मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
मंगलवार, दिनांक 16 मार्च, 2021
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
शासकीय
आवास के फर्जी
आवंटन पर
कार्यवाही
[गृह]
1. ( *क्र. 4151 ) श्री विनय सक्सेना : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संपदा संचालनालय द्वारा भोपाल में वर्ष 2018 और 2019 में किस-किस श्रेणी के कौन-कौन से आवास, किस-किस अधिकारी/कर्मचारी को किस-किस कोटे से आवंटित किये गये थे? आवंटित किये गये आवासों की सूची, आवंटिती का नाम, पदनाम, विभाग सहित पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) क्या वर्ष 2018 और 2019 में संपदा संचालनालय के कर्मचारी द्वारा फर्जी तरीके से पैसे का लेन-देन कर कई कर्मचारियों को आवास आवंटित किये गये थे? यदि हाँ, तो निरस्त किये गये आवासों की सूची, आवंटिती के नाम, विभाग सहित पूर्ण जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) का उत्तर हाँ, है तो शासन द्वारा उक्त आरोपी कर्मचारी एवं आवंटिती जिन्होंने फर्जी तरीके से पैसे देकर आवास आवंटित कराये थे, क्या शासन ऐसे कर्मचारियों से बाज़ार दर से आवंटित आवास अवधि का किराया वसूल करेगा या नहीं? (घ) क्या शासन द्वारा उन कर्मचारियों का नाम, जो फर्जी तरीके से आवास आवंटित कराने के दोषी हैं तथा जिनके आवास निरस्त किये गए हैं, दण्ड स्वरुप शासकीय आवास की पात्रता सूची से हटाये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) दोषी आवंटितियों के विरुद्ध क्या-क्या कार्यवाही की? यदि नहीं, की गयी है तो क्या शासन उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देने के फलस्वरूप अपराध पंजीबद्ध कराएगा? यदि हाँ, तो कब?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) प्रचलित जाँच में फर्जी आवंटन आदेश के आधार पर आवास आवंटितियों को दाण्डिक दर से किराया वसूली की कार्यवाही के अंतर्गत मांग पत्र जारी किये गये हैं। (घ) वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव प्रक्रियाधीन नहीं है। (ड.) शासन आदेशों के परिपालन में आवंटन निरस्त कर बेदखली की कार्यवाही की जा रही है। दाण्डिक दर से किराया वसूली की कार्यवाही प्रचलन में है।
शासकीय महाविद्यालय छापीहेड़ा में संचालित कक्षाएं
[उच्च शिक्षा]
2. ( *क्र. 2415 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले के अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय छापीहेड़ा में कितने छात्र-छात्राएं दर्ज हैं? (ख) दर्ज छात्र संख्या के अनुरूप कितने कक्षों में कक्षाएं संचालित हो रही हैं? छात्र संख्या के मान से क्या महाविद्यालय में कक्ष उपलब्ध हैं? यदि हाँ, तो कितने कक्ष उपलब्ध हैं? यदि नहीं, तो किस प्रकार से शासन द्वारा बैठक व्यवस्था की जाएगी? (ग) महाविद्यालय के पास छात्र-छात्राओं की बैठक व्यवस्था हेतु कितना फर्नीचर उपलब्ध है व पेयजल की क्या सुविधा है? (घ) अध्यनरत छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए नवीन महाविद्यालय भवन कब तक स्वीकृत किया जाएगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) शासकीय महाविद्यालय छापीहेड़ा में कला संकाय में 289 छात्र एवं 319 छात्रायें, कुल 608 विद्यार्थी दर्ज हैं। (ख) दर्ज छात्र संख्या के अनुरूप 04 कक्षों में कक्षायें संचालित हो रही हैं। छात्र संख्या के मान से कक्षों का अभाव है। आवश्यकतानुसार शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के कक्षों का उपयोग किया जाता है। (ग) महाविद्यालय के पास पर्याप्त फर्नीचर उपलब्ध है। पेयजल व्यवस्था के लिये नल-जल सुविधा उपलब्ध है। (घ) प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है।
पुराने टेंडर को एक्सटेंशन दिये जाने की जाँच
[ऊर्जा]
3. (*क्र. 5252 ) श्री नीरज विनोद दीक्षित : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऊर्जा विभाग की पूर्व, पश्चिम व मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती के लिए आउटसोर्सिंग ऑफ मैन पावर निविदा निकाली थी, जिसमें तकनीकी खोले जाने के बाद इसे जून-जुलाई 2020 में निरस्त कर दिया गया था और पुराने टेंडर को ही एक्सटेंशन दिया गया था? कारण बतावें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) वर्णित कार्य हेतु अगस्त 2020 में पुन: निविदा बुलाई गई और तकनीकी निविदा खोले जाने के पूर्व निरस्त किया जाकर पुराने टेंडर को एक्सटेंशन दिया गया, क्यों? (ग) क्या उक्त कार्य हेतु जनवरी 2021 में पुन: निविदा बुलाकर 16 फरवरी 2021 को निरस्त कर दिया गया? तीन तीन बार टेंडर निरस्त किये जाने के कारण क्या हैं? क्या किसी कंपनी विशेष को लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है? पुरानी एजेंसी के कार्य को कितनी बार एक्सटेंशन दिया गया? क्या यह नियमानुसार है? यदि नहीं, तो क्यों? वर्तमान में कब तक के लिए एक्सटेंशन दिया गया है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में आऊटसोर्स कर्मचारियों के आऊटसोर्स प्रदाता फर्म के माध्यम से नियोजन हेतु/निविदाएँ जारी की गईं थीं। प्राईस बिड खोलने के बाद उक्त निविदाओं को माह जून-2020 में निरस्त किया गया था। उक्त निविदाओं को निरस्त किये जाने का कारण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। बाहय स्त्रोत से कार्मिकों के नियोजन हेतु पूर्व निविदाओं के अंतर्गत जारी दर अनुबंधों की अवधि समाप्त हो रही थी एवं उक्त नई निविदायें निरस्त की जा चुकी थीं, अत: पुरानी निविदाओं के अंतर्गत जारी दर अनुबंध को एक्सटेंशन दिया गया था, जिससे वितरण कंपनियों के विद्युत व्यवस्था/कार्यालयों से संबंधित कार्य प्रभावित नहीं हो पाये। (ख) जी हाँ। आऊटसोर्स कर्मचारियों के नियोजन हेतु कोई भी निविदाकर्ता निविदा की अर्हताओं पर प्राइज बिड खोलने के योग्य नहीं पाया गया था, अत: उक्त निविदाएं वाणिज्यिक व तकनीकी बिड खुलने के बाद निरस्त की गईं। उक्त के परिप्रेक्ष्य में पुन: पुरानी निविदाओं के अंतर्गत जारी दर अनुबंधों की अवधि नियमानुसार सक्षम अनुमोदन से एक्सटेंड की गयी, जिससे कि विद्युत वितरण कंपनियों के विद्युत व्यवस्था/कार्यालयों से संबंधित कार्य व्यवस्था प्रभावित नहीं हो पाये। (ग) जी हाँ। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा जारी निविदाएं निरस्त किये जाने का कारण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं, किसी कंपनी विशेष को लाभ देने का प्रयास नहीं किया जा रहा। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी व मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा पुरानी एजेन्सियों के अनुबंध का तीन बार एक्सटेंशन किया गया है, जबकि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा एक एजेंसी के अनुबंध को दो बार, दूसरी एजेंसी के अनुबंध को चार बार तथा अन्य तीन एजेन्सियों के अनुबंध का सात बार एक्सटेंशन किया गया है। उक्त एक्सटेंशन नियमानुसार किये गये हैं। वर्तमान में तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा उक्त एक्सटेंशन मार्च 2021 तक के लिए किये गए हैं।
पश्चिम क्षेत्र वि.वि.कं. इन्दौर में आई.पी.डी.एस. योजनांतर्गत कराये गये कार्य
[ऊर्जा]
4. ( *क्र. 4611 ) श्री संजय शुक्ला : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर को इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आई.पी.डी.एस.) के तहत कितनी राशि केन्द्र सरकार द्वारा विगत 07 वित्तीय वर्षों में (2013-14 से 2019-20 तक) स्वीकृत की गई? आई.पी.डी.एस. योजना में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर द्वारा सब ट्रांसमिशन कंस्ट्रक्शन (एस.टी.सी.) अनुभाग द्वारा क्या-क्या कार्य कराये गये? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर द्वारा (आई.पी.डी.एस.) योजना के अन्तर्गत इन्दौर शहर के उत्तर दक्षिण एवं पश्चिम शहर संभागों में क्या-क्या कार्य कराये गये? क्या इन कार्यों में अनियमितता की शिकायतें विभाग को प्राप्त हुईं हैं? क्या कार्यों का भौतिक सत्यापन कराया गया था? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में इन्दौर शहर के उत्तर, दक्षिण एवं पश्चिम शहर संभागों में आई.पी.डी.एस. योजना के तहत विभागीय स्तर पर क्रय किये गये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर केबल एवं विद्युत पोल को प्रायवेट कॉलोनियों में लगाये गये हैं? क्या कई जगहों पर पोल व ट्रांसफार्मर नहीं लगे होने की शिकायत प्राप्त हुई है? आई.पी.डी.एस. योजना में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इन्दौर द्वारा एस.टी.सी. अनुभाग से कराये गये कार्यों का भौतिक सत्यापन किया गया है? यदि हाँ, तो किस-किस स्तर के अधिकारियों द्वारा कराया गया है? आई.पी.डी.एस. योजना में विभागीय तौर पर क्रय किए गए विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर,विद्युत केबल एवं विद्युत पोल जिन प्रदायकर्ता कंपनियों से क्रय किए गए हैं, को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया? प्रदायकर्ता कंपनियोंवार जानकारी देवें। (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में इन्दौर शहर के उत्तर दक्षिण एवं पश्चिम शहर संभागों में आई.पी.डी.एस. योजना में मेसर्स छेमा पावर कंपनी को वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन कार्यों का भुगतान किया गया है? कितनी-कितनी राशि दी गई है? उक्त कार्यों का किस-किस स्तर के अधिकारियों द्वारा भौतिक सत्यापन किया गया? कार्य नहीं होने एवं उसके पूर्व कम्पनी को भुगतान किया गया है, की जानकारी देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आई.पी.डी.एस) के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रश्नाधीन अवधि में कुल रु. 647.98 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। उक्त योजना में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के सब-ट्रांसमिशन कंस्ट्रक्शन अनुभाग द्वारा कंपनी क्षेत्रांतर्गत किये गये कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के सन्दर्भ में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अन्तर्गत इन्दौर शहर के उत्तर, दक्षिण एवं पश्चिम शहर संभागों में सब-ट्रांसमिशन कंस्ट्रक्शन अनुभाग द्वारा आई.पी.डी.एस. योजना के अंतर्गत संभागवार किये गये कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। उक्त कार्यों में अनियमितता की कोई शिकायत म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को प्राप्त नहीं हुई है तथा उक्त समस्त कार्यों का भौतिक सत्यापन कराया गया है। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में इंदौर शहर के उत्तर, दक्षिण एवं पश्चिम शहर संभागों में आई.पी.डी.एस. योजना के तहत म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर क्रय किये गये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, केबल एवं विद्युत पोल को प्रायवेट कॉलोनियों में जहाँ तकनीकी रूप से विद्युत अधोसंरचना का उन्नयन आवश्यक है, नियमानुसार लगाया गया है तथा इस प्रकार निर्मित विद्युत अधोसंरचना को म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा अधिगृहीत कर लिया गया है। कई जगहों पर पोल व ट्रांसफार्मर नहीं लगे होने की शिकायत म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में प्राप्त नहीं हुई है। आई.पी.डी.एस. योजना में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा एस.टी.सी. अनुभाग से कराये गये कार्यों का भौतिक सत्यापन इंदौर शहर एस.टी.सी. अनुभाग के कनिष्ठ यंत्री, सहायक यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री द्वारा किया गया है। आई.पी.डी.एस. योजना में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय तौर पर 371 वितरण ट्रांसफार्मर, विभिन्न साईज की कुल 1060 कि.मी. निम्नदाब ए.बी. केबल, लगभग 4830 मीट्रिक टन लोहे के पोल (एच.बीम) तथा लगभग 2962 मीट्रिक टन आर.एस. जॉइस्ट विभिन्न कंपनियों से क्रय किये गए हैं, जिसके विरूद्ध प्रदायकर्ता कंपनियों को किये गए भुगतान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र स-1, स-2 एवं स-3 में दर्शाए अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में आई.पी.डी.एस. योजना में मेसर्स छेमा पावर कंपनी को उत्तर एवं दक्षिण शहर संभागों में वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक 11 के.व्ही. लाईन, वितरण ट्रांसफार्मर की स्थापना, निम्नदाब ए.बी. केबल लाईन, बाउंड्री मीटर, डी.टी.आर. मीटर स्थापना, उपभोक्ता मीटर स्थापना एवं सोलर पैनल स्थापना के कार्यों का भुगतान किया गया है। इंदौर शहर संभाग उत्तर एवं शहर संभाग दक्षिण में मेसर्स छेमा पावर कंपनी द्वारा किये गए कार्यों के भुगतान का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र द-1 एवं प्रपत्र द-2 में दर्शाये अनुसार है। इन्दौर शहर संभाग पश्चिम के अंतर्गत मेसर्स छेमा पावर कंपनी द्वारा कोई भी कार्य नहीं किया गया है। मेसर्स छेमा पावर कंपनी द्वारा किये गए कार्यों का भौतिक सत्यापन सहायक यंत्री, कार्यपालन यंत्री एवं अधीक्षण यंत्री स्तर के अधिकारियों द्वारा किया गया है। उक्त अधिकारियों के अलावा प्रोजेक्ट मैनेजमेंट हेतु नियुक्त एजेंसी मेसर्स फीडबैक इन्फ्रा.प्रा. लि. गुरुग्राम के फील्ड इंजीनियर, रेजिडेंट इंजीनियर एवं टीम लीडर द्वारा भी भौतिक सत्यापन किया गया है। कार्य प्रारंभ नहीं होने के पूर्व मेसर्स छेमा पावर कंपनी को निविदा की शर्तों के अनुसार मोबलाईजेशन एडवांस के तहत भुगतान नहीं किया गया है, अपितु मेसर्स छेमा पावर कंपनी द्वारा समय-समय पर सामग्री उपलब्ध कराये जाने पर निविदा की शर्तों के अनुसार भुगतान किया गया है, जिसका शहर संभागवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ई में दर्शाए अनुसार है।
बैतूल न.पा. द्वारा अमृत योजनान्तर्गत कराये गये कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
5. ( *क्र. 1671 ) श्री निलय विनोद डागा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पिछले पाँच वर्षों में बैतूल नगर पालिका तथा बैतूल बाजार नगर पंचायत में अमृत योजनांतर्गत कोई निर्माण कार्य स्वीकृत हुये हैं? यदि हाँ, तो निर्माण कार्यों के नाम सहित स्वीकृत राशि का ब्यौरा वर्षवार देवें? स्वीकृत निर्माण कार्यों की प्रश्नांश दिनांक तक की प्रगति से संबंधित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) अमृतधारा योजनांतर्गत स्वीकृत ताप्ती बैराज क्या वर्ष 2020 की वर्षा में क्षतिग्रस्त हुआ है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन-कौन जिम्मेदार हैं? शासन स्तर पर जिम्मेदार व्यक्तियों पर क्या कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो की गई कार्यवाही की जानकारी देवें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) अमृत योजना अंतर्गत नगर पालिका बैतूल में स्वीकृत कार्यों का विस्तृत विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। नगर परिषद बैतूल बाजार में अमृत योजना अंतर्गत कोई निर्माण स्वीकृत नहीं हुये हैं। (ख) जी नहीं। अपितु दिनांक 26 से 29 अगस्त, 2020 के मध्य बैतूल जिले में अत्यधिक वर्षा होने से दिनाक 28.08.2020 को नगर पालिका बैतूल के ताप्ती नदी पर निर्मित बैराज की दाहिनी ओर की 'की वॉल' (Key wall) के साइड में अत्यधिक मिट्टी का कटाव हुआ है एवं 'की वॉल' की दोनों ओर की पिचिंग क्षतिग्रस्त हुई है, बैराज के मूल स्ट्रक्चर को कोई भी क्षति नहीं हुई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
टीकमगढ़ तहसील अन्तर्गत अवैध काँलोनियों का निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
6. ( *क्र. 3920 ) श्री राहुल सिंह लोधी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या टीकमगढ़ तहसील अन्तर्गत आने वाले पटवारी हल्का टीकमगढ़ किला, टीकमगढ़ खास, अनन्तपुरा, तखा, नारगुड़ा, गोपालपुरा, नयाखेरा, कुवंरपुरा, मामौन, गनेशगंज, माडूमर, इत्यादि हल्कों में प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा धारा 339 एवं 339 (क) एवं टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग के नियमों की शर्तों का उल्लघंन कर प्लाटों का विक्रय किया जा रहा है? (ख) क्या डीलरों के द्वारा अवैध कॉलोनियों का निर्माण किया जा रहा है? (ग) यदि हाँ, तो ऐसे डीलरों ओर अवैध कॉलोनियों का निर्माण करने वाले लोगों पर आज दिनांक तक प्रशासन द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई है? (घ) प्रश्नांश (क) में अंकित पटवारी हल्का में कितनी अवैध कॉलोनियों का निर्माण एवं प्लाटिंग का कार्य प्रगति पर है? (ड.) वर्ष 2015 से आज दिनांक तक प्रश्नांश (क) में अंकित पटवारी हल्का में कितनी कॉलोनियों का निर्माण कराया जा चुका है? (कलेक्टर द्वारा सर्टिफाईड सूची उपलब्ध करायें) (च) कॉलोनाईजर को प्लाटों की बिक्री के पूर्व कौन से लाईसेंस या सर्टिफिकेट शासन की गाईड लाईन के अनुसार अनिवार्य हैं?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) टीकमगढ़ द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि प्रश्नांकित ग्रामों में प्रॉपर्टी डीलर्स द्वारा धारा 339-क के उल्लंघन के संबंध में जाँच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) अवैध कॉलोनियों के निर्माण की जाँच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) जाँच की कार्यवाही पूर्ण होने पर नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जावेगी। (घ) प्रश्नांकित पटवारी हल्का में 82 कॉलोनियों के भू-स्वामियों द्वारा कृषि भूमि को प्लाट के रूप विक्रय किया जा रहा है जिसके संबंध में जाँच की कार्यवाही वर्तमान में प्रक्रियाधीन है। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (च) नगरीय क्षेत्र में कॉलोनी बनाने वाले व्यक्ति को म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 339-क के तहत कॉलोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण, नगर तथा ग्राम निवेश से विकास की अनुमति, सक्षम प्राधिकारी से कॉलोनी के विकास कार्य की अनुमति प्राप्त किया जाना एवं प्रस्तावित कॉलोनी का रेरा में पंजीयन भी कराया जाना अनिवार्य है।
कोविड महामारी के तहत आयुष चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती
[आयुष]
7. ( *क्र. 4490 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या राज्यमंत्री, आयुष महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2019-20 में कोविड महामारी के तहत आयुष चिकित्सा अधिकारियों की शासन द्वारा जिला स्तर से भर्ती की गई थी, जिसमें समय-समय पर कार्य अवधि में वृद्धि की जाती रही है एवं शासन के आदेशानुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पूर्व से रखे आयुष चिकित्सा अधिकारियों को रखने के आदेश जारी किये गये थे? (ख) सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिहावल, जिला-सीधी में पूर्व में पदस्थ आयुष चिकित्सा अधिकारी को माह फरवरी, 2021 में हटाकर अन्य डिप्लोमाधारी को पदस्थ किया गया तथा शासन के आदेश की अवहेलना क्यों की गई? (ग) क्या पूर्व में पदस्थ आयुष चिकित्सा अधिकारी सिहावल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ करेंगे? नहीं करेंगे तो क्यों? दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई?
राज्यमंत्री, आयुष ( श्री रामकिशोर (नानो) कावरे ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) आयुष विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। (ग) उत्तरांश (ख) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नगर पालिका परिषद् कुक्षी द्वारा किये गये शिलान्यास/लोकार्पण कार्यक्रम
[नगरीय विकास एवं आवास]
8. ( *क्र. 5150 ) श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01.04.2020 से 15.02.2021 तक नगर पालिका परिषद् कुक्षी द्वारा किए गये शिलान्यास एवं लोकार्पण समारोह में न तो प्रश्नकर्ता को आमंत्रित किया एवं न ही शिलालेखों में नाम अंकित किया गया? ऐसा करके प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों का नाम, पदनाम सहित देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अवधि के समस्त आमंत्रण पत्रों का विवरण देवें तथा शिलालेखों के फोटो प्रदान करें। (ग) प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले इन अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) नगरपरिषद कुक्षी जिला धार द्वारा दिनांक 01.04.2020 से 15.02.2021 तक आयोजित समारोहों में माननीय विधायक महोदय को कार्यालयीन पत्रों द्वारा सादर आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम स्थल पर शिलालेख नहीं लगाये गये हैं। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) कार्यालयीन आमंत्रण पत्रों की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। कार्यक्रम स्थल पर शिलालेख नहीं लगाये गये हैं। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
पृथ्वीपुर में न्यायालय की स्थापना
[विधि और विधायी कार्य]
9. ( *क्र. 3480 ) श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कलेक्टर निवाड़ी द्वारा अपने पत्र क्र. 1631/स्टेनो/कले.नि./2019, दिनांक 29.5.2019 द्वारा प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन, विधि एवं विधायी कार्य को तत्कालीन मंत्री विधि एवं विधायी कार्य म.प्र. शासन द्वारा जिला निवाड़ी अंतर्गत जेरोन में दिनांक 02.02.2019 को पृथ्वीपुर में न्यायालय हेतु घोषणा के क्रियान्वयन के संबंध में पत्र भेजा गया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त घोषणा के क्रियान्वयन हेतु शासन/विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) कब तक पृथ्वीपुर में न्यायालय हेतु की गई घोषणा पूरी कर ली जावेगी? उक्त घोषणा को पूरी न करने के लिये कौन जिम्मेदार है? उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। (ख) तहसील पृथ्वीपुर में व्यवहार न्यायालय की स्थापना के संबंध में कलेक्टर, निवाड़ी से प्राप्त पत्र अभिमत हेतु माननीय उच्च न्यायालय को भेजा गया था। माननीय उच्च न्यायालय ने उक्त पत्र के अनुक्रम में अवगत कराया है कि पृथ्वीपुर, जिला टीकमगढ़ (निवाड़ी) में व्यवहार न्यायालय की स्थापना संबंधी मांग रजिस्ट्री में विचाराधीन/प्रक्रियाधीन है। (ग) निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ग्वालियर नगर निगम में कराये गये निर्माण कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
10. ( *क्र. 4532 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर नगर निगम में दिनांक 01 जनवरी, 2018 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से निर्माण कार्य, कितनी-कितनी वित्तीय स्वीकृति के कितनी दर पर स्वीकृत कराये गये हैं तथा कराये जा रहे हैं? कार्य का नाम, स्वीकृत राशि, कितनी दर पर स्वीकृत कर किस ठेकेदार/ऐजेन्सी को वर्कआर्डर दिया गया था? निर्माण कार्य किस-किस कर्मचारी, अधिकारी/यंत्री के सुपरवीजन में कराये गये हैं तथा कराये जा रहे हैं? उक्त निर्माण कार्यों की प्रश्न दिनांक तक भौतिक तथा वित्तीय स्थिति क्या है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार ऐसे कौन-कौन से निर्माण कार्य हैं, जिनकी खराब गुणवत्ता या अन्य कारणों से दिनांक 01 जनवरी, 2018 से प्रश्न दिनांक तक शिकायतें की गईं हैं? शिकायतकर्ता का नाम, पता, दें। क्या शिकायतों की जाँच कराई गई है? यदि हाँ, तो जाँच कमेटी में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी रखे गये थे? उनका नाम, पद बतावें। क्या जाँच में कोई कमी पाई गई थी? यदि हाँ, तो किस-किस कार्य में क्या-क्या कमी थी? अलग-अलग कार्यवार बतावें। इसके लिये कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी या निर्माण ऐजेन्सी/ठेकेदार दोषी थे? उनका नाम, पद बतावें? क्या दोषियों के प्रति कोई दण्डात्मक कार्यवाही की गई है या की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो कारण सहित स्पष्ट करें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित कार्यों की प्रश्नावधि में कोई शिकायत प्राप्त न होने से, शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
जहरीली शराब के कारोबार में लिप्त दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही
[गृह]
11. ( *क्र. 3741 ) श्री अजब सिंह कुशवाह : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सुमावली में माह जनवरी 2021 में जहरीली शराब के सेवन से 24 व्यक्तियों की मृत्यु हुई? सरकार ने दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुये जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक, जिला आबकारी अधिकारी का स्थानांतरण कर दिया गया और बागचीनी थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया, किन्तु आज दिनांक तक सुमावली थाना प्रभारी रवि गुर्जर के विरूद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं हुई? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार सुमावली थाना क्षेत्र के अंतर्गत जहरीली शराब का कारोबार चल रहा था, जिसके कारण पहावली गांव के तीन लोगों की मृत्यु हुई, जिसका जिम्मेदार सुमावली थाना प्रभारी भी है? दोषी सुमावली थाना प्रभारी पर तुरंत कार्यवाही करते हुये, उसे कब तक निलंबित किया जाएगा। (ग) विधान सभा क्षेत्र सुमावली में कितने पुलिस थाने आते हैं? थानों में पदस्थ स्टाफ की जानकारी निम्न बिन्दुओं के आधार पर देवें :- 1. स.क्र., 2. कर्मचारी का नाम, 3. पद, 4. थाने में पदस्थ दिनांक।
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जिला मुरैना में जहरीली शराब से ग्राम पहावली के जिन 03 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, वे थाना सुमावली क्षेत्र के रहने वाले अवश्य हैं, परन्तु यह घटना ग्राम छैरा में हुई, जो थाना बागचीनी के अन्तर्गत आता है, अतः थाना बागचीनी थाना प्रभारी के विरुद्ध कार्यवाही की गई। चूंकि घटना थाना सुमावली से संबंधित नहीं है इसलिये थाना प्रभारी सुमावली के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। (ख) थाना सुमावली क्षेत्र के अन्तर्गत जहरीली शराब का कारोबार चलने की घटना नहीं हुई है। मृतक पहावली, ग्राम थाना सुमावली के रहने वाले थे, लेकिन घटना छैरा गांव थाना बागचीनी में हुई है। (ग) विधानसभा क्षेत्र सुमावली जिला मुरैना में 06 थाने आते हैं। अधिकारियों/कर्मचारियों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
विद्युत कंपनियों के लाभ-हानि का विवरण
[ऊर्जा]
12. ( *क्र. 4419 ) श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन. पी.) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.पा.ज.कं.लि. के अंतर्गत वर्ष 2010 से वर्ष अप्रैल 2020 तक कंपनी को हुई लाभ-हानि का विवरण दें? (ख) क्या कंपनी द्वारा बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को दिया है? वर्ततान एम.डी. के कार्यकाल में कंपनी को कितना लाभ और कितनी हानि हुई? (ग) प्रश्नांकित अवधि में कंपनी द्वारा बढ़ाये गये टैरिफ कुल कितना प्रतिशत हुआ? घरेलू, कमर्शियल एवं इण्डस्ट्रियल के टैरिफ बढ़ाने के कारण प्रति यूनिट बिजली उपभोक्ताओं को सभी प्रकार के चार्ज जोड़कर कितनी राशि की वसूली की जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) वित्तीय वर्ष 2009-10 से वित्तीय वर्ष 2019-20 तक मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड को हुई लाभ-हानि का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। वर्तमान प्रबंध संचालक द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिनांक 27 मई 2020 को कार्यभार ग्रहण किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में कंपनी को कितना लाभ और कितनी हानि हुई है, वित्तीय वर्ष के समापन एवं वार्षिक लेखों के अंकेक्षण के उपरांत ही बताया जाना संभव होगा। (ग) टैरिफ का निर्धारण मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा नहीं। अपितु म.प्र.विद्युत नियामक आयोग द्वारा किया जाता है, प्रश्नाधीन अवधि में घरेलू, कमर्शियल एवं इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट औसत बिजली बिल की वसूल की जाने वाली राशि (समस्त चार्ज जोड़कर) का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
संपत्ति कर से प्राप्त राशि
[नगरीय विकास एवं आवास]
13. ( *क्र. 2986 ) श्री पी.सी. शर्मा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल दक्षिण पश्चिम विधान सभा क्षेत्र के नेहरु नगर, कोटरा, वैशाली नगर, आकाशवाणी, सरस्वती नगर, जवाहर चौक, न्यू मार्केट, 5 नं. मार्केट, शिवाजी नगर, सरिता कॉम्पलेक्स, शिवानी परिसर, एच.आई.जी., एम.आई.जी., एल.आई.जी., माचना कॉलोनी में वित्तीय वर्ष 2019-20, 2021 में कितना संपत्ति कर प्राप्त हुआ है? वर्षवार बतायें। (ख) प्रश्नांश (क) में प्राप्त राशि की कितनी राशि का व्यय किस-किस कॉलोनी एवं क्षेत्र में किस-किस कार्य में किया गया है? कॉलोनीवार पृथक-पृथक बतायें। (ग) प्रश्नांश (क) में कॉलोनियों की सड़क निर्माण, सड़क मरम्मत, निर्माणाधीन नाले और पार्क के कार्यों पर कितनी राशि व्यय की गई है एवं कितनी-कितनी राशि व्यय की जाना प्रस्तावित है? (घ) प्रश्नांश (ग) में कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? अवधि बताएं? यदि नहीं, तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2019-20 में व्यय की गई राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है एवं उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) वित्तीय वर्ष 2019-20 के समस्त कार्य पूर्ण हैं, की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
केन्द्रीय जेल सागर में पदस्थ कर्मियों हेतु शासकीय आवास का निर्माण
[जेल]
14. ( *क्र. 2548 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या केन्द्रीय जेल सागर के अधिकारियों/कर्मचारियों के आवास निर्माण का कोई प्रस्ताव शासन के समक्ष विचाराधीन है? यदि हाँ, तो कितने आवास निर्माण कराये जाना हैं एवं कब तक तथा इस हेतु क्या कार्यवाही प्रचलन में है? (ख) क्या केन्द्रीय जेल सागर में लगभग 200 अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं, जिनके लिये कुल 106 शासकीय आवास हैं, जिससे शेष अधिकारियों/कर्मचारियों को जेल परिसर के बाहर किराये के भवनों में रहना पड़ रहा है? (ग) क्या शासकीय नियमानुसार जेल अधिकारियों/कर्मचारियों को जेल परिसर में ही रहने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो क्या शासन शीघ्र ही शासकीय आवास भवनों का निर्माण करायेगा तथा कब तक?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश की सभी जेलों के लिए कुल 3278 आवासगृहों का प्रस्ताव विचाराधीन है, जिसमें केन्द्रीय जेल सागर के आवास गृह भी शामिल हैं। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। केन्द्रीय जेल सागर में वर्तमान में 184 अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं, जिनके लिए 106 आवास उपलब्ध हैं। (ग) जी हाँ। समय-सीमा तय करना संभव नहीं है।
सागर जिले के बिलहरा ग्राम में हुई हत्या की जाँच
[गृह]
15. ( *क्र. 5057 ) श्री तरबर सिंह : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सागर जिले के बिलहरा ग्राम की बेटी सूर्या सिंह वैश्य जिसकी शादी ग्वालियर के डॉ. संजय सिंह के साथ हुई थी? क्या उसकी हत्या उसके पति के द्वारा गला दबा कर की गई थी और मारने के बाद क्या लाश को घर से बाहर ले जाकर जला दिया गया था? यदि हाँ, तो क्या अकेला एक व्यक्ति इस घटना को अंजाम दे सकता है? (ख) यदि नहीं, तो इस घटना में और कौन-कौन दोषी हैं? पुलिस ने क्या कार्यवाही की? (ग) इस हत्या में उसके पति संजय सिंह वैश्य, ननद नेहा शर्मा, नंदोई अयान शर्मा और सास मनोरमा वैश्य का हाथ होना बताया जा रहा है, क्या यह सही है? क्या पहले संजय सिंह और उसके बहनोई की गिरफ्तारी की गई थी, बाद में उसके बहनोई को क्यों छोड़ दिया गया?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। मर्ग जाँच एवं पी.एम. रिपोर्ट से हत्या कर साक्ष्य छुपाने का अपराध पाये जाने से संदिग्ध संजय सिंह से पूछताछ की गई तो स्वयं के द्वारा अपराध करना स्वीकार किया कि पत्नी मृतिका से घर पर विवाद/झगड़ा हो जाने के कारण पत्नी को छाती में मुक्के मारे व गला दबाया, जिससे पत्नी की मृत्यु हो गई, बाद में मृतिका के शव को रात्रि में एक प्लास्टिक की बोरी में भर कर रात्रि में ही स्कूटी से कलेक्ट्रेट के पास झाड़ियों में फेंक कर पेट्रोल डालकर आग लगाकर वहां से भाग गया। (ख) आरोपी पति संजय सिंह बैस के द्वारा ही घटना कारित करना पाये जाने से आरोपी को दिनांक 17.01.2021 को गिरफ्तार किया गया। (ग) प्रकरण में आरोपी संजय सिंह बैस उम्र 31 साल, नि. एच.आई.जी. 1103 न्यू दर्पण कॉलोनी को गिरफ्तार किया गया है। अभी तक की विवेचना में ननद नेहा शर्मा, नंदोई अयान शर्मा, सास मनोरमा बैस की संलिप्तता नहीं पाई गई है और न ही किसी अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।
सजा पूर्ण कर चुके बंदी कैदियों की संख्या
[जेल]
16. ( *क्र. 3197 ) सुश्री चंद्रभागा किराड़े : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न दिनांक तक की स्थिति में म.प्र. की जेलों में ऐसे कितने बंदी हैं, जिनकी सजा की अवधि पूर्ण होने के बाद भी उनको रिहा नहीं किया गया है? जेलवार बंदियों की संख्या बताएं। (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में ऐसे कितने बन्दी हैं, जिनको जुर्माना अदा नहीं कर पाने के कारण अतिरिक्त कारावास भुगताया जा रहा है? बंदीवार, जेलवार, जुर्माना राशि सहित सूचि देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संबंध में ऐसे कैदी जो जुर्माना अदा कर पाने में सक्षम नहीं है, उनके संबंध में शासन ने क्या कोई नीति बनाई है या बना रहा है? (घ) आम नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, सामाजिक संस्थाएं किस प्रकार ऐसे कैदियों की मदद कर सकती हैं?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी निरंक है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। (घ) आम नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, सामाजिक संस्था संबंधित बंदी की जुर्माना राशि शासकीय खजाने में जमा कर जुर्माने की अतिरिक्त सजा नहीं भुगतने के लिए मदद कर सकते हैं।
पांढुरना नगर पालिका परिषद में जल आवर्धन योजना में अनियमितता
[नगरीय विकास एवं आवास]
17. ( *क्र. 4481 ) श्री निलेश पुसाराम उईके : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पांढुरना नगर पालिका परिषद को U.I.I.D.S.S.M.T. जलावर्धन पेयजल योजना के तहत 114.33 करोड़ रूपये की राशि प्रदान की गई थी? इस योजना को वर्ष 2012 में कितने चरणों में कब तक पूरी होना था तथा कौन से दो चरण का कार्य पहले पूर्ण होना था? इसका सम्पूर्ण विवरण प्रस्तुत करें। (ख) प्रशासन की जानकारी अनुसार प्रथम चरण का कार्य पहले पूर्ण किया जाना था अथवा नहीं? यदि नहीं, तो किस अनुसार प्रथम चरण का कार्य पूर्ण किये बिना दूसरे चरण का कार्य किस नियम के तहत प्रारंभ किया गया? (ग) नियमों के विपरीत कार्य करने व समयावधि में कार्य पूर्ण नहीं करने के लिये कौन से अधिकारी दोषी हैं? दोषी अधिकारी के विरूद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी? योजना हैण्ड ओवर हुये बगैर नगर पालिका परिषद द्वारा नल कनेक्शन किन नियमों के अन्तर्गत वितरित किये जा रहे हैं? (घ) क्या उक्त विषय को स्थानीय सामाजिक संस्था विशाल जामसांवली पदयात्रा समिति द्वारा निरंतर उठाया जा रहा है? परंतु प्रशासन की मिली भगत से कार्यवाही आगे नहीं बढ़ रही है? क्या प्रश्नांश (क) (ख) (ग) पर कार्यवाही की जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों नहीं और यदि हाँ, तो कब तक?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) संपूर्ण योजना के लिये राशि रू. 114.33 करोड़ की दिनांक 12.06.2012 को सभी घटकों की परसोडी जलाशय सहित तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई, जिसमे चरणों का कोई प्रावधान नहीं था। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। स्वीकृति के अनुसार योजना का क्रियान्वयन चरणों में किये जाने के कोई निर्देश/आदेश नहीं थे। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) योजनांतर्गत कराये गये निर्माण कार्यों के दौरान अतिक्रमण होने के कारण एवं ओव्हर हेड टैंक के स्थल परिवर्तन कर नये स्थल के चयन के कारण निर्माण कार्य समयावधि में पूर्ण नहीं हुये जिस हेतु प्रेसिडेन्ट इन काउन्सिल की बैठक क्रमांक 19, दिनांक 04.03.2020 के प्रस्ताव क्रमांक 06 के द्वारा उक्त विलंब के कारणों पर विचार करते हुए निर्माण एजेंसी को सर्वसम्मति से 31 मार्च 2021 तक की समयावधि बढ़ायी गई है। प्राप्त तकनीकी स्वीकृति में नल कनेक्शन का प्रावधान न होने के कारण परिषद प्रस्ताव क्रमांक 07, दिनांक 17.07.2020 द्वारा 4000 नवीन नल कनेक्शन की स्वीकृति एवं विधिवत तकनीकी स्वीकृति उपरांत, निविदा आमंत्रण की कार्यवाही पूर्ण कर कार्य कराया जा रहा है। (घ) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पांढुरना के पत्र क्रमांक/255/का.शाखा/202-21 पांढुरना, दिनांक 16.02.2021 द्वारा विशाल जामसांवली पदयात्रा समिती, पांढुरना द्वारा प्रस्तुत आवेदन के संबंध में वस्तुस्थिति प्रतिवेदन निकाय से चाहा गया। निर्देशों के परिपालन में निकाय द्वारा कार्यालयीन पत्र क्रमांक 5497 पांढुरना दिनांक 25.02.2021 के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पांढुरना को वस्तुस्थिति प्रतिवेदन प्रेषित किया गया। जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
रतलाम नगर निगम क्षेत्र में स्मार्ट सिटी योजना का क्रियान्वयन
[नगरीय विकास एवं आवास]
18. ( *क्र. 4744 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्मार्ट सिटी योजना के तहत रतलाम नगर निगम क्षेत्र में कौन-कौन से विकास एवं निर्माण प्रारंभ किये गये? इन कार्यों की प्रगति रिपोर्ट क्या है? (ख) उकाला रोड फोरलेन, शास्त्री नगर फोरलेन एवं कॉन्वेन्ट तिराहा से लॉ कॉलेज पुलिया तक प्रस्तावित फोरलेन का निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ हो जायेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) कार्यों की प्रगति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उकाला रोड फोरलेन का कार्य प्रगतिरत है। शास्त्री नगर फोरलेन एवं कॉन्वेंट तिराहा से लॉ कॉलेज पुलिया तक प्रस्तावित फोरलेन का निर्माण कार्य दिनांक 15 अप्रैल, 2021 के पश्चात प्रारंभ किया जाना संभावित है, क्योंकि रोड की यूटिलिटी शिफ्टिंग का कार्य किया जाना है।
अनुभवहीन अधिकारियों की संविदा पदस्थापना समाप्त की जाना
[नगरीय विकास एवं आवास]
19. ( *क्र. 1927 ) श्री कुँवर विक्रम सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. अर्बन डेव्हलपमेन्ट लिमि. भोपाल में म.प्र. में ए.डी.बी. पोषित कुल कितनी नल-जल योजना स्वीकृत की गई, जिनकी भौतिक एवं वित्तीय स्थिति से अवगत करायें? (ख) स्वीकृत योजनाओं को पूर्ण करने की निर्धारित समय-सीमा क्या थी? कब तक पूर्ण किये जायेंगे? यदि समय-सीमा बढ़ाई गयी तो क्यों स्पष्ट करें? (ग) क्या विभाग द्वारा स्वीकृत नल-जल योजनाओं में कार्य गुणवत्ता एवं लेबर सुरक्षा ए.डी.बी. के मापदण्डों द्वारा सुनिश्चित की गई? (घ) क्या म.प्र. अर्बन डेव्हलपमेन्ट कं. लिमि. भोपाल में उच्च पदों पर पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी नियमित हैं व कितने समय से संविदा पद पर कार्य कर रहे हैं? नामवार पदवार जानकारी देवें। प्रमुख पदों पर पदस्थ अधिकारियों को क्या योजना का पूर्व से विभागीय अनुभव प्राप्त है? यदि नहीं, तो क्या उन्हें हटा दिया जायेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) म.प्र. अर्बन डेव्हलपमेन्ट कं. लिमि. भोपाल अन्तर्गत कितनी कन्सलटेन्सी कंपनी कार्यरत हैं? नामवार जानकारी देवें। उनमें पदस्थ अमले में कितने प्रतिशत कर्मचारी म.प्र. के मूल निवासी हैं व कितने राज्य के बाहर के हैं? विवरण देवें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) ए.डी.बी. द्वारा पोषित 128 जल प्रदाय योजना स्वीकृत की गई है, एक परियोजना पूर्ण हुई, शेष प्रगतिरत/स्वीकृत जल प्रदाय योजनाओं की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' के कॉलम क्रमांक 8 व 9 के अनुसार है। (ख) स्वीकृत जल प्रदाय योजनाओं के अनुबंध के अनुसार पूर्ण करने की तिथि, पूर्णता की संभावित तिथि, विलम्ब के कारण बढ़ाई गई तिथि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। कार्यों की गुणवत्ता एवं लेबर सुरक्षा एम.पी.यू.डी.सी.एल. द्वारा नियुक्त अनुबंधित फर्म कन्सल्टेंट टाटा कंसल्टिंग के इंजीनियर्स एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित की जा रही है। (घ) म.प्र. अर्बन डेवपलमेंट कंपनी लिमिटेड भोपाल में उच्च पदों पर पदस्थ अधिकारियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। प्रमुख पदों पर पदस्थ अधिकारियों को पूर्व से ही विभागीय अनुभव प्राप्त है, शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) एम.पी.यू.डी.सी.एल. के अंतर्गत कन्सल्टेंसी कार्यरत है, कल्सल्टेंसी का नाम एवं अन्य विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
जनजातीय वर्ग के कर्मचारी के कथित उत्पीड़न की जाँच
[गृह]
20. ( *क्र. 4988 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के जनजातीय कर्मचारियों का विभागों में उत्पीड़न हो रहा है? (ख) क्या अगस्त 2020 में बाल-कल्याण-समिति, इंदौर की तत्कालीन अध्यक्ष माया पांडेय ने कम्प्यूटर-ऑपरेटर पद पर कार्यरत अ.ज.जा. कर्मचारी संगीता मुझाल्दे को प्रताड़ित, गाली-गलौज एवं जाति सूचक टिप्पणी की? (ग) प्रश्नांश (ख) मामले की शिकायत पीड़िता ने किस दिनांक को किस-किस को की? शिकायत उपरांत कार्यवाही का ब्यौरा दें। (घ) आयुक्त, इंदौर संभाग को पत्र सं. 648, दिनांक 23.9.2020 कलेक्टर इंदौर को पत्र सं. 647, दिनांक 23.9.2020 पुलिस-महानिरीक्षक इंदौर को पत्र सं. 643, दिनांक 19.9.2020 अपर-मुख्य-सचिव गृह विभाग मध्यप्रदेश शासन को पत्र सं. 642, दिनांक 19.9.2020 मुख्यमंत्री-कार्यालय मध्यप्रदेश को पत्र सं. 638, दिनांक 19-9-2020, पत्र सं. 654, दिनांक 5.10.2020 ईमेल एवं पोस्ट द्वारा प्रेषित पत्रों का प्रश्न-दिनांक तक भी जवाब नहीं देने का क्या कारण है? (ङ) प्रश्नकर्ता के पत्रों पर की गई कार्यवाही का ब्यौरा दें। (च) प्रश्नांश (ख) मामले में पीड़िता द्वारा शिकायत पर किसके द्वारा किस दिनांक से जाँच आरंभ की गई? किस दिनांक को किसका-किसका बयान किन नियमों/कारणों के तहत लिया गया? प्रति-सहित ब्यौरा दें। (छ) प्रश्नांश (ख) मामले की जाँच में बाल-कल्याण-समिति की तत्कालीन सदस्य सुषमा त्रिवेदी और जैमिनी वर्मा का बयान क्यों नहीं लिया गया? बयान नहीं लेने के लिए कौन दोषी है? (ज) प्रश्नांश (ख) मामले में निष्पक्ष जाँच के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? पीड़िता को कब न्याय मिलेगा? (झ) पीड़िता का स्थानांतरण एकीकृत बाल विकास परियोजना देपालपुर क्र. 02 जिला इंदौर में किस कारण से किया गया?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) से (झ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
नगर परिषद शहपुरा में ऑडिटोरियम का निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
21. ( *क्र. 4215 ) श्री संजय यादव : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला जबलपुर की नगर परिषद शहपुरा में जर्जर टाउन हाल के स्थान पर ऑडिटोरियम निर्माण कराये जाने हेतु नगर परिषद का संकल्प क्रमांक 01, दिनांक 07.08.2019 को पारित किया जाकर ऑडिटोरियम निर्माण कार्य एवं सड़क चौड़ीकरण की डी.पी.आर. तैयार कर संभागीय कार्यपालन यंत्री, नगरीय प्रशासन एवं विकास जबलपुर संभाग, जबलपुर के माध्यम से आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल को भेजी गई थी? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा अभी तक क्या-क्या कार्यवाही की गई है? विवरण उपलब्ध करायें। (ख) ऑडिटोरियम निर्माण की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति आदेश विभाग कब तक जारी करेगा? प्रश्नकर्ता के द्वारा दिये गये पत्रों पर अभी तक क्या कार्यवाही की गई है? ऑडिटोरियम निर्माण की स्वीकृति की समय-सीमा भी बताई जावे। (ग) क्या उक्त के संबंध में संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास के पत्र क्रमांक 8572, दिनांक 11.09.2020 एवं स्मरण पत्र 9118, दिनांक 30.09.2020 से विभागीय अधीक्षण यंत्री, जबलपुर संभाग को लिखा गया है? यदि हाँ, तो उक्त पत्रों पर पृथक-पृथक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों नहीं की जा रही है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? (घ) क्या उक्त योजना को लंबित रखे जाने के लिए जिम्मेदारों पर विभागीय कार्यवाही की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी हाँ। निकाय से प्राप्त प्रस्ताव पर संचालनालय द्वारा तकनीकी स्वीकृति प्राप्त कर प्रस्ताव प्रेषित करने हेतु निकाय को पत्र लिखा गया। (ख) नगर पालिका से प्राप्त प्रस्ताव पर वित्तीय व्यवस्था हेतु प्रकरण का परीक्षण किया जा रहा है। संचालनालय द्वारा कार्यपालन यंत्री, नगरीय प्रशासन एवं विकास जबलपुर संभाग जबलपुर को विधिवत प्रस्ताव अनुशंसा सहित भेजने हेतु पत्र प्रेषित किया गया। बजट आवंटन उपलब्ध होने पर स्वीकृति हेतु विचार किया जा सकेगा। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। सड़क चौड़ीकरण कार्य की डी.पी.आर. लागत राशि रू. 303.74 लाख की प्राप्त हुई है। बजट आवंटन उपलब्ध होने पर स्वीकृति हेतु विचार किया जा सकेगा। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश (ग) अनुसार शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
कोरोनाकाल के दौरान नगर पालिका डबरा द्वारा किये गये भुगतान
[नगरीय विकास एवं आवास]
22. ( *क्र. 5248 ) श्री सुरेश राजे : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कोरोनाकाल के दौरान नगर पालिका डबरा में तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा एक लाख रूपयें से कम के कितने भुगतान किस-किस को किये? क्या यह भुगतान नियमानुसार है? यदि नहीं, तो क्या कार्यवाही की गई? नहीं तो क्यों। (ख) नगर पालिका परिषद् डबरा में वित्तीय वर्ष 2019-2020 एवं 2021 में अब तक एक लाख रूपये से कम के कितने भुगतान कितनी राशि के किसके पक्ष में किस मद से किये गये? क्या यह सब नियमानुसार किये गये? (ग) नगर पालिका परिषद् डबरा में स्टोर का भौतिक सत्यापन अंतिम बार कब कराया गया था? नियमानुसार कब-कब भौतिक सत्यापन किया जाता है? डबरा में स्टोर का भौतिक सत्यापन न होने के क्या कारण हैं? इस हेतु कौन उत्तरदायी है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1961 अंतर्गत जारी लेखा एवं वित्त नियम 2018 के नियम 85 एवं 91 के अनुसार कार्य कराये गये हैं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1961 अंतर्गत जारी लेखा एवं वित्त नियम 2018 के नियम 85 एवं 91 के अनुसार कार्य कराये गये हैं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) स्टोर का भौतिक सत्यापन अंतिम बार दिनांक 31.03.2020 को कराया गया है। म.प्र. नगर पालिका लेखा एवं वित्त नियम 2018 के नियम 179 के अनुसार प्रत्येक वित्त वर्ष की समाप्ति पर स्टोर का भौतिक सत्यापन कराया जाना प्रावधानित है, उक्त प्रावधान अनुसार स्टोर का भौतिक सत्यापन कराया गया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी की इकाई नंबर 6 एवं 7 से विद्युत उत्पादन
[ऊर्जा]
23. ( *क्र. 756 ) श्री सुखदेव पांसे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी जिला बैतूल की इकाई नंबर 6 एवं 7 के प्लांट की समयावधि पूर्ण हो चुकी है? समयावधि बताएं। (ख) क्या उक्त दोनों प्लांट से अभी भी उत्पादन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्यों? क्या निश्चित समयावधि पूर्ण होने के बाद भी इकाई क्रमांक 6 एवं 7 से विद्युत उत्पादन होने के कारण सारणी नगर सहित आसपास के क्षेत्र में धुंआ एवं राख चारों ओर फैल रही है, जिससे पर्यावरण का नुकसान हो रहा है? (ग) उक्त इकाइयों से उत्पादन तत्काल बंद किया जाकर क्या नया प्लांट स्थापित किया जाएगा? यदि हाँ, तो कब तक, नहीं तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित प्रदूषण निवारण के लिए सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी द्वारा पर्यावरण सुधार के लिए क्या-क्या कार्य किए गए हैं? कितनी राशि पर्यावरण सुरक्षा/प्रदूषण रोकने के लिए व्यय की गई है? मदवार ब्यौरा दें एवं भविष्य में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी से होने वाले प्रदूषण से सारणी नगर को बचाने की क्या योजनाएं हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी जिला बैतूल की इकाई क्रमांक 6 एवं 7 क्रमश: 41 एवं 40 वर्ष से संचालन में है। ताप विद्युत इकाइयों की रूपांकित/सामान्य आयु (समयावधि) 25 वर्ष होती है। (ख) जी हाँ। प्रदेश में विद्युत की मांग के परिप्रेक्ष्य में, भार प्रेषण केन्द्र के निर्देशानुसार, इन इकाइयों से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। जी नहीं, सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी परिसर एवं आस-पास के क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता की नियमित रूप से जाँच की जाती है एवं सभी मापदण्ड तय मानकों के अनुसार प्राप्त होते हैं। (ग) इन इकाइयों को सेवानिवृत्त किया जाना विचाराधीन है। इन इकाइयों की सेवानिवृत्ति उपरांत राज्य में विद्युत की मांग एवं उपलब्धता के आधार पर इन इकाइयों के स्थान पर नए प्लांट की स्थापना के संबंध में निर्णय लिया जावेगा। (घ) सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी की इकाई क्रमांक 6 एवं 7 से उत्सर्जन को नियंत्रण करने हेतु ई.एस.पी. स्थापित हैं। ई.एस.पी. का नियमित संधारण किया जाता है एवं विवक्त प्रदार्थ उत्सर्जन (पर्टीकुलेट मैटर इमीशन) को और कम प्राप्त करने के उद्देश्य से इन इकाइयों में अमोनिया डोजिंग की जाती है। इन इकाइयों से संबद्ध पर्यावरण सुरक्षा/प्रदूषण नियंत्रण हेतु मदवार व्यय की गयी राशि का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। पर्यावरण सुधार हेतु म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की इकाई क्रमांक 10 एवं 11 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना के अनुपालन में गैसीय उत्सर्जन को कम करने हेतु फ्लू गैस डिसल्फ्राईजेशन संयंत्र (एफ.जी.डी.) की स्थापना, जिसकी अनुमानित लागत रू. 305 करोड़ है एवं नाईट्रोजन ऑक्साईड उत्सर्जन नियंत्रण का कार्य, जिसकी लागत रू. 67 करोड़ है, की जाना प्रस्तावित है।
सड़क निर्माण हेतु राख का उपयोग
[ऊर्जा]
24. ( *क्र. 3704 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सारनी पावर हाउस से गत दो वर्षों में बैतूल से होशंगाबाद होते हुए भोपाल एवं बैतूल एवं हरदा होते हुए इन्दौर मार्ग के लिए कितनी राख का प्रदाय किया गया? यदि पावर हाउस प्रबन्धन ने राख का सड़क निर्माण के लिए परिवहन कर प्रदाय नहीं किया हो तो कारण बतावें? (ख) पावर हाउस की राख परिवहन कर प्रदाय किए जाने के संबंध में भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली ने राजपत्र में किस दिनांक को प्रकाशित अधिसूचना में क्या-क्या प्रावधान किए हैं। (ग) राजपत्र में किए गए प्रावधान के बाद भी राख का परिवहन कर प्रदाय नहीं किए जाने का क्या-क्या कारण रहा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) सारनी पावर हाउस से गत दो वर्षों में प्रश्नाधीन मार्गों हेतु राख प्रदाय नहीं की गई है l भारत सरकार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 25.01.2016 में सड़क निर्माण हेतु राख प्रदाय किए जाने के प्रावधान हैंl उक्त अधिसूचना के प्रावधानों के परिपालन में मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा फ्लाई ऐश की परिवहन लागत की प्रतिपूर्ति हेतु म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर की गई है, जिसके निराकरण के पश्चात् आयोग के दिशा निर्देशानुसार आगामी कार्यवाही की जाएगी। (ख) भारत सरकार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 25/01/2016 के पैरा 2 (ख) (10) में सड़क निर्माण हेतु राख प्रदाय किए जाने के संबंध में प्रावधान हैं कि कोयला या लिग्नाइट आधारित तापीय विद्युत संयंत्र से 100 किलोमीटर की परिधि के भीतर सड़क संनिर्माण परियोजनाओं या ऐश आधारित उत्पादों के संनिर्माण के लिए या कृषि संबंधित क्रियाकलापों में मृदा अनुकूलक के रूप में उपयोग के लिए ऐश के परिवहन की लागत ऐसे कोयला या लिग्नाइट आधारित तापीय विद्युत संयंत्र द्वारा वहन की जाएगी और 100 किलोमीटर की परिधि से परे और 300 किलोमीटर की परिधि के भीतर ऐसे परिवहन की लागत को उपयोगकर्ता और कोयला या लिग्नाइट आधारित तापीय विद्युत संयंत्र के बीच समान रूप से अंश भाजित की जाएगी। उक्त अधिसूचना के पैरा 2 (ख) (14) के अनुसार कोयला या लिग्नाइट आधारित तापीय विद्युत संयंत्र, 300 किलोमीटर की परिधि के भीतर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधीन सड़क संनिर्माण परियोजनाओं और भवनों, सड़कों, बांधों और तटबंधों के संनिर्माण को अंतर्वलित करने वाले सरकार के आस्ति सृजन कार्यक्रमों के स्थल तक ऐश के परिवहन की संपूर्ण लागत का वहन करेगा। (ग) भारत सरकार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 25.01.2016 के प्रावधानों के परिपालन में मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा फ्लाई ऐश परिवहन लागत की प्रतिपूर्ति हेतु म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर की गई है, जिसके निराकरण के पश्चात् आयोग के दिशा निर्देशानुसार आगामी कार्यवाही की जाएगी। उल्लेखनीय है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्तमान में प्रचलित ताप विद्युत गृहों द्वारा राख के निपटान संबंधी प्रावधानों का परीक्षण कर प्रचलित अधिसूचना को संशोधित किया जाना प्रक्रियाधीन है। इस हेतु प्रारूप अधिसूचना जारी की गई है। प्रारूप अधिसूचना में ताप विद्युत गृहों द्वारा राख के निपटान के प्रावधान वर्तमान में प्रचलित प्रावधानों से भिन्न हैं।
कटनी/सतना जिले में क्रेशर खोलने की अनुमति
[पर्यावरण]
25. ( *क्र. 2236 ) श्री विजयराघवेन्द्र सिंह : क्या नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी एवं सतना जिले में किस-किस स्थान पर किस-किस नाम के व्यक्ति/फर्मों/अन्य क्रेशर खोलने की एन.ओ.सी. (अनुमति) पर्यावरण विभाग के द्वारा किस दिनांक से क्या-क्या शर्तें पूरी करने पर किस नाम/पदनाम के अधिकारी द्वारा स्थल निरीक्षण कब-कब करने के पश्चात कब-कब जारी की गई? (ख) क्या स्थल पर क्रेशर संचालकों के द्वारा बाउण्ड्रीवाल तक नहीं बनाई गयी है? क्या बाउण्ड्री के अन्दर एवं बाहर नियमानुसार प्लान्टेशन तक नहीं कराया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित क्रेशरों के इलाके में पर्यावरण विभाग द्वारा दिनांक 01 जनवरी, 2016 से 31 दिसम्बर, 2020 के मध्य एस.पी.एम. (सस्पेंडेड पार्टिकुलर मैटर) एवं आर.एस.पी.एम. की क्या-क्या मात्रा माहवार वर्षवार पाई गई? स्थानवार किस समय ली गई एवं किसके द्वारा ली गई, उपलब्ध करावें। (घ) नियम विरूद्ध एन.ओ.सी. जारी करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के विरूद्ध राज्य शासन कब तक एवं क्या कार्यवाही करेगा?
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ( श्री हरदीपसिंह डंग ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार हैं। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (क) से (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
मध्यक्षेत्र
विद्युत
वितरण कंपनी
में महाप्रबंधक
द्वारा जारी
कार्यादेश के
अधिकार
[ऊर्जा]
1. ( क्र. 759 ) श्री सुखदेव पांसे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में महाप्रबंधक को D.O.P. (डेलिगेशन ऑफ पॉवर) के तहत कितने राशि के कार्यादेश जारी करने के अधिकार है? आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। बैतूल जिले में पदस्थ महाप्रबंधक द्वारा उक्त D.O.P. के तहत 01 फरवरी 2019 से दिसम्बर 2020 तक कितने-कितने रूपये के कौन-कौन से कार्यादेश किसे-किसे जारी किये गये? विवरण देवें। (ख) क्या महाप्रबंधक (सं/स) बैतूल वृत द्वारा बिना टेंडर के टुकड़ों में उक्त समयावधि में करोड़ों रूपये के कार्य फीडर विभक्तिकरण, सौभाग्य योजना दीनदयाल योजना इत्यादि के शेष बचे कार्यों को कतिपय ठेकेदारों को नियम विरूद्ध लाभान्वित करने हेतु दिया गया तथा नियमानुकूल भौतिक सत्यापन करवाये बिना भुगतान कर दिया गया? (ग) 1 फरवरी 2019 से दिसम्बर 2020 तक हुये कार्यों का किन-किन अधिकारियों द्वारा सत्यापन किया गया तथा कार्य गुणवत्तापूर्वक हुये है इस आशय का प्रमाण-पत्र दिया गया है? उनके नामवार जानकारी दें। (घ) बैतूल जिले में उक्त समयावधि में करवाये गये कार्यों का ठेकेदार द्वारा जो सामग्री लगी होना दर्शाया गया है, क्या उस सामग्री का G.S.T का भुगतान किया गया है? कितनी-कितनी राशि का भुगतान विभिन्न ठेकेदारों के द्वारा किया गया है? पृथक-पृथक नाम एवं राशि बतायें। (ड.) बैतूल जिले में कोरोना काल में 1 अप्रैल 2020 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन सहायक प्रबंधक, प्रबंधक, उपमहाप्रबंधक तथा अन्य कर्मचारियों के स्थानांतरण किये गये नाम सहित बताइयें? क्या इस दौरान म.प्र. शासन एवं माननीय उच्च न्यायालय के आदेश थे कि कम से कम स्थानांतरण किये जावें या नहीं किये जावें स्पष्ट करें। क्या माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थानांतरण को लेकर महाप्रबंधक बैतूल या अन्य किसी अधिकारी पर अर्थदण्ड लगाया गया है? यदि हाँ, तो इस प्रकरण की संपूर्ण जानकारी के साथ स्थिति स्पष्ट करें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत लागू डी.ओ.पी (डेलीगेशन ऑफ पॉवर) के पंचम संस्करण के पार्ट-बी, सेक्शन-I (Work other than civil) की कंडिका क्रमांक-2 के तहत महाप्रबंधक को कार्यादेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है अपितु कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति के पश्चात् तकनीकी स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार है एवं कंडिका क्रमांक-3 अनुसार महाप्रबंधक को मेन्टेनेंस/कन्स्ट्रक्शन से संबंधित कार्यों में लेबर अवार्ड हेतु अनुमोदन प्रदान करने का अधिकार है। उक्त आदेश की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। महाप्रबंधक वृत्त बैतूल द्वारा दिनांक 1 फरवरी 2019 से दिसम्बर 2020 की अवधि में कोई भी कार्यादेश जारी नहीं किया गया। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) जी नहीं। बैतूल वृत्त में दिनांक 01.02.2019 से माह दिसंबर, 2020 तक दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के शेष बचे कार्यों का टेंडर क्रमांक-आर.सी.ए 538 के अनुसार कंपनी मुख्यालय से जारी मुख्य महाप्रबंधक (ग्रामीण परियोजना) भोपाल के परिपत्र/आदेश दिनांक 22.06.2019 के दिशा निर्देशों के तहत कार्य कंपनी स्तर पर पंजीकृत ठेकेदारों को आवंटित किया गया। उक्त योजना में विस्तार कार्य एस.टी.सी. संभाग द्वारा ही संपादित कराये गये एवं कार्यों का नियमानुसार भौतिक सत्यापन संबंधित प्रबंधक, सहायक प्रबंधक एवं उपमहाप्रबंधक एसटीसी संभाग द्वारा कर देयक पारित किये गये। (ग) दिनांक 01.02.2019 से माह दिसंबर, 2020 तक की अवधि में हुये कार्यों के निरीक्षण/सत्यापन उपरांत 43 कार्यों का गुणवत्ता प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित अधिकारियों के नाम सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (घ) जी हाँ, उपरोक्त समयावधि में किये गये कार्यों में ठेकेदार एजेन्सियों द्वारा लगाई गई सामग्री पर जीएसटी का भुगतान राशि रूपये 451.70 लाख का किया गया है। जिसकी राशि सहित ठेकेदारवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। (ड.) बैतूल वृत्त अंतर्गत दिनांक 01.04.2020 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि हेतु कार्मिकों के स्थानांतरण संबंधी प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'द' अनुसार है। सामान्य प्रशासन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्थानांतरण संबंधी इस प्रकार के कोई निर्देश नहीं है। जी नहीं, अत: प्रश्न नहीं उठता।
ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि
[ऊर्जा]
2. ( क्र. 1208 ) श्री रामपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) फरवरी 2021 की स्थिति में रायसेन एवं बरेली संभाग में कितने ट्रांसफार्मर ओवरलोड है? मांग अनुसार कितने ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि एवं अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाये जाना आवश्यक है तथा कब तक लगाये जायेंगे? (ख) अस्थायी पम्प कनेक्शनों को स्थायी पम्प कनेक्शन में परिवर्तित करने हेतु शासन की क्या-क्या योजनायें है तथा किसानों को इस हेतु क्या-क्या करना पड़ता है? रायसेन एवं बरेली संभाग में फरवरी 2021 की स्थिति में कितने अस्थायी पम्प कनेक्शन है इनको कब तक स्थायी कर दिया जायेगा? (ग) क्या रायसेन एवं बरेली संभाग में 48 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य अपूर्ण तथा अप्रारंभ है? यदि हाँ, तो क्यों तथा उक्त कार्य कब तक पूर्ण होगा? (घ) रायसेन एवं बरेली संभाग में वोल्टेज समस्या के निराकरण हेतु विभाग के अधिकारियों द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) फरवरी 2021 की स्थिति में रायसेन एवं बरेली संचालन-संधारण संभागों में कोई भी पॉवर ट्रांसफार्मर ओवरलोड नहीं है। फरवरी 2021 की स्थिति में बरेली संचालन-संधारण संभाग में 05 वितरण ट्रांसफार्मर ओवरलोड है तथा रायसेन संचालन-संधारण संभाग में कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर ओवरलोड नहीं है। उक्त ओवरलोड वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, जिसे आगामी एक माह में पूर्ण कर लिया जाएगा। (ख) अस्थाई पंप कनेक्शन को स्थाई पंप कनेक्श्न में परिवर्तित करने की राज्य शासन की कोई भी योजना क्रियाशील नहीं है। तथापि आवेदक को स्वयं के व्यय पर स्थाई पंप कनेक्शन देने का प्रावधान है। वर्तमान में अस्थाई कनेक्शन एल.टी.लाईन से 45 मीटर की दूरी पर स्थित होने पर स्थाई कनेक्शन हेतु आवेदन, खसरा खतोनी की प्रति, आधार कार्ड की प्रति एवं 05/- रूपये आवेदन शुल्क जमा करने पर स्थाई कनेक्शन प्रदान किया जाता है। सुरक्षा निधि की राशि 1500/- रूपये एवं अनुबंध राशि 500/- रूपये, इस प्रकार कुल 2000/- रूपये की राशि उपभोक्ता के प्रथम बिल में जोड़ी जाती है। उपभोक्ता के आवेदन पर अस्थाई कनेक्शनों को स्थाई कनेक्शनों में परिवर्तित करने हेतु म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा तत्काल कार्यवाही कर अविलंब ऑनलाईन संकल्प पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया पूर्ण कर कनेक्शन प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त ऐसे अस्थाई पम्प कनेक्शन जिसमें स्थाई पम्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु लाईन विस्तार आवश्यक है, उनमें ऑनलाईन संकल्प पोर्टल अथवा ऑफलाईन मोड में आवेदन कर, स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना (ओ.वाय.टी) में 3 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज जमा करने पर तथा शत्-प्रतिशत जमा योजना के अन्तर्गत आवेदन प्राप्त होने पर म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण करवाकर स्थाई कनेक्शन प्रदान किया जाता है। रायसेन एवं बरेली संचालन-संधारण संभागों के अंतर्गत फरवरी 2021 की स्थिति में 5781 अस्थाई कृषि पंप कनेक्शन है, जिसमें से मात्र 1015 विद्यमान एल.टी. लाईन से 45 मीटर दूरी तक वाले कृषक है तथा इन्हें आवेदन प्राप्त होने एवं उनके द्वारा औपरिकताएं पूर्ण करने पर कनेक्शन देने की कार्यवाही की जा सकती है। शेष कृषकों द्वारा स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना अंतर्गत आवेदन कर समस्त औपचारिकतायें करने के उपरांत नियमानुसार स्थाई कृषि पंप कनेक्शन दिये जाने की कार्यवाही की जा सकती है। उक्त परिप्रेक्ष्य में निर्धारित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) संचालन-संधारण संभाग रायसेन एवं बरेली में 48 मिश्रित फीडरों के विभक्तिकरण के अपूर्ण एवं अप्रारंभ कार्य में से एक फीडर के विभक्तिकरण का कार्य दिनांक 11.12.2019 को पूर्ण हो चुका है। शेष 47 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य भविष्य में यदि कोई योजना आती है, तो वित्तीय उपलब्धता अनुसार उसमें सम्मिलित किये जाने हेतु निर्णय लिया जायेगा। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) संचालन-संधारण संभाग रायसेन एवं बरेली के अंतर्गत वॉल्टेज की समस्या के निराकरण सहित विद्युत प्रदाय की गुणवत्ता में सुधार हेतु म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों द्वारा आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर सक्षम अनुमोदन/स्वीकृति उपरांत वर्ष 2020-21 में कराए गए एवं कराए जा रहे कार्यों का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
नगर परिषद महेश्वर में किले व घाट पर विद्युत सौंदर्यीकरण
[नगरीय विकास एवं आवास]
3. ( क्र. 1454 ) डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर परिषद महेश्वर जिला खरगोन को सिंहस्थ 2016 में किले एवं घाट पर विद्युत सौंदर्यीकरण कार्य हेतु कितनी राशि आवंटित की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो कितनी राशि स्वीकृत हुई है एवं क्या आज दिनांक तक उक्त कार्य पूर्ण हो चुका है? यदि कार्य पूर्ण नहीं हुआ है तो क्या कारण है एवं कार्य पूर्ण होने की क्या तिथि है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) सिंहस्थ 2016 के दौरान नगर परिषद महेश्वर को किले एवं घाट पर विद्युत सौन्दर्यीकरण कार्य हेतु राशि रू. 50.00 लाख आवंटित की गई थी। (ख) नगर परिषद महेश्वर को उल्लेखित कार्य हेतु राशि रू. 199.00 लाख स्वीकृत हुई है। प्रश्न दिनांक तक उक्त कार्य अपूर्ण है। उक्त कार्य सिंहस्थ 2016 हेतु स्वीकृत किया गया था जो दिनांक 10.04.2016 तक पूर्ण किया जाना था। ठेकेदार द्वारा समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किया गया। जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में सिंहस्थ कार्यों की समीक्षा बैठक दिनांक 29.04.2016 में कार्य स्थगित किये जाने का निर्णय लिया गया। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
भिण्ड में चल रहे आर.ओ.वाटर सप्लाई निर्माण कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
4. ( क्र. 1515 ) श्री संजीव सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड शहर में चल रहे आर.ओ.वाटर सप्लाई निर्माण के दौरान कितने कि.मी. सीवर लाइन बिछाने का कार्य किया गया? लाइन बिछाने के बाद कितने कि.मी. सड़कों को संधारण/रीस्टेट/मरम्मत किया गया? (ख) संधारण रीस्टेट के एवज में कम्पनी को विभाग के द्वारा कितना भुगतान किया गया? उक्त सड़कों की गुणवत्ता का किस अधिकारी के द्वारा सत्यापन किया गया? (ग) किस परीक्षण लेब में इनका परीक्षण कराया गया रिपोर्ट देवें?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) भिण्ड शहर में आर.ओ.वॉटर सप्लाई का कार्य नहीं, अपितु शुद्ध पेयजल प्रदाय किये जाने हेतु परियोजना का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जल प्रदाय योजना के संबंध में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "क" अनुसार है एवं सीवरलाइन के संबंध में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ख" अनुसार है। (ख) जल प्रदाय योजना के अंतर्गत बिछाई जाने वाली पाइप लाइन के फलस्वरूप काटी गई सड़कों के पुनः निर्माण हेतु प्रावधानित राशि रू.2452 लाख के विरूद्ध राशि रू 86 लाख का भुगतान किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "क" अनुसार है। सीवरेज योजना के अंतर्गत बिछाई जाने वाली पाइप लाइन के फलस्वरूप काटी गई सड़कों के पुनः निर्माण हेतु प्रावधानित राशि रू.1071 लाख के विरूद्ध राशि रू 753 लाख का भुगतान किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ख" अनुसार है। (ग) निर्माण कार्य में किये गये कार्य का परीक्षण संविदाकार द्वारा संधारित प्रयोगशाला एवं आवश्यक होने पर NABL प्रयोगशाला में परीक्षण कराया जाता है। जल प्रदाय योजना अंतर्गत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' एवं "ग" अनुसार है। सीवर लाइन के संबंध में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ख" अनुसार है।
उपभोक्ता विद्युत बिलों का प्रदाय
[ऊर्जा]
5. ( क्र. 1522 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा जिले में घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को प्रतिमाह मासिक बिल दिये जाने के क्या नियम है? विद्युत नियमायक आयोग के नियमानुसार घरेलु उपभोक्ताओं को अंतिम तिथि के कितने दिन पूर्व देयक प्राप्त हो जाना चाहिए? (ख) क्या विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को प्रतिमाह उपभोग की गई विद्युत खपत का देयक न देते हुए आंकलित खपत के आधार पर देयक दिये जा रहे है? जिसके कारण उपभोक्ताओं पर आर्थिक भार पड़ रहा है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है? (ग) क्या इन उपभोक्ता बिलों का प्रकाशन जिला स्तर पर नहीं होने के कारण उपभोक्ताओं को यह देयक अंतिम तिथि के 1 दिन पूर्व प्राप्त हो रहे है? यदि हाँ, तो क्यों? (घ) क्या इंदौर संभाग के घरेलू उपभोक्ता देयकों का प्रकाशन इंदौर किया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्या उपभोक्ता हितों को ध्यान में रखते हुए समय पर देयक उपलब्ध कराने हेतु इन देयकों का प्रकाशन जिला स्तर पर किया जाएगा? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) खंडवा जिले में घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को म.प्र.विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी म.प्र.विद्युत प्रदाय संहिता, 2013 की कंडिका 8.38, जिसकी छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है, के अनुरूप विद्युत देयक जारी किये जाते हैं, जिसमें नगद भुगतान की तिथि से 07 दिवस पूर्व उपभोक्ता को विद्युत देयक उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। (ख) उपभोक्ताओं के परिसर में स्थापित विद्युत मीटर में दर्ज वास्तविक खपत के आधार पर ही विद्युत देयक जारी किये जा रहे हैं। मीटर बंद/खराब स्थिति में पाये जाने पर ही म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता-2013 की कंडिका 8.35 जिसकी छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है, में निहित प्रावधानों के अनुसार ही आंकलित खपत के आधार पर विद्युत देयक जारी किये जाते हैं। अतः उपभोक्ताओं पर आर्थिक भार पड़ने एवं किसी अधिकारी के जिम्मेदार होने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी नहीं। (घ) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के क्षेत्रांतर्गत संपूर्ण कंपनी क्षेत्र के घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को उनके विद्युत देयक जारी किये जाने हेतु कंपनी स्तर से निविदा प्रक्रिया के माध्यम से मेसर्स परफेक्ट इन्फोसॉफ्ट प्रा.लि. सतना, मध्यप्रदेश को घरेलू विद्युत देयक प्रिंट कर प्रदाय करने हेतु आदेश क्रमांक 15436 दिनांक 13.11.2020 जारी किया गया है। ठेकेदार फर्म द्वारा उक्त आदेश के तारतम्य में इन्दौर संभाग के घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के विद्युत देयकों का प्रकाशन मुख्यत: इन्दौर में ही किया जा रहा है किन्तु विशिष्ट परिस्थितियों/आकस्मिक व्यवधानों की स्थिति में ठेकेदार फर्म द्वारा समय पर देयक उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से देयकों की प्रिंटिंग का कुछ कार्य सतना में किया गया था। ठेकेदार फर्म को जारी आदेश एवं उसके द्वारा समय पर देयकों की प्रिंटिंग सुनिश्चित किये जाने के परिप्रेक्ष्य में देयकों की प्रिंटिंग अन्यत्र किये जाने की आवश्यकता नहीं है।
शासकीय सेवकों के उच्च पद पर वेतन निर्धारण
[उच्च शिक्षा]
6. ( क्र. 1573 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत सीधी भर्ती के प्राध्यापकों जिनका स्थायीकरण हो चुका है, की संख्या कितनी हैं? महाविद्यालय/विषयवार नाम सहित जानकारी (सूची) उपलब्ध करायें। (ख) क्या शासकीय सेवा में कार्यरत सीधी भर्ती से नियुक्ति उपरांत स्थायीकरण होने पर शासकीय सेवकों का वेतन उस सेवा या पद को लागू समयमान वेतन में मूल नियम 22 डी के अंतर्गत वेतन निर्धारण करने का प्रावधान/शासनादेश है? यदि है तो पत्र/आदेश की प्रति उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में क्या प्रदेश के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत सीधी भर्ती के स्थायीकरण वाले प्राध्यापकों को नियमानुसार मूल नियम 22-डी का लाभ देकर वेतन निर्धारण कर दिया है? यदि नहीं, दिया गया है, तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में कितने स्थायीकरण वाले प्राध्यापकों को मूल नियम 22 -डी का लाभ दिया गया है? कितने को देना शेष है? उन्हें अभी तक क्यों नहीं दिया गया है? कारण सहित सम्पूर्ण जानकारी देवें उन्हें कब तक उक्त नियम का लाभ दे दिया जाएगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत सीधी भर्ती के प्राध्यापकों, जिनका स्थायीकरण किया जा चुका है, की संख्या 173 है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग, वल्लभ भवन, मंत्रालय भोपाल के आदेश क्रमांक एफ-8-2/2020/नियम/चार, भोपाल दिनांक 6 फरवरी 2020 के अनुसार सीधी भर्ती से नियुक्ति उपरांत स्थायीकरण होने पर वेतन निर्धारण के निर्देश हैं। शासनादेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन प्राध्यापकों का वेतन निर्धारण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार किया गया है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश 'ग' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
शासकीय रोड की जमीन पर अवैध निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( क्र. 1667 ) श्री राकेश मावई : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रैगांव विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कोठी चित्रकूट में बस स्टैण्ड से लगभग 100 मीटर की दूरी में शासकीय रोड की भूमि पर अवैध दुकानों का निर्माण किस के द्वारा कितनी भूमि पर कराया गया, सूची दें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) की दुकानों का निर्माण नियमानुसार विभागीय अनुमति लेकर किया गया है? यदि हाँ, तो अनुमति देने वाले सक्षम अधिकारी का नाम व पद बताते हुए यह बताएं कि उक्त भूमि में अनुमति देने का अधिकार था कि नहीं? नियम प्रति के साथ जानकारी देवें। (ग) क्या अवैध निर्माण हटाने की कार्यवाही के साथ निर्माण करने वाले व्यक्ति पर दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी, तो कब तक समय-सीमा बतावें? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या प्रश्नांश (क) निर्मित दुकानें स्थानीय विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से किया जा रहा है, तो ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों पर विभाग क्या कार्यवाही करेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) दो दुकानों का निर्माण किया गया है एवं दुकानों का कुछ भाग शासकीय भूमि में निर्मित है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में उल्लेखित दुकानदारों श्री पुष्पेन्द्र सिंह एवं श्री कैलाश सोनी वगैरह द्वारा स्वयं की भूमि पर दुकान निर्माण की अनुमति नगर परिषद कोठी से प्राप्त की गई है, परन्तु दुकान का कुछ भाग शासकीय भूमि में निर्मित है, जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) संबंधित व्यक्तियों के विरूद्ध मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 223 के अंतर्गत नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। इस कारण समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जी नहीं, उत्तर के परिप्रेक्ष्य में विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
विधान सभा क्षेत्र-131 बैतूल के किसानों के विद्युत बिल
[ऊर्जा]
8. ( क्र. 1673 ) श्री निलय विनोद डागा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल विधानसभा क्षेत्र के किसानों पर क्या म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के विद्युत बिल की राशि बकाया है। यदि हाँ, तो कितने किसानों पर कितनी राशि का बिल बकाया है? संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराये। (ख) बैतूल विधान सभा क्षेत्र में कम्पनी द्वारा किसानों से क्या वसूली की कार्यवाही की जा रही है/की गई है? क्या वसूली की कार्यवाही के अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा किसानों के ट्रैक्टर, मोटर साईकिल, स्कूटी एवं मोटर पंपों की कुर्की की गई/की जा रही है? यदि हाँ, तो संबंधित किसानों के कुर्क की गई सामग्री की संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) किसानों से बकाया बिल की राशि के एवज में उनकी निजी संपत्ति को जप्त/कुर्की किए जाने के क्या शासन स्तर से किसी प्रकार का आदेश जारी किया गया है? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति उपलब्ध करावें यदि नहीं, तो दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की गई जानकारी देवें। कार्यवाही नहीं की गई तो उन पर क्या कार्यवाही की जावेगी और कब तक की जावेगी।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ, बैतूल विधानसभा क्षेत्र के 5169 कृषि पंप उपभोक्ताओं के विरूद्ध, म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा जारी विद्युत बिलों की रू. 401.41 लाख की राशि बकाया है। (ख) जी हाँ, म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा प्रश्नाधीन क्षेत्र में कृषक उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत बिल जमा नहीं करने पर नियमानुसार बकाया राशि की वसूली हेतु कुर्की की कार्यवाही की गई है/की जा रही है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में नियमानुसार बकाया राशि वाले कृषक उपभोक्ताओं के 5 मोटर पंप, 2 मोटर साईकिल, 1 स्कूटी एवं 1 विद्युत पंप की कुर्की की कार्यवाही की गई है। (ग) जी हाँ, कृषक एवं अन्य उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत बिल की राशि जमा नहीं करने की स्थिति में बकाया बिल की राशि की वसूली हेतु राज्य शासन द्वारा मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए मध्यप्रदेश सरकारी विद्युत उपक्रम (शोध्य राशि वसूली) अधिनियम, 1961 की धारा 6 की उपधारा में यथा उपबंधित विद्युत शोध्यों, शास्ति तथा वसूली के व्यय के बकाया की भू-राजस्व के बकाया के तौर पर वसूली हेतु अधिसूचना क्रमांक एफ 2-21/2003/सात/6 दिनांक 28.02.2004 जारी की गई थी, जिसके परिपालन एवं उक्त अधिसूचना के द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अनुसार चल/अचल संपत्ति की कुर्की किये जाने का प्रावधान है, उक्त आदेश की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। अत: राजस्व वसूली नियमों के अनुरूप उक्तानुसार की जा रही कार्यवाही के परिप्रेक्ष्य में किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
खेल मैदान का रख-रखाव
[नगरीय विकास एवं आवास]
9. ( क्र. 1737 ) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबेरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नगर परिषद तेंदूखेड़ा एवं बनवार में खेल मैदान (स्टेडियम) निर्मित है यदि हाँ, तो इन खेल मैदान (स्टेडियम) के रख-रखाव हेतु कोई प्रावधान है। यदि नहीं, तो क्यों एवं क्या वर्तमान में खेल मैदान युवाओं के खेलने लायक स्थिति में है। हाँ अथवा नहीं तथा विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त खेल मैदान के सुधार के लिए कब और क्या कार्यवाही की गई है। (ख) नगर परिषद तेंदूखेड़ा एवं बनवार में निर्मित खेल मैदान (स्टेडियम) में विभाग द्वारा निर्माण से आज दिनांक तक रख-रखाव में कितनी राशि व्यय की गई है।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी हाँ, नगर परिषद तेंदूखेड़ा में मिनी स्टेडियम, खेल और युवा कल्याण विभाग, दमोह के अधिपत्य में निर्मित है एवं बनवार में खेल मैदान (स्टेडियम), ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, संभाग दमोह द्वारा निर्मित है। तेंदूखेड़ा स्थित खेल मैदान के रख-रखाव हेतु खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा एक सफाईकर्मी व एक सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराया गया है। बनवार स्थित खेल मैदान के रख-रखाव हेतु ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, संभाग दमोह के पास राशि का प्रावधान न होने के कारण, रख-रखाव का कोई प्रावधान नहीं है। वर्तमान में तेंदूखेड़ा स्थित खेल मैदान क्षतिग्रस्त अवस्था में होने के कारण खेलने लायक स्थिति में नहीं है। बनवार स्थित खेल मैदान वर्तमान में खेलने लायक स्थिति में है। खेल मैदान में सुधार, बजट की उपलब्धता अनुसार कराया जायेगा। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) नगर परिषद तेंदूखेड़ा एवं बनवार में नगर परिषद द्वारा खेल मैदान के रख-रखाव पर कोई व्यय नहीं किया गया है।
रिवाल्वर/पिस्टल (शस्त्र) लायसेंस जारी करना
[गृह]
10. ( क्र. 1751 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन स्तर पर राजगढ़ जिले के रिवाल्वर/पिस्टल (शस्त्र) लायसेंस जारी करने के कितने प्रकरण लंबित हैं? उनको शासन स्तर पर कितनी अवधि तक लंबित रखा जा सकता है? प्रकरणवार, स्थानवार, लंबित अवधि की जानकारी से अवगत करावें? (ख) क्या शासन द्वारा निर्धारित अधिकारियों की अनुशंसा के उपरांत भी शासन स्तर पर कोई व्यक्ति विशेष की अनुशंसा पर ही शस्त्र लायसेंस जारी किये जा रहे है?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) प्रश्नांश (क) में किस अवधि की जानकारी चाही गई है, स्पष्ट नहीं होने से उत्तर दिया जाना संभव नहीं है। (ख) आयुध अधिनियम/नियम के अंतर्गत शस्त्र लायसेंस गुण-दोष के आधार पर जारी किये जाते है।
बगैर डायवर्सन के आवासीय प्रयोजन हेतु प्लाट विक्रय
[नगरीय विकास एवं आवास]
11. ( क्र. 1754 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के नगरीय क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि को बगैर डायवर्सन अनुमति प्राप्त किए बगैर, आवासीय प्रयोजन हेतु प्लाट विक्रय किए जा रहे हैं? यदि हाँ, तो वर्तमान में प्रश्न दिनांक तक किस नगर में कितने प्लाट किन-किन व्यक्तियों द्वारा किस साईज के प्लाट विक्रय किए गए एवं किस व्यक्ति द्वारा क्रय किए है तथा उनके विरुद्ध विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित नियम विरुद्ध क्रय-विक्रय किए गए प्लाटों से शासन को कितनी राजस्व राशि की हानि हुई है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में दर्शित नियम विरुद्ध विक्रय किए गए प्लाटों/कॉलोनी को नियमानुसार वैध घोषित किए जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जावेगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। नगरीय क्षेत्र सांरगपुर एवं पचौर में संबंधित विक्रेता के विरूद्ध म.प्र. नगरपालिका अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही प्रचलित है। (ख) नगरीय क्षेत्र सांरगपुर एवं पचौर में कृषि योग्य भूमि को बिना डायवर्सन के छोटे-छोटे भूखण्ड में विक्रय होने से शासन को हुई राजस्व हानि का आंकलन नहीं किया गया है। (ग) राज्य शासन द्वारा नगरपालिका अधिनियम में संशोधन की कार्यवाही की जा रही है जो प्रक्रियाधीन है।
साबरस्या ग्रिड पर 5 MVA का पावर ट्रांसमिशन स्वीकृत होना
[ऊर्जा]
12. ( क्र. 1760 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सारंगपुर तहसील के ग्राम साबरस्या ग्रिड पर वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 के बीच में 5 MVA का पावर ट्रांसमिशन स्थापित करने हेतु स्वीकृति प्रदान की गयी थी? यदि हाँ, तो उसकी स्वीकृति दिनांक एवं कार्यादेश दिनांक से अवगत करावें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में दर्शित स्वीकृत पावर ट्रांसमिशन साबरस्या ग्रिड पर स्थापित कर दिया गया है? यदि नहीं, तो कब तक स्थापित किया जावेगा? (ग) क्या साबरस्या ग्रिड पर पावर ट्रांसमिशन लगाने हेतु फाउन्डेशन का भी निर्माण किया जा चुका है एवं वर्ष 2019-20 में पावर ट्रांसमिशन को स्थापित किये जाने हेतु कार्य स्थल पर भी लाया जा चुका था लेकिन विभाग द्वारा किन कारणों से वहां से वापस ले जाया गया? (घ) क्या उक्त पावर ट्रांसमिशन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने एवं वापस ले जाने हेतु कितना व्यय हुआ है? क्या उसकी वसूली संबंधित जिम्मेदार अधिकारी से की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) वित्तीय वर्ष 2018-2019 में सारंगपुर तहसील के 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र ग्राम साबरस्या में स्थापित 3.15 एम.व्ही.ए. पॉवर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि 05 एम.व्ही.ए. किये जाने हेतु मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा प्राक्कलन दिनांक 03.04.18 को स्वीकृत किया गया एवं निर्माण संभाग राजगढ़ को कार्यादेश दिनांक 04.04.18 जारी किया गया था। (ख) जी हाँ। अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं। (ग) 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र साबरस्या में पॉवर ट्रांसफार्मर लगाने हेतु पृथक से फाउन्डेशन का निर्माण नहीं किया गया अपितु पूर्व से ही निर्मित फाउन्डेशन पर ही विस्तारित क्षमता का 05 एम.व्ही.ए. पॉवर ट्रांसफार्मर स्थापित किया गया। वित्तीय वर्ष 2019-20 में किसी भी पॉवर ट्रांसफार्मर को उक्त स्थान पर लाया एवं ले जाया नहीं गया। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं होता है।
पुलिस चौकी का स्थापित किया जाना
[गृह]
13. ( क्र. 2117 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सत्र 2017-18, 2018-19 एवं 2019-2020 में सिरमौर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत बरदहा घाट एवं बौलिया घाट में लूट, राहजनी, डकैती एवं अपहरण की कुल कितनी घटनाएं पंजीबद्ध हुई हैं? (ख) क्या बरदहा घाट एवं बौलिया घाट में पृथक से पेट्रोलिंग हेतु पुलिस टीम गठित की जावेगी? क्या पृथक पुलिस चौकी की स्थापना की जावेगी?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) अपराधिक घटनाओं को रोकने के लिये संबंधित थानों की पुलिस द्वारा पेट्रोलिंग की जाती है। बरदहा घाट एवं बौलिया घाट में पृथक से पेट्रोलिंग टीम का गठन नहीं किया गया है। बरदहा घाट एवं बौलिया घाट में पुलिस चौकी स्थापित किये जाने का कोई प्रस्ताव विभाग में विचाराधीन नहीं है।
प्रधानमंत्री आवास आवंटन हेतु जमा की गई राशि वापसी हेतु लंबित आवेदनों का भुगतान
[नगरीय विकास एवं आवास]
14. ( क्र. 2124 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिक निगम रीवा अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना में सत्र 2016-17 से सत्र 2020-21 तक कुल कितने पात्र हितग्राहियों ने ई.डब्ल्यू.एस. फ्लैट आवंटन हेतु आवेदन किया है। क्या कुछ पात्र हितग्राहियों ने आवास आवंटन हेतु अपेक्षित राशि 20,000/- रुपये जो कि नगर निगम में जमा की गई थी को वापस करने हेतु आवेदन किया है? (ख) यदि हाँ, तो ऐसे कुल कितने पात्र हितग्राही हैं जिन्होंने आवास आवंटन हेतु अपेक्षित जमा राशि रुपये 20,000/- को वापस करने हेतु आवेदन किया है? (ग) आवास आवंटन निरस्त कर जमा रकम को वापस करने हेतु कुल ऐसे कितने आवेदन भुगतान हेतु कब से एवं क्यों लंबित हैं? ऐसे लंबित भुगतान कब तक किये जावेंगे?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के एएचपी घटक अन्तर्गत वर्ष 2016-17 से 2020-21 तक कुल 2646 पात्र हितग्राहियों द्वारा ईडब्ल्यूएस आवास के पंजीयन हेतु आवेदन किया गया है। जी हाँ। कुछ पात्र हितग्राहियों ने पंजीयन राशि वापसी हेतु भी आवेदन किया है। (ख) प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के एएचपी घटक के तहत अभी तक ई.डब्ल्यू.एस. के 928 पात्र हितग्राहियों ने पंजीयन राशि वापस हेतु आवेदन किया है। (ग) दिनांक 24.04.2019 से 19.02.2021 तक प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के एएचपी घटक अन्तर्गत कुल 928 हितग्राहियों की जमा पंजीयन राशि वापस कर दी गई है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
प्रधानमंत्री आवास (शहरी) भू-खण्ड आवंटन
[नगरीय विकास एवं आवास]
15. ( क्र. 2307 ) श्री रामपाल सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) अंतर्गत ऐसे हितग्राही जिनके कच्चे आवास, झुग्गी अथवा अतिक्रमणकारी ऐसी भूमि पर रहते है जहां पर आवास इकाई का निर्माण किया जाना प्रतिबंधित है उनको नगरीय निकाय द्वारा अन्य शासकीय भूमि प्राप्त कर उसमें भू-खण्ड विकसित कर उन्हें प्लॉट आवंटित कर राशि दिये जाने का प्रावधान हैं? (ख) यदि हाँ, तो रायसेन जिले की नगर पालिका तथा नगर परिषदों में ऐसे कितने हितग्राही/परिवार है निकायवार संख्या बतायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के हितग्राही/परिवारों को शासकीय भूमि प्राप्त कर भूखण्ड उपलब्ध कराने के संबंध में किस-किस नगर पालिका तथा नगर परिषद द्वारा आज दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही के गई पूर्ण विवरण दें? (घ) यदि कार्यवाही नहीं की तो क्यों कारण बतायें तथा कब तक कार्यवाही करेंगे?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। (घ) निर्देश जारी किये गये है। निर्देशों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है।
विद्युतीकरण की योजनाएं
[ऊर्जा]
16. ( क्र. 2372 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सौभाग्य योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना फीडर सेपरेशन योजना में भारत सरकार तथा राज्य सरकार का कितना-कितना अंशदान है उक्त योजनाओं में क्या-क्या कार्य कराये जाते हैं। (ख) रायसेन एवं बरेली संभाग में उक्त योजना अंतर्गत स्वीकृत कौन-कौन से कार्य अपूर्ण तथा आप्रारंभ हैं योजनावार कार्यवार कारण बतायें उक्त कार्य कब तक पूर्ण होंगे। (ग) रायसेन एवं बरेली संभाग में कौन-कौन से ग्रामों का विद्युतीकरण क्यों नहीं किया गया कारण बतावें। उक्त ग्राम कब तक विद्युतीकरण किया जायेगा। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के संबंध में मान. मंत्री जी एवं रायसेन वृत तथा वृतांतर्गत संभाग के अधिकारियों को रायसेन जिले के किन-किन सांसद तथा विधायकों के पत्र 1 जनवरी 2019 से फरवरी 2021 तक की अवधि में कब-कब प्राप्त हुए तथा उन पर आज दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की अवगत कराएं,यदि नहीं तो क्यों कारण बतायें कब तक अवगत करायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) सौभाग्य योजना अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा 60 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में वितरण कंपनियों/राज्य शासन को 10 प्रतिशत राशि स्वयं के स्त्रोतों से तथा 30 प्रतिशत राशि वित्तीय संस्थाओं से ऋण के रूप में जुटाने का प्रावधान है। उक्त योजनान्तर्गत योजना के प्रावधानों/दिशा-निर्देशों के अनुसार अविद्युतीकृत घरों के विद्युतीकरण का कार्य किये जाने का प्रावधान है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा 60 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में वितरण कंपनियों/राज्य शासन को 10 प्रतिशत राशि स्वयं के स्त्रोतों से तथा 30 प्रतिशत राशि वित्तीय संस्थाओं से ऋण के रूप में जुटाने का प्रावधान है। उक्त योजनान्तर्गत ग्रामीण विद्युतीकरण, फीडर विभक्तिकरण, वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण एवं मीटरिंग के कार्य किये जाने का प्रावधान है। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में फीडर सेपरेशन योजना के फेस-I अंतर्गत शतप्रतिशत अंशदान आर.ई.सी. लिमिटेड से ऋण के रूप में एवं फेस-II अन्तर्गत लगभग 80 प्रतिशत अंशदान राशि ऋण के रूप में एडीबी से एवं राज्य सरकार से लगभग 20 प्रतिशत अंशदान वितरण कंपनियों को प्राप्त हुआ। फीडर सेपरेशन योजना में मिश्रित फीडरों का विभक्त्तिकरण किया जाता है। (ख) म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के रायसेन वृत्त के संचालन-संधारण संभाग रायसेन एवं बरेली में उक्त योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत कोई भी कार्य अपूर्ण तथा अप्रारंभ नहीं है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) संचालन-संधारण संभाग रायसेन एवं बरेली में कोई भी राजस्व ग्राम विद्युतीकरण हेतु शेष नहीं है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के संबंध में प्रश्नाधीन अवधि में रायसेन जिले से संबंधित माननीय सांसद महोदय का कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है एवं रायसेन जिले के ग्रामों के विद्युतीकरण संबंधी समस्याओं के संबंध में माननीय विधायकों से प्राप्त पत्रों एवं उनके निराकरण की कार्यवाही तथा संबंधित माननीय विधायक को अवगत कराने की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उक्त प्राप्त पत्रों पर म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा कार्यवाही करते हुए उप महाप्रबंधक (संचा./संधा.) संभाग रायसेन एवं बरेली द्वारा मौखिक तौर पर संबंधित माननीय विधायक महोदय को पत्रों की विषय वस्तु पर की गई कार्यवाही के संबंध में अवगत करा दिया गया है एवं पत्र प्रेषित किये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
कोरोना काल में फीस की वसूली
[उच्च शिक्षा]
17. ( क्र. 2377 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिले में संचालित किन-किन अशासकीय महाविद्यालयों द्वारा 1 मार्च, 2020 से फरवरी, 2021 तक की अवधि में छात्र/छात्राओं से किस-किस मद में कितनी-कितनी फीस वसूल की जा रही है तथा क्यों कारण बतायें? (ख) उक्त महाविद्यालयों द्वारा उक्त अवधि में महाविद्यालय में कार्यरत किन-किन अधिकारी/कर्मचारियों को कितना-कितना वेतन दिया? (ग) पालकों एवं अभिभावकों द्वारा उक्त अवधि में अवैध फीस वसूली के विरूद्ध किन-किन अधिकारियों को कब-कब ज्ञापन/आवेदन पत्र दिये तथा कहाँ-कहाँ धरना दिया गया? (घ) उक्त ज्ञापनों एवं आवेदन पत्रों पर आज दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई पूर्ण विवरण दें?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) रायसेन जिले के 16 अशासकीय महाविद्यालयों द्वारा पृथक-पृथक मद में महाविद्यालय संचालन हेतु फीस ली जाती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) जानकारी निरंक। (घ) प्रश्नांश ''ग'' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जबलपुर शहर में पेयजल योजना
[नगरीय विकास एवं आवास]
18. ( क्र. 2500 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम जबलपुर ने शहर की पेय जल समस्याओं के निदान हेतु क्या योजना बनाई है वर्तमान में पेय जल प्रदाय की क्या स्थिति है? शहर के किन-किन वार्डों में प्रतिदिन कितने घंटे कितनी-कितनी मात्रा में पेय जल की आपूर्ति की जा रही है। कौन-कौन से वार्ड पेय जल समस्या से ग्रसित है एवं क्यों? (ख) स्मार्ट सिटी योजना के तहत किन-किन वार्डों के कितने-कितने घरों में 24 घंटे शुद्ध पेय जल की आपूर्ति हेतु स्मार्ट वाटर सप्लाई की कब क्या योजना बनाई गई है। योजना की अवधि व लागत क्या है। इसका ठेका कब किस एजेन्सी को किन-किन शर्तों पर दिया गया है। वर्तमान में योजना का कितने-कितने प्रतिशत कार्य पूर्ण अपूर्ण व निर्माणाधीन है? योजना के तहत कब से कौन-कौन सा कार्य पूर्ण नहीं कराया गया है एवं क्यों? एजेन्सी को किन-किन कार्यों से सम्बंधित कब-कब कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया है? (ग) प्रश्नांकित योजना के तहत किन-किन वार्डों में कितने-कितने कि.मी. पाइप लाइन बिछाने का कार्य कराया गया है एवं कितना कार्य शेष है एवं क्यों? योजना के तहत किन-किन वार्डों के कितने-कितने घरों में आटोमैट्रिक मीटर लगाये गये हैं तथा उपभोक्ताओं से किस मान से जल कर की राशि वसूल करना प्रस्तावित है। योजना की निगरानी की क्या व्यवस्था की गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) नगर निगम जबलपुर के द्वारा पेयजल व्यवस्था को उन्यन करने के लिए अमृत योजना के अंतर्गत पेयजल आवर्धन योजना बनाई गई है। जिसके अंतर्गत 16 उच्च स्तरीय पानी की टंकियां, 54 कि.मी. राईजिंग मेन लाईन, 300 कि.मी. जल वितरण पाईप लाईन बिछाई गई है। इसके अतिरिक्त 40 एम.एल.डी. का एक पंप हाउस एवं ललपुर जल शोधन संयंत्र के मोटर पंपों को बदलकर नये मोटर पंप लगाए गए है। इस कार्य को पूर्ण किया जाकर जलापूर्ति प्रारंभ की गई है। शहर के सभी वार्डों में प्रतिदिन प्रात: एवं सांय काल एक एक घंटे कुल 231 एम.एल.डी. जल प्रदाय किया जा रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
शासकीय और अशासकीय विश्वविद्यालयों की जानकारी
[उच्च शिक्षा]
19. ( क्र. 2539 ) श्री अनिरुध्द (माधव) मारू : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्य प्रदेश में शासकीय और अशासकीय विश्वविद्यालय कितने है? उनके नामों की सूची उपलब्ध करायें। इनमें से कितने विश्वविद्यालय म.प्र. राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त है? सूची उपलब्ध करावें। (ख) अशासकीय विश्वविद्यालय में कुलपति चयन की क्या प्रक्रिया है? अशासकीय विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार कुलपति, कुलाधिपति कौन-कौन है? उनके अहर्ताएं, योग्यताएं क्या है? कृपया बताएं। (ग) शासकीय विश्वविद्यालय में सीनेट का गठन निर्वाचन प्रक्रिया द्वारा किन किन विश्वविद्यालयों में नहीं कराया गया है? विश्वविद्यालयों के नाम सहित उल्लेख करें। (घ) शासकीय और अशासकीय विश्वविद्यालयो में सीनेट एवं कार्य परिषद के चुनाव कब तक कराए जाएंगे।
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) म.प्र. में विभाग अंतर्गत शासकीय विश्वविद्यालय 16 एवं अशासकीय विश्वविद्यालय की संख्या 39 है। सभी शासन से मान्यता प्राप्त हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) म.प्र. विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 में सीनेट का प्रावधान नहीं है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है एवं मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा 23 के अंतर्गत कार्यपरिषद के गठन प्रक्रिया में चुनाव कराये जाने संबंधी किसी प्रकार का प्रावधान नहीं होने से चुनाव कराया जाना संभव नहीं है।
प्राध्यापक पदों की प्रतिपूर्ति
[उच्च शिक्षा]
20. ( क्र. 2626 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या संभागीय मुख्यालय सागर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय शास. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में लगभग 10 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है, परन्तु प्राध्यापकों की कमी होने से विद्यार्थियों का शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है? क्या शासन स्वीकृत पदों की प्रतिपूर्ति शीघ्र करायेगा तथा कब तक? (ख) क्या उक्त महाविद्यालय में एन.सी.सी. की छात्र एवं छात्रा इकाई संचालित है तथा वर्तमान में एन.सी.सी. ऑफिसर के सेवानिवृत्त होने से क्या एन.सी.सी. की दोनों इकाईयां बंद हो जायेगी? यदि हाँ, तो इसका क्या कारण है? यदि नहीं, तो क्या शासन शीघ्र ही पी.एस.सी. चयनित प्राध्यापकों की पदस्थापना करेगा तथा कब तक? (ग) क्या पं. दीनदयाल उपाध्याय शास. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में संचालित एन.सी.सी. की छात्रा इकाई को एन.सी.सी. के नियमानुसार निर्धारित आयु वर्ग की एन.सी.सी. महिला प्राध्यापक न होने के कारण इस इकाई को बंद किया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्या शासन एन.सी.सी. की छात्रा इकाई को संचालित रखे जाने हेतु निर्धारित आयु वर्ग की एन.सी.सी. महिला प्राध्यापक की पदस्थापना करेगा तथा कब तक?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) जी हाँ। रिक्त पद के विरूद्ध अतिथि विद्वान कार्यरत होने से शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं होता है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। जी नहीं। छात्र एवं छात्रा इकाई में क्रमशः एन.सी.सी. अधिकारी तथा केयर टेकर को प्रभार प्रदान किया गया है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं।
भोपाल विकास प्राधिकरण की विद्यानगर फेस-3 योजना संबंधी
[नगरीय विकास एवं आवास]
21. ( क्र. 2636 ) श्री आरिफ मसूद : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल विकास प्राधिकरण ने विद्यानगर फेस-3 की योजना तैयार कर शासन से कब स्वीकृत कराई थी? उसमें कितने प्लाट काटे गये थे एवं किस-किस किसान से पी.पी.पी. मोड में अनुबंध किये थे? नाम बताएं। (ख) विद्यानगर फेस-3 की योजना में प्लाटधारियों को प्लाट आवंटित करने के बावजूद अनुबंध क्यों नहीं किया गया है? उसका कारण बतायें। इसमें कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं एवं उन पर कब तक कार्यवाही की जायेगी? (ग) कॉलोनी विकास (डेवलप) करने की समय-सीमा क्या थी परंतु तय समय-सीमा में कार्य नहीं किये जाने के संबंध में कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं और उन पर क्या कार्यवाही की जा रही है? (घ) भोपाल विकास प्राधिकरण ने यह जमीन राजस्व विभाग (शासन) से कब अपने नाम आवंटित कराई थी? यदि नहीं, कराई तो भोपाल विकास प्राधिकरण ने किस नियम से कॉलोनी का पी.पी.पी. में किसानों से अनुबंध किया? क्या भोपाल विकास प्राधिकरण ने फेस-3 योजना का ''रेरा' में रजिस्ट्रेशन कराया है? यदि नहीं, तो क्यों नहीं कराया?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) :(क) प्राधिकरण के पत्र क्रमांक-591/01/01/06/19/भोविप्रा/05 दिनांक 12.12.2005 द्वारा विद्यानगर फेस-03 योजना हेतु धारा-50 में प्रकाशन की स्वीकृति हेतु शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ’अ’ अनुसार है। धारा-50(4) के अंतर्गत योजना का प्रकाशन म.प्र. राजपत्र दिनांक 27.02.2009 किया गया है। पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-’ब’ अनुसार है। इस योजना के स्वीकृत मानचित्र में 13 भूखण्ड काटे गये थे। योजना में 19 भू-स्वामीयों से म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 के प्रावधानों के अंतर्गत अनुबंध निष्पादन की कार्यवाही की गई है। नामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ’स’ अनुसार है। (ख) योजना अंतर्गत भू-स्वामियों से पहले अनुबंध किया जाता है, तथा अनुबंध के पश्चात ही भूखण्ड आवंटित किया जाता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) कॉलोनी विकास करने की समय सीमा अनुबंध निष्पादन पश्चात 2 वर्ष निश्चित की गई थी। किसी आपदा आदि के कारण अथवा अन्य अपरिहार्य कारणों से यह अवधि बढ़ाये जाने का अनुबंध की कण्डिका-7 पर उल्लेखित है। प्राधिरकण द्वारा उक्त अनुबंध में वर्णित विकास कार्य हेतु निविदा आमंत्रित कर वर्ष 2013 से वर्ष 2015 तक विकास कार्य कराकर विकास कार्य के मद में 2.71 करोड़ रूपये व्यय किया जा चुका है। योजना में 8.63 एकड़ शासकीय भूमि भी सम्मिलित हैं एवं शासकीय भूमि का आवंटन लम्बित है। भू-स्वामियां की आपत्तियों के परिप्रेक्ष्य में मानचित्र में संशोधन प्रस्तावित किये गये है। शासकीय भूमि का आवंटन नही होने तथा योजना के मानचित्र में संशोधन प्रक्रिया में होने से योजना को निर्धारित समय सीमा में क्रियान्वयन करने में विलम्ब हुआ है। इस प्रक्रिया में प्राधिकरण की ओर से किसी भी अधिकारी का व्यक्तिगत दोष नही है। अतः कार्यवाही का प्रश्न नही उठता है। (घ) भोपाल विकास प्राधिकरण हेतु यह भूमि मध्यप्रदेश शासन आवास एवं पर्यावरण विभाग के पत्र क्र.-एफ 3-71/11/बत्तीस दिनांक 07.09.2011 द्वारा आरक्षित की गई है। भूमि का नगर विकास योजनान्तर्गत म.प्र. नजूल भूमि निरवर्तन निर्देश 2020 प्रकाशित होकर दिनांक 29.09.2020 के अनुसार हस्तांतरण किये जाने की कार्यवाही प्रचलन में योजना का रेरा में रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाधीन है।
नगर निगम, बुरहानपुर के सीमेंट रोड का निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
22. ( क्र. 2959 ) श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम बुरहानपुर के ऐसे कितने सीमेंट रोड है जिसकी स्वीकृति एवं निविदा की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है किंतु उन स्वीकृत रोडों के वर्क ऑर्डर जारी नहीं हुये हैं उनकी सूची वार्ड, राशि एवं स्थानवार प्रदान करें। साथ ही यह भी बताने का कष्ट करें कि कितने दिन में वर्क ऑर्डर जारी हो जायेगें। (ख) उक्त सीमेंट रोड हेतु निगम के पास बजट की क्या व्यवस्था है एवं यह रोडों का निर्माण कब तक प्रारंभ हो जायेगा। (ग) पूर्व में स्वीकृत ऐसे कितने सीमेंट रोड है जिसका कार्य प्रारंभ हो चुका है और वह सीमेंट रोड का कार्य अधूरा है या पूर्ण नहीं हुआ है उनकी सूची वार्ड व स्थानवार प्रदान करें एवं ऐसे कितने स्वीकृत सीमेंट रोड है जिनका कार्य पूर्ण हो चुका है, किंतु स्वीकृत राशि में से भी राशि शेष है कि सूची वार्ड व स्थानवार प्रदान करें। यह अधूरे सीमेंट रोड कब तक पूर्ण किये जायेंगे?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) 13 सीमेंट कांक्रीट रोड है, जिनकी स्वीकृति एवं निविदा प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है परन्तु कार्यादेश जारी नहीं हुये है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। न्यूनतम दर प्रस्तुत करने वाले संविदाकारों को अनुबंध करने की सूचना दी गई है, संविदाकारों द्वारा अनुबंध किये जाने के उपरांत कार्यादेश जारी किये जा सकेंगे, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) सीमेंट कांक्रीट रोड निर्माण हेतु नगर निगम के वर्ष 2020-21 के बजट में राशि रू. 9.25 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है, जिनमें से 04 रोड का कार्य अपूर्ण है तथा 87 रोड का कार्य पूर्ण हो गया है। अपूर्ण रोड का कार्य पूर्ण करने हेतु ठेकेदारों को नगर निगम द्वारा सूचना पत्र जारी किये गये है, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
बुरहानपुर जिले के कृषकों के सिंचाई विद्युत बिल की जानकारी
[ऊर्जा]
23. ( क्र. 2970 ) श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण प्रा.लि.कंपनी बुरहानपुर (ग्रामीण) द्वारा सिंचाई विद्युत कनेक्शन उपभोक्ताओं से 5 हॉर्स पावर के फ्लेट रेट से प्रतिदिन 10 घंटे बिजली के 6 माह के रू. 1754/- लिये जाते हैं? क्या यह सही है? (ख) जिस कृषक के पास 24 घंटे की बिजली उपलब्ध है उसके मीटर रिडिंग से बिल लिये जाते है यदि वह कृषक 5 हॉर्स पावर के विद्युत कनेक्शन को प्रतिदिन 10 घंटे उपयोग करता है तो उसका 6 माह का विद्युत बिल यूनिट के हिसाब से कितने रूपये होगा? क्या लगभग रू. 6500/- विद्युत बिल होगा? (ग) कृषक के पास पानी पर्याप्त नहीं है वह प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक बिजली का उपयोग नहीं करता किन्तु उसके पास मीटर लगा है तो उसे लगभग रू. 6500/- का भुगतान क्यों? यह भिन्नता फ्लेट रेट और मीटर रिडिंग की कैसे दूर होगी? इसमें कृषक का दोष क्या है? (घ) क्या मीटर रिडिंग उपभोक्ताओं के लिये ऐसी कोई योजना बनाई जायेगी कि प्रतिदिन 10 घंटे बिजली का उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं से भी फ्लेट रेट से बिल लिया जायेगा और 10 घंटे से अधिक बिजली का उपभोग करने पर उपभोक्ताओं से अतिरिक्त राशि ली जायेगी? जिससे की समानता आ सके।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी नहीं। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश अनुसार 5 हार्सपॉवर के कृषि प्रयोजन वाले फ्लैट रेट कनेक्शन को राज्य शासन द्वारा निर्धारित प्रतिदिन 10 घंटे विद्युत प्रदाय की स्थिति में 06 माह के लिए राशि रु. 1875/- का विद्युत देयक जारी किया जाता है। (ख) ऐसे कृषि विद्युत उपभोक्ता जो 24 घंटे विद्युत प्रदाय वाले फीडर से संबद्ध हैं, उन्हें मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के अनुसार विद्युत मीटर में दर्ज वास्तविक खपत के अनुरूप एवं सब्सिडी की राशि का समायोजन करने के उपरान्त ही विद्युत देयक जारी किये जाते है। यदि कृषक 05 अश्वशक्ति के विद्युत कनेक्शन का प्रतिदिन 10 घंटे उपयोग करता है तो आदर्श परिस्थिति में न्यूनतम 1119 यूनिट प्रतिमाह की खपत होगी। उपरोक्त खपत के आधार पर मीटर युक्त सिंचाई पंप की विद्युत दरों के अनुसार उसका एक माह का विद्युत देयक (बिना अन्य शुल्क अथवा अधिभार के) राशि रु. 1200/- (पूर्णांकित) एवं छः माह हेतु राशि रु. 7200/- का होगा। (ग) विद्युत के उपभोग के आधार पर विद्युत दरों का निर्धारण किया जाना म.प्र.विद्युत नियामक आयोग के कार्य क्षेत्र में आता है। मीटर युक्त सिंचाई कनेक्शन धारक को उपभोग के अनुसार उसके परिसर में स्थापित मीटर में दर्ज मासिक खपत के आधार पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टेरिफ आदेश के अनुसार वर्तमान में लागू दरो के आधार पर ही विद्युत देयक जारी किया जाता है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) उत्तरांश (ग) में दर्शाए अनुसार विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को उनके विद्युत उपभोग के आधार पर विद्युत दरों का निर्धारण म.प्र.विद्युत नियामक आयोग के कार्य क्षेत्र में आता है, जो कि आयोग द्वारा विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं से जन सुनवाई एवं अन्य व्यवहारिक एवं व्यावसायिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाता है। तद्नुसार ही प्रश्न में उल्लेखित टैरिफ का निर्धारण म.प्र.विद्युत नियामक आयोग द्वारा किया गया है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
जीरापुर संभाग म.प्र.म.क्षे.वि.वि.कं. द्वारा बकायदारों से वसूली
[ऊर्जा]
24. ( क्र. 3005 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ सर्कल के संभाग जीरापुर के अंतर्गत म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा अप्रैल 2019 से प्रश्न दिनांक तक बकायदारों से वसूली के दौरान मोटरसाईकल,फ्रिज,आटा चक्की एवं अन्य उपकरण जब्त किए गये हैं? वितरण केन्द्रवार संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराएं। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या कुर्की/जप्ती आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा समय से जारी कर संबंधित उपभोक्ताओं को तामील कराये गये थे? यदि हाँ, तो कुर्की/जप्ती की संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराएं। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितने ऐसे ग्राम हैं, जिनमें वसूली हेतु कोई कार्यवाही नहीं की गई है? क्या इन ग्रामों में विद्युत बकायेदार उपभोक्ता नहीं हैं? कृपया ग्रामवार बकाएदारों की संख्या एवं बकाया राशि उपलब्ध कराएं। इन ग्रामों में वसूली नहीं किये जाने के क्या कारण हैं? (घ) प्रश्नांश (क) (ग) के सन्दर्भ में क्या कुछ स्थानों पर कार्यवाही की गई है तथा कुछ स्थानों पर कार्यवाही नहीं की गई है? यदि हाँ, तो भेदभाव पूर्ण वसूली किए जाने पर क्या कार्यवाही की जाएगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ, राजगढ़ संचालन-संधारण वृत के जीरापुर संचालन-संधारण संभाग के अंतर्गत म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा बकायादारों से राजस्व वसूली की प्रक्रिया के अंतर्गत की गई कुर्की की कार्यवाही के तहत मोटरसाईकल, डीप फ्रीज, आटा चक्की एवं अन्य उपकरण जब्त किए गयें है, जिनकी वितरण केन्द्रवार संख्यात्मक जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ, कुर्की/जप्ती आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा समय से जारी कर संबंधित उपभोक्ताओं को तामील कराये गये हैं। जप्ती की संख्यात्मक जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) राजगढ़ संचालन-संधारण वृत के अंतर्गत जीरापुर संचालन-संधारण संभाग के सभी ग्रामों में विद्युत बिल के बकायादारों से बकाया राशि की वसूली की कार्यवाही की गई है। ऐसा कोई ग्राम नहीं है जहाँ वसूली की कार्यवाही नहीं की गई हो। अत: शेष प्रश्न नहीं उठता। (घ) राजगढ़ संचालन-संधारण वृत के अंतर्गत जीरापुर संचालन-संधारण संभाग में आने वाले वितरण केन्द्रों के समस्त ग्रामों में विद्युत बिल के बकायादारों के विरूद्ध विद्युत बिल की बकाया राशि की वसूली हेतु नियमानुसार कार्यवाही की गई है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
डायवर्सन अनुज्ञा में अधिरोपित शर्तों का उल्लंघन
[नगरीय विकास एवं आवास]
25. ( क्र. 3112 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या डायवर्सन अनुज्ञा में अधिरोपित शर्तों का उल्लंघन पाये जाने पर सक्षम प्राधिकारी के द्वारा भूमि विकास नियम 2012 के नियम 25 के तहत अनुज्ञा प्रतिसंहित किया जाना प्रावधानित है? यदि हाँ, तो उक्त नियम के पालन में 01 जनवरी 2018 से प्रश्न दिनांक तक कुल कितनी अनुज्ञाएं प्रतिसंहित की गई हैं? खरगोन जिले की जानकारी देवें तथा नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय खरगोन में संत सिंगाजी शिक्षा समिति के विरूद्ध 01 जनवरी 2018 से प्रश्न दिनांक तक प्राप्त समस्त शिकायतों की प्रति भी देवें। (ख) क्या नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय खरगोन के ज्ञाप क्रमांक 99/डाय./14 नग्रानि/2016 खरगोन दिनांक 24/01/2017 में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व राजपुर को संत सिंगाजी शिक्षा समिति के पक्ष में सशर्त अनुज्ञा जारी कि गई थी? यदि हाँ, तो क्या अधिरोपित शर्त नियमों के अंतर्गत थी। (ग) क्या संत सिंगाजी शिक्षा समिति ओझर द्वारा प्रश्नांश (ख) में जारी अनुज्ञा की शर्तों का उल्लंघन करते हुए स्कूल भवन का निर्माण कार्य करवाया गया है एवं प्रश्नांश (ख) में अधिरोपित शर्त के अनुसार स्थल मानचित्र का अनुमोदन नहीं करवाया गया हैं? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) यदि सत्य है तो क्या शिकायतें प्राप्त होने के पश्चात सक्षम प्राधिकारी द्वारा भूमि विकास नियम 2012 के नियम 25 के तहत अनुज्ञा प्रतिसंहित करने संबंधी कार्यवाही विगत 03 वर्ष कि अवधि में की जा चुकी हैं? यदि नहीं, की गई है तो क्यों नहीं कि गई? अनुज्ञा प्रतिसंहित कब तक की जायेगी? नहीं करने संबंधी कारण बतायें। (ड.) प्रश्नांश (घ) यदि नहीं, तो तत्कालीन अधिकारियों के नाम, पदनाम की जानकारी देवें एवं क्या संत सिंगाजी शिक्षा समिति ओझर के संबंध में की गई कार्यवाही के आधार पर ही अनुज्ञा प्रतिसंहित करने के स्थान पर अन्य अनावश्यक कार्यवाहियों की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या अधिरोपित शर्तों में कोई परिवर्तन किया जायेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी नहीं। अतः प्रश्न उपस्थित नहीं होता। खरगोन कार्यालय में संत सिगांजी शिक्षा समिति के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। नगर तथा ग्राम निवेश जिला कार्यालय खरगोन द्वारा ज्ञाप क्रमांक-99/डाय-14/नग्रानि/2016 खरगोन दिनांक 24/01/2017 द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) राजपुर जिला बड़वानी को अभिमत प्रेषित किया गया है। (ग) प्रश्नांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नाधीन ग्राम निवेश क्षेत्र से बाहर स्थित होने से उस पर मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम, 2012 के प्रावधान आकर्षित नहीं होते है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ड.) उत्तरांश ''घ'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ट्रान्सफार्मर बदलने एवं विद्युत आपूर्ति
[ऊर्जा]
26. ( क्र. 3173 ) श्री रामलाल मालवीय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संचालन-संधारण वृत उज्जैन में विद्युत आपूर्ति के लिए लगाए गए विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की संभागवार संख्या एवं उनकी क्षमता अनुसार जानकारी देवें? (ख) संचालन-संधारण वृत उज्जैन में माह फरवरी 2021 तक की स्थिति में कुल कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित है? इन स्थापित विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों में से माह फरवरी 2021 तक कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब हुए हैं एवं इनमें से कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर बदल दिए गए हैं और न कितने बदले जाने हेतु शेष है कि संख्यात्मक जानकारी संभागवार देवे? उक्त विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों को बदले जाने हेतु कितना समय निर्धारित है? समय-सीमा में नहीं बदलने के लिए कौन दोषी हैं? (ग) वितरण केन्द्र घट्टिया के अन्तर्गत ग्राम घटिया नाला लोकेशन एवं ताजपुर वितरण केन्द्र के अन्तर्गत ग्राम ब्यावरा में गांव वाली लोकेशन पर 200 केवीए के स्थान पर 100 केवीए का विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर लगाया गया है? इन दोनों विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों पर वर्तमान में कितना कुल भार है बतावें? (घ) प्रश्नांश (क) व (ख) के परिप्रेक्ष्य में बतावे कि इसके लिए कौन अधिकारी दोषी है? शासन दोषी पर कब और क्या कार्यवाही करेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) म.प्र.पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अंतर्गत संचालन-संधारण वृत उज्जैन में विद्युत आपूर्ति के लिए लगाए गए वितरण ट्रांसफार्मरों की प्रश्नाधीन चाही गयी संचालन-संधारण/शहर संभागवार संख्या एवं उनकी क्षमता की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) संचालन/संधारण वृत्त उज्जैन में दिनांक 28 फरवरी 2021 तक की स्थिति में कुल 34657 वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित हैं। इन स्थापित वितरण ट्रांसफार्मरो में से वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिनांक 28 फरवरी 2021 तक 3384 वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब हुए थे तथा उक्त सभी जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर बदल दिए गए हैं। उक्त जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों की संचालन-संधारण/शहर संभागवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा दिनांक 23.11.2012 को अधिसूचित विनियमों के अनुसार विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर के फेल होने पर संभागीय मुख्यालयों में 12 घंटे के अंदर, संभागीय मुख्यालयों को छोड़कर अन्य शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे के अंदर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में शुष्क मौसम के दौरान 72 घंटे के अंदर तथा मानसून के मौसम के दौरान (माह जुलाई से माह सितम्बर तक) 07 दिवस के अंदर विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर बदला जाना अथवा विद्युत प्रदाय की पुनर्स्थापना करना आवश्यक है। फेल ट्रांसफार्मरों से संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार कुल बकाया राशि का 10 प्रतिशत अथवा 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत बिल की बकाया राशि जमा करने पर उक्त निर्धारित अवधि में फेल ट्रांसफार्मर को बदले जाने अथवा विद्युत प्रदाय की पुनर्स्थापना किये जाने का प्रावधान है। उक्त खराब/जले ट्रांसफार्मरों को पात्रता अनुसार निर्धारित समय-सीमा में बदल दिये जाने के कारण कोई भी अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है। (ग) वितरण केन्द्र घटिया के अंतर्गत प्रश्नांश में उल्लेखित घटिया नाला लोकेशन एवं ताजपुर वितरण केन्द्र के अंतर्गत ग्राम ब्यावरा में ग्राम वाली लोकेशन पर 200 के.व्ही.ए. के स्थान पर 100 के.व्ही.ए. के ट्रांसफार्मर नहीं लगाये गये है। प्रश्न में उल्लेखित ग्राम घटिया नाला लोकेशन पर 100 के.व्ही.ए. क्षमता का वितरण ट्रांसफार्मर विद्यमान है, जिस पर कि वर्तमान में कुल संयोजित भार 89 किलोवाट है एवं ताजपुर वितरण केन्द्र के अंतर्गत ग्राम ब्यावरा में ग्राम वाली लोकेशन पर भी 100 के.व्ही.ए. क्षमता का वितरण ट्रांसफार्मर विद्यमान है, जिस पर कुल संयोजित भार 50 किलोवाट है। (घ) उत्तरांश (क) व (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
उज्जैन नगर में स्मार्ट सिटी के कार्यों की जानकारी
[नगरीय विकास एवं आवास]
27. ( क्र. 3176 ) श्री रामलाल मालवीय : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन नगर में स्मार्ट सिटी योजना कब लागू की गई है? इसके अंतर्गत क्या-क्या और कितनी-कितनी लागत के कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये इनके निर्माण कब तक पूर्ण करने थे? कार्यों के लिए कौन-कौन ठेकेदार नियुक्त है? प्रश्न दिनाक तक इन निर्माण/विकास कार्यों की क्या स्थिति है? कौन-कौन से, कितनी-कितनी लागत के कार्य प्रस्तावित हैं? (ख) क्या स्मार्ट सिटी योजना अंतर्गत ही दिनांक 06.11.2017 से उज्जैन शहर में अंडर ग्राउंड सिवरेज प्रोजेक्ट का कार्य किया जा रहा है? यदि हाँ, तो प्रोजेक्ट निर्धारित समय में पूर्ण नहीं करने के क्या कारण हैं? समय पर कार्य नहीं कराने के लिए कौन दोषी है? (ग) अंडर ग्राउंड सीवरेज प्रोजेक्ट के लिए नगर में मुख्य मार्गों सहित रास्तों को खोदने के बाद उन्हें सही रूप से मरम्मत नहीं किया गया है? इसका निरीक्षण किस अधिकारी द्वारा किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में क्या-क्या कार्य किया जाना है और क्या-क्या कार्य हुए है और क्या-क्या कार्य लंबित है? क्या शासन की महत्वपूर्ण योजना को समय नहीं कराने वाले अधिकारियों पर एफ.आई.आर.शीघ्र कराई जा रही है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी ऑल इंडिया चैलेंज के द्वितीय चरण अंतर्गत दिनांक 03 अक्टूबर 2016 को उज्जैन स्मार्ट सिटी का चयन किया गया है। शेष प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। अमृत योजना अंतर्गत अंडर ग्राउंड सीवरेज प्रोजेक्ट के तहत खोदे गये मार्गों का प्रावधान अनुसार रोड रेस्टोरेशन कार्य किया जा रहा है। इसका निरीक्षण नियुक्त परियोजना विकास एवं प्रबंधन परामर्शदाता (पीडीएमसी) एवं निकाय के यंत्रियों द्वारा किया जा रहा है। प्रोजेक्ट अंतर्गत सम्मिलित कार्य, किये गये कार्य एवं शेष कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। परियोजना में विलम्ब हेतु समय-समय पर संपादित अनुबंध के प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही की जाती है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
दुकानों की नीलामी
[नगरीय विकास एवं आवास]
28. ( क्र. 3201 ) श्री मुकेश रावत (पटेल) : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की उपधारा (3) के परन्तुक (दो) में उल्लेखित प्रावधान के अनुसार 50 हजार अधिक मूल्य की दुकानों की वर्ष 2008 -09 से वर्ष 2014-15 तक इन्दोर संभाग की कितनी नगरीय निकायों ने कब-कब नीलामी के पूर्व स्वीकृति ली सूची सहित जानकारी देवे। (ख) प्रश्नांश (क) से सम्बंधित कितनी निकायें ऐसी हैं जिनके द्वारा दुकान नीलाम के पूर्व स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई सूची सहित जानकारी देवें। (ग) इन्दौर संभाग की कितनी निकायों ने वर्ष 2008 -09 से वर्ष 2014-15 तक कितनी कितनी दुकानों का निर्माण कराया सूची सहित देवें। (घ) प्रश्नांश (क) और (ख) से सम्बंधित इन्दौर संभाग में कितनी नगरीय निकाये ऐसी हैं जिन्होंने नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 109 में बने नियमों के तहत बगैर मंजूरी के दुकानों की नीलामी कर दी और उसमें पदस्थ कितने अधिकारी, कर्मचारी, अध्यक्ष के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई सपष्ट जानकारी सूची सहित देवें और कार्यवाही नहीं की गई तो क्या कारण है।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) प्रश्नाधीन अवधि में इन्दौर संभाग की 24 नगरीय निकायों द्वारा दुकानों की नीलामी की जाकर नीलामी के पूर्व स्वीकृति ली गई। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन अवधि में इन्दौर संभाग की 23 निकायों द्वारा दुकानों का निर्माण कराया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''स'' अनुसार है।
पीथमपुर महाविद्यालय के भवन निर्माण
[उच्च शिक्षा]
29. ( क्र. 3204 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्नातक महाविद्यालय कब प्रारंभ हुआ, इस महाविद्यालय में कितने संकाय है व उनमें कुल कितने विद्यार्थी अध्ययनरत है तथा क्या इस महाविद्यालय हेतु भवन निर्मित हो चुका है? (ख) यदि नहीं, तो वर्तमान में यह महाविद्यालय कहां संचालित हो रहा है तथा क्या यह स्थान पर्याप्त होकर यहां पर विद्यार्थियों को सभी आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है? (ग) यदि नहीं, तो क्या महाविद्यालय भवन हेतु भू-आवंटन आदि प्रक्रिया पूर्ण हो चुंकि है? यदि नहीं, तो वर्तमान स्थिति व विलम्ब के कारणों के संबंध में जानकारी देवें। (घ) क्या विभाग क्षेत्र की जनता व जनप्रतिनिधियों द्वारा सुझायें गये पीथमुपर औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर नम्बर 01 के प.ह.न. 61/122 के शासकीय सर्वे नं. 467 की 10.630 हेक्टेयर भूमि (शासकीय बीड) का महाविद्यालय भवन हेतु चयन कर भू-आवंटन प्राप्त करने की प्रक्रिया करेगा तथा भू-आवंटन पश्चात क्या भवन निर्माण हेतु धनराशि की स्वीकृति की कार्रवाई करेगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) वर्ष 2011 में आरंभ। महाविद्यालय में कला एवं वाणिज्य संकाय संचालित हैं। कुल 204 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। जी नहीं। (ख) महाविद्यालय शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पीथमपुर में संचालित है। स्थान पर्याप्त नहीं है। मूलभूत सुविधाएं शासकीय बालक उच्चतर विद्यालय, पीथमपुर के सहयोग से प्राप्त की जा रही हैं। (ग) जी हाँ। भूमि आवंटन हो चुका है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं। प्रश्नाधीन भूमि पर भवन निर्माण की कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
रीवा शहर में प्रधानमंत्री आवास आवंटन
[नगरीय विकास एवं आवास]
30. ( क्र. 3209 ) श्री राजेन्द्र शुक्ल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा शहर में 2240 EWS, 576 LIG, 216 MIG, निर्मित प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को आवास आवंटन की समयावधि क्या होगी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में बतायें कितने हितग्राहियों को अंशदान जमा करने के बाद बैंकों से फाइनेंस नहीं हुआ, कब तक बैंकों से फाइनेंस करा लिया जायेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) रीवा नगर द्वारा क्रियान्वित की जा रही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) तथा समयावधि अंतर्गत ई.डब्ल्यू.एस./एल.आई.जी./एम.आई.जी. आवासों की प्रगति/आवंटन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के एएचपी घटक अन्तर्गत कुल 2646 ई.डब्ल्यू.एस. हितग्राहियों से पंजीयन अंशदान राशि जमा कराई गई है जिसमें से 1407 ई.डब्ल्यू.एस. आवास का आवंटन किया गया है तथा उक्त आवंटित आवासों में से 552 हितग्राहियों के प्रकरण बैंको को प्रेषित किये गये है जिनमें से अब तक 236 आवास ऋण प्रकरण बैंक से स्वीकृत उपरांत निगम को सम्पूर्ण राशि प्राप्त हो गई है तथा 316 प्रकरण फायनेंस हेतु बैंक/वित्तीय संस्थाओं में प्रक्रियाधीन है, शेष (1407-552) 855 हितग्राहियों का फायनेंस हितग्राहियों के द्वारा आवेदन देने तथा बैंक की औपचारिकताओं को पूर्ण करने पर निर्भर है। यह एक निरंतर प्रक्रिया है। अतः समय-सीमा बताना सम्भव नहीं है।
प्रधानमंत्री आवास के निर्माण हेतु कार्यादेश
[नगरीय विकास एवं आवास]
31. ( क्र. 3215 ) श्री सुभाष राम चरित्र : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर पालिका निगम रीवा एवं सिंगरौली में प्रधानमंत्री आवास के निर्माण बावत् कार्यादेश जारी किये गये तो कब-कब किन-किन संविदाकारों को किन शर्तों पर? वर्तमान में कितने आवस बन कर तैयार हो चुके हैं एवं कितने आवासों का निर्माण अधूरा है? (ख) प्रश्नांश (क) के आवासों के आवंटन बावत् कार्यवाही कब-कब की गई कितने हितग्राहियों को आवास आवंटित किये जा चुके हैं कितने हितग्राही आवास पाने हेतु प्रतीक्षा सूची में हैं जानाकरी देवें? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार जिन हितग्राहियों को आवास आवंटित किये जा चुके है उनका फायनेंस का कार्य किन-किन बैकों द्वारा किस ब्याज दर पर कराये गये हैं बतावें? साथ ही जिनको आवास आवंटित किये जा चुके हैं वह फायनेंस बैकों द्वारा कर दिये गये लेकिन आवासों का निर्माण अधूरा है हितग्राहियों को मौके से कब्जा/पजेशन नहीं दिया गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? (घ) प्रश्नांश (क) के आवासों के निर्माण बावत् कार्यादेश मनमानी जारी किये गये जिसके कारण कंपनी/ठेकेदार आवास के निर्माण का कार्य समय पर पूरा नहीं किया गया जिनके कार्य कराये गये वे गुणवत्तायुक्त नहीं हैं जिन हितग्राहियों/आवेदकों को आवास आवंटित हो चुके हैं बैंक द्वारा फायनेंस कराने के बाद भी मौके पर कब्जा व पजेशन मकान के अपूर्ण होने के कारण नहीं मिल रहा है मकान रहने लायक नहीं हैं इनके निर्माण बावत् क्या कार्यवाही करेंगे एवं आवासों को निर्माण कार्य पूर्ण कराकर कब तक हितग्राहियों को आवास का कब्जा व पजेशन दिलवा देगें?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-"अ" तथा "अ-1" अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-"ब" तथा "ब-1" अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "स" अनुसार है। (घ) योजना क्रियान्वयन हेतु शासकीय भूमि आवंटन का प्रावधान है। भूमि आवंटन के अनुसार ही संविदाकारों को कार्यादेश दिये जाते है। योजनांतर्गत बनाये जा रहे आवासों की गुणवत्ता का परीक्षण संविदाकार द्वारा स्थल में स्थापित प्रयोग शाला, एन.ए.बी.एल. लैब, पी.डब्ल्यू.डी. लैब एवं शासकीय अभियांत्रिकीय महाविद्यालय रीवा से करवाया गया है, जो कि मानक अनुसार है। शासकीय अभियांत्रिकीय महाविद्यालय रीवा तथा शासन द्वारा नियुक्त एजेन्सी के द्वारा थर्ड पार्टी क्वालिटी मॉनिटरिंग (T.P.Q.M.) भी की जाती है। निर्माण कार्य की प्रगति हितग्राही अंशदान तथा क्रॉस सब्सिडी की व्यवस्था पर आधारित है। निकाय द्वारा इस दिशा में प्रयास किये जा रहे है व जैसे-जैसे जिन आवासों के कार्य पूर्ण होते जाते है व हितग्राहियों ने उनका पूर्ण अंशदान जमा करा दिया है उनकों आवास आवंटन किया जाता है। उक्त परिप्रेक्ष्य में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
कार्य न करने व न करवाने वालों पर कार्यवाही के साथ राशि की वसूली
[ऊर्जा]
32. ( क्र. 3216 ) श्री सुभाष राम चरित्र : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिंगरौली एवं रीवा जिले में वर्ष 2019-20 एवं वर्ष 2020-2021 में प्रश्न दिनांक तक 33 के.व्ही. लाईन एवं 11 के.व्ही. लाईनों के मेंटीनेंस/सुधार के कार्य विद्युत विभाग द्वारा कितने वितरण केन्द्रों में कितने संविदाकारों से कितनी लागत के कार्य कराये गये? की जानकारी देते हुए बतावें कि कुल कितनी राशि संबंधित जिले में व्यय हुई वर्षवार जानकारी देवें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार मेंटीनेंस/सुधार के कार्य जिन विद्युत वितरण केन्द्रों में कराये गये मौके पर वहां विद्युत आपूर्ति की स्थिति क्या है? (ग) प्रश्नांश (क) के कार्यों में संविदाकारों को कार्यादेश किस आधार पर जारी किये गये? मौके पर कराये गये कार्य का सत्यापन किन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कराया गया? उनके पदनाम सहित जानकारी देवें? संविदाकारों द्वारा उपकर की राशि कब-कब कितने किन माध्यमों से जमा की गई? (घ) प्रश्नांश (क) के संविदाकारों को मेंटीनेंस/सुधार के कार्य बावत् कार्यादेश मनमानी तरीके से जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा देकर व्यक्तिगत हितपूर्ति की गई? मौके पर कार्य नहीं कराये गये, फर्जी बिल वाऊचर तैयार कर राशि आहरित करा ली गई क्या इसकी जाँच उच्च स्तरीय जाँच समिति बनाकर करवायेंगे एवं जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही करेंगे? संबंधितों से क्या राशि की वसूली के साथ गबन के प्रकरण पंजीबद्ध करावेंगे तो कब तक? अगर नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) सिंगरौली एवं रीवा जिलों में वर्ष 2019-20 एवं वर्ष 2020-21 में प्रश्न दिनांक तक 33 के.व्ही. लाईनों एवं 11 के.व्ही. लाईनों के मेन्टेनेंस/सुधार के कराए गए कार्यों का वितरण केन्द्रवार, संविदाकारवार, कार्य की लागत/व्यय की राशि सहित वर्षवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के अनुसार जिन विद्युत वितरण केन्द्रों में पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' में दर्शाए अनुसार मेन्टेनेंस/सुधार के कार्य कराये गये हैं उनमें विद्युत आपूर्ति की स्थिति सुदृढ़ है तथा सतत् रूप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ग) उत्तरांश (क) के अनुसार मेन्टेनेंस/सुधार के कार्य 'अ' श्रेणी ठेकेदार को वितरण केन्द्र प्रभारी के प्रस्ताव के अनुसार कराये जाने के कार्यादेश जारी किये गये थे। उक्त मेन्टेनेंस कार्य म.प्र.पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा निर्धारित एस.ओ.आर. के दर पर लेबर अवार्ड के माध्यम से कराये गये हैं। मौके पर किये गए कार्यों का सत्यापन वितरण केन्द्र में सहायक अभियंता/कनिष्ठ अभियंता द्वारा किया गया है। संविदाकार द्वारा जमा की गई उपकर की राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'द-1' एवं 'द-2' अनुसार है। (घ) रीवा सिंगरौली वृत के अंतर्गत समस्त मेंटेनेंस कार्य आवश्यकता के अनुरूप ही कराये गए है जिसका सत्यापन उत्तरांश (ग) में दर्शाए अनुसार जिम्मेदार अधिकारी द्वारा किया गया है। भौतिक सत्यापन पश्चात् ही संबंधित संविदाकारों के देयक पारित किये गए हैं। उक्त के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
विद्युत ट्रान्सफार्मरों की जाँच कराना
[ऊर्जा]
33. ( क्र. 3238 ) श्री राकेश मावई : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र मुरैना अन्तर्गत वर्ष अप्रैल 2019 से प्रश्न दिनांक तक मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना के तहत किन-किन गांवों के किसानों के खेतों में विद्युतीकरण का कार्य कराया गया तथा विद्युतीकरण के कितने कार्य पूर्ण हैं और कितने अपूर्ण हैं? ग्रामवार संख्यात्मक जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कराये गये कार्यों में किस-किस गांव, पर स्टीमेट में कितनी-कितनी क्षमता के ट्रांसफार्मर लगाये जाने का प्रावधान था तथा कितनी-कितनी क्षमता के किस-किस कम्पनी के ट्रांसफार्मर लगाये गये? ग्रामवार जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) अनुसार स्वीकृत विद्युत लाईन, खम्बे एवं ट्रांसफार्मरों में से ऐसे कितने ट्रांसफार्मर हैं जो तकनीकी स्वीकृति नक्शा में चिन्हित स्थान पर व क्षमता से कम लगाये गये? सूची देवें तथा वर्तमान में ऐसे कितने ट्रासफार्मर हैं जो खराब एवं जल गये हैं, जिसके कारण विद्युत सप्लाई बंद है। सूची देवें तथा उक्त जले एवं खराब ट्रांसफार्मर कब तक बदलकर लाईन चालू कर दी जावेगी? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के अनुसार गलत स्थान पर लोकल ट्रांसफार्मर लगाने के लिये कौन-कौन अधिकारी व कर्मचारी दोषी हैं तथा उन पर क्या कार्यवाही कब तक करेगें? क्या गुणवत्ताविहीन, गलत स्थान तथा कम/अधिक क्षमता के लगाये गये विद्युत ट्रांसफार्मरों की जाँच कराऐंगे? यदि हाँ, तो किस अधिकारी से कब तक जाँच करायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) विधानसभा क्षेत्र मुरैना अंतर्गत अप्रैल 2019 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना में संलग्न परिशिष्ट में दर्शाये गए 11 कृषकों के कृषि पम्पों के विदयुतीकरण के कार्य कराए गये। उक्त सभी 11 कार्य पूर्ण हैं, कोई भी अपूर्ण नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) के अनुसार किसानों के खेतों पर पंपों के विद्युतीकरण हेतु कराये गये कार्यों के स्वीकृत प्राक्कलनों में 25 के.व्ही.ए. क्षमता के वितरण ट्रांसफार्मर लगाये जाने का प्रावधान था, जिसके विरूद्ध स्वीकृत क्षमता के अनुसार ही वितरण ट्रांसफार्मर लगाए गए, जिनकी ग्रामवार, क्षमतावार, ट्रांसफार्मर की निर्माता कंपनी के नाम सहित जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के अनुसार स्वीकृत विद्युत लाईन, खंबे एवं ट्रांसफार्मर तकनीकी स्वीकृति अनुसार ही निर्धारित क्षमता के एवं चिन्हित स्थान पर ही लगाये गये है। वर्तमान में संलग्न परिशिष्ट में दर्शाये गये ट्रांसफार्मरों में से कोई भी ट्रांसफार्मर खराब/जला हुआ नहीं है। सभी ट्रांसफार्मरों से विद्युत प्रदाय चालू है। (घ) उत्तरांश (क) (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में स्वीकृत प्राक्कलन के प्रावधानों के अनुरूप ही तकनीकी स्वीकृति अनुसार चिन्हित स्थानों पर निर्धारित क्षमता एवं मानक स्तर की गुणवत्ता के ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये हैं। अत: किसी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। उक्त परिप्रेक्ष्य में अन्य किसी प्रकार की जाँच कराए जाने की आवश्यकता नहीं है।
इन्दिरा ज्योति योजना अन्तर्गत बिजली का लाभ संबंधी
[ऊर्जा]
34. ( क्र. 3277 ) श्री पी.सी. शर्मा, श्री मनोज चावला, श्री प्रताप ग्रेवाल, श्री प्रताप ग्रेवाल, डॉ. अशोक मर्सकोले, श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राज्य सरकार ने इन्दिरा गृह ज्योति योजना के अंतर्गत 150 यूनिट तक सस्ती बिजली का लाभ पाने वाले अनेक उपभोक्ताओं को योजना से बाहर करने जा रही है। (ख) क्या सरकार ने इसके लिए कोई क्राइटेरिया (मानदंड) निर्धारित किया है यदि हाँ, तो उसका क्या विवरण है। (ग) क्या सरकार के पास उपरोक्त क्राइटेरिया (मानदंड) के आधार पर योजना से बाहर किए जाने वाले उपभोक्ताओं का डाटा (विवरण) उपलब्ध है। (घ) यदि हाँ, तो कितने उपभोक्ताओं को योजना से वंचित किया जा रहा है। (ड.) क्या यह राज्य सरकार प्रदेश के किसानों को कृषि कार्य के लिए उपयोग की जाने वाली बिजली का उनके बिल में पूरा भुगतान वसूल कर सब्सिडी बाद में उनके बैंक खातों में देने जा रही है यदि हैं तो इसका क्या विवरण है। (च) क्या सरकार को किसानों को बिजली बिल में दी जाने वाली सब्सिडी में कोई भ्रष्टाचार या अनियमितता होने की शिकायत विगत 2 वर्षों में मिली है यदि हैं तो इसका क्या विवरण है। (छ) क्या सरकार इस तथ्य से अवगत है कि किसान के पास पूरे साल नगद राशि नहीं रहती है जिससे उसे हर महीने पूरा बिजली बिल भुगतान करने में कठिनाई होगी। (ज) यदि किसान बिजली बिल में दी जाने वाली सब्सिडी में कोई भ्रष्टाचार या अनियमितता नहीं करता है तो नई योजना लागू करने का क्या कारण है।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) एवं (ख) राज्य शासन द्वारा प्रदेश में लागू इन्दिरा गृह ज्योति योजना के युक्तियुक्तकरण हेतु यह निर्णय लिया गया है कि उक्त योजना का लाभ मात्र ऐसे उपभोक्ताओं को दिया जाये, जो कि आयकरदाता नहीं हैं। उक्त परिप्रेक्ष्य में ऊर्जा विभाग के पत्र दिनांक 10.2.2021 द्वारा आयकर कार्यालय से प्रदेश के आयकरदाताओं का डेटा विद्युत वितरण कंपनियों को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है तथा विद्युत वितरण कंपनियों को आयकर कार्यालय से संपर्क कर वांछित डेटा प्राप्त करने एवं राज्य शासन के आदेश अनुसार कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है। (ग) जी नहीं, इस संबंध में प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर में दर्शाए अनुसार कार्यवाही की जा रही है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन योजना से बाहर होने वाले आर्थिक रूप से सक्षम उपभोक्ताओं की संख्या वर्तमान में बताया जाना संभव नहीं है। (ड.) जी नहीं। अपितु कोरोनाजनित महामारी के कारण केन्द्र एवं राज्य सरकारों के वित्तीय संसाधनों पर पड़े विपरीत प्रभाव के दृष्टिगत केन्द्र शासन द्वारा राज्य सरकारों को अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, राज्य सरकारों द्वारा लिये जाने वाले कर्ज की सीमा ''सकल राज्य घरेलू उत्पाद'' के 2 प्रतिशत तक बढ़ाने हेतु सशर्त स्वीकृति प्रदान की है। इस स्वीकृति के अंतर्गत विद्युत क्षेत्र के सुधार की प्रक्रिया के तहत एक घटक के रूप में प्रदेश में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना लागू की जानी है, जिसके प्रथम चरण में प्रदेश के तीन जिलों यथा- विदिशा, झाबुआ एवं सिवनी को चयनित किया गया है तथा योजना प्रायोगिक तौर पर विदिशा जिले में आरंभ की जा चुकी है। योजना के प्रावधानों के अनुसार हितग्राही कृषक उपभोक्ताओं को प्रदान की जाने वाली सब्सिडी राशि का अंतरण सीधे उनके बैंक खाते में किया जाना है एवं तदुपरांत यह राशि संबंधित वितरण कंपनी को विद्युत बिल के भुगतान के विरूद्ध अंतरित की जा सकेगी किन्तु कृषक उपभोक्ता को उसके अंश की राशि का ही छ: माही बिल के अनुरूप भुगतान करना होगा। (च) जी नहीं। (छ) उत्तरांश (ड.) में दर्शाए अनुसार कृषक उपभोक्ता को पूर्वानुसार उसके अंश की राशि का ही छ: माही बिल के अनुरूप भुगतान करना है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ज) उत्तरांश (ड.) में दर्शाए अनुसार राज्य शासन को अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केन्द्र शासन की सशर्त स्वीकृति के परिप्रेक्ष्य में विद्युत क्षेत्र के सुधार की प्रक्रिया के एक घटक के रूप में प्रदेश में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना प्रायोगिक तौर पर विदिशा जिले में आरंभ की गई है।
अमृत मिशन अंतर्गत सीवरेज योजना की धीमी गति
[नगरीय विकास एवं आवास]
35. ( क्र. 3330 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन के तहत उज्जैन संभाग में किन-किन जिलों में सीवरेज योजना स्वीकृत की गई है? योजना प्रारंभ वर्ष एवं कार्य पूर्ण होने की तिथि के संबंध में जिलेवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे। (ख) प्रश्नांश (क) में नीमच शहर में स्वीकृत क्रियांवित योजना पर प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि का भुगतान किया जा चुका है तथा किये गये भुगतान के विरुद्ध वर्तमान में कितने प्रतिशत कार्य होना अब भी शेष है? क्या किया गया भुगतान राज्य स्तरीय तकनीकी समिति/संभागीय स्तर पर गठित समिति के निरीक्षण उपरान्त किया गया है? (ग) क्या, नीमच शहर में क्रियान्वित सीवरेज योजना अंतर्गत स्वीकृत योजना लागत राशि रुपये 6203.00 लाख के विरुद्ध अब तक राशि रुपये 5317.00 लाख का भुगतान किया जाकर कार्य की प्रगति 94.35 प्रतिशत है? (घ) प्रश्नांश (ग) यदि हाँ तो वर्तमान में इस योजना में क्या-क्या कार्य होना अब भी शेष है, लागत राशि का ब्योरा दें। समय-सीमा में योजना क्रियान्वयन नहीं होने के कारण क्रियान्वयन एजेंसी के विरुद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई तथा इसके लिये कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी उत्तरदायी हैं। दोषियों के विरुद्ध क्या कोई कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी? यदि हाँ तो समय-सीमा बतायें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन के तहत उज्जैन संभाग में नगर पालिक उज्जैन, नगर निगम रतलाम एवं नगर पालिका नीमच में अमृत मिशन अंतर्गत सीवरेज योजना स्वीकृत की गई है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। जी नहीं। योजना में किया गया भुगतान विभाग द्वारा नियुक्त परियोजना विकास एवं प्रबंधन परामर्शदाता (पीडीएमसी) के निरीक्षण एवं अनुमोदन उपरांत किया गया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। योजना का क्रियान्वयन समय-सीमा में नहीं होने के कारण नगर पालिका नीमच द्वारा निविदा शर्तों के अनुसार एजेंसी के विरूद्ध राशि रू. 67.72 लाख की पेनाल्टी आरोपित की गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना की धीमी गति
[नगरीय विकास एवं आवास]
36. ( क्र. 3331 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन संभाग की किन-किन नगर पालिकाओं में प्रधानमंत्री आवास योजना (ए.एच.पी.) क्रियांवित की जा रही है। स्वीकृत योजना लागत सहित प्रश्न दिनांक तक योजना पर व्यय की गई राशि के संबंध में जिलेवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे। (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शाई गई योजना अंतर्गत कार्य पूर्ण होकर कितने-कितने परिवारों को इस योजना से अब तक लाभांवित किया गया है? लाभांवित हितग्राहियों की नगर पालिकावार संख्या बतायें। (ग) प्रश्नाधीन योजना नगर पालिका नीमच में भी क्रियांवित हो रही है? यदि हाँ, तो इस योजना अंतर्गत अब तक कितने आवास निर्मित होकर कितने पात्र हितग्राहियों को लाभांवित किया गया है तथा कितने हितग्राही लाभांवित होने से वंचित हैं? (घ) क्या प्रश्नाधीन योजना नगर पालिका नीमच में असफल हुई है? यदि हाँ, तो इसके निष्फल प्रयोजन के लिये कौन उत्तरदायी है? उत्तरदायित्व निर्धारित कर संबंधितों के विरुद्ध क्या कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतायें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
कतिपय कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ नहीं दिये जाना
[उच्च शिक्षा]
37. ( क्र. 3462 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के मुद्रणालय कर्मचारियों को शासन द्वारा घोषित प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान का लाभ अभी तक दिया गया है? यदि दिया गया है तो कब से एवं किन-किन कर्मचारियों को दिया गया एवं किन-किन को नहीं? (ख) क्या कार्यालय नियंत्रक शासकीय मुद्रण तथा लेखन सामग्री मध्यप्रदेश, भोपाल एवं बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल के मुद्रणालय कर्मचारियों को भी शासन द्वारा घोषित प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है? (ग) क्या देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकी कर्मचारियों को भी समयमान वेतनमान का लाभ दिया है, तो मुद्रणालय कर्मचारियों को क्यों नहीं दिया गया? विलंब का कारण बतावें। क्या कई कर्मचारी समयमान वेतनमान के लाभ के अभाव में सेवानिवृत्त हो गये हैं? उनके पेंशन एवं अन्य स्वत्वों में हानि हुई है? इसको दृष्टिगत रखते हुए कब तक उक्त लाभ दिया जायेगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : जी हाँ, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के मुद्रणालय विभाग के 04 कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है। पूर्व में सेवानिवृत्त 12 कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश का प्रथम भाग विभाग से संबंधित नहीं है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के मुद्रणालय कर्मचारियों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वेतनमान का लाभ दिया गया है। (ग) माननीय उच्च न्यायालय इंदौर खण्डपीठ में याचिका क्र.10948/2018 एवं 11524/2018 में दिए गए निर्णय के पालन में तकनीकी कर्मचारियों को भी समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है। मुद्रणालय विभाग के 04 कार्यरत कर्मचारियों को भी समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है। इसमें किसी प्रकार का विलंब नहीं हुआ है। मुद्रणालय विभाग के सेवानिवृत्त शेष 12 कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ दिए जाने हेतु समिति का गठन किया गया है, प्रकरण वर्तमान में प्रक्रियाधीन है।
पृथ्वीपुर नगर के विकास कार्यों के लिये राशि उपलब्ध कराना
[नगरीय विकास एवं आवास]
38. (