मध्य प्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
फरवरी-अप्रैल, 2016
सत्र
शुक्रवार, दिनांक 18 मार्च, 2016
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
( वर्ग
2 : सामान्य
प्रशासन, नर्मदा
घाटी विकास,
विमानन,
संस्कृति,
पर्यटन,
प्रवासी
भारतीय, नगरीय
विकास एवं पर्यावरण,
जल
संसाधन, वित्त,
वाणिज्यिक
कर, योजना,
आर्थिक
एवं
सांख्यिकी, ऊर्जा,
नवीन
एवं नवकरणीय
ऊर्जा, जनसंपर्क,
खनिज
साधन)
ग्रेसिम
उद्योग नागदा के
विरूद्ध दर्ज
प्रकरण
1. ( *क्र. 6354 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्र. 3270 दि. 30.07.2015 के उत्तरांश (क) में वर्णित प्रकरणों की अद्यतन स्थिति बतावें? (ख) इन प्रकरणों में विगत 6 माह में कितनी तारीखें लगी हैं, उनमें शासन की ओर से प्रकरण 25/15 में 22 तारीखों में अपना पक्ष न रखने के क्या कारण हैं? (ग) इसके लिए कौन जबावदेह है? उन पर क्या कार्यवाही की जावेगी? उन अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्न क्रमांक 3270 दिनांक 30/7/2015 के उत्तरांश ‘‘क‘‘ में वर्णित ग्रेसिम उद्योग नागदा, जिला उज्जैन के विरूद्ध प्रकरणों की स्थिति इस प्रकार है :- (1) सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट नागदा के न्यायालय में सी.आर.पी.सी. 1973 की धारा 133 के तहत् प्रचलित प्रकरण 25/15 में आगामी तिथि दिनांक 06/04/2016 नियत है। (2) प्रकरण क्रमांक 11088/14 में आगामी तिथि दिनांक 21/04/16 नियत है। (ख) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) नागदा से प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत 06 माह में 13 तारीखें लगी हैं। अनुविभागीय दण्डाधिकारी, नागदा के द्वारा संयुक्त निरीक्षण के आधार पर सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट नागदा के न्यायालय में प्रकरण प्रारंभ किये जाने से शासन की ओर से पृथक से पक्ष रखने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश ‘‘ख‘‘ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान
2. ( *क्र. 5795 ) श्री सूर्यप्रकाश मीना : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन के विभिन्न विभागों एवं नगरीय निकायों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की सेवा में रहते हुये मृत्यु उपरांत परिवार के सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) का उत्तर नहीं तो क्या शासन मानवीय आधार पर किसी भी दैनिक वेतन भोगी कर्मी की सेवा में रहते मृत्यु उपरांत परिवार के एक सदस्य को नियुक्ति दिये जाने के संबंध में निर्देश देगा? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। शेषांश प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अधिकारियों की गृह जिले में पदस्थापना
3. ( *क्र. 4457 ) श्री चन्दरसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऊर्जा विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों को उनके गृह क्षेत्र में पदस्थ करने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो किस नियम व प्रावधान के अंतर्गत? (ख) क्या श्री अशोक कुमार बडोनिया अधीक्षण यंत्री जो कि गांधीसागर के ही निवासी हैं, उन्हें ऊर्जा विभाग ने गांधीसागर में ही पदस्थ कर रखा है? यदि हाँ, तो किसके आदेश से? (ग) 9 जनवरी, 2016 को उक्त संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा की गई शिकायत व माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा विभाग को कार्यवाही के लिए प्रेषित पत्र पर अब तक क्या कार्यवाही की गई है तथा उक्त अधिकारी की अनियमितताओं की शिकायतों पर की गई कार्यवाहियों का भी ब्यौरा दें। उक्त अधिकारी का स्थानान्तरण कब तक कर दिया जाएगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) ऊर्जा विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों को उनके गृह क्षेत्र में पदस्थ किए जाने का प्रावधान नहीं है। तथापि जिन अधिकारियों/कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के लिए दो वर्ष अथवा उससे कम समय शेष रह गया हो, उन्हें उनके आवेदन पर यथासंभव रिक्त पद उपलब्ध होने पर चाहे गए स्थान में पदस्थ किये जाने का प्रावधान है। (ख) जी हाँ, श्री अशोक कुमार बडोनिया, अधीक्षण अभियंता (उत्पादन) को कंपनी प्रबंधन के आदेशानुसार संजय गांधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर से गांधीनगर जल विद्युत गृह, गांधीसागर प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित कर पदस्थ किया गया है। (ग) माननीय विधायक महोदय के पत्र दिनांक 09.01.2016 में उल्लेखित शिकायतें उनके द्वारा पूर्व में प्रेषित शिकायती पत्र दिनांक 25.08.2015 के ही समान थी। शिकायती पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं पर म.प्र. पावर जनरेटिंग कं.लि. द्वारा जाँच कराई गई। जाँच कार्यवाही के निष्कर्ष अनुसार शिकायतें सही नहीं पाई गईं। अत: उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में किसी तरह की कार्यवाही का प्रश्न नहीं उठता।
शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं पार्किंग स्थल का निर्माण
4. ( *क्र. 6251 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रोजगार को बढ़ावा दिये जाने एवं यातायात के बढ़ते वाहनों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए नगरपालिका परिषद जावरा द्वारा अनेक शॉपिंग कॉम्पलेक्स का निर्माण एवं पार्किंग स्थल भी बनाए जाकर व्यवस्थाएं की जा रहीं हैं? (ख) यदि हाँ, तो शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं पार्किंग स्थलों का निर्माण होकर इनका उपयोग किया जा रहा है तथा क्या आगामी आवश्यकताओं को दृष्टिगत रख उक्ताशय के दोनों प्रकार के नवीन स्थान चयनित कर प्रस्तावित किये गये हैं? (ग) यदि हाँ, तो शहर में किन-किन स्थानों पर उक्ताशय के कितने स्थान जनउपयोगी होकर, उनसे कितना राजस्व प्राप्त होकर किस-किस प्रकार का रखरखाव, मरम्मत, सौंदर्यीकरण इत्यादि कार्य किये जा रहे हैं? (घ) अटल शॉपिंग कॉम्पलेक्स के विस्थापितों को पुन: दुकान आवंटन किस प्रकार किया जाकर सिविल हॉस्पिटल जावरा की भूमि पर बने शॉपिंग कॉम्पलेक्स की आय में से सिविल हॉस्पिटल जावरा को क्या दिया जा रहा है तथा नवीन शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं पार्किंग स्थलों के बारे में क्या किया जा रहा है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) सुभाष शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं पार्किंग तथा तिलक शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं पार्किंग का उपयोग किया जा रहा है। अटल शॉपिंग कॉम्पलेक्स की दुकानों के आवंटन की कार्यवाही प्रचलित है। शॉपिंग कॉम्पलेक्स मय पार्किंग हेतु पुराना हॉस्पिटल मार्ग पर स्थित पुराने धोबीघाट का चयन किया गया है। (ग) थाना रोड पर स्थित सुभाष शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं पार्किंग स्थल तथा सब्जी मण्डी (नजरबाग) क्षेत्र में स्थित तिलक शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं पास में स्थित पार्किंग स्थल का उपयोग किया जा रहा है। शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं अन्य दुकानों से 01.04.2015 से 29.02.2016 तक दुकान के किराये से राजस्व राशि रू. 23.00 लाख की आय निकाय को प्राप्त हुई। वर्तमान में शॉपिंग कॉम्पलेक्स में मरम्मत एवं सौंदर्यीकरण कार्य की आवश्यकता नहीं होने से कोई कार्य नहीं कराया जा रहा है। (घ) कलेक्टर रतलाम के पत्र क्र. 180 दिनांक 25.02.2016 में विहित निर्देशों के अनुसार अटल शॉपिंग कॉम्पलेक्स की दुकानों के आवंटन की कार्यवाही प्रचलन में है। सिविल हॉस्पिटल जावरा को कोई राशि नहीं दी जा रही है। नवीन शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं पार्किंग हेतु पुराने हॉस्पिटल मार्ग पर स्थित पुराने धोबीघाट का चयन किया जाकर उप संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश, रतलाम से पत्र क्र. 4814 दिनांक 27.02.2016 द्वारा स्थल के संबंध में अभिमत लिया जा रहा है।
डूब की जमीन से शेष भूमि पर कृषकों को खेती की सुविधा
5. ( *क्र. 4450 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मा.मुख्यमंत्री को प्रश्नकर्ता द्वारा लिखे गये पत्र क्रमांक/854 दि. 09.01.16 अनुसार क्या बाणसागर बांध में डूब प्रभावित किसानों की तरह इंदिरा सागर परियोजना व अन्य जिले के डूब प्रभावित किसानों को भी बांध का पानी खाली होने पर उनकी जमीन पर खेती करने का कानूनी हक दिया जावेगा? (ख) यदि हाँ, तो उक्तानुसार आदेश कब तक जारी किये जावेंगे? (ग) मा.मुख्यमंत्री महोदय द्वारा मैहर प्रवास के दौरान की गई घोषणा अनुसार आदेश होने से प्रदेश के किन-किन जिलों में कितने किसानों को इसका लाभ प्राप्त होगा? (घ) प्रश्नांश (ख) अनुसार यदि आदेश जारी नहीं किये जाते हैं, तो उसका क्या कारण है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) एवं (घ) माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा मैहर प्रवास के दौरान की गई घोषणा निम्नलिखित अनुसार थी :- ‘’डूब की जमीन से शेष निकली जमीन पर कृषकों के लिए खेती की व्यवस्था की जावेगी’’। उपरोक्तानुसार जहां पर डूब के लिए अधिगृहीत जमीन बांध में पूर्ण बांध लेवल तक पानी भरने के पश्चात भी डूब से अप्रभावित रहती है, तो ऐसी भूमि को कृषकों की खेती के लिए दिये जाने की घोषणा की गई है, जो कि प्रश्नांश (क) में लेख अनुसार डूब से खाली होने वाली भूमि के संबंध में नहीं होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। माननीय मुख्यमंत्री की उपरोक्त घोषणा के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
खनिज उत्खनन/परिवहन की शिकायतों पर कार्यवाही
6. ( *क्र. 6372 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरदा जिले में विभाग द्वारा किस-किस प्रकार की खदानें, खनिज पट्टे, पत्थर, गिट्टी, खनन आदि की अनुमति एवं खनिज परिवहन की अनुमति, किस-किस सर्वे क्रमांक की कितने-कितने, रकबे की किन-किन व्यक्तियों/फर्मों को कितनी-कितनी अवधि की प्रश्न दिनांक तक वैधानिक रूप से स्वीकृत है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उपरोक्त अनुमति धारकों/फर्मों/ठेकेदारों द्वारा कौन-कौन से खनिजों के खनन से शासन को कितनी राशि 02 वर्षों से विभिन्न मदों में रॉयल्टी, जुर्माना शुल्क में दी? खनिज रॉयल्टी के रूप में कितनी राशि प्राप्त हुई? (ग) पिछले 02 वर्षों में अवैध खनन परिवहन, नियम विरूद्ध अनुमति इत्यादि के संबंध में जिला स्तर पर, किस-किस के विरूद्ध कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं, उन पर क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर दर्शित है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर दर्शित है।
गबन की शिकायत पर कार्यवाही
7. ( *क्र. 5638 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जल संसाधन विभाग में पदस्थ कार्यपालन यंत्री श्री अनिल अग्रवाल के खिलाफ गबन से संबंधित कोई F.I.R. दर्ज की गई है? यदि हाँ, तो कब व इन पर क्या-क्या आरोप लगाये गये हैं? वर्तमान में जाँच अधिकारी कौन है? जाँच के अंतर्गत क्या-क्या कार्यवाही की गई है? (ख) क्या हाईकोर्ट ने 27 अगस्त, 2015 को श्री अग्रवाल की जाँच 4 माह में पूरी करने के आदेश किये थे? यदि हाँ, तो 27 दिसंबर को अवधि पूर्ण होने के उपरांत क्या जाँच पूर्ण हो चुकी है? यदि हाँ, तो जानकारी उपलब्ध करायें? यदि नहीं, तो क्या स्थिति है? क्या उक्त कार्यपालन यंत्री से गबन की राशि वसूली जा चुकी है? यदि नहीं, तो क्या कारण है कि करोड़ों के गबन के बावजूद विभाग ने अभी तक न तो उन फर्मों को आरोपी बनाया, जिनके नाम पैसा निकाला और न वसूली की? (ग) क्या उक्त गबन के कार्य में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत है? यदि हाँ, तो उन पर क्या कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्या कारण रहे कि शासन के करोड़ों रूपये गबन होने के बाद भी विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है? (घ) जानकारी उपलब्ध कराई जावे कि उक्त प्रकरण में कब तक शासन की राशि संबंधित से वसूल की जावेगी एवं दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कब तक कार्यवाही की जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा दिनांक 06.08.2012 को कार्यपालन यंत्री श्री अनिल अग्रवाल के विरूद्ध अपराध की प्राथमिकी की जाना प्रतिवेदित है। ब्यूरो द्वारा दर्ज प्राथमिकी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। आर्थिक अपराध के प्रकरणों में अनुसंधान जल संसाधन विभाग के क्षेत्राधिकार में नहीं है और अनुसंधान के संबंध में विभाग को कोई आदेश मा. उच्च न्यायालय द्वारा नहीं दिया गया है। अत: शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
पूर्व प्रश्न की जानकारी का प्रदाय
8. ( *क्र. 5965 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तारांकित प्रश्न संख्या 53 (क्रमांक 682), दिनांक 21 जुलाई, 2015 के उत्तर की जानकारी एकत्रित कर ली गई? हाँ तो उपलब्ध कराएं? यदि नहीं, कराई गई है, तो कब तक उक्त जानकारी उपलब्ध करा दी जायेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में अभी तक जानकारी उपलब्ध न कराने में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी दोषी हैं? प्रश्न जैसे महत्वपूर्ण कार्यों का उत्तर समय से न देने वाले लापरवाह अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
कटनी की बंद खदानों का संरक्षण
9. ( *क्र. 6374 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्री आलोक दाहिया द्वारा 10/08/2007 को कलेक्टर कटनी को कटनी नगर की 07 खदानों को संरक्षित करने, पूरने की शिकायत/आवेदन दिया था एवं कार्यालय कलेक्टर कटनी की जनसुनवाई में श्री राजेश भास्कर की शिकायत क्रमांक-20181, 06/09/2011 एवं श्रीमती शोभा कुरील की शिकायत क्रमांक-20519, 13/09/2011 के द्वारा कावस जी वार्ड कटनी स्थित खदान के पूरे जाने की शिकायत की गई थी? (ख) क्या विवेकानंद वार्ड स्थित खदान को अवैध तौर पर पूरने की, कार्यालय कलेक्टर कटनी एवं कार्यालय कलेक्टर (खनिज शाखा) कटनी में 03/03/2015 को तथा मुख्य सचिव महोदय म.प्र. शासन को 16/03/2015 को ई-मेल के द्वारा शिकायत की गई थी? (ग) प्रश्नांश (क) (ख) में यदि हाँ, तो इन पर क्या और कब जाँच कर क्या प्रतिवेदन दिये गये? किस विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? शिकायतवार बतायें। (घ) प्रश्नकर्ता सदस्य के परि.अता.प्र.सं. 130 (क्रं-2114), दिनांक 15/12/15 का क्या उत्तर दिया गया था? क्या प्रश्नांश (क) का उत्तर जानकारी संधारित किये जाने का प्रवधान ना होने एवं प्रश्नांश (ड.) में प्रश्नाधीन जानकारी भारतीय खान ब्यूरो से संबंधित होने का उत्तर दिया गया है? यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) से (ख) क्या है? क्या प्रश्नांश में उल्लेखित शिकायत विभाग एवं म.प्र. शासन के अन्य विभागों से संबंधित नहीं थी? (ड.) प्रश्नांश (घ) में जिम्मेदारी से बचकर, कार्यवाही भारतीय खान ब्यूरो से संबंधित बताने एवं माननीय सदन में असत्य, भ्रामक उत्तर देने के लिये कौन-कौन जिम्मेदार हैं? क्या इसकी जाँच एवं संबंधितों पर कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) प्रश्नांश 'क' एवं 'ख' में उल्लेखित शिकायतों के संबंध में की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में दर्शित है। (घ) प्रश्नाधीन प्रश्न के उत्तर की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर दर्शित है। जी हाँ। खान नियंत्रक भारतीय खान ब्यूरो जबलपुर द्वारा प्रेषित उत्तर की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' पर दर्शित है। खनिज संरक्षण एवं विकास नियम 1988 के नियम 23 (ख) के तहत उत्तरोत्तर खान बंद करने की योजना अधिसूचना दिनांक 23.12.2003 द्वारा प्रतिस्थापित की गई है, जिसके संबंध में कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने हेतु भारतीय खान ब्यूरों को अधिकार प्रदत्त किये गये हैं। प्रश्नांश 'क' एवं 'ख' से संबंधित शासकीय एवं निजी भूमियों में संचालित रही खदानें, माइन क्लोजर प्लान लागू होने से पहले बंद हुई हैं। जी नहीं। प्रश्नांश 'क' एवं 'ख' में उल्लेखित शिकायतें आमजन के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही की गई है। (ड.) प्रश्नांश 'घ' में दिये गये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
वृहद सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति
10. ( *क्र. 42 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा वर्ष 2008 से सरदारपुर एवं गंधवानी तहसील में कितनी वृहद सिंचाई परियोजनाओं एवं तालाबों की स्वीकृति की घोषणा की गई थी? (ख) इनमें से कितनी योजनायें स्वीकृत हो चुकी हैं एवं कितनी शेष हैं? नामवार जानकारी दें। शेष योजनाओं की स्वीकृति कब तक की जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों कारण बतायें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
नियोजित व्यक्तियों की संख्या
11. ( *क्र. 6367 ) श्री मुकेश नायक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग में संधारित जानकारी अनुसार राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों, सरकारी कार्यालयों, प्रतिष्ठानों में नियोजित व्यक्तियों की संख्या वर्ष 2010-11, 2011-12, 2012-13 और 2013-14 में क्या रही? वर्षवार जानकारी दें। (ख) सरकारी क्षेत्र में नौकरियों में कमी आने के क्या कारण हैं और क्या सरकार नौकरियों में वृद्धि करने की कोई नीति बना रही है? यदि हाँ, तो जानकारी दें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सरकारी क्षेत्र में नौकरियों की संख्या में अनापेक्षित परिवर्तन नहीं है। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ककरवाहा पिकअप बियर का सर्वेक्षण
12. ( *क्र. 6652 ) श्री के. के. श्रीवास्तव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा तारांकित प्रश्न संख्या-25 (क्रमांक 2198) के अनुसार ककरवाहा पिकअप बियर परियोजना के विस्तृत सर्वेक्षण के आदेश कब तक जारी होंगे? (ख) परियोजना में बांध की ऊंचाई, उसकी लागत कितनी है तथा रबी की फसल में कितना रकबा सिंचित होगा? क्या इस योजना में उत्तरप्रदेश की भूमि भी डूब क्षेत्र में आयेगी? (ग) उत्तरप्रदेश की भूमि को डूब क्षेत्र से बचाने के लिये क्या बांध की ऊंचाई कम की जा सकती है, तो कितनी? (घ) इस योजना की कब तक तकनीकी और प्रशासकीय स्वीकृति हो जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जी नहीं। परियोजना साध्य नहीं होने से शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
वित्तीय अनियमितताओं की जाँच एवं कार्यवाही
13. ( *क्र. 5720 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला राजगढ़ की नगर पालिका परिषद सारंगपुर एवं नगर पंचायत परिषद पचोर में स्थानीय प्रशासन के मद को छोड़ कर अन्य विभाग की योजनाएं जैसे बी.आर.जी.एफ., सांसद निधि, विधायक निधि, सर्व शिक्षा अभियान, अनुसूचित जाति/जनजाति विभाग एवं जनभागीदारी मद से निर्माण कार्य हेतु वित्तीय वर्ष 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 में प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि किस-किस विभाग से किस-किस कार्य हेतु प्राप्त हुई है? (ख) प्रश्नांश (क) के सदंर्भ में सारंगपुर एवं पचोर में कितने कार्य पूर्ण, अपूर्ण एवं अप्रांरभ हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में जो कार्य अप्रांरभ/अपूर्ण हैं, उन कार्यों की राशि नगर पालिका/पंचायत के किस मद एवं किस खातों में कितनी-कितनी राशि प्रश्न दिनांक तक जमा है एवं शेष कार्य को प्रश्न दिनांक तक प्रारंभ न किये जाने के क्या कारण हैं? अपूर्ण एवं अप्रांरभ कार्य की जानकारी वर्षवार, कार्यवार, जमा राशि की जानकारी से अवगत कराते हुये कार्य प्रांरभ न कराये जाने के कारण बतावें। (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार यदि अप्रांरभ कार्य की राशि परिषद/पंचायत के खाते में शेष नहीं है, तो वह राशि किस कार्य पर खर्च की गई है? वर्षवार, कार्यवार विस्तृत विवरण देवें। यदि अप्रांरभ एवं अपूर्ण कार्य की राशि बगैर कार्य के आहरण की गई है, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) एवं (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
भू-जल स्त्रोतों के पेयजल के उपचार/निवारण हेतु कार्यवाही
14. ( *क्र. 4799 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर जिले सहित प्रदेश के 18 जिलों के 93 विकासखंडों में म.प्र. के भू-जल संसाधन का पेयजल एवं कृषि हेतु आंकलन कर उपचार/निवारण के उपाय एवं जन जागरूकता हेतु अध्ययन रिपोर्ट का प्रकाशन किया गया है? (ख) क्या रिपोर्ट के अनुसार एक या एक से अधिक घुलनशील घातक तत्वों के कारण पानी पीने या सिंचाई योग्य नहीं पाया गया है? (ग) यदि हाँ, तो क्या इस भू-जल स्त्रोतों के पेयजल के उपचार/निवारण के उपाय हेतु कार्यवाही की जावेगी? (घ) यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) रिपोर्ट का उद्देश्य संबंधितों में जागरूकता पैदा करना था, जिसकी पूर्ति रिपोर्ट के प्रकाशन से की गई है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पेयजल योजनाएं बनाते समय जल की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर आवश्यकतानुसार उपचार की व्यवस्था करता है।
शिकायतों की जाँच/निराकरण
15. ( *क्र. 4432 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कितने अनुविभागीय अधिकारी पदस्थ हैं? इन अधिकारियों के पास दिनांक 01 जनवरी, 2013 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस विभाग की, कुल कितनी-कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त शिकायतों में से कितनी शिकायतों की जाँच करायी जाकर क्या कार्यवाही की गयी है? (ग) क्या स्कूलों में मध्यान्ह भोजन, समय पर राशन वितरण, राशन पात्रता पर्ची, पंचायतों पर धारा 40 की कार्यवाही, सोसायटी की अनियमितताओं जैसे गंभीर प्रकरणों पर लंबे समय से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, जिससे अनियमिततायें करने वाले दोषी संरक्षित हैं? किस-किस विभाग की कितनी शिकायतें लंबित हैं, जिन पर कार्यवाही होना अपेक्षित है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
नहलेसरा/जमुनिया जलाशय के नहरों की लाइनिंग
16. ( *क्र. 6543 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2015-16 में बालाघाट जिले की वैनगंगा जल संसाधन संभाग के अंतर्गत कौन-कौन से जलाशय की कितनी लंबाई की लाइनिंग एवं मरम्मत कार्य की निविदा, कितनी-कितनी लागत की कब आमंत्रित की गई? कितने निविदाकारों ने किस दर पर निविदा डाली उनमें से किस-किस की निविदा स्वीकृत की गई? कार्य पूर्ण करने की समयावधि क्या है? निविदा शर्तों के आधार पर कितना कार्य, कहाँ-कहाँ पर एजेन्सी/ठेकेदार द्वारा किए गए और कहाँ-कहाँ पर निर्माणाधीन हैं? (ख) क्या नहलेसरा/जमुनिया जलाशयों के लाइनिंग कार्य में सेलेक्टेड मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है? यदि हाँ, तो उक्त मिट्टी कहाँ से व कितनी दूरी से लाई जा रही है? (ग) उक्त निर्माणाधीन कार्यों के संबंध में किस-किस के द्वारा कब-कब, क्या-क्या शिकायतें विभाग को की गईं? प्राप्त शिकायतों के आधार पर क्या-क्या कार्यवाही की गई?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'', ''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। (ख) जी हाँ। निजी स्वत्व की भूमि से लगभग दो कि.मी. की दूरी से। (ग) कोई शिकायत प्राप्त होना प्रतिवेदित नहीं है। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
चाका से बिलहरी मोड़ तक रोड निर्माण
17. ( *क्र. 6056 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुख्यमंत्री अधोसंरचना मद से कटनी नगर निगम क्षेत्र चाका से बिलहरी मोड़ तक का रोड निर्माण चल रहा है? उक्त रोड के एस्टीमेट अनुसार रोड की चौड़ाई, लंबाई, मोटाई तथा डिवाईडर सहित किस-किस चौराहे पर कितनी-कितनी थी? क्या एस्टीमेट अनुसार रोड, डिवाईडर एवं नाले का निर्माण किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों कारण बताएं? (ख) प्रश्नांश (क) की रोड की चौड़ाई एस्टीमेट के अनुसार बनाने के लिए किसका मकान, दुकान तथा मंदिर एवं मस्जिद का कितना क्षेत्रफल हटाए जाने की कार्ययोजना थी और कितना क्षेत्रफल हटाया गया है? पृथक विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (ख) का क्षेत्रफल जो रोड की चौड़ाई के लिए आवश्यक था, वह प्राईवेट था या शासकीय? यदि प्राईवेट था, तो उसके लिए भूमि भवन का कोई मुआवज़ा दिया गया है, तो विवरण दें। (घ) क्या रोड, नाला, डिवाईडर कहीं कम, कहीं ज्यादा कार्य योजना, एस्टीमेट के विपरीत कार्य कराया गया है? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन उत्तरदायी है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं, अपितु बिलहरी मोड़ से सागर पुल तक सड़क निर्माण कार्य, मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजनांतर्गत कराया जा रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। सड़क के किनारे शासकीय भूमि से हटाये गये अतिक्रमण के बाद उपलब्ध शासकीय भूमि पर एस्टीमेट अनुसार सड़क निर्माण, नाला निर्माण एवं सेंटर लाईटिंग का कार्य कराया गया है, 700 मीटर लंबाई में उपलब्ध शासकीय भूमि की चौड़ाई कम होने के कारण सिंगल वाल डिवाईडर का निर्माण कराया गया है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) शासकीय। उत्तरांश के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) सड़क के किनारे शासकीय भूमि से हटाये गये अतिक्रमण के बाद उपलब्ध शासकीय भूमि पर एस्टीमेट अनुसार सड़क निर्माण, नाला निर्माण एवं सेंटर लाईटिंग का कार्य कराया गया है, 700 मीटर लंबाई में उपलब्ध शासकीय भूमि की चौड़ाई कम होने के कारण सिंगल वाल डिवाईडर का निर्माण कराया गया है। नगर पालिक निगम कटनी द्वारा स्थल मुताबिक एस्टीमेट अनुसार कार्य कराया गया है, जिससे किसी के दोषी होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ग्रामों का विद्युतीकरण
18. ( *क्र. 6577 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन एवं विदिशा जिले में फरवरी, 2016 की स्थिति में कितने ग्रामों की विद्युत सप्लाई बंद है तथा क्यों? कारण बतावें। (ख) किसानों/मजदूरों/एस.सी./एस.टी. वर्ग के उपभोक्ताओं से बकाया राशि वसूलने के संबंध में विभाग के क्या-क्या निर्देश हैं? (ग) उक्त जिलों में अस्थायी विद्युत कनेक्शन को स्थाई करने के संबंध में क्या-क्या कार्यवाही की जा रही है? (घ) उक्त जिलों के कितने ग्राम विद्युत विहीन हैं तथा उनके विद्युतीकरण हेतु क्या-क्या कार्यवाही की जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) फरवरी-16 की स्थिति में रायसेन जिले के किसी भी ग्राम की विद्युत सप्लाई बंद नहीं है तथा विदिशा जिले के अंतर्गत 14 ग्रामों की विद्युत सप्लाई बकाया राशि होने के कारण बंद है। (ख) प्रश्नांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में उपभोक्ताओं के बिजली बिलों की बकाया राशि के निराकरण हेतु मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बकाया राशि समाधान योजना दिनांक 25.02.16 से लागू की गयी है। उक्त योजना के अंतर्गत सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं के बकाया बिल की सरचार्ज की संपूर्ण राशि माफ की गई है तथा बी.पी.एल. उपभोक्ताओं एवं शहरी क्षेत्र में अधिसूचित मलिन बस्ती में निवास कर रहे घरेलू उपभोक्ताओं की बकाया राशि में से सरचार्ज के साथ ऊर्जा प्रभार की 50 प्रतिशत राशि भी माफ करने का प्रावधान किया गया है। उक्त योजना/निर्देशों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) म.प्र.म.क्षे.वि.वि. कंपनी क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में अस्थायी से स्थायी कृषि पंप में परिवर्तित किए जाने के लिये अनुदान योजना एवं स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना लागू है। इसके अतिरिक्त जिन कृषकों का पंप/कुआं विद्यमान निम्न दाब लाइन से 150 फीट की दूरी तक है, ऐसे कृषकों को औपचारिकताएँ पूर्ण करने पर तकनीकी साध्यता अनुसार स्थायी कृषि पंप कनेक्शन जारी किये जा रहें हैं। (घ) विदिशा जिले के सभी ग्राम विद्युतीकृत हैं। रायसेन जिले के ग्राम-सुआगढ़, महुआखेड़ा (बघेडी) रामगढ़ एवं चौका बैरागी सघन वन क्षेत्र में स्थित होने के कारण अविद्युतीकृत हैं तथा इन ग्रामों को गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से विद्युतीकृत किये जाने हेतु प्रस्तावित किया गया है। इन ग्रामों का गैर-परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से विद्युतीकरण का कार्य नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा किया जायेगा।
सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा प्लांट की स्थापना
19. ( *क्र. 5919 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर जिले में सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा उत्पादन हेतु कितनी कंपनियों द्वारा उत्पादन कार्य किया जा रहा है? (ख) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में कितने पंचायत क्षेत्रों में किन-किन स्थानों पर सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा प्लांट लगाने की स्वीकृति शासन द्वारा दी गई है एवं प्रश्नांकित दिनांक तक किस-किस स्थान पर ये प्लांट लग चुके हैं? (ग) उपरोक्त कंपनियों के द्वारा किन-किन व्यक्तियों/संस्थाओं से प्लांट लगाने हेतु भूमियां क्रय की गई हैं? ग्राम का नाम, पंचायत का नाम, व्यक्ति का नाम, भूमि का क्षेत्रफल एवं विक्रेता को दी गई राशि की नाम सहित जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।
शॉपिंग कॉम्पलेक्स की दुकानों की नीलामी
20. ( *क्र. 6497 ) श्री ओम प्रकाश धुर्वे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अनूपपुर जिला अंतर्गत नगर परिषद जैतहरी द्वारा बस स्टैण्ड स्थल पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स का निर्माण कराया गया है? यदि हाँ, तो कितनी दुकानों का निर्माण, कितनी लागत मूल्य से कराया गया है तथा संविदाकार का नाम, पिता का नाम व निविदा दर तथा अध्यक्ष से संविदाकार का क्या रिश्ता है? (ख) क्या बस स्टैण्ड व शॉपिंग कॉम्पलेक्स भूमि का आवंटन कलेक्टर ने किया है? यदि हाँ, तो कलेक्टर का आदेश व उनके शर्त व आदेश का अक्षरश: पालन किया गया है? यदि नहीं, तो इसके लिए दोषी कौन है? (ग) क्या अध्यक्ष व सी.एम.ओ. ने आयुक्त शहडोल संभाग की स्वीकृति के पूर्व ही दुकान आवंटन हेतु पत्र जारी कर निर्धारित राशि जमा करा ली है? यदि हाँ, तो समस्त जमाकर्ताओं के नाम, राशि व दिनांक सहित स्पष्ट करें कि 31 जनवरी, 16 तक किन-किन दुकानदारों ने किराया जमा किया है? (घ) क्या आयुक्त के द्वारा नीलामी राशि कम आने पर कई दुकानों को पुन: नीलाम कराने का आदेश जारी किया गया है? क्या आज दिनांक तक उनके आदेश का पालन किया गया है? यदि नहीं, तो स्वेच्छाचारिता व दुकान किराया क्षति आंकलन कर राशि वसूली की कार्यवाही की जाएगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। जी हाँ, शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जी नहीं। नगर परिषद द्वारा निर्धारित ऑफसेट प्राईज़ से ज्यादा राशि की नीलामी बोली प्राप्त हुई है, किंतु आयुक्त शहडोल द्वारा आदेश क्र. 6729 दिनांक 21.11.2014 द्वारा मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 109 की उपधारा (3) का म.प्र. नगर पालिका (अचल सम्पत्ति का अंतरण नियम 19 के नियम 7) के तहत 14 दुकानों को पुन: नीलाम करने के निर्देश दिये। परिषद की बैठक दिनांक 11.12.2014 संकल्प क्र. 160 के तहत पुनर्विचार का प्रस्ताव पास किया गया। आयुक्त शहडोल द्वारा पत्र क्रमांक 1058, दिनांक 12.03.2015 द्वारा पुनर्विचार आवेदन को नीलामी बोली कम का आंकलन करते हुये आवेदन निरस्त कर पुन: नीलामी कराने का आदेश जारी किया गया है। जी हाँ। कार्यवाही प्रचलित है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अनियमितता के दोषी उपायुक्त द्वारा निवर्तित अपील प्रकरणों का परीक्षण
21. ( *क्र. 5736 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संभागीय उपायुक्त द्वारा निवर्तित कर निर्धारण प्रकरणों की गुणवत्ता एवं अपीलीय उपायुक्तों द्वारा निवर्तित अपील प्रकरणों में दी गई छूट के प्रकरणों की गुणवत्ता के परीक्षण हेतु विभाग के क्या निर्देश हैं? (ख) क्या नवम्बर, 2015 में रिश्वत लेते पकड़ाये गये अधिकारी संभागीय उपायुक्त वाणिज्यिक कर को संभागीय उपायुक्त भोपाल 2 एवं संभाग उपायुक्त सागर में पदस्थापना के दौरान भोपाल की अपील निवर्तन का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया था? यदि हाँ, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (ख) में वर्णित अधिकारी द्वारा संभागीय उपायुक्त भोपाल-2 एवं संभागीय उपायुक्त सागर की हैसियत से निवर्तित कर निर्धारण प्रकरणों का परीक्षण किया गया? यदि हाँ, तो क्या परिणाम रहे? प्रकरणवार बतायें। यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (ख) में वर्णित अधिकारी द्वारा अपीलीय उपायुक्त भोपाल के अतिरिक्त कार्यभार के रूप में प्राप्त एवं निवर्तित अपील प्रकरणों में दी गई छूट के प्रकरणों का परीक्षण किया गया? यदि हाँ, तो प्रकरणवार पाई गई कमी बतावें? यदि नहीं, तो परीक्षण न करने वाले अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) संभागीय उपायुक्त द्वारा निवर्तित कर निर्धारण प्रकरणों की गुणवत्ता का परीक्षण महालेखाकार के अंकेक्षण दल द्वारा किया जाता है तथा अपील प्रकरणों में दी गई छूट प्रकरणों की गुणवत्ता के परीक्षण हेतु परिक्षेत्रीय अपर आयुक्तों को विभाग द्वारा पत्र क्रमांक 104/2011-12/30/पन्द्रह/203 दिनांक 07 मार्च, 2012 को निर्देश जारी किये गये हैं। जारी निर्देशों की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ए अनुसार है। (ख) प्रदेश में अपीलीय प्राधिकारियों की अत्यधिक कमी होने से विभाग द्वारा संभागों में पदस्थ संभागीय उपायुक्तों को भी अपील प्रकरणों के निवर्तन की शक्तियां अधिसूचना क्रमांक (48) दिनांक 24-09-2013 द्वारा प्रदत्त की गई हैं। इस अधिसूचना के अनुक्रम में अपीलीय प्राधिकारी, भोपाल (रिक्त पद) संभाग-02 के क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अपील प्रकरण संभागीय उपायुक्त एवं अपीलीय प्राधिकारी, वाणिज्यिक कर, सागर की नस्ती पर निवर्तन हेतु मुख्यालय के आदेश क्रमांक/193/2014-15/30/पन्द्रह/494 दिनांक 08-06-2015 से आवंटित किये गये हैं। माह नवम्बर 2015 में रिश्वत लेते पकड़ाये गये श्री एच.एच. ठाकुर, संभागीय उपायुक्त, वाणिज्यिक कर के विरूद्ध विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त कार्यालय, सागर में दिनांक 20-11-2015 को प्रकरण पंजीबद्ध होने से श्री एच.एस. ठाकुर, संभागीय उपायुक्त, वाणिज्यिक कर, सागर की पदस्थापना अपीलीय प्राधिकारी एवं उपायुक्त, वाणिज्यिक कर, भोपाल के पद पर आदेश क्रमांक एफ ए 6-85/2015/1/पाँच दिनांक 02-12-2015 द्वारा किये जाने से श्री ठाकुर की नस्ती पर पूर्व से आवंटित अपीलीय प्राधिकारी, भोपाल संभाग-02 के क्षेत्र के अपील प्रकरण उन्हीं की नस्ती पर पुन: मुख्यालय के आदेश क्रमांक/193/2014-15/30/पन्द्रह/972 दिनांक 16-12-2015 से आवंटित किये गये, जिनका निवर्तन श्री ठाकुर द्वारा किया जा रहा है। (ग) श्री एच. एस. ठाकुर, संभागीय उपायुक्त, वाणिज्यिक कर, भोपाल संभाग-2 के पद पर दिनांक 20-09-2013 से 01-06-2015 तक पदस्थ रहे हैं। इस अवधि में उनके द्वारा दिनांक 20-09-2013 से 31-03-2014 की अवधि में तथा दिनांक 01-04-2014 से 31-03-2015 तक की अवधि में जो कर निर्धारण कार्य किया गया है, उसका लेखा परीक्षण महालेखाकार के अंकेक्षण दल द्वारा किया गया है तथा अंकेक्षण पश्चात अनियमितता प्रतिवेदित की गई है, जिनका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-बी अनुसार है। श्री एच.एस. ठाकुर संभागीय उपायुक्त, वाणिज्यिक कर, सागर संभाग, सागर में दिनांक 12-06-2015 से 05-12-2015 तक पदस्थ रहें हैं। उक्त अवधि में श्री ठाकुर द्वारा वर्ष 2013-14 के 3 व्यवसाईयों के कर निर्धारण प्रकरणों का निवर्तन किया गया तथा 21 अपील प्रकरणों का निवर्तन किया गया है। उक्त कर निर्धारण प्रकरणों का परीक्षण महालेखाकार के अंकेक्षण दल द्वारा किया जाना शेष है। (घ) अपीलीय प्राधिकारियों द्वारा निवर्तित अपील प्रकरणों का परीक्षण करने हेतु परिक्षेत्रीय अपर आयुक्तों को संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ए अनुसार निर्देश जारी किये गये हैं। परिक्षेत्रीय अपर आयुक्त भोपाल का पद रिक्त होने से श्री ठाकुर द्वारा निवर्तित अपील प्रकरणों का परीक्षण किया जाना शेष है।
नगरीय निकायों द्वारा सामग्री क्रय के निर्धारित नियम
22. ( *क्र. 6075 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा नगरीय निकायों द्वारा सामग्री क्रय करने संबंधी कोई नियम निर्धारित हैं? यदि हाँ, तो तत्संबंधी निर्देशों की प्रति उपलब्ध करावें? क्रय प्रक्रिया की मॉनिटरिंग करने हेतु क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है? (ख) विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत विगत 03 वर्षों में नगरीय निकायों द्वारा कितनी राशि की सामग्री क्रय की गई व किन कार्यों में उपयोग की गई? क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रावधानों का पालन किया गया? निकायवार पूर्ण जानकारी देवें। (ग) विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत मुख्यमंत्री अधोसंरचना अंतर्गत कौन कौन से कार्य स्वीकृत हैं? स्वीकृत कार्यों की पूर्णता अवधि क्या थी? कार्य समय-सीमा में पूर्ण न करने पर क्या कार्यवाही के प्रावधान हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में यदि कार्य समय-सीमा में पूर्ण नहीं किए गए तो नियमानुसार की गई कार्यवाही की जानकारी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। क्रय प्रक्रिया की मॉनिटरिंग का कोई प्रावधान नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ अनुसार है। समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं करने पर संविदाकार के विरूद्ध पेनाल्टी का प्रावधान है। (घ) उत्तरांश (ग) अनुसार समय-सीमा में कार्य पूर्ण होने से कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
संयुक्त परामर्शदात्री समिति की बैठकों का आयोजन
23. ( *क्र. 3406 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा शासन/विभागाध्यक्ष/जिला एवं तहसील स्तर पर कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण हेतु संयुक्त परामर्शदात्री समितियों की बैठक करने हेतु निर्देश जारी किए हैं? (ख) यदि हाँ, तो ग्वालियर एवं चंबल संभाग में वर्ष 2014 एवं 2015 में शासन/विभागाध्यक्ष/जिला एवं तहसील स्तर पर संयुक्त परामर्शदात्री समिति की बैठक कब-कब हुई? (ग) यदि नहीं, हुई तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है और उसके प्रति क्या कार्यवाही हुई है? (घ) यदि अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, तो माननीय मुख्यमंत्री जी क्या कार्यवाही करने जा रहे हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) चंबल संभाग के अंतर्गत मुरैना, भिण्ड एवं श्योपुर में वर्ष 2014 एवं वर्ष 2015 में मुरैना तथा भिण्ड में बैठक आयोजित नहीं हुई। जिला श्योपुर में केवल जिला स्तरीय संयुक्त परामर्शदात्री की बैठक दिनांक 15.06.2015 एवं 28.09.2015 को आयोजित की गई है। ग्वालियर संभाग के अंतर्गत ग्वालियर एवं गुना में बैठक आयोजित नहीं की गई है। शेष जिलों की जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) अपरिहार्य कारण से बैठक आयोजित नहीं होने से शेषांश कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) नियमित रूप से बैठक आयोजित करने के निर्देश दिये गये हैं।
निर्माणाधीन सड़क की गुणवत्ता की जाँच
24. ( *क्र. 5620 ) श्री महेश राय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री अधोसंरचना के अंतर्गत बीना शहर में सड़क निर्माण कार्य एवं डिवाईडर का निर्माण कार्य कराया गया है, नगर पालिका परिषद बीना की पी.आई.सी. एवं प्रश्नकर्ता द्वारा विगत 06 माह पूर्व उक्त निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जाँच कराने हेतु नगर पालिका परिषद बीना को एवं वरिष्ठ कार्यालयों को अवगत कराया गया था, उक्त संबंध में विभाग द्वारा क्या शासकीय लैब में परीक्षण कराया गया है, अथवा नहीं? (ख) यदि हाँ, तो किस एजेन्सी से परीक्षण कराया गया है? परीक्षण की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) यदि शासकीय एजेन्सी से जाँच (परीक्षण) कराने का प्रावधान है, तो अशासकीय एजेन्सी से जाँच (परीक्षण) क्यों करायी गयी है? मध्यप्रदेश शासन की लैब में परीक्षण क्यों नहीं कराया गया, उक्त लपारवाही में दोषी अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही का प्रावधान है एवं विभाग द्वारा अभी तक क्या कार्यवाही की है? (घ) नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा सड़क निर्माण एजेन्सी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की है और उक्त सड़क के संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही प्रस्तावित है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) लोक निर्माण विभाग रिसर्च लेब सागर एवं इंजीनियरिंग कॉलेज एस.ए.टी.आई. विदिशा। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जाँच शासकीय एजेन्सी से करायी गई है, जिससे शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) नगरीय प्रशासन एवं विकास सागर संभाग द्वारा जाँच की जा रही है। जाँच प्रतिवेदन अनुसार कार्यवाही की जा सकेगी।
सहायक संचालकों की पदोन्नति में रोस्टर का पालन
25. ( *क्र. 1334 ) पं. रमेश दुबे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2006 में लोकल फण्ड ऑडिट विभाग के रोस्टर के अनुसार किन-किन वर्ग के सहायक संचालक को पदोन्नत किया जाना था? वर्गवार रोस्टर में शामिल सहायक संचालकों के नाम, पदनाम सहित जानकारी दें। (ख) क्या वर्ष 2006 में लोकल फण्ड ऑडिट विभाग में एस.टी. वर्ग के पद को शामिल न कर रोस्टर का पालन न करते हुए एस.टी. वर्ग के सहायक संचालकों को पदोन्नति न दी जाकर अन्य वर्ग के अधिकारियों को पदोन्नति दी गयी? यदि हाँ, तो क्या शासन वर्ष 2006 में रोस्टर का पालन नहीं करने एवं सी.आर. का हवाला देकर पदोन्नति से वंचित किये गये सहायक संचालकों की पदोन्नति किये जाने का आदेश देगा? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वर्ष 2006 में स्थानीय निधि संपरीक्षा के अंतर्गत सहायक संचालक से उप संचालक के पद पर पदोन्नति हेतु रोस्टर अनुसार सामान्य वर्ग के 05, अनुसूचित जाति वर्ग का 01 एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के 02, कुल 08 अधिकारियों के नामों पर विचार किया गया है। वर्गवार रोस्टर में शामिल सहायक संचालकों के नाम, पदनाम की जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। (ख) जी नहीं। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
उद्वहन
सिंचाई योजना
1. ( क्र. 208 ) श्री कैलाश चावला : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन संभाग के विभिन्न जिलों में कितनी उद्वहन सिंचाई योजनाएं विगत 20 वर्षा में निर्मित की गई है, जिलावार जानकारी दें? उक्त योजनाओं में से कौन-कौन सी योजनाएं प्रश्न दिनांक तक चालू हैं एवं कौन-कौन सी योजनाएं बंद है? जिलावार योजना का नाम, निर्माण का वर्ष, योजना कब से चालू है, यदि बंद है तो कब से जानकारी दें? (ख) उक्त उद्वहन योजनाओं के बंद होने के क्या कारण हैं, योजनावार बताएं? उक्त योजना निर्माण में शासन की कितनी राशि का व्यय हुआ है और इन्हे चालू किये जाने के लिये क्या शासन विचार कर रहा है? क्या कोई प्रस्ताव शासन के समक्ष विचाराधीन है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। परियोजनाओं को चालू किया जाना लाभान्वित कृषकों द्वारा विद्युत देयकों के भुगतान करने पर निर्भर है। कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
कॉलोनियों की अनुमति
2. ( क्र. 483 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खंडवा विधानसभा क्षेत्र में विगत तीन वर्षों में कितनी एवं कौन-कौन सी कॉलोनियों को नगर तथा ग्रामनिवेश द्वारा अनुमति प्रदान की गई है? शहरवार एवं ग्रामवार कॉलोनियों की सूची उपलब्ध कराएं? (ख) क्या नगरीय क्षेत्र में एक कॉलोनी से दूसरी कॉलोनी को जोड़ने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो वर्तमान में ऐसी कौन-कौन सी कालोनियां है जिनके द्वारा नगर विकास नियमों के विरूद्ध कॉलोनियों को बाउंड्रीवॉल से बंद कर दिया गया है? (ग) कॉलोनियों की अनुमति प्रदान करने के बाद विभाग के अधिकारियों द्वारा विगत तीन वर्षों में कहाँ-कहाँ निरीक्षण किया तथा कितनी कॉलोनियों में नियम विरूद्ध कार्य पाए गए हैं? उन पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा कॉलोनी के डायवर्सन की एन.ओ.सी., एवं कॉलोनी के नक्शे पास करने के लिए बड़ी मात्रा में राशि ली जाती है? (ड.) रेल्वे भूमि से कितनी फिट दूरी पर कॉलोनी के प्लाट स्वीकृत किये जाने का नियम है? क्या खंडवा की आनन्दनगर रोड़ स्थित कॉलोनियों में इसका पालन विभाग एवं कॉलोनीनाईजर्स द्वारा किया गया है यदि नहीं, तो क्यों? क्या इसमें दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) खंडवा विधानसभा क्षेत्र में विगत तीन वर्षों में दो कॉलोनियों को अनुमति प्रदान की गई। सूची इस प्रकार है - 1. ग्राम खंडवा तरफ मानकर में अरिहंत रेसीडेंसी, 2. ग्राम भावसिंहपुरा में धरोहर ग्रोथ सेंटर (ख) जी हाँ। खंडवा सीमा क्षेत्र अंतर्गत निम्नांकित कॉलोनियों को बाउंड्रीवॉल से बंद कर दिया गया है। 1. महालक्ष्मी माता वार्ड की तारानगर से लगी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के पीछे का भाग 2. लोकमान्य तिलक वार्ड के रघुनाथपुरम से लगी सुमर नगर कॉलोनी, 3. आनंद नगर वार्ड में प्रमाण सिटी से लगी निर्माणाधीन हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, 4. किशोर कुमार गांगुली वार्ड में दादाजी ग्रीन सिटी में कनक नगर कॉलोनी तथा धूपगंगा रेसीडेंसी कॉलोनी में बाउंड्रीवॉल का निर्माण कराया गया है। (ग) स्थल निरीक्षण करने की समय-सीमा निर्धारित नहीं है, सामान्यतः शिकायत प्राप्त होने पर स्थल निरीक्षण किया जाता है। (घ) म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के प्रावधानों अंतर्गत किसी भूमि/कॉलोनी की विकास अनुज्ञा हेतु, भूमि विकास नियम 2012 के नियम 21 (2) अनुसार आवेदन शुल्क तथा नियम 21 (3) अनुसार विकास अनुज्ञा शुल्क लिये जाने के प्रावधान है। (ड.) शासन आदेश क्रमांक 6-19/सा/नजूल/2000 भोपाल दिनांक 15.05.2000 के अनुसार रेल्वे लाईन या रेल्वे स्टेशन सीमा से 30 मीटर (100 फीट) दूरी के पश्चात् निर्माण कार्य स्वीकृत किया जा सकता है। जी हाँ, खण्डवा की आनंद नगर कॉलोनीयों में नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय द्वारा रेल्वे भूमि से 30 मीटर दूरी के आदेश का पालन किया जाता है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
खनिज खदानों की नीलामी
3. ( क्र. 582 ) श्री हरवंश राठौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सागर में वन विभाग से लगकर खनिज खदानें घोषित की है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से किस किस्म के आयटम की खदानें शासन ने कब तक के लिए किस-किस ठेकेदार को नीलामी की है? उनके नाम एवं पता की जानकारी देवें? (ख) क्या जिला सागर में अवैध रूप से खनिज संपदा का खनन हो रहा है? यदि हाँ, तो उनके नाम तथा उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में वन विभाग से लगकर कोई खदान घोषित नहीं की गई है न ही किसी ठेकेदार को नीलामी द्वारा दी गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। समय-समय पर जाँच के दौरान अवैध उत्खनन के प्रकरण प्रकाश में आने पर संबंधित अवैध उत्खननकर्ताओं के विरूद्ध उन्हें दण्डित करने के उद्देश्य से प्रकरण पंजीबद्ध किये जाते है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में दर्ज अवैध उत्खनन प्रकरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में दर्शित है।
अवैध शराब तस्कारी करने वालों पर कार्यवाही
4. ( क्र. 624 ) श्री राजेश सोनकर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर जिला अंतर्गत 02 वर्षों में कितनी शराब अवैध रूप से परिवहन करते हुए एवं बेचते हुए विभाग द्वारा पकड़ी गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितनी-कितनी शराब कहाँ-कहाँ से व किन-किन लोगों द्वारा परिवहन करते हुए व बेचते हुए पकड़ी गई व कितनी-कितनी मात्रा में पकड़ी गई? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में उक्त कार्यवाही में कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी शामिल थे व अवैध शराब कहाँ से व किन-किन कंपनियों की थी? क्या अवैध शराब का व्यापार करने वाले व अवैध शराब बेचने वाली कंपनी के खिलाफ भी कोई कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो अवैध परिवहनकर्ता व पकड़ी गई अवैध शराब की कम्पनियों पर कब तक व क्या कार्यवाही की जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) इन्दौर जिले में विगत दो वर्षों में अर्थात 01.01.2014 से 31.12.2015 तक कायम प्रकरणों में कुल 68608 बल्क लीटर शराब अवैध रूप से परिवहन करते हुए, बेचते हुए एवं आधिपत्य में होने से आबकारी विभाग, जिला इन्दौर द्वारा पकड़ी गई। पुलिस विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार दिनांक 01.01.2014 से 15.02.2016 में जिला इन्दौर में कुल 3203 प्रकरणों में 175942 बल्क लीटर अवैध शराब परिवहन एवं विक्रय करते हुये जप्त की गई है। (ख) आबकारी विभाग की जानकारी विधानसभा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। पुलिस विभाग की जानकारी विधानसभा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में आबकारी विभाग से संबंधित प्रकरणों में की गई कार्यवाही में शामिल अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सूची एवं जप्तशुदा मदिरा की कंपनियों के नाम की सूची विधानसभा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। इसी प्रकार प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में पुलिस विभाग से संबंधित प्रकरणों की जानकारी विधानसभा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। प्रकरण पंजीबद्ध करने वाले अधिकारियों द्वारा प्रकरण की विवेचना के दौरान अवैध शराब विक्रय के संबंध में किसी भी कंपनी की संलिप्तता के साक्ष्य उपलब्ध न होने के कारण किसी भी कंपनी के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं है।
ई.डब्ल्यू.एस, एल.आई.जी. आवास आवंटन में अनियमितता
5. ( क्र. 628 ) श्री राजेश सोनकर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर जिला अंतर्गत इंदौर तहसील, सांवेर तहसील में किन-किन बहुमंजिला भवनों में ई.डब्ल्यू.एस, एल.आई.जी. आवास हेतु कितने-कितने भूखण्ड आरक्षित रखे हुए है? संपूर्ण जानकारी सूची सहित प्रदान करें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में ई.डब्ल्यू.एस, एल.आई.जी. आवासों को बेचने के बाद ही बंधक फ्लेटों/प्लॉट को मुक्त किया जाता है? यदि हाँ, तो कितनी बहुमंजिला बिल्डि़ंगों/भवनों व टाउनशिपों में ई.डब्ल्यू.एस, एल.आई.जी. के मकान, फ्लेट/प्लॉट को किन-किन वर्ग के लोगों को बेचा गया व इसके स्थान पर कितने फ्लेट/प्लॉट कहाँ-कहाँ पर बंधक के रूप में रखे गये थे? कितने कहाँ-कहाँ पर शेष है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में बड़े प्रोजेक्टों में बहुमंजिला भवनों में कितने प्रतिशत भूखण्ड ई.डब्ल्यू.एस, एल.आई.जी. आवास के रूप में रिक्त रखना अनिवार्य है? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में क्या इंदौर जिले में कुछ बिल्डिंगों/बहुमंजिला भवनों में विभागीय चूक अथवा बिल्डरों की मनमानी से पात्र व्यक्यिों को रिजर्व कोटे के सस्ते भूखण्ड उपलब्ध नहीं हो पाये हैं? यदि हाँ, तो क्या कारण है व संबंधितों पर कोई कार्यवाही की जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ एवं ‘द’ अनुसार है। आवंटन का आधार हितग्राही की आय सीमा है, जिस कारण से वर्गवार जानकारी संधारित की गई है। बंधक रखे गये भू-खण्ड की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ एवं ‘द’ अनुसार है। परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ के कॉलम 7 अनुसार आवंटन किया गया, शेष सभी आरक्षित इकाई शेष है। (ग) नगरीय क्षेत्र में बहुमंजिला भवनों में कुल आवासीय यूनिट का 15 प्रतिशत (ई.डब्ल्यू.एस./एल.आई.जी. का अनुपात 3:2) एवं ग्रामीण क्षेत्र के मामले में 6 प्रतिशत आरक्षित किया जाना प्रावधानित है। (घ) जी नहीं। कलेक्टर, इंदौर द्वारा जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘इ’ अनुसार रिक्त आवासों की जानकारी एकत्र कर आवंटित करने के निर्देश दिये गये है, जिससे दोषी होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बुजुर्ग व्यक्ति की घर जाकर वसीयत रजिस्ट्री
6. ( क्र. 765 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पूर्व में किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति की वसीयत/रजिस्ट्री उप पंजीयक द्वारा यात्रा शुल्क शासन के खाते में जमा कर उसके घर जाकर वसीयत/रजिस्ट्री की जाती थी? लेकिन वर्तमान में इस सुविधा को ई रजिस्ट्री चालू होने के कारण बंद कर दी गई है? (ख) यदि हाँ, तो शासन द्वारा इस बंद की गई सुविधा के लिए क्या व्यवस्था की गई है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ, वर्तमान में इस सुविधा को बंद नहीं किया गया है। (ख) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विभागीय कार्यों की जानकारी
7. ( क्र. 812 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले में वित्तीय वर्ष 01.04.2013 से प्रश्न तिथि तक दो लाख रूपये से कम राशि के क्या-क्या कार्य, किस-किस स्थान पर किये गये? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित जिले में उक्त समयानुसार मेन्टेनेन्स पर किस-किस स्थान पर, किस-किस प्रकार के कार्यों पर कितनी राशि, कब-कब व्यय की गयी? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में उल्लेखित कार्यों में से किस-किस को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किस-किस रूप में किया गया? (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में उल्लेखित स्थानों एवं समयानुसार उक्त सभी कार्यों का गुणवत्ता एवं उपयोगिता प्रमाण पत्रों को किस-किस नाम/पदनाम द्वारा जारी किया गया?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
पांढुर्णा शहर में पेयजल आपूर्ति हेतु परसोडी जलाशय का निर्माण
8. ( क्र. 860 ) श्री जतन उईके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छिंदवाड़ा जिले के विधान सभा क्षेत्र पांढुर्णा शहर के पेयजल हेतु ग्राम परसोड़ी में जलाशय निर्माण करने की योजना शासन द्वारा बनाई गई है? इसके लिये कोई सर्वे कराया गया है? (ख) क्या इसके लिये कोई राशि स्वीकृत की गई है? (ग) यदि हाँ, तो निर्माण कार्य कब से प्रारंभ किया जायेगा तथा जलाशय का निर्माण कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? पांढुर्णा शहर के शहरवासियों को कब तक पीने का पानी उपलब्ध करा दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) जी हाँ। (ग) निविदा प्रक्रिया आदि पूर्ण की जाकर कार्य प्रारंभ किया जायेगा। कार्यादेश जारी होने के एक वर्ष में कार्य पूर्ण करवाये जाने का लक्ष्य है। यह कार्य पूर्ण होने पर पांढुर्णा शहरवासियों को पेयजल उपलब्ध हो जायेगा।
बिहुआ साहनी जलाशय की स्वीकृति
9. ( क्र. 867 ) श्री जतन उईके : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले के विधान सभा क्षेत्र पांढुर्णा में जल संसाधन विभाग द्वारा बिहुआ साहनी बांध परियोजना कब स्वीकृत हुई, कब तक पूर्ण की गई, उसकी लागत कितनी थी, निर्माण कार्य कब पूर्ण किया गया, एजेंसी का नाम बतायें? (ख) क्या उक्त जलाशय से नहर भी निर्माण कराया गया है? (ग) यदि हाँ, तो किस-किस ग्रामों में नहर का निर्माण कार्य हुआ है? एजेंसी का नाम लागत एवं कब पूर्ण किया गया? (घ) यदि नहीं, तो इसके लिये कौन-कौन से अधिकारी दोषी है? उनके नाम बताएं तथा उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो क्या, यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) बिछुआसानी लघु सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 16.10.2003 को रू.500.91 लाख की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 15.07.2008 को रू.664.87 लाख की दी गई है। परियोजना का निर्माण वर्ष 2011-12 में पूर्ण कराया गया है। नहर निर्माण ग्राम पीपलपानी, बिछुआसानी, चाटवा एवं गौरलीखापा में कराया गया। निर्माण एजेंसी मेसर्स शिवदयाल कालरा थी। परियोजना निर्माण पर रू.663.05 लाख व्यय हुआ। (घ) नहर के निर्माण की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए मुख्य अभियंता को निर्देश दे दिए गए हैं। शेष प्रश्नांश के उत्तर जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर निर्भर होने से जानकारी दी जाना संभव नहीं है।
योजनाओं का क्रियान्वयन
10. ( क्र. 1028 ) श्री रामपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहडोल जिले में योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु योजना आर्थिक और सांख्यिकी विभाग को वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में शासन से राशि आवंटित की गई है? यदि हाँ, तो कितनी राशि आवंटित की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि उक्त विभाग को राशि आवंटित की गई है, तो आवंटित राशि में से किस-किस कार्य के लिये कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है और कार्यों की भौतिक स्थिति क्या है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। विभाग द्वारा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 में रूपये 231.00 लाख, वर्ष 2015-16 में रूपये 231.00 लाख, एवं जन भागीदारी योजना के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 में रूपये 260.00 लाख, वर्ष 2015-16 में रूपये 187.47 लाख की राशि आवंटित की गई। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
धार्मिक स्थल श्री अंजनीलाल मंदिर धाम ब्यावरा का विकास
11. ( क्र. 1302 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के अतारांकित प्रश्न संख्या 43 (क्रमांक 550) दिनांक 20 फरवरी 2015 में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा बताया गया था कि विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के धार्मिक स्थल श्री अंजनीलाल मंदिर धाम ब्यावरा के विकास हेतु प्रस्ताव परीक्षणाधीन है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) वर्णित पवित्र स्थल श्री अंजनीलाल मंदिर धाम ब्यावरा के परीक्षणाधीन प्रस्ताव में प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो उक्त प्रस्ताव पर कार्यवाही किस स्तर पर क्यों लंबित है? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा दिनांक 09 जनवरी 2016 को माननीय मुख्यमंत्री जी से एवं माननीय पर्यटन राज्यमंत्री जी से उक्त पवित्र स्थल के विकास कार्य हेतु निवेदन पत्र सौंपा गया था? यदि हाँ, तो क्या शासन द्वारा उक्त पवित्र तीर्थस्थल के विकास कार्य हेतु आवश्यक राशि की स्वीकृति प्रदान की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
इंदौर में जिला प्रशासन द्वारा सिंहस्थ 2016 की तैयारिया
12. ( क्र. 1546 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला प्रशासन इंदौर द्वारा सिंहस्थ 2016 के पूर्व आवश्यक कार्यों को चिन्हित कर पूर्ण करने की कार्य योजना बनाई गई है? यदि हाँ, तो कार्यों की सूची व वर्तमान प्रगति से अवगत करावें व स्पष्ट करें की कब तक कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा? (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार चिन्हित आवश्यक कार्यों की प्रगति धीमी है? यदि हाँ, तो सिंहस्थ 2016 के पूर्व जिला प्रशासन ने इन कार्यों को पूर्ण करने हेतु क्या योजना बनाई है, स्पष्ट करें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं, शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
प्रमाणित अनियमितताओं पर कार्यवाही
13. ( क्र. 1614 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में निर्माण कार्य एवं क्रय की गई सामग्री में गंभीर अनियमितताओं के संबंध में कितने अधिकारियों के विरूद्ध शिकायतें प्रश्न दिनांक तक हुई और प्रमाणित पायी गई वर्ष 2010 से जिलेवार बताएं? (ख) क्या जाँच प्रमाणित होने के बाद भी पत्रावली लंबित रहती है? उनकी समीक्षा आयुक्त नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा की गई? उनकी तिथियां बतायें? (ग) क्या शासन के नियम अनुसार शासकीय राशि का दुरूपयोग पाये जाने पर निलंबन/वेतनवृद्धि बंद तथा अन्य कार्यवाही वर्ष 2010 से प्रश्न दिनांक तक की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ख) जी नहीं। जी हाँ। समय-समय पर आवश्यकता अनुसार मासिक समीक्षा आयोजित बैठक एवं विडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से की जाती है। तिथियां बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। नियमानुसार जाँच अधिकारी के जाँच प्रतिवेदन में दिए गए निष्कर्ष में उल्लेख अनुसार गुण–दोष के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही समय–समय पर की जाती है। अत: शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
तिलहन संघ सेवायुक्तों को पाँचवा/छठवा वेतनमान का भुगतान
14. ( क्र. 1944 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने तिलहन संघ के सेवायुक्तों को पाँचवे वेतनमान एवं छठवें वेतनमान के लागू होने की तिथि से शासकीय सेवकों को किये गये वेतन निर्धारण के अनुरूप वेतन निर्धारण करते हुए वेतन का भुगतान शासन से करने का आदेश पारित किया है? (ख) यदि हाँ, तो कितने न्यायिक प्रकरणों में माननीय न्यायालय ने पाँचवे एवं छठवें वेतनमान के अनुसार वेतन भुगतान करने का आदेश जारी किया है? प्रकरणवार, विभागवार बतावें। (ग) क्या शासन ने माननीय न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए वेतन निर्धारण की स्थापित प्रक्रिया से वेतन का भुगतान करना प्रारंभ कर दिया है? यदि हाँ, तो विभागवार जानकारी देवें? यदि नहीं, तो क्या कारण है? (घ) शासन के विरूद्ध तिलहन संघ सेवायुक्तों के पाँचवे एवं छठवें वेतनमान अनुसार वेतन निर्धारित करते हुए एवं उनके संबंध में क्या कार्यवाही की जा रही है? वेतन निर्धारण नहीं करने हेतु कितने अवमानना प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
खरगोन जनसंपर्क विभाग के कार्य
15. ( क्र. 2166 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन जिले के जनसंपर्क विभाग में कुल कितने समाचार पत्रों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों के नाम सूची में दर्ज है? समाचार पत्र और चैनल सहित पत्रकारों की सूची देवें? इसमें कितने समाचार पत्र दैनिक, साप्ताहिक, मासिक पाक्षिक है, कितने समाचार पत्रों का प्रकाशन खरगौन जिले से होता है? (ख) संचालनालय भोपाल से खरगोन जिले के लिये कितने अधिमान्य पत्रकारों हेतु परिचय पत्र जारी किये गये हैं? विगत 03 वर्ष की सूची नाम, पते सहित देवें? विगत 05 वर्ष में राहुल बारपुते पुरस्कार किस-किस पत्रकार को कब-कब प्रदान किये गये? (ग) खरगोन प्रेस क्लब को कार्यालय द्वारा कब-कब कितनी बार सूची का वितरण किया गया? इस सूची में कितने बदलाव किये गये, कारण बतायें? खरगोन जिले में प्रेस क्लब भवन के लिये कितनी जमीन कहाँ पर आवंटित की गई है? (घ) क्या मध्य प्रदेश संदेश पत्रिका का वितरण विधायकों को प्रतिमाह किया जाता है? किस माध्यम से किया जाता है? विगत 05 माह की पत्रिका भेजने संबंधी तथ्यों का प्रमाण दें? (ड.) खरगोन के जनसंपर्क कार्यालय में कुल कितने अखबार प्राप्त होते है नाम व प्रकार सहित सूची देवें? इन समाचार पत्रों को कब किस माध्यम से भुगतान किया जाता है? विगत 03 वषों में समाचार पत्रों के भुगतान संबंधी राशि देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) 26 पत्रकार। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। जिले में दैनिक 01, साप्ताहिक 15, मासिक, 02 पाक्षिक 01 कुल 19 समाचार पत्रों का प्रकाशन होता है। (ख) वर्तमान में कुल 26 अधिमान्य पत्रकारों के परिचय पत्र जारी किये गये। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। राहुल बारपुते पुरस्कार :- वर्ष 2010 श्री दिनेश सोलंकी, महू, वर्ष 2011 श्री प्रेमविजय पाटिल, धार, वर्ष 2012 श्री कीर्ति राणा, इन्दौर, वर्ष 2013 श्री दिनेश बावनिया, खण्डवा, वर्ष 2014 श्री नवनीत शुक्ल, इन्दौर को प्रदान किये गये। (ग) प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी हाँ। मेसर्स मधुर कोरियर के माध्यम से किया जाता है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ड.) समाचार पत्र स्वप्रेरणा से कार्यालय में डाले जाते हैं। समाचार पत्रों को क्रय आदेश न दिए जाने के कारण भुगतान नहीं किया गया। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
राज्य सूचना आयोग की कार्यवाही
16. ( क्र. 2170 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. मानव अधिकार आयोग द्वारा वर्ष 2015 में की गई जाँच एवं प्रकरणों की सूची देवें वर्ष 2015 में आयोग को प्राप्त शिकायतों की संख्या बताये? खरगोन जिले से कितनी शिकायतें प्राप्त हुई है? (ख) राज्य योजना आयोग द्वारा वर्ष 2015 में कितनी बैठकें कहाँ आयोजित की गई, इन बैठकों के कार्यवृत्त का विवरण देवें? (ग) राज्य सूचना आयोग में वर्ष 2013 में कितनी शिकायतें, कितनी अपीलें प्राप्त हुई, विभागवार बतायें? इनमें से खरगोन जिले से कितनी शिकायत एवं अपील प्राप्त हुई, प्रकरणवार सूची देवें? आयोग को वर्ष 2013 में प्राप्त अपील एवं शिकायतों पर कितनों की सुनवाई की गई, कितनी निराकृत हुई, कितनी लंबित है? यदि सुनवाई व निराकरण का प्रतिशत प्राप्त अपील एवं शिकायत संख्या की अनुपात में 5 प्रतिशत से कम है, तो कारण बतायें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) म.प्र. मानव अधिकार आयोग में वर्ष 2015 में प्राप्त जाँच एवं प्रकरणों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। वर्ष 2015 में आयोग को 11043 शिकायतें प्राप्त हुई। खरगोन जिले से कुल 99 शिकायतें प्राप्त हुई। (ख) राज्य योजना आयोग से संबंधित जानकारी की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) राज्य सूचना आयोग में वर्ष 2013 में 449 शिकायतें प्राप्त हुई एवं अपील 2926 प्राप्त हुई तथा खरगोन जिले से 06 शिकायतें एवं 626 अपीलें प्राप्त हुई है। आयोग को वर्ष 2013 में प्राप्त अपीलों में से 2061 निराकृत हुई तथा 865 लंबित है। प्राप्त शिकायतों में 158 शिकायतें निराकृत हुई एवं 291 लंबित है। विभागवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को समयमान/क्रमोन्नति वेतनमान
17. ( क्र. 2251 ) श्री शान्तिलाल बिलवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को शासन समयमान/क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ देता है? (ख) यदि हाँ, तो झाबुआ जिले में कौन-कौन से विभाग में समयमान/क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ दिया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार अगर लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को लाभ नहीं दिया गया तो क्यों? उस विभाग के अधिकारी के विरूद्ध शासन कोई कार्यवाही प्रस्तावित करेगा क्या? लाभ से वंचित लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को समयमान/क्रमोन्नति का लाभ कब तक दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) राज्य शासन के समस्त शासकीय सेवकों के लिये योजना है। अत: झाबुआ स्थित सभी विभागों में इस योजना का लाभ दिया जाना स्वाभाविक एवं सतत् प्रक्रिया है। (ग) पात्रतानुसार लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को इस योजना का लाभ प्राप्त होगा। जानबूझकर विलंब का प्रकरण शासन के समक्ष में नहीं आया है, अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जलावर्धन योजना में डाली गई पाइप लाइन
18. ( क्र. 2272 ) श्रीमती इमरती देवी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 1 जनवरी 2014 से 31 दिसम्बर, 2015 तक ग्वालियर जिले की डबरा नगर पालिका परिषद के द्वारा जलावर्धन योजना के अन्तर्गत डबरा शहर में कराये गये कार्य की तकनीकी स्वीकृति क्रमांक दिनांक और राशि एवं समय-सीमा क्या थी? क्या यह कार्य तकनीकी मानक अनुसार एवं समय-सीमा में पूर्ण हुआ है? (ख) प्रश्नांश (क) क्या उस ठेकेदार के विरूद्ध कोई कार्यवाही की गई है जिसके कारण पूरे डबरा शहर की सड़कों को खोद दिया गया है जिससे जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तथा पूरे शहर की सड़कों की खुदाई से शासन की कितनी धनराशि की हानि हुई है बतायें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्नांकित कार्य की तकनीकी स्वीकृति संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास, म.प्र. भोपाल के पत्र क्रं./यां.प्र./07/09/1443 भोपाल, दिनांक 10.07.2009 से राशि रू. 1107.15 लाख की दी गई थी एवं समय-सीमा 24 माह थी। अनुबंध की शर्तों के अनुसार निर्धारित समय-सीमा में की गई वृद्धि पश्चात कार्य समय-सीमा में पूर्ण हुआ है। (ख) जी नहीं। कार्य तकनीकी स्वीकृति के अनुसार कराया गया है। पाइप लाइन विस्तार के दौरान निर्माण एजेंसी सारथी कन्स्ट्रक्शन, ग्वालियर द्वारा क्षतिग्रस्त रोडों की मरम्मत अनुबंध के प्रावधान अनुसार कर दी गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
लघु सिंचाई योजना का सर्वेक्षण
19. ( क्र. 2385 ) श्री गोवर्धन उपाध्याय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक सिरोंज लटेरी विधानसभा क्षेत्र में कितनी लघु सिंचाई तालाब योजना का सर्वेक्षण कार्य किया गया एवं उस पर कितना खर्च किया गया? (ख) उक्त योजनाओं में कौन-कौन सी योजना साध्य पाई गई, उनमें से कितनी पूर्ण की गई और कौन सी अपूर्ण है? उनका निर्माण कार्य कब शुरू किया गया? (ग) निर्माणाधीन गरेठा योजना की लागत कितनी है और उस पर अभी तक कितना व्यय हो चुका है? उक्त योजना कब तक पूर्ण की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्नाधीन अवधि में प्रश्नाधीन क्षेत्र में 5 लघु सिंचाई परियोजनाएं क्रमंश: बरखेड़ाघोसी, जमुनिया, सेमलखेड़ी, बीजूखेड़ी एवं सोजना का सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण पर रू.10.06 लाख व्यय हुआ। (ख) सेमलखेड़ी एवं बीजूखेड़ी लघु सिंचाई परियोजनाएं साध्य पाई गई जिनकी डी.पी.आर. अंतिम नहीं होने के कारण। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (ग) गरेठा परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 12.02.2013 को रू.3716.99 लाख की दी गई है। रू. 3494.73 लाख का निवेश किया जा चुका है। परियोजना का शीर्ष कार्य पूर्ण होकर नहरें 90 प्रतिशत पूर्ण हैं जिन्हें वर्षाऋतु तक पूरा कराने का लक्ष्य है।
किसानों की जमीन का सर्च प्रतिवेदन
20. ( क्र. 2510 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड, मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण हेतु भूखण्ड, दुकान, मकान प्रतिष्ठान जैसे भूखण्ड जमीन का सर्च प्रतिवेदन रिपोर्ट तैयार करने के उपरांत ही वित्तीय संस्थाएं हितग्राहियों को उक्त योजनाओं से जोड़कर ऋण देने का काम करती हैं? तो किसानों की जमीन का सर्च प्रतिवेदन रिपोर्ट तैयार करने के लिये कौन अधिकृत होता है? क्या इनकी नियुक्ति शासन से की जाती है या फिर बैंक प्रशासन स्वयं सर्च रिपोर्टर नियुक्त करने को स्वतंत्र है? (ख) यदि इनकी नियुक्ति शासन से होती है तो इनकी नियुक्ति की क्या अर्हताएं हैं तथा इनकी नियुक्ति किस-किस नियम शर्तों के अधीन होती हैं? (ग) क्या सर्च रिपोर्ट तैयार करने के लिये कुछ निश्चित फीस तय की गई है? यदि तय है तो कितनी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 के सातवें शेडयूल की सूची क्रमांक-एक के अनुक्रमांक 45 अनुसार बैंकिंग संघ सूची का विषय है, तथा राज्यों की समवर्ती सूची का नहीं होने से उक्त प्रश्न मध्यप्रदेश विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम 36 (7) के अनुसार चर्चा का विषय नहीं है। बैंकों द्वारा अपने-अपने नियमानुसार सर्च प्रतिवेदन प्राप्त किये जाते है। सर्च प्रतिवेदन सामान्यत: बैंक के पैनल अधिवक्ता द्वारा तैयार किये जाते है। राज्य शासन द्वारा बैंक के पैनल अधिवक्ता की नियुक्ति नहीं की जाती है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) बैंक द्वारा फीस निर्धारित की जाती है।
व्यक्तिगत जमा खाता (पी.डी. एकाउण्ट) में जमा राशि
21. ( क्र. 2624 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले की लहार विधानसभा क्षेत्र की विधान सभा क्षेत्र विकास निधि, कृषि विज्ञान केंद्र लहार द्वारा किसानों की जमीन की मुआवज़ा राशि तथा अन्य विभागों से संबंधित राशि कब से और कितनी राशि व्यक्तिगत जमा खाता (पी.डी. एकाउन्ट) में किसके आदेश से जमा कराई गई है? (ख) प्रश्नकर्ता द्वारा दिनांक 01 जनवरी, 2014 से कलेक्टर भिण्ड, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, वित्त एवं माननीय वित्तमंत्री को कब-कब पी.डी. अकाउंट से प्रश्नांश (क) अनुसार राशि मुक्त करने का पत्र लिखकर अनुरोध किया? (ग) क्या मुख्य सचिव, म.प्र. शासन मंत्रालय भोपाल के पत्र क्रमांक 7904/अ.स./मु.स./2015 भोपाल दिनांक 06 नवंबर 2015 को प्रमुख सचिव कृषि विभाग को पत्र लिखा था? यदि हाँ, तो अभी तक प्रश्नकर्ता को कार्यवाही से अवगत न कराने का कारण बतायें? (घ) भिण्ड जिले के विकास कार्यों से संबंधित 01 जनवरी, 2014 से 31 जनवरी, 2016 तक किस-किस कार्य की कितनी-कितनी राशि पी.डी. एकाउंट में जमा है? कब तक पी.डी. अकाउंट से मुक्त कराकर संबंधित विभाग को प्रदान कर दी जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) कृषि विज्ञान केन्द्र लहार द्वारा किसानों की जमीन की मुआवजा राशि दिनांक 30.03.2011 को रूपये 1,60,875.00 तथा दिनांक 13.11.2013 को रूपये 3,77,581.00 पी.डी.खाते में अनुविभागीय अधिकारी एवं भू-अर्जन अधिकारी लहार के आदेश द्वारा जमा करायी गयी। अन्य सुसंगत जानकारी प्रश्नांश (घ) की सूची में दृष्टव्य है। (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) कृषि विभाग को पत्र प्राप्त होना नहीं पाया गया। (घ) सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर है। पी.डी. खाते से राशि आहरित करने हेतु पी.डी. खाते के संचालनकर्ता सक्षम हैं।
राजपत्रित अधिकारियेां की पदोन्नति
22. ( क्र. 2676 ) चौधरी चन्द्रभान सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) किसी राजपत्रित अधिकारी जिसका एक ही पदस्थापना स्थल पर पदोन्नति के परिणाम स्वरूप कार्यभार ग्रहण करने की अधिकतम समयावधि क्या है? (ख) यदि अधिकारी द्वारा उक्त समयावधि में पदभार ग्रहण नहीं किया जाता तो उसके विरूद्ध नियमों में कार्यवाही करने का क्या प्रावधान है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सामान्यत: 15 दिवस। (ख) कार्यवाही के संबंध में कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं।
पुराने किले का जीर्णोद्धार
23. ( क्र. 2707 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा विगत वर्ष धार जिले की धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सराय में स्थित पुरातन किले के जीर्णोद्धार का कार्य कितनी लागत से करवाया गया है, एवं किले में क्या-क्या सुधार कार्य करवाया जाना निर्धारित था? (ख) क्या उक्त प्रावधानित समस्त कार्य पूर्ण हो चुके हैं? यदि नहीं, तो शेष कार्य कब तक पूर्ण करवा लिया जावेगा? (ग) स्थानीय नागरिकों द्वारा बताये अनुसार 36 लाख रूपये की लागत से स्वीकृत जीर्णोद्धार कार्य में मात्र चार-पाँच परकोटों का ही सुधार कार्य हुआ है, क्या शासन वर्तमान में करवाये गये कार्य का मूल्यांकन एवं विभाग द्वारा व्यय बताई गई राशि की उपयोगिता संबंधी जाँच करवाएगा, यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत धार जिले की धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सराय में स्थित लुन्हेरा की सराय जिला धार में वर्ष 2011-12 में राशि रूपये 34.00 लाख से अनुरक्षण एवं विकास कार्य कराया गया, जिसमें जंगल साफ-सफाई, स्टोन एवं ब्रिकमेसनरी, लाईम प्वांइटिंग, मुख्य प्रवेश द्वार में दरवाजा लगाना आदि कार्य स्वीकृत अनुमानिक के अनुसार कराये गये. (ख) जी हाँ. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (ग) सभी कार्य स्वीकृत आनुमानिक में दिये गये स्पेसिफिकेशन के अनुसार कराये गये, जिनका परीक्षण विभागीय तकनीकी अमले द्वारा समय-समय पर किया गया. उनके द्वारा कार्य का सत्यापन करने के उपरांत ही भुगतान किया गया. अत: जाँच का प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
सिंचाई हेतु विद्युत आपूर्ति
24. ( क्र. 2710 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा पूरे मध्य प्रदेश में कृषकों को सिंचाई हेतु पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है तथा विभाग द्वारा भी कृषकों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध होना बताया गया है? (ख) क्या धार जिले की धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के अनेकों ग्रामों में प्रदाय स्थाई/अस्थाई कनेक्शन की तुलना में विद्युत प्रवाह हेतु आवश्यकतानुसार ट्रांसफार्मर नहीं लगाने के कारण कृषकों को बिजली नहीं मिल पाने से उनकी फसलें सूख रही है? इसके लिये जवाबदार कौन है? (ग) यदि वास्तवित रूप में ट्रांसफार्मर की कमी है, तो विभाग आवश्यकतानुसार ट्रांसफार्मर लगाने का कार्य कब तक पूर्ण कर लेगा व कब तक क्षेत्र के कृषकों को सिंचाई हेतु पर्याप्त बिजली की सुविधा दे देगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, प्रदेश में कृषकों को सिंचाई हेतु पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में तकनीकी कारणों यथा लाईन फाल्ट, विद्युत उपकरणों की खराबी आदि के कारण हुए आकस्मिक अवरोधों, आवश्यक रख-रखाव कार्य अथवा नवीन विद्युत अधोसंरचना के निर्माण के लिये आवश्यक होने जैसी अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर, कृषि कार्य हेतु 10 घण्टे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ख) जी नहीं। धार जिले की धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के समस्त ग्रामों में सिंचाई हेतु स्थाई एवं अस्थाई विद्युत पंप कनेक्शन उपभोक्ताओं को उनके संयोजित भार के अनुरूप स्थापित किये गये उचित क्षमता के विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों से उचित गुणवत्ता का विद्युत प्रदाय किया जा रहा है, अत: फसले सूखने अथवा किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी नहीं, ट्रांसफार्मरों की कोई कमी नहीं है। वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि एवं अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाने की कार्यवाही विद्युत भार में होने वाली वृद्धि के दृष्टिगत प्रणाली सुदृढ़ीकरण के कार्यों के अंतर्गत वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता अनुसार समय-समय पर आवश्यकता अनुसार की जाती है, जो कि एक सतत् प्रक्रिया है। उत्तरांश (क) एवं (ख) में दर्शाए अनुसार वर्तमान में उचित क्षमता के ट्रांसफार्मर उपलब्ध होने तथा कृषकों को सिंचाई हेतु उचित गुणवत्ता का पर्याप्त विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराए जाने के परिप्रेक्ष्य में कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
औंकारेश्वर परियोजना की नहरों का समय-सीमा में पूर्ण किया जाना
25. ( क्र. 2753 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खण्डवा, खरगोन, बड़वानी जिले में औंकारेश्वर परियोजना की नहरों की स्वीकृति हुई है? यदि हाँ, तो इसकी निविदा कब जारी हुई, निविदा में कार्य पूर्ण करने के लिये कितनी अवधि निर्धारित की गई थी? निविदा जारी होने की दिनांक, राशि एवं कार्यावधि सहित जानकारी दी जावे? (ख) कार्यादेश जारी होने के दिनांक तक क्या ठेकेदार द्वारा समय-सीमा में कार्य पूर्ण कर लिया गया है? यदि नहीं, तो कार्यावधि पूर्ण करने के लिये ठेकेदार को कितनी बार समयवृद्धि की गई? समय पर कार्य न होने के क्या कारण रहे हैं? क्या विभाग की गलती रही है? यदि हाँ, तो विभागीय अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि ठेकेदार की त्रुटि रही है तो ठेकेदार को समय-समय पर कितनी बार दण्डित किया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार जो कार्य शेष रहे हैं, वह कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है। कार्य के विलंब का कारण परिस्थिति जन्य है, जिसमें विभाग या ठेकेदार की कोई त्रुटि नहीं है। अत: शेष प्रश्न ही नहीं उठता है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" के कालम-6 अनुसार है।
पावर ट्रासंमिशन कंपनी के 132 एवं 220 के.व्ही. उपकेन्द्रों के कार्य
26. ( क्र. 2805 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2009 से 2011 तक मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा 132 एवं 220 के.व्ही. उप केंद्रों के सिविल एवं एरेक्शन के कार्य किन-किन दरों से करवाये जाते रहे हैं? उक्त कार्यों पर कितनी राशि व्यय की गई विवरण दें? (ख) वर्ष 2011 से वर्ष 2014 तक ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा 132 एवं 220 के.व्ही. उपकेंद्रों सिविल एवं एरेक्शन कार्य टर्नकी के आधार पर किन-किन कंपनियों को किन दरों पर दिये गये एवं पूर्णता के लिये कितना समय दिया गया? (ग) वर्ष 2009 से 2011 तक ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा 132 एवं 220 के.व्ही. उपकेंद्रों के कार्य कितने समय में पूर्ण किये गये एवं उपकेंद्र कब उर्जीकृत किये गये? 33 के.व्ही. उपकेंद्रों को सप्लाई कब चालू की गई? (घ) टर्नकी के आधार पर जिन कंपनी को उपकेंद्रों का निर्माण कार्य दिया गया उनकी दरें वर्ष 2011 पूर्व में सिविल एवं एरेक्शन के ठेकों से अधिक थी? यदि हाँ, तो विवरण उपलब्ध करावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वर्ष 2009 से 2011 तक मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा 132 एवं 220 के.व्ही. उपकेन्द्रों के निर्माण हेतु सिविल कार्यों के लिए प्रदाय किए गए कार्य, कार्य की दर एवं व्यय का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। इन उपकेन्द्रों के एरेक्शन के कार्यों हेतु प्रदाय किए गए कार्य की दर एवं व्यय का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ख) वर्ष 2011 से 2014 तक म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा 132 एवं 220 के.व्ही. उपकेन्द्रों के सिविल एवं एरेक्शन के कार्य टर्नकी के आधार पर विभिन्न कंपनियों को जारी किए गए कार्यादेशों व कार्यादेश राशि की जानकारी एवं कार्य पूर्ण करने हेतु निर्धारित समय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (ग) वर्ष 2009 से 2011 तक म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा 132 एवं 220 के.व्ही. उपकेन्द्रों के कार्य पूर्ण किए जाने वाले समय की जानकारी एवं उपकेन्द्रों को ऊर्जीकृत करने की तिथि तथा 33 के.व्ही. उपकेन्द्रों को सप्लाई चालू किए जाने की तिथि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। (घ) वर्ष 2011 के पूर्व टर्नकी आधार पर कोई भी आदेश पारित नहीं किया गया। अत: वर्ष 2011 के बाद टर्नकी आधार पारित किए गए आदेश की तुलना 2011 के पूर्व के सिविल एवं एरेक्शन के पृथक-पृथक आदेशों से, दोनों का आधार अलग-अलग होने से, नहीं की जा सकती है। निविदा का निर्धारण करते समय प्राप्त दरों की तुलना पिछले आदेश से या कार्य की अनुमानित लागत से की गई एवं उसके आधार पर आदेश दिए गए। संबंधित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है।
ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा निर्मित पावर टावर
27. ( क्र. 2806 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा निर्मित किये गये 132 एवं 220 के व्ही.हाई. पावर टॉवर लाइनों में कितने टॉवर गिरे, सूचना दी जाये एवं उक्त टॉवरों के निर्माण में कौन-कौन से सहायक यंत्री/कार्यपालन यंत्री/अधीक्षण यंत्री/यंत्री पदस्थ थे, उनके नाम सूचित किये जाये? (ख) उक्त टॉवर किस कारण से गिरे? यदि तूफान के कारण गिरे तो स्थानीय स्तर पर मौसम विभाग की सूचना उपलब्ध करायें? (ग) यदि उक्त टॉवर फाउंडेशन निर्माण कार्य में गुणवत्ता की कमी के कारण गिरे तो क्या टॉवर फाउंडेशन की जाँच कंपनी द्वारा करवायी गई? यदि हाँ, तो जानकारी उपलब्ध कराये? (घ) टॉवर गिरने के कारण कंपनी को कितना आर्थिक नुकसान हुआ, संलग्न अधिकारियों के विरूद्ध कौन-कौन सी कार्यवाही की गई, जानकारी एवं सूची उपलब्ध करायें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वर्ष 2009 से 2014 तक ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा निर्मित किए गए 132 एवं 220 के.व्ही. ट्रांसमिशन लाइनों में वर्ष वार गिरे टॉवर एवं उक्त टॉवरों के निर्माण की अवधि में पदस्थ पदस्थ सहायक अभियंता, कार्यपालन अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता संबंधी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित टावर के गिरने के कारण की जानकारी निम्नानुसार है :-
क्रमांक |
टावर गिरने का वर्ष |
ट्रांसमिशन लाइनों का नाम |
टॉवर गिरने का कारण |
1 |
15.06.2010 |
220 के.व्ही. खंडवा-नेपानगर लाइन का लिलों 220 के.व्ही. उपकेंद्र छैगाँव हेतु (निर्माणाधीन) |
तेज आंधी तूफान के कारण |
2 |
22.05.2011 |
220 के.व्ही. शिवपुरी-सबलगढ़ |
तेज आंधी तूफान के कारण |
3 |
16.03.2013 |
132 के.व्ही. राघोगढ़-राजगढ़ |
तेज आंधी तूफान के कारण |
4 |
14.03.2013 |
132 के.व्ही. कोटर-जे.पी.भिलाई लाइन |
तेज आंधी तूफान के कारण |
5 |
18.04.2014 |
220 के.व्ही. सतना-छतरपुर |
तेज आंधी तूफान के कारण |
6 |
20.05.2015 |
132 के.व्ही. शिवपुरी-मोहना |
तेज आंधी तूफान के कारण |
7 |
27.06.2015 |
132 के.व्ही. सबलगढ़-विजयपुर |
तेज आंधी तूफान के कारण |
8 |
20.06.2015 |
132 के.व्ही.छिंदवाड़ा - विछुआ लाइन |
फाउंडेशन निर्माण में गुणवत्ता की कमी के कारण |
टावर क्रमांक 1 से 7 क्षेत्र विशेष में आए आंधी तूफान एवं तेज हवाओं के कारण गिरे हैं। चूँकि उक्त लाइने दूरस्थ स्थलों, जंगलों, पहाड़ी क्षेत्रों इत्यादि से होकर गुजरती हैं, अत: इन क्षेत्रों की उस समय की स्थानीय स्तर पर मौसम की सूचना की जानकारी उपलब्ध नहीं है। (ग) 132 के.व्ही. छिंदवाड़ा-बिछुआ लाइन के टावर, निर्माण कार्य में गुणवत्ता की कमी के कारण गिरे थे, जिसके टावर फाउंडेशन की जाँच कंपनी द्वारा कराई गयी थी जिसका विवरण निम्नानुसार है:-
क्र. |
टॉवर का दिनांक |
ट्रांसमिशन लाइनों का नाम |
गिरे एवं क्षतिग्रस्त टावरों की संख्या |
ट्रांसमिशन लाइन उर्जीकरण का वर्ष |
कंपनी द्वारा कराई जाँच बाबत् जानकारी |
1 |
20.06.2015 |
132 के.व्ही. छिन्दवाड़ा-बिछुआ लाइन |
4 |
02.09.2014 |
हां, इस प्रकरण की जाँच, समिति बनाकर की गयी। जाँच के दौरान पाया गया की टावर फ़ाउंडेशन में स्टब के साथ नीचे लगाया जाने वाला क्लीट नहीं लगाया गया था एवं फ़ाउंडेशन में प्रयुक्त सीमेंट कांक्रीट की मजबूती निर्धारित स्तर से कम पाई गयी जो लगभग 53% थी। |
(घ) वर्ष वार टॉवर गिरने के कारण कंपनी को हुए आर्थिक क्षति एवं संबद्ध- अधिकारियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
छज्जू बरखेड़ा तालाब की नहर का निर्माण
28. ( क्र. 2867 ) श्री गोपीलाल जाटव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छज्जू बरखेड़ा तालाब की नहर की प्रस्तावित लंबाई क्या है, कितना रकबा सिंचित होगा, कितनी लागत लगेगी? (ख) क्या अमाही तालाब की नहर पूर्व से बनी है और दो मायनर नहरें बनी हुई है, ऐसा कितना एरिया है जो पूर्व से ही सिंचित है, बतायें? (ग) सिंचित एरिया में नहर बनाने की वजह बतायें? (घ) क्या तालाब के मुहाने से सिकन्दरा तक 06 कि.मी. 02 मीटर डाउन लेवल होने से नहर निर्माण में क्या बाधा है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) बरखेड़ा छज्जू परियोजना की नहर की रूपांकित लंबाई 10.50 किमी. होकर रूपांकित सैच्य क्षेत्र 1550 हेक्टेयर है। नहर कार्य की अनुमानित लागत रू.350 लाख है। (ख) जी हाँ। जी हाँ। 1100 हेक्टेयर। (ग) अमाही जलाशय का 5.5 मि.घ.मी. जल अशोकनगर शहर के पेयजल के लिए आरक्षित किया जाने से परियोजना के रूपांकित सैच्य क्षेत्र 2200 हेक्टेयर में से 1100 हेक्टेयर के लिए पानी की उपलब्धता समाप्त हो गई है। बरखेड़ा छज्जू परियोजना के जल से अमाही परियोजना के सैच्य क्षेत्र में 1100 हेक्टेयर एवं नई नहर बनाकर 450 हेक्टेयर में सिंचाई प्रावधानित है। (घ) बरखेड़ा छज्जू तालाब जल निकासी का भू-तल स्तर 481.45 मीटर होकर सिकंदरा में नहर का रूपांकित भू-तल स्तर 477.70 मीटर है जो ग्राम सिकंदरा के पास अमाही नहर के भू-तल स्तर 480.96 मीटर से नीचे होने के कारण है।
टमस नदी से पानी का उपयोग
29. ( क्र. 2974 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में रिलायंस सीमेंट, मैहर सीमेंट, के.जे.एस. सीमेंट, सतना सीमेंट, जे.पी.भिलाई सीमेंट द्वारा किसकी अनुमति से टमस नदी से प्रतिदिन कितना पानी लिया जा रहा है? (ख) क्या सीमेंट कम्पनियों द्वारा औद्योगिक/निजी निस्तार हेतु टमस नदी का पानी निकालने से हर वर्ष गर्मियों में मैहर एवं सतना नगर में पेयजल का संकट उत्पन्न हो जाता है? (ग) सीमेंट कम्पनियों द्वारा पानी निकालने के एवज में शासन को जल कर के रूप में प्रतिमाह कितनी राशि दी जा रही है, कम्पनीवार बतावें? जिले में संचालित सीमेंट फैक्ट्रियों का जलकर (पानी का पैसा) किस-किस पर कितना बकाया है, इनकी वसूली कब तक होगी वसूली न करने वाले दोषी अधिकारी कब तक दंडित होंगे वसूली में विलंब क्यों? (घ) यदि सीमेंट कम्पनियों द्वारा बिना शासन की अनुमति के तथा बिना जलकर दिये टमस नदी का पानी लिया जा रहा है, तो शासन कम्पनी प्रबंधन एवं संबंधित विभागों के दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही कब तक करेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते है। (ख) जी नहीं। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
राज्य सरकार द्वारा गठित विभिन्न जाँच आयोगों की रिर्पोट पर कार्यवाही
30. ( क्र. 3124 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में वर्ष 2004 से प्रश्न दिनांक तक राज्य सरकार द्वारा कौन-कौन से जाँच आयोग किस-किस की अध्यक्षता में किन मामलों लेकर कब-कब गठित किए? इन किन-किन मामलों के जाँच प्रतिवेदन कब-कब सौंपे गए तथा कौन-कौन से जाँच प्रतिवेदन विधान सभा के पटल पर कब-कब रखे गए? (ख) राज्य शासन को सौंपे गए किन-किन जाँच प्रतिवेदनों का परीक्षण किए जाने हेतु मंत्री मण्डलीय समिति कब-कब गठित की गई? मंत्री मण्डलीय समिति ने किन-किन जाँच प्रतिवेदनों का परीक्षण करने के उपरांत रिपोर्ट शासन को कब-कब सौंपी है तथा विधानसभा के पटल पर कब-कब प्रस्तुत की गई है? यदि नहीं, तो इतना लंबा समय व्यतीत हो जाने के बावजूद विधानसभा के पटल पर जाँच प्रतिवेदन नहीं रखे जाने के क्या करण हैं? कब तक जाँच प्रतिवेदन विधानसभा के पटल पर रख दिए जावेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी परिशिष्ट अनुसार। कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
सिंचाई योजनाओं का सर्वेक्षण एवं स्वीकृति
31. ( क्र. 3128 ) श्री रामनिवास रावत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या यह सही है कि विजयपुर, वीरपुर एवं कराहल में सिंचाई रकबे में वृद्धि के लिए शासन द्वारा किन-किन नदियों या नालों पर बांध बनाने के लिए सर्वेक्षण कराया गया है व सर्वेक्षण उपरान्त किन-किन बांधों की डी.पी.आर. तैयार कर ली गई है? इनमें से कौन-कौन सी योजनाएं शासन की स्वीकृति हेतु लंबित है? क्या लंबित योजनाओं को स्वीकृत किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) चेटीखेड़ा, पिपरवास, लोड़ी, धामनी, कदवाल, रीछी एवं मूंझरी परियोजनाओं का सर्वेक्षण कराया गया। मूंझरी एवं चेटीखेड़ा परियोजनाओं की डी.पी.आर. तैयार कराई गई। प्रश्नाधीन सभी परियोजनाएं निर्धारित मापदण्डों पर साध्य नहीं पाई गई। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते है।
प्रदेश में शराब बंद किया जाना
32. ( क्र. 3168 ) श्री सचिन यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में शराब बंदी पूर्ण रूप से लागू किये जाने हेतु कोई कानून बनाया गया है? नहीं तो कब तक बनाया जायेगा और कब तक इस नियम व कानून को लागू कर गुजरात राज्य की तरह मध्यप्रदेश में भी शराब बंदी पूर्ण रूप से प्रतिबंधित की जायेगी? (ख) विगत दो वर्षों में प्रदेश के कौन-कौन से जिलों में शराब बंदी करने हेतु कितने-कितने ज्ञापन जिला कलेक्टर व अन्य को प्राप्त हुए और उस पर प्रश्न दिनांक तक शासन स्तर पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रदेश में शहरी एवं ग्रामीण अंचलों के रहवासियों द्वारा शराब की दुकान हटाने/बंद करने एवं अवैध शराब बिक्री पर पूर्ण रूप से रोक लगाये जाने के संबंध में कितनी-कितनी शिकायतें प्राप्त हुई और संबंधित ठेकेदारों पर क्या प्रकरण दर्ज किये गये यदि हाँ, तो जिलेवार जानकारी दें? यदि नहीं, तो क्यों? प्राप्त शिकायतों पर प्रश्न दिनांक क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या प्रदेश में शराब पूर्ण रूप से बंद कर मध्यप्रदेश को नशा मुक्त राज्य बनाया जायेगा? हां, तो कब तक? नहीं तो कारण बतायें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा शराब बंदी के लिये कोई कानून नहीं बनाया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
अवैध कॉलोनी का नियमितीकरण
33. ( क्र. 3300 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऐसी अवैध कॉलोनियां जो न किसी शासकीय भूमि पर है न नजूल की भूमि, न विकास प्राधिकरण की स्कीम में है और न ही किसी शासकीय योजना में है, जो निजी भूमि पर बसी है उनसे नगर-निगम इंदौर द्वारा सम्पत्ति कर, जल कर लिया जा रहा है? (ख) यदि हाँ, तो इन्हें नियमित किया जाकर मूलभूत सुविधायें मुहैया क्यों नहीं कराई जा रही है? जबकि कॉलोनियों में नगर-निगम द्वारा सड़क, ड्रेनेज आदि कार्य हो चुके है? (ग) वर्ष 2010 के बाद विधान सभा क्षेत्र क्रं.5 इंदौर में कितनी नई अवैध कॉलोनियां कटी है? शिकायत होने के बाद इन पर क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) नगर निगम इंदौर द्वारा नगरीय निकाय क्षेत्र में वर्ष 2009 में विद्यमान समस्त अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण हेतु शहर के प्रमुख समाचार पत्रों में दिनांक 10.05.2009 को विज्ञप्ति का प्रकाशन करवाया गया था जिसमें से 157 कॉलोनियों के रहवासियों/कॉलोनाइजरों/ संस्थाओं द्वारा रूचि ली गई थी। जिसमें विभिन्न शासकीय विभागों से जैसे - सीलिंग, नजूल, तहसीलदार इंदौर, इंदौर विकास प्राधिकरण, नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय को अवैध कॉलोनियों की सूची भेजते हुए अनापत्ति/अभिमत चाहा गया था। जिनमें से 25 अवैध कॉलोनियों में अनापत्ति प्राप्त होने पर उनका नियमितीकरण किया जा चुका है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। 5 अवैध कॉलोनियों में शुल्क जमा कराने हेतु रहवासी संघ/कॉलोनाईजर द्वारा शुल्क नहीं जमा करने से उक्त कॉलोनी का नियमितीकरण नहीं हो पाया है। शुल्क जमा होते ही नियमितीकरण की कार्यवाही की जायेगी। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। 73 अवैध कॉलोनियों में विभिन्न शासकीय विभागों द्वारा आपत्ति दर्ज की गई होने से इन अवैध कॉलोनियों का नियमितीकरण किया जाना संभव नहीं है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। शेष 54 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्यवाही प्रचलित होकर उनमें कुछ शासकीय विभागों के अभिमत/अनापत्ति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रचलित है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। (ग) वर्ष 2010 के बाद विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 में तीन नई अवैध कॉलोनियां कटने की शिकायत प्राप्त होने पर नगर निगम, इंदौर द्वारा उनके विरूद्ध कार्यवाही करते हुए रिमुव्हल संबंधी कार्यवाही की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ई'' अनुसार है।
म.प्र. गृह निर्माण मण्डल द्वारा लिए जाने वाले कॉमन सर्विस चार्ज बाबत्
34. ( क्र. 3301 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश गृह निर्माण मण्डल द्वारा कोई कॉमन सर्विस चार्ज लिया जाता है? यदि हाँ, तो वह किन श्रेणियों के मकान वालों से लिया जाता है तथा यह किस उद्देश्य से लिया जाता है? (ख) क्या उक्त चार्ज से मकानों का मरम्मत, रख-रखाव आदि किया जाता है? (ग) इंदौर शहर में एल.आई.जी., एम.आई.जी. कॉलोनी से अभी तक इस मद में कितनी राशि ली गई है वर्ष 2012 से अभी तक उक्त भवनों के मरम्मत व रख-रखाव पर कितनी राशि व्यय की गई व किस मद में व्यय की गई? (घ) मध्यप्रदेश गृह निर्माण मण्डल द्वारा कॉमन सर्विस चार्ज लिए जाने के बावजूद अभी तक भवनों का मरम्मत एवं रख-रखाव क्यों नहीं किया जा रहा है? कब तक कराया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल द्वारा केवल प्रकोष्ठ भवनों के तहत आवंटियों से रख-रखाव हेतु कामन सर्विस चार्ज प्रकोष्ठ भवनों के रहवासी कल्याण समिति को हस्तांतरण होने तक लिया जाता है। प्रकोष्ठ भवनों के अंतर्गत समस्त श्रेणी के आवंटियों से कामन सर्विस चार्ज लिया जाता है। यह चार्ज प्रकोष्ठ भवनों के उभयनिष्ठ बाह्य रख-रखाव कार्य यथा-सीवर लाईन, जल प्रदाय रख-रखाव तथा साफ-सफाई के उद्देश्य से लिया जाता है। (ख) जी नहीं। उक्त चार्ज से प्रकोष्ठों के आंतरिक रख-रखाव अथवा मरम्मत का कार्य नहीं किया जाता है केवल प्रकोष्ठ भवनों के उभयनिष्ठ बाहरी रख-रखाव कार्य हेतु यह चार्ज प्राप्त किया जाता है। (ग) इंदौर शहर में एल.आई.जी. एम.आई.जी. कॉलोनी में निर्मित प्रकोष्ठों अंतर्गत इस मद में अभी तक रू. 20,84,683/- की राशि प्राप्त हुई है एवं वर्ष 2012 से अभी तक रू. 2,50,000/- रख-रखाव के मद में व्यय किये गये हैं। (घ) उत्तरांश ‘ग‘ में उल्लेखित अनुसार स्पष्ट है कि रख-रखाव का कार्य किया गया है एवं कॉलोनी अंतर्गत इस मद में अभी तक कुल रू. 24,23,063/- का व्यय किया गया है एवं यह एक सतत् प्रक्रिया है।
मुख्य नहरों एवं सब माईनर का सीमेंटीकरण
35. ( क्र. 4047 ) श्री
रजनीश सिंह :
क्या जल
संसाधन
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) क्या
संजय सरोवर
परियोजना के
अंतर्गत मुख्य
नहर, माइनर
नहर एवं सब
माईनर नहरों
की स्थिति अत्यंत
खराब हो गई है, जिसके
कारण नहरों से
पानी सीपेज
होता रहता है? (ख) क्या
संजय सरोवर
सिंचाई
परियोजना के
अंतर्गत मुख्य
नहर, माईनर
नहर एवं सब
माइनर का
सीमेंटीकरण
किये जाने हेतु
विभाग के पास
प्रस्ताव है? यदि हाँ, तो
कितनी राशि का
प्राक्कलन तैयार
किया गया है? क्या
विभाग उक्त
नहरों का
सीमेंटीकरण
करवायेगा? यदि हाँ, तो कब तक यदि
नहीं, तो
क्यों?
(ग)
क्या
प्रश्नकर्ता
द्वारा उक्त (ख)
प्रश्नांश
हेतु
पत्राचार के
माध्यम से
सीमेंटीकरण
हेतु मांग की
जा रही है? यदि हाँ, तो इस
संबंध में
विभाग द्वारा
प्रश्न
दिनांक तक क्या
कार्यवाही की
गई?
जल
संसाधन
मंत्री ( श्री
जयंत मलैया ) : (क) जी
नहीं। नहर
प्रणाली
रूपांकित
क्षमता
अनुसार जल प्रवाह
करने के लिए
संचालित है। रिसाव
का प्रावधान
कच्ची नहरों
के रूपांकन
में नीहित
होता है। (ख) जी
नहीं। कोई
प्रस्ताव
शासन के समक्ष
स्वीकृति
हेतु
विचारधीन
नहीं है। शेष
प्रश्नांश
उत्पन्न
नहीं होते है।
(ग) जी हाँ। परियोजना
के
सुदृढ़ीकरण
और जल के इष्टतम
उपयोग के लिए
एशियन डेवलपमेंट
बैंक से
तकनीकी
सहायता की स्वीकृति
प्राप्त की
गई है।
सब-स्टेशन का निर्माण
36. ( क्र. 4057 ) श्री रजनीश सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केवलारी विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत कितने विद्युत सब-स्टेशन हैं? इन सब-स्टेशनों की क्षमता क्या है? ये कहाँ-कहाँ स्थापित हैं? (ख) क्या केवलारी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पीपरदोन आलोती खापां पर विद्युत सब-स्टेशन स्वीकृत हैं? यदि हाँ, तो इसका कार्य प्रारंभ क्यों नहीं किया गया? (ग) सब-स्टेशन के निर्माण का कार्य किस कंपनी के द्वारा कराया जा रहा है? (घ) उक्त सब-स्टेशन से किन-किन ग्रामों को लाभ मिलेगा एवं कार्य कब से प्रारंभ होकर पूर्ण कर लिया जावेगा? समयावधि बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) केवलारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 33/11 के.व्ही. के 12 विद्युत सब-स्टेशन विद्यमान हैं। इन 33/11 के.व्ही. के 12 सब-स्टेशनों की क्षमता सहित स्थान का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। इस विधान सभा क्षेत्र में अति उच्चदाब (400 के.व्ही., 220 के.व्ही. तथा 132 के.व्ही.) के कोई सब-स्टेशन विद्यमान नहीं है। (ख) ग्राम पीपरदोन आलोतीखापा नहीं, अपितु ग्राम आलोनीखापा में 33/11 के.व्ही. सब-स्टेशन दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत प्रस्तावित है। योजनान्तर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराने हेतु निविदा दस्तावेजों की स्वीकृति ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड से प्रतिक्षित है, अत: उक्त सब-स्टेशनों के कार्य हेतु अभी निविदा जारी नहीं की जा सकी है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। (घ) उक्त सब-स्टेशन से कोहका, पीपरदोन, झोला, भादूटोला, तुरगा, तेंदुटोला रैयत, अलोनीखापा माल, अलोनीखापा रैयत, पोताल पानी, मशानबर्रा, सुकतरा, सावरी, बिछुआ रैयत, चौरापाठा, बिछुआ माल, सिरौली, देहवानी, खैररांजी, बोथिया एवं ग्वारी ग्रामों को लाभ मिलेगा। उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से निविदा दस्तावेजों की स्वीकृति के उपरांत निविदा जारी कर उक्त सब-स्टेशन का कार्य किया जाना संभव हो सकेगा, जिस हेतु वर्तमान में कार्य आरंभ/पूर्ण करने की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
शाला उपकर निधि के कार्य
37. ( क्र. 4183 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले की पांचों नगर पालिका द्वारा मकान मालिकों से कितनी दर से शाला उपकर टैक्स वसूल करने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो इसका उद्देश्य बतावें? (ख) प्रश्नांश ‘क’ में उल्लेखित किस-किस नगरपालिका के खातों में प्रश्नांश दिनांक तक कितनी राशि शाला उपकर के नाम से जमा है? (ग) प्रश्नांश ‘ख’ में उल्लेखित जमा राशि में से किस-किस नगर पालिकाओं द्वारा वर्ष 2014-2015 एवं 2015-2016 में कौन-कौन से कार्य शाला उपकर निधि से कितनी लागत के किस-किस स्थान पर कराये गये हैं? कार्यवार,लागतवार सूची उपलब्ध करावें? (घ) नगर पालिका परिषद बासौदा के अन्तर्गत कौन-कौन से शासकीय विद्यालय हैं, इन विद्यालयों में कौन-कौन सी मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है? विद्यालयवार जानकारी देवें? क्या विद्यालयों की मांग के अनुसार प्रश्नांश ‘क’ के प्रावधानुसार कार्य कराये जा सकते है? यदि हाँ, तो कार्य कब तक कराये जावेंगे? यदि नहीं, तो कारण देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगरीय क्षेत्र में शाला उपकर नहीं, शिक्षा उपकर का प्रावधान है, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, मंत्रालय का पत्र क्रमांक 4050/18-3/99 भोपाल, दिनांक 07 अक्टूबर, 1999 के अनुसार शिक्षा उपकर की दर 02 से 05 प्रतिशत है, जिले की 06 नगरीय निकायों में से पाँच नगरीय निकायों द्वारा मकान मालिकों से निम्नानुसार शिक्षा उपकर वसूला जा रहा है:-
शिक्षा उपकर अधिरोपित किये जाने का उद्देश्य निकाय सीमांतर्गत शासकीय स्कूल भवनों के रख-रखाव एवं वांछित सुविधायें उपलब्ध कराया जाना है। (ख) प्रश्नांश दिनांक तक निकायों के खातों में शिक्षा उपकर की जमा राशि, व्यय की गई राशि एवं शेष राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) नगर पालिका गंजबासौदा के अंतर्गत विद्यालयों एवं मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता के संबंध में विद्यालयवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। जी हाँ। प्रश्नांक ''क'' के प्रावधानुसार कार्य कराये जा सकते है। निकाय द्वारा कराये गये निर्माण कार्य के अतिरिक्त प्रश्न दिनांक तक कोई भी राशि शिक्षा उपकर की शेष नहीं है। राशि उपलब्ध होने पर मांग अनुसार कार्य कराये जायेंगे।
सेवानिवृत्त/मृत कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों एवं देय स्वत्वों का भुगतान
38. ( क्र. 4184 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश पेंशन नियम 57 एवं 59 के अनुसार सेवानिवृत्त शासकीय सेवक के सेवानिवृत्त तिथि से 24 माह पूर्व पेंशन प्रकरण तैयार किये जाने एवं सेवानिवृत्त के 6 माह पूर्व पेंशन स्वीकृति हेतु जिला पेंशन अधिकारी को प्रकरण भेजे जाने का प्रावधान है? (ख) विदिशा जिले में किस-किस विभाग में दिनांक 1 जनवरी, 2014 से प्रश्नांश दिनांक तक कितने कर्मचारी सेवानिवृत्त/मृत हुये हैं? इन सेवानिवृत्त/मृत कर्मचारियों के प्रकरण संबंधित विभाग द्वारा पेंशन अधिकारी को किस दिनांक को प्रस्तुत किये गये है? पेंशन अधिकारी द्वारा इन प्रकरणों में स्वीकृति आदेश कब जारी किये गये? (ग) प्रश्नांश (ख) में ऐसे कितने प्रकरण हैं, जो पेंशन नियम 57 एवं 59 का पालन न करते हुये प्रकरण 6 माह पूर्व पेंशन अधिकारी को प्रस्तुत नहीं किये गये है? इसके लिये उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाकर भविष्य में पुनरावृत्ति न हो इसके लिये ठोस निर्देश जारी किये जावेंगे? (घ) प्रश्नांश ‘ख’ में उल्लेखित कितने सेवानिवृत्त शासकीय सेवक/मृत शासकीय की पेंशन, ग्रेज्युटी, बीमा राशि,अर्जित अवकाश नगदीकरण, जी.पी.एफ. का भुगतान किया जा चुका है कितने शेष है? शेष देय स्वत्वों का भुगतान कब तक किया जावेगा? शेष प्रकरणों की जानकारी उपलब्ध करावें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) कुल 620 कर्मचारी सेवानिवृत्त/मृत्य हुये है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'ब' एवं 'स' अनुसार है। (ग) ऐसे कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) कुल 620 प्रकरणों में से 601 प्रकरण जिला पेंशन कार्यालय से प्राप्त हुए। तथा 19 ऐसे सेवानिवृत्त/मृत्य कर्मचारी के प्रकरण है जो कि जिला पेंशन कार्यालय में प्राप्त नहीं हुए है। 601 प्रकरणों में से 8 प्रकरण न्यायालय से संबंधित होने के कारण संबंधित विभागों में लंबित है। अधिक भुगतान व वसूली व अन्य प्रकरणों में से विभागों में 23 प्रकरण लंबित है। अत: कुल 570 प्रकरणों में पी.पी.ओ. जारी हुआ है। 489 प्रकरणों में पेंशन/ग्रेज्युटी का भुगतान किया जा चुका है। 41 पेंशन एवं ग्रेज्युटी के प्रकरण अन्य कोषालयों में भुगतान हेतु स्थानांतरित किये गये है। शेष 40 प्रकरण कोषालय संहिता के प्रावधान अनुसार अमांग/अघटना/अजाँच प्रमाण पत्र की प्रक्रिया पूर्ण होने पर कोषालय द्वारा भुगतान किया जा सकेगा।
स्मार्ट सिटी योजना
39. ( क्र. 4316 ) श्री जयभान सिंह पवैया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना में स्वीकृति के लिये ग्वालियर शहर की क्रमवार स्थिति क्या है? ग्वालियर शहर को चयनित कराने के क्या प्रयास किये जा रहे हैं? (ख) स्मार्ट सिटी योजना में प्रदेश के जो शहर चयनित नहीं हुये हैं? उसके कारण क्या रहे तथा भविष्य में शामिल कराने की क्या योजना है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) केन्द्र सकरार की स्मार्ट योजना ग्वालियर शहर की क्रमवार स्थिति 22 नंबर पर है। योजना के आगामी चरण में चयन हेतु शेष 54 शहरों में प्रतिस्पर्धा होनी है। इस हेतु ग्वालियर शहर के स्मार्ट सिटी प्रस्ताव को आवश्यक संशोधन के साथ भारत सरकार को प्रेषित किया जा रहा है। (ख) स्मार्ट सिटी योजना अंतर्गत 98 शहरों में से केवल 20 शहर की चयनित होना थे, इस कड़ी प्रतिस्पर्धा में मध्यप्रदेश केवल एक मात्र राज्य रहा जिसके तीन शहर सम्मिलित हुए तथा ग्वालियर शहर मात्र 0.6 अंकों की कमी से वंचित हुआ। आगामी वित्तीय वर्ष में आयोजित होने वाले स्मार्ट सिटी की प्रतिस्पर्धा में पूर्ण तैयारी एवं प्राप्त दिशा निर्देशानुसार कार्यवाही की जा रही है।
शिवपुरी जिले में कराये जा रहे विद्युतीकरण कार्य
40. ( क्र. 4335 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा शिवपुरी जिले में ग्रामीण विद्युतीकरण से जुड़े राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आर.जी.जी.वी.वाय.) फेज प्रथम, द्वितीय एवं दीनदयाल ग्राम ज्योति, फीडर सेपरेशन, आर.ए.पी.डी.आर.पी., जे.बी.आई.सी., ए.डी.बी., सिस्टम स्ट्रेंथनिंग योजनाओं के तहत अब तक कुल कितनी धनराशि के कार्यादेश विभिन्न फर्मों को जारी किए गए हैं? (ख) प्रश्नांश के संदर्भ में जारी इन कार्यादेशों के क्रियान्वयन की अद्यतन जानकारी मय भुगतान विवरण के योजनावार पृथक-पृथक उपलब्ध करावें? (ग) क्या जारी किए गये कार्यादेशों के समरूप फर्मों द्वारा समय-सीमा में कार्य सम्पन्न किए गये हैं? यदि नहीं, तो किन-किन फर्मों द्वारा समय-सीमा में कार्य नहीं किया गया? जिन फर्मों द्वारा समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किए गये उनके विरूद्ध कंपनी द्वारा क्या वैधानिक कार्यवाही की गयी है? जानकारी योजनावार, फर्मवार, पृथक-पृथक उपलब्ध करावें? (घ) वर्तमान में किन फर्मों को कार्यपूर्णता हेतु समयवृद्धि दी गई है? क्या शिवपुरी जिले में संचालित विद्युत संरचना विनिर्माण कार्यों की मॉनीटरिंग हेतु निजी कन्सलटेंट की सेवाएं ली गयी है? यदि हाँ, तो सभी का विवरण दें एवं उन्हें किए गये भुगतान का विवरण सहित समस्त जानकारी योजनावार, फर्मवार, पृथक-पृथक उपलब्ध करावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अंतर्गत शिवपुरी जिले में प्रश्नाधीन उल्लेखित योजनाओं यथा- राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, फीडर विभक्तीकरण योजना, आर.ए.पी.डी.आर.पी.योजना, जे.बी.आई.सी. योजना तथा ए.डी.बी. योजना के अंतर्गत विभिन्न ठेकेदार/क्रियान्यवयन एजेन्सियों को दिये गये कार्यादेश की ठेकेदार/ क्रियान्यवयन एजेन्सी के नामवार एवं कार्यादेश की राशि सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। प्रश्नाधीन उल्लेखित प्रणाली सुदृढ़ीकरण योजना के अंतर्गत कार्य म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर कराये जा रहे हैं, जिस हेतु विभिन्न ठेकेदार/क्रियान्वयन एजेन्सियों को जारी किये गये कार्यादेश की ठेकेदार/क्रियान्यवयन एजेन्सी के नामवार कार्यादेश की राशि सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के संदर्भ में जारी कार्यादेशों के अंतर्गत योजनावार क्रियान्वयन की अद्यतन जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। ठेकेदार /क्रियान्यवयन एजेन्सियों को योजनावार किये गये भुगतान की राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' में दर्शाये अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन जारी किये गये कार्यादेशों के समरूप समय-सीमा में 11 ठेकेदार/क्रियान्वयन एजेन्सियों द्वारा कार्य सम्पन्न नहीं किया गया है। उक्तानुसार निर्धारित समय-सीमा में कार्य सम्पन्न नहीं करने वाले ठेकेदार/ क्रियान्वयन एजेन्सियों का उनके विरूद्ध की गई वैधानिक कार्यवाही सहित योजनावार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' में दर्शाये अनुसार है। (घ) कार्य पूर्णता हेतु 9 फर्मों को समय वृद्धि दी गई है, जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' में दर्शाये अनुसार है। जी हाँ, शिवपुरी जिले में संचालित विद्युत अधोसंरचना के निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग हेतु निजी कंसल्टेंट की सेवाएं ली गई हैं, जिनका योजनावार नाम एवं किये गये भुगतान सहित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' में दर्शाये अनुसार है।
ई-रजिस्ट्री/पंजीयन को ऑनलाईन करना
41. ( क्र. 4354 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गोटेगांव तहसील कार्यालय में ई-रजिस्ट्री, पंजीयन एवं भू-रिकार्ड को ऑनलाईन कब तक किया जा सकेगा? (ख) क्या तहसील कार्यालय में 5 मशीनें रखी हुई हैं लेकिन कार्य नहीं हो पा रहा है? (ग) यदि हाँ, तो विलंब का कारण बतलायें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) गोटेगांव तहसील कार्यालय में ई-रजिस्ट्री/पंजीयन का कार्य दिनांक 01.07.2015 से ऑनलाईन किया गया है। नरसिंहपुर जिले में प्रथम चरण में नकल वितरण हेतु आई.टी. सेंटर प्रारंभ हो चुके है, एवं 04 तहसीलों का भू-अभिलेख डाटा ऑनलाईन किया गया है। शेष तहसील तेन्दूखेडा का डाटा वेण्डर द्वारा शीघ्र ऑनलाईन किया जाएगा। (ख) नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव उप पंजीयक कार्यालय में 02 कम्प्यूटर मशीनें रखी है, कार्य सुचारू रूप से सम्पन्न हो रहा है। भू-अभिलेख विभाग द्वारा तहसील कार्यालय में 02 कम्प्यूटर सिस्टम लगाए गए हैं जिसमें एक कम्प्यूटर सिस्टम से वेब.जी.आई.एस. ऑनलाईन सेन्ट्रल सर्वर से चालू खसरा बी-1 एवं नक्शा की नकल प्रति पेज 30 रूपये के मान से आवेदक को प्रदाय किए जाने का कार्य आरंभ हो चुका है। (ग) प्रश्नांश ''ख'' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
गोटेगाँव विधान सभा क्षेत्र में विद्युत सेपरेशन बाबत्
42. ( क्र. 4355 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गोटेगांव विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत विद्युत सेपरेशन का कितना कार्य हो चुका है एवं कितना बकाया है? (ख) विद्युत सेपरेशन में कितने एम.एम. की केबिल लगाने का निर्धारण किया गया है? क्या घरेलू एवं कृषि उपयोग हेतु अलग-अलग एम.एम. के केबिल का निर्धारण हैं? (ग) विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत विद्युत सेपरेशन के कार्य में लापरवाही की प्रश्नकर्ता की वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में प्रश्न दिनांक तक कितनी शिकायतें कार्यालय अधीक्षण अभियंता (संचा-संधा) नरसिंहपुर एवं कार्यपालन अभियंता (संचा-संधा) नरसिंहपुर में प्राप्त हुई हैं एवं इन पर क्या कार्यवाही की गई है? (घ) इस विद्युत सेपरेशन के कार्य में गुणवत्ता के क्या मापदण्ड सुनिश्चित किये गये हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) गोटेगांव विधान सभा में फीडर सेपरेशन योजना के अंतर्गत फीडर सेपरेशन हेतु चयनित फीडरों में से 23 फीडरों का कार्य पूर्ण हो गया है तथा 44 नग फीडरों का कार्य शेष है। (ख) फीडर सेपरेशन योजना में 16 स्क्वायर एम.एम., 25 स्क्वायर एम.एम., 35 स्क्वायर एम.एम. एवं 50 स्क्वायर एम.एम. की निम्न दाब केबिल लगाने का प्रावधान है। जी नहीं, अपितु केबिल साईज का निर्धारण अनुमानित विद्युत भार के अनुसार किया जाता है। (ग) प्रश्नाधीन अवधि में माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय की फीडर सेपरेशन के कार्यों से संबंधित कोई भी शिकायत अधीक्षण अभियंता (संचालन/संधारण) नरसिंहपुर एवं कार्यपालन अभियंता (संचालन/संधारण), नरसिंहपुर के कार्यालयों में प्राप्त नहीं हुई है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) फीडर सेपरेशन के कार्य में उपयोग की जाने वाले सामग्री टर्न-की ठेकेदार द्वारा भारतीय मानक (आई.एस.) के अनुरूप क्रय की जाती है। सामग्री क्रय करने के पूर्व, सामग्री का परीक्षण थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेन्सी मे.एरडा/सी.पी.आर.आई. के द्वारा किया जाता है। सामग्री प्राप्त होने के पश्चात् सामग्री की रेण्डम सेम्पलिंग कर, सामग्री का परीक्षण एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला में कराया जाता है। कार्य की गुणवत्ता, निविदा, तथा आर.ई.सी. कंस्ट्रक्शन मैनुअल के प्रावधानों/मापदण्डों के अनुसार थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेंसी एवं कंपनी के नोडल अधिकारी द्वारा सुनिश्चित की जाती है।
उद्वहन सिंचाई योजना स्वीकृति
43. ( क्र. 4451 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या हरदा जिले के कचबैड़ी ग्राम में उद्वहन सिंचाई योजना प्रारंभ किया जाना प्रस्तावित अथवा लंबित है? (ख) यदि लंबित है तो उसका क्या कारण है? (ग) यदि योजना प्रस्तावित है तो उस पर कितना व्यय प्रस्तावित है व कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? (घ) यदि उक्त उद्वहन सिंचाई योजना प्रारंभ की जाती है तो कुल कितना हे. क्षेत्र सिंचित होगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) कचबैडी उद्वहन सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति 12 ग्रामों की 1980 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई के लिए दिनांक 01.10.2008 को रू.1958.07 लाख की जारी की गई थी। दिनांक 21.05.2013 को उद्वहन सिंचाई सहकारी समिति मार्यादित, कचबैड़ी के अध्यक्ष द्वारा परियोजना का संचालन/संधारण व्यय वहन करने में असहमति व्यक्त करने के कारण परियोजना की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति का प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते है।
उदयपुरा विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत सब-स्टेशन
44. ( क्र. 4517 ) श्री रामकिशन पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उदयपुरा विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत प्रश्न दिनांक तक 132 एवं 33 के.व्ही. के कितने विद्युत सब-स्टेशन कहाँ-कहाँ स्वीकृत हुये एवं कहाँ-कहाँ स्वीकृत किये जाने की योजना है? स्वीकृत विद्युत सब-स्टेशन का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के आधर पर बतायें कि कितनी-कितनी राशि कहाँ-कहाँ के लिये स्वीकृत की गई है? कब तक विद्युत सब-स्टेशन का कार्य प्रारंभ करा दिया जायेगा? नवीन विद्युत सब-स्टेशन स्थापित करने हेतु कहाँ-कहाँ की भूमि चयन कर राजस्व विभाग या अन्य से ली गई? चयनित स्थलों पर निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ/पूर्ण करा दिया जायेगा? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) के आधार पर कहाँ-कहाँ कितने के.व्ही. के विद्युत सब-स्टेशन स्थापित करने की आवश्यकता है? प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा इसके लिये क्या-क्या कार्यवाही पूर्ण कर ली गई है? क्या-क्या होना शेष है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) उदयपुरा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 132 के.व्ही. का एक उपकेन्द्र उदयपुरा ग्राम पुरैना (विजनहाई) में स्वीकृत है। इस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत अन्य कोई भी अति उच्च दाब उपकेन्द्र प्रस्तावित नहीं है। इस उपकेन्द्र का निर्माण कार्य प्रगति पर है। कार्यादेश के अनुसार निर्माण कार्य पूर्ण होने की नियत तिथि मई 2016 है। इसी प्रकार उदयपुरा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य ग्राम-नयागांव (महेश्वर) एवं ग्राम-अनघोरा में स्वीकृति है। इनके अतिरिक्त क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में अन्यत्र 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र स्वीकृति की योजना नहीं है। ग्राम-नयागांव (महेश्वर) में स्वीकृत 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का कार्य दिनांक 08.11.2014 को पूर्ण कर उपकेन्द्र को ऊर्जीकृत किया जा चुका है। ग्राम-अनघोरा में स्वीकृत 33/। 1 के.व्ही. उपकेन्द्र हेतु आबंटित भूमि स्थल पर विवाद की स्थिति होने एवं वर्तमान में प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है। अत: समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) 132 के.व्ही. उपकेन्द्र उदयपुरा एवं संबंधित लाईन के लिये रूपये 1374.38 लाख की राशि स्वीकृत है। इस उपकेन्द्र के लिये ग्राम पुरैना (विजनहाई) तहसील उदयपुरा जिला रायसेन में 6.0725 हेक्टेयर राजस्व भूमि आबंटित है एवं चयनित स्थल पर निर्माण कार्य प्रगति पर है। कार्यादेश के अनुसार निर्माण कार्य पूर्ण होने की नियत तिथि मई 2016 है। उदयपुरा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम-न्यागांव (महेश्वर) 33/11 के.व्ही.उपकेन्द्र के निर्माण कार्य हेतु राशि रूपये 102 लाख एवं ग्राम-अनघोरा में 33/11 के.व्ही.उपकेन्द्र का निर्माण कार्य हेतु राशि रूपये 102 लाख स्वीकृत है। ग्राम-नयागांव (महेश्वर) में स्वीकृत 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का कार्य पूर्ण कर दिनांक 08.11.2014 को ऊर्जीकृत किया जा चुका है। ग्राम-अनघोरा में स्वीकृत 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य स्थल संबंधी विवाद के कारण माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में लंबित है। अत: निर्माण कार्य प्रारंभ होने की तिथि बताना संभव नहीं है। उपकेन्द्र निर्माण हेतु ग्राम-अनघोरा में शासकीय भूमि आबंटित हुई थी। आबंटित भूमि पर जल भराव की समस्या के कारण कलेक्टर रायसेन द्वारा आबंटित भूमि निरस्तकर पुन: उपकेन्द्र निर्माण हेतु यहीं भूमि पुन: आबंटित की गई। इसी अवधि में उपकेन्द्र निर्माण हेतु दानपत्र पर निजी भूमि प्राप्त हुई, परन्तु उक्त स्थलों पर विवाद की स्थिति निर्मित होने के कारण प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में निर्णय हेतु लंबित है। निर्णय के उपरांत ही आगामी कार्यवाही की जा सकेगी। अत: कार्य प्रारंभ/ पूर्ण करने की समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) 132 के.व्ही. उपकेन्द्र उदयपुरा आवश्यकतानुसार स्वीकृत किया गया है, जिसका निर्माण कार्य प्रगति पर है। भविष्य में मांग को दृष्टिगत रखते हुये तकनीकी साध्यता के अनुसार अति उच्च दाब उपकेन्द्र स्थापित किये जाने पर विचार किया जावेगा। 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों के निर्माण हेतु की जा रही कार्यवाही का विवरण उत्तरांश (ख) अनुसार ही भविष्य में तकनीकी साध्यता के आधार पर आवश्यकता होने पर नए 33/11 के.व्ही.उपकेन्द्र स्थापना पर विचार किया जावेगा।
बैरसिया अंतर्गत विद्युत सब-स्टेशनों के निर्माण
45. ( क्र. 4529 ) श्री विष्णु खत्री : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कितने नये विद्युत सब-स्टेशनों के निर्माण किये जाने प्रस्तावित हैं? सूची उपलब्ध करावें। (ख) क्या बैरसिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत चाटाहेडी, चंदेरी आदि में विद्युत सब-स्टेशनों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है? इन सब-स्टेशनों का निर्माण कार्य कब से प्रारंभ हो जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्रांतर्गत 33/11 के.व्ही. के 2 विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य ग्राम चंदेरी एवं ग्राम बागसी में किया जाना प्रस्तावित है, जिनकी सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) बैरसिया विधानसभा क्षेत्रांतर्गत चांटाहेडी में विद्युत सब-स्टेशन का निर्माण किया जाना प्रस्तावित नहीं है। तथापि उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार 02 न. 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य ग्राम चंदेरी एवं ग्राम बागसी में किया जाना प्रस्तावित है। ग्राम चंदेरी में 33/11 के.व्ही.विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में किया जाना स्वीकृत है। विद्युत उपकेन्द्र के निर्माण हेतु भूमि का आवंटन कर दिया गया है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में प्रस्तावित कार्यों को टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु निविदा-दस्तावेजों की स्वीकृति ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से प्रतिक्षित है। अत: उक्त उपकेन्द्र का निर्माण कार्य प्रारंभ होने की निश्चित तिथि बताया जाना संभव नहीं है। ग्राम बागसी में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य ए.डी.बी. योजना के अंतर्गत स्वीकृत है तथा कार्य माह जून 2016 तक पूर्ण करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
विधायक स्वेच्छानुदान निधि
46. ( क्र. 4530 ) श्री विष्णु खत्री : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा विधायक स्वेच्छानुदान निधि को स्वीकृत एवं वितरित किये जाने के क्या नियम है? (ख) विभाग में विधायक स्वेच्छानुदान निधि का अनुशंसा पत्र पहुंचने के उपरांत कितने दिनों में हितग्राही के खाते में अनुशंसित राशि पहुंचने की समय-सीमा है? (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा अनुशंसित पत्रों पर प्राय: बहुत विलंब के बाद राशि हितग्राहियों के खाते में पहुंचती है और कई बार खातों में राशि नहीं पहुंचती है? क्या कारण है, स्पष्ट करें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) मा. विधायक से अनुशंसा प्राप्त होने के उपरांन्त 07 दिवस में हितग्राहियों के खाते में राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान है। (ग) योजनान्तर्गत हितग्राहियों के ई-पेमेन्ट के माध्यम से राशि दिये जाने का प्रावधान होने के कारण कई बार हितग्राहियों के बैंक खाता नंम्बर, आई.एफ.एस. कोड बैंक का नाम एवं शाखा का स्पष्ट उल्लेख न होने से हितग्राहियों के खातों में विलंम्ब से या नहीं पहुंच पाती है।
विधानसभा सदस्यों को मिलने वाले लिपिक
47. ( क्र. 4565 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा सदस्यों को शासन की ओर से लिपिक उपलब्ध कराने की व्यवस्था है? यदि हाँ, तो किस स्तर के अधिकारी/कर्मचारी को नियुक्त किया जाता है? (ख) क्या सभी विधानसभा सदस्यों को शासन द्वारा लिपिक उपलब्ध कराए हैं? यदि नहीं, तो इस संबंध में शासन की क्या योजना है? लिपिक नियुक्त में देरी के क्या कारण हैं? (ग) क्या लिपिकों की नियुक्ति के संबंध में शासन के पास विधानसभा सदस्य द्वारा दिया गया प्रस्ताव लंबित है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 19.05.1995 के अनुसार माननीय विधायकों को लिपिकीय सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश जिला कलेक्टरों को दिये गये है। लिपिकीय (तृतीय श्रेणी ) कर्मचारी। (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) जी नहीं।
अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषकों को विद्युत कनेक्शन
48. ( क्र. 4633 ) श्री कैलाश चावला : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मनासा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत शासन की अनुदान योजना के तहत सिंचाई पंप कनेक्शनों हेतु वर्ष 2014-15 में एवं वर्ष 2015-16 में जनवरी,2016 तक कितने आवेदन म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कपंनी लिमिटेड इन्दौर के संबंधित कार्यालयों में प्राप्त हुये? (ख) उक्त आवेदनों के प्रकाश में जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग नीमच द्वारा विभाग को आवश्यक स्वीकृति व आवंटन प्राप्त करने हेतु प्रकरण किस दिनांक को भेजे गये? (ग) विभाग द्वारा उक्त चरण-2 में उल्लेखित प्रकरणों में स्वीकृति व आवंटन किस दिनांक को किया गया? (घ) मनासा विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2014-15 में एवं वर्ष 2015-16 में दिनांक 31 जनवरी,2016 तक अनुदान योजना के अन्तर्गत कितने सिंचाई पम्प कनेक्शन जारी किये गये हैं संख्या बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) मनासा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कृषकों को सिंचाई के लिये स्थायी विद्युत पम्प कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना के तहत् वर्ष 2014-15 में कुल 273 आवेदन एवं वर्ष 2015-16 में जनवरी-2016 तक कुल 230 आवेदन म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालय में प्राप्त हुए हैं। (ख) कृषकों को स्थायी विद्युत कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना के अन्तर्गत विद्युत कंपनी में प्राप्त सिंचाई पम्प कनेक्शन आवेदनों पर वितरण कंपनी द्वारा विभागीय तौर पर स्वीकृति की कार्यवाही की जाती है। आवेदकों द्वारा निर्धारित अंशराशि जमा कराई जाती है तथा शेष राशि राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को उपलब्ध कराई जाती है। जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा स्वीकृति एवं आंवटन प्राप्त करने हेतु प्रकरण नहीं भेजे जाते हैं, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) उत्तरांश "ख" के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। (घ) मनासा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत वर्ष 2014-15 में प्राप्त कुल 273 आवेदनों में से समस्त 273 आवेदकों एवं वर्ष 2015-16 में माह जनवरी-2016 तक प्राप्त कुल 230 आवेदनों में से 97 आवेदकों को सिंचाई पम्प कनेक्शन जारी किये गये है।
रानीताल से मेहता पेट्रोल पंप तक की MR-4 रोड
49. ( क्र. 4665 ) श्री अंचल सोनकर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिका निगम जबलपुर के अंतर्गत रानीताल से मेहता पेट्रोल पंप होते हुए एम.आर.-4 तक की सड़क की लंबाई कितनी है? इसका निर्माण किस कंपनी/ठेकेदार द्वारा कब किया गया? कंपनी/ठेकेदार द्वारा सड़क निर्माण के अतिरिक्त और क्या-क्या कार्य किये जाने थे, निर्माण में कितनी लागत आई ठेकेदार को कब-कब कितनी-कितनी राशि का भुगतान किस-किस अधिकारी के द्वारा सत्यापन के उपरांत किया गया? नाम सहित बतावें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित सड़क वर्तमान में पूरी तरह उखड़ चुकी है एवं राहगीरों को आवागमन में असुविधा हो रही है? यदि हाँ, तो क्या संबंधित ठेकेदार का गांरटी पीरियड समाप्त हो चुका है अथवा नगर निगम जबलपुर की लापरवाही से ठेकेदार से गांरटी पीरियड में सड़क का रख-रखाव नहीं करवाया जा रहा है? स्पष्ट करें? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित सड़क निर्माण के साथ ठेकेदार को सेंट्रल लाइनिंग, नाली व पुलिया निर्माण का कार्य भी निविदा में शामिल था? यदि हाँ, तो क्या संबंधित ठेकेदार द्वारा सारे कार्य कराये गये थे? यदि हाँ, तो कार्यों की जाँच किस अधिकारी द्वारा कब-कब की गई? क्या जाँच समस्त निविदित्त कार्य पूर्ण एवं नियमानुसार पाये गये? यदि हाँ, तो जाँच रिपोर्ट अधिकारी के नाम सहित बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 2050 मीटर/मेसर्स व्ही.पी.सिंह एंड कंपनी/वर्ष 2011 एवं 2012/ह्यूम पाइप नाला, आर.सी.सी. नाली एवं रोड डिवाइडर। राशि रू. 277.13 लाख। कार्यों का भुगतान निम्नानुसार है :-
1. दिनांक 09.03.2011 45,00,180.00
2. दिनांक
27.05.2011 49,38,864.00
3. दिनांक
09.09.2011 20,71,273.00
4. दिनांक
13.03.2012 35,21,581.00
5. दिनांक 10.05.2012 1,06,70,959.00
6. दिनांक 05.06.2012 20,09,931.00
कुलराशि 2,77,12,788.00
(ख) जी नहीं। जी नहीं। ठेकेदारों को सड़क का रख-रखाव नहीं करने से अनुबंध की शर्तों के अनुसार काली सूची में डालने की कार्यवाही की जा रही है। (ग) जी नहीं अपितु सेंट्रल लाईटिंग का कार्य निविदा में शामिल नहीं था। जी नहीं। कार्यों की जाँच तत्कालीन मुख्य अभियंता श्री सूर्यकुमार चौबे द्वारा दिनांक 09-01-2013 को की गई थी। जाँच प्रतिवेदन पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर है। जाँच प्रतिवेदन में विभिन्न स्थानों पर आई खराबी को ठेकेदार द्वारा उसके व्यय पर सुधारने का लेख किया गया है।
रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड को भुगतान
50. ( क्र. 4667 ) श्री अंचल सोनकर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा जबलपुर जिले में क्या-क्या कार्य कराये जा रहे है? इनके देयकों का भुगतान किस नियम के तहत किया जा रहा है वर्ष 2007 से 2016 तक कितनी राशि का भुगतान संबंधित विभाग द्वारा किया गया वर्षवार एवं मदवार बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) अंतर्गत क्या जिला कोषालय जबलपुर द्वारा वर्ष 2007 से 2016 तक रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कार्पोरेशन लिमिटेड को किये गये देयकों के भुगतान में बिना इंकम टैक्स काटे बिलों का भुगतान कर दिया गया है? यदि हाँ, तो वर्ष 2007 से 2016 तक किये गये बिलों के भुगतान में शासन को कितने रूपये के टैक्स का नुकसान हुआ वर्षवार बतावें। (ग) क्या जिला कोषालय में पदस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभगत से रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन लिमिटेड को करोड़ों का फायदा पहुंचाया गया है? यदि हाँ, तो क्या शासन इसकी गंभीरता पूर्वक जाँच कर दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध गबन/शासन को राजस्व की हानि पहुँचाने की एफ.आई.आर. दर्ज कर कार्यवाही करेगी तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) म.प्र. शासन वित्त विभाग के आदेशों पर भुगतान कोषालयीन नियमों के अनुसार किया गया है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। हर वर्ष आयकर कटौत्रा किया गया है। सिर्फ वर्ष 2009-10 में एक देयक की राशि रूपये 37,72,80,000/- में से आयकर राशि नहीं काटी गई है। क्योंकि रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा अपने पत्र दिनांक 27.3.2010 द्वारा आयकर न कटाने का अनुरोध किया गया था। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश "ख" के प्रकाश में प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
राजीव गांधी विद्युतीकरण
51. ( क्र. 4735 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले के अंतर्गत सिहावल विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत कितने गांव छूटे हुए हैं? इन्हें परियोजना में कब तक जोड़कर विद्युतीकरण किया जावेगा? (ख) सीधी जिले में विगत कई माहों से कई ट्रांसफार्मर खराब हैं, जिन्हें बदला नहीं गया, क्यों? क्या विभाग के पास ट्रांसफार्मर की कमी है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जिला सीधी के सिहावल विधानसभा क्षेत्रांतर्गत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के प्रावधानों के अनुसार कोई भी ग्राम विद्युतीकरण के लिये योजना में शामिल किये जाने हेतु शेष नहीं है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) सीधी जिले में वर्तमान में कोई भी खराब ट्रांसफार्मर बदलने हेतु शेष नहीं है। वितरण कंपनी के पास पर्याप्त ट्रान्सफार्मर उपलब्ध हैं तथा ट्रांसफार्मर खराब होने पर निर्धारित समय-सीमा में बदलने की कार्यवाही की जा रही है।
खराब मीटरों को बदलना
52. ( क्र. 4766 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में कुल कितने घरेलू/अन्य श्रेणी के उपभोक्ता हैं? इनके यहां लगे मीटरों में से कितने चालू एवं कितने जले-फूंके व अन्य कारणों से खराब पड़े हैं इन्हें बदलने में विलंब का कारण बतावें? (ख) उक्त में से कितने उपभोक्ताओं ने वर्ष 2015-16 में खराब मीटर बदलने हेतु आवेदन किये, उसमें से कितने उपभोक्ताओं के मीटर निर्धारित अवधि में विद्युत कंपनी/ठेकेदार द्वारा बदले, कितनों के नहीं व क्यों, कब तक बदले जावेंगे? (ग) क्या जिन उपभोक्ताओं के मीटर महीनों से खराब पड़े हैं अथवा जिनके यहां कनेक्शन तिथि से वर्तमान तक मीटर नहीं लगे इन सहित मीटर धारक उपभोक्ताओं को भी विद्युत कंपनी द्वारा वास्तविक खपत के देयक जारी न कर आंकलित खपत के देयक प्रतिमाह दो से चार गुना अधिक राशि के जारी किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो इस हेतु उत्तरदायियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) यदि नहीं, तो क्या शासन उक्त तथ्यों की जाँच कराएगा एवं खराब मीटरों को शीघ्र बदलने, मीटरविहीन घरों में नवीन मोटर लगवाने उपरांत समस्त उपभोक्ताओं को नियमानुसार देयक जारी करने के निर्देश विद्युत कंपनी को जारी करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) श्योपुर विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में घरेलू एवं अन्य श्रेणी के कुल 55886 विद्युत उपभोक्ता हैं, जिनमें से 42764 उपभोक्ताओं के परिसरों में मीटर स्थापित हैं। उक्त स्थापित मीटरों में से 35815 मीटर चालू है एवं 6949 मीटर जले अथवा अन्य कारणों से खराब/बंद हैं। उक्तानुसार श्रेणीवार (घरेलू व अन्य) उपभोक्ताओं, उनके परिसरों में स्थापित मीटरों तथा मीटरों के चालू/खराब होने की उपभोक्ता श्रेणीवार संख्या संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार है। इन जले/खराब मीटरों को क्रमश: बदला जा रहा हैं। (ख) वर्ष 2015-16 में 1405 उपभोक्ताओं ने खराब मीटर बदलने हेतु आवेदन किये, जिनमें से 1128 उपभोक्ताओं के मीटर निर्धारित अवधि में बदले गये हैं। 277 बंद/खराब मीटर बदलने हेतु शेष है, जिन्हें जाँचोपरान्त एक माह में बदलने की कार्यवाही की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में फरवरी माह तक कंपनी द्वारा उक्त के अतिरिक्त पृथक से 1200 खराब मीटर बदले गए। (ग) जी नहीं। जिन उपभोक्ताओं के मीटर खराब हैं, उन्हें बदलने की कार्यवाही की जा रही है। मीटर बंद/खराब होने की अवधि में म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के प्रावधानों के अनुसार विगत 3 माह की वास्तविक खपत के औसत के आधार पर बिलिंग की जा रही है तथा अनमीटर्ड उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के अनुसार निर्धारित खपत के बिल दिये जा रहे हैं। मीटर धारक उपभोक्ताओं की बिलिंग वास्तविक खपत के आधार पर की जा रही है। उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी के उत्तरदायी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न नहीं उठता। (घ) मीटर लगाने/बदलने की कार्यवाही मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा सतत् रूप से की जा रही है तथा उत्तरांश (ग) में दर्शाए अनुसार नियमानुसार विद्युत बिल जारी किये जा रहे हैं, अत: इस संबंध में पृथक से कोई निर्देश जारी करना आवश्यक नहीं है।
विधि विरूद्ध मकान टैक्स में वृद्धि
53. ( क्र. 4859 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम सागर में वर्ष 2015-16 में किस क्षेत्र में किस दर से मकान टैक्स बढ़ाया गया है? क्या नगर निगम के मेन्युअल में मनमानी बढ़ोत्तरी करने का प्रावधान है? विवरण दें? (ख) क्या मकान टैक्स वृद्धि के लिये नगर निगम परिषद की साधारण सभा में अनुमोदन जरूरी है? यदि हाँ, तो वर्ष 2015-16 में किस दिनांक की साधारण सभा में तदाशय का अनुमोदन लिया गया? (ग) महापौर अपने स्तर पर मकान टैक्स में वृद्धि कर सके, क्या नगर निगम मेन्युअल, उपविधि, अधिनियम में ऐसा प्रावधान है? (घ) क्या निर्वाचित साधारण सभा में पारित कराये बिना मकान टैक्स में कई गुना वृद्धि की गई है? यदि हाँ, तो इस विधि विरूद्ध कार्यवाही के लिये शासन क्या कार्यवाही करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। नगर निगम, सागर द्वारा वर्ष 2015-16 में संपत्तिकर की दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई है। निकाय द्वारा मेनुअल में मनमानी बढ़ोत्तरी नहीं की गई है न ही प्रावधान के विरूद्ध कोई कार्य किया गया है। (ख) नगर पालिका निगम अधिनियम, 1956 की धारा 433 के साथ पठित धारा 138 के तहत बने म.प्र. नगर पालिक (भवनों/भूमियों के वार्षिक भाड़ा मूल्य का अवधारण) नियम 1997 की कंडिका 6 के तहत प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ होने के तारीख से (अधिकतम 6 माह के भीतर) संपत्तिकर की दरों में परिक्षेत्रों का वर्गीकरण, वसूली की तारीख का निर्धारण करने व विवरणी जमा न करने पर अधिभार की दरों का अवधारण करने बाबत् संकल्प अंगीकृत करना अनिवार्य है। उक्त नियम की कंडिका 6-क के तहत यदि उक्त संकल्प अंगीकार नहीं किया जाता है तो गत वर्ष की दरें व प्रक्रिया लागू मानी जावेंगी। नगर निगम, सागर में वर्ष 2015-16 में निगम की साधारण सभा में उक्त आश्य का संकल्प अंगीकार नहीं किया गया है व उक्त नियम की कंडिका 6-क के तहत गतवर्ष की दरों के अनुसार ही वसूली की जा रही है। (ग) जी नहीं, ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। (घ) वर्ष 2015-16 में किसी भी प्रकार की कर दरों में वृद्धि नहीं की गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
राज्य कर्मचारी कल्याण समिति और संघ मान्यता
54. ( क्र. 4865 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कर्मचारी कल्याण समिति को शासन ने कौन-कौन से कार्य करने का दायित्व सौंपा है? कर्तव्य क्रियाकलाप और कार्य आवंटन से संबंधित जानकारी उपलब्ध करावें? (ख) कर्मचारी कल्याण समिति ने वर्ष 2015-16 में कर्मचारी हितार्थ की गई कौन-कौन सी अनुशंसाएं-सिफारिशें मान्य/अमान्य की गई? मान्य के विरूद्ध जारी आदेश की प्रति दें? (ग) माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में विचाराधीन रिट पिटीशन 22071/2015 निर्णीत होने के पहले ही सामान्य प्रशासन विभाग ने मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के एक धड़े को मान्यता प्रदान करने का आधार बतावें? माननीय न्यायालय में विचाराधीन रहते एक धड़े को मान्यता देना विधिसंगत है? मान्यता कब तक निरस्त की जावेगी? (घ) मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के मान्यता विवाद में सामान्य प्रशासन विभाग के समक्ष आपत्तियां दर्ज करने वालों के नाम-पते की जानकारी उपलब्ध करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण समिति को सौपें गये दायित्वों की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट पर है। (ख) समिति से कोई अनुशंसा/सिफारिश नहीं हैा (ग) सामान्य प्रशासन विभाग कर्मचारी संघों को मान्यता प्रदान करता है। संघ के पदाधिकारियों को मान्यता नहीं दी जाती है। अत: शेषांश का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश (ग) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
विभाग द्वारा प्रदूषण एन.ओ.सी.
55. ( क्र. 4883 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सागर द्वारा नरयावली विधानसभा क्षेत्र में स्थित कितने कारखानों/क्रेशर/नर्सिंग होम एवं अन्य जो विभाग की एन.ओ.सी. की श्रेणी में आते हैं? एन.ओ.सी. जारी की गई एवं कितनी विभाग में लंबित है? (ख) क्या एन.ओ.सी. जारी करते समय बोर्ड द्वारा सभी मापदंड के पालन उपरांत ही एन.ओ.सी. जारी की गई है? (ग) क्या एन.ओ.सी. जारी करने के बाद विभाग के पास संबंधित कारखानों/क्रेशर/नर्सिंग होम एवं अन्य संस्था जिनको विभाग की एन.ओ.सी. की आवश्यकता होती है, के विरूद्ध शिकायतें प्राप्त हुई है? (घ) यदि हाँ, तो विभाग ने उन शिकायतों पर संबंधित कारखानों/क्रेशर/नर्सिंग होम एवं अन्य संस्था विरूद्ध क्या कार्यवाही की है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वस्तुस्थिति यह है कि मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कारखानों/क्रेशर/नर्सिग होम को एन.ओ.सी. जारी नहीं की जाती है, अपितु जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम,1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम,1981 के तहत सम्मति तथा खतरनाक अपशिष्ट (प्रबंधन, हस्तन तथा सीमापार संचालन) नियम,2008 एवं जीव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हथालन) नियम,1998 के अंतर्गत प्राधिकार जारी किये गये है, जिनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार है। वर्तमान में कोई प्रकरण लंबित नहीं है। (ख) प्रकरणों में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में किये गये प्रयासों व सम्मति/प्राधिकार शर्तों के पालन की स्थिति का आंकलन कर गुणदोषों के आधार पर बोर्ड द्वारा सम्मति तथा प्राधिकार जारी किये गये है। (ग) एवं (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब‘‘ अनुसार है।
दोषियों की पहचान कर कार्यवाही
56. ( क्र. 4906 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुक्रम में रीवा नगर निगम द्वारा वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक में सौंदर्यकरण हेतु कहाँ-कहाँ एवं कितने-कितने लागत से वृक्षारोपण के कार्य कराये गये? वृक्षारोपण हेतु वृक्ष कितनी-कितनी लागत के खरीदे गये? इनके रख-रखाव हेतु टी गार्ड चयनिंग जाली एवं सिंचाई में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में अनियमितता की शिकायतें म.प्र. शासन एवं वरिष्ठ अधिकारियों को कब-कब की गई तथा उन पर राज्य शासन एवं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा क्या-कया कार्यवाही कब-कब किस स्वरूप की गई बतावें? (ग) प्रश्नांश (क) के संबंध की जानकारी प्रश्नकर्ता द्वारा आयुक्त नगर निगम रीवा से चाही गई थी जो अधूरी एवं भ्रामक दी गई है? (घ) क्या प्रश्नांश (क) के कार्य क्या वन विभाग एवं स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा नगर निगम रीवा से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर करायें गये अगर करायें, कितने वृक्ष/पौधें जीवित हैं? (ड.) यदि प्रश्नांश (क) एवं (घ) अनुसार पौधे मौके पर नहीं है राशि का दुरूपयोग फर्जी बिल बाउचर लगा कर किया गया? मौके पर कार्य होना नहीं पाया गया इसके लिये किन-किन को दोषी मानते हुये किस-किस तरह की कार्यवाही करेंगे बतावें? साथ ही प्रश्नांश (ग) अनुसार प्रश्नकर्ता को चाही गई जानकारी अधूरी एवं भ्रामक देने के लिये किन-किन को दोषी मानकर कौन-कौन सी कार्यवाही करेंगे बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर निगम रीवा द्वारा प्रश्नाधीन अवधि में नगर निगम मद से रूपये 23,398.00/- से मात्र कनैल के पीछे रेल्वे तिराहा से रतहरा तक बने सेन्ट्रल वर्क के दोनों ओर म्यूरल लगाने का कार्य मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास योजनांतर्गत राशि रूपये 2,02,53,780.00 से कराया गया। नगर निगम द्वारा ट्रीगार्ड, चयनिंग जाली में व्यय नहीं किया गया। (ख) वृक्षारोपण में अनियमितता संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) नगर निगम द्वारा कराये गये कार्यों की जानकारी दी गई है। (घ) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) नगर पालिक निगम रीवा द्वारा लगाये गये कनैल के पौधे वर्तमान में स्थल पर उपलब्ध है। फर्जी बिल बनाकर भुगतान नहीं किया गया है। समस्त जानकारी तथ्यात्मक भेजी गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ग्वालियर जिले में आबकारी विभाग के मैदानी अधिकारियों की पदस्थापना
57. ( क्र. 4938 ) श्रीमती इमरती देवी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले में आबकारी विभाग के अंतर्गत मैदानी स्तर के अधिकारी किस दिनांक से पदस्थ है सूची उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) सामान्य प्रशासन विभाग (जी.ए.डी) के अनुसार कार्यपालिक पदों पर पदस्थ मैदानी अधिकारियों को तीन वर्ष से अधिक पदस्थ नहीं किया जा सकता विशेष कर आय अर्जित विभाग में इसका निश्चय जरूरी है? (ग) प्रश्नांश (क) ग्वालियर जिले में तीन वर्ष से अधिक समय से पदस्थ मैदानी अधिकारियों की पदस्थापना में परिवर्तन क्यों नहीं किया गया यदि नहीं, तो कब तक परिवर्तन किया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) ग्वालियर जिले में आबकारी विभाग के अन्तर्गत मैदानी स्तर के पदस्थ अधिकारियों की सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) आबकारी विभाग के अन्तर्गत मैदानी स्तर के पदस्थ अधिकारियों की पदस्थापना राज्य स्तर पर किये जाते है। राज्य स्तर पर की गई पदस्थापना मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञाप क्रमांक एफ 6-1/2015/एक/9 दिनांक 15.04.2015 से जारी स्थानांतरण नीति की कण्डिका 6 (1) एवं 8 (7) के अध्यधीन है। (ग) मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञाप क्रमांक एफ 6-1/2015/एक/9 दिनांक 15.04.2015 से जारी स्थानांतरण नीति की कण्डिका 6 (1) में निर्धारित संख्या से अधिक स्थानांतरण न किये जाने के कारण जिला ग्वालियर में पदस्थ कुछ अधिकारियों के स्थानांतरण नहीं किये गये है। वर्तमान में स्थानांतरण पर प्रतिबंध है।
नगरपालिका परिषद वारासिवनी द्वारा निर्माण कार्य में अनियमितता
58. ( क्र. 5092 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले की नगरपालिका परिषद वारासिवनी में नेहरू चौक, फौवारा चौक में कुल कितनी लागत किस-किस निर्माण कार्य में लगाई गई एवं गांधी बाल उद्यान में फौवारा, बाउण्ड्रीवॉल, झूले, लाईट, प्रवेश द्वार, पेड़-पौधे, प्रतिमा निर्माण में कितनी राशि व्यय की गई एवं महात्मा फुले चौक में बगीचा निर्माण में लाईट, झूले, बैठक, बैंच, प्रतिमा, एवं दिवाल निर्माण में कितनी राशि लगी? (ख) क्या उक्त कार्यों की कोई निविदा निकाली गई थी? निविदा का विवरण प्रस्तुत करे एवं किस ठेकेदार को किस दर पर कितने समय में निर्माण करने की स्वीकृति दी गई थी? (ग) क्या उक्त निर्माण कार्य में किसी अधिकारी/कर्मचारी या ठेकेदार द्वारा लापरवाही बरती गई? क्या कोई भ्रष्टाचार किया गया? अधिकारी/कर्मचारी या ठेकेदार के खिलाफ विभाग क्या कार्यवाही करेगा? कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ग्रामीण क्षेत्र में शेडयूल अनुसार बिजली सप्लाई
59. ( क्र. 5156 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. में ऊर्जा विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य/घरेलू बिजली सप्लाई का क्या शेड्यूल है? क्या शासन के शेडयूल अनुसार बिजली सप्लाय की जा रही है या नहीं अगर नहीं तो क्यों नहीं? (ख) क्या सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्र में भी शासन के बिजली सप्लाय शेड्यूल अनुसार बिजली दी जा रही है? (ग) यदि नहीं, तो कारण बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वर्तमान में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य हेतु 10:00 घण्टे एवं घरेलू उपयोग हेतु ग्राम के मुख्य आबाद क्षेत्र को 24:00 घण्टे विद्युत प्रदाय किये जाने का शेड्यूल निर्धारित है। जी हाँ, तकनीकी कारणों यथा लाईन फाल्ट, विद्युत उपकरणों की खराबी आदि के कारण हुए आकस्मिक अवरोधों, आवश्यक रख-रखाव कार्य हेतु अथवा नवीन विद्युत अधोसंरचना के निर्माण के लिये शट डाउन आवश्यक होने जैसी अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर प्रदेश में उक्तानुसार विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ख) जी हाँ, उत्तरांश (क) में उल्लेखित अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर प्रश्नाधीन क्षेत्र में भी निर्धारित शेड्यूल के अनुसार विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
गाडि़यों के डीज़ल-पेट्रोल में हो रही आर्थिक अनियमितताएं
60. ( क्र. 5167 ) श्री विश्वास सारंग : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल नगर निगम ने 01 जनवरी, 2015 से प्रश्न दिनांक तक निगम की गाडि़यों के डीजल-पेट्रोल और मेंटेनेंस पर कितना व्यय किया? महीनेवार, डीजल-पेट्रोल में भुगतान राशिवार, मेंटनेंस में व्यय राशिवार जानकारी दें? (ख) भोपाल नगर निगम ने 01 जनवरी, 2015 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन सी गाडि़यां कितने-कितने दिन किस दर पर किस एजेंसी से किराए पर किस कार्य के लिये ली? भुगतान राशिवार जानकारी दें? (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत किराए पर गाडि़यां लेने के लिये क्या टेंडर बुलाए गए थे, कब? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) व (ग) के तहत निगम के पास पर्याप्त संख्या में गाडि़यां होते हुए भी किराए पर क्यों ली गई? कारण बताएं।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। दिनांक 06.01.2016 को। (घ) निगम अधिकारियों के अनुपात में निगम में सवारी वाहनों की संख्या कम है। वर्तमान में निगम द्वारा अनेक प्रकार के जनहित योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है जिसके सुचारू रूप से संचालन हेतु मांग अनुसार समय-समय पर वाहन किराये पर लेकर उपलब्ध कराये जाते है।
सिविल सेवा के अधिकारियों द्वारा अनुशासनहीनता
61. ( क्र. 5168 ) श्री विश्वास सारंग : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने का अधिकार है? यदि हाँ, तो किस नियम के तहत? नियम सहित जानकारी दें? (ख) क्या भारतीय वन सेवा के अधिकारी को संगठन बनाने का अधिकार है? यदि हाँ, तो किस नियम के तहत? नियम सहित जानकारी दें? (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत यदि ऐसा करने के नियम नहीं है तो ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ मुख्य सचिव ने 1 जनवरी 14 से प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में दर्शाई गई है। (ग) प्रश्नांश ''ख'' के उत्तर के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
राजघाट बांध से गांवों में पानी देने की योजना
62. ( क्र. 5180 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजघाट बांध से अशोकनगर जिले में लिफ्ट इरीगेशन की नहर से गांव में पानी देने की योजना की लागत विवरण देते हुए बताएं कि साजन महु तालाब की नहर के अंतिम छोर तक पानी देने हेतु शासन क्या कार्यवाही कर रहा है व पिछले 18 माह में प्रश्नकर्ता ने इस संबंध में जो पत्र लिखे हैं? उन पर क्या कार्यवाही हुई? (ख) अशोकनगर जिले के मुंगावली तहसील में सिंचाई विभाग के कितने तालाब से किस-किस गांव में कितनी सिंचाई होती है तथा कितनी योजनाऐं निर्माणाधीन हैं व कितनी व कौन-कौन सी सिंचाई योजना पर कार्य शुरू होने की संभावना है? (ग) पिछले 18 माह में प्रश्नकर्ता के सिंचाई विभाग को लिखे पत्रों पर क्या कार्यवाही हुई?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ग) राजघाट जलाशय में मध्यप्रदेश के हिस्से के जल के उपयोग के लिए अशोकनगर जिले की चंदेरी उद्वहन सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 13.01.2016 को रू.389.77 करोड़ सैच्य क्षेत्र 20,000 हेक्टेयर के लिए दी गई है। साजनमहू परियोजना की नहर के मरम्मत की स्वीकृति दिनांक 26.06.2014 को दी जाकर मरम्मत कार्य पूर्ण कराया जाकर नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाया जाना प्रतिवेदित है। प्रश्नकर्ता मा. विधायक से प्राप्त पत्रों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। परीक्षण पर प्रथम दृष्टया साध्य पाई गई निम्न परियोजनाओं के सर्वेक्षण एवं अनुसंधान कर डी.पी.आर. बनाने के आदेश दिए गये है :- (1) बहादुरपुर वियर कम कॉजवे, (2) खैराई स्टॉपडेम, (3) खुटिया वामोरी स्टॉपडेम, (4) मढ़ीबरखेड़ी स्टॉपडेम कम कॉजवे, (5) रतवास वियर कम कॉजवे (6) सावलहेड़ा स्टॉपडेम। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में निर्माणाधीन परियोजना संख्या निरंक है। उक्त प्रश्नांश के उत्तर में उल्लेखित परियोजना की स्वीकृति की स्थिति नहीं आई है।
निर्माण कार्यों की लागत में वृद्धि
63. ( क्र. 5389 ) डॉ. मोहन यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिंहस्थ महापर्व के दौरान ऊर्जा विभाग द्वारा कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये? स्वीकृति के समय उक्त कार्यों की लागत कितनी थी? उक्त कार्य कब तक पूर्ण होना थे? पृथक-पृथक कार्य की पृथक-पृथक जानकारी प्रदान करें? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी के पश्चात स्वीकृत कार्यों में से किन-किन कार्यों के लागत मूल्य में कितने प्रतिशत की वृद्धि की गई? उक्त वृद्धि किनके आदेश पर की गई? क्या नियमानुसार विज्ञप्ति जारी किये जाने एवं अनुबंध किये जाने के पश्चात लागत मूल्य में व़ृद्धि की जा सकती है? यदि हाँ, तो किस नियम के तहत? नियमों की प्रति उपलब्ध करावें? (ग) वृद्धि की गई राशि की वित्तीय स्वीकृति कब प्राप्त की गई? यदि नहीं, की गई तो बिना वित्तीय स्वीकृत के लागत मूल्य में वृद्धि किये जाने एवं भुगतान किये जाने के क्या नियम है? (ग) प्रश्नांश (ख) की जानकारी अनुसार यदि लागत मूल्य में वृद्धि की गई है तो पूर्व में डी.पी.आर., स्टीमेट, तकनीकी स्वीकृति, वित्तीय स्वीकृति प्राप्त करते समय कम राशि की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए कौन अधिकारी दोषी है? दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सिंहस्थ महापर्व 2016 हेतु संभावित विद्युत भार वृद्धि के दृष्टिगत, म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी एवं म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा क्रियान्वित किये जाने हेतु, ऊर्जा विभाग द्वारा स्वीकृत किये गये विद्युत अधोसंरचना विकास के कार्यों का कार्यवार, स्वीकृत लागत राशि, कार्य पूर्णता की निर्धारित तिथि तथा कार्य पूर्ण होने की दिनांक/अद्यतन स्थिति की जानकारी सहित विद्युत कंपनीवार विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' में दर्शाए अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित कार्यों में से किसी भी कार्य के स्वीकृत लागत मूल्य में वृद्धि नहीं हुई है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) एवं (घ) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
केन्द्र स्थान करौंदी में पर्यटन विकास की सम्भावनायें
64. ( क्र. 5406 ) श्री मोती कश्यप : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2013 से 2015 की अवधि में जिला कटनी, तहसील ढीमरखेड़ा के किसी ग्राम में अवस्थित देश के केन्द्र/ब्रम्ह स्थान में विभाग द्वारा पर्यटन विकास हेतु कोई राशि स्वीकृत की है और जिससे पर्यटन विकास के कौन से निर्माण कार्य किये गये हैं और जिनका किसी तकनीकी परीक्षक द्वारा परीक्षण एवं मूल्यांकन कराया गया है और उसमें किस प्रकार की वित्तीय अनियमितता पायी गई है? (ख) प्रश्नांश (क) क्षेत्र में वर्ष 2013 से 2015 की अवधि के प्रतिमाह में कितने देशी व विदेशी पर्यटक आये हैं और वहां पदस्थ किन स्तर के अधिकारी और कर्मचारियों ने अभिलेख संधारित किया है और निर्माणों को संधारित किया है? (ग) क्या दिनांक 04.02.2016 को कमिश्नर जबलपुर एवं कलेक्टर कटनी द्वारा प्रश्नांश (क), (ख) क्षेत्र का निरीक्षण किया गया है और वहां पर्यटनीय महत्व की कौन सी प्राकृतिक व मानव निर्मित संरचनायें और कौन सी कमियां व विकास की संभावनायें पायी हैं? (घ) क्या प्रश्नकर्ता ने अपने पत्र दिनांक 24.01.2016 के साथ किन्हीं पत्रों को संलग्न करते हुये कलेक्टर कटनी व जबलपुर के किसी विभागीय अधिकारी को किसी संस्था द्वारा अनुपम पर्यटनीय विकास की प्रदर्शित रूचि से अवगत कराये जाने पर उन अधिकारियों ने उस संस्था के प्रमुख से कभी कोई बैठकें कर कोई योजनायें बनाई हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। स्वीकृति अनुसार पार्किंग एरिया जनसुविधा, सिट आउट, डस्टबिन एवं सौन्दर्यीकरण कार्य कराये गये। जी हाँ। जी नहीं। (ख) ग्राम करौंदी तहसील ढीमरखेड़ा जिला कटनी में आवश्यक पर्यटक सुविधाओं के प्रारंभ हो जाने के उपरांत पर्यटन निगम द्वारा संबंधित पर्यटक स्थल की पर्यटक गणना एकत्रित करना प्रारंभ की जावेगी। कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री एवं उपयंत्री द्वारा निर्माण कार्यों को संधारित किया गया। (ग) जी हाँ, निरीक्षण के दौरान केन्द्र बिन्दु के विकास, महर्षि विद्यापीठ द्वारा किये जा रहे कार्य एवं पर्यटन स्थल का अवलोकन किया गया। (घ) जी हाँ।
कटनी में स्मार्ट सर्कूलर रोड निर्माण
65. ( क्र. 5407 ) श्री मोती कश्यप : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता ने अपने पत्र दिनांक 14.01.2015 द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी व विभागीय मंत्री जी तथा दिनांक 25.12.2014 को महापौर नगर निगम कटनी को कटनी में किन्हीं दिशाओं में कहीं से कहीं तक किन्हीं रोड के निर्माण के लिये कोई लेख किया है और किन्हीं प्रकार की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) नगर में कोई राष्ट्रीय राजमार्ग और ग्रामीण दिशाओं से आवागमन करने वाले मार्ग हैं और उनसे नगर यातायात पर किस तरह का दबाव पड़ता रहता है और जन असुविधायें पायी जाती है? (ग) क्या कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, महापौर/आयुक्त नगर निगम कटनी द्वारा प्रश्नांश (क) प्रस्तावित मार्ग का कभी कोई परीक्षण किया गया है और क्या उपयोगिता पायी गयी है? (घ) क्या नगर निगम कटनी स्मार्ट सिटी की प्रतिस्पर्धा में है और इस कारण भी प्रश्नांश (क) दिशाओं के मार्ग आवश्यक नहीं है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्न में उल्लेखित पत्र अप्राप्त है। (ख) जी हाँ। सभी मार्ग शहर से लगे हुये है, जिनसे ग्रामीणजनों के आवागमन से एवं वाहनों के आवागमन से काफी दबाव रहता है। वर्तमान में यातायात अनुसार सड़कें पर्याप्त चौड़ी नहीं है, न ही पार्किंग व्यवस्था है। अपितु नेशनल हाइवे क्र. 7 जबलपुर रीवा रोड कटनी शहर के बाहर से बायपस रोड बनने से भारी वाहनों का आवागमन का दबाव कटनी शहर में काफी हद तक कम हुआ है। (ग) जी नहीं। (घ) केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी प्रतिस्पर्धा में फिलहाल कटनी शहर शामिल नहीं है। उत्तरांश ‘ग’ अनुसार कोई योजना वर्तमान में प्रस्तावित नहीं है।
हिरन नदी पर स्टॉपडेम
66. ( क्र. 5455 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पाटन विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम दोनी में हिरन नदी पर स्टॉपडेम निर्माण की मांग क्षेत्रीय ग्रामीण जन काफी समय से करते आ रहे है तथा इस संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक बी/265/6/171 दिनांक 30.05.2015 को प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल को पत्र लिखकर डेम निर्माण की मांग की थी? (ख) यदि हाँ, तो तत्संबंध में हुई आवश्यक कार्यवाही से अवगत करावे एवं इस संदर्भ में विभागीय मंत्री द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीणजनों की मांग पर परीक्षण उपरांत स्टॉपडेम निर्माण की घोषणा की थी? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में क्या शासन ग्रामीण दोनी के पास हिरन नदी पर स्टॉपडेम निर्माण करायेगा जिससे ग्राम दोनी, खिरवा (हरदुआ), गनियारी, खैरी, खलरी तथा उसके आस-पास के 15 से 20 गांवों का जलस्तर बढ़ सके तथा कृषि कार्य लाभांवित हो? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्नाधीन विषय में भारतीय किसान संघ मध्यप्रदेश, महाकौशल प्रांत ग्राम दोनी (कटंगी) का पत्र दिनांक 08.09.2014 को प्राप्त हुआ है। मा. प्रश्नकर्ता विधायक का प्रश्नाधीन पत्र अभिलेखों के मुताबिक प्रमुख अभियंता कार्यालय में प्राप्त नहीं हुआ है। (ख) कोई घोषणा नहीं की गई है। (ग) जी नहीं, प्रश्नाधीन चिन्हित स्थल पर स्टॉपडेम साध्य नहीं पाया गया है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
पाटन विधानसभा क्षेत्रांतर्गत अन्तर्गत संचालित सिंचाई योजनाएं
67. ( क्र. 5456 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पाटन विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितनी, कौन-कौन सी वृहद/मध्यम/लघुसिंचाई परियोजनाएं संचालित हैं? इन परियोजनाओं की रूपांकन सिंचाई क्षमता निर्माण कार्य के समय कितनी थी एवं वर्तमान समय में इनके द्वारा कितने क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है? क्या कोई नई सिंचाई परियोजना स्थापित करने के संबंध में प्रस्ताव है? यदि हाँ, तो प्रस्तावित परियोजनायें कब तक पूर्ण कर ली जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में पूर्व से संचालित सिंचाई परियोजनाओं के बांध एवं नहरें क्या वर्तमान समय में क्षतिग्रस्त हैं जिस कारण से इनका शत्-प्रतिशत उपयोग नहीं हो पा रहा है? यदि हाँ, तो नाम सहित जानकारी देवें? (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर में यदि हाँ, तो इसके मरम्मत हेतु किस मद से कितनी राशि द्वारा कब तक क्या कार्य कराया जावेगा? (घ) प्रश्नांश (क) के संबंध में क्षतिग्रस्त, कच्ची नहरों को पक्की नहरों (लाइनिंग में) में परिवर्तन हेतु कोई योजना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो प्रस्तावित योजना कितनी लागत से कब तक पूर्ण कर ली जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार है। प्रश्नाधीन क्षेत्र की कोई सिंचाई परियोजना स्वीकृति हेतु विचाराधीन नहीं है। (ख) एवं (ग) जो नहीं, नियमित संचालन/संधारण की व्यवस्था है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते है। (घ) जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
नगर परिषद कटंगी में मुख्य नगर पालिका की पद स्थापना
68. ( क्र. 5567 ) श्री के.डी. देशमुख : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर परिषद कटंगी जिला बालाघाट में मुख्य नगर पालिका अधिकारी का पद रिक्त है? (ख) यदि हाँ, तो कब तक मुख्य नगर पालिका अधिकारी की पदस्थापना कर दी जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, विभागीय आदेश क्रमांक एफ 4-30/2015/18-1, दिनांक 23.11.2015 द्वारा श्री शैलेन्द्र कुमार ओझा, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद्, उचहेरा जिला सतना को स्थानांतरित कर नगर परिषद्, कटंगी जिला बालाघाट पदस्थ किया गया था। श्री ओझा द्वारा स्थानांतरण के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर में याचिका क्रमांक 20694/2015 दायर कर स्थगन प्राप्त किया गया है। (ख) कलेक्टर, जिला बालाघाट के आदेशानुसार श्री गजेन्द्र पाण्डेय, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद्, वारासिवनी को अपने कार्य के साथ-साथ नगर परिषद्, कटंगी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
बीहर नदी को प्रदूषण से बचाने की कार्य योजना
69. ( क्र. 5595 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा नगर निगम अंतर्गत क्या बीहर नदी के पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए राज्य सरकार ने कार्ययोजना तैयार की है? (ख) यदि हाँ, तो कार्ययोजना का विवरण देते हुए बतावें कि इस योजना के तैयार होने एवं संचालन में कितनी लागत लगी वर्तमान में कार्ययोजना की क्या स्थिति है? खर्च की गई राशि का विवरण देवें? (ग) यदि प्रश्नांश (क) की कार्ययोजना तैयार हो चुकी है तो इसके पूर्ण होकर चालू होने में कितना समय लगेगा? जल-मल शोधन संयंत्र तक बड़े नालों के गंदे पानी के पहुंचाने की क्या व्यवस्था है? इस हेतु क्या शहर में पाइपें बिछाई जा चुकी हैं तथा इसका कार्य किस कंपनी को दिया गया? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में अगर कार्ययोजना अनुसार सीवेज ट्रीटमेंट प्लॉन तैयार हो चुका है, परन्तु गंदे पानी का पहुंचाने हेतु पाइप लाइनों का कार्य नहीं हुआ है तो करोड़ों रूपये खर्च कर शासन की राशि को संबंधितों द्वारा नुकसान पहुंचाकर मेसर्स गोंडवाना इंजीनियर्स लिमिटेड को लाभ पहुंचाया गया है? (ड.) यदि प्रश्नांश (घ) के प्लांट के निर्माण में कंपनी से सांठ-गांठ कर संबंधितों द्वारा लाभान्वित किया गया एवं प्लांट समय से चालू नहीं हुआ तो इसके लिए किस-किस को दोषी मानेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) बीहर नदी संरक्षण की कार्ययोजना का विवरण, लागत, वर्तमान स्थिति, खर्च की राशि का विवरण नगर पालिक निगम की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) रीवा शहर के संपूर्ण नगर निगम क्षेत्र के लिए सीवरेज की योजना पूर्व की स्वीकृत बीहर नदी शुद्धीकरण की योजना को सम्मिलित करते हुए राशि रू. 172.2533 करोड़ की कार्ययोजना अमृत मिशन के अंतर्गत तैयार कर ली गई है। जिसकी निविदा दिनांक 01.03.2016 को जारी की जा चुकी है। इस योजना में शहर की पाईप लाईन बिछाने, गंदे नाले के पानी के ट्रीटमेंट को सम्मिलित किया गया है। योजना में निविदा की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। पूर्व से प्रचलित बीहर नदी के संरक्षण की योजना जिसका क्रियान्वयन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा किया जा रहा है, स्थिति इस प्रकार है :- जल मल शोधन संयंत्र तक बड़े नालों के गंदे पानी को पहुंचाने हेतु नाला ट्रेपिंग कर 3 पम्पिंग स्टेशन तैयार करना एवं 5350 मीटर ग्रेवटी पाईप लाईन के माध्यम से पहुंचाया जावेगा। इस हेतु 350 मीटर 1100 मि.मी. व्यास की पाईप लाईन बिछायी जा चुकी है। यह कार्य में जे.आई.टी.एफ. वाटर इन्फ्रास्ट्रक्चर, नई दिल्ली को आवंटित किया गया था। समानुपातिक प्रगति फर्म द्वारा न किये जाने के कारण अनुबंध निरस्त करते हुए शेष कार्य की निविदा प्राप्त हो चुकी है, जिसकी स्वीकृति प्रक्रियाधीन है। गोंडवाना इंजीनियर्स लिमिटेड के द्वारा अनुबंध अनुसार समय पर कार्य किया गया है, जिससे लाभ पहुंचाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) एस.टी.पी. का कार्य संबंधित संविदाकार द्वारा निर्धारित समयावधि में पूर्ण किया जा चुका है किन्तु पम्प हाउस निर्माण एवं पाईप लाईन का कार्य संबंधित संविदाकार द्वारा निर्धारित समयावधि में पूर्ण न किए जाने एवं वांछित प्रगति निरंतर प्रयास के बाद भी प्राप्त न होने के कारण अनुबंध निरस्तकर पुन: निविदा आमंत्रण की कार्यवाही की गई है। (ड.) विभाग द्वारा समय से कार्यवाही किये जाने से किसी के दोषी होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
एस्सेल विद्युत वितरण कंपनी प्रा.लि. सागर की कार्यप्रणाली की जाँच
70. ( क्र. 5604 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मेरे द्वारा एस्सेल विद्युत वितरण कंपनी प्रा.लि. सागर की कार्यप्रणाली पर दिनांक 09.12.2015 में ध्यानार्कषण सूचना क्रमांक 145 पर विधानसभा चर्चा के दौरान मा. वित्त मंत्री जी द्वारा जाँच करने हेतु म.प्र. पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमि. के प्रबंध संचालक श्री संजय कुमार शुक्ल को नियुक्त किया गया था? अभी तक क्या जाँच पूरी हो गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में विद्युत वितरण कंपनी प्रा.लि. सागर की कार्यप्रणाली की जाँच हेतु एक माह में विस्तृत जाँच प्रतिवेदन ऊर्जा विभाग को उपलब्ध कराया जाना था, परंतु दो माह व्यतीत हो चुके हैं? क्या नियुक्त किये गये जाँच अधिकारी द्वारा जाँच रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करा दी गई है? यदि नहीं, तो विलंब का क्या कारण है? (ग) यदि हाँ, तो उक्त कंपनी के संबंध में जाँच के आधार पर की गई कार्यवाही से अवगत कराएँ?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, दिनांक 9.12.2015 को ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 145 पर सदन में हुई चर्चा के दौरान माननीय वित्त मंत्रीजी के आश्वासन के परिप्रेक्ष्य में मेसर्स एस्सेल विद्युत वितरण कंपनी प्रा.लि. सागर की कार्यप्रणाली की जाँच करने हेतु ऊर्जा विभाग के आदेश दिनांक 9.12.2015 द्वारा श्री संजय कुमार शुक्ल, प्रबंध संचालक, म.प्र. पावर मेनेजमेंट कंपनी लिमिटेड को निर्देशित किया गया था। जी हाँ, जाँच पूरी हो गई है। (ख) प्रश्नाधीन जाँच प्रतिवेदन दिनांक 01.3.2016 को ऊर्जा विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है। (ग) जाँच प्रतिवेदन अनुसार यह पाया गया है कि मेसर्स एस्सेल विद्युत वितरण कंपनी प्रा.लि. सागर का कार्य सामान्यत: ठीक है, परंतु फेंचाइजी कंपनी द्वारा वितरण तंत्र में निवेश की कमी के कारण अपेक्षा अनुरूप ए.टी. एण्ड सी. लॉसेस में कमी परिलक्षित नहीं हुई है।
सागर जिले में खनिज खनन
71. ( क्र. 5605 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले में खनिज संसाधन विभाग के द्वारा कौन-कौन से खनिज खनन की खदानें किस-किस स्थान पर संचालित है? (ख) वर्ष 2015-16 में खनिज संसाधन विभाग को सागर जिले की खदानों से कितनी आय प्राप्त हुई है? खदानवार ब्यौरा दें? (ग) जिले में अवैध उत्खनन रोकने के लिए विभाग द्वारा क्या व्यवस्थाएं की गई है? विगत दो वर्षों से प्रश्नांक दिनांक तक कितने अवैध उत्खनन के प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं? उन पर प्रश्नांक दिनांक तक क्या कार्यवाही हुई, कितनी राशि वसूल की गई? ब्यौरा देवें? (घ) सागर जिले में रेत उत्खनन किन-किन नदी घाटों से होता है? उनके नाम, स्थान बतायें? क्या जिला एवं जिले के बाहर से आने वाली रेत की बढ़ी हुई विक्रय दरों को लेकर कॉलोनाइजरों ने शिकायतें की है? यदि हाँ, तो क्या शासन रेत के उचित दर निर्धारण हेतु नीति बनाये जाने पर विचार करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) खनिज साधन विभाग स्वयं कोई खदान संचालित नहीं करता। खदानों का संचालन लीज धारियों एवं व्यापारिक खदान के धारकों द्वारा किया जाता है। अत: प्रश्नानुसार जानकारी निरंक है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में दर्शित है। (ग) जिले में खनिजों के अवैध उत्खनन की रोकथाम हेतु समय-समय पर जाँच की जाती है। प्रकरण प्रकाश में आने पर अवैध उत्खननकर्ताओं को दण्डित किये जाने हेतु प्रकरण पंजीबद्ध किया जाता है। विगत 02 वर्षों में खनिजों के अवैध उत्खनन के 33 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये थे, जिसमें से 12 प्रकरणों का निराकरण कर रूपये 5,25,000/- अर्थदण्ड की राशि वसूल की गई है। शेष 21 प्रकरण वर्तमान में निराकरण हेतु विचाराधीन है। (घ) प्रश्नाधीन जिले में कोई रेत उत्खनन हेतु कोई घाट घोषित अथवा नीलाम नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। प्रश्नानुसार कोई शिकायत कॉलोनाइजरों द्वारा नहीं की गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
फीडर सेपरेशन का कार्य
72. ( क्र. 5643 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विकासखण्ड सेवढ़ा (जिला-दतिया) में कुल कितने राजस्व ग्राम हैं इनमें से कितने ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण कर लिया गया है एवं कितने ग्रामों में नहीं किया गया है या होना शेष है ग्रामवार जानकारी उपलब्ध करायें? (ख) जिन ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है, प्रारंभ ही नहीं हुआ है उन ग्रामों में यह कार्य कब तक प्रारंभ किया जायेगा और कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा? (ग) क्या जिन ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है उन ग्रामों के मात्र 8-10 घंटे बिजली दी जा रही है जबकि अन्य ग्रामों को 18-20 घंटे बिजली प्रदाय की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या उक्त ग्रामों के ग्रामवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है व बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है? यदि नहीं, तो जाँच कराई जावेगी? (घ) क्या ग्राम उचाड़ जो काफी बड़ा ग्राम है लेकिन फीडर सपरेशन का कार्य न किये जाने के कारण वहाँ के निवासी एवं विद्यार्थी पूरा बिल देने के बाद भी मात्र 8 घंटे विद्युत ले पा रहे हैं? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन-कौन जिम्मेदार है उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी तथा यहा कब तक फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जिला दतिया के विकासखण्ड सेवढ़ा में कुल 198 राजस्व ग्राम हैं, जिनमें से 127 ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण किया गया है, तथा 71 ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य नहीं किया गया है। उक्त ग्रामों में से 69 ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य फीडर सेपरेशन योजना के अन्तर्गत किया जाना स्वीकृत है तथा इस कार्य हेतु ठेकेदार एजेंसी मेसर्स विक्रान इन्जीनियरिंग एण्ड एक्जिम प्रा.लि. को दिनांक 20.02.2016 को कार्यादेश जारी किया गया है। शेष 2 ग्राम, गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से विद्युतीकरण हेतु प्रस्तावित है, अत: इन ग्रामों को फीडर विभक्तिकरण योजना में सम्मिलित करने का प्रश्न नहीं उठता। ग्रामवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में शेष कार्य यथाशीघ्र प्रारंभ कर कार्यादेश की दिनांक 20.02.2016 से 18 माह में कार्य पूर्ण करने के प्रयास किये जावेंगे। (ग) जी नहीं। जिन ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है, उन ग्रामों को मिश्रित फीडरों के माध्यम से प्रतिदिन 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (घ) ग्राम उचाड़ में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है, इसलिये वर्तमान में इस ग्राम में मिश्रित फीडर के माध्यम से, विद्युत प्रवाह किया जा रहा है। तकनीकी कारणों से तार टूटने, विद्युत उपकरण खराब होने आदि के कारण हुए विद्युत व्यवधान, सुधार कार्य अथवा अधोसंरचना विकास के नये कार्यों हेतु आवश्यक होने जैसी अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर 24 घंटे विद्युत प्रदाय का प्रावधान है। उक्त ग्राम में कृषि कार्य हेतु 10 घंटे विद्युत आपूर्ति किये जाने के अतिरिक्त शेष समय में भी सिंगल फेज पर विद्युत आपूर्ति करने के प्रयास किए जा रहें हैं लेकिन अज्ञात शरारती तत्वों द्वारा व्यवधान उत्पन्न किए जाने के कारण विद्युत आपूर्ति करने में कठिनाई आ रही है। विद्युत लाईनों की सघन पेट्रोलिंग कर यह सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं कि उक्त ग्राम को सतत् रूप से विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराया जा सके। उक्त ग्राम में फीडर विभक्तिकरण का कार्य संबंधित ठेकेदार एजेंसी से प्राथमिकता के आधार पर आगामी एक माह में पूर्ण करवाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
नगरीय निकायों में कार्यरत सफाई कर्मचारियों को आवास आवंटन
73. ( क्र. 5654 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल के पत्र क्र. 2037 दिनांक 25.06.02 के द्वारा समस्त आयुक्त नगर पालिका निगम समस्त मुख्य नगर पालिका अधि./नगर परिषद्/नगर पंचायतों को नगरीय निकायों में कार्यरत सफाई कामगारों को आवंटित आवासगृह का स्वामित्व प्रदान करने के संबंध में पत्र जारी किया गया था? (ख) क्या जबलपुर नगर निगम की मेयर इन काउंसलिंग एवं सदन की बैठकों दिनांक क्रमश: दिनांक 09.09.2003 एवं 29.12.2003, 07.01.2004 एवं 12.01.2004, 15.01.2004 में सफाई कर्मचारियों को उनके आवास का स्वामित्व अधिकार प्राप्त करने हेतु सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था? (ग) क्या तत्कालीन आयुक्त नगर निगम जबलपुर द्वारा अपने पत्र क्र. 333, दिनांक 24.09.2004 के द्वारा अपर सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को लेख किया था कि सफाई कर्मचारियों के आवासों का सर्वे कार्य करवाया जा रहा है? क्या सर्वे कार्य पूर्ण हो चुका है? यदि नहीं, तो इसका उत्तरदायी कौन है? अनेक कर्मचारी सेवा निवृत्त हो चुके हैं एवं अनेक सेवानिवृत्ति के समीप हैं? ऐसी स्थिति में इन्हें मालिकाना हक कैसे प्राप्त होगा? (घ) अब कब तक नगरीय निकायों में कार्यरत सफाई कामगारों को आवंटित आवास का स्वामित्व उन्हें प्राप्त हो जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ, वर्ष 2003-04 में सर्वोदय नगर स्थित सफाई संरक्षकों को आवंटित कुल 117 आवासों का सर्वे पूर्ण कर उक्त आवासों का मूल्यांकन कर राशि निर्धारित की गई, नगर निगम, जबलपुर सदन की स्थगित साधारण बैठक दिनांक 15-01-2004 में पारित प्रस्ताव क्रमांक 10 के तहत उक्त आवासों को कार्यरत कामगारों, जिनके नाम उक्त मकान आवंटित है, उन्हें गृह बुक वेल्यु दर पर आसान किश्तों में तीन वर्ष या सेवा की शेष अवधि जो भी पहले हो, में वसूल करते हुये उक्त आवास का स्वामित्व उन्हें दिये जाने एवं अन्य स्थानों पर स्थित निगम आवासों को भी चिन्हित कर मालिकाना हक प्रदान करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। सर्वे कार्य पूर्ण नहीं हुआ है, सदन में पारित प्रस्ताव अनुसार निवासरत सफाई संरक्षकों के द्वारा आवासों की गृह बुक वेल्यु की निर्धारण का प्रश्न नहीं उठाता। सेवानिवृत्त कर्मियों के संबंध में युक्ति युक्त निर्णय अंतिम निराकरण के समय लिया जावेगा। (घ) सर्वे का कार्य पूर्ण होने के उपरांत संबंधितों द्वारा निर्धारित राशि जमा किये जाने की स्थिति में नियमानुसार मालिकाना हक प्रदान किया जायेगा। समयावधि बताना संभव नहीं है।
घोषित वोल्टेज और विद्युत
74. ( क्र. 5673 ) श्रीमती ममता मीना : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या गुना जिले के चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र के समस्त ग्रामों में म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता के अध्याय तीन के अंतर्गत घोषित वोल्टेज एवं विद्युत सप्लाई की जाती है? यदि हाँ, तो चाचौड़ा विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सभी वितरण केन्द्रों में गत तीन वर्ष की औसत खपत की वर्षवार जानकारी दें? (ख) यदि प्रश्नांश (क) में घोषित वोल्टेज यदि कम है तो क्या विभाग उस क्षेत्र में नये उपकेन्द्र स्थापित करेगा? (ग) क्या उपभोक्ताओं को घोषित वोल्टेज एवं विद्युत सप्लाई देने के लिए विभाग बाध्य है तभी बिल वसूल करने का हकदार है? यदि हाँ, तो कौन जिम्मेदार है? (घ) गुना जिले के विद्युत सप्लाई करने वाली विद्युत कंपनी की गत तीन वर्षों का सी.ए.जी. द्वारा अंकेक्षण रिपोर्ट एवं प्रश्नांश (क), (ख), (ग) की कार्यवाही रिपोर्ट पटल पर रखें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, गुना जिले के चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र के समस्त ग्रामों में घोषित वोल्टेज के अनुसार विद्युत सप्लाई की जा रही है। प्रश्नाधीन क्षेत्र के अंतर्गत स्थित मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के वितरण केन्द्रों की गत तीन वर्षों की औसत खपत की जानकारी निम्न तालिका में दर्शाए अनुसार है :-
क्र. |
वितरण केन्द्र का नाम |
औसत खपत (लाख यूनिट में) |
तीन
वर्षों की औसत
खपत |
||
2013-14 |
2014-15 |
2015-16 (जनवरी तक) |
|||
1 |
चाचौड़ा |
206.35 |
232.55 |
182.75 |
207.22 |
2 |
कुंभराज |
272.00 |
309.94 |
271.76 |
284.57 |
3 |
मृगवास |
149.94 |
193.94 |
166.68 |
170.19 |
4 |
बीनागंज |
197.85 |
246.44 |
198.59 |
214.29 |
(ख) प्रश्नाधीन क्षेत्र में वोल्टेज संबंधी समस्या नहीं है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी हाँ, प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में वोल्टेज की निर्धारित सीमा में विद्युत सप्लाई देने का प्रावधान है तथा मीटर में दर्ज खपत के आधार पर विद्युत देयक जारी कर वसूली की कार्यवाही की जाती है। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार घोषित वोल्टेज के अनुरूप की जा रही विद्युत सप्लाई के परिप्रेक्ष्य में किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की गत 3 वर्षों की सी.ए.जी. द्वारा अंकेक्षित रिपोर्ट की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। उत्तरांश (क), (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं होने से प्रश्न नहीं उठता।
नियम विरूद्ध पंजीयन, विक्रय कर तथा पक्षपात रूप से कर वसूली
75. ( क्र. 5676 ) श्रीमती ममता मीना : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गुना जिले के सभी सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में वर्ष 2010-11 से प्रश्न दिनांक तक स्टाम्प पंजीयन एवं ई-पंजीयन में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वसूली गई वार्षिक दर एवं स्टाम्प ड्यूटी का विवरण वार्षिक बतायें क्या वसूली गई राशि एवं स्टाम्प दर तथा पंजीयन में घोषित समय पर वसूली एवं कार्य संपादन करने वाले लोक सेवकों द्वारा की गई अनियमितताओं की जाँच कर कार्यवाही करेंगे? (ख) क्या विक्रय कर विभाग द्वारा गुना जिले में वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक सभी व्यवसायिक संस्थानों का पंजीयन एवं टिन नंबर बनाये है एवं क्या जिले में बिना पंजीयन के कारोबार करने वाले एवं कराने वाले लोक सेवकों के विरूद्ध कार्यवाही होगी? (ग) क्या आबकारी विभाग द्वारा घोषित आबकारी नीति अनुसार शराब के लायसेंसधारियों को घोषित नीति से दुकानें संचालित करने की छूट दी है? यदि नहीं, तो वर्ष 2015-16 में संचालित दुकानें आवंटन वाली जगह में कार्यरत है या नहीं? क्या नेशनल हाईवे और राज्य हाईवे पर नियम विरूद्ध संचालित है उनके विरूद्ध एवं उनकों संचालित कराने वाले पर कार्यवाही करेंगे? (घ) यदि प्रश्नांश (क), (ख) और (ग) में वर्णित तथ्यों को विभागों द्वारा घोषित नीति के विरूद्ध जो कार्य गत 3 वर्षों से हो रहा है? क्या उक्त विभाग संबंधितों एवं विभाग में लोक सेवकों को जवाबदेही मानेगा उन पर कम वसूली एवं नियम विरूद्ध संबंधी कार्यवाही करेंगे, हाँ तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) गुना जिले में स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क की प्रश्नगत अवधि में तत्समय लागू विधि अनुसार नियत दर से वसूली की गई है। प्रश्नगत अवधि में वर्ष 2010-11 में रूपये 22,62,15,295/- वर्ष 2011-12 में रूपये 23,46,53,764/- वर्ष 2012-13 में रूपये 24,38,90,047/- वर्ष 2013-14 में रूपये 20,37,89,353/- वर्ष 2014-15 में रूपये 25,18,09,331/- एवं वर्ष 2015-16 में 23,90,96,122/- की वसूली की गई है। अनियमितता संबंधी कोई शिकायत लंबित नहीं है। (ख) वर्ष 2013 (दिनांक 1.4.2013) से प्रश्न दिनांक 27.02.2016 तक वृत्त गुना में प्रस्तुत आवेदन पत्र के आधार पर कुल 1221 प्रतिष्ठानों को पंजीयन किया गया है। व्यवसायी के आवेदन पत्र के आधार पर पंजीयन प्रमाण पत्र जारी किया जाना प्रावधानित है। मध्यप्रदेश वेट अधिनियम के अधीन वर्ष में रूपये दस लाख से न्यून वार्षिक टर्न ओवर वाले व्यवसायियों को स्वयं पंजीयन कराना अनिवार्य नहीं है। (ग) जी नहीं। शासन द्वारा वर्ष 2015-16 के लिए घोषित नीति अनुसार ही शराब दुकान के लायसेंसधारियों को मदिरा दुकानें संचालित करना बंधनकारी है। वर्ष 2015-16 में प्रदेश में संचालित मदिरा दुकानें, मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 (क्रमांक 2 सन् 1915) की धारा 62 के प्रावधानों के अनुसार एवं मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) क्रमांक 55 दिनांक 6.2.2015 में प्रकाशित अधिसूचना क्रमांक बी-1-05/2015/2/पाँच (5) में सामान्य प्रयुक्ति के नियमों के नियम -1 ''दुकानों की अवस्थिति'' में वर्णित प्रावधान अनुसार आवंटन वाली जगह में संचालित हो रही है। यदि नेशनल हाईवे और राज्य हाईवे पर नियम विरूद्ध मदिरा दुकानों का संचालन पाया जाता है, तो ऐसी दुकानों के अनुज्ञप्तिधारकों पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। (घ) घोषित नीति/नियमों के विरूद्ध कार्य करने वाले दोषी लोक सेवकों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाती है।
लछोरा तालाब की नहर में अवरोध उत्पन्न करना
76. ( क्र. 5772 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़वाहा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम लछोरा में जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित कराये गये तालाब में किन-किन ग्रामों में पानी नहर द्वारा वितरण कराया जाता है? उक्त नहर के द्वारा किसानों में वितरण किये जाने वाले पानी से विगत 5 वर्षों में कितनी वसूली उपभोक्ताओं से हुई है एवं कितनी-कितनी राशि किस-किस वर्ष की बकाया है? इस बकाया राशि के वसूली के लिये विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (ख) लछोरा तालाब के वितरण नहर के पानी को कौन से ग्राम के किसान द्वारा अवरूद्ध किया गया है? इस संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा जिला प्रशासन एवं विभाग को कब-कब पत्र जारी किये गये है? प्राप्त पत्रों पर की कार्यवाही की संपूर्ण जानकारी दी जावे? (ग) क्या लाछोरा तालाब की नहर को आगे के किसानों को फसलों में सिंचाई से वंचित किये जाने के संबंध में मध्यप्रदेश सिंचाई अधिनियम, 1931 की धारा 75 एफ के अनुसार संबंधित के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? (घ) इस प्रकार नहर के पानी को अवरूद्ध किये जाने पर आगे जो किसान फसल नहीं बो सकें इससे कितना नुकसान हुआ है? कितने किसान फसल बोने से वंचित हुए हैं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) ग्राम बेडिया एवं बागदा बुजुर्ग की कृषि भूमि में। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। कृषकों को जल कर जमा करने के लिए जबरिया कार्रवाई करने के बजाए समाझाईश देकर जलकर जमा कराया गया है। (ख) ग्राम बागदा बुजुर्ग के कृषक श्री झवरलाल पिता तिलोकचंद द्वारा। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन अवरोध कृषक की निजी भूमि में होने से प्रावधान/अधिनियम के तहत कार्रवाई पाई गई। (घ) कृषकों द्वारा निजी साधनों से सिंचाई की गई होने से किसी कृषक के फसल लेने से वंचित होने की स्थिति नहीं है।
म.प्र. विद्युत वितरण के मध्यक्षेत्र में कनिष्ठ अधिकारियों का प्रभार
77. ( क्र. 5777 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल में करन्ट चार्ज के नाम पर मुख्य महाप्रबन्धक, महाप्रबन्धक एवं उप महाप्रबंधकों के पद पर कनिष्ठ अधिकारियों को चालू प्रभार दिया गया है। प्रशासनिक दृष्टि से यह प्रक्रिया क्या न्यायसंगत है? (ख) वर्ष 2013 से जनवरी 2016 तक कितने अधिकारियों को चालू प्रभार सौंपा गया है? नाम, पद स्थान, दिनांक सहित जानकारी दी जावें। (ग) उपरोक्त प्रक्रिया शासन की किस नीति के अनुरूप लागू की गई है। क्या शासन स्तर कर ऐसी कोई नीति बनाई गई है? (घ) क्या उक्त प्रक्रिया के कारण वरिष्ठ अधिकारियों में हीन, निराशा, अवसाद की भावना उत्पन्न हो रही है। क्या वरिष्ठ अधिकारियों को क्षमताहीन माना जा रहा है, यदि नहीं, तो इस पद्धति को समाप्त कब तक किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में वर्तमान में मुख्य महाप्रबंधक ग्वालियर पद का चालू प्रभार दिया गया है। महाप्रबंधक एवं उपमहाप्रबंधक के पदों पर अधिकारियों को उपयुक्तता के आधार पर चालू प्रभार दिया गया है। यह पूर्णत: प्रशासनिक व्यवस्था है, जिसका किसी भी अधिकारी की वरिष्ठता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, तथा न ही इस व्यवस्था से किसी भी वरिष्ठ अधिकारी के कानूनी अधिकारों का हनन किया गया है, अत: उक्त प्रक्रिया प्रशासनिक है। (ख) मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2013 से जनवरी 2016 तक कुल 52 अधिकारियों को चालू प्रभार दिया गया है, जिनके नाम, पदस्थापना स्थल एवं पदस्थापना दिनांक सहित जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन प्रक्रिया से संबंधित राज्य शासन की कोई नीति/निर्देश नहीं है तथापि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा प्रशासनिक एवं तात्कालिक आवश्यकताओं के दृष्टिगत प्रश्नाधीन उल्लेखित प्रक्रिया अनुसार कार्यवाही की गई है। (घ) जी नहीं वरिष्ठ अधिकारियों को क्षमताहीन नहीं माना गया है। कंपनी में अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के कारण होने वाली रिक्तियों एवं उपयुक्त अधिकारियों के अभाव में, कंपनी के सुचारू संचालन तथा शासन की विभिन्न योजनाओं के सुचारू रूप से क्रियान्वयन और सतत् निगरानी तथा कंपनी मुख्यालय स्तर के नीतिगत विषयों पर निर्णय लेने हेतु उच्च पद का चालू प्रभार दिये जाने की आवश्यकता समय-समय पर पड़ती है। अत: इस पद्धति को समाप्त किये जाने का वर्तमान में कोई आवश्यकता नहीं है।
नये ट्रांसफार्मर का उपयोग
78. ( क्र. 5779 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर महल गाँव स्थित एरिया स्टोर म.प्र. मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में वर्तमान में कितने ट्रांसफार्मर 200, 100, 63, 25 के.व्ही.ए. रखे हुये हैं। उनकी संख्या सहित फरवरी 2016 की स्थिति में जानकारी दी जावे। (ख) क्या ट्रांसफार्मर के अनेक लॉट एरिया स्टोर में प्राप्त होने की दिनांक से गारंटी पीरियड निकल जाने के बाद तक उन्हें उपयोग के लिये फील्ड में प्रदाय ही नहीं किया जाता है क्यों? 1 वर्ष 2014- 2015 में कितने ट्रांसफार्मरों की एरिया स्टोर में आवक है एवं डिवीजनों को कितने ट्रांसफार्मर जारी किये गये है संख्या बताए? (ग) क्या निजी कंपनियों के द्वारा मरम्मत प्राप्त ट्रांसफार्मरों को ही बार-बार उपयोग हेतु दिया जाता रहता है। जबकि नये ट्रांसफार्मरों का गारंटी पीरियड 36 (छत्तीस माह) एरिया स्टोर में रखे-रखे ही समाप्त हो जाता है। उस प्रक्रिया के लिये कौन दोषी है, उनके खिलाफ विभाग क्या कार्यवाही करेगा? (घ) क्या शासन उपरोक्त कार्यकाल में हुई अनियमितताओं के खिलाफ वरिष्ठ अधिकारी, समिति बनाकर जाँच करायेगा।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) फरवरी 2016 की स्थिति में म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के महलगाँव, ग्वालियर स्थित एरिया स्टोर में 200, 100, 63 एवं 25 के.व्ही.ए. क्षमता के कुल 1648 ट्रांसफार्मर रखे थे, जिनकी क्षमतावार संख्या संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन उल्लेखित स्थिति नहीं है, अत: कारण बताए जाने का प्रश्न नहीं उठता। वर्ष 2014-2015 में महलगाँव, ग्वालियर स्थित एरिया स्टोर में ट्रांसफार्मरों की आवक एवं डिवीजनों को जारी किये गये नये एवं मरम्मत किये गये ट्रांसफार्मरों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार है। (ग) जी नहीं। उत्तरांश (ख) के तारतम्य में संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' में दर्शाए अनुसार निजी कंपनियों से प्राप्त मरम्मत वाले ट्रांसफार्मरों एवं नए ट्रांसफार्मरों का उपयोग हेतु मैदानी क्षेत्रों में करने हेतु एरिया स्टोर महलगाँव, ग्वालियर से डिवीजनों को लगभग समान रूप से ट्रांसफार्मर जारी किये गये हैं, अत: किसी के दोषी होने अथवा कार्यवाही का प्रश्न नहीं उठता। (घ) उत्तरांश 'ग' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
दैनिक वेतन भोगी कर्मियों का नियमितीकरण
79. ( क्र. 5796 ) श्री सूर्यप्रकाश मीना : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगरीय निकायों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किये जाने के क्या मापदंड हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में जिला विदिशा अंतर्गत नगरीय निकायों में ऐसे कितने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं जिन का 10 वर्ष से 25 वर्ष का सेवाकाल पूर्ण होने पर उनको नियमित नहीं किये जाने के कारण सहित जानकारी दें? (ग) क्या शासन प्रश्नांश (ख) के क्रम में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को अनिवार्य रूप से नियमित किये जाने के निर्देश देगा? यदि हाँ, तो कब तक नियमित किये जायेंगे? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 16 मई, 2007 में दिये गये निर्देश के तहत दिनांक 10-04-2006 की स्थिति में 10 वर्ष की सेवा-अवधि पूर्ण करने पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किया जाता है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विभाग द्वारा जारी पत्र क्रमांक एफ 4-143/2007/18-1 दिनांक 18 जून, 2010 से प्रदेश की नगरीय निकायों को नियमित किये जाने के निर्देश दिये गये है। पात्रता होने पर नियमितीकरण की कार्यवाही निकायों द्वारा की जा रही है। समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
माननीय सांसदों/विधायकों को निज सहायक की उपलब्धता
80. ( क्र. 5816 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा माननीय सांसदों/विधायकों को उनके निज सहायक कार्यालयीन कार्य हेतु जब एक कर्मचारी उपलब्ध कराने का नियम बनाया था तो उसमें लिपिकीय कर्मचारी ही क्यों आवश्यक है? क्या विधायक की मांग अनुसार गैर-लिपिकीय किन्तु उसी केटीगिरी (समकक्ष) के एक कर्मचारी जैसे शिक्षक, सहायक शिक्षक, अध्यापक, सहा. अध्यापक, संविदा शिक्षक कर्मचारी की मांग करते हैं, तो क्या उनको उपलब्ध करा दिया जावेगा? यदि हाँ, तो कब से? नहीं तो क्यों? (ख) आयुक्त लोक शिक्षण म.प्र. का आदेश क्र./स्था.-3/सी.-2/2016/206 भोपाल दिनांक 06/02/2016 के आदेश विषय :- गैर-शैक्षणिक कार्य में संलग्न शिक्षकों को उनकी मूल पदस्थापना पर भेजने बाबत् समस्त कलेक्टर्स को लिखा है, को प्रस्तुत करें? उक्त आदेश में संशोधन करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) लिपिक सुविधा उपलब्ध कराने के पीछे मन्तव्य यह था कि माननीय विधायकों को सचिवालयीन सहायता अर्थात टायपिंग, आवक-जावक, एवं पत्र लेखन आदि की सुविधा उपलब्ध हो सके। गैर-लिपिकीय कर्मचारियों की सेवाऐं उपलब्ध कराने का नियम में प्रावधान नहीं है। शिक्षकों से गैर-शिक्षकीय कार्य लेने से मनाही है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
स्वीकृत निर्माण कार्यों की गुणवत्ता
81. ( क्र. 5817 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर नगर पालिक निगम में 1 अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2015 तक ऐसे कौन-कौन से निर्माण कार्य थे जिनके टेण्डर 25 प्रतिशत या उससे भी निम्न दरों पर ठेकेदारों/एजेन्सी को दिये गये? उन निर्माण कार्यों का नाम कितनी निम्न दर पर किस-किस ठेकेदार/एजेन्सी को स्वीकृत किये गये हैं? क्या इतनी निम्न दरों पर स्वीकृत कार्यों की गुणवत्ता प्राक्कलन अनुसार निर्माण उपरान्त सही थी? यदि हाँ, तो निर्माण कार्यवाइज निर्माण एजेन्सी/ठेकेदार का नाम, कार्य की राशि प्रकार एवं स्थान, किस-किस यंत्री/सहायक यंत्री द्वारा मूल्यांकन किया गया? उसका नाम, वर्तमान में निर्माण कार्यों की भौतिक तथा वित्तीय स्थिति क्या है? स्पष्ट करें। (ख) क्या 35 प्रतिशत या उससे भी कम दरों पर स्वीकृत निर्माण कार्य प्राक्कलन अनुसार सही गुणवत्ता के पूर्ण किये गये हैं? यदि हाँ, तो क्या प्राक्कलन गलत या जानबूझकर ठेकेदार/एजेन्सी को लाभ देने के उद्देश्य से बनाया गया था? यदि नहीं, तो क्या 35 प्रतिशत से निम्न दर पर निर्मित या निर्माणाधीन कार्यों को प्राक्कलन एवं निर्माण कार्यों की जाँच भोपाल से उच्च स्तरीय इंजीनियरों की टीम गठित कर प्रश्नकर्ता विधायक के समक्ष कराई जा सकती है? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। नगर पालिक निगम, ग्वालियर में कराये गये/कराये जा रहे कार्यों की गुणवत्ता की शिकायत प्राप्त नहीं होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
नियम विरूद्ध संचालित मदिरा दुकानों पर कार्यवाही
82. ( क्र. 5826 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में देशी व विदेशी मदिरा की दुकानें संचालित करने के संबंध में क्या नियम हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत किन स्थानों पर देशी व विदेशी मदिरा की दुकानें संचालित है? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में वर्णित मदिरा की दुकानों द्वारा प्रश्नांश (क) में वर्णित नियमों का अक्षरश: पालन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्या ब्यावरा नगर में शासकीय कन्या हायर सेकण्डरी स्कूल के सामने भारतीय स्टेट बैंक के पास निर्धारित मापदण्ड के विपरीत देशी मदिरा की दुकान का संचालन वर्षों से किया जा रहा है? यदि हाँ, तो इस संबंध में सक्षम अधिकारियों द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नहीं करने के क्या कारण हैं? (घ) क्या विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा में महज 27 दुकानें लाईसेंस प्राप्त हैं लेकिन आपसी सांठ-गांठ के चलते लगभग 100 मदिरा की दुकानें अवैध रूप से संचालित की जा रही हैं? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक शासन द्वारा अवैध दुकानों के विरूद्ध क्या कोई कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो इसके लिये दोषी अधिकारियों के विरूद्ध शासन कोई दण्डात्मक कार्यवाही करेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 62 के प्रावधानों के अंतर्गत निर्मित सामान्य प्रयोग नियमों एवं धारा 62 (2) अंतर्गत निर्मित सामान्य अनुज्ञप्ति शर्तों के अंतर्गत शासन द्वारा देशी व विदेशी मदिरा की दुकानें संचालित की जा रही हैं। (ख) ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत संचालित देशी/विदेशी मदिरा दुकानों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ग) जी हाँ। ब्यावरा नगर की प्रश्नाधीन देशी मदिरा दुकान आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 62 के अंतर्गत निर्मित सामान्य प्रयुक्ति नियम के नियम (1) में प्रावधानिक अनुसार संचालित है। यह दुकान वर्तमान स्थान पर लगभग 30 वर्षों से भी अधिक समय से संचालित है। ब्यावरा नगर की देशी मदिरा दुकान नियमानुसार अव्यवस्थित होने से सक्षम अधिकारी पर कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। (घ) ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 22 देशी मदिरा तथा 2 विदेशी मदिरा की दुकानें संचालित हैं। ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र में जिन 100 अवैध मदिरा दुकानों का जिक्र किया गया है यह मदिरा दुकानें किस गाँव में है व किस व्यक्ति द्वारा दुकानों का अवैध संचालन किया जाता इसकी शिकायत कार्यालय में आज दिनांक तक प्राप्त नहीं हुई है। अधीनस्थ अधिकारियों एवं स्टॉफ के द्वारा सूचना मिलने पर अवैध मदिरा निर्माण/परिवहन/धारण और विक्रय के प्रकरण कायम किये जाते हैं, ब्यावरा क्षेत्र में कायम किये गये प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। विभाग द्वारा सक्षम कार्यवाही की जा रही है। अत: अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
नवीन विद्युत ग्रिड की स्थापना
83. ( क्र. 5827 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले में विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत ग्राम संवासी (नरसिंहगढ़) ग्राम आगर, ग्राम टोंका, ग्राम नापानेरा, ऐसे ग्राम हैं जहाँ वर्तमान में जिन स्थापित विद्युत उपकेन्द्रों से विद्युत आपूर्ति की जा रही है, वह काफी लम्बी दूरी के फीडरों पर आधारित हैं? उपरोक्त सभी ग्रामों के आस-पास बड़ी जल संरचनायें होने से तथा आबादी के मान से भी बड़े ग्राम होने से विद्युत पंपों की संख्या भी काफी अधिक है साथ ही उक्त ग्रामों के आस-पास बसे अन्य ग्राम भी लम्बे फीडर होने से अल्प वोल्टेज की समस्या से ग्रसित है? (ख) उपरोक्तानुसार क्या उक्त ग्रामों में पर्याप्त वोल्टेज प्राप्त न होने के कारण लम्बे समय से इन क्षेत्र के कृषक पृथक-पृथक ग्रिड स्थापित करने की मांग कर रहे हैं? कृषकों की उचित मांगों के समर्थन में स्थाई समाधान हेतु विभाग द्वारा क्या शीघ्र कोई कार्ययोजना बनाई जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। प्रश्न में उल्लेखित ग्रामों में पर्याप्त वोल्टेज पर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ख) जी नहीं। उत्तरांश ''क'' में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्रान्तर्गत पर्याप्त वोल्टेज पर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है एवं क्षेत्र में सम्बद्ध भार के अनुरूप विद्युत अधोसंरचना उपलब्ध है। अत: वर्तमान में कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
कुओं, तालाबों एवं नदियों का जल स्तर
84. ( क्र. 5853 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बालाघाट जिले में जल स्तर से नीचे रेत खनन किये जाने से उसके आस-पास के कुओं, तालाब, झरने, नाले, नदी का जल स्तर तेजी से गिरकर नीचे जा रहा है? जो आगामी गर्मी में मानव, पशु, पक्षी, जीव जंतु, सब्जियों की पैदावार में पानी की कमी हाहाकार बन जावेगी? (ख) यदि हाँ, तो क्या तत्काल ऐसे अवैध खनन को रेतघाट बंद किये जावेंगे? समय-सीमा बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में जल स्तर से नीचे रेत का खनन कार्य नहीं किया जा रहा है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नांश 'क' में दिये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
तहसील लवकुशनगर अंतर्गत जल उपभोक्ता
85. ( क्र. 5869 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छतरपुर जिले के अंतर्गत तहसील लवकुशनगर में श्री रमेश पटेल जल उपभोक्ता क्रमांक 74 धरमपुरा नि.देवपुर अध्यक्ष जल उपभोक्ता का चुनाव लड़कर निर्वाचित हुआ क्या उक्त चुनाव दिनांक 17/05/2015 में संपन्न हुआ था? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित उक्त व्यक्ति को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तहसील लवकुशनगर द्वारा प्रकरण क्रमांक 28/अ89अ/2008-2009 में पारित आदेश दिनांक 17/11/2009 में 32 लाख 2 हजार 3 रूपये गबन का दोषी करार देते हुए 6 वर्ष के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य/वंचित किया गया था? (ग) क्या सत्र न्यायाधीश छतरपुर द्वारा प्रकरण क्रमांक 40/2009 में पारित निर्णय दिनांक 11/05/2010 में गबन का दोषी पाते हुए 6 वर्ष कारावास एवं 40 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया था? (घ) क्या उक्त व्यक्ति किसी भी चुनाव में भाग लेने हेतु पात्र है? यदि नहीं, तो वर्तमान में अध्यक्ष उपभोक्ता समिति जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह सकता है या नहीं।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) उत्तर विधान सभा तारांकित प्रश्न क्रमांक-3995 दिनांक 03.03.2016 में दिया गया होकर प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
आवासीय कॉलोनियों में विद्यालय और बगीचे
86. ( क्र. 5878 ) सुश्री उषा ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कोई आवासीय कॉलोनी विकसित करते समय उसमें बगीचे और विद्यालय के लिये भू-खण्ड सुरक्षित रखा जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो इंदौर शहर की आवासीय कॉलोनियों की जानकारी प्रस्तुत करें :- (I) कॉलोनी का नाम और स्थिति (II) बगीचे के लिये सुरक्षित भूमि का माप (III) विद्यालय हेतु सुरक्षित भूमि का माप (IV) क्या बगीचा, विद्यालय निर्माण हो गया (V) अगर अतिक्रमण है तो कितना भाग और किसके द्वारा (VI) 15.2.16 तक अतिक्रमण हटाने का क्या प्रयास किया? (ख) क्या किसी कॉलोनी में सुरक्षित भूमि को शासकीय विद्यालय हेतु देने पर राशि कॉलोनाईज़र द्वारा ली जाती है अथवा फ्री में देने का प्रावधान है? क्या शासन बिना कॉलोनाईज़र की सहमति के ले सकता है अथवा नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है (ख) नगरीय क्षेत्र में नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा स्वीकृत अभिन्यास में विद्यालय हेतु आरक्षित भूमि को उसी उपयोग हेतु विक्रय कर राशि प्राप्त करने का अधिकार कॉलोनाईज़र को है। शासन कॉलोनियों में विद्यालय हेतु आरक्षित भूमि को भू-अर्जन के माध्यम से प्राप्त कर सकता है।
दस लाख से ऊपर बकाया विद्युत व्यय की राशि
87. ( क्र. 5882 ) सुश्री उषा ठाकुर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में विद्युत पारेषण बहुत अधिक है? अनुमानत 2015 में कितने प्रतिशत रहा इसका कारण बतावें? (ख) क्या कई उद्योगों, नगरीय निकायों व अन्यों पर करोड़ों रूपये की लेनदारियां हैं? यदि हाँ, तो 10 लाख से ऊपर की लेनदारियां इन्दौर, धार, देवास, झाबुआ में किन-किन पर है इकाई का नाम और 31/01/2016 की स्थित में लेनदारी बतावें। (ग) क्या कई उद्योग बंद हो गये और उन पर लेनदारियां बाकी हैं? उनके नाम (10 लाख से ऊपर) बतावें। उनसे वसूली कैसे होगी? (घ) क्या पारेषण और बकाया लेनदारियां के कारण साधारण उपभोक्ता को ज्यादा राशि चुकाना पड़ रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं, प्रदेश में पारेषण हानियाँ (विद्युत पारेषण नहीं) अधिक नहीं है। वर्ष 2014-15 में प्रदेश में पारेषण हानियाँ 2.82 प्रतिशत थी। उक्त हानियाँ तकनीकी कारणों यथा-कंडक्टर लॉस, रेडियेशन लॉस, डाईइलेक्ट्रिक हीटिंग लॉस, कपलिंग लॉस, कोरोना लॉस आदि के कारण होती है। (ख) जी हाँ। म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर क्षेत्रान्तर्गत इन्दौर, देवास, धार तथा झाबुआ जिलों में दिनांक 31.01.2016 की स्थिति में रूपये 10 लाख से अधिक की विद्युत बिलों की बकाया राशि वाली औद्योगिक इकाईयों, नगरीय निकायों एवं अन्य उपभोक्ताओं की उपभोक्ता के नामवार, बकाया राशि की जानकारी सहित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जी हाँ। म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर क्षेत्रान्तर्गत इन्दौर, देवास, धार तथा झाबुआ जिले की ऐसी औद्योगिक इकाईयाँ जो बंद है तथा जिन पर दिनांक 31.01.2016 की स्थिति में रू. 10.00 लाख से अधिक की विद्युत बिलों की बकाया राशि है, के विरूद्ध बकाया राशि एवं बकाया राशि की वसूली हेतु की जा रही कार्यवाही की इकार्इवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जी नहीं, म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ रेग्यूलेशन में वर्णित वितरण हानियों (पारेषण नहीं) से अधिक वितरण हानियाँ होने पर नियामक आयोग द्वारा उसके समानुपातिक विद्युत क्रय को नकार दिया जाता है, जिससे विद्युत दर निर्धारण पर उसका भी प्रभाव नहीं पड़ता। वितरण कंपनी द्वारा प्रति वर्ष विद्युत नियामक आयोग के समक्ष जो सकल राजस्व आवश्यकताओं का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है, उसका मुख्य कारक राजस्व माँग होता है न कि राजस्व संग्रहण, अत: बकाया राशि का प्रभाव विद्युत दर निर्धारण पर नहीं पड़ता।
लोकायुक्त संगठन के निर्णय का पालन
88. ( क्र. 5885 ) सुश्री उषा ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 1998 में लोकायुक्त संगठन (सतर्कता समिति) इन्दौर ने इन्दौर जिले की कितनी शिकायतों की जाँच की, सूची देवें? (ख) वर्ष 1998 जाँच प्रतिवेदन/129/98 में क्या जाँच के उपरान्त, लोकायुक्त द्वारा प्रकरण बंद (Close) करने सम्बंधी निर्णय लिया था? (ग) ऐसे कितने प्रकरण वर्ष 1998 से 2000 तक के हैं, जिन पर लोकायुक्त द्वारा प्रकरण बंद (Close) करने का निर्णय लिया किंतु, लोकायुक्त पुलिस ने इसके बावजूद न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किये, सूची देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 12 शिकायतें। सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। लोकायुक्त संगठन की शिकायत एवं जाँच शाखा में प्रकरण बंद कर आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर कार्यवाही हेतु विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त संगठन, इंदौर संभाग, इंदौर को अंतरित किया गया था। (ग) लोकायुक्त संगठन की विशेष पुलिस स्थापना में ऐसे प्रकरणों की जानकारी निरंक है।
ई-पंजीयन व्यवस्था
89. ( क्र. 5906 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश शासन की ई-पंजीयन व्यवस्था किस दिनांक से लागू की गई इसमें पुरानी एवं नई व्यवस्था में क्या अंतर है? (ख) ई-पंजीयन व्यवस्था में उपभोक्ताओं को कौन सी अतिरिक्त सुविधा प्राप्त हुई एवं इसमें कया लाभ है? (ग) क्या इस व्यवस्था में सम्पदा सॉफ्टवेयर प्रोवाईडर से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है। (घ) क्या सेवा प्रदाता की जगह सेवा प्रदाता के खाते में लेन-देन हो जाता है इसमें अनेक त्रुटियां हैं इस हेतु विभाग कोई सुधार करेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मध्यप्रदेश में ई-पंजीयन व्यवस्था ''सम्पदा'' दिनांक 01.07.2015 से लागू की गई है। नई व्यवस्था में दस्तावेजों के पंजीयन की प्रक्रिया का कम्प्यूटरीकरण किया गया है। जिसके अंतर्गत पंजीयन हेतु प्रक्रिया ऑन-लाईन स्वयं अथवा अधिकृत सेवा प्रदाता के माध्यम से प्रारंभ करने की व्यवस्था है। नई व्यवस्था में मेन्युअल स्टॉम्प के प्रयोग के स्थान पर ई-स्टाम्पिंग की व्यवस्था है। विविध भुगतान सेवा प्रदाता की साख सीमा के जरिए अथवा ऑन-लाईन स्वयं करने की सुविधा उपलब्ध है। ई-पंजीकृत दस्तावेजों की ऑन-लाईन सर्च एवं ऑन-लाईन प्रमाणित प्रति प्राप्त करने का प्रावधान है। पुरानी व्यवस्था में ये प्रक्रियाएं मेन्युअल थी। (ख) ई-पंजीयन व्यवस्था में उपभोक्ताओं को निम्न अतिरिक्त सुविधाएं प्राप्त हुई है :- (1) ई-स्टॉम्प के लिये देय राशि, पंजीयन फीस, सर्च फीस व अन्य फीस की देय राशिओं के ऑन-लाईन भुगतान की सुविधा। (2) सम्पत्ति के बाजार मूल्य की ऑन-लाईन संगणना एवं दस्तावेज पर देय स्टॉम्प शुल्क एवं पंजीयन फीस की ऑन-लाईन संगणना की सुविधा। (3) दस्तावेजों के मानक प्रारूप एवं संपत्तियों की बाजार मूल्य मार्गदर्शिका दरें ऑन-लाईन उपलब्ध है। (4) ई-पंजीकृत दस्तावेजों की ऑन-लाईन सर्च एवं प्रमाणित प्रति ऑन-लाईन प्राप्त करने की सुविधा। (5) पंजीयन प्रक्रिया का ऑन-लाईन प्रारंभ एवं ऑन-लाईन स्लॉट आरक्षित करने की सुविधा। (6) संपत्ति के दावेदार को संपत्ति के संबंध में यूनिक पिन नंबर प्रदाय की सुविधा जिसके जरिए भविष्य में उसी संपत्ति के अवैध पंजीयन से संपत्ति को सुरक्षित करने के लिए उसे संपदा प्रणाली में लॉक किया जा सकता है। (7) भौतिक स्टॉम्प के स्थान पर ई-स्टॉम्प प्रदाय की सुविधा जो विविध सुरक्षा मानकों से युक्त है। उक्त सुविधाओं के माध्यम से पंजीयन प्रक्रिया को सरल, सुगम व पारदर्शी बनाया गया है ताकि पक्षकारों को जानकारी के अभाव में अनावश्यक विलंब व परेशानी से बचाया जा सके। (ग) जी नहीं। (घ) सेवा प्रदाता के खाते में लेन-देन संबंधी शिकायतों के निराकरण के लिए सॉफ्टवेयर में संशोधन कराया गया है जिसके उपरांत दिनांक 26.01.2016 के पश्चात् ऐसी कोई शिकायत प्रतिवेदित नहीं हुई है जिसमें एक सेवा प्रदाता के खाते से लेन-देन अन्य सेवा प्रदाता के खाते में हो गया हो।
पर्यटन संवर्धन परिषद्
90. ( क्र. 5912 ) श्री ठाकुरदास नागवंशी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या होशंगाबाद पर्यटन संवर्धन परिषद् का गठन शासन के आदेश के तहत हुआ है? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति व अधिकार कर्तव्यों की जानकारी प्रदान करें तथा इस प्रकार की पर्यटन संवर्धन परिषद् का गठन प्रदेश में कहाँ-कहाँ किया गया है? (ख) क्या जिला होशंगाबाद में पर्यटन संवर्धन परिषद् जो फर्म एवं सोसायटी के तहत पंजीकृत संस्था/समिति है, को साहसिक गतिविधि चलाने हेतु स्वीकृति प्रदान करने के अधिकार जिला प्रशासन को है। यदि हाँ, तो होशंगाबाद ट्यूरिज्म प्रमोशन काउंसिल समिति जिसमें होशंगाबाद जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी सदस्य हैं क्या इस संस्था में माध्यम से व्यवसायिक गतिविधियाँ चला सकते हैं? (ग) होशंगाबाद पर्यटन संवर्धन परिषद् संवर्धन के द्वारा जारी की गई निविदा क्रमांक 4827/एचटीपीसी/जि.पं./2014 होशंगाबाद दिनांक 26/06/2014 के अंतर्गत प्राप्त निविदाकारों की जानकारी किन-किन निविदाकारों द्वारा निविदा जमा की गई तथा प्राप्त निविदा अनुसार तुलनात्मक विवरण पत्रक का विवरण देवें तथा होशंगाबाद पर्यटन संवर्धन परिषद् द्वारा साहसिक गतिविधियों के संचालन हेतु जो दरें निर्धारित की गई हैं क्या ये दरें शासन द्वारा अनुमोदित हैं? (घ) क्या होशंगाबाद पर्यटन संवर्धन परिषद् द्वारा वर्ष 2013 में साहसिक गतिविधि के संचालन हेतु 01 वर्ष के लिये निविदा जारी की गई थी तथा सफल निविदाकार विनीत साहू, सतपुड़ा एडवेंचर क्लब पचमढ़ी को उक्त गतिविधि संचालन करने हेतु स्वीकृति प्रदान की गई? (ड.) क्या इन्हें कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी लगातार 03 वर्षों तक गतिविधि संचालन करने का एकाधिकारी दिया गया? इस क्लब द्वारा मनमाने ढंग से शुल्क वसूल कर पर्यटकों का दोहन किया जाकर लाभ अर्जित किया जा रहा है? (च) क्या अन्य समिति जो म.प्र. सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1993 (सन् 1973 क क्रमांक 44) अधीन पंजीकृत हो इस प्रकार की गतिविधियां संचालित कर सकती हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी नहीं। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं। (घ) जी हाँ। जी हाँ। (ड.) उक्त संस्था को आगामी 02 वर्षों तक उक्त गतिविधि के संचालन हेतु इन्हें पुन: जारी की गई। जी नहीं। (च) जी नहीं।
नियम विरूद्ध स्थानांतरण पर स्थगन/संशोधन
91. ( क्र. 5913 ) श्री ठाकुरदास नागवंशी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग मंत्रालय के आदेश भोपाल दिनांक 30 अक्टूबर 2015 के द्वारा सहायक राजस्व निरीक्षक, भृत्य, सहायक मानचित्रकार, उप यंत्रियों एवं राजस्व निरीक्षकों के स्थानांतरण आदेश जारी किये थे? (ख) क्या राज्य शासन द्वारा कुछ स्थानांतरणों को प्रमुख अभियंता द्वारा संशोधित कर अन्यत्र निकाय में स्थानांतरित किया गया हैं? यदि हाँ, तो किन-किन आदेशों को संशोधित किया गया हैं? (ग) क्या राज्य शासन द्वारा किये गये स्थानांतरण में आंशिक संशोधन अथवा स्थगन के लिये राज्य शासन/मान. मंत्रीजी/समन्वय समिति के बगैर पूर्व अनुमोदन के नहीं किया जा सकता है? (घ) क्या नियम विपरीत प्रमुख अभियंता द्वारा दिये गये स्थगन को शासन निरस्त करेगा या नहीं? यदि नहीं, तो क्यों? नियम विरूद्ध कार्यवाही करने के प्रति क्या उत्तरदायित्व का निर्धारण होगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। (घ) प्रश्नांश ‘ख’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बिना कारण पंचनामा कर प्रकरण
92. ( क्र. 5914 ) श्री रमेश मेन्दोला : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विद्युत विभाग इंदौर में उपभोक्ताओं द्वारा बिजली बिल की अनियमितता के संबंध में शिकायतें प्राप्त हो रही हैं बिना कारण पंचनामें करके दंड वसूला जा रहा है? यदि हाँ, तो इंदौर में इस प्रकार की प्राप्त शिकायतों की 15.2.16 की स्थिति में संख्या बतावें उन पर की गई कार्यवाही भी बतावें? (ख) क्या इंदौर स्थित 22ए सुभाष नगर में सर्व्हीस क्र. 9065734000 का दिनांक 11.7.2014 को पंचनामा बनाया गया, हाँ, तो किस आधार पर? पंचनामें में लोड 5480W बताया जबकि प्रायवेट रजिस्टर्ड कान्ट्रेक्टर हेमराज मार्ट ने अपनी रिपोर्ट में 3402W बताया है? (ग) क्या उपभोक्ता द्वारा 11.7.2014 के बाद नियमित बिल भरा जाता रहा और एकाएक दिसम्बर 2015 करीब डेढ़ वर्ष बाद उसे 12239/- का बिल दिया जाता है इस बिल को विद्युत विभाग के ही अधिकारियों द्वारा संशोधित करके 1226/- कर दिया जो उपभोक्ता द्वारा उसी दिन भर दिया गया? (घ) क्या उपभोक्ता द्वारा नियमित बिल भरने के बावजूद 20.1.2016 को विद्युत कनेक्शन काट दिया गया? इसकी शिकायत करने पर झौन कर्मचारी दीपका बांदिल द्वारा उपभोक्ता को गालियां और मारपीट की धौंस दी गई जिसकी रिपोर्ट टीका नगर थाने पर की गई? दीपक बांदिल पर विभाग ने क्या कार्यवाही की?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) इन्दौर शहर में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालयों में उपभोक्ताओं से बिजली बिल में त्रुटि संबंधी शिकायतें प्राप्त हुई है। जी नहीं, बिना कारण पंचनामें बनाकर दण्ड नहीं वसूला जा रहा है। इन्दौर, शहर वृत्त में वर्ष 2015-16 में दिनांक 15.02.2016 तक बिजली बिलों के अधिक आने संबंधी 46931 शिकायतें प्राप्त हुई हैं तथा इन सभी शिकायतों का नियमानुसार निराकरण कर दिया गया है। (ख) जी हाँ, दिनांक 11.07.2014 को प्रश्नांकित परिसर में निरीक्षण के दौरान परिसर का संयोजित भार स्वीकृत भार से अधिक पाए जाने पर पंचनामा बनाया गया था। उक्त परिसर में दिनांक 11.07.2014 को निरीक्षण में संयोजित भार 5480 वाट पाया गया था। उपभोक्ता द्वारा प्रायवेट बी-क्लास इलेक्ट्रिकल कांट्रेक्टर की 3402 वाट संयोजित भार की जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, वह उक्त पंचनामा बनाने के लगभग डेढ़ वर्ष पश्चात् दिनांक 17.01.2016 को बनाई गयी है। (ग) जी हाँ, प्रश्नाधीन उपभोक्ता द्वारा मासिक विद्युत बिल का भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा था। उपभोक्ता द्वारा स्वीकृत भार से अधिक भार का उपयोग करते पाये जाने पर अधिरोपित पेनाल्टी सहित बिल की राशि उपभोक्ता द्वारा जमा नहीं करने के कारण माह दिसम्बर-15 के बिल में उक्तानुसार अनंतिम निर्धारण की राशि जोड़ी गई थी। जी नहीं, बिल संशोधित करके रूपये 1226 का नहीं किया गया अपितु उपभोक्ता द्वारा स्वत: ही अनंतिम निर्धारण की राशि को छोड़कर केवल चालू माह के बिल की राशि रू. 1226 का भुगतान दिनांक 11.01.2016 को किया गया था। (घ) बकाया राशि होने के कारण दिनांक 20.01.2016 को प्रश्नाधीन विद्युत कनेक्शन काटा गया था। जी नहीं, जोन इंनचार्ज श्री दीपक बांदिल द्वारा उपभोक्ता से अभद्रता नहीं की गई अपितु उन्हें शालीनतापूर्वक समझाईश दी गई थी, किन्तु उपभोक्ता द्वारा सहायक यंत्री श्री दीपक बांदिल के साथ अभद्रता की गई तथा कार्यालयीन रिकार्ड को फेंका गया। श्री दीपक बांदिल, सहायक यंत्री द्वारा शासकीय कार्य में बाधा डालने, गाली गलोज करने तथा व्यक्तिगत रूप से मारने की धमकी देने के कारण उक्त उपभोक्ता के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 20.01.2016 को हीरानगर थाने में की गई। उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में श्री दीपक बांदिल, सहायक यंत्री पर पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।
रासायनिक अपशिष्ट
93. ( क्र. 5949 ) श्री सतीश मालवीय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मेसर्स एम.पी. वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पीथमपुर जिला धार की खतरनाक अपशिष्ट पदार्थ के डिस्पोजल करने की क्षमता कितनी है और किस प्रकार के हेजार्ड केमिकल्स को समाप्त किया जाता है? (ख) मेसर्स एम.पी. वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पीथमपुर द्वारा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति कब प्राप्त की गई है? (ग) मेसर्स एम.पी. वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पीथमपुर से सब रिलेटेड कंपनियां जो कि हेजार्ड केमिकल्स को नष्ट करती है उन कंपनियों के नाम, स्थान सहित जानकारी पृथक-पृथक दें? वर्ष 2013-14 व 2014-15 में किन-किन कंपनियों के खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों का डिस्पोजल किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार है। (ख) केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। (ग) म.प्र. वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पीथमपुर जिला धार से सब रिलेटेड कंपनियाँ जो कि हेजार्ड केमिकल्स को नष्ट करती हैं, के संदर्भ में जानकारी निरंक है। वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों का डिस्पोजल करने वाले उद्योगों/संस्थानों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब‘‘ अनुसार है।
अपशिष्ट पदार्थों के परिवहन आदि
94. ( क्र. 5950 ) श्री सतीश मालवीय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लैंक्सेस इण्डिया प्रा.लि. बिरलाग्राम नागदा द्वारा वर्ष 2014-15 में खतरनाक अपशिष्ट नाम 1. डिस्टीनेशन रेसीड्यूस, 2. डिस्कारडेड कन्टेनर/बेरल/लायर्नस/कन्टामिनेटेड विथ हेजार्डस वेस्ट/केमिकल, 3. स्पेंट आयन एक्सचेंज रेजिंन कंटेनिंग टॉक्सीस केमिकल्स 4. केमिकल स्लज फ्राम वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट 5. केमिकल स्लज फ्राम वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट, 6. फिल्टर्स एण्ड फिल्टर मटेरियल विच हेव ऑर्गेनिक लिक्विडस इन देम, ई.जी. मिनरल, 7. स्पेंट कार्बन 8. ऐंश फ्राम इंसीनरेशन ऑफ हेजार्डस वेस्ट, फ्ल्यू गैस क्लिनिंग रेसिड्यूस, 9. यूज्ड स्पेंट ऑयल का कितनी मात्रा में मुख्य उत्पादन के दौरान कितनी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ निकला है? (ख) वर्ष 2014-15 में अपशिष्ट पदार्थों का किस ट्रांसपोर्टर द्वारा कहाँ-कहाँ परिवहन किया गया है? ट्रांसपोर्टर का नाम, प्रदूषण विभाग की अनुमति संबंध ट्रांसपोर्टर की बिल्टी विवरण सहित परिवहन किए गए अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा व दिनांक सहित विवरण पृथक-पृथक दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब‘‘ अनुसार है।
रीवा जिले में कर अपवंचन राशि की वसूली
95. ( क्र. 5966 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि. अता. प्रश्न संख्या 51 (क्रमांक 991) दिनांक 01.7.2014 के प्रश्नांश (घ) के उत्तर के संबंध में बतायें कि किन-किन फर्म के विरूद्ध जाँच कराई गई है जाँच में पाये जाने कर अपवंचन के संबंध में अब तक कितने-कितने रूपये की वसूली किन-किन फर्मों से कर ली गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में परिशिष्ट में अंकित अपवंचन राशि की वसूली यदि फर्मों से नहीं की गई तो क्यों वसूली न करने में कौन-कौन दोषी है उनके विरूद्ध कब क्या कार्यवाही करेंगे। (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के संदर्भ में एवं अवधि के उपरांत प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा किन-किन प्रतिष्ठानों में और छापे मारे गये हैं तथा उक्त प्रतिष्ठानों में और कितने अपवंचन की राशि पाई गयी है? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) के संदर्भ के प्रतिष्ठानों में बकाया अपवंचन के राशि की वूसली न होने की स्थिति में उन प्रतिष्ठानों का रजिस्ट्रेशन/लाईसेंस समाप्त करते हुए उन पर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की कार्यवाही करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्नांश ''क'' रीवा संभाग में 47 फर्मों पर जाँच की कार्यवाही की गई है, जिसमें से जाँच वक्त कम्पोजिशन के तहत् 172.87 लाख की वसूली की गई थी। ब्लॉक कर निर्धारण के पश्चात् 18 प्रकरणों में 54.08 लाख की वसूली कर ली गई है। फर्मवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ए अनुसार है। जबलपुर संभाग में 58 फर्मों पर जाँच की कार्यवाही की गई है, जिसमें से जाँच वक्त कम्पोजिशन के तहत् 355.05 लाख की वसूली की गई थी। ब्लॉक कर निर्धारण के पश्चात् 27 प्रकरणों में 95.91 लाख की वसूली कर ली गई है। फर्मवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-बी अनुसार है। (ख) रीवा संभाग में 2 प्रकरणों में राशि रूपये 52.27 लाख अपील में लंबित है। शेष 13 प्रकरणों में वसूली की कार्यवाही की जा रही है, जिसकी विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ए के कॉलम क्रमांक 18 एवं 19 में अंकित अनुसार है। जबलपुर संभाग में 9 प्रकरणों में राशि रूपये 712.20 लाख अपील में लंबित है। शेष 13 प्रकरणों में वसूली की कार्यवाही की जा रही है, जिसकी विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-बी के कॉलम क्रमांक 18 एवं 19 में अंकित अनुसार है। विभाग द्वारा कर अपवंचन की राशि की वसूली गंभीरतापूर्वक की जा रही है। वसूली होने के लिए कोई दोषी नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) अवधि के उपरांत प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा केवल जबलपुर संभाग में एक फर्म मेसर्स सुशील हार्डवेयर, कटनी टिन 23476201204 पर दिनांक 08/07/2015 को पुन: छापे की कार्यवाही की गई जिसमें स्क्रूटनी प्रतिवेदन में रू. 2.94 लाख की कर अपवंचित राशि प्रस्तावित की गई है। ब्लॉक कर निर्धारण अभी लंबित है। (घ) 05 व्यवसायियों के पंजीयन निरस्त किए जा चुके हैं, शेष बकाया राशि की वसूली हेतु विधान में दी गई व्यवस्थाओं के तहत् वसूली की कार्यवाही की जा रही है। व्यवसायीवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ए एवं बी के कॉलम क्रमांक 20 में अंकित अनुसार है।
अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण
96. ( क्र. 6027 ) श्री के.पी. सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 5 वर्षों से प्रश्न दिनांक तक नगर निगम भोपाल के पूर्व वार्ड क्र.39 वर्तमान 41 के अंतर्गत कितने ऐसे प्रकरण विभिन्न न्यायालयों में अवैध निर्माण/अतिक्रमण हटाने से संबंधित निगम के विरूद्ध विचाराधीन हैं, सूची दें? (ख) उक्त प्रकरणों में कितनों में न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश अथवा यथास्थिति बनाये रखने के आदेश हैं? प्रश्न दिनांक तक उनकी अद्यतन स्थिति से अवगत करावे? (ग) उक्त वार्ड के अंतर्गत लाला लाजपत राय गृह निर्माण हाउसिंग सोसायटी बाग दिलकुशा भोपाल में कितनों को अवैध निर्माण/अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिये गये हैं, किन्तु अवैध निर्माण/अतिक्रमण प्रश्न दिनांक तक नहीं हटाये गये हैं? जबकि मा. न्यायालय द्वारा अतिक्रमणकारियों को प्राप्त स्थगन भी समाप्त कर दिये गये हैं? ऐसा क्यों? (घ) क्या शासन/विभाग/निगम न्यायालयीन प्रकरणों में स्थगन हटवाने की कार्यवाही शीघ्र कर चिन्हित अवैध निर्माण/अतिक्रमण हटाने हेतु शीघ्र कार्यवाही करेगा तथा जिनमें स्थगन नहीं है/स्थगन समाप्त कर दिये गये हैं, ऐसे अवैध निर्माण/अतिक्रमण क्यों नहीं हटाये जा रहे हैं, उन्हें कब तक हटा दिया जावेगा? अवैध निर्माण/अतिक्रमण हटाने में हो रहे विलम्ब हेतु दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर है। (ख) प्रकरण में स्थगन आदेश प्रभावशील है। प्रकरण अंतिम निराकरण के लिये मानननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। (ग) सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर है। उक्त सूचना-पत्र के विरूद्ध माननीय जिला न्यायालय द्वारा निषेधाज्ञा जारी की गई जिसके विरूद्ध नगर निगम भोपाल द्वारा अपील की गई थी। जिसमें न्यायालय द्वारा दिये गये स्थगन आदेश दिनांक 27.02.12 को अपास्त कर दिया गया था। जिसके विरूद्ध श्री नईम अहमद सिद्दीकी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में डब्ल्यू. पी. नंबर 14630/2013 दायर की गई है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आदेश दिनांक 22.08.2013 से आगामी दिनांक तक के लिए स्थगन दिया गया है। (घ) उत्तरांश 'ग' अनुसार प्रकरण में स्थगन आदेश प्रभावशील है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
धार्मिक सिंहस्थ 2016 के आयोजन में भ्रष्टाचार
97. ( क्र. 6035 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या धार्मिक नगर उज्जैन में वर्ष 2016 के सिंहस्थ आयोजन की समस्त तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं? यदि हाँ, तो वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक की स्थिति में सिंहस्थ आयोजन स्थल पर व उसके आस-पास के क्षेत्रों में कितनी-कितनी राशि से कौन-कौन से विकास व अन्य कार्य किस-किस निधि से संपन्न कराये गये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में यह अवगत करावें कि निर्माण/विकास कार्य संपन्न कराने हेतु किस-किस विभाग के किन-किन अधिकारी/कर्मचारियों की कब-कब से सेवाएं ली जा रही हैं उनके नाम पद व विभाग सहित बतावें? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में सिंहस्थ जैसे धार्मिक आयोजन के विकास कार्यों के संपन्न कराने हेतु क्या उपयंत्री पीयूष भार्गव जैसे और भ्रष्ट प्रवृत्ति के अधिकारी/कर्मचारियों व अन्य की सेवाएं ली जा रही है, जिनके विरूद्ध पूर्व में अनियमित्ताओं/भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं? यदि हाँ, तो ऐसे भ्रष्ट प्रवृत्ति के लोगों की सेवाएं लेने के क्या कारण हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। मदवार कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) उत्तरांश ‘’ख’’ के परिप्रेक्ष्य में सिंहस्थ-2016 के आयोजन में ऐसा कोई भी अधिकारी/कर्मचारी संलग्न नहीं है, जिसके विरूद्ध कोई दोष सिद्ध पाया गया हो। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के कार्य
98. ( क्र. 6050 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के परि. अता. प्रश्न संख्या 114 (क्रमांक 1973) दिनांक 15.12.15 के प्रश्नांश (ख) के उत्तर में बताया है, कि श्योपुर जिले में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के क्रियान्वयन हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। तो क्या उक्त प्रक्रियाधीन कार्यवाही पूर्ण कर ली गई है यदि हाँ, तो बतावें कि उक्त योजना के तहत कितने ग्रामों/मजरे/टोलों विद्युतीकरण के कार्य कराए जाने है? (ख) श्योपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रामबाड़ी में पूर्व से स्वीकृत 33/11 विद्युत सब-स्टेशन हेतु भूमि का आंवटन हो चुका है? यदि नहीं, तो कब तक हो जावेगा। (ग) उक्त क्षेत्र में जो ग्राम एवं मजरे/टोले वर्तमान तक राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना एवं फीडर सेपरेशन योजना में सम्मिलित नहीं हैं उन्हें प्रश्नांश (ख) में वर्णित योजना में शामिल किया जावेगा? (घ) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित योजना में शामिल गाँव/मजरे/टोलों में स्वीकृत विद्युत कार्य निविदा कार्यवाही पूर्ण करने की गति धीमी होने के कारण प्रारंभ नहीं हो पा रहे हैं? यदि हाँ, तो शीघ्र निविदा कार्यवाही पूर्ण कर स्वीकृत कार्य अविलम्ब प्रारंभ कराये जावेंगे यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। वर्तमान में भारत सरकार के निर्देशानुसार प्रश्नाधीन योजना का कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु निविदा दस्तावेजों की स्वीकृति ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से प्रतीक्षित है। उक्त स्वीकृति उपरांत ही निविदा जारी किये जाने की कार्यवाही की जा सकेगी। श्योपुर जिले की उक्त योजना में 228 ग्रामों एवं 233 मजरों/टोलों में फीडर सेपरेशन, सघन विद्युतीकरण, मीटरीकरण एवं प्रणाली सुदृढ़ीकरण के विभिन्न कार्य स्वीकृत किये गये हैं। (ख) जी हाँ, प्रश्नाधीन विद्युत सब-स्टेशन हेतु भूमि का आवंटन किया जा चुका है। (ग) जी हाँ, वित्तीय उपलब्धता के आधार पर प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित योजनाओं में छूटे हुए कार्यों को प्रश्नांश (क) (प्रश्नांश 'ख' नहीं) में वर्णित योजना में शामिल किए जाने के प्रयास किये जावेंगे। (घ) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से निविदा दस्तावेजों की स्वीकृति उपरान्त निविदा जारी की जा सकेगी। उक्त स्वीकृति उपरांत शीघ्र निविदा कार्यवाही पूर्ण कर योजनांतर्गत कार्य आरंभ किये जायेंगे।
तालाबों को परियोजना अंतर्गत भरा जाना
99. ( क्र. 6100 ) श्री सचिन यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कसरावद विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जल संसाधन विभाग के कितने-कितने तालाब कहाँ-कहाँ स्थित हैं? स्थानवार जानकारी दें? उक्त तालाबों के गहरीकरण एवं पक्का निर्माण कार्य किये जाने के लिए विभाग द्वारा क्या प्रस्ताव शासन को भेजे हैं? उनकी यथास्थिति प्रश्न दिनांक तक क्या है? (ख) प्रश्नांश 'क' में दर्शित तालाबों से निकलने वाली कितनी नहरें पक्की एवं कच्ची है उनकी वर्तमान स्थिति क्या है? कच्ची अवस्था में विद्यमान नहरों के पक्के निर्माण कार्य करने हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? सर्वे कर प्रश्न दिनांक तक नहरवार जानकारी दें। साथ ही उक्त तालाबों से कितने कितने हेक्टेयर/रकबा भूमि सिंचित की जाती है? (ग) क्या इंदिरा सागर परियोजना, कठोर उद्वहन पुनासा परियोजना से उक्त तालाबों को भरा जा सकता है? यदि हाँ, तो तालाबवार जानकारी दें और इस कार्य को पूर्ण किये जाने हेतु विभागीय स्तर पर क्या कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो बतायें? नहीं तो क्यों कारण दें? जिन तालाबों को नहीं भरा जा सकता है तो उनके कारण बतायें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। जल संसाधन विभाग के जलाशयों का तकनीकी कारणों से गहरीकरण नहीं किया जाता है। वर्तमान में नहरों को पक्की करने का किसी परियोजना का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु शासन के समक्ष विचाराधीन नहीं है। (ग) जिन जलाशयों को इंदिरा सागर परियोजना तथा कठोरा उद्वहन सिंचाई परियोजना की नहरों से जोड़ा जा सकता है उनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। विभाग द्वारा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ बैठक कर परीक्षण किया गया है। कसरावद विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत विभाग के शेष जलाशय इंदिरा सागर परियोजना तथा कठोरा उद्वहन सिंचाई परियोजना की नहरों से जोड़ी जाना तकनीकी रूप से संभव नहीं है।
हरिजन, आदिवासी, गरीबी रेखा वाले व्यक्तियों को कनेक्शन प्रदाय
100. ( क्र. 6114 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन की ऐसी कोई योजना थी, जिसमें, हरिजन/आदिवासी/गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों को 11 (ग्यारह) रूपये में बिजली कनेक्शन दिया गया था? (ख) यदि ऐसी योजना थी, तो कनेक्शन के साथ खम्बे (पोल)/डी.पी./मीटर आदि भी लगाये गये थे वहां इस योजना में 30 यूनिट तक की बिजली देने का प्रावधान था? (ग) प्रश्न की कंडिका (क) अनुसार नरसिंहगढ़ विधानसभाओं में ऐसे कितने व्यक्तियों को कनेक्शन दिये गये? दिये गये कनेक्शनों में मीटर/डी.पी./पोल लगाये गये थे? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? क्या कारण थे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के ग्रामीण क्षेत्रांतर्गत प्रश्नांश में उल्लेखित योजना दिनांक 01.09.2007 से दिनांक 31.10.2007 तक की अवधि में लागू थी पूर्व एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में प्रश्नाधीन योजना लागू नहीं की गई थी। (ख) जी नहीं, उत्तरांश (क) में उल्लेखित मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में लागू योजना में विद्यमान निम्न दाब लाईन से अधिकतम 45 मीटर की दूरी पर स्थित आवेदकों के परिसरों को योजना के प्रावधानों के अनुसार कनेक्शन प्रदान किये गये थे। उक्त योजना में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अनमीटर्ड एकल बत्ती उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 25 यूनिट नि:शुल्क विद्युत प्रदाय करने एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले अन्य (एकल बत्ती से अधिक) उपभोक्ताओं को 30 यूनिट प्रतिमाह की दर से तत्समय लागू टैरिफ के अनुसार बिलिंग किये जाने का प्रावधान था। (ग) प्रश्नांश ''क'' के प्ररिप्रेक्ष्य में नरसिंहगढ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत योजना के प्रावधानानुसार 2266 उपभोक्ताओं को कनेक्शन दिये गये थे। दिये गये कनेक्शनों में डी.पी./पोल नहीं लगाये गये थे क्योंकि योजना अनुसार विद्यमान निम्न दाब लाईन से ही कनेक्शन दिये जाने का प्रावधान था। उक्त योजना में मीटर भी नहीं लगाए गए थे तथा योजनांर्गत आंकलित खपत के आधार पर बिल दिये जाने का प्रावधान किया गया था।
फर्जी (सी) फार्म घोटाले
101. ( क्र. 6144 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) फर्जी (सी) फार्म से सोयाबीन तेल विक्रय मामले में E.O.W. द्वारा किन-किन फर्मों, अधिकारियों की जाँच की जा रही है? फर्म नाम, अधिकारी नाम सहित बतावें? (ख) वाणिज्यिक कर विभाग ने क्या इस मामले में कोई जाँच कर सौंपी है? यदि हाँ, तो क्या E.O.W. उस पर कोई कार्यवाही कर रही है? (ग) इस मामले में कितनी कर चोरी पाई गई, किनके द्वारा पाई गई? फर्म नाम, राशि एवं उस पर कितनी पेनाल्टी निर्धारित की गई? पेनाल्टी एवं कर चोरी राशि कब तक वसूल ली जावेगी? (घ) यदि जाँच पूरी हो गई हो तो विवरण देवें? यदि नहीं, तो जाँच कब तक पूरी की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। (ख) जी नहीं। (ग) प्रकरण विवेचना में है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रकरण विवेचना में है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
उपभोक्ता शिकायत निवारण शिविर
102. ( क्र. 6166 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऊर्जा विभाग द्वारा उपभोक्ता शिकायत निवारण शिविरों के आयोजन हेतु म.प्र. म.क्षे.वि.वि.क.लि. वृत्त मुरैना द्वारा आयोजन किये जाने के निर्देश दिये गये थे? (ख) यदि हाँ, तो उपरोक्त संचालित शिविरों में जन-समुदाय के साथ-साथ निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाकर उनके समक्ष विद्युत संबंधी सभी समस्याओं का निराकरण करना मुख्य उद्देश्य था? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित विधानसभा क्षेत्र 07 दिमनी में आयोजित प्रथम शिविर फरवरी 2016 में कितने आवेदनों का निराकरण किया गया? कितने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किये जाने के पत्र भेजे गये?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, ऊर्जा विभाग द्वारा तत्संबंधी निर्देश दिनांक 06.01.2016 को जारी किये गये थे। (ख) जी हाँ। (ग) विधानसभा क्षेत्र दिमनी के विभिन्न ग्रामों में फरवरी, 2016 में आयोजित शिकायत निवारण शिविरों में कुल 45 आवेदन प्राप्त हुये तथा उक्त सभी आवेदनों का निराकरण कर दिया गया है। शिविरों के आयोजन संबंधी सूचना माननीय विधायक श्री सत्यप्रकाश सखवार, विधानसभा क्षेत्र अम्बाह एवं माननीय विधायक श्री बलबीर सिंह डण्डोतिया विधानसभा क्षेत्र दिमनी को उप महाप्रबंधक अम्बाह द्वारा पत्र क्रमांक 3444 दिनांक 30.01.2016 एवं प्रबंधक दत्तपुरा (संचा./संधा.) जोन द्वारा पत्र क्रमांक 6777 दिनांक 22.01.2016 द्वारा दी गयी।
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के कार्य
103. ( क्र. 6181 ) श्रीमती शकुन्तला खटीक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत विधानसभा क्षेत्र 23 करैरा जिला शिवपुरी में योजनान्तर्गत कितने कार्य स्वीकृत किये गये? की संख्यावार जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार स्वीकृत कार्यों में से फरवरी 2016 तक कितने कार्य पूर्ण होकर विद्युत सप्लाई की जा रही है? (ग) वर्तमान में कितने कार्य अप्रारम्भ एवं अपूर्ण हें? कारण बतावें व उन्हें कब तक पूर्ण कर दिया जावेगा? (घ) विधानसभा क्षेत्र 23 करैरा के निर्धारित (शिड्यूल) समयानुसार विद्युत सप्लाई हो रही है? यदि नहीं, तो कारण बतायें व कब शिड्यूल अनुसार विद्युत सप्लाई की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) विधानसभा क्षेत्र क्र. 23 करैरा जिला शिवपुरी में 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत 5 एम.व्ही.ए. क्षमता के नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र एवं 96 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित स्वीकृत कार्यों में से टर्न-की ठेकेदार एजेंसी मे. डी. कन्ट्रोल एण्ड इलेक्ट्रिक प्रा.लि. कानपुर द्वारा फरवरी 2016 तक 5 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ग) प्रश्नाधीन स्वीकृत कार्यों में से वर्तमान में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र डामरौन कला का कार्य प्रगति पर है एवं स्वीकृत 96 मजरों/टोलों में से 5 मजरों/टोले का कार्य पूर्ण हो गया है एवं 91 मजरों/टोले का कार्य अपूर्ण हैं। उक्त योजना अंतर्गत कार्य प्रगति पर है तथा ठेकेदार एजेंसी के साथ किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य दिसम्बर 2016 तक कार्य पूर्ण किया जाना है। (घ) विधानसभा क्षेत्र 23 करैरा में निर्धारित शिड्यूल अनुसार कृषि फीडरों पर 10 घण्टे तथा ग्राम के मुख्य आबादी फीडर पर 24 घण्टे विद्युत सप्लाई की जा रही है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
जिला शहरी विकास अभिकरण को प्रस्तुत पत्रों पर कार्यवाही
104. ( क्र. 6182 ) श्रीमती शकुन्तला खटीक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा जनवरी 2014 से फरवरी 2016 तक विगत दो वर्षों में जिला अधिकारी, शहरी विकास अभिकरण जिला शिवपुरी को नगर परिषद् करैरा व नरवर में निर्माण कार्यों से संबंधित कितने पत्र भेजे गये? (ख) क्या सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल के आदेश व निर्देशों के अनुसार माननीय सांसद व विधायकों के पत्रों की प्राप्ति एवं की गई कार्यवाही से अवगत कराना के निर्देश हैं? (ग) यदि हाँ, तो क्या संबंधित पत्रों की प्राप्ति व निराकरण से संबंधित प्रश्नकर्ता को अवगत कराया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? कारण बतावें व संबंधित के खिलाफ शासन के आदेशों का उल्लंघन करने से संबंधित अनुशासनात्मक कार्यवाही कब तक की जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जिला शहरी विकास अभिकरण, जिला-शिवपुरी को प्रश्नांकित अवधि में नगर परिषद् करैरा व नरवर के निर्माण कार्यों से संबंधित कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। (ख) जी हाँ। (ग) उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
जनसंपर्क निधि से स्वीकृत राशि
105. ( क्र. 6219 ) श्रीमती प्रमिला सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र जयसिंहनगर अंतर्गत विगत 03 वर्षों से विधायक जनसंपर्क निधि से कितनी राशि स्वीकृत की गई है वर्षवार विवरण दें? (ख) स्वीकृत राशि में से कितनी राशि/सामग्री वितरित की गई तथा कितनी शेष है? (ग) संबंधित वित्तीय वर्ष में वितरण न होने के क्या कारण हैं? (घ) लापरवाही बरतने वाले दोषियों के विरूद्ध क्या कोई कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विधायक मद के कार्यों की स्थिति
106. ( क्र. 6220 ) श्रीमती प्रमिला सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला शहडोल अंतर्गत विगत 03 वर्षों से कौन-कौन से निर्माण कार्य विधायक मद से स्वीकृत किये गये हैं? (ख) स्वीकृत निर्माण कार्यों में से कितने पूर्ण हैं तथा कितने अपूर्ण हैं? (ग) निर्माण कार्य अपूर्ण रहने के क्या कारण हैं? (घ) अपूर्ण कार्यों को कब तक पूर्ण कराया जायेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कालम 2 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कालम 4 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कालम 5 अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कालम 6 अनुसार है।
सहायक प्राध्यापक की भर्ती में अनियमितता
107. ( क्र. 6235 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2003, वर्ष 2006, तथा वर्ष 2008 में सहायक प्राध्यापक के क्रमश: 863, 336 तथा 190 पदों के लिये जारी विज्ञापन में अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता Ph.d, M.Phil. NET, SLET/SET चार में से कोई एक थी? (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर यदि नहीं, तो बतावें कि किसके निर्देश पर अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता में परिवर्तन किया गया क्या संशोधित विज्ञापन निकाला गया यदि हाँ, तो उसकी जानकारी एवं प्रति दें। (ग) क्या आयोग को यह अधिकार है कि वह संबंधित विभाग को सूचित किये बिना या निर्देश प्राप्त किये बिना विज्ञापन की शर्तों में परिवर्तन कर सकता है? यदि नहीं, तो प्रश्नांश (क), (ख) के संदर्भ में संबंधित विभाग से हुये पत्राचार की प्रति देवें? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित परीक्षा में चयनित अभ्यार्थियों की सूची देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश ''क'' के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। आयोग विज्ञापन की शर्तों में परिवर्तन संबंधित विभाग के अनुरोध पर करता है। आयोग विज्ञापन की शर्तों में संशोधन के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए अपने स्तर पर भी सुधार कर सकता है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
कृषक अनुदान योजना
108. ( क्र. 6269 ) श्री गिरीश गौतम : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड रीवा के पूर्व, पश्चिम मऊगंज, त्योंथर संभाग में कृषक अनुदान योजना अंतर्गत 6 माह के 1 साल के एवं 2 साल के किसानों के कितने कनेक्शन प्रदान नहीं किये गये जो कार्यादेश के बाद भी प्रतीक्षारत हैं, संभागवार 6 माह, 1 साल एवं 2 साल की लंबित सूची देवें तथा अब तक कनेक्शन क्यों नहीं दिया गया कारण स्पष्ट करें तथा देरी के लिए कौन जिम्मेवार हैं? (ख) प्रश्नांश 'क' में वर्णित किसानों को कृषक अनुदान योजना के वांछित एवं लंबित कनेक्शनों को कब तक दे दिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड रीवा के पूर्व, पश्चिम, मऊगंज एवं त्योंथर संभाग में कृषकों को स्थायी कृषि पंप प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना के अंतर्गत 6 माह से 1 वर्ष तक की अवधि के 26 कृषकों के, 1 वर्ष से 2 वर्ष तक की अवधि के 10 कृषकों के एवं 2 वर्ष से अधिक अवधि के 23 कृषकों के कनेक्शन प्रदाय किया जाना लंबित है। संभागवार/समयावधिवार विवरण निम्नानुसार है :-
क्र. |
संभाग का नाम |
लंबित रहने की समयावधि |
|||
6 माह से 1 वर्ष तक |
1 वर्ष से 2 वर्ष तक |
2 वर्ष से अधिक |
योग |
||
1. |
पूर्व संभाग |
04 |
06 |
12 |
22 |
2. |
पश्चिम संभाग |
04 |
03 |
07 |
14 |
3. |
मऊगंज संभाग |
02 |
01 |
01 |
04 |
4. |
त्योंथर संभाग |
16 |
0 |
03 |
19 |
योग |
26 |
10 |
23 |
59 |
उक्त लंबित पम्प कार्यों की संभागवार लंबित रहने के कारण सहित प्रश्नाधीन 3 भिन्न-भिन्न समयावधियों की आवेदकवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ", "ब" एवं "स" अनुसार है। कार्यादेश के क्रियान्वयन एवं कनेक्शन लंबित रहने के कारणों में कतिपय स्थलों पर पहुँच मार्ग उपलब्ध न होना/फसल खड़ी होना आदि के कारण आर.ओ.डब्ल्यू. की समस्या, पास के भूमि स्वामी द्वारा कार्य करने में आपत्ति/विवाद करना, कृषक द्वारा स्वीकृत प्राक्कलन के प्रावधानों के अतिरिक्त कार्य की मांग करना इत्यादि शामिल हैं। मैदानी अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा विवाद हल करने एवं आवेदक कृषक को समझाईश की हर संभव कोशिश की गई है किन्तु शिकायत का निराकरण नहीं होने के कारण कार्यों के क्रियान्वयन में विलंब हुआ है, अत: कार्यों में विलंब के लिए कोई भी अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेवार नहीं है। (ख) उत्तरांश "क" में उल्लेखित किसानों को कृषकों को स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना के वांछित एवं लंबित कनेक्शनों को शीघ्र पूर्ण किये जाने के प्रयास हैं, जिनमें से पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" में दर्शाए अनुसार जिन कनेक्शनों में विवाद की स्थिति नहीं है, उनके 31 मार्च 2016 तक कार्य पूर्ण करने के प्रयास हैं, अन्य प्रकरणों विवाद/आर.ओ.डब्ल्यू. अंतर्गत समस्या होने के कारण वर्तमान में उक्त लंबित कार्यों को पूर्ण किये जाने एवं कनेक्शन दिये जाने हेतु निश्चित समय-सीमा बता पाना संभव नहीं हैं।
योजनाबद्ध तरीके से उर्दू भाषा को समाप्त किया जाना
109. ( क्र. 6319 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश उर्दू एकेडमी को संस्कृति विभाग में संविलियन करने से पूर्व उर्दू एकेडमी की जनरल बॉडी की बैठक में संविलियन के संबंध में निर्णय लिया गया था अथवा सलाह ली गई थी? (ख) यदि हाँ, तो उर्दू एकेडमी की किस दिनांक की जनरल बॉडी की बैठक में निर्णय लिया गया? विवरण उपलब्ध करावें और यदि नहीं, तो संविलियन की कार्यवाही नियम विरूद्ध नहीं है? यदि नहीं, तो संविलियन की कार्यवाही किस नियम के तहत तथा किन कारणों से की गई? (ग) उर्दू एकेडमी के संविलियन के पूर्व 2 वर्षों में बजट में कितनी-कितनी राशि का प्रावधान कर उर्दू के उत्थान हेतु कौन-कौन से कार्यक्रम आयोजित किए गए तथा संविलियन के उपरांत प्रश्न दिनांक की स्थिति में बजट में कितनी-कितनी राशि का प्रावधान किया गया और उर्दू के उत्थान हेतु कौन-कौन से कार्यक्रम आयोजित किए और कितनी-कितनी राशि व्यय की गई वर्षवार कार्यक्रमवार बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ. निर्णय लिया गया. (ख) दिनांक 25/08/2005 के कार्यवाही विवरण की कंडिका क्रमांक-5 में उर्दू अकादमी को अल्पसंख्यक विभाग से संस्कृति विभाग में संविलियन करने का निर्णय लिया गया. जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार. (ग) उर्दू अकादमी के संविलियन के पूर्व 2 वर्षों में प्राप्त बजट राशि एवं आयोजित कार्यक्रमों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार. संविलियन के उपरांत बजट प्रावधान और आयोजित कार्यक्रमों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ अनुसार.
सदस्य विधानसभा के पत्रों पर कार्यवाही
110. ( क्र. 6375 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा दिनांक 15 मई 2015 एवं 20 अक्टूबर 2015 को लिखित पत्रों के विषयानुसार कलेक्टर कटनी से कार्यवाही हेतु अनुरोध किया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) के पत्रों पर क्या-क्या कार्यवाही, किन-किन शासकीय सेवक द्वारा कब-कब की गई और प्रश्नकर्ता सदस्य को पत्रों की पावती एवं कृत कार्यवाही से कब-कब सूचित किया गया? (ग) प्रश्नांश (क) में क्या पत्रों पर शासनादेशों के अनुसार कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो किस प्रकार? यदि नहीं, तो संबंधितों पर क्या कार्यवाही कब तक की जायेगी? (घ) क्या श्रीमती राममणी गुप्ता कटनी द्वारा तहसीलदार कटनी को दिनांक 07/10/2015 एवं कलेक्टर कटनी को 10/10/2015 को प्रेषित आवेदनों के माध्यम से, भूमि आवंटन की मांग की गई थी? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही अब तक की गई? (ड.) प्रश्नांश (क) से (घ) क्या पत्रों आवेदनों पर अतिशीघ्र कार्यवाही पूर्ण करने के निर्देश दिये जायेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) उल्लेखित पत्र दिनांक 15.05.2015 कार्यालय, अधीक्षक भू-अभिलेख से दिनांक 09.06.2015 को आवश्यक कार्यवाही हेतु तहसीलदार कटनी को तथा पत्र दिनांक 20 अक्टूबर 2015 को न्यायालय कलेक्टर से दिनांक 07.11.2015 को जाँच प्रतिवेदन हेतु अनुविभागीय अधिकारी कटनी के माध्यम से तहसीलदार कटनी को भेजा गया। उक्त संबंध में न्यायालय तहसीलदार कटनी में प्रकरण क्रमांक /1788/बी-121/15-16 दर्ज है। दोनों आवेदन पत्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार श्री राममणि गुप्ता को भूमि आवंटन से संबंधित है। जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर नियमानुसार कार्यवाही कर कृत कार्यवाही से अवगत कराया जावेगा। (ग) जी हाँ। प्रकरण पंजीबद्ध कर शासनादेशों के अनुसार कार्यवाही की जा रही है। (घ) जी हाँ। उल्लेखित प्रकरण तहसीलदार कटनी द्वारा पंजीबद्ध कर जाँच प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। (ड.) विधिक प्रावधानों के तहत न्यायालयीन कार्यवाही की जा रही है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
रेत खदानों का आवंटन
111. ( क्र. 6398 ) श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला खण्डवा के ओंकारेश्वर से बड़वानी तक नर्मदा नदी के किनारों से किन-किन स्थानों पर रेत खदानें चिन्हित हैं। उन खदानों के प्रत्येक के खसरा नंबर क्या हैं। कितने हेक्टेयर रेत खदानें किन-किन व्यक्तियों को आवंटित की हुई है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित स्थानों तक की रेत खदानों से प्रतिमाह कितनी रेत का उत्खन्न किया जा रहा है? तथा प्रत्येक खदान से कितनी रायल्टी काटी जा रही है? तथा प्रत्येक खदान से कितना राजस्व प्रति वर्ष जमा किया जा रहा है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित स्थान तक की खदानों में से रेत का उत्खनन करने वाले मजदूरों का श्रम विभाग में पंजीयन किया है? (घ) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित स्थानों तक की खदानों से वाहनों में कितनी मात्रा में रेत भरी जा रही है? इनकी निगरानी कौन-कौन अधिकारी कर रहे हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन क्षेत्र पर म.प्र. राज्य खनिज निगम के पक्ष में स्वीकृत खदानों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार रेत खदानों की पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त न होने के कारण रेत का खनन नहीं किया जा रहा है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश 'ख' में दिये उत्तर अनुसार वर्तमान में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश 'ख' में दिये उत्तर अनुसार वर्तमान में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। इनकी निगरानी हेतु विभागीय अमला पदस्थ है।
खण्डवा जिले में संचालित सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना
112. ( क्र. 6400 ) श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खण्डवा जिले में संचालित सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना दोंगालिया में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम एन.टी. कंस्ट्रेक्शन बिरसिंहपुर द्वारा किस दिनांक से किया जा रहा है? इसके अतंर्गत कितने कुशल एवं अकुशल तथा अर्द्धकुशल श्रमिक कार्यरत है? नवीन गाइड लाइन अनुसार कुशल, अकुशल, अर्द्धकुशल श्रमिक को कितना वेतन दिये जाने का प्रावधान है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कंपनी के द्वारा उसके अधीन कार्यरत अनुसार कुशल, अकुशल व अर्द्धकुशल श्रमिकों को कितना वेतन दिया जा रहा है? इनके पी.एफ. की राशि कितनी काटी जा रही है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कंपनी द्वारा अधीनस्थ श्रमिकों को प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। खण्डवा जिले में संचालित श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना दोंगलिया में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम एन.टी कंस्ट्रक्शन बिरसिंगपुर द्वारा दिनांक 17.11.2015 से किया जा रहा है। इसके तहत 16 अर्द्धकुशल श्रमिक कार्यरत हैं। कोई भी कुशल और अकुशल श्रमिक कार्यरत नहीं है। नवीन गाइड लाइन के अनुसार कुशल श्रमिक को न्यूनतम रू. 339/- प्रतिदिन, अर्द्धकुशल श्रमिक को न्यूनतम रू. 286/- प्रतिदिन एवं अकुशल श्रमिक को न्यूनतम रू.253/- प्रतिदिन वेतन दिये जाने का प्रावधान है। (ख) उत्तरांश ''क'' में उल्लेखित कंपनी द्वारा अर्द्धकुशल श्रमिकों को न्यूनतम रू. 286/- प्रतिदिन के हिसाब से वेतन का भुगतान किया जा रहा है। नियमानुसार वेतन से 12 प्रतिशत की दर से ई.पी.एफ. की राशि काटी जा रही है। (ग) जी हाँ।
ऑन-लाईन व्यापार करने वाली कंपनियों से टैक्स
113. ( क्र. 6406 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में ऑन-लाईन व्यापार करने वाली कंपनियां वित्त विभाग में किस प्रकार रजिस्ट्रर्ड हैं? ये प्रदेश सरकार को वाणिज्य कर किस रूप में चुकाती है? नीति सहित जानकारी देवें? (ख) 01 जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक प्रदेश में विभिन्न ऑन-लाईन व्यापार करने वाली कंपनियों द्वारा व्यापार व्यावसाय करने के लिए वित्त विभाग को कितना टैक्स चुकाया। ऑन-लाईन व्यापार पर सघन मॉनिटरिंग करने के लिए कौन-कौन से किस-किस स्तर के अधिकारी नियुक्त हैं? (ग) ऑन-लाईन व्यापार साधारण व्यापार से किस प्रकार भिन्न है? क्या शासन की स्पष्ट नीति के अभाव में प्रदेश सरकार को टैक्स के रूप में करोड़ों रूपयें का नुकसान उठाना पड़ रहा है? इसकी विवेचना कब, किस सक्षम अधिकारी ने की?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) यदि प्रदेश में स्थित किसी व्यवसायी द्वारा ऑन-लाईन का व्यवसाय किया जाता है तो उनके द्वारा वाणिज्यिक कर विभाग से पंजीयन प्राप्त किया जाता है। कर का दायित्व उन्हीं वस्तुओं के विक्रय पर आता है जिनका मूव्हमेंट मध्यप्रदेश से होता है। यदि कंसाईनी म.प्र. में स्थित है तो उन विक्रयों पर म.प्र. वेट अधिनियम के अंतर्गत प्रचलित दर से करारोपण किया जाता है और यदि कंसाईनी म.प्र. के बाहर अन्य प्रांत में स्थित हो तो उन विक्रयों पर केन्द्रीय विक्रयकर के अनुसार करारोपण किया जाता है। (ख) 1 जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक ऑन-लाईन व्यापार करने वाली कंपनियों से रू. 21.99 लाख राजस्व प्राप्त हुआ है। मध्यप्रदेश वेट अधिनियम में प्रदेश से बाहर से यदि किसी उपभोक्ता द्वारा सीधे माल मंगाया जाता है तो इनके द्वारा मालों के परिवहन के साथ फार्म 50 में जानकारी देते हुए संलग्न भेजा जाता है जो इनके द्वारा ऑन-लाईन डाउनलोड किया जाता है। यदि मध्यप्रदेश में स्थित किसी व्यवसायी द्वारा क्रय विक्रय हेतु मालों को ऑन-लाईन मंगाया जाता है तो मालों के परिवहन के साथ फार्म 49 में जानकारी ऑन-लाईन भरकर इसे डाउनलोड कर संलग्न कर भेजी जाती है। (ग) ऑन-लाईन व्यापार पद्धति आधुनिकतम व्यवसाय पद्धति है जिसमें क्रेता को ऑन-लाईन माल क्रय करने हेतु संपर्क कराकर क्रेता तक माल की डिलेवरी की व्यवस्था है। सामान्य व्यापार पद्धति में क्रेता और विक्रेता का सीधा संपर्क होता है। ऑन-लाईन प्रक्रिया से यदि माल का मूव्हमेंट प्रदेश से होता है तब राज्य शासन से टैक्स प्राप्त होता है। यदि माल का मूव्हमेंट प्रदेश से बाहर है तब इससे प्रदेश को वेट प्राप्त नहीं होता है। यदि व्यवसाई द्वारा माल ऑन-लाईन व्यापार पद्धति से क्रय विक्रय हेतु मंगाया जाता है तो इन मालों पर प्रदेश सरकार को प्रवेशकर अधिनियम में दिए गए प्रावधानों अनुसार कर प्राप्त होता है। प्रदेश को वर्तमान में प्रचलित विधान के प्रावधान अनुसार नुकसान की स्थिति प्रकाश में नहीं आई है।
प्रश्नकर्ता के पत्रों पर कार्यवाही
114. ( क्र. 6416 ) पं. रमेश दुबे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छिन्दवाड़ा जिले में गोड़ की उपजाति गोड़ गोवारी जिले स्थानीय बोली में गुडेरा अहीर कहा जाता है को खसरा खतौनी रोस्टर के समय पटवारियों की गलती से गुड़ेरा अहीर के स्थान पर अहीर दर्ज हो जाने के कारण इन वर्ग के लोगों को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है? (ख) क्या क्षेत्र भ्रमण के दौरान उक्त प्रकार की त्रुटियां होने की शिकायत प्राप्त होने पर जाँच कर राजस्व अभिलेखों को दुरूस्त किये जाने अर्थात गुड़ेरा अहिर के स्थान पर त्रुटि से अहीर दर्ज हो जाने वाली प्रविष्टी को सुधारकर पूर्ववत गुड़ेरा अहिर दर्ज किये जाने के संबंध में प्रश्नकर्ता ने पत्र क्रमांक 903 दिनांक 16.6.2015 मा. मुख्यमंत्री म.प्र. शासन, पत्र क्रमांक 905 दिनांक 16.6.2015 मा. राजस्व मंत्री को प्रेषित किया है? (ग) यदि हाँ, तो अब तक उक्त पत्र पर किस स्तर से क्या कार्यवाही गई है? यदि नहीं, की गई तो क्यों? (घ) क्या शासन उक्त प्रकार की त्रुटि को जाँच कर सुधार करने हेतु राजस्व विभाग के अधिकारियों को आदेश देगा यदि हाँ, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) जी हाँ। (ग) उक्त पत्र सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदिम जाति कल्याण विभाग को प्रेषित किया गया था तथा इसकी सूचना माननीय विधायक को भी दी गई थी। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था द्वारा इस मामले में जाँच के पश्चात् यह पाया कि छिंदवाड़ा जिले के गोडेरा अहीर, गौंड जनजाति की उपजाति है। गौंड की उपजाति गौंड गोवारी को ही स्थानीय बोली में गोडेरा अहीर के नाम से जानी जाती है। इन्हें गौंड गोवारी अनुसूचित जनजाति के लाभ पाने की पात्रता है। अहीर एक पृथक जाति है जो पिछड़ा वर्ग में शामिल है जिसका परंपरागत व्यवसाय पशुपालन व दूध विक्रय करना है। इस प्रकार अहीर एवं गौंड गोवारी अलग-अलग जातियां हैं। (घ) चूंकि इसमें कोई त्रुटि नहीं है इसलिए इसके सुधारे जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
गुणवत्ताहीन जलाशय निर्माण की जाँच
115. ( क्र. 6417 ) पं. रमेश दुबे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता ने छिन्दवाड़ा जिले के बगदरी जलाशय के गुणवत्ताहीन निर्माण की जाँच एवं उसके संधारण हेतु पत्र क्रमांक 680 दिनांक 19.05.2015 एवं क्रमांक 135 दिनांक 17.01.2016 कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग छिन्दवाड़ा को पत्र प्रेषित किया है? (ख) क्या प्रश्नकर्ता ने छिन्दवाड़ा जिले के बम्हनीतुरा जलाशय निर्माण की स्वीकृति होने, निविदा आमंत्रित होने, भू-अर्जन की कार्यवाही प्रांरभ होने के पश्चात भी अभी तक जलाशय का निर्माण कार्य प्रांरभ नहीं होने के संबंध में पत्र क्रमांक 609 दिनांक 25.02.2014 क्रमांक 1933 दिनांक 17.09.2014 एवं क्रमांक 2359 दिनांक 15.11.2014 माननीय जल संसाधन मंत्री म.प्र. शासन को प्रेषित किया है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) यदि हाँ, तो उक्त पत्रों में उल्लेखित बिन्दुओं का उल्लेख है और अब तक इन बिन्दुओं पर किस स्तर से क्या सार्थक कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, की गई है तो क्यों? (घ) क्या शासन प्रश्नांश (क) में उल्लेखित गुणवत्ताहीन जलाशय निर्माण की जाँच कर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही एवं जलाशय की मरम्मत कराने तथा प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित स्वीकृति जलाशय का निर्माण कार्य शीघ्र प्रांरभ कराने का आदेश देगा यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्नाधीन पत्र कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन संभाग छिंदवाड़ा को प्राप्त होना प्रतिवेदित है। (ख) प्रश्नाधीन पत्र प्राप्त होना प्रतिवेदित है। (ग) बगदारी जलाशय में आवश्यक सुधार करा लिया गया है। नहरों की लाईनिंग का कार्य मनरेगा के तहत ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग छिंदवाड़ा द्वारा प्रगति पर है। बम्हनीतुरा परियोजना की लागत निर्धारित मापदण्ड से अधिक होने से परियोजना असाध्य है। (घ) बगदरी जलाशय की गुणवत्ता अच्छी होने से किसी अधिकार के दोषी होने की स्थिति नहीं है। बम्हनीतुरा परियोजना असाध्य होने से निर्माण नहीं कराया जा सकता है।
लोक सेवा गारन्टी अधिनियम
116. ( क्र. 6426 ) श्री माधो सिंह डावर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल में लोक सेवा गारन्टी अधिनियम लागू है। (ख) यदि हाँ, तो अलीराजपुर जिले में विगत 03 वर्षों में उक्त अधिनियम के अंतर्गत कितने आवेदन प्राप्त हुए हैं? (ग) प्राप्त आवेदनों में से कितने आवेदनों का निराकरण किया गया, एवं कितने लंबित हैं। (घ) यदि आवेदन लंबित हैं तो क्या कारण हैं। लंबित आवेदनों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। म.प्र. राज्य विद्युत मंडल के पुनर्गठन के उपरांत गठित विद्युत कंपनियों में लोक सेवा गारन्टी अधिनियम लागू है। (ख) म.प्र. प.क्षे.वि.वि.कं.लि इंदौर के अन्तर्गत अलीराजपुर जिले में विगत 3 वर्षों में लोकसेवा गांरटी अधिनियम के तहत कुल 34,978 आवेदन प्राप्त हुये हैं। (ग) अलीराजपुर जिले में प्राप्त कुल 34,978 आवेदनों में से समस्त 34,978 आवेदनों का निर्धारित समयावधि में निराकरण कर दिया गया है। कोई भी आवेदन निराकरण हेतु लंबित नहीं है। (घ) उत्तरांश '' ग'' के प्ररिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
सिंचाई तालाबों एवं नहरों का रख-रखाव एवं सुदृढ़ीकरण
117. ( क्र. 6431 ) श्री राजकुमार मेव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन जिले में विभाग के कितने सिंचाई तालाब हैं? किस ग्राम में किस नाम से स्थापित हैं? प्रत्येक तालाब की सिंचाई क्षमता कितनी है? कितने किसानों द्वारा कितने हेक्टयेर में सिंचाई की जा रही है? तालाबवार जानकारी दी जावे? (ख) खरगोन में वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस सिंचाई तालाबों की मरम्मत, सुदृढ़ीकरण, नहर निर्माण, हेतु कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गई वर्तमान में कार्यों की क्या स्थिति है? (ग) क्या महेश्वर विधानसभा क्षेत्र में पाडल्या (पेमपुरा) तालाब की नहरों के निर्माण की गुणवत्ता के संबंध में किसानों द्वारा, समाचार पत्रों, जन प्रतिनिधियों द्वारा शिकायत की गई? यदि हाँ, तो गुणवत्ताविहिन कार्य के लिए ठेकेदार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? क्या वर्तमान में भी नहरों के निर्माण कार्य अपूर्ण हैं? कब तक पूर्ण कराया जावेगा? (घ) खरगोन जिले में वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक कितने तालाबों की मरम्मत, नहरों के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण हेतु कार्यपालन यंत्री, खरगोन द्वारा प्रस्ताव भेजे गये? कितने प्रस्ताव स्वीकृति हेतु लंबित हैं? क्या वर्ष 2016-17 के बजट में स्वीकृति हेतु प्रावधान किया गया है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से तालाबों के? यदि नहीं, तो क्या कारण हैं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) दिनांक 21.02.2016 को पत्रिका समाचार पत्र में पाडल्या तालाब की नहर जगह-जगह टूटने का समाचार प्रकाशित होना प्रतिवेदित है। गुणवत्ताविहीन कार्य रिजेक्ट कर उसका भुगतान ठेकेदार को नहीं किया गया है। ठेकेदार की परफारमेंस गारंटी का नगदीकरण दिनांक 30.05.2014 को किया गया है। जी हाँ। नई एजेंसी नियत होने पर। (घ) कार्यपालन यंत्री, खरगोन से शासन को प्राप्त सभी प्रस्ताव स्वीकृत किए जा चुके है जिनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। शासन स्वीकृति हेतु विभाग में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। बजट में परियोजनावार प्रावधान नहीं किया जाता है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
स्टोन क्रेशर संचालन अनुमति
118. ( क्र. 6439 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मेसर्स बालाजी इंफ्राटेक एण्ड कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. को पीथमपुर क्षेत्र में स्टोन क्रेशर व सह-खदानों के प्रचालन हेतु आवश्यक पर्यावरण व सिया आदि की अनुमति प्राप्त है? (ख) क्या मेसर्स बालाजी इंफ्राटेक एण्ड कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. का स्टोन क्रेशर प्लांट पीथमपुर में जहां स्थापित है वहां पास ही में प्लांट की क्षमता अनुरूप कच्चा माल (स्टोन) उपलब्ध कराने हेतु खदान उपलब्ध है? खसरा नम्बर, खदान से प्लांट की दूरी आदि बतावें। (ग) यदि नहीं, तो विगत एक वर्ष में कच्चे माल के रूप में स्टोन (बोल्डर) किन-किन खदानों से क्रय किया गया? सूची उपलब्ध करावें। (घ) क्या स्टोन क्रेशर व खदानों द्वारा तैयार माल, गिट्टी के स्थान पर बोल्डर का क्रय विक्रय करना नियम संगत है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन कंपनी का पीथमपुर क्षेत्र में स्टोन क्रेशर स्थापित नहीं है न ही इनके पक्ष में इस क्षेत्र में कोई उत्खनिपट्टा स्वीकृत किया गया है। (ख) प्रश्नांश 'क' के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश 'क' के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में यांत्रिक क्रिया से गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर खनिज का उत्खनिपट्टा स्वीकृत होने पर उत्खनिपट्टा क्षेत्र से बोल्डर के विक्रय का कोई प्रावधान नहीं है।
स्टोन क्रेशर प्लांट हेतु भूमि आवंटन
119. ( क्र. 6440 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्टोन क्रेशर प्लांट हेतु प्रति प्लांट आवंटित की जाने वाली किसी खदान को अधिकतम कितने हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है? (ख) मेसर्स धरती माइंस, को ग्राम खण्डवा जिला धार में स्थापित उनके एक मात्र क्रेशर प्लांट के प्रचालन हेतु कुल कितने हेक्टेयर भूमि विभिन्न खदानों के रूप में ग्राम खण्डवा व धार तहसील में आवंटित की गई है? (ग) क्या मेसर्स धरती माइंस को शासन द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक भूमि आवंटित की गई? (घ) क्या मेसर्स धरती माइंस द्वारा शासन नियमानुसार सिया, प्रदूषण बोर्ड से उत्खनन की विधिवत अनुमति प्राप्त की गई है तथा ग्रामसभा व ग्राम पंचायत खण्डवा की फर्जी अनुमति के आधार पर उत्खनन किया जा रहा है? क्या दस्तावेजों का प्रतिपरीक्षण विभाग द्वारा किया जावेगा? (ड.) क्या धरती माइंस द्वारा ऑटो टेस्टिंग ट्रेक निर्माण में एल.एण्ड.टी. व सह-कंपनियों (बालाजी इंफोटेक, पी.डी.अग्रवाल आदि) को गिट्टी के स्थान पर कच्चा माल अर्थात स्टोन (बोल्डर) का क्रय-विक्रय किया जाना नियम संगत है तथा क्या इससे शासन को राजस्व की हानि हुई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में प्रश्नानुसार अधिकतम सीमा के प्रावधान नहीं है। (ख) प्रश्नाधीन कंपनी को धार तहसील के ग्राम कल्याणखेरी में क्रेशर से गिट्टी निर्माण हेतु गौण खनिज पत्थर के 03 उत्खनन पट्टे स्वीकृत हैं, जिनका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर दर्शित है। (ग) प्रश्नांश 'क' में दिये गये उत्तर के परिप्रेक्ष्य में जानकारी निरंक है। (घ) वस्तुस्थिति यह है कि मेसर्स धरती माइंस के द्वारा सिया में पर्यावरणीय अनापत्ति प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है। म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति प्राप्त की गई है। मेसर्स धरती माइंस द्वारा ग्राम पंचायत खण्डवा के अंतर्गत फर्जी अनुमति के आधार पर उत्खनन नहीं किया जा रहा है। ग्राम पंचायत से अनुमति फर्जी होने बाबत् कोई शिकायत जिला खनि अधिकारी धार को आज दिनांक तक प्राप्त नहीं हुई है। संबंधित ग्राम पंचायत की अनुमति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर है। (ड.) स्टोन क्रेशर व खदान स्वीकृति की शर्तों में गिट्टी के स्थान पर बोल्डर विक्रय किये जाने का प्रावधान नहीं है। प्रश्न में उल्लेखित कोई शिकायत जिला खनि अधिकारी को प्राप्त नहीं हुई है।
खनिज पट्टों से मुद्रांक व पंजीयन शुल्क वसूली
120. ( क्र. 6464 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के परि. अता. प्रश्न संख्या 151 (क्रं 2276) दिनांक 15/12/15 के उत्तरांश (ग) में बताया गया कि दिनेश पिता मांगीलाल जैन ने खनिज पट्टों से जो खनन किया एवं प्रश्न (क) अनुसार जो राशि जमा की है वह किस दर से की है? (ख) इस प्रश्न के उत्तर में वर्णित खदान मालिकों द्वारा पट्टा विलेखों को पंजीकृत कराने के लिए कितना मुद्रांक शुल्क एवं पंजीयन शुल्क जमा किया? जिन्होंने उपरोक्त शुल्क जमा नहीं किया है उनसे वसूली कब तक कर ली जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नानुसार 44 रूपये प्रति घन मीटर की दर से रॉयल्टी जमा की गई है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
अमरकंटक ताप विद्युत गृह की इकाईयों को आवंटित फंड
121. ( क्र. 6472 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अमरकंटक ताप विद्युत गृह की इकाईयों के लिए मासिक फंड आवंटित किया जाता है? यदि हाँ, तो दि. 01.01.2012 से 31.12.15 तक किन इकाईयों पर कितना फंड व्यय किया गया? इकाईवार, राशिवार जानकारी देवें। अन्य फंड की भी जानकारी माहवार व्यय के रूप में जानकारी देवें। (ख) क्या कारण है कि इकाई क्र. 04 एवं 03 क्रमश: 30-04-2014 एवं 12.01.2015 से बंद हैं फिर भी मासिक फंड के व्यय में कोई कमी नहीं हुई? (ग) इसके लिए दोषी अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा? (घ) रिवालविंग फंड की जानकारी पूरे व्यय के साथ माहवार दि. 01.01.2012 से 31.12.15 तक देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं, अमरकंटक ताप विद्युत गृह की इकाईयों के लिये मासिक फंड आवंटित नहीं किया जाता अपितु संचालन एवं संधारण कार्य, कलपुर्जों को क्रय करने, सिविल कार्य एवं चिकित्सा व्यय एवं सामान्य व प्रशासनिक व्यय हेतु आवंटित वार्षिक बजट को माहवार अनुमानित खर्चों के अनुसार विभाजित कर लिया जाता है। दैनंदिनी व्यय हेतु माहवार रिवालविंग फंड का आवंटन किया जाता है। इसके अतिरिक्त अतिआवश्यक आकस्मिक खर्चों हेतु इमरजेंसी फंड का आवंटन किया जाता है। अमरकंटक ताप विद्युत गृह में दिनांक 01.01.2012 से 31.12.2015 तक माहवार, विद्युत गृहवार किये गये कुल व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। अन्य फंड अर्थात् मासिक रिवालविंग फंड एवं इमरजेंसी फंड के व्यय की माहवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 व 3 अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 एवं 3 में दर्शाए रिवालविंग एवं इमरजेंसी फंड का व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 में दर्शाये गये व्यय में भी शामिल है। (ख) अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई की 120 मेगावाट की इकाई क्रमांक-3 व 4 के बंद होने की तिथि के पश्चात् संचालन एवं संधारण के खर्च बंद हो गये हैं। इन इकाईयों के बंद होने के पश्चात् उभयनिष्ठ सेवाओं, जैसे स्वीच यार्ड, इलेक्ट्रिकल कंट्रोल रूम (ई.सी.आर.), कॉलोनी जल वितरण एवं कॉलोनी विद्युत संधारण एवं स्थापना व्यय आदि हेतु राशि व्यय की गई है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में किसी भी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न नहीं उठता। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
ग्रामों में विद्युत व्यवस्था
122. ( क्र. 6473 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कुक्षी वि.स. क्षेत्र के ग्राम कोटबा के खोदरापुरा, आझान्पापुरा, इमलीपुरा एवं मुधल्पापुरा में आज तक विद्युत व्यवस्था प्रारंभ नहीं हुई इसके क्या कारण हैं? (ख) इन क्षेत्रों में कब तक विद्युत व्यवस्था का काम स्वीकृत कर प्रारंभ कर दिया जायेगा? (ग) इस संबंध में मा. मंत्री ऊर्जा को प्रश्नकर्ता के पत्र दि. 26/11/2015 क्रं. DN479/KUKSHI/MLA/2015 पर की गई कार्यवाही की अद्यतन स्थिति बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) एवं (ख) कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कोटबा के मजरे/टोले-खोदरापुरा, आझान्पापुरा, इमलीपुरा एवं मुधल्पापुरा पूर्व से विद्युतीकृत है। इन सभी मजरों/टोलों में विद्युत कनेक्शन विद्यमान हैं तथा इन्हें 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र रणगाँव से निर्गमित 11 के.व्ही. अराड़ा फीडर से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि उक्त ग्रामों/मजरों/टोलों के सघन विद्युतीकरण एवं इन मजरों/टोलों को घरेलू फीडर से जोड़ने का कार्य 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में सम्मिलित है। उक्त कार्य टर्न-की आधार पर किये जाने हेतु कार्यादेश ठेकेदार एजेंसी मे. यूबीटेक, हैदराबाद को जारी किया गया है। अनुबंध की शर्तों के अनुसार ठेकेदार एजेंसी को उक्त कार्य दि.17.02.2017 तक पूर्ण करना है। (ग) प्रश्नाधीन उल्लेखित पत्र प्राप्त होना नहीं पाया गया।
पत्रों पर कार्यवाही
123. ( क्र. 6511 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम कटनी के पार्षद वार्ड क्रं. 32 द्वारा कमिश्नर नगर निगम कटनी को विगत एक वर्ष से प्रश्न दिनांक तक प्रेषित किये गये पत्रों पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा कमिश्नर नगर निगम कटनी को पत्र क्रमांक-3032 दिनांक 03/02/2016 प्रेषित किया गया था यदि हाँ, तो उस पत्र पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) लक्ष्मी पान भंडार से रंगनाथ मंदिर तक बनाई गई/निर्माणाधीन रोड की तकनीकी स्वीकृति, प्रशासकीय स्वीकृति की प्रति दें? रोड निर्माण हेतु किस किस सामग्री का किस किस स्तर पर उपयोग किया गया? उपयुक्त सामग्री की गुणवत्ता का परीक्षण किन अधिकारियों द्वारा किया गया है? रोड निर्माण में डस्ट का उपयोग होने के बाद किस किस अधिकारी द्वारा किस-किस दिनांक को रोड का निरीक्षण किया गया? (घ) क्या उक्त रोड का निर्माण कार्य निर्धारित मापदण्डों के अनुसार नहीं किया गया, यदि हाँ, तो क्यों? इसके लिये कौन दोषी है तथा दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) पत्र अप्राप्त। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) स्वीकृति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। रोड निर्माण में प्रयुक्त सामग्री की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' पर, कार्य की गुणवत्ता स्थल पर लगाई गई प्रयोगशाला में मटेरियल टेस्ट, नगर पालिका समय पाल, उपयंत्री, सहायक यंत्री द्वारा एवं शासकीय प्रयोगशालाओं में कराया गया, गुणवत्ता रिपोर्ट निर्धारित मानक स्तर की पाई गई है। रोड निर्माण Cement Concrete Pavement में किसी भी स्तर पर डस्ट का उपयोग नहीं किया गया है। स्टोन डस्ट का उपयोग 28.08.15 से 15.01.16 तक सब बैस में किया गया। कार्य का निरीक्षण उपयंत्री, सहायक यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री द्वारा समय-समय पर किया गया। दिनांकवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है। (घ) जी नहीं। रोड निर्माण कार्य निर्धारित मापदण्ड अनुसार गुणवत्तापूर्वक कराया गया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बकाया विद्युत बिल की राशि की वसूली
124. ( क्र. 6512 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी जिले में बकाया राशि के कारण बिजली कनेक्शन काटने के पश्चात बिना वसूली किये आर.सी. के नाम पर पुन: कनेक्शन जोड़े जाने का शुल्क आम उपभोक्ताओं से वसूल किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कितना? (ख) क्या आर.सी.डी.सी. (लाईन काटना और लाईन जोड़ना) को क्षतिपूर्ति राशि म.प्र. वि.मं.लि. के किस प्रावधान के अनुसार है? प्रावधान की प्रति दें। क्या उक्त आर.सी.डी.सी. की राशि विशेष न्यायालय के माध्यम से वसूली करने का प्रावधान है? यदि नहीं, तो राशि न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराके वसूली की जा रही है? यदि हाँ, तो क्यों? क्या आर.सी.डी.सी. की राशि 200 रूपये वसूली हेतु अधिवक्ता शुल्क 1900 रूपये का भुगतान किया जाता है? यदि हाँ, तो क्यों? आर.सी.डी.सी. दो सौ रूपये की वसूली के लिए 1900 /- रूपये अधिवक्ता शुल्क लेने का क्या औचित्य है? (ग) पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत कटनी जिले में पिछले तीन वर्षों क्रमश: वर्ष 2013-14, वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में माह जनवरी, 16 तक प्रश्नांश (ख) की राशि वसूली, विशेष न्यायालय के माध्यम से पेश किए जाने से शासन को प्रति प्रकरण अधिवक्ता को 1900/- रूपये का भुगतान करने में विद्युत कम्पनी को कितनी राशि का भुगतान करना पड़ा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) विद्युत बिल की बकाया राशि के कारण उपभोक्ता की विद्युत लाईन काटने के पश्चात् उपभोक्ता द्वारा बकाया राशि की अंश राशि या बकाया राशि जमा करने पर पुन: लाईन जोड़ने के लिए आर.सी.डी.सी. (री-कनेक्शन एवं डिसकनेक्शन) चार्ज की राशि रू. 200/- लेने का प्रावधान है। (ख) मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 9.15 के अनुसार विद्युत कनेक्शन काटने/जोड़ने (आर.सी.डी.सी.) हेतु चार्ज लिये जाने का प्रावधान हैं। उक्त प्रावधानों की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं, आर.सी.डी.सी. की राशि विशेष न्यायालय के माध्यम से वसूल करने का कोई प्रावधान नहीं है। तथापि जाँच के दौरान कनेक्शन काटे जाने के बावजूद अवैधानिक रूप से विद्युत का उपयोग करते पाये जाने पर विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 138 के तहत् प्रकरण न्यायालय में दर्ज कराया जाता है तथा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा तय किये गये नियमों के अनुसार उक्त प्रकरणों में अधिवक्ता की नियुक्ति कर अधिवक्ता शुल्क रूपये 1900/- का नियमानुसार भुगतान किया जाता है। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार आर.सी.डी.सी. की राशि की वसूली हेतु प्रकरण विशेष न्यायालय में नहीं लगाए जाते, अत: प्रश्न नहीं उठता।
शहरी सीमा क्षेत्र के वार्डों में व्यय राशि
125. ( क्र. 6520 ) श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देपालपुर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र जो अब नगर पालिक निगम इन्दौर में शामिल वार्ड क्र. 14,15 एवं 16 के शहरी सीमा क्षेत्र में आने के पश्चात किन-किन मदों में कितनी-कितनी राशि खर्च की गई? (सांसद एवं विधायक निधि को छोड़कर) (ख) नगर पालिक निगम इन्दौर द्वारा प्रश्नांश (क) में खर्च की गई राशि वार्डवार एवं अलग अलग मदवार बतावें। (ग) किये गये विकास कार्यों का विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध करावें। (घ) उपरोक्त वार्डों में मूलभूत सुविधा पर क्या क्या खर्च किये गये, उक्त वार्डों में पेय-जल, ड्रेनेज, बिजली एवं सड़क व्यवस्था की क्या स्थिति है एवं उक्त सुविधाएं नागरिकों को कब तक उपलब्ध करा दी जावेगी,।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) वार्डवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (घ) मूलभूत सुविधा के अंतर्गत सीवर लाईन, पेय-जल, रोड निर्माण, क्रॉस ड्रेनेज आदि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। विद्युत के किये गये कार्य की वार्डवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। उपरोक्त वार्ड में निगम में उपलब्ध वित्तीय संसाधन अनुसार सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अवैध उत्खनन की शिकायतें
126. ( क्र. 6523 ) श्री दिनेश राय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिवनी जिले से खनिज कार्यालय वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक अवैध उत्खनन किये जाने के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई थी। यदि हाँ, तो इन शिकायतों को कौन सी पंजी पर दर्ज किया गया है और यदि दर्ज नहीं किया गया है तो इसका क्या कारण है? (ख) क्या तहसील सिवनी, छपारा एवं बरघाट में अवैध खदान के संचालित किये जाने के संबंध में अनेकों शिकायतें विभाग को कलेक्टर सिवनी को तथा कमिश्नर जबलपुर को और शासन को रजिस्टर्ड डाक से, व्यक्तिगत रूप से सौंपी गई थी? यदि हाँ, तो शासन स्तर से, कमिश्नर स्तर से इस पर कार्यवाही के संबंध में कितने पत्र जारी किये गये।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। प्राप्त शिकायतों को कलेक्टर कार्यालय (खनिज शाखा) सिवनी में संधारित शिकायत पंजी में दर्ज किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
नगर पालिका सिवनी के अंतर्गत निर्माण कार्य
127. ( क्र. 6524 ) श्री दिनेश राय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिला मुख्यालय की नगर पालिका सिवनी को वित्तीय वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक विभिन्न विकास निर्माण कार्यों के लिए कार्यवार प्राप्त आवंटन एवं व्यय की वर्षवार, कार्यवार, मदवार जानकारी बताएं। (ख) क्या सिवनी में स्टेडियम, कम्यूनिटी हाल, रैन बसेरा, बाल उद्यान आदि जैसे लोकोपयोगी विकास कार्य करने की भी कार्य योजना है? यदि हाँ, तो कार्य योजना का विवरण बताइये। (ग) क्या परिषद् सिवनी वासियों को स्वच्छ पानी प्रदाय करने में अक्षम हैं, जिसके कारण आमजन को दूषित पानी पीने हेतु बाध्य होना पड़ रहा है? यदि हाँ, तो कारण स्पष्ट करें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग, माननीय मंत्रीजी (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) नगर पालिका परिषद् सिवनी में स्टेडियम, बाल उद्यान विकास कार्य करने की वर्तमान में कोई योजना नहीं है। तथापित बी.आर.जी.एफ योजना अंतर्गत वर्ष 2013-14 में अम्बेडकर वार्ड में सामुदायिक भवन लागत राशि रूपये 15,28,500/- कार्य की निविदा दर स्वीकृति उपरांत कार्यादेश क्रमांक 3579 दिनांक 06.02.16 जारी किया गया है। एन.यू.एल.एम. योजनांतर्गत वर्ष 2014-15 में राशि 35,00,000/- से गुरू नानक वार्ड में रेन बसेरा निर्माण की निविदा दर स्वीकृति उपरांत कार्यादेश क्रमांक 1298 दिनांक 23.07.15 को जारी किया गया है, वर्तमान में कार्य प्रगतिरत है। (ग) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
खिलचीपुर में फीडर सेपरेशन योजना
128. ( क्र. 6533 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) फीडर सेपरेशन योजना का कार्य विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर में कब से प्रारंभ है? तथा किस कंपनी के द्वारा कार्य करवाया जा रहा है? (ख) फीडर सेपरेशन योजना का कार्य विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर में कितने फीडरों में क्रियान्वित है? कार्य कब प्रारंभ हुआ तथा कब तक पूर्ण हो जायेगा? फीडरवार कार्य का विवरण बतावें?। (ग) क्या फीडर सेपरेशन योजना का कार्य विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के जिन ग्रामों में पूर्ण हो चुका है, उन ग्रामों में योजना का लाभ ग्रामवासियों को मिलना प्रारंभ हो गया है? यदि नहीं, तो किन कारणों से ग्रामवासी योजना से वंचित है? (घ) क्या फीडर सेपरेशन योजना से वंचित शेष ग्रामों में भी कार्य होना संभावित है? यदि हाँ, तो योजना से वंचित ग्रामों में योजना कब तक प्रारंभ होगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर में फीडर विभक्तिकरण के कार्य हेतु दिनांक 05.08.11 को मेसर्स एस्टर प्रा.लिमि. हैदराबाद को कार्यादेश जारी किया गया था। उक्त ठेकेदार एजेंसी के साथ किये गये अनुबन्ध के अनुसार कार्य प्रभावी तिथि 12.08.2011 से 18 माह से पूर्ण किया जाना था। कालान्तर में यह अवधि 6 माह बढ़ाकर 24 माह की गयी थी। किंतु निर्धारित की गई पुनरीक्षित समय-सीमा 24 माह में भी लक्षित प्रगति नहीं होने के कारण दिनांक 25/11/2014 को उक्त ठेकेदार एजेंसी को जारी अवार्ड निरस्त कर दिया गया। वर्तमान में उक्त योजना के शेष कार्यों को पूर्ण करने हेतु निविदा प्रक्रिया उपरान्त मेसर्स आफशोर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमि. मुम्बई को दिनांक 19/02/16 को कार्यादेश जारी किया गया है। उक्त ठेकेदार एजेन्सी को प्रभावी तिथि से 18 माह में कार्य पूर्ण करना है। प्रभावी तिथि मोबिलाईजेशन एडवांस के भुगतान की दिनांक होगी एवं यह भुगतान प्रक्रियाधीन है। (ख) फीडर विभक्तिकरण योजना के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के 11 के.व्ही.के कुल 38 फीडरों को विभक्तिकरण कार्य हेतु चयनित किया गया था। जिसमें से 2 फीडरों का कार्य पूर्ण हो गया है एवं 36 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य किया जा रहा है। फीडरवार कार्य के प्रारम्भ होने एवं पूर्ण होने की दिनांक/संभावित अवधि का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ, विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर में जिन ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण योजना का कार्य पूर्ण हो चुका है, उन ग्रामों में योजना का लाभ ग्रामवासियों को मिलना प्रारम्भ हो गया है। (घ) जी हाँ। विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के शेष समस्त ग्राम फीडर विभक्तिकरण योजना में शामिल है, जिनका फीडरवार सर्वे कार्य मेसर्स आफशोर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमि. मुम्बई द्वारा दिनांक 23.2.2016 से आरंभ किया जा चुका है। उत्तरांश (क) में उल्लेखानुसार उक्त ठेकेदार एजेंसी द्वारा प्रभावी दिनांक से 18 माह में उक्त शेष कार्य पूर्ण किया जाना संभावित है।
गाडरवारा नगर में मूलभूत सुविधाएं
129. ( क्र. 6536 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा नगर की कितनी जनसंख्या है? (ख) क्या नगर की बढ़ती हुयी जनसंख्या को देखते हुये सड़क, जल निकासी, पेय-जल एवं प्रकाश आदि की समुचित व्यवस्था हेतु विभाग की क्या योजना है? (ग) नगर में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु विभाग सर्वे कराकर नगर के विकास एवं अधोसंरचना हेतु विभाग की क्या कार्य योजना है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार जनसंख्या 47600 है। (ख) योजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है।
जलाशयों की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति
130. ( क्र. 6554 ) श्री संजय पाठक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्तीय वर्ष 2015-16 में कटनी जिले में कितने जलाशयों का तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति ली गई? (ख) स्वीकृत कार्यों में किस-किस कार्य योजना में वित्तीय आवंटन प्राप्त हुआ तथा कितनी राशि प्राप्त हुई? (ग) प्राप्त राशि में कितने कार्य प्रांरभ कर दिये गये तथा उनकी अद्यतन स्थिति क्या है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) वित्तीय वर्ष 2015-16 में जल संसाधन संभाग, कटनी अंतर्गत 3 जलाशयों (1) बिरहोली जलाशय (2) सिंहुड़ी जलाशय (3) धरमपुरा जलाशय की तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई है। कोई प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते है।
वेतनमान में विसंगति
131. ( क्र. 6561 ) श्रीमती सरस्वती सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या 1.1.72 में जो पद SAS संवर्ग के वेतनमान में समतुल्य थे उन पदों का 1.4.81 एवं उसके तत्पश्चात के वेतनमानों में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है जबकि SAS संवर्ग के वेतनमान में कमी आई है? (ख) क्या माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश पर वर्ष 2013 में SAS संवर्ग का वेतनमान 5000-8000 से 5500-9000 किया गया है जबकि 6500-10500 किया जाना था? (ग) क्या उक्त विसंगति के निराकरण हेतु SAS अधीनस्थ लेखा सेवा सवंर्ग का वेतनमान 6500-10500 करने हेतु आयुक्त कोष एवं लेखा भोपाल द्वारा वर्ष 2014 एवं 2015 में शासन को प्रस्ताव भेजा गया है? (घ) यदि हाँ, तो उक्त प्रस्ताव क्या मान्य किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्या (क) भाग के अन्य पदों का दायित्व SAS सवंर्ग से उच्च है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुक्रम में राज्य वेतन आयोग की अनुशंसा को विचार में लेते हुये वेतनमान 5500- 9000 स्वीकृत किया गया है। (ग) आयुक्त कोष एवं लेखा से 4200 ग्रेड पे किये जाने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ था। (घ) वित्त विभाग के आदेश दिनांक 27-7-2013 द्वारा 3600 ग्रेड पे दिये जाने के कारण 4200 ग्रेड पे दिये जाने के प्रस्ताव को अमान्य किया गया है।
नहरों का निर्माण
132. ( क्र. 6580 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिले के विकास खण्ड बेगमगंज, सिलवानी में विभाग द्वारा बनवाये गये किन-किन बांध बैराज, स्टॉप डेम, स्टॉप डेम कम रपटा, तालाब से कितने हेक्टेयर में सिंचाई की जा रही है? कार्य स्थल पर बोर्ड क्यों नहीं लगवाये? (ख) विगत दो वर्ष में उक्त संरचनाओं में से कौन-कौन सी संरचना कब क्षतिग्रस्त हुई इसके लिए कौन-कौन जवाबदार है उनकी विभाग द्वारा मरम्मत क्यों नहीं करवाई गई? (ग) किन-किन बांधों में नहर निर्माण का कार्य चल रहा है तथा उक्त कार्य कब तक पूर्ण होगा समयावधि बतायें? समयावधि में कार्य पूर्ण न होने के लिए कौन-कौन जवाबदार है? (घ) कौन-कौन सी सर्वेक्षित योजना किस स्तर पर कब से एवं क्यों लंबित है? किन-किनका सर्वेक्षण किया जा रहा है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। निर्माण के समय सूचना पटल लगाया जाना प्रतिवेदित है। (ख) प्रश्नाधीन अवधि में परियोजनाओं के संचालन के दौरान होने वाली सामान्य क्षति को परियोजना के साधारण संधारण में दूर करा लिया गया है। विशेष मरम्मत की आवश्यकता उत्पन्न नहीं हुई है। (ग) सेमरी मध्यम परियोजना एवं नगपुरा नगझिरी परियोजना। वर्ष 2016-17 में। विलंब की स्थिति नहीं है। (घ) मरखेड़ा गुलाव एवं चरगवां परियोजना के सर्वेक्षण पूर्ण होकर डी.पी.आर. परीक्षण में है। वीरपुर जलाशय तथा साईंखेड़ा, उमरझिर एवं बुरहा बैराज परियोजनाओं की साध्यता दिनांक 07.01.2016 को जारी कर सर्वेक्षण-अनुसंधान करने और डी.पी.आर. बनाने के आदेश दिए गए हैं।
आवारा पशुओं से कृषि हानि
133. ( क्र. 6630 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला मुरैना में आवारा पशुओं की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं? यदि हाँ, तो क्या आवारा पशुओं के लिए जिसमें आवश्यकतानुसार कांजी हॉउस बनाने की कोई योजना है वर्तमान में जिले में कितने कांजी हॉउस संचालित है और उन पर विगत वर्ष में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है? (ख) आवारा पशुओं जिनमें गौवंश की मात्रा अधिक है उनकी वजह से मुख्य मार्ग एवं शहर के व्यस्ततम मार्ग अवरूद्ध हो रहे हैं? आये दिन गौवंश की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मृत्यु हो रही है? वाहन चालक भी गंभीर रूप से घायल होकर जनहानि हो रही है? इसकी रोकथाम के लिए कोई अभियान चलाया जावेगा? सड़क मार्गों को सुरक्षित किया जा सकेगा? (ग) जिले में कितनी सामाजिक संस्थाएं गौवंश संवर्धन के लिए संचालित है और उनके द्वारा क्या-क्या कार्य किये जा रहे हैं? क्या प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित समस्या निदान हेतु विभाग द्वारा कोई कार्ययोजना बनाई जा रही है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं, परंतु आवारा पशुओं की व्यवस्था किये जाने हेतु नगर निगम मुरैना, नगर पालिका पोरसा, नगर परिषद् बामौर, कैलारस एवं झुण्डपुरा में कांजी हॉउस की योजना प्रस्तावित है। नगर परिषद्, जौरा में 01 कांजी हॉउस संचालित हैं। नगर परिषद्, जौरा में वर्ष 2015-16 में राशि रूपये 91,700/- का व्यय किया गया है। (ख) निकाय क्षेत्र में मुख्य सड़क मार्ग से आवारा पशुओं को नियमित रूप से हटाया जाता है गौवंश को पकड़कर निकाय क्षेत्र में स्थित गौ-शालाओं में भेज दिया जाता है। सड़क मार्गों को सुरक्षित किया जा रहा है। (ग) नगर निगम मुरैना में 04, नगर पालिका पोरसा में 01 (नागाजी गौ-शाला) । उनके द्वारा पशुओं के लिये पानी एवं चारे की व्यवस्था की जा रही है। प्रश्नांश ''ख'' में उल्लेखित समस्या निदान हेतु समय-समय पर विशेष अभियान चलाकर आवारा पशुओं को पकड़कर कांजी हॉउस एवं गौ-शाला में रखा जाता है। उनके पीने का पानी, चारे आदि की व्यवस्था की जाती है।
नीमच जिले में संचालित खदानें
134. ( क्र. 6662 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नीमच जिले में समस्त प्रकार के खनिजों की कितनी खदानें स्वीकृत हैं, पट्टेदारों के नाम, स्वीकृत खनिज का नाम, आवंटित भूमि का खसरा क्रमांक हल्का एवं रकबा सहित विधान सभा क्षेत्रवार जानकारी दें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित खदानों के सभी पट्टेधारकों द्वारा क्रेशर मशीनें स्थापित कर ली गई है, क्रेशर उत्खनन पट्टा स्वीकृत होने के कितने दिन के अंदर क्रेशर मशीन स्थापित कर लिया जाना चाहिए? कितने पट्टाधारिकों द्वारा मशीनें उपरोक्त अवधि में स्थापित नहीं की है, पूर्ण ब्यौरा दें। (ग) क्या नीमच विधानसभा क्षेत्र के पट्टेधारिकों द्वारा खदान संचालन हेतु आवश्यक अनुमति प्राप्त कर ली गई हैं? यदि हाँ, तो कब-कब यदि नहीं, तो क्यों, इस संबंध में दोषी अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की जाएगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर दर्शित है। (ख) प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित पत्थर खनिज के उत्खनिपट्टा धारकों में से पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' में उल्लेखित उत्खनिपट्टा धारकों को छोड़कर, शेष द्वारा क्रेशर मशीन स्थापित कर ली है। म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में क्रेशर मशीन स्थापना हेतु समय-सीमा संबंधी प्रावधान नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नाधीन क्षेत्र में खदान संचालन हेतु आवश्यक पर्यावरण स्वीकृति की जानकारी एवं इस संबंध में प्रस्तुत आवेदनों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' में दर्शित है। प्रश्नांश में उल्लेखित अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया पट्टाधारियों द्वारा की जा रही है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
पद समाप्ति से योजनाएं बंद होना
135. ( क्र. 6669 ) श्री मधु भगत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2008 से वर्ष 2015 के बीच प्रति वर्ष निरंतर विभाग के बजट में वृद्धि हुई और कार्यभार भी बढ़ा? (ख) क्या उक्त अवधि में नवीन कार्यालय खोले गये? यदि हाँ, तो कौन-कौन से एवं कब से? (ग) उक्त अवधि में कौन-कौन से पद, कितनी संख्या में कब से समाप्त किये गये? (घ) क्या उक्त पद समाप्ति से बालाघाट जिले की परियोजनाएं प्रभावित हुई? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। (ग) अस्थाई कार्यालयों का बंद किया जाना, कार्यभार के मद्देनज़र कार्यालयों का स्थानांतरण किया जाना, अतिशेष पदों के रिक्त होने पर उनका समाप्त होना और पदों का समर्पण तथा नये पदों का सृजन एक सतत् प्रक्रिया है। प्रश्नाधीन अवधि में पद समर्पण/समाप्त करने संबंधी जारी विभागीय आदेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। विभाग द्वारा विभिन्न कार्यालयों के स्वीकृत पदों की वर्षवार जानकारी संकलित कर एकजाई रूप से संधारित नहीं की जाती है। (घ) जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
संविदा नियुक्ति को समाप्त किया जाना
136. ( क्र. 6673 ) श्री उमंग सिंघार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुख्य सचिव ने पत्र क्रमांक 323/मु.स./सा.प्रशा.वि./2015 दिनांक 19/08/2015 में उच्च न्यायालय द्वारा दिये निर्देशों के पालन में यह स्वीकार करते हुए, निर्देशत किया है कि विभागीय भर्ती नियमों, और निर्धारित चयन प्रक्रिया का पालन किये बिना नियुक्तियां की गई है, तो ऐसे व्यक्ति तथा जिम्मेदार के विरूद्ध कार्यवाही की जाकर मुख्य सचिव को अवगत कराया जावे? (ख) क्या मुख्य सचिव के उक्त पत्र के उल्लेखित रिट याचिका क्रमांक 198/1999, मंत्री परिषद् के अनुमोदन से की गई, नियुक्ति के संबंध में न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय के पालन में जारी किया गया है। (ग) यदि हाँ, तो सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक सी-3-12/2011/3/एक, दिनांक 03 सितम्बर, 2011 के प्रावधान अनुसार पदोन्नति से भरे जाने वाले नियमित पद पर की गई संविदा नियुक्ति मुख्य सचिव के उपरोक्त पत्र में उल्लेखित रिट याचिका क्रमांक 198/1999 में संदर्भित किये गये निर्णय के प्रकाश में वैध किस नियम के तहत होगी? (घ) नियमित पदोन्नति से नियुक्त व्यक्ति के समान उस पद को प्रत्यायोजित शक्ति तथा अधिकारों का उपयोग संविदा पर नियुक्त व्यक्ति द्वारा किया जाना उपरोक्त उच्च न्यायालय के निर्णयों के प्रकाश में वैधानिक किस आधार पर और किस नियम के अंतर्गत होगा।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) दिनांक 03 सितम्बर, 2011 द्वारा जारी निर्देशों में सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों को निर्धारित प्रक्रिया व मापदण्ड के अनुसार संविदा नियुक्ति दी जाती है। जबकि रिट याचिका क्रंमाक 198/1999 का संबंध सीधी भर्ती की नियुक्ति से है। (घ) उत्तरांश ''ग'' अनुसार।
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण
137. ( क्र. 6677 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अता. प्रश्न संख्या 138 (क्रमांक 4447) दिनांक 16 मार्च 2015 के प्रश्नांश (ग) उत्तर में बताया गया कि कोई भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नियमितीकरण के लिए पात्र नहीं पाया गया। इसके निर्धारण का आधार क्या था, ब्यौरा दें? (ख) प्रश्नानुसार पात्रता निर्धारिण के लिए जिन अधिकारियों को शासन ने नियुक्त किया उनके नाम, पदनाम तथा इस कार्यवाही की समयावधि सहित ब्यौरा दें। (ग) समस्त प्रक्रियाओं का पालन करते हुए राजधानी परियोजना प्रशासन में शेष दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को कब तक नियमित कर दिया जाएगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। कोई भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश दिनांक 29.09.2014 के अन्तर्गत नियमितीकरण हेतु पात्र नहीं पाया गया है। नियमितीकरण हेतु पात्रता निर्धारण का आधार सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक एफ 5-3/2006/1/3, दिनांक 16.05. 2007 एवं संशोधित आदेश क्रं. एफ 5-3/2006/1/3, दिनांक 29.09.2014 है। (ख) समिति गठित की गई है जिसकी छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश ’’क’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
रतलाम में गोल्ड कॉम्पलेक्स का निर्माण
138. ( क्र. 6686 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि मुख्यमंत्री जी ने रतलाम में गोल्ड कॉम्पलेक्स बनाने की घोषणा की थी और इसका शिलान्यास भी कर दिया था, जिसका निर्माण रतलाम विकास प्राधिकरण द्वारा किया जाना था? इसमें अब तक क्या प्रगति हुई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : जी हाँ। न्यायालय कलेक्टर जिला रतलाम के आदेश क्रमांक 2222/रीडर/15 दिनांक 17.07.2015 द्वारा योजना हेतु भूमि का आरक्षण किया जा चुका है। आरक्षित भूमि रतलाम विकास योजना में सार्वजनिक एवं अर्द्ध-सार्वजनिक उपयोग के अंतर्गत होने से उपांतरण के सबंध में कार्यवाही प्रचलित है।
ताँबा, चूना, बाक्साईड, डायस्पोर की खदानें
139. ( क्र. 6690 ) श्री जितू पटवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2012 से आज दिनांक तक ताँबा, चूना, बाक्साईड, डायस्पोर, पायरोफिलाइट की खदानें किन-किन को दी गई नाम पते बतायें? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार जानकारी इस प्रोफार्मा में दें (1) आवंटिती का नाम पता (2) आवंटन दिनांक (3) मिनरल का नाम (4) कितने मात्रा में निकालने की अनुमति दी गई (5) एग्रीमेन्ट (लीज) की दिनांक (6) आज दिनांक तक कितना मिनरल निकाला गया की मात्रा (7) रायल्टी का रेट मिनरलवार। (ग) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत आज दिनांक तक कितनी रायल्टी शासन को प्राप्त हुई? (घ) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत आवंटितों को कितनी शासकीय भूमि, कितनी वन भूमि दी गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन दिनांक से आज दिनांक तक स्वीकृत चूनात्थर, बाक्साइट, की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में दर्शित है। इस अवधि में ताँबा, डायस्पोर, पायरोफिलाइट, खनिज की खदानें स्वीकृत नहीं की गई है। (ख) एवं (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर दर्शित है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर दर्शित है।
कर्मचारियों का नियमितीकरण
140. ( क्र. 6699 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मंत्रियों की अनुशंसा के आधार पर उनकी निजी स्थापना में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को अस्थाई रूप से रखे जाने का प्रावधान है? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर वर्ष 2008 से 2013 तक के माननीय मुख्यमंत्री, मंत्री एवं राज्य मंत्रीगण की निजी स्थापना में, किस-किस पदों पर,किस-किसको,अस्थार्इ कर्मचारी के पद पर पदस्थ किया गया था?? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर इनमें किस-किस अस्थाई कर्मचारियों को नियमित कर कब से किस पद पर मंत्रालय में पदस्थ कर दिया गया है? (घ) जब अस्थाई कर्मचारी एवं मंत्रालय के ऐसे नियमित कर्मचारियों के वेतन में ज्यादा अंतर नहीं है फिर विभाग द्वारा शेष कर्मचारियों को नियमित किये जाने हेतु प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? शेष बचे ऐसे कर्मचारियों को नियमित किया जावेगा तो कब तक और नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार। (घ) म.प्र. सचिवालय चतुर्थ श्रेणी सेवा भर्ती नियम 1987 के प्रावधान अनुसार स्वीकृत वेतनमान पर आवश्यकतानुसार नियुक्ति प्रदान की गई। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
शराब की अवैध बिक्री
141. ( क्र. 6710 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शाजापुर जिले में किन-किन गाँवों में देशी एवं अंग्रेजी शराब कि दुकानें संचालित हैं? (ख) क्या मध्यप्रदेश में देशी शराब कि नई दुकानें खोली जा रही हैं? यदि नहीं, तो शाजापुर जिले में लाईसेन्सी दुकानों के अलावा कितने गाँवों में देशी शराब कि अवैध दुकानें संचालित हो रही हैं? (ग) मध्यप्रदेश में सरकार देशी शराब कि नई दुकानें नहीं खोलना चाहती है फिर भी शराब ठेकेदारों द्वारा कमीशन एजेन्ट नियुक्त करके गाँव-गाँव में शराब खुलेआम बेची जा रही है। क्या बगैर लायसेन्स के दुकान संचालित करना वैध है। (घ) मध्यप्रदेश में देशी शराब की अवैध दुकानों पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है? क्या शासन द्वारा अवैध शराब कि दुकाने जिन्हें कमीशन एजेन्ट चला रहे हैं, उन पर सख्ती से रोक लगाई जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
जेठड़ा तालाब निर्माण से सड़क डूब क्षेत्र में आना
142. ( क्र. 6712 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शाजापुर जिले के जेठड़ा तालाब निर्माण में लोक निर्माण विभाग की डामरीकृत सड़क डूब प्रभावित क्षेत्र में आयी है? यदि हाँ, तो कितने कि.मी.? क्या इस तथ्य से लोक निर्माण विभाग को अवगत कराया गया है? यदि हाँ, तो प्रति देवें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार डूब में आयी लोक निर्माण विभाग की डामरीकृत सड़क के बदले आवागमन हेतु अन्य सड़क का निर्माण किया गया है? यदि हाँ, तो क्या डामरीकृत सड़क के बदले मुरम की सड़क बनायी गई है? क्या इसके लिए लोक निर्माण विभाग से सहमति ली गई है? यदि ली गई है तो प्रति देवें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। 400 मीटर। जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। (ख) जी हाँ, 600 मीटर लंबी मुरम सड़क बनाई गई है। जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
स्वतंत्र अधिमान्य पत्रकारों के अधिमान्यता कार्ड एवं नवीनकरण
143. ( क्र. 6721 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनसंपर्क विभाग ने वर्ष 2010 से 2014 तक कुल कितने स्वतंत्र अधिमान्य पत्रकार घोषित किये हैं? कितने स्वतंत्र पत्रकारों को अधिमान्यता का कार्ड प्रदाय किया गया है? (ख) वर्ष 2015 में कितने स्वतंत्र पत्रकारों के अधिमान्यता के नवीनीकरण के आवेदन जनसम्पर्क संचालनालय को प्राप्त हुए हैं? प्राप्त आवेदन पत्रों में से कितने स्वतत्र पत्रकारों को अधिमान्यता घोषित कर, कार्ड प्रदाय किये गये हैं? (ग) वर्ष 2015 में कितने स्वतंत्र पत्रकारों के अधिमान्यता के नवीनीकरण के आवेदन अमान्य किये गये है? (घ) वर्ष 2010 से निरंतर जो स्वतंत्र पत्रकार अधिमान्य घोषित थे तथा विभाग द्वारा उन्हें अधिमान्यता के कार्ड भी दिये गये थे, अब वर्ष 2015 में उनके द्वारा दिये गये नवीनीकरण के आवेदन पर, उन्हें किस आधार पर अमान्य किया गया है? (ड.) वर्ष 2015 में स्वतंत्र पत्रकार घोषित करने के संबंध में कोई समिति गठित थी? यदि हाँ, तो समिति में कौन-कौन सदस्य थे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वर्ष 2010 में 291, वर्ष 2011 में 316, वर्ष 2012 में 334, वर्ष 2013 में 352, वर्ष 2014 में 340, स्वतंत्र पत्रकारों को अधिमान्यता कार्ड जारी किये गये। (ख) वर्ष 2015 में स्वतंत्र पत्रकार के अधिमान्यता नवीनीकरण के कुल 359 आवेदन प्राप्त हुए हैं। 292 स्वतंत्र पत्रकारों के वर्ष 2015 में कार्ड जारी किये गये हैं। (ग) 67 स्वतंत्र पत्रकारों के अधिमान्यता नवीनीकरण नहीं किया गया। (घ) राजपत्र में प्रकाशित अधिमान्यता नियमों के अनुसार 24 आलेख प्राप्त नहीं होने के कारण अमान्य किये गये। (ड.) सूची संलग्न परिशिष्ट पर है।
भाग-3
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
शाला
उपकर की
एकत्रित राशि
1. ( क्र. 108 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पिछले 05 वर्षों में ग्वालियर संभाग में शाला उपकर नगर पालिकाओं को कितना व जिलों में जिलाधीश का एकत्रित हुआ पड़ा है? (ख) ग्वालियर संभाग की कुल पड़ी व खर्च शाला उपकर का पिछले 3 वर्ष का विवरण देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगरीय निकायों में शाला उपकर लागू नहीं है, नगरीय निकायों में शिक्षा उपकर लागू है, जो संपत्तिकर के साथ वसूल किया जाता है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्वीकृति
2. ( क्र. 163 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अशोक नगर जिले के बंगला चौराहा तथा विक्रमपुर में 12वीं पंचवर्षीय योजना अन्तर्गत नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना के कार्य की स्वीकृति ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से 21.08.2013 को हुई थी व दोनों उपकेन्द्र कार्य का शिलान्यास 14.02.14 को किया गया था? यदि हाँ, तो उक्त कार्य प्रारम्भ होने में देरी के क्या कारण है व कब तक प्रारंभ कर पूर्ण कर लिया जावेगा, शिलान्यास स्थल के बजाय अन्यत्र बदलने का कारण बतायें? (ख) विक्रमपुर जिला अशोक नगर में विद्युत केन्द्र वन विभाग चौकी के पास बनाने के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा लिखे गये पत्रों का विवरण देते हुए बताएं कि क्या प्रश्नकर्ता द्वारा सुझाये गये स्थान का तकनीकी परीक्षण करा लिया गया है? यदि हाँ, तो क्या यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। बंगला चौराहा के लिये स्वीकृत उपकेन्द्र का शिलान्यास निजी भूमि पर किया गया था, किन्तु भू-स्वामी द्वारा आपत्ति लेने पर चयनित स्थल से लगभग 3 कि.मी. दूर ग्राम इकोदिया में शासकीय भूमि आवंटित की गई थी। निरीक्षण/सर्वे करने पर उक्त भूमि उपकेन्द्र निर्माण के लिये उपयुक्त नहीं पाई गई तथा इसी बीच एक कृषक द्वारा उपकेन्द्र के निर्माण हेतु अपनी निजी भूमि बंगला चौराहा पर ही पंजीकृत दान पत्र से उपलब्ध करवाई गई। सर्वे उपरान्त उपयुक्त पाये जाने पर उक्त निजी भूमि के अधिग्रहण उपरान्त उपकेन्द्र का निर्माण कार्य ठेकेदार एजेंसी द्वारा प्रारंभ किया गया है, जिसे जून 2016 तक पूर्ण करने के प्रयास किये जा रहे हैं। ग्राम विक्रमपुर में नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र के निर्माण के लिये कलेक्टर अशोकनगर द्वारा शासकीय भूमि आवंटित की गई थी, परन्तु माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा उपकेन्द्र अन्यत्र, ग्राम के बाहर पुलिस व वन चौकी के पास स्थानान्तरित करने की अनुशंसा की गई थी। माननीय विधायक महोदय द्वारा प्रस्तावित स्थल उपकेन्द्र की स्थापना हेतु तकनीकी रूप से उपयुक्त नहीं पाये जाने के कारण पूर्व चयनित शासकीय भूमि पर ही उपकेन्द्र का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है परन्तु 33 के.व्ही. एवं 11 के.व्ही. फीडर के मार्ग में वन क्षेत्र आने के कारण कार्य वर्तमान में बाधित है। वन विभाग से स्वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, स्वीकृति के उपरान्त ही उक्त उपकेन्द्र का कार्य किया जा सकेगा, अत: वर्तमान में कार्य पूर्णता की समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा विक्रमपुर उपकेन्द्र का निर्माण, पुलिस व वन चौकी के पास रोड़ पर किये जाने हेतु माननीय ऊर्जा मंत्री जी को संबोधित पत्र दिनांक 12.12.2014 माह दिसम्बर, 2014 में प्राप्त हुआ था। माननीय विधायक महोदय द्वारा चिन्हित स्थल को माह मई 2015 में सर्वे उपरांत तकनीकी रूप से उपकेन्द्र निर्माण हेतु उपयुक्त नहीं पाये जाने के कारण पुन: पूर्व आवंटित शासकीय भूमि पर उपकेन्द्र का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है।
मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के आयोजन हेतु आवंटन
3. ( क्र. 220 ) श्री कैलाश चावला : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश स्थापना दिवस मनाए जाने हेतु वर्ष 2014-15 उज्जैन संभाग के अंतर्गत आने वाले जिलों को कितनी राशि का आवंटन किया गया था? (ख) क्या उक्त राशि को जिला स्तर से व्यय करने की अनुमति दी गई थी? (ग) उक्त आवंटन में से मंदसौर एवं नीमच जिले के तहसील स्तर पर स्थापना दिवस मनाने हेतु तहसीलवार कितनी राशि का व्यय किया गया एवं किन-किन कार्यों का भुगतान किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) ‘’क’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ग्रामों में बिजली की आपूर्ति
4. ( क्र. 516 ) श्री मुकेश नायक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले की पवई विधानसभा क्षेत्र के किन-किन ग्रामों में विद्युत आपूर्ति बिजली का बिल बकाया होने या ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण कब से बंद है? ग्रामों की सूची, उपभोक्ता संख्या बकाया राशि सहित दें? (ख) उक्त ग्रामों में जिन उपभोक्ताओं/कृषकों पर बिजली का बिल बकाया नहीं है उनको बिजली उपलब्ध करवाने हेतु क्या व्यवस्था की गई है? यदि नहीं, तो क्यों, कारण बतायें तथा बिजली बंद रहने की अवधि के बिल का क्या होगा? (ग) किसान अनुदान योजना, बकाया बिजली के बिल का सरचार्ज माफ आदि समझौता की कौन-कौन सी योजनायें संचालित हैं तथा उनमें क्या-क्या प्रावधान हैं? (घ) पुराना बिजली का बकाया बिल के समझौता हेतु विभाग क्या कोई योजना बनाने पर विचार करेगा? यदि हाँ, तो कब तक तथा यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) पन्ना जिले के पवई विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत प्रश्न दिनांक तक 22 फेल वितरण ट्रांसफार्मरों को संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण बदला नहीं जा सका है, जिनसे संबद्ध उपभोक्ताओं की संख्या, बकाया राशि तथा विद्युत प्रदाय बंद रहने की अवधि सहित ग्रामवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) ऐसे उपभोक्ता जिन पर विद्युत बिल बकाया नहीं है, उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था कर समीपस्थ स्थित अन्य ट्रांसफार्मर से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। बिजली बंद होने की अवधि में म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित न्यूनतम प्रभार की बिलिंग की जा रही है। (ग) कृषकों को स्थायी पंप कनेकशन प्रदाय करने हेतु अनुदान योजना तथा निम्न दाब घरेलू उपभोक्ताओं के विद्युत देयकों की बकाया राशि के निराकरण हेतु बकाया राशि समाधान योजना वर्तमान में लागू हैं। कृषकों को स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना के अन्तर्गत वर्तमान में लघु एवं सीमान्त कृषकों (2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले) को रू. 6500 तथा अन्य कृषकों के लिये रू. 10400 प्रति हार्सपावर की दर से राशि जमा करनी होती है। इस योजना में प्रत्येक कृषक हेतु रू. 1.50 लाख की राशि का प्राक्कलन स्वीकृत करने की सीमा निर्धारित की गई है तथा प्राक्कलन लागत एवं कृषक द्वारा प्रति हार्सपावर भुगतान की गई राशि के अंतर की राशि का भुगतान राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों को अनुदान के रूप में किया जाता है। प्राक्कलन की राशि रू. 1.50 लाख से अधिक होने पर रू. 1.50 लाख से अधिक की राशि संबंधित कृषकों को वहन करनी होती है। घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बिलों की बकाया राशि के निराकरण हेतु लागू समाधान योजना में सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं के बकाया बिल की सरचार्ज की संपूर्ण राशि माफ की गई है तथा बी.पी.एल. उपभोक्ता व शहरी क्षेत्र में अधिसूचित मलिन बस्ती में निवास कर रहे घरेलू उपभोक्ता की बकाया राशि में से सरचार्ज की राशि के अतिरिक्त ऊर्जा प्रभार की 50 प्रतिशत राशि भी माफ करने का प्रावधान है। (घ) उत्तरांश (ग) में उल्लेखानुसार वर्तमान में संचालित ''बकाया राशि समाधान योजना'' के अंतर्गत घरेलू उपभोक्ताओं के बकाया बिजली के बिलों के निराकरण हेतु योजना लागू है। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में अन्य कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
ई-रजिस्ट्री की शिकायतों के लिये शुल्क वसूली
5. ( क्र. 658 ) श्री राजेश सोनकर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर जिला अंतर्गत ई-रजिस्ट्री करने का ठेका किस कंपनी को किन शर्तों के आधार पर व कब दिया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या ई-रजिस्ट्री करने वाली कंपनी द्वारा ई-रजिस्ट्री में होने वाली त्रुटियों की शिकायते करने वालों से प्रति शिकायत 50 रूपये वसूली की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या कंपनी को शिकायतकर्ता से शुल्क वसूली की पात्रता है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में ई-रजिस्ट्री न होने से शिकायतकर्ता द्वारा जो शिकायते आदि की जा रही हैं? इनमे से कितनी शिकायतें आज दिनांक तक प्राप्त हुई व कितनों का निराकरण किया गया व कितनी लंबित हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में कंपनी के पास प्रश्न दिनांक तक लंबित शिकायतों का निराकरण कब तक कर लिया जायेगा एवं उन लंबित शिकायतों के लिये किसकी जवाबदेही है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) ई-रजिस्ट्री करने का ठेका किसी कम्पनी को नहीं दिया गया है, अपितु, ''सम्पदा'' ई-पंजीयन के लिये सॉफ्टवेयर तैयार करने हेतु विभाग द्वारा जारी निविदा क्रमांक IGR-1/2006 अनुसार न्यूनतम निविदाकार विप्रो लिमिटेड (इन्फोटेक डिविजन) के साथ निविदा में उल्लेखित शर्तों अनुसार दिनांक 02.12.2006 को अनुबंध किया गया है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) इन्दौर जिले से 1582 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से 1110 शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है तथा 472 शिकायतें लंबित है। (घ) लंबित शिकायतों के शीघ्र निराकरण हेतु कार्यवाही प्रचलित है। शिकायतों के निराकरण की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। लंबित शिकायतों के लिए किसी को जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता है।
जनगणना के अनुसार जनभागीदारी योजनान्तर्गत
6. ( क्र. 792 ) श्री सचिन यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत तीन वर्षों में खरगोन जिले में वर्ष 2001 एवं 2011 की जनगणना के अनुसार जनभागीदारी योजना अंतर्गत मांग संख्या 64 एवं 41 में नगर/ग्राम पंचायत/ नगर तथा ग्राम पंचायत के वार्डो में हरिजन/आदिवासी मतदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत या उससे अधिक के आधार पर कितने कार्य स्वीकृत किये गये? (ख) क्या ऐसे कोई कार्य स्वीकृत किये गये जिनमें मतदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत से कम है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) एवं (ख) के कार्यों में अनियमितताएं हुई है के संबंध में शिकायतें जिला योजना अधिकारी खरगोन व अन्य को प्राप्त हुई है? हाँ तो उस पर प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई और इसमें कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी दोषी है, के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। (ख) जी नहीं। (ग) योजनान्तर्गत अनियमित्ताओं की शिकायत प्राप्त न होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
जलाशय एवं नहरों हेतु प्राप्त आवंटन
7. ( क्र. 881 ) श्री जतन उईके : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला छिन्दवाड़ा के अंतर्गत पांढुर्णा विकासखण्ड के जल संसाधन उप संभाग पांढुर्णा के अधीनस्थ निर्मित योजनायें कितनी हैं? इस जलाशय हेतु मरम्मत एवं रख-रखाव हेतु कितना आवंटन प्राप्त होता है? (ख) इस जलाशय की नहरों हेतु आवंटन प्राप्त होता है? यदि हाँ, तो अलग-अलग योजनाओं की धन राशि बतायें? (ग) रूपांकित सिंचाई के विरूद्ध वास्तविक सिंचाई वर्षवार बताएं? (घ) वर्षवार सिंचाई के विरूद्ध जलकर कितना प्राप्त किया जा चुका है? कितना शेष है? जलकर की कमी का क्या कारण है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
पर्यटन स्थलों में विकास कार्य
8. ( क्र. 892 ) श्री जतन उईके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले में स्थित किस-किस पर्यटन स्थल पर 1 जनवरी 2012 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से विकास कार्य कराये गये? कार्य का नाम, राशि, एजेंसी का नाम बतायें? (ख) कितने विकास कार्य पूर्ण हो गये हैं और कितने कार्य अपूर्ण हैं? अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण कर लिये जावेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 13 कार्य पूर्ण। 08 कार्य प्रगति पर है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
संस्कृति विभाग को आवंटित राशि
9. ( क्र. 1055 ) श्री रामपाल सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहडोल जिले में संस्कृति विभाग को वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में विभाग द्वारा संचालित गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु राशि आवंटित की गई है? यदि हाँ, तो कितनी? (ख) यदि राशि आवंटित की गई है तो आवंटित राशि से उक्त विभाग द्वारा किन-किन कार्यों के लिये कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) संस्कृति विभाग द्वारा संचालित गतिविधियों हेतु जिलेवार नहीं अपितु संपूर्ण प्रदेश हेतु एकमुश्त राशि आवंटित की जाती है. शहडोल जिले में वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में संचालित गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु आवंटित राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार. (ख) विभाग द्वारा किये गये कार्यों के लिए किए गए व्यय की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार.
ग्रामों का विद्युतीकरण
10. ( क्र. 1808 ) श्री प्रताप सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह जिले की जबेरा विधानसभा क्षेत्र में कुल कितने ग्राम अविद्युतीकृत है? इन ग्रामों में विद्युतीकरण किये जाने की क्या कार्ययोजना है? इन ग्रामों को कब तक विद्युतीकृत कर दिया जावेगा? (ख) क्या इस क्षेत्र के कई ग्रामों में विद्युतीकरण होने के बावजूद ट्रांसफार्मर न होने या जल जाने के कारण विद्युत प्रदाय बंद है? ऐसी स्थिति कितने ग्रामों में है और वहाँ कब तक विद्युत प्रदाय शुरू हो जावेगी? (ग) क्या घरेलू विद्युत सप्लाई के लिये ग्रामों में रखे ट्रांसफार्मर के जल जाने पर उसे बदलने के लिये संधारण और आय के नाम पर ग्रामीणजनों से अतिरिक्त राशि ली जाती है, यदि हाँ, तो किन नियमों के तहत बतलावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जिला दमोह के जबेरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 12 अविद्युतीकृत ग्राम हैं। उक्त में से 6 अविद्युतीकृत ग्रामों यथा पड़री, हनुमत, बागों, हाथीडोल, जामुन झिरी (पडरई), जरूआ एवं तिपनी के विद्युतीकरण का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में शामिल है तथा इनमे विद्युतीकरण का कार्य पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय तौर पर किया जा रहा हैं। शेष 6 अविद्युतीकृत यथा अमझिर, जिलहरी, महगंवा, ताला, ढकरवाहा रैयत एवं साजपानी वन बाधित ग्राम हैं, अत: इनके विद्युतीकरण का कार्य गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोंतों से नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा किया जाना है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित 6 ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य 31 मार्च 2016 तक एवं नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा 6 ग्रामों के गैर-परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से विद्युतीकृत किये जाने का कार्य दिसम्बर 2016 तक पूर्ण करने के प्रयास हैं। (ख) जबेरा विधान सभा के 5 विद्युतीकृत ग्रामों यथा पटेरिया, सांगा, झादा सुरेखा, कोरता एवं देवरी जमादार में उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं होने से खराब ट्रांसफार्मर बदले नहीं जा सके हैं, अत: इन ग्रामों का विद्युत प्रदाय बन्द है। नियमानुसार बकाया राशि की 10 प्रतिशत राशि जमा होने पर इन जले/खराब ट्रांसफार्मरों को बदलकर विद्युत प्रदाय चालू किया जा सकेगा, अत: वर्तमान में समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) जी नहीं, जले/खराब ट्रांसफार्मर के बदलने हेतु उपभोक्ताओं से नियमानुसार बकाया विद्युत बिल की 10 प्रतिशत राशि के अतिरिक्त कोई अन्य राशि नहीं ली जाती है।
मुख्यमंत्री की घोषणाओं क्रियान्वयन
11. ( क्र. 1809 ) श्री प्रताप सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा दमोह जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2008 से प्रश्न दिनांक तक कब-कब भ्रमण किया? (ख) उक्त अवधि में भ्रमण के दौरान माननीय मुख्यमंत्री जी ने क्या-क्या घोषणाएं की थी, विधानसभावार जानकारी देवें? (ग) प्रश्नांश (ख) में की गई किन-किन घोषणाओं पर अभी तक क्या-क्या कार्यवाही की गई तथा कितनी घोषणाएं शेष है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) भ्रमण अवधि के दौरा माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई घोषणाओं की विधानसभावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) घोषणाओं पर की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
नर्मदाघाटी क्षेत्र में प्रस्तावित लिफ्ट एरीगेशन परियोजनाएं
12. ( क्र. 1857 ) श्री मुकेश नायक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन ने नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले के अनुसार वर्ष 2024 तक अपने हिस्से के नर्मदा जल के पूरे उपयोग के लिये अब कुछ बांध परियोजनाओं को निरस्त करते हुए नई लिफ्ट इरीगेशन परियोजनायें तैयार की है? (ख) यदि हाँ, तो प्रत्येक परियोजना, उसका क्षेत्र, उसके प्रस्तावित सिंचित क्षेत्र और लागत सहित विवरण दीजिए? (ग) बांध परियोजनायें निरस्त करने के कारण भी बतायें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है।
बिजली कंपनियों पर बकाया कर
13. ( क्र. 1874 ) श्री मुकेश नायक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिसम्बर 2015 की स्थिति के अनुसार राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम और दूसरी अन्य केन्द्रीय तथा अंतर्राज्यीय बिजली कम्पनियों पर मध्यप्रदेश सरकार की कुल कितनी कर राशि विभिन्न करों के रूप में बकाया है। (ख) क्या मध्यप्रदेश सरकार की पावर जनरेशन कंपनियों पर कोयला आयात पर प्रवेश कर की काफी धनराशि बकाया है? (ग) बकाया करों की वसूली के लिये क्या कार्यवाही की जा रही है।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वाणिज्यिक विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिसम्बर, 2015 की स्थिति में केन्द्रीय क्षेत्र की एन.टी.पी.सी. लिमिटेड की विन्ध्याचल सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट विंध्यनगर पर प्रवेशकर के मद में रूपये 189,15,18,620/- बकाया है। (ख) जी हाँ। (ग) वर्ष 2011-12 के प्रवेश कर के निर्धारण आदेश के विरूद्ध म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसमें न्यायालय द्वारा परस्पर सहमति पूर्वक निर्णय लेने हेतु दोनों विभागों को आदेशित किया गया। उक्त आदेश के पालन में मध्यप्रदेश शासन के ऊर्जा विभाग एवं वाणिज्यिक कर विभाग के मध्य इस बिन्दु पर परस्पर सहमति हो चुकी है। बकाया कर के भुगतान पर मामला राज्य शासन के समक्ष विचाराधीन है। एन.टी.पी.सी. लिमिटेड द्वारा उनके विरूद्ध निकाली गई अतिरिक्त मांग के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिस पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन जारी किया गया, जिसे दिनांक 11.01.2016 से माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समाप्त किया गया। इसके विरूद्ध एन.टी.पी.सी.लिमिटेड द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय में एस.एल.पी. दायर की गई। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 08.02.2016 को आदेश पारित कर रूपये 40 करोड़ की राशि उच्च न्यायालय, जबलपुर में जमा करने के निर्देश कंपनी को दिए गए तथा याचिका का निराकरण 3 माह में करने हेतु माननीय उच्च न्यायालय को निर्देश दिए गए हैं साथ ही माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समाप्त किए गए स्थगन आदेश को निष्प्रभावी किया गया है।
क्रेशरों से प्रदूषण
14. ( क्र. 1875 ) श्री मुकेश नायक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पवई विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में कितने क्रेशरों की मंजूरी विभाग द्वारा दी गई, स्थानवार बतावें? (ख) विधानसभा क्षेत्र में ऐसे कितने स्थान हैं जहाँ क्रेशर के आस-पास आवासीय इलाका एवं स्कूल हैं? उनके नाम व क्रेशरों को सहमति देने वाले अधिकारी, जाँच प्रतिवेदन व प्रदूषण बोर्ड की अनापत्ति सहित विवरण उपलब्ध करावें? (ग) प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2002 से प्रश्न दिनांक तक कितनी बार निरीक्षण किया गया? दिनांकवार माहवार जानकारी देवें, अगर निरीक्षण नहीं किया गया तो क्या कारण है? इसमें कौन दोषी है और दोषी के खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में क्रेशर की मंजूरी दिये जाने का प्रावधान नहीं है। म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा प्रश्नाधीन अवधि में 02 स्टोन क्रेशर क्रमश: मेसर्स जे.पी. स्टोन क्रेशर एवं मेसर्स राधिका ट्रेडर्स को जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के तहत सम्मति/नवीनीकरण जारी किया गया है। (ख) प्रश्नाधीन विधानसभा क्षेत्र में स्थापित क्रेशर इकाइयों के आस-पास आवासीय इलाका एवं स्कूल संबंधी जानकारी निरंक है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
खरगोन उद्वहन नहर योजना का सर्वे कार्य
15. ( क्र. 2641 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन उद्वहन नहर योजना, के लिये कब-कब विभागीय सर्वे किया गया, सर्वे अधिकारियों के नाम व पद सहित सूची देवें। खरगोन उद्वहन नहर योजना में बाद में कितने ग्रामों को जोड़ा गया। इन ग्रामों का सर्वे किस अधिकारी द्वारा किया गया? यदि यह सर्वे नहीं किया गया तो कारण बतायें। बिना सर्वे 100 करोड़ से अधिक की योजना को कैसे लागू किया जा सकता है? (ख) खरगोन उद्वहन नहर योजना के लिये कब-कब विभागीय स्थल निरीक्षण या वॉक ओव्हर कार्य किया गया अधिकारियों के नाम व पद सहित सूची देवें? यदि स्थल निरीक्षण नहीं किया गया, तो कारण बतायें। (ग) खरगोन उद्वहन नहर योजना में बाद में कितने ग्रामों को कब एवं क्यों जोड़ा गया, कारण बतायें। इन ग्रामों को जोड़ने के लिये किन-किन जनप्रतिनिधियों ने विभाग के किसी भी अधिकारी, मंत्री जी को अपने पत्र दिये?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) नर्मदा घाटी विकास विभाग में परियोजनाएं टर्न-की प्रक्रिया के आधार पर निर्माण कराई जाती है। टर्न-की अनुबंध में निविदाकार द्वारा डिटेल सर्वे, डिजाईन कर तत्पश्चात निर्माण किया जाता है। टर्न-की प्रोजेक्ट का डिटेल सर्वे विभाग द्वारा नहीं किया जाता। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। निविदा में विभाग द्वारा सर्वे ऑफ इंडिया के तकनीकी डाटा के आधार पर साध्य क्षेत्र का प्रस्ताव बनाया जाता है। इस परियोजना में निविदा पश्चात कोई ग्राम नहीं जोड़े गये हैं। (ग) खरगोन उद्वहन योजना में निविदा उपरांत किसी भी ग्राम को जोड़ा नहीं गया हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
पत्रकारों को लेपटॉप राशि प्रदाय
16. ( क्र. 2654 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग को किसी भी स्तर पर राज्य शासन से पत्रकारों को लेपटॉप प्रदाय हेतु कभी कोई राशि प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो कब एवं कितनी राशि किन शर्तों पर प्राप्त हुई तथा इस राशि का उपयोग कब एवं कितने पत्रकारों के लिए किया गया? (ख) खरगोन जिले में पत्रकारों हेतु कार्यालय एवं निवास हेतु कोई योजना प्रचलन है? इससे संबंधित कोई प्रस्ताव स्वीकृति हेतु प्राप्त हुआ है? इस संबंध में शासन की कोई योजना है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। वित्तीय वर्ष 2014-15 रूपये 4,51,20,000/-, वित्तीय वर्ष 2015-16 रूपये 1,00,00,000/-, विभागीय आदेश क्रमांक एफ 5-24 /2014/जसं/24 दिनांक 21/10/2014 के पालन में कार्यवाही की गई। 751, पत्रकारों को लैपटाप वितरित किये गये। (ख) जी नहीं।
माननीय मुख्यमंत्री की घोषणा का क्रियान्वयन
17. ( क्र. 2771 ) श्री गोपाल परमार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर विधान सभा क्षेत्र में माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा विगत दो वर्षों में क्या-क्या घोषणाएं की गई है? प्रश्न दिनांक तक कितनी घोषणाएं स्वीकृत होकर कितनी लागत से की गई हैं? स्वीकृत घोषणाएं कब तक पूर्ण कर दी जावेगी? (ख) आगर विधान सभा क्षेत्र में वर्तमान में किस-किस जगह स्टापडेम बने हुए हैं? विगत दो वर्ष में कितने स्टापडेम स्वीकृत हुए एवं कितनी लागत से? इन स्टापडेमों को किस निर्माण एजेंसी द्वारा बनाया जायेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) कोई घोषणा की जाना प्रतिवेदित नहीं है। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते है। (ख) जल संसाधन विभाग का कोई स्टॉपडेम निर्मित नहीं है। ढोढर स्टॉपडेम की स्वीकृति दिनांक 31.08.2016 को राशि रू.439.95 लाख की दी गई है। निर्माण एजेंसी मेसर्स प्रगति कंस्ट्रक्शन, देवास है।
पावर ट्रांसमिशन कंपनी
18. ( क्र. 2807 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2005 से 2013 तक पावर ट्रांसमिशन कंपनी के इंदौर स्थित ई.एच.टी. कार्यालयों में कौन-कौन से अधिकारी, कार्यपालन यंत्री/अधीक्षण यंत्री पद पर पदस्थ थे, उनकी नाम सहित सूची उपलब्ध करायें? (ख) सूची अनुसार 2005 से 2013 तक उन अधिकारियेां द्वारा टॉवर लाइन के सुधार एवं निर्माण से संबंधित कितने कार्यादेश प्रसारित किये गये, उसकी सूची ठेकेदार के नाम सहित उपलब्ध करवायें? (ग) वर्ष 2005 से 2013 तक जिन ठेकेदारों को टॉवर लाइन का निर्माण एवं सुधार कार्य दिया गया, उसमें क्या प्रोफाइल स्वीकृत किये गये थे, उपलब्ध करवायें? (घ) उक्त अवधि में संबंधित ठेकेदारों का कौन रिश्तेदार उक्त स्थल पर पदस्थ था? (ड.) यदि प्रश्नांश (घ) हां, है तो ठेकेदार को टावर लाइन के कार्य क्यों दिये गये?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वर्ष 2005 से 2013 तक पावर ट्रांसमिशन कंपनी के इन्दौर स्थित अति उच्चदाब (ई.एच.टी.) कार्यालयों में कार्यपालन यंत्री/अधीक्षण यंत्री के पद पर पदस्थ रहे अधिकारियों के नाम सहित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) वर्ष 2005 से 2013 तक इन्दौर स्थित अतिउच्चदाब (ई.एच.टी.) के विभिन्न कार्यालयों में पदस्थ अधिकारियों द्वारा टॉवर लाइन के सुधार एवं निर्माण से संबंधित कुल 205 कार्यादेश प्रसारित किये गये थे, उनकी ठेकेदार के नाम सहित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब-1' एवं 'ब-2' अनुसार है। (ग) वर्ष 2005 से 2013 तक ई.एच.टी., इन्दौर के कार्यालयों में प्रश्नांश ''ख'' के सन्दर्भ में पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब-1'' के क्रमांक-100 (निर्माण संभाग) एवं ''ब-2'' के क्रमांक 33 एवं 34 (संधारण संभाग) पर अंकित आदेशित कार्यों हेतु ही तीन प्रोफाइल स्वीकृति आवश्यक थी। तीनों प्रोफाइल पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स-1', 'स-2' एवं 'स-3' अनुसार है। (घ) उपलबध अभिलेखों के अनुसार मेसर्स अभिषेक इंटरप्राइजेस, इन्दौर के प्रोप्रायटर के रिश्तेदार श्री सतीश कुमार दुबे, कार्यपालन यंत्री दिनांक 12.06.2009 से दिनांक 28.04.2013 तक अति उच्च दाब संधारण, इन्दौर के पद पर पदस्थ थे एवं दिनांक 04.05.2013 से वर्तमान तक अति उच्च दाब निर्माण संभाग, इन्दौर के पद पर पदस्थ है। (ड.) ठेकेदार द्वारा कंपनी की निर्धारित निविदा प्रक्रिया की आवश्यक अर्हताएं एवं औपचारिकताएं पूर्ण किये जाने के कारण तथा कार्य की न्यूनतम दर दिये जाने के कारण कार्यादेश संबंधित कार्यालय द्वारा दिये गये।
अवैध कॉलोनी निर्माण की प्राप्त शिकायत पर कार्यवाही
19. ( क्र. 2910 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला प्रशासन इन्दौर को जिले में अवैध कॉलोनी काटी जाने की विगत तीन वर्षों में शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो किन-किन स्थानों पर अवैध कॉलोनी काटे जाने की शिकायत प्राप्त हुई है, स्थानों की सूची उपलब्ध करावें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार इन अवैध कॉलोनी काटी जाने की शिकायतों पर जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही की है? (ग) क्या जिला प्रशासन द्वारा अवैध कॉलोनी के विरूद्ध कार्यवाही करने के बाद भी इन अवैध कॉलोनियों में प्लॉटों का क्रय-विक्रय हो कर निर्माण कार्य किया जा रहा है? यदि हाँ, तो जिला प्रशासन इसे रोकने के लिए क्या कार्यवाही कर रहा है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के कॉलम 2 एवं 3 अनुसार है। (ख) जी हाँ। (ग) प्लॉट क्रय, विक्रय एवं निर्माण की जानकारी संज्ञान में आने पर संलग्न परिशिष्ट के कॉलम 4 अनुसार कार्यवाही की गई है।
पर्यटन स्थलों का विकास
20. ( क्र. 2914 ) श्री राजेश सोनकर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्र. 1381, दिनांक 02.11.2015 सांवेर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पर्यटन स्थानों के विकास कार्य हेतु अनुरोध किया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में यदि हाँ, तो अवर सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पर्यटन विभाग भोपाल के पत्र क्र. 2051/1998/2015/तैंतीस दिनांक 28/11/2015 अनुसार अवगत कराया गया था कि पर्यटन विभाग के बजट के अभाव में वर्तमान में कार्य किया जाना संभव नहीं है? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में पर्यटन विभाग को प्रेषित पत्र पर क्या कार्यवाही की गई थी व कितनी राशि की योजना बनाई गई थी? योजना का विस्तृत विवरण देवें? (घ) प्रश्नांश (क) के सदंर्भ में सांवेर विधानसभा क्षेत्र के उक्त स्थलों को क्या चरणबद्ध योजना के माध्यम से आगामी बजट वर्ष 2016-17 में प्रथम चरणीय योजना को शामिल कर स्वीकृति दी जाने हेतु बजट में प्रावधान किया जा रहा है या किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) विभाग के बजट में किसी भी कार्य विशेष के लिए पृथक से कोई प्रावधान नहीं रखा जाता है। स्थल के महत्व एवं पर्यटक आवागमन को दृष्टिगत रखते हुये स्थलों पर पर्यटक सुविधायें विकसित की जाती है। (घ) विभाग के बजट में किसी भी कार्य विशेष के लिए पृथक से कोई प्रावधान नहीं रखा जाता है। स्थल के महत्व एवं पर्यटक आवागमन को दृष्टिगत रखते हुये स्थलों पर पर्यटक सुविधायें विकसित की जाती है।
भू-अर्जन मुआवजा राशि का निर्धारित
21. ( क्र. 2979 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भू-अर्जन अधिकारी यूनिट क्रमांक 6 बाणसागर परियोजना रीवा, म.प्र. द्वारा कोठार (राजस्थान) एवं घुघचिहाई तहसील रघुराजनगर की आराजी खसरा क्र. 298, 299 के अधिग्रहण हेतु भू-स्वामियों को नोटिस दिये गये है और उनके लिए प्रति हेक्टेयर नौ लाख रूपये मुआवजा राशि निर्धारित की गई है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित आराजी के समकक्ष आराजी खसरा क्र. 1243 के भू-स्वामी दीनावली पिता सरजू कोल सा. देह को भी भूमि अधिग्रहण हेतु नोटिस दिया गया है और इस हेतु प्रति हेक्टेयर 22 लाख रूपये मुआवजा राशि निर्धारित की गई है? (ग) यदि प्रश्नांश (क) और (ख) का उत्तर हाँ, हो तो एक ही तरह की आराजी के लिए मुआवजा राशि निर्धारित में इतना बड़ा अंतर क्यों है? इस त्रुटिपूर्ण मुआवजे निर्धारण के लिए कौन उत्तरदायी है? इसे कब तक ठीक कर प्रश्नांश (ख) के समान मुआवजा राशि निर्धारित की जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रश्नाधीन भूमि का भू-अर्जन मुआवजा आदेश दिनांक 13.08.2012 को रू. 4,09,612/- का पारित किया गया है। (ख) सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रश्नाधीन भूमि का भू-अर्जन मुआवजा आदेश दिनांक 26.11.2012 को रू.11,28,600/- का पारित किया गया है। (ग) भू-अर्जन हेतु प्रारंभिक अधिसूचना प्रकाशित होने का वित्तीय वर्ष भिन्न-भिन्न होने से लागू कलेक्टर गाईड-लाइन भिन्न-भिन्न होने के कारण मुआवजा निर्धारण त्रुटिपूर्ण नहीं है। प्रश्न उत्पन्न्ा नहीं होता है। जी नहीं, भू-अर्जन संबंधी अधिनियम के प्रावधानों के तहत मुआवजा निर्धारण का पुनरीक्षण करने के अधिकार शासन को नहीं है।
भर्ती परीक्षा किये बिना शासकीय सेवा में रखा जाना
22. ( क्र. 3138 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश की विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा एवं भारिया के शिक्षित व्यक्तियों को शासकीय सेवा में बिना भर्ती परीक्षा पास किए न्यूनतम योग्यता होने पर सीधे नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो अभी तक किस-किस विभाग में कितने-कितने विशेष पिछड़ी जनजाति के व्यक्तियों को शासकीय सेवा में सीधे नियुक्ति दी गई है? दिनांक 1 जनवरी 2014 से अब तक की जानकारी जिलेवार बतावें? (ख) क्या वन विभाग में वनरक्षक के रिक्त पदों पर विशेष पिछड़ी जनजाति के न्यूनतम शैक्षणिक अर्हताधारी उम्मीदवारों को सीधे वनरक्षक पद पर नियुक्ति हेतु जिलों से आवेदन विभागीय स्तर पर मांगे गए थे? यदि हाँ, तो किस-किस जिले द्वारा कितने-कितने आवेदन भेजे गए? क्या प्राप्त आवेदनानुसार वनरक्षक पद पर नियुक्ति की गई है? यदि हाँ, तो किन-किन जिलों के कितने-कितने उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों एवं कब तक नियुक्ति प्रदान कर दी जावेगी? (ग) क्या शासन उक्त पी.टी.जी. ग्रुप के शिक्षित बेरोजगारों को उनकी योग्यतानुसार अन्य पुलिस, शिक्षा महिला बाल विकास, राजस्व एवं अन्य विभागों के माध्यम से जिला स्तर से सीधे आवेदन बुलवाकर नियुक्ति दिए जाने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। शेष जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ख) एवं (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
दीवार तोड़कर अवैधानिक रूप से दरवाजा निकालना
23. ( क्र. 3149 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल के रिवेरा टाउन से लगे हुए अम्बेडकर निवासी द्वारा रिवेरा टाउनशिप की दीवार तोड़कर अम्बेडकर नगर में बने मकान का दरवाजा रिवेरा टाउनशिप में करने की शिकायत सी.एम. हेल्पलाइन, आयुक्त गृह निर्माण मण्डल व आयुक्त नगर निगम भोपाल को प्रश्नकर्ता द्वारा समय-समय पर की गई है? यदि हाँ, तो उक्त शिकायतों पर अभी तक क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या अम्बेडकर नगर निवासी श्री श्याम वर्मा अपने मकान को तोड़कर पुन: बिना नगर निगम की भवन निर्माण की स्वीकृति के भवन निर्माण कर रिवेरा टाउनशिप में अपना दरवाजा खोल रहा है? यदि इसी प्रकार सभी अम्बेडकर निवासियों द्वारा दरवाजे निकाल लिए तो टाउनशिप की स्थिति क्या हो जावेगी? (ग) उक्त रिवेरा टाउनशिप की बाउण्ड्री की दीवारों की सुरक्षा व रख-रखाव का भार किस पर है? अम्बेडकर निवासी श्याम वर्मा द्वारा कराए जा रहे बिना स्वीकृति के भवन निर्माण व रिवेरा टाउनशिप की तरफ निकाले जा रहे दरवाजे को कब तक बन्द करा दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। उक्त शिकायत पर त्वरित कार्यवाही करते हुये गेट बंद करा दिया गया है। (ख) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) रिवेरा टाउनशिप की सुरक्षा एवं रख-रखाव पंजीकृत रिवेरा टाउन रहवासी कल्याण समिति द्वारा किया जाता है। श्री श्याम वर्मा द्वारा नगर निगम, भोपाल से दिनांक 24.04.15 को भवन अनुज्ञा प्राप्त की गई है। गेट बंद करा दिया गया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
विद्युत बिलों को निरस्त करना
24. ( क्र. 3150 ) श्री रामनिवास रावत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माह जनवरी 2016 की स्थिति में विधान सभा क्षेत्र विजयपुर में ऐसे कितने ग्राम हैं जिनकी विद्युत लाइन टूट जाने, खम्बे उखड़ जाने एवं ट्रांसफार्मर फूंके होने के कारण विद्युत सप्लाई बंद है? किन-किन ग्रामों की विद्युत सप्लाई कब से बंद है? तहसीलवार जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार ऐसे कितने ग्राम हैं जिनमें विद्युत न होने, जिनकी विद्युत सप्लाई बंद होने के बावजूद विद्युत बिल भेजे जा रहे हैं? क्या शासन ऐसे विद्युत बिलों की समीक्षा कर विद्युत सप्लाई बंद होने के बाद के विद्युत बिलों को निरस्त कर ग्रामीणों की मांग अनुसार विद्युतीकरण कराकर विद्युत कनेक्शन दिए जाने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्या जिला श्योपुर को राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत द्वितीय चरण में राशि 29.85 लाख प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो कब प्राप्त हुई? उक्त राशि से कहाँ-कहाँ, क्या-क्या कार्य किया जाना प्रस्तावित है? प्रोजेक्ट रिपोर्ट का विवरण उपलब्ध करावें? क्या कार्य प्रारंभ कर दिया गया है? यदि नहीं, तो क्यों एवं कब तक कार्य प्रारंभ कर दिए जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) माह जनवरी 2016 की स्थिति में विधान सभा क्षेत्र विजयपुर में 42 ग्रामों में विद्युत लाइन टूट जाने, खम्बे उखड़ जाने एवं ट्रांसफार्मर फेल होने के कारण विद्युत प्रदाय बंद है। विद्युत प्रदाय बंद होने की दिनांक सहित ग्रामवार व तहसीलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित ग्रामों, जिनका विद्युत प्रदाय बंद है, में से किसी भी ग्राम में विद्युत बिल नहीं दिये जा रहे हैं। अत: तत्संबंध में कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है। तथापि उक्त ग्रामों में से आबाद ग्रामों का विद्युत प्रदाय सुचारू किये जाने हेतु विभिन्न योजनाओं में अधोसंरचना विकास के कार्य किये जाने प्रस्तावित हैं तथा इन ग्रामों के उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा करने पर विद्युत प्रदाय चालू करने एवं कनेक्शन हेतु आवेदन प्राप्त होने पर विद्युत कनेक्शन देने की कार्यवाही की जा सकेगी। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी नहीं, तथापि 12वीं पंचवर्षीय योजना में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनांतर्गत श्योपुर जिले हेतु रू. 28.22 करोड़ की योजना की स्वीकृति ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से प्राप्त हुई है तथा योजनांतर्गत प्रथम किश्त की राशि रू. 8.13 करोड़ दिनांक 03.03.2015 को ग्रामीण विद्युतीकरण निगम द्वारा निर्गमित की गई है। उक्त कार्य टर्न-की आधार पर किये जाने हेतु मेसर्स सिमेकल इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड मुम्बई को दिनांक 26.02.2015 को अवार्ड जारी किया जा चुका है, जिसके अंतर्गत 252 मजरों/टोलों में 38 कि.मी. 33 के.व्ही. लाइन, 04 नम्बर 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र (सामरसा, गढी, बेनीपुरा तथा सूसवाड़ा), 203.20 कि.मी. 11 के.व्ही. लाइन., 282 नं. 25 के.व्ही.ए. वितरण ट्रांसफार्मर, 110.92 कि.मी. एल.टी. केबिल एवं 8658 बी.पी.एल. उपभोक्ताओं के मीटर स्थापित करने के कार्य प्रस्तावित है। उक्त मजरों/टोलों की सूची विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। उक्त योजना का कार्य प्रगति पर है एवं 01 नम्बर 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र (सामरसा) तथा 53 मजरो/टोलों के विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है।
सरकारी कार्यालय में सप्ताह में दो दिन अवकाश
25. ( क्र. 3474 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी कार्यालय का कार्य दिवस 6 दिन से 5 दिन किया गया था? यदि हाँ, तो कब और क्यों? किस उद्देश्य से क्या उद्देश्य की पूर्ति हो रही है? यदि नहीं, तो क्या इस पर विचार चल रहा है? (ख) क्या सरकार इस संबंध में कोई नयी कार्ययोजना बनाने का विचार कर रही है? (ग) क्या सरकार मानती है प्रदेश के कर्मचारियों की अस्वस्थता एवं बढ़ते आत्महत्या के प्रकरण का मुख्य कारण परिवार के साथ समय न बिताना है? यदि हाँ, तो क्या प्रदेश के कर्मचारियों के लिये सप्ताह में 5 दिवस की कार्य अवधि आवश्यक है? किन-किन विभागों को इस नीति में शामिल किया गया एवं किन-किन विभागों को नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। (ग) प्रश्नांश ‘’क’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
खण्डवा जिले में 11 केव्ही एवं एलटी लाइन का रखरखाव
26. ( क्र. 3544 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा विधान सभा क्षेत्र में 11 के.व्ही. एवं एल.टी. लाइन के पोल के रख-रखाव व मरम्मत पर विगत तीन वर्षों में कितना व्यय किया गया वर्षवार जानकारी बतायें? (ख) क्या खण्डवा विधान सभा क्षेत्र में उक्त विद्युत कार्य रख-रखाव के अभाव में तार खेतों में झूल रहे हैं एवं कई पोल गिरने जैसी स्थिति में हैं? यदि हाँ, तो इसके निरीक्षण एवं सुधार के लिए कौन जिम्मेदार है? (ग) रख-रखाव व मरम्मत पर दर्शाया गया व्यय वास्तविक कार्य से कई गुना अधिक बताया जाता है क्यों? क्या इसमें विद्युत मण्डल अधिकारियों की क्या भूमिका है? (घ) विगत तीन वर्षों में उक्त अनियमितता की कितनी शिकायतें विभाग को प्राप्त हुई? क्या सभी का निराकरण समय-सीमा में किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी रोकथाम की कार्ययोजना क्या है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) खण्डवा विधानसभा क्षेत्र में विगत 3 वर्षों- 2012-13, 2013-14 एवं 2014-15 में 11 के.व्ही. एवं एल.टी. लाईनों के रख-रखाव व मरम्मत पर व्यय की गई राशि क्रमश: रूपये 17.34 लाख, रूपये 36.54 लाख एवं रूपये 31.12 लाख है। (ख) जी नहीं, प्रश्नाधीन क्षेत्र में विद्युत पोल एवं विद्युत लाइनें व्यवस्थित हैं तथा विद्युत लाइनों का वर्ष में 2 बार यथा-मानसून के पूर्व एवं पश्चात् नियमित रूप से एवं समय-समय पर आवश्यक होने पर यथासमय रख-रखाव का कार्य किया जाता है, जो कि एक सतत् प्रक्रिया है। उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी नहीं, अत: प्रश्न नहीं उठता। विद्युत कम्पनी के अधिकारियों द्वारा निर्धारित प्रावधानों के अंतर्गत विभागीय तौर पर लेबर कान्ट्रेक्ट पर रख-रखाव का कार्य सम्पादित कराया जाता है। (घ) विधानसभा क्षेत्र खण्डवा में विगत तीन वर्षों में उपरोक्त कार्य में आर्थिक अनियमितता की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है अत: प्रश्न नहीं उठता। उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत लाईनों के सामान्य रख-रखाव एवं विद्युत अवरोध की शिकायतों की रोकथाम हेतु मानसून पूर्व एवं मानसून के पश्चात् विद्युत लाइनों का सामान्य रख-रखाव कार्य किया जाता है ताकि निर्बाध रूप से सतत् विद्युत प्रदाय किया जा सके।
नहरों के पक्कीकरण/मरम्मतीकरण
27. ( क्र. 3568 ) श्री रामकिशन पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र उदयपुरा के अंतर्गत कितने वृहद/मध्यम/लघु सिंचाई परियोजनायें संचालित है? नाम सहित जानकारी देवें? साथ ही क्या कोई नई सिंचाई परियोजनायें स्थापित करने के संबंध में प्रस्ताव है? यदि है तो प्रस्तावित परियोजना कब तक पूर्ण कर ली जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) संदर्भ में पूर्व से संचालित सिंचाई परियोजनाओं की नहरें क्या क्षतिग्रस्त है एवं कच्ची है? यदि है तो कितनी नाम सहित जानकारी देवें? (ग) इनके मरम्मत हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई है परियोजनावार जानकारी देवें? (घ) प्रश्नांश (क) के संबंध में क्षतिग्रस्त कच्चे नहरों को पक्के नहरों लायनिंग में परिवर्तन हेतु क्या कोई योजना प्रस्तावित हैं? यदि है तो कब तक पूर्ण कर ली जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विंड टरबाइन स्थापना
28. ( क्र. 3643 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा 01 जनवरी 2014 से 30 जनवरी 2016 तक उज्जैन एवं रतलाम जिले के अंतर्गत पवन ऊर्जा परियोजना में कितनी एवं किन कम्पनियों को विंड टरबाईन स्थापित करने की अनुमति किन नियमों, मापदण्डों के साथ स्वीकृति प्रदान की गई है? (ख) उत्पादित बिजली की सप्लाई ग्रिड तक पहुंचाने हेतु किसानों की निजी भूमि पर सप्लाई लाइन के पोल व डी.पी. लगाने हेतु शासन द्वारा मुआवजा राशि देने के क्या मापदण्ड निर्धारित किए हैं? (ग) रतलाम व उज्जैन जिले की कौन-कौन सी तहसीलों में कितने किसानों को कितना-कितना मुआवजा दिया गया है? (घ) क्या गौचर भूमि तथा अन्य शासकीय भूमियों का आलोट-सैलाना, खाचरौद, बड़नगर तहसील में बगैर नोयत परिवर्तन किए भूमि का आधिपत्य विंड कम्पनियों को सौंप दिया गया है तथा कम्पनियों ने शर्तों का उल्लंघन करते हुए निर्माण कार्य पूर्ण कर लिये हैं? यदि हाँ, तो किस-किस कम्पनियों के खिलाफ कहाँ-कहाँ शिकायतें प्राप्त हुई हैं? तथा उन पर क्या कार्यवाही की गई है? शिकायतकर्ता के नाम सहित संपूर्ण विवरण दें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) 01 जनवरी 2014 से 30 जनवरी 2016 तक उज्जैन एवं रतलाम जिलों के अन्तर्गत जिन कम्पनियों को पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने की अनुमति दी गई है, उनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। यह अनुमति पवन ऊर्जा परियोजना क्रियान्वयन नीति-2012 के प्रावधानों के अन्तर्गत दी गई है। (ख) भारतीय तार अधिनियम 1885 के अन्तर्गत निजी भूमि पर पोल लगाने हेतु मुआवजा राशि दिये जाने संबंधी मापदण्ड निर्धारित नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
तुलसी सरोवर तालाब का सौंदर्यीकरण
29. ( क्र. 3703 ) श्री गोपीलाल जाटव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अशोक नगर शहर के बीचो-बीच स्थित तुलसी सरोवर तालाब जो जल संसाधन विभाग के अधीन है उसके सौंदर्यीकरण एवं रख-रखाव हेतु उसे स्थानीय नगर पालिका के अधीन किया जा सकता है? (ख) यदि हाँ, तो कब तक कर दिया जावेगा? (ग) यदि नहीं, किया जा सकता है तो क्यों ठोस आधार बतायें? (घ) क्या विभाग द्वारा ऐसी कोई योजना बनायी जा सकती है जिससे तुलसी सरोवर तालाब का सोंदर्यीकरण किया जा सके?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) प्रश्नाधीन परियोजना से सिंचाई की जाना प्रतिवेदित है। सिंचाई परियोजना नगरीय निकाय को स्थानांतरित नहीं की जाती है। नगरीय निकाय से सौंदर्यीकरण हेतु शासन को कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।
नगर पालिकाओं में कार्यों की जानकारी
30. ( क्र. 3745 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम रीवा, कटनी नगर पालिका शहडोल एवं धनपुरी को वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक शासन अथवा विभाग द्वारा नगर विकास के लिये कितनी-कितनी राशि का आवंटन दिया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के नगर निगमों, नगर पालिकाओं में स्थानीय स्तर पर कौन-कौन से कितने रूपये का टैक्स लिया जाता है? क्या उक्त प्राप्त राशि बैंक खातों में जमा की गई? (ग) प्रश्नांश (क) के निकायों में आकस्मिक व्यय पर कितने श्रमिक/कर्मचारी किस श्रेणी के रखे गये है? (घ) क्या श्रमिकों के मजदूरी का भुगतान बैंक से किये जाने का नियम है? यदि हाँ, तो नगद भुगतान करने का औचित्य क्या है? क्या नियम विरूद्ध भुगतानकर्ता अधिकारी के ऊपर कार्यवाही करते हुये उक्त नियम विरूद्ध भुगतान की गई राशि की वसूली करेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘क’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ख’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ग’ अनुसार है। (घ) सभी निकायों द्वारा बैंक के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मण्डला जिले में संचालित खदानें
31. ( क्र. 3784 ) प्रो. संजीव छोटेलाल उइके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिले में डोलोमाइट एवं गौण खनिज जैसी रेत गिट्टी की कितनी खदानें कहाँ-कहाँ स्वीकृत है? खदान का रकबा एवं खदान संचालक का नाम, पता सहित बतायें? (ख) मण्डला जिले में 2015-16 में कौन-कौन सी नवीन डोलोमाइट या गौण खनिज की खदान स्वीकृत की गयी हैं? खदान संचालक का नाम, पता सहित बतायें तथा यह भी बतायें कि वन विभाग से अनापत्ति प्राप्त कर पर्यावरण संबंधी सभी प्रक्रिया पूर्ण कर खनन की अनुमति दी गयी हैं? (ग) मण्डला जिले में उपरोक्त में से एन.जी.टी. (नेशनल ग्रीन टिव्यूनल) से अनुमति प्राप्त खदानें कौन-कौन सी है और कौन-कौन सी नहीं है? क्या कारण है कि एन.जी.टी. का हवाला देकर कभी भी खदान बन्द कर दी जाती है और कभी भी प्रारंभ कर दी जाती है? (घ) क्या खदान संचालक स्वीकृत रकबे से ज्यादा में खनन कर रहे हैं? यदि हाँ, तो खदानवार स्वीकृत भूमि एवं वास्तव में काबिज भूमि बतायें? अवैध तरीके से खनन करने वाले खदान संचालकों पर कब तक और क्या कार्यवाही की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर है। समस्त वांछित अनुमति प्राप्त होने के पश्चात ही खनन की अनुमति प्रदान की गई है। (ग) खदान स्वीकृति के संबंध में मान. नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल द्वारा अनुमति प्रदान नहीं की जाती है। अत: प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। मान. नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल द्वारा विभिन्न आवेदनों में समय-समय पर जो आदेश पारित किये जाते है, उनके पालन में कार्यवाही की जाती है। (घ) जी नहीं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नगरीय निकाय कर्मचारियों को समयमान वेतनमान
32. ( क्र. 3977 ) श्री राम लल्लू वैश्य : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन द्वारा क्रमोन्नति योजना को बदलकर समयमान वेतनमान दिनांक 01.04.2006 से लागू की गई है? (ख) क्या मध्यप्रदेश शासन द्वारा शासकीय कर्मचारी को स्वीकृत सभी सुविधाओं का लाभ नगरीय निकाय के कर्मचारियों को दिया जाता है परन्तु समयमान वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है, क्यों? (ग) नगरीय निकाय के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ देने का आदेश कब तक जारी किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। नगरीय निकाय के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ दिये जाने के लिये विभाग को प्रस्ताव अ.शा. पत्र क्रमांक 15005 दिनांक 27-11-2015 से प्रेषित किये गये है। शासन स्तर पर कार्यवाही प्रचलित है। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
विकास प्राधिकरण तथा नगर सुधार न्यासों का विघटन
33. ( क्र. 3978 ) श्री राम लल्लू वैश्य : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पूर्व के विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण तथा नगर सुधार न्यासों को विघटित कर नगर निगम, नगर पालिका तथा नगर पंचायतों का गठन किया गया है? (ख) क्या उक्त संस्थाओं के कुछ कर्मचारियों को माननीय उच्च न्यायालय डब्ल्यू.पी.नं. 3013/2003 शिवदयाल कटारे विरूद्ध म.प्र. शासन एवं अन्य तथा माननीय उच्चतम न्यायालय के रिट याचिका क्रमांक 6176/2006 आर.आर. गहलोत विरूद्ध म.प्र. राज्य के निर्णय दिनांक क्रमश: 28.10.2010 एवं 11.10.2010 के निर्णय अनुसार प्रथम नियुक्ति दिनांक से कर्मचारियों को पूर्व संस्था के गठन दिनांक से पेंशन का लाभ दिया जा रहा है? (ग) क्या शासन की मंशा है कि संबंधित सभी कर्मचारी प्रथम नियुक्ति दिनांक से पेंशन के लिये माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जायें? (घ) उपरोक्त संस्था के सभी कर्मचारियों को समानता के भाव से उन्हें प्रथम नियुक्ति दिनांक से पेंशन का लाभ देने का आदेश कब तक पारित किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) जी नहीं। संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास, म.प्र. भोपाल द्वारा दिनांक 19.01.1998 को जारी किए गए निर्देश के अनुक्रम में विघटित विशेष क्षेत्र प्राधिकरण एवं नगर सुधार न्यास के कर्मचारियों को पेंशन का लाभ प्रदान किया जाता है। (घ) माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न प्रकरणों में पारित किए गए निर्णय के दृष्टिगत उपरोक्त संबंध में कार्रवाई प्रचलित है, जिसकी समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
समय-सीमा में विभागीय जांचों का निपटारा
34. ( क्र. 4019 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विभागीय जाँच प्रकरणों का निपटारा एक वर्ष की निर्धारित समयावधि में किये जाने एवं लम्बित जांचों की छ: माही समीक्षा करने के निर्देश जारी किए गए है? (ख) यदि हाँ, तो वर्तमान में किन-किन आई.ए.एस. अधिकारियों के विरूद्ध किस-किस मामले में विभागीय जाँच के प्रकरण लंबित है? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शासन के निर्देश के बावजूद किन-किन अधिकारियों की जांचे किन-किन कारणों से निराकृत नहीं हो सकी? (घ) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रशासनिक अधिकारी श्री जी.पी. माली जो कि वर्तमान में भोपाल नगर निगम में अपर आयुक्त के पद पर पदस्थ है के विरूद्ध कौन-कौन सी जांचें लंबित हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के मामले अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन तथा अपील) नियम, 1969 के प्रावधानों के तहत निराकृत होते है, जो भारत सरकार के अधीन प्रशासित है। (घ) श्री जी.पी. माली, अपर आयुक्त, नगर निगम, भोपाल के विरूद्ध कोई जाँच लंबित नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय कम्पनी/व्यक्ति को भूमि आवास क्रय
35. ( क्र. 4042 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश सरकार द्वारा विदेशी नागरिक, जो प्रदेश के कम्पनी/अंतर्राष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत व्यक्ति अथवा कम्पनी को कृषि भूमि/आवास हेतु भवन को क्रय करने के संबंध में क्या नीति निर्धारित है? नीति की जानकारी उपलब्ध करावें, साथ ही यह भी बतावें की क्या क्रय हेतु भूमि/भवन की सीमा निर्धारित की गई है? (ख) क्या उक्त नीति-निर्देशों में भूमि क्रय केपूर्व शासकीय अनुमति दी जाना आवश्यक है? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) में क्या केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश शासन को दिशा-निर्देश निर्धारित हैं? दिशा नीति निर्देश उपलब्ध करायें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
किसान अनुदान योजना के तहत ट्रांसफार्मर अनुदान
36. ( क्र. 4058 ) श्री रजनीश सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिला में विद्युत विभाग द्वारा किसान अनुदान योजना के तहत वर्ष 2013-14 से वर्ष 2014-15 में कुल कितने ट्रांसफार्मर स्वीकृत किये गये एवं कितने कार्य पूर्ण किये गये विकासखण्डवार संख्या उपलब्ध करावें? (ख) क्या शासन द्वारा स्वीकृति दिनांक से आवंटन करने की कोई समय-सीमा निर्धारित है? यदि हाँ, तो अभी तक ऐसे कितने व्यक्ति हैं जिन्हें समय-सीमा पूर्ण होने के बाद भी ट्रांसफार्मर प्रदाय नहीं किये गये हैं? यदि नहीं, तो आवंटन की प्रक्रिया क्या है? (ग) क्या संबंधित सक्षम अधिकारी द्वारा बाद में रसीद काटे जाने वाले व्यक्ति को ट्रांसफार्मर प्रदाय कर दिया गया है जबकि उससे पूर्व की जिसकी रसीद कटी है उनको ट्रांसफार्मर नहीं दिया गया है? यदि हाँ, तो दोषियों पर क्या कार्यवाही की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सिवनी जिले में कृषकों को स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना के तहत वर्ष 2013-14 एवं वर्ष 2014-15 में स्थायी पम्प कनेक्शन हेतु क्रमश: 140 एवं 262 ट्रांसफार्मर स्वीकृत किये गये एवं उक्त सभी कार्य पूर्ण कर दिये गये हैं, जिनकी विकासखण्डवार संख्या निम्नानुसार है :-
क्र. |
विकास खंड का नाम |
स्वीकृत प्रकरण (संख्या) |
वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में स्वीकृत प्रकरणों में से कार्य पूर्ण प्रकरण (संख्या) |
||||||||
वर्ष 2013-14 |
वर्ष 2014-15 |
वर्ष 2013-14 |
वर्ष 2014-15 |
वर्ष 2015-16 |
|||||||
कृषक |
ट्रांसफार्मर |
कृषक |
ट्रांसफार्मर |
कृषक |
ट्रांसफार्मर |
कृषक |
ट्रांसफार्मर |
कृषक |
ट्रांसफार्मर |
||
1 |
सिवनी |
91 |
57 |
211 |
120 |
69 |
47 |
140 |
76 |
93 |
54 |
2 |
बरघाट |
10 |
8 |
13 |
10 |
6 |
5 |
12 |
9 |
5 |
4 |
3 |
केवलारी |
0 |
0 |
70 |
41 |
0 |
0 |
9 |
5 |
61 |
36 |
4 |
कुरई |
5 |
4 |
55 |
36 |
5 |
4 |
24 |
15 |
31 |
21 |
5 |
लखनादौन |
39 |
22 |
25 |
21 |
22 |
14 |
31 |
17 |
11 |
12 |
6 |
छपारा |
28 |
19 |
39 |
26 |
20 |
13 |
22 |
17 |
25 |
15 |
7 |
घंसौर |
5 |
5 |
4 |
3 |
3 |
3 |
3 |
3 |
3 |
2 |
8 |
धनौरा |
48 |
25 |
9 |
5 |
36 |
18 |
17 |
10 |
4 |
2 |
योग |
226 |
140 |
426 |
262 |
161 |
104 |
258 |
152 |
233 |
146 |
(ख)
जी
हाँ, कृषक
द्वारा राशि
जमा
करने/प्राक्कलन
स्वीकृति
दिनांक से 30 दिवस के
अन्दर
कार्यादेश
जारी करने एवं
कार्यादेश
जारी होने के
उपरान्त 150 दिवस के
अन्दर
कृषकों को स्थायी
पंप कनेक्शन
प्रदाय करने
हेतु योजना के
अन्तर्गत
ट्रांसफार्मर
स्थापित
किये जाने
सहित पंप
कनेक्शन का
कार्य पूर्ण
करने की राज्य
शासन द्वारा
समय-सीमा
निर्धारित की
गई है। प्रश्नांश
(क) में उल्लेखित
दोनों वित्तीय
वर्ष 2013-14
एवं 2014-15 स्वीकृत
समस्त
कृषकों को
वर्तमान में
ट्रांसफार्मर
स्थापित कर
कनेक्शन
प्रदान कर दिए
गए है। शेष
आवेदन
निर्धारित
समय-सीमा के
अंदर के हैं। (ग)
जी नहीं, सिवनी
जिले में प्रश्नांश
(क) में उल्लेखित
वर्षों में
सक्षम
अधिकारी
द्वारा कृषक
से राशि जमा
कराने के पश्चात्
प्राक्कलन
स्वीकृत कर
वरीयता क्रम
के अनुसार ही
निर्धारित
समय-सीमा में
ट्रांसफार्मर
स्थापित कर
पंप कनेक्शन
दिये गए हैं। कतिपय
स्थलों पर
विशेष परिस्थिति
में पहुंच
मार्ग उपलब्ध
नहीं होने/फसल
खड़ी होने या
अकस्मात कोई
व्यवधान उत्पन्न
होने पर ही
वरीयता क्रम
में तत्कालिक
फेर बदल किया
गया है
तथा
व्यवधान दूर
होने पर
अधोसंरचना
कार्य पूर्ण
कर ट्रांसफार्मर
स्थापित कर
कनेक्शन
वरीयता के
आधार पर प्रदान
किये गये है। अत:
किसी
अधिकारी/कर्मचारी
के दोषी होने
अथवा किसी के
विरूद्ध
कार्यवाही
किये जाने का
प्रश्न नहीं
उठता।
केवलारी नगर पंचायत का निर्माण
37. ( क्र. 4059 ) श्री रजनीश सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा अनुसार (2008 में जनदर्श यात्रा केवलारी, हाईस्कूल प्रांगण) केवलारी नगर पंचायत बनाये जाने हेतु कोई प्रस्ताव शासन के पास विचारणीय है? यदि हाँ, तो बताइये? (ख) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है? यदि हाँ, तो लगभग 8 वर्ष की घोषणा उपरांत इस हेतु क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या वर्ष 2017-18 तक उक्त घोषणा को कार्यरूप में परिणित किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं, शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) एवं (ग) शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
संभागीय कार्यलय में लम्बित प्रकरणों का निराकरण
38. ( क्र. 4203 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल संभाग के अन्तर्गत कोष लेखा एवं पेंशन कार्यालय में दिनांक 1 जनवरी,2015 से प्रश्नांश दिनांक तक किस-किस कार्यालयों के अधिकारी व कर्मचारियों की सेवापुस्तिकायें किस दिनांक को वेतन निर्धारण के लिये अनुमोदन को प्राप्त हुई? कार्यालय में दर्ज पंजी अनुसार जानकारी देवे? (ख) प्रश्नांश ‘क’ में उल्लेखित कितने अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवापुस्तिका अनुमोदित आपत्ति दर्ज की गई है एवं कितनी शेष है? अनुमोदित एवं आपत्ति दर्ज सेवापुस्तिकायें विभाग को कब वापिस की गई है? सेवापुस्तिका प्राप्ति दिनांक सहित जानकारी देवें? (ग) विदिशा जिले की किस-किस विभाग की सेवापुस्तिका अनुमोदन हेतु शेष है, कब तक अनुमोदन किया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) अनुमोदित- 5393 प्रकरण, आपत्ति -4545, प्रकरण शेष- 1947 प्रकरण, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। प्रकरणों का निराकरण 90 दिवस की अवधि में नियमानुसार परीक्षण उपरांत निराकृत किये जा सकेंगे।
अवैध शराब बिक्री
39. ( क्र. 4204 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले में कहाँ-कहाँ देशी तथा विदेशी शराब की दुकानें संचालित है? उक्त दुकानों पर मासिक शराब बिक्री का क्या लक्ष्य है? (ख) उक्त दुकानों के संचालन शराब बिक्री के संबंध में शासन द्वारा क्या-क्या शर्ते निर्देश हैं, उनकी प्रति देवे? विभाग के किन-किन अधिकारियों द्वारा विगत एक वर्ष में उक्त दुकानों का कब-कब निरीक्षण किया गया? निरीक्षण में क्या कमियां पाई गई? बतावें? (ग) उक्त दुकानों के ठेकेदारों दैनिक समाचार पत्रों, आम नागरिकों के माध्यम से शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब बेचनें की शिकायत जिला प्रशासन को किस दिनांक को प्राप्त हुई? उक्त शिकायतों पर क्या-क्या कार्यवाही किस अधिकारी द्वारा की गई? (घ) विगत दो वर्ष में प्रश्नांश दिनांक 1 जनवरी 14 से प्रश्नांश दिनांक तक प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत किस-किस क्षेत्र में किसके विरूद्ध अवैध शराब बिक्री के प्रकरण दर्ज किये गये? क्या इन अवैध शराब बिक्री कर्ताओं के ठिकानों पर विभाग द्वारा पुन: छापामारी की कार्यवाही की गई या नहीं? नहीं तो क्यों? बतावें? कब तक छापामारी की कार्यवाही की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) विदिशा जिले में संचालित देशी मदिरा एवं विदेशी मदिरा दुकानों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। मदिरा दुकानों पर शराब बिक्री का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं है। (ख) वर्ष 2015-16 में मदिरा दुकानों का संचालन मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) क्रमांक 29 दिनांक 21 जनवरी 2015 में वर्णित निर्देश/व्यवस्थाओं के अंतर्गत किया जाता है। प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। विगत एक वर्ष में विभाग के अधिकारियों द्वारा किये गये निरीक्षण तथा निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों/त्रुटियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार अनुसार है। (घ) दिनांक 01 जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक विधानसभा क्षेत्र गंजबासोदा अंतर्गत अवैध शराब के विनिर्माण, धारण, परिवहन एवं विक्रय से संबंधित 205 प्रकरण दर्ज किये गये। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-पाँच अनुसार है। अवैध शराब बिक्री कर्ताओं के ठिकानों पर पुन: छापामार कार्यवाही में रज्जन पिता काशीराम को दोबारा अवैध शराब बिक्री करते हुए पाये जाने पर मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34 (1) अंतर्गत प्रकरण कायम किया है। मदिरा दुकानों के ठेकेदारों, दैनिक समाचार पत्रों, आम नागरिकों, सी.एम. हेल्पलाइन एवं गोपनीय रूप से अवैध मदिरा विक्रय की शिकायतें प्राप्त होने पर तत्काल नियंत्रणात्मक कार्यवाही की जाती है तथा भविष्य में भी मदिरा के अवैध विनिर्माण, धारण, परिवहन एवं विक्रय की सूचना मिलने पर अविलम्ब प्रभावी कार्यवाही की जावेगी।
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के पंजीबद्ध प्रकरण
40. ( क्र. 4392 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. विशेष पुलिस स्थापना (लोकायुक्त) के अधीन वर्ष 2009 से 2013 में आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के पंजीबद्ध एफ.आई.आर. की संख्या प्रस्तुत चालान, खात्मा रिपोर्ट की संख्या वर्ष सहित जानकारी दी जावें? (ख) उक्त अवधि में ऐसे पंजीबद्ध अपराधों की संख्या बताई जावें जिसमें एफ.आई.आर. के बाद भी छापे की कार्यवाही नहीं की गई? (ग) उक्त अवधि में ऐसे कितने प्रकरण पंजीबद्ध हुए जिनमें एफ.आई.आर. असत्य पाई गई? एफ.आई.आर. के विरूद्ध शिकायतकर्ता के खिलाफ धारा 182 के तहत कार्यवाही हेतु सक्षम न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत किये गये? विवरण उपलब्ध कराय जावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी निरंक है। (ग) उत्तरांश 'क' में उल्लेखित प्रकरणों की जानकारी निरंक है। लोकायुक्त संगठन में पंजीबद्ध प्रकरण में एफ.आई.आर. कटने के बाद असत्य पाये जाने पर खारिजी कार्यवाही की जाती है। अत: शिकायतकर्ता के विरूद्ध धारा 182 की कार्यवाही करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
पवन ऊर्जा
41. ( क्र. 4464 ) श्री चन्दरसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के विंउ स्क्रीन संयंत्र गरोठ विधानसभा क्षेत्र में किन नियमों एवं शर्तों के आधार पर स्वीकृत किए गए तथा किस-किस कंपनियों को कहाँ-कहाँ किए गए? (ख) क्या विंउ स्क्रीन संयंत्र लगाने के लिये कंपनियों को बिना नोइयत परिवर्तन किए भूमि प्रदान की गई है एवं चरनोई तथा अन्य कार्य हेतु आरक्षित भूमियां भी आवंटित की गई है? यदि हाँ, तो संपूर्ण क्षेत्र का ब्यौरा दें एवं गलत तरीके से आवंटित भूमि के संबंध में क्या कार्यवाहियां की गई है? (ग) उक्त संयंत्रों से बिजली सप्लाय के लिये किसानों के खेतों में खड़े किए गए विद्युत पोल एवं ट्रांसफार्मर लगाने के एवज में किसानों को मुआवज़ा दिया गया है? यदि हाँ, तो किस दर पर किस-किस गांव के किस-किस किसान को कितना-कितना मुआवजा दिया गया?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) पवन ऊर्जा परियोजना स्थापना की स्वीकृति "पवन ऊर्जा परियोजना क्रियान्वयन नीति-2012" के प्रावधानों के अन्तर्गत दी गई है। गरोठ विधानसभा क्षेत्र में स्वीकृत परियोजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार हैं। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। भारतीय तार अधिनियम 1885 के अन्तर्गत निजी भूमि पर पोल लगाने हेतु मुआवजा राशि दिये जाने संबंधी मापदण्ड निर्धारित नहीं है, तथापि आपसी सहमति से विकास कम्पनी द्वारा निजी भूमि पर पोल लगाने हेतु संबंधित व्यक्तियों को दी गयी राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।
विद्युत झोनवार, जिलेवार प्राप्त राजस्व
42. ( क्र. 4482 ) श्री राजेन्द्र श्यामलाल दादू : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. में म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल के विखण्डन के उपरांत विद्युत वितरण के लिये कितनी विद्युत वितरण कंपनियाँ बनाई गई है? कम्पनियों के नाम बतावें? (ख) वर्ष 2014-15 में प्रत्येक विद्युत वितरण कंपनी का वार्षिक राजस्व संग्रहण कितना-कितना रहा? प्रत्येक कंपनी के सर्वाधिक राजस्व संग्रहण करने वाले प्रथम 5 जिलों के नाम तथा वार्षिक राजस्व संग्रहण राशि की जानकारी देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल के पुनर्गठन के उपरांत प्रदेश में विद्युत वितरण किये जाने हेतु निम्नानुसार तीन विद्युत वितरण कंपनियां बनाई गयी हैं :- 1. म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर। 2. म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल। 3. म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर। (ख) वर्ष 2014-15 में उक्त विद्युत वितरण कंपनियों यथा पूर्व क्षेत्र कंपनी, मध्य क्षेत्र कंपनी एवं पश्चिम क्षेत्र कंपनी का वार्षिक राजस्व संग्रहण क्रमश: रूपये 6707.74 करोड़, रूपये 6063.85 करोड़ एवं रूपये 8209.43 करोड़ था। उपरोक्त तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के सर्वाधिक वार्षिक राजस्व वसूली वाले प्रथम 5 जिलों के नाम तथा वार्षिक राजस्व संग्रहण की राशि की वितरण कंपनीवार जानकारी निम्नानुसार है :-
क्रमांक |
जिले का नाम |
राजस्व
संग्रहण की
राशि
|
म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर |
||
1 |
सतना |
872.58 |
2 |
जबलपुर |
794.68 |
3 |
सागर |
763.85 |
4 |
छिन्दवाड़ा |
621.47 |
5 |
सिंगरौली |
482.12 |
म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल |
||
1 |
भोपाल |
1920.88 |
2 |
ग्वालियर |
930.19 |
3 |
सीहोर |
441.34 |
4 |
होशंगाबाद |
434.21 |
5 |
बैतूल |
388.82 |
म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर |
||
1 |
इंदौर |
2742.09 |
2 |
उज्जैन |
882.86 |
3 |
देवास |
643.30 |
4 |
खरगोन |
612.63 |
5 |
रतलाम |
520.74 |
पर्यटन होटल निर्माण
43. ( क्र. 4489 ) श्री राजेन्द्र श्यामलाल दादू : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला बुरहानपुर में कितने स्थानों पर विभाग द्वारा हाईवे ट्रीट, मिड वे (पर्यटन होटल) निर्मित किये गये है? उनकी लागत एवं पूर्णता दिनांक क्या है? (ख) उक्त होटलों को अब तक प्रारंभ न किये जाने के क्या कारण है? (ग) होटलों को प्रारंभ करने हेतु क्या प्रकिया है? इन्हें कब तक प्रारंभ कर पर्यटकों को सुविधा उपलब्ध कराई जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) निविदा की कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय के परिपत्र क्रमांक 5-पी एण्ड सी (11) -07, दिनांक 31.05.2010 के द्वारा हाईवे ट्रीट, मिड वे (पर्यटन होटल) प्रक्रिया अनुसार कार्यवाही की जाती है। समय बताया जाना संभव नहीं है।
एक हार्स पावर के विद्युत पम्पों के 2 हार्सपावर की राशि वसूली
44. ( क्र. 4617 ) श्री के.डी. देशमुख : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा संचारण/संधारण विद्युत संभाग वारासिवनी के अंतर्गत कटंगी विधान सभा क्षेत्र में 1 हार्सपावर के विद्युत पंपों के धारक किसानों से 2 या 3 हार्सपावर की राशि वसूल की जा रही है? (ख) यदि हाँ, तो क्यों कारण बताया जावें? (ग) कटंगी विधान सभा क्षेत्र में कुल कितने 1 हार्सपावर विद्युत मोटर धारी कृषकों को 2 हार्सपावर या 3 हार्सपावर की राशि वसूल की जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं, प्रश्नाधीन विद्युत पंप कनेक्शन उपभोक्ताओं को उनके संयोजित भार के अनुसार ही विद्युत बिल जारी किये जा रहे हैं। (ख) उत्तरांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। (ग) कटंगी विधान सभा क्षेत्र में 1 हार्सपावर भार के कुल 487 पम्प कनेक्शन थे। निरीक्षण के दौरान भार चेक करने पर कुल 252 उपभोक्ताओं के कनेक्शनों का संबद्ध भार 1 हार्सपावर से अधिक पाये जाने के कारण तदानुसार इनकी 2 हार्सपावर की बिलिंग की जा रही है। कृषि पम्पों के भार के आंकलन के लिए पारदर्शी एवं तकनीकी रूप से साध्य प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
स्मारकों हेतु नियुक्त कर्मचारी
45. ( क्र. 4658 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, माण्डव में कितने स्मारक भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन हैं व कितने राज्य सरकार के अधीन? स्मारकवार जानकारी उपलब्ध करावें? (ख) पुरातन स्मारकों की सुरक्षा एवं विकास हेतु संरक्षक विभाग द्वारा विगत पाँच वर्षों में क्या-क्या कार्य किये गये वर्षवार, स्थलवार जानकारी उपलब्ध करायें? (ग) स्मारकों की देखरेख व सुरक्षा हेतु कितने कर्मचारी कब-कब से नियुक्त हैं? नियुक्त कर्मचारियों को किस-किस स्मारक हेतु नियुक्त किया गया है? (घ) कितने स्मारकों हेतु कर्मचारी नियुक्त किया जाना शेष है तथा कब तक नियुक्त किये जावेंगे? तब तक उक्त स्मारकों की देखरेख की क्या व्यवस्था रहेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल माण्डव जिला धार में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन 61 स्मारक हैं एवं 14 स्मारक राज्य संरक्षित घोषित है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’-1 एवं ‘’अ’’-2 अनुसार. (ख) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भारत सरकार द्वारा कराये गये कार्य की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’-1 अनुसार. संचालनालय, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय, मध्यप्रदेश द्वारा कराये गये अनुरक्षण एवं विकास कार्य की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’-2 अनुसार. (ग) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा उपरोक्त वर्णित स्मारकों पर कुल 09 स्थायी स्मारक परिचर रोटेशन के आधार पर तैनात है. संचालनालय पुरातत्व द्वारा छप्पन महल माण्डव में दो नियमित केयर टेकर क्रमश: 1980 एवं 2002 से तथा 01 दैनिक वेतन भोगी 1988 से कार्यरत है, शेष स्मारकों पर सुरक्षा एजेन्सी के माध्यम से 14 सुरक्षाकर्मी रखे गये है. जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’स’’ अनुसार. (घ) स्मारकों में सुरक्षाकर्मी पूर्व से तैनात है. अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
चिनकी बहुउद्देशीय बांध परियोजना
46. ( क्र. 4708 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले में पिपरिया के पास नर्मदा नदी पर प्रस्तावित चिनकी बहुउद्देशीय बांध परियोजना के निर्माण की वर्तमान स्थिति क्या है? बांध निर्माण हेतु केन्द्र शासन राज्य शासन की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है? यदि हाँ, तो कब? अब तक इस परियोजना हेतु कितने आवंटन का प्रावधान किया गया है? (ख) चिनकी बहुउद्देशीय परियोजना में कितने-कितने ग्रामों की कितनी-कितनी भूमि डूब में आवेगी? उक्त भूमि में से कितनी भूमि कृषि भूमि है एवं कितना वन क्षेत्र है? ग्रामवार जिलेवार भूमि की जानकारी दें? (ग) परियोजना में आने वाली वन भूमि की अनापत्ति कब प्राप्त हुयी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नरसिंहपुर जिले में ग्राम पिपरिया के पास नर्मदा नदी पर प्रस्तावित चिनकी बहुउद्देशीय बांध परियोजना के स्वरूप में परिवर्तन कर चिनकी माइक्रो सिंचाई परियोजना की स्वीकृति राज्य शासन द्वारा दिनांक 13/01/2016 को दी गई है। इस वर्ष राशि रूपये 10.00 लाख आवंटन का प्रस्ताव दिया गया है। (ख) चिनकी माइक्रो सिंचाई परियोजना के कारण कोई भी भूमि डूब में नहीं आवेगी। (ग) चिनकी परियोजना के वर्तमान स्वरूप परिवर्तन से मात्र 15 हेक्टेयर वन भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी जिसकी अनापत्ति संबंधी कार्यवाही एजेन्सी निर्धारण पश्चात् की जावेगी।
नहरों का रख-रखाव
47. ( क्र. 4709 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना नहर संभाग क्रं.2 बरगी हिल्स के अंतर्गत आने वाली मुख्य, माईनर, शाखा नहरों के रख-रखाव, मरम्मत, विशेष मरम्मत, सिस्टम करेक्शन हेतु क्या-क्या कार्य कितनी-कितनी राशि से विगत तीन वर्षों में करवाएं गये? (ख) उक्त अवधि में कराए गये कार्यों में से कितने कार्य पीस वर्क, सप्लाई आर्डर या किराये की मशीनों से कराए गये?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
बिजली चोरी पंचनामा दस्तावेजों में फेर-बदल
48. ( क्र. 4711 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के मुख्यालय में विद्यमान बिजलेंस टीम ने विगत तीन वर्षों में विद्युत चोरी के कितने प्रकरण बनाये वर्षवार जिलेवार संख्या दें उक्त बिजली चोरी के कितने प्रकरणों से उक्त अवधि में कितनी राशि जिलेवार वर्षवार वसूली गयी? (ख) क्या जबलपुर मुख्यालय स्थित विजलेंस अधिकारी द्वारा प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में बिजली चोरी प्रकरण पंचनामा दस्तावेजों में फेर-बदल दस्तावेजों को नष्ट कर विद्युत उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने का प्रकरण प्रकाश में आया है? यदि हाँ, तो विगत 03 वर्षों में पंचनामा की कितनी एवं कौन-कौन सी बुकों के पंचनामा प्रकरण नष्ट कर विद्युत विभाग को कितनी राशि की हानि पहुंचाई गयी? इसमें विजलेंस के कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी दोषी हैं? उन पर कब तक कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के मुख्यालय में विद्यमान विजलेंस टीम द्वारा विगत तीन वर्षों यथा-वर्ष 2012-13, वर्ष 2013-14 एवं वर्ष 2014-15 में विद्युत का अवैधानिक रूप से उपयोग पाए जाने पर विद्युत चोरी के कुल 11583 प्रकरण बनाए गये एवं इन प्रकरणों में रू. 721.49 लाख की राशि वसूल की गई। उक्त प्रकरणों की वर्षवार एवं जिलेवार संख्या सहित वसूल की गई राशि का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) पंचनामा दस्तावेजों में फेर-बदल एवं दस्तावेजों को नष्ट करने का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है, तथापि प्रारम्भिक जाँच में उपलब्ध रिकार्डों के अवलोकन पश्चात् उक्त अवधि में 41 पंचनामों की अनुपलब्धता का प्रकरण प्रकाश में आया है जिनका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। उक्त 41 पंचनामों के अनुपलब्ध होने के कारण कितनी राशि की हानि हुई, का आंकलन किया जाना संभव नहीं है। तत्संबंध में आरोपी अधिकारी श्री सुजीत श्रीवास्तव सहायक अभियंता के विरूद्ध विभागीय जाँच कार्यवाही प्रारम्भ करते हुये पत्र क्रमांक 47 दिनांक 15.01.2016. के द्वारा आरोप पत्र जारी किया जा चुका है। उक्त अधिकारी का स्थानांतरण प्रवर्तन संकाय से अन्यत्र कर दिया गया है। विभागीय जाँच उपरान्त नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
रिक्त पदों की पूर्ति
49. ( क्र. 4738 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश के सभी जिलों में डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों के जिलेवार कितने पद रिक्त हैं? (ख) रिक्त पदों की पूर्ति कब तक की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
रेत खदानों में खनन की अनुमति
50. ( क्र. 4744 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में जिलेवार कितनी रेत खदानों में खनन की स्वीकृति राज्य शासन द्वारा दी गई है? जिलेवार विवरण दें? (ख) जिन खदानों में खनन की अनुमति प्रदान नहीं की गई उन्हें कब तक अनुमति प्रदाय की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वांछित जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) नियमानुसार औपचारिकताएं पूर्ण होने के उपरांत खनन हेतु अनुमति प्रदान किये जाने का प्रावधान है। अत: समय-सीमा बताया जाना सम्भव नहीं है।
लंबित प्रकरणों का निराकरण
51. ( क्र. 4780 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 की अवधि में विक्रय एवं प्रवेश कर के कितने प्रकरण विधिवत चारों विवरणियाँ प्राप्त होने के उपरांत वाणिज्यिक कर कार्यालय वृत्त शिवपुरी द्वारा स्वनिर्धारण प्रक्रिया के तहत निर्णित किये गये, की सूची उपलब्ध करावें? (ख) उक्त में से उक्त अवधि में कितने प्रकरण वर्तमान तक लंबित पड़े हैं व क्यों इसका कारण बतावें? इस हेतु कौन दोषी हैं, के विरूद्ध शासन क्या कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या उक्त प्रकरणों के लंबित रहने के कारण संबंधित व्यवसायियों को इनके निर्धारण हेतु श्योपुर जिले के व्यापारियों को वृत्त शिवपुरी कार्यालय में जाना पड़ता हैं नतीजन व्यवसायियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं? (घ) यदि हाँ, तो क्या शासन नियमानुसार एक निश्चित समय-सीमा में उक्त लंबित प्रकरणों के निर्धारण की स्वत: ही व्यवस्था करने के निर्देश उक्त कार्यालय को जारी करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वर्ष 2014-15 के लिये स्व-कर निर्धारण हेतु पात्र व्यवसाइयों को स्व-कर निर्धारण का लाभ लेने वाले व्यवसाइयों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। वर्ष 2015-16 का वित्तीय वर्ष 31/03/2016 को समाप्त होकर चतुर्थ विवरणी दिनांक 30/04/2016 तक व्यवसाइयों द्वारा प्रस्तुत की जाना है। इसके पश्चात् उक्त अवधि के लिये स्व-कर निर्धारण हेतु पात्र व्यवसाइयों को विधान में विहित प्रक्रिया अनुसार लाभ दिया जावेगा। (ख) वर्ष 2014-15 के लिये स्व-कर निर्धारण हेतु पात्र व्यवसाइयों को इसका लाभ दिया गया है। स्व-कर निर्धारण हेतु पात्र व्यवसाइयों का कोई प्रकरण लंबित नहीं है। (ग) एवं (घ) प्रश्नांश 'ख' अनुसार स्व-कर निर्धारण हेतु पात्र व्यवसाइयों को इसका लाभ दिया गया है। अत: जानकारी निरंक है।
लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 का स्पष्टीकरण
52. ( क्र. 4871 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. राजपत्र (असाधारण) क्रमांक 247 दिनांक 11/06/2002 के अनुसार मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 दिनांक 11/09/2002 से प्रभावशील है? (ख) यदि हाँ, तो क्या इन नियमों के नियम 6 (1) में उल्लेखित पदोन्नति के लिए पात्रता हेतु संगणना की नीति से संबंधित स्पष्टीकरण दिनांक 11/06/2002 के पश्चात् संपन्न होने वाली डी.पी.सी. की बैठक में लागू होंगे अथवा इसे भूतलक्षी प्रभाव से लागू माना जायेगा? (ग) यदि प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित प्रावधान को भूतलक्षी प्रभाव से माना जावेगा तो फिर प्रदेश के निर्माण से 10/06/2002 तक सभी विभागों में सम्पन्न डी.पी.सी. की बैठक की पुनर्विचार बैठक आयोजित की जायेगी? यदि नहीं, तो इस मुद्दे को संज्ञान में लेकर स्पष्टीकरण कब तक जारी किया जायेगा? नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। दिनांक 11 जून, 2002 से प्रभावशील है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नियम विरूद्ध संविदा नियुक्ति
53. ( क्र. 4905 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या श्री एम.जी.चौबे तत्कालीन कार्यपालन यंत्री बालाघाट को बांध के बह जाने के कारण निलंबित किया गया था एवं निलंबन पश्चात् बाणसागर नहर मण्डल में कार्यपालन यंत्री (रूपांकन) के पद पर पदस्थ किया गया था? साथ ही विशेष न्यायाधीश रीवा द्वारा अपराध क्रमांक 21/08 पर अपराध पंजीबद्ध किया गया था जिस पर बिन्दु क्रमांक 29 में तात्कालीन कार्यपालन यंत्री महान परियोजना संभाग जल संसाधन विभाग सीधी श्री एम.जी. चौबे को भी वित्तीय अनियमितता के लिए दोषी पाया गया था?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : जानकारी एकत्रित की जा रही है।
साजली नदी पर बांध का निर्माण
54. ( क्र. 4964 ) श्री प्रताप सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दमोह जिले के पथरिया विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम केवलारी के समीप साजली नदी पर बांध का निर्माण किया जा रहा है, यदि हाँ, तो बांध की निर्माण लागत क्या है तथा कितने ग्रामों की कितने कृषकों की कितनी-कितनी भूमि का अर्जन किया जा रहा है? समग्र भूमि अर्जन की प्रति हेक्टेयर दर कितनी निर्धारित की गई है, निर्धारण का मापदण्ड क्या है? (ख) क्या बांध की डूब में आने वाले ग्राम डूडा, सासा एवं केवलारी के कृषकों की भूमि का मुआवज़ा प्रति हेक्टेयर पृथक-पृथक आंकलित कर दर निर्धारण की गई है? यह विसंगति क्यों? (ग) क्या शासन के नवीन संशोधित भू-अर्जन अधिनियम के तहत भूमि के मुआवज़ा का निर्धारण किया गया है अथवा नहीं? यदि हाँ, तो संशोधित नियम की प्रति उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो संशोधित भू-अर्जन अधिनियम के तहत अर्जित की गई भूमि के मुआवज़ा का रिवाइज्ड एवार्ड पारित किया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जी नहीं। परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति की स्थिति नहीं आने से शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते है।
केन बेतवा लिंक परियोजना का क्रियान्वयन
55. ( क्र. 5014 ) श्री अनिल जैन : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बुन्देलखण्ड के छतरपुर जिला स्थित केन नदी एवं टीकमगढ़ जिले में स्थित बेतवा नदी को जोड़ने के लिये केन बेतवा लिंक नाम का कोई परियोजना राज्य शासन एवं केन्द्र शासन में स्वीकृति हेतु विचाराधीन है? यदि हाँ, तो इस परियोजना में प्रस्तावित नहर की लंबाई तथा प्राक्कलन, डी.पी.आर. की लागत राशि की जानकारी दी जावें? (ख) केन बेतवा लिंक परियोजना से टीकमगढ़ एवं छतरपुर जिले में प्रस्तावित एवं रूट कमांड एरिया एवं लाभान्वित होने वाले तालाबों की जानकारी जिलेवार, ग्रामवार दी जावें? (ग) यदि शासन द्वारा इस परियोजना की स्वीकृति विचाराधीन है तो स्वीकृति प्रक्रिया की अद्यतन स्थिति तथा स्वीकृति आदेश के क्रमांक एवं दिनांक सहित जानकारी दी जावें? (घ) उक्त परियोजना का निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ हो सकेगा एवं इस क्षेत्र के किसान कब तक लाभान्वित हो सकेंगे? अनुमानित समय बताया जाये?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। केन-बेतवा लिंक परियोजना की नहर की लंबाई 218.695 कि.मी. है। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण द्वारा तैयार प्रथम चरण के प्रतिवेदन अनुसार परियोजना की लागत रू.9392.99 करोड़ आंकलित है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) जी हाँ। परियोजना की स्वीकृति भारत-सरकार पर निर्भर होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते है।
विधान सभा सदस्यों के पत्रों पर कार्यवाही
56. ( क्र. 5103 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा सदस्यों के पत्रों के प्राप्ति की सूचना एवं पत्रों पर की गयी कार्यवाही का उत्तर देने हेतु क्या शासन ने कोई समय-सीमा निर्धारित की है? यदि हाँ, तो शासन के निर्देश की कॉपी देवें? (ख) प्रश्नकर्ता विधायक ने कलेक्टर बालाघाट, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालाघाट एवं नगर पालिका परिषद वारासिवनी को माह 2013 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन विषयों पर किन-किन तिथियों में कुल कितने पत्र प्रेषित किये हैं? पत्र क्र., दिनांक सहित जानकारी देवें? (ग) क्या कलेक्टर बालाघाट, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालाघाट एवं नगर पालिका परिषद वारासिवनी ने प्रश्नकर्ता के किसी भी पत्रों का न तो प्राप्ति की सूचना दी गयी और न ही पत्रों पर की गयी कार्यवाही से अवगत कराया गया? (घ) क्या शासन यह मानता है कि कलेक्टर बालाघाट, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालाघाट एवं नगर पालिका परिषद वारासिवनी का उक्त कृत्य शासन के आदेशों/निर्देशों की अवहेलना है? यदि हाँ, तो संबंधित कलेक्टर बालाघाट, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालाघाट एवं नगर पालिका परिषद वारासिवनी के विरूद्ध शासन क्या कार्यवाही करेगा और कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ख) प्रश्न दिनांक तक कुल पत्रों की संख्या 136 जानकारी परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) उत्तरांश (ख) से संबंधित जानकारी जिले के समस्त विभागों से संकलित की जा रही है। जानकारी प्राप्त होने पर संकलित जानकारी प्रेषित की जावेगी। (घ) उत्तरांश (ग) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बैठक में जनप्रतिनिधियों को आमंत्रण
57. ( क्र. 5104 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनप्रतिनिधियों को कौन-कौन सी विभागीय बैठकों में भाग लेने हेतु शासन स्तर से अनुमति होती है? (ख) क्या विधान सभा क्षेत्र के तहत जनपद पंचायत एवं अन्य समीक्षात्मक बैठकों में क्षेत्रीय विधायक/सांसद को आमंत्रित करने का प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश की प्रति उपलब्ध करावें? (ग) वारासिवनी-खैरलांजी विधान सभा क्षेत्र की कृषि उपज मंडी में जनवरी 2014 से वर्तमान तक कब-कब बैठकें हुई एवं इन बैठकों में किन-किन जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया? क्या कृषि उपज मण्डी में हुई बैठकों के संबंध में प्रश्नकर्ता को कोई पत्र दिया गया हैं? यदि हाँ, तो कब और नहीं तो क्यों नहीं? कारण बतावें? इसके लिये कौन जिम्मेदार हैं? (घ) क्या सामान्य प्रशासन विभाग के ऐसे निर्देश है कि जनप्रतिनिधि/विधायक को जानकारी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) की जानकारी एकत्रित की जा रही है।
साडा/टी.आई.टी. के अधिकारियों/कर्मचारियों की नियुक्ति
58. ( क्र. 5146 ) चौधरी चन्द्रभान सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या साडा/टी.आई.टी. के अधिकारियों/कर्मचारियों की नियुक्ति विभाग में तदर्थ रूप में है? यदि हाँ, तो क्या इन्हें वित्तीय एवं प्रशासनिक प्रभार दिया जा सकता है? यदि हाँ, तो किस नियम के तहत? यदि नहीं, तो इनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के अधिकारियों को वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार प्रदान करने हेतु कौन जिम्मेदार है? यदि नियमों के अनुसार नहीं है, तो जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी और कब तक? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अधिकारी/कर्मचारी पी.एस.सी. से चयनित हैं? यदि हाँ, तो कब से? यदि नहीं, तो क्या प्रदेश के विभिन्न नगर निगमों में आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पदों पर इनकी पदस्थापना किया जाना उचित है? यदि नहीं, तो इनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं, साडा/टी.आई.टी. के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति तदर्थ रूप में नहीं हुई है। तदर्थ रूप से नियुक्त अधिकारी/कर्मचारी को वित्तीय एवं प्रशासनिक प्रभार देने के संबंध में रोक नहीं है। ऐसे में शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं है। (ख) प्रश्नांश ‘’क’’ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में कोई अधिकारी जिम्मेदार नहीं है। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं है। (ग) जी नहीं, प्रश्नांश ‘’क’’ में उल्लेखित अधिकारियों की आयुक्त नगर निगम के पद पर पदस्थापना मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम, 1956 की धारा 54 (1) के प्रावधान अनुसार की गई है। शेष के लिए प्रश्न नहीं उपस्थित होता।
नि:शक्त कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण
59. ( क्र. 5199 ) श्रीमती इमरती देवी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के पालन में शासकीय सेवा में कार्यरत नि:शक्त कर्मचारियों को वर्ष 1999 में पदोन्नति में नि:शक्तता के आधार पर आरक्षण का लाभ दिए जाने के लिए आदर्श सेवा भर्ती नियमों में संशोधन किया जाकर शासन के सभी विभागों में पालन कराने के निर्देश दिए जावेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? (ख) क्या प्रदेश के किन-किन विभागों के नि:शक्त कर्मचारियों द्वारा पदोन्नति में नि:शक्त आरक्षण का लाभ दिए जाने हेतु अभ्यावेदन/न्यायालय में प्रकरण दर्ज किए गए हैं? विशेषकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय विभाग में कार्यरत ऐसे नि:शक्त कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ दिए जाने हेतु कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अभी कोई निर्देश नहीं होने से। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। शेष उत्तरांश (क) अनुसार।
दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर कार्यवाही
60. ( क्र. 5214 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोकायुक्त संगठन रीवा संभाग रीवा ने 1 जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस विभाग के किन-किन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रंगे हाथ रिश्वत लेते टेप में पकड़ा गया है? किस-किस के यहां छापा मार कार्यवाही की गई है? आरोपी कर्मचारी/अधिकारी का नाम पद, पदस्थापना, अपराध क्रमांक तथा छापामार कार्यवाही में जब्त की गई सामग्री का विवरण अंकित कर जानकारी देवें? (ख) प्रश्नांश (क) के टेप कार्यवाही में पकड़े गये आरोपी कर्मचारी/अधिकारी तथा छापामार कार्यवाही में पकड़े गये कर्मचारी/अधिकारी का किन-किन का अभियोजन स्वीकृति उपरांत चालान प्रस्तुत कर दिया गया हैं? किन-किन का नहीं वर्षवार जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) के परिप्रेक्ष्य में जिन प्रकरणों/अपराधों में अभियोजन स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई हैं उसका कारण क्या है? यदि विभाग की लापरवाही के कारण अभियोजन स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई तो क्यों उसमें कौन-कौन दोषी है, उनके विरूद्ध कब क्या कार्यवाही करेंगे तथा कब तक अभियोजन स्वीकृति देते हुये न्यायालय में चालान प्रस्तुत करा देंगे? (घ) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में टेप कार्यवाही एवं छापामार कार्यवाही में कितने ऐसे अधिकारी/कर्मचारी हैं जो अभियोजन स्वीकृति न होने के कारण उसी पद प्रभार पर कार्य कर रहे हैं? क्या उनके प्रकरण से संबंधित साक्ष्यों को नष्ट करने के लिये उन्हें वहां पदस्थापित कर रखा गया है? यदि हाँ, तो ऐसा क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजन पर व्यय राशि
61. ( क्र. 5254 ) श्री मधु भगत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सितम्बर 2015 में भोपाल में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजन हेतु सामग्री क्रय, व्यवस्था, सेवाएं देने से संबंधित कौन-कौन सी अशासकीय फर्म, सर्विस प्रोवाइडर, विक्रेताओं से देयक म.प्र. माध्यम में भुगतान हेतु प्राप्त हुए थे? (ख) उपरोक्त में से कितनों का कितनी राशि का भुगतान किया गया है? किस-किस के भुगतान करना क्यों शेष हैं? (ग) मध्यप्रदेश माध्यम को सम्मेलन हेतु कितनी राशि, कब, कहाँ से प्राप्त हुई थी तथा भुगतान में विलंब का क्या कारण हैं? (घ) क्या कुछ देयक गायब किये गये या नष्ट कर दिये गये है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) (1) मेसर्स भोपाल ग्लास एण्ड टेण्ट स्टोर, भोपाल, (2) मेसर्स विजन फोर्स, भोपाल (3) कलर फोटो प्रिंट, भोपाल (4) मेसर्स तुषार इंटरप्राइजेस, भोपाल (5) मेसर्स श्री एडवरटाइजिंग एंड मार्के., भोपाल (6) मेसर्स तनिष्का फ्लेक्सप्रिंट्स, भोपाल (7) मेसर्स प्रभातम एडवरटाइजिंग प्रा.लि., दिल्ली, उक्त फर्मों के देयक म.प्र. माध्यम को प्राप्त हुए। (ख) (1) मेसर्स भोपाल ग्लास एण्ड टेण्ट स्टोर, भोपाल को राशि रूपये 4,25,04,578/- का भुगतान किया गया एवं राशि रूपये 3,58,52,109/- शेष है। (2) मेसर्स विजन फोर्स, भोपाल को राशि रूपये 3,17,32,745/- का भुगतान किया गया है। (3) कलर फोटो प्रिंट, भोपाल को राशि रूपये 12,35,250/- का भुगतान किया गया है। (4) मेसर्स तुषार इंटरप्राइजेस, भोपाल को राशि रूपये 35,78,663/- का भुगतान किया गया है। (5) मेसर्स श्री एडवरटाइजिंग एंड मार्के. भोपाल को राशि रूपये 3,31,269/- का भुगतान किया गया है। (6) मेसर्स तनिष्का फ्लेक्सप्रिंट्स, भोपाल को राशि रूपये 67,200/- का भुगतान किया गया है। (7) मे. प्रभातम एडवरटाइजिंग प्रा.लि., दिल्ली को राशि रूपये 4,89,573/- का भुगतान किया गया है। परियोजना शाखा द्वारा करवाये गये कार्यों से संबंधित फर्मो के देयकों का भुगतान किया गया है। मेसर्स भोपाल ग्लास एण्ड टेन्ट स्टोर, भोपाल के देयक की राशि रूपये 3,58,52,109/- मात्र का भुगतान किया जाना शेष है। संस्कृति संचालनालय से म.प्र. माध्यम को उक्त कार्यों की शेष राशि प्राप्त होने पर उक्त फर्म के देयक का भुगतान किया जायेगा। (ग) संयुक्त सचिव, (हिन्दी), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली से राशि रूपये 3,98,65,564/- एवं संस्कृति संचालनालय म.प्र. भोपाल से रूपये 4,90,00,000/- इस प्रकार कुल राशि रूपये 8,88,65,564/- मात्र का भुगतान म.प्र. माध्यम को प्राप्त हुआ है। (घ) नहीं।
नियम विरूद्ध प्रतिनियुक्ति तथा पदस्थापना
62. ( क्र. 5257 ) श्री मधु भगत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यालय आयुक्त नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा कार्यालय भोपाल में श्री मृदुल खरे को उपायुक्त के पद पर प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किया गया है तथा म.प्र. राज्य विद्युत मंडल (मूल विभाग/कंपनी) में इनका पद सहायक यंत्री का है, परंतु सहायक यंत्री के वेतनमान से 02 वेतनमान उच्चपद, उपायुक्त के पद पर क्यों पदस्थ किया गया, क्या कार्यालय में सहायक यंत्री का पद नहीं है? (ख) क्या श्री खरे को प्रतिनियुक्ति पर इसके पूर्व म.प्र. ऊर्जा विकास निगम में अधीक्षण यंत्री के पद पदस्थ किया गया था? जबकि वह मूल, विद्युत मंडल में सहायक यंत्री थे? यदि हाँ, तो समकक्ष पद पर पदस्थ न करते हुए 02 दर्जा उच्च पद पर पदस्थ करने का प्रस्ताव तथा अनुमोदन किस प्राधिकारी ने तत्समय और वर्तमान में नवीन, नवकरणीय ऊर्जा कार्यालय में उपायुक्त के पद पर पदस्थ करने का किया था? (ग) सहायक यंत्री को 02 दर्जा उच्च पद पर पदस्थ करने से विभाग का क्या औचित्य, लाभ, उद्देश्य क्या है? निर्धारित अवधि से अधिक प्रतिनियुक्ति होने से सभी सेवाएं वापिस क्यों नहीं की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। श्री मृदुल खरे का पद, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी (तत्कालीन मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल) में अतिरिक्त कार्यपालन अभियंता का है। विभाग में नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु श्री खरे के कार्य अनुभव को देखते हुये इन्हें उपायुक्त के पद पर पदस्थ किया गया है। तत्समय विभाग में सहायक यंत्री का पद स्वीकृत नहीं था। (ख) जी हाँ। श्री खरे का मूल पद म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी (तत्कालीन मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल) में अतिरिक्त कार्यपालन अभियंता का है। विभाग में प्रचलित परियोजनाओं के क्रियान्वयन में दक्ष होने के कारण, श्री खरे की सेवाएं राज्य शासन द्वारा प्रतिनियुक्ति पर ली गई। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) श्री खरे की प्रतिनियुक्ति अवधि मई 2017 तक है, उत्तरांश- (क) एवं (ख) परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
टनल निर्माण के संबंध में की गई शिकायत की जाँच
63. ( क्र. 5349 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा प्रमुख सचिव नर्मदा घाटी विकास विभाग को पत्र क्रमांक 2124 दिनांक 16.09.2015 मुख्य सचिव म.प्र. शासन को पत्र क्रमांक 2364 दिनांक 30.10.2015 एवं कलेक्टर कटनी को पत्र लिखा है? यदि हाँ, तो उक्त पत्रों पर क्या कार्यवाही की गई बताएं? यदि नहीं, तो कब तक की जावेगी? (ख) क्या कार्य के डिले के लिये मुख्य अभियंता द्वारा 15 करोड़ का जुर्माना ठेकेदार पर लगाया है? यदि हाँ, तो अब ठेकेदार को अनुबंध के प्रावधान अनुसार दिनांक 30.06.2016 के बाद समय वृद्धि का लाभ नहीं दिया जायेगा? यदि दिया जाएगा तो किस प्रावधान के तहत? (ग) टनल निर्माण में लगे कर्मचारियों/मजदूरों का भुगतान वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस माह के किस-किस का बकाया है वर्ष 2015 में पी.एफ.काटा गया? ई.पी.एफ. एवं जी.पी.एफ. कितना जमा किया गया? भूमि स्वामियों को भूमि के बदले कितने भू-मालिकों को काम पर लिया गया है अन्य प्रयोजन हेतु ली गई भूमि का किराया भुगतान किया जाना शेष है? (घ) प्रश्नांश (क), (ख), (ग), (घ) के परिप्रेक्ष्य में ठेकेदार के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही किये जाने के प्रावधान अनुबंध में है? क्या-क्या किये गये विवरण दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) माननीय विधायक द्वारा प्रमुख सचिव, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को लिखा गया पत्र क्रमांक 2124 दिनांक 16-09-2015 इस कार्यालय को प्राप्त नहीं हुआ है, तथापि माननीय मुख्यमंत्री जी म.प्र. शासन को लिखा गया पत्र क्रमांक 2122 दिनांक 16-09-2015 इस कार्यालय को प्राप्त हुआ है, जिसकी जानकारी अधीक्षण यंत्री, नर्मदा विकास मण्डल, कटनी के ज्ञाप क्रमांक 149/सा./अधी./शि. दिनांक 08-02-2016 द्वारा अधीक्षण यंत्री, नर्मदा विकास मण्डल क्रमांक 6 कटनी (जाँचकर्ता अधिकारी) को प्रेषित कर दी गई है। माननीय विधायक द्वारा मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, भोपाल को लिखा गया पत्र क्रमांक 2364 दिनांक 30-10-2015 इस कार्यालय को प्राप्त हुआ है। वांछित जानकारी इस कार्यालय ने अपने पत्र क्रमांक 290/व.ले.लि./2016 का-5 दिनांक 01-03-2016 द्वारा नर्मदा विकास मण्डल सतना (जाँचकर्ता अधिकारी) को प्रेषित कर दी गई है। कार्यवाही वरिष्ठ कार्यालय में प्रक्रियाधीन है। (ख) मुख्य अभियंता, अपर नर्मदा जोन, जबलपुर द्वारा ठेकेदार मेसर्स पटेल एस.ई.डब्ल्यू. (संयुक्त उपक्रम) हैदराबाद पर कार्य में हुये विलंब के लिए रूपये 14.56 करोड़ की पेनाल्टी लगाई गई है। शेष प्रश्नांश वर्तमान में उपस्थित नहीं होता। सक्षम प्राधिकारी द्वारा गुण-दोष के आधार पर समय वृद्धि देने के संबंध में कार्यहित में निर्णय लिया जायेगा। (ग) टनल निर्माण में लगे ठेकेदार के कर्मचारियों/मजदूरों के बकाया भुगतान का विवरण पी.एफ., ई.पी.एफ., जी.पी.एफ. की कटौती व जमा करने की जानकारी ठेकेदार से एकत्रित की जा रही है। भू-स्वामियों को भूमि के बदले किसी भी भू-मालिक को काम पर नहीं लिया गया है, तथापि ठेकेदारों के अनुसार अर्जित की गई भूमि के 12 भू-स्वामी वर्तमान में उक्त कार्य में कार्यरत हैं। ठेकेदार के अनुसार अन्य प्रयोजन हेतु 44 किसानों की किराये पर ली गई भूमि में से 41 किसानों की भूमि के किराये का भुगतान किया जा चुका है तथा 03 किसानों की भूमि का भुगतान किया जाना शेष है, जिसे उनके उपलब्ध होने पर भुगतान किया जायेगा। (घ) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के परिप्रेक्ष्य में ठेकेदार के विरूद्ध अनुबंध भाग-II सेक्शन भाग-IV की कंडिका-19 के प्रावधान अनुसार ठेकेदार के स्वत्वों से वसूली का प्रावधान है। इसी प्रकार अनुबंध के भाग-II सेक्शन III की कंडिका-115.1 के अनुसार कार्य में हुये विलंब के लिए पेनाल्टी अधिरोपित करने का प्रावधान है। अनुबंध के भाग-II की कंडिका-115.1 के अंतर्गत ठेकेदार पर पेनाल्टी अधिरोपित की गई है। साथ ही ठेकेदार द्वय मेसर्स पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड हैदराबाद व मेसर्स इस.ई.डब्ल्यू. इनफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड हैदराबाद को अक्टूबर 2014 में आगामी दो वर्षों के लिए काली सूची (Black List) में डालकर पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) निलंबित किये गये हैं।
प्राइवेट विद्युत परियोजना एवं बिजली क्रय अनुबंध
64. ( क्र. 5350 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन द्वारा वर्ष 2007 से प्रश्न दिनांक तक तथा कितने प्राइवेट कम्पनियों में ताप विद्युत परियोजना हेतु एम.ओ.यू. हस्ताक्षर किन-किन तिथियों में कहाँ-कहाँ किये गये क्षमतावार बतावें? इनमें से किस कम्पनी द्वारा कब कार्य प्रारंभ किया इनमें कौन-कौन सी विद्युत इकाई से विद्युत उत्पादन प्रारंभ हो चुका है और कौन-कौन सी विद्युत इकाइयों का निर्माण कार्य प्रारंभ जारी है? कितने प्रतिशत कार्य पूर्ण हो गया है एवं कब तक विद्युत उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा? जिन इकाइयों द्वारा कार्य प्रारंभ नहीं किया उनका भी नाम बताएं? (ख) राज्य शासन द्वारा वर्तमान में कौन-कौन सी प्राइवेट विद्युत परियोजनाओं से बिजली खरीदी जा रही है? जिन परियोजनाओं से बिजली खरीदी जा रही है उन विद्युत परियोजनाओं के नाम विद्युत स्थापित क्षमता, स्थान का नाम, कम्पनी का नाम बतावें? साथ ही इन विद्युत इकाइयों से किस तिथि से बिजली खरीदना प्रारंभ किया गया? जिस दिन से बिजली खरीदना प्रारंभ किया गया है उसी दिन से प्रश्न दिनांक तक औसतन प्रतिदिन कितने मेगावाट बिजली खरीदी जा रही है? साथ ही उसी दिन से प्रतिमाह कितने मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई है तथा कुल कितने मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई? प्रश्न दिनांक तक बतावें साथ ही यूनिट क्या दर है? उक्त अनुसार कुल रकम भी बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. शासन द्वारा वर्ष 2007 से प्रश्न दिनांक तक प्राइवेट कंपनियों से ताप विद्युत परियोजना हेतु 75 एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किये गये। इनमें से 53 एम.ओ.यू. या तो निरस्त अथवा कालातीत अथवा अकृत एवं शून्य अथवा नस्तीबद्ध हो गए हैं। इन परियोजनाओं का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- 'क' में दर्शाए अनुसार है। जिन कंपनियों द्वारा निर्माण कार्य पूर्ण कर इकाइयों से विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया गया, साथ ही जिन इकाइयों का निर्माण कार्य जारी है, उनके क्रियाशील होने की संभावित तिथि सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र - 'ख' के अनुसार है। जिन परियोजनाओं कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है, उनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ग' के अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा वर्तमान में जिन प्रायवेट परियोजनाओं से बिजली खरीदी जा रही है उन विद्युत परियोजनाओं/कंपनी के नाम, स्थापित क्षमता, स्थान का नाम, तिथि जिससे बिजली खरीदना प्रारंभ किया गया, औसतन प्रतिदिन खरीदी गई बिजली (मेगावाट में नहीं अपितु मिलियन यूनिट में), प्रतिमाह मिलियन यूनिट में खरीदी गई बिजली, मिलियन यूनिट में खरीदी गई कुल बिजली, औसत दर एवं कुल राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'घ' में दर्शाए अनुसार है।
निर्माण लागत में वृद्धि
65. ( क्र. 5394 ) डॉ. मोहन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिंहस्थ महापर्व के दौरान धार्मिक न्याय एवं धर्मस्व विभाग द्वारा कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये? स्वीकृति के समय उक्त कार्यों की लागत कितनी थी? उक्त कार्य कब तक पूर्ण होना थे? पृथक-पृथक कार्य की पृथक-पृथक जानकारी प्रदान करें? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी के पश्चात् स्वीकृत कार्यों में से किन-किन कार्यों के लागत मूल्य में कितने प्रतिशत की वृद्धि की गई? उक्त वृद्धि किनके आदेश पर की गई? क्या नियमानुसार विज्ञप्ति जारी किये जाने एवं अनुबंध, किये जाने के पश्चात् लागत मूल्य में वृद्धि की जा सकती है? यदि हाँ, तो किस नियम के तहत नियमों की जानकारी उपलब्ध करावें? वृद्धि की गई राशि की वित्तीय स्वीकृति कब प्राप्त की गई? यदि नहीं, की गई तो बिना वित्तीय स्वीकृत के लागत मूल्य में वृद्धि किये जाने एवं भुगतान किये जाने के क्या नियम है? नियमों की प्रति उपलब्ध करावें? समस्त कार्यों की पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (ख) की जानकारी अनुसार यदि लागत मूल्य में वृद्धि की गई है तो पूर्व में डी.पी.आर., स्टीमेट, तकनीकी स्वीकृति, वित्तीय स्वीकृति प्राप्त करते समय कम राशि स्वीकृति प्राप्त करने के लिए कौन अधिकारी दोषी है? दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सिंहस्थ-2016 महापर्व के दौरान धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग से कोई कार्य स्वीकृत नहीं किये गये है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) एवं (ग) प्रश्नांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में जानकारी निरंक है।
निर्माण लागत में वृद्धि
66. ( क्र. 5395 ) डॉ. मोहन यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिंहस्थ महापर्व के दौरान जल संसाधन विभाग द्वारा कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये? स्वीकृत के समय उक्त कार्यों की लागत कितनी थी? उक्त कार्य कब तक पूर्ण होना थे? पृथक-पृथक कार्य की पृथक-पृथक जानकारी प्रदान करें? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी के पश्चात स्वीकृत कार्यों में से किन-किन कार्यों के लागत मूल्य में कितने प्रतिशत की वृद्धि की गई? उक्त वृद्धि किनके आदेश पर की गई? क्या नियमानुसार विज्ञप्ति जारी किये जाने एवं अनुबंध किये जाने के पश्चात लागत मूल्य में वृद्धि की जा सकती है? यदि हाँ, तो किस नियम के तहत, नियमों की प्रति उपलब्ध करावें? (ग) वृद्धि की गई राशि की वित्तीय स्वीकृति कब प्राप्त की गई? यदि नहीं, की गई तो बिना वित्तीय स्वीकृत के लागत मूल्य में वृद्धि किये जाने एवं भुगतान किये जाने के क्या नियम है? (घ) प्रश्नांश (ख) अनुसार यदि लागत मूल्य में वृद्धि की गई है तो पूर्व में डी.पी.आर., स्टीमेंट, तकनीकी स्वीकृति, वित्तीय स्वीकृति प्राप्त करते समय कम राशि की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए कौन अधिकारी दोषी है? दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। प्रशासकीय स्वीकृति प्राक्कलित लागत पर दी जाती है जो अनुमानित होती है। निर्माण कार्य की लागत में कमी/वृद्धि प्राप्त न्यूनतम निविदा दरों तथा निर्माण की वास्तविक मात्रा पर निर्भर होती है। प्रशासकीय स्वीकृति से अधिक व्यय की दशा में स्वीकृति के अधिकार संबंधी शासन आदेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है। व्यय की सक्षम स्तर से स्वीकृति है। किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
स्वागत द्वारों पर नाम बदलना
67. ( क्र. 5399 ) डॉ. मोहन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) निर्माण कार्यों के शिलालेखों एवं स्वागत द्वार पर नाम बदले जाने के संबंध में विभाग के क्या नियम हैं? (ख) यदि नहीं, है तो उज्जैन जिले में विभाग के अंतर्गत संचालिक कार्यालयों में वर्ष जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक कितने शिलालेख एवं स्वागत द्वार बनाये गये हैं? उक्त स्वागत द्वारों एवं शिलालेखों पर पूर्व में किस-किस के नाम थे एवं वर्तमान में उक्त शिलालेखों में किसके नाम दर्ज हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) की जानकारी अनुसार जिन स्थानों पर स्वागत द्वार पर नियम विरूद्ध नाम बदले गये हैं? क्या वहां पर पुन: तत्कालीन जनप्रतिनिधियों के नाम अंकित करवाये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? स्वागत द्वारों पर नियम विरूद्ध नाम बदलने के लिये कौन-कौन अधिकारी दोषी है? उनके विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सिंचित के स्थान पर असिंचित भूमि का मुआवजा
68. ( क्र. 5410 ) श्री मोती कश्यप : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला कटनी, तहसील ढीमरखेड़ा के ग्राम पहरूआ में किसी खसरे व रकबे की भूमि में किसी जलाशय का निर्माण कराया गया है और क्या पूर्ण हो गया है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के निर्माण हेतु किन्हीं निजी भूमि स्वामियों की कोई भूमि, मकान, कुएं, वृक्ष आदि अर्जित किये गये हैं? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में ग्राम खमतरा के किन्हीं कृषकों की सिंचित भूमि के विरूद्ध असिंचित भूमि का मुआवजा दिये जाने पर उनके द्वारा कोई आपत्ति लगाई गई है? (घ) प्रश्नांश (ग) को निराकरण कर सिंचित भूमि का मुआवजा किस दिनांक को प्रदान कर दिया गया है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) तहसील ढ़ीगरखेड़ा के ग्राम खमतरा एवं सलैया में पहरूआ जलाशय का निर्माण पूर्ण कराया गया है। (ख) जी हाँ। (ग) एवं (घ) मौके की स्थिति के अनुसार भूमि तथा परिसंपत्तियों का मुआवजा निर्धारित कर भुगतान किया जाना प्रतिवेदित है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
लोकायुक्त में दर्ज प्रकरण पर कार्यवाही
69. ( क्र. 5423 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोकायुक्त भोपाल में दर्ज प्रकरण क्रमांक 291/13 में आरोपी के विरूद्ध प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के आरोपी सरपंच के विरूद्ध विभाग द्वारा तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था? यदि हाँ, तो उक्त गठित समिति द्वारा क्या जाँच प्रतिवेदन दिया गया? प्रतिवेदन अनुसार की गई कार्यवाही का विवरण दें तथा आयुक्त रीवा द्वारा गठित समिति को कैसे निष्प्रभावी किया गया बताएं? (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के परिप्रेक्ष्य में विभाग और लोकायुक्त द्वारा संबंधित आरोपियों के विरूद्ध क्या-क्या दण्डात्मक कार्यवाही की गई बताएं यदि नहीं, तो कब तक की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) लोकायुक्त संगठन में दर्ज प्रकरण क्रमांक 291/13 में शिकायत कलेक्टर सतना को जाँच हेतु भेजी गई। प्रकरण में आयुक्त, रीवा संभाग द्वारा 03 सदस्यीय समिति का गठन किया गया। समिति द्वारा तत्कालीन सरपंच एवं सचिव को दोषी पाया गया। श्रीमती गौरीबाई तिवारी, तत्कालीन सरपंच को आदेश दिनांक 30/04/2015 से 06 वर्ष के लिये निर्वाचन हेतु निर्हरित किया गया एवं राशि रूपये 2,61,570/- की वसूली की गई। अपचारी श्री रविन्द मिश्रा, तत्कालीन सचिव को कलेक्टर द्वारा आरोप पत्र जारी किये गये है।
ताप विद्युत गृह
70. ( क्र. 5462 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी द्वारा वर्तमान समय पर कहाँ-कहाँ ताप विद्युत गृह संचालित किये जा रहे हैं तथा इन ताप विद्युत गृहों से कितनी बिजली का उत्पादन किया जा रहा है तथा इस बिजली के उत्पादन में प्रतिदिन कितना कोयला जलाया जा रहा है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित ताप विद्युत गृहों के कोयले से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम हेतु पूर्व में एक-एक उद्यान शास्त्री की पदस्थापना की गई थी? (ग) वर्तमान समय में प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित पद पर कौन पदस्थ है? क्या वर्तमान समय में अमरकंटक ताप विद्युत गृह, संजय गांधी ताप विद्युत गृह तथा नवनिर्मित श्रंगाजी ताप विद्युत गृह में उद्यान शास्त्री के पद रिक्त है? (घ) इन ताप विद्युत गृहों को प्रदूषण मुक्त करने हेतु क्या पॉवर जनरेटिंग कम्पनी छत्तीसगढ़ पॉवर जनरेटिंग कम्पनी की भांति कार्यशील उद्यान शास्त्री की सभी क्रियाशील ताप विद्युत गृहों की देखभाल हेतु साप्ताहिक ड्यूटी लगाएगी जिससे नये उद्यान शास्त्री की नियुक्ति होने तक इन ताप विद्युत गृहों की समुचित देखभाल की जा सके? उत्तर में यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (म.प्र.पा.ज.कं.लि.) के वर्तमान में संचालित ताप विद्युत गृह का स्थान एवं इन ताप विद्युत गृहों से माह जनवरी में विद्युत उत्पादन तथा इस विद्युत उत्पादन में प्रतिवेदन औसत कोल खपत का विवरण निम्नानुसार है :-
ताप विद्युत गृह |
स्थान |
क्षमता (मेगावाट में) |
माह जनवरी का विद्युत उत्पादन (मिलि.इकाई में) |
माह जनवरी की प्रतिदिन औसत कोयले की खपत (मिट्रिक टन में) |
अमरकंटक ताप विद्युत गृह |
चचाई |
450 |
148.1 |
2818 |
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह |
सारनी |
1330 |
455.8 |
11925 |
संजय गांधी ताप विद्युत गृह |
बिरसिंहपुर |
1340 |
628.2 |
14404 |
श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह |
खंडवा |
1200 |
624.1 |
13743 |
(ख) जी नहीं, म.प्र. रा.वि.मं. से कार्मिकों के अंतिम अंतरण के फलस्वरूप म.प्र.पा.ज.कं.लि. को प्राप्त दो उद्यान शास्त्रियों की पदस्थापना अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई एवं सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी में की गई थी। म.प्र.पा.ज.कं.लि. के सभी ताप विद्युत गृहों को प्रदूषण मुक्त करने हेतु तकनीकी उपकरण जैसे ई.एस.पी. जल शुद्धीकरण संयंत्र आदि लगाये गये हैं। (ग) वर्तमान में हुई म.प्र.पा.ज.कं.लि. में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी में उद्यान शास्त्री के स्वीकृत पद पर श्री डी.के.तोमर, उद्यान शास्त्री पदस्थ हैं। अमरकंटक ताप विद्युत गृह, संजय गांधी ताप विद्युत गृह एवं सिंगाजी ताप विद्युत गृह में उद्यान शास्त्री का कोई पद स्वीकृत नहीं है, अत: इन ताप विद्युत गृहों में पद रिक्त होने का प्रश्न ही नहीं उठता। (घ) वर्तमान में म.प्र.पा.ज.कं.लि. के सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी में कार्यरत् उद्यान शास्त्री की साप्ताहिक ड्यूटी अन्य क्रियाशील ताप विद्युत गृहों की देखभाल हेतु लगाये जाने बाबत् कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। जिन विद्युत गृहों में उद्यान शास्त्री का पद स्वीकृत नहीं है वहाँ पर उपलब्ध सिविल विभाग के मार्गदर्शन में बाहय स्त्रोतों के तहत् वानिकी एवं उद्यान संबंधी कार्य संपादित कराये जा रहे हैं।
लोकायुक्त में दर्ज प्रकरणों की जानकारी
71. ( क्र. 5552 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोकायुक्त में पिछले पाँच वर्षों में कितनी-कितनी शिकायतें प्राप्त हुई कितनों की विवेचना के बाद प्रकरण दर्ज किये गये वर्षवार जानकारी दें? (ख) लोकायुक्त में कुल ऐसे कितने प्रकरण है जिनकों दर्ज करने के बाद आज तक चालान प्रस्तुत नहीं किया गया? विगत पाँच वर्ष की जानकारी दें? (ग) लोकायुक्त में पिछले पाँच वर्षों में कुल कितने प्रकरणों पर गिरफ्तारी की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विज्ञापन नीति का निर्धारण
72. ( क्र. 5561 ) श्री जितू पटवारी : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तारांकित प्रश्न संख्या-19 (क्र.283) दिनांक 08.12.2015 के प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार कंडिका 10 के (3) के अनुसार एक ही परिवार तथा संस्था के लिए किसी एक को ही विज्ञापन के लिए मान्य किया जायेगा तो किस-किस आधार पर CODE 9757 सुनीता नागले एवं CODE B 473 सरनेम नागले जिनका पता एक ही है को विज्ञापन आवंटित कर दिये गये? (ख) अनेक वेबसाइट बंद है किस आधार पर इन्हें विज्ञापन राशि आवंटित की गई?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रश्न क्रमांक 283 के उत्तर में विज्ञापन नियम की कंडिका-10 की उप कंडिका-3 का प्रावधान समाचार पत्रों के संबंध में है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) बंद वेबसाइट को विज्ञापन राशि का आवंटन नहीं किया जाता।
खनिज खदानों की स्थिति
73. ( क्र. 5562 ) श्री जितू पटवारी : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में जे.पी.ग्रुप के स्वामित्व, अंशधारिता की कितनी खदानें किन खनिजों की संचालित हैं? मध्यप्रदेश स्टेट माइनिंग कारपोरेशन लि. भोपाल में जे.पी.ग्रुप की कितनी कंपनियों की कितनी हिस्सेदारी है? (ख) इनके विरूद्ध अवैध खनन करने एवं अन्य प्रकार की कितनी शिकायते विभाग को जिला कलेक्टरों को, मंत्रालय को, माननीय मुख्यमंत्री, माननीय मंत्री खनन को विगत 3 वर्षों में की गई? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार इस संबंध में न्यायालयों में कितने प्रकरण कब से चल रहे हैं?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) इनके विरूद्ध अवैध उत्खनन एवं अन्य प्रकार की कुल 03 शिकायतें कलेक्टर कार्यालय खनिज शाखा जिला सतना में प्राप्त हुई है। (ग) प्रश्नांश 'ख' अनुसार एक प्रकरण माननीय न्यायालय में वर्ष 2008 से चल रहा है।
अवैध शराब बिक्री एवं अवैध परिवहन
74. ( क्र. 5596 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिला अंतर्गत किन-किन ग्रामों में देशी शराब एवं विदेशी शराब की दुकानें स्थापित की गई हैं? ठेकेदारों के नाम, दुकान के पते के साथ विवरण देवें? (ख) प्रश्नांश (क) की दुकानों के अतिरिक्त क्या जिन ग्रामों में शराब की दुकानें नहीं हैं, उन ग्रामों में अवैध रूप से इन्हीं दुकानों के ठेकेदारों द्वारा अवैध शराब का विक्रय आबकारी विभाग के मिलीभगत से कराया जा रहा है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संबंध में अवैध शराब की बिक्री एवं अवैध परिवहन पर कब-कब एवं कितने प्रकरण किन-किन पर तैयार कर न्यायालय में पेश किये गये की जानकारी 2012 से प्रश्नांश दिनांक तक की देवें? पकड़ी गई शराब कहाँ और किन इकाइयों द्वारा बनी हुई थीं? उन पर किस कंपनी के होलाग्राम लगे थे? (घ) प्रश्नांश (ख) एवं (ग) के संबंध में अगर संबंधितों द्वारा कार्यवाही नहीं की गई तथा शराब के अवैध परिवहन एवं अवैध बिक्री के प्रकरण तैयार कर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही न की जाकर अवैध बिक्री करा रहे हैं, तो इसके लिए दोषियों की पहचान कर क्या और किस तरह की कार्यवाही कब तक करेंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
भारतीय कला एवं संस्कृत के विकास की कार्ययोजना
75. ( क्र. 5597 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. सरकार द्वारा भारतीय संस्कृत एवं कला के विकास की कार्ययोजना तैयार की है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में विगत वर्ष 2012 से प्रश्नांश तक में कब, कहाँ, कौन से आयोजन संस्कृत के विकास एवं भारतीय कला संबंधी आयोजित किए गए, तथा उन पर कितनी राशि व्यय हुई? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में क्या भारतीय संस्कृत एवं कला के विकास एवं आयोजन रीवा जिले में करने की शासन की क्या योजना है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विभाग के माध्यम से कार्यक्रमों स्थापित सम्मानों, कलाकारों-साहित्यकारों को पेंशन एवं चिकित्सा सहायता के माध्यम से महती कार्य किये जाते है जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ अनुसार है। (ख) आयोजन एवं व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ एवं ‘स’ अनुसार है। (ग) विभाग द्वारा रीवा जिले में आंचलिक संगोष्ठि का आयोजन 15-16 अक्टूबर, 2014 एवं 01 जून से 30 जूलाई, 2015 को किया गया, विभाग द्वारा समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, भविष्य में भी जारी रहेंगे।
थॉवर परियोजना के निर्माण में आयकर एवं कर्मकार सेस की राशि का भुगतान
76. ( क्र. 5635 ) प्रो. संजीव छोटेलाल उइके : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिले की थॉवर परियोजना में काडा नाली निर्माण के लिये वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गयी तथा उससे किन-किन पंचायतों में कार्य कराये गये? क्या ये टेन्डर आधारित थे या किस मानक प्रक्रिया के तहत कराये गये वर्षवार बताये? (ख) क्या उक्त कार्यों में निर्धारित आयकर एवं कर्मकार सेस की राशि काट कर राजकोष में जमा की गयी? यदि हाँ, तो काटी गयी राशि दिनांक सहित बतायें? यदि नहीं, तो शासन को आर्थिक नुकसान पहुँचाने वाले जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी पर शासन क्या कार्यवाही कब तक करेगा? (ग) क्या प्रश्न (क) की अवधि में निर्माण कार्य हेतु उपयोग किये गये गौण खनिज की रायल्टी शासन स्तर पर जमा की गयी? यदि हाँ, तो वित्तीय वर्षवार जमा की गयी रायल्टी की जानकारी उपलब्ध कराये? यदि नहीं, तो शासन को हुये आर्थिक नुकसान की भरपाई कैसे की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' अनुसार है। जी नहीं। जल उपभोक्ता संस्था द्वारा कार्य कराए जाने की व्यवस्था है। (ख) जी नहीं। आयकर एवं कर्मकार सेस लागू नहीं होने के कारण शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। संबंधित शासन निर्देश जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''2, एवं 3'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। जी नहीं। जल उपभोक्ता संथा द्वारा उपयोग किए गए गौण-खनिज पर रायल्टी नहीं लगती है।
आबकारी नियम के तहत पंजीबद्ध प्रकरण
77. ( क्र. 5644 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा परि.अता. प्रश्न संख्या 33 (क्र. 1001) दि. 15.12.15 के उत्तर में बताया गया कि 775 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये, 27,42,00/- जुर्माना किया गया, विदेश मदिरा 9291 वल्क लीटर, देशी मदिरा 4690.4 वल्क ली., हाथ भट्टी मदिरा 5347 वल्क लीटर जब्त की गई, किंतु इनमें संपूर्ण जिले के किसी भी ठेकेदार दोषी नहीं है? उनकी संलिप्तता नहीं पाई गई, क्या यह कथन तर्क संगत प्रतीत होता है? (ख) प्रश्न के उत्तर के (ख) में बताया गया कि आबकारी उप निरीक्षक एवं आबकारी आरक्षक दोनों एक ही केदार नाथ गुप्ता के मकान में निवास करते हैं जो पूर्णत: असत्य एवं भ्रामक जानकारी है? (ग) सेवढ़ा में आबकारी विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों का ऑफिस कहाँ से संचालित हो रहा है सेवढ़ा में कहाँ स्थित है कब खुलता है कब बंद होता है? (घ) विभाग द्वारा गलत जानकारी सदन को देकर गुमराह करने की कोशिश के लिए कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार है, उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) विधानसभा परि. अता. प्रश्न संख्या 33 (क्रमांक 1001) दिनांक 15.12.2015 के उत्तर में दतिया जिले के आबकारी विभाग एवं पुलिस विभाग द्वारा कुल 775 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये। निवर्तित प्रकरणों में दोषियों के विरूद्ध जुर्माना रूपये 274200 किया गया। शेष प्रकरणों में विवेचना जारी है। दर्ज प्रकरणों में विदेशी मदिरा 9261 बल्क लीटर, देशी मदिरा 4690.4 बल्क लीटर एवं हाथ भट्टी मदिरा 5347 बल्क लीटर एवं 250 किलो ग्राम महुआ, लहान जप्त की गई संबंधी जानकारी दी गई थी। दर्ज प्रकरणों में न्यायालय द्वारा दण्ड स्वरूप राशि रूपये 2,74,200/- का जुर्माना किया गया था उक्त दर्ज प्रकरणों में जिले के अनुज्ञप्तिधारियों की संलिप्तता नहीं पाई जाने के कारण उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिले की 15 विदेशी एवं 54 देशी मदिरा दुकानों से अनुज्ञप्तिधारी द्वारा मदिरा शासन द्वारा प्रदत्त अनुज्ञप्ति के आधार पर विक्रय की जाती है। आबकारी विभाग द्वारा दुकानों का निरीक्षण सतत रूप से किया जाता है एवं अनुज्ञप्तिधारकों द्वारा किये गये अपराधो एवं अनियमितताओं के लिये आबकारी अधिनियम में पृथक से व्यवस्था है, तदनुसार उनके विरूद्ध दण्ड एवं अपराध शमन हेतु शास्ति/संधान राशि निर्धारित करने की कार्यवाही की जाती है। (ख) सुश्री निधि गुप्ता, आबकारी उप निरीक्षक श्री केदार नाथ गुप्ता के मकान में वर्तमान में भी निवासरत है। आबकारी आरक्षक श्री मनीष यादव विधानसभा प्रश्न क्रमांक 1001 की प्रश्नागत के दौरान श्री केदार नाथ गुप्ता के मकान में ही निवासरत थे। जिला आबकारी अधिकरी दतिया के आदेश दिनांक 02.01.2016 द्वारा श्री मनीष यादव, आबकारी आरक्षक की पदस्थापना वृत्त सेवढ़ा से वृत्त भाण्डेर में किये जाने के फलस्वरूप माह जनवरी 2016 से वे उक्त मकान में निवासरत नहीं है। (ग) आबकारी विभाग सेवढ़ा का पृथक से कोई कार्यालय नहीं है। आबकारी उप निरीक्षक द्वारा अपने वृत्त क्षेत्र में दुकानों का निरीक्षण एवं क्षेत्र में भ्रमण कर अवैध मदिरा पर नियंत्रण का कार्य किया जाता है एवं दर्ज प्रकरणों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है। शासकीय कार्य अपने निवास स्थान से संपादित किया जाता है। (घ) विभाग द्वारा सदन को सही जानकारी प्रस्तुत की गई है। अत: शेष पश्न उपस्थित नहीं होता है।
विधायक निधि के कार्य
78. ( क्र. 5647 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधायक निधि द्वारा जो कार्य विधानसभा सेवढ़ा में वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में कराये गये उनमें से कितने कार्य पूर्ण हो गये हैं? कितने कार्य पूर्ण होना शेष हैं, तथा कितने कार्यों का भुगतान कर दिया गया हैं तथा कितने कार्यों का भुगतान होना शेष हैं? कौन से कार्य किस एजेंसी से कराये? (ख) विधायक निधि के जो कार्य MP एग्रो. या अन्य सहकारी संस्थाओं के द्वारा कराये जाते हैं उनकी गुणवत्ता एवं कार्य पूर्ण होने की जिम्मेदारी किसकी होती है? यदि कोई कार्य पूर्ण नहीं हुआ और उसका भुगतान कर दिया जाता है तो उस कार्य को पूर्ण कराने की जिम्मेदारी किसकी होगी? (ग) दतिया जिले में एम.पी. एग्रो. द्वारा जो सोलर लाईटें लगाई जा रही हैं, उनमें कितने वर्षों की गारंटी दी जा रही है? समय पूर्व बेट्री खराब होने पर उसके बदलने की जिम्मेदारी किसकी है? यदि नहीं, बदली जाती है तो किसके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी? (घ) क्या दतिया इंदरगढ़ रोड पर भदौली तिराहे पर एक प्रतीक्षालय बनवाया गया था? यदि हाँ, तो क्या वह पूर्ण हो गया है या अभी अधूरा है? यदि अधूरा है तो उसका पूर्ण भुगतान किस आधार पर किया गया? उसका अंतिम उपयोगीकरण किसके द्वारा दिया गया? उसका नाम एवं पद की जानकारी उपलब्ध कराई जावे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना से विधानसभा क्षेत्र सेवढ़ा में वर्ष 2014-15 में 28 कार्य स्वीकृत किये गये थे, जिनमें से 17 कार्य पूर्ण हो चुके है, 11 कार्य अपूर्ण हैं। समस्त कार्यों का भुगतान कर दिया गया है। वर्ष 2015-16 में 25 कार्य स्वीकृत हुये, 10 कार्य पूर्ण हो गये है, जिनका पूर्ण भुगतान किया जा चुका है। शेष 15 कार्य अपूर्ण हैं जिनका भुगतान किया जाना शेष है। कार्यवार एजेन्सी की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजनान्तर्गत कार्यों की गुणवत्ता एवं उनकों पूर्ण कराने का समस्त दायित्व संबंधित क्रियान्वयन एजेन्सी का होता है। अपूर्ण कार्यों को पूर्ण कराने की जिम्मेदारी जिला प्राधिकारी की होगी। (ग) एम.पी. ऐग्रो. के माध्यम से सोलर लाइटें लगाई जा रही है। उनकी गारंटी 01 वर्ष की है, समय से पूर्व खराब होने पर जवाबदारी संबंधित क्रियान्वयन एजेन्सी की है। यदि नहीं, बदली जाती है तो क्रियान्वयन एजेन्सी के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी। (घ) जी हाँ। वर्तमान में उक्त कार्य प्रगति पर है। राशि लेप्स न हो इसलिए इस कार्य संबंधित क्रियान्वयन एजेन्सी को पूर्ण भुगतान किया गया। कार्य का अंतिम उपयोगीकरण अभी प्राप्त नहीं हुआ है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सीवर लाईन का नियम विरूद्ध रेस्टोरेशन
79. ( क्र. 5659 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर निगम जबलपुर द्वारा स्वीकृत सीवर लाईन फेज-3 ठेके की अनुबंध शर्तों के अनुसार सीवर लाईन की रेस्टोरेशन (मिट्टी पुराई) को 15-15 से.मी. पर्तो में कर काम्पेक्शन कर किया जाना है? यदि हाँ, तो उक्त नियम के विरूद्ध ठेकेदार द्वारा पूरी गहराई की मिट्टी एक साथ पुराई कर बिना काम्पेक्शन के कार्य क्यों किया जा रहा है? क्या शासन बिना काम्पेक्शन के किये जा रहे सीवर लाईन की जाँच कराकर दोषी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करेगा? (ख) जबलपुर शहर में ऐसे कितने वार्ड है, जहां बिना काम्पेशन किये ही कार्य किया गया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर पालिक निगम, जबलपुर में सीवर लाईन फेस-3 का कार्य स्वीकृत नहीं हुआ है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) ऐसे कोई वार्ड नहीं है, जहाँ बिना कॉम्पेक्शन किये ही कार्य किया गया है।
गृह निर्माण सहकारी समितियों में गरीबों के लिये भूमि
80. ( क्र. 5660 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम जबलपुर के अंतर्गत आने वाली गृह निर्माण सहकारी समितियों में अल्प आय वर्ग हेतु कितनी-कितनी भूमियां आरक्षित हैं? उक्त भूमियों को कितने एवं किन-किन अल्प आय वर्ग के व्यक्तियों को आवंटित किया गया है? कितनी भूमि पर अतिक्रमण हो चुका है? गृह निर्माण समितिवार जानकारी देवें? (ख) नगर निगम जबलपुर के अंतर्गत आने वाली शा. शिक्षक कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति जबलपुर में अल्प आय वर्ग हेतु आरक्षित एवं नगर निगम के अधीन बंधक अल्प आय वर्ग की 19200 वर्ग फीट भूमि पर अवैध कब्जा एवं अवैध निर्माण की सूचना निगम को कब प्राप्त हुई? (ग) नगर निगम जबलपुर द्वारा अवैध कब्जा एवं अवैध निर्माण कर रोक हटाने के लिये अब तक क्या-क्या कार्यवाही की गई? उक्त भूमि पर कितना अवैध निर्माण अब तक हो चुका है एवं इसे कब तक हटाया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर निगम जबलपुर के अंतर्गत आने वाली गृह निर्माण सहकारी समितियों में अल्प आय वर्ग हेतु मात्र एक समिति लोक निर्माण कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति मौजा गढ़ा के अभिन्यास क्षेत्र में 8 नग एल.आई.जी. भूखण्ड आरक्षित है। उक्त समिति क्षेत्र में आरक्षित अल्प आय वर्ग के भूखण्डों का आवंटन नहीं हुआ है, उक्त आरक्षित भूखण्डों का आवंटन/पात्र व्यक्तियों का चयन नियमों में वर्णित प्रावधानों के अनुसार कॉलोनाईजर द्वारा किया जाना है। शेष प्रश्नांश की जानकारी निरंक है। (ख) नगर निगम जबलपुर के अंतर्गत आने वाली शा. शिक्षक कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति जबलपुर में अल्प आय वर्ग हेतु कोई भूमि आरक्षित नहीं था। कमजोर आय वर्ग हेतु आरक्षित 19200 वर्गफीट भूमि पर अवैध कब्जा एवं अवैध निर्माण की सूचना निगम को जुलाई 2015 में प्राप्त हुई थी। (ग) नगर निगम जबलपुर द्वारा अवैध कब्जा के लिये उपायुक्त सहकारिता एवं तहसीलदार कोतवाली अनुभाग को भूमि के सीमांकन एवं सुरक्षा हेतु पत्र प्रेषित किये गये है। प्रश्नाधीन अवैध निर्माण के विरूद्ध नगर निगम द्वारा दिये गये नोटिस के उत्तर में निर्माणकर्ता द्वारा भूमि स्वामित्व के अभिलेख सहित मानचित्र स्वीकृति हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये है। स्वामित्व संबंधी विवाद के कारण मानचित्र स्वीकृति नहीं किये गये है वर्तमान में निर्माण भूतल के स्लैब स्तर से ऊपर हो चुका है। यदि प्रश्नाधीन भूमि सीमांकन पश्चात् समिति के स्वामित्व की पाई जाती है तो सिविल न्यायालय से विवाद निराकरण एवं कब्जे संबंधी कार्यवाही समिति द्वारा ही किया जाना होगा।
सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों का शासन के विभागों में संविलियन
81. ( क्र. 5708 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा शासकीय सेवा सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों का संविलियन प्रतिषेध किया गया है? यदि हाँ, तो इस संबंध में कब नियम बनाये गये, नियमों की प्रति उपलब्ध करायें? (ख) क्या विशिष्ट योग्यता रखने वाले कर्मचारियों को उक्त प्रतिषेध से मुक्त रखा गया है? (ग) क्या उक्त आदेश के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों को शासकीय विभागों में संविलियन अथवा सीधी भर्ती पर नियुक्ति पर रोक लगाई गई थी? (घ) क्या भोपाल स्थित शासकीय कार्यालयों में उक्त प्रतिषेध के बाद भी सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों का संविलियन किया गया है अथवा सीधी भर्ती के पदों पर नियुक्ति प्रदान की गई है? यदि हाँ, तो नाम, पद एवं दिनांक सहित विवरण देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जी हाँ। (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास के कार्य
82. ( क्र. 5713 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत तीन वर्षों में मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास के कार्य नगर निगम सतना द्वारा कौन-कौन से वार्डों में कराये गये हैं? आराजी क्रमांक कौन-कौन से हैं, वार्डवार जानकारी दें? (ख) क्या नगर निगम सतना में अश्वमेघ ग्रुप को अधोसरंचना रोड निर्माण का कार्य देकर प्रायवेट कॉलोनाईज़र की कॉलोनी की रोड निर्माण कराकर राज्य शासन को 1300257.00 की राशि का दुरूपयोग किया गया? राज्य शासन उक्त कार्य को वैध मानता है या अवैध? (ग) ठेकेदार के परिवार के सदस्य नगर निगम सतना में किस पद पर कब से पदस्थ है? क्या उक्त पदस्थापना के कारण निष्पक्ष जाँच संभव है? अगर हाँ, जाँच अधिकारी का नाम/पदनाम दें? (घ) क्या गंगा गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित धवारी द्वारा विकास की अनुमति की प्राप्त कॉलोनी रकबा 4.07 एकड़ भू-भाग में मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास योजना के अंतर्गत रू. 1300257.00 राशि की रोड निर्माण कर राशि के दुरूपयोग की निष्पक्ष जाँच की है? प्रश्नतिथि तक हुई जाँच का विवरण दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रकरण की जाँच कराई जा रही है। जाँच उपरांत गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जायेगा। (ग) नगर पालिक निगम, सतना में ठेकेदार के परिवार का कोई सदस्य, पदस्थ नहीं है। उत्तरांश के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास, म.प्र. भोपाल द्वारा प्रकरण की जाँच के लिए समिति गठित की गई है। जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होना शेष है।
जल प्रदाय योजना में वित्तीय अनियमितता
83. ( क्र. 5714 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर निगम सतना की जल प्रदाय योजना में निविदा आमंत्रण एवं दर स्वीकृति में हुई वित्तीय अनियमितता की जाँच शासन द्वारा संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास के मुख्य अभियंता से कराई गयी थी? क्या उन्हें एक माह में जाँच कर जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था? (ख) शासन द्वारा मुख्य अभियंता को प्रकरण की जाँच करने का आदेश किस दिनांक को दिया गया एवं उनके द्वारा जाँच प्रतिवेदन किस दिनांक को प्रस्तुत किया गया है? अगर प्रस्तुत किया है तो विवरण दें? अगर नहीं तो क्यों कारण दें? (ग) जाँच में कितनी राशि की वित्तीय अनियमितता पाई गई तथा इस वित्तीय अनियमितता के लिए कौन अधिकारी/कर्मचारी दोषी पाये गये है? नाम एवं पदनाम बताये? क्या कार्यवाही शासन द्वारा उनके विरूद्ध कब तक करेगें? (घ) जाँच में दोषी पाये गये अधिकारी वर्तमान में कहाँ, किस पद पर पदस्थ हैं? दोषी अधिकारी के विरूद्ध कब तक और क्या कार्यवाही की जायेगी? अगर कार्यवाही प्रश्नतिथि तक नहीं की गयी है तो कारण दें? नियम बतायें? कार्यवाही हेतु समय-सीमा दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) दिनांक 04.0'2014 को जाँच करने का आदेश दिया गया। मुख्य अभियंता द्वारा दिनांक 04.09.2014 को जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। प्रकरण में नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जा रही है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जाँच प्रतिवेदन में तत्कालीन महापौर परिषद प्रथम दृष्टया राशि रू. 1989.55 लाख की वित्तीय हानि के लिये दोषी है तथा तत्कालीन आयुक्त, नगर पालिक निगम, सतना कर्तव्यों के प्रति लापरवाही के प्रथम दृष्टया दोषी है। शासन द्वारा नियमानुसर कार्यवाही की जा रही है। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (घ) तत्कालीन आयुक्त वर्तमान में नगर निगम, सतना में आयुक्त के पद पर पदस्थ है। शासन द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
राज्य सभा सदस्य प्रतिनिधि को परिषद की बैठक
84. ( क्र. 5722 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश की नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत की बैठकों में पदेन सदस्यों के रूप में राज्य सभा सदस्य प्रतिनिधि को उपस्थित होने का कोई प्रावधान है? यदि हाँ, तो क्या नियम है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार नगर पालिका परिषद सारंगपुर की बैठकों में उपस्थित होने हेतु राज्य सभा सदस्य द्वारा उनका प्रतिनिधि किनकों नियुक्ति किया गया है? नाम तथा नियुक्ति आदेश की जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार यदि राज्य सभा सदस्य के प्रतिनिधि को परिषद की बैठकों में बैठने का प्रावधान नहीं है, तो संबंधित अधिकारी द्वारा उन्हें बैठने की अनुमति देने वाले अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? अगवत करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, म.प्र. नगर पालिका (लोक सभा सदस्यों, विधान सभा के सदस्यों तथा राज्यसभा के सदस्यों द्वारा नियम निर्देशन) नियम, 2000 जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) नगर पालिका परिषद, सारंगपुर की बैठकों में भाग लेने हेतु राज्यसभा सदस्य द्वारा श्री प्रदीप सादानी पिता श्री नारायणदास सादानी को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है। राज्यसभा सांसद के पत्र क्रमांक 64 दिनांक 24.09.2015 एवं कार्यालय कलेक्टर (शहरी विकास) जिला राजगढ़ (ब्यावरा) का पत्र क्रमांक 685 दिनांक 05.10.2015 की प्रतियां भी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। (ग) शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
विक्रय कर विभाग में अधिकारियों की गृह जिले में पद स्थापना
85. ( क्र. 5728 ) प्रो. संजीव छोटेलाल उइके : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के अनुसार राजपत्रित अधिकारी एवं कार्यपालक अधिकारियों को गृह जिले में पदस्थ करने की क्या कोई नीति है? (ख) शिवपुरी जिले में वाणिज्यकर विभाग के अंतर्गत कौन-कौन अधिकारी अपने गृह जिले में किस दिनांक से पदस्थ है? इन अधिकारियों के पूरे सेवाकाल में यह किस-किस अवधि में किन-किन जिलों में पदस्थ रहे है? (ग) क्या गृह जिले में पदस्थ राजपत्र अधिकारियों एवं कार्यपालक अधिकारियों की पदस्थापना शासन की नीति की विपरीत है? यदि हाँ, तो ऐसे अधिकारियों को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति वर्ष 2015-16 की कण्डिका 8.16 अनुसार अविवाहित, विधवा, तलाकशुदा, परित्याक्ता महिलाओं के प्रकरणों में उनके गृह जिले में स्थानांतरण किया जा सकेगा। (ख) वाणिज्यिक कर वृत्त कार्यालय शिवपुरी में कुमारी जया शर्मा, सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी के पद पर अपने गृह जिले शिवपुरी में दिनांक 22/06/2015 से पदस्थ है। इस पदस्थापना से पूर्व कुमारी जया शर्मा, वाणिज्यिक कर निरीक्षक के पद पर वृत्त कार्यालय शिवपुरी में दिनांक 24/09/2008 से 12/07/2012 तक एवं ग्वालियर वृत्त-3 में दिनांक 19/07/2012 से 21/05/2014 तक तथा सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी के पद पर ग्वालियर वृत्त-2 में दिनांक 22/05/2014 से 12/06/2015 तक पदस्थ रहीं हैं। (ग) कुमारी जया शर्मा, सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी के अविवाहित होने से इनकी गृह जिला में पदस्थापना सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति अनुसार ही है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
दण्डित व्यक्ति की संविदा नियुक्ति
86. ( क्र. 5730 ) श्री उमंग सिंघार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक सी-3-12/2011/3/एक दिनांक 03 सितम्बर 2011 के पैरा 2 (ग) में उल्लेखित मापदण्ड के अनुसार दण्ड से आशय म.प्र. सिविल सेवा, वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के उपनियम 10 में परिभाषित दण्ड, (जिसमें कि परिनिन्दा भी शामिल है) से है और पिछले 10 वर्ष से आशय उस व्यक्ति जिसका की, संविदा नियुक्ति का प्रस्ताव है और उसे उसके नियमित सेवाकाल में, प्रस्ताव तिथि से पिछले 10 वर्षों की अवधि में दिये गये दण्ड की अवधि से है? (ख) यदि हाँ, तो बतायें कि सामान्य प्रशासन विभाग के उपरोक्त परिपत्र में दिये गये मापदण्डों के परिप्रेक्ष्य में छानबीन समिति को भेजे जाने वाले प्रस्ताव की तिथि से, पिछले 10 वर्षों के अन्दर, यदि संविदा नियुक्ति हेतु, सेवानिवृत्त शासकीय सेवक को, उसके नियमित सेवाकाल में, परिनिन्दा के दण्ड से दण्डित किया गया था तो क्या ऐसी संविदा नियुक्ति वैधानिक मानी जायेगी? यदि हाँ, तो किन नियमों के तहत?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) संबंधित प्रशासकीय विभाग द्वारा प्रस्ताव में दण्ड की स्थिति नहीं दर्शाये जाने पर ही छानबीन समिति निर्धारित मापदण्डों के आधार पर अनुशंसा करती है।
गढ़ीपड़रिया बांध
87. ( क्र. 5748 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या गुनौर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम गढ़ीपड़रिया बांध का शिलान्यास माननीय मुख्यमंत्री महोदय म.प्र. शासन द्वारा उस क्षेत्र की सिंचाई सुविधा के लिये किया गया था? क्या उस बांध से सिंचाई की जा रही है? (ख) उक्त बांध की लम्बाई कितनी है एवं कितनी लागत खर्च की गई? क्या उक्त बांध व नहर का काम आज भी अधूरा है नहर हर जगह फूटी पड़ी है जो वेस्ट वियर बांध फूटने की वजह से अधिक नीचे बना दिया था जिससे बांध में भराव नहीं तो पाता है? क्या बांध में सुधार कराया जायेगा? (ग) क्या उक्त बांध निर्माण में व्यापक भ्रष्टाचार किया गया है? यदि हाँ, तो क्या बांध निर्माण में हुये व्यापक भ्रष्टाचार की जाँच कराते हुये अधूरे कार्य को पूर्ण कराया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
रून्ज सिंचाई परियोजना
88. ( क्र. 5749 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले में विभाग द्वारा स्वीकृत रून्ज सिंचाई परियोजना कब, किस मद से स्वीकृत हुई?क्या परियोजना का सर्वेक्षण एवं भू-अधिग्रहण कार्य पूर्ण कर लिया गया है? यदि हाँ, तो सर्वेक्षण एवं भू-अधिग्रहण पर प्रश्न दिनांक तक व्यय राशि का मदवार विवरण दें? (ख) क्या पूर्व में की गई डिजाईन के आधार पर बांध निर्माण में हार्ड स्ट्रेटा नमिलने के कारण इसकी डिजाईन में परिवर्तन किया गया है? यदि हाँ, तो यह त्रुटिपूर्ण डिजाईन करने वाले अधिकारी का नाम एवं पद बतायें तथा संबंधित के विरूद्ध इस त्रुटि के लिये क्या कार्यवाही की गई? क्या इस त्रुटिपूर्ण डिजाईन के आधार पर व्यय किया गया है? यदि हाँ, तो व्यय राशि का विवरण दे तथा यह राशि किससे, कितनी वसूली की जावेगी? (ग) रूंझ परियोजना की वर्तमान डिजाईन एवं पूर्व डिजाईन के आधार पर बांध निर्माण की लागत में कितनी राशि का अंतर आया है? बांध निर्माण के पश्चात् क्षेत्र की कुल कितनी कृषि भूमि में सिंचाई सुविधा प्रदान की जाना है, तथा इससे किन ग्रामों के कौन से कृषकों को कितनी भूमि सें सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी? (घ) रूंझ परियोजना की पूर्णत: की समयावधि क्या है तथा इस परियोजना का टेण्डर कब जारी किया जावेगा? परियोजना में भू-अधिग्रहण की राशि का कब कितना किस कृषक को भुगतान किया गया है तथा किसका कितना भुगतान शेष है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) रूंझ परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति मांग संख्या 23 लेखा शीर्ष 4701 के अंतर्गत दिनांक 22.07.2011 को रू.269.79 करोड़ की जारी की गई है। जी नहीं, जलाशय के डूब क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया है एवं नहर क्षेत्र का सर्वेक्षण पूर्ण नहीं हुआ है। सर्वेक्षण कार्य पर रूपये 42.13 लाख का व्यय हुआ है। भूमि अधिग्रहण के आदेश पारित नहीं हुए हैं। (ख) यद्यपि भू-गर्भीय कारणों से बांध के तकनीकी रूपांकन में परिवर्तन आवश्यक है, रूपांकन परीक्षण में है और परिवर्तन नहीं किया गया है। प्रशासकीय स्वीकृति के समय सामान्य परिस्थितियों के आधार पर परियोजना के तकनीकी अवयवों का अनुमान तैयार कर प्रस्ताव तैयार किए जाते है। निर्माण करते समय मौका स्थिति पर आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जाता है। सामान्य गहराई पर बांध निर्माण के लिए कठोर तल नहीं मिलने के लिए किसी अधिकारी की त्रुटि अथवा दोषी होने की स्थिति नहीं है। बांध के तकनीकी अवयवों के रूपांकन में व्यय नहीं किया गया होने से शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते है। (ग) तकनीकी रूपांकन नियत नहीं किया गया होने से लागत में वृद्धि का आंकलन करना संभव नहीं है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) मध्यम परियोजनाएं भूमि की उपलब्धता एवं वनभूमि के उपयोग की अनुमति मिलने की दशा में और निर्माण कार्य प्रारंभ करने के वर्ष को छोड़कर 4 से 6 वर्ष में पूर्ण की जाती है। निविदा का आमंत्रण बांध के तकनीकी अवयव निर्धारित होने पर निर्भर है जिसके लिए समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है। भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने के कारण भुगतान संबंधी जानकारी निरंक है।
अरवलिया ग्राम में पुरातत्व महत्व की धरोहर
89. ( क्र. 5788 ) श्री विष्णु खत्री : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र बैरसिया अंतर्गत तहसील हुजूर के अरवलिया ग्राम में पुरातत्व महत्व की धरोहरों को निकालने के लिये खुदाई का कार्य किया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित स्थल में मंदिर प्रांगण में खुदाई में कौन-कौन सी पुरातत्व महत्व की मूर्तियां/अवशेष/सामग्री निकली हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शित पुरातत्व की महत्व प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करने की क्या कार्ययोजना विभाग तैयार कर रहा है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्नांश ‘’क’’ में उल्लेखित अरवलिया ग्राम के हनुमान मंदिर के समीप परिसर में प्राचीन अवशेषों का मलवा सफाई कार्य कराया गया है. (ख) इस स्थल के मलवा सफाई में प्राचीन मंदिर के अवशेषों के साथ-साथ 5 महत्वपूर्ण कलाकृतियां प्रकाश में आयी. (ग) मलवा सफाई से प्राप्त अवशेषों में से 5 महत्वपूर्ण कलाकृतियों को सुरक्षा की दृष्टि से राज्य संग्रहालय, भोपाल में स्थानांतरित किया गया है परन्तु प्राचीन मंदिर के अवशेष संरक्षण के मानदण्डों के अनुसार पर्याप्त नहीं हैं. अत: सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आवश्यक व्यवस्था की जा रही है.
म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी में उद्यान शास्त्री की पदस्थापना
90. ( क्र. 5801 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी में 4 स्थानों पर ताप विद्युत गृह हैं तथा इन ताप विद्युत गृहों में बिजली उत्पादन में हजारों टन कोयला जलाया जाता है? क्या पूर्व में सभी ताप विद्युत गृहों में कोयला से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम हेतु एक-एक उद्यान शास्त्री की पदस्थापना की थी? (ख) क्या संजय गांधी ताप विद्युत गृह में उद्यान शास्त्री नहीं था वहां पर अमरकंटक ताप विद्युत गृह में पदस्थ उद्यान शास्त्री द्वारा अतिरिक्त प्रभार देकर कार्य कराया जाता था? क्या वर्तमान में कंपनी में मात्र एक उद्यान शास्त्री पदस्थ हैं एवं एक उद्यान शास्त्री सेवानिवृत्त होने पर सतपुड़ा ताप में पदस्थ कर दिया है तथा अमरकंटक ताप विद्युत गृह एवं संजय गांधी ताप विद्युत गृह में कोई कार्य करने वाले नहीं है एवं नवनिर्मित श्रंगाजी ताप विद्युत गृह में भी पद रिक्त हैं? (ग) नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग पावर जनरेटिंग कंपनी को प्रदूषण जैसी गम्भीर समस्या में नई भर्ती न होने तक छत्तीसगढ़ पावर जनरेटिंग कंपनी की भांति एक उद्यान शास्त्री से सभी 4 ताप विद्युत गृहों की साप्ताहिक देखभाल हेतु निर्देशित करेंगे, जिससे प्रदूषण की रोकथाम हो सके?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (म.प्र.पा.ज.कं.लि.) में चार स्थानों पर ताप विद्युत गृह हैं। इन ताप विद्युत गृहों में विद्युत उत्पादन हेतु आवश्यकता अनुसार कोयले का उपयोग किया जाता है। पूर्व में म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल से म.प्र.पा.ज.कं.लि. को कार्मिकों के अंतिम अन्तरण के फलस्वरूप अन्तरित दो उद्यान शास्त्रियों की पदस्थापना क्रमश: अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई एवं सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी में की गई थी। वर्तमान में म.प्र.पा.ज.कं.लि. की स्वीकृत संरचना में उद्यान शास्त्री का केवल एक पद सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी हेतु स्वीकृत है, जिसके विरूद्ध एक उद्यान शास्त्री पदस्थ है। (ख) जी हाँ। संजय गांधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर में उद्यान शास्त्री पदस्थ नहीं था। अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई में पदस्थ उद्यान शास्त्री, आवश्यकतानुसार संजय गांधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर का कार्य भी देखते थे। जी हाँ। वर्तमान में म.प्र.पा.ज.कं.लि. में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी में उद्यान शास्त्री के स्वीकृत पद पर एक उद्यान शास्त्री पदस्थ है, जिन्हें सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी के उद्यान शास्त्री के सेवानिवृत्त होने के पश्चात् पदस्थ किया गया है। अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई, संजय गांधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर एवं नवनिर्मित श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह, खण्डवा में उद्यान शास्त्री का पद स्वीकृत नहीं है। अत: उक्त ताप विद्युत गृहों में उद्यान शास्त्री का पद रिक्त होने का प्रश्न ही नहीं उठता। (ग) म.प्र.पा.ज.कं.लि. के सभी ताप विद्युत गृहों को प्रदूषण मुक्त करने हेतु वहाँ पर तकनीकी उपकरण जैसे ई.एस.पी., जल शुद्धीकरण संयंत्र आदि लगाए गये हैं। जिन विद्युत गृहों में उद्यान शास्त्री पदस्थ नहीं है, वहाँ पर उपलब्ध सिविल विभाग के मार्ग दर्शन में बाहय स्त्रोतों के तहत् वानिकी एवं उद्यान संबंधी कार्य संपादित कराये जा रहे हैं। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की पुरानी इकाइयों की पर्यावरणीय संवेदनशीलता के दृष्टिगत वहाँ एक उद्यान शास्त्री का पद स्वीकृत है, जिसके विरूद्ध एक उद्यान शास्त्री पदस्थ भी है। अत: अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई, संजय गांधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर एवं श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह, खण्डवा में तकनीकी उपकरण आदि स्थापित किये जाने से पर्यावरण जैसी गंभीर समस्या के न होने से इन ताप विद्युत गृहों में उद्यान शास्त्री की पदस्थापना की आवश्यकता नहीं है।
प्रदेश में स्थापित ताप एवं जल विद्युत गृह की जानकारी
91. ( क्र. 5802 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी ताप एवं जल विद्युत इकाइयों की कितनी मेगावाट क्षमता है? ताप एवं जल विद्युत इकाइयों का विवरण नाम, स्थान, क्षमता का विवरण अलग-अलग बतावें? साथ ही राज्य शासन की इकाइयों का विवरण भी उपरोक्तानुसार बतावें वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा ताप एवं जल विद्युत इकाइयों का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया बतावें वर्ष 2015-16 से 2018-19 तक पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा किन-किन विद्युत इकाइयों से विद्युत उत्पादन प्राप्त होगा नाम, स्थान, क्षमता सहित विवरण बतावें? (ख) प्रदेश में कितनी प्राइवेट ताप एवं जल विद्युत परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन प्राप्त हो रहा है? नाम, स्थान क्षमता बतावें? साथ ही इन इकाइयों की प्रति क्या यूनिट दर है एवं क्या पूरी बिजली इन परियोजनाओं की प्रदेश को ही बेची जा रहीं है वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक कौन सी विद्युत इकाइयों से विद्युत उत्पादन प्राप्त हो रहा है एवं होने लगेगा? नाम, स्थान, क्षमता मेगावाट में बतावें।
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की ताप एवं जल विद्युत इकाइयों का नाम, स्थान, क्षमता का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। राज्य शासन एवं एन.एच.पी.सी.लि. के संयुक्त उपक्रम एन.एच.डी.सी.लि. एवं नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के जल विद्युत इकाइयों का नाम, स्थान, क्षमता का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना द्वितीय चरण, डोंगलिया जिला खंडवा में 660 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयों (इकाई क्रमांक 3 एवं 4) का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है एवं उक्त अवधि में म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा कोई भी जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया। वर्ष 2015-16 से 2018-19 की अवधि में म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी की जिन विद्युत इकाइयों से विद्युत उत्पादन प्राप्त होगा उनका नाम, स्थान, क्षमता निम्नानुसार है :-
इकाई क्रमांक |
परियोजना का नाम एवं स्थान |
उत्पादन क्षमता |
संभावित वाणिज्यिक उत्पादन की तिथि |
1 |
श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना द्वितीय चरण, डोंगलिया जिला खंडवा |
660 मेगावाट |
जुलाई 2018 |
2 |
660 मेगावाट |
नवंबर 2018 |
(ख)
प्रदेश
में वर्तमान
में 6
निजी ताप
विद्युत
परियोजनाओं
से विद्युत प्राप्त
की जा रही है, जिनके
नाम, स्थान, क्षमता
एवं औसत
प्रतियूनिट
विद्युत दर का
विवरण पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र 'स'
अनुसार है।
जी नहीं,
बल्कि
राज्य के
द्वारा इन
परियोजनाओं
से क्रय की
जाने वाली
विद्युत को
विद्युत क्रय
अनुबंधों की
शर्तों के
अनुसार क्रय
किया जा रहा
है। वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में
प्रश्न
दिनांक की
स्थिति में जिन
नई विद्युत इकाइयों
से विद्युत
उत्पादन
प्रारंभ हुआ
है, इनका
विवरण पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र 'द' अनुसार है।
प्रदेश में
प्रश्न
दिनांक के बाद
वर्ष 2018-19 तक
जिन नई
विद्युत इकाइयों
से विद्युत
उत्पादन
प्राप्त
होना संभावित
है, उनका
विवरण पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र 'इ'
अनुसार है।
पर्यटन स्थलों के विकास हेतु कार्ययोजना
92. ( क्र. 5835 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र श्री दत्तात्रेय भगवान आश्रम ग्राम सलेहपुर एवं बाग-बागेश्वरी माताजी मंदिर ग्राम बगवाज पर वर्ष भर धार्मिक आयोजन, नवदुर्गा उत्सव एवं सभी प्रमुख त्यौहारों पर बड़ी मात्रा में दर्शनार्थियों का जमावड़ा रहता है? उपरोक्त दोनों स्थल पहाड़ी स्थानों पर प्राचीनकाल से स्थित हैं तथा प्राकृतिक सौंदर्य लिये हुये हैं? (ख) यदि हाँ, तो उक्त दोनों स्थलों को विकसित करने हेतु पर्यटन विभाग द्वारा कोई कार्ययोजना बनाई जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
अग्रवाल वेतन आयोग की अनुशंसाओं पर कार्यवाही
93. ( क्र. 5836 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के अतारांकित प्रश्न संख्या 46 (क्रमांक 1324) दिनांक 27 फरवरी 2015 के उत्तर में संलग्न परिशिष्ट पैंतीस में बताया गया था कि राज्य वेतन आयोग के प्रतिवेदन खण्ड-चार में कार्यभारित कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान सुविधा प्रदान करने संबंधी अनुशंसाओं का शासन द्वारा परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षणोपरान्त ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा? तो क्या प्रश्न दिनांक उक्त अनुशंसाओं के परीक्षाणोपरान्त शासन द्वारा कोई निर्णय लिया गया है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या शासन यथाशीघ्र कार्यभारित कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान सुविधा प्रदान करने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। नीतिगत होने से और परीक्षण की आवश्यकता है। (ख) उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
ग्रामों का विद्युतीकरण
94. ( क्र. 5870 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या चंदला विधानसभा क्षेत्र के सभी ग्रामों में विद्युत पहुंच गयी है। यदि नहीं, तो उन ग्रामों के नाम बतलाये जायें जहां विद्युत नहीं पहुंची है व नहीं पहुंचने के कारण भी बतलायें जावें। (संदर्भित अवधि वर्ष 2014-15, 15-16 के संबंध में)? (ख) क्या चंदला विधानसभा क्षेत्र में जितने ट्रान्सफार्मर लगाये गये हैं क्या वे सभी नये ट्रान्सफार्मर हैं या पुराने को मरम्मत करके एवं नये ट्रान्सफार्मर रिकॉर्ड में बदलाकर लगाये गये हैं। नये एवं पुराने ट्रान्सफार्मर की संख्या बतलावें? (ग) नये ट्रान्सफार्मर की बाजारू कीमत कितनी है तथा कितनी कीमत में कितने नये ट्रान्सफार्मर सम्पूर्ण जिले हेतु क्रय किये गये? (घ) जिन ग्रामों में विद्युत नहीं पहुंची है उनमें कब तक बिजली पहुंच जायेगी?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) चंदला विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 34 डी-इलेक्ट्रिफाईड ग्रामों में से वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 के दौरान 07 ग्रामों के पुन: विद्युतीकरण का कार्य किया गया है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत टर्न-की ठेकेदार एजेंसी मेसर्स एलटेल इंजीनियर्स प्रा.लि. सतना. को छतरपुर जिले के विद्युतीकरण कार्य हेतु दिनांक 15.09.12 को अवार्ड जारी किया गया था, जिसमें चंदला विधानसभा क्षेत्र के उक्त 34 डी-इलेक्ट्रिफाईड ग्राम भी सम्मिलित थे। ठेकेदार एजेंसी द्वारा कार्य की धीमी प्रगति के कारण 27 ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य शेष है जिनकी सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन अवधि में चन्दला विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना जिला छतरपुर के तहत् 43 नग 25 के.व्ही.ए. क्षमता के, आदिम जाति कल्याण विभाग छतरपुर द्वारा 06 नग 25 के.व्ही.ए. एवं 12 नग 63 के.व्ही.ए. क्षमता के, फीडर सेपरेशन योजना के तहत् 62 नग 25 के.व्ही.ए. क्षमता के, स्थायी कृषि पंप कनेक्शन हेतु अनुदान योजना अन्तर्गत 09 नग 25 के.व्ही.ए. क्षमता के नये वितरण ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। उक्त के अतिरिक्त प्रणाली सुदृढ़ीकरण योजना के तहत् 25 के.व्ही.ए. का 01 नग, 63 के.व्ही.ए. के 02 नग एवं 100 के.व्ही.ए. के 09 नग नये वितरण ट्रांसफार्मर लगाये गये हैं। विभिन्न योजनाओं के तहत् नये ट्रांसफार्मरों ही लगाये जाते हैं पुराने ट्रांसफार्मर स्थापित नहीं किये जाते हैं। पुराने ट्रांसफार्मरों का उपयोग सुधार कार्य कराकर फेल/खराब ट्रांसफार्मरों को बदलने में किया जाता है। (ग) ट्रांसफार्मरों का क्रय सम्पूर्ण कंपनी क्षेत्र हेतु कंपनी स्तर पर किया जाता है अत: जिले हेतु क्रय किये गये ट्रांसफार्मरों की संख्या पृथक से देना संभव नहीं है। टर्न-की ठेकों में प्रतिस्पर्धात्मक निविदा के आधार दिये गये अलग-अलग ठेकों में अलग-अलग दर होती है तथापि वर्ष 2015-16 में कंपनी क्षेत्र हेतु लागू शेड्यूल ऑफ रेट के अनुसार विभिन्न क्षमता के ट्रांसफार्मरों की प्राक्कलन निर्माण हेतु विभिन्न क्षमता के ट्रांसफार्मरों की लागत राशि निम्नानुसार है :-
क्रमांक |
विवरण |
दर (रू.) |
1 |
25 के.व्ही.ए. |
42655/- |
2 |
63 के.व्ही.ए. |
88715/- |
3 |
100 के.व्ही.ए. |
111359/- |
4 |
200 के.व्ही.ए. |
189100/- |
5 |
315 के.व्ही.ए. |
458393/- |
(घ) राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अन्तर्गत छतरपुर जिले में धीमी गति से कार्य किये जाने के कारण टर्न-की ठेकेदार एजेंसी को टरमिनेशन नोटिस पत्र क्रमांक 1655 दिनांक 17.09.2015 के माध्यम से जारी किया गया है एवं ठेका निरस्त करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। ठेका निरस्त करने के उपरांत नई निविदा जारी करने की कार्यवाही की जाएगी। अत: वर्तमान में उक्त ग्रामों के विद्युतीकरण की निश्चित समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
दैनिक वेतन भोगी कर्मियों का नियमितीकरण
95. ( क्र. 5871 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले के विभिन्न विभाग व निकायों तथा विभिन्न बोर्ड में वर्ष 2000 से 2015 तक कितने दैनिक वेतन भोगी कर्मी वर्तमान में कार्यरत है। (ख) अभी तक कितने वेतनभोगी कर्मी नियमित किये जा चुके हैं। कितने शेष हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 1424, कार्यरत है। (ख) 132 नियमित किये जा चुके है। 1424 शेष है।
पर्यावरण संरक्षण
96. ( क्र. 5886 ) सुश्री उषा ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पोल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी इंदौर द्वारा विगत एक वर्ष में कितने संस्थानों में पर्यावरण संरक्षण बावत् निरीक्षण कर कार्यवाही की गई, सूची देवें? (ख) इंदौर के उद्योग होटल/नर्सिंग होम/कारखानों में तथा बहुमंजिला इमारतों में पर्यावरण सुरक्षा एवं ई.टी.पी. प्रोजेक्ट की व्यवस्था पर्याप्त की गई है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ की गई है, सूची देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ एवं ‘‘ब‘‘ अनुसार है।
निर्माण कार्य एवं सामग्री क्रय में व्यय राशि
97. ( क्र. 5928 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पंचायत सीतामऊ को शासन द्वारा एक वर्ष में किस-किस मद में कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई है? (ख) विगत एक वर्ष में निर्माण कार्यों में एवं सामग्री क्रय एवं अन्य मदों में कितनी राशि व्यय की गई? व्यय की गई राशि एवं कार्य का नाम बतावें? (ग) विगत एक वर्ष में निर्माण कार्यों एवं सामग्री क्रय हेतु नगर पंचायत द्वारा निकाली गई विज्ञप्ति या टेंडरों का विवरण उपलब्ध करावें? (घ) नगर पंचायत क्षेत्र सीतामऊ में सड़कों का पेंचवर्क, रिपेरिंग के नाम से कितनी राशि किस-किस सड़क हेतु कितनी-कितनी राशि खर्च की गई एवं बस स्टैंड पर निर्मित शौचालय का विज्ञप्ति या टेंडर पर कुल व्यय राशि बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सड़क-7,99,683.00 मूलभूत सुविधा- 23,047,28.00 राज्य वित्त आयोग-29,54,565.00 विशेष निधि-39,95,561.00. (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
खनिज रायल्टी
98. ( क्र. 5975 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा संभाग में वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक खनिज विभाग गौण खनिज एवं माइनर खनिज में राजस्व संग्रहण का क्या लक्ष्य निर्धारित कर रखा गया है। निर्धारित लक्ष्य से कितनी राजस्व की प्राप्ति हुई। जिलावार, वर्षवार, खनिजवार जानकारी देवें तथा विभाग द्वारा कितने स्टोन क्रेशरों को संचालित करने की अनुज्ञा दी गई है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उपरोक्त वर्षों में किन-किन खनिजों का किन ठेकेदारों को लीज दी गयी थी तथा कितना वाणिज्य कर वसूल किया गया है?। (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के संदर्भ में खनिजों का उत्खन्न व राजस्व राशि कितने-कितने क्रेशर मालिकों, माइनिंग ठेकेदारों एवं सीमेन्ट उद्योगों में चूना पत्थर के लिये कितनी-कितनी रायल्टी टैक्स वसूली लंबित है? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) के संदर्भ में लक्ष्यपूर्ति व रायल्टी वसूली न करने में कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं तथा उक्त बकाया राशि की वसूली करते हुए दोषी अधिकारियों पर कब क्या कार्यवाही करेंगे।
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) गौण खनिज हेतु विभाग द्वारा पृथक से राजस्व का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया जाता। प्रश्नाधीन अवधि में गौण खनिज से प्राप्त खनिज राजस्व का वर्षवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। विभाग द्वारा स्टोन क्रेशर को संचालित करने की अनुज्ञा दिए जाने का प्रावधान म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नांश 'क' के संदर्भ में गौण खनिज की स्वीकृति लीजों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। वाणिज्यिक कर की वसूली विभाग द्वारा नहीं की जाती है। अत: शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) रीवा संभाग के जिलों में मुख्य एवं गौण खनिज का जो खनिज राजस्व बकाया है उसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश 'क' में दिए गए उत्तर से स्पष्ट है कि गौण खनिज का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं रहता है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। बकाया वसूली किया जाना एक सतत प्रक्रिया है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
धार्मिक पर्यटन स्थलों का विकास
99. ( क्र. 5991 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शाजापुर जिले में कौन-कौन से धार्मिक स्थलों का चयन धार्मिक पर्यटन स्थान के रूप में किया गया है? (ख) क्या कालापीपल विधानसभा क्षेत्र के अवंतीपुर बड़ोदिया के गरीबनाथ धाम, मोल्टाकेवड़ी के हिमालेश्वर पार्वती नदी पर देहरीघाट, पोलायकलां के देवझिरी धाम, अलीसरिया के भोलेडोंगरी, कालापीपल गांव के तैलिया हनुमान मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने हेतु मांग की गई है? प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही हुई? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित धार्मिक स्थलों को कब तक पर्यटन स्थल घोषित कर इन्हें विकसित किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) पर्यटन स्थल घोषित करने की विभाग में कोई नीति नहीं है। (ख) देहरी घाट के संबंध में दिनांक 10.03.2016 को पत्र प्राप्त हुआ। (ग) पर्यटन स्थल घोषित करने की विभाग में कोई नीति नहीं है।
परीवीक्षा अवधि में नियुक्ति
100. ( क्र. 6026 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य शासन के अंतर्गत परीवीक्षा अवधि में नियुक्ति पाये राजपत्रित अधिकारी को जिसकी परीवीक्षा अवधि समाप्त न हुई हो, पदोन्नति के विचारण क्षेत्र में लाया जा सकता है अथवा पदोन्नति पर विचार किया जा सकता है? (ख) क्या मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 जो दिनांक 11/09/2002 से प्रभावशील है, नियम 6 (1) के तहत 11/06/2002 के बाद संपन्न होने वाली विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में किसी अधिकारी या कर्मचारी को उक्त पदोन्नति नियम को अतिक्रमित करते हुये भूतलक्षी प्रभाव से पदोन्नति का लाभ दिया जा सकता है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। मध्यप्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम, 2002 दिनांक 11.6.2002 से प्रभावशील है।
विभागों में स्वीकृत/रिक्त पदों की स्थिति
101. ( क्र. 6054 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्योपुर जिले में उपसंचालक सामाजिक न्याय विभाग, जिला योजना अधिकारी एवं रोजगार अधिकारी में विभाग प्रमुखों के पद कई वर्षों से रिक्त पड़े हैं? (ख) यदि हाँ, तो क्या इससे आवश्यक कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है साथ ही इन कार्यालयों/विभाग से संबंधित शासन की महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी आमजन को ठीक प्रकार से नहीं मिल पा रहा है? (ग) यदि हाँ, तो क्या शासन उक्त रिक्त पदों को शीघ्र भरेगा व कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। वर्तमान में उप संचालक, सामाजिक न्याय एवं जिला योजना अधिकारी का प्रभार डिप्टी कलेक्टर को तथा जिला रोजगार अधिकारी श्योपुर का अतिरिक्त प्रभार उप संचालक, जिला रोजगार कार्यालय ग्वालियर को सौंपा जाकर कार्यालयों से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं/कार्यों का सुचारू रूप से संचालन कराया जा रहा है। जिसका लाभ आमजनों को ठीक प्रकार से प्राप्त हो रहा है। (ग) जी हाँ। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
रेत खदान के लिए भारत सरकार द्वारा जारी गाईड लाईन
102. ( क्र. 6063 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भारत सरकार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा सितम्बर 2015 में रेत खदान, रेत खनन, परिवहन आदि विषयों को लेकर क्या गाईड लाईन जारी की है? इस गाईड लाईन में किन-किन मुख्य विषयों पर क्या-क्या निर्देश दिए गए हैं। (ख) गाईड लाईन में किसानों की भूमि पर जमा होने वाली रेत एवं उसकी निकासी और किसानों के किन-किन अधिकारों के संबंध में क्या-क्या निर्देश दिए गए हैं? उन्हें लेकर अब तक क्या-क्या कार्यवाही राज्य शासन ने की है। (ग) गाईड लाईन के अनुसार मध्यप्रदेश माइनिंग कॉरपोरेशन को आवंटित कितनी खदानों में से कितनी खदानों में सी.सी.टी.व्ही. कैमरे लगा दिए गऐ हैं, उन खदानों से रेत का परिवहन करने वाले कितने वाहनों में जी.पी.एस. सिस्टम लगा दिए गयें हैं। यदि नहीं, तो क्यों?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। गाईड लाईन जारी की है। इसमें रेत खनिज के खनन, उससे पड़ने वाले प्रभाव, जिला सर्वे रिपोर्ट की संरचना, कृषि भूमि पर बाढ़ से संग्रहित रेत के निवर्तन तथा रेत खनिज के खनन हेतु पर्यावरण स्वीकृति के संबंध में लेख है। (ख) प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित गाइड लाइन पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है, जिसमें प्रश्नांश से संबंधित पर्यावरण स्वीकृति से छूट दिये जाने के संबंध में लेख किया गया है। गाईड लाईन पर कोई निर्देश जारी किया जाना अपेक्षित नहीं होने के कारण किसी प्रकार की कार्यवाही किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम की कार्यशील खदानों में सी.सी.टी.व्ही. कैमरे नहीं लगे हैं तथा निगम की खदानों से रेत परिवहन करने वाले वाहनों में जी.पी.एस. सिस्टम नहीं लगे हैं। गाईड लाईन पर कोई निर्देश जारी किया जाना अपेक्षित नहीं होने से, किसी प्रकार की कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष/सचिव का स्थानांतरण
103. ( क्र. 6064 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन की आदेशानुसार शासन से मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के अध्यक्ष/सचिव को दो पदीय अवधि के लिये स्थानांतरण करने पर छूट प्रदान की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में शासनादेश के विरूद्ध विगत दो वर्षों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के किन-किन अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश जारी किये गये हैं? यदि हाँ, तो क्यों? (ग) क्या खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ऐसे पदाधिकारियों के भविष्य में भी स्थानांतरण करेगा? यदि हाँ, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में खाद्य निरीक्षक श्री भेरू सिंह जामोद, श्री शिवप्रताप सिंह एवं सतीश धाकड के स्थानातंरण किये गये थे, क्योंकि इनके द्वारा नियत समयावधि 30 अप्रैल की स्थिति में स्थानातंरण नीति 2015 की कंडिका 8.20 के अनुरूप सूचना विभाग को नहीं दी गई थी। इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर की रिट याचिका क्रमांक 3157/2015, दि. 26.05.2015 के निर्णय में माननीय न्यायालय ने एक मात्र इसी आधार पर कि संगठन के पदाधिकारी होने पर स्थानातंरण न किये जाने को उचित नहीं माना है। (ग) स्थानातंरण नीति का पालन किया जाकर स्थानातंरण किये जाते है।
डिप्टी कलेक्टर के स्थानान्तरण
104. ( क्र. 6079 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा आगर जिले में विगत 03 वर्षों में कितने डिप्टी कलेक्टरों के स्थानांतरण किए गए हैं? इनमें से कितने निर्वाचन आयोग के निर्देश पर कितने प्रशासनिक व्यवस्था हेतु व कितने स्वेच्छिक आधार पर किए गए है? सूची उपलब्ध करायें?? (ख) क्या एक ही जिले में 3 वर्ष से अधिक सेवा अवधि पूर्ण करने वाले अधिकारियों के स्थानान्तरण का प्रावधान है? यदि हाँ, तो आगर जिला अंतर्गत किए गए स्थानान्तरण का विवरण देवें? (ग) आगर जिले से वर्ष 2015 में किन-किन डिप्टी कलेक्टरों के स्थानान्तरण अन्य जिले में किए गऐ थे? उक्तानुसार किए गए आदेशों के पालन के लिए क्या कोई समय-सीमा थी? यदि हाँ, तो समय-सीमा में आदेश के पालन हेतु क्या कार्यवाही की गई? (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित स्थानान्तरण में से क्या कोई स्थानान्तरण निरस्त किए गए हैं? यदि हाँ, तो किस आधार पर यदि स्थानान्तरण निरस्त किए गए तो प्रश्नांश (ग) अनुसार किए गए स्थानान्तरण आदेश का पालन क्यों नहीं करवाया जा सका? क्या पुन: निरस्ती आदेश में संशोधन पर विचार किया जाकर कार्यवाही होगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) आगर मालवा जिले से 03 संयुक्त/डिप्टी कलेक्टरों के स्थानांतरण प्रशासकीय आधार पर किए गए हैं- 1. श्री आर.पी. तिवारी, संयुक्त कलेक्टर 2. श्री सोहन कनाश, डिप्टी कलेक्टर 3. श्रीमती शैली कनाश, डिप्टी कलेक्टर। (ख) जी हाँ। चूंकि आगर मालवा जिले का गठन दिनांक 16/08/2013 को हुआ है तथा गठन दिनांक से आज दिनांक तक तीन वर्ष की कालावधि पूर्ण नहीं होने से किसी अधिकारी का स्थानांतरण नहीं किया गया हैं। (ग) वर्ष 2015 में विभागीय आदेश क्रमांक बी-1/40/2015/2/एक, दिनांक 26, मई, 2015 से श्री आर.पी. तिवारी, संयुक्त कलेक्टर, आगर मालवा का स्थानांतरण संयुक्त कलेक्टर उज्जैन एवं आदेश क्रमांक बी-1/66/2015/2/एक, दिनांक 24 सितम्बर, 2015 से श्री सोहन कनाश, डिप्टी कलेक्टर, आगर मालवा का डिप्टी कलेक्टर, झाबुआ एवं श्रीमती शैली कनाश, डिप्टी कलेक्टर, आगर मालवा का डिप्टी कलेक्टर, झाबुआ स्थानांतरण किया गया हैं। आदेश की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। आदेश के पालन के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं थी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी हाँ। प्रश्नांश (ग) के उत्तर में उल्लेखित स्थानांतरण में से श्री सोहन कनाश, डिप्टी कलेक्टर एवं श्रीमती शैली कनाश, डिप्टी कलेक्टर आगर मालवा के स्थानांतरण आदेश प्रशासकीय आधार पर विभागीय आदेश क्रमांक बी-1/18/2016/ 2/एक, दिनांक 12 फरवरी, 2016 से निरस्त किये गये हैं। शेष के संबंध में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
संस्कृति मंचों की प्रोत्साहन
105. ( क्र. 6080 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा संस्कृति मंचों के प्रोत्साहन हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है? यदि हाँ, तो इसके लिए क्या प्रावधान हैं व क्या प्रक्रिया है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार विगत 02 वर्षों में दी गई आर्थिक सहायता व किए गए कार्य/ कार्यक्रमों की जिलेवार जानकारी देवें? (ग) जिला आगर अंतर्गत क्या कोई संस्कृति मंच या समिति है जिसको शासन से प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है? यदि हाँ, तो विवरण देवें? यदि नहीं, तो क्या स्वप्रेरणा से सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु कार्यवाही की जावेगी? (घ) संस्कृति मंच या समिति के गठन हेतु क्या मापदण्ड व प्रक्रिया निर्धारित हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ. विभाग द्वारा प्रोत्साहन हेतु पंजीकृत अशासकीय संस्थाओं को सांस्कृतिक कार्यक्रमों हेतु सहायता अनुदान, मध्यप्रदेश कलाकार कल्याण कोष, प्रतिभा प्रोत्साहन एवं मासिक सहायता योजनाएं संचालित है. योजनाओं के संबंध में नियम एवं प्रावधान क्रमश: पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अ-1, अ-2, अ-3 एवं अ-4 अनुसार. (ख) जिलेवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार. (ग) जी नहीं. स्वप्रेरण से अनुदान नहीं दिया जाता. (घ) रजिस्ट्रार फर्म्स एवं सोसायटी द्वारा पंजीकृत संस्थाओं को परीक्षणोपरांत अनुदान दिया जाता है.
नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना की जानकारी
106. ( क्र. 6092 ) श्री सचिन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना की डी.पी.आर. क्या है? योजना की लागत एवं कार्य पूर्ण करने की अवधि क्या है? (ख) उक्त योजनान्तर्गत निमाड़ एवं मालवा अंचल की किन ग्रामों की कितनी कितनी कृषि भूमि अधिगृहण की जायेगी? क्या उक्त किसानों को मुआवजा नये अधिगृहण नियम के अंतर्गत दिया जायेगा हां तो प्रति एकड़वार मुआवजा राशि कितनी दी जायेगी? (ग) किसानों को मुआवजा दिये जाने के समय क्या फसल का मुआवजा भी दिया जायेगा? हां तो किस प्रकार जानकारी दें? (घ) उक्त परियोजना से निमाड़ एवं मालवा अंचल के कृषकों को सिंचाई हेतु पानी दिया जायेगा हां तो कितने रकबे को सिंचित किया जायेगा ग्रामवार जानकारी दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना अंतर्गत ओंकारेश्वर नहर परियोजना के जंक्शन स्ट्रक्चर आर.डी. 9.775 कि.मी. से 15 क्यूमेक्स जल पंप के माध्यम से 421 मी. उद्वहन कर मालवा क्षेत्र के इन्दौर-उज्जैन जिले के 50,000 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई लक्षित है। अनुबंध अनुसार योजना की लागत 1842 करोड़ है एवं पूर्ण करने की अवधि 36 माह अर्थात 24.02.2018 तक है। (ख) इस योजना में मात्र 02 ग्रामों की कृषि भूमि का अर्जन किया जाएगा। जी हाँ। खरगोन जिले का बडवाह तहसील के ग्राम सिरलाय के मात्र 02 कृषकों की 1.5 हेक्टेयर भूमि तथा इन्दौर जिले की महू तहसील के ग्राम दतोदा में 0.09 हेक्टेयर भूमि का अर्जन किया जाना प्रस्तावित है। प्रकरण अभी प्रक्रियाधीन है अत: मुआवजा राशि से अवगत कराना वर्तमान में संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। यदि फसल प्रभावित होती है तो मुआवजा राजस्व विभाग द्वारा आंकलन उपरांत निर्धारित किये जाने पर दिया जा सकता है। (घ) जी हाँ। 158 ग्रामों की 50,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई प्रस्तावित है। वास्तविक ग्रामों की संख्या एवं ग्रामवार जानकारी विस्तृत सर्वेक्षण उपरांत ही उपलब्ध होगी।
अवैध उत्खनन पर कार्यवाही
107. ( क्र. 6093 ) श्री सचिन यादव : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला खरगोन की तहसील कसरावद क्षेत्र में नर्मदा के आस-पास अवैध रेत उत्खनन को पूर्ण रूप से रोकने हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (ख) उक्त अवैध उत्खनन में विगत पाँच वर्षों में कितने प्रकरण किस किस के खिलाफ दर्ज किये गये और प्रश्नांकित दिनांक तक उस पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) उक्त अवैध उत्खनन को पूर्ण रूप से नहीं रोकने के लिए कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी जिम्मदार है? पदनाम सहित जानकारी दें? (घ) प्रदेश में अवैध उत्खनन रोकने के लिए शासन ने कौन-कौन से कठोर नियम और नीति बनाई है?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन क्षेत्र में अवैध उत्खनन के प्रकरण प्रकाश में आने पर कार्यवाही की जाती है। कसरावद तहसील में वर्ष 2010-2011 से अब तक दर्ज अवैध उत्खनन के प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। इसके अतिरिक्त प्रश्नाधीन क्षेत्र में नर्मदा नदी के आस-पास अवैध उत्खनन की रोकथाम हेतु कलेक्टर कार्यालय खरगोन द्वारा आदेश दिनांक 16.02.2016 से दल का गठन किया गया है। यह पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन जिले में वर्ष 2011 से जनवरी 2016 तक अवैध उत्खनन एवं परिवहन के दर्ज प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। इससे यह स्पष्ट है कि खनिजों के अवैध उत्खनन एवं परिवहन के प्रकरण प्रकाश में आने पर सतत् रूप से कार्यवाही की जाती है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) खनिजों के अवैध उत्खनन के प्रकरणों पर कार्यवाही हेतु म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 के नियम 53 एवं म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 247 (7) प्रावधानित है। यह नियम अधिसूचित है।
नगरीय निकायों में पदस्थ कर्मचारियों के अभिलेखों का रख-रखाव
108. ( क्र. 6109 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के नगरीय निकायों में पदस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों के अभिलेखों जिसमें सेवापुस्तिका, सी-आर, परिवार कल्याण योजना, बीमा सह बचत योजना परिभाषित पेंशन-अंशदान योजना का संधारण नगरीय निकाय स्वयं करते हैं? यदि हाँ, तो क्या अधिकारियों/कर्मचारियेां के सेवा अभिलेखों में नियमित प्रविष्टी व प्रतिवर्ष उनकी सी.आर. लिखी जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों तथा इस संबंध में क्या किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भौतिक निरीक्षण अथवा सत्यापन किया जाता है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या परिभाषित पेंशन अंशदान योजनांतर्गत किये जा रहे कटोत्रा की जानकारी/रिकार्ड हेतु अन्य विभागों की तरह कोई प्रान नंबर अथवा अन्य कोई व्यवस्था की गई है, जिससे कि उनको प्रति माह होने वाले कटोत्रा के संबंध में पारदर्शी जानकारी प्राप्त हो सके? (ग) क्या सक्षम अधिकारियों द्वारा निकायकर्मियों की समय पर न तो सी.आर. लिखी जाती है और न ही सेवा अभिलेखों में प्रविष्टियां की जाती हैं? तथा न ही उनके कटोत्रा संबंधी स्पष्ट जानकारी से उनको अवगत कराया जाता है? यदि हाँ, तो क्या सक्षम अधिकारी के स्थानांतरण अथवा सेवानिवृत्ति होने से निकाय कर्मियों को कई परेशानियां आती हैं? क्या शासन इस संबंध में कोई ठोस कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो क्या और कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। नगरीय निकायों द्वारा कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका, परिवार कल्याण निधि योजना, मध्यप्रदेश नगर पालिका सेवक कर्मचारी-बीमा सह-बचत योजना का संधारण नगरीय निकायों के द्वारा किया जाता है तथा नगरीय निकायों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर परिभाषित अंशदायी पेंशन योजना का संधारण संचालनालय के माध्यम से NSDL (National Securities Depository Limited), मुंबई द्वारा किया जाता है। कर्मचारियों के सेवा अभिलेखों में आवश्यक प्रविष्टियां नियमित रूप से की जाती है तथा प्रतिवर्ष सक्षम प्राधिकारियों द्वारा गोपनीय प्रतिवेदन लिखे जाते है। संभागीय संयुक्त संचालकों द्वारा भौतिक निरीक्षण किया जाता है। (ख) जी हाँ। प्रदेश की नगरीय निकायों में दिनांक 01.01.2005 के पश्चात् नियुक्त हुए कर्मचारियों को परिभाषित अंशदायी पेंशन योजना के अंतर्गत नगरीय निकायों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर संचालनालय के माध्यम से NSDL (National Securities Depository Limited), मुंबई द्वारा PRAN आवंटित किए जा रहें है। (ग) राज्य शासन द्वारा प्रत्येक कर्मचारी के गोपनीय प्रतिवेदन लिखे जाने हेतु समय-सीमा निर्धारित की गई है, जिसका पालन किया जा रहा है। कर्मचारियों के सेवा अभिलेखों में प्रविष्टियां की जाती है तथा कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह की गई वैधानिक कटौती की जानकारी निकाय स्तर पर ही संधारित होती है, जिससे कर्मचारियों को अवगत कराया जाता है। उपरोक्त संबंध में पृथक से की गई कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।
धारणाधिकारी नियम समाप्त किया जाना
109. ( क्र. 6110 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा प्रदेश के नगरीय निकायों में आदर्श कार्मिक संरचना का गठन किया गया है? यदि हाँ, तो प्रति उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या नगरीय निकायों में पदस्थ कर्मचारियों की पदोन्नति हेतु धारणाधिकार नियम लागू हैं? यदि हाँ, तो क्या विभाग द्वारा गठित आर्दश कार्मिक संरचना में धारणाधिकार का नियम समाप्त कर दिया गया? (ग) क्या धारणा अधिकार नियम के कारण नगरीय निकायों में पदस्थ कई कर्मठ व योग्य कर्मचारियेां की पदेान्नति बाधित होती है तथा समय पर उन्हें लाभ नहीं मिल पाता है तथा निकायों में इस कारण कई महत्वपूर्ण पदों की रिक्तियों की संख्या अत्याधिक है? यदि हाँ, तो क्या शासन धारणाधिकार का नियम समाप्त करने के संबंध में कोई कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। धारणाधिकार नियम समाप्त नहीं किया गया है। (ग) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
रोकी गई ग्रेच्युटी का भुगतान
110. ( क्र. 6129 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तारांकित प्रश्न संख्या 17 (क्रमांक 301) दिनांक 08 जुलाई 2008 में दर्शाया गया है कि माननीय सुप्रीमकोर्ट के न्यायदृष्टांत में किसी विधिक बिन्दु पर विधि का सिद्धांत प्रतिपादित किये जाने की दशा में निर्णय का पालन करना राज्य शासन की बाध्यता है? (ख) क्या माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा प्रतिपादित विधि के सिद्धान्त ग्रेच्युटी का भुगतान आवास रिक्त करने पर निर्भर नहीं है के आधार पर प्रकरण आशा बाथम मध्यप्रदेश राज्य (2005) (11) (MPWN128) में पिटीशनर को शासकीय आवास का अदेय प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं करने के बावजूद रोकी गई समूची ग्रेच्यूटी 12 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश माननीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दिनांक 11/02/2005 को पारित किये गये? (ग) यदि हाँ, तो राजधानी भोपाल से सेवानिवृत्त कौन-कौन से शासकीय सेवकों की ग्रेच्युटी शासकीय आवास रिक्त किये हुए पाँच वर्ष बीत जाने के बावजूद संपदा संचालनालय का अदेय प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किये जाने के आधार पर जिला कोषालय भोपाल द्वारा रोकी गई है? उन्हें भाग (ख) के अनुरूप ग्रेच्युटी राशि का भुगतान कब तक हो जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
अपेक्स बैंक कर्मचारियों/अधिकारियों की जाँच
111. ( क्र. 6146 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल की सहकारी समितियों की भूमि नीलामी संबंधी घोटाले में E.O.W. अपेक्स बैंक के किन अधिकारियों/कर्मचारियों की जाँच कब से कर रहा है? (ख) जाँच की अद्यतन स्थिति बतावें? जाँच लंबित रहने के कारण भी बतावें? किन बिंदुओं पर जाँच की जा रही है? (ग) जाँच कब तक पूर्ण कर ली जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) भोपाल की सहकारी समितियों की भूमि नीलामी संबंधी घोटालें में अपेक्स बैंक के अधिकारीयों/कर्मचारियों की जाँच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा नहीं की जा रही है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश 'क' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मृतक के स्थान पर सहायता राशि व नियुक्ति
112. ( क्र. 6175 ) श्री
बलवीर सिंह
डण्डौतिया :
क्या
मुख्यमंत्री
महोदय यह
बताने की कृपा
करेंगे कि (क) क्या
प्रश्नकर्ता
द्वारा
माननीय मुख्यमंत्री
म.प्र. शासन को
पत्र क्रमांक 28/वि.दि./सहायता/2015 दिनांक 26/11/2015 व आयुक्त
नगर निगम
मुरैना को
पत्र क्र.30/वि.दि/सहायता/2015 दिनांक 26.11.2015 के साथ
में संलग्न
पत्र श्रीमती
मंजू निवासी
मुडियाखेडा
के पति की नगर
निगम निर्माण
कार्य के
दौरान मृत्यु
को लेकर
सहायता राशि व
नगर निगम में स्वयं
की (मंजू) नियुक्ति
चाही गई थी? (ख) यदि
हाँ, तो
प्रश्नांश (क)
में वर्णित
पत्रों पर
प्रश्न
प्रस्तुत
दिनांक तक क्या-क्या
कार्यवाही
हुई, अवगत
करावें?
(ग)
यदि
नहीं, तो
क्यों व कब
तक सहायता व
नियुक्ति की
जा सकेगी।
मुख्यमंत्री
( श्री शिवराज
सिंह चौहान ) : (क) जी
हाँ। (ख) मृतक
की पत्नी
मंजू को
अपंजीकृत
हितग्राही के
रूप में रूपये
103,000/- सहायता
राशि का
भुगतान किया
जा चुका है। नियमों
में प्रावधान
न होने के
कारण नियुक्ति
नहीं की जा
सकी। (ग) उत्तराशं
‘ख’
अनुसार
कोई
कार्यवाही
शेष नहीं है।
अवैध अनुकम्पा नियुक्ति
113. ( क्र. 6191 ) श्रीमती शकुन्तला खटीक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदीप कुमार शर्मा की अवैध अनुकम्पा नियुक्ति को शासन द्वारा सबलगढ़ नगर पालिका की पी.आई.सी. की बैठक में प्रस्ताव रखकर नगर पालिका सबलगढ़ जिला मुरैना पी.आई.सी. द्वारा बर्खास्त करने का आदेश दिया था? यदि हाँ, तो सबलगढ़ नगर पालिका पी.आई.सी. द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ख) सबलगढ़ जिला मुरैना नगर पालिका में पदस्थ प्रदीप कुमार शर्मा की अवैध अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा कलेक्टर जिला मुरैना को पत्र क्रमांक 6404 दिनांक 07/12/2015 के जवाब में कलेक्टर मुरैना द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास, म.प्र. भोपाल के पत्र पृष्ठांकन क्रमांक-एक/स्था/17/अनु.नि./12/7562 दिनांक 29-05-2015 द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद, सबलगढ़ जिला मुरैना को निर्देश दिये गये कि श्री प्रदीप कुमार शर्मा को नियमानुसार प्रक्रिया का पालन करते हुये सेवा से पृथक करने की कार्यवाही सुनिश्चित कर पालन प्रतिवेदन शासन/संचालनालय को एक सप्ताह में आवश्यक रूप से प्रेषित करें। पत्र की प्रति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। पी.आई.सी. नगर पालिका सबलगढ़ द्वारा की गई कार्यवाही संकल्प क्रमांक 01 दिनांक 28-11-2015 जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ख) विभाग द्वारा विधान सभा प्रश्न क्रमांक 5535 पर निर्मित आश्वासन क्रमांक 704 के अनुपालन में श्री प्रदीप कुमार शर्मा की जाँच करायी गयी, जाँच में यह पाया गया कि श्री प्रदीप कुमार शर्मा की नियुक्ति विधिक प्रावधानों एवं नियमों के विपरीत है। संचालनालय के पत्र 7561 भोपाल दिनांक 29-05-2015 से श्री प्रदीप कुमार शर्मा, को सेवा से पृथक करने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये है। (ग) न्यायालय कलेक्टर जिला मुरैना में बी-121/28/16-1 कार्यवाही प्रचलित है।
बड़नगर जिला-उज्जैन में जल संसाधन
114. ( क्र. 6209 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में विगत 5 वर्षों में कितने बैराज एवं तालाब स्वीकृत हुए हैं? कितने कार्य पूर्ण हुए हैं? कितने कार्य शेष हैं? कितना भुगतान निर्माण एजेंसी को कर दिया गया है? कार्यवार स्थानवार संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) कितने कार्य समयावधि में पूर्ण नहीं हुए हैं एवं कितने कार्य पूर्ण होने के एक वर्ष पश्चात् ही जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं? (ग) क्या चामलेश्वर बैराज एवं दौतरड़ी बैराज निर्माण के 01 वर्ष बाद ही जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं? शासन इन दोनो बैराज को कब तक ठीक करवा देगा तथा घटिया निर्माण कार्य करने वाली एजेन्सी एवं विभागीय अधिकारियों पर कोई कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतावें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) निरंक। निरंक। (ग) जी नहीं। चामलेश्वर बैराज में नवम्बर 2015 में कृषकों द्वारा 03 गेट के किनारे तोड़कर पानी निकाला गया और दौतरडी बैराज के डाऊन स्ट्रीम के किनारों की मिट्टी गत वर्ष अतिवृष्टि के कारण कट गयी। मरम्मत कराने के लिए निर्देश दे दिये गये है। निर्माण एजेंसी अथवा विभागीय अधिकारियों के दोषी नहीं होने से शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
जल आवर्धन योजना
115. ( क्र. 6233 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगरीय क्षेत्र बैराढ़ जिला शिवपुरी में पेयजल आपूर्ति हेतु पचीपुरा तालाब से जल आवर्धन योजना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो क्या उक्त योजना की डी.पी.आर. बनाई जा चुकी है? यदि नहीं, तो कब तक डी.पी.आर. बना ली जावेगी? योजना की प्रस्तावित लागत क्या है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या उक्त योजना को तकनीकी स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है यदि नहीं, तो तकनीकी स्वीकृति कब तक हो जावेगी? योजना की वर्तमान उद्यतन स्थिति से अवगत करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। डी.पी.आर. बनाने का कार्य जून 2016 तक पूर्ण होने की संभावना है। डी.पी.आर. तैयार होने के उपरांत ही लागत बतलाई जा सकेगी। (ख) उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। समय-सीमा बतलाया जाना संभव नहीं है। उत्तरांश ''क'' अनुसार।
रतलाम की बंद फैक्ट्रियों में रखे जहरीले कचरे का व्यवस्थापन
116. ( क्र. 6241 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तारा. प्रश्न संख्या-24 (क्रमांक 5383) दिनांक 2.4.2012 के संदर्भ में बतावें कि अभी तक रतलाम में रखा 30 हजार टन जहरीला कचरे का डिस्पोजल क्यों नहीं किया गया तथा प्रश्न दिनांक तक कचरे के व्यवस्थापन हेतु क्या-क्या प्रयास किये गये? कचरे का व्यवस्थापन कब तक कर लिया जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कचरे का मिट्टी, भूमिगत जल, सतही जल स्त्रोत, जल एवं पशु स्वास्थ्य, भूमि की उपजाऊता, जन जीवन पर सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव, आदि का अध्ययन वर्ष 2015 में कब किया गया तथा उसकी रिपोर्ट से अवगत करावे? क्या शासन 30 वर्ग से 50 वर्ग कि.मी. क्षेत्र का अध्ययन करायेगा? (ग) पूर्व विधायक पारस सकलेचा के साथ दिनांक 11 मार्च 2013 को म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के चेयरमेन द्वारा विभिन्न गांव तथा शहर की कालोनियों का भ्रमण पर अंतिम प्रतिवेदन का विवरण उपलब्ध करावे तथा मा.उच्चतम न्यायालय द्वारा याचिका क्रमांक 657/1995 में दिनांक 14/10/2013 में रतलाम में अवैध रूप से रखे हजारों टन जहरीले कचरे के मूल्यांकन तथा व्यवस्थापन के संदर्भ में क्या निर्देश दिये गये थे तथा उन पर शासन को कितनी समय-सीमा में कार्यवाही करना थी, उन निर्देशों अनुसार क्या क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) रतलाम जिले में 234724 मेट्रिक टन परिसंकटमय अपशिष्ट का इकाइयों के बंद होने तथा तत्समय परिसंकटमय अपशिष्ट निपटान व्यवस्था उपलब्ध न होने के कारण डिस्पोजल नहीं किया गया। परिसंकटमय अपशिष्ट के व्यवस्थापन हेतु केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से नेशनल क्लीन एनर्जी फंड प्रोजेक्ट में अपशिष्टों के अपवहन व स्थल के रेनेडियेशन हेतु डी.पी.आर. बनाने का कार्य प्रगति पर है। अपशिष्ट के व्यवस्थापन की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘अ‘‘ अनुसार है। 30 वर्ग से 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के अध्ययन कराने की कोई योजना नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘ब‘‘ अनुसार है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने याचिका क्रमांक 657/1995 में दिनांक 14/10/2013 को कोई निर्देश नहीं दिये गये है, अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
आरक्षण नियमों का पालन न करना
117. ( क्र. 6244 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती हेतु विज्ञापित पदों में आरक्षण संबंधित विभाग द्वारा तय कर आयोग को सूचित किया जाता है? यदि हाँ, तो बतावें कि यदि किसी विभाग ने नियमानुसार आरक्षित पद की संख्या तय नहीं की तो लोक सेवा आयोग की क्या जिम्मेदारी है? इस संदर्भ में नियम एवं मा. उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के दिये गये निर्देश की विस्तृत जानकारी दें? (ख) आयोग द्वारा आरक्षण की चयन प्रक्रिया में मा. उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनिल कुमार गुप्ता वि.उ.प्र.राज्य (1995) (5) एस.सी.सी. 173 दिनांक 28.07.1995 किस दिनांक से पालन किया जा रहा है यदि इस नियम के पालन में विलंब हुआ तो उस अवधि में किस नियम का पालन किया गया प्रति देवें तथा बतावें कि इससे कितने अभ्यार्थियों का चयन किस किस परीक्षा में प्रभावित हुआ? (ग) आयोग द्वारा वर्ष 2008 से आज दिनांक तक आयोजित परीक्षाओं में आरक्षण प्रक्रिया हेतु मा. उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन न करने आरक्षित पदों की संख्या नियमानुसार न होने आरक्षित वर्ग के अनारक्षित वर्ग के चयनित से अधिक अंक होने पर भी चयनित न करने के कितने प्रकरण आयोग के संज्ञान में आये?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। सामान्य प्रशासन विभाग का ज्ञापन क्रमांक एफ 7-46/99/आ.प्र./एक दिनांक 07/11/2000 संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) आयोग द्वारा माननीय उच्चतम न्यायलय द्वारा पारित निर्णय में विहित सिद्धांतो का पालन अंतिम रुप से चयन स्तर पर पूर्व से ही किया जा रहा है। नियम के पालन में विलंब नहीं हुआ। नियमों का पालन अंतिम चयन स्तर पर पूर्व से ही किया जा रहा है। इसलिए किसी भी अभ्यार्थी का चयन प्रभावित नहीं हुआ है। (ग) आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में वर्ष 2008 से आज दिनांक तक अंतिम चयन स्तर पर ऐसा कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है।
शासकीय नियुक्तियों में आरक्षण
118. ( क्र. 6247 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासकीय नियुक्तियों में आरक्षण के नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी परीक्षा आयोजित करने वाली एजेन्सी (PSC, VYAPAM) की है या उस संबंधित विभाग की जिसके अनुरोध पर परीक्षा आयोजित की जाती है? आरक्षण को नियमानुसार न किये जाने पर परीक्षा आयोजित करने वाली एजेन्सी किस प्रकार जवाबदेह होती है? जानकारी नियमों के उल्लेख सहित बतावें? (ख) क्या मा. उच्चतम न्यायालय ने प्रकरण अनिल कुमार गुप्ता वि.उ.प्र. राज्य (1995) (5) एस.सी.सी. 173 निर्णय दिनांक 28.07.95 में यह आदेश दिया कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी के यदि अनारक्षित वर्ग के न्यूनतम से अधिक अंक आते है तो उसे अनारक्षित की सूची में शामिल किया जाये? यदि हाँ, तो बतावें कि प्रदेश में राज्य लोक सेवा आयोग एवं व्यापम की परीक्षाओं में इनका पालन न करने पर वैधानिक स्थिति क्या होगी? (ग) क्या विधि विभाग के संज्ञान में है कि PSC तथा व्यापम की कई परीक्षाओं में मा. उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन न कर चयन प्रक्रिया अन्य तरह की अपनाई गई? ऐसे में वह चयन कानूनन रूप से क्या शून्य माना जायेगा? (घ) क्या उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर ने प्रकरण क्र. WP 42J8/2007 सुनीता जैन वि. स्टेट ऑफ एमपी में PSC द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया के पक्ष में निर्णय दिया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) संबंधित विभाग की, जिसके अनुरोध पर परीक्षा आयोजित की जाती है। परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी जवाबदेह नहीं है। इस संबंध सामान्य प्रशासन विभाग का परिपत्र क्रमांक एफ 7-46/99/आप्र/एक, दिनांक 7 नवबंर 2000 की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सार्वजनिक सुविधाएं
119. ( क्र. 6256 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन/विभाग जनसंख्या को दृष्टिगत रख सार्वजनिक सुविधा घर एवं मूत्रालय (महिला एवं पुरूष) इत्यादि की सुविधा जनता की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रदान कर रहा है? (ख) यदि हाँ, तो जावरा नगर पालिका एवं नगर परिषद पिपलौदा में किन-किन स्थानों पर कितने सुविधा घर एवं महिला-पुरूष मूत्रालय इत्यादि बने हुए होकर जन उपयोग किया जा रहा है? (ग) साथ ही उपयोग किये जा रहे महिला-पुरूष सुविधा घरों एवं मूत्रालयों की साफ-सफाई, मरम्मत, जीर्णोद्धार एवं स्वच्छता की दृष्टि से क्या-क्या किया जा रहा है? साथ ही आगामी आवश्यकताओं को दृष्टिगत रख कितने नवीन प्रस्ताव तैयार किये गये हैं? (घ) अवगत कराएं कि वर्ष 2009-10 से लेकर वर्ष 2015-16 के प्रश्न दिनांक तक कितने नवीन निर्माण हुए एवं आगामी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कितने नवीन प्रस्ताव प्रस्तावित होकर स्वीकृत हुए? तथा कितना बजट स्वीकृत होकर कितना व्यय हुआ?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। अपितु विभाग स्तर पर निकायों की मांग अनुसार स्वीकृति दी जाती है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) नगर पालिका परिषद जावरा एवं नगर परिषद पिपलौदा द्वारा सुविधा घरों एवं मूत्रालयों की नियमित रूप से साफ सफाई तथा कीटनाशक का छिड़काव कराया जाता है। मरम्मत एवं जीर्णोद्धार की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। नगर पालिका परिषद जावरा द्वारा कोई नवीन प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया है एवं नगर परिषद पिपलौदा द्वारा वोर्ड क्रं. 05, 03 एवं 11 में मूत्रालय निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
नहरों में सी.सी. लाइनिंग में दरार
120. ( क्र. 6282 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2014, 2015 में निर्मित जौरा, मुरैना तहसील के ए.बी.सी. नहर की सी.सी. लाइनिंग में काफी दरार हो गई है। जिससे पूर्ण नष्ट हो सकती है, पूर्ण जानकारी दी जावे? (ख) उक्त दरारों एवं क्रेकिंग की जानकारी विभाग को पूर्व से होने के बावजूद मरम्मत कार्य क्यों नहीं कराया गया? (ग) क्या शासन उक्त सी.सी. लाइनिंग की गुणवत्ता की जाँच कर ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही करेगा।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जी नहीं, नहर संचालन के दौरान कुछ दरारें परिलक्षित हुई है, जिन्हे नहर संचालन बंद होने पर ठेकेदार के व्यय पर ठीक कराया जाएगा।
आसन नदी में नहर का पानी डालने
121. ( क्र. 6283 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना जिले की एल.एम.सी. नहर आसन ड्रोप का पानी आसन नदी में डालकर, पिलुआ, कोतवाल बांधों को ले जाया जाता है। (ख) क्या उक्त आसन नदी में वर्षात के बाद पानी सूख जाता है। जिससे किनारे पर बसे दोनों तरफ के किसानों का आवागमन होता रहता है। (ग) क्या नहर का जल जो कि वर्ष में छ: माह तक नदी के आवागमन को अवरूद्ध करता है। शासन उक्त रास्तों पर पुल या रपटा बनवायेगा।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) जी नहीं। लोक निर्माण विभाग का पुल निर्माणाधीन होना प्रतिवेदित है।
नदियों को जोड़ना
122. ( क्र. 6288 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिंदवाड़ा जिले के विधानसभा क्षेत्र जुन्नारदेव अंतर्गत बिलावरकला के जूना पानी में लगभग पाँच वर्ष पूर्व तीन चार नदियों को जोड़कर तालाब का निर्माण कराया गया है? (ख) यदि हाँ, तो इसका रख-रखाव हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई है और अभी तक कितनी इसमें लगाई गई है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) के प्रकाश में तालाब से पानी का रिसाव हो रहा है? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन अधिकारी एवं कर्मचारी जिम्मेदार हैं? (घ) क्या तालाब निर्माण के बाद तालाब से जोड़कर नहरों का निर्माण किया जाता है? यदि हाँ, तो इस तालाब में किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों और कब तक किया जायेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) रख-रखाव हेतु कोई राशि स्वीकृत अथवा व्यय नहीं की गई है। (ग) जी नहीं, स्लूस के रिसाव का सुधार ठेकेदार से उसके व्यय पर करा लिया गया है। किसी अधिकारी/कर्मचारी के जिम्मेदार होने की स्थिति नहीं है। (घ) जी हाँ। नहर निर्माण कार्य प्रगति पर है। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
खजुराहो इन्वेस्टर मीत में किये गये अनुबंध
123. ( क्र. 6314 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले के खजुराहो में आयाजित इन्वेस्टर मीट में टीकमगढ़ जिले में जी.एम.आर. ग्रुप द्वारा विद्युत कारखाना खोले जाने का अनुबंध किया था? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही हुई है?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं, अपितु छतरपुर जिले के खजुराहो में आयोजित इन्वेस्टर मीट में मे. जी.एम.आर. ग्रुप द्वारा दिनांक 22.10.2010 को टीकमगढ़ जिले में 1980 मेगा वाट क्षमता की ताप विद्युत की परियोजना की स्थापना हेतु समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) हस्ताक्षरित किया गया था। (ख) मे. जी.एम.आर. ग्रुप के समझौता ज्ञापन की वैधता अवधि 21.10.2011 तक थी कंपनी के अनुरोध पर इसे 31.12.2012 तक बढ़ाया गया था। कंपनी द्वारा क्रियान्वयन अनुबंध निष्पादन के माइल स्टोन प्राप्त न कर पाने से समझौता ज्ञापन दिनांक 08.05.2014 को ’अकृत व शून्य’ हो गया है।
प्रदेश में वित्तीय संकट
124. ( क्र. 6325 ) श्री आरिफ अकील : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्रीय सरकार व अन्य राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से माह जनवरी 2004 से माह दिसम्बर 2015 की अवधि में कितनी-कितनी राशि ऋण एवं अनुदान के रूप में प्राप्त की गई ऋण दर सहित अलग-अलग विवरण देवें? (ख) प्रदेश सरकार द्वारा प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अवधि में ऋण के रूप में प्राप्त राशि में कितना-कितना वार्षिक ब्याज केन्द्रीय सरकार व अन्य राष्ट्रीय/अन्तराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं को दिया जा रहा है? ऋणवार, वर्षवार कुल कितना ब्याज दिया जा रहा है? (ग) प्रदेश सरकार द्वारा लिये गये ऋणों के भुगतान में क्या कोई देरी हुई है? यदि हाँ, तो जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध शासन द्वारा क्या तथा कब तक कार्यवाही की जावेगी यदि नहीं, तो क्यों कारण सहित बतावें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है. (ग) 'क' एवं 'ख' के प्रकाश में निरंक.
अनुदान एवं ऋण की राशि का दुरूपयोग
125. ( क्र. 6326 ) श्री आरिफ अकील : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश सरकार द्वारा माह जनवरी 2004 से माह दिसम्बर 2015 तक भारत सरकार व अन्य राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से अनुदान एवं ऋण के रूप में प्राप्त धनराशि को प्रदेश की किन-किन शहरी एवं ग्रामीण परियोजनाओं में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई? (ख) प्रदेश सरकार द्वारा प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अवधि में प्राप्त ऋण एवं अनुदान राशि से कौन-कौन सी परियोजनाएं/योजनाएं पूर्ण की गई है एवं उन परियोजनाओं/योजनाओं में कितनी-कितनी धनराशि व्यय की गई एवं कौन-कौन सी परियोजना पूर्ण किया जाना शेष है एवं उसमें कितना व्यय संभावित है? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित योजनाओं में कितनी ऐसी परियोजनाएं हैं जो निर्धारित समयावधि में पूर्ण नहीं हो पाई हैं और पूर्ण नहीं होने के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है एवं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जा रही है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) भारत सरकार व अन्य राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से अनुदान एवं ऋण के रूप में प्राप्त धन राशि के ब्यौरे एवं योजना व्यय भारत के लेखा एवं परीक्षक नियंत्रक से प्राप्त वित्त लेखे के खण्ड-2 वर्ष 2009-10 से वर्ष 2014-15 तक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट संख्या 01 से 06 पर दी गई है. इसके पूर्व वित्त लेखों में यह जानकारी दर्शाई नहीं जाती थी. वित्त लेखों में शहरी एवं ग्रामीण परियोजनाओं को पृथक-पृथक से नहीं दर्शाया गया है. वरन इन परियोजनाओं में व्यय राशि का विवरण इत्यादि दर्शित है. (ख) प्रश्नांश 'क' सूची अनुसार है. (ग) परियोजनाओं के अंतर्गत निर्माण कार्यों की स्वीकृतियां निरंतर विभिन्न सक्षम समितियों की अनुशंसा अनुसार जारी की जाती हैं. यह एक सतत प्रक्रिया है.
राजगढ़ जिला मुख्यालय पर शासकीय भवनों की स्थिति
126. ( क्र. 6344 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिला मुख्यालय एवं आस-पास पुराने समय के कौन-कौन से शासकीय भवन, ईमारतें, छत्री, बावड़ी व पार्क हैं? (ख) उक्त शासकीय भवनों, ईमारतों छत्री, बावड़ी व पार्क में कौन-कौन सी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं तथा किसके अधिपत्य में हैं। क्या उक्त जीर्ण-शीर्ण हो रहे शासकीय भवनों, ईमारतों, छत्री, बावड़ी व पार्क के रख-रखाव व मरम्मत का प्रावधान है? (ग) यदि हाँ, तो उनके रख-रखाव व मरम्मत की क्या व्यवस्था की जा रही है? उक्त जीर्ण-शीर्ण हो रहे शासकीय भवनों व ईमारतों के रख-रखाव व मरम्मत नहीं होने से उनका अस्तित्व समाप्त नहीं हो रहा है तथा उनका उपयोग नहीं होने से असामाजिक तत्वों द्वारा क्या उन पर अतिक्रमण नहीं किया जा रहा है? (घ) यदि नहीं, तो क्या शासन जनता की सुविधा एवं शासन को आय के साधन हेतु ऐसी अत्यन्त जीर्ण-शीर्ण हो रहे शासकीय भवनों व इमारतों के स्थान पर नवीन भवन या दुकानें आदि निर्मित करेगा? यदि हाँ, तो कब तक और नहीं तो क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
राजगढ़ जिले को पर्यटन विभाग से जोड़ने
127. ( क्र. 6345 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले में पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन को बढ़ावे देने के उद्देश्य से अत्यन्त प्राचीन, ऐतहासिक धार्मिक, रमणीय व प्राकृतिक स्थल 1.खोयरी महादेव मंदिर 2. बटेरी माता मंदिर 3. जालपा माता मंदिर एवं 4. होड़ा की माताजी मंदिर खिलचीपुर को पर्यटन विभाग में सम्मिलित किये जाने की कोई योजना है? (ख) यदि हाँ, तो इसको कब तक सम्मिलित किया जावेगा। (ग) उक्त स्थानों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और दर्शक आते हैं तथा मेलों एवं भण्डारों का आयोजन होता है। क्या शासन उक्त श्रद्धालुओं की सुविधा एवं विभाग को आय हो सके इसके लिये पर्यटन विभाग में सम्मिलित कर उक्त स्थानों पर उनके सौन्दर्यीकरण हेतु विभिन्न निर्माण कार्य जैसे धर्मशाला, पेयजल व्यवस्था और पार्क आदि निर्माण कराये जायेंगे? यदि हाँ, तो कौन-कौन से निर्माण कार्य करायें जावेगें और कब तक और यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्नांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) वर्तमान में कोई योजना प्रचलन में नहीं है।
नगरीय प्रशासन के तृतीय/चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की पदोन्नति
128. ( क्र. 6346 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगरीय प्रशासन विभाग के अंतर्गत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की जिस निकाय में नियुक्ति होती है, उसी निकाय में धारणाधिकार होने से उसी निकाय में उनकी पदोन्नति किये जाने के शासन के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो निर्देश की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या वर्ष 1999 के पूर्व कर्मचारी अपनी जिस निकाय में नियुक्ति होती थी से स्थानान्तरित होकर अन्य निकाय में कार्यरत रहता था उस निकाय में वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति की जाती थी? यदि हाँ, तो उक्त नियम अब समाप्त क्यों कर दिया गया हैं? कारण बतावें? (ग) क्या शासन द्वारा पुन: जिस निकाय में कर्मचारी वर्तमान में कार्यरत हैं उसी निकाय में पद रिक्त होने पर उसकी वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति किये जाने हेतु आदेश जारी किया जाना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। अन्य निकाय से आये स्थानातंरित कर्मचारी की वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति होने से मूल निकाय के कर्मचारी की पदोन्नति प्रभावित होने के कारण उक्त नियम समाप्त कर दिया गया है। (ग) जी नहीं। शेषांश उपस्थित नहीं होता है।
खिरहनी उद्वहन सिंचाई परियोजना
129. ( क्र. 6382 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी जिले में खिरहनी उद्वहन सिंचाई परियोजना वर्ष 2011-12 में स्वीकृत हुई थी? यदि हाँ, तो इसकी क्या कार्ययोजना है? कार्य एजेंसी, स्वीकृत राशि, योजना की अवधि, अब तक व्यय राशि की जानकारी देवें एवं परियोजना में कितने और किन-किन क्षेत्र में सिंचाई का लक्ष्य है? (ख) प्रश्नांश (क) में प्रश्न दिनांक तक परियोजना का कितना एवं क्या-क्या कार्य किया गया, कार्य का कितना-कितना भुगतान, किस-किस को, कब-कब किया गया? कितना कार्य किन कारणों से अपूर्ण है? (ग) प्रश्नांश (क) से (ख) के तहत परियोजना के अपूर्ण कार्यों को कब तक पूरा किया जायेगा? कार्य अपूर्ण रहने एवं कार्य में विलंब का कौन-कौन जिम्मेदार है? क्या इन पर कार्यवाही कर, परियोजना को शीघ्र पूरा किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) खिरहनी उद्वहन सिंचाई परियोजना की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 01.04.2008 को रू. 196/- लाख की 190 हेक्टेयर सैच्य क्षेत्र के लिए दी गई थी। परियोजना पर अब तक 81.54 लाख का व्यय हुआ है। (ख) परियोजना का शीर्ष कार्य लगभग एक तिहाई किया गया है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। कृषकों द्वारा विद्युत कनेक्शन लेने से इंकार करने के कारण परियोजना अपूर्ण है। (ग) परियोजना को पूर्ण कराया जाना लाभांवित कृषकों द्वारा विद्युत कनेक्शन लेने पर निर्भर होने से निर्माण कार्य अपूर्ण रहने के लिए कोई अधिकारी जिम्मेदार नहीं है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
फुटपाथी व्यापारियों का व्यवस्थापन
130. ( क्र. 6383 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहरी फेरी व्यवसायियों, फुटपाथी व्यापारियों के कल्याण हेतु शासन द्वारा योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कटनी नगर में वर्ष 2013-14 से, कितने व्यक्तियों को व्यवसाय हेतु, विभागीय योजनाओं के तहत ऋण उपलब्ध कराये गये हैं? (ख) नगर पालिक निगम क्षेत्र में हॉकर्स जोन स्थापित किये जाने हेतु विगत 03 वर्षों में शासन द्वारा क्या-क्या निर्देश कब-कब दिये गये एवं कितनी-कितनी राशि नगर पालिक निगम कटनी को प्राप्त हुई? (ग) प्रश्नांश (ख) में कटनी नगर में किन-किन स्थानों पर कितनी-कितनी राशि व्यय कर, कौन-कौन व्यवसाय हेतु हॉकर्स जोन बनाये गये? (घ) कटनी नगर में निर्मित हाकर्स जोनों में कितने फेरी व्यवसायियों को स्थापित किया गया? क्या वर्तमान में बाजार क्षेत्र से फुटपाथी व्यापारियों को हटाया जाकर, इनका व्यवस्थापन पूर्ण हो गया है? यदि हाँ, तो ब्यौरा देवें? यदि नहीं, तो क्यों? इसका कौन-कौन जिम्मेदार है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) शासन द्वारा जारी निर्देशों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। नगर पालिक निगम कटनी को प्राप्त राशि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। बाजार क्षेत्र से अतिक्रमण अलग कराते हुए फुटपाथी व्यापारियों को हटाया गया है। नगर पालिक निगम कटनी द्वारा व्यवस्थापन की कार्यवाही की जा रही है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना आंतरिक मार्ग व नाली निर्माण
131. ( क्र. 6401 ) श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खण्डवा जिले में संचालित सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना दोंगालिया के परियोजना स्थल पर आंतरिक मार्गों का निर्माण सीमेंट से या डामर से किया गया है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित परियोजना स्थल पर आंतरिक मार्ग में नालियों का निर्माण किया गया है? यदि हाँ, तो उनके निर्माण में कितने एम.एम. के सरिये उपयोग में लाए गए है? निर्माण किस ठेकेदार द्वारा किया गया है? संबंधित ठेकेदार को कितनी राशि का भुगतान किया गया?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना दोंगलिया के परियोजना स्थल पर आंतरिक मार्गों का निर्माण सीमेंट कांक्रीट एवं डामर से किया गया है। (ख) जी हाँ, नालियों के निर्माण में 08 मि.मी. एवं 10 मि.मि. सरियों का उपयोग किया गया है। निर्माण कार्य मेसर्स श्री जी. इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड जबलपुर द्वारा किया गया है। उक्त निर्माण कार्य हेतु संबंधित ठेकेदार को रू. 58,79,33,310/- का भुगतान किया गया है।
विद्युत बिल की शिकायत
132. ( क्र. 6407 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम मंदसौर जिले में घरेलू विद्युत बिल ज्यादा आने की कितनी शिकायत 01 जनवरी, 2015 से प्रश्न दिनांक तक प्राप्त हुई। इनमें से कितनों का निराकरण कर बिल को कम किया गया? (ख) क्या मीटर वाचकों द्वारा मीटर का अवलोकन किये बिना एवरेज रीडि़ग लिखी जा रही है तथा उक्त जिलों में ज्यादातर मीटर घटिया किस्म के है जिसकी शिकायत लगातार उपभोक्ता कर रहे हैं उक्त जिलों में खराब मीटर को लेकर उक्त अवधि में कितनी शिकायतें दर्ज हुई? (ग) उक्त जिलों में फीडर सेपरेशन के कार्य में घटिया कार्य निष्पादन के संबंध में कितनी शिकायतें 01 जनवरी, 2013 से 31 जनवरी, 2016 तक प्राप्त हुई? संख्या बतावें?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) रतलाम एवं मंदसौर जिलों में 01 जनवरी, 2015 से प्रश्न दिनांक तक घरेलू विद्युत बिल ज्यादा आने की क्रमश: 5,608 एवं 5,120 शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें से क्रमश: 5,157 एवं 3,034 शिकायतों का निराकरण कर जारी बिल की राशि को कम किया गया तथा क्रमश: 451 एवं 2,086 प्रकरणों में बिल सही पाये जाने के कारण विद्युत बिल की राशि यथावत रखी गई। (ख) जी नहीं। मीटर वाचकों द्वारा उपभोक्ता के परिसर में स्थापित विद्युत मीटर का अवलोकन किया जाकर ही रीडिंग ली जाती हैं। प्रकरण विशेष में उपभोक्ता के परिसर में रीडिंग लेते समय उपभोक्ता का मीटर बंद/खराब पाये जाने की स्थिति में, मीटर रीडर द्वारा इसकी जानकारी मीटर रीडिंग डायरी में दर्ज की जाती है। तत्पश्चात विगत तीन माह की वास्तविक रीडिंग के औसत की खपत का विद्युत देयक जारी किया जाता है। अनमीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ-आदेश के अनुसार निर्धारित खपत के बिल जारी किये जाते हैं। उपभोक्ताओं के परिसर में लगे विद्युत मीटर उचित गुणवत्ता एवं मापदण्ड के हैं, कतिपय प्रकरणों में विद्युत मीटर खराब होने पर संबंधित उपभोक्ता द्वारा उसकी शिकायत करने पर अथवा मीटर वाचक द्वारा मीटर रीडिंग लेते समय यदि मीटर बंद/खराब पाया जाता है तो उसकी जानकारी संबंधित वितरण केन्द्र को दी जाती है। दिनांक 01.04.2015 से 31.12.2015 तक रतलाम जिले में 667 एवं मंदसौर जिले में 1336 खराब मीटरों के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई थीं। (ग) रतलाम एवं मंदसौर जिलों में फीडर सेपरेशन योजना के अन्तर्गत कार्य निष्पादन के संबंध में दिनांक 01.01.2013 से 31.01.2016 तक क्रमश: कुल 5 एवं 14 शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
आवारा पशुओं की नसबंदी
133. ( क्र. 6444 ) श्री योगेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत तीन वर्षों में नगर निगम भोपाल को आवारा पशुओं (कुत्तों) की नसबंदी करने हेतु कितना बजट आवंटन प्राप्त हुआ? (ख) प्रति वर्ष कितने आवारा पशुओं की नसबंदी की गई एवं उस पर कितना व्यय हुआ? (ग) आवारा पशुओं की नसबंदी करने के लिए किन-किन संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन नगर-निगम, भोपाल द्वारा किया गया है एवं उन संस्थाओं को विगत तीन वर्षों में प्रति वर्ष कितना-कितना बजट आवंटित किया गया एवं उनके द्वारा उस बजट का कितना उपयोग किया गया? (घ) नगर निगम भोपाल में आवारा पशुओं की नसबंदी करने के लिए रजिस्टर्ड संस्थाओं को आवंटित बजट की मॉनिटरिंग के लिए क्या कोई नियमित व्यवस्था है? यदि हाँ, तो किस-किस संस्था की किस अधिकारी द्वारा कब-कब मॉनिटरिंग की गई है, रिपोर्ट संलग्न करें एवं उस रिपोर्ट के आधार पर नगर निगम भोपाल द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गई है? (ड.) नगर निगम भोपाल की आवारा पशुओं की वजह से भोपाल में सड़के दुर्घटनाओं में मृत एवं घायल हुए पीडितों की संख्या के आधार पर समुचित कार्यवाही किये जाने की कोई कार्ययोजना है? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विगत तीन वर्षों में आवारा पशुओं (कुत्तों) की नसबंदी हेतु नगर निगम, भोपाल को म.प्र. शासन द्वारा कोई बजट आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है। नगर निगम, भोपाल द्वारा स्वयं के आय पर आवारा कुत्तों की नसबंदी हेतु विगत तीन वर्षों में 2 करोड़ 40 लाख रू. का बजट मद में प्रावधान किया गया है। (ख) वर्षवार जानकारी :-
वर्ष |
कुल नसबंदी संख्या (कुत्तों की) |
व्यय राशि (रू.) |
2013-14 |
4514 |
23,56,192/- |
2014-15 |
18477 |
1,05,02,906/- |
2015-16 |
17941 |
1,03,57,641/- |
(ग) वर्ष 2013 में ई-टेंडरिंग के माध्यम से चयनित एन.जी.ओ. वेट एनीमल्स एंड रूरल डेवलपमेंट सोसायटी, हैदराबाद द्वारा नवम्बर 2013 में भोपाल शहर में आवारा श्वानों की नसबंदी एवं एंटी रैबीज टीकाकरण का कार्य दिया गया, जिसे 50 लाख रू. का कार्यादेश दिया गया था। संतोषजनक कार्य पूर्ण करने के उपरांत अनुबंध के अनुसार एम.आई.सी. से अनुमोदन पश्चात उसे पुन: कार्य हेतु एक्टेंसन दिया गया। नवम्बर 2013 से दिसम्बर 2014 तक वेट एनीमल्स एंड रूरल डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा 15007 श्वानों की नसबंदी की गई, जिस पर राशि रू. 87,67,326/- का व्यय हुआ। वर्ष 2015-16 में बुलाये गये ई-टेंडर ऑफर में चयनित एन.जी.ओ. नवोदय वेट सोसायटी द्वारा 1 जनवरी 2015 से 31 अक्टूबर 2015 तक 25,925 श्वानों की नसबंदी की गई, जिस पर राशि रू. 1,66,13,350/- का व्यय हुआ। नवम्बर 2015 में पुन: ई-टेंडरिंग की गई, जिसमें चयनित संस्था, नवोदय वेट सोसायटी द्वारा 3 फवरी, 2016 से पुन: कार्य प्रारंभ किया है। किये गये कार्यों का मासिक सत्यापन किया जाना शेष है। सत्यापन उपरांत किये गये नसबंदी कार्य के भुगतान की कार्यवाही की जावेगी। (घ) चयनित एन.जी.ओ. द्वारा श्वास नसबंदी एवं एंटी रैबीज टीकाकरण कार्यक्रम के तहत किये गये कार्यों का मासिक सत्यापन प्रत्येक माह के पश्चात आयुक्त नगर निगम भोपाल द्वारा बनायी गई समिति जिसमें पशु पालन विभाग के 03 पशु चिकित्सक शामिल है, ऑपरेशन द्वारा निकाले गये आर्गन का सत्यापन किया जाता है। सत्यापन के समय पीपुल्स फॉर एनीमल की स्थानीय प्रतिनिधि, स्वास्थ्य समिति के मान. अध्यक्ष की मौजूदगी में आर्गन की गणना व समुचित निश्पादन (डिस्पोजल) किया जाता है। समस्त सत्यापन व निष्पादन प्रक्रिया की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी भी की जाती है। आर्गन की गणना व डिस्पोजल उपरांत ही रिपोर्ट के आधार पर अनुमोदित दर पर भुगतान की कार्यवाही की जाती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मुख्यमंत्री अधोसंरचना के कार्य
134. ( क्र. 6469 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महिदपुर नगर पालिका में मुख्यमंत्री अधोसंरचना की राशि कब-कब स्वीकृत हुई? विगत दो वर्ष के संबंध में बतावें? (ख) इस राशि को व्यय करने के प्रावधान बतावें। (ग) इसके लिए वर्तमान में चल रहे कार्य का टेंडर कब हुआ, वर्क ऑर्डर कब जारी किया गया? कार्य समय पर क्यों नहीं पूर्ण हुआ? (घ) कार्य समय पर पूर्ण नहीं करने वाले ठेकेदार को कब तक ब्लेक लिस्टेड कर दिया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) दिनांक 30.09.2015 को राशि रू. 20.00 लाख, दिनांक 01.12.2015 को राशि रू. 10.00 लाख, दिनांक 03.02.2016 को राशि रू. 10.00 लाख, दिनांक 20.02.2016 को राशि रू. 20.00 लाख (ख) मध्यप्रदेश नगर पालिका (मेयर इन कौंसिल/प्रेसीडेंट इन कौंसिल के कामकाज का संचालन तथा प्राधिकारियों की शक्तियां एवं कर्तव्य) नियम 1998 के नियम 5 के अनुसार। (ग) दिनांक 15.06.2015। 17.11.2015। कार्य पूर्ण होन की समय-सीमा दिनांक 16.05.2016 नियत है। (घ) कार्य पूर्ण होने की समय-सीमा दिनांक 16.05.2016 नियत होने से प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ऊरी नदी पर बरखेड़ा बांध का निर्माण
135. ( क्र. 6475 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या धार जिले में ऊरी नदी पर बरखेड़ा बांध बनाया जाना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो इसके पूर्ण होने में कितना समय लगेगा एवं कितना व्यय होने की संभावना है? (ख) उक्त बांध के पूर्ण होने पर बांध की नहर का पानी किन-किन गांवों से गुजरेगा एवं कहाँ तक नहर जायेगी? (ग) उक्त बांध के पूर्ण होने पर कितने हेक्टेयर में सिंचाई होगी।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
कुक्षी तहसील चतुर्थ चरण की नहर के पानी का प्रदाय
136. ( क्र. 6476 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या N.U.D.A के तृतीय चरण का पानी मनावर विधानसभा के क्षेत्रों में आ चुका है? यदि हाँ, तो उक्त परियोजना के चतुर्थ चरण की नहर का पानी पुन: क्यों ले जाया जा रहा है जबकि मान परियोजना से 12 महीने पानी उपलब्ध रहता है? (ख) जब प्रश्नांश (क) में उल्लेखित क्षेत्रों में पर्याप्त पानी उपलब्ध है तो फिर चतुर्थ चरण की नहर का पानी कुक्षी तहसील के बाग कुक्षी एवं डही विकासखंड के क्षेत्रों में क्यों नहीं ले जाया जा रहा है जहां पर सूखे की स्थिति निर्मित रहती है? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित क्षेत्रों में चतुर्थ चरण की नहर का पानी कब तक लाया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। मनावर विधानसभा क्षेत्र के उन क्षेत्रों में जहाँ मान परियोजना से सिंचाई नहीं होती है, ओंकारेश्वर परियोजना की चतुर्थ चरण की नहरों से पानी उपलब्ध कराया जाएगा। (ख) एवं (ग) ओंकारेश्वर परियोजना के चतुर्थ चरण से कुक्षी तहसील के बाग, कुक्षी एवं डही विकासखण्ड के क्षेत्रों की भूमि का स्तर नहर के स्तर से अधिक होने के कारण तकनीकी रूप से जल उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बैतूल में मोबाइल टावर अनुमति
137. ( क्र. 6484 ) श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगरीय क्षेत्रों में मोबाइल टावर लगाए जाने हेतु संबंधित नगर पालिका/नगर परिषद द्वारा अनुमति दिए जाने के नियम हैं? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति सहित कितनी फ्रिक्वेंसी तक अनुमति दी जा सकती है? (ख) क्या नगर पालिका क्षेत्र बैतूल के अंतर्गत विगत दो वर्षों में टावर लगाए जाने हेतु नगर पालिका बैतूल द्वारा अनुमति दी गई है? यदि हाँ, तो किस-किस कंपनी के टावर लगाए जाने हेतु कब-कब अनुमति दी गई है तथा किस-किस कंपनी के मोबाइल टावर कहाँ-कहाँ एवं कब-कब लगाए गए हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में लगाए गए टावरों की फ्रिक्वेंसी क्या है? (घ) क्या बैतूल नगर में निर्धारित फ्रिक्वेंसी से अधिक फ्रिक्वेंसी के टावर लगाए गए हैं? यदि हाँ, तो किन नियमों के अंतर्गत नगर पालिका द्वारा अनुमति दी गई है तथा क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। फ्रिक्वेंसी की अनुमति भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा दी जाती है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है (ग) एवं (घ) जानकारी उत्तरांश ''क'' अनुसार है।
ई.ओ.डब्लू. एवं लोकायुक्त में दर्ज प्रकरण
138. ( क्र. 6496 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अपेक्स बैंक के कितने अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध ई.ओ.डब्लू. में कब से कितने प्रकरण जाँच हेतु लंबित है? (ख) सभी प्रकरणों की जानकारी अधिकारी/कर्मचारी नाम, प्रकरण प्रकार, वर्ष सहित देवें। (ग) इन प्रकरणों की अद्यतन स्थिति भी बतावें? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) एवं (ग) के लिए लोकायुक्त प्रकरणों की जानकारी भी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) 03 अपराध प्रकरण एवं 02 शिकायत। सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) सभी प्रकरण विवेचना में है। (घ) दो आपराधिक प्रकरण एवं पाँच प्रकरण पंजीबद्ध हैं। सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार है।
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण
139. ( क्र. 6525 ) श्री दिनेश राय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन के 29/09/2014 के आदेश क्रं. /एफ 5-3/2006/3 द्वारा रिक्त पदों के विरूद्ध दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाएगा। (ख) क्या इसी आदेश की कंडिका 5.5 के अनुसार दै.वे.भो. कर्मचारी जिस पद/संवर्ग में कार्यरत है और संवर्ग का पद रिक्त न होकर अन्य समकक्ष पद रिक्त हैं और दै.वे.भो. कर्मचारी उस पद की योग्यता रखता है तो उसके समकक्ष पद की नियमितीकरण कार्यवाही की जावे उल्लेखित है? (ग) सिवनी जिले में कुल कितने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी वर्तमान में कार्यरत हैं नियुक्ति दिनांक बताते हुए नगर पालिका/परिषद सिवनी, लखनादौन एवं बरघाट की पृथक-पृथक सूची देंवे। (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ख) आदेशों का पालन कब तक सुनिश्चत किया जाकर दै.वे.भो. का नियमितीकरण किया जावेगा।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) प्रक्रिया चल रही है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
गाडरवारा क्षेत्र में पर्यटक स्थल का विकास
140. ( क्र. 6538 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र में पर्वत श्रृंखला एवं बड़ी-बड़ी नदियां झीलें आदि की उपलब्धता के बावजूद भी कोई पर्यटक स्थल नहीं है, क्षेत्र में कोई पर्यटक स्थल बनाये जाने पर विभाग विचार करेगा यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या विधानसभा क्षेत्र में कोई पर्यटक स्थल बन सकेगा इसका सर्वे कराकर विभाग पर्यटक स्थल बनाये जाने की कार्य योजना पर शीघ्र विचार करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। विभाग के अंतर्गत पर्यटन स्थल घोषित करने की कोई नीति नहीं है। (ख) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
देहगुड़ एवं बधोली जलाशय
141. ( क्र. 6546 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र में देहगुड़ एवं बधोली जलाशय कब स्वीकृत हुए इनकी लागत क्या थी इनके द्वारा सिंचित कृषि का रकबा क्या था एवं इन जलाशयों के निर्माण की पूर्ति का दिनांक समय अवधि कितनी थी? (ख) वर्तमान में इन जलाशयों का निर्माण क्या 15 जून, 2016 तक पूर्ण हो जावेगा? यदि न तो कार्य की प्रगति स्थिति क्या है? (ग) इन जलाशयों का निर्माण किस अनुविभागीय अधिकारी एवं उपयंत्री की देख-रेख में किया जा रहा है, नाम सहित जानकारी देवें एवं क्या अनुविभागीय अधिकारी उपयंत्री वर्ष 2014-15 में इन कार्यों के निरीक्षण हेतु गये थे? यदि गये थे तो इनके द्वारा प्राक्कलनानुसार दिये गये तकनीकी मार्गदर्शन की निर्देश टिप्पणी दिनांक सहित अवगत करावें? यदि तकनीकी मार्गदर्शन नहीं दिया गया तो जलाशय निर्माण में हुए विलंब की जबावदारी किसकी मानी जावे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन अवधि में जलाशयों का निर्माण पूर्ण होना संभावित है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है। जी हाँ, निरीक्षण किया गया है। अनुविभागीय अधिकारी मौके पर निरीक्षण कर कार्य संपादित कराते हैं और निरीक्षण की टिप्पणी तैयार नहीं करते हैं। प्रश्नांश ''क'' के उत्तर में दी गई जानकारी के परिप्रेक्ष्य में निर्माण में विलंब की स्थिति नहीं है।
म.प्र. वि.वि.कं. से स्थायी कनेक्शन
142. ( क्र. 6547 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र मुलताई में स्थित म.प्र. वि.वि.कं. के कुल कितनी डी.सी. है एवं कहाँ-कहाँ है? (ख) माह अक्टूबर 2015 से माह जनवरी 2016 तक अस्थायी कनेक्शन से कितने स्थायी कनेक्शन किये गये? (ग) क्या यह स्थायी कनेक्शन नियमों का पालन करते हुए दिये गये? यदि हाँ, तो नियम क्या थे? (घ) स्थायी कनेक्शनों से ट्रांसफार्मरों पर अतिरिक्त लोड पड़ने से पूर्व के किसानों को होने वाली क्षति का जवाबदार किसे माना जावेगा। इसके लिए क्या कार्यवाही तय की गई?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के 10 वितरण केन्द्र (डी.सी.) कार्यरत् है, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन क्षेत्र एवं प्रश्नाधीन अवधि में 324 अस्थायी कनेक्शनों को स्थायी कनेक्शनों में परिवर्तित किया गया है। (ग) जी हाँ। विद्यमान निम्नदाब लाईन से कृषक के पंप/कुआँ की अधिकतम दूरी 150 फीट तक होने पर तकनीकी साध्यता अनुसार स्थाई कनेक्शन प्रदान करने का प्रावधान है तथा दूरी 150 फीट की अधिक होने की स्थिति में कृषकों को सिंचाई हेतु स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना अथवा स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना के अंतर्गत समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने पर स्थाई कृषि पंप कनेक्शन प्रदान करने का प्रावधान है। उक्त योजनाओं की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार है। (घ) अस्थायी कनेक्शन को स्थायी कनेक्शन में तकनीकी साध्यता अनुसार ही परिवर्तित किया गया है। कृषकों को सिंचाई हेतु स्थाई पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना एवं स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना में आवश्यक विद्युत अधोसंरचना विकसित करने के उपरांत ही स्थाई कृषि पंप कनेक्शन दिये गये हैं। अत: पूर्व से संयोजित कृषकों के कनेक्शनों को कोई क्षति/असुविधा नहीं हुई है। उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के कार्य
143. ( क्र. 6557 ) श्री संजय पाठक : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र विजयराघवगढ़ में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत वर्ष 2015-16 में किस कंपनी को विद्युत लाईन बिछाने हेतु विद्युतीकरण कार्य आवंटित किया गया है तथा विधानसभा क्षेत्र विजयराघवगढ़ में कितने ग्रामों को विद्युतीकरण करने के लिए शामिल किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) से संबंधित कितने ग्रामों के मजरें टोले, मोहल्लों में विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण करा लिया गया है? (ग) कितने कार्य प्रश्न दिनांक तक प्रांरभ नहीं किये गये। अप्रांरभ हुये कार्य कब तक पूर्ण करा लिये जावेंगे?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र सहित कटनी जिले हेतु 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनांतर्गत विद्युतीकरण का कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु मेसर्स कैबकॉन इंडिया प्रा.लिमिटेड, कोलकाता को दिनांक 9.9.2014 (वर्ष 2015-16 नहीं) को अवार्ड जारी किया गया है, जिसके अंतर्गत विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र का एक अविद्युतीकृत ग्राम बंजर कुठिया मोहगवां विद्युतीकरण हेतु एवं 181 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मंजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य शामिल किया गया है। (ख) विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के एक अविद्युतीकृत ग्राम बंजर कुठिया मोहगंवा के विद्युतीकरण एवं 33 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है एवं 16 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों में विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर है। (ग) विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के 132 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य प्रारम्भ किया जाना शेष है। ठेकेदार एजेंसी के साथ किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य पूर्ण करने की निर्धारित तिथि 15.02.17 है। उक्त सभी अप्रारम्भ कार्य अनुबंध अनुसार निर्धारित तिथि 15.02.17 तक पूर्ण कराने का प्रयास है।
बड़े तालाब स्थित जल तरंग सेंटर
144. ( क्र. 6564 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजधानी भोपाल के बड़े तालाब स्थित भोजवेट लैण्ड परियोजना अतंर्गत निर्मित इन्टरप्रिटेशन सेन्टर (जल तंरग) में किस व्यक्ति/फर्म को कितनी क्षेत्रफल कितनी लीज/किराया राशि, कितने वर्ष के लिए लीज/किराया पर दी गई? (ख) क्या जलतरंग सेन्टर विगत 2 वर्षों से बंद है एवं जिस उद्देश्य/प्रयोजन से निर्माण किया गया उसका उपयोग न करके अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग किया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) इंटरप्रिटेशन सेन्टर (जल तरंग) भवन में मेसर्स कैफे कॉफी डे को कैफे टेरिया हेतु कुल क्षेत्रफल 178.93 वर्गमीटर राशि रू. 25,80,198/- वार्षिक किराये पर दिनांक 17.12.2015 से 16.12.2016 तक एक वर्ष की अवधि हेतु दिया गया है। (ख) जी नहीं अपितु संधारण का कार्य प्रक्रियाधीन है। उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अधिकारियों/कर्मचारियों की पदोन्नति
145. ( क्र. 6615 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग का आदेश क्रमांक 8-5/476/11 नियम/4 भोपाल दिनांक 31 दिसम्बर, 2011 का लाभ प्रदेश में कार्यरत अधिकारियों/ कर्मचारियों के कौन-कौन से पद से पदोन्नति पर लागू होगा, सूची देते हुये स्पष्ट करें कि किस-किस संवर्ग को 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि का लाभ होगा पद, पदोन्नति का पद, वेतनमान तथा विभाग का नाम उल्लेख करते हुये विवरण देवें। (ख) क्या अधिकारियों/ कर्मचारियों को समयमान वेतनमान दिये जाने के समय ग्रेड पे वे 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि का लाभ मिलता है यदि नहीं, तो क्या-क्या लाभ मिलता है? (ग) समान ग्रेड पे पर पदोन्नति प्राप्त करने वाले जिन संवर्ग को 3 प्रतिशत वेतनवृद्धि का लाभ नहीं मिलता उनको भी सभी की तरह वेतनवृद्धि का लाभ मिले इस हेतु विभाग के नियम है तो प्रतिलिपि देवें? यदि नहीं, तो विभाग इस विसंगति पूर्ण आदेश को समाप्त करेगा तथा नया आदेश जारी करेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) आदेश दिनांक 31-12-2011 ऐसे सभी पदों से पदोन्नति पर लागू होगा जहां विभागीय भर्ती नियमों के अनुसार समरूप वेतन बैण्ड तथा समान ग्रेड पे पर पदोन्नति हुईं हों। (ख) जी नहीं। वेतन बैंड में प्राप्त वेतन पर 3 प्रतिशत का लाभ देय होता है। (ग) प्रश्न '''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जल संसाधन संभाग जबलपुर के निर्माण कार्य
146. ( क्र. 6618 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्त वर्ष 2012-2013 से प्रश्न दिनांक तक हिरन जल संसाधन संभाग जबलपुर के तहत किन-किन योजना मद से कितनी-कितनी राशि के कौन-कौन से निमार्ण कार्य कब, किस स्तर पर स्वीकृत किये गये, इनकी प्रशासकीय स्वीकृति कब, किसने, कितनी राशि की दी बतलावें? (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत कितनी-कितनी राशि के कौन-कौन से निर्माण कार्य कब किसने विभागीय स्तर पर या निविदा के माध्यम से अथवा जल उपभोक्ता संस्था के द्वारा कराये गये? कितने पूर्ण, कितने किन कारणों से प्रश्न दिनांक तक अपूर्ण हैं?? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित निर्माण कार्यों में अनियमितता, राशि के दुरूपयोग व ठेकेदारों/निर्माण एजेंसी को अनुचित लाभ पहुंचाने, से संबंधित कितनी शिकायतें किस स्तर से प्राप्त हुई। प्राप्त शिकायतों की जाँच कब किसने की एवं किस पर क्या कार्यवाही की गई? क्या शासन इन अनियमितताओं की जाँच कराकर दोषियों पर कार्यवाही करेगा, यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। निर्माण एजेंसी की क्षमता एवं सिंचाई के लिए नहरों का उपयोग होना कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण रहे है। (ग) मा. विधायक श्रीमती नंदनी मरावी से प्राप्त शिकायत और उस पर की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। अभिलेखों के मुताबिक शासन को अन्य कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
तालाबों के जलभराव क्षेत्र एवं फीडर लाइनों को अतिक्रमण मुक्त करना
147. ( क्र. 6650 ) श्री के. के. श्रीवास्तव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ नगर के महेन्द्र सागर तालाब के बंधान, जलभराव क्षेत्र एवं बंडा नाला पर कितने अतिक्रमण हैं। नाम सहित सूची बनायें? (ख) अतिक्रामकों के विरूद्ध अभी तक विभाग ने क्या-क्या कार्यवाही की है? (ग) उक्त अतिक्रमण कब तक हटा लिया जायेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) महेन्द्र सागर जलाशय पर कोई अतिक्रमण नहीं है। बण्डा नाला जल संसाधन विभगा के अधीन नहीं है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते है।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु योजना
148. ( क्र. 6651 ) श्री के. के. श्रीवास्तव : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु शासन की क्या योजना है? क्या जिला स्तर पर सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने हेतु कोई कार्यालय या संवाद केन्द्र है? यदि हाँ, तो किन-किन जिलों में है? (ख) जिन जिलों में कार्यालय अथवा संवाद केन्द्र नहीं है? उनमें कब तक स्थापित करने की योजना है? (ग) टीकमगढ़ जिला में कब तक संवाद केन्द्र स्थापित कर दिया जायेगा?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु शासन द्वारा सौर ऊर्जा परियोजना नीति 2012 सौर म.प्र. सौर ऊर्जा पार्क विकास नीति-2013 लागू की गई है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सौर उपकरणों, यथा सोलर पंप, सोलर पॉवर प्लांट, सोलर स्ट्रीट लाईट एवं होम लाईट, सौर गर्म जल संयंत्र, आदि स्थापित करने हेतु कार्यक्रम क्रियान्वित किये जा रहे हैं। जिन गांवों को पारम्परिक रूप से विद्युतीकृत नहीं किया जा सकता, उन्हें नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोंतों से ऊर्जान्वित करने हेतु भारत शासन की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अन्तर्गत डीसेन्ट्रलाईज्ड डिस्ट्रीब्युटेड जनरेशन कार्यक्रम संचलित किया जा रहा है। जिला स्तर पर सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से म.प्र. के 36 जिलो में जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी कार्यालय संचालित हो रहे हैं, सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। इसके अतिरिक्त 282 अक्षय ऊर्जा शॉप संचालित है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित जिलों के अलावा शेष जिलों में कार्यालय नहीं खोले जा रहे हैं। (ग) विभाग द्वारा संवाद केन्द्र स्थापित नहीं किया जाता। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नीमच अंतर्गत हमेरिया जलाशय में भंडरण
149. ( क्र. 6663 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नीमच विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत हमेरिया जलाशय की जल योजना में सकल भंडारण स्तर, जीवित भंडारण स्तर एवं मृत भंडारण स्तर तथा सबसे कम जल भंडारण स्तर कितना कितना प्रावधानित किया गया है तथा वर्तमान में कितनी मात्रा में जल भराव उपलब्ध है? (ख) क्या जलाशय का जल स्तर वर्तमान में शून्य से भी नीचे है? यदि हाँ, तो क्या इससे जलाशय की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा? (ग) इस हेतु लापरवाह विभाग के अधिकारियों के प्रति क्या कार्यवाही की जाएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) हमेरिया जलाशय का सकल भण्डारण 8.93 मि.घ.मी. जीवित जल भराव क्षमता 6.37 मि.घ.मी., मृत भराव क्षमता 2.56 मि.घ.मी. प्रावधानित है। हमेरिया तालाब के डूब क्षेत्र से इस वर्ष मकानों के न हटने से जीवित क्षमता 4.53 मि.घ.मी. पानी भरा गया था। (ख) एवं (ग) डूब क्षेत्र में किसानों द्वारा उद्वहन से सिंचाई करने के कारण जलस्तर वर्तमान में शून्य पर है। जी नहीं। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
क्रमोन्नत वेतनमान विसंगति
150. ( क्र. 6671 ) श्री मधु भगत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या क्रमोन्नति वेतनमान के संबंध में प्रश्नकर्ता का पत्र दिनांक 30/11/2015, 10/12/015 और 08/12/2015 विभाग में प्राप्त हुआ था, यदि हाँ, तो शासन ने क्या निर्णय लिया? (ख) क्या उक्त मामला आयुक्त स्तर (संचालनालय) की परामर्श दात्री समिति की बैठक दिनांक 13/01/2016 में चर्चा में आया था और संचालनालय ने तर्कों से सहमत होकर पत्र दिनांक 08/01/2016 द्वारा वित्त विभाग को भेजा गया था? यदि हाँ, तो संचालनालय के पत्र पर क्या कार्यवाही शासन ने की? (ग) वित्त विभाग का क्रमोन्नति वेतनमान के संबंध में जारी परिपत्र दिनांक 21 मई, 2015 एक ही पद तक क्यों सीमित रखा गया जबकि अनेक पद ऐसे हैं जिनकी विशिष्टताएं, समानताएं, पत्र दिनांक 21 मई, 2015 में उल्लेखित पद के समान है? ऐसा पक्षपात क्यों किया गया क्या न्याय दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। संचालनालय कोष एवं लेखा में प्राप्त हुआ है। सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 17-5-2000 के अनुसार वेतनमान 3050-4590 में नियुक्त शासकीय सेवक को 24 वर्ष से अधिक सेवा पूर्ण करने पर 4000-6000 का क्रमोन्नत वेतनमान देने का प्रावधान है। (ख) जी हाँ। संचालनालय के पत्र दिनांक 8-1-2016 को विचार में लिया गया है। (ग) सहायक ग्रेड-2 के पद का वित्त विभाग के पत्र दिनांक 4-3-97 से तत्समय वेतनमान का पुनरीक्षण किये जाने से देय क्रमोन्नति में विसंगति का निराकरण वित्त विभाग के परिपत्र दिनांक 21-5-2015 से किया गया है। अन्य समान प्रकरण समक्ष में आने पर गुण-दोष के आधार पर परीक्षण कर यथा आवश्यक निर्णय लिया जाएगा।
सोलर प्लाटों को प्रदान की गई भूमि
151. ( क्र. 6681 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सोलर ऊर्जा प्लांट के लिए मध्यप्रदेश में शासन द्वारा भूमि आवंटित की गई है? यदि हाँ, तो विगत पाँच वर्षों में कितनी भूमि किन-किन कंपनियों को कहाँ-कहाँ आवंटित की गई? (ख) सोलर विद्युत पंप लगाने के लिए शासन द्वारा किसानों को कोई अनुदान दिए जाने की योजना है? यदि हाँ, तो क्या? अभी तक सीहोर जिले में कितने व्यक्तियों को विगत 5 वर्ष में इसका लाभ प्राप्त हुआ हैं? (ग) सोलर यूनिट लगाए जाने के लिए शासन द्वारा क्या कोई प्रोत्साहन योजना प्रारंभ करने की योजना है? यदि नहीं, तो इस दिशा में कब तक योजना बनाई जाएगी?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) सोलर पम्पों की स्थापना पर नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत शासन द्वारा दिये जाने वाले अनुदान की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। सीहोर जिले में सोलर पम्प की स्थापना हेतु अभी तक किसी भी व्यक्ति से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है, तदापि नल जल परियोजनाओं, कृषि परिक्षेत्र व वन परिक्षेत्र, नर्सरी इत्यादि में सोलर पम्प लगाए गए हैं। (ग) सौर परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए शासन द्वारा सौर ऊर्जा आधारित परियोजनाओं की क्रियान्वयन नीति, 2012 लागू की गयी है। मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने हेतु राज्य शासन द्वारा ऑफग्रिड एवं ग्रिड संयोजित सौर फोटोवोल्टेइक पॉवर प्लांटस की विभिन्न शासकीय/अर्द्धशासकीय एवं निजी संस्थागत (5 से 25 कि.वा. क्षमता हेतु) क्षेत्रों में स्थापना के लिए अधिकतम 20 प्रतिशत तक अनुदान दिये जाने की योजना संचालित है। इसी योजनान्तर्गत केन्द्र शासन द्वारा भी विभिन्न निजी संस्थागत एवं घरेलू क्षेत्र के लिये अधिकतम 30 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाना प्रावधानित है।
सरदार सरोवर एवं महेश्वर बांध में डूब एवं पुर्नवास
152. ( क्र. 6689 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) . सरदार सरोवर एवं महेश्वर बांध में कितनी निजी एवं कितनी सरकारी जमीन डूबी है एवं कितनी भूमि पर किन-किन जिलों में कितनी-कितनी भूमि पर पुनर्वास हुआ? (ख) प्रश्न (क) अनुसार पुर्नवास हेतु दी गई जमीन देने का क्या मापदंड था एवं क्या जमीन के पहले जमीन के अलावा कुछ दूसरा विकल्प भी क्या शासन ने किसानों को दिया था वह क्या था? (ग) पुनर्वास के नाम पर खरगोन, देवास, अलीराजपुर, खंडवा जिले में कितनी संख्या में फर्जी रजिस्ट्री के केस दर्ज किये गये जिलेवार संख्या देवें। (घ) प्रश्न (ग) के संदर्भ में दोषी कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-‘अ’ अनुसार है। महेश्वर परियोजना ऊर्जा विभाग की परियोजना है जिसमें प्रभावित विस्थापितों के पुनर्वास हेतु खरगोन जिले में 350.425 हेक्टेयर पर पुनर्वास स्थल विकसित किये गये है। सरदार सरोवर परियोजना हेतु विकसित पुनर्वास स्थल का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-‘ब’ अनुसार है। (ख) नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण अवार्ड के प्रावधान अनुसार विस्थापित परिवार की 25 प्रतिशत से अधिक कृषि भूमि डूब प्रभावित होने के कारण अर्जित की जाती है तो उनको पुनर्वास हेतु न्यूनतम 02 हेक्टेयर कृषि भूमि के आवंटन की पात्रता होगी परन्तु इसकी कीमत की वसूली विस्थापितों से की जायेगी। जी हाँ, भूमि के बदले भूमि हेतु पात्र विस्थापित परिवार यदि उसे आवंटन हेतु प्रस्तावित भूमि नहीं लेना चाहता एवं स्वयं अपनी पसंद की कृषि भूमि क्रय करना चाहता है तो उसे इस हेतु विशेष पुनर्वास पैकेज के तहत वित्तीय सहायता दी जाती है। यद्यपि महेश्वर जल विद्युत परियोजना ऊर्जा विभाग की परियोजना है, परन्तु इसके लिये नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा दिनांक 31/12/2005 को निर्धारित नीति के अंतर्गत पुनर्वास का प्रावधान है। जो ऊर्जा विभाग द्वारा किया जाता है। (ग) सरदार सरोवर परियोजना में फर्जी रजिस्ट्री संबंधी कुल 281 प्रकरण विभिन्न थानों में दर्ज करवाये गये हैं। इसमें धार जिले में 228 एवं बड़वानी जिले में 53 प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई है। इन एफ.आई.आर. में उच्च न्यायालय के प्रकरण क्रमांक 14765/2007 दिनांक 03/03/2008 द्वारा कार्यवाही पर रोक लगाई गई है। महेश्वर जल विद्युत परियोजना में फर्जी रजिस्ट्री का कोई मामला संज्ञान में नहीं है। (घ) 13 शासकीय सेवकों को निलंबित किया गया है तथा 01 कर्मचारी की सेवा समाप्त की गई है।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के नियम
153. ( क्र. 6691 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में व्यवसायिक प्रतिष्ठान एवं रहवासी बिल्डिंग एवं कॉलोनियों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के क्या नियम हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत इंदौर नगर निगम सीमा में नियमों में कौन-कौन से हॉस्पिटल, कॉलेज, स्कूल, आवासीय कॉलोनियों एवं अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान इन दायरे में आ रहे है? (ग) प्रश्नांश (ख) अंतर्गत आयी संस्थाओं ने एस.टी.पी. को लगाने के लिए कब तक की समय-सीमा तय है जानकारी देवें एवं किन प्रतिष्ठानों ने लगा लिये हैं? (घ) प्रश्नांश (ख) अंतर्गत आये संस्थानों में से अभी तक एस.टी.पी. नहीं लगाये संस्थानों पर क्या कार्यवाही प्रस्तावित है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) व्यवसायिक प्रतिष्ठान एवं रहवासी बिल्डिंग तथा कॉलोनीयों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के कोई विशिष्ट नियम नहीं है। (ख) से (घ) उत्तारांश ‘क’ के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
हरपुरा सिंचाई परियोजना की नहर का पानी बराना तालाब में डालना
154. ( क्र. 6701 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन सी नदियों पर बांध बनाने एवं नदियों का पानी तालाब में डालने का कार्य प्रगति पर है ऐसी योजनाओं के नाम सहित बताये कि उनकी प्रशासनिक स्वीकृति एवं वित्तीय स्वीकृति कितनी लागत की कब की गई थी? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर बतायें कि टीकमगढ़ जिले में उपरोक्त सिंचाई योजनाओं से कितनी कृषि भूमि का रकबा सिंचित होगा? प्रश्न दिनांक तक कितना भुगतान प्रश्न दिनांक तक किया जा चुका है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर प्रश्न दिनांक तक हरपुरा सिंचाई परियोजना का नहर द्वारा बराना तालाब को भरने हेतु पानी क्यों प्रारंभ नहीं किया गया जबकि अन्य तालाबों को भरने हेतु उपरोक्त कार्य प्रगति पर है? क्या बराना तालाब भरने के लिये उपरोक्त सिंचाई परियोजना से अलग किया जा रहा है? ऐसा क्यों स्पष्ट बतायें। (घ) प्रश्नांश (क) (ख) एवं (ग) के आधार पर बतायें कि हरपुरा सिंचाई परियोजना से बराना तालाब में पानी लाने हेतु नहर का कार्य प्रारंभ कर दिया जावेगा तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) जी नहीं। बराना तालाब का कार्य हरपुरा केनाल एक्सटेंशन में सम्मिलित है, जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 12.02.2013 को रू.3,318/- लाख की प्रदान की गई है। हरपुरा सिंचाई एवं नदी जोड़ों तालाब परियोजना के क्रियान्वयन के पश्चात। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
मदरसे को जमीन आवंटन
155. ( क्र. 6715 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर परिषद पानखेड़ी (कालापीपल) में ईस्लाम धार्मिक शिक्षा मदरसा के नाम से कोई भू-खण्ड दर्ज है? यदि हाँ, तो भू-खण्ड की साईज व नक्शा उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित मदरसे द्वारा जमीन क्रय की अथवा शासन/ग्राम पंचायत से आवंटित कब करवाई गई? आदेश की प्रति देवें। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित मदरसे को पूर्व में निर्मित भवन के अतिरिक्त क्या और भूमि दी गई है? यदि हाँ, तो क्या दस्तावेजों की जाँच की गई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। ग्राम पंचायत के भवन पंजी में क्रमांक 256 पर इस्लाम धार्मिक शिक्षा मदरसा मस्जिद दर्ज है। नक्श उपलब्ध नहीं है। (ख) उक्त मदरसे (इस्लाम धार्मिक शिक्षा समिति) के नाम वर्ष 81-82 में अन्जुमन कमेटी (इस्लाम) के नाम दर्ज है तथा वर्ष 92-93 में ग्राम पंचायत पानखेड़ी (कलापीपल) की भवन पंजी में क्रमांक 212 पर इस्लाम धार्मिक शिक्षा मदरसा दर्ज है। दोनों पंजीयों की छायाप्रति जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। तत्कालीन ग्राम पंचायत पानखेड़ी (कालापीपल) द्वारा प्रस्ताव क्रमांक 01 दिनांक 15 अगस्त, 2012 द्वारा यह प्रस्ताव पारित किया गया कि आबादी क्षेत्र की रिक्त पड़ी भूमि विक्रय की जाये, तदनुसार इस्लाम धार्मिक शिक्षा मदरसा को ग्राम पंचायत द्वारा 250 वर्ग फुट भूमि विक्रय की गई है जिसका मूल्य रूपये 12,500/- जमा कराया जाकर विक्रय किया गया। उक्त राशि ग्राम पंचायत में दिनांक 19.06.2014 अर्थात 01 वर्ष 10 माह बाद राशि जमा की गई तथा राशि की रसीद पर तत्कालीन सरपंच तथा वसूली लिपिक के हस्ताक्षर है तत्कालीन सचिव के हस्ताक्षर नहीं है। रसीद तथा जारी प्रमाण पत्र संलग्न है। ग्राम सभा का प्रस्ताव जमा राशि की रसीद की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।