स्टेडियम का विस्तारीकरण नहीं हो पा रहा है। कब तक प्रभावित परिवारों का विस्थापन कर स्टेडियम का विस्तारीकरण कर दिया जावेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) सिहोरा के न्यायालीन मामला क्रं. 0001/अ-59/2022-23 एवं क्रं. 0002/अ-59/वर्ष 2022-23 में कलेक्टर जबलपुर के आदेशानुसार भूमि खसरा नं. 522/1 रकवा 1.00 हेक्टे. एवं ख.नं. 1360 रकवा 1.00 हेक्टे. का विस्थापन हेतु आबादी मद में परिवर्तन किया जा चुका है। उक्त भूमि का सीमाकंन कर अग्रेतर कार्यवाही हेतु यह मुख्य नगरपालिका अधिकारी सिहोरा को सौंपी गई है। उक्त भूमि में विस्थापन हेतु ले-आउट इत्यादि की कार्यवाही प्रगतिशील है। अरूणाम घोष स्टेडियम सिहोरा के विस्तारीकरण हेतु ग्राम मनसकरा स्थित खसरा नं. 480/3 रकवा 0.409 हेक्टे. दिनांक 26 नवम्बर 2022 को सीमाकंन कर नगरपालिका को सौंपी गई इस प्रकार अरूणाम घोष स्टेडियम विस्तारीकरण हेतु प्रस्तावित ख.नं. 480/2 रकवा 0.801 एवं ख.नं. 480/3 रकवा 0.409 हेक्टे., कुल रकवा 1.210 हेक्टे. है। ग्राम मनसकरा स्थित खसरा नं. 480/3 रकवा 0.409 में कुल 75 परिवार निवासरत हैं। उक्त परिवारों के विस्थापन हेतु जनप्रतिनिधियों एवं नगरपालिका अधिकारी सिहोरा द्वारा दिनांक 18.11.2022 को जनसुनवाई आयोजित की गई एवं विस्थापन की मूलभूत सुविधाओं की जानकारी दी गई। विस्थापन की कार्यवाही शीघ्र पूर्ण किये जाने हेतु नगरपालिका स्तर पर कार्यवाही प्रगतिशील है।
माइक्रो लिफ्ट इरीगेशन योजना की स्वीकृति
[जल संसाधन]
20. ( क्र. 255 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा पत्र क्र. 61,62 एवं 63 दिनांक 12/10/2022 को माननीय मुख्यमंत्री महोदय, माननीय जल संसाधन मंत्री महोदय एवं अपर मुख्य सचिव महोदय जल संसाधन विभाग को पत्र लिखे पत्रों की प्रतियां उपलब्ध करावें। क्या पत्र दिनांक से प्रश्न दिनांक तक उक्त पत्रों के विषय में हिम्मतगढ़ फीडर एवं आरोन-पाटई माइक्रो लिफ्ट इरीगेशन योजना की स्वीकृति की गई हैं? स्पष्ट करें। (ख) क्या प्रश्नकर्ता विधायक के ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 5697 दिनांक 15 मार्च 2021 के उक्त विषय पर माननीय जल संसाधन मंत्री महोदय द्वारा दिनांक 16 मार्च 2021 को अपने वक्तव्य में कहा था कि वित्त विभाग द्वारा निर्धारित सूचकांक अनुकूल होने पर निर्णय लिया जाना संभव होगा? क्या अब योजना को नवीन संशोधित डी.पी.आर. 240 करोड़ जी.एस.टी. सहित को प्रशासकीय स्वीकृति दी जावेगी? यदि हाँ तो कब तक? यदि नहीं तो क्यों? क्या उक्त क्षेत्र के गरीब सिंचाई से वंचित किसानों को ऐसी ही हालत में छोड़ दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) एवं (ख) माननीय सदस्य द्वारा प्रश्नांश में उल्लेखित पत्र क्रमांक 61, 62 एवं 63 दिनांक 12.10.2022 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-"1", "2" एवं "3" अनुसार है। अभी परियोजना की स्वीकृति नहीं हुयी है। जी हाँ, सूचकांक अनुकूल होने पर प्रशासकीय स्वीकृति के संबंध में आगामी निर्णय लिया जाना संभव होगा, की बात कही गयी थी। वर्तमान में तथ्यात्मक स्थिति यह है कि आरोन-पाटई माईक्रो उद्वहन योजना का नवीन संशोधित डी.पी.आर. लागत रू. 105.185 करोड़ (जी.एस.टी. सहित) मुख्य अभियंता, ग्वालियर द्वारा दिनांक 21.09.2022 को प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग, भोपाल को प्रेषित किया जाना प्रतिवेदित है। परियोजना से 17 ग्रामों की 4,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई प्रस्तावित है। हिम्मतगढ़ बांध को सांकनून नहर के माध्यम से पेहसारी बांध से भरने हेतु सांकनून नहर की मरम्मत का कार्य प्रगतिरत है। हिम्मतगढ़ बांध से 16 ग्रामों की 5,365 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। प्रश्नाधीन परियोजना की डी.पी.आर. प्रमुख अभियंता कार्यालय में परीक्षणाधीन होने से स्वीकृति दिए जाने की स्थिति नहीं है। स्वीकृति हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
राजस्व प्रकरणों का निराकरण
[राजस्व]
21. ( क्र. 256 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले के तहसील भितरवार, चीनौर एवं घाटीगांव के अन्तर्गत 01 जनवरी 2021 से प्रश्न दिनांक तक राजस्व प्रकरणों के निपटारे हेतु किन-किन कृषकों द्वारा आवेदन दिये गये थे? उनका नाम, पिता/पति का नाम, ग्राम, ग्राम पंचायत का नाम, आवेदन दिनांक से प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई है? कितने नामान्तरण, बंटवारा, सीमांकन के प्रकरणों का निपटारा किया गया है? कितने प्रकरण लंबित हैं? जिन कृषकों के प्रकरणों का निपटारा किया गया है तथा किन-किन का नहीं किया गया है, उनके भी नाम, ग्राम पंचायतवार बतावें। (ख) क्या नामान्तरण, बंटवारा, सीमांकन के प्रकरणों के निपटारा हेतु म.प्र शासन द्वारा समय-सीमा निश्चित की गई है? यदि हाँ तो आदेश की प्रति उपलब्ध करायें। (ग) क्या राजस्व अभिलेखीय (खसरा) अनुसार नक्शों में तरतीम किये गये हैं? यदि नहीं किये गये हैं तो इसके लिये कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी दोषी हैं? उनके नाम, पद, बतायें। क्या दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कोई दण्डात्मक कार्यवाही की गई है? यदि हाँ तो क्या और कब? यदि नहीं तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) यह कि नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन के प्रकरण RCMS पोर्टल पर दर्ज किए जाते हैं, जो निम्नानुसार हैं :-
तहसील |
चाही गई अवधि में प्राप्त आवेदन |
निराकृत आवेदन |
शेष आवेदन |
||||||
नामांतरण |
बंटवारा |
सीमांकन |
नामांतरण |
बंटवारा |
सीमांकन |
नामांतरण |
बंटवारा |
सीमांकन |
|
भितरवार |
8172 |
533 |
315 |
7331 |
457 |
308 |
841 |
76 |
07 |
चीनोर |
7387 |
588 |
749 |
7044 |
518 |
744 |
440 |
70 |
05 |
घाटीगांव |
2716 |
194 |
182 |
2455 |
149 |
137 |
261 |
45 |
45 |
शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-अ अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-ब अनुसार। (ग) राजस्व अभिलेखों में खसरा अनुसार तरमीम किए जा रहे हैं, जिसमें कोई अधिकारी/ कर्मचारी दोषी नहीं है।
खनिज विभाग के अधिकारी की शिकायत पर कार्यवाही
[खनिज साधन]
22. ( क्र. 302 ) श्री मुकेश रावत (पटेल) : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक अलीराजपुर जिले के खनिज विभाग के किन-किन अधिकारी एवं कर्मचारियों की शिकायतें शासन को प्राप्त हुई है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त शिकायतों की किन-किन अधिकारियों के द्वारा जांच की गई है? जांचकर्ता अधिकारी का नाम, पदनाम और विभाग बतावें। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार जांच में दोषी पाये गये अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं तो इसके क्या कारण हैं?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर दर्शित है। (ख) एवं (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर दर्शित है।
गौण खनिज की जानकारी
[खनिज साधन]
23. ( क्र. 303 ) श्री मुकेश रावत (पटेल) : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अलीराजपुर जिले में कितने शासकीय निर्माण कार्य संचालित है? संचालित निर्माण कार्य किन-किन विभाग एवं योजना के हैं? सूची सहित जानकारी देवें। (ख) अलीराजपुर जिले में खनिज विभाग द्वारा कहाँ-कहाँ से गौण खनिज प्राप्त किया गया? सूची सहित जानकारी देवें। (ग) अलीराजपुर जिले में खनिज विभाग द्वारा गौण खनिज हेतु कितने ठेकेदारों व फर्मों को कितने परमिट जारी किये गये हैं और कितने अनापत्ति प्रमाण-पत्र किस-किस आधार पर दिये गये हैं? ठेकेदार व फर्मवार जारी किये गये परिमिट एवं अनापत्ति प्रमाण-पत्र की प्रति देवें।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जिले के शासकीय निर्माण विभागों/ऐजेंसियों से प्राप्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। (ग) जिले में जारी टेम्पररी परमिट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स एवं अनापत्ति प्रमाण-पत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द पर दर्शित है।
अतिवृष्टि से नष्ट हुई खरीफ फसल का मुआवजा
[राजस्व]
24. ( क्र. 325 ) श्री तरबर सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2022 में बण्डा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तहसील बण्डा एवं शाहगढ़ के किसानों की सोयाबीन, उड़द, मूंग तिली आदि खरीफ खसलें अतिवृष्टि के कारण सड़ कर खेतों में ही पूर्णतः नष्ट हो गई थी? यदि हाँ तो, विकासखण्डवार, पटवारी हल्कावार क्षति के सर्वे की जानकारी फसलवार, किसानवार सूची सहित प्रदान करें। (ख) प्रश्नांश (क) अंतर्गत क्या प्रभावित किसानों को फसल बीमा राशि एवं मुआवजा राशि प्राप्त हो चुकी है? यदि नहीं तो क्यों और कब तक प्रदान कर दी जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। वर्ष 2022 में बण्डा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तहसील बण्डा एवं शाहगढ़ के किसानों की सोयाबीन, उड़द मूंग तिली आदि खरीफ फसलें अतिवृष्टि के कारण सड़कर खेतों में पूर्णतः नष्ट नहीं हुई है। फसलों का सर्वे नियमानुसार कराया गया, विस्तृत सर्वे अनुसार फसल क्षति 25% से कम होना पाया गया। (ख) राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधानानुसार फसल क्षति 25% से कम होने के कारण राहत राशि प्रदान नहीं की गयी। फसल बीमा के दावों की राशि फसल कटने के बाद उपज हानि के आधार पर बीमा कंपनी द्वारा पात्र कृषकों को भुगतान की जाती है। वर्ष 2022-23 में दावों का भुगतान नहीं किया गया है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
गौवंश के लिये आरक्षित गौचर भूमि
[राजस्व]
25. ( क्र. 327 ) श्री राकेश गिरि : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले की टीकमगढ़ तहसील के पटवारी हल्का ग्राम नचनवारा में भूमि खसरा नम्बर 215, 224, 225 एवं 226 संवत 2015 के राजस्व अभिलेखों में क्या गौचर हेतु आरक्षित थी? (ख) प्रश्नांश (क) हाँ तो, खसरा नम्बर 215 में किसी/किन्हीं व्यक्तियों को वृक्षारोपण हेतु भूमि पट्टे पर दी गई है? यदि हाँ तो पट्टेदारों के नाम सहित वर्तमान में उक्त भूमि किसके नाम दर्ज है? व्यक्ति का नाम बतायें। क्या उक्त भूमि का विक्रय हुआ है? यदि हाँ तो विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) अनुसार प्रश्नाधीन भूमि के विक्रय हेतु सक्षम अधिकारी से पूर्वानुमति प्राप्त की गई है? क्या गौचर भूमि का अन्य भूमि से तल-बदल कर किसी व्यक्ति का नाम उक्त भूमि पर दर्ज किया गया है? (घ) प्रश्नांश (ग) यदि हाँ तो ऐसे आदेशों की प्रतियां दें और बतायें कि विनिमयकृत रकवे के समतुल्य गौवंश हेतु भूमि कहाँ आरक्षित की गई है? पहचान सहित रकवा बतायें। यदि नहीं तो उक्त भूमियों की प्रविष्टी में यथावत गौचर कब तक दर्ज किया जावेगा? चूककर्ता अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित उनके विरूद्ध की जाने वाली कार्यवाही का ब्यौरा व समय-सीमा बतायें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। वर्तमान में भूमि खसरा नंबर 215, रकवा 1.699 हेक्टेयर, दीपेन्द्र सिंह तनय वीरेन्द्र सिंह ठाकुर निवासी टीकमगढ़ के नाम दर्ज है जो विक्रय पत्र क्रमांक MP421162020A1208660 दिनांक 18.03.2020 के अनुसार वीरेन्द्र सिंह, नरेन्द्र सिंह, नेपाल सिंह तनय, हुकुम सिंह यादव निवासी नीमखेरा को उक्त भूमि विक्रय कर दी गई है। टीकमगढ़ तहसील के ग्राम नचनवारा की भूमि खसरा नम्बर 215 में से टन्टू तनय तिजू कुशवाहा (प्रकरण क्रमांक 95/अ-61/1986 से 87) निवासी नचनवारा एवं चुन्नीलाल तनय तिजू कुशवाहा (प्रकरण क्रमांक 95/अ-61/1986 से 87) निवासी नचनवारा को वृक्षारोपण हेतु भूमि पट्टे पर दी गई थी (ग) जी हाँ। न्यायालय कलेक्टर जिला टीकमगढ़ के प्रकरण क्रमांक 45/अ-59/1995-96 आदेश दिनांक 28.06.1996 के द्वारा ग्राम भेसवारी की भूमि खसरा नंबर 530, 543, 544, 538/1463 रकवा 3.485 हे. से ग्राम नचनवारा की शासकीय गौचर भूमि खसरा नम्बर 215, 224, 225, 226 कुल रकवा 3.828 हे. में से 3.485 हेक्टेयर भूमि विनिमय (तल बदल) की गई थी। वर्तमान में ग्राम नचनवारा की उक्त भूमि दीपेन्द्र सिंह तनय वीरेन्द्र सिंह ठाकुर निवासी टीकमगढ़ के नाम दर्ज है। (घ) ग्राम नचनवारा की भूमि के बदले ग्राम भेसवारी की खसरा नंबर 530, 543, 544, 538/1463 में रकवा 3.485 हेक्टेयर भूमि शासकीय दर्ज की गई गई, न्यायालय कलेक्टर जिला टीकमगढ़ के प्रकरण क्रमांक 45/अ-59/1995-96 आदेश दिनांक 28.06.1996 की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। ग्राम नचनवारा में वर्तमान में 19.270 हेक्टेयर भूमि गौचर मद में दर्ज है, जो ग्राम के कृषिक भूमि के दो प्रतिशत से अधिक है, अतः अतिरिक्त गौचर भूमि आरक्षित नहीं की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
भारतीय मजदूर संघ की शिकायत पर कार्यवाही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
26. ( क्र. 347 ) श्री राकेश पाल सिंह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के सिवनी जिले में कार्यालय जिला प्रबंधक, नागरिक आपूर्ति निगम-सिवनी द्वारा वर्ष 2018-19 में क्रय किये गए बारदाना में वृहद-स्तर में शासकीय नियमों व म.प्र. भंडार क्रय नियमों के उल्लंघन व बारदाना विक्रेता/क्रेता द्वारा जी.एस.टी. राशि व क्रय प्रक्रिया में अनियमितता किये जाने के संबंध में भारतीय मजदूर संघ सिवनी द्वारा जिला प्रशासन, प्रदेश शासन व विभाग प्रमुख को शिकायत की गई है? यदि हाँ तो कब? उस पर आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं तो क्यों? कार्यवाही न करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध शासन द्वारा कब तक कार्यवाही की जावेगी? (ख) क्या प्रदेश के सिवनी जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को बांटने हेतु गोदामों में रखा स्तरहीन चावल व मिलिंग में की जा रही अनियमितता की जांच के संबंध में भारतीय मजदूर संघ सिवनी द्वारा लिखित शिकायत पत्र कार्यालय कलेक्टर सिवनी को दिनांक 06.12.2019 व 08.09.2020 दिया गया है? यदि हाँ तो उस पर आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं तो क्यों?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) जिला प्रबंधक, मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन, सिवनी के विरूद्ध भारतीय मजदूर संघ, सिवनी द्वारा दिनांक 15.07.2021 को शिकायत प्रस्तुत की गई है। शिकायत की प्रारंभिक जांच कलेक्टर, सिवनी द्वारा की जाकर जांच प्रतिवेदन दिनांक 25.03.2022 को कार्पोरेशन को प्रेषित किया गया, जिसके आधार पर सिवनी जिले में वर्ष 2018-19 में पदस्थ तत्कालीन 3 जिला प्रबंधकों के विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित की गई, जो कि प्रचलित है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) कार्यालय कलेक्टर सिवनी में दिनांक 06.12.2019 में प्रदीप पटेल, अधिवक्ता भारतीय मजदूर संघ सिवनी द्वारा शिकायत पत्र प्राप्त हुआ है, जिसके संबंध में जिला प्रबंधक, मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन, सिवनी द्वारा पत्र दिनांक 23.12.2021 से लेख किया गया है कि शासकीय गोदामों एवं वेयर हाउसों से शासन नीति नियमानुसार मिलर्स को वर्तमान में 433.00 क्विंटल (एक लॉट) प्रदाय धान के विरूद्ध 67 प्रतिशत चावल मिलिंग उपरांत केन्द्र शासन द्वारा निर्धारित मानक अनुसार 290.00 क्विंटल गुणवत्ता निरीक्षक द्वारा मानक गुणवत्ता का चावल मिलर्स से स्वीकार किया जाता है एवं रिकार्ड संधारित किया जाता है। जिसका समय-समय पर भारतीय खाद्य निगम/निगम मुख्यालय-भोपाल द्वारा गठित जांच दल/गुणवत्ता नियंत्रक, निरीक्षण/परीक्षण द्वारा किया जाता है जिसका सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को बांटने हेतु किया जाता है। जांच रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। दिनांक 08.09.2020 का भारतीय मजदूर संघ सिवनी द्वारा लिखित पत्र इस कार्यालय में प्राप्त होना जानकारी में नहीं आ रहा है।
बिना सक्षम अनुमतियों के उद्योग का संचालन
[श्रम]
27. ( क्र. 359 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सच है कि आदिवासी विकासखण्ड केसला की ग्राम शिवनगर पंचायत चांदौन में ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग की फैक्ट्री का संचालन बिना सक्षम अनुमतियों (फायर एवं सेफ्टी विभाग एवं अन्य) के द्वारा संचालित किये जाने के संबंध में शिवनगर चांदौन के अनेक ग्रामीणों के शिकायती पत्र के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा कलेक्टर, नर्मदापुरम को अक्टूबर 2022 में पत्र लिखा गया था? (ख) उक्त उद्योग किन-किन सक्षम अनुमतियों के अभाव में प्रारंभ की गयी? (ग) बिना सक्षम अनुमतियों के प्रारंभ किए गए उद्योग के संबंध में प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही की गयी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) कलेक्टर जिला नर्मदापुरम से प्राप्त जानकारी अनुसार ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग फैक्ट्री संचालन हेतु म.प्र. मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, फायर सेफ्टी, नगर तथा ग्राम निवेश, श्रम विभाग की अनुमतियां, जी.एस.टी. नंबर आदि प्राप्त करना था जो नहीं किया जाना जांच में पाया गया है। उप संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, संभागीय कार्यालय भोपाल द्वारा शिवनगर चांदौन, तहसील इटारसी, जिला होशंगाबाद में तिरूपति ट्रेडर्स के नाम से स्थापित उद्योग का निरीक्षण किये जाने पर 10 से कम श्रमिकों को नियोजित कर एवं विद्युत शक्ति की सहायता से पुराने ट्रांसफार्मर का रिपेयरिंग कार्य किया जाना पाया गया। इस प्रकार वर्तमान में यह उद्योग कारखाना अधिनियम, 1948 की परिधि में नहीं आता है। अत: अनुज्ञप्ति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। आदिवासी विकासखण्ड केसला की ग्राम शिवनगर पंचायत चांदौन में म.प्र. दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1958 प्रभावशील नहीं है। महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र नर्मदापुरम म.प्र. से प्राप्त जानकारी अनुसार उद्योग प्रारंभ करने हेतु कोई अनुमति पृथक से प्रदान नहीं की जाती है। क्षेत्रीय कार्यालय म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मण्डीदीप, जिला रायसेन से प्राप्त जानकारी अनुसार आदिवासी विकासखण्ड केसला की ग्राम शिवनगर पंचायत चांदौन में ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग की फैक्ट्री हेतु उद्योग द्वारा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है। अत: कार्यालय द्वारा उद्योग को सहमति प्रदान नहीं की गई है। (ग) कलेक्टर नर्मदापुरम से प्राप्त जानकारी अनुसार अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) इटारसी को शिकायत की जांच हेतु भेजी गई थी। जिनसे जांच प्रतिवेदन के आधार पर उक्त अनापत्तियों के संबंध में संबंधित को सुनकर विस्तृत जांच कर अपने अधिकार क्षेत्रानुसार कार्यवाही कर जिला स्तर से कार्यवाही प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया गया है।
एफ.सी.आई. में धान भण्डारण की क्षमता
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
28. ( क्र. 370 ) श्री तरूण भनोत : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में वर्तमान में एफ.सी.आई. के अंतर्गत धान भंडारण की कुल क्षमता कितनी है और ओपन कैप में रखने के कारण अब तक कितना धान बर्बाद हो चुका है ? पिछले तीन वर्षों का वर्षवार ब्यौरा दें। (ख) क्या प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में निजी वेयर हाउस होने के बावजूद वेयर हाउस संचालकों ने पूरे प्रदेश में एम.पी.डब्ल्यू.डी.एल.सी. द्वारा निकाले गए ऑफर को स्वीकार नहीं किया है? (ग) यदि हाँ तो ऑफर में निजी वेयर हाउस के द्वारा ऑफर नहीं भरे जाने के कारण क्या हैं? (घ) क्या आगामी धान की खरीदी के उपरांत उस धान को सुरक्षित रखने के लिए विचार किया गया? उसकी रूपरेखा की विस्तृत जानकारी दें।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) प्रदेश में वर्तमान में एफ.सी.आई. द्वारा धान भंडारण नहीं किया जाता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। खरीफ सीजन वर्ष 2022-23 हेतु निजी वेयर हाउस संचालाकों द्वारा कुल 74.45 लाख मे. टन गोदाम क्षमता ऑफर की गई है जो प्रदेश की खरीफ सीजन की आवश्यकता 45.04 लाख मे. टन से 29.41 लाख मे. टन अधिक है। (ग) प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) MPWLC द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 हेतु धान के सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था की गई है।
भुगतान एवं गेहूँ खरीदी की जानकारी
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
29. ( क्र. 386 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कालापीपल विधान सभा क्षेत्र में इस वर्ष किस-किस कृषक से किस दिनांक को कितनी मात्रा में गेहूँ कितनी राशि का शासन द्वारा तय एजेन्सी द्वारा खरीदा गया तथा भुगतान किस दिनांक को किया गया तथा किस-किस कृषक का भुगतान उत्तर दिनांक तक शेष है? (ख) प्रश्नांश (क) सूची में किस-किस कृषक से कितनी राशि सोसायटी आदि के बकाया ऋण की किस दिनांक को काटी गई, वह राशि सोसायटी इत्यादि को कृषक के ऋण पेटे किस दिनांक को दी गई, इसमें विलंब का कारण क्या है तथा नियमानुसार उसे कितने दिवस में सोसायटी को देना था? (ग) क्या कई दिनों के अंतराल से ऋण पेटे काटी गयी राशि सोसायटी देने से कृषक को शून्य प्रतिशत ब्याज का लाभ नहीं मिला तथा सोसायटी ने ऋण पर सात प्रतिशत से दस प्रतिशत की दर से ब्याज लगा दिया? यदि हाँ तो बतावें कि ऐसे कृषकों की संख्या कितनी है? (घ) क्या विलंब से भुगतान पर लगाये गये ब्याज की राशि संबंधित एजेन्सी जिसने विलंब किया उससे वसूली की जायगी? यदि नहीं तो क्यों?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) शाजापुर जिले के कालापीपल विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत रबी विपणन वर्ष 2022-23 में 39 खरीदी केन्द्रों पर कृषकों से समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूँ की मात्रा एवं भुगतान की दिनांकवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-'अ' अनुसार है। विधान सभा क्षेत्र कालापीपल में उत्तर दिनांक तक किसी भी कृषक का भुगतान शेष नहीं है। (ख) कालापीपल विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत रबी विपणन वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन हेतु 2571 कृषकों से 10.85 करोड़ रू. की राशि सोसायटी आदि के बकाया ऋण पेटे में काटी गई है। किसानों की राशि जिस दिनांक को काटी गई है उसका समायोजन उसी दिनांक को कृषक के ऋण खाते में है। किसानों के ऋण मद में काटी गई एवं जमा की गई राशि की दिनांकवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-'अ' अनुसार है। (ग) जी हाँ। कालापीपल विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत 170 कृषकों से ऋण वसूली की राशि विलंब से जमा होने के कारण 7.36 लाख दण्ड की राशि का आंकलन किया गया है। काटी गई ऋण राशि की कृषकवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट–'ब' अनुसार है। (घ) जी हाँ। विलंब से भुगतान पर कृषक पर लगाये गये ब्याज तथा पेनल्टी को निरस्त करने हेतु सहकारिता विभाग द्वारा निर्देश जारी किए गए है कि ऐसे कृषक जिनके द्वारा अपनी उपज 15/04/2022 तक समर्थन मूल्य पर विक्रय की गई है और उनकी बकाया ऋण राशि की वसूली कटौती भी कर ली गई है, परंतु विक्रय की गई फसल की राशि 15/04/2022 के पश्चात प्राप्त होने से कृषकों के खाते में विलंब से जमा हुई है, उनसे निर्धारित अवधि के पश्चात का ब्याज एवं दण्ड ब्याज की वसूली नहीं की जाए तथा ऐसे कृषकों को डिफाल्टर न मानते हुए शून्य प्रतिशत ब्याज दर योजना का लाभ जाए और पात्रता अनुसार खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराया जाए।
स्टोन क्रेशर की जांच
[खनिज साधन]
30. ( क्र. 403 ) श्री पंचूलाल प्रजापति : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिला अन्तर्गत स्टोन क्रेशर कहाँ-कहाँ संचालित हैं तथा स्टोन क्रेशरों की सूची मालिकों के एवं उनके फर्म के नाम सहित उपलब्ध कराई जावे। इनका पंजीयन कब-कब किस-किस सन् में कहाँ-कहाँ किन शर्तों के तहत उद्योग लगाने की अनुमति शासन द्वारा प्रदाय की गई? पत्थर उत्खनन की लीज किन-किन ग्रामों में कितने एरिया को क्रेशर लगाने एवं माइनिंग द्वारा लीज की अनुमति दी गई है? आराजी नम्बर रकवा, नक्शा व रायल्टी कब-कब कितनी राशि शासन को जमा की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में पत्थर उत्खनन कितने मीटर गहराई तक खुदाई व उत्खनन पश्चात् गड्ढ़ों की भराई वृक्षारोपण का कार्य कहाँ-कहाँ कराया गया है? यदि नहीं तो क्यों? (ग) स्टोन क्रेशरों में धूल से अनेकों गंभीर बीमारियां होती हैं? जैसे दमा, श्वास, टी.बी. खांसी, कैंसर आदि गंभीर बीमारियां हो रही हैं। इसके बचाव के लिये क्या प्रदूषण यंत्र लगाये गये हैं? इनके विवरण सहित बतावें। (घ) स्टोन क्रेशर से पत्थर निकालने के लिए ब्लास्टिंग से उत्खनन की जाती है, तो वहां के आस-पास के मकानों में धमाके के कारण दरारें आ जाती हैं, जिससे ग्रामवासियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है? सरकार के द्वारा प्रदूषण रोकने के लिए कई गाइड-लाइन बनाई गई हैं? क्या इन मापदण्डों का पालन हो रहा है? अगर नहीं हो रहा है तो उन पर क्या कार्यवाही की गई? रीवा जिले में अवैध स्टोन क्रेशर चल रहे हैं, शासन के द्वारा उनके प्रति क्या-क्या कार्यवाही की गई?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रश्नांश अनुसार जिले में संचालित स्टोन क्रेशर, उनके मालिकों के नाम, फर्म का नाम, गाइड-लाइन आदि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। पत्थर खनन हेतु स्वीकृत उत्खनन पट्टे का स्थान, क्षेत्रफल एवं जमा रॉयल्टी राशि तथा अन्य वांछित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ख) उत्खनन पट्टों में खनन कार्य अनुमोदित खनन योजना में निर्धारित मात्रा तथा निर्धारित गहराई के अनुरूप किये जाने के प्रावधान है। खनन कार्य 6 मीटर से अधिक गहराई की स्थिति में खान सुरक्षा महानिदेशालय द्वारा निर्धारित मानकों का पालन किया जाकर किया जा सकता है। स्वीकृत क्षेत्र में खान बंद करने की योजना के प्रावधानों के अधीन उत्खनित भूमि का समतलीकरण किया जाकर वृक्षारोपण किये जाने के प्रावधान है। जिले में स्वीकृत पत्थर खदानों में खनिज समाप्त होने जैसी स्थिति नहीं है, जिसका पर्यावरण संरक्षण दृष्टिकोण से वृक्षारोपण किये जाने के निर्देश समस्त पट्टेदारों को दिये गये हैं। (ग) प्रदूषण निवारण बोर्ड द्वारा धूल से वायु प्रदूषण होने संबंधी कोई तथ्य संज्ञान में नहीं लाया गया है। जिले के स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुष्टि की गई है कि स्टोन क्रेशर के आस-पास के गांवो में आयोजित स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों में दमा, श्वास, टी.बी, खांसी, कैंसर आदि बीमारी संबंधी किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं पाई गई। (घ) स्टोन क्रेशर में उपयोग हेतु पत्थर निकाले जाने हेतु कन्ट्रोल ब्लास्टिंग की जाती है। आस-पास के मकानों में दरार पड़ने जैसी स्थिति प्रकाश में नहीं आयी है। प्रदूषण निवारण बोर्ड द्वारा स्टोन क्रेशर से होने वाले प्रदूषण नियंत्रण हेतु गाइड-लाइन जारी किये गये हैं, जिसका पालन बोर्ड द्वारा कराया जा रहा है। ऐसे स्टोन क्रेशर जिनके द्वारा गाइड-लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है, उनके विरुद्ध न्यायालयीन कार्यवाही की गई है।
मुआवजे का भुगतान
[राजस्व]
31. ( क्र. 418 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगोन जिले की बड़वाह तहसील के ग्राम मोयदा से संबंधित वर्ष 1928-29 से 2022 तक के भू-स्वामी हक में दर्ज 137.091 हेक्टयर निजी भूमि से संबंधी अभिलेख एवं दस्तावेज उपलब्ध होने की जानकारी प्रश्न क्रमांक 133 दिनांक 26/7/2022, प्रश्न 3056 दिनांक 14 मार्च, 2018 को प्रस्तुत की गई है? (ख) यदि हाँ तो वर्ष 1928 से वर्ष 2022 तक ग्राम मोयदा की भू-स्वामी हक में दर्ज भूमि से संबंधित किस-किस वर्ष के कौन-कौन से अभिलेख, किस-किस शासकीय अभिलेखागार में उपलब्ध हैं? उनमें कितने किसानों के नाम पर कितनी भूमि भू-स्वामी हक में दर्ज है? कितनी-कितनी भूमि आबादी मद, निस्तार पत्रक, जंगल मद एवं आर.एफ. में दर्ज है? (ग) भू-स्वामी हक में दर्ज भूमियों को आरक्षित वन अधिसूचित करने हेतु किस प्रकरण क्रमांक से किस आदेश दिनांक से कितना मुआवजा निर्धारित कर अर्जित किया? कितना मुआवजा भुगतान किया? यदि भूमि अर्जित नहीं की गई एवं मुआवजा भी भुगतान नहीं किया गया तो निजी भूमि को किस आधार पर राजस्व विभाग आरक्षित वन भूमि प्रतिवेदित कर रहा है? (घ) भू-स्वामी हक में दर्ज निजी भूमि को मध्य भारत वन विधान 1950 की धारा 3 धारा 4 एवं धारा 20 और धारा 29 में अधिसूचित करने का क्या-क्या अधिकार किस प्रक्रिया एवं कार्यवाही के बाद दिया गया है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) जिला खरगोन तहसील बड़वाह अंतर्गत वनग्राम मोयदा है। इन वनग्रामों का अभिलेख राजस्व विभाग द्वारा गिरदावरी एवं आर.बी.सी. 6-4 के लिए संधारणकर्ता है। (1) वर्तमान में हल्का पटवारी के पास वर्ष 1948-49 का नक्शा व मिसल बंदोबस्त उपलब्ध है, जिसमें कुल 24 किसानों के नाम दर्ज है, जिनके नाम के आगे पक्का कृषक लिखा हुआ है, जिसका कुल रकबा, 137.091 हेक्टर आबादी मद में, 0.053 हेक्टर निस्तार मद में दर्ज भूमि 37.385 हेक्टर तथा 32.953 हेक्टर भूमि जंगल मद में दर्ज है l (2) तहसील बड़वाह के अभिलेखागार में ग्राम मोयदा के खसरा बी.1 वर्ष 2011-12 से 2017-18 तक उपलब्ध है, जिसमें कुल 48 किसानों के नाम दर्ज है, जिनके नाम के आगे भूमि स्वामी लिखा हुआ है, जिसका कुल रकबा 137.091 हेक्टर, आबादी मद में 0.053 हेक्टर, निस्तार मद में दर्ज भूमि 37.385 हेक्टर तथा 32.953 हेक्टर भूमि जंगल मद में दर्ज है। (3) ऑनलाइन वेब जी.आय.एस. पर खसरा, बी.1 वर्ष 18-19 से वर्तमान तक उपलब्ध है, जिसमें कुल 48 किसानों के नाम दर्ज है, जिसमें किसानों के आगे भूमि स्वामी लिखा हुआ है, जिसका कुल रकबा 137.091 हेक्टर आबादी मद में, 0.053 हेक्टर निस्तार मद में दर्ज भूमि 37.385 हेक्टर तथा 32.953 हेक्टर भूमि जंगल में दर्ज है। (ग) वनग्राम मोयदा वन विभाग की अधिसूचना क्रमांक/1623/एक्स.एफ/114/54/दिनांक 09.10.1954 से आरक्षित वन घोषित किया गया है, अत: वनग्राम मोयदा पूर्व से ही वन ग्राम है, मोयदा ग्राम राजस्व ग्राम नहीं है। (घ) मध्य भारत वन विधान 1950 की धारा 3, धारा 4 एवं धारा 20 और धारा 29 में अधिसूचित करने के प्रावधान एवं प्रक्रिया संलग्न हैं।
ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत को लघु वनोपज के अधिकार
[वन]
32. ( क्र. 433 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम सभा/ग्राम पंचायत को किस-किस लघु वनोपज से संबंधित अधिकार, नियंत्रण एवं प्रबन्धन को लेकर वन अधिकार कानून 2006, पेसा कानून 1996, संविधान की 11वीं अनुसूची, भू-राजस्व संहिता 1959, भारतीय वन अधिनियम 1927 की किस-किस धारा में क्या-क्या प्रावधान दिया है? किस-किस धारा में अधिकार नियंत्रण एवं प्रबन्धन वन विभाग के क्षेत्र का विषय माना है? (ख) लघु वनोपज का व्यापार सहकारी संस्था एवं सहकारी समिति द्वारा किया जाने, लघु वनोपज पर डी.एफ.ओ. द्वारा प्रतिबन्ध लगाने, लघु वनोपज के परिवहन पर अपराध पंजीबद्ध कर लघु वनोपज एवं वाहन जप्त करने, राजसात करने का क्या–क्या प्रावधान, अधिकार या छूट वन अधिकार कानून, 2006, पेसा कानून 1996, संविधान की 11वीं अनुसूची की किस-किस धारा में दिए गए हैं। (ग) राज्य के अधिसूचित क्षेत्रों की ग्राम सभाओं तथा राज्य के गैर अधिसूचित क्षेत्र की ग्राम सभा/ग्राम पंचायत को किस-किस नियम में लघु वनोपज से संबंधित क्या-क्या अधिकार, नियंत्रण एवं प्रबंधन सौंपा गया है तथा क्या-क्या छूट ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत को दी गई है?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित अधिनियमों एवं नियमों के प्रावधानों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 अनुसार है। मध्यप्रदेश में तेन्दूपत्ता का संग्रहण एवं विपणन मध्यप्रदेश तेन्दूपत्ता (व्यापार विनियमन) अधिनियम, 1964 के प्रावधानों के अनुसार संचालित है। मध्यप्रदेश पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम, 2022 के नियम 26 (4) में भी इसका प्रावधान है। भारतीय वन अधिनियम, 1927, जैवविविधता अधिनियम, 2002 एवं मध्यप्रदेश वनोपज (जैवविविधता का संरक्षण और पोषणीय कटाई) नियम, 2005 के अंतर्गत नियंत्रण एवं प्रबंधन वन विभाग का विषय माना गया है। (ख) लघु वनोपज का व्यापार सहकारी संस्था एवं सहकारी समिति द्वारा किये जाने के संबंध में अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासियों के (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अंतर्गत अधिसूचित यथा संशोधित नियम, 2008 के नियम 2 (1) (घ) में तथा मध्यप्रदेश पंचायत (अधिसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम, 2022 के नियम 26 (4) में प्रावधान दिये गये हैं। लघु वनोपज के विनाशकारी विदोहन को रोकने के लिये प्रश्नांश (क) में उल्लेखित वन अधिनियमों में वनमंडलाधिकारी को अधिकार दिये गये हैं। अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासियों के (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 की धारा 5 में भी वन्यजीव, वन और जैव विविधता का संरक्षण करने का दायित्व ग्राम सभा का है। (ग) लघु वन उपज के नियंत्रण, प्रबंधन एवं अधिकार ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायतों को सौंपे जाने के संबंध में जारी किये गये आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-2 अनुसार है। पेसा नियम 2022 के तहत प्रावधान पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 अनुसार है।
डिनोटिफाइड भूमियों से संबंधित
[वन]
33. ( क्र. 436 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 146/विधा/2022 दिनांक 24/3/2022 में डिनोटिफाइड भूमियों से संबंधित किस-किस विषय पर पत्र लिखा तथा राज्य मंत्रालय से श्री अशोक कुमार अपर सचिव वन विभाग ने पत्र क्रमांक 2013/261/2021/10-3 दिनांक 31/10/2022 को प्रश्नकर्ता को क्या-क्या जानकारी दी गई? (ख) राजपत्र में डिनोटिफाइड की गई आरक्षित वन भूमि एवं संरक्षित वन भूमि को धारा 29 धारा 4 एवं धारा 20 में अधिसूचित करने का क्या-क्या प्रावधान, अधिकार या छूट किस धारा में दी जाकर क्या-क्या उल्लेख धारा में किया है? (ग) राजपत्र में डिनोटिफाइड आरक्षित वन एवं संरक्षित वन भूमि को नारंगी भूमि सर्वे एवं नारंगी वनखण्ड में शामिल करने तथा वन भूमि मानकर व्यक्तिगत वन अधिकार दावे मान्य एवं अमान्य किए जाने का अधिकार किस कानून की किस धारा या किस न्यायालयीन आदेश में दिया है? (घ) प्रश्नकर्ता के पत्र दिनांक 24/3/2022 से संबंधित पत्र दिनांक 31/10/2022 को गलत जानकारी दी जाकर गुमराह किए जाने पर अपर सचिव के विरूद्ध शासन क्या कार्यवाही कर रहा है? कब तक करेगा? यदि नहीं करेगा, तो कारण बतावें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) प्रश्नकर्ता का पत्र मध्यप्रदेश में भारतीय अधिनियम, 1927 की धारा-34 'अ' डिनोटिफाइड की गई भूमियों वनभूमि बताया जाकर वन अधिकार कानून, 2006 का उपयोग विषयक पत्र लिखा, जिसका उत्तर मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग के पत्र क्रमांक-2013/651/ 2021/10-3 दिनांक 31.10.2022 द्वारा प्रश्नकर्ता को तत्समय प्रचलित/अधिनियमों/नियमों/प्रक्रियाओं एवं न्यायालयीन निर्णयों के आधार पर विधिसम्मत कार्यवाही करने की जानकारी तथा किसी समुदाय को प्रताड़ित अथवा अधिकारों से वंचित नहीं करने का लेख कर अवगत कराया गया। (ख) डिनोटिफाइड भूमियों को पुनः आरक्षित/संरक्षित वनभूमि के रूप में अधिसूचित करने का पृथक से प्रावधान भारतीय वन अधिनियम, 1927 में नहीं हैं, अपितु उक्त अधिनियम की धारा-29 में वनभूमि या पड़त भूमि जिस पर राज्य सरकार को सम्पतिक अधिकार है तथा आरक्षित वन नहीं है उन्हें राज्य सरकार संरक्षित वन घोषित कर सकती है, का प्रावधान है। इसी प्रकार के प्रावधान धारा-3 में आरक्षित वन बनाने के संबंध में है। यदि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा-2 अन्तर्गत व्यपवर्तित वन भूमियों के एवज में डिनोटिफाइड भूमियां गैर-वनभूमि के रूप में वैकल्पिक वृक्षारोपण हेतु प्राप्त होती हैं, तो उन्हें भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-29 एवं धारा-4 में अधिसूचित किया जा सकता है। (ग) डिनोटिफाइड भूमियों को नारंगी भूमि सर्वे एवं वनखण्ड में शामिल करने का किसी अधिनियम की किसी धारा या किसी न्यायालयीन आदेश में पृथक से निर्देश/आदेश नहीं दिये गये हैं, अपितु मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग के परिपत्र क्रमांक/एफ-5/43/ 90/10-3 दिनांक 14.05.1996 के निर्देशानुसार नारंगी भूमि सर्वे एवं नारंगी वनखण्ड में वन प्रबंधन हेतु उपयुक्त पाई गई भूमियों को ही शामिल किया गया है। अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत वनभूमि पर पात्र काबिज दावेदारों के दावे त्रिस्तरीय समिति द्वारा जांच एवं अंतिम विनिश्चियन उपरांत मान्य/अमान्य किये जाने की कार्यवाही नोडल आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा इस अधिनियम की धारा-3 (1) के अनुसार की जाती है। (घ) उत्तरांश 'क' अनुसार विधिसम्मत कार्यवाही की जानकारी से अवगत कराया गया है। अतः प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
राजस्व विभाग को हस्तांतरित वनग्रामों की जानकारी
[वन]
34. ( क्र. 437 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन, भोपाल द्वारा 1982 में जारी संकलन वन ग्रामों का इतिहास एवं भविष्य के पृष्ठ क्रमांक 77 से पृष्ठ क्रमांक 85 पर पत्र क्रमांक 16091/रीवा दिनांक 5-8 जुलाई 1961 की कंडिका 21 में बताए गए 678 राजस्व ग्रामों का प्रश्नांकित दिनांक तक भी राजस्व विभाग को हस्तांतरण नहीं किया गया? (ख) 678 राजस्व ग्रामों में से राजपत्र में दिनांक 25/5/1962 को अधिसूचित 479 ग्राम एवं दिनांक 7/10/1964 को अधिसूचित 33 ग्राम में से किस वनमण्डल के किस ग्राम का हस्तांतरण राजस्व विभाग को किया गया है? किस ग्राम का हस्तांतरण किन कारणों से प्रश्नांकित दिनांक तक नहीं किया गया? (ग) 678 राजस्व ग्रामों में से किस-किस ग्राम का नियंत्रण एवं प्रबंधन वर्तमान में भी वन विभाग के पास ही है? 678 राजस्व ग्रामों में से किस ग्राम को किस दिनांक को वनग्राम या वीरान ग्राम किस कानून की किस धारा के अनुसार घोषित किया? (घ) 678 राजस्व ग्रामों में से हस्तांतरण के लिए शेष ग्रामों का कब तक राजस्व विभाग को हस्तांतरण पूरा किया जावेगा?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी नहीं। प्रश्नांश में उल्लेखित पत्र की कंडिका-21 में वर्णित 678 राजस्व ग्रामों में से 199 वीरान ग्रामों को छोड़कार शेष ग्रामों की मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग द्वारा प्रकाशित अधिसूचना दिनांक 25.05.1962 से 479 ग्रामों में से 435 ग्राम राजस्व विभाग को हस्तांतरित किये गये हैं। (ख) मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग द्वारा प्रकाशित दिनांक 25.05.1962 को जारी 479 ग्रामों की अधिसूचना एवं दिनांक 07.10.1964 को प्रकाशित 33 ग्रामों की अधिसूचना से राजस्व विभाग को हस्तांतरित वनग्रामों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''एक'' एवं ''दो'' अनुसार है। शेष ग्राम, वनों के बीचों-बीच स्थित होने/भूमि निरंक होने अथवा वीरान ग्राम होने से तत्समय राजस्व विभाग को हस्तांतरित नहीं किये गये। (ग) 678 राजस्व ग्रामों में से 199 वीरान ग्रामों को छोड़कर राज्य शासन द्वारा जारी 479 ग्रामों की प्रकाशित अधिसूचना दिनांक 25.05.1962 में से 435 ग्राम राजस्व विभाग को हस्तांतरित किये गये। शेष ग्राम वन विभाग के नियंत्रण एवं प्रबंधन में हैं। राजस्व ग्रामों को वनग्राम या वीरान ग्राम घोषित किये जाने संबंधी विभाग में कोई नियम नहीं है। (घ) 678 राजस्व ग्रामों में से राजस्व विभाग को हस्तांतरण उपरांत शेष ग्रामों को वन विभाग के प्रबंधन एवं नियंत्रण के 827 ग्रामों को सूची में शामिल कर, अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 की धारा-3 (1) (ज) के प्रावधानों के तहत सम्परिर्वतन की कार्यवाही किया जाना है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
मछुआ क्रेडिट कार्ड का वितरण
[मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास]
35. ( क्र. 471 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खातेगांव विधान सभा क्षेत्र की अंतर्गत मछुआरा समाज के कितने लोगों को मछुआ क्रेडिट कार्ड बनाकर वितरण कर दिया गया है? उन हितग्राहियों के नाम व गांव का नाम बतावें। (ख) अगर खातेगांव विधान सभा क्षेत्र के मछुआ जाति के हितग्राहियों को मछुआ क्रेडिट कार्डों को बनाकर अगर वितरण नहीं किया गया है तो क्यों नहीं किया गया है? (ग) प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत खातेगांव विधान सभा क्षेत्र के कितने हितग्राही लाभान्वित हुए हैं? उनके एवं उनके ग्राम का नाम बतावें। (घ) मछुआ समाज के लोग मछली पालन करते हैं एवं अपनी जीविका चलाते हैं, क्या इन्हें कोई अन्य और किसी योजना का लाभ दिया जा रहा है अथवा मिलेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट-एक अनुसार। (ख) 95 हितग्राहियों के मछुआ क्रेडिट कार्ड तैयार कर विभिन्न बैंक शाखाओं को प्रस्तुत किये गये हैं। प्रकरण बैंक शाखाओं में लंबित है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट-दो अनुसार। (घ) जी हाँ। विभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं का लाभ इच्छुक हितग्राहियों द्वारा आवेदन कर नियमानुसार अनुदान का लाभ लिया जा सकता है।
गौण खनिज के स्वीकृत उत्खनिपट्टों की जानकारी
[खनिज साधन]
36. ( क्र. 485 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले के अंतर्गत कितने गौण खनिज के उत्खनन हेतु लीज/पट्टे स्वीकृत किये गये हैं? नाम सहित पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें। गौण खनिज उत्खनन हेतु पट्टे/लीज स्वीकृत करने के संबंध में खनिज एवं पर्यावरणीय नियम के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार देने के संबंध में प्रावधान हैं? यदि हाँ तो संपूर्ण जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में विकासखण्ड मझौली में विगत तीन वर्षों में स्वीकृत गौण खनिज उत्खनन के लिये कितनी जमीन का लीज/पट्टा जारी किया गया है? खसरा नंबर, रकबा सहित पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें। अनुसूचित जनजाति वर्ग के जमीन उत्खनन कार्य के लिये खरीदी गई है, तो क्रेता एवं विक्रेताओं के नाम, पता एवं खसरा मय रकबा सहित पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में गौण खनिज उत्खनन के लिये कृषि भूमि क्रय की गई थी, क्या व्यवसायिक भूमि में परिवर्तन किया गया था? यदि हाँ तो पूर्ण खसरा नंबर, रकबा सहित जानकारी उपलब्ध करावें। क्या कृषि भूमि में ही सीधे गौण खनिज उत्खनन कार्य हो रहा है? यदि हाँ तो क्यों? कारण बतायें। अवैध उत्खनन के लिये दोषी कौन है? दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें। (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में स्वीकृत गौण खनिज ग्रेनाइट पत्थर उत्खनन कार्य के लिये पट्टे जारी किये गये थे लेकिन वहां पर क्रेशर से गिट्टी उत्पादन का कार्य किया जा रहा है? यदि हाँ तो जानकारी उपलब्ध करायें। ग्रेनाइट पत्थर से गिट्टी का निर्माण किया जा रहा है तो रॉयल्टी ग्रेनाइट पत्थर की ली जा रही है अथवा साधारण पत्थर की गिट्टी की रॉयल्टी ली जा रही है? पूर्ण जानकारी रॉयल्टीवार सहित उपलब्ध करायें।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जिला सीधी में गौण खनिज के स्वीकृत उत्खनिपट्टों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' के ''1'' एवं जिला सिंगरौली में गौण खनिज के स्वीकृत उत्खनिपट्टों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' के ''2'' पर दर्शित है। स्थानीय लोगों को रोजगार देने के संबंध में अधिसूचित नियम मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 के नियम 30 के उप-नियम 20 की कंडिका (घ) में "न्यूनतम 75 प्रतिशत मजदूर, जो कि मध्यप्रदेश के मूल निवासी हों, को नियोजन प्रदान करना अनिवार्य होगा" प्रावधानित है। (ख) मझौली विकासखण्ड जिला सीधी अंतर्गत स्थित है, जिसमें प्रश्नांश अनुसार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' पर दर्शित है। अधिसूचित नियम मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 के नियम 9 (ट) एवं 9-क (1) में निजी भूमि होने की दशा में खनन कार्य हेतु भूमि स्वामी की सहमति प्राप्त किये जाने के प्रावधान है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) अधिसूचित नियम मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में गौण खनिज उत्खनन के लिये कृषि भूमि क्रय करने एवं इसके व्यवसायिक भूमि में परिवर्तन के संबंध में कोई प्रावधान न होने से भूमि स्वामी की सहमति उपरांत खनन अनुमति दी जाती है। अतः प्रश्नांश अनुसार कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं है। (घ) जी हाँ। मझौली विकासखण्ड में ग्रेनाइट खनिज (जिनका उपयोग काटकर और तराशकर विशिष्ट आकार के ब्लाक, स्लैब्स एवं टाइल्स के निर्माण हेतु) के कुल 07 उत्खनिपट्टा स्वीकृत किये गये हैं। जिनमें से 02 उत्खनिपट्टों में ग्रेनाइट खनिज के विशिष्ट आकार के ब्लाक, स्लैब्स एवं टाइल्स के साथ निकले अनुपयोगी पत्थर के टुकड़ों का उपयोग यांत्रिक क्रिया से गिट्टी निर्माण हेतु अनुमोदित खनन योजना के अनुसार किया जा रहा है, जिसमें ग्रेनाइट ब्लाक एवं स्लैब की रायल्टी के साथ-साथ अनुपयोगी पत्थर के टुकड़ों से निर्मित गिट्टी की रॉयल्टी पृथक-पृथक रूप से ली जा रही है, विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' पर दर्शित है।
क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों की मरम्मत कार्य
[जल संसाधन]
37. ( क्र. 486 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले के अंतर्गत कितनी सिंचाई परियोजनायें संचालित हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या वरचर बांध, कोड़ार बांध, बकिया बांध एवं जमधर बांध की सिंचाई नहरें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं? यदि हाँ तो जानकारी उपलब्ध करायें। क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों की मरम्मत का कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में मुख्य सिंचाई नहरों को पक्कीकरण किये जाने की क्या योजना है? यदि हाँ तो कब तक पक्कीकरण कर दिया जावेगा? यदि पक्कीकरण किये जाने की योजना नहीं है तो कारण बतायें। (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में गौड़ सिंचाई परियोजना एवं अमहोरा बांध मड़वास सिंचाई बांध स्वीकृत है? यदि हाँ तो जानकारी उपलब्ध करायें। क्या स्वीकृत सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है? यदि हाँ तो पूर्ण जानकारी मय व्यय की गई राशि सहित उपलब्ध करायें। यदि निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है तो कारण बतायें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) सीधी जिले में 01 वृहद, 01 मध्यम एवं 33 लघु सिंचाई परियोजनाएं तथा सिंगरौली जिले में 01 मध्यम तथा 31 लघु सिंचाई परियोजनाएं संचालित होना प्रतिवेदित है। (ख) एवं (ग) कोड़ार बांध एवं बकिया बांध की नहरें लगभग 40 वर्ष पुरानी होने के कारण आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होना प्रतिवेदित है। कोड़ार जलाशय की नहरों के लाईनिंग कार्य हेतु विशेष मरम्मत कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 07.12.2022 को राशि रू. 30.44 लाख की प्रदान की गई है। बकिया जलाशय की नहरों के मरम्मत कार्य का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु प्रचलन में है। वरचर बांध एवं जमधर बांध की नहरों के लाईनिंग कार्य का प्रस्ताव मैदानी कार्यालयों में प्रचलन में होना प्रतिवेदित है। मरम्मत कार्य पूर्ण करने हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) तथ्यात्मक स्थिति यह है कि गोंड़ परियोजना के निर्माण हेतु टर्न-की पद्धति के आधार पर निविदा आमंत्रण पश्चात सक्षम स्तर से स्वीकृति उपरांत न्यूनतम निविदाकार मे. पी.ई.एल. गोंड़ प्रोजेक्ट हैदराबाद को आवंटित कर अनुबंध किया जाना प्रतिवेदित है। परियोजना के पूर्व चयनित स्थल जालपानी में बांध बनाने पर अत्यधिक वन भूमि प्रभावित होने एवं बांध की नींव हेतु उपयुक्त स्ट्रेटा न मिलने के कारण प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग द्वारा नवीन स्थल ग्राम सोनगढ़ एवं गोतरा का चयन किया गया है। नवीन स्थल पर बांध निर्माण हेतु भू-अर्जन एवं डिजाइन/ड्राइंग के अनुमोदन की कार्यवाही प्रचलन में है। परियोजना के कमाण्ड क्षेत्र में माइक्रो सिस्टम से सिंचाई हेतु सामग्री के विरूद्ध ठेकेदार को राशि रुपये 243.95 करोड़ का भुगतान किया जाना प्रतिवेदित है। अमोहराडोल बांध मड़वास की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 25.01.2016 को रु. 1433.33 लाख की 410 हेक्टेयर रबी सिंचाई हेतु प्रदान की गई है। अमोहराडोल बांध से संजय टाइगर रिजर्व फारेस्ट सीधी की 11.54 हेक्टेयर वनभूमि प्रभावित होगी। वनभूमि के बदले राजस्व भूमि उपलब्ध कराकर वनभूमि की स्वीकृति हेतु कार्यवाही प्रचलन में होना प्रतिवेदित है। वनभूमि की स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाना संभव होगा।
दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही
[राजस्व]
38. ( क्र. 499 ) श्रीमती सुमित्रा देवी कास्डेकर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला बुरहानपुर तह. नेपानगर के पटवारी हल्का 24 के अंतर्गत ग्राम डवालीखुर्द अंतर्गत उद्योग स्थापना हेतु टेक्समों कं. की भूमि लीज पर दी गई है? यदि हाँ तो उद्योग स्थापना के भूमि का खसरा नक्शा एवं लीज एग्रीमेंट की प्रति उपलब्ध करायें। (ख) टेक्समों कं. द्वारा उद्योग स्थापना हेतु किस प्रकार की कार्यवाही सुनिश्चित की गयी है तथा क्या कंपनी को उद्योग स्थापना सुविधायें उपलब्ध करायेगा? (ग) क्या कार्या. जि.पंचा.जि. बुरहानुपर के प्रशा. स्वीकृति आदेश क्र. 4402/MGNREGS-MP/दि. 04.10.2011 द्वारा श्री नर्मदा निमाड़ विकास संस्थान खरगोन म.प्र. को क्रियान्वयन एजेंसी बनाते हुये तह. नेपानगर के ग्राम डवाली खुर्द पटवारी हल्का 24 के भूमि पर वृक्षारोपण हेतु राशि स्वीकृत की गयी थी? यदि हाँ तो क्या स्वीकृत राशि 43.73 लाख के विरूद्ध वृक्षारोपण की भूमि भी वृक्षों को नष्ट कर टेक्समों कं. को लीज पर दी गयी है? (घ) क्या जिला प्रशासन बुरहानपुर/राजस्व विभाग वृक्षारोपण की जांच कर क्रियान्वयन एजेंसी के विरूद्ध व दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित कर राशि वसूली की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ तो समय-सीमा बतावें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) उत्तरांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। उत्तरांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) कार्यवाही प्रचलित होने के कारण समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
शासकीय भूमि का अवैध विक्रय
[राजस्व]
39. ( क्र. 524 ) श्री बापूसिंह तंवर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कलेक्टर (भू-अर्जन) ग्वालियर का आदेश क्र.भू-स/180-81/अ-22, दिनांक 11/10/1982 के अनुसार दामोदर बाग की भूमि ग्वालियर विकास प्राधिकरण को आवंटित की गई है? यदि हाँ तो जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर यदि हाँ है तो कलेक्टर ग्वालियर के आदेश के पश्चात दामोदर बाग की भूमि पर ग्वालियर विकास प्राधिकरण द्वारा क्या-क्या आवासीय योजना तथा व्यवसायिक योजनाएं बनाई? (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार क्या उक्त भूमि पर कलेक्टर के आवंटन आदेश के बाद भी ग्वालियर विकास प्राधिकरण द्वारा कोई कार्य नहीं किया तो क्यों नहीं किया? यदि उक्त भूमि पर किसी निजी/सहकारी गृह निर्माण समिति या अन्य व्यक्तियों ने उक्त भूमि का विक्रय कर दिया? यदि हाँ तो किस नियम से किया? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर यदि अनियमित्ता हुई, शासकीय भूमि का अवैध विक्रय हुआ, नियम विरूद्ध निजी भवन निर्मित हुए तो क्या शासन दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही करेगा? हाँ तो क्या एवं कब तक? नहीं तो क्यों नहीं?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्तरांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (ग) उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (घ) उत्तरांश 'क', 'ख', 'ग' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
गरीबों के मकान तोड़े जाना
[राजस्व]
40. ( क्र. 537 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत (गुड्डू) : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम नगर निगम के सामने बन रहा गोल्ड कॉप्लेक्स का खसरा नंबर तथा रकबा कितना है तथा यह जमीन 1956/57 के बंदोबस्त में किसके नाम थी तथा शासन के नाम किस वर्ष में हुई? (ख) क्या 18 नवंबर को 40 साल से स्थापित लगभग 20 से अधिक गुमटी को हटाया गया। यदि हाँ तो इनके पुनर्स्थापना की क्या व्यवस्था की गई? यदि नहीं तो क्यों? (ग) क्या 18 नवंबर को मेहदी लुई लालाजी के पास स्थित गरीबों के 6 से 8 मकान तथा शेष मकानों के सार्वजनिक टॉयलेट भी तोड़ दिए गए जब की नजूल की जमीन पर बने इन मकानों में 70 वर्षों से अधिक समय से गरीब लोग रह रहे थे तथा कई बार आवेदन देने के बाद भी इन्हें पट्टे नहीं दिए गए? (घ) क्या खंड (ग) में उल्लेखित जिन मकानों को तोड़ा गया उन्हें उनका सामान निकालने का भी मौका नहीं दिया गया तथा उनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई? ऐसा किसके आदेश से किया गया तथा इस संदर्भ में नोटशीट तथा आदेश की प्रति देवें। (ड.) क्या शासन प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित मकान के निवासियों को उसी स्थान पर पट्टा देगें? यदि नहीं तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) रतलाम की भूमि सर्वे नंबर 100, 104, 105, 106/2, 108/2, 116 कुल रकबा 2.490 हेक्टर है तथा यह जमीन 1956-57 में शासकीय रही है। (ख) प्रश्न में उल्लेखित गुमटियों को 40 वर्ष की कालावधि का होना नहीं कहा जा सकता है, यह शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर अस्थायी रूप से लगाई गई थी। अत: अतिक्रमण होने से म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत विधिसम्मत आदेश पारित कर हटाई गई है। अतिक्रमण होने से पुनर्स्थापना का प्रश्न ही नहीं उठता है। (ग) उक्त मकान उपरोक्त उत्तर (क) में वर्णित शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर निर्मित किए गए थे। उक्त भूमि न्यायालय कलेक्टर जिला रतलाम के प्रकरण क्रंमाक 57/अ-20 (3)/2014-15 आदेश दिनांक 17.07.2015 के माध्यम से जेम्स एण्ड ज्वेलरी पार्क हेतु आरक्षित की गई थी। अत: प्रयोजन विशेष के लिए आरक्षित भूमि पर पट्टा दिये जाने का प्रश्न नहीं उठता हैं। (घ) जी नहीं। अतिक्रमण हटाने के दौरान अतिक्रामकों को अपना सामान इत्यादि हटाने का समुचित अवसर प्रदान किया गया था। अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही न्यायालय तहसीलदार रतलाम शहर के प्रकरण क्रमांक 05/अ-68/2022-23 में पारित आदेश दिनांक 16.11.2022 के अनुक्रम से की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ड.) उक्त भूमि पर शासन की बहुउद्देशीय योजना गोल्ड पार्क निर्मित हो रही है। अत: उत्तरांश (ग) में उल्लेखित मकान के निवासियों को उसी स्थान पर पट्टा दिया जाना संभव नहीं है।
मिशन कंपाउंड की भूमि की जानकारी
[राजस्व]
41. ( क्र. 538 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत (गुड्डू) : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम में मिशन कंपाउंड, जिसमें चर्च स्कूल, अस्पताल तथा रहवासी भवन है, का खसरा नंबर तथा रकबा क्या है? (ख) क्या प्रशासन ने उक्त सारी जमीन को शासकीय बताकर बंद पड़े अस्पताल तथा आसपास के भवन को तोड़ दिया है? यदि हाँ तो बतावें कि किस दिनांक को किसके आदेश से तोड़ा गया? इस संदर्भ में बनाई गई नोटशीट तथा आदेश की प्रति देवें। (ग) क्या जमीन को खाली करने हेतु 15 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था, जबकि इस जमीन पर 100 से अधिक वर्ष से अस्पताल तथा मसीही आबादी रह रही है फिर जमीन को शासकीय कैसे माना गया? (घ) क्या नगर निगम के दस्तावेज में यह जमीन मिशनरी ट्रस्ट की है? यदि हाँ तो फिर नजूल की कैसे हो गई?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) रतलाम में मिशन कंपाउंड, जिसमें चर्च स्कूल, अस्पताल तथा रहवासी भवन है, का सर्वे नं. 87, रकबा 2.60,