मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
जुलाई, 2017
सत्र
मंगलवार, दिनांक 18 जुलाई 2017
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
बिजली के
टूटे तारों/खंबों
की मरम्मत
[ऊर्जा]
1. ( *क्र. 566 ) श्री रजनीश सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले के विधान सभा क्षेत्र केवलारी के अंतर्गत विकासखण्ड धनौरा, केवलारी, छपारा, सिवनी में कितने वर्षों से बिजली के टूटे तारों व खंबों की मरम्मत नहीं की जा रही है? कारण सहित पूर्ण विवरण देवें। (ख) क्या केवलारी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत ग्राम नसीपुर, विकासखण्ड केवलारी में विगत 6 महीनों से विद्युत पोल टूटा हुआ है? यदि हाँ, तो अधीक्षण अभियंता/कार्यपालन अभियंता (संचा./संधा.) के पास इसकी कितनी शिकायत की गई? शिकायत किन-किन जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई है? शिकायतों पर विभाग द्वारा की गई कार्यवाही का भी विवरण देवें। (ग) केवलारी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत उगली पांडिया छपारा वितरण केन्द्र क्षेत्रान्तर्गत में कितने लाइनमेन कार्यरत हैं एवं इन कार्यरत लाइनमेन को कितने-कितने ग्रामों का प्रभार सौंपा गया है? लाइनमेन के नाम सहित ग्रामों के नाम देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रश्नाधीन क्षेत्र सहित प्रदेश में संपूर्ण विद्युत वितरण लाईनों/उपकरणों का प्रत्येक वर्ष दो बार यथा-वर्षाकाल के पूर्व एवं वर्षाकाल के पश्चात् मेन्टेनेंस का कार्य किया जाता है। उक्त के अतिरिक्त प्राकृतिक आपदा अथवा तकनीकी कारणों एवं आकस्मिक दुर्घटनाओं की स्थिति में विद्युत अधोसंरचना के क्षतिग्रस्त होने पर आवश्यकतानुसार मेन्टेनेंस/सुधार के कार्य किये जाते हैं। वर्तमान में सिवनी जिले के विधानसभा क्षेत्र केवलारी के अंतर्गत विकास खण्ड सिवनी में कोई भी क्षतिग्रस्त पोल/तार बदलने हेतु शेष नहीं है तथा विकासखण्ड धनौरा, केवलारी एवं छपारा में माह मई एवं जून, 2017 में आये आंधी-तूफान के कारण 22 ग्रामों के पोल क्षतिग्रस्त हुए हैं जो बदलने हेतु शेष हैं। उक्त 22 में से 18 ग्रामों का विद्युत प्रदाय वैकल्पिक व्यवस्था कर चालू कर दिया गया है। (ख) जी नहीं। तथापि दो माह पूर्व माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय एवं पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत नसीपुर द्वारा दूरभाष पर पोल टूटने की जानकारी दी गई थी। उक्त तारतम्य में तत्काल निरीक्षण करने पर यह पाया गया कि ग्राम नसीपुर में ग्राम पंचायत भवन के पास पोल झुक गया है जिसे तुरन्त स्टेसैट लगाकर व्यवस्थित किया गया, किन्तु स्टेसैट को अज्ञात व्यक्तियों द्वारा बार-बार निकाले जाने के कारण स्टड पोल लगाकर उक्त पोल को सीधा कर दिया गया है। वर्तमान में उक्त पोल व्यवस्थित एवं सुरक्षित है। (ग) केवलारी विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत उगली एवं पांडिया छपारा वितरण केन्द्रों में कुल 7 लाईन कर्मचारी कार्यरत् हैं, जिन्हें 64 ग्रामों का प्रभार सौंपा गया है। उक्त लाईन कर्मचारियों के नाम एवं उनके कार्य क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामों के नाम सहित केन्द्रवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
रीवा जिले में कराए गए नवीन कार्य/सुधार कार्य
[ऊर्जा]
2. ( *क्र. 432 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले में गुढ़ विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर कितने नवीन कार्य एवं कितने सुधार के कार्य वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक में कराये गए? (ख) प्रश्नांश (क) के कार्यों के कार्यादेश कब-कब किन-किन संविदाकारों/ठेकेदारों को कितनी अवधि में पूर्ण करने के लिए दिये गए, उनमें से कितने कार्य कब-कब पूर्ण कराये गए, का विवरण देवें? अगर कार्य समय पर पूर्ण नहीं किये गए तो संबंधितों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (क) के कार्यों के कार्यादेशों का भुगतान किन-किन माध्यमों से दिनांक 15.6.2017 तक कुल कितना किया गया? भुगतान के पूर्व भवन एवं संनिर्माण कल्याण उपकर अधिनियम 1996 के तहत कितनी उपकर राशि की वसूली की गई? क्या अपूर्त मूल्य तथा पर निर्माण लागत दोनों में श्रमिक कल्याण उपकर लिए जाने के प्रावधान 2012 से लागू हैं? (घ) प्रश्नांश (क) के कार्यों पर प्रश्नांश (ग) अनुसार कितने कल्याण उपकर की राशि की वसूली की जाकर श्रम विभाग में जमा करायी गई? क्या प्रश्नकर्ता द्वारा भी पत्र क्र. 904, दिनांक 29.05.2017 के माध्यम से जानकारी चाही गई थी, जो आज भी अप्राप्त है? (ड.) प्रश्नांश (क) के ठेकेदार/संविदाकारों से कर्मकार कल्याण उपकर की राशि की वसूली न करके ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कौन-कौन दोषी हैं? दोषियों के विरूद्ध क्या राशि की वसूली प्रस्तावित कर गबन का मामला पंजीबद्ध करायेंगे एवं प्रश्नांश (घ) अनुसार चाही गई जानकारी को समय पर न देने के लिए दोषियों पर क्या कार्यवाही करेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) रीवा जिले में गुढ़ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक कराये गये नवीन कार्यों एवं सुधार कार्यों से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ए-1, ए-2, ए-3, बी-1, बी-2, बी-3, सी-1, सी-2, सी-3, डी-1, डी-2, डी-3, ई-1, ई-2 एवं ई-3 अनुसार है। (ख) गुढ़ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत प्रश्नावधि में जारी किये गये कार्यादेशों की दिनांक, संविदाकार/ठेकेदार के नाम, कार्य पूर्ण कराये जाने की अवधि तथा कार्य पूर्ण करने की दिनांक सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ए-1, ए-2, ए-3, बी-1, बी-2, बी-3, सी-1, सी-2, सी-3, डी-1, डी-2, डी-3, ई-1, ई-2 एवं ई-3 अनुसार है। ग्रामीण क्षेत्र के कराये गये फीडर विभक्तिकरण के कार्यों हेतु स्वीकृत योजना के अंतर्गत दिये गये प्रावधानों एवं निर्देशों के अनुसार टर्न की आधार पर करवाये गये कार्यों में संबंधित ठेकेदार (फर्म) द्वारा निर्धारित समय-सीमा पर कार्य नहीं किये जाने के कारण संबंधित ठेकेदार (फर्म) से प्राप्त होने वाले बिलों से संपूर्ण रीवा जिले के कार्यों हेतु एल.डी. रूपये 10.67 लाख की राशि की कटौती की गई है। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में प्रोजेक्ट जिलेवार स्वीकृत होते हैं एवं निर्धारित समय-सीमा पर कार्य नहीं किये जाने पर रीवा जिले हेतु कुल रूपये 91 लाख एल.डी. की राशि की कटौती की गई है। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्यों का भुगतान संबंधित ठेकेदार/फर्म को चेक द्वारा एवं ठेकेदार/फर्म के खाते में ट्रांसफर करके किया गया है, जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ए-3, बी-2, बी-3, सी-3, डी-1, डी-2, डी-3, ई-1, ई-2 एवं ई-3 में दर्शाए अनुसार है। रूपये 978930 की राशि की कटौती भुगतान पूर्व बिलों से श्रम कल्याण उपकर के मद में काटी गई है। प्राप्त जानकारी अनुसार भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण उपकर संनिर्माण कार्य की निर्माण लागत जिसमें अपूर्त मूल्य तथा विनिर्माण लागत दोनों सम्मिलित हैं, दिनांक 10.4.2003 से देय है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर में उल्लेखित कटौती की गई राशि श्रम विभाग में जमा कराई गई है। जी हाँ। अधीक्षण अभियंता (संचा./संधा) के पत्र क्रमांक 2397 दिनांक 15.06.2017 के द्वारा माननीय विधायक महोदय को जानकारी प्रेषित की गई है। (ड.) प्रश्नांश (क) से संबंधित कार्यों के विरूद्ध ठेकेदारों/संविदाकारों द्वारा प्रस्तुत किये गये देयकों में से नियमानुसार श्रमिक कल्याण उपकर की राशि की कटौती की गई है। किसी भी ठेकेदार को लाभ नहीं पहुंचाया गया है। अत: इस संबंध में कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है। चाही गई जानकारी माननीय विधायक को अधीक्षण अभियंता (संचा/संधा) रीवा के पत्र क्रमांक 2397, दिनांक 15.6.2017 के माध्यम से प्रेषित की गयी है। उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी के दोषी नहीं होने से कार्यवाही करने की आवश्यकता नहीं है।
विद्युत चोरी के प्रकरणो में फर्जी पंचनामों की जाँच
[ऊर्जा]
3. ( *क्र. 781 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा शून्यकाल सूचना क्रमांक 165, फरवरी-मार्च 2017 में विद्युत चोरी के प्रकरणों में नियम विरूद्ध कार्यवाही करने के संदर्भ में नगर सुसनेर में सिराज खाँ बोहरा के विरूद्ध पंचनामा नियमानुसार नहीं बनाने के प्रकरण में क्या जाँच की जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या क्षेत्रान्तर्गत विगत 02 वर्षों में बनाए गए पंचनामों की विस्तृत जाँच की जाकर उचित कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक व क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) वितरण केन्द्र सुसनेर अन्तर्गत विद्युत देयकों में अनियमितता संबंधी कितनी शिकायतें विगत 02 वर्षों में प्राप्त हुई हैं, जिनका निराकरण कर देयकों में सुधार किया गया? यदि हाँ, तो शिकायतवार पूर्ण विवरण देवें? (घ) क्या ग्राम मोड़ी के उपभोक्ताओं द्वारा देयक में उल्लेखित राशि जमा करने के उपरांत भी राशि बिलों में कम नहीं हो रही है? उदाहरणार्थ-गोवर्धन पिता पीरूलाल सर्विस क्र. 31-31-3201586 के देयक में जमा उपरांत भी राशि कम नहीं हुई है? क्या विस्तृत जाँच करवाई जाकर उपभोक्ताओं के हित में कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या व कब तक? विवरण देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सुसनेर वितरण केन्द्र के अंतर्गत विद्युत उपभोक्ता श्री सिराजखां बोहरा के विरुद्ध विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत नियमानुसार प्रकरण/पंचनामा बनाया गया है। अतः उक्त प्रकरण में किसी प्रकार की जाँच की आवश्यकता नहीं है। (ख) सुसनेर वितरण केन्द्र के क्षेत्रान्तर्गत विगत 2 वर्षों में बनाये गये प्रकरण/पंचनामें विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अनुरूप नियमानुसार बनाए गये हैं, अतः तत्संबंध में किसी प्रकार की जाँच/कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है। (ग) सुसनेर वितरण केन्द्र के अंतर्गत विद्युत देयकों में त्रुटि संबंधी शिकायतें उपभोक्ताओं द्वारा लिखित में नहीं की गई, किन्तु प्राप्त बिलों से संतुष्ट नहीं होने पर उपभोक्ताओं द्वारा कार्यालय में उपस्थित होकर आवश्यक सुधार हेतु बिल प्रस्तुत किये। बिल सुधार के ऐसे 314 प्रकरण विगत 2 वर्षों में सुसनेर वितरण केन्द्र कार्यालय में प्राप्त हुए, जिन्हें नियमानुसार सुधारा गया। प्रकरणवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) ग्राम मोड़ी के उपभोक्ताओं द्वारा देयक में उल्लेखित राशि जमा करने के उपरांत नियमानुसार आगामी बिलों से जमा की गई राशि कम की जा रही है। प्रश्नांश में वर्णित उपभोक्ता श्री गोवर्धन पिता पीरूलाल (सर्विस क्रमांक 31-31-3201586) के प्रकरण की जाँच की गई। उक्त उपभोक्ता द्वारा सिंचाई श्रेणी का रू. 3000/- का बिल रसीद क्र. बी-10 दिनांक 13.04.2016 को जमा करवाया गया था, किन्तु उनके द्वारा जमा की गई राशि कम्प्यूटर में पंचिंग करते समय छूट गई थी। दिनांक 22.06.2017 को आवश्यक सुधार उपरांत उक्त उपभोक्ता को रू. 4008/- राशि का बिल जारी कर दिया गया है।
अपराध प्रकरण दर्ज किया जाना
[सामान्य प्रशासन]
4. ( *क्र. 478 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ग्वालियर में प्राथमिक जाँच प्रकरण 9/2011 पंजीबद्ध किया गया है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ख) सांसद निधि से 23 विद्यालयों में कम्प्यूटर प्रोजेक्टर लगाने में गंभीर अनियमितता होने के उपरांत भी प्रश्न दिनांक तक अपराध पंजीबद्ध क्यों नहीं किया गया, इसके लिए कौन दोषी है तथा उसके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) में प्राथमिक जाँच प्रकरण 9/2011 में पंजीबद्ध होने के बाद भी अपराध पंजीबद्ध न होने के क्या कारण हैं, क्या दोषी लोगों को बचाया जा रहा है? (घ) जिला कलेक्टर भिण्ड के प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्र. 794/4.11.1999 व 835/16.11/1999 व 71/29.1.2000 व 1605/22.12.2000 में निहित शर्तों का पालन न करने के उपरांत अभी तक शिथिल कार्यवाही क्यों की जा रही है? कब तक कार्यवाही पूर्ण हो जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जाँच प्रक्रियाधीन है। (ख) जाँच प्रक्रियाधीन है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) उत्तरांश (क) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जाँच प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
कृषि भूमि में विद्युतीकरण/पम्प उर्जीकरण
[अनुसूचित जाति कल्याण]
5. ( *क्र. 762 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अ.जा. कल्याण विभाग के अंतर्गत रीवा संभाग के कितने जिलों में वर्ष 2013-14 से 2015-16 तक अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग के किसानों की कृषि भूमि में विद्युतीकरण/पम्प उर्जीकरण के कार्य कराये गए तथा किस वर्ष से अ.जा. वर्ग के किसानों के विद्युतीकरण के कार्य बंद कर दिए गए, बंद करने के क्या कारण थे? विवरण सहित जानकारी देवें। (ख) वर्ष 2016-17 में सतना जिले के अंतर्गत विभाग द्वारा कितनी राशि अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग के लिए स्वीकृत की गई थी, स्वीकृत राशि में से कितने किसानों के कार्यों पर राशि खर्च की गई? विधानसभा क्षेत्रवार कृषक संख्यावार जानकारी देवें। (ग) क्या वित्तीय वर्ष 2016-17 में विभाग द्वारा अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग के किसानों की कृषि भूमि में पम्प उर्जीकरण एवं विद्युतीकरण के कार्य नहीं कराये जाने से अधिकांश प्रकरण लंबित हैं? (घ) वित्तीय वर्ष 2017-18 में विभाग द्वारा अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग के किसानों की कृषि भूमि में पम्प उर्जीकरण व बस्ती में विद्युतीकरण हेतु कितनी राशि जारी की गई है? प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा विगत दो वर्षों में कितने अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग के किसानों/हितग्राहियों के प्रस्ताव अनुशंसा सहित भेजे गए हैं? यदि भेजे गए तो प्रस्तावित किये गए प्रकरणों में स्वीकृति क्यों नहीं दी गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) रीवा संभाग के समस्त जिलों में अनुसूचित जाति के कृषकों के पम्प उर्जीकरण के कार्य कराये गये हैं। यह कार्य बंद नहीं किया गया है। (ख) अनुसूचित जाति अंतर्गत कोई राशि स्वीकृत नहीं की गई है। (ग) जी हाँ। (घ) विभाग द्वारा रीवा जिले को बस्ती में विद्युतीकरण हेतु राशि रू. 11.24 लाख, पम्प उर्जीकरण हेतु राशि रू. 169.07 लाख, सतना जिले को बस्ती में विद्युतीकरण हेतु राशि रू. 11.68 लाख, पम्प उर्जीकरण हेतु राशि रू. 175.71 लाख, सीधी जिले को बस्ती में विद्युतीकरण हेतु निरंक, पम्प उर्जीकरण हेतु राशि रू. 57.40 लाख एवं सिंगरौली जिले को बस्ती में विद्युतीकरण हेतु निरंक और पम्प उर्जीकरण हेतु राशि रू. 468.60 लाख की राशि जारी की गई है। प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा पाँच अनुसूचित जाति के प्रस्ताव जिला कार्यालय को प्राप्त हुए। 3 प्रकरणों के प्राक्कलन तैयार हो चुके हैं। समिति के अनुमोदन के उपरांत स्वीकृति की कार्यवाही की जायेगी। शेष 2 प्रकरणों में आवश्यक अभिलेख आवेदन पत्र के साथ न होने के कारण आवेदक को सूचित किया गया है।
सागर जिले में विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन
[आदिम जाति कल्याण]
6. ( *क्र. 392 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले में अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से कार्य किये गये हैं? प्रत्येक कार्य पर व्यय राशि सहित बतायें। (ख) सागर जिले में विभाग का कितना अमला है? नाम, पद, कार्यालय स्थान सहित बतायें? क्या विभाग में प्रश्नांश (क) उल्लेखित समय में जिले में कार्यशाला/प्रशिक्षण किया है? यदि हाँ, तो स्थान, दिनांक, व्यय राशि सहित बतायें। (ग) सागर जिले में प्रश्नांश (क) समय में कितने लोगों को कौन-कौन सी गतिविधि से कितने रूपये की राशि एवं अनुदान राशि से लाभान्वित किया गया है? हितग्राही की संख्या, दिया गया लाभ, अनुदान राशि वर्ष सहित बतायें। (घ) हितग्राही चयन की क्या प्रक्रिया है? योजनाओं का लाभ लेने हेतु क्या दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किये गये हैं? यदि हाँ, तो प्रति उपलब्ध करायें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) निगम द्वारा वित्तीय वर्ष 2014-15 से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं वित्तीय वर्ष 2016-17 से मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना एवं मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना संचालित है। संचालित की जा रही सभी योजनायें बैंकों के माध्यम से संचालित हैं एवं अनुदान राशि नोडल बैंक के माध्यम से ऑनलाईन प्रदान की जाती है। (ख) सागर जिले में मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम जिला शाखा सागर में श्री शैलेन्द्र कुमार, लिपिक सह फील्ड इंस्पेक्टर एवं श्रीमती प्रीति ठाकुर, लिपिक सह फील्ड इंस्पेक्टर कुल 02 कर्मचारी कार्यरत हैं निगम कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास टी.सी.पी.सी. परिसर खुरई रोड सागर में संचालित है। प्रश्नांश (क) की समयावधि में निगम द्वारा किसी प्रकार की कार्यशाला/प्रशिक्षण का आयोजन नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (घ) हितग्राहियों का चयन जिला टास्क फोर्स समिति द्वारा किया जाता है योजना का लाभ लेने हेतु सूचना एवं प्रकाशन विभाग के माध्यम से प्रेस नोट जारी किया जाता है। समाचार पत्र की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है।
फीडर सेपरेशन योजना का क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
7. ( *क्र. 853 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र में फीडर सेपरेशन योजना कब प्रारंभ हुई तब से वर्तमान तक कितने व कौन-कौन से ग्रामों को योजना में शामिल किया गया, इन ग्रामों में से कौन-कौन से ग्रामों में विद्युतीकरण कार्य निर्धारित अवधि में पूर्ण हुआ? गांवों के नाम स्पष्ट करें। किन-किन ग्रामों में नहीं हुआ तथा क्यों? अब कब तक पूर्ण कराये जावेंगे, स्पष्ट करें? (ख) प्रश्न (क) अनुसार क्या उक्त में से जिन ग्रामों में विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो चुका है, उनमें घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया तथा अब भी कई ग्रामों में खम्भे नहीं गड़ें, कई तार नहीं खिचें जहां दोनों कार्य हो गये वहां ट्रांसफार्मर नहीं लगे, जहां लगे वहां खराब पड़े हैं, इन्हें नहीं बदला जा रहा है, इसका कारण बतावें? (ग) क्या शासन पूर्ण हो चुके ग्रामों में विद्युतीकरण कार्यों की गुणवत्ता व कार्यों के अपूर्ण रहने के कारणों की जाँच करायेगा तथा शेष अविद्युतीकरण ग्रामों में विद्युतीकरण के कार्य एक निश्चित समय-सीमा में पूर्ण करवायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? कारण सहित स्पष्ट करें। (घ) विद्युत विभाग में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी भितरवार विधानसभा क्षेत्र में पदस्थ हैं? उनका नाम, पद, मुख्यालय तथा पदस्थापना दिनांक स्पष्ट करें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) भितरवार विधानसभा क्षेत्र के 169 ग्रामों सहित ग्वालियर जिले में फीडर विभक्तिकरण योजना के अंतर्गत कार्यों के क्रियान्वयन हेतु टर्नकी ठेकेदार मेसर्स ज्योति स्ट्रक्चर्स लि. मुम्बई को दिनांक 09.8.2011 को अवार्ड जारी किया गया था एवं उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा दिनांक 20.8.2011 को कार्य प्रारंभ किये गये। उक्त ठेकेदार एजेंसी द्वारा कार्य में विलंब किये जाने के कारण उससे किया गया अनुबंध अप्रैल-2015 में निरस्त कर दिया गया एवं योजना में सम्मिलित शेष कार्यों के क्रियान्वयन हेतु निविदा के आधार पर ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल्स लि. मुंबई को दिनांक 05.07.2016 को अवार्ड जारी किया गया। प्रश्न दिनांक तक उक्त 169 ग्रामों में से 77 ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा 92 ग्रामों में कार्य शेष है, जिसे ठेकेदार एजेन्सी से किये गये अनुबंध अनुसार निर्धारित अवधि 28.02.2018 के पूर्व पूर्ण किया जाना संभावित है। उक्त योजना में सम्मिलित ग्रामों की वर्तमान में निर्धारित कार्य पूर्णता की अवधि, कार्य प्रगति एवं कार्य पूर्ण किये जाने की संभावित तिथि के विवरण सहित ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। उक्तानुसार पूर्व अनुबंधित ठेकेदार एजेन्सी द्वारा निर्धारित समयावधि में कार्य नहीं किये जाने के कारण योजना के क्रियान्वयन में विलंब हुआ है। (ख) जी नहीं। प्रश्नाधीन योजना अंतर्गत पूर्ण किये गये कार्यों में निर्माण सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित किये जाने हेतु सामग्री प्रदाय करने से पूर्व थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेन्सी के माध्यम से सामग्री का निरीक्षण कराने के उपरांत निर्धारित मानक स्तर के अनुरूप पाये जाने के बाद ही सामग्री प्रदाय करने हेतु आदेशित किया गया है। टर्नकी ठेकेदार एजेंसी के स्टोर में सामग्री प्राप्त होने के पश्चात् भी मुख्य सामग्रियों की रेंडम सेंपलिंग कराई जाकर एन.ए.बी.एल. द्वारा अधिकृत प्रयोगशालाओं में टेस्टिंग कराई जाकर सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित कराई गई है। अत: यह कहना सही नहीं है कि निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है। फीडर विभक्तिकरण योजना के अंतर्गत कृषि एवं गैर-कृषि फीडरों को पृथक करने के साथ-साथ ग्रामों में विद्यमान निम्नदाब लाईन के कंडक्टर को ए.बी. केबिल द्वारा बदलने एवं मीटरीकरण के कार्य सम्पादित किये जा रहे हैं। प्रश्नाधीन क्षेत्रान्तर्गत उक्त योजना में स्थापित किये गये ट्रांसफार्मरों में से वर्तमान में एक भी ट्रांसफार्मर खराब नहीं है। जिन ग्रामों में उक्त योजनांतर्गत कार्य पूर्ण हो गया है, उनमें योजना में प्रावधानित सभी कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं। (ग) उत्तरांश (ख) अनुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेन्सी द्वारा निर्माण सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेन्सी द्वारा कार्य की गुणवत्ता में कमी/त्रुटि पाए जाने पर उसका निराकरण संबंधित ठेकेदार एजेन्सी से कराया जाता है। अत: गुणवत्ता संबंधी जाँच कराए जाने का प्रश्न नहीं उठता। उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार उक्त योजना अंतर्गत जिन ग्रामों में कार्य पूर्ण हो गया है, उनमें योजना में प्रावधानित सभी कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं। योजना के अंतर्गत शेष 92 ग्रामों में कार्य पूर्ण किये जाने की संभावित तिथि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (घ) भितरवार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी एवं म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी के कार्यालयों में पदस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों की पदस्थापना दिनांक सहित प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार है।
जनपद पंचायत महेश्वर एवं बड़वाह में नई परियोजनाओं की स्वीकृति
[नर्मदा घाटी विकास]
8. ( *क्र. 901 ) श्री राजकुमार मेव : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नर्मदा नदी से सामूहिक सिंचाई एवं माईक्रो सिंचाई परियोजनाएं तैयार कर स्वीकृत करने की कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो वर्ष 2017-18 में प्रदेश में कौन-कौन सी सिंचाई परियोजनाएं कितनी लागत की स्वीकृत की गई हैं? (ख) क्या खरगौन जिले में महेश्वर विधानसभा क्षेत्र की जनपद पंचायत महेश्वर एवं बड़वाह के किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु कोई नई परियोजना स्वीकृति हेतु प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी? (ग) क्या प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संबंध में महेश्वर विधानसभा क्षेत्र की जनपद पंचायत महेश्वर एवं बड़वाह के क्षेत्र बड़कीचौकी, कवाणा, घटयाबैडी, रामदढ, बलसगांव, आशाखो, पेमपुरा, करोंदियाखुर्द, हाथीदग्गड़, जिरात, रोस्याबारी, बाकानेर, कुसुम्भ्या, भवनतलाई, छोटाभेडल्या, बडाभेडल्या, हेलाबाबर आदि के किसानों की कृषि सिंचाई हेतु सुविधा उपलब्ध नहीं है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा क्या कार्ययोजना तैयार की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में नर्मदा नदी से किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु बजट सत्र फरवरी 2017 में मान. मंत्री महोदय द्वारा आश्वासन दिया गया था कि परियोजना हेतु पुन: सर्वे कराया जाकर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु योजना तैयार की जाकर स्वीकृति प्रदान की जावेगी? क्या इस संबंध में विभाग द्वारा कोई योजना तैयार की गई है? यदि हाँ, तो किस प्रकार की योजना तैयार की गई है?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। वर्ष 2017-18 में नर्मदा नदी से कोई सिंचाई परियोजना स्वीकृत नहीं की गई है। (ख) जी नहीं। (ग) जी हाँ। इन ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु ओंकारेश्वर परियोजना की नहर में अतिरिक्त जल उपलब्ध नहीं है, इसलिए कोई भी योजना प्रस्तावित नहीं की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) माननीय मंत्री महोदय द्वारा आश्वासन दिया गया था कि इन ग्रामों में ओंकारेश्वर परियोजना की नहर से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु परीक्षण किया जावेगा। परीक्षण उपरांत परिलक्षित हुआ है कि इन ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु ओंकारेश्वर परियोजना की नहर में अतिरिक्त जल शेष नहीं है। अत: कोई योजना तैयार नहीं की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सोन नदी में 11 के.व्ही. लाइन क्रासिंग टॉवर की स्थापना
[ऊर्जा]
9. ( *क्र. 533 ) श्रीमती सरस्वती सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिंगरौली जिले के चितरंगी विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत खटाई माची खुर्द/माचींकला के मध्य सोन नदी में 11 के.व्ही. लाइन के क्रासिंग टॉवर लगाने के लिए शासन स्तर से स्वीकृति प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो अभी तक विभाग द्वारा क्या कार्यवाही हुई? (ख) क्या उक्त निर्माण कार्य के लिये (अभ्यारण्य) सोन घड़ियाल क्षेत्र संचालक संजय टाईगर रिर्जव सीधी द्वारा अनापत्ति की गई है? यदि हाँ, तो विवरण दें। यदि नहीं, तो कारण बताएं। (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) के परिप्रेक्ष्य में उक्त सोन नदी पर क्रासिंग स्थल पर टॉवर का निर्माण कार्य कब तक प्रारम्भ करा दिया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित 11 के.व्ही. लाईन की सोन नदी क्रासिंग हेतु टॉवर लगाए जाने के कार्य की स्वीकृति पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा प्रदान की गयी है। उक्तानुसार टॉवर लगाये जाने का कार्य म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा किया जाना है। म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा उक्त कार्य हेतु प्राक्कलन स्वीकृत कर सर्वे का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। (ख) सोन नदी क्रासिंग में सोन घड़ियाल अभ्यारण्य होने के कारण प्रश्नाधीन प्रकरण में टॉवर लगाये जाने की अनुमति प्रदान करने हेतु मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक संजय टाईगर रिजर्व सीधी को पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा पत्र दिनांक 08.02.2017 द्वारा प्रस्ताव प्रेषित किया गया है जिस पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार स्वीकृति प्राप्त होने पर म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा टॉवर लगाये जाने का कार्य प्रारम्भ किया जा सकेगा। अत: वर्तमान में कार्य प्रारंभ किये जाने की निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
ग्रामीण बस्तियों/मजरे टोलों में विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
10. ( *क्र. 870 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन द्वारा घरेलू विद्युत (सिंगल फेस) 24 घण्टे विद्युत सप्लाई देने का नियम है? यदि हाँ, तो क्या नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र के ग्रामों की बस्तियाँ/मजरे टोले व जो किसान खेतों पर रह रहे हैं, उनको 24 घण्टे बिजली दी जा रही है? (ख) प्रश्न की कण्डिका (क) की जानकारी अनुसार यदि 24 घण्टे बिजली दी जा रही है, तो उन ग्रामों की सूची उपलब्ध करावें? (ग) नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितने ग्राम हैं, जहां किसानों को 24 घण्टे बिजली नहीं मिल रही है व उक्त ग्रामों को 24 घण्टे बिजली कब तक उपलब्ध करा दी जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, विद्युतीकृत राजस्व ग्रामों के मुख्य आबाद क्षेत्र एवं ऐसे ग्रामों के विद्युतीकृत मजरों/टोलों/बस्तियों में गैर कृषि फीडरों के माध्यम से 24 घंटे विद्युत प्रदाय किये जाने का प्रावधान है तथा उक्तानुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र में भी विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र की 12 बस्तियों/मजरों/टोलों तथा खेतों में निवासरत किसानों को कृषि फीडर के माध्यम से 10 घन्टे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। उक्त 12 बस्तियों/मजरों/टोलों, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है, को 24 घंटे विद्युत प्रदाय करने हेतु गैर-कृषि फीडर से जोड़ने का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में स्वीकृत है। (ख) प्रश्नाधीन चाही गई ग्रामवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सभी राजस्व ग्रामों में गैर-कृषि फीडरों से 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है तथा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में दर्शाए गए 12 बस्तियों/मजरों/टोलों को गैर-कृषि फीडरों से जोड़कर 24 घंटे विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराने का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, अत: कार्य पूर्णता की समय-सीमा वर्तमान में बताया जाना संभव नहीं है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिकाओं की नियुक्ति की जाँच
[महिला एवं बाल विकास]
11. ( *क्र. 96 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) बड़वाहा विधान सभा क्षेत्र में बड़वाहा एवं सनावद अंतर्गत कितनी आंगनवाड़ी स्वीकृत हैं? इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में कितने पद स्वीकृत हैं, कितने पद खाली हैं? जो पद रिक्त हैं, उनकी पद पूर्ति कब तक की जावेगी? (ख) परियोजना बड़वाहा में माह फरवरी 2017 में कौन कौन सी आंगनवाड़ियों में पद पूर्ति की कार्यवाही की गई, उसकी सूची दी जावे? इन रिक्त आंगनवाड़ी में ग्राम सिरलाय, सुराना नगर, मुराल्ला, जेठवाया में कार्यकर्ता एवं सहायिका में चयनित अभ्यर्थियों की सूची दी जावे तथा जो अपात्र किये गए हैं? उनकी सूची दी जावे। (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 807, दिनांक 11 फरवरी 2017 के द्वारा परियोजना बड़वाहा में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं की नियुक्ति में हुई धांधलियों की शिकायत की गई थी? यदि हाँ, तो इस सम्बन्ध में वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, की गई तो क्या कारण रहे हैं? कब तक जाँच हो जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में बड़वाह एवं सनावद अन्तर्गत स्वीकृत आंगनवाड़ी एवं इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में स्वीकृत एवं रिक्त पदों की जानकारी निम्नानुसार है :-
क्र |
परियोजना |
स्वीकृत आंगनवाड़ी/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों की संख्या |
स्वीकृत पद |
रिक्त पद |
||
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/उप कार्यकर्ता, |
सहायिका |
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उप कार्यकर्ता |
सहायिका |
|||
1 |
बड़वाह |
113 |
113 |
93 |
0 |
4 |
2 |
सनावद |
153 |
153 |
153 |
1 |
14 |
पदों की रिक्ति एवं पूर्ति एक निरन्तर प्रक्रिया है अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ख) परियोजना बड़वाह में माह फरवरी 2017 में आंगनवाड़ी केन्द्रों में पदपूर्ति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 01 अनुसार है। ग्राम सिरलाय, सुराना नगर, मुराल्ला, जेठवाया में कार्यकर्ता एवं सहायिका में चयनित अभ्यर्थियों की सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 02 अनुसार तथा अपात्र किये गये अभ्यर्थियों की सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 03 अनुसार है। (ग) जी हाँ। जाँच की कार्यवाही प्रचलन में है।
बिजली बिल की अवैध वसूली
[ऊर्जा]
12. ( *क्र. 946 ) श्री अनिल जैन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विद्युत विभाग द्वारा विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी के ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं से बिल के नाम पर भारी राशि की वसूली की जा रही है। साथ ही उन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिल की राशि जमा है, वहां भी विद्युत प्रदाय नहीं किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कारण सहित जानकारी दी जावे। (ख) क्या बिजली विभाग के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली ही उपलब्ध नहीं है वहां भी विभागीय अधिकारियों के द्वारा उपभोक्ताओं को बिजली कनेक्शन देकर बिलों की वसूली की जा रही है? यदि हाँ, तो दोषी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी। (ग) विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी में कितने घण्टे बिजली कृषि क्षेत्र एवं कितने घण्टे घरों के लिये बिजली दी जा रही है? ग्रामवार व नगरवार जानकारी दी जावे। साथ ही किसी ग्राम में ट्रान्सफार्मर खराब होने की स्थिति में पुन: लगाये जाने के लिये क्या नियम हैं? विवरण सहित बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं, उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश के अनुसार बिल दिये जाकर नियमानुसार विद्युत बिल की राशि की वसूली की कार्यवाही की जा रही है। वितरण ट्रांसफार्मर जला/खराब होने की स्थिति में नियमानुसार उससे संबद्ध उपभोक्ताओं में से न्यूनतम 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान किये जाने पर अथवा कुल बकाया राशि की 40 प्रतिशत राशि जमा होने पर जला/खराब ट्रांसफार्मर बदले जाने का प्रावधान है। विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान में 87 जले/खराब ट्रांसफार्मरों को उनसे संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा उक्तानुसार निर्धारित नियम के अनुरूप विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण बदला नहीं जा सका है। उक्त ट्रांसफार्मरों से संबद्ध उपभोक्ताओं को छोड़कर प्रश्नाधीन क्षेत्र में निर्धारित शेड्यूल अनुसार कतिपय अवसरों पर तकनीकी कारणों/प्राकृतिक आपदा के कारण आए विद्युत व्यवधान को छोडकर कृषि उपभोक्ताओं को 10 घण्टे प्रतिदिन तथा गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घण्टे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ख) जी नहीं। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी में कतिपय अवसरों पर तकनीकी कारणों एवं प्राकृतिक आपदा के कारण आए विद्युत व्यवधानों को छोड़कर कृषि फीडरों पर 10 घण्टे एवं गैर कृषि फीडरों पर 24 घण्टे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। माह जनवरी 17 से जून 17 तक प्रश्नाधीन क्षेत्र में विद्युत प्रदाय संबंधी माहवार, फीडरवार, ग्रामवार/नगरवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार ट्रांसफार्मर खराब होने की स्थिति में पुन: लगाये जाने के लिये खराब ट्रांसफार्मर से संबद्ध उपभोक्ताओं में से न्यूनतम 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान किया जाना अथवा कुल बकाया राशि का न्यूनतम 40 प्रतिशत जमा होना आवश्यक है।
अनु. जाति/जन जाति क्षेत्र विकास योजनांतर्गत प्राप्त आवंटन
[अनुसूचित जाति कल्याण]
13. ( *क्र. 736 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति/जन जाति क्षेत्र विकास योजनांतर्गत पन्ना जिले को कितना आवंटन कब-कब प्राप्त हुआ? प्राप्त आवंटन का व्यय कब-कब किस आधार पर किया गया? वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक वर्षवार पृथक-पृथक बतायें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार गुनौर विधानसभा क्षेत्र के किस-किस ग्राम में किस-किस कार्य के लिये कितनी राशि स्वीकृत की गई? स्वीकृत राशि के विरूद्ध कितना-कितना व्यय हुआ? इन कार्यों की निर्माण ऐजेंसी कौन है? विकासखण्डवार बतायें। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार अपूर्ण कार्यों के लिये कौन दोषी है? इन दोषियों पर क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में की गई अनियमितताओं से संबंधित विगत 5 वर्षों में प्राप्त शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई? शिकायतवार कार्यवाहीवार विवरण दें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत उत्तरदायी है। ग्राम पंचायतों को नोटिस दिये गये हैं। नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। (घ) कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं की नियुक्ति में अनियमितता
[महिला एवं बाल विकास]
14. ( *क्र. 992 ) श्रीमती अनीता नायक : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या वर्ष 2016-17, 2017-18 में टीकमगढ़ जिले की जनपदों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की नियुक्ति की गई? यदि हाँ, तो जनपदवार, ग्रामवार, नामवार, बतावें। जनपद द्वारा चयनित सूची जिला पंचायत में भेजने के पूर्व जनपद स्तर की कमेटी द्वारा नियुक्ति हेतु क्या मापदण्ड थे? अगर शासकीय मापदण्डों के आधार पर नियुक्तियां की गईं तो जिले में आपत्ति दर्ज होने के पश्चात् जनपद स्तर की कमेटी के द्वारा अनुमोदित सूची जिले की कमेटी द्वारा किन-किन अभ्यर्थियों को सूची से हटाकर दूसरी नियुक्तियां किस आधार पर की गई? कारण सहित जनपदवार ग्रामवार, नामवार बतावें। (ख) जनपद कमेटी द्वारा चयनित सूची से जिले में जो गड़बड़ी की गई है, क्या उनके विरूद्ध शासन कार्यवाही करेगा? अगर हाँ तो क्या और कब तक? (ग) आपत्ति दर्ज होने के पश्चात् कितने पदों पर नियुक्तियों का निराकरण किया गया? आपत्ति दर्ज का क्या कारण था? कारण सहित बतावें, टीकमगढ़ जिले में ऐसे कितने प्रकरण प्राप्त हुये, जिनकी अंकसूची उ.प्र. की थी, उनका नामवार, ग्रामवार, जनपदवार बतावें। (घ) क्या जिन आवेदकों की अंकसूची उ.प्र. की थी उन सभी आवेदकों की अंकसूची सत्यापित कराई गई हैं? तो नामवार, ग्रामवार, जनपदवार बतावें। जिन आवेदकों की सूची उ.प्र. की थी उन सभी की अंकसूचियां सत्यापित नहीं कराई गई हैं, तो ऐसा क्यों किया गया, इसके लिये कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार है? अगर जिम्मेदार अधिकारी दोषी हैं, तो विभाग क्या कार्यवाही करेगा और कब तक? अगर नहीं तो कारण सहित बतावें। जिले में कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं के ऐसे कितने प्रकरण हैं, जिनमें मैरिट में आने के बाद भी नियुक्ति नहीं हुई, अगर नहीं तो क्यों? ग्रामवार, जनपदवार, नामवार बतावें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। नियुक्ति के मापदण्डों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका के चयन एवं नियुक्ति के संशोधित निर्देशों के अनुसार चयन समिति द्वारा प्राप्त आवेदनों का परीक्षण किये जाने के उपरान्त अनन्तिम सूची जारी की जाती है। अनन्तिम सूची के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में प्राप्त आपत्तियाँ परियोजना कार्यालय में प्राप्त की जाती है तथा जिला स्तरीय आपत्ति निराकरण समिति द्वारा आपत्तियों का निराकरण किया जाकर अन्तिम सूची का प्रकाशन किया जाता है। परियोजना स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदित अनन्तिम चयन सूची के विरूद्ध प्राप्त आपत्तियों के निराकरण के पश्चात जिला स्तरीय समिति द्वारा जिन अभ्यर्थियों का चयन किया गया उक्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। (ख) जनपद स्तर खण्ड स्तरीय चयन समिति द्वारा अनन्तिम सूची जारी की जाती है जिसके विरूद्ध प्राप्त आपत्तियों का निराकरण जिला स्तरीय दावा आपत्ति निराकरण समिति द्वारा किया जाता है तत्पश्चात् ही अन्तिम चयन सूची जारी की जाती है। नियुक्ति प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी न होने से शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) आपत्ति दर्ज होने के पश्चात 111 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, 92 सहायिका एवं 20 मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पद पर आपत्ति का निराकरण किया गया। अनन्तिम स्तर पर चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी होने के प्रत्याशा में आपत्तियां दर्ज की गई हैं। ऐसे कुल 96 प्रकरण प्राप्त हुए हैं, जिनकी अंकसूची उत्तरप्रदेश की है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''चार'' अनुसार है। (घ) जी नहीं। कुल 96 आवेदकों के द्वारा उत्तर प्रदेश की अंकसूची संलग्न की गई थी। जिनमें से 24 अंकसूचियों पर आपत्तियां प्राप्त हुईं थीं, जिन्हें सत्यापन हेतु भेजा गया तथा 72 प्रकरणों पर आपत्तियां प्राप्त नहीं होने से उन्हें सत्यापन के लिये नहीं भेजा गया। इसके लिये कोई अधिकारी जिम्मेदार/दोषी नहीं है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। समस्त नियुक्तियां मेरिट के आधार पर ही की गईं हैं। आंगनवाड़ी केन्द्र सुनौनिया खास में अनन्तिम रूप से चयनित आवेदिका की कक्षा 5वीं की अंकसूची 99 प्रतिशत की तथा उ.प्र. की अंकसूची संदिग्ध प्रतीत होने से जिला स्तरीय समिति द्वारा पुनः सत्यापन के निर्देश दिये गये हैं, इस कारण उक्त केन्द्र में चयन नहीं किया गया है। प्रकरण क्र. 249/2016-17 अपर कलेक्टर न्यायालय में विचाराधीन है।
प्रदेश में पेट्रोल/डीजल पर कर वसूली
[वाणिज्यिक कर]
15. ( *क्र. 310 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश सरकार द्वारा डीजल एवं पेट्रोल पर कर वसूला जा रहा है? यदि हाँ, तो कौन-कौन सा कर वसूला जा रहा है? प्रति लीटर वसूली जा रही राशि का ब्यौरा दें? (ख) शासन द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान पेट्रोल एवं डीजल से कर के रूप में कितनी राशि अर्जित की? (ग) क्या शासन द्वारा पेट्रोल एवं डीजल पर वसूले जा रहे कर की दरों में कटौती का प्रस्ताव किया जा रहा है? यदि हाँ, तो ब्यौरा दें? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या शासन द्वारा किसानों को कर रहित डीजल उपलब्ध कराने की योजना है? यदि हाँ, तो ब्यौरा दें? यदि नहीं, तो क्यों?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) हाँ। डीजल एवं पेट्रोल के विक्रय पर वेट तथा उनकी मात्रा पर प्रति लीटर अतिरिक्त कर वसूल किया जाता है, जिसका विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) शासन द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान पेट्रोल एवं डीजल से कर के रूप में तीनों अधिनियमों (वेट, केन्द्रीय विक्रय कर, प्रवेशकर) के अंतर्गत रूपये 8886.15 करोड़ की राशि अर्जित की है। (ग) पेट्रोल एवं डीजल पर वसूले जा रहे कर की दरों में कटौती का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। राज्य में करारोपण राज्य की वित्तीय जरूरतों के हिसाब से किया जाता है। (घ) किसानों को कर रहित डीजल उपलब्ध कराने की कोई योजना नहीं है। राज्य में करारोपण राज्य की वित्तीय जरूरतों के हिसाब से किया जाता है।
वेजीटेबल ऑयल से संबंधित T.P. 59 के प्रवेश एवं खारिजी
[वाणिज्यिक कर]
16. ( *क्र. 963 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2016-17 में प्रदेश में प्रवेश के समय राईस ब्राण्ड ऑयल, पाम ऑयल व अन्य वेजिटेबल ऑयल से संबंधित कितनी T.P. 59 पास कराई गयी? जाँच चौकियों के नामवार जानकारी उपलब्ध कराई जाये। (ख) T.P. 59 के क्रमांक एवं उस पर वर्णित वाहन क्रमांक व म.प्र. से बाहर निकलने वाली जाँच चौकियों के नाम सहित जानकारी दी जाये? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) में उल्लेखित वहतियाँ (T.P. 59) किस-किस जाँच चौकियों पर कब-कब खारिज की गईं? उक्त वहितियों का माल भेजने वाले एवं माल पाने वाली फर्मों के टिन नंबरों से अवगत कराया जाये।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वर्ष 2016-17 में प्रदेश में प्रवेश के समय राईस ब्रांड ऑयल, पॉम ऑयल व अन्य वेजिटेबल ऑयल से संबंधित 15438 T.P.59 पास कराई गईं। जाँच चौकियों की नामवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) T.P.59 के क्रमांक पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम नं. 2 एवं उसमें वर्णित वाहन क्रमांक कॉलम नं. 3 पर व मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाली जाँच चौकियों के नाम कॉलम नं. 6 पर अंकित हैं। (ग) प्रश्नांश (क), (ख) में उल्लेखित वहतियाँ (T.P.59) खारिज करने वाली जाँच चौकियों के नाम पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम नं. 7 पर एवं खारिजी दिनांक कॉलम नं. 8 पर तथा उक्त वहतियों पर माल पाने वाली फर्मों के टिन नम्बरों की जानकारी कॉलम नं. 5 पर अंकित है। भेजने वालों का टिन कॉलम क्रमांक-4 अनुसार है।
उद्वहन सिंचाई योजना से लाभान्वित क्षेत्र
[नर्मदा घाटी विकास]
17. ( *क्र. 377 ) श्री मोती कश्यप : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या परिवर्तित आतारांकित प्रश्न क्र. 1593, दिनांक 03-3-2017 के प्रश्नांश (क) के उत्तर में मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई घोषणाओं के अनुसरण में विधान सभा क्षेत्र बड़वारा के विकासखण्ड ढीमरखेड़ा, कटनी (मुड़वारा) एवं बड़वारा के किन-किन ग्रामों को दायींतट नहर उद्वहन सिंचाई योजना में सम्मिलित किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के किस क्षेत्र की कितनी लागत की उद्वहन सिंचाई योजना को प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है और निविदा स्वीकृत कर दी गई है? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में विधान सभा क्षेत्र बड़वारा के प्रश्नांश (ख) को छोड़कर शेष क्षेत्र की योजना को कब तक स्वीकृति प्रदान कर मा. मुख्यमंत्री जी की घोषणा की पूर्ति कर दी जावेगी?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) ढीमरखेड़ा माइक्रो उद्वहन सिंचाई प्रणाली की रूपये 256.16 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है। इस कार्य की निविदा स्वीकृत कर दी गई है। (ग) स्लीमनाबाद-बड़वारा माइक्रो उद्वहन सिंचाई प्रणाली की डी.पी.आर. तैयार करने की कार्यवाही प्रचलन में है। स्वीकृति की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
आगंनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका को शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाना
[महिला एवं बाल विकास]
18. ( *क्र. 548 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शासन द्वारा प्रदेश की आगंनवाड़ी में कार्यरत कार्यकर्ता व सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी घोषित करने तथा तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग का दर्जा दिये जाने की कोई योजना है या नहीं? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ख) क्या आगंनवाड़ी कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा, जैसे महंगाई भत्ता, भविष्य निधी, पेंशन, शासकीय अवकाश, स्थानांतरण, मेडीकल, बीमा आदि की सुविधाएं प्रदान हैं या नहीं? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) क्या महिला सशक्तिकरण एवं एकीकृत बाल विकास विभाग की भर्तियों में आगंनवाड़ी कार्यकताओं व सहायिकाओं को पदोन्नत किया जाता है या नहीं? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (घ) क्या भविष्य में शासन इन आगंनवाड़ी कार्यकताओं व सहायिकाओं के भविष्य को देखते हुए इनकी मांगों पर विचार करेगा या नहीं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी नहीं। भारत सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका का पद मानसेवी श्रेणी में रखे जाने से शासकीय कर्मचारी घोषित नहीं किया जा सकता है, अतः शेष का प्रश्न ही नहीं। (ख) आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं का पद मानसेवी होने से इन्हे मंहगाई भत्ता, भविष्य निधि, पेंशन, स्थानान्तरण, मेडिकल आदि सुविधा का लाभ नहीं दिया जाता है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के लिये शासकीय अवकाश निर्धारित है तथा इन्हें भारत सरकार द्वारा निर्धारित बीमा योजनाओं में लाभान्वित किये जाने का प्रावधान है। (ग) एकीकृत बाल विकास सेवा अन्तर्गत पर्यवेक्षकों के 50 प्रतिशत पदों पर सीमित सीधी भर्ती परीक्षा के माध्यम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से पूर्ति की जाती है तथा आंगनवाड़ी सहायिकाओं के लिये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर चयन हेतु अनुभव के अंक बोनस के रूप में दिये जाने का प्रावधान है। महिला सशक्तिकरण के अन्तर्गत किसी भी पद के लिये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका को पदोन्नत किये जाने का प्रावधान नहीं है। (घ) भारत सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका का पद मानसेवी निर्धारित किये जाने से राज्य स्तर से इस संबंध में निर्णय लिया जाना संभव नहीं है, अतः शेष जानकारी का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
निर्माण एजेंसियों को भुगतान
[ऊर्जा]
19. ( *क्र. 39 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के अतारांकित प्रश्न क्रमांक 1125, दिनांक 03 मार्च 2017 के संदर्भ में (सेवढ़ा) दतिया जिले के किन-किन निर्माण एजेंसियों के द्वारा म.प्र. क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सिविल संभाग, ग्वालियर के 41 कार्य संपादित किये गये थे, जिनमें से सिर्फ 28 कार्यों का भुगतान किया जाना शेष है? (ख) क्या उक्त निर्माण हेतु कार्यपालन यंत्री द्वारा कार्य आदेश दिये गये थे, जिसके आधार पर कंपनी द्वारा कार्य संपादित किये गये थे? यदि हाँ, तो इसमें निर्माण एजेंसी का क्या दोष है? क्या निर्माण एजेंसी ने कार्य आदेश के आधार पर कार्य संपादित किये हैं, किंतु लगभग दो वर्ष बीत जाने के बावजूद किये गये कार्यों का भुगतान नहीं किया गया है, जबकि सात कार्यों का भुगतान कार्य आदेश के आधार पर संपादित किये गये कार्य का भुगतान पूर्व में किया गया है? यदि हाँ, तो क्या इस कंपनी का भुगतान मय ब्याज सहित किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या प्रश्नकर्ता द्वारा मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, भोपाल को दिनांक 05 मई, 2017 पत्र लिखकर कंपनी को भुगतान किये जाने एवं दिनांक 25 अप्रैल 2017 को रविन्द्र सिंह जादौन ठेकेदार द्वारा म.प्र. मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लि. ग्वालियर द्वारा कार्य पूर्ण करने के बाद भी भुगतान नहीं किये जाने से परेशान होकर जहर खाकर मुख्य अभियंता कार्यालय ग्वालियर में आत्महत्या किये जाने की जाँच कराये जाने हेतु अनुरोध किया था? (घ) यदि हाँ, तो उक्त संबंध में क्या मुख्य सचिव कार्यालय के पत्र क्रमांक 3291/वि.क.अ./मु.स./2017/दिनांक 22 मई 2017 प्रश्नकर्ता के पत्र एवं सहपत्रों के साथ अग्रेत्तर कार्यवाही हेतु अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा विभाग की ओर अंकित किया गया था? यदि हाँ, तो मुख्य सचिव, म.प्र. शासन के निर्देश के बाद मुख्य सचिव को प्रश्नकर्ता द्वारा लिखे गये पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं में क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, प्रश्नाधीन उल्लेखित विधानसभा प्रश्न क्रमांक 1125 दिनांक 3 मार्च 2017 में यह जानकारी दी गई थी कि मेसर्स संजय कन्सट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड सेवढ़ा, जिला दतिया द्वारा संपादित किये गये 41 कार्यों में 28 कार्यों का भुगतान किया जाना शेष है। (ख) जी हाँ, किन्तु उक्त कार्यों के लिए म.प्र.म.क्षे. विद्युत वितरण कंपनी से प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया था तथा न ही वितरण कंपनी द्वारा इन कार्यों हेतु धनराशि उपलब्ध कराई गई थी। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा 41 में से 13 कार्यों का भुगतान कर दिया गया था तथा भुगतान हेतु 28 लंबित कार्यों के कार्यादेश तत्कालीन उप महाप्रबंधक (सिविल) ग्वालियर द्वारा बिना प्रशासनिक अनुमति एवं राशि उपलब्धता के जारी किये जाने के कारण उनके विरूद्ध जाँच की गई जिसका जाँच प्रतिवेदन दिनांक 30.05.2017 को प्राप्त हो चुका है। निर्माण एजेन्सी के लंबित देयकों के निराकरण हेतु कमेटी बनाकर अग्रिम कार्यवाही की जा रही है एवं भुगतान के संबंध में यथाशीघ्र निर्णय लिया जायेगा। (ग) श्री रवीन्द्र जादौन, ठेकेदार द्वारा की गई आत्महत्या के प्रकरण के संबंध में कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार मजिस्ट्रेट जाँच की जा रही है। (घ) जी हाँ। मुख्य सचिव कार्यालय से प्राप्त प्रश्नाधीन पत्र के तारतम्य में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से जाँच प्रतिवेदन प्राप्त किया गया है। उत्तरांश (ग) में दर्शाए अनुसार श्री रवीन्द्र जादौन, ठेकेदार द्वारा की गई आत्महत्या के प्रकरण के संबंध में मजिस्ट्रेट जाँच की जा रही है। प्रश्नाधीन शेष भुगतान हेतु लंबित 28 प्रकरणों की जाँच मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से करायी गयी एवं प्रकरण पर मध्य क्षेत्र कंपनी द्वारा अंतिम निर्णय लिया जा रहा है।
घटक योजना का क्रियान्वयन
[आदिम जाति कल्याण]
20. ( *क्र. 816 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव अंतर्गत घटक योजना में वर्ष 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 में कितने हितग्राहियों के आवेदन प्राप्त हुये एवं कितने हितग्राहियों द्वारा राशि का भुगतान किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार जिन हितग्राहियों द्वारा राशि का भुगतान किया गया, उनमें से कितने हितग्राहियों को विद्युत ट्रांसफार्मर उपलब्ध कराये गये? सूची उपलब्ध करावें। (ग) जिन हितग्राहियों ने राशि जमा की एवं उन्हे ट्रांसफार्मर उपलब्ध नहीं कराये गये, इसका क्या कारण है? इन्हें कब तक ट्रांसफार्मर उपलब्ध करा दिये जावेंगे।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विभाग में आवेदन पत्र प्राप्त नहीं हुये, ना ही किसी हितग्राही द्वारा राशि का भुगतान किया गया। विद्युत विभाग द्वारा जमा कराई गई राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) 17 ट्रांसफार्मर एवं लाईन विस्तार, 4 केबल लाईन विस्तार के कार्य कराये गये। सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) उपलब्ध आवंटन की सीमा में कार्य कराये गये हैं। शेष के लिए समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना
[ऊर्जा]
21. ( *क्र. 671 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के परि. अता. प्रश्न क्रमांक 1027, दिनांक 03.03.2017 के प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के उत्तर में स्वीकारा है कि श्योपुर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत ग्राम पहाडली व राजपुरा के मध्य व इसके आसपास बसे दो दर्जन से अधिक ग्रामों में विद्युत की मांग व भार अत्यधिक रहने के कारण प्रतिवर्ष कृषि सीजन में पर्याप्त विद्युत सप्लाई व लो वोल्टेज की समस्या आती है, इस कारण से पहाडली व राजपुरा के मध्य उक्त सबस्टेशन के निर्माण की आवश्यकता है, ये कार्य एस.एस.टी.डी. योजना में प्रस्तावित भी हैं तो वित्त की अनुपलब्धता की आड़ लेकर उक्त सबस्टेशन को स्वीकृत करने में विलंब क्यों किया जा रहा है? वित्तीय उपलब्धता हेतु वर्तमान तक क्या प्रयास किये गये? (ख) क्या सुचारू विद्युत सप्लाई एवं वोल्टेज के अभाव में कृषकों को प्रतिवर्ष कृषि कार्य में आने वाली कठिनाईयों में वृद्धि होती ही जा रही है? (ग) यदि हाँ, तो क्या विद्युत कंपनी अविलंब वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था करके पहाडली व राजपुरा के मध्य उपयुक्त स्थान पर नवीन सबस्टेशन स्वीकृत करेगी अथवा शासन इस हेतु विद्युत कंपनी को आदेशित करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, प्रश्न क्रमांक 1027 दिनांक 03.03.2017 के उत्तर में तकनीकी आवश्यकता के परिप्रेक्ष्य में ग्राम पहाडली एवं राजपुरा के मध्य 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र के निर्माण कार्य को करने हेतु वित्तीय उपलब्धता हेतु प्रयास किये जाने संबंधी जानकारी दी गई थी। वर्तमान में कार्य की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए ग्राम पहाडली में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र के निर्माण कार्य को केन्द्र शासन द्वारा स्वीकृत दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत शामिल कर लिया गया है। (ख) जी नहीं। विद्युत सप्लाई एवं वोल्टेज की समस्या 11 के.व्ही. फीडर के अंतिम छोर वाले ग्रामों में यदा-कदा रहती है। वर्तमान में सुचारू रूप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ग) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार ग्राम पहाडली में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित कर योजनांतर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु मेसर्स एलटेक एप्लायन्सेस प्रायवेट लिमि. चेन्न्ई को दिनांक 18.01.2017 को अवार्ड जारी किया जा चुका है एवं उक्त टर्न-की ठेकेदार एजेंसी द्वारा अवार्ड दिनांक से 24 माह की अवधि में उक्त उपकेन्द्र का कार्य पूर्ण किया जाना है।
प्रदेश में बिजली की खरीदी/बिक्री
[ऊर्जा]
22. ( *क्र. 591 ) श्री मुकेश नायक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश सरकार की बिजली कंपनियों ने वित्त वर्ष 2016-17 और वित्त वर्ष 2017-18 में मई, 2017 तक किन-किन निजी, सरकारी संस्थानों से कितनी बिजली कितने रूपये मूल्य की खरीदी और बेची? (ख) मध्यप्रदेश में स्थापित निजी क्षेत्र के विद्युत उत्पादन संयंत्रों से बिजली खरीदी की गारंटी देने के संबंध में राज्य सरकार की बिजली कंपनियों के क्या नियम हैं और जून, 2017 तक किन-किन बिजली संयंत्रों से बिजली क्रय करने के संबंध में अग्रिम दीर्घकालिक अनुबंध किये गये हैं? इन अनुबंधों की पूर्ण जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों के लिए वित्तीय वर्ष 2016-17 तथा वित्तीय वर्ष 2017-18 में मई माह तक निजी एवं सरकारी संस्थानों से क्रय तथा बेची गई विद्युत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) राज्य शासन की विद्युत कंपनियों द्वारा विद्युत उत्पादन संयंत्रों से बिजली खरीदी की गारंटी के संबंध में कोई नियम नहीं है तथापि टैरिफ रेग्युलेशन तथा विद्युत क्रय अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार विद्युत का क्रय किया जाता है। जून, 2017 तक निजी, शासकीय, संयुक्त उपक्रम में किये गये विद्युत अनुबंधों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है एवं प्रश्नाधीन अवधि में बिजली संयंत्रों से किये गये दीर्घकालिक विद्युत क्रय अनुबंधों जो कि निर्माणाधीन/प्रस्तावित हैं, का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
पाटन विभान सभा क्षेत्र अंतर्गत घरेलू कनेक्शनों की संख्या
[ऊर्जा]
23. ( *क्र. 77 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पाटन विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत प्रश्न दिनांक तक कितने BPL घरेलू कनेक्शन तथा कितने घरेलू कनेक्शन, सामान्य कनेक्शन, गैर घरेलू कनेक्शन तथा कितने कृषि पंप कनेक्शन हैं? विद्युत वितरण केन्द्रवार संख्या देवें एवं इन सभी उपभोक्ताओं से जनवरी 2017 से प्रश्न दिनांक तक किस दर से विद्युत शुल्क वसूला जा रहा है तथा इसमें राज्य शासन द्वारा प्रयोज्य होने वाली सब्सिडी किस दर से कितनी समायोजित रहती है तथा किस दर से कितना ऊर्जा प्रभार, नियत प्रभार, ईंधन समायोजन प्रभार, मीटर किराया तथा कितना राज्य शासन द्वारा प्रायोज्य शुल्क वसूला जाता है? कनेक्शनों की श्रेणीवार संपूर्ण शुल्क सहित विवरण देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उपभोक्ताओं में से कितनों ने 1 जनवरी, 2017 से प्रश्न दिनांक तक विद्युत के बढ़े हुये बिल प्राप्त होने तथा कितनों ने मीटर खपत से अधिक खपत के आधार पर एवं कितने पंप उपभोक्ताओं द्वारा बढ़े हुये भार/वास्तविक HP से अधिक HP के बिल प्राप्त होने की शिकायत दर्ज करवाई तथा इन दर्ज शिकायतों में से कितनों का निराकरण कर कितनी राशि का संशोधन बिलों में किया गया? विद्युत वितरण केन्द्रवार संख्या देवें। (ग) पाटन विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कृषि पंपधारी उपभोक्ताओं को तीन से चार घ्ांटे विद्युत प्रदान करने तथा ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की लाईट में मेंटिनेन्स एवं अन्य कारण बताकर अंधाधुन्ध विद्युत कटौती करते हुये मात्र दस से बारह घंटे विद्युत प्रदाय करने के क्या कारण हैं? (घ) 1 जनवरी, 2017 से प्रश्न दिनांक तक पाटन विधान सभा क्षेत्र के कहाँ-कहाँ के कितनी क्षमता के ट्रान्सफार्मर कब जले तथा उन्हें कब बदला गया तथा कितने ट्रान्सफार्मर किन कारणों से प्रश्न दिनांक तक नहीं बदले गये? विद्युत वितरण केन्द्रवार सूची देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) पाटन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत प्रश्न दिनांक तक प्रश्नाधीन वांछित श्रेणी के उपभोक्ताओं की वितरण केन्द्रवार संख्या निम्नानुसार है :-
वितरण केन्द्र |
बी.पी.एल. घरेलू |
सामान्य घरेलू |
गैर घरेलू |
पम्प |
पाटन 1 |
4352 |
1691 |
556 |
3721 |
पाटन 2 |
2990 |
1143 |
144 |
2331 |
कटंगी |
2936 |
2969 |
432 |
2299 |
बोरिया |
1992 |
1095 |
109 |
2084 |
गोसलपुर |
1137 |
1374 |
45 |
1526 |
सिहोरा ग्रामीण |
3742 |
6861 |
222 |
4321 |
मझोली |
5841 |
3995 |
687 |
5183 |
कुल योग |
22990 |
19128 |
2195 |
21465 |
प्रश्नाधीन उल्लेखित श्रेणी के उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों के तहत् राज्य शासन द्वारा प्रयोज्य होने वाली सब्सिडी को समायोजित कर प्रतिमाह बिल (फ्लेट रेट कृषि पंप-छ: माही) प्रेषित किये जाते हैं। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा त्रैमासिक आधार पर निर्धारित ईंधन प्रभार समायोजन की राशि को भी बिलों में शामिल किया जाता है। राज्य शासन को देय विद्युत शुल्क एवं उपभोक्ता की जमा सुरक्षानिधि पर देय ब्याज एवं मीटरिंग प्रभार भी उपभोक्ताओं के बिलों में समाहित रहता है। ऊर्जा प्रभार, नियत प्रभार, राज्य शासन द्वारा देय सब्सिडी, ईंधन समायोजन प्रभार, विद्युत शुल्क, मीटरिंग प्रभार तथा सुरक्षा निधि पर देय ब्याज के संबंध में जनवरी-17 से 9 अप्रैल-17 की अवधि हेतु एवं 10 अप्रैल-17 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि हेतु प्रायोज्य दरों का विवरण क्रमश: घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ (1) तथा प्रपत्र-अ (2), गैर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब (1) तथा प्रपत्र-ब (2) तथा कृषि पंप उपभोक्ताओं के लिए पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स (1) तथा प्रपत्र-स (2) के अनुसार है। (ख) पाटन विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत 1 जनवरी, 2017 से प्रश्न दिनांक तक प्रश्नाधीन उल्लेखित कुल 1038 शिकायतें प्राप्त हुईं तथा इन सभी शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है, जिसमें रू.18,90,919 की राशि का संशोधन बिलों में किया गया। उक्त शिकायतों का वितरण केन्द्रवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'द' अनुसार है। (ग) पाटन विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत घोषित शेड्यूल अनुसार कृषि फीडरों पर प्रतिदिन 10 घंटे एवं गैर-कृषि फीडरों को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की जा रही है। तथापि कतिपय अवसरों पर तकनीकी कारणों/प्राकृतिक आपदा के कारण विद्युत व्यवधान होता है अथवा अत्यावश्यक मेन्टेनेंस/सुधार कार्यों हेतु विद्युत प्रदाय बंद किया जाना अपरिहार्य हो जाता है, जिसे यथाशीघ्र सुधार/मेन्टेनेंस कार्य पूर्ण कर सुचारू कर दिया जाता है। (घ) पाटन विधानसभा क्षेत्रांतर्गत 1 जनवरी, 2017 से प्रश्न दिनांक तक जले/खराब हुए वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता, स्थान, जलने/खराब होने तथा बदले जाने की दिनांक तथा बदलने हेतु शेष ट्रांसफार्मरों को बदले नहीं जाने के कारण सहित प्रश्नाधीन चाही गई वितरण केन्द्रवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'इ' अनुसार है।
निर्वाचित विधायक को शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रम में आमंत्रण
[सामान्य प्रशासन]
24. ( *क्र. 772 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला स्तर पर होने वाले शासकीय कार्यक्रम जो माननीय केन्द्रीय मंत्री भारत सरकार व मान. मुख्यमंत्री म.प्र. शासन की अध्यक्षता एवं कर कमलों से आयोजित हों, उसमें क्या जिले के समस्त विधायकों के नाम एक समान रूप से ही शासन द्वारा प्रेषित आमंत्रण पत्र में तथा शासन द्वारा उस संबंध के समाचार पत्रों के विज्ञापन में आना चाहिए? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर क्या 31 जनवरी 2014 के बाद सिवनी जिले में आयोजित किये गये शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रम में प्रश्नकर्ता विधायक का नाम भी शासकीय आमंत्रण पत्र में तथा समाचार पत्र के विज्ञापन में था? यदि हाँ, तो मय साक्ष्य सहित जानकारी दें? (ग) प्रश्नांश (ख) यदि नहीं, तो क्या यह प्रश्नकर्ता विधायक के साथ भेदभाव/विशेषाधिकार हनन/अवमानना का प्रकरण है? यदि हाँ, तो शासन इस संबंध में क्या कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जिले में आयोजित किये जाने वाले विभिन्न शासकीय कार्यक्रमों में जिले के समस्त सम्माननीय विधायकों को समान रूप से आमंत्रित किया जाता है। सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ 1-5-2011-एक (1) दिनांक 23 दिसम्बर 2011 में उल्लेखित व्यक्तियों की श्रेणी एवं पद के संबंध में क्रम दर्शाने वाली सारणी प्रकाशित की गई है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
प्राध्यापक पद पर की गई नियुक्तियों में अनियमितता
[सामान्य प्रशासन]
25. ( *क्र. 959 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा दि. 19.01.2009 एवं शुद्धि पत्र दि. 22.01.2009 द्वारा शासकीय महाविद्यालयों में प्राध्यापक संवर्ग की नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया था, जिसमें शैक्षणिक अर्हता हेतु यू.जी.सी. द्वारा 2003 में जारी मार्गदर्शन को नियुक्ति हेतु आधार माना गया था? क्या चयन प्रक्रिया में यू.जी.सी. के नियमों का पालन किया गया? (ख) क्या विज्ञापन अनुसार भूगोल एवं भौतिकी विषय में अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में महिलाओं के लिए एक-एक पद आरक्षित था? अगर हाँ तो पदों पर चयनित महिला उम्मीदवारों का नाम बताएं? अगर महिला सीट पर पुरूष का चयन किया गया है, तो इस विषय में की गई कार्यवाही से अवगत कराएं। (ग) क्या उपरोक्त विज्ञापन के माध्यम से चयनित एवं नियुक्त किसी आवेदक की नियुक्ति शासन द्वारा निरस्त की गई है? अगर हाँ तो इसका कारण बताएं? किस कारण से यह नियुक्ति निरस्त की गई है? क्या इस कारण के होते हुए भी अनेक आवेदकों को नियुक्त किया गया है? क्या ऐसे आवेदक अभी कार्यरत हैं? अगर हाँ तो उन पर कार्यवाही कब तक की जावेगी? (घ) क्या इन नियुक्तियों के संबंध में राज्य शासन को प्राप्त शिकायत की जाँच की गई थी? अगर हाँ तो जाँच प्रतिवेदन की जानकारी दें और अनुशंसा पर क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
भाग-2
नियम 46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
विधान सभा
क्षेत्र
जतारा में
ट्रांसफार्मर
बदले जाना
[ऊर्जा]
1. ( क्र. 2 ) श्री दिनेश कुमार अहिरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र जतारा में बिजली बिल जमा करने के बाद भी ग्रामों के ट्रांसफार्मर नहीं बदले गये? (ख) क्या प्रश्नांश (क) क्षेत्र के कई ग्रामों के मजरा-टोलों में ट्रांसफार्मर नहीं रखे गये, जबकि इन ग्रामों-रतबास, इरायली, कुड़याला, परा, मबई, करमौरा, मदरई, फतेह काखिरक, टीला नरैनी के लोगों द्वारा पैसा जमा किया गया? (ग) क्या इन ग्रामों के मजरों में ट्रांसफार्मर लगवायेंगे, जिससे यहाँ निवासरत लोगों को बिजली मिल सके?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रश्नाधीन क्षेत्र में नियमानुसार बिजली के बिलों का भुगतान प्राप्त होने पर जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अन्दर, पहुँच मार्ग उपलब्ध होने पर बदल दिया गया है। (ख) जिला टीकमगढ़ के विधान सभा क्षेत्र जतारा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम कुडयाला एवं भदरई (मदरई नहीं) में विद्युत प्रदाय चालू है। प्रश्नाधीन उल्लेखित शेष ग्रामों यथा-रतबास, इरायली, परा, मबई, करमौरा, फतेह का खिरक, टीला नरैनी में जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों से सम्बद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण उन्हें बदला नहीं जा सका है। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए गए बदलने हेतु शेष जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को नियमानुसार संबद्ध 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा बकाया राशि का भुगतान करने अथवा कुल बकाया राशि का 40 प्रतिशत जमा होने के उपरान्त प्राथमिकता के आधार पर बदल दिया जायेगा।
श्योपुर जिले में कुपोषण की रोकथाम
[महिला एवं बाल विकास]
2. ( क्र. 4 ) श्री बाबूलाल गौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के तारांकित प्रश्न क्रमांक 19 (क्रमांक 439, दिनांक 3 मार्च, 2017) के प्रश्न के उत्तर में सदन में चर्चा के समय विभागीय मंत्री द्वारा प्रश्नकर्ता के साथ स्थल का मौका मुआयना करने का कथन किया गया था? (ख) उक्त जानकारी/कथन की पूर्ति हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) श्योपुर जिले में कुपोषण से हो रही बीमारियों एवं मृत्युओं को रोकने के लिये शासन द्वारा अभी तक क्या-क्या प्रयास किये गये? पृथक-पृथक विवरण दिया जाये?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। (ख) माननीय विभागीय मंत्री द्वारा श्योपुर जिले का भ्रमण किया गया है। (ग) महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत एकीकृत बाल विकास सेवा द्वारा किये जा रहे प्रयासों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-01 अनुसार है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 अनुसार है।
अशोकनगर जिले में गाँव, बस्ती, मजरे व छोटी बस्तियाँ में बिजली की उपलब्धता
[ऊर्जा]
3. ( क्र. 27 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोकनगर जिले में विद्युत कंपनी के एस.डी.ओ., असिस्टेन्ट इंजीनियर, डी.ई.एस.ई. को पिछले 3 वर्षों में प्रश्नकर्ता व नागरिकों द्वारा लिखित में कितनी शिकायतें वर्षवार मिली तथा इन पर क्या कार्यवाही की? (ख) अशोकनगर जिले में कितने गाँव, बस्ती, मजरे व छोटी बस्तियाँ ऐसी हैं जहाँ बिजली उपलब्ध नहीं है तथा खम्बे हैं लेकिन तार नहीं है तथा कब तक वहाँ विद्युत पहुँचा दी जाएगी? (ग) वितरण कंपनी को प्रश्नांश (क) जिले एवं अवधि में वर्षवार कितनी शिकायतें मिली है जिसमें डी.पी.नहीं है, फिर भी बिजली के बिल आ रहे हैं उनका विवरण शिकायतकर्ता के नाम के साथ देकर बताएं कि क्या कार्यावही की गई है? (घ) प्रश्नांश (क) जिले एवं अवधि में राजीव गाँधी विद्युतीकरण फेज 1 तथा फेज 3 में कितनी-कितनी धनराशि स्वीकृत एवं कितनी खर्च हुई व कितने गाँवों को लाभ मिला तथा इसके बाद कितनी बंजारा, मोगिया, आदिवासी बस्तियाँ, मजरे बिना बिजली के खम्बे के रह गये?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) अशोकनगर जिले में वर्ष 2014-15 से दिनांक 30.6.2017 तक माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय एवं नागरिकों से वर्षवार प्राप्त शिकायतों के संबंध में प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी निम्नानुसार है:-
जिले का योग |
|||||
क्रमांक |
वित्तीय वर्ष |
|
माननीय विधायक |
नागरिकगण |
|
प्राप्त |
निराकृत |
प्राप्त |
निराकृत |
||
1 |
2014-15 |
43 |
43 |
20 |
20 |
2 |
2015-16 |
28 |
28 |
51 |
51 |
3 |
2016-17 |
2 |
2 |
99 |
99 |
4 |
2017-18 |
3 |
3 |
141 |
141 |
योग |
76 |
76 |
311 |
311 |
(ख) अशोकनगर जिले में 121 मजरे/टोले/बस्तियाँ अविद्युतीकृत हैं। उक्त सभी मजरों/टोलों एवं बस्तियों के विद्युतीकरण का कार्य 12वीं पंचवर्षीय योजना में अशोक नगर जिले हेतु स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण में सम्मिलित है। उक्त कार्य सितम्बर 2017 तक पूर्ण किया जाना संभावित है। इसके अतिरिक्त जिले के अंतर्गत एक ग्राम यथा- बन्धी का विद्युत प्रदाय तार एवं ट्रांसफार्मर चोरी होने के कारण मार्च-2013 से बंद है। इस ग्राम के 78 उपभोक्ताओं पर रूपये 1.80 लाख की बकाया राशि होने के कारण तार एवं ट्रांसफार्मर नहीं लगाये गये हैं। नियमानुसार बकाया राशि जमा होने के पश्चात आवश्यक कार्य करवाकर विद्युत प्रदाय चालू कर दिया जावेगा। (ग) अशोकनगर जिले में प्रश्नाधीन अवधि में वर्षवार प्राप्त ऐसी शिकायतें जिसमें ट्रांसफार्मर नहीं होने पर भी बिजली के बिल प्रदाय किये जा रहे हैं तथा शिकायतकर्ता के नाम सहित, की गई कार्यवाही का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) अशोकनगर जिले में 10वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनांतर्गत रू. 85.21 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई एवं रू. 75.71 करोड़ की राशि व्यय की गई, जिससे 783 ग्राम लाभान्वित हुये। वर्तमान में अशोकनगर जिले में 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना क्रियाशील है, जिसमें मजरों/टोलों के विद्युतीकरण के कार्य कराये जा रहे हैं। उक्त योजनांतर्गत रू. 47.38 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है तथा रू. 19.80 करोड़ की राशि व्यय की जा चुकी है। योजना में प्रावधानित 363 मजरों/टोलों में से 221 मजरे/टोले विद्युतीकृत कर दिये गये हैं एवं 21 मजरे/टोले पूर्व से विद्युतीकृत हैं। शेष बचे 121 मजरे/टोले/बस्तियों के विद्युतीकरण के कार्य वर्तमान में प्रगति पर हैं जिन्हें योजना अवधि में पूर्ण कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।
प्रदेश में व्याप्त कुपोषण की वास्तविक स्थिति प्रदर्शित करने हेतु श्वेत पत्र जारी किया जाना
[महिला एवं बाल विकास]
4. ( क्र. 40 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या प्रदेश में व्याप्त कुपोषण की वास्तविक स्थिति प्रदर्शित करने हेतु श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो उक्त घोषणा किस दिनांक को की गई थी एवं किन-किन बिन्दुओं पर श्वेत पत्र तैयार कराना है एवं इस संबंध में क्या शासन द्वारा समिति गठित की गई थी? यदि हाँ, तो उक्त गठित समिति की बैठक कब-कब आयोजित की गई? यदि बैठक निरंतर नहीं की गई तो इसके क्या कारण हैं एवं कब तक श्वेत पत्र जारी किया जायेगा निश्चित समय-सीमा बतायें? (ग) क्या प्रदेश में व्याप्त कुपोषण को नियंत्रण करने हेतु छ: माह से तीन वर्ष के बच्चों, गर्भवती धात्री माताओं एवं किशोरी बालिकाओं को टेकहोम राशन के रूप में पूरक पोषण आहार की व्यवस्था एम.पी.एग्रो के साथ ज्वाईन्ट वेंचर कंपनियों द्वारा किये जाने की व्यवस्था में अनियमिताएं/भ्रष्टाचार किये जाने के कारण कुपोषण की समस्या नियंत्रित होने की बजाय विकराल रूप धारण करती जा रही है? यदि नहीं, तो श्योपुर जिले सहित प्रदेश में विगत वर्ष एवं इस वर्ष कुपोषण के कारण मृत्यु होने एवं कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ने के क्या-क्या कारण है? (घ) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पोषण आहार प्रदाय करने की व्यवस्था के संबंध में दिये गये दिशा निर्देश अनुसार व्यवस्था की जायेगी। यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) प्रदेश में व्याप्त कुपोषण की वास्तविक स्थिति के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री द्वारा श्वेत पत्र जारी करने के निर्देश दिये गए। (ख) माननीय मुख्यमंत्री द्वारा दिनांक 14.09.2016 को श्वेत पत्र जारी करने के निर्देश दिये गए। गठित समिति द्वारा बिन्दुओं के निर्धारण के संबंध में कार्यवाही की जाना अपेक्षित है। जी हाँ। समिति की बैठक आयोजित नहीं हुई है। श्वेत पत्र जारी किये जाने के संबंध में तैयार प्राथमिक जानकारी का परीक्षण पूर्ण न होने से बैठक आयोजित नहीं की गई है। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ग) जी नहीं। आई.सी.डी.एस. योजना अंतर्गत दिये जाने वाली विभिन्न सेवाओं में सबसे महत्वपूर्ण पूरक पोषण आहार कार्यक्रम है, जिसको शिशु एवं माताओं को मुख्य भोजन के अतिरिक्त आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्तता हेतु दिया जाता हैं। पूरक पोषण आहार केवल एक तिहाई पोषण की ही पूर्ति करता है, शेष पूर्ति हितग्राही को अपने दैनिक भोजन से प्राप्त की जानी है। केवल पूरक पोषण आहार शिशु एवं माताओं की दिनभर की अनुसंशित पोषण आवश्यकताओं को पूर्ति नहीं करता है। अतः केवल पूरक पोषण आहार प्रदाय को बच्चों में व्याप्त कुपोषण से नहीं जोड़ा जा सकता है। कुपोषण के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है इसके कई कारक जिम्मेदार होते है जैसे अपर्याप्त भोजन, स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग न करना, आर्थिक संरचना, संसाधन की कमी, अनुचित आहार-व्यवहार, बीमारियाँ, परिवार में अधिक सदस्यों की संख्या/अधिक बच्चों की संख्या, बच्चों के जन्म में कम अंतर, सामाजिक कुरीतिया, अज्ञानता, स्वच्छता के प्रति उदासीनता, बार-बार संक्रमण होना, रोजगार की कमी/आमदनी के स्थायी स्त्रोत न होना, शौचालय का उपयोग न करना, पौष्टिक एवं विविध भोजन का उपयोग न करना, अंधविश्वास, झोला-छाप डॉक्टर से ईलाज कराना आदि कारण बच्चों में कुपोषण व्याप्त होने के लिए जिम्मेदार है। विभाग द्वारा दिनांक 01 नवम्बर 2016 से 28 फरवरी 2017 तक प्रदेश में विशेष वज़न अभियान का क्रियान्वयन किया गया, जिसमें छूटे हुए बच्चों का वजन भी लिया गया, जिससें तुलनात्मक रूप से वजन लिये गये बच्चों की संख्या, कम वजन एवं अतिकम वजन के बच्चों के संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। (घ) वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही प्रदेश के आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार की व्यवस्था लागू है। शेष का प्रश्न ही नहीं है।
अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास नियम 2005 यथा संशोधित नियम 2014 के अनुसार निराकरण
[आदिम जाति कल्याण]
5. ( क्र. 54 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यालय आयुक्त आदिवासी विकास म.प्र. के पत्र क्र. 15-16/6387 दिनांक 15-3-2016 के अनुसार प्रस्ताव मांगे गये? (ख) क्या कार्यालय कलेक्टर (आदिम जाति कल्याण विभाग) छतरपुर के पत्र क्र. 1532 दिनांक 21/4/2016 को प्रस्ताव चाहे गये? (ग) क्या अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास नियम 2005 यथा संशोधित नियम 2014 अनुसार जहां कम से कम 20 परिवार निवासरत हो तो स्वीकृति का प्रावधान है? यदि हाँ, तो कब तक स्वीकृति जारी की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) जी नहीं। 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या होना भी आवश्यक है। शासन आदेश दिनांक 07-06-2017 द्वारा पूर्व के समस्त नियम निरस्त करते हुये अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती विकास एवं विद्युतीकरण योजना नियम 2017 जारी किये गये हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जिला कार्यक्रम अधिकारी के विरूद्ध जाँच एवं कार्यवाही
[महिला एवं बाल विकास]
6. ( क्र. 60 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या परियोजना अधिकारी एकीकृत बाल विकास परियोजना राजनगर-2 जिला छतरपुर द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायती आवेदन दिया हैं? (ख) क्या जिला कार्यक्रम अधिकारी छतरपुर के विरूद्ध जाँच कमेटी बनाई गई? यदि हाँ, तो क्या जिला कार्यक्रम अधिकारी छतरपुर दोषी पाये गये? जाँच प्रतिवेदनों की प्रति दें। (ग) क्या खजुराहों थाने में F.I.R. 294, 354 (A) 506 जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास छतरपुर को नियमों के तहत निलंबित किया गया? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ, आयुक्त सागर संभाग सागर द्वारा जाँच कमेटी बनाई गई है, जाँच कमेटी की जाँच कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) थाना प्रभारी खजुराहो जिला, छतरपुर म.प्र. के पत्र क्रं. 873, दि. 05/07/2017 के अनुसार अपराध क्रमांक 97/17, धारा 294, 354 ए, 506 भादवि पंजीबद्ध कर विवेचना जारी है। संचालनालय, एकीकृत बाल विकास सेवा में प्राप्त एक अन्य शिकायत में श्री भरत सिंह राजपूत तत्का. प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला छतरपुर को आदेश दिनांक 07/07/2017 द्वारा निलंबित किया गया है।
33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र खोला जाना
[ऊर्जा]
7. ( क्र.
67 ) श्री
मेहरबान सिंह
रावत : क्या
ऊर्जा मंत्री
महोदय यह
बताने की कृपा
करेंगे कि (क) सबलगढ़
विधानसभा
क्षेत्र
अंतर्गत
बिजली के ओवर
लोड को देखते
हुए विभागीय
स्तर पर 33/11
के.व्ही. के
कितने
विद्युत
उपकेन्द्र
नवीन स्थापित
किऐ जाऐंगे? नामवार, ग्रामवार
जानकारी बतावें? (ख) क्या
प्रबंध
संचालक के
पत्र क्रमांक 51/22-04-2016
के द्वारा
ग्राम
छीतरिया का
पुरा एवं
घरसोला में
नवीन 33/11
के.व्ही.
विद्युत
उपकेन्द्र
प्रस्तावित
कर स्वीकृत
कर दिऐ गऐ हैं? (ग)
नवीन 33/11 के.व्ही.
विद्युत
उपकेन्द्रों
के निर्माण
कार्य विभाग
द्वारा कब तक
पूर्ण करा
दिया जावेगा?
ऊर्जा
मंत्री ( श्री
पारस चन्द्र
जैन ) : (क) सबलगढ़
विधानसभा
क्षेत्र के
अंतर्गत
विद्युत भार
के दृष्टिगत
ग्राम घरसौला
में विभागीय
स्तर पर 5 एम.व्ही.ए.
क्षमता के एक
नवीन 33/11
के.व्ही.
उपकेन्द्र
के निर्माण का
कार्य
प्रणाली
सुदृढ़ीकरण
योजना वर्ष 2017-18
के अंतर्गत स्वीकृत
किया गया है। (ख)
जी नहीं। अपितु
म.प्र. मध्य
क्षेत्र
विद्युत
वितरण कंपनी
के पत्र क्रमांक
576
दिनांक 28.06.2017 के
द्वारा ग्राम
घरसौला में 5 एम.व्ही.ए.
क्षमता के
नवीन 33/11
के.व्ही.
उपकेन्द्र
के निर्माण का
कार्य
प्रणाली
सुदृढ़ीकरण
योजना वर्ष 2017-18
के अंतर्गत स्वीकृत
किया गया है।
(ग) ग्राम
घरसौला में स्वीकृत
5
एम.व्ही.ए.
क्षमता के
नवीन 33/11
के.व्ही.
उपकेन्द्र
का निर्माण
कार्य माह
मार्च, 2018 तक
पूर्ण होना
संभावित है।
विद्युतीकरण के अपूर्ण कार्यों को पूर्ण किए जाना
[ऊर्जा]
8. ( क्र. 68 ) श्री मेहरबान सिंह रावत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक तक सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कितने ग्रामों एवं मजरे/टोलों में विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है एवं कितने ग्रामों एवं मजरे/टोलों में विद्युतीकरण किया जाना शेष है? (ख) वर्ष 2015 से सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कितने विद्युत सब स्टेशन स्थापित किऐ गऐ एवं कितने विद्युत सब स्टेशन बनाऐ जाना शेष हैं एवं प्रश्नांश (क) अनुसार शेष गांवों में विद्युतीकरण का कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जाएगा? (ग) क्या कई ठेकेदार विद्युतीकरण का कार्य अधूरा छोड़कर चले गऐ (जैसे कि ग्राम पंचायत नैथरी अंतर्गत ग्राम केसापुरा का कार्य) तो विभाग उन ठेकेदारों के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेगा एवं शेष रहे कार्यों को पूर्ण करने के लिये विभाग क्या कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक तक 2 ग्रामों एवं 165 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य किया गया है। वर्तमान में प्रश्नाधीन क्षेत्र में 122 ग्रामों के सघन विद्युतीकरण एवं 243 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य कराया जाना शेष है। (ख) वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक तक सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में ए.डी.बी. योजना अन्तर्गत बावडीपुरा तथा गुरेमा एवं आर.ए.पी.डी.आर.पी. योजना अन्तर्गत बुद्धपुरा में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों के निर्माण का कार्य पूर्ण किया गया है। वर्तमान में सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में ग्राम घरसोला में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण कार्य जो कि एस.एस.टी.डी. योजना वर्ष 2017-18 में स्वीकृत है, पूर्ण किया जाना शेष है। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार ग्रामों एवं मजरों/टोलों के सघन विद्युतीकरण/विद्युतीकरण कार्य को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित किया गया है। उक्त योजना का कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु वर्तमान में निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, अत: कार्य पूर्णता की निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत प्रश्नाधीन विद्युतीकरण के कार्य की प्रगति संतोषजनक नहीं होने के कारण मेसर्स के.ई.सी. इंटरनेशनल कंपनी, गुडगांव को जारी अवार्ड दिनांक 23.11.2013 को निरस्त कर उक्त कंपनी द्वारा जमा की गई परफारमेंस सिक्युरिटी राशि रूपये 11,07,86,286/- एवं 2,13,54,334/- तथा मोबलाईजेशन अग्रिम सुरक्षा निधि राशि रूपये 9,32,46510/- एवं मोबीलाईजेशन इरेक्शन सुरक्षा निधि राशि रूपये 1,16,43,690/- राजसात कर ली गई है। ग्राम पंचायत नैथरी नहीं अपितु नेपरी के अंतर्गत मजरा केसापुरा का कार्य राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत मेसर्स के.ई.सी. इन्टरनेशनल कंपनी गुडगाँव द्वारा किया जा रहा था जो कि अपूर्ण है। उक्त कंपनी को जारी अवार्ड निरस्त किया जा चुका है। शेष कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में टर्न-की आधार पर पूर्ण कराने हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
जन सुनवाई में प्राप्त शिकायतों पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
9. ( क्र. 78 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में जन सुनवाई के संबंध में शासन के क्या दिशा-निर्देश हैं? क्या प्राप्त शिकायत आवेदनों के निराकरण हेतु कोई समय-सीमा निर्धारित है? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत वित्त वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक पाटन विधान सभा क्षेत्र के किन-किन ग्रामों के कितने नागरिकों से कहाँ-कहाँ पर किस-किस के विरूद्ध कब-कब कौन सी शिकायतें जन-सुनवाई में प्राप्त हुईं एवं उन पर कब क्या कार्यवाही की गई? सूची देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित किन-किन शिकायतों का किन-किन कारणों से अभी तक निराकरण नहीं हुआ है? समय पर नियमानुसार निराकरण न करने का दोषी कौन है तथा उन पर क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जनसुनवाई के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देश पुस्तकालय में रखे गये परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। वर्तमान में लोक सेवा प्रबंधन विभाग द्वारा पत्र दिनांक 06/06/2017 में जनसुनवाई को सी.एम. हेल्पलाईन में दर्ज करने के निर्देश जारी किये गये है, जिसके निराकरण की समय-सीमा सी.एम. हेल्पलाईन के नियमानुसार तय है। निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे गये परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार। (ग) प्राप्त शिकायतों पर नियमानुसार कार्यवाही की गई। तहसीलदार मझौली स्तर पर प्राप्त शिकायतों में से 01 शिकायत न्यायालय में प्रक्रियाधीन एवं 05 शिकायतों पर प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही प्रगतिशील है, कोई दोषी नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान राशि का राजनैतिक उपयोग
[सामान्य प्रशासन]
10. ( क्र. 85 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान निधि से तथा अपदा प्रबंधन के तहत कलेक्टर को एक व्यक्ति को अधिकतम कितनी राशि प्रदान किए जाने का प्रावधान है? प्रावधान की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या प्रदेश के विभिन्न जिलों में माह जून 2017 में आयोजित किसान आंदोलन में मृतकों के परिजन को मुआवजा राशि अधिकार से अधिक राशि होने के कारण कलेक्टर द्वारा मुआवजा नहीं दिए जाने के अनुरोध के बाद माननीय मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान निधि से एक-एक करोड़ रूपये दिये जाने की घोषणा की थी? (ग) यदि हाँ, तो किस-किस जिले में किन-किन किसानों की मृत्यु हुई तथा किन-किन मृतकों के परिजन को कितनी-कितनी राशि किस-किस आदेश के तहत् कब-कब प्रदान की गई आदेश की प्रति उपलब्ध करावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद की राशि मुख्यमंत्री जी द्वारा स्वीकृत की जाती है। मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से अधिकतम राशि दो लाख एवं आपदा प्रबंध से (प्राकृतिक आपदा) के अंतर्गत विभिन्न मदों में आर्थिक सहायता स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 06.06.2017 को मंदसौर जिले में किसान आंदोलन के दौरान गोली लगने से मृतक कृषकों के परिवार को एक-एक करोड़ रूपये की राशि दिये जाने की घोषणा की गई, इसके परिपालन में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से दिनांक 13 जून,2017 को स्वीकृति आदेश जारी किये गये। कलेक्टर मंदसौर के आदेश दिनांक 13.06.2017 द्वारा मृतकों के परिजनों को राशि उपलब्ध कराई गई। आदेश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
आगंनवाड़ी केन्द्र
[महिला एवं बाल विकास]
11. ( क्र. 123 ) श्री नारायण सिंह कुशवाह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) ग्वालियर जिले की ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कुल कितने आंगनवाड़ी केंद्र हैं संख्या, स्थान, क्षेत्र वार्ड सहित जानकारी देवें। (ख) क्या सभी आंगनवाड़ी केंद्र महिला एवं बाल विकास के भवन में संचालित हैं, कितने आंगनवाड़ी केंद्र भवन विहीन हैं वर्ष २०१३ से आज दिनांक तक ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कितने आंगनवाड़ी केंद्र के भवन बनाये गए हैं तथा कितने आंगनवाड़ी केंद्र किराये के भवनों में संचालित हैं? (ग) भवन विहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन कब तक बन जावेंगे?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) ग्वालियर जिले की ग्वालियर दक्षिण विधान सभा क्षेत्र में कुल 162 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। संचालित 162 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 06 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय भवनों में, 02 आंगनवाड़ी केन्द्र अन्य शासकीय भवन में तथा शेष 154 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित है। वर्ष 2013 से आज दिनांक तक ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में 51 आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत किये गये है। स्वीकृत 51 आंगनवाड़ी भवनों का कार्य निर्माणाधीन है। (ग) स्वीकृत 51 आंगनवाड़ी भवनों का कार्य निर्माणाधीन है। निर्माण एजेंसी को इसी वित्तीय वर्ष में भवन निर्माण का कार्य पूर्ण किये जाने हेतु निर्देश दिये गये है।
वर्ष 2017-18 में स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
12. ( क्र. 153 ) श्री हरवंश राठौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) बण्डा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2017-18 में किन-किन ग्रामों में कितने आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत किए गए हैं। (ख) बण्डा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कितने ग्रामों में आंगनवाड़ी भवन किराए से या अन्य शासकीय भवनों में संचालित किए जा रहे हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) वर्ष 2017-18 में सागर जिले के बंडा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत नहीं किए गए हैं। (ख) सागर जिले के बंड़ा विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना बंड़ा एवं शाहगढ़ अंतर्गत कुल 376 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। इनमें से 129 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय भवनों में, 119 अन्य शासकीय भवनों में तथा 128 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
विशेष केन्द्रीय सहायता योजना
[आदिम जाति कल्याण]
13. ( क्र. 195 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सैलाना विधान सभा क्षेत्र में विशेष केन्द्रीय सहायता योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 से आज दिनांक तक किन-किन ग्राम पंचायतों का चयन किया गया तथा किन-किन गतिविधियों का चयन किया जा कर सहायता उपलब्ध कराई गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में क्या उपरोक्त चयनित ग्राम पंचायतों में वर्ष 2016-17 से आज दिनांक तक हितग्राही मूलक योजना का आवंटन उपलब्ध नहीं कराया गया है? यदि हाँ, तो कब तक आवंटन उपलब्ध करा दिया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। भारत सरकार से वर्ष 2016-17 में चयनित ग्राम पंचायतों के लिए योजना अनुमोदित न होने से आवंटन नहीं दिया गया। वर्ष 2017-18 में चयनित ग्राम पंचायतों के लिये भारत सरकार से विद्युत पंप हेतु राशि का प्रदाय गतिविधि अनुमोदित है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में आवंटन प्रदाय किया जा सकेगा।
आंगनवाड़ियों में वितरित पोषण आहार
[महिला एवं बाल विकास]
14. ( क्र. 196 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सैलाना विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सैलाना एवं बाजना विकासखण्ड में कितनी-कितनी आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी संचालित हैं तथा इनमें वर्तमान में कितने बच्चे दर्ज हैं? (ख) संचालित आंगनवाड़ियों में किस मान से क्या पोषण आहार उपलब्ध कराया जा रहा है तथा इसकी मात्रा व गुणवत्ता के संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संबंध में आंगनवाड़ियों तक पोषण आहार की आपूर्ति किस माध्यम से की जाती है तथा इसका मिलान किस-किस स्तर पर किन-किन अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा किया जाता है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सैलाना तथा बाजना विकासखण्ड में संचालित आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी तथा इनमें वर्तमान में दर्ज बच्चों की जानकारी निम्नानुसार है :-
विकासखण्ड का नाम |
आंगनवाड़ी केन्द्रों की संख्या |
मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों की संख्या |
06 माह से 06 वर्ष तक के दर्ज बच्चों की संख्या |
सैलाना |
198 |
100 |
18690 |
बाजना |
348 |
68 |
19195 |
(ख) संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्रदाय किए जा रहे पोषण आहार की जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। 06 माह से 03 वर्ष तक के बच्चों गर्भवती,धात्री माताओं एवं किशोरी बालिकाओं हेतु एम.पी.एग्रो के माध्यम से प्रदाय किए जा रहे टेकहोम राशन के प्रत्येक बैच की गुणवत्ता की जाँच भारत सरकार खाद्य एवं पोषण आहार बोर्ड नई दिल्ली की प्रयोगशाला से कराई जाती है। 03 से 06 वर्ष तक के बच्चों को स्व-सहायता समूह के माध्यम से प्रतिदिन ताजा पका हुआ नाश्ता एवं भोजन उपलब्ध कराया जाता है जिसकी मात्रा एवं गुणवत्ता का परीक्षण ग्राम स्तर पर प्रतिदिन पोषण आहार को चखकर एवं बच्चों की माता कार्यकर्ता ग्राम तदर्थ समिति के सदस्य द्वारा पुष्टि संबंधी हस्ताक्षर कर पंचनामा तैयार कर किया जाता है। (ग) एम.पी.एग्रो द्वारा टेकहोम राशन का प्रदाय बाल विकास परियोजना गोदाम तक किया जाता है। परियोजना गोदाम से आंगनवाड़ी केन्द्रों तक पूरक पोषण आहार (टी.एच.आर) की आपूर्ति परिवहनकर्ता के माध्यम से की जाती है तथा इसका मिलान परियोजना स्तर पर राजस्व विभाग के नामांकित प्रतिनिधि पर्यवेक्षक, स्थानीय व्यक्ति एवं परियोजना अधिकारी द्वारा किया जाता है तथा आंगनवाड़ी स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्थानीय व्यक्तियों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है तथा समय-समय पर आंगनवाड़ी केन्द्र निरीक्षण के समय पर्यवेक्षक एवं परियोजना अधिकारी द्वारा मिलान किया जाता है।
विद्युत लाईन संधारण कार्य
[ऊर्जा]
15. ( क्र. 210 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत दो वर्षों में विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत वर्ष 2016-17 में विद्युत लाईन संधारण का कार्य नहीं किया गया हैं? (ख) यदि संधारण किया गया है तो क्या कार्य किया गया हैं? क्या ग्राम जटवां में 29 मई, 2017 को आये तूफान के कारण सभी खेतों की विद्युत लाईनें बंद हैं? (ग) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत क्या गांव में जमीन से 06 फीट ऊंचे झूल रहे केबिल वायर को व्यवस्थित किया गया है? (घ) क्या लकड़ी के खंभों की जगह निर्धारित सीमेंट/लोहे के पोल लगाये गये हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रदेश में विद्युत वितरण लाईनों/उपकरणों का प्रत्येक वर्ष दो बार यथा-वर्षा काल के पूर्व एवं वर्षाकाल के पश्चात मेन्टेनेंस का कार्य किया जाता है। उक्त के अतिरिक्त प्राकृतिक आपदा अथवा तकनीकी कारणों एवं आकस्मिक दुर्घटनाओं की स्थिति में विद्युत अधोसंरचना के क्षतिग्रस्त होने पर आवश्यकतानुसार मेन्टेनेंस/सुधार के कार्य किये जाते है। उक्तानुसार पनागर विधानसभा क्षेत्र में भी प्रश्नाधीन अवधि में मेन्टेनेंस के कार्य किये गये हैं। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार किये गये मेन्टेनेंस कार्य के अंतर्गत 33 के.व्ही. लाईनों, 11 के.व्ही. लाईनों, एल.टी.लाईनों, ट्रांसफार्मरों एवं अन्य विद्युत उपकरणों के संधारण का कार्य किया गया, जिसमें मुख्यत: पेड़ों की टहनियों की छटाई, खराब/टूटे इन्सुलेटर बदलना, तार सेग व्यवस्थित करना, पोल/क्रास आर्म सीधे करना, ट्रांसफार्मर व विद्युत उपकेन्द्रों के उपकरणों में सुधार कार्य, खराब स्टे/पोल बदलने आदि के कार्य किए गए हैं। दिनांक 29 मई 2017 को पनागर एवं आस-पास के क्षेत्रों में आंधी-तूफान के साथ अतिवृष्टि होने के कारण ग्राम जटवां सहित आस-पास के ग्रामों में विद्युत व्यवधान उत्पन्न हुआ था, किन्तु आवश्यक सुधार कार्य कर ग्राम जटवां को छोड़कर अन्य सभी ग्रामों का विद्युत प्रदाय सामान्य कर दिया गया था। किन्तु ग्राम जटवां को विद्युत प्रदाय कर रहे 11 के.व्ही. बघेली कृषि फीडर के 2 खम्भे टूटने एवं खेतों में फसल खड़ी होने के कारण कृषकों द्वारा विरोध करने के कारण उन्हें बदला नहीं जा सका, जिससे 18 कृषक प्रभावित हुये थे। उक्त खम्भों को दिनांक 26.06.2017 को बदलकर ग्राम जटवां का विद्युत प्रदाय चालू कर दिया गया है। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित क्षेत्रान्तर्गत विद्युत लाईनों के ढीले तारों को खींच कर टाईट/व्यवस्थित किया गया है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में ऐसा कोई भी स्थान चिन्हित नहीं हुआ है जहां केबल वायर जमीन से 6 फीट की ऊँचाई पर हों। (घ) जी हाँ, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को नियमानुसार सीमेंट/लोहे के पोल लगाकर विद्युत कनेक्शन दिये गये हैं।
विद्युत संबंधी शिकायतों को ऑनलाईन दर्ज किया जाना
[ऊर्जा]
16. ( क्र. 211 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विद्युत संबंधी शिकायतों को ऑनलाईन दर्ज किया जा सकता है? (ख) क्या विद्युत कंपनी द्वारा विभिन्न शिकायतों के निराकरण हेतु अधिकतम समय-सीमा तय की जा सकती है? (ग) यदि हाँ, तो क्या प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या ट्रांसफार्मर खराब होने पर अधिकतम एक माह तक नहीं बदले जाते हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ मोबाईल एप के माध्यम से विद्युत संबंधी शिकायतों को ऑनलाईन दर्ज करने की व्यवस्था वर्तमान में लागू है। (ख) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत संबंधी विभिन्न शिकायतों के निराकरण हेतु विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 57 के अंतर्गत वितरण अनुपालन मानदण्ड निर्धारित किये गये हैं, जिनमें विद्युत संबंधी शिकायतों के निराकरण हेतु अधिकतम समय-सीमा निर्धारित की गई है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। (घ) जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि का भुगतान करने के उपरांत वितरण अनुपालन मानदण्डों के अनुसार संभागीय मुख्यालयों में 12 घंटों के अंदर, संभागीय मुख्यालयों को छोड़कर अन्य शहरी क्षेत्रों में 24 घंटों के अंदर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सूखे मौसम में 72 घंटों के अंदर तथा मानसून के मौसम (माह जुलाई से माह सितम्बर तक) में 7 दिवस के अंदर बदल दिये जाते है।
आदेश में संशोधन/स्पष्टीकरण जारी करना
[वित्त]
17. ( क्र. 245 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या लेखापाल पद पर पदोन्नति होने पर वेतनमान 5200-20200 +2400 ग्रेड वेतन के स्थान पर दिनांक 01-01-16 से वेतनमान 5200-20200 +2800 ग्रेड वेतन दिए जाने के आदेश वित्त सचिव म.प्र.शासन वित्त सचिव म.प्र.शासन, वित्त विभाग द्वारा दिनांक 16 जून 2017 को जारी किये है। (ख) उक्त आदेश विसंगति पूर्ण होने से लेखापाल संवर्ग की मांग पर प्रश्नकर्ता ने श्री अनिरूद्ध मुखर्जी, वित्त सचिव म.प्र.शासन, वित्त विभाग को प्रेषित किये गये पत्र क्रमांक 6897/20-05-2017, 6898/20-05-17 एवं 6908/22-05-17 में किस-किस विसंगति को दर्शाते हुए आदेश में आंशिक संशोधन/स्पष्टीकरण जारी करने एवं जानकारी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था? (ग) प्रश्नांश (ख) का उत्तर हाँ तो क्या प्रश्नकर्ता द्वारा प्रेषित किये उक्त पत्रों की अभिस्वीकृति किस दिनांक को एवं आदेश में आंशिक संशोधन/स्पष्टीकरण जारी की सूचना किस दिनांक को प्रश्नकर्ता को दी गई है एवं चाही गई जानकारी किस दिनांक को उपलब्ध करवाई गई? यदि नहीं, तो इसके लिए कौन दोषी है? (घ) प्रश्नकर्ता के पत्र के क्रम में प्रश्नांश (क) में उल्लेखित आदेश में आंशिक संशोधन/स्पष्टीकरण जारी करने एवं चाही गई जानकारी कब तक उपलब्ध कराने की कार्यवाही की जा रही है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ I (ख) प्रश्नांश में संदर्भित पत्रों द्वारा लेखापाल पद का संशोधित वेतनमान 01-01-2006 या 01-04-2007 से दिये जाने, मंत्रि-परिषद् निर्णय की प्रति उपलब्ध कराई जाने तथा लेखापाल को पदोन्नति दिनांक से काल्पनिक गणना कर वेतन दिये जाने तथा प्रारंभिक नियुक्ति से 20 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर द्वितीय समयमान की पात्रता के संबंध में मार्गदर्शन की अपेक्षा रही है। (ग) मंत्रि-परिषद् निर्णय की प्रति पत्र दिनांक 03-07-2017 से माननीय विधायक को भेजी गई है। मंत्रि-परिषद् निर्णय के अनुसार लेखापाल संवर्ग के ग्रेड वेतन का उन्नयन दिनांक 1-1-2016 से किया गया है एवं तदनुसार ही आदेश दिनांक 16-5-2017 जारी किया गया हैI अत: मंत्रि-परिषद् निर्णय के प्रकाश में पूर्व तिथि से लाभ देने की स्थिति नहीं होने के कारण संशोधन/स्पष्टीकरण जारी करने की आवश्यकता नहीं रही है। (घ) उपर्युक्त (ग) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होताI
सेवानिवृत्त अधिकारियों से वसूली
[सामान्य प्रशासन]
18. ( क्र. 311 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत 3 वर्ष के दौरान भोपाल संभाग में सेवानिवृत्त हुए शासकीय सेवकों से शासन को अार्थिक अनियमितता की राशि वसूली की जाना शेष है? यदि हाँ, तो अधिकारियों का राशि सहित ब्यौरा दें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार अधिकारियों पर विगत कितने वर्षों से प्रकरण अथवा जाँच प्रचलन में थी ब्यौरा दें। कितने अधिकारियों से कुल कितनी राशि वसूली जाना है? (ग) क्या सेवानिवृत्ति के समय राशि की वसूली किए जाने में विभाग स्तर पर चूक हुई है? यदि हाँ, तो इसके लिए दोषियों पर क्या कोई जाँच संस्थित की गई है? यदि हाँ, तो ब्यौरा दें, यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या आगामी दिनों में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी जो आर्थिक अनियमितता के मामलों में दोषी हैं और वसूली की जाना है, उनसे वसूली की क्या कार्यवाही की जा रही है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या एवं मृत्यु
[महिला एवं बाल विकास]
19. ( क्र. 332 ) श्री रामनिवास रावत : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) 20 जून 2017 की स्थिति में प्रदेश में 0-6 एवं 6-12 वर्ष उम्र के कितने बच्चों का वजन लिया गया? इनमें से कितने सामान्य वजन, कितने कम वजन (कुपोषित) एवं कितने अति कमवजन (अतिकुपोषित) के है? जिलेवार बतावें? (ख) क्या प्रश्नकर्ता के विधानसभा प्रश्न क्र. 3694 दिनांक 10-03-17 के उत्तर में पुस्तकालय जानकारी में 01 जनवरी 16 से 31 जनवरी 17 तक 6 वर्ष से कम आयु के कुल 28948 एवं 06 वर्ष से अधिक आयु के कुल 462 बच्चों की मृत्यु की जानकारी दी गयी थी? यदि हाँ, तो दिनांक 01 फरवरी 17 से 20 जून 17 तक 0-6 वर्ष एवं 6-12 वर्ष के कितने बच्चों की मृत्यु किन कारणों (मीजल्स, डायरिया, मलेरिया, कुपोषण, कुपोषण जनित बीमारी एवं अन्य बीमारी नाम सहित) से हुई? अतिकुपोषित चिन्हित किये गए बच्चों में से कितने बच्चों की मृत्यु हुई है? जिलेवार बतावे? (ग) वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में कुपोषण को दूर करने के लिए कितनी राशि व्यय की गयी? जिलेवार वर्षवार बतावें?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) एकीकृत बाल विकास सेवा अंतर्गत 5 वर्ष तक के बच्चों का वजन लिया जाकर उनके पोषण स्तर का निर्धारण किया जाता है। विभागीय एम.आई.एस. अनुसार उपलब्ध माह मई 2017 की स्थिति में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र -01 अनुसार है। (ख) जी नहीं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी अनुसार 6 वर्ष से कम आयु के कुल 28512 एवं 6 वर्ष से अधिक आयु के कुल 462 बच्चों की मृत्यु की जानकारी दी गई थी। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार माह फरवरी 2017 से मार्च 2017 तक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 अनुसार है। माह अप्रैल 2017 से जून 2017 तक की जानकारी एच.एम.आई.एस. सॉफ्टवेयर में तकनीकी अवरोध के कारण उपलब्ध नहीं है। विभागीय एम.आई.एस. में अति कुपोषित चिन्हित बच्चों की मृत्यु की जानकारी संधारित नहीं की जाती है। शेष का प्रश्न नहीं। (ग) महिला एवं बाल विकास विभाग (एकीकृत बाल विकास सेवा) एवं स्वास्थ्य विभाग से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र -03 अनुसार है।
आंगनवाड़ियों के माध्यम से बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार का प्रदाय
[महिला एवं बाल विकास]
20. ( क्र. 333 ) श्री रामनिवास रावत : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या प्रदेश में आंगनवाड़ियों के माध्यम से बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को प्रदाय किये जाने वाला पोषण आहार एम.पी. एग्रो के माध्यम से ज्वाइंट वेंचर कंपनियों द्वारा सप्लाय किया जा रहा है? यदि हाँ, तो इन कंपनियों के नाम, मालिकों के नाम, पते सहित जानकारी दें? क्या विगत वर्ष आयकर विभाग द्वारा उक्त कंपनियों के ठिकानों पर छापा मारकर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के प्रकरण दर्ज किये गये? (ख) 1 अप्रैल 2012 से लेकर वर्ष 31 मार्च 2017 की स्थिति में कितना पोषण आहार उक्त कंपनियों द्वारा कितनी-कितनी मात्रा में व कितनी धनराशि का सप्लाई किया गया? किस-किस कंपनी को कितनी-कितनी राशि का भुगतान कब-कब किया गया वर्षवार बतावें? क्या उक्त कंपनियों का अनुबंध 31 मार्च 2017 तक था? यदि हाँ, तो वर्तमान में पूरक पोषण आहार किसके द्वारा प्रदाय किया जा रहा है? (ग) वर्ष 2012 से वित्तीय वर्ष 2016 की स्थिति में प्रदेश में कुपोषण में कितने प्रतिशत की कमी अथवा वृद्धि हुई वर्षवार तुलनात्मक विवरण सहित जानकारी दें? (घ) क्या मान. मुख्यमंत्री जी द्वारा कुपोषण की स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की थी? यदि हाँ, तो श्वेत पत्र जारी करने में विलंब के क्या कारण है? कब तक श्वेत पत्र जारी कर दिया जावेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। ज्वाइंट वेंचर कंपनियों के अतिरिक्त एम.पी.एग्रो के स्वयं के बाड़ी संयंत्र के माध्यम से भी पोषण आहार प्रदाय किया जाता है। सभी ज्वाइंट वेंचर कंपनियां भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत निर्गमित निकाय हैं तथा सभी शेयर होल्डर्स कंपनी के मालिक हैं। शेयर होल्डर्स की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-01 अनुसार है। विगत वर्ष आयकर विभाग द्वारा उक्त कंपनियों के ठिकानों पर छापा मारा गया था, परन्तु आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के प्रकरण दर्ज करने की कोई जानकारी आयकर विभाग द्वारा निगम/विभाग को नहीं दी गई है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2,3 एवं 4 अनुसार है। वर्ष 2011 में एम.पी.एग्रो से निष्पादित अनुबंध 31 मार्च 2017 तक की अवधि हेतु था, इसके पश्चात् दिनांक 05.05.17 को पुनः नवीन अनुबंध निष्पादित किया गया है जो दिनांक 30.06.17 तक की अवधि हेतु प्रभावशील है। उपरोक्त के परिपेक्ष्य में वर्तमान में एम.पी.एग्रो के स्वयं के संयंत्र एवं संयुक्त क्षेत्र में स्थापित संयंत्रों द्वारा पूरक पोषण आहर का प्रदाय किया जा रहा है। (ग) प्रश्नांकित अवधि वर्ष 2012 से वित्तीय वर्ष 2016 में कुपोषण के संबंध में राष्ट्रीय स्तर के तुलनात्मक सर्वे के परिणाम उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2005-06 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एन.एफ.एच.एस.-3) अंतर्गत 5 वर्ष तक के बच्चों के पोषण स्तर के अध्ययन में प्राप्त परिणामों में प्रदेश में सामान्य से कम वज़न वाले कुल बच्चों का प्रतिशत 60 था, जिसमें गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों का प्रतिशत 12.6 था। वर्ष 2015-16 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एन.एफ.एच.एस.-4) के जारी परिणामों में प्रदेश में में सामान्य से कम वज़न वाले कुल बच्चों का प्रतिशत 42.8, जिसमें गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों का प्रतिशत 9.2 पाया गया है। इस प्रकार 10 साल की अवधि में कम वजन के बच्चों के प्रतिशत में कुल 28.7 प्रतिशत गिरावट (औसतन सालाना गिरावट 2.87 प्रतिशत) एवं गंभीर कुपोषित बच्चों के प्रतिशत में कुल 27 प्रतिशत (औसतन सालाना गिरावट 2.7 प्रतिशत) दर्ज की गई है। (घ) प्रदेश में व्याप्त कुपोषण की वास्तविक स्थिति के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री द्वारा श्वेत पत्र जारी करने के निर्देश दिये गए। माननीय मुख्यमंत्री द्वारा दिनांक 14.09.2016 को श्वेत पत्र जारी करने के निर्देश दिये गए। गठित समिति द्वारा बिन्दुओं के निर्धारण के संबंध में कार्यवाही की जाना अपेक्षित है। जी हाँ। समिति की बैठक आयोजित नहीं हुई है। श्वेत पत्र जारी किये जाने के संबंध में तैयार प्राथमिक जानकारी का परीक्षण पूर्ण न होने से बैठक आयोजित नहीं की गई है। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
अजा बाहुल्य ग्राम में विकास कार्य हेतु राशि का आवंटन
[अनुसूचित जाति कल्याण]
21. ( क्र. 353 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में जिन अजा बाहुल्य ग्रामों में आज दिनांक तक विकास हेतु राशि नहीं दी गई है उनकी जानकारी देवें। (ख) उपरोक्त जिन अजा बाहुल्य ग्रामों में विभाग द्वारा विकास हेतु राशि नहीं दी गई है, क्या उन ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिव द्वारा प्रस्ताव नहीं दिए गए हैं या कोई और कारण है? (ग) अजा बाहुल्य ग्रामों में विकास हेतु विधायकगणों से कोई प्रस्ताव मांगे गए हैं या नहीं? (घ) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में विभाग द्वारा अजा बस्ती में मंगल भवन कहाँ-कहाँ प्रस्तावित हैं? जानकारी देवें तथा यदि प्रस्तावित नहीं हैं तो इसका कारण बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) जी हाँ। ग्राम अगारी एवं खेजडीया भूप के ही प्रस्ताव प्राप्त हुए। (ग) जी नहीं। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है।
विद्युत पोलों पर केबल लगाना
[ऊर्जा]
22. ( क्र. 354 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मन्दसौर जिले में विभाग द्वारा विद्युत पोल पर लगे पुराने विद्युत तारों को हटाकर केबल लगाने का कार्य किया गया है या किया जा रहा है? यदि हाँ, तो एक विद्युत पोल से दूसरे विद्युत पोल की अनुमानित दूरी कितनी होती है? (ख) मंदसौर जिले में विगत 03 वर्षों (2014-15, 2015-16, 2016-17) में कितने किलोमीटर लम्बाई की निम्नदाब लाईनों में खुले तार हटाकर उनके स्थान पर केबल लगाई गई है? (ग) विद्युत पोलों से हटाए गए एल्युमीनियम के तारों को कहाँ रखा गया है या उस का क्या उपयोग किया गया है? (घ) विद्युत पोल पर डाली गई केबल कितने तार वाली डाली गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, मंदसौर जिले में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विद्युत पोल पर लगे पुराने तारों को निकालकर उसके स्थान पर केबल लगाने का कार्य किया गया है। एक निम्नदाब विद्युत पोल से दूसरे विद्युत पोल की अनुमानित दूरी विद्युत लाईन के स्थल की आवश्यकता के अनुरूप लगभग 45 से 50 मीटर तक होती है। (ख) मंदसौर जिले में विगत 3 वर्षों (2014-15, 2015-16, 2016-17) में कुल 254 किलोमीटर निम्नदाब लाईनों में खुले तार हटाकर उसके स्थान पर केबल लगाये गये हैं। (ग) मंदसौर जिले में विद्युत पोलों से हटाए गए एल्युमीनियम के तारों (कन्डक्टर) को नियमानुसार क्षेत्रीय भण्डार मंदसौर में लौटा दिया गया है। (घ) मंदसौर जिले में सिंगल फेस निम्नदाब लाईन पर दो तार की केबल एवं थ्री फेस निम्नदाब लाईन पर आवश्यकतानुसार तीन तार एवं पाँच तार वाली केबल डाली गई है।
अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत दर्ज प्रकरण
[अनुसूचित जाति कल्याण]
23. ( क्र. 362 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन संभाग में अनु.जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत वर्ष २०१३ से जून २०१७ तक कितने-कितने, कौन-कौन से प्रकरण पंजीबद्ध किये गये? थानावार, जिलेवार ब्यौरा क्या है? (ख) उपरोक्त (क) संदर्भित कितने-कितने प्रकरण कितने समय से किस कारण से लंबित है? (ग) अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत जिलेवार दी गई राहत राशि का थानेवार ब्यौरा क्या है? राशि व नाम सहित विवरण दें .
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘अ’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘ब’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘स’ अनुसार है।
अनुसूचित जाति वर्ग के सदस्यों की साक्षरता
[अनुसूचित जाति कल्याण]
24. ( क्र. 364 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में अनुसूचित जातियों की जातिवार जनसंख्या एवं उनकी साक्षरता की स्थिति का जिलेवार ब्यौरा क्या है? (ख) वर्ष २०१३ से जून २०१७ तक अनुसूचित जाति वर्ग में शिक्षा (साक्षरता) के प्रतिशत का वर्षवार ब्यौरा क्या है एवं उक्त अवधि में शासन का साक्षरता लक्ष्य इस वर्ग के लिये क्या था? (ग) अनुसूचित जाति वर्ग में साक्षरता बढ़ाने की दिशा में शासन ने विगत पाँच वर्षों में क्या-क्या कदम उठाये व कितनी राशि इस पर व्यय हुई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रदेश में अनुसूचित जातियों की जातिवार जनसंख्या और उनकी साक्षरता की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
आदिवासी उपयोजना हेतु प्राप्त राशि
[आदिम जाति कल्याण]
25. ( क्र. 365 ) श्री संजय उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या केन्द्र से विभाग को विशेष केन्द्रीय सहायता एवं अनु-275 (1) में विकास कार्य हेतु आदिवासी उपयोजना क्षेत्र के लिए राशि प्राप्त होती है? (ख) यदि हाँ, तो केन्द्र से प्राप्त राशि के आधार पर वित्तीय वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक प्रत्येक आई.टी.डी.पी. माडा, लघु एवं क्लस्टर परियोजना की जनसंख्या एवं क्षेत्रफल के आधार पर कितनी राशि बालाघाट जिले अन्तर्गत राशि प्रदाय की गई? (ग) केन्द्र सरकार से वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2015-16 तक अनु-275 (1) एवं विशेष केन्द्रीय सहायता से प्राप्त राशि से बालाघाट जिले के अन्तर्गत एकलव्य सोसायटी (आयुक्त आदिवासी विकास) एवं आयुक्त आदिवासी विकास विभागों को किन-किन विभिन्न गतिविधियों, विकास कार्यों हेतु कितनी-कितनी राशि आवंटित की गई तथा कितनी व्यय की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ग) बालाघाट जिला के अन्तर्गत एकलव्य सोसायटी (आयुक्त आदिवासी विकास) की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब एवं आयुक्त आदिवासी विकास विभागों को विभिन्न गतिविधियों, विकास कार्यों हेतु आवंटित राशि तथा व्यय की गई राशि संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।
बस्ती विकास योजना का क्रियान्वन
[आदिम जाति कल्याण]
26. ( क्र. 371 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अ.जा./अ.ज.जा. बाहुल्य बस्तियों में बस्ती विकास योजनान्तर्गत निर्माण विकास कार्य किये जाते हैं? यदि हाँ, तो विगत 03 वर्षों में आगर जिला अंतर्गत किए गए कार्यों का विवरण देवें? (ख) प्रश्नकर्ता द्वारा प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्यों हेतु विगत 03 वर्षों में किन-किन कार्यों की अनुशंसा की हैं या पत्र जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग आगर एवं शाजापुर जिले को लिखे हैं एवं इनके संदर्भ में क्या कार्यवाही की गई हैं? (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रं. 643 दिनांक 10.04.15 से ग्राम लसुल्डियागोपाल में, पत्र क्रं. 978 दिनांक 11.09.15 से ग्राम लालाखेड़ी में, पत्र क्रं. 1054 दिनांक 03.11.15 से ग्राम डोंगरगांव में, पत्र क्रं. 1055 दिनांक 03.11.15 से ग्राम बराई में पत्र क्रं. 311 दिनांक 24.5.16 द्वारा ग्राम मोहना में, पत्र क्रं. 795 दिनांक 28.11.16 से ग्राम करजू में, निर्माण कार्यों की अनुशंसा की थी या मांग की थी? यदि हाँ, तो जिला संयोजकों द्वारा क्या कार्यवाही की गई कृपया पत्रवार की गई कार्यवाही का पूर्ण विवरण देवें? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में भेजे गए प्रति उत्तर संबंधी पत्रों की सत्यापित प्रति उपलब्ध करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। प्रश्नांकित अवधि में किये गये कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांकित अवधि में प्रश्नकर्ता द्वारा बस्तियों में कार्यों की अनुशंसा नहीं की गई है। शाजापुर जिले के प्रश्नांकित ग्रामों में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत या अधिक नहीं होने से योजना नियम अनुसार कार्य स्वीकृति की कार्यवाही नहीं की गई। (ग) जी हाँ। प्रस्ताव अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजना के अनुरूप न होने से कार्य स्वीकृत नहीं किये गये। (घ) ग्राम मोहना एवं करजू में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत से कम होने से पत्रों पर कार्यवाही नहीं की गई।
प्रदेश में अशोक चिन्ह के अनाधिकृत उपयोग पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
27. ( क्र. 374 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन एव जनप्रतिनिधियों में से कौन-कौन व्यक्ति अपने लेटर हैड पर अशोक एव मध्यप्रदेश शासन के चिन्ह का उपयोग कर सकते हैं व किस नियम के तहत? नियमों की प्रति उपलब्ध करायें? (ख) क्या कोई पूर्व जनप्रतिनिधि, अधिकारी या अन्य कर्मचारी जिन्हें पद पर रहते अधिकार था, किन्तु सेवानिवृत्त होने पर या पूर्व होने के पश्चात लेटर हैड का उपयोग कर सकते हैं ऐसे गत 5 वर्षों में प्रदेश के कितने मामले विभाग के समक्ष आये, विभाग द्वारा उन पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या भारत का राज्य संप्रतीक (प्रयोग का विनियम ) नियम 2007 नियम के अनुसार जो जनप्रतिनिधि/अधिकारी एवं अन्य चिन्ह का प्रयोग नहीं कर सकते, उनके विरुद्ध भारत का राज्य संप्रतीक का प्रयोग, भारत का राज्य संप्रतीक (दुरूपयोग निषेध ) अधिनियम, 2005 के अध्याधीन शर्तों के तहत धारा 7 एव 8 के तहत 2007 से कितनों पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या कोई भी शासकीय कर्मचारी अपने परिचय पत्र पर मध्यप्रदेश शासन के मोनो एव चौपहिया वाहन पर म.प्र शासन का उपयोग कर सकता है? यदि नहीं, तो किस-किस कैंडर के कर्मचारी परिचय पत्र पर इसका उपयोग कर सकते है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) राज्य शासन के राज्य चिन्ह के उपयोग हेतु पृथक से नियम नहीं हैं। भारत के संप्रतीक के उपयोग हेतु जारी अधिसूचना दिनांक 04/10/2007 के पैरा 4 के बिन्दु क्रमांक 2 अनुसार भारत के संप्रतीक के प्रयोग के निर्देश का ही राज्य शासन के राज्य चिन्ह हेतु पालन किया जाता है। नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सेवानिवृत्ति पश्चात् राज्य चिन्ह के उपयोग की कोई शिकायत गत 5 वर्षों में प्राप्त नहीं हुई। (ग) शिकायत प्राप्त न होने से कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) शासकीय कर्मचारी को शासन द्वारा जारी परिचय पत्र में शासन के मोनो का उपयोग किया जा सकता है। शासकीय कर्मचारी अपने निजी चार पहिया वाहन पर म.प्र.शासन का उपयोग नहीं कर सकता है।
रिस्क पांइट दुरस्तीकरण
[ऊर्जा]
28. ( क्र. 375 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम एवं मंदसौर जिले में 01 जनवरी, 2015 के पश्चात 11 के.व्ही. एवं 33 के.व्ही लाईनों के रख-रखाव हेतु कोई ठेका विद्युत कंपनी द्वारा दिया गया है? यदि हाँ, तो ठेकेदार का नाम, कार्यादेश क्रमांक एवं दिनांक तथा 31 मार्च, 2017 तक उक्त ठेकदार को भुगतान की गई राशि की जानकारी देवें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित 11 के.व्ही. एवं 33 के.व्ही. लाईनों के रख-रखाव हेतु कितने फीडरों को चिन्हित किया गया था एवं कितने फीडरों का कार्य पूर्ण किया जा चुका है? कार्य पूर्ण न होने के कारण बतावें? (ग) मंदसौर जिले में विभाग द्वारा कौन-कौन से पांइट को हाई रिस्क पांइट माना है? स्थल सहित जानकारी देवें। मंदसौर जिले में एसे कितने पांइट हैं जहां एक ही स्थल पर एक से अधिक विद्युत दुर्घटनायें हुई हैं? (घ) मंदसौर जिले में 01 जनवरी, 2015 के पश्चात मई, 2017 अंत तक विद्युत दुर्घटनाओं से कुल कितने व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, इनमें से कितने विद्युत कंपनी के विभागीय कर्मचारी थे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, रतलाम एवं मंदसौर जिलों में 01 जनवरी 2015 के पश्चात् 11 के.व्ही. एवं 33 के.व्ही. फीडरों के नवीनीकरण एवं रख-रखाव कार्य हेतु म.प्र.पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर द्वारा ठेके दिये गये है। रतलाम जिले में मेसर्स आनंद इलेक्ट्रिकल्स दिल्ली को कार्यादेश क्रमांक एम.डी./पक्षे/06/एस.एस.टी.डी./पैकेज-801/आर्डर-2024/6791, इंदौर दिनांक 11.04.16 (सप्लाय) एवं कार्यादेश क्र. एम.डी./पक्षे/06/एस.एस.टी.डी./पैकेज-801/आर्डर-2025/6792 दिनांक 11.04.16 (इरेक्शन) दिया गया था जिसमें रतलाम जिले के अतिरिक्त देवास एवं शाजापुर जिले भी सम्मिलित थे। मंदसौर जिले में मेसर्स नीलशिखा इन्फ्रा लिमिटेड, इंदौर को कार्यादेश क्रमांक एम.डी./पक्षे/06/एस.एस.टी.डी./पैकेज-803/आर्डर-2053/10203 दिनांक 07.06.16 (सप्लाय) एवं कार्यादेश क्रमांक एम.डी./पक्षे/06/एस.एस.टी.डी./पैकेज-803/आर्डर-2054/10204 दिनांक 07.06.16 (इरेक्शन) जारी किये गये है जिसमें मंदसौर जिले के अतिरिक्त उज्जैन, आगर एवं नीमच जिले भी सम्मिलित थे। दिनांक 31 मार्च-2017 तक मेसर्स आंनद इलेक्ट्रिकल्स दिल्ली को सम्पूर्ण कार्यादेश के विरूद्ध रू. 12,78,77420/- का भुगतान किया गया था परंतु बाद में अपूर्ण कार्य यथा स्थिति में समाप्त कर देने के कारण इस निविदाकर्ता से रू. 83981889/- की राशि बैंक गारंटी भुनाकर एवं देयकों में से काटकर वापस वसूल ली गई इस प्रकार से इस निविदाकर्ता को वास्तविक रूप से शुद्ध भुगतान रू. 43895531/- सम्पूर्ण पैकेज के विरूद्ध किया गया, जिलेवार विवरण संधारित नहीं किया जाता हैं। मेसर्स नीलशिखा इन्फ्रा लिमि. इंदौर को राशि रू. 161717441/- का भुगतान सम्पूर्ण पैकेज के विरूद्ध किया गया हैं। (ख) प्रश्नांश–क में उल्लेखित फीडरों में से रतलाम जिले में 11 के.व्ही. के 93 फीडर एवं 33 के.व्ही. के 42 फीडर चिन्हित किये गये थे, जिसमें से 11 के.व्ही. के 28 फीडरों का एवं 33 के.व्ही. के किसी भी फीडर का कार्य पूर्ण नहीं किया गया है। इसके पश्चात वितरण कंपनी कार्यालय के आदेश क्र. प्रनि/पक्षे/08-03/एस.एस.टी.डी./43 इंदौर दिनांक 14.10.16 के द्वारा ठेकेदार कंपनी मेसर्स आनंद इलेक्ट्रिकल्स का ठेका यथा स्थिति में समाप्त कर दिया गया था। मंदसौर जिले में 11 के.व्ही. के 58 फीडर एवं 33 के.व्ही. के 35 फीडर चिन्हित किये गये थे, जिसमें से 11 के.व्ही. के 57 फीडरों का एवं 33 के.व्ही. के 35 फीडरों का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। मंदसौर जिले में मात्र एक 11 के.व्ही. कयामपुर कृषि फीडर का कार्य जून के द्वितीय पखवाड़े (दिनांक 16.06.2017 से 30.06.2017 तक) में विद्युत प्रदाय का समय दोपहर 11 बजे से सांय 5 बजे तक होने से शट-डाउन नहीं दिये जा सकने के कारण पूर्ण किया जाना शेष है। (ग) वितरण कंपनी में हाई रिस्क पाईन्ट जैसी कोई शब्दावली प्रचलन में नहीं है, अतः प्रश्न नहीं उठता। मंदसौर जिले में ऐसा कोई पाईन्ट/लोकेशन नहीं है, जहां एक ही स्थल पर एक से अधिक विद्युत दुर्घटनाएं हुई हैं। (घ) मंदसौर जिले में 01 जनवरी-2015 के पश्चात् मई-2017 अंत तक हुई विद्युत दुर्घटनाओं में कुल 40 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, जिनमें विद्युत वितरण कंपनी का कोई भी कर्मचारी नहीं है।
सौर ऊर्जा उत्पादन की स्थिति
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
29. ( क्र. 378 ) श्री मोती कश्यप : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य की ऊर्जा की आवश्यकता के विरूद्ध पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा उत्पादित की जा रही है? (ख) प्रश्नांश- (क) में सौर, पवन एवं बायोमास ऊर्जा की भागीदारी कितनी-कितनी है? (ग) क्या राज्य के किन्हीं जिलों में जिले की क्षमता की प्रश्नांश-(ख) इकाईयां स्थापित की गई हैं? यदि हाँ, तो किन जिलों में कितनी संभावनायें पायी गई हैं? (घ) घरेलू एवं सामुदायिक सौर ऊर्जा उत्पादन की दिशा में किन जिलों में कितनी इकाईयां स्थापित की गई हैं और चालू वर्ष में कितना लक्ष्य निर्धारित किया गया है और उसकी पूर्ति हेतु किस प्रकार का अभियान चलाया गया?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश-(क) के अन्तर्गत वर्तमान में प्रदेश में 734.38 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा, 2415.90 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा एवं 11.2 मेगावाट क्षमता की बायोमास ऊर्जा परियोजनाएं कार्यशील है। (ग) जी हाँ। जिन जिलों में परियोजनाएं स्थापित है, उनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। निजी विकासकों के द्वारा तकनीकी साध्यता एवं भूमि की उपलब्धता के आधार पर सौर, पवन एवं बायोमास परियोजनाओं की स्थापना की जाती है। (घ) घरेलू क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन की दिशा में स्थापित/स्थापनाधीन संयंत्रों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। घरेलू क्षेत्र के लिए पृथक से कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है तथापि कुल 1500 किलोवाट की क्षमता के संयंत्रों की स्थापना हेतु तैयारी है। सोलर फोटोवोल्टाइक कार्यक्रम, ग्रामीण विद्युतीकरण एवं डीसेन्ट्रेलाईज्ड डिस्ट्रीब्यूशन जनरेशन कार्यक्रम अन्तर्गत विगत 5 वर्षों में स्थापित संयंत्रों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। वर्तमान वर्ष में डीसेन्ट्रेलाईज्ड डिस्ट्रीब्यूशन जनरेशन कार्यक्रम (डी.डी.जी.) योजनान्तर्गत स्वीकृत 20 ग्रामों में संयंत्र स्थापित किये जाने का लक्ष्य है। सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द अनुसार है। इनकी पूर्ति हेतु निविदा जारी करने की कार्यवाही की जा रही है।
विद्युत सब स्टेशनों का निर्माण
[ऊर्जा]
30. ( क्र. 402 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मकरोनिया नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत मकरोनिया नगर पालिका में कितने नये विद्युत सब स्टेशन के निर्माण किये जाने प्रस्तावित हैं? (ख) क्या मकरोनिया एवं रजाखेड़ी अंतर्गत विद्युत सब स्टेशनों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो इन सब स्टेशनों का निर्माण कार्य कब से होगा? (ग) यदि विद्युत सब स्टेशनों को स्थापित करने में विभाग को भूमि संबंधी परेशानी है तो इसके लिये विभाग द्वारा क्या कोई कार्यवाही की जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) वर्तमान में मकरोनिया नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत विद्युत उपकेन्द्र निर्माण का कोई भी कार्य किया जाना प्रस्तावित नहीं है। (ख) जी नहीं, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) उत्तरांश (क) व (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही बावत्
[सामान्य प्रशासन]
31. ( क्र. 433 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 23 फरवरी 2017 में मुद्रित आतारांकित प्रश्न क्रमांक 521 के उत्तर में (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है? उत्तर दिया गया है यदि जानकारी एकत्रित कर ली गई हो तो प्रति देते हुए बतावें कि प्रश्नकर्ता के पत्रों पर समय पर कार्यवाही न करने के लिए कौन दोषी हैं? दोषियों पर कब-कब, कौन-कौन सी कार्यवाही की गई? अगर कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में 23 फरवरी 2017 के बाद प्रश्नकर्ता द्वारा आयुक्त राजस्व रीवा संभाग रीवा, कलेक्टर रीवा एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा को लिखे गए पत्रों पर क्या कार्यवाही की गई? की गई कार्यवाही की प्रति दें, अगर कार्यवाही नहीं की गई तो इसके लिए कौन-कौन दोषी है? दोषियों पर क्या कार्यवाही करेंगे? अगर नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) उल्लेखित अतारांकित प्रश्न क्रमांक 521 के विधानसभा को भेजे गए उत्तर की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अवैध शराब विक्रय पर कार्यवाही
[वाणिज्यिक कर]
32. ( क्र. 459 ) श्री मधु भगत : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में वर्ष 2017-18 हेतु कहाँ-कहाँ शराब दुकानें प्रारंभ किये जाने हेतु अनुमति प्रदान कि गई है? स्थानवार, ग्रामवार, निकायवार, जगह का नक्शा, खसरा की प्रति सहित वैधता एवं राज्य मार्ग से दुकान की दूरी बतायें? (ख) वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक बालाघाट जिले में कहाँ-कहाँ अवैध शराब विक्रय भण्डारण और आबकारी एक्ट अंतर्गत कितने प्रकरण दर्ज किये गये? प्रकरणवार जानकारी देवें। इन मामलों को माननीय न्यायालय में कब प्रस्तुत किया गया और किन-किन प्रकरणों का निराकरण कराया गया? (ग) संपूर्ण बालाघाट जिले में गांव-गांव में बिक रही अवैध शराब, अवैध भण्डारण आदि के संबंध में क्या विभाग विशेष निर्देश देकर अभियान चलाकर समुचित कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों? विगत दो वर्षों में जनता, जनप्रतिनिधियों द्वारा जिले की किन-किन शराब दुकानों को हटाने की मांग की है? उन पर अब तक विभाग ने क्या कार्यवाही की है? (घ) अवैध शराब रोकने हेतु शासन की क्या नीति नियम निर्देश हैं? क्या इन नीति नियम निर्देशों का पालन बालाघाट जिले में किया जा रहा है? नहीं तो क्यों? सम्पूर्ण जिले में गांव-गांव अवैध शराब बिक्री हेतु कौन उत्तरदायी है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–एक अनुसार है। संचालित देशी एवं विदेशी मदिरा दुकानों की स्थानवार, ग्रामवार, निकायवार, जगह का नक्शा संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–दो अनुसार है। खसरा की जानकारी विभाग द्वारा संकलित नहीं की जाती है। (ख) वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक बालाघाट जिले में अवैध शराब विक्रय भण्डारण और आबकारी एक्ट अंतर्गत दर्ज किये गये प्रकरणों की प्रकरणवार जानकारी एवं माननीय न्यायालय में प्रस्तुत/निराकृत प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–तीन अनुसार है। (ग) जिले में अवैध शराब, अवैध निर्माण, धारण, भण्डारण आदि के विरूद्ध समुचित कार्यवाही के संबंध में आबकारी आयुक्त, मध्यप्रदेश ग्वालियर के पत्र दिनांक 23.05.2017 द्वारा स्थाई निर्देश जारी किये गये है, जिसमें संपूर्ण वर्ष में निरंतर सुनियोजित तरीके से प्रभावी प्रवर्तन कार्य करने हेतु निर्देशित किया गया है। जिसके पालन में जिले में आबकारी विभाग द्वारा व आवश्यकताअनुसार पुलिस के सहयोग से सुनियोजित तरीके से अवैध शराब के विक्रय, निर्माण, धारण आदि के विरूद्ध अभियान चलाकर प्रवर्तन कार्य संपादित किया गया। विगत दो वर्षों में जनता-जनप्रतिनिधियों द्वारा जिन-जिन शराब दुकानों को हटाने की मांग की है, उन प्रकरणों में विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार अनुसार है। (घ) मध्यप्रदेश में विधि विरूद्ध/अवैध रूप से शराब के विनिर्माण, धारण, परिवहन, विक्रय आदि अपराधिक गतिविधियों को रोकने एवं नियंत्रित करने हेतु मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 संपूर्ण मध्यप्रदेश में प्रवृत है। जिसमें उल्लेखित विभिन्न प्रावधानों/विविध उपबंधों का पालन बालाघाट जिले में किया जा रहा है। जिले में गांव-गांव शराब का अवैध विक्रय न होकर मध्यप्रदेश शासन द्वारा घोषित आबकारी नीति वर्ष 2017-18 एवं तदविषयक शासन एवं सक्षम प्रधिकारियों द्वारा जारी नियमों/निर्देशों व आबकारी अधिनियमों के प्रावधानों अनुसार ही जिले की लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही शराब का विक्रय किया जा रहा है। जिले में किसी भी स्थान से शराब के अवैध विक्रय धारण निर्माण परिवहन आदि से संबंधित सूचनाओं/शिकायतों पर आबकारी विभाग द्वारा संबंधित उत्तरदायी व्यक्तियों के विरूद्ध सक्षम कार्यवाही की जा रही है।
निर्धारित मापदण्डों का पालन न किया जाना
[सामान्य प्रशासन]
33. ( क्र. 479 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि. अता. प्रश्न क्रमांक 1246 दिनांक 23.2.2017 के उत्तर में बताया गया था कि जिला कलेक्टर भिण्ड के प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्र. 794 व 835 व 71 व 292 व 615 व 1605 में निहित शर्तों के अनुसार मापदण्डों का निर्धारण किया गया किंतु क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा निर्धारित मापदण्डों का पूर्णत: पालन नहीं किया गया है यदि हाँ, तो प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही की जावेगी? कौन दोषी पाया गया? क्या कार्यवाही की गई जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ क्रियान्वयन एजेंसी का निर्धारण करने के लिए शासन द्वारा मापदण्ड निर्धारित किए गए थे? क्या स्वतंत्र एजेंसी से प्रत्येक तीन माह में मूल्यांकन प्रतिवेदन हेतु निर्देशित किया गया था यदि हाँ, तो समयावधि में कार्यवाही क्यों नहीं की गई? इसके लिए कौन दोषी पाया गया क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार 6 विद्यालयों में कम्प्यूटर प्रोजेक्ट स्थापना हेतु प्रशासकीय स्वीकृति जारी एवं एजेंसी का निर्धारण किया गया, किंतु कम्प्यूटर विद्यालयों में नहीं लगाये? ऐसा क्यों? संबंधित अधिकारियों द्वारा निर्देशों का अपालन किया गया? यदि हाँ, तो कार्यवाही क्या की जावेगी जानकारी दें? (घ) क्या प्रश्नांश (क), (ख) और (ग) से स्पष्ट है कि प्रशासकीय स्वीकृति जारी हुई सांसद निधि की राशि व्यय हुई और प्रोजेक्ट स्थापित नहीं किया गया तो अब क्या कार्यवाही की जावेगी जानकारी दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देश के परिपालन में कलेक्टर भिण्ड के पत्र दिनांक 08/08/2016 द्वारा प्रतिवेदन योजना आर्थिक एवं सांख्यिक विभाग को भेजा गया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, इकाई ग्वालियर में प्रारंभिक जाँच प्रकरण क्रमांक 9/11 पंजीबद्ध होकर जाँच प्रक्रियाधीन है। (ख) से (घ) जी हाँ। माननीय उच्च न्यायालय एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित किये गये आदेश के परिपालन में कलेक्टर भिण्ड के पत्र दिनांक 04/06/2011 द्वारा क्रियान्वयन एजेंसी को निर्देश जारी किये गये थे। क्रिन्यान्वयन एजेंसी द्वारा निर्देशों का पालन न करने पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई ग्वालियर को प्रकरण जाँच हेतु सौंपा गया।
विद्युतीकरण कार्य
[ऊर्जा]
34. ( क्र. 534 ) श्रीमती सरस्वती सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिंगरौली जिले के चिंतरंगी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत कुल कितने ग्रामों व बसाहटों के विद्युतीकरण के लिए सर्वेक्षण कराया गया, उसमें से कितने ग्रामों व बसाहटों का विद्युतीकरण किया जा चुका है? (ख) ग्राम पिड़रिया, गेरूई (खम्हनिया) सिधार, खैरहनी, गुलरिहा, बसनिया, हरमा साची व अन्य आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं जो विदयुत विहीन हैं, अभी तक विद्युतीकरण नहीं हुए हैं क्या विद्युतीकरण कराये जाने की योजना है? यदि हाँ, तो शासन स्तर पर क्या कार्यवाही की गई है? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में उक्त विद्युत विहीन ग्रामों का कब तक विद्युतीकरण करा दिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र चितरंगी सहित जिला सिंगरौली में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत टर्न की आधार पर कार्य कराए जाने हेतु अवार्ड मेसर्स मेक्स इंफ्रा, हैदराबाद को दिनांक 24.06.17 को जारी किया गया है। अवार्ड में निहित प्रावधानों के अनुसार टर्न-की ठेकेदार एजेंसी द्वारा सिंगरौली जिले के विद्युतीकृत ग्रामों के अविद्युतीकृत मजरों/टोलों/बसाहटों के विद्युतीकरण हेतु सर्वे की कार्यवाही कर विद्युतीकरण का कार्य कराया जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में उक्त टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी द्वारा सर्वे कार्य हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अत: वर्तमान में प्रश्नाधीन क्षेत्र में ग्रामों/बसाहटों में सर्वे/विद्युतीकरण की जानकारी दिये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ख) वर्तमान में सिंगरौली जिले के चितरंगी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम पिड़रिया, गेरूई (खम्हनिया), सिधार, खैरहनी, बसनिया, हरमा साची पूर्व से विद्युतीकृत हैं। उक्त विद्युतीकृत ग्रामों के विद्युत विहीन क्षेत्रों, 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों एवं प्रश्नाधीन उल्लेखित ग्राम पथरकटी के गुलरिहा टोला के विद्युतीकरण का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत प्रस्तावित है, जिस हेतु उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु दिनांक 24.6.17 को अवार्ड जारी कर दिया गया है। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार प्रश्नांश में उल्लेखित ग्राम पूर्व से विद्युतीकृत हैं तथा इन ग्रामों के सघन विद्युतीकरण का कार्य एवं प्रश्नाधीन उल्लेखित ग्राम पथरकटी के गुलरिहा टोला के विद्युतीकरण के कार्य सहित योजनांतर्गत कार्य अवार्ड की शर्तों के अनुसार मई 2019 तक पूर्ण कराया जाना अनुमानित है।
जनसंपर्क राशि का वितरण
[सामान्य प्रशासन]
35. ( क्र. 567 ) श्री रजनीश सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिला सिवनी अंतर्गत विधायकों को कितनी-कितनी जनसंपर्क राशि आवंटित की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में विधायकों को प्राप्त उक्त राशि से कितनी-कितनी राशि में मान. सांसद एवं मान. प्रभारी मंत्री को अनुशंसा का अधिकार है? (ग) क्या प्रश्नकर्ता की जनसंपर्क राशि हितग्राहियों के खाते में जमा कर दी गई है? यदि नहीं, तो क्यों? जबकि प्रश्नकर्ता द्वारा जनसंपर्क राशि का प्रस्ताव विगत तीन माह पूर्व (मार्च) में संबंधित विभाग के पास पहुंचा दिया गया है? (घ) जनसंपर्क राशि के सही समय में संबंधित हितग्राहियों को नहीं मिलने का कौन जिम्मेवार है? क्या जिम्मेवार कर्मचारियों/अधिकारियों पर कोई कार्यवाही होगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जिला सिवनी अंतर्गत 04 विधान सभा के लिए कुल 8.00 लाख राशि आवंटित की गई थी। (ख) जनसंपर्क दौरे अनुदान की राशि प्रभारी मंत्री जी के द्वारा स्वीकृत की जाती है। प्रति विधान सभा क्षेत्र आवंटित होने वाली राशि में से 0.75 लाख रूपये ऐसे कार्यों के लिए सुरक्षित की जाती है, जिसकी अनुशंसा माननीय सांसद करते हैं। (ग) एवं (घ) विधान सभा क्षेत्र केवलारी के चार हितग्राहियों को राशि रूपये 20,000/- अनुशंसा की गई थी। यह राशि संबंधित हितग्राही के खाते में जमा करा दी गई है। शेष राशि का प्रस्ताव माननीय विधायक श्री रजनीश सिंह द्वारा प्रभारी मंत्री जी के अनुमोदन से दिनांक 22.03.2017 को प्राप्त हुआ था। जिसमें हितग्राहियों के आधार नंबर नहीं होने से आधार नंबर हेतु माननीय विधायक महोदय को कलेक्टर सिवनी के पत्र क्रमांक 1882 दिनांक 25.03.2017 को लिखा जाकर ई-मेल भी किया गया था। आधार नंबर प्राप्त नहीं होने से संबंधितों के खाते में राशि नहीं पहुंच पायी है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मध्यप्रदेश सरकार पर कर्ज की स्थिति
[वित्त]
36. ( क्र. 593 ) श्री मुकेश नायक : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मार्च 2017 के अंत में मध्यप्रदेश सरकार पर कुल कितना और किन-किन वित्तीय संस्थाओं का कर्ज है और मार्च 2017 तक सरकार ने कर्ज पर ब्याज के रूप में कितनी धनराशि का भुगतान किया है? (ख) वित्त वर्ष 2017-18 में 01 अप्रैल, 2017 से 30 जून, 2017 तक राज्य सरकार ने कब-कब, किन-किन संस्थाओं से कितना-कितना कर्ज लिया है और इस अवधि में कर्ज पर ब्याज के रूप में कितनी धनराशि का भुगतान किया है? (ग) क्या राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णयों के बाद भी अब तक सरकार ने राज्य के होमगार्ड, अनेक प्रकार और संवर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों को देय धन राशि का भुगतान नहीं किया है और अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों को छठवें वेतनमान के अनुसार पेंशन, ग्रेच्युटी का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है? इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करें और बतायें कि कर्मचारियों को इस देय धनराशि का भुगतान कब तक कर दिया जायेगा?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वित्तीय वर्ष 2016-17 के वित्त लेखे भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक से तैयार न होने के कारण उत्तर दिया जाना संभव नहीं है। (ख) वित्तीय वर्ष 2017-18 के वित्त लेखे भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक से तैयार न होने के कारण उत्तर दिया जाना संभव नहीं है। (ग) राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति कमजोर नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
वरिष्ठ वेतनमान की स्वीकृति
[वित्त]
37. ( क्र. 608 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विस सेवा के अंतर्गत वर्ग-1 में उप जिलाध्यक्ष एवं लेखा अधिकारी के पद पर चयन किया जाता है? क्या इस श्रेणी के चयनित अधिकारियों का वेतनमान समान होता है? यदि हाँ, तो क्या नियुक्ति के बाद शासन द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों एवं वित्त सेवा के चयनित अधिकारियों को उच्च स्तर पर पृथक-पृथक समयमान क्रमोन्नत वेतनमान स्वीकृत किया गया है? यदि हाँ, तो दोनों सेवाओं में स्वीकृत विभिन्न वेतनमानों का तुलनात्मक चार्ट दिया जाये। वित्त सेवा अधिकारियों का वेतनमान स्वीकृत करने में शासन द्वारा भेदभाव क्यों रखा जाता है? क्या शासन की यह नीति न्यायसंगत है? (ख) क्या शासन राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के समान वित्त सेवा के अधिकारियों को भी उच्च समयमान क्रमोन्नत वेतनमान की अवधि एक समान करने का आदेश प्रसारित करेगा? यदि हाँ, तो समान सेवा अवधि एवं समान समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान मान्य करने हेतु मध्यप्रदेश वित्त सेवा भर्ती नियम में शासन आवश्यक संशोधन कब तक कर लेगा? (ग) प्रश्नांकित वित्त सेवा के अंतर्गत उप संचालक वेतनमान के कितने पद कब से रिक्त हैं? क्या न्यूनतम समयावधि छ: वर्ष होने के कारण रिक्त पदों की पूर्ति नहीं हो सकी? यदि हाँ, तो क्या वित्त सेवा के समस्त संवर्गों में न्यूनतम सेवा अवधि में छूट प्रदान कर रिक्त पदों की पूर्ति की जायेगी, ताकि शासन का कार्य सुचारू रूप से संपादित हो सके?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। वित्त सेवा अधिकारियों को नियुक्ति के पश्चात् 6 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान तथा वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान में 4 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर प्रवर श्रेणी वेतनमान स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है। राज्य प्रशासनिक सेवा एवं राज्य वित्त सेवा के भरती नियम पृथक-पृथक है।/भरती नियमों में उल्लेखित प्रावधान अनुसार ही समयमान क्रमोन्नत वेतनमान स्वीकृत किया जाता है। मध्यप्रदेश वित्त सेवा संवर्ग के प्रावधानों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। अत: भेदभाव का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ख) उत्तरांश "क" के परिप्रेक्ष्य में किसी भी आदेश को जारी करने की आवश्यकता नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) दिनांक 01-06-2017 की स्थिति में उप संचालक वेतनमान के 109 पर रिक्त है। कनिष्ठ श्रेणी में कार्यरत अधिकारियों की अर्हता अवधि 6 वर्ष पूर्ण नहीं होने से पदों की पूर्ति नहीं हो सकी है। भरती नियमों में छूट का प्रावधान नहीं होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ग्राम हाटा में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र निर्माण
[ऊर्जा]
38. ( क्र. 625 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले में ए.डी.बी. योजनान्तर्गत वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2016-17 में उपलब्ध फंड से नये 33/11 के.व्ही विद्युत उपकेन्द्र के निर्माण कार्य की स्वीकृति में मऊगंज विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत क्या एक भी उपकेन्द्र स्वीकृत नहीं किये गये? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में प्रश्नकर्ता द्वारा विद्युत उपकेन्द्र हाटा के निर्माण हेतु उच्च अधिकारियों को लिखे गये पत्रों पर आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या ए.डी.बी. व अन्य योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 में उपलब्ध फंड के तहत हाटा में नये 33/11 विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण (टर्न की आधार पर) किया जावेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतावें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) रीवा जिले के मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में प्रश्नाधीन अवधि में ए.डी.बी. योजनान्तर्गत किसी भी नये 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का कार्य स्वीकृत नहीं हुआ है तथापि उक्त अवधि में मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में एस.सी.एस.पी. योजनान्तर्गत ग्राम शाहपुर तथा आई.पी.डी.एस. योजनान्तर्गत ग्राम मऊगंज में नये 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों के निर्माण कार्य को स्वीकृति प्रदान की गई है। (ख) माननीय विधायक महोदय से प्राप्त प्रश्नांश में उल्लेखित पत्रों के तारतम्य में ग्राम हाटा में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना के प्रस्ताव का तकनीकी परीक्षण कराया गया तथा यह पाया गया कि वर्तमान में ग्राम हाटा में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य तकनीकी रूप से साध्य नहीं है। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पत्र दिनांक 27.05.2017 द्वारा प्रकरण में वस्तुस्थिति की जानकारी से माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय को अवगत कराया जा चुका है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्र-छात्राओं को खाद्यान्न उपलब्ध कराना
[अनुसूचित जाति कल्याण]
39. ( क्र. 626 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरिजन सेवा संघ संस्था इन्दौर द्वारा शासन एवं अन्य प्राप्त अनुदान राशि से पर आदिवासी बच्चों को खाद्यान्न प्रदान करने का कार्य कहाँ-कहाँ पर किया जा रहा है? नाम एवं विगत 03 वर्षों में खर्च की गई राशि का विवरण उपलब्ध करावें। क्या जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग रीवा द्वारा उसके खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित की गई? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? अवगत करावें। (ग) क्या आदिम जाति कल्याण विभाग जिला रीवा द्वारा वर्ष 2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में हरिजन व आदिवासी छात्रावासों में निवासरत छात्र-छात्राओं के उपयोग के लिए सामग्री खरीदी गई थी? (घ) प्रश्नांश (ग) के प्रकाश में यदि हाँ, तो किस कंपनी की क्या-क्या सामग्री कितनी कीमत की खरीदी की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) हरिजन सेवक संघ, इंदौर द्वारा रीवा जिले में आदिवासी छात्रावास/आश्रम संचालित नहीं है। आदिवासी बच्चों के खाद्यान पर व्यय की जानकारी निरंक है। हरिजन सेवक संघ द्वारा जिले में संचालित अनुसूचित जाति बालक छात्रावास का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में पाई गई अव्यवस्थाओं के सुधार हेतु अधीक्षक को नोटिस जारी कर छात्रावास को तत्काल नवीन भवन में संचालित करने के निर्देश दिये गये। अधीक्षक द्वारा छात्रावास हेतु किराए पर नवीन भवन ले लिया गया है। इस कारण कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नांश ‘क’ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) अनुसूचित जाति के निवासरत छात्र-छात्राओं के लिए वर्ष 2016-17 में सामग्री क्रय की गई। वर्ष 2017-18 में प्रश्न दिनांक तक कोई सामग्री क्रय नहीं की गई। आदिवासी छात्रावासों के लिए सामग्री क्रय नहीं की गई। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
खरगापुर विधान सभा-47 के किसानों की बिजली बिल की माफी
[ऊर्जा]
40. ( क्र. 631 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान के किसानों ने वर्ष 2013 में सूखे की मार झेली थी और पीने तक के पानी की परेशानी भी उठाई थी, खेती के लिये किसी भी किसान के पास पर्याप्त पानी भी नहीं था? पानी नहीं होने से बिजली, की मोटरों का संचालन भी नहीं हुआ, फिर भी जबरन बिल किसानों को थमा दिये जाने से क्या वर्ष 2013 से आज तक का किसानों के विदयुत मोटरों के बिल माफ करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक आदेश जारी कर दिये जावेंगे यदि नहीं, तो क्यों कारण स्पष्ट करें। (ख) क्या भारी भरकम बिजली के बिल देकर किसानों से वसूली कर वर्तमान में उनका सामान, वाहन आदि बिजली विभाग द्वारा उठाया जा रहा है। क्या उक्त कार्यवाही रोकने के लिये किसानों के हित में बिजली बिल माफ किये जाने की सरकार के पास कोई योजना बनाई गई है, यदि हाँ, तो किसानों को इसका लाभ कब तक प्राप्त हो जायेगा समयावधि बतायें यदि नहीं, तो क्यों कारण स्पष्ट करें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2013 में विधानसभा क्षेत्र खरगापुर की किसी भी तहसील को सूखा प्रभावित घोषित नहीं किया गया था। वर्ष 2013 में किसानों को नियमानुसार म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश के अनुसार राज्य शासन द्वारा निर्धारित सब्सिडी का लाभ देते हुए बिल जारी किये गये हैं। अत: बिल माफी संबंधी कोई भी प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। (ख) कृषकों को मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार, राज्य शासन द्वारा निर्धारित सब्सिडी का लाभ देते हुए बिल जारी किये जा रहे हैं एवं उपभोक्ताओं द्वारा बकाया राशि का भुगतान नहीं किये जाने पर ड्यूज रिकव्हरी एक्ट के तहत नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। उक्तानुसार राज्य शासन द्वारा निर्धारित सब्सिडी का लाभ देते हुए कृषकों को बिल जारी किये जाने के परिप्रेक्ष्य में बिल माफ करने का कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है।
हितग्राहियों की शिकायत का निराकरण
[ऊर्जा]
41. ( क्र. 642 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 07 जून से 09 जून 2016 तक म.प्र.वि.वि.कं.लि. मुरैना द्वारा विधानसभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना में गलत बिलिंग, ट्रांसफार्मर, खम्भे, लाइन आदि समस्याओं को लेकर पंचायत स्तर पर समस्या निवारण को लेकर बैठक (कैम्पस) संचालन के निर्देश दिये थे? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) में उल्लेखित बैठकों में कितने-कितने आवेदन किन-किन समस्याओं से संबंधित विधानसभा क्षेत्र-07 दिमनी के हितग्राहियों द्वारा प्रस्तुत किये गए व उन पर क्या-क्या निराकरण हुआ की जानकारी हितग्राही का नाम, पता समस्या विवरण, समस्या के निराकरण की जानकारी आदि सहित दी जावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। तथापि ऊर्जा विभाग, म.प्र. शासन के आदेश दिनांक 12.05.2017 के तारतम्य में म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा दिनांक 31 मई, 2017 से 09 जून, 2017 की अवधि में ग्राम पंचायत स्तर पर विद्युत संबंधी समस्याओं के निराकरण हेतु बिजली पंचायत शिविरों का आयोजन किया गया था। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित बिजली पंचायतों में विधानसभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना के उपभोक्ताओं/हितग्राहियों द्वारा प्रस्तुत आवेदनों एवं निराकरण की प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना
[ऊर्जा]
42. ( क्र. 643 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय राज्यपाल महोदय के म.प्र.विधानसभा अधिवेशन भोपाल दिनांक 21 फरवरी 2017 के दौरान बिन्दु क्र."19 इस वर्ष से लागू मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में जून 2019 तक 5 लाख अस्थाई को स्थाई में बदला जायेगा। इस वर्ष एक लाख तीन हजार स्थायी पंप कनेक्शन दिए गए है" का उल्लेख है। (ख) यदि हाँ, तो ऊर्जा विभाग द्वारा क्या नीति निर्धारित की है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित योजना हेतु अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के हितग्राहियों को कोई विशेष प्रावधान है। यदि हाँ, तो बताया जावे एवं वर्ष (2016-17) में से कितने स्थाई पंप कनेक्शन विधानसभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना में दिये गये हैं।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय के अनुरूप अस्थायी कृषि पम्प कनेक्शनों को स्थायी पम्प कनेक्शनों में परिवर्तित करने तथा नये स्थायी पम्प कनेक्शन प्रदान करने के लिये मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना प्रदेश में लागू की गई है। उक्त संबंध में ऊर्जा विभाग द्वारा जारी नीति/आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों को स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु उनके द्वारा जमा कराई जाने वाली अंश राशि में छूट प्रदान की गई है, जिसका विवरण निम्नानुसार है :-
वर्ष |
2 हेक्टेयर से कम भूमि तक (प्रति अश्व शक्ति) |
2 हेक्टेयर एवं अधिक के भूमिधारक (प्रति अश्व शक्ति) (राशि रूपये में) |
|
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कृषक (राशि रूपये में) |
अन्य कृषक (राशि रूपये में) |
||
2015-16 |
6,500/- |
6,500/- |
10,400/- |
2016-17 |
5,000/- |
7,000/- |
11,000/- |
2017-18 |
5,500/- |
7,500/- |
12,000/- |
2018-19 |
6,000/- |
8,000/- |
13,000/- |
पिछड़ा वर्ग हितग्राहियों के लिए योजनान्तर्गत पृथक से कोई प्रावधान नहीं है। वर्ष 2016-17 में विधानसभा क्षेत्र 07 दिमनी में जिला मुरैना में अनुसूचित जाति के एक हितग्राही अन्य, पिछड़ा वर्ग के 5 हितग्राहियों एवं सामान्य वर्ग के 2 हितग्राहियों इस प्रकार कुल 8 हितग्राहियों को स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन दिये गये।
220 के.व्ही उपकेन्द्र की स्वीकृति
[ऊर्जा]
43. ( क्र. 672 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के परि. अता. प्रश्न क्रमांक 1017 दिनांक 23.02.2017 के प्रश्नांश (ग) एवं (घ) के उत्तर में जानकारी दी गयी थी कि श्योपुर जिले में 220 के.व्ही उपकेन्द्र के निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर यह कार्य 13वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल किया गया है इसके निर्माण हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने एवं इसके निर्माण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है? (ख) यदि हाँ, तो उक्त केन्द्र निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति आदेश की प्रति उपलब्ध कराते हुए बतावें कि क्या वित्तीय संसाधन जुटाने एवं निर्माण की प्रक्रियाधीन कार्यवाही के अंतर्गत वर्तमान तक क्या-क्या कार्यवाही पूर्ण कर ली गई है? क्या-क्या नहीं? कब तक पूर्ण कर ली जावेगी? (ग) उक्त केन्द्र के निर्माण हेतु क्या सर्वे कार्य पूर्ण कर लिया हैं? यदि नहीं, तो कब तक पूर्ण होगा? केन्द्र के निर्माण हेतु कितनी भूमि कहाँ चिन्हित कर आवंटित की गई है? (घ) क्या उक्त केन्द्र एवं लाईन निर्माण हेतु निविदा प्रक्रिया एवं कार्यादेश जारी करने की कार्यवाही चालू वित्त वर्ष में ही प्रारंभ व पूर्ण करके निश्चित रूप से उक्त केन्द्र का निर्माण निर्धारित अवधि में ही पूर्ण करा लिया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, श्योपुर जिले में 220 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना हेतु प्रशासनिक अनुमोदन प्रदान करने तथा इसके निर्माण हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने संबंधी कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने की जानकारी दी गई थी। (ख) उपकेन्द्र एवं संबंधित लाइनों के निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। वित्तीय संसाधन जुटाने हेतु कंपनी द्वारा प्रयास किए जा रहे है। इस उपकेन्द्र के लिए पूर्व में 9 हेक्टेयर भूमि ग्राम नागदा, तहसील एवं जिला श्योपुरकलां में आवंटित की गई थी वह नदी के किनारे होने के कारण उपयुक्त नहीं पाई गयी। उपकेन्द्र निर्माण हेतु उपयुक्त भूमि के चयन की प्रकिया प्रचलन में है। वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने के पश्चात् ही उपकेन्द्र एवं लाइन के निर्माण से संबंधित कार्यवाही प्रारंभ की जा सकेगी। (ग) जी नहीं। सर्वे का कार्य इस वित्तीय वर्ष में किया जाएगा। उत्तरांश 'ख' में दर्शाए अनुसार उपयुक्त भूमि के चयन हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (घ) वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने के उपरांत ही उपकेन्द्र एवं लाइन के निर्माण हेतु निविदा प्रक्रिया तथा तत्पश्चात कार्यादेश जारी करने की कार्यवाही की जावेगी। वित्तीय संसाधन की उपलब्धता के उपरांत ही उपकेन्द्र एवं लाइन निर्माण की निश्चित समय-सीमा बताना संभव होगा।
बरगी व्यपवर्तन परियोजना की मुख्य नहर निर्माण में अनियमितता
[नर्मदा घाटी विकास]
44. ( क्र. 708 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा दिनांक 19.06.2017 को मुख्य सचिव म.प्र. शासन भोपाल को रचनानगर निवासी कटनी की शिकायत की मूल प्रति संलग्न कर बरगी व्यपवर्तन परियोजना की मुख्य नगर आर.डी. 104 कि.मी. से आर.डी. 129 कि.मी. तक के निर्माण में लगभग 133 करोड़ की आर्थिक क्षति शासन को पहुँचाकर ठेकेदार को लाभान्वित किये जाने की शिकायत की गई हैं। (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो क्या शिकायत कर्ता एवं प्रश्नकर्ता के समक्ष 133 करोड़ के घोटाले की जाँच की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) के परिप्रेक्ष्य में पूर्व में की गई शिकायत की जाँच में जाँचकर्ता अधिकारी द्वारा जाँच न कर भ्रामक/असत्य अभिमत देने वाले अधिकारी के विरूद्ध भी शिकायत में कार्यवाही करने की माँग अनुसार कब तक कार्यवाही की जायेगी?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। (ख) शिकायतकर्ता की इन्हीं बिन्दुओं पर पूर्व में भी माननीय विधायक श्री कुँवर सौरभ सिंह जी के पत्र क्रमांक 2122 दिनांक 16/09/2015 के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसकी जाँच अभिलेखों के आधार पर वर्ष 2016 में की जा चुकी है। यह शिकायत महालेखाकार की आपत्तियों पर आधारित है जिसका उत्तर महालेखाकार को दिया जा चुका है। अत: शिकायतकर्ता एवं प्रश्नकर्ता के समक्ष पुन: जाँच करने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जाँच अभिलेखों के आधार पर की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
शा. थर्मल पावर प्लांटों हेतु क्रय कोयले का अनुबंध
[ऊर्जा]
45. ( क्र. 715 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश के शासकीय थर्मल पावर प्लांट हेतु पिछले तीन वर्षों में किन-किन निजी क्षेत्र के उद्योगपतियों से कितनी मात्रा में, किस लागत का और किस ग्रेड का कितना कोयला क्रय किया गया? (ख) वेस्टर्न कोल्ड फील्ड लिमिटेड कंपनी के पेंच व कन्हान क्षेत्र और पाथरखेड़ा क्षेत्र से सतपुड़ा पावर प्लांट में कोयला लेने के लिये क्या अनुबंध है? अनुबंध की प्रमाणित प्रति जानकारी सहित उपलब्ध करायें। (ग) अगर अनुबंध है तो क्या अनुबंध अनुसार कोयला लिया जा रहा है? अगर अनुबंध अनुसार कोयला नहीं लिया जा रहा है तो इसका क्या कारण है और अनुबंध अनुसार नियमित रूप से कोयला कब से लिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विगत तीन वित्तीय वर्षों में राज्य की म.प्र.पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के विभिन्न ताप विद्युत गृहों हेतु निजी क्षेत्र की कम्पनियों से मात्र आयातित कोयला ही क्रय किया गया है, जिसकी मात्रा, फर्म का नाम, लागत एवं जी.सी.वी. का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। आयातित कोयले में गुणवत्ता का आंकलन उसकी जी.सी.वी. के आधार पर निर्धारित होता है, अत: ग्रेड के स्थान पर जी.सी.वी. दर्शाई गई है। (ख) सतपुड़ा ताप विद्युत गृह हेतु मेसर्स वेस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड के पेंच-कन्हान व पाथाखेड़ा क्षेत्र सहित अन्य कोयला खदानों से कुल 66 लाख मी.टन कोयला प्रदाय करने हेतु दिनांक 26 दिसम्बर 2009 को अनुबंध किया गया जो कि दिनांक 01 अप्रैल 2009 से प्रभावशील है। विद्युत गृह की 62.5x5 मेगावाट इकाईयों के बंद हो जाने के कारण मेसर्स वेस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड द्वारा दिनांक 01 नवम्बर 2015 से अनुबंधित मात्रा को घटाकर 47.95 लाख मैट्रिक टन कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की 250x2 मे.वा. विस्तारित इकाईयों हेतु मेसर्स वेस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड से 18.513 लाख मी.टन की मात्रा हेतु दिनांक 02 जनवरी 2013 को एक और अनुबंध किया गया था, जिसे बाद में युक्तिकरण की नीति के अंतर्गत म.प्र.पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ही श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना हेतु मेसर्स साऊथ ईस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड की खदानों से आवंटित समान मात्रा से अदला बदली किया गया है। उक्त अनुबंधों की प्रमाणित प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' एवं 'स' अनुसार तथा मेसर्स वेस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड द्वारा दिनांक 26 दिसम्बर 2009 के अनुबंध की मात्रा घटाने का आदेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'द' अनुसार है। (ग) जी हाँ। अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं।
आंगनवाड़ी भवन की उपलब्धता
[महिला एवं बाल विकास]
46. ( क्र. 741 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र नागदा-खाचरौद में कुल कितनी आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी भवन संचालित हैं? कितनी आंगनवाड़ी स्वयं के शासकीय भवन में संचालित हो रही हैं? (ख) कितनी आंगनवाडि़यों के अपने स्वयं के शासकीय भवन नहीं है? (ग) प्रत्येक की सूची ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र के ग्राम/वार्डवार उपलब्ध करावें?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) उज्जैन जिले की विधान सभा क्षेत्र नागदा-खाचरौद अन्तर्गत कुल 03 परियोजनाओं में कुल 431 आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं। जिसमें से 293 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं। 293 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 59 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय भवनों में तथा 234 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित हैं। (ख) उज्जैन जिले की विधान सभा क्षेत्र नागदा-खाचरौद अन्तर्गत कुल संचालित 293 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 234 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित हैं। जिसमें से 34 आंगनवाड़ी भवन निर्माणाधीन हैं। (ग) विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया
[सामान्य प्रशासन]
47. ( क्र. 742 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति वर्ग के अभ्यर्थियों के लिये अपना जाति प्रमाण-पत्र बनाने के लिये क्या मापदण्ड हैं? शासन द्वारा जाति प्रमाण-पत्र बनाने के लिये वर्तमान में कितने वर्षों के रिकार्ड की आवश्यकता होती है? (ख) इन नियम/प्रक्रियाओं का सरलीकरण करने हेतु विभाग द्वारा क्या योजना बनाई जा रही है? जिन पात्र लोगों के पास सन 1950 से रिकार्ड उपलब्ध नहीं है, उनके जाति प्रमाण-पत्र बनाने के क्या नियम/निर्देश हैं? (ग) निर्देशों की प्रति उपलब्ध करावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) निर्देश दिनांक 13 जनवरी 2014 की बुकलेट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। यह निर्देश जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरलीकरण करने के पश्चात् जारी किये गये हैं।
वन अधिकार कानून में वन भूमि माने जाने का नियम
[आदिम जाति कल्याण]
48. ( क्र. 751 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2008 से लागू वन अधिकार कानून 2006 की किस धारा के तहत भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 27 एवं धारा 34अ के अनुसार राजपत्र में निर्वनीकृत की गई भूमियों को वन भूमि माने जाने का प्रावधान है। (ख) राजपत्र में निर्वनीकृत भूमियों को वन भूमि मानते हुए वन अधिकार पत्र एवं सामुदायिक वन अधिकार पत्र दिए जाने के संबंध में शासन ने किस दिनांक को पत्र, परिपत्र जारी किया है? प्रति सहित बतावें। (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा मुख्य सचिव को लिखा पत्र मुख्य सचिव कार्यालय के पत्र क्रमांक 4760 दिनांक 16 जुलाई 2015 विभाग के राज्य मंत्रालय कार्यालय को किस दिनांक को प्राप्त हुआ? पत्र में किस-किस जिले से संबंधित कौन कौन सी जानकारी प्रश्नकर्ता ने उपलब्ध करवाए जाने का निवेदन किया था? वह जानकारी विभाग ने किस कारणों से प्रश्नांकित दिनांक तक भी प्रश्नकर्ता को उपलब्ध नहीं करवाई? (घ) प्रश्नकर्ता के मुख्य सचिव कार्यालय से दिनांक 16 जुलाई 2015 को प्रेषित पत्रों में चाही गई जानकारियाँ प्रश्नकर्ता को कब तक उपलब्ध करवाई जावेगी? समय-सीमा सहित बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 की धारा-2 (घ) अनुसार ''वन भूमि'' से किसी वन क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली किसी प्रकार की भूमि अभिप्रेत है और उसके अंतर्गत अवर्गीकृत वन, असीमांकित विद्यमान वन या समझे गये वन, संरक्षित वन, आरक्षित वन, अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान हैं, '' परिभाषा के अंतर्गत भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-27 एवं धारा-34 (अ) के तहत निर्वनीकृत की गई आरक्षित एवं संरक्षित भूमियों के राजस्व अभिलेखों में वन के रूप में दर्ज भूमियों को वन भूमि माना जा सकता है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, म.प्र.शासन वन/आदिम जाति/राजस्व विभाग के संयुक्त हस्ताक्षर द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं। (ग) प्रश्नांश में उल्लेखित पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार प्रश्नकर्ता से प्राप्त पत्रों में जिलेवार जानकारी उपलब्ध कराने का कोई लेख नहीं है। प्रश्नकर्ता के पत्रों में उल्लेखित मुद्दों का प्रतिवेदन प्रेषित किया जा चुका है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में कोई प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
लिपिकों के वेतन विसंगति का निराकरण
[सामान्य प्रशासन]
49. ( क्र. 763 ) श्रीमती ऊषा चौधरी, श्री प्रहलाद भारती : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एम.एस. चौधरी वेतनमान में लिपिक, सहायक शिक्षक, ए.डी.ई.ओ., ग्राम सहायक एवं पटवारी का वेतनमान निर्धारित किया गया था? यदि हाँ, तो पृथक-पृथक निर्धारित वेतनमान बताएं? (ख) क्या इसके पूर्व पाण्डे वेतनमान में लिपिकों एवं सहायक शिक्षकों तथा ए.डी.ई.ओ., ग्राम सहायक एवं पटवारी का वेतनमान एक समान था? यदि हाँ, तो एम.एस. चौधरी वेतनमान में लिपिकों के वेतनमान में अंतर क्यों कर दिया गया विवरण सहित बताएं? (ग) क्या उक्त विसंगति पर शासन द्वारा ध्यान न देते हुए वोरा वेतनमान से लेकर छठवां वेतनमान निर्धारित होने तक लिपिकों के वेतनमान में काफी अंतर कर दिया गया? क्या इस संबंध में कर्मचारी संगठनों ने समय-समय पर वेतन विसंगति के निराकरण हेतु शासन से मांग करते चले आ रहे हैं लेकिन आज दिनांक तक निराकरण न होने के क्या कारण हैं? (घ) क्या माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा कर्मचारियों के हित में निर्णय देते हुए वेतन विसंगति के निराकरण करने के निर्देश शासन को दिए गए हैं? यदि हाँ, तो अभी तक माननीय न्यायालय के आदेश का पालन न करने का क्या कारण है? कब तक वेतन विसंगति दूर की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) चौधरी वेतनमान में निम्न श्रेणी शिक्षक का वेतनमान 545-925, पटवारी का 515-800 तथा ग्राम सहायक के लिये गैर स्नातक का 575-880, स्नातक का 635-950 वेतनमान निर्धारित किया गया था। अन्य पदों के लिये पूर्व वेतनमान में प्राप्त वेतनमान के लिये पुनरीक्षित वेतनमान निर्धारित किये गये थे। (ख) पाण्डे वेतनमान में निम्न श्रेणी लिपिक, निम्न श्रेणी शिक्षक, ग्राम सहायक के समान वेतनमान 169-300 रहे हैं परन्तु पटवारी का 155-252 था। दिनांक 1-4-1981 से वेतन का पुनरीक्षण, तत्समय गठित वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर रहा है। किसी पद विशेष के वेतनमान निर्धारण, पद के लिये अर्हता, पद के कार्य एवं कार्य स्थितियां आदि को विचार में लेकर किया जाता है। (ग) आगामी वेतनमानों में वेतन पुनरीक्षिण पूर्व वेतनमानों पर आधारित रहे हैं, अतः तद्नुसार प्रश्नांश (क) में वर्णित पदों की तुलना में लिपिकों के वेतनमान में अंतर स्वाभाविक रूप से हुआ है। लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारियों के वेतन विसंगति की मांग पर अध्यक्ष, म.प्र. राज्य कर्मचारी कल्याण समिति की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है, समिति से प्रतिवेदन प्राप्त होने पर आगामी कार्यवाही निर्भर है। (घ) जी हाँ। मान. न्यायालय निर्णय के विरूद्ध शासन द्वारा अपील प्रस्तुत की गई है, जो विचाराधीन है।
मध्यप्रदेश विद्युत मंडल के अधिकारियों का प्रभार
[सामान्य प्रशासन]
50. ( क्र. 765 ) श्री नारायण सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा राज्य शासन के तहत विभिन्न विभागों एवं म.प्र. शासन के म.प्र.म.क्षे.वि.क. सहित विभिन्न उपक्रमों में सेवारत अधिकारियों को करंट चार्ज (चालू प्रभार) देने हेतु क्या मापदंड व नियम निर्धारित किये गए हैं? यदि इस संबंध में शासन द्वारा परिपत्र/आदेश एवं दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं, तो उसकी प्रति उपलब्ध करावें? करंट चार्ज देते समय क्या वरिष्ठ को वरीयता दी जानी चाहिए? (ख) चालू प्रभार (करंट चार्ज) किन परिस्थितियों में एवं अधिकतम कितनी समयावधि हेतु दिए जाने का प्रावधान है? करंट चार्ज चालू प्रभार की समीक्षा हेतु क्या मापदंड निर्धारित किये गए हैं? करंट चार्ज का दुरूपयोग रोकने हेतु क्या प्रावधान किये गए हैं? (ग) करंट चार्ज के दौरान सम्बंधित चार्ज लेने वाले अधिकारियों को क्या-क्या सुविधाएं एवं वित्तीय लाभ प्रदान किये जाने संबंधी प्रावधान हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार। मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा यह निर्देश दिये गये हैं कि कोई पद रिक्त होने की स्थिति में उसकी पूर्ति यथाशीघ्र नियमित पदस्थापना से कर ली जाना चाहिए जहां रिक्त पद का चालू प्रभार देने की स्थिति निर्मित हो वहां पर ऐसा प्रभार नियंत्रणकर्ता अधिकारी की स्थापना में कार्यरत किसी ऐसे शासकीय सेवक को, जो रिक्त पद के समकक्ष है अथवा सामान्यत: ऐसे वरिष्ठतम सेवक को जो रिक्त पद से निम्नतर पद पर कार्यरत हैं, सौंपा जाना चाहिए परन्तु यदि किसी विशेष कारण से इस स्थिति से हटकर व्यवस्था की जाना वांछनीय हो तब नियंत्रणकर्ता अधिकारी द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी से आदेश प्राप्त किया जाना चाहिए। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार।
एवरेज बिलिंग की जानकारी
[ऊर्जा]
51. ( क्र. 773 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खराब मीटर, बंद मीटर, जल चुके मीटरों को बदले जाने की क्या समय-सीमा निर्धारित है? ऐसे मीटर धारक उपभोक्ताओं को कितने माह तक एवरेज बिलिंग किये जाने के क्या नियम है? प्रति सहित बतावें? (ख) सिवनी जिले में विगत 8 माह में किस-किस माह में उपभोक्ताओं को मीटर बंद होने, मीटर खराब होने, मीटर जल जाने के कारण एवरेज बिलिंग दी गई? इसमें ऐसे कितने उपभोक्ता हैं, जिन्हें 3 माह व उससे अधिक माह से एवरेज बिलिंग की जा रही है? (ग) तीन माह या उससे अधिक माह के एवरेज बिलिंग किये जाने की छूट किस कानून की किस धारा के किस नियम की किस कंडिका में दी गई है? तीन माह व उससे अधिक की बिलिंग के लिये किस अधिकारी की क्या जिम्मेदारी निर्धारित की गई? (घ) तीन माह व उससे अधिक की एवरेज बिलिंग बंद किये जाने के संबंध में क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, उपभोक्ता द्वारा सूचना देने पर या निरीक्षण के दौरान मीटर खराब पाये जाने पर खराब/बंद/जले मीटरों को बदले जाने हेतु विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के अध्याय 8 की कंडिका 8.21 के अनुसार निम्नदाब उपभोक्ताओं के प्रकरण में मीटर को सुधारने या नया मीटर स्थापित करने का कार्य शहरी क्षेत्रों में 15 दिवस के भीतर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिन के भीतर किये जाने का प्रावधान है। विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के अध्याय 8 की कंडिका 8.35 (ब) के अनुसार उपभोक्ताओं के मीटर त्रुटि पूर्ण होने की अवधि में प्रदाय की गई विद्युत की मात्रा का निर्धारण पूर्व 3 मीटर रीडिंग चक्रों में की गई मीटर रीडिंग के मासिक औसत के आधार पर किये जाने का प्रावधान है। यदि मीटर कनेक्शन दिनांक से तीन माह के भीतर त्रुटिपूर्ण हो गया है, तो विद्युत की मात्रा का आंकलन नए मीटर के 3 मीटर रीडिंग चक्रों की औसत मासिक खपत के आधार पर किया जा सकता है। (ख) सिवनी जिले में विगत 8 माह यथा-अक्टूबर-16 से मई-17 में उपभोक्ताओं को मीटर बंद/खराब/जले होने के कारण औसत बिल के आधार पर दिये गये बिलों की संख्या का माहवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। ऐसे उपभोक्ता जिन्हें 3 माह व उससे अधिक अवधि से औसत बिल दिये जा रहे हैं, का विवरण भी संलग्न परिशिष्ट में दर्शाया गया है। (ग) विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के अध्याय 8 की कंडिका 8.35 (ब) के अनुसार जिस अवधि में मीटर कार्यरत नहीं रहता हो उस अवधि के लिए विद्युत प्रभार की वसूली हेतु उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार औसत बिल जारी किये जाने का प्रावधान है। उक्तानुसार की जा रही कार्यवाही के परिप्रेक्ष्य में किसी के दोषी होने का प्रश्न नहीं उठता। मीटर उपलब्धता के आधार पर उपभोक्ताओं के बंद/खराब मीटर शीघ्र बदलने की कार्यवाही सतत् रूप से की जा रही है। (घ) सिवनी जिले के अंतर्गत दिनांक 1.4.17 से दिनांक 30.5.17 तक 9564 उपभोक्ताओं के मीटर बदल दिये गये हैं। शेष बचे उपभोक्ताओं के मीटर बदलने की कार्यवाही मीटर उपलब्धता के आधार पर यथाशीघ्र पूर्ण कर औसत बिलिंग बन्द कर दी जावेगी।
जी.एस.टी. लागू होने पर राज्य सरकारों को घाटे की प्रतिपूर्ति
[वाणिज्यिक कर]
52. ( क्र. 793 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जी.एस.टी में क्या केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को करों का नुकसान होने पर पाँच वर्षों तक प्रतिपूर्ति के प्रावधान है? यदि हाँ, तो प्रतिवर्ष कितने प्रतिशत प्रतिपूर्ति केन्द्र करेगा? (ख) क्या जी.एस.टी काउंसिल की बैठक में केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्र की बड़ी हिस्सेदारी के कारण होने वाले खर्च का हवाला देकर केन्द्रीय वित्त मंत्री जी ने राज्यों के प्रतिनिधियों को इस बात के लिए सहमत करा लिया कि घाटे के प्रतिपूर्ति के लिए पाँच वर्षों तक जी.एस.टी पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगेगा? (ग) क्या जी.एस.टी. काउंसिल में केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि तो मौजूद थे किन्तु आम जनता का प्रतिनिधि न होने के कारण जी.एस.टी.के मूल प्रस्ताव में घाटे की जो प्रतिपूर्ति केन्द्र सरकार को करनी थी वह आम जनता पर थोप दी गयी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) THE GOODS AND SERVICES TAX (COMPENSATION TO STATES) ACT, 2017 (NO. 15 OF 2017) के अंतर्गत राज्यों में जी.एस.टी. लागू होने से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति को 5 वर्ष तक देने का प्रावधान है। इस क्षतिपूर्ति के लिये 2015-16 को आधार वर्ष मानकर 14 प्रतिशत की वृद्धि दर से गणना की जायेगी। (ख) जी.एस.टी. काउंसिल में केन्द्रीय वित्त मंत्री तथा समस्त राज्यों के नामांकित मंत्री सदस्य हैं। काउंसिल के द्वारा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि जी.एस.टी. कानून लागू होने से राज्यों को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिये 5 वर्ष तक कम्पनसेशन सेस निरूपित करते आवश्यक राशि एकत्रित की जायेगी। (ग) जी.एस.टी. काउंसिल में केन्द्रीय वित्त मंत्री तथा समस्त राज्यों के नामांकित मंत्री सदस्य हैं जो कि आम जनता के प्रतिनिधि हैं।
प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में अधिकारियों की पदस्थापना
[सामान्य प्रशासन]
53. ( क्र. 797 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केन्द्र सरकार की नीति के परिपालन में पुलिस विभाग के अलावा अन्य विभागों में भी अपनी सेवा के प्रारंभिक तीन वर्षों की सेवाएँ नक्सल प्रभावित जिलों में देना अनिवार्य करने पर क्या शासन विचार करेगा? (ख) क्या समस्त विभागों के अधिकारी नक्सल जिलों में अपनी पोस्टिंग करवाने से बचते हैं? प्रदेश के नक्सल जिलों में वर्तमान में विभिन्न विभागों के अधिकारियों (राजपत्रित) के स्वीकृत पदों तथा रिक्त पदों की जानकारी दें तथा यह जानकारी भी दें कि ये पद कब से रिक्त हैं? (ग) यदि शासन नक्सल जिलों में उक्त सेवाएँ अनिवार्य करता है, तो इस संबंध में कब तक आदेश जारी कर दिये जाएंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। नक्सल प्रभावित जिला बालाघाट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी/मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के स्वीकृत पद
[महिला एवं बाल विकास]
54. ( क्र. 802 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) रतलाम जिला अंतर्गत कितने नगरीय/ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केंद्र एवं मिनी आंगनवाड़ी केंद्र होकर उन केन्द्रों पर कार्यकर्ता, सहायिका एवं अन्य कर्मचारियों के केन्द्रानुसार कुल कितने पद स्वीकृत होकर कितने भरे हैं एवं कितने रिक्त हैं? (ख) वर्ष 2014-15 से लेकर प्रश्न दिनांक तक स्वीकृत, भरे पदों एवं रिक्त पदों के साथ ही अन्य स्वीकृत पदों की जानकारी उनके कार्यानुसार वेतनमान अनुसार दें तथा किन नियमों के अंतर्गत, किस प्रक्रिया से उन्हें नियुक्तियां दी हैं? (ग) क्या विगत वर्षों में सामान्य कारणों को लेकर जिले भर में कार्यकर्ता/सहायिकाओं एवं कथित कर्मचारियों को एक पक्षीय सूचना पत्र देकर पदमुक्त किया गया है, तो किन नियमों के अंतर्गत? किन-किन स्थानों के कर्मचारियों को किन-किन कारणों से पदमुक्त किया गया है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) रतलाम जिले अन्तर्गत नगरीय क्षेत्र में 412 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा ग्रामीण क्षेत्र में 1308 इस प्रकार कुल 1720 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं नगरीय क्षेत्र में 21 एवं तथा ग्रामीण क्षेत्र में 383 इस प्रकार कुल 404 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं। इन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा सहायिका एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर उप-आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के अलावा अन्य कोई कर्मचारी पदस्थ नहीं है। केन्द्रानुसार स्वीकृत भरे एवं रिक्त पदों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक स्वीकृत, भरे एवं रिक्त पदों की तथा उनके कार्यानुसार वेतनमान अनुसार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। विभागीय भर्ती नियमों के अनुसार शासकीय अधिकारी/कर्मचारी की नियुक्ति की जाती है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/ सहायिका तथा उप-आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति विभागीय परिपत्र क्र./एफ-3-2/06/50-2, भोपाल दिनांक 10.07.2007 एवं समय-समय पर जारी संशोधित निर्देशों के अनुसार की जाती है। (ग) विभागीय पत्र क्र./एफ-3-2/06/50-2, भोपाल दिनांक 10.07.2007 में दिये गये निर्देशों के तहत संबधित परियोजना अधिकारी द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिकाओं तथा उप-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पद से पृथक किया गया है। पद से पृथक की गई आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिकाओं तथा उप-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
कार्यादेशों की जानकारी
[ऊर्जा]
55. ( क्र. 803 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रतलाम जिला अंतर्गत विभिन्न नगरीय/ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत वितरण कम्पनी एवं केंद्र/राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं यथा राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना एवं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अतिरिक्त भी विभागीय कार्य किये जा रहे हैं? (ख) यदि हाँ, तो रतलाम जिले में दिनांक 01 अप्रैल, 2014 से 31 मार्च, 2017 तक सघन ग्रामीण विद्युतीकरण के अन्तर्गत कुल कितना कार्य सम्पादित किया गया है, निर्मित उच्चदाब, निम्नदाब लाईनों की लंबाई एवं निर्मित नवीन वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या तथा जारी किये गये बी.पी.एल. कनेक्शनों की संख्या बतावें? इसके अतिरिक्त नगरीय क्षेत्रों में उक्त अवधि में विद्युत आपूर्ति सुगम किये जाने हेतु किस-किस प्रकार के कितने कार्य सम्पादित किये गये तथा स्वीकृत कार्यों में से कितने कार्य अपूर्ण रहे की जानकारी देवें? (ग) रतलाम जिले के अन्तर्गत दिनांक 01 अप्रैल, 2014 से दिनांक 31 मार्च, 2017 तक किन-किन फर्म/एजेंसी/संस्था इत्यादि को कार्यादेश जारी किये गये? कार्यादेशों का विवरण यथा कार्यादेश क्रमांक दिनांक राशि एवं कार्य पूर्ण करने की समयावधि के विवरण की सूची देवें? (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित कार्यादेशों में से किन-किन कार्यादेशों में कितने प्रतिशत कार्य समयावधि में पूर्ण हुए एवं जो कार्य अपूर्ण रहे हैं उनको कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा एवं इनके अपूर्ण रहने के क्या कारण है? कार्यों के अपूर्ण रहने पर विभाग द्वारा संबंधित निविदाकार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) रतलाम जिले में दिनांक 01 अप्रैल, 2014 से 31 मार्च, 2017 तक सघन ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्यों के अंतर्गत 33 के.व्ही. उच्चदाब की 102 कि.मी. लाईन, 11 के.व्ही. उच्चदाब की 905 कि.मी. लाईन, निम्नदाब की 744 कि.मी.लाईन तथा 2355 वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना का कार्य किया गया है। उक्त अवधि में प्रश्नाधीन क्षेत्र में 10059 बी.पी.एल. कनेक्शन प्रदाय किये गये हैं। प्रश्नाधीन अवधि में कराये गये उक्त कार्यों सहित रतलाम जिले में सघन ग्रामीण विद्युतीकरण के अंतर्गत किये गये कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। इसके अतिरिक्त रतलाम जिले के नगरीय क्षेत्र में उक्त अवधि में विद्युत आपूर्ति सुगम किये जाने हेतु संपादित कराये गये कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। रतलाम जिले के नगरीय क्षेत्र में स्वीकृत उक्त सभी कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण किये जा चुके हैं। (ग) रतलाम जिले के अंतर्गत दिनांक 01 अप्रैल, 2014 से 31 मार्च, 2017 तक जिन फर्मों/एजेंसी/संस्था को कार्यादेश जारी किये गये उनका कार्यादेश क्रमांक, दिनांक, राशि एवं कार्य पूर्ण करने की समयावधि सहित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। (घ) उत्तरांश (ग) में उल्लेखित कार्यादेशों में से जिन कार्यादेशों में समयावधि में कार्य पूर्ण हुए हैं एवं जो कार्य अपूर्ण रहे हैं उनको पूर्ण करने की संभावित दिनांक/अवधि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' में दर्शाया गया है। कार्यों के अपूर्ण रहने के प्रमुख कारण ठेकेदार एजेन्सी के पास मेचिंग मटेरियल का समय पर उपलब्ध नहीं होना, कुशल श्रमिकों का पर्याप्त संख्या में समय पर उपलब्ध नहीं होना, पहुँच मार्ग उपलब्ध नहीं होना इत्यादि है। समय पर कार्य पूर्ण नहीं करने के कारण ''टर्न-की'' ठेकेदार एजेन्सी के देयकों में से रतलाम जिले सहित सम्पूर्ण प्रोजेक्ट के प्रावधानित कार्यों में विलंब के लिये लिक्विडेटेड डैमेज के रूप में पेनल्टी स्वरूप राशि काटी गई है, जिसकी ठेकेदार एजेन्सीवार जानकारी निम्नानुसार है- (i) मेसर्स श्रीराम स्विच गियर प्रा.लि., रतलाम (प्रोजेक्ट-789) - रू. 38,26,092/- (ii) मेसर्स श्रीराम स्विच गियर प्रा.लि., रतलाम (प्रोजेक्ट-792) - रू. 79,94,458/- (iii) मेसर्स श्रीराम इलेक्ट्रिकल लि. सांगली (प्रोजेक्ट-790) - रू. 2,02,48,250/-, चूँकि उक्तानुसार पेनल्टी की राशि संपूर्ण प्रोजेक्ट हेतु काटी गई है अत: रतलाम जिले हेतु पृथक से जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।
ग्रामों में बिजली बंद की घटनाएं
[ऊर्जा]
56. ( क्र. 812 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र के विद्युत वितरण केन्द्र बिसनूर में आने वाले कितने ग्रामों में वर्ष 1 जनवरी, 2016 से प्रश्न दिनांक तक तार एवं खम्भे आदि टूटने के कारण बिजली बंद की कितनी घटनायें हुईं? घटनायें किन कारणों से हुई एवं कब तक सुधार किया गया का दिनांक घटना में हुये नुकसान की जानकारी स्थान/प्रभावित ग्रामों की जानकारी सहित दें? (ख) मुलताई विधानसभा क्षेत्र के विद्युत वितरण केन्द्र मासोद में आने वाले कितने ग्रामों में वर्ष 1 जनवरी, 2016 से प्रश्न दिनांक तक तार एवं खम्भे आदि टूटने के कारण बिजली बंद की कितनी घटनायें हुईं? घटनायें किन कारणों से हुई एवं कब तक सुधार किया गया, का दिनांक, घटना में हुये नुकसान की जानकारी स्थान/प्रभावित ग्रामों की जानकारी सहित दें? (ग) क्या किन्हीं कारणों से बिजली बन्द रहने पर विभाग को नुकसान होता है? यदि हाँ, तो नुकसान को कैसे नापा जाता है? स्पष्ट करें। (घ) क्या मार्च 2017 में विद्युत वितरण केन्द्र बिसनूर के अन्तर्गत पोल और तार टूटने से बिजली बन्द रही थी? यदि हाँ, तो कब से कब तक? दिनांक दें। इस दौरान विभाग को हुये नुकसान के लिये कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं? उनके विरुद्ध कब तक और क्या कार्यवाही की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र के विद्युत वितरण केन्द्र बिसनूर में आने वाले, 31 ग्रामों/स्थानों पर प्रश्नाधीन अवधि में तार एवं खम्भे टूटने के कारण विद्युत प्रदाय प्रभावित होने की कुल 31 घटनायें घटित हुईं, जिनका घटना की दिनांक, सुधार कार्य की दिनांक एवं घटना के कारण हुई क्षति की जानकारी सहित, ग्रामवार/स्थानवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) मुलताई विधानसभा क्षेत्र के विद्युत वितरण केन्द्र मासोद में आने वाले 20 ग्रामों/स्थानों पर प्रश्नाधीन अवधि में तार एवं खम्भे टूटने के कारण विद्युत प्रदाय प्रभावित होने की कुल 20 घटनायें घटित हुई, जिनका घटना की दिनांक, सुधार कार्य की दिनांक एवं घटना के कारण हुई क्षति की जानकारी सहित, ग्रामवार/स्थानवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जी हाँ, किन्हीं कारणों से क्षेत्र विशेष में विद्युत व्यवधान के कारण वितरण कंपनियों को क्षति होती है, अत: वितरण कंपनियों का यह प्रयास रहता है कि विद्युत व्यवधान होने की स्थिति में शीघ्रातिशीघ्र इसमें सुधार कर विद्युत प्रदाय चालू किया जाए। तथापि किसी क्षेत्र विशेष में विद्युत व्यवधान होने पर उस विद्युत का उपयोग आवश्यकतानुसार अन्य क्षेत्र में किये जाने की स्थिति में क्षति नहीं होती है। क्षति का आंकलन व्यवधान की अवधि में विद्युत प्रदाय की तत्समय औसत लागत तथा उपभोक्ता से प्राप्त होने वाले औसत राजस्व के आधार पर किया जा सकता है। (घ) जी नहीं, मार्च 2017 में वितरण केन्द्र बिसनूर अंतर्गत पोल और तार टूटने से बिजली बंद होने से कोई घटना घटित नहीं हुई। अत: प्रश्न नहीं उठता।
पोषण आहार वितरण एवं परिवहन
[महिला एवं बाल विकास]
57. ( क्र. 814 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विभाग द्वारा छतरपुर जिले में विगत 03 वर्षों से 01 से 03 साल के बच्चों को क्या–क्या पोषण आहार दिया जाता है? इन पोषण आहार की आपूर्ति और परिवहन कौन करता है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में उपरोक्त पोषण आहार एवं परिवहन में विगत 03 वर्षों में कितना–कितना भुगतान किया गया? वर्षवार जानकारी प्रदाय करें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) छतरपुर जिले में 01 से 03 वर्ष तक के बच्चों को साप्ताहिक रूप से बाल आहार प्रिमिक्स, हलुआ प्रिमिक्स एवं खिचड़ी पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) के रूप में प्रदाय किया जाता है। पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) की आपूर्ति म.प्र.एग्रो इन्डस्ट्रीज डवलपमेंट कार्पोरेशन के माध्यम से परियोजना स्तर पर की जाती है। परियोजना स्तर से आंगनवाड़ी केन्द्रों तक टेकहोम राशन का वितरण परियोजना अधिकारी द्वारा परिवहनकर्ता के माध्यम से किया जाता है। टेकहोम राशन परिवहनकर्ताओं की विगत 03 वर्षों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' पर है। (ख) छतरपुर जिले में विगत 03 वर्षों में टेकहोम राशन एवं परिवहन पर भुगतान की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' पर है।
प्रस्ताव/अनुशंसा पर कार्यवाही की जानकारी
[अनुसूचित जाति कल्याण]
58. ( क्र. 815 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र बिजावर में विभाग द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य वाले क्षेत्र में समाज भवन, सड़क और अन्य कौन से कार्य कितनी राशि के विगत 03 वर्षों में किए गए? कार्यवार जानकारी प्रदाय करें? (ख) बिजावर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2013 से विभाग के पास कितने कार्यों के प्रस्ताव/अनुशंसा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्राप्त हुई? उपरोक्त प्रस्तावों/अनुशंसा पर क्या–क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) बिजावर विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति विभाग अंतर्गत लघु अंचल किशुनगढ़ में आने वाले ग्रामों में किसी भी कार्यों के प्रस्ताव जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्राप्त नहीं हुए हैं। अनुसचित जाति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है।
समनापुर नहर निर्माण कार्य की जानकारी
[नर्मदा घाटी विकास]
59. ( क्र. 817 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र गोटेगाँव अंतर्गत समनापुर नहर निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है? यदि हाँ, तो आदेश की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में स्वीकृति के बाद प्रश्न दिनांक तक क्या समनापुर में नहर का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है? यदि नहीं, तो इसका कारण क्या हैं? (ग) उक्त नहर का निर्माण कब तक पूर्ण कर दिया जावेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। स्वीकृति आदेश संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। आर.डी. 0.00 से 1600 मी. एवं 3700 मी. से 5180 मी. तक का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। आर.डी. 1600 से 3700 मी. का कार्य 7 कृषकों की अर्जित भूमि का आधिपत्य विभाग को न मिलने एवं उनके विरोध के कारण शेष निर्माण कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है। (ग) शेष निर्माण कार्य अर्जित भूमि का आधिपत्य विभाग को मिलने के पश्चात् पूर्ण किया जाना लक्षित है।
बस्ती विकास योजना के कार्यों का क्रियान्वयन
[आदिम जाति कल्याण]
60. ( क्र. 823 ) श्री दीवानसिंह विट्ठल पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजना, घुमक्कड़-अर्द्धघुमक्कड़ बस्ती विकास योजना में प्राप्त आवंटन को क्षेत्रवार वितरण एवं कार्यों को स्वीकृत करने के लिए विभाग के क्या निर्देश हैं? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) बड़वानी जिले के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजना, घुमक्कड़ अर्द्धघुमक्कड़ बस्ती विकास योजना में कितना–कितना आवंटन प्राप्त हुआ एवं प्राप्त आवंटन के विरुद्ध स्वीकृत किये गए कार्यों की सूची उपलब्ध करावें? (ग) उक्त अवधि में प्रश्नकर्ता द्वारा योजनाओं में स्वीकृति हेतु भेजे गए? प्रस्तावों की प्रति उपलब्ध करावें एवं भेजे गए प्रस्तावों में से कितने प्रस्तावों को स्वीकृति आदेश में शामिल किया गया व शेष को क्यों नहीं? कारण बतावें। प्रश्नकर्ता द्वारा भेजे गए प्रस्तावों को शामिल नहीं करना क्या विभाग के द्वारा प्रसारित निर्देशों का उल्लंघन नहीं है? यदि हाँ, तो क्या ऐसे दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जावेगी? समय–सीमा बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्नांश अन्तर्गत जनजाति बस्ती विकास एवं विद्युतीकरण योजना नियम 2017 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांकित अवधि में अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास मद अन्तर्गत प्राप्त आवंटन से स्वीकृत किये गये कार्यों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजना अंतर्गत स्वीकृत कार्यों के सम्बन्ध में प्राप्त प्रस्ताव की प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। प्रश्नकर्ता के द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव की स्वीकृति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स''अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
माननीय विधायकों के द्वारा लिखे पत्रों पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
61. ( क्र. 824 ) श्री दीवानसिंह विट्ठल पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय विधायकों के द्वारा लिखे गए पत्रों का जवाब देने हेतु सामान्य प्रशासन विभाग के क्या निर्देश हैं? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नकर्ता द्वारा कलेक्टर जिला बड़वानी सहित जिले के विभाग प्रमुखों को विगत 03 वर्षों से कब–कब, कौन-कौन से पत्र लिखे गए? उन पत्रों की प्रति, उन पर की गई कार्यवाही एवं दी गई सूचना पत्रों की प्रति उपलब्ध करावें? (ग) क्या कलेक्टर जिला बड़वानी द्वारा प्रश्नकर्ता आज तक के द्वारा लिखे गए पत्रों पर की गई कार्यवाही की सूचना नहीं दी गई है? यदि हाँ, तो क्या यह सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों का उल्लंघन नहीं है? ऐसे दोषी अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' में दर्शायी गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ई-पंजीयन योजना का क्रियान्वयन
[वाणिज्यिक कर]
62. ( क्र. 831 ) डॉ. मोहन यादव : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अतारांकित प्रश्न क्र. 3050 दिनांक 03/03/2017 को विभाग द्वारा बंधक विलेख (प्रारूप 5) के ई-पंजीयन का प्रावधान पंजीयन अधिनियम की धारा 60 के अंतर्गत होना बताया गया है, तो उज्जैन जिले के उप-पंजीयक कार्यालयों में वर्तमान में बैंक शाखा के बंधक विलेख को ई-पंजीकृत किया जा रहा है अथवा नहीं? यदि हाँ, तो दिनांक 01/07/2015 से प्रश्न दिनांक तक कितने बंधक विलेखों को ई-पंजीकृत किया गया? उप-पंजीयक कार्यालयवार जानकारी प्रदान करें। यदि नहीं, तो क्यों? कारण बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार क्या वर्तमान में उज्जैन जिले के संबंधित उप-पंजीयक कार्यालयों द्वारा बंधक विलेखों को ई-पंजीकृत नहीं कराते हुये पंजीयन अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो ई-पंजीयन योजना लागू होने के पश्चात भी बैंकों के बंधक विलेख (प्रारूप 5) को ई-पंजीकृत नहीं करने के लिये कौन अधिकारी दोषी है? दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। उज्जैन जिले के उप-पंजीयक कार्यालयों में वर्तमान में बैंक शाखा के बंधक विलेख (प्रारूप 5) पंजीबद्ध नहीं हुए हैं। किसी भी बैंक शाखा द्वारा पंजीयन अधिनियम की धारा 60 के अंतर्गत संपादित होने वाले पंजीयन हेतु प्रारूप 5 के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। (ख) जी नहीं। पक्षकारों द्वारा दस्तावेज ई-पंजीयन हेतु प्रस्तुत किए जाने पर ही पंजीयन किया जा सकता है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी भवन निर्माण हेतु राशि प्रदाय करना
[महिला एवं बाल विकास]
63. ( क्र. 835 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) राजगढ़ जिले की विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत प्रश्न दिनांक तक कितने आंगनवाड़ी केन्द्र भवनविहीन हैं? सूची सहित बतावें तथा भवनविहीन केन्द्रों के भवन निर्माण स्वीकृत करने हेतु प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या वित्तीय वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक जिन आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई, उनसे संबंधित ग्राम पंचायतों के खातों में स्वीकृत राशि के विरूद्ध केवल राशि रूपये 2.00 लाख ही जमा कराये गये हैं, जिससे कि भवन निर्माण कार्य वर्तमान तक अप्रारंभ है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक स्वीकृत पूर्ण राशि ग्राम पंचायत की प्रदान करने हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) उपरोक्तानुसार क्या शासन द्वारा आंगनवाड़ी भवन निर्माण हेतु पृथक-पृथक विभागों से राशि प्रदान किया जाना है, लेकिन इस संबंध में ग्राम पंचायतों को शासन के कोई स्पष्ट निर्देश नहीं होने से निर्माण कार्य में अनावश्यक विलंब हो रहा है? यदि हाँ, तो कब तक? स्पष्ट निर्देश प्रदान कर निर्माण कार्य प्रारंभ करा दिये जावेंगे?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा अंतर्गत संचालित 03 एकीकृत बाल विकास परियोजनाएं क्रमशः ब्यावरा, सुठालिया एवं नरसिंहगढ़ में कुल 425 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं, इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 171 विभागीय भवनों में, 139 अन्य शासकीय भवनों में एवं 115 किराये के भवनों में (भवनविहीन) संचालित है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। किराये पर संचालित (भवन विहीन) इन आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये प्रश्न दिनांक तक 71 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। (ख) वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक कुल 71 आंगनवाड़ी भवन निर्माण स्वीकृत किये गये हैं। इनमें से 18 आंगनवाड़ी भवनों हेतु प्रति भवन राशि रू. 6.00 लाख तथा 53 भवनों हेतु प्रति भवन राशि 2.00 लाख संबंधित ग्राम पंचायतों के खातों में जमा की गई है। इनमें से 18 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति जारी की गई है एवं 53 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति जिला स्तर से प्रचलन में है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। आंगनवाड़ी भवन निर्माण की प्रति भवन लागत राशि रूपये 7.80 लाख में से विभागीय अंशदान राशि रू. 2.00 लाख के मान से राशि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को उपलब्ध करा दी गई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदेश में मनरेगा योजना के अभिसरण से निर्मित होने वाले इन आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण हेतु वित्तीय व्यवस्था अनुरूप शेष राशि रू. 4.00 लाख प्रति आंगनवाड़ी भवन के मान से संबंधित ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराने की कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण मनरेगा योजना के अभिसरण से किया जा रहा है। इस व्यवस्था के अंतर्गत महिला एवं बाल विकास विभाग एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी भवन निर्माण हेतु राशि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सीधे संबंधित ग्राम पंचायत के खाते में उपलब्ध कराई जा रही है। आंगनवाड़ी भवन निर्माण के लिये अपनाई जा रही प्रक्रिया की जानकारी से ग्राम पंचायत अवगत है। अतः शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
भवन निर्माण की स्वीकृति
[वाणिज्यिक कर]
64. ( क्र. 836 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 5520 दिनांक 10 मार्च 2017 के उत्तर की कंडिका (ग) में बताया गया था कि अनुविभागीय अधिकारी (भवन एवं सड़क) संभाग राजगढ़ (ब्यावरा) मध्यप्रदेश से आबकारी वृत्त कार्यलय ब्यावरा एवं मद्द भाण्डागार ब्यावरा जिला राजगढ़ म.प्र. के नवीन भवन निर्माण हेतु अनुमानित लागत 64.13 लाख रूपये का प्रस्ताव की स्वीकृति एवं राशि आवंटन हेतु जिला आबकारी अधिकारी राजगढ़ के पत्र 425 दिनांक 22.02.2017 से आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश ग्वालियर को प्रेषित किया गया है, तो प्रश्न दिनांक तक उक्त प्रस्ताव की स्वीकृति एवं राशि आवंटन हेतु क्या कार्यवाही की गई? (ख) उपरोक्तानुसार क्या शासन उक्त प्रस्ताव की स्वीकृति एवं राशि का आवंटन प्रथम अनुपूरक बजट में प्रदान करेगा?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। नवीन कार्यालय एवं मद्द भांडागार भवन निर्माण हेतु जिला आबकारी अधिकारी राजगढ़ से भूमि उपलब्धता की जानकारी प्राप्त करने हेतु आबकारी आयुक्त कार्यालय के पत्र दिनांक 30.06.2017 द्वारा लिखा गया था। जिसके उत्तर में जिला आबकारी अधिकारी राजगढ़ (ब्यावरा) द्वारा अपने पत्र दिनांक 03.07.2017 से अवगत कराया है कि पुराने कार्यालय भवन एवं मद्द भांडागार को तोड़कर नवीन कार्यालय एवं मद्द भांडागार भवन बनाया जावेगा जिस हेतु भूमि उपलब्ध है। प्रकरण में लोक निर्माण विभाग से तकनीकी स्वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है। (ख) प्रकरण में आवश्यक सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के उपरांत आवश्यक वित्तीय प्रावधान संभव है। प्रथम अनुपूरक अनुमान में प्रावधान कराने अथवा राशि स्वीकृति की निश्चित अवधि बताना संभव नहीं है।
आंगनवाड़ी, महिलाओं एवं बालकों के कल्याण हेतु संचालित योजनाओं की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
65. ( क्र. 854 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) ग्वालियर जिले के भितरवार विधान सभा क्षेत्र में कुल कितने आंगनवाड़ी केन्द्र उपकेन्द्र हैं? उनमें से कितने भवनहीन हैं? जनपदवार उपलब्ध करावें। (ख) भवनहीन आंगनवाड़ी केन्द्र, उपकेन्द्र के लिये किराये के भवन या अन्य शासकीय भवन में संचालन के क्या नियम हैं? क्या किराये के लिये गये भवनों में बच्चों के बैठने की ठीक व्यवस्था है? ऐसे कितने भवन हैं, जहां बच्चे ठीक से नहीं बैठ सकते तथा भोजन आदि की व्यवस्था भी ठीक ढंग से नहीं चली सकती? केन्द्र, उपकेन्द्रों के नाम स्पष्ट करें। किराये के लिये गये भवनों को वर्ष 2013-14 से आज दिनांक तक किस-किस को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया? जनपदवार जानकारी प्रदान करें। (ग) ग्वालियर जिले की भितरवार विधान सभा क्षेत्र में विभाग द्वारा वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक महिलाओं और बालकों के कल्याण के लिये कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की जा रही हैं? इनमें कितनी-कितनी राशि आवंटित की गई? राशि का व्यय किन-किन कार्यों में किया गया?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना भितरवार एवं गिर्द (बरई) में कुल 335 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं 31 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। इनमें से 142 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय भवनों में, 153 आंगनवाड़ी केन्द्र अन्य शासकीय भवनों में तथा 40 केन्द्र किराये के भवनों में (भवनविहीन) संचालित है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘1’ अनुसार है। (ख) आंगनवाड़ी केन्द्र, उपकेन्द्र के किराये के भवन के संबंध में विभागीय निर्देश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘2’ अनुसार है। किराये से लिये गये भवनों में बच्चों के बैठने की व्यवस्था है। समस्त भवनों में बच्चों के बैठने एवं भोजन आदि की व्यवस्था ठीक ढंग से की जा सकती है, शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। वर्ष 2013-14 से किराये पर लिये गये भवनों हेतु किये गये भुगतान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘3’ अनुसार है। (ग) भितरवार विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक महिलाओं एवं बालकों के कल्याण के लिये संचालित योजनाओं, प्रदाय आवंटन एवं व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘4’ अनुसार है।
सहायक ग्रेड-3 के रिक्त पद एवं अनुकंपा नियुक्ति की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
66. ( क्र. 864 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले में विभिन्न शासकीय कार्यालयों, महाविद्यालयों, जिला/जनपद पंचायतों में सहायक ग्रेड-3 के कितने पद रिक्त हैं? कार्यालयवार वर्गवार बतायें। (ख) सागर जिले में गत पाँच वर्षों से अनुकंपा नियुक्ति के कितने आवेदन/प्रकरण लंबित हैं? आवेदकों के नाम वर्गवार बतायें। (ग) क्या अनुकंपा नियुक्ति में भी आरक्षण प्रावधानों का पालन किया जाता है? यदि हाँ, तो नियम/निर्देश की प्रति उपलब्ध करायें? (घ) क्या शासन की मंशा अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों को शीघ्र एवं संवेदनशीलता से निपटाने की है? यदि हाँ, तो प्रकरण लंबित क्यों रखे गये हैं तथा इनका कब तक निपटारा कर दिया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) जी हाँ। निर्देश दिनांक 29.09.2014 की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (घ) जी हाँ। निर्देश दिनांक 29.09.2014 में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का शीघ्र निराकरण किये जाने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है।
अधीक्षण यंत्री के विरूद्ध शिकायत पर जाँच एवं कार्यवाही
[ऊर्जा]
67. ( क्र. 868 ) पं. रमेश दुबे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि. अता. प्रश्न क्रमांक 3129 दिनांक 03/03/2017 के उत्तर में बताया गया है कि श्री ए.के. निकोसे तत्कालीन अधीक्षण यंत्री म.प्र.पू.क्षे.वि.कं.लि. छिन्दवाड़ा के विरूद्ध प्राप्त शिकायत की जाँच कराये जाने के आदेश दिये गये है, तो क्या जाँच की गयी है? यदि हाँ, तो किस अधिकारी के द्वारा कब जाँच की जाकर क्या निष्कर्ष निकाला गया है? बिन्दुवार जाँच प्रतिवेदन एवं शिकायत के परिप्रेक्ष्य में निकाले गये निष्कर्ष की प्रति सहित अवगत करावें? (ख) क्या जाँच में श्री ए.के.निकोसे, अधीक्षण यंत्री को दोषी पाया गया है? यदि हाँ, तो किस आरोप का दोषी पाया गया है और उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी है? नहीं की गयी है, तो क्यों? (ग) क्या शासन प्रश्नकर्ता द्वारा उक्त अधीक्षण यंत्री के विरूद्ध बिन्दुवार की गयी शिकायत की जाँच कर कार्यवाही का आदेश देगा नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। छिन्दवाड़ा के कनिष्ठ अभियंताओं एवं सहायक अभियंताओं को 126 कारण बताओ सूचनाएं जारी करने तथा छिन्दवाड़ा जिले के 45 नं. 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों को बाह्य स्त्रोत से संचालन हेतु कांट्रेक्ट प्रावधान के विपरीत एक से अधिक बार कांट्रेक्ट अवधि विस्तारित करने के आरोप पर श्री ए.के. निकोसे अधीक्षण अभियंता के विरूद्ध विभागीय जाँच कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। विभागीय जाँच संस्थित करने हेतु आरोप पत्र की प्रति सहित, प्रेषित पत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार जाँच कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) माननीय प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा की गई शिकायत के तारतम्य में श्री ए.के.निकोसे, अधीक्षण अभियंता के विरूद्ध विभागीय जाँच आदेशित की गई है, जो प्रक्रियाधीन है।
राजस्व प्रकरण अंतर्गत जाँच एवं कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
68. ( क्र. 869 ) पं. रमेश दुबे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत एक वर्ष के दौरान श्योपुर जिले में पदस्थ कलेक्टर के विरूद्ध राजस्व प्रकरण में गड़बड़ी की कितनी शिकायतें प्राप्त हुई? (ख) क्या किसी राजस्व प्रकरण में श्योपुर जिले के कलेक्टर कार्यालय में मिठाई के डब्बे में कलेक्टर को 5 लाख रूपये की राशि दी गयी? क्या इस डिब्बे को खोलने पर रूपये की पुष्टि हुर्इ और संबंधित से लिखित में राजीनामा लेकर प्रकरण समाप्त कर दिया गया? (ग) क्या सामान्य प्रशासन विभाग के संज्ञान में उक्त प्रकरण की जानकारी है? यदि हाँ, तो उस पर अभी तक क्या कार्यवाही की गयी? यदि नहीं, तो क्या संज्ञान लिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों पर टेक होम राशन परिवहन
[महिला एवं बाल विकास]
69. ( क्र. 871 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों पर टेक होम राशन परिवहन हेतु 01 अप्रैल 2013 से प्रश्न दिनांक तक परिवहन हेतु कब-कब टेण्डर प्रक्रिया की गई व टेण्डर प्रक्रिया में किन-किन परिवहनकर्ताओं ने टेण्डर डाला वर्षवार तुलनात्मक पत्रक उपलब्ध करावें। (ख) नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत किस-किस आंगनवाड़ी केन्द्रों को कितना-कितना किस-किस रैसिपी का टेकहोम राशन परिवहनकर्ता द्वारा दिनांक 1 अप्रैल 2013 से प्रश्न दिनांक तक परिवहन किया गया? सभी केन्द्रों के स्टॉक रजिस्टर की जानकारी माहवार उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्न की कंडिका (क) की उपलब्ध जानकारी अनुसार अगर टेण्डर प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है, तो इसके लिए दोषी अधिकारियों पर क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत संचालित नरसिंहगढ़ कुरावर एवं पचोर परियोजना अन्तर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों पर टेकहोम राशन परिवहन हेतु 01.04.2013 से टेण्डर प्रक्रिया की जानकारी एवं टेण्डर डालने का परिवहनकर्ताओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (ख) नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 01.04.2013 से प्रश्न दिनांक तक आंगनवाड़ी केन्द्रों पर परिवहन किये गये टेकहोम राशन की केन्द्र के स्टॉक रजिस्टर अनुसार रैसिपी अनुसार माहवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है। (ग) टेण्डर प्रक्रिया अपनाई गई है, अतः कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अनुसूचित जाति बस्ती क्षेत्र विकास योजनांतर्गत विकास कार्यों की जानकारी
[अनुसूचित जाति कल्याण]
70. ( क्र. 902 ) श्री राजकुमार मेव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति बस्ती क्षेत्र विकास योजनांतर्गत विकास कार्यों को करने हेतु वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक वर्षवार में कितना बजट प्रावधान किया जाकर विभाग को कितनी राशि उपलब्ध कराई गई? विभाग द्वारा कितनी राशि प्रश्न दिनांक तक कितने कार्यों में कितनी राशि स्वीकृत करते हुये कितने कार्य प्रारंभ किये जाकर कितने कार्यों में कितनी राशि व्यय की गई एवं कितनी राशि अनुपयोगी होकर शेष है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में विधानसभा क्षेत्र महेश्वार की जनपद पंचायत महेश्वार एवं बड़वाह क्षेत्र अंतर्गत अनुसूचित जाति बस्तियों के विकास हेतु कितने प्रस्ताव, कब-कब विभाग को प्रश्नर्ता द्वारा प्रस्तुत किये गये? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में प्राप्त प्रस्तावों पर विभाग द्वारा कब प्राक्कलन तैयार कर स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किये गये? कितने प्रस्तावों में कितने कार्य कितनी लागत के एवं कहाँ-कहाँ स्वीकृत किये गये? यदि नहीं, तो कारण बतावें? (घ) क्या वर्ष 2016-17 में विभाग द्वारा प्रश्नकर्ता के कितने प्रस्तावों में स्वीकृति के पश्चात स्वीकृति आदेश निरस्त किये? यदि निरस्त किये है, तो किन कारणों से किये हैं? स्पष्ट करें एवं उक्त राशि का उपयोग किन-किन कार्यों में किन स्थानों के लिए किया गया? कार्यवार जानकारी दी जावे। क्या प्रश्नकर्ता के लंबित प्रस्तावों में स्वीकृति कब तक जारी की जावेगी? समयावधि बताई जावे।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वर्ष 2016-17 में राशि रू. 163.55 लाख एवं वर्ष 2017-18 में राशि रू. 162.24 लाख का आवंटन उपलब्ध कराया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ एवं ‘द’ अनुसार है। (घ) तीन प्रस्ताव निरस्त किए गए। रू. 15.00 लाख के 3 कार्यों की स्वीकृति विभाग से जारी होने के कारण। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ई’ एवं ‘एफ’ अनुसार है।
परियोजना अधिकारी द्वारा अनियमितता
[महिला एवं बाल विकास]
71. ( क्र. 909 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या जतारा में पदस्थ विकासखण्ड परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास जतारा की ही मूल निवासी हैं एवं सहायिका तथा कार्यकर्ता के पदों की हाल ही में जो विज्ञप्ति जारी की गई और उनके आवेदन पत्र आवेदकों द्वारा भरे गये उन समस्त आवेदन पत्रों को उनके द्वारा अपने घर ले जा कर मेरिट सूची बनाई गई और पात्र या अधिक अंकों वाले आवेदकों से भारी भरकम राशि लेकर सूची तैयार की गई है? (ख) क्या उक्त खण्ड परियोजना अधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदन पत्रों को सील करके समिति महिला बाल विकास जनपद जतारा तथा अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष नहीं खोले गये? सभी आवेदनों की मेरिट सूची घर पर बनाकर अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष रख गई, जो मेरिट में थे उनसे पहले पैसे वसूल कर लिये गये? क्या इसकी जाँच करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें? (ग) क्या उक्त महिला अधिकारी के स्थानीय मूल निवासी होने के कारण इस प्रकार का कृत्य किया जा रहा है? क्या इसकी जाँच कर उक्त खण्ड अधिकारी महिला बाल विकास को जतारा से हटाकर अन्य स्थान पर तैनाती करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? समयावधि बतायें? यदि नहीं, तो क्यों? कारण स्पष्ट करें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी नहीं। जतारा में पदस्थ विकासखण्ड परियोजना अधिकारी टीकमगढ़ की मूल निवासी है। जी नहीं। (ख) आवेदन पत्रों को सील करने का कोई प्रावधान नहीं है। विभाग द्वारा निर्धारित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका भर्ती निर्देशों के अनुरूप प्राप्त आवेदन पत्रों की वरीयता सूची तैयार कर महिला बाल विकास समिति तथा अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष बैठक में रखे गये। जी नहीं। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
छात्रावास/आश्रम की व्यवस्था
[आदिम जाति कल्याण]
72. ( क्र. 927 ) श्री कुंवर सिंह टेकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले के अंतर्गत आदिवासी विकासखण्ड कुसमी में कितने आदिवासी छात्रावास एवं आश्रम शालाएं संचालित हैं? संख्या बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रत्येक छात्रावास एवं आश्रमों में स्वीकृत पदों की पूर्ण जानकारी देवें। स्वीकृत पद के विरूद्ध कितने पद भरे एवं कितने पद रिक्त हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर दी जावेगी? छात्रावास/आश्रमों में पेयजल की क्या व्यवस्था है? प्रत्येक आश्रम/छात्रावास सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में समस्त आश्रम एवं छात्रावासों में पहुँच मार्ग की व्यवस्था हेतु शासन की क्या योजना है? पहुँच मार्ग का निर्माण कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सीधी जिले के अन्तर्गत आदिवासी विकासखण्ड कुसमी में 20 छात्रावास एवं 11 आश्रम शालायें संचालित हैं। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''अ-1'' अनुसार है। (ग) रिक्त पदों की पूर्ति के संबंधी कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''अ-1'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''अ-1'' अनुसार है।
मोगिया जाति समुदाय के जाति प्रमाण-पत्र की जानकारी
[आदिम जाति कल्याण]
73. ( क्र. 934 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के अन्य जिलों की भॉति मुरैना जिले के मोगिया जनजाति समुदाय को जनजाति से पृथक कर अनुसूचित जाति में सम्मिलित किया जा रहा है? (ख) मुरैना जिले की जौरा तहसील के ग्राम टिकटौली की छोटी खो में रहने वाले मोगिया समुदाय के जनजाति के लोगों को पूर्व में दिये जाति प्रमाण-पत्र को क्या खारिज किया जा रहा है? 1 जून 2017 की स्थिति में जनजाति की अनुसूची के क्रमांक 16 में मोगिया जाति को जनजाति की श्रेणी में रखा गया? अब मुरैना के टिकटौली गाँव जनजाति समुदाय को क्यों पृथक किया जाकर अनुसूचित जाति में रखा जा रहा है? पूर्ण जानकारी तथ्यों सहित दी जावे। (ग) क्या वर्ष 2004 में ग्राम टिकटौली के लोगों को जनजाति के तहसील कार्यालय जौरा से प्रमाण-पत्र जारी किये गये तथा उसी के आधार पर छोटी खोह में फार्म-ए-कण्डिका 10 तथा 19 तथा चार-3 ए की कण्डिका 11 एवं 12. (ड.) के अनुसार भूमि स्वामी अधिकार के पट्टे स्वीकृत किये गये थे, लेकिन प्रशासन द्वारा जनजाति समुदाय को क्यों अकारण परेशान किया जा रहा है। (घ) शासन इन्हें प्रधानमंत्री आवास के लिये आवास उसी स्थान पर कब तक उपलब्ध करायेगा या अनुशंसा करेगा? जानकारी दी जावे।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। जी हाँ। उपरोक्त के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) वर्ष 2004 में तहसील जौरा के ग्राम टिकटोली के लोगों को तहसील कार्यालय से जनजाति के प्रमाण-पत्र जारी नहीं किये गये हैं। ग्राम टिकटोली के व्यक्तियों को भू-खण्ड प्रमाण-पत्र जारी किये गये है जिनका जाति से कोई संबंध नहीं है। भू-खण्ड प्रमाण-पत्र आबादी में पूर्व से धारित भूमि पर शासन नियमानुसार प्रदाय किये गये हैं। जनजाति समुदाय को परेशान करने की कोई स्थिति नहीं है। (घ) पात्रतानुसार कार्यवाही की जायेगी।
वेण्डर सूची से सामग्री की खरीदी
[ऊर्जा]
74. ( क्र. 935 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना जिले के अन्तर्गत दिनांक 07.11.2016 के बाद 3% व 5% सुपरविजन के कार्यों में म.प्र. मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा अनुमोदित वेण्डर सूची से सामान नहीं खरीदा जा रहा है? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) ऐसे कार्यों जिनमें विभाग द्वारा अनुमोदित वेण्डर सूची से माल नहीं खरीदने के लिए कौन अधिकारी-कर्मचारी जवाबदेह है। विभाग द्वारा अभी तक ऐसे कितने प्रकरणों की जानकारी प्राप्त हुई है तथा उन पर क्या कार्यवाही की जा रही है? (ग) दिनांक 07.11.2016 के बाद कुल कितने प्राक्कलन स्वीकृत किये गये तथा उन कार्यों के कार्य स्थल, उपभोक्ताओं के नाम एवं कार्य को करने के उपरांत कितने ठेकेदारों द्वारा कार्यों में वेण्डर से खरीदी गई सामग्री के क्रय व्हाउचर्स उपलब्ध कराये गये?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मुरैना जिले के अंतर्गत दिनांक 07.11.2016 के बाद 3 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज वाले 670 स्वीकृत कार्यों एवं 5 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज वाले 166 स्वीकृत कार्यों में उपयोग होने वाली मुख्य सामग्री आदि अनुमोदित वेण्डर से ही क्रय की गयी है। सुपरविजन योजनान्तर्गत कार्यों में ठेकेदारों द्वारा माइनर मटेरियल, कार्यों को शीघ्र सम्पादित करने के उद्देश्य से अनुमोदित वेण्डरों से नहीं खरीदा गया है, परंतु क्रय किये गये माइनर मटेरियल की गुणवत्ता मानक स्तर की ही है। (ख) उक्त कार्यों में ठेकेदारों द्वारा अनुमोदित वेण्डरों से सम्पूर्ण सामग्री नहीं खरीदकर अन्यत्र से खरीदी गई सामग्री का कार्यों में उपयोग किया गया है, जिस हेतु संबंधित उप-महाप्रबंधक, प्रबंधक एवं सहायक प्रबंधक जवाबदेह है। उत्तरांश (क) में दर्शाये गये सभी प्रकरणों में महाप्रबंधक मुरैना के पत्र क्र.3152 दिनांक 05.07.17 के द्वारा जाँच के आदेश जारी कर दिये गये हैं एवं एस.टी.सी. संभाग मुरैना द्वारा संबंधित समस्त 35 ठेकेदारों को नोटिस भी जारी कर दिये गये हैं। (ग) दिनांक 07.11.16 के बाद 3 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज वाले कार्यों में कुल 670 एवं 5 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज वाले कार्यों में कुल 166 प्राक्कलन स्वीकृत किये गये। 3 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज एवं 5 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज वाले कार्यों के स्थल का नाम एवं उपभोक्ताओं के नाम पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘अ‘ एवं प्रपत्र-‘ब‘ में दर्शाए अनुसार हैं। उपरोक्त सभी कार्यों को 35 ठेकेदारों द्वारा किया गया है एवं उनके द्वारा मुख्य सामग्री के अनुमोदित वेण्डरों के क्रय व्हाउचर उपलब्ध कराये गये हैं।
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं का पालन
[सामान्य प्रशासन]
75. ( क्र. 955 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माह जनवरी, 2014 से प्रश्न दिनांक तक माननीय मुख्यमंत्री जी पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कहाँ-कहाँ, किस-किस दिनांक को प्रवास पर रहे। उक्त प्रवास के दौरान माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा कौन-कौन सी घोषणायें की गयी थी। उन घोषणाओं में कौन-कौन सी घोषणायें पूर्ण हो चुकी है तथा कौन-कौन सी घोषणायें अभी तक किन कारणों से पूर्ण नहीं हो सकी हैं? घोषणावार, विभागवार सूची उपलब्ध करायें? (ख) प्रश्नांश (क) से संबंधित जिन घोषणाओं को पूर्ण किया गया है उसमें कार्य का स्वरूप, कार्य का नाम एवं स्थान, स्वीकृत राशि, निर्माण एजेंसी का नाम, कार्य प्रारंभ की तिथि एवं पूर्ण होने की तिथि बतायें। (ग) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रदेश के जिलों में प्रवास के दौरान जनहित से जुड़ी की गई घोषणायें जिला कलेक्टर द्वारा सभी घोषणायें मुख्यमंत्री कार्यालय को नहीं भेजी जाती हैं अथवा उन्हें मनमाने तरीके से बदलकर भेजा जाता है। यदि हाँ, तो क्या ऐसे मामले मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में आये हैं और दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही हुई है? यदि हाँ, तो जानकारी उपलब्ध करायें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 एवं 2 अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार। (ग) कलेक्टर द्वारा सभी घोषणाएं मुख्यमंत्री सचिवालय भेजी जाती है शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सदस्यों पर अत्याचार एवं सहायता
[अनुसूचित जाति कल्याण]
76. ( क्र. 956 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिले में विगत तीन वर्षों के दौरान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के कितने व्यक्तियों के साथ अत्याचार किये जाने के प्रकरण दर्ज किये गये हैं। विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) उक्त जिले एवं अवधि में दर्ज प्रकरणों में जाँच के पश्चात् कितने प्रकरणों में अत्याचार की घटना सही पाये जाने पर कितने पीडि़त परिवारों को कितनी आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत की गई है? (ग) दर्ज प्रकरणों में कितने दोषियों को कितनी-कितनी सजा से दण्डित किया गया है? विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी उपलब्ध करायें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ अनुसार है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में भ्रष्टाचार एवं नियमों के पालन की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
77. ( क्र. 960 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विधान सभा क्षेत्र अटेर की जनपद पंचायत अटेर में ICDS परियोजना के केन्द्रों में भ्रष्टाचार किये जाने के संबंध में विगत डेढ़ वर्ष में कितनी शिकायतें प्राप्त हुई? शिकायतकर्ता का नाम एवं शिकायत के प्रमुख बिन्दु क्या थे? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में शिकायतों की जाँच किस अधिकारी से किन दिनों में कराई गई? शिकायत की जाँच में क्या तथ्य पाए गए? विवरण दिया जावे। (ग) शिकायत के बिन्दु जाँच में सही पाए जाने पर दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों। अनियमितताओं के लिए उत्तरदायी कौन है? कब तक कार्यवाही की जावेगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) विधान सभा क्षेत्र अटेर की जनपद पंचायत अटेर में आई.सी.डी.एस. परियोजना के केन्द्रों में भ्रष्टाचार किये जाने के संबंध में विगत डेढ़ वर्ष में 04 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। शिकायतकर्ता का नाम एवं शिकायत के प्रमुख बिन्दु पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
पूर्व में दिये गये पत्रों पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
78. ( क्र. 966 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी जिले की विधानसभा क्षेत्र बहोरीबंद में ग्रामीणों/किसानों को बिजली, पानी, बीमा राशि, सहित अन्य समस्याओं को लेकर दिनांक 29.03.2017, 19.04.2017, 17.06.2017 एवं 20.06.2017 को प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा पत्र प्रेषित किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर हाँ, तो उक्त तिथियों में प्रेषित ज्ञापन पत्रों पर क्या-क्या कार्यवाही किन-किन बिंदुओं पर हुई? तिथिवार, कार्यवाहीवार विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) अनुसार क्या शासन द्वारा उपरोक्त ज्ञापन पत्रों में उल्लेखित बिन्दुओं पर ठोस कदम उठाया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक और यदि नहीं, तो क्यों? कारण बताएं।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश (क) में माननीय सदस्य के उल्लेखित दिनांकों के ज्ञापन माननीय राज्यपाल महोदय मध्यप्रदेश को सम्बोधित होने से कलेक्टर कटनी द्वारा इन्हें मूलत: राजभवन सचिवालय भोपाल को प्रेषित किया गया। साथ ही इस संबंध में कार्यवाही करने हेतु सभी विभागों को पत्र भी लिखा गया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा पेयजल संबंधित कार्यवाही की जाकर माननीय सदस्य को दिनांक 4.7.2017 को सूचित किया गया है। (ग) संबंधित विभागों द्वारा शासन के नियम/निर्देशों के अन्तर्गत कार्यवाही की जाती है। निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं है।
डूब प्रभावित क्षेत्रों का पुनर्वास
[नर्मदा घाटी विकास]
79. ( क्र. 970 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सरदार सरोवर बांध की डूब से प्रभावित स्थापितों को पुनर्वास से संबंधित कई प्रकरण शिकायत निवारण प्राधिकरण में लंबित हैं? यदि हाँ, तो विस्थापितों की नामवार, ग्रामवार सूची देवें। (ख) क्या ऐसे विस्थापित जिन्हें अभी लाभ नहीं मिले हैं एवं जिनके प्रकरण लंबित है? इन्हें भी शासन डूब क्षेत्र से जबरन हटा देगा। इससे संबंधित आदेश की छायाप्रति देवें। (ग) टापू बन रहे खेती क्षेत्र में जाने हेतु कितने कार्य किन गाँवों में पूर्ण हो गये हैं? कितने अपूर्ण हैं? इनकी लागत सहित पूरी जानकारी प्रश्न दिनांक तक देवें। (घ) सरदार सरोवर के जलग्रहण क्षेत्र में जलग्रहण क्षेत्र उपचार का किस गाँव में कार्य हुआ? व्यय सहित पूरी जानकारी देवें।
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) सरदार सरोवर बांध के पुनरीक्षित बेक वाटर लेवल से प्रभावित मान्य विस्थापितों को उनकी पात्रता अनुसार पुनर्वास के लाभ दिये जा चुके हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 08/02/2017 के अनुसार डूब क्षेत्र में रह रहे सभी व्यक्तियों को दिनांक 31/07/2017 तक डूब क्षेत्र स्वयं रिक्त करना होगा उसके बाद राज्य शासन बलपूर्वक डूब क्षेत्र रिक्त करा सकेगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 08/02/2017 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) तहसील कुक्षी के ग्राम करोंदिया, बाजडीखेडा, गेहलगाँव एवं कडमाल की पहुँच मार्ग से प्रभावित कृषि भूमि में आवागमन हेतु रूपये 908.31 लाख की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें 100 मी. लंबे पुल एवं 7 कि.मी. पहुँच मार्ग का निर्माण किया जा रहा है। इसी प्रकार ग्राम चंदनखेडी, किकरवास, धरमराय के अधूरे पहुँच मार्ग निर्माण हेतु भी रूपये 66.17 लाख स्वीकृत किये गए हैं। निर्माण हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
बांध निर्माण से हुए विस्थापित परिवार
[नर्मदा घाटी विकास]
80. ( क्र. 971 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार 60 लाख रू. की पात्रता वाले विस्थापित परिवारों की कुल संख्या क्या है? इनमें से कितने परिवारों का भुगतान हुआ है, कितना बाकी है? सरदार सरोवर के संबंध में बतावें। (ख) सरदार सरोवर क्षेत्र के समस्त धार्मिक स्थलों की सूची, जिलावार बतावें। किन पुनर्वास स्थलों पर चारागाह हैं? सूची देवें। (ग) वृक्ष काटने के ठेके किन्हें किन शर्तों एवं दरों पर दिए हैं? (घ) पुनर्वास के मुआवजा वितरण में देरी एवं कार्यों में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) पात्रता वाले अब तक कुल 745 विस्थापित परिवार चिन्हित किये गये हैं, इनमें से दिनांक 30/06/2017 तक 668 विस्थापित परिवारों को देय राशि का भुगतान किया गया है एवं 77 परिवारों को भुगतान किये जाने की कार्यवाही शिकायत निवारण प्राधिकरण में विचाराधीन है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। किसी भी पुनर्वास स्थल पर चारागाह नहीं हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) विभाग द्वारा पेड़ कटाई की कोई निविदा नहीं है। (घ) मुआवजा वितरण में कोई देरी नहीं हुई है। अत: कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। भ्रष्टाचार के संबंध में जाँच झा आयोग द्वारा की गई थी लेकिन विभाग के किसी अधिकारी को दोषी नहीं पाया। तत्पश्चात माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 08/02/2017 में आदेश दिये हैं कि :- “All pending litigations, civil and criminal, emerging out of the recommendations made by the Jha Commission, in the report dated January 2016 shall come to an end.” शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मुख्यमंत्री कृषि स्थायी पंप कनेक्शन योजना का क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
81. ( क्र. 974 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र महिदपुर में मुख्यमंत्री कृषि स्थायी पंप कनेक्शन योजना के अंतर्गत कितने ट्रांसफार्मर स्वीकृत हुए? इनको स्थापित करने के लिए कितनी समय-सीमा निर्धारित हैं? (ख) इसके समस्त प्रावधानों व नियमों की छायाप्रति देवें। (ग) उपरोक्त ट्रांसफार्मर निर्धारित समय-सीमा में नहीं लगाने वाले उत्तरदायी ठेकेदारों व अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) महिदपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना के अंतर्गत वर्ष 2016-17 में 274 वितरण ट्रांसफार्मर (283 पम्प कनेक्शन हेतु) एवं वर्ष 2017-18 में दिनांक 25/06/2017 तक कुल 108 वितरण ट्रांसफार्मर (115 पम्प कनेक्शन हेतु), इस प्रकार कुल 382 वितरण ट्रांसफार्मर स्वीकृत किये गये हैं। इस योजना के अंतर्गत आवेदक द्वारा राशि जमा कराने के उपरांत विद्युत अधोसंरचना विकास कार्यों को पूर्ण करने हेतु निर्धारित समयावधि 9 माह है। (ख) मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना के प्रावधानों व नियमों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) में उल्लेखित प्रश्नाधीन क्षेत्र एवं अवधि में स्वीकृत 382 वितरण ट्रांसफार्मरों में से दिनांक 29.06.2017 तक 3 ट्रांसफार्मर मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित समयावधि में स्थापित किये जा चुके हैं तथा शेष 379 वितरण ट्रांसफार्मर लगाए जाने शेष हैं जो कि सभी योजनान्तर्गत निर्धारित समयावधि के भीतर के हैं। उक्त योजना के प्रावधानों के अनुसार कार्य पूर्ण किये जाने हेतु निर्धारित समयावधि का किसी भी प्रकरण में उल्लंघन नहीं हुआ है, अत: किसी के उत्तरदायी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
किसानों की भूमि की जानकारी
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
82. ( क्र. 975 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला आगर व महिदपुर विधान सभा क्षेत्र में सौर व पवन ऊर्जा के कितने प्रोजेक्ट संचालित हो रहे हैं। (ख) यह भी बतावें कि इनके लिए कितने किसानों की भूमि किस दर से ली गई है? उपरोक्तानुसार प्रत्येक किसान के नाम, भूमि रकबा, भुगतान राशि, दिनांक सहित जिला आगर एवं महिदपुर विधान सभा क्षेत्र के लिए पृथक-पृथक बतावें। (ग) किसानों की भूमि का मनमाना अधिग्रहण करने वाली इन कंपनियों एवं इसकी निगरानी करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा? (घ) उपरोक्त प्रभावित किसानों को शासन कब तक उचित राशि दिलायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जिला आगर में 53 सौर ऊर्जा और 4 पवन ऊर्जा परियोजनाएं संचालित हो रही हैं। महिदपुर विधान सभा क्षेत्र में 2 पवन ऊर्जा परियोजनाएं संचालित हो रही हैं। (ख) सौर एवं पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने हेतु निजी विकासकों द्वारा किसानों/भू-स्वामियों से उनकी निजी भूमि स्वेच्छा से क्रय की जाती है। यह संव्यवहार दो निजी पक्षों के मध्य है। (ग) जिला आगर एवं महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में संचालित सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा परियोजनाओं में प्रयुक्त निजी भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है। अत: किसी कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (घ) संबंधित किसानों द्वारा स्वेच्छा से भूमि बेची गई है।
अनुसूचित जनजाति कार्यक्रम का आयोजन
[आदिम जाति कल्याण]
83. ( क्र. 979 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि.अता. प्र.क्र. 1181 दि. 11.03.2017 के (क) उत्तर में बताया कि दि. 21.01.17 को बड़वानी में आयोजित राज्य स्तरीय अनु. जनजाति सम्मेलन में विभिन्न फर्मों/दुकानदारों के वास्तविक देयक अप्राप्त हैं, तो क्या यह देयक प्राप्त हो गये हैं? यदि हाँ, इन देयकों की समस्त छायाप्रतियों सहित समस्त व्यय की जानकारी देवें? (ख) उपरोक्तानुसार किन फर्मों/दुकानदारों को कितना भुगतान किस कार्य के लिए किया गया? कितना भुगतान प्रश्न दिनांक तक लंबित हैं। (ग) इसी प्रश्न के (ग) उत्तर में वर्णित 22000 हितग्राहियों में से 500 हितग्राहियों एवं समस्त प्रशिक्षणकर्ताओं के नाम, प्रशिक्षण कार्यक्रम की C.D. सहित देवें? (घ) हितग्राहियों के प्रशिक्षण के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, भुगतान विवरण व देयक सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) भुगतान विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। भुगतान हेतु कोई देयक लंबित नहीं है। (ग) सी.डी. पुस्तकालय में रखे अनुसार है। (घ) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही में विलंब
[सामान्य प्रशासन]
84. ( क्र. 982 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2013 के उपरांत लोकायुक्त संगठन व आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों पर विभिन्न अनियमितताओं, भ्रष्टाचार आदि के मामलों में जाँच पूर्ण कर शासन/विभाग को प्रतिवेदन सौंपे गये हैं? इन जाँच प्रतिवेदनों व अनुशंसाओं पर अब तक कार्यवाही न किये जाने के क्या-क्या कारण हैं? कब तक विधिसम्मत कार्यवाही की जावेगी? समय-सीमा बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में कार्यवाही न करने, कार्यवाही लंबित रखने हेतु कौन-कौन अधिकारी उत्तरदायी हैं? क्या प्रदेश में प्रकरणों में 90 दिनों में जाँच पूरी किये जाने के निर्देश का पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या प्रदेश के मान. मुख्यमंत्री महोदय द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टोलेरेंस के निर्देश हैं? यदि हाँ, फिर भ्रष्टाचार के मामलों में समय-सीमा में कार्यवाही/दंड न दिये जाने के क्या कारण है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
दोषी सहायक अभियंता के विरूद्ध कार्यवाही
[ऊर्जा]
85. ( क्र. 983 ) श्री हर्ष यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2013 से 2016 तक देवरी उपसंभाग के पदस्थ सहायक अभियंता के विरूद्ध कितनी वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत प्राप्त हुई है एवं विभाग को प्राप्त शिकायतों के आधार पर कार्यवाही प्रस्तावित की गई है या नहीं? यदि नहीं, की है, तो क्यों नहीं? (ख) क्या उक्त सहायक यंत्री द्वारा बिना प्राक्कलन स्वीकृति एवं बिना डिपोजिट किये क्षेत्र में ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये हैं? यदि हाँ, तो ऐसे कितने ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये हैं? यदि इस प्रकार की वित्तीय अनियमितताएं उक्त सहायक अभियंता द्वारा की गई है, तो क्या उक्त कार्य की जानकारी विभाग के किन्हीं भी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं रही है। (ग) क्या देवरी उपसंभाग के अंतर्गत कोपरा से मुडेरी 11 के.व्ही. लाईन का विस्तार किया गया है? यदि हाँ, तो क्या उक्त कार्य के लिए संबंधित सहायक अभियंता द्वारा विभाग से स्वीकृति ली गई है। यदि हाँ, तो उक्त कार्य के लिए मण्डल में कितनी राशि डिपोजिट की गई है। (घ) क्या उक्त सहायक अभियंता द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताओं में तत्कालीन कार्यपालन अभियंता व अधीक्षण अभियंता द्वारा संरक्षण प्राप्त रहा है? यदि नहीं, तो क्या उक्त वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों के बिना अनुमति के स्वीकृत किया गया है।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) वर्ष 2013 से 2016 तक देवरी उपसंभाग में पदस्थ सहायक अभियंता के विरूद्ध दो वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत प्राप्त हुई हैं। प्राप्त शिकायतों की जाँच कर प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये गये श्री यू.एस. पाराशर, सहायक अभियंता को निलम्बित कर दिया गया है। (ख) क्षेत्रीय कार्यालय सागर में पदस्थ अधीक्षण अभियंता द्वारा श्री यू.एस. पाराशर, सहायक अभियंता के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों के संबंध में की गई प्रारंभिक जाँच में वित्तीय अनियमितता पाई गई तथा प्रकरण में विस्तृत जाँच की आवश्यकता को देखते हुये मुख्य अभियंता सागर क्षेत्र ने आदेश क्रं. 185-86 दिनांक 15.06.17 के माध्यम से सहायक अभियंता श्री यू.एस. पाराशर को निलंबित कर दिया है। प्रश्नाधीन उल्लेखित अनियमितता सहित माननीय विधायक महोदय के विभिन्न संदर्भों से प्राप्त शिकायतों का समावेश कर प्रकरण में विस्तृत जाँच कराए जाने हेतु मुख्य अभियंता, सागर क्षेत्र को निर्देशित किया गया है। जाँचोपरांत प्रश्नांश में वांछित अनियमितता संबंधी विस्तृत जानकारी दिया जाना संभव हो सकेगा। (ग) जी हाँ। वोल्टेज की समस्या के निराकरण हेतु 1.7 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन का विस्तार ग्राम कोपरा से मुड़ेरी तक प्रणाली सुदृढ़ीकरण योजना के अंतर्गत विभागीय तौर पर स्वीकृत किया गया है। अत: उक्त कार्य हेतु राशि डिपॉजिट किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार श्री यू.एस. पाराशर को निलंबित कर विस्तृत जाँच कराए जाने हेतु निर्देश दिये गये हैं। जाँचोपरांत दोषी पाए जाने पर संबंधित के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।
विद्युत भुगतान की जानकारी
[ऊर्जा]
86. ( क्र. 988 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी, सिंगरौली जिले में बिजली विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में मेन्टीनेंस एवं अन्य कार्य हेतु पर कितना आवंटन प्राप्त हुआ है? कितना व्यय हुआ है? (ख) क्या 25000 और उससे कम के देयक तैयार कराए जाकर फर्जी भुगतान किया गया? यदि हाँ, तो किस-किस फर्म को कितना भुगतान किया गया है? इसी प्रकार 25000 से अधिक के देयकों पर कितना भुगतान किस-किस फर्म को किया गया है? विवरण देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में बिजली विभाग द्वारा घोर अनियमितता बरती गई है? इसकी जाँच कब तक कराई जावेगी? दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सीधी एवं सिंगरौली जिलों में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में मेन्टीनेंस एवं अन्य कार्य हेतु प्राप्त आवंटन एवं व्यय का विवरण निम्नानुसार है :-
(राशि रू. लाख में)
क्र. |
सीधी एवं सिंगरौली जिलों के अंतर्गत संचा-संधा संभाग का नाम |
वर्षवार आवंटन का व्यय |
|||
वर्ष 2015-16 |
वर्ष 2016-17 |
||||
आवंटन |
व्यय |
आवंटन |
व्यय |
||
1 |
सीधी (संचा-संधा) |
150 |
108.74 |
90 |
79.61 |
2 |
वैढन (संचा-संधा) |
89 |
48.92 |
58 |
51.91 |
3 |
वैढन (शहर) |
150 |
5.92 |
100 |
96.06 |
योग |
389 |
163.58 |
248 |
227.58 |
(ख) जी नहीं, प्राप्त देयकों का नियमानुसार भुगतान किया गया है। प्रश्नाधीन अवधि में उक्त कार्यों हेतु फर्मवार देयकों के भुगतान संबंधी जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार नियमानुसार भुगतान किया गया है अत: किसी प्रकार की जाँच कराने या किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।
विद्युत कनेक्शन की जानकारी
[ऊर्जा]
87. ( क्र. 989 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले के अंतर्गत सिंहावल क्षेत्र के अविद्युतीकृत ग्रामों की जानकारी दें? जिले के अन्तर्गत स्वीकृत 11वीं/12वीं पंचवर्षीय राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण/दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत कितने कनेक्शन प्रदाय कर दिए गए हैं एवं कितने कनेक्शन दिया जाना शेष है? कब तक उन्हें लाभान्वित किया जावेगा? (ख) सीधी जिले में विधानसभा क्षेत्रवार कितने ट्रांसफार्मर जले हुए हैं और उन्हें बदला नहीं गया है? संख्या सहित विवरण देवें। समय-सीमा में किस-किस गाँव के ट्रांसफार्मर नहीं बदले गये हैं? विवरण देवें। दोषी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या सीधी जिले में डी.सी. अमिलिया, बहरी, देवसर, सिंगरौली में पोल गड़े है, किन्तु तार नहीं खिंचे हैं, पोल टूटे हुए हैं? पुराने तारों की वजह से विद्युत संचार बंद है। (घ) ग्राम गेरूआ में 132 के.व्ही. बड़ी लाईन का कार्य कब तक पूरा किया जाकर विद्युत प्रदाय चालू किया जावेगा? स्वीकृति के उपरांत भी कार्य क्यों बंद पड़ा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सीधी जिले के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र सिंहावल में कोई भी ग्राम विद्युतीकरण हेतु शेष नहीं है। सीधी जिले में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत योजनान्तर्गत कुल 66664, 11वीं पंचवर्षीय (पूरक) योजना में स्वीकृत योजनान्तर्गत कुल 13776 एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत योजनान्तर्गत कुल 8730 गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सभी श्रेणी के हितग्राहियों को नि:शुल्क कनेक्शन प्रदान किये गए हैं। उक्त योजनान्तर्गत कोई भी कनेक्शन जारी किया जाना शेष नहीं है। अत: समय-सीमा बताये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ख) जिला सीधी में जले/खराब ट्रान्सफार्मर जिन्हें बदलना शेष है, की विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी निम्नानुसार है :-
क्र. |
विधानसभा क्षेत्र का नाम |
ग्रामों की संख्या |
फेल ट्रांसफार्मरों की संख्या |
कुल उपभोक्ताओं की संख्या |
बकाया राशि वाले उपभोक्ताओं की संख्या |
बकाया राशि (रू. लाख में) |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
1 |
चुरहट |
01 |
01 |
37 |
26 |
1.18 |
2 |
सीधी |
02 |
02 |
43 |
34 |
0.99 |
3 |
सिंहावल |
28 |
28 |
830 |
536 |
34.23 |
4 |
धौहनी |
03 |
03 |
81 |
47 |
1.99 |
योग |
34 |
34 |
991 |
643 |
38.39 |
उक्त जले/खराब बदलने हेतु शेष सभी वितरण ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की राशि जमा नहीं करने के कारण बदले नहीं जा सके हैं, अत: ट्रांसफार्मर बदलने में हो रहे विलंब के लिये किसी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी हाँ, सीधी जिले के वितरण केन्द्र अमिलिया एवं बहरी के अंतर्गत ग्राम पंचायत पड़रिया के ग्राम बहेरा में 19 पोल, ग्राम पंचायत क्षेत्र चोराही में 17 पोल तथा ग्राम पंचायत क्षेत्र चमरौहा के ग्राम परसिधी में 05 पोल खड़े हैं। उपरोक्त ग्रामों में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत् विद्युतीकरण के कार्य किये गये थे तथा तत्समय ग्रामीणों द्वारा उक्त पोल अवैधानिक रूप से स्वयं खड़े कर लिये गये थे। इन अवैधानिक रूप से खड़े पोलों पर तार नहीं खींचे गये हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायत क्षेत्र हिनौती में श्री गुलाब प्रसाद पटेल एवं श्री हिन्छलाल पटेल के ट्यूब वेल हेतु वर्ष 2011 में एस.टी.सी. संभाग रीवा द्वारा पम्प कनेक्शन के लिए कुछ पोल खड़े किये गये थे, किन्तु ग्रामीणों के आपसी विवाद के कारण कार्य पूर्ण नहीं कराया जा सका है। इसके अतिरिक्त ग्राम दुधमनिया एवं चितवरिया मुसलमान बस्ती के आंधी तूफान से टूटे पोलों के स्थान पर नये पोल स्थापित कर दिये गये हैं। सिंगरौली जिले के वितरण केन्द्र देवसर एवं सिंगरौली में कहीं भी अतिरिक्त पोल नहीं खड़े है, जहाँ तार खींचना शेष है और न ही कहीं टूटे हुए पोल खड़े हैं। प्रश्नाधीन क्षेत्र में कहीं भी पुराने तारों की वजह से विद्युत प्रदाय बंद नहीं है। (घ) जायका-2 स्कीम के अंतर्गत 132 के.व्ही. सीधी-सिंहावल पारेषण लाईन स्वीकृत है। इस लाईन के निर्माण हेतु प्राक्कलन एवं कार्यादेश स्वीकृति का कार्य प्रक्रियाधीन है। निविदा दस्तावेज वित्तीय संस्थान जायका से अनुमोदन हेतु प्रेषित किये गये हैं। अनुमोदन उपरांत निविदा जारी कर सफल निविदाकार को कार्यादेश दिया जावेगा। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में 132 के.व्ही. सीधी-सिंहावल लाईन का कार्य पूर्ण होने की निश्चित समय-सीमा बता पाना संभव नहीं है।
विभाग द्वारा राशि वितरण
[आदिम जाति कल्याण]
88. ( क्र. 993 ) श्रीमती अनीता नायक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग में टीकमगढ़ जिले में वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक किस मद से कितनी-कितनी राशि शासन के द्वारा प्रदान की गई? (ख) राशि वितरण के क्या नियम हैं? नियम बतावें। क्या नियमानुसार राशि का वितरण किया गया है, तो विधान सभा क्षेत्रवार कितनी राशि शासन द्वारा स्वीकृत की गई एवं कितनी राशि का उपयोग नियमानुसार किया गया है? अगर नहीं किया गया तो क्यों? (ग) जिन अधिकारी/कर्मचारी द्वारा उक्त कार्य हेतु राशि का आवंटन शासन नियमानुसार नहीं किया गया तो उनके विरूद्ध कार्यवाही होगी? अगर हो तो क्या और कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) छात्रवृत्ति एवं शिष्यवृत्ति शासन नियम अनुसार स्वीकृति के आधार पर संस्थाओं में अध्ययनरत् एवं निवासरत् छात्र-छात्रओं के बैंक खाते में जमा किया जाता है। निर्माण कार्य का आवंटन नियमानुसार शासन स्वीकृति के आधार पर प्रदान किया जाता है। बस्ती विकास योजनान्तर्गत आवंटन जिले में अनुसूचित जनजाति की संख्या के आधार पर जारी किया जाता है। सामग्री मद का आवंटन छात्र-छात्रओं/संस्थाओं की संख्या के आधार पर जारी किया जाता है। (ग) आवंटन शासन नियम-निर्देशों के तहत जारी किया जाता है। अत: कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
राजगढ़ विधानसभा में संचालित आंगनवाड़ी/मिनी केन्द्र
[महिला एवं बाल विकास]
89. ( क्र. 995 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या राजगढ़ विधानसभा के नगर एवं ग्रामों में आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी संचालित हैं? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ पर और कब से। प्रारम्भ की दिनांक, स्थान व उनके संचालन का समय बतावें? (ख) राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र की उक्त सभी आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी में वर्तमान में कितने-कितने बच्चे दर्ज हैं? (ग) उक्त संचालित आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चों को शासन द्वारा क्या-क्या सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैं? आदेश की प्रति सहित जानकारी बतावें? (घ) उक्त आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों का संचालन किसके द्वारा किया जाता है? उनके नाम, पदनाम बतावें तथा उनकी मॉनिटरिंग किसके द्वारा की जाती है? उनके भी नाम व पदनाम बतावें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। संचालित आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों के स्थान एवं प्रारंभ दिनांक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। वर्तमान में केन्द्र संचालन सुबह 9.00 बजे से 3.00 बजे तक किया जाता है। ग्रीष्मकाल में उक्त समय सुबह 8.00 बजे से 2.00 बजे तक का होता है। (ख) राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र की आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों में वर्तमान में दर्ज बच्चों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है। (ग) आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों में आने वाले बच्चों को विभाग की निर्धारित 06 सेवाओं उपलब्ध कराई जाती है। सेवाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ग'' अनुसार है। (घ) आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों का संचालन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/उप-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाता है। उनके नाम की जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रश्नांश ''क'' के परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। उनकी मॉनिटरिंग सेक्टर पर्यवेक्षक एवं परियोजना अधिकारी/प्रभारी परियोजना अधिकारी द्वारा की जाती है। नाम एवं पदनाम की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''घ'' अनुसार है।
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
90. ( क्र. 996 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा ग्रामों व मजरे टोलों में विद्युत उपलब्ध कराये जाने हेतु राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना प्रारंभ की गई थी? यदि हाँ, तो राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कब से और किस फर्म द्वारा उसका कार्य कराया गया है? फर्म का नाम व पता सहित बतावें? (ख) क्या राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सभी ग्रामों को सम्मिलित किया गया था? योजना में शामिल ग्रामों की सूची उपलब्ध करावें? (ग) क्या राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में सम्मिलित सभी ग्रामों में लाईट चालू हो चुकी है? यदि हाँ, तो सूची देवें और यदि नहीं, तो जिन ग्रामों में लाईट चालू नहीं हो पाई है उन ग्रामों की सूची तथा चालू नहीं होने का क्या कारण है? (घ) उक्त योजना में सम्मिलित किये गये विद्युत विहीन ग्रामों विद्युत कब तक चालू कर दी जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र सहित राजगढ़ जिले में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत विद्युतीकरण का कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु मेसर्स सिम्पलेक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड के.सी.पी.एल. (जे.वी.) सिम्पलेक्स हाउस 27, शेक्सपिअर सारनी, कोलकाता को दिनांक 27.01.2012 को अवार्ड जारी किया गया था। (ख) राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के 600 ग्रामों में से 231 राजस्व ग्रामों को राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में सघन विद्युतीकरण के कार्य हेतु सम्मिलित किया गया था, जिनकी ग्रामवार सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ, राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में सम्मिलित संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए सभी 231 ग्रामों में सघन विद्युतीकरण के कार्य पूर्ण कर बी.पी.एल. हितग्राहियों को नि:शुल्क कनेक्शन प्रदाय किये जा चुके हैं। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
किसानों को अनुदान योजना के तहत प्राप्त विद्युत ट्रांसफार्मर
[ऊर्जा]
91. ( क्र. 1003 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक क्या राजगढ़ जिले की खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के किसानों से अनुदान योजना के तहत लाईन एवं ट्रांसफार्मर हेतु मध्यप्रदेश विद्युत कंपनी ने राशि जमा कराई है? यदि हाँ, तो कितने किसानों ने कितनी राशि जमा की है? (ख) अनुदान योजना अंतर्गत कितने किसानों के खेतों में लाईन विस्तार कार्य पूर्ण कर दिया गया है एवं कितने किसानों के खेतों में राशि जमा करने के बाद भी ट्रांसफार्मर व लाईन विस्तार का कार्य नहीं किया गया? इसमें कौन अधिकारी दोषी है एवं उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जा रही है? (ग) जिन किसानों ने राशि जमा कराई है उनकी कृषि भूमि में सिंचाई हेतु कब तक विद्युत कनेक्शन दे दिये जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक राजगढ़ जिले की खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र में कृषकों को स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन प्रदान करने के लिये आवश्यकतानुसार लाईन विस्तार एवं वितरण ट्रांसफार्मर की स्थापना/क्षमता वृद्धि के कार्यों हेतु कृषक अनुदान योजना एवं मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना के अन्तर्गत 931 कृषकों से राशि रू. 360.05 लाख जमा कराई गई है। (ख) उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में 931 कृषकों में से कुल 596 कृषकों को स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु लाईन विस्तार के कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं एवं 335 कृषकों के कार्य शेष हैं। उक्त शेष सभी कार्य योजनान्तर्गत निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण कर दिये जायेंगे। अत: किसी अधिकारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) प्रश्नाधीन शेष 335 कृषकों को स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु आवश्यक कार्य उनके द्वारा जमा कराई गई राशि के दिनांक से योजना अंतर्गत निर्धारित समय-सीमा 9 माह में पूर्ण कर विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के प्रयास किये जावेंगे।
विद्युतीकरण योजनाओं का क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
92. ( क्र. 1004 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले के खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों, मजरे-टोले, अनुसूचित जाति एवं जनजाति बस्तियों में विद्युतीकरण की कौन-कौन सी योजनायें चल रही है? (ख) प्रश्नांश (क) किस-किस योजना अंतर्गत किन-किन मजरे टोले, अनुसूचित जाति एवं जनजाति बस्तियों में वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक विद्युतीकरण के कार्य किये गये है? वर्षवार, ग्रामवार जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रक्ष्य में किस-किस योजना से कौन-कौन से ग्राम एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति बस्तियों में विद्युतीकरण कार्य कराया जाना शेष है एवं कब तक विद्युतीकरण कार्य पूर्ण करा लिया जावेगा? सूची व समय-सीमा बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) राजगढ़ जिले के खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के राजस्व ग्रामों में विद्युतीकरण का कार्य 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत फरवरी 2017 में पूर्ण कर लिया गया है। वर्तमान में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत ग्रामों के सघन विद्युतीकरण हेतु राजगढ़ जिले के खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के मजरों/टोलों/अनुसूचित जाति एवं जनजाति बस्तियों में विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत किया गया है, जिसका क्रियान्वयन टर्न-की आधार पर कराये जाने हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत 352 राजस्व ग्राम आते हैं जो कि सभी विद्युतीकृत हैं तथा वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में उक्त में से 302 ग्रामों के सघन विद्युतीकरण तथा 11 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कराया गया है, जिनका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में दीनदयालय उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत स्वीकृत खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले 79 मजरों/टोलों तथा 54 अनुसूचित जाति एवं जनजाति बाहुल्य बस्तियों में विद्युतीकरण का कार्य शेष है, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' एवं 'द' अनुसार है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अंतर्गत निविदा की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। योजनांतर्गत विद्युतीकरण का कार्य निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के उपरांत अवार्ड जारी करने की तिथि से नियमानुसार 24 माह में पूर्ण पाया जाना निर्धारित है।
भाग-3
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
लोकायुक्त
संगठन द्वारा जाँच
प्रकरण में
कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
1. ( क्र. 24 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 3 मार्च 2017 के परि.आत. प्रश्न संख्या 2 (क्रमांक 31) के उत्तर में बताया गया है कि माननीय लोकायुक्त अथवा उप लोकायुक्त के आदेश पर लोकायुक्त संगठन द्वारा जाँच प्रकरण क्रमांक 824/16 पंजीबद्ध किया जाकर जाँच विचाराधीन है। तो क्या समय-सीमा में उक्त जाँच पूरी कर नियमानुसार समुचित कार्यवाही हो जायेगी? (ख) क्या उक्त प्रकरण अत्यंत गंभीर है व जावरा नगरपालिका के पार्षद अनिल मोदी की शिकायतों की जाँच कर लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त अध्यक्ष तथा सदस्यों ने पत्र क्रमांक संसस 2008/149 दिनांक 10 जनवरी 2008 के अनुसार 6 में से 5 आरोप गंभीर व प्रमाणित पाये गये तो लोकायुक्त संगठन के किस अधिकारी ने आरोप प्रमाणित नहीं मानकर प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया? क्या उक्त अधिकारी की पहचान कर उसे दण्डित किया जाएगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) प्रश्नांश 'क' में वर्णित प्रकरण क्रमांक 824/2016 विचाराधीन है। जाँच प्रकरण क्रमांक 83/2007 दिनांक 07/11/2008 को तत्कालीन उपलोकायुक्त महोदय के आदेशानुसार संगठन स्तर पर समाप्त किया जा चुका है। सक्षम स्तर से प्रकरण निराकृत होने से शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
प्रश्नकर्ता के पत्रों पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
2. ( क्र. 25 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 3 मार्च 2017 के अता.प्रश्न क्रमांक 20 के उत्तर में जो अपूर्ण जानकारी दी गई है। इस बारे में प्रश्नकर्ता द्वारा दिए गए पत्र का विवरण देते हुए बताएं कि शासन ने क्या कार्यवाही की है? (ख) प्रश्नकर्ता के परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 2 ( क्रमांक 27 ) दिनांक 8 दिसम्बर 2015 तथा अतारांकित प्रश्न संख्या 11 ( क्रमांक 502 ) व 11 मार्च 2016 के संदर्भ में उत्तर दिया था कि पत्र विभिन्न विभागों में कार्यवाही हेतु भेजे गये हैं व कार्यवाही प्रचलन में। बताएं कि 2 जून 2017 तक प्रश्नकर्ता के पत्रों पर प्रचलित कार्यवाही कहाँ तक पहुंची है? (ग) उपरोक्त तिथियों के बाद तथा 25 जून 2017 के पूर्व मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को प्रश्नकर्ता द्वारा जो पत्र लिखे हैं उसका विवरण देते हुए बताए कि शासन ने क्या कार्यवाही की है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) की जानकारी एकत्रित की जा रही है।
कार्यादेश पर संपादित कराये गये कार्यों के देयकों का भुगतान
[ऊर्जा]
3. ( क्र. 47 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी सिविल संभाग, ग्वालियर के अंतर्गत वर्ष 2015-16 में किन-किन पंजीकृत निर्माण एजेंसियों को कार्यादेश कब-कब दिये गये थे? (ख) क्या उक्त कार्यादेश के आधार पर निर्माण एजेंसियों द्वारा सभी कार्य संपादित कराकर कार्यों की माप पुस्तिका अंकित कर देयक भुगतान हेतु संभागीय कार्यालय यंत्री के कार्यालय में लगभग दो वर्ष से लंबित है? (ग) उपरोक्त कार्यादेश के आधार पर संपादित कराये गये किन-किन कार्यों का किस-किस निर्माण एजेंसियों को कितनी-कितनी राशि का भुगतान कब-कब किया गया है? (घ) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या पूर्व में भी इसी तरह के कार्यादेश के आधार पर संपादित किये गये कार्यों का भुगतान निर्माण एजेंसियों को किया जाता रहा है? यदि हाँ, तो प्रश्नांश (ख) अनुसार निर्माण एजेंसियों का क्या दोष है जिन्होंने कार्यादेश के आधार पर उक्त कार्य संपादित कराये हैं? (ड.) क्या फंड आवंटन एवं प्रशासनिक अनुमति शीघ्र दी जाकर उक्त निर्माण एजेंसियों को लंबित देयकों का भुगतान शीघ्र किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, सिविल संभाग ग्वालियर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2015-16 में विभिन्न पंजीकृत ठेका एजेंसियों को 423 कार्यादेश जारी किये गये थे जिनका प्रश्नाधीन चाहा गया विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र (अ), (ब) एवं (स) अनुसार है। (ख) उत्तरांश ''क'' में दर्शाये गये 423 कार्यादेशों में से 213 कार्यों के देयक पारित कर भुगतान कर दिया गया है तथा 116 कार्यों के देयक भुगतान हेतु लंबित है, जिनका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र-अ एवं प्रपत्र-ब अनुसार है। शेष 94 कार्यादेशों के कार्य प्रारंभ नहीं होने के कारण वे भुगतान योग्य नहीं है, जिनका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ग) उपरोक्त 423 कार्यादेशों में से 213 कार्यों के विरूद्ध भुगतान किया गया है जिसका प्रश्नाधीन चाहा गया विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (घ) पूर्व में बिना धनराशि आवंटन एवं प्रशासनिक अनुमति के इस तरह के कार्यादेश जारी नहीं किये हैं तथा प्रशासनिक अनुमति एवं फण्ड आवंटन प्राप्त होने के उपरांत ही जारी किये गये समस्त कार्यादेशों के विरूद्ध कराये गये कार्यों का भुगतान किया जाता रहा है। प्रश्नांश (ख) में वर्णित कार्यों के संबंध में दोषी प्रथम दृष्टया अधिकारी के विरूद्ध विभागीय जाँच प्रक्रियाधीन है। (ड.) प्रश्नाधीन प्रकरण में श्री अशोक सोलंकी, तत्कालीन उपमहाप्रबंधक (सिविल) ग्वालियर के विरूद्ध उनके द्वारा कराए गये कार्यों के संबंध में वितरण कंपनी द्वारा की जा रही जाँच पूर्ण हो चुकी है एवं रिपोर्ट प्राप्त हो गई है तथा निर्णय हेतु विचाराधीन है। भुगतान के संबंध में यथाशीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
न्यायिक जाँच आयोग की रिपोर्ट
[सामान्य प्रशासन]
4. ( क्र. 48 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के अतारांकित प्रश्न क्रमांक 457, उत्तर दिनांक 25 फरवरी 2016 में म.प्र. सरकार द्वारा वर्ष 2004 से 2015 तक माननीय न्यायाधीश के नेतृत्व में गठित विभिन्न जाँच आयोगों का अंतिम प्रतिवेदन शासन को सौंपे जाने के उपरांत उक्त आयोग की रिपोर्ट आम जनता की जानकारी हेतु विधान सभा में प्रस्तुत किये जाने के संबंध में कार्यवाही प्रचलित है की जानकारी दी गई थी? तो उक्त जाँच आयोगों की जाँच की अद्यतन स्थिति क्या है? (ख) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या सामाजिक सुरक्षा पेंशन घोटाले के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जाँच आयोग के प्रतिवेदन पर मंत्रिपरिषद द्वारा अपनी अनुशंसा दिनांक 06.07.2013 को सामाजिक न्याय विभाग को प्रस्तुत की गई है? यदि हाँ, तो उक्त रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर न रखे जाने के लिये उत्तरदायी कौन-कौन हैं? क्या उनके विरूद्ध विधिसम्मत् कार्यवाही की जावेगी? (ग) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2016 एवं 2017 में प्रश्न दिनांक तक मालवा अंचल सहित प्रदेश में घटित किन-किन घटनाओं में न्यायिक जाँच आयोग किन-किन बिन्दुओं की जाँच कराने को लेकर कब-कब गठित किये गये? इन आयोगों के कार्यकाल की समय-सीमा कितनी-कितनी निर्धारित की गई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जाँच प्रतिवेदन अभी अलग-अलग विभागों में परिक्षणाधीन है। (ख) जी हाँ। जाँच प्रतिवेदन पर मंत्रि-परिषद् समिति की अनुशंसा पर सामाजिक न्याय विभाग में कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार।
मुख्यमंत्री सहायता के प्रकरण की स्वीकृति
[सामान्य प्रशासन]
5. ( क्र. 63 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्री सरमन पटेल निवास बरा तहसील राजनगर का मुख्यमंत्री सहायता राशि का प्रकरण कलेक्टर छतरपुर द्वारा परीक्षण हेतु तहसील राजनगर भेजा गया? (ख) क्या यह सही हैं कि उक्त व्यक्ति कैंसर से पीडि़त है तथा गरीब परिवार से संबंधित है, जिसका प्रकरण 6 माह से तहसील राजनगर में लंबित पड़ा है और परिवार के लोग अधिकारियों के चक्कर काट रहे है? (ग) कब तक स्वीकृति प्रदान कर कब तक दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। दिनांक 21.11.2016 को अनुभाग अधिकारी राजस्व को जाँच हेतु भेजा गया। (ख) एवं (ग) जी हाँ। पीडि़त व्यक्ति द्वारा दो आवेदन पृथक-पृथक राज्य बीमारी एवं सहायता योजना तथा मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान आर्थिक सहायता योजना हेतु प्रस्तुत किये गये हैं। राज्य बीमारी सहायता निधि योजनान्तर्गत हितग्राही को स्टीमेट अनुसार रूपये-75,000/- की सहायता कैंसर हास्पिटल एण्ड रिसर्च इन्स्टीट्यूट ग्वालियर मध्यप्रदेश को कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी छतरपुर के पत्र दिनांक 16.12.2016 से इलाज हेतु संबंधित हितग्राही को अभिस्वीकृति जारी की गई थी। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) राजनगर से मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के प्रकरण में प्रतिवेदन दिनांक 04.07.2017 को कलेक्टर छतरपुर को प्राप्त हुआ। चूंकि राज्य बीमारी सहायता से प्रकरण स्वीकृत हो चुका है। इसलिए परिवार के लोगों को चक्कर काटने एवं दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
प्रदेश में विद्युत उत्पादन
[ऊर्जा]
6. ( क्र. 81 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्त वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक वर्षवार म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप एवं जल विद्युत गृहों से कितने मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ वर्षवार, विद्युत गृहवार जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित समय अवधि में प्रदेश के लिये कुल कितने मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता पड़ी एवं उपरोक्त समय अवधि में किस-किस स्त्रोत से किस औसत दर से कितनी मिलियन यूनिट विद्युत खरीदी गई वर्षवार सूची देवें? (ग) वित्त वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक राज्य के अलग-अलग श्रेणी के उपभोक्ताओं को किस दर से प्रति यूनिट बिजली बेची गई वर्षवार सूची देवें एवं उपरोक्त समय अवधि में प्रदेश शासन द्वारा वर्षवार कितनी-कितनी राशि की सब्सिडी विद्युत मण्डल या विद्युत वितरण कंपनियों को प्रदान की गई? (घ) वर्तमान समय में प्रदेश के ग्रामीण घरेलु उपभोक्ताओं तथा कृषि पंप धारकों को किस दर से कितने घण्टे विद्युत अपूर्ति की जा रही है एवं यदि प्रदेश में अतिरिक्त विद्युत उत्पादन हो रहा है, तो अंधाधुंध विद्युत कटौती क्यों की जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप एवं जल विद्युत गृहों का वर्षवार, विद्युत गृहवार विद्युत उत्पादन का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–'अ' अनुसार है। (ख) वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक प्रदेश में विद्युत की आवश्यकता के अनुरूप की गई आपूर्ति की जानकारी निम्नानुसार है :-
वित्तीय वर्ष |
विद्युत की आपूर्ति (मिलियन यूनिट में) |
2013-14 |
51952 |
2014-15 |
57641 |
2015-16 |
64148 |
2016-17 |
64283 |
उपरोक्त समयावधि में स्त्रोत एवं औसत दर तथा स्त्रोतवार क्रय की गई विद्युत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ग) वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक राज्य के अलग-अलग श्रेणी के उपभोक्ताओं को विक्रित प्रति यूनिट विद्युत दरों का वर्षवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। नियामक आयोग द्वारा लागू दरों पर राज्य शासन द्वारा चिन्हित उपभोक्ता श्रेणी के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। वर्ष 2013-14 से जारी संबंधित सब्सिडी आदेशों की प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'द' अनुसार है। वर्षवार विद्युत वितरण कंपनियों को प्रदान की गई सब्सिडी की राशि का विवरण निम्नानुसार है :-
वित्तीय वर्ष |
सब्सिडी की राशि (रूपये करोड़ में) |
2013-14 |
2250.00 |
2014-15 |
4481.37 |
2015-16 |
6718.41 |
2016-17 |
8272.32 |
(घ) वर्तमान में प्रदेश में ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं तथा कृषि पंप धारकों को विद्युत प्रदाय की दरें म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के टैरिफ शेड्यूल एल.वी.-1 तथा एल.वी.-5 के अनुसार है। टैरिफ शेड्यूल की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'इ' अनुसार है। लागू सब्सिडी का विवरण उत्तरांश (ग) के प्रपत्र-'द' अनुसार है। वर्तमान में निर्धारित शेड्यूल अनुसार कृषि फीडरों पर 10 घंटे एवं गैर कृषि फीडरों पर 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है तथा प्रदेश में किसी भी प्रकार की विद्युत कटौती नहीं की जा रही है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों पर प्राप्त एवं व्यय राशि
[महिला एवं बाल विकास]
7. ( क्र. 82 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या पाटन विधानसभा क्षेत्र की सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर तदर्थ समिति का गठन कर लिया गया है? यदि हाँ, तो सदस्य पदाधिकारियों के नाम पते सहित सम्पूर्ण विवरण दें व विगत तीन वर्ष में कितनी राशि इन खातों में डाली गई तथा इस राशि से क्या किया गया आंगनवाड़ी केन्द्रवार सम्पूर्ण विवरण देवें? (ख) जबलपुर जिले को विगत तीन वर्षों में आदर्श आंगनवाड़ी केन्द्र हेतु कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई व किस-किस आंगनवाड़ी केन्द्र को किस माध्यम से प्रदाय की गई? उक्त राशि से किस-किस केन्द्र में क्या-क्या कार्य किये गये या कौन-कौन सी सामग्री क्रय की गई? उक्त कार्यों का सत्यापन किस सक्षम अधिकारी/कर्मचारी द्वारा किया गया? नाम पते सहित विवरण देवें? (ग) सुपोषण अभियान के तहत विगत तीन वर्षों में कितनी राशि जिले में प्राप्त हुई व उससे कितनी-कितनी कौन सी सामग्री क्रय की गई व उसके लिये किस-किस समाचार पत्र में विज्ञप्ति जारी की गई? (घ) कितनी-कितनी निविदाएं किस-किस फर्म से प्राप्त हुई व किस-किस संस्था या फर्म से सामग्री क्रय की गई एवं क्रय की सामग्री का भौतिक सत्यापन कब किस अधिकारी द्वारा किया गया?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) पाटन विधानसभा क्षेत्र की सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों हेतु तदर्थ समिति का गठन किया गया है। तदर्थ समिति के पदाधिकारियों का विवरण विगत 3 वर्षों में इन खातों में जमा की गई राशि एवं व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (ख) जबलपुर जिले को विगत तीन वर्षों में आदर्श आंगनवाड़ी केन्द्र हेतु केवल वर्ष 2015-16 में राशि रू. 36,00,000/- प्राप्त हुई। प्राप्त राशि 36 आंगनवाड़ी केन्द्रों को एक-एक लाख के मान से तदर्थ समिति के खाते में जमा की गई। उक्त राशि में से कराए गए कार्य, क्रय की गई सामग्री एवं सत्यापन संबंधी विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है। (ग) सुपोषण अभियान के तहत जबलपुर जिले में विगत 3 वर्षों में प्राप्त राशि तथा व्यय की जानकारी निम्नानुसार हैः-
वर्ष |
प्राप्त राशि |
व्यय राशि |
2014-15 |
1589012 |
1583112 |
2015-16 |
1724746 |
1680987 |
2016-17 |
784234 |
784234 |
क्रय की गई सामग्री का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ग'' अनुसार है। ग्राम तदर्थ समितियों द्वारा सामग्री का क्रय निविदा के आधार पर नहीं किया गया है। अतः समाचार पत्रों में प्रकाशन नहीं कराया गया है। (घ) तदर्थ समितियों के माध्यम से सामग्री आंगनवाड़ी केन्द्र हेतु आवश्यकतानुसार क्रय की गई जिसकी निविदायें नहीं की गई है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
E.O.W. में दर्ज प्रकरण पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
8. ( क्र. 91 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या थाना राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो भोपाल में दिनांक 09/03/2012 को धारा 420, 120बी भादावि. तथा धारा 13 (1) डी 13 (2) भ्रनिअ 1988 के तहत जिला कटनी की 14 राईस मिल तथा अवधेश तिवारी, आर.पी. शर्मा कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी कटनी के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक की स्थिति में किन-किनके विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई और यदि नहीं, तो क्यों व कब तक कार्यवाही पूर्ण की जावेगी बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा प्रकरण की विवेचना की गई। प्रकरण की विवेचना उपरांत अभियोजन योग्य साक्ष्य नहीं पाये जाने पर प्रकरण को अंतिम प्रतिवेदन क्रमांक 04/17 दिनांक 12.04.2017 के द्वारा बंद किया गया।
टेकहोम राशन वितरण की योजना में अनियमितता
[महिला एवं बाल विकास]
9. ( क्र. 92 ) श्री आरिफ अकील : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या माह अक्टूबर 2016 को माननीय उच्च न्यायालय इंदौर द्वारा जनहित याचिका के अंतर्गत दी गई व्यवस्था का विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा पालन नहीं करने के कारण अवमानना नोटिस जारी किया है? (ख) यदि हाँ, तो माननीय न्यायालय के निर्देश के बावजूद टेक होम राशन योजना में परिवर्तन करने के क्या-क्या कारण थे? (ग) क्या शासन माननीय न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं करने तथा मामले के विचाराधीन अवधि तक संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निलंबित रखने की कार्यवाही करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक और यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) टेकहोम राशन व्यवस्था में प्रस्तावित किये जा रहे परिवर्तनों के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिये मान.उच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किया गया हैं। (ख) एम.पी.एग्रो से टेकहोम राशन प्रदाय अनुबंध मार्च 2017 तक की अवधि हेतु था। टेकहोम राशन की आगामी व्यवस्था की तैयारी की कार्यवाही की जा रही थी। (ग) मान.उच्च न्यायालय इन्दौर द्वारा याचिका क्र.6995/16 पर आदेश दिनांक 17/10/16 द्वारा स्थगन दिया गया है, तद्नुसार मान.उच्च न्यायालय इन्दौर के निर्देशों का पालन किया जा रहा है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी भवन के उन्नयन के संबंध में प्राप्त शिकायतें
[महिला एवं बाल विकास]
10. ( क्र. 197 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र के बाजना एवं सैलाना विकासखण्ड में आंगनवाड़ी भवन के उन्नयन के संबंध में वर्ष 2012-13 से आज दिनांक तक किस-किस स्तर पर कितनी शिकायत की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में शिकायतों की जाँच किस-किस अधिकारी द्वारा की गई? जाँच में कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी दोषी पाए गए? दोषी अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र के बाजना एवं सैलाना विकासखंड में आंगनवाड़ी भवन के उन्नयन के संबंध में वर्ष 2012-13 से आज दिनांक तक संभाग, जिला एवं संचालनालय स्तर पर कुल 05 शिकायतें की गई है। (ख) विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
विभाग द्वारा संचालित योजनाएं
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
11. ( क्र. 198 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा कृषका के कुओं एवं नलकूप के विद्युत पंपों को सोलर ऊर्जा के माध्यम से जोड़कर संचालित किए जाने की योजना चालाई जा रही है? (ख) यदि हाँ, तो योजना की जानकारी तथा इसकी पात्रता के मापदण्ड क्या हैं? यदि नहीं, तो क्या विभाग द्वारा ऐसी कोई योजना बनाई जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) के संबंध में चलाई जा रही योजनाओं में क्या आदिवासी तथा बी.पी.एल. परिवार को शासन द्वारा कोई विशेष छूट या सुविधा दी जा रही हैं? यदि हाँ, तो क्या-क्या?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विभाग द्वारा कृषकों के कुओं एवं नलकूपों पर पहले से लगाए हुये विद्युत पंपों को सोलर ऊर्जा के माध्यम से जोड़कर संचालित किए जाने की कोई योजना नहीं है, किन्तु निगम द्वारा ''मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना'' के अन्तर्गत कृषकों के कुओं एवं नलकूपों में सोलर पम्पों की स्थापना किये जाने का प्रावधान अवश्य है। (ख) मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना के अन्तर्गत देय हितग्राही राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। विभाग द्वारा बनाई गई योजना की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) आदिवासी तथा बी.पी.एल. परिवार से संबंधित कृषकों और अन्य सभी कृषकों को शासन द्वारा योजना के अन्तर्गत देय छूट की जानकारी उत्तरांश (ख) में उल्लेखित है।
बिजली शिकायतों का निराकरण
[ऊर्जा]
12. ( क्र. 212 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश की विभिन्न पंचायतों में बिजली पंचायत के माध्यम से 38 हजार शिकायतों का निराकरण किया गया है? यदि हाँ, तो विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत कितनी शिकायतें मिली, कितनी निराकृत की गईं? (ख) क्या बिजली पंचायत के शिविरों में शिकायतों के निराकरण हेतु लाईनमेन स्तर के कर्मचारी पदस्थ थे? क्या इन्हें शिकायतों के निराकरण करने का अधिकार है? (ग) यदि हाँ, तो लाईनमेनों द्वारा सामान्य ड्यूटी के तहत शिकायतों का निराकरण क्यों नहीं किया जाता है? (घ) विगत एक वर्ष में प्रश्नांश (क) के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र पनागर में बिल, मीटर, विद्युत आपूर्ति एवं ट्रांसफार्मर लगाने संबंधी निराकृत शिकायतों का विवरण देवें.
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रदेश में आयोजित बिजली पंचायतों के माध्यम से प्राप्त शिकायतों में से दिनांक 20.06.2017 की स्थिति में 58650 शिकायतों का निराकरण किया गया। पनागर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत दिनांक 31.05.2017 से 09.06.2017 तक आयोजित बिजली पंचायत में 485 शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें से 430 शिकायतें निराकृत कर दी गई हैं। (ख) जी हाँ। लाईनमेन स्तर के कर्मचारी द्वारा शिविर के दौरान प्राप्त शिकायतें रजिस्टर में दर्ज की गई एवं उनके द्वारा निराकृत करने योग्य शिकायत यथा-बिजली बंद होना, ट्रांसफार्मर बंद होना, तार ढीले होना आदि को निराकृत किया गया/किया जा रहा है, शेष शिकायतें यथा-बिल सुधार संबंधी शिकायत, निराकरण हेतु वितरण केन्द्र तथा उपसंभाग प्रभारी को अग्रेषित की गई। (ग) सामान्य ड्यूटी में एफ.ओ.सी. में प्राप्त-बिजली/ट्रांसफार्मर/फीडर बंद होने आदि शिकायतों का निराकरण लाइनमेन द्वारा किया जाता है। (घ) पनागर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में बिल संबंधी 2432, मीटर संबंधी 867, विद्युत प्रदाय संबंधी 4567 एवं ट्रांसफार्मर संबंधी शिकायतों सहित अन्य 1700 शिकायतें, इस प्रकार कुल 9566 शिकायत प्राप्त हुई है। उक्त सभी शिकायतें पूर्ण रूप से निराकृत कर दी गई है।
विद्युतविहीन ग्रामों/टोलों में विद्युत कनेक्शन दिया जाना
[ऊर्जा]
13. ( क्र. 213 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत समस्त ग्रामों/टोलों में विद्युत कनेक्शन दिये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो वार्ड नं. 20 पड़ाव बेलखाडू, तह. पनागर जिला जबलपुर में अब तक विद्युत कनेक्शन क्यों नहीं दिये गये? (ग) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत यदि नहीं, तो कब तक दिये जायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत समस्त स्वीकृत ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं में सम्मिलित सभी ग्रामों तथा 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों को विद्युतीकृत कर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सभी श्रेणी के हितग्राहियों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन प्रदान कर दिये गये हैं। तथापि सीमित वित्तीय उपलब्धता के कारण 100 से कम आबादी वाले मजरे/टोले योजना में शामिल नहीं होने से उनका विद्युतीकरण शेष है। (ख) ग्राम बेलखाडू के वार्ड क्र. 20- पड़ाव की आबादी 100 से कम होने के कारण उक्त टोले के विद्युतीकरण का कार्य सीमित वित्तीय उपलब्धता के परिप्रेक्ष्य में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना/दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत सम्मिलित नहीं किया जा सका है। उक्त टोले के विद्युतीकरण कार्य हेतु 0.15 कि.मी. निम्नदाब लाईन विस्तार की आवश्यकता होगी जिस हेतु वर्तमान में प्रचलित दरों अनुसार लागत राशि लगभग रू. 53346/- विधायक/सांसद निधि अथवा विकास कार्य किये जाने वाले विभाग से प्राप्त होने पर जमा योजना के अंतर्गत उक्त विद्युतीकरण का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाना संभव हो सकेगा। विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण होने के पश्चात् ही उपभोक्ताओं की मांग अनुसार विद्युत कनेक्शन प्रदाय किया जाना संभव होगा। (ग) शेष मजरों/टोलों/बसाहटों के विद्युतीकरण का कार्य वित्तीय उपलब्धता के अनुरूप किया जाना संभव हो सकेगा, जिस हेतु वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
बिजली के बिलों पर विज्ञापन
[ऊर्जा]
14. ( क्र. 260 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन एवं इंदौर संभाग में वितरित बिजली के बिलों पर विज्ञापन हेतु विभाग द्वारा क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है? कब-कब एवं किन-किन समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी की गई, प्रक्रिया में किस-किस फर्म ने हिस्सा लिया, विज्ञापन हेतु किस फर्म को किस दर पर विज्ञापन प्रसारित करने हेतु कार्य दिया गया? (ख) क्या विभाग द्वारा बिल छपाई एवं बिल पर विज्ञापन छपाई में नियम विरुद्ध भारी अनियमितता की जा रही है? यदि "हाँ" तो 1 जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक ऐसी कितनी शिकायत विभाग के पास लंबित हैं, विभाग द्वारा उन पर क्या कार्यवाही की जा रही है? शिकायतकर्ता के नाम सहित प्रकरण की अद्यतन स्तिथि बताये। (ग) क्या इंदौर उज्जैन संभाग में रीडिंग प्रिंटिंग कार्य में ठेकेदार द्वारा अप्रशिक्षत कंप्यूटर ऑपरेटरों से कार्य कराया जा रहा है जिससे विभाग द्वारा भारी मात्रा में बिलों के सुधार की शिकायत आ रही है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई? (घ) उक्त संभागों में 1 जनवरी 2014 के पश्चात किन-किन कंपनियों को बिल रीडिंग, बिल प्रिंटिंग एवं बिल वितरण का कार्य किस-किस दर पर दिया गया? ठेकेदार की कंपनी, ठेकेदार के नाम सहित जानकारी देवे? इन ठेकेदारों के खिलाफ कब-कब, किस-किस व्यक्ति ने क्या-क्या शिकायत की?
ऊर्जा
मंत्री ( श्री
पारस चन्द्र
जैन ) : (क) इंदौर
एवं उज्जैन
संभाग में
वितरित होने
वाले बिजली के
बिलों की
प्रिंटिंग, बिलिंग
स्टेशनरी पर
मय विज्ञापन
छपाई सहित करने
हेतु क्रय
अनुभाग
कार्पोरेट
कार्यालय इन्दौर
द्वारा
निविदायें
आमंत्रित की
गयी थी। उक्त
निविदा की शर्तों
के अनुसार
निविदाकर्ता
द्वारा बिल
फार्मेट के
अनुसार
प्रिंटेड
स्टेशनरी पर
बिलों की छपाई
करने के साथ
ही स्वयं के
द्वारा
एकत्रित विज्ञापनों
को उन बिलों
पर प्रदर्शित
करने का अधिकार
भी दिया गया
था। उक्त कार्य
हेतु
विज्ञप्ति
दिनांक 06.02.2010 को
निम्नांकित
समाचार
पत्रों में
जारी की गयी
थी- (1)
दैनिक
भास्कर के
इन्दौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर
संस्करण। (2) टाइम्स
ऑफ इंडिया के
न्यू देहली
एवँ मुम्बई
संस्करण। (3) इंडियन
ट्रेड जनरल
कलकत्ता
द्वारा प्रकाशित
सभी
संस्करणों
में। उक्त
निविदा की
प्रक्रिया
में
निम्नांकित फर्मों
ने हिस्सा
लिया था- (1) मे.
एक्सिस एड-प्रिन्ट
मीडिया (I) प्रा.लि.
मुम्बई। (2) मे.
मिराश
इन्फोटेक
प्रा.लि.
इन्दौर। (3) मे.
रिको इंडिया
लि. इन्दौर। (4) मे.
ओसवाल डाटा
प्रोसेस, इन्दौर।
(5) मे.
विरगो
सॉफ्टेक लि.
इन्दौर। उक्त
निविदा के तहत
केवल
विज्ञापन
प्रसारित करने
हेतु दरें
आमंत्रित
नहीं की गई थी
वरन प्री
प्रिन्टेड
बिलिंग
स्टेशनरी पर
बिल प्रिन्ट
करने तथा उस
पर अपना
विज्ञापन
प्रदर्शित करने
के कार्य हेतु
दरें
आमंत्रित की
गई थी। इस
हेतु चयनित फर्म
मेसर्स मिराश
इन्फोटेक
प्रा.लि.
इन्दौर को
राशि रू. 0.33 (समस्त
कर सहित) प्रति
बिल की दर पर
प्री
प्रिन्टेड
बिलिंग स्टेशनरी
मय विज्ञापन
के प्रदाय
करने का कार्य
आदेश क्रमांक
प्रनि/पक्षे/06क्रय/नि.-417/आ.-936/5654
दिनांक 31.03.2010 से
पश्चिम
क्षेत्र
विद्युत
वितरण कंपनी
द्वारा दिया
गया था। उक्त
क्रयादेश के
अनुसार
निविदाकर्ता
के द्वारा
बिलों पर छपने
वाले
विज्ञापन का
राजस्व खुद
रखा जाता है
एवं उक्त
विज्ञापनों
की आय को
दृष्टिगत
रखते हुए
निविदाकर्ता
द्वारा दरें
प्रस्तुत की गई
हैं। (ख) जी
नहीं। 1 जनवरी 2015 से प्रश्न
दिनांक तक
उपरोक्त
संबंध में कोई
शिकायत
प्राप्त
नहीं हुई है। (ग)
जी नहीं। बिल प्रिंटिंग
का कार्य
निविदा आधार
पर उत्तरांश ''क'' के
अनुसार मे.
मिराश
इन्फोटेक
प्रा.लि.
इन्दौर से
करवाया जा रहा
है। प्रिंटिंग
के कार्य में
अप्रशिक्षित
कंप्यूटर
ऑपरेटरों से
कार्य कराये
जाने का कोई
प्रकरण
संज्ञान में
नहीं आया है
एवं
प्रिंटिंग के
कारण बिलों
में त्रुटि की
कोई शिकायत भी
प्राप्त नहीं
हुई है। उल्लेखनीय
है कि विद्युत
कंपनी के
सर्वर द्वारा
बनायी गई बिल
फाईल की
सॉफ्टकॉपी
प्रिंटिंग
हेतु उपलब्ध
कराई जाती है
तथा मीटर
रीडिंग का
कार्य
कंप्यूटर
ऑपरेटरों से
नहीं करवाया
जाता है अतः
कंप्यूटर
ऑपरेटरों के
कारण बिलों
में
सुधार की
शिकायतें
प्राप्त होने
अथवा किसी के
विरूद्ध
कार्यवाही
करने का
प्रश्न नहीं
उठता। (घ) इन्दौर
एवं उज्जैन
संभाग में बिल
प्रिंटिंग का
कार्य निविदा
आधार पर
उत्तरांश 'क' में
दर्शाए अनुसार
मे. मिराश
इन्फोटेक
प्रा.लि.
इन्दौर से
करवाया जा रहा
है। 01
जनवरी 2014 के पश्चात्
बिल प्रिंटिंग
हेतु कोई
कार्य ठेके पर
नहीं दिया गया
है। इन्दौर
एवं उज्जैन, राजस्व
संभाग में
मीटर की
रीडिंग एवं
बिल वितरण का कार्य
निविदा
आधारित नहीं होकर
मेन पावर
आउटसोर्सिंग
के माध्यम से
सेवा प्रदाता
फर्मों
द्वारा
उपलब्ध कराये
गये श्रमिकों
से अन्य
अनुषांगी
विभागीय
कार्यों के
साथ-साथ कराए
जाते हैं। अतः
मीटर की
रीडिंग एवं
बिल वितरण की
अलग से कोई दर
निर्धारित
नहीं है। इसके
अतिरिक्त
संचा/संधा.
वृत्त उज्जैन, रतलाम, देवास
एवं नीमच में
मीटर की
रीडिंग एवं
बिल वितरण का
कार्य उपरोक्त
निर्धारित
प्रक्रिया के
साथ-साथ
स्वतंत्र रूप
से अनुबंधित
व्यक्तियों
के द्वारा
अनुबंध के
आधार पर भी
कराया जा रहा
है जिसकी
जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट
अनुसार है। मीटर
रीडिंग एवं
बिल वितरण के
कार्य निविदा
आधारित नहीं
होने के कारण
ठेकेदार
कंपनी के
नाम/दर की जानकारी
दिये जाने का
प्रश्न नहीं
उठता।
परिशिष्ट
- ''तीन''
मृत उपभोक्ताओं के नाम से जारी बिलों का समायोजन
[ऊर्जा]
15. ( क्र. 286 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले के विद्युत वितरण केन्द्र विरसिंहपुर एवं नागौद के अंतर्गत किन-किन उपभोक्ताओं के 3 एवं 4 हार्स पावर के विद्युत कनेक्शन एवं घरेलू उपभोक्ताओं की मृत्यु उपरांत कितनी-कितनी राशि बकाया है। पृथक-पृथक विवरण दें। (ख) प्रश्नांश (क) के मृत उपभोक्ता के नाम से ही वर्तमान में संबंधित वितरण केन्द्रों द्वारा बिल क्यों जारी किए जा रहे हैं, जबकि संबंधित वितरण केन्द्रों के अंतर्गत कार्यरत लाइनमैनों को पूर्ण जानकारी होने के बाद भी बिल दिए जा रहे हैं। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में मृतक उपभोक्ता पर राशि बकाया होने ट्रांसफार्मर जलने से उक्त बकाया राशि के कारण बदलने में होने वाली व्यवहारिक कठिनाई को दूर करने के उपाय किए जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या मृत उपभोक्ताओं पर बकाया राशि बट्टे खाते में डाली जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो कारण बताएं।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सतना जिले के विद्युत वितरण केन्द्र विरसिंहपुर एवं नागौद के अंतर्गत 3 एवं 4 हार्स पॉवर के विद्युत कनेक्शन एवं घरेलू विद्युत कनेक्शन के उपभोक्ताओं की मृत्यु संबंधी जानकारी संबंधित वितरण केन्द्रों के संज्ञान में नहीं आई है और न ही संबंधित संबंधियों द्वारा इस संबंध में कोई दस्तावेज कार्यालय में जमा किये गये हैं। उक्त परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन उल्लेखित बकाया राशि का विवरण दिया जाना संभव नहीं है। (ख) उपयोगकर्ता/वारिस द्वारा न तो कोई मृत्यु प्रमाण-पत्र कार्यालय में प्रस्तुत किया गया है और न ही कानूनी रूप से वारिस होने संबंधी दस्तावेज अथवा विद्युत प्रदाय अनुबंध की शर्तों के अनुसार नाम परिवर्तन हेतु आवेदन दिये गये हैं, ताकि तदानुसार कार्यवाही की जा सके। अत: विद्युत का उपयोग निरंतर उपयोगकर्ता द्वारा किये जाने एवं विद्युत बिल का भुगतान प्राप्त होने के कारण कनेक्शन जारी रखते हुए नियमानुसार विद्युत बिल दिये जा रहे हैं। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में अद्यतन स्थिति में प्रश्नाधीन उल्लेखित कोई कठिनाई संज्ञान में नहीं आयी है। (घ) जी नहीं, मृत उपभोक्ताओं की विद्युत बिल की बकाया राशि संबंधित परिसर में निवासरत उपयोगकर्ता जो विद्युत का उपयोग कर रहे हैं, से वसूलने का प्रावधान है।
कृषकों को अनुदान वितरण
[आदिम जाति कल्याण]
16. ( क्र. 297 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राज्य पोषित नलकूप खनन योजना के तहत प्रदेश की सहायता निधि से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कृषकों को अनुदान स्वीकृत करने का प्रावधान है? प्रावधानों-निर्देशों की जानकारी उपलब्ध करायी जावे। (ख) सागर जिले के विधानसभा क्षेत्र सुरखी के अंतर्गत वर्ष 2013-14, 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में प्रश्न दिनांक तक कितना-कितना अनुदान राज्य शासन द्वारा आवंटित किया गया था? कितने कृषकों ने नलकूप खनन के लिये अनुदान हेतु आवेदन किया था? जानकारी वर्षवार ग्राम पंचायतवार कृषकों की संख्या सहित देवें? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में बतावें कि आवेदक कृषकों में से कितने अनु.जाति/अनु.जनजाति संवर्ग के कृषकों को वर्ष 2013-14, 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में प्रश्न दिनांक तक कितना-कितना अनुदान स्वीकृत किया गया? जानकारी ग्राम पंचायतवार, कृषकों की संख्यात्मक जानकारी सहित, स्वीकृत अनुदान राशि, नलकूप खनन स्थान सहित देवें? (घ) प्रश्नांश (ख) एवं (ग) अनुसार दर्शित वर्षों में उक्त मद की कितनी-कितनी राशि लेप्स हुई अथवा समर्पित की गयी? जानकारी वर्षवार देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। प्रावधान एवं निर्देशों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र - एक अनुसार है। (ख) शासन द्वारा वर्ष 2013-14, 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में सागर जिले को आवंटन प्रदाय किया गया है। सुरखी विधानसभा क्षेत्र हेतु अलग से आवंटन उपलब्ध नही कराया गया है। सुरखी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कृषकों द्वारा नलकूप खनन दिये गये आवेदनों के वर्षवार ग्राम पंचायत कृषकों की संख्या की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (घ) जिले का वर्ष 2013-14, 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 एवं माह जून 2017-18 तक प्रदाय आवंटन से शेष एवं समर्पित की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है।
विद्युत लाइनों का रख-रखाव
[ऊर्जा]
17. ( क्र. 325 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने वर्तमान में सीहोर जिले में वर्षा पूर्व लाइनों का रख-रखाव किया है? यदि हाँ, तो किस-किस क्षेत्र में क्या-क्या कार्य कराए गए हैं? क्षेत्रवार ब्यौरा दें। (ख) क्या विद्युत केवल टूटने की घटनाएं गत दो माह के दौरान हुई हैं, यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ? क्या केबल अथवा तार टूटने एवं तार नीचे होने की घटना में किसी कृषक की मृत्यु हुई है? यदि हाँ, तो घटनावार ब्यौरा दें। (ग) क्या विद्युत विभाग में करंट लगने से मृत्यु उपरांत या घायल होने पर मुआवजे का प्रावधान है? अगर नहीं तो क्या सरकार इस ओर प्रयास करेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, सीहोर जिले के अंतर्गत संचालन एवं संधारण वृत्त सीहोर में वर्षा पूर्व विद्युत लाईनों/उपकेन्द्रों के रख-रखाव का कार्य किया गया है। सीहोर संचालन एवं संधारण वृत्त के अंतर्गत किये गये रख-रखाव के कार्यों का क्षेत्र/संचालन एवं संधारण संभागवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ, विगत दो माह में आंधी-तूफान के कारण सीहोर शहर में विद्युत केबल टूटने की घटनाएं घटित हुई थी, किन्तु केबल टूटने की इन घटनाओं से किसी कृषक की मृत्यु नहीं हुई। इसके अतिरिक्त उक्त अवधि में आंधी-तूफान के कारण सीहोर जिले में 1639 पोल क्षतिग्रस्त हुये। दिनांक 27.05.2017 को तेज आंधी चलने से ग्राम भाऊखेडी में 11 के.व्ही. नरसिंगखेडा कृषि फीडर के 2 पोल टेढ़े होने के कारण, तार का क्लियरेंस कम हो गया था। दिनांक 28.05.2017 को ग्राम भाऊखेडी निवासी कृषक श्री रविसिंह आत्मज श्री करणसिंह के द्वारा उक्त झूलते तारों के नीचे ट्रेक्टर-ट्राली खड़ी करके ट्राली में से गोबर खाद को खाली करने का कार्य किया जा रहा था। इसी दौरान कृषक के द्वारा फावड़े को सिर के ऊपर किया गया, जिसके कारण फावड़े के 11 के.व्ही. लाईन के संपर्क में आने से कृषक की घातक विद्युत दुर्घटना में मृत्यु हुई। (ग) जी हाँ, वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत घातक/अघातक विद्युत दुर्घटना में मृत/शारीरिक अंग क्षति से पीड़ित बाहरी व्यक्तियों को आर्थिक सहायता अनुदान प्रदाय किये जाने का प्रावधान है। उक्त विद्युत दुर्घटना में प्रकरण की विवेचना पश्चात पात्रता अनुसार मृतक के उत्तराधिकारी को मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के आदेश क्रमांक 2378-79 दिनांक 04.07.2017 द्वारा रू. 4 लाख मुआवजा राशि स्वीकृत कर राशि का धनादेश क्रमांक 352902 दिनांक 04.07.2017 के द्वारा भुगतान कर दिया गया है।
सोलर पंप स्थापना
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
18. ( क्र. 326 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा सोलर ऊर्जा से संचालित विद्युत पंप स्थापना के लिए कोई योजना संचालित की जा रही है? यदि हाँ, तो ब्यौरा दें। (ख) क्या घरेलू उपयोग के लिए भी सोलर सिस्टम लगाने हेतु शासन द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो योजना का ब्यौरा दें। (ग) क्या सीहोर जिले में सोलर पंप स्थापना के लिए किसानों के प्रकरण बनाए गए हैं? यदि हाँ, तो विगत 2 वर्ष के दौरान स्वीकृत प्रकरणों का ब्यौरा दें। (घ) क्या किसी शासकीय संस्था द्वारा सोलर सिस्टम से विदयुत उपयोग किया जा रहा है? यदि हाँ, तो सीहोर जिले का ब्यौरा दें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) हां, सोलर ऊर्जा से संचालित पंप को प्रोत्साहन देने के लिये ''मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना'' संचालित की जा रही है। योजना की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) हां। घरेलू उपयोग के लिए सोलर सिस्टम लगाने हेतु शासन द्वारा दिये जा रहे प्रोत्साहन एवं योजना का विवरण निम्नानुसार है :- (1) मध्य प्रदेश शासन द्वारा ''म.प्र. विकेन्द्रीयकृत नवकरणीय ऊर्जा नीति 2016'' अनुमोदित की गई है। नीति में घरेलू उपयोग के लिए सोलर सिस्टम लगाने और संयंत्र के ग्रिड से संयोजन एवं संचालन के संबंध में विस्तृत व्याख्या एवं व्यवस्था दी गई है। (2) घरेलू उपयोग के लिए सोलर सिस्टम लगाने हेतु विभाग के अधीन म.प्र. ऊर्जा विकास निगम लि. द्वारा संयंत्रों की लागत पर अधिकतम 30 प्रतिशत तक का अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। (3) घरेलू उपयोग के लिए सोलर सिस्टम लगाने हेतु प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम के व्यापक प्रचार एवं प्रसार भी किया जा रहा है। (ग) सीहोर जिले में 15 मई 2017 तक सोलर पम्प की स्थापना हेतु कृषकों से कुल 255 आवेदन प्राप्त हुए है। समस्त 255 आवेदनों पर स्वीकृति/स्थापना की कार्यवाही जारी है। (घ) हॉं, सीहोर जिले की शासकीय संस्थाएं, जिनमें सौर संयंत्र स्थापित हैं, की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।
लोकायुक्त एवं आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में दर्ज प्रकरण
[सामान्य प्रशासन]
19. ( क्र. 335 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014 से प्रश्नांकित तिथि तक म.प्र. मंत्रीमंडल के किस-किस सदस्य एवं किन-किन आई.ए.एस., आई.पी.एस., आई.एफ.एस. अधिकारियों के विरुद्ध लोकायुक्त एवं आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में कितनी शिकायतें प्राप्त हुई? उक्त शिकायतों पर से किन-किन के विरुद्ध किन-किन मामलों में कब से प्रकरण पंजीबद्ध है? नाम, पद, प्रकरण क्रमांक एवं वर्तमान पदस्थापना सहित बतावें? (ख) प्रश्नांश 'क' अनुसार दर्ज प्रकरणों की जाँच किस-किस अधिकारी द्वारा की जा रही है? कितने प्रकरणों में जाँच पूर्ण हो चुकी है? जाँच पूर्ण होने के बाद किस-किस को दोषी पाया गया है तथा दोषियों के विरुद्ध अभी तक क्या-क्या कार्यवाही की गयी है? कितने प्रकरण जाँच हेतु लंबित है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
ग्रामों, टोले एवं पारों में विद्युतिकरण
[ऊर्जा]
20. ( क्र. 336 ) श्री संजय उइके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा अविद्युतिकृत टोले, पारे एवं अविद्युतिकृत ग्रामों में विद्युतिकरण करने हेतु एवं विद्युतिकृत ग्राम एवं टोले पारे में बिजली सप्लाई बन्द होने संबंधित पत्र क्रमांक 476 दिनांक 25/08/2016 पत्र क्रमांक 554 दिनांक 31/08/2016 पत्र क्रमांक 571 दिनांक 12/09/2016 पत्र क्रमांक 690 दिनांक 10/01/2017 पत्र क्रमांक 765 दिनांक 21/04/2017 एवं पत्र क्रमांक 779 दिनांक 29/05/2017 एवं पत्र क्रमांक 800 दिनांक 12/06/2017 कार्यपालन यंत्री बैहर एवं प्रतिलिपि अधीक्षण यंत्री म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड सिवनी को प्रेषित किये गये थे? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नकर्ता के पत्रों पर क्या कार्यवाही की गई? जिन विद्युतिकृत ग्रामों में बिजली सप्लाई बन्द है वहां कब तक प्रारम्भ कर दी जायेगी? (ग) अविद्युतिकृत ग्राम, टोले एवं पारों में कब तक विद्युतिकरण का कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, प्रश्नाधीन उल्लेखित पत्र क्रमांक 765 दिनांक 21.04.17 एवं पत्र क्रमांक 800 दिनांक 12.06.17 को छोड़कर प्रश्न दिनांक तक शेष सभी पत्र कार्यपालन अभियंता (संचालन/संधारण) बैहर एवं अधीक्षण अभियंता (संचालन/संधारण) सिवनी कार्यालय में प्राप्त हुए हैं। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन प्राप्त पत्रों पर की गई कार्यवाही का विवरण संलग्न परिशिष्ट में दर्शाये अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन प्राप्त पत्रों के परिप्रेक्ष्य में अविद्युतीकृत ग्रामों नहीं अपितु विद्युतीकृत ग्रामों के अविद्युतीकृत मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य किया जाना शेष है जिसे 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय तौर पर कराया जा रहा है। उक्त कार्य दिनांक 31.10.17 तक पूर्ण किया जाना अनुमानित है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
21. ( क्र. 340 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कितने आंगनवाड़ी केन्द्र ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में संचालित हैं? ग्राम व नगरवार संख्या बतावें। संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में से कितने केन्द्रों के भवनों का निर्माण हो चुका या निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है? कितने केन्द्रों के भवनों का निर्माण होना शेष है? प्रश्नकर्ता के द्वारा विभाग को विधानसभा क्षेत्र के किन-किन केन्द्रों के भवन निर्माण के प्रस्ताव प्रेषित किये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो उक्त प्रस्तावों पर अब तक क्या कार्यवाही की गई हैं? भवन निर्माण हेतु प्रस्तावित केन्द्रों के भवन निर्माण की स्वीकृति कब तक प्रदान कर दी जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुल 503 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 70 आंगनवाड़ी केन्द्र नगरीय क्षेत्र में तथा 433 आंगनवाड़ी केन्द्र ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित है। संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 146 केन्द्रों के भवनों का निर्माण हो चुका है। तथा 357 आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवनों का निर्माण होना शेष है। मान. विधायक से विधानसभा क्षेत्र के आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण के प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुये है। (ख) भवनविहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना के अभिसरण से तथा शहरी क्षेत्रों में राज्य आयोजना मद से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की योजना है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं।
बस्ती विकास योजनांतर्गत प्राप्त आवंटन
[आदिम जाति कल्याण]
22. ( क्र. 341 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिला अंतर्गत विगत चार वर्षों में अनुसूचित क्षेत्रों में बस्ती विकास योजनांतर्गत कितना-कितना आवंटन किन-किन मूलभूत कार्यों हेतु प्रदान किया गया? जिले को प्राप्त आवंटन का वितरण विभाग द्वारा किन-किन जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तावित कार्यों पर किस प्रक्रिया के तहत किन-किन कार्यों की स्वीकृति प्रदान की गई वर्षवार, विधानसभा क्षेत्रवार, स्वीकृत कार्यवार जानकारी उपलब्ध करावें? (ख) वर्षवार स्वीकृत कार्यों में से कितने कार्य पूर्ण हो गये हैं? कितने अपूर्ण हैं? अपूर्ण रहने के क्या कारण हैं? क्या योजनांतर्गत स्वीकृत समस्त कार्यों की सम्पूर्ण राशि का प्रदाय संबंधित निर्माण एजेंसी को कर दिया गया है? यदि नहीं, तो उसका कारण बतावें? (ग) क्या प्रतिवर्ष मद अंतर्गत विभाग को प्राप्त आवंटन का उपयोग विभाग द्वारा समयावधि में कर लिया गया? यदि नहीं, तो उसका कारण बतावें? किन-किन वर्षों में कितनी-कितनी राशि का समर्पण वर्षान्त में विभाग द्वारा किया गया वर्षवार बतावें। समर्पण किये जाने का कारण भी बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश अन्तर्गत कार्यों का विवरण निम्नानुसार है:-
वर्ष |
स्वीकृत कार्य |
पूर्ण |
अपूर्ण |
2013-14 |
93 |
93 |
0 |
2014-15 |
74 |
74 |
0 |
2015-16 |
76 |
73 |
03 |
2016-17 |
97 |
83 |
14 |
वर्ष 2015-16 में स्वीकृत 03 निर्माण कार्यों में निर्माण एजेन्सी ग्राम पंचायत के द्वारा अग्रिम राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने से राशि दी जाना शेष है। वर्ष 2016-17 में विभागीय छात्रावास एवं आश्रमों हेतु स्वीकृत 14 कार्य प्रगतिरत है। कार्यों की प्रगति अनुसार भुगतान किया जावेगा। (ग) जी हाँ। वर्ष 2016-17 में प्राप्त आवंटन राशि रूपये 660.15 लाख में से राशि रूपये 361.69 लाख की स्वीकृति जारी कर राशि निर्माण एजेन्सी को प्रदाय की गई। वित्त विभाग के ज्ञापन दिनांक 25.03.2017 को कोषालय सर्वर लॉक होने से शेष राशि रूपये 298.46 लाख आहरित नहीं की जा सकी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी भवन का निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
23. ( क्र. 355 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) आई पी पी में मनरेगा अभिसरण योजना अन्तर्गत सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में कितने आंगनवाड़ी भवन निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई है? (ख) विभाग द्वारा जिन ग्रामों में 1 से अधिक आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत हैं उन ग्रामों में एक साथ सभी आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत कर दिए तथा जिन ग्रामों में एक भी आंगनवाड़ी भवन नहीं है, उन ग्रामों को एक भी आंगनवाड़ी भवन नहीं दिया गया है, इसका क्या कारण है? (ग) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में नवीन आंगनवाड़ी भवन निर्माण की तथा पुराने आंगनवाड़ी भवन के रिपेयरिंग की क्या स्थिति है? प्रगति रिपोर्ट की जानकारी देवें। (घ) विकासखण्ड सीतामऊ में आई.पी.पी. योजना के अन्तर्गत कब तक आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण पूर्ण हो जावेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) मंदसौर जिले के सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में मनरेगा योजना के अभिसरण से वर्ष 2015-16 में 44 आंगनवाड़ी भवनों तथा वर्ष 2016-17 में 60 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। (ख) भारत सरकार के निर्देशानुसार वर्ष 2015-2016 में केवल आई.पी.पी.ई. विकासखंड में ही आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की जाना थी। इस कारण सुवासरा विधानसभा क्षेत्र के आई.पी.पी.ई. विकासखण्ड सीतामऊ हेतु जिले से प्राप्त प्रस्ताव अनुरूप वर्ष 2015-16 में 44 एवं वर्ष 2016-17 (मनरेगा योजना के अभिसरण से) में 60, इस प्रकार कुल 104 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। (ग) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में नवीन आंगनवाड़ी भवन निर्माण तथा पुराने आंगनवाड़ी भवन के रिपेयरिंग की स्थिति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) विकासखण्ड सीतामऊ में आई.पी.पी.ई. योजना के अन्तर्गत 44 आंगनवाड़ी भवनों की स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसमें से 42 भवनों का कार्य निर्माणाधीन तथा 02 आंगनवाड़ी भवनों का कार्य अप्रारंभ है। चूंकि आंगनवाड़ी भवन निर्माण का कार्य स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
24. ( क्र. 356 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में एन.टी.पी.सी. द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादन का कार्य कितने मेगावॉट का किया जाना प्रस्तावित है? (ख) रूनीजा एवं बर्डिया गुर्जर सौर ऊर्जा प्लांट पर विद्युत उत्पादन का कार्य कब तक प्रारम्भ कर दिया जावेगा? (ग) ग्रामीण विकास हेतु एन.टी.पी.सी. द्वारा रूपये 2.50 करोड़ की दूसरी किश्त की राशि कब तक जारी कर दी जावेगी? (घ) सेमली कांकड में सौर ऊर्जा के कितने मेगावॉट विद्युत का उत्पादन प्रस्तावित है? जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में एन.टी.पी.सी. द्वारा 250 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। (ख) रूनीजा एवं गुर्जरखेड़ी सौर ऊर्जा प्लांट से 100 मेगावाट विद्युत उत्पादन का कार्य प्रारंभ हो गया है। (ग) ग्रामीण विकास हेतु रूपये 2.50 करोड़ की दूसरी किश्त की राशि परियोजना कमीशनिंग की तिथि के पश्चात् द्वितीय वर्ष हेतु है। (घ) ग्राम सेमली कांकड में 12 मेगावाट क्षमता, सौर संयंत्र की परियोजना मेसर्स एवेन्जर्स सोलर प्रा.लि. द्वारा पंजीकृत कराई गई है।
कर निर्धारण प्रकरण
[वाणिज्यिक कर]
25. ( क्र. 361 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष २०१५ से जून २०१७ तक कर निर्धारण के कुल कितने प्रकरण विभाग के पास विचारार्थ लंबित थे? जिलेवार प्रकरणवार ब्यौरा दें. (ख) कितने कर निर्धारण प्रकरण दो वर्ष की अवधि से लंबित है? उज्जैन संभाग का ब्यौरा क्या है? प्रकरण लंबित रहने का कारण क्या है? (ग) कितने प्रकरणों का वर्ष २०१५ से अब तक स्व-कर निर्धारण किया गया?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वर्ष 2014-15 के कर निर्धारण प्रकरणों का निवर्तन दिनांक 31-01-2017 को पूर्ण किया जा चुका है। दिनांक 01-04-2017 की स्थिति में वर्ष 2015-16 के लंबित कर निर्धारण प्रकरणों की कुल संख्या 3,84,648 है। विभाग की संभागवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। वर्तमान में वर्ष 2015-16 के कर निर्धारण प्रकरणों का निवर्तन प्रकियाधीन है, जिनके निवर्तन की समय-सीमा दिनांक 31-12-2017 निर्धारित है। वर्ष 2016-।7 के कर निर्धारण के आवंटन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, जिनमें निवर्तन की समय-सीमा दिनांक 31-12-2018 निर्धारित है। विभाग में जिलेवार प्रकरण संधारित नहीं किये जाते हैं। अत: संभागवार जानकारी दी गई है। (ख) वर्ष 2014-15 के कर निर्धारण प्रकरणों का निवर्तन दिनांक 31-01-2017 को पूर्ण किया जा चुका है। दिनांक 01-04-2017 की स्थिति में वर्ष 2015-16 के लंबित कर निर्धारण प्रकरणों की संख्या 36,153 है। वर्तमान में वर्ष 2015-16 के कर निर्धारण प्रकरणों का निवर्तन प्रक्रियाधीन है, जिनके निवर्तन की समय-सीमा दिनांक 31-12-2017 निर्धारित है। वर्ष 2016-17 के कर निर्धारण प्रकरणों के आवंटन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, जिनमें निवर्तन की समय-सीमा दिनांक 31.12.2018 निर्धारित है। कर निर्धारण एक नियमित प्रक्रिया है। प्रकरणों का निवर्तन समय-सीमा में किया जाता है। (ग) वर्ष 2014-15 के कर निर्धारण प्रकरणों में से 259544 एवं वर्ष 2015-16 के कर निर्धारण प्रकरणों में से 279686 प्रकरणों का स्वकर निर्धारण के अंतर्गत निवर्तन किया गया।
जाँच आयोगों का प्रतिवेदन
[सामान्य प्रशासन]
26. ( क्र. 363 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विभिन्न घटनाओं की जाँच हेतु वर्ष २०१२ से जून २०१७ तक कितने एवं कौन-कौन से आयोग सरकार ने कब-कब गठित किये? (ख) उपरोक्त (क) संदर्भित आयोगों में से अब तक कितने आयोगों की जाँच रिपोर्ट सरकार को प्राप्त हुई? जाँच रिपोर्ट का ब्यौरा व कार्यवाही की जानकारी दें. (ग) कितने जाँच आयोगों ने समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की व उनका कार्यकाल किस कारण बढ़ाया गया? ब्यौरा दें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 8 जाँच आयोग। विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र–'अ' अनुसार। (ख) 4 जाँच आयोग। विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र– 'ब' अनुसार। (ग) 6 जाँच आयोग। जाँच की कार्यवाही पूर्ण न होने के कारण समय-समय पर शासन द्वारा इन जाँच आयोगों का कार्यकाल बढ़ाया गया है। विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र–'स' अनुसार।
मांग संख्या 41 की राशि का व्यय
[महिला एवं बाल विकास]
27. ( क्र. 367 ) श्री संजय उइके : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या विभाग को प्राप्त मांग संख्या 41 की राशि का व्यय विभाग की योजनाओं में आदिवासी उपयोजना क्षेत्र बालाघाट जिले के विकासखण्ड बैहर, बिरसा एवं परसवाड़ा जहाँ कि अन्य विकासखण्डों की कुल आदिवासी जनसंख्या से ज्यादा है में कम राशि व्यय की गयी है? (ख) यदि हाँ, तो किन कारणों से आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड में कम राशि एवं अन्य विकासखण्ड में जहाँ कम आदिवासी जनसंख्या है वहाँ विभागीय योजनाओं में ज्यादा राशि व्यय की गयी है? (ग) क्या विभाग को प्राप्त आदिवासी उपयोजना क्षेत्र की मांग संख्या 41 के व्यय करने संबंधी मापदण्ड विभाग के पास हैं या नहीं? किन मापदण्डों के आधार पर उक्त राशि व्यय की जा रही है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। (ग) जी हाँ, हैं। शासन द्वारा जारी बजट आवंटन के दिशा निर्देशों अनुसार संचालनालय महिला सशक्तिकरण, बजट नियंत्रण अधिकारी, स्तर से आवंटन आदिवासी उपयोजना अंतर्गत आने वाले जिलो को जारी किया जाता है एवं जिलो द्वारा आवंटित राशि का नियमानुसार व्यय किया जाता है। जिन मापदण्डों के आधार पर मांग संख्या 41 आदिवासी क्षेत्र उपयोजना अर्न्तगत प्राप्त राशि को व्यय किया जा रहा है वह मापदंण्ड पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
आंगनवाड़ी भवनों का व्यवस्थापन
[महिला एवं बाल विकास]
28. ( क्र.
372 ) श्री
मुरलीधर
पाटीदार :
क्या महिला
एवं बाल विकास
मंत्री
महोदया यह बताने
की कृपा
करेंगी कि (क) विगत
02
वर्षों में
आगर एवं
शाजापुर जिला
अंतर्गत किन-किन
आंगनवाड़ी
केन्द्रों
में भवन
स्वीकृत किए
गए हैं? इनमें से
कितने भवनों
के निर्माण
कार्य पूर्ण
हो चुके हैं
कितनों के
निर्माण
कार्य प्रगतिरत
हैं एवं कितने
कार्य
अप्रारम्भ
हैं व किस कारण
से। पूर्ण
विवरण देवे? (ख) क्या
आंगनवाड़ी भवन
अनुरक्षण मद
अंतर्गत आंगनवाड़ी
भवनों के रख-रखाव
एवं
बाउण्ड्रीवॉल
निर्माण हेतु
राशि प्रदान
की जाती हैं? यदि
हाँ,
तो विगत 03 वर्षों में
आगर एवं
शाजापुर जिले
को प्राप्त आवंटन
की जानकारी
देवे?
(ग) क्या
प्रश्नकर्ता
द्वारा पत्र
क्रं. 357
दिनांक 18.5.17 द्वारा
जिला
कार्यक्रम
अधिकारी आगर
को ग्राम बराई
में आंगनवाड़ी
भवन के
बाउण्ड्रीवॉल
निर्माण हेतु
कार्यवाही
करने का लेख
किया था? यदि हाँ, तो
क्या
कार्यवाही की
गई? कार्यवाही
के संबंध में
किए गए
पत्राचारों की
सत्यापित
प्रति उपलब्ध
करावें? यदि नहीं, तो
क्यों? (घ) प्रश्नकर्ता
द्वारा पत्र
क्रं. 407
दिनांक 26.05.17, पत्र
क्रं. 408
दिनांक 26.05.17, पत्र
क्रं. 310
दिनांक 5.5.17 द्वारा
विधानसभा
क्षेत्रान्तर्गत
भवनविहीन
आंगनवाड़ी
केन्द्रों के
भवन निर्माण
हेतु अनुशंसा
की थी?
यदि हाँ, तो
विभाग द्वारा
इस वर्ष का
क्या लक्ष्य
तय किया हैं? लक्ष्य
अनुसार
आंगनवाड़ी
भवनों की
स्वीकृति कब
तक होगी?
महिला एवं
बाल विकास
मंत्री (
श्रीमती
अर्चना
चिटनिस ) : (क) विगत
02
वर्षों में
जिला शाजापुर
में 50 आंगनवाड़ी
भवन एवं जिला
आगर मालवा में
62
आंगनवाड़ी
भवन स्वीकृत
हुए है, विस्तृत
जानकारी संलग्न
परिशिष्ट के
प्रपत्र-1 पर
है। (ख) जी
हाँ। विगत 03
वर्षों में
आगर मालवा एवं
शाजापुर जिले
को अनुरक्षण
मद में उपलब्ध
कराये गये आवंटन
की जानकारी संलग्न
परिशिष्ट
के प्रपत्र-2 पर
है। (ग) जी
हाँ। ग्राम
बराई में आंगनवाड़ी
भवन के
बाउण्ड्रीवॉल
निर्माण हेतु
कार्यपालन
यंत्री जिला
आगर मालवा के
पत्र दिनांक 05/07/2017
द्वारा
बाउण्ड्रीवॉल
निर्माण
कार्य के प्राक्कलन
की प्रति
प्राप्त हुई
है, तदानुसार
कार्यवाही
प्रस्तावित
की जा रही है। (घ) जी
हाँ। मान.विधायक
के पत्र क्रं. 407, दिनांक
26.05.17, पत्र
क्रं. 408,
दिनांक 26.05. 2017
के माध्यम से आंगनवाड़ी
भवन निर्माण
हेतु प्राप्त
अनुशंसाओं को
भवन निर्माण
संबंधी आगामी
जारी होने
वाली स्वीकृतियों
में शामिल कर
लिया गया है। मान.
विधायक का
पत्र क्र. 310, दिनांक
05/05/2017
विभाग को
प्राप्त नहीं
हुआ है। इस
वर्ष ग्रामीण क्षेत्र
में मनरेगा
योजना के
अभिसरण से तथा
शहरी
क्षेत्रों
में राज्य आयोजना
मद से
आंगनवाड़ी
भवन निर्माण
की योजना है।
आंगनवाड़ी
भवनों का
निर्माण
वित्तीय संसाधनों
की उपलब्धता
पर निर्भर
करता है। अतः
समय-सीमा दिया
जाना संभव
नहीं।
सोलर ऊर्जा कम्पनियों द्वारा कृषकों की जमीन का अधिग्रहण
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
29. ( क्र. 373 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर जिला अंतर्गत वर्तमान में कौन कौन सी सोलर ऊर्जा परियोजनायें संचालित हैं? संचालित परियोजनाओं के अंतर्गत कृषकों की कितनी जमीन का अधिग्रहण किया गया है एवं कितनी शासकीय जमीन आवंटित की है? परियोजनावार पूर्ण विवरण देवें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में जमीन अधिग्रहण एवं मुआवजा वितरण के क्या नियम एवं प्रक्रिया है? जारी निर्देश/आदेश की सत्यापित प्रति उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अनुसार संचालित परियोजनाओं से कितनी विद्युत का उत्पादन हो रहा है? उत्पादित विद्युत का वितरण किस प्रकार से एवं किन-किन वितरण केन्द्रों को किया जा रहा है? (घ) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्र. 422 दिनांक 28.05.17 से विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत सोलर ऊर्जा कम्पनियों को कृषकों की जमीन आवंटित न किए जाने हेतु प्रमुख सचिव एवं जिलाधीश महोदय से अनुरोध किया था? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जिला आगर अन्तर्गत वर्तमान में संचालित परियोजनाओं एवं आवंटित शासकीय भूमि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। संचालित परियोजनाओं में प्रयुक्त निजी भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है, बल्कि निजी विकासकों द्वारा कृषकों/भू-स्वामियों से उनकी सहमति से निजी भूमि क्रय की गई है। (ख) परियोजना के लिये भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। उक्त परियोजनाओं से उत्पादित विद्युत, ग्रिड में प्रवाहित की जाती है। विभिन्न स्त्रोतों से ग्रिड में आने वाली ऊर्जा समग्र रूप से विभिन्न वितरण केन्द्रों में वितरित होती है, जिसके स्त्रोतवार वितरण की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। (घ) प्रश्नकर्ता द्वारा दिये पत्र क्रमांक 422 दिनांक 28.05.2017 के पश्चात कलेक्टर कार्यालय द्वारा विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अन्तर्गत सोलर ऊर्जा कम्पनियों को कृषकों की कोई जमीन आवंटित नहीं की गई है।
ट्रांसफार्मरों की स्थापना
[ऊर्जा]
30. ( क्र. 379 ) श्री मोती कश्यप : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र बड़वारा क्षेत्रान्तर्गत प्रश्न दिनांक तक कृषि कार्य हेतु कितने स्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन संचालित हैं? वितरण केन्द्रवार बताएं? (ख) प्रश्नांश (क) क्षेत्रान्तर्गत कृषकों के दिनांक 15.6.17 तक कितने स्थायी पम्प कनेक्शन हैं एवं वर्ष 2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में 15.6.17 तक कितने अस्थायी विद्युत कनेक्शन प्रदान किये गये है? (ग) प्रश्नांश- (क), (ख) के ग्रामों में कितनी क्षमता के ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए, कितनी क्षमता के अतिरिक्त रूप से आवश्यक है? (घ) क्या प्रश्नकर्त्ता के द्वारा वर्ष 2015 से 2017 के मध्य अधीक्षण एवं कार्यपालन यंत्री को किन्हीं ग्रामों में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाये जाने हेतु लेख किये गये हैं? (ड.) क्या प्रश्नांश- (क) से (घ) के परिप्रेक्ष्य में यदि हाँ, तो कब तक ऊर्जा की आवश्यकता के अनुरूप अतिरिक्त ट्रांसफार्मरों को स्थापित अथवा उन्नयन किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) कटनी जिले के विधानसभा क्षेत्र बड़वारा क्षेत्रान्तर्गत दिनांक 15.06.2017 तक की स्थिति में कृषि कार्य हेतु कुल 18059 स्थाई पम्प कनेक्शन विद्यमान हैं, जिनकी वितरण केन्द्रवार संख्या निम्नानुसार है :-
क्र. |
वितरण केन्द्र का नाम |
पम्पों की संख्या |
क्र. |
वितरण केन्द्र का नाम |
पम्पों की संख्या |
1 |
बड़वारा |
6794 |
5 |
बरही |
6062 |
2 |
उमरियापान |
2262 |
6 |
निवार |
820 |
3 |
सिलौंडी |
1801 |
7 |
विजयराघवगढ़ |
170 |
4 |
खलवारा |
150 |
(ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार कटनी जिले के विधानसभा क्षेत्र बड़वारा क्षेत्रान्तर्गत दिनांक 15.06.2017 तक कृषि कार्य हेतु 18059 स्थाई पम्प कनेक्शन विद्यमान हैं। प्रश्नाधीन क्षेत्र में वर्ष 2016-17 में 2480 एवं वर्ष 2017-18 में दिनांक 15.06.2017 तक 802 अस्थाई पम्प कनेक्शन प्रदान किये गये हैं। (ग) प्रश्नाधीन क्षेत्र के ग्रामों में 87747 के.व्ही.ए. क्षमता के कुल 2234 वितरण ट्रांसफार्मर विद्यमान हैं। समय-समय पर वितरण ट्रांसफार्मरों से संबद्ध भार के दृष्टिगत आवश्यकतानुसार तकनीकी दृष्टि से साध्य पाये जाने पर अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मर या विद्यमान ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि के कार्य किये जाते हैं। प्रश्नाधीन क्षेत्र में वितरण ट्रांसफार्मरों से संबद्ध भार के दृष्टिगत क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा वर्ष 2017-18 में 1100 के.वी.ए. क्षमता के 11 वितरण ट्रांसफार्मर लगाये जाने की आवश्यकता प्रतिपादित की गई है। (घ) माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा वर्ष 2015 से 2017 के मध्य अधीक्षण अभियंता (संचालन-संधारण) कटनी को 7 एवं कार्यपालन अभियंता संचालन-संधारण संभाग कटनी को अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाने/ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि करने के संबंध में 12 पत्र लिखे गये थे, जिसके परिपालन में समस्त पत्रों पर कार्यवाही करते हुए 10 वितरण ट्रांसफार्मर लगाने/क्षमतावृद्धि करने हेतु प्राक्कलन स्वीकृत किये जा चुके हैं। उक्त में से 7 के कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं एवं शेष 3 कार्य प्रगति पर हैं। (ड.) प्रतिवर्ष तकनीकी साध्यता एवं वित्तीय संसाधनों की उपलब्धतानुसार वार्षिक कार्ययोजना स्वीकृत की जाती है। तदानुसार वर्ष 2017-18 में स्वीकृत कार्ययोजना में सम्मिलित सभी ट्रांसफार्मरों की स्थापना/क्षमतावृद्धि के कार्य मार्च, 2018 तक पूर्ण किया जाना अनुमानित है।
आदिवासी विकास परियोजना
[आदिम जाति कल्याण]
31. ( क्र. 380 ) श्री मोती कश्यप : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता ने अपने पत्र दिनांक 16-11-2012, 24-2-2014 तथा 04-3-2014 द्वारा किन्हीं ग्रामों की कोई सूची संलग्न कर कोई लेख किया है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश- (क) की सूची में जिला कटनी के किन विकासखण्डों के किन ग्रामों की वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर कितने प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति की दर्शित की गई है? (ग) प्रश्नांश- (क), (ख) सूची के ग्राम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना में सम्मिलित न किये जाने के कारण क्या हैं? (घ) प्रश्नांश- (क), (ख) ग्रामों को कब तक परियोजना में सम्मिलित कर वंचित अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति के लोगों को लाभान्वित किया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रकरण में जनगणना 2011 के आधार पर परीक्षण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (घ) परियोजना पुनर्गठन का निर्णय भारत सरकार, जनजातीय कार्य मंत्रालय स्तर से लिया जाता है, अतः निश्चित समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
32. ( क्र. 386 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिसम्बर 2016 से प्रश्न दिनांक तक खरगोन जिला कलेक्टर कार्यालय को प्रश्नकर्ता के कितने पत्र/मेल/शिकायत प्राप्त हुई। विषयवार दिनांक सहित सूची देवें। इन पत्र/मेल/शिकायत पर की गई कार्यवाही की जानकारी देवें। संबंधित विभाग द्वारा प्रश्नकर्ता के पत्रों का जवाब कब, किस पत्र के माध्यम से दिया गया? पत्रवार सूची देवें। (ख) उक्त पत्र/मेल जिन विभागों को प्रेषित किये गये उनमें से किन-किन विभागों के जवाब कब से लंबित है? पत्रवार कारण सहित बतायें। किन-किन पत्रों के जवाब विभागों द्वारा एक माह से अधिक समयावधि बीतने के बाद प्राप्त हुए? पत्रवार सूची देवें। (ग) वर्ष 2017 में उद्यानिकी विभाग खरगोन से जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रेषित पत्र/मेल के जवाब की प्रति देवें। जिन पत्र/मेल के जवाब विभाग द्वारा नहीं दिये गये हैं पत्रवार कारण सहित बतायें। (घ) वर्ष 2017 में उद्यानिकी विभाग खरगोन से जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रेषित शिकायती पत्र/मेल पर की गई कार्यवाही एवं जाँच प्रतिवेदन की प्रति देवें। यदि शिकायतों पर जाँच नहीं की गई है तो कारण सहित पत्रवार बतायें। यदि जाँच प्रचलन में है तो जाँच हेतु दिये गये निर्देशों की प्रति देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ब) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) एवं (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' में दर्शायी गई है।
देशी एवं विदेशी मदिरा दुकानों का आरक्षित मूल्य
[वाणिज्यिक कर]
33. ( क्र. 387 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन जिले के खरगोन विकासखण्ड में देशी एवं विदेशी मदिरा दुकानों का सत्र 2016-17 और सत्र 2017-18 में वार्षिक मूल्य तथा आरक्षित मूल्य कितना-कितना था, दुकानवार नाम व स्थान सहित जानकारी देवें। इसमें से कितनी ऑन श्रेणी की हैं तथा कितनी ऑफ श्रेणी की दुकानें हैं, दुकानवार नाम व स्थान सहित सूची देवें। (ख) उक्त दुकानों में शॉपबार एवं अहाता की लायसेंस राशि दुकानवार नाम व स्थान सहित सूची देवें। ऑन या ऑफ श्रेणी में शॉपबार या अहाता की लायसेंस राशि का क्या नियम है? प्रति देवें। वर्तमान में उक्त किन-किन दुकानों के साथ संचालित शॉपबार/अहाता एक ही तल पर हैं या मदिरा दुकान की दिवार से जुडे़ है? दुकानवार सूची देवें। (ग) प्रश्नकर्ता के पत्र/मेल पर की गई जाँच प्रतिवेदन की प्रति देवें। दोनों पत्रों के जवाब की प्रति अलग-अलग देवें। सनावद रोड दुकान पर माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर के आदेश/ निर्देश/स्टे की प्रति देवें। इस स्टे पर शासन के जवाब/आवेदन की प्रति देवें। (घ) मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 18 जनवरी 2017 की आबकारी नीति अंतर्गत कंडिका 7.3, 7.4, 18.32, 31, 50, 62 कंडिकाओं का पालन कराने में विभाग असमर्थ क्यों रहा। विभाग द्वारा ठेकेदार को बचाने या न्यायालय में जाने का पर्याप्त अवसर क्यों प्रदान किया गया।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्नांश (क) की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर में वर्णित मदिरा दुकानों में से विदेशी मदिरा दुकान तिलक पथ को छोड़कर खरगोन विकासखण्ड में स्थित समस्त 09 देशी एवं 01 विदेशी मदिरा दुकान ऑन श्रेणी की होने से इन दुकानों में नियमानुसार लायसेंसी द्वारा अहाता संचालित किया जाता है। जिसमें मध्यप्रदेश राजपत्र क्रमांक 254 दिनांक 31 मार्च 2000 की कंडिका 2 (दो) के प्रावधानानुसार ऑन लायसेंस होने से उपभोक्ताओं को अनुज्ञप्त परिसरों में उपभोग करने की अनुमति प्रदान है, चूंकि उक्त दुकानें ऑन श्रेणी की होने से, ऑन श्रेणी की मदिरा दुकानों में पृथक से लायसेंस फीस नहीं वसूली जाती है। ऑफ श्रेणी की दुकानों में शॉपबार लायसेंस स्वीकृत करने के संबंध में मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 18 जनवरी 2017 की कंडिका 31 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–दो अनुसार है। वर्तमान में खरगोन विकासखण्ड की ऑन श्रेणी की 9 देशी एवं 1 विदेशी मदिरा दुकानों के साथ संचालित अहाता की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–तीन अनुसार है। (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा की गई शिकायत के संबंध में जाँच प्रतिवेदन की प्रति तथा सनावद रोड दुकान पर माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर द्वारा रिट याचिका क्रमांक 2987/2017 की प्रति तथा उक्त के संबंध में शासन की ओर से दिये गये जवाब की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–चार अनुसार है। (घ) मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 18 जनवरी 2017 की आबकारी नीति अंतर्गत कंडिका 7.3, के प्रावधान अनुसार जिला समिति द्वारा देशी मदिरा दुकान सनावद रोड एवं विदेशी मदिरा दुकान खण्डवा रोड को माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 15.12.2016 के पालन में राज्य राजमार्ग से 500 मीटर से अधिक की दूरी पर सनावद रोड खरगोन पर स्थापित करने हेतु लोकेशन निर्धारित की गई तथा कंडिका 7.4 के प्रावधान अनुसार विदेशी मदिरा दुकान खण्डवा रोड, खरगोन का नाम परिवर्तित कर विदेशी मदिरा दुकान सनावद रोड घोषित करते हुये वर्ष 2017-18 के लिए निष्पादित की गई। घोषित लोकेशन की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–पाँच अनुसार है। लायसेंसी द्वारा कंडिका 18.32 के अनुसार शपथ पत्र प्रस्तुत करते हुये देशी एवं विदेशी मदिरा दुकान सनावद रोड को वर्ष 2017-18 हेतु घोषित लोकेशन में स्थापित किया गया है। कंडिका 31 शॉपबार लायसेंस से संबंधित है। वर्ष 2017-18 में शॉपबार लायसेंस हेतु कोई आवेदन प्राप्त नहीं होने से कोई कार्यवाही नहीं की गई। कंडिका 50 एवं 62 का उल्लंघन करने पर प्रभारी उपनिरीक्षक द्वारा लायसेंसी पर नियमानुसार कार्यवाही की गई है जिसकी छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–छ: अनुसार है। विभाग द्वारा लायसेंसी के विरूद्ध मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 के अनुसार कार्यवाही की गई है। यह कहना सही नहीं है कि विभाग द्वारा ठेकेदार को बचाने एवं न्यायालय में जाने का अवसर प्रदान किया गया।
खरगोन उद्वहन नहर योजना
[नर्मदा घाटी विकास]
34. ( क्र. 388 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन उद्वहन नहर के टर्न-की अनुबंध की समस्त समीक्षा बैठकों की कार्यवाही विवरण की जानकारी देवें। (ख) खरगोन उद्वहन नहर योजना में जेक वेल का निर्माण, व्ही टी पम्प्स, राईजिंग मेन, ग्रेविटि मेन, क्रास रेग्युलेटर, डिस्ट्रीब्युटरी, माईनर एवं सब-माईनर, स्कोडा सिस्टम, तालाब, रिजरवॉयर, विद्युत टॉवर लाईन, एस टी लाईन, पावर ग्रिड, एक्वाडक्ट निर्माण कार्यों की प्रस्तावित संख्या कितनी-कितनी, किस-किस स्थान पर थी। वर्तमान में इन सभी की स्थिति क्या है, कितने प्रतिशत पूर्ण है आईटमवार स्थान सहित बतायें। (ग) उक्त कार्य के ठेकेदार द्वारा किस-किस कार्य की ड्राईंग डिजाईन का एप्रूवल मुख्य अभियंता से लिया गया एवं किस-किस कार्य का एप्रुवल नहीं लिया गया, कार्यवार नाम व स्थान सहित सूची देवें। क्या ठेकेदार द्वारा समस्त कार्य प्रस्तावित ड्राईंग डिजाईन अनुसार ही कराया जा रहा है। यदि कोई संशोधन है तो क्या वह विभागीय नीति अनुसार एप्रुवल लेकर किया गया है। (घ) खरगोन उद्वहन नहर योजना निर्माण स्थल पर कार्यपालन यंत्री या अधीक्षण यंत्री द्वारा कब-कब निरीक्षण किया गया, दिनांकवार निरीक्षण टीप सहित सूची देवें।
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''स'' अनुसार है। ठेकेदार द्वारा अनुमोदित ड्राईंग के अनुसार ही कार्य किया जा रहा है। अनुमोदन के पश्चात् आज दिनांक तक कोई संशोधन नहीं किया गया। (घ) कार्यपालन यंत्री द्वारा नियमित निरीक्षण किया जाता है, किन्तु स्वयं की साईट होने से निरीक्षण टीप जारी नहीं की जाती है। अधीक्षण यंत्री द्वारा किये गये निरीक्षण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''द'' अनुसार है।
नगरीय क्षेत्र में अस्थायी विद्युत कनेक्शन
[ऊर्जा]
35. ( क्र. 389 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन में वर्तमान कालोनीवार स्थाई कनेक्शन की संख्या देवें। नगरीय क्षेत्र में किन-किन कालोनियों/स्थानों पर विद्युत के अस्थायी कनेक्शन कब से लगे है? सूची देवें। (ख) विद्युत कंपनी द्वारा उक्त कनेक्शनधारियों को अस्थायी कनेक्शन किस आधार पर दिया गया, अस्थायी कनेक्शन देने की तथा इन कनेक्शन की समय-सीमा संबंधी नीति की प्रति देवें। (ग) विगत 03 वर्षों में खरगोन नगर क्षेत्रान्तर्गत विभिन्न कॉलोनियों में आवेदकों को स्थाई विद्युत कनेक्शन देने हेतु नगर पालिका अथवा जनप्रतिनिधियों द्वारा कितने पत्र विद्युत कंपनी को प्रेषित किये गये, पत्र की दिनांक एवं उस पर दिये गये प्रत्तयुत्तर के संदर्भ सहित सूची देवें? खरगोन नगर की विभिन्न कॉलोनियों में स्थाई विद्युत कनेक्शन कब एवं किन शर्तों पर दिये जावेगें? (घ) विगत 3 वर्षों में दिशा, विद्युत सलाहकार समिति, जिला योजना समिति, जिला पंचायत साधारण सभा की किन-किन बैठकों में अस्थायी कनेक्शन पर क्या-क्या निर्देश प्रदान किये गये तथा इन निर्देशों पर क्या कार्यवाही की गई। बैठकवार बतायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) खरगोन नगर में विभिन्न कालोनियों में विद्यमान निम्नदाब स्थाई विद्युत कनेक्शनों की संख्या 7442 है, जिसका कालोनीवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- अ-1 अनुसार है। खरगोन नगरीय क्षेत्र में विभिन्न कॉलोनियों/स्थानों में 31 मई-2017 की स्थिति में कुल 638 अस्थाई विद्युत कनेक्शन विद्यमान थे, जिनकी कालोनी/स्थानवार, उपभोक्ता के नाम एवं कनेक्शन की दिनांक सहित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ-2 अनुसार है। (ख) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता-2013 के अध्याय-4 की कंडिका 4.43 से 4.52 तक के अनुसार अस्थाई विद्युत कनेक्शन प्रदान किये गये है। उक्त कंडिकाओं की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार एवं कंडिका 4.43 के अंतर्गत निर्दिष्ट प्रारूप परिशिष्ट 1 एवं 2 की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र-'स' एवं प्रपत्र-'द' अनुसार एवं कंडिका 4.52 के अंतर्गत उल्लेखित विनियम-2009 की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ई' अनुसार है। तकनीकी रूप से साध्य होने की स्थिति में अनुज्ञप्तिधारी, मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग (विद्युत प्रदाय के प्रयोजन से विद्युत लाईन प्रदान करने तथा उपयोग किये गये संयंत्र हेतु व्ययों तथा अन्य प्रभारों की वसूली) (पुनरीक्षण प्रथम) विनियम-2009 में विनिर्दिष्ट अनुसार उपभोक्ता के आवेदन पर उससे अतिरिक्त शुल्क का भुगतान प्राप्त कर 24 घंटे की सूचना पर अस्थाई विद्युत संयोजन प्रदान कर सकता है। (ग) खरगोन नगर क्षेत्रान्तर्गत विगत 03 वर्षों (2014-15 से 2016-17 तक) में विभिन्न कॉलोनियों में स्थाई विद्युत कनेक्शन हेतु मुख्य नगरपालिका अधिकारी खरगोन द्वारा पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को 2 पत्र प्रेषित किये गये थे, जिनकी प्राप्ति की दिनांक एवं संदर्भ तथा उक्त पत्रों पर विद्युत कंपनी द्वारा दिये गये प्रत्युत्तर के संदर्भ सहित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'फ' अनुसार है। खरगोन नगर की विभिन्न कॉलोनियों में कॉलोनाईजर द्वारा विद्युत अधोसंरचना का कार्य नियमानुसार पूर्ण करने के पश्चात् विद्युत निरीक्षक से निरीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरांत कॉलोनी के रहवासियों द्वारा विधिवत विद्युत वितरण कंपनी में स्थाई विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन करने तथा निर्धारित शुल्क का भुगतान करने के पश्चात निर्धारित अवधि में विद्युत कनेक्शन प्रदान किया जाना संभव हो सकेगा। (घ) विगत 03 वर्षों (2014-15 से 2016-17 तक) में दिशा, जिला योजना समिति, जिला पंचायत साधारण सभा एवं विद्युत सलाहकार समिति की बैठकों में अस्थाई विद्युत कनेक्शन पर किसी भी प्रकार के कोई निर्देश नहीं दिये गये है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
सागर जिले में पदस्थ विभागीय अधिकारी
[आदिम जाति कल्याण]
36. ( क्र. 404 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आदिम जाति कल्याण विभाग के सागर जिले में स्थित संभागीय एवं जिला कार्यालयों में वर्तमान में कितने विभागीय अधिकारी एवं कितने अन्य विभागों से संलग्न कर्मचारी/प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं? पदवार जानकारी देवें। (ख) यदि वर्तमान में सागर जिले में स्थित संभागीय एवं जिला कार्यालयों में विभाग के अधिकारी/कर्मचारी कार्यरत नहीं है तो क्यों? (ग) क्या यह सही है कि विभागीय अधिकारी के पदस्थ न होने से विभागीय कार्य प्रभावित/समय पर पूर्ण नहीं होते है, जिस कारण से आमजन एवं जनप्रतिनिधि परेशान होते हैं तो इसके लिये शासन क्या उपाय करेगा? (घ) सागर जिले में स्थित संभागीय एवं जिला कार्यालयों में विभाग के अधिकारी/कर्मचारी की पूर्ति शासन द्वारा कब तक की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) पद पूर्ति की कार्यवाही निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। (ग) जी नहीं। कार्यरत अधिकारियों द्वारा विभागीय कार्य समय पर पूर्ण किये जा रहे हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अंतिम स्कंध पर वेट की वसूली
[वाणिज्यिक कर]
37. ( क्र. 447 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन द्वारा मार्च 2013 में अधिसूचित किया गया था कि मदिरा वेट एक्ट की अनुसूची II के भाग III-ए में विनिर्दिष्ट है कि संदेह एक व्यापारी द्वारा म.प्र. के अंदर दूसरे व्यापारी से क्रय करने पर 05 प्रतिशत कर आरोपित किया जावेगा, यह व्यवस्था क्या देशी एवं विदेशी दोनों मदिराओं पर लागू है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो रीवा संभाग अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक में खुदरा व्यापारियों से अंतिम स्कंध राशि पर कितनी वेट की राशि वसूली गई? यह राशि किन-किन दुकानदारों से कब-कब वसूली गई का विवरण देवें? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा प्रश्नांश (ख) की जानकारी बाबत् पत्र 888 दिनांक 24.05.2017 के माध्यम से सहायक आबकारी आयुक्त रीवा को लिखा गया, जिस पर जानकारी एवं कार्यवाही अप्राप्त है? (घ) प्रश्नांश (क) तारतम्य में अगर प्रश्नांश (ख) अनुसार स्कंध पर वेट राशि की वसूली नहीं की गई तो इसके लिए कौन-कौन जवाबदार हैं? इसके कारण शासन को राजस्व का कितना नुकसान उठाना पड़ा? इसकी पूर्ति क्या दोषियों से करेंगे? अगर नहीं तो क्यों? प्रश्नांश (ग) की जानकारी समय पर न देने के दोषियों पर क्या कार्यवाही करेंगे?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रदेश में देशी/विदेशी दोनो मदिराओं पर वेट लागू है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नकर्ता सदस्य माननीय विधायक को कार्यालय सहायक आबकारी आयुक्त जिला रीवा के पत्र दिनांक 19.06.2017 द्वारा जानकारी प्रेषित की गई है। (घ) रीवा संभाग में वेट की सम्पूर्ण राशि की वसूल की गई है। अतएव शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। माननीय विधायक को प्रश्नांश ''ग'' की जानकारी दिनांक 19.06.2017 को उपलब्ध कराये जाने से कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है।
विद्युतीकरण कार्य
[ऊर्जा]
38. ( क्र. 448 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऊर्जा मंत्री म.प्र. शासन को प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा पत्र लिखकर ग्राम मगरदही जनपद पंचायत रायपुर कर्चुलियान जिला रीवा में विद्युतीकरण के कार्य कराये जाने का आग्रह किया गया था जिस पर माननीय मंत्री द्वारा पत्र क्र. 1872 दिनांक 14.12.2016 एवं पत्र क्र. 28 दिनांक 04.04.2017 के द्वारा मुख्य अभियंता रीवा, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी रीवा, को लिखा था? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो प्रस्तावित जगह पर आज भी विद्युतीकरण का कार्य संबंधितों द्वारा नहीं किया गया, जबकि माननीय मंत्री द्वारा विभाग में संचालित किसी भी योजना द्वारा विद्युतीकरण करने का निर्देश अधीनस्थों को दिया था? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार माननीय मंत्री के पत्र पर गंभीरता पूर्वक विचार कर विभाग से राशि की व्यवस्था कर विद्युतीकरण के कार्य न करने के लिए कौन-कौन दोषी है? दोषियों पर क्या कार्यवाही करेंगे? (घ) प्रश्नांश (क) के प्रस्तावित जगह पर कब तक में एवं किस मद से विद्युतीकरण का कार्य करा देवेंगे? अगर नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय के प्रश्नाधीन उल्लेखित कार्य कराए जाने के अनुरोध के तारतम्य में, परीक्षण कर आवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु मुख्य अभियंता (रीवा क्षेत्र) को प्रश्नाधीन उल्लेखित पत्रों द्वारा निर्देशित किया गया था। (ख) जनगणना 2011 के अनुसार ग्राम मगरदहा आबाद ग्रामों की सूची में सम्मिलित नहीं है। तथापि माननीय विधायक महोदय से प्राप्त पत्रानुसार विद्युतीकरण हेतु सर्वे का कार्य कराया गया, जिसमें यह पाया गया कि माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा जिस टोले/अविद्युतीकृत बसाहट में विद्युतीकरण कराए जाने का अनुरोध किया गया है, उसमें मात्र 1 घर खेत में स्थित है, जिसे विद्युतीकृत करने हेतु निकटस्थ विद्युतीकृत ग्राम इटार पहाड़ से 0.6 कि.मी. निम्नदाब लाईन के विस्तार की आवश्यकता होगी। जिस हेतु वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं होने से विद्युतीकरण का कार्य किया जाना संभव नहीं है। तथापि प्रश्नाधीन क्षेत्र में मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजनान्तर्गत नियमानुसार अंश राशि जमा कर कृषक पम्प कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में किसी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में जमा योजनान्तर्गत विधायक निधि से अथवा अन्य किसी मद से प्रश्नाधीन कार्य हेतु व्यय होने वाली राशि प्राप्त होने पर उक्त विद्युतीकरण का कार्य किया जाना संभव हो सकेगा। अत: प्रश्नाधीन विद्युतीकरण का कार्य किये जाने हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
हितग्राही मूलक योजना अंतर्गत राशि का प्रदाय
[आदिम जाति कल्याण]
39. ( क्र. 469 ) श्री मधु भगत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आदिवासी विकास विभाग जिला बालाघाट में वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से कार्य कितनी-कितनी राशि के किस-किस मद से कब-कब करवाये गये? नियुक्त कार्य एजेंसी के नाम सहित विकासखण्डवार एवं वर्षवार पूर्ण ब्यौरा देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कार्य में से कौन-कौन से कार्य पूर्ण हैं, कितने अपूर्ण हैं, उक्त कार्य में से किस-किस कार्य के लिये किस-किस कार्य को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किस दिनांक का चेक/ड्राफ्ट क्रमांक एवं नगद राशि के रूप में किया गया वर्षवार, कार्यवार भुगतान की गई राशि का पूर्ण ब्यौरा देवें। (ग) विभाग द्वारा विभिन्न हितग्राही योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2015-16 से वर्ष 2016-17 तक कितनी-कितनी राशि कितने हितग्राही/विद्यार्थी/अन्य को किस-किस योजनांतर्गत प्रदाय की गई तथा उक्त राशि लेने हेतु विभाग को कितने आवेदन प्राप्त हुये? प्राप्त आवेदनों में कितने हितग्राहियों को राशि वितरित की गई? कितने हितग्राही को राशि प्रदाय नहीं की गई? कारण स्पष्ट करें। (घ) क्या विभाग में विगत एक वर्ष में शासन से विभिन्न मदों में आवंटित राशि कुछ कार्यों में खर्च कर बाकि राशि जिला कार्यालय द्वारा राज्य शासन को वापस कर दी गई है? यदि हाँ, तो क्यों? क्या विभाग अंतर्गत अब कोई कार्य किया जाना शेष नहीं है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) आदिवासी विकास विभाग बालाघाट को प्रश्नांकित अवधि में वर्षवार, विकासखण्डवार, कराये गये कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ में उल्लेखानुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (घ) जी हाँ। विभाग अन्तर्गत स्वीकृत कार्य वित्तीय वर्ष समाप्ति तक पूर्ण नहीं होने से एवं कोषालय में आहरण पर प्रतिबन्ध लगने से विभिन्न मदों में आवंटित राशि में से व्यय उपरान्त शेष राशि समर्पण की गई। जानकारी पुस्तकालय में रखे पकरकशष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। विभाग अन्तर्गत कार्य कराया जाना है।
1 जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवाकर के प्रावधान
[वाणिज्यिक कर]
40. ( क्र. 494 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या 1 जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी) लागू हो रहा है? यदि हाँ, तो प्रावधानों की छायाप्रति सहित जानकारी दें? (ख) क्या जी.एस.टी. में इंटरनेट और कम्प्यूटर के द्वारा कार्य किया जाता है? यदि हाँ, तो ग्वालियर, मुरैना, भिण्ड गुना दतिया में कितने पद स्वीकृत हैं? कितने कार्यरत हैं कितने पद रिक्त हैं कौन कर्मचारी कम्प्यूटर पर कार्य करता है? कौन कार्य नहीं करता है। क्या कार्यालय में समुचित व्यवस्था है? यदि नहीं, तो कब तक हो जायेगी? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में जी.एस.टी. में इंटरनेट कम्प्यूटर के माध्यम से कार्य होने के कारण क्या कार्यालय में व्यापारियों के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है? यदि नहीं, तो कब तक हो जायेगी? (घ) क्या ग्वालियर चम्बल सम्भाग में वाणिज्यिक कर कार्यालय निजी भूमि व शासकीय भूमि पर स्थापित है? आवास के लिए कहाँ पर कितनी जमीन व आवास है? कौन निवासरत हैं? कितना आवास किराया कब प्राप्त हुआ है? कितना मरम्मत में व्यय किया गया? क्या इसे कार्यालय के लिये उपयोग किया जा सकता है? विगत पाँच वर्ष में किसको कितना किराया भुगतान किया गया? कब शासकीय भूमि में कार्यालय स्थापित होंगे?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। अधिनियम की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''ए'' पर है। (ख) जी हाँ। प्रश्नांश के शेष भाग की जानकारी इस प्रकार है :-
जिला |
स्वीकृत पद |
कार्यरत पद |
रिक्त पद |
ग्वालियर |
162 |
103 |
59 |
मुरैना |
31 |
18 |
13 |
भिण्ड |
13 |
09 |
04 |
गुना |
21 |
11 |
10 |
दतिया |
12 |
06 |
06 |
समस्त कर्मचारी कम्प्यूटर पर कार्य करते हैं। कार्यालय में समुचित व्यवस्था है। इसके अलावा समस्त संभागीय एवं वृत्त कार्यालयों को नवीन तकनीक के कम्प्यूटर एवं हार्डवेयर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। (ग) जी हाँ। संभागीय कार्यालय एवं वृत्त कार्यालयों में जी.एस.टी. सेवा केन्द्र संचालित हैं जिनके माध्यम से व्यापारियों की जी.एस.टी. विधान संबंधी समस्याओं का समाधान किया जाता है। (घ) ग्वालियर, चंबल संभाग अंतर्गत 6 कार्यालय किराये के भवन में एवं 01 कार्यालय शासकीय भवन में संचालित हैं। संभाग अंतर्गत ग्वालियर में 13, मुरैना में 29, भिंड में 14, दतिया में 04, शिवपुरी में 04 एवं गुना में 12 शासकीय आवास हैं जिनमें शासकीय सेवक निवासरत हैं। ग्वालियर, चंबल संभाग अंतर्गत शासकीय आवास किराया राशि रूपये 1,67,700/- वसूल की गई है। ग्वालियर संभाग-1 के अंतर्गत 13 आवासों की मरम्मत पर राशि रूपये 4,20,000/- का व्यय कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत पाँच वर्षों में संभाग अंतर्गत भिण्ड में रूपये 27.15 लाख, दतिया में रूपये 19.9 लाख, शिवपुरी में रूपये 9.6 लाख, मुरैना में रूपये 36.55 लाख एवं अशोकनगर में रूपये 12.1 लाख का किराया भुगतान किया गया। ग्वालियर में आवंटित शासकीय भूमि पर कार्यालय भवन निर्माण के प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं। संभाग के सभी कार्यालयों को शासकीय भूमि पर स्थापित किए जाने की निश्चित समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
41. ( क्र. 510 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सुमावली विधानसभा क्षेत्र मुरैना की ग्राम पंचायत नन्दपुरा के मजरा मथुरापुर एवं ग्राम पंचायत गुढ़ा चम्बल के मजरा प्रतापपुरा की आंगनवाड़ी भवनों की क्या स्थिति हैं। जून 2017 की स्थिति में बताया जावे। (ख) उक्त आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण का कार्य आदेश कब जारी किया गया था तथा निर्माण की राशि कितनी थी तथा निर्माण एंजेसी द्वारा कितना कार्य किया एवं कितनी राशि का नुकसान किया जा चुका हैं? (ग) क्या भवन विहीन आंगनवाड़ियों में बच्चों के बैठक की व्यवस्था नहीं होने एवं वर्षांत में बच्चों की बैठने की स्थिति में आगंनवाड़ियों का संचालन सुव्यवस्थित नहीं हो पा रहा हैं। (घ) क्या शासन उक्त आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण में त्वरित कार्यवाही करेगा? यह भवन कब तक पूर्ण कराया जा सकेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जून 2017 की स्थिति में सुमावली विधानसभा क्षेत्र मुरैना की ग्राम पंचायत नन्दपुरा के मजरा मथुरापुर में स्थल विवाद के कारण आंगनवाड़ी भवन नहीं बना है तथा ग्राम पंचायत गुढ़ाचम्बल के मजरा प्रतापपुरा में आंगनवाड़ी भवन में छत एवं प्लास्टर होना शेष है। (ख) सुमावली विधानसभा क्षेत्र मुरैना की ग्राम पंचायत नन्दपुरा के मजरा मथुरापुर एवं ग्राम पंचायत गुढ़ा चम्बल के मजरा प्रतापपुरा की आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण का कार्य आदेश वर्ष 2009-10 में किया गया था तथा निर्माण की राशि 2.40 लाख थी। निर्माण ऐजेंसी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मुरैना द्वारा मजरा प्रतापपुरा में छत स्तर तक का कार्य किया गया है एवं ग्राम मथुरापुर में स्थल विवाद के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। अतः राशि व्यय नहीं की गई है। (ग) जी नहीं। सुमावली विधानसभा क्षेत्र मुरैना की ग्राम पंचायत नन्दपुरा के मजरा मथुरापुर में आंगनवाड़ी केन्द्र का संचालन श्री हंसराज सिकरवार के मकान में किया जा रहा है एवं ग्राम पंचायत गुढ़ा चम्बल के मजरा प्रतापपुरा में आंगनवाड़ी केन्द्र का संचालन प्राथमिक विद्यालय के परिसर में किया जा रहा है। (घ) जी हाँ। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
विशेष पोषण आहार योजना
[महिला एवं बाल विकास]
42. ( क्र. 570 ) श्री रजनीश सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सिवनी जिले में वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में विशेष पोषण आहार योजना में वर्षवार शासन की कितनी राशि का व्यय किया गया? (ख) विशेष पोषण आहार योजना की मॉनीटरिंग का परीक्षण एवं देयकों का सत्यापन किन-किन अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है? (ग) क्या सिवनी जिले के विकासखण्ड धनौरा, छपारा, केवलारी, सिवनी में सत्यापित बिलों में भण्डार क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया जिससे गंभीर अनियमितताएं प्रकाश में आई? (घ) क्या प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित विकाखण्डों में लाखों रूपयों के देयकों का परीक्षण न करते हुए भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया? यदि किया गया तो इस आशय का प्रमाण पत्र दें कि भंडार क्रय नियमों का पालन किया गया है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सिवनी जिले में विशेष पोषण आहार योजना में वर्ष 2015-16 में राशि रूपये 6,28,57,552/-एवं वर्ष 2016-17 में राशि रूपये 8,32,65,889/-का व्यय किया गया। (ख) सिवनी जिले में विशेष पोषण आहार योजना की मॉनीटरिंग, परीक्षण एवं देयकों का सत्यापन संबंधित विभागीय पर्यवेक्षकों,बाल विकास परियोजना अधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी सिवनी द्वारा किया जा रहा है। देयकों का आहरण एवं भुगतान कलेक्टर, सिवनी की स्वीकृति पश्चात् किया जाता है। (ग) सिवनी जिले के विकासखण्ड धनौरा, छपारा, केवलारी, सिवनी में सत्यापित बिलों में भण्डार क्रय नियमों का पालन किया गया है जिसमें कोई भी गंभीर अनियमितता प्रकाश में नहीं आई है। (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित विकासखण्डों में पोषण आहार देयकों का परीक्षण किया गया है एवं भण्डार क्रय नियमों का पालन किया गया है। उक्त संबंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी, एकीकृत बाल विकास सेवा, जिला-सिवनी द्वारा प्रमाणित किया गया है कि पोषण आहार देयकों का निराकरण में भण्डार क्रय नियमों का पालन किया गया है।
दुर्घटनाओं में शिकार श्रमिकों/कर्मचारियों को मुआवजा
[ऊर्जा]
43. ( क्र. 571 ) श्री रजनीश सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों में हुई दुर्घटनाओं में कितने एवं किस-किस कर्मचारियों, श्रमिकों की मृत्यु एवं अंग-भंग हुए वर्षवार, घटनावार ब्यौरा देवें तथा उन्हें क्षतिपूर्ति मुआवजा राशि कितनी व किस प्रकार दी गई? (ख) केवलारी विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत दुर्घटनाओं के शिकार कितने कर्मचारियों, श्रमिकों के परिवारों को अब तक क्षतिपूर्ति अथवा मुआवजा राशि नहीं मिल सकी है? किस कारण नहीं मिल सकी है? दुर्घटना से पीड़ित परिवारों को कब तक मुआवजा राशि प्राप्त हो जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी अंतर्गत पिछले 3 वर्षों यथा वित्तीय वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में हुई 40 दुर्घटनाओं में 35 कर्मचारियों की मृत्यु हुई एवं 5 कर्मचारी अपंग हुए, जिसका वर्षवार, घटनावार तथा क्षतिपूर्ति/मुआवजा राशि देने की जानकारी सहित विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) केवलारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कर्मचारी श्री शिवप्रसाद पवार एवं श्री रामप्रसाद नामदेव की दुर्घटना हुई है। श्री शिवप्रसाद पवार का पैर घुटने से कटा है, इनके द्वारा आवेदन एवं चिकित्सा बोर्ड का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं करने के कारण क्षतिपूर्ति नहीं दी जा सकी है। उक्त कर्मचारी से आवेदन एवं प्रमाण-पत्र प्राप्त होने पर क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की जावेगी। श्री रामप्रसाद नामदेव की दुर्घटना में दिनांक 05.06.2017 को मृत्यु हुई, जिनके परिजनों को क्षतिपूर्ति दिये जाने हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है तथा क्षतिपूर्ति का भुगतान दिनांक 15.07.2017 तक कर दिया जावेगा।
छात्रवृत्ति घोटाला एवं विभागीय कार्यवाही
[आदिम जाति कल्याण]
44. ( क्र. 600 ) श्री मुकेश नायक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के वर्ष 2015 के प्रतिवेदन में आदिम जाति कल्याण विभाग में हुये छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में जो तथ्य दिये गये हैं, उन पर विभाग ने संज्ञान लेते हुये अब तक क्या कार्यवाही की है और किन-किन अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की है तथा घोटाले में निहित धनराशि की वसूली के लिये क्या उपाय किये हैं और उनके क्या परिणाम निकले? (ख) फर्जी जनजाति प्रमाण पत्र के आधार पर इंजीनियरिंग मेडीकल कॉलेजों में प्रवेश लेने वालों और छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों के मामलों में शासन ने क्या जाँच पड़ताल की है और अब तक क्या कार्यवाही की है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट 2015, वृहद स्वरूप की है। संबंधित जिला अधिकारियों से पालन प्रतिवेदन प्राप्त किये जा रहे है। प्रतिवेदन प्राप्त होने पर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
ट्रांसमिशन क्षमता एवं लाईन हानि की जानकारी
[ऊर्जा]
45. ( क्र. 601 ) श्री मुकेश नायक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में वर्ष 2009-10 में कुल किनती ट्रांसमिशन क्षमता थी एवं वर्ष 2009-10 से वर्षवार प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी क्षमता बढ़ी एवं अगले वर्षों में प्रस्तावित बढ़ी हुई क्षमता बतावें? (ख) म.प्र. वितरण कंपनियों की वर्ष 2009-10 से प्रश्न दिनांक तक वर्षवार ट्रांसमिशन एवं लाईन हानि कुल कितने प्रतिशत हुई? प्रतिवर्ष कितने प्रतिशत हानि कम हुई सभी कंपनियों की औसत हानि भी बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रदेश में वर्ष 2009-10 में ट्रांसमिशन क्षमता 8200 मेगावाट थी। वर्ष 2009-10 से वर्ष 2016-17 तक की वर्षवार ट्रांसमिशन क्षमता एवं वृद्धि निम्नानुसार है :-
वित्तीय वर्ष |
2009-10 |
2010-11 |
2011-12 |
2012-13 |
2013-14 |
2014-15 |
2015-16 |
2016-17 |
ट्रांसमिशन क्षमता (मेगावाट में) |
8200 |
8546 |
8809 |
10600 |
12317 |
12600 |
14100 |
15100 |
वृद्धि (मेगावाट में) |
717 |
346 |
263 |
1791 |
1717 |
283 |
1500 |
1000 |
आगामी तीन वर्षों में प्रस्तावित क्षमता :-
वर्ष |
2017-18 |
2018-19 |
2019-20 |
प्रस्तावित ट्रांसमिशन क्षमता (मेगावाट में) |
16200 |
17200 |
18300 |
(ख) वर्ष 2009-10 से वर्ष 2016-17 तक वर्षवार ट्रांसमिशन एवं लाइन (वितरण) हानि तथा हानि प्रतिशत का अंतर निम्नानुसार रहा :-
वर्ष |
ट्रांसमिशन हानि |
लाइन (वितरण) हानि |
||
हानि प्रतिशत में |
पिछले वर्ष की तुलना में अंतर |
हानि प्रतिशत में |
पिछले वर्ष की तुलना में अंतर |
|
2009-10 |
4.19 |
0.1 |
33.45 |
(-) 3.78 |
2010-11 |
3.74 |
(-) 0.45 |
31.54 |
(-) 1.91 |
2011-12 |
3.51 |
(-) 0.23 |
30.40 |
(-) 1.14 |
2012-13 |
3.3 |
(-) 0.21 |
26.02 |
(-) 4.38 |
2013-14 |
3.0 |
(-) 0.30 |
23.68 |
(-) 2.34 |
2014-15 |
2.82 |
(-) 0.18 |
21.69 |
(-) 1.99 |
2015-16 |
2.88 |
0.06 |
22.65 |
(+) 0.96 |
2016-17 |
2.71 |
(-) 0.17 |
22.61 |
(-) 0.04 |
उपरोक्त हानियाँ वर्षवार ट्रांसमिशन कंपनी तथा तीनों वितरण कंपनियों की हैं। हानियों की गणना प्रतिशत के आधार पर वर्षवार की जाती है परन्तु इनका औसत नहीं निकाला जाता है।
कर्मचारियों का महंगाई भत्ता एक समान दिलाने बावत्
[ऊर्जा]
46. ( क्र. 630 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी जिले के ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित सीधी का संविलयन वर्ष 2010 में म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.कं. लिमि. में किया गया था? यदि हाँ, तो कितने ऐसे कर्मचारी शेष बचे हैं, जिनका संविलियन नहीं किया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में संविलयन से वंचित कर्मचारियों को वर्तमान में महंगाई भत्ता 27 प्रतिशत दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा याचिका क्रं. 3029/2013 में पारित आदेश दिनांक 03 मई 2013 का अंतरिम आदेश परित कर 72 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जाना उचित होगा का आदेश पारित किया हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के प्रकाश में कितने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाकर 132 प्रतिशत कर दिया गया तथा कितने ऐसे कर्मचारी शेष हैं जिनका महंगाई भत्ता नहीं बढ़ाया गया? (घ) प्रश्नांश (ग) के प्रकाश में शेष कर्मचारियों का महंगाई भत्ता कब तक बढ़ाया जावेगा? नहीं बढ़ाया जावेगा तो कारण स्पष्ट करें? इसके लिये कौन जिम्मेदार है? जिम्मेदार के खिलाफ क्या, कार्यवाही की जावेगी? नहीं की जावेगी तो कारण स्पष्ट करें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) वर्ष 2010 में ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित, सीधी का संविलियन पूर्ववर्ती म.प्र. राज्य विद्युत मंडल में किया गया था। 48 कर्मचारियों की सेवाओं का संविलियन नहीं किया गया। (ख) जी हाँ, संविलियन से वंचित कर्मचारियों को प्रारंभिक शर्त के अनुसार तत्समय देय 27 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। जी नहीं। माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा याचिका क्रमांक 3029/2013 में दिनांक 03 मई, 2013 को पारित आदेश संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुक्रम में असंविलियित कर्मचारियों को संविलियित कर्मचारियों के समकक्ष नहीं आंका गया तथा असंविलियित कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की दर 27 प्रतिशत यथावत रखी गई। इस तारतम्य में 7 याचिकाकर्ताओं द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर में अवमानना प्रकरण क्रमांक 1771/2016 दायर किया गया है, जो कि विचाराधीन है। (ग) ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित सीधी के संविलियित सभी कर्मचारियों को 132 प्रतिशत तथा असंविलियित 48 कार्मिकों में से तीन की मृत्यु होने तथा एक के सेवानिवृत्त होने के फलस्वरूप 44 कार्मिकों को 27 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। (घ) ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित, सीधी के असंविलियित कर्मचारियों की सेवाओं को संविलियित कर्मचारियों की सेवाओं के समकक्ष नहीं आंका जा सकता। उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा याचिका क्रमांक 3029/2013 में पारित आदेश दिनांक 03 मई, 2013 के परिप्रेक्ष्य में 7 याचिकाकर्ताओं द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर में अवमानना प्रकरण क्रमांक 1771/2016 दायर किया गया है, जो कि विचाराधीन है। माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर के निर्णय अनुसार उक्त प्रकरण में कार्यवाही की जावेगी।
सोलर पंप अनुदान योजना
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
47. ( क्र. 657 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्रामोदय से भारत उदय कार्यक्रम के तहत विधान सभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना में ग्राम संसद में सौर ऊर्जा को लेकर कृषक समुदाय को सौर ऊर्जा से संबंधित क्या-क्या जानकारियां दी गई? उनके निराकरण हेतु ग्राम संसद में क्या निर्णय लिये गये उसे भी अवगत कराया जावे। (ख) कृषि को लाभ का धंधा बनाने में सिंचाई हेतु विद्युत ऊर्जा अथवा सौर ऊर्जा में से कौन सी प्रक्रिया लाभकारी है? इस हेतु विधान सभा-07 दिमनी मुरैना में क्या-क्या गतिविधियां संचालित है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) ग्रामोदय से भारत उदय कार्यक्रम के तहत विधान सभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना की जानकारी दी गई। कृषकों को योजना के अन्तर्गत आवेदन करने के लिये प्रेरित किया गया। (ख) कृषि के लिये सोलर पम्प योजना संचालित की जा रही है जिसमें 3 HP तक के सोलर पंपों पर कुल 90% का अनुदान है, 5 HP के पम्प पर 85% का अनुदान है। 5 HP से बड़े पम्पों पर 5 HP का लागू अनुदान ही देय होगा। सोलर पम्प का 5 वर्ष का रख-रखाव किया जाएगा और कृषकों पर कोई नियमित व्यय नहीं आएगा। इन सोलर पम्पों के उपयोग से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी और व्यवसायिक एवं अन्य फायदे की फसलों का उत्पादन कर कृषि को लाभ का व्यवसाय बना सकेंगे। विधान सभा 07 दिमनी मुरैना क्षेत्र में मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना के तहत पंजीयन कार्य जारी है एवं योजना के तहत मुरैना जिले में कुल 389 कृषकों के सोलर पम्पों की स्थापना हेतु आवेदन प्राप्त हुए है। (पृथक से विधानसभावार आवेदन प्राप्त नहीं किये गये है)
स्थायी कृषि पम्प उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली देना
[ऊर्जा]
48. ( क्र. 658 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण दिनांक 21 जनवरी 2017 के दौरान बिन्दु क्र. 21 में "सरकार द्वारा पाँच HP तक के एक हेक्टेयर तक भूमि वाले अ.जा. अजजा के स्थायी कृषि पम्प उपभोक्ताओं को मुक्त बिजली दी जा रही है" का उल्लेख है। (ख) यदि हाँ, तो क्या शासन द्वारा इस हेतु कोई नीति निर्धारित की है? यदि हाँ, तो नीति की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित स्थायी कृषि पंपों में विधान सभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना के कितने हितग्राही (अनुसूचित जाति) सम्मिलित हैं, उनके नाम, पता, आदि सहित सम्पूर्ण जानकारी दी जावे।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण दिनांक 21 फरवरी, 2017 (21 जनवरी, 2017 नहीं) के बिन्दु क्रमांक 21 में यह उल्लेख किया गया है कि राज्य शासन द्वारा पाँच हार्सपावर तक के एक हेक्टेयर तक भूमि वाले अनुसूचित जाति/जनजाति के स्थायी कृषि पम्प उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली दी जा रही है। (ख) जी हाँ। राज्य शासन द्वारा म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश में विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 65 के अंतर्गत अग्रिम रूप से सब्सिडी प्रदान की जाती है। राज्य शासन की उक्त नीति के अंतर्गत वर्तमान में लागू आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ग) विधानसभा क्षेत्र-07 दिमनी, जिला मुरैना में प्रश्नांश ''क'' अनुसार अनुसूचित जाति के 117 हितग्राही सम्मिलित हैं, जिसका नाम, पते सहित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण पत्रों की छपाई कार्य
[महिला एवं बाल विकास]
49. ( क्र. 688 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) श्योपुर जिले में वर्ष 2007-08 से वर्ष 2014-15 तक की अवधि में महिला एवं बाल विकास विभाग श्योपुर द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना के 32250 प्रमाण पत्रों को छपवाने, उन्हें लेमिनेशन और ऑनलाइन करने का कार्य 30 रूपये प्रति प्रमाण पत्र की दर पर क्या यशस्वी कम्प्यूटर प्रा.लि. उज्जैन की संस्था से करवाया था? (ख) उक्त कार्य हेतु डी.पी.ओ. श्योपुर ने शासन निर्देशानुसार क्या निविदा आमंत्रित कर उक्त संस्था को कार्यादेश जारी किया था? यदि हाँ, तो निविदा व कार्यादेश की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) क्या कि उक्त कार्य उक्त संस्था से बिना निविदा बुलाए बिना कार्यादेश जारी किए पूर्ण करवाया तथा संस्था द्वारा प्रदाय प्रमाण पत्र भी बेहद हल्की क्वालिटी के छापे, सैकड़ों प्रमाण पत्रों में बालिकाओं व उनके पिताओं के नाम तथा पते भी गलत छापे गए, इस कारण वर्तमान तक त्रुटिपूर्ण प्रमाण पत्र वितरित भी नहीं हो जाए? (घ) इसके बावजूद भी डी.पी.ओ. तथा महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्योपुर द्वारा नियम विरूद्ध तरीके से उक्त संस्था से 20-20 हजार रूपये के देयक प्राप्त कर वर्ष 2016-17 में संस्था को लाखों रूपये का भुगतान कर शासकीय राशि का दुरूपयोग किया गया? (ड.) क्या शासन इस पूरे मामले की जाँच करवाएगा? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी नहीं। (ख) "क" के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) "क" एवं "ख" के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (घ) वर्ष 2016-17 में परियोजना स्तर से लाड़ली लक्ष्मी योजना के आवेदन की ऑनलाईन प्रविष्टि करने, प्रमाण-पत्र जनरेट एवं प्रिन्ट कर लेमिनेशन करने हेतु यशस्वी कम्प्यूटर प्रा.लि. उज्जैन से 5850 प्रकरणों के लिये कार्य कराया गया। जो संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र - ''अ'' पर है। कार्य उपरांत प्राप्त देयकों का भुगतान निर्धारित दर के मान से परियोजनावार भुगतान की कार्यवाही की गई जिसका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र- ''ब'' पर है। राशि का दुरुपयोग नहीं किया गया। (ड़) "घ" के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में सुविधा एवं भवन निर्माण की स्वीकृति
[महिला एवं बाल विकास]
50. ( क्र. 689 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रश्नकर्ता के तारा.प्र.क्रं. 2885 दिनांक 27.07.2016 के प्रश्नांश (क) के उत्तर में जानकारी दी थी कि श्योपुर विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर शासन निर्देशानुसार पेयजल एवं अन्य आवश्यक सुविधाऐं उपलब्ध हैं? क्या वास्तविकता में वर्तमान में अधिकांश केन्द्र असुविधाजनक एक-एक कमरे में संचालित होने के कारण इनमें उपरोक्तानुसार सुविधाऐं उपलब्ध नहीं है। कई केन्द्र हैण्डपम्प विहीन, कई में स्थापित हैण्डपम्प असुधार योग्य अथवा खराब पड़े हैं। 117 केन्द्र शौचालय विहीन एवं 198 केन्द्र किराये के भवन में संचालित हैं। सभी केन्द्रों में बिजली सुविधा का अभाव है। (ख) वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक की अवधि में विभिन्न योजनाओं में स्वीकृत 105 केन्द्रों में से 81 केन्द्रों के भवन निर्धारित अवधि के पश्चात भी विभागीय अमले की उदासीनता के कारण अपूर्ण पड़े हैं। इन्हें पूर्ण कराने हेतु कार्य एजेन्सियों को पत्र तक नहीं लिखे गए हैं। उक्त सुविधा व भवनों के अभाव में क्षेत्रीय हितग्राही शासन सुविधा से वंचित बने हुए हैं। (ग) क्या शासन उक्त तथ्यों की जाँच कराकर सभी सुविधाएं शीघ्र उपलब्ध कराएगा तथा अपूर्ण भवनों का निर्माण समय-सीमा में पूर्ण कराएगा तथा किराये वाले भवनों हेतु नवीन भवनों की स्वीकृति शीघ्र करवाएगा यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत सभी आंगनवाडी केन्द्रों पर नल जल, हैण्डपंप एवं वॉटर फिल्टर के माध्यम से पेयजल सुविधा के साथ-साथ अन्य आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध है। विभाग द्वारा अप्रैल 2017 में आंगनवाडी केन्द्रों के संबंध में किये गये वार्षिक सर्वे अनुसार 23 आंगनवाड़ी केन्द्र शौचालय विहीन तथा 138 आंगनवाडी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित है। जी हाँ। सभी आंगनवाडी केन्द्रों पर बिजली की सुविधा का अभाव है। (ख) जी नहीं। श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक की अवधि में विभिन्न योजनाओं अन्तर्गत स्वीकृत 105 आंगनवाडी भवनों में से 48 आंगनवाडी भवन पूर्ण हो चुके है। शेष 57 आंगनवाड़ी भवन निर्माणाधीन/अप्रारंभ भवनों को पूर्ण कराने के लिये समय-समय पर निर्माण ऐजेंसी एवं परियोजना अधिकारियों को विभिन्न बैठकों में निर्देश दिये गये है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य विभाग द्वारा न किया जाकर निर्माण ऐजेंसी यथा ग्राम पंचायत, लोक निर्माण विभाग इत्यादी से कराया जाता है। जिला स्तर पर कलेक्टर/सीईओ जिला पंचायत/जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा निर्माण कार्यों की सतत् समीक्षा की जा रही है। इन निर्माण कार्यों को निर्माण एजेंसियों के माध्यम से शीघ्र पूर्ण कराने हेतु कार्यवाही की जा रही है। (ग) उत्तरांश ''ख'' अनुसार उल्लेखित तथ्यों के आधार पर शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। भवनविहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के अभिसरण से एवं शहरी क्षेत्र में राज्य आयोजना मद से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की योजना है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं।
विद्युतीकरण योजना की जानकारी
[आदिम जाति कल्याण]
51. ( क्र. 724 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कृषकों को सिंचाई सुविधा के उद्देश्य से खेतों में विद्युतीकरण की योजना हेतु वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2016-17 में जिला छिन्दवाड़ा के लिये कितना बजट (राशि) का आवंटन किया गया है? (ख) जिला छिन्दवाड़ा के अंतर्गत वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2016-17 में उक्त योजना में कितने किसान हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है? प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रवार, ग्रामवार अलग-अलग संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) उपरोक्त योजना के अंतर्गत वर्ष 2017-18 हेतु जिला छिन्दवाड़ा के लिये कितना बजट (राशि) का आवंटन किया गया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अनुसूचित जनजाति विद्युतीकरण योजना अन्तर्गत छिन्दवाड़ा जिले को वित्तीय वर्ष 2015-16 में राशि रूपये 661.00 लाख एवं वित्तीय वर्ष 2016-17 में राशि रुपये 765.44 लाख का आवंटन दिया गया। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विद्युतीकरण योजना अन्तर्गत वर्ष 2016-17 हेतु जिला छिन्दवाड़ा को रूपये 704.08 लाख का आवंटन जारी किया गया।
प्रत्या-स्मरण प्रशिक्षण के दौरान मेस अग्रिम हेतु जमा राशि
[महिला एवं बाल विकास]
52. ( क्र. 725 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा जुलाई, सत्र 2016 में परि. अता. प्रश्न क्र. 1477, दिनांक 20/7/16 के माध्यम से छिन्दवाड़ा जिले के प्रत्या-स्मरण प्रशिक्षण केन्द्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं से प्रशिक्षण के दौरान मेस अग्रिम हेतु 1000 रूपये से 3000 रूपये तक की राशि जमा कराए जाने संबंधी जानकारी चाही गयी थी। जिसके जवाब में बताया गया था कि मेस अग्रिम राशि जमा करने की कार्यवाही की विस्तृत जाँच जबलपुर संयुक्त संचालक से कराई जा रही है? संयुक्त संचालक द्वारा क्या जाँच की गई है? जाँच की प्रमाणित सत्यप्रति दस्तावेजों सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) प्रत्या-स्मरण प्रशिक्षण केन्द्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं से प्रशिक्षण के दौरान मेस अग्रिम की राशि जो पूर्व में अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा नियम विरूद्ध तरीके से जमा कराई गई थी? वह राशि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा अभी तक वापिस नहीं की गई है? जिसका क्या कारण है? मेस अग्रिम की राशि कब तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को वापिस कर दी जायेगी? (ग) शासन के नियम नहीं होने के बाद भी जिन भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के द्वारा नियम विरूद्ध तरीके से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं से प्रशिक्षण के दौरान मेस अग्रिम की राशि जमा कराई गई थी, ऐसे शासन के नियमों का उल्लंघन करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के ऊपर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जायेगी और कब तक?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) संयुक्त संचालक, एकीकृत बाल विकास सेवा, संभाग जबलपुर द्वारा की गई जाँच प्रतिवेदन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (ख) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रशिक्षण केन्द्र जिला छिंदवाड़ा द्वारा मैस अग्रिम राशि संबंधित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं के खाते में वापस जमा की गई है। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है। (ग) संचालनालय का पत्र क्रमांक 3249 दिनांक 30/07/2016 द्वारा सचिव, बाल कल्याण परिषद्, भोपाल को स्पष्टीकरण जारी किया गया। सचिव, म.प्र. बाल कल्याण परिषद, भोपाल के पत्र क्रमांक 437, दिनांक 07/11/2016 अनुसार तत्कालीन प्राचार्य श्रीमती सरला शहाणे को निलंबित किया गया है। (पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ग''अनुसार है।)
माननीय मुख्यमंत्री जी को लिखे पत्र का उत्तर
[सामान्य प्रशासन]
53. ( क्र. 752 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता ने माननीय मुख्यमंत्री जी को रजिस्टर्ड डाक से पत्र क्रमांक 9997 दिनांक 12 जून, 2017 लिखा जिसकी अभिस्वीकृति प्रश्नांकित दिनांक तक भी प्रेषित नहीं की गई। (ख) प्रश्नकर्ता ने अपने रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित पत्र क्रमांक 9997 के साथ किस दिनांक को किस क्रमांक से लिखे गए पत्र एवं किस दिनांक को पूछे गए विधानसभा प्रश्न के प्रस्तुत उत्तरों की प्रति भी संलग्न की है? (ग) निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के द्वारा चाही गई जानकारी उपलब्ध करवाने की क्या समय-सीमा निश्चित है, समय पर जानकारी नहीं दिए जाने पर दण्ड की क्या व्यवस्था है, सूचना के अधिकार कानून 2005 में जानकारी की क्या समय-सीमा निश्चित है, दण्ड की क्या व्यवस्था निश्चित है? (घ) प्रश्नकर्ता द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी को लिखे पत्र में उल्लेखित जानकारियॉ प्रश्नकर्ता को कब तक उपलब्ध करवाई जावेगी? समय-सीमा सहित बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
ग्राम सभा/ग्राम पंचायत की जानकारी उपलब्ध कराई जाना
[आदिम जाति कल्याण]
54. ( क्र. 753 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2008 से लागू वन अधिकार कानून 2006 की धारा 3 (1) ख में क्या प्रावधान दिया है? इस प्रावधान का पालन किए जाने के संबंध में विभाग ने वर्ष 2008 से प्रश्नांकित दिनांक तक किस-किस विषय पर किस दिनांक को पत्र लिखे हैं? प्रति सहित बतावें। (ख) आयुक्त द्वारा दिनांक 16 अप्रैल 2015 को लिखे गए पत्र के अनुसार विदिशा, रायसेन, बैतूल, हरदा एवं होशंगाबाद जिले में कितने वनखण्डों में शामिल कितनी भूमियों की जानकारी अध्यक्ष उपखण्ड स्तरीय समिति ने तैयार कर संबंधित ग्रामसभा एवं ग्राम पंचायत को उपलब्ध करवा दी है? (ग) आयुक्त के पत्र दिनांक 16 अप्रैल 2015 के अनुसार सामुदायिक वन अधिकारों से संबंधित उपलब्ध जानकारियां संबंधित ग्रामसभा एवं ग्राम पंचायत को प्रश्नांकित दिनांक तक भी उपलब्ध नहीं करवाए जाने का क्या-क्या कारण रहा है। (ग) 16 अप्रैल 2015 के पत्र में दिए गए प्रारूप में कब तक जानकारियॉ संबंधित ग्रामसभा एवं ग्राम पंचायत को उपलब्ध करवा दी जावेगी? समय-सीमा सहित बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 की धारा 3 (1) ख निम्नानुसार है :- ''निस्तार के रूप में सामुदायिक अधिकार चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हों, जिनके अन्तर्गत तत्कालीन राजाओं के राज्यों, जमीदारी या ऐसे अन्य मध्यवर्ती शासनों में प्रयुक्त अधिकार भी सम्मिलित है।'' मध्यप्रदेश शासन आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा जारी पत्र क्रमांक/वनअधि./08/1047 दिनांक 10 जून 2008 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र - एक अनुसार है। (ख) जिला विदिशा के उपखण्ड ग्यारसपुर एवं विदिशा की जानकारी संबंधित ग्राम सभा/ग्राम पंचायत को उपलब्ध करा दी गयी है। उपखण्ड लटेरी, सिरोंज, शमशाबाद, बासौदा एवं नटेरन उपखण्ड की जानकारी उपलब्ध कराने की कार्यवाही की जा रही है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र - दो अनुसार है। जिला रायसेन, बैतूल, हरदा एवं होशंगाबाद जिले में वनखण्डों में शामिल भूमियों की जानकारी अध्यक्ष उपखण्ड स्तरीय समिति द्वारा तैयार की जा रही है। (ग) जानकारी वृहद् स्वरूप की होने से संकलित की जा रही है। (घ) उत्तरांश ''ख'' एवं ''ग'' के प्रकाश में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का निराकरण
[सामान्य प्रशासन]
55. ( क्र. 774 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले के किन-किन के अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण किस-किस स्तर पर कब से किन कारणों से किस लिए लंबित हैं? (ख) सिवनी जिले में कुल कितने पद कब से रिक्त हैं? विभागवार जानकारी देते हुए यह बतावें कि पद रिक्त होने के पश्चात भी रिक्त पदों पर समय पर अनुकंपा नियुक्तियां प्रदान नहीं करने के क्या कारण हैं? (ग) क्या शासन सिवनी जिले के अनुकंपा नियुक्ति प्रकरणों की समीक्षा कर एक निश्चित समय-सीमा में रिक्त पदों पर अनुकंपा नियुक्तियां प्रदान करने का आदेश प्रसरित करेगा तथा साथ ही इन लंबित प्रकरणों में समय पर नियुक्तियां की जा रही है या नहीं, की मॉनीटरिंग करने के निर्देश देगा? नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'एक' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'दो' अनुसार। (ग) निर्देश दिनांक 29.09.2014 में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का निराकरण किये जाने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है। अत: शेषांश कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
किसानों विरूद्ध बनाये गये प्रकरण
[ऊर्जा]
56. ( क्र. 775 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले के विधान सभा क्षेत्र सिवनी में विद्युत विभाग द्वारा विगत 03 वर्षों में किसानों के विरूद्ध कितने प्रकरण, किन-किस लोगों के विरूद्ध झगड़े के बनाये गये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार दर्ज प्रकरणों में से कितने प्रकरणों पर किन-किन सक्षम अधिकारियों के द्वारा जाँच की जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सिवनी जिले के विधानसभा क्षेत्र सिवनी के अंतर्गत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विगत 3 वर्षों में किसानों के विरूद्ध झगड़े का कोई भी प्रकरण नहीं बनाया गया है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
महिला सशक्तिकरण विभाग के माध्यम से शौर्य दलों का गठन
[महिला एवं बाल विकास]
57. ( क्र.
785 ) श्री
प्रताप सिंह :
क्या महिला
एवं बाल विकास
मंत्री
महोदया यह बताने
की कृपा
करेंगी कि (क) जबेरा
विधानसभा क्षेत्र
के अन्तर्गत
महिला
सशक्तिकरण
विभाग के माध्यम
से प्रश्न
दिनांक तक
कितने शौर्य
दलों का गठन
किया गया है, सूची
उपलब्ध
करावें? दलों के गठन
हेतु शासन की
क्या नीति एवं
प्रक्रिया है? इसके
कौन-कौन सदस्य
हो सकते हैं? (ख) शौर्य
दलों का गठन
कब एवं किस
प्रक्रिया के
अन्तर्गत
किया गया है, क्या
गठित किये गये
दलों को कोई
प्रशिक्षण दिया
गया है? यदि हाँ, तो
कब-कब
प्रशिक्षण
आयोजित किया
गया है? (ग) जबेरा
विधानसभा
क्षेत्र के
अन्तर्गत
प्रश्न
दिनांक तक किन
विषयों पर
सेमिनार, कार्यशाला
एवं
प्रशिक्षण
कार्यक्रम
आयोजित किये
गये तथा इस पर
कितनी-कितनी
राशि व्यय की
गई? किस-किस
अतिथि अथवा
प्रशिक्षक
एवं सक्षम अधिकारी
की अगुवाई में
कार्यक्रम
आयोजित किये गये? क्या
क्षेत्रीय
विधायक एवं
अन्य
जनप्रतिनिधिगणों
को उक्त
कार्यक्रम
में आमंत्रित
किया गया है? यदि
हाँ,
तो कब-कब, यदि नहीं, तो
क्यों?
महिला एवं
बाल विकास
मंत्री (
श्रीमती
अर्चना
चिटनिस ) : (क) जबेरा
विधान सभा
क्षेत्र
अंतर्गत 407
शौर्या दलों
का गठन किया
जा चुका है। सूची
पुस्तकालय
में रखे
परिश्ष्टि के
प्रपत्र -1
अनुसार है। दलों
के गठन हेतु
विभाग से जारी
नवीन निर्देश की
प्रति पुस्तकालय
में रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र -2 अनुसार
है। शौर्या
दलों में
आंगनवाडी
कार्यकर्ता, सहायिका
एवं आशा
कार्यकर्ता
के अतिरिक्त 02 अन्य महिलाऐं
एवं 05
पुरूष सदस्य
सम्मिलित हो
सकते हैं। (ख) शौर्या
दलों का गठन
वर्ष 2016-17
एवं 2017-18
में किया गया।
विभागीय पत्र
क्रमांक/2966/3214/2016/50-2
भोपाल दिनांक 28-11-2016 के
निर्देशों के
अंतर्गत गठित
किये गये। जी
नहीं। (ग) प्रश्नांश
‘क’ व ‘ख’ के
परिप्रेक्ष्य
में शौर्या
दलों के
प्रशिक्षण की
जानकारी
निरंक है।
देशी एवं अंग्रेजी शराब की स्वीकृत दुकानें
[वाणिज्यिक कर]
58. ( क्र. 786 ) श्री प्रताप सिंह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2017-18 के लिए दमोह जिले में देशी एवं अंग्रेजी शराब की कितनी दुकानें स्वीकृत की गई हैं तथा कहाँ-कहाँ पर संचालित हैं? स्थान सहित संचालक फर्म का नाम, पता रजिस्ट्रेशन नंबर एवं ठेका की वैद्यता संबंधी जानकारी बतलावें? (ख) क्या स्वीकृत शराब दुकानों से ही शराब विक्रय करने के नियम हैं? क्या अधिकृत शराब दुकान से शराब विक्रय न करके गांव एवं शहरों में अनेक जगह से विक्रय की जा रही हैं? (ग) प्रारम्भ वित्तीय वर्ष में महिलाओं एवं अन्य समाजसेवी संगठनों द्वारा सार्वजनिक स्थलों जैसे - धार्मिक, शैक्षणिक एवं अन्य महत्वपूर्ण स्थानों से स्वीकृत/संचालित शराब दुकानें हटाने एवं बंद करने के लिए आंदोलन किये हैं? क्या ऐसे आंदोलन को शासन द्वारा गम्भीरता से लेते हुए संचालित दुकानें हटाने के आदेश देकर जनता की भावना का सम्मान किया है? यदि हाँ, तो जिलेवार ऐसी दुकानों की जानकारी बतलावें। (घ) राज्य शासन को चालू वित्तीय वर्ष में शराब दुकानों से कितना राजस्व प्राप्त हुआ है? यदि संचालित शराब दुकानें शासन द्वारा बंद कर दी जाती हैं, तो कितने राजस्व का नुकसान होगा? नुकसान हुए राजस्व की भरपाई शासन द्वारा किन स्त्रोतों से की जावेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) दमोह जिले में वर्ष 2017-18 में 41 देशी मदिरा एवं 17 विदेशी मदिरा दुकानें स्वीकृत/संचालित हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। दमोह जिले में स्वीकृत देशी/विदेशी मदिरा दुकानों से ही शराब का विक्रय किया जा रहा है। शराब के अवैध विक्रय की शिकायत प्राप्त होने पर आबकारी अधिनियम के तहत प्रकरण कायम किये जाकर आरोपी के विरूद्ध न्यायालयीन कार्यवाही की जाती है। (ग) जी हाँ। दमोह जिले में वित्तीय वर्ष 2017-18 में महिलाओं/समाज सेवी संगठनों द्वारा आदोलन किये जाने पर निम्नानुसार देशी/विदेशी मदिरा दुकानों के स्थान परिवर्तन किये गये है:- (1) देशी मदिरा दुकान पुराना तालाब दमोह (2) देशी मदिरा दुकान इमलिया (3) देशी मदिरा दुकान नबेरा (4) विदेशी मदिरा दुकान जबेरा (5) देशी मदिरा दुकान मढियादों ( 6) देशी मदिरा दुकान चण्डी जी वार्ड हटा। (घ) दमोह जिले में चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये देशी एवं विदेशी मदिरा के निष्पादन से कुल रूपये 1048037691/- का राजस्व प्राप्त हुआ है। प्रदेश में शराब की दुकानें बंद किये जाने संबंधी वर्तमान में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
विभागों में अनुकंपा नियुक्ति के लंबित प्रकरण
[सामान्य प्रशासन]
59. ( क्र. 798 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म. प्र. शासन द्वारा क्या सभी विभागों में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान किये जाने का प्रावधान है? यदि नहीं, तो किस-किस विभाग में यह योजना नहीं है? क्या शैक्षणिक योग्यता होने के कारण अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने वाले व्यक्ति को मृत व्यक्ति से बड़े पद पर नियुक्त किया जा सकता है? (ख) बड़नगर विधानसभा में पिछले 3 वर्षों में कितने प्रकरणों का निराकरण कर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की गई है, विभागवार जानकारी प्रदान करें? (ग) बड़नगर विधानसभा में प्रश्न दिनांक तक कितने प्रकरण अनुकम्पा नियुक्ति के लिये प्रस्तावित हैं तथा इन प्रकरणों में आज प्रकरणों में प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? यदि कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों और इसके लिये कौन अधिकारी जिम्मेदार है? क्या उन पर कोई कार्यवाही की जावेगी तथा ऐसे प्रकरणों का निराकरण कब तक किया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। शेषांश प्रश्न उपस्थित नहीं होता। अनुकंपा नियुक्ति शैक्षणिक योग्यता के आधार पर तृतीय श्रेणी/चतुर्थ श्रेणी के पद पर दी जा सकती है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। (ग) 01 प्रकरण संचालनालय स्तर पर प्रचलित है। शेषांश प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ऑगनवाड़ी भवन निर्माण के लिये शासन की कार्य योजना
[महिला एवं बाल विकास]
60. ( क्र. 799 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वर्तमान वित्तीय सत्र 2017-18 में ऑगनवाड़ी भवन निर्माण के लिये शासन की क्या कार्य योजना है? (ख) क्या वर्तमान वित्तीय सत्र में ऑगनवाड़ी भवन निर्माण हेतु बड़नगर विधानसभा से कोई प्रस्ताव प्राप्त हुआ है? यदि हाँ, तो उस प्रस्ताव की क्या स्थिति है? (ग) वर्तमान में बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कितने ऑगनवाड़ी केन्द्र हैं, उनमें से कितनों के भवन हैं एवं कितने भवन विहीन है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) वर्तमान वित्तीय सत्र 2017-18 में ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना के अभिसरण से तथा शहरी क्षेत्रों में राज्य आयोजना अन्तर्गत आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृतियां जारी किया जाना प्रस्तावित है। (ख) जी हाँ। वर्तमान वित्तीय वर्ष के माह मई 2017 में मान. विधायक महोदय की ओर से बड़नगर विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत 55 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण हेतु अनुशंसा प्राप्त हुई है। जिले से प्राप्त 55 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण हेतु प्राप्त प्रस्ताव को मनरेगा योजना के अभिसरण से निर्मित होने वाले आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति में शामिल किया जाना प्रस्तावित है। (ग) उज्जैन जिले के बड़नगर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कुल 312 आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत होकर संचालित है। जिसमें से 195 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय भवनों में तथा शेष 117 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित है।
विभाग की वार्षिक कार्य योजना
[आदिम जाति कल्याण]
61. ( क्र. 800 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग की वार्षिक कार्य योजना क्या है तथा इनमें किन-किन कार्यों को सम्मिलित किया गया है? (ख) कार्य योजना में उज्जैन जिले में कौन-कौन सी योजनाओं को जोड़ा गया है और वर्तमान में उन कार्यों की क्या स्थिति है? (ग) वर्तमान में बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में विभाग द्वारा क्या-क्या कार्य किये जा रहे हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विभाग की वार्षिक कार्य योजना की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “अ” अनुसार है। (ख) योजनान्तर्गत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “ब” अनुसार है। (ग) प्रश्नांश अन्तर्गत कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “ब” में वर्णित अनुसार है।
अ.जा. बाहुल्य ग्रामों में विद्युतीकरण
[अनुसूचित जाति कल्याण]
62. ( क्र. 801 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले में अ.जा. बाहुल्य ग्रामों के विद्युतीकरण हेतु पिछले 3 वर्षों में कितनी-कितनी राशि का आवंटन किया गया है? (ख) उपरोक्त राशि किस अधिकारी के द्वारा स्वीकृत की गई है तथा वर्तमान में किस-किस कार्य हेतु उन राशि का उपयोग किया गया है? (ग) पिछले 3 वर्षों में बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कितने ऐसे ग्राम हैं जो अ.जा. बस्ती के विद्युतीकरण योजना हेतु चिन्हित किये गये हैं तथा उनमे वर्तमान में क्या-क्या कार्य पूर्ण किये गये हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वर्ष 2014-15 में राशि रू. 326.00 लाख वर्ष 2015-16 में राशि रू. 182.00 लाख एवं वर्ष 2016-17 में राशि रू. 141.77 लाख का आवंटन दिया गया। (ख) कलेक्टर, उज्जैन द्वारा स्वीकृत की गई। कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट ‘अ’ अनुसार है। (ग) चिन्हित नहीं किये गये हैं। 40 प्रतिशत से अधिक अनुसुचित जाति बाहुल्य बस्तियों में कार्य किये जाते हैं। 27 ग्रामों में पूर्ण किये गये कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट ‘ब’ अनुसार है।
पवन एवं सौर ऊर्जा उत्पादन
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
63. ( क्र. 804 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या उज्जैन संभाग अंतर्गत पवन एवं सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन के कार्य किये जा रहे हैं? हां, तो किन-किन जिलों में किन-किन स्थानों पर कितने मेगावाट की ऊर्जा उत्पादन क्षमता के करार किन-किन कार्यों में किये गए? (ख) उक्त संभाग अंतर्गत जिलों में किन-किन कार्यों में कितनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता के कार्य पूर्ण हुए? शेष रहे कार्य किन-किन वर्षों से लेकर प्रश्न दिनांक तक निरंतर जारी है? (ग) पृथकतः जिलेवार, तहसीलवार, फर्म, कम्पनियों, एजेंसियों, संस्थाओं एवं व्यक्तियों इत्यादि के माध्यम से किन–किन वर्षों में किस-किस प्रकार के अनुबंध हुए है? उनमें से कितने कार्य पूर्ण होकर कितना उत्पादन हुआ? शेष अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण होंगे? (घ) अवगत करायें कि शासन/विभाग के पास उक्त कार्यों को किये जाने हेतु किन-किन स्थानों पर किस-किस के आवेदन लंबित होकर विचाराधीन हैं? वे कितनी ऊर्जा उत्पादन (मेगावाट) के होकर कहाँ-कहाँ पर किये जाना प्रस्तावित हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) पूर्ण कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। शेष रहे/प्रक्रियाधीन कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। निजी इकाइयों द्वारा परियोजना स्थापना का कार्य किया जाता है। (घ) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग में कोई आवेदन लंबित नहीं है। म.प्र. पावर मेनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड के अन्तर्गत तृतीय पक्ष के पावर परचेस एवं व्हीलिंग एग्रीमेंट के कुल 03 आवेदन लंबित है, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।
अनु.जाति कल्याण की योजनाओं एवं कार्य
[अनुसूचित जाति कल्याण]
64. ( क्र. 805 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रतलाम जिला अंतर्गत शासन/विभाग द्वारा अनुसूचित जाति कल्याण हेतु विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विभिन्न निर्माण एवं सामाजिक उत्थान हेतु अनेक कार्य विभाग/एन.जी.ओ. के माध्यम से किये जा रहें है? (ख) यदि हाँ, तो वर्ष 2014-15 से लेकर प्रश्न दिनांक तक रतलाम जिला अंतर्गत नगरीय/ग्रामीण क्षेत्रों में किस-किस प्रकार के कितनी-कितनी लागत के निर्माण कार्य किन-किन स्थानों पर किये जा रहे हैं तथा सामाजिक उत्थान हेतु किन-किन एन.जी.ओ. के माध्यम से किन-किन स्थानों पर किस-किस प्रकार के कार्य किये जा रहे हैं? (ग) क्या अनेक स्थानों पर निर्माण कार्यों की स्वीकृतियां दिए जाने के बावजूद ग्राम पंचायत/एजेंसियों द्वारा कार्य प्रारम्भ नहीं किये गये अथवा अपूर्ण रहे तो इस हेतु विभाग द्वारा किन-किन स्थानों पर क्या-क्या कार्यवाही की गयी? (घ) अवगत करायें कि उपरोक्त वर्षों से लेकर प्रश्न दिनांक तक नगरीय/ग्रामीण क्षेत्रों में कितने कार्य पूर्ण हुए? अपूर्ण रहे? कितना बजट स्वीकृत होकर किस-किस स्थान पर कितनी योजनाओं के माध्यम से एन.जी.ओ. के द्वारा क्या-क्या किया गया? इनका मूल्यांकन/भौतिक सत्यापन किया गया तो कब?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। विभाग के माध्यम से किए जा रहे हैं। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। एन.जी.ओ. के माध्यम से कार्य नहीं किये जा रहे हैं। (ग) समय समय पर निर्देश जारी किये गये हैं। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ एवं ‘स’ अनुसार है। एन.जी.ओ. के माध्यम से कार्य नहीं किये जा रहे हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
65. ( क्र. 806 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विधानसभा क्षेत्र गुनौर अन्तर्गत वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक कितने आंगनवाड़ी केन्द्र खोले गये हैं? नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने के क्या प्रावधान हैं? प्रावधान की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) विधानसभा क्षेत्र गुनौर अन्तर्गत वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक किस आंगनवाड़ी केन्द्र में कितनी बच्चों की संख्या दर्ज थी आंगनवाड़ी केन्द्रवार बतावें? (ग) प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा क्षेत्र में भ्रमण के दौरान पाया जाता है कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों की संख्या दर्ज बच्चो की संख्या की तुलना में नगण्य रहती है, इसके लिये कौन उत्तरदायी है? (घ) क्या अधिकारियों की मिली भगत से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण आहार न बाटने का संरक्षण प्राप्त है? यदि नहीं, तो जिले के प्रशासनिक अधिकारियों एवं प्रश्नकर्ता के भ्रमण के दौरान आंगनवाड़ी केन्द्र न खुलने व बच्चों की उपस्थिति संख्या न्यून होने का क्या कारण है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) विधानसभा क्षेत्र गुनौर अन्तर्गत वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक 14 नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र खोले गये है। नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र खोले जाने प्रावधान की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) विधानसभा क्षेत्र गुनौर अन्तर्गत वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक आंगनवाड़ी केन्द्रों में दर्ज बच्चों की संख्यात्मक जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) आंगनवाड़ी केन्द्र में 06 माह से 06 वर्ष के आयु समूह के बच्चे दर्ज किये जाते है। इनमें से 06 माह से 03 वर्ष के बच्चों को नियत दिवस पर टेक होम राशन दिये जाने का प्रावधान है। अतः इस आयु वर्ग के बच्चों की आंगनवाड़ी केन्द्र पर नियमित उपस्थिति आवश्यक नहीं है। 03 से 6 वर्ष के बच्चे अनौपचारिक शिक्षा एवं अन्य गतिविधियों हेतु आंगनवाड़ी केन्द्र पर उपस्थित होते है। अतः आंगनवाड़ी केन्द्र में दर्ज बच्चों के विरूद्ध उपस्थिति कम प्रदर्शित होती है। आंगनवाड़ी केन्द्रों का सतत् भ्रमण किया जा कर 03 से 06 वर्ष के बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित किये जाने के लिये समझाईश दी जाती है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित ही नहीं होता है। (घ) जी नहीं। प्रशासनिक अधिकारियों एवं माननीय विधायक के भ्रमण के दौरान आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं खुलने व बच्चों की उपस्थिति संख्या न्यून होना आकस्मिक परिस्थितिवश यथा समय कम हो सकती है। आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की उपस्थिति बढ़ाये जाने हेतु निरन्तर बैठकों में निर्देश दिये जाते है।
सकरिया हवाई पट्टी का विकास
[विमानन]
66. ( क्र. 808 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गुनौर विधानसभा क्षेत्र की तहसील देवेंन्द्रनगर में सकरिया हवाई पट्टी की भूमि राजस्व अभिलेख में वर्तमान में किस विभाग के नाम दर्ज है? (ख) सकरिया हवाई पट्टी की भूमि यदि किसी अन्य विभाग को हस्तांतरित व नामांतरित की गई है तो बतावें कि यह भूमि किस अधिकारी के आदेश से हस्तांतरित व नामांतरित की गई है? (ग) सकरिया हवाई पट्टी को विकसित करने की शासन की क्या योजना है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) पर्यटन विभाग। (ख) उड्डयन गतिविधियों हेतु लंबी अवधि के लिये लीज पर दिये जाने के उद्देश्य से पर्यटन विभाग को हस्तांतरित/नामांतरित की गई हैं। (ग) वर्तमान में हवाई पट्टी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के आधिपत्य में होने के कारण प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
पारित निर्णय का परिपालन
[ऊर्जा]
67. ( क्र. 810 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित सीधी में श्री आशुतोष मिश्रा कनिष्ट यंत्री (विद्युत) के पद पर पदस्थ थे? यदि हाँ, तो क्या संबंधित समिति के समस्त कर्मचारियों का संविलियन म.प्र.पू.क्ष.वि.मंडल सीधी में वर्ष 2010 में कर दिया गया था किन्तु श्री मिश्रा का संविलियन क्यों नहीं किया गया था कारण सहित बताएं? (ख) क्या संविलियन नहीं किये जाने के कारण श्री मिश्रा द्वारा न्यायालय उपपंजीयक सहकारी संस्थाएं सीधी के यहाँ अपील की गई थी, जिस पर संबंधित न्यायालय द्वारा इनके पक्ष में वर्ष 2010 में निर्णय पारित किया गया था? (ग) क्या पारित निर्णय के परिपालन में श्री मिश्रा द्वारा म.प्र.पू.क्षे.वि.मंडल सीधी में दिनांक 09/03/2011 को उपस्थित प्रतिवेदन दिया गया था जिसे उसी दिन अमान्य कर कार्यपालन यंत्री सीधी द्वारा लेख किया गया था कि उच्च कार्यालय से अनुमोदन उपरान्त आप के पत्र पर कार्यवाही की जावेगी? (घ) क्या कम्पनी द्वारा वर्तमान समय तक पदस्थापना संबंधी कार्यवाही नहीं की गई, जबकि म.प्र.पू.क्षे.वि.मंडल सीधी द्वारा किसी भी तरह का स्थगन प्राप्त नहीं किया है इसके बावजूद भी पदस्थापना नहीं किये जाने के क्या कारण हैं एवं विलम्ब करने वाले अधिकारी के ऊपर क्या एवं कब तक कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, श्री आशुतोष मिश्रा पूर्ववर्ती ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित सीधी में दिनांक 31.08.1998 से 10.11.2000 की अवधि में पृथक-पृथक आदेश से 13 बार 59-59 दिन के लिए दैनिक वेतन भोगी कनिष्ठ यंत्री के रूप में पदस्थ थे। जी हाँ, दिनांक 15.08.2010 को पूर्ववर्ती ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित, सीधी का तत्कालीन म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल में संविलियन किया गया। संविलियन दिनांक 15.08.2010 को श्री आशुतोष मिश्रा ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित, सीधी में कार्यरत नहीं थे, अत: उनका संविलियन नहीं किया गया। (ख) जी हाँ, श्री आशुतोष मिश्रा द्वारा न्यायालय उप पंजीयक, सहकारी संस्थाएं, सीधी में अपील दायर की गई थी। अपील पर दिनांक 28.12.2010 को पारित आदेशानुसार श्री आशुतोष मिश्रा को ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित, सीधी में कनिष्ठ यंत्री के पद पर नियमितीकरण का अधिकारी पाया गया। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार न्यायालय उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं सीधी के निर्णय दिनांक 28.12.2010 के परिपालन में श्री आशुतोष मिश्रा द्वारा दिनांक 09.03.2011 को उपस्थिति प्रतिवेदन दिया गया था, जिसे कार्यपालन अभियंता, संचालन एवं संधारण, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, सीधी द्वारा दिनांक 09.03.2011 को उच्च कार्यालय से अनुमोदन उपरांत कार्यवाही करने की जानकारी देते हुए अग्रिम आदेश तक उपस्थिति प्रतिवेदन अमान्य किया गया। अधीक्षण अभियंता, सीधी द्वारा भी दिनांक 10.03.2011 को श्री आशुतोष मिश्रा का उपस्थिति प्रतिवेदन दिनांक 09.03.2011 अस्वीकार किया गया। तदुपरांत श्री मिश्रा द्वारा उप पंजीयक सहकारी समिति सीधी कार्यालय में अवमानना याचिका क्रमांक 1/2011 दायर की गई। उप पंजीयक सहकारी संस्था, सीधी द्वारा दिनांक 30.01.2012 में निर्णय पारित किया गया जिसमें लेख किया गया कि इस न्यायालय को दंडात्मक अधिकार न होने से आवेदक चाहे तो प्रकरण सक्षम न्यायालय में दायर कर सकता है। तदुपरांत श्री मिश्रा द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्रमांक 3862/2013 संस्थित की गई जो वर्तमान में विचाराधीन है। (घ) जी हाँ वर्तमान समय तक पदस्थापना संबंधी कार्यवाही नहीं की गई। म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा उक्त प्रकरण में प्रस्तुत अपील क्रमांक 97/2012 समयावधि बाह्य होने के फलस्वरूप म.प्र. राज्य सहकारी अधिकरण, भोपाल के आदेश दिनांक 27.03.2017 द्वारा अस्वीकार की गई जिसके विरूद्ध कंपनी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्रमांक 8212/2017 संस्थित की गई है, जो विचाराधीन है।
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण
[अनुसूचित जाति कल्याण]
68. ( क्र. 811 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आदिम जाति कल्याण विभाग सतना के अंतर्गत वर्ष 1996 से 2001 के बीच नियुक्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों द्वारा नियमितीकरण हेतु माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में रिटपिटीशन क्र. 11940/15 दायर की गई थी जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा अपने पारित आदेश दिनांक 06/08/2015 द्वारा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित किये जाने के निर्देश शासन को दिए गए थे? (ख) यदि हाँ, तो उक्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण करने के आदेश किस अधिकारी द्वारा जारी किया जाना था अभी तक आदेश जारी न करने वाले दोषी अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की गई जानकारी देवें? (ग) क्या विभाग द्वारा 25 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों में से मात्र आठ दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियमितीकरण की कार्यवाही की गई, शेष कर्मचारियों की दिनांक 10/04/2006 की स्थिति में दस वर्ष की सेवा पूर्ण न होने का हवाला दे कर नियमितीकरण की कार्यवाही से जानबूझ कर वंचित कर शोषण किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कारण बताया जावे? (घ) क्या शेष बचे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण करने के आदेश जारी करने हेतु अविलम्ब सक्षम अधिकारी को निर्देशित किया जावेगा, यदि हाँ, तो कब तक निश्चित समय-सीमा बताई जावे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। मा. उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 6.8.2015 में 25 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण के संबंध में स्पीकिंग आदेश जारी करने का निर्णय दिया गया था। (ख) जिला संयोजक द्वारा पात्र 8 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित किया गया है। अत: अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) दिनांक 10.4.2006 की स्थिति में 10 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले 8 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को ही राज्य स्तरीय छानबीन समिति द्वारा नियमितीकरण हेतु मान्य किया गया है। (घ) शासन निर्देशानुसार नियमितीकरण की कार्यवाही की गई है।
राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के अन्तर्गत किये गये कार्य
[ऊर्जा]
69. ( क्र. 813 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के अन्तर्गत कितने कार्य किये जा रहे है एवं विगत 5 वर्षों में कितने पूर्ण कर लिये गये हैं? कार्यवार जानकारी दे। (ख) बिन्दु (क) के अनुसार क्या ये कार्य ठेकेदारों द्वारा गुणवत्तापूर्ण किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण करने के उपरान्त विद्युत विभाग को कार्य हस्तान्तरित होने के बाद, यदि तार/पोल गिरने एवं टूटते है तो किसकी जवाबदारी तय होगी एवं उक्त ठेकेदार या अधिकारी के विरुद्ध विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जायेगी।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र में 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत 724 बी.पी.एल. कनेक्शन 15.68 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन, 103 वितरण ट्रांसफार्मर तथा 22.90 कि.मी. निम्नदाब लाईन का कार्य किया जाना सम्मिलित है। उक्त कार्य सहित बैतूल जिले हेतु योजना का कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स बी.एस. लिमिटेड हैदराबाद को दिनांक 10.9.14 को अवार्ड जारी किया गया था। उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा बैतूल जिले में उक्त योजनांतर्गत क्रमश: कार्य किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत वर्तमान में मुलताई विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत सर्वे का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मुलताई विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत विगत 5 वर्षों में पूर्ण किये गये कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। इसके अतिरिक्त बैतूल जिले हेतु स्वीकृत दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु मेसर्स अग्रवाल पावर प्रा.लि. भोपाल को दिनांक 18.05.2017 को अवार्ड जारी किया जा चुका है, जिसमें मुलताई विधानसभा क्षेत्र के 416 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन, 413 वितरण ट्रांसफार्मर, 412 कि.मी. निम्न दाब लाईन तथा 1417 बी.पी.एल. कनेक्शन के कार्य सम्मिलित है। वर्तमान में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में स्वीकृत कार्य प्रारंभ नहीं किये गये है। (ख) जी, हां। ठेकेदार एजेंसी द्वारा कार्य पूर्ण कर वितरण कंपनी को हस्तांतरित करने के उपरांत गांरटी अवधि में तार/पोल गिरने एवं टूटने पर जवाबदारी संबंधित ठेकेदार एजेन्सी की होती है तथा ठेकेदार एजेन्सी द्वारा आवश्यक सुधार कार्य किया जाता है। ठेकेदार एजेन्सी द्वारा आवश्यक सुधार कार्य नहीं करने की स्थिति में निविदा की शर्तों के अनुसार संबंधित ठेकेदार एजेन्सी की जमा बैंक गारंटी की राशि में से नियमानुसार कटौती किये जाने का प्रावधान है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों का संचालन
[महिला एवं बाल विकास]
70. ( क्र. 818 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव में कुल कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं? ग्रामवार सूची उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में आंगनवाड़ी केन्द्र स्वयं के भवन में संचालित हैं अथवा नहीं? यदि नहीं, तो भवनविहीन एवं शासकीय भवनों में संचालित केन्द्रों की सूची ग्रामवार, उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में जिन केन्द्रों के भवन नहीं बने हैं क्या शासन द्वारा उनके भवन निर्माण किये जाने की कोई योजना है यदि हाँ, तो कब तक अवगत करावें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) नरसिंहपुर जिले की विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव अन्तर्गत 02 परियोजना क्रमशः गोटेगांव अन्तर्गत 187 एवं नरसिंहपुर अन्तर्गत 109 आंगनवाड़ी केन्द्र इस प्रकार कुल 296 आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत होकर संचालित है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में 78 आंगनवाड़ी केन्द्र स्वयं के भवन में संचालित है तथा भवनविहीन एवं शासकीय भवनों में संचालित केन्द्रों की ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) भवनविहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के अभिसरण से एवं शहरी क्षेत्र में राज्य आयोजना मद से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की योजना है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
नियमों का पालन
[वाणिज्यिक कर]
71. ( क्र. 833 ) डॉ. मोहन यादव : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले के समस्त उप पंजीयक कार्यालयों में पंजीकृत होने वाले दस्तावेजों की एक प्रति तहसील कार्यालयों में नियमानुसार प्राप्त हो रही है अथवा नहीं? इस संबंध में शासन एवं विभाग के क्या नियम हैं? नियमों की प्रति उपलब्ध कराते हुये तहसीलवार जानकारी प्रदान करें? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार प्राप्त प्रति की तहसील कार्यालय के पटवारी रिकार्ड एवं कम्प्यूटर रिकार्ड में अद्यतन प्रविष्टि की जा रही है अथवा नहीं? 1 जनवरी 2016 से प्रश्न दिनांक तक कितने दस्तावेजों की प्रति तहसील कार्यालय में प्राप्त हुई? उनमें से कितने दस्तावेजों की अद्यतन प्रविष्टि नहीं की गई एवं इसके लिये कौन अधिकारी दोषी है? दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) उज्जैन जिले के समस्त उप पंजीयक कार्यालयों में पंजीकृत होने वाले कृषि भूमि के दस्तावेजों की जानकारी साफ्ट कॉपी में तहसील कार्यालयों को प्रदाय की जा रही है। मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 112 के अंतर्गत कृषि प्रयोजन के लिए उपयोग में लाई जाने वाली भूमि अंतरण के पंजीकृत दस्तावेजों के संबंध में तहसीलदार को प्रज्ञापना भेजने का प्रावधान है। संगत प्रावधान की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। तहसीलवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) जानकारी संकलित की जा रही है।
अवकाश के दिनों में कार्य का भुगतान
[वाणिज्यिक कर]
72. ( क्र. 834 ) डॉ. मोहन यादव : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्तीय वर्ष के अंत में प्रतिवर्ष उप पंजीयक कार्यालयों को अवकाश के दिनों में खोले जाने के संबंध में विभाग के क्या नियम हैं? नियमों की प्रति उपलब्ध कराते हुये वर्ष जनवरी 2010 से प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा फरवरी व मार्च माह में अवकाश दिनों में उप पंजीयक कार्यालयों को खोले जाने के संबंध में जारी आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी के अनुसार क्या अवकाश के दिनों में कार्यालय खोलने पर उप पंजीयक कार्यालयों के कर्मचारियों को पृथक से भुगतान किया जाता है? यदि हाँ, तो भुगतान की जानकारी प्रदान करें? यदि नहीं, तो कार्य के एवज में भुगतान नहीं करना क्या मानवाधिकार का हनन नहीं है? यदि हाँ, तो क्या भविष्य में अवकाश दिनों में कार्य के एवज में विभाग कर्मचारियों को भुगतान करेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मध्यप्रदेश रजिस्ट्रीकरण नियम, 1939 के नियम 85 के अंतर्गत राज्य सरकार या कोई अन्य सक्षम प्राधिकारी को अवकाश के दिनों में रजिस्ट्रीकरण कार्यालय खोले जाने हेतु आदेश जारी करने के लिये शक्तियां प्रदत्त है। नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। फरवरी व मार्च माह में अवकाश के दिनों में रजिस्ट्रीकरण कार्यालय खोले जाने के संबंध में जारी किये गये आदेशों की प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) अवकाश के दिनों में कार्यालय खोले जाने पर उप पंजीयक कार्यालयों के कर्मचारियों को पृथक से भुगतान नहीं किया जाता है। शासकीय सेवक के द्वारा शासकीय कार्य किये जाने पर मानवाधिकार हनन का कोई प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। इसलिये भविष्य में अवकाश के दिनों में कार्य के एवज में विभागीय कर्मचारियों को भुगतान का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंतरिक परिवाद समिति का गठन न किया जाना
[महिला एवं बाल विकास]
73. ( क्र. 837 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या महिलाओं का कार्यस्थल पर लैगिक उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के अंतर्गत शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति गठन किये जाने का नियम है? यदि हाँ, तो उक्त नियम किस दिनांक से प्रभावशील है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में राजगढ़ जिले के किन-किन शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन कब-कब किया गया तथा समिति गठन दिनांक से प्रश्न दिनांक कितनी व क्या-क्या शिकायतें प्राप्त हुई एवं प्राप्त शिकायतों का प्रश्न दिनांक तक क्या निराकरण किया गया तथा प्रश्न दिनांक तक लंबित शिकायतों का निराकरण न किये जाने के क्या कारण है? (ग) उपरोक्तानुसार प्रश्नांश (क) वर्णित अधिनियम अनुसार आंतरिक परिवाद समिति का गठन न किये जाने पर किन-किन शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों के विरूद्ध अधिनियम की धारा 26 (1) अनुसार जुर्माने की कार्यवाही की गई तथा कब तक आंतरिक परिवाद समिति का गठन कराया जावेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) महिलाओं का कार्यस्थल पर लैगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम 2013 के अंतर्गत शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति गठन किये जाने का नियम है उक्त नियम दिनांक 09 दिसम्बर 2013 से अधिसूचित किया गया है। (ख) प्रश्नांश (ख) के उत्तर हेतु संलग्न परिशिष्ट पर हैI (ग) (1) महिलाओं का कार्यस्थल पर लैगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 अंतर्गत आंतरिक परिवाद समिति गठन न करने पर जिला राजगढ़ में किसी भी शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों के विरूद्ध अधिनियम की धारा 26 (1) अनुसार जुर्माने की कार्यवाही नहीं की गई है I (2) शेष शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों जिनमे आंतरिक परिवाद समिति का गठन नहीं किया गया है। पुन: स्मरण पत्र प्रेषित करते हुए आंतरिक परिवाद समिति का गठन कराया जायेगा I समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
छात्रावासों का रख-रखाव एवं क्षमतावर्धन
[अनुसूचित जाति कल्याण]
74. ( क्र. 838 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा में विभाग के अंतर्गत कहाँ-कहाँ, किस स्तर व क्षमता के जूनियर एवं सीनियर छात्रावास कब से संचालित हैं तथा उक्त छात्रावासों में शासन नियमानुसार क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं और किन-किन मूलभूत सुविधाओं का अभाव है तथा उक्त छात्रावासों के भवन का निर्माण कब कराया गया था? (ख) क्या उक्त छात्रावासों के भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में होकर काफी समय से उनकी मरम्मत नहीं कराई गई है एवं शासन द्वारा निर्धारित मूलभूत सुविधाओं की भी छात्र-छात्राओं को दरकरार है? यदि हाँ, तो क्या शासन उक्त छात्रावास के भवनों की मरम्मत एवं आवासों का पुर्न: निर्माण करवाएगा एवं निर्धारित मापदण्ड सुविधाओं का विस्तार करेगा? यदि हाँ, तो कब तक। (ग) उपरोक्तानुसार क्या ब्यावरा नगर जिले का सबसे बड़ा नगर है तथा शैक्षणिक दृष्टि से सर्वाधिक दबाव शहर पर ही रहता है? यदि हाँ, तो क्या दर्ज छात्र संख्या के मान से उक्त छात्रावासों की क्षमता केवल 50 सीटर होने से प्रतिवर्ष अनुसूचित जाति वर्ग के छात्र-छात्राएं प्रवेश से वंचित रह जाते है? यदि हाँ, तो क्या शासन उक्त छात्रावासों की क्षमता 50 सीटर से बढ़ाकर 100 सीटर करेगा? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। छात्रावासों के विभागीय भवन जीर्ण-शीर्ण नहीं हैं एवं छात्रावासों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सांझा चूल्हा कार्यक्रम/शहरी पोषण आहार व्यवस्था
[महिला एवं बाल विकास]
75. ( क्र. 872 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत नरसिंहगढ़/बोड़ा/कुरावर नगर पालिका में सांझा चूल्हा शहरी पोषण आहार व्यवस्था लागू की गई है? (ख) प्रश्न की कंडिका (क) की जानकारी अनुसार अगर सांझा चूल्हा शहरी पोषण आहार व्यवस्था लागू नहीं की गई तो क्यों इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी व शहरी पोषण आहार व्यवस्था कब से लागू की जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी नहीं। (ख) परियोजना नरसिंहगढ़ एवं कुरावर शहरी क्षेत्र की परियोजनाऐं नहीं है ये परियोजनाऐं ग्रामीण क्षेत्र अन्तर्गत स्वीकृत की गई है बोडा भी नरसिंहगढ़ परियोजना अन्तर्गत आती है। अतः उक्त परियोजनाओं में शहरी पोषण आहार व्यवस्था लागू नहीं है। उक्त क्षेत्र में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में विभाग के आदेश क्र.4-5/2014/50-2, भोपाल, दिनांक 24/02/2014 द्वारा जारी निर्देशों के पालन में सांझा चूल्हा कार्यक्रम अंतर्गत कार्यरत स्व-सहायता समूहों द्वारा पोषण आहार प्रदाय किया जा रहा है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
फीडर सेफरेशन का कार्य
[ऊर्जा]
76. ( क्र. 873 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र अर्न्तगत कितने ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण किया जा चुका है? ग्रामवार सूची उपलब्ध करावें? कितने ग्रामों में फीडर सेफरेशन का कार्य अपूर्ण हैं। ग्रामवार सूची उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्न की कंडिका (क) की उपलब्ध जानकारी अनुसार अपूर्ण ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र में फीडर सेपरेशन योजनान्तर्गत कुल 95 ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण किया जा चुका है, जिनकी ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है एवं 86 ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य प्रगति पर है, जिनकी ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए 86 ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य दिनांक 15.01.2018 तक पूर्ण कराये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
अ.जा. एवं अ.ज.जा. बाहुल्य क्षेत्रों का विकास
[आदिम जाति कल्याण]
77. ( क्र. 893 ) श्री अरूण भीमावद : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि. अतांरकित प्रश्न क्रमांक 1335 दिनांक 22/03/2017 के प्रश्नांक (क) से (घ) में अ.जा. बस्तियों में 40% से कम एवं अ.ज.जा. बस्तियों के विकास हेतु 40 प्रतिशत के ऊपर न्यूनतम 20 परिवार होने पर मजरे/टोलों पर कार्य किए जाने का उत्तर दिया गया है तो वित्तीय वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में जनप्रतिनिधि द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव जिसमें अ.जा. एवं अ.ज.जा. का आवासीय 40 प्रतिशत से ऊपर होने के पश्चात् स्वीकृत क्यों नहीं हुआ? स्पष्ट करें। (ख) क्या कपालिया, रूलकी, निछमा, कौटा, बिजाना, वापचा, जलोदा शा, साजोद, चौसला कुल्मी ग्राम पंचायतों में अ.जा. एवं अ.ज.जा. बस्तियों में वित्तीय वर्ष 2017-18 में विकास कार्य हेतु राशि स्वीकृत की जावेगी? (ग) यदि हाँ, तो समयावधि बतलाने का कष्ट करें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जनप्रतिनिधियों से प्राप्त प्रस्ताव अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजना के नियम अनुसार अनुसूचित जनजाति जनसंख्या का प्रतिशत 40 प्रतिशत से कम होने के कारण कार्य स्वीकृत नहीं किये गये। (ख) मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती विकास एवं विद्युतीकरण योजना नियम 2017 के अनुसार प्राप्त प्रस्ताव पर उपलब्ध आवंटन की सीमा में जिले द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
विदयुतीकरण योजना के तहत ग्रामों, मजरों, टोलों में बिजली कनेक्शन
[ऊर्जा]
78. ( क्र. 910 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगापुर विधान सभा क्षेत्र के ऐसे कितने ग्राम शेष रह गये हैं जिनमें शासन की योजना अनुसार विदयुतीकरण नहीं किया गया है? (ख) क्या कई ग्रामों में कहीं पर खम्बे मात्र लगाये गये है इन ग्रामों में कब तक विद्युतीकरण किया जायेगा एवं तार, केबिल नहीं डाली गई हैं बिल देना प्रारंभ हो गया है? यदि हाँ, तो कारण बतायें कि किस कारण से ऐसा हो गया है? यदि नहीं, तो ग्रामवार जानकारी उपलब्ध कराये कि केवल खम्बे मात्र किस गाँव मजरे-टोले में लगे हुये हैं? (ग) क्या ग्राम बुदौरा जनपद बल्देवगढ़ के ढीमर मुहल्ला, भर्रया खिरक में मात्र खम्बे लगे हैं, केबिल या तार नहीं लगाये गये हैं? उक्त ग्राम में केबिल या तार कब तक लगा दिये जावेंगे यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) खरगापुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत समस्त ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य किया जा चुका है। (ख) जी नहीं, खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा वर्तमान में ऐसा कोई भी ग्राम/मजरा/टोला नहीं है जहां मात्र खंबे लगे हैं, अत: विद्युतीकरण किये जाने की समय-सीमा बताने का प्रश्न नहीं उठता। वर्तमान में प्रश्नाधीन क्षेत्र में ऐसा कोई ग्राम नहीं है, जहाँ तार/केबिल नहीं डाले जाने के बावजूद बिल देना प्रारंभ हो गया हो। (ग) ग्राम बूदौरा जनपद बल्देवगढ़ के ढीमर मुहल्ला एवं भर्रयाखिरक दोनों एक ही मुहल्ला/टोला हैं, जिसकी आबादी 100 से कम होने के कारण उक्त मुहल्ले/टोले के विद्युतीकरण का कार्य 11वीं एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में सम्मिलित नहीं किया जा सका था। किन्तु ग्रामवासियों द्वारा अनाधिकृत रूप से उक्त मुहल्ले/टोले में 3 खंबे लगा लिये गये हैं। वर्तमान में उक्त मुहल्ले/टोले के विद्युतीकरण का कार्य किसी भी अन्य योजना में शामिल नहीं है, अत: समय-सीमा बताये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
खरगापुर विधान सभा में भेजे गये एक मुश्त योजना, के प्रस्ताव की स्वीकृति
[अनुसूचित जाति कल्याण]
79. ( क्र. 911 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में एक मुश्त योजना के तहत प्रस्ताव विभाग के कार्यालय, आदिम जाति कल्याण, दूरदर्शन के पास भोपाल की ओर भेजे गये थे, परन्तु उक्त प्रस्तावों की स्वीकृति की कोई सूचना आज दिनांक तक नहीं दी गई है? भेजे गये प्रस्तावों को स्वीकृत नहीं किये जाने का क्या कारण है? (ख) क्या उक्त प्रस्तावों को हटा दिया गया और जनहित में अनु.जाति/ अनु.जनजाति बस्तियों में निर्माण कराये जाने हेतु शासन के द्वारा उक्त योजना प्रारंभ की गई थी? क्या उस योजना के तहत लंबित प्रस्तावों को शीघ्र स्वीकृत करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या जनप्रतिनिधियों द्वारा भेजे गये प्रस्तावों को जानबूझकर लंबित किया जाता है और उक्त प्रस्तावों को स्वीकृत नहीं किया गया? जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रेषित प्रस्तावों को स्वीकृत न करने के क्या कारण है? (घ) क्या खरगापुर विधान सभा क्षेत्र के प्रस्तावों को जानबूझकर स्वीकृति नहीं दी गई है खरगापुर विधान सभा के 12 प्रस्ताव की स्वीकृति कब तक हो जायेगी? समयावधि बताये? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, मा. प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा आयुक्त, अनुसूचित जाति विकास कार्यालय को 12 कार्यों के प्रस्ताव दिनांक 30.01.2017 को प्रेषित किये गये थे। प्रस्ताव के साथ आवश्यक अभिलेख संलग्न न होने के कारण प्रकरणों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। (ख) म.प्र. अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती विकास एवं विद्युतीकरण योजना नियम, 2017 के अनुसार जिले में गठित समिति द्वारा निर्णय लिया जाना है। (ग) जी नहीं। आवश्यक अभिलेख प्राप्त न होने के कारण विचार नहीं किया गया। (घ) जी नहीं। म.प्र. अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती विकास एवं विद्युतीकरण योजना नियम, 2017 के अनुसार जिला स्तरीय समिति द्वारा निर्णय लिया जायेगा।
स्वेच्छानुदान की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
80. ( क्र. 924 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में आमजन की किसी भी प्रकार की दुर्घटना में होने वाले मौत/गंभीर घायलों हेतु मुआवजा देने की सरकार की क्या नीति है? मुआवजा नीति की छायाप्रति/संशोधित आदेशों की छायाप्रति उपलब्ध कराये? (ख) माननीय मुख्यमंत्री के पिछले 1 वर्ष के स्वेच्छानुदान की सम्पूर्ण जानकारी टेबल रूप में देवे जिसमें घटना में मृतक का नाम, मृत्यु का कारण व दिये गये मुआवजे की जानकारी हो साथ ही विगत 3 वर्षों में कुल कितनी स्वेच्छानुदान राशि मुख्यमंत्री जी के पास थी व कुल कितनी खर्च की गई वर्षवार जानकारी देवे। (ग) क्या मुआवजा देने में भेदभाव की बात सरकार के संज्ञान में आयी है? प्रश्न (ख) के समय के संदर्भ में दो वर्षों में इन्दौर, पेटलावद और बालाघाट पटाखा कारखानों में अग्निकांड में मृत व्यक्ति को कितना मुआवजा, पुलिस फायरिंग में मृत किसानों को कितना-कितना मुआवजा व प्रदेश के वीर सैनिक/पुलिस/सेना में कार्यरत शहीदों को शासन ने कितना-कितना मुआवजा दिया टेबल में वर्षवारी जानकारी देवे। (घ) प्रश्न (ग) के संदर्भ में क्या सरकार जिन मृत लोगों को कम मुआवजा दिया उसको बढ़ाकर देगी खासकर शहीदों के परिवारों का सरकारी लापरवाही के कारण हुए पेटलावद, इन्दौर व बालाघाट के पटाखा कारखाने की अग्निकांड प्रभावितों की जानकारी देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
जाँच आयोगों की रिपोर्ट को परलित किया जाना
[सामान्य प्रशासन]
81. ( क्र. 925 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न दिनांक तक शासन के पास जिन जाँच आयोगों की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने के लिए लंबित है की जानकारी जाँच आयोग का नाम, कार्यकाल शासन के रिपोर्ट प्रस्तुत करने की दिनांक सहित देवे। (ख) प्रत्येक जाँच आयोग पर हुए समस्त व्यय की पूरी जानकारी पृथक-पृथक देवे। यह भी बतावें कि इन्हें अभी तक विधानसभा पटल पर क्यों नहीं रखा गया प्रत्येक जाँच आयोग के लिए पृथक से बतावे। इन्हें कब तक विधान सभा पटल पर रखा जाएगा समय-सीमा देवे। (ग) मंदसौर गोलीकांड की जाँच कर रहे जाँच आयोग के गठन व समस्त सुविधाएं दिए जाने के निर्देशों की छायाप्रति देवें। तीन महीने के कार्यकाल वाले इस आयोग की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर कब तक रखी जायेगी? (घ) रिपोर्ट लंबित रखने के निर्णय के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की जाँच शासन कब तक कराकर इन्हें दंडित करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र– 'अ' अनुसार। (ख) जाँच आयोगों पर हुये व्यय की जानकारी एकत्रित की जा रही है। जाँच आयोगों से प्राप्त प्रतिवेदन संबंधित प्रशासकीय विभागों में परीक्षणाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र– 'स' एवं 'द' अनुसार। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जाँच आयोग से प्राप्त प्रतिवेदन संबंधित प्रशासकीय विभागों में परीक्षणाधीन है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
खण्डवा विदयुत प्लांट में राख का उत्पादन
[ऊर्जा]
82. ( क्र. 926 ) श्री जितू पटवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 7042 दिनांक 24/03/2017 व अन्य प्रश्न क्रमांक 2940 दिनांक 03/03/2017 के संदर्भ में विभाग ने जानकारी दी की वर्ष 2015-16 में खंडवा विदयुत प्लांट में राख का उत्पादन का औसत प्रतिशत 30.5 या जबकि दूसरे प्रश्न के उत्तर में 43 प्रतिशत राख उत्पादन की जानकारी दी गई स्पष्ट करें कि मानक अनुसार मानदंड क्या है? (ख) प्रश्न (क) के संदर्भ में यदि किसी भी महीने निर्धारित मानदंड से ज्यादा राख का उत्पादन हुआ तो विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई कार्यवाही की आदेश/नोटशीट की छायाप्रति उपलब्ध कराये और यदि नहीं, की गई तो जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही शासन करेगी? (ग) सारणी विदयुत गृह में वर्ष 2015-16 में समस्त आयतित (लोकल वॉश व विदेशी) कोयले की माहवार जाँच रिर्पोटों की छायाप्रति उपलब्ध कराये। (घ) सारणी व खंडवा ताप विदयुत गृह में वर्ष 2015-16 में कोयले से निकले पत्थर की मात्रा प्लांटवार बताये व उसके परिवहन में कितने खर्च हुआ कि प्लांटवार जानकारी उपलब्ध कराये।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रश्न क्रमांक 7042 में प्रस्तुत की गई जानकारी धुले हुये कोयले की है तथा प्रश्न क्रमांक 2940 में दी गई जानकारी श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना, खण्डवा में उपयोग किये गये कुल कोयले (जिसमें धुला, आयातित व रा कोल शामिल है) से उत्पादित राख बावत् है। अत: प्रतिशत अलग-अलग दर्शाये गये हैं। राख उत्पादन के कोई स्पष्ट मानदंड निर्धारित नहीं है। (ख) श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना खंडवा में विभिन्न श्रोतों से धुला, आयातित व रा कोल प्राप्त होता है, जिसे उपलब्धता तथा आवश्यकतानुसार मिश्रित कर उपयोग किया जाता है। कोयले से निकलने वाली राख का प्रतिशत उपयोग किये जाने वाले कोयले की गुणवत्ता पर निर्भर करता है, अत: इसमें किसी कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। शेष प्रश्नांश लागू नहीं। (ग) सारनी विद्युत गृह में वर्ष 2015-16 में प्राप्त लोकल कोयले की जाँच रिपोर्ट की माहवार प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-क अनुसार है। वर्ष 2015-16 के जिन माहों में वाश व विदेशी कोयला प्राप्त हुआ है, उनकी जाँच रिपोर्ट की छायाप्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ख एवं ग अनुसार है। (घ) सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी में वर्ष 2015-16 में कोयले से निकले पत्थर की मात्रा 31526.055 मी.टन थी एवं उसके परिवहन में रू. 6877267.00 का व्यय हुआ। इसी प्रकार श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना खंडवा में वर्ष 2015-16 में कोयले से निकले पत्थर की मात्रा 3506.7 मी.टन थी एवं उसके परिवहन में कोई व्यय नहीं हुआ।
विदयुत का अबाध वितरण
[ऊर्जा]
83. ( क्र. 929 ) श्री कुंवर सिंह टेकाम : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन के द्वारा आम जनता को बिजली 24 x 7 घंटे एवं किसानों को सिंचाई हेतु 10 घंटे विदयुत प्रदाय करने की योजना है? यदि हाँ, तो पूर्ण जानकारी प्रदान करें? म.प्र. में बिजली की कितनी उपलब्धता परम्परागत एवं गैर-परम्परागत स्रोतों से प्राप्त है? जानकारी उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या किसानों को विदयुत पम्पों से सिंचाई हेतु क्या कोई छूट प्रदान की जाती है? यदि हाँ, तो पूर्ण जानकारी प्रदान करें? सिंचाई हेतु अन्य कोई योजना शासन के द्वारा संचालित है, तो पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में गरीब परिवारों को विदयुत देयक की दर क्या है एवं कितनी छूट प्रदान की जाती है? क्या गरीब परिवारों को अधिक राशि के विदयुत देयक दिया जा रहा है जबकि खपत के आधार पर विदयुत देयक प्रदान किये जाने का प्रावधान है? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में अधिक विदयुत देयकों के पुनरीक्षण कराकर वास्तविक खपत के आधार पर विदयुत देयक जारी करने हेतु कोई निर्देश जारी किया जावेगा? यदि हाँ, तो जानकारी उपलब्ध करावें? जले हुए ट्रांसफार्मरों को बदलने की अवधि कितनी है, जले हुए ट्रांसफार्मरों को कितने दिनों में बदल दिया जावेगा? लो-वोल्टेज़ वाले ग्रामों में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर कब तक लगा दिया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, अटल ज्योति अभियान के तहत् प्रदेश में कृषि फीडरों पर 10 घन्टे एवं गैर कृषि फीडरों पर 24 घन्टे विद्युत प्रदाय की योजना है, जिसके अनुसार कतिपय अवसरों पर तकनीकी कारणों/प्राकृतिक आपदा के कारण हुए आकस्मिक अवरोधों एवं मेन्टेनेंस/निर्माण कार्यों हेतु विद्युत प्रदाय बंद करना आवश्यक होने जैसी अपरिहार्य स्थिति को छोड़कर, विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। प्रश्न दिनांक की स्थिति में मध्यप्रदेश को परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से 14755 मेगावाट की विद्युत उत्पादन क्षमता का आवंटन उपलब्ध है तथा गैर परंपरागत स्त्रोतों से प्रदेश को 3011 मेगावाट की विद्युत उत्पादन क्षमता का आवंटन उपलब्ध है। (ख) किसानों को विद्युत पंप से सिंचाई हेतु बिजली की दरों में राज्य शासन द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2017-18 के लिए निर्धारित दरों तथा दी जाने वाली सब्सिडी का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। सिंचाई हेतु वर्तमान में मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजनांतर्गत कृषकों को स्थायी पम्प कनेक्शन प्रदान किए जा रहे हैं। उक्त योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के अंतर्गत न्यूनतम 3 हार्स पॉवर क्षमता के पम्प कनेक्शन प्रदान करने का प्रावधान है। वर्ष 2017-18 में उक्त योजना में शामिल होने वाले दो हेक्टेयर से कम भूमि धारक अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषकों से रू. 5500/- तथा अन्य से रू. 7500/- एवं दो हेक्टेयर एवं अधिक के भूमि धारक कृषकों से रू. 12000/- प्रति हार्स पॉवर का अंशदान देय है तथा शेष राशि वितरण कम्पनी/राज्य शासन द्वारा उपलब्ध करायी जा रही। (ग) गरीब परिवारों के घरेलू उपभोक्ताओं को वर्ष 2017-18 हेतु प्रायोज्य होने वाली विद्युत की दर एवं राज्य शासन द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अ अनुसार है। घरेलू उपभोक्ताओं को जहां पर मीटर कार्य कर रहे हैं वहां पर मीटर में अंकित खपत के आधार पर विद्युत देयक प्रदान किये जा रहे हैं। जहां मीटर कार्य नहीं कर रहे हैं वहां विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत प्रदाय संहिता 2013 में निहित प्रावधानों के अनुसार औसत खपत के आधार पर विद्युत देयक प्रदान किये जा रहे हैं। बिना मीटर वाले घरेलू उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानानुसार पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार बिल जारी किये जा रहे हैं। (घ) विद्युत देयकों के संबंध में उपभोक्ता से शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित मैदानी अधिकारियों द्वारा जाँच कराई जाकर जाँच में पाये गये तथ्यों के आधार पर यथोचित निराकरण किया जाता है। रीडिंग में त्रुटि पाये जाने पर बिलों में नियमानुसार संशोधन किया जाता है। यह एक सतत् प्रक्रिया है, अत: जाँच संबंधी अलग से निर्देश की आवश्यकता नहीं है। जले/खराब ट्रांसफार्मरों को संभागीय मुख्यालय में 12 घंटे के अन्दर, अन्य शहरी क्षेत्र में 24 घंटे के अन्दर तथा ग्रामीण क्षेत्र में सूखे मौसम में 72 घंटे के अन्दर तथा वर्षा के मौसम में (जुलाई से सितम्बर) 7 दिवस में बदलने का प्रावधान है। मात्र ऐसे ट्रांसफार्मर, जिनसे सम्बद्ध उपभोक्ताओं पर विद्युत देयकों की बकाया राशि होती है, उन्हें नियमानुसार बकाया राशि जमा होने के बाद ही बदला जाता है। समय-समय पर सम्बद्ध भार का आंकलन कर तकनीकी रूप से आवश्यकता होने पर, वित्तीय संसाधनों की उपलब्धतानुसार अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाने या ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि के कार्य किए जाते हैं, जोकि एक सतत् प्रक्रिया है, अत: समय-सीमा बताए जाने का प्रश्न नहीं उठता।
अनुसूचित जाति कृषकों के पम्प ऊर्जीकरण
[अनुसूचित जाति कल्याण]
84. ( क्र. 941 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यालय कलेक्टर मुरैना (आदिम जाति कल्याण) के पत्र क्रमांक/आजाक/2015-16 दिनांक 07.12.2015 को आदिम जाति कल्याण मद से अनुसूचित जाति कृषकों के पम्प ऊर्जीकरण हेतु प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में प्राप्त आवंटन वर्ष 2015-16 को अनुमोदन कर जो सूची जारी की थी, उसमें कितने किसानों की संख्या थी, पूर्ण जानकारी दी जावें। (ख) क्या उक्त सूची में सुमावली विधानसभा क्षेत्र के सम्मिलित किसानों के दो वर्ष बाद भी कार्य नहीं कराये गये हैं क्यों? अभी तक कितने किसानों के पम्प, विद्युत लाइन का कार्य कराया जा चुका है, पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) क्या उक्त सूची में तेईस (23) नम्बर पर नामित अनुसूचित जाति बेवा वैजन्ती बाई जाटव ग्राम चौखट्टा का पुरा के कार्य में विलम्ब करने का क्या कारण है। क्या अनुसूचित जाति के कृषकों को शासन की नीति अनुसार प्रशासन सहयोग के अभाव में शासन की नीतियों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। शासन ऐसे अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही कर कब तक लंबित कार्य सम्पादित करा देगा।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 51 किसानों की संख्या थी। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) सुमावली विधानसभा क्षेत्र के 5 किसानों के पम्पों का ऊर्जीकरण किया जा चुका है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) मध्यप्रदेश मध्यक्षेत्र विद्युत कंपनी लिमिटेड सबलगढ़, मुरैना से प्राक्कलन विलंब से प्रस्तुत करने एवं वर्ष 2016-17 में जिले को आवंटन प्राप्त न होने के कारण।
बाल संरक्षण गृह का संचालन
[महिला एवं बाल विकास]
85. ( क्र. 957 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) शहडोल संभाग अंतर्गत जून, 2017 की स्थिति में शासन द्वारा कितने बाल संरक्षण गृह संचालित हैं। बाल संरक्षण गृह का नाम एवं पता सहित बाल संरक्षण गृह में रहने वाले बच्चों की संख्या बतायें। (ख) क्या शासन द्वारा ऐसे भी बाल संरक्षण गृह संचालित किये जा रहे हैं जिन्हें वित्तीय सहायता राज्य शासन द्वारा दी जाती है? यदि हाँ, तो बाल संरक्षण गृह का नाम/स्थान सहित जानकारी उपलब्ध करायें एवं पिछले तीन वित्तीय वर्ष में कितनी अनुदान राशि दी गई? जिलेवार सूची उपलब्ध कराये। (ग) क्या विभाग को ऐसी भी शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि उक्त संभाग में संचालित बाल संरक्षण गृह के मालिकों द्वारा अनुदान की राशि का दुरूपयोग किया जाकर के उसमें रहने वाले बच्चों को सुविधायें मुहैया नहीं कराई जा रही हैं? यदि हाँ, तो कितनी शिकायतें उक्त अवधि में प्राप्त हुई? प्राप्त शिकायतों की जाँच किस अधिकारी द्वारा की गई एवं कितनी शिकायतों को सही पाया गया? शिकायत सही पाये जाने पर विभाग द्वारा संस्था के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) शहडोल संभाग अंतर्गत 01 बाल सम्प्रेक्षण गृह, जिला जेल के पास, नर्मदा गैस एजेंसी के सामने, जिला शहडोल में संचालित है। जिसमे वर्तमान में निवासरत बच्चों की संख्या निरंक है। (ख) जी हाँ। शेष प्रश्नांश 'ख' की जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। (ग) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
उपभोक्ताओं को एवरेज बिल दिया जाना
[ऊर्जा]
86. ( क्र. 958 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला अनूपपुर अंतर्गत पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में विगत दो वर्ष से घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को मासिक विद्युत एवरेज बिल प्रदाय किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो एवरेज विद्युत बिल प्रदाय किये जाने हेतु विदयुत वितरण कंपनी के क्या प्रावधान हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अंतर्गत एवरेज बिल प्रदाय किये जाने के उपरांत कितने उपभोक्ताओं द्वारा बिल संशोधन हेतु आवेदन/ शिकायत प्रस्तुत की गई एवं शिकायत/आवेदन के तारतम्य में कितने उपभोक्ताओं का बिल वास्तविक मीटर रीडर के सापेक्ष संशोधित किया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) के तारतम्य में उपभोक्ताओं को होने वाली परेशानी के लिये कौन जिम्मेदार है तथा इस प्रक्रिया में सुधार कब तक किया जायेगा। और उपभोक्ता द्वारा अधिक भुगतान कर दिये जाने की स्थिति में क्या आगामी बिलों में उनका समायोजन कर लिया जायेगा यदि हाँ, तो कब तक यदि तो क्यों।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं तथापि मीटर के बंद/खराब रहने के दौरान उपभोक्ता को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत जारी म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका क्रमांक 8.35 में निहित प्रावधानानुसार आंकलित खपत के आधार पर बिल प्रदाय किये जाते हैं, जिसकी प्रति संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) अंतर्गत औसत बिल प्रदाय किये जाने के उपरांत 13 उपभोक्ताओं द्वारा बिल में संशोधन हेतु आवेदन/शिकायत प्रस्तुत की गई एवं शिकायत/आवेदन के तारतम्य में जाँच उपरांत 9 उपभोक्ताओं का बिल वास्तविक मीटर रीडिंग के अनुरूप संशोधित किया गया है। (ग) उपभोक्ताओं को नियमानुसार विद्युत बिल जारी किये जाते हैं तथापि कतिपय प्रकरणों में त्रुटिवश गलत बिल जारी होने पर उपभोक्ता से शिकायत प्राप्त होने पर नियमानुसार बिल सुधार हेतु कार्यवाही की जाती है, अत: किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न नहीं उठता। वितरण कंपनी द्वारा सतत रूप से बंद/खराब मीटरों को बदलने की कार्यवाही की जा रही है जिस हेतु वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शिकायत प्राप्त होने पर मीटर की जाँच उपरांत यदि मीटर सही पाया जाता है तो वास्तविक रीडिंग के अनुसार बिल सुधार किये जाने एवं तद्नुसार राशि का समायोजन आगामी माहों के बिलों में किये जाने की कार्यवाही की जाती है, जो कि एक सतत प्रक्रिया है।
वर्ष 2009 में प्राध्यापक पद हेतु जारी विज्ञापन एवं नियम
[सामान्य प्रशासन]
87. ( क्र. 961 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. लोक सेवा आयोग म.प्र. द्वारा दि. 19.01.2009 एवं शुद्धि पत्र दिनांक 22.01.2009 द्वारा शासकीय महाविद्यालयों में प्राध्यापक संवर्ग की नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया था जिसमें शैक्षणिक अर्हता हेतु यू.जी.सी. द्वारा 2003 में जारी मार्गदर्शन को नियुक्ति हेतु आधार माना गया था? क्या चयन प्रक्रिया में यू.जी.सी. के नियमों का पालन किया गया? (ख) क्या प्राध्यापक पद के उम्मीदवारों का साक्षात्कार करने हेतु विषयवार चयन समिति गठित की गई थी, अगर हां, तो सभी चयन समिति सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता, नाम, अनुभव एवं उन्हें चयन समिति में रखने का आधार बतायें। (ग) प्राध्यापक पद हेतु प्राप्त आवेदनों की जाँच क्या किसी छानबीन समिति द्वारा की गई थी, अगर हां, तो समिति सदस्यों के नाम विषयवार सहित देते हुए यह भी बताएं कि किसी आवेदक को साक्षात्कार हेतु योग्य मानने हेतु क्या उन्हें कोई दिशा-निर्देश दिये थे? (घ) विज्ञापन दि.19.01.2009 प्राध्यापक पद हेतु सामान्य आरक्षित महिला एवं विकलांग सीटो के निर्धारण में किन नियमों निर्देशों का पालन किया गया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। विशेषज्ञों का व्यक्तिगत विवरण अत्यंत गोपनीय स्वरूप का होने से प्रदाय किया जाना संभव नहीं है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
जनपद पंचायत अटेर में आंगनवाड़ी केन्द्रों को खोलने में अनियमितता
[महिला एवं बाल विकास]
88. ( क्र. 962 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) आंगनवाड़ी केन्द्रों के खोलने एवं स्टॉफ रखने के नियम क्या हैं? क्या उनका पालन जनपद पंचायत अटेर जिला भिण्ड में किया जा रहा है? (ख) क्या आंगनवाड़ियों केन्द्रों की स्थापना एवं स्थापित केन्द्रों पर रिक्त पदों पर चयन हेतु निर्धारित नियमों में ग्राम पंचायत की सहमति उपरांत ही कार्यवाही की जाती है? यदि हाँ, तो जनपद पंचायत अटेर में विगत 2 वर्षों में ICDS परियोजना में कितने नवीन केन्द्र खोले गए एवं उनमें नियुक्ति का सही विवरण दें। क्या इन सभी के लिये नियमों का पालन किया गया? (ग) यदि अनियमित रूप से केन्द्रों का चयन एवं नियुक्ति की गई है, तो दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करने एवं पुन: चयन की कार्यवाही कब तक की जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने के निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति होने के पश्चात परियोजना/जिला कार्यालय के प्रस्ताव पर उसे स्वीकृति हेतु भारत सरकार को प्रेषित किया जाता है तथा स्वीकृत नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र के लिये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका तथा मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र हेतु मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पदों की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दी जाती है। आंगनवाड़ी केन्द्रों को खोलने एवं स्टॉफ रखने के नियम की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। (ख) जी नहीं। आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्थापना में ग्राम पंचायत से प्रस्ताव होने पर नियमानुसार परीक्षण कर आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाता है। आंगनवाड़ी केन्द्रो में कार्यकर्ता/सहायिका एवं मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की पदपूर्ति में प्रचलित भर्ती नियमों में ग्राम पंचायत की भूमिका नहीं है। अतः शेष जानकारी का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ग) आंगनवाड़ी केन्द्रों का चयन एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिकाओं की नियुक्ति की कार्यवाही विभाग द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार की जाती है। आंगनवाड़ी केन्द्र के चयन एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका की नियुक्ति में अनियमितता की शिकायत प्राप्त नहीं होने से शेष कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
कार्य पर अनुपस्थित अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने
[सामान्य प्रशासन]
89. ( क्र. 968 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश राज्य के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण एवं राजस्व विभाग के प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के कौन-कौन अधिकारी कब-कब से कब तक अनाधिकृत रूप से, स्वीकृत अवकाश समाप्त होने के बाद भी सेवा से अनुपस्थित रहे? दिनांक 01.04.16 से प्रश्न दिनांक तक विभाग श्रेणी और अधिकारीवार बताएं एवं इनमें से कौन-कौन के विरूद्ध अनुपस्थित रहने के कारण एवं अन्य किस अनियमितता पर कब क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या पदीय दायित्व से बचने हेतु कार्य से लगातार एक माह से अधिक अनुपस्थित होने, कुछ दिन का अवकाश स्वीकृत करवा के कार्य पर महीनों तक उपस्थित नहीं होने वाले अधिकारियों के विरूद्ध अवकाश स्वीकृति एकमात्र विकल्प है या किसी दंड का प्रावधान है? अधिकतम दण्ड बतायें यह भी बतायें कि प्रश्नांश (क) में से किसे क्या दण्ड दिया? किसके विरूद्ध क्या दण्ड प्रस्तावित है, किसे दण्ड से मुक्त रखा गया है और क्यों? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में अनेक अधिकारी असुविधाजनक पदस्थ होने, पदीय दायित्वों से बचने हेतु कार्य से अनुपस्थित रहे? कुछ दिन का अवकाश लेकर उपस्थित नहीं हुये? बाद में सुविधाजनक स्थिति में कार्य पर उपस्थित होकर अवकाश स्वीकृत करवाके अपनी शर्तों पर सेवारत है? यदि हाँ, तो कौन-कौन बताएं? (घ) क्या स्वेच्छा से अनुपस्थित अधिकारी का अवकाश मंजूर करना उसे पदीय दायित्व से बचाना अनियमितता को सहमतिपूर्ण बनाना, राज्य के कोष पर अनावश्यक बोझ डालना, क्या शासकीय सेवा की मूल भावना के विरूद्ध है? क्या शासन सार्वजनिक हित में ऐसा प्रावधान करेगा कि स्वेच्छा से अनुपस्थित अधिकरी के विरूद्ध अनुपस्थिति दिनांक से स्वत: अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ हो जाये?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
भवनविहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों भवन का निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
90. ( क्र. 969 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या कटनी जिले में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र हेतु शासकीय भवनों का अभाव है? (ख) यदि हाँ, तो कटनी जिले में कितने केन्द्र शासकीय भवन में तथा कितने केन्द्र निजी भवनों में किराये से संचालित है क्या इन भवनों में बच्चों के लिये पेयजल एवं शौचालय की समुचित व्यवस्था है? विकासखण्डवार, केन्द्रवार बताएं? (ग) प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा महिला बाल विकास विभाग बहोरीबंद एवं रीठी को प्रेषित पत्र क्रमांक 55 एवं 56 दिनांक 20.04.2017 के माध्यम से भवनविहीन आंगनवाड़ी हेतु भवनों का निर्माण कराये जाने का लेख किया गया था, उक्त पत्र पर शासन/विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? (घ) क्या शासन भवनविहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों हेतु भवन उपलब्ध करायेगा? यदि हाँ, तो कब और यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। कटनी जिले में कुल संचालित 1710 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से कुल 417 आंगनवाड़ी केन्द्रों में शासकीय भवनों का अभाव है। (ख) कटनी जिले में संचालित 1710 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 814 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय भवनों में 479 केन्द्र अन्य शासकीय भवनों में तथा 417 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित है। इन 1710 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 1553 आंगनवाड़ी केन्द्रों में पेयजल की व्यवस्था है तथा 1480 केन्द्रों में शौचालय की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) मान. विधायक महो. द्वारा कटनी जिले के बहोरीबंद एवं रीठी में आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण हेतु की गई अनुशंसा के आधार पर इन भवनों का निर्माण मनरेगा योजना के अभिसरण से निर्मित होने वाले आंगनवाड़ी भवनों के प्रस्ताव में शामिल किया गया है। (घ) भवनविहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के अभिसरण से एवं शहरी क्षेत्र में राज्य आयोजना मद से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की योजना है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
रिक्त पदों की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
91. ( क्र. 972 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 05 वर्षों में बैकलाग के कुल कितने पद भरे गए व वर्तमान में कितने पद रिक्त हैं वर्षवार, विभागवार भरे पदों की जानकारी देवें। (ख) रिक्त पद कब तक भरे जाएगे? (ग) विभागवार रिक्त पदों की जानकारी भी प्रश्न दिनांक तक देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई से प्रभावित डूब क्षेत्र
[नर्मदा घाटी विकास]
92. ( क्र. 973 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सरदार सरोवर के कुल 192 गांव और धरमपुरी नगर से जिन 15946 परिवारों (बैक वाटर प्रभावितों) के मकान डूब से बाहर घोषित किए है क्या उन्हें लिखित सूचना दी गई है? (ख) क्या इनकी संपति भू-अर्जित होकर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के नाम नामांतरित हुई है? डूब से बाहर हो जाने पर क्या इनकी संपत्ति उन्ही के नाम वापस करने की प्रक्रिया की गई है? यदि नहीं, तो कब तक की जावेगी?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी नहीं। (ख) जी हाँ। जी नहीं। सरदार सरोवर बांध में पूर्ण जलाशय स्तर तक भराव होने के पश्चात् विचार किया जायेगा।
बिना टिन नंबर फर्मों पर कार्यवाही
[वाणिज्यिक कर]
93. ( क्र. 977 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महिदपुर वि.स. क्षेत्र में बिना टिन नंबर कार्य करने वाली फर्मों पर विभागीय कार्यवाही की अद्यतन स्थिति बतावें? (ख) क्या कारण है कि G.S.T. लागू होने वाला है और ये अभी भी कार्य कर रही है? (ग) इस संबंध में ध्यान न देने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) विधानसभा क्षेत्र महिदपुर के अंतर्गत आने वाले बिना टिन नम्बर वाली फर्म के व्यवसाइयों की जानकारी प्राप्त होने पर निरंतर कार्यवाही की जाती है। वर्तमान में चल रही कार्यवाही के अंतर्गत महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में अपंजीयत पाये गये व्यवसाइयों पर नियमानुसार की गई कार्यवाही की अद्यतन स्थिति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) टिन फर्मों को विभाग द्वारा स्वयमेव नहीं दिया जाता है। व्यवसाइयों द्वारा स्वयं पंजीयन हेतु आनलाईन आवेदन पत्र प्रस्तुत कर लिया जाता है। वेट अधिनियम में उल्लेखित प्रावधान अनुसार व्यवसायी आयातकर्ता होने पर एक वित्तीय वर्ष में विक्रय की सीमा रू. 5 लाख एवं अन्य व्यवसायी को एक वित्तीय वर्ष में विक्रय सीमा 10 लाख होने पर व्यवसायी द्वारा स्वयं टिन हेतु आवेदन पत्र ऑनलाईन प्रस्तुत कर पंजीयन प्राप्त किया जाता है। यदि विभाग को किसी भी अन्य स्त्रोत से यह जानकारी प्राप्त होती है कि कोई व्यवसायी उपरोक्त सीमा को पार करने के बाद भी टिन हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत कर टिन प्राप्त नहीं किया गया है, तो ऐसे व्यवसाइयों के विरूद्ध करदायित्व निर्धारित करने संबंधी कार्यवाही की जाकर करदायित्व निश्चित कर प्रकरण कर निर्धारण हेतु संबंधित कर निर्धारण अधिकारी को आवंटित किया जाता है। जी.एस.टी. 1 जुलाई से लागू हो गया है इसके तहत कर दायित्व की सीमा 20 लाख वार्षिक है। 20 लाख से अधिक सप्लाई होने पर पंजीयन प्राप्त करना होगा। करदायी होने पर पंजीयन नहीं लेने की स्थिति में जी.एस.टी. के प्रावधानो के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित होगी। (ग) वृत्त में जब भी किसी व्यवसाई के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है, उसके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। वर्तमान में ऐसी कोई जानकारी प्रकाश में नहीं आई है, जिससे यह ज्ञात हो कि संबंधित अधिकारी द्वारा अपंजीयत व्यवसाईयों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु ध्यान नहीं दिया हो।
बड़वानी व धार जिलों के पुनर्वास स्थलों
[नर्मदा घाटी विकास]
94. ( क्र. 981 ) श्री बाला बच्चन : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़वानी एवं धार जिले के पुनर्वास स्थलों के लिए विगत 6 माह में कितनी राशि किन-किन कार्यों के लिए स्वीकृत की गई? कार्य का नाम, राशि, स्थान का नाम सहित जिलावार जानकारी देवें। (ख) पुनर्वास स्थलों के जर्जर मार्गों के संधारण एवं नवीन मार्ग निर्माण के लिए स्वीकृत राशि की जानकारी भी उपरोक्तानुसार देवें। (ग) प्रश्न (क) व (ख) के स्वीकृत कार्य किन फर्मों/एजेंसियों से कराये जा रहे हैं एवं यह कब तक पूर्ण होंगे?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ग) मेसर्स जय हिंद कन्स्ट्रक्शन, मेसर्स चिराग कन्स्ट्रक्शन, मेसर्स नारायण दास फूलचन्द मिश्रा, मेसर्स भगवती कन्स्ट्रक्शन, मेसर्स निशांत चौरसिया, मेसर्स गुरूकृपा कन्स्ट्रक्शन, मेसर्स सत्य लक्ष्मी इंफ्राकाम, मेसर्स राची इंफ्रास्ट्रक्चर तथा नगरीय प्रशासन एवं आवास विकास/लोक निर्माण/लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी/पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, कलेक्टर सेक्टर तथा मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी से। यथाशीघ्र।
बाल संरक्षण गृहों की स्थिति
[महिला एवं बाल विकास]
95. ( क्र. 984 ) श्री हर्ष यादव : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रदेश में वर्तमान में शासन से अनुदान प्राप्त कितने बाल संरक्षण गृह कहाँ-कहाँ संचालित है? संस्था का नाम, पता व वर्तमान में दर्ज बच्चों की संख्या बतावें? (ख) इन संस्थाओं को गत तीन वर्षों में शासन द्वारा कितना-कितना अनुदान दिया गया है। वर्तमान में इन संस्थाओं में बच्चे के लिए क्या-क्या सुविधायें उपलब्ध हैं? किन-किन संस्थाओं के स्वयं के भवन हैं? कितनी व कौन-कौन सी किराये के भवनों में संचालित हैं? (ग) सागर जिले में शासन से अनुदान प्राप्त बाल संरक्षण गृहों का निरीक्षण, पर्यवेक्षण किन के द्वारा कब-कब किया गया है? विगत तीन वर्षों की जानकारी दें। निरीक्षण प्रतिवेदनों की प्रतियां उपलब्ध करावें। क्या विभाग को इस संबंध में सुविधाओं में कमी व अनियमितताओं आदि की कोई शिकायते प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो विगत तीन वर्षों में इन मामलों में क्या कार्यवाही की गई? नहीं तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) प्रश्नांश 'क' की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "1" अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "1" अनुसार है। इन संस्थाओ में किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधान अंतर्गत बालकों के लिए विभिन्न सुविधायें यथा पालन-पोषण, शिक्षण-प्रशिक्षण वस्त्र-बिस्तर, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन आदि उपलब्ध है। शेष प्रश्नांश 'ख' की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "1" अनुसार है। (ग) सागर जिले में शासन से अनुदान प्राप्त बाल संरक्षण गृहों के निरीक्षण, पर्यवेक्षण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "2" पर तथा निरिक्षण प्रतिवेदनों की प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "3" अनुसार है। शेष प्रश्नांश की जानकारी निरंक।
देवरी विधानसभा क्षेत्र में कुपोषण की स्थिति
[महिला एवं बाल विकास]
96. ( क्र. 985 ) श्री हर्ष यादव : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) देवरी विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में कुपोषित अतिकुपोषित बच्चों की संख्या क्या है? एक वर्ष पूर्व की भी संख्या बतावें? (ख) क्या विभाग द्वारा क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की संख्या कम करने हेतु आई.सी.डी.एस. योजना, अटल बिहारी बाल आरोग्य मिशन आदि विभिन्न योजनायें संचालित की जा रही हैं? योजनाओं के क्रियान्वयन के बावजूद भी कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ने के क्या कारण हैं? इसके लिये कौन उत्तरदायी है? (ग) क्या विभाग की योजनाओं का धरातल पर सुचारू क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है? क्या देवरी विधान सभा क्षेत्र में संचालित विभागीय योजनाओं व कार्यक्रमों की समीक्षा शासन स्तर से किसी वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर कराई जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक, नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) देवरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना देवरी एवं केसली संचालित है। प्रश्नांकित अवधि में देवरी विधानसभा क्षेत्र में निम्नानुसार कम वजन एवं अतिकम वजन बच्चें निम्नानुसार हैः-
क्रमांक |
परि. का नाम |
वर्ष 2016 |
वर्ष 2017 |
||
कम वजन बच्चे |
अति कम वजन बच्चें |
कम वजन बच्चे |
अति कम वजन बच्चें |
||
1 |
देवरी |
2524 |
197 |
2646 |
401 |
2 |
केसली |
1336 |
46 |
1174 |
72 |
|
योगः |
3860 |
243 |
3820 |
473 |
(ख) जी हाँ, विभाग द्वारा क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की संख्या कम करने हेतु आई.सी.डी.एस. योजनातंर्गत टेक होम राशन (पूरक पोषण आहार), सांझा चूल्हा, थर्ड मील, स्नेह सरोकार योजना, सुपोषण अभियान, अटल बिहारी बाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन, विशेष पोषण अभियान कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है। वर्ष 2016 में 0-5 वर्ष तक के 31365 बच्चों का वजन देवरी विधानसभा अंतर्गत लिया गया था जिसमें कम एवं अतिकम वजन के 4103 बच्चे चिन्हांकित किए गए थे। 16 नवम्बर 2016 से 31 मार्च 2017 तक विशेष वजन अभियान चलाकर पर्यवेक्षक, परियोजना अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं संयुक्त संचालक ने समक्ष में उपस्थित होकर 0-5 वर्ष तक के 35409 बच्चों का वजन लिया गया था जिसमें कम एवं अतिकम वजन के 4293 बच्चे चिन्हांकित किए गए थे। अतः विशेष वजन अभियान में अधिक संख्या में बच्चों का वजन होने से कम एवं अतिकम वजन के बच्चों की संख्या में अनुपातिक वृद्धि हुई है। (ग) विभाग द्वारा योजनाओं का धरातल पर सुचारू रूप से क्रियान्वयन हो रहा है। सागर जिले हेतु संचालनालय आई.सी.डी.एस. से अपर संचालक स्तर के अधिकारी द्वारा समय-समय पर जिले का भ्रमण कर योजनाओं की समीक्षा की जाती हैं। शेष का प्रश्न नहीं है।
भर्ती नियमों का उल्लघंन कर अवैध नियुक्तियां
[आदिम जाति कल्याण]
97. ( क्र. 987 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश आदिम जाति कल्याण अधीनस्थ सेवा भर्ती नियम, 1970 (तृतीय श्रेणी अलिपिक वर्गीय) में संगणक पद शामिल नहीं था? (ख) मध्यप्रदेश आदिम जाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण अधीनस्थ (तृतीय वर्ग अलिपिकीय) भर्ती नियम, 1994 में क्या संगणक का पद पहली बार शामिल हुआ? (ग) वर्ष 1983 से 1994 तक की अवधि में भर्ती नियम में प्रावधान किए बगैर किन-किन संगणकों की अवैध नियुक्तियां कब-कब, किन-किन कार्यालयों में हुई? किन-किन कर्मचारियों को कब-कब संगणक पद पर अवैध पदोन्नतियां दी गईं? (घ) उपरोक्त अवैध नियुक्तियां एवं पदोन्नतियां कब तक शून्य घोषित की जायेंगी? यदि नहीं, तो इनके वैध होने के आधार प्रमाण सहित बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। नहीं था। (ख) जी हाँ। (ग) वर्ष 1983 से 1994 तक की अवधि में किसी भी संगणक को अवैध नियुक्ति/पदोन्नति नहीं दी गई है। म.प्र. शासन आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक एफ 4/83/73/1/25 दिनांक 16.01.1974 द्वारा संचालक आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं को विभागाध्यक्ष घोषित किया गया है। शासनादेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। शासन द्वारा वर्ष 1975 में 08, 1981 में 03 एवं वर्ष 1982 में 05 संगणक/कम्प्यूटर के पद स्वीकृत किये गये है। तदाशय संबधी स्वीकृति आदेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो के ''अ'', '' ब'' एवं ''स'' पर दर्शित है। वर्ष 1983 में कार्यालय संचालक आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं द्वारा तत्कालीन आवश्यकता को देखते हुये संगणक के पदों पर सीधी भर्ती से नियुक्त करने हेतु विज्ञापन जारी किया गया तथा संगणक के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु सचिव कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड म.प्र. भोपाल को लिखा गया। कनिष्ठ चयन सेवा बोर्ड द्वारा संगणक के कर्तव्य एवं न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता संबंधी जानकारी मांगे जाने पर संचालनालय द्वारा बोर्ड को उपलब्ध कराई गई। म.प्र. कनिष्ठ चयन सेवा बोर्ड द्वारा ली गई लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के आधार पर अभ्यार्थियों की अनुशंसा एवं वरिष्ठता अपने ज्ञापन क्रमांक 319/क.से.च.बो./84 दिनांक 05.01.1984 से संचालनालय आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं को उपलब्ध कराई गई उक्त अनुशंसा के आधार पर कार्यालयीन आदेश क्रमांक स्था./46 दिनांक 07.01.1984 द्वारा 09 कर्मचारियों को संचालनालय आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं द्वारा संगणक के पद पर नियुक्ति दी गई। संचालक आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं द्वारा भी 02 कर्मचारियों को विभागाध्यक्ष की हैसियत से नियुक्ति प्रदान की गई है। इस प्रकार प्रश्नाधीन अवधि में कुल 11 कर्मचारियों को कार्यालय आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाऐं द्वारा संगणक के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई। नियुक्त किये गये संगणकों की पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। सचिव म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग (शासकीय कर्मचारी कल्याण संगठन) के अर्द्धशासकीय पत्र क्रमांक 475/कक/1/87 दिनांक 11.03.1987 में की गई अनुशंसा के पालन में वर्ष 1987 में श्रीमती अर्चना करजगीर को तथा म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग (शासकीय कर्मचारी कल्याण संगठन) के ज्ञापन क्रमांक एफ 2-9/90/कक/1 दिनांक 11.01.1991 की अनुशंसा के पालन में श्री अजय जायसवाल को वर्ष 1991 में संगणक के पद पर उत्कृष्ठ खिलाडी कोटे से नियुक्ति दी गई है, नियुक्त किये गये संगणकों को पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार अनुसार है। 03 कर्मचारियों को संगणक के पद पर पदोन्नति दी गई है। पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार ''अ'' पर है। (घ) प्रश्नांश ''ग'' में उल्लेखित नियुक्तियों/पदोन्नतियों के वैध होने के संबंध में अभिलेखों के प्रमाण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-पाँच अनुसार है। श्री अजय जायसवाल की संगणक के पद पर की गई नियुक्ति की जाँच की जा रही है। जाँच उपरांत गुण-दोष के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ताओं की भर्ती
[महिला एवं बाल विकास]
98. ( क्र. 990 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सीधी जिले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के कितने पदों पर नवीन नियुक्तियां की गई हैं? कितने पदों पर भर्ती किया जाना शेष है? (ख) क्या सीधी जिले में विगत दो वर्षों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की भर्ती में काफी अनियमितताएं की गई हैं? यदि हाँ, तो इसकी जाँच कब तक कराई जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सीधी जिले में संचालित बाल विकास परियोजनाओं में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के 61, आंगनवाड़ी सहायिका के 62 पदों पर नवीन नियुक्तियां की गई है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के 03 तथा आंगनवाड़ी सहायिका के 02 पद रिक्त है, जिन पर नियुक्ति की कार्यवाही की जाना शेष है। (ख) जी नहीं। अतः शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायकाओं की नियुक्ति के संबंध में
[महिला एवं बाल विकास]
99. ( क्र. 994 ) श्रीमती अनीता नायक : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या वर्ष 2016-17, 2017-18 में टीकमगढ़ जिले की जनपदों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की नियुक्ति की गई? अगर हाँ तो जनपदवार, ग्रामवार, नामवार बतावें? जनपद द्वारा चयनित सूची जिला पंचायत में भेजने के पूर्व जनपद स्तर की कमेटी द्वारा नियुक्ति हेतु क्या मापदण्ड थे अगर मापदण्डों के आधार पर नियुक्तियां की गई तो जिले में आपत्ति दर्ज होने के पश्चात् जनपद स्तर की कमेटी के द्वारा जिले की कमेटी द्वारा अनुमोदित सूची में से किन-किन अभ्यर्थीयों को सूची से हटाकर दूसरी नियुक्तियां की गई इसका आधार तथा कारण सहित जनपदवार ग्रामवार नामवार बतावें? (ख) जनपद कमेटी द्वारा चयनित सूची से जिले में जो गड़बड़ी की गई है तो उनके विरूद्ध शासन कार्यवाही करेगा? अगर हां, तो कब तक और क्या कार्यवाही? (ग) आपत्ति दर्ज होने के पश्चात् कितने पदों पर नियुक्तियों का निराकरण किया गया? आपत्ति दर्ज का क्या कारण था? टीकमगढ़ जिले के ऐसे कितने प्रकरण प्राप्त हुये, जिनकी अंकसूची उ.प्र. की थी? उसका नामवार, ग्रामवार, जनपदवार जानकारी बतावें? (घ) क्या जिन आवेदकों की अंकसूची उ.प्र. की थी उन सभी आवेदकों की अंक सूची सत्यापति कराई गई है तो नामवार, ग्रामवार, जनपदवार बतावें जिन-जिन आवेदकों की सूची उ.प्र. की थी, उन सभी की अंकसूचियां सत्यापति नहीं कराई गई है? यदि हाँ, तो ऐसा क्यों किया गया? इसके लिये कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार है? अगर जिम्मेदार अधिकारी दोषी है तो विभाग उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही करेगा और कब तक? अगर नहीं तो कारण सहित बतावें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। नियुक्ति के मापदण्डों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका के चयन एवं नियुक्ति के संशोधित निर्देशों के अनुसार चयन समिति द्वारा प्राप्त आवेदनों का परीक्षण किये जाने के उपरान्त अंतिम सूची जारी की जाती है। अंतिम सूची के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में प्राप्त आपत्तियाँ परियोजना कार्यालन में प्राप्त की जाती है तथा जिला स्तरीय आपत्ति निराकरण समिति द्वारा आपत्तियों का निराकरण किया जाकर अन्तिम सूची का प्रकाशन किया जाता है। परियोजना स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदित अंतिम चयन सूची के विरूद्ध प्राप्त आपत्तियों के निराकरण के पश्चात जिला स्तरीय समिति द्वारा जिन अभ्यर्थियों का चयन किया गया उक्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। (ख) जनपद स्तर खण्ड स्तरीय चयन समिति द्वारा अंतिम सूची जारी की जाती है जिसके विरूद्ध प्राप्त आपत्तियों का निराकरण जिला स्तरीय दावा आपत्ति निराकरण समिति द्वारा निराकरण किया जाता है तत्पश्चात ही अन्तिम चयन सूची जारी की जाती है। नियुक्ति प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी न होने से शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ग) आपत्ति दर्ज होने के पश्चात 111 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, 92 सहायिका एवं 20 मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पद पर आपत्ति का निराकरण किया गया। अंतिम स्तर पर चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी होने के प्रत्याशा में आपत्तियां दर्ज की गई है। ऐसे कुल 96 प्रकरण प्राप्त हुए है जिनकी अंकसूची उत्तरप्रदेश की है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''चार'' अनुसार है। (घ) जी नहीं। कुल 96 आवेदकों के द्वारा उत्तर प्रदेश की अंकसूची संलग्न की गई थी। जिनमे से 24 अंकसूचियों पर आपत्तियां प्राप्त हुई थी जिन्हें सत्यापन हेतु भेजी गई तथा 72 प्रकरणों पर आपत्तियां प्राप्त नहीं होने से उन्हें सत्यापन के लिये नहीं भेजा गया। इसके लिये कोई अधिकारी जिम्मेदार/दोषी नहीं है। अतः शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। समस्त नियुक्तियां मेरिट के आधार पर ही की गई है। आंगनवाड़ी केन्द्र सुनौनिया खास में अंतिम रूप से चयनित आवेदिका की कक्षा 5 वी की अंकसूची 99 प्रतिशत की तथा उ.प्र. की अंकसूची संदिग्ध प्रतीत होने से जिला स्तरीय समिति द्वारा पुनः सत्यापन के निर्देश दिये गये है इस कारण उक्त केन्द्र में चयन नहीं किया गया है। प्रकरण क्र. 249/2016-17 अपर कलेक्टर न्यायालय में विचाराधीन है।
राजगढ़ जिले में विभाग की संचालित योजनाएं
[आदिम जाति कल्याण]
100. ( क्र. 1000 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति के लोगों के कल्याण के लिये कौन-कौन सी योजनायें कब से संचालित की जा रही हैं? शासन के निर्देश की जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) क्या विभाग द्वारा केवल अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रों में ही निवास करने वालों को उक्त योजनाओं का लाभ दिया जाता है? यदि हाँ, तो अनुसूचित जनजाति के क्षेत्र मानने का शासन का मापदण्ड क्या है? राजगढ़ जिले में कौन-कौन से ग्राम अनुसूचित जनजाति बाहुल्य है? सूची उपलब्ध करावें। (ग) विभाग द्वारा राजगढ़ जिले में 1 जनवरी, 2014 से प्रश्न दिनांक तक अनुसूचित जनजाति के कौन-कौन से क्षेत्रों में निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये हैं? कार्य का नाम स्वीकृति का वर्ष, राशि, विधान सभावार बतावें। (घ) क्या राजगढ़ जिले में उक्त स्वीकृत सभी कार्य पूर्ण हो चुके हैं, यदि हाँ, तो बतावें और यदि नहीं, तो क्यों नहीं? कारण सहित सूची उपलब्ध करावें। कब तक पूर्ण किये जावेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजना अंतर्गत अनुसूचित जनजाति की 50 प्रतिशत जनसंख्या वाले बाहुल्य ग्रामों/वार्डों/मजरे/टोलों में निर्माण कार्य कराये जाने का प्रावधान है। जनगणना 2011 के अनुसार राजगढ़ जिले में स्थित अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों की सूची जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' में वर्णित अनुसार है। अपूर्ण कार्य प्रगति पर है।
राजगढ़ जिले में अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्राम
[अनुसूचित जाति कल्याण]
101. ( क्र. 1001 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण के लिये कौन-कौन सी योजनायें कब से संचालित की जा रही है? शासन के निर्देश की जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) क्या विभाग द्वारा केवल अनुसूचित जाति के क्षेत्रों में ही निवास करने वालों को उक्त योजनाओं का लाभ दिया जाता है? यदि हाँ, तो अनुसूचित जाति के क्षेत्र मानने का शासन का मापदण्ड क्या है? राजगढ़ जिले में कौन-कौन से ग्राम अनुसूचित जाति बाहुल्य है? सूची उपलब्ध करावें। (ग) राजगढ़ जिले में विभाग द्वारा 01 जनवरी, 2014 से प्रश्न दिनांक तक अनुसूचित जाति के कौन-कौन से क्षेत्रों में निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये हैं? कार्य का नाम स्वीकृति का वर्ष, राशि, विधानसभावार बतावें? (घ) क्या राजगढ़ जिले के उक्त स्वीकृत सभी कार्य पूर्ण हो चुके हैं, यदि हाँ, तो बतावें और यदि नहीं, तो क्यों नहीं? कारण सहित सूची उपलब्ध करावें? कब तक पूर्ण किये जावेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) जी नहीं। राजगढ़ जिले की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘द’ अनुसार है। छ: माह में पूर्ण कर लिये जायेंगे।
सिंचाई एवं पेयजल हेतु पानी उपलब्ध कराने
[नर्मदा घाटी विकास]
102. ( क्र. 2035 ) श्री राजेश सोनकर : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा किसानों को सिंचाई करने हेतु नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना से पानी देने हेतु कोई योजना बनाई गई है? यदि हाँ, तो विवरण देवे? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में नर्मदा क्षिप्रा लिंक योजना से कितने गांवो को सिंचाई हेतु पानी दिया जायेगा एवं आस-पास के गांवो को पेयजल हेतु भी पानी उपलब्ध कराया जायेगा? (ग) नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना जिन गांवो/खेतो से निकल रही है उसके आस-पास के किसानों को अपने खेतो में आने-जाने हेतु छोटे ब्रिजो के निर्माण की कोई योजना है? यदि हाँ, तो कब तक ब्रिज निर्माण किये जायेगे व जल से सिंचाई कार्य किया जा सकेगा व पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना से कृषकों को सिंचाई की निम्नानुसार दो योजनाऐं बनाई गई हैं :-
स.क्र. |
योजना का नाम |
लागत (प्रशासकीय स्वीकृति) रूपये करोड़ में |
रकबा (हे.मे) |
लाभान्वित ग्रामों की संख्या |
1 |
बलवाड़ा माईक्रो सिंचाई योजना |
52.78 |
5000 |
34 |
2 |
सिमरोल अम्बाचंदन माईक्रो सिंचाई योजना |
59.13 |
4000 |
7 |
(ख) कुल 41 ग्रामों को सिंचाई हेतु पानी दिया जायेगा। इस योजना से म.प्र. जल निगम को समूह पेयजल योजना हेतु 66 एम.एल.डी. पानी आवंटित किया गया है। इसके अलावा देवास नगर एवं उज्जैन नगर को भी पेयजल हेतु जल दिया जाना है। देवास को विगत 3 वर्षों से एवं उज्जैन को सिंहस्थ के दौरान पेयजल हेतु रा-वाटर उपलब्ध कराया गया है। (ग) 10 स्थानों पर पुल/पुलियों का निर्माण किया गया है। उत्तरांश ''क'' अनुसार। मध्यप्रदेश जल निगम द्वारा इन्दौर, देवास एवं उज्जैन जिलों के 331 ग्रामों हेतु नर्मदा क्षिप्रा समूह जल प्रदाय योजना की डी.पी.आर. तैयार की गयी है। वित्तीय संयोजन उपरांत पेयजल उपलब्ध कराया जा सकेगा। अत: समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।