मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
जुलाई, 2023
सत्र
बुधवार, दिनांक 12 जुलाई, 2023
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
सूरजपुरा
वनखंड में शामिल
निजी भूमि.
[वन]
1. ( *क्र. 878 ) श्री आलोक चतुर्वेदी : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुविभागीय अधिकारी छतरपुर के समक्ष सूरजपुरा वनखंड में किस ग्राम की कितनी भूमियों से संबधित भा.व.अ. 1927 की धारा 5 से 19 तक की जांच का प्रकरण कब से लंबित है? लंबित प्रकरण में बताई गई भूमि में से किस खसरा नं. का कितना रकबा वर्तमान में किस किसान का नाम भू-स्वामी, पट्टाधारी, अहस्तांतरणीय दर्ज है? पृथक-पृथक बतावें। (ख) भू-स्वामी हक में दर्ज तथा अहस्तांतरणीय दर्ज किस खसरा नं. के कितने रकबे का वनखंड से पृथक किए जाने के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी ने मुख्य सचिव, म.प्र. शासन के आदेश दिनांक 01 जून, 2015 से प्रश्नांकित दिनांक तक क्या कार्यवाही की है? कलेक्टर ने प्रमुख सचिव, वन विभाग के आदेश दिनांक 4 जून, 2015 के तहत क्या कार्यवाही की है? (ग) किस ग्राम की किस किसान के नाम पर दर्ज किस खसरा नं. के कितने रकबे को विधानसभा के प्रश्न क्र. 824, दिनांक 21.12.2022 में अतिक्रमणकारी दर्शाया गया है? भा.व.अ. 1927 एवं भू-राजस्व संहिता 1959 की किस धारा में भू-स्वामी किसानों या पट्टाधारियों को अतिक्रमणकारी दर्शाये जाने, प्रतिवेदित किए जाने का अधिकार दिया है? (घ) प्रश्न क्रमांक 824, दिनांक 21.12.2022 के उत्तर में किसानों को अतिक्रमणकारी दर्शाकर पटल पर जानकारी प्रस्तुत करने वालों के विरुद्ध शासन क्या कार्यवाही कर रहा है अथवा कब तक करेगा?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पदेन वन व्यवस्थापन अधिकारी, छतरपुर के समक्ष सुरजपुरा वनखण्ड में शामिल 10 ग्रामों की 3631.22 एकड़ भूमि अधिसूचना क्रमांक-5-38-87-10-3 (15), दिनांक 18.12.1987 से वन व्यवस्थापन अधिकारी के पास धारा 5 से 19 की कार्यवाही हेतु लंबित है। शेष जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 26 'ज' के तहत अधिकार है। भू-राजस्व संहिता 1959 के प्रावधान आरक्षित एवं संरक्षित वनों पर लागू नहीं होते हैं। (घ) उत्तरांश (क) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
जमीनों का अधिग्रहण.
[जल संसाधन]
2. ( *क्र. 699 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सही है कि छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स योजना अंतर्गत संविधान के अनुच्छेद 244 (1) पांचवी अनुसूची से अधिसूचित तहसील जुन्नारदेव के आदिवासियों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है? (ख) क्या उक्त पांचवी अनुसूची क्षेत्र में पेसा अधिनियम के कानून भी लागू होते हैं? (ग) क्या पांचवी अनुसूची से अधिसूचित आदिवासी विकासखंडों में, जहां पेसा अधिनियम भी लागू होता है, किसी भी परियोजना के लिए ग्रामसभा की अनुमति लिया जाना अनिवार्य है? (घ) प्रश्नांश (क) योजना अंतर्गत आने वाले सभी ग्रामों के ग्रामीणों ने जमीन अधिग्रहण नहीं करने का ग्रामसभा का प्रस्ताव पास किया है और कलेक्टर छिंदवाड़ा को भी 23.09.2020 को आपत्ति-पत्र देकर जमीन अधिग्रहण नहीं किए जाने का निवेदन किया है? (ड.) क्या शासन पांचवी अनुसूची और पेसा अधिनियम का उल्लंघन कर आदिवासियों की जमीन अधिग्रहित करेगी? (च) यदि नहीं, तो क्या प्रश्नांश (क), (ख), (ग) एवं (घ) के आलोक में संविधान और शासन के नियमों अनुसार नियमतः छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स योजना रद्द करने और जुन्नारदेव तहसील के आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण को रद्द करने की कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब, यदि नहीं, तो विधिसम्मत कारण बताएं? (छ) पुनर्वास की क्या योजना है, विस्तृत ब्यौरा देवें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स परियोजना अन्तर्गत संविधान के अनुच्छेद 244 (1) पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत तहसील जुन्नारदेव के कुछ आदिवासी कृषकों की जमीन जनहित में परियोजना निर्माण हेतु अधिग्रहित की जाना प्रस्तावित है। (ख) जी हाँ। (ग) पांचवी अनुसूची से अधिसूचित आदिवासी विकासखण्डों में जहां पेसा अधिनियम लागू होता है, वहां परियोजना निर्माण के लिए भू-अर्जन एवं पुनर्वास हेतु ग्राम सभा की सहमति/परामर्श लिया जाने का प्रावधान है। (घ) वस्तुस्थिति यह है कि दिनांक 23.09.2020 को ग्राम बेलगांव रैय्यत के कृषकों द्वारा जमीन अधिग्रहण न किये जाने के संबंध में कलेक्टर जिला छिंदवाड़ा को आपत्ति पत्र दिया जाना प्रतिवेदित है। ग्राम बेलगांव रैययत, छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स परियोजना अंतर्गत प्रस्तावित किसी भी बांध के डूब क्षेत्र में नहीं है और न ही उक्त ग्राम में किसी भी प्रकार की कोई जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही की जा रही है। (ड.) पांचवी अनुसूची एवं पेसा अधिनियम के प्रावधानों का पालन करते हुए परियोजना निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही की जावेगी। (च) छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 02.03.2019 को राशि रूपये 5470.95 करोड़ की प्रदान की गई है, जिससे छिंदवाड़ा जिले की 1,90,500 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाना प्रस्तावित है। जनहित की परियोजना होने के कारण समस्त नियमों एवं अधिनियमों का पालन कर परियोजना निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही की जाना संभव होगा। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (छ) परियोजना के निर्माण से विस्थापित होने वाले परिवारों को भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार चयनित स्थल पर सहमति के उपरांत पुनर्व्यवस्थापन की कार्यवाही की जाना संभव होगा।
भिण्ड में रेत भण्डारण में अनियमितताएं.
[खनिज साधन]
3. ( *क्र. 834 ) श्री संजीव सिंह : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले में किन-किन कंपनियों/व्यक्तियों को रेत भण्डारण की अनुमति है? रेत भण्डारण किन-किन स्थानों पर किया गया है? उक्त स्थानों पर कितना रेत भण्डारण करने की अनुमति है? कितना मौके पर है? क्या उक्त भण्डारण का भौतिक सत्यापन किया गया है? यदि हाँ, तो किन-किन अधिकारियों ने कब-कब, किस-किस स्थान का? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? कारण स्पष्ट करें। रेत भण्डारण का भौतिक सत्यापन कब तक कर लिया जावेगा? (ख) क्या भिण्ड जिले में रेत भण्डारण के संबंध में अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुई हैं? यदि हाँ, तो उन पर क्या कार्यवाही की गई?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) भिण्ड जिले में स्वीकृत भंडारण अनुज्ञप्तियों की प्रश्नांश अनुसार जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर दर्शित है। (ख) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
कान्हा टाइगर रिज़र्व के कर्मचारियों को सुविधाएं.
[वन]
4. ( *क्र. 990 ) श्री नारायण सिंह पट्टा : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कान्हा टाइगर रिज़र्व के कुछ वनक्षेत्र नक्सली गतिविधियों के चलते संवेदनशील हैं? क्या यहां कार्यरत कर्मचारी 24 घण्टे ड्यूटी पर सक्रिय रहते हैं? क्या नक्सल प्रभावित होने के कारण कान्हा पार्क के समस्त कर्मचारियों को पुलिस की तरह विशेष भत्ता मूल वेतन में जोड़कर दिए जाने पर विचार किया जा रहा है? क्या पुलिस के समान इन कर्मचारियों को 1 माह का अतिरिक्त वेतन देने पर विचार किया जा रहा है? क्या इन कर्मचारियों को वरीयता अनुसार पदोन्नति प्रदान की जायेगी? (ख) कान्हा पार्क में कार्यरत सुरक्षा श्रमिक, टी.पी.एफ. कर्मचारी, फायर श्रमिक को स्थायीकर्मी में समाहित किये जाने पर विचार किया जा रहा है? क्या इनके नियमितीकरण पर विचार किया जा रहा है? क्या इन कर्मचारियों की वरीयता सूची प्रकाशित की गई है? यदि नहीं, तो कब तक प्रकाशित की जायेगी? कर्मचारियों की ड्यूटी के लिए कितना समय निर्धारित है? क्या इनके मामले में श्रम कानून का पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या इनकी स्वाभाविक मृत्यु या जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने पर इनके परिवार को आर्थिक सहायता या अनुकंपा नियुक्ति का कोई प्रावधान है? यदि नहीं, तो क्या इस बारे में कोई विचार किया जा रहा है? क्या कान्हा पार्क में सीधी भर्ती किये जाने की बजाय उक्त कर्मचारी जो 10 साल या उससे अधिक सेवा दे चुके हैं, को नियुक्त करने पर कोई नीति बनाई जा रही है? यदि हाँ, तो इसे कब तक लागू किया जायेगा? यदि नहीं, तो क्या इस बारे में विचार किया जायेगा?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) कान्हा टाइगर रिजर्व का आंशिक क्षेत्र संवेदनशील है। मूलभूत नियम 11 सेवा की सामान्य शर्तों के अंतर्गत जब तक किसी भी मामले में इसे अन्यथा स्पष्ट रूप से प्रावधानित न हो शासकीय सेवक का सम्पूर्ण समय शासन के अधीन होता है, जो उसे भुगतान करता है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में विशेष भत्ता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वन विभाग के कार्यपालिक कर्मचारियों को पुलिस के समान एक माह का अतिरिक्त वेतन देने के संबंध में प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। कर्मचारियों को वरीयता अनुसार नियमों के तहत पदोन्नति दी जाती है। वर्तमान में पदोन्नति में आरक्षण के विषय पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का स्थगन है। (ख) सुरक्षा श्रमिक, टी.पी.एफ. श्रमिक एवं फायर श्रमिक पूर्णत: आकस्मिक रूप से रखे जाते हैं, अत: इन्हें स्थायीकर्मी के रूप में समाहित अथवा इनके नियमितीकरण पर विचार नहीं किया जा रहा है और न ही इनकी वरीयता सूची तैयार की जाती है। इन श्रमिकों के लिये अधिकतम 8 घंटे कार्य लिया जाता है। सभी श्रमिकों के मामले में श्रम कानून का पालन किया जा रहा है। श्रमिकों की स्वभाविक मृत्यु या जंगली जानवरों से मारे जाने पर अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने पर उनके परिवार को शासन के निर्देशानुसार रूपये 8.00 लाख आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। कान्हा पार्क में कार्यरत उपरोक्त श्रेणी के कर्मी जो 10 साल या उससे अधिक सेवा दे चुके हैं, को किसी रिक्त पद के विरूद्ध कार्य पर नहीं लगाया गया है, अपितु पूर्णत: आकस्मिकता के आधार पर श्रमिक के रूप में रखा गया है, अत: नियमित पद पर शासकीय नियुक्ति देने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। वर्तमान में कोई नीति नहीं बनाई जा रही है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
गिट्टी एवं मुरम की खदान की स्वीकृति.
[खनिज साधन]
5. ( *क्र. 852 ) श्री प्रागीलाल जाटव : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला शिवपुरी में किस तहसील एवं ग्राम पंचायत में जनवरी 2023 से प्रश्न दिनांक तक गिट्टी-मुरम की खदान स्वीकृत की गई? किस स्थान पर की गई? (ख) क्या यह भी सही है कि तहसील नरवर की ग्राम कालीपहाड़ी से नरवर रोड बनाने के लिए गिट्टी-क्रेशर लगाया था? रोड बनाने के बाद गिट्टी-क्रेशर आज भी संचालित क्यों है? (ग) क्या यह भी सही है कि कुछ समय पहले कलेक्ट्रेट शिवपुरी में किसी व्यक्ति के नाम खदान स्वीकृत की गई है? वर्तमान में सरपंच ने उस पर आपत्ति दर्ज कराई थी कि यहां क्रेशर लगाना उचित नहीं है, यहां पर प्रदूषण फैलता है, लोगों में रोग फैल रहा है, रोगियों को बचाने के लिये क्रेशर बन्द किया जाये? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के संदर्भ में पुराने रूट पर एन.ओ.सी. पर खदान स्वीकृत की गई, क्या वर्तमान में सरपंच ने आपत्ति जताई थी? क्या जनहित को देखते हुए खदान निरस्त कर लोगों को बीमारी से बचाया जा सकता है? यदि हाँ, तो क्रेशर कब तक बन्द होगा? नहीं तो क्यों?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ, रोड बनाने के बाद वर्तमान में गिट्टी क्रेशर हटा लेने के कारण संचालित नहीं है। (ग) कलेक्ट्रेट शिवपुरी से खदान स्वीकृत नहीं की गई है। अपितु कलेक्टर कार्यालय (खनिज शाखा) शिवपुरी द्वारा प्रेषित प्रस्ताव पर संचालनालय, भौमिकी तथा खनिकर्म, मध्यप्रदेश, भोपाल द्वारा संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर अंकित विवरण अनुसार उत्खनिपट्टा स्वीकृत किये गये हैं। वर्तमान में सरपंच ने दिनांक 13.06.2023 को कलेक्टर कार्यालय, शिवपुरी में शिकायत की गई है, जिसका परीक्षण उपरांत नियमानुसार प्रावधानों के अधीन निराकरण किया जायेगा। (घ) जिला शिवपुरी, तहसील नरवर की ग्राम पंचायत काली पहाड़ी द्वारा संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में वर्णित स्वीकृत उत्खनिपट्टा ग्राम काली पहाड़ी के सर्वे क्रमांक 929, रकबा 3.990 हेक्टेयर क्षेत्र पर संचालनालय, भौमिकी तथा खनिकर्म, मध्यप्रदेश, भोपाल के आदेश दिनांक 12.06.2023 से सैद्धांतिक स्वीकृति जारी की गई है, जिसके संबंध में सरपंच, ग्राम पंचायत काली पहाड़ी द्वारा दिनांक 13.06.2023 को आपत्ति की गई है, जिसकी प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर दर्शित है। पूर्व में ग्राम सभा से प्राप्त अनुशंसा संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' के आधार पर पत्थर (क्रेशर आधारित) उत्खनिपट्टा स्वीकृत किया गया था। प्राप्त आपत्ति का नियमानुसार परीक्षण उपरांत आगामी कार्यवाही की जावेगी। वर्तमान में खसरा क्रमांक 929, रकबा 3.990 हेक्टेयर पर क्रेशर स्थापित नहीं है। अत: बंद कराये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
कर्मचारियों का स्थायीकरण.
[वन]
6. ( *क्र. 461 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. राज्य वन विकास निगम लि. भोपाल अंतर्गत किस-किस श्रेणी के कितने अथवा किस माध्यम से किस कार्य हेतु कितने कर्मचारी कार्यरत हैं? उक्त में कितने कर्मचारी कम्प्यूटर ऑपरेटर का कार्य कर रहे हैं? निगम में कार्यरत सभी श्रेणियों के कर्मचारियों की जानकारी नामवार, पदस्थ दिनांक से दें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के क्रम में विगत 15-20 वर्ष से भी अधिक समय से कार्यरत कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं अन्य श्रेणी के कर्मचारियों को नियमित किए जाने के संबंध में विभाग द्वारा कार्यवाही की जा रही है? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों? (ग) क्या दिनांक 01 फरवरी, 2023 को माननीय मंत्री जी द्वारा विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ही नियमित किए जाने का आश्वासन दिया है? यदि हाँ, तो क्या विगत 15-20 वर्ष से कार्यरत कम्प्यूटर ऑपरेटरों को नियमित किए जाने के संबंध में विभाग द्वारा उक्त क्रम में कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों, जबकि कई कर्मचारी ओवर ऐज हो चुके हैं? ऐसे कर्मचारियों के हित में शासन द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने के कारणों की जानकारी दें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) म.प्र. राज्य वन विकास निगम लि. भोपाल के अंतर्गत संख्या एवं श्रेणी अनुसार नियमित प्रतिनियुक्ति एवं विनियमित योजना के माध्यम से क्षेत्रीय एवं कार्यालयीन कार्यों हेतु कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी निम्नानुसार है :-
श्रेणी |
नियमित |
प्रतिनियुक्ति |
स्थायीकर्मी |
प्रथम |
2 |
11 |
- |
द्वितीय |
8 |
21 |
- |
तृतीय |
259 |
220 |
- |
चतुर्थ |
45 |
0 |
- |
योग |
314 |
252 |
350 |
उक्त में कोई भी कर्मचारी कम्प्यूटर ऑपरेटर का कार्य नहीं कर रहे हैं। निगम में कार्यरत सभी श्रेणियों के कर्मचारियों की जानकारी नामवार पदस्थ दिनांक पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश 'क' के अनुक्रम में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
संबल योजना में 2000 करोड़ के घोटाले की जांच.
[श्रम]
7. ( *क्र. 1137 ) श्री जितु पटवारी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक संबल योजना के तहत किस-किस योजना में कितने हितग्राही को कुल कितनी राशि का भुगतान किया गया? इन्दौर संभाग के अन्तर्गत जिलेवार, तहसील अनुसार, विभाग अनुसार बतावें? (ख) संबल योजना के प्रारंभ से मई 2023 तक इन्दौर संभाग के अन्तर्गत कुल कितने हितग्राही को कितनी राशि का हित लाभ दिया गया? (ग) इन्दौर संभाग के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक दुर्घटना में मृत्यु होने पर जिन हितग्राहियों को रू. 4 लाख की सहायता राशि दी गई है, उनका नाम, निवास का पता, आधार कार्ड का नंबर, मृत्यु की दिनांक, भुगतान की दिनांक, सहित तहसील अनुसार सूची दें? (घ) क्या हाल ही में बोगस मृत लोगों के नाम पर राशि निकालने का घोटाला पाया गया है? यदि हाँ, तो उसकी विस्तृत जानकारी आरोपी सहित दें? प्रारंभ से अभी तक संबल योजना में किस-किस तहसील में किस-किस सहायता राशि में किस प्रकार के घोटाले पाये गए, इतने घोटालें में क्या पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया? (ड.) संबल योजना में सहायता राशि के नाम पर प्रारंभ से अभी तक दो हजार करोड़ का घोटाला हुआ है? क्या इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जायेगी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) से (ग) जानकारी अत्यंत विस्तृत होने के कारण संकलित की जा रही है। (घ) जी नहीं। (ड.) जी नहीं।
तालाबों और नदियों में मत्स्य पालन और मत्स्याखेट.
[मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास]
8. ( *क्र. 986 ) श्री विनय सक्सेना : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर के किन-किन तालाबों और नदियों में मत्स्य पालन और मत्स्याखेट किया जाता है? (ख) जबलपुर में कितनी मछुआरा समितियां पंजीकृत हैं? समूह का स्थानवार विवरण देवें। (ग) जबलपुर में स्थित तालाबों और नदियों में प्रतिवर्ष मत्स्याखेट से कितनी-कितनी आय होती है? इस आय से क्या कार्य कराए गए हैं? (घ) जबलपुर के किन-किन तालाबों में बगैर शासन की अनुमति के मछली पालन और मत्स्याखेट किया जा रहा है? उस पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गयी है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जबलपुर जिले के जिन तालाबों एवं नदियों में मत्स्य पालन एवं मत्स्याखेट होता है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जबलपुर जिले में 39 पंजीकृत क्रियाशील मछुआ समितियां हैं। समिति एवं समूहों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जबलपुर जिले में स्थित तालाबों और नदियों में मत्स्याखेट से प्राप्त आय का लेखा जोखा मत्स्याखेट करने वाले मछुओं द्वारा ही संधारित किया जाता है। आय का उपयोग स्वयं के लिए किया जाता है। (घ) जबलपुर जिले में किसी भी तालाब में शासन अनुमति के बगैर मछली पालन एवं मत्स्याखेट का कार्य नहीं किया जाता।
क्रेशरों की स्थापना एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति.
[खनिज साधन]
9. ( *क्र. 831 ) श्री सुरेश राजे : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला ग्वालियर अंतर्गत वर्तमान में किस फर्म/व्यक्ति का क्रेशर कब से किस स्थान पर संचालित है? प्रत्येक क्रेशर की स्थापना का सक्षम अधिकारी का आदेश क्रमांक एवं दिनांक और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अनापत्ति प्रमाण पत्र का आदेश क्रमांक एवं दिनांक सहित बतावें? (ख) क्या मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 के नियम 30 (24) अनुसार काला पत्थर खदानों में से 06 मीटर गहराई तक उत्खनन करने का प्रावधान है, इससे अधिक गहराई तक उत्खनन करना नियम के विरुद्ध होने से संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही का प्रावधान है? यदि हाँ, तो बिलौआ, राफदपुर एवं आस-पास के क्षेत्र की काला पत्थर खदानों से लगभग 20 मीटर गहराई तक उत्खनन होने से किस-किस व्यक्ति/फर्म के विरुद्ध किस प्रकार की कार्यवाही की गयी? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के अनुसार बिलौआ एवं राफदपुर और आस-पास की क्रेशरों से काली गिट्टी व काली डस्ट की रॉयल्टी से वर्ष 2021-22 से 2023-24 में प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि राजस्व के रूप में प्राप्त हुई? प्राप्त राशि की कितनी अंश राशि बिलौआ एवं राफदपुर तथा संबंधित ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों हेतु वर्षवार वितरित की गयी? वर्षवार बतावेंl
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ अनुसार है। (ख) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 के नियम 30 (24) के वर्णित प्रावधानों के अनुसार नियम 30 (24) (ख) अनुसार 06 मीटर से अधिक गहराई होने पर नियमानुसार महानिदेशक, खान सुरक्षा केन्द्रीय शासन, धनबाद तथा महानियंत्रक, भारतीय खान ब्यूरो केन्द्रीय शासन, नागपुर एवं संबंधित जिला दण्डाधिकारी को प्ररूप-तेरह में लिखित सूचना दिया जाना प्रावधानित है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। गौण खनिज की खदानों से प्राप्त रॉयल्टी राशि खनिज शीर्ष 0853 में जमा होती है, जमा रॉयल्टी वित्त विभाग द्वारा, बजट प्रावधान के अधीन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को उपलब्ध कराया जाता है तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, आवंटित रकम का उपयोग पंचायत राज संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं सचिव ग्राम पंचायत के मानदेय के भुगतान तथा अधोसंरचना विकास में किया जाना प्रावधानित किया गया है।
संबल कार्डधारी हितग्राहियों को अनुग्रह सहायता राशि नहीं मिलने से उत्पन्न स्थिति.
[श्रम]
10. ( *क्र. 17 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश के संबल कार्डधारी हितग्राही की मृत्यु होने पर हितग्राही के परिवारजनों को मिलने वाली अनुग्रह सहायता राशि की कौन-कौन सी योजनायें संचालित है? (ख) इंदौर संभाग के कितने प्रकरण किन कारणों से लंबित हैं? (ग) उक्त लंबित प्रकरणों का भुगतान अभी तक क्यों नहीं किया गया एवं भुगतान कब तक कर दिया जायेगा? (घ) क्या यह सही है कि संबल योजना में विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभगत से शिवपुरी जिले सहित प्रदेश के अन्य जिलों में वर्ष 2019 से लेकर प्रश्न दिनांक की अवधि में बड़ी संख्या में जिंदा लोगों को मृत बताकर राशि निकालने का मामला संज्ञान में आया है? यदि हाँ, तो इस संबंध में शिवपुरी जिले सहित किस-किस जिले में कितने-कितने प्रकरण सामने आये और उनमें क्या कार्यवाही की गई?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना अंतर्गत संबल कार्डधारी हितग्राही की मृत्यु होने पर हितग्राही के परिवारजनों को निम्नानुसार अनुग्रह सहायता राशि प्रदाय की जाती है :- 1. अंत्येष्टि सहायता– रूपये 5000/- 2. अनुग्रह सहायता–सामान्य मृत्यु– रूपये 02.00 लाख, दुर्घटना मृत्यु– रूपये 04.00 लाख। (ख) इन्दौर संभाग के लंबित प्रकरणों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजनांतर्गत पात्र लंबित प्रकरणों में भुगतान बजट उपलब्धता पर किया जाता है। (घ) संबल योजनांतर्गत शिवपुरी जिले के अंतर्गत इस प्रकार की कोई भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। कृपया इस संबंध में जानकारी निरंक ग्राह्य की जाये।
किसानों की राहत राशि में हेराफेरी.
[राजस्व]
11. ( *क्र. 72 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के किसानों को वर्ष 2018 से 2022 तक की अवधि में ओलावृष्टि, सूखा एवं अतिवृष्टि आदि प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई हेतु क्षतिपूर्ति मुआवज़ा पीड़ित कृषकों के बैंक खातों में डाली गई है? (ख) यदि हाँ, तो भिण्ड, श्योपुर, देवास, सीहोर, शिवपुरी, मंदसौर, छतरपुर, खण्डवा, दमोह, सिवनी, आगर-मालवा, रायसेन, रतलाम एवं सतना आदि जिलों में प्रभावित किसानों के बैंक खातों में मुआवज़ा राशि डालने की बजाय राजस्व अधिकारियों/कर्मचारियों ने अपने परिजनों एवं अन्य उनके निकटतम के बैंक खातों में राशि डाली है? यदि हाँ, तो कितनी-कितनी राशि किस-किस जिले में आपदा पीड़ित किसानों के स्थान पर अन्य के खातों में डाली गई? (ग) क्या प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, राजस्व विभाग ने किसानों के नाम पर राशि हड़पने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने एवं प्रदेश के सभी कलेक्टर्स को जांच कराने एवं कार्यवाही कराने के निर्देश दिये थे? यदि हाँ, तो इसी कड़ी में देवास कलेक्टर ने देवास जिले में वर्ष 2018 एवं 2022 के बीच किसानों को प्राकृतिक आपदा हेतु वितरित की जाने वाली राशि में डेढ़ करोड़ से अधिक की राशि का भ्रष्टाचार उजागर होने पर माह जून, 2023 में 07 पटवारी और 02 लिपिक को निलंबित किया गया है एवं 35 पटवारी और 3 लिपिकों के विरूद्ध विभागीय जांच के आदेश दिये हैं? (घ) यदि हाँ, तो क्या भिण्ड जिले की गोहद तहसील में वर्ष 2020 में ओलावृष्टि से हुये नुकसान की भरपाई के लिये राजस्व अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा प्रभावित किसानों की बजाय अन्य के खातों में करोड़ों की राशि डाल दी गई थी? इस मामले में विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना दिनांक 11.03.2022 को चर्चा के दौरान माननीय मंत्री जी द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि इस मामले की जांच संभागीय आयुक्त से कराई जायेगी? क्या जांच करा दी गई है? यदि हाँ, तो जांच रिपोर्ट संलग्न करें, यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। जिला दमोह एवं रतलाम में प्रश्नानुसार जानकारी निरंक है। शेष जिलों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) समय-समय पर राहत राशि के नियमानुसार वितरण हेतु निर्देश जारी किये गये हैं। जी हाँ। देवास जिले द्वारा प्रश्न दिनांक तक 20 कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की गई है। (घ) आयुक्त चंबल संभाग से जांच कराई गई है। आयुक्त चंबल संभाग के प्रतिवेदन दिनांक 16.12.2022 की प्रति पुस्तकालय में परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
नदियों से कटाव के कारण बह गयी/रेत में तब्दील भूमि.
[राजस्व]
12. ( *क्र. 28 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2005 से प्रश्न दिनांक तक तक नर्मदापुरम जिले में नर्मदा/तवा नदी में आई बाढ़ के कारण किन-किन ग्रामों के, किन-किन कृषकों की कितनी भूमि या तो कटाव के कारण बह गयी है या रेत में तब्दील होने के कारण कृषि कार्य के अयोग्य हो गयी है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में ग्रामवार, कृषकवार, खसरा क्रमांक सहित भूमि की जानकारी उपलब्ध करायें? (ग) क्या कार्यालय कलेक्टर होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) द्वारा सचिव मध्यप्रदेश शासन, खनिज विभाग, मंत्रालय, वल्लभ भवन, भोपाल को अपने पत्र क्र. 951/रीडर/2010, होशंगाबाद दिनांक 13.08.2010 से तवा नदी के कटाव से भूमि रेत में तब्दील होने के कारण मुआवज़ा के संबंध में पत्र लिखा गया था? (घ) यदि हाँ, तो इस संबंध में क्या कोई निर्णय लिया गया? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो अभी तक निर्णय न लेने का क्या कारण है, निर्णय कब तक लिया जा सकेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जनवरी 2005 से प्रश्न दिनांक तक नर्मदापुरम जिले में नर्मदा/तवा नदी में आई बाढ़ के कारण तहसील नर्मदापुरम (नगर), सिवनीमालवा, बनखेड़ी, सोहागपुर एवं डोलरिया की भूमि कटाव या रेत में तब्दील होने की जानकारी निरंक है। तहसील नर्मदापुरम (ग्रामीण), तहसील इटारसी, तहसील माखननगर एवं तहसील पिपरिया की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में पुस्तकालय में रखे अनुसार है। (ग) जी हाँ। (घ) जानकारी संकलित की जा रही है।
टाइगर प्रोजेक्ट विस्तार में आने वाले गांवों का विस्थापन.
[वन]
13. ( *क्र. 59 ) श्री राकेश मावई : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माधव राष्ट्रीय उद्यान, शिवपुरी के विस्तार हेतु टाईगर प्रोजेक्ट के तहत उद्यान के बीच कोरिडोर में आ रहे पांच गांव-मामोनी, लखनगंवा, चकडोंगर, हरनगर एवं अर्जुनगमा का विस्थापन कब तक किया जायेगा? (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार पांच गांवों के विस्थापन के पहले ही टाईगर्स का पुन:स्थापन कर दिया गया है, जिससे इन गांव वालों को काफी कठिनाई एवं परेशानी झेलनी पड़ रही है, इन गांवों के लोग चीतों के भय में जीवन जी रहे हैं तथा गांव वालों से सर्वे के नाम पर कई बार कागजात ले लिए गये हैं? यदि हाँ, तो इन गांवों को खाली कराकर यहां के लोगों को कब तक और कहां पर विस्थापित किया जायेगा?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी एवं इसके विस्तारित क्षेत्र के कोरीडोर में आने वाले 05 ग्राम मामोनी, लखनगंवा, चकडोंगर, हरनगर एवं अर्जुनगंवा के परिवारों के विस्थापन हेतु कलेक्टर, जिला-शिवपुरी द्वारा विधि सम्मत कार्यवाही प्रारंभ की गई है, समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) दिनांक 10 एवं 13 मार्च, 2023 को तीन टाइगर (01 नर 02 मादा) माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी के विस्तारित क्षेत्र में पुनर्स्थापित किये गये हैं। माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में उक्त टाइगर्स में सेटेलाइट रेडियो कॉलर लगाये गये हैं, जिनकी सहायता से उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। इन टाइगर के आने से प्रश्नाधीन गांव वालों के लिये कोई कठिनाई एवं परेशानी की स्थिति निर्मित नहीं है। चीता माधव राष्ट्रीय उद्यान में नहीं छोड़े गये हैं। उक्त ग्रामों के ग्रामीणों द्वारा राज्य शासन की ग्रामों के पुनर्वास नीति के तहत सहमति प्राप्त की गई है। शासन नीति के अनुसार प्रत्येक पात्र व्यक्ति को केवल मुआवज़ा राशि का भुगतान किया जाना है। नीति के विकल्प-1 के अनुसार मुआवज़ा प्राप्त करने के उपरांत पात्र व्यक्ति स्वेच्छा से कहीं भी पुनर्स्थापित हो सकेगा। विस्थापन हेतु कलेक्टर, जिला शिवपुरी द्वारा विधि सम्मत कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
अनुबंधित वाहनों की जानकारी.
[राजस्व]
14. ( *क्र. 109 ) श्री बीरेन्द्र रघुवंशी [श्री गोपालसिंह चौहान] : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कार्यालय कलेक्टर जिला अशोकनगर एवं जिला पंचायत अशोकनगर एवं अधीनस्थ समस्त कार्यालयों में प्रश्न दिनांक की स्थिति में कुल कितने वाहन अनुबंधित हैं? समस्त वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर उनके आर.सी. बुक फिटनेस सर्टिफिकेट, टैक्सी परमिट फाईल अनुबंधित आदेश की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित वाहनों में से कुल कितने वाहन टैक्सी परमिट हैं, कुल कितने वाहन प्रायवेट पासिंग हैं, वाहन नंबर सहित संख्या बताते हुए यह बताएं कि वर्तमान में वे किस अधिकारी के उपयोग में लाए जा रहे हैं? अधिकारी का नाम एवं पद बताएं। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित वाहनों में से प्रत्येक वाहन पर कुल कितना व्यय किया गया है? व्यय की जानकारी देते हुए यह भी बताएं कि क्या प्रत्येक वाहन की लॉगबुक भी तैयार की गई है? यदि हाँ, तो लॉगबुक की प्रति दें और यदि तैयार नहीं की गई है तो किस आधार पर वाहनों का भुगतान हुआ है? (घ) टैक्सी परिमिट के स्थान पर प्राइवेट पासिंग वाहन अनुबंधित करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध विभाग क्या कार्यवाही करेगा एवं कब तक? यदि विभाग कार्यवाही नहीं करेगा तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
S.D.R.F. में आवंटित राशि.
[राजस्व]
15. ( *क्र. 433 ) श्री महेश परमार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2019 से प्रश्न दिनांक तक प्रतिवर्ष S.D.R.F. में शासन ने कितना आवंटन उपलब्ध कराया है? जिलेवार सूची देवें। (ख) वर्ष 2019 में राज्य के बाद अतिवृष्टि से हुई फसल क्षति के लिए कमलनाथ सरकार ने जिलों को प्रथम किश्त 25 % वितरित की थी? क्या कारण है कि शेष 75 % राहत राशि S.D.R.F. फंड में राशि उपलब्ध होने की स्थिति के आधार पर अब तक वितरित नहीं की जा सकी? (ग) गैर केन्द्रीयकृत योजना की मदों में प्रश्नांश (क) की समय अवधि अनुसार मध्यप्रदेश के सभी जिलों को कितना आवंटन किन प्रयोजनों और गतिविधियों के लिए दिया गया है? सम्पूर्ण विवरण के साथ प्राप्त आवंटन का उपयोग व संबधित प्रयोजन सहित उज्जैन जिले की सभी विधानसभाओं में वर्षवार की गतिविधियों एवं भुगतानों से अवगत कराएं? (घ) आर.बी.सी. 6-4 के निर्धारित मापदंड क्या हैं? फसल क्षति के राहत के लिए भुगतान किन-किन परिस्थितियों में किया जा सकता है? इस संबंध में कलेक्टर एवं राहत आयुक्त का वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकारों का मेन्युअल उपलब्ध करावें? (ड.) उज्जैन जिले में वर्ष 2019 से प्रश्न दिनांक तक S.D.R.F. फंड का कितना आवंटन किया गया है? आवंटन के विरुद्ध प्रतिवर्ष कितना खर्च किया गया है? प्रयोजन सहित पूर्ण विवरण उपलब्ध करावें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। वर्ष 2019 के बाद के वर्षों में प्रदेश में लगातार आयी प्राकृतिक आपदा यथा - बाढ़, कीट प्रकोप, असामयिक वर्षा/ओलावृष्टि में प्रभावित कृषकों को उपलब्ध बजट के आधार पर राहत राशि के वितरण की कार्यवाही निरंतर किये जाने से शेष 75 % राशि वितरित नहीं की जा सकी है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। उज्जैन जिले की सभी विधान सभाओं में वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) आर.बी.सी. 6-4 के निर्धारित मापदण्ड एवं भुगतान की परिस्थितियों को राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में स्पष्ट किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में लेख अनुसार प्राकृतिक आपदाओं की समीक्षा करने तथा राज्य आपदा मोचन निधि (S.D.R.F.) एवं राज्य आपदा शमन निधि (S.D.M.F.) से प्राप्त राशि के प्रबंधन हेतु राज्य कार्यपालिक समिति गठित है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 एवं समिति गठन की अधिसूचना पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है। (ड.) उज्जैन जिले में वर्ष 2019 से प्रश्न दिनांक तक S.D.R.F. में प्राप्त आवंटन के विरूद्ध प्रतिवर्ष खर्च का प्रयोजन सहित पूर्ण विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
निःशुल्क खाद्यान्न वितरण.
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
16. ( *क्र. 1024 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 2018-19 से प्रश्न दिनांक तक कितने गरीब परिवारों को निःशुल्क खाद्यान्न वितरण किया गया है? (ख) निःशुल्क खाद्यान्न वितरण में कितने क्विंटल गेंहू एवं कितने क्विंटल चावल का वितरण किया गया है? (ग) क्या कोरोना काल के दौरान शासन द्वारा ऑफलाईन पद्धति से खाद्यान्न वितरण किये जाने के निर्देश दिये गये थे? (घ) यदि हाँ, तो शासन के निर्देशानुसार कोरोना काल के दौरान ऑफलाईन पद्धति से निःशुल्क खाद्यान्न वितरण करने वाले दुकान संचालकों से वसूली क्यों की जा रही है? क्या शासन अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार कर दुकान संचालकों से वसूली की कार्यवाही स्थगित करेगा?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) खण्डवा विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजनांतर्गत माह अप्रैल, 2020 से दिसम्बर, 2022 तक एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत माह जनवरी, 2023 से जून, 2023 तक नि:शुल्क खाद्यान्न प्राप्त करने हेतु पात्र परिवारों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) पात्र परिवारों को नि:शुल्क वितरित खाद्यान्न मात्रा की माहवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जी नहीं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजनांतर्गत पात्र परिवारों को ऑफलाईन (वितरण पंजी से) खाद्यान्न वितरण के निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मध्यप्रदेश भू-संहिता 1958-59 की धारा 158 का उल्लंघन.
[राजस्व]
17. ( *क्र. 974 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्रमांक 693, दिनांक 02.03.2023 को माननीय मंत्री द्वारा उत्तर में क्या-क्या लेख किया? उल्लेख करें। (ख) क्या उक्त उत्तर में लेख था कि निरस्त आदेशों की प्रति संकलित की जा रही है? यदि हाँ, तो संपूर्ण नस्ती फाइल की प्रति उपलब्ध कराई जाये? (ग) क्या उक्त उत्तर में लेख था कि शासन हित की भूमियों को दृष्टिगत रखते हुए नामांतरण किए जाते हैं? हाँ या नहीं? (घ) यदि हाँ, तो क्या अपीलीय अधिकारी की जिम्मेदारी नहीं है कि शासन हित की भूमियों को दृष्टिगत रखते हुए अधीनस्थ न्यायालय के आदेशों को यथावत रखा जाये? (ड.) यदि हाँ, तो क्यों अधीनस्थ न्यायालय के 0174 आदेशों को निरस्त किया गया था? (च) क्या उक्त अपीलीय अधिकारी के अधिकतम आदेशों में धारा 0158 के अंतर्गत सभी वर्ग के भू-धारकों को भू-स्वामी माना गया लेख कर तत्संदर्भ में अधीनस्थ न्यायालय के आदेशों को निरस्त किया गया था? (छ) यदि हाँ, तो क्या शासन के नियम की उक्त धारा का अधीनस्थ न्यायालय द्वारा उल्लंघन (नजरअंदाज़) किया जाना परिलक्षित होता है? (ज) यदि हाँ, तो क्या अधीनस्थ न्यायालय के अधिकारी की भ्रष्टाचार की इच्छापूर्ति न होने के कारण उक्त धारा का उल्लंघन (नजरअंदाज़) किया जाना परिलक्षित होता है? (झ) यदि नहीं, तो क्यों उक्त धारा का उल्लंघन (नजरअंदाज़) किया गया था? (ट) यदि हाँ, तो क्या शासन के नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करने के आदेश जारी करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रकरण जिला अभिलेखागार में जमा हो चुके हैं, जिनके संकलन की कार्यवाही की जा रही है। (ग) जी हाँ। (घ) न्यायालयीन प्रकरणों का नियमों के परिप्रेक्ष्य में विधिसम्मत निराकरण किया जाता है। (ड.) न्यायालयीन प्रकरणों का निराकरण निर्धारित नियमों के तहत किया जाता है। (च) न्यायालय अपीलीय द्वारा निर्धारित नियमों के तहत प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। (छ) अपीलीय अधिकारी द्वारा निर्धारित नियमों के तहत प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। (ज) जी नहीं। (झ) न्यायालयीन प्रकरणों का विधिसम्मत निराकरण निर्धारित नियमों के तहत किया जाता है। (ट) उत्तरांश (ज) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
अभ्यर्थियों से कम्प्यूटर तकनीकी कार्य संपादित कराया जाना.
[राजस्व]
18. ( *क्र. 1169 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2017 के पटवारी चयन परीक्षा में कितने अभ्यर्थियों को चयनित किया गया था? चयनित अभ्यर्थियों की कर्मचारी चयन मण्डल (पी.ई.बी./व्यापम) से प्राप्त सूची एवं विभाग द्वारा जारी की गई अंतिम चयन सूची की प्रति सहित बतायें? (ख) उपरोक्त के संबंध में कितने अभ्यर्थियों ने सी.पी.सी.टी. के स्कोर ज्वाईनिंग के समय जमा कराये? गौशवारा बनाकर जानकारी देवें। (ग) उपरोक्त के संबंध में कितने अभ्यर्थियों ने ज्वाईनिंग तो कर ली और ज्वाईनिंग के उपरांत सी.पी.सी.टी. स्कोर कार्ड पृथक-पृथक समय पर परिवीक्षा अवधि में स्कोर कार्ड जमा कराये? गौशवारा बनाकर जानकारी देवें। (घ) उपरोक्त संबंध में कितने अभ्यर्थी अभी तक ऐसे हैं, जिन्होंने सी.पी.सी.टी. उत्तीर्ण नहीं की है, उनकी परिवीक्षा अवधि में कब-कब वृद्धि की गई है? आदेश की प्रति दें। मेरिट होल्डर अभ्यर्थी के सी.पी.सी.टी. उत्तीर्ण नहीं होने पर विभाग उनके चयन सूचियों का पुन: परीक्षण कराकर वैधता की जांच करायेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) उपरोक्त प्रश्नांश के तारतम्य में कितने अभ्यर्थियों की परिवीक्षा अवधि समाप्त कर उनकी वेतनवृद्धि लगाई गई एवं उनकी वरिष्ठता सूची भी उपलब्ध करायें? (च) उपरोक्त के अनुक्रम में सी.पी.सी.टी. स्कोर कार्ड जमा नहीं कराने पर विभाग ने कब-कब और क्या-क्या कार्यवाही की? यदि नहीं, की तो क्यों? कारण स्पष्ट करें?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) वर्ष 2017 में पटवारी चयन परीक्षा में 8446 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। चयनित अभ्यर्थियों की पी.ई.बी. से प्राप्त सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'एक' अनुसार है, विभाग द्वारा पी.ई.बी. से प्राप्त सूची ही जिलों को प्रेषित की गई। (ख) प्रश्नांश ''क'' के उत्तर में उल्लेखित अभ्यर्थियों में से 954 अभ्यर्थियों द्वारा सी.पी.सी.टी. के स्कोर कार्ड ज्वाईनिंग के समय जमा कराए। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'दो' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश ''क'' के उत्तर में उल्लेखित अभ्यर्थियों में से 5749 अभ्यर्थियों ने ज्वाईनिंग करने के उपरांत पृथक-पृथक समय पर परिवीक्षा अवधि में सी.पी.सी.टी. स्कोर कार्ड जमा कराए गये। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'तीन' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश ''क'' के उत्तर में उल्लेखित अभ्यर्थियों में से 729 अभ्यर्थी के द्वारा सी.पी.सी.टी. परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। जिन अभ्यर्थियों ने सी.पी.सी.टी. परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है, उनके संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को आयुक्त भू-अभिलेख के पत्र दिनांक 15.03.2023 द्वारा कार्यवाही हेतु लेख किया गया है। शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है। (ड.) कुल 6357 अभ्यर्थियों की परिवीक्षा अवधि समाप्त कर उनकी वेतनवृद्धि लगाई गई है। पटवारियों की दिनांक 01.04.2023 की स्थिति में अनन्तिम वरिष्ठता सूची आयुक्त भू-अभिलेख मध्यप्रदेश ग्वालियर के पत्र क्रमांक 663/स्था.1/पटवारी/29061/2023, दिनांक 21.06.2023 द्वारा जारी कर सभी जिलों को प्रेषित की गई है। (च) सी.पी.सी.टी. स्कोर कार्ड जमा नहीं कराने पर आयुक्त महोदय भू-अभिलेख म.प्र. ग्वालियर के पत्र क्रमांक 289/ स्था-एक/पटवारी/30409/2023, ग्वालियर दिनांक 15.03.2023 द्वारा सभी जिलों को कार्यवाही हेतु लेख किया गया है।
बड़वानी जिले के खाद्यान्न सुरक्षा हेतु संचालित वेयर हाउस.
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
19. ( *क्र. 89 ) श्री ग्यारसी लाल रावत : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खाद्यान्न की सुरक्षा एवं वितरण हेतु बड़वानी जिले में अनेक स्थानों पर शासन/विभाग द्वारा वेयर हाउस निर्मित हैं, साथ ही केन्द्र/राज्य सब्सिडी के माध्यम से निजी वेयर हाउस भी संचालित हैं? (ख) यदि हाँ, तो बड़वानी जिले में शासन/विभाग के शासकीय वेयर हाउस कितनी क्षमता के किन-किन स्थानों पर एवं निजी वेयर हाउस किन-किन स्थानों पर संचालित किये जा रहे हैं? संस्थावार, क्षमतावार जानकारी दें। (ग) खाद्यान्न सुरक्षा हेतु वेयर हाउस में नियमानुसार किस-किस प्रकार की व्यवस्थायें/सुविधायें/सावधानियां रखी जाना चाहिये, साथ ही वेयर हाउस में आगम एवं निर्गम के समय नापतौल तथा गुणवत्ता का आकलन किस तरह होता है? (घ) वर्ष 2018-19 से लेकर प्रश्न दिनांक तक वेयर हाउस में रबी खाद्यान्न किन कारणों से खराब होकर सड़ गया एवं जमा मात्रा में कम पाया गया, इत्यादि अन्य अनेक अनियमितताओं के कारण वर्षवार शासन/विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? साथ ही विगत वर्षों से निरंतर चिन्हित वेयर हाउसों को सांठगांठ कर किसके द्वारा लगातार अनुबंधित किया जाता रहा है? क्या संबंधित लापरवाह एवं नियम विरूद्ध कार्य करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) जी हाँ। सब्सिडी वाले गोदामों का निर्माण विभाग के पर्यवेक्षण में नहीं किया जाता है। (ख) बड़वानी जिले में संचालित शासकीय एवं निजी गोदामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) खाद्यान्न सुरक्षा एवं भंडारण व्यवस्थाएं/सुविधाएं/सावधानियों के संबंध में प्रतिवर्ष संयुक्त भागीदारी योजना जारी की जाती है। वर्ष 2023-24 के लिए जारी संयुक्त भागीदारी योजना की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। गोदामों में खाद्यान्न सुरक्षा हेतु वेअरहाउस के निर्धारित तकनीकी नियमानुसार खाद्यान्न की गुणवत्ता का विशेष परीक्षण कर सुरक्षित भंडारित रखने हेतु स्कंध को डनेज के ऊपर थप्पी लगाकर स्टेक लगाये जाते हैं एवं गोदामों में भंडारित स्कंध का 15 दिवस के अंतराल में स्कंध पर कीटनाशक दवाइयों का नियमित छिड़काव किया जाता है, साथ ही समय-समय पर स्कंध को धुम्रीकरण (फ्यूमीगेशन) का कार्य भी कराया जाता है। स्कंध के आगम एवं निर्गम के समय इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटे से स्कंध को तोलकर जमा करवाने के पश्चात भुगतान का कार्य किया जाता है। (घ) बड़वानी जिला अंतर्गत 2018-19 से लेकर प्रश्न दिनांक तक वेअरहाउस में रबी उपार्जन का स्कंध भंडारण किया गया है। उक्त भंडारित स्कंध किसी भी कारण से खराब नहीं हुआ एवं न ही किसी की लापरवाही संज्ञान में आई है। अत: प्रकरण दर्ज करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
जमीनों पर कब्जा.
[राजस्व]
20. ( *क्र. 687 ) श्री अनिरुध्द (माधव) मारू : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मनासा रामपुरा रोड स्थित नाकोड़ा रेस्टोरेंट के मालिक मनीष पिता उंकारलाल, लोकेश पिता उंकारलाल, उंकारलाल पिता हीरालाल, संतोषबाई पति उंकारलाल द्वारा अपनी खरीदी हुई जमीन के अतिरिक्त ललिता-राधेश्याम कुशवाहा के रास्ते पर एवं अन्य चार व्यक्तियों के प्लाटों पर कब्जा कर रखा है? तत्संबंध में स्थानीय एस.डी.एम. एवं तहसीलदार के यहां अतिक्रमण हटाने संबंधी प्रकरण प्रचलित है? इन प्रकरणों में क्या कार्यवाही की गई, अगर नहीं की गई तो कारण दर्शाएं एवं कार्यवाही कब तक होगी? समय-सीमा बताएं। इस हेतु दोषियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही होगी? (ख) उक्त मनीष, लोकेश, उंकारलाल एवं संतोषबाई के द्वारा खरीदी गई जमीनों की रजिस्ट्री उपलब्ध कराएं एवं मौके पर कितनी जमीन पर इनका कब्जा है, उसका भी नाप का उल्लेख करें?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित विषय के न्यायनिर्णयन बाबत न्यायालय तहसीलदार मनासा के प्रकरण क्रमांक 15/अ-13/2021-22 में पारित आदेश दिनांक 02.05.2022 के विरूद्ध न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मनासा में अपीलार्थी अपील प्रकरण क्रमांक 72/अपील/2022-23 पर दर्ज होकर न्यायाधीन है, जिसका न्यायालयीन प्रक्रिया के अंतर्गत विधिवत सुनवाई उपरांत शीघ्र यथोचित निराकरण किया जायेगा। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार।
असिंचित रकबा सिंचित कराना.
[जल संसाधन]
21. ( *क्र. 502 ) श्री निलय विनोद डागा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के तारांकित प्रश्न क्रमांक 1065, दिनांक 20.03.2020 के प्रस्तुत उत्तर में बैतूल विधानसभा क्षेत्र में क्रियान्वित मध्यम परियोजना क्रमश: घोघरी, गढा, मेंढा, पारसडोह व निरगुड जलाशय से बैतूल विधानसभा क्षेत्र के 74 ग्रामों को सिंचाई सुविधा हेतु शामिल किया गया, जिसका कुल रकबा 33259.547 में से रकबा 27203.861 को सिंचित होना बताया गया? शेष रकबा 19587.42 को सिंचाई सुविधा से वंचित क्यों रखा गया है? क्या शेष असिंचित रकबा को भी उक्त परियोजना से सिंचित किया जा सकता है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार असिंचित शेष रकबा 19587.42 को सिंचाई सुविधा की उपलब्धता हेतु शासन की क्या योजना है? उक्त शेष असिंचित रकबा को कब तक सिंचित कर दिया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) एवं (ख) विधानसभा क्षेत्र बैतूल के अंतर्गत निर्माणाधीन घोघरी, गढा, मेंढा पारसडोह एवं निरगुड मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में बैतूल विधानसभा क्षेत्र के 86 ग्रामों को सम्मिलित किया जाना प्रतिवेदित है। परियोजनाओं से उक्त ग्रामों की 30,425 हेक्टेयर सैंच्य क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा। परियोजनाओं की स्वीकृति में जल उपलब्धता के आधार पर ही सैंच्य क्षेत्र निर्धारित किया गया है। शेष रकबा कमाण्ड क्षेत्र से बाहर होने के कारण उन्हें सम्मिलित किया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
पंचम नगर सिंचाई परियोजना का विस्तार.
[जल संसाधन]
22. ( *क्र. 6 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह की पंचम नगर सिंचाई परियोजना कब स्वीकृत हुई थी? प्रशासकीय स्वीकृति की छायाप्रति उपलब्ध करायी जावे? साथ ही सिंचित होने वाले रकबा की भी जानकारी दी जावे। (ख) क्या हटा विधानसभा क्षेत्र की जनता व जनप्रतिनिधियों द्वारा पंचम नगर परियोजना का विस्तार कर हटा व पटेरा, विकासखण्ड के किसानों को सिंचाई का लाभ प्रदान करने हेतु ज्ञापन/मांग की गई थी? यदि हाँ, तो किसानों के हितार्थ मांगों की पूर्ति कब तक होगी? समय-सीमा सहित जानकारी दी जावे।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) दमोह जिले में पंचमनगर सिंचाई परियोजना की मूल प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 31.03.2012 को राशि रू. 263.10 करोड़ की तथा पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 03.01.2017 को राशि रू. 672.90 करोड़ की प्रदान की गई। प्रशासकीय स्वीकृति एवं पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' एवं '2' अनुसार है। परियोजना के पूर्ण होने पर सागर जिले की बण्डा तहसील के 29 ग्राम, दमोह जिले की पथरिया तहसील के 11 ग्राम तथा दमोह जिले की बटियागढ़ तहसील के 57 ग्रामों सहित कुल 97 ग्रामों की 25000 हेक्टेयर सैच्य क्षेत्र में सिंचाई की जाना प्रस्तावित है। (ख) मैदानी कार्यालयों से प्राप्त जानकारी अनुसार जनता व जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही मांग की जानकारी मैदानी कार्यालयों के संज्ञान में नहीं होना प्रतिवेदित है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
वर्षा एवं ओलावृष्टि से नष्ट फसल की क्षतिपूर्ति.
[राजस्व]
23. ( *क्र. 1118 ) श्री आरिफ अक़ील : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2023 में प्रदेश के अन्नदाताओं की फसल अधिक बारिश व ओलावृष्टि के कारण नष्ट होने पर शासन द्वारा कितनी राशि प्रति एकड़ क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाने के आदेश जारी किए गए थे? प्रश्न दिनांक की स्थिति में कुल कितनी राशि वितरित की जा चुकी है तथा कितनी राशि किन कारणों से शेष है तथा वह कब तक वितरित कर दी जावेगी? (ख) क्या क्षतिपूर्ति राशि किसानों के खातों की अपेक्षा राजस्व अधिकारियों/कर्मचारियों व उनके सगे संबंधियों के खाते में जाने तथा ऑडिट आपत्ति आने पर निलंबन की कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो किन-किन के विरूद्ध जिलेवार बतावें? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में किसानों के साथ हो रहे बार-बार धोखों से निजात दिलाने हेतु कोई ठोस योजना बनाई है? यदि हाँ, तो क्या और यदि नहीं, तो क्यों? भ्रष्टों के चंगुल से किसानों को कब तक निजात मिल सकेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 अंतर्गत 25 % से अधिक फसल क्षति होने पर फसल के प्रकार एवं क्षति के प्रतिशत अनुसार निर्धारित दर पर प्रति हेक्टेयर राहत राशि दिये जाने के प्रावधान है। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। राशि वितरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब'अनुसार है। (ख) वर्ष 2023 के परिप्रेक्ष्य में जानकारी निरंक है। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
प्रदेश में उपभोक्ता न्यायालयों की कमी.
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
24. ( *क्र. 1010 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता विधायक के अतारांकित प्रश्न क्रमांक 700, दिनांक 02 मार्च, 2023 के उत्तर "ख" में बताया गया है कि राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा 11 अंशकालिक जिला उपभोक्ता आयोग को पूर्णकालिक किये जाने तथा चार नवीन जिलों में उपभोक्ता न्यायालय खोले जाने के प्रस्ताव विचाराधीन है, क्या सभी कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है? यदि नहीं, तो कब तक पूर्ण कर ली जायेगी? (ख) प्रश्नकर्ता विधायक के उपरोक्त प्रश्न के प्रश्नांश (घ) में बताया गया है कि तहसील स्तर पर उपभोक्ता अदालत लगाए जाने के केंद्र शासन के कोई निर्देश नहीं हैं? क्या यह भी सही है कि राज्य शासन चाहे तो गजट नोटिफिकेशन कर 3 दिन की अनुमति तहसील स्तर पर प्रदान कर सकता है, जबकि ऐसे केंद्र शासन के निर्देश भी हैं, राज्य शासन द्वारा 3 दिन तहसील स्तर पर न्यायालय नहीं लगाने के मुख्य कारण क्या है, जबकि हजारों की संख्या में केस पेंडिंग हैं? (ग) क्या विभाग मानता है कि गत 10 वर्षों में ऑनलाईन खरीदी एवं ऑनलाईन सेवाओं के पश्चात उपभोक्ता प्रकरणों में भारी वृद्धि हुई है, उसके अनुपात में न्यायालयों की संख्या नहीं बढ़ पाई है जिससे प्रकरणों को निपटाने में समय लग रहा है?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) कार्यवाही प्रचलन में है। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) हाँ, तहसील स्तर पर उपभोक्ता अदालत लगाये जाने संबंधी केन्द्र शासन के कोई निर्देश नहीं है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 34 (3) में उल्लेख है कि "जिला आयोग साधारणतया जिला मुख्यालय में कार्य करेगा और जिले में ऐसे अन्य स्थानों पर कार्य करेगा, जैसा राज्य सरकार, राज्य आयोग के परामर्श से समय-समय पर राजपत्र में अधिसूचित करें।" (ग) ऑनलाईन खरीदी एवं ऑनलाईन सेवाओं के कारण दर्ज उपभोक्ता प्रकरणों का संधारण पृथक से नहीं किया जाता है। प्रकरणों के लंबित रहने के अनेक कारण होते हैं, पूर्णकालिक जिला आयोगों की संख्या बढ़ाये जाने से लंबित प्रकरणों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा.
[राजस्व]
25. ( *क्र. 1246 ) श्री सुखदेव पांसे : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल जिले की तहसील हुजूर के अंतर्गत ग्राम भौरी में शासकीय भूमि खसरा नंबर 66/2, 66/3, 12/1, 13/1/2, 13/1/3, 13/1/4, 319/1, 319/2, 319/3, 319/4, 319/5, 319/6, 461/1, 462/2, 153/2/2, 146, 156/1, 156/2, 281/1, 280/2, 281/2, 321, 711, 714, 715, 732, 249/3, 346, 347, 348, 505/1 एवं 505/2 पर वर्तमान समय में कौन-कौन व्यक्ति काबिज हैं एवं अभी तक इन पर क्या-क्या निर्माण कार्य किनके द्वारा किये गये हैं? (ख) क्या शासन प्रश्नांकित खसरा नंबरों का रकबावार परीक्षण कराकर अवैध कब्जाधारियों से शासकीय भूमि रिक्त करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। (ख) जी हाँ। विधि अनुसार कार्यवाही की जावेगी।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
नर्मदापुरम
तहसील
अधिसूचित
होने संबधी
[राजस्व]
1. ( क्र. 29 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यालय कलेक्टर, नर्मदापुरम का प्रमुख सचिव, राजस्व को प्रेषित पत्र क्र. 223/रीडर/कले./2022, दिनांक 21-03-2022 म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 की उपधारा 6 के प्रयोजन के लिए प्रारूप अधिसूचना के संबंध में लिखा गया था? (ख) यदि हाँ, तो इस संबंध में क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या यह भी सच है कि नर्मदापुरम (होशंगाबाद) तहसील अधिसूचित क्षेत्र में होने से अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति की भूमि सामान्य नागरिक क्रय नहीं कर सकता? यदि हाँ तो क्यों? (घ) नर्मदापुरम तहसील अधिसूचित क्षेत्र होने से नर्मदापुरम नगर एवं तहसील में कार्यरत कर्मचारियों को ट्रायबल अलाउंस दिया जा रहा है एवं आदिवासी मद से विकास कार्यों को भी स्वीकृति नहीं दी जा रही है। यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) प्रश्नांश (क) में लिखे गये पत्र के संबंध में कब तक कार्यवाही की जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) कलेक्टर नर्मदापुरम द्वारा प्रमुख राजस्व आयुक्त भोपाल के पत्र क्रमांक 223/रीडर कले./2022 दिनांक 21-03-2022 लिखा गया है। (ख) प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय में कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) जी हाँ, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता के प्रावधान अनुसार। (घ) नर्मदापुरम तहसील अधिसूचित क्षेत्र नहीं होने के कारण जानकारी निरंक है। विभिन्न योजनाओं में नियम अनुसार विकास कार्यों की स्वीकृति प्रदान की जाती है। (ड.) पत्र के संबंध में कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
प्राकृतिक आपदा क्षतिपूर्ति राशि का वितरण
[राजस्व]
2. ( क्र. 40 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में वर्ष 2018-19 एवं 2020-21 में प्राकृतिक आपदा के कारण खराब हुई फसल के नुकसानों की भरपाई हेतु सरकार के द्वारा इन दोनों उल्लेखित वर्षों में कितनी राहत राशि स्वीकृत की गई थी एवं कितने किसानों की फसल को नुकसान होना पाया गया था, संख्या बताएं? (ख) क्या प्रदेश के लगभग 14 जिलों में राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने किसानों को वितरित की जाने वाली राशि का गबन अपने व्यक्तिगत हित लाभ में किया गया, जिसके कारण शासन के करोड़ों रूपये वास्तविक पीड़ित किसानों तक नहीं पहुंच पाए? (ग) यदि हाँ, तो प्रदेश के कुल कितने किसानों को क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त नहीं हुई? जिलेवार ग्रामों की संख्या, किसान संख्या एवं राशि बताएं। क्या उक्त गड़बड़ियां नियंत्रक महालेखा परीक्षक की जांच से पहले एस.डी.एम., तहसीलदार की जानकारी में नहीं आई थी? यदि हाँ, तो शासन द्वारा इन पर क्या कार्यवाही की जायेगी? (घ) सरकार इस पूरे मामले में राशि के गबन में जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही करेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जानकारी संकलित की जा रही है। (ख) जांच उपरांत जिलों द्वारा अनियमित भुगतान की राशि की वसूली कर शासन के पक्ष में जमा कराई जा रही है एवं दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की गई है। (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (घ) जांच उपरांत दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की गई है।
सिंधी विस्थापित परिवारों को भूमि का आवंटन
[राजस्व]
3. ( क्र. 73 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या टिकुरी कैम्प कटनी के सिंधी विस्थापित परिवारों के लिए भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ रीहेब्लिटेशन, नई दिल्ली द्वारा अपने पत्र क्र. 26 (2)/65-Ge.I नई दिल्ली दिनांक 14/17 फरवरी, 1972 से नीति बनाकर वहां के रहवासियों को भूमि आवंटन के आदेश सचिव, पुनर्वास विभाग को दिये थे? (ख) क्या मध्यप्रदेश शासन के पुनर्वास विभाग ने भी अपने पत्र क्रमांक 22-28/83/1/28 भोपाल, दिनांक 15 जनवरी 1985 द्वारा टिकुरी कैम्प के विस्थापित परिवारों को भूमि आवंटन की नीति बनाकर भूमि आवंटन के आदेश जारी किए थे? (ग) क्या तत्कालीन संयुक्त सचिव पुनर्वास विभाग ने अपने पत्र क्र. 14-24/89/28 दिनांक 26/27 जून 1989 के पैरा 3 में टिकुरी कैम्प कटनी के विस्थापित परिवारों को भूमि आवंटन के संबंध में स्पष्टीकरण दिया था कि टिकुरी कैम्प के विस्थापितों को भूमि आवंटन करने के संबंध में पुनर्वास विभाग द्वारा 15 जनवरी 1985 को जो आदेश प्रसारित किए हैं, कलेक्टर जबलपुर द्वारा इन्हीं आदेशों के पालन में भूमि का आवंटन तथा पट्टों का आवंटन किया जा रहा है? जहां तक राजस्व विभाग के आदेश दिनांक 09.07.1986 का प्रश्न है, ये आदेश केवल नजूल भूमि पर अतिक्रमित विस्थापितों के लिए ही लागू हैं, इसका संबंध टिकुरी कैम्प के विस्थापितों के लिए नहीं आता है। (घ) यदि हाँ, तो टिकुरी कैम्प कटनी के विस्थापितों परिवारों के भूमि आवंटन के लंबित मामलों का निपटारा उक्त निर्देशों/आदेशों के तहत न करने का क्या कारण है? क्यों जिलाध्यक्ष कटनी द्वारा धारणाधिकार नियमों के तहत वहां के रहवासियों से आवेदन मंगाये जा रहे है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) से (ग) जी हाँ। (घ) टिकुरी कैम्प के सभी पात्र विस्थापितों परिवारों के मामले का निपटारा शासन के समय-समय पर जारी निर्देशो/आदेशों के तहत किया गया है एवं सभी पात्र परिवारों को पट्टा वितरण किया जा चुका है। वर्तमान में म.प्र. शासन राजस्व विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल के परिपत्र क्रमांक एफ 22-3/2018/सात/पुनर्वास भोपाल दिनांक 26-12-2022 के दिशा निर्देश अनुसार परिपत्र क्रमांक एफ 6-75/2019/सात/सा.3 दिनांक 24-09-2020 एवं संशोधित परिपत्र दिनांक 31-03-2023 के अनुसार कार्यवाही किये जाने के निर्देश है। इस संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं सिंधी विस्थापित परिवारों के प्रतिनिधियों के साथ दिनांक 05-06-2023 को बैठक आयोजित की गई जिसमें विचार उपरान्त नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमि में के धारकों के धारणधिकार के संबंध में जारी निर्देश/परिपत्र अनुसार आवेदन पत्र प्राप्त किये जाने की सहमति दी गई। पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'अ' तथा 'ब' अनुसार है।
राजस्व ग्राम घोषित किया जाना
[राजस्व]
4. ( क्र. 82 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) चांचौड़ा विधानसभा के ग्राम जोहरीपुरा को राजस्व ग्राम घोषित करने की क्या योजना है? (ख) जोहरी पूरा एवं इसके जैसे अन्य ग्रामों को राजस्व ग्राम कब घोषित किया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) चांचौड़ा विधानसभा का मजरा जोहरीपुरा तहसील कुंभराज क्षेत्रांतर्गत आता है। मजरा जोहरीपुरा में म.प्र. भू-राजस्व संहिता (भू-सर्वेक्षण तथा भू-अभिलेख) नियम 2020 के नियम 43 (3) में विहित प्रावधान अनुसार राजस्व ग्राम बनाये जाने की पात्रता शर्तों की पूर्ति नहीं होती जिसके प्रकाश में इसे राजस्व ग्राम बनाए जाने का प्रस्ताव नहीं है। (ख) उत्तरांश ''क'' अनुसार है।
बी.पी.एल. सर्वे सूची में नाम जोड़े जाना
[राजस्व]
5. ( क्र. 90 ) श्री ग्यारसी लाल रावत : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत तीन वर्षों में प्रश्न दिनांक तक सेंधवा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कितने लोगों ने बी.पी.एल. सर्वे सूची में नाम जोड़े जाने बाबत् एवं कितने हितग्राहियों ने बी.पी.एल. श्रेणी के राशन कार्ड के लिए आवेदन किया है? (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में प्राप्त आवेदनों पर कब तक कार्यवाही की जायेगी? अभी तक किस-किस के आवेदन स्वीकृत किये जाकर आवेदक के नाम राशन कार्ड जारी किये गये एवं कितने नाम बी.पी.एल. सर्वे सूची में जोड़े गये? संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराएं? (ग) कितने हितग्राहियों के आवेदन अभी तक लंबित हैं तथा कितने के आवेदन अस्वीकृत किये गये? संख्यात्मक आवेदन के लंबित होने या अस्वीकृत होने का कारण भी बताएं?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) विगत 03 वर्षों में प्रश्न दिनांक तक सेंधवा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कुल 2604 लोगों द्वारा बी.पी.एल. सूची में नाम जोड़ने हेतु आवेदन किया गया। (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में कुल 587 आवेदन स्वीकार कर बी.पी.एल. सूची में नाम जोड़े गये। (ग) 58 हितग्राहियों के आवेदन पत्र अभी तक लंबित है तथा 1959 आवेदन पत्र अपात्रता होने के कारण अस्वीकृत किये गये।
मजरे, टोलों को राजस्व ग्राम बनाया जाना
[राजस्व]
6. ( क्र. 111 ) श्री बीरेन्द्र रघुवंशी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कोलारस विधानसभा क्षेत्र में तहसील कोलारस, बदरवास एवं रन्नौद में पात्रताओं की पूर्ति करने वाले मजरा टोला को राजस्व नवीन ग्राम बनाए जाने हेतु प्रकरण लंबे समय से प्रचलन में है, फिर विभाग द्वारा अब तक उक्त ग्रामों को नवीन राजस्व ग्राम बनाए जाने संबंधी कार्यवाही पूर्ण क्यों नहीं की है? वर्तमान में प्रकरण किस स्तर पर लंबित है तथा नवीन राजस्व ग्राम बनाए जाने में देरी क्यों की जा रही है? इस विलंब हेतु कौन-कौन उत्तरदायी हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में नवीन राजस्व ग्राम बनाए जाने में विलंब करने वाले जिम्मेदारों के विरूद्ध विभाग क्या कार्यवाही करेगा व कब तक? पात्रता की पूर्ति करने वाले ग्रामों को कब तक नवीन राजस्व ग्राम बनाए जाने की कार्यवाही पूर्ण कर गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया जावेगा? निश्चित समयावधि बताएं? (ग) क्या कोलारस विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तहसील कोलारस की ग्राम पंचायत भडौता का मजरा चक्क भडौता भी वर्तमान में राजस्व ग्राम नहीं है? यदि हाँ तो क्या मजरा चक्क भडौता नवीन राजस्व ग्राम बनाए जाने की पात्रताओं की पूर्ति करता है? यदि हाँ चक्क भडौता को नवीन राजस्व ग्राम बनाए जाने की कार्यवाही कब तक पूर्ण कर ली जावेगी? जानकारी दें?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) शिवपुरी जिले की तहसील कोलारस के ग्राम बेहटा से मजरा धर्मपुरा, तहसील बदरवास के मूल ग्राम मेघोनाबडा से मजरा दादूखेडी व तहसील रन्नोद के मूल ग्राम देहरदा गणेश से मजरा टपरियन, मूल ग्राम ओडेरा से मजरा चकरामपुर, मूल ग्राम राजापुर छावरा से मजरा छावरा, मूल ग्राम अकोदा से मजरा मुढरी, मूल ग्राम ढकरौरा से मजरा खासखेडा, मूलग्राम सुनाज से मजरा करमई चक को राजस्व ग्राम घोषित किये जाने हेतु आयुक्त भू-अभिलेख म.प्र. ग्वालियर को प्रस्ताव प्राप्त हुआ था। तत्पश्चात प्रस्तावित ग्रामों के जी.आई.एस. नक्शों का निर्माण कराये जाने हेतु प्रबंध संचालक एम.पी.एस.ई.डी.सी.लि. भोपाल की ओर दिनांक 06.12.2022 को लेख किया गया। एम.पी.एस.ई.डी.सी.लि. भोपाल द्वारा उक्त ग्रामों के फीचर एक्सट्रेक्शन का कार्य पूर्ण करने की सूचना आयुक्त, भू अभिलेख कार्यालय को दी गई, जिसके आधार पर संबंधित ग्रामों के जी.आई.एस. आधारित प्रारूप नक्शे एम.पी.एस.ई.डी.सी.लि. भोपाल से प्राप्त करने हेतु शेड्यूल दिनांक 24.05.2023 को जारी किया गया। इसके क्रम में उक्त मजरा टोलों से निर्मित राजस्व ग्रामों एवं मूल ग्रामो के प्रारूप जी.आई.एस. नक्शा निर्माण कराये जाने हेतु पटवारियों को MPSEDC भोपाल भेजा गया था। पटवारियों द्वारा उक्त ग्रामों के प्रारूप नक्शे एम.पी.एस.ई.डी.सी. लि. भोपाल से प्राप्त कर ग्राउन्ड ट्रुथिंग की नियमानुसार कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) उत्तरांश ''क'' अनुसार नियमानुसार कार्यवाही प्रचलित है। कार्य वृहद एवम तकनीकी स्वरूप का होने से समय-सीमा बतायी जाने में कठिनाई है। (ग) जी हाँ। मजरा चक्क-भडौता को नवीन राजस्व ग्राम बनाए जाने की पात्रता रखता है। मजरा चक्क-भडौता को नवीन राजस्व ग्राम बनाए जाने हेतु तहसील न्यायालय कोलारस अंतर्गत प्रकरण क्रमांक 0008/ब-121/2023-24 पंजीबद्ध किया जाकर प्रक्रियाधीन है। उत्तरांश ''ख'' के प्रकाश में समय-सीमा निर्धारण करने में कठिनाई है।
किसानों को अधिग्रहीत भूमि की राशि का भुगतान
[जल संसाधन]
7. ( क्र. 112 ) श्री बीरेन्द्र रघुवंशी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कोलारस विधानसभा क्षेत्र में निर्माणाधीन बडोखरा सिंचाई परियोजना अंतर्गत जिन किसानों की कृषि भूमि का अधिग्रहण किया गया है? उन सभी की रजिस्ट्रियां हो चुकी है व कितने किसानों की रजिस्ट्री किन कारणों से नहीं हुई? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में जिन किसानों की अधिग्रहीत की गई भूमि की रजिस्ट्रियां हो चुकी हैं, उन्हें देय राशि का सम्पूर्ण भुगतान किया जा चुका है अथवा नहीं? यदि नहीं, तो क्या बजट उपलब्ध न होने के चलते किसानों को भुगतान किया जाना लंबित है और यदि बजट उपलब्ध है, तो रजिस्ट्री होने के उपरांत भी किसानों का भुगतान कब से व क्यों लंबित है? इस हेतु उत्तरदायी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? कब तक प्रश्नांश (क) एवं (ख) में उल्लेखित किसानों को भूमि अधिग्रहण का सम्पूर्ण भुगतान किया जावेगा? (ग) कोलारस विधानसभा क्षेत्र में स्वीकृत बिजरौनी- बरोदिया लघु सिंचाई परियोजना की स्वीकृति हुए लगभग 05 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं? उक्त परियोजना में अब तक कितने प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है व कितना कार्य शेष है? कार्य पूर्ण होने की क्या समय-सीमा है? क्या समय-सीमा के भीतर काम पूरा कर लिया जावेगा? यदि समय-सीमा में पूर्ण नहीं होगा तो इस हेतु कौन-कौन उत्तरदायी होंगे व उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही होगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) कोलारस विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत निर्माणाधीन बडोखरा सिचांई परियोजना में 186 किसानों की 40.154 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की जाना प्रतिवेदित है, जिनमें से 82 किसानों की 27.065 हेक्टेयर भूमि की रजिस्ट्रियां हो चुकी है, शेष में कार्यवाही प्रचलन में है। (ख) वस्तुस्थिति यह है कि 82 किसानों की रजिस्ट्रियां संपन्न कराकर सभी 82 किसानों को मुआवजा राशि का सम्पूर्ण भुगतान कर दिया जाना प्रतिवेदित है। शेष किसानों की रजिस्ट्रियां संपन्न करवाने की कार्यवाही प्रचलन में है अतः किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। (ग) जी हाँ। परियोजना के तहत अभी तक 03 प्रतिशत ही कार्य पूर्ण हुआ है तथा 97 प्रतिशत कार्य शेष है। योजना के भू-अर्जन में वृद्धि होने के कारण योजना का पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रकरण की स्वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है। प्रमुख अभियंता कार्यालय द्वारा लिये गये आक्षेपों की पूर्ति कर संशोधित प्रस्ताव कार्यपालन यंत्री, शिवपुरी द्वारा दिनांक 30.06.2023 को अधीक्षण यंत्री, ग्वालियर को प्रेषित किया गया है जो उनके स्तर पर परिक्षाणाधीन होना प्रतिवेदित है। परियोजना की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत ही कार्य प्रारंभ कराया जाना संभव होगा। अतः किसी अधिकारी पर कार्यवाही किये जाने की स्थिति नहीं है।
विभाग की योजनाओं में राशि का भुगतान
[श्रम]
8. ( क्र. 125 ) श्री रामपाल सिंह : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सत्य है कि रायसेन जिले की जनपद पंचायत बेगमगंज तथा सिलवानी में वित्तीय वर्ष 2017-18 में मण्डल द्वारा श्रमिक शेड स्वीकृत किये गये थे? यदि हाँ, तो द्वितीय किश्त का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है? कारण बतायें? (ख) रायसेन जिले में कर्मकार मण्डल में पंजीकृत श्रमिक जिनकी पुत्रियों के विवाह 22.04.2022 के पूर्व हुए है उनकों विवाह सहायता राशि का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है? (ग) क्या यह सत्य है कि रायसेन जिले में संबल योजना तथा कर्मकार मण्डल में पंजीकृत श्रमिक की मृत्यु उपरांत उनके आश्रितों को अनुग्रह सहायता राशि भुगतान के लगभग एक हजार प्रकरण लंबित है यदि हाँ तो क्यों? कारण बताये तथा राशि का भुगतान प्राथमिकता क्रम से क्यों नहीं होता है? (घ) क्या यह सत्य है कि प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के संबंध में विगत 02 वर्षों में प्रश्नकर्ता द्वारा मान मंत्री जी को अनेक पत्र लिखे तथा मान. मंत्री जी ने प्रमुख सचिव श्रम विभाग एवं अन्य अधिकारियों को कार्यवाही हेतु पत्र भेजे इसके उपरांत भी विभाग के अधिकारियों द्वारा मान. मंत्री जी के पत्रों में उल्लेखित समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं किया तथा इसके लिए कौन-कौन दोषी है?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। रायसेन जिले की जनपद पंचायत तथा सिलवानी में वित्तीय वर्ष 2017-18 में जिला रायसेन से प्राप्त प्रस्ताव अनुसार निर्माण पीठा श्रमिक आश्रय शेड स्वीकृत किये गये थे। मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत बेगमगंज तथा सिलवानी से स्वीकृत शेडों हेतु प्रथम किश्त का उपयोगिता प्रमाण-पत्र तथा द्वितीय किश्त का मांग पत्र/प्रस्ताव प्राप्त नहीं होने से आवंटन नहीं किया गया है। (ख) रायसेन जिले में म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा संचालित विवाह सहायता योजना में दिनांक 21.04.2022 के पूर्व के 95 लंबित प्रकरणों में पात्र हितग्राहियों को भुगतान हेतु जिला कलेक्टर से प्राप्त मांगपत्र अनुसार राशि आवंटित की जा चुकी है। मण्डल स्तर पर दिनांक 21.04.2022 के पूर्व के विवाह सहायता योजना के प्रकरणों में भुगतान हेतु कोई भी मांग पत्र लंबित नहीं है। (ग) रायसेन जिले में म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल की ''मृत्यु की दशा में अंत्येष्टि एवं अनुग्रह राशि भुगतान योजना'' के अंतर्गत 25 प्रकरण संबंधित स्वीकृतकर्ता अधिकारियों द्वारा स्वीकृत किये जा चुके हैं, जिनमें भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। रायसेन जिले में संबल योजनांतर्गत अनुग्रह सहायता राशि भुगतान के 658 प्रकरण लंबित हैं अनु्ग्रह सहायता प्रकरणों में भुगतान एक सतत् प्रक्रिया है योजनांतर्गत भुगतान शासन से प्राप्त बजट द्वारा किया जाता है अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है (घ) मान. विधायक द्वारा प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के संबंध में विगत 02 वर्षों में मान. मंत्री, श्रम विभाग की ओर प्रेषित पत्र, जो कि मान. मंत्री जी, मध्यप्रदेश शासन तथा श्रमायुक्त कार्यालय के माध्यम से इस कार्यालय को 09 पत्र प्राप्त हुये, उन सभी पत्रों पर नियमानुसार कार्यवाही की गई है एवं कृत कार्यवाही से मान. विधायक को भी अवगत कराया गया है। विगत दो वर्षों में माननीय विधायक जी के माननीय श्रम मंत्री जी को संबोधित पत्र तथा उन पर की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नहर निर्माण में विलम्ब
[जल संसाधन]
9. ( क्र. 126 ) श्री रामपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता विधायक के अतारांकित प्रश्न क्र. 2312 दिनांक 15.03.2021 के प्रश्नांश (ग) के उत्तर में बताया था कि वन भूमि प्रभावित होने तथा वन भूमि का हस्तान्तरण न होने के कारण नहर का निर्माण नहीं किया जा सका वन भूमि हस्तान्तरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है जून 2023 की स्थिति में ग्राम पिपलियाख़ास में नहर का निर्माण क्यों नहीं हुआ तथा इसके लिए कौन-कौन दोषी है? (ख) प्रश्नांश (घ) के उत्तर में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब में दी गई है जिसके क्र. 02 में बताया था कार्यवाही प्रक्रियाधीन है आज दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) रायसेन जिले के विकासखण्ड सिलवानी के अंतर्गत नगपुरा नगझिरी जलाशय के डूब प्रभावित रामपुर टोला के 17 परिवारों को मुआवजा राशि भुगतान का प्रकरण किस स्तर पर कब से एवं क्यों लंबित है तथा कब तक राशि का भुगतान होगा? (घ) प्रश्नांश (ग) के संबंध में मान मंत्री जी को प्रश्नकर्ता विधायक के पत्र कब-कब प्राप्त हुए तथा उन पर आज दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई पूर्ण विवरण दें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) वस्तुस्थिति यह है कि सालाबर्रू जलाशय के तहत ग्राम पिपलियाखास में नहर निर्माण में आने वाली प्रभावित 0.42 हेक्टेयर वन भूमि की औपचारिक उपयोग करने की अनुमति वन मण्डलाधिकारी सामान्य वन मण्डल रायसेन के कार्यालयीन पत्र दिनाँक 06.06.2023 के द्वारा दी गयी है। पिपलियाखास की शेष 800 मीटर नहर के निर्माण कार्य की निविदा आमंत्रित की गई थी किन्तु एजेंसी को बार-बार स्मरण पत्र लिखने के पश्चात् भी कार्य प्रारम्भ नहीं किया गया। अतः अनुबंध के विखण्डन की कार्यवाही की गयी। अनुबंध विखण्डन के विरूद्ध एजेन्सी द्वारा मुख्य अभियंता के समक्ष मई माह में अपील की गयी एवं कार्य करने हेतु एजेन्सी द्वारा दिनाँक 20.05.2023 को आश्वासन दिया गया परन्तु, फिर भी कार्य प्रारंभ नहीं किया गया। मुख्य अभियंता, चंबल बेतवा कछार जल संसाधन विभाग भोपाल के द्वारा एजेन्सी पर कार्यवाही कर एजेन्सी का पंजीयन काली सूची में डाला गया एवं पुनः निविदा आमंत्रण की कार्यवाही प्रचलन में है। अतः नहर निर्माण हेतु किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। (ख) वस्तुस्थिति यह है कि रायसेन जिले के विकासखण्ड सिलवानी के अन्तर्गत नगपुरा नगझिरी जलाशय के डूब प्रभावित रामपुर टोला के 17 परिवारों के मकान जलाशय के अधिकतम जलस्तर (एम.डब्ल्यू.एल.) के ऊपर हैं। उक्त मकान तीन ओर से पानी से घिरे होने के कारण उन मकानों का मूल्याकंन लोक निर्माण विभाग से करा लिया जाना प्रतिवेदित है। कार्यपालन यंत्री के पत्र दिनांक 19/07/2021 द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं भू-अर्जन अधिकारी सिलवानी को 17 मकानों के 3180.00 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए राशि रू.70,65,600.00 का गणना पत्रक तैयार कर कलेक्टर जिला रायसेन के अनुमोदन हेतु प्रेषित किया गया। कार्यपालन यंत्री के पत्र दिनांक 23.01.2023 द्वारा कलेक्टर जिला रायसेन को आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति के आधार पर दोगुनी राशि रू.1,41,31,200/- का प्रकरण पुनः तैयार कर प्रस्तुत किया गया एवं प्रकरण कलेक्टर जिला रायसेन द्वारा भू-अर्जन अधिकारी, सिलवानी को भेजा गया है। भू-अर्जन अधिकारी सिलवानी द्वारा चाही गयी जानकारी पुन: कार्यपालन यंत्री ने पत्र दिनाँक 10.03.2023 द्वारा प्रेषित की है। कार्यवाही प्रचलन में होना प्रतिवेदित है। (ग) उत्तरांश (ख) अनुसार। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
मोहनपुरा वृहद सिंचाई परियोजना
[जल संसाधन]
10. ( क्र. 150 ) श्री बापूसिंह तंवर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मोहनपुरा बांयी तट (पम्प हाउस एवं रायजिंग मैन) निर्माण की एजेन्सी एल.एण्ड.टी. का संचालन एवं रख-रखाव अवधि समाप्त हो चुकी है एवं कालीपीठ क्षेत्र को सिंचाई करने वाली दांयी तट परियोजना की रख-रखाव अवधि माह जून 2023 में समाप्त हो रही है? (ख) क्या इन योजनाओं के आगामी रख-रखाव एवं संचालन हेतु नवीन एजेन्सी निर्धारित हो गयी है? यदि नहीं, तो आगामी रबी सत्र में सिंचाई कैसे की जावेगी? इस विलम्ब के लिये कौन जवाबदार है? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार आगामी रख-रखाव एवं संचालन हेतु समय-सीमा में नवीन एजेन्सी निर्धारित नहीं होती है? तो इस अनियमितता के लिये कौन दोषी है? क्या दोषी कर्मचारी/अधिकारी के विरुद्ध शासन कोई कार्यवाही करेगा? हाँ तो क्या एवं कब तक? नहीं तो क्यों नहीं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जी नहीं। संचालन एवं रख-रखाव हेतु दिनांक 23.06.2023 को निविदा आमंत्रित की जाना प्रतिवेदित है। कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सिंचाई से वंचित ग्राम
[जल संसाधन]
11. ( क्र. 151 ) श्री बापूसिंह तंवर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या परियोजना संचालक एम.के.पी.एम.यू. राजगढ़ ने प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग के पत्र क्रमांक 1163/तक./वी.आई.पी./एम.के.पी.एम.यू./22 राजगढ़ दिनांक 06.05.2022 से प्रमुख अभियंता जल संसाधन को उनके पत्र क्रमांक 3442200/467/वी.आई.पी./सी.एम. मोनिट/22 भोपाल दिनांक 12.04.2022 से मोहनपुरा परियोजना की डाउन स्ट्रीम में 2200 हेक्टेयर सिंचाई की टी. एस. राशि रुपये 43.87 करोड़ की स्वीकृति सम्बंध में पत्र लिखा है? (ख) यदि हाँ है तो मोहनपुरा परियोजना में सिंचाई से वंछित ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु कब तक निविदा आमंत्रित की जायेगी? कब तक कार्य प्रारंभ हो जायेगा? कब तक सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। पत्र की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) मोहनपुरा परियोजना के तहत सिंचाई से वंचित ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मोहनपुरा परियोजना की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति के प्रस्ताव में उक्त राशि को सम्मिलित कर प्रस्ताव साधिकार समिति के समक्ष प्रस्तुत करने की कार्यवाही प्रचलन में है। साधिकार समिति की अनुशंसा के उपरांत पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त करने की कार्यवाही की जाना संभव होगा। निविदा आमंत्रित करने तथा कार्य प्रारंभ करने के संबंध में निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
शुद्ध लाभ की राशि से सामग्री क्रय
[वन]
12. ( क्र. 179 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या लोकायुक्त संगठन श्री इरफान जाफरी पत्रकार, फायर ब्रिगेड रोड भोपाल द्वारा की गई शिकायत के बाद भी शुद्ध लाभ की राशि में से ग्रामीण विकास एवं वन विकास मद की राशि संबंधित प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों को नहीं दिए जाने पर भी सहकारिता विभाग एवं म.प्र. राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ भोपाल के विरूद्ध प्रश्नांकित दिनांक तक भी प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया गया। (ख) आयुक्त/पंजीयक सहकारिता विभाग विंध्याचल भवन भोपाल से किस-किस दिनांक को किस-किस वर्ष के शुद्ध लाभ की कितनी राशि में से ग्रामीण विकास एवं वन विकास मद की कितनी-कितनी राशि प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों को उपलब्ध नहीं करवाए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। (ग) ग्रामीण विकास एवं वन विकास मद की राशि से गत पांच वर्षों में कितने मूल्य की कौन-कौन सी सामग्री क्रय कर संग्राहकों को वितरित की गई इसकी लोकायुक्त संगठन ने कब-कब जांच की है यदि जांच नहीं की हो तो कारण बतावें। (घ) ग्रामीण विकास एवं वन विकास मद की राशि समितियों को प्रदान नहीं किए जाने, एवं यह राशि खर्च कर दिए जाने का कब तक प्रकरण पंजीबद्ध किया जावेगा?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) सहकारिता विभाग एवं म.प्र. राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के विरूद्ध लोकायुक्त संगठन द्वारा प्रकरण पंजीकृत किये जाने की सूचना विभाग को नहीं है। (ख) ऐसी कोई जानकारी विभाग को प्राप्त नहीं हुई है। (ग) वर्ष 2018 में तेन्दूपत्ता संग्राहकों को वितरित की गयी सामग्री एवं मात्रा तथा राशि की जानकारी निम्नानुसार हैः-
सामग्री का नाम |
वितरित सामग्री (लाख में) |
व्यय राशि (रू. करोड़ में) |
जूता |
11.23 |
21.84 |
चप्पल |
11.11 |
14.51 |
साड़ी |
11.11 |
29.77 |
पानी की बोतल |
22.35 |
42.47 |
योग |
|
108.59 |
जी.एस.टी., परिवहन एवं वितरण व्यय |
24.98 |
|
कुल योग |
|
133.57 |
उपरोक्त सामग्री वितरण की लोकायुक्त संगठन द्वारा जांच किये जाने की सूचना विभाग को नहीं है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) ग्रामीण विकास मद एवं वन विकास मद की राशि का उपयोग शासन के निर्देशानुसार किया जाता है, अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
आरक्षित वन भूमियों का क्रय विक्रय
[वन]
13. ( क्र. 180 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वन ग्रामों की आरक्षित/संरक्षित वन भूमि की रजिस्ट्री होने उसके आधार पर नामांतरण होने, खसरा पंजी बनाकर भूमि को भूस्वामी हक की भूमि दर्ज करने, किसानों को भू-अधिकार पुस्तिका दिए जाने के क्या-क्या अधिकार वन विभाग ने भारतीय वन अधिनियम 1927 या मध्य भारत वन अधिनियम 1950 की किस-किस धारा में राजस्व अधिकारियों को प्रदान किए है। (ख) इंदौर एवं बड़वाह वन मंडल के अंतर्गत किस-किस वन ग्राम की कितनी-कितनी भूमियों की वर्ष 1929 से 2022 तक कितनी रजिस्ट्रियों उप पंजीयक मुद्रांक शुल्क ने पंजीबद्ध की है, किस-किस वर्ष की खसरा पंजी में कितने किसानों के नाम पर कितनी भूमि को भूस्वामी हक में दर्ज किया है, कितने किसानों को राजस्व विभाग ने भू-अधिकार पुस्तिका दी गई है? (ग) वन ग्रामों की आरक्षित वन प्रवेदित भूमियों की रजिस्ट्री होने उनका नामांतरण करने, खसरा पंजी में भू-स्वामी हक दर्ज करने पर वन विभाग ने किस किस के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करवाया यदि अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध नहीं करवाया हो तो कारण बतावें?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) वनग्रामों की आरक्षित/संरक्षित वनभूमि के क्रय-विक्रय का प्रावधान नहीं है। अतः राजस्व अधिकारियों को अधिकार दिये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। (ग) वन मुख्यालय द्वारा समस्त आयुक्त (राजस्व) एवं महानिरीक्षक पंजीयक एवं अधीक्षक मुद्रांक को वनग्रामों की आरक्षित/संरक्षित वन भूमियों के क्रय-विक्रय विधिसंगत नहीं होने एवं वनभूमि के नामांतरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के संबंध में लेख किया गया है। अतः अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
वनग्रामों की आरक्षित वनभूमि
[राजस्व]
14. ( क्र. 181 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर वन मंडल द्वारा 05 एवं बड़वाह वनमंडल द्वारा 09 प्रतिवेदित वन ग्रामों की दिनांक 21/10/1954 को आरक्षित वन अधिसूचित भूमियों को खसरा पंजी में भूस्वामी हक की भूमि दर्ज करने, रजिस्ट्री करने और उसके आधार पर नामांतरण करने का क्या-क्या अधिकार राजस्व अधिकारियों को किसके द्वारा दिया गया हैं? (ख) 05 एवं 09 ग्रामों की किस-किस वर्ष की मिसल बंदोबस्त, खसरा पंजी, राजस्व अभिलेखागार, राजस्व पटवारी एवं ऑनलाईन भू-पोर्टल पर उपलब्ध हैं उसमें किस वर्ष में कितनी-कितनी भूमि भू-स्वामी हक पर दर्ज हैं, किस दिनांक से किस दिनांक तक किस ग्राम की कितनी रजिस्ट्री के दस्तावेज अभिलेखागार में उपलब्ध है? (ग) 05 एवं 09 ग्रामों को किस दिनांक को वनग्राम अधिसूचित या आदेशित किया इन ग्रामों की भूमियों को 21/10/1954 को आरक्षित वन अधिसूचित करने के पूर्व किस वन व्यवस्थापन प्रकरण में धारा 11 एवं धारा 12 मध्य भारत वन विधान 1950 के तहत आदेशित किया, आदेश की प्रति सहित बतावें? (घ) कलेक्टर इंदौर एवं कलेक्टर खरगोन किस आधार पर 05 एवं 09 ग्रामों को वन ग्राम एवं निजी भूमियों को आरक्षित वन प्रतिवेदित कर रहे हैं?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) इन्दौर वन मण्डल अंतर्गत 05 वन ग्रामों एवं बड़वाह वनमण्डल अंतर्गत 9 वनग्रामों की दिंनांक 21/10/1954 को आरक्षित वन अधिसूचित भूमियों को खसरा पंजी में भूमिस्वामी हक रजिस्ट्री करने और उसके आधार पर नामांतरण करने का अधिकार राजस्व अधिकारियों को नहीं दिये गये है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट – 'अ एवं 'ब' अनुसार है। रजिस्ट्री के दस्तावेज राजस्व अभिलेखागार में उपलब्ध नहीं है। (ग) इंदौर में 4 वनग्रामों को आरक्षित वन अधिसूचित करने संबंधी मिसल बंदोबस्त एवं मिसल नक्शा पर दिनांक - 28.7.1953 को इंस्पेक्टर बंदोबस्त फारेस्ट विजिलेंस, इंदौर एवं दि. 26.03.1954 को असिस्टेंट सेटलमेंट आफिसर मध्यभारत, इंदौर के हस्ताक्षर एवं सेटेलमेंट आफिसर मध्यभारत, इंदौर की सील अंकित है। सामान्य वनमंडल बड़वाह के अंतर्गत 09 वन ग्रामों को मध्यभारत फॉरेस्ट एक्ट 1950 की धारा 20 के द्वारा फॉरेस्ट एण्ड ट्रायबल वेलफेयर डिपार्टमेंट ग्वालियर की अधिसूचना क्रमांक/1623/एक्स-एफ/114 (54) दिनांक 09.10.1954 राजपत्र दिनांक 21.10.1954 के द्वारा आरक्षित वन अधिसूचित किया गया। उक्त ग्रामों की भूमियों को 21.10.1954 को आरक्षित वन अधिसूचित करने के पूर्व वन व्यवस्थापन प्रकरण में धारा 11 एवं धारा 12 की कार्यवाही के संबंध में अभिलेख वन मण्डल में उपलब्ध नहीं है। (घ) उत्तरांश (ग) अनुसार है।
म.प्र. लघु वनोपज संघ द्वारा स्वीकृति
[वन]
15. ( क्र. 184 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लघु वनोपज सहकारी संघ भोपाल द्वारा किए जाने वाले व्यापार से हुए शुद्ध लाभ की संपूर्ण राशि प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों को दिए जाने एवं समितियों द्वारा नगद वितरण करने, ग्रामीण विकास एवं वन विकास पर खर्च करने के संबंध में शासन ने कब-कब क्या-क्या आदेश जारी किए वर्तमान में क्या-क्या आदेश लागू हैं? (ख) गत तीन वर्षों में लघु वनोपज संघ को कितनी लागत से कितने ग्रामीण विकास कार्य एवं कितनी लागत के कितने वन विकास कार्य के प्रस्ताव प्राप्त हुए? इनमें से कितने लागत के कितने प्रस्ताव मान्य किए, कितनी लागत के कितने प्रस्तावों पर आपत्ति लगा दी गई? कितने प्रस्ताव अमान्य कर दिए गये? यूनियनवार अलग-अलग बतावें। (ग) समिति के प्रस्तावों को अमान्य किए जाने, आपत्ति लगाए जाने की कार्यवाही संघ में किस-किस पद पर पदस्थ किस-किस अधिकारी के द्वारा की गई उसे संघ की उपविधि की किस-किस कंडिका में इस बाबत् क्या-क्या अधिकार दिया गया? (घ) ग्रामीण विकास एवं वन विकास मद की कितनी राशि प्रश्नांकित दिनांक तक भी समितियों को नहीं दी गई? यह राशि संघ के किस-किस खाते में जमा है? वर्षवार बतावें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) लघु वनोपज सहकारी संघ भोपाल द्वारा किए जाने वाले व्यापार से हुये शुद्ध लाभ की राशि संग्राहकों को नगद वितरण करने, ग्रामीण विकास एवं वन विकास पर खर्च करने के संबंध में शासन के निर्देश वर्ष 1998, 2006, 2012 एवं 2022 में दिये गये है। वर्तमान में म.प्र. शासन के निर्देश दिनांक 11.03.2022 के आदेश लागू है। उक्त आदेशों की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 अनुसार है। (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) राज्य में लघु वनोपजों का व्यापार त्रिस्तरीय सहकारिता की संरचना के तहत किया जाता है, जिसमें प्राथमिक स्तर पर प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियां, जिला स्तर पर जिला स्तरीय सहकारी यूनियन तथा शीर्ष स्तर पर म.प्र. राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित, भोपाल कार्यरत है। इसी संरचना के तहत वनोपज व्यापार के लाभ से ग्रामीण अधोसंरचना एवं वन विकास मद के कार्यों के संबंध में म.प्र. राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा निर्णय लिया जाता है तथा जिला एवं प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों को निर्देश एवं मार्गदर्शन दिया जाता है। प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति में उप नियम 3 में भी तदानुसार प्रावधान दिये गये है प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-2 अनुसार है। (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के वन रक्षकों की भर्ती
[वन]
16. ( क्र. 200 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान वित्तीय वर्ष सहित पिछले 3 वित्तीय वर्षों में विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के लिए किन-किन पदों के लिए कितने-कितने पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन आहूत किए गए? विज्ञापनवार, वर्षवार, संख्यावार, पदवार विवरण उपलब्ध करावें? (ख) विज्ञापित/प्रकाशित पदों के विरूद्ध किन-किन पदों के लिए कितने-कितने आवेदन प्राप्त हुए? कितने आवेदन पात्र पाए गए? कितने अपात्र पाए गए? कितनों को साक्षात्कार/दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया? साक्षात्कार के विरूद्ध कितने एवं किन-किन को नियुक्तियां दी गई? (ग) किस-किस भर्ती प्रक्रिया में कितने आवेदनों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र पाए गए? यदि नहीं, तो क्या जाति प्रमाण-पत्रों की जांच सूक्ष्मता से कराई जावेगी? कितने आवेदन किन-किन कारणों से अमान्य/अस्वीकृत किया गया? (घ) क्या यह सही है कि पिछले माहों/वर्षों में विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के लिए वनरक्षकों के 372 पदों के विरूद्ध लगभग 95 पदों पर भर्ती हुई और अन्य पद रिक्त हैं? रिक्त पदों का विवरण दें? क्या रिक्त पदों पर भर्ती के लिए अक्टूबर 2023 से पहले भर्ती प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी? नहीं क्यों?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग जिसमें विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए भर्ती के संबंध में वन विभाग की जानकारी निरंक है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 में अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग जिसमें विशेष पिछड़ी जनजाति (PGT) भी शामिल के लिए विज्ञापित पदों की जानकारी निम्नानुसार है:-
विभाग |
पदनाम |
विज्ञापित पदों की संख्या |
वन विभाग |
वनरक्षक |
373 |
सहायक ग्रेड-3 |
26 |
|
स्टेनो टायपिस्ट |
9 |
|
म.प्र. राज्य वन विकास निगम |
वरिष्ठ लेखापाल |
2 |
क्षेत्ररक्षक |
28 |
|
लेखापाल |
4 |
(ख) उत्तरांश "क" के अनुक्रम में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 में है। जिन्हें नियुक्ति दी गई है उनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-2 में है। (ग) उक्त भर्ती में कोई भी जाति प्रमाण पत्र फर्जी नहीं पाया गया। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। निर्धारित अभिलेख/अर्हता न होने के कारण 206 अभ्यार्थियों के आवेदन पत्र अमान्य/अस्वीकृत किये गये। (घ) उत्तरांश "क" विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के लिए वनरक्षकों के 372 के विरूद्ध नहीं बल्कि 373 पदों के विरूद्ध 95 पदों पर भर्ती की गई है। शेष रिक्त पदों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-3 में है। जिसकी भर्ती की कार्यवाही कर्मचारी चयन मण्डल के माध्यम से प्रारम्भ है।
कार्य योजनाओं एवं ग्रामों के पुनर्वास की जानकारी
[वन]
17. ( क्र. 201 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 तक वनों के प्रबंधन के कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन एवं ग्रामों के पुनर्वास हेतु मुआवजे का आवंटन किया गया है? दिशा-निर्देश सहित जिलेवार वर्षवार पृथक-पृथक जानकारी प्रदान करें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त आवंटन से कौन-कौन से कार्य कराये गये? कार्य में कितना व्यय हुआ, वनमण्डल अनुसार कार्यवार व्यय की गई राशि का विवरण एवं शेष राशि का उपयोग न होने का कारण पृथक-पृथक प्रदान करें? (ग) यदि प्राप्त आवंटन के विरूद्ध शेष राशि का उपयोग किसी अन्य कार्य में किया गया हो तो, जानकारी प्रदान करें?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) कार्य आयोजना के क्रियान्वयन के अंतर्गत मुआवजे का आवंटन नहीं किया गया है तथा न ही ऐसे कोई निर्देश हैं। ग्रामों के पुनर्वास हेतु मुआवजे के आवंटन की जिलेवार/वनमंडलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 में है। ग्रामों के पुनर्वास हेतु मुआवजा आवंटन के दिशा निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-2 में है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 में है। (ग) शेष राशि का उपयोग किसी अन्य कार्य में नहीं किया गया है।
किसानों को फसल क्षतिपूर्ति का भुगतान
[राजस्व]
18. ( क्र. 220 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 20-03-2020 से दिनांक 30-05-2023 तक विधान सभा क्षेत्र भीकनगांव में कितने किसानों को फसल क्षतिपूर्ति के रूप में कितना भुगतान किया गया? (ख) सरकार द्वारा कितनी राशि दी गई और किसान बीमा कंपनी द्वारा कितनी राशि का भुगतान किया गया? (ग) ऐसे कितने प्रकरण हैं जिनमें खाता नम्बर में हेर- फेर करके किसान को दी जाने वाली राशि किसी अन्य के खाते में ट्रांसफर कर दी गयी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) खरगोन जिले के विधानसभा क्षेत्र भीकनगांव अन्तर्गत दिनांक 20.03.2020 से दिनांक 30.05.2023 तक किसानों को फसल क्षतिपूर्ति के रूप में निम्नानुसार राहत राशि का भुगतान किया गया :-
क्र. |
वर्ष |
किसानों की संख्या |
भुगतान राशि |
1. |
2020-21 |
19313 |
164526090 |
2. |
2021-22 |
निरंक |
निरंक |
3. |
2022-23 |
निरंक |
निरंक |
4. |
30.05.2023 तक |
निरंक |
निरंक |
|
योग |
19313 |
164526090 |
(ख) विधानसभा क्षेत्र भीकनगांव अंतर्गत राहत राशि 16,45,26,090/- रूपये का भुगतान किया गया है। बीमा कंपनी द्वारा कुल राशि 19,39,42,137/- रूपये का भुगतान किया गया। (ग) जानकारी निरंक है।
वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज एवं बडे गोदामों का संचालन
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
19. ( क्र. 227 ) श्री अजब सिंह कुशवाह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला मुरैना, ग्वालियर, अशोकनगर, गुना, सीहोर, विदिशा में कितने वेयर हाउस, कोल्डस्टोरेज एवं बड़े गोदाम (म.प्र. शासन द्वारा अनुमति प्राप्त) संचालित है? वे कितनी-कितनी क्षमता के है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार कितने वेयर हाउस, कोल्डस्टोरेज, बड़े गोदामों को म.प्र. शासन एवं म.प्र. स्टेट वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा किराया/लीज पर लिया गया है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के अनुसार किन-किन खाद्यान्न सामग्री/अन्य वस्तु के लिए लीज/किराये पर लिये गये है? क्या-क्या दरों पर लिये गये है? सम्पूर्ण जानकारी देवें? (घ) प्रश्नांश (ग) के अनुसार जो दर है वह मात्रा के अनुसार है या सम्पूर्ण वेयर हाउस, कोल्डस्टोरेज, बड़े गोदामों के लिये है? पिछले 5 वर्ष की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराये?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) 1. कोल्डस्टोरेज का संचालन या पर्वेक्षण इस विभाग द्वारा नहीं किया जाता है। 2. जिला मुरैना में 34 वेयर हाउस क्षमता 133379.11 मे. टन, जिला ग्वालियर में 54 वेयर हाउस क्षमता 335555.51 मे. टन, जिला अशोकनगर में 59 वेयर हाउस क्षमता 321102.39 मे. टन, जिला गुना में 72 वेयर हाउस क्षमता 306694.65 मे. टन, जिला सीहोर में 360 वेयर हाउस क्षमता 1742014.24 मे. टन, जिला विदिशा में 295 वेयर हाउस क्षमता 1433881.45 मे. टन के म.प्र. शासन द्वारा अनुमति प्राप्त वेयर हाउस संचालित है। (ख) 1. कोल्डस्टोरेज का संचालन या पर्वेक्षण इस विभाग द्वारा नहीं किया जाता। 2. प्रश्नाधीन जिलों में मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन द्वारा किराया/लीज पर लिये गये गोदामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'अ' अनुसार है। (ग) 1. मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन द्वारा जिन्सवार दर निर्धारण के लिए जारी परिपत्र पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'ब' अनुसार है। 2. शासकीय स्कंध के भंडारण हेतु भारत सरकार द्वारा निर्धारित दर के संबंध में जारी परिपत्र क्रमांक-9-14/2022 SG-I दिनांक 10.05.2022 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'स' अनुसार है। (घ) 1. कोल्डस्टोरेज का संचालन या पर्वेक्षण इस विभाग द्वारा नहीं किया जाता। 2. प्रश्नांश में बड़े गोदामों का उल्लेख है, गोदामवार जानकारी वृहद स्वरूप की है, अत: 10000 मे. टन या इससे अधिक क्षमता के गोदामों की प्रश्नाधीन जिलों की वर्षवार, जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'द' अनुसार है।
सब रेंज लवाणी के वन भूमि पर अवैध कब्जा
[वन]
20. ( क्र. 248 ) श्री उमंग सिंघार : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले में माण्डव रेंज के सबरेंज लवाणी में कंपारमेंट नंबर 243 एवं 244 में वन अधिकार पत्र वितरण के पश्चात वृक्षों की कटाई कर कितनी वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा हुआ है? यदि हाँ तो दोषी अधिकारी व कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो वन अधिकार पत्र वितरण के पश्चात शेष वन भूमि के सर्वे नंबर की जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार सबरेंज लवाणी में अधिकारी एवं वनकर्मियों द्वारा मिलीभगत कर ग्रामीणों से रूपये लेकर वनभूमि पर कब्जा करवाया जा रहा है एवं वन अधिकार पत्र के अतिरिक्त एक-एक व्यक्ति को सौ-सौ बीघा वन भूमि पर अवैध कब्जा करवाया जा रहा है? यदि हाँ तो दोषी अधिकारियों एवं वनकर्मियों पर क्या कार्यवाही की जायेगी?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) वन मंडल धार में वन परिक्षेत्र नांडव की सबरेंज लवाणी में कक्ष क्रमांक आर. एफ. 243 में वृक्षों की कटाई कर वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा नहीं किया गया है, जबकि कक्ष क्रमांक आर. एफ. 244 में 0.78 हेक्टेयर वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर अवैध रूप से कब्जा किया गया है, जिसे हटाने के विभागीय प्रयास किये जा रहे है। विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। विभागीय वन अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा नियमानुसार वन अपराध प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की गई है अत: इनके विरूद्ध कोई कार्यवाही किये जाने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। इन वन कक्ष क्रमांकों में वन अधिकार पत्र वितरण उपरांत शेष वन भूमि को सर्वे नम्बर में विभक्त नहीं किया गया है। अत: सर्वे नंबर की जानकारी उपलब्ध कराने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ख) यह सत्य नहीं है कि सबरेंज लवाणी अंतर्गत वन अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा मिलीभगत कर ग्रामीणों को सौ-सौ बीघा वन भूमि पर कब्जा कराया जा रहा है। अत: किसी भी वन अधिकारी/कर्मचारियों पर किसी प्रकार की कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
खनिज की रायल्टी क्लियरेन्स
[खनिज साधन]
21. ( क्र. 275 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खनिज अधिकारी द्वारा सिंगरौली एवं सोनभद्र जिले में किये जा रहे निर्माण कार्यों में लगने वाले खनिज की रायल्टी क्लियरेन्स दिया जा रहा है? यदि हाँ तो टीपी सहित दिये क्लियरेन्स की प्रति उपलब्ध कराये? (ख) क्या सीधी एवं सिंगरौली जिले में हो रहे निर्माण कार्यों में लगने वाले रायल्टी में टीपी सत्यापन की सहमति सीधी एवं सिंगरौली खनिज अधिकारी से प्राप्त की गई है? यदि हाँ तो प्रति उपलब्ध कराये? (ग) क्या अन्य जिले की टीपी सत्यापन करने का नियम है? यदि हाँ तो नियम की प्रति उपलब्ध कराये? यदि नहीं, तो नियम विरूद्ध किये जा रहे रायल्टी सत्यापन करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ तो कब तक? (घ) वित्तीय वर्ष 2021-22 से वर्ष 2023-24 तक कितनी बार कब कब न्यास मंडल की बैठक की गई। बैठक में किसके-किसके द्वारा कितना-कितना प्रस्ताव प्राप्त हुआ एवं प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर कितने कितने लागत के कार्य स्वीकृत किये गये है वर्षवार जानकारी देवें तथा वर्षवार आडिट की जानकारी उपलब्ध करावें?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। सिंगरौली जिले में निर्माण कार्यों में उपयोग किये गये खनिज की रॉयल्टी चुकता प्रमाण-पत्र रॉयल्टी रसीदों के सत्यापन के उपरांत जारी किये गये हैं। वांछित अनुसार वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में जारी किये गये रॉयल्टी चुकता प्रमाण-पत्र की प्रति एवं प्रस्तुत किये गये ट्रांजिट पास का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ख) जी नहीं। अत: प्रश्नांश के शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) संबंधित जिले के ट्रांजिट पास का सत्यापन उसी जिले के द्वारा किया जाना प्रावधानित है। अन्य जिलों के ट्रांजिट पास का सत्यापन सीधी एवं सिंगरौली जिले में नहीं किया गया है। अत: प्रश्नांश अनुसार कार्यवाही किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) प्रश्नांश से संबंधित सिंगरौली जिले में आयोजित न्यास मण्डल की वर्षवार बैठक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। न्यास मण्डल को प्राप्त प्रस्ताव का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स पर दर्शित है। न्यास मण्डल की बैठक में प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर स्वीकृत कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द पर दर्शित है। सिंगरौली जिले में जिला खनिज प्रतिष्ठान मद से वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में कराये गये कार्यों का ऑडिट हो चुका है, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ई पर दर्शित है। वित्तीय वर्ष 2023-24 का ऑडिट वित्तीय वर्ष की समाप्ति उपरांत कराया जाएगा। प्रश्नांश अनुसार सीधी जिले में आयोजित न्यास मण्डल की बैठक, न्यास मण्डल को प्राप्त प्रस्ताव तथा न्यास मण्डल को प्राप्त प्रस्ताव अनुसार स्वीकृत किये गये कार्य एवं कराये गये कार्यों के ऑडिट का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-फ पर दर्शित है।
भू-अधिकार पट्टों का प्रदाय
[राजस्व]
22. ( क्र. 276 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले में तहसीलवार भूमिहीन हितग्राहियों को भू-अधिकार पट्टा दिये जाने के संबंध में विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की जानकारी वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक दी जाये। कब-कब सर्वे कार्य कराया गया, कितने हितग्राहियों को चिन्हांकन किया गया एवं चिन्हांकन उपरांत कितने हितग्राहियों को पट्टा वितरण किया गया? पृथक-पृथक जानकारी ग्रामवार, ग्रामपंचायतवार, हितग्राहीवार देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में चिन्हांकित हितग्राहियों में से ऐसे कितने हितग्राही है जिन्हें आज दिनांक तक पट्टा वितरण नहीं किया गया है? कारण सहित सूची ग्रामवार, ग्रामपंचायतवार, हितग्राहीवार उपलब्ध कराई जाय। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितने हितग्राही है जिन्हें पट्टा प्रदाय किया गया है और उन्हें विभाग द्वारा आज दिनांक तक स्थल नहीं बताया गया है। सीमांकन नहीं कराया गया है जिससे हितग्राही प्राप्त पट्टा भूमि पर आबाद नहीं हो पाये है। ऐसे हितग्राहियों की कारण सहित जानकारी ग्रामवार, ग्रामपंचायतवार, हितग्राहीवार उपलब्ध कराई जाय। (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितने हितग्राही है जिन्हें पट्टा अप्राप्त है किन्तु उन्होंने विभागीय अधिकारियों के आश्वासन के आधार पर घर बना लिये है ऐसे हितग्रहियों की कारण सहित जानकारी ग्रामवार, ग्रामपंचायतवार, हितग्राहीवार उपलब्ध कराई जाये।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले में भूमिहीन हितग्राहियों को भू-अधिकार पट्टा दिये जाने संबंधी जानकारी तहसीलवार पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) से (घ) जानकारी निरंक है।
किसानों की भूमि के नक्शों में विसंगति
[राजस्व]
23. ( क्र. 280 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सिहावल में प्रश्न दिनांक तक ऐसे कितने कृषक हैं जिनकी भूमि के नक्शे में विसंगति हैं और उन्होंने नक्शे सुधारे जाने हेतु आवेदन दिया है? (ख) उपरोक्त में से ऐसे कौन-कौन से प्रकरण हैं जो छ: माह या उससे अधिक अवधि से लंबित हैं? (ग) सभी लंबित प्रकरणों का किस दिनांक तक निराकरण हो जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) उपखण्ड सिहावल अन्तर्गत नक्शे में विसंगति के सुधार किये जाने हेतु कुल 254 कृषकों द्वारा प्रस्तुत आवेदन न्यायालयीन प्रक्रिया के अन्तर्गत न्यायाधीन है। (ख) उपखण्ड अधिकारी सिहावल के न्यायालय में छः माह या उससे अधिक अवधि से लम्बित कुल 254 प्रकरण न्यायालयीन प्रक्रिया के अन्तर्गत न्यायाधीन है। (ग) म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 115 में नक्शा सुधार संबंधी प्रकरणों के निराकरण की समय-सीमा विहित नहीं है, तदापि उत्तरांश (क) में उल्लेखित प्रकरणों का शीघ्रता से निराकरण किया जावेगा।
जमीन अधिग्रहण पर भूमि का मुआवजा
[राजस्व]
24. ( क्र. 346 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यूपीए सरकार ने भू-अर्जन अधिनियम 1894 के स्थान पर नया अधिनियम व उचित मुआवजा लागू किया, यह एक जनवरी 2014 से प्रभावी भी हुआ, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर मुआवजे को आधा कर दिया, शहरी क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण पर भूमि का दोगुना तथा ग्रामीण क्षेत्र में चार गुना मुआवजा था, लेकिन कम कर दिया गया है? (ख) क्या भारत सरकार ने 9/2/2016 को गजट नोटिफिकेशन के द्वारा अधिसूचित किया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में जिस गुणक द्वारा बाजार मूल्य को गुणा किया जाना है, वह गुणक 2.00 (दो) होगा? (ग) यदि प्रश्नांश (क) और (ख) सही है तो भारत सरकार द्वारा 09/02/2016 द्वारा संशोधित दरें मध्यप्रदेश में कब लागू की गई हैं? यदि लागू नहीं की गई हैं तो कब तक लागू कर दी जायेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। नये भू-अर्जन अधिनियम, 2013 में राज्यों को गुणांक निर्धारण का अधिकार दिया गया था जिसके क्रम में राज्य सरकार द्वारा दिनांक 29/09/2014 में इसे एक निर्धारित किया गया। (ख) जी हाँ। (ग) प्रश्नांश (ख) भारत सरकार से संबंधित है। उत्तरांश (क) के संदर्भ में प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
खिवनी अभयारण्य का विकास
[वन]
25. ( क्र. 353 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में कितने अभयारण्य है उनकी संख्या बतावें एवं उनके विकास हेतु शासन की क्या कार्य योजना है एवं वर्ष 2019-20 से उक्त अभयारण्य को विकसित किये जाने हेतु प्रश्नांश दिनांक तक कितनी राशि दी गई है राशि का उल्लेख करें? (ख) खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत खिवनी अभयारण्य है उक्त अभयारण्य को देखने के लिये पर्यटक दूर-दूर से आते है फिर उक्त अभयारण्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित है इसका क्या कारण है? (ग) खिवनी अभयारण्य का विकास नहीं किये जाने का क्या कारण है विभाग/शासन उक्त अभयारण्य को विकसित किये जाने हेतु क्या कोई कार्य योजना बना रहा है? (घ) वर्तमान में खिवनी अभयारण्य में कई प्रजातियों के जंगली जानवर है उनकी देखभाल एवं रख-रखाव (सुरक्षा) हेतु शासन की क्या योजना है बतावें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) मध्यप्रदेश में 24 अभयारण्य हैं। अभयारण्य के विकास तथा उनके संरक्षण एवं संवर्धन हेतु 10 वर्षीय प्रबंध योजना का अनुमोदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), मध्यप्रदेश द्वारा किये जाने का प्रावधान है। खिवनी अभयारण्य हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 से प्रश्नांश दिनांक तक राशि रूपये 5.91 करोड़ प्राप्त हुई है। (ख) यह सही नहीं है कि खिवनी अभयारण्य में मूलभूत़ सुविधाएं नहीं हैं। पर्यटकों के ठहरने हेतु कॉटेज, वन भ्रमण हेतु जंगल सफारी एवं पर्यटकों के दर्शन हेतु प्राकृतिक वनक्षेत्र में व्यवस्थायें उपलब्ध है। अभयारण्य में पर्यटकों की सुविधा को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। (ग) उत्तरांश ''क'' एवं ''ख'' अनुसार यह सही नहीं है कि खिवनी अभयारण्य का विकास नहीं किया जा रहा है। अत: कारण बताया जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। खिवनी अभयारण्य के विकास हेतु प्रबंध योजना वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2032-33 तक 10 वर्षों की तैयार की गई है। (घ) खिवनी अभयारण्य में वन्यप्राणियों की देखभाल एवं रख-रखाव (सुरक्षा) हेतु प्रबंध योजना एवं वन्यप्राणी रहवास प्रबंधन, अग्नि सुरक्षा, अतिक्रमण सुरक्षा, वाहन पेट्रोलिंग, नवीन स्थायी एवं अस्थायी कैम्पों के निर्माण एवं चेनलिंक फेंसिंग इत्यादि का प्रावधान किया गया है।
उचित मूल्य दुकान के अंतर्गत ग्रामों में सब सेंटर खोले जाना
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
26. ( क्र. 354 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ऐसी कितनी उचित मूल्य की दुकानें है जिससे जुड़े हुये ग्रामों की दूरी 05 कि.मी. तक की है उन दुकानों के नाम बतावें? (ख) खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जिन उचित मूल्य दुकानों से 05 कि.मी. तक की दूरी से अधिक दूरी के ग्रामों के हितग्राहियों की सुविधा हेतु शासन की क्या योजना है? (ग) उचित मूल्य दुकान के अंतर्गत सब सेंटर खोले जाने संबंधी क्या प्रावधान है? (घ) खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कई ऐसी उचित मूल्य की दुकानें है जिससे जुडे हुये ग्रामों की दूरी लगभग 05 कि.मी. से अधिक है तो क्या निकट के ग्राम में उचित मूल्य सब सेंटर खोले जावेंगे?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) प्रश्नांकित विधानसभा क्षेत्रांतर्गत 15 उचित मूल्य दुकानें से संलग्न 15 ग्राम ऐसे हैं जिनकी दूरी 05 कि.मी. अथवा उससे अधिक है। उक्त दुकानों एवं ग्रामों के नाम तथा दुकान से उनकी दूरी की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) म.प्र. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2015 के प्रावधान अनुसार प्रत्येक पंचायत में 01 दुकान खोलने का प्रावधान है। पंचायत में 800 से अधिक पात्र परिवार होने की स्थिति में अतिरिक्त दुकान खोलने का प्रावधान है। (ग) म.प्र.सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2015 अंतर्गत उचित मूल्य दुकान के अंतर्गत सब सेंटर (उपदुकान) खोलने का वर्तमान में प्रावधान नहीं है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर अनुसार।
भू-धारणाधिकार प्रमाण पत्र का प्रदाय
[राजस्व]
27. ( क्र. 400 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर निगम जबलपुर के वार्ड क्र. 72 रैंगवां में लगभग 20 वर्षों से 269 गरीब आदिवासी/अनुसूचित जाति के परिवार निवासरत हैं? (ख) क्या ऐसे भूमिहीनों परिवारों को भू-धारणाधिकार प्रमाण पत्र दिये जायेंगे? ताकि वे प्रधानमंत्री आवास योजना से अपना घर बना सके? (ग) यदि हाँ तो कब तक? (घ) यदि नहीं, तो बांस, बल्ली, तिरपालों के सहारे कब तक गुजर बसर कर पायेंगे?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) नगर निगम जबलपुर के वार्ड क्रमांक 72 रैंगवां में जो 269 गरीब आदिवासी/अनुसूचित जाति के व्यक्ति निवासरत है वह खसरा नंबर 220 एवं 221 जो कि लोक स्वास्थ यांत्रिकीय विभाग परियोजना खंड जबलपुर राष्ट्रीय नदी कार्य योजना के नाम पर दर्ज है का मद परिवर्तन हेतु प्रकरण 02/अ-20/2023-24 जिला नजूल निवर्तन समिति से अनुमोदन उपरांत संभागीय नजूल निवर्तन समिति की ओर प्रेषित किया गया है। मद परिवर्तन उपरांत आवेदन प्राप्त होने पर पात्र हितग्राहियों को मुख्यमंत्री नगरीय भू-अधिकार योजना (धारणाधिकार) के पट्टे वितरित कर दिये जावेंगे इस ग्राम में खसरा नंबर 250, 230 एवं 232 पर 86 पात्र हितग्राहियों के मुख्यमंत्री नगरीय भू-अधिकार योजना (धारणाधिकार) के पट्टे स्वीकृत किये जा चुके है। (ग) मद परिवर्तन उपरांत मुख्यमंत्री नगरीय भू-अधिकार योजना (धारणाधिकार) पट्टे नियमानुसार प्रदान किये जावेंगे। (घ) प्रश्न उद्भूत नहीं होता है
शासकीय मरघट की भूमि खसरे में दर्ज किया जाना
[राजस्व]
28. ( क्र. 422 ) डॉ. सतीश सिकरवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम जींगनी तहसील जिला मुरैना भूमि सर्वे क्रमांक 580 रकवा 0.8500 आ.ए शासकीय मरघट वर्ष 1958 से 1962 तक राजस्व खसरे में अंकित रहा था? (ख) क्या यह भी सही है उक्त शासकीय सर्वे नम्बर की भूमि को वर्ष 1963 से 1973 तक शासकीय खसरे में कहीं भी अंकित नहीं किया गया था एवं वर्ष 1974 से 2000 तक पुनः सर्वे नम्बर को शासकीय भूमि मरघट में इन्द्राज की गई थी बीच के वर्षों में इस शासकीय भूमि मरघट में क्यों नहीं इन्द्राज की गई पूर्ण तथ्यों सहित जानकारी दी जावे? (ग) क्या उक्त भूमि को वर्ष 2000 से जून 2023 तक निजी लोगों के नाम केसे अंकित की जाकर खसरे उनके नाम अंकित किये गये? (घ) क्या उक्त ग्राम की भूमि सर्वे नम्बर 578, रकवा 0.0200 एवं 0579 वर्ष 1997-98-2000 तक शासकीय भूमि के रूप में पोखर के बजाय निजी लोगों के नाम कैसे अंकित होकर जून 2023 तक अंकित है क्या शासन जांचकर निजी लोगों के नाम काटकर शासकीय पोखर (तालाब) अंकित करायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) ग्राम जींगनी के सर्वे क्र. 580 रकवा 0.85 हेक्टर जिसका बन्दोबस्त के पूर्व सर्वे क्रमाक 397 रकवा 4 बीघा 1 विस्वा था जो वर्ष 1958 से 1962 यानि (संवत 2015 से 2019) तक राजस्व खसरे में शासकीय मरघट के रुप में दर्ज नहीं था। बल्कि जीवा बल्द जोधा जाति भोई के नाम भूमिस्वामी के नाम से दर्ज था। खसरा संवत 2015 से 2019 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 अनुसार है। (ख) वर्ष 1963 से 1973 (संवत 2020 से 2030) एवं वर्ष 1974 से 1980 तक ग्राम जींगनी का भूमि सर्वे क्रमांक 580 जिसका बन्दोबस्त पूर्व सर्वे क्रमांक 397 था, राजस्व अभिलेख खसरा में जीवा वल्द जौधा कौम भोई साकिन देह भूमिस्वामी के नाम से दर्ज है। वर्ष 1980 में नामान्ताण पंजी क्रमांक 58 दिनांक 25.06.1981 से मृतक जीवाराम के बजाय गुल्लों वेवा जीवाराम के नाम नामान्तरण स्वीकार की टीप अंकित है। खसरा वर्ष 1982 पर जर्ये विक्रय पत्र नामान्तरण पंजी क्रमांक 144 दिनांक 24.03.1983 से बजाय विक्रेता गुल्लों के स्थान पर क्रेता बृजनन्दन, महेश, राजीव, मनीश, दिग्विजय पुत्रगण मातादीन के नाम से नामान्तरण स्वीकृत की टीप अंकित है। खसरा सन् 1963 से 1983 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-2 अनुसार, खसरासंवत 1984 से 2000 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-3 अनुसार है। ग्राम जींगनी उक्त भूमि वर्ष 1958 से आज तक निजी भूमिस्वामी स्वत्व पर राजस्व अभिलेख में दर्ज है न कि शासकीय मरघट के रुप में। (ग) ग्राम जींगनी के सर्वे क्र. 580 रकवा 0.85 हेक्टर वर्ष 2000 से 2023 तक बृजनन्दन, महेश, राजीव, मनीश पुत्रगण मातादीन ब्रा. भूमिस्वामी स्वत्व पर दर्ज थी। निरंतर खसरों में आज दिनांक तक उक्त भूमि उनके वारिसान के नाम भूमिस्वामी स्वत्व पर अंकित है। खसरा संवत 1984 से 2000 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-3 तथा खसरा संवत 2001 से 2023 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-4 अनुसार है। (घ) ग्राम जींगनी का सर्वे 578 रकवा 0.02 हेक्टर वर्ष 1997 से 2000 यानि (संवत 2053 से 2057) तक राजस्व अभिलेख खसरा में शासकीय पोखर के रुप में अंकित था। बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश से उक्त सर्वे नं. वर्ष 2001-2002 से बृजनन्दन, महेश, राजीव, मनीश पुत्रगण मातादीन ब्रा. भूमिस्वामी स्वत्व पर दर्ज होकर निरंतर खसरा में आज दिनांक तक उक्त भूमि उनके वारिसान के नाम भूमिस्वामी स्वत्व पर अंकित है। शासकीय पोखर (तालाब) को निजी व्यक्तियों के नाम किये जाने के संबंध में पृथक से जांच कार्यवाही तहसील कार्यालय मुरैना में प्रचलित है। खसरा संवत 1984 से 2000 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-3 अनुसार है। खसरा संवत 2001 से 2023 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-4 अनुसार है।
अटल प्रोग्रेस-वे के लिये भूमि का अधिग्रहण
[राजस्व]
29. ( क्र. 423 ) डॉ. सतीश सिकरवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सही है कि चम्बल सम्भाग में अटल प्रोग्रेस-वे के भूमि अधिग्रहण पर दिनांक 28 मार्च 2023 को माननीय मुख्यमंत्री जी ने श्योपुर, मुरैना, भिण्ड के कलेक्टरों को विडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से रोकने की घोषणा की गई थी, जून 2023 की स्थिति में जानकारी दी जावें? (ख) क्या यह भी सही है मुरैना, भिण्ड, श्यौपुर जिलों में अटल प्रोग्रेस-वे को लेकर चम्बल घाटी के किसानों द्वारा उनकी अधिकांश भूमि इस सड़क मार्ग में जाने से आन्दोलन किया था तथा नवम्बर 2022 से अप्रैल 2023 तक कमिश्नर, कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारियों के कार्यालय पर कब-कब प्रदर्शन कर ज्ञापन दिये, उन पर क्या कार्यवाही की गई प्रदर्शन, ज्ञापन, दिनांक सहित पूर्ण जानकारी दी जावें? (ग) क्या अटल प्रोग्रेस-वे के भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही रोकने के लिखित आदेश अभी तक जिलों के कलेक्टरों द्वारा अधीनस्थ अधिकारियों को क्यों नहीं दिये गये है आदेश कब तक दिये जावेंगे? (घ) अटल प्रोग्रेस-वे का नया सर्वे कब तक कराया जावेगा या पुराने सर्वे जो संबल के किनारे वाली जमीन का ही अधिग्रहण कर सड़क मार्ग का कार्य किया जावेगा जानकारी दी जावे?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) परियोजना निदेशक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग, परियोजना इकाई ग्वालियर के पत्र दिनांक 27.06. 2023 अनुसार दिनांक 28.03.2023 को माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा वीडियो कांफ्रेस में अटल प्रोग्रेस वे के संरक्षण पर पुनः विचार करने हेतु भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निर्देश प्रदान किये गये है। (ख) जिला भिण्ड के अनुभाग अटेर के जिला भिण्ड के ग्राम प्रतापपुरा में 14 फरवरी से 05 मार्च 2023 तक किसानों द्वारा प्रदर्शन किया गया था। नवम्बर 2022 से अप्रैल 2023 तक की अवधि में कलेक्टर जिला भिण्ड को दिनांक 06 दिसम्बर 2022 एवं दिनांक 30 मार्च 2022 को ज्ञापन दिये गये थे जो अग्रिम कार्यवाही हेतु शासन को भेजे गये है। मुरैना जिले में अटल प्रोग्रेस-वे निर्माण से संबंधित विभिन्न कृषकगणों द्वारा 10 ज्ञापन प्रस्तुत किए गए, जो कि परियोजना निदेशक, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, ग्वालियर एवं सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग, भोपाल की ओर विभिन्न दिनांकों में आगामी कार्यवाही हेतु भेजे गये है। जो कि निम्नानुसार है:-
क्र. |
ज्ञापन प्राप्ति दिनांक |
आगामी कार्यवाही हेतु प्रेषित कार्यालय |
प्रेषित दिनांक |
1 |
08.12.2022 |
परियोजना निदेशक, एनएच, ग्वालियर |
19.12.2022 |
2 |
09.12.2022 |
परियोजना निदेशक, एनएच, ग्वालियर |
19.12.2022 |
3 |
21.12.2022 |
परियोजना निदेशक, एनएच, ग्वालियर |
23.12.2022 |
4 |
17.01.2023 |
सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग, भोपाल |
19.01.2023 |
5 |
27.12.2022 |
सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग, भोपाल |
19.01.2023 |
6 |
09.01.2023 |
सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग, भोपाल |
19.01.2023 |
7 |
27.01.2023 |
सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग, भोपाल |
01.02.2023 |
8 |
24.01.2023 |
सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग, भोपाल |
01.02.2023 |
9 |
21.02.2023 |
सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग, भोपाल |
21.03.2023 |
10 |
16.05.2023 |
सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग, भोपाल |
02.06.2023 |
श्योपुर अन्तर्गत दिनांक 02-02-2023 को अटल प्रोग्रेस-वे किसान संघर्ष समिति जिला श्योपुर के द्वारा माननीय मुख्यमंत्री, म.प्र. शासन भोपाल को संबोधित ''अटल प्रोग्रेस वे'' के अन्तर्गत अधिग्रहीत की जा रही भूमि पर भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार बाजार मूल्य से 4 गुना मुआवजा देने विषयक ज्ञापन एवं दिनांक 25 फरवरी 2023 को एक दिवसीय श्योपुर बंद करने का आव्हान किया गया था। ज्ञापन दिनांक 02-02-2023 सचिव, माननीय मुख्यमंत्री, म.प्र. शासन भोपाल की ओर आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजा गया। (ग) उत्तरांश 'क' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) वर्तमान में अटल प्रोग्रेस-वे हेतु आवश्यक भूमि के अधिग्रहण हेतु 3 (A) अधिसूचना का प्रकाशन भारत के राजपत्र में किया जा चुका है। तदनुसार नियमानुसार कार्यवाही प्रचलित है।
कृषि भूमि के नक्शों में सुधार
[राजस्व]
30. ( क्र. 462 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तहसील गुलाबगंज एवं तहसील विदिशा अंतर्गत ऐसे कितने कृषक हैं, जिनके कृषि भूमि संबंधी नक्शे में त्रुटियां अथवा विसंगतियां है एवं उनको सुधारे जाने हेतु आवेदन दिए गये है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) के क्रम में प्राप्त आवेदनों में से ऐसे कितने प्रकरण है? जिनके 6 माह अथवा उससे अधिक अवधि से कार्यवाही लंबित होने के कारण सहित जानकारी दें। (ग) यदि प्रश्नांश (ख) के क्रम में प्राप्त आवेदनों में लंबित प्रकरणों का निराकरण कब तक किया जायेगा? निश्चित दिनांक सहित जानकारी दें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) विदिशा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तहसील गुलाबगंज के 05 एवं तहसील विदिशा (शहरी/ग्रामीण) के 11 कृषक है, जिनके कृषि भूमि संबंधी नक्शे में त्रुटियां अथवा विसंगतियां है एवं उनको सुधारे जाने हेतु आवेदन दिये गये है। (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में प्राप्त आवेदनों में से कोई भी प्रकरण 06 माह अथवा उससे अधिक अवधि के लंबित नहीं है। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के प्रकाश में जानकारी निरंक है।
सब माइनर नहरों का निर्माण
[जल संसाधन]
31. ( क्र. 529 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विकासखण्ड सिरमौर अंतर्गत क्योंटी कैनाल नहर परियोजना के अधीन रिमारी माइनर से ग्राम तिलखन से ग्राम रिमारी ग्राम डिहिया तक सब माइनर नहर निर्माण के संबंध में कई बार पत्राचार करने के बाद भी विभाग के द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया? (ख) क्या मुड़ियारी माइनर नहर के अधीन ग्राम चौरा 164 से राजस्व ग्राम खुसखुसा तक सब-माइनर नहर का निर्माण संबंधी कार्य विभाग द्वारा प्रक्रियाधीन है? यदि नहीं, तो लगभग 100 कृषक तथा लगभग 200 एकड़ कृषि भूमि को सिंचित करने हेतु विभाग के द्वारा कब तक उक्त सब-माइनर नहर का निर्माण करा लिया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में ग्राम तिलखन, ग्राम रिमारी, ग्राम डिहिया तक सब माइनर नहर का निर्माण कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) से (ग) प्रश्नांश में उल्लेखित नहरों के निर्माण हेतु मध्यप्रदेश इरीगेशन इम्प्रूवमेन्ट एण्ड मैनेजमेन्ट प्रोग्राम के अंतर्गत प्राक्कलन तैयार करने की कार्यवाही प्रचलन में है। प्रस्ताव प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर स्वीकृति के संबंध में निर्णय लिया जाना संभव होगा। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
मोहनपुरा विस्तार परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति
[जल संसाधन]
32. ( क्र. 536 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले के मोहनपुरा वृहद परियोजना से सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों को सिंचित किये जाने हेतु मोहनपुरा विस्तार परियोजना का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार किया गया है? यदि हाँ तो उसमें सारंगपुर विधानसभा के कौन-कौन से ग्रामों का कितने-कितने हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाईं किये जाने का प्रावधान किया गया है एवं कितनी राशि का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है? (ख) क्या मोहनपुरा विस्तार परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति हेतु प्रकरण किस स्तर पर लंबित है? उक्त परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति हेतु शासन द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है तथा उक्त परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति कब तक प्रदान कर दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) वस्तुस्थिति यह है कि राजगढ़ जिले के मोहनपुरा वृहद परियोजना से सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों को सिंचित किये जाने हेतु प्रस्तावित मोहनपुरा विस्तार परियोजना का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार किया जाना प्रतिवेदित है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। प्राक्कलित राशि रू.328.52 करोड़ अनुमानित है। (ख) मोहनपुरा विस्तार परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति का प्रस्ताव साधिकार समिति के समक्ष प्रस्तुत करने की कार्यवाही प्रचलन में है। स्वीकृति के संबंध में निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
मुरम एवं मिट्टी का अवैध उत्खनन
[खनिज साधन]
33. ( क्र. 558 ) श्री मुरली मोरवाल : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़नगर तहसील के कितने राजस्व ग्रामों में शासकीय भूमि पर अवैध मुरम व मिट्टी उत्खनन की शिकायतें प्राप्त हुई हैं इन शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई सम्पूर्ण जानकारी ग्रामवार पटवारी हल्कावार उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रश्नकर्ता द्वारा विधानसभा प्रश्न क्र. 530 दिनांक 22.02.2023 के द्वारा बड़नगर तहसील के ग्राम बलेड़ी, खरसोदखुर्द, बरगाड़ी, अवैध उत्खनन के संबंध के संबंध में माननीय मंत्री जी द्वारा जो जानकारी दी गई उसमें अधिकारियों द्वारा असत्य जानकारी दी गई हैं? (ग) अवैध मिट्टी और मुरम उत्खनन के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी बड़नगर द्वारा जांच प्रतिवेदन खनिज निरिक्षक आलोक अग्रवाल के दल के द्वारा अवैध उत्खनन का सड़क निर्माण के उपयोग कुल उत्खनन मात्रा 18005, 08 घन मीटर मिट्टी या मुरम उत्खनन होना पाया। इस प्रकार का पत्र अनुविभागीय अधिकारी द्वारा दिनांक 17.04.2023 कलेक्टर महोदय खनिज को भेजा गया उस पर भी क्या कार्यवाही हुई कितनी राशि दण्ड के रूप में आरोपित की गई जानकारी उपलब्ध करावें? (घ) ग्राम खरसोद खुर्द व ग्राम बरगाड़ी में भी अवैध उत्खनन की जांच करवाई जायेगी एवं विधानसभा में गलत जानकारी देने वाले दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों विरूद्ध शासन क्या कार्यवाही करेगा।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रश्नाधीन क्षेत्र की शासकीय भूमि ग्राम खरसौदखुर्द के खसरा क्रमांक 1016 के रकबा 3.45 हेक्टेयर एवं खसरा क्रमांक 181/1/1 रकबा 2.24 हेक्टेयर (सी.एम. हेल्पलाईन से प्राप्त) पटवारी हल्का नंबर 76 तथा ग्राम बलेडी के खसरा क्रमांक 113 रकबा 1.67 हेक्टेयर क्षेत्र पटवारी हल्का 49 पर अवैध खनिज मुरम व मिट्टी के उत्खनन की दो शिकायतें क्रमश: दिनांक 20/05/2022 तथा 20/04/2023 को प्राप्त हुई। इसकी जाँच खनिज निरीक्षक द्वारा की गई। ग्राम बलेडी के खसरा क्रमांक 113 रकबा 1.67 हेक्टेयर क्षेत्र पटवारी हल्का 49 में मिट्टी व मुरम का अवैध उत्खनन का प्रकरण तैयार किया गया तथा मध्यप्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम, 2022 के अंतर्गत कार्यवाही हेतु प्रकरण न्यायालय अपर कलेक्टर, उज्जैन में पंजीबद्ध कराया गया। (ख) जी नहीं। प्रश्नांश में उल्लेखित विधान सभा प्रश्न क्रमांक 530 में दी गई जानकारी अभिलेखों के आधार पर तैयार की गई। किसी प्रकार की कोई असत्य जानकारी नहीं दी गई है। (ग) जी हाँ। प्रश्नांश में उल्लेखित अनुसार खनि निरीक्षक द्वारा मिट्टी, मुरूम के अवैध उत्खनन का प्रकरण तैयार किया जाकर अर्थदण्ड एवं पर्यावरण क्षतिपूर्ति मुआवजा प्रस्तावित किया जाकर प्रकरण न्यायालय अपर कलेक्टर, उज्जैन में पंजीबद्ध कराये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में न्यायालयीन कार्यवाही प्रचलन में है। (घ) प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार ग्राम खरसोदखुर्द की जाँच की गई तथा ग्राम बरगाड़ी में अवैध उत्खनन के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बड़नगर को शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें उनकी सूचना पर जाँच की गई एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के प्रतिवेदन के आधार पर अवैध उत्खनन का प्रकरण दर्ज करने की कार्यवाही प्रचलन में है।
मुआवजा राशि का वितरण
[राजस्व]
34. ( क्र. 599 ) इंजीनियर प्रदीप लारिया : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रवि फसल के दौरान प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों में ओलावृष्टि, अतिवृष्टि एवं आंधी तूफान से रवि फसल (गेहूँ, चना, मसूर) को नुकसान पहुंचा था? (ख) यदि हाँ तो ओलावृष्टि, अतिवृष्टि एवं आंधी तूफान से तहसील राहतगढ़ एवं सागर के कितने ग्रामों के किसानों की फसलें एवं निजी सम्पत्ति को क्षति पहुंची थी? ग्रामवार जानकारी दें? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित समस्त ग्रामों में राजस्व विभाग द्वारा किसानों को मुआवजा राशि वितरण की जा चुकी है? यदि हाँ तो ग्रामवार जानकारी दें? (घ) क्या ओलावृष्टि, अतिवृष्टि एवं आंधी तूफान से नरयावली विधानसभा क्षेत्र के कुछ प्रभावित ग्रामों के किसानों को मुआवजा वितरण नहीं किया गया है? ग्रामवार जानकारी दें एवं उन ग्रामों के किसानों को कब तक मुआवजा राशि स्वीकृत/प्रदाय की जायेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। (ख) ओलावृष्टि, अतिवृष्टि एवं आंधी तूफान से तहसील राहतगढ़ में किसानों की फसलों को क्षति नहीं पहुँची है। तहसील सागर के 60 ग्रामों के किसानों की फसलें नष्ट हुई हैं। ग्रामवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। निजी सम्पति को क्षति पहुंचने की जानकारी निरंक है। (ग) जी हाँ। उत्तरांश ''ख'' में उल्लेखित 60 ग्रामों में प्रभावित कृषकों को राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधानानुसार राहत राशि का वितरण किया जा चुका है। ग्रामवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी नहीं। नरयावली विधानसभा क्षेत्र के प्रभावित ग्रामों के प्रभावित कृषकों को राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधानानुसार राहत राशि वितरित की जा चुकी है। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
ओलावृष्टि से प्रभावित कृषकों को राहत राशि वितरण
[राजस्व]
35. ( क्र. 635 ) श्री तरबर सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2023 में रबी फसल के दौरान सागर जिले में कौन-कौन पटवारी हल्के में कृषि क्षेत्र में कब-कब ओलावृष्टि हुई? (ख) प्रश्नांश (क) ओलावृष्टि में फसलों को हुई क्षति के आंकलन हेतु कलेक्टर द्वारा कराये गये सर्वे में कौन पटवारी हल्के कौन फसल में कितनी-कितनी क्षति का आंकलन किया गया है? पटवारी हल्कावार यह भी बतावें कि कृषकों को हुई क्षति के सन्दर्भ शासन द्वारा कहाँ कितनी राशि वितरित की गई है? (ग) क्या यह सही है कि प्रश्नांश (क) ओलावृष्टि के विषय में माननीय मुख्यमंत्री म. प्र. शासन द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई थी? क्या उस वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रश्नकर्ता सदस्य ने बण्डा विधान सभा क्षेत्र में ओलावृष्टि से हुई व्यापक क्षति के तथ्य रखे थे? (घ) प्रश्नकर्ता सदस्य के प्रश्नांश (ग) में दर्शित वीडियो कांफ्रेंसिंग में रखे तथ्य के विषय में शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? (ड.) क्या विभाग बण्डा व देवरी क्षेत्र के किसानों में भी राहत राशि का वितरण करेगा? यदि हाँ तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) सागर जिले में दिनांक 17/03/2023, 31/03/2023 एवं माह अप्रैल 2023 को ओलावृष्टि हुई थी। पटवारी हल्का की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) ओलावृष्टि में गेहूँ, चना, मसूर एवं सब्जी का आंकलन कराया गया। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधान अनुसार 25 प्रतिशत से अधिक की फसल क्षति में प्रभावित कृषकों को राहत राशि 26,41,70, 668/- रूपये का वितरण किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। सिंगल क्लिक राहत राशि की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बण्डा विधानसभा में हुई क्षति के तथ्य रखे थे। (घ) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में रखे गये तथ्यों पर बण्डा विधानसभा अंतर्गत तहसील स्तर पर संयुक्त दल (राजस्व एवं कृषि विभाग) द्वारा क्षति का सर्वे कर विस्तृत आंकलन के आधार पर 25 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति होने पर तहसील शाहगढ़ अंतर्गत ग्राम भीकमपुर रैयतवारी, भीकमपुर आबाद, सादागिर के कुल 38 खातेदारों को राहत राशि 270600/- रूपये का भुगतान किया जा चुका है। (ड.) बण्डा क्षेत्रांतर्गत क्षति 25 प्रतिशत से अधिक क्षति पाये जाने पर ग्राम भीकमपुर रैयतवारी, भीकमपुर आबाद, सादागिर के कुल 38 खातेदारों को 270600/-रूपये का भुगतान किया जा चुका है। देवरी तहसील अंतर्गत 25 प्रतिशत से कम फसल क्षति होना पाई गई थी। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6 (4) के प्रावधानुसार 25 प्रतिशत से कम फसल क्षति होने पर राहत राशि देय नहीं होने से शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
खनिज प्रतिष्ठान मद से प्राप्त राशि का आवंटन
[खनिज साधन]
36. ( क्र. 660 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नीमच जिले में वर्ष 2021-22, 2022-23 एवं 2023-24 में खनिज प्रतिष्ठान मद से कितनी-कितनी राशि विभिन्न घटकों में व्यय की गई है? जिलेवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे। (ख) क्या नीमच जिले में वर्ष 2023-24 में खनिज प्रतिष्ठान मद से कराये जाने वाले विकास कार्यों के प्रस्ताव शासन को प्रश्न दिनांक तक प्राप्त हुए है? यदि हाँ, तो विधान सभावार विस्तृत ब्यौरा दें। (ग) प्रश्नांश (ख) में नीमच विधानसभा के प्राप्त प्रस्तावों को कब तक स्वीकृति प्रदान की जाकर कार्य प्रारंभ कराये जा सकेंगे?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ख) वर्ष 2023-24 में प्राप्त प्रस्ताव की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। (ग) स्वीकृत किये गये प्रस्ताव की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत जानकारी
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
37. ( क्र. 662 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धर्मपुरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत कितनी उचित मूल्य की दुकानों को महिला समूह के मध्यम से संचालित किया जा रहा है तथा कितनी दुकानों को संस्था के माध्यम से संचालित किया जा रहा है? (ख) उचित मूल्य की दुकानों के संचालनकर्ता एवं समूह का नाम सहित जानकारी दी जावे। (ग) माह अप्रैल 2022 से प्रश्नांकित दिनांक तक कितना खाद्यान्न उचित मूल्य की दुकानों को आवंटित किया गया तथा कितना प्रतिमाह शेष रहा तथा प्रति दुकान कितने लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है? सूची सहित जानकारी देवें।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) प्रश्नांकित विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 30 उचित मूल्य की दुकानों को महिला समूहों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। 68 उचित मूल्य दुकानें आदिम जाति सेवा सहकारी समितियां, 08 दुकानें थोक उपभोक्ता भंडार तथा 01 दुकान विपणन सहकारी समिति द्वारा संचालित की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त 02 दुकानें वन समिति के माध्यम से संचालित की जा रही हैं। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'ब' अनुसार है।
यात्री वाहनों में अग्निशमन उपकरण
[परिवहन]
38. ( क्र. 673 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन परिवहन विभाग भोपाल ने यात्री वाहनों, बसों आदि में यात्रियों की सुरक्षा, अग्नि दुर्घटनाओं की रोकथाम, सुरक्षा एवं उपाय हेतु अग्निशमन उपकरणों/संसाधनों आदि की व्यवस्था हेतु क्या दिशा निर्देश जारी किये है एवं उस पर क्या कार्यवाही की हैं? (ख) वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक प्रदेश में घटित कितनी यात्री वाहन/बस दुर्घटनाओं, अग्नि दुर्घटनाओं में कितने यात्रियों की मृत्यु हुई/कितने घायल/अपंग हुये हैं? (ग) जिला जबलपुर में लम्बी दूरी की चलने वाली यात्री वाहनों बसों, टूरिस्ट बसों में यात्रियों की सुरक्षा हेतु आपातकालीन प्रवेश दरवाजे/खिड़की, अग्निशमन उपकरणों आदि की व्यवस्था की जांच कब-कब किन-किन अधिकारियों ने की हैं एवं किन-किन ट्रेवर्ल्स/एजेंसी के यात्री वाहनों/बसों में पर्याप्त सुरक्षा के प्रबंध अग्नि शामक उपकरण व आकस्मिक आपातकालीन प्रवेश द्वारा/खिड़की आदि की व्यवस्था नहीं पायी गई है। तत्सम्बंध में किस-किस के विरूद्ध कब-कब क्या-क्या कार्यवाही की गई। किस-किस के परमिट निरस्त किये गये हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) में कितने खटारा अनफिट वाहनों के संचालकों, ओव्हरलोड चालकों, ओव्हरस्पीड व शराब पीकर वाहन संचालकों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) मध्यप्रदेश मोटरयान नियम, 1994 के नियम 176 में जारी नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-1 अनुसार