मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
नवम्बर-दिसम्बर, 2017
सत्र
मंगलवार, दिनांक 05 दिसम्बर, 2017
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
आंगनवाड़ी
कार्यकर्ताओं
के मानदेय में
वृद्धि
[महिला एवं बाल विकास]
1. ( *क्र. 1547 ) श्री गोवर्धन उपाध्याय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं लगभग 20 वर्षों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में सेवाएं दे रहीं हैं एवं प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करा रहीं हैं, इसके बाद भी उन्हें मात्र पाँच हजार रूपए मानदेय दिया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार 20 वर्षों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से सेवाएं लेने के बाद आंगनवाड़ी कार्यकताओं के सेवानिवृत्त होने पर उनके भविष्य के लिए क्या प्रदेश सरकार ने कोई योजना बनाई है? क्या उनकी सेवा कार्य पूर्ण होने पर उन्हें एक मुश्त सम्मानजनक राशि दिये जाने का प्रावधान प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कब तक लागू किया जायेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या प्रदेश सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों को ध्यान में रख कर कोई नये नियम तैयार किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्या और कब तक लागू किये जाने की संभावना है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) भारत सरकार के द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को राशि रू 3000/- मानदेय एवं राज्य शासन द्वारा अतिरिक्त मानदेय के रूप में राशि रू. 2000/- प्रतिमाह का भुगतान किया जा रहा है। (ख) आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सेवानिवृत्ति उपरान्त एकमुश्त सम्मान राशि दिये जाने के प्रस्ताव पर कार्यवाही प्रचलित है, जिसकी प्रक्रियागत अवधि निश्चित न होने से समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। एकीकृत बाल विकास सेवा योजना का क्रियान्वयन भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुरूप ही किया जाता है। (ग) जी नहीं। एकीकृत बाल विकास सेवा योजना का क्रियान्वयन भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त मानदेय में बढ़ोत्तरी हेतु प्रस्ताव पर कार्यवाही प्रचलित है, किन्तु प्रक्रियात्मक अवधि निश्चित नहीं होने से समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
पारिवारिक भूमि बंटवारा के निर्देश
[वाणिज्यिक कर]
2. ( *क्र. 223 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन द्वारा सामिलात खाते की भूमि से पुत्री के नाम काटने पर बाजार मूल्य का ढाई प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी लिये जाने के आदेश जारी किये गये हैं? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के प्रावधान से किसान एवं सामिलात खाताधारी परेशान हैं? यदि हाँ, तो लड़की/पुत्री का कथन लेकर नि:शुल्क बंटवारा मंजूर करने के निर्देश जारी करेंगे? यदि हाँ, तो कब-तक? यदि नहीं, तो कारण बताएं।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी नहीं। मध्यप्रदेश शासन, वाणिज्यिक कर विभाग की अधिसूचना दिनांक 03.07.2017 द्वारा कुटुम्ब के सदस्यों के मध्य हक त्याग के प्रकरणों में स्टाम्प शुल्क 2.5 प्रतिशत से घटाकर 0.5 प्रतिशत कर दिया गया है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
पंपों का उर्जीकरण
[अनुसूचित जाति कल्याण]
3. ( *क्र. 2102 ) श्री दिनेश कुमार अहिरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2014 से 2017 तक अनुसूचित जाति कृषकों के खेतों पर सिंचाई सुविधा एवं मजरा-टोलों में विद्युतीकरण कार्य हेतु कितनी राशि आवंटित हुई? (ख) विभाग द्वारा आवंटित राशि से विधान सभा क्षेत्र जतारा के कितने अनुसूचित जाति कृषकों के खेतों पर सिंचाई हेतु पम्पों का उर्जीकरण किया गया? (ग) क्या विभाग द्वारा वर्ष 2014 से 2017 तक विधान सभा क्षेत्र जतारा के अनुसूचित जाति मजरा-टोलों में आवंटित राशि से विद्युतीकरण का कार्य किया गया? (घ) वर्ष 2014-17 तक अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा आवंटित राशि से विधान सभा क्षेत्र जतारा के अनुसूचित जाति कृषकों के पम्पों का उर्जीकरण एवं मजरा-टोलों में विद्युतीकरण के कार्य में विलम्ब के लिये कौन दोषी है? दोषियों पर क्या कार्यवाही की जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 60 अनुसूचित जाति के कृषकों के खेतों पर सिंचाई हेतु पम्पों का उर्जीकरण किया गया है। (ग) जी हाँ। (घ) वर्ष 2015-16 तक के स्वीकृत कार्य पूर्ण हो चुके हैं। वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में प्राप्त आवेदन पत्रों की सूची विद्युत विभाग को प्राक्कलन हेतु भेजे गये। प्राक्कलन प्राप्त होते ही नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। आवंटित राशि विद्युत विभाग के खाते में जमा की गई है।
दतिया जिले हेतु बजट का आवंटन
[आनन्द]
4. ( *क्र. 2920 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आनंद विभाग द्वारा दतिया जिले में वर्ष 2017 में विभिन्न कार्यों के लिऐ बजट आवंटित किया गया है? यदि हाँ, तो कितनी राशि आवंटित हुई? (ख) क्या उक्त राशि विभिन्न कार्यों में व्यय की गई और की जाना है? यदि हाँ, तो दतिया जिले में किन-किन कार्यों पर कितनी-कितनी राशि व्यय की जा चुकी है और 31 मार्च, 2018 तक किस-किस कार्य पर व्यय की जाना है? (ग) प्रश्नांश (ख) की राशि की विस्तृत जानकारी तहसीलवार एवं कार्यवार किस ऐजेंसी, फर्म या व्यक्ति को कितनी-कितनी राशि भुगतान की गई है? (घ) क्या आनंद विभाग के तहत भाण्डेर तहसील में कोई कार्य नहीं हुआ है? यदि हाँ, तो क्यों नहीं? इसके लिऐ कौन जिम्मेदार है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। आनंद विभाग द्वारा दतिया जिले को वित्तीय वर्ष 2017 में कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है। शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं। (घ) आनंद विभाग द्वारा भाण्डेर तहसील में दिनांक 14 से 21 जनवरी, 2017 के बीच आनंद उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता।
विद्युत तारों की चोरी
[ऊर्जा]
5. ( *क्र. 1956 ) श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2016-17 में गुना जिले में विद्युत लाईनों के तार चोरी हुये हैं? यदि हाँ, तो विधानसभा क्षेत्रवार सूची उपलब्ध करायें? (ख) जिन विधान सभाओं में तार चोरी हुये हैं, विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) अनुसार जिन विधानसभा क्षेत्रों में तार चोरी हुये हैं? क्या विभाग द्वारा उनकी एफ.आई.आर. दर्ज की गई है? विधानसभा क्षेत्र बमोरी की सूची उपलब्ध करावें। (घ) क्या जिन ग्रामों में तार चोरी हुये हैं? उनका रिप्लेसमेंट किया गया है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ सूची उपलब्ध करायें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। वर्ष 2016-17 में गुना जिले में विद्युत लाईनों के तार चोरी की विधानसभा क्षेत्रवार सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) विद्युत लाईनों के तारों की चोरी के प्रकरणों की जानकारी संबंधित अधिकारियों को प्राप्त होने पर स्थल निरीक्षण कर संबंधित पुलिस थाने में रिपोर्ट/सूचना दर्ज की गई है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन क्षेत्र एवं अवधि में विद्युत लाईनों के तार चोरी के सभी 20 प्रकरणों में वितरण कंपनी के संबंधित अधिकारी द्वारा संबंधित पुलिस थानों को सूचना दी गई है, जिनमें से 8 प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज हुई है। बमौरी विधानसभा क्षेत्र के प्रश्नाधीन तार चोरी के 6 प्रकरणों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' के सरल क्रमांक 1 से सरल क्रमांक 6 तक में दर्शाई गई है। (घ) विद्युत लाईनों के तारों की चोरी के 13 प्रकरणों में तारों को बदला/लगाया जा चुका है, जिसकी स्थानवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
विद्युत की निर्वाध सप्लाई
[ऊर्जा]
6. ( *क्र. 1633 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री व ऊर्जा विभाग के प्रशासनिक अधिकारी संपूर्ण प्रदेश के हितग्राहियों को घरेलू उपयोग हेतु 24 घण्टे एवं कृषि कार्य हेतु 10 घंटे विद्युत सप्लाई हेतु शासन व प्रशासन प्रतिबद्ध है? (ख) यदि हाँ, तो नगर पालिक निगम मुरैना एवं विधान सभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना के उपरोक्त वर्णित हितग्राही को विद्युत प्रदाय की जा रही है? (ग) यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो सम्पूर्ण उपरोक्त वर्णित क्षेत्र में सप्लाई विद्युत को लेकर ऊर्जा मंत्री जी स्वयं या उनके प्रतिनिधि द्वारा प्रश्नकर्ता की उपस्थिति में जाँच की जाकर हितग्राहियों से रूबरू होंगे? यदि हाँ, तो यह जाँच कब की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, संपूर्ण प्रदेश के आबादी क्षेत्र में घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे तथा कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे विद्युत प्रदाय हेतु राज्य शासन प्रतिबद्ध है। (ख) नगर पालिक निगम, मुरैना एवं विधानसभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना के हितग्राहियों को कतिपय अवसरों पर प्राकृतिक आपदा/तकनीकी खराबी के कारण आए आकस्मिक व्यवधानों व अत्यावश्यक मेन्टेनेंस कार्य की अवधि को छोड़कर सामान्यत: घरेलू उपयोग हेतु 24 घंटे तथा कृषि कार्य हेतु 10 घंटे विद्युत प्रदाय की जा रही है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
उज्जैन नगर के लिए नवीन हवाई पट्टी की योजना
[विमानन]
7. ( *क्र. 2904 ) डॉ. मोहन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन नगर के लिए विमानन विभाग की कोई योजना प्रस्तावित हो तो विस्तृत जानकारी प्रदान करें। (ख) उज्जैन नगर में वर्तमान में पुलिस लाईन स्थित हेलीपैड एवं दताना-मताना स्थित हवाई पट्टी का उपयोग किया जा रहा है तथा दोनों ही जगह ना तो नाईट लेंडिंग कि व्यवस्था है और ना ही कोई अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं? क्या विभाग की इस संबंध में कोई कार्य योजना है? यदि हाँ, तो कब तक प्रारम्भ की जायेगी? (ग) उज्जैर नगर में सिंहस्थ महापर्व तथा वर्ष भर महाकालेश्वर दर्शन हेतु प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालुओं का आगमन होता है तथा वर्तमान में उपलब्ध हेलीपैड तथा हवाई पट्टी से आने जाने में लगभग पूरे शहर को व्यस्ततम यातायात पार कर जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में क्या महाकालेश्वर मंदिर के आसपास किसी स्थान पर नवीन हवाई पट्टी की योजना प्रस्तावित है? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) जी हाँ। संसाधनों की उपलब्धता के परिप्रेक्ष्य में अभी विकास की योजना नहीं है। हवाई पट्टी पर विमान की लेंडिंग के समय अस्थाई रूप से आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। (ग) जी नहीं। मंदिर के आसपास हवाई पट्टी बनाने हेतु आवश्यक खुली भूमि उपलब्ध नहीं होने एवं महानिदेशक, नागर विमानन द्वारा निर्धारित मापदण्ड अनुसार तकनीकी रूप से भी संभव नहीं है।
विद्युत मीटर रीडिंग में अनियमितता
[ऊर्जा]
8. ( *क्र. 2037 ) श्री अंचल सोनकर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्तमान में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा जबलपुर शहर के आम विद्युत उपभोक्ताओं को खपत से अधिक के विद्युत देयक भेजे जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्या कारण है? यह भी बताया जावे कि विद्युत देयक किसके द्वारा तैयार किये जा रहे हैं? (ख) क्या पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा जबलपुर शहर में एक निजी कंपनी को विद्युत मीटर रीडिंग एवं उपभोक्ताओं के निवास पर ही विद्युत देयक तैयार कर प्रदान करने का ठेका दिया गया है? यदि हाँ, तो कंपनी का नाम बतावें? यह भी बताया जावे कि क्या ठेका प्राप्त कंपनी द्वारा नियमानुसार देयकों को तैयार किया जा रहा है? यदि हाँ, तो आम उपभोक्ताओं को खपत से अधिक राशि के विद्युत देयक क्यों प्रदाय किये जा रहे हैं? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) क्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले एवं एक बत्ती कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं का भी विद्युत देयक कई हजारों में कंपनी द्वारा प्रदाय किया गया है? यदि हाँ, तो क्या शासन इसकी जाँच कराकर विद्युत देयकों का सुधार कर उचित राशि उपभोक्ता से वसूल करेगा एवं गलत देयक प्रदाय करने वाली कंपनी का ठेका निरस्त कर पूर्व की भांति मीटर वाचकों से मीटर रीडिंग कराकर आम जनता को राहत पहुँचावेगा, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। जबलपुर शहर वृत्त के अंतर्गत ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स फीडबैक इन्फ्रा प्रा.लि. गुड़गांव के द्वारा स्पॉट बिलिंग के तहत मीटर रीडिंग की जाकर देयक तैयार किये जा रहे हैं। (ख) जी हाँ, उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार जबलपुर नगर वृत्त में स्पॉट बिलिंग के तहत मीटर रीडिंग तथा देयक तैयार करने का कार्य ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स फीडबैक इन्फ्रा प्रा.लि. गुडगांव से कराया जा रहा है। उक्त ठेकेदार कंपनी द्वारा मीटर में दर्ज खपत के आधार पर नियमानुसार देयक तैयार किये जा रहे हैं। पूर्व में ठेके पर अनुबंधित मीटर वाचकों द्वारा कुछ कनेक्शनों की गलत रीडिंग लिये जाने एवं हड़ताल पर जाने के कारण कुछ उपभोक्ताओं के मीटरों में खपत संचित होती रही थी। उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा रीडिंग लिये जाने पर वास्तविक मीटर रीडिंग होने से इन प्रकरणों में पूर्व की छूटी हुई खपत, जिसकी रीडिंग/बिलिंग नहीं हो पाई थी, के संचित होने के कारण अधिक राशि के बिल जारी हुए, जो कि उपभोक्ता द्वारा की गई वास्तविक खपत के ही हैं। (ग) जी नहीं, जबलपुर शहर वृत्त के अंतर्गत सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों के तहत नियमानुसार बिल दिये जा रहे हैं। उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार कुछ प्रकरणों में विद्युत खपत संचित होने से वास्तविक खपत अनुसार अधिक राशि के बिल जारी हुए हैं। ऐसे प्रकरणों में शिकायतों के निराकरण हेतु जबलपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में शिविर एवं वितरण केन्द्रों में अतिरिक्त काउन्टर लगाये गये हैं तथा जाँचोपरांत संबंधित उपभोक्ताओं को स्लेब यूनिट का लाभ देकर पुनरीक्षित बिल जारी किये गये हैं। उक्त प्रक्रिया लगातार जारी है। उपभोक्ताओं को बकाया राशि का किश्तों में भुगतान किये जाने की सुविधा भी प्रदान की गई है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में ठेके पर स्पॉट बिलिंग का कार्य कर रही एजेन्सी द्वारा म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों एवं मीटर में दर्ज वास्तविक खपत के अनुसार ही देयक प्रदाय किये जा रहे हैं। उक्त परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन क्षेत्र में स्पॉट बिलिंग का कार्य कर रही ठेकेदार एजेन्सी के विरूद्ध कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में विद्युत अधोसंरचना का रख-रखाव
[ऊर्जा]
9. ( *क्र. 1795 ) श्री राजेश सोनकर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्र. 1614, दिनांक 25 जुलाई, 2017 में इन्दौर शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में प्रश्नकर्ता द्वारा पूछे जाने पर गांव क्षेत्रों में विद्युत कम्पनी द्वारा विद्युत लाईनों एवं स्थापित ट्रांसफार्मरों का रख-रखाव का कार्य कराया जा रहा है बताया गया था, तो विद्युत कंपनी द्वारा इंदौर शहर वृत्त में सम्मिलित किये गये ग्रामीण क्षेत्रों में क्या-क्या रख-रखाव के कार्य उनके सम्मिलित करने की दिनांक के बाद कराये गये? इन सम्मिलित किये गये ग्रामीण क्षेत्रों में जिन विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि की गई है, उनकी सूची देवें तथा कितने किलोमीटर लाईन का रिनोवेशन किया गया? (ख) आई.पी.डी.एस. योजना क्या है? इस योजना के अंतर्गत क्या-क्या कार्य कराये जायेंगे, कार्य कब तक प्रांरभ कराये जायेंगे? इन्दौर शहर वृत्त के अतंर्गत विगत 3 वित्तीय वर्ष में कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर का मेन्टेनेंस कार्य किया गया है? शहर, संभागवार संख्या बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय के प्रश्न क्रमांक 1614, दिनांक 25.07.2017 के उत्तर में यह बताया गया था कि इंदौर शहर वृत्त में सम्मिलित किये गये ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत अधोसंरचना के रख-रखाव के विभिन्न कार्य, उन ग्रामों के शहरी क्षेत्र में सम्मिलित किये जाने के उपरांत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर कराये जा रहे हैं। इंदौर शहर वृत्त के अंतर्गत सम्मिलित किये गये ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत अधोसंरचना के रख-रखाव के कार्यों के अंतर्गत 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों का रख-रखाव, 33 के.व्ही. एवं 11 के.व्ही. लाईनों का रख-रखाव, विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों का रख-रखाव, उच्चदाब तथा निम्नदाब लाईनों में मिडस्पान पोल लगाना एवं निम्नदाब लाईनों का रख-रखाव इत्यादि कार्य कराये गये हैं। इंदौर शहर वृत्त के अंतर्गत सम्मिलित किये गये ग्रामीण क्षेत्रों में प्रश्नाधीन अवधि में वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि के जो कार्य किए गये हैं, उनकी शहर, संभागवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में विद्युत लाईनों के रिनोवेशन के कार्य के तहत् 33 के.व्ही. की 2.5 किलोमीटर, 11 के.व्ही. की 8.5 किलोमीटर एवं निम्नदाब की 12.5 किलोमीटर लाईन के रिनोवेशन का कार्य किया गया है। (ख) आई.पी.डी.एस. (इनट्रीग्रेटेड पॉवर डेव्हलपमेंट स्कीम) योजना केन्द्र सरकार की योजना है, जिसके अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में विद्युत प्रणाली के सुदृढ़ीकरण एवं ए.टी. एण्ड सी. लॉसेस (समग्र तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियाँ) को कम करने के कार्य स्वीकृत हैं। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न विद्युत अधोसंरचना संबंधी कार्य यथा- नवीन 11 के.व्ही. लाईनों का निर्माण, 11 के.व्ही. लाईनों की क्षमता वृद्धि, एरियल बंच निम्नदाब केबल, भूमिगत केबल, नये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना, ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि, निम्नदाब लाईनों के खुले तारों को केबिल से बदलना एवं मीटरिंग के कार्य कराये जायेंगे। इन्दौर शहर वृत्त के सभी शहर संभागों हेतु उक्त कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने के लिये विभिन्न ठेकेदार एजेन्सियों को माह सितम्बर, 2017 में अवार्ड जारी किया गया है तथा ठेकेदार एजेन्सियों द्वारा दिनांक 25.10.2017 से सर्वे का कार्य आरंभ किया गया है, जो वर्तमान में प्रगति पर है। शहर वृत्त इंदौर के अंतर्गत विगत 3 वित्तीय वर्षों में कुल 28,156 वितरण ट्रांसफार्मरों के रख-रखाव (मैन्टेनेन्स) का कार्य किया गया है, जिसकी शहर संभागवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
10. ( *क्र. 2534 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17 में सागर जिले में कितने आंगनवाड़ी भवन शासन स्तर से स्वीकृत किए गए? (ख) स्वीकृत किए गए आंगनवाड़ी भवन वर्षवार, विकासखण्ड एवं विधान सभा क्षेत्रवार कितने-कितने स्वीकृत किए गए? (ग) स्वीकृति हेतु विभाग द्वारा जिला स्तर पर क्या मापदण्ड निर्धारित किए गए थे? (घ) नरयावली विधासभा क्षेत्र के कितने आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन हेतु ग्राम पंचायत, जनप्रतिनिधि स्तर से आवेदन पत्र लंबित हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सागर जिले में 211 आंगनवाड़ी भवन वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17 में स्वीकृत किये गये हैं। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'क' अनुसार है। (ख) स्वीकृत किये गये आंगनवाड़ी भवनों की विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ख' अनुसार है। (ग) विभाग द्वारा जिले में आंगनवाड़ी भवन निर्माण के लिये निर्धारित मापदण्ड पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ग' अनुसार है। (घ) सागर जिले से नरयावली विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 26 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इनमें से 06 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है, 03 नगरी क्षेत्रों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये भवन मनरेगा योजना के अभिसरण से स्वीकृत नहीं किये जा सकते हैं, अतः शेष 17 आंगनवाड़ी भवनों के प्रस्ताव स्वीकृति हेतु लंबित हैं।
मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना
[ऊर्जा]
11. ( *क्र. 2929 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 1790, दिनांक 25 जुलाई, 2017 के उत्तर में बताया गया था कि विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत माह अक्टूबर 2016 से जुलाई 2017 तक मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजनांतर्गत 698 आवेदन पंजीबद्ध किये गये थे, जिसके विरूद्ध 177 आवेदनों का निराकरण होना बताया था? यदि हाँ, तो शेष 521 आवेदनों में प्रश्न दिनांक तक अद्यतन स्थिति क्या है तथा एक अगस्त 2017 से प्रश्न दिनांक तक उक्त योजना में पंजीबद्ध आवेदन तथा निराकृत आवेदन की जानकारी देवें? (ख) क्या उक्त योजनांतर्गत कृषक द्वारा नियमानुसार राशि जमा कराये जाने की दिनांक से 9 माह में कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा निर्धारित है? यदि हाँ, तो क्या फसल सीजन के समय कृषकों को स्थायी कनेक्शन की त्वरित आवश्यकता होती है, जो कि समय पर नहीं होने से कृषकों की फसल प्रभावित होती है? यदि हाँ, तो क्या शासन द्वारा कृषकों को त्वरित स्थायी कनेक्शन प्रदान करने हेतु कोई ठोस निर्णय लिया जावेगा? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? प्रश्नांश (क) वर्णित प्रश्न दिनांक तक शेष आवेदनों का निराकरण कब तक करा दिया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, प्रश्न क्रमांक 1790, दिनांक 25.7.2017 में मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के अंतर्गत ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र में माह अक्टूबर 2016 से जुलाई 2017 तक 698 आवेदन पंजीबद्ध होने तथा इनमें से 177 आवेदकों के कार्य पूर्ण किये जाने की जानकारी दी गई थी। शेष 521 आवेदनों में से प्रश्न दिनांक तक 338 आवेदनों में कार्य पूर्ण कर दिया गया है, 3 आवेदन मार्ग अवरूद्ध होने/अन्य कारणों से निरस्त कर दिये गये हैं एवं 180 (आवेदनों) में स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन हेतु कार्य प्रगति पर है। एक अगस्त 2017 से प्रश्न दिनांक तक उक्त योजना में 227 आवेदन पंजीबद्ध किये गये हैं जिनका कार्य प्रगति पर है तथा इनका निराकरण योजना की निर्धारित समयावधि में कर दिया जायेगा। (ख) राज्य शासन के आदेश दिनांक 06.09.2016 द्वारा लागू मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में कार्य किये जाने के लिये आवेदक द्वारा राशि जमा कराये जाने के उपरांत कार्य किये जाने हेतु अधिकतम 9 माह की समय-सीमा निर्धारित की गई थी, जिसे राज्य शासन के आदेश दिनांक 12.09.2017 के माध्यम से दिनांक 12.09.2017 के बाद प्राप्त होने वाले आवेदनों हेतु घटाकर 6 माह कर दिया गया है। उत्तरांश (क) में उल्लेखित शेष आवेदनों का निराकरण योजना के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित समय-सीमा में करा दिया जायेगा। कृषि सीजन में त्वरित आवश्यकता की पूर्ति हेतु कृषक आवश्यकतानुसार अस्थाई कृषि पंप कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं तथा उक्तानुसार अस्थाई कृषि पम्प कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं को राज्य शासन के आदेश दि. 21.9.2017 द्वारा यह विकल्प दिया गया है कि उनके द्वारा मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित अंश राशि जमा करने पर, उन्हें अस्थायी कृषि पम्प कनेक्शन हेतु पृथक से एनर्जी चार्ज आदि की राशि जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी तथा उक्त अस्थायी कनेक्शन पर फ्लैट रेट आधारित बिलिंग की जाएगी। यदि कृषक चाहे तो मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में अंश राशि न जमा कर ''स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना'' में योग्य विद्युत ठेकेदार से अधोसंरचना का कार्य करवाकर शीघ्र कनेक्शन प्राप्त कर सकता है।
हरदा जिले में आई.एस.ओ. अवार्ड घोषित छात्रावास
[अनुसूचित जाति कल्याण]
12. ( *क्र. 2609 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरदा जिले में कुल कितने अ.जा/अ.ज.जा छात्रावास संचालित हैं? कितने छात्रावासों को आई.एस.ओ. अवार्ड घोषित किया गया है? आई.एस.ओ. अवार्ड हेतु क्या मापदण्ड निर्धारित थे? (ख) क्या आई एस ओ अवार्ड छात्रावासों के लिए शासन दवारा बजट निर्धारित किया गया था? यदि हाँ, तो सम्पूर्ण बजट का विवरण अवार्डेड छात्रावास पर कितना कितना किस मद पर व्यय किया गया? सम्पूर्ण ब्यौरा देवें। यदि नहीं, तो आई.एस.ओ. अवार्ड के लिए किस मद से भुगतान किया गया? छात्रावासवार जानकारी देवें। (ग) जिले में संचालित छात्रावासों में सी.सी.टी.व्ही. कैमरा व एल.सी.डी. टी.वी. की व्यवस्था दी गई है? यदि हाँ, तो कहाँ कहाँ? किस फर्म से क्रय किया गया? क्या क्रय हेतु भंडार क्रय नियमों का पालन किया गया? यदि हाँ, तो नियम की प्रति उपलब्ध करावें। (घ) प्रश्नांश (ग) संदर्भ में क्या क्रय हेतु समिति का गठन किया गया था? यदि हाँ, तो समिति से अवगत करावें एवं क्रय सामग्री के भौतिक सत्यापन की जानकारी देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) हरदा जिला अंतर्गत अनुसूचित जाति के 22 तथा अनुसूचित जनजाति के 22 छात्रावास संचालित हैं। जिला अंतर्गत अनुसूचित जाति के 22 तथा अनुसूचित जनजाति के 22 छात्रावास को आई.एस.ओ. अवार्ड घोषित किया गया है। आई.एस.ओ. मापदण्ड आई.एस.ओ. संगठन द्वारा निर्धारित थे। (ख) जी नहीं। आई.एस.ओ. अवार्ड हेतु शासन स्तर से बजट निर्धारित नहीं था। आई.एस.ओ. मापदण्ड की पूर्ति हेतु किये गये व्यय की मदवार छात्रावासवार अनुसूचित जाति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है एवं अनुसूचित जनजाति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जी हाँ। सी.सी.टी.व्ही. कैमरा सुविधायुक्त अनुसूचित जनजाति छात्रावासों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है एवं अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रावासों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र'द' अनुसार है एवं एल.सी.डी.टी.व्ही. सुविधायुक्त अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रावासों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रावासों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र'इ' अनुसार है। सी.सी.टी.व्ही. कैमरा-एडवांस टेक्नालाजी इंदौर एवं एल.सी.डी.टी.व्ही. गुंजन रेडियो हरदा से क्रय की गई है। क्रय हेतु भण्डार क्रय नियमों का पालन किया गया या नहीं, इसकी जाँच की जा रही है। (घ) जी नहीं।
टैक्नोफेव इंजी. लिमिटेड द्वारा विद्युत कार्यों में अनियमितताएं
[ऊर्जा]
13. ( *क्र. 3080 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टैक्नोफेब इंजी. लिमि. द्वारा मुरैना जिले में किये जा रहे कार्यों में विभाग को कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं हैं या विभाग के संज्ञान में कितनी अनियमितताएं प्रकाश में आईं हैं? विवरण देवें। (ख) ठेकेदार कंपनी के सामान स्टोर कहाँ-कहाँ स्थापित हैं और विभाग द्वारा सामान का कब-कब निरीक्षण किया गया? निरीक्षणकर्ता का नाम, निरीक्षण प्रतिवेदन सहित अवगत कराया जावे? (ग) क्या ठेकेदार कंपनी स्वयं कार्य न करते हुए नियम विरूद्ध अनुभवहीन लोगों को पेटी कॉन्ट्रेक्ट स्तर पर कार्य करवा रही है और उन्हें ही सामान प्रदाय कर दिया जाता है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो ठेकेदार कंपनी द्वारा सामान किस-किस को प्रदाय किया गया है? गेटपास मटेरियल प्रदाय की जानकारी दी जावे? (घ) क्या प्रश्नांश (ग) में वर्णित अनुभवहीन पेटी कॉन्ट्रेक्टरों द्वारा कार्य में न तो एलाइन्मेन्ट, डायरेक्शन, तारों में टेंशन का ध्यान रखा जा रहा है और न ही नियमानुसार मटेरियल लगाया जा रहा है? ग्रामीण सड़कों पर खम्बे गाड़े जा रहे हैं, लाइने झुक रही हैं, जिससे ग्रामीणजनों को खतरा पैदा हो गया है? विधान सभा क्षेत्र जौरा में ठेकेदार कंपनी द्वारा कार्यों में की गयी अनियमितताओं की जाँच कर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मुरैना जिले में मेसर्स टैकनोफैब इंजीनियरिंग लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत किये जा रहे कार्यों में से कार्य की गुणवत्ता संबंधी 2 शिकायतें प्राप्त हुईं हैं। प्राप्त शिकायतों की जाँच उपमहाप्रबंधक (संचा./संधा.), मुरैना एवं प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेन्सी, मेसर्स एस.जी.एस. कंपनी द्वारा नियुक्त रेसीडेंट इंजीनियर द्वारा संयुक्त रूप से की गई है। उक्त प्राप्त शिकायतों में उल्लेखित बिन्दु जाँच में सही नहीं पाये गये। उक्त प्राप्त शिकायतों का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) मेसर्स टैकनोफैब इंजीनियरिंग लिमिटेड का साईट स्टोर मुरैना शहर के ए.बी.रोड के पास लश्करी का पुरा, मौजा छोंदा, परगना जिला मुरैना में स्थापित है। ठेकेदार एजेंसी के साईट स्टोर में उपलब्ध सामग्री का सत्यापन एम.ए.एस. (मटेरियल एट साईट) रजिस्टर से एम.आर.सी. (मटेरियल रिसिप्ट सर्टिफिकेट) जारी करने के पूर्व एवं सेम्पलिंग कार्य के लिए नियुक्त अधिकारियों द्वारा किया जाता है। उक्त ठेकेदार एजेन्सी के साईट स्टोर के निरीक्षण की दिनांक सहित निरीक्षणकर्ता का नाम एवं निरीक्षण प्रतिवेदन के विवरण से संबंधित जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) मेसर्स टैकनोफैब इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा स्वयं की लेबर एवं उनके अनुबंधित अनुभवी ठेकेदारों के माध्यम से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंसी के फील्ड इंजीनियरों की देखरेख में कार्य कराया जा रहा है। उक्त ठेकेदार कंपनी के द्वारा स्थानीय अनुभवी ठेकेदारों की प्रशिक्षित लेबर के माध्यम से भी कुछ कार्य कराये गये हैं। अनुभवहीन व्यक्तियों को कार्य नहीं दिया गया है। उक्त परिप्रेक्ष्य में मटेरियल एवं गेट पास संबंधी जानकारी दिये जाने का प्रश्न नहीं उठता। कार्य पूर्ण होने पर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंसी एवं विद्युत कंपनी के अधिकारियों से माप एवं जाँच कराने के उपरांत ही अग्रिम कार्यवाही की जाती है। (घ) मेसर्स टैकनोफैब इंजीनियरिंग लिमिटेड को जारी किये गये अवार्ड के प्रावधानों के अनुरूप ही कार्य उक्त ठेकेदार एजेन्सी की स्वयं की लेबर एवं उनके अनुबंधित अनुभवी ठेकेदारों के माध्यम से, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंसी के फील्ड इंजीनियरों की देखरेख में ही कराया जाता है। यह सही है कि कार्य के दौरान कुछ स्थानों पर पोल स्थापित करने में ग्रामीणों द्वारा आपत्तियाँ दर्ज की जाती हैं। ग्रामीणों द्वारा चयनित स्थान पर पोल खड़े नहीं करने देने से कतिपय अवसरों पर विद्युत लाईन को सड़क के नजदीक स्थापित कर कार्य किया जाता है। तथापि कार्य के दौरान रोड पर पोल गाड़ने की शिकायत प्राप्त होने पर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंसी, ठेकेदार एजेन्सी एवं विद्युत कंपनी के क्षेत्र प्रभारी के साथ संयुक्त सर्वे कर पोल को उचित स्थान पर स्थापित कराकर समस्या का निराकरण कर दिया जाता है। माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र रजौधा से निर्गमित 11 के.व्ही. हुसेनपुर फीडर पर मेसर्स टैकनोफैब इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा फीडर सेपरेशन कार्य करने हेतु रोड पर पोल खड़े करने पर आपत्ति की गई थी। सूचना प्राप्त होने पर अविलंब उक्त कार्य को रोक दिया गया है एवं स्थापित पोलों को तकनीकी रूप से उचित स्थान पर स्थानान्तरित करने हेतु मेसर्स टैकनोफैब कंपनी को निर्देशित कर दिया गया है। मेसर्स टैकनोफैब इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा उक्त पोलों को स्थानान्तरित करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार जौरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत मेसर्स टैकनोफैब इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा किये गये कार्यों में अनियमितता संबंधी दो शिकायतें प्राप्त हुईं थीं, जो कि जाँचोपरान्त सही नहीं पाई गई।
वनाधिकार पट्टों का वितरण
[जनजातीय कार्य]
14. ( *क्र. 2192 ) श्री रमेश पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़वानी विधान सभा क्षेत्र के पाटी एवं बड़वानी क्षेत्र अंतर्गत दि. 01.1.2014 से प्रश्न दिनांक तक कितने पात्रों को वनाधिकार पट्टे जारी एवं वितरित किये गये? संबंधित संख्या ग्रामवार, वर्षवार बतावें। (ख) ग्राम पिपरकुण्ड, देवगढ़, आम्ली, मोरानी, कन्ड्रावन वन, सागमाल, रामगढ़, सागबारा, चैरवी, कोटबांधनी, सिधवानी, घोघसा, भानिजकुण्ड, गोलगांव, खेरवानी, सेमलेट, मरदई, काजलमाता में कितने लोगों को वनाधिकार पट्टा दिया जाना शेष है? ग्रामवार संख्या बतावें। (ग) इस संबंध में कितने आवेदन लंबित हैं? ग्रामवार संख्या देवें। इनका निराकरण कब तक कर पट्टा वितरण कर दिया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश ''ख'' में दर्शित ग्रामों में वन अधिकार पत्र दिये जाने हेतु कोई प्रकरण शेष नहीं है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
वाटर कूलर एवं फर्नीचर का क्रय
[सामान्य प्रशासन]
15. ( *क्र. 2318 ) कुमारी निर्मला भूरिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) झाबुआ जिले में वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में विधायक जनसम्पर्क निधि, मंत्रियों की जनसम्पर्क निधि तथा विधायक स्वेच्छानुदान से कितने शासकीय विद्यालयों/चिकित्सालयों एवं जनपद पंचायत में वाटर कूलर एवं फर्नीचर क्रय किये जाने हेतु किस-किस संस्था में कितनी-कितनी राशि किस-किस दिनांक को स्वीकृत की गई है? इनमें से कितनी संस्थाओं द्वारा राशि का सही उपयोग किया गया? उपयोगिता प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया जावे? संस्थावार जानकारी देवें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में संस्थाओं को विधायक, जनसम्पर्क निधि, मंत्रियों की जनसम्पर्क निधि तथा विधायक स्वेच्छानुदान से वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में राशि उपलब्ध कराई गई थी, इन संस्थाओं द्वारा उक्त राशि से वाटर कूलर एवं फर्नीचर क्रय नहीं किये हैं? इन संस्थाओं की सूची प्रदान की जावे? (ग) विधायक जनसम्पर्क निधि, मंत्रियों की जनसम्पर्क निधि तथा विधायक स्वेच्छानुदान से स्वीकृत वाटर कूलर/फर्नीचर क्रय नहीं करने वाली संस्थाओं के विरूद्ध विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई, नहीं की गई तो कारण बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। सभी संस्थाओं द्वारा राशि का सही उपयोग किया गया है। उपयोगिता प्रमाण पत्र संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ख) संस्थाओं द्वारा वाटर कूलर एवं फर्नीचर क्रय किये गये हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
कुपोषण प्रभावित जिलों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र
[महिला एवं बाल विकास]
16. ( *क्र. 57 ) श्री बाबूलाल गौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रदेश के कौन-कौन से जिले कुपोषण से प्रभावित हैं? जिलों के नाम सहित जानकारी दी जाए। (ख) कुपोषण से प्रभावित जिलों में कितनी-कितनी आंगनवाड़ी संचालित हैं? पृथक-पृथक बताया जाए। (ग) कुपोषण से प्रभावित क्षेत्रों में आंगनवाड़ी द्वारा प्रतिदिन, प्रति बच्चा कितना-कितना पौष्टिक खाद्य पदार्थ दिया जाता है एवं प्रतिदिन के मान से प्रति बच्चा कितनी राशि व्यय की जाती है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) वर्ष 2015-16 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 अनुसार जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) विभागीय निर्देशानुसार अति कम वजन के बच्चों को 20-25 ग्राम प्रोटीन एवं 800 ग्राम कैलोरीयुक्त आहार, पूरक पोषण आहार के रूप में दिये जाने एवं राशि रूपये 9/- प्रति बच्चा प्रति दिवस व्यय किये जाने का प्रावधान है।
राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
17. ( *क्र. 790 ) श्री मुकेश नायक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले के विधान सभा क्षेत्र 58 पवई में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनांतर्गत वर्ष 2009 से मार्च 2015 तक कितने ग्रामों में विद्युतीकरण कार्य स्वीकृत किया गया? संख्या बतावें। किस-किस क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा कितने-कितने ग्रामों में क्या-क्या कार्य किये गये हैं? संख्या बतावें। (ख) क्या राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत अ.जा./अ.ज.जा./पि. वर्ग के लिये कोई विशेष सुविधा दिये जाने के प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो क्या विधान सभा क्षेत्र दिमनी में इनका पालन किया जाकर कहाँ-कहाँ, क्या-क्या कार्य किए? (ग) क्या स्वीकृत कार्य प्रारंभ होकर अपूर्ण हैं, जैसे कहाँ खम्भे, तार, कटआउट, ट्रांसफार्मर भी नहीं लगे हैं? (घ) स्वीकृत/निर्माणाधीन कार्य कब तक पूर्ण होकर हितग्राहियों को समय पर कृषि एवं घरेलू विद्युत प्रदाय हो जावेगी? कार्य समय पर पूर्ण न होने के क्या कारण हैं? इस हेतु कौन-कौन जिम्मेदार हैं? उनके खिलाफ शासन द्वारा कब तक कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जिला पन्ना के विधानसभा क्षेत्र पवई में 11वीं एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत वर्ष 2009 से मार्च 2015 तक किये गये विद्युतीकरण के कार्यों की स्वीकृत ग्रामों की संख्या सहित योजनावार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी नहीं, 11वीं एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत सम्मिलित सभी ग्रामों के कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। (घ) प्रश्नाधीन सभी स्वीकृत कार्य पूर्ण कर हितग्राहियों को घरेलू कनेक्शन प्रदान कर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। उक्त योजनाओं में कृषि कार्य हेतु पम्प कनेक्शन दिये जाने का कोई प्रावधान नहीं है। उक्त के परिप्रेक्ष्य में किसी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
वित्त सेवा के अधिकारियों को समयमान वेतनमान
[वित्त]
18. ( *क्र. 2718 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग द्वारा जारी परिपत्र क्रमांक एफ-11-17/2014/नियम/चार, दिनांक 30 सितम्बर, 2014 मध्यप्रदेश वित्त सेवा के अधिकारियों पर लागू है? (ख) यदि हाँ, तो वित्त विभाग में मध्यप्रदेश वित्त सेवा संवर्ग के ऐसे कितने अधिकारी हैं, जिनकी सेवायें 30 वर्ष की हो चुकी हैं एवं उन्हें इस समयमान की पात्रता है? क्या इन सभी अधिकारियों को शासन के निर्देशानुसार समयमान वेतनमान स्वीकृत किया जा चुका है? यदि नहीं, तो उन्हें कब तक स्वीकृत किया जावेगा? (ग) क्या ऐसे अधिकारी भी हैं, जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं परंतु उन्हें तीसरा समयमान वेतनमान का लाभ नहीं मिल पाया है? यदि हाँ, तो यह लाभ कब तक मिल जायेगा एवं लाभ नहीं देने के लिये कौन दोषी हैं एवं दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) क्या प्रधानमंत्री कार्यालय से समयमान वेतनमान नहीं दिये जाने के संबंध में पत्र प्रस्तुत हुआ है? उस पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई, बतावें?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। 03 समयमान वेतनमान स्वीकृत किये जाने संबंधी कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (ग) जी हाँ। समयमान वेतनमान स्वीकृत किये जाने संबंधी कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (घ) ऐसा कोई पत्र प्राप्त होना नहीं पाया गया। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मुख्यमंत्री कृषि स्थायी पंप कनेक्शन योजना में अनियमितता
[ऊर्जा]
19. ( *क्र. 3157 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजनान्तर्गत संचालन-संधारण संभाग महिदपुर एवं नागदा में योजना के प्रारंभ से माह अक्टूबर-2017 तक कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्वीकृत किये गये हैं? संभागवार पृथक-पृथक जानकारी देवें। (ख) मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना हेतु निर्धारित समय-सीमा में कितने पम्पों हेतु कितने वितरण ट्रांसफार्मर नहीं लगाये जा सके? कारण बतावें तथा इसके लिए संबंधित ठेकेदार पर क्या कार्यवाही की गई? अभी तक स्थापित ट्रांसफार्मर की संभागवार पृथक-पृथक जानकारी देवें। (ग) संचालन-संधारण संभाग नागदा में मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना के अन्तर्गत योजना की प्रारंभ तिथि से अक्टूबर-2017 तक जारी कार्यादेशों की वरीयता सूची देवें, जिसमें कार्य पूर्णता की जानकारी भी समाहित हो? क्या कारण है कि यहां पर स्थापित ट्रांसफार्मर में हल्की गुणवत्ता की सामग्री प्रयुक्त की गई? ठेकेदार द्वारा लगाये समस्त बिलों की छायाप्रति देवें। (घ) प्रश्न (ग) अनुसार वरीयता क्रय में मनचाहा परिवर्तन कर ट्रांसफार्मर लगाने वालों तथा हल्की गुणवत्ता की सामग्री प्रयुक्त करने वालों एवं इसकी अनदेखी करने वाले संबंधित अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में योजना प्रारंभ दिनांक 06.09.2016 से अक्टूबर, 2017 तक संचा.-संधा. संभाग महिदपुर में 500 सिंचाई पम्पों हेतु 481 एवं संचा.-संधा. संभाग नागदा में 455 सिंचाई पम्पों हेतु 451 वितरण ट्रांसफार्मर स्वीकृत किये गये हैं। (ख) मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में उत्तरांश (क) में उल्लेखित स्वीकृत कार्यों में से संचा.-संधा. संभाग महिदपुर में 257 पम्प कार्यों हेतु 251 एवं संचा.-संधा. संभाग नागदा में 184 पम्प कार्यों हेतु 182 वितरण ट्रांसफार्मर निर्धारित समय-सीमा में नहीं लगाये जा सके। उक्त कार्यों में विलंब का कारण वर्षा ऋतु में पहुँच मार्ग उपलब्ध नहीं होना एवं खेतों में फसल खड़ी होना है, अत: किसी ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है। मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में संचा.-संधा. संभाग महिदपुर में 274 हितग्राहियों हेतु 267 (29 समय-सीमा में एवं 238 समय-सीमा के पश्चात्) एवं संचा.-संधा. संभाग नागदा में 187 हितग्राहियों हेतु 184 (51 समय-सीमा में एवं 133 समय-सीमा के पश्चात्) वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित कर दिये गये हैं। (ग) मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में योजना प्रारंभ दिनांक 06.09.2016 से अक्टूबर-2017 तक अंश राशि जमा करने वाले संचा.-संधा. संभाग नागदा के हितग्राहियों के कार्य हेतु जारी कार्यादेशों की वरीयता सूची जिसमें कार्य की पूर्णता की जानकारी समाहित है, पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। उक्त योजना में प्रश्नाधीन क्षेत्र में 'अ' श्रेणी के विद्युत ठेकेदारों से सेमी टर्न-की के आधार पर कार्य कराए जा रहे हैं, जिसमें मुख्य सामग्री यथा-ट्रांसफार्मर, पोल, कंडक्टर आदि वितरण कंपनी द्वारा ही ठेकेदार को उपलब्ध कराई जाती है तथा ठेकेदार द्वारा निर्धारित मापदण्डों एवं गुणवत्ता के अनुरूप अन्य सामग्री क्रय कर उक्त कार्यों में उपयोग में लाई जाती है। प्रश्नाधीन स्थापित किये गए वितरण ट्रांसफार्मरों की गुणवत्ता विद्युत कंपनी द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप है तथा इन्हें स्थापित करने के लिये उपयोग की गई अन्य आवश्यक विद्युत सामग्री की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुरूप पाए जाने पर ही ठेकेदार द्वारा सामग्री का उपयोग किया गया है। वर्तमान में प्रश्नाधीन कार्यों हेतु ठेकेदारों द्वारा उन्हें जारी कार्यादेशों के विरूद्ध कोई भी बिल भुगतान हेतु संबंधित कार्यालयों में प्रस्तुत नहीं किया गया है। (घ) उत्तरांश (ग) में उल्लेखित कार्यादेशों में यथासंभव वरीयता अनुसार ही कार्य संपादित कराये गये हैं। तथापि कतिपय अवसरों पर मार्ग सुगम नहीं होने, कृषकों के आपसी विवाद, सामग्री कार्यस्थल पर पहुँचने में लगने वाले समय, विभिन्न कार्यादेशों में कार्य की मात्रा में भिन्नता आदि कारणों से आई व्यवहारिक कठिनाईयों के कारण कुछ प्रकरणों में वरीयता क्रम आंशिक रूप से प्रभावित हुआ है। इन कार्यों में उत्तरांश (ग) में दर्शाए अनुसार निर्धारित मानकों के अनुरूप ही सामग्री का उपयोग किया गया है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत स्वीकृत विद्युत सब-स्टेशन
[ऊर्जा]
20. ( *क्र. 457 ) श्री संजय शर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक कितने विद्युत सब-स्टेशन, कहाँ-कहाँ पर और कितनी क्षमता के स्वीकृत हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार स्वीकृत विद्युत सब-स्टेशनों में से कौन-कौन का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है? कौन-कौन निर्माणाधीन हैं एवं कौन-कौन का निर्माण कार्य क्यों प्रारम्भ नहीं हुआ है? (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार निर्माणाधीन विद्युत सब-स्टेशनों का निर्माण कार्य कब तक पूर्ण होगा एवं निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं होने वाली विद्युत सब-स्टेशनों का निर्माण कार्य कब तक प्रारम्भ होगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) तेन्दूखेड़ा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में 132 के.व्ही. के 3 विद्युत उपकेन्द्र एवं 33 के.व्ही. के 4 विद्युत उपकेन्द्र स्वीकृत किये गये हैं, जिनकी स्थानवार एवं क्षमतावार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार स्वीकृत उपकेन्द्रों में से कार्य पूर्णता वाले, निर्माणाधीन एवं कार्य अप्रारंभ वाले उपकेन्द्रों की कार्य प्रारंभ नहीं होने के कारण सहित उपकेन्द्रवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार निर्माणाधीन विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य पूर्ण होने की संभावित तिथि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। कार्य अप्रारंभ वाले 132 के.व्ही. के पलोहाबडा एवं तेन्दूखेड़ा उपकेन्द्रों का कार्य क्रमश: भूमि आवंटन एवं निविदा कार्यवाही पूर्ण होने पर प्रारंभ किया जा सकेगा, जिस हेतु वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त कार्य अप्रारंभ वाले 33 के.व्ही. बिल्थारी उपकेन्द्र का कार्य सर्वे पूर्ण होने पर दिसम्बर 2017 में प्रारंभ किया जाना संभावित है।
दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के लिए विनियमित योजना
[सामान्य प्रशासन]
21. ( *क्र. 1138 ) श्री शान्तिलाल बिलवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थायी कर्मियों में विनियमित करने की योजना शासन द्वारा बनाई गई है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार शासन द्वारा यदि विनियमित करने की योजना बनाई गई है तो माह अक्टूबर, 2016 के बाद झाबुआ जिले में कितने दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थायीकर्मी के आदेश किस-किस विभाग द्वारा जारी किये गये? क्या धार जिले में आदेश जारी हो चुके हैं? (ग) झाबुआ जिले में दैनिक वेतन भोगी को स्थायी कर्मी के आदेश विभाग द्वारा जारी नहीं किये गये तो शासन उस विभाग के अधिकारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही करेगा और स्थायी करने के आदेश कब तक जारी किये जावेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विनियमितिकरण की कार्यवाही एक निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जाती है। शेषांश प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
दुधी सिंचाई परियोजना का कार्य प्रारंभ किया जाना
[नर्मदा घाटी विकास]
22. ( *क्र. 1901 ) श्री ठाकुरदास नागवंशी : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के तारांकित प्रश्न क्रमांक 2392, दिनांक 03.03.2017 के उत्तर में दुधी सिंचाई परियोजना का डी.पी.आर. छ: माह के अन्दर तैयार किये जाने का आश्वासन दिया गया था? यदि हाँ, तो अद्यतन स्थिति की जानकारी दें? (ख) क्या प्रश्न दिनांक तक दुधी सिंचाई परियोजना की डी.पी.आर. तैयार नहीं की जाकर टेंडर आहूत नहीं किये गये हैं? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन उत्तरदायी हैं, क्या उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जावेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। दुधी सिंचाई परियोजना की डी.पी.आर. विभाग द्वारा दिनांक 26.05.2017 को केन्द्रीय जल आयोग, नई दिल्ली को प्रस्तुत कर दी गई थी। केन्द्रीय जल आयोग द्वारा 2017 की गाईड लाईन अनुसार अनुमोदन प्राप्त कर, पुनरीक्षित डी.पी.आर. प्रस्तुत करने का लेख किया गया है। विभाग द्वारा केन्द्रीय जल आयोग की गाईड लाईन 2017 के अनुसार परियोजना की प्रि-फिजिबिलिटी रिपोर्ट दिनांक 14.09.2017 को केन्द्रीय जल आयोग, नई दिल्ली को प्रस्तुत कर दी गई है। प्रतिवेदन केन्द्रीय जल आयोग, नई दिल्ली में परीक्षणाधीन है। पी.एफ.आर. के अनुमोदन उपरांत 2017 की गाइडलाईन अनुसार डी.पी.आर. पुनरीक्षित कर पुन: प्रेषित की जाना है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अनुसूचित जाति जनजाति बाहुल्य ग्रामों में विकास कार्य
[जनजातीय कार्य]
23. ( *क्र. 1817 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य ग्रामों में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार हेतु योजना (नियम 2017) स्वीकृत की गई है? (ख) यदि हाँ, तो इस योजना में पुलिया निर्माण के कार्य क्यों नहीं लिये गये? (ग) क्या जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में आवागमन हेतु पुलिया निर्माण कार्य नहीं किये जायेंगे? (घ) यदि हाँ, तो जनजाति क्षेत्र में पुलिया कौन बनायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) से (घ) संबंधित नियम के नियम-2 योजना के उद्देश्य में पुलिया निर्माण का उल्लेख है, किन्तु कार्यों के निर्धारण की सूची नियम-5 में उल्लेख नहीं है। नियम-5 के अन्तर्गत पुलिया निर्माण को शामिल करने हेतु संशोधन की कार्यवाही विचाराधीन है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मंत्री स्थापना में विशेष सहायक के पद पर नियुक्त/पदस्थापना के नियम
[सामान्य प्रशासन]
24. ( *क्र. 2008 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मंत्री स्थापना में स्वीकृत विशेष सहायक के पद पर तृतीय श्रेणी कर्मचारी की पदस्थापना की जा सकती है? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति एवं पदस्थ कर्मचारियों की जानकारी उपलब्ध करावें? (ख) यदि नहीं, तो क्या मंत्रियों की स्थापना में पदस्थ तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को तत्काल हटाया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) और (ख) विशेष सहायक के पद पर प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की पदस्थापना की जाती है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
वन क्षेत्र में काबिज परिवारों को पट्टे का वितरण
[जनजातीय कार्य]
25. ( *क्र. 162 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़वाह विधान सभा क्षेत्र में वन क्षेत्र में ऐसे कितने परिवार हैं, जिन्हें पट्टे की स्वीकृति नहीं हुई है, जिनके पास आर्थिक दण्ड की रसीदें लगभग 20 -30 वर्षों की भी है? उनके द्वारा विगत एक वर्ष में कब कब आवेदन दिए हैं? उनकी सूची दी जावे। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार ऐसे परिवारों को पट्टे स्वीकृति के सम्बन्ध में विगत एक वर्ष में प्रश्नकर्ता द्वारा कब-कब लिखा गया है? प्राप्त पत्रों पर विभाग द्वारा कब कब क्या क्या कार्यवाही की गई है? (ग) विधान सभा क्षेत्र में ऐसे कितने परिवार हैं, जिन्हें पात्रता होते हुए भी अभी तक पट्टे प्रदाय नहीं किये गए हैं, इन परिवारों को पट्टे कब तक दिए जावेंगे? अपात्रों की भी सूची दी जावे।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) विधानसभा क्षेत्र बड़वाह में ऐसे कोई परिवार नहीं हैं, जिन्हें पात्रता होते हुए पट्टा प्रदाय नहीं किया गया। बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार 71 दावे निराकरण हेतु लंबित हैं। अपात्रों की सूची की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
मदिरा
दुकानों से
प्राप्त आय
[वाणिज्यिक कर]
1. ( क्र. 84 ) श्री बाबूलाल गौर : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न दिनांक तक प्रदेश के किन-किन जिलों में देशी एवं विदेशी मदिरा की कितनी-कितनी दुकानें संचालित हैं? जिलेवार संख्या बतायी जाए। (ख) प्रदेश में वर्तमान में किन-किन जिलों में कितनी-कितनी मदिरा डिस्टलरी एवं बॉटलिंग प्लांट कार्य कर रहे हैं एवं इनमें वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक कितनी-कितनी मदिरा का उत्पादन किया गया वर्षवार जानकारी दी जाए। (ग) वाणिज्यिक कर विभाग (आबकारी विभाग) को मदिरा की बिक्री से वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी आमदनी हुई वर्षवार जानकारी दी जाए।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रदेश के जिलों में संचालित देशी एवं विदेशी मदिरा दुकानों की संख्या की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) प्रदेश में वर्तमान में कार्य कर रहे मदिरा डिस्ट्रलरीज, विदेशी मदिरा बॉटलिंग इकाई एवं देशी मदिरा बॉटलिंग इकाई (सी.एस.-1बी) जिन जिले में स्थापित है तथा वर्ष 2013 से माह अक्टूबर 2017 तक में किये गये उत्पादन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- दो, तीन एवं चार अनुसार है। (ग) वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग को मदिरा की बिक्री से वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-18 (माह अक्टूबर 2017 अंत तक) प्राप्त राजस्व की वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-पाँच अनुसार है।
नकली प्रतिभूति जमा कर शराब ठेका प्राप्त करना
[वाणिज्यिक कर]
2. ( क्र. 173 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क ) इंदौर संभाग में देशी एवम विदेशी शराब दुकान में वित्त वर्ष 2017 -2018 में कितनी कितनी राशि आय के रूप में शासन को प्राप्त हुई है? उसकी सूची दी जावे. (ख) क्या संभाग में कुछ ठेकेदारों ने नकली प्रतिभूति जमा कर ठेका हासिल कर लिया है? यदि हाँ, तो ऐसे ठेकेदारों के नाम बताया जावे. इस सम्बन्ध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है. (ग) क्या प्रतिभूति की तस्दीक नहीं की जाती है? यदि हाँ, तो जानबूझकर लापरवाही बरतने वाले अधिकारी का नाम बताया जावे, उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) इन्दौर संभाग में देशी/विदेशी शराब दुकान से वर्ष 2017-18 में माह अक्टूबर तक कुल आय रू 7732263401/- शासन को प्राप्त हुई है। इन्दौर संभाग के जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) इन्दौर संभाग में नकल प्रतिभूति जमा कर ठेका हासिल करने संबंधी कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है, अत: जानकारी निरंक है। (ग) इन्दौर संभाग के सभी 08 जिलों में प्रतिभूति की तस्दीक कराई जाती है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
विदेश यात्राओं की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
3. ( क्र. 258 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01 जनवरी 2015 से प्रश्नांकित दिनांक तक मा. मुख्यमंत्री, मंत्री मण्डल के किन-किन सदस्यों एवं किन-किन अधिकारियों द्वारा किन-किन देशों की यात्राएं कब-कब की? इन यात्राओं के उद्देश्य क्या थे? (ख) प्रश्नांश (क) की यात्राओं पर कितनी-कितनी राशि व्यय हुई? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या अधिकांश यात्राएं प्रदेश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए की गयी? यदि हाँ, तो इन यात्राओं के दौरान किन किन विदेशी उद्योगपतियों से किस-किस प्रकार के कितनी-कितनी राशि के एम.ओ.यू./निवेश के प्रस्ताव कब कब हस्ताक्षरित किये गए? इनमें से कौन-कौन से एम.ओ.यू. अनुसार प्रदेश में किस किस क्षेत्र में कितना विदेशी निवेश अभी तक हुआ है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
ग्रामों में विद्युत मांग के अनुरूप ट्रांसफार्मर स्थापित कराना
[ऊर्जा]
4. ( क्र. 267 ) श्री मोती कश्यप : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 31.10.2017 की स्थिति में वि.स.क्षे. बड़वारा के वि.खं. बड़वारा, कटनी एवं ढीमरखेड़ा में कितने-कितने हार्सपावर के कितने कृषि पम्प कार्य हेतु स्थायी कनेक्शन है और प्रतिवर्ष कितने अस्थायी कनेक्शन कृषि पम्प कार्य हेतु लिये जाते है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में स्थायी व अस्थायी कनेक्शनों से ऊर्जा की कुल आवश्यकता के अनुसार कितने ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये है और जिससे ऊर्जा आपूर्ति में कितने ट्रांसफार्मरों की कमी पायी गई है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) (ख) के कनेक्शनों की कुल ऊर्जा मांग की तुलना में कम क्षमता के अपर्याप्त ट्रांसफार्मर स्थापित किये जाने से किसी एक ट्रांसफार्मर के बिगड़ जाने पर निरन्तर अवैध कनेक्शनों से ग्राम के सारे ट्रांसफार्मर बिगड़ जाते हैं और जिससे विभाग और कृषकों को असाधारण क्षति उठाना पडती है? (घ) क्या विभाग प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के परिप्रेक्ष्य में क्षेत्र के प्रत्येक ग्रामों की आवश्यकता के अनुरूप कब तक पर्याप्त क्षमता के पर्याप्त ट्रांसफार्मर स्थापित कराकर कृषकों की अपूर्णीय क्षति को रोकेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) दिनांक 31.10.2017 की स्थिति में बड़वारा विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड बड़वारा, कटनी एवं ढीमरखेड़ा में एक अश्वशक्ति के 5, दो अश्वशक्ति के 9194, तीन अश्वशक्ति के 3938 एवं 5 अश्वशक्ति के 2927, इस प्रकार कुल 16064 स्थाई पम्प कनेक्शन विद्यमान है। प्रति वर्ष उक्त विकासखण्डों में औसतन 3000 अस्थाई कृषि पम्प कनेक्शन दिये जाते है। (ख) बड़वारा विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड बड़वारा, कटनी एवं ढीमरखेड़ा के अंतर्गत उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में विद्यमान स्थाई/अस्थाई पम्प कनेक्शनों के विद्युत प्रदाय हेतु ऊर्जा की कुल आवश्यकता लगभग 54000 के.व्ही.ए. के विरूद्ध विभिन्न क्षमता के कुल 1991 वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित है, जिनकी कुल क्षमता 1,06,750 के.व्ही.ए. हैं, जो कि स्थाई एवं अस्थाई कनेक्शनों की मांग/आवश्यकता की तुलना में पर्याप्त है। (ग) जी नहीं, प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर के अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र में कुल ऊर्जा की मांग की तुलना में पर्याप्त क्षमता के ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये हैं, जिससे ओवरलोडिंग के कारण ट्रांसफार्मर फेल होने की स्थिति निर्मित नहीं हो। साथ ही वितरण कंपनी द्वारा ट्रांसफार्मरों से संबद्ध अवैध कनेक्शन वाले व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जाती है, जो कि एक सतत् प्रक्रिया है। ट्रांसफार्मर के फेल हो जाने पर ट्रांसफार्मर को नियमानुसार शीघ्र बदलकर/शीघ्र सुधारकर विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी जाती है। (घ) उत्तरांश (क), (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
जनसम्पर्क निधि अंतर्गत हितग्राहियों को राशि का वितरण
[सामान्य प्रशासन]
5. ( क्र. 351 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि.अतारांकित प्रश्न क्रमांक 482 दिनांक 25.7.2017 जनसंपर्क निधि वर्ष 2015-16 व 2016-17 में भिण्ड विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत किन-किन हितग्राही को कितनी राशि दी गई? कितनी राशि के प्रकरण किस स्तर पर विचाराधीन है? कब तक वितरित हो जायेगी? छायाप्रति सहित जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही प्रचलित है? क्या राशि सुरक्षित है? यदि हाँ, तो किस खाते में किस नियम के तहत राशि जमा की गई? छायाप्रति सहित जानकारी दें? (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) के अंतर्गत 2015-16 व बिल क्र. 206 दिनांक 26.3.2016 राशि 9 लाख व 2016-17 बिल क्र. 194 दिनांक 7.3.2017 राशि 950000.00 आहरण की गई? यदि हाँ, तो प्रश्नांश दिनांक तक हितग्राही को राशि वितरित क्यों नहीं की गई? इसके लिए कौन उत्तरदायी हैं? क्या दोषी को निलंबित किया जायेगा? (घ) क्या दोषी अधिकारी के विरूद्ध कब तक क्या कार्यवाही की जावेगी? क्या मापदण्ड निर्धारित किए गए? पालन न होने के लिए कौन उत्तरदायी हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जनसंपर्क निधि वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में भिण्ड विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत हितग्राहियों को प्रदाय राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उक्त वर्षों के कोई प्रकरण विचाराधीन नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) वर्ष 2015-16 के राशि रूपये 40,000/- के प्रस्ताव एवं वर्ष 2016-17 के राशि रूपये 80,000/- के प्रस्ताव प्रभारी मंत्री से अनुमोदन प्राप्त न होने के कारण स्वीकृत नहीं किये जा सके। वित्तीय वर्ष समाप्त हो जाने के कारण राशि लेप्स हो जाती है। अत: सुरक्षित नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। जनसंपर्क निधि से स्वीकृत पश्चात हितग्राहियों के बैंक खाते प्राप्त न हो पाने के कारण बैंक से अनुशंसित हितग्राहियों के नामवार चेक तैयार कराके हितग्राहियों को तत्समय ही वितरण कराया जा चुका है। (घ) कोई भी अधिकारी/कर्मचारी दोषी न होने से कार्यवाही करने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ग्वालियर द्वारा प्रकरण की जाँच
[सामान्य प्रशासन]
6. ( क्र. 352 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तारांकित प्रश्न क्र. 1246 दिनांक 23.2.2017 कार्यालय आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ग्वालियर का पत्र क्र. 3509 दिनांक 18.10.2016 में प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? प्रश्नांश (ख) से (घ) की जानकारी यदि एकत्रित हो गई हो तो उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत प्रचलित जाँच को कब अपराध में पंजीबद्ध कर कठोर कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रारंभिक जाँच क्रमांक 09/2011 में जाँच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। (ख) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अटल ज्योति योजना की जानकारी
[ऊर्जा]
7. ( क्र. 458 ) श्री संजय शर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नर्मदा उत्तर क्षेत्र में अटल ज्योति योजना की वर्तमान स्थिति क्या है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार अटल ज्योति योजना का कार्य कब तक पूर्ण होगा? (ग) सम्पूर्ण तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में जहाँ-जहाँ अटल ज्योति योजना का कार्य किया गया है, उसमें प्रयुक्त केबल लाईन विद्युत लोड क्यों सहन नहीं कर पा रही है और जल कर क्यों नष्ट हो रही है? प्रयुक्त केबल लाईन की जाँच कर उच्च गुणवत्ता की केबल लाईन कब तक लगा दी जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) अटल ज्योति कोई योजना नहीं अपितु समस्त घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घन्टे विद्युत प्रदाय की सुविधा उपलब्ध कराए जाने हेतु एक अभियान था, जिसके अंतर्गत किसी भी प्रकार की विद्युत अद्योसंरचना का कार्य नहीं किया जाना था। तथापि तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नर्मदा उत्तर क्षेत्र में फीडर विभक्तिकरण योजना में 11 के.व्ही. के 14 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य किया जाना था, जिसमें से 12 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण हो गया है तथा वर्तमान में 2 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य शेष है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र में फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत 11 के.व्ही. के शेष 2 फीडरों यथा-काशीखेरी फीडर एवं रूकवारा फीडर के विभक्तिकरण का कार्य प्रगति पर है जिसे मार्च-2018 तक पूर्ण किया जाना संभावित है। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत फीडर विभक्तिकरण योजना में गुणवत्तापूर्ण निम्न दाब केबल का उपयोग किया गया है। केबल क्रय करने के पूर्व इसका थर्ड पार्टी निरीक्षण कराया जाता है। तत्पश्चात रेंडम सेंपल का एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला में परीक्षण भी कराया जाता है। उक्त योजनान्तर्गत प्रयुक्त केबल में से वितरण केन्द्र सिहोरा, कोडिया एवं डोंगी के कुछ ग्रामों के अंतर्गत केबल जलने की शिकायतें प्राप्त हुई थी, जिन्हें बदल दिया गया है। उपरोक्त केबल जलने का मुख्य कारण अवैध कनेक्शनों के जुड़ जाने के कारण क्षमता से अधिक भार बढ़ जाना है। वितरण कंपनी के संबंधित अधिकारियों द्वारा अवैध कनेक्शनों की समय-समय पर जाँच की जाती है तथा उन पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। चूंकि उक्त योजनान्तर्गत प्रयुक्त केबल की गुणवत्ता की जाँच, क्रय करते समय की गई है, अत: तत्संबंध में अन्य किसी प्रकार की जाँच अथवा योजनान्तर्गत प्रयुक्त केबल को बदलने की कार्यवाही करने की आवश्यकता नहीं है।
कुपोषण के रोकथाम
[महिला एवं बाल विकास]
8. ( क्र. 545 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) उज्जैन संभाग में वर्ष 2015 से अक्टूबर 2017 तक कितने कुपोषित बच्चे पाये गये वर्षवार बताए? (ख) शासन द्वारा इन कुपोषित बच्चों के लिए किन-किन योजनाओं को क्रियान्वित किया गया तथा कितनी-कितनी राशि उसमें आवंटित एवं व्यय हुई (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कुपोषण रोक एवं सुधार की दिशा में सरकार द्वारा समय-समय पर उठाये गये कदमों का ब्यौरा व परिणाम क्या है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) उज्जैन संभाग में प्रश्नांकित अवधि में पाये गये कुपोषित बच्चों की वर्षवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) इन कुपोषित बच्चों के लिए आई.सी.डी.एस. योजना के अतिरिक्त अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन तथा स्नेह सरोकार योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। उज्जैन संभाग के जिलों में प्रश्नांकित अवधि में वर्षवार आवंटित एवं व्यय राशि का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) कुपोषण रोक एवं सुधार की दिशा में आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्रत्येक माह 5 वर्ष तक के बच्चों का वजन लिया जाकर उनके पोषण स्तर का निर्धारण किया जाता है। चिन्हित कम वज़न एवं अतिकम वज़न के बच्चों के पोषण स्तर में सतत् सुधार तथा फॉलोअप किया जा रहा है। अतिकम वजन वाले बच्चों को थर्डमील का प्रदाय तथा कुपोषण संकेन्द्रित ग्रामों में स्नेह शिविरों का आयोजन किया जाता है। चिन्हित गंभीर कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्रों में संदर्भित किया जाता है। अतिकम वजन वाले बच्चों के पोषण की देखभाल जनसमुदाय, जनप्रतिनिधियों एवं प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा जिम्मेदारी लिये जाने हेतु स्नेह सरोकार कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। वर्ष 2005-06 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 सर्वे के परिणामों की तुलना में वर्ष 2015-16 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 सर्वे के प्राप्त परिणामों प्रदेश में बच्चों में कुपोषण की स्थिति में 26.6 प्रतिशत कमी परिलक्षित हुई है।
मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषित उद्वहन सिंचाई प्रणालियों को पूर्ण किया जाना
[नर्मदा घाटी विकास]
9. ( क्र. 958 ) श्री मोती कश्यप : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वि.स.क्षेत्र बड़वारा के ग्राम बड़वारा, खमतरा, ढीमरखेड़ा, सिलौंडी, पौनिया एवं उमरियापान में जनदर्शन यात्रा दिनांक 10-8-2016, 11-9-2016 एवं 15-10-2016 को मा. मुख्यमंत्री जी ने विभागीय दायींतट नहर की जिन किन्हीं दो उद्वहन सिंचाई प्रणाली की घोषणायें की हैं, उनका कुल सिंचाई रकवा सहित वर्तमान भौतिक स्थिति क्या है? (ख) प्रश्नांश (क) की बरगी व्यपवर्तन योजना की दायींतट मुख्य नहर की आर.डी. 102.00 से 104.00 कि.मी. का कार्य पूर्ण न होने के कारण क्या हैं और अभी तक उसकी कब-कब निविदायें आमंत्रित व स्वीकृत की गई हैं तथा किन कारणों से कब-कब निर्माण एजेन्सियों द्वारा निर्माण कार्य छोड़ा गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) नहर में आर.डी. 83.00 से 104.00 कि.मी. के मध्य कितनी सिंचाई क्षमता की माइनर नहरें हैं, कितने क्षेत्र में काडा का कार्य पूर्ण हो गया है? कितना शेष है और जिनकी निविदायें कब तक आमंत्रित कर पूर्ण कर दी जावेंगी? (घ) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के सिंचाई का रकवा कितना है और उन्हें कब प्रारंभ कर कब तक पूर्ण कर कृषकों को लाभान्वित कर दिया जावेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) ढीमरखेड़ा माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना लागत रूपये 256.16 करोड़ की स्वीकृति की जाकर परियोजना निर्माणाधीन है। स्लीमनाबाद-बड़वारा माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना डी.पी.आर. हेतु परीक्षण की स्थिति में है। कुल सिंचाई रकवा 50,000 हेक्टेयर है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) आर.डी. कि.मी. 83.00 से कि.मी. 104.00 के मध्य एक शाखा नहर व 4 माइनर नहरें हैं। संपूर्ण 23507 हेक्टेयर में काडा कार्य शेष है। काडा कार्य की डी.पी.आर. स्वीकृति हेतु प्रक्रियाधीन है। डी.पी.आर. स्वीकृति उपरांत काडा कार्य किया जाना लक्षित है। (घ) सिंचाई का कुल रकवा 73507 हेक्टेयर है। ढीमरखेड़ा माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना का कार्य दिनांक 17/08/2017 से प्रारंभ हो गया है। इस कार्य के पूर्ण होने की लक्षित तिथि 16/08/2019 है। स्लीमनाबाद-बड़वारा माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना डी.पी.आर. हेतु परीक्षण की स्थिति में हैं, अतएव इसके प्रारंभ व पूर्ण होने की तिथि बताना संभव नहीं है। रेहुटा, पड़रिया, देवरी, बिछिया माइनर नहरों से कृषकों को लाभांवित किया जा रहा है।
सौर ऊर्जा परियोजना के अनुबंध के नियम व शर्तें
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
10. ( क्र. 1041 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सौर ऊर्जा, परियोजनांतर्गत रतलाम जिले के आलोट क्षेत्र में मेसर्स नरभेराम विश्राम (विकासक) को अब तक कितनी भूमि आवंटित की गई? विकासक द्वारा कितनी भूमि की मांग की गई? पूर्ण ब्यौरा दें? (ख) उपरोक्त प्रश्नांश (क) परियोजना के विकासक के साथ शासन के अनुबंध के नियम व शर्तों का ब्यौरा मय अनुबंध उपलब्ध करावें? (ग) परियोजनाओं में देरी/रूकावट दूर करने हेतु शासन की कार्ययोजना क्या है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सौर ऊर्जा परियोजना हेतु रतलाम जिले के आलोट क्षेत्र में विकासक मेसर्स नरभेराम विश्राम को विभाग द्वारा भूमि आवंटित नहीं की गई है। विकासक द्वारा 20.19 हेक्टेयर, स्वचिन्हित राजस्व भूमि की मांग की गई थी, परन्तु परियोजना समय-सीमा में पूर्ण किये जाने हेतु विकासक द्वारा निजी भूमि क्रय कर के परियोजना स्थापना की गई है। (ख) जिला रतलाम में 'सौर ऊर्जा आधारित परियोजनाओं की क्रियान्वयन नीति-2012' के नियम एवं शर्तों के अनुसार परियोजना स्थापित की गई है, नीति की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड एवं विकासक के मध्य हुये पावर परचेस एग्रीमेट (PPA) की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) शासन द्वारा निजी विकासकों को परियोजनाएं स्थापित करने हेतु त्वरित कार्यवाही कर भू-आवंटन की प्रक्रिया की जाती है तथा विकासकों को पूर्ण सहयोग करते हुये राजस्व भूमि के सीमांकन का कार्य जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी के माध्यम से सम्पन्न कराया जाता है। परियोजना का क्रियान्वयन पी.पी.ए. में निर्धारित समय-सीमा व शर्तों में किया जाता है।
सीटर कन्या/बालक छात्रावास का निर्माण
[जनजातीय कार्य]
11. ( क्र. 1099 ) श्री कैलाश चावला : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मनासा विधानसभा क्षेत्र के कुकड़ेश्वर में जनजातीय कार्य विभाग द्वारा सीटर कन्या/बालक छात्रावास निर्माण हेतु स्वीकृति प्रदान की गई हैं? (ख) क्या उक्त स्थान पर लगभग 15 वर्ष पूर्व भी छात्रावास निर्माण की स्वीकृति देकर दशहरा मैदान/खेल मैदान में निर्माण प्रारंभ कराया गया था, जिसमें जन विरोध को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री/सक्षम अधिकारी के निर्देश पर कार्य बंद कर दिया गया था? (ग) क्या प्रश्नकर्ता एवं कलेक्टर नीमच द्वारा पुनर्निमाण कार्य प्रारंभ करने पर जन विरोध को देखते हुए उक्त छात्रावास को अन्यत्र बनाए जाने हेतु पत्र विभागीय अधिकारियों द्वारा दिनांक 25-09-2017 को लिखा गया था? (घ) उक्त पत्र पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? क्या विभाग उक्त छात्रावास को उक्त स्थान पर बनाने का निर्णय निरस्त कर मनासा में उपलब्ध भूमि पर बनाये जाने हेतु विचार करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। प्रीमैट्रिक बालक छात्रावास, कुकड़ेश्वर के भवन निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। (ख) एवं (ग) वर्ष 2009-10 में प्रीमैट्रिक बालक छात्रावास, कुकड़ेश्वर लागत रू.60.00 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई थी। छात्रावास निर्माण हेतु आवंटित भूमि पर निर्माण कार्य प्रारंभ कराया गया था, जिसे स्थानीय नागरिकों के विरोध के कारण बन्द कर दिया गया। कलेक्टर नीमच द्वारा अन्यत्र छात्रावास का निर्माण कराये जाने हेतु दिनांक 25/09/2017 को पत्र नहीं लिखा गया है। कलेक्टर द्वारा दिनांक 02/06/2017 को पत्र आयुक्त, आदिवासी विकास म.प्र. भोपाल को लिखा गया है। (घ) पत्र पर नियमानुसार कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। परीक्षणोपरान्त, नियमानुसार आगामी कार्यवाही की जा सकेगी।
लंबित प्रकरण की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
12. ( क्र. 1115 ) श्री रामलाल रौतेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला अनूपपुर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खण्ड अनूपपुर कार्यालय में विगत माह आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ EOW या लोकायुक्त ने छापामारी की थी? यदि हाँ, तो किन-किन अधिकारी/कर्मचारी एवं सप्लायर के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया है? क्या इसके पूर्व भी लोकायुक्त ने छापा मारा था? या रंगे हाथ घूस लेते हुए पकड़े गये थे? यदि हाँ, तो प्रकरण की क्या स्थिति है? (ख) उक्त कार्यालय में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी तथा सप्लायर के विरूद्ध चल रही विवेचना कब पूर्ण होगी तथा माननीय न्यायालय में चालन कब पेश किया जाएगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। लोकायुक्त संगठन ने श्री हीरासिंह धुर्वे कार्यपालन यंत्री एवं श्री सूर्यकान्त मिश्रा सहायक ग्रेड-2 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जिला अनूपपुर के विरूद् रंगे हाथ घूस लेते हुए पकड़े जाने पर अपराध क्र. 145/2014 दिनांक 03/04/2014 को पंजीबद्ध किया जाकर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया। प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। जी हाँ। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा अपराध क्रमांक 39/17 एवं अपराध क्रमांक 40/17 दिनांक 31/08/2017 को पंजीबद्ध किये गये। प्रकरण वर्तमान में विवेचनाधीन है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) लोकायुक्त संगठन में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 145/2014 में विवेचना उपरान्त माननीय न्यायालय अनूपपुर में दिनांक 18/09/2015 को चालान प्रस्तुत किया गया। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के प्रकरण विचाराधीन हैं। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में विद्युत फीडर सेपरेशन के अधूरे कार्य की प्रगति
[ऊर्जा]
13. ( क्र. 1214 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र अटेर, जिला भिण्ड अंतर्गत म.प्र.वि. वितरण कंपनी का मेसर्स ज्योति कंपनी के माध्यम से किन-किन गांवों में फीडर सेपरेशन एच.डी. व एल.टी. लाईन के कौन-कौन से कार्य कराये जाने का अनुबंध किस दिनांक को पारित किया गया था? अनुबंध अनुसार यह कार्य कब तक पूर्ण किये जाने थे? कार्यों की वर्तमान स्थिति सहित पूर्ण जानकारी दी जाये? (ख) क्या क्षेत्र के राजस्व गांवों में फीडर सेपरेशन का कार्य हुआ, किन्तु उन्हीं गांवों के मजरों को छोड़ दिया गया साथ ही कई गांवों में विद्युत ट्रांसफार्मर का स्ट्रेक्चर बनाये, किन्तु ट्रांसफार्मर नहीं रखे गये, एच.डी. व एल.टी. का कार्य आज दिनांक तक पूर्ण नहीं किया हैं? यदि हाँ, तो कौन-कौन से कार्य वर्तमान में अधूरे हैं तथा इन कार्यों को कब तक पूर्ण किया जावेगा? तत्काल अधूरे कार्य पूर्ण कराने की समय-सीमा दी जाये।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) भिण्ड जिले के अन्तर्गत विधानसभा क्षेत्र अटेर में म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के द्वारा मेसर्स ज्योति स्ट्रक्चर लिमिटेड कम्पनी से 11 के.व्ही. के 26 फीडरों के विभक्तिकरण के कार्य हेतु, जिसके अन्तर्गत 142 ग्रामों का एच.टी. एवं एल.टी.लाईन का कार्य किया जाना सम्मिलित था, दिनांक 29.07.2011 को अनुबन्ध किया गया था। उक्तानुसार 11 के.व्ही. के 26 फीडरों एवं उनसे संबद्ध 142 ग्रामों की सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। उक्त अनुबंध के अनुसार फीडर विभक्तिकरण का कार्य फरवरी 2013 तक पूर्ण किया जाना था। कार्य की प्रगति अत्यंत धीमी होने एवं समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किये जाने के कारण उक्त अनुबंध दिनांक 08.06.2015 को निरस्त कर दिया गया। ठेकेदार एजेन्सी द्वारा अनुबंध समाप्ति दिनांक तक 11 के.व्ही. के 11 फीडरों पर शत्-प्रतिशत कार्य करते हुए इनसे संबद्ध 62 ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण किया गया है। अनुबंध निरस्तीकरण के पश्चात् शेष 15 फीडरों के 80 ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण के कार्यों को पूर्ण करने हेतु निविदा आधार पर चयनित नवीन ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स एम.डी.पी.-एन.के.जी. (जे.व्ही.) ग्वालियर को दिनांक 17.08.2016 को अवार्ड जारी किया गया। उक्त ठेकेदार एजेंसी द्वारा 2 फीडरों एवं इनसे संबद्ध 14 ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण कर दिया गया है, 10 फीडरों में 11 के.व्ही. लाईन का कार्य पूर्ण किया जा चुका है एवं एल.टी.लाईन/ट्रांसफार्मर का कार्य शेष है तथा 3 फीडरों का कार्य अप्रारंभ है, विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ख) जी हाँ, भिण्ड जिले के अन्तर्गत अटेर विधानसभा क्षेत्र में राजस्व ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत कार्य किये जा रहे है, किन्तु ग्रामों में स्थित मजरों/टोलों के कार्य उक्त योजना के प्रावधानों के अनुसार योजना में शामिल नहीं है। पूर्व में कार्यरत ठेकेदार एजेंसी मेसर्स ज्योति स्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी द्वारा अधूरे छोड़े गये कार्यों में से वर्तमान में अपूर्ण कार्य वाले 13 फीडरों की वर्तमान स्थिति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब 'के सरल क्रमांक-14 से 26 में दर्शाए अनुसार है। इन अपूर्ण कार्यों को फरवरी 2018 तक पूर्ण किये जाने की समय-सीमा निर्धारित है।
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा अपर आयुक्त के निर्णय का उल्लघंन किया जाना
[सामान्य प्रशासन]
14. ( क्र. 1233 ) पं. रमेश दुबे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2016-17 के दौरान होशंगाबाद जिले के कितने अनुविभागीय अधिकारियों (राजस्व) के विरूद्ध शासकीय भूमि को शासन के हित में कार्यवाही न करते हुए व्यक्ति विशेष को लाभ पहुँचाने के संबंध में अनुशासनात्मक कार्यवाही शासन स्तर पर सामान्य प्रशासन विभाग में लंबित है। भूमि के ब्यौरे की जानकारी स्पष्ट करें? (ख) क्या अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री अभिषेक गहलोत ने न्यायालय अपर आयुक्त नर्मदापुरम संभाग होशंगबाद के पारित आदेश दिनांक 29.06.2016 का पालन न करते हुए प्रकरण का पुनर्विलोकन किया तो किस नियम के तहत? (ग) क्या प्रकरण में फर्जी वसीयत के तथ्य मौजूद होने के बावजूद भी तथ्य अनदेखा कर शासकीय भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज न करने की कार्यवाही की गयी? यदि हाँ, तो संबंधित के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी, यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विद्यालयों, छात्रावासों और आश्रमों की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
15. ( क्र. 1239 ) श्री जतन उईके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिंदवाड़ा जिलांतर्गत विभाग द्वारा कितने विद्यालयों, छात्रावासों और आश्रमों का संचालन किया जा रहा है? यह विद्यालय, छात्रावास और आश्रम कहाँ-कहाँ स्थित हैं? इनमें विभिन्न स्तरों पर कुल स्वीकृत पदों की जानकारी पदनाम तथा वास्तविक नियुक्ति की जानकारी दें। (ख) क्या विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालयों में तब्दील किये जाने की कोई योजना है? यदि हाँ, तो उसकी विस्तृत जानकारी दें। यदि नहीं, तो क्या ऐसी योजना बनाई जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) इन विद्यालयों, छात्रावासों और आश्रमों के लिये पद कब तक भर दिये जाएंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) छिन्दवाड़ा जिलांतर्गत विभाग द्वारा निम्नानुसार संस्थाएं संचालित किये गये जा रहे है:-
विद्यालय |
छात्रावास |
आश्रम |
1639 |
92 |
56 |
संस्थावर विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'', ''ब'', ''स'' एवं नियुक्ति अमले की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। ऐसी योजना बनाई जाने की कोई भी कार्यवाही प्रचलित नहीं हैं। (ग) पदपूर्ति की कार्यवाही सतत् प्रक्रिया है। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं।
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
16. ( क्र. 1240 ) श्री जतन उईके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले के पांढुर्णा विकासखण्ड तथा मोहखेड़ा विकासखण्ड में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के पहले फेस में कुल कितने ग्रामों के कार्य हुए कितने ट्रांसफार्मर कितनी धनराशि के स्वीकृत होकर कार्य हुआ है? कितने ट्रांसफार्मर चोरी हुए हैं तथा इनमें से कितने ग्रामों में पुन: लगा दिए गए हैं? (ख) मुख्यमंत्री जी की वितरण ट्रांसफार्मर तत्काल ठीक किये जाने की घोषणा के बाद वर्ष 2017-18 में प्रश्नांश (क) में उल्लेखित विकासखण्डों में कितने वितरण ट्रांसफार्मर कहाँ-कहाँ ठीक किये व कितने किस अवधि से खराब हैं व कब तक सुधरेंगे तथा विभाग जो वितरण ट्रांसफार्मर ले गये हैं कब तक वापस लगाएगा? (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा जुलाई 2014 में अनुसूचित जाति, जनजाति बस्तियों में दिये गये कौन-कौन से प्रस्ताव योजना में शामिल किये हैं? राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में दूसरे फेस में क्या-क्या कार्य शामिल हैं तथा उनमें से कौन-कौन से कार्य पूर्ण हो गए हैं। शेष कार्य कब तक पूर्ण होंगे? (घ) पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र में फीडर सेपरेशन योजना में कितना खर्च हुआ व कितना कार्य हुआ तथा गुणवत्ता का क्या ख्याल रखा गया है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जिला छिंदवाड़ा के विकासखण्ड पांढुर्णा तथा मोहखेड़ा में 10वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (पहला फेज) के अंतर्गत कुल 353 ग्रामों में कार्य करते हुये 235 वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये। उक्त योजना की स्वीकृति छिंदवाड़ा जिले हेतु प्रदान की गई थी, विकासखण्डवार नहीं, अत: स्वीकृत राशि की विकासखण्डवार जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। उक्त विकासखण्डों सहित जिला छिंदवाड़ा हेतु आर.ई.सी. लिमिटेड से रू. 69.83 करोड़ लागत राशि की योजना की स्वीकृति प्राप्त हुई। उक्त योजनान्तर्गत विकाखण्ड पांढुर्णा तथा मोहखेड़ा में स्थापित कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर चोरी नहीं हुआ है अत: पुन: लगाये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ख) माननीय मुख्यमंत्री जी की वितरण ट्रांसफार्मर तत्काल ठीक किये जाने की घोषण के बाद वर्ष 2017-18 में विकासखण्ड पांढुर्णा तथा मोहखेड़ा में क्रमश: 88 एवं 59 खराब वितरण ट्रांसफार्मर सुधारें/बदले गये, जिनकी स्थानवार, फेल होने तथा बदले जाने की दिनांक सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। उक्त अवधि में फेल हुए वितरण ट्रांसफार्मरों में से दिनांक 18.09.2017 को फेल हुआ मात्र एक वितरण ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण बदले जाने हेतु शेष है। नियमानुसार बकाया राशि जमा होने पर उक्त ट्रांसफार्मर को बदला जा सकेगा अत: वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नंही है। (ग) जुलाई 2014 में अनुसूचित जाति/जनजाति बस्तियों के विद्युतीकरण के संबंध में माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय से कोई भी प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। अत: तत्संबंध में कोई कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (दूसरा फेज) के अंतर्गत अविद्युतीकृत ग्रामों के विद्युतीकरण, विद्युतीकृत ग्रामों में 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण एवं सभी श्रेणी के हितग्राहियों को नि:शुल्क बी.पी.एल. कनेक्शन प्रदान करने के कार्य शामिल थे। पांढुर्णा एवं मोहखेड़ा में विकासखण्डों में उक्त योजना में सम्मिलित एवं पूर्ण किये गये कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। उक्त योजनान्तर्गत पांढुर्णा एवं मोहखेड़ा विकासखण्डों हेतु सम्मिलित समस्त कार्य पूर्ण हो चुके है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) विधानसभा क्षेत्र पांढुर्णा में फीडर में विभक्तिकरण योजनांतर्गत स्वीकृत समस्त 14 फीडरों के विभक्तिकरण के कार्य पूर्ण किये जा चुके है, जिसमें राशि रू. 3.903 करोड़ का व्यय हुआ है। फीडर विभक्तिकरण योजना में कार्य में उपयोग की जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी द्वारा भारतीय मानक (आई.एस.) के अनुरूप सामग्री का क्रय किया गया है। योजनान्तर्गत उपयोग होने वाली सामग्री की गुणवत्ता का परीक्षण थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेन्सी एरडा/वेप्कास के द्वारा किया गया है तथा निर्धारित मानकों के अनुरूप पाए जाने पर ही योजनान्तर्गत सामग्री का उपयोग किया जाता है। उक्त सामग्री के ठेकेदार एजेन्सी के साईट-स्टोर में प्राप्त होने के पश्चात् ही वितरण कंपनी के नोडल अधिकारी/थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेन्सी द्वारा सामग्री का रेंडम सेम्पल लेकर सामग्री का परीक्षण एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला में कराया गया है। उक्त योजनान्तर्गत समस्त कार्य की गुणवत्ता निविदा की शर्तों एवं आर.ई.सी. कंस्ट्रक्शन मैनुअल के प्रावधानों के अनुसार थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेन्सी एवं वितरण कंपनी के नोडल अधिकारी द्वारा सुनिश्चित की गई है।
खरगापुर विधान सभा 47 में आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
17. ( क्र. 1299 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में ऐसे कितने आंगनवाड़ी केन्द्र हैं, जो भवन के अभाव में किसी अन्य स्थानों पर संचालित किये जा रहे हैं? सूचीवार उपलब्ध करायें। (ख) क्या खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में आंगनवाड़ी केन्द्रों की सतत् मॉनीटिरिंग करने एवं बच्चों को नाश्ता एवं भोजन की गुणवत्ता देखने हेतु किस-किस अधिकारी द्वारा खरगापुर विधान सभा क्षेत्र के आंगनवाड़ी केन्द्रों का भ्रमण किया गया? तारीखवार एवं आंगनवाड़ी पर की गई कार्यवाही एवं बच्चों की समस्याओं का क्या निराकरण किया गया, जानकारी से अवगत करायें? (ग) विगत 3 वर्षों में माननीय केन्द्रीय मंत्री एवं टीकमगढ़ सांसद द्वारा खरगापुर क्षेत्र में कब-कब,किन-किन आंगनवाड़ियों को चैक किया, पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें? (घ) क्या खरगापुर विधान सभा के आंगनवाड़ी केन्द्र जो भवन विहीन हैं, उनमें शीघ्र भवन बनाये जाने की शासन की क्या योजना है, पूर्ण जानकारी से अवगत करायें?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) टीकमगढ़ जिले के खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में एकीकृत बाल विकास परियोजना बल्देवगढ़ एवं पलेरा के कुल 121 आंगनवाड़ी केन्द्र भवन के अभाव में अन्य स्थानों पर (किराये के भवनों में) संचालित किये जा रहे है। सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) खरगापुर विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना बल्देवगढ़ एवं पलेरा में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों का भ्रमण तहसीलदार, जिला कार्यक्रम अधिकारी, परियोजना अधिकारियों एवं सेक्टर पर्यवेक्षकों द्वारा किया गया तथा भ्रमण के दौरान आंगनवाड़ी केन्द्र संचालन/हितग्राही से सबंधित सेवाओं को प्रदाय करने में पाई गई अनियमितता के लिये सबंधित स्वसहायता समूह, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिकाओं के विरूद्ध कार्यवाही कर समस्याओं का निराकरण किया गया। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) विगत तीन वर्षों में माननीय केन्द्रीय मंत्री एवं टीकमगढ़ सांसद द्वारा खरगापुर क्षेत्र में परियोजना बल्देवगढ़ एवं पलेरा के आंगनवाड़ी केन्द्रों में किये गये भ्रमण की जानकारी उपलब्ध नहीं है। (घ) खरगापुर विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत भवन विहिन (किराये के भवनों में संचालित) 121 आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना के अभिसरण से तथा शहरी क्षेत्रों में राज्य आयोजना मद से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की योजना है। आंगनवाड़ी भवनों को निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर होता है। अतः समय-सीमा दी जाना संभव नहीं है।
उज्जैन जिले के रजिस्ट्रार कार्यालय में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारीयों की जानकारी
[वाणिज्यिक कर]
18. ( क्र. 1438 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले में कुल कितने रजिस्ट्रार कार्यालय हैं, उन पर कितने अधिकारी/कर्मचारी कार्यरत हैं? उनके नाम तथा पद बतायें? (ख) उपरोक्त कार्यालय में ऐसे कितने लोग कार्यरत हैं, जिनको कार्य करते हुए 3 वर्ष या उससे अधिक का समय हो गया है? पदस्थी दिनांक से प्रश्न दिनांक तक की कार्यरत अवधि की जानकारी प्रदान करें? (ग) क्या विभाग की ऐसी कोई योजना है कि 3 वर्ष से अधिक समय से एक ही स्थान पर कार्यरत अधिकारी और कर्मचारीयों का स्थानांतरण किया जाना है, यदि हाँ, तो 3 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत ऐसे अधिकारी और कर्मचारीयों का स्थानांतरण कब तक कर दिया जायेगा? (ध) उज्जैन जिले में ऐसे कितने अधिकारी एवं कर्मचारी हैं, जिनके संदर्भ में पिछले 3 वर्षों में शिकायत प्राप्त हुई है तथा क्या कार्यवाही की गई है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) स्थानांतरण नीति वर्ष 2016-17 अनुसार 03 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत अधिकारी/कर्मचारी के स्थानांतरण की अनिवार्यता नहीं है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
ट्रस्ट/सामाजिक संस्थान की भूमि के विक्रय की अनुमति
[वाणिज्यिक कर]
19. ( क्र. 1462 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में ट्रस्ट/सामाजिक संस्थान आदि के नाम दर्ज एवं आधिपत्य की भूमि का विक्रय कोई व्यक्ति द्वारा राज्य शासन की अनुमति के बगैर किया जा सकता है? यदि नहीं, तो फिर धार जिले में ईसाई मिशन संस्थान की धार में स्थित भूमि का विक्रय विलेख दस्तावेज क्रमांक ए वन ग्रन्थ 6272 क्रमांक 1614 दिनांक 17.06.2009 के द्वारा रजिस्ट्रार कार्यालय धार द्वारा किस आधार पर रजिस्टर्ड कर दिया गया? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित विक्रय विलेख दस्तावेज क्रमांक ए वन ग्रन्थ 6272 क्रमांक 1614 दिनांक 17.06.2009 से हुए आर्थिक अपराध की शिकायत कलेक्टर जिला धार को प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो उसकी जाँच अब तक क्यों नहीं की गई तथा जाँच कब तक पूर्ण कर ली जावेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) पब्लिक ट्रस्ट के नाम पर दर्ज एवं आधिपत्य की भूमि का विक्रय पंजीयक लोक न्यास की अनुमति के पश्चात किया जा सकता है। दस्तावेज में विक्रेता के भू-स्वामी स्वत्व की भूमि का विक्रय दर्शाया जाकर विक्रेता द्वारा अधिकृत मुख्तारआम द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने से उप पंजीयक द्वारा दस्तावेज रजिस्टर्ड किया गया। उप पंजीयक को यह अधिकार प्राप्त नहीं है कि वह अन्य अधिनियमों के प्रवर्तित विवादित प्रश्नों को देखें। (ख) जी हाँ। जाँच पूर्ण की जाकर प्रतिवेदन कलेक्टर धार के पत्र क्रमांक 10541/सतर्कता/2017 दिनांक 14/07/2017 से महानिदेशक, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ई.ओ.डब्ल्यू.) भोपाल को भेजा जा चुका है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जनवरी 1997 से अक्टूबर 2000 तक के प्रकरणों में अनुकम्पा नियुक्ति
[ऊर्जा]
20. ( क्र. 1468 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 01 जनवरी 1997 से अक्टूबर 2000 के मध्य खरगोन जिले के संचालन-संधारण संभाग मंडलेश्वर में मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल के जिन अधिकारियों/कर्मचारियों की मृत्यु हुई थी उनमें से मृतकों के किन-किन आश्रितों ने अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदन प्रस्तुत किये एवं इन पर क्या कार्यवाही की गई, सूची देवें? यदि निर्धारित समयावधि में पात्र आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिली तो इसका दोषी अधिकारी कर्मचारी कौन है. उसके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित समयावधि में मृतक कर्मचारियो के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति के क्या नियम थे? उसकी प्रति देवें? 01 जनवरी 1997 से अक्टूबर 2000 के मध्य खरगोन जिले के संचालन-संधारण संभाग मण्डलेश्वर में मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल के जिन अधिकारियों/कर्मचारियों की मृत्यु हुई थी उनके किन-किन आश्रित आवेदकों को अनुकम्पा नियुक्ति दी जा चुकी है? जिन्हें प्रश्न दिनांक तक अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी है, उनके कारण स्पष्ट करें और बतावें की उन्हें कब तक अनुकम्पा नियुक्ति दे दी जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रश्नाधीन अवधि में खरगोन जिले के संचा.संधा.संभाग, मंडलेश्वर में मध्यप्रदेश विद्युत मंडल के 11 कर्मचारियों की मृत्यु हुई थी, जिनमें से 9 मृतकों के अश्रितों के आवेदन प्राप्त हुये थे। उक्त प्राप्त आवेदनों में से 6 आवेदनों को ही म.प्र. विद्युत मण्डल, इन्दौर के क्षेत्रीय कार्यालय द्वार तत्कालीन समय में लागू प्रक्रिया/नियमों के अनुसार अतिरिक्त सचिव (कार्मिक एक) मप्र विद्युत मंडल, जबलपुर कार्यालय को आगामी कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया था। उक्त प्रकरणों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। उल्लेखनीय है कि म.प्र. विद्युत मण्डल के परिपत्र दिनांक 01.09.2000 द्वारा, कठिन वित्तीय स्थिति के कारण मण्डल में अनुकम्पा नियुक्ति बन्द करने का निर्णय लिया गया था, जिसके परिप्रेक्ष्य में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु लंबित आवेदनों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी। अत: किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। (ख) प्रश्नाधीन समयावधि में मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के नियम संबंधी परिपत्र क्रं. 01-07/छ:/9 जबलपुर दिनांक 30.01.97 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। 1 जनवरी 1997 से अक्टूबर 2000 के मध्य खरगोन जिले के संचा.संधा.संभाग, मंडलेश्वर में जिन 11 कर्मचारियों की मृत्यु हुई थी उनमें से किसी के भी आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान नहीं की गई है। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार म.प्र. विद्युत मण्डल द्वारा दिनांक 01.09.2000 को अनुकम्पा नियुक्ति बन्द किये जाने संबंधी लिये गये निर्णय के परिप्रेक्ष्य में अनुकंपा नियुक्ति हेतु तत्समय लंबित प्रकरणों में कार्यवाही नहीं की गई। वर्तमान में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में लागू अनुकंपा नियुक्ति नीति 2013 (संशोधित) की कंडिका 3.8 के अनुसार दि. 10.04.12 के पूर्व एवं दिनांक 15.11.2000 के पश्चात् के दुर्घटना मृत्यु के प्रकरणों को छोड़कर 10.04.12 के पूर्व के शेष अस्वीकृत एवं लंबित प्रकरणों में अनुकम्पा नियुक्ति की पात्रता नहीं है। अतः उपरोक्त के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन अवधि में जिन कर्मचारियों की मृत्यु हुई है उनके आश्रितों से प्राप्त अनुकम्पा नियुक्ति के आवेदनों पर कोई कार्यवाही किया जाना संभव नहीं हो सकेगा।
अनुसूचित जाति बस्ती विकास के अंतर्गत कार्यों की स्वीकृति
[अनुसूचित जाति कल्याण]
21. ( क्र. 1488 ) श्री राजकुमार मेव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन स्तर से कोई ऐसे नियम बनाये गये हैं कि जनगणना 2011 के आधार पर अनुसूचित जाति बाहुल्य चिन्हित ग्रामों में (जनसंख्या प्रतिशत के घटते क्रम में) ही विकास कार्यों की स्वीकृति दी जावेगी? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति उपलब्ध कराई जावे? (ख) अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 में विभाग को कितना बजट स्वीकृत किया गया? विभाग द्वारा कितनी राशि के कितने कार्य किस-किस विधानसभा क्षेत्र में स्वीकृत किये गये एवं कितनी राशि के कार्य स्वीकृत किये जाने शेष हैं? (ग) अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजनान्तर्गत वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक तहसील महेश्वर के लिये कितने कार्यों की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव दिये गये? कार्यवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे तथा कब तक कितने कार्यों में कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की जावेगी? क्या वर्ष 2017-18 में जिले में उपलब्ध कराई गई राशि के कार्य स्वीकृत नहीं कराये गये हैं वर्तमान में भी कार्य स्वीकृति हेतु विचाराधीन है? क्या राशि का उपयोग नहीं होने से राशि लेप्स हो गई? (घ) क्या विधान सभा क्षेत्र महेश्वर अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र घोषित होकर क्षेत्र के विकास हेतु अधिक राशि ग्रामों के लिए उपलब्ध कराई जाना चाहिए? जबकि प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में चिन्हांकित ग्रामों में ही सर्व प्रथम कार्य किये जाने हेतु प्रस्ताव प्राप्त किये जाते हैं? जबकि विधानसभा क्षेत्र महेश्वर के अनुसूचित जाति के परिवार निवास करने वाले ग्रामों में कार्य किये जाने का प्रावधान होना चाहिए एवं यह संशोधन किये जाने पर शासन स्तर पर कोई विचार किया जावेगा बताया जावें? ताकि अनुसूचित जाति बस्तियों का विकास किया जा सके?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। नियम की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) रू. 110 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) तहसील महेश्वर के लिए 35 कार्यों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। 9 कार्यों हेतु रू. 43.78 लाख की स्वीकृति जारी हो चुकी है। शेष कार्यों की स्वीकृति के लिए समिति के निर्णय अनुसार जारी की जा सकेगी। समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है। जी हाँ। स्वीकृति हेतु विचाराधीन है। राशि लेप्स नहीं हुई है। (घ) शासन की ऐसी योजना नहीं है।
अनुसूचित जन-जाति बस्ती विकास के अंतर्गत कार्यों की स्वीकृति
[जनजातीय कार्य]
22. ( क्र. 1489 ) श्री राजकुमार मेव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन स्तर से कोई ऐसे नियम बनाये गये हैं कि जनगणना, 2011 के आधार पर अनुसूचित जनजाति बाहुल्य चिन्हित ग्रामों में (जनसंख्या प्रतिशत के घटते क्रम में) ही विकास कार्यों की स्वीकृति दी जावेगी? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति उपलब्ध कराई जावे? (ख) अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजनांतर्गत वर्ष 2017-18 में विभाग को कितना बजट स्वीकृत किया गया, विभाग द्वारा जिला पश्चिम निमाड़ (खरगोन) में किस-किस विधान सभा क्षेत्र में कितनी-कितनी राशि के कितने-कितने कार्य स्वीकृत किये गये एवं कितनी राशि के कार्य स्वीकृत किये जाने शेष हैं? (ग) अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजनांतर्गत द्वारा वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक तहसील महेश्वर के लिये कितने कार्यों की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव दिये गये? कार्यवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे तथा कब तक कितने कार्यों में कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की जावेगी? अवगत करावें। क्या यह सही है कि वर्ष 2017-18 में जिले में उपलब्ध कराई गई राशि के स्वीकृत नहीं कराये गये है वर्तमान में भी कार्य स्वीकृति हेतु विचाराधीन हैं? क्या राशि का उपयोग नहीं होने से राशि लेप्स हो गई? (घ) क्या विधान सभा क्षेत्र महेश्वर के अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास हेतु अधिक राशि ग्रामों के लिये उपलब्ध कराई जाना चाहिए, जबकि प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में चिन्हांकित ग्रामों में ही सर्व प्रथम कार्य किये जाने हेतु प्रस्ताव प्राप्त किये जाते हैं? क्या विधान सभा क्षेत्र महेश्वर के अनुसूचित जन जाति के परिवार निवास करने वाले ग्रामों में कार्य किये जाने का प्रावधान किए जाने हेतु कोई संसाधन किये जाने पर शासन स्तर पर कोई विचार किया जावेगा, ताकि अनुसूचित जनजाति बस्तियों का विकास किया जा सके।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्न में वर्णित अनुसार नस्तियों की तथ्यात्मक स्थिति यह है कि प्राथमिकता सूची तैयारी की जायेगी। नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 में विभाग को कुल राशि रूपये एक सौ पच्चीस करोड़ का बजट स्वीकृत था, इसमें से राशि रूपये 595.89 लाख बजट खरगोन जिले को स्वीकृत किया गया। जिला पश्चिम निमाड़ खरगोन के विधानसभा क्षेत्रों में कार्य स्वीकृत की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) प्रश्नांकित अवधि में तहसील महेश्वर के लिये कार्यों की स्वीकृति हेतु प्राप्त प्रस्तावों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। कार्य स्वीकृति की निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। जी हाँ, राशि लेप्स नहीं हुई है। (घ) विधानसभा क्षेत्रवार राशि उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान नहीं है। मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती विकास एवं विद्तीकरण योजना नियम 2017 के नियम 3 की कण्डिका 3.3 में अंतिम जनगणना अनुसार ग्राम की कुल जनसंख्या का 50 प्रतिशत या उससे अधिक के ग्रामों में कार्य स्वीकृति के प्रावधान है। विधानसभा क्षेत्र महेश्वर के अनुसूचित जनजाति ग्रामों में कार्य कराये जाने हेतु पृथक से प्रावधान किये जाने सम्बन्धी कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर विचारणीय नहीं है। नियम/निर्देशों के अन्तर्गत ही अनुसूचित जनजातियों बस्तियों का विकास किया जाना है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की भर्ती की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
23. ( क्र. 1496 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक छतरपुर जिला के महिला बाल विकास विभाग गौरिहार मुख्यालय बारीगढ़ जनपद पंचायत गौरिहार में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की भर्ती में हुयी धांधली की शिकायत जनप्रतिनिधियों द्वारा की गयी? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या बारीगढ़ में शासन द्वारा विभाग में संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही गड़बड़ी की भी शिकायत जनप्रतिनिधियों द्वारा की गयी है या नहीं? (ग) क्या जनप्रतिनिधियों द्वारा की गयी शिकायत पर आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गयी? यदि की गयी तो क्या शिकायतकर्ता को उक्त कार्यवाही की सूचना प्रदान की गयी है या नहीं यदि नहीं, तो क्यों कारण बतावें? (घ) यदि कार्यवाही नहीं की गयी तो लम्बित शिकायत पर कार्यवाही कब तक की जावेगी एवं कार्यवाही में विलम्ब करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही और कब तक की जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। की गई शिकायत की सत्यप्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में एकीकृत बाल विकास परियोजना गौरिहार मुख्यालय बारीगढ़ में विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। जानकारी निरंक है। (ग) विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अपितु वर्ष 2016-17 में नियुक्ति से संबधित एक शिकायत प्राप्त हुई है जिसके संबंध में शिकायतकर्ता को पत्र क्र. 425 दिनांक 04/04/2017 द्वारा पत्र जारी कर नियुक्ति से संबधित रिकॉर्ड अवलोकन करने हेतु लेख किया जाकर रिकॉर्ड का अवलोकन कराया गया जिससे संबधित शिकायतकर्ता श्रीमती मीना पटेल जनपद सदस्य नाहरपुर वार्ड क्र. 16 द्वारा लिखित कथन देकर नियुक्ति संबंधी कार्यवाही से संतुष्टि व्यक्त की गई। जारी पत्र की सत्यापित एवं कथन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य अनुसार शिकायत का निराकरण किया जाकर संबधित शिकायतकर्ता को पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार सूचित किया गया है। अतः शेष कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
विद्युतीकरण हेतु नस्तियों की जानकारी
[अनुसूचित जाति कल्याण]
24. ( क्र. 1497 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले की चन्दला विधान सभा क्षेत्र में विगत 05 वर्षों में अनु.जाति/जनजाति के कितने किसानों की कितनी नस्तियां आदिम जाति कल्याण विभाग को ट्रान्सफार्मर (डी.पी.) लगाने हेतु प्राप्त हुई? उनमें से कितने किसानों के यहां डी.पी. लगा दी गयी हैं एवं कितने किसान अभी इस योजना में वंचित है? (ख) उन लंबित नस्तियां पर क्या कार्यवाही की जा रही है? लंबित नस्तियों पर कब तक डी.पी. उपलब्ध करा दी जावेगी? (ग) विभाग द्वारा विद्युत विभाग को वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक कितने प्रकरण विद्युतीकरण एवं पम्पों के ऊर्जीकरण हेतु प्राक्कलन तकनीकी स्वीकृति हेतु भेजे गये एवं विद्युत विभाग से क्या समस्त प्रकरण समय-सीमा में वापिस आये या नहीं? सूचीवार जानकारी उपलब्ध करावें। (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार प्रकरण समय-सीमा में वापिस न आने पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गयी है? यदि नहीं, तो कारण बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अनुसूचित जाति के 11 किसानों की 06 नस्तियां एवं अनुसूचित जनजाति के 07 किसानों की 02 नस्तियां ट्रांसफार्मर (डी.पी.) लगाने हेतु प्राप्त हुई। कृषकों के कुओं तक ट्रांसफार्मर (डी.पी.) स्थापित कर दी गई हैं। (ख) प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) अनुसूचित जाति के 82 प्रकरण विद्युतीकरण एवं 20 प्रकरण पम्पों के ऊर्जीकरण एवं अनुसूचित जनजाति के केवल पम्प ऊर्जीकरण हेतु 07 कृषकों के प्रस्ताव प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति हेतु विद्युत विभाग को भेजे गये। अनुसूचित जाति के विद्युतीकरण के 72 एवं पम्प ऊर्जीकरण के 16 प्रकरण एवं अनुसूचित जनजाति के समस्त 07 प्रकरण तकनीकी स्वीकृति सहित प्राप्त हो चुके हैं। लंबित प्रकरण की समय-सीमा समाप्त नहीं हुई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) लंबित प्रकरण की समय-सीमा समाप्त नहीं होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
वेतन विसंगति की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
25. ( क्र. 1536 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. सामान्य प्रशासन विभाग (वेतन आयोग प्रकोष्ठ) मंत्रलाय के आदेश दिनांक 5.10.2006 एफ-2-6/1/वे.आ.प्र./96 के द्वारा ब्रम्ह स्वरूप समिति की अनुशंसा पर म.प्र. शासन द्वारा वित्त विभाग के अनुमोदन पश्चात जिला अभियोजन अधिकारी राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आंशिक या पूर्णरूप से सीधी भर्ती को दिनांक 01.04.2016 से 6500-10500/- रूपये बैसिक के स्थान पर 8000-13500/- रूपये मासिक वेतनमान स्वीकृत किया गया था? उक्त आदेश के पालन में कितने जिला अभियोजन अधिकारी को 8000-13500/- रूपये बेसिक वेतनमान दिया जा रहा है एवं कितने अभियोजन अधिकारी को नहीं दिया जा रहा है? जिन अभियोजन अधिकारी को दिया जा रहा है या जिन्हें नहीं दिया जा रहा है कारण सहित सभी जिला अभियोजन अधिकारियों की सूची प्रस्तुत की जावें? (ख) (1) क्या अन्य राज्यों की तुलना में म.प्र. के अभियोजना अधिकारियों को देश में सबसे कम वेतनमान 3600 ग्रेड-पे दिया जा रहा है? (2) यदि हाँ, तो उक्त उनके वेतनमान की विसंगति का सुधार का कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है? (3) यदि हाँ, तो कब से लंबित है तथा किस स्टेज पर है और उसके अंतिम समाधान में कितना समय लगेगा? (ग) अग्रवाल पे कमीशन के द्वारा ए.डी.पी.ओ. का वेतनमान 6500-10500/- रूपये बेसिक पर देने की अनुशंसा की है? अग्रवाल पे-कमीशन की रिपोर्ट को अधिकतर विभागों में लागू की जा चुकी है? ए.डी.पी.ओ. के संबंध में अभी तक लागू न होने का कारण क्या है? अभी तक लागू क्यों नहीं की गई? (घ) क्या जिला अभियोजन अधिकारी एवं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी के लिये न्यायालय में कोई ड्रेस कोड निर्धारित है? यदि ड्रेस कोड निर्धारित है तो क्या शासन के नियमानुसार कोई ड्रेस अलाउन्स दिया जा रहा है या नहीं? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
लोक नायक जय प्रकाश सम्मान निधि की स्वीकृति
[सामान्य प्रशासन]
26. ( क्र. 1537 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यालय पुलिस अधीक्षक जिला छतरपुर के द्वारा पत्र क्र./पु.अ./छतरपुर/ जि.वि.स./च.स./13-9- (38) दिनांक 25.05.2013 को जिला दण्डाधिकारी छतरपुर म.प्र. को राजनैतिक मीसा/डी.आई.आर. बन्दी होने के कारण लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि स्वीकृत किये जाने के संबंध में बन्दी मीसा/डी.आई.आर. के अलावा अन्य आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त तो नहीं रहा एवं इनके विरूद्ध कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज तो नहीं हुआ है के संबंध में आपके द्वारा उपलब्ध करायी गई बंदियों की सूची की जानकारी तैयार कर संलग्न कर आपकी ओर प्रेषित है, लेख किया गया था? हाँ या नहीं? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि हाँ, तो क्या संलग्न सूची में स्व. श्री स्वामी प्रसाद अग्रवाल तनय स्व. श्री रामचरन अग्रवाल नि. गांधी चौक बाजार बिहारी जू मंदिर के सामने छतरपुर को मीसा/डी.आई.आर. के अलावा अन्य आपराधिक प्रकरण निरंक लेख किया गया था? हाँ या नहीं? (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार यदि हाँ, तो क्या उक्त प्रकरण के संबंध में शासन या प्रशासन द्वारा उक्त व्यक्ति को सम्मान निधि के संबंध में माननीय कलेक्टर को पत्र भेजा गया था? हाँ या नहीं? (घ) प्रश्नांश (ग) के अनुसार यदि हाँ, तो क्या उक्त व्यक्ति को सम्मान निधि स्वीकृत की गई है हाँ या नहीं? यदि हाँ, तो कब, लेख करें? यदि नहीं, तो क्यों? कारण स्पष्ट करें? क्या शासन विधि सम्मत कार्यवाही न करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करने के आदेश जारी करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) स्व. श्री स्वामी प्रसाद अग्रवाल की पत्नि श्रीमती गांधी द्वारा आवेदन पत्र कलेक्टर छतरपुर को प्रस्तुत किया गया था। (घ) आवेदिका के पति मीसा/डी.आई.आर. के अंतर्गत निरूद्ध नहीं रहे। अत: आवेदिका द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र सम्मान निधि नियम 2008 तथा संशोधित नियमों के मापदण्डों के अनुकूल न होने से आवेदन पत्र अमान्य किया गया। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मजरा टोले में विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
27. ( क्र. 1548 ) श्री गोवर्धन उपाध्याय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा मजरा-टोलों में विद्युतीकरण किये जाने के नियम-निर्देश जारी किये गये है? यदि हाँ, तो सिरोंज विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनवरी 2014 से अब तक किन-किन मजरा-टोलों में कब-कब विद्युतीकरण के कार्य स्वीकृत किये गये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार उक्त कार्यों में से कितने कार्य पूर्ण हुए एवं कितने अपूर्ण हैं? अपूर्ण कार्यों को कब तक पूर्ण किये जाने की संभावना है? (ग) प्रश्नांश (क) में से शेष रहे मजरा-टोलों को कब तक विद्युतीकरण के तहत जोड़े जाने की संभावना है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मजरे/टोलों के विद्युतीकरण के कार्य विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किए जा रहे है। सिरोंज विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनवरी-2014 से वर्तमान तक विभिन्न योजनाओं में स्वीकृत 230 मजरों/टोलों/बस्तियों के विद्युतीकरण के कार्य हेतु अवार्ड/कार्यादेश जारी किए गए हैं जिनका मजरा/टोला/बस्तीवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ', 'ब', 'स', 'द', 'इ', 'फ' एवं 'ज' अनुसार है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) में दर्शाए गए 230 कार्यों में से 157 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं तथा 73 कार्य प्रगति पर हैं। उक्त शेष कार्य दिसम्बर-2018 तक पूर्ण किए जाने की संभावना है। प्रश्नाधीन पूर्ण/अपूर्ण कार्यों की संख्या का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है।
वरिष्ठ संपरीक्षक श्री ए.एम. अंसारी द्वारा किए गये पक्षपातपूर्ण ऑडिट की जानकारी
[वित्त]
28. ( क्र. 1583 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या स्थानीय निधि संपरीक्षा के वरिष्ठ संपरीक्षक श्री. ए.एम. अंसारी के विरूद्ध विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार एवं आर्थिक लेन-देन कर विभागीय अभिलेखों के विपरीत आक्षेप लेने तथा कई अभिलेखों को नजर अंदाज कर अधिकारियों तथा कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ऑडिट किए जाने की शिकायतें म.प्र. वक्फ बोर्ड एवं अन्य विभागों जैसे भोज ओपन यूनिवर्सिटी के संबंध में विभाग को प्राप्त हुई हैं? (ख) क्या श्री ए.एम. अंसारी ऑडिटर द्वारा मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड का वर्ष 2009-10 से 2015-16 तक के किए गए ऑडिट में भ्रष्टाचार कर तत्कालीन सी.ई.ओ. एवं अन्य को बचाने के उद्देश्य से आपत्तियां नहीं लिए जाने तथा अन्य के संबंध में अनुचित आपत्तियां लिए जाने के कारण विभाग द्वारा वक्फ बोर्ड की शिकायतों पर वित्त विभाग के आदेश दिनांक 07 जून 2017 से पुन: ऑडिट के आदेश दिए गये थे? (ग) यदि हाँ, तो क्या दोबारा किए गए ऑडिट में पूर्व में श्री अंसारी द्वारा पक्षपातपूर्ण ऑडिट किया जाना पाया गया है? जिस पर संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा द्वारा विभाग के प्रमुख सचिव को प्रतिवेदन प्रेषित किया गया तथा श्री अंसारी के विरूद्ध कार्यवाही हेतु भी लिखा गया है? (घ) यदि हाँ, तो श्री अंसारी द्वारा किए गए पक्षपातपूर्ण ऑडिट एवं उनके विरूद्ध अन्य विभागों से प्राप्त शिकायतों पर उनके विरूद्ध विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो इसके लिये कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार है? उन अधिकारियों एवं श्री अंसारी पर कब तक कार्यवाही की जावेगी और क्या?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हां। श्री ए.एम.अंसारी, ज्येष्ठ संपरीक्षक के विरूद्ध अध्यक्ष म.प्र.वक्फ बोर्ड, भोपाल द्वारा की गई शिकायत दिनांक 25.03.2017 एवं भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय,भोपाल से संबंधित दो (02) शिकायतें दिनांक 01.05.2017 एवं दिनांक 18.07.2017 को प्राप्त हुई है। (ख) जी हां। अध्यक्ष, म.प्र.वक्फ बोर्ड द्वारा विभिन्न बिन्दुओं पर श्री अंसारी, ज्येष्ठ संपरीक्षक की शिकायत दिनांक 25.03.2017 को शासन को करते हुए बोर्ड के लेखों की पुनः संपरीक्षा चाही गई थी, जिसके परिप्रेक्ष्य में विभागीय आदेश क्रमांक एफ 1 (सी) 6/2017/ई/चार, दिनांक 07 जून, 2017 से म.प्र.वक्फ बोर्ड, भोपाल के लेखा वर्ष 2009-10 से 2015-16 तक के लेखों की पुनः संपरीक्षा हेतु निर्देश जारी किये है। (ग) जी हाँ। श्री ए.एम.अंसारी, ज्येष्ठ संपरीक्षक द्वारा म.प्र.वक्फ बोर्ड, भोपाल के लेखों की संपरीक्षा पूर्ण कर प्रस्तुत संपरीक्षा प्रतिवेदन में सम्मिलित 04 आपत्तियों में वर्णित तथ्यों में पुनः संपरीक्षा में अंतर पाया गयाहै। पुनः संपरीक्षा प्रतिवेदन संचालनालय के पत्र दिनांक 14.09.2017 से प्राप्त हुआ है। इस संबंध में संचालनालय स्थानीय निधि संपरीक्षा द्वारा संयुक्त संचालक, क्षेत्रीय कार्यालय स्थानीय निधि संपरीक्षा, भोपाल को श्री अंसारी, ज्येष्ठ संपरीक्षक से आपत्तियों के तथ्यों में अंतर पर बिन्दुवार स्पष्टीकरण प्राप्त कर अपनी अनुशंसा सहित प्रस्तुत करने हेतु दिनांक 14.09.2017 से निर्देशित किया गया है। प्रकरण में क्षेत्रीय कार्यालय स्थानीय निधि संपरीक्षा, भोपाल की अनुशंसा के आधार पर आगामी कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी। (घ) श्री ए.एम.अंसारी, ज्येष्ठ संपरीक्षक से क्षेत्रीय कार्यालय, स्थानीय निधि संपरीक्षा, भोपाल के पत्र दिनांक 07.10.2017 से म.प्र.वक्फ बोर्ड के लेखा वर्ष 2009-10 से 2015-16 तक की पुनः संपरीक्षा में पायी गयी भिन्नता पर स्पष्टीकरण चाहा गया। उक्त स्पष्टीकरण नियत बिन्दुओं पर नहीं होने के कारण क्षेत्रीय कार्यालय, भोपाल के पत्र दिनांक 16.11.2017 से पुनः स्पष्टीकरण चाहा गया है। श्री अंसारी के स्पष्टीकरण प्राप्त होने के उपरान्त उनके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही प्रस्तावित की जायेगी। इसी प्रकार भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल से संबंधित दो (02) शिकायतें प्राप्त हुई है। इन शिकायतों पर संचालनालय, स्थानीय निधि संपरीक्षा के पत्र दिनांक 18.05.2017 एवं 10.10.2017 से संयुक्त संचालक, क्षेत्रीय कार्यालय स्थानीय निधि संपरीक्षा, भोपाल से तथ्यात्मक जानकारी/प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया है। इन शिकायतों पर क्षेत्रीय कार्यालय से प्राप्त जानकारी एवं अनुशंसा के आधार पर आगामी कार्यवाही की जावेगी।
बस्ती विकास योजनांतर्गत प्रस्तावित कार्यों की स्वीकृति
[अनुसूचित जाति कल्याण]
29. ( क्र. 1587 ) श्री मेहरबान सिंह रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रस्ताव अनुसार तत्कालीन मंत्री महोदय श्री ज्ञान सिंह जी के पत्र क्रमांक 299 दिनांक 5/5/2017 एवं वर्तमान मंत्री महोदय श्री लाल सिंह आर्य के पत्र क्रमांक 2415 दिनांक 27/09/17 के द्वारा कलेक्टर महोदय मुरैना को ग्राम पंचायत रामपहाड़ी एवं ग्राम पंचायत रवेश डिगवार की अनु.जाति बस्तियों में सी.सी. खरंजा निर्माण हेतु राशि स्वीकृत करने के निर्देश किये गए हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कलेक्टर महोदय मुरैना द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद सबलगढ़ एवं जिला संयोजक मुरैना को मय तकनीकी एवं अपने अभिमत सहित स्वीकृति हेतु निर्देश दिये गये हैं। यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक प्रशासकीय स्वीकृति के आदेश जारी क्यों नहीं किये गये हैं? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति उपलब्ध कराएं? यदि नहीं, तो कब तक प्रशासकीय स्वीकृति के आदेश जारी कर दिये जाएंगे? (ग) दिनांक 1 जुलाई 2017 से प्रश्न दिनांक तक प्रश्नकर्ता द्वारा प्रस्तावित कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति कब तक जारी कर दी जायेगी? प्रस्तावित कार्यों के विलंब के लिये दोषी अधिकारी/कर्मचारी कौन है? नाम बतावें एवं उनके खिलाफ क्या कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। योजनान्तर्गत प्रावधानित जिला स्तरीय समिति की बैठक नहीं हो सकी है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) समिति की बैठक के निर्णय उपरांत स्वीकृतियां जारी की जायेंगी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
लिपिक संवर्ग की वेतन विसंगतियों का निराकरण
[वित्त]
30. ( क्र. 1597 ) श्री अरूण भीमावद : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या लिपिक संवर्ग के वेतनमान विसंगति के निराकरण हेतु गठित समिति द्वारा 23 सूत्रीय बिन्दुओं के निराकरण की रिपोर्ट दिनांक 14.7.2017 को सौंपी गई है? (ख) क्या शासन द्वारा उक्त रिपोर्ट के परीक्षण कर प्रतिवेदन देने हेतु दिनांक 08 सितम्बर, 2017 को द्वि-सदस्यीय समिति गठित की गई है? (ग) क्या उक्त समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत कर दी गई है? (घ) यदि हाँ, तो शासन इस रिपोर्ट के आधार पर लिपिक संवर्ग के वेतनमान की विसंगति दूर करने संबंधी आदेश कब तक जारी करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) जी नहीं। (घ) समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने पर आगे कार्यवाही की जावेगी। समय-सीमा बताना संभव नहीं हैं।
नवीन विद्युत ग्रीड की स्थापना
[ऊर्जा]
31. ( क्र. 1598 ) श्री अरूण भीमावद : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शाजापुर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम चौसला कुल्मी एवं ग्राम अलकी सहित आसपास के 20-25 ग्रामों निम्न दाब की गंभीर समस्या होने से सिंचाई कार्य प्रभावित हो रहा है? (ख) यदि हाँ, तो शासन की किसानों को सिंचाई हेतु उचित दाब उपलब्ध कराने की क्या योजना है? (ग) किसानों को निम्न दाब की समस्या को निराकरण करने हेतु नवीन ग्रीड की स्वीकृति कब होगी? (घ) यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। शाजापुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम चौसला कुल्मी एवं ग्राम रूलकी (ग्राम अलकी नहीं) सहित आसपास के लगभग 20-25 ग्रामों में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र बैरछा से निर्गमित 11 के.व्ही. चौसला कुल्मी सिंचाई फीडर से सिंचाई हेतु विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। माह अक्टूबर 17 में उक्त फीडर पर औसतन 9:48 घंटे विद्युत प्रदाय किया गया है एवं इस फीडर पर अधिकतम भार 140 एम्पीयर दर्ज हुआ है जो कि निर्धारित मानकों के अनुरूप है। दिनांक 20.11.2017 को उक्त फीडर के अंतिम छोर वाले 25 के.व्ही.ए. वितरण ट्रांसफार्मर पर फेस टू फेस वोल्टेज- 430 वोल्ट पाया गया है, जो कि निर्धारित मानकों के अनुरूप है। (ख) से (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन क्षेत्र में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना सहित कोई भी कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
हितग्राहियों की समस्याओं का निराकरण
[ऊर्जा]
32. ( क्र. 1634 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्न क्रमांक 642 दिनांक 18.07.2017 में प्रश्नांश (ख) के निराकरण हेतु जो परिशिष्ट प्रस्तुत किया गया है। उसमें स.क्र. 1 लगायत 76 हितग्राहियों की समस्याओं का उल्लेख है। उसमें से क्या कुछ समस्याओं का निराकरण हो चुका है तथा कुछ हितग्राहियों की समस्यायें शेष होने का उल्लेख, निराकरण कॉलम में है। (ख) यदि हाँ, तो क्या अब प्रपत्र निराकरण कॉलम के अनुसार समस्याओं का निराकरण हो चुका है। यदि नहीं, तो कारण बताते हुये उनका निराकरण कब तक कर दिया जायेगा।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, प्रश्न क्रमांक 642 दिनांक 18.07.2017 के तारतम्य में कुल 76 हितग्राहियों की समस्याओं में से 50 हितग्राहियों की समस्याओं का निराकरण किया जा चुका है, जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। वर्तमान में 26 हितग्राहियों की समस्याओं का निराकरण किया जाना शेष है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन कुल 76 हितग्राहियों की समस्याओं में से 50 हितग्राहियों की समस्याओं का निराकरण किया जा चुका है। शेष 26 समस्याओं का निराकरण नहीं होने का कारण/निराकरण होने की संभावित समयावधि की जानकारी इस प्रकार है- (i) 5 समस्याएं उपभोक्ताओं द्वारा बकाया राशि का भुगतान नहीं करने के कारण ट्रांसफार्मर नहीं बदले जाने, 1 समस्या हितग्राही द्वारा नियमानुसार सुपरविजन राशि जमा नहीं करने एवं 1 समस्या उपभोक्ता द्वारा विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण निराकृत नहीं की जा सकी हैं। इस प्रकार उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार आवश्यक राशि का भुगतान नहीं करने के कारण उक्त 7 आवेदन/समस्याएँ निराकरण हेतु शेष है। (ii) 17 समस्यायें जो कि विद्युत अधोसंरचना उपलब्ध कराने की मांग से संबंधित है, से संबंधित कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित कर लिया गया है, जिसका क्रियान्वयन टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अत: इनके निराकरण हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना वर्तमान में संभव नहीं है। (iii) 2 समस्याओं के निराकरण हेतु कार्य वितरण कंपनी के एस.टी.सी. संभाग द्वारा किया जा रहा है, जो प्रगति पर है तथा लगभग 1 माह में कार्य पूर्ण किया जाना संभावित है। प्रश्नाधीन शेष 26 समस्याओं के निराकरण हेतु की गई कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
त्रुटिपूर्ण मुआवज़ा निर्धारण करने वाले दोषियों के विरूद्ध लोकायुक्त में शिकायत
[सामान्य प्रशासन]
33. ( क्र. 1651 ) पं. रमेश दुबे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राष्ट्रीय राजमार्ग छिन्दवाड़ा-सिवनी के निर्माण में मौजा चौरई के भूमि का त्रुटिपूर्ण मुआवज़ा निर्धारण एवं व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने की शिकायत लोकायुक्त जबलपुर को विगत 3 वर्षों के मध्य की गयी है? यदि हाँ, तो कब-कब किस-किस के द्वारा शिकायत की गयी है? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में क्या उक्त शिकायत की जाँच की गयी है? यदि हाँ, तो किस अधिकारी के द्वारा की गयी? जाँच में क्या पाया गया? जाँच प्रतिवेदन व निष्कर्ष से अवगत कराते हुए यह बतावें कि कौन लोग दोषी पाये गये? (ग) यदि जाँच नहीं की गयी है तो क्यों? किस अधिकारी के पास कब से जाँच लंबित है? अब तक जाँच को लंबित रखने के क्या कारण हैं? क्या यह माना जाये कि जाँचकर्ता अधिकारी द्वारा आरोपियों को प्रश्रय दिया जा रहा है? (घ) कब तक जाँच पूर्ण कर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) से (घ) उत्तरांश 'क' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
प्रदेश के पेंशनधारियों को सातवें वेतनमान का लाभ
[वित्त]
34. ( क्र. 1689 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में दिनांक 1.1.2016 के पूर्व के सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिये जाने की कोई योजना विचाराधीन है? (ख) क्या इस विषय पर छत्तीसगढ़ राज्य के द्वारा दिनांक 01.01.2016 के पूर्व के पेंशनभोगियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिये जाने की सहमति राज्य शासन को दो माह पूर्व प्राप्त हो चुकी है, उक्त सहमति के आधार पर दोनों राज्यों के पेंशनभोगियों को लाभ देने के आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी किये जाने हैं का लंबित रहने का क्या कारण है? कब तक आदेश जारी किये जावेंगे? (ग) क्या देश के अन्य भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य सरकारों द्वारा अपने दिनांक 1.1.2016 के पूर्व के सेवानिवृत्त पेंशनधारी कर्मचारियों को केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के अनुरूप ही सातवें वेतनमान का लाभ दिया गया, जबकि प्रदेश में केन्द्र सरकार के आदेश के विपरीत न्यूनतम 2.47 के अनुरूप लाभ करने की जिद्द वित्त विभाग के अधिकारियों द्वारा की जा रही है, जिससे प्रदेश के लाखों पेंशनभोगी परिवारों को सातवें वेतनमान प्राप्त न होकर नुकसान होगा? क्या शासन इस बिन्दु पर विचार कर पेंशनभोगियों के हित में निर्णय लेगा? समय-सीमा बतायें।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रदेश के वित्तीय संसाधनो को दृष्टिगत रखते हुए निर्णय लिया जावेगाI (ख) जी हाँI शेषांश (क) अनुसारI (ग) केन्द्र सरकार के अनुसार लाभ दिये जाने की बाध्यता नहीं रहती हैI फिर भी राज्य के वित्तीय संसाधनों को द़ृष्टिगत रखते हुए यथासमय उपयुक्त निर्णय लिया जाएगाI समय-सीमा बताना संभव नहीं हैI
कोयला की कमी से ताप विद्युत गृह बन्द होने एवं कम भार पर चलाना
[ऊर्जा]
35. ( क्र. 1751 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के सभी ताप गृहों में कोयले की बहुत अधिक कमी होने के कारण ताप विद्युत गृह बन्द होने की स्थिति में आ गये हैं? (ख) माह सितम्बर, 2017 एवं अक्टूबर, 2017 में प्रदेश के किन-किन ताप विद्युत केन्द्रों के लिए कितने-कितने मैट्रिक टन कोयले की आवश्यकता थी व उक्त अवधि में कितना मैट्रिक टन कोयला कोल इंडिया द्वारा उपलब्ध कराया गया? (ग) वर्तमान में कोल इंडिया को कितनी राशि का भुगतान किया जाना शेष है? (घ) वर्ष 2014-15 से वर्ष 2016-17 तक कितनी-कितनी मांग अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा कितना-कितना मैट्रिक टन कोयला उपलब्ध कराया गया है वर्षवार बतायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं तथापि विगत कुछ माहों, विशेषत: अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर 2017 में कोयला कंपनियों द्वारा म.प्र. पावर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड को अनुबंध की मात्रा से कम कोयला प्रदाय किए जाने से म.प्र. पावर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड की कुछ ताप विद्युत इकाइयों को बंद रखना पड़ा तथा कुछ को कम भार पर चलाया गया। (ख) म.प्र. पावर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों हेतु कोयला कंपनियों द्वारा कोयले की आपूर्ति कोल प्रदाय अनुबंध के अनुसार की जाती है। अत: कोयले की आवश्यकता की गणना, मासिक आधार पर, कोल प्रदाय अनुबंध के आधार पर की गई है, जिसके अनुसार माह सितम्बर 17 एवं अक्टूबर 17 में आवश्यकता एवं उक्त अवधि में कोल इंडिया द्वारा उपलब्ध कराए गये कोयले की मात्रा की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ग) वर्तमान में दिनांक 18.11.2017 की स्थिति में म.प्र. पावर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड द्वारा कोल इंडिया लिमिटेड को उनके देयकों के विरूद्ध लगभग रू 279.50 करोड़ का भुगतान किया जाना शेष है। (घ) म.प्र. पावर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों को वित्तीय वर्ष 2014-15 से वर्ष 2016-17 तक आवश्यक कोयले की मात्रा, जो कि अनुबंधित मात्रा के अनुसार है एवं उक्त अवधि में कोल इंडिया द्वारा उपलब्ध कराये गये कोयले की मात्रा की वर्षवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है।
माननीय सांसद एवं विधायकों के पत्रों पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
36. ( क्र. 1783 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले के अंतर्गत 01 जनवरी, 2016 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन माननीय विधायकगण एवं क्षेत्रीय सांसद द्वारा कलेक्टर नरसिंहपुर को किस-किस संबंध में कब-कब पत्र लिखे गए एवं म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार क्या प्राप्त सभी पत्रों की अभिस्वीकृति दी गई? (ख) यदि हाँ, तो क्या माननीय विधायक एवं सांसदों के पत्रों को पंजीयन रजिस्टर में इन्द्राज किया जाता है? (ग) यदि हाँ, तो प्रश्नकर्ता द्वारा जो पत्र लिखे गये, उन समस्त पत्रों को इन्द्राज किया गया एवं उन पर की गई कार्यवाही से प्रश्नकर्ता को अवगत कराया गया? यदि हाँ, तो प्रश्नकर्ता के पत्रों को अवगत कराये जाने हेतु भेजे गए पत्रों की छायाप्रति उपलब्ध करावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। विभागीय आदेश का पालन किया जाता है। (ख) जी हाँ। पत्रों को कम्प्यूटर में इंद्राज किया जाता है। (ग) जी हाँ। सभी पत्रों को कम्प्यूटर में इंद्राज किया जाता है। जिन विभागों को पत्र कार्यवाही हेतु प्रेषित किए जाते हैं, उन विभागों द्वारा माननीय सांसद एवं विधायकगणों को अवगत कराया जाता है। प्रश्नकर्ता के पत्रों पर की गई कार्यवाही एवं अवगत कराये जाने की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
विधानसभा क्षेत्र के अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रावास में क्रय सामगी की जानकारी
[अनुसूचित जाति कल्याण]
37. ( क्र. 1784 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2016-17, 2017-18 में प्रश्न दिनांक तक विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव जिला नरसिंहपुर में स्थापित अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रावास में क्या-क्या सामग्री कब-कब, कितनी-कितनी राशि से क्रय की गई, वर्षवार जानकारी प्रदान करें। (ख) क्या खरीदी गई सामग्री शासकीय मापदण्डानुसार थी? यदि हाँ, तो सामग्री की गुणवत्ता की जाँच की गई? यदि हाँ, तो किस संस्था द्वारा, कब-कब की गई जानकारी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अनुसूचित जाति छात्रावासों हेतु क्रय की गई सामग्री की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं जनजातीय कार्य विभाग की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) जी हाँ। सामग्री की गुणवत्ता की जाँच की गई। अनुसूचित जाति छात्रावासों हेतु क्रय की गई सामग्री की जाँच मध्यप्रदेश शासन, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक एफ 12/37/05/25-2 दिनांक 21 नवम्बर, 2005 की कंडिका 6 के तहत जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा दिनांक 30.06.2016 एवं दिनांक 30.12.2016 को की गई। अनुसूचित जनजाति छात्रावासों हेतु क्रय सामग्री की गुणवत्ता की जाँच दिनांक एवं संस्था की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत नहरों के रख-रखाव
[नर्मदा घाटी विकास]
38. ( क्र. 1818 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत नहरों के अंदर घास कटाई, रख-रखाव या अन्य कारणों से आखिरी छोर तक पानी नहीं पहुंचता है? (ख) क्या आखिरी छोर के किसानों द्वारा पानी न मिलने के बावजूद राजस्व राशि जमा की जाती है? (ग) क्या शासन द्वारा आखिरी छोर के किसानों को पानी पहुंचाने हेतु व्यवस्था की जावेगी? (घ) यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। (ग) जी हाँ। (घ) नहरों के सुधार एवं निर्माण कार्य पूर्ण होने पर। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नियम के विरूद्ध शिक्षकों के अटेचमेंट करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
39. ( क्र. 1861 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल सभी में कुल कितने शिक्षक वर्तमान में पदस्थ हैं? विद्यालय की श्रेणी सहित नाम सहित शिक्षकों के नाम सहित जानकारी शालावार उपलब्ध करावें। (ख) क्या भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत दुरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों का अटेचमेंट शिक्षकों की सुविधानुसार मुख्य सड़क के नजदीक या विकासखण्ड मुख्यालय के नजदीक कर दिया गया है? यदि हाँ, तो ऐसे कितने शिक्षक हैं तथा उनका नाम एवं मुख्य पदस्थापना कहाँ की है? यह आदेश किस अधिकारी द्वारा जारी किया गया है तथा यह शासन के कौन से आदेश के पालन में किया गया है? (ग) क्या यह व्यवस्था नियमानुसार है? नहीं है तो सम्बंधित आदेशकर्ता अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी? (घ) क्या शिक्षकविहिन शालाओं में, या जहां पर बच्चों के अनुपात में कम शिक्षक हैं वहां पर जिन शालाओं में अधिक शिक्षक हैं वहां से उन्हें हटाकर शिक्षकविहीन शालाओं में पदस्थापना की जा सकती है? हाँ, तो यह व्यवस्था कब तक की जाएगी? नहीं तो क्यों नहीं?
(श्री शिवराज सिंह चौहान) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जी नहीं। अपितु कार्यालय आयुक्त आदिवासी विकास म.प्र. भोपाल के पत्र क्रमांक/छात्रावास/ 164/2013:639-640 दिनांक 07/01/2013 में दिये गये निर्देशों के अनुसार छात्रावास/आश्रमों में अधीक्षक/अधीक्षिकाओं के पद पर पदस्थापना की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जी हाँ। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी हाँ। किन्तु भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र में संचालित शालाओं में अतिशेष शिक्षक नहीं हैं।
विकास कार्यों हेतु प्राप्त राशि से किये गये निर्माण कार्य
[अनुसूचित जाति कल्याण]
40. ( क्र. 1877 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में विभिन्न विकास कार्य हेतु वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई? (ख) कितनी-कितनी राशि के क्या-क्या कार्य किये गये? विकासखण्डवार जानकारी देवें? (ग) विभाग द्वारा कितनी-कितनी राशि का उपयोग नहीं करने के कारण राशि शासन को वापस की गई एवं वापस करने के क्या कारण रहें है? उक्त निर्माण कार्य का सम्पादन न होने के कारण कौन अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार हैं? उक्त अधिकारी/कर्मचारी के खिलाफ शासन क्या दण्डात्मक कार्यवाही करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) समर्पित राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। विद्युतीकरण योजना के निविदा आमंत्रण पर मा. उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन होने से कार्य नहीं कराये गये हैं। जिम्मेदारी का निर्धारण किया जा रहा है। जी हाँ।
आबकारी विभाग इन्दौर द्वारा राजस्व में अनियमितता
[वाणिज्यिक कर]
41. ( क्र. 1918 ) श्री राजेश सोनकर : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आबकारी विभाग इन्दौर में वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2016-17 में राजस्व प्राप्ति के समय कौन-कौन सहायक जिला आबकारी अधिकारी एवं आबकारी उप-निरीक्षक पदस्थ थे? नाम बतायें? कितने वर्षों से इन्दौर में ही पदस्थ थे? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या इनकी कोई जवाबदेही नहीं थी? चालान जमा करते समय किस-किस स्तर के अधिकारियों के हस्ताक्षर पश्चात् बैंकों में चालान जमा कराये जाते हैं? क्या इन अधिकारियों द्वारा बगैर देखे ही बैंको में चालान जमा करवाये गये? हाँ या नहीं? आबकारी विभाग में पदस्थ अधिकारियों को तौजी सत्यापन कि जवाबदारी किन-किन अधिकारियों की थी? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में आबकारी विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2016-17 में तौजी सत्यापित कराई गई थी? हाँ या नहीं? यदि हाँ, तो किन-किन अधिकारियों द्वारा उक्त वर्षों में तोजी सत्यापन की गई? नाम सहित सूची उपलब्ध करायें? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में यदि नहीं, तो तौजी सत्यापित न कराने का क्या कारण है? तौजी सत्यापित न कराने वालों पर कोई कार्यवाही की जायेगी? क्या आबकारी विभाग व शासन को राजस्व हानि पहुंचाने वाले अधिकारियों पर भी एफ.आई.आर. अथवा बर्खास्तगी की कार्यवाही की जायेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्नानुसार आलोच्य अवधि में पदस्थ सहायक जिला आबकारी अधिकारी एवं आबकारी उपनिरीक्षकों के नाम एवं उनकी इन्दौर जिले में अद्यतन प्रदर्शित अनुसार पदस्थ अवधि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक एवं दो अनुसार है। (ख) आबकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के उत्तरदायित्व के संबंध में शासन के पत्र दिनांक 29.09.2017 से विभागीय जाँच संस्थित किये जाने हेतु 09 अधिकारियों/कर्मचारियों को आरोप पत्र जारी किए गए हैं। लायसेंसियों द्वारा चालान जमा करते समय विभागीय अधिकारियों को जमा करने से पूर्व चालान दिखाने की कोई प्रक्रिया नहीं हैं। प्रश्नांश पूर्वानुसार आबकारी अधिकारियों/कर्मचारियों की जवाबदारी के संबंध में विभागीय जाँच संस्थित की गयी है। तदनुसार जाँच निष्कर्ष अनुसार जवाबदारी तय होगी। (ग) आबकारी विभाग जिला इन्दौर के द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-16 एवं वित्तीय वर्ष 2016-17 में 31 मार्च 2017 तक की स्थिति में तौजी सत्यापन या तौजी सत्यापन नहीं कराये जाने का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। प्रश्न के उत्तरांश के संबंध में अधिकारियों की नाम सहित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–तीन अनुसार हैं। (घ) प्रश्नांतर्गत विनिश्चय के संबंध में शासन के पत्र दिनांक 29.09.2017 से विभागीय जाँच संस्थित किये जाने हेतु 09 अधिकारियों/कर्मचारियों को आरोप पत्र जारी किये गये है। आरोप पत्र के उत्तर एवं विभागीय जाँच के निष्कर्ष के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जा जायेगा।
प्रश्नकर्ता द्वारा लिखे गए पत्र
[सामान्य प्रशासन]
42. ( क्र. 1920 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा दिनांक 10 अक्टूबर, 2017 को माननीय मुख्यमंत्री जी को लिखे पत्र क्रमांक 8127 पत्र क्रमांक 8128 पत्र क्रमांक 8130 पत्र क्रमांक 8131 एवं मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र क्रमांक 8111 पत्र क्रमांक 8112 पत्र क्रमांक 8113 पत्र क्रमांक 8114 पत्र क्रमांक 8115 एवं दिनांक 22 जुलाई 2017 को लिखे पत्र क्रमांक 7162 से पत्र क्रमांक 7209 प्राप्त हुए हैं? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नकर्ता के किस विषय पर लिखे गए किस पत्र पर माननीय मुख्यमंत्री जी के कार्यालय ने किस दिनांक एवं माननीय मुख्य सचिव के कार्यालय ने किस दिनांक को किस-किस को क्या-क्या आदेश एवं निर्देश दिए हैं? (ग) प्रश्नकर्ता के किस विषय पर लिखे गए पत्र में की गई शिकायत की जाँच राज्य शासन कब तक पूरी करवा कर प्रश्नकर्ता को कब तक जाँच प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध करवा दी जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रकरणों में कार्यवाही कर उसका निराकरण करना एक सतत् कार्य प्रक्रिया है जिसकी निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं है।
लेखापाल को समयमान वेतनमान दिलाया जाना
[वित्त]
43. ( क्र. 1924 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. संचालनालय कोष एवं लेखा के पत्र क्र./मा.द./जबलपुर/393 दिनांक 02/12/13, 27/06/14 एवं अर्द्ध शासकीय पत्र दिनांक 01/09/14 द्वारा सचिव वित्त विभाग को प्रेषित किये पत्र में उल्लेख किया है कि उपरोक्त स्थिति से यह स्पष्ट होता है कि जहां एक ओर सहायक ग्रेड-3 एवं सहायक ग्रेड-2 के पद लेखापाल के पद से कनिष्ठ होते हुये भी इन पदों पर कार्यरत कर्मचारी उच्चतर समयमान वेतनमान प्राप्त कर रहे हैं, जबकि लेखापाल के पद पर पदोन्नत कर्मचारी उच्चतर समयमान से वंचित हैं, इस विसंगतिपूर्ण स्थिति का अविलम्ब निराकरण किया जाना आवश्यक है? (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर हाँ, तो उक्त विसंगतिपूर्ण स्थिति का निराकरण किया गया है या नहीं? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो लेखापाल को हो रही आर्थिक हानि के लिए कौन उत्तरदायी है, कब तक इस विसंगति का निराकरण कर स्पष्ट आदेश जारी किये जावेंगे? (ग) संयुक्त संचालक, कोष लेखा, भोपाल होशंगाबाद संभाग द्वारा दिनांक 01/07/16 से 30/08/17 तक उनके कार्यालय में लेखापाल को द्वितीय समयमान वेतनमान अनुमोदन हेतु सेवापुस्तिका किस विभाग के लेखापाल की किस दिनांक को प्राप्त हुई? किस लेखापाल का किस दिनांक को अनुमोदित कर दिया गया? किस-किस लेखापाल का किस कारण से अनुमोदन नहीं किया है, की जानकारी विभागवार उपलब्ध करावें?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वित्त विभाग द्वारा जारी परिपत्र क्रमांक एफ-8-6/2015/ नियम/चार दिनांक 16-5-2017 द्वारा लेखापाल का वेतन उन्नयन किया गया है। (ख) उत्तरांश ''क'' अनुसार। (ग) लेखापाल को द्वितीय समयमान वेतनमान दिये जाने की सूची संलग्न परिशिष्ट पर है।
फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी करने वालों पर कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
44. ( क्र. 1998 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले के अंतर्गत फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ नामजद शिकायत (लोवेल संजीव पावर) द्वारा जिलाध्यक्ष जिला दण्डाधिकारी को दिनांक 30/10/2014 को लिखित में तथा कूरियर से की गई थी, जिसका आवक क्र. 04 जिला कार्यालय छिन्दवाड़ा है? (ख) यदि हाँ, तो कितने व्यक्तियों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाई है? पत्र की प्रति दें। आवेदक द्वारा दी गई सत्यापित प्रति पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या आवेदक द्वारा दिये गये पत्र में जिन व्यक्तियों के नाम हैं, उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण कायम करवाया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? कब तक प्रकरण दर्ज कर जाँच की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विद्युत कर्मचारियों के नियमितीकरण
[ऊर्जा]
45. ( क्र. 2000 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. में वर्ष 2010-2013 में संविदा आधार पर सहायक यंत्री, कनिष्ठ यंत्री, लाईन परिचालक, परीक्षण सहायक, प्रबंधक एच.आर. के पदों पर म.प्र. मध्य पूर्व/पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी/ट्रांसमिशन लि. में लिखित एवं साक्षात्कार के द्वारा नियुक्तियां की गई है? (ख) क्या शासन द्वारा ऐसा कोई प्रावधान है कि इन विद्युत कर्मियों को नियमित किया जायेगा? जैसे अन्य प्रदेशों बिहार, झारखण्ड, आंध्रप्रदेश, पंजाब में किया गया है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) ऊर्जा विभाग के अंतर्गत प्रश्नाधीन उल्लेखित विद्युत कंपनियों में संविदा आधार पर प्रश्नाधीन अवधि में की गई नियुक्तियों की विद्युत कंपनीवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है (ख) जी नहीं।
प्रदेश में फिल्म प्रदर्शन उद्योग की जानकारी
[वाणिज्यिक कर]
46. ( क्र. 2012 ) श्री तरूण भनोत : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2001 व 2008 की नीति के अंतर्गत मनोरंजन कर की छूट जी.एस.टी. में किस प्रकार दी जावेगी? मनोरंजन कर जो पहले 20 प्रतिशत था जी.एस.टी. आने पर 28 प्रतिशत हो गया फिल्म प्रदर्शन उद्योग को एवं उपभोक्ता को उससे होने वाली क्षति भरपाई की क्या योजना है? (ख) प्रदेश में नवीन सिनेमा घर मल्टीप्लेक्स स्थापित करने को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार की वर्तमान प्रभारी योजना या प्रस्तावित योजना क्या है? क्या कोई नीति बनाई गई है या प्रस्तावित है? (ग) वर्तमान में संचालित या बंद पड़े सिनेमा घर अथवा मल्टीप्लेक्स के जीर्णोद्धार व नवीनीकरण को प्रोत्साहित करने की शासन की कोई योजना या नीति है या प्रस्तावित है? (घ) क्या सिनेमा प्रदर्शन को पर्यटन उद्योग या अन्य श्रेणी के कोई उद्योग का दर्जा देने की शासन की कोई योजना है? या प्रस्तावित है जानकारी दी जावे?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 174 के प्रावधानों के अनुसार जी.एस.टी के लागू होने के दिनांक 01-07-2017 से पूर्व प्रचलित अधिनियमों के अंतर्गत कर के भुगतान से दी गई छूट आगे लागू नहीं रहेंगी। जी.एस.टी के अंतर्गत प्रवेश की टिकिट दर 100 रूपये अथवा उससे कम है तो जी.एस.टी की दर 18 प्रतिशत (9 प्रतिशत सी.जी.एस.टी. + 9 प्रतिशत एस.जी.एस.टी.) है। प्रवेश शुल्क 100 रूपये से अधिक होने पर जी.एस.टी. की दर 28 प्रतिशत (14 प्रतिशत सी.जी.एस.टी.+ 14 प्रतिशत एस.जी.एस.टी.) है। जी.एस.टी के अंतर्गत कर की दरों/रियायतों के संबंध में निर्णय जी.एस.टी. काउंसिल के द्वारा ही लिया जाता है। (ख) से (घ) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 के प्रावधान लागू होने से प्रश्नगत विषयों का संबंध वाणिज्यिक कर विभाग से संबंधित नहीं है।
वोल्टेज समस्या ग्रसित ग्रामों को निकटतम ग्रिड से जोड़ा जाना
[ऊर्जा]
47. ( क्र. 2027 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले की विधान सभा क्षेत्र खिलचीपुर के अन्तर्गत विद्युत वितरण केन्द्र छापीहेड़ा ग्रिड से ग्राम सेदरा व जटामढ़ी (दूरी मात्र 1 कि.मी.) को जोड़ा जा सकता है वर्तमान में उक्त ग्रामों की विद्युत आपूर्ति संडावता ग्रिड (दूरी लगभग 15 से 20 कि.मी.) से की जा रही है? इसी प्रकार छापीहेड़ा विद्युत वितरण केन्द्र से ग्राम सोनखेड़ाकला की भी विद्युत आपूर्ति संडावता से की जा रही है, जो लगभग 6 कि.मी. है, जबकि नवीन ग्रिड बामनगांव की दूरी मात्र 2 कि.मी. है। (ख) क्या प्रश्नांश (क) अधिक दूरी से विद्युत आपूर्ति होने से सिंचाई सीजन एवं पूरे वर्ष कम वोल्टेज की समस्या बनी रहती है। क्या उपभोक्ताओं की मांग अनुसार समस्या निराकरण हेतु क्या नजदीक के ग्रिड से उक्त ग्रामों को जोड़ा जा सकता हैं? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या उपरोक्त प्रश्नांश वर्णित ग्रामों के उपभोक्ताओं की मांग अनुसार विद्युत आपूर्ति की कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के अन्तर्गत ग्राम सेदरा व जटामढ़ी को 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र संडावता से नहीं अपितु 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र छापीहेड़ा से ही विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। छापीहेड़ा विद्युत वितरण केन्द्र के ग्राम सोनखेड़ा कला की विद्युत आपूर्ति 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र संडावता से सुचारू रूप से की जा रही है, जो कि उक्त ग्राम से लगभग 6 कि.मी. दूर स्थित है। तथापि भविष्य में तकनीकी रूप से आवश्यक होने तथा वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार उक्त ग्राम सोनखेड़ा कला की विद्युत आपूर्ति 2 कि.मी. दूर स्थित नवीन 33/11 के.व्ही. बामनगांव उपकेन्द्र से करने हेतु कार्यवाही की जायेगी। (ख) ग्राम सेदरा व जटामढ़ी की 33/11 के.व्ही. छापीहेड़ा उपकेन्द्र से दूरी 2 कि.मी. एवं ग्राम सोनखेड़ा कला की 33/11 के.व्ही. संडावता उपकेन्द्र से दूरी 6 कि.मी. है। प्रश्नाधीन क्षेत्रों में कम वोल्टेज की कोई समस्या नहीं है तथा निर्धारित मानकों के अनुरूप वोल्टेज पर उक्त क्षेत्र में विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार ग्राम सोनखेड़ाकला जो कि विद्युत वितरण केन्द्र छापीहेड़ा के अधीनस्थ आता है, में भविष्य में तकनीकी आवश्यकता/वित्तीय उपलब्धता अनुसार विद्युत प्रदाय 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र बामनगांव से करने हेतु कार्यवाही की जायेगी। (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित ग्राम सेदरा व जटामढ़ी को उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार छापीहेड़ा 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है तथा उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नांश (क) में वर्णित अनुसार भविष्य में तकनीकी आवश्यकता/वित्तीय उपलब्धता अनुसार 33/11 के.व्ही. बामनगांव उपकेन्द्र से विद्युत प्रदाय किये जाने हेतु ग्राम सोनखेड़ा कला के उपभोक्ताओं की मांग अनुसार कार्यवाही की जायेगी।
33/11 के.व्ही. विद्युत सब स्टेशन का निर्माण
[ऊर्जा]
48. ( क्र. 2028 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की विधान सभा क्षेत्र खिलचीपुर के अन्तर्गत ग्राम बालाहेड़ा में विद्युत सब-स्टेशन के निर्माण/स्थापना की वर्तमान स्थिति क्या है? (ख) क्या उक्त 33/11 के.व्ही. विद्युत सब-स्टेशन के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है? यदि हाँ, तो निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ होगा? (ग) क्या दगल्या व बाजरोन के मध्य नवीन ग्रिड स्वीकृति के प्रस्ताव शासन के पास विचाराधीन हैं? यदि हाँ, तो कब तक स्वीकृत होगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) एवं (ख) राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के अन्तर्गत ग्राम बालाहेड़ा में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र के निर्माण का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत प्रस्तावित किया गया है। योजनान्तर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स वोल्टास लिमिटेड, मुम्बई को दिनांक 27.07.2017 को अवार्ड जारी किया जा चुका है। उक्त जारी अवार्ड में ग्राम हर्जीपुरा में 33/11 के.व्ही. नवीन विद्युत उपकेन्द्र का कार्य सम्मिलित था, जिसे ग्राम बालाहेड़ा में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र से प्रतिस्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है। तदुपरांत उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा ग्राम बालाहेड़ा में नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र के निर्माण का कार्य प्रारम्भ कर दिया जायेगा। (ग) जी हाँ, दगल्या व बाजरोन के मध्य नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र के निर्माण प्रस्तावित है, जिसे वित्तीय उपलब्धता के अनुरूप इसी प्रकार के अन्य कार्यों की वरीयता के क्रम में आगामी कार्य योजना में सम्मिलित/स्वीकृत करने की कार्यवाही की जाएगी।
झाबुआ पॉवर प्लांट की जानकारी
[ऊर्जा]
49. ( क्र. 2049 ) श्री रजनीश सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले के अंतर्गत विकासखण्ड घंसौरा के बरेला ग्राम में स्थापित झाबुआ पॉवर प्लांट में वर्तमान में कितने स्थानीय अधिकारी/कर्मचारी/श्रमिक कार्यरत हैं? संख्या बतावें? (ख) झाबुआ पॉवर प्लांट से विगत वर्ष 2016-17 में कितनी मेगावट बिजली का उत्पादन हुआ? मध्यप्रदेश शासन द्वारा उक्त पॉवर प्लांट से विगत वर्ष 2016-17 में कितने मेगावाट बिजली, कितनी राशि में खरीदी गई? (ग) झाबुआ पॉवर प्लांट को सामाजिक उत्तरदायित्व (सी.एस.आर.) के तहत अधीनस्थ ग्रामों में विगत 3 वर्षों में क्या-क्या कार्य कराये गये हैं? सूची उपलब्ध करायें। (घ) प्रश्नांश (ग) के संबंध में प्रधानमंत्री सड़क एवं लोक निर्माण विभाग की किन-किन सड़कों एवं कितनी लंबाई की सड़कों का निर्माण एवं रख-रखाव की जिम्मेदारी झाबुआ पॉवर प्लांट द्वारा ली गई है? यदि हाँ, तो विगत वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में प्लांट द्वारा क्या-क्या कार्य कितनी-कितनी राशि के कराये गये हैं? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) झाबुआ पॉवर लिमिटेड एक निजी कंपनी है। कंपनी द्वारा प्रदत्त जानकारी अनुसार झाबुआ पॉवर प्लांट में कार्यरत स्थानीय अधिकारी/कर्मचारी/श्रमिक संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'क' अनुसार है। (ख) वित्तीय वर्ष 2016-17 में मेसर्स झाबुआ पॉवर लिमिटेड की 600 मेगावॉट क्षमता की इकाई से बिजली का उत्पादन हुआ। इस क्षमता में राज्य का अंश 35 प्रतिशत है। विद्युत क्रय मेगावॉट में नहीं किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में एम.पी.पॉवर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा क्रय की गई विद्युत के विरूद्ध रूपये 168.94 करोड़ का भुगतान मेसर्स झाबुआ पॉवर लिमिटेड को किया गया। (ग) मेसर्स झाबुआ पॉवर लिमिटेड द्वारा, प्रदत्त जानकारी के आधार पर, सामाजिक उत्तरदायित्व (सी.एस.आर) के अंतर्गत विगत तीन वर्षों में किये गये कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ख' अनुसार है। (घ) मेसर्स झाबुआ पॉवर लिमिटेड द्वारा, प्रदत्त जानकारी के अनुसार कंपनी द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना एवं लोक निर्माण विभाग की जिन सड़कों के निर्माण एवं रख-रखाव का कार्य किया गया है, उन सड़कों की लंबाई, निर्माण, रख-रखाव एवं इन पर व्यय की गई राशि की वित्तीय वर्ष 2015-16, 2016-17 संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ग' अनुसार है।
अटल बिहारी बाल आरोग्य पोषण मिशन द्वारा किये जा रहे कार्य
[महिला एवं बाल विकास]
50. ( क्र. 2076 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नरसिंहपुर जिले में अटल बिहारी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन के अंतर्गत विगत तीन वर्षों में क्या-क्या कार्य किये गये और आगे क्या-क्या कार्य किये जाने की योजना है? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में कितने-कितने हितग्राही लाभान्वित हुए हैं और इस पर कितना व्यय हुआ? (ग) अटल बिहारी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन में कौन-कौन सी वस्तुओं की खरीदी किस एजेन्सी से की गई? उक्त खरीदी में कितनी राशि का व्यय हुआ?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) नरसिंहपुर जिले में अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन के अंतर्गत विगत तीन वर्षों में किए गए कार्य एवं वर्तमान में किए जा रहे कार्य का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर है। (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में लाभान्वित हितग्राही एवं उस पर व्यय राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर है। (ग) अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन के अंतर्गत प्रश्नांकित अवधि में अतिकम वजन के बच्चों हेतु टिफिन क्रय किए गए है। परियोजनावार क्रय सामग्री, एजेन्सी एवं व्यय का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' पर है।
कृषकों को मुख्यमंत्री पम्प योजना अन्तर्गत ट्रांसफार्मर उपलब्ध होना
[ऊर्जा]
51. ( क्र. 2096 ) श्री कल्याण सिंह ठाकुर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सही है कि विदिशा जिला अंतर्गत मुख्यमंत्री कृषि पम्प योजना अंतर्गत कृषकों को ट्रांसफार्मर उपलब्ध नहीं किये जा रहे हैं। यदि नहीं, तो समय से उपलब्ध कराने की क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में कृषकों को ट्रांसफार्मर समय-सीमा में उपलब्ध कराने की कार्यवाही से अवगत करावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) एवं (ख) मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना के अंतर्गत आवेदक द्वारा अंश राशि का भुगतान करने की तिथि से 9 माह के अंदर लाईन विस्तार का कार्य पूर्ण कर एवं आवश्यकतानुसार वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित कर कनेक्शन प्रदाय किये जाने का प्रावधान है। वर्तमान में विदिशा जिले में योजना के प्रावधानों के अनुसार अंशराशि जमा होने के उपरांत 9 माह से अधिक अवधि का कोई भी आवेदन विद्युत पम्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु लंबित नहीं है। 9 माह से कम अवधि वाले आवेदनों का कार्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने हेतु मुख्य सामग्री की सतत् रूप से समुचित व्यवस्था की जा रही है। साथ ही अधिकारियों को आवश्यकतानुसार ठेकेदारों के माध्यम से मुख्य सामग्री की व्यवस्था करने हेतु निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य शासन के आदेश द्वारा 12 सितम्बर 2017 के उपरांत प्राप्त आवेदनों के लिए, किसान द्वारा अंशराशि जमा करने के उपरांत, कनेक्शन प्रदान की अधिकतम 9 माह की समय-सीमा को घटाकर 6 माह किया गया है।
अनुकंपा नियुक्ति प्रदाय किया जाना
[जनजातीय कार्य]
52. ( क्र. 2113 ) पं. रमेश दुबे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत अनुकंपा नियुक्ति के कुल कितने प्रकरण कब से लंबित हैं? जिलेवार जानकारी दें? (ख) क्या श्री गनाराम टेकाम सहायक शिक्षक कन्या प्राथमिक शाला खमरा की दिनांक 02.06.89 को शासकीय सेवा में रहते हुये मृत्यु होने पर उनके पुत्र श्री रामकिशोर टेकाम के द्वारा अनुकंपा नियुक्ति हेतु आवेदन दिनांक 02.01.98 को प्रस्तुत किया गया? (ग) क्या वर्ष 1998 में प्रस्तुत किये गये उक्त आवेदन को सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश दिनांक 23.07.2001 एवं 08.10.2002 को आधार बनाकर विभाग द्वारा आवेदन निरस्त किया गया है? हाँ तो क्यों वर्ष 2001 एवं 2002 में जारी आदेश उसके पूर्व प्रस्तुत आवेदन वर्ष 1998 पर प्रभावशील क्यो होगा? स्पष्ट करें। (घ) क्या शासन मृतक शिक्षक के पुत्र श्री रामकिशोर टेकाम द्वारा दिनांक 02.01.98 में प्रस्तुत अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उन्हें अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने का आदेश देगा? हाँ तो कब तक नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
छात्रावास/आश्रमों में अधीक्षकों की नियुक्ति
[जनजातीय कार्य]
53. ( क्र. 2127 ) श्री कुंवर सिंह टेकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग अन्तर्गत संचालित छात्रावास/आश्रम में अधीक्षक नियुक्त करने के म.प्र. शासन के क्या नियम एवं निर्देश हैं? नियम/निर्देश की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) सीधी/सिंगरौली जिले में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के कितने छात्रावास एवं आश्रम संचालित है? छात्रावासों एवं आश्रमों के नाम की सूची स्वीकृत सीट संख्या सहित उपलब्ध करायें। छात्रावासों एवं आश्रमों में नियुक्त अधीक्षकों के नाम की सूची वर्गवार उपलब्ध करावें। (ग) क्या म.प्र. शासन, अनु. जाति तथा अनु. जनजाति कल्याण विभाग के आदेश/निर्देश के बावजूद सीधी जिले के छात्रावास/आश्रम में सामान्य वर्ग के अधीक्षक नियुक्त किये गये हैं? यदि हाँ, तो किन-किन छात्रावास/आश्रम में नियुक्त किये गये हैं? छात्रावास/आश्रमवार नियुक्त सामान्य वर्ग के अधीक्षकों के नाम की सूची उपलब्ध करायें। (घ) यदि नियम विरूद्ध सामान्य वर्ग के अधीक्षक नियुक्त किये गये हैं तो क्यों? क्या नियुक्तिकर्ता अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी? यदि की जायेगी तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
अनुसूचित जाति के छात्रावास की स्वीकृति
[अनुसूचित जाति कल्याण]
54. ( क्र. 2153 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खंडवा जिले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कितनी कितनी क्षमता के छात्रावास एवं आश्रम संचालित हैं? (ख) क्या पूर्व एवं पश्चिम निमाड़ में खंडवा जिला मुख्यालय शिक्षा के क्षेत्र में हब बन जाने से आस-पास के जिलों से भी अजा वर्ग के छात्र-छात्राएं यहां अधिक संख्या में अध्ययन के लिए आ रहे हैं? (ग) यदि हाँ, तो क्या वर्तमान में उपलब्ध छात्रावास/आश्रम समय की मांग अनुसार पर्याप्त है? विगत 03 वर्षों में खंडवा जिला मुख्यालय पर रिक्त सीटों के विरूद्ध कितने-कितने आवेदन प्राप्त हुए? (घ) क्या रिक्त सीटों के अभाव के कारण अजा वर्ग के अनेक छात्र-छात्राओं को प्रवेश नहीं मिल पाया है? यदि हाँ, तो क्या जिला मुख्यालय पर 100-100 सीटर अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग के छात्रावास की नवीन स्वीकृति दी जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। (ग) जी नहीं। विगत 3 वर्षों में खण्डवा मुख्यालय पर संचालित छात्रावास एवं आश्रमों में रिक्त सीटों के विरूद्ध प्राप्त आवेदनों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जी हाँ। नवीन छात्रावास खोलना नीतिगत निर्णय है। समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
खण्डवा जिले में बस्ती विकास योजना में अनियमितता
[जनजातीय कार्य]
55. ( क्र. 2158 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा जिले में जनजातीय एवं आदिवासी विकास विभाग में वर्ष 2015 से 2017-18 तक बस्ती विकास के कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये है? विधानसभा क्षेत्रवार कार्य का नाम, स्वीकृत राशि सहित वर्षवार बतायें? (ख) जिले में बस्ती विकास योजनान्तर्गत वर्ष 2015 से 2017-18 तक प्राप्त बजट आवंटन की राशि कितनी प्राप्त हुई वर्षवार बतायें? (ग) क्या बस्ती विकास योजना का उद्देश्य अ.जा./अ.ज.जा. बहुल आवासीय क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना है? यदि हाँ, तो खण्डवा जिले में आवासीय बस्ती को छोड़कर विगत 5 वर्षों में इस राशि से किन-किन छात्रावासों में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई वर्षवार जानकारी दी जाए और क्यों? (घ) क्या उक्त राशि को छात्रावासों में अनावश्यक व्यय कर लाखों-करोड़ों की राशि का दुरूपयोग किया गया है? उक्त राशि के दुरूपयोग के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं? क्या उनसे राशि की वसूली की जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ड.) क्या नियम विरूद्ध छात्रावासों में निर्माण कार्य करने वाले दोषी अधिकारियों के विरूद्ध जाँच कर कार्यवाही की जाएगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) से (ड.) अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजना अन्तर्गत अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों में मूलभूत सुविधाओं के अलावा छात्रावासों में भी आवश्यक कार्य कराये जाने के नियम निर्देश हैं। विगत 05 वर्षों में छात्रावासों में व्यय की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नर्मदा घाटी परियोजना के डूब प्रभावितों की जानकारी
[नर्मदा घाटी विकास]
56. ( क्र. 2194 ) श्री रमेश पटेल : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़वानी जिले में कितने डूब प्रभावित विस्थापितों को 60 लाख रूपये एवं 15 लाख रू. मुआवजा पैकेज की कितनी राशि प्रदान की गई? पृथक-पृथक जानकारी देवें। (ख) प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि कितने विस्थापितों को देना शेष है? इस संबंध में वर्ष 2017 में कितने आवेदन शासन को प्राप्त हुए? इनका निराकरण कब तक कर दिया जावेगा? (ग) जिन विस्थापितों ने प्लाट के बदले 50 हजार रू. लिए उन्हें 180 वर्ग मीटर के प्लाट दिये जा रहे हैं, जबकि नियम के तहत 60x90 का प्लाट दिया जाना चाहिए, यह कब तक दिये जायेंगे?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सरदार सरोवर परियोजना संबंधी याचिका क्रमांक 328/2002 में पारित आदेश दिनांक 08/02/2017 द्वारा भूमि के बदले भूमि की मांग करने वाले 681 विस्थापित परिवारों के प्रकरणों में फुल एवं फाईनल सेटलमेंट के उद्देश्य से गुजरात राज्य के व्यय पर राशि रूपये 60 लाख देने का आदेश दिया है। तत्पश्चात् इसी स्वरूप के 101 प्रकरणों में नर्मदा कन्ट्रोल अथॉरिटी की बैठक दिनांक 16/06/2017 को गुजरात राज्य ने भुगतान की सहमति दी है। इस श्रेणी के कुल 782 विस्थापित परिवारों के प्रकरणों में रूपये 60 लाख का भुगतान प्राधिकृत हुआ है। माननीय उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त आदेश के परिप्रेक्ष्य में 942 विस्थापितों को झा कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार Duped (धोखा) हुये हैं। उन विस्थापितों को रूपये 15 लाख की राशि जिसमें से पूर्व में भुगतान की गई राशि को घटा कर भुगतान किया जाना है। बड़वानी जिले में सरदार सरोवर परियोजना से डूब प्रभावितों विस्थापित को माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय दिनांक 08/02/2017 के पालन में:- (1) राशि रूपये 60 लाख श्रेणी के अंतर्गत तहसील बड़वानी के 393 विस्थापितों को 22894.91 लाख रूपये की राशि का तथा तहसील ठीकरी के 49 विस्थापितों को 2769.97 लाख रूपये की राशि जी.आर.ए. के अनुमोदन पश्चात ई-पेमेंट के माध्यम से संबंधित विस्थापितों के खाते में अंतरित की गई है। तहसील बड़वानी एवं ठीकरी के विस्थापितों की नामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (2) रूपये 15 लाख श्रेणी के अंतर्गत तहसील बड़वानी के 244 विस्थापितों को 2307.70 लाख रूपये राशि का, तहसील ठीकरी के 44 विस्थापितों को 412.28 लाख रूपये की राशि जी.आर.ए. के अनुमोदन पश्चात ई-पेमेंट के माध्यम से संबंधित विस्थापितों के खाते में अंतरित की गई है। तहसील बड़वानी एवं ठीकरी के विस्थापितों की नामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के उत्तर में अभिलिखित श्रेणी में से बड़वानी जिले के अंतर्गत शिकायत निवारण प्राधिकरण को भुगतान हेतु भेजे गये प्रकरणों में से 60 लाख के प्रकरणों में 23 विस्थापितों को रूपये 1326.90 लाख तथा 15 लाख के प्रकरणों में 14 विस्थापितों को रूपये 135.08 लाख वितरित किये जाने की कार्यवाही शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष प्रक्रियाधीन हैं। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 08/02/2017 के परिप्रेक्ष्य में रूपये 60 लाख एवं 15 लाख श्रेणी के पात्र विस्थापितों की संख्या निर्धारित की जा चुकी है इसलिये इस संबंध में नये आवेदन ग्राह्य नहीं किये जा सकते हैं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) पुनर्वास नीति के अनुसार सरदार सरोवर परियोजना से डूब प्रभावित विस्थापित परिवारों को 60 × 90 फीट का आवासीय भू-खण्ड नि:शुल्क दिये जाने का प्रावधान है, किन्तु यदि कोई विस्थापित स्वेच्छा से उसे आवंटित आवासीय भू-खण्ड (संयुक्त परिवार में एक आवासीय भूखण्ड लेना अनिवार्य है) स्वीकार नहीं करते हुये नगद राशि प्राप्त कर लेता है, तो उसे रूपये 50000/- की नगद राशि भुगतान की जाती है एवं उसकी नि:शुल्क भू-खण्ड प्राप्त करने की पात्रता समाप्त हो जाती है। विस्थापितों द्वारा राशि रूपये 50000/- की नगद राशि प्राप्त करने के उपरांत पात्रता समाप्त हो जाने पर भी पुन: भू-खण्ड आवंटन करने की मांग पर राज्य की कल्याणकारी नीति को देखते हुये विस्थापितों को पुन: भू-खण्ड देने के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा की गई घोषणा के पालन में विभाग के आदेश क्रमांक एफ-31-6/2017/सत्ताईस-एक दिनांक 20/07/2017 अनुसार जिन विस्थापितों के द्वारा पूर्व में आवासीय भू-खण्ड के बदले स्वेच्छा से रूपये 50000/- की नगद राशि प्राप्त की गई थी, उन्हें उपलब्धता के अनुसार यथासंभव 180 वर्गमीटर अथवा 150 वर्गमीटर का भू-खण्ड आवंटित किये जाने के आदेश दिये हैं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
दोषी को निलंबित किए जाना
[वाणिज्यिक कर]
57. ( क्र. 2225 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्र. 5582 उत्तर दिनांक 10 मार्च 2017 के बिन्दु (क) के उत्तर में पुलिस अधीक्षक विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त संगठन जबलपुर के द्वारा प्रकरण की विवेचना करने का उत्तर तथा संदर्भित प्रश्न के बिंदु (ग) के उत्तर में संलिप्त अधिकारी, कर्मचारियों को जिले से बाहर स्थानांतरण करने का उत्तर दिया गया है, तो बतायें कि उक्त प्रकरण की विवेचना पूरी हुई कि नहीं? यदि नहीं, तो यह माना जाएगा कि संलप्ति अधिकारियों/कर्मचारियों को बचाने के उद्देश्य से विवेचना में विलम्ब किया जा रहा है? (ख) यदि हाँ, तो शीघ्र विवेचना पूरी करने की क्या कार्यवाही करेंगे? कब तक विवेचना पूरी करा देंगे? क्या दोषियों के पद प्रभार में रहने के कारण निष्पक्ष जाँच नहीं हो पा रही है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में संलप्ति अधिकारी, कर्मचारी वर्तमान में किस पद प्रभार में हैं, उनका नाम, पद, पदस्थापना स्थान, सौंपा गया दायित्व अंकित कर सूची देवें तथा ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को महत्वपूर्ण प्रभार में रखने का क्या औचित्य है, इन्हें कब तक निलंबित कर देंगे, ताकि प्रकरण की निष्पक्ष जाँच हो सके।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। प्रकरण की विवेचना संबंधी जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से लोकायुक्त कार्यालय से एकत्रित की जा रही है। (ख) जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से लोकायुक्त कार्यालय से एकत्रित की जा रही है। (ग) वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग से संबंधित अधिकारी, कर्मचारी वर्तमान में किस पद प्रभार में हैं, उनका नाम, पद, पदस्थापना स्थान, सौंपा गया दायित्व की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
132 के.व्ही. विद्युत सब स्टेशन की जानकारी
[ऊर्जा]
58. ( क्र. 2255 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पोहरी विधानसभा क्षेत्र के बैराड (पचीपुरा) में 132 के.व्ही. विद्युत सब स्टेशन के निर्माण की स्वीकृति किस दिनांक को हुई थी? इसका निर्माण कब तक पूर्ण किया जाना था। वर्तमान में उक्त सब स्टेशन के निर्माण की अद्यतन स्थिति क्या है? (ख) किस दिनांक तक इसका पूर्ण निर्माण होकर विद्युत सप्लाय प्रारंभ हो जावेगा, जिससे इस क्षेत्र के ग्रामों में पर्याप्त विद्युत आपूर्ति हो सकेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) पोहरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बैराढ़ (पचीपुरा) में 132 के.व्ही. विद्युत सबस्टेशन के निर्माण की स्वीकृति दिनांक 11.03.2013 को प्रदान की गई थी। कार्यादेश के अनुसार इसका निर्माण अप्रैल 2015 तक पूर्ण किया जाना था। उक्त कार्य हेतु नियुक्त ठेकेदार द्वारा कार्य में विलम्ब करने के कारण शेष कार्य अन्य एजेन्सी द्वारा पूर्ण कराये जाने की कार्यवाही की जा रही है। वर्तमान में उक्त सबस्टेशन का लगभग 98 प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है एवं उक्त सबस्टेशन से संबद्ध 132 के.व्ही. शिवपुरी-बैराढ़ लाईन का लगभग 82 प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है। (ख) वर्तमान में बैराढ़ क्षेत्र को 132 के.व्ही. उपकेन्द्र शिवपुरी से निर्गमित 33 के.व्ही. भटनावर फीडर से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। 132 के.व्ही. बैराढ़ (पचीपुरा) सबस्टेशन एवं उससे संबद्ध 132 के.व्ही. शिवपुरी-बैराढ़ लाईन का निर्माण कार्य माह जनवरी-2018 तक पूर्ण किये जाने के प्रयास किये जा रहे है, जिनके ऊर्जीकृत होने के उपरांत 33 के.व्ही. भटनावर फीडर को इस नए 132 के.व्ही. उपकेन्द्र से विद्युत आपूर्ति की जाएगी।
शेष रहे ग्रामों के विद्युतीकरण की जानकारी
[ऊर्जा]
59. ( क्र. 2260 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक विकासखण्ड सैलाना और बाजना के कोई ग्राम विद्युतविहीन रहे हैं क्या? विकासखण्डवार जानकारी देवें? (ख) प्रश्नांश (क) के किन-किन ग्रामों को किन-किन वर्षों में विद्युतीकृत किया गया है और जो शेष हैं ये ग्राम किन कारणों से विद्युतीकृत नहीं हो पाये हैं? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) को शत्-प्रतिशत विद्युतीकृत कर दिया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विकासखण्ड सैलाना और बाजना के समस्त 460 राजस्व ग्रामों को वर्ष 2013 के पूर्व ही विद्युतीकृत किया जा चुका है, अत: वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक प्रश्नाधीन क्षेत्र के ग्रामों के विद्युतीकरण की जानकारी देने अथवा अद्यतन स्थिति में कोई ग्राम विद्युतीकरण हेतु शेष रहने संबंधी जानकारी दिये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
मजरों टोलों व ग्रामों के विद्युतीकरण की जानकारी
[ऊर्जा]
60. ( क्र. 2261 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा क्षेत्र में कुल कितनी ऐसी चिन्हित बस्तियां/मजरे/टोले हैं, जहां पर वर्तमान तक घरेलू 11 के.व्ही. फीडर के माध्यम से 24 घण्टे विद्युत प्रदाय नहीं किया जा रहा है? सूची उपलब्ध करावें? (ख) इन बस्तियों/मजरे/टोले में विद्युत व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु विभाग द्वारा क्या कार्य योजना तैयार की गई है? क्या इन बस्तियों/मजरे/टोले के विद्युतीकरण हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है? हाँ तो इन्हें विद्युतीकरण पूर्ण कराने हेतु कितनी समयावधि लगेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) रतलाम जिले के सैलाना विधानसभा क्षेत्र में कुल 9 ऐसी चिन्हित बस्तियां/मजरे/टोले हैं जहां घरेलू 11 के.व्ही. फीडर के माध्यम से 24 घंटे विद्युत प्रदाय नहीं किया जा रहा है। उक्त बस्तियों/मजरों/टोलों की सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उक्त 9 बस्तियों/मजरों/टोलों की भौगोलिक स्थिति के कारण तथा तकनीकी एवं वित्तीय साध्यता के दृष्टिगत इन बस्तियों/मजरों/टोलों को समीपस्थ 11 के.व्ही. सिंचाई फीडर से जोडा गया है। सिंचाई फीडरों पर 10 घण्टे विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराया जा रहा है।
स्थानांतरित कर्मचारियों की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
61. ( क्र. 2275 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र बिजावर में जनवरी 17 से प्रश्न दिनांक तक कितने अधिकारी/कर्मचारी के स्थानान्तरण हुए? नाम, पदनाम सहित जानकारी प्रदाय करें. (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में स्थानान्तरण के पश्चात कितने अधिकारी/कर्मचारी को मुक्त किया गया? कितनो ने नई पदांकन स्थल में ज्वाइन कर लिया है? सूची प्रदाय करें. (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के अनुक्रम में क्या ऐसे अधिकारी/कर्मचारी भी हैं जिनका नाम स्थानान्तरण सूची में था, परन्तु प्रश्न दिनांक तक नई पदांकन स्थल पर ज्वाइनिंग नहीं की है? यदि हाँ, तो उनके नाम और पद नाम बतायें? (घ) स्थानान्तरण नीति के अनुसार स्थानांतरित कर्मचारी को कितने दिन के पश्चात् मुक्त करने का प्रावधान है? नियम का पालन नहीं करने वालों पर क्या कार्यवाही की जाती है? प्रश्नांश (ग) के अनुक्रम में उपरोक्त कर्मचारियों पर उक्त नियम का पालन किया गया? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब एवं स अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द अनुसार है। (घ) स्थानांतरण नीति वर्ष 2017-18 की कंडिका 11 अनुसार स्थानांतरण आदेश जारी होने के दो सप्ताह के भीतर स्थानांतरित अधिकारी/कर्मचारी को कार्यमुक्त किये जाने का प्रावधान है एवं कंडिका 12 अनुसार महत्वपूर्ण कार्यों के लंबित रहते अवधि बढ़ाने का प्रावधान है। नीति की कंडिका 12.4 के अनुसार स्थानांतरण आदेश का बिना युक्तिसंगत कारणों से अपालन की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रावधान है। नियमों का पूणत: पालन किया गया।
पेट्रोल डीजल पर टैक्स
[वाणिज्यिक कर]
62. ( क्र. 2333 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न दिनांक तक क्या पेट्रोल पम्पों को डीजल 30.67 रूपये प्रति लीटर एवं पेट्रोल 30.75 रूपये लीटर की दर से प्रदान किये जाते है? यदि नहीं, तो प्रति लीटर दर बतावें? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में यदि हाँ, तो उपरोक्त मूल्य पर क्रमश: डीजल पर 2.49 रूपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 3.55 रूपये प्रतिलीटर कमीशन संचालकों को दिया गया है? यदि हाँ, तो पंप पर डीजल की वास्तविक कीमत 33.16 प्रतिलीटर एवं पेट्रोल की वास्तविक कीमत 34.29 रूपये प्रतिलीटर होती है? यदि नहीं, तो कितनी? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के प्रकाश में 1 अप्रैल 2014 को डीजल एवं पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी प्रतिलीटर केन्द्र सरकार द्वारा कितने रू. प्रति लीटर लगायी जा रही थी? प्रश्न दिनांक को केन्द्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी प्रतिलीटर कितने रूपये लगाई जा रही है? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) के प्रकाश में राज्य सरकार द्वारा डीजल एवं पेट्रोल पर कितने प्रकार का कितना-कितना टैक्स प्रति लीटर लगाया जा रहा है? केन्द्र सरकार द्वारा लगाये गये टैक्स के बाद मध्यप्रदेश को कितने रूपये प्रतिलीटर डीजल एवं पेट्रोल प्राप्त होता है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) ऑयल कम्पनियों के द्वारा पेट्रोल पम्पों को डीजल एवं पेट्रोल किस दर पर प्रदान किए जाते हैं, यह जानकारी विभाग द्वारा संधारित नहीं की जाती है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार ही पेट्रोल पम्प संचालकों को ऑयल कम्पनियों द्वारा दिये जाने वाले कमीशन तथा डीजल और पेट्रोल प्रति लीटर किस दर पर पेट्रोल पम्पों को दिए जाते हैं, यह जानकारी भी विभाग द्वारा संधारित नहीं की जाती है। (ग) प्रश्नांश (ग) की विषय वस्तु केन्द्र सरकार से संबंधित है। (घ) राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल पर 28 प्रतिशत वेट एवं 4 रू. प्रति लीटर अतिरिक्त कर लिया जाता है जबकि डीजल पर केवल 22 प्रतिशत वेट लिया जा रहा है। पेट्रोल एवं डीजल पर केन्द्र सरकार द्वारा लगाये गये टैक्स के बाद मध्यप्रदेश को कितने रूपये प्रति लीटर डीजल एवं पेट्रोल प्राप्त होता है यह जानकारी विभाग द्वारा संधारित नहीं की जाती है।
आई.पी.डी.एस. योजना
[ऊर्जा]
63. ( क्र. 2339 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहरी क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था हेतु आई.पी.डी.एस. योजना लागू की गई है, जिसमें रीवा जिला भी शामिल है? यदि हाँ, तो क्या इस योजना के अंतर्गत नये सब-स्टेशन नई केबल लाईन विद्युत खम्बे एवं नये ट्रांसफार्मर स्थापित करने एवं पुराने ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि, पुराने कंडक्टर को बदलकर नया मोटा कंडक्टर खींचा जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में यदि हाँ, तो क्या मऊगंज एवं हनुमना कस्बे को भी आई.पी.डी.एस. योजना में शामिल किया गया है? यदि हाँ, तो क्या इस कार्य के लिये एजेंसी तय की जा चुकी है? यदि हाँ, तो एजेंसी का नाम एवं पता बतावें? इस कार्य हेतु रीवा जिले को कितनी राशि निर्धारित की गई है? क्या कस्बा मऊगंज हनुमना को पृथक-पृथक राशि आवंटित है? यदि हाँ, तो कितनी-कितनी? (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के प्रकाश में मऊगंज उपसंभाग में कितने विद्युत उपकेन्द्रों की स्थापना तथा कितने उपकेन्द्रों की क्षमता वृद्धि का कार्य किया जावेगा? क्या उस उपकेन्द्र के बनने से गांव भी लाभांवित होंगे? यदि हाँ, तो कौन-कौन से? नाम बतावें। (घ) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) के प्रकाश में प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 262, दिनांक 04.05.2017 को अधीक्षण यंत्री पू.क्षे.वि.वि.क. लि. रीवा संभाग रीवा को पत्र लिखकर ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने से अवगत कराया गया था? यदि हाँ, तो नगर पंचायत हनुमना के वार्ड क्रमांक 12, 8 में तथा नगर पंचायत मऊगंज के वार्ड क्रमांक 03, 05, 12 में ट्रांसफार्मर लगाना था? यदि हाँ, तो क्या यहां का भी सर्वे कार्य कराकर आवश्यकता की पूर्ति की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 5000 से अधिक आबादी वाले चयनित शहरी क्षेत्रों में आई.पी.डी.एस. योजना लागू की गई है, जिसमें रीवा जिले के शहर भी शामिल हैं। जी हाँ, उक्त योजना के अंतर्गत चयनित शहरी क्षेत्रों में विद्युत अधोसंरचना के विकास के लिये प्रश्नांश में उल्लेखित कार्य किये जाने का प्रावधान है। (ख) जी हाँ, मऊगंज एवं हनुमना शहर को भी आई.पी.डी.एस. योजना में शामिल किया गया है। उक्त योजनांतर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराये जाने हेतु निविदा प्रक्रिया उपरांत टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स एडरक इंजीनियर्स एण्ड कन्सट्रक्शन इण्डिया प्रा.लि.ए-223, द्वितीय तल, सिटी टॉवर, प्लॉट नं. 55 सेक्टर 15 सी.बी.डी., बेलापुर नवी मुम्बई-400614 को दिनांक 28.3.2017 को अवार्ड जारी किया गया है। उक्त योजना में कार्य हेतु रीवा जिले/वृत के लिये कुल राशि रू. 38.23 करोड़ प्रावधानित की गई है। उक्त योजना की स्वीकृत डी.पी.आर. के अनुसार मऊगंज शहर एवं हनुमना शहर हेतु क्रमश: राशि रू. 3.66 करोड़ एवं रू. 1.78 करोड़ प्रावधानित है। (ग) प्रश्नाधीन योजना के अंतर्गत मऊगंज शहर में 5 एम.व्ही.ए. क्षमता के नए 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण एवं 100 के.व्ही.ए. क्षमता के 7 वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना का कार्य किया जायेगा, जिससे मऊगंज शहर लाभान्वित होगा। (घ) प्रश्नांश (घ) में उल्लेखित पत्र प्राप्त होना नहीं पाया गया है तथापि मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद् हनुमना द्वारा कनिष्ठ यंत्री, वितरण केन्द्र हनुमना को संबोधित उनके पत्र क्रमांक 247, दिनांक 31.5.17 प्राप्त हुआ है, जिसमें माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय के द्वारा प्रमुख सचिव, नगरीय विकास विभाग, म.प्र. शासन भोपाल को नगर परिषद् हनुमना में विद्युतीकरण से संबंधित कार्य कराये जाने के संबंध में किये गये लेख का उल्लेख है। उक्त के अतिरिक्त माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय का अध्यक्ष, सरकारी उपक्रम संबंधी समिति, म.प्र. विधानसभा, भोपाल को संबोधित पत्र क्रमांक क्यू, दिनांक 07.07.2017 प्राप्त हुआ है जिसमें विधानसभा क्षेत्र मऊगंज में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाए जाने का अनुरोध किया गया है। तत्संबंध में तकनीकी जाँच में पाया गया है कि वर्तमान में उक्त क्षेत्रों में सुचारू रूप से गुणवत्तापूर्ण विद्युत प्रदाय किया जा रहा है तथा वर्तमान में उक्त क्षेत्र में वोल्टेज की कोई समस्या नहीं है। साथ ही उक्त क्षेत्र में भार के अनुरूप पर्याप्त क्षमता के वितरण ट्रांसफार्मर विद्यमान है। भविष्य में उक्त क्षेत्र में भार वृद्धि होने पर तकनीकी साध्यता अनुसार अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किये जाने की कार्यवाही किया जाना संभव हो सकेगा। वर्तमान में तकनीकी दृष्टि से अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मर लगाने की आवश्यकता नहीं है।
मीटर रीडरों के नियमितीकरण के साथ सामान कार्य समान वेतन
[ऊर्जा]
64. ( क्र. 2362 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश सहित रीवा जिले में विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा मीटर रीडरों की नियुक्ति की गयी थी, नियुक्ति हेतु अन्य विभागों में नियमित नियुक्ति हेतु अपनाई जाने वाले प्रक्रिया एवं आदेशों के तहत इनकी भी नियुक्ति की गयी थी, जिनकी सेवा अवधि 16 वर्ष से अधिक हो चुकी है, जिनको पद से पृथक करने की कार्यवाही कंपनियों द्वारा की जा रही है तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को कुशल अर्द्धकुशल एवं अकुशल, श्रेणीवार मानकर नियमितीकरण एवं वेतन निर्धारण की कार्यवाही के आदेश जारी किये गये प्रश्नांश (क) के कर्मचारी (मीटर रीडरों) को भी क्या इसी तरह कुशल एवं अर्द्धकुशल कर्मचारी मानकर कार्यवाही के आदेश जारी करेंगे? (ग) प्रश्नांश (क) के मीटर वाचक योजना के तहत विभागीय कर्मचारियों, इनकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गयी है, उनके आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति के तहत मीटर वाचक के पद पर नियुक्तियां की गई हैं? ऐसी स्थिति में पुन: विज्ञापन निकालकर नियुक्ति करना क्या न्याय संगत एवं विधि अनुसार है? जबकि संबंधित मीटर रीडरों की कार्यावधि प्रत्येक तीन वर्षों में अच्छे कार्य के कारण बढ़ायी गयी, इस तरह सोलह वर्षों से कार्य कर रहे है? (घ) प्रश्नांश (क) के मीटर रीडरों द्वारा क्या समय-समय पर माननीय मुख्यमंत्री माननीय ऊर्जा मंत्री एवं विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को आवेदन देकर अपनी समस्या से अवगत कराया जाता रहा, जिस पर कार्यवाही न होने से मीटर रीडर आंदोलन पर हैं, जिसके कारण विभाग के कार्य प्रभावित हो रहे है? (ड.) प्रश्नांश (क) के मीटर रीडरों की समस्याओं का प्रश्नांश (क) (ख) (ग) अनुसार निराकरण करने के आदेश जारी करेंगे? करेंगे तो कब तक अगर नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं, मीटर वाचक योजना के तहत मीटर रीडरों को नियमित नियुक्ति नहीं दी गयी थी वरन ये मीटर वाचक स्वतंत्र ठेकेदार के रूप में अनुबंधित किये गये थे, जिन्हें प्रति मीटर रीडिंग के आधार पर भुगतान किया जाना था। म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा रीवा जिले में भी मीटर वाचन का कार्य मीटर वाचकों को स्वतंत्र ठेकेदार के रूप में ही सौंपा गया था। उक्त मीटर वाचक अनुबंधित स्वतंत्र ठेकेदार थे, अत: उन्हें पद से पृथक करने अथवा सेवा अवधि पूर्ण होने जैसी कोई स्थिति निर्मित नहीं होती है। (ख) मीटर वाचकों को स्वतंत्र ठेकेदार के रूप में अनुबंध के द्वारा निश्चित अवधि के लिए ही कार्य सौंपा गया है तथा अवधि समाप्त होने पर अनुबंध स्वत: ही समाप्त हो जाता है। अत: मीटर वाचकों को दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी मानकर कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी नहीं, मीटरवाचक योजना के तहत कोई भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) मीटर रीडरों द्वारा समय-समय पर विभिन्न मंचों पर आवेदन दिये गये हैं, जिनके संबंध में नियमानुसार समुचित संज्ञान लिया गया है। वितरण कंपनियों में मीटर रीडिंग का कार्य सुचारू रूप से जारी है। (ड.) उत्तरांश (क), (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
बैकलॉग के पदों की पूर्ति
[सामान्य प्रशासन]
65. ( क्र. 2380 ) श्री कुंवर सिंह टेकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश में अनु.जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के सरकारी नौकरियों में बैकलॉग के पद रिक्त हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या विभागवार, पदवार एवं वर्गवार बैकलॉग पदों की भर्ती की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक की जावेगी? (ग) शासन के निर्देश के बावजूद जिन विभागों के द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अंदर बैकलॉग पदों की पूर्ति नहीं की गई है? उन दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) सीधी भर्ती के बैकलॉग पदों पर विशेष भर्ती अभियान लगातार जारी है। यह एक सतत् प्रक्रिया है, समय-सीमा बताना संभव नहीं है। जहाँ तक पदोन्नति के बैकलॉग पदों का संबंध है, मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन होने से पदोन्नति की कार्यवाही रूकी है। (ग) बैकलॉग पदों की पूर्ति लगातार जारी है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
छीपानेर माइक्रो सिंचाई परियोजना
[नर्मदा घाटी विकास]
66. ( क्र. 2395 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के कई ग्राम छीपानेर माईक्रो सिंचाई परियोजना के अतंर्गत लाभान्वित हुए है? क्या उसी प्रकार शासन और भी ग्रामों को उक्त योजना के अतंर्गत लाभान्वित करेगा? (ख) क्या यह भी सही है कि छीपानेर माइक्रो सिंचाई परियोजना की लाभान्वित सूची में अंकित ग्रामों के अलावा वंचित रह गये ग्रामों की दूरी 2-3 किलोमीटर है? यदि हाँ, तो क्या उक्त योजना से वंचित रह गये ग्रामों को जोड़े जाने का प्रावधान है? (ग) अगर छीपानेर माइक्रो सिंचाई परियोजना में और ग्रामों को जोड़े जोने का प्रावधान है तो क्या खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के ग्राम अमेली, गनौरा, सिलवोजखेड़ा एवं सुलगांव को कब तक जोड़ा जावेगा? (घ) अगर नहीं तो इन गांवों की सिंचाई की अन्य कोई वैकल्पिक योजना विभाग के पास विचाराधीन है?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। अन्य किसी ग्राम को लाभान्वित करने का वर्तमान में प्रस्ताव नहीं है। (ख) जी हाँ। जी नहीं। वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव वर्तमान परियोजना में नहीं है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपिस्थत नहीं होता। (घ) जी नहीं।
ग्राम चीचली को पीपल्या ग्रिड से विद्युत प्रदाय
[ऊर्जा]
67. ( क्र. 2399 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खातेगांव तहसील के ग्राम चीचली को वर्तमान में लगभग 13 कि.मी. दूर ग्राम कोलारी के विद्युत ग्रिड से 24 घंटे वाली बिजली सप्लाय की जा रही है, जिसमें लंबी दूरी के कारण वोल्टेज की समस्या है? (ख) यह कि ग्राम चीचली से 2 कि.मी. दूरी पर पीपल्या घाघरिया का बिजली ग्रिड नवीन बना है, जिससे चीचली को बिजली दी जा सकती है जो सुविधाजनक एवं सही भी है। (ग) वर्तमान में कोलारी से बिजली मिलने के कारण निर्बाध विद्युत आपूर्ति में दिक्कत आती है। क्या विभाग चीचली का पीपल्या ग्रिड से बिजली कनेक्ट करेगा? (घ) यदि हाँ, तो कब तक इस गांव को 2 कि.मी. दूर स्थित ग्रिड से बिजली मिलना प्रारंभ हो जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) देवास जिले की खातेगांव तहसील के ग्राम चीचली को वर्तमान में लगभग 13 कि.मी. दूर ग्राम कोलारी में विद्यमान 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र से निर्गमित 11 के.व्ही. बिजलगांव घरेलू फीडर से, प्राकृतिक आपदा/तकनीकी कारणों से आए आकस्मिक अवरोधों एवं संधारण कार्य आवश्यक होने जैसी अपरिहार्य स्थिति को छोड़कर 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। उक्त फीडर पर विगत 6 माह में, अधिकतम भार 25 एम्पीयर दर्ज हुआ है तथा उक्त फीडर के अंतिम छोर पर वोल्टेज रेग्यूलेशन 4.59 प्रतिशत है, जो कि निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप है। वर्तमान में ग्राम चीचली में वोल्टेज की समस्या नहीं है। (ख) ग्राम चीचली से 2 कि.मी. की दूरी पर नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र पीपल्या घाघरिया का निर्माण माह दिसम्बर-2015 में किया गया था तथा इस उपकेन्द्र से ग्राम चीचली तक कोई भी 11 के.व्ही. फीडर विद्यमान नहीं है। तकनीकी आधार पर उक्त उपकेन्द्र से ग्राम चीचली तक किसी नवीन 11 के.व्ही. फीडर के निर्माण की वर्तमान में आवश्यकता नहीं है। तथापि भविष्य में तकनीकी रूप से आवश्यक होने तथा वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर उक्त 11 के.व्ही. फीडर निर्माण का कार्य प्रस्तावित किया जाएगा। (ग) जी नहीं। उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में आवश्यक नहीं होने से ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
निजी कम्पनी द्वारा ठेके पर रखे गये कर्मचारियों की जानकारी
[ऊर्जा]
68. ( क्र. 2416 ) श्री ठाकुरदास नागवंशी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग अन्तर्गत निजी कम्पनी द्वारा सब-स्टेशनों के संचालन/संधारण एवं अन्य कार्यों हेतु कर्मचारियों को एक निश्चित पारिश्रमिक पर रखे जाने का प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो किस कम्पनी के तहत अनुबंध उपरांत इन्हें नियुक्ति प्रदान की गयी हैं व वर्तमान में की जा रही हैं? (ख) कंडिका (क) का उत्तर यदि हाँ, में है तो कर्मचारियों के भर्ती नियम, निर्देश व विभाग द्वारा कम्पनी से किये गये अनुबंध की प्रमाणित प्रति प्रदान की जावे। (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 87 पिपरिया दिनांक 26/4/2017, पत्र क्रमांक 178 दिनांक 03/06/2017 एवं पत्र क्रमांक 260 दिनांक 30/06/2017 के माध्यम से विभाग द्वारा पिपरिया डिवीजन अन्तंर्गत निजी कम्पनी द्वारा पारिश्रमिक पर रखे गये कर्मचारियों के संबंध में जानकारी चाही गयी थी? (घ) यदि हाँ, तो क्या व्यापक स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति में गड़बड़ी की संभावना प्रतीत होने के कारण चाही गयी जानकारी आज दिनांक तक प्रस्तुत नहीं की गयी हैं? जानकारी प्रस्तुत न किये जाने के लिये कौन उत्तरदायी हैं? क्या उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रश्न के परिप्रेक्ष्य में यह उल्लेखनीय है कि म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत सब-स्टेशनों के संचालन/संधारण एवं अन्य कार्यों हेतु बाहृय सेवा प्रदाताओं के माध्यम से लिये जा रहे कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जाती, अपितु उनकी सेवाएं श्रमायुक्त द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक दरों पर बाहृय सेवा प्रदाता के माध्यम से ली जाती है। (ख) उपरोक्त बाहृय स्त्रोत सेवा प्रदाताओं से म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा किये गये अनुबंधों/दिये गये आदेशों की छाया प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। इसके अतिरिक्त उक्त कार्यों हेतु भोपाल एवं ग्वालियर क्षेत्रान्तर्गत महाप्रबंधकों द्वारा दिये गये आदेशों की छायाप्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' एवं 'स' अनुसार है। (ग) जी हाँ। माननीय विधायक महोदय के पत्र क्रमांक 87 दिनांक 26.04.2017 एवं पत्र क्रमांक 178 दिनांक 03.06.2017 प्राप्त हुए थे, जिनमें चाही गई समस्त उपलब्ध जानकारी, उपमहाप्रबंधक पिपरिया द्वारा पत्र क्रमांक 1118 दिनांक 26.05.2017 एवं पत्र क्रमांक 2194 दिनांक 26.06.2017 से माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय को उपलब्ध कराई जा चुकी है। माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय का पत्र क्रमांक 260 दिनांक 30.06.2017 प्राप्त होना नहीं पाया गया। (घ) उत्तरांश (ग) में दर्शाए अनुसार माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा वांछित जानकारी में से समस्त उपलब्ध जानकारी माननीय विधायक महोदय को प्रेषित की जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि म.प्र. मध्य क्षेत्र कंपनी द्वारा बाहृय स्त्रोत कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जाती है तथा कर्मचारी का नियोजन बाहृय स्त्रोत एजेन्सी के द्वारा किया जाता है, अत: इनकी नस्ती वितरण कंपनी में संधारित नहीं होती है। उक्त परिप्रेक्ष्य में माननीय विधायक महोदय को नियुक्ति की नस्तियाँ उपलब्ध कराना संभव नहीं हुआ है, जिसके लिये कोई दोषी नहीं है।
ताप विद्युत गृहों की जानकारी
[ऊर्जा]
69. ( क्र. 2426 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश म.प्र.पा.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहों में वर्ष 2015-16,2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में माह अक्टूबर 2017 तक विद्युत उत्पादन कितना हुआ हैं? ताप विद्युत गृहवार उत्पादन का ब्यौरा वर्षवार, माहवार दें? (ख) प्रदेश की म.प्र.पा.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहों में प्लांट यूटिलाइजेशन फैक्टर/प्लांट लोड फैक्टर अन्य राज्यों की राज्य विद्युत उत्पादन कंपनियों की तुलना में कितना था? तुलनात्मक वर्ष 2015-16,2016-17 एवं चालू वर्ष में माह अक्टूबर 2017 तक का ब्यौरा दें? (ग) क्या म.प्र.पा.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहों में उत्पादन कम होने से राजस्व की क्षति हो रही है? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन-कौन दोषी है तथा दोषियों पर क्या कार्यवाही की जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या प्रदेश की म.प्र.पा.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहों में कोयला संकट हैं? यदि हाँ, तो कोयले की आवश्यकता एवं पूर्ति का वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 में माह अक्टूबर, 2017 तक का ताप विद्युत गृहवार, वर्षवार माहवार ब्यौरा दें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों का वित्तीय वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 (माह अक्टूबर 2017 तक) में विद्युत गृहवार, माहवार एवं वर्षवार विद्युत उत्पादन का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “अ” अनुसार है। (ख) केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार उत्तरांश “क” की अवधि में प्रदेश की म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों का प्लांट यूटिलाईजेशन फैक्टर/प्लांट लोड फैक्टर कुछ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनियों की तुलना में अधिक एवं कुछ से कम था। वित्तीय वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 (माह अक्टूबर 2017 तक) की उक्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “ब” अनुसार है। (ग) ताप विद्युत गृहों में विद्युत उत्पादन कम रहने पर सदैव राजस्व प्रभावित नहीं होता है l यदि इकाई उत्पादन के लिए उपलब्ध है पर विद्युत की मांग के दृष्टिगत उसे बंद किया जाता है अथवा उससे समुचित उत्पादन नहीं लिया जाता है, तो राजस्व की क्षति नहीं होती है l इकाई के तकनीकी कारण अथवा कोयले की कमी इत्यादि से बंद अथवा समुचित उत्पादन नहीं करने की दशा में राजस्व की क्षति होती है। प्रश्नांकित अवधि में म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के कुछ गृह/इकाई तकनीकी कारणों/कोयले की कमी से जब-जब बंद रहे अथवा समुचित उत्पादन नहीं कर सके, तब राजस्व की क्षति हुई। विद्युत उत्पादन में कमी तकनीकी कारणों एवं कोयले की कमी से परिलक्षित हुई अत: किसी पर दोष निश्चित करने या कार्यवाही का प्रश्न नहीं है। (घ) वर्तमान में विगत कुछ माहों से, विशेषत: अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर 2017 में कोयला कंपनियों द्वारा म.प्र.पा.ज.कं.लि. को अनुबंधित मात्रा से कम मात्रा में कोयला प्रदाय किया गया है जिसके कारण कोयले की कमी बनी हुई है। म.प्र.पा.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहों हेतु कोयले की अनुबंधानुसार आवश्यकता एवं पूर्ति का वित्तीय वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 (माह अक्टूबर 2017 तक) का ताप विद्युत गृहवार वर्षवार, माहवार ब्यौरा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।
शिक्षकों को क्रमोन्नति/समयमान का लाभ
[जनजातीय कार्य]
70. ( क्र. 2446 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जनजातीय विकास विभाग द्वारा संचालित प्राथमिक/माध्यमिक/उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ सभी पात्र शिक्षकों को क्रमोन्नति/समयमान का लाभ दिया गया है? यदि नहीं, तो ऐसे कितने शिक्षक हैं जिन्हें पात्रता होने के बाद भी समयमान वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया है? लाभ नहीं दिये जाने के क्या कारण है इसके लिए कौन दोषी है? इन्हें कब तक लाभ दिया जा सकेगा? (ख) क्या इंदौर संभाग के संबंध में उच्च न्यायालय इंदौर द्वारा समयमान/क्रमोन्नति के लाभ दिए जाने के आदेश दिये गये हैं, इसके उपरांत भी ऐसे शिक्षकों को आज दिनांक तक क्रमोन्नति/समयमान का लाभ पात्रता होने के उपरांत भी नहीं दिये जाने के क्या कारण है? न्यायालय द्वारा पारित निर्णय पर विभाग द्वारा कब तक निर्णय लेकर क्रमोन्नति/समयमान पात्र शिक्षकों को स्वीकृत करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) तथ्यात्मक स्थिति यह है कि पात्र शिक्षकों को क्रमोन्नति का लाभ दिया गया है। समयमान वेतनमान योजना विभागीय शिक्षकों में केवल व्याख्याता संवर्ग हेतु शासन आदेश (वित्त विभाग) दिनांक 17.11.2017 से स्वीकृत किया गया है। योजना अंतर्गत पात्र व्याख्याताओं को समयमान वेतनमान का लाभ दिया जायेगा। सहायक शिक्षक/उच्च श्रेणी शिक्षकों को समयमान वेतनमान देने का प्रकरण प्रक्रियाधीन है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। उच्च श्रेणी शिक्षकों, सहायक शिक्षकों को पात्रता अनुसार क्रमोन्नति का लाभ दिया जा रहा है यह सतत् प्रक्रिया है। समयमान वेतनमान के लाभ दिये जाने की स्थिति उत्तरांश ''क'' अनुसार है।
पदोन्नति/समयमान का लाभ
[वित्त]
71. ( क्र. 2447 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वित्त विभाग राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के समान वित्त सेवा के अधिकारियों को भी समयमान/पदोन्नति मिल सके इसके लिए भर्ती नियमों में प्रावधान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों नहीं? (ख) क्या वित्त विभाग द्वारा पदोन्नति/समयमान का लाभ देने के लिए केवल एक केडर की सेवा अवधि कम की गई है? यदि हाँ, तो क्या वित्त सेवा के अन्य केडर को भी इसका लाभ वित्त विभाग द्वारा दिया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) क्या वित्त विभाग के रिक्त उपसंचालक एवं इससे ऊपर के पद की सेवा अवधि की शर्त पूरी न होने के कारण रिक्त पदों की पूर्ति लंबित है? क्या शासन इस सेवा अवधि की शर्त में शिथिलता करने पर विचार करेगा? जिससे लंबे समय से रिक्त पदों की पूर्ति संवर्ग के पात्र अधिकारियों से की जा सके, जिससे शासन के कार्य में भी गतिशीलता बनी रहे?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) इस संबंध में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
अपर कलेक्टर कटनी की शिकायत की जाँच
[सामान्य प्रशासन]
72. ( क्र. 2452 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले में अपर कलेक्टर के पद पर कौन, कब से कार्यरत है? नाम, पद सहित बताएं। क्या उक्त अपर कलेक्टर को भू-अर्जन अधिकारी व्यपवर्तन परियोजना कटनी का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया है? यदि हाँ, तो कब से? (ख) प्रश्नांश (क) के अपर कलेक्टर एवं भू-अर्जन अधिकारी बरगी व्यपवर्तन परियोजना कटनी को पृथक-पृथक विभाग से पृथक-पृथक वाहन आवंटित है? यदि हाँ, तो किस दिनांक से कौन-कौन वाहन आवंटित है? (ग) क्या अपर कलेक्टर कटनी पदस्थापना अवधि से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में कब-कब अवकाश में थी? अवकाश अवधि में वाहन का उपयोग किसके द्वारा किया गया है तथा उक्त अवधि में डीजल पर कितना व्यय किया गया है? (घ) कटनी में पदस्थ उक्त अपर कलेक्टर को उनके सेवाकाल में क्या-क्या दण्ड दिए गए हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) कटनी जिले में वर्तमान में अपर कलेक्टर के पद पर श्रीमती सुनंदा पंचभाई अपर कलेक्टर दिनांक 03.10.2016 से पदस्थ है। श्रीमती पंचभाई अपर कलेक्टर कटनी को कलेक्टर कार्यालय जिला कटनी के आदेश क्रमांक 3365/स्था0शाखा/दिनांक 31.03.2017 के द्वारा भू-अर्जन अधिकारी बरगी व्यपर्वतन परियोजना कटनी का अतिरिक्त प्रभार सौंपे जाने के परिपालन में उनके द्वारा दिनांक 12.04.2017 को उक्त प्रभार ग्रहण किया गया है। (ख) जी हाँ, 1. भू-अर्जन कार्यालय बरगी व्यपवर्तन परियोजना कटनी को आवंटित वाहन बोलेरो एस.एल.ई. वाहन क्रमांक एम.पी.21 टी.ए. 0321 अपर कलेक्टर व भू-अर्जन अधिकारी बरगी व्यपवर्तन कटनी श्रीमती सुनंदा पंचभाई को उनके कार्यभार ग्रहण दिनांक 12.04.2017 से आवंटित है। 2. जिले में पदस्थ अपर कलेक्टर श्रीमती सुनंदा पंचभाई को दिनांक 03.10.2016 से कलेक्टर कार्यालय जिला कटनी द्वारा राजस्व विभाग अंतर्गत वाहन क्रमांक एम.पी. ए.व्ही.02. 4613 बुलेरो जीप दिनांक 16.01.2017 तक आवंटित रही तत्पश्चात उक्त वाहन के स्थानपर वाहन क्रमांक एम.पी.ए.व्ही.02. 6117 बुलेरोजीप दिनांक 17.01.2017 से वर्तमान तक आवंटित है। (ग) श्रीमती सुनंदा पंचभाई अपर कलेक्टर कटनी द्वारा कटनी जिले में पदस्थापना अवधि से वर्तमान अवधि तक दिनांक 27.01.2017 से 07.02.2017 तक कुल 11 दिवसों के अर्जित अवकाश पर थी। श्रीमती सुनंदा पंचभाई, अपर कलेक्टर कटनी के अवकाश अवधि में उपरोक्त वाहनों का किसी भी अधिकारी के द्वारा वाहनों का उपयोग नहीं किया गया है। अतः उक्त अवधि में डीजल व्यय का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। (घ) कटनी में पदस्थ उक्त अपर कलेक्टर को उनके अपर कलेक्टर, कटनी के सेवाकाल में किसी प्रकार का दण्ड अधिरोपित नहीं किया गया है।
अटूट बंधन योजना के अंतर्गत किये गये कार्य
[ऊर्जा]
73. ( क्र. 2464 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला नरसिंहपुर के विधानसभा क्षेत्र गाडरवारा में दिनांक 1.4.15 से 31.10.17 तक पूर्व में संचालित कृषक अनुदान योजना एवं वर्तमान में मुख्य मंत्री स्थाई पम्प कनेक्शन योजना के अन्तर्गत कितने कार्य पूर्ण कर लिये गये? जानकारी उपलब्ध करायें? (ख) उक्त योजना के अंतर्गत किसानों को विद्युत पंप पर लाइन विस्तार एवं ट्रांसफार्मर लगाने हेतु संचालित उक्त योजना में कुछ कमियां होने के कारण किसानों द्वारा ट्रांसफार्मर हेतु राशि जमा करने के उपरांत भी निर्धारित अवधि में कार्य नहीं हो पा रहा है? यदि हाँ, तो क्या विभाग पारदर्शी नीति बनायेगा? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जिला नरसिंहपुर के विधानसभा क्षेत्र गाडरवारा में दिनांक 01.04.2015 से 31.10.2017 तक पूर्व में संचालित कृषक अनुदान योजना एवं वर्तमान में मुख्यमंत्री स्थाई पंप कनेक्शन योजना के अंतर्गत 900 पम्प कनेक्शनों के कार्य पूर्ण कर लिये गये है, जिनका वर्षवार एवं योजनावार विवरण निम्नानुसार है :-
क्रमांक |
वर्ष |
कृषक अनुदान योजना में पूर्ण किए गए कार्य |
मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में पूर्ण किए गए कार्य |
योग |
1 |
2015-16 |
83 |
0 |
83 |
2 |
2016-17 |
31 |
145 |
176 |
3 |
2017-18 |
0 |
641 |
641 |
(ख) पूर्व में संचालित कृषक अनुदान योजनान्तर्गत कृषकों द्वारा अंशराशि जमा करने सहित औपचारिकताएँ पूर्ण करने के पश्चात् 180 दिवस की अधिकतम अवधि के अन्दर अधोसंरचना विस्तार यथा-लाईन विस्तार एवं आवश्यकतानुसार ट्रांसफार्मर लगाने के कार्य किये जाने का प्रावधान था, परन्तु अंश राशि के अलावा अधोसंरचना की लागत 1.50 लाख रूपये से अधिक होने पर इसका वहन भी किसान को करना पड़ता था। मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना में यह सीमा हटाने से अधोसंरचना के कार्य में संभावित वृद्धि के दृष्टिगत इस योजना के अन्तर्गत कार्य पूर्णता की अवधि, आवेदक द्वारा अंशराशि जमा किये जाने की दिनांक से 9 माह निर्धारित थी। तथापि राज्य शासन के आदेश दिनांक 12.09.2017 द्वारा दिनांक 12.09.2017 के पश्चात् प्राप्त होने वाले आवेदनों के लिये निर्धारित अवधि 9 माह से घटाकर 6 माह कर दी गई है। मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना के अंतर्गत उक्तानुसार निर्धारित समयावधि में वरीयता क्रमानुसार लाईन विस्तार एवं आवश्यकतानुसार ट्रांसफार्मर लगाने के कार्य किये जा रहे हैं। उक्त परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन योजनान्तर्गत कार्यों के क्रियान्वयन हेतु पृथक से कोई नीति बनाने/अन्य कोई कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता नहीं है।
आंगनवाड़ी की योजनाएं
[महिला एवं बाल विकास]
74. ( क्र. 2465 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) जिला नरहिसंहपुर में विभाग द्वारा महिला एवं बालकों के कल्याण के लिये कौन-कौन सी योजनायें संचालित की जा रही हैं? इनमें कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया। विधानसभा क्षेत्र गाडरवारा की जनपदवार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र की सभी आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी में वर्तमान में कितने बच्चे दर्ज हैं? इन संचालित आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चों को शासन द्वारा क्या-क्या सुविधायें उपलब्ध कराई जाती है? उक्त क्षेत्र में विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में विगत पाँच वर्षों में कितने बजट की राशि का आवंटन किया गया एवं उस राशि का उपयोग किन-किन कार्यों में किया गया। (ग) विभाग द्वारा विगत पाँच वर्षों में संचालित योजनाओं के तहत जिले में कौन-कौन से वार्षिक, मासिक या साप्ताहिक कार्य आंगनवाड़ी केन्द्रों पर संचालित किये गये? (घ) विगत पाँच वर्षों में उक्त जिले में विशेष पोषण आहार योजना में कितनी राशि का व्यय किया गया वर्षवार जानकारी उपलब्ध करायें। साथ ही विशेष पोषण आहार योजना की मॉनीटरिंग का परीक्षण एवं देयकों का सत्यापन किन-किन अधिकारियों द्वारा किया गया है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) नरसिंहपुर जिले में विभाग अन्तर्गत एकीकृत बाल विकास सेवा में महिला एवं बालकों के कल्याण के लिये वर्तमान में प्रमुख रूप से एकीकृत बाल विकास सेवा योजना संचालित की जा रही है। इसके अन्तर्गत पूरक पोषण आहार योजना, स्वास्थ्य जाँच, शालेय पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण एवं संदर्भ सेवा हितग्राहियों को प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त मंगल दिवस योजना तथा किशोरी शक्ति योजना आदि योजनाएं संचालित है। इन योजनाओं में एकीकृत बाल विकास सेवा नरसिंहपुर द्वारा विधानसभा गाडरवारा की जनपदवार भुगतान की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-01 अनुसार है। जिला नरसिंहपुर में महिला सशक्तिकरण कार्यालय विभाग द्वारा महिलाओं एवं बालकों के कल्याण के लिये लाड़ली लक्ष्मी योजना, उषा किरण योजना, बेटी बचाओ अभियान, लाडो अभियान, स्वागतम लक्ष्मी योजना, समैकित बाल संरक्षण योजना, शौर्य दल, मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम, मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना संचालित की जा रही है। जिसकी विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-01 अनुसार है। (ख) गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र की सभी 281 आंगनवाड़ी एवं 21 मिनी आंगनवाड़ी में 23359 बच्चे दर्ज है। इन संचालित आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ियों केन्द्रों में आने वाले बच्चों को पूरक पोषण आहार, स्वास्थ्य जाँच, संदर्भ सेवा/परामर्श सेवाएं, टीकाकरण, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा एवं अनौपचारिक शिक्षा आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। विगत पाँच वर्ष में आवंटित बजट राशि एवं उपयोग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 अनुसार है। विधानसभा क्षेत्र गाडरवाडा में विगत 05 वर्षों में आवंटित बजट एवं उपयोग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 अनुसार है। (ग) विभाग द्वारा विगत पाँच वर्षों में संचालित योजनाओं के तहत जिले में निम्नानुसार वार्षिक, मासिक या साप्ताहिक कार्य आंगनवाड़ी केन्द्रों में संचालित किये गये -
क्र. |
योजना का नाम |
वार्षिक कार्य |
मासिक कार्य |
साप्ताहिक कार्य |
1 |
एकीकृत बाल विकास सेवा योजना, पूरक पोषण आहार योजना, मंगल दिवस, योजना, अटल बिहारी बाजपेयी एवं पोषण मिशन योजना, सुपोषण अभियान एवं किशोरी शक्ति योजना |
आंगनवाड़ी चलो अभियान, विशेष वज़न अभियान, विशेष पोषण अभियान, विश्व स्तनपान सप्ताह, राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह, किशोरी बालिका सप्ताह |
बाल चौपाल कार्य वज़न लेना, ग्रोथ मॉनिटरिंग |
मंगल दिवस, टीकाकरण एवं स्वास्थ्य जाँच |
(घ) जिले में विशेष पोषण आहार योजना में विगत पाँच वर्षों में वर्षवार व्यय राशि की जानकारी निम्नानुसार है-
क्रमांक |
वर्ष |
व्यय राशि |
1 |
2012-13 |
4,55,41,135 |
2 |
2013-14 |
4,20,91,867 |
3 |
2014-15 |
4,81,12,039 |
4 |
2015-16 |
6,67,40,644 |
5 |
2016-17 |
5,54,32,709 |
विशेष पोषण आहार की मॉनीटरिंग का परीक्षण एवं देयकों का सत्यापन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सेक्टर पर्यवेक्षक, बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी, एकीकृत बाल विकास सेवा के द्वारा किया गया है।
पानी का कटाव रोकने के लिये घाट का निर्माण
[नर्मदा घाटी विकास]
75. ( क्र. 2466 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र स्थित नीलकुंड नर्मदा तट पर पानी का कटाव रोकने के लिये माननीय मुख्यमंत्री द्वारा एक विकसित घाट का निर्माण कराये जाने की घोषणा की गई थी? (ख) क्या प्रश्नांश (क) से संबंधित घोषणा को पूर्ण किया गया है? यदि हाँ, तो उसमें कार्य का स्वरूप, कार्य का नाम एवं स्थान, स्वीकृत राशि, निर्माण एजेंसी का नाम, कार्य प्रारंभ करने की तिथि एवं कार्य के पूर्ण होने की तिथि बतायें?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। नर्मदा तट पर स्थित नीलकुंड घाट का कटाव रोकने के लिये निविदा आमंत्रित की गई है। इसके अंतर्गत घाट का निर्माण कार्य, नर्मदा यात्री निवास का निर्माण कार्य, सुलभ कॉम्पलेक्स का निर्माण, महिलाओं को कपड़े बदलने के लिये कक्ष एवं एक पुलिया का निर्माण सम्मिलित है। स्वीकृत राशि रूपये 23.16 करोड़ है। निर्माण एजेंसी के निर्धारण पश्चात् दो वर्ष में पूर्ण किया जाना लक्षित है।
किसानों के हित की बरबटी सिंचाई योजना की अनदेखी
[नर्मदा घाटी विकास]
76. ( क्र. 2476 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जि. की बरगी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बरबटी उद्वहन सिंचाई योजना को कब स्वीकृति प्रदान की गयी? उक्त योजना की निर्धारित निर्माण अवधि क्या थी? इस सिंचाई योजना से कितने रकबे में सिंचाई होनी है? (ख) उपरोक्त उद्वहन सिंचाई योजना का निर्माण कार्य वर्षों बाद भी प्रारंभ नहीं हो सकने एवं लाभांवित होने वाले किसानों को समय पर सिंचाई का लाभ नहीं प्रदान करने के लिए कौन-कौन से अधिकारी दोषी हैं? शासन दोषी अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) दिनांक 24/05/2013 को। निर्माण अवधि 18 माह वर्षाकाल सहित थी। रूपांकित सिंचाई क्षमता 850 हेक्टेयर है। (ख) पूर्व डिजाइन अनुसार ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य नहीं किया जा सका जिस कारण उसका अनुबंध समाप्त किया गया है। तकनीकी कठिनाई के कारण पूर्व डिजाइन में संशोधन किया जाकर नवीन निविदा बुलाकार कार्य किया जाएगा। तकनीकी कारणों से देरी हुई है अत: किसी के दोषी होने का प्रश्न नहीं है।
प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
77. ( क्र. 2505 ) श्री मानवेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के पत्र क्र. 1100, दिनांक 22.07.2017 की अनुशंसा पर प्रभारी मंत्री छतरपुर के यहां से कर्मचारियों के स्थानांतरण पत्र कलेक्टर छतरपुर को पत्र भेजे गये? यदि हाँ, तो पत्रों की छायाप्रति उपलब्ध कराई जाये। (ख) उपरोक्त स्थानांतरण पत्रों के परिपालन में कितने कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेश जारी किये गये और कितने कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेश जारी नहीं हुए? जानकारी कर्मचारीवार दी जाये। (ग) प्रभारी मंत्री के अनुमोदन स्थानांतरण पत्रों के परिपालन में यदि स्थानांतरण नहीं किये गये तो क्यों नहीं किये गये? स्थानांतरण पत्रों में उल्लेखित कर्मचारियों के स्थानांतरण न करने का कारण सहित जानकारी दी जाये।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। पत्र की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) माननीय प्रभारी मंत्री के पत्र के परिपालन में किसी भी कर्मचारी का स्थानांतरण आदेश जारी नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) माननीय प्रभारी मंत्री महोदय ने नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे। शासन द्वारा दिनांक 19 मई, 2017 को जारी स्थानांतरण नीति अनुसार दिनांक 1 जून, 2017 से 30 जून, 2017 एवं निर्देश दिनांक 29 जून, 2017 अनुसार दिनांक 10 जुलाई, 2017 तक स्थानांतरण पर प्रतिबंध शिथिल किया गया था। नीति की कंडिका 9.3 अनुसार प्रतिबंध अवधि में प्रशासकीय दृष्टि से अत्यन्त आवश्यक न होने से स्थानांतरण नहीं किये गये।
सी.एम. हेल्प लाइन की शिकायतों का निराकरण नहीं करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही
[वित्त]
78. ( क्र. 2539 ) एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या संचालनालय कोष एवं लेखा म.प्र. भोपाल ने अपने पत्र क्र. स्था./वि.क./2012/ 3327/19-11-2012 को अपने कार्यालय से जारी किया है? यदि हाँ, तो उक्त पत्र के संबंध में अब तक क्या कार्यवाही हुई है? कार्यवाही से अवगत कराया जावे। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित पत्र क्रमांक के संबंध में की गई जाँच रिपोर्ट को शिकायतकर्ता श्री मुन्ना लाल बंसल से नि.प्र.अ. विजयपुर जिला श्योपुर को अब तक क्यों उपलब्ध नहीं कराई गई? (ग) क्या C.M. हेल्पलाइन 3185877/13-1-2017 प्रचलन में है? 10 माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी शिकायत को L1 से L2 तथा L2 से L1 में ही घुमाया जा रहा है? L3 तक आज तक नहीं पहुँचाया गया है, यदि हाँ, तो ऐसा क्यों? (घ) क्या शासन शिकायत का अवलोकन कर प्रश्नांश (ग) में वर्णित C.M. हेल्पलाइन 3185877 को L3 तक नहीं पहुँचाने वाले L1 व L2 अधिकारी के प्रति कोई कार्यवाही करेगा तथा उपरोक्त शिकायत को कब तक L3 तक पहुँचा दिया जावेगा एवं संबंधित शिकायतकर्ता को कब तक जाँच रिपोर्ट उपलब्ध कराई जा सकेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी नहीं। प्रश्नांश "क" में उल्लेखित पत्र क्रमांक 3327 दिनांक 19/11/2012 को जारी नहीं किया गया है बल्कि उक्त पत्र दिनांक 16/11/2012 को जारी किया गया है। उक्त पत्र स्पीड पोस्ट द्वारा दिनांक 19/11/2012 को संबंधित शिकायतकर्ता को भेजा तथा शिकायत के संबंध में मय दस्तावेज सहित दिनांक 26/11/2012 को संचालनालय में अपना पक्ष रखने हेतु आहूत किया गया वे उपस्थित नहीं हुये। (ख) माननीय मुख्यमंत्री जी को संबोधित शिकायतकर्ता के पत्र के क्रम में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा पृष्ठांकित पत्र दिनांक 08/06/2012 के अनुक्रम में श्री बंसल को वित्त विभाग के पत्र दिनांक 05/10/2012 के द्वारा जाँच प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध कराते हुए प्रतिवेदन पर टिप्पणी शीध्र भेजने हेतु लिखा गया था संबंधित शिकायतकर्ता द्वारा प्रमुख सचिव, वित्त विभाग को अपने पत्र दिनांक 01/11/2012 के द्वारा उत्तरों को क्रॉस करने की मांग की गई जिस पर कार्यवाही करते हुए संचालनालय के पत्र क्रमांक 3380 दिनांक 06/12/2012 द्वारा संबंधित को अपना पक्ष रखने हेतु दिनांक 19/12/2012 को 11:30 बजे संचालनालय, कोष एवं लेखा में बुलाया गया किन्तु संबंधित नियत दिनांक पर उपस्थित नहीं हुए। (ग) सी.एम. हेल्पलाइन 3185877 दिनांक 13/01/2017 एल-1 लेवल पर प्रचलित है। उचित स्तर पर शिकायत न करने के कारण उक्त स्थिति निर्मित हुई है। सी.एम.हेल्पलाइन में दर्ज शिकायत में "संचालनालय के पत्र क्रमांक 3380 के द्वारा पत्र शिकायतकर्ता को नहीं दिया गया बल्कि जावक नंबर डालकर पत्र अपने पास रख लिया लेकिन इस संदर्भ में आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई" उल्लेख किया गया है। संचालनालय, कोष एवं लेखा द्वारा पत्र क्रमांक 3380 को स्पीड पोस्ट के माध्यम से दिनांक 06/12/2012 को श्री मुन्नालाल बंसल, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, गांधी बाजार विजयपुर, जिला- श्योपुर के पते पर भेजा गया है। (घ) उत्तरांश (ग) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जाँच
की अंतिम तथ्यात्मक
रिपोर्ट
उपलब्ध
करायी जाना
[वित्त]
79. ( क्र. 2541 ) एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या संचालनालय कोष एवं लेखा भोपाल के पत्र क्रमांक स्था/वि.क./111/2014/1377 भोपाल दिनांक 27.12.2014 जिसका विषय था ''शिकायत श्री श्यामलाल व्यास, सहा. संचालक कोष एवं लेखा ग्वालियर एवं श्री ओ.पी. श्रीवास्तव उक्त पत्र के संबंध में अंतिम तथ्यात्मक जाँच रिपोर्ट जो की गई एवं संचालनालय कोष एवं लेखा के अधिकारी द्वारा जो अंतिम निर्णय/निष्कर्ष निकाला गया उस जाँच रिपोर्ट की प्रतियां शिकायतकर्ता श्री मुन्नालाल बंसल गांधी बाजार विजयपुर जिला श्योपुर को आज तक नहीं दी गई है? जबकि श्री बंसल ने विभाग में आर.टी.आई. एवं सी.एम. हेल्पलाइन द्वारा कई बार निवेदन किया है? यदि हाँ, तो ऐसा क्यों? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित पत्र के संबंध में शिकायत कोष एवं लेखा अधिकारी के भ्रष्टाचार से संबंधित थी इसलिये वित्त विभाग के अधिकारियों ने प्रकरण को उजागर न हो सके, प्रकरण को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है? यदि नहीं, तो जाँच रिपोर्ट को कब तक श्री बंसल (शिकायतकर्ता) को उपलब्ध करा दी जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) संचालनालय, कोष एवं लेखा भोपाल के पत्र क्रं.111/2014/1377, दिनांक 27.12.2014 से संबंधित तथ्यात्मक रिपोर्ट तत्समय ही संचालनालय, कोष एवं लेखा भोपाल द्वारा श्रीमुन्नालाल बसंल, गांधी बाजार विजयपुर जिला श्योपुर को उपलब्ध कराई गई है। पत्र की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया
[सामान्य प्रशासन]
80. ( क्र. 2553 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को जाति प्रमाण-पत्र बनाने की क्या प्रक्रिया है? (ख) इन्हें जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिये साक्ष्य के लिये कितने वर्षों का प्रमाणीकरण लगाना अनिवार्य है। जिन छात्रों के पास प्रमाणीकरण नहीं है, उनके प्रमाण पत्र बनाने के लिये क्या नियम-प्रक्रिया है? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
मण्डला जिले में अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक स्कूलों का उन्नयन
[जनजातीय कार्य]
81. ( क्र. 2577 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिलें के समस्त विकासखण्डों में जनजाति विद्यार्थीयों के लिये अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के लिये अंग्रेजी प्रायमरी स्कूल प्रारंभ किये गये थे जो निरंतर चल रहे हैं परंतु पाँचवी पास करने के बाद आगे की कक्षाओं के पढ़ाई के लिये उक्त संस्थाओं का उन्नयन नहीं किया गया है? जिससें इन सभी विकासखण्डों के बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिये कठिनाई हो रही है? (ख) क्या अविलंब अंग्रेजी माध्यम के प्राईमरी स्कूलों का अंग्रेजी माध्यमिक स्कूल में उन्नयन किया जायेगा जिससे बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। मण्डला जिले में 09 अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक शाला संचालित है। जिसमें 02 प्राथमिक शाला मंडला एवं घुघरी का माध्यमिक शालाओं में उन्नयन किया गया है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के उत्तर के प्रकाश में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित वर्ष 2011 बैच के डिप्टी कलेक्टर्स
[सामान्य प्रशासन]
82. ( क्र. 2584 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा दिनांक 28.10.2010 को घोषित अंतिम परिणामों की उत्तर पुस्तिकाएं नियमानुसार दो वर्षों में नष्ट की जानी चाहिए थी? क्योंकि दिनांक 27.09.2011 तथा 19.10.2011 को लिये गये निर्णय प्रोस्पेक्टिव थे न कि रेट्रोस्पेक्टिव? क्या यह विषयांकित डिप्टी कलेक्टर्स की उत्तर पुस्तिकाए नियम विरूद्ध एक वर्ष एक माह में ही दिनांक 16.12.2011 को ही नष्ट कर दी गयी? यदि हाँ, तो क्या शासन नियम विरूद्ध की गयी इस कार्यवाही की जाँच कराएगा? (ख) क्या दिनांक 28.10.2010 की स्थिति में सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री वर्तमान मुख्यमंत्री जी ही थे? यह सही है कि 2011 बैच में चयनित डिप्टी कलेक्टर रितु चौहान मुख्यमंत्री जी की भांजी हैं? (ग) यदि हाँ, तो मुख्यमंत्री जी के सामान्य प्रशासन मंत्री रहते हुए म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा उनकी भांजी की उत्तर पुस्तिकाएं नियम विरूद्ध समय से पूर्व नष्ट कर देना पद के दुरुपयोग की श्रेणी में नहीं आता हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग कार्य मार्गदर्शिका वर्ष 1999 के अनुसार परीक्षा संबंधी अभिलेख 02 वर्ष की अवधि पश्चात विनिष्टीकरण करने का नियम लागू था। तत्पश्चात आयोग के निर्णय दिनांक 27/09/2011 द्वारा उक्त नियम में संशोधन कर विनिष्टीकरण की अवधि 01 वर्ष कर दी गई थी। इसके उपरांत आयोग के निर्णय दिनांक 19/10/2011 द्वारा परीक्षा संबंधी अभिलेख विनिष्टीकरण की अवधि 03 माह कर दी गयी। आयोग द्वारा दिनांक 28/10/2010 को घोषित अंतिम परिणाम दिनांक 16/12/2011 को 01 वर्ष 01 माह की अवधि पश्चात विनिष्ट किया गया। अत: आयोग के निर्णय दिनांक 19/10/2011 अनुसार नियमानुसार ही कार्यवाही की गई है। इस कारण जाँच की कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। ऐसा कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। (ग) उत्तरांश ''क'' एवं ''ख'' के प्रकाश में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के वेतन तथा आंगनवाडियों के मेन्टेनेन्स की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
83. ( क्र. 2585 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सहायिकाओं को कितना वेतन दिया जा रहा है? इस वेतन में केन्द्र तथा राज्य की हिस्सेदारी बताएं? वेतन में केन्द्र तथा राज्य सरकारों के अंश के क्या नियम हैं? (ख) क्या शासन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सहायिकाओं के वेतन में वृद्धि पर विचार कर रहा है? (ग) आंगनवाड़ी भवनों के मेन्टेनेन्स, बैठने की दरी, फर्नीचर, बर्तन इत्यादि पर विगत 5 वर्षों में कितना बजट दिया गया है वर्षवार जानकारी दें? (घ) क्या प्रश्नांश (ख) में वर्णित सामग्री हेतु तथा भवन के मेन्टेनेन्स हेतु शासन बजट उपलब्ध करायेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) भारत सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं आंगनवाड़ी सहायिकाओं के पद को मानसेवी श्रेणी में रखा गया है, अतः आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं आंगनवाड़ी सहायिकाओं को मानदेय दिया जाता है। मानदेय में केन्द्र तथा राज्य की हिस्सेदारी की जानकारी निम्नानुसार है:-
विवरण |
मानदेय केन्द्र सरकार द्वारा देय |
राज्य सरकार द्वारा देय अतिरिक्त मानदेय शत्-प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। |
कुल मानदेय एवं अतिरिक्त मानदेय की राशि (2+5) |
||
कुल मानदेय |
केन्द्र का 60 प्रतिशत |
राज्य का 40 प्रतिशत |
|||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
आंगनवाड़ी कार्यकता |
राशि रु.3000/- प्रतिमाह |
राशि रु.1800/- प्रतिमाह |
राशि रु.1200/- प्रतिमाह |
राशि रु.2000/- प्रतिमाह |
राशि रु.5000/- प्रतिमाह |
आंगनवाड़ी |
राशि रु.1500/- प्रतिमाह |
राशि रु.900/- प्रतिमाह |
राशि रु.600/- प्रतिमाह |
राशि रु.1000/- प्रतिमाह |
राशि रु.2500/- प्रतिमाह |
भारत सरकार द्वारा देय में मानदेय में केन्द्र सरकार का 60 प्रतिशत एवं राज्य सरकार का 40 प्रतिशत अंशदान होता है। राज्य सरकार द्वारा देय अतिरिक्त मानदेय शत्-प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। (ख) भारत सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद को मानसेवी श्रेणी में रखा गया है। मानदेय बढ़ाने का निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया जाता है। राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त मानदेय बढ़ोतरी किए जाने पर विचार किया जा रहा है व यह निर्णय नीतिगत होने के कारण समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ग) आई.सी.डी.एस.योजना भारत सरकार के निर्धारित मापदण्ड अनुसार संचालित होती है। प्रतिवर्ष स्वीकृत ए.पी.आई.पी. अनुसार ही राशि का उपयोग सुनिश्चित किया जाता है। अतः आई.सी.डी.एस. योजना अन्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त स्वीकृति के आधार पर आंगनवाड़ी भवनों के मेन्टेनेन्स, बैठने की दरी, फर्नीचर, बर्तन इत्यादि पर विगत 5 वर्षों में दिए गए बजट की जानकारी का वर्षवार निम्नानुसार है-
क्र. |
विवरण |
वर्ष |
राशि (लाख में) |
1 |
मेन्टनेन्स, बैठने की दरी, फर्नीचर, बर्तन इत्यादि हेतु |
2012-13 |
425.09 |
2 |
मेन्टनेन्स, बैठने की दरी, फर्नीचर, बर्तन इत्यादि हेतु |
2013-14 |
258.67 |
3 |
मेन्टनेन्स, बैठने की दरी, फर्नीचर, बर्तन इत्यादि हेतु |
2014-15 |
1648.94 |
4 |
मेन्टनेन्स, बैठने की दरी, फर्नीचर,बर्तन इत्यादि हेतु |
2015-16 |
799.41 |
5 |
मेन्टनेन्स, बैठने की दरी, फर्नीचर, बर्तन इत्यादि हेतु |
2016-17 |
231.32 |
(घ) प्रश्नांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में जानकारी निरंक है। प्रश्नांश ''ग'' के परिप्रेक्ष्य में लेख है कि आई.सी.डी.एस. योजना भारत सरकार के निर्धारित मापदण्ड अनुसार संचालित होती है। प्रतिवर्ष स्वीकृत ए.पी.आई.पी. अनुसार ही राशि का उपयोग सुनिश्चित किया जाता है। अतः राशि उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं हे।
सूखे से पीड़ित ग्वालियर जिले में बिजली बिल माफ कर निःशुल्क बिजली उपलब्ध कराना
[ऊर्जा]
84. ( क्र. 2590 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. में वर्षा की सामान्य स्थिति होते हुये भी वर्ष 1993 से 2003 तक किसानों को फसलों की सिचाई हेतु लगातार 10 वर्षों तक निःशुल्क बिजली उपलब्ध कराई गई थी? (ख) क्या उसी तर्ज पर ग्वालियर जिले में जहाँ भयंकर सूखा पड़ा हुआ है नलकूप-कुएं ज्यादातर सूख गये हैं या बहुत थोड़ा बहुत पानी है जो भी जनवरी-फरवरी तक लगभग पूरी तरह सूख जावेगा? क्या म.प्र. सरकार बिजली विभाग ऐसे भीषण संकट की घड़ी में ग्वालियर जिले में सूखे से गुजर रहे किसानों के पिछले बकाया बिल माफ करेगा? क्या अन्य आगामी खरीफ की फसल सही सलामत आने तक (दिसम्बर 2018 तक) किसानों के बिजली निःशुल्कर की माँग को पूरा करेगा? यदि हाँ, तो कब तक आदेश जारी कर दिये जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, दिनांक 16.02.1994 से 31.12.2003 तक 5 अश्वशक्ति तक के सभी श्रेणी के स्थाई पम्प कनेक्शनों वाले किसानों को फसलों की सिंचाई हेतु नि:शुल्क विद्युत प्रदाय उपलब्ध रहा। (ख) वर्तमान में राज्य शासन द्वारा 1 हेक्टेयर तक भूमि वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 5 हार्सपावर तक के स्थायी कृषि पंप कनेक्शन उपभोक्ताओं को निःशुल्क विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। अन्य स्थायी कृषि पंप कनेक्शन उपभोक्ताओं को फ्लेट रेट पर मात्र रूपये 1400/- प्रति हार्सपावर प्रतिवर्ष की दर से विद्युत उपलब्ध कराई जा रही है, जो कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दर का लगभग मात्र पाँचवा हिस्सा है। उक्त के एवज में राज्य शासन द्वारा सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य शासन द्वारा टैरिफ सब्सिडी मद में रूपये 9541 करोड़ की राशि बजट में प्रावधानित की गयी है। इस तरह राज्य शासन द्वारा किसानों को काफी कम दर पर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि प्रदेश में सूखे की स्थिति के दृष्टिगत कृषकों को सिंचाई कार्य हेतु अस्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन उपलब्ध कराए जाने के लिये वर्तमान में लागू 3 माह की अग्रिम राशि जमा करने की बाध्यता को शिथिल करते हुए वर्ष 2017-18 में 2 माह तक के कनेक्शन के लिए 2 माह की अग्रिम राशि जमा कराए जाने के निर्देश राज्य शासन द्वारा दिनांक 03.11.2017 को जारी किये गये हैं।
छात्रावास भवनों की उपलब्धता
[जनजातीय कार्य]
85. ( क्र. 2599 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में कुल कितने छात्रावास संचालित हैं? इनमें से कितने के भवन निर्मित हैं एवं कितने किराये के भवन में संचालित हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में सुसनेर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत संचालित छात्रावास के संबंध में पूर्ण विवरणात्मक जानकारी देवें? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रतिवर्ष किराये के रूप में शासन की कितनी राशि का व्यय होता हैं? यदि भवनविहीन छात्रावासों के भवन निर्मित कर दिये जावें तो कितना वित्तीय भार आवेगा? (घ) भवनविहीन छात्रावासों को भवन उपलब्धता हेतु शासन की क्या योजना हैं? सुसनेर विधानसभा क्षेत्र के संबंध में सूची सहित पूर्ण जानकारी देवें? भवन स्वीकृति हेतु प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं यदि हाँ, तो कब तक स्वीकृति होगी? छात्रावासवार पूर्ण जानकारी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रदेश में कुल 1546 छात्रावास संचालित हैं। इनमें से 1432 के भवन निर्मित हैं तथा 63 किराये के भवनों में संचालित हैं। (ख) प्रश्नांश ''क'' के सन्दर्भ में सुसनेर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनजातीय छात्रावास संचालित नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश ''क'' के सन्दर्भ में प्रतिवर्ष किराये के रूप में शासन की राशि रू. 283.00 लाख का व्यय होता है। यदि भवनविहीन छात्रावासों के भवन निर्मित कर दिये जायें तो राशि रू. 197.00 करोड़ का वित्तीय भार आवेगा। (घ) आगामी तीन वर्षों में सभी छात्रावासों के भवन निर्माण किये जाने की योजना है। सुसनेर विधानसभा क्षेत्र के संबंध में जानकारी निरंक होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मुख्यमंत्री अनुदान योजनान्तर्गत स्थाई पम्प कनेक्शन
[ऊर्जा]
86. ( क्र. 2600 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सुसनेर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के जारी होने की दिनांक 06.09.2016 से इस योजनांतर्गत कितने आवेदन प्राप्त हुए हैं? वितरण केन्द्रवार सूची उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित आवेदनों में से किन-किन को योजनान्तर्गत कनेक्शन स्वीकृत किये गये हैं? क्या संबंधित उपभोक्ता को विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने हेतु कोई समय-सीमा नियत हैं? यदि हाँ, तो क्या? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित स्वीकृत आवेदकों को विद्युत उपलब्धता की क्या स्थिति है? कितने ट्रान्सफार्मर लगाये जाकर उपभोक्ताओं को विद्युत प्रदाय किया जा रहा है? उपभोक्तावार पूर्ण जानकारी देवें? क्या नियत समय-सीमा में विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित की गई? यदि नहीं, तो क्या कार्यवाही की गई? (घ) अस्वीकृत आवेदनों को किस आधार पर अस्वीकृत किए गए हैं? आवेदनवार पूर्ण जानकारी देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सुसनेर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के जारी होने की दिनांक 06.09.2016 से इस योजनांतर्गत कुल 552 आवेदन प्राप्त हुए है जिनकी वितरण केन्द्रवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित प्राप्त आवेदनों में से 533 आवेदकों के आवेदन स्वीकृत किये गये है। शेष 19 आवेदनों में से 16 आवेदन प्राक्कलन की राशि रु. 2.50 लाख से अधिक होने से स्वीकृति हेतु प्रक्रियाधीन है तथा 3 आवेदन निरस्त किये गये है। निरस्त किये गये 3 आवेदनों में से 2 आवेदनों में आवेदक द्वारा राशि जमा नहीं की गई है एवं 1 आवेदन में मृत व्यक्ति के नाम से आवेदन प्राप्त हुआ है। प्रश्नाधीन जिन आवेदकों को योजनान्तर्गत कनेक्शन स्वीकृत किये गये है उनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। जी हाँ, उक्त योजना के अंतर्गत दिनांक 12/09/2017 के पहले प्राप्त आवेदनों में विद्युत उपलब्ध कराने हेतु 9 माह की समय-सीमा निर्धारित की गई थी, जिसे राज्य शासन के आदेश क्रमांक 5871/2017/तेरह, दिनांक 12/09/2017 के अनुसार दिनांक 12/09/2017 के पश्चात् के आवेदनों हेतु 6 माह कर दिया गया है। (ग) उत्तरांश (ख) में उल्लेखित स्वीकृत 533 आवेदनों के विरूद्ध 225 आवेदकों के स्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन के कार्य पूर्ण कर विद्युत प्रदाय उपलब्ध करा दिया गया है। उक्त में से 214 आवेदकों को निर्धारित समय-सीमा में एवं 11 आवेदकों को निर्धारित समय-सीमा के पश्चात् आवश्यकतानुसार 216 वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित कर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। इन उपभोक्ताओं की उपभोक्तावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। निर्धारित समय-सीमा के बाद कार्य पूर्णता वाले 11 प्रकरणों में वर्षाकाल में पहुँच मार्ग बाधित होने/खेत में फसल खड़ी होने के कारण कार्य समय-सीमा में नहीं किए जा सके, अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। शेष 308 स्वीकृत आवेदनों में से 238 आवेदन निर्धारित समयावधि के अंदर के है तथा 70 आवेदनों में निर्धारित समयावधि समाप्त हो चुकी है, किंतु इन 70 प्रकरणों में वर्षाकाल में मार्ग बाधित होने/खेत में फसल खड़ी होने के कारण विलंब हुआ है, अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। तथापि प्रश्नाधीन 16 आवेदनों में स्वीकृति में विलंब के लिये जिम्मेदार अधिकारियों को मुख्य अभियंता (उ.क्षे.) उज्जैन द्वारा कारण बताओ सूचना-पत्र जारी किये गये है। (घ) 3 अस्वीकृत आवेदनों में से 2 आवेदनों में आवेदक द्वारा राशि जमा नहीं करने के कारण एवं 1 आवेदन में मृत व्यक्ति के नाम से आवेदन किये जाने के कारण उसका आवेदन निरस्त किया गया है। उक्त अस्वीकृत आवेदनों की आवेदनवार पूर्ण जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' के सरल क्रमांक 107, 368 एवं 369 अनुसार है।
विभागीय छात्रावास, आश्रमों की स्वीकृति
[जनजातीय कार्य]
87. ( क्र. 2607 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र बिजावर में सम्मिलित राजनगर विकासखंड की अलग–अलग पंचायतों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की कितनी आबादी निवासरत है? पंचायतों में सम्मिलित गाँव, मजरा, टोला की अलग–अलग जानकारी प्रदाय करें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थी हेतु कितने छात्रावास/आश्रम कहाँ स्थित पर हैं? कौन– कौनसे गाँव के बच्चे पढ़ते हैं? गाँव से कितनी दूरी है? कितनी छात्र संख्या है? (ग) नवीन छात्रावास या आश्रम खोलने हेतु क्या–क्या नियम या निर्देश हैं? विधानसभा क्षेत्र बिजावर की ग्राम पंचायत सलैया में नवीन छात्रावास या आश्रम खोले जाने हेतु सभी औपचारिकतायें पूर्ण होती हैं तो क्या यहाँ नवीन छात्रावास या आश्रम खोला जा सकता है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों हेतु राजनगर विकासखण्ड में कोई छात्रावास/आश्रम संचालित नहीं हैं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। निर्देशों के अनुरूप सलैया ग्राम पंचायत स्तर पर छात्रावास/आश्रम खोले जाने की अर्हता नहीं बनती है।
वन अधिकार पट्टों की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
88. ( क्र. 2612 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टिमरनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विगत 5 वर्षों में कितने आवेदन दावे आपत्ति/नामतंरण/बंटवारा/आदि हेतु जिलाधीश के पास प्राप्त हुये हैं? प्राप्त आवेदनों पर जिलाधीश महो. द्वारा क्या निर्णय लिये गये? हितग्राहीवार सूची उपलब्ध करावें। (ख) पूर्व में दिये गये वन अधिकार पत्र में भूमि का रकवा कम है, मौका स्थल पर भूमि का रकवा अधिक है। यदि हाँ, तो विभाग द्वारा पुन: सर्वे करावाया जाकर त्रुटि को सुधारा जायेगा? यदि हाँ, तो कब? (ग) पट्टेधारियों की अविवादित परिवारिक बंटवारे के लिए कितने हितग्राहियों द्वारा आवेदन किया गया है? क्या इनका बंटवारा शीघ्र करा लेंगे? (घ) हरदा जिले में विगत 5 वर्षों में विभाग एवं वनग्राम समिति द्वारा मजूदरों से क्या-क्या कार्य करवाये गये हैं? कराये गये कार्यों का भुगतान कितना-कितना किस-किस मजदूर को दिया गया? यदि नहीं, तो विलम्ब होने के कारण स्पष्ट करते हुए कब तक भुगतान कराया दिया जयेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्नांश अन्तर्गत विगत 5 वर्षों में वन अधिकार पत्रधारक हितग्राहियों से दावे आपत्ति/नामांतरण/बंटवारा संबंधी आवेदन जिलाधीश को प्राप्त नहीं हुये हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) वन अधिकार पत्र धारकों के हक प्रमाण पत्रों में अंकित रकवा कम होने संबंधी कोई आवेदन पत्र प्राप्त न होने से पुनः सर्वे कराने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (ग) वन अधिकार पत्र धारकों का अविवादित बंटवारा के लिये कोई आवेदन प्राप्त नहीं होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) हरदा जिले में विगत 5 वर्षों में वन विभाग एवं वनग्राम समिति द्वारा मजदूरों से कूपों एवं वृक्षारोपण क्षेत्रों की सुरक्षा वनों में अग्नि सुरक्षा वनमार्ग मरम्मत, विभागीय भवन निर्माण वन समितियों के आस्था मूलक कार्य, लेन्टाना उन्मूलन, कूपों में बीज बुआई सुरक्षा हेतु सी.पी.टी. एवं बागड़ निर्माण रोपण हेतु गड्ढा खुदाई रोपड़ निदाई भू-जल संरक्षण कार्य नर्सरी निर्माण, बांस विदोहन, काष्टगारों में थप्पी लगाई आदि कार्य करवाये गये हैं। उपरोक्त कार्य विभाग एवं वन समितियों के माध्यम से कई हजार मजदूरों से सम्पन्न कराये गये हैं। मजदूरों को किये गये भुगतान की मजदूरवार जानकारी संकलित की जा रही है। वर्तमान में चल रहे वानिकी कार्यों को छोड़कर पूर्व के सभी कार्यों का भुगतान संबंधित मजदूर को करा दिया गया है।
विशेष पिछड़ी जनजातिओं को शासकीय सेवा में नौकरी
[सामान्य प्रशासन]
89. ( क्र. 2622 ) श्री संजय उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विशेष पिछड़ी जनजाति को शासकीय सेवा में नौकरी हेतु तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पद पर न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता रखने पर बिना भर्ती प्रक्रिया के सीधे नियुक्ति देने के आदेश पूर्व में थे? (ख) यदि हाँ, तो उक्त आदेश/निर्देश/नियम में कब-कब, क्या-क्या संशोधन किया गया? आदेश की प्रति सहित जानकारी देवें। संशोधन करने का आशय बतावें? (ग) क्या शासन/विभाग आर्थिक/शैक्षणिक रूप से पिछड़े इन वर्गों को संविदा शिक्षक वर्ग/अध्यापक संवर्ग में भर्ती हेतु बी.एड. एवं डी.एड. उत्तीर्ण की अनिवार्यता में छूट प्रदान करते हुये नौकरी के दौरान बी.एड., डी.एड. शासन के खर्चे पर कराने का विचार करेगी? (घ) शासन/विभाग द्वारा किये गये संशोधन को निरस्त करते हुये पिछड़े जनजाति को विकास की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) दिनांक 11 जनवरी, 2010 को नवगठित जिले अशोकनगर एवं अनूपपुर को शामिल किया गया तथा दिनांक 02 अगस्त, 2014 को वनरक्षक (कार्यपालक) को भी सम्मिलित किया गया। अधिसूचनाओं की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' पर है। (ग) ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। (घ) विशेष पिछड़ी जनजाति के उम्मीदवारों को शासकीय सेवा में लाने के उद्देश्य से नियमों में संशोधन किये गए हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विभाग में कार्यरत उपयंत्रियों की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
90. ( क्र. 2623 ) श्री संजय उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग भोपाल को सहायक आयुक्त (ज.जा.का.वि.) बालाघाट कार्यालय में पदस्थ उपयंत्री (दै.वे.भो.) श्री कुलदीप सिन्हा को नियमित किये जाने बाबत् पत्र प्राप्त हुआ था? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? नियमितीकरण किन कारणों से नहीं किया जा सका? बतावें। नियमितीकरण की कार्यवाही कब तक पूर्ण की जावेगी? बतावें। (ग) विभागीय जिला कार्यालयों में पदस्थ किन-किन उपयंत्रियों को कब-कब नियमित किया गया? आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (घ) दैनिक वेतन भोगी उपयंत्री से नियमित किये गये उपयंत्रियों के प्रथम नियुक्ति आदेश की प्रति (दै.वे.भो. पद की), किस ब्रांच (विषय) का डिप्लोमा उपयंत्रियों द्वारा लगाया गया, उसकी प्रमाणित प्रति उपलब्ध करावें एवं किन-किन उपयंत्रियों (दैनिक वेतन भोगी) को किन-किन कारणों से नियमित नहीं किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) श्री कुलदीप सिन्हा का आवेदन पत्र दिनांक 21/12/2012 प्राप्त हुआ था। अभ्यावेदन के परीक्षण उपरान्त सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 5-3/6/1 दिनांक 16/05/2007 की कंडिका क्रमांक 4.1 एवं 4.2 के अनुसार श्री कुलदीप सिन्हा की नियुक्ति अवैधानिक एवं नियमों के विपरीत पायी जाने से कंडिका 5.4 के अनुसार अवैधानिक नियुक्ति होने से श्री कुलदीप सिन्हा दैनिक वेतनभोगी उपयंत्री का अभ्यावेदन विचरोपरान्त अमान्य किया गया है। (ग) उपयंत्रियों के नियमितीकरण के आदेशों की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (घ) दैनिक वेतनभोगी (उपयंत्री) के पद पर प्रथम नियुक्ति आदेशों की प्रतियां तथा उपयंत्रियों के ब्रांच (विषय) डिप्लोमा की प्रमाणित प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। श्री कुलदीप सिन्हा का आवेदन पत्र दिनांक 21/12/2012 प्राप्त हुआ था जिस पर उत्तरांश ''ख'' अनुसार कार्यवाही की गई है।
कर्मचारियों को समयमान वेतनमान
[वित्त]
91. ( क्र. 2626 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र.शासन वित्त विभाग के आदेश हैं कि लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की 10 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर प्रथम समयमान वेतनमान एवं 20 वर्ष पूर्ण होने पर द्वितीय समयमान वेतनमान तथा 30 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर तीसरा समयमान वेतनमान दिया जावेगा? यदि हाँ, तो इस आदेश की प्रति देवें। (ख) क्या किसी लिपिक संवर्ग की प्रथम क्रमोन्नति 19/12/2005 के बाद 16 वर्ष पश्चात हुई हो एवं 25 वर्ष से अधिक सेवा हो जाने पर सहायक ग्रेड-3 से सहायक ग्रेड-2 पर पदोन्नति हुई हो तो क्या ऐसे कर्मचारी को 10 वर्ष या 20 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर समयमान वेतनमान की पात्रता है? (ग) क्या वर्तमान में वेतनमान 3050-4590 प्राप्त कर रहे लिपिक की प्रथम क्रमोन्नति, वेतनमान 3500-5200 में होना चाहिए या 4000-6000 के वेतनमान पर होना चाहिए? स्पष्ट करें। (घ) यदि प्रश्नांश (ग) अनुसार निचले वेतनमान पर क्रमोन्नति दी गई है, तो क्या ऐसे लिपिक को रूपये 4000-6000 का वेतनमान प्राप्त करने की पात्रता है या नहीं? विवरण सहित बताएं?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ख) उपर्युक्त (क) के साथ संलग्न आदेशों अनुसार अर्हतायें पूर्ण करने पर पात्रता होगी। (ग) 3050-4590 वेतनमान प्राप्त कर रहे लिपिक को प्रथम क्रमोन्नति 3500- 5200 पर होती है। (घ) जी हाँ। क्रमोन्नति योजना के स्थान पर दिनांक 1-4-2006 से लागू समयमान वेतनमान में 4000-6000 की पात्रता आयेगी।
झूठी प्राप्त शिकायतों पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
92. ( क्र. 2627 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर परिषद् लखनादौन के आम चुनाव 2017 में प्राप्त शिकायत के आधार पर श्री योगेन्द्र ढिमोले, सहायक राजस्व निरीक्षक नगर परिषद् लखनादौन, श्री रमेश यादव सहायक ग्रेड-3 एवं श्री सुशील अग्रवाल, भृत्य हाई स्कूल आदेगाँव के आधार पर कार्यालय कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी, (स्थानीय निर्वाचन) सिवनी में संलग्न किया गया था? यदि हाँ, तो शिकायकर्ताओं की शिकायत की छायाप्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित कर्मचारियों को राजनैतिक दबाव के कारण झूठी शिकायत के आधार पर संलग्न किया गया था? यदि नहीं, तो क्या प्राप्त शिकायतों की जाँच किसी सक्षम अधिकारी/कर्मचारी के द्वारा कराई गई थी? यदि हाँ, तो प्राप्त जाँच प्रतिवेदन की पृथक-पृथक प्रतियां उपलब्ध करावें? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित तीनों कर्मचारियों को चुनाव परिणाम घोषित हो जाने 20 दिन पश्चात प्रताडि़त करने के उद्देश से कलेक्टर सिवनी द्वारा स्थानीय निर्वाचन कार्यालय सिवनी से भार मुक्त किया गया था? (घ) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित कर्मचारी पूर्व से ही रजिस्टीकरण अधिकारी, नगर परिषद् लखनादौन/ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व लखनादौन के मार्गदर्शन में सौंपे गये निर्वाचन कार्यों का सम्पादन कर रहे थे, इसके बाद भी राजनैतिक दबाव के कारण कर्मचारियों को जानबूझकर संलग्न किया गया था?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। श्री योगेन्द्र ढिमोले सहायक राजस्व निरीक्षक नगर परिषद् लखनादौन एवं श्री सुशील अग्रवाल, भृत्य हाई स्कूल आदेगाँव की लिखित शिकायत प्राप्त हुई थी, जो संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। श्री रमेश यादव सहायक ग्रेड-3, जनपद कार्यालय लखनादौन के विरूद्ध मौखिक शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी को प्राप्त हुई थी। (ख) जी नहीं। प्राप्त शिकायतों के तथ्य संवेदनशील प्रकृति के होना पाये जाने से तत्कालीन निर्वाचन की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए संलग्नीकरण का निर्णय लिया गया था। (ग) जी नहीं। चुनाव परिणाम एवं चुनाव संबंधी कार्यों के सम्पादन पश्चात दिनांक 31/08/2017 को भारमुक्त किया गया। (घ) प्रश्नांश (क) में वर्णित कर्मचारियों में से रिटर्निंग आफिसर लखनादौन के आदेश क्रमांक 117 दिनांक 24/07/2017 द्वारा श्री योगेन्द्र ढिमोले को मतदान केन्द्र में बूथ एवं अन्य व्यवस्था हेतु एवं श्री रमेश यादव को निर्वाचन पश्चात सामग्री की वापसी एवं उसे स्ट्रांग रूम में जमा करने का कार्य दिया गया था। श्री सुशील अग्रवाल की ड्यूटी नहीं लगाई थी किन्तु शिकायत होने पर इन्हें निर्वाचन की स्थिति को देखते हुए जिला निर्वाचन कार्यालय में संलग्न किया गया था। किसी दबाव के कारण जानबूझकर संलग्न नहीं किया गया था।
बैंक चालान कूटरचना प्रकरण
[वाणिज्यिक कर]
93. ( क्र. 2638 ) श्री रामनिवास रावत : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सहायक आबकारी आयुक्त कार्यालय इंदौर अंतर्गत हुए बैंक चालान कूटरचना प्रकरण में कौन-कौन शराब ठेकेदार/कम्पनी आरोपी हैं? क्या इन आरोपी शराब ठेकेदारों/कंपनियों के लायसेंस निरस्त कर वसूली की कार्यवाही की जानी थी? यदि हाँ, तो किस-किस शराब ठेकेदार/कंपनी के लायसेंस निरस्त कर कितनी-कितनी राशि वसूली जानी थी? अभी तक किस-किस से कितनी-कितनी राशि की वसूली किस-किस रूप में की गयी है? कौन-कौन से शराब ठेकेदार/कंपनी से कितनी-कितनी राशि की वसूली किया जाना शेष है? कब तक वसूली की कार्यवाही पूर्ण करली जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकरण में किन-किन दोषी अधिकारियों के विरुद्ध जाँच संस्थित की गयी है? किस-किस अधिकारी द्वारा जाँच की जा रही है? क्या जाँच पूर्ण कर ली गयी है? यदि हाँ, तो जाँच के क्या निष्कर्ष रहे? जाँच उपरांत किस-किस अधिकारी के विरुद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गयी है? यदि नहीं, तो कब तक जाँच पूर्ण कर कार्यवाही की जावेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) सहायक आबकारी आयुक्त कार्यालय, इंदौर के अंतर्गत हुये बैंक चालान कूटरचना प्रकरण में आरोपी शराब ठेकेदारों/कंपनियों के नाम संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-एक पर अंकित वर्ष 2017-18 के आज दिनांक के लायसेंसियों से निर्धारित लायसेंस फीस प्रश्न दिनांक तक की जो जमा होना है, वह वसूल हो चुकी है। प्रश्नांतर्गत लायसेंसी के संबंध में विधि और विधायी कार्य विभाग से परामर्श लिया जा रहा है। संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-एक पर अंकित वर्ष 2015-16, 2016-17 अवधि से संबंधित मदिरा लायसेंसियों की अनुज्ञप्ति अवधि समाप्ति को दृष्टिगत रखते हुये संबंधितों के विरूद्ध एवं अन्य अवधि के बकायादारों के विरूद्ध भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों के अनुसार आबकारी बकाया वसूली की कार्यवाही की जा रही है। आरोपी शराब ठेकेदार/कंपनियों से वसूली योग्य राशि/वसूल की गई राशि एवं वसूली योग्य अवशेष राशि का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकरण में शासन स्तर से जिन अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध जाँच संस्थित की गई है, उनको वाणिज्यिक कर विभाग के पत्र क्रमांक बी-7 (ए) 20/2017/2/पाँच, दिनांक 29 सितम्बर, 2017 द्वारा आरोप पत्र जारी किये गये हैं, उन अधिकारियों/कर्मचारियों का विवरण निम्नानुसार है:- (1) श्री विनोद रघुवंशी, उपायुक्त आबकारी, संभागीय उड़नदस्ता, इंदौर (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश ग्वालियर) (2) श्री संजीव दुबे, तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी जिला इन्दौर (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय अपर आबकारी आयुक्त, राज्य स्तरीय उड़नदस्ता भोपाल) (3) श्री रवि प्रकाश दुबे, तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी जिला इन्दौर (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय सहायक आयुक्त आबकारी जिला उज्जैन)। (4) श्री धर्मेन्द्र सिंह सिसौदिया, तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी जिला इन्दौर (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय सहायक आयुक्त आबकारी जिला उज्जैन)। (5) श्री सुखनंदन पाठक, तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी जिला इन्दौर, (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय जिला आबकारी अधिकारी जिला रायसेन)। (6) सुश्री कौशल्या साबवानी, आबकारी उप निरीक्षक एवं देशी मदिरा भाण्डागार अधिकारी महू, जिला इन्दौर (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय सहायक आयुक्त आबकारी, जिला उज्जैन)। (7) श्री आनंदीलाल भटेवरा, तत्कालीन लेखापाल एवं प्रभारी लिपिक तौजी शाखा कार्यालय सहायक आयुक्त आबकारी, जिला इन्दौर (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय जिला आबकारी अधिकारी जिला सागर)। (8) श्री अनमोल गुप्ता, तत्कालीन सहायक ग्रेड-3, कार्यालय सहायक आयुक्त आबकारी जिला इन्दौर (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश ग्वालियर)। (9) श्री डी.एस. परमार, तत्कालीन मुख्य लिपिक, कार्यालय सहायक आयुक्त आबकारी जिला इन्दौर (वर्तमान पदस्थापना कार्यालय जिला आबकारी अधिकारी जिला हरदा)। आरोप पत्र के संबंध में प्राप्त उत्तर/विभागीय जाँच के निष्कर्ष के आधार पर आगामी कार्यवाही की जायेगी। जाँच कब तक पूर्ण की जायेगी, संबंधी समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
कोयला प्रदाय की जानकारी
[ऊर्जा]
94. ( क्र. 2639 ) श्री रामनिवास रावत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. के सभी ताप गृहों में कोयला खपत हेतु केन्द्र सरकार से कोयला प्रदाय हेतु अनुबंध है? यदि हाँ, तो प्रत्येक वर्ष एवं माहवार कितने-कितने मैट्रिक टन कोयला केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को दिया जाना है? कोयला प्रदाय अनुबंध फ्यूल सप्लाई ऐग्रीमेंट ( F.S.A.) की छायाप्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या माह अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर, 2017 में एवं वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा काफी कम मात्रा में म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. के सभी ताप विद्युत गृहों को कोयला प्रदाय किया जा रहा है, इस कारण म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. की बहुत सी ताप विद्युत उत्पादन इकाइयां बंद हैं या बहुत सी इकाइयां कम भार पर चल रही हैं? (ग) म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. के सभी ताप विद्युत गृहों की माह अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर 2017 की माहवार जानकारी बतावें की फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा कितने मैट्रिक टन प्रतिमाह कोयला उपलब्ध कराना था एवं वास्तविक रूप से कितना कोयला उपलब्ध कराया गया? केन्द्र सरकार से अनुबंध अनुसार पूरी मात्रा में कोयला प्राप्त करने के लिए म.प्र.पॉ.जं.कं.लि. क्या कार्यवाही कर रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के समस्त ताप विद्युत गृहों हेतु केन्द्र सरकार की कोयला कंपनियों से पृथक-पृथक कोयला प्रदाय अनुबंध है। उपरोक्त अनुबंधों के अनुसार म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के विभिन्न विद्युत गृहों को केन्द्रीय कोयला कंपनियों से माहवार एवं वर्षवार कोयले की अनुबंधित मात्रा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “क” अनुसार है। म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के सभी ताप विद्युत गृहों के कोयला प्रदाय हेतु किए गए अनुबंधों की छायाप्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अ-1 से अ-6 अनुसार है। (ख) माह अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर 2017 एवं वर्तमान में केन्द्रीय कोयला कंपनियों द्वारा म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड को अनुबंध की मात्रा से कम मात्रा में कोयला प्रदाय किया जा रहा है जिसके कारण कंपनी के ताप विद्युत गृहों की कुछ इकाइयों को बंद रखा गया है एवं कुछ इकाइयों को कम भार पर चलाया जा रहा है। (ग) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के विभिन्न ताप विद्युत गृहों में माह अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर 2017 में फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट के अनुसार माहवार प्राप्त होने वाले कोयले की मात्रा एवं उसके विरूद्ध वास्तविक रूप से प्राप्त कोयले की मात्रा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “ख” अनुसार है। केन्द्र सरकार को समय-समय पर कोयले की कमी से अवगत कराते हुये आपूर्ति बढ़ाने हेतु अनुरोध किया गया है। कोयले की आपूर्ति में आंशिक सुधार परिलक्षित हुआ है।
ट्रांसफार्मर बॉक्स की मरम्मत
[ऊर्जा]
95. ( क्र. 2641 ) श्री नारायण सिंह कुशवाह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विद्युत वितरण व्यवस्था में प्रदेश भर में लगे ट्रांसफार्मर के नीचे पेनल कट आउट के बॉक्स लगे हैं? क्या यह बॉक्स खुले व टूटे पड़े हैं? यह बॉक्स लगाने के बाद कभी इनकी मरम्मत की गई है? (ख) क्या इन टूटे खुले बॉक्स जो नीचे जमीन से कुछ ही ऊपर लगे हैं, उनसे विद्युत का दुरुपयोग व जनहानि होती है? यदि हाँ, तो विभाग के द्वारा उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से दुरुस्त कराये जाने की कोई योजना बनाई है? यदि हाँ, तो यह कार्य कब तक पूरा होगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, शहरी क्षेत्रों में वितरण ट्रांसफार्मर के नीचे पेनल कट आउट के बॉक्स (डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स) लगाये जाते हैं। अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा बॉक्स से छेड़छाड़ करने के कारण कुछ स्थानों पर बॉक्स खुले व टूटे पाये जाने पर इनकी मरम्मत/संधारण अथवा आवश्यक होने पर बदलने का कार्य किया जाता है, जो कि एक सतत् प्रक्रिया है। (ख) जी नहीं। डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स आर.ई.सी. लिमिटेड द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार जमीनी सतह से 1.5 मीटर की ऊँचाई पर स्थापित किये जाते हैं। अत: इनसे विद्युत का दुरूपयोग व जनहानि की संभावना नहीं होती। अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स से छेड़छाड़ करने पर ही दुर्घटना होने की संभावना होती है। नियमित रख-रखाव कार्यक्रम के दौरान एवं शिकायत प्राप्त होने पर टूटे/खुले बॉक्स की मरम्मत/संधारण का कार्य किया जाता है अथवा आवश्यक होने पर डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स को बदल दिया जाता है। उक्त परिप्रेक्ष्य में अलग से कोई योजना/कार्यक्रम बनाए जाने की आवश्यकता नहीं है।
विद्युत बिलों में भारी अनियमितता
[ऊर्जा]
96. ( क्र. 2642 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर, रतलाम जिले में कुल कितने विद्युत उपभोक्ता हैं, इनसे 1 अप्रैल 2017 के पश्चात कुल कितनी बिल की राशि प्राप्त हुई? (ख) उक्त अवधि में विद्युत बिलों में गड़बड़ी को लेकर कितनी शिकायत प्राप्त हुई? कितनों का निराकरण किया गया? बिल गड़बड़ी अन्य तरह की शिकायतों के कितने प्रकरण न्यायालय में गत 1 जनवरी 2016 के पश्चात के चल रहे हैं, मा. न्यायालय ने उक्त अवधि में कितने प्रकरणों का निराकरण किया गया? उसमें मा. न्यायालय ने कंपनी को क्या-क्या निर्देश दिए गये? इसमें कितने औद्योगिक श्रेणी के प्रकरण हैं? (ग) क्या उक्त जिलों में गत 2-3 वर्षों में विभाग की गलती से हजारों उपभोक्ताओं के बिलों में भारी अनियमितता पाई जा रही है? यदि हाँ, तो इसकी रोकथाम के लिए विभाग द्वारा क्या प्रयास किये जा रहे हैं? (घ) प्रश्नकर्ता विधायक के ता. प्रश्न (क्र. 2855) दिनांक 3 मार्च 2017 खंड (क) में बताया गया कि उक्त जिलों में 1 वर्ष में 99 हजार 157 विद्युत मीटर खराब पाए गये। क्या ऐसे घटिया मीटर के कारण उपभोगताओ को रीडिंग से ज्यादा राशि का भुगतान करना पड़ रहा है, जिससे उपभोक्ताओं में उक्त जिलों में आक्रोश है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मंदसौर एवं रतलाम जिले में अक्टूबर-2017 की स्थिति में क्रमशः 3,69,923 एवं 3,74,204 विद्युत उपभोक्ता है। इन उपभोक्ताओं से 1, अप्रैल-2017 से अक्टूबर-2017 तक मंदसौर एवं रतलाम जिलों में क्रमशः रु. 242.78 करोड़ एवं रु. 311.57 करोड़ की राशि विद्युत बिलों के विरुद्ध प्राप्त हुई है। (ख) मंदसौर एवं रतलाम जिलों में 1 अप्रैल-2017 से अक्टूबर-2017 तक विद्युत उपभोक्ताओं के विद्युत बिलों में त्रुटि संबंधी प्राप्त शिकायतों, निराकृत शिकायतों तथा 1 जनवरी-2016 से शिकायतकर्ताओं द्वारा न्यायालयों में दर्ज प्रकरणों की संख्या की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। मंदसौर जिले के अंतर्गत 1 जनवरी-2016 के पश्चात न्यायालय में दर्ज कुल 25 प्रकरणों में से 21 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है, जिनमें से 16 प्रकरणों में माननीय न्यायालय द्वारा विद्युत कंपनी द्वारा जारी किये गये विद्युत देयक को सही माना एवं उपभोक्ता द्वारा दायर प्रकरण को खारिज कर दिया, 4 प्रकरणों में विद्युत कंपनी को बिल पुनरीक्षित करने के निर्देश दिये गये हैं, 1 प्रकरण में परिवाद आंशिक रुप से स्वीकृत किया है तथा शेष 4 प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं। रतलाम जिले के अंतर्गत न्यायालय में दर्ज कुल 7 प्रकरणों में से 5 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है, जिनमें से 3 प्रकरणों में माननीय न्यायालय द्वारा विद्युत कंपनी के द्वारा जारी किये गये विद्युत देयक को सही माना एवं उपभोक्ता द्वारा दायर प्रकरण को खारिज कर दिया। 2 प्रकरणों में विद्युत कंपनी को बिल पुनरीक्षित करने के निर्देश दिये गये हैं तथा शेष 2 प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं। न्यायालयों में दर्ज उपरोक्त समस्त प्रकरणों में से कोई भी प्रकरण औद्योगिक श्रेणी का नहीं है। (ग) जी नहीं। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) बजट सत्र-2017 के दौरान माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा पूछे गये विधानसभा प्रश्न क्रमांक 2855 दिनांक 03/03/2017 के उत्तरांश (क) में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के सम्पूर्ण कंपनी क्षेत्र के अंतर्गत वर्ष 2014-15 (1 जनवरी-2014 से) में गारंटी अवधि में कुल 99157 विद्युत मीटर खराब होने की जानकारी दी गई थी, न कि मंदसौर एवं रतलाम जिले की। उक्त अवधि वर्ष 2014-15 (01/01/2014 से) में मंदसौर जिले में 814 एवं रतलाम जिले में 5045 मीटर गारंटी अवधि में खराब हुए थे। जी नहीं, विद्युत मीटर बन्द अथवा खराब होने की स्थिति में मीटर रीडर द्वारा अथवा संबंधित उपभोक्ता द्वारा बन्द अथवा खराब मीटर की जानकारी संबंधित वितरण केन्द्र कार्यालय के संज्ञान में लाने पर नियमानुसार जाँच उपरांत पाये गये तथ्यों के आधार पर वैधानिक प्रावधानों के अनुसार विद्युत देयक में सुधार किया जाता है एवं बन्द अथवा खराब मीटर के स्थान पर नया मीटर लगा दिया जाता है। मंदसौर एवं रतलाम जिले में इस संबंध में विद्युत उपभोक्ताओं में किसी प्रकार के आक्रोश जैसी स्थिति नहीं है।
मंदसौर रतलाम जिलों में खराब ट्रांसफार्मर
[ऊर्जा]
97. ( क्र. 2643 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर एवं रतलाम जिलों में वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में माह अक्टूबर-2017 तक कुल कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब हुए एवं उक्त अवधि में कितने जले/खराब विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर बदले गये? (ख) उक्त ट्रान्सफार्मर किस-किस कम्पनी के थे? मन्दसौर विधान सभा क्षेत्र में एसे कितने ट्रांसफार्मर स्थल हैं जिन्हें उक्त अवधि में 1 से अधिक बार ठीक किया गया? इनमें कितने ट्रांसफार्मर स्थल पर उच्च क्षमता वाले ट्रांसफार्मर उक्त अवधि में लगाए गए हैं? स्थलवार जानकारी देवें। (ग) मंदसौर एवं रतलाम जिले हेतु वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में माह अक्टूबर-2017 तक विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय तौर पर कितने पी.सी.सी. (सीमेंट) पोल क्रय किये गये? इन क्रय किये गये पी.सी.सी. (सीमेंट) पोल का परीक्षण आपूर्तिकर्ता पोल फैक्ट्री पर किस-किस सक्षम अधिकारी ने किया? परीक्षण के दौरान किन-किन आपूर्तिकर्ता पोल फैक्ट्री के पोल गुणवत्ताविहीन पाये गये इस हेतु पोल कम्पनी पर क्या-क्या कार्यवाही की गयी? (घ) क्या उक्त जिलों में अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया सीमेंट पोल लगाए जा रहे हैं, जिससे ग्रामवासियों को जान-माल का खतरा बना रहता है? इस सम्बन्ध में विगत 2 वर्षों में किस-किस व्यक्ति ने कहाँ-कहाँ की शिकायत विभाग को की?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मंदसौर एवं रतलाम जिलों में वित्तीय वर्ष 2016-17 में क्रमशः कुल 2709 एवं 2390 तथा वित्तीय वर्ष 2017-18 में माह अक्टूबर-2017 तक क्रमशः कुल 1658 एवं 1250 वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब हुए हैं। मंदसौर एवं रतलाम जिलों में वित्तीय वर्ष 2016-17 में क्रमशः कुल 2702 एवं 2390 तथा वित्तीय वर्ष 2017-18 में माह अक्टूबर-2017 तक क्रमशः कुल 1619 एवं 1198 वितरण ट्रांसफार्मर बदले गये। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों की निर्माता कंपनियों के नाम की मंदसौर एवं रतलाम जिलों हेतु जानकारी क्रमश: पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अ-01 एवं प्रपत्र अ-02 में दर्शाए अनुसार है। मंदसौर विधानसभा क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2017-18 में माह अक्टूबर-2017 तक एक ही स्थल पर एक से अधिक बार सुधार की आवश्यकता (ठीक किये गये) वाले वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या 24 है जिनकी स्थलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में माह अक्टूबर-2017 तक मंदसौर विधानसभा क्षेत्र में एक से अधिक बार ठीक किये गये ट्रांसफार्मरों की लोकेशन पर क्षमता वृद्धि किये गये वितरण ट्रासंफार्मरों की संख्या 14 है, जिनकी स्थलवार (लोकेशनवार) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ग) मंदसौर एवं रतलाम जिलों हेतु वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में माह अक्टूबर-2017 तक विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय तौर पर क्रय किये गये पी.सी.सी. पोलों की संख्या क्रमशः वित्तीय वर्ष 2016-17 में 8200 एवं 10500 है एवं वित्तीय वर्ष 2017-18 में माह अक्टूबर-2017 तक क्रमशः 3600 एवं 4747 है। उपरोक्त अवधि में क्रय किये गये पी.सी.सी. पोल का परीक्षण आपूर्तिकर्ता पोल फैक्ट्री पर विद्युत कंपनी के जिन अधिकारियों द्वारा किया गया है उनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द अनुसार है। परीक्षण के दौरान किसी भी आपूर्तिकर्ता पोल फैक्ट्री के पोल गुणवत्ताविहीन नहीं पाये गये। अतः किसी भी आपूर्तिकर्ता पोल फैक्ट्री के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) मंदसौर एवं रतलाम जिलों में विद्युत कंपनी के अधिकारियों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार आपूर्तिकर्ता पोल फैक्ट्रियों से, परीक्षण के उपरांत पी.सी.सी. पोल क्रय किये गये हैं, जिनका उपयोग विद्युत अधोसंरचना निर्माण के कार्यों में किया जा रहा है। अतः यह कहना सही नहीं होगा कि उपयोग किये जा रहे पी.सी.सी. पोल से ग्रामवासियों को जान-माल का खतरा है। विगत् 02 वर्षों में किसी भी व्यक्ति से प्रश्नाधीन क्षेत्र से सीमेंट पोल की गुणवत्ता के संबंध में कोई शिकायत विद्युत कंपनी में प्राप्त नहीं हुई है।
जनजातीय कार्य विभाग द्वारा कराये गये कार्य
[जनजातीय कार्य]
98. ( क्र. 2644 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे किनरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत दिनांक 01 अप्रैल 2015 से प्रश्न दिनांक तक जनजातीय विभाग द्वारा किस-किस कार्य हेतु, कितनी-कितनी राशि, किस-किस ग्राम पंचायत को दी गई? ग्राम पंचायत का नाम/कार्य का नाम/राशि/कार्य की वर्तमान स्थिति सहित पूर्ण जानकारी दें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम अन्तर्गत अनियमितता
[महिला एवं बाल विकास]
99. ( क्र. 2648 ) श्रीमती नीलम अभय मिश्रा : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या राज स्व-सहायता समूह बदराव गौतमान, उमरी सेक्टर को सांझा चूल्हा के कार्य हेतु दिनांक 12/10/2017 को आदेश जारी हुआ था एवं उक्त समूह का कार्य आज दिनांक तक सही प्रकार से किया जा रहा है? (ख) क्या तत्कालीन परियोजना अधिकारी सिरमौर नंबर 1 एवं सुपर वाईजर उमरी सेक्टर द्वारा उपरोक्त समूह का रसोईया खाद्यान्न एवं सांझा चूल्हा का पैसा लकी स्व-सहायता समूह बदराव गौतमान के खाते में भेजा जा रहा है? जिसकी शिकायत एस.डी.एम. सिरमौर को कई बार की गई। (ग) यदि हाँ, तो सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जा रही है? यदि नहीं, तो कब तक की जायेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। नहीं (ग) कार्यवाही किए जाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता।
फीडर सेपरेशन का कार्य
[ऊर्जा]
100. ( क्र. 2654 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दतिया जिले के विकासखण्ड सेवढ़ा में कुल कितने ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य किया गया है एवं कितने ग्रामों में होना शेष है? ग्रामवार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) जिन ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य हो चुका है उनमें से कितने ग्रामों में विद्युत उपलब्ध हो रही है? जिन ग्रामों में फीडर सेपरेशन के बावजूद बिजली नहीं आ रही है, ग्राम अंधकारमय है, उसके क्या कारण हैं तथा इसके लिये कौन जिम्मेदार है? कारण सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) क्या गुणवत्ता विहीन ट्रांसफार्मर एवं हल्की क्वालिटी की लाइन डालने के कारण फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण होने के अल्प समय बाद ही या तो लाइन फाल्ट हो गई या फिर ट्रांसफार्मर जल गया, जिससे शासन का पैसा खर्च होने के बाद भी ग्रामों का इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है? यदि नहीं, तो इसकी जाँच कराई जाये। यदि हाँ, तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है? (घ) क्या ग्राम सिलोरी में 7 ट्रांसफार्मर स्वीकृत थे किन्तु यहां मात्र 5 ही रखे गये वह भी बराबर दूरी पर नहीं रखे गये, जिससे ग्रामवासियों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है? फलस्वरूप ग्रामीणों में रोष व्याप्त है? यदि नहीं, तो उक्त कार्यों की जाँच कराई जावे। यदि हाँ, तो विभाग को निर्देशित किया जाये कि व्यवस्था में सुधार करे, ताकि शासन की योजना का सभी को बराबर लाभ मिल सके?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) दतिया जिले के विकासखण्ड सेवढ़ा में कुल 179 ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है एवं 17 ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण का कार्य किया जाना शेष है। ग्रामवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन फीडर विभक्तिकरण योजना में कार्य पूर्णता वाले सभी 179 ग्रामों में नियमानुसार विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराया जा रहा है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) प्रश्नाधीन फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत उपयोग होने वाली समस्त सामग्री का प्रदायकर्ता फर्मों की कार्यशाला में तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेन्सी के माध्यम से निरीक्षण कराये जाने पर निर्धारित गुणवत्ता के अनुरूप पाए जाने के उपरांत ही सामग्री प्रदाय हेतु अनुमति दी जाती है। ठेकेदार एजेन्सी के स्थानीय स्टोर में सामग्री प्राप्त होने के उपरांत भी मुख्य सामग्री यथा-ट्रांसफार्मर, कन्डक्टर, केबिल एवं मीटरों के रेंडम सेंपल लिये जाकर एन.ए.बी.एल प्रमाणित प्रयोगशालाओं में टेस्टिंग कराई जाती है तथा निर्धारित गुणवत्ता पाए जाने पर ही सामग्री उपयोग की अनुमति दी जाती है। इसके अलावा योजनान्तर्गत किये जाने वाले कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित किये जाने हेतु तृतीय पक्ष एजेन्सी को प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग कन्सल्टेंट के रूप में नियुक्त किया गया है। ठेकेदार फर्म द्वारा प्रदाय किये जाने वाली सामग्री के लिये कॉन्ट्रेक्ट की शर्तों के अनुसार गारंटी अवधि निश्चित है एवं यदि कोई सामग्री गारंटी अवधि में खराब होती है तो उसे टर्न-की कॉन्ट्रेक्टर के द्वारा बदल दिया जाता है। फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये उक्त निर्धारित प्रक्रिया के परिप्रेक्ष्य में योजनान्तर्गत कार्य की गुणवत्ता का स्तर कम होने अथवा इस संबंध में किसी प्रकार की जाँच कराए जाने या किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) ग्राम सिलोरी में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत 25 के.व्ही.ए. क्षमता के पाँच, 16 के.व्ही.ए. क्षमता का एक एवं 10 के.व्ही.ए. क्षमता का एक ट्रांसफार्मर स्थापित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त उक्त ग्राम में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत किये गये सर्वे के आधार पर तकनीकी आवश्यकतानुसार 63 के.व्ही.ए. क्षमता के पाँच ट्रांसफार्मर रखे जाने है। इस प्रकार उक्त ग्राम में आवश्यकतानुसार पर्याप्त संख्या में ट्रांसफार्मर स्थापित/प्रस्तावित होने के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में अन्य कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
विद्युत पोल एवं ट्रांसफार्मर उपलब्ध कराया जाना
[ऊर्जा]
101. ( क्र. 2655 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) किसान अनुदान योजना के तहत दतिया जिले में 01 अप्रैल, 2016 से अक्टूबर, 2017 तक कुल कितने हितग्राहियों द्वारा विद्युत विभाग में जमा राशि की गई एवं उनमें से कितने हितग्राहियों को विद्युत कनेक्शन प्रदान कर दिये गये हैं? कितने हितग्राहियों के कनेक्शन दिये जाना शेष है? वितरण केन्द्रवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे। (ख) उक्त योजनांतर्गत किसानों को कितने दिनों में ट्रांसफार्मर उपलब्ध कराने का नियम हैं? क्या समय-सीमा में ट्रांसफार्मर उपलब्ध कराये जा रहे हैं? यदि नहीं, तो दतिया जिले में क्या उनको शासन की स्थाई पंप कनेक्शन हेतु लागू मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना का लाभ दिया जायेगा या नहीं नियम की छायाप्रति उपलब्ध करायें। (ग) क्या दतिया जिले के अंतर्गत स्थानीय J.E. द्वारा अस्थाई कनेक्शन हेतु छोटे किसानों के आवेदन प्राप्त होने पर 3 H.P. की राशि जमा नहीं की जा रही है? यदि नहीं, तो क्या इसकी जाँच कराई जावेगी? (घ) क्या दतिया जिले में दिनांक 01 अप्रैल, 2016 से हितग्राहियों को राशि जमा करने के आधार पर वरीयता अनुसार स्थाई कनेक्शन प्रदान किये गये हैं? यदि नहीं, तो ऐसे प्रकरणों में तिथिवार जमा राशि एवं कनेक्शन प्रदान करने का विवरण उपलब्ध कराते हुए दोषियों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जावे।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) कृषक अनुदान योजना एवं मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना के अन्तर्गत दतिया जिले में 1 अप्रैल-2016 से अक्टूबर-17 तक अंश राशि जमा करने वाले हितग्राहियों की संख्या तथा उक्त में से ऐसे हितग्राहियों की संख्या जिनका कार्य पूर्ण कर कनेक्शन प्रदान किये गये एवं ऐसे हितग्राहियों की संख्या जिनका कार्य किया जाना शेष है, का वितरण केन्द्रवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) कृषक अनुदान योजनांतर्गत हितग्राही द्वारा राशि जमा कराये जाने के 180 दिवस के अंदर कार्य पूर्ण कराये जाने का प्रावधान था। उक्त योजनांतर्गत पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ में दर्शाये अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र में सभी कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। यह योजना मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना में समाहित की गई है। राज्य शासन के आदेश दिनांक 06.09.2016 द्वारा लागू मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना में कार्य किये जाने हेतु आवेदक द्वारा राशि जमा कराये जाने के उपरांत अधिकतम सीमा 09 माह निर्धारित की गई थी, जिसे राज्य शासन के आदेश दि. 12.09.17 के माध्यम से दिनांक 12.09.2017 के बाद प्राप्त होने वाले आवेदनों हेतु घटाकर 6 माह कर दिया गया है। दतिया जिले में उक्त योजना के अंतर्गत निर्धारित समय-सीमा में आवश्यकतानुसार ट्रांसफार्मर स्थापित करने सहित विद्युत अधोसंरचना के कार्य पूर्ण किये जा रहे है। तथापि ऐसे कृषक जिनके कार्य संपादन में पहुँच मार्ग उपलब्ध नहीं होने/खेत में फसल खड़ी होने आदि कारणों से व्यवधान के कारण विलंब हो रहा है, तो ऐसे कृषकों के अस्थाई कृषि पंप कनेक्शनों पर राज्य शासन के आदेश दि. 21.09.17 से, निर्धारित शर्तों के तहत स्थाई कृषि पम्पों के समान फ्लेट रेट पर बिलिंग का लाभ दिया जा रहा है। उक्त संबंध में समय-समय पर जारी निर्देशों/नियमों की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) दतिया जिले में अस्थाई पम्प कनेक्शन हेतु कृषक द्वारा 3 एच.पी. हेतु आवेदन दिये जाने पर नियमानुसार 3 एच.पी. के अस्थाई पम्प कनेक्शन हेतु राशि जमा करवाकर तदानुसार कनेक्शन प्रदाय किये जा रहे हैं। दतिया जिले में चालू वित्तीय वर्ष में प्रश्न दिनांक तक 3 एच.पी. के 1161 अस्थाई कृषि पम्प कनेक्शन प्रदाय किये जा चुके हैं। अतः उक्त संबंध में किसी प्रकार की जाँच कराए जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) जी हाँ, प्रश्नाधीन क्षेत्र में नियमानुसार प्रथम चरण में रू. 2.50 लाख तक की लागत राशि वाले स्थाई कृषि पम्प कनेक्शनों के कार्य प्रथमिकता के आधार वरीयता क्रमानुसार किये गये हैं। अत: प्रश्न नहीं उठता।
नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्वीकृति
[महिला एवं बाल विकास]
102. ( क्र. 2679 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वित्त वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक पाटन विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कहाँ-कहाँ पर नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोले गये तथा कितनी नवीन आंगनवाड़ी भवनों का कितने राशि से निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया? विकासखण्डवार, वर्षवार सूची देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों में से किन-किन भवनों का निर्माण प्रश्न दिनांक तक पूर्ण हो चुका है तथा कौन-कौन के भवनों का निर्माण किन कारणों से अपूर्ण है? (ग) वित्त वर्ष 2017-18 में स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों की निर्माण राशि प्रश्न दिनांक तक निर्माण एजेंसियों को प्रदान न किये जाने के क्या कारण हैं? निर्माण राशि किस प्रकार से कब तक प्रदान कर दी जावेगी? (घ) पाटन विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के संबंध में कब-कब किस-किस के द्वारा कौन-कौन सी शिकायतें शासन स्तर पर प्रेषित की तथा इन शिकायतों पर कब किसके द्वारा क्या कार्यवाही की गई? महिला बाल विकास विभाग कार्यालय मझौली एवं पाटन में कौन-कौन से अधिकारी/कर्मचारी के पद स्वीकृत हैं? स्वीकृत पद अनुरूप कौन-कौन कब से पदस्थ हैं तथा इन पदस्थ कर्मचारी/अधिकारियों के विरूद्ध कब-कब किस-किस के द्वारा कौन-कौन सी शिकायतें शासन स्तर पर प्रेषित की गई है तथा उन पर कब क्या कार्यवाही की गई?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) वित्तीय वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक पाटन विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोले गये हैं। जिनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। वित्तीय वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-18 तक स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण कार्य की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) वित्तीय वर्ष 2017-18 में स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। प्रदेश में मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है। पूर्व में वित्तीय व्यवस्था प्रचलित थी। पंचायतराज संचालनालय के पत्र क्रमांक 496, दिनांक 8/6/2017 द्वारा प्रदेश में मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना अन्तर्गत प्रति भवन मानक लागत राशि रूपये 7.80 लाख में से महिला एवं बाल विकास विभाग को 60 प्रतिशत अशंदान राशि (प्रति आंगनवाड़ी भवन राशि रूपये 4.68 लाख) तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास 40 प्रतिशत अशंदान राशि (प्रति आंगनवाड़ी भवन राशि रूपये 3.12 लाख) वहन करने सबंधी निर्देश पर वित्तीय व्यवस्था सबंधी कार्यवाही विचाराधीन होने के कारण राशि प्रश्न दिनांक तक निर्माण एजेंसियों को प्रदान नहीं की जा सकी है। निर्माण ऐजेन्सी ग्राम पंचायत को राशि जारी किये जाने की कार्यवाही वर्तमान में पंचायतराज संचालानय स्तर पर प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा दी जाना संभव नहीं है। (घ) पाटन विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के संबंध में कोई भी शिकायत जिले द्वारा शासन स्तर पर प्रेषित नहीं की गई है। महिला एवं बाल विकास कार्यालय मझौली एवं पाटन में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी के स्वीकृत पद अनुरूप जानकारी पुस्तकालय में परिशिष्ट के प्रपत्र 'ई' अनुसार है। मझौली एवं पाटन में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कोई भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सब-स्टेशन निर्माण
[ऊर्जा]
103. ( क्र. 2680 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी (टास्को) द्वारा सब-स्टेशन निर्माण एवं वितरण लाइन बिछाने हेतु कौन-कौन सी निविदायें किन शर्तों के अधीन किन ठेकेदारों को कितनी-कितनी लागत की कब-कब स्वीकृत की गई? वित्त वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक की सूची देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित स्वीकृत निर्माण कार्यों में से कितनी राशि मशीन आदि उपकरण क्रय करने एवं कितने रूपये निर्माण कार्यों में खर्च होनी थी? सूची देवें। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कौन-कौन से निर्माण कार्य किस-किस दिनांक को पूर्ण हुये एवं कौन-कौन से स्वीकृत निर्माण कार्य किन कारणों से प्रश्न दिनांक तक अपूर्ण है? (घ) नियमानुसार प्रश्नांश (क) में उल्लेखित निर्माण कार्यों के भुगतान में से किस दर से कितना-कितना किस-किस से कर्मकार, कल्याण उपकरण वसूला गया? सूची देवें एवं नियमानुसार कर्मकार कल्याण उपकर वसूल न करने संबंधी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (केग) की ऑडिट रिपोर्ट क्या है? रिपोर्ट की छाया प्रति देवें एवं यह भी बतलावें कि नियमानुसार कर्मकार कल्याण उपकर वसूल न करने का दोषी कौन है? दोषियों पर शासन क्या काई कार्यवाही करेगा? उत्तर में यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा वित्तीय वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक उपकेन्द्र एवं पारेषण लाइन (वितरण लाइन नहीं) के निर्माण हेतु कुल 122 निविदायें स्वीकृत की गई जिसके अंतर्गत 52 निविदायें टर्न-की आधारित कार्यों एवं 70 निविदायें निर्माण कार्य हेतु स्वीकृत की गई। निविदाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 व '2' अनुसार है। निविदा हेतु लागू शर्तों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में स्वीकृत टर्न-की कार्यों में कुल रूपये 3317.51 करोड़ का प्रावधान मशीन/उपकरण आदि क्रय करने हेतु किया गया था एवं कुल रू. 1185.75 करोड़ का प्रावधान निर्माण कार्य हेतु था। आदेश एवं प्रावधान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। निर्माण (टर्न-की के अलावा) कार्यों हेतु रूपये 60.65 करोड़ का प्रावधान था। जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) में उल्लेखित निर्माण कार्यों के पूर्ण हुये कार्यों की पूर्णता दिनांक, अपूर्ण कार्य कारण सहित पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'1' एवं '2' अनुसार है। (घ) उत्तरांश (क) में उल्लेखित टर्न-की एवं निर्माण कार्यादेश में आदेश की शर्तों के अनुसार निर्माण लागत के ऊपर 1 प्रतिशत की दर से कर्मकार कल्याण उपकर वसूला जाना था एवं तद्नुसार कर्मकार कल्याण उपकर की वसूली ठेकेदारों के बिलों से की गई हैं एवं वर्तमान में भी की जा रही है। भुगतान किये गये बिलों में से कर्मकार कल्याण उपकर कटौती की दर एवं राशि सहित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'1' एवं '2' अनुसार है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा लेखा परीक्षण में टीप दी गयी थी कि कंपनी ने कर्मकार कल्याण उपकर मात्र निर्माण भाग पर वसूल किया है और आपूर्ति भाग के लिए उपकर की वसूली नहीं की गई। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा प्रेषित रिपोर्ट की प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को कंपनी द्वारा स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया गया। उक्त स्पष्टीकरण के अनुसार मध्यप्रदेश श्रम विधियाँ (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 2015 द्वारा भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम 1996 (1996 का 28) की धारा 3 में उपधारा (1) के पश्चात नवीन उपधारा (1क) अंत:स्थापित की गई, जिसके अन्तर्गत संयत्रों और मशीनरी के क्रय तथा परिवहन पर उपगत लागत को निर्माण लागत से बाहर किया गया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के द्वारा उपरोक्त स्पष्टीकरण को मान्य नहीं किया गया था। एक अन्य समान प्रकरण में अपीलीय प्राधिकारी श्रम आयुक्त इंदौर द्वारा 08/07/2016 को एक आदेश पारित किया गया था, जो कि सागर जिले में पारेषण लाइन के निर्माण हेतु दिये गये टर्न की आदेश से संबंधित है एवं अपीलीय प्राधिकारी द्वारा दिये गये निर्णय के अनुसार कर्मकार कल्याण उपकर, टर्न-की आदेश में सामग्री प्रदाय एवं निर्माण मूल्य में से केवल निर्माण लागत पर देय होगा। अत: अपीलीय प्राधिकारी श्रम आयुक्त इंदौर द्वारा दिये गये उक्त निर्णय के परिप्रेक्ष्य में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को प्रकरण को पुनर्विचार के लिए पुन: प्रस्तुत करने की कार्यवाही ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा की जा रही है। इस प्रकरण में कोई व्यक्ति दोषी नहीं, अत: किसी व्यक्ति विशेष पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप योजना
[ऊर्जा]
104. ( क्र. 2711 ) श्री सुदेश राय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सीहोर में मुख्यमंत्री स्थायी पंप कनेक्शन योजना अंतर्गत दिनांक 1.1.2017 से कितने कृषकों द्वारा विभाग में कनेक्शन हेतु राशि जमा करायी है तथा कितने कृषकों को कनेक्शन उपलब्ध कराये दिये गये तथा कितने शेष हैं? यदि शेष हैं तो कब तक पंप कनेक्शन उपलब्ध करा दिये जायेंगे? कृषकगणों की सूची कनेक्शन पूर्ण/अपूर्ण होने की विस्तृत जानकारी बतावें। (ख) क्या कनेक्शन हेतु सामग्री की कमी है? यदि यह सही है तो विभाग द्वारा सामग्री के आंकलन पूर्व में क्यों नहीं किया गया है? इसके लिये कौन उत्तरदायी है तथा शेष कनेक्शन कब तक उपलब्ध करा दिये जायेंगे? समय-सीमा सहित बतावें। (ग) वर्ष 2015-16 में कितने पात्रताधारी कृषकों को अस्थाई पंप कनेक्शन दिये गये हैं तथा उनमें से कितने कृषकों के अस्थाई कनेक्शन 1.4.2016 के बाद स्थाई कर दिये गये हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र सीहोर में मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना के अंतर्गत दिनांक 01.01.2017 से प्रश्न दिनांक तक की स्थिति में 612 कृषकों द्वारा मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालय में नियमानुसार कनेक्शन हेतु अंशराशि जमा कराई है तथा उक्त में से दिनांक 17.11.2017 तक 291 कृषकों को स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन प्रदान कर दिये गये हैं एवं 321 कृषकों को स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन उपलब्ध कराना शेष हैं। शेष कृषकों को उक्त योजना के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित अवधि में कनेक्शन प्रदान कर दिये जाएंगे। उक्तानुसार पूर्ण एवं अपूर्ण कार्यों की कृषकवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) जी नहीं, वितरण कंपनी द्वारा आवश्यकतानुसार मुख्य सामग्री का आंकलन कर सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है एवं अन्य सामग्री ठेकेदार के माध्यम से उपलब्ध कराने हेतु कार्यादेश में प्रावधान किया गया है। प्रश्नाधीन शेष कनेक्शनों का कार्य उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार योजना की निर्धारित समयावधि में वरीयता क्रम में पूर्ण कराने हेतु कार्यवाही की जा रही है। उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी के दोषी होने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) विधानसभा क्षेत्र सीहोर के अंतर्गत वर्ष 2015-16 में 2932 कृषकों को अस्थाई पम्प कनेक्शन प्रदान किये गये थे, जिनमें से दिनांक 01.04.2016 के बाद 27 कनेक्शन स्थाई कर दिये गये हैं।
खराब एवं जले पड़े ट्रांसफार्मर को बदलना
[ऊर्जा]
105. ( क्र. 2712 ) श्री सुदेश राय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सीहोर के अंतर्गत विधान सभा क्षेत्र सीहोर में ऐसे कितने ट्रान्सफार्मर हैं जो जल जाने एवं अन्य कारणों से खराब पड़े हैं? इनमें से कितने को बदला गया है तथा कितने बदले जाने शेष है? यदि शेष है तो इनको बदलने में देरी का कारण बतावें तथा कब तक बदल दिये जायेंगे। (ख) रबी फसल की बुआई के पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मरों के रख-रखाव के लिये विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है और यदि कृषकों को फसल बुआई के बाद तत्काल में ट्रांसफार्मर की आवश्यकता होती है तो उसकी आपूर्ति किस प्रकार की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सीहोर जिले के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र सीहोर में वर्ष 2017-18 में दिनांक 16.11.2017 तक की स्थिति में विभिन्न कारणों से फेल हुए 494 ट्रांसफार्मरों में से अद्यतन स्थिति में 490 वितरण ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा करने के उपरांत पात्र होने पर बदले जा चुके हैं तथा शेष 4 वितरण ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण बदलने हेतु शेष है, जिन्हें वर्तमान में लागू नियमों के अनुरूप संबद्ध उपभोक्ताओं में से 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा बकाया राशि जमा करने अथवा ट्रांसफार्मर पर कुल बकाया राशि की 20 प्रतिशत राशि जमा किये जाने पर बदला जाना संभव हो सकेगा। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) रबी सीजन में बुआई के पूर्व ट्रांसफार्मरों का रख-रखाव नियमित रूप से कराया जा रहा है। उत्तरांश (क) में उल्लेखित नियमानुसार पात्र पाये जाने पर फेल ट्रांसफार्मरों को बदलने हेतु त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिये वितरण कंपनी के प्रत्येक उप संभाग स्तर पर विभिन्न क्षमताओं के पर्याप्त ट्रांसफार्मर अग्रिम रूप से उपलब्ध करा दिये गये हैं तथा फेल ट्रांसफार्मरों को निर्धारित समय-सीमा में बदलने के लिये ट्रांसफार्मर रिप्लेसमेंट टीमें भी गठित कर दी गई हैं।
आदिवासी बस्ती विकास मद के कार्य
[जनजातीय कार्य]
106. ( क्र. 2778 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आदिवासी बस्ती विकास मद के कार्य स्वीकृति हेतु जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है? यदि हाँ, तो समिति का गठन क्यों किसने किया है? (ख) क्या समिति में उस जिले के सभी आदिवासी विधायकों को नहीं रखा गया है? सभी आदिवासी विधायकों को क्यों नहीं रखा गया है? किस नियम के तहत उन्हें समिति में नहीं रखा गया है? (ग) क्या समिति में सभी आदिवासी विधायकों को नहीं रखना उचित है? अगर हाँ तो क्यों उचित है और नहीं तो कौन जिम्मेदार है? (घ) क्या समिति गठन में गल्ती हुई है? क्या समिति के निर्णय को निरस्त कर सभी आदिवासी विधायकों के उपस्थिति में पुन: निर्णय कार्यों के लिये लिया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। समिति का गठन हितग्राहियों के चयन एवं कार्यों के अनुमोदन हेतु शासन द्वारा म.प्र. अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास एवं विद्युतीकरण योजना नियम 2017 के अन्तर्गत की गयी है। जी हाँ। समिति जिले के प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में गठित है जिसमें अनुसूचित जनजाति के निर्वाचित एक माननीय विधायक को अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रतिनिधित्व हेतु रखा गया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) एवं (घ) समिति जिले के प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में गठित होने एवं जनजाति वर्ग का प्रतिनिधित्व करने हेतु अनुसूचित जनजाति के एक विधायक के शामिल किये जाने के कारण सभी अनुसूचित जनजाति के विधायकों को शामिल किया जाना आवश्यक नहीं है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थि नहीं होता है।
छात्र-छात्राओं हेतु नाश्ता एवं भोजन व्यवस्था की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
107. ( क्र. 2779 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए संचालित छात्रवास, छात्रावास, आश्रमों में छात्र-छात्राओं को नाश्ता एवं भोजन कब-कब दिया जाता है? प्रति छात्र-छात्रा को नाश्ता के लिए एवं भोजन के लिए कितनी राशि दी जाती है? प्रति छात्र व छात्रा को प्रति टाईम नाश्ता व भोजन के लिए कितनी राशि दी जाती है तथा उस राशि में नाश्ता एवं भोजन के लिए क्या-क्या चीज दी जाती है? उनकी दर क्या-क्या होती है? उस राशि से क्या-क्या चीजें कितनी-कितनी मात्रा में खरीदी जाती हैं? नाश्तावार, भोजनवार, छात्रवार वस्तुवार दर बतावें। (ख) नाश्ता एवं भोजन हेतु राशि पहले दी जाती है या बाद में? अगर बाद में दी जाती है तो सामान कहाँ से उधार लिया जाता है? सामान उधारी लेने की क्या प्रक्रिया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
ताप विद्युत गृहों के उत्पादन में कमी
[ऊर्जा]
108. ( क्र. 2792 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18 (माह अक्टूबर, 2017 तक) विद्युत उत्पादन में काफी कमी आई है? अगर हाँ, तो कारण बतावें? (ख) क्या वर्ष 2002-03 में प्रदेश में इन्ही ताप विद्युत इकाइयां उपलब्ध होने के बावजूद प्रदेश का पी.यू.एफ. 73 प्रतिशत से अधिक था एवं विद्युत उत्पादन 14560 मिलियन था, जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक था? विवरण दें। (ग) प्रश्नकर्ता सदस्य के पत्र क्रमांक 1151, दिनांक 30.10.2017 एवं 1152, दिनांक 30.10.2017 के संदर्भ में क्या कार्यवाही की गई? तिथिवार, कार्यवाहीवार बताएं।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। वित्तीय वर्ष 2015-16 में म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड का कुल ताप विद्युत उत्पादन 18601.8 मिलियन इकाई हुआ जो अभी तक का सर्वाधिक ताप विद्युत उत्पादन है एवं वित्तीय वर्ष 2014-15 से 10.6% अधिक था। वित्तीय वर्ष 2016-17 में ताप विद्युत उत्पादन वित्तीय वर्ष 2015-16 की तुलना में कम हुआ है, जिसका मुख्य कारण प्रदेश में विद्युत की मांग के विरूद्ध उपलब्धता अधिक होने के फलस्वरूप म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की कुछ ताप विद्युत इकाइयों को आरक्षित रूप से बन्द रखा जाना या आंशिक भार पर चलाया जाना है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में (माह अक्टूबर 17 तक) ताप विद्युत उत्पादन 8753.8 मिलियन इकाई हुआ है, जो कि पिछले वर्ष की इसी अवधि से लगभग 31% अधिक है तथापि इस अवधि में भी ताप विद्युत उत्पादन, उपरोक्त वर्णित कारणों एवं कोयले की कमी से प्रभावित हुआ। (ख) वित्तीय वर्ष 2002-03 में म.प्र. राज्य विद्युत मंडल का पी.यू.एफ. 73.14% एवं विद्युत उत्पादन 14560 मिलियन इकाई था, जो कि राष्ट्रीय औसत (72.34%) के लगभग समान था। जी नहीं, वित्तीय वर्ष 2002-03 में स्थापित सभी ताप विद्युत इकाइयां वर्तमान में कार्यरत नहीं है इनमें से कुछ इकाइयों को सेवानिवृत्त किया गया है तथा तदुपरान्त कुछ नई इकाइयां भी स्थापित की गई हैं। उक्त अवधि में प्रदेश में विद्युत का घोर संकट होने से इन ताप इकाइयों को वर्ष में आवश्यक रख-रखाव के लिए भी बंद नहीं किया जा सका जिससे उस वर्ष इन इकाइयों से अधिक विद्युत उत्पादन हुआ। (ग) विधायक महोदय के पत्र क्रमांक 1151 दिनांक 30.10.2017 एवं 1152 दिनांक 30.10.2017 ऊर्जा विभाग को दिनांक 15.11.2017 को प्राप्त हुए हैं। ऊर्जा विभाग द्वारा दिनांक 21.11.2017 को इन पत्रों को म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी को प्रेषित कर, कंपनी को माननीय विधायक को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु निर्देश दिए गए हैं।
ताप विद्युत गृहों को कोयले का आवंटन
[ऊर्जा]
109. ( क्र. 2793 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत 03 माह अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर 2017 में कोयला का अत्यधिक संकट रहा है? यदि हाँ, तो क्यों? केन्द्र सरकार द्वारा म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहों को कोयला चाही गई मात्रा अनुसार प्रदाय नहीं किया जा रहा है? नतीजा म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. के सभी 04 विद्युत गृहों में कई विद्युत इकाइयों बंद हैं एवं जो विद्युत इकाइयों चलाई जा रही हैं वह कम भार पर चलाई जा रही हैं? कारण बतावें। (ख) म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहवार, ताप विद्युत इकाइयों का विवरण, संख्या एवं उत्पादन क्षमता सहित बतावें? प्रश्नांकित ताप विद्युत इकाइयों को इन 03 माह में चलाने हेतु माह अगस्त 2017, सितम्बर 2017 एवं अक्टूबर 2017 में माहवार कुल कितने मैट्रिक टन कोयला की आवश्यकता थी? वास्तविक रूप से कितना कोयला प्रदाय किया गया? यह भी बतावें कि म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. के सभी ताप विद्युत गृह को फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट के अनुसार केन्द्र को कितना कोयला प्रदाय करना था? कोयला प्राप्त न होने की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाया गया? इन 03 माह के अलावा वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18 (माह अक्टूबर 2017 तक) वार्षिक रूप से कितने मैट्रिक टन कोयला प्राप्त होना था? ताप विद्युत गृहवार, ताप विद्युत इकाइयों को वर्षवार, कितना कोयला प्राप्त हुआ? (ग) क्या विगत 03 वर्षों में म.प्र.पॉ.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृह द्वारा विद्युत उत्पादन वर्ष 2016-17 का पी.यू.एफ. वर्ष 2002-03 की तुलना में सबसे कम है जो कि राष्ट्र के एक दो राज्य जम्मू कश्मीर एवं झारखण्ड को छोड़कर सबसे कम है? कारण सहित बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों में विगत 03 माह, अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर 2017 में कोयले की कमी रही है जिसका मुख्य कारण कोयला कंपनियों द्वारा म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड को अनुबंध की मात्रा से कम मात्रा में कोयला प्रदाय किया जाना रहा है। जी नहीं, कोयले की कमी के परिणाम स्वरूप म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों की कुछ इकाइयों को बंद रखा गया एवं कुछ इकाइयों को कम भार पर चलाया गया। (ख) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड की ताप विद्युत इकाइयों का विद्युत गृहवार, इकाईवार संख्या एवं उत्पादन क्षमता सहित विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र–अ अनुसार है। विगत 03 माह, अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर 2017 में चारों विद्युत गृहों हेतु कोयला प्रदाय अनुबंध के अनुसार कोयले की आवश्यक मात्रा एवं उक्त अवधि में कोल कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए गये कोयले की मात्रा की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। कोयले की आपूर्ति अनुबंधात्मक आवश्यकता के अनुरूप न होने से राज्य शासन एवं म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड द्वारा केन्द्र सरकार से समय-समय पर पत्राचार कर कोयला प्रदाय की स्थिति से अवगत कराते हुये आपूर्ति बढ़ाने हेतु अनुरोध किया गया। इसके अतिरिक्त म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड एवं ऊर्जा विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा भी संबंधित कोयला कंपनियों एवं रेल अधिकारियों से पत्राचार, विभिन्न स्तर पर वार्तालाप एवं बैठक भी की गई, जिससे कोयले की आपूर्ति में आंशिक सुधार परीलक्षित हुआ है। उपरोक्त तीन माहों के अतिरिक्त वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 में (माह अक्टूबर 2017 तक) अनुबंधानुसार प्राप्त होने वाले कोयले की मात्रा का विद्युत गृहवार वर्षवार विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। पॉवर बैंकिंग में वृद्धि से तथा आवश्यकतानुसार पॉवर एक्सचेंज से विद्युत क्रय कर विद्युत की संपूर्ण मांग की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। (ग) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड का विगत 03 वर्षों में विद्युत उत्पादन 2002-03 की तुलना में सबसे कम नहीं है। लेख है कि वर्ष 2015-16 में म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड का कुल ताप विद्युत उत्पादन 18601.8 मिलियन इकाई हुआ जो अभी तक का सर्वाधिक ताप विद्युत उत्पादन है तथापि वर्ष 2016-17 का पी.यू.एफ. वर्ष 2002-03 की तुलना में कम है। पी.यू.एफ. कम रहने का मुख्य कारण प्रदेश में मांग से अधिक विद्युत उपलब्धता मेरिट आर्डर डिस्पेच के अनुसार म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की कुछ ताप विद्युत इकाइयों को आरक्षित रूप से बन्द रखा जाना या आंशिक भार पर चलाया जाना है। जी नहीं, म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड का वर्ष 2016-17 का पी.यू.एफ. जम्मू-कश्मीर एवं झारखण्ड राज्यों को छोड़कर अन्य सभी राज्यों से कम नहीं है। वर्तमान विद्युत परिप्रेक्ष्य, जिसमें प्रणाली में मांग से अधिक की विद्युत उपलब्धता है, में इकाइयों का प्लांट उपलब्धता घटक (पी.ए.एफ.) अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जबकि वर्ष 2002-03 की स्थिति में ऐसा नहीं था। म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का वर्ष 2016-17 का प्लांट उपलब्धता घटक 85.4% रहा, जो अभी तक का सर्वाधिक है।
जिले में विद्युत आपूर्ति एवं क्षमता वृद्धि
[ऊर्जा]
110. ( क्र. 2804 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत प्रत्येक घर को विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराने हेतु कोई योजना क्रियान्वित की जा रही है? जावरा विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु विद्युत की मांग को दृष्टिगत रखते हुए नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों, की क्षमता वृद्धि एवं अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मर लगाने के कार्य स्वीकृत है जिनके कार्य प्रगति पर हैं? सूची देवें। (ख) जावरा विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2013-14 से वित्तीय वर्ष 2017-18 में अक्टूबर, 2017 तक विद्युत अधोसंरचना संबंधी कितने कार्य स्वीकृत किये गये, कितने पूर्ण किये गये, कितने अपूर्ण हैं एवं कितने अप्रारंभ हैं? 33/11 के.व्ही. नवीन उपकेन्द्र, पॉवर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि अतिरिक्त पॉवर ट्रासफार्मर, 33 के.व्ही. लाइन 11 के.व्ही. लाइन विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर एवं निम्नदाब लाइन की मात्रा के संदर्भ में जानकारी देवें। (ग) जावरा विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत माह अक्टूबर,2017 के दौरान कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब हुए? माह अक्टूबर,2017 में प्रश्नांकित क्षेत्र में 11 के.व्ही. सिंचाई फीडरों पर कितने घण्टे प्रतिदिन विद्युत आपूर्ति की गई? प्रश्नांकित क्षेत्र में क्या लो वोल्टेज की शिकायतें आई हैं? कितनें विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि के कार्य स्वीकृत होकर लंबित है एवं इनको कब तक पूर्ण किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, जावरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत प्रत्येक घर को विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराने हेतु सौभाग्य योजना क्रियान्वित की जा रही है। जावरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कृषि क्षेत्र में विद्युत की मांग के दृष्टिगत नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र स्थापित करने के कार्य स्वीकृत है, जिनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में विद्यमान 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों पर पूर्व से स्थापित पॉवर ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि एवं अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मर लगाने का कोई भी कार्य स्वीकृत/लंबित नहीं है। (ख) जावरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-18 में अक्टूबर-2017 तक विभिन्न योजनाओं में नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत अधोसंरचना के स्वीकृत कार्य, पूर्ण किये गये कार्य, अपूर्ण कार्य एवं अप्रांरभ कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जावरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत माह अक्टूबर 2017 में 104 वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब हुये तथा अद्यतन स्थिति में उक्त सभी जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदला जा चुका है। प्रश्नाधीन क्षेत्र के अंतर्गत 11 के.व्ही. सिंचाई फीडरों पर माह अक्टूबर 2017 में औसतन 9.43 घण्टे प्रतिदिन विद्युत आपूर्ति की गई। जी हाँ, प्रश्नाधीन क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम रिंगनौद, माण्डवी, असावती, गोंदीधर्मसी, मार्तण्डगंज एवं मावता में कम वोल्टेज प्राप्त होने की शिकायतें आईं थीं जिन्हें अधोसंरचना में तकनीकी सुधार कर निराकृत कर दिया गया है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-18 में अक्टूबर-2017 तक की अवधि में 331 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि के प्रकरण स्वीकृत किये गये थे, जिनमें से 216 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि का कार्य पूर्ण कर दिया गया है एवं 115 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि किये जाने के कार्य लंबित है। उक्त शेष कार्य प्रगति पर है तथा इन कार्यों को पूर्ण किये जाने की संभावित तिथि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।
नवीन क्षमता वृद्धि के कार्यों की जानकारी
[ऊर्जा]
111. ( क्र. 2805 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नागरिकों को सुगमता से पर्याप्त बिजली मिले इस हेतु शासन/विभाग द्वारा अनेक योजनाओं के कार्यों के माध्यम से नवीन विद्युत लाइन, ट्रांसफार्मर फीडर विभक्तिकरण इत्यादि सहित क्षमता वृद्धि के अनेक कार्य किये जा रहे हैं? (ख) यदि हाँ, तो क्या क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति ठीक ढंग से हो सके, इस हेतु जावरा नगर 132 केवी सब-स्टेशन के साथ ही माताजी बडायला तहसील पिपलौदा में भी क्षमता वृद्धि हेतु अति उच्च दाब उपकेन्द्र स्थापित कर नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रीय विद्युत वितरण सुगमता हेतु कार्य प्रस्तावित है? (ग) यदि हाँ, तो जावरा नगर में 132 के.व्ही. सब-स्टेशन एवं माताजी बडायला (पिपलौदा) में अति उच्च दाब उपकेन्द्र प्रस्तावित कर क्षमता वृद्धि हेतु सम्पूर्ण कार्य योजना परीक्षण कर तैयार की गई है? (घ) यदि हाँ, तो अवगत कराए कि उपरोक्त दोनों प्रस्तावित कार्यों के माध्यम से क्या-क्या कार्य किये जाएंगे, जिसके माध्यम से क्षमता वृद्धि का कार्य होगा एवं इस पर कुल कितना बजट स्वीकृत होकर क्या-क्या कार्य किये जाएंगे? कार्य कब प्रारंभ होकर कब पूर्ण होंगे? संपूर्ण कार्य योजना एवं कार्य प्रारंभ होने की स्थिति से अवगत कराएं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) जावरा में 132 के.व्ही. उपकेन्द्र का 220 के.व्ही. उपकेन्द्र में उन्नयन किया जा रहा है। इस उपकेन्द्र में 220/132 के.व्ही. 160 एम.व्ही.ए. क्षमता के दो पॉवर ट्रांसफार्मर लगाये जायेंगे। इस उपकेन्द को वित्तीय वर्ष 2019-2020 में ऊर्जीकृत किये जाने की संभावना है। माताजी बडायला (पिपलौदा) (माताजी बडायला नहीं) में 220 के.व्ही. उपकेन्द्र सैलाना का निर्माण किया जा रहा है। इस उपकेन्द्र में 220/132 के.व्ही. 160 एम.व्हीए. क्षमता के दो एवं 132/33 के.व्ही. 63 एम.व्ही.ए. क्षमता का एक पॉवर ट्रासंफार्मर स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। इस उपकेन्द को भी वित्तीय वर्ष 2019-2020 में ऊर्जीकृत किये जाने की संभावना है। उक्त उपकेन्द्रों का निर्माण/उन्नयन कार्य पूर्ण होने पर संबंधित क्षेत्र में विद्युत प्रदाय की गुणवत्ता में सुधार परिलक्षित होगा। (ग) जी हाँ, उत्तरांश (ख) में उल्लेखित दोनों अति उच्च दाब उपकेन्द्रों के प्रस्ताव का परीक्षण कर स्वीकृति दी जा चुकी है एवं निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है। (घ) प्रस्तावित 220 के.व्ही. उपकेन्द्र जावरा (132 के.व्ही. से उन्नयन) हेतु कुल लागत राशि रु. 44.93 करोड़ से उपकेन्द्र निर्माण एवं 220 के.व्ही. रतलाम-दलौदा लाइन का जावरा में लाइन इन लाइन ऑउट (लीलो) का कार्य किया जा रहा है। 220 के.व्ही. उपकेन्द्र सैलाना (नवीन उपकेन्द्र) हेतु कुल लागत राशि रू. 126.16 करोड़ से उपकेन्द्र का निर्माण, द्वितीय परिपथ रतलाम (स्विचिंग), सैलाना लाइन का निर्माण, 220 के.व्ही. रतलाम से सैलाना इण्टर कनेक्टर लाइन का निर्माण एवं 132 के.व्ही. सैलाना से 220 के.व्ही. सैलाना 132 के.व्ही. इण्टर कनेक्टर लाइन का कार्य किया जा रहा है। उपरोक्त दोनों उपकेन्दों का निर्माण कार्य प्रांरभ हो चुका है। उक्त उपकेन्द्र ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर योजना के अंतर्गत बनाये जा रहे है एवं इनके वित्तीय वर्ष 2019-2020 में ऊर्जीकृत होने की संभावना है।
संविधान के अनुच्छेद 14 का पालन न करना
[वित्त]
112. ( क्र. 2819 ) श्री मुकेश नायक : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन को संबोधित प्रश्नकर्ता के अर्द्ध शासकीय पत्र दिनांक 20.12.2016 का उत्तर दिनांक 23.08.2016 आठ माह पश्चात सा.प्र.वि. के परिपत्र दिनांक 17.08.2009 में दिये गये निर्देशों का उल्लंघन कर क्यों दिया गया? इसके लिये कौन जिम्मेदार है नाम, पद बताते हुये यह भी बतायें कि प्रश्नकर्ता के पत्र में उल्लेखित तथ्य और आयुक्त, कोष एवं लेखा के पत्र दिनांक 08.01.2016 के अनुशंसा के अनुसार संशोधित आदेश जारी न करने का आधार क्या है? आयुक्त का पत्र दिनांक 08.01.2016 को किस नस्ती में किस दिनांक को प्रस्तुत किया गया तथा उस पर अंतिम निर्णय किस प्राधिकारी ने किस दिनांक को क्या लिया। (ख) वित्त विभाग का पत्र दिनांक 23.08.2017 द्वारा उत्तर दिया गया है कि सहायक मानचित्रकार एवं सहायक वर्ग-2 की पारस्परिक स्थितियां भिन्न हैं, यह उत्तर किस आधार पर दिया गया? पारस्परिक स्थितियां भिन्न होने का दस्तावेजी प्रमाण प्रश्नकर्ता के श्री अनुरूद्ध मुखर्जी, प्रमुख सचिव, वित्त विभाग को प्रेषित अ.शा.पत्र दि. 04.10.2017 में उल्लेखित बिन्दुओं के प्रकाश में बतायें। (ग) प्रश्नकर्ता के अ.शासकीय पत्र दिनांक 04.10.2017 में उल्लेखित समस्त बिन्दुओं से क्या शासन सहमत है? यदि हाँ, तो संशोधित आदेश कब तक जारी किये जायेंगे? यदि नहीं, तो किस बिन्दु से किस आधार पर शासन सहमत नहीं है? दस्तावेजी प्रमाण सहित उत्तर दें।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) यह सही है कि माननीय विधायक के पत्र दिनांक 20-12-2016 का उत्तर दिनांक 23-8-2017 को दिया गया। वेतन विसंगतियों जैसे प्रस्तावों पर निर्णय में व्यापक प्रभाव को द़ृष्टिगत रखते हुए गहन परीक्षण की आवश्यकता रहती है। अत: अन्य पत्राचारों की तुलना में अधिक समय लगना स्वाभाविक है। आयुक्त कोष एवं लेखा के पत्र दिनांक 8-1-2016 को भी विचार में लिया गया परन्तु सहायक मानचित्रकार एवं सहायक वर्ग-2 की पारस्परिक स्थितियां भिन्न होने से वित्त विभाग के परिपत्र दिनांक 21 मई 2015 में संशोधन की आवश्यकता नहीं रही है। माननीय विधायक को प्रेषित पत्र दिनांक 23-8-2017 में इस भिन्नता को स्पष्ट भी किया गया है। (ख) सिंहदेव समिति की अनुशंसा अनुसार वित्त विभाग द्वारा जारी परिपत्र दिनांक 4-3-1997 (संलग्न) में सहायक वर्ग-2 के वेतनमान का उन्नयन होने से सहायक ग्रेड-3 के क्रमोन्नत वेतनमान के प्रक्रमों में संशोधन करना आवश्यक हो गया था। प्रमुख सचिव वित्त विभाग को प्रेषित पत्र दिनांक 4-10-2017 के तथ्यों का उत्तर भी तद्नुसार ही है। (ग) उपर्युक्त (ख) अनुसार।
जनसम्पर्क निधि का मनमाना आवंटन
[सामान्य प्रशासन]
113. ( क्र. 2830 ) श्री कमलेश शाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिले के प्रभारी मंत्री जनसंपर्क निधि का आवंटन विधायक की अनुशंसाओं को दरकिनार करके कर सकते हैं? यदि हाँ, तो नियम की जानकारी देवें? (ख) क्या कारण है कि वर्ष 2017-18 की प्रश्नकर्ता की जनसंपर्क निधि का आवंटन जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा प्रश्नकर्ता की अनुशंसाओं को दरकिनार कर अन्यत्र कर दिया? (ग) किनकी अनुशंसाओं पर यह राशि आवंटित की गई? अनुशंसा पत्रों की छायाप्रति देवें। इसे कब तक निरस्त कर प्रश्नकर्ता अनुशंसाओं पर निधि आवंटित की जावेगी? (घ) ऐसा करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रभारी मंत्री के अधिकार क्षेत्र से संबंधित है। नियम की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश 'क' अनुसार। (घ) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
दो पदों का लाभ
[जनजातीय कार्य]
114. ( क्र. 2833 ) श्री कमलेश शाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कारण है कि उर्मिला भारती म.प्र. भारिया विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष होने के बावजूद जुन्नारदेव ब्लॉक जिला छिन्दवाड़ा के माली एवं सगोनिया के क्रमश: प्रा.शाला माली, माध्यमिक शाला काली, प्राथमिक शाला संगोनिया में श्रद्धा स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष बनी हुई है? नियम की प्रति देवें। (ख) किस आधार पर सत्यानारायण भारती को आदेश दिनांक 08.08.2016 में सदस्य नियुक्त किया जबकि वे आदिम जाति विकास छिन्दवाड़ा के आदेश क्रमांक 3772 दिनांक 06.06.2007 के अनुसार चौकीदार के पद पर तामिया ब्लॉक के ग्राम भोडियापानी के छात्रावास में पदस्थ हैं? नियम की छायाप्रति सहित देवें। (ग) किस नियम के तहत उपरोक्त नियुक्ति की गई? (घ) ऐसा करने वाले अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित देवें। उन पर कब तक कार्यवाही की जाकर उपरोक्त निरस्त किया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
पुरानी पोल लाइन को हटाया जाना
[ऊर्जा]
115. ( क्र. 2844 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना जिले में एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा मुरैना-सबलगढ़ रोड निर्माण कार्य में बाधक पोल हटाने का कार्य किस ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है? उसकी श्रेणी क्या है? सुपरविजन एम.पी.ई.वी. द्वारा किया गया है। नवम्बर 2017 की स्थिति में नाम, श्रेणी, पते सहित जानकारी दी जावे। (ख) पुरानी लाइन, पोल हटाने का कार्य आदेश कब, कितनी राशि के जारी हुये? हटाई सामग्री की संख्या, रिटर्न गेट पास की दिनांक, राशि, क्या जो सामग्री जमा नहीं हुई है, उसकी राशि ठेकेदार से काटी जावेगी? सामग्री की आयटमवार सहित जानकारी दी जावे। (ग) क्या ठेकेदार द्वारा अनुमोदित वेण्डर सूची से सामग्री क्रय किये जाने का प्रावधान है? क्या उसका पालन किया गया है? सुपरविजन अधिकारी द्वारा ठेकेदार के कितने देयक सत्यापित किये हैं? प्राक्कलन अनुसार पूर्ण जानकारी दी जावे। (घ) मुरैना-सबलगढ़ विद्युत लाईनों का कितना कार्य शेष रह गया है तथा ठेकेदार का सर्विस टैक्स एवं सेंटेज का देयकों में भुगतान किया गया है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) नवम्बर 2017 की स्थिति में मुरैना जिले में एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा मुरैना-सबलगढ़ रोड निर्माण कार्य में बाधक पोल हटाने का कार्य म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा निर्धारित की गई ठेकेदार एजेन्सी मे. राजश्यामा कंस्ट्रक्शन प्राईवेट लिमिटेड, संजय नगर, गाजियाबाद (उ.प्र.) द्वारा 'अ' श्रेणी के ठेकेदार श्री बृजेन्द्र सिंह तोमर के माध्यम से कराया जा रहा है। उक्त कार्यों का सुपरविजन म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा किया गया है। 'अ' श्रेणी के उक्त ठेकेदार श्री बृजेन्द्र सिंह तोमर का पता-न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी मुरैना है। (ख) प्रश्नाधीन पुरानी लाइन एवं पोल हटाने हेतु जारी कार्यादेश दिनांक, राशि, प्राक्कलन अनुसार हटाई जाने वाली एवं हटाई गई सामग्री की मात्रा/राशि तथा रिटर्न गेट पास की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। ठेकेदार द्वारा आयरन स्क्रेप 1459.28 कि.ग्रा. एवं कन्डक्टर स्क्रेप 6.8 कि.ग्रा. वापस नहीं किया है। इस संबंध में संभागीय प्रबंधक म.प्र. सड़क विकास निगम चंबल संभाग ग्वालियर को उप-महाप्रबंधक (एस.टी.सी.) मुरैना द्वारा पत्र दिनांक 01.11.2017 के माध्यम से अवगत कराया गया है कि संबंधित ठेकेदार जब तक उक्त स्क्रेप सामग्री वापस होने संबंधी अनापत्ति प्रमाण-पत्र उप-महाप्रबंधक (एस.टी.सी.), म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, मुरैना से प्राप्त नहीं कर लेता तब तक उसके देयक पारित नहीं किये जायें। ठेकेदार द्वारा हटाई जाने वाली सामग्री, वापिस की गई सामग्री एवं वापिस करने हेतु शेष सामग्री की मात्रा का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा परिपत्र दिनांक 07.11.2016 से जारी सूची में अनुमोदित वेण्डर से निर्माण हेतु सामग्री क्रय किये जाने के लिये निर्देश जारी किये गये थे। उप-महाप्रबंधक (एस.टी.सी.) एवं प्रबंधक (एस.टी.सी.) मुरैना द्वारा उपरोक्त सूची में उल्लेखित वेण्डरों के अलावा गैर अनुमोदित वेण्डरों से क्रय की गई सामग्री को भी मान्य करते हुये निर्मित कार्य का अधिग्रहण किया गया था। उक्त सामान मानक स्तर का ही था परंतु मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के उपरोक्त परिपत्र के उल्लंघन करने के कारण मुख्य महाप्रबंधक (ग्वा.क्षे.) ग्वालियर द्वारा तत्कालीन प्रबंधक (एस.टी.सी.), मुरैना श्री प्रधुम्न गजभिये एवं उप-महाप्रबंधक (एस.टी.सी.) श्री पी.एस. तोमर को क्रमशः पत्र दिनांक 29.06.2017 एवं दिनांक 06.06.2017 के द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किये गये। उक्त अधिकारियों द्वारा 'कारण बताओ नोटिस' के दिये गये प्रति उत्तर संतोषजनक नहीं पाये जाने पर श्री पी.एस. तोमर, उप महाप्रबंधक की आगामी एक वेतन वृद्धि मुख्य महाप्रबंधक (ग्वा.क्षे.), ग्वालियर के आदेश दिनांक 21.11.2017 से रोक दी गई है तथा श्री प्रधुम्न गजभिये, प्रबंधक को आगामी एक वेतन वृद्धि मुख्य महाप्रबंधक (ग्वा.क्षे.), ग्वालियर के आदेश दिनांक 21.11.2017 से रोक दी गई है। सुपर विजन का कार्य एस.टी.सी. संभाग मुरैना द्वारा किया गया है। 5 प्रतिशत सुपरविजन योजना के तहत विद्युत वितरण कंपनी का दायित्व कार्यों का सुपरविजन कर मानक स्तर के कार्य कराये जाने का होता है तथा ठेकेदार के कार्यों का मापन एवं बिल भुगतान संबंधी कार्यवाही आवेदक संस्था द्वारा की जाती है। ठेकेदार के बिलों का सत्यापन आवेदक संस्था मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के द्वारा किया गया है। अतः प्रश्न नहीं उठता। (घ) सबलगढ़ से अटार रोड़ का एक प्राक्कलन एवं उससे संबंधित विद्युत लाइन का कार्य शेष है, जो कि प्रगति पर है। उक्त कार्य मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा कराया जा रहा है एवं देयकों का भुगतान भी संबंधित द्वारा किया गया है। प्राप्त जानकारी अनुसार प्रश्नाधीन कार्य के देयकों में म.प्र. सड़क विकास निगम के नियमानुसार 7 प्रतिशत सेंटेज का भुगतान किया गया है एवं सर्विस टैक्स का भुगतान नहीं किया गया है।
अनुसूचित जाति के कृषकों के पम्प ऊर्जीकरण में देरी
[अनुसूचित जाति कल्याण]
116. ( क्र. 2846 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना जिले में अनुसूचित जाति कल्याण योजना के तहत अनुसूचित जाति किसानों के पम्प ऊर्जीकरण के आवेदन वर्ष 2015 से व और अधिक समय से लम्बित होने के बावजूद नवम्बर 2017 तक कार्य नहीं हो सका है, क्यों? (ख) प्रभारी मंत्री मुरैना द्वारा वर्ष 07.12.2015 एवं 08.12.2015 की बैठक उक्त कार्यों का अनुमोदन के बाद भी विभाग द्वारा न तो राशि जारी की और न ही कार्यों को प्राथमिकता से कराने में रूची दिखाई है? कार्यों में विलम्ब के क्या कारण हैं? (ग) क्या शासन द्वारा अनुसूचित जाति कल्याण की योजनाओं में अधिकारी प्राथमिकता से रूचि नहीं ले रहे हैं, जिससे जाति के किसान, बेवा महिलाएं परेशान होकर कार्यालयों में चक्कर लगाती रहती हैं। (घ) वर्ष 2015 से लम्बित सूची क्रमांक 23 एवं सूची क्रमांक 21 अनुसूचित किसान का पम्प ऊर्जीकरण नहीं हो सका है, इस धीमी गति के लिये कौन अधिकारी, कर्मचारी जिम्मेदार है? उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। उपलब्ध आवंटन अनुसार पम्प उर्जीकरण के कार्य कराये गये हैं। 70 किसानों के पम्पों का उर्जीकरण किया गया है। शेष 185 लंबित हैं। (ख) जी नहीं। दि. 7.12.2015 को जिला संयोजक, मुरैना द्वारा विद्युत विभाग, मुरैना को 64 अनुमोदित कार्यों की सूची प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति हेतु प्रेषित किया गया था। उपलब्ध आवंटन की सीमा में कार्य कराये जाते हैं। अत: शेष कार्य लंबित रहते हैं। (ग) जी नहीं। (घ) दि. 07.12.2015 की सूची के क्रमांक 21 पर महेन्द्र/बद्रीप्रसाद एवं 23 पर श्रीमती बैजेन्ती बाई का नाम अंकित था। विद्युत विभाग से प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति विलंब से प्राप्त होने के कारण उनके कार्य नहीं हुए। जिम्मेदारी का निर्धारण कर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
विद्युत कम्पनी द्वारा मेन्टीनेंस कार्य
[ऊर्जा]
117. ( क्र. 2892 ) श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र बमोरी में विद्युत मेन्टीनेंस हेतु शासन से विगत 3 वर्षों में आवंटन प्राप्त हुआ है? यदि हाँ, तो कितना वर्षवार विवरण दें। प्राप्त आवंटन में कौन-कौन से कार्यों को प्राथमिकता में लेकर कार्य किये गये? सूची देवें। (ख) विधानसभा क्षेत्र बमोरी में 33/11 के.व्ही.ए. विद्युत लाइन के किन ग्रामों में पुराने तारों के स्थान पर नई लाइन तार बदले गये हैं? सूची देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार पुरानी लाइन बदली गई है, तो किन-किन ग्राम एवं स्थानों में सूची प्रस्तुत करें तथा उन पर कितनी राशि व्यय की गई? कार्यों एवं ग्रामों की सूची सहित अवगत करायें। शेष रहे ग्रामों का कार्य कब तक पूर्ण किया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र बमोरी में विद्युत मेन्टेनेंस के कार्यों हेतु म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विगत 3 वर्षों में आवंटित की गई राशि का वर्षवार विवरण निम्नानुसार है :-
क्रमांक |
वर्ष |
आवंटित राशि (लाख रू. में) |
1 |
2015-16 |
13.23 |
2 |
2016-17 |
12.53 |
3 |
2017-18 |
5.94 |
उक्त आवंटित राशि से आवश्यकता के अनुरूप किये गये विद्युत मेन्टेनेंस के कार्यों की वर्षवार सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) विधानसभा क्षेत्र बमोरी में 11 के.व्ही. के 3 फीडरों की लाईनों के पुराने तारों के स्थान पर नये तार लगाए गये हैं, जिनका ग्रामवार विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार विधानसभा क्षेत्र बमोरी में 11 के.व्ही. के 3 फीडरों की लाईनों के तारों को बदलने में रू. 3.88 लाख की राशि व्यय हुई है। उक्त कार्य की ग्रामवार/स्थानवार जानकारी एवं फीडरवार तार बदलने में व्यय की गई राशि का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। विद्युत मेन्टेनेंस का कार्य सतत् रूप से चलने वाला कार्य है, जिसे कार्यों की आवश्यकता/प्राथमिकता एवं वित्तीय उपलब्धता के अनुसार कराया जाता है। उक्त प्रक्रिया के अनुरूप प्रश्नाधीन क्षेत्र के शेष ग्रामों में कार्य की आवश्यकता/वित्तीय उपलब्धता के दृष्टिगत मेन्टेनेंस का कार्य कराया जायेगा, जिस हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
कार्य एवं व्यय की जानकारी
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
118. ( क्र. 2894 ) श्री रामपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहडोल जिले में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के तहत राशि आवंटित की गई है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो विभाग को वर्ष २०१४ प्रश्न दिनांक तक वर्षवार कितनी राशि आवंटित की गई और आवंटित राशि से कौन-कौन से कार्य कराये गये? प्रत्येक कार्य की स्वीकृत दिनांक, कार्य की लागत एवं कार्य की भौतिक स्थिति, कार्य पूर्णता सत्यापन अधिकारी की जानकारी सहित दस्तावेजों के सांथ विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी जावे।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई कर्मी घोषित करना
[जनजातीय कार्य]
119. ( क्र. 2897 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना जिले के अंतर्गत विभिन्न विभागीय छात्रावास/आश्रमों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई कर्मियों का वेतन दिए जाने हेतु 04 सदस्यीय समिति की अनुशंसा पश्चात कार्यालय कलेक्टर (जनजातीय कार्य विभाग) सतना ने पत्र क्रमांक/स्था./आ.जा.क./2017-18/ 2711 दिनांक 01/09/2017 द्वारा 73 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई कर्मियों का वेतन दिए जाने हेतु प्रस्ताव अनुमोदन हेतु आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग म.प्र. भोपाल को प्रेषित किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो क्या विभाग द्वारा प्रेषित प्रस्ताव के आधार पर अनुमोदन दिया गया? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या सतना जिले में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी निरंतर स्थाई कर्मियों का वेतन लाभ दिए जाने हेतु जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से मांग की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या अनुमोदन न प्राप्त होने पर पुनः कार्यालय कलेक्टर सतना (जनजातीय कार्य विभाग) द्वारा स्मरण पत्र क्र.3562 दिनांक 13/10/2017 के माध्यम से अनुमोदन दिए जाने हेतु आयुक्त जनजाति कार्य विभाग म.प्र. भोपाल को भेजा गया है? यदि हाँ, तो उपरोक्त पत्रों पर अभी तक विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जिला संयोजक सतना को आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग के पृ.क्रमांक/स्था.3-2/2281/2017/28764 दिनांक 23.11.2017 द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 17.10.2016 तथा समसंख्यक परिपत्र दिनांक 03.05.2017 के निर्देशों के अनुरूप जिले के स्तर पर अधिकार होने से नियमानुसार कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है। (ग) जी हाँ। प्रश्नांश ''ख'' अनुसार।
बिजली बिल की जानकारी
[ऊर्जा]
120. ( क्र. 2898 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में माह अक्टूबर 2017 का बिना रीडिंग लिए एवरेज बिल के आधार पर मनमानी राशि दर्ज कर बिजली के बिल भेजे गए हैं? यदि हाँ, तो कारण स्पष्ट करें? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो क्या सतना शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं को माह अक्टूबर 2017 में भेजे गए बिजली बिल जिनके राशि रूपये 10,000 से अधिक का प्रदाय किया गया हो, की विद्युत वितरण केन्द्रवार उपभोक्तावार जानकारी उपलब्ध करायें? (ग) क्या सतना शहरी क्षेत्र, कोठी रोड गढ़िया टोला निवासी श्री असफाक इलाही के नाम आई.वी.आर.एस. क्रमांक 9772842000 का माह अक्टूबर 2017 का बिजली बिल रूपये 10972 का भेजा गया है, जिसका भुगतान प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा किराये के मकान में रहते हुए स्वयं करना पड़ता है जबकि इसके पूर्व माहों का ऑनलाइन/paytm के माध्यम से नियमित भुगतान किया जा चुका है लेकिन 01 माह का (अक्टूबर) इतना भारी भरकम बिल कैसे भेजा गया कारण स्पष्ट करते हुए लापरवाही करने वाले अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध क्या अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी एवं बिजली बिल सुधार करते हुए संशोधित बिजली बिल भेजा जावेगा? (घ) क्या इसी तरह गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले गरीब उपभोक्ताओं तथा किसानों के दो हार्सपॉवर के स्थान पर 05 हार्सपॉवर के बिजली बिल भेजे जाते हैं, जिस कारण बिजली बिल समय पर भुगतान करने में दिक्कतें होती हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं, सतना जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में माह अक्टूबर 2017 में मीटर युक्त कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को मीटर रीडिंग के अनुसार ही बिल भेजे गए है। उक्त क्षेत्र में प्रश्नाधीन अवधि में जो मीटर खराब/बंद पाए गए हैं, उन्हें म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 8.35 के अनुसार औसत खपत के आधार पर तथा जिन घरेलू एवं कृषि श्रेणी के कनेक्शनों में मीटर नहीं है, उन विद्युत उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार निर्धारित खपत के आधार पर बिल भेजे गए हैं। विद्युत प्रदाय संहिता, 2013 की कंडिका 8.35 तथा बगैर मीटर वाले घरेलू एवं कृषि श्रेणी के कनेक्शनों हेतु लागू दर आदेश के अंश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र में म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी वैधानिक प्रावधानों/दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार बिल दिये गये हैं, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) सतना शहरी क्षेत्र, कोठी रोड गढि़या टोला निवासी श्री अशफाक इलाही के नाम आई.वी.आर.एस. क्रमांक 9772842000 का घरेलू कनेक्शन है। उक्त उपभोक्ता को माह सितम्बर 17 का रू. 10972/- का बिल मीटर में दर्ज खपत 1307 यूनिट के आधार पर माह अक्टूबर 17 में भेजा गया है। उक्त विद्युत बिल वास्तविक एवं सही है, अत: बिल में संशोधन की आवश्यकता नहीं है। उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) जी नहीं।
बकाया विदयुत बिल होने की स्थिति में नाम परिवर्तन
[ऊर्जा]
121. ( क्र. 2903 ) डॉ. मोहन यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) किसी घरेलु/व्यवसायिक विदयुत कनेक्शन धारी उपभोक्ता के विदयुत कनेक्शन सर्विस क्रमांक में पूर्व विदयुत उपभोग बकाया बिल होने की स्थिति में बगैर बिल का भुगतान कराए उक्त उपभोक्ता के उसी स्थान पर नाम परिर्वतन कर बिल माफ किए जाने संबंधी नियम है, तो उसकी प्रतिलिपि उपलब्ध कराएं? (ख) उज्जैन नगर में म.प्र. विदयुत मण्डल द्वारा किसी उपभोक्ता का बगैर पूर्व बकाया बिल जमा किये उसी स्थान पर नाम परिवर्तन कर नवीन कनेक्शन दिया जाना तथा किसी उपभोक्ता की अत्यधिक बकाया विदयुत बिल राशि को अत्यधिक न्यूनतम किया गया है? यदि हाँ, तो विस्तृत जानकारी प्रदान करें। (ग) बी.पी.एल. कार्डधारी के बकाया बिल को अधिकतम कितने प्रतिशत तक माफ किया जा सकता है? किन-किन परिस्थितियों में? (घ) एक ही स्थान पर पूर्व विदयुत बिल बकाया होने की स्थिति में उसी स्थान पर नवीन विदयुत कनेक्शन दिये जाने संबंधी जानकारी प्रदान करें और यदि नहीं, तो ऐसा किए जाने की स्थिति में दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 7.25 के अनुसार किसी भी विद्युत उपभोक्ता के विद्युत कनेक्शन का नाम परिवर्तन, परिसर के स्थानान्तरण संयोजित भार में परिवर्तन या टैरिफ श्रेणी में परिवर्तन उपभोक्ता एवं अनुज्ञप्तिधारी की आपसी सहमति से किये जाने का प्रावधान है। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 4.12 के प्रावधानों के अनुसार किसी परिसर में पूर्ववर्ती बकाया राशि के भुगतान के उपरांत ही विद्युत कनेक्शन दिये जाने का प्रावधान है। विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की उक्त कंडिकाओं की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं, उज्जैन नगर में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा किसी भी उपभोक्ता का बगैर पूर्व बकाया विद्युत बिल जमा कराए उसी स्थान पर नाम परिवर्तन कर नवीन कनेक्शन दिये जाने तथा किसी भी उपभोक्ता की बकाया विद्युत बिल की राशि को अत्यधिक कम किये जाने की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। (ग) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में बकाया विद्युत बिल माफ किये जाने संबंधी कोई योजना प्रचलन में नहीं है। (घ) उज्जैन (संचा-संधा) वृत्त के अन्तर्गत एक ही स्थान पर पूर्व विद्युत बिल बकाया होने की स्थिति में उसी स्थान पर कोई नवीन विद्युत कनेक्शन नहीं दिया गया है, अत: किसी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
अनु.जाति/जनजाति बस्ती विकास योजना में प्राप्त आवंटन
[अनुसूचित जाति कल्याण]
122. ( क्र. 2910 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले में अनु.जाति/कल्याण विभाग द्वारा कौन-कौन सी योजनायें संचालित हैं? अप्रैल 2016 से प्रश्न दिनांक तक कितना-कितना वित्तीय आवंटन किस-किस योजना में प्राप्त हुआ है? योजनावार जानकारी दें। भितरवार विधानसभा क्षेत्र में किस-किस योजना में क्या-क्या निर्माण कार्य या अनु.जाति/जनजाति के हितग्राहियों के लिये क्या-क्या लाभ किस-किस जनप्रतिनिधि/अधिकारी या अन्य की अनुशंसा से दिया है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार बस्ती विकास योजना में उक्त अवधि में क्या-क्या निर्माण कार्य किस-किस स्थान पर किस-किस की अनुशंसा पर कितनी-कितनी लागत से स्वीकृत किये गये थे तथा किस ऐजेन्सी द्वारा किस-किस यंत्री के सुपरविजन में उनका निर्माण कराया गया है तथा कराया जा रहा है? क्या निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सही है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) ग्वालियर जिले में संचालित अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' अनुसार एवं जनजातीय कार्य विभाग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '2' अनुसार है। अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा प्राप्त आवंटन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '3' अनुसार एवं जनजातीय कार्य विभाग द्वारा प्राप्त आवंटन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '4' अनुसार है। भितरवार विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों की योजनावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '5' अनुसार एवं जनजातीय कार्य विभाग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '6' अनुसार है। हितग्राहीमूलक योजनाओं में जनप्रतिनिधी/अधिकारी की अनुशंसा का प्रावधान नहीं है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '7' अनुसार है। (ख) अनुसूचित जाति से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '8' एवं जनजातीय कार्य विभाग से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '9' अनुसार है। कार्य एजेंसी लोक स्वास्थ्य विभाग के उपयंत्री, सहायक यंत्री, ग्राम पंचायत में उपयंत्री, सहायक यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी नगर पालिका भितरवार के उपयंत्री, सहायक यंत्री, आदिम जाति कल्याण विभाग के उपयंत्री, सहायक यंत्री के सुपरविजन में कार्य कराया गया है, कराया जा रहा है। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता के संबंध में शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
विद्युत संबंधी शिकायतों का निराकरण
[ऊर्जा]
123. ( क्र. 2915 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले में विदयुत विभाग में वर्तमान में कितने पद स्वीकृत हैं, कितने पद भरे हैं एवं कितने पद रिक्त हैं? (ख) ऊर्जा विभाग की लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंर्तगत सेवाओं के लिए जो समय-सीमा निर्धारित है उस समय-सीमा में यदि कार्य नहीं हो पाता है तो कर्मचारियों द्वारा बिना उपभोक्ता की जाँच किये गलत निराकरण दिखा दिया जाता है, जिससे उपभोक्ता अपील करने के लिये मजबूर हो जाता है? (ग) क्या ग्रामों में ट्रांसफार्मर एवं विदयुत लाइन खराब होने पर उन्हें समय पर नहीं सुधारा जाता है जिससे ग्रामीण जनता परेशान होती है तथा सिंचाई न हो पाने के कारण किसानों की फसलों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है? (घ) क्या विद्युत की लाइन खराब होने, ट्रांसफार्मर खराब, बिजली बिल खपत से अधिक आने, आंकलित खपत दिये जाने आदि की शिकायत प्राप्त होने पर विद्युत विभाग द्वारा कर्मचारियों की कमी का बहाना लेकर बार-बार टाला जाता है जिससे ग्रामीण जनता परेशान होती है? इस समस्या के निराकरण के लिये शासन क्या कार्यवही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अंतर्गत पन्ना जिले में वर्तमान में 213 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 203 पद भरे हैं एवं 10 पद रिक्त हैं। (ख) जी नहीं, लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अन्तर्गत ऊर्जा विभाग से संबद्ध सेवाओं के लिये प्राप्त आवेदनों पर निर्धारित समय-सीमा में कार्य सम्पादित होने पर ही उन्हें निराकृत दिखाया जाता है। उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले में दिनांक 24.11.2017 की स्थिति में लोक सेवा गारंटी की ई-डिस्ट्रिक्ट वेबसाईट के अनुसार पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से संबंधित 418 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 236 आवेदन अपूर्ण हैं। शेष 182 आवेदनों में से 161 आवेदनों को समय-सीमा में तथा 15 आवेदनों को समय-सीमा के पश्चात निराकृत किया गया है तथा वर्तमान में लंबित 6 आवेदन निर्धारित समय-सीमा के अंदर के हैं। (ग) वर्तमान में लागू नियमों के अनुसार जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मरों से जुड़े 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान करने पर अथवा कुल बकाया राशि का 20 प्रतिशत जमा होने के उपरांत इन जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदला जाता है। उक्त दोनों शर्तों में से किसी एक की भी पूर्ति होने पर जले/खराब ट्रांसफार्मर को निर्धारित समयावधि में बदले जाने हेतु तत्काल कार्यवाही किये जाने के निर्देश हैं। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उक्त नियमों के अनुरूप बकाया राशि जमा होने पर जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर को वर्षा ऋतु (जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर) में 7 दिवस में तथा वर्ष की अन्य अवधि में 3 दिवस में बदले जाने के निर्देश हैं। वितरण कंपनी द्वारा उक्त नियमों का पालन किया जा रहा है। वर्ष में दो बार यथा वर्षाकाल के पूर्व एवं वर्षाकाल के पश्चात विद्युत लाईनों सहित विद्यमान विद्युत अधोसंरचना के मेन्टेनेंस का कार्य करवाया जाता है। साथ ही समय-समय पर विद्युत लाइन खराब होने की शिकायत/जानकारी प्राप्त होने पर तत्काल सुधार कार्य करवाकर विद्युत प्रदाय सामान्य कर दिया जाता है। उक्त परिप्रेक्ष्य में उपभोक्ताओं के परेशान होने अथवा फसल प्रभावित होने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) जी नहीं वितरण कंपनी द्वारा प्रश्नांश में उल्लेखित शिकायतें प्राप्त होने पर तत्काल निर्धारित समयावधि में निराकरण की कार्यवाही की जाती है। उपभोक्ताओं की शिकायत दर्ज करने हेतु वितरण केन्द्र एवं कम्पनी स्तर पर केन्द्र स्थापित हैं तथा शिकायतों के निराकरण हेतु समय-समय पर शिकायत निवारण शिविर भी लगाये जाते हैं।
आंगनवाड़ी केन्दों की अनियमितताएं
[महिला एवं बाल विकास]
124. ( क्र. 2916 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वर्ष २०१५ से प्रश्न दिनांक तक पन्ना जिले में आंगनवाड़ी केन्द्रों में कितने कुपोषित बच्चों का चयन किया गया तथा उनके कुपोषण को दूर करने के लिये कितने फालोअप दिये गये? तहसीलवार, आंगनवाड़ी केन्द्रवार बतावें? (ख) क्या आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन न करने के कारण बच्चे कुपोषित हो जाते हैं तथा न तो बच्चों के समय पर टीकाकरण कराया जाता और न ही बच्चों के पोषण के लिये जो खाद्यान्न आदि शासन द्वारा दिया जाता हैं, उन्हें बच्चों को नहीं दिया जाता है? (ग) पन्ना जिले की आंगनवाड़ियों के विकास के लिये कितनी राशि वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक आवंटन हुई? उस आवंटन के विरूद्ध कितनी राशि किस-किस कार्य में व्यय की गई? आंगनवाड़ी केन्द्रवार बतावें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) पन्ना जिले में प्रश्नांकित अवधि में आंगनवाड़ी केन्द्रों में 4685 कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया तथा उनके कुपोषण को दूर करने के लिये 3045 बच्चों का फॉलोअप दिया गया। तहसीलवार, आंगनवाड़ी केन्द्रवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “अ“ अनुसार है। (ख) जी नहीं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन किया जाता है। टीकाकरण स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाता है, जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सहयोग किया जाता है। विभाग द्वारा प्रदाय खाद्यान्न पात्र हितग्राहियों को प्रदाय किया जाता है। (ग) प्रश्नांकित अवधि में पन्ना जिले में आंगनवाड़ियों के विकास के लिए प्राप्त आवंटन एवं व्यय की आंगनवाड़ी केन्द्रवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र “ब“ अनुसार है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं की भर्ती
[महिला एवं बाल विकास]
125. ( क्र. 2921 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या वर्ष 2017 में दतिया जिले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिकाओं की भर्ती की गई है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ और किस-किस को नियुक्त किया गया है? नियुक्ति आदेश सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) की आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में कितनी आपत्तियाँ प्राप्त हुईं उन आपत्तियों का क्या निराकरण किया उसकी समस्त जानकारी/दस्तावेज सहित उपलब्ध करायें? (ग) क्या कलेक्टर दतिया द्वारा इन आपत्तियों के निराकरण हेतु कोई समिति गठित की गई थी? यदि हाँ, तो उसके गठन के आदेश की प्रति एवं गठित समिति की कब-कब बैठक हुई और उसमें क्या कार्यवाही हुई? बैठक कार्यवाही विवरण एवं निराकरण की प्रतियां उपलब्ध कराई जाए? (घ) उपरोक्त भर्ती प्रक्रिया में गठित समिति द्वारा कोई अनियमितता पाई गई है तो उसके लिऐ कौन जिम्मेदार है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) की आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में कुल 31 आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। कलेक्टर दतिया द्वारा प्राप्त आपत्तियों के निराकरण एवं प्राप्त आवेदनों की रेण्डम जाँच हेतु आदेश क्र./क्यू./एम.एन.व्ही./2017 दिनांक 17/02/2017 के अनुसार समिति का गठन किया गया था। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। गठित समिति के द्वारा शिकायतों/आपत्तियों की सुनवाई प्रारंभ की गई, परन्तु विभागीय परिपत्र एफ 3-2/ 6/50/2 भोपाल दिनांक 10/07/2007 की कंडिका स-04 के तहत मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत की अध्यक्षता में जिला स्तरीय आपत्ति निराकरण समिति, पूर्व से ही गठित होने के कारण विशेष समिति द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। (घ) विभागीय परिपत्र में प्रावधानित जिला स्तरीय आपत्ति निराकरण समिति द्वारा भर्ती प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। भर्ती प्रक्रिया नियमानुसार होने से कोई दोषी नहीं है। अतः शेष का कोई प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
नवीन विद्युत ग्रिड स्थापना
[ऊर्जा]
126. ( क्र. 2924 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भीकनगाँव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत विकासखण्ड झिरन्या में पहाड़ी अंचल दूरस्थ क्षेत्र में किसानों को कृषि उपयोग में आने वाले मोटर पम्प हेतु आवश्यक वोल्टेज की गंभीर समस्या हैं तथा इस समस्या के निराकरण हेतु ग्राम तितरान्या में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र स्थापित करने की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है, तो क्यों? (ख) क्या तितरान्या में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र स्थापित होने पर कितने ग्रामों की घरेलू एवं किसानों को कृषि हेतु आवश्यक विद्युत लाइन में वोल्टेज सुधार होगा? (ग) क्या इस गंभीर समस्या के निराकरण हेतु शीघ्र तितरान्या में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्वीकृति प्रदाय की जावेगी? हाँ तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, प्रश्नाधीन क्षेत्र में कम वोल्टेज प्राप्त होने की समस्या है, जिसके निराकरण हेतु ग्राम तितरान्या में नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण किया जाना तकनीकी दृष्टि से साघ्य पाया गया है। ग्राम तितरान्या में नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार इसी प्रकार के अन्य कार्यों की प्राथमिकता को दृष्टिगत रखते हुए स्वीकृत करने के प्रयास हैं। (ख) तितरान्या में नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र स्थापित होने पर 33 ग्रामों के 2752 घरेलू उपभोक्ताओं एवं इन्हीं ग्रामों के 827 कृषि पंप उपभोक्ताओं को प्राप्त हो रही वोल्टेज में सुधार परिलक्षित होगा। (ग) जी हाँ तथापि उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
कुपोषण के सुधार हेतु कार्यक्रम
[महिला एवं बाल विकास]
127. ( क्र. 2925 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) खरगोन जिला अन्तर्गत वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक कुल कितने कुपोषित बच्चों को चिन्हांकन किया गया है? कृपया जनपदवार संख्या उपलब्ध करावें। उनके पोषण हेतु क्या-क्या कार्य किए गये हैं? क्या कुपोषण से खरगोन जिले अन्तर्गत मृत्यु हुई है? हाँ तो कब मृत्यु हुई है तथा वह संख्या क्या है? (ख) क्या कुपोषित बच्चों को शासन द्वारा पोषित करने हेतु चलाई जा रही योजनाओं से लाभ प्राप्त हुआ है? हाँ तो क्या वर्तमान में कुपोषित बच्चों की संख्या पूर्व वर्षों से कम हुई है? वर्षवार कुपोषित बच्चों की संख्या बतावें तथा मध्यप्रदेश में कुपोषण के मामले में खरगोन जिले का क्या स्थान है तथा भीकनगाँव एवं झिरन्या विकाखण्ड का क्या स्थान है? क्या यह संतोषप्रद है? नहीं तो इसमे सुधार हेतु क्या कार्ययोजना है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) खरगोन जिले में वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक कुल कुपोषित बच्चों की जनपदवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 (1), 1 (2), 1 (3), 1 (4), 1 (5) अनुसार है। कुपोषण से प्रश्नांकित अवधि में खरगोन जिले में किसी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई है। (ख) जी हाँ, विभागीय एम.आई.एस. के आधार पर वर्तमान में कुपोषित बच्चों की संख्या पूर्व वर्षों से कम हुई है जो निम्नानुसार है –
क्रमांक |
वर्ष |
कुपोषित बच्चों की संख्या |
1 |
2013-14 |
61530 |
2 |
2014-15 |
59932 |
3 |
2015-16 |
56996 |
4 |
2016-17 |
59313 |
5 |
अक्टूबर 2017 की स्थिति |
55427 |
कुपोषण के मामले में एन.एफ.एच.एस.-4 की रिपोर्ट के आधार पर कम वजन के बच्चों में खरगोन जिला प्रदेश में घटते क्रम से 22वें स्थान पर है जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। विभागीय एम.आई.एस. में कम वजन/अतिकम वजन के बच्चों के प्रतिशत के आधार पर खरगोन जिले में झिरन्या प्रथम स्थान पर एवं भीकनगाँव सातवें स्थान पर है जिसक विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। यह स्थिति संतोषप्रद नहीं है, इसमें सुधार हेतु विभागीय आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से वर्तमान में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, स्वास्थ्य जाँच, पोषण पुर्नवास केन्द्र, अभिभावक परामर्श, अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन अंतर्गत सुपोषण अभियान संचालित किये जा रहे है।
विभाग द्वारा संचालित छात्रावास
[अनुसूचित जाति कल्याण]
128. ( क्र. 2933 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के द्वारा उज्जैन जिले में कितने छात्रावास और आश्रम संचालित किये जा रहे हैं? इनमें कितने छात्रावासों में अधीक्षक व अन्य पद रिक्त हैं तथा कितने में पद भरे हुए हैं? सम्पूर्ण जानकारी छात्रावास वार उपलब्ध करावें? क्या विभाग द्वारा एक अधीक्षक को एक से ज्यादा छात्रावास का प्रभार भी दिया गया है? यदि हाँ, तो ऐसे कितने अधीक्षक हैं तथा उन्हें कितने-कितने छात्रावास का प्रभार सौंपा गया है? क्या यह नियमानुसार सही है? यदि हाँ, तो नियम की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) इनमें कितने अधीक्षक/कर्मचारी अन्य विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आये हैं? उनके नाम एवं उनकी मूल संस्था कौन सी है? प्रतिनियुक्ति पर आये अधिक्षकों को पिछले वित्तीय वर्ष में कितना मानदेय प्रदान किया गया है? (ग) शैक्षणिक सत्र 2017-18 में छात्रावास में विद्यार्थियों की पंजीकृत संख्या कितनी थी तथा वित्तीय सत्र 2017-18 में इन छात्रावासों में भोजन, वेतन व अन्य समस्त मदों पर विभाग द्वारा कितना आवंटन प्राप्त हुआ है तथा कितना व्यय किया गया है? मदवार जानकारी अलग-अलग उपलब्ध करावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) उज्जैन जिले में संचालित अनुसूचित जाति छात्रावास/आश्रम की जानकारी एवं छात्रावासों में रिक्त/भरे पदों जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। अधीक्षक के पद रिक्त होने से एवं नवीन छात्रावास स्वीकृत होने से स्थानीय व्यवस्था स्वरूप एक से अधिक छात्रावास का प्रभार दिया गया है। (ख) शिक्षा विभाग के 18 शिक्षकों को विभागीय छात्रावास का प्रभार अंशकालीन रूप से सौंपा गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में किसी भी शिक्षक को मानदेय नहीं दिया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ग) शैक्षणिक सत्र वर्ष 2017-18 में छात्रावास में विद्यार्थियों की पंजीकृत संख्या 3180 है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में उपरोक्त छात्रावासों में भोजन, वेतन एवं अन्य समस्त मदों पर प्राप्त आवंटन एवं व्यय की मदवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द अनुसार है।
बिजली कम्पनी द्वारा बाह्य स्त्रोत से कर्मचारियों की नियुक्ति
[ऊर्जा]
129. ( क्र. 2935 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि. इन्दौर द्वारा बाहय स्त्रोत (ऑउट-सोर्स) से अकुशल अर्द्धकुशल एवं कुशल श्रमिकों की सेवाएं ली जा रही हैं? यदि हाँ, तो विगत एक वर्ष में कितने श्रमिकों की सेवाएं ली गई थीं? उनके नाम की सूची देवें। (ख) बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में बाहय स्त्रोत से जिन श्रमिकों की सेवाएं ली जा रही है, उनके लिए श्रमिक प्रदायकर्ता फर्म हेतु क्या शर्तें रखी गई थी तथा क्या श्रमिकों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गई थी? यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) में उल्लेखित जिन श्रमिक श्रेणियों की सेवाएं ली गई हैं, उनकी श्रेणीवार न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता बतावें? (ग) म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि. इंदौर द्वारा वांछित शैक्षणिक योग्यता नहीं होने के कारण श्रमिकों की सेवाएं लेना बन्द किया जा रहा है, वह किस आधार पर किया जा रहा है तथा ऐसे कितने श्रमिक हैं जिनकी सेवाएं कंपनी के द्वारा लेना बन्द की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। प्रश्नाधीन क्षेत्र में विगत 1 वर्ष (1 नवम्बर 2016 से 31 अक्टूबर 2017 तक) में बाह्य स्त्रोतों से रेट कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड के माध्यम से कुल 225 श्रमिकों की सेवाएं ली गईं, जिनकी नामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में बाह्य स्त्रोतों से रेट कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड के माध्यम से जिन श्रमिकों की सेवाएं ली जा रही हैं उनके लिये सेवाप्रदाता फर्म हेतु रखी गई शर्तें रेट कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड में वर्णित है। प्रश्नाधीन अवधि में कुल 5 रेट कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड जारी किए गए हैं। जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है तथा उक्त अवार्ड की छायाप्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र स-1, स-2, स-3, स-4 एवं स-5 में दर्शाए अनुसार हैं। जी हाँ, श्रमिकों की शैक्षणिक योग्यता संबंधी शर्त उक्त अवार्ड की शर्तों में सम्मिलित है। प्रश्नांश (क) में उल्लेखित जिन श्रमिकों की सेवाएं ली गई हैं, उनकी श्रमिकवार एवं श्रेणीवार, शैक्षणिक योग्यता संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ग) सेवाप्रदाता फर्म को रेट कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड की शर्तों के अनुसार श्रमिक उपलब्ध कराने हेतु लेख किया गया है, शैक्षणिक योग्यता नहीं होने के कारण किसी भी श्रमिक की सेवाएं लेना बन्द नहीं किया गया है। तथापि कार्य की आवश्यकता एवं प्रशासनिक स्वीकृति के परिप्रेक्ष्य में तथा श्रमिक के कार्य में असमर्थ होने/लापरवाही बरतने के कारण, उक्त में से 56 श्रमिक ऐसे हैं जिनकी सेवाएं लेना बन्द की गई है।
सिंचाई हेतु विद्युत कनेक्शन
[ऊर्जा]
130. ( क्र. 2937 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर जिले में कितने स्थाई सिंचाई पम्प कनेक्शन 3 हार्स पॉवर तक के एवं कितने 3 हार्स पॉवर से अधिक एवं 5 हार्स पॉवर तक के हैं। माह सितम्बर 2017 की स्थिति में संचालन-संधारण संभागवार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित स्थाई सिंचाई पम्प उपभोक्ताओं में से वर्ष 2017-18 में माह सितम्बर 2017 तक कितने संयोजनों पर विद्युत कंपनी के कर्मचारियों ने भार वृद्धि के पंचनामे बनाकर उनमें से कितनों को बढ़े हुए भार के अनुरूप विद्युत देयक जारी किये जा रहे है। संचालन-संधारण संभागवार, ग्रामवार सूची देवें। (ग) विद्युत विभाग के कर्मचारियों द्वारा कुएं पर जाकर मौके पर मोटर व पम्प की जाँच किसानों की उपस्थिति में की जाती है या उनकी अनुपस्थिति में एवं पंचनामे पर हस्ताक्षर मौके पर ही लिये जाते हैं या बाद में किसी भी व्याक्ति के हस्ताक्षर करवा लिये जाते हैं? (घ) उपभोक्ताओं द्वारा कंपनी की विद्युत मोटर दुकानदारों से 3 व 5 एच.पी. की खरीदने के बाद यदि विभाग द्वारा जाँच में 3 के स्थान पर 5 एच.पी. तथा 5 के स्थान पर 7 एच.पी. की विद्युत मोटर पाई जाती है तो ऐसी स्थिति में कंपनी को दोषी माना जाता है या नहीं? यदि हाँ, तो कार्यवाही की जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मंदसौर जिले में माह सितम्बर, 2017 की स्थिति में 3 हार्स पॉवर तक के कुल 65,552 तथा 3 हार्स पॉवर से अधिक एवं 5 हार्स पॉवर तक के कुल 43,836 स्थाई पम्प कनेक्शन विद्यमान है, जिनकी संचालन-संधारण संभागवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) मंदसौर जिले में वर्ष 2017-18 में माह सितम्बर-2017 तक स्थाई कृषि पम्प के किसी भी उपभोक्ता के कनेक्शन में भार वृद्धि से संबंधित कोई पंचनामा नहीं बनाया गया है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) वितरण कंपनी के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा मौके पर जाकर ही सिंचाई पम्प कनेक्शनों की जाँच, संबंधित उपभोक्ता अथवा मौके पर उपस्थित उनके प्रतिनिधि की उपस्थिति में ही की जाती है तथा मौके पर ही उनके हस्ताक्षर लिये जाते हैं, बाद में किसी भी व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं करवाये जाते हैं। कतिपय प्रकरणों में वितरण कंपनी के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा बनाये जाने वाले पंचनामे पर मौके पर उपस्थित उपभोक्ता अथवा उनके प्रतिनिधि द्वारा अपने हस्ताक्षर नहीं किये जाने पर संबंधित अधिकारी द्वारा पंचनामे पर यह टीप अंकित की जाती है कि संबंधित उपभोक्ता अथवा मौके पर उपस्थित उनके प्रतिनिधि ने पंचनामे पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया। (घ) पम्प लगाने वाले व्यक्ति की यह जिम्मेदारी होती है कि कनेक्शन लेते समय मोटर पम्प की टेस्ट रिपोर्ट निर्धारित श्रेणी के विद्युत ठेकेदार से प्राप्त कर वितरण कंपनी में प्रस्तुत करें। अत: मौके पर जाँच के दौरान पम्प की क्षमता स्वीकृत भार से अधिक पाये जाने पर विद्युत पम्प निर्माता कंपनी को दोषी नहीं माना जाता।
प्रभारी सहायक आयुक्त के विरूद्ध् दण्डात्मक कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
131. ( क्र. 2942 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रभारी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जिला सीधी डॉ. के. के. पाण्डेय के विरूद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर के प्रकरण एम.सी.आर.सी. 18996/2015 आदेश दिनांक 08 मार्च 2016 के द्वारा थाना कोतवाली सीधी में एफ.आई.आर. क्र.-164/14 पर कार्यवाही करने के निर्देश तीन माह के अंदर का दिया गया है। (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में श्री के.के. पाण्डेय के विरूद्ध आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? कृत कार्यवाही की प्रति के साथ जानकारी देवें तथा श्री पाण्डेय द्वारा अपने कार्यकाल में कुल कितनी राशि का व्यय किया है। वर्षवार, मदवार, कार्यवार जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में श्री पाण्डेय के विरूद्ध निलंबन तथा आपराधिक प्रकरण कब तक दर्ज कर अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जाँच कराई जावेगी? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में श्री पाण्डेय को किस उच्च अधिकारी द्वारा बचाकर दण्डात्मक कार्यवाही में विलम्ब किया जा रहा है? उस अधिकारी के विरूद्ध कौन सी कब तक दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर के द्वारा प्रकरण क्रमांक MCRC 18996/2015 में पारित आदेश दिनांक 08.03.2016 अनुसार थाना कोतवाली सीधी में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 164/2015 अंतर्गत श्री के.के. पाण्डेय, प्रभारी सहायक आयुक्त, सीधी के कृत्य के संबंध में पुलिस अधीक्षक, सीधी को अन्वेषण के निर्देश दिये गये हैं एवं यदि अनियमितता में संलिप्तता पाई जाती है, तो विधि अनुसार कार्यवाही की जाकर, आदेश दिनांक से 03 माह की अवधि में प्रतिवेदन देने का निर्देश है। (ख) नगर निरीक्षक थाना कोतवाली सीधी द्वारा मामले की विवेचना की जा रही है। श्री पाण्डेय के कार्यकाल में व्यय की गई राशि का वर्षवार, मदवार, कार्यवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) न्यायालयीन प्रकरण होने से माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप ही कार्यवाही की जा सकेगी। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
प्रदेश में पोषण आहरण सप्लाई
[महिला एवं बाल विकास]
132. ( क्र. 2943 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विधानसभा प्रश्न क्रमांक 41, 313, 700, 1482, 1586 दिनांक 06.12.2016 एवं विधानसभा प्रश्न क्रमांक 91,3694, 5304, 5385 दिनांक 10.03.2017 के संदर्भ में पूरक पोषण आहरण की व्यवस्था में परिवर्तन हेतु उच्च स्तरीय समिति ने विचार कर क्या अनुशंसा की हैं? (ख) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ, इन्दौर में माह सितम्बर 2017 में दिये गये निर्णय अनुसार पोषण आहार का पुराना सिस्टम खत्म कर 30 दिन में नई व्यवस्था लाये जाने के संबंध में राज्य सरकर को निर्देश दिये गये थे? यदि हाँ, तो उक्त्ा निर्देश के पालन में 30 दिन व्यतीत हो जाने के बाद भी प्रश्न दिनांक तक नई व्यवस्था लागू नहीं करने के क्या कारण हैं? (ग) क्या माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 07 अक्टूबर 2004 एवं 13 दिसम्बर 2006 को पोषण आहार वितरण का कार्य ग्राम समितियों, स्व-सहायता समूहों, महिला मंडलों से कराये जाने एवं पोषण आहार की आपूर्ति में ठेकेदारों को शामिल न करने के संबंध में राज्य सरकार को निर्देश दिये थे? यदि हाँ, तो माननीय न्यायालय के उक्त निर्देशों के पालन में प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा व्याप्त कुपोषण की वास्तविक स्थिति प्रदर्शित करने हेतु श्वेत पत्र जारी करने की की गई घोषणा के अनुरूप प्रश्न दिनांक तक श्वेत पत्र जारी न करने के क्या कारण हैं? (ड.) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या राज्य सरकर ने केन्द्र सरकार और माननीय उच्चतम न्यायालय की गाईड-लाईन के अनुसार पोषण आहर आपूर्ति की नई नीति तैयार की है? यदि हाँ, तो यह नीति कब से लागू की गई? यदि नहीं, तो नई नीति न बनाये जाने के क्या कारण हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) पूरक पोषण आहार की व्यवस्था में परिवर्तन हेतु दिनांक 27.9.17 को उच्च स्तरीय समिति की बैठक का कार्यवाही विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। राज्य मंत्रि-परिषद् की बैठक दिनांक 14/11/2017 में पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) की नवीन नीति निर्धारित की गई है। राज्य मंत्रि-परिषद् द्वारा निर्धारित नवीन नीति अनुसार आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) की व्यवस्था शीघ्र लागू की जावेगी। (ग) जी हाँ। माननीय उच्चतम न्यायालय एवं भारत सरकार महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार ही प्रदेश में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार का प्रदाय किया जा रहा हैं। (घ) प्रदेश में व्याप्त कुपोषण की वास्तविक स्थिति के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री द्वारा दिनांक 14/09/2016 को श्वेत पत्र जारी करने के निर्देश दिये गए। गठित समिति द्वारा बिन्दुओं के निर्धारण के संबंध में कार्यवाही की जाना अपेक्षित है। जी हाँ। समिति की बैठक प्रस्तावित है। श्वेत पत्र जारी किये जाने के संबंध में तैयार प्राथमिक जानकारी का परीक्षण पूर्ण न होने से बैठक आयोजित नहीं की गई है। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ड.) जी हाँ। राज्य मंत्रि-परिषद् की बैठक दिनांक 14/11/2017 में पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) की नवीन नीति निर्धारित की गई है। राज्य मंत्रि-परिषद् द्वारा निर्धारित नवीन नीति अनुसार आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) की व्यवस्था शीघ्र लागू की जावेगी।
धोबी जाति को अनुसूचित जाति में सम्मिलित किया जाना
[अनुसूचित जाति कल्याण]
133. ( क्र. 2946 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 17/02/2016 को मध्यप्रदेश विधान सभा द्वारा धोबी/रजक जाति को संपूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की सूची में सम्मिलित करने हेतु सर्वसम्मति से पारित अशासकीय संकल्प के परिप्रेक्ष्य में विभाग के पत्र दिनांक 14/07/2006 के साथ प्रदेश के 45 जिलों की सर्वेक्षण रिपोर्ट एवं आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान के निष्कर्ष दिनांक 06/06/2006 में भारत सरकार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, नई दिल्ली को भेजे गये थे? (ख) यदि हाँ, तो क्या उक्त संस्थान के निष्कर्ष में प्रदेश के सभी जिलों में कराये गये अध्ययन में धोबी जाति की सामजिक स्थिति एक समान है तथा संदर्भ साहित्यों में दिये गये विवरणों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तावित किया था कि धोबी जाति के क्षेत्रीय बंधन को समाप्त करते हुए इन्हें संपूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति में मान्य किये जाने की अनुशंसा की गई थी? (ग) यदि हाँ, तो क्या भारत के महा-रजिस्ट्रार ने उपरोक्त निष्कर्षों पर दिनांक 05/03/2007 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को टिप्पणी नहीं दी थी तथा विधान सभा के प्रस्ताव से असहमति व्यक्त की थी एवं दिनांक 08/03/2007को उपरोक्त टिप्पणी के प्रकाश में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने विधान सभा के प्रस्तावों की पुनर्समीक्षा करने का आग्रह किया था? (घ) यदि हाँ, तो क्या विभाग के पत्र दिनांक 06/08/2010 द्वारा संस्थान से दिनांक 24/07/2007 को विधान सभा के प्रस्तावों की पुनर्समीक्षा नहीं कराकर प्रस्तावित किया कि प्रदेश के भिन्न-भिन्न क्षेत्र में धोबी समुदाय की समाजिक स्थिति भिन्न-भिन्न है। इसलिए धोबी जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति के रूप में सम्मिलित करने का पर्याप्त आधार नहीं हैं? (ड.) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में यदि हाँ, तो संस्थान की सर्वे रिपोर्ट के साथ विभाग के पत्र दिनांक 14/07/2006 एवं 06/08/2010 द्वारा भारत सरकार, सामाजिक न्याय मंत्रालय को धोबी जाति के संबंध में भेजी गई जानकारी लगभग 01 वर्ष में आमूल परिवर्तन किस आधार पर किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ (ग) जी नहीं। जी हाँ। (घ) जी हाँ। (ड.) आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान के प्रतिवेदन दिनांक 24.2.2007 के अनुसार पर्याप्त आधार न होने के कारण परिवर्तन किया गया।
ओंकारेश्वर परियोजना में डूबे घाट का निर्माण
[नर्मदा घाटी विकास]
134. ( क्र. 2949 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास जिले के बागली विधानसभा क्षेत्र के पुन्य धाराजी घाट स्थान जो कि प्राचीन वेदों में भी दर्शाया गया है, ओंकारेश्वर परियोजना में उक्त घाट व ग्राम डूब गया है, घाट डूबने के कारण धार्मिक आस्था के साथ ग्रामीणों को आर्थिक हानि भी हुई है। क्या धाराजी से सीता माता मंदिर ग्राम पीपरी में पाईप लाइन से माँ नर्मदा को लाकर यहां घाट निर्माण किये जाने की शासन की कोई योजना है? अगर हाँ तो कब तक बनाया जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) में महोदय सीता माता मंदिर में घाट निर्माण होता है तो अ.ज.जा. बाहुल्य 100 % क्षेत्र पर्यटन के रूप में विकसित होगा व दो संभागों की धर्म प्रेमी जनता की आस्था बनी रहेगी व धर्म प्रेमी व आर्थिक रूप से आहत जनता का आक्रोश भी ठण्डा पड़ेगा। अत: माता सीता के सीतावन क्षेत्र को घाट निर्माण की सौगात देकर पूर्व की भॉति यहां की आस्था बनी रहे इस हेतु विभाग योजना शीघ्र बनावेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ, जी नहीं। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। विभाग की कोई योजना नहीं है। ओंकारेश्वर बांध जल भराव से धाराजी मेले का आयोजन वर्ष 2007 से बंद होने के पश्चात लोग देवास जिले के जनपद पंचायत खातेगाँव की नगर पंचायत नेमावर में स्नान एवं पूजा के लिए जाते हैं। विधानसभा सत्र फरवरी-अप्रैल 2016 में प्रश्न क्रमांक 7895 से उत्पन्न आश्वासन क्रमांक 1106 के संदर्भ में प्रश्नाधीन स्थल का निरीक्षण कराया गया था। निरीक्षण उपरांत सीता माता का मंदिर धाराजी स्थल से लगभग 14 कि.मी. दूरी पर एवं नर्मदा नदी से 50 मी. की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण पाईप लाइन बिछाना एवं घाट के निर्माण का प्रस्ताव वित्तीय एवं तकनीकी रूप से उपयुक्त नहीं है।
डूब प्रभावितों को मुआवजा राशि का भुगतान
[नर्मदा घाटी विकास]
135. ( क्र. 2950 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम धारजी वि.ख. बागली के (1) कैलाश पि. मांगीलाल (2) रामकरण पिता शोभाराम (3) महेश हरिसिंह (4) नर्मदा प्रसाद हरेसिंह (5) मनोज अर्जुन (6) पप्पू हरेसिंह (7) तेर सिहं देवीलाल (8) समोता देवीलाल (9) गेंदाबाई हरेसिंह - धारा जी ग्राम के मूल निवासी हैं। भू-अर्जन अधि. 1894 की धारा 5 के अधीन बनाये गये नियम (1) और सहपठित धारा 4 (1) के नोटिस मिला था। धारा 12 का सूचना पत्र भू-अर्जन अधि. 1894 की धारा 9 (3) का नोटिस मिला था। सारे आवेदन वगैरह करने के बाद भी इन अ.ज.जा. वर्ग के पात्र लोगों को न तो मुआवजा राशि मिली है न ही शासन द्वारा दिये जाने वाला विशेष पैकेज दिया गया है, क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के इन पात्र व्यक्तियों को किसी प्रकार की मुआवजा राशि (मकानों की) और कहीं और इनका विस्थापन क्यों नहीं किया गया? किन अधिकारियों द्वारा इनका भौतिक सत्यापन किया गया? किस आधार पर इन्हें शासन द्वारा दी गई सुविधाओं से वंचित रखा गया व क्यों? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) आज बार-बार अनेक स्थानों पर अपने आवेदन लेकर मानसिक रूप से व आर्थिक रूप से विक्षिप्त होते जा रहे हैं, इस अ.ज.जा. वर्ग के लोगों के लिए कौन जिम्मेवार है? उक्त प्रकरण में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही कर पात्र व्यक्तियों को कब तक मकानों की मुआवजा राशि प्राप्त हो जावेगी?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। उल्लेखित 09 व्यक्तियों को धारा 9 (3) के तहत नोटिस दिए गए थे तथा इनमें से केवल 02 खातेदार कैलाश पिता श्री मांगीलाल व रामकरण पिता श्री शोभाराम को धारा-12 के नोटिस दिये गये थे जिसमें श्री कैलाश पिता मांगीलाल को भूखंड का रूपये 8431/- तथा मकान का रूपये 37602/- कुल रूपये 46033/- मुआवजा एवं श्री रामकरण पिता शोभाराम को भूखंड का रूपये 7510/- तथा मकान का रूपये 27474/- कुल रूपये 34984/- मुआवजा का भुगतान किया गया है। रामकरण उर्फ रामचरण पिता श्री शोभाराम को स्वीकृति अतिरिक्त पैकेज 0.74 हे. भूमि का रूपये 2.00 लाख दिनांक 26/11/2013 को भुगतान किया गया है। कैलाश पिता श्री मांगीलाल द्वारा अतिरिक्त विशेष पैकेज लेने हेतु निर्धारित प्रारूप में कोई आवेदन नहीं किया गया है इसलिए भुगतान किया जाना संभव नहीं है। शेष 07 व्यक्तियों (1) महेश पिता हरिसिंह (2) नर्मदाप्रसाद पिता हरेसिंह (3) मनोज पिता अर्जुन (4) पप्पू - पिता हरेसिंह (5) तेरसिंह पिता देवीलाल (6) समोता देवीलाल (7) गेंदाबाई हरेसिंह के मकान धारा-4 के पश्चात निर्मित होने तथा पात्रता नहीं होने से अवार्ड में शामिल नहीं किया जिसके कारण मुआवजा भुगतान किया जाना संभव नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) पात्रता न होने से मुआवजा दिया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
प्रदेश में कर्ज की स्थिति
[वित्त]
136. ( क्र. 2981 ) श्री अजय सिंह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2003 में प्रदेश सरकार पर कितना कर्जा था? क्या यह सही है कि कर्ज राशि 21 हजार करोड़ थी? (ख) वर्ष 2003 में प्रति व्यक्ति कितना कर्ज था? (ग) वर्ष 2003 से 2008 के बीच कितना कर्ज राज्य सरकार पर था वर्ष 2013 में कितना था? (घ) वर्ष 2017 में राज्य सरकार पर कितना कर्ज है? (ड.) प्रदेश के प्रति व्यक्ति पर कितना कर्ज है? क्या यह सही है कि प्रदेश प्रतिमाह 2000 करोड़ कर्ज ले रहा है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) 31 मार्च 2003 की स्थिति में रूपये 27181.79 करोड़ का कर्ज था। जी नहीं। (ख) वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर मध्य प्रदेश की जनसंख्या 6,03,48,023 थी। जनगणना की वार्षिक वृद्धि दर 2.03 प्रतिशत वृद्धि के मान से वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या 6,28,23,022 अपेक्षित होती है। अतः वर्ष 2003 की स्थिति में प्रति व्यक्ति कर्ज लगभग रूपये 4326.22 था। (ग) वर्ष 2003 से 2008 एवं वर्ष 2013 के बीच राज्य सरकार पर वित्त वर्ष के अंत में कर्ज की स्थिति निम्नानुसार है :-
(राशि रूपये करोड़ में)
वित्तीय वर्ष |
राज्य सरकार पर कर्ज |
2003-04 |
34671.98 |
2004-05 |
41012.96 |
2005-06 |
45199.79 |
2006-07 |
48225.82 |
2007-08 |
50117.60 |
2012-13 |
77413.87 |
(घ) वर्ष 2016-17 के वित्तीय लेखे महालेखाकार द्वारा जारी नहीं किये गये हैं। अतः 31 मार्च 2017 की कर्ज की स्थिति की जानकारी दी जाना संभव नहीं है। (ड.) 31 मार्च 2016 की स्थिति में प्रति व्यक्ति पर कर्ज रूपये 13840.66 है। जी नहीं।
विद्युतीकरण के कार्य
[ऊर्जा]
137. ( क्र. 3005 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत वर्तमान तक दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अंतर्गत कौन-कौन से ग्रामों/मजरे/टोलों में विद्युतीकरण का कार्य किया गया? (ख) उक्त कार्य कराने का अनुबंध किस कंपनी से हुआ, का नाम बतावें। उक्त योजनांतर्गत कार्यादेश कब जारी किया गया वर्तमान तक अनुबंधित कंपनी द्वारा क्या-क्या कार्य पूर्ण कर लिये हैं? क्या-क्या अपूर्ण रह गये हैं ये कब तक पूर्ण होंगे? (ग) क्षेत्रांतर्गत क्या ग्राम रामबाड़ी में निर्माणाधीन 33/11 नवीन विद्युत सब-स्टेशन का कार्य उक्त योजनांतर्गत ही स्वीकृत है? इस के निर्माण हेतु कौन कंपनी (ठेकेदार) अनुबंधित है? नाम बतावें। इसके द्वारा वर्तमान तक क्या-क्या कार्य पूर्ण कर लिये हैं? क्या-क्या अपूर्ण रह गये हैं व क्यों? ये कब तक पूर्ण होंगे? (घ) योजनांतर्गत अब तक कराये गये विद्युतीकरण कार्य में घटिया सामग्री में अमानक स्तर के कराए गये हैं? कई जगह ट्रांसफार्मर फूंके पड़े हैं। तार जर्जर हो गये हैं। कई जगह लाईनें व खंबे टूट पड़े हैं, इस कारण क्षेत्रीयजनों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। क्या शासन वर्तमान तक करार्य गये अमानक स्तर के कार्यों की जाँच कराएगा व दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) एवं (ख) श्योपुर विधान सभा क्षेत्र सहित श्योपुर जिले हेतु स्वीकृत दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स एलटेक एप्लायंसेज प्रा.लि. चेन्नई को दिनांक 18.01.2017 को अवार्ड जारी किया गया है। उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा अद्यतन स्थिति में प्रश्नाधीन क्षेत्र में किसी भी ग्राम/मजरे/टोले में योजना में सम्मिलित विद्युतीकरण का कार्य नहीं किया गया है। वर्तमान तक उक्त ठेकेदार कंपनी द्वारा श्योपुर जिले में 11 के.व्ही. के 4 फीडरों के विभक्तिकरण एवं विद्यमान 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र 1 अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मर की स्थापना का कार्य पूर्ण किया गया है। उक्त को छोड़कर योजना में सम्मिलित कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। उक्त समस्त कार्य निविदा अनुबंध की शर्तों के अनुसार ठेकेदार एजेन्सी द्वारा अवार्ड जारी करने की दिनांक से 24 माह की अवधि में पूर्ण किये जाने हैं। उक्त योजनान्तर्गत श्योपुर जिले में पूर्ण/अपूर्ण कार्यों का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) ग्राम रामबाड़ी में निर्माणाधीन 33/11 के.व्ही. नवीन विद्युत उपकेन्द्र का कार्य उक्त योजना में स्वीकृत है तथा इसके निर्माण कार्य हेतु ठेकेदार एजेंसी मेसर्स एलटेक एप्लायंसेस प्रा.लि., चैन्नई को अवार्ड जारी किया गया है। उक्त ठेकेदार एजेंसी द्वारा वर्तमान तक 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र रामवाडी से संबंधित कोई कार्य शत्-प्रतिशत पूर्ण नहीं किया गया है। उक्त उपकेन्द्र हेतु सिविल कार्य, 33 के.व्ही. लाइन का कार्य, 11 के.व्ही. लाइन का कार्य एवं सब-स्टेशन हेतु स्ट्रक्चर तथा सभी पॉवर इक्युपमेंट की स्थापना का कार्य शेष है। उक्त कार्य ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार जनवरी 2019 तक पूर्ण किये जाने हैं। (घ) प्रश्नाधीन योजनान्तर्गत वर्तमान तक पूर्ण किये गये 11 के.व्ही. के 4 फीडरों के विभक्तिकरण के कार्यों में निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप निर्धारित स्पेसिफिकेशन/गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया है। उल्लेखनीय है कि वितरण कंपनी के नोडल अधिकारी/तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेन्सी द्वारा योजनान्तर्गत उपयोग की जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता की जाँच प्रदायकर्ता फर्म की कार्यशाला में किये जाने एवं ठेकेदार एजेन्सी के स्टोर में सामग्री प्राप्त होने पर रेंडम सेंपलिंग के आधार पर उसकी गुणवतता की जाँच एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला में कराए जाने का प्रावधान है। साथ ही वितरण कंपनी के नोडल अधिकारी/तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेन्सी द्वारा कार्य की गुणवत्ता की भी सतत् रूप से जाँच की जाती है तथा कार्य में त्रुटि/कमी पाए जाने पर उसका निराकरण संबंधित ठेकेदार एजेन्सी से कराया जाता है। योजनान्तर्गत स्थापित कोई भी ट्रांसफार्मर न तो जला है और न ही कही तार जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। किसी भी स्थान पर विद्युत लाइन एवं खम्बे नहीं टूटे हैं और न ही किसी स्थान का विद्युत प्रदाय बाधित है। अत: उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी प्रकार की जाँच कराए जाने अथवा किसी के दोषी होने का प्रश्न नहीं उठता।
33/11 नवीन विद्युत उपकेन्द्र की स्वीकृति
[ऊर्जा]
138. ( क्र. 3006 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के तारांकित प्रश्न संख्या 10 क्रमांक 682 दिनांक 27/07/2017 के उत्तर में यह जानकारी दी है। श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम जवासा व इसके आस-पास विद्यमान दर्जनों ग्रामों में अधिकांश कृषक विद्युत चलित पम्पों से सिंचाई करते हैं, इन ग्रामों को सामरसा 33/11 सब-स्टेशन से विद्युत प्रदाय होता हैं। फीडर पर उच्चतर मांग की अवधि में अधिकतम भार 200 एम्पीयर दर्ज हुआ हैं जो कि फीडर की क्षमता के अनुरूप हैं। अंतिम छोर पर वोल्टेज रेगूलेशन 07 प्रतिशन हैं जो कि निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं। नतीजन उक्त ग्रामों में वोल्टेज की समस्या नहीं हैं एवं सुचारू विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। यदि हाँ, तो क्या यह सही है कि वास्तविक धरातलीय स्थिति उक्त जानकारी के ठीक विपरीत हैं? प्रश्नाधीन क्षेत्र में प्रतिवर्ष कृषि सीजन में विद्युत की मांग व भार अत्यधिक रहता हैं। इस कारण कृषकों को लो-वोल्टेज के साथ नियमित सुचारू विद्युत सप्लाई नहीं हो पाती है, इस कारण कृषक परेशान रहते हैं व कृषि उत्पादन कार्य भी प्रभावित रहता हैं? यदि नहीं, तो क्या शासन धरातलीय स्थिति की जाँच कराएगा? (ख) यदि हाँ, तो कृषकों के हित में कार्यरत वचनबद्ध सरकार ग्राम जवासा में अविलम्ब उपयुक्त स्थान पर नवीन 33/11 विद्युत सब-स्टेशन स्वीकृत करने के निर्देश विद्युत कम्पनी को जारी करेगा।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय के प्रश्न क्रमांक 682 दिनांक 25.07.2017 (दिनांक 27.07.2017 नहीं) में प्रश्नांश में उल्लेखित जानकारी दी गई थी। वर्तमान में भी प्रश्नाधीन ग्रामों में वोल्टेज की समस्या नहीं हैं एवं सुचारू विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। अत: उक्त संबंध में किसी प्रकार की जाँच कराया जाना आवश्यक नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में ग्राम जवासा में नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण तकनीकी रूप से साध्य नहीं पाया गया है।
विदेश अध्ययन छात्रवृत्ती योजना
[अनुसूचित जाति कल्याण]
139. ( क्र. 3020 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में विदेश अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति योजना संचालित है? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी योजना है तथा इसके लिए कौन-कौन से छात्र-छात्राएं पात्र हैं? इसकी प्रक्रिया क्या है? (ख) क्या सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति विभाग के माध्यम से किसी छात्र या छात्राओं को विदेश अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई गई है या नहीं? (ग) क्या विभाग द्वारा अन्य कोई ऐसी योजना का प्रस्ताव लाया जा रहा है जिससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा हेतु सहायता प्रदान की जा सके?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के अभ्यर्थियों को विदेश में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु छात्रवृत्ति योजना संचालित हैं। योजना अंतर्गत पात्रता एवं प्रक्रिया की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जी नहीं।
जनजातीय कार्य विभाग की संस्थाओं द्वारा सामग्री क्रय न किये जाना
[जनजातीय कार्य]
140. ( क्र. 3045 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अनूपपुर जिले में भण्डार क्रय नियम अंतर्गत विभागीय कार्यालयों/छात्रावासों द्वारा एस.सी./एस.टी. के स्थानीय पंजीकृत विक्रेताओं से सामग्री क्रय नहीं की गयी और न ही की जा रही है? (ख) क्या इस संबंध में सभी कार्यालयों का पुन: निर्देश जारी किये जायेंगे तथा क्या विभाग द्वारा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग क्रय नियम 2002 का पालन सुनिश्चित कराया जायेगा तो कैसे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। अद्यतन शासनादेश के अनुरूप म.प्र. भण्डार क्रय नियम तथा सेवा उपार्जन नियम, 2015 का पालन सुनिश्चित करते हुये क्रय की कार्यवाही की गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाईकर्मी का लाभ
[सामान्य प्रशासन]
141. ( क्र. 3053 ) श्रीमती ममता मीना : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सभी विभागों के दैनिक वेतन भोगी के कर्मचारियों को स्थाईकर्मी किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को सरकार के निर्णय अनुसार लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा? किन-किन जिलों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाईकर्मी का लाभ प्रदान नहीं किया गया तथा किन-किन जिलों में इन कर्मचारियों को स्थाईकर्मी का लाभ प्रदान किया गया हैं? (ग) म.प्र. सरकार की नीति के लाभ हेतु जिलों के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिये विसंगति क्यों रखी गई है? विसंगति का कारण बतायें? (घ) जिन कर्मचारियों को स्थाईकर्मी का लाभ नहीं मिल रहा है उन्हें विसगंतियां दूर कर कब तक लाभ प्रदान किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थायी कर्मी घोषित करने के निर्देश जारी किये गये हैं। (ख) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
पेंशन घोटाले की रिपोर्ट विधान सभा पटल पर रखी जाना
[सामान्य प्रशासन]
142. ( क्र. 3079 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना एवं राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के क्रियान्वयन में हुई अनियमितताओं की जाँच हेतु गठित जाँच आयोग के प्रतिवेदन पर मंत्रि-परिषद् समिति का परीक्षण प्रतिवेदन दिनांक 06.07.2013 सामान्य प्रशासन विभाग को दिनांक 17 मार्च 2013 को सौंपा गया है? (ख) यदि हाँ, तो उक्त जाँच रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर अभी तक न रखे जाने के क्या कारण हैं और कब तक रखी जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना एवं राष्ट्रीय व़ृद्धावस्था पेंशन योजना के क्रियान्वयन में हुई अनियमितताओं की जाँच हेतु गठित जाँच आयोग के प्रतिवेदन पर मंत्रि-परिषद् समिति का परीक्षण प्रतिवेदन दिनांक 11/07/2013 को सामान्य प्रशासन विभाग में प्राप्त हुआ है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा परीक्षण प्रतिवेदन अग्रिम कार्यवाही हेतु दिनांक 27/07/2013 को सामाजिक एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग को भेजा गया है। (ख) सामाजिक एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग में जाँच रिपोर्ट परीक्षणाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में पदपूर्ति
[महिला एवं बाल विकास]
143. ( क्र. 3083 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि शाजापुर जिले में वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक आंगनवाड़ी केन्द्रों में कितने पदों पर सहायिकाओं और कितने पदों पर आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति प्रदान की गई?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : वर्ष 2014-15, से 2016-17 से तक शाजापुर जिला अन्तर्गत छः बाल विकास परियोजना अन्तर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों में आंगनवाड़ी सहायिका पद पर निम्नानुसार नियुक्तियां प्रदान की गई है :-
क. |
परियोजना |
वर्ष |
||
2014-15 |
2015-15 |
2016-17 |
||
1 |
शाजापुर |
04 |
04 |
19 |
2 |
मो.बड़ोदिया |
03 |
25 |
34 |
3 |
बेरछा |
02 |
10 |
17 |
4 |
पोलायकलां |
02 |
11 |
08 |
5 |
शुजालपुर |
01 |
09 |
14 |
6 |
कालापीपल |
निरंक |
16 |
15 |
|
योग |
12 |
75 |
107 |
आंगनवाड़ी केन्द्रों में आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति विभाग द्वारा नहीं की जाती है।
अनुसूचित जाति बस्तियों का विकास
[अनुसूचित जाति कल्याण]
144. ( क्र. 3084 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. में कितने गाँवों में अनुसूचति जाति की संख्या जनसंख्या का 40 प्रतिशत या अधिक है? उज्जैन संभाग के गाँवों में वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजनांतर्गत विकास कार्य पूर्ण करा लिये गये हैं? जिलेवार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित गाँवों के विकास कार्यों जैसे सड़क माली, सामुदायिक भवन आदि शत्-प्रतिशत गाँवों तक करने की क्या कोई समयावधि निर्धारित की है? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) शाजापुर जिले में प्रश्नांश (क) में उल्लेखित गाँवों में से वर्ष 2017-18 में प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि किन-किन गाँवों में आवंटित की गई? ब्लॉकवार, कार्यवार जानकारी देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मध्यप्रदेश के 4177 गाँव में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 40 प्रतिशत या अधिक है। जी नहीं। जिलेवार स्वीकृत पूर्ण कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों की किराया राशि एवं कार्यकर्ताओं की मानदेय राशि का गबन
[महिला एवं बाल विकास]
145. ( क्र. 3085 ) श्री आरिफ अकील : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या भोपाल में किराये के भवनों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों की किराया राशि एवं कार्यकताओं की मानदेय राशि हड़पने के मामले में माह सितम्बर 2017 में थाने में एफ.आई.आर. दर्ज होने के उपरांत कुछ विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों को निलंबित किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो किस-किसके द्वारा कितनी-कितनी राशि हड़पी गई और प्रकरण की अद्यतन स्थिति क्या है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित मामले की भॉति प्रदेश में और कहाँ-कहाँ उजागर हुए हैं? वर्ष 2009 से प्रश्न दिनांक की स्थिति में वर्षवार, जिलेवार अवगत कराते हुए भ्रष्टाचारियों के नाम व पद सहित प्रकरण की अद्यतन स्थिति से अवगत करावें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) भोपाल जिले में किराये के भवनों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों की किराया राशि एवं कार्यकर्ताओं की मानदेय राशि हड़पने के मामले में संचालनालय स्तर से जाँच दल गठित कर जाँच प्रतिवेदन अनुसार 14 विभागीय अधिकारियों/ कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। निलंबित विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) जानकारी निरंक है।
माननीय न्यायालय के निर्देशों की अवमानना करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
146. ( क्र. 3086 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्णित याचिका क्रमांक 9529/13 में की गई अपील क्रमांक 290/16 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 08 जुलाई 2016 को खारिज की गई है? (ख) यदि हाँ, तो क्या विभाग द्वारा प्रश्नांश (क) अनुसार माननीय न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशों को पालन न किए जाने के परिणावमस्वरूप अवमानना याचिका क्रमांक 621/16 तथा अवमानना याचिका क्रमांक 995/17 माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर की गई है? (ग) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क), (ख) में उल्लेखित आदेशों का पालन न करने के क्या कारण हैं और विभाग द्वारा कब तक विधिसम्मत कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों? कारण सहित तथा इस लापरवाही के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है, उनके विरूद्ध शासन द्वारा क्या तथा कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जी नहीं। याचिका क्रमांक 9529/13 में की गई अपील क्रमांक 290/2016 को 08 जुलाई, 2016 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा खारिज नहीं किया गया है, अपितु पूर्व में दिए गए यथास्थिति के आदेश को समाप्त किया गया है। यह सत्य है कि अवमानना याचिका क्रमांक 621/16 एवं 995/17 माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत हुई है, जिसका वाद उत्तर शासन की ओर से प्रस्तुत किया गया है। न्यायालयीन प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में प्रचलित है। अतएव लापरवाही के लिये जिम्मेदारी एवं कार्यवाही अपेक्षित नहीं।
नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्वीकृति
[महिला एवं बाल विकास]
147. ( क्र. 3091 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शासन द्वारा निर्धारित मापदण्डों/जनसंख्या के आधार पर परासिया विधानसभा क्षेत्र की परियोजना-1 एवं परियोजना-2 के अंतर्गत नगरीय/ग्रामीण क्षेत्रों में जितने आंगनवाड़ी केन्द्र/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किये जाने की आवश्यकता है? क्या वर्तमान में विभाग द्वारा परियोजना-1 एवं परियोजना-2 में उतने आंगनवाड़ी केन्द्र/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं? अगर नहीं किये जा रहे हैं तो इसका क्या कारण हैं? प्रत्येक परियोजनावार पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) शासन द्वारा निर्धारित मापदण्डों/जनसंख्या के आधार पर परासिया विधानसभा क्षेत्र की परियोजना-1 एवं परियोजना-2 के अंतर्गत नगरीय/ग्रामीण क्षेत्रों में कितने नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोले जाने की आवश्यकता है? प्रत्येक परियोजनावार पृथक-पृथक जानकारी उपलबध करायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार यदि नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र/मिनी आंगनवाड़ी केन्द खोले जाने की आवश्यकता है तो क्या ऐसे नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों को खोले जाने के संबंध में विभाग द्वारा सर्वेक्षण कार्य कराते हुए, केन्द्रों को खोले जाने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही कराते हुए, नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्वीकृति प्रदान किये जाने हेतु प्रस्ताव प्राप्त किये जायेंगे। अगर हाँ तो कब तक? जानकारी उपलब्ध करायें। (घ) प्रश्नांश (ग) के अनुसार ऐसे नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्वीकृति शासन द्वारा कब तक प्रदान कर दी जायेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। वर्तमान में परासिया विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत विभाग द्वारा परियोजना-1 में 152 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा 16 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र एवं परियोजना-2 में, 175 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा 20 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। जो कि क्षेत्र की निर्धारित जनसंख्या मापदण्ड अनुसार निर्धारित केन्द्रों की संख्या से कम है। समय-समय पर जनसंख्या मापदण्डों की पूर्ति करने पर जिलों से प्राप्त प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किया जाता है। परियोजना-1 में अतिरिक्त 13 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा 08 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र एवं परियोजना-2 में, अतिरिक्त 09 आंगनवाड़ी केन्द्रों की आवश्यकता है। (ख) परियोजना-1 में अतिरिक्त 13 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा 08 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र एवं परियोजना-2 में, अतिरिक्त 09 आंगनवाड़ी केन्द्रों की आवश्यकता है। (ग) नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों को खोले जाने की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा निर्धारित जनसंख्या मापदण्डों के पूरा होने पर दी जाती है। प्रश्नांश (ख) अनुसार जिले से प्राप्त प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकृति हेतु प्रेषित किये गये है। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (घ) जानकारी प्रश्नांश (ग) होने से समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
प्रदेश में पूर्ण शराब बंदी
[वाणिज्यिक कर]
148. ( क्र. 3097 ) श्री जितू पटवारी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पूर्ण शराब बंदी पर शासन की विस्तृत टीप से अवगत करावें तथा बतावें कि प्रदेश के कुल राजस्व प्राप्तियों में 2004-05 से 2016-17 तक शराब से प्राप्त राजस्व का हिस्सा कितने प्रतिशत हैं? क्या शराब के विक्रय से शुद्ध आय (प्राप्तियां व्यय) कुल राजस्व प्राप्तियों की 5 प्रतिशत की नहीं है, तो फिर पूर्ण शराब बंदी क्यों नहीं की जाती? (ख) 2004 से 2016-17 तक सालाना विक्रय की देशी और विदेशी शराब की मात्रा बतावें तथा इसमें प्रतिवर्ष कितने प्रतिशत की वृद्धि या कमी हो रही है? क्या वर्ष 2011-12 से नवीन फुटकर बिक्री की मदिरा दुकान नहीं खोलने के बाद भी मदिरा के विक्रय की मात्रा में प्रति वर्ष 15 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है? यदि हाँ, तो इस पर शासन की टीप से अवगत करावें? (ग) क्या शासन यह मानता है कि शहरों में अपराध की वृद्धि में शराब का बड़ा हाथ है? यदि हाँ, तो बतावें कि 2011-12 से नयी दुकान नहीं खोलने का दावा करने के बाद शहरों में बार लायसेंस की संख्या में 2011-12 से 2016-17 में 35 प्रतिशत की वृद्धि तथा इन बारों में बिकने वाली शराब की मात्रा में 4 गुना वृद्धि क्यों हुई? 2011-12 से 2016-17 में 76 ज्यादा बार को लायसेंस देकर नयी दुकान नहीं खोलने का झूठा दावा क्यों किया जा रहा है? (घ) आबकारी बकाया कि 31 मार्च 2017 की जानकारी बकायादार का नाम, राशि, बकाया की प्रारंभिक दिनांक सहित सूची देवें तथा बतावें कि 2014-15 से 2015-16 में 100 प्रतिशत वृद्धि क्यों हुई? इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट/जानकारी देवें तथा बतावें कि हाल में जो करोड़ों का चालान घोटाला पता लगा है, उसकी अद्यतन स्थिति क्या है? किन-किन पर कितनी राशि के घोटाले का प्रकरण दर्ज है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रदेश में पूर्ण शराब बंदी के संबंध में विभागीय टीप पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। वर्ष 2004-05 से वर्ष 2016-17 तक प्रदेश के कुल राजस्व प्राप्तियां एवं शराब से प्राप्त राजस्व की वर्षवारी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। आबकारी से प्राप्त आय एवं कुल राजस्व प्राप्ति के प्रतिशत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ख) वर्ष 2004-05 से 2016-17 तक देशी एवं विदेशी मदिरा की वर्षवार खपत एवं कमी/वृद्धि के प्रतिशत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। यह कहना सही नहीं है कि मदिरा के विक्रय की मात्रा में प्रतिवर्ष 15 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। वर्ष 2011-12 से मदिरा की खपत में कमी/वृद्धि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। (ग) यह कहना सही नहीं है कि शहरों में अपराध की वृद्धि में शराब का बड़ा हाथ है। इसके संबंध में विस्तृत टीप पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। यह कहना सही है कि वर्ष 2011-12 से 2016-17 तक बार लायसेंसों की संख्या में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एफ.एल.-2/एफ.एल.-3, रेस्तरां तथा होटल बार को लायसेंस देने का मूल उद्देश्य रेस्तरां एवं होटल व्यवसाय को सुविधा देना है, न कि मदिरा व्यवसाय को बढ़ावा देना। शासन का उद्देश्य इनसे शराब व्यवसाय का नहीं है। रेस्तरा एवं होटल बार लायसेंसों से मदिरा की सीलबंद बोतलों का विक्रय नहीं किया जाता है। माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा शहडोल प्रवास के दौरान की गई घोषणा दिनांक 27 अप्रैल 2011 के अनुक्रम में राज्य में वर्ष 01 अप्रैल 2012 से देशी/विदेशी मदिरा की फुटकर बिक्री की कोई भी नवीन दुकान नहीं खोली गई है। इसके अतिरिक्त बार लायसेंस के संबंध में कोई घोषणा नहीं की गई है। (घ) आबकारी बकाया की 31 मार्च 2017 की जानकारी बकायादार का नाम, राशि, बकाया की प्रारंभिक दिनांक सहित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र चार-1 से 30 अनुसार है। यह सही नहीं है कि वर्ष 2014-15 से वर्ष 2015-16 में आबकारी बकाया में 100 प्रतिशत वृद्धि हुई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 के मदिर दुकानों के निष्पादन की कार्यवाही में आवेदकों द्वारा अतिरंजित बोली टेंडर द्वारा देने से 33.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। जिससे पुनर्निष्पादन में खिसारे की स्थिति बनी। पुनर्निष्पादन में खिसारे की स्थिति निर्मित होने से बकाया परिलक्षित हुई है। हाल में इन्दौर जिले में जो करोड़ो का चालान घोटाला पता लगा है, उसकी अद्यतन स्थिति एवं जिन-जिन व्यक्तियों पर घोटाले की राशि का प्रकरण दर्ज किया गया है, उसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-पाँच अनुसार है।
प्रदेश में सरकार द्वारा की गई घोषणाओं की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
149. ( क्र. 3098 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री की जनवरी 2014 से अक्टूबर, 2017 तक की गई घोषणाओं की जिलेवार दिनांक अनुसार अद्यतन स्थिति सूची देवें तथा बतावें कि उक्त अवधि में कुल कितनी घोषणाएं पाईप लाइन में हैं तथा कितनों पर कार्यवाही प्रारंभ नहीं हुई है? (ख) आकाशवाणी पर दिल की बात कार्यक्रम किस माह से प्रारंभ हुआ तथा कितनी राशि का भुगतान किस दर से किया जा रहा है? अभी तक दिल की बात के उद्बोधन की प्रति देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) ''दिल की बात ''नामक कोई कार्यक्रम आकाशवाणी से प्रसारित नहीं होता।
विद्युत मीटरों एवं बिलों की जानकारी
[ऊर्जा]
150. ( क्र. 3135 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले में कितने विद्युत मीटर लगे हैं और कितने खराब पड़े हैं? खराब पड़े मीटर कब तक बदल दिए जाएंगे? जहां मीटर लगे ही नहीं हैं वहां बिलिंग किस पैमाने के तहत की जाती है? (ख) क्या विद्युत बिलिंग में मनमानी हो रही है जहां विद्युत कनेक्शन ही नहीं हैं, उन घरों में भी बिल पहुंचाये जा रहे हैं। क्या जिन ग्रामों के ट्रांसफार्मर महीनों जले रहते हैं, उसके बाद भी उपलभोक्ताओं से बिल वसूला जाता है? (ग) क्या यह भी सच है कि एक कनेक्शन पर डबल बिलिंग की जा रही है? यदि हाँ, तो ऐसे बिलिंग को कब तक कैंसिल अथवा समाधान कर देंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सीधी एवं सिंगरौली जिलों में क्रमश: 1,13,583 एवं 77,320 मीटरयुक्त कनेक्शन हैं जिनमें से क्रमश: 46,898 एवं 6,406 कनेक्शनों के मीटर बंद/खराब हैं। बंद/खराब मीटरों को मीटरों की उपलब्धता अनुसार सतत् प्रक्रिया के तहत् बदलने की कार्यवाही की जा रही है। अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। मीटर रहित कनेक्शनों में म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निर्धारित खपत एवं प्रावधानों के अनुसार बिलिंग की जाती है। (ख) जी नहीं। जहाँ विद्युत कनेक्शन नहीं है वहां बिल नहीं दिये जा रहे हैं। ट्रांसफार्मर जला हुआ होने की स्थिति में उससे संबद्ध उपभोक्ताओं की बिलिंग विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 11.3 में निहित प्रावधानों एवं तत्संबंध में राज्य शासन द्वारा जारी आदेश दिनांक 06.09.2017 के अनुसार की जाती है। विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 11.3 एवं राज्य शासन के आदेश दिनांक 06.09.2017 की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) जी नहीं। तथापि इस प्रकार के प्रकरण संज्ञान में आने पर जाँच कर शीघ्र निराकरण किया जावेगा।
निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाएं
[नर्मदा घाटी विकास]
151. ( क्र. 3144 ) श्री सचिन यादव : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन जिले की बलकवाड़ा, चौण्डी जामन्या एवं रोडिया आम्बा उद्वहन सिंचाई योजनाओं की निविदा स्वीकृति के पश्चात पूर्ण करने की अवधि अनुबंधित तिथि से 24 माह निर्धारित की गई थी? हाँ तो लक्ष्य के मान से खरगोन जिले के कितने ग्रामों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराये जाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है? कितने ग्राम शेष हैं? तत्संबंध में जानकारी दें। (ख) उक्त योजनाओं के कार्यों को क्या अनुबंधित शर्तों एवं निर्धारित लक्ष्य के मान से कार्य पूर्ण करने की प्रश्न दिनांक तक प्रगति क्या है और कब तक कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा? समय-सीमा बतायें। (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में दर्शित कार्यों एवं निर्धारित समय-सीमा में कार्य नहीं करने के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई हैं? हाँ तो तत्संबंध में की गई कार्यवाही से अवगत करावें? (घ) कसरावद विधानसभा क्षेत्र के अतंर्गत कितने ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है? कितने शेष हैं और क्यों? ग्रामवार जानकारी दें।
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) बलकवाड़ा, चौण्डी जामन्या एवं रोडिया आम्बा उद्वहन सिंचाई योजनाओं की निविदा अभी तक स्वीकृत नहीं हुई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) से (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
152. ( क्र. 3145 ) श्री सचिन यादव : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) खरगोन जिले के कसरावद विधान सभा क्षेत्रांतर्गत कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं? क्या सभी केन्द्र भवन निर्मित हैं? नहीं तो कितने केन्द्र भवन विहीन हैं? केन्द्रवार जानकारी दें। (ख) भवन विहीन केन्द्रों के भवन निर्माण हेतु क्या प्रस्ताव राज्य शासन/केन्द्र शासन को कब-कब प्रेषित किये गये? प्रश्न दिनांक तक कितने प्रस्ताव स्वीकृति एवं लंबित हैं? लंबित के क्या कारण हैं? उनकी अद्यतन स्थिति क्या है? इनकी स्वीकृति कब तक जारी कर दी जायेगी? (ग) उक्त आंगनवाड़ी भवनों में कौन-कौन से भवन क्षतिग्रस्त हैं? इनके मरम्मत कार्य की जिम्मेदारी किसकी है? इनके मरम्मत का कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जायेगा? नहीं तो जवाबदेही सुनिश्चित कर तत्संबंध में जानकारी दें। (घ) क्या उक्त आंगनवाड़ी भवनों में सभी मूलभूत सुविधाएं एवं शासन की योजनाओं द्वारा दी जा रही सुविधाएं विद्यमान हैं? हाँ तो बतायें? नहीं तो इस लापरवाही में संबंधित अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) खरगोन जिले के कसरावद विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत 334 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं 33 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र इस प्रकार कुल 367 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं। इनमें से 81 आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन (किराये पर संचालित) है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) खरगोन जिले से कसरावद विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत अन्तर्गत 81 भवन विहीन (किराये पर संचालित) आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण हेतु कुल 58 आंगनवाड़ी भवन निर्माण के प्रस्ताव प्राप्त हुये है। जिनमें से 33 आंगनवाड़ी भवन की स्वीकृती दी जा चुकी है। शेष 25 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति आंगनवाड़ी भवन निर्माण की स्वीकृति उपलब्ध बजट आबंटन की सीमा में मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना अन्तर्गत दी जा सकेगी। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ग) खरगोन जिले के कसरावद विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत 286 विभागीय भवनों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 05 आंगनवाड़ी केन्द्र क्रमशः रोडिया क्रमांक 1, ककड़गाँव क्रमांक 1, जामन्या, चैंडी क्रमांक 1, देवला के भवन क्षतिग्रस्त/मरम्मत योग्य होने से इन स्थानों पर आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित किये जा रहे है। क्षतिग्रस्त/मरम्मत योग्य इन भवनों में मरम्मत कार्य हेतु जिला स्तर से ग्रामीण यात्रिकी सेवा, जिला खरगोन से प्राक्कलन प्राप्त कर निदानात्मक कार्यवाही की जा सकेगी। (घ) जी हाँ। विभागीय आंगनवाड़ी भवनों में सभी मूलभूत सुविधाएं (पेयजल/शौचालय) एवं विभागीय योजनाओं का लाभ प्रदान करने की सुविधाऐं विद्यमान है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
लोकायुक्त प्रकरणों की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
153. ( क्र. 3148 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01.02.2017 से 30.09.2017 तक लोकायुक्त द्वारा कितने छापे मारे गए? कितने ट्रेप किये, की जानकारी जिलावार, संबंधित अधिकारी/कर्मचारी नाम, पदनाम सहित माहवार, जिलावार देवें। (ख) प्र.क्र. 3625, दिनांक 03.03.2017 में वर्णित (क) उत्तर में बताए प्रकरणों की अद्यतन स्थिति बतावें तथा कितने प्रकरणों में चालान जमा हो गया है/नहीं हुआ है? निलंबन के बाद बहाल होने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों की सूची भी देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'क' एवं 'ख' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ग' 'घ' 'ड.' एवं 'च' अनुसार। शेष जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सरदार सरोवर परियोजना के डूब प्रभावितों का पुनर्वास
[नर्मदा घाटी विकास]
154. ( क्र. 3149 ) श्री बाला बच्चन : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन को गुजरात शासन से दिनांक 1.1.2016 से दि. 30-09-2017 तक सरदार सरोवर पुनर्वास कार्य के लिए कितनी राशि प्राप्त हुई? वर्षवार बतावें। म.प्र. द्वारा कितनी राशि इस अवधि में किन कार्यों पर व्यय की गई? कार्यवार बतावें। (ख) कितने अस्थाई टिन शेड का निर्माण किन ठेकेदारों द्वारा किया गया? उनके नाम, स्थान नाम, संख्या, ठेकेदारों को भुगतान राशि/लंबित राशि सहित बतावें। पुनर्वास स्थलों पर पुराने भवनों, मार्गों के संधारण के लिए दी गई? राशि (क) अवधि अनुसार देवें। (ग) प्रश्नांश (क) अवधि में कितने लोगों/फर्मों को वृक्ष काटने का टेंडर/आदेश दिया गया? उनके नाम, आदेश/वर्क आर्डर की छायाप्रति भुगतान, लंबित भुगतान, काटे वृक्षों की संख्या, शेष वृक्षों की संख्या सहित धार व बड़वानी जिलों के संदर्भ में देवें। (घ) अस्थायी टीन शेड निर्माण, वृक्ष कटाई में फर्जीवाड़ा करने वालों व संधारण के काम उचित ढंग से न करने वालों एवं इसकी अनदेखी करने वालों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) मध्यप्रदेश शासन को गुजरात शासन से सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित विस्थापितों को भूमि के बदले भूमि प्राप्त करने के पात्र विस्थापितों हेतु दिनांक 01.01.2016 से 30.09.2017 तक की अवधि में प्राप्त राशि एवं विशेष पुनर्वास अनुदान के अन्तर्गत वितरित राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। दिनांक 01.01.2016 से 08.02.2017 की अवधि में कुल वितरित राशि रूपये 527.92 करोड़ में से 1018 विस्थापितों को 35.69 करोड़ रूपये की राशि विशेष पुनर्वास अनुदान (5.58 लाख) के अन्तर्गत वितरित की गई। उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 08/02/2017 के परिपालन में दिनांक 08.02.2017 से 30.09.2017 के मध्य 60 लाख श्रेणी के अंतर्गत 712 विस्थापितों को 411.21 करोड़ रूपये की राशि वितरित की गई एवं 15 लाख श्रेणी के अंतर्गत 874 विस्थापितों को 81.02 करोड़ रूपये की राशि वितरित की गई। (ख) अस्थाई शेड निर्माण करने वाले ठेकेदारों के नाम, भुगतान राशि, लंबित राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। पुनर्वास स्थलों के मरम्मत/संधारण कार्यों के लिये आवंटित राशि रूपये 1970.47 लाख में से पुराने भवनों एवं मार्गों के संधारण हेतु रूपये 700.92 लाख का व्यय किया गया है। (ग) डूब क्षेत्र के वृक्ष कटाई के कार्य हेतु ठेकेदार/फर्म का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। संबंधित वनमण्डल अधिकारी बड़वानी एवं धार द्वारा ठेकेदार फर्मों को कार्य आदेश जारी करने के पूर्व उनसे विक्रय मूल्य की 25 प्रतिशत राशि बड़वानी हेतु रूपये 345900/- एवं धार हेतु रूपये 957000/- वसूल की जाकर राजस्व कोष में जमा की गई। वर्तमान में वृक्ष कटाई कार्य स्थगित है। इस प्रकार शेष 75 प्रतिशत बड़वानी हेतु रूपये 1068127/- एवं धार हेतु रूपये 4486590/- राशि वृक्षों की कटाई उपरांत शासन को प्राप्त होना शेष है। वर्क आर्डर की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- 4 अनुसार है। (घ) कोई शिकायत प्रा़प्त नहीं होने से किसी प्रकार की कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की वेतन वृद्धि
[महिला एवं बाल विकास]
155. ( क्र. 3152 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रदेश की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं द्वारा विगत 2 वर्षों में प्रमुख सचिव/विभागीय मंत्री को वेतन संबंधी मांगों के संबंध में कब-कब ज्ञापन व पत्र दिेये गये? उन पर अब तक की गई कार्यवाही के बारे में बतावें? (ख) कब तक इन्हें बढ़े हुए वेतन की सुविधा प्रदान की जायेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एकीकृत बाल विकास सेवा योजना का क्रियान्वयन भारत सरकार के दिशा निर्देश के अनुरूप किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त मानदेय में बढ़ोत्तरी हेतु प्रस्ताव पर कार्यवाही प्रचलित है किन्तु प्रक्रियात्मक अवधि निश्चित नहीं होने से समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
पुनर्वास स्थानों पर वृक्षारोपण
[नर्मदा घाटी विकास]
156. ( क्र. 3153 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार, खरगोन, बड़वानी जिले के डूब क्षेत्रों में विगत 2 वर्षों में वृक्ष कटाई का काम किनको दिया गया? ठेकेदार नाम/फर्म, आदेश/वर्क ऑर्डर की छायाप्रति, वृक्ष कटाई संख्या सहित देवें? भुगतान राशि, लंबित राशि सहित देवें। (ख) पुनर्वास स्थलों पर उपरोक्त जिलेनुसार पौधारोपण पर कितनी राशि व्यय की गई? जिलावार वर्षवार, राशि बतावें। (ग) मवेशियों को चारागाह के लिये कितना स्थान पुनर्वास स्थलों पर आरक्षित है? जिलावार जानकारी देवें। इनके चारे पानी के लिये स्वीकृत राशि की भी जानकारी जिलावार देवें? (घ) प्रश्न दिनांक तक अस्थायी टिन शेड में कितने लोग निवासरत् है? सूची देवें।
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जिला खरगोन के डूब क्षेत्र में वृक्ष कटाई की जानकारी निरंक है। जिला बड़वानी एवं जिला धार के डूब क्षेत्र के वृक्ष कटाई हेतु ठेकेदार/फर्म का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। वर्क आर्डर की छायाप्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। संबंधित वनमण्डल अधिकारी बड़वानी एवं धार द्वारा ठेकेदार फर्मों को कार्य आदेश जारी करने के पूर्व उनसे विक्रय मूल्य की 25 प्रतिशत राशि बड़वानी हेतु रूपये 345900/- एवं धार हेतु रूपये 957000/- वसूल की जाकर राजस्व कोष में जमा की गई। वर्तमान में वृक्ष कटाई कार्य स्थगित है। इस प्रकार शेष 75 प्रतिशत बड़वानी हेतु राशि रूपये 1068127/- एवं धार हेतु रूपये 4486590/- वृक्षों की कटाई उपरांत शासन को प्राप्त होना शेष है। (ख) पुनर्वास स्थलों पर पौधा रोपण पर कोई राशि व्यय नहीं की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) पुनर्वास स्थलों पर पशुओं के पानी पीने हेतु पियाऊ बनाये गये हैं। चारागाह के लिए पृथक से भूमि आरक्षित नहीं है। सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित किसी आबाद ग्राम की भूमि पूर्ण रूप से प्रभावित नहीं हो रही है। प्रभावित ग्रामों में डूब से अप्रभावित शासकीय भूमि पूर्व की भॉति चारागाह के रूप में उपयोग की जा सकेगी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) अस्थाई टीन शेड पर कोई निवासरत् नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मुख्य नहर के शेष कार्य
[नर्मदा घाटी विकास]
157. ( क्र. 3161 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरगी व्यपवर्तन परियोजना की रीवा-सतना मुख्य नहर का कितने प्रतिशत कार्य प्रश्न दिनांक तक पूर्ण कर लिया गया है? कितने प्रतिशत व कौन-कौन से प्रमुख कार्य शेष हैं? (ख) वर्तमान कार्य की गति से योजना कब तक पूरी होना संभाव्य है? शेष कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण किये जाने हेतु विभाग व निर्माण एजेंसी द्वारा क्या-क्या प्रयास किये जा रहे हैं? (ग) प्रश्नांश (क) वर्णित योजना को पूर्ण करने हेतु विभाग के पास क्या वित्तीय व्यवस्था है? योजना को पूर्व में निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करने हेतु विभाग द्वारा क्या-क्या वित्तीय व्यवस्थायें की जा रही हैं? केन्द्रांश प्राप्त करने हेतु क्या-क्या प्रयास किये गये हैं?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) लगभग 99 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। शेष 01 प्रतिशत कार्य के अंतर्गत मुख्य रूप से नहर का परीक्षण कार्य शेष है। (ख) अनुबंध के प्रावधान अनुसार सतना-रीवा मुख्य नहर की कमीशनिंग एवं परीक्षण किया जाना शेष है जो स्लीमनाबाद टनल एवं सतना - रीवा मुख्य नहर के अपस्ट्रीम की मुख्य नहर का निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत पानी प्रवाहित होने पर किया जाना है। शेष कार्य पूर्ण हैं। (ग) शेष कार्य को पूर्ण करने हेतु पर्याप्त वित्तीय व्यवस्था है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नियम विरूद्ध प्रतिनियुक्ति पद पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी
[सामान्य प्रशासन]
158. ( क्र. 3162 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत आने वाली संस्था मुख्य तकनीकी परीक्षक में अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति पर लेने के क्या नियम व कालावधि तय है? क्या उक्त संस्था में पदस्थ अधिकारी विगत पाँच वर्षों से अधिक समय से पदस्थ हैं? ऐसे कितने अधिकारी-कर्मचारी हैं जो पाँच वर्षों से अधिक समय से प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं? उनके नाम, पदनाम व पदस्थापना की अवधि बतावें। (ख) वर्तमान में किन-किन विभागों के किन-किन अधिकारियों-कर्मचारियों ने उक्त संस्था में प्रतिनियुक्ति पर जाने हेतु आवेदन किया है? मुख्य तकनीकी परीक्षक संस्था में पदस्थ किन-किन अधिकारियों-कर्मचारियों पर विभागीय जाँच चल रही है? उनके नाम-पदनाम बतावें। इन्हें कब तक हटाया जावेगा? (ग) पाँच वर्षों से अधिक समय से पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों को कब तक हटाया जावेगा? अधिक समय तक प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ रखने के लिए कौन उत्तरदायी है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन में निर्माण विभागों से अधिकारी/कर्मचारियों की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर प्राप्त किए जाने के निर्देश हैं। निर्माण विभागों से अधिकारी/कर्मचारियों की सेवाएं प्राप्त करने हेतु सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश दिनांक 29.02.2008 के अनुसार कार्यवाही की जाती है। जी हाँ। 8 अधिकारी/कर्मचारी। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार। शेष जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन में निर्माण विभागों से अधिकारी/कर्मचारियों की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर प्राप्त करने के पूर्व मूल विभाग से सहमति प्राप्त की जाती है। मूल विभाग से सहमति प्राप्त करने के पश्चात ही अधिकारी/कर्मचारी की सेवाएं निरंतर रखी जाती हैं। मूल विभाग के चाहने पर अधिकारी/कर्मचारी की सेवाएं वापस लौटा दी जाती हैं।
लोकायुक्त द्वारा ट्रेप प्रकरणों में कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
159. ( क्र. 3163 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोकायुक्त द्वारा वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक सागर, ग्वालियर व उज्जैन संभाग में आय से अधिक संपत्ति के मामलों में कितने छापे मारे गये? रिश्वत लेने के मामलों में कितने ट्रैप किये गये? जिला, विभाग, नाम, पदनाम व प्रकरण का विवरण दें? (ख) प्रश्नांश (क) उल्लेखित किन-किन मामलों में माननीय न्यायालयों में प्रश्न दिनांक तक चालान प्रस्तुत नहीं किये जा सके हैं? प्रकरणवार कारण बतावें। (ग) प्रश्नांश (क) वर्णित किन-किन प्रकरणों में किन कारणों से खात्मा लगाया गया है? (घ) प्रश्नांश (क) उल्लेखित आरोपी अधिकारियों/कर्मचारियों में से कौन-कौन पूर्ण की भॉति यथास्थान पर पदस्थ है? ट्रैप व छापे के बावजूद स्थानांतरण क्यों नहीं किये गये हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'क' 'ख' एवं 'ग' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'घ' अनुसार। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ड.' अनुसार। (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
प्रदेश में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र
[महिला एवं बाल विकास]
160. ( क्र. 3166 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रदेश में कुल कितने आंगनवाड़ी केन्द्र हैं? कितने ग्रामीण और कितने शहरी क्षेत्र में हैं? जिलावार बतायें। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के कितने पद किस-किस जिले में रिक्त हैं? (ख) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को विभाग द्वारा कितना मानदेय दिया जा रहा है? विगत 10 वर्षों में मानदेय कब-कब बढ़ाया गया? (ग) आंगनवाड़ियों में काम करने वाली कार्यकर्ता और सहायिकाओं के नियमितीकरण की क्या विभाग ने कोई योजना बनाई है? यदि हाँ, तो विवरण देवें। (घ) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को शासन/विभाग द्वारा सेवा के दौरान कौन-कौन सी सुविधाएं दी जा रही हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) प्रदेश में कुल 84465 आंगनवाड़ी केन्द्र है। ग्रामीण क्षेत्र में 51569 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा तथा शहरी क्षेत्र में 8893 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा सहायिका के रिक्त पदों की जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। (ख) भारत सरकार द्वारा निर्धारित कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को राशि रूपये 3000/- प्रतिमाह एवं आंगनवाड़ी सहायिका को राशि रू. 1500/- प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है तथा राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त मानदेय के रूप में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को को राशि रूपये 2000/- प्रतिमाह एवं आंगनवाड़ी सहायिका को राशि रू.1000/- प्रतिमाह भुगतान किया जा रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। शेष का कोई प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (घ) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को विभागीय सेवा के दौरान दी जा रही सुविधाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''चार'' अनुसार है।
प्रदेश सरकार पर कर्ज की जानकारी
[वित्त]
161. ( क्र. 3167 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश सरकार पर प्रश्न दिनांक तक कुल कितना कर्ज है? यह कर्ज किन संस्थाओं से लिया गया है? संस्थावार जानकारी देवें। (ख) प्रदेश सरकार ने 1 जनवरी 2009 के बाद से कब-कब कितना कर्ज लिया है? वर्षवार बतायें। आज की स्थिति में प्रदेश में प्रति व्यक्ति औसतन कितना कर्ज है? (ग) प्रदेश सरकार ने विश्व बैंक और एशियन डवलपमेंट बैंक सहित अंतराष्ट्रीय स्तर की किन संस्थाओं से किन कार्य हेतु 01 जनवरी 2014 के बाद से कितना ऋण किन शर्तों पर लिया है? (घ) राज्य शासन ने 1 जनवरी 2014 के बाद से कितने कर्ज की वापसी का भुगतान किस-किस संस्था को किया है? संस्थावार बतायें।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वर्ष 2016-17 के वित्त लेखे महालेखाकार द्वारा जारी नहीं किये गये हैं। अतः प्रश्न दिनांक तक कुल कर्ज की जानकारी दी जाना संभव नहीं है। विगत 5 वर्षों की संस्थावार जानकारी महालेखाकार द्वारा जारी वित्त लेखों के भाग - II के विस्तृत विवरण पत्रक में दर्शाये गये हैं, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 के रूप अवलोकनीय है। (ख) प्रदेश सरकार द्वारा 1 जनवरी 2009 के बाद लिये गये ऋण की स्थिति निम्नानुसार है : -
वर्ष |
ऋण (राशि रूपये करोड़ में) |
प्रति व्यक्ति औसतन कर्ज (राशि रूपये में) |
2009-10 |
6621.17 |
8509.16 |
2010-11 |
13971.34 |
9256.21 |
2011-12 |
6252.22 |
9649.91 |
2012-13 |
9978.31 |
10243.32 |
2013-14 |
6978.40 |
10880.41 |
2014-15 |
9974.71 |
12064.99 |
2015-16 |
18456.46 |
13840.66 |
2016-17 |
वित्तीय लेखे महालेखाकार द्वारा जारी नहीं किये गये हैं। |
|
वित्तीय वर्ष 2016-17 के वित्त लेखे महालेखाकार द्वारा जारी नहीं किये गये हैं, अतः प्रति व्यक्ति कर्ज की वर्तमान स्थिति दी जाना संभव नहीं है। (ग) विश्व बैंक और एशियन डेव्हलपमेन्ट बैंक सहित अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं से लिये गये ऋण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 में महालेखाकार द्वारा जारी वित्तीय वर्ष 2015-16 के वित्त लेखे के खण्ड–II के परिशिष्ट-IV पर दृष्टव्य है। (घ) संस्थावार कर्ज वापसी के भुगतान की जानकारी प्रश्नांश (क) के परिशिष्ट-1 पर अवलोकनीय है। वर्ष 2016-17 के वित्त लेखे महालेखाकार द्वारा जारी नहीं किये गये हैं, अतः वर्ष 2017 की जानकारी दी जाना संभव नहीं है।
विद्युत मीटर संबंधी शिकायतों का निराकरण
[ऊर्जा]
162. ( क्र. 3181 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विद्युत मीटर की खराबी की शिकायतों का निराकरण लोक सेवाओं के प्रदाय की गांरटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत किया जाता है? यदि हाँ, तो यह नियम क्या है? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत विद्युत मीटर में खराबी के संबंध में मुड़वारा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जनवरी 2017 से प्रश्न दिनांक तक कितनी शिकायतें प्राप्त हुई एवं कितनी शिकायत का निराकरण दिनांक 31.10.2017 की स्थिति में हो गया है? (ग) मुड़वारा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनवरी 2017 से प्रश्न दिनांक तक विद्युत खपत के देयकों (बिलों) में गड़बड़ी की कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं? प्राप्त शिकायतों का किन अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा निराकरण कर कार्यवाही पूर्ण की गई? इन शिकायतों का दायित्व किन शासकीय सेवकों का था? नाम पदनाम सहित बतायें। (घ) प्रश्नांश (ख) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में शिकायतों के निराकरण में अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होने एवं अपनी कार्यशैली से नागरिकों को आंदोलित करने के जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली की जाँच करवाकर, कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, निम्नदाब उपभोक्ताओं के मीटर बंद होने या तेज चलने की शिकायत पर जाँच कराना एवं मीटर खराब पाए जाने पर सुधारने/बदलने से संबंधित सेवा ''मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम, 2010' के तहत् आती है। उक्त नियमों से संबंधित राज्य शासन के आदेश दिनांक 27.12.2013 की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के तहत् विद्युत मीटर में खराबी के संबंध में मुड़वारा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनवरी, 2017 से 31.10.2017 तक कुल 145 शिकायतें प्राप्त हुई एवं उक्त सभी शिकायतों का निराकरण दिनांक 31.10.2017 की स्थिति में कर दिया गया है। (ग) मुड़वारा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनवरी 2017 से प्रश्न दिनांक तक विद्युत खपत के देयकों में त्रुटि संबंधी कुल 154 शिकायतें प्राप्त हुई थी। उक्त प्राप्त शिकायतों की जाँच/निराकरण का दायित्व वितरण केन्द्र/फीडर प्रभारियों - श्री के.एल. यादव, श्री शेख अकील, श्री मनोज दुबे, श्री एन.के.तिवारी, श्री जितेन्द्र मिश्रा, श्री मानवेन्द्र नंदन एवं श्री इन्द्रभान प्रजापति, कनिष्ठ अभियंताओं का था। सभी शिकायतों का अद्यतन स्थिति में निराकरण कर दिया गया है। (घ) प्रश्नांश (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन प्राप्त शिकायतों के निराकरण में ''मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम, 2010'' के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया गया है एवं उक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत् ही शिकायतों का निराकरण किया गया है। तथापि प्रश्नाधीन शिकायतों से संबंधित, मीटर रीडिंग में त्रुटि करने वाले 6 मीटर वाचकों को सेवा से पृथक कर दिया गया है। उक्त शिकायतों से संबंधित आंदोलन इत्यादि की कोई घटना कटनी जिले के अंतर्गत नहीं हुई है। उक्त के परिप्रेक्ष्य में किसी प्रकार की जाँच कराने की आवश्यकता नहीं है।
जाति प्रमाण पत्रों के आवेदनों का निराकरण
[सामान्य प्रशासन]
163. ( क्र. 3182 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जाति प्रमाण पत्र के आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज संलग्न करने तथा आवेदनों की जाँच करने के शासनादेश क्या हैं? क्या कटनी जिले में इन्हीं निर्देशों के अनुसार जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया की जा रही है? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत कटनी जिले में आवेदन के पूर्व पटवारी टीप आवेदक को स्वयं से अंकित करानी होती है, जबकि आवेदक की जाति एवं निवास की जाँच राजस्व अधिकारियों द्वारा करने एवं यह प्रक्रिया आवेदन जमा होने के पश्चात करने के शासनादेश है? यदि हाँ, तो यह कार्यवाही किस प्रकार सही है? बतायें। यदि नहीं, तो ऐसा न होना सत्यापित किया जायेगा, (ग) प्रश्नांश ''ख'' के तहत ऐसे आवेदन जिसमें आवेदक द्वारा पटवारी टीप अंकित नहीं करायी है, को नियमानुसार जाँच किये बिना अमान्य करने की कार्यवाही किस प्रकार सही है? (घ) प्रश्नांश (ख) से (ग) के तहत जाति प्रमाण के आवेदनों का मनमर्जी से शासनादेशों के विपरीत निराकृत करने की कार्यवाही का क्या संज्ञान लेकर कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो किस प्रकार एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? स्पष्ट करें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। (ख) जी नहीं। शासन के ऐसे कोई निर्देश नहीं है। आवेदक के जाति एवं निवास की जाँच राजस्व अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा ही की जाती की जाती है। (ग) एवं (घ) उत्तरांश (ख) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ई.ओ.डब्ल्यू. में लंबित प्रकरणों का निराकरण
[सामान्य प्रशासन]
164. ( क्र. 3440 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न दिनांक तक ई.ओ.डब्ल्यू. के पास कितने प्रकरण लंबित हैं? प्रकरण क्रमांक, दिनांक, व्यक्ति/अधिकारी/ फर्म नाम/अन्य जानकारी प्रकरण प्रकार सहित देवें। (ख) क्या कारण है कि कई प्रकरण जल्दी निराकृत हो जाते हैं जबकि कई प्रकरण वर्षों से लंबित हैं? इनकी वरीयता क्यों नहीं निर्धारित की जाती? (ग) प्रकरणों के निराकरण में विलंब को रोकने के लिए विभाग द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सेन समाज को अनुसूचित जाति सम्मिलित किया जाना
[अनुसूचित जाति कल्याण]
165. ( क्र. 3458 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या 23 मार्च 2007 की विधान सभा बजट सत्र के दौरान सेन समाज को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किये जाने हेतु निर्णय लिया जाकर केबिनेट में प्रस्ताव पारित किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो, क्या शासन द्वारा सेन समाज को अनुसूचित जाति में शामिल किये जाने हेतु गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया है? यदि हाँ, तो गजट नोटिफिकेशन की प्रतिलिपी उपलब्ध करावें। (ग) यदि नहीं, तो गजट नोटिफिकेशन में नहीं लिये जाने का क्या कारण रहा है एवं क्या सेन समाज को अनुसूचित जाति में शामिल किये जाने हेतु गजट नोटिफिकेशन जारी किया जावेगा? हाँ तो कब तक? (घ) प्रश्नांश (ख) के तारतम्य में हाँ तो शासन द्वारा सेन समाज को वर्तमान तक अनुसूचित जाति वर्ग के क्या-क्या लाभ प्रदान किये गये हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। 23 मार्च 2007 को नाई जाति को प्रदेश में अनुसूचित जाति में शामिल किये जाने का अशासकीय संकल्प क्रमांक 2,49 विधानसभा द्वारा पारित किया गया है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) किसी जाति को अनुसूचित जाति में सम्मिलित किये जाने का अधिकार भारत सरकार के अधीन है। भारत सरकार को विभाग के पत्र क्रमांक एफ 23-02/-02/2007/4/25, दिनांक 16 मई, 2007 द्वारा प्रस्ताव भेजा गया है। भारत सरकार से जानकारी अपेक्षित है। समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है। (घ) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में सेन समाज के अनुसूचित जाति की सूची में अधिसूचित न होने से अनुसूचित जाति वर्ग का लाभ दिये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
शासकीय विद्यालयों में निर्माण हेतु प्राप्त राशि
[जनजातीय कार्य]
166. ( क्र. 3601 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के शासकीय विद्यालयों में निर्माण एवं मरम्मत कार्य हेतु वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस मद में कितनी-कितनी, राशि प्राप्त हुई? वर्षवार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) के तहत प्राप्त राशि से किन-किन विद्यालयों में कितनी-कितनी लागत से क्या-क्या कार्य कराये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई? राशि आवंटित की गई और क्या प्रश्न दिनांक तक उपरोक्त कार्य पूर्ण हो गये? यदि हाँ, तो विवरण बतायें एवं कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र उपलब्ध करायें? यदि नहीं, तो क्यों? विद्यालयवार बतायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत आवंटित संपूर्ण राशि आहरित होने पर भी निर्माण कार्य अपूर्ण रहने पर क्या विभाग द्वारा संज्ञान लेते हुये कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अनूपपुर जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के शासकीय विद्यालयों में निर्माण कार्य हेतु प्रश्नांकित अवधि में कोई राशि जिले को प्राप्त नहीं हुई है। शासकीय विद्यालयों में मरम्मत कार्य हेतु प्रश्नांकित वर्षों में प्राप्त राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) प्रश्नांश 'क' के अनुसार प्राप्त राशि से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं हाई स्कूलों में कार्य कराये जाने हेतु शाला विकास एवं प्रबंध समिति के अध्यक्ष/सचिव के बैंक खातों में कोषालय के माध्यम से अंतरित राशि से कार्यों की स्वीकृति एवं पूर्णत: संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) वर्ष 2015-16 के 01 वर्ष 2016-17 के 14 तथा वर्ष 2017-18 के 04 कार्य पूर्ण कराये जाकर उपयोगित प्रमाण-पत्र प्राप्त किये गये। शेष कार्यों को शीघ्र पूर्ण करने एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराये जाने हेतु सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग अनूपपुर द्वारा उनके पत्र क्रमांक-1356 दिनांक 27.03.2017 एवं पत्र क्रमांक-4674 दिनांक 30.10.2016 के माध्यम से संबंधित प्राचार्यों को कार्य शीघ्र पूर्ण कर उपयोगित प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराने हेतु कड़े निर्देश दिये गये हैं।
भाग-3
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
प्रदेश
शासन द्वारा
लिये गये कर्ज
[वित्त]
1. ( क्र. 61 ) श्री बाबूलाल गौर : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश शासन द्वारा विगत 5 वर्षों से प्रश्न दिनांक तक किन-किन बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं से कितनी-कितनी धनराशि कर्ज के रूप में किन-किन शर्तों पर ली गई है? (ख) प्रदेश शासन द्वारा लिये गये कर्ज पर कितना-कितना ब्याज दिया जा रहा है? (ग) प्रदेश शासन के ऊपर प्रश्न दिनांक तक किन-किन संस्थाओं का कुल कितना कर्ज है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) राज्य शासन द्वारा विगत पाँच वर्ष में बाजार ऋण, नाबार्ड, हुडको एवं बाह्य संस्थाओं से कर्ज लिया गया है। वर्षवार कुल ऋण राशि निम्नानुसार है :-
(राशि रूपये करोड़ में)
वित्तीय वर्ष |
कुल ऋण |
ब्याज भुगतान |
(1) |
(2) |
(3) |
2012-13 |
5935.76 |
5573.74 |
2013-14 |
6484.02 |
6391.32 |
2014-15 |
11022.74 |
7071.25 |
2015-16 |
16180.47 |
8090.88 |
वित्तीय वर्ष 2016-17 के वित्त लेखे महालेखाकार द्वारा जारी नहीं किये गये हैं। विस्तृत विवरण महालेखाकार के द्वारा जारी एवं विधानसभा पटल पर रखे गये विगत 5 वर्षों के वित्त लेखों के भाग-II के विस्तृत विवरण पत्रक में दर्शाये गये हैं, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के रूप अवलोकनीय है। (ख) ब्याज भुगतान की स्थिति प्रश्नांश 'क ' के उत्तर की तालिका के कॉलम 3 अनुसार है। (ग) प्रश्न दिनांक तक के लिये वर्ष 2016-17 के वित्त लेखे महालेखाकार द्वारा जारी नहीं किये गये हैं। अतः प्रश्न दिनांक तक की जानकारी दी जाना संभव नहीं है। शेष जानकारी प्रश्नांश 'क' के साथ संलग्न परिशिष्ट में शामिल है।
दैनिक वेतन भोगी कर्मियों का नियमितीकरण
[सामान्य प्रशासन]
2. ( क्र. 253 ) श्री मोती कश्यप : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभागीय परिपत्र दिनांक 7-10-2016 द्वारा म.प्र. उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में नियमितीकरण से वंचित अकुशल, अर्द्धकुशल व कुशल दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को स्थायी कर्मी की श्रेणी में रखते हुये कोई वेतनमान दिया जाना निर्देशित किया गया है और किन्हीं को संसूचित किया गया है? (ख) क्या राज्य में शासन के विभिन्न विभागों के अतिरिक्त किन्हीं निगम, मण्डल, विपणन-दुग्ध-मत्स्य महासंघ आदि में अनेक वर्षों से दैनिक वेतनभोगी कर्मी भी कार्यरत हैं और प्रश्नांश (क) लाभ से वंचित हैं? (ग) क्या विभाग के द्वारा प्रश्नांश (क) आदेश के समान कभी कोई अतिरिक्त आदेश सहकारिता विभाग को जारी कर प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित संस्थाओं के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को लाभान्वित किया जाना निर्देशित किया गया है? (घ) क्या प्रश्नांश (ख), (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नांश (क) निर्देश मा. उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में जारी न किया जाना न्यायोचित है? (ड.) क्या सहकारिता विभाग से प्रश्नांश (ख) जुड़ी संस्थाओं के कर्मियों के संबंध में प्रश्नांश (क) समान आदेश कब तक जारी कर दिया जावेगा और उन्हें कब तक लाभान्वित कर दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) राज्य शासन द्वारा नीतिगत निर्णय लेकर दिनांक 07.10.2016 द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं। (ख) संबंधित विभागों के अधीन निगम, मंडल, विपणन-दुग्ध-मत्स्य महासंघ आदि को ही निर्णय लेकर कार्यवाही करना है। (ग) जी नहीं। (घ) एवं (ड.) उत्तरांश (ख) अनुसार।
बिजली चोरी के संबंध में
[ऊर्जा]
3. ( क्र. 281 ) श्री पन्नालाल शाक्य : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या गुना विधानसभा क्षेतान्तर्गत विगत 03 वर्ष से बिजली के खंबे और बिजली के तारों की चोरियां चल रही हैं और विद्युत विभाग के अधिकारी एवं ठेकेदारों को इस संबंध में कुछ मालूम ही नहीं, क्यों? (ख) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र गुना की ग्राम पंचायत तिल्लीखेड़ा के ग्राम रसूलपुर में ग्रामीणों ने चोरों को पकड़ा और पुलिस विभाग को गिरफ्तार करवाया गया? क्या विद्युत विभाग के अधिकारियों के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को इस संबंध में कोई सूचना दी गई और दी गई तो कब दी गई? (ग) क्या ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे? साथ ही जो बिजली ठेकेदार अधिकारी की मिलीभगत से यह चोरियां हो रही है, उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे और कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विगत 3 वर्षों में गुना विधानसभा क्षेत्रांतर्गत बिजली के तारों की चोरी की घटनाओं की जानकारी संबंधित अधिकारियों को प्राप्त होने पर, स्थल निरीक्षण उपरांत संबंधित पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है। (ख) जी हाँ, विधानसभा क्षेत्र गुना की ग्राम पंचायत तिल्लीखेड़ा के ग्राम रसूलपुर में ग्रामीणों द्वारा चोरों को पकड़ने एवं पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने संबंधी सूचना वितरण कंपनी के संबंधित अधिकारियों को प्राप्त होने पर स्थल निरीक्षण उपरांत थाना आरोन में एफ.आई.आर. क्रमांक 551 दिनांक 11.10.2017 एवं थाना बजरंगगढ़ में एफ.आई.आर. क्रमांक 160 दिनांक 12.10.2017 दर्ज करवाई गई। इस संबंध में संबंधित कनिष्ठ यंत्री द्वारा उपमहाप्रबंधक (संचालन-संधारण) गुना एवं प्रबंधक (संचालन-संधारण) आरोन को पत्र दिनांक 08.10.2017 तथा उपमहाप्रबंधक (संचालन-संधारण) गुना द्वारा महाप्रबंधक (संचालन-संधारण) गुना को पत्र दिनांक 16.10.17 से सूचित किया गया। (ग) उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रथम दृष्टया प्रश्नाधीन क्षेत्र में हुई चोरी की घटनाओं के संबंध में किसी भी अधिकारी की लापरवाही नहीं पाई गई है और न ही बिजली ठेकेदारों एवं अधिकारियों की उक्त घटनाओं में किसी प्रकार की संलिप्तता पाई गई है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
4. ( क्र. 353 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्न क्र.478 दिनांक 18 जुलाई 2017 आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ग्वालियर प्राथमिक जाँच प्रकरण 9/2011 में प्रश्नांश दिनांक तक जाँच पूर्ण हुई? यदि हाँ, तो छायाप्रति सहित जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत जाँच अपूर्ण है तो इसके लिए कौन अधिकारी दोषी है? अभी तक क्या कार्यवाही की गई हैं? (ग) जिला कलेक्टर भिण्ड के प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्र.754/4.11.1999 व 835/16.11.1999 व 71/22.29.1.2000 व 1605/22.12.2000 में प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही हुईं? कार्यवाही पूर्ण न होने के क्या कारण हैं? (घ) क्या जाँच प्रक्रिया की गति शून्य रखी जा रही है? दोषी व्यक्तियों को क्यों बचाया जा रहा है और क्या प्रकरण दबाया जा रहा है? कब तक जाँच पूर्ण होगी? समय-सीमा बतायें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रारंभिक जाँच क्रमांक 09/2011 में जाँच गतिशील है। (ख) से (घ) प्रारंभिक जाँच गतिशील है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी भवन निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
5. ( क्र. 360 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) महिला एवं बाल विकास विभाग भिण्ड द्वारा विगत पाँच वर्षों में आंगनवाड़ी केन्द्र का निर्माण कहाँ पर होना है, राशि किसके खाते में कितनी जमा कब से है? (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत प्रश्नांश दिनांक तक कौन सी आंगनवाड़ी का निर्माण अप्रारम्भ/अपूर्ण हैं? इसके लिए कौन दोषी है, क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) विगत 05 वर्षों में मॉडल आंगनवाड़ी बनाने हेतु कितनी राशि किस खाते में किस मद से भेजी गई है, प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (घ) महिला एवं बाल विकास विभाग भिण्ड द्वारा कार्यवाही समयावधि में नहीं हो रही है, क्या कार्यवाही की जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) भिंड जिले में विगत पाँच वर्षों में विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत 488 आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण स्वीकृत किये गये है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। आंगनवाड़ी भवन निर्माण का कार्य विभाग द्वारा स्वयं नहीं किया जाता है। जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत एवं नगरीय क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग, निर्माण एजेंसी निर्धारित है जिनके माध्यम से निर्माण कार्य कराये जा रहे है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य स्थानीय परिस्थतियों के कारण उत्पन्न कारणों से (परिशिष्ट 'अ') पूर्ण नहीं हो पा रहा है। शेष का प्रश्न ही उपस्थिति नहीं होता है। (ग) विगत 5 वर्षों में 41 मॉडल आंगनवाड़ी बनाने हेतु राशि रूपये 20,50,000/-रूपये ग्राम स्वास्थ्य तदर्थ समितियों के खातों में एवं 20,50,000/-रूपये सबंधित ग्राम पंचायत के खाते में जमा कराये गये है। प्रश्नांश दिनांक तक 01 आदर्श आंगनवाड़ी भवन का कार्य पूर्ण हुआ है एवं शेष आंगनवाड़ी केन्द्रों को आदर्श आंगनवाड़ी भवनों के रूप में विकसित करने की कार्यवाही प्रचलन में है। (घ) आंगनवाड़ी भवन निर्माण का कार्य विभाग द्वारा स्वयं नहीं किया जाता है। जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत एवं नगरीय क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग, निर्माण एजेंसी निर्धारित की गई है, जिनके माध्यम से निर्माण कार्य कराये जा रहे है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य स्थानीय परिस्थतियों के कारण उत्पन्न कारणों से (परिशिष्ट 'अ') पूर्ण नहीं हो पा रहा है। शेष का प्रश्न ही उपस्थिति नहीं होता है।
अनुसूचित जनजाति कन्या खेल परिसर के संबंध में
[जनजातीय कार्य]
6. ( क्र. 405 ) श्री शान्तिलाल बिलवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या झाबुआ मुख्यालय पर अनुसूचित जनजाति का वर्ष 2016-17 में 100 सीट कन्या खेल परिसर स्वीकृत होकर झाबुआ जिले की छात्राओं द्वारा कबड्डी, खो-खो, एथेलेटिक्स में राज्य स्तरीय एवं नेशनल में सम्मिलित होकर झाबुआ जिले का नाम रोशन किया गया था? (ख) क्या आयुक्त, आदिवासी विकास मध्यप्रदेश के पत्र क्रमांक/क्रिडा/191/2017/16610/दिनांक 22.07.2017 द्वारा कन्या क्रीड़ा परिसर झाबुआ में नवीन विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिये जाने संबंधी निर्देश दिये जाने से कन्या शिक्षा परिसर वर्तमान में बंद किया है? (ग) वर्तमान में उक्त कन्या अन्य छात्रावास में रहकर कई खेल गतिविधियों में राज्य एवं नेशनल में झाबुआ का नाम रोशन करने को दृष्टिगत रखते हुए उक्त अनुसूचित जनजाति कन्या खेल परिसर कब तक प्रारंभ कर दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। (ग) कन्या क्रीड़ा परिसर झाबुआ को विशिष्ट क्रीड़ा परिसर में शामिल किया गया है। जिसमें केवल तीरंदाजी खेल विधा को रखा गया है। आगामी वर्ष में निर्माण पूर्ण होने पर केवल तीरंदाजी विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जायेगा।
उज्जैन संभाग में अ.जा. एवं अ.ज.जा. विभाग के छात्रावास
[अनुसूचित जाति कल्याण]
7. ( क्र. 455 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन, इंदौर संभाग में अ.जा., अ.ज.जा. विभाग के छात्रावास कहाँ-कहाँ संचालित हैं? इनमें कितने-कितने विद्यार्थी अध्ययनरत हैं क्या इन विद्यार्थियों की प्रतिदिन छात्रावास में भी उपस्थिति दर्ज की जाती है? यदि हाँ, तो सितम्बर, अक्टूबर 2017 की उपस्थिति रजिस्टर की तथा विद्यालयों से प्राप्त उपस्थिति की प्रमाणित फोटो प्रतिलिपि उपलब्ध कराये? (ख) शासन एवं विभाग के किस-किस स्तर के अधिकारी ने उक्त संभाग के छात्रावास का कब-कब निरीक्षण कर क्या-क्या कमियाँ पाई? कहाँ-कहाँ पर क्या-क्या कार्यवाही किस-किस स्तर की किस-किस के खिलाफ की? क्या शासन द्वारा समस्त सुविधायें प्रदान करने के बावजूद विद्यार्थियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है? किस-किस छात्रावास में, किस-किस विद्यार्थी ने, किस-किस तरह की शिकायत, किस-किस स्तर के अधिकारी से की? उस पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या उक्त संभाग में अधिकतर छात्रावासों में छात्रावास अधीक्षक द्वारा विद्यालयों से फर्जी उपस्थिति मंगवाकर प्रति छात्र प्राप्त होने वाली राशि में भारी अनियमितता की जा रही हैं? इस सम्बन्ध में कितनी शिकायत किस-किस के द्वारा विभाग को की गयी? दिनांक 1 जनवरी, 2015 के पश्चात उक्त संभाग के छात्रावास में किस-किस मद में कितनी-कितनी राशि छात्रावास को प्राप्त हुई? कितनी खर्च की गई? 01 जनवरी 2013 के पश्चात इसका आडिट किस-किस सक्षम अधिकारी ने कब-कब किया, अधिकारी के नाम सहित ऑडिट रिपोर्ट से अवगत कराये?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) उज्जैन, इंदौर संभाग में अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के संचालित छात्रावास एवं उनमें अध्ययनरत विद्यार्थियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' अनुसार है। जी हाँ। उपस्थिति रजिस्टर एवं उपस्थिति रजिस्टर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '2' अनुसार है। (ख) छात्रावासों के निरीक्षण, पाई गई कमियों एवं कमियों के संदर्भ में की गई कार्यवाही जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '3' अनुसार है। जी नहीं। शासन द्वारा समस्त सुविधा प्रदाय करने से विद्यार्थियों को कोई विशेष परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। विद्यार्थियों द्वारा की गई शिकायत, शिकायत के संबंध में की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '4' अनुसार है। (ग) जी नहीं। अनियमितता संबंधी शिकायत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '5' अनुसार है। दिनांक 1 जनवरी 2015 के पश्चात छात्रावासों हेतु दिये गये आवंटन एवं खर्च की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '6' अनुसार है। प्रश्नाधीन अवधि की आडिट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '7' अनुसार है।
विभागों को आवंटित बजट राशि के व्यय
[वित्त]
8. ( क्र. 543 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष २०१५-१६ एवं २०१६-१७ बजट प्रावधान अनुसार विभिन्न सरकारी विभागों को आवंटित राशि एवं विभागों द्वारा व्यय की गई राशियों का ब्यौरा क्या है? (ख) वर्ष २०१७ में किन-किन विभागों की बजट राशि में वृद्धि की गई? कितनी-कितनी वृद्धि की गई? ब्यौरा दें? (ग) किस-किस विभाग में बजट प्रावधानित एवं आवंटित राशि का पूर्ण उपयोग नहीं हो सका हैं वर्ष २०१५ एवं २०१६ का विवरण दें?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वर्ष 2015-16 का विनियोग लेखा संलग्न है, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के रूप में विभिन्न मांग संख्याओं में विभागों को आवंटित राशि एवं विभागों द्वारा व्यय राशि का ब्यौरा के साथ अवलोकनीय है। वर्ष 2016-17 का विनियोग लेखा महालेखाकार से वर्तमान में अप्राप्त है अतः जानकारी दी जाना संभव नहीं है। (ख) वर्ष 2017 वर्तमान में निरन्तर है, वित्तीय वर्ष पूर्ण होने पर एवं महालेखाकार से वित्तीय वर्ष 2017-18 का विनियोग लेखे प्राप्त होने पर जानकारी दी जाना संभव होगी। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के अनुसार।
प्रथम वेतन वृद्धि के संबंध में
[सामान्य प्रशासन]
9. ( क्र. 972 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ऐसे शासकीय कर्मचारी जिनकी अनुकम्पा नियुक्ति सहायक ग्रेड 03 के पद पर हुई हो तथा नियुक्ति के समय टाइपिंग परीक्षा उत्तीर्ण नहीं थे. परंतु नियुक्ति तिथि के 01 वर्ष के अंदर अथवा परिवीक्षा अवधि की समाप्ति के पूर्व ही टाइपिंग परीक्षा उत्तीर्ण कर लेते है, तो उनकी प्रथम वेतन वृद्धि कब और किस तिथि से लगेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में उक्त के संबंध में माननीय न्यायालय और शासन के क्या दिशा निर्देश है? (ग) ऐसे सहायक ग्रेड 03 जिन्होंने नौकरी में आने के बाद DCA/PGDCA/MCA या अन्य कम्प्यूटर योग्यता स्वयं के व्यय पर अनुमति लेकर की हो, को क्या शासन कुछ लाभ देता है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) परिवीक्षा अवधि समाप्त होने पर 01 जुलाई से। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। (ग) जी नहीं।
हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं पर करों में छुट
[वाणिज्यिक कर]
10. ( क्र. 988 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं का कितना निर्यात होता है? म.प्र हैंडीक्राफ्ट से कितने श्रमिक किस-किस जिले में कौन-कौन सी वस्तुओं के निर्माण से जुड़े हैं? गत 02 वित्तीय वर्षों में इनसे कितना कर वसूला गया? (ख) प्रशनांश (क) अन्तर्गत नई टैक्स नीति लागू होने के बाद हैंडीक्राफ्ट उद्योग को कुल कितना टैक्स देना होगा,? पुराने एवं नये टैक्स में कुल कितना अन्तर होगा? (ग) क्या नई टैक्स नीति लागू होने के बाद हैंडीक्राफ्ट उद्योग को टेक्स से मुक्त रखा जाएगा या टेक्स स्लेब को कम किया जायेगा? यदि नहीं, तो क्या श्रमिकों द्वारा निर्मित वस्तुएं महंगी होने के कारण इनकी सेलिंग पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिससे श्रमिकों के बेरोजगार होने का खतरा बन रहा है, क्या विभाग टैक्स में श्रमिकों को सुविधा देने के लिए कोई नीति अपना रहा हैं? यदि हाँ, तो अवगत कराये?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम द्वारा वर्ष 2015-16 में रूपये 0.78 लाख एवं वर्ष 2016-17 में रूपये 11.11 लाख हैंडीक्राफ्ट उत्पादों का निर्यात किया गया। हैंडीक्राफ्ट उत्पादन में संलग्न शिल्पियों की जिलेवार एवं उत्पादवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। निगम द्वारा हैंडीक्राफ्ट उत्पादों पर वर्ष 2015-16 में रूपये 3.35 लाख तथा वर्ष 2016-17 में रूपये 2.65 लाख का कर भुगतान किया गया। (ख) गत 02 वित्तीय वर्षों में वैट अधिनियम, 2002 लागू था जिसमें हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं को अधिनियम की अनुसूची-1 की प्रविष्टि क्रमांक 45 के तहत करमुक्त वस्तुओं की श्रेणी में रखा गया था। नई टैक्स नीति (जी.एस.टी.) प्रणाली के अंतर्गत अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-62/2017/1/पाँच (102) दिनांक 15.09.2017 से हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं को परिभाषित किया गया है तथा इनकी सप्लाई (विक्रय) पर 0, 2.50, 6 तथा 9 प्रतिशत की दरें राज्य कर के तहत वस्तु अनुसार निर्धारित की गई है। पूर्व में वैट अधिनियम के अंतर्गत हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं के करमुक्त होने से नवीन प्रणाली में निर्धारित कर की दर ही, अंतर दर के बराबर है। (ग) जी.एस.टी. प्रणाली में हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं तथा अन्य वस्तुओं को कर मुक्त अथवा कम दर वाले स्लेब में रखने बाबत् निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है। ऐसे मामलों में जी.एस.टी. काउंसिल द्वारा ही निर्णय लिये जाते हैं। वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा श्रमिकों/शिल्पियों को सुविधा देने बाबत् नीति नहीं बनाई जाती है।
आंगनवाड़ी केंद्रों की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
11. ( क्र. 1009 ) श्री प्रताप सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) जबेरा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं तथा कितने और नवीन केन्द्र खोले जाना प्रस्तावित हैं? क्या नवीन केन्द्र स्वीकृत किये जाने हेतु प्रस्ताव राज्य शासन/भारत शासन को भेजे जा चुके हैं, यदि हाँ, तो प्रेषित प्रस्ताव की एक प्रति उपलब्ध करावें? (ख) विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत नगर पंचायत क्षेत्र तेन्दूखेड़ा में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं तथा शासन की नीति एवं जनसंख्या के मापदण्ड के आधार पर कितने वार्डों में केन्द्र संचालित किये जावेंगे? क्या विभाग द्वारा वार्डों में नवीन केन्द्र संचालित किये जाने हेतु कोई कार्ययोजना तैयार की है, यदि हाँ, तो बतलावें? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) नगर पंचायत तेन्दूखेड़ा के शेष रहे वार्डों में नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र खोले जाने हेतु क्या प्रस्ताव राज्य शासन की स्वीकृति हेतु भेजे गये हैं, यदि नहीं, तो कब तक भेजे जावेंगे?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जबेरा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत बाल विकास परियोजना तेन्दूखेड़ा अन्तर्गत 191 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा बाल विकास परियोजना जबेरा अन्तर्गत 222 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। जिला कार्यक्रम अधिकारी एकीकृत बाल विकास सेवा जिला दमोह के पत्र क्र./एबाविसे/स्था./2017/1046 दिनांक 17/05/2017 द्वारा जिले से 32 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों को खोलने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जिसे संचालनालय के पत्र क्रमांक 3552 दिनांक 05.09.2017 द्वारा स्वीकृति हेतु भारत सरकार को प्रेषित किया गया। प्रेषित प्रस्ताव की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत नगर पंचायत क्षेत्र तेन्दूखेड़ा के 15 वार्डों में कुल 22 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र भारत सरकार द्वारा निधारित जनसंख्या मापदण्डों की पूर्ति उपरान्त स्वीकृत किये जाते हैं। नगर पंचायत क्षेत्र तेन्दूखेड़ा में जनसंख्या मापदण्डानुसार 15 वार्डों में 22 आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत होकर संचालित है। जी नहीं विभाग द्वारा वार्डों में नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने की कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। (ग) प्रश्नांश (ख) की जानकारी के परिप्रेक्ष्य में शेष का प्रश्न ही नहीं उपस्थित होता है।
आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के साथ वसूली बावत
[वाणिज्यिक कर]
12. ( क्र. 1087 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा संभाग अंतर्गत देशी मदिरा लायसेंस धारियों द्वारा बंद बोतल देशी मदिरा का नियमानुसार न्यूनतम स्कंध देशी मदिरा भण्डारगारों में रखा गया अगर रखा गया तो स्कंध पंजी मासिक पंजी का अवलोकन कब-कब किन-किन अधिकारियों द्वारा किया गया का विवरण वर्ष 2011 से प्रश्नांश दिनांक तक का देवें अगर संबंधितों द्वारा पंजियों का सत्यापन नहीं किया गया और देशी मदिरा भण्डारगारों में बोतल बंद देशी मदिरा का न्यूनतम स्कंध नहीं रखा गया तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार अगर देशी मदिरा भण्डारगारों में बोतल बंद देशी मदिरा का न्यूनतम स्कंध नहीं रखा गया तो म.प्र. देशी स्प्रिट नियम 1995 के नियम (4) 4 का उल्लंघन था, जिस पर सहायक आबकारी आयुक्त/जिला आबकारी आयुक्तों द्वारा कब-कब वर्ष 2011 से प्रश्नांश दिनांक तक में कितनी राशि लाइसेंसधारियों के ऊपर शास्ति के रूप में आरोपित की गयी का विवरण दुकानवार वर्षवार उपरोक्त अवधि से प्रश्नांश दिनांक तक का देवें। अगर शास्ति आरोपित नहीं की गई तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में म.प्र. देशी स्प्रिट नियम 1995 के नियम 12 (1) के अनुसार लगातार नियमों के उल्लंघन के कारण शास्ति आरोपित नहीं करने के कारण शासन को कितने राजस्व का नुकसान हुआ? (घ) प्रश्नांश (क) की मदिरा दुकानों द्वारा स्कंध न रखने के कारण शास्ति आरोपित न करने के कारण राजस्व के हुए नुकसान के लिए जवाबदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों के ऊपर क्या कार्यवाही करेंगे? क्या शासन को राजस्व की हुई नुकसान की वसूली संबंधितों से कराने के साथ आपराधिक प्रकरण दर्ज करायेंगे? करायेंगे तो कब तक अगर नहीं तो क्यों?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) रीवा संभाग के जिला रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर एवं उमरिया में प्रदाय संविदाकार द्वारा वर्ष 2011 से प्रश्नांश दिनांक तक कतिपय दिवसों में देशी मदिरा का स्कंध मद्यभाण्डागारों में नहीं रखा गया है। रीवा संभाग के जिला रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर एवं उमरिया में वर्ष 2011 से प्रश्नांश दिनांक तक मदिरा की न्यूनतम स्कंध पंजी संधारित की गई हैं जिसमें मद्यभाण्डागार अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन हस्ताक्षर किये जाते हैं। पंजी का अवलोकन वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा किया जाता है जिसकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) जी हाँ, प्रश्नांश (क) अनुसार रीवा संभाग के जिला रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर एवं उमरिया में स्थित मद्यभाण्डागारों में वर्ष 2011 से प्रश्नांश दिनांक तक बोतल बंद देशी मदिरा का न्यूनतम स्कंध नहीं रखा गया। जो मध्यप्रदेश देशी स्प्रिट नियम 1995 के नियम (4) 4 का उल्लंघन है एवं इस प्रकार के प्रकरणों में आबकारी आयुक्त, मध्यप्रदेश ग्वालियर द्वारा नियम 12 (1) के अंतर्गत शास्ति आरोपित की जाने का प्रावधान है। रीवा संभाग के जिला रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर एवं उमरिया में स्थित मद्यभाण्डागारों में बोतल बंद देशी मदिरा का न्यूनतम स्कंध नहीं रखने के कारण मध्यप्रदेश देशी स्प्रिट नियम 1995 के नियम 12 (1) के अंतर्गत रूपये 37,31,500/- की शास्ति आरोपित की गई है। वर्षवार, मद्यभाण्डागारवार की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ग) मध्यप्रदेश देशी स्प्रिट नियम 1995 के नियम (4) 4 के अंतर्गत देशी मदिरा प्रदाय व्यवस्था असफल न होने की स्थिति में न्यूनतम संग्रह रखा जाना अनिवार्य है, इससे राज्य शासन को राजस्व की हानि होने की स्थिति नहीं है। (घ) रीवा संभाग के जिला रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर एवं उमरिया में शासन को राजस्व हानि न होने से अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही कर प्रकरण दर्ज करने संबंधी कोई स्थिति नहीं है।
नवीन हवाई पट्टी का निर्माण
[विमानन]
13. ( क्र. 1124 ) श्री रामलाल रौतेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अनूपपुर जिले में नवीन हवाई पट्टी निर्माण हेतु विभाग द्वारा पहल की जा रही है? यदि हाँ, तो कार्यवाही किस स्तर तक पहुंची है? (ख) क्या जिला प्रशासन ने उक्त कार्य हेतु कोई भूमि आरक्षित की है? यदि हाँ, तो कहाँ एवं कितने हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गई है? अगर निर्माण किया जाना है तो समय-सीमा क्या होगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रदेश के जिलों में बजट उपलब्धता की स्थिति में हवाई पट्टी निर्माण कराये जाने का सैद्धान्तिक निर्णय लिया गया हैं। (ख) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
स्थानांतरित अधिकारी की पुन: पदस्थापना
[जनजातीय कार्य]
14. ( क्र. 1127 ) श्री रामलाल रौतेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला अनूपपुर-शहडोल उमरिया में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास के पद पर वित्तीय वर्ष 2015-16 एवं 16-17 में कार्यरत रहे अधिकारी का नाम बतायें? क्या इन अधिकारियों में से किसी का स्थानांतरण हुआ था? यदि हाँ, तो क्या स्थानांतरित स्थान के लिए भार मुक्त कर दिया गया है? (ख) क्या अनूपपुर से स्थानांतरित अधिकारी को पुन: पदस्थ कर दिया गया है? यदि हाँ, तो कारण बतावें? क्या पूर्व में प्रश्नकर्ता द्वारा विभाग को उक्त अधिकारी के विरूद्ध भ्रष्टाचार में लिप्त होने की शिकायत की गई थी? यदि हाँ, तो अब तक क्या कार्यवाही हुई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी हाँ। प्रशासनिक दृष्टि से। जी हाँ। शिकायत पर की गई कार्यवाही संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
केबल नेट वर्क की जानकारी
[वाणिज्यिक कर]
15. ( क्र. 1128 ) श्री रामलाल रौतेल : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिले के पसान, अनूपपुर, जैतहरी में केबल नेटवर्क संचालित हैं? यदि हाँ, संचालक का नाम एवं पता सहित जानकारी देवें वर्णित कस्बों में कुल कितने कनेक्शन प्रदान किये गये है? विवरण देवें? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित कनेक्शनधारियों से कुल कितनी-कितनी राशि वसूल की जाती है तथा विभाग में मासिक एवं वार्षिक जमा किए जाने वाली राशि क्या है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मध्यप्रदेश विलासिता मनोरंजन, आमोद एवं विज्ञापन पर कर अधिनियम के अंतर्गत विभाग में मल्टी सिस्टम ऑपरेटर (एम.एस.ओ.) पंजीयत होते हैं। अनूपपुर जिले में मेसर्स राज केबल नेटवर्क एम.एस.ओ. के रूप में पंजीयत हैं, जिसका टिन 800229000237 है। जिसका पता दफाई न. 3, कोतमा कॉलरी, कोतमा है। विभाग द्वारा कनेक्शनवार जानकारी संधारित नहीं की जाती है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के उत्तर अनुसार मेसर्स राज केबल नेटवर्क द्वारा विगत दो वर्षों में जमा कराई गई कर राशि की संधारित त्रैमासिक/वार्षिक जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
16. ( क्र. 1131 ) श्री रामलाल रौतेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) लाड़ली लक्ष्मी योजना किस वित्तीय वर्ष से लागू की गई है? लागू वर्ष से अनूपपुर जिले में कितने लोगों को लाभांवित किया गया है? (ख) क्या कुछ बच्चों को निर्धारित अवधि के बाद राशि दी गई है? यदि हाँ, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना वित्तीय वर्ष 2007-08 से लागू की गयी है। अनूपपुर जिले में योजना प्रारंभ से अब तक 29,346 बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है। (ख) जी हाँ। योजना प्रावधान अनुसार कक्षा 06 में प्रवेश लेने वाली 45 बालिकाओं को विलम्ब से छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान ई पेमेंट के माध्यम से किया गया है, जिसका कारण बालिकाओं का विलम्ब से चिन्हांकन, उनके जन्म प्रमाण पत्र व अंकसूची में जन्मतिथि की भिन्नता का सत्यापन किये जाने एवं बैंक खाता क्रमांक की जानकारी समय पर प्राप्त न होना आदि रहा है।
पंचायत सेवा समिति शासकीय अधिकारी कर्मचारी महासंघ को मान्यता के आदेश
[सामान्य प्रशासन]
17. ( क्र. 1152 ) श्रीमती नंदनी मरावी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 1428 दिनांक 25.07.2017 में अवगत कराया गया था कि पंचायत सेवा शासकीय अधिकारी कर्मचारी महासंघ को मान्यता प्रदान किये जाने के आदेश जारी किये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार आदेश कब जारी किये गये? आदेश की प्रति उपलब्ध करायें। यदि नहीं, तो कब तक जारी कर दिये जायेंगे? निश्चित समय-सीमा बतायें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
क्रमोन्नति/समयमान नियुक्ति दिनांक से गणना किया जाना
[वित्त]
18. ( क्र. 1153 ) श्रीमती नंदनी मरावी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वित्त विभाग की टीप क्रमांक 720/2077 दिनांक 8/6/16 के परिप्रेक्ष्य में पंचायत विभाग द्वारा दिनांक 14/9/16 को समस्त संभागीय आयुक्त कोष एवं लेखा को पृष्ठांकित करते हुये आदेश जारी किये गये हैं, कि पंचायत समन्वय अधिकारियों को क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान का लाभ दिये जाने हेतु सेवा काल की गणना इनकी नियुक्ति दिनांक से की जावे तथा 28/11/88 को दिया गया वेतनमान वेतन विसंगति का सुधार माना जावे? (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार कोष एवं लेखा कार्यालयों द्वारा आपत्तियां लगाई जा रही हैं। क्षेत्रीय कार्यालयों को आपत्तियां न लगाये जाने हेतु कब-कब निर्देश जारी किये गये? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करायें। यदि नहीं, तो कब तक जारी कर दिये जावेंगे?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। आदेश की प्रति संलग्न परिशिष्ट पर है। (ख) परिपत्र का पालन नहीं किये जाने के प्रकरण संज्ञान में नहीं आये है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा परिपत्र दिनांक 14-9-2016 समस्त संबंधितों के पक्ष में जारी होने से पृथक से निर्देश जारी किये जाने की आवश्यकता नहीं रही है।
आंकलित बिल प्राप्त होने के संबंध में
[ऊर्जा]
19. ( क्र. 1222 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर शहर में कितने प्रतिशत लाईन लॉस/विद्युत चोरी हो रही है? सरकार का ग्वालियर शहर में लाईन लॉस का लक्ष्य कितने प्रतिशत का है? (ख) ग्वालियर शहर में लाईन लॉस रोकने के कौन-कौन से प्रयास किये गये तथा इसमें कितनी राशि व्यय की गई? किये गए उपायों से कितने प्रतिशत लाईन लॉस कम हुआ? हुये लाईन लोस की भरपायी शासन द्वारा कहाँ से की जा रही है? (ग) ग्वालियर शहर में कितने विद्युत उपभोक्ताओं को आंकलित खपत के देयक जारी किये जा रहे हैं? आंकलित खपत के देयक देने के क्या नियम हैं, यदि हाँ, तो क्या बताएं? (घ) ग्वालियर शहर में कितने विद्युत मीटर वर्तमान में बंद हैं, मीटर बंद होने के कारणों सहित जानकारी दें? (ड.) क्या विद्युत विभाग के अधिकारी कर्मचारी को विद्युत देयक में 50 प्रतिशत छूट देने का कोई प्रावधान है? क्या इस नियम के तहत ग्वालियर शहर में अधिकारी कर्मचारियों को विद्युत देयक में रियायत दी जा रही है? यदि हाँ, तो कितनों को?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) शहर वृत्त, ग्वालियर के अन्तर्गत अद्यतन संधारित आंकड़ों के अनुसार माह अगस्त, 2017 में वितरण हानि का स्तर 24.11 प्रतिशत है। ग्वालियर शहर के लिये वर्ष 2017-18 हेतु वितरण हानि कम करके 15 प्रतिशत तक के स्तर तक किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। (ख) ग्वालियर शहर में वितरण हानि कम करने हेतु आर.ए.पी.डी.आर.पी. योजनान्तर्गत प्रणाली का उन्नयन कर एल.टी. लाईन में तार के स्थान पर एल.टी. ए.बी. केबिल डाली गई। इस योजना में रूपये 198.85 करोड़ व्यय किया गया। उक्त कार्य योजना प्रारम्भ होने के पूर्व माह मार्च 2011 में ग्वालियर शहर में लाइर्न लॉस 40.10 प्रतिशत था, जो कि माह अगस्त 2017 में 24.11 प्रतिशत रह गया है। ग्वालियर शहर में लाईन लॉस कम करने का निर्धारित लक्ष्य अवार्ड की शर्तों के अनुरूप प्राप्त नहीं करने के कारण उक्त योजना क्रियान्वयन हेतु चयनित ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स मोन्टोकार्लो लिमिटेड के विरूद्ध लिक्विडेटेड डैमेज के रूप में रू. 25.27 करोड़ की राशि पेनल्टी स्वरूप अधिरोपित की गई है। (ग) शहर वृत्त ग्वालियर के अन्तर्गत वर्तमान माह में कुल 50104 उपभोक्ताओं को आंकलित खपत के विद्युत देयक जारी किये गये हैं। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका के प्रावधानों के अनुसार आंकलित खपत के बिल जारी किये जाते हैं। विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की उक्त कंडिका की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) शहर वृत्त ग्वालियर के अन्तर्गत वर्तमान में कुल 45987 बंद/खराब मीटर हैं। उक्त मीटर तकनीकी खराबी एवं मानवीय हस्तक्षेप इत्यादि के कारणों से बंद/खराब होने संभावित है। (ड.) विद्युत कंपनियों के अन्तर्गत पूर्ववर्ती म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल से अंतरित एवं वर्तमान में कार्यरत् अधिकारियों एवं कर्मचारियों को ऊर्जा प्रभार एवं स्थायी प्रभार में 50 प्रतिशत छूट दिये जाने का प्रावधान है। ग्वालियर शहर वृत्त में उपरोक्त नियमों के अंतर्गत उक्त अधिकारियों/कर्मचारियों को उक्त छूट का लाभ मिल रहा है।
इंदिरा सागर नहर परियोजना के संबंध में
[नर्मदा घाटी विकास]
20. ( क्र. 1232 ) श्री उमंग सिंघार : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 5 वर्षों में इंदिरा सागर नहर परियोजना की मुख्य नहर व डिस्ट्रीब्यूटरी नहर का कार्य किन-किन ठेकेदारों को दिया गया? (ख) प्रत्येक ठेकेदार द्वारा कितना कार्य किया गया एवं उनको कितना भुगतान किया गया देवें? (ग) यदि कोई कार्य रिजेक्ट किया गया तो उसकी भी जानकारी उपलब्ध करावें तथा अनुबंध के अतिरिक्त कोई कार्य किया गया हो तो उसकी स्वीकृति एवं भुगतान की जानकारी उपलब्ध करावें।
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) कोई कार्य रिजेक्ट नहीं किया गया है और न ही अनुबंध के अतिरिक्त कोई कार्य किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जले ट्रांसफार्मर बदले जाने के नियम
[ऊर्जा]
21. ( क्र. 1247 ) श्री जतन उईके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्रामीण एवं कृषि उपभोक्ताओं के जले ट्रांसफार्मर, बदले जाने हेतु क्या नियम नीति निर्देश लागू हैं? क्या पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र में तथा ब्लाक मोहखेड़ में इन नियमों का पालन विभाग द्वारा किया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) क्षेत्र में किन-किन ग्रामों में 07 दिवस की सीमा में जले ट्रांसफार्मर बदले गये हैं? एक वर्ष की अवधि की जानकारी दें? (ग) क्या ग्रामीण क्षेत्रों घरेलू उपयोग के लिये 24 घण्टे एवं कृषि उपयोग हेतु 10 घण्टे विद्युत प्रदाय की नीति है? यदि हाँ, तो इसका पालन पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र एवं ब्लाक मोहखेड़ क्षेत्र में न होने के क्या कारण हैं? नियम विरूद्ध विद्युत कटौती के लिये कौन-कौन उत्तरदायी हैं? (घ) पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र में विद्युत प्रदाय व्यवस्था सुधारने हेतु क्या-क्या कार्य व प्रयास किये जा रहे हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) वर्तमान में लागू नियमों के अनुसार जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मरों से जुड़े 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान करने पर अथवा कुल बकाया राशि का 20 प्रतिशत जमा होने के उपरांत इन जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदला जाता है। उक्त दोनों शर्तों में से किसी एक की भी पूर्ति होने पर जले/खराब ट्रांसफार्मर को निर्धारित समयावधि में बदले जाने हेतु तत्काल कार्यवाही किये जाने के निर्देश हैं। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उक्त नियमों के अनुरूप बकाया राशि जमा होने पर जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर को वर्षा ऋतु (जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर) में 7 दिवस में तथा वर्ष की अन्य अवधि में 3 दिवस में बदले जाने के निर्देश है। जी हाँ, पांढुर्ना विधान सभा क्षेत्र तथा मोहखेड़ा विकासखण्ड के लिए भी यही नियम लागू हैं। (ख) पांढुर्ना विधान सभा क्षेत्र तथा मोहखेड़ा विकासखण्ड में विगत एक वर्ष में नियमानुसार बकाया राशि जमा करने के उपरांत पात्र सभी जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मर पात्रता की दिनांक से 7 दिवस में बदले गये हैं, जिनकी ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ, ग्रामीण क्षेत्रों में गैर कृषि उपयोग के लिये 24 घण्टे एवं कृषि उपयोग हेतु 10 घण्टे विद्युत प्रदाय की नीति है। छिंदवाड़ा जिलान्तर्गत पांढुर्ना विधानसभा क्षेत्र एवं मोहखेड़ा विकासखण्ड क्षेत्र में भी कतिपय अवसरों पर प्राकृतिक आपदा/तकनीकी व्यवधान एवं संधारण कार्य हेतु आवश्यक होने के कारण लिये जाने वाले शटडाउन जैसी अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर उक्तानुसार विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। विगत 1 वर्ष से पांढुर्ना विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कृषि फीडरों पर औसतन 9.56 घण्टे प्रतिदिन एवं गैर कृषि फीडरों पर औसतन 21.53 घण्टे प्रतिदिन तथा मोहखेड़ा विकासखंड अंतर्गत कृषि फीडरों पर औसतन 9.29 घंटे प्रतिदिन एवं गैर कृषि फीडरों पर औसतन 23.22 घंटे प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया गया है। उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी के दोषी होने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) पांढुर्ना विधानसभा क्षेत्र में विद्युत प्रदाय व्यवस्था सुचारू रूप से चालू है तथापि और अधिक गुणवत्तापूर्ण विद्युत प्रदाय करने हेतु निम्न प्रयास/कार्य किये जा रहे हैं - (1) पांढुर्ना विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम कौडिया (चिमनखापा) में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का कार्य स्वीकृत किया गया है। (2) 4 अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना एवं 9 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि का कार्य वर्ष 2017-18 की कार्य योजना के अंतर्गत स्वीकृत किया गया है। (3) उच्चदाब एवं निम्न दाब लाईनों का वर्षा पूर्व एवं वर्षाकाल के पश्चात् संधारण कार्य किया गया है।
आंगनवाड़ी केन्द्र का संचालन
[महिला एवं बाल विकास]
22. ( क्र. 1252 ) श्री जतन उईके : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या पांढुर्णा विधान सभाक्षेत्र में जो वर्तमान में आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है उनके अलावा भी नये केन्द्र खोले जाने की आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्र में है, जिसके संबंध में जिले के महिला बाल विकास अधिकारी द्वारा कोई सर्वे कराया, कोई जानकारी मांगी गई? यदि हाँ, तो विवरण उपलब्ध कराएं? (ख) क्या ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही आंगनवाड़ी किसी गांव में संचालित है, कई ऐसे मजरे टोले हैं, जहां से छोटे-छोटे बच्चे काफी दूर नहीं जा सकते हैं, क्या वहां पर नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र खोले जाने हेतु आदेश करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें? (ग) क्या मोहखेड़ विकासखण्ड एवं पांढुर्णा विकासखण्ड में जिन स्थानों पर आंगनवाड़ी केन्द्र या भवन नहीं है उनके लिये प्रश्नकर्ता द्वारा दिये गये प्रस्ताव मान्य होंगे? यदि हाँ, तो आदेश जारी करें, यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा समय-समय पर जनसंख्या के आधार पर क्षेत्र का सर्वे किया जाता है। नवीन आंगनवाड़ी/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र की स्वीकृति के लिये समय-समय पर जनसंख्या के मापदण्डों की पूर्ति करने पर जिलों से प्राप्त प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किये जाते है। परियोजना-मोहखेड़ अन्तर्गत ग्राम महुआढाना (धगडि़यामाल) एवं पीपलगॉव (भवारी में) में 01-01 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र की आवश्यकता है। जिले से प्रस्ताव प्राप्त होने पर भारत सरकार को स्वीकृति हेतु भेजा जाएगा। (ख) जनसंख्या के मापदण्ड अनुसार ही आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत किये जाते है। इन मापदण्डों के अतिरिक्त नवीन/अतिरिक्त केन्द्र की पात्रता नहीं है। अतः शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ग) जनसंख्या मापदण्ड के अनुरूप नवीन आंगनवाड़ी/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दी जाती है अतः राज्य स्तर से समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। जी हाँ। आंगनवाड़ी भवन निर्माण में स्थाननीय मान. विधायकगणों की अनुशंसा प्राप्त करने हेतु शासन के पत्र क्र 697 दिनांक 27/03/2017, संचालनालय के पत्र क्र. 2850 दिनांक 22/06/2017, पत्र क्र 148 दिनांक 12/01/2016, पत्र क्र 1162 दिनांक 18/03./2016, पत्र क्र 375 दिनांक 23/01/2017, पत्र क्र 927 दिनांक 22/02/2017, पत्र क्र 5194 दिनांक 15/12/2017, पत्र क्र 1115 दिनांक 14/03/2017, पत्र क्र. 1566 दिनांक 13/04/2017 एवं पत्र क्र 2196 दिनांक 25/05/2017 द्वारा पूर्व से निर्देश प्रसारित किये गये है। पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत विकासखण्ड मोहखेड़ एवं पांढुर्णा में मान. विधायक की अनुशंसा सहित कुल 44 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण हेतु प्रस्ताव जिलें से प्राप्त हुए है। इनमें से 16 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। भवनों की स्वीकृति वित्तीय संसाधनों पर निर्भर है। सीमित वित्तीय संसाधनों के कारण शेष भवनों की स्वीकृति नहीं दी जा सकी है।
मा.मुख्यमंत्री जी की अमेरिका यात्राओं के संदर्भ में
[सामान्य प्रशासन]
23. ( क्र. 1287 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01.06.2014 से 31.10.17 तक मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा कितनी बार अमेरिका यात्रा किन-किन अधिकारियों के साथ की गई? नाम, यात्रा व्यय अन्य सभी व्यय सहित पूरी जानकारी वर्षवार देवें। (ख) अमेरिकी शासन के किन अधिकारियों, मंत्रीगणों से इन दौरों में शासकीय भेंट/चर्चा की गई वर्षवार बतावें। (ग) इन दौरों में N.R.I. संगठनों, N.R.I. व्यवसायियों एवं अन्य उद्योगपतियों से म.प्र. में निवेदश के लिए कितनी बार बैठक हुई उनसे अब तक कितना निवेश प्राप्त हुआ वर्षवार बतावें। इन पर हुए समस्त व्यय व भुगतान की जानकारी भी देवें। (घ) उक्त समयावधि में हुए समस्त सम्मेलनों, संगोष्ठियों की जानकारी भी व्यय भुगतान सहित देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश में उल्लेखित महानुभावों से औपचारिक भेंट/चर्चा नहीं की गई। (ग) प्रश्नांश अवधि में किये गये दौरों का उद्देश्य निवेश आकर्षित करने तक सीमित न होकर अमेरिका तथा प्रदेश के बीच पारस्परिक सांस्कृतिक एवं व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाना तथा अमेरिका में प्रदेश की ब्रांडिंग करना रहा है। उक्त प्रवास के दौरान अमेरिका में स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से वहां के ख्यातिनाम, शिक्षाविद्, निवेशकों, कृषि और स्वास्थ्य विशेषज्ञों तथा वाणिज्य एवं व्यापार संगठनों के प्रतिनिधियों का प्रस्तुतीकरण कर प्रदेश के विकास में सहभागिता हेतु आमंत्रित किया गया। व्यय एवं भुगतान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
विद्युत कंपनी द्वारा औसत विद्युत देयक
[ऊर्जा]
24. ( क्र. 1329 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग/विद्युत कंपनी के नियमानुसार उपभोक्ताओं के विद्युत कनेक्शन के मीटर की रीडिंग एवं विद्युत खपत के बिल प्रदाय करने के क्या प्रावधान हैं? (ख) मुडवारा विधानसभा क्षेत्र के कटनी नगर के वार्डों एवं ग्रामों में जनवरी 2017 माह से किन व्यक्तियों/कर्मचारियों की मीटर रीडिंग हेतु नियुक्ति की गयी थी एवं इन कर्मचारियों द्वारा अपने कार्यक्षेत्र में माह जनवरी, 2017 से अब तक कितने मीटरों की रीडिंग की गई? माहवार बतायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत क्या मुडवारा विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों एवं कटनी नगर के वार्डों में जनवरी, 2017 से अब तक वास्तविक विद्युत खपत के विद्युत बिल प्रदाय करने के बजाय औसत खपत के बिल दिये गये है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्या सक्षम प्राधिकारी ऐसा न होने का सत्यापन करेंगे? (घ) प्रश्नांश (क) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में मुडवारा विधानसभा क्षेत्र में विगत कई माहों से विद्युत मीटर में दर्ज विद्युत खपत का बिल दिये जाने के बजाय, मनमाने तरीके से अत्यधिक विद्युत बिल देने से उपभोक्ताओं में शासन के प्रति आक्रोश उत्पन्न होने के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या इसका संज्ञान लेकर कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मीटर युक्त कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग ली जाकर मीटर में दर्ज खपत के अनुसार ही बिल दिये जाते हैं तथा जो मीटर खराब/बंद पाए जाते हैं, उन्हें म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत प्रदाय संहिता, 2013 की कंडिका 8.35 के प्रावधानों के अनुसार औसत खपत के आधार पर तथा जिन घरेलू एवं कृषि श्रेणी के कनेक्शनों में मीटर नहीं है, उन विद्युत उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार आंकलित खपत के आधार पर बिल जारी किये जाने का प्रावधान है। विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 8.35 तथा बगैर मीटर वाले घरेलू एवं कृषि श्रेणी के कनेक्शनों हेतु लागू दर आदेश के अंश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) मुडवारा विधानसभा क्षेत्र के कटनी नगर के वार्डों एवं ग्रामों में माह जनवरी 17 से दिनांक 10.11.17 तक मीटर रीडिंग हेतु नियुक्त व्यक्ति/कर्मचारी एवं उनके द्वारा ली गई माहवार रीडिंग का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (ग) जी नहीं, मुडवारा विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों एवं कटनी नगर के वार्डों में मीटर वाचकों द्वारा ली गई रीडिंग के आधार पर वास्तविक खपत के ही बिल दिये गये हैं। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार मीटर बंद/खराब होने की स्थिति में विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 8.35 में निहित प्रावधानानुसार औसत खपत के बिल जारी किये जाते हैं। फिर भी यदि किसी उपभोक्ता द्वारा बिल में त्रुटि संबंधी शिकायत की जाती है तो जाँच कर बिल त्रुटिपूर्ण पाये जाने पर बिल में सुधार की कार्यवाही की जाती है। (घ) मुडवारा विधानसभा क्षेत्र में मीटर वाचकों द्वारा ली गई रीडिंग के आधार पर वास्तविक खपत के अनुसार बिल जारी किये गये हैं। वर्तमान में प्रश्नाधीन क्षेत्र में स्पॉट बिलिंग के आधार पर वास्तविक रीडिंग के बिल जारी किये जा रहे हैं। प्रश्नाधीन क्षेत्र में पूर्व में कुछ उपभोक्ताओं की त्रुटिपूर्ण रीडिंग होने एवं किसी माह में रीडिंग नहीं होने से रीडिंग/खपत छूटी होने के कारण खपत संचित होने से, अधिक राशि के बिल जारी हुये। त्रुटिपूर्ण रीडिंग लिये जाने हेतु जिम्मेदार मीटर वाचकों की सेवायें समाप्त कर दी गई हैं एवं बिल संबंधी शिकायतों की जाँच कर संचित खपत के प्रकरणों में स्लेब यूनिट का लाभ देते हुये आवश्यक सुधार करते हुये त्रुटिपूर्ण राशि का बिलों में समायोजन किया गया है। उपभोक्ताओं को किश्तों में भुगतान करने की सुविधा भी प्रदान की गई है। उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण हेतु लगातार शिविर इत्यादि लगाये जाकर जाँच कर बिलों के संबंध में प्राप्त प्रश्नाधीन शिकायतों का निराकरण किया जा रहा है।
पोषण आहार की आपूर्ति
[महिला एवं बाल विकास]
25. ( क्र. 1330 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या भारत सरकार एवं माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा पूरक पोषण आहार का प्रदाय स्व-सहायता समूहों से कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं? यदि हाँ, तो यह निर्देश क्या हैं और निर्देशों के पालन में अब तक क्या कार्यवाही की गई तथा स्व-सहायता समूहों से पोषण आहार का प्रदाय कब से प्रारंभ होगा? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत पूरक पोषण आहार प्रदायगी व्यवस्था हेतु गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा क्या-क्या अनुशंसायें की गयी एवं किन-किन अनुशंसाओं को विभाग एवं शासन द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी है? (ग) मुड़वारा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत विगत तीन वर्षों में कितने कुपोषित बच्चे, कहाँ-कहाँ, आंगनवाड़ी केन्द्रवार वर्षवार पाये गये? कुपोषित बच्चों को खोजने के लिये प्रश्नांकित अवधि में विभाग द्वारा क्या कार्यक्रम, शिविरों का आयोजन कब-कब किया गया? (घ) प्रश्नांश (ग) के तहत मुड़वारा विधानसभा क्षेत्र में अति कम वजन के बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण उपचार की क्या कार्ययोजना है एवं स्नेक सरोकार अभियान के तहत क्या कार्य हुए और किन बच्चों को किन के द्वारा गोद लिया गया, आंगनवाड़ीवार बतायें?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। मान. मुख्यमंत्रीजी ने आंगनवाडि़यों में पोषण आहार ठेकेदार के बजाए स्व सहायता समूह के द्वारा बनाए जाने की घोषणा की गई थी। राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक दिनांक 14.11.17 में पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) की नवीन नीति निर्धारित की गई है। राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा निर्धारित नवीन नीति अनुसार आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) की व्यवस्था शीघ्र लागू करने की कार्रवाई जारी है। (ख) स्व सहायता समूह के माध्यम से पूरक पोषण आहार (टी.एच.आर.) सप्लाई के संबंध में विभिन्न तिथियों में हाई पॉवर कमेटी की बैठक सम्पन्न हुई बैठक का कार्यवाही विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-01 अनुसार है। हाई पॉवर कमेटी की अनुशंसानुसार दिनांक 14.11.17 को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में पूरक पोषण आहार (टी.एच.आर.) की नवीन नीति का निर्धारण किया गया है। (ग) मुड़वारा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत विगत 03 वर्षों में पाये गये कुपोषित बच्चों की आंगनवाड़ी केन्द्रवार एवं वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 अनुसार है। कुपोषित बच्चों को खोजने के लिये प्रयासः- 1. वजन मेलों का आयोजन - कुपोषित बच्चों को खोजने के लिये विभाग द्वारा प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र में प्रतिमाह 01 से 04 तारीख तक वजन मेलों का आयोजन किया जाता है। गत 03 वर्षों में वजन मेलों का विवरण निम्नानुसार है :-
क्र. |
वर्ष |
आंगनवाड़ी केन्द्र संख्या |
आयोजित वजन मेंले |
1 |
2014-15 |
345 |
4140 |
2 |
2015-16 |
345 |
4140 |
3 |
2016-17 |
349 |
4188 |
2. विशेष वजन अभियान का आयोजन विभाग द्वारा कुपोषण की जाँच करने नवम्बर 2016 से फरवरी 2017 तक विशेष वजन अभियान संचालित किया गया। इस अभियान में पर्यवेक्षक द्वारा स्वयं सभी आंगनवाड़ी में जाकर सभी बच्चों का वजन लेकर कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया गया है। 3. स्नेह शिवरों का आयोजन विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों की पहचान एवं उनके सुधार हेतु 145 स्नेह शिविरों का आयोजन विभिन्न आंगनवाड़ी केन्द्रों पर किया गया है। विस्तृत जानकारी वर्षवार एवं केन्द्रवार पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-03 अनुसार है। (घ) प्रश्नांश-''ग'' में पाये गये कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु सुपोषित बनाने हेतु निम्न प्रयास किये जा रहे है:- 1. चिन्हित कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन किया जा रहा हैं। 2. आंगनवाड़ी केन्द्रों पर वजन अभियान चलाकर कुपोषित बच्चों को चिंहित कर लिया है एवं जहां पर 4 से अधिक कुपोषित बच्चे है, उन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर कैलेंडर बनाकर स्नेह शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। 3. कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्रों (NRC) में भर्ती करवाकर सुपोषित किया जा रहा है। 4. कुपोषित बच्चों की स्थानीय स्तर पर उचित देखभाल हेतु स्नेह सरोकार अभियान अंतर्गत स्थानीय जागरूक नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, कर्मचारियों को गोद दिया जा रहा है, ताकि उनके पोषण स्तर में सुधार कराया जा सकें। आंगनवाड़ी केन्द्रवार गोद दिये गये बच्चों की सूची संलग्न है। मुड़वारा विधानसभा अंतर्गत गोद लेने वाले बच्चों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-04 अनुसार है। 5. गोद लेने वाले व्यक्तियों एवं कुपोषित बच्चे के परिवार के साथ सेक्टर स्तर एवं जिला स्तर पर स्नेह सरोकार सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
बाथम/मांझी जाति के प्रमाण-पत्र
[सामान्य प्रशासन]
26. ( क्र. 1335 ) श्रीमती इमरती देवी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति विभाग के द्वारा एक ही जाति बॉथम/मांझी को एक विभाग अनुसूचित जन जाति में श्रेणी वर्ग करके जाति प्रमाण जारी कर रहा है और अन्य पिछडा वर्ग विभाग अपनी जाति में श्रेणी वर्ग कर जाति प्रमाण जारी कर रहा है? (ख) प्रदेश में बॉथम और मांझी प्रचलन में एक ही जाति के शब्द हैं शासन के विभागों द्वारा कैसे इस वर्ग के व्यक्तियों को जनजाति का प्रमाण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है? (ग) प्रदेश में बॉथम/मांझी समाज के जाति प्रमाण जारी करने में कौन उत्तरदायी है और इस पर कब तक रोक लगाई जावेगी तथा जिन व्यक्तियों द्वारा गलत प्रमाण पत्र लेकर लाभ लिया है उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी और कब तक की जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) जी नहीं। भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश राज्य के लिये अधिसूचित अनुसूचित जनजाति की सूची में अनुक्रमांक 29 पर मांझी जनजाति अंकित है। राज्य शासन द्वारा घोषित पिछड़ा वर्ग की सूची में अनुक्रमांक 12 पर ढीमर जाति के वर्ग समूह में केवट (कश्यप, निषाद, रायकवार, बाथम) जाति अंकित है। इस प्रकार ''मांझी'' एवं ''बाथम'' जाति क्रमश: अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत पृथक-पृथक सूचियों में अंकित हैं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
छेड़छाड़ एवं उत्पीड़न करने वाले जिला संयोजक के विरूद्ध कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
27. ( क्र. 1367 ) श्रीमती ममता मीना : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग, गुना श्री परिहार के विरूद्ध आदिवासी महिला अधीक्षिका से छेड़छाड़ एवं उत्पीड़न करने पर पुलिस में आपराधिक प्रकरण 1 अप्रैल 2017 को गुना केन्ट थाने में दर्ज हुआ है? यदि हाँ, तो आज दिनांक तक शासन/विभाग द्वारा इनके विरूद्ध क्या कार्यवाही हुई? (ख) क्या इसी प्रकरण में रिट पिटीशन क्रमांक 3229/2017 में माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर द्वारा प्रमुख सचिव, आदिम जाति कल्याण विभाग, आयुक्त आदिवासी विभाग से प्राथमिकी दर्ज होने के दिनांक से आज दिनांक की अवधि में क्या कार्यवाही हुई पूछा गया है, यदि हाँ, तो शासन/विभागाध्यक्ष द्वारा प्रकरण में आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या प्रकरण में शासन/विभाग माननीय उच्च न्यायालय को नोटिस का जवाब समय-सीमा में प्रस्तुत करेगा, यदि नहीं, तो कारण बतायें तथा माननीय न्यायालय में जबाब कब तक प्रस्तुत होगा? (घ) प्रकरण में कार्यवाही किस स्तर पर लंबित रखी गई, उस अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही होगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग म.प्र. भोपाल के ज्ञापन क्र./स्था.1/डी.2/2104/2017/25893, दिनांक 24.10.17 द्वारा श्री परिहार को स्पष्टीकरण हेतु नोटिस जारी किया गया है एवं संभागीय उपायुक्त, आदिवासी तथा अनुसूचित जाति विकास, ग्वालियर के पत्र क्रमांक 336 दिनांक 14.07.2017 द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है। (ख) याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी. 3229/2017 कु.हेमलता एक्का, एल.डी.टी. जिला गुना विभागाघ्यक्ष स्तर से प्रकरण में, वादोत्तर प्रस्तुत करने हेतु कार्यालयीन पत्र क्रमांक/स्था.7/13946 दिनांक 21.06.2017 द्वारा संभागीय उपायुक्त, आदिवासी विकास ग्वालियर संभाग ग्वालियर को प्रकरण प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया है। (ग) प्रकरण में वादोत्तर प्रस्तुत करने हेतु प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति की जा चुकी है। पुलिस विवेचना प्रक्रियाधीन है। न्यायालीन प्रकरण होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) कार्यालय आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग के पत्र क्रमांक/स्था.6/शिका/सी.2/123/2017/3741 दिनांक 19.06.2017 द्वारा कलेक्टर गुना को श्री आर.एस. परिहार, जिला संयोजक, गुना के विरूद्ध जाँच कराकर, प्रतिवेदन चाहा गया है। कार्यवाही प्रचलन में है। शेष प्रश्न उपस्थित ही नहीं होता।
अवैधानिक हुई नियुक्तियों की जाँच
[जनजातीय कार्य]
28. ( क्र. 1404 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2005 में तत्कालीन सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग, जिला खरगोन द्वारा बैकलॉग भर्ती में म.प्र.अनुसूचित जाति, जनजाति आरक्षण अधिनियम 2002 की धारा 4 (ख) का उल्लंघन कर अवैधानिक तरीके से नियुक्ति की गई थी एवं क्या इसकी कोई जाँच हुई है? (ख) उक्त नियुक्तियाँ पश्चात् तत्कालीन सहायक आयुक्त पर की गई कार्यवाही का विवरण देवें। यदि कोई कार्यवाई नहीं की गई है तो कारण बताये।? कार्यवाही किस स्तर पर लंबित है? (ग) उक्त प्रकरण में प्रभारी अधिकारी द्वारा प्रमुख सचिव, आदिम जाति एवं अनु.जाति कल्याण विभाग, भोपाल को प्रेषित पत्रों की सूची पत्र क्रमांक एवं दिनांक सहित विषयवार देवें। इन पत्रों का जवाब कब-कब किस माध्यम से प्रदान किया गया? यदि जवाब नहीं दिया गया है तो पत्रवार कारण बतायें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। जी हाँ। (ख) तत्कालीन सहायक आयुक्त को बैकलॉग पदों की भर्ती के संबंध में आरोप पत्र जारी किये गये थे। प्रकरण में विवेचना उपरान्त दिनांक 23.11.2009 को प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
आरक्षित राशि
[नर्मदा घाटी विकास]
29. ( क्र. 1405 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में खरगोन जिले में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण अंतर्गत संचालित/ पूर्ण/प्रचलित समस्त निर्माण कार्य योजनाओं में योजना प्रारंभ से नहर निर्माण के अतिरिक्त किन-किन कार्यों के लिए राशि आरक्षित की गई थी? योजनावार आरक्षित राशि की सूची मदवार देवें। वृक्षारोपण, स्वास्थ्य सुविधा, ग्राम पंचायत एवं अन्य सुविधाओं के लिए आरक्षित उक्त योजनाओं की राशि कब-कब कहाँ व्यय की गई? (ख) खरगोन उद्वहन नहर निर्माण कार्य एवं बिस्टान उदवहन नहर निर्माण कार्य संबंधी विभागीय संभाग अधिकारी द्वारा विगत 5 वर्षों में विभिन्न समीक्षा बैठकों/वरिष्ठ कार्यालय को प्रेषित निर्माण कार्यों की अद्यतन स्थिति रिपोर्ट की प्रति देवे? (ग) बिंदु क्रमांक (क) की समस्त परियोजनाओ की पर्यावरण विभागीय स्वीकृति पत्र की प्रति देवें? पर्यावरण स्वीकृति के पूर्व इन परियोजनाओं के किन-किन कार्यों की निविदा किस स्तर पर हो चुकी थी। योजनावार बतायें? (घ) बिस्टान उद्वहन नहर योजना की प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति, निविदा, अनुबंध की प्रति देवें? इस कार्य में व्यय राशि की सूची मदवार राशि सहित देवें? निविदाकर्ता द्वारा किये गये कार्य एवं उसके मुल्यांकन की वर्तमान स्थिति क्या है?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) ओंकारेश्वर परियोजना, बलवाड़ा माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना, इंदिरा सागर परियोजना, खरगोन उद्वहन नहर, बिस्टान उद्वहन नहर योजनाओं की निविदा टर्न-की आधार पर है, जिसमें वृक्षारोपण, श्रमिकों के लिये स्वास्थ्य सुविधा इत्यादि की लागत सम्मिलित है। लागत में ये मद सम्मिलत होने से टर्न-की निविदा में व्यय की मदवार जानकारी पृथक-पृथक दिया जाना संभव नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र -''अ'' अनुसार है। (ग) इंदिरा सागर एवं ओंकारेश्वर परियोजना की पर्यावरण की स्वीकृति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' एवं ''स'' अनुसार है जिनमें निविदा आमंत्रण के पूर्व ही पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त थी। बिस्टान एवं बलवाड़ा माइक्रो उद्वहन योजनाओं में पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त करने का दायित्व टर्न-की ठेकेदार का होने से अनुबंध उपरांत पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया प्रारंभ की गई जिसकी पर्यावरण स्वीकृति अंतिम चरण में है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र -''द'' अनुसार है।
नियमों से कट-ऑफ-डेट (निर्दिष्ट दिनांक ) हटाया जाना
[ऊर्जा]
30. ( क्र. 1469 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014 में प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति की नीति 2013 (संशोधित) की कंडिका 01 में निर्दिष्ट दिनांक/कट ऑफ-डेट किन तर्कों व तथ्यों के आधार पर तय क्यों कर डाली गई है? विवरण देवें? इस प्रकार की निर्दिष्ट दिनांक म.प्र.शासन के किसी भी विभाग की अनुकम्पा नीति में कभी भी शामिल नहीं रही है. फिर क्यों संवेदनशीलता बरतते हुए इसका उल्लेख पश्चिमी क्षेत्र की वितरण कंपनी लिमि. द्वारा अपनी नीति में करके पात्र आश्रित सैकड़ों आवेदकों को अनुकम्पा नियुक्ति से वंचित कर दिया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के सबन्ध में बतावें नीति की कंडिका 7.5 के प्रावधानों को क्या दिनांक 10-04-2012 के पश्चात के सामान्य मृत्यु के प्रकरणों में ही लागू किया जावेगा, यदि हाँ, तो क्या दिनांक 09-04-12 की किसी कार्मिक की सामान्य मृत्यु होती है, तो उसके आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति आवेदन निरस्त कर दिए जावेगा. और 11-04-2012 को मृत्यु होने पर उसके अहर्ता वाले को संशोधित नीति 7.5 के प्रावधानों अनुसार नियुक्ति दी जावेगी. मात्र 2 दिन के अन्तराल में किन्ही दो कर्मियों की सामान्य मृत्यु होने पर एक के पात्र और दूसरे आश्रित को अपात्र क्या यह भेदभाव, अन्याय और संवेदनहीनता का परिचायक नहीं है? नीति में शामिल ऐसे निर्दिष्ट दिनांक को जनहित में कब तक हटाया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) राज्य शासन के अनुमोदन के आधार पर म.प्र. राज्य विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों में एक समान अनुकंपा नियुक्ति नीति लागू की गयी तथा इसमें प्रश्नांश में उल्लेखित संशोधन किया गया है। तद्नुसार राज्य शासन के अनुमोदन उपरांत ही म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में भी वर्ष 2014 में अनुकंपा नियुक्ति नीति 2013 (संशोधित) प्रभावशील की गयी है एवं इसके प्रावधानों के तहत् अनुकंपा नियुक्तियाँ प्रदान की जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व में अनुकंपा नियुक्ति नीति, 2013 में, अधिसूचना दिनांक 10.04.2012 द्वारा म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल के उत्तरवर्ती विद्युत कंपनियों में अंतिम रूप से अंतरित एवं आमेलित हुए कार्मिक एवं कंपनी द्वारा नियुक्त कार्मिकों की सेवाकाल में मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान था। किन्तु राज्य शासन के आदेश दिनांक 01.11.2014 द्वारा उक्त नीति को संशोधित कर दिनांक 10.04.2012 के पूर्व एवं दिनांक 15.11.2000 के पश्चात् म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल/कंपनी में कार्य अवधि के दौरान के दुर्घटना मृत्यु के प्रकरणों को भी सम्मिलित किया गया है। (ख) जी हाँ, सामान्य मृत्यु के प्रकरणों में प्रश्नाधीन नीति के अनुसार ही प्रश्नांश में उल्लेखित कार्यवाही किये जाने का प्रावधान है। तथापि उल्लेखनीय है कि अनुकंपा नियुक्ति नीति 2013 (संशोधित) की कंडिका 7.5 कंपनी के कार्य के दौरान दुर्घटना में मृत कार्मिक के आश्रितों को सामान्य मृत्यु वाले कार्मिक की तुलना में प्राथमिकता देने से संबंधित है। विद्युत कंपनियों में उक्तानुसार लागू अनुकम्पा नियुक्ति नीति में वर्तमान में कोई संशोधन किया जाना प्रस्तावित नहीं है।
लवकुशनगर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका भर्ती
[महिला एवं बाल विकास]
31. ( क्र. 1508 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या वर्ष 2015-16 16-17 से प्रश्न दिनांक तक छतरपुर जिले के महिला बाल विकास विभाग लवकुशनगर के हरद्वार, झिन्ना, बलकोरा में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की भर्ती में हुई धांधली/अनियमितता की कितनी शिकायतें जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई हैं? सूचीवार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार महिला बाल विकास लवकुशनगर, गौरिहार, छतरपुर जिले में शासन द्वारा विभाग में संचालित योजनाओं के क्रिन्यावयन में हो रही, गड़बड़ी/भ्रष्टाचार की भी शिकायत जनता एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई हैं या नहीं? यदि हाँ, तो सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध करावें? (ग) क्या जनप्रतिनिधियों द्वारा की गयी शिकायत पर आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गयी? यदि की गई है तो क्या शिकायतकर्ता को उक्त कार्यवाही की सूचना दी गयी है या नहीं? (घ) यदि किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गयी तो इसके लिये कौन दोषी है एवं उनके विरूद्ध क्या और कब तक कार्यवाही की जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) वर्ष 2015-16, 16-17 से प्रश्न दिनांक तक छतरपुर जिले के महिला बाल विकास विभाग लवकुशनगर के हरदवार, झिन्ना, बलकोरा में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की भर्ती में हुयी धांधली/अनियमितता के संबंध में जनप्रतिनिधियों से शिकायतें प्राप्त नहीं हुई है। अतः जानकारी निरंक है। (ख) जी हाँ। एकीकृत बाल विकास परियोजना लवकुश नगर में 02 तथा गौरिहार परियोजना में 04 शिकायतें प्राप्त हुई है। सत्यापित प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (ग) जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई शिकायतों पर की गई कार्यवाही की सूचनार्थ प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य अनुसार शिकायतों का निराकरण किया जाकर संबधित शिकायतकर्ता को सूचित किया गया है। अतः शेष कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराया जाना
[अनुसूचित जाति कल्याण]
32. ( क्र. 1509 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा जिला छतरपुर के पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में छात्रों को कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है? यदि हाँ, तो उक्त सुविधा कब से उपलब्ध कराई जा रही है एवं इसके लिये कोई आदेश जारी किये गये है, यदि हाँ, तो आदेश की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) क्या उक्त सुविधा ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रावासों में निवासरत को भी उपलब्ध कराई जा रही है? (ग) यदि नहीं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत छात्र/छात्राओं को उक्त सुविधा कब तक उपलब्ध कराई जायेगी तथा कब तक आदेश जारी कर दिये जायेंगे? (घ) छतरपुर जिले में प्रश्नांश (क) अनुसार कोचिंग की सुविधा शुरू की जावेगी अथवा नहीं यदि हाँ, तो कब तक शुरू की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जिला स्तर पर संचालित पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में छात्रों को अंग्रेजी विषय की कोचिंग की सुविधा वर्ष 2009-10 से उपलब्ध कराई जा रही है। योजना की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। (ग) यह नीतिगत विषय है। समय-सीमा बतायी जाना संभव नहीं है। (घ) प्रश्नांश 'क' अनुसार छतरपुर जिले के जिला स्तरीय पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में छात्र/छात्राओं को अंग्रेजी विषय की कोचिंग की सुविधा प्रदान की जा रही है।
राजीव गांधी योजना अन्तर्गत किये गये कार्य
[ऊर्जा]
33. ( क्र. 1540 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला छतरपुर विधान सभा क्षेत्र बड़ामलहरा अन्तर्गत राजीव गांधी विद्युत योजना के तहत किन-किन गांवों को योजना का लाभ प्रदान किया गया? उक्त कार्य किस ठेकेदार या संस्था द्वारा किया गया, योजना की शर्त के अनुसार कार्य की पूर्णत: प्रमाण पत्र एवं कार्य के सत्यापनकर्ता अधिकारी का नाम, कार्य का नाम, ठेकेदार या संस्था को भुगतान संबंधी समस्त विवरण उपलब्ध करायें। (ख) ऐसे कितने गांव हैं, जिन्हें समयावधि गुजर जाने के बाद भी उक्त योजना का लाभ प्रदान नहीं किया जा सका है? (ग) उक्त योजना अन्तर्गत किये गये कार्य में घटिया खम्भों एवं सामग्री का प्रयोग किये जाने से या तो खम्भे गिर गये हैं या विद्युत लाईन टूट चुकी है एवं कई गांव में मैन लाईन तक भी खम्भे नहीं लगाये गये हैं और खम्भे टूटे पड़े हैं? क्या उक्त कार्य की किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जाँच करायी जाकर संबंधित दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जिला छतरपुर के विधानसभा क्षेत्र बड़ामलहरा के अंतर्गत 11वीं एवं 12वीं पंचववर्षीय योजना अवधि में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत लाभान्वित ग्रामों की सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' में दर्शाये अनुसार है। उक्त कार्य के ठेकेदार एजेन्सी के नाम, कार्य के सत्यापनकर्ता अधिकारी/तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेन्सी का नाम, कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी का नाम, कार्य का नाम एवं ठेकेदार एजेन्सी को किये गये भुगतान की जानकारी सहित विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ख) जिला छतरपुर के विधानसभा क्षेत्र बड़ामलहरा अंतर्गत वर्तमान में कार्य-योग्य कोई भी ग्राम समयावधि पूर्ण होने के बाद उक्त योजनान्तर्गत विद्युतीकरण/सघन विद्युतीकरण हेतु शेष नहीं है। (ग) उक्त योजनान्तर्गत किये गये कार्य में आर.ई.सी. लिमिटेड द्वारा निर्धारित मापदण्डों एवं दिशा-निर्देशों के अनुरूप मानक स्तर की सामग्री का ही उपयोग किया गया है। योजनान्तर्गत किये गये कार्य एवं सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु वितरण कंपनी के नोडल अधिकारी के अतिरिक्त तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेन्सी भी नियुक्त की गई थी। कार्य की गुणवत्ता में कमी/त्रुटि पाए जाने पर संबंधित ठेकेदार एजेन्सी से कमियों/त्रुटियों का निराकरण करने के उपरांत ही उसके बिलों का भुगतान किया गया है। योजना में उपयोग की गई सामग्री का रेंडम सेंपलिंग के आधार पर एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला में कराई गई टेस्टिंग में निर्धारित मानकों के अनुरूप पाये जाने पर ही सामग्री उपयोग की गई है। इसके अतिरिक्त आर.ई.सी. लिमिटेड एवं विद्युत मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियों द्वारा भी उक्त योजना के अंतर्गत किये गये कार्यों की गुणवत्ता का निरीक्षण कराये जाने का भी प्रावधान था तथा तदनुसार कार्यवाही की गई। कार्य एवं सामग्री की गुणवत्ता के संबंध में प्रश्नांश में उल्लेखित कोई विशिष्ट शिकायत प्राप्त होने पर उसकी जाँच कराई जाएगी।
आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा किये गये कार्य
[अनुसूचित जाति कल्याण]
34. ( क्र. 1549 ) श्री गोवर्धन उपाध्याय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले के विधानसभा क्षेत्र सिंरोज एवं लटेरी क्षेत्र में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2010 से अब तक कितने कार्य और कौन-कौन से कार्य कितनी-कितनी लागत में स्वीकृत किये गये वर्षवार पूर्ण जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार स्वीकृत कार्यों में से कितने कार्य पूर्ण हुए और कितने कार्य अपूर्ण है? अपूर्ण कार्यों को कब तक पूर्ण किये जाने की संभावना है? क्या उक्त स्वीकृत कार्यों में से अनियमितताओं की शिकायतें की गई हैं? यदि हाँ, तो उस पर क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश 'क' के अनुसार स्वीकृत 09 कार्यों में से 04 कार्य पूर्ण हो गये हैं। 05 कार्य अपूर्ण हैं जिनमें से 01 कार्य दि. 31.12.2017 तक एवं 04 कार्य माह मई 2018 तक पूर्ण होना संभावित है। अनियमितताओं के संबंध में कोई भी शिकायत जिला कार्यालय को प्राप्त नहीं हुई है। अत: कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सतना विधान सभा क्षेत्र में कुपोषण की स्थिति
[महिला एवं बाल विकास]
35. ( क्र. 1580 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सतना विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में वार्ड/ग्रामवार कुपोषित बच्चों की जानकारी उपलब्ध करायें? (ख) महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इन कुपोषित बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिये क्या-क्या प्रयास किये गये हैं? पिछले 5 वर्ष में किये गये प्रयासों का विवरण तथा कितने बच्चों का कुपोषण दूर हुआ? जानकारी दें। (ग) अब तक कितने बच्चों की कुपोषण से मौत हो चुकी ह? (घ) शासन की योजनाओं का सही क्रियान्वयन न करने एवं कुपोषण दूर न कर पाने वाले अधिकारी/कर्मचारी पर शासन क्या कार्यवाही करेगा? कब तक सतना विधान सभा क्षेत्र को कुपोषण मुक्त कर दिया जायेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सतना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में वार्ड/ग्रामवार कुपोषित बच्चों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। (ख) अतिकम वजन की बच्चों की माताओं को पोषण प्रबंधन हेतु प्रशिक्षण दिया गया है। सुपोषण अभियान अंतर्गत स्नेह शिविर के माध्यम से बच्चों एवं माताओं का 12 दिवसीय पर्यवेक्षक की उपस्थिति में पोषण प्रबंधन एवं कुपोषण दूर करने के प्रयास किये गये हैं। अति कम वजन के बच्चों के घरों में मुनगा सहित फलदार पौधों का रोपण किया गया है। अतिकम वजन के बच्चों के घरों में किचन गार्डन तैयार कराया गया है। अतिकम वजन के बच्चों के पालक नियुक्त कर सुपोषण कार्ड के माध्यम से सतत निगरानी रखी जाती है। अतिकम वजन के बच्चों को थर्डमील का नियमित प्रदान किया जाता है। अतिकम वजन के बच्चों को एन.आर.सी. में भर्ती कर 04 फालोअप के माध्यम से निगरानी की जाती है। ललिमा अभियान के द्वारा एनीमिया रोकथाम हेतु प्रयास किये जाते है। आंगनवाड़ी केन्द्र की सेवाओं यथा टीकाकरण, पूरक पोषण आहार, संदर्भ सेवाएं आदि के माध्यम से कुपोषण रोकथाम के प्रयास किये गये है। जागरूकता के लिए नारे, स्लोगन, बैनर, पेंटिग आदि के माध्यम से कुपोषण दूर करने का प्रयास किये गये है। आंगनवाड़ी चलो अभियान, स्तनपान सप्ताह, पोषण आहार सप्ताह का आयोजन कर कुपोषण के संबंध में जनजागरूकता की गई है। स्नेह सरोकार के माध्यम से समाज के विभिन्न प्रतिष्ठित व्यक्तियों को कम वजन एवं अतिकम वजन के बच्चों की जिम्मेदारी दी गयी है। विशेष वजन अभियान एवं विशेष पोषण अभियान के माध्यम से कम वजन एवं अतिकम वजन के बच्चों का चिन्हांकन किया गया, ताकि उन पर विशेष ध्यान दिया जा सके। विगत 5 वर्षों के प्रयास से कुपोषण की स्थिति निम्नानुसार रही –
क्र. |
वर्ष |
कुल वजन किये गये बच्चों की संख्या |
कम वजन के बच्चों की संख्या |
अतिकम वजन के बच्चों की संख्या |
1 |
2013 |
32180 |
6620 |
818 |
2 |
2017 |
29943 |
5314 |
766 |
विगत 5 वर्षों में कम वजन के 1306 बच्चों एवं अतिकम वजन के 52 बच्चों में कुपोषण में कमी आई है। (ग) स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अब तक कुपोषण से बच्चों की मृत्यु नहीं हुई है। (घ) विभाग की योजनाओं का क्रियान्वयन नियमानुसार किया जाता है। अतः कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं उठता। कुपोषण निवारण एक सतत् प्रकिया है, जिस हेतु विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं अतः इसकी समय-सीमा तय किया जाना संभव नहीं है।
अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाया जाना
[ऊर्जा]
36. ( क्र. 1604 ) श्री अरूण भीमावद : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के संचालन एवं संधारण संभाग शाजापुर के अंतर्गत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर की आवश्यकता है? (ख) यदि हाँ, तो शहरी क्षेत्र में कितने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कितने ट्रांसफार्मर की आवश्यकता है? (ग) यदि हाँ, तो कब तक शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगा दिये जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) अतिभारित वितरण ट्रांसफार्मरों का भार कम करने तथा भविष्य में होने वाली भार वृद्धि के दृष्टिगत संचालन एवं संधारण संभाग शाजापुर के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 528 तथा शहरी क्षेत्रों में कुल 16 अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किये जाने की आवश्यकता आंकलित की गई है। (ग) संचालन एवं संधारण संभाग, शाजापुर के शहरी क्षेत्र हेतु आई.पी.डी.एस. योजना के अन्तर्गत चिन्हित एवं स्वीकृत 16 अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मरों के कार्य टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी से किए गए अनुबंध अनुसार जून-2019 तक पूर्ण कराए जायेंगे। संचालन एवं संधारण संभाग, शाजापुर के ग्रामीण क्षेत्रों में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में चिन्हित एवं स्वीकृत 418 अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मरों को स्थापित करने का कार्य ठेकेदार एजेन्सी से किये गये अनुबंध के अनुसार दिनांक 04.11.2018 तक एवं एस.एस.टी.डी. योजना में चिन्हित 110 अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मरों में से स्वीकृत किये गये 16 वितरण ट्रांसफार्मरों का कार्य मार्च-2018 तक एवं शेष 94 अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना का कार्य वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता अनुसार इसी प्रकार के अन्य कार्यों की वरीयता को दृष्टिगत रखते हुये पूर्ण करने के प्रयास किये जायेंगे, जिस हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
132 के.व्ही विद्युत सब स्टेशन बेलखेड़ा का निर्माण कार्य
[ऊर्जा]
37. ( क्र. 1621 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरगी विधान सभा क्षेत्र के 132 के.व्ही. विद्युत सब स्टेशन बेलखेड़ा के निर्माण की निविदा प्रक्रिया पूर्ण हो कर निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया है? यदि नहीं, तो निर्माण कार्य कब तक प्रारम्भ होगा? (ख) कार्य के पूर्ण होने की अवधि क्या है? अब तक कितने प्रतिशत कार्य हुआ है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) बरगी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 132 के.व्ही. विद्युत सब स्टेशन बेलखेड़ा के निर्माण हेतु मेसर्स बी.एस. लिमिटेड, हैदराबाद को दिनांक 01.03.2014 को कार्यादेश जारी किया गया था। लगातार प्रयास के उपरांत भी कार्य की प्रगति संतोषजनक नहीं पाये जाने के कारण उक्त कार्यादेश फरवरी 2017 में निरस्त किया गया। शेष कार्य संपादित कराने हेतु निविदा की प्रक्रिया अंतिम चरण में है एवं माह दिसम्बर-2017 में नवीन कार्यादेश जारी किया जाना संभावित है। नवीन कार्यादेश जारी किये जाने के उपरांत उपकेन्द्र के शेष निर्माण कार्य प्रारंभ किए जा सकेंगे। (ख) उपकेन्द्र निर्माण का लगभग 15 प्रतिशत कार्य किया जा चुका है। निविदा के आधार पर चयनित एजेंसी के कार्यादेश जारी करने के उपरांत शेष कार्य पूर्ण करने में लगभग 12 माह का समय लगना संभावित है।
बेलखेड़ी माईनर के निर्माण कार्य की प्रगति
[नर्मदा घाटी विकास]
38. ( क्र. 1622 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरगी विधान सभा क्षेत्र की निर्माणाधीन बेलखेड़ी एवं पिपरिया माइनर नहरों का निर्माण कार्य आज दिनांक तक कितना हो चुका है? कितना निर्माण कार्य शेष है? दोनों नहरों का कार्य कब तक पूर्ण होगा? (ख) बाँयी तट बाहर की शहपुरा माइनर जो कि ग्राम अंधुआ-बिलखरवा मगरमुंआ होते हुये आगे की ओर जाती है की सफाई, रिपेयर आदि पर विगत 3 वर्षों में मदवार कितनी राशि व्यय की गई? उक्त शहपुरा माइनर में विगत 3 वर्षों में कब-कब पानी छोड़ा गया? नहर में टेल तक पहुंचता है या नहीं?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) बरगी विधानसभा क्षेत्र की निर्माणाधीन बेलखेड़ी टेल माइनर के आर.डी. 0.00 कि.मी. से आर.डी. 1.575 कि.मी. तक तथा 1.730 कि.मी. से 15.00 कि.मी. तक का कार्य पूर्ण है। इसके 1.575 कि.मी. से 1.730 कि.मी. के मध्य ओपन ट्रफ एक्वाडक्ट का निर्माण कार्य शेष है। बेलखेड़ी टेल माइनर की वितरण नहर प्रणाली में 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण है। बेलखेड़ी टेल माइनर पर प्रस्तावित ओपन ट्रफ एक्वाडक्ट की निविदा आमंत्रित करने की कार्यवाही प्रगति पर है। पिपरिया उपवितरण प्रणाली का 65 प्रतिशत कार्य पूर्ण है। बेलखेड़ी एवं पिपरिया नहर तथा उनकी प्रणाली के शेष कार्यों का निर्माण प्रगति पर है। इन दोनों ही नहरों के शेष कार्यों को दिसम्बर 2018 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। शहपुरा वितरण नहर की कुल लंबाई 24.00 कि.मी. में से 21.00 कि.मी. तक पानी पहुंचाया जा सका है, नहर के टेल तक पानी नहीं पहुंचता है।
बरबटी उद्वहन सिंचाई योजना में विलम्ब
[नर्मदा घाटी विकास]
39. ( क्र. 1623 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 2236 दिनांक 25.07.2017 के उत्तर (क) एवं (ख) में बताया था कि बरबटी उद्वहन सिंचाई योजना के ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं करने के कारण 30.06.2017 को अनुबंध विच्छेद कर दिया गया है एवं नई एजेंसी निर्धारित होने के पश्चात् 18 माह में कार्य पूर्ण किया जाना लक्षित है? (ख) यदि हाँ, तो क्या उक्त सिंचाई योजना की निविदा पुन: जारी की गयी एवं स्वीकृत की गयी? यदि हाँ, तो कार्य कब प्रारम्भ होगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। (ख) पुन: निविदा जारी नहीं की गई है। तकनीकी कठिनाई के कारण डी.पी.आर. संशोधित की जा रही है। तदोपरांत कार्यवाही की जाएगी।
नवीन आंगनवाड़ी प्रारम्भ करना
[महिला एवं बाल विकास]
40. ( क्र. 1638 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या लगभग 8-10 माह पूर्व परियोजना अधिकारी जनपद अम्बाह एवं मुरैना द्वारा दिमनी विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र व उपकेन्द्र प्रारम्भ करने बावत् जानकारी मांगी गई थी, जो प्रश्नकर्ता द्वारा प्रस्तुत कर दी गयी थी। (ख) क्या (क) में वर्णित प्रस्तुत जानकारी अनुसार नवीन केन्द्र प्रारंभ कर दिये गये हैं अथवा नहीं, यदि नहीं, तो क्यों व कब तक प्रारंभ कर दिये जायेंगे?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। प्रश्नकर्ता माननीय विधायक द्वारा दिनांक 13/05/2016 को विधानसभा क्षेत्र दिमनी अन्तर्गत जनपद पंचायत अम्बाह में 01 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा 01 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र एवं जनपद पंचायत मुरैना के लिये 05 आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने का प्रस्ताव प्रेषित किया गया था। इसके पश्चात पुनः माननीय विधायक द्वारा दिनांक 23/05/2016 को जनपद पंचायत अम्बाह में 01 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने का प्रस्ताव दिया गया था। (ख) नवीन आंगनवाड़ी/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने के भारत सरकार द्वारा जनसंख्या मापदण्ड निर्धारित किये गये है। इन जनसंख्या मापदण्डों की पूर्ति होने पर नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोले जाने का प्रावधान है। प्रश्नांश (क) अनुसार माननीय विधायक द्वारा विधानसभा क्षेत्र दिमनी के लिये 08 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने के प्राप्त प्रस्ताव के परिप्रेक्ष्य में, निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति अनुसार 03 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा 03 मिनी आंगनवाड़ी स्वीकृत कर संचालित किये गये है। शेष में से ग्राम पंचायत अन्तर्गत ग्राम चांदपुर की कुल जनसंख्या 1448 है जहाँ पूर्व से मापदण्ड अनुसार 02 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है एवं ग्राम तुतवास में 01 केन्द्र संचालित है, जनसंख्या मापदण्डों की पूर्ति न होने के कारण प्रस्ताव अनुसार अतिरिक्त केन्द्र खोला जाना संभव नहीं है। अतः शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
उपलब्ध कराये गये आवंटन के संबंध में
[अनुसूचित जाति कल्याण]
41. ( क्र. 1690 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों के समग्र विकास हेतु अनुसूचित जाति कल्याण के संचालनालय से विकास कार्यों हेतु उपलब्ध करायी जाती है? भिण्ड जिले में 2015-16 से 2017-18 तक विकासखण्डवार किन-किन अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को कितनी-कितनी राशि किस-किस कार्य हेतु स्वीकृत की गई एवं आवंटन का उपयोग किया जाकर कार्य कराये गये या नहीं? स्पष्ट करें। (ख) क्या भारत सरकार द्वारा जनगणना के आंकड़े वर्ष 2011 में प्रकाशित किये गये उनको स्व-विवेक से बदलकर मनमाने ढंग से जिला स्तर पर अनुसूचित जाति बस्ती के ग्रामों की जनसंख्या में परिवर्तन किया जाकर सिर्फ गोहर विकासखण्ड के ग्रामों को लाभ देने के लिये कार्यवाही की गई जबकि अटेर विधान सभा क्षेत्र में जनगणना के अनुसार अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को विकास से वंचित रखने के लिये दोषी कौन है? क्या उनके विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी। (ग) क्या अटेर विकास खण्ड के वास्तविक रूप से अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को समग्र विकास हेतु राशि उपलब्ध करायी जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। वर्ष 2017-18 में अटेर विकासखण्ड हेतु रूपये 39.75 लाख उपलब्ध कराई गई है।
नहरों के पानी की वितरीका समिति का गठन
[नर्मदा घाटी विकास]
42. ( क्र. 1781 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत समस्त नहरों के पानी वितरीका समिति का गठन कब से नहीं किया गया? इसका क्या कारण हैं? अगर नहीं किया गया है तो कब तक कर दिया जावेगा? (ख) विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव अंतर्गत वितरण प्रणाली का क्या नियम है? क्या पानी वितरण से संबंधित विवरण किसानों को दिया जाता है? इसके लिए शासन द्वारा कोई बजट का प्रावधान है, यदि हाँ, तो वर्ष 2016-17, 2017-18 के मध्य कितनी कितनी राशि, कहाँ-कहाँ प्रदान की गई? (ग) गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र में 2016-17, 2017-18 में कितनी नवीन नहरों/उपनहर/बरहा की स्वीकृति प्रदान की गई? सूची प्रदान करें। स्वीकृत कार्यों में से कितने कार्य प्रारंभ कर दिये गये एवं कितने कार्य प्रारंभ होना शेष है?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) वितरिका समिति का गठन जल उपभोक्ता संथाओं के प्रभावशील होने के बाद से ही नहीं हुआ है। वितरिका समिति के चुनाव संपन्न कराने के लिए अधिसूचना के प्रकाशन हेतु कार्यवाही प्रचलन में है। अधिसूचना प्रकाशन के उपरांत चुनाव द्वारा वितरिका समिति का गठन किया जाना लक्षित है। (ख) वितरण प्रणाली के लिए म.प्र. सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी अधिनियम 1999 अद्यतन संशोधनों सहित प्रभावशील है। पानी वितरण कार्य जल उपभोक्ता संथाओं द्वारा ही किया जाता है। शासन द्वारा संथा को रूपांकित सिंचाई क्षमता के आधार पर नहरों के रख-रखाव हेतु रूपये 60/- प्रति हेक्टेयर की दर से राशि दी जाती थी जिसे दिनांक 20/03/2017 से रूपये 100/- प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है। वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में विधानसभा क्षेत्र गोटेगॉव के अंतर्गत संथाओं को रूपये 29.51 लाख की राशि प्रदान की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। (ग) वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में किसी भी नवीन नहर/उपनहर की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। वर्ष 2016-17 में बरहा की कुल 271 स्वीकृतियां एवं 2017-18 में कुल 106 स्वीकृतियां दी गई हैं। कुल 377 स्वीकृत कार्यों में से 210 कार्य प्रारंभ किये गये एवं शेष 167 अप्रारंभ कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र -''ब'' अनुसार है।
शिक्षित बेरोजगोरों को रोजगार उपलब्ध कराया जाना
[अनुसूचित जाति कल्याण]
43. ( क्र. 1782 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले की विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव में विभाग द्वारा बेरोजगारी उन्मूलन एवं शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराये जाने हेतु कौन-कौन सी योजना संचालित है? संचालित समस्त योजनाओं की नियमावली की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार विधानसभा क्षेत्र में जो योजनायें संचालित हैं इन योजनाओं द्वारा कितने हितग्राहियों को वर्ष दिसम्बर, 2013 से वर्तमान तक वर्षवार कौन-कौन सी योजना से लाभ प्रदान किया गया? सूची उपलब्ध करावें। (ग) ऐसे कितने आवेदन हैं, जिनमें विभाग द्वारा रोजगार प्रदान किये जाने हेतु लोन स्वीकृत किया गया, किन्तु बैंक द्वारा लोन की राशि हितग्राही को प्रदान नहीं की गई? इस हेतु विभाग द्वारा बैंक से राशि स्वीकृत न किये जाने को लेकर शासन स्तर पर कार्यवाही की गई, यदि हाँ, तो अवगत करावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) म.प्र. राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा बेरोजगारी उन्मूलन एवं शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराये जाने हेतु मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना, सावित्री बाई फुले स्व-सहायता समूह योजना संचालित है। संचालित योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश 'क' अनुसार संचालित योजनाओं से दिसम्बर, 2013 से वर्तमान तक वर्षवार/योजनावार लाभान्वित हितग्राहियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) विभाग द्वारा आवेदक को रोजगार प्रदान किये जाने हेतु ऋण आवेदन पत्रों की अनुशंसा कर बैंकों को ऋण स्वीकृति हेतु प्रेषित किये जाते हैं। बैंक द्वारा ऋण राशि स्वीकृत की जाती है। विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव के 140 ऋण आवेदन बैंकों को प्रेषित किये गये जिसमें से बैंक ने 90 प्रकरण स्वीकृत किये। 50 प्रकरण बैंक स्तर पर विचाराधीन हैं।
विभाग के छात्रावासों के भोजन की गुणवत्ता
[जनजातीय कार्य]
44. ( क्र. 1819 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जनजातीय विभाग के छात्रावासों में गुणवत्तायुक्त भोजन देने की व्यवस्था है? (ख) यदि हाँ, तो भोजन की गुणवत्ता की जाँच किस अधिकारी द्वारा की जाती है? (ग) क्या भोजन की गुणवत्ता की जाँच हेतु स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि नियुक्त किये गये हैं? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) भोजन की व्यवस्था एवं गुणवत्ता सहित अन्य देखरेख अधीक्षक द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर विभागीय अधिकारी एवं स्थानीय स्तर के अधिकारी, छात्रावास/आश्रम पालक समिति द्वारा भी भोजन की गुणवत्ता की जाँच की जाती है। (ग) जी नहीं। क्योंकि विभागीय छात्रावासों में छात्रावास/आश्रम पालक शिक्षक समितियों का गठन किया गया है जो कभी भी संस्था की व्यवस्थाओं का अवलोकन कर सकती है।
जबलपुर एवं अन्य जिलों में जनजातीय विभाग के अंतर्गत संचालित छात्रावास
[जनजातीय कार्य]
45. ( क्र. 1820 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जनजातीय विभाग के अंतर्गत निजी भवनों में छात्रावास संचालित किये जा रहे हैं? (ख) यदि हाँ, तो निजी भवनों में कितने छात्रावास संचालित हैं एवं कितनी राशि प्रतिवर्ष किराये के रूप में भुगतान की जा रही है? अब तक कुल कितने किराये की राशि भुगतान की जा चुकी है? छात्रावासों की संख्यात्मक जानकारी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
शिक्षकविहीन शालाओं में शिक्षकों की व्यवस्था
[जनजातीय कार्य]
46. ( क्र. 1863 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कितनी शालाएं शिक्षकविहिन हैं तथा शासन के शिक्षा के अधिकार अधिनियम अन्तर्गत छात्रों की संख्या के अनुपात में कितनी शालाओं में शिक्षक कम हैं? शाला के नाम सहित जानकारी देवें। (ख) वर्तमान में इन शालाओं में शिक्षा की व्यवस्था क्या है? क्या इस व्यवस्था में छात्रों को गुणात्मक शिक्षा प्राप्त हो रही है? यदि नहीं, तो इसके लिये दोषी कौन है? (ग) क्या भविष्य में इन पदों की पूर्ति हेतु शासन की कोई योजना है? यदि है, तो वह क्या है? क्या वित्तीय वर्ष में शिक्षण सत्र का समय 06 माह व्यतीत हो जाने पर भी शासन द्वारा अतिथि शिक्षकों की भर्ती न करना बच्चों की शिक्षा के साथ धोखा नहीं है? इसके लिये कौन दोषी हैं तथा छात्रों की 06 माह कि शिक्षा के नुकसान कि भरपाई शासन द्वारा कैसे की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रांतर्गत शिक्षकविहीन शालाओं की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम अंतर्गत छात्रों की संख्या के अनुपात में कम शिक्षकों वाली शालाओं के नाम की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) शिक्षण व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने हेतु रिक्त पदों के विरूद्ध अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। जी हाँ। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) रिक्त पदों की पूर्ति संविदा शाला शिक्षकों के नियोजन से की जाने हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। शेष प्रश्नांश ''ख'' अनुसार।
संचालित योजनाओं की जानकारी
[अनुसूचित जाति कल्याण]
47. ( क्र. 1870 ) श्री गोपालसिंह चौहान (डग्गी राजा) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभागांतर्गत समूचे प्रदेश में कितनी योजनाएं संचालित हैं? उन योजनाओं में से कौन-कौन सी योजनाएं अशोकनगर जिले में संचालित हो रही हैं? सूची उपलब्ध करावें। (ख) जिला अशोकनगर में वर्ष 2013 से वर्तमान समय तक कितने व्यकितयों को किस-किस योजना का लाभ दिया जा रहा है या दिया जा चुका है? (ग) क्या ग्राम कदवाया विकासखण्ड ईसागढ़ जिला अशोकनगर में शासन द्वारा अंबेडकर मांगलिक भवन की स्वीकृति हुई थी? यदि हाँ, तो उक्त भवन के निर्माण हेतु क्या भूमि आदि का चयन कर लिया गया है? यदि हाँ, तो उक्त भवन का निर्माण कार्य कब तक शुरू कर दिया जावेगा एवं उक्त कार्य की क्रियान्वयन एजेंसी कौन होगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 45 योजनाएं संचालित हैं। जिला अशोकनगर में संचालित योजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जी नहीं। प्रस्तावित था परन्तु स्वीकृत नहीं किया गया। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बालाघाट जिले में कराए गए नवीन सुधार कार्य
[ऊर्जा]
48. ( क्र. 1881 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में वारासिवनी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर कितने नवीन कार्य एवं कितने सुधार के कार्य वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक में कराये गए? (ख) प्रश्नांश (क) के कार्यों के कार्यादेश कब-कब, किन-किन संविदाकारों/ठेकेदारों को कितनी अवधि में पूर्ण करने के लिए दिये गए? उनमें से कितने कार्य कब-कब पूर्ण कराये गए? अगर कार्य समय पर पूर्ण नहीं किये गए तो संबंधितों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (क) के कार्यों के कार्यादेशों का भुगतान किन-किन माध्यमों से कुल कितना किया गया? भुगतान के पूर्व भवन एवं संनिर्माण कल्याण उपकर अधिनियम 1996 के तहत कितनी उपकर राशि की वसूली की गई? क्या अपूर्त मूल्य तथा पर निर्माण लागत दोनों में श्रमिक कल्याण उपकर लिए जाने के प्रावधान 2012 से लागू हैं? (घ) प्रश्नांश (क) के कार्यों पर प्रश्नांश (ग) अनुसार कितने कल्याण उपकर की राशि की वसूली की जाकर श्रम विभाग में जमा करायी गई? (ड.) प्रश्नांश (क) के ठेकेदार/संविदाकारों से कर्मकार कल्याण उपकर की राशि की वसूली न करके ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कौन-कौन दोषी हैं? दोषियों के विरूद्ध क्या राशि की वसूली प्रस्तावित कर गबन का मामला पंजीबद्ध करायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) बालाघाट जिले में वारासिवनी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक 40 नवीन कार्य एवं 6 सुधार कार्य पूर्ण कराये गये जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के कार्यों का ठेकेदारों/संविदाकारों के नाम, कार्यादेश जारी करने की दिनांक एवं कार्य पूर्ण किये जाने की निर्धारित अवधि एवं दिनांक सहित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। उक्त कार्य वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर श्रमिक ठेकेदारों के माध्यम से कराए गए हैं। उक्त कार्यों हेतु आवश्यक सामग्री वितरण कंपनी द्वारा प्रदाय की गई है। श्रमिक ठेकेदार द्वारा मात्र कार्य हेतु श्रमिक उपलब्ध कराए गए हैं अत: विलम्ब हेतु किसी ठेकेदार के दोषी होने/कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्यों का भुगतान संबंधित ठेकेदार/संविदाकार के खाते में ट्रांसफर करके इलेक्ट्रानिक माध्यम से किया गया है। उक्त कार्यों के विरूद्ध भुगतान की गई राशि एवं श्रम कल्याण उपकर मद में काटी गई राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। प्राप्त जानकारी अनुसार भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मवार कल्याण उपकर संनिर्माण कार्य की निर्माण लागत जिसमें अपूर्त मूल्य एवं विनिर्माण लागत दोनों सम्मिलित है, दिनांक 10.04.2003 से देय है। (घ) प्रश्नांश (क) के कार्यों पर प्रश्नांश (ग) अनुसार ठेकेदारों/संविदाकारों के प्राप्त देयकों में से रूपये 10882/- की कटौती श्रम कल्याण उपकर के मद में की गई है एवं उक्त राशि के विरूद्ध रूपये 9451/- श्रम विभाग में जमा कराए गये है। शेष राशि जमा करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ड.) प्रश्नांश (क) से संबंधित कार्यों के विरूद्ध ठेकेदारों/संविदाकारों द्वारा प्रस्तुत किये गये देयकों में से नियमानुसार श्रमिक कल्याण उपकर की राशि की कटौती की गई है। किसी भी ठेकेदार/संविदाकार को लाभ नहीं पहुँचाया गया हैं। अत: इस संबंध में कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है।
वेतन विसंगति कमेटी की अनुशंसा
[सामान्य प्रशासन]
49. ( क्र. 1883 ) श्री कैलाश चावला : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शर्मा लिपिक वेतन विसंगति कमेटी ने क्या अनुशंसा किस दिनांक को की है? अभिप्रमाणित प्रति उपलब्ध कराई जावे। (ख) क्या इस कमेटी के बाद प्रमुख सचिव स्तर की कमेटी बनी है? यदि हाँ, तो उस कमेटी ने शर्मा, लिपिक वेतन विसंगति कमेटी पर क्या अनुशंसा की है? रिपोर्ट की अभिप्रमाणित प्रति उपलब्ध कराई जावे। (ग) शासन द्वारा प्रमुख सचिव स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर कब तक निर्णय ले लिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) दिनांक 14/07/2017 को। प्रतिवेदन की अभिप्रमाणित प्रति पुस्तकाल में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ख) जी हाँ। प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। समिति का प्रतिवेदन अपेक्षित है। (ग) प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात अग्रेत्तर कार्यवाही की जावेगी। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
जवाबदावा अनुमोदन
[जनजातीय कार्य]
50. ( क्र. 1907 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2005 में खरगोन जिले में सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग द्वारा की गई बैकलॉग नियुक्तियों के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कितनी बार सरकार को संबंधित याचिका (एस.एल.पी., सिविल, क्रमांक 24335/07) के निराकरण करने हेतु निर्देशित किया गया? पत्रों की प्रति देवें। (ख) उक्त याचिका में सरकार की ओर से ओ.आई.सी. (प्रकरण के प्रभारी अधिकारी) पंकज मेहता हैं। इनके द्वारा बैकलॉग नियुक्तियों/तत्कालीन सहायक आयुक्त के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही/जवाबदावा अनुमोदन को लेकर विभागीय प्रमुख को कब-कब कितने पत्र लिखे गये? इन पत्रों पर की गई कार्यवाही की विवरण देवें। यदि कोई कार्यवाई नहीं की गई है तो कारण बतायें? पत्रों पर कार्यवाई नहीं करने तथा लंबित रखने वाले दोषियों पर शासन क्या कार्यवाई करेगा? (ग) उक्त नियुक्तियों को निरस्त क्यों नहीं किया जा रहा है? यह निरस्ती की कार्रवाई शासन पर किस स्तर पर किन कारणों से कब से लंबित है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एस.एल.पी. क्रमांक 23335/07 का जवाब प्रस्तुत करने हेतु नोटिस दिनांक 18.12.2007 को जारी किया गया था, जिसकी प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रकरण में सहायक आयुक्त खरगोन (पदनाम से) प्रकरण प्रभारी नियुक्त किया गया। तत्कालीन सहायक आयुक्त डॉ. संतोष शुक्ला, को बैकलॉग पदों की भर्ती के संबंध में आरोप पत्र जारी किये गये थे। प्रकरण में विवेचना उपरांत प्रकरण दिनांक 23.11.2009 को नस्तीबद्ध किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'', ''स'' एवं ''द'' अनुसार है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रकरण की विवेचना उपरांत पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार तत्समय के निर्देशों के अनुरूप नियुक्तियां पायी जाने के कारण शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कम्पनी में कोयला संकट
[ऊर्जा]
51. ( क्र. 1919 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र.पॉ.जन.कं. में माह सितम्बर-अक्टूबर 2017 से कोयले की काफी कमी आयी है? म.प्र.पॉ.जन.कं. में कोयला संकट विगत 3 वर्षों से कब-कब रहा है? (ख) म.प्र.पॉ.जन.कं. के सभी ताप विद्युत ग्रहों में उक्त अवधि में माहवार एवं वर्षवार कितना कोयला खपत हुआ है। कोल इण्डिया द्वारा कितना कोयला प्रदाय किया गया है एवं कितने कोयले की कमी रही है? मीट्रिक टन में बतावें? (ग) केंद्र सरकार द्वारा म.प्र.पॉ.जन.कं. को पर्याप्त मात्रा में कोयला प्रदाय न करने पर राज्य सरकार द्वारा क्या-क्या कदम उठाये जा रहे हैं वर्तमान में कितनी ताप विद्युत इकाइयां बंद की गई हैं एवं कितनी इकाइयां कम भार पर चलाई जा रही हैं? ताप विद्युत ग्रहवार जानकारी देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों को माह सितम्बर-अक्टूबर 2017 में कोयला कंपनियों द्वारा आवश्यकता से कम मात्रा में कोयला प्रदाय किया गया है। इस अवधि के साथ-साथ विगत तीन वर्षों में वित्तीय वर्ष 2015-16 के आरंभिक माहों में कोयले की कमी के कारण विद्युत उत्पादन प्रभावित होने से कठिनाई उत्पन्न हुई। (ख) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के चारों ताप विद्युत गृहों में वित्तीय वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 (अक्टूबर 2017 तक) में विद्युत गृहवार, माहवार एवं वर्षवार, कोल इंडिया द्वारा प्रदाय किया गया कोयला, प्रदायित कोयले में अनुबंधित मात्रा के विरूद्ध कमी एवं उसकी खपत की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) केंद्र सरकार की कोयला कंपनियों द्वारा म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी को पर्याप्त मात्रा में कोयला प्रदाय न करने पर राज्य शासन द्वारा केन्द्र सरकार से समय-समय पर पत्राचार कर कोयले की कमी के बारे में अवगत कराते हुये कोयला कंपनियों को आपूर्ति बढ़ाने हेतु निर्देश देने के लिए अनुरोध किया गया। वर्तमान में, दिनांक 21.11.2017 की स्थिति में, म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की 600 मेगावाट क्षमता की इकाई क्रमांक 1 तथा सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी की इकाई क्रमांक 6 एवं 7 कोयले की कमी के कारण बंद है। इसके अतिरिक्त संजय गांधी ताप विद्युत गृह की इकाई क्रमांक 1 से 4 एवं श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की इकाई क्रमांक 2 को कोयले की कमी के कारण आंशिक भार पर चलाया जा रहा है। कुछ दिनों से कोयला आपूर्ति में सुधार हुआ है।
ताप विद्युत गृहों को कम कोयले का प्रदाय
[ऊर्जा]
52. ( क्र. 1988 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.पॉ.जन.कं.लि. को आवंटित कोयले के लिये कब प्यूल सप्लाई अनुबंध (एस.एस.ए.) किया गया था? इस एफ.एस.ए. के अनुसार वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में माह अक्टूबर तक प्रत्येक माह कितने मैट्रिक टन कोयला ताप विद्युत गृहों को प्रदाय करना था एवं वास्तविक रूप से कितना कोयला ताप विद्युत गृहवार, माहवार कोयला प्रदान किया गया एवं कितने मैट्रिक टन कोयला कम प्राप्त हुआ इसके लिये कौन-कौन दोषी हैं? (ख) क्या माह सितम्बर अक्टूबर 2017 एवं वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा काफी कम मात्रा में कोयला प्रदाय किया जा रहा हैं? क्या वर्तमान में म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के सभी ताप विद्युत गृह की 60 प्रतिशत विद्युत की इकाइयां कोयले की कमी से बंद पड़ी हैं एवं 40 प्रतिशत इकाइयां चलाई जा रही है? माह सितम्बर एवं अक्टूबर की जानकारी निम्नानुसार प्रपत्र में दें? ताप विद्युत गृह का नाम एवं कुल उत्पादन क्षमता, माहवार कोयले की मांग (टन में), केन्द्र सरकार द्वारा प्रदाय कोयला (टन में), कमी (टन में)।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा कोयले के प्रदाय हेतु फ्यूल सप्लाई अनुबंध (एफ.एस.ए.) दिनांक 26.12.2009 एवं 02.01.2013 को केन्द्र सरकार की वेस्टर्न कोल फील्डस् लिमिटेड (डब्ल्यू.सी.एल.) से संपादित किया गया। इसी प्रकार साऊथ इस्टर्न कोल फील्डस् लिमिटेड से दिनांक 07.08.2009, 24.01.2013 तथा 08.01.2016 को कोयले के प्रदाय हेतु फ्यूल सप्लाई अनुबंध निष्पादित किये गये। इन अनुबंधों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 (माह अक्टूबर तक) में माहवार अनुबंधित मात्रा, वास्तविक प्रदायित कोयले की मात्रा एवं कम प्राप्त कोयले संबंधी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। आवश्यकता के अनुरूप कोयले की आपूर्ति हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे हैं, अत: कंपनी प्रबंधन दोषी नहीं है। कम कोयला प्रदाय हेतु कोयला कंपनियों की जवाबदारी पाये जाने पर उन पर अनुबंधों के प्रावधानों के अनुसार दण्डात्मक कार्यवाही की जा रही है। (ख) कोयला कंपनियों द्वारा म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों को माह सितम्बर-अक्टूबर 2017 में कम कोयला प्रदाय किया गया है। तथापि यह सही नहीं है कि म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के सभी ताप विद्युत गृहों की 60 प्रतिशत विद्युत इकाइयां कोयले की कमी के कारण बंद है एवं मात्र 40 प्रतिशत इकाइयां चलाई जा रही है। वर्तमान में, दिनांक 21.11.2017 की स्थिति में म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी की इकाई क्रमांक 6 (200 मे.वा.) एवं 7 (210 मे.वा.) तथा श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना, खंडवा की इकाई क्रमांक 1 (600 मे.वा.) कोयले की कमी के कारण बंद है। प्रश्नानुसार माह सितम्बर, अक्टूबर की ताप विद्युत गृहों को कोयला प्रदाय से संबंधित माहवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
विद्युत का उत्पादन
[ऊर्जा]
53. ( क्र. 1989 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01 अप्रैल 2016 से प्रश्न दिनांक तक प्रदेश का वार्षिक विद्युत उत्पादन राष्ट्रीय औसत एवं देश के सभी राज्यों की तुलना में काफी कम है अर्थात पी.यू.एफ. भी काफी कम है? कारण बतावें। क्या इसमें मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लि. का प्रबंधन जिम्मेदार है? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या प्रदेश का विद्युत उत्पादन वर्ष 2002-03 में देश के औसत पी.यू.एफ. से एक दो राज्य को छोड़कर काफी अधिक था जबकि वर्तमान में इसके विपरीत स्थिति निर्मित हो गई है? (ग) वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक प्रदेश उत्पादन क्षमता को दर्शित करते हुए इकाईवार, ताप विद्युत गृहवार, माहवार वर्षवार विद्युत उत्पादन मिलियन यूनिट में बतावें एवं वार्षिक पी.यू.एफ. भी बतायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में (माह अक्टूबर 17 तक) म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का पी.यू.एफ. राष्ट्रीय औसत पी.यू.एफ. से कुछ कम रहा है तथापि यह सभी राज्यों की विद्युत उत्पादन कंपनियों के पी.यू.एफ. से कम नहीं है। म.प्र.पावरजनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का पी.यू.एफ. कम होने का मुख्य कारण प्रदेश में मांग से अधिक विद्युत उपलब्धता होने से कुछ ताप विद्युत इकाइयों को आरक्षित रूप से बन्द रखा जाना या आंशिक भार पर चलाया जाना एवं वित्तीय वर्ष 2017-18 के गत माहों में कोयला कंपनियों से आवश्यकता के अनुरूप कोयला प्राप्त नहीं होने से कुछ इकाइयों को बंद रखा जाना या आंशिक भार पर चलाया जाना रहा है। अत: इसमें म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के प्रबंधन की जिम्मेदारी का प्रश्न नहीं उठता है तथा कोई कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है। (ख) वित्तीय वर्ष 2002-03 में म.प्र. राज्य विद्युत मंडल का पी.यू.एफ. 73.14%, देश के औसत पी.यू.एफ. 72.34% के लगभग समान था एवं कई राज्यों का पी.यू.एफ. मध्यप्रदेश से अधिक था। वित्तीय वर्ष 2017-18 में (माह अक्टूबर 17 तक) म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का पी.यू.एफ. राष्ट्रीय औसत पी.यू.एफ. से कम है, पर यह सभी राज्य विद्युत उत्पादन कंपनियों के पी.यू.एफ. से कम नहीं है। (ग) वित्तीय वर्ष 2015-16 से वर्ष 2017-18 (माह अक्टूबर 17 तक) की अवधि का म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की ताप विद्युत इकाइयों का इकाइवार, विद्युतगृहवार वर्षवार, माहवार, विद्युत उत्पादन मिलियन इकाई में एवं वार्षिक पी.यू.एफ. प्रतिशत में क्रमश: संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र अ-1 एवं अ-2 अनुसार है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यरत रसोइयों का वेतन
[महिला एवं बाल विकास]
54. ( क्र. 2002 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) छिन्दवाड़ा जिले के अन्तर्गत जुन्नारदेव विधान सभा क्षेत्र में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं? इन केन्द्रों पर विगत 5 वर्षों से कितनी महिलाएं एवं पुरूष रसोइया के रूप में कार्यरत हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में कार्यरत रसोइया का शासन द्वारा प्रत्येक माह वेतन कितना निर्धारित किया गया है तथा कितना प्राप्त हो रहा है? (ग) क्या प्रत्येक माह का वेतन एक हजार रूपये निर्धारित है? यदि हाँ, तो क्या शासन द्वारा इसे बढ़ाये जाने हेतु कोई प्रयास शासन स्तर पर किये जा रहे हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) विधान सभा क्षेत्र जुन्नारदेव में कुल 702 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं इन केन्द्रों में विगत 5 वर्षों में 653 महिला रसोइया कार्यरत हैं, पुरूष रसोइया के रूप में कार्यरत नहीं हैं। (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में विभागीय निर्देशानुसार प्रतिमाह कार्यरत रसोइयों को राशि रू. 500/- प्रतिमाह पारिश्रमिक राशि दिए जाने का प्रावधान है तथा इन्हे राशि रू. 500/- रू. के मान से ही भुगतान किया जा रहा हैं? (ग) जी नहीं।
जनजाति कार्य विभाग के तकनीकी अमलों को सुदृढ़ करना
[जनजातीय कार्य]
55. ( क्र. 2014 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनजाति कार्य विभाग के तकनीकी अमले को प्रतिवर्ष कितना-कितना वेतन एवं भत्ता आदि पर शासन द्वारा व्यय किया जाता है एवं परियोजना क्रियान्वयन ईवाई (P.I.U.) को कितना सुपर विजन चार्ज दिया जाता है? (ख) संभागीय उपायुक्त कार्यालय में सहायक आयुक्त तथा परियोजना कार्यालयों में सहायक परियोजना अधिकारी के पद में पदस्थ अधिकारी से क्या-क्या कार्य लिया जा रहा है एवं इनको कितना वेतन प्रतिवर्ष दिया जा रहा है? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) के पद तकनीकी पद परिवर्तित या सहायक आयुक्त तकनीकी पद स्वीकृत कर तकनीकी अमला सुदृढ़ किया जा सकता है? यदि हाँ, तो क्या इस संबंध में विचार किया जावेगा? (घ) क्या विभागीय तकनीकी अमले के विस्तार की कोई योजना शासन स्तर पर प्रचलित है? यदि हाँ, तो कब तक उसका क्रियान्वयन किया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) शासन द्वारा पदों हेतु निर्धारित वेतनमान अनुरूप वेतन एवं भत्ता व्यय किया जाता है एवं परियोजना क्रियान्वयन ईकाई (P.I.U.) को 6 प्रतिशत सुपर विजन चार्ज दिया जाता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। शासन द्वारा पदों हेतु निर्धारित वेतनमान अनुरूप वेतन दिया जा रहा है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (घ) जी हाँ। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
तकनीकी अमलों से निर्माण कार्य करवाये जाना
[जनजातीय कार्य]
56. ( क्र. 2016 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उमरिया जिले में कौन-कौन उपयंत्री सहायक यंत्री विगत 3 वर्षों से प्रतिनियुक्ति, संलग्नीकरण पर अन्य विभाग के उपयंत्री, सहायक यंत्री कार्यरत हैं? उनके नामवार विभाग में प्रतिनियुक्ति/ संलग्नीकरण के दिनांकवार सक्षम अधिकारी के आदेश की प्रति सहित जानकारी दी जावे? (ख) वर्णित (क) के उपयंत्रियों सहायक यंत्रियों द्वारा कराये गये निर्माण कार्यों की विगत 3 वर्षों के कार्यों की तकनीकी स्वीकृति एवं प्रशासकीय स्वीकृति जारी करने वाले अधिकारी का नाम पद सहित साथ उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (ख) में कराये गये निर्माण कार्य ग्रामीण यांत्रिकीय विभाग/सिंचाई विभाग के उपयंत्री, सहायक यंत्री को प्रतिनियुक्ति/संलग्नीकरण शासन के किस नियम/आदेश के तहत किया गया? आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (घ) क्या विभागीय तकनीकी अमला उपलब्ध न हो तो विभागीय निर्माण कार्य न कराये जाने के संबंध में आयुक्त आदिवासी विकास का आदेश क्र. निर्माण/21140/11837/भोपाल, दिनांक 06.05.98 को विभागीय निर्माण कार्यों को करने संबंधी निर्देश जारी है, तो पालन नहीं करने वाले अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? क्या इन अधिकारियों के द्वारा कराये गये कार्यों को विभागीय तकनीकी अमले द्वारा सत्यापन कराया जावेगा? यदि हाँ, तो कब?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों के संबंध में
[महिला एवं बाल विकास]
57. ( क्र. 2029 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) राजगढ़ जिले की विधान सभा क्षेत्र खिलचीपुर अन्तर्गत विकासखण्ड जीरापुर एवं खिलचीपुर में एकीकृत महिला एवं बाल विकास परियोजना में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं? संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में कितने बच्चे दर्ज हैं? संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में कितने स्वयं के भवन में संचालित हैं? कितने किराये के भवन में संचालित हैं? केन्द्रवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) विधान सभा क्षेत्र खिलचीपुर जीरापुर में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र विगत तीन वर्षों में स्वीकृत किये गये उनमें से कितनों का कार्य पूर्ण हो चुका है तथा कितने का अपूर्ण है? अपूर्ण आंगनवाड़ी केन्द्रों का कार्य कब तक पूर्ण करा दिया जावेगा वर्षवार, ग्रामवार, सूची उपलब्ध करावें। (ग) विधान सभा क्षेत्र खिलचीपुर जीरापुर अन्तर्गत एकीकृत बाल विकास योजना अधिकारियों के पद विगत कई वर्षों से रिक्त हैं? इन पदों पर विभाग कब तक परियोजना अधिकारी के पदों की पूर्ति कर देगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर अंतर्गत विकासखण्ड जीरापुर एवं खिलचीपुर में 417 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं 76 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में 30988 एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र में 2774 बच्चे दर्ज है। संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 146 केन्द्र एवं 02 मिनी केन्द्र स्वयं के शासकीय भवन में संचालित हैं। 64 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं 18 मिनी केन्द्र किराये के भवन में संचालित है जिसकी आंगनवाड़ी केन्द्रवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-क एवं मिनी केन्द्रवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ख अनुसार है। (ख) विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर अंतर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना खिलचीपुर एवं बाल विकास परियोजना जीरापुर में विगत 03 वर्षों में 73 आंगनवाड़ी भवन की स्वीकृत हुये है जिसमें से 06 भवन पूर्ण एवं 67 भवन अपूर्ण है। भवन की वर्षवार, ग्रामवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ग अनुसार है। (ग) विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर अंतर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना खिलचीपुर एवं बाल विकास परियोजना जीरापुर में परियोजना अधिकारी का पद रिक्त है। प्रदेश में वर्तमान में परियोजना अधिकारी के कुल 115 पद रिक्त है जिनमें से अधिकांश पदोन्नति से भरे जाने है। उच्चतम न्यायालय के अंतरिम निर्देशानुसार मध्यप्रदेश पदोन्नति नियम 2002 का क्रियान्वयन स्थगित रखा गया है। अतः पदपूर्ति की समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
पण्डित दीनदयाल विद्युतीकरण योजना
[ऊर्जा]
58. ( क्र. 2033 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की विधान सभा क्षेत्र खिलचीपुर के अन्तर्गत पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में कौन-कौन से ग्राम विद्युत विहीन हैं? जिन ग्रामों को योजना में सम्मिलित करना है विद्युत वितरण केन्द्रवार सूची उपलब्ध करावें। (ख) क्या विद्युतीकरण योजना अन्तर्गत विद्युतविहीन ग्रामों का सर्वेक्षण किया गया है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से ग्राम व मजरा, टोले विद्युतविहीन हैं तथा इनके विद्युतीकरण का कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जायेगा? विद्युतविहीन ग्रामों व मजरा टोलों की सूची भी उपलब्ध करावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के अंतर्गत कोई भी राजस्व ग्राम अविद्युतीकृत नहीं है। विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के अंतर्गत सभी राजस्व ग्रामों को सघन विद्युतीकरण हेतु दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित किया गया है। सघन विद्युतीकरण हेतु सम्मिलित उक्त ग्रामों की वितरण केन्द्रवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) राजगढ़ जिले के खिलचीपुर विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत सभी राजस्व ग्राम विद्युतीकृत हैं तथा उक्त राजस्व ग्रामों के अविद्युतीकृत मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अन्तर्गत किया जाना है। योजना के प्रावधानों के अन्तर्गत उक्त कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स वोल्टास लिमिटेड, मुम्बई को दिनांक 27.07.2017 को अवार्ड जारी किया गया है। वर्तमान में उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा सर्वे का कार्य प्रगति पर है। सर्वे कार्य पूर्ण होने पर योजना के प्रावधानों के अंतर्गत विद्युतीकरण हेतु सम्मिलित प्रश्नाधीन क्षेत्र के मजरों/टोलों की सूची दिया जाना संभव हो सकेगा। अवार्ड की शर्तों के अनुसार अवार्ड दिनांक 27.07.2017 से 24 माह की अवधि में ठेकेदार एजेन्सी द्वारा उक्त कार्य पूर्ण किया जाना है।
विधानसभा क्षेत्र केवलारी में स्वीकृत कार्य
[ऊर्जा]
59. ( क्र. 2059 ) श्री रजनीश सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 03 वर्षों में विधान सभा क्षेत्र केवलारी के अंतर्गत ग्रामीण/शहरी क्षेत्रों में विभाग द्वारा विद्युतीकरण योजना अंतर्गत कितने कार्य स्वीकृत हुए है? स्वीकृत कार्यों में कितने कार्य पूर्ण हो चुके है एवं कितने कार्य अपूर्ण एवं अप्रारंभ है? अपूर्ण एवं अप्रारंभ रहने का कारण बतावें? (ख) यदि ठेकेदार द्वारा अनुबंध अवधि में कार्य पूर्ण नहीं किया तो उसके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी एवं पूर्ण एवं अपूर्ण कार्यों की जानकारी, कार्य का नाम, स्वीकृत राशि सहित ग्रामवार उपलब्ध करावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र केवलारी सहित जिला सिवनी के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रश्नाधीन अवधि में विद्युतीकरण हेतु आर.ई.सी., लिमिटेड द्वारा दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना स्वीकृत की गई है। उक्त योजनान्तर्गत विधानसभा क्षेत्र केवलारी सहित जिला सिवनी में स्वीकृत कार्यों की योजनान्तर्गत स्वीकृत राशि सहित जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शाये अनुसार है। उक्त योजनान्तर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु दिनांक 25.04.2017 को अवार्ड जारी किया गया है, कार्य प्रारंभिक चरण पर है तथा वर्तमान में सर्वे का कार्य प्रगति पर है। सर्वे उपरांत योजनान्तर्गत सम्मिलित विद्युतीकरण का कार्य आरंभ कर टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी से किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार मार्च-2019 तक पूर्ण किये जाना है। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में कार्य पूर्णता एवं कार्य अपूर्ण/अप्रांरभ होने की जानकारी दिये जाने का प्रश्न नहीं उठता। विधानसभा क्षेत्र केवलारी के शहरी क्षेत्र में प्रश्नाधीन अवधि में विद्युतीकरण का कोई कार्य स्वीकृत नहीं हुआ है। (ख) जिला सिवनी में प्रश्नाधीन दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत विद्युतीकरण के कार्यों हेतु टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स किशोर इंफ्रास्ट्रक्चर, हैदराबाद को दिनांक 25.04.2017 को अवार्ड जारी किया गया है। ठेकेदार एजेन्सी से किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार योजनान्तर्गत कार्य मार्च-2019 तक पूर्ण किया जाना है। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार कार्य प्रारंभिक चरण पर हैं तथा वर्तमान में सर्वे का कार्य किया जा रहा है। सर्वे उपरांत योजनांतर्गत कार्य प्रारंभ किया जावेगा, अत: वर्तमान में ठेकेदार एजेन्सी के विरूद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही किये जाने तथा कार्य पूर्णता/अपूर्ण होने की जानकारी दिये जाने का प्रश्न नहीं उठता। उक्त योजनान्तर्गत सिवनी जिले हेतु स्वीकृत कार्यों की, योजना की स्वीकृत राशि सहित जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उल्लेखनीय है कि आर.ई.सी. लिमिटेड द्वारा योजना की स्वीकृति जिलेवार प्रदान की गई है, ग्रामवार नहीं, अत: ग्रामवार स्वीकृत राशि की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।
बिजली बिल माफ किये जाना
[ऊर्जा]
60. ( क्र. 2104 ) श्री दिनेश कुमार अहिरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र जतारा में बिजली विभाग द्वारा किसानों एवं जनता को भारी भरकम बिजली बिल दिये जा रहे हैं, जबकि 6-6 माह से ट्रांसफार्मर खराब पड़े हुये हैं तथा ग्रामीण जनता, किसानों को कई महीनों से बिजली नहीं मिल रही है और ग्रामीण जनता अंधेरे में रहने को मजबूर है? (ख) क्या क्षेत्र में खराब एवं जले हुये ट्रांसफार्मरों को विभाग बदलेगा? (ग) क्या सूखाग्रस्त जिले टीकमगढ़ में फसलें न होने की स्थिति में किसानों को राहत देते हुये बिजली बिल क्या माफ किये जायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं, विधानसभा क्षेत्र जतारा में म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों के तहत् निर्धारित दरों पर बिजली के बिल दिये जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को, संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की राशि जमा करने के उपरांत वर्षा ऋतु को छोड़कर वर्ष की शेष अवधि में 3 दिवस के अन्दर तथा वर्षाकाल (जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर) के दौरान 7 दिवस में पंहुच मार्ग उपलब्ध होने पर समय-सीमा में बदला जा रहा है। जतारा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2017-18 में दिनांक 22.11.2017 तक 143 फेल ट्रांसफार्मर बदले गये हैं तथा 47 फेल ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण बदलने हेतु शेष हैं। ट्रांसफार्मर फेल होने की स्थिति में, विद्युत प्रदाय बंद रहने की अवधि में उससे संबद्ध उपभोक्ताओं की बिलिंग म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 11.3 में निहित प्रावधानों के तारतम्य में राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को पत्र दिनांक 06.09.2017 से दिये गये निर्देशों के अनुसार की जाती है। राज्य शासन द्वारा पत्र दिनांक 06.09.2017 से जारी निर्देशों एवं विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंड़िका 11.3 की प्रतियां संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित बदलने हेतु शेष 47 वितरण ट्रांसफार्मरों को वर्तमान में लागू नियमानुसार वितरण ट्रांसफार्मरों से जुडे 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा बकाया राशि का भुगतान करने पर अथवा कुल बकाया राशि का 20 प्रतिशत जमा होने के उपरांत बदला जा सकेगा। (ग) वर्तमान में राज्य शासन द्वारा 1 हेक्टेयर तक भूमि वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 5 हार्सपॉवर तक के स्थायी कृषि पंप कनेक्शन उपभोक्ताओं को निःशुल्क विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। अन्य स्थायी कृषि पंप कनेक्शन उपभोक्ताओं को फ्लैट रेट पर मात्र रूपये 1400/- प्रति हार्सपावर प्रतिवर्ष की दर से विद्युत उपलब्ध कराई जा रही है, जो कि म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दर का लगभग मात्र पाँचवा हिस्सा है। उक्त के एवज में राज्य शासन द्वारा सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य शासन द्वारा टैरिफ सब्सिडी मद में रूपये 9541 करोड़ की राशि बजट में प्रावधानित की गयी है। इस तरह राज्य शासन द्वारा किसानों को काफी कम दर पर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि प्रदेश में सूखे की स्थिति के दृष्टिगत कृषकों को सिंचाई कार्य हेतु अस्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन उपलब्ध कराए जाने के लिये वर्तमान में लागू 3 माह की अग्रिम राशि जमा करने की बाध्यता को शिथिल करते हुए वर्ष 2017-18 में 2 माह तक के कनेक्शन के लिए 2 माह की अग्रिम राशि जमा कराए जाने के निर्देश राज्य शासन द्वारा दिनांक 03.11.2017 को जारी किये गये हैं। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में कृषकों को विद्युत बिल में अन्य कोई छूट दिये जाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
छात्रावासों में निवासरत कन्याओं के साथ हो रहे शोषण पर कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
61. ( क्र. 2122 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला अलीराजपुर अन्तर्गत उदयगढ़ स्थित छात्रावास में निवासरत 12 वर्षीय कक्षा 7वीं की छात्रा के गर्भवती होकर मां बनने का मामला उजागर होने के पश्चात एफ.आई.आर. दर्ज की गई है? यदि हाँ, तो किन-किन के विरूद्ध तथा छात्रावास प्रबंधन के किन-किन लोगों के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो कारण सहित बतावें? (ख) वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक की स्थिति में प्रदेश के किस-किस जिले में कन्या व महिला आश्रमों में अश्लीलता, छेड़छाड़ तथा मां बनने के मामले उजागर हुए हैं और किन-किन मामलों के प्रकरण की थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई तथा किन-किन मामलों को जाँच में लम्बित रखा गया वर्षवार जिलेवार बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
प्राथ.शाला, माध्य.शाला एवं हाईस्कूलों के उन्नयन के संबंध में
[जनजातीय कार्य]
62. ( क्र. 2133 ) श्री योगेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र लखनादौन जिला सिवनी के अन्तर्गत विकासखण्ड लखनादौन, घंसौर एवं धनौरा में कौन-कौन से प्राथमिक, माध्यमिक तथा हाईस्कूल को वर्ष 2017-18 में उन्नयन हेतु प्रस्ताव विभाग द्वारा भेजा गया है? विकासखण्डवार पृथक-पृथक जानकारी देवें। (ख) क्या शासन की गाइड लाइन अनुसार जिन शालाओं के उन्नयन हेतु प्रस्ताव शासन के पास पूर्व से लंबित है, उन प्रस्तावों पर प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या उक्त प्रस्तावों को अतिशीघ्र उन्नयन हेतु स्वीकृति प्रदान की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वर्ष 2017-18 में प्रश्नांकित विधान सभा क्षेत्रों में 23 हाईस्कूल एवं 11 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के उन्नयन प्रस्ताव प्राप्त हुये हैं। प्राप्त प्रस्तावों का विकासखण्डवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) वर्ष 2013-14, 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में 20-20 माध्यमिक शालाओं का हाईस्कूल में उन्नयन किया गया है। शासन की नीति अनुसार उन्नयन की कार्यवाही की जाती है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
स्कूलों में विद्युतीकरण शौचालय, खेल मैदान एवं पेयजल की सुविधा
[जनजातीय कार्य]
63. ( क्र. 2135 ) श्री योगेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले के आदिवासी विकासखण्ड लखनादौन मुख्यालय में संचालित शाखा हाईस्कूल, हायर सेकेण्ड्री स्कूल भवनों की एवं भवनों में विद्युतीकरण, शौचालय, खेल मैदान, पेयजल, प्रयोगशाला तथा उनमें उपलब्ध संसाधनों की स्थिति से अवगत करायेंगे? यदि उपरोक्त संस्था में संसाधन उपलब्ध नहीं हैं तो कब तक पूर्ति की जायेगी? (ख) उक्त संस्थानों में विभाग स्तर से स्वीकृत एवं रिक्त पदों की स्थिति से अवगत करावें जिन संस्थाओं में विषयवार शिक्षक पदस्थ नहीं हैं उनकी पूर्ति कब तक की जावेगी? (ग) लाखनदौन विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्षों से पुराने एवं जीर्ण-शीर्ण भवनों में प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं को संचालित किया जा रहा है, क्या उक्त भवनों के स्थान पर नवीन भवन निर्माण हेतु विभाग द्वारा कोई कार्य योजना बनाई जा रही है? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या विधानसभा क्षेत्र लखनादौन अंतर्गत समस्त शैक्षणिक संस्थाओं में विद्युतीकरण का कार्य कराया गया है? यदि हाँ, तो सूची उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो क्यों नहीं कराया गया है? विद्युतीकरण कार्य कराये जाने के बाद संस्थाओं में बिना विद्युत संसाधन एवं बिना कनेक्शन चालू किये बगैर भी बिजली बिल विद्युत विभाग द्वारा संस्थाओं को दिये जा रहे हैं? इनका भुगतान कैसे और किस संस्था द्वारा किया जावेगा? बिजली बिल देने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
शासकीय आवास गृहों का आवंटन
[नर्मदा घाटी विकास]
64. ( क्र. 2160 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा जिला मुख्यालय पर नर्मदा घाटी विकास विभाग के कितने शासकीय आवासगृह हैं? श्रेणीवार संख्यात्मक जानकारी दी जाए। (ख) श्रेणीवार शासकीय आवासगृह किस-किस अधिकारी कर्मचारी को आवंटित किये गये? क्या शासकीय आवास गृह जिसे आवंटित है उसी के द्वारा निवास किया जा रहा है? (ग) यदि नहीं, तो ऐसे कितने आवास गृह हैं, जिनमें अनाधिकृत व्यक्ति निवासरत हैं? उन आवास गृहों का क्रमांक एवं अनाधिकृत व्यक्ति का नाम, पता बतायें। (घ) क्या शासकीय आवास गृहों को आवंटन के लिए कोई वरिष्ठता पंजी संधारित नहीं है एवं शासकीय आवास गृहों का आवंटन पूर्णत: मनमाने ढंग से किया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्यों? इसमें कौन-कौन दोषी हैं? (ड.) उक्त कार्य किस अधिकारी एवं कर्मचारी द्वारा संपादित किया जा रहा है? उस अधिकारी का नाम एवं पदनाम की जानकारी दी जाए?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (घ) जी नहीं। शासकीय आवास गृह आवंटन हेतु आवास समिति की पंजी संधारित है। नियमानुसार आवास आवंटन की कार्यवाही की जाती है। (ड.) आवास आवंटन समिति की अनुशंसानुसार कार्यपालन यंत्री नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 13 खंडवा द्वारा आवास आवंटन की कार्यवाही की जाती है।
खंडवा जिले में अशासकीय संस्थाओं को अनुदान
[महिला एवं बाल विकास]
65. ( क्र. 2162 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) खंडवा जिले में महिला एवं बाल विकास/महिला सशक्तिकरण विभाग में कौन-कौन से अशासकीय संस्थान/एन.जी.ओ. कार्य कर रहे हैं? उनके नाम एवं पदाधिकारियों की सूची उपलब्ध करायें। (ख) खण्डवा जिले में ऐसे कौन-कौन से एन.जी.ओ. हैं, जिन्हें शासकीय आवास या कार्यालय उपलब्ध कराया गया है? ऐसे एन.जी.ओ. को शासकीय आवास/कार्यालय उपलब्ध कराने के क्या नियम हैं? (ग) विभाग द्वारा विगत 3 वर्षों में किस-किस एन.जी.ओ. को कितनी-कितनी राशि अनुदान के रूप में किस-किस कार्य हेतु प्रदाय की है? उक्त राशि के व्यय पश्चात् मॉनीटरिंग किसके द्वारा की गई? (घ) क्या कागजों पर चल रहे कई एन.जी.ओ. एक ही परिवार के सदस्यों के नाम से अलग-अलग संचालित होकर शासन को लाखों रूपये का चूना लगा रहे हैं? (ड.) यदि हाँ, तो विभागीय अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी कर इन्हें कितनी राशि का अवैध लाभ दिया गया है? क्या उक्त राशि की वसूली ऐसे अधिकारियों एवं एन.जी.ओ. से की जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) खंडवा जिले में महिला सशक्तिकरण विभाग में निम्नाकित 5 एन.जी.ओ. कार्य कर रहे है। 1. हिन्दू बाल सेवा सदन खंडवा, 2. आस्था वेलफेयर सोसायटी खंडवा, 3. नवजीवन चिल्ड्रन होम, खंडवा, 4. सोसाइटी फॉर एजुकेशन एंड एनवायरमेंट डेवलपमेंट (SEED) खंडवा, 5. शांति निकेतन शिक्षा विकास समिति ओंकारेश्वर जिला खंडवा। एन.जी.ओ. के नाम एवं पदाधिकारियों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) खंडवा जिले में अशासकीय संस्था आस्था वेलफेयर सोसायटी खंडवा को आश्रय गृह संचालन हेतु तथा अशासकीय संस्था सोसाइटी फॉर एजुकेशन एंड एनवायरमेंट डेवलपमेंट (SEED) खंडवा को उषा किरण योजना अंतर्गत महिलाओ के आश्रय गृह संचालन हेतु आवंटित किया गया था। शेष प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) खंडवा जिले में महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा विगत 3 वर्षों में एन.जी.ओ. को प्रदाय की गई अनुदान राशि एवं कार्य का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। जिला अधिकारी महिला सशक्तिकरण द्वारा की जाती है। (घ) जी नहीं। (ड.) प्रश्नांश ''घ'' के संदर्भ में प्रश्न ही नहीं उठता है।
माझी जाति के प्रमाण पत्र
[सामान्य प्रशासन]
66. ( क्र. 2231 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा, शहडोल, भोपाल एवं जबलपुर में माझी जनजाति के प्रमाण पत्र से शासकीय नौकरी में सेवारतों, की जानकारी जिलावार, विभागवार, पदवार नियुक्ति तिथि अंकित कर सूची देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उक्त कर्मचारी/अधिकारियों की सेवा पुस्तिका में संलग्न जाति प्रमाण पत्र निवास प्रमाण पत्र एवं शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की प्रति के साथ जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में उपरोक्त प्रमाण पत्र कहाँ से किस सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया है? गलत प्रमाण पत्र जारी करने वाले दोषी अधिकारी के विरूद्ध कौन सी दण्डात्मक कार्यवाही करेंगे? (घ) प्रश्नांश (ख) (ग) के संदर्भ में कितने कर्मचारी अधिकारियों के फर्जी माझी जाति, निवास प्रमाण पत्र होने की शिकायत उच्च स्तरीय छानबीन समिति में प्रचलित है? नाम, पद, विभागवार जानकारी देवें तथा कितनी शिकायतों का निराकरण हो गया कितनी लंबित है? सूची दें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही हैं।
विभागीय निर्माण कार्यों हेतु आवंटन के सम्बन्ध में
[जनजातीय कार्य]
67. ( क्र. 2262 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सैलाना एकीकृत आदिवासी परियोजना अंतर्गत वर्ष २०१३ से प्रशन दिनांक तक कितना-कितना आवंटन प्रदान किया तथा कितने व कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किए गए ? वर्षवार कार्यवार जानकारी उपलब्ध कराएं? (ख) क्या वित्तीय वर्ष २०१६-१७ व २०१७-१८ में सैलाना एकीकृत आदिवासी परियोजना को निर्माण कार्य तथा हितग्राही मूलक योजना के लिए कोई भी बजट उपलब्ध नहीं करवाया गया? यदि हाँ, तो इसका क्या कारण है? (ग) प्रश्नांश (ख) के सैलाना एकीकृत आदिवासी परियोजना को कब तक बजट उपलब्ध कराया जावेगा? बजट नहीं होने से जो हितग्राही मूलक योजनाएं पूर्व से स्वीकृत हैं उनकी प्रगति बाधित हुई है क्या? इन योजनाओं को कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) जी हाँ। परियोजना सैलाना को बजट उपलब्ध नहीं कराया गया है। अपितु स्वीकृत कार्यों के लिए विभागों को बजट उपलब्ध कराया जाता है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारत सरकार से परियोजना द्वारा प्रेषित प्रस्तावों पर स्वीकृति प्रदाय न करने से सैलाना एकीकृत आदिवासी परियोजना को निर्माण कार्य तथा हितग्राही मूलक योजना के लिए कोई भी बजट उपलब्ध नहीं कराया गया। वित्तीय वर्ष 2017-18 में परियोजनाओं हेतु स्वीकृत कार्यों के लिए दिनांक 30/08/2017 को सम्पन्न कार्यपालन समिति (एक्जीक्यूटिव समिति) की बैठक में लिए गये निर्णयानुसार परियोजनाओं से प्रेषित प्रस्तावों का विभिन्न विकास विभागों से प्रति परीक्षण कराया जाना है। (ग) दिनांक 30/08/2017 को सम्पन्न कार्यपालन समिति (एक्जीक्यूटिव समिति) की बैठक में लिए गये निर्णयानुसार परियोजनाओं से प्रेषित प्रस्तावों का विभिन्न विकास विभागों से प्रति परीक्षण कराया जा रहा है। परियोजना सैलाना से स्टॉप डेम के प्राक्कलन, तकनीकी स्वीकृति एवं बी.सी.ओ./डी.डी.ओ. की जानकारी चाही गई है। तत्पश्चात राशि आवंटन की कार्यवाही की जावेगी। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। पूर्व वर्षों में स्वीकृत हितग्राही मूलक योजनाओं का आवंटन दिया जाना शेष नहीं होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी केन्द्रों के निरीक्षण के सम्बन्ध में
[महिला एवं बाल विकास]
68. ( क्र. 2263 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सैलाना एवं बाजना जनपद में कितने आंगनवाड़ी केंद्र है तथा इन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषण आहार व शासन की अन्य योजनाओं के क्रियान्वन के निरीक्षण हेतु कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी उत्तरदायी हैं? क्या इन अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा सतत् निरीक्षण किया जा रहा है यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्न (क) के संबंध में विभाग की सुपरवाईजर द्वारा प्रतिमाह प्रस्तावित भ्रमण कार्यक्रम कार्यालय में किया जाता है यदि नहीं, तो क्यों? इनके लिए क्लस्टर मुख्यालय पर निवास पर निवास करने संबंधी क्या निर्देश हैं? क्या निर्देशों का पालन किया जा रहा हैं? यदि हाँ, तो सैलाना व बाजना में कितने क्लस्टर है तथा यहां सुपरवाईजर के निवास का पता क्या है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सैलाना जनपद में 298 एवं बाजना जनपद पंचायत में 416 आंगनवाड़ी केन्द्र है, इन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषण आहार एवं अन्य विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन के निरीक्षण हेतु सेक्टर पर्यवेक्षक, परियोजना अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी उत्तरदायी हैं। इन अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा सतत् निरीक्षण किया जा रहा है। (ख) विभाग की सेक्टर पर्यवेक्षक द्वारा प्रतिमाह प्रस्तावित भ्रमण कार्यक्रम कार्यालय में प्रस्तुत किया जाता है। पर्यवेक्षकों को सेक्टर मुख्यालय पर निवास करने संबंधी निर्देश है। पर्यवेक्षकों द्वारा शासन के निर्देशों का पालन किया जा रहा है। सैलाना जनपद पंचायत में 08 एवं बाजना जनपद पंचायत में 14 सेक्टर है। पर्यवेक्षकों के निवास के पते की सूची संलग्न परिशिष्ट पर है।
पेंशन प्रकरणों का निराकरण
[वित्त]
69. ( क्र. 2269 ) श्री अनिल फिरोजिया : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारियों के दिनांक 01.09.2017 की स्थिति में कब से कितने पेंशन प्रकरण लंबित हैं? (ख) लंबित रहने का क्या कारण है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रदेश के सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारियों के दिनांक 01.09.2017 की स्थिति में 01 माह से कम अवधि के 497, 03 माह से कम अवधि के 791, 06 माह से कम अवधि के 519 एवं 06 माह से अधिक अवधि के 1945 पेंशन प्रकरण लंबित है, अर्थात कुल 3752 पेंशन प्रकरण लंबित है। (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शाये लंबित पेंशन प्रकरण सेवानिवृत्त कर्मचारियों के विरूद्ध लोकायुक्त जाँच, विभागीय जाँच, न्यायालयीन वाद, अनुपस्थित अवधि का नियमन तथा द्वितीय सेवा पुस्तिका की मान्यता आदि कारणों से लंबित है।
दैनिक वेतन भोगियों को नियमित करना
[सामान्य प्रशासन]
70. ( क्र. 2271 ) श्री अनिल फिरोजिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 07.10.2016 के परिशिष्ट (अ) में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी स्थायी कर्मियों को नियमित सेवा के अधिक अवसर उपलब्ध कराये जाने हेतु संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है? (ख) दिनांक 01.09.2017 की स्थिति में नियमितीकरण से वंचित शेष दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को कब तक नियमित किया जा सकेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों के संबंध में
[महिला एवं बाल विकास]
71. ( क्र. 2274 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विधानसभा क्षेत्र बिजावर अंतर्गत कुल कितने आंगनवाड़ी केन्द्र हैं? इनमें सहायिका, कार्यकर्ता के पद पर कौन पदस्थ हैं? नाम, पिता या पति का नाम, पता उपलब्ध करावें? (ख) विधानसभा क्षेत्र बिजावर अंतर्गत सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार वितरण करने वाले वर्तमान स्व-सहायता समूह या संस्थाओं के नाम उनके पदाधिकारी एवं सदस्यों के नाम, पिता या पति के नाम, पता उपलब्ध करावें?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) बिजावर विधान क्षेत्र के अन्तर्गत कुल 377 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
ट्रेप व छापे के बिना अपराध पंजीबद्ध किया जाना.
[सामान्य प्रशासन]
72. ( क्र. 2294 ) श्री मोती कश्यप : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त संगठन जबलपुर द्वारा वर्ष 2014-15 की अवधि में किसी दिनांक को जिला कटनी की सेवा सहकारी समिति मर्या. बड़वारा में पदस्थ लीड सहायक के ट्रेप एवं छापे की कार्यवाही कर कुछ पाया है और उसके विरूद्ध किसी दिनांक को कोई अपराध पंजीबद्ध किया है? (ख) क्या लोकायुक्त संगठन ने प्रश्नांश (क) समिति के सहायक प्रबंधक पर भी किसी दिनांक को ट्रेप एवं छापे की कार्यवाही कर कोई अनियमिततायें पायी हैं और किसी दिनांक को कोई अपराध पंजीबद्ध किया गया है? (ग) क्या लोकायुक्त संगठन ने किस दिनांक को सहकारिता विभाग को प्रश्नांश (ख) के विरूद्ध किन्हीं आधार पर अपराध पंजीबद्ध करने की जानकारी दी है और प्रश्नांश (क) कर्मी के साथ ही कार्यवाही न करने का कारण क्या दर्शाया हैं? (घ) क्या विभाग किन्हीं उच्चाधिकारियों के गठित दल से प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के तथ्यों की जाँच कर निर्दोष सहायक प्रबंधक को न्याय प्रदान कर दोषमुक्त करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। दिनांक 29/08/2014 को श्री दादूराम सोनी, लीड सहायक/सेल्स मेन के विरूद्ध गैर समानुपातिक संपत्ति रखने के आरोप पर अपराध क्रमांक 386/2014 धारा 13 (1) ई, 13 (2) भ्र.नि.अधि. 1988 के अन्तर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। प्रकरण की विवेचना के दौरान आरोपी के घर एवं कार्यालय की तलाशी लेने पर आरोपी के कार्यालय से जप्त फर्जी दस्तावेजों की जाँच के दौरान सेवा सहकारी समिति बडवारा के श्री संतोष पाण्डे, सहायक समिति प्रबंधक, श्री रमेश झारिया, तत्कालीन समिति प्रबंधक, श्री बी.सी. तिवारी, तत्कालीन शाखा प्रबंधक, केन्द्रीय सहकारी बैंक मर्यादित बडवारा एवं श्री कपिल देव सिंह वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक, कार्यालय सहायक आयुक्त सहकारिता, जिला कटनी तत्कालीन प्रशासक सेवा सहकारी समिति बडवारा के विरूद्ध एक अन्य अपराध क्रमांक 282/2015 धारा 13 (1) डी, 13 (2) भ्र.नि.अधि. 1988 एवं धारा 406, 420, 120बी, भा.द.वि. के अन्तर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना में लिया गया है। (ख) सहायक प्रबंधक, सहकारी समिति, बडवारा पर अपराध क्रमांक 282/2015 धारा 13 (1) डी, 13 (2), भ्र.नि.अधि. 1988 एवं धारा 406, 420, 120बी के अन्तर्गत दिनांक 01/07/2015 को पद का दुरूपयोग करने का प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना में लिया गया है। (ग) संभागीय लोकायुक्त कार्यालय जबलपुर के पत्र क्रमांक 1758, दिनांक 03/07/2015 द्वारा प्रमुख सचिव, सहकारिता विभाग, मंत्रालय, भोपाल को अनावेदकों के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किये जाने की जानकारी दी गई है। दोनों आपराधिक प्रकरणों में कार्यवाही की जा रही है। (घ) उत्तरांश ''क'' एवं ''ख'' में अंकित दोनों प्रकरण लोकायुक्त संगठन में पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना में हैं। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अनुकम्पा नियुक्ति की जानकारी और क्रियान्वयन
[सामान्य प्रशासन]
73. ( क्र. 2344 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के गृह जिला रीवा में शासकीय सेवक को सेवा के दौरान मृत्यु पर उनके आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान किये जाने के प्रावधान हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में यदि हाँ, वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक प्रत्येक विभाग में सेवा के दौरान मृतक कर्मचारी का नाम, मृत्यु दिनांक, पद संपूर्ण पता का विवरण, विभागवार पृथक-पृथक प्रदान करें? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के प्रकाश में मृतक कर्मचारी के आश्रित जिनको अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की गई? उन प्रकरणों में प्रत्येक प्राप्त अनुकंपा नियुक्ति के मृतक से संबंध, नाम, पिता/पति का नाम, पद, अनुकम्पा प्राप्ति का दिनांक, विभाग का विवरण, प्रत्येक विभागवार, उपलब्ध करावें? मृतक के आश्रितों को जिन्हें अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त नहीं हुई है के मृतक का नाम, पद संपूर्ण पता विभाग सहित प्रत्येक का विभागवार उपलब्ध करावें तथा कारण बतावें की अनुकम्पा उन्हें क्यों प्राप्त नहीं हो सकी? अगर प्राप्त होगी तो समय-सीमा बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
अधूरे कार्य को दूसरी एजेंसी से पूर्ण कराने
[ऊर्जा]
74. ( क्र. 2345 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पू.क्षे.वि.वि.क. द्वारा वर्ष 2012 से फीडर्स सेपरेशन के कार्य में घरेलू व कृषि लाइन को अलग-अलग करना, नये सबस्टेशन का निर्माण करना, नये पोल एवं घरेलू कनेक्शन के लिये लगे ट्रांसफार्मर में जरूरत के अनुसार क्षमता वृद्धि एवं सिंगल फेस लाइन को थ्री फेस में करना है? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में यदि हाँ, तो रीवा जिले में कितने फीडर्स सेपरेशन का कार्य किया जाना था? प्रश्न दिनांक तक कितने पूरे हो पाये, उनके नाम, स्थान तहसील सहित बतावें? (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के प्रकाश में काम छोड़ने एवं फीडर्स सेपरेशन का कार्य करने से लागत भी बढ़ी होगी? यदि हाँ, तो क्या इसकी भरपाई के लिये क्या परफारमेंस राशि को जप्त किया गया? यदि हाँ, तो कितना? क्या परफारमेंस राशि के अतिरिक्त भी राशि वसूली गई? यदि हाँ, तो कितना? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) के प्रकाश में कंपनी के द्वारा काम छोड़ दिये जाने से क्या दोबारा टेण्डर लगाया जा रहा है? यदि हाँ, तो कब तक तथा कार्य कहाँ-कहाँ होना चिन्हित हैं? यह कार्य कब तक पूरा किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा फीडर विभक्तिकरण योजना वर्ष 2010 से प्रारंभ की गई थी। उक्त योजना में कृषि उपभोक्ताओं के भार को घरेलू तथा अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं के भार से पृथक करने के लिए 11 के.व्ही. के नए फीडरों के निर्माण सहित 11 के.व्ही. के फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य किया जाना था ताकि ग्रामीण गैर कृषि फीडरों से संबद्ध उपभोक्ताओं को 24 घण्टे एवं कृषि फीडरों से संबद्ध उपभोक्ताओं को 10 घंटे विद्युत आपूर्ति की जा सके। उक्त योजना में मुख्यत: 11 के.व्ही. लाईनों का निर्माण, आवश्यकतानुसार नये 25 के.व्ही.ए. क्षमता के वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना व विद्यमान वितरण ट्रांसफार्मरों की शिफ्टिंग, निम्नदाब लाईनों के कन्डक्टर को ए.बी.केबिल से बदलने तथा एनर्जी मीटर स्थापित करने का कार्य किया जाना प्रावधानित है। उक्त योजना में नये 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों का निर्माण, वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि एवं निम्नदाब सिंगल फेस लाईन को 3 फेस लाईन में बदलने के कार्य शामिल नहीं है। (ख) रीवा जिले में फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत 142 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य किया जाना था। उक्त में से प्रश्न दिनांक तक 132 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, जिनकी फीडर के नाम सहित तहसीलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) फीडर विभक्तिकरण योजनांतर्गत रीवा जिले में संचालन-संधारण उत्तर संभाग एवं संचालन-संधारण दक्षिण संभाग में कार्यरत टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी द्वारा अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य समय पर पूर्ण नहीं करने के कारण उसे जारी अवार्ड दिनांक 09.12.2014 को निरस्त कर दिया गया था। उक्त ठेकेदार एजेन्सी से संचालन-संधारण उत्तर संभाग, रीवा के कार्य के विरूद्ध राशि रू. 7.99 करोड़ एवं संचालन-संधारण दक्षिण संभाग, रीवा के कार्य के विरूद्ध राशि रू. 6.63 करोड़ की परफार्मेंस बैंक गारण्टी जब्त की गई है। परफार्मेंस बैंक गारण्टी के अतिरिक्त अन्य कोई राशि वसूल नहीं की गई है, लायबिलिटी निर्धारण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (घ) फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत रीवा जिले में संचालन-संधारण उत्तर संभाग एवं संचालन-संधारण दक्षिण संभाग में कार्यरत टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी का अनुबंध निरस्त किये जाने के पश्चात् पुन: निविदा कार्यवाही उपरांत शेष कार्य हेतु संचालन-संधारण उत्तर संभाग रीवा के लिए दिनांक 05.05.2015 को तथा संचालन-संधारण दक्षिण संभाग रीवा के लिए दिनांक 14.05.2015 को अवार्ड जारी किया गया था एवं संचालन-संधारण दक्षिण संभाग रीवा के 10 फीडरों का कार्य विभागीय रूप से करने हेतु वितरण कंपनी के एस.टी.सी. संभाग को कार्यादेश दिया गया था। उक्तानुसार चिन्हित फीडरों की फीडरवार व तहसीलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। उक्त में से संचालन-संधारण उत्तर संभाग रीवा का कार्य माह दिसम्बर-16 एवं संचालन-संधारण दक्षिण संभाग रीवा का कार्य माह फरवरी-17 में पूर्ण कर लिया गया था। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एस.टी.सी. संभाग द्वारा विभागीय रूप से कराए जा रहे 10 फीडरों का कार्य मार्च-2018 में पूर्ण होने की संभावना है।
भूमि का पट्टा दिये जाने
[जनजातीय कार्य]
75. ( क्र. 2355 ) श्री राम लल्लू वैश्य : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि सिंगरौली जिले के अंतर्गत वन भूमि ग्राम गोभा, बरहपान (मुणवनिया), खम्भरिया, अमहरा, झांझी, सुरईझर आदि ग्रामों में 2005 से पूर्व निवासरत जनजातीय वर्ग के लोगों को भूमि का पट्टा कब तक दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : प्रश्नांश अन्तर्गत ग्रामों में 1027 अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्राप्त दावों में से 385 हक प्रमाण पत्र वितरित किये गये है। कोई दावा निराकरण या वितरण हेतु लंबित नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
छात्रावासों को आवंटित राशि एवं बर्तनों की जानकारी के संबंध में
[जनजातीय कार्य]
76. ( क्र. 2359 ) श्री उमंग सिंघार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले के गंधवानी विधानसभा क्षेत्र के विकासखंड बाग अंतर्गत संचालित होने वाले बालक छात्रावास, कन्या छात्रावास, आश्रम, उत्कृष्ट, शिक्षा परिषद एवं अर्द्धशासकीय छात्रावास में 1 जनवरी, 2014 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस मद से कितनी राशि आवंटित हुई है? उक्त राशि किन-किन कार्यों में व्यय की गई है वर्षवार बताए? (ख) प्रश्नांकित (क) अनुसार 1 जनवरी, 2014 से प्रश्न दिनांक तक उक्त आश्रम एवं छात्रावासों में कितने बर्तन आवंटित किये गये है? आश्रम एवं छात्रावासवार जानकारी एवं स्टाफ रजिस्टर की वर्षवार जानकारी उपलब्ध करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
शिकायतों का निराकरण
[सामान्य प्रशासन]
77. ( क्र. 2369 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जनसुनवाई के माध्यम से शिकायतों के निराकरण बावत क्या निर्देश एवं आदेश जारी किये गये हैं की प्रति देते हुए बतावें कि प्राप्त आवेदन पत्रों के निराकरण की समय-सीमा क्या निर्धारित की गई है? रीवा जिले में वर्ष 2016 से प्रश्नांश दिनांक तक में कितनी शिकायतें प्राप्त हुई, कितनी निराकृत की गयी एवं कितनी शिकायतें क्यों लंबित हैं,? (ख) प्रश्नांश (क) की शिकायतों का शासन के जारी आदेश एवं निर्देशों के पालन में कार्यवाही कर निराकरण नहीं किया गया तो इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों द्वारा क्या समीक्षा कर अधीनस्थों को आवेदन पत्रों के निराकरण बावत निर्देश दिये गये? हां तो जारी निर्देशों एवं समीक्षा की प्रति देते हुए बतावें। (ग) प्रश्नांश (क) के आवेदन पत्रों का निराकरण संबंधितों द्वारा शासन के जारी निर्देशों अनुसार समय पर नहीं किया एवं प्रश्नांश (ख) अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा समीक्षा समय-समय पर नहीं की गयी जिसके कारण आवेदन निराकरण के लिए लंबित है, तो जिम्मेवार अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे? अगर नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) निर्देश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' पर है। निर्देश दिनांक 30/06/2009 के पैरा-7 अनुसार समय-सीमा निर्धारित है। रीवा जिले में वर्ष 2016 से प्रश्नांश दिनांक तक 4222 शिकायतें प्राप्त हुई 1324 निराकृत की गई एवं कुल 2898 शिकायतें लंबित है। शिकायतें जाँच में होने के कारण लंबित है। (ख) जी हाँ। निर्देश एवं समीक्षा की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' पर है। (ग) यह सही नहीं है कि आवेदनों का निराकरण नहीं किया गया है। जनसुनवाई में आवेदन प्राप्त होना एक सतत् प्रक्रिया है। अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
संविदा कर्मचारियों की सेवा शर्तें
[सामान्य प्रशासन]
78. ( क्र. 2370 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. सरकार द्वारा संविदा नीति के तहत कर्मचारियों की नियुक्त की गयी हैं? यदि हाँ, तो इनकी संविदा की शर्तें क्या थी ? क्या प्रत्येक तीन वर्ष में संविदा अवधि बढ़ाने के प्रावधान है, ये नियुक्तियां क्या विशेष स्थान एवं निकाय के लिये की जाती हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के कर्मचारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित/अन्यत्र हटाये जाने पर संबंधित कर्मचारी की सेवा अवधि की गणना प्रथम नियुक्ति दिनांक से जोड़कर की जाती है अथवा नवीन नियुक्ति मानकार सेवा अवधि की गणना की जाती है बतावे? अगर की जाती है तो क्यों? क्या इससे कर्मचारियों की सेवा अवधि प्रभावित नहीं होती है? (ग) विगत एक वर्ष में प्रश्नांश (क) के कर्मचारियों को प्रश्नांश (ख) अनुसार रीवा जिले में जिला पंचायत द्वारा कितने कर्मचारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित/पदांकित करने के आदेश जारी किये गये इन में से कितने ऐसे कर्मचारी थे जिनके द्वारा स्वत: आवेदन देकर स्थानान्तरण/पदांकन अन्यत्र क्यों हटाया गया? (घ) प्रश्नांश (क) के कर्मचारियों की संविदा अवधि तीन वर्ष में बढ़ाने के नियम में परिवर्तन के साथ क्या इनके वेतन विसंगति एवं नियमितीकरण बावत् आदेश जारी करेंगे एवं प्रश्नांश (ग) अनुसार स्थानान्तरित/अन्यत्र पदांकित कर्मचारियों के विधि विरूद्ध आदेश को निरस्त कर ऐसा नियम विरूद्ध आदेश जारी करने वालों पर क्या कार्यवाही करेंगे? साथ ही क्या नियमित कर्मचारियों के भांति स्थानान्तरण नीति जारी करेंगे।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रत्येक विभाग में संविदा नियुक्ति हेतु पृथक-पृथक संविदा नियुक्ति नियम बनाए गए हैं। (ख) संविदा कर्मचारियों के स्थानान्तरण से किसी प्रकार की सेवा अवधि प्रभावित नहीं होती। (ग) रीवा जिला पंचायत द्वारा मनरेगा अंतर्गत जिले में जनपद पंचायत क्षेत्र बदला गया है जिसमें कुल 31 कर्मचारियों का जनपद क्षेत्र बदला गया। इसमें से किसी के द्वारा स्वत: आवेदन नहीं दिया गया था। (घ) कोई प्रस्ताव नहीं है। कार्य सुविधा की दृष्टि से कार्यक्षेत्र बदला गया है। अत: शेषांश कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विद्युतीकरण एवं जले हुए ट्रांसफार्मरों को बदलने के संबंध में
[ऊर्जा]
79. ( क्र. 2386 ) श्री कुंवर सिंह टेकाम : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी/सिंगरौली जिले के अंतर्गत अविद्युतीकृत कितने ग्राम हैं? विवरण सहित जानकारी देवें। इन ग्रामों में कब तक विद्युतीकृत का कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा (ख) सौभाग्य योजनान्तर्गत समस्त घरों में विद्युतीकरण का कार्य करायें जाने की योजना है? यदि हाँ, तो सीधी/सिंगरौली जिले के कितने घरों में विद्युतीकरण का कार्य प्रांरभ कर दिया गया है तथा कितने में अभी तक कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है? जिलेवार संख्या देवें। (ग) सीधी जिले के अंतर्गत स्थित मड़वास में 132 के.व्ही. के विद्युत वितरण केन्द्र की स्वीकृति प्रदान की गयी है? यदि हाँ, तो लागत राशि सहित जानकारी देवें? निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ कर दिया जावेगा? (घ) सीधी/सिंगरौली जिले के अंतर्गत भुईमाड़, सेमरा, बरका, करदा, निधपुरी, दरीमाडोल, कंकरसिहा, कतरवार, चनौहीडोल, दड़ौर, चमराडोल, घोघी एवं लुरघुटी नं. 01 के ट्रांसफार्मर विगत कई माह से जले हुए हैं, जिन्हें बदलने का कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सीधी एवं सिंगरौली जिलों के अंतर्गत समस्त राजस्व ग्राम विद्युतीकृत है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) जी हाँ, सौभाग्य योजना के अन्तर्गत समस्त अविद्युतीकृत घरों के विद्युतीकरण का कार्य दिसम्बर 2018 तक पूर्ण किया जाना है। योजना अभी प्रारंभिक चरण में हैं एवं योजनांतर्गत सीधी एवं सिंगरौली जिलों के समस्त अविद्युतीकृत घरों के विद्युतीकरण का कार्य कराये जाने हेतु विस्तृत कार्य-योजना तैयार किये जाने का कार्य किया जा रहा है। अत: उक्त जिलों में कितने घरों में विद्युतीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है एवं कितने में अभी तक कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है की जानकारी दिया जाना वर्तमान में संभव नहीं है। (ग) सीधी जिले के अंतर्गत ग्राम मडवास में 132 के.व्ही. के विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण जायका-II योजना में शामिल है। उक्त 132 के.व्ही. के विद्युत उपकेन्द्र की अनुमानित लागत (132 के.व्ही.लाईन एवं फीडर के निर्माण सहित) लगभग रू 46.85.करोड़ है। उक्त विद्युत उपकेन्द्र के निर्माण कार्य हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, जिसके पूर्ण होने पर उक्त कार्य प्रारंभ किया जा सकेगा, जिस हेतु वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) सीधी जिले के ग्राम कतरवार एवं चमराडोल में कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर फेल नहीं है एवं ग्राम निधपुरी, दरीमाडोल, चनौहीडोल, दड़ौर, घोघी एवं लुरघुटी में फेल वितरण ट्रांसफार्मरों को बदल दिया गया है। जिला सिंगरौली के ग्राम भुईमाड़ एवं करदा में कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर फेल नहीं है एवं ग्राम बरका (बडकी टोला) में फेल वितरण ट्रांसफार्मरों को बदल दिया गया है। वर्तमान में ग्राम बरका (शाहु टोला), कंकरसिहा एवं सेमरा में फेल वितरण ट्रांसफार्मरों से संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण इन ट्रांसफार्मरों को नहीं बदला जा सका है। वर्तमान में लागू नियमानुसार जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मरों से जुड़े 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान करने पर अथवा कुल बकाया राशि का 20 प्रतिशत जमा होने के उपरांत जले एवं खराब ट्रांसफार्मरों, को बदले जाने का प्रावधान है। उक्त दोनों शर्तों में से किसी भी एक शर्त की पूर्ति होने पर उक्त शेष वितरण ट्रांसफार्मरों को बदला जाना संभव हो सकेगा, अत: वर्तमान में इन्हें बदले जाने की निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
फीडर सेपरेशन अन्तर्गत किये गये कार्य
[ऊर्जा]
80. ( क्र. 2417 ) श्री ठाकुरदास नागवंशी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा जिला होशंगाबाद के पिपरिया डिवीजन अन्तर्गत फीडर सेपरेशन अन्तर्गत ट्रासंफार्मर एवं केवल मेन्टेनेन्स व ट्रांसफार्मर एवं केवल बदलने संबंधी शर्तों का अनुबंध संबंधित ठेकेदार से कराया गया हैं? (ख) क्या अनुबंधित शर्तों के पालन में ठेकेदार द्वारा फीडर सेपरेशन अन्तर्गत ट्रांसफार्मर एवं केवल बदलने का कार्य व मेन्टेनेन्स कार्य सम्पूर्ण रूप से नहीं किया जा रहा हैं? (ग) वर्तमान में पिपरिया डिवीजन अन्तर्गत फीडर सेपरेशन कार्य में ट्रांसफार्मर एवं केवल (लाईन) बदलकर लगाये जाने एवं मेन्टेनेन्स संबंधी समस्त कार्यों की सूची सम्पूर्ण विवरण सहित प्रदान की जावे। (घ) यदि हाँ, तो अनुबंधित शर्तों का पालन न करने के लिये कौन उत्तरदायी हैं? क्या उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जिला होशंगाबाद के संचालन-संधारण संभाग पिपरिया के अंतर्गत एच.वी.डी.एस. एवं फीडर विभक्तिकरण के कार्यों हेतु मेसर्स फेडर्स लॉयड कार्पोरेशन नई दिल्ली को दिनांक 19.03.2010 को अवार्ड जारी किया गया। अनुबंध की शर्तों के अनुसार उक्त ठेकेदार एजेन्सी को फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण होने के पश्चात् तीन वर्ष की अवधि तक ट्रांसफार्मर एवं केबल मेन्टेनेन्स तथा बदलने संबंधी कार्य किये जाने थे। इसके अतिरिक्त संचालन-संधारण संभाग पिपरिया में फीडर विभक्तिकरण योजना के अंतर्गत फीडर विभक्तिकरण के कार्य हेतु मेसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल्स मुम्बई को दिनांक 04.03.2014 को अवार्ड जारी किया गया था, अनुबंध की शर्तों के अनुसार उक्त ठेकेदार एजेन्सी को फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण होने के पश्चात् खराब ट्रांसफार्मर बदलने का कार्य तीन वर्ष की अवधि तक एवं खराब केबल बदलने का कार्य एक वर्ष की अवधि तक किया जाना था। (ख) अनुबंधित शर्तों के पालन में उक्त दोनों ठेकेदार एजेंसियों द्वारा बंद/खराब ट्रांसफार्मर एवं खराब केबल बदलने का कार्य किया जा रहा है, परन्तु मेसर्स फेडर्स लॉयड कार्पोरेशन, नई दिल्ली द्वारा मेन्टेनेन्स का कार्य नहीं किया जा रहा है। (ग) संचालन-संधारण संभाग, पिपरिया के अंतर्गत प्रश्नाधीन फीडर विभक्तिकरण के कार्य में ट्रांसफार्मर एवं केबल बदलकर लगाये जाने का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र ''अ-1'' एवं ''अ-2'' में दर्शाए अनुसार है। (घ) अनुबंधित शर्तों का पालन नहीं करने हेतु ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स फेडर्स लॉयड कार्पोरेशन उत्तरदायी है। उक्त ठेकेदार एजेन्सी को अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य नहीं करने हेतु समय-समय पर नोटिस जारी किये गये है, जिन पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
संविदा नियुक्तियॉ
[सामान्य प्रशासन]
81. ( क्र. 2427 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा सेवा निवृत्त IAS अधिकारियों को सेवा निवृत्ति पश्चात संविदा नियुक्ति प्रदान की गई है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक विगत 3 वर्ष के दौरान नियुक्ति प्राप्त अधिकारियों की संविदा पदस्थी का पूर्ण ब्यौरा दें। (ख) क्या सेवा निवृत्त अधिकारियों को पेंशन के साथ-साथ संविदा नियुक्ति का वेतन भी दिया जाएगा? यदि हाँ, तो क्या यह नियम अनुसार है? यदि हाँ, तो नियमों का ब्यौरा दें। वेतन भत्तों का विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार जिन पदों पर नियुक्ति दी गई हैं क्या वे सभी पद नव सृजित हैं? यदि हाँ, तो पद सृजन करने की क्या आवश्यकता थी तथा इससे शासन को क्या-क्या लाभ होंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
किशोर न्याय बोर्ड
[महिला एवं बाल विकास]
82. ( क्र. 2431 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शासन द्वारा किशोर न्याय बोर्ड का जिला स्तर पर गठन किया है? यदि हाँ, तो किन-किन जिलों में गठन की प्रक्रिया शेष है? ब्यौरा दें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार बोर्ड में कितने सदस्य नामित किए गए हैं तथा नामित सदस्यों की योग्यता/अनुभवों का क्या मापदंड है? (ग) प्रश्नांश (क) बोर्ड का कार्य क्षेत्र क्या निर्धारित किया गया है तथा बोर्ड को क्या अधिकार प्रदान किए गए हैं? (घ) भोपाल संभाग में गठित किशोर न्याय बोर्ड में नामित सदस्यों/अध्यक्ष सहित पूर्ण बोर्ड का जिलावार ब्यौरा दें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। केवल मुरैना जिले में पुनर्गठन की प्रक्रिया शेष है। (ख) किशोर न्याय बोर्ड में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट तथा 02 सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य नामित किये गये है। शेष प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) किशोर न्याय बोर्ड का कार्यक्षेत्र राज्य सरकार द्वारा राजपत्र में अधिसूचित जिला है। शेष प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
नर्मदा पार्वती लिंक परियोजना के संबंध में
[नर्मदा घाटी विकास]
83. ( क्र. 2432 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुख्यमंत्री द्वारा नर्मदा पार्वती लिंक परियोजना की घोषणा की गई थी? यदि हाँ, तो कब? उक्त योजना का विस्तृत ब्यौरा दें? (1) इस योजना से किस-किस जिले की कौन-कौन सी तहसीलों की कितनी जमीन सिंचित होने की योजना है? (ख) उक्त योजना की अनुमानित लागत का ब्यौरा दें? उक्त योजना के पूर्ण होने से कितने किसान लाभान्वित होगें? ब्यौरा दें? (ग) क्या शासन द्वारा नर्मदा कालीसिंध लिंक परियोजना भी प्रांरभ की जा रही है यदि हाँ, तो मुख्यमंत्री द्वारा इस योजना की घोषणा कब की थी? ब्यौरा दें? (1) उक्त योजना की वर्तमान स्थिति क्या है? क्या बजट स्वीकृत किया जा चुका है यदि हाँ, तो योजना की लागत का पूर्ण ब्यौरा दें? (घ) नर्मदा पार्वती लिंक परियोजना का कार्य कब तक प्रारंभ कर लिया जाएगा? कार्ययोजना का ब्यौरा दें। उक्त योजना में विलम्ब का क्या कारण है? ब्यौरा दें?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। योजना से शाजापुर, सीहोर, राजगढ़ एवं गुना जिलों की लगभग दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप/स्प्रिंकलर पद्धति से सिंचाई की जाना प्रस्तावित है। योजना अभी परीक्षणाधीन है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 03/02/2013 को जम्बूरी मैदान भोपाल में यह घोषणा की गई थी कि आने वाले 5 से 10 वर्षों में मालवा के 16 लाख एकड़ क्षेत्र में सिंचाई सुविधा विकसित की जाएगी। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। इस योजना हेतु बजट प्रावधान किया गया है। (घ) नर्मदा पार्वती लिंक परियोजना अभी तकनीकी परीक्षण की प्रारंभिक स्थिति में है। योजना के तकनीकी रूप से साध्य पाये जाने पर विस्तृत प्रतिवेदन तैयार किया जाकर प्रशासकीय स्वीकृति उपरांत निविदा आमंत्रित कर कार्य प्रारंभ किया जाना लक्षित है। अत: समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सूचना के अधिकार अधिनियम के म.प्र. में लागू होने के संबंध में
[सामान्य प्रशासन]
84. ( क्र. 2433 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सूचना का अधिकार अधिनियम सभी शासकीय विभागों एवं शासन के उपक्रमों में लागू हैं? यदि नहीं, तो किन-किन विभागों और उपक्रमों में लागू नहीं है ब्यौरा दें? लागू नहीं करने के कारणों का विभाग व उपक्रमवार विवरण दें। (ख) क्या व्यवसाय करने वाले शासकीय उपक्रमों को सूचना के अधिकार अधिनियम में परिभाषित किया गया है, यदि हाँ, तो विभागवार ब्यौरा दें यदि नहीं, तो विभागवार कारण सहित ब्यौरा दें? (ग) क्या म.प्र. राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू है यदि हाँ, तो ब्यौरा दें, यदि नहीं, तो क्यों? (1) प्रश्न दिनांक तक विगत 3 वर्ष के दौरान राज्य लघु वनोपज से संघ में प्राप्त सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त आवेदनों का माहवार विवरण दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सभी में लागू है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। म.प्र. राज्य सूचना आयोग द्वारा अपील क्र./ ए-2688/रा.सू.आ./भोपाल/2009 में जारी निर्णय दिनांक 27.03.2014 अनुसार लघु वनोपज संघ को सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2 (ज) के अंतर्गत लोकप्राधिकारी नहीं मानने के आधार पर सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधान संघ पर लागू नहीं होता है। शेषांश जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
आर्थिक अनियमितता की जाँच
[सामान्य प्रशासन]
85. ( क्र. 2441 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ई.ओ.डब्ल्यू., यूनिट इंदौर द्वारा की जा रही प्रारंभिक जाँच 07/17 में दिनांक 05.10.2015 को शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत के बिन्दु क्रमांक 04, 05, 06 के अनुसार वर्क्स मैन्युअल का पालन न करते हुये निविदा विस्तारित कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने वालों के नाम एवं पद बतावें? (ख) शिकायत के बिंदु 07 अनुसार शासन को कितनी राशि की राजस्व हानि हुई? दोषियों के नाम एवं पद की जानकारी देवें? (ग) शिकायत के बिन्दु 08 अनुसार संभागीय आयुक्त के वित्तीय अधिकारों की सीमा से बाहर विधि विरूद्ध स्वीकृति लेने वाले के नाम एवं पद की जानकारी दें? (घ) मामले में वर्ष 2008-09 और वर्ष 2009-10 की एस.ओ.आर. दरें क्या थी? वर्ष 2009-10 में कितनी वृद्धि हुई जब विधि विरूद्ध निविदा विस्तार 2008-09 की दर पर किया गया तो वर्ष 2009-10 की एस.ओ.आर. दर पर भुगतान करने से शासन को हुई, राजस्व हानि की वसूली किससे की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्राप्त शिकायत पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में दिनांक 07.04.2017 को प्रारंभिक जाँच क्रमांक 07/17 पंजीबद्ध की गयी है। जो वर्तमान में जांचाधीन है, जाँच में पाये गये तथ्यों के आधार पर प्रकरण में विधि सम्मत कार्यवाही की जावेगी। (ख) से (घ) प्राप्त शिकायत वर्तमान में जांचाधीन है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित योजनाएं
[अनुसूचित जाति कल्याण]
86. ( क्र. 2458 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विशेष केन्द्रीय सहायता मद अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के शिक्षित युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण योजना जिला अंत्यव्यवसायी कार्यालय सतना एवं कटनी जिले के माध्यम से वर्ष 2011 में संचालित की गई थी? यदि हाँ, तो विवरण दें। (ख) प्रश्नांश (क) के जिलों के अंत्यव्यवसायी कार्यालय द्वारा भारत माधव औद्योगिक प्रशिक्षण प्राईवेट संस्था सतना को अनुसूचित जाति के प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण दिनांक के आदेश कब-कब जारी किए गए? (ग) क्या मध्यप्रदेश शासन संचालक कौशल विकास संचालनालय भोपाल द्वारा भारत माधव आई.टी.आई. प्राईवेट संस्था को ट्रेड-फिट, इलेक्ट्रिशियन एवं डीजल मैकेनिक में प्रशिक्षण देने की स्वीकृत नहीं दी गई थी? कारण बताएं। (घ) क्या तत्कालीन कलेक्टर सतना ने उक्त प्राईवेट संस्था भारत माधव आई.टी.आई. सतना के 142 प्रशिक्षणार्थियों के नाम से 53,01,036/- रूपयों की राशि स्वीकृत की थी। यदि हाँ, तो उक्त राशि का भुगतान प्रशिक्षणार्थियों को कब किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विशेष केंद्रीय सहायता मद अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के शिक्षित युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण योजना जिला अंत्यावसायी कार्यालय सतना के माध्यम से वर्ष 2011 में संचालित की गई जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। कटनी जिले में संचालित नहीं हुई। (ख) प्रश्नांश ''क'' के अनुसार सतना जिले के अंत्यावसायी कार्यालय द्वारा भारत माधव औद्योगिक प्रशिक्षण प्राईवेट संस्था सतना को अनुसूचित जाति के प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण प्रदाय हेतु कार्यालयीन पत्र क्रमांक अंसविस/योजना/2011/698 दि.24.11.11 द्वारा आदेश जारी किये गये थे। (ग) संचालक, कौशल विकास संचालनालय, जबलपुर के पत्र क्रमांक कौ.वि.स./योजना/जन-234 (चार) /1204 दिनांक 28.02.2012 द्वारा भारत माधव आई.टी.आई. सतना को प्रायवेट संस्था होने के कारण फिटर, इलेक्ट्रिशियन एवं डीजल मैकेनिक व्यवसाय में एम.सी.व्ही.टी. के अंतर्गत प्रशिक्षण देने की स्वीकृति जारी नहीं की गई थी। (घ) जी हाँ। कौशल विकास संचालनालय म.प्र. द्वारा भारत माधव औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था को प्राइवेट संस्था होने के कारण एस.सी.व्ही.टी. के अंतर्गत प्रशिक्षण की स्वीकृति प्राप्त न होने के फलस्वरूप कलेक्टर,सतना द्वारा प्रशिक्षण निरस्त कर दिया गया था इसलिए स्वीकृत राशि का भुगतान नहीं किया गया।
न्यायालय के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
87. ( क्र. 2459 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत सिविल अपील क्र. 213/2013 में दिनांक 26.10.2016 को पारित निर्णय की जानकारी है? यदि हाँ, तो यह निर्णय क्या है और माननीय न्यायालय द्वारा किन-किन तथ्यों को बताया गया है? निर्णय की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के तहत शासन द्वारा माननीय न्यायालय के आदेश दिनांक 26.10.2016 के पालन में प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई। (ग) क्या शासन भी संविदा कर्मचारियों को राज्य शासन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के समान वेतन एवं भत्ते व अन्य सुविधाएं देने पर विचार कर रहा हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। दिनांक 26 अक्टूबर, 2016 को पारित आदेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ख) एवं (ग) नियमित कर्मचारी एवं संविदा कर्मियों के नियम/सेवा शर्तें पृथक-पृथक होने से वेतन व अन्य सुविधाएं भिन्न-भिन्न होती है। संविदा कर्मी आवश्यकतानुसार अल्प अवधि के लिए नियुक्त किये जाते हैं। शेषांश कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
संचालित छात्रावास की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
88. ( क्र. 2471 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत जनजाति कार्य एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभागों के कितने छात्रावास बालक एवं बालिकाओं के संचालित है? अलग-अलग स्पष्ट जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में प्रत्येक संचालित छात्रावास की क्षमता कितनी है? (ग) उक्त संचालित छात्रावासों में से कितनों के पास भवन है तथा कितने भवन विहीन हैं? (घ) संचालित छात्रावासों में किन में अधीक्षक/चौकीदार/रसोईया पदस्थ हैं एवं कितने पद रिक्त हैं? अलग-अलग बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
मण्डला जिले में संचालित नल-जल योजना के संबंध में
[जनजातीय कार्य]
89. ( क्र. 2497 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिले के निवास विधान सभा क्षेत्रांतर्गत विकासखण्ड निवास नारायणगंज बीजाडांडी मोहगांव एवं मंडला अंतर्गत ऐसी कितने प्राथमिक माध्यमिक विद्यालय भवन हैं, जो पैसों के अपव्यय के कारण वर्षों से आधे अधूरे पड़े हैं, विकासखण्डवार गांव का नाम, प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय की जानकारी देते हुये यह भी बतावें कि उक्त भवनों की निर्माण एजेंसी कौन थी? (ख) उक्त शाला भवनों की निर्माण की कब स्वीकृति दी गई थी? कितनी राशि की स्वीकृति दी गई थी? कार्य पूर्णता की समय-सीमा भी तय की गई थी? क्या कौन इनके मॉनीटरिंग अधिकारी थे? यदि निर्माण एजेंसी ने कार्य पूर्ण नहीं किया तो उनके खिलाफ अभी तक क्या-क्या कार्यवाही संबंधितों के खिलाफ की गई तथा उक्त भवनों को कब तक पूर्ण करा लिये जायेंगे? (ग) स्वीकृत या संचालित कितनी ऐसी योजनाएं हैं जो सोलर ऊर्जा से संचालित हैं और कितनी ऐसी योजनाएं जो विद्युत से संचालित हैं? सभी योजनाओं की संपूर्ण जानकारी देते हुए साथ ही संचालित/बंद की जानकारी देवें? (घ) ग्राम चुभावल, सुडगांव, मंगलगंज, सलैया, मगरधा, लालपुर, धनवाही, कापा, छिंदवाड़ा जंगलिया, सिंगपुर, मोहगांव, सुखराम, पाडरपानी आदि योजनाएं प्रारंभ से ही किन कारणों से बंद पड़ी हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
90. ( क्र. 2508 ) श्री मानवेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले में विगत 3 वर्षों में राजीव गांधी विद्युतीकरण के तहत कितने ग्रामों के विद्युतीकरण का प्राक्कलन तैयार किया गया? (ख) तैयार प्राक्कलन के अनुसार विद्युतीकरण हेतु कितनी राशि स्वीकृत हुई? विद्युतीकरण हेतु विभाग ने निविदा कब आमंत्रित की? (ग) कौन-कौन से ठेकेदारों ने किस-किस दर से निविदा भरी तथा किस ठेकेदार की निविदा स्वीकृत हुई और कार्य कब प्रारंभ हुआ? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित योजना अंतर्गत कितने ग्रामों में विद्युतीकरण किया गया? कितने ग्राम शेष हैं? कितने उपभोक्ताओं को बी.पी.एल. कनेक्शन दिया गया? कितनी राशि व्यय की गई? योजनावार बतायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जिला छतरपुर में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (11वीं पंचवर्षीय, 11वीं पंचवर्षीय (पूरक) एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत) एवं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत् विद्युतीकरण/सघन विद्युतीकरण हेतु स्वीकृत ग्रामों की संख्या की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत राशि एवं योजना के कार्यों हेतु निविदा आमंत्रण दिनांक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। उल्लेखनीय है, योजना की स्वीकृति संपूर्ण जिले के लिये, योजना में सम्मिलित कार्यों हेतु आर.ई.सी.लिमिटेड द्वारा प्रदान की गई है, जिसमें से अविद्युतीकृत ग्रामों के विद्युतीकरण हेतु पृथक से स्वीकृत राशि की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में योजनान्तर्गत ठेकेदारों द्वारा भरी गई निविदा दरों, स्वीकृत निविदा और कार्य प्रारंभ होने की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (घ) उत्तरांश (क) में उल्लेखित योजनाओं के अंतर्गत विद्युतीकृत/सघन रूप से विद्युतीकृत किये गये ग्रामों, शेष ग्रामों,प्रदान किये गये बी.पी.एल. कनेक्शनों तथा व्यय की गई राशि की योजनावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है।
बस्ती विकास की राशि का उपयोग
[जनजातीय कार्य]
91. ( क्र. 2537 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बस्ती विकास की राशि का उपयोग छात्रावासों में कितने प्रतिशत खर्च किये जाने का नियम शासन द्वारा प्रस्तावित किया गया है? (ख) क्या विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा इस संबंध में 50 प्रतिशत की राशि छात्रावासों में खर्च किये जाने हेतु कोई पत्र विभाग द्वारा जारी किया गया है? (ग) यदि हाँ, तो वर्ष 2016-17 में बस्ती विकास में कितनी राशि सागर जिले को प्राप्त हुई? (घ) उपरोक्त बस्ती विकास की राशि का सागर जिले के किन-किन छात्रावासों में उपयोग किया गया एवं किन-किन कार्यों में किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। ऐसा कोई नियम प्रस्तावित नहीं किया गया है। (ग) रू.90.43 लाख सागर जिले को दिया गया है। (घ) छात्रावासों एवं उनमें कराये गये कार्य की जानकारी निम्नानुसार है:-
क्र. |
छात्रावास का नाम |
स्वीकृत राशि |
निर्माण एजेन्सी |
1 |
विभागीय आदिवासी बालक आश्रम गढ़ाकोटा में बोर खनन एवं पाइप लाईन विस्तार, टंकी से कनेक्शन सहित सम्पूर्ण कार्य। |
1.71 |
नगर पालिका परिषद गढ़ाकोटा |
2 |
आदिवासी कन्या आश्रम रानगित में बाउन्ड्रीवाल की ऊंचाई बढ़ाना |
3.30 |
ग्राम पंचायत |
लिपिक
श्रेणियों की
पदस्थापना
[जनजातीय कार्य]
92. ( क्र. 2538 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा निम्न श्रेणी लिपिक/उच्च श्रेणी लिपिक को एक ही शाखा में कितने वर्षों तक पदस्थ करने का नियम/प्रावधान है? (ख) यदि 3 वर्ष तक का प्रावधान/नियम है तो आदिम जाति कल्याण विभाग/जनजातीय कार्य विभाग सागर में ऐसे कितने लिपिकीय वर्ग कर्मचारी है जो विभिन्न शाखाओं में 3 वर्ष से अधिक एक ही शाखा में पदस्थ है? (ग) क्या विभाग द्वारा ऐसे कर्मचारियों की शिकायत के आधार पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सागर को कार्यवाही हेतु लेख किया गया है? (घ) उपरोक्त पत्र के संबंध में संबंधित के विरूद्ध कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई एवं कार्यवाही कब तक की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) निम्न श्रेणी लिपिक/उच्च श्रेणी लिपिक को एक ही शाखा में 3 वर्ष से अधिक अवधि तक सामान्यत: नहीं रखने का नियम/प्रावधान है। (ख) आदिम जाति कल्याण विभाग सागर के 03 वर्ष से अधिक अवधि में एक ही शाखा में पदस्थ समस्त लिपिकीय वर्ग के कर्मचारियों की शाखा बदली गयी है। (ग) जी हाँ। (घ) शिकायत की जाँच की जा रही है। जाँच उपरान्त गुणदोष के आधार पर कार्यवाही की जावेगी।
वाहन चालकों की अवैधानिक नियुक्ति
[जनजातीय कार्य]
93. ( क्र. 2570 ) श्री गोपालसिंह चौहान (डग्गी राजा) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 19 दिसंबर 2014 को आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनायें द्वारा दो वाहन चालकों को विधि विरूद्ध संविदा नियुक्ति मामले में आयुक्त, आदिवासी विकास द्वारा किये गये परीक्षण में किन-किन अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया है? (ख) जिनके अवैधानिक आदेश से 02 वाहन चालक माह फरवरी 2014 से दिनांक 18 दिसंबर 2014 तक विभागीय वाहन चला रहे थे, उन अधिकारियों को जारी आरोप पत्रों की प्रतियां उपलब्ध करावें। दोषियों से शासकीय धनराशि की वसूली कब तक की जावेगी? (ग) दिनांक 19 दिसंबर 2014 को किस अपर संचालक को स्थापना शाखा से हटाकर किस अपर संचालक को पदस्थापित किया गया, जिसने इसी दिनांक को नियुक्ति आदेश जारी किये? (घ) आरोपी अपर संचालक द्वारा पी.एच.डी. हेतु दिनांक 06 जुलाई 2008 से दिनांक 13 मार्च 2011 तक शोध केन्द्र मुरैना में उपस्थिति के लिये मुख्यालय छोड़ने की सूचना/अनुमति बावत प्रस्तुत आवेदनों की प्रतियां उपलब्ध करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
मण्डला जिले के बीजाडांडी विकासखण्ड के विजयपुर पिपरिया गांव में बैगा आवास निर्माण
[जनजातीय कार्य]
94. ( क्र. 2579 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मण्डला जिले के विकासखण्ड बीजाडांडी के ग्राम विजयपुर पिपरिया में बैगा जनजाति आवास योजना के तहत बैगा आवास हीन परिवारों के लिये आवास निर्माण कराया जाना था? यदि हाँ, तो उक्त योजना के माध्यम से कितने बैगा परिवार के लोगों को आवास स्वीकृत किया गया और किस वित्तीय वर्ष में स्वीकृति दी गई थी? (ख) प्रत्येक आवास के लिये कितनी राशि स्वीकृत की गई थी तथा कितने लोगों को आवास दिये गये थे? नाम, पता सहित हितग्राहियों का नाम बतावें? क्या सभी आवास पूर्ण कर दिये गये हैं? (ग) उक्त आवासीय कालोनी में और कौन-कौन सी मूल-भूत सुविधाओं का निर्माण किया जाना था ? सभी निर्माण कार्य के लिये कुल कितनी राशि मिली थी, वर्षवार जानकारी देगा? उक्त कार्य की निर्माण एजेंसी कौन थी? क्या आवास निर्माण के बाद सभी हितग्राहियों ने अपने मकान में रहना प्रारंभ कर दिया है और नहीं रह रहे हैं तो इसके क्या कारण हैं? (घ) क्या आवास निर्माण का कार्य घटिया एवं गुणवत्ताहीन होने के कारण कोई भी हितग्राही आवास में रहना पसंद नहीं कर रहे है? ऐसी लापरवाह निर्माण एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही करते हुये क्या राशि वसूली की कार्यवाही नहीं की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
अंशकालीन चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों के संबंध में
[जनजातीय कार्य]
95. ( क्र. 2580 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित आश्रमों में अंशकालीन कलेक्टर दर पर कार्यरत कर्मचारियों के माध्यम से कार्य संपादित कराये जाते थे, किंतु इस सत्र में सभी अंशकालीन कलेक्टर रेट कर्मचारियों को हटा दिये जाने के क्या कारण हैं? (ख) क्या पुन: अंशकालीन/कलेक्टर दर पर कर्मचारियों की नियुक्ति की जाकर कार्य संपादित कराये जायेंगे और अगर नहीं रखेंगे तो छात्रावास आश्रमों की साफ-सफाई तथा अन्य चतुर्थ वर्ग के काम किस तरह से संपादित किये जायेंगे? (ग) अंशकालीन कलेक्टर दर पर नियुक्त कर्मचारियों को कितना पारिश्रामिक प्रत्येक माह में दिया जाता है और कौन- कौन से कार्य इनसे कराये जाते हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। अंशकालीन/कलेक्टर दर पर नियुक्त कर्मचारियों को सरपंच द्वारा नियम विरूद्ध नियुक्त करने के कारण हटाया गया। (ख) जी हाँ। नवीन अंशकालीन नियुक्ति होने तक वैकल्पिक व्यवस्था से छात्रावास/आश्रमों में साफ-सफाई के कार्य सम्पादित कराये जा रहे हैं। (ग) अंशकालीन कलेक्टर दर पर कार्यरत कर्मचारियों को शासन द्वारा समय-समय पर निर्धारित दर अनुसार प्रत्येक माह पारिश्रमिक दिया जाता है। अंशकालीन कर्मचारियों से आश्रमों में भोजन बनाने, पानी की व्यवस्था, चौकीदारी, साफ-सफाई एवं आश्रमों से संबधित आवश्यक कार्य कराये जाते हैं।
पेंशन अंशदान खाते से राशि का आहरण
[वित्त]
96. ( क्र. 2591 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 1955 दिनांक 25.07.17 के उत्तर में माननीय मंत्री जी द्वारा मध्यप्रदेश में दिनांक 01.01.2005 के बाद नियुक्त शासकीय कर्मचारियों को पेंशन अंशदान खाते से राशि के आहरण हेतु केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की भांति नियम एवं निर्देश जारी किए जाने की सदन में घोषणा की गई थी? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक उक्त घोषणा के क्रम में विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गयी है? क्या इस हेतु कोई नियम, निर्देश जारी किए गए है? यदि हाँ, तो विवरण दें, यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के सदंर्भ में अंशदान खाते से राशि के आहरण हेतु स्पष्ट नियम, निर्देश कब तक जारी कर दिए जायेगें?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी, हाँ। (ख) मंत्रि-परिषद् से आदेश प्राप्त करने की कार्यवाही प्रचलित है। (ग) मंत्रि-परिषद् निर्णय अनुसार नियम/निर्देश यथासमय प्रसारित किये जावेगें।
लिपिक
संवर्ग के
वेतनमान के
सबंध में
[सामान्य प्रशासन]
97. ( क्र. 2594 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न विभागों में कार्यरत लिपकीय कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा क्या कोई निर्णय पारित किया गया है? यदि हाँ, तो निर्णय की स्वच्छ प्रति उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में पारित निर्णय के क्रम में राज्य शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई? क्या लिपिकों की वेतन विसंगति के निराकरण हेतु शासन द्वारा कोई समिति गठित की गई थी? यदि हाँ, तो उक्त समिति द्वारा शासन को सौंपी गई रिपोर्ट की स्वच्छ प्रति उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में लिपिकों के पदनामवार वर्तमान में दिए जा रहे वेतनमान की सूची उपलब्ध करावें? लिपिक वर्गीय कर्मचारियों द्वारा किस वेतनमान की मांग की जा रही है? उनके द्वारा किन-किन पदों हेतु किस-किस वेतनमान की मांग की जा रही है? सूची उपलब्ध करावें? (घ) वर्ष 1986 के चौधरी वेतनमान, वोरा वेतनमान तथा केन्द्रीय वेतनमान में सहायक ग्रेड 03 (पूर्व पदनाम निम्न श्रेणी लिपिक), सहायक शिक्षक तथा शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्रयोगशाला तकनीशियन पद नामवार वेतनमानों की सूची उपलब्ध करावें तथा लिपिकों हेतु वर्ष 1986 से प्रश्न दिनांक तक शासन द्वारा गठित विभिन्न समितियों द्वारा अनुशंसित वेतनमान की सूची उपलब्ध करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। दिनांक 12/07/2011 को पारित आदेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''एक'' अनुसार (ख) मान. न्यायालय निर्णय के विरूद्ध शासन द्वारा अपील प्रस्तुत की गई, जो विचाराधीन है। जी हाँ समिति का प्रतिवेदन पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''दो'' अनुसार (ग) जानकारी संकलित की जा रही है। शेषांश जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' पर है। (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
आंगनवाड़ी भवनों की उपलब्धता
[महिला एवं बाल विकास]
98. ( क्र. 2601 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रदेश में कुल कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं ? इनमें से कितने के भवन निर्मित हैं एवं कितने किराये के भवन में संचालित हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में सुसनेर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र के संबंध में पूर्ण विवरणात्मक जानकारी देवें? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रति वर्ष किराये के रूप में शासन की कितनी राशि का व्यय होता हैं? यदि भवन विहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों में भवन उपलब्ध कराये जावें तो कितना वित्तीय भार आवेगा? (घ) भवन विहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों में भवन उपलब्धता हेतु शासन की क्या योजना हैं? विधानसभा क्षेत्र के संबंध में सूची सहित कृपया पूर्ण जानकारी देवें? भवन स्वीकृति हेतु प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं यदि हाँ, तो कब तक स्वीकृति होगी? आंगनवाड़ी केन्द्रवार पूर्ण जानकारी देवें?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) प्रदेश में कुल 84,460 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है, इनमें से 60,892 के भवन निर्मित है (विभागीय एवं अन्य शासकीय) एवं 23,568 किराये के भवन में संचालित है। (ख) सुसनेर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत क्रमश: 02 परियोजनाओं सुसनेर-182 एवं नलखेड़ा-155, इस प्रकार कुल 337 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) प्रदेश में किराये पर संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिये किराये के रूप में प्रतिवर्ष राशि रूपये 5221.8 लाख (ग्रामीण/आदिवासी क्षेत्र में प्रति आंगनवाड़ी भवन किराया दर अधिकतम राशि रूपये 750/- प्रतिमाह एवं शहरी क्षेत्र में प्रति आंगनवाड़ी भवन किराया दर अधिकतम राशि रूपये 3000/-प्रतिमाह अनुरूप) का व्यय अनुमानित है। प्रदेश में किराये के भवनों में संचालित कुल 23,568 आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण हेतु वर्तमान में प्रचलित दर अनुरूप कुल राशि रूपये 183830.40 लाख (राशि रूपये 7.80 लाख प्रति भवन) का व्यय अनुमानित है। (घ) वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना के अभिसरण से तथा शहरी क्षेत्रों में राज्य आयोजना मद से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की योजना है। सूची सहित पूर्ण जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
परियोजनाओं के क्रियान्वन के लिये कर्मचारियों की व्यवस्था के संबंध में
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
99. ( क्र. 2602 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर एवं शाजापुर जिला अन्तर्गत कौन-कौन सी सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा परियोजनायें संचालित हैं? इनसे कितना विद्युत उत्पादन हो रहा हैं? परियोजनावार पूर्ण जानकारी देवें? (ख) परियोजनाओं के संचालन हेतु कर्मचारियों/मजदूरों की नियुक्ति या व्यवस्था हेतु कोई नियम एवं प्रक्रिया नियत है? यदि हाँ, तो क्या? (ग) सुसनेर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत संचालित परियोजनाओं हेतु किन-किन कर्मचारियों/मजदूरों की नियुक्ति की गई है? कृपया परियोजनावार सूची उपलब्ध करावें? (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित नियुक्ति/व्यवस्था हेतु प्रश्नांश (ख) अनुसार नियम एवं प्रक्रिया का पालन किया गया? यदि हाँ, तो तद्संबंधी दस्तावेजों की सत्यापित प्रति कृपया उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो क्या कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) परियोजनाएं विकासकों द्वारा स्थापित व संचालित की जाती है और कर्मचारियों/मजदूरों की नियुक्ति भी उनके द्वारा ही की जाती है। (ग) परियोजना हेतु विभाग द्वारा किसी कर्मचारी/मजदूर की नियुक्ति नहीं की गई है। (घ) प्रश्नांश- (ग) के उत्तर अनुसार प्रश्नांश लागू नहीं होता।
वन अंचलो में बिजली व्यवस्था
[ऊर्जा]
100. ( क्र. 2608 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र टिमरनी के वन अचलों क्षेत्रों में बिजली के तार व खम्बे खड़े हैं किन्तु पर्याप्त बिजली नहीं पहुंच पा रही है, कई जगह केवल खम्बे खड़े हैं तार लापता हैं क्या वन अंचलों की उक्त समस्या का निराकरण किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ख) विगत 5 वर्षों में टिमरनी विधान सभा क्षेत्र में वितरण केन्द्रवार कितनी यूनिट बिजली प्रदाय की गई वर्षवार/वितरण केन्द्रवार जानकारी दें। (ग) विभाग दवारा वनग्रामों में ग्रामीणों को बिजली कनेक्शन देने के नाम से राशन कार्ड दिए किन्तु आज दिनांक तक कनेक्शन न देकर काफी समय से न्यूनतम बिल दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो इसकी उच्च स्तरीय जाँच कराई जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? जाँच उपरात उक्त स्थिति सही पाई जाती है तो दोषी अधिकारी एवं कर्मचारियों पर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) टिमरनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम रातामाटी में सब स्टेशन स्वीकृत हुआ था? यदि हाँ, तो अब तक क्यों नहीं लग पाया? क्या सोडलपुर में 132 पावर ग्रिड स्वीकृत करेगें? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र टिमरनी के वनांचल क्षेत्रों में ग्राम रातामाटी, बीटिया, दीदम्दा एवं जूनापानी को छोड़कर अन्य सभी वन ग्रामों में सुचारू रूप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। ग्राम रातामाटी, बीटिया, दीदम्दा एवं जूनापानी की विद्युत लाईनें आँधी-तूफान में क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिनमें आवश्यक सुधार कार्य विभागीय स्तर पर करने हेतु म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा एस.टी.सी. संभाग होशंगाबाद को कार्यादेश जारी कर कार्य कराया जा रहा है एवं उक्त कार्य माह दिसम्बर-2017 तक पूर्ण होना संभावित है। कार्य पूर्ण होने के उपरांत इन ग्रामों को भी पुन: सुचारू रूप से विद्युत आपूर्ति आरंभ हो जायेगी। (ख) विगत 5 वर्षों में टिमरनी विधानसभा क्षेत्र में प्रदाय की गई विद्युत यूनिट की वितरण केन्द्रवार एवं वर्षवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार है। (ग) जी नहीं, अपितु प्रश्नाधीन क्षेत्र में वितरण कंपनी द्वारा प्रदान किये गये कनेक्शनों के विरूद्ध ही उपभोक्ताओं को नियमानुसार विद्युत बिल प्रदाय किये जा रहे हैं। वितरण कंपनी द्वारा उक्त संबंध में की गई जाँच में भी नियमानुसार बिल जारी करना पाया गया है। अत: किसी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) टिमरनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम रातामाटी में विद्युत उपकेन्द्र का कार्य स्वीकृत नहीं हुआ है एवं वर्तमान में उक्त क्षेत्र में विद्युत प्रदाय विद्यमान 33/11 के.व्ही. रहटगाँव उपकेन्द्र से निर्गमित 11 के.व्ही. बड़वानी फीडर से किया जा रहा है। वर्तमान में ग्राम सोडलपुर में 132 के.व्ही. उपकेन्द्र का कार्य प्रस्तावित नहीं है। सर्वे उपरांत तकनीकी रूप से साध्य पाये जाने पर ही उक्त 132 के.व्ही. उपकेन्द्र का कार्य स्वीकृत किया जा सकेगा, अत: इस हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
स्कूलों के उन्नयन के संबंध में जानकारी
[जनजातीय कार्य]
101. ( क्र. 2624 ) श्री संजय उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा प्रतिवर्ष प्राथमिक शाला से माध्यमिक शाला, माध्यमिक शाला से हाईस्कूल, हाईस्कूल से हायर सेकेण्डरी स्कूलों में उन्नयन किया जाता है? (ख) यदि हाँ, तो बैहर विधान सभा क्षेत्र में उन्नयन हेतु ऐसे कितने स्कूल हैं, जो जनसंख्या, दूरी, छात्र एवं छात्राओं की संख्या एवं समस्त मापदण्डों की पूर्ति करते हैं, का नाम एवं स्थान की जानकारी देवें? (ग) विभाग को विगत पॉच वर्षों में बैहर विधानसभा क्षेत्र के किन-किन स्कूलों का उन्नयन हेतु कितने प्रस्ताव सहायक आयुक्त कार्यालय बालाघाट से प्राप्त हुये हैं? उन पर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई बतावें? (घ) बैहर विधानसभा क्षेत्र में उन्नयन हेतु शासन को प्रस्तावित स्कूलों का शासन द्वारा कब तक उन्नयन किया जावेंगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। विभाग द्वारा केवल हाईस्कूल से उ.मा.वि. में उन्नयन किया जाता है। (ख) बैहर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत हाईस्कूल से उ.मा.वि. उन्नयन हेतु प्राप्त लंबित प्रस्तावों में मापदण्ड की पूर्ति करने वाला कोई प्रस्ताव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) उत्तरांश ''ख'' अनुसार।
बालाघाट जिले में संचालित शालाओं के संबंध में जानकारी
[जनजातीय कार्य]
102. ( क्र. 2625 ) श्री संजय उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में विभागीय शालायें शासकीय प्राथमिक शाला (कन्या/बालक), शासकीय माध्यमिक शाला (कन्या/बालक), शासकीय हाईस्कूल (कन्या/बालक) शासकीय हायर सेकेण्डरी (कन्या/बालक), छात्रवास एवं आश्रम शालाऐं कहाँ-कहाँ संचालित हैं? (ख) शालाओं/छात्रावासों एवं आश्रमों में भृत्य, चौकीदार, रसोईया, सफाईकर्मी के कितने-कितने पद स्वीकृत हैं? कौन-कौन कर्मचारी कब से कार्यरत है? (ग) अशंकालीन भृत्य/सफाई कर्मी की भर्ती हेतु क्या नियम/निर्देश हैं? अशंकालीन कर्मचारियों को कार्य पर रखने का अधिकार किसे है और किस पद के विरूद्ध है जानकारी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
जनसुनवाई/सी.एम. हेल्पलाईन में प्राप्त झूठी शिकायत
[सामान्य प्रशासन]
103. ( क्र. 2628 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले के अंतर्गत वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक जनसुनवाई एवं सी.एम.हेल्पलाईन में कितने आवेदन पत्र/शिकायत प्राप्त/दर्ज हुई है? विधानसभा क्षेत्रवार, वर्षवार, पंचायत विभाग की जानकारी उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) जिले के अंतर्गत वर्णित अवधि तक जनसुनवाई एवं सी.एम.हेल्पलाईन के आवेदन पत्रों की जाँच उपरांत दोषी पाए गये, कितने अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की गई? यदि दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की गई, तो इसका क्या कारण है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित शिकायतों में आधे से अधिक शिकायतें निराधार व झूठी पायी जा रही हैं? जिससे शासकीय अमले का समय व्यर्थ में जा रहा है? यदि हाँ, तो शासन झूठी शिकायतकर्ता के विरूद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही करने पर विचार कर रहा है? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री
( श्री शिवराज
सिंह चौहान ) : (क) सिवनी
जिले के
अंतर्गत वर्ष 2014 से
प्रश्न
दिनांक तक
जनसुनवाई में 3910 एवं सी.एम.
हेल्पलाईन
में 17157
आवेदन
पत्र/शिकायत
पत्र दर्ज हुई
है। विधानसभा
क्षेत्रवार
जानकारी
संकलित नहीं की
जाती है। विकासखण्डवार
वर्षवार, पंचायत
विभाग की
जानकारी
संलग्न परिशिष्ट
पर है। (ख) प्रश्नांश
(क) के
अंतर्गत
वर्णित अवधि
तक जन सुनवाई
एवं सी.एम.
हेल्पलाईन
के प्राप्त
आवेदन पत्रों
की जाँच में 22
अधिकारी/कर्मचारी
दोषी पाए गए
तथा इतने ही
अधिकारियों/कर्मचारियों
के विरूद्ध
कार्यवाही की
गई। शेषांश
प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता। (ग) प्रश्नांश
(क) में
वर्णित
शिकायतों के
संबंध में यह
नहीं कहा जा
सकता है कि
आधे से अधिक
शिकायतें
निराधार व
झूठी पायी जा
रही है। शेषांश
प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता।
परिशिष्ट
- ''बहत्तर''
विद्युत बिलों की राशि में अनियमितता
[ऊर्जा]
104. ( क्र. 2629 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले की सिवनी विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 01.04. 2016 से प्रश्न दिनांक तक कितने बिलों में अनियमितता को लेकर शिकायत संबंधित विद्युत वितरण केन्द्र में की गई? इनमें कितनी शिकायतों का निराकरण किया गया? संशोधन कितने बिलों में किया गया? (ख) क्या सिवनी जिले में विद्युत कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को जानबूझकर मीटर खपत एवं आंकलित खपत की रीडिंग समान देकर दुगनी राशि वसूली जा रही है, जिसकी संख्या हजारों में है? इस तरह की कितनी शिकायतें उक्त अवधि में विभाग को मिली तथा कितने बिलों में मीटर खपत एवं आंकलित खपत के बिलों में संशोधन कर बिलों को आधा किया गया? (ग) प्रश्नांश (क) संदर्भित जिन उपभोक्ताओं की मीटर खपत एवं आंकलित खपत दोनों समान बताकर दुगना दिया गया है तथा इन उपभोक्ताओं ने दुगनी राशि भर दी है, क्या इनकी राशि अगले बिल में समायोजित कर ली जायेगी? क्या उक्त अनियमितता की जाँच के लिए कोई कमेटी बनाई गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सिवनी जिले की सिवनी विधानसभा क्षेत्र में दिनांक 01.04.2016 से प्रश्न दिनांक तक बिलों में त्रुटि से संबंधित 277 शिकायतें संबंधित वितरण केन्द्रों में प्राप्त हुई तथा उक्त सभी 277 शिकायतों की जाँच कर निराकरण किया गया। उक्त प्राप्त शिकायतों में से 205 प्रकरणों में आवश्यक पाये जाने पर बिलों में संशोधन किया गया। (ख) जी नहीं। मीटरयुक्त उपभोक्ताओं को मीटर में दर्ज खपत के अनुसार ही बिल दिये जा रहे हैं एवं मीटर बंद/खराब होने की स्थिति में म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 8.35 में निहित प्रावधानों के अनुसार औसत खपत के बिल जारी किये जा रहे हैं। बिल संबंधी शिकायतें प्राप्त होने पर जाँच की जा कर, जाँच में पाई गई स्थिति अनुसार बिल में संशोधन किया जाता है, न की बिल आधा किया जाता है। उक्त अवधि में सिवनी जिले में मीटर खपत एवं आंकलित खपत समान दिये जाने संबंधी कुल 04 शिकायतें पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालय में प्राप्त हुई। उक्त शिकायतों की जाँच में मीटर खपत एवं आंकलित खपत समान नहीं पाई गई तथा जाँचोपरांत बिल की त्रुटिपूर्ण राशि का समायोजन कर दिया गया है। (ग) मीटर खपत एवं आंकलित खपत दोनों समान बताकर दुगनी राशि के बिल नहीं दिये गये हैं। बिलों में त्रुटि संबंधी किसी भी प्रकार की शिकायत प्राप्त होने पर जाँच की जा कर आवश्यक होने पर बिलों की राशि में संशोधन कर पुनरीक्षित बिल जारी किया जाता है एवं यदि उपभोक्ता द्वारा अधिक राशि का भुगतान कर दिया गया हो तो उस राशि का समायोजन किया जाता है। पाई गई अनियमितताओं की जाँच के लिये संबंधित वितरण केन्द्र प्रभारी अधिकृत हैं।
पुलिस अधीक्षक, जिला दमोह द्वारा भेजे गए पत्र पर कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
105. ( क्र. 2637 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यालय पुलिस अधीक्षक, जिला दमोह के पत्र क्र. पु.अ./दमोह/शिका/डाक/53,522/17 दिनांक 29-08-17 जो कि सचिव, राज्य स्तरीय अनुसूचित जनजाति छानबीन समिति म.प्र. भोपाल को लिखा गया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त पत्र के साथ संलग्न शिकायती पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं में विभाग द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गयी? यदि नहीं, तो कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। प्रकरण राज्य स्तरीय छानबीन समिति के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत किये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
राष्ट्रीय कृषक अनुदान योजना
[ऊर्जा]
106. ( क्र. 2646 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन की विषयांकित योजना में जिन कृषकों ने राशि जमा करा दी है किंतु विद्युत कम्पनियों द्वारा उन्हें विद्युत प्रदाय की व्यवस्था नहीं की गयी है, ऐसे कृषकों से अलग से T.C. की राशि न लेने हेतु निर्णय लिया गया है? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति उपलब्ध कराएं? (ख) क्या यह निर्णय आदेश दिनांक के बाद ही लागू होगा? क्या शासन आदेश में पूर्व में ऐसे कृषकों द्वारा जो T.C. की राशि जमा कर दी गयी है, ऐसे समस्त कृषकों के आगामी विद्यत बिलों में राशि के समायोजन पर विचार करेंगा, क्योंकि विषयांकित योजना में राशि जमा करने के बाद विद्युत उपलब्ध कराना विद्युत कंपनी की जिम्मेदारी है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विषयान्तर्गत उल्लेखित राष्ट्रीय कृषक अनुदान योजना नहीं अपितु मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के अंतर्गत जिन कृषकों ने अंश राशि जमा करा दी है, किन्तु वितरण कंपनी द्वारा उन्हें स्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु अधोसंरचना निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं किया गया है, ऐसे कृषकों से अलग से अस्थाई संयोजन की राशि नहीं लेने हेतु राज्य शासन के पत्र दिनांक 21.09.2017 एवं 28.10.2017 से आदेश प्रसारित कर दिये गये हैं। उक्त आदेशों की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। राज्य शासन के उत्तरांश (क) में उल्लेखित पत्र दिनांक 28.10.2017 द्वारा वितरण कंपनियों को जारी किये गये मार्गदर्शन के अनुसार ऐसे आवेदक, जिनके द्वारा ऊर्जा विभाग के पत्र दिनांक 21.09.2017 के जारी किये जाने के पूर्व मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना में निर्धारित अंश राशि वितरण कंपनी में जमा की जा चुकी है, परन्तु अधोसंरचना का कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण उन्हें स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन नहीं दिया गया है, ऐसे आवेदकों द्वारा अस्थाई कृषि पम्प कनेक्शन लेने पर योजना के प्रावधान के अनुसार स्थाई संयोजन के लिये लागू फ्लैट रेट बिलिंग की पात्रता होगी तथा उन्हें अलग से अस्थायी कनेक्शन की राशि देय नहीं होगी।
निर्माण कार्य में अनियमितता एवं कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
107. ( क्र. 2667 ) श्री मधु भगत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनजातीय कार्य विभाग जिला बालाघाट अन्तर्गत परियोजना प्रशासक एकीकृत जनजातीय कार्य विभाग बैहर तथा सहायक परियोजना प्रशासक एकीकृत जनजातीय कार्य विभाग बैहर अंतर्गत वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से कार्य कितनी-कितनी राशि के कब-कब करवाये गये? नियुक्त कार्य एजेन्सी के नाम सहित विकासखण्डवार एवं वर्षवार पूर्ण ब्यौरा देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कार्य में से कौन-कौन से कार्य पूर्ण हैं? कितने अपूर्ण हैं? उक्त कार्य में से किस-किस कार्य के लिये किस-किस कार्य एजेन्सी को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किस दिनांक का चैक/ड्राफ्ट क्रमांक एवं नगद राशि के रूप में किया गया वर्षवार, कार्यवार भुगतान की गई राशि का पूर्ण ब्यौरा देवें। (ग) परियोजना अन्तर्गत विभिन्न योजनाओं में वित्तीय वर्ष 2015-16 से वर्ष 2016-17 में विभाग को कितने आवेदन प्राप्त हुये? प्राप्त आवेदनों में कितने हितग्राहियों को राशि वितरित की गई? कितने हितग्राही को राशि प्रदाय नहीं की गई? कारण स्पष्ट करें। (घ) क्या विभाग में विगत एक वर्ष में शासन से विभिन्न मदों में आवंटित राशि कुछ कार्यों में खर्च कर बाकी राशि जिला कार्यालय द्वारा राज्य शासन को वापस कर दी गई है? यदि हाँ, तो क्यों? क्या विभाग अन्तर्गत अब कोई कार्य किया जाना शेष नहीं हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार। (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ताप विद्युत इकाइयों के उत्पादन में कमी
[ऊर्जा]
108. ( क्र. 2682 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड की सभी ताप विद्युत इकाइयों का वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक विद्युत उत्पादन गिर रहा है? इस वजह से म.प्र. का प्लांट यूटीलाईजेशन फैक्टर कम हो गया है? यदि हाँ, तो वित्त वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक वर्षवार, माहवार, सभी ताप विद्युत गृहों का इकाईवार विद्युत उत्पादन मिलियम यूनिट में बतलावें। साथ ही वर्षवार पी.यू.एस. बतलावें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार इस समय विद्युत उत्पादन गिरने के क्या कारण है? इसे किस प्रकार से कब तक सुधार कर ताप विद्युत इकाइयों की उत्पादन क्षमता अनुसार विद्युत उत्पादन किया जावेगा? (ग) वर्तमान समय में प्रदेश में कोयले की कमी के कारण कितनी ताप विद्युत इकाइयों को बंद किया गया है अथवा कम भार पर चलाया जा रहा है वर्तमान समय में मध्यप्रदेश की ताप विद्युत उत्पादन क्षमता कितनी मेगावाट है एवं उसके विरूद्ध प्रतिदिन कितने मेगावाट औसत उत्पादन हो रहा है? (घ) राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार से कम कोयला प्रदान करने के संबंध में कब-कब क्या-क्या पत्राचार किया गया तथा कोयले की कमी दूर करने हेतु राज्य सरकार द्वारा कब-कब क्या-क्या कदम उठाये गये तथा इससे कितना सुधार हुआ?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। वर्ष 2015-16 से 2017-18 में (माह अक्टूबर 17 तक) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड की सभी ताप विद्युत इकाइयों के उत्पादन में नहीं, अपितु कुछ इकाइयों का उत्पादन एवं कुल विद्युत उत्पादन में कमी हुई है। जी हाँ, इस कारण म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड का प्लांट यूटीलाईजेशन फैक्टर कम हुआ है। म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों का वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 में (माह अक्टूबर 17 तक) वर्षवार, माहवार एवं इकाईवार विद्युत उत्पादन (मिलियन इकाई में) संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। उक्त अवधि के वर्षवार पी.यू.एफ. का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ख) ''उत्तरांश क'' की अवधि में विद्युत उत्पादन में कमी का मुख्य कारण प्रदेश में मांग से अधिक विद्युत उपलब्धता के कारण म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की कुछ ताप विद्युत इकाइयों को आरक्षित रूप से बन्द रखा जाना या आंशिक भार पर चलाया जाना है। वर्ष 2017-18 में गत माहों में कोयला कंपनियों द्वारा आवश्यकता अनुरूप कोयला प्रदाय नहीं करने से कुछ ताप विद्युत इकाइयों को बंद रखा गया या आंशिक भार पर चलाया गया। विद्युत इकाइयों से विद्युत प्रणाली में मांग के अनुरूप उत्पादन किया जाता है, तद्नुसार विद्युत की मांग होने पर एवं कोयले की समुचित उपलब्धता होने पर, आवश्यकतानुसार विद्युत उत्पादन किया जा सकेगा। (ग) दिनांक 15.11.2017 की स्थिति में, कोयले की कमी के कारण म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी की इकाई क्रमांक 6 एवं 7 बंद है तथा संजय गांधी ताप विद्युत गृह, सतपुड़ा ताप विद्युत गृह एवं श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की इकाइयों को कम भार पर चलाया जा रहा है। वर्तमान में राज्य स्वामित्व की म.प्र.पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की ताप विद्युत उत्पादन क्षमता 4080 मेगावाट है, जिसके विरूद्ध दिनांक 1 नवम्बर 2017 से 15 नवम्बर 2017 तक प्रतिदिन उत्पादित औसत मेगावाट का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (घ) राज्य शासन द्वारा केन्द्र सरकार को म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप विद्युत गृहों के लिए कोयले के प्रदाय में वृद्धि करने हेतु कोयला कंपनियों को निर्देश देने हेतु पत्र दिनांक 24.05.2017, 04.07.2017, 29.08.2017, 04.09.2017 एवं 03.10.2017 द्वारा अनुरोध किया गया। इससे कोयले की आपूर्ति में कुछ सुधार परिलक्षित हुआ है।
नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों के संबंध में
[महिला एवं बाल विकास]
109. ( क्र. 2683 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वित्त वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक पाटन विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कहाँ-कहाँ पर नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोले गये तथा कितनी नवीन आंगनवाड़ी भवनों का कितनी राशि से निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया? विकास खण्डवार वर्षवार सूची देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों में से किन-किन भवनों का निर्माण प्रश्न दिनांक तक पूर्ण हो चुका है तथा कौन-कौन से भवनों का निर्माण किन कारणों से अपूर्ण है? (ग) वित्त वर्ष 2017-18 में स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों की निर्माण राशि प्रश्न दिनांक तक निर्माण एजेंसियों को प्रदान न किये जाने के क्या कारण हैं? निर्माण राशि किस प्रकार से कब तक प्रदान कर दी जावेगी? (घ) पाटन विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के संबंध में कब-कब किस-किस के द्वारा कौन-कौन सी शिकायतें शासन स्तर पर प्रेषित की तथा इन शिकायतों पर कब किसके द्वारा क्या कार्यवाही की गई? महिला बाल विकास विभाग कार्यालय मझौली एवं पाटन में कौन-कौन से अधिकारी/कर्मचारी के पद स्वीकृत हैं? स्वीकृत पद अनुरूप कौन-कौन कब से पदस्थ हैं तथा इन पदस्थ कर्मचारी/अधिकारियों के विरूद्ध कब-कब किस-किस के द्वारा कौन-कौन सी शिकायतें शासन स्तर पर प्रेषित की गई हैं तथा उन पर कब क्या कार्यवाही की गई?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) वित्तीय वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक पाटन विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत खोले गये नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों एवं मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। वित्तीय वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-18 तक स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों की स्वीकृत राशि एवं निर्माण कार्य की विकासखण्डवार, वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों में से 60 भवनों का कार्य पूर्ण हो चुका है। शेष 88 भवनों का अपूर्ण कार्य विभिन्न स्तरों पर प्रचलित/लंबित है। जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार है। (ग) प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना में वर्तमान वित्तीय व्यवस्था की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के मध्य वित्तीय व्यवस्था सबंधी कार्यवाही विचाराधीन होने के कारण राशि प्रश्न दिनांक तक निर्माण एजेंसियों को प्रदान नही की जा सकी है। समय सीमा दी जाना संभव नही है। (घ) पाटन विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के संबंध में कोई भी शिकायत जिले द्वारा शासन स्तर पर प्रेषित नही की गई है। महिला एवं बाल विकास कार्यालय मझौली एवं पाटन में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी के स्वीकृत पद अनुरूप जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ई' अनुसार है। मझौली एवं पाटन मे पदस्थ अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कोई भी शिकायत शासन स्तर पर प्राप्त नहीं हुई है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नही होता है।
24 घण्टे विद्युत सप्लाई
[ऊर्जा]
110. ( क्र. 2700 ) श्री योगेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ऊर्जा विभाग के 132 के.व्ही. के दो सब स्टेशनों उदयपुरा एवं सिलवानी जिला रायसेन का निर्माण कार्य कब प्रारंभ हुआ था? अभी तक दोनों सब स्टेशनों का क्या-क्या कार्य पूर्ण हुआ है और क्या-क्या कार्य शेष है? शेष कार्य कब तक पूर्ण हो जाएगा? उपरोक्त दोनों 132 के.व्ही. सब स्टेशनों से क्षेत्र की जनता एवं किसानों का कितने समय में बिजली उपलब्ध होने लगेगी? (ख) मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा वर्तमान में उदयपुरा एवं सिलवानी क्षेत्र में विद्युत सप्लाई पुरानी एवं जीर्ण-शीर्ण लाईनों द्वारा की जा रही है, जिससे बार-बार विद्युत सप्लाईन में बाधा आती है? क्या कंपनी दोनों क्षेत्रों में नई विद्युत लाईन 132 के.व्ही. सब स्टेशनों से 11 के.व्ही. सब स्टेशनों तक डालेगी? (ग) क्या ग्राम पड़रियाखुर्द बिजली सब स्टेशन, कीरतपुर, तह. सिलवानी, जिला रायसेन (म.प्र.), मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा अटल ज्योति योजना के अंतर्गत 24 घंटे बिजली सप्लाई की जा रही है या नहीं? यदि नहीं, की जा रही है तो क्यों नहीं की जा रही है अथवा कब तक उपरोक्त ग्राम में अटल ज्योति योजना के अंतर्गत बिजली सप्लाई की जाएगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) रायसेन जिले के अंतर्गत उदयपुरा एवं सिलवानी 132 के.व्ही. उपकेन्द्रों का निर्माण फरवरी 2015 में प्रारंभ हुआ था। इन दोनों उपकेन्द्रों में अभी तक पूर्ण किये गये कार्यों तथा अपूर्ण कार्यों का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उदयपुरा उपकेन्द्र का शेष कार्य अक्टूबर 2018 तक तथा सिलवानी उपकेन्द्र का शेष कार्य सितम्बर 2019 तक पूर्ण किया जाना संभावित है। तदुपरांत दोनों उपकेन्द्रों को ऊर्जीकृत किया जायेगा, जिससे इन उपकेन्द्रों के माध्यम से संबंधित क्षेत्र में बिजली उपलब्ध होगी। (ख) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा उदयुपरा एवं सिलवानी क्षेत्र में स्थापित 33 के.व्ही. एवं 11 के.व्ही. अधोसंरचना के माध्यम से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। इस अधोसंरचना का नियमित रूप से रख-रखाव किया जाता है, जिससे विद्युत प्रदाय सुचारू रूप से उपलब्ध हो सके। 132 के.व्ही. उपकेन्द्र से 11 के.व्ही. का फीडर नहीं डाला जाता है। इन निर्माणाधीन उपकेन्द्रों से उदयपुरा एवं देवरी क्षेत्र के लिए नवीन 33 के.व्ही. लाईन जोड़ी जायेगी, जिससे क्षेत्र में विद्युत प्रदाय की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होगी। (ग) 33/11 के.व्ही. कीरतपुर उपकेन्द्र से निर्गमित 11 के.व्ही. पडरिया फीडर से पडरिया खुर्द गांव को विद्युत प्रदाय किया जाता है। आकस्मिक रूप से तकनीकी कारणों आदि से हुए विद्युत व्यवधान तथा अतिआवश्यक रख-रखाव के कार्य हेतु शटडाउन जैसी अपरिहार्य स्थिति को छोड़कर इस फीडर पर 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है।
विद्युतविहीन ग्रामीण मजरा टोला, मोहल्ले में विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
111. ( क्र. 2713 ) श्री सुदेश राय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सीहोर के अंतर्गत वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक ग्रामीण अंचल अंतर्गत किन-किन विद्युत विहीन ग्रामों के मजरा टोला में विद्युतीकरण का कार्य किस-किस योजना से कराये गये हैं? स्थल सहित योजना का नाम तथा उस पर व्यय की गई राशि तथा उससे लाभांवित ग्रामीण की संख्या का विवरण पृथक-पृथक बतावें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में किन-किन स्थानों पर कार्य पूर्ण हो गया है तथा किन-किन स्थानों पर कार्य अपूर्ण है? यदि अपूर्ण है तो कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? पूर्ण/अपूर्ण कार्यों की पृथक-पृथक जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र सीहोर के ग्रामीण क्षेत्र के अन्तर्गत वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत 4 ग्रामों के 4 मजरों/टोलों एवं फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत 5 ग्रामों के 6 मजरों/टोलों में विद्युतीकरण का कार्य करवाया गया है। उक्त विद्युतीकृत किये गये मजरों/टोलों के कार्य स्थल, योजना के नाम तथा विद्युतीकरण कार्य हेतु व्यय की गई राशि एवं उससे लाभान्वित ग्रामीणों की संख्या सहित विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के संदर्भ में कार्य पूर्णता वाले सभी दस मजरों/टोलों (स्थानों) का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं अपूर्ण विद्युतीकरण वाले मजरों/टोलों (स्थानों) का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। मजरों/टोलों के उक्त अपूर्ण कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित हैं, जिनके कार्य सहित सीहोर जिले हेतु स्वीकृत योजना का कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने के लिए दिनांक 18.05.2017 को ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स अग्रवाल पावर लिमिटेड, भोपाल को अवार्ड जारी किया गया है तथा उक्त ठेकेदार एजेन्सी से किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार प्रश्नाधीन कार्य सहित उक्त योजना का कार्य मई 2019 तक पूर्ण किया जाना है।
सूखाग्रस्त क्षेत्रों हेतु ऊर्जा विभाग की योजनाएं
[ऊर्जा]
112. ( क्र. 2760 ) श्रीमती शकुन्तला खटीक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्र के कृषकों के हितार्थ ऊर्जा विभाग का भी योगदान रहेगा? यदि हाँ, तो इस हेतु क्या नीति निर्मित है? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत अभी तक विधान सभा क्षेत्र 23 करैरा जिला शिवपुरी में ऊर्जा विभाग द्वारा सूखाग्रस्त नियमों के तहत कृषकों के क्या-क्या योजना दी गई अथवा दी जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। प्रदेश में सूखे की स्थिति के दृष्टिगत कृषकों को 2 माह तक की अवधि के लिये सिंचाई हेतु अस्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन उपलब्ध कराए जाने के लिये वर्तमान में लागू 3 माह की अग्रिम राशि जमा करने की बाध्यता को शिथिल करते हुए वर्ष 2017-18 में 2 माह की अग्रिम राशि जमा कराए जाने के निर्देश राज्य शासन द्वारा दिनांक 03.11.2017 को जारी किये गये हैं। (ख) विधानसभा क्षेत्र करैरा, जिला शिवपुरी सहित संपूर्ण प्रदेश में राज्य शासन के उक्त निर्देशों/योजना का लाभ कृषकों को मिल रहा है।
विद्युतीकरण एवं फीडर सेपरेशन के कार्य
[ऊर्जा]
113. ( क्र. 2761 ) श्रीमती शकुन्तला खटीक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र 23 करैरा में कितने विद्युत कार्य जैसे फीडर सेपरेशन, विद्युतीकरण आदि स्वीकृत है, की जानकारी स्वीकृति दिनांक सहित दी जावे। (ख) क्या उपरोक्त कार्य विभागीय स्तर अथवा ठेकेदारी प्रथा से कराये जा रहे हैं, की जानकारी अलग-अलग दी जावे? (ग) उपरोक्त कार्यों में से कितने कार्य पूर्ण, कितने कार्य अपूर्ण हैं व अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण करा दिये जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रश्नाधीन क्षेत्र में 4 विद्युत योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न विद्युतीकरण के कार्य स्वीकृत है, जिनकी स्वीकृति की दिनांक सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) उपरोक्त कार्य निविदा प्रक्रिया उपरांत चयनित टर्न-की ठेकेदार एजेन्सियों के माध्यम से कराये जा रहे है, जिसकी योजनावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन कार्यों में से पूर्ण/अपूर्ण कार्यों की कार्य पूर्णता की संभावित तिथि सहित योजनावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र ''ब'', ''स'', ''द'' एवं ''ई'' अनुसार है।
छात्र-छात्राओं की मैपिंग के संबंध में
[जनजातीय कार्य]
114. ( क्र. 2771 ) श्री पंडित सिंह धुर्वे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मण्डला जिले की शासकीय स्कूल कक्षा 1 से 8 तक की स्कूल में छात्र-छात्राओं की मैपिंग का कार्य आज तक नहीं हो पाया है जिससे सरकार की महत्वपूर्ण योजना छात्रवृत्ति एवं अन्य योजनाओं से छात्र-छात्रायें वंचित हैं? (ख) मैपिंग का कार्य कब तक पूर्ण किया जाना था? यदि समय-सीमा में कार्य नहीं किया गया हैं, तो क्यों? (ग) क्या मैपिंग का कार्य करने में संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों के द्वारा घोर लापरवाही की गई है? यदि हाँ, तो संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। राज्य शिक्षा केन्द्र से प्राप्त जानकारी अनुसार मण्डला जिले में कक्षा 1 से 8 तक की प्राथमिक तथा माध्यमिक शालाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की मैपिंग का कार्य वर्तमान तक 96.12 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। (ख) एवं (ग) मैपिंग का कार्य नवीन शिक्षण सत्र में 30 सितम्बर तक पूर्ण किया जाना था, परन्तु ग्राम पंचायतों से समग्र आई.डी. प्राप्त न होने से मैपिंग कार्य शत-प्रतिशत नहीं हो सका है। ग्राम पंचायतों से समग्र आई.डी. प्राप्त होते ही मैपिंग का कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
स्वीकृत पद, रिक्त पद एवं भरे हुए पदों की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
115. ( क्र. 2786 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. में सामान्य प्रशासन विभाग में वर्ग एक, वर्ग दो, वर्ग तीन एवं वर्ग चार के कितने पद स्वीकृत हैं, कितने पद भरे हैं, कितने पद रिक्त हैं? क्यों रिक्त हैं, कब तक भरे जायेंगे? (ख) आरक्षण रोस्टर अनुसार पदवार श्रेणीवार जानकारी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'', ''ब'', ''स'' अनुसार है।
स्वीकृत/रिक्त पद
[जनजातीय कार्य]
116. ( क्र. 2787 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनजाति कार्य विभाग में कौन-कौन से पद किस-किस श्रेणी के स्वीकृत हैं, स्वीकृत पदों में कौन-कौन से पद भरे हैं, कौन-कौन से क्यों रिक्त हैं? रिक्त पर कब तक भरे जायेंगे? (ख) आरक्षण रोस्टर अनुसार श्रेणीवार सभी पदों की जानकारी देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय का पालन
[सामान्य प्रशासन]
117. ( क्र. 2798 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली द्वारा सिविल अपील क्रमांक 313/2013 दिनांक 26 अक्टूबर 2016 द्वारा देश भर के अस्थाई कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिये समान कार्य के लिये समान वेतन दिये जाने का आदेश दिया गया था? यदि हाँ, तो क्या माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन किया जा चुका है? यदि नहीं, तो क्यों और कब तक किया जावेगा? उक्त संबंध में क्या-क्या निर्देश प्रसारित किये गये हैं? निर्देशों की प्रति सहित विवरण दें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में राज्य शासन द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के आदेशों की अवहेलना करने के लिये कौन दोषी है? उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा पुलिस महानिरीक्षक (होमगार्ड) को प्रेषित पत्र क्रमांक 482 दिनांक 05.07.2017 में क्या कार्यवाही गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) सिविल अपील क्रमांक 213/2013 दिनांक 26 अक्टूबर, 2016 में आदेश दिया गया था। नियमित कर्मचारी एवं दैनिक वेतन भोगियों की सेवा शर्तें पृथक-पृथक होने से वेतन व अन्य सुविधाएं भिन्न-भिन्न होती हैं। शेषांश कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
बहोरी बंद विधानसभा में पानी की उपलब्धता
[नर्मदा घाटी विकास]
118. ( क्र. 2799 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बहोरीबंद विधानसभा क्षेत्र के पठार क्षेत्र बहोरीबंद एवं रीठी में पेयजल, सिंचाई सुविधाओं का अभाव है? प्रतिवर्ष ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है? अधिकांश ग्रामों में पेयजल का परिवहन होता है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार पेयजल संकट एवं प्रतिवर्ष सूखे की चपेट में आ रहे किसानों की स्थिति को देखते हुए बहोरीबंद क्षेत्र में शासन कब तक पानी की व्यवस्था करेगा? (ग) बरगी व्यपवर्तन परियोजना दायीं तट नहर के पानी को पठार क्षेत्र बहोरीबंद एवं रीठी में पहुंचाये जाने हेतु शासन स्तर पर कोई योजना बनाई जा रही है? यदि बरगी व्यपवर्तन परियोजना दायीं तट मुख्य नहर के किमी. 104 से 129 तक कैरियल कैनाल से पानी निकाला जा सकता है तो क्या पूर्ण प्रवाह जल स्तर से 28 मीटर ऊँचाई पर पानी बैराज या अन्य संयंत्रों के माध्यम से नहीं पहुंचाया जा सकता है? (घ) प्रश्नकर्ता सदस्य के पत्र क्रमांक 86 दिनांक 24.04.2017 एवं पत्र क्रमांक 539 दिनांक 11.07.2017 के संदर्भ में प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? तिथिवार कार्यवाहीवार बताएं।
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, कटनी से प्राप्त जानकारी के अनुसार पठार क्षेत्र बहोरीबंद एवं रीठी में पेयजल सुविधाओं का आंशिक अभाव है। कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग, कटनी से प्राप्त जानकारी अनुसार पठार क्षेत्र बहोरीबंद एवं रीठी में सिंचाई सुविधाओं का अभाव नहीं है क्योंकि बहोरीबंद एवं रीठी विकासखण्ड में 50 निर्मित सिंचाई योजनायें हैं जिनसे खरीफ में 10434 हेक्टेयर व रबी में 6421 हेक्टेयर में सिंचाई प्रावधानित है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, बहोरीबंद एवं कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, कटनी से प्राप्त जानकारी अनुसार ग्रामीणों को ग्रीष्म ऋतु में पेयजल समस्या का सामना करना पड़ता है। ग्रीष्म कालीन समय में पठार क्षेत्र में पेयजल का परिवहन किया जाता है। (ख) कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, कटनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार आवश्यकतानुसार हेन्ड पंप एवं नल-जल योजनाएं क्रियान्वित की गई हैं एवं की जा रही हैं। कार्यपालन यंत्री, जल संभाग, कटनी से प्राप्त जानकारी अनुसार 12 नवीन सिंचाई योजनायें प्रस्तावित हैं जो भविष्य में निर्मित होंगी। (ग) जी नहीं। डी.पी.आर. में प्रावधान नहीं होने एवं अतिरिक्त पानी की उपलब्धता नहीं होने के कारण कोई योजना नहीं बनाई गई है। (घ) सदस्य (अभियांत्रिकी) नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के क्रमश: पत्र क्रमांक 2782/450/157/EE-10/17 दिनांक 22/11/2017 एवं पत्र क्रमांक 2564/555/254-B/EE-10/17, दिनांक 28/10/2017 द्वारा वस्तुस्थिति से माननीय विधायक को अवगत कराया जा चुका है।
योजनाओं, बजट विकास कार्य
[अनुसूचित जाति कल्याण]
119. ( क्र. 2814 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या केन्द्र/राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जाति कल्याण हेतु विभिन्न योजनाओं के साथ ही विकास कार्यों को भी किये जाने हेतु अनेक कार्य जाति बाहुल्य ग्राम पंचायत, बस्तियों में किये जा रहे हैं? (ख) यदि हाँ, तो वर्ष 2013-14 से लेकर प्रश्न दिनांक तक जावरा विधानसभा क्षेत्र में केन्द्र/राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन एवं मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति हेतु विकास कार्यों के लिये कितना बजट स्वीकृत हुआ? (ग) उपरोक्त वर्षों में स्वीकृत बजट के माध्यम से योजनाओं के क्रियान्वयन पर व्यय, आयोजनों पर व्यय, विकास कार्यों पर व्यय वर्षवार, कार्य एवं स्थानवार जानकारी प्रदान करें? (घ) यदि जाति बाहुल्य स्थानों पर स्वीकृति दी जाती है तो जिले में कुल कितनी ग्राम पंचायतें होकर कितनी जाति बाहुल्य पंचायतें हैं, बस्तियां है? साथ ही उन चिन्हित किये गये स्थानों पर किन अनुशंसाओं एवं किस माध्यम से स्वीकृति दी गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। (घ) अनुसूचित जाति बाहुल्य कुल 102 ग्राम/बस्ती/मंजरे/टोले हैं। चिन्हित किये गये स्थानों पर माननीय जनप्रतिनिधियों से प्राप्त प्रस्तावों की आवश्यकता का परीक्षण/सर्वे संबंधित जनपद पंचायत से कराये जाकर बस्ती विकास योजना में निहित प्रावधान अनुसार कार्यों की स्वीकृति जारी की गई है।
कुपोषण एवं बाल उपचार
[महिला एवं बाल विकास]
120. ( क्र. 2815 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शासन/विभाग विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बालकों के स्वास्थ्य एवं कुपोषण को समाप्त करने हेतु लगातार अनेक व्यवस्थाओं के माध्यम से उनकी देखभाल एवं उपचार हेतु निरंतर कार्यरत है? (ख) यदि हाँ, तो वर्ष 2013-14 से लेकर प्रश्न दिनांक तक जावरा नगर, पिपलौदा तहसील एवं जावरा तहसील में अति कम वजन समय पूर्व जन्म लेने वाले, गंभीर बीमारियों से ग्रस्त एवं कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य हेतु किस-किस प्रकार से किन-किन माध्यमों से क्या-क्या कर रहा है? बताएं। (ग) उपरोक्त वर्षों में जन्म लेने वाले बाल एवं बालिकाओं की जाँच परीक्षण उपचार एवं देखभाल हेतु किन-किन केन्द्रों एवं किन-किन व्यवस्थाओं द्वारा क्या-क्या किया गया? (घ) उपरोक्तानुसार कहाँ-कहाँ पर किस-किस प्रकार का उपचार किया गया, देखभाल की गई एवं देखभाल की जा रही है? केन्द्रवार एवं व्यवस्था अनुसार किये गये कार्यों की जानकारी एवं उस पर हुए व्यय की जानकारी अटल बाल हृदय उपचार इत्यादि सहित प्रदान करें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नावधि व प्रश्न में उल्लेखित क्षेत्रों के लिये अतिकम वजन, समय पूर्व जन्म लेने वाले, गंभीर बीमारियों एवं कुपोषण से ग्रस्त बच्चों के उपचार प्रबंध व्यवस्था हेतु सिविल अस्पताल जावरा में न्यू बोर्न स्टेबलाईजेशन यूनिट, पोषण पुनर्वास केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पिपलौदा में न्यू बोर्न केयर कार्नर व पोषण पुनर्वास केन्द्र तथा शेष प्रसव केन्द्रों पर न्यू बोर्न केयर कार्नर संचालित है। (ग) प्रश्न (ख) के उत्तर में उल्लेखित अनुसार। (घ) उपचार आदि प्रबंधन व्यवस्थाओं का उल्लेख प्रश्न (ख) के उत्तर में अंकित है। उपचार आदि की दी गई सेवाओं व व्यय की जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। अटल बाल हृदय उपचार योजना स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित नहीं की जाती है।
आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
121. ( क्र. 2826 ) श्री मुकेश नायक : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) पन्ना जिले के पवई विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत कुल कितनी और कौन-कौन सी आंगनवाड़ी संचालित हो रही हैं। प्रत्येक आंगनवाड़ी में कुल कितने-कितने शिशु दर्ज हैं। आंगनवाड़ीवार जानकारी उपलब्ध करावें ? (ख) पवई विधान सभा क्षेत्र में संचालित आंगनवाड़ी के लिये कितने भवन हैं एवं कितनी भवन विहीन हैं? ग्रामवार, आंगनवाड़ीवार एवं सूचीवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) क्या शासन की कोई ऐसी योजना है कि आगामी वित्तीय वर्ष में भवन विहीन आंगनवाडि़यों के भवन निर्मित हो सकें? क्षेत्रान्तर्गत ऐसे कितने भवनों के प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित हैं? कब तक स्वीकृत होंगे एवं कब-तक भवनों का निर्माण होगा? (घ) महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की जा रही हैं ? इन योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के क्या मापदण्ड हैं एवं आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से वितरित किये जाने वाले पोषण आहार की गुणवत्ता हेतु क्या कार्यवाही की जाती है? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) पन्ना जिले के पवई विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना पवई एवं एकीकृत बाल विकास परियोजना शाहनगर में 465 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं 81 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र सहित कुल 546 संचालित है। आंगनवाड़ीवार केन्द्र दर्ज बच्चों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) पवई विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कुल संचालित 546 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 516 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय/अन्य शासकीय भवनों में तथा 30 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित है। (ग) वित्तीय वर्ष 2017-18 में ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना के अभिसरण से तथा शहरी क्षेत्रों में राज्य आयोजना मद से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की योजना है। पवई विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जिले से 72 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण के प्रस्ताव प्राप्त हुऐ है जिनमें से 33 आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है एवं शेष 39 आंगनवाड़ी भवन निर्माण की स्वीकृति उपलब्ध बजट आवंटन की सीमा में ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना/राज्य आयोजना (शहरी क्षेत्र हेतु) अन्तर्गत दी जा सकेगी। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (घ) विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से संचालित योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। छः माह से छः वर्ष तक के बच्चें, गर्भवती/धात्री माताऐं हेतु टेक होम राशन (पोषण आहार) एम.पी.एग्रो के माध्यम से तथा 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चें एवं छः माह से छः वर्ष तक के बच्चें, गर्भवती/धात्री माताऐं (मंगल दिवस के दिन) हेतु सांझा चूल्हा के माध्यम से स्थानीय स्तर पर स्व-सहायता समूह द्वारा पोषण आहार का प्रदाय किया जाता है। एम.पी.एग्रो के माध्यम से प्रदाय किए जा रहे टेक होम राशन की गुणवत्ता की जाँच भारत सरकार महिला एवं बाल विकास खाद्य एवं पोषाहार बोर्ड नई दिल्ली की प्रयोगशाला से कराई जाती है। स्व-सहायता समूह द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्रदाय किए जा रहे नाश्ता/भोजन की गुणवत्ता एवं निगरानी हेतु ग्रामसभा स्वास्थ्य ग्राम तदर्थ समिति के द्वारा किए जाने एवं आंगनवाड़ी केन्द्र पर प्रतिदिन पंचनामा बनाने का प्रावधान है।
अनुविभागीय कार्यालय का स्थानांतरण
[जनजातीय कार्य]
122. ( क्र. 2835 ) श्री कमलेश शाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कारण है कि आदिवासी बाहुल्य जिला होने के बाद भी आदिवासी विकास विभाग के अनुविभागीय कार्यालय को ग्वालियर स्थानांतरित कर दिया गया? स्पष्ट करें। (ख) इस संबंध की पूरी नस्ती की प्रमाणित प्रति देवें। (ग) इसे कब तक पुन: छिंदवाड़ा में प्रारंभ किया जाएगा? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) आदिवासी वर्ग के हितों के साथ खिलवाड़ करने वाले इस कृत्य के जिम्मेदार अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित देकर बतावें कि उन पर कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
आयुर्वेदिक इंजीनियरिंग एवं चिकित्सा शिक्षा के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति
[अनुसूचित जाति कल्याण]
123. ( क्र. 2850 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना में वर्तमान में कितने आयुर्वेदिक, इंजीनियरिंग एवं चिकित्सा शिक्षा के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जा रही है? उनकी संकाय, नाम, पता सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (ख) वर्तमान में आयुर्वेदिक, इंजीनियरिंग, चिकित्सा शिक्षा के किस-किस वर्ष में कितने-कितने छात्र हैं? उनकी कितनी राशि छात्रवृत्ति के रूप में वर्ष में दी जा रही है? (ग) शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के अध्ययनरत् छात्रों को जिनके छात्रावास में आवास की व्यवस्था नहीं हो सकेगी? ऐसे छात्रों को निजी आवासों में किराये के कमरों का किराया दिया जावेगा? वर्तमान में कितने छात्रों को किराया दिया जा रहा है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जिला मुरैना अंतर्गत वर्तमान में आयुर्वेदिक, इंजीनियरिंग एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत वर्ष 2016-17 में 177 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जा रही है। छात्रों की संकाय, नाम, पता सहित पूर्ण जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। वर्ष 2017-18 की छात्रवृत्ति स्वीकृति की प्रक्रिया प्रचलन में है। (ख) जिला मुरैना अंतर्गत वर्तमान में आयुर्वेदिक, इंजीनियरिंग एवं चिकित्सा शिक्षा के शिक्षण वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। वर्ष 2016-17 में इंजीनियरिंग शिक्षा में 112 विद्यार्थियों को रू. 39,54,010 एवं चिकित्सा शिक्षा के अंतर्गत 65 विद्यार्थियों को रू. 28,98,530 की छात्रवृत्ति एवं फीस के रूप में दी गई है। (ग) जी हाँ। वर्ष 2016-17 में जिला मुरैना अंतर्गत 01 छात्र को आवास सहायता योजना में भुगतान किया गया है। 25 विद्यार्थियों के आवेदन नोडल संस्था स्तर पर स्वीकृति की प्रक्रिया में है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना
[महिला एवं बाल विकास]
124. ( क्र. 2851 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) मुरैना जिले की सुमावली विधान सभा में वर्ष 2012 से नवम्बर 2017 तक किन-किन ग्राम की कितनी बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीकृत किया है? (ख) उक्त योजना में, पंजीकृत बालिकाओं के पक्ष में कितनों के एन.एस.सी. क्रय किये गये हैं? राशि सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) क्या उक्त योजना में बालिकाओं के अध्यापन कार्य हेतु शासन द्वारा निर्धारित राशि दी जा रही है। सुमावली विधान सभा की इस श्रेणी की बालिकाओं जो कक्षा-6, कक्षा-8, कक्षा-11 में अध्ययनरत् हैं की संख्या सहित जानकारी दी जावे ?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा में वर्ष 2012 से नवम्बर 2017 तक 5259 बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीकृत किया गया, जिसकी ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार हैं। (ख) वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 में 1987 पंजीकृत बालिकाओं के पक्ष में राशि रूपये 1,68,66,000/- के एन.एस.सी. क्रय किये गये। विभागीय आदेश क्रमांक एफ 3-11/2007/50-2, भोपाल दिनांक 24/12/2014 द्वारा योजना में किये गये आंशिक परिवर्तन अनुसार एन.एस.सी. के स्थान पर प्रकरण स्वीकृति उपरांत रूपये 1,18,000/- का प्रमाण-पत्र प्रदाय किया जा रहा है। अतः वर्ष 2014-15 से नवम्बर 2017 तक योजना अंतर्गत पंजीकृत बालिकाओं को रूपये 1,18,000/- के प्रमाण-पत्र जारी किये गये हैं। (ग) लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत कक्षा 06, कक्षा 09, कक्षा 11वीं व कक्षा 12 वीं में प्रवेश पर बालिकाओं को छात्रवृत्ति के रूप में क्रमशः राशि रूपये 2000/-, 4000/-, 6000/- एवं 6000/- ई-पेमेन्ट के माध्यम से देने का प्रावधान है। सुमावली विधानसभा क्षेत्र में 101 बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत कक्षा 06 में प्रवेश पर रूपये 2000/- प्रति बालिका के मान से कुल राशि रूपये 2,02,000/- की छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।
निर्माण कार्यों की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
125. ( क्र. 2891 ) श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा विगत 03 वर्षों में विभाग को विभिन्न मदों में आवंटन प्राप्त हुआ है? यदि हाँ, तो किस वर्ष में कितना-कितना? मदवार सूची प्रस्तुत करें। (ख) कार्यों की स्वीकृति किस आधार पर की जाती है? क्या जनजाति के चिन्हित ग्रामों को प्राथमिकता में रखा जाता है? यदि हाँ, तो गुना जिलान्तर्गत चिन्हित ग्राम की सूची तथा तीन वर्ष में कितनी-कितनी राशि के कार्य स्वीकृत हुये? अवगत करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) जिले में उक्त योजना में सम्मिलित ग्रामों में ऐसे कितने ग्राम शेष रहे हैं जिनमें निर्माण कार्य नहीं किये गये हैं? क्या उक्त ग्रामों की कोई कार्य योजना बनाई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। वर्षवार योजनावार प्राप्त आवंटन की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ''अनुसार है। (ख) कार्यों की स्वीकृति शासन गाइड लाइन के आधार पर की जाती है। जी हाँ, चिन्हित ग्रामों को प्राथमिकता में रखा जाता है। गुना जिले के चिन्हित ग्रामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' एवं विगत तीन वर्षों में स्वीकृत कार्यों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ग) गुना जिले में उक्त योजना में कुल 277 ग्राम सम्मिलित है। जो 50 प्रतिशत या अधिक आबादी के है। इसमें 169 ग्राम शेष है। जिनमें बस्ती विकास योजना से निर्माण कार्य नहीं कराये गये हैं। शेष ग्रामों में कार्यों की स्वीकृति हेतु कार्य योजना यह है कि कार्यों की स्वीकृति चिन्हित ग्रामों में अनुसूचित जनजाति वर्ग की आबादी के वरियता के क्रम में प्रति वर्ष की जावेगी।
लाड़ली लक्ष्मी योजनांतर्गत प्रमाण-पत्र वितरण
[महिला एवं बाल विकास]
126. ( क्र. 2895 ) श्री रामपाल सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत पंजीकृत बालिकाओं को शासन द्वारा प्रमाण-पत्र दिये जाने का निर्णय लिया गया है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो शहडोल जिले में उपरोक्त योजना के तहत कितनी बालिकाओं को प्रमाण-पत्र योजना प्रारंभ दिनांक से प्रश्न दिनांक तक वितरित किये गये हैं। प्रमाण-पत्रों के लेमीनेशन, पंजीकरण, प्रिंटिंग में कितनी राशि व्यय की गई? उक्त कार्य कराने की अधिकारिता शासन स्तर से किसे प्रदान की गयी थी, किस प्रक्रिया का पालन कर प्रमाण-पत्र तैयार कराये गये थे? शासन स्तर से जारी आदेश प्रति के साथ जानकारी उपलब्ध करायी जावे।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। (ख) योजना प्रारंभ दिनांक से प्रश्न दिनांक तक शहडोल जिले में 39,323 बालिकाओं को प्रमाण-पत्र वितरित किये गये। प्रमाण-पत्रों के लेमीनेशन, पंजीकरण, प्रिटिंग में राशि रू. 12,64,950/-व्यय की गई है। विभागीय पत्र क्र. 6-13/2011/50-2, भोपाल दिनांक 19/03/2015 द्वारा योजना अंतर्गत पात्र आवेदनों को स्वीकृत करते हुए प्रमाण-पत्र जारी करने के अधिकार परियोजना अधिकारी/खण्ड महिला सशक्तिकरण अधिकारी को प्रदान किये गये है। संचालनालय महिला सशक्तिकरण के पत्र क्रमांक 126, दिनांक 06/06/2015, पत्र क्रमांक 194, दिनांक 10/07/2015, पत्र क्रमांक 443, दिनांक 14/10/2015, पत्र क्रमांक 881, दिनांक 23/02/2016, पत्र क्रमांक 193, दिनांक 13/06/2016, पत्र क्रमांक 428, दिनांक 02/09/2016, पत्र क्रमांक 568, दिनांक 20/10/2016, पत्र क्रमांक 751, दिनांक 20/01/2017, पत्र क्रमांक 897, दिनांक 14/03/2017 एवं पत्र क्रमांक 83, दिनांक 29/05/2017 द्वारा जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी जिला शहडोल को लाड़ली लक्ष्मी योजना के आवेदनों को वेबसाईट पर ऑनलाइन दर्ज करने, दस्तावेज स्केन कर चढ़ाये जाने तथा प्रमाण-पत्र रंगीन प्रिंट कर लेमीनेट अथवा प्लास्टिक फोल्डर में प्रदाय करने हेतु बजट आवंटन जारी किया गया था। लाड़ली लक्ष्मी योजना की वेबसाइट से प्रमाण-पत्र प्राप्त कर जारी बजट आवंटन अनुसार तत्कालीन जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी शहडोल द्वारा उक्त कार्य जिला स्तर पर कराया गया। जिसमें भण्डार क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया। शासन द्वारा जारी पत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
विद्युत लाइन विस्तार
[ऊर्जा]
127. ( क्र. 2896 ) श्री रामपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहडोल जिले के जयसिंहनगर तथा ब्यौहारी तहसील के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में विद्युत की सप्लाई, लाईनों का विस्तार किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो वर्ष २०१३ से प्रश्न दिनांक तक किन-किन ग्रामों तथा नगरों में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना तथा आर.ए.पी.डी.आर.पी. योजनान्तर्गत विद्युत लाईन का विस्तार किया गया है और उक्त विस्तार में कितनी राशि व्यय की गई हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) शहडोल जिले के जयसिंहपुर तथा ब्यौहारी तहसीलों के संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए गए ग्रामों में वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना एवं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत विद्युतीकरण के कार्य किये गये हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त योजनाओं की स्वीकृति आर.ई.सी. लिमिटेड से जिलेवार प्राप्त हुई है तथा वितरण कंपनी द्वारा उक्त योजनाओं के अंतर्गत व्यय की गई राशि के आँकडों का संधारण जिलेवार ही किया जाता है, तहसीलवार नहीं। प्रश्नाधीन तहसीलों सहित शहडोल जिले में 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना एवं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत प्रश्न दिनांक तक क्रमश: रू.38.93 करोड, रू.47.72 करोड एवं रू.1.03 करोड की राशि व्यय हुई है। शहरी क्षेत्रों हेतु स्वीकृत आर.ए.पी.डी.आर.पी. योजना के अंतर्गत प्रश्नाधीन क्षेत्र में कोई कार्य नहीं किया गया है।
फर्जी विक्रय पत्र पर रजिस्ट्री
[वाणिज्यिक कर]
128. ( क्र. 2899 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना जिले की तहसील मैहर के ग्राम हरनामपुर निवासी मिठाईलाल तनय वंशधारी साकेत के पट्टे की आराजी क्र. 94 रकवा 0.752 हेक्टेयर में से 0.600 हेक्टेयर कृषि योग्य जमीन की रजिस्ट्री सुरेश कुमार तिवारी तनय इन्द्रमणि तिवारी ग्राम तिघराकला तहसील मैहर द्वारा धोखाधड़ी कर रजिस्ट्री कराये जाने के संबंध में अतारांकित प्रश्न क्रमांक 761 दिनांक 25 जुलाई, 2017 द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में विभाग द्वारा बताया गया कि बिक्रीत कृषि भूमि सर्वे नं. 94 की पट्टे की भूमि नहीं है तो क्या प्रश्नाधीन कृषि भूमि का विक्रय पत्र पंजीयन हेतु दिनांक 11/10/2012 को तत्कालीन उपपंजीयक मैहर के समक्ष प्रस्तुत भू-अधिकार ऋण पुस्तिका तथा खसरे में अंकित अनुसार विक्रेता द्वारा तत्कालीन उपपंजीयक के समक्ष दस्तावेज का निष्पादन करना तथा प्रतिफल प्राप्त होना कैसे स्वीकार किया गया विवरण सहित बतावें? (ख) क्या उक्त प्रकरण के संबंध में विक्रेता द्वारा थाना मैहर एवं अनुविभागीय अधिकारी/तहसीलदार मैहर के यहाँ दिनांक 02/05/2017 को शिकायती आवेदन दिया गया था? यदि हाँ, तो दोषियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या विभाग द्वारा अतारांकित प्रश्न के बिन्दु (ख) के उत्तर में यह जानकारी दी गई थी कि तहसीलदार मैहर के न्यायालय में नामान्तरण पर रोक लगाकर जाँच कार्यवाही प्रचलन में है तो फिर नामान्तरण कैसे किया जा रहा है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) रजिस्ट्रीकरण अधिनियम व उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों के आधार पर पंजीयन अधिकारी, पंजीयन कार्य निष्पादित करते है। दस्तावेज का निष्पादन पंजीयन अधिकारी के समक्ष नहीं किया जाता है। रजिस्ट्रीकरण अधिनियम में प्रावधान है कि पंजीयन हेतु दस्तावेज प्रस्तुतीकरण के पश्चात पंजीयन अधिकारी दस्तावेज के निष्पादन की स्वीकारोक्ति निष्पादकों से लेता हैं। निष्पादन की स्वीकृति उपरांत पंजीयन अधिकारी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम की धारा 58 के अंतर्गत विक्रेता से दस्तावेज में अंकित विवरण के आधार पर प्रतिफल की राशि की स्वीकारोक्ति के उपरांत दस्तावेज के पृष्ठ भाग पर पृष्ठांकन अंकित कर प्रमाणित करता है। (ख) विक्रेता द्वारा थाना मैहर एवं अनुविभागीय अधिकारी/तहसीलदार मैहर के यहाँ शिकायत की थी, जिसकी जाँच कार्यवाही जारी है। रजिस्ट्री निरस्त करने की अधिकारिता मात्र सक्षम (सिविल) न्यायालय को है। अन्य किसी कार्यालय को उक्त अधिकारी नहीं है। अत: सिविल वाद के द्वारा ही संबंधित पक्षकार अनुतोष प्राप्त कर सकता है। (ग) नामांतरण के संबंध में तहसीलदार मैहर के न्यायालय में प्रकरण क्रमांक 100/अ6/2016-2017 अभी भी प्रचलित है। नामांतरण अभी नहीं किया गया है।
आबकारी निरीक्षकों का स्थानांतरण
[वाणिज्यिक कर]
129. ( क्र. 2900 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी जिले के आबकारी विभाग में आबकारी उपनिरीक्षक विगत 08 वर्षों से अधिक समय से पदस्थ हैं? क्या शासन के नियम हैं कि कोई अधिकारी/कर्मचारी एक जिले में अधिकतम 03 वर्ष से अधिक पदस्थ नहीं रहेगा? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो क्या शासन की स्थानान्तरण नीति के अनुसार लम्बे समय से पदस्थ आबकारी निरीक्षकों का स्थानान्तरण अन्यत्र किया जावेग? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें? (ग) क्या सीधी जिले में आबकारी उपनिरीक्षक के पद पर सुश्री सबनम बेगम विगत 08 वर्षों से अधिक समय से एक ही जिले में पदस्थ हैं? यदि हाँ, तो स्थानान्तरण नीति के अनुसार इन्हें कब तक सीधी जिले से अन्यत्र स्थानांतरित किया जायेगा? (घ) क्या सीधी जिले के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में भी 03 वर्ष से भी अधिक समय से अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं? यदि पदस्थ हैं तो इनकी संख्या जिलेवार बताते हुए क्या इन्हें भी स्थानान्तरण नीति के अनुसार स्थानान्तरण की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। आबकारी उप निरीक्षक सुश्री शबनम बेगम विगत 08 वर्षों से अधिक समय से जिला सीधी में पदस्थ हैं। स्थानांतरण नीति वर्ष 2017-18 की कंडिका 8.6 में जिले में पदस्थ कार्यपालिक अधिकारियों/कर्मचारियों को एक ही स्थान पर तीन वर्ष की पदस्थापना पूर्ण कर लेने पर जिले से अन्यत्र प्राथमिकता पर स्थानांतरण किये जाने के निर्देश हैं। कंडिका में यह भी अंकित है कि यह अनिवार्य नहीं है कि तीन वर्ष पूर्ण होने पर स्थानांतरण किया ही जावे। (ख) स्थानांतरण नीति वर्ष 2017-18 की कंडिका-6 (1) में निर्धारित प्रतिशत के अनुसार विभाग में स्थानांतरण किए गये हैं। वर्तमान में स्थानांतरण पर प्रतिबंध है। स्थानांतरण पर प्रतिबंध समाप्त होने पर विचार किया जावेगा। (ग) स्थानांतरण पर प्रतिबंध समाप्त होने पर सुश्री शबनम बेगम के स्थानांतरण पर विचार किया जावेगा। (घ) प्रदेश के अन्य जिलों में भी तीन वर्ष से अधिक समय से कार्यपालिक अधिकारी/कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनकी जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। स्थानांतरण पर प्रतिबंध समाप्त होने पर स्थानांतरणों किये जाने पर निर्णय लिया जावेगा।
गन्ना कृषकों का टेरिफ
[ऊर्जा]
130. ( क्र. 2909 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले में गन्ना उत्पादक कृषकों को गन्ना पिराई हेतु 5HP, 7.5HP, 10HP की विद्युत मोटरों को चलाने के लिये किस टेरिफ से कनेक्शन दिए जा रहे हैं? (ख) क्या गन्ना कृषकों को उद्योग की श्रेणी में लिया जा रहा है? किस नियम के तहत यह किया जा रहा है? (ग) क्या गेहूं थ्रेशिंग को भी उद्योग की श्रेणी में लिया जाता है? यदि नहीं, तो गन्ना क्रसरों को क्यों, जबकि दोनों लगभग एक ही कार्य है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) एवं (ख) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2017-18 के लिए जारी दर आदेश की अनुसूची एल.वी.-4 के अन्तर्गत गन्ना पिराई के कार्य को निम्नदाब औद्योगिक श्रेणी में रखा गया है। तदनुसार प्रयोज्य दरों जो कि सलंग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार है, पर ही नरसिंहपुर जिले में गन्ना उत्पादक कृषकों को गन्ना पिराई हेतु 05 एच.पी., 7.5 एच.पी. एवं 10 एच.पी. की विद्युत मोटरों को चलाने के लिए कनेक्शन दिये जा रहे है। (ग) जी नहीं, गेहूं थ्रेशिंग के कार्य को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2017-18 के लिए जारी दर आदेश की अनुसूची एल.वी.-5 के अन्तर्गत निम्नदाब 'कृषि एवं कृषि संबंधित गतिविधियां' श्रेणी में रखा गया हैं। तदनुसार प्रयोज्य दरों पर गेहूं थ्रेशिंग हेतु उपभोक्ताओं को कनेक्शन दिये जाते है। विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत विद्युत उपयोग के आधार पर उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों एवं उनके लिये प्रयोज्य दरों के निर्धारण का कार्य म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा व्यापक जनसुनवाई के उपरांत तथा इस संबंध में विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं से प्राप्त आपत्तियों/ सुझावों पर विचारोपरांत प्रतिवर्ष विद्युत उपभोक्ताओं के विद्युत उपयोग के प्रयोजन के आधार पर श्रेणियां निर्धारित कर विभिन्न श्रेणियों के लिए विद्युत दरों का निर्धारण किया जाता है।
नवीन जूनियर कन्या छात्रावास ग्राम पार में शिष्यवृति का भुगतान
[अनुसूचित जाति कल्याण]
131. ( क्र. 2911 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले में अनु. जाति कल्याण विभाग द्वारा किस-किस स्थान पर कितने-कितने सीटर छात्रावास या आश्रम संचालित हैं? उनमें 01 नवम्बर, 2017 की स्थिति में कौन-कौन अधीक्षक तथा स्टॉफ पदस्थ है? उनका नाम, जाति, पदस्थापना दिनांक बतावें? (ख) नवीन जूनियर कन्या छात्रावास ग्राम पार में किस दिनांक से, किस आदेश से, किस भवन में, कितने किराये के अनुबंध से, कितना सीटर संचालित है वर्तमान में कौन-कौन से क्लास की कन्याओं को आश्रम में किस दिनांक से रखा जा रहा है? उनका नाम, पिता का नाम, जाति, ग्राम स्पष्ट करें। छात्रावास आरम्भ दिनांक से प्रश्न दिनांक तक उन बालिकाओं को शिष्यवृति खाने-पीने या अन्य प्रतिदिन के उपयोग की सामाग्री उपलब्ध कराई गई है? यदि हाँ, तो क्या-क्या और कब-कब तथा कितनी-कितनी? यदि उपलब्ध नहीं कराई गई है तो क्यो? इसके लिये कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी दोषी है? उनका नाम, पद स्पष्ट करें? (ग) क्या दोषियों के प्रति कोई दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक तथा अब उनको दैनिक जीवन की उपयोगी खाना-पीना या अन्य सामाग्री कब तक पहुँचा दी जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) ग्वालियर जिले में संचालित छात्रावासों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। 01 नवम्बर, 2017 की स्थिति में अधीक्षक एवं स्टॉफ की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) मध्यप्रदेश शासन, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग का ज्ञापन क्रमांक एफ 12-22/2012/25-5 दिनांक 01.08.2016 द्वारा ग्राम पार विकासखण्ड बरई में अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास 50 सीटर की स्वीकृति जारी की गई है। यह वर्ष 2016-17 में संचालित नहीं हुआ। प्रवेश की स्वीकृति न होने से शिष्यवृत्ति राशि उपलब्ध कराने हेतु कोई कर्मचारी/अधिकारी दोषी नहीं है। (ग) दोषी न होने से कार्यवाही करने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अधिकारी/कर्मचारियों पर दर्ज प्रकरणों की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
132. ( क्र. 2922 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में कितने अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध आय से अधिक संपत्ति के प्रकरण आर्थिक अपराध ब्यूरो में दर्ज हैं? जानकारी नाम, पदनाम, पता सहित सूची सहित उपलब्ध कराई जाए? (ख) प्रदेश में सेवाकाल के दौरान किसी अधिकारी/कर्मचारी के पास आय से अधिक संपत्ति प्राप्त होने पर शासन के उस अधिकारी/कर्मचारी तथा संपत्ति के विषय में जारी आदेशों/निर्देशों की प्रतियाँ प्रदान की जाएं? (ग) दतिया जिले में वर्तमान में पदस्थ कितने अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध आय से अधिक संपत्ति रखने के प्रकरण दर्ज हैं? समस्त की विभागवार नाम सहित सूची प्रदान करें। (घ) दतिया जिले में लोकायुक्त द्वारा कितने अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किए हैं और कितनों के विरूद्ध चालान पेश कर दिये हैं और कितनों के चालान पेश अभी अवशेष हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा 31 अधिकारी/ कर्मचारियों के विरूद्ध आय से अधिक संपत्ति के 28 अपराधिक प्रकरण दर्ज है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार। (ग) आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ एवं लोकायुक्त संगठन द्वारा दतिया जिले में वर्तमान में अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध आय से अधिक संपत्ति के कोई भी प्रकरण दर्ज नहीं है। (घ) लोकायुक्त संगठन द्वारा दतिया जिले में 26 अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज है 12 प्रकरणों में चालान पेश किये गये है, शेष 14 प्रकरणों में वर्तमान स्थिति में विवेचनाधीन है।
विद्युत विभाग द्वारा कराये जा रहे कार्य
[ऊर्जा]
133. ( क्र. 2923 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दतिया जिले में विभिन्न योजनाओं के तहत विद्युत विभाग द्वारा नई विद्युत लाईनें एवं नये ट्रांसफार्मर आदि कार्य कराया जा रहा है? यदि हाँ,, तो वर्ष 2017 में कितने कार्य कराये गये हैं और कितने कराये जाना हैं, उनकी विस्तृत सूची उपलब्ध कराई जाऐ? (ख) क्या नवीन विद्युत लाईनों हेतु जो पोल खड़े किए हैं, उनमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया है, ठेकेदारों द्वारा मनमर्जी से कार्य करने के कारण पोल अभी से झुकने लगे हैं, डी.पी. लगाते ही फुक रही है? यदि हाँ, तो इसके लिऐ कौन दौषी है? यदि नहीं, तो एक समिति गठित कर प्रश्नकर्ता के समक्ष उनकी जाँच कराई जाएगी ताकि इसकी वास्तविकता सामने आ सके? (ग) क्या दतिया जिले में विद्युत करंट से एक वर्ष में कई आदमियों और जानवरों की मौतें हो चुकी हैं? यदि हाँ, तो उनकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जाए, इसमें पीड़ित पक्ष के लिए विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या दतिया जिले में जगह-जगह खुली डी.पी. और बहुत नीचे झूलते तार और क्षतिग्रस्त खम्बों को दुरूस्त नहीं किया गया है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो इसकी जाँच अपेक्षित है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। दतिया जिले में स्वीकृत विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत वर्ष 2017 में पूर्ण किये गये कार्यों एवं कराये जाने हेतु शेष कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन क्षेत्र में नवीन विद्युत लाईनों के लिये पी.सी.सी. पोल लगाये जा रहे हैं, जिनकी गुणवत्ता के परीक्षण उपरांत ही उनका उपयोग किया जाना सुनिश्चित किया गया है। ठेकेदार एजेन्सी द्वारा किये गये कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किये जा रहे कार्यों का सुपरविजन वितरण कंपनी के नोडल अधिकारी के साथ-साथ इस हेतु नियुक्त थर्ड पार्टी प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग एजेंसी के द्वारा किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान टेढ़े एवं झुके हुए पोलों एवं पाई गई अन्य कमियों/त्रुटियों का निराकरण संबंधित ठेकेदार एजेन्सी से करवाकर लाईन को ऊर्जीकृत किया जाता है। ट्रांसफार्मर लगाते ही जलने की कोई भी घटना प्रकाश में नहीं आई है। उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी के दोषी होने अथवा तत्संबंध में समिति गठित कर जाँच कराए जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) दतिया जिले में विद्युत करेंट लगने से हुई दुर्घटनाओं में विगत एक वर्ष में व्यक्तियों और जानवरों की हुई मृत्यु की घटनाओं की, प्रकरणों में की गई कार्यवाही/ कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण सहित दिनांकवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (घ) दतिया जिले में वित्तीय वर्ष 2017-18 में अद्यतन स्थिति में किये गये संधारण कार्यों के अन्तर्गत मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा आवश्यक सुधार का कार्य कराया गया है, जिसके तहत 400 क्षतिग्रस्त खम्बे एवं 158 खुले बॉक्स बदलने तथा 210 स्पान के ढ़ीले तारों को खीचकर व्यवस्थित करने का कार्य सम्मिलित है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
132 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्वीकृति
[ऊर्जा]
134. ( क्र. 2926 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्तमान में सम्पूर्ण झिरन्या क्षेत्र में विद्युत प्रवाह भीकनगांव के 132 के.व्ही. उपकेन्द्र से होता है? हाँ तो इसकी लगभग दूरी क्या है? क्या इतनी दूरी से विद्युत प्रवाह होने से सम्पूर्ण क्षेत्र में वॉल्टेज की समस्या होती है तथा इसके समाधान हेतु नवीन 132 के.व्ही. उपकेन्द्र मारूगढ़ में स्वीकृति हेतु प्रस्ताव जिला कार्यालय खरगोन से शासन स्तर भेजा गया है? (ख) यदि हाँ, तो इसकी स्वीकृति कहाँ पर लंबित है? क्या क्षेत्र में विद्युत व्यवस्था संचालन सुधार हेतु इसकी स्वीकृति शीघ्र जारी की जावेगी? हाँ तो कब तक नहीं तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं, सम्पूर्ण झिरन्या क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति 132/33 के.व्ही. उपकेन्द्र भीकनगांव के अतिरिक्त 132/33 के.व्ही. छेगांव माखन उपकेन्द्र से भी की जाती है। 132/33 के.व्ही. उपकेन्द्र भीकनगांव से निर्गमित झिरन्या फीडर से पाँच 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र क्रमश: झिरन्या, धनवा, चिरिया, चैनपुर, जामली को तथा 132/33 के.व्ही. उपकेन्द्र छेगांव माखन से निर्गमित सिरसोद फीडर से झिरन्या क्षेत्र के दो 33 के.व्ही. उपकेन्द्र मिटावल एवं आभापुरी को विद्युत आपूर्ति की जाती है। 132/33 के.व्ही. उपकेन्द्र भीकनगांव से निर्गमित झिरन्या फीडर की कुल लंबाई 63.20 कि.मी. है। 132/33 के.व्ही. उपकेन्द्र छेगांव माखन से निर्गमित 33 के.व्ही. सिरसोद फीडर की कुल लम्बाई 38.30 किलोमीटर है। इस क्षेत्र में रबी सीजन के दौरान कतिपय अवसरों पर कम वोल्टेज की समस्या होती है जिसके समाधान हेतु ग्राम धनवा/मरूगढ़ में नवीन 132/33 के.व्ही. उपकेन्द्र स्थापना का प्रस्ताव अधीक्षण यंत्री खरगोन वृत्त द्वारा कार्यपालक निदेशक, इन्दौर क्षेत्र के माध्यम से प्रबंध संचालक, पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को प्रेषित किया गया है। (ख) वर्तमान में उक्त प्रस्ताव का तकनीकी परीक्षण किया जा रहा है। तकनीकी साध्यता पाए जाने एवं वित्तीय उपलब्धता के आधार पर स्वीकृति जारी की जावेगी, अत: वर्तमान में समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
नियमित छात्रवृत्ति वितरण
[जनजातीय कार्य]
135. ( क्र. 2927 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अध्ययनरत आदिवासी छात्र-छात्राओं को म.प्र. शासन से कौन-कौन सी छात्रवृत्ति प्रदाय की जाती हैं तथा उसके क्या मापदण्ड हैं? छात्रवृत्ति भुगतान का नियत समय क्या है? कौन-कौन से माह में छात्र को प्रदाय की जाना चाहिए? क्या भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत नियमानुसार सभी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का भुगतान हो चुका है? यदि नहीं, तो भुगतान न होने के क्या कारण है? क्या विगत वर्षों से सभी छात्र/छात्राओं को नियत समय पर छात्रवृत्ति का वितरण नहीं हुआ है? हाँ तो क्यों? (ख) इसके लिये कौन दोषी है? क्या भविष्य में पुनरावृत्ति न हो इसके लिये शासन कोई दिशा-निर्देश जारी करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। विभाग द्वारा निम्न छात्रवृत्तियां आदिवासी विद्यार्थियों को प्रदाय की जाती हैं :-
क्र. |
छात्रवृत्ति का नाम |
कक्षा |
शासन द्वारा निर्धारित समय |
टीप |
1 |
राज्य छात्रवृत्ति |
कक्षा 01 से 10 |
सितम्बर से अक्टूबर |
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा क्रियान्वित |
2 |
पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति |
कक्षा 11 वीं, 12 वीं |
31 दिसम्बर |
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा क्रियान्वित |
3 |
पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति |
महाविद्यालयीन |
31 दिसम्बर |
जनजातीय कार्य विभाग द्वारा क्रियान्वित |
उपरोक्त छात्रवृत्तियां संचालित हैं। जिसके मापदण्ड एवं भुगतान का नियत समय संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। विभाग द्वारा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति का वितरण भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत पात्र समस्त छात्र-छात्राओं को किया जा चुका है तथा शिक्षा विभाग द्वारा समग्र पोर्टल के माध्यम से क्रियान्वित छात्रवृत्तियों में, ऐसे पात्र सभी विद्यार्थियों को, जिनका समग्र शिक्षा पोर्टल पर मेपिंग एवं रजिस्ट्रेशन कार्य पूर्ण हो चुका है।, उन सभी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का भुगतान किया जा चुका है। शिक्षा विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार कोई पात्र विद्यार्थी छात्रवृत्ति प्राप्त करने में शेष नहीं है। जी हाँ। मेपिंग/रजिस्ट्रेशन, तकनीकी दिक्कतों आदि के कारण छात्रवृत्ति का भुगतान समस्त पात्र विद्यार्थियों को मार्च तक किया जा चुका है। (ख) शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
वंचित ग्रामों में विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
136. ( क्र. 2930 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत दीनदयाल ज्योति योजना प्रारंभ दिनांक से कौन-कौन से कार्य सम्मिलित किये गये हैं? (ख) क्या विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के ऐसे सभी ग्रामों को जो कि 24x7 के लाभ से वंचित हैं, को उक्त योजना में सम्मिलित किया गया है? यदि हाँ, तो पूर्व में जिन कंपनियों द्वारा अटल ज्योति योजना में ग्रामीण विद्युतीकरण कार्य किया गया था, किन्तु वर्तमान में वह कार्य पूर्णत: ट्रांसफार्मर जलने, पोल टूटने, केबल जलने आदि से अनुपयोगी हो गया, ऐसे सभी ग्रामों को पुन: विद्युतीकृत किये जाने हेतु कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या तथा कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य कर सभी श्रेणी के बी.पी.एल. हितग्राहियों को नि:शुल्क कनेक्शन दिये जाने के कार्य सम्मिलित है। उक्त योजनान्तर्गत प्रश्नाधीन क्षेत्र में 11 के.व्ही. लाईन, वितरण ट्रांसफार्मर, निम्नदाब लाईन, मीटरीकरण एवं उपकेन्द्रों की क्षमतावृद्धि/नवीनीकरण के कार्य किये जाने है। (ख) विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत कोई भी राजस्व ग्राम 24 घन्टे घरेलू विद्युत की सुविधा से वंचित नहीं है। उक्त योजना में राजस्व ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले सभी मजरों/टोलों को विद्युतीकरण हेतु सम्मिलित किया गया है। अटल ज्योति योजना सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घन्टे विद्युत की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु एक अभियान था, जिसके अंतर्गत किसी प्रकार के विद्युत अधोसंरचना के कार्य नहीं किये गये थे। वर्तमान में फेल ट्रांसफार्मरों से संबंद्ध 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा बकाया राशि जमा करने अथवा बकाया राशि का 20 प्रतिशत राशि जमा होने पर फेल ट्रांसफार्मर को बदले जाने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त विभिन्न कारणों से विद्युत अधोसंरचना क्षतिग्रस्त होने/विद्युत प्रदाय बाधित होने पर वितरण कंपनी द्वारा शीघ्रातिशीघ्र सुधार/संधारण कार्य पूर्ण कर विद्युत प्रदाय सुचारू कर दिया जाता है जो कि एक सतत् प्रक्रिया है। उक्त नियमों/प्रक्रिया के अन्तर्गत सतत् रूप से फेल विद्युत ट्रासफार्मरों को बदलने व विद्युत अधोसंरचना सुधार हेतु कार्य किये जा रहे हैं, अत: तत्संबंध में कोई निश्चित समय-सीमा बताए जाने का प्रश्न नहीं उठता।
भवनविहीन मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र
[महिला एवं बाल विकास]
137. ( क्र. 2931 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत कितने मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र प्रश्न दिनांक तक भवनविहीन हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में उक्त भवनविहीन मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण हेतु विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई तथा कब तक भवन निर्माण की स्वीकृतियां प्रदान की जावेगी? (ग) उपरोक्तानुसार ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे कितने ग्राम हैं, जहाँ न तो आंगनवाड़ी केन्द्र हैं और न ही मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र है? क्या विभाग द्वारा ऐसे सभी ग्रामों में आंगनवाड़ी के माध्यम से बच्चों को शासन की योजनाओं का लाभ प्रदान करने हेतु कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो क्या तथा कब तक ऐसे आंगनवाड़ी विहीन ग्रामों में पात्रतानुसार केन्द्र खोलने की स्वीकृति प्रदान की जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अन्तर्गत स्वीकृत 82 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 78 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन (किराये के भवनों में संचालित) है। (ख) वर्तमान में भारत सरकार द्वारा मिनी आंगनवाडी केन्द्रों के भवन निर्माण हेतु कोई प्रावधान नहीं है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अन्तर्गत 32 ग्रामों में आंगनवाड़ी केन्द्र या मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं है। इन ग्रामों के हितग्राहियों को नजदीकी आंगनवाड़ी केन्द्र के माध्यम से आंगनवाड़ी केन्द्र की सेवाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। आंगनवाड़ी केन्द्र/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र विहीन इन 32 ग्रामों में से केवल 01 ग्राम तलावड़ा उर्फ चंपापुरा ही मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत करने हेतु निर्धारित जनसंख्या के मापदण्ड को पूर्ण करता है। इस ग्राम में मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृति का प्रस्ताव जिलें से अपेक्षित है।
रामकी कम्पनी के द्वारा लगाये ऐनर्जी मीटर की जानकारी
[ऊर्जा]
138. ( क्र. 2932 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रामकी कम्पनी को वर्ष 2010 से प्रश्न दिनांक तक उज्जैन जिले में क्या-क्या कार्य दिये गये हैं? कार्यवार सूची उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्न दिनांक तक रामकी कम्पनी के द्वारा कौन-कौन से कार्य समय-सीमा में कर दिये गये हैं तथा कितने कार्यों की समयावधि पूर्ण होने के बाद भी कार्य पूर्ण नहीं किये गये हैं? कार्यवार, स्थानवार सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) 2010 से प्रश्न दिनांक तक कितने घरेलु ऐनर्जी मीटर लगाये गये? उसमें से कितने मीटर खराब होने के बाद बदले गये? क्या कम्पनी द्वारा घटिया किस्म के मीटर लगाये थे? मीटर की गुणवत्ता के संबंध में विभागीय अधिकारी द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? अगर मीटरों की परफॉरमेंस रिपोर्ट खराब है तो विभागीय अधिकारी द्वारा रामकी कम्पनी पर क्या-क्या कार्यवाही कब-कब की गई? बिन्दुवार सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) उज्जैन जिले में वर्ष 2010 से प्रश्न दिनांक तक रामकी कंपनी को केवल उज्जैन शहर में आर.ए.पी.डी.आर.पी. योजना के अंतर्गत कार्य करने हेतु कार्यादेश जारी किया गया था, जिसमें सम्मिलित कार्यों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) उज्जैन शहर में रामकी कंपनी के द्वारा निविदा अनुबंध की शर्तों के अनुसार निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण किये गये कार्यों एवं निर्धारित समयावधि पूर्ण होने के बाद भी सम्पादित नहीं किये गये कार्यों की कार्यवार एवं स्थानवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' एवं 'स' अनुसार है। (ग) उज्जैन शहर में रामकी कंपनी के द्वारा वर्ष 2010 से प्रश्न दिनांक तक 22,095 घरेलू विद्युत मीटर लगाये गये जिनमें से 1824 विद्युत मीटर बन्द/खराब होने के कारण बदले गये। जी नहीं, रामकी कंपनी द्वारा म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा स्वीकृत क्लास-1 के विद्युत मीटर लगाये गये थे। गुणवत्ता की जाँच हेतु वितरण कंपनी के अधिकारियों द्वारा रामकी कंपनी के स्थानीय भण्डार गृह में क्रय उपरांत विद्युत मीटर प्राप्त होने पर उन विद्युत मीटरों में से रेण्डम सेम्पल लेकर सी.पी.आर.आई. लेब, भोपाल (एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला) में परीक्षण कराया गया। सी.पी.आर.आई. लेब, भोपाल से प्राप्त परीक्षण प्रमाण-पत्र के पश्चात भी शत-प्रतिशत विद्युत मीटरों को पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की उज्जैन लेब में परीक्षण कर ही उपभोक्ताओं के परिसर में लगाया गया हैं। रामकी कंपनी द्वारा प्रदाय कर लगाये गये मीटरों की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुसार होने से रामकी कंपनी के विरूद्ध इस बावत् कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
आंगनवाड़ी केन्द्र की स्वीकृति
[महिला एवं बाल विकास]
139. ( क्र. 2934 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र वर्तमान में संचालित हो रहे हैं तथा इनमें पंजीकृत बालक/बालिकाओं का संख्या क्या है? (ख) वर्तमान में जनसंख्या, ग्राम और केन्द्र के आधार पर वर्तमान केन्द्र पर्याप्त नहीं हैं, नवीन केन्द्र की स्वीकृति हेतु कितने प्रस्ताव किस किस स्थान/ग्राम के लिये विभाग को प्राप्त हुए है? (ग) इन प्रस्तावों पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) उज्जैन जिले की बड़नगर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बाल विकास परियोजना बड़नगर क्र. 01 तथा बाल विकास परियोजना बड़नगर क्र. 02 स्वीकृत होकर संचालित है इन परियोजनाओं में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों तथा पंजीकृत बालक/बालिकाओं की संख्या निम्नानुसार है:-
क्र. |
परियोजना कुल |
संचालित आ.वा.केन्द्रों
|
पंजीकृत बच्चों की संख्या |
|||
06 माह से 03 वर्ष के |
03 वर्ष से 06 वर्ष के |
|||||
बालक |
बालिका |
बालक |
बालिका |
|||
1 |
बड़नगर -1 |
195 |
3522 |
3703 |
4343 |
4554 |
2 |
बड़नगर -2 |
148 |
2857 |
2948 |
3440 |
3410 |
(ख) जी हाँ। बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में संचालित बाल विकास परियोजना बड़नगर क्र. 01 के ग्राम भटचलाना, खरसौदकला, खेड़वादा तथा माधापुरा में 01-01 आंगनवाड़ी केन्द्र तथा ग्राम पिपलू एवं सिलोदिया में 01-01 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र की आवश्यकता है इसी प्रकार बाल विकास परियोजना बड़नगर क्र. 02 के ग्राम मुण्डतम टपरी, पात्याखेड़ी टपरी तथा अमलावद बीका (नवीन बस्ती) में 01-01 मिनी खोले जाने के प्रस्ताव प्राप्त हुये। (ग) जनसंख्या के निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति होने पर भारत सरकार द्वारा नवीन आंगनवाड़ी/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोले जाने की स्वीकृति प्रदान की जाती है। प्रश्नांश (ख) की जानकारी के परिप्रेक्ष्य में जिले से प्राप्त नवीन आंगनवाड़ी/आंगनवाड़ी केन्द्रों के खोले जाने के प्रस्ताव को विभागीय पत्र क्रमांक 3522 दिनांक 05/09/2017 द्वारा स्वीकृति हेतु भारत सरकार को प्रेषित किया गया है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायीकाओं के वेतन एवं कार्यों की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
140. ( क्र. 2938 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में विभाग द्वारा कितनी आंगनवाड़ी संचालित की जा रही हैं ग्राम व स्थान के नाम सहित जानकारी देवें। (ख) उपरोक्त आंगनवाड़ियों में पदस्थ कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं के नाम तथा पिता/पति व ग्राम के नाम सहित जानकारी देवें। (ग) आंगनवाड़ियों में पदस्थ कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं को शासन द्वारा कितना वेतन दिया जा रहा है? शासन द्वारा अन्य क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है? (घ) कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं से आंगनवाड़ी संचालन के अतिरिक्त अन्य विभागों के क्या-क्या कार्य कराये जाते है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत बाल विकास परियोजना सीतामऊ क्र. 01 में 234, बाल विकास परियोजना सीतामऊ क्र. 02 में 176 तथा परियोजना गरोठ क्र. 01 में 40 तथा परियोजना गरोठ क्र. 02 में 53 इस प्रकार कुल 503 आंगनवाड़ी केन्द्र विभाग द्वारा संचालित किये जा रहे है। ग्राम व स्थान के नाम सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) भारत सरकार द्वारा निर्धारित कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को राशि रूपये 3000/- प्रतिमाह एवं आंगनवाड़ी सहायिका को राशि रू. 1500/- प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है तथा राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त मानदेय के रूप में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को राशि रूपये 2000/-प्रतिमाह एवं आंगनवाड़ी सहायिका को राशि रू. 1000/-प्रतिमाह भुगतान किया जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिकाओं को आंगनवाड़ी संचालन के अतिरिक्त आवश्यकता अनुसार शासन द्वारा संचालित अन्य अभियानो यथा स्कूली शिक्षा विभाग के ''स्कूल चले हम'' तथा निर्वाचन कार्यालय द्वारा बी.एल.ओ. आदि कार्यों में भी लगाया जाता है।
पवन ऊर्जा कंपनियों द्वारा विकास कार्य
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
141. ( क्र. 2939 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में पवन ऊर्जा उत्पादन का कार्य किन-किन कंपनियों के द्वारा कितनी-कितनी पवन चक्की पोल लगाकर कितनी यूनिट ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है? प्रारंभ दिनांक से प्रश्न दिनांक तक की तहसीलवार जानकारी देवें। (ख) पवन ऊर्जा कंपनीयों द्वारा क्षेत्र के विकास हेतु कार्य किया जाता है या नहीं? नियमों की जानकारी देवें। (ग) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में किस कंपनी के द्वारा क्या-क्या विकास कार्य कराये गये हैं स्थान, विकास का नाम, राशि की जानकारी देवें। (घ) यदि उपरोक्त कंपनियों द्वारा विकास के कार्य नहीं कराये गये हैं तो कारण बतावें एवं कब तक करा दिये जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में मेसर्स मारूति शक्ति एनर्जी इण्डिया लिमिटेड द्वारा स्थापित पवन ऊर्जा परियोजनाओं में 115 पवन चक्कियों की कुल क्षमता 230 मेगावाट है जिससे विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। अक्टूबर 2017 तक कुल 465.299 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है। तहसीलवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जी हाँ। पवन ऊर्जा विकासकों द्वारा ''कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सी.एम.आर.)'' के कार्य किये जाते है। इस संबंध में नियमों की जानकारी निम्न है- ''कम्पनी अधिनियम-2013 की धारा-135 की उपधारा (1) के अन्तर्गत कम्पनियों को अपने औसत लाभ का 2 प्रतिशत ''कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सी.एस.आर.) में व्यय करना होता है। उक्त धारा 135 (1) उन कम्पनियों पर लागू होती है, जिनमें नेट वर्थ रूपये 500 करोड या उससे अधिक हो, अथवा टर्न-ओवर रूपये 1000 करोड या उससे अधिक हो, या नेट लाभ रूपये 5 करोड या उससे अधिक हो।'' (ग) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में विकासक मेसर्स मारूति शक्ति एनर्जी इण्डिया लिमिटेड द्वारा किये गये सी.एस.आर. कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (घ) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विभाग द्वारा जारी आदेश/निर्देश के पालन के संबंध मे
[सामान्य प्रशासन]
142. ( क्र. 2940 ) डॉ. मोहन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किये गये विभिन्न आदेश/निर्देश म.प्र. शासन के समस्त शासकीय/अर्द्धशासकीय विभागों/निगम/मण्डल/निगमित निकायों पर समान रूप से बंधनकारी होते है अथवा सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किये गये आदेश/निर्देश के पालन संबंधी मामलों में कुछ शासकीय/अर्द्धशासकीय विभाग निगमित निकाय आदि को मुक्त रखा गया हो तो ऐसे विभागों कि जानकारी प्रदान करे अथवा नहीं तो इस संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) शासकीय/अर्द्धशासकीय कर्मचारियों को तीन वर्ष में स्थानांतरित किये जाने से संबंधी प्रावधान के संबंध में विभिन्न विभागों द्वारा भिन्न-भिन्न मापदण्ड अपनाये जा रहे है तथा विभाग प्रमुखों द्वारा कही आवश्यक बताकर कार्यवाही की जा रही है, तो कहीं आवश्यक नहीं बताकर कार्यवाही नहीं की जा रही हैं? उज्जैन जिला मुख्यालय स्थित विभिन्न शासकीय कार्यालयों सहित म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड आंचलिक कार्यालय मण्डी बोर्ड उज्जैन म.प्र. गृह निर्माण तथा अधोसरंचना विकास मण्डल, उज्जैन नगर पालिक निगम उज्जैन, उज्जैन विकास प्राधिकरण उज्जैन आदि कार्यालयों में वर्षों से कर्मचारी अधिकारी एक ही स्थान पर पदस्थ हैं। इस संबंध में यदि कार्यवाही कि जायेगी तो जानकारी प्रदान करें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) स्थानांतरण संबंधी शासन द्वारा जारी निर्देशों एवं प्रावधानों का पालन संबंधित विभागों द्वारा किया जाता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
आंगनवाड़ी केन्द्र भवनों की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
143. ( क्र. 2941 ) डॉ. मोहन यादव : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत महिला एवं बाल विकास विभाग के मापदण्ड अनुसार शहरी एवं नगरीय क्षेत्र अन्तर्गत कुल कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित होने चाहिये तथा वर्तमान में कितने केन्द्र संचालित हो रहे है? उक्त केन्द्रों पर पर्याप्त स्टॉफ कार्यरत है तो जानकारी प्रदान करें अथवा नहीं तो इनकी पूर्ति कब तक कर ली जायेगी? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या आंगनवाड़ी केन्द्रों हेतु पर्याप्त भवन उपलब्ध हैं यदि हाँ, तो विस्तृत जानकारी प्रदान करें अथवा नहीं तो कब तक भवनों का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जायेगा? (ग) उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत जनवरी २०१५ से अक्टूबर २०१७ तक कुपोषण कि वर्तमान स्थित क्या है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) उज्जैन जिले की दक्षिण विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत अन्तर्गत संचालित बाल विकास परियोजना उज्जैन शहर क्र. 01, उज्जैन शहर क्र. 02, उज्जैन शहर क्र. 04 एवं उज्जैन ग्रामीण अन्तर्गत कुल 234 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित होना चाहिये जिसके विरूद्ध कुल 234 आंगनवाड़ी केन्द्र वर्तमान में संचालित हो रहे है। जी हाँ। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का 01 तथा आंगनवाड़ी सहायिका के 06 पद वर्तमान में रिक्त है। पदों की रिक्ति एवं पूर्ति निरन्तर प्रक्रिया है। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ख) जी नहीं। प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में संचालित 234 आंगनवाड़ी केन्द्रों के विरूद्ध कुल 75 विभागीय भवन उपलब्ध है। आंगनवाड़ी भवन निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। सीमित वित्तीय संसाधन होने के कारण समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ग) उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के 0 से 05 वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण की स्थिति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के निष्कर्ष में एक में अमूल्य परिवर्तन होने से उत्पन्न स्थिति
[अनुसूचित जाति कल्याण]
144. ( क्र. 2948 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 17 फरवरी, 2006 को मध्यप्रदेश विधानसभा द्वारा धोबी/रजक जाति को अनुसूचित जाति की सूची में सम्मिलित करने हेतु सर्वसम्मति से पारित अशासकीय संकल्प के परिप्रेक्ष्य में विभाग के पत्र दिनांक 14 जुलाई, 2006 के साथ प्रदेश के 45 जिलों की सर्वेक्षण रिपोर्ट के साथ आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान के निष्कर्ष दिनांक 06 जून, 2006 में भारत सरकार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता मंत्रालय, नई दिल्ली को भेजे गये थे? (ख) यदि हाँ, तो क्या उक्त संस्थान के निष्कर्ष में प्रदेश के सभी जिलों में कराये गये अध्ययन में एक समान तथा संदर्भ साहित्यों में दिये गये विवरणों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तावित किया था कि धोबी जाति के क्षेत्रीय बंधन को समाप्त करते हुए इन्हें संपूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति में मान्य किये जाने की अनुशंसा की गई थी? (ग) यदि हाँ, तो क्या भारत के महा रजिस्ट्रार ने उपरोक्त निष्कर्षों पर दिनांक 05.03.2007 को टिप्पणी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को नहीं दी थी तथा विधानसभा के प्रस्ताव से असहमति व्यक्त की थी एवं दिनांक 08.03.2007 को उपरोक्त टिप्पणी के प्रकाश में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता मंत्रालय ने विधानसभा के प्रस्तावों की पुर्नसमीक्षा करने का आग्रह किया था? (घ) यदि हाँ, तो क्या विभाग के पत्र दिनांक 06.08.2010 द्वारा संस्थान से दिनांक 24 जुलाई, 2007 को विधानसभा के प्रस्तावों की पुर्नसमीक्षा नहीं कराकर प्रस्तावित किया कि प्रदेश के भिन्न-भिन्न क्षेत्र में धोबी समुदाय की सामाजिक स्थिति भिन्न-भिन्न है, धोबी जाति को संपूर्ण मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति के रूप में सम्मिलित करने का पर्याप्त आधार नहीं है? (ड.) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में यदि हाँ, संस्थान की सर्वे रिपोर्ट के साथ विभाग के पत्र दिनांक 14.07.2006 एवं 06.08.2010 द्वारा भारत सरकार, सामाजिक न्याय मंत्रालय को धोबी जाति के संबंध में भेजी गई जानकारी लगभग 01 वर्ष में अमूल्य परिवर्तन कैसे आ गया? स्पष्ट करें एवं प्रदेश के लिये अधिसूचित अनुसूचित जाति में ऐसा ही परिवर्तन आया या नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ (ग) जी नहीं। जी हाँ। (घ) जी हाँ। (ड.) आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान के प्रतिवेदन दिनांक 24.2.2007 के अनुसार पर्याप्त आधार न होने के कारण परिवर्तन किया गया।
लाड़ली लक्ष्मी योजना से लाभान्वित
[महिला एवं बाल विकास]
145. ( क्र. 2951 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) देवास जिले में बागली विधानसभा के ग्राम इमलीपुरा ग्राम पंचायत इमलीपुरा में विगत वर्ष 2012 से कितनी बालिकाओं ने आज दिनांक तक आंगनवाड़ी केन्द्र व महिला बाल विकास विभाग को लाड़ली योजना का लाभ प्राप्त किये जाने हेतु आवेदन दिया था वर्ष 2012-13 से प्रश्नांकित दिनांक तक आवेदन कर्तावार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) में लाड़ली लक्ष्मी योजना में बालिकाओं के योजना से लाभान्वित किये जाने हेतु क्या-क्या नियम हैं, ग्राम ईमलीपुरा 100 प्रतिशत अ.ज.जा. बाहुल्य ग्राम है, क्या विभाग की गलती व पालकों की जानकारी नहीं होने से अनेक बी.पी.एल. कार्डधारी परिवार की बालिकाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पाया है? अगर हाँ तो क्या विभाग पुन: सर्वें कर विशेष प्रकरण बनाकर इस योजना में पात्र बालिकाओं को योजना का लाभ दिलायेगा? (ग) प्रश्नांश (क) (ख) विभाग द्वारा छूटी हुई अ.ज.जा., बी.पी.एल. कार्डधारी बालिकाओं को लाड़ली योजना में जोड़ने हेतु विशेष प्रकरण बनाकर गरीब अ.ज.जा. बाहुल्य बालिकाओं को उक्त योजना का लाभ दिया जायेगा? अगर हां, तो कब तक दिया जावेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) देवास जिले के बागली विधानसभा के ग्राम इमलीपुरा में वर्ष 2012 से प्रश्न दिनांक तक 27 बालिकाओं के आंगनवाड़ी केन्द्र व महिला बाल विकास विभाग में लाड़ली योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु आवदेन प्राप्त हुये, सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) लाड़ली लक्ष्मी योजना के नियम-निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। योजना अंतर्गत ग्राम की समस्त पात्र बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश 'क' एवं 'ख' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
पटेलिया समाज का राजस्व रिकार्ड दुरूस्तीकरण कर आदिवासी में सम्मिलित करना
[जनजातीय कार्य]
146. ( क्र. 2952 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या देवास जिले के उदयनगर तहसील के सात ग्रामों में परेलिया जाति (अ.ज.जा.) के लोग निवासरत हैं? क्या वर्तमान में इन्हें आदिवासियों का दर्जा प्राप्त है? क्या पूर्व में स्टेट के समय में पटेलिया समाज की भूल के कारण उक्त समाज गुजराती राजपूत के नाम से राजस्व रिकार्ड में दर्ज हो गया? क्या प्रश्नकर्ता द्वारा मा. मुख्यमंत्रीजी के समक्ष पत्र के माध्यम से राजस्व रिकार्ड दुरूस्तीकरण हेतु निवेदन किया गया था, मुख्यमंत्री कार्यालय के पत्र क्रमांक 1521/CMS/MLA/174/ 2013 भोपाल दिनांक 18/04/13 के द्वारा आदिम जाति विभाग सचिव को प्रकरण में जाँच करने का कहाँ गया था? (ख) प्रश्नांश (क) में आदिम जाति कल्याण विभाग के अपर सचिव द्वारा क्र. 75/1160/13/25-2 भोपाल दिनांक 6.6.2016 को समुचित कार्यवाही कर सचिव म.प्र. शासन राजस्व विभाग को सौंप दी गई थी? आ.जा. अनुसंधान एवं विकास संस्थान द्वारा राजस्व विभाग को जो रिपोर्ट सौंपी गई है उसके अनुसार इनका रिकार्ड कब तक दुरूस्तीकरण किया जावेगा? (ग) प्रश्नांकित (क) (ख) में सात ग्रामों के पटेलिया आदिवासियों को राजस्व विभाग में जाति दुरूस्तीकरण न होने से योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है? क्या ये पटेलिया आदिवासी ही हैं? अगर हाँ, तो कब तक इन्हें राजस्व रिकार्ड में दुरूस्तीकरण कर आदिवासियों को जो सुविधायें मिलती हैं वह इन्हें भी प्राप्त होगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकाल का उल्लंघन की जानकारी
[सामान्य प्रशासन]
147. ( क्र. 2964 ) प्रो. संजीव छोटेलाल उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मंत्री, सांसद, विधायकों एवं अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए विशेषाधिकार (प्रोटोकाल) के संबंध में दिशा-निर्देश म.प्र. शासन के द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग एवं म.प्र. राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित किये गये हैं? हाँ तो प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जावे? (ख) 01 जनवरी, 2014 से प्रश्न दिनांक तक शासकीय कार्यों के शिलान्यास, भूमिपूजन, लोकार्पण एवं अन्य शासकीय विभागीय गतिविधियों में मण्डला विधानसभा क्षेत्र में कितने कार्यक्रम आयोजित किये गये? उक्त संबंधी एवं विशेषाधिकार (प्रोटोकाल) अनुमोदित आमंत्रण पत्रों की जानकारी, तिथिवार, विभागवार उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में उक्त अवधि में हुए शासकीय कार्यों के लोकार्पण, शिलान्यास, भूमिपूजन के अलावा अन्य शासकीय कार्यों में तथा आमंत्रण पत्रों एवं शिलालेखों में विशेषाधिकार (प्रोटोकाल) के तहत प्रश्नकर्ता को उचित स्थान मिला है? हाँ तो, इसकी जानकारी उपलब्ध करावें। नहीं तो विशेषाधिकार उल्लंघन करने वाले विभाग एवं विभागीय अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की जावेगी और कब तक? (घ) क्या मण्डला विधानसभा में शासकीय कार्य एवं लोकापर्ण, शिलान्यास, भूमि पूजन में स्थानीय विधायक के संबंध में जानबूझकर विशेषाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो, ऐसा क्यों? संवैधानिक मर्यादा एवं विधानसभा की गरिमा तथा विशेषाधिकार (प्रोटोकाल) का उल्लंघन करने वाले विभाग एवं विभागीय अधिकारियों पर क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी? क्या आगामी दिवस में प्रक्रिया में सुधार होगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रेषित पत्रों पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
148. ( क्र. 2965 ) प्रो. संजीव छोटेलाल उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिला अंतर्गत दिनांक 01 अप्रैल, 2014 से 31 मार्च, 2017 तक किन-किन विधायकों एवं क्षेत्रीय सांसद द्वारा कलेक्टर मण्डला को कौन-कौन से विभागों से संबंधित पत्र कब-कब लिखे गये हैं? किस-किस संबंध में लिखे गये हैं? म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार क्या सभी प्राप्त पत्रों की अभिस्वीकृति दी गई है? तत्संबंध में कलेक्टर मण्डला द्वारा जवाब के परिप्रेक्ष्य में कब-कब पत्र भेजे गये हैं? पत्रों की सूची उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अतिरिक्त प्रश्नकर्ता द्वारा विकासखण्ड एवं जिला स्तर पर समस्त विभागों को प्रश्नांश (क) की अवधि में कितने पत्र किस-किस संबंध में कब-कब लिखे गये हैं? लिखे गये पत्रों में से किन-किन पत्रों का निराकरण कर दिया गया है? किस-किस विषयांकित पत्रों में कार्यवाही होना शेष है? क्यों और कब तक हो जावेगी? विकासखण्ड, विभागवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) म.प्र. शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार सांसद एवं विधायकों तथा अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के पत्रों की समुचित जानकारी एवं निराकरण की सामान्य अवधि अधिकतम कितने दिवसीय है? क्या प्रश्नकर्ता को प्रेषित पत्रों की अभिस्वीकृति तथा पत्रों का उत्तर निर्धारित समयावधि में दिया गया है? यदि हाँ, तो कितने पत्र निराकृत हुए तथा कितने शेष है? यदि नहीं, तो शासन क्या कार्यवाही करेगा और समय पर पत्राचार सुलभ हो इसके लिए क्या व्यवस्था बनाई जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विभागीय कार्यों में अनियमितताएं
[जनजातीय कार्य]
149. ( क्र. 2974 ) प्रो. संजीव छोटेलाल उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिला अंतर्गत विभागीय स्कूल, छात्रावास, आश्रम एवं अन्य संस्थाओं के रख-रखाव हेतु मांग संख्या 33 एवं मांग संख्या 41 में वर्ष 2012-13 से प्रश्नांश दिनांक तक जिले को कितना आवंटन उपलब्ध कराया गया है? उक्त आवंटन से कार्य हेतु कब-कब निविदा बुलाई गई है, तिथिवार जानकारी देवें? निविदा पश्चात किन-किन ठेकेदारों द्वारा कहाँ-कहाँ पर तथा कितनी राशि के कौन-कौन से कार्य कराये गये हैं? कार्य प्रारंभ करने तथा पूर्ण करने का दिनांक सहित विकासखण्ड, विधासभा क्षेत्रवार, ग्राम पंचायतवार पूर्ण जानकारी उपलबध करायें? (ख) क्या निर्माण कार्य कराये जाने हेतु विभागीय उपयंत्री एवं सहायक यंत्री से प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई है? ऐसा क्यों तथा तकनीकी स्वीकृति कहाँ से मिली? उक्त निर्माण कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति, मूल्याकंन एवं सत्यापन तथा पूर्णता प्रमाण-पत्र किस वैधानिक आधार पर किसके द्वारा जारी किया गया है, नाम, पदनाम, विभाग सहित पूर्ण विवरण देवें। क्या निर्माण कार्य केवल कागजों में होकर राशि का आहरण कर भ्रष्टाचार किया गया है? यदि हाँ, तो क्या इन कार्यों की जाँच कराई गई है? यदि हाँ, तो जाँच प्रतिवेदन की छायाप्रति उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? जाँच कब तक कराई जावेगी? (ग) सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग मण्डला को वर्ष 2012-13 से प्रश्नांश दिनांक तक भवनों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव हेतु कितना-कितना तथ कब-कब आवंटन उपलब्ध कराया गया है वर्षवार तथा मांग संख्या अनुसार पूर्ण जानकारी देवे। किये गये कार्य, प्राक्कलन, तकनीकी स्वीकृति, प्रशासकीय स्वीकृति, प्राप्त आवंटन, मूल्यांकन, सत्यापन तथा पूर्णता प्रमाण-पत्र वैधानिक मापदण्डानुसार आदेश की छायाप्रतियां एवं व्यय सहित पूर्ण जानकारी विधानसभा क्षेत्रवार, विकासखण्डवार एवं पंचायतवार उपलब्ध करावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मण्डला जिला अन्तर्गत विभागीय स्कूल छात्रावास, आश्रम एवं अन्य संस्थाओं में रख-रखाव हेतु मांग संख्या 33 एवं मांग संख्या 41 में प्रश्नांकित अवधि में प्राप्त आवंटन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं आवंटन से स्वीकृत कार्य, निविदा तिथि, स्वीकृत कार्य की राशि, कार्य एवं प्रारम्भ करने एवं पूर्ण करने का दिनांक सहित विकासखण्ड विधानसभा क्षेत्र तथा ग्राम पंचायतवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। वर्ष 2012-13 से वर्ष 2015-16 तक के स्वीकृत कार्य विभागीय एवं तकनीकी अमले से तकनीकी स्वीकृति एवं परियोजना प्रशासक, एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना, निवास से प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त कर कार्य कराये गये हैं। वर्ष 2016-17 में प्राप्त राशि के कार्य विभागीय समीक्षा बैठक दिनांक 23.09.2016 के कार्यवाही विवरण ''प्रत्येक छात्रावासों को एकमुश्त राशि रूपये 50,000/- तक राशि उपलब्ध कराई जाये'' के पालन में अति आवश्यकता अनुसार छोटे-छोटे कार्य विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी एवं सम्बन्धित अधीक्षकों के माध्यम से कराये गये हैं। कार्यों का सत्यापन विभागीय तकनीकी अमले द्वारा किया गया है। जी नहीं। दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित शिकायत के आधार पर जाँच कराई जा रही है। (ग) सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग मण्डला को प्रश्नांकित अवधि में भवनों के निर्माण हेतु प्राप्त आवंटन निम्नानुसार है :-
(राशि लाखों में)
क्रमांक |
वर्ष |
मांग संख्या-41 अन्तर्गत प्राप्त आवंटन |
1 |
2012-13 |
720.00 |
2 |
2013-14 |
1543.00 |
3 |
2014-15 |
0.00 |
4 |
2015-16 |
0.00 |
5 |
2016-17 |
0.00 |
6 |
2017-18 |
0.00 |
रख-रखाव हेतु प्राप्त आवंटन एवं किये गये कार्यों की पूर्ण जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' में उल्लेखानुसार है।
मुख्यमंत्री की विदेश यात्रा से संबंधित
[सामान्य प्रशासन]
150. ( क्र. 2989 ) श्री अजय सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की वर्ष 2014 से अक्टूबर 2017 तक कितनी विदेश यात्राएं हुई? (ख) विदेश यात्रा में प्रदेश से साथ में कितने अधिकारी गए थे? (ग) प्रत्येक विदेश यात्रा में कितना व्यय हुआ? (घ) यात्राओं से प्रदेश में कितना-कितना निवेश आया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सतना कलेक्टर की लोकायुक्त में शिकायत
[सामान्य प्रशासन]
151. ( क्र. 2990 ) श्री अजय सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना जिले के कलेक्टर के विरूद्ध माननीय लोकायुक्त महोदय भोपाल के यहां दिनांक 29.06.17 को शिकायत की गई थी? (ख) प्रश्नांश (क) में अंकित शिकायत में अभी तक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो कब तक शिकायत का परीक्षण कर कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) शिकायत लोकायुक्त संगठन में जाँच प्रकरण क्रमांक 624/17 में पंजीबद्ध होकर जाँच में प्रचलित है।
ओंकारेश्वर परियोजना में नहर व सर्विस रोड निर्माण
[नर्मदा घाटी विकास]
152. ( क्र. 2993 ) श्री उमंग सिंघार : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ओंकारेश्वर परियोजना में धार जिले के मनावर व धरमपुरी तहसीलों में नहर व सर्विस रोड का निर्माण घटिया किस्म का किया गया है? यदि नहीं, तो उक्त नहरें व सर्विस रोड जगह-जगह से क्षतिग्रस्त क्यों हो गई है? (ख) प्रश्नांकित (क) अनुसार यह बतावें कि उक्त नहर व सर्विस रोड निर्माण हेतु निविदा में क्या शर्तें थी? उक्त निर्माण के पश्चात कितनी समयावधि में निर्माण ध्वस्त न होने संबंधी शर्त थी? (ग) प्रश्नांकित (क) अनुसार यह बतावें कि उक्त घटिया निर्माण के लिये संबंधित ठेकेदार के विरूद्ध विभाग द्वारा कोई कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों और यदि हाँ, तो कार्यवाही का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करें?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी नहीं। कुछ स्थानों पर कृषकों द्वारा नहर से सिंचाई हेतु पाइप लाइन डाली जाती है, जिससे नहर एवं सर्विस रोड क्षतिग्रस्त हो गई है, जिसे ठेकेदार द्वारा समय-समय पर ठीक किया जाता है। (ख) निर्धारित मापदण्डों के अनुसार नहर एवं सर्विस रोड का निर्माण करना है। अनुबंध अनुसार समस्त कार्य पूर्ण होने के पश्चात् एक वर्ष तक उसका रख-रखाव भी करना है। वर्तमान में नहर का निर्माण कार्य प्रगति पर है, इसलिए समस्त टूट-फूट को ठेकेदार द्वारा ठीक किया जाता है। निर्माण पश्चात् भी एक वर्ष तक संधारण ठेकेदार द्वारा किया जाएगा। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
माननीय मंत्रीगणों के निवास कार्यालय पर स्वीकृत अमला
[सामान्य प्रशासन]
153. ( क्र. 2994 ) श्री उमंग सिंघार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा माननीय मंत्रीगणों के निवास कार्यालय हेतु किस-किस श्रेणी का कितना अमला स्वीकृत है तथा वर्तमान में कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी इन स्वीकृत पदों के विरूद्ध कार्यरत है? स्वीकृत एवं कार्यरत अमले की पूर्ण जानकारी श्रेणीवार, नामवार उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांकित (क) अनुसार शासन द्वारा स्वीकृत अमले के अलावा माननीय मंत्रीगणों द्वारा उनके अधीनस्थ विभागीय कार्यालयों से किन-किन अधिकारियों/कर्मचारियों को निवास कार्यालय में नियुक्त अथवा संलग्न किया गया है? विभागवार जानकारी उपलब्ध करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्थिति
[महिला एवं बाल विकास]
154. ( क्र. 3010 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं इनमें से कितने केन्द्र स्वयं के/अन्य शासकीय भवनों/किराये के भवनों में संचालित हैं व क्यों? इनके लिये नवीन भवन स्वीकृत न करने के क्या कारण हैं? कब तक किये जावेंगे? (ख) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 689 दिनांक 18.07.2017 के प्रश्नांश (क) एवं (ख) में जानकारी दी थी सभी केन्द्रों में नलजल हैड़पंप, वाटर फिल्टर के माध्यम से पेय जल सुविधा उपलब्ध है? 23 केन्द्र शौचालय विहिन तथा सभी केन्द्र विद्युत विहिन है? (ग) क्या अधिकांश केन्द्रों में पेयजल सुविधा ठप हो गई है क्यों की अल्पवर्षा के कारण अधिकांश हैंडपंप सूख गये हैं, अधिकांश शौचालय सफाई व्यवस्था के अभाव में उपयोग के लायक नहीं रह गये है, दर्जनों केन्द्र शौचालय विहीन एवं समस्त केन्द्र विद्युत व्यवस्था विहीन असुविधा जनक एक-एक कमरे में संचालित हैं नतीजन बच्चों, किशोरी बालिकाओं व धात्री महिलाओं को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं? (घ) यदि नहीं, तो क्या शासन उक्त केन्द्रों का भौतिक सत्यापन करवाऐगा? यदि हाँ, तो कब तक भवनविहीन केन्द्रों हेतु नवीन भवन स्वीकृत किये जावेगें तथा सभी केन्द्रों में पेयजल, शौचालयों की बेहतर सुविधा/शौचालय का निर्माण व विद्युत सुविधा शीघ्र उपलब्ध कराई जावेगी? समय-सीमा बतावें। यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 518 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। इनमें से 380 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय/अन्य शासकीय भवनों में संचालित है तथा शासकीय भवन उपलब्ध न होने के कारण 138 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में संचालित है। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य वित्तीय ससांधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। (ग) नहीं। श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के ग्रामों में 1770 हेण्डपंप, 64 नलजल योजना एवं 143 वाटर फिल्टर के माध्यम से पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। नहीं। आंगनवाडी केन्द्रों पर शौचालय पर सफाई की व्यवस्था आंगनवाड़ी सहायिका के माध्यम से की जा रही है। 23 आंगनवाडी केन्द्रों पर शौचालय सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिनमें से ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत एवं नगरीय क्षेत्र में नगरपालिका व नगर परिषद के सहयोग से स्वच्छ भारत मिशन अन्तर्गत शौचालय निर्माण के प्रयास किये जा रहे है। 380 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर विद्युत सुविधा उपलब्ध नहीं है, इनमें से 166 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर विद्युत की व्यवस्था की जा रही है। (घ) जी नहीं। जिला स्तर पर पेयजल, शौचालय एवं विद्युत व्यवस्था के सबंध में अद्यतन जानकारी उपलब्ध है। अतः पृथक से भौतिक सत्यापन का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। श्योपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में उत्तरांश (ग) अनुरूप मूलभूत एवं बाल सुलभ सुविधाएं विकसित की जा रही है। आंगनवाड़ी भवनों के लिये बुनियादी सुविधाएं विकसित करने का कार्य वित्तीय ससांधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
सम्मान निधि में वृद्धि
[सामान्य प्रशासन]
155. ( क्र. 3011 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों व उनकी विधवाओं सहित मीसा बंदियों को प्रतिमाह रूपये 25 हजार सम्मान निधि (पेंशन) तथा मीसा बंदियों की विधवाओं को 12500 रूपये प्रतिमाह सम्मान निधि दी जा रही है? (ख) यदि हाँ, तो जब शासन द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों की विधवाओं को 25 हजार रूपये प्रतिमाह सम्मान निधि दी जा रही है तो मीसा बंदियों की विधवाओं को 12500 रूपये दिये जाने का क्या औचित्य है? इन्हें भी स्व.सं.से. की विधवाओं के समान 25 हजार रूपये प्रतिमाह सम्मान निधि देने पर शासन गंभीरता से विचार करेगा व इस हेतु शीघ्र आदेश जारी करेगा व कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) मध्यप्रदेश स्वतंत्रता संग्राम सैनिक सम्मान निधि नियम 1972 एवं लोकनायक जयप्रकाश नारायण (मीसा/डी.आई.आर. राजनैतिक या सामाजिक कारणों से निरूद्ध व्यक्ति) सम्मान निधि नियम 2008 के प्रावधान अनुसार। कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
वनाधिकार राजस्व अभिलेख में दर्ज की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
156. ( क्र. 3030 ) श्री रामपाल सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहडोल जिले में वनाधिकार अधिनियम २००६ के पालन में वन भूमि में काबिज व्यक्तियों को वनाधिकार प्रदान किया गया है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो उक्त जिले के प्रत्येक तहसील अंतर्गत प्रश्न दिनांक तक कितने व्यक्तियों को वनाधिकार प्रदान किया गया है और उक्त वनाधिकार पट्टों में से कितने पट्टों को राजस्व अभिलेख में दर्ज किया गया है और कितने पट्टे दर्ज नहीं किये गये हैं? यदि नहीं, किया गये तो क्यों और कब तक राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने की कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
लिपिक संवर्ग की वेतन विसंगति
[वित्त]
157. ( क्र. 3043 ) श्री गोपाल परमार : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. के अंतर्गत लिपिक संवर्ग के अंतर्गत कौन-कौन से पद आते हैं एवं पुनरीक्षित नियम 1990 से लेकर प्रश्न दिनांक तक पदवार क्या-क्या वेतनमान दिया जा रहा है? पदवार पृथक-पृथक जानकारी देवें। (ख) प्रश्न (क) के अनुसार पद अनुरूप माननीय श्री रमेशचन्द्र शर्मा के अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किन-किन पदों की वेतन विसंगति दूर करने की अनुशंसा की गई? पदवार वेतन विसंगति दूर करने की जानकारी देवें तथा ऐसा कोई पद वेतन विसंगति से वंचित किया गया है तो कौन सा पद है? (ग) माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा वेतन विसंगति दूर करने के आदेश जारी करने की घोषणा की गई है। यदि हाँ, तो कब तक आदेश जारी कर दिये जायेंगे?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) लिपिक संवर्ग के अंतर्गत निम्नानुसार पद आते है जिसका पदवार एवं वेतनमान अनुसार विवरण निम्नानुसार हैः-
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क्र. पदनाम/वेतनमान 1990 1996 2006 2017
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1. सहायक
ग्रेड-3 950-1530 3050- 4590 5200- 20200+1900 लेवल-4
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2. सहायक
ग्रेड-2/परीक्षक 1150-1800 4000- 6000 5200- 20200+2400 लेवल-6
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3. लेखापाल 1200-2040
4000- 6000 5200- 20200+2400 लेवल-6
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4. सहायक
ग्रेड-1 1400 -2340 4500 -7000 5200- 20200+2800 लेवल-7
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5. सहायक
अधीक्षक 1400-2640 5000 -8000 9300- 34800+3200 लेवल-8
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6. अधीक्षक 1640-2900
5500- 9000 9300- 34800+3600 लेवल-9
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(ख) सहायक
ग्रेड-3 का ग्रेड
वेतन रू. 1900/- के
स्थान पर रू. 2400/- किये
जाने की
अनुशंसा की गई
है। समिति का
प्रतिवेदन
सामान्य
प्रशासन
विभाग के परिपत्र
क्र. एफ- 19-58/1/4 दिनांक 8
सितम्बर, 2017
द्वारा गठित
समिति के
समक्ष
विचाराधीन है।
(ग) उपर्युक्त
''ख'' अनुसार
गठित समिति के
द्वारा
अनुशंसाओं का
परीक्षण किया
जा रहा है।
नियम विरूद्ध तरीके से सहायक संचालक एवं बी.ई.ओ. अनूपपुर का प्रभार दिये जाना
[जनजातीय कार्य]
158. ( क्र. 3046 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिले में सहायक आयुक्त ज.जा. कार्य विभाग कार्यालय में कार्यरत सहायक संचा. की मूल पदस्थापना कहाँ पर है? उनके मूल पद का ग्रेड पे कितना है? कब से पदस्थ है? कौन-कौन से नियम के आधार पर व्याख्याता को सहायक संचालक का प्रभार दिया गया है? समस्त आदेशों एवं नियमों की छायाप्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या सहायक संचालक पद पर समान वेतन एवं समान सामर्थ्य के आधार पर पदस्थापना का अधिकार शासन को है? यदि हाँ, तो जिले में पदस्थ 10+2 प्राचार्यों की पदस्थापना उक्त पद पर क्यों नहीं की गई? नियम विरूद्ध तरीके से कनिष्ठ पद वाले व्याख्याता को सहायक संचालक एवं बी.ई.ओ. अनूपपुर का प्रभार क्यों एवं किसके द्वारा दिया गया है? कौन-कौन से आदेश द्वारा दिया गया है? समस्त आदेशों की छायाप्रति देवें। (ग) क्या बी.ई.ओ. अनूपपुर के पद पर शासन स्तर से श्री नापित की पदस्थापना पूर्व से है? यदि हाँ, तो किस अधिकारी से सांठ-गांठ कर शासन के आदेश को ओवररूल कर बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के कनिष्ठ पद का व्यक्ति श्री नापित को प्रश्न दिनांक तक बी.ई.ओ. अनूपपुर का प्रभार नहीं दिया गया है और क्यों? उपरोक्त अनियमितताओं के विरूद्ध विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अनूपपुर जिले में कार्यालय सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग में कार्य कर रहे सहायक संचालक की मूल पदस्थापना प्रभारी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यालय विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी जैतहरी जिला अनूपपुर हैं। इनके मूल पद का ग्रेड-पे 9300-34800+3600 हैं। श्री श्रीवास्तव दिनांक 16.01.2015 से सहायक संचालक (शिक्षा) के पद पर अतिरिक्त प्रभार में है। कलेक्टर अनूपपुर के आदेश क्रमांक/173/सा.स्था/आदि. वि./2014 अनूपपुर दिनांक 16.01.2015 द्वारा कार्य व्यवस्था हेतु सहायक संचालक (शिक्षा) आदिवासी विकास अनूपपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। विभाग में (10+2) प्राचार्यों की कमी होने एवं जिले से प्रस्ताव प्राप्त नहीं होने के कारण स्थानीय स्तर पर जिला कलेक्टर द्वारा अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया हैं। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) प्रकरण की जाँच सक्षम अधिकारी से कराई जाकर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जायेगा।
वन अधिनियम का पालन
[जनजातीय कार्य]
159. ( क्र. 3068 ) श्री मुकेश नायक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले अंतर्गत वन अधिनियम 2006 के पालन में सामुदायिक वन अधिकार को मान्यता दी गई है? यदि हाँ, तो वन अधिकार पत्र वितरित क्यों नहीं किये गये? (ख) क्या प्रश्न क्रमांक 1077, दिनांक 11.12.2014 के उत्तर में पन्ना जिले के 148 वनखण्डों में शामिल भूमि की जाँच लंबित बतायी थी? यदि हाँ, तो अद्यतन स्थिति बतायें। (ग) क्या पन्ना जिले में शासकीय भूमि के घोटाले की जाँच एवं कार्यवाही हेतु श्री गिरीश गर्ग का पत्र दिनांक 21 जुलाई, 2017 जो मुख्य सचिव को संबोधित था, उस पर क्या कार्यवाही की? तिथिवार ब्यौरा दें। (घ) क्या विभाग को मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 की जानकारी संज्ञान में है यदि हाँ, तो विभाग द्वारा प्रकरण कहाँ-कहाँ, कब-कब पंजीबद्ध किये गये और इस नियम के संबंध में विभाग का पक्ष रखने वाला अभिमत क्या है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। पन्ना जिले में 1247 सामुदायिक हक प्रमाण-पत्र वितरण किये गये हैं। (ख) जी हाँ। प्रश्नांकित वन व्यवस्थापन की कार्यवाही प्रचलित है। (ग) पन्ना जिले में शासकीय भूमि के घोटाले की जाँच एवं कार्यवाही हेतु श्री गिरिश गर्ग का पत्र दिनांक 21 जुलाई, 2017 जो मुख्य सचिव को संबोधित था दिनांक 18.8.2017 को प्राप्त हुआ है। उक्त पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं के संबंध में जाँच कार्यवाही प्रचलन में है। (घ) जी हाँ। शेषांश की जानकारी संकलित की जा रही है।
राशि जमा करवाने के बावजूद भी ट्रांसफार्मर स्थापित न करना
[ऊर्जा]
160. ( क्र. 3070 ) श्री मुकेश नायक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वितरण कंपनियों द्वारा मुख्यमंत्री स्थाई पंप कनेक्शन योजनांतर्गत ट्रांसफार्मर लगाने, विद्युत प्रदाय हेतु खंबे गाड़ने, तार खींचने, फिटिंग करने इत्यादि हेतु कितना-कितना शुल्क किस कार्य हेतु लिये जाने का नियम है? उस संबंध में कोई परिपत्र नीति हो तो उनकी प्रति सहित बतायें तथा शुल्क लेने के बाद कौन सा कार्य किया जायेगा और न करने पर विभाग दोषी को सजा देगा तथा उपभोक्ता को हर्जाना राशि देगा? इस संबंध में कोई नियम हो तो बतायें? (ख) पन्ना जिले के क्षेत्रांतर्गत कृषक अनुदान/मुख्यमंत्री स्थाई पंप कनेक्शन योजना अंतर्गत वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि कितने व्यक्ति से जमा करवाई गई और राशि जमा होने के बाद कितने ट्रांसफार्मर लगे और कितने नहीं लगे और कितनी लाईन डालकर चालू की गई, कितनी नहीं की गई? प्रत्येक हितग्राहीवार राशि तथा कारण सहित ब्यौरा दें? (ग) क्या राशि जमा करवाने के बाद किया जा रहा विलंब नियमानुसार है? यदि हाँ, तो नियम की जानकारी बतायें? यदि नहीं, तो इसके लिये कौन दोषी है? उसके विरूद्ध अनुशासनिक तथा जुर्माना जैसी कार्यवाही कर प्रश्नकर्ता को अवगत करवाया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) वितरण कंपनियों द्वारा मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना अंतर्गत अधोसंरचना निर्माण के कार्य यथा-वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित करना, 11 के.व्ही. लाईन, एल.टी.लाईन इत्यादि हेतु लागत राशि की अंशराशि हितग्राही से जमा कराई जाती है, जिसका विवरण निम्नानुसार है:-
वर्ष |
लघु एवं सीमांत कृषक (2 हेक्टेयर से कम के भूमि धारक) |
2 हेक्टेयर तथा अधिक भूमि धारक कृषक |
|
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कृषक |
अन्य |
||
2017-18 |
5500 |
7500 |
12000 |
योजना से संबंधित राज्य शासन के पत्र दिनांक 6.9.16 से जारी निर्देश/नीति की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। कृषक द्वारा निर्धारित राशि जमा करने के उपरांत आवश्यक अधोसंरचना यथा-वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित करना, 11 के.व्ही. लाईन एवं एल.टी. लाईन खीचने इत्यादि का कार्य कर कनेक्शन प्रदान किया जाता है। बिना किसी उचित कारण के समय-सीमा में कार्य नहीं करने पर विभागीय नियमों के अनुसार कार्यवाही की जाती है। उक्त निर्देशों/नीति में हर्जाना देने का प्रावधान नहीं है। (ख) पन्ना जिले में कृषक अनुदान योजना/ मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना अंतर्गत वर्ष 2016-17 से 31.10.17 तक 1636 कृषकों द्वारा राशि रूपये 328.196 लाख जमा की गई। राशि के भुगतान के उपरांत 1206 कृषकों हेतु आवश्यकतानुसार 1050 ट्रांसफार्मर लगाये गये एवं 391 ट्रांसफार्मर लगाना शेष है। राशि के भुगतान के उपरांत 377.37 किलोमीटर 11 के.व्ही. लाईन एवं 55.40 किलो मीटर निम्नदाब लाईन का कार्य पूर्ण किया गया तथा 149.39 किलोमीटर 11 के.व्ही. लाईन एवं 14.43 किलोमीटर निम्नदाब लाईन का कार्य किया जाना शेष है, जिसका हितग्राहीवार राशि का विवरण लंबित कार्य वाले 430 प्रकरणों हेतु पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार तथा कार्य पूर्णता वाले 1206 हितग्राहियों हेतु पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। (ग) वर्तमान में लंबित 430 स्थाई कृषि पंपों का कार्य प्रगति पर है, जिनका कार्यादेश दिनांक 1.4.2017 के पश्चात जारी हुआ है। कृषि पंप उपभोक्ताओं द्वारा अंश राशि जमा करने के पश्चात कृषक अनुदान योजना में 180 दिन तथा मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना में योजना दिनांक 6.9.16 के अनुसार योजनांतर्गत 9 माह की समयावधि निर्धारित थी, जिसे राज्य शासन के आदेश दिनांक 12.9.17 द्वारा दिनांक 12.9.17 के पश्चात प्राप्त होने वाले आवेदनों हेतु 6 माह कर दिया गया है। यथासंभव निर्धारित समयावधि में कार्य पूर्णता का प्रयास किया जाता है किन्तु कतिपय अवसरों पर अपरिहार्य कारणों यथा खेतों में फसल खड़ी होने, आर.ओ.डब्ल्यू. की समस्या आदि कारणों से विलंब हो जाता है। उक्त के परिप्रेक्ष्य में किसी के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
ठेकेदार कंपनी द्वारा विद्युत कार्यों में अनियमितता
[ऊर्जा]
161. ( क्र. 3081 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ठेकेदार कंपनी टैक्नोफेब इंजी. लिमि. मुरैना जिला में किस टेंडर दर पर विद्युत कार्य कर रही है, सामग्री की रेट लिस्ट उपलब्ध कराई जावेगी? कंपनी के साईड स्टोर कहाँ-कहाँ स्थापित हैं और क्या सामान साइड पर लाने का कार्य विभाग द्वारा कुछ अंश राशि का भुगतान किया गया हैं? यदि हाँ, तो विवरण देवें? (ख) ठेकेदार कंपनी द्वारा अब तक साइड से चोरी हुए सामान की कितनी एफ.आई.आर. किस-किस पर दर्ज कराई गई है? (ग) क्या ठेकेदार कंपनी द्वारा फर्जी तरीके से साइड स्टोर पर सामान दर्शाया जाता है और उसे ही फर्जी तरीके से चोरी दर्शाकर बीमा क्लेम ले लिया जाता है? ठेकेदार कंपनी द्वारा प्रश्न दिनांक तक लिये गये बीमा क्लेमों की जानकारी दी जा सकेगी? (घ) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) में वर्णित ठेकेदार कंपनी द्वारा फर्जीवाड़ा कर शासन के लाखों रूपयों का गबन कर विद्युत कार्यों में अनियमितता कर स्वयं को ब्लेक लिस्टेड करवाने का षडयंत्र किया जाता है और लाखों रूपयों का लाभ लेकर प्रदेश से बाहर चली जाती है? इस प्रकार के कृत्यों पर विभाग कोई ठोस योजना बनाकर कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मुरैना जिले में फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत कार्यों के क्रियान्वयन हेतु ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स टैक्नोफेब इंजीनियरिंग लिमिटेड, नई दिल्ली को दिनांक 11.04.2016 को अवार्ड जारी किया गया है। निविदा प्रक्रिया उपरांत उक्त ठेकेदार एजेन्सी को जारी अवार्ड के अनुसार अवार्ड की कुल राशि की जानकारी सहित सामग्री की रेटलिस्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। उक्त कंपनी द्वारा मुरैना शहर के ए.बी. रोड पर लश्करी के पास मौजा छोंदा परगना, जिला मुरैना में साईट स्टोर स्थापित किया गया है। उक्त कंपनी को मटेरियल साईट पर लाने हेतु किसी प्रकार की राशि का भुगतान नहीं किया गया है, अवार्ड की शर्तों के अनुसार ही उक्त ठेकेदार कंपनी के देयकों का भुगतान किया गया है। (ख) मेसर्स टैक्नोफेब इंजीनियरिंग लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा किये गये कार्य में से, मटेरियल की चोरी से संबंधित प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज करने हेतु की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ग) मेसर्स टैक्नोफेब इंजीनियरिंग लिमिटेड, नई दिल्ली के साईट स्टोर में उपलब्ध सामग्री का सत्यापन एम.ए.एस. (मटेरियल एट साईट) रजिस्टर से एम.आर.सी. (मटेरियल रिसिप्ट सर्टिफिकेट) जारी करने से पूर्व, सेम्पलिंग कार्य के लिए नियुक्त अधिकारियों द्वारा किया जाता है। उक्त ठेकेदार कंपनी द्वारा फर्जी तरीके से चोरी दर्शाकर बीमा कंपनी से क्लेम लिये जाने का कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त ठेकेदार कंपनी द्वारा प्रश्न दिनांक तक बीमा कंपनी से रू. 4.35 लाख की राशि की क्लेम प्राप्त करने हेतु आवेदन दिया गया है, जिसके विरूद्ध कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। (घ) फीडर विभक्तिकरण के कार्य के लिए नियुक्त उक्त ठेकेदार कंपनी को अवार्ड की शर्तों एवं नियमों के तहत किये गये कार्यों के लिए एवं नियमानुसार मटेरियल क्रय के विरूद्ध अग्रिम राशि का ही भुगतान किया गया है। नियमानुसार अवार्ड जारी किये जाने से पूर्व बैंक ग्यारंटी जमा कराई गई है। उक्त ठेकेदार कंपनी के कार्यों एवं मटेरियल की गुणवत्ता का निरीक्षण प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेन्सी कंपनी द्वारा नियुक्त रेसीडेंट इंजीनियर एवं वितरण कंपनी के अधिकारियों द्वारा किया जाता है। उक्त ठेकेदार कम्पनी द्वारा प्रश्नांश में उल्लेखित किसी प्रकार की अनियमितता किये जाने का कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है, अत: वर्तमान में कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
पुरानी विद्युत लाईने बदलने एवं ग्रामों ऊर्जीकरण
[ऊर्जा]
162. ( क्र. 3082 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा जौरा में प्रश्न दिनांक तक कितने ग्राम एवं मजरा टोले ऊर्जीकृत कर दिये गये हैं और कितने ऊर्जीकृत करने हेतु अभी तक शेष है? (ख) क्या विधानसभा क्षेत्र जौरा के ग्राम खरिका, बिलगांव क्वारी, कैमरा, कुर्रोली, डोंगरपुर, प्रश्न दिनांक तक विद्युत विहीन हैं? यदि हाँ, तो इन्हें ऊर्जीकृत करने की विभाग की क्या योजना है और इन्हें कब तक ऊर्जीकृत कर दिया जावेगा? यदि नहीं, तो वस्तु स्थिति से सक्षम अधिकारी की भौतिक रिपोर्ट सहित अवगत कराया जावेगा? (ग) क्या विधानसभा जौरा अंतर्गत ऐसी कितनी जर्जर पुरानी विद्युत लाइनें है, जिससे दुर्घटना होने की आकांशाएं बनी रहती है? क्या विभाग द्वारा जर्जर एवं पुरानी लाईनों को चिन्हित किया गया है? यदि हाँ, तो उन्हें बदलने की विभाग की क्या योजना है एवं चिन्हित की गई लाईनों का विवरण दिया जा सकेगा? यदि नहीं, तो विभाग द्वारा सर्वे कराया जाकर जर्जर एवं पुरानी लाईनों को चिन्हित कर उन्हें बदलने की कोई योजना बनायेगा? क्या समय-सीमा निर्धारित की जा सकेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मुरैना जिले के जौरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 208 ग्राम है जो कि पूर्व से ही विद्युतीकृत है। उक्त ग्रामों में से 129 ग्रामों में सघन विद्युतीकरण का कार्य संपादित कराया जा चुका है तथा 79 ग्रामों में सघन विद्युतीकरण का कार्य कराया जाना शेष है। मुरैना जिले के जौरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सर्वे के आधार पर संकलित जानकारी अनुसार 639 मजरे/टोले हैं जिनमें से 271 मजरों/टोलों में विद्युतीकरण का कार्य संपादित कराया जा चुका है एवं 368 मजरों/टोलों में विद्युतीकरण कार्य कराया जाना शेष है। (ख) जौरा विधानसभा क्षेत्र के प्रश्नांश में उल्लेखित ग्रामों यथा बिलगांव क्वारी, खरिका, कुर्रोली, कैमारा एवं डोंगरपुर जांगीर में वर्तमान में घरेलू विद्युत उपयोग हेतु अधोसंरचना उपलब्ध नहीं है, किन्तु ग्राम, बिलगांव क्वारी, खरिका एवं कुर्रोली में कृषि उपयोग हेतु स्थापित वितरण ट्रांसफार्मर से आंशिक क्षेत्र में विद्युत प्रदाय चालू है। इन ग्रामों में से ग्राम खरिका, कुर्रोली, कैमारा एवं डोंगरपुर जांगीर में विद्युत प्रदाय हेतु अधोसंरचना उपलब्ध कराये जाने सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित है एवं ग्राम बिलगांव क्वारी में विद्युत प्रदाय हेतु अधोसंरचना उपलब्ध कराये जाने सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में सम्मिलित है। उक्त कार्यों के क्रियान्वयन हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने एवं अवार्ड जारी होने के पश्चात चयनित टर्न-की ठेकेदार एजेंसी से उक्त कार्य संपादित कराया जा सकेगा, अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। प्रश्नांश में उल्लेखित ग्रामों में सघन विद्युतीकरण का कार्य उक्त योजनाओं में सम्मिलित होने के परिप्रेक्ष्य में तत्संबंध में पृथक से सक्षम अधिकारी की भौतिक रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं है। (ग) जौरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत संज्ञान में आए/चिन्हित 11 के.व्ही. के 6 फीडरों यथा- बुरावली, जौनारा, बीरमपुरा, किरावली वघरोली एवं देवगढ की पुरानी विद्युत लाईनों के सुदृढी़करण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। विद्युत लाईनों सहित समस्त विद्युत अधोसंरचना के संधारण का कार्य वर्ष में 2 बार-यथा वर्षा पूर्व एवं वर्षा ऋतु के पश्चात एवं समय-समय पर आवश्यकता के अनुरूप किया जाता है जिसमें विद्युत लाईनों को व्यवस्थित किया जाता है ताकि लाईनों एवं उपकरणों के तकनीकी रूप से खराब होने की संभावना न्यूनतम की जा सके तथा किसी प्रकार की दुर्घटना की आशंका नहीं रहे। उल्लेखनीय है कि विद्युत अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण का कार्य आवश्यकता एवं वित्तीय उपलब्धता के दृष्टिगत एक सतत प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाता है। आगामी तीन माहों में जौरा विधानसभा क्षेत्र की पुरानी लाईनों के रख-रखाव/ सुदृढ़ीकरण के लिए सर्वे कार्य कराया जाकर, तकनीकी दृष्टि से आवश्यक कार्य वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर से विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कराया जावेगा।
कैश बुक चोरी मामले में कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
163. ( क्र. 3087 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सामान्य प्रशासन विभाग की सत्कार शाखा से वर्ष 2006 में कैश बुक चोरी मामला उजागर हुआ था? यदि हाँ, तो क्या कैग द्वारा मामले की छानबीन कर आपत्ति लेते हुए विभाग को पत्र लिखे हैं? (ख) यदि हाँ, तो कब-कब, क्या-क्या पत्र लिखे और उनका प्रति उत्तर विभाग द्वारा कब-कब, क्या-क्या दिया गया? यदि नहीं, तो क्या हिसाब व बिल बाउचर मिल गये हैं? यदि नहीं, तो शासन द्वारा किन-किनके विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई और यदि नहीं, तो क्यों? कारण सहित यह अवगत करावें कि शासन को जो वित्तीय हानि हुई है उसकी भरपाई कैसे व किसके द्वारा की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। राज्य सत्कार कार्यालय में कैश बुक चोरी होने की घटना घटित हुइ थी परन्तु महालेखाकार (कैग) द्वारा राज्य सत्कार कार्यालय को कैश बुक चोरी होने के संबंध में कोई पत्र नहीं लिखा गया है। (ख) महालेखाकार कार्यालय द्वारा राज्य सत्कार कार्यालय से वर्ष 2004-05 से 2006-07 के बीच ए.सी. बिल्स से आहरित धनराशि का डी.सी. बिल्स प्राप्त नहीं होने के संबंध में लेख किया गया है। महालेखाकार का पत्र एवं उसका जवाब संलग्न परिशिष्ट पर है। चूंकि माननीय न्यायालय द्वारा किसी भी अधिकारी/कर्मचारी को दोषी नहीं पाया गया, अत: शासन को हुई वित्तीय हानि की भरपाई किसी के द्वारा किए जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किये गये निर्माण कार्य
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
164. ( क्र. 3094 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये विभाग द्वारा कौन-कौन सी योजनायें संचालित की जा रही है तथा इसके क्या मापदण्ड हैं? योजनावार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) परासिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा कौन-कौन से कार्य कितनी-कितनी राशि से कराये गये हैं? प्रति वर्षवार कराये गये कार्यों की सूची भौतिक स्थिति सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) परासिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विभाग द्वारा कौन-कौन से कार्य किन-किन योजनाओं के अंतर्गत कितनी लागत से कराया जाना प्रस्तावित है? (घ) परासिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रश्न दिनांक तक किन-किन कार्यों हेतु कितनी राशि की स्वीकृति प्रदान की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये विभाग द्वारा पवन ऊर्जा क्रियान्वयन नीति-2012, सौर ऊर्जा क्रियान्वयन नीति 2012, बायोमास आधारित क्रियान्वयन नीति-2011 एवं लघु जल विद्युत आधारित क्रियान्वयन नीति-2011 के आधार पर परियोजनाएं स्थापित की जाती है। विभाग द्वारा संचालित अन्य योजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) परासिया विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा कराये गये कार्यों, राशि इत्यादि की जानकारी का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) परासिया विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत विभाग द्वारा प्रस्तावित कार्यों का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।
निर्माण कार्यों की स्वीकृति
[जनजातीय कार्य]
165. ( क्र. 3095 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना (तामिया) अंतर्गत विगत 2 वर्षों से शासन द्वारा कोई राशि आवंटित नहीं की गई है? जिसका क्या कारण है? कब तक एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना (तामिया) को राशि आवंटित करा दी जायेगी? (ख) एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना (तामिया) अंतर्गत संपूर्ण छिन्दवाड़ा जिले से वर्ष 2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में किन-किन विभिन्न निर्माण कार्यों के प्रस्ताव स्वीकृति हेतु विभाग द्वारा भेजे गये हैं वर्षवार पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना (तामिया) अंतर्गत) संपूर्ण छिन्दवाड़ा जिले से वर्ष 2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में जो विभिन्न निर्माण कार्यों के प्रस्ताव स्वीकृति हेतु विभाग द्वारा शासन को भेजे गये हैं? उन सभी निर्माण कार्यों की स्वीकृति कब तक प्रदान कर दी जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। विगत दो वर्षों में राशि आवंटित की गई है। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) निर्माण कार्यों की स्वीकृति, राज्य शासन द्वारा प्रेषित प्रस्तावों के आधार पर भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय के स्तर पर गठित प्रोजक्ट एप्रेजल कमेटी के अनुमोदन अनुसार दी जाती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ' ब' अनुसार है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
इंदौर जिले में कुल स्थित जोन राजेन्द्र नगर के जोन को अलग
[ऊर्जा]
166. ( क्र. 3100 ) श्री जितू पटवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.वि.वि.क. के अंतर्गत जोन निर्माण किये जाने के क्या-क्या प्रावधान या नियम हैं? जानकारी देवें एवं कंपनी द्वारा कितने उपभोक्ताओं पर जोन का निर्माण किया जाता है? छायाप्रति सहित जानकारी प्रदान करें? (ख) इंदौर शहर वृत्त के अन्तर्गत वर्तमान में कितने जोन स्थापित होकर प्रत्येक जोन में कितने उपभोक्ता हैं एवं इन जोनों का भौगोलिक क्षेत्र कितना है जानकारी देवें? (ग) क्या राजेन्द्र नगर जोन में उपभोक्ताओं की संख्या अत्यधिक होकर इसका भौगोलिक क्षेत्र भी बहुत अधिक है? (घ) यदि प्रश्नांश तीन हाँ तो राजेन्द्र नगर जोन को दो अलग-अलग जोनों में विभाजित किये जाने की माँग विगत कई समय से किये जाने के संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? (ड.) राजेन्द्र नगर जोन को दो जोनों में विभाजित किये जाने की कार्यवाही कब तक पूर्ण कर ली जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) वितरण कंपनियों की स्वीकृत संगठनात्मक संरचना में वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत उपसंभाग/जोन निर्माण किये जाने संबंधी प्रावधान सम्मिलित हैं। प्रश्न के सन्दर्भ में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की संगठनात्मक संरचना अनुसार उपभोक्ताओं की संख्या 20,000 या अधिक होने पर तकनीकी एवं भौगोलिक आवश्यकता के आधार पर एक उपसंभाग/जोन का गठन किये जाने का प्रावधान है। म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की संगठनात्मक संरचना के उक्त प्रावधानों से संबंधित भाग की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) इन्दौर शहर वृत्त के अंतर्गत वर्तमान में 28 जोन कार्यालय स्थापित है। उक्त 28 जोन कार्यालयों में से प्रत्येक जोन से संबद्ध विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या एवं प्रत्येक जोन के भौगोलिक क्षेत्रफल की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ग) राजेन्द्र नगर जोन के अंतर्गत कुल विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 33,470 है तथा इसका भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 11 वर्ग किलोमीटर है। (घ) प्रश्नाधीन माँग के संबंध में प्रस्ताव का, म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा परीक्षण किया जा रहा है। (ड.) उत्तरांश (घ) में दर्शाए अनुसार राजेन्द्र नगर जोन को विभाजित कर नवीन जोन बनाये जाने हेतु प्रस्ताव का परीक्षण प्रक्रियाधीन है, अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
आदिवासी परियोजना के कार्य
[जनजातीय कार्य]
167. ( क्र. 3136 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिंगरौली जिले के देवसर एवं सीधी जिले के कुसमी आदिवासी परियोजना अंतर्गत विगत 03 वर्षों कितनी राशि आवंटित की गई? (ख) विधानसभा क्षेत्रवार परियोजना में शामिल ग्रामों में आवंटित राशि से क्या-क्या विकास कार्य हुए हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सिंगरौली जिले के देवसर एवं सीधी जिले के कुसमी आदिवासी परियोजना अंतर्गत विगत 03 वर्षों में आवंटित राशि का विवरण निम्नानुसार है :-
(राशि रू. लाख में)
वर्ष |
विशेष केन्द्रीय सहायता |
संविधान के अनुच्छेद 275 (1) |
||
राजस्व मद |
पूंजीगत मद |
योग |
||
परियोजना देवसर |
||||
2014-15 |
68.89 |
32.49 |
101.38 |
215.24 |
2015-16 |
9.00 |
0.00 |
9.00 |
61.78 |
2016-17 |
0.00 |
0.00 |
0.00 |
0.00 |
परियोजना कुसमी |
||||
2014-15 |
96.10 |
25.90 |
122.00 |
122.26 |
2015-16 |
43.00 |
0.00 |
43.00 |
42.00 |
2016-17 |
0.00 |
0.00 |
0.00 |
0.00 |
(ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
कुपोषण की योजनाएं
[महिला एवं बाल विकास]
168. ( क्र. 3137 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले में ब्लॉकवार कितने कुपोषित बच्चे चिन्हित किये गये हैं? (ख) विभाग द्वारा कुपोषण दूर करने हेतु क्या-क्या योजनाएं चलाई जा रही हैं? योजनावार विवरण दें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) सीधी एवं सिंगरौली जिले में ब्लॉकवार चिन्हांकित कुपोषित बच्चों की जानकारी क्रमशः संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-क एवं ख पर है। (ख) कुपोषण की रोकथाम हेतु आई.सी.डी.एस. योजना का क्रियान्वयन, अटल बिहारी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इनके अंतर्गत अतिकम वजन वाले बच्चों को थर्डमील का प्रदाय, चिन्हित ग्रामों में स्नेह शिविरों का आयोजन किया जाता है। अतिकम वजन वाले बच्चों में से चिन्हित बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्रों में संदर्भित किया जाता है। अतिकम वजन वाले बच्चों के पोषण की देखभाल जनसमुदाय, जनप्रतिनिधियों एवं प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा जिम्मेदारी लिये जाने हेतु स्नेह सरोकार कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों की संख्या का आंकलन करने हेतु विशेष वजन अभियान का आयोजन 01 नवम्बर, 2016 से 28 फरवरी, 2017 तक किया गया। इस अभियान में सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पर्यवेक्षकों द्वारा बच्चों का वजन लेकर उनके पोषण स्तर का निर्धारण किया गया। इस अभियान में चिन्ह्ति कम वज़न एवं अतिकम वज़न के बच्चों के पोषण स्तर में सतत् सुधार तथा फॉलोअप हेतु पुनः विशेष पोषण अभियान का प्रांरभ किया जा रहा है।
घोषणाओं का क्रियान्वयन
[सामान्य प्रशासन]
169. ( क्र. 3146 ) श्री सचिन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक माननीय मुख्यमंत्री द्वारा कितनी घोषणाएं की गई? (ख) कितनी घोषणाएं पूर्ण की गई? कितनी शेष है? शेष के क्या कारण हैं? इन्हें कब तक पूर्ण कर ली जायेगी? (ग) उपरोक्तानुसार घोषणाओं पर समय पर कार्यवाही नहीं किए जाने के संबंध में क्या संबंधितों की जवाबदेही सुनिश्चित की गई है? हाँ तो बतायें? नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) माननीय मुख्यमंत्रीजी द्वारा प्रश्नांकित अवधि में कुल 4140 घोषणाएं की गई। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। घोषणाओं का क्रियान्वयन निहित प्रावधान/प्रक्रियाओं के तहत किया जाता है। यह एक सतत प्रक्रिया है। समय-सीमा बताया जाना सम्भव नहीं है। (ग) घोषणाओं के क्रियान्वयन की समय-सीमा बताई जाना सम्भव नहीं है अत: जवाबदेही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डूब प्रभावित विस्थापन परिवारों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना
[ऊर्जा]
170. ( क्र. 3147 ) श्री सचिन यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महेश्वर जल परियोजना के अंतर्गत कसरावद विधानसभा क्षेत्र के ग्राम लेपा, तेलियॉव, नहारखेड़ी, अमलाथा, भट्टायाण बुजुर्ग एवं ससावड के डूब प्रभावित परिवारों का विस्थापन पुनर्वास नीति, प्रावधानों के अनुसार मूलभूत सुविधाएं पेयजल विद्युत, सड़क एवं 30 बिस्तरों वाला चिकित्सालय आदि की व्यवस्थाएं किन-किन विभागों के अंतर्गत कौन-कौन से कार्य किये गये थे? क्या उक्त सभी कार्यों को पूर्ण कर उक्त मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति कर दी गई है? हाँ तो कार्यवार सूची दें। नहीं तो कारण बतायें? (ख) प्रश्नकर्ता द्वारा उक्त मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के संबंध में किस-किस माध्यम से कब-कब, कितने-कितने पत्र प्राप्त हुए तथा तत्संबंध में क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (क) में दर्शित कार्यों का स्थल निरीक्षण एवं भौतिक सत्यापन कर प्रश्न दिनांक तक की वस्तुस्थिति से कार्यवार तत्संबंधी जानकारी दें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) महेश्वर जल विद्युत परियोजना के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र कसरावद के ग्राम लेपा, तेलियॉव, नहारखेडी, अमलाथा, भट्याण बुजुर्ग एवं ससावरड़ के डूब प्रभावितों के विस्थापन हेतु पुनर्वास स्थलों पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की पुनर्वास नीति के अनुसार महेश्वर जल विद्युत परियोजना के द्वारा उपलब्ध कराई गई मूलभूत सुविधाएं यथा पेयजल, विद्युत, सड़क एवं सार्वजनिक भवनों संबंधी की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। पुनर्वास नीति में महेश्वर जल विद्युत परियोजना से प्रभावित किसी भी ग्राम में 30 बिस्तरों वाले अस्पताल की सुविधा न होने के कारण, पुनर्वास नीति अनुसार पुनर्वास स्थलों पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण किया गया है। निजी क्षेत्र की इस परियोजना में वर्तमान में परियोजना प्रबंधन द्वारा धन उपलब्ध न करवाये जाने के कारण निर्माण कार्य शेष है। परियोजना प्रबंधन द्वारा धन उपलब्ध करवाये जाने पर शेष निर्माण कार्य पूर्ण कर लिये जावेगें। (ख) प्रश्नांकित पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाये जाने के बारे में माननीय विधायक महोदय द्वारा विधानसभा तारांकित प्रश्न क्रं. 2720, (जुलाई-2014), 2568 (फरवरी-2016) एवं प्रश्न क्रं. 1655 (जुलाई-2017) के माध्यम से जानकारी चाही गई थी। चाही गई जानकारी का प्रत्युत्तर समय पर प्रस्तुत किया गया। पुनर्वास स्थलों पर रहवासियों के द्वारा मूलरूप से पीने के पानी एवं अन्य शेष कार्यों के बारे में मौखिक रूप से शिकायत की जाती रही है। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार कंपनी द्वारा पुनर्वास हेतु आवश्यक धन उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण कार्य प्रभावित हुए है। (ग) विभिन्न पुनर्वास स्थलों की अद्यतन स्थिति की जानकारी उत्तरांश 'क' में उल्लेखित संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
वेबसाइट बनाने में अनियमितता
[सामान्य प्रशासन]
171. ( क्र. 3151 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग की वेबसाइट बनाने के लिए लगभग 16 लाख रूपये का अनुबंध किया गया है और वेंडर के चयन में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया? क्या वेबसाइट बनाने के पहले ही वेंडर को एंडवास में पूरा भुगतान कर दिया गया? यदि हाँ, तो वेंडर का पता व नाम, एडवांस भुगतान का कारण बतावें? यह वेबसाइट गूगल पर सर्च क्यों नहीं होती है? (ख) क्या मध्यप्रदेश में सूचना आयुक्तों के 2 पद लम्बे समय से रिक्त हैं? यदि हाँ, तो रिक्त पदों की पूर्ति के लिए प्रश्न दिनांक तक की गई कार्यवाही की जानकारी दें? रिक्त पदों के लिए विभाग को कुल कितने आवेदन प्राप्त हुए? सभी आवेदन करने वालों के नाम बताएं? रिक्त पदों पर पूर्ति कब तक कर दी जायेगी, समय अवधि बताएं? (ग) सूचना के अधिकार का प्रचार-प्रसार करने के लिए 1 जनवरी, 2015 से प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा कौन-कौन से कार्यक्रम, किस दिनांक को किस गांव/शहर में आयोजित किये गये? इन पर व्यय की गई राशि की जानकारी वर्षवार पृथक-पृथक दें। यदि सूचना के अधिकार पर सेमीनार, पुस्तक का प्रकाशन किया गया तो उसका विवरण राशि सहित दें? (घ) सूचना के अधिकार का प्रचार-प्रसार करने का कार्य कौन-कौन सी अशासकीय संस्थाओं, एन.जी.ओ. को 1 जनवरी, 2015 से प्रश्न दिनांक तक दिया गया? ऐसे एन.जी.ओ. अशासकीय संस्थाओं के नाम, उनको विभाग द्वारा जारी किये गये आदेश एवं स्वीकृत की गई राशि की सूची वर्षवार पृथक-पृथक उपलब्ध कराएं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। राज्य सूचना आयोग की वेबसाइट निर्माण हेतु रू 3.50 लाख का भुगतान किया गया। भारत सरकार, कार्मिक मंत्रालय के पत्र क्र. 1/12/2008 आई.आर. दिनांक 23.06.2008 के माध्यम से सूचित किया गया कि आंध्रप्रदेश शासन की संस्था सेंटर फॉर गुड गवर्नेन्स, हैदराबाद से यह कार्य कराया जाए। शर्त अनुसार उन्हें अग्रिम भुगतान किया गया। पता- डायरेक्टर जनरल, सेंटर फॉर गुड गवर्नेन्स, रोड नं. 25, जुबली हिल्स हैदराबाद है। वेबसाइट का URL - sic.mp.gov.in है, जो गूगल पर सर्च होती है। (ख) जी हाँ। आवेदन आमंत्रित किये गए हैं। आवेदनों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। कार्यवाही प्रचलन में है। समयावधि बताना संभव नहीं है। (ग) एवं (घ) कोई राशि व्यय नहीं की गई। शेषांश प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जाँच करवाने संबंधी
[ऊर्जा]
172. ( क्र. 3154 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कुक्षी विधानसभा क्षेत्र में विकासखण्ड निसरपुर में ग्राम चोरबावड़ी लोगी के नवीन ग्रिड पर पुराना सामान क्यों लगाया गया? (ख) इस ग्रिड पर लगाये गये संपूर्ण सामान के बिलों की जानकारी देवें? (ग) इसकी कब तक जाँच करवाकर इसे बदला जाएगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) धार जिले के अंतर्गत कुक्षी विधानसभा क्षेत्र में विकासखण्ड निसरपुर में ग्राम चोरबावड़ी लोणी (चोरबावड़ी लोगी नहीं) में पूर्व से स्थापित 3.15 एम.व्ही.ए. क्षमता के 33/11 के.व्ही. अस्थाई उपकेन्द्र को स्थाई उपकेन्द्र में परिवर्तित करने हेतु मेसर्स सांई सुधीर प्रा.लि. हैदराबाद को अवार्ड जारी किया गया था। उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा अधूरा/आंशिक कार्य कर कार्य बन्द कर दिया गया था। उक्त कार्य का भुगतान ठेकेदार एजेन्सी को नहीं किया गया तथा जारी अवार्ड को निरस्त कर उपकेन्द्र के निर्माण हेतु लाई गई सामग्री को जब्त कर लिया गया था। उक्त उपकेन्द्र के निर्माण हेतु पुन: निविदायें आमंत्रित कर ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स ऑफ श्योर मुम्बई को अवार्ड जारी किया गया तथा उक्त एजेन्सी द्वारा जब्त सामग्री का उपयोग करते हुये अन्य नवीन सामग्री सहित उपकेन्द्र का कार्य पूर्ण किया गया है। उक्त स्थिति से माननीय विधायक महोदय को अधीक्षण यंत्री (संचा-संधा) वृत्त धार द्वारा उनके पत्र दिनांक 07.09.2017 से पूर्व में भी अवगत करवाया जा चुका है। (ख) कुक्षी विधानसभा क्षेत्र में विकासखण्ड निसरपुर में ग्राम चोरबावड़ी लोणी के प्रश्नाधीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र पर मेसर्स ऑफ श्योर मुंबई के द्वारा उपयोग की गई नवीन सामग्री के भुगतान हेतु प्रस्तुत किये गये बिलों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। उल्लेखनीय है कि मेसर्स साँई सुधीर प्रा.लि. हैदराबाद द्वारा छोड़े गये सामान हेतु भुगतान नहीं किये जाने के कारण, बिलों की जानकारी उपलब्ध नहीं है। (ग) धार जिले के अन्तर्गत कुक्षी विधानसभा क्षेत्र में विकासखण्ड निसरपुर में ग्राम चोरबावड़ी लोणी के प्रश्नाधीन उपकेन्द्र पर उपयोग की गई समस्त विद्युत सामग्री का निरीक्षण किया जा चुका है एवं उपकेन्द्र में नवीन सामग्री के अतिरिक्त मेसर्स सांई सुधीर प्रा.लि. हैदराबाद से जब्त विद्युत सामग्री का ही उपयोग किया गया है। उपकेन्द्र के कार्य में प्रयुक्त समस्त सामग्री उपयोगी/उचित गुणवत्ता की हैं, अत: इसे बदले जाने का प्रश्न नहीं उठता।
रिक्त पदों की पूर्ति
[महिला एवं बाल विकास]
173. ( क्र. 3158 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) महिदपुर वि.स. क्षेत्र अंतर्गत विभाग में कितने पद स्वीकृत हैं? पदनाम सहित बतावें कि इनके समक्ष कितने पद रिक्त हैं? कितने शेष है? (ख) रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर दी जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर। (ख) पदों की रिक्ति एवं पूर्ति निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। अत: रिक्त पदों की पूर्ति हेतु समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
सोलर एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों से बिजली खरीदी
[ऊर्जा]
174. ( क्र. 3159 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले के सोलर एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों से एम.पी. पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा बिजली खरीदी के लिये कितने मेगावाट क्षमता के विद्युत क्रय अनुबंध किये गये हैं? इकाईवार बताएँ? (ख) दिनांक 30.09.2017 तक उपरोक्त संयंत्रों से इकाईवार उत्पादन तथा एम.पी. पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा क्रय की गई बिजली की राशि एवं यूनिट की विक्रेतावार जानकारी देंवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) उज्जैन जिले में स्थापित सोलर ऊर्जा संयंत्रों से 17 मेगावाट एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों से 107.40 मेगावाट क्षमता हेतु एम.पी.पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विद्युत क्रय अनुबंध निष्पादित किये गये हैं। इकाईवार क्षमता की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) सोलर एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों से विक्रेतावार, इकाईवार उत्पादन, क्रय की गई बिजलीं एवं देय राशि संबंधी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं प्रपत्र-'ब' अनुसार है।
भेदभाव पूर्ण अनुकंपा नियुक्ति की नीति
[ऊर्जा]
175. ( क्र. 3164 ) श्री हर्ष यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल/कंपनी में अनुकंपा नियुक्ति नीति 2013 (संशोधित) में क्या दुर्घटना में मृत कर्मचारियों के आश्रितों को ही अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान है? सामान्य मृत्यु वाले कर्मचारियों के आश्रितों का अनुकंपा देने का उक्त नीति में क्या प्रावधान है? (ख) क्या विभाग उक्त अनुकंपा नीति में संशोधन कर सामान्य मृत्यु से मृत कर्मचारियों के आश्रितों को भी नियुक्ति देने के नियम बनायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्या प्रश्नांश (क) वर्णित अनुकंपा नियुक्ति नीति 2013 (संशोधित) में भेदभाव व अन्यायपूर्ण कार्यवाही की जा रही है, जबकि शासन की नीति स्पष्ट हैं? शासन की नीति व अन्य विभागों की नीति में भी सभी मृतकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल की उत्तरवर्ती विद्युत कंपनियों यथा- म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड एवं एम.पी. पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड की अनुकंपा नियुक्ति नीति 2013 (संशोधित) एवं म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की अनुकंपा नियुक्ति नीति 2016 (संशोधित) में ऐसे नियमित कार्मिक जिनकी मृत्यु दिनांक 15.11.2000 के पश्चात किन्तु दिनांक 10.04.2012 के पूर्व म.प्र.रा.वि.मंडल/कंपनी का कार्य करते समय आकस्मिक दुर्घटना, विद्युत दुर्घटना अथवा वाहन दुर्घटना के कारण हुई हो, के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति हेतु पात्रता है। साथ ही, दिनांक 10.04.2012 के पश्चात के सामान्य मृत्यु वाले नियमित कार्मिकों के आश्रितों को भी अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान है। (ख) म.प्र. राज्य विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती विद्युत कंपनियों में दिनांक 10.04.2012 के पश्चात के सामान्य मृत्यु वाले नियमित कार्मिकों के आश्रितों को, अनुकंपा नियुक्ति नीति के प्रावधान अनुसार, अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता है। (ग) जी नहीं, म.प्र. राज्य विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती विद्युत कंपनियों की अनुकंपा नियुक्ति नीति राज्य शासन से अनुमोदित हैं।
लोकायुक्त जाँच प्रकरण पर कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
176. ( क्र. 3165 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग से संबंधित लोकायुक्त जाँच प्रकरण 149/2015 (याचिका डब्ल्यूपी 2771/2015) पर सामान्य प्रशासन विभाग से प्राप्त पत्र पृष्ठांकन क्रमांक एफ 22-15/2010/1-10 दिनांक 27.10.2017 पर विभाग द्वारा अब तक की गई कार्यवाही का ब्यौरा दें? (ख) रूपये 68 करोड़ से संबंधित पद के दुरूपयोग, अनियमितता, गबन प्रकरण में तथा प्रशांत मेहता समिति की रिपोर्ट पश्चात अनुसूचित जनजाति और जाति विभाग द्वारा जिन-जिन विधानसभा प्रश्नों के उत्तरों में अपर संचालक को प्रति हस्ताक्षर के अधिकार नहीं होना प्रतिवेदित किया है उनकी जानकारी विभागीय जाँच आयुक्त के ध्यान में किस पत्र द्वारा कब लाई गई? नहीं तो क्यों? (ग) लोकायुक्त जाँच क्रमांक 118/2015 में आयुक्त आदिवासी विकास ने किस अपर संचालक को दोषी पाया है? दोषी के विरूद्ध कार्यवाही न करने का कारण बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) लोकायुक्त जाँच प्रकरण क्रमांक 149/2015 में सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक एफ 22-15/2010/1-10, दिनांक 27.10.2017 पर महानिदेशक, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, भोपाल को कार्यवाही के निर्देश दिए गये है। पृष्ठांकित पत्र में दिए गए निर्देशानुसार लोकायुक्त संगठन के चाहेनुसार आवश्यक सहयोग प्रदान किया जावेगा। (ख) कार्यालय आयुक्त, अनुसूचित जाति विकास, म.प्र. के पत्र क्र./स्था.2/न.क्र.- 23/डी/2017/5399-5400, दिनांक 18.08.2017 द्वारा अपर संचालक को प्रति हस्ताक्षर के अधिकार नहीं होने संबंधी जानकारी से विभागीय जाँच आयुक्त, म.प्र के ध्यान में लाया गया। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) आयुक्त, जनजातीय कार्य विकास, म.प्र. द्वारा अभिमत दिया गया है कि ''श्री भण्डारी, अपर संचालक, आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं, भोपाल का यह कहना उचित नहीं है कि उनके द्वारा वाहन चालकों की नियम विरूद्ध नियुक्ति के लिये वे दोषी नहीं है। आगामी कार्यवाही परीक्षणाधीन है।
फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों पर कार्यवाही
[जनजातीय कार्य]
177. ( क्र. 3169 ) श्री कमलेश शाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रायसेन की खाद्य सुरक्षा अधिकारी सुषमा कुमरे के संबंध में विभाग के प्रमुख सचिव एवं जाति प्रमाण-पत्र छानबीन समिति मंत्रालय को माह सितम्बर 2017 में फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों को लेकर शिकायत की गई है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक इस पर क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) इस पर कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) पत्र आयुक्त, आदिवासी विकास एवं सचिव, मध्यप्रदेश राज्य स्तरीय जाति प्रमाण-पत्र जाँच समिति को परीक्षण हेतु भेजा गया है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
स्थानांतरण की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
178. ( क्र. 3170 ) श्री रमेश पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या 7 सहायक यंत्रियों में से 6 सहायक यंत्री के पदों को आयुक्त कार्यालय आ. जाति विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है? बैतूल जिले के संबंध में बतावें। (ख) सहायक आयुक्त आदिवासी कार्यालय बैतूल में सहायक यंत्री के पद को यथावत रखे जाने का औचित्य बतावें। क्या इस पद पर किसी सहायक यंत्री को पदस्थ किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) बैतूल जिले में ऐसे कितने अधिकारी/कर्मचारी हैं जिनका स्थानांतरण अन्यत्र होने के बाद भी प्रश्न दिनांक तक उन्हें भारमुक्त नहीं किया गया है? सूची स्थानांतरण दिनांक सहित देवें। (घ) इन्हें कब तक भारमुक्त कर दिया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। अपितु आयुक्त जनजातीय कार्य विकास के आदेश क्रमांक/स्था.2/न.क्र.38/2016/10782 दिनांक 18.5.16 द्वारा प्रशासकीय अनुमोदन अनुसार तकनीकी निर्माण अमले के उपखण्डों के कार्यक्षेत्र का पुनर्गठन करते हुये 06 उपखण्डों का कार्यक्षेत्र निर्धारण एवं निर्माण अमले के पदों को रिडिप्लाय (अंतरित) किया गया है। बैतूल जिले में विभाग के ज्ञाप क्रमांक-एफ-4-6/91/1 पच्चीस दिनांक 15.02.1993 के द्वारा सहायक यंत्री का 01 पद जिला कार्यालय में पुर्नवास परियोजना शाहपुर जिला बैतूल का सामान्यीकरण-अधिकारी/कर्मचारियों का संविलियन कर विभाग को हस्तांतरित कर पद निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। उक्त पद वर्तमान में यथावत है। (ख) प्रश्नांश ''क'' अनुसार यथावत है। स्थानांतरण एवं पदस्थापना निरंतर एवं सतत् प्रक्रिया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम 9 में दर्शित अनुसार है।
ग्रामीणों के सामुदायिक वन अधिकार मान्या नहीं किये जाने
[जनजातीय कार्य]
179. ( क्र. 3183 ) श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वन अधिकार कानून 2006 बनाया गया है जिनकी धारा (3) (1) (ख) में सामुदायिक वन अधिकारों को मान्यता दी गई क्या ये कानून जनवरी, 2008 से लागू हो गया है? (ख) क्या गुना जिले में बड़े झाड़ छोटे झाड़ के जंगल मद में दर्ज जमीन पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज अधिकार एवं प्रयोजनो के सामुदायिक वन अधिकार पत्र एवं भ.द.व. वन अधिनियम 1927 की धारा 5 से 19 तक की जाँच के लिये लम्बित वर्किंग प्लावन में शामिल भूमियों पर भी सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किये गये हैं या नहीं? नहीं तो क्यों अवगत करावे? (ग) क्या म.प्र.शासन वन विभाग ने विधानसभा प्रश्न क्रमांक 1077 दिनांक 11 दिसम्बर, 2014 में गुना जिले में 151 वनखण्डों में शामिल 137442.06 हेक्टेयर भूमि की धारा 5 से 19 तक जाँच लम्बित बताया था। क्या जाँच पूर्ण हो गई अवगत करायें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) गुना जिले में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 4 (1) में अधिसूचित एवं धारा-5 से 19 तक की जाँच के लिये लंबित प्लान में शामिल वन भूमियों पर भी सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किये गये है। (ग) जी हाँ। कार्यवाही प्रचलित है।
बस्ती विकास में निर्माण कार्य
[अनुसूचित जाति कल्याण]
180. ( क्र. 3580 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कार्यालय कलेक्टर जिला भिण्ड आदेश क्र.25/आजक/निर्माण/नक5/2017-18/2821 भिण्ड दिनांक 27.10.2017 के अनुसार बस्ती विकास योजना रूपये 237.97 लाख व्यय हेतु आदेश जारी किया गया? यदि हाँ, तो क्या मापदण्ड निर्धारित किए गए? छायाप्रति सहित जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में भिण्ड विधानसभा के अन्तर्गत किन ग्राम पंचायतों में किस कार्य हेतु कितनी राशि व्यय की गई? अन्य विधानसभा क्षेत्रों में इस अवधि में किस कार्य हेतु कितनी राशि व्यय की गई? क्या भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में बस्ती विकास कार्यों हेतु राशि कम दी जा रही है ऐसा क्यों? कौन उत्तरदायी है? क्या निलम्बित किया जायेगा? (ग) प्रश्नांश (क) में निर्माण एजेंसी आर.ई.एस. भिण्ड नियुक्त की गई प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? किस संविदाकार से अनुबन्ध किया गया? विगत तीन वर्षों में आर.ई.एस. भिण्ड को बस्ती विकास के अन्तर्गत कब किस कार्य के लिए राशि दी गई? कार्य पूर्ण/अपूर्ण/अप्रारंभ की जानकारी दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। संदर्भित आदेश एवं मापदण्ड नियम 07 जून, 2017 की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) कार्यों की स्वीकृति आदेश दिनांक 27.10.2017 को जारी किया गया है। अब तक राशि व्यय नहीं हुई है। विधानसभावार कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार है। जी नहीं। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित प्रथम 11 कार्यों के लिए निर्माण एजेंसी आर.ई.एस. भिण्ड को नियुक्त किया गया है। प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित कार्यों हेतु निर्धारित निर्माण एजेंसी आर.ई.एस. को उनके बी.सी.ओ. में प्रदाय करने हेतु विभाग के बी.सी.ओ. में राशि समर्पित कर दी गई है। किसी संविदाकार से अनुबंध नहीं किया गया है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है।
स्कूलों के उन्नयन के संबंध में
[जनजातीय कार्य]
181. ( क्र. 3583 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन स्कूलों का किस श्रेणी में उन्नयन किया गया? क्या उन्नयन पश्चात भवन विहीन स्कूलों में इसके निर्माण की कार्यवाही की गई यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई, यदि नहीं, तो क्यों? (ख) सैलाना एवं बायना विकासखण्ड में ऐसे कितने स्कूल हैं जो भवन विहीन हैं अथवा भवनों की स्थिति जर्जर है? विभाग द्वारा इनकी मरम्मत व निर्माण संबंधी क्या कार्यवाही की जा रही है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 02 प्राथमिक स्तर के आश्रमों का माध्यमिक स्तर में उन्नयन और 05 माध्यमिक शालाओं का हाई स्कूल में एवं 03 हाई स्कूलों का उच्चतर माध्यमिक शाला में उन्नयन किया गया। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) विकासखण्ड सैलाना में 02 एवं बाजना में 07 कुल 09 विद्यालय भवन विहीन है। विकासखण्ड सैलाना में 13 एवं बाजना में 03 कुल 16 विद्यालय जर्जर स्थिति में है। की गई कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब''अनुसार है।