मध्य प्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
फरवरी-अप्रैल, 2016
सत्र
शुक्रवार, दिनांक 01 अप्रैल, 2016
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
(वर्ग 2
: सामान्य
प्रशासन, नर्मदा
घाटी विकास,
विमानन,
संस्कृति,
पर्यटन,
प्रवासी
भारतीय, नगरीय
विकास एवं पर्यावरण,
जल
संसाधन, वित्त,
वाणिज्यिक
कर, योजना,
आर्थिक
एवं
सांख्यिकी, ऊर्जा,
नवीन
एवं नवकरणीय
ऊर्जा, जनसंपर्क,
खनिज
साधन)
गौण
खनिज नियम में
छूट का
प्रावधान
1. ( *क्र. 7353 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के नियम 3 में छूट के संबंध में राज्य शासन ने दिनांक 10.04.2013 को क्या-क्या आदेश जारी किए? भारत सरकार ने 15 जनवरी, 2016 को क्या-क्या अधिसूचना जारी की है? आदेश एवं अधिसूचना की प्रति सहित बतावें। (ख) 10 अप्रैल, 2013 से प्रश्नांकित दिनांक तक छतरपुर एवं बैतूल जिले में छूट प्राप्त व्यक्तियों एवं निर्माण एजेन्सियों को कितने गौण खनिज के परिवहन हेतु कितने पिटपास जारी किए गए? कितने प्रकरणों में कितने गौण खनिज के खनन एवं परिवहन की अनुमतियाँ प्रदान की गईं। (ग) 10 अप्रैल, 2013 को शासन द्वारा जारी प्रक्रिया के अनुसार अनुमति प्राप्त न किए जाने पर नियम की किस-किस धारा के अनुसार प्रकरण पंजीबद्ध किए जाने, खनिज, औजार एवं वाहन जप्त किए जाने के वर्तमान में क्या प्रावधान प्रचलित हैं। इसके तहत 10 अप्रैल से प्रश्नांकित दिनांक तक छतरपुर एवं बैतूल जिले में कितने प्रकरण बनाए गए।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) विभाग द्वारा दिनांक 10.04.2013 को प्रश्नांकित नियम के संदर्भ में जो 03 निर्देश जारी किए गए हैं, वे पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। प्रश्नांश में शेष वांछित जानकारी भारत सरकार की विषयवस्तु है। अत: जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। (ख) छतरपुर जिले में विभिन्न तहसीलों से छूट प्राप्त व्यक्तियों एवं निर्माण एजेन्सियों को गौण खनिज रेत, पत्थर, मुरूम के परिवहन हेतु 2050 रॉयल्टी मुक्त अभिवहन पास जारी किए गए हैं। बैतूल जिले में प्रश्नाधीन अवधि में बैतूल तहसील अंतर्गत छूट प्राप्त व्यक्तियों एवं निर्माण एजेन्सियों को गौण खनिज साधारण मिट्टी (ईंट निर्माण) के परिवहन हेतु 04 रॉयल्टी मुक्त अभिवहन पास बुक जारी किए गए हैं। अनुमति नहीं अपितु म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 के नियम 3 (क) के प्रावधान के तहत जिला छतरपुर में संबंधित तहसीलदारों द्वारा 34 प्रकरणों का प्रमाणीकरण तथा जिला बैतूल में 04 प्रकरणों का प्रमाणीकरण किया गया है। (ग) 10 अप्रैल, 2013 को राज्य शासन द्वारा जो निर्देश जारी किए गए हैं वह म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 के नियम 3 (क) के संदर्भ में हैं। म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 के नियम 53 में यह प्रावधान है कि इन नियमों के उल्लंघन पर नियमानुसार दण्डात्मक कार्यवाही किए जाने का उल्लेख है। प्रश्नानुसार उल्लेखित निर्देश के उल्लंघन पर पृथक से कोई दण्डात्मक प्रावधान उल्लेखित न होने से शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
प्रश्नकर्ता के पत्र पर कार्यवाही
2. ( *क्र. 6602 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता ने मुख्य सचिव को गत वर्ष अशोकनगर के कम्युनिस्ट पार्टी के श्री बाबूलाल यादव, एडवोकेट का पत्र अग्रेषित कर लिखित में जाँच का आग्रह किया था। इस पर मुख्य सचिव ने क्या कार्यवाही की? (ख) अशोकनगर जिले में विभिन्न समस्याओं के बारे में प्रश्नकर्ता ने मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन को गत 02 वर्ष में जो पत्र लिखे हैं, आज तक उस संबंध में क्या कार्यवाही हुई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
शासकीय भूमि पर डेयरी का अवैध संचालन
3. ( *क्र. 7188 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अर्जुन नगर झुग्गी बस्ती पुराना सुभाष नगर, भोपाल में अभिरूचि परिसर के समीप कतिपय व्यक्ति द्वारा शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर दूध डेयरी (भैंसों का तबेला) संचालित है? (ख) क्या दूध डेयरी हटाने के लिए स्थानीय रहवासियों द्वारा नगर निगम भोपाल में शिकायतें की गई हैं? यदि हाँ, तो प्राप्त शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों तथा क्या शहर के बीच में वह भी शासकीय भूमि पर भैंस का तबेला संचालित किया जाना नियमानुकूल है? यदि नहीं, तो इसे क्यों नहीं हटाया गया तथा इस अवैध डेयरी संचालन को न हटाने के लिए कौन जिम्मेदार हैं? (ग) उक्त भैंस के तबेले को हटाने के लिए नगर निगम भोपाल कब तक कार्यवाही करेगा, इसे हटाने में हुए विलंब के लिए निगम दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। नगर निगम भोपाल में प्राप्त शिकायतों के आधार पर जिसमें पीजी क्रमांक 93726629373467 के संबंध में श्री मुजाहिद खान/कदीर खान की डेयरी से समय-समय पर पशु अन्ना नगर कांजी हाउस में बंद किये गये तथा जुर्माना अधिरोपित किया गया। इसके अतिरिक्त गंदगी फैलाने वालों के विरूद्ध चालानी कार्यवाही की गई है। नगर निगम भोपाल द्वारा शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाये जाने हेतु निगम द्वारा पत्र क्रमांक 140-142 दिनांक 13.07.2015 को नजूल अधिकारी गोविन्दपुरा वृत्त भोपाल को पत्र भेजा गया है। निगम द्वारा अवैध डेयरी संचालन के संबंध में समय-समय पर पशु निरूद्ध किये जाकर चालानी कार्यवाही की गई है। इस कारण किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (ग) नगर निगम भोपाल द्वारा भैंस के तबेले को हटाने के संबंध में समय-समय पर कार्यवाही की जाती रही है, जो निगम की एक नियमित प्रक्रिया है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। इस कारण किसी के दोषी होने एवं किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता।
ओंकारेश्वर परियोजना से डूब प्रभावित क्षेत्र
4. ( *क्र. 7895 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ओंकारेश्वर परियोजना में डूब में आने के कारण देवास जिले के बागली विकासखण्ड अंतर्गत धाराजी धार्मिक क्षेत्र नर्मदा के बैक वाटर से जलमग्न हो गया है? (ख) यदि हाँ, तो क्या प्रश्नांकित धाराजी क्षेत्र में पूर्व में वर्ष में दो बार धार्मिक मेला लगता था, जिससे उक्त स्थान पर उज्जैन एवं इंदौर संभाग के लाखों यात्री आते थे? उक्त क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र होने के कारण रहवासियों को दुकान व व्यवसाय से रोजगार उपलब्ध होता था तथा वार्षिक आमदानी होती है? यदि हाँ, तो उपर्युक्त स्थिति में विभाग सीता मंदिर (पीपरी) क्षेत्र तक नर्मदा का पावन जल पाईप लाईन से उद्वहन कर स्थायी घाट निर्माण कर पुन: मेला विकसित कर आयोजन करने हेतु विचार करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। ओंकारेश्वर परियोजना के निर्माण से देवास जिले के बागली विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम धारड़ी डूब से प्रभावित है। नर्मदा घाटी विकास विभाग/एन.एच.डी.सी. में सीता मंदिर (पीपरी) क्षेत्र तक नर्मदा के जल को पाईप लाईन से उद्वहन करने एवं घाट निर्माण किये जाने की कोई योजना नहीं है।
विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली बिल की वसूली
5. ( *क्र. 6620 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विद्युत वितरण कंपनी द्वारा घरेलू/व्यवसायिक विद्युत कनेक्शन हेतु किस प्रकार की कितनी श्रेणियां हैं तथा उनसे किस-किस प्रकार के शुल्क सहित कितना बिल वसूला जा सकता है? श्रेणीवार सूची देवें। (ख) टू-पार्ट टैरिफ क्या है? प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उपभोक्ताओं से कितना फिक्स चार्ज और कितना ऊर्जा प्रभार लिया जा रहा है? श्रेणीवार सूची देवें एवं क्या बिजली अधिनियम 2003 के अनुसार बिल में उपभोक्ता से फिक्स प्रभार लेना अनिवार्य है, जबकि ऊर्जा प्रभार मीटर रीडिंग या वास्तविक खपत के अनुसार लगता है। (ग) प्रश्नांश (ख) यदि हाँ, तो प्रदेश में कनेक्शन धारी का निवास या प्रतिष्ठान बंद मिलने पर या मीटर रीडिंग शून्य खपत दर्शाने पर वर्तमान समय में कितना फिक्स चार्ज एवं कितना ऊर्जा प्रभार उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है? (घ) बिजली अधिनियम की धारा 45 (1), 3 क्या है? क्या इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता का घर/कार्य स्थल बंद मिलने पर या बिजली खपत शून्य होने पर क्या उपभोक्ता से न्यूनतम ऊर्जा प्रभार वसूला जाना सही है? यदि हाँ, तो किस प्रकार से यदि नहीं, तो क्या शासन विद्युत कंपनियों द्वारा गलत तरीके से वसूले जा रहे ऊर्जा प्रभार को रोककर उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत दर आदेश दिनांक 17.04.2015 के अनुसार घरेलू एवं गैर-घरेलू कनेक्शनों की विभिन्न उपश्रेणियों के प्रकार तथा इनके लिए प्रयोज्य विद्युत दरों एवं म.प्र. शासन द्वारा अधिसूचित विद्युत शुल्क का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश के अनुसार प्रयोज्य दरों एवं म.प्र. शासन द्वारा अधिसूचित प्रयोज्य विद्युत शुल्क के आधार पर ही विद्युत खपत के अनुसार वितरण कंपनियों द्वारा बिल वसूला जा सकता है। (ख) टू-पार्ट टैरिफ मांग आधारित टैरिफ है। इसमें उपभोक्ता अपने स्वीकृत/संबद्ध भार के साथ-साथ अपनी संविदा माँग हेतु आवेदन कर सकता है। प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उपभोक्ताओं से लिये जा रहे फिक्स चार्ज (नियत प्रभार) और ऊर्जा प्रभारों का घरेलू एवं गैर घरेलू उपभोक्ता श्रेणीवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' में दर्शाया गया है। विद्युत की दरों के निर्धारण में म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 में उल्लेखित प्रावधानों को ध्यान में रखा जाता है। (ग) उपभोक्ता का निवास या प्रतिष्ठान बंद मिलने पर नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत दर आदेश के अनुसार नियत प्रभार एवं पूर्व वित्तीय वर्ष की औसत मासिक विद्युत खपत के आधार पर औसत बिल दिया जा रहा है तथा मीटर रीडिंग शून्य खपत दर्शाने पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी वर्तमान दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार नियत प्रभार एवं न्यूनतम प्रभार वसूला जा रहा है, जिसका प्रश्नाधीन श्रेणी-घरेलू एवं गैर-घरेलू उपभोक्ताओं हेतु विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता को विद्युत प्रदाय करने हेतु विद्युत अधोसंरचना निर्मित करने तथा विद्युत अधोसंरचना के रख-रखाव हेतु वितरण कंपनी को निरंतर राशि व्यय करनी होती है, जिसकी आंशिक प्रतिपूर्ति हेतु दर आदेश में फिक्स चार्ज के रूप में वितरण कंपनी के नियत खर्चों हेतु प्रावधान किया जाता है। (घ) विद्युत अधिनियम में प्रश्नाधीन उल्लेखित धारा 45 (1) 3 न होकर धारा 45 (3) है, जिसके प्रावधान निम्नानुसार है :- ''45 (3) किसी वितरण अनुज्ञप्तिधारी द्वारा प्रदाय की गई विद्युत के प्रभारों में निम्नलिखित सम्मिलित हो सकेंगे :- (क) वास्तविक रूप से प्रदाय की गई विद्युत के लिये प्रभार के अतिरिक्त कोई नियत प्रभार (ख) विद्युत अनुज्ञप्तिधारी द्वारा उपलब्ध कराये गये किसी विद्युत मीटर या विद्युत संयंत्र बावत कोई किराया या अन्य प्रभार।'' इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता का घर/कार्य स्थल बंद मिलने पर या बिजली खपत शून्य होने पर भी उपभोक्ता से दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार प्रभारों की वसूली किया जाना सही है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत स्वीकृत कार्य
6. ( *क्र. 6977 ) श्री मेहरबान सिंह रावत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जल संसाधन संभाग सबलगढ़ अंतर्गत वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में क्या-क्या कार्य स्वीकृत किए गए? कार्य ऐजेंसी का नाम, स्वीकृत राशि, कार्य पूर्ण करने की अवधि एवं व्यय की जानकारी वर्षवार बतावें। (ख) क्या उक्त कार्य निर्धारित अवधि में पूर्ण हुए एवं कौन-कौन से कार्य अवधि पूर्ण होने पर भी पूर्ण नहीं हुए हैं? अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण करा दिए जाएंगे। (ग) क्या उक्त अवधि में केनाल व डिस्ट्रीब्यूटरियों सहित पावती एक्बेडेक्ट पर कराए गए पक्कीकरण कार्य प्राक्कलन को अनदेखा कर घटिया निर्माण सामग्री से गुणवत्ताहीन कराये गये हैं? यदि हाँ, तो गुणवत्ता की जाँच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) प्रश्नाधीन अवधि में कोई नवीन कार्य स्वीकृत नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं। (ग) जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
ग्वालियर संगीत महाविद्यालय में पदस्थ अमला
7. ( *क्र. 6763 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर राजा मानसिंह संगीत विश्वविद्यालय से संबद्धता वाले कितने शासकीय, अशासकीय महाविद्यालय कहाँ संचालित हैं? उनके स्थान सहित वर्तमान समय की जानकारी दी जावे? (ख) ग्वालियर संगीत महाविद्यालय में कितने नियमित, तदर्थ व अतिथि विद्वान वर्तमान में पदस्थ हैं? उनकी संख्या, विषय सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) क्या 20 फरवरी, 2016 तक अतिथि विद्वानों को चार माह से भी अधिक समय से वेतन नहीं दिया गया है, क्यों? कारण सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (घ) क्या विश्वविद्यालय द्वारा जिन विषय में पद रिक्त हैं, वहां अतिथि शिक्षकों से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है? उनके स्थाई पदों पर कब तक शिक्षकों की पदस्थापना कराई जावेगी। 20 फरवरी, 2016 तक क्या प्रक्रिया अपनाई गई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) ग्वालियर राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय से संबद्धता वाले 13 शासकीय एवं 69 अशासकीय कुल 82 महाविद्यालयों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’ अनुसार. (ख) ग्वालियर संगीत महाविद्यालय में पदस्थ एवं वर्तमान में कार्यरत नियमित तदर्थ व अतिथि विद्वान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’ अनुसार. (ग) दिनांक 20 फरवरी, 2016 तक अतिथि विद्वान को प्रतिमाह नियमित वेतन दिया जा रहा है। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (घ) जी हाँ. स्थायी पदों पर भर्ती करने हेतु प्रक्रियाधीन. कार्यवाही जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’स’’ अनुसार.
गौण खनिज एवं रेत उत्खनन की स्वीकृति
8. ( *क्र. 1029 ) श्री रामपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहडोल जिले में खनिज विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में गौण खनिज एवं रेत उत्खनन की स्वीकृति प्रदान की गई है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ और किस-किस को उत्खनन की स्वीकृति प्रदान की गई है और प्रत्येक खदान की स्वीकृति नियम व शर्तें क्या हैं? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि उत्खनन की स्वीकृति प्रदान की गई है तो प्रश्न दिनांक तक प्रत्येक खदान से कितनी राशि प्राप्त हुई है? (ग) क्या शहडोल जिले में गौण खनिज एवं रेत उत्खनन के अन्य खदानों की स्वीकृति प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो प्रस्तावित खदानों की स्वीकृति की प्रक्रिया किस स्तर तक की जा चुकी है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में वर्ष 2014-2015 में गौण खनिज एवं रेत के उत्खनन हेतु स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। वर्ष 2015-2016 में गौण खनिज पत्थर एवं रेत की नीलाम खदानें तथा क्रशर द्वारा गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर खनिज का उत्खनिपट्टा स्वीकृत किया गया है। प्रश्नांश की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ में क्रमश: दर्शित है। उपरोक्त खदानें मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में दर्शित शर्तों के आधार पर स्वीकृत की गईं हैं। यह नियम अधिसूचित है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ में दर्शित है। (ग) प्रश्नाधीन जिले में क्रशर द्वारा गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर खनिज के उत्खनिपट्टा हेतु 16 आवेदन पत्र विचाराधीन हैं। यह आवेदन वर्तमान में जाँच की प्रक्रिया के अधीन हैं। रेत उत्खनन हेतु 5 खदानों में पर्यावरण अनापत्ति प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रचलन में है।
कम तेजी की मदिरा की जाँच
9. ( *क्र. 6404 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आबकारी विभाग की कम तेजी मदिरा जाँच के लिये प्रयोगशाला को फूड एवं सेफ्टी मापदण्ड के अनुरूप नहीं लिये जाने के क्या कारण हैं? क्या प्रक्रिया प्रचलन में है? (ख) वर्तमान में विभाग द्वारा कम तेजी के नमूनों की जांच के लिये प्रायवेट प्रयोगशाला को 1 जनवरी, 2013 से कितनी जाँच के लिये कितना भुगतान किया गया? क्या यह प्रयोगशाला फूड एवं सेफ्टी (sefty) मापदण्ड के अनुरूप है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) आबकारी विभाग में भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड के अनुरूप प्रयोगशाला स्थापित है तथा इस विभागीय प्रयोगशाला में मोलासिस में उपस्थित शक्कर की मात्रा का निर्धारण, आसवनियों में विनिर्मित प्रासव का रसायनिक परीक्षण, विदेशी मदिरा विनिर्माणी इकाईयों में निर्मित विदेशी मदिरा, देशी मदिरा विनिर्माणी इकाईयों में निर्मित देशी मदिरा की गुणवत्ता हेतु प्राप्त नमूनों की जाँच भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित प्रक्रियात्मक मानकों अनुसार की जाती है। (ख) प्रदेश के संभागीय उपायुक्त आबकारी कार्यालयों द्वारा प्रभाराधीन जिलों से संकलित एवं प्राप्त जानकारी अनुसार प्रदेश में 01 जनवरी, 2013 से प्रश्न दिनांक तक कम तेजी के एक भी नमूने की जाँच प्रायवेट प्रयोगशाला में नहीं कराई गई है, जाँच नहीं होने के कारण राशि भुगतान का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न का शेष अंश विभाग से संबंधित नहीं है।
विधायक स्वेच्छानुदान योजना को ई-भुगतान प्रणाली से मुक्त किया जाना
10. ( *क्र. 3533 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के सभी शासकीय विभागों/निगम/मण्डलों में ई-भुगतान की प्रणाली प्रचलित है? यदि नहीं, तो किन-किन विभागों में नहीं है? (ख) किन-किन विभागों में ई-भुगतान प्रणाली का कार्य नहीं किया जाता है? क्या प्रदेश के निगम एवं मण्डलों में भी ई-भुगतान प्रणाली को लागू किया जायेगा? (ग) क्या विधायक स्वेच्छानुदान मद में भी ई-भुगतान प्रणाली को मान्य किया गया है? यदि हाँ, तो क्यों? (घ) क्या विधायक स्वेच्छानुदान राशि का उद्देश्य जरूरतमंदों को तत्काल आर्थिक सहायता देना है? यदि हाँ, तो ऐसे में क्या विधायक स्वेच्छानुदान योजना को ई-भुगतान प्रणाली से मुक्त किया जाएगा? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
कटनी जिलांतर्गत मदिरा दुकानों का निरीक्षण
11. ( *क्र. 7123 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मदिरा दुकानों के निरीक्षण में विवरण दर्ज किये जाने के शासनादेश हैं? यदि हाँ, तो कटनी जिले की मदिरा दुकानों का अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन शासकीय सेवकों द्वारा कब-कब निरीक्षण किया गया? (ख) क्या कटनी जिले में विभागीय उड़नदस्ता गठित है? यदि हाँ, तो इसके क्या कार्य हैं एवं कौन-कौन शासकीय सेवक इसमें शामिल हैं? उड़नदस्ते द्वारा अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन दुकानों, स्थानों का निरीक्षण, दौरा एवं जाँच, कब-कब की गई, क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या स्वीकृत स्थल मानचित्र के अतिरिक्त अन्य स्थल पर दुकान संचालन के चलते देशी मदिरा दुकान नई बस्ती कटनी के लायसेंसी पर कार्यवाही की गई थी? यदि हाँ, तो यह दुकान कब से अनियमित तौर पर संचालित रही, प्रश्न दिनांक को किस स्थान से संचालित है? क्या कारण है कि जिला मुख्यालय में ही नियम विपरीत दुकान संचालन के जिम्मेदार शासकीय सेवकों को सूचना प्राप्त नहीं हुई? इस लापरवाही का कौन-कौन जिम्मेदार है? (घ) कटनी जिले में शासनादेशों के विपरीत संचालित मदिरा दुकानों के संबंध में जनवरी, 2015 से क्या शिकायतें प्राप्त हुई? क्या कार्यवाही की गई? क्या विभागीय संरक्षण से अनियमितताओं की जाँच एवं कार्यवाही के आदेश दिये जायेंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। यह सही है कि दुकानों में निरीक्षण के विवरण दर्ज किये जाने का प्रावधान है। कटनी जिले में संचालित 43 देशी मदिरा दुकानें एवं 20 विदेशी मदिरा दुकानों के अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक निम्नांकित शासकीय सेवकों द्वारा निरीक्षण किये गये हैं :- (1) राज्य स्तरीय उड़नदस्ता, भोपाल। (2) संभागीय उड़नदस्ता, जबलपुर। (3) जिला आबकारी अधिकारी कटनी। (4) समस्त सहायक जिला आबकारी अधिकारी, कटनी। (5) समस्त आबकारी उप निरीक्षक कटनी। उक्त शासकीय सेवकों द्वारा किये गये निरीक्षणों का दिनांकवार पत्रक पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र एक अनुसार है। (ख) जी हाँ। कटनी जिले में विभागीय उड़नदस्ता गठित है, जिसके द्वारा मादक द्रव्यों के अवैध धारण, संग्रहण एवं परिवहन की रोकथाम के लिए जिला कटनी में भ्रमण व कार्यवाही की जाती है, उड़नदस्ता में श्री लोकेश सिंह ठाकुर, सहायक जिला आबकारी अधिकारी एवं आबकारी आरक्षक श्री शिवमूरत नामदेव, श्री मनोज कुमार पाठक पदस्थ हैं। उड़नदस्ता द्वारा अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक की गई कार्यवाही में अवैध मदिरा के पंजीबद्ध किये गये प्रकरणों का पत्रक पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र दो अनुसार है। (ग) देशी मदिरा दुकान नई बस्ती, उसको स्वीकृत स्थान से लगभग 6 मीटर की दूरी स्थित पृथक भूमि स्वामी की खाली भूमि पर स्थापित कर संचालित करने का प्रकरण दिनांक 17.09.2015 को प्रकाश में आने पर आबकारी उप निरीक्षक वृत्त कटनी क्रमांक-2 द्वारा जाँच कर प्रकरण क्रमांक 308, दिनांक 17.09.2015 कायम किया गया, जिसमें कलेक्टर जिला कटनी द्वारा रूपये 10,000/- शास्ति आरोपित कर लायसेंसी को दण्डित किया गया। वृत्त के प्रभारी सहायक जिला आबकारी अधिकारी/आबकारी उप निरीक्षक द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार उक्त स्थल आपत्तिरहित एवं आबकारी अधिनियम के अंतर्गत बने सामान्य प्रयुक्त के नियमों के नियम 1 के अनुरूप होने से लायसेंसी द्वारा आवेदन करने पर कलेक्टर जिला कटनी द्वारा इसी स्थान (वर्तमान स्थल) पर संचालन की अनुमति दी गई। प्रश्न दिनांक को मदिरा दुकान उसी खाली भूमि में अस्थाई निर्माण कर संचालित है। उक्तानुसार जिम्मेदार शासकीय सेवकों के संज्ञान में मदिरा दुकान नई बस्ती नियमानुकूल संचालित है। किसी की लापरवाही नहीं पाई गई है। अत: कोई भी जिम्मेदार नहीं है। (घ) कटनी जिले में शासनादेशों के विपरीत कोई भी मदिरा दुकान संचालित नहीं है। जनवरी, 2015 से 09 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनकी जाँच विभागीय अधिकारियों द्वारा कराने पर शिकायतें प्रमाणित नहीं पाई गईं। शिकायतवार प्रतिवेदन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र तीन अनुसार है। विभागीय संरक्षण से कोई अनियमितता नहीं हो रही है। अत: कोई जाँच एवं कार्यवाही आदेशित नहीं की गई है।
मास्टर प्लान के क्षेत्र के बाहर होटल/रिसोर्ट निर्माण की अनुमति
12. ( *क्र. 7790 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के मास्टर प्लान (विकास योजना) की परिधि के क्षेत्र के बाहर ग्रामों में होटल/रिसोर्ट निर्माण करने हेतु नगर तथा ग्राम निवेश विभाग का विकास अनुज्ञा/अभिन्यास योजना ले-आउट प्लान लेना अनिवार्य है? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) क्या माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा मई, 2013 में मढ़ई (वनवासी सम्मेलन और अंत्योदय मेले, कामती) भ्रमण के दौरान मढ़ई विकास योजना (प्रारूप) 2021 को स्थानीय लोगों के अनुरूप नयी विकास योजना बनाये जाने की घोषणा की गई थी। यदि हाँ, तो क्या वर्तमान में मढ़ई विकास योजना लागू नहीं है? यदि लागू है तो निवेश क्षेत्रों में अभिमत प्राप्त करने का क्या नीति निर्देश है? (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत यदि विकास योजना लागू है तो ग्राम रैनीपानी एवं श्रीरंगपुर में कितनी भूमि (एकड़) में होटल/रिसोर्ट निर्माण हेतु अनुमति देने का प्रावधान है? आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मढ़ई अंतर्गत ग्राम घोघरी/टेकापार/बीजाखारी/कामठी, श्रीरंगपुर, रैनीपानी, सांरगपुर में आदिवासियों को छोटे रकबे पर होमस्टे/होटल बनाये जाने की छूट की व्यवस्था है? यदि नहीं, तो क्या इसके लिए शासन की ओर से कोई योजना है? (घ) मढ़ई के देनवा नदी किनारे ग्राम सारंगपुर, बिजाखारी, टेकापार में होटल/रिसोर्ट, कॉलोनी बनाने की नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा विगत् 5 वर्षों से प्रश्न दिनांक तक किन-किन होटल/रिसोर्ट/कॉलोनाईजर को अनुमति दी गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विकास योजना की परिधि के बाहर के क्षेत्रों में म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 प्रभावशील नहीं है। किसी भूमि के व्यपवर्तन के समय सक्षम प्राधिकारी द्वारा अभिमत चाहने पर नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा नियोजन मानकों के अनुरूप गुण-दोषों के आधार पर अभिमत दिया जाता है। (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ग) मढ़ई विकास योजना अभी लागू नहीं है। अतः शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (घ) मढ़ई के देनवा नदी के किनारे ग्राम सारंगपुर, बिजाखारी, टेकापार में विगत 5 वर्षों में कोई भी विकास अनुज्ञा/अनुमतियां नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय द्वारा जारी नहीं की गई है।
संविदा पर नियुक्त व्यक्ति को प्रत्यायोजित अधिकार
13. ( *क्र. 7042 ) श्री मधु भगत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अता. प्रश्न संख्या 49 (क्र. 1011) दि. 25.2.2016 के उत्तर में यह स्वीकार किया गया है कि सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दि. 03 सितम्बर, 2011 के प्रावधान अनुसार संविदा पर नियुक्त व्यक्ति को अनुशासनिक, प्रशासनिक शक्ति एवं अधिकार करने हेतु शासन ने अधिकार प्रत्यायोजित करने संबंधित निर्देश/नियम, परिपत्र प्रभावशील नहीं किए हैं? (ख) यदि हाँ, तो बतायें कि उक्त परिपत्र दि. 03 सितम्बर, 2011 के आधार पर नियुक्त व्यक्ति द्वारा जारी अनुशासनिक, प्रशासनिक आदेश अवैधानिक होंगे? क्या यह सही है? यदि नहीं, तो किस नियम के आधार पर वैध होंगे? (ग) संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत बनाये गये एवं प्रभावशील सेवा, भर्ती, पदोन्नति, आरक्षण नियमों इत्यादि का उल्लंघन कर मात्र एक परिपत्र के आधार पर संविदा पर नियुक्त व्यक्ति द्वारा जारी आदेश विधिमान्य किस आधार पर होंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
इंदिरा सागर परियोजना की नहरों की स्वीकृति
14. ( *क्र. 2754 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खण्डवा, खरगोन, बड़वानी जिले में इंदिरा सागर परियोजना की नहरों की स्वीकृति हुई है? यदि हाँ, तो इसकी निविदा कब जारी हुई, निविदा में कार्य पूर्ण करने के लिये कितनी अवधि निर्धारित की गई थी। निविदा जारी होने की दिनांक, राशि एवं कार्यावधि सहित जानकारी दी जावे। (ख) कार्यादेश जारी होने के दिनांक तक क्या ठेकेदार द्वारा समय-सीमा में कार्य पूर्ण कर लिया गया है। यदि नहीं, तो कार्यावधि पूर्ण करने के लिये ठेकेदार को कितनी बार समयवृद्धि की गई। समय पर कार्य न होने के क्या कारण रहे हैं। क्या विभाग की गलती रही है? यदि हाँ, तो विभागीय अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई। यदि ठेकेदार की त्रुटि रही है तो ठेकेदार के विरूद्ध समय-समय पर कितनी बार दण्डात्मक कार्यवाही की गई। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार जो कार्य शेष रहे हैं, वह कब तक पूर्ण कर लिये जावेंगे? समय-सीमा बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। वांछित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम 08 एवं 09 अनुसार है। नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा कार्य में बाधा, भू-अर्जन प्रक्रिया में विलंब, न्यायालयीन प्रकरणों एवं नहरों में पानी चलाने के कारण कार्य समय-सीमा में पूर्ण नहीं हो सके। इस हेतु कोई विभागीय अधिकारी जिम्मेदार नहीं होने से उनके विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। शेषांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के सरल क्रमांक 12 एवं 14 के कॉलम 11 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम 10 अनुसार है।
महेश्वर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत नहर निर्माण
15. ( *क्र. 6881 ) श्री राजकुमार मेव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महेश्वर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत जनपद पंचायत महेश्वर एवं बड़वाह के ग्रामों में निर्मित तालाबों के रख-रखाव एवं नहर निर्माण हेतु आर.आर.आर. एवं एस.आर. योजना के अंतर्गत कितने प्रस्ताव विभाग द्वारा कब-कब एवं कितनी लागत के प्राक्कलन तैयार किये गये? (ख) क्या हाथीदग्गड़ तालाब, मण्डलेश्वर तालाब, गवला तालाब, जामन्या तालाब, रूपलाझिरी तालाब, अपर बलवाड़ा तालाब, अपर ससल्या, रठमान एवं दौलतपुरा तालाब के प्राक्कलन आर.आर.आर. योजना एवं एस.आर. योजना में तैयार किये जाकर स्वीकृति हेतु लंबित हैं? यदि हाँ, तो कब से एवं किन कारणों से? क्या वर्ष 2016-17 के बजट में स्वीकृति का प्रावधान किया गया है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से तालाबों का एवं नहीं तो कारण बतावें? (ग) महेश्वर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बड़कीचौकी में अब्दुल खोदरा स्थल पर तालाब निर्माण, ग्राम देवगढ़ में तालाब निर्माण, ग्राम हिण्डोला गुवाडी में गाडा पानी/मेलखेडी गढ़ी में देवझिरी स्थल पर तालाब निर्माण किये जाने के प्रस्ताव विभाग द्वारा कब तैयार किये गये एवं उक्त प्रस्ताव में कब तक स्वीकृति प्रदान की जायेगी? (घ) क्या प्रश्नांश (ख) एवं (ग) के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक लगातार विभाग को स्वीकृति हेतु अवगत कराया जा रहा है? क्या क्षेत्र की एवं किसानों की उपेक्षा की जा रही है? यदि नहीं, तो कब तक किसानों के हित में उक्त प्रस्तावों में स्वीकृतियां दी जावेंगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) आर.आर.आर. योजना में स्वीकृत परियोजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। एस.आर. नाम की कोई योजना नहीं है। (ख) एवं (ग) जी नहीं। प्रश्नाधीन कार्यों की डी.पी.आर. अन्तिम नहीं होने से स्वीकृति की स्थिति नहीं आने के कारण। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (घ) मा. प्रश्नकर्ता विधायक के विधान सभा क्षेत्र में स्वीकृत परियोजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
मध्यप्रदेश भवन (दिल्ली) में विधायकों को ठहरने की सुविधा
16. ( *क्र. 7631 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्यों के लिए दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन में ठहरने की सुविधा उपलब्ध है या नहीं? यदि हाँ, तो उपलब्ध सुविधा के बदले कितना किराया लिया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो विधानसभा सदस्यों के लिये नि:शुल्क ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु शासन विचार करेगा या नहीं? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो कारण देवें। (ग) मध्यप्रदेश विधानसभा सदस्यों के लिये अन्य राज्यों में कहाँ-कहाँ ठहरने की सुविधा उपलब्ध है? यदि नहीं, तो सुविधा उपलब्ध कराने पर शासन विचार करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मध्यप्रदेश भवन तथा मध्यांचल अधिवास नियम 2015 (यथा संशोधित दिनांक 02.01.2016) के परिशिष्ट-2 के स.क्र. 3 एवं 4 में प्रावधानानुसार माननीय विधायकगणों को प्रवास पर निम्नानुसार पात्रता है :- 1. कर्तव्य पर प्रवास नि:शुल्क। 2. निजी प्रवास एक कैलेंडर वर्ष में 30 दिवस (3 दिवस प्रतिमाह की शर्त पर) नि:शुल्क। अतिरिक्त अवधि के लिए अधिवास नियम के परिशिष्ट-3 के अनुसार शुल्क देय है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं।
फीडर विभक्तिकरण योजनांतर्गत विद्युतीकरण
17. ( *क्र. 725 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम जिले में फीडर विभक्तिकरण योजना में कुल कितने ग्रामों में विद्युत लाईनों के खुले तारों को हटाकर उनके स्थान पर निम्नदाब केबल लाईन डाली गई है? डाली गई केबल लाईन की कुल लंबाई बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित निकाले गये खुले तारों की कितनी मात्रा प्राप्त हुई तथा उनका क्या उपयोग किया गया? क्या निकाले गये तारों की चोरी हुई है? यदि हाँ, तो कितनी मात्रा की चोरी हुई? (ग) वर्ष 2015-16 में माह फरवरी, 2016 तक रतलाम जिले में कितनी मात्रा में विद्युत लाईनों के तार चोरी हुये हैं? ग्रामवार बतायें। इन चोरी प्रकरणों में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) रतलाम जिले में फीडर विभक्तिकरण योजना में कुल 683 ग्रामों में विद्युत लाईनों के खुले तारों को हटाकर उनके स्थान पर 1,213 किलोमीटर निम्नदाब केबल लाईन डाली गई है। (ख) रतलाम जिले में फीडर विभक्तिकरण योजना में खुले तारों के स्थान पर निम्नदाब केबल लाईन डाली जाने के कार्य में संबंधित ठेकेदारों द्वारा कुल 1,28,147 किलोग्राम खुले तार निकाले गये। उक्त निकाले गये खुले तारों में से 1,02,725 किलोग्राम तार संबंधित ठेकेदारों द्वारा क्षेत्रीय भण्डार गृह रतलाम में जमा करवा दिया गया है। जी नहीं, उक्त निकाले गए तारों की चोरी नहीं हुई है। शेष बचे कुल 25,422 किलोग्राम खुले तार संबंधित ठेकेदारों द्वारा जमा नहीं कराये जाने के कारण उक्त तार के मूल्य की वसूली निविदा अनुबंध की शर्त के अनुसार संबंधित ठेकेदार के देयकों से की जा चुकी है। (ग) रतलाम जिले में वित्तीय वर्ष 2015-16 में माह फरवरी, 2016 तक विद्युत लाईनों के तार चोरी की कोई घटना नहीं हुई है, अत: प्रश्न नहीं उठता।
अन्य राज्यों की महिलाओं के प्रदेश में जाति प्रमाण पत्र बनाये जाना
18. ( *क्र. 6943 ) श्री नाना भाऊ मोहोड़ : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश में ब्याह कर आने वाली अनुसूचित जन जाति, अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने के संबंध में शासन के क्या नियम निर्देश हैं? (ख) क्या छिंदवाड़ा जिले के तहसील पांढुर्ना एवं सौसर में महाराष्ट्र राज्य से ब्याह कर आयी महिलाओं को उनकी जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है? हाँ, तो क्यों? (ग) क्या महाराष्ट्र राज्य से मध्यप्रदेश के नागरिकों से ब्याह कर आई महिलाओं को उनकी जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जाने से मध्यप्रदेश में उन्हें जातिगत आधार पर प्राप्त होने वाली योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है? (घ) प्रश्नांश (ग) के प्रकाश में क्या शासन उक्त तथ्य को संज्ञान में लेकर अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश के नागरिकों के साथ ब्याह कर मध्यप्रदेश में आने वाली महिलाओं को उनके पति के समान आरक्षण अथवा योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके इस हेतु कोई नियम निर्देश अथवा कोई नीति बनायेगा? यदि हाँ, तो कब तक और यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा कुमारी माधुरी पाटिल बनाम एडिशनल कमिश्नर ट्रायबल डेवलपमेंट तथा एक अन्य याचिका डायरेक्टर ट्रायबल डेवलपमेंट बनाम लावेतीगिरी प्रकरणों में पारित निर्णयों तथा भारत सरकार द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने के निर्देश दिनांक 2 मई, 1975, दिनांक 18 नवम्बर, 1982 भारत सरकार गृह मंत्रालय के आदेश दिनांक 6, अगस्त, 1984 के निर्देशानुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्गों के व्यक्तियों को जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने संबंधी निर्देश, विभागीय परिपत्र दिनांक 11.7.2005 एवं 13.01.2014 द्वारा जारी किये गये हैं। जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने के संबंध में भारत सरकार द्वारा जारी निर्देर्शों के पालन में ही राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में निर्देश जारी किये जाते हैं। जारी निर्देशों के अनुसार जाति प्रमाण पत्र पर आरक्षण की सुविधा उसी राज्य से प्राप्त होगी, जिस राज्य से आवेदक का मूल रूप से संबंध है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) आरक्षण का विषय संवैधानिक है, इसलिये भारत सरकार द्वारा जारी नियम/निर्देशों तथा किए गए प्रावधानों के अनुसार ही राज्य सरकार अपनी नीति निर्धारित करती है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बैतूल जिलांतर्गत रेत खदानों की नीलामी
19. ( *क्र. 7881 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल जिले में कितनी रेत की खदानें कहाँ-कहाँ हैं? नाम बतावें। (ख) वर्ष 2013-14, 2014-15 में कितनी खदानों की नीलामी हुई और कितना राजस्व प्राप्त हुआ और नहीं तो क्यों? (ग) विगत वर्षों में यदि नीलामी नहीं हुई तो अवैध रेत के उत्खनन में कितने प्रकरण बनाये गये और इनसे कितना राजस्व प्राप्त हुआ है? (घ) क्या अवैध उत्खनन में नीलामी नहीं करना एक कारण नहीं है? यदि नहीं, तो जनता रेत का उपयोग कैसे करेगी और कार्य कैसे होंगे? क्या नीलामी नहीं होने की स्थिति में रेत के लिए रियायत का प्रावधान है? यदि नहीं, तो क्या कार्य बाधित नहीं रहेंगे? यदि नहीं, तो प्राक्कलन में रेत की क्या दर रखी जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में 12 रेत खदानें घोषित हैं, जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। (ख) वर्ष 2013-14 में कोई रेत खदान नीलाम नहीं हुई है। वर्ष 2014-15 में 2 रेत खदानें नीलाम की गईं थीं, जिससे 1,97,40,000/- रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। (ग) प्रश्नांश 'ख' में दी गई जानकारी के अनुसार रेत खदानें नीलाम की गईं हैं। वर्ष 2014-15 में अवैध रेत खनन का 1 प्रकरण प्रकाश में आया था, जिस पर नियमानुसार रूपये 18,000/- का अर्थदण्ड आरोपित कर वसूल किया गया है। (घ) जी नहीं। प्रश्नाधीन जिले में प्रश्नांश 'ख' अनुसार खदानें नीलाम की गईं हैं। आस-पास के जिलों में संचालित खदानों से रेत का क्रय कर उपयोग किया जा सकता है। वर्ष 2015-16 में 01 रेत खदान नीलाम की गई है, जिसमें अनुबंध की कार्यवाही प्रचलन में है। स्वीकृत खदानों के संचालित होने के पश्चात एवं आस-पास के जिलों में संचालित खदानों से रेत का उपयोग किया जा सकता है। अत: कार्य बाधित होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में रेत खनिज की रॉयल्टी दरें निर्धारित हैं। अत: शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जबलपुर मालगोदाम चौक की दुकानों का व्यवस्थापन
20. ( *क्र. 7044 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर स्थित मालगोदाम चौक रेल्वे स्टेशन के समीप नगर निगम जबलपुर द्वारा व्यापारियों को दि. 27.5.1992 से वैध तरीके से दुकानें आवंटित की गईं थीं? यदि हाँ, तो उक्त दुकानों को अतिक्रमण के नाम पर क्यों तोड़ा गया? (ख) क्या इसी संदर्भ में तत्कालीन विधानसभा सदस्य स्व. औंकार प्रसाद तिवारी जी ने ध्यानाकर्षण सूचना क्रं. 60 दि. 12.2.1988 के द्वारा विधानसभा को अवगत कराया था, जिसके फलस्वरूप 11 सर्वदलीय विधायकों की कमेटी गठित की गई, जिसने अपनी रिपोर्ट में किसी तरह की कार्यवाही न करने का लेख करते हुए उक्त दुकानों को वैध कहा था? (ग) वर्णित (क) के संबंध में नगर निगम जबलपुर द्वारा पत्र क्र./बा./अधी./ 73/92 दि. 27.5.1992 को अध्यक्ष मालगोदाम व्यापारी संघ को निर्माण कार्य का वर्क आर्डर दिया गया था? फिर नगर निगम द्वारा दि. 17.11.15 को यातायात बाधक मानकर क्यों दुकानें तोड़ी गईं, जबकि स्टेशन पहुंच मार्ग हेतु वर्तमान में कुल तीन सड़क हैं? (घ) क्या उक्त व्यापारियों के साथ जो अन्याय हुआ है, उसकी प्रतिपूर्ति हेतु शासन मुआवजे के साथ उसी स्थान पर पुन: व्यापार करने की अनुमति प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, मालगोदाम चौक स्टेशन के समीप रेल्वे स्टेशन का मुहाना है, वर्तमान में वाहनों की संख्या में वृद्धि एवं यात्रियों का भारी दबाव रहता है, जिस कारण शहर विकास एवं जनहित आवागमन सुव्यवस्था की दृष्टि से उक्त दुकानों की किरायेदारी एवं आवंटन निरस्त करते हुये तोड़ा गया। दुकानदारों द्वारा दुकान तोड़े जाने के पश्चात व्यापारी संघ द्वारा मान. न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसे मान. न्यायालय द्वारा खारिज किया गया। (ख) जी हाँ, अपितु मान. उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी./1829/15 एवं डब्ल्यू.पी./19823/15 गोरग पाल एवं अन्य के विरूद्ध म.प्र. शासन द्वारा याचिका दायर की गई, जिसे मान. उच्च न्यायालय द्वारा खारिज करते हुये कार्यवाही को वैध बताया है। (ग) जी हाँ, स्टेशन पहुँच मार्ग में कुल 03 सड़क हैं, किन्तु मालगोदाम से जिस सड़क में निर्मित दुकानें हटाई गई हैं, वह मार्ग अन्य 02 मार्गों से जनहित में अत्यंत व्यस्ततम है तथा 50 वर्ष पुराना है। (घ) जी नहीं, 30 वर्षों में बढ़े हुये यातायात को दृष्टिगत रखते हुये दुकानें हटाने का निर्णय व्यापक जनहित में लिया गया है, जिसे अन्याय नहीं कहा जा सकता।
क्रेशर संचालकों से विद्युत बिल की वसूली
21. ( *क्र. 7547 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी जिले के बहरी में श्री विनोद सिंह मेसर्स डढिया मयापुर क्रेशर एवं मे. घनश्याम सिंह क्रेशर के नाम से संचालित है? यदि हाँ, तो इन दोनों क्रेशरों में विगत् तीन वर्षों में कितनी-कितनी विद्युत खपत हुई एवं कब-कब, कितना-कितना विद्युत देयक जारी किया गया? कब-कब निरीक्षण किसके द्वारा किया गया? विवरण सहित पृथक-पृथक बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में संबंधित सहायक यंत्री वि.वि.कं.लि. द्वारा श्री विनोद सिंह क्रेशर में जबरन एवं मनमानीपूर्वक विद्युत देयक क्यों जारी किया जाता है एवं बलपूर्वक ट्रांसफार्मर भी निकाल लिया गया है, जबकि वहीं पर मे. घनश्याम सिंह क्रेशर के ऊपर किसी भी प्रकार की कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में क्या विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा विद्युत उपभोक्ता श्री विनोद सिंह क्रेशर संचालक के ऊपर एक पक्षीय कार्यवाही करने के दोषी/आरोपी एवं वहीं पर मे. घनश्याम सिंह क्रेशर पर पक्षपातपूर्ण कार्यवाही करने के आरोपी अधिकारी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? समय-सीमा बतावें एवं यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, प्रश्नाधीन क्षेत्र में श्री विनोद सिंह ग्राम डढिया तथा श्री घनश्याम सिंह, ग्राम मयापुर के नाम से क्रेशर संचालित है। विगत 3 वर्षों में उक्त दोनों क्रेशर कनेक्शनों द्वारा क्रमश: 6171 यूनिट तथा 19740 यूनिट की खपत की गई एवं उन्हें विगत 3 वर्षों में जारी किये गये माहवार बिलों का देयक राशि सहित दिनांकवार/माहवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। प्रत्येक माह एम.आर.आई. सिस्टम से मीटर की जाँच की गई है तथा मीटर रीडिंग के समय निरीक्षण किया गया है। (ख) जी नहीं, विद्युत देयक की राशि नियमानुसार जमा नहीं होने पर ही विद्युत प्रदाय बन्द करने/ट्रांसफार्मर निकालने की कार्यवाही की गई है। देयक की राशि पूर्ण अथवा आंशिक जमा करने पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। (ग) श्री विनोद सिंह ग्राम डढिया द्वारा देयकों का भुगतान नहीं किए जाने के कारण नियमानुसार कार्यवाही की गई है। श्री घनश्याम सिंह ग्राम मयापुर द्वारा देयकों का पूर्ण/आंशिक भुगतान समय-समय पर किया गया है तथापि नियमानुसार प्रत्येक माह भुगतान नहीं किया गया है। नियमानुसार भुगतान नहीं करने पर उपभोक्ता के विरूद्ध कार्यवाही न करने के लिए संबंधित वितरण केन्द्र प्रभारी को दिनांक 22.03.2016 को चेतावनी पत्र जारी किया गया है।
रिन्यू पावर लिमिटेड द्वारा C.S.R. के तहत संपादित कार्य
22. ( *क्र. 3125 ) श्री रामनिवास रावत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर जिले की तहसील विजयपुर के ग्राम हुल्लपुर-लाड़पुरा में रिन्यु पॉवर लिमिटेड द्वारा स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र में कंपनी प्रबंधन द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी (सी.एस.आर.) के तहत प्रतिवर्ष कितनी राशि व्यय की जाना है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कंपनी द्वारा प्लांट की स्थापना से अभी तक कितनी-कितनी राशि सी.एस.आर. के तहत व्यय कर क्या-क्या कार्य कराए गए हैं? कार्य का नाम, स्थान, राशि सहित जानकारी दें। (ग) रिन्यु पॉवर लिमिटेड द्वारा प्लांट स्थापित किए जाने के दिनांक से अनुबंधित कंपनी महिन्द्रा द्वारा कितने लोगों को कार्य पर सुरक्षा श्रमिक, आई.टी.आई. इलेक्ट्रीशियन, तकनीकी स्टाफ (बी.ई.) लिपिकीय स्टाफ आदि पदों पर रखा गया? कर्मचारियों के नाम, पता, योग्यता, पदस्थापना दिनांक सहित जानकारी दें व इन्हें कार्य पर रखने हेतु क्या प्रक्रिया अपनाई गई व तत्पश्चात कितने कर्मचारियों को बिना सूचना व बिना कारण के नौकरी या काम से निकाला गया?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) कंपनी अधिनियम-2013 की धारा-135 की उपधारा (1) के प्रावधानानुसार ऐसी कंपनी, जिसका नेट वर्थ रूपये 500 करोड़ या अधिक, अथवा टर्न-ओवर रूपये 1000 करोड़ या अधिक, अथवा शुद्ध लाभ रूपये 5 करोड़ या अधिक हो, उसे अपने औसत लाभ का 2 प्रतिशत "कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व" में व्यय करना होता है। विकासक रिन्यू सोलर एनर्जी (टी.एन.) प्राईवेट लिमिटेड से प्राप्त जानकारी के अनुसार वह उक्त परिधि में नहीं आती है और इस कारण "कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व" पर व्यय करने हेतु बाध्य नहीं है। (ख) उक्त विकासक कंपनी, कंपनी अधिनियम-2013 के प्रावधानों के अन्तर्गत सी.एस.आर. के कार्य कराने हेतु बाध्य नहीं है, तदापि उनके द्वारा सी.एस.आर. कार्य कराये गए हैं, जिनकी कुल लागत रूपये 10 लाख है, किये गये कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) परियोजना निजी निवेश के अन्तर्गत स्थापित है। कंपनी को श्रम नियमों के प्रावधान का पालन करना होता है। जानकारी विभाग स्तर पर संगठित करना प्रावधानित नहीं है।
उज्जैन जिले में स्थापित विंड टरबाईन
23. ( *क्र. 5951 ) श्री सतीश मालवीय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या उज्जैन जिले के अंतर्गत 1 जनवरी, 2015 से 05 फरवरी, 2016 तक पवन ऊर्जा परियोजना में कंपनियों द्वारा बगैर सक्षम अधिकारी के समक्ष कार्यवाही कर भूमि परिवर्तन (डायवर्सन) नहीं कराते हुए विंड टरबाईन स्थापित की गई है? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी कंपनियों द्वारा कहाँ-कहाँ? तहसीलवार संपूर्ण विवरण दें। (ख) भूमि परिवर्तन (डायवर्सन) करवाये बगैर कार्य प्रारंभ करने व विंड टरबाईन स्थापित करने वाली कितनी कंपनियों के विरूद्ध राजस्व अधिकारियों द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध किए गए और नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों से कितनी राशि डायवर्सन शुल्क मय पेनाल्टी वसूल की गयी है? यदि नहीं, की गई तो क्यों? (ग) म.प्र. भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों के विपरीत गौचर, चरनोई, निस्तार भूमि में रास्ता निर्माण करने व अन्य उपयोग करने की अनुमति विंड टरबाईन स्थापित करने वाली कंपनियों को उज्जैन जिले में किन-किन गांवों में किस राजस्व अधिकारी द्वारा दी गई है? आदेश दिनांक व प्रकरण क्रमांक सहित संपूर्ण जानकारी तहसीलवार पृथक-पृथक उपलब्ध करायें। नियम विरूद्ध कार्य करने वाली कंपनियों व शासकीय अधिकारियों के विरूद्ध शासन क्या कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) कलेक्टर, उज्जैन से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी भी राजस्व अधिकारी द्वारा म.प्र. भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों के विपरीत गौचर, चरनोई, निस्तार भूमि में रास्ता निर्माण करने व अन्य उपयोग करने की अनुमति विंड टरबाईन स्थापित करने वाली कम्पनियों को नहीं दी गई है। उज्जैन जिले की तहसील खाचरौद में न्यायालय अपर तहसीलदार खाचरौद के प्रकरण क्रमांक 10/बी-121/2015-2016 में आदेश दिनांक 28.12.2015 से नियत शर्तों पर ग्राम सुरेल, संदला, बडागांव व चंदवासला में आवागमन हेतु पूर्व से स्थित व प्रचलित वर्तमान मार्गों को दुरूस्त कर उपयोग की अनुमति दी गई है। इसी तरह तहसील बड़नगर में न्यायालय अपर कलेक्टर जिला उज्जैन के प्रकरण क्रमांक 01/अ-74/2015-16 में पारित आदेश दिनांक 30.11.2015 द्वारा नियत शर्तों पर ग्राम लिम्बास, काज्याखेड़ी, बांदरबेला नरेलाखुर्द, ओरडी व खरसौदकलां में आवागमन हेतु पूर्व में स्थित व प्रचलित मार्गों के उपयोग की अनुमति दी गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
रीवा संभाग अंतर्गत बांधों का निर्माण
24. ( *क्र. 7011 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जल संसाधन विभाग द्वारा बांधों का निर्माण सिंचाई कार्य हेतु किया जा रहा है? यदि हाँ, तो विगत तीन वर्षों में जल संसाधन विभाग के रीवा संभाग अंतर्गत कितने-कितने हेक्टेयर पर कितने-कितने लागत से निर्माण कराये गये, वर्तमान में बांधों की स्थिति क्या है? कार्य प्रारंभ होने एवं पूर्ण होने की तिथि का विवरण देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के सिंचाई हेतु निर्माणाधीन बांधों में किन-किन बांधों से कितने-कितने हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो रही है? (ग) यदि प्रश्नांश (क) के बांधों का निर्माण अनुबंध के शर्तों के अनुसार समय पर नहीं कराये गये तो इसके लिये किन-किन को दोषी मानकर कौन-कौन सी कार्यवाही कब तक करेंगे? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (ख) अनुसार अगर राशि संविदाकारों/ठेकेदारों को कार्य से ज्यादा भुगतान कर दी गई है, कार्य मौके पर नहीं कराये गये हैं तो इसके लिये किन-किन को दोषी मानते हुये कार्यवाही करेंगे? क्या संबंधितों से राशि की वसूली के साथ आपराधिक प्रकरण भी पंजीबद्ध करायेंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) भू-अर्जन की प्रक्रिया में समय लगने के परिप्रेक्ष्य में अनुबंधों की शर्तों के तहत आवश्यकता अनुसार समयवृद्धि दी जाना प्रतिवेदित है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (घ) जी नहीं, सम्पादित कार्य के माप के आधार पर भुगतान किया गया है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति पंधाना का संविलियन
25. ( *क्र. 6676 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्या. पंधाना का संविलियन म.प्र.म.क्षे.वि.वि.कं. इंदौर में किया जा चुका है? यदि नहीं, तो कब तक किए जाने की योजना है और यहां विद्युत व्यवसाय किस कंपनी से संबद्ध होकर किया जा रहा है। कर्मचारियों को वेतन भत्तों का भुगतान कहाँ से किया जा रहा है? (ख) विगत 5 वर्षों में ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति पंधाना के कार्य करते हुए सेवा निवृत्त, मृत कर्मचारियों को ग्रेज्युटी एवं अवकाश का नगदीकरण का भुगतान उनकी सेवा निवृत्ति/मृत्यु दिनांक पर किया गया है अथवा नहीं? यदि नहीं, तो कब तक किया जाएगा? (ग) क्या ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति पंधाना के सेवा निवृत्त और मृत कर्मचारियों के परिजनों ने विभिन्न न्यायालयों, उपभोक्ता फोरम, सी.एम. हेल्प लाईन को शिकायत की है? यदि हाँ, तो उक्त शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं, ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्या. पंधाना का संविलियन म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर में नहीं हुआ है। संविलियन किये जाने की समय-सीमा बताना संभव नहीं है। वर्तमान में पंधाना क्षेत्र में म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि. इन्दौर द्वारा विद्युत वितरण का कार्य किया जा रहा है तथा कार्यरत कर्मचारियों को वेतन भत्तों का भुगतान म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि. इन्दौर के कोष से किया जा रहा है। (ख) जी नहीं, विगत 5 वर्षों में ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित पंधाना के सेवानिवृत्त, मृत कर्मचारियों के ग्रेज्युटी एवं अवकाश नगदीकरण का भुगतान उनकी सेवानिवृत्ति/मृत्यु दिनांक पर समिति द्वारा नहीं किया गया है। कंपनी स्तर से भुगतान करने संबंधी कार्यवाही विचाराधीन है। सेवानिवृत्त एवं मृत कर्मचारियों के ग्रेज्युटी एवं अवकाश नगदीकरण के भुगतान/लंबित राशि का ब्यौरा क्रमशः पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। वर्तमान में उक्त राशि के भुगतान की समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित पंधाना के सेवानिवृत्त कर्मचारियों द्वारा श्रम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय एवं सी.एम. हेल्पलाईन में दर्ज किये गये प्रकरण/शिकायतों पर की गई कार्यवाही का विवरण क्रमशः पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स', 'द' एवं 'ई' अनुसार है। उपभोक्ता फोरम में दर्ज किये गये प्रकरणों की जानकारी अभिलेखों में उपलब्ध नहीं है।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
शराब
माफियाओं
द्वारा
आबकारी
अधिनियम का उल्लंघन
1. ( क्र. 109 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आबकारी अधिनियम 1997 के अंतर्गत आदिवासी गृहस्थों को देशी मदिरा विनिर्माण की छूट प्रति गृहस्थी 15 लीटर एवं विशेष परिस्थितियों में सामाजिक तथा धार्मिक समारोह के अवसर पर 45 लीटर देशी मदिरा बनाने एवं उपभोग की छूट दी गई है? (ख) यदि अधिनियम के अंतर्गत आदिवासी परिवारों को देशी मदिरा बनाने एवं उपभोग के लिये छूट दी गई है तो क्या प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र सरदारपुर एवं आदिवासी उपयोजना क्षेत्र में शराब माफिया द्वारा आदिवासियों को स्वयं के उपभोग के लिये मदिरा बनाने से रोका जा रहा है? (ग) यदि हाँ, तो विगत दो वर्षों में धार जिले में आदिवासियों को धमकाने एवं प्रताडि़त करने के कितने प्रकरण शराब माफिया/ठेकेदारों के विरूद्ध पुलिस में दर्ज किये गये हैं? उनके विरूद्ध विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई एवं कितनी सजा दिलाई गई? लंबित प्रकरणों में विभाग कब तक कार्यवाही करेगा? (घ) आदिवासी उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत किन-किन जिलों में देशी/विदेशी शराब की दुकानें खोलने के लायसेंस दिये गये हैं? जिलेवार सूची दें। अवैध रूप से शराब माफिया द्वारा चलाये जा रहे शराब की दुकानों को रोकने के लिये विभाग की क्या रणनीती है? अवैध दुकानों को कब तक प्रदेश में पूर्ण रूप से बंद कर दिया जायेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 61 (घ) में उपबंधित अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के सदस्य निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन रहते हुए, आसवन द्वारा देशी मदिरा का विनिर्माण कर सकेंगे, अर्थात :- (1) अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों द्वारा देशी मदिरा का विनिर्माण केवल घरेलू उपभोग तथा सामाजिक और धार्मिक समारोहों पर उपभोग के प्रयोजनों के लिए ही किया जाएगा। (2) इस प्रकार विनिर्मित की गई देशी मदिरा का विक्रय नहीं किया जाएगा। (3) इस प्रकार विनिर्मित की गई देशी मदिरा के कब्जे की अधिकतम सीमा प्रति व्यक्ति 4.5 लीटर और प्रति गृहस्थी 15 तथा विशेष परिस्थितियों में सामाजिक तथा धार्मिक समारोह के अवसर पर प्रति गृहस्थी 45 लीटर होगी। परंतु ग्राम सभा देशी मदिरा के कब्जे की सीमा को कम कर सकेगी। (ख) धार जिले के सरदारपुर में, शराब माफियाओं द्वारा आदिवासियों को विहित सीमा में हाथ भट्टी शराब बनाने अथवा उपभोग करने से रोकने संबंधी कोई शिकायत जिला आबकारी कार्यालय धार को वर्ष 2015-16 में प्राप्त होना नहीं पाया गया है। (ग) पुलिस विभाग की जानकारी निरंक है। (घ) आदिवासी उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत जिला खरगोन, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बडवानी, छिंदवाडा, बालाघाट, मण्डला, डिण्डोरी, सिवनी, बैतूल, खण्डवा, उमरिया, एवं रतलाम में वर्ष 2015-16 हेतु देशी मदिरा/विदेशी मदिरा की फुटकर बिक्री की दुकानों के लायसेंस जारी किये है। इन जिलों/क्षेत्रों में संचालित देशी मदिरा/विदेशी मदिरा फुटकर बिक्री की दुकानों हेतु जारी लायसेंस की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। अवैध रूप से शराब माफिया द्वारा शराब दुकानें संचालन की सूचना प्राप्त होने पर संबंधितों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। प्रदेश में लायसेंसी शराब दुकानों के अतिरिक्त अवैध शराब दुकानें संचालित नहीं हो रही है।
अनियमितताओं की शिकायतें
2. ( क्र. 726 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आलोट जिला रतलाम नगर परिषद् में व्याप्त अनियमितताओं के संबंध में उपसंचालक व शासन को वर्ष 2012 से प्रश्न दिनांक तक प्राप्त शिकायतों का ब्यौरा क्या है? (ख) उक्त गंभीर शिकायतों की जाँच कब हुई? जाँच रिपोर्ट का ब्यौरा क्या है? (ग) शासन ने अनियमितताओं पर अब तक क्या कार्यवाही की?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जाँच कार्यवाही प्रचलित है। (ग) जाँच निष्कर्ष प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
विभागीय कार्यों की जानकारी
3. ( क्र. 796 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले में वित्तीय वर्ष 01.04.2013 से प्रश्नतिथि तक दो लाख रूपये से कम राशि के कितने कार्य किये गये? संख्या बतायें? (ख) उक्त समयानुसार मेंटेनेन्स पर कितनी राशि व्यय की गई? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में उल्लेखित कार्यों में से कितनी राशि का भुगतान किया गया?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) भिण्ड जिले में दिनांक 01.04.2013 से प्रश्न तिथि तक दो लाख रूपये से कम राशि के कुल 207 कार्य किये गये हैं। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित समयावधि में मेंटेनेन्स के कार्यों पर रूपये 78.94 लाख की राशि व्यय हुई है। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में उल्लेखित कार्यों हेतु ठेकेदार एजेंसियों को कुल राशि रू. 25.87 लाख का भुगतान किया गया है।
विभागीय कार्यों की जानकारी
4. ( क्र. 813 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले में वित्तीय वर्ष 01.04.2013 से प्रश्नतिथि तक दो लाख रूपये से ज्यादा राशि के कितने कार्य किये गये? संख्या बतायें? (ख) उक्त समयानुसार मेंटेनेन्स पर कितनी राशि व्यय की गई? (ग) प्रश्नांश (क) एवं ख) में उल्लेखित कार्यों में से कितनी राशि का भुगतान किया गया?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) भिण्ड जिले में दिनांक 01.04.2013 से प्रश्नतिथि तक दो लाख रूपये से अधिक राशि के कुल 192 कार्य किये गये हैं। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित समयावधि में मेंटेनेन्स के कार्यों पर रूपये 166.42 लाख की राशि व्यय हुई है। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में उल्लेखित कार्यों हेतु ठेकेदार एजेंसियों को कुल राशि रू. 9712.83 लाख का भुगतान किया गया है।
नहरों का पक्कीकरण/मरम्मतीकरण
5. ( क्र. 864 ) श्री जतन उईके : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र पांढुर्णा के अंतर्गत कितनी वृहद/मध्यम/लघु सिंचाई परियोजनायें संचालित हैं? नाम सहित जानकारी देवें। क्या कोई नई सिंचाई परियोजना स्थापित करने के संबंध में प्रस्ताव है? यदि हाँ, तो प्रस्तावित परियोजनायें कब तक पूर्ण कर ली जायेंगी? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में पूर्व से संचालित सिंचाई परियोजनाओं की नहरें क्या क्षतिग्रस्त हैं एवं कच्ची हैं? यदि हाँ, तो कितने ग्रामवार जानकारी देवें? (ग) यदि हाँ, तो इनके मरम्मत हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई है? जलाशयवार जानकारी देवें। (घ) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य के संबंध में क्षतिग्रस्त कच्चे नहरों को पक्के नहरों (लाईनिंग) में परिवर्तन हेतु क्या कोई योजनाएं बनाई गई हैं? यदि हाँ, तो प्रस्तावित योजना कब तक पूर्ण कर ली जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। सैंदूरजना परियोजना की साध्यता दिनांक 16.12.2015 एवं पैंडोनी परियोजना की साध्यता दिनांक 07.01.2016 को प्रदान कर डी.पी.आर. बनाने के निर्देश दिए गए है। डी.पी.आर. अंतिम नहीं होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (घ) जी हाँ। आर.आर.आर. योजना के अंतर्गत नहरों का सुदृढ़ीकरण करने की व्यवस्था है। चांगोवा एवं मोही परियोजनाओं की नहरों का सुदृढ़ीकरण कार्य प्रारंभ है, जो वर्ष 2016-17 में पूर्ण होना संभावित है।
जलाशयों एवं नहरों का संरक्षण
6. ( क्र. 874 ) श्री जतन उईके : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर संभाग के अंतर्गत जिला छिन्दवाड़ा के विधान सभा क्षेत्र पांढुर्णा में स्थित जलाशयों एवं नहरों के रख-रखाव व मरम्मत क लिये शासन की क्या-क्या योजना है तथा प्रतिवर्ष इस प्रयोजना मद में कितनी राशि का भुगतान किया जा रहा है? जलाशयों व नहरों की वर्तमान भौतिक स्थिति क्या है? (ख) यदि इन पर सही रख-रखाव व मरम्मत कार्य ठीक से नहीं हो पा रहे हैं तो इसके लिए कौन अधिकारी दोषी है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) लघु सिंचाई परियोजनाओं के जलाशयों के लिए वार्षिक रख-रखाव एवं मरम्मत के लिए व्यय सीमा रू.20/- प्रति हेक्टेयर सैच्य क्षेत्र निर्धारित है। नहरों का संधारण जल उपभोक्ता संथाओं की जिम्मेदारी है। जल उपभोक्ता संथाओं को रू.80/- प्रति हेक्टेयर के मान से अनुदान है। विधान सभा क्षेत्र पांढुर्णा में निर्मित सभी लघु सिंचाई परियोजनाएं रूपांकित क्षमता अनुसार सिंचाई करने के लिए संधारित है। (ख) परियोजनाओं का संधारण संतोषजनक होने से किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है।
मध्यप्रदेश में ई.ओ.डब्ल्यू. एवं लोकायुक्त द्वारा की गई कार्यवाही
7. ( क्र. 1548 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में ई.ओ.डब्ल्यू. एवं लोकायुक्त द्वारा विगत 5 वर्षों में किन-किन अधिकारियों व कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार एवं कदाचार के आरोपों में कार्यवाही की गई है? संबंधित के विभाग सहित वर्षवार सूची उपलब्ध करावें? इन अधिकारियों और कर्मचारियों के पास से अब तक कितनी राशि की चल व अचल सम्पत्ति का होना पता चला है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार अधिकारियों/कर्मचारियों से जब्त संपत्ति का उपयोग शासन जनहित में करेगा, यदि हाँ, तो आज दिनांक तक जब्त कौन-कौन सी सम्पत्ति का उपयोग जनहित में किया जा रहा है? (ग) प्रश्नानुसार भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध शासन व जिला प्रशासन क्या कार्यवाही कर रहा है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
गौण खनिज खदान के संबंध में
8. ( क्र. 1796 ) श्री प्रताप सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के प्रावधानों के अंतर्गत गौण खनिज पर से पत्थर तथा क्रेशर गिट्टी बनाने हेतु उत्खनिपट्टे अथवा खदान नीलाम के रूप में स्वीकृत किये जाते हैं? दमोह जिले की तहसील जबेरा, तेन्दूखेड़ा एवं दमोह में किस-किस स्थान पर किस गौण खनिज की कितनी-कितनी खदानें हैं? (ख) दमोह जिले की तहसील जबेरा, तन्दूखेड़ा, दमोह, हटा एवं पटेरा में वर्ष 2009-10 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस स्थान पर कितने-कितने क्षेत्रफल की किस फर्म/व्यक्ति को स्टोन क्रेशर, फर्सी पत्थर, गिट्टी आदि खनिजों की लीज कब-कब एवं कितनी-कितनी अवधि के लिए स्वीकृत की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में क्रेशर द्वारा गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर खनिज का उत्खनिपट्टा स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है। इस नियम में पत्थर की खदानों को नीलाम किये जाने का प्रावधान है। इसके आधार पर यदि क्रेशर स्थापित किया जाता है तब नीलाम खदान की अवधि 05 वर्ष के स्थान पर 10 वर्ष किये जाने का प्रावधान है। प्रश्नांश की शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' में दर्शित है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' में दर्शित है।
तालाब निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत पर कार्यवाही संबंध में
9. ( क्र. 2162 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि कलेक्टर कार्यालय खरगोन में जनसुनवाई दिनांक 23/06/2015, 14/07/2015, 04/08/2015, 15/09/2015, 06/10/2015 को क्रमश: आवेदनकर्ता खुबचंद पटेल निवासी इदारतपुर, काशीराम पिता हरि, खूबचन्द पिता कांशीराम पाटीदार एवं नारायण पिता सेवकराम पाटीदार, नारायण पिता सेवकराम - पंढरी मांगीलाल, नारायण पिता सेवकराम - पंढरी मांगीलाल द्वारा की गई शिकायत पर की गई कार्यवाही का समस्त विवरण देवे। इस संबंध में जाँच दल कब-कब घटना स्थल पर गये दिनांकवार जाँच दल नाम, पद सहित सूची देवे। वर्तमान में इन प्रकरणों की स्थिति क्या है।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : प्रश्नांश में उल्लेखित सभी आवेदनों पर की गई कार्यवाही का विवरण संलग्न परिशिष्ट पर है।
मीटर चालू होने के बाद भी उपभोक्ताओं को औसतन बिल बाबत
10. ( क्र. 2235 ) श्री हरवंश राठौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र बण्डा जिला सागर के सभी ग्रामों के विद्युत आवेदकों को कनेक्शन प्रदाय कर दिए गए हैं। यदि नहीं, तो वर्तमान किन-किन ग्रामों में कितने आवेदकों के आवेदन विभाग में कनेक्शन देने के लिए लंबित हैं और कब तक उनकी पूर्ति कर दी जाएगी। (ख) क्या क्षेत्र में ऐसे उपभोक्ता भी हैं जिनको मीटर स्थापित कर देने के बाद भी विद्युत प्रवाह चालू नहीं किया गया है? यदि हाँ, तो ग्रामों के नाम तथा उपभोक्ताओं की संख्या क्या है और कब तक विद्युत प्रवाह शुरू कर दिया जाएगा? (ग) क्या क्षेत्र में ऐसे उपभोक्त भी हैं जिनके मीटर चालू होने के बाद भी औसतन राशि के बिल दिए जा रहे हैं। यदि हों तो इसके लिए कौन जवाबदार हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जिला सागर के विधानसभा क्षेत्र बण्डा के अंतर्गत कृषकों को स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना में 75 आवेदकों के पम्प कनेक्शनों हेतु लाइन विस्तार का कार्य कर उन्हें कनेक्शन प्रदान किया जाना लम्बित है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में अन्य किसी श्रेणी के कनेक्शन हेतु आवेदन वर्तमान में लंबित नहीं है। स्थायी कृषि पंप कनेक्शन के उक्त लंबित आवेदनों की ग्रामवार संख्या संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उक्त लंबित कार्य योजना के प्रावधानानुसार वरीयता क्रम में, निर्धारित समय-सीमा (कार्यादेश दिनांक से 150 दिन) में राइट आफ वे उपलब्ध होने पर पूर्ण किये जाने हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) जी नहीं, प्रश्नाधीन क्षेत्र में ऐसा कोई उपभोक्ता नहीं है जिसे मीटर स्थापित कर देने के बाद भी विद्युत प्रदाय उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी नहीं, प्रश्नाधीन क्षेत्र में ऐसा कोई उपभोक्ता नहीं है जिसका मीटर चालू होने के बाद भी औसतन राशि के बिल दिए जा रहे हैं। तथापि ऐसे उपभोक्ता जिनका परिसर मीटर रीडिंग के समय बन्द पाया जाता है, उन्हें विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के प्रावधानों के अनुसार पूर्व वित्तीय वर्ष की औसत मासिक विद्युत खपत के आधार पर औसत खपत का बिल दिया जाना है। जिसे आगामी माह के बिलों में समायोजित कर दिया जाता है। अत: किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न नहीं उठता।
भगवानपुरा क्षेत्र में विद्युतीकरण के कार्य
11. ( क्र. 2630 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अंतर्गत भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्र में किन-किन ग्रामों में कार्य पूर्ण, प्रगतिरत, अप्रारंभ हैं? ग्रामवार कार्यों का प्रावधान बतायें? इन कार्यों को करने वाली एजेंसी का नाम व पता,कार्य के निरीक्षणकर्ता विभागीय अधिकारियों के नाम व पद बतायें? (ख) भगवानुपरा विधानसभा क्षेत्र में किन-किन ग्रामों में फीडर सेपरेशन कार्य पूर्ण, प्रगतिरत, अप्रारंभ हैं सूची देवें? इन कार्यों को करने वाली एजेंसी का नाम व पता कार्य के निरीक्षणकर्ता विभागीय अधिकारियों के नाम व पद बतायें? (ग) भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्र में कितने स्थानों पर 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य चल रहा है? इन उपकेन्द्रों के पूर्ण हो जाने पर कौन-कौन से ग्राम लाभांवित होगें? (घ) दिनांक 29.02.2016 की स्थिति में खरगोन जिले में कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब है विकासखण्डवार संख्या बतायें? इन जले/खराब विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों को कब तक बदल दिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कुल 183 ग्रामों में से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में सम्मिलित सभी 163 ग्रामों का कार्य पूर्ण किया जा चुका है, प्रगतिरत एवं अप्रारंभ कार्य वाले ग्रामों की जानकारी निरंक है। ग्रामवार कार्यों के प्रावधान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। उपरोक्त कार्य को ठेकेदार एजेंसी मेसर्स विध्या टेली लिंक लि. नई दिल्ली द्वारा संपादित किया जा रहा है। उक्त कार्य के निरीक्षण हेतु वितरण कंपनी के अधिकारी श्री निमेश कुमार सहायक यंत्री को नियुक्त किया गया था। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु निविदा दस्तावेजों की स्वीकृति ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से प्रतीक्षित है। (ख) भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्र में फीडर सेपरेशन योजना के अंतर्गत कुल 183 ग्रामों में से सम्मिलित सभी 148 ग्रामों के फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है। प्रगतिरत एवं अप्रारंभ ग्रामों की संख्या निरंक है। उक्त ग्रामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। उक्त कार्यों को ठेकेदार एजेंसी मेसर्स सी.सी.पी.एल.-ए.एम.आर.सी.एल. (जेव्ही) हैदराबाद द्वारा संपादित किया जा रहा है। उक्त कार्य के निरीक्षण हेतु वितरण कंपनी के अधिकारी श्री निमेश कुमार सहायक यंत्री को नियुक्त किया गया था। (ग) भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत दो स्थानों यथा-ग्राम सरवरदेवला एवं ग्राम गोलवाड़ी में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य चल रहा है। ग्राम सरवरदेवला में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने पर ग्राम देवला, गारी, गलतार, मेहत्याखेड़ी, बोरखेड़ा, माडवखेड़ा, देवझिरी, मोहनपुरा, झगड़ी एवं ताराबावड़ी तथा ग्राम गोलवाडी में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने पर ग्राम खामखेड़ा, दोमवाड़ा, गोलवाडी, रेहगुन, कोलखेड़ा, सीतापुरी, तिरी एवं सतावड-2 लाभांवित होगें। (घ) खरगोन जिले में दिनांक 29.02.2016 की स्थिति में विकासखण्ड कसरावद का 1 विद्युतीकरण ट्रांसफार्मर खराब/जला था। उक्त ट्रांसफार्मर दिनांक 03.03.2016 को बदल दिया गया है।
जनभागीदारी मद अंतर्गत स्वीकृत कार्यों बाबत्
12. ( क्र. 2715 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2013-14 से प्रश्नांकित दिनांक तक जनभागीदारी योजनान्तर्गत धार जिले में कितनी राशि प्राप्त हुई तथा इसके विरूद्ध कितनी राशि व्यय की गई वर्षवार जानकारी दें? (ख) धार जिले में उक्त योजनान्तर्गत कितने तथा कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये प्रत्येक कार्य में कितना जन सहयोग तथा कितनी योजनान्तर्गत राशि शामिल कर व्यय किया गया? कार्यवार, वर्षवार जानकारी देवें? (ग) इस योजनान्तर्गत किन-किन कार्यों को किसकी अनुशंसा से स्वीकृत किये गये प्रशासनिक स्तर पर की गई कार्यवाही का विवरण भी बताइये? (घ) वर्ष 2013-14 से वर्ष 2015-16 तक कितनी राशि योजनान्तर्गत लेप्स हुई है (अनाहरित) राशि लेप्स होने के लिए क्या प्रशासनिक स्तर पर योजना को सफल न करने के लिए शासकीय अमले को दोषी माना जावेगा? यदि हाँ, तो किसे यदि नहीं, तो क्यों? कृपया बताइये कि इनके द्वारा सफलता के लिए क्या प्रयास किये गये?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वर्ष 2013-14 में 500.25 प्राप्त आवंटन के विरूद्ध 498.34 की राशि व्यय हुई, वर्ष 2014-15 में 650.00 लाख के विरूद्ध 519.95 लाख की राशि व्यय हुई एवं 2015-16 में 524.99 लाख के आवंटन के विरूद्ध प्रश्न दिनांक तक 524.99 लाख की राशि व्यय की जा चुकी है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) योजनान्तर्गत अनुशंसा करने का प्रावधान नहीं है। मध्यप्रदेश जन भागीदारी नियम-2000 के अन्तर्गत ग्रामीण एवं नगरीय निकायों द्वारा संकल्प पारित कर प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाते है। अपेक्षित जानभागीदारी अंश राशि जमा होने एवं अर्हताओं की पूर्ती करने के उपरांन्त प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जाती है। (घ) वर्ष 2013-14 में प्रस्ताव प्राप्त न होने से राशि रूपये 1.91 लाख अनाहरित रही। वर्ष 2014-15 में शासन द्वारा दिनांक 27.09.2014 को वित्तीय प्रतिबंध लगाये जाने से 130.05 लाख आहरित नहीं की जा सकी। वर्ष 2015-16 में प्रश्न दिनांक तक कोई राशि लेप्स नहीं हुई है। राशि लेप्स होने के संबंध में कोई भी अधिकारी/ कर्मचारी दोषी नहीं है। योजनान्तर्गत कार्यालय में प्रस्ताव प्राप्त होने के उपरान्त नियमानुसार कार्यवाही की जाती है।
डूब क्षेत्र में गयी भूमि के मुआवजा वितरण के संबंध में
13. ( क्र. 2866 ) श्री गोपीलाल जाटव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम डोंगरा पछार जिला अशोकनगर में सिंचाई विभाग द्वारा अमाही तालाब का निर्माण कराया गया है इससे 500 बीघा जमीन 25 कृषकों की डूब क्षेत्र में जा चुकी है? लेकिन अभी तक उन कृषकों को मुआवजा वितरण नहीं किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो उक्त कृषकों को कब तक मुआवजा वितरण कर दिया जावेगा? (ग) जिन कृषकों की भूमि डूब क्षेत्रों में जा चुकी है वह स्थायी बेरोजगार हो चुके है क्यों? क्या उक्त कृषकों को रोजगार की कोई व्यवस्था की जायेगी? (घ) संबंधितों को मुआवजा वितरण एवं रोजगार की व्यवस्था कब तक कर दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जी नहीं। वर्ष 2016-17 में निर्मित अमाही जलाशय के बांध की मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य कराया गया है, नवीन निर्माण नहीं कराया गया है। बांध के रूपांकित डूब क्षेत्र में वृद्धि नहीं होने से भू-अर्जन एवं मुआवजा वितरण का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। अत: शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
अपना विधायक अपनी चौपाल कार्यक्रम के दौरान प्राप्त शिकायतें
14. ( क्र. 2915 ) श्री राजेश सोनकर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सांवेर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित अपना विधायक अपनी चौपाल कार्यक्रम के दौरान मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल इन्दौर से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 1114 दिनांक 22/07/2015 के द्वारा कितने आवेदन कार्यपालन यंत्री (संचालन/संधारण) इन्दौर को प्रेषित किये थे? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित पत्र क्रमांक 1114 के साथ संलग्न प्रेषित आवेदनों में से कितनों का निराकरण कर दिया गया है एवं प्रश्न दिनांक तक कुल कितने आवेदनों का निराकरण शेष है? शेष आवेदनों का निराकरण कब तक हो जायेंगा समय-सीमा बतावें? आवेदनवार की गई कार्यवाही की वर्तमान स्थित बतावें? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्राप्त आवेदनों के निराकरण हेतु किये गये कार्यों में विभाग द्वारा कुल कितनी राशि व्यय की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सांवेर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित अपना विधायक अपनी चौपाल कार्यक्रम के दौरान कार्यपालन यंत्री (संचा./संधा.) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर (म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल नहीं) को माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा अपने पत्र क्रमांक 1114 दिनांक 22.07.2015 से कुल 243 शिकायतों की सूची प्रेषित की गई थी। सूची के अनुसार 234 प्रकरण म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर से संबंधित है तथा 9 प्रकरण अन्य विभागों से संबंधित हैं। (ख) प्रश्नांश ''क'' में उल्लेखित पत्र क्रमांक 1114 दिनांक 22.07.2015 के साथ संलग्न शिकायतों की सूची में से 157 प्रकरणों/शिकायतों का निराकरण कर दिया गया है एवं दिनांक 12.03.2016 तक 77 प्रकरणों/शिकायतों का निराकरण शेष है, जिनमें से 38 मामलों में प्रस्ताव विभागीय योजनाओं के अंतर्गत सक्षम स्वीकृति हेतु प्रक्रियाधीन है एवं शेष 39 प्रकरणों/शिकायतों में संबंधित कार्यों हेतु नियमानुसार आवेदन एवं निर्धारित राशि जमा कराने की सहमति अथवा तकनीकी साध्यता के अभाव में निराकरण नहीं किया जा सकता है। उक्त परिप्रेक्ष्य में शेष प्रकरणों/शिकायतों के निराकरण हेतु वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। प्रश्नाधीन प्राप्त सूची में से निराकृत प्रक्रियाधीन प्रकरणों/शिकायतों तथा लंबित प्रकरणों/शिकायतों की सूची सहित की गई कार्यवाही की आवेदनवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'', ''ब'', ''स'' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (क) के सन्दर्भ में प्राप्त प्रकरणों/ शिकायतों के निराकरण हेतु किये गये कार्यों में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर द्वारा कुल राशि रूपये 22.90 लाख का व्यय किया गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग की स्थानान्तरण नीति
15. ( क्र. 3245 ) श्रीमती अनीता नायक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सामान्य प्रशासन विभाग की स्थानांतरण नीति क्या है? (ख) टीकमगढ़ जिले में वर्ष 2015 से प्रश्नदिनांक तक राजस्व विभाग एवं लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के कौन-कौन से अधिकारियों एवं कर्मचारियों के स्थानान्तरण किये गये है एवं कौन-कौन से अधिकारियों एवं कर्मचारियों को कार्यमुक्त किया गया है? (ग) जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को स्थानान्तरण होने बाद भी कार्ययुक्त नहीं किया गया है या जिन अधिकारियों ने स्थानांतरण आदेश की अवहेलना की है उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी? ऐसे अधिकारियों को कब तक कार्यमुक्त किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति वर्ष 2015-16 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) टीकमगढ़ जिले में राजस्व अधिकारियों (कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा) की अत्यधिक कमी होने के कारण तथा जिले की 10 तहसीलें सूखाग्रस्त होने से किसानों को राहत राशि वितरण के सर्वे/ स्वीकृति/वितरण संबंधी वृहत कार्य में संलग्नता एवं उनके स्थान पर अन्य कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना न होने तथा पूर्व से अत्यधिक पद रिक्त होने के मद्देनजर भारमुक्त नहीं किया गया है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अंतर्गत स्थानांतरित 78 शासकीय सेवकों में से 04 शासकीय सेवकों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर से स्थगन प्राप्त होने के कारण यथास्थिति बनाई गई है। शेष को भारमुक्त किया जा चुका है। अत: शासकीय सेवकों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
स्वीकृत की गई व्हाईट क्ले की खदान
16. ( क्र. 4379 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल जिले के ग्राम पलासखेड़ी में खसरा नं. 21/1 रकबा 39.837 हेक्टेयर मद पहाड़ चट्टान पर किस आदेश क्रमांक एवं दिनांक से किन-किन शर्तों के साथ व्हाईट क्ले की खदान स्वीकृत की गई, इसमें से किन-किन शर्तों का प्रश्न दिनांक तक पालन कर लिया गया है एवं किन-किन शर्तों का पालन नहीं किया गया? (ख) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर बैतूल ने किस दिनांक को अनुबंध किया, अनुबंध के पूर्व वन विभाग से पुन: जाँच करवाई जाकर प्रतिवेदन प्राप्त क्यों नहीं किया गया, खदान की कार्य अनुमति दिए जाने के पूर्व किसकी शिकायत पर किन प्रावधानों के अनुसार वन विभाग से भूमि की पुन: जाँच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किए जाने की कार्यवाही किन कारणों से की गई? (ग) खसरा क्रमांक 21/1 ग्राम के किस-किस वर्ष के राजस्व अभिलेख में पहाड़ चट्टान मद में राजस्व भूमि दर्ज है एवं किस-किस वर्ष के राजस्व अभिलेख में भूमि को नारंगी भूमि बताया गया है? (घ) शासन द्वारा अधिरोपित शर्तों की पूर्ति करवाई जाकर कब तक कार्य अनुमति प्रदान कर दी जाएगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर दर्शित है। आदेश में उल्लेखित शर्तों का पालन किया गया है। (ख) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर दर्शित आदेश में उल्लेखित शर्तों को आवेदक द्वारा मान्य किये जाने के आधार पर अनुबंध का निष्पादन दिनांक 22.03.2011 को किया गया। इसके उपरांत आवेदिका द्वारा पर्यावरण अनापत्ति एवं म.प्र. प्रदूषण बोर्ड की सहमति प्रस्तुत कर कार्य अनुमति चाही गई। पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर दर्शित आदेश की कंडिका 8 के संदर्भ में वन विभाग से भूमि का वैधानिक स्वरूप की जानकारी चाही गई। यह किसी शिकायत के संदर्भ में नहीं थी। (ग) खसरा क्रमांक 21/1 ग्राम पलासखेडी के निस्तार पत्रक के अनुसार दिनांक 12.03.1975 के अनुसार प्रश्नांश दिनांक तक राजस्व अभिलेख में पहाड़ चट्टान मद में यह भूमि दर्ज है। राजस्व अभिलेख में नारंगी भूमि दर्ज होना नहीं पाया गया। (घ) प्रश्नांश 'ख' में उल्लेख अनुसार वनमण्डलाधिकारी दक्षिण (सामान्य) बैतूल द्वारा पत्र दिनांक 13.04.2015, 23.04.2015 एवं 17.06.2015 से यह अवगत कराया गया है कि, प्रश्नाधीन भूमि असीमांकित संरक्षित वन क्षेत्र (नारंगी क्षेत्र) घोषित है। इस कारण से वर्तमान में कार्यानुमति प्रदान नहीं की गई है। इस कारण प्रकरण वर्तमान में विचाराधीन होने के कारण समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
रेत खदानों की रॉयल्टी
17. ( क्र. 4979 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014 में रतलाम एवं मंदसौर जिले में नीलाम की गई रेत खदानों के रॉयल्टी कट्टे किन-किन खदान ठेकेदारों को आवंटित कर दिये हैं? किन-किन को नहीं किये गये एवं किस कारण? (ख) क्या अब तक रॉयल्टी कट्टे नहीं देने से शासन को आर्थिक क्षति नहीं हो रही है एवं अवैध रेत खनन नहीं हो रही है? (ग) क्या शासन की खनन नीति में पर्यावरण विभाग की एन.ओ.सी. के अड़ंगे से उक्त समस्या उत्पन्न हो रही है? क्या पर्यावरण विभाग की एन.ओ.सी. में कई प्रकार की बाधाओं से ठेकेदार परेशान है, व अवैध खनन हो रहा है? क्या शासन इसका सरलीकरण करेगी? यदि हाँ, तो कैसे एवं कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। (ख) पर्यावरण की अनुमति प्राप्त होने के पश्चात खदानें संचालित हो सकेंगी। अत: आर्थिक हानि जैसी स्थिति नहीं है। रेत के अवैध खनन के प्रकरण प्रकाश में आने पर उसके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। (ग) पर्यावरणीय अनापत्ति प्राप्त कर खदान संचालन किया जाना नियमों की बाध्यता है। पर्यावरणीय अनापत्ति प्राप्त करने की प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गई है अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अंशकालिक पदों पर कार्यरत स्वीपरों (सफाई कर्मी) की पूर्णकालिक नियुक्ति
18. ( क्र. 5058 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा परिवहन विभाग सहित अन्य विभागों में अंशकालिक पदों पर कार्यरत स्वीपरों (सफाई कर्मी) को पूर्णकालिक करने हेतु कोई नीति बनाई गई है? (ख) क्या अंशकालिक पदों पर कार्य कर रहे स्वीपर (सफाई कर्मी) को पूर्णकालिक का दर्जा देने हेतु कोई नीति प्रावधान नहीं बनाया गया है, जिससे लम्बे समय से इन कर्मियों का शोषण शासन/प्रशासन स्तर पर हो रहा है? (ग) यदि हाँ, तो परिवहन विभाग सहित अन्य विभागों में विगत 25-30 वर्षों से स्वीपर (सफाई कर्मी) के पद पर कार्य करने वाले कर्मचारियों के शोषण को रोकने हेतु कोई प्रावधान बनाया जावेगा? (घ) यदि हाँ, तो कब तक प्रावधान बनाया जावेगा, यदि नहीं, तो क्यों? कारण सहित पूर्ण विवरण देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। (ग) एवं (घ) अंशकालिक कार्य लिये जाने के कारण नीति बनाये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
रेतघाट निलामी तथा अवैध उत्खनन
19. ( क्र. 5101 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. में खनिज विभाग द्वारा गौण खनिज नियम 1996 के प्रावधानों के अधीन गौण खनिज नीलामी के प्रावधान हैं? उसके नियम क्या हैं? यदि हाँ, तो जो रेतघाट जितने हेक्टेयर या एकड़ में दी जाती है, उसको सीमांकन कर सीमा चिन्ह लगाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो बालाघाट जिले की रेत की घाटों में यह प्रावधान नहीं हैं और यदि हैं, तो निर्धारित चिन्ह के बाहर जाकर भी रेत का खनन हो रहा है? (ख) इस प्रकार का अवैध खनन करने वालों पर क्या कार्यवाही करेंगे और अधिकारी जो भ्रष्टाचार कर रहे हैं उन पर क्या कार्यवाही करेंगे एवं चिन्ह लगने के बाद खनन प्रारंभ करायेंगे? (ग) क्या म.प्र. में खनिज विभाग द्वारा गौण खनिज नियम 1996 के नियम (5) में स्पष्ट हैं, कि नदी नालों के जल के भीतर खनन नहीं किया जायेगा जबकि रेतघाटों के आस-पास की खदानों में जल के भीतर तक खनन किया जा रहा है? (घ) क्या खनन एवं खनिज विधानसभा क्षेत्र 112 अंतर्गत नीलाम हुये घाट के अतिरिक्त भी आस-पास के घाटों के पास खनन किया जा रहा है? इसकी जाँच तुरंत कर संबंधितों को दण्डित करेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। यह नियम अधिसूचित है। जी हाँ। प्रश्नाधीन जिले में खदान क्षेत्र में स्थापित सीमा चिन्ह के अंदर ही खनन कार्य किया जा रहा है। (ख) प्रश्नांश 'क' के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 के नियम 5 में रेत खनिज के मामले में इस प्रकार के प्रावधान नहीं है। प्रश्नाधीन जिले में नदी नालों के जल के भीतर खनन कार्य नहीं किया जा रहा है। (घ) जी नहीं। अंत शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
खनिजों के अवैध परिवहन से सड़कों को क्षति
20. ( क्र. 5102 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वारासिवनी-खैरलांजी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कौन-कौन सी सड़कें कितने-कितने भार को वहन कर सकती हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या खनिजों के अवैध परिवहन व भार क्षमता से अधिक भरे हुये डम्परों के कारण सड़कों को बहुत अधिक क्षति पहुँच रही हैं? यदि हाँ, तो शासन को हुई राजस्व हानि का विवरण देवें? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में शासन को हो रही राजस्व हानि की भरपाई के लिए विगत 3 वर्षों में खनिज विभाग द्वारा कौन-कौन से वाहनों पर कितनी-कितनी राशि की चालानी कार्यवाही की गई व कितने वाहन राजसात किए गये हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में सड़कों को हुई हानिके विरूद्ध खनिज विभाग ने कितनी राशि वसूल कर शासकीय कोष में जमा कराई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) लोक निर्माण विभाग, म.प्र. रोड डेव्ह.कार्पो. एवं म.प्र. ग्रा.स.वि.प्रा. से प्राप्त जानकारी के अनुसार वारासिवनी-खैरलांजी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग की सड़कों की भार क्षमता 8 टन, म.प्र. रोड डेव्ह.कार्पो. की सड़कों की भार क्षमता 8.160 टन एवं म.प्र. ग्रा.स.वि.प्रा. की सड़कों की भार क्षमता 8 टन की है। (ख) लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रश्नाधीन क्षेत्र में 122.195 किलोमीटर सड़क का संधारण किया जाता है। इसमें से 21 किलोमीटर मार्ग क्षतिग्रस्त होना प्रतिवेदित है। इसका प्राक्कलन तैयार नहीं किया गया है। म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा प्रश्नाधीन क्षेत्र में 37 किलोमीटर मार्ग संधारित है। इसमें कोई मार्ग क्षतिग्रस्त होना प्रतिवेदित नहीं है। म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण द्वारा 21.95 किलोमीटर मार्ग संधारित है। यह मार्ग क्षतिग्रस्त होना प्रतिवेदित किया गया है। इसका संधारण ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। अत: वर्तमान में शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश के संदर्भ में खनिज विभाग के द्वारा चालानी कार्यवाही नहीं की जाती है एवं वाहनों को राजसात किये जाने के नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। (घ) प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
रोड का अनियमित डामरीकरण
21. ( क्र. 5144 ) चौधरी चन्द्रभान सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भोपाल शहर के भदभदा रोड स्थित तत्कालीन वार्ड नम्बर 24 एवं वर्तमान वार्ड नम्बर 26 में प्रताप गार्डन से सूरज नगर की ओर जाने वाले मार्ग का विभाग द्वारा वर्ष 2013 एवं 2014 में डामरीकरण किया गया? यदि हाँ, तो मार्ग की लम्बाई, चौड़ाई, स्वीकृत टेंडर की राशि, भुगतान राशि तथा भौतिक सत्यापनकर्ता अधिकारी का नाम बतायें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में करवाया गया कार्य गुणवत्ताविहीन है? यदि हाँ, तो संबंधित ठेकेदार एवं जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या और कब तक कार्यवाही की जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) साक्षी ढाबा (प्रताप गार्डन) से सूरज नगर तत्कालीन वार्ड नम्बर 24 एवं वर्तमान वार्ड नम्बर 26 स्थित सड़क निर्माण पर वर्ष 2013-2014 में डामरीकरण एवं सीमेंट कांक्रीट का कार्य किया गया था, जिसकी लम्बाई 858 मीटर, चौड़ाई 5.75 मीटर थी। कार्य की निविदा राशि रूपयें 150.30 लाख थी, जिसमें से ठेकेदार को रूपयें 49.17 लाख का भुगतान किया गया था। इस मार्ग पर कार्य श्री के.एस. ब्रहमवंशी अनुविभागीय अधिकारी, उपसंभाग क्रमांक-6 राजधानी परियोजना प्रशासन एवं श्री दीप कुमार जैन, कार्यपालन यंत्री निर्माण संभाग क्रमांक-1 राजधानी परियोजना प्रशासन भोपाल द्वारा किया गया। (ख) प्रश्नांश (क) कराया गया कार्य गुणवत्ता पूर्वक कराया गया है। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
पॉलीथिन के प्रयोग पर प्रतिबंध
22. ( क्र. 5147 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन द्वारा प्रदेश में पोलिथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्या इसका कठोरता से पालन कराया जा रहा है? (ख) क्या सोनकच्छ विधानसभा में पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध है तो कब से यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) क्या भविष्य में पॉलीथिन के उपयोग पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाकर उसका कठोरता से पालन कराया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) भारत सरकार,पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी अपशिष्ट प्लास्टिक (प्रबंध और प्रहस्तन) नियम,2011 प्रदेश में लागू है, जिसके अनुसार 40 माईक्रोन से कम मोटाई के पॉलीथिन कैरी बैग का निर्माण एवं उपयोग प्रतिबंधित है। शासन के आदेश दिनांक 17/10/2013 से 40 माईक्रोन से कम मोटाई के पॉलीथिन बैग पर प्रतिबंध है। (ख) उत्तरांश ‘‘क‘‘ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश ‘‘क‘‘ एवं ‘‘ख‘‘ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सोनकच्छ नगर हेतु आवास योजना
23. ( क्र. 5148 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सोनकच्छ नगर के निम्न आय वर्ग एवं मध्यम आय वर्ग के लोगों के आवास हेतु भवन या प्लाट दिये जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो किस योजना के तहत? (ख) उक्त योजना कब से लागू है तथा इसमें पात्र हितग्राहियों का चयन कौन करता है तथा किस प्रकार करता है? (ग) उक्त योजना का लाभ पाने के लिए हितग्राही को क्या कार्यवाही करनी होती है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। प्रधानमंत्री आवास योजना (सबके लिए आवास 2022 शहरी) (ख) 25 जून, 2015 से। नगरीय निकाय द्वारा म.प्र. शासन, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के ज्ञाप दिनांक 01.11.2014 अनुसार। (ग) नगरीय निकाय द्वारा सर्वेक्षण के समय आवश्यक अभिलेख एवं जानकारी उपलब्ध करानी होती है।
स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण
24. ( क्र. 5613 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मर्यादा और स्वच्छता अभियान के तहत सागर नगर में कितने शौचालय निर्माण किया जाना प्रस्तावित है? इस योजना में कितना बजट प्रावधानित किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में सागर नगर में विगत वर्ष 2014-15 से प्रश्नांश दिनांक तक कितने शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा इन पर कितनी राशि व्यय की गर्इ है? कितने शौचालयों का निर्माण किया जाना शेष है? (ग) सागर नगर में कितने सुलभ शौचालय संचालित हैं तथा कितनों का और कहाँ-कहाँ निर्माण किया जाना प्रस्तावित है वर्तमान में इस हेतु कितना बजट प्रावधानित किया गया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत सागर शहर में 2000 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण स्वीकृत किया गया है। इस हेतु राशि रू. 272.00 लाख की कार्ययोजना हेतु प्रावधान किये गये है। (ख) 1313 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाकर राशि रू. 1,23,66,490.00 का व्यय किया गया है। 687 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण शेष है। (ग) सागर शहर में 37 सामुदायिक/सार्वजनिक शैचालय संचालित है। वर्तमान में 08 सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय का जवाहरगंज वार्ड, बिट्ठल नगर वार्ड, पुरब्याउ वार्ड, वल्लभ नगर वार्ड, गुरूगोविन्द सिंह, परकोटा वार्ड, बाघराज वार्ड, सुभाष नगर वार्ड में निर्माण प्रस्तावित। इस हेतु राशि रू. 124.00 लाख की कार्ययोजना प्रस्तावित।
नगर पालिका एवं नगर पालिक निगम के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान
25. ( क्र. 5614 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा समयमान वेतनमान का लाभ किन-किन विभाग के कर्मचारियों को कब से दिया जा रहा है? क्या नगर पालिका एवं नगर पालिक निगम के कर्मचारियों को भी समयमान वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है? (ख) यदि हाँ, तो कब से, अगर नहीं दिया जा रहा है तो क्या कारण है? (ग) क्या शासन नगर निगमों एवं नगर पालिका के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ देने पर विचार करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगरीय निकाय के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है। (ख) एवं (ग) नगरीय निकाय के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ दिये जाने के लिये शासन स्तर पर कार्यवाही प्रचलित है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
डिफॉल्टर घोषित फर्मों को रेत उत्खनन ठेका आवंटन
26. ( क्र. 5627 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दि म.प्र. स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन लिमि. द्वारा डिफॉल्टर फर्मों/व्यक्तियों को रेत खदानों के ठेके देने के क्या नियम हैं? क्या डिफॉल्टर फर्म के ठेके स्वीकृत नहीं किये जा सकते हैं? क्या श्री माँ रेवा इन्फ्रास्ट्रक्चर शॉप नं. J 1/14 कृषि उपज मंडी के पीछे जबलपुर से पूर्व ग्रुप तहसील सिहोरा (जबलपुर) ठेके की राशि रु. 4,03,38,841.00 बकाया है जिसमें से सुरक्षा राशि 1,27,87,500.00 निगम द्वारा समायोजन के बाद भी रु. 2,75,51,341.00 वसूल करना शेष है? (ख) यदि हाँ, तो डिफॉल्टर फर्म में श्री माँ रेवा इन्फ्रास्ट्रक्चर जबलपुर को निगम द्वारा समूह शहपुरा-1 कोड क्र. SMCO114 की 5 रेत खदानें नियम विरूद्ध कैसे स्वीकृत की गयी? क्या स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन उक्त डिफॉल्टर फर्म की स्वीकृत की गयी 5 रेत खदानों के ठेका निरस्त करेगा? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) बोलीदार की पात्रता के संबंध में नियम है कि म.प्र. शासन के द्वारा आवंटित खदान एवं खनिज के संबंध में देय शासकीय राशि बकाया नहीं होना चाहिए। तदाशय की अंडर टेकिंग संबंधित बोलीकर्ता को स्वयं देना होती है। साथ ही यदि अनुबंध करने से पूर्व अथवा बाद में किसी भी समय यह प्रकाश में आता है कि बोलीकर्ता बोली प्रस्तुत करने हेतु अपेक्षित अर्हता नहीं रखता है तो बोलीकर्ता को अयोग्य करार दिया जाएगा तथा नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। प्रश्नाधीन ठेकेदार द्वारा ठेका की अनुबंधित मात्रा पर बढ़ी हुई रायल्टी की राशि रूपए 275.51 लाख देय है। (ख) माँ रेवा इन्फ्रास्ट्रक्चर, जबलपुर को म.प्र. राज्य खनिज निगम लिमिटेड द्वारा कार्य आदेश जारी नहीं किया गया है। यदि उनके द्वारा बकाया राशि जमा नहीं की जावेगी तो उनके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही किये जाने की स्थिति निर्मित होगी।
राजीव गांधी विद्यतीकरण योजना
27. ( क्र. 5745 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना में विगत 05 वर्षों में गुनौर विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत कितने ग्रामों में विद्यतीकरण किया गया है? योजना अन्तर्गत स्वीकृत राशि व खर्च की गई राशि की जानकारी देवें? (ख) क्या उक्त योजना से जिन ग्रामों का विद्युतीकरण किया गया है उनमें पूर्ण कार्य न कर आधा अधूरा कार्य किया गया है? आधा विद्युतीकरण क्यों किया गया है? कारण सहित बतावें क्या शेष विद्युतीकरण के लिये ग्रामीणों से राशि की मांग की जाती है एवं राशि न देने पर कार्य अधूरा ही छोड़ दिया गया है? (ग) क्या राजीव गांधी योजना अतंर्गत अधिकारियों द्वारा बिना देखे मनमानी तरीके से प्राक्कलन तैयार किया जाता है? मोके में जाकर सर्वे नहीं किया जाता है जिससे आधा गांव विद्युतीकरण से छूट जाता है? क्या फिर से उन ग्रामों में विद्युतीकरण कार्य कराया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अन्तर्गत विगत 5 वर्षों में गुनौर विधानसभा क्षेत्र के 1 अविद्युतीकृत ग्राम के विद्युतीकरण तथा 163 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया गया है। पन्ना जिले हेतु स्वीकृत उक्त योजना के अंतर्गत कुल स्वीकृत राशि रू. 39.14 करोड़ के विरूद्ध राशि रू. 30.90 करोड़ व्यय की गई है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अन्तर्गत प्रश्नाधीन अवधि में गुनौर विधानसभा क्षेत्र में 35 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। पन्ना जिले हेतु स्वीकृत उक्त योजना के अन्तर्गत कुल स्वीकृत राशि रू. 59.26 करोड़ के विरूद्ध राशि रू. 3.43 करोड़ व्यय की गई है। (ख) जी नहीं। उक्त योजनाओं के अन्तर्गत किया गया कोई भी कार्य आधा-अधूरा नहीं किया गया है। प्रश्नाधीन योजनाओं के अन्तर्गत विद्युतीकरण हेतु ग्रामीणों से किसी भी प्रकार की राशि की मांग नहीं की जाती है। स्वीकृत प्रावधानों के अनुसार कार्य पूर्ण कराया जा रहा है। (ग) जी नहीं। मौके का सर्वेक्षण कर तदानुसार योजना के प्रावधानों के अनुरूप प्राक्कलन तैयार किये जाते हैं, ताकि अविद्युतीकृत ग्रामों का विद्युतीकरण एवं विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित ग्राम के सघन विद्युतीकरण का कार्य किया जा सके। चूंकि विद्युतीकरण के कार्य सर्वेक्षण अनुसार पूर्ण करवाये जा रहे है अत: फिर से ग्रामों का विद्युतीकरण करवाये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
लोकायुक्त कार्यालय को प्राप्त जनहित याचिका 2771/2015
28. ( क्र. 5755 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक एफ 22-15/2010/1-10 दिनांक 19 अप्रैल 2011 की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) असंबद्ध लोगों को संदेही बनाने वाली संक्षेपिका तैयार करने में सबंधित विभाग के कौन कौन अधिकारी कर्मचारी सम्मिलित थे? सात करोड़ की अनियमितता से असंबद्ध होते हुए भी किन-किन कर्मचारियों को संदेही बनाया? (ग) उक्त दूषित जाँच को लोकायुक्त कार्यालय में पंजीबद्ध शिकायत पंजी क्रमांक 1907/सी/15 में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है? कब शामिल किया जावेगा? (घ) वर्ष 2015 और वर्ष 2016 में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में प्राप्त शिकायतों जिसमें एफ.आई.आर. क्रमांक 61/2012 के पहले हुई जाँच को दूषित बताया गया था पर अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई? आरोपित शिकायती बिन्दुओं पर पुन: जाँच कब की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) असंबद्ध लोगों को संदेही बनाये जाने का निष्कर्ष जाँच पश्चात् ही निकाला जा सकता है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'ब' अनुसार है। (ग) रिट पिटीशन क्रमांक 2771/2015 में माननीय न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर बैंच द्वारा पारित निर्णय की प्रति प्राप्त होने पर संगठन में शिकायत पंजी क्रमांक 1907/सी/15 पंजीबद्ध कर जाँच प्रकरण क्रमांक 149/2015 विरूद्ध अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग का प्रकरण जाँच में लिया गया है। (घ) एफ.आई.आर. क्रमांक 61/2012 के संबंध में वर्ष 2015 और वर्ष 2016 में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में प्राप्त शिकायतों पर समुचित जाँच की कार्यवाही की जा रही है।
योजनावार प्राप्त राशि एवं व्यय राशि
29. ( क्र. 5760 ) श्री हर्ष यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऊर्जा विभाग अतंर्गत एम.पी. पॉवर मैनेजमेन्ट कंपनी को आदिवासी उपयोजना और अनुसूचित जाति उपयोजना की राशि प्राप्त होती है वर्ष 2012-13 से 2014-15 तक योजनावार प्राप्त राशि और व्यय राशि की जानकारी दें? (ख) इन राशियों की भौतिक वित्तीय प्रगति, लक्ष्य उपलब्धि की समीक्षा कौन सा विभाग/कार्यालय करता है? संबंधित विभाग जिस प्रपत्र में वार्षिक जानकारी मंगाता है वर्ष 2012-13 से वर्ष 2014-15 तक की प्रगति सिर्फ उसी प्रपत्र में उपलब्ध करावें? (ग) उक्त वर्ष 2012-13 से वर्ष 2014-15 तक अव्ययित राशियां किन-किन खातों में जमा है? पूर्ण ब्यौरा दें? क्या जमा राशियों की जानकारी आयुक्त कोष एवं लेखा और प्रमुख सचिव वित्त विभाग को दी गई है, नहीं तो क्यों? (घ) जिला सागर अंतर्गत ब्लॉक देवरी एवं केसली विधानसभा क्षेत्र देवरी में ऊर्जा विभाग ने ग्रामीण विद्युतीकरण के लिये वर्ष 2012-13 से वर्ष 2014-15 तक क्या कार्य स्वीकृत किये? पूर्णता अपूर्णता की स्थिति बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। वर्ष 2012-13 से 2014-15 तक ऊर्जा विभाग को योजनावार प्राप्त राशि एवं ऊर्जा विभाग के अंतर्गत विद्युत कंपनियों द्वारा व्यय की गई राशि की जानकारी निम्नानुसार है :-
योजना का नाम- आदिवासी उपयोजना
(राशि रूपये लाख में)
वित्तीय वर्ष 2012-13 |
वित्तीय वर्ष 2013-14 |
वित्तीय वर्ष 2014-15 |
|||
आहरित राशि |
व्यय राशि |
आहरित राशि |
व्यय राशि |
आहरित राशि |
व्यय राशि |
33877 |
34274 |
31312 |
30428 |
36915 |
34517 |
योजना
का नाम-
अनुसूचित
जाति उपयोजना
(राशि
रूपये लाख
में)
वित्तीय वर्ष 2012-13 |
वित्तीय वर्ष 2013-14 |
वित्तीय वर्ष 2014-15 |
|||
आहरित राशि |
व्यय राशि |
आहरित राशि |
व्यय राशि |
आहरित राशि |
व्यय राशि |
38376 |
41830 |
22597 |
24362 |
30034 |
27690 |
(ख) इन राशियों की भौतिक/वित्तीय प्रगति, लक्ष्य एवं उपलब्धि की समीक्षा आदिम जाति क्षेत्रिय विकास संचालनालय, म.प्र. शासन द्वारा की जाती है। संबंधित विभाग जिस प्रपत्र में वार्षिक जानकारी मंगाता है, उसी प्रपत्र में वर्ष 2012-13 से 2014-15 तक की प्रगति की योजनावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ (आदिवासी उपयोजना) एवं ‘ब’ (अनुसूचित जाति उपयोजना) अनुसार है। (ग) आहरण एवं व्यय राशि साल दर साल अग्रेषित होती है एवं कार्य सतत् रूप से किये जाते हैं। अत: अव्ययित राशि निरंक है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) विधानसभा क्षेत्र देवरी के देवरी एवं केसली विकासखण्डों में वर्ष 2012-13 से 2014-15 तक राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत कुल 205 ग्रामों में विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत कर, कार्य पूर्ण कर लिया गया हैं, जिसकी अद्यतन स्थिति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’स’’ में दर्शायी गयी है।
बिल्डरों पर कार्यवाही
30. ( क्र. 5838 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बिल्डरों के द्वारा किये जाने वाले निर्माण कार्यों, आवासीय परिसरों एवं बेचिंग प्लाट के संबंध में किस-किस कानून, नियम के अनुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आवश्यक अनुमति, सहमति या सम्मति लिया जाना आवश्यक है? ऐसा न करने वालों के विरूद्ध क्या कार्यवाहियां किये जाने का प्रावधान है? (ख) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2014 एवं 2015 में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भोपाल एवं ग्वालियर क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत आने वाले किस-किस जिले में किस-किस बिल्डर को किन-किन प्रावधानों के तहत किस दिनांक को अनुमति, सहमति एवं सम्मति कितनी अवधि के लिए प्रदान की गई एवं किस-किस के आवेदन कब-कब से किन-किन कारणों सें लंबित/विचाराधीन हैं। (ग) उक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में किस-किस बिल्डर को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कब-कब कारण बताओं सूचना पत्र जारी किया है एवं किस-किस के खिलाफ माननीय न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किये तथा किस-किस के विरूद्ध किन-किन कारणों से न्यायालय में प्रकरण दायर नहीं किए जा सके हैं? स्पष्ट करें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) बिल्डरों के द्वारा किये जाने वाले निर्माण कार्यों, आवासीय परिसरों एवं बेचिंग प्लांट के संबंध में बोर्ड से जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम,1981 के अंतर्गत सम्मति एवं लागू होने पर परिसंकटमय अपशिष्ट (प्रबंधन हथालन एवं सीमापार संचलन) नियम,2008 के प्रावधानों के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त किया जाना आवश्यक है। बोर्ड से सम्मति/प्राधिकार प्राप्त किये बिना भवन निर्माण/कॉलोनी विकास परियोजनाओं के विरूद्ध जल एवं वायु अधिनियमों में उल्लेखित प्रावधानों के अंतर्गत वैधानिक कार्यवाही किये जाने का प्रावधान है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार है। प्रश्नाधीन अवधि में स्थापना सम्मति हेतु प्राप्त समस्त आवेदनों का निराकरण किया जा चुका है तथा कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है। (ग) जारी नोटिस की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब‘‘ अनुसार है। परियोजनाओं के विरूद्ध बोर्ड द्वारा दायर किये गये न्यायालयीन प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘स‘‘ अनुसार है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा परियोजनाओं का सतत् निरीक्षण किया जाता है एवं जिन परियोजनाओं द्वारा बोर्ड से सम्मति प्राप्त नहीं की गई तथा प्रदूषण नियंत्रण हेतु आवश्यक व्यवस्थायें स्थापित/प्रस्तावित नहीं की गई उन्हें सम्मति के दायरें में लाने एवं प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थायें स्थापित करने हेतु नोटिस जारी किये जाते है एवं उनके विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाती है।
इलेक्ट्रॉनिक काम्प्लेक्स झोन उत्तर शहर
31. ( क्र. 5915 ) श्री रमेश मेन्दोला : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इलेक्ट्रॉनिक झोन उत्तर शहर, इन्दौर पर तैनात कर्मचारी दीपक बंदिल द्वारा एक विद्युत उपभोक्ता महेश सिंह को जनवरी 2016 के द्वितीय पक्ष में मारपीट और गाली गलोच की गई? (ख) क्या उपभोक्ता मात्र उसके निवास 22 ए सुभाष नगर का विद्युत विच्छेद की शिकायत लेकर गया था जबकि उपभोक्ता नियमित रूप से विद्युत बिल भरता आ रहा है? (ग) क्या उपभोक्ता के यहां बिना कारण दि. 11.7.2014 को पंचनामा बनाया गया इसके बाद करीब डेढ़ वर्ष बाद अकस्मात 12239/- का बिल दे दिया? क्या उसके बाद इसी बिल को अधिकारी द्वारा 1226/- का कर दिया तथा जिसे उसने चुका भी दिया? (घ) क्या दिनांक 20.01.16 को फिर से कनेक्शन काट दिया? शिकायत लेकर जाने पर मारपीट और जान से मारने की धौंस कर्मचारी बांदिल द्वारा दी गई तथा इसकी शिकायत भी उपभोक्ता द्वारा की गई? यदि हाँ, तो संबंधित कर्मचारी पर दिनांक 15.2.16 तक क्या कार्यवाही की गई नहीं तो क्यों नहीं की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं, इलेक्ट्रॉनिक काम्प्लेक्स झोन, शहर संभाग उत्तर, इंदौर पर पदस्थ सहायक यंत्री श्री दीपक बांदिल द्वारा श्री महेश नारायण सिंह से मारपीट एवं गाली गलौच नहीं की गई। (ख) जी नहीं, उपभोक्ता अपने निवास की नहीं अपितु अपने स्कूल 22 ए सुभाषनगर के विद्युत कनेक्शन की शिकायत लेकर आया था। उपभोक्ता के उक्त विद्युत कनेक्शन का विच्छेदन परिसर की जाँच के दौरान स्वीकृत भार से अधिक भार पाए जाने तथा मीटर में एकत्रित यूनिट (एक्यूमलेटेड रीडिंग) पाये जाने पर जारी किये गये अंतिम निर्धारण आदेश की राशि जमा नहीं करने के कारण दि. 20.01.2016 को किया गया था। (ग) जी नहीं, उपभोक्ता का प्रश्नाधीन कनेक्शन गैर-घरेलू श्रेणी का है, जिसमें दिनांक 11.07.2014 को औचक निरीक्षण में वास्तविक रूप से संयोजित भार, स्वीकृतभार से अधिक पाये जाने के कारण पंचनामा बनाया गया था एवं दिनांक 24.07.2014 को ही अनन्तिम निर्धारण आदेश राशि रू. 16,821/- जारी किया गया था। इस प्रकरण में उपभोक्ता द्वारा मीटर में एकत्रित रीडिंग के बिल का भुगतान करने पर अंतिम निर्धारण आदेश राशि रू. 11,013/- दिनांक 22.07.2015 को जारी किया गया था। उक्त राशि जमा नहीं करने के कारण उपभोक्ता के माह दिसम्बर-2015 के देयक में यह राशि जोडी गई। उपभोक्ता द्वारा कार्यालय में उपस्थित होकर आर्थिक परेशानी का हवाला देते हुए मौखिक रूप से चालू माह का बिल जमा करने एवं शेष बकाया राशि आगामी दो-तीन दिवस में जमा करने का निवेदन किया गया। तदनुसार उपभोक्ता ने दिसम्बर-2015 के देयक की राशि रू. 1,226/- दिनांक 11.01.2016 को जमा कराई थी। (घ) जी नहीं, दिनांक 20.01.2016 को उपभोक्ता का विद्युत कनेक्शन पहली बार विच्छेदित किया गया था। जी नहीं, श्री दीपक बांदिल द्वारा उपभोक्ता श्री महेश नारायणसिंह के साथ कोई मारपीट/दुर्व्यवहार नहीं किया गया, तथा उन्हें शालीनता पूर्वक समझाईश दी गई। अपितु श्री महेश नारायणसिंह द्वारा ही श्री दीपक बांदिल सहायक यंत्री के साथ दुर्व्यवहार करते हुए रिकार्ड फैंका गया, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट श्री दीपक बांदिल द्वारा दिनांक 20.01.2016 को हीरानगर थाने में दर्ज कराई गई। उपभोक्ता द्वारा ऐसी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई हैं। उक्त परिप्रेक्ष्य में श्री दीपक बांदिल, सहायक यंत्री के विरूद्ध कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
पवन ऊर्जा हेतु प्रदाय भूमि
32. ( क्र. 5952 ) श्री सतीश मालवीय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले में नवीन एवं नवीनकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा पवन ऊर्जा परियोजना में कितनी कंपनियों को विंड टरबाईन स्थापित करने की अनुमति किन-किन नियमों, मापदण्डों के तहत 01 जनवरी 2014 से 05 फरवरी 2016 के मध्य स्वीकृति प्रदान की गई है? कंपनियों के स्वीकृति आदेश नाम सहित विवरण पृथक-पृथक तहसीलवार दें। (ख) क्या उत्पादित बिजली की सप्लाई ग्रिड तक पहुंचाने हेतु किसानों की निजी भूमि पर सप्लाई लाईन के पोल व डी.पी लगाने हेतु शासन द्वारा मुआवजा राशि देने के क्या मापदण्ड निर्धारित किए है? (ग) जिले में कितनी शिकायतें गौचर भूमि तथा अन्य शासकीय भूमियों का बगैर नोयत परिवर्तन किए नये रास्ते बनाने तथा अन्य शर्तों के उल्लघंन करने तथा अग्रिम आधिपत्य देने के संबंध में कितनी शिकायतें कलेक्टर उज्जैन जिले के एस.डी.एम. तहसीलदार को की गई? (घ) क्या उज्जैन जिले में पवन ऊर्जा अंतर्गत विंड टरबाईन स्थापित करने वाली कंपनियों ने बैगर भूमि परिवर्तन डायसर्वन कराये, बगैर शुल्क चुकाये निर्माण कार्य प्रांरभ कर दिया गया है? यदि हाँ, तो किन-किन तहसीलों से शिकायतें प्राप्त हुई? क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) उज्जैन जिले में प्रश्नाधीन अवधि में "पवन ऊर्जा परियोजना नीति-2012" के प्रावधानों के अन्तर्गत 13 कम्पनियों को पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1985 के प्रावधानों के अन्तर्गत उत्पादित बिजली की सप्लाई ग्रिड तक पहुंचाने हेतु निजी भूमि पर सप्लाई लाईन के पोल व डी.पी. लगाने हेतु मुआवजा राशि देने संबंधी मापदण्ड निर्धारित नहीं है। (ग) गौचर भूमि तथा अन्य शासकीय भूमियों का बगैर नोईयत परिवर्तन किए गये रास्ते बनाने तथा अन्य शर्तों के उल्लंघन करने तथा अग्रिम आधिपत्य देने के संबंध में तहसीलदार घटि्टया को 5 शिकायतें की गई हैं, जिन्हें जाँच उपरान्त निराकृत किया जा चुका है। जिले की अन्य तहसीलों में उक्त विषयक शिकायतें संबंधित तहसीलदार, एस.डी.एम. एवं जिला कलेक्टर के संज्ञान में नहीं आई है। (घ) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
परियोजनान्तर्गत तालाबों को पानी से भरा जाना
33. ( क्र. 6101 ) श्री सचिन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कसरावद विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत नर्मदा घाटी विकास विभाग के कितने कितने तालाब कहाँ-कहाँ स्थित है स्थानवार जानकारी दें? उक्त तालाबों में से कितने तालाबों में कितना-कितना पानी मौजूद है इनमें से कौन-कौन से तालाबों में पानी सरप्लस है और जिन तालाबों में पानी कम है उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी भरने के लिए विभाग द्वारा क्या क्या कार्ययोजना किस-किस परियोजनान्तर्गत बनाई गई है तालाबवार जानकारी दें? (ख) उक्त तालाबों से कितने कितने हेक्टेयर/रकबा भूमि सिंचित की जाती है? (ग) क्या इंदिरा सागर परियोजना, कठोर उद्वहन पुनासा परियोजना व अन्य कौन-कौन सी परियोजनान्तर्गत उक्त तालाबों को पानी से भरा जा सकता है? हाँ,तो तालाबवार जानकारी दें और इस कार्य को पूर्ण किये जाने हेतु विभागीय स्तर पर क्या कोई कार्यवाही की गई है हाँ, तो बतायें नहीं तो क्यों कारण दें? जिन तालाबों को नहीं भरा जा सकता है तो उनके क्या कारण है? प्रश्न दिनांक तक सर्वे रिपोर्ट सहित जानकारी देते हुए बतायें कि उक्त सर्वे कब और किसके द्वारा किया गया? उनके पदनाम सहित जानकारी दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नर्मदा घाटी विकास विभाग की इंदिरा सागर की मुख्य नहर की आर.डी. 79.84 कि.मी. पर निर्माणाधीन खरगोन उद्वहन योजना के अंतर्गत छिरवा तालाब (अवशेष जलाशय क्र.1) ग्राम छिरवा के पास निर्मित किया गया है। वर्तमान में इसमें लगभग 02 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है। जिसके द्वारा खरगोन उद्वहन के कमाण्ड क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। (ख) खरगोन उद्वहन नहर के अंतर्गत निर्मित छिरवा तालाब (अवशेष जलाशय क्र.01) से 9387 हेक्टेयर में सिंचाई की जाती है। (ग) उक्त छिरवा तालाब (अवशेष जलाशय क्र. 1) को इंदिरा सागर परियोजना के अंतर्गत निर्मित खरगोन उद्वहन नहर से भरा जा रहा है तथा सिंचाई हो रही है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डम्परों/ट्रकों द्वारा क्षमता से अधिक बिना रॉयल्टी रेत परिवहन
34. ( क्र. 6134 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या डम्परों/ट्रकों द्वारा क्षमता से अधिक एवं बिना राजस्व शुल्क दिये अवैध रूप से रेत का परिवहन किया जाता है जिससे सड़क क्षतिग्रस्त होती है? (ख) हरदा जिले में क्षमता से अधिक एवं बिना रॉयल्टी चुकाए रेत का परिवहन करते पाये गये कितने डम्परों/ट्रकों पर चालानी कार्यवाही कर किस-किस से कितनी-कितनी राशि वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में वर्तमान तक वसूल की गई? (ग) बार-बार क्षमता से अधिक रेत का परिवहन करते पाये गये डम्परों ट्रकों पर चालानी की कार्यवाही के अलावा भी अन्य कोई कार्यवाही किये जाने का क्या प्रावधान है? (घ) यदि हाँ, तो हरदा जिले में ऐसे कितने प्रकरण दर्ज हैं व उन पर क्या कार्यवाही की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जिला परिवहन कार्यालय हरदा द्वारा समय-समय पर वाहन क्षमता से अधिक रेत परिवहन के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है। इसके अलावा खनिज विभाग द्वारा जिले में जाँच के दौरान रेत का अवैध परिवहन पाए जाने पर अवैध परिवहनकर्ताओं के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है। सड़कों पर खनिज रेत के वाहनों के अलावा अन्य विविध प्रकार की सामग्रियों से लदे वाहनों का भी आवागमन होता है। अत: यह कहना सही नहीं है कि अवैध रेत के परिवहन से सड़कें क्षतिग्रस्त होती हैं। (ख) कार्यालय जिला परिवहन अधिकारी, हरदा द्वारा प्रश्नाधीन अवधि में 02 वाहन डम्परों पर चालानी कार्यवाही कर कुल रूपए 10000/- समझौता शुल्क वसूल किया गया है। जिले में खनिज विभाग द्वारा जाँच के दौरान पाए गए अवैध रेत परिवहन अथवा अभिवहन पास में उल्लेखित मात्रा से अधिक मात्रा में रेत ले जाते पाए जाने पर ऐसे अवैध परिवहनकर्ताओं के विरूद्ध प्रश्नाधीन अवधि में अर्थदण्ड आरोपित कर वसूल किया गया है जिसका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' पर है। (ग) परिवहन विभाग द्वारा चेकिंग के दौरान डम्परों/ट्रकों द्वारा क्षमता से अधिक रेत का परिवहन करते पाए जाने पर चालानी कार्यवाही की जाती है। यदि संबंधित वाहन द्वारा बार-बार क्षमता से अधिक परिवहन किए जाने पर परमिट निरस्ती संबंधी कार्यवाही की जाती है। (घ) प्रश्नांश 'ख' में दिए उत्तर अनुसार 02 वाहन डम्परों में क्षमता से अधिक रेत का परिवहन पाए जाने पर चालानी कार्यवाही कर समझौता शुल्क वसूल किया गया है। प्रश्नांश 'ग' में दिए गए उत्तर के परिप्रेक्ष्य में जिला परिवहन कार्यालय हरदा में बार-बार क्षमता से अधिक रेत के परिवहन का कोई प्रकरण दर्ज नहीं है।
विद्युत शुल्क वसूली
35. ( क्र. 6135 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्य विद्युत लाईन काटे जाने के बाद भी उपभोक्ता को सरचार्ज करते हुये प्रगतिशील मासिक विद्युत शुल्क वसूला जाता है? (ख) यदि हाँ, तो विद्युत लाईन काटने के बाद विद्युत का उपयोग नहीं करने पर भी जो शुल्क वसूला जाता है वह किस मद में व किस नियम के तहत लिया जाता है? (ग) हरदा जिले में विगत तीन वर्षों में इस प्रकार से विद्युत लाईन काटे जाने के बाद भी कितने उपभोक्ताओं से कितनी-कितनी राशि वसूल की गई है? विधानसभा क्षेत्रवार बताएं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, अस्थायी रूप से विद्युत कनेक्शन विच्छेदित होने पर, म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के प्रावधान अनुसार उपभोक्ता को बकाया राशि पर सरचार्ज लगाकर बिल जारी किया जाता है। (ख) उत्तरांश ''क'' में दर्शाए अनुसार अस्थायी रूप से कनेक्शन विच्छेदित होने पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के द्वारा जारी टैरिफ आदेश के प्रावधान अनुसार बिल जारी किये जाते हैं, तथा इस प्रकार जारी बिलों में अस्थाई रूप से कनेक्शन विच्छेदन के समय बकाया राशि एवं नियमानुसार लगाई गई सरचार्ज की राशि सम्मिलित होती है। (ग) हरदा जिले में विगत तीन वर्षों में अस्थाई रूप से विद्युत कनेक्शन विच्छेदन के बाद उपभोक्ताओं से बकाया राशि सहित कुल वसूल की गई राशि का वर्षवार एवं विधानसभा क्षेत्रवार विवरण निम्नानुसार है :-
(राशि रू. लाख में)
विधानसभा क्षेत्र का नाम |
वर्ष 2013-14 |
वर्ष 2014-15 |
वर्ष 2015-16 |
|||
उपभोक्ताओं की संख्या |
राशि |
उपभोक्ताओं की संख्या |
राशि |
उपभोक्ताओं की संख्या |
राशि |
|
हरदा |
1493 |
137.49 |
3278 |
340.49 |
1183 |
88.97 |
टिमरनी |
365 |
23.80 |
761 |
97.66 |
49 |
3.33 |
बिना अनुज्ञा निर्माण के विरूद्ध कार्यवाही
36. ( क्र. 6258 ) श्री मोती कश्यप : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी नगर की गोपाल नगर कालोनी में पार्क एवं सड़क हेतु आरक्षित किसी खसरे व रकबों की भूमि में भवन निर्माण की अनुज्ञा प्राप्त किये बिना किन्हीं के द्वारा बहुमंजिला भवनों का निर्माण कर दिया है? (ख) क्या मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के अनुसार प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में किस प्रकार की अनियमिततायें पायी गई हैं? (ग) क्या प्रश्नांश (क), (ख) के संदर्भ में लोकायुक्त संगठन द्वारा आयुक्त नगर निगम कटनी के द्वारा किसी तिथि में कोई निष्पादन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है? (घ) नगर निगम कटनी की जिन बस्तियों में बिना अनुज्ञा के आवासीय एवं व्यवसायिक भवनों के निर्माण किये हैं और उनके विरूद्ध आज तक क्या कार्यवाहियां की गई हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं, अपितु श्रीमत कमलोदवी पत्नी स्व. श्री गोपाल चौदहा, निलेश कुमार पिता स्व. श्री गोपाल दास चौदहा द्वारा खसरा क्रमांक 1368/1 में डुप्लेक्स भवनों का निर्माण किया गया है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में गोपाल नगर में प्रदान की गई अनुज्ञा क्रमांक 4466/लो.नि.वि./कालोनी/2003 कटनी, दिनांक 23.06.2003 के विपरीत कालोनी में पार्क के लिए आरक्षित 5500 वर्गफुट भूमि पर 4 डुप्लेक्स भवनों का निर्माण कार्य कर लिया गया है। नगर तथा ग्राम निवेश कटनी द्वारा अनुमोदित अभिन्यास के विपरीत कालोनाईजर द्वारा निम्नानुसार कार्य किये गये है :- (1) कालोनाईजर द्वारा स्वीकृत अभिन्यास में आरक्षित पेविंग (सड़क) क्षेत्र 10X110 फुट 1100 वर्गफुट तथा पार्क हेतु आरक्षित क्षेत्र 44X110 फुट 4400 वर्गफुट कुल क्षेत्रफल 5500 वर्गफुट में 4 नग भवनों का निर्माण कर लिया गया है। (2) कालोनी क्षेत्र में विकास कार्यों के विरूद्ध बंधक रखे गये भूखण्ड क्रमांक 01 से 04 को बिना नगर निगम से कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त किये अर्थात भूखण्डों को बंधन मुक्त कराये बिना विक्रय किया गया है। (ग) जी हाँ। कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ',''ब'',''स, एवं ''द'' अनुसार है। (घ) नगर पालिक निगम, कटनी क्षेत्रांतर्गत आवासीय एवं व्यवसायिक भवनों के बिना अनुज्ञा निर्माण कार्य पाये जाने पर अनावेदकों के विरूद्ध म.प्र. नगर पालिक निगम, अधिनियम 1956 की धारा 307 (2) एवं 307 (3) के प्रावधानों के अनुसार सूचना दी जाकर अवैध निर्माण रोकथाम की कार्यवाही की जाती है, एवं समय-समय पर अवैध निर्माण हटाये जाने की कार्यवाही की गई है। विगत 05 वर्षों में की गई कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ई'' अनुसार है।
जल संरचना निर्माणों की अनियमितताओं की जाँच
37. ( क्र. 6259 ) श्री मोती कश्यप : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जल संसाधन विभाग के उपसंभागों में कौन-कौन यंत्री, सहायक यंत्री व उपयंत्री पदस्थ है और उन्होंने वर्ष 2012-13 से 2015-16 की अवधि में किन मदों के किन स्तर से तकनीकी प्रशासकीय स्वीकृतियों प्राप्त कर निर्माण कार्य सम्पादित किये है? (ख) प्रश्नांश (क) के किन निर्माणों में सामग्री व मजदूरी में कितना व्यय किया गया है और उनका भौतिक सत्यापन व मूल्याकंन कब किनके द्वारा किया गया और पायी गई अनियमितताओं पर किन पर किनके द्वारा क्या कार्यवाहियों की गई है? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) की दर्शित अवधि में योजना मद से कितनी राशि के कब कौन से कार्य स्वीकृत किये गये हैं और उन्हें किन निर्माण एजेन्सियों से किस विधि निष्पादित कराया गया है तथा किस स्तर तक पूर्ण निर्माण पर कितनी राशि व्यय हुई? (घ) क्या प्रश्नांश (ग) की जाँच किस स्तर के अधिकारी से करायी गई है और किस कार्य में क्या अनियमितताएं पाये जाने पर किसके विरूद्ध क्या कार्यवाहियाँ की गई है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1,2 एवं 3,4 अनुसार है। निविदा कार्यों में निविदाकार को सामग्री एवं मजदूरी का पृथक-पृथक भुगतान नहीं किया जाता है। कार्यों का भौतिक सत्यापन एवं मूल्याकंन प्रभारी उपयंत्री, अनुविभागीय अधिकारी एवं कार्यपालन यंत्री द्वारा समय-समय पर किया जाता है। कोई अनियमितता नहीं पाई जाना प्रतिवेदित है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। (ग) एवं (घ) योजना मद में स्वीकृत कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 5,6 अनुसार है। जी नहीं। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध अभियोजन की स्वीकृति
38. ( क्र. 6320 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के सा.प्र. विभाग, राजस्व, गृह एवं लोक स्वास्थय एवं परिवार कल्याण विभागों के किन-किन अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध वर्ष 2013 से माह दिसम्बर 2015 तक किन-किन संस्थाओं द्वारा भ्रष्टाचार के प्रकरण पंजीबद्ध किए गये नाम व पद सहित बतावें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अनुसार किन-किन विभागों के किन-किन अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार के प्रकरण के चालान न्यायालय में प्रस्तुत किये गये नाम व पद सहित बतावें? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित अनुसार किन-किन विभागों के किन-किन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध अभियोजन की स्वीकृति हेतु प्रकरण लंबित है विभागवार, नामवार, पदवार बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
प्रोटोकाल का पालन
39. ( क्र. 6481 ) श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधायकों द्वारा किसी विषय पर दिए गए सुझाव मान.मुख्यमंत्री अथवा शासन को दिए गए पत्र आवेदन की श्रेणी में आते हैं? पत्र लिखने वाले विधायक क्या आवेदनकर्ता की श्रेणी में आते हैं? (ख) यदि हाँ, तो क्या यह संबोधन विधानसभा सदस्यों के लिए उचित है? (ग) यदि नहीं, तो अवर सचिव म.प्र. शासन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के पत्र क्रमांक 184/2505/2015/उन्तीस-1 भोपाल दिनांक 02.02.16 को विधायक द्वारा माननीय मुख्यमंत्री को लिखे गए सुझावी पत्र को आवेदन एवं विधायक को आवेदनकर्ता किन कारणों से उल्लेखित किया गया? (घ) क्या सामान्य प्रशासन विभाग इस संबंध में कोई निर्देश जारी करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। (ग) अवर सचिव, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण द्वारा माननीय विधायक के सुझावी पत्र को सामान्य पत्राचार की भाषा के रूप में ''आवेदन'' सम्बोधित किया गया। (घ) इस संबंध में संबंधित अधिकारी को उसकी त्रुटि के लिए सचेत किया गया है ताकि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो। संलग्न परिशिष्ट अनुसार।
नगर निगम क्षेत्र में शामिल वार्डों से प्राप्त राजस्व
40. ( क्र. 6519 ) श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिक निगम इन्दौर सन् 2013 में शामिल वार्ड क्र.14, 15 एवं 16 के देपालपुर विधानसभा क्षेत्र के संबंध में नगर निगम क्षेत्र में शामिल होने से आज तक कुल कितना कितना राजस्व प्राप्त हुआ? (ख) उपरोक्तानुसार प्राप्त राजस्व के अनुपात में उक्त कार्यों में कितनी कितनी राशि खर्च की गई है? (ग) नगर पालिक निगम क्षेत्र के अंतर्गत उक्त वार्डों में सड़क, बिजली, पानी एवं ड्रेनेज से संबंधित कितना कार्य किया गया है एवं कितना कार्य किया जाना शेष है? (घ) उपरोक्तानुसार ‘ग’ में दिये कार्य कब तक पूर्ण कर लिये जावेंगे? विशेषकर पेयजल के संबंध में ग्रीष्म ऋतु के हिसाब से क्या योजना तैयार की गई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वार्ड क्रमांक 14, 15 एवं 16 से प्राप्त राजस्व कुल राशि रू. 5,31,31,562/- है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ''' के बिन्दु क्रमांक 01 अनुसार है। (ग) किये गये कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' के बिन्दु क्रमांक 02 अनुसार है। शेष कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' के बिन्दु क्रमांक 03 अनुसार है। देपालपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत शहरी सीमा में आने के पश्चात निगम द्वारा जनप्रतिनिधियों की मांग अनुसार कार्य प्रस्तावित किये गये है, प्रस्तावित कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' के (पेज क्रं. 01 से 04) अनुसार है। (घ) शेष कार्य निविदा स्वीकृति उपरांत सम्पन्न किये जायेंगे, ग्रीष्म ऋतु को दृष्टिगत रखते हुये जिन क्षेत्रों में नर्मदा परियोजना की जल वितरण लाइनें है, केवल नलकूप व हैण्डपंपों पर ही आधारित है उन क्षेत्रों में पेयजल वितरण प्राइवेट टैंकरों से कराये जाने हेतु निगम द्वारा जिला कलेक्टर, इन्दौर को राशि रूपयें 522.05 लाख की कार्ययोजना शासन से अनुदान उपलब्ध कराये जाने के लिये प्रेषित की गई है। कार्यवाही प्रचलित है।
वनवासी अंचल के ग्रामों में विद्युत सुविधा
41. ( क्र. 6537 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र के वनवासी अंचल के कितने ग्राम हैं जहाँ बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है? इन वनवासी ग्रामों में विद्युत सुविधा कब तक उपलब्ध करा दी जायेगी? (ख) वनवासी अंचल के ग्रामों में अभी तक विद्युत सुविधा किस कारण से उपलब्ध नहीं हो सकी है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में 6 वन ग्राम अविद्युतीकृत हैं। उक्त में से 3 ग्रामों यथा-ग्राम बड़ागांव, भैंसा एवं मुकुंदा में विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर है तथा 2 ग्रामों यथा- ग्राम टुइयापानी एवं भिलमाढाना में विद्युतीकरण के कार्य हेतु वन विभाग से अनुमति प्रतीक्षित है। उक्त पाँचों ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य वन विभाग की अनुमति उपरान्त माह जून 2016 तक पूर्ण किया जाना संभावित है। शेष ग्राम भिलमाढाना (राजस्व), सघन वन क्षेत्र में स्थित होने के कारण गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोतों से विद्युतीकरण हेतु प्रस्तावित है, जिसका कार्य नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा किया जाना है। (ख) सघन वन क्षेत्र में होने के कारण दुर्गम पहुँच मार्ग व विद्युतीकरण कार्य की लागत बहुत अधिक होने के कारण इन ग्रामों में विद्युतीकरण में विलंब हुआ है तथापि शत प्रतिशत अविद्युतीकृत ग्रामों को विद्युतीकृत किये जाने के राष्ट्रीय लक्ष्य के अंतर्गत वन विभाग की स्वीकृति एवं वित्तीय उपलब्धता अनुसार शेष वन ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य क्रमश: किया जा रहा है।
टैक्स चोरी के प्रकरण
42. ( क्र. 6638 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2015 में सेल्स टैक्स विभाग (वाणिज्यिक कर विभाग) के कितने प्रथम श्रेणी स्तर के अधिकारियों को लोकायुक्त द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों कब-कब पकड़ा गया? उनका नाम, पदनाम व पदस्थापना सहित बताएं। इन पकड़े गये अधिकारियों में किनकों निलंबित किया गया तथा किनका स्थानान्तरण किया गया? यदि नियमानुसार उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों? (ख) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या छतरपुर और सतना जिले में कारोबार करने वाली मेसर्स पेपटेक हाउसिंग प्रा. लि. के व्यापारी के यहां वर्ष 2013 में विभाग के एंटी एवेजन ब्यूरो सतना द्वारा छापा मारा गया था एवं प्रकरण क्र. 370/13 दर्ज किया गया था? यदि हाँ, तो प्रकरण में कितनी राशि का वेट टैक्स और पेनाल्टी लगाई गई थी? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में क्या उक्त वेट टैक्स एवं पेनाल्टी हटाकर पिछली कार्यवाही को शून्य घोषित कर शासन को करोड़ों रूपए के राजस्व की क्षति पहुंचाई गई? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन-कौन दोषी है एवं उक्त टैक्स चोरी की राशि की वसूली किस प्रकार से की जाएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) दिनांक 20/02/2013 को एन्टी इवेजन ब्यूरो सतना द्वारा मेसर्स पेपटेक हाउसिंग प्रा.लि. पर छापा मारा गया था। मेसर्स पेपटेक हाउसिंग प्रा.लि. छतरपुर वैट प्रकरण क्र. 370/13 में श्री ए.के. श्रीवास्तव तत्कालीन सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर इन्दौर कैंप सागर द्वारा एकपक्षीय आदेश पारित दिनांक 27/02/2015 से अपवंचित वैट रूपये 3,17,51,787/- एवं शास्ति रूपये 6,35,03,574/- कुल रूपये 9,52,55,361/- का मांग पत्र जारी किया गया एवं प्रवेश कर प्रकरण 371/13 आदेश पारित दिनांक 27/02/2015 में प्रवेश कर एवं ब्याज राशि रूपये 81,59,314/- का मांग पत्र जारी किया गया। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में मेसर्स पेपटेक हाउसिंग प्रा.लि. छतरपुर प्रकरण क्र. मध्यप्रदेश वेट अधिनियम की धारा 34 (1) के अधीन नवीन कर निर्धारण आदेश पारित दिनांक 15.5.15 से श्री टी.सी. वैश्य तत्कालीन सहायक आयुक्त (वर्तमान में सेवानिवृत्त) वाणिज्यिक कर सागर द्वारा वैट एवं प्रवेश कर प्रकरण में अतिरिक्त मांग निरंक निकाली गई है। इस आदेश को धारा 47 (2) के तहत पुन: कार्यवाही हेतु लिया गया है, प्रकरण का परीक्षण किया जा रहा है। अंतिम आदेश पारित होने पर प्रावधानों के अनुरूप वसूली कार्यवाही की जावेगी।
नगर परिषद् के वार्डों में कराए गए कार्य
43. ( क्र. 6732 ) श्री रामकिशन पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र के नगर परिषद् बरेली एवं उदयपुरा अन्तर्गत वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में विकास कार्यों हेतु कितना बजट स्वीकृत किया गया? परिषद्वार जानकारी देवें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित बजट में किस-किस वार्डों में कौन-कौन से कार्य, कितनी लागत से कराये गये? कार्यों की वर्तमान स्थिति क्या है? परिषद् एवं वार्डवार जानकारी देवें? (ग) नगर परिषद् बरेली एवं उदयपुरा से पार्षदों द्वारा वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में कौन-कौन से प्रस्ताव विकास कार्यों के प्राप्त हुये, कितने प्रस्ताव पर तकनीकी प्रतिवेदन तैयार किये जाकर स्वीकृति हेतु परिषद् की बैठक एवं पी.आई.सी. की बैठक में स्वीकृत हेतु प्रस्तुत किये गये? कितने प्रस्ताव मान्य एवं अमान्य किये गये? प्रस्तुत प्रस्ताव की जानकारी वार्डवार देवें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) उदयपुरा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत नगर परिषद् बरेली में वर्ष 2014-15 में विकास कार्य हेतु राशि रूपयें 1,60,00,000/- एवं वर्ष 2015-16 में राशि रूपयें 2,00,00,000/- विकास कार्य हेतु स्वीकृत किये गये है तथा उदयपुरा नगर परिषद् में वर्ष 2014-15 में विकास कार्यों हेतु राशि रूपयें 7,38,98,000/- तथा 2015-16 में राशि रूपयें 8,28,48,000/- स्वीकृत किये गये है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) उदयपुरा एवं बरेली में पार्षदों से प्राप्त विकास कार्यों के समस्त प्रस्ताव परिषद्/पी.आई.सी. की बैठक में स्वीकृत किये गये है। विवरण जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। कोई भी प्रस्ताव अमान्य नहीं किये गये है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापना
44. ( क्र. 6751 ) श्रीमती अर्चना चिटनिस : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बुरहानपुर शहर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापना प्रस्तावित है? (ख) यदि हाँ, है, तो वर्तमान में प्रतिमा स्थापना किये जाने की प्रक्रिया की क्या स्थिति है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) के संबंध में मान. मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषणा की गयी थी? यदि हाँ, तो कब? (घ) प्रश्नांश (क) से संबंधित छत्रपति शिवाजी प्रतिमा स्थापना हेतु निश्चित समय-सीमा देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। आयुक्त, नगर निगम, बुरहानपुर द्वारा प्रतिमा स्थापना हेतु यातायात विभाग को छोड़कर अन्य संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त हो चुके है। यातायात विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त होने पर नगर निगम, बुरहानपुर द्वारा अनुमति हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाने पर नियमानुसार प्रतिमा स्थापना हेतु अनुमति के संबंध में कार्यवाही की जावेगी। (ग) जी हाँ। दिनांक 02.01.2014 को। (घ) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
मायसेम सीमेन्ट फैक्ट्री द्वारा उत्खनन
45. ( क्र. 6759 ) श्री प्रताप सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह जिले में संचालित मायसेम सीमेन्ट फैक्ट्री नरसिंहगढ़ द्वारा किन-किन ग्रामों की कितनी-कितनी भूमि पर उत्खनन कार्य किया जा रहा है? कितने एकड़ क्षेत्र में कहाँ-कहाँ लीज स्वीकृत की गई है? स्वीकृत लीज अवधि एवं समाप्त अवधि बतलावें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित फैक्ट्री द्वारा उत्खनन कार्य के दौरान किये गये विस्फोटकों से फैले मलवे/धूल से कितने किलोमीटर दूर की फसलें नष्ट होती हैं एवं कितने ग्राम के ग्रामवासियों के स्वास्थ्य पर विपरित असर पड़ने से मृत्यु हुई है तथा कितने अस्वस्थ हैं? डस्ट एवं केमिकल से स्थानीय प्रवाहित नदी के प्रदूषित हुए जल के लिए कौन जिम्मेदार है? जिला प्रशासन अथवा अन्य संबंधित प्रदूषण बोर्ड द्वारा उपरोक्त तथ्यों की कब-कब जाँच करायी गई है? प्रदूषण बोर्ड से प्राप्त एन.ओ.सी. की स्थिति उपलब्ध करावें (ग) क्या दमोह लोकसभा क्षेत्र के सांसद द्वारा उल्लेखित क्षेत्र के भ्रमण के दौरान ग्रामवासियों ने फेफड़ा, ब्लड प्रेशर, रतौंधी, मानसिक बीमारी एवं शारीरिक विकलांगता होने संबंधी शिकायतें की गई थी? यदि हाँ, तो फैक्ट्री की प्रबंधन समिति द्वारा पीडि़त ग्रामवासियों की क्षतिपूर्ति की क्या भरपाई की गई है? (घ) प्रदूषित पर्यावरण से फसलें, मानव एवं जानवरों के स्वास्थ्य पर निरन्तर हो रहे विपरीत असर के लिए कौन जिम्मेदार है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। (ख) प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित फैक्ट्री द्वारा उत्खनन कार्य के दौरान फसले नष्ट होने, ग्राम वासियों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ने से मृत्यु होने एवं अस्वस्थ्य होने संबंधी कोई शिकायत अथवा सूचना प्राप्त नहीं है। स्थानीय प्रवाहित नदी के जल नमूने की जाँच दिनांक 20.03.2016 को की गई है। परिणाम निर्धारित मानकों के अनुरूप पाये गये है। डस्ट एवं केमिकल से नदी में प्रदूषण की स्थिति नहीं पायी गई। उद्योग की उत्खनन ईकाई को म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदत्त जल/वायु सम्मति की वैधता दिनांक 31.01.2017 तक है। (ग) इस प्रकार की जानकारी प्राप्त नहीं है। प्रश्नांश में उल्लेखित तथ्यों के संबंध में उत्तर प्रश्नांश 'ख' में दर्शित किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश 'ख' में दिये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
राज्य की आर्थिक स्थिति
46. ( क्र. 6778 ) श्री सचिन यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य सरकार की वर्तमान आर्थिक स्थिति क्या है वर्तमान में कुल कितना-कितना कर्ज कहाँ-कहाँ से लिया गया है? कर्जवार जानकारी दें? (ख) वर्तमान में राज्य सरकार ने किन-किन चीजों पर कितना वेट लगा रखा है और क्यों कारण दें साथ ही बतायें कि उक्त वेट क्या निर्धारित सीमा से अधिक है? हाँ तो क्यों कारण दें? (ग) भारत सरकार से प्रदेश सरकार को कुल कितनी-कितनी राशि कब-कब किस-किस मद में प्राप्त हुई? जुलाई 2016 से प्रश्नांकित दिनांक तक की जानकारी दें? (घ) वर्तमान में राज्य सरकार कर्ज मुक्त होने के लिए कौन-कौन से प्रयास किस-किस योजना अंतर्गत कर रही है? नहीं तो क्यों? क्या कर्ज की सीमा बढ़ाये जाने हेतु भारत सरकार को कोई पत्र प्रेषित किया गया है? हाँ तो विवरण देवें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) संतोषजनक 31 मार्च 2015 को कुल बाजार ऋण रुपये 43149.92 करोड़, केंद्र सरकार का ऋण रूपये 13253.83 करोड़, अन्य संस्थाओं से रूपये 25857.76 करोड़ एवं भविष्य निधि आदि रूपये 11049.79 करोड़, सब्याज जमा परिवार कल्याण निधि योजना आदि रूपये 58.69 करोड़, शासकीय कर्मचारी समूह बीमा योजना रूपये 1609.26 करोड़ है. वर्ष 2016-17 का लेखा महालेखाकार से प्राप्त होने पर वर्ष 2016-17 की जानकारी दर्शित होगी. (ख) राजस्व प्राप्ति के हित को दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 की अनुसूची 2 के अनुसार विभिन्न वस्तुओं को लगाये गए वेट कर की सूची, अधिसूचना क्रमांक (44) दिनांक 17.12.2015 तथा अधिसूचना क्रमांक (11) दिनांक 22.1.2016 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ एवं ‘डी’ पर है. कर की दरें निर्धारित सीमा से अधिक नहीं हैं. (ग) प्रश्नांश ‘क’ अनुसार बाजार ऋण, केन्द्र से ऋण एवं अन्य संस्थाओं से ऋण की स्थिति है. 31 मार्च 2015 की स्थिति में केन्द्रीय करों में हिस्सा रूपये 24106.80 करोड़ एवं केंद्र से सहायता अनुदान रूपये 17591.44 करोड़ प्राप्त हुए थे. वर्ष 2016-17 का लेखा महालेखाकार से प्राप्त होने पर वर्ष 2016-17 की जानकारी दर्शित होगी. (घ) सरकार द्वारा ऋण राज्य की विकासात्मक गतिविधियों की निरंतरता बनाये रखने की वजह से लिया जाता है. राज्य यथा समय ऋण/ब्याज का भुगतान कर रहा है. 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुक्रम में केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है, जिसकी प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ई’ पर है.
बारना नहर का विस्तार
47. ( क्र. 6852 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बारना परियोजना के सुदृढ़ीकरण एवं सैन्य क्षेत्र में दस हजार हेक्टेयर वृद्धि करने के लिए राशि 582 करोड़ स्वीकृत की गई है यदि हाँ, तो उक्त राशि से क्या-क्या कार्य कराये जायेगें? (ख) उक्त विस्तार कार्य में विकासखण्ड उदयपुरा के किन-किन ग्रामों में नहर निर्माण का कार्य किया जायेगा ग्रामों के चयन का आधार क्या है उक्त कार्य कब तक पूर्ण होगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) बारना परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति राशि रू. 581.00 करोड़ की दिनांक 15.02.2013 को दी गई है। परियोजना की नहर प्रणाली के जीर्णोद्धार, सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण के साथ-साथ रूपांकित सैच्य क्षेत्र 9917 हेक्टेयर बढ़ाने का कार्य शामिल है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। सैच्य क्षेत्र का निर्धारण बहाव से सैच्य क्षेत्र में जल उपलब्ध कराने की तकनीकी संभावना के आधार पर किया गया है।
दमोह जिले में लाइन स्टोन की लीज
48. ( क्र. 6868 ) श्री लखन पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दमेाह जिले में मैसूर सीमेंट प्रायवेट लि. नरसिंहगढ़ एवं एक-एक ग्राम में लाईन स्टोन के लिए खनन हेतु लीज दी गई है यदि हाँ, तो वर्षवार, ग्रामवार एवं शर्तवार बतायें उपरोक्त खनन की लीज इसके पूर्व किसे आवंटित थी क्या पूर्व में आवंटित ठेकेदार या कंपनी से रायल्टी की राशि शेष है तो कितनी राशि शेष है वर्षवार, ग्रामवार बतायें? (ख) प्रश्नांश (क) कितनी राशि रायल्टी कंपनी द्वारा जमा की गई है कितनी राशि शासन के खाते में जमा किया जाना शेष है वर्षवार, लाईन स्टोन की जानकारी खदानवार वर्षवार बतायें? (ग) शेष राशि पर ब्याज कितना निर्धारित किया गया है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। प्रश्नानुसार खनिपट्टा पूर्व में अन्य किसी को आवंटित नहीं था। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नाधीन कंपनी द्वारा विगत 3 वर्षों में वर्षवार जमा रायल्टी खदानवार संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। चूना पत्थर से सीमेंट निर्माण हेतु 1:1.6 परिवर्तन सूत्र के आधार पर राशि रूपये 67.54 करोड़ का मांग पत्र प्रश्नाधीन कंपनी को प्रेषित किया गया है। (ग) ब्याज की राशि का निर्धारण अभी नहीं किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नगर निगम बुरहानपुर में लेखांकन कार्य
49. ( क्र. 6871 ) श्रीमती अर्चना चिटनिस : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्तमान में भी नगर निगम बुरहानपुर में लेखांकन कार्य द्विप्रविष्टि प्रणाली के आधार पर ही किया जा रहा है? (ख) क्या जी.आई.एस. सर्वेक्षण की रिपोर्ट की अनुशंसाओं को नगर पालिका निगम द्वारा लागू कर दिया गया है? (ग) यदि हाँ, तो नगर निगम को इससे क्या लाभ हुआ है और यदि नहीं, तो शासन द्वारा इतनी बड़ी धन राशि व्यय करके नगर निगम में लागू की गई सुधार प्रणाली का क्रियान्वयन नहीं किए जाने के लिए कौन दोषी है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ (ग) जी.आई.एस. सर्वे के पूर्व नगर निगम अभिलेख अनुसार 25089 संपत्तियां दर्ज थी। सर्वे के पश्चात नगर निगम सीमा में 34300 संपत्तियों का आंकलन किया गया, तद्नुसार 9211 संपत्तियों की वृद्धि हुई जो 37 प्रतिशत होती है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
भोपाल नगर में लोहा व्यवसाय को व्यवस्थित
50. ( क्र. 6875 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या लोहा व्यवसायी निर्माता संघ, भोपाल के आावेदन पर राजधानी भोपाल में लोहा मण्डी की स्थापना का प्रस्ताव कलेक्टर भोपाल द्वारा पत्र क्रमांक 1136 दिनांक 31.5.14 द्वारा प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण विभाग म.प्र. शासन को भेजा गया था? (ख) क्या कलेक्टर के उक्त पत्र के पश्चात नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग के पत्र क्रमांक एफ-3-22/2014 बत्तीस दिनांक 3 नवंबर, 2015 के द्वारा निर्धारित दिशा निर्देश के अंतर्गत प्रकरण प्रेषित किये जाने हेतु कलेक्टर को लिखा गया था? (ग) यदि हाँ, तो उक्त पत्र पर कलेक्टर भोपाल द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या शासन लोहा व्यवसायी एवं निर्माता संघ की वर्षों पुरानी मांग के दृष्टिगत तथा लोहे के सरियों से भरे ट्रकों जो अभी शहर के बीच से कई स्थानों पर जाते हैं उसके कारण हो रही दुर्घटनाओं को रोकने की दृष्टि से ग्राम कानासैया में ट्रांसपोर्ट नगर के करीब व्यवसायिक सुविधा की दृष्टि से प्रस्तावित एवं लोहा मण्डी हेतु चिन्हित भूमि खसरा नं. 373, 375/2, 412, 419, 449, 450 में बसाने हेतु शीघ्र आगामी कार्यवाही करेगा, यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) कलेक्टर, जिला भोपाल ने अवगत कराया है कि शासन के नियम अनुसार किसी भी व्यापारी संघ को भूमि आवंटन किये जाने का प्रावधान नहीं है। (घ) उत्तरांश ’’ग’’ के परिप्रेक्ष्य में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
पौराणिक, धार्मिक, दार्शनिक एवं पवित्र नगरी महेश्वर, मण्डलेश्वर में पर्यटन को बढ़ावा
51. ( क्र. 6880 ) श्री राजकुमार मेव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक पर्यटन हेतु महेश्वर, मण्डलेश्वर एवं आस-पास के दर्शनीय स्थलों को देखने हेतु कितने देशी एवं विदेशी पर्यटक आये हैं? महेश्वर में देशी एवं विदेशी पर्यटकों की सुविधा हेतु विभाग द्वारा क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं एवं सिंहस्थ 2016 को दृष्टिगत रखते हुये पर्यटकों की सुविधा हेतु आगामी क्या योजना बनाई गई है एवं उनका क्रियान्वयन कब तक किया जावेगा? (ख) सिंहस्थ 2016 को दृष्टिगत रखते हुये पौराणिक, धार्मिक दार्शनिक एवं पवित्र नगरी महेश्वर, मण्डलेश्वर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा क्या योजना बनाई गई है एवं वर्ष 2015-16 में कितना बजट प्रावधान किया गया है? कितना स्वीकृत किया गया है? कितना व्यय किया गया है? (ग) क्या महेश्वर, मण्डलेश्वर में पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने हेतु नर्मदा नदी में स्टीमर चलाये जाने की कोई योजना तैयार की गई है? यदि हाँ, तो क्या एवं कब तक इसका क्रियान्वयन किया जावेगा? पर्यटन स्थल महेश्वर के सहस्त्रधारा में सलालम, कयाक वाटर स्पोटर्स नेशनल चैम्पियनशिप की प्रतियोगिता आयोजित किया जाने की तैयारी भी की जा रही है? यदि हाँ, तो इसके लिए पर्यटन विभाग क्या कार्ययोजना एवं कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध करायेगा? (घ) क्या सिंहस्थ 2016 को दृष्टिगत रखते हुये महेश्वर पर्यटन के लिए कोई विशेष कार्ययोजना बनाई गई है? यदि हाँ, तो क्या एवं उसका क्रियान्वयन कब तक किया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जनवरी, 2014 से फरवरी, 2016 तक महेश्वर में 24,57,841 देशी एवं 2294 विदेशी पर्यटक धार्मिक नगरी महेश्वर में पर्यटन हेतु आये हैं। महेश्वर में देशी एवं विदेशी पर्यटकों की सुविधा हेतु होटल इकाई का संचालन किया जा रहा है। जी नहीं। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। पर्यटन स्थल महेश्वर के सहत्रधारा में दिनांक 11 से 14 मार्च, 2016 को कैनो स्लालम एवं कैनो मैराथन की राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन किया जा चुका है। खेल विभाग द्वारा सहस्त्रधारा में खिलाडि़यों के प्रशिक्षण हेतु कैनो स्लालम कोर्स का निर्माण किया गया है। (घ) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना
52. ( क्र. 6890 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना का कार्य मेसर्स नवयुगा इंजीनियरिंग कंपनी को दिया गया है? यदि हाँ, तो उक्त कार्य की प्राक्कलन राशि, कार्य के ठेके की राशि कार्य पूर्ण करने की अवधि, अनुबंधानुसार कार्य आरंभ करने की तिथि, वास्तविक कार्य प्रारंभ करने की तिथि, अनुबंधानुसार कार्य पूर्ण करने की तिथि की जानकारी दी जावे? (ख) कार्य आरंभ करने की तिथि से आज तक एजेन्सी में कितनी राशि का कार्य किया है? क्या निर्माण कार्यक्रम के अनुसार एजेन्सी ने लक्ष्य प्राप्ति की गई है? यदि नहीं,, तो क्यों एवं उसके लिये कौन दोषी है, तथा दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? कार्य की धीमी प्रगति के लिये निर्माण एजेन्सी को अनुबंधानुसार दंडित किये जाने का क्या प्रावधान है? (ग) इसके तहत अब तक शासन के हित में कितनी राशि का दंड वसूला गया है एवं किस मद में जमा किया गया है? कार्य में प्रयुक्त होने वाली निर्माण सामग्री जैसे एम.एस. पाईप, तार स्टील, प्लेन स्टील, सीमेंट, रेत, गिट्टी एवं इलेक्ट्रिकल्स आईटम इत्यादि की अनुबंधानुसार गुणवत्ता विरूपित करने के लिये एजेन्सी के पास या विभाग के पास कोई गुणवत्ता नियंत्रण की प्रयोगशाला उपलब्ध है? यदि हाँ, तो कहाँ पर है एवं उसकी रिपोर्ट समय-समय पर शासन को सौंपी गई अथवा नहीं? (घ) क्या निर्माण एजेन्सी में लगे शासकीय अमले, तकनीकी अमले, एजेन्सी के विभिन्न अमले को सुरक्षा/सावधानी की दृष्टि से क्या सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं? क्या इसका प्रयोग किया जा रहा है? यदि नहीं, तो निर्माण एजेन्सी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जा रही है? क्या निर्माण एजेन्सी द्वारा उनके अमले के निवास हेतु प्रयोग में लाये जा रहे कैम्प, हॉस्टल मेस में उनके एच.आर. द्वारा नियत मापदण्डों का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं? इस हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) माह 02/2016 तक निर्माण एजेंसी द्वारा राशि रूपये 182.08 करोड़ का कार्य किया गया है। जी नहीं। प्रमुखत: भू-अर्जन में विरोध तथा न्यायालयीन प्रकरण तथा पर्यावरण स्वीकृति एवं वन भूमि के हस्तांतरण में प्रक्रियाधीन विलंब के फलस्वरूप लक्ष्य अनुरूप प्रगति नहीं रही है। इस हेतु कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है। अनुबंध अनुसार कार्य की धीमी प्रगति के लिए निर्माण एजेंसी के विरूद्ध अनुबंध की कंडिका क्रमांक 115.1 (वाल्यूम-2) में शास्ति अधिरोपित करने का प्रावधान है। (ग) निर्माण एजेंसी से दण्ड स्वरूप राशि रूपये 10.292 करोड़ चलित देयक से रोकी गई है, जिसे हेड क्रमांक 8443 डिपोजिट मद में रखा गया है। कार्य में प्रयुक्त होने वाले एम.एस.पाईप की गुणवत्ता की जाँच हेतु पाईप निर्माण/सप्लाई फैक्ट्री में प्रयोगशाला स्थापित है। जहाँ पर कार्य से संबंधित विभागीय अमले द्वारा जाँच की जाकर उसकी रिपोर्ट विभाग को दी जा रही है। कार्य में प्रयुक्त होने वाली सीमेंट, रेत, गिट्टी एवं अन्य सामग्री की गुणवत्ता नियंत्रण जाँच हेतु वर्तमान में एजेंसी द्वारा ग्राम बडवाह के समीप कैम्प ऑफिस में प्रयोगशाला स्थापित की गई तथा कार्य से संबंधित विभागीय अधिकारी/कर्मचारी की उपस्थिति में निर्माण सामग्री की जाँच की जाती है एवं रिपोर्ट वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्तुत की जाती है। (घ) निर्माण कार्य के संबंध में निर्माण एजेंसी द्वारा लिबर्टी विडियोकॉन से ‘’इम्प्लॉयी कम्पन्सेशन इन्श्यूरेन्स पॉलिसी तथा नेशनल इन्श्यूरेन्स कंपनी लिमिटेड से ‘’इरेक्शन ऑल रिस्क पॉलिसी’’ ली गई है। जी हाँ। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने
53. ( क्र. 6915 ) श्री ठाकुरदास नागवंशी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पिपरिया विधानसभा क्षेत्र में तवा परियोजना अंतर्गत आंजन नदी पर बना सायफन की विगत 05 वर्षों में कितनी बार मरम्मत की गई? (ख) क्या वर्तमान में यह सायफन क्षतिग्रस्त है जिसके कारण नहर में पानी की संचालन की प्रक्रिया कारगर रूप से कार्य नहीं कर पा रही है? यदि हाँ, तो इस सायफन पर स्थायी सुधार की क्या योजना है? (ग) क्या नहर के अंतिम छोर विकासखंड बनखेड़ी के ग्राम बनवारी एवं अन्य ग्रामों में तवा नहर के निर्माण दिनांक से आज दिनांक तक सिंचाई हेतु पानी नहीं पहुंचाया गया है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन उत्तरदायी हैं? (घ) अंतिम छोर तक नहर का पानी पहुंचाने हेतु विभाग की क्या योजना है एवं किस दिनांक तक अंतिम छोर तक पानी पहुंचा दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) प्रश्नाधीन अवधि में मरम्मत नहीं की गई। प्रश्नाधीन सायफन क्षतिग्रस्त होने के कारण सायफन के दूसरे छोर पर स्थित सैच्य क्षेत्र में सिंचाई जल नहीं पहुंच पाता है। सायफन की मरम्मत हेतु प्रस्ताव बनाने के निर्देश दे दिए गए हैं। मरम्मत उपरांत आगामी रबी सिंचाई में सिंचाई जल उपलब्ध कराने की योजना है।
हलाली डेम से गुलाबगंज तहसील के ग्रामों में सिंचाई सुविधा
54. ( क्र. 6932 ) श्री कल्याण सिंह ठाकुर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मान.मुख्यमंत्री महोदय ग्यारसपुर जिला विदिशा में हलाली डेम से नहरों द्वारा गुलाबगंज तहसील के ग्रामों में सिंचाई सुविधा देने की घोषणा दिनांक 15.5.2013 को की थी? (ख) क्या गुलाबगंज क्षेत्र के ग्रामों में सिंचाई सुविधा देने के उद्देश्य से हलाली डेम में पानी का भराव बढ़ाने के लिये डेम की ऊंचाई बढ़ाई गई थी? (ग) क्या कारण है कि गुलाबगंज क्षेत्र के ग्रामों में सिंचाई सुविधा नहीं दी जा सकी है? (घ) क्या वैधानिक रूप से संजय सागर से सिंचाई का पानी वाया नदी के ऊपर चेनल एवं सह चेनल मानपुर गांव के पास बेतवा पर चेनल बनाकर गुलाबगंज क्षेत्र की सिंचाई सुविधा दी जा सकती है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मान. मुख्य मंत्रीजी द्वारा दिनांक 15.05.2013 को ग्यारसपुर में सम्राट अशोक सागर परियोजना की सिंचाई क्षमता वृद्धि हो जाने के फलस्वरूप बेतवा नदी पार कर गुलाबगंज क्षेत्र के ग्रामों में सिंचाई सुविधा विस्तारित कराने हेतु परीक्षण कराने की घोषणा की गई थी। (ख) जी नहीं। (ग) एवं (घ) तकनीकी कारणों से प्रश्नाधीन क्षेत्र के ग्रामों में परियोजना से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना संभव नहीं पाया गया है।
ग्यारसपुर ग्राम अमरोही बांध परियोजना की स्वीकृति
55. ( क्र. 6933 ) श्री कल्याण सिंह ठाकुर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विदिशा जिले की तहसील ग्यारसपुर के ग्राम अमरोही में सिंचाई परियोजना प्रस्तावित है? उक्त बांध के बनने से कितने ग्रामों के किसानों को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के क्रम में प्रस्तावित बांध हेतु वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुमति प्राप्त कर ली गई है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा अनुमति हेतु किस दिनांक को प्रस्ताव भेजा? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) के क्रम में वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त बांध निर्माण कार्य हेतु अनुमति नहीं दी गई है? यदि हाँ, तो क्या शासन कृषक हित में उक्त बांध निर्माण कार्य की स्वीकृति में आ रही बाधाओं को दूर करके, शीघ्र ही बांध निर्माण कार्य स्वीकृत करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता। (ख) जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता। (ग) परियोजना साध्य नहीं है। अत: प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
गृह विभाग अंतर्गत अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध लोकायुक्त प्रकरण
56. ( क्र. 6968 ) श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में गृह विभाग अंतर्गत पुलिस आरक्षक से निरीक्षक तक के अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध वर्ष 2010 से फरवरी 2016 तक कितने लोकायुक्त ट्रेप के प्रकरण दर्ज किये गये है? कितने प्रकरणों में चालान पेश किया गया है? कितने प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली है तथा कितने प्रकरणों में आरोपीगण दोष सिद्ध पाये गए तथा कितने प्रकरणों में आरोपीगण दोषमुक्त किये गए है? नाम, पद सहित सूची दें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के संदर्भ में दोषमुक्त पाये जाने वाले अधिकारी कर्मचारी में से कितने अधिकारी कर्मचारी को पुन: विभाग में लिया गया तथा कितने अधिकारी कर्मचारियों को विभाग में नहीं लिया गया है? नाम पद सहित सूची दें? जिन दोषमुक्त अधिकारी-कर्मचारीयों को पुन: विभाग में नहीं लिया गया है उसका क्या कारण हैं? (ग) प्रश्नांश (क) अवधि में गृह विभाग में ऐसे कितने कर्मचारी अधिकारी है जिनको लोकायुक्त चालान पेश होने पर ही सेवा से पृथक का दण्ड दिया गया है? नाम पद सहित पृथक सूची दें? (घ) क्या म.प्र. के गृह विभाग अंतर्गत पुलिस आरक्षक से निरीक्षक तक के अधिकारी कर्मचारी में से लोकायुक्त प्रकरण विचाराधीन होने की स्थिति में ही क्या संबंधित को, उसी प्रकरण को लेकर विभागीय जाँच में दण्ड दिया जा सकता है क्या? दण्ड दिये जाने का स्तर क्या हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विद्युत लाइनों का मेंटेनेंस
57. ( क्र. 6978 ) श्री मेहरबान सिंह रावत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.क्षे.वि.क्षे.वि. कंपनी मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय (ग्वालियर) में 1 अप्रैल 2014 से प्रश्न दिनांक तक विद्युत लाइनों के मेंटीनेंस हेतु कितनी राशि प्राप्त हुई है एवं कितनी राशि व्यय हुई? जिला मुरैना अंतर्गत तहसीलवार जानकारी बतावें? (ख) सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत उक्त मेंटीनेंस राशि से कितने पुराने ट्रांसफार्मर बदले गये, कितने पुराने पोल बदले गए एवं कितने पुराने तार बदलकर नवीन तार डलवाए गए? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार उक्त मेंटीनेंस की कितनी राशि प्राप्त हुई एवं प्रश्नांश (ख) अनुसार कितनी राशि व्यय हुई? क्या यह राशि विभाग द्वारा व्यय की गई अथवा ठेकेदार द्वारा व्यय की गई? ठेकेदार के नाम सहित जानकारी बतावें? (घ) उक्त मेंटीनेंस की राशि का सत्यापन (व्यय उपरांत) किस अधिकारी द्वारा किया गया? अधिकारी का नाम एवं पद बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक (ग्वालियर) कार्यालय को विद्युत लाईनों के मेंटेनेंस हेतु वितरण कंपनी द्वारा सीधे राशि आवंटित नहीं की जाती, अपितु कंपनी के वृत्त स्तर के कार्यालयों को सीधे राशि उपलब्ध कराई जाती है, अत: प्रश्न नहीं उठता। मुरैना जिले में मुरैना वृत्त के अंतर्गत मेन्टेनेंस एवं अन्य सुधार कार्य हेतु दिनांक 01.04.2014 से प्रश्न दिनांक तक प्राप्त राशि एवं व्यय की गई राशि का तहसीलवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन अवधि में उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 345 फेल ट्रांसफार्मर एवं आंधी-तूफान में क्षतिग्रस्त हुई लाईनों के 362 पोल बदलने की कार्यवाही की गई है। प्रश्नाधीन अवधि में सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत पुराने तार की जगह नए तार बदलने का कार्य नहीं किया गया है अपितु आंधी-तूफान में क्षतिग्रस्त हुए 5.5 कि.मी. तार को बदलने का कार्य किया गया है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत मेन्टेनेंस कार्यों हेतु कुल रू. 59.73 लाख की राशि आवंटित की गई एवं उक्त में से रू. 44.85 लाख की राशि व्यय की गई है। उक्त राशि म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर/ठेकेदारों के माध्यम से कार्य करवाकर व्यय की गई है, जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब-1'' अनुसार है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में उक्त मेन्टेनेंस के कार्यों का सत्यापन करने वाले अधिकारियों की नामवार एवं पदवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब-1'' एवं ''ब-2'' अनुसार है।
जे.एन.एन.यू.आर.एम. के अंतर्गत बनाये गये फ्लेट्स
58. ( क्र. 7023 ) श्री अजय सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जे.एन.एन.यू.आर.एम. के अंतर्गत भोपाल के अर्जुन नगर में बनाये गये फ्लेट के आवंटन के लिए झुग्गी वासियों का सर्वे कराया गया था? (ख) यदि हाँ, तो यह सर्वे किसके द्वारा किया गया? उपरोक्त सर्वे में कितने परिवारों की सूची बनाई गई थी? (ग) क्या सर्वे के बाद कुछ अन्य परिवारों के नाम जोड़े गये थे? यदि हाँ, तो किन-किन के नाम जोड़े गये? (घ) जिन परिवारों के नाम जोड़े गये क्या वे झुग्गीवासी हैं? यदि झुग्गीवासी नहीं हैं तो सर्वे के बाद अलग से नाम जोड़े जाने का क्या कारण है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) श्री केशव पाठक, सहायक यंत्री, श्री देवेन्द्र तिवारी, प्रभारी उप नगर यंत्री, श्री सुनील वर्मा, उपयंत्री द्वारा। 1113 हितग्राहियों की (ग) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी हाँ। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सहायक ग्रेड-3 के कर्मचारियों को द्वितीय समयमान वेतनमान
59. ( क्र. 7045 ) श्री दिनेश राय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन के मंत्रालय एवं समस्त विभागाध्यक्ष कार्यालय तथा उनके अधीनस्थ कार्यालय/संस्थाओं में कार्यरत सहायक ग्रेड-3 की सीधी भर्ती के नियम एक समान है या नहीं? यदि नहीं,, तो कारण बताएं? (ख) प्रश्नांश (क) हाँ तो म.प्र. राज्य के सिविल सेवा के सदस्यों को सेवा में आगे बढ़ने के निश्चित अवसर उपलब्ध कराये जाने की दृष्टि से ‘अ’, ‘ब’ एवं ‘स’ संवर्ग के लिपिक संवर्ग (सहायक ग्रेड-3) के संवर्ग में वित्त विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ/11/1/2008/नियम/चार, दिनांक 24.01.2008 के द्वारा आदेश प्रसारित किये गये हैं? (ग) क्या राज्य शासन के आदेश क्रमांक एफ 11-2/2013/नियम/चार, भोपाल दिनांक 28 फरवरी, 13/04 मार्च, 2013 के द्वारा पृथक से आदेश जारी करते हुये संवर्ग (स) में अंकित प्रारंभिक वेतनमान रूपये 3050-4590 पाने वाले केवल म.प्र. मंत्रालय के तृतीय श्रेणी सहायक ग्रेड-3 के कर्मचारियों को द्वितीय समयमान वेतनमान रूपये 4500-7000 के स्थान पर रूपये 5500-9000 स्वीकृत किये जाने के आदेश प्रसारित किये गये? (घ) प्रश्नांश (ग) का उत्तर हां है तो राज्य शासन के विभागाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष के अधीन कार्यरत सहायक ग्रेड-3 कर्मचारियों के साथ भेदभाव हुआ है या नहीं? यदि हाँ, तो भेदभाव नीति समाप्त करते हुए भर्ती के नियम एक समान होने पर इन सहायक ग्रेड-3 को प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित आदेश अनुसार लाभ दिये जाने हेतु शासन आदेश प्रसारित करेगा? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जी हाँ। (घ) जी नहीं। मंत्रालय के सहायक ग्रेड-3 को दिया गया समयमान वेतनमान राज्य शासन के नीतिगत निर्णय के आधार पर है।
जबलपुर-लखनादौन के फोरलेन निर्माण
60. ( क्र. 7046 ) श्री दिनेश राय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिवनी जिले की सीमा में जबलपुर-लखनादौन फोरलेन सड़क निर्माण कार्य हेतु कार्य करने वाली एजेंसी को मुरम/मिट्टी/गिट्टी/रेत उत्खनन हेतु 01 अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक किस स्थान पर कितने समय के लिए कितनी सीमा में किस कार्य हेतु खनिज विभाग ने अनुमति प्रदान की? बिन्दुवार जानकारी देवें? (ख) क्या विभाग द्वारा अनुमति देने के बाद प्रश्न दिनांक तक क्या खनिज स्थल का निरीक्षण किया? यदि हाँ, तो किस दिनांक को क्या निरीक्षण किया तथा क्या एजेंसी द्वारा खनन कार्य विभाग के निर्देशों के अनुसार हो रहा है? (ग) क्या संबंधित निर्माण एजेंसी द्वारा कभी कोई अवैध उत्खनन अथवा लीज अनुबंध की शर्तों का उल्लंधन किया गया? यदि हाँ, तो क्या तथा शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन सड़क निर्माण हेतु कार्य करने वाली एजेन्सी को प्रश्नानुसार अवधि में कोई अनुमति खनिज विभाग द्वारा प्रदान नहीं की गई है। (ख) प्रश्नांश 'क' में दिये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) संबंधित निर्माण एजेन्सी के विरूद्ध अवैध उत्खनन किये जाने संबंधी कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। कंपनी को जिला सिवनी में कोई लीज स्वीकृत नहीं है। अत: लीज अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विभाग द्वारा संचालित चैक पोस्ट एवं सेलटैक्स
61. ( क्र. 7047 ) श्री दिनेश राय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में स्थापित चैक पोस्ट (बैरियर) व सेल टैक्स के संचालन हेतु विभाग की क्या-क्या नीति/निर्देश/आदेश आदि प्रचलन में हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित नीति/निर्देशों के तहत मेटेवानी खवासा चैक पोस्ट बैरियर में जनवरी 2010 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी/प्राईवेट व्यक्ति कार्यरत हैं? इनके नाम, पद/पद स्थापना दिनांक/मूल विभाग का नाम आदि सहित जानकारी दी जावें? (ग) क्या चैक पोस्ट पर पदस्थ कर्मचारी/अधिकारी आदि के खिलाफ देयक कर (टैक्स) को लेकर वाहन के मालिक आदि परिवहन विभाग को शिकायतें की गई थी? यदि हाँ, तो शिकायतकर्ता का नाम एवं शिकायत का विवरण उपलब्ध करावें? (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में विभाग को की गई शिकायतों को लेकर दोषियों के खिलाफ क्या-क्या कार्यवाही की?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 की धारा-57 एवं मध्यप्रदेश वेट नियम, 2006 के नियम, 70, 71, 72, 73, 74 के अनुसार जाँच चौकी का संचालन किया जाता है। (ख) सेटेवानी (खवासा) जाँच चौकी में अधिकारियों/कर्मचारियों की पदस्थापना अस्थायी तौर पर की जाती है। पदस्थापना संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ए' अनुसार है। (ग) जी हाँ। शिकायतकर्ता का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'बी' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश ''ग'' जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''बी'' के कॉलम क्रमांक 5 में दी गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
कार्यपालन यंत्री दतिया की अनियमितताएं
62. ( क्र. 7074 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजघाट कॉलोनी दतिया की उत्तर एवं दक्षिण दिशा की बाउंड्रीवॉल तोड़कर अवैध अतिक्रमण कर आम रास्ता बना लिया है? (ख) क्या शासन के नियमों के प्रतिकूल राजघाट कॉलोनी में अपात्र कर्मचारियों को एच,जी,एफ टाईप क्वार्टर आवंटित किए गए हैं? (ग) क्या जिनके मुख्यालय दतिया से बाहर हैं एवं जिन कर्मचारियों के स्वयं के भवन हैं उन्हें भी राजघाट कॉलोनी में मकान आवंटित है? कई कर्मचारी स्वयं न रहकर किराये पर भी दिये हैं? (घ) यदि प्रश्नांश (क),(ख) एवं (ग) का जबाव हां में है तो इसके लिए कौन दोषी है और उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई या की जा रही है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) राजघाट कालोनी, दतिया की उत्तर दिशा में बाउण्ड्रीवाल तोड़ी जाना प्रतिवेदित है। (ख) जी नहीं। (ग) जी नहीं। स्थानांतरण से जिन कर्मचारियों के मुख्यालय बदले हैं उनके आवास आवंटन निरस्त किए जाना प्रतिवेदित है। किसी कर्मचारी द्वारा शासकीय आवास गृह किराए पर दिया जाना प्रतिवेदित नहीं है। (घ) उत्तरांश क, ख एवं ग के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
जबलपुर जिले में अवैध खनन रोकने हेतु एफ.आई.आर. दर्ज
63. ( क्र. 7087 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अता. प्रश्न संख्या 18 (क्रमांक 393) दिनांक 25 फरवरी 2016 में प्राप्त उत्तर अनुसार अवैध खनन के दर्ज प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की गई हैं एवं 08 प्रकरणों में अर्थदण्ड वसूली की कार्यवाही कर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया हैं तो प्रकरणवार कितना-कितना अर्थदण्ड वसूल किया गया राशि का विवरण देवें? (ख) क्या अवैध खनन के प्रकरण में एफ.आई.आर. दर्ज करने का प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो एफ.आई.आर. दर्ज क्यों नहीं की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) पूर्व में अतारांकित प्रश्न क्रमांक 393 में जो अवैध खनन के प्रकरणों की सूची भेजी गई थी, उसमें लिपिकीय त्रुटिवश भिन्नता अंकित हो गई थी। सही सूची संलग्न परिशिष्ट पर है। जिसमें जिन प्रकरणों में अर्थदण्ड की राशि जमा हो गई है उसका विवरण अंकित है। उक्त त्रुटि के संबंध में कलेक्टर, जबलपुर को दोषी अधिकारी/कर्मचारी को चिन्हांकित कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने हेतु लेख किया गया है। (ख) राज्य शासन द्वारा बनाए गए म.प्र. गौण खनिज नियम 1996, म.प्र. खनिज (अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम 2006 एवं म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
विधायक निधि से आवंटन की प्रक्रिया में संशोधन
64. ( क्र. 7088 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अता. प्रश्न संख्या 134 (क्र. 2420) दिनांक 25 फरवरी 2016 में प्राप्त उत्तर अनुसार विधायक निधि की राशि जिला योजना अधिकारी से सीधे निर्माण एजेंसी आर.ई.एस. को स्थानांतरित नहीं की जा सकती हैं? (ख) क्या वर्तमान प्रक्रिया अनुसार सीधे राशि स्थानांतरण संभव नहीं है? यदि हाँ, तो क्या राशि स्थानांतरण की प्रक्रिया के लिये समय-सीमा निर्धारित की जा सकती हैं? ताकि निर्धारित समय में निर्माण एजेंसी को राशि प्राप्त हो जावें एवं समय पर कार्य पूर्व हो सकें? (ग) क्या निर्माण एजेंसी आर.ई.एस. के लिये आवंटन उपयोग की समय-सीमा तीन माह निर्धारित है? (घ) यदि हाँ, तो क्या निर्माण एजेंसी आर.ई.एस. के लिये आवंटन उपयोग की समय-सीमा तीन माह से बढ़ाकर चार माह की जा सकती है? यदि हाँ, तो कब तक की जावेगी? यदि नहीं, तो क्या राशि लेप्स होने पर पुनर्आवंटन की प्रक्रिया की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जी नहीं। (घ) प्रश्नांश ''ग'' के संदर्भ में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मंगल भवन निर्माण
65. ( क्र. 7138 ) श्री पंडित सिंह धुर्वे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंडला जिला के विकासखण्ड मवई मुख्यालय में वर्ष 2006-07 में मंगल भवन निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गयी थी? उक्त स्वीकृत राशि से कितना कार्य कराया गया है? (ख) क्या कार्यकारी एजेन्सी गृह निर्माण मंडल द्वारा जिले के अन्य विकासखण्ड में उसी वित्तीय वर्ष में इतनी ही राशि से कार्य पूर्ण कर दिया, लेकिन विकासखण्ड मवई का निर्माण अभी भी अधूरा है? (ग) शासन द्वारा कार्य पूर्ण कराने हेतु कार्यकारी एजेन्सी के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी है व कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मण्डला जिले के विकासखण्ड मवई मुख्यालय में वर्ष 2006-07 में मंगल भवन निर्माण हेतु म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल को रू. 24.50 लाख की राशि स्वीकृत हुई थी। उक्त स्वीकृत राशि के विरूद्ध रू. 23.07 लाख का कार्य कराया गया है। (ख) म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल द्वारा मण्डला जिले के अन्य विकासखण्डों में रू. 24.50 लाख में कार्य पूर्ण किये गये हैं। मवई के भवन में फ्लोरिंग एवं पुताई का कार्य राशि शेष नहीं बचने के कारण नहीं हो सका। (ग) मंगल भवन अध्यक्ष, आदिवासी विकास परिषद् मवई को सौंपा गया है। फर्श एवं पुताई के शेष कार्य हेतु सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास, मण्डला को राशि उपलब्ध कराने हेतु प्राक्कलन प्रेषित किया गया है। राशि प्राप्त होने पर शेष कार्य पूर्ण हो सकेगा।
कोलारस के अंतर्गत नवीन विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण
66. ( क्र. 7154 ) श्री रामसिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कोलारस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत फरवरी 2016 की स्थिति में नवीन विद्युत उपकेन्द्र स्वीकृत है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ पर कौन-कौन से विद्युत उपकेन्द्र किस आदेश से कब से स्वीकृत हैं? (ख) उक्त स्वीकृत नवीन विद्युत उपकेन्द्रों में किन-किन विद्युत उपकेन्द्रों के लिए कहाँ-कहाँ पर भूमि आवंटित हो गई है तथा किन-किन उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य फरवरी-2016 की स्थिति में प्रचलित है? किन-किन उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य प्रश्न दिनांक की स्थिति में क्यों प्रारंभ नहीं हुआ है? उक्त निर्माण कार्य कब प्रारंभ होंगें? (ग) क्या बदरवास तहसील के ग्राम एजवारा में 33/11 के.व्ही. नवीन विद्युत उपकेन्द्र स्वीकृत है? यदि हाँ, तो स्वीकृति पत्र की प्रति संलग्न कर जानकारी दें? कि एजवारा उपकेन्द्र का निर्माण अभी तक प्रारंभ क्यों नहीं हुआ है? उक्त कार्य कब से प्रारंभ होगा तथा कब तक पूर्ण हो जाएगा? (घ) प्रश्नाधीन वर्णित स्वीकृत नवीन विद्युत उपकेन्द्रों के कार्य पूर्ण करने की समयावधि किन-किन की कब-कब की गई है? निर्धारित अवधि में कौन-कौन से विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य किनकी लापरवाही से पूर्ण नहीं हो सका? निर्धारित अवधि में निर्माण कार्य पूर्ण न होने के लिए क्या कार्यवाही किनके प्रति की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, कोलारस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत फरवरी, 2016 की स्थिति में ग्राम किलावनी, मडवासा, ऐजवारा एवं अटलपुर में 5 एम.वी.ए. क्षमता के नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों की स्थापना के कार्य 12वीं पंचवर्षीय योजना में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत स्वीकृत हैं, जिनकी स्थानवार, कार्यादेश के विवरण एवं दिनांक सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) उक्त स्वीकृत नवीन उपकेन्द्रों हेतु आवंटित की गई भूमि का स्थानवार विवरण तथा उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य प्रारंभ/अप्रारंभ होने एवं लक्षित कार्य पूर्णता की समय-सीमा के विवरण सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। स्वीकृत योजना की डी.पी.आर. के उद्धरण एवं प्रश्नाधीन कार्य हेतु ठेकेदार एजेंसी मेसर्स सावन एसोसियेट, नागपुर को जारी लेटर ऑफ अवार्ड दिनांक 25.09.2014 की प्रति क्रमश: पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। 33/11 के.व्ही. ऐजवारा उपकेन्द्र का कार्य ठेकेदार एजेंसी द्वारा सामग्री एवं संसाधनों के अभाव में प्रारंभ नहीं किया जा सका है। ठेकेदार एजेंसी द्वारा नवम्बर 2016 तक की समयावधि में उक्त कार्य पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। ठेकेदार एजेंसी द्वारा शीघ्र कार्य प्रारंभ कर समयावधि में पूर्ण करने हेतु आश्वासित किया गया है। (घ) ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध के अनुसार प्रश्नाधीन सभी उपकेन्द्रों के कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा नवंबर 2016 है। उक्त निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण कराने के प्रयास किये जा रहे हैं, अत: प्रश्न नहीं उठता।
अवैध उत्खनन
67. ( क्र. 7158 ) श्री रामसिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शिवपुरी जिले में राजस्व भूमि में फर्शी-पत्थर, खण्डा-बोल्डर, मुरम, रेत का अप्रैल-2014 से जनवरी-2016 तक अवैध उत्खनन हुआ है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ पर कितना-कितना किस-किस खनिज का अवैध उत्खनन हुआ है? (ख) क्या जिन स्थानों पर वर्णित खनिज का अवैध उत्खनन हुआ है तथा हो रहा है? उन स्थानों पर बड़े-बड़े गड्ढे एवं खाईयां बनी हुई है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ पर कितनी लम्बाई, चौड़ाई एवं गहराई के है? इनमें से अनुमानित कितना खनिज कितनी अनुमानित राशि का उत्खनन किया गया है? (ग) क्या शिवपुरी जिले में रेत का व्यापक पैमाने पर अवैध उत्खनन हो रहा है? परंतु रेत उत्खनन की नीलामी नहीं की जा रही है जिससे व्यापक पैमाने पर अवैध उत्खनन हो रहा है? यदि हाँ, तो उक्त रेत खदानों की नीलामी कब तक की जाएगी? (घ) शिवपुरी जिले में फर्शी-पत्थर, खण्डा-बोल्डर, मुरम, रेत के अवैध उत्खनन का रोकने के लिए अप्रैल-2014 से फरवरी-2016 तक क्या-क्या कार्यवाही कब-कब की गई?
ऊर्जा
मंत्री ( श्री
राजेन्द्र
शुक्ल ) : (क)
शिवपुरी जिले
में प्रश्नाधीन
अवधि में खण्डा
के अवैध उत्खनन
का कोई प्रकरण
नहीं पाया गया
है। प्रश्नाधीन
अवधि में
फर्शी पत्थर, गिट्टी
पत्थर,
रेत, मुरूम, बोल्डर
खनिज का अवैध
उत्खनन पाया
गया है, शेष
जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
कॉलम क्रमांक 4, 5, 6 एवं 7 पर
दर्शित है।
(ख) पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
कॉलम 14 से
स्पष्ट है
कि प्रश्नांश
'क'
में
दिए गए उत्तर
अनुसार जिन स्थानों
पर अवैध उत्खनन
पाया गया था, वहां
वर्तमान में
उत्खनन नहीं
हो रहा है।
शेष जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
कॉलम 8
में दर्शित
है। अवैध उत्खनित
खनिज की
मात्रा की जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
कॉलम 7
में दर्शित
है। जहां तक
अवैध उत्खनित
खनिज उत्खनन
में अनुमानित
राशि का प्रश्न
है, इस
प्रकार की
राशि
निर्धारण किए
जाने का प्रावधान
म.प्र. गौण
खनिज नियम 1996 में
नहीं है। अत:
अनुमानित
राशि बताने का
प्रश्न ही
नहीं है। (ग)
जी नहीं। रेत
का व्यापक
पैमाने पर
अवैध उत्खनन
नहीं हो रहा
है। जिले में 03 नीलाम
रेत खदानें
पर्यावरणीय
अनापत्ति प्राप्त
होकर संचालित
हैं एवं इन
खदानों से वैध
रेत की निकासी
हो रही है।
समय-समय पर
जाँच के दौरान
पाए जाने पर
अवैध उत्खननकर्ताओं
को दण्डित
करने के
उद्देश्य से
उनके विरूद्ध
कार्यवाही भी
की जाती है। अत:
प्रश्नांश
के शेष भाग का
प्रश्न ही
उपस्थित नहीं
होता। जिले
में चिन्हित
रेत खदानों को
पूर्व में
दिनांक 08.01.2015,
07.08.2015
एवं 03.10.2015 को
नीलामी हेतु
रखा था। परन्तु
01 खदान
को छोड़कर शेष
02
खदानों में
बोली प्राप्त
न होने के
कारण पुन:
नीलामी की
कार्यवाही प्रचलन
में है। (घ) पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट अनुसार
अवैध उत्खनन
पाए जाने पर
संबंधित अवैध
उत्खननकर्ताओं
के विरूद्ध
अवैध उत्खनन
का प्रकरण
सक्षम न्यायालय
में दर्ज
कराया गया है।
17
प्रकरणों में
रूपए 6,66,200/- का
अर्थदण्ड
आरोपित कर
वसूल किया जा
चुका है एवं 08 प्रकरण
सक्षम न्यायालय
में
विचाराधीन
हैं।
मेसर्स प्रासपरस एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड
68. ( क्र. 7167 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले के डमौरा तहसील में वीडियोकान इण्डस्ट्रीज लिमिटेड ग्रुप की कंपनी मेसर्स प्रास्परस एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड द्वारा खजुराहो इन्वटर्स मीट में 3600 मेगावाट का पावर प्लाट लगाए जाने हेतु म.प्र. सरकार ने एम.ओ.यू. किया गया था? यदि हाँ, तो पावर प्लांट कंपनी से किन शर्तों पर अनुबंध किया था? प्लांट कब चालू होना था? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो उक्त कंपनी द्वारा रीवा जिले के डमौरा तहसील के किन-किन गाँव के, किसानों की कितनी-कितनी भूमि क्रय की है? कृषकों से किन-किन शर्तों पर अनुबंध किया गया था? क्या अनुबंध कृषक के परिवारों में से एक व्यक्ति को नौकरी देना भी शामिल था? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में कंपनी द्वारा कितने कृषक परिवारों में से कितनों को नौकरी दी गई? यदि नहीं, तो क्यों कारण बताएं? (घ) पावर प्लांट द्वारा जिन कृषकों की भूमि ली है उसे किस बैंक में गिरवी रखकर ऋण लिया है? (ड.) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के परिप्रेक्ष्य में पावर प्लांट द्वारा किए गए एम.ओ.यू. के उल्लंघन एग्रीमेंट को निरस्त कर कृषकों की भूमि वापस दिलाई जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक बताएं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। पावर प्लांट स्थापना की शर्तों का विवरण एम.ओ.यू. में दिया है, जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। दिनांक 22.04.2015 को म.प्र. शासन एवं मेसर्स प्रास्परस एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड (मेसर्स वीडियोकान इण्डस्ट्रीज लिमिटेड की एस.जी.व्ही.) के मध्य हुये क्रियान्वयन अनुबंध के अनुसार कंपनी द्वारा 1320 मेगावाट क्षमता की ताप विद्युत इकाइयों से वाणिज्यिक उत्पादन अनुबंध तिथि से साठ माह में प्रारंभ किया जाना है। क्रियान्वयन अनुबंध पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है। (ख) उक्त कंपनी द्वारा रीवा जिले के डभौरा तहसील के कृषकों से 1346.56 एकड़ भूमि विभिन्न ग्रामों में क्रय की गई है, जिसका विवरण मेसर्स प्रास्परस एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड से प्राप्त हुआ है एवं जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ग'' अनुसार है। भूमि क्रय हेतु अनुबंध उक्त निजी कंपनी एवं कृषकों के मध्य आपस में किये गये हैं, जिसमें राज्य शासन पक्ष नहीं है। अत: यह जानकारी राज्य शासन द्वारा संधारित नहीं की जाती है। उक्त कंपनी द्वारा सूचित किया गया है कि उनके द्वारा भू-स्वामियों से अनुबंध किया था कि योग्यतानुसार एवं नियम व शर्तों के आधार पर उनके परिवार के एक सदस्य को पावर प्लांट प्रारंभ होने पर नौकरी दी जायेगी। कंपनी से प्राप्त तत्संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''घ'' अनुसार है। (ग) कंपनी द्वारा भू-स्वामियों को वर्तमान में नौकरी नहीं दी गई है एवं सूचित किया गया है कि कोयले की उपलब्धता होने पर तथा प्लांट के प्राथमिक रूप से स्थापित होने पर अनुबंध के अनुसार रोजगार प्रदान करने हेतु कंपनी तत्पर है। (घ) कंपनी द्वारा सूचित किया गया है कि ऋण की वैधानिक जरूरतों को पूर्ण करने हेतु विशेष भार (Charge) भूमि के ऊपर रखकर आई.डी.बी.आई. बैंक से ऋण लिया गया है। (ड.) उत्तरांश (क) में उल्लेखित अनुबंध अभी प्रभावी है अत: निरस्त करने का प्रश्न नहीं उठता है।
एप्रेन्टिस एक्ट 1961 का क्रियान्वयन
69. ( क्र. 7178 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या एप्रेन्टिस एक्ट 1961 के तहत प्रत्येक जिले में विद्युत विभाग में प्रशिक्षु रखे जाना चाहिए? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ, में है तो ग्वालियर/चंबल संभाग में किस-किस जिले की विद्युत वितरण कंपनी/विद्युत विभाग ने विगत पाँच वर्ष में किस-किस आई.टी.आई. के किन-किन छात्रों को बतौर प्रशिक्षु रखा और कहाँ परीक्षा संचालित कराई जानकारी दी जावें? (ग) यदि विगत पाँच वर्षों से एप्रेन्टिस एक्ट 1961 के तहत कोई प्रशिक्षु नहीं रख गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है और उसके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई या की जा रही है? (घ) एप्रेन्टिस एक्ट 1961 के तहत कब तक प्रशिक्षु रख लिए जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) अप्रेन्टिस एक्ट 1961 के प्रावधानों के अनुसार संस्था के प्रशिक्षण केन्द्र अथवा अन्य उपयुक्त स्थान पर प्रशिक्षण दिया जाना है तथा इसमें प्रत्येक जिले में प्रशिक्षु रखे जाने संबंधी प्रावधान नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। तथापि उल्लेखनीय है कि बोर्ड ऑफ अप्रेन्टिस ट्रेनिंग मुंबई से प्राप्त पत्र दिनांक 12.12.2012 के अनुसार म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को स्नातक/तकनीकी (डिप्लोमा) प्रशिक्षुओं को ही प्रशिक्षण दिये जाने हेतु अधिकृत किया गया है, अत: मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा आई.टी.आई. उत्तीर्ण छात्रों को प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है। (ग) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अन्तर्गत अप्रेन्टिस एक्ट 1961 का पालन किया जा रहा है। तद्नुसार मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा वर्ष 2014-15 से नियमानुसार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वर्ष 2014-15 में कुल 65 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया है एवं वित्तीय वर्ष 2015-16 में 44 प्रशिक्षु प्रशिक्षणरत हैं। अत: किसी के जिम्मेदार होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) उत्तरांश ''ग'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
अतिक्रमण कर भवन निर्माण
70. ( क्र. 7189 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सुभाष नगर, अभिरूचि परिसर, भोपाल के पास गृह निर्माण मण्डल की भूमि पर डेयरी संचालक द्वारा अतिक्रमण कर भवन निर्माण किया गया है? (ख) क्या इस संबंध में गृह निर्माण एवं अधोसंरचना बोर्ड भोपाल के अधिकारियों को स्थानीय रहवासियों द्वारा शिकायतें की गई हैं? (ग) यदि हाँ, तो उक्त शिकायतों पर अब तक क्या कार्यवाही की गई, जिस समय यह अवैध निर्माण हो रहा था उस दौरान मण्डल के जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे रोका क्यों नहीं? इसके लिए कौन उत्तरदायी हैं? उक्त अवैध निर्माण कब तक हटाया जाकर संबंधित दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) संबंधित भूमि का आधिपत्य मण्डल को प्राप्त होने के पूर्व से ही यह अतिक्रमण विद्यमान था। (ख) जी हाँ। (ग) स्थानीय रहवासियों द्वारा दिसम्बर,2014 में इस बाबत् प्रेषित की गई शिकायत के परिप्रेक्ष्य में माह जनवरी,2015 को उपायुक्त (अतिक्रमण) नगर निगम द्वारा नजूल अधिकारी गोविन्दपुरा वृत्त, भोपाल को अभिरूचि परिसर निवासीगण के आवेदन के आधार पर अतिक्रमण हटाये जाने के संदर्भ में पत्र प्रेषित किया गया। तत्संबंध में नजूल अधिकारी वृत्त गोविन्दपुरा से कार्यवाही अपेक्षित है। संबंधित भूमि का आधिपत्य मण्डल को प्राप्त होने के पूर्व से ही यह अतिक्रमण विद्यमान था। अतः इस बाबत् मण्डल के अधिकारियों की जिम्मेदारी विषयक स्थिति उत्पन्न नहीं होती है।
पिक-अप वियर की स्वीकृति
71. ( क्र. 7226 ) श्री के. के. श्रीवास्तव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्तीय वर्ष 2010-11 से 2015-16 तक किन -किन संभागों में कौन-कौन सी सिंचाई परियोजनाओं पर कितनी-कितनी राशि की स्वीकृति दी गई है? संभाग व जिलाश: योजनाओं के नाम, राशि सहित जानकारी दें। (ख) कौन-कौन सी परियोजनाओं की स्वीकृति आगामी वित्त वर्ष 2016-17 में प्रस्तावित हैं? योजना और राशि का उल्लेख करते हुये जिलाश: अवगत करायें। (ग) क्या सभी संभागों को वित्तीय समानता के आधार पर सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति और राशि का वितरण किया गया हैं? यदि नहीं, तो बुन्देलखण्ड के साथ पक्षपात का क्या कारण हैं? (घ) टीकमगढ़ ककरवाहा पिक-अप वियर का सर्वे और स्वीकृति कब तक कर ली जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) नई सिंचाई परियोजनाओं की साध्यता का परीक्षण, डी.पी.आर. बनाई जाना, स्वीकृति दी जाना एवं निर्माण कराया जाना एक सतत् प्रक्रिया है। वर्तमान में स्वीकृति हेतु कोई परियोजना प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (ग) सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति जल की उपलब्धता, भौगोलिक स्थिति तथा तकनीकी एवं वित्तीय उपलब्धता पर निर्भर होती है। किसी अंचल विशेष के साथ पक्षपात की स्थिति नहीं है। प्रश्नाधीन अवधि में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 251 परियोजनाओं की स्वीकृति दी गई है। (घ) ककरवाहा परियोजना तकनीकी एवं वित्तीय मादण्डों पर साध्य नहीं पाई गई है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
पट्टा ग्रहिता द्वारा उत्खनन
72. ( क्र. 7260 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नीमच जिले में 31.12.16 कि स्थिति में कहाँ-कहाँ पर गिट्टी, चूना पत्थर, मुरम, रेत आदि की खदानें क्रियाशील होकर पट्टा ग्रहिता द्वारा उत्खनन कार्य किया जा रहा हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शाई गई ऐसी कौन-कौन सी खदानें है जहां निर्धारित मानदण्ड से अधिक के क्षेत्रफल में उत्खनन कार्य करके रायल्टी का भुगतान नहीं किया जाकर राजस्व हानि का अपवंचन किया है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में क्या किसी पट्टेधारी के विरूद्ध कोई शिकायत प्राप्त हुई है यदि हाँ, तो उस पर की गई कार्यवाही का ब्यौरा दें? (घ) अवैध उत्खनन की शिकायत पर कार्यवाही नहीं करने के लिये संबंधित दोषी अधिकारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जावेगी यदि हाँ, तो तत्संबंधी ब्यौरा दें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर दर्शित है। जिले में मुरूम एवं रेत की कोई खदान स्वीकृत नहीं है। (ख) प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित खदानों में मापदण्ड से अधिक उत्खनन कार्य नहीं पाया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। (घ) प्रश्नांश 'ग' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
चंदला क्षेत्र को पानी न देना
73. ( क्र. 7271 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले के चंदला विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत जल संसाधन विभाग द्वारा रवि फसल के लिये केवल एक पानी ही पलेवा के लिए दिया गया? क्यों तथा क्या बोई गई रवि की फसल लगभग 50 प्रतिशत पानी न मिलने के कारण सूख गई है? (ख) क्या सूखे के कारण किसानों की खरीफ की फसल पहले ही सूख गई थी और बाद में रवि की फसल सूख जाने के कारण किसानों को भूख के कारण मरने और पलायन होने की संभावना है? (ग) क्या शासन पानी न देने वाले अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही करेगी? यदि हाँ, तो कब तक समय-सीमा बतायें? यदि नहीं, तो किसानों को इस फसल का मुआवजा दिलाया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जी हाँ। जलाशय में संग्रहित जल कम होने के कारण। जी नहीं। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते है।
सिंचाई योजना
74. ( क्र. 7285 ) श्री नागर सिंह चौहान : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम गिराला तहसील अलीराजपुर जिला अलीराजपुर में तालाब का निर्माण सिंचाई योजना के लिए किया गया था? यदि हाँ, तो कितने हेक्टेयर तक सिंचाई का पानी दिया जा सकता था? (ख) क्या तालाब निर्माण के उपरांत उसकी मरम्मत एवं रख-रखाव हेतु राशि स्वीकृत की गई थी? यदि हाँ, तो कब कब कितनी राशि मरम्मत में लगाई गई? (ग) क्या पर्याप्त मात्रा में किसानों को सिंचाई हेतु पानी प्राप्त हो सके इसके लिए तालाब का पुनर्निर्माण कराया जायेगा और इसकी मरम्मत न करने के लिए कौन अधिकारी एवं कर्मचारी दोषी है उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। रूपांकित क्षमता 32 हेक्टेयर थी। (ख) परियोजना की रूपांकित सिंचाई क्षमता 40 हेक्टेयर से कम होने के कारण परियोजना दिनांक 27.02.1979 को जनपद पंचायत, अलीराजपुर को हस्तांतरित की गई। तत्समय से विभाग द्वारा परियोजना की मरम्मत, संधारण एवं रख-रखाव पर कोई व्यय नहीं किया गया। (ग) जी नहीं, जनपद पंचायत के क्षेत्राधिकार की परियोजनाओं की मरम्मत एवं संधारण विभाग नहीं करता है।
अतिक्रमण हटाया जाना
75. ( क्र. 7291 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले के नगर निगम क्षेत्रांर्गत के मुख्य मार्गों में किये गये अतिक्रमणों को हटाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा एक जनहित याचिका में आदेश दिये गये है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो मुख्य मार्ग चांडक चौक से गर्ग चौराहा तक झुन्डा बाजार के चारों तरफ गोलबाजार के चारों तरफ सुभाष चौक से झुन्डा बाजार, सिल्वर टाकीज रोड से गजानन टाकीज सुभाष चौक से विश्वकर्मा फर्नीचर मार्ट तक मोहत टाकीज रोड मिशन चौक से सुभाष चौक तक मुन्डा बाजार से लक्ष्मीनाराण मंदिर रोड बरही रोड में किन-किन के द्वारा कितने एरिया में अतिक्रमण किया जाना चिन्हित किया गया है? माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में उक्त अतिक्रमणकर्ताओं को निगम द्वारा जारी किये गये नोटिसों का विवरण उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में उक्त अतिक्रमणों को हटाने के लिये नगर निगम द्वारा क्या कार्यवाही की गई है यदि नहीं, तो कब तक की जावेगी और अब तक न करने के लिए कौन दोषी है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) मान. उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पारित आदेश के परिपालन में प्रथम चरण में झंडा बाजार से सुभाष चौक तक, सिल्वर टाकीज मोड़ से कारगिल चौक तक, गजानन कॉम्पलेक्स से कमानिया गेट गली तक, सुभाष चौक से स्टेशन रोड तक, झंडा बाजार चौक से घंटाघर होते हुए गर्ग चौराहा तक, यशोदा बाई पुत्री शाला के सामने से भगवती चौराहा तक, मोहन टाकीज रोड में, स्थानों से 236 अतिक्रमण हटाये गये है। मिशन चौक से आजाद चौक तक, सड़क चांडक चौक होते हुए प्रियदर्शनी बस स्टैण्ड तक 260 स्थायी अतिक्रमण तथा लक्ष्मी पान भंडार से 117, थाना तिराहा से मुंडवारा स्टेशन तक 10 स्थायी अतिक्रमण को हटाया गया है। नोटिस एवं अतिक्रमणकर्ताओं की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। चांडक चौक से गर्ग चौराहा होकर जुहला बाय-पास तक अतिक्रमण चिन्हित कर हटाने हेतु दिनांक 11.03.16 को कलेक्टर कटनी द्वारा दल गठित किया गया है। कार्यवाही प्रचलित है। (ग) कार्यवाही जिला प्रशासन एवं नगर निगम कटनी द्वारा संयुक्त रूप से की गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सिंचाई संबंधी जानकारी
76. ( क्र. 7296 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले के अतंर्गत वर्ष 2006 में कुल सिंचित एरिया कितना था डेमवार जानकारी दें? (ख) वर्ष 2015-16 में कितना सिंचित एरिया है, डेमवार जानकारी दें? क्या सिंचित एरिया बढ़ा है यदि हाँ, तो डेमवार, कितना-कितना जानकारी दें? (ग) वर्ष 2006 से 2015-16 तक कितनी सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृत की गई कितनी अपूर्ण हैं कितनी पूर्ण हो चुकी हैं इनमें कितनी राशि का व्यय हुआ, डेमवार, परियोजनावार जानकारी दें? (घ) उक्त अवधि में ही कितनी राशि का व्यय सुधार/मरम्मत कार्य में किया गया, डेमवार जानकारी दें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
मुख्यमंत्री शहरी पेय-जल योजना के क्रियान्वयन
77. ( क्र. 7332 ) श्री अनिल जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुख्यमंत्री शहरी पेय-जल योजना में प्रथम निविदा आमंत्रण सूचना में केवल एक टेंडर प्राप्त होने पर उसको स्वीकार किया जा सकता है? यदि हाँ, तो वर्ष 2013 से नगर निकायवार अब तक ऐसे ठेकेदार अथवा कम्पनी के नाम बताये जाये जिनके एकल टेंडर स्वीकृत किए गए हों? (ख) प्रश्नांश (क) में ठेकेदारों के टेंडर कितने प्रतिशत अधिकर या कम पर थे, की जानकारी नगर निकायवार दी जावे तथा टेंडर की दरें अधिक या कम स्वीकृत होने का औचित्य भी बताया जाये? (ग) क्या विधान सभा क्षेत्र निवाड़ी में योजनांतर्गत ग्राम भीतरी घाट में प्रस्तावित इंटेकवेल निर्माण हेतु अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है और न ही रॉ-वाटर डी-आई लाईन बिछाई का कार्य अभी तक प्रारंभ किया गया है? कारण एवं औचित्य बताया जाये? (घ) यदि हाँ, तो उक्त कार्य (इंटेकवेल निर्माण एवं रॉ-वाटर डी-आई लाईन बिछाई) प्रारंभ के पूर्व ही नगरीय निकाय निवाड़ी एवं तरीचरकलां के वार्डों में सड़कें खोदकर पाइप लाइन डाले जाने का कारण एवं औचित्य बताया जाये? समय पूर्व सड़कें खोदे जाने से राहगीरों को हो रही है असुविधा हेतु कौन जिम्मेदार है? इनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तर प्रश्नांश ''क'' अनुसार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। इंटेकवेल हेतु प्रस्तावित भूमि के अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की कार्यवाही प्रचलित है। तत्पश्चात ही इंटेकवेल निर्माण व डी.आई. पाइप लाइन बिछाने का कार्य प्रारंभ किया जा सकेगा। (घ) नगर परिषद्, निवाड़ी एवं तरचरकलां में स्वीकृत योजना में अन्य घटक जल शोधन संयंत्र, ओवरहेड टैंक, क्लीयर वॉटर राईजिंग मेन, डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क एवं पम्प स्थापना आदि के कार्य सम्मिलित है। योजना यथाशीघ्र पूर्ण इसके लिये योजनांतर्गत सभी घटकों का कार्य पूर्ण होना आवश्यक है। अत: इन्टेकवेल निर्माण एवं रॉ-वाटर डी.आई. पाइप लाइन बिछाने के अतिरिक्त कार्य प्रगति पर है। इसी क्रम में डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बिछाने हेतु सड़कों को खोदकर पाइप लाइन बिछाने के पश्चात सड़कों के समतलीयकरण का कार्य किया जा रहा है, जिससे राहगीरों को कोई असुविधा न होने से कोई अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार नहीं है। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ओरछा में हो रहे निर्माण कार्य
78. ( क्र. 7333 ) श्री अनिल जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में विभाग द्वारा 01.04.2014 से प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या निर्माण एवं मरम्मत कार्य स्वीकृत किये गये है? कार्यवार स्वीकृत राशि एवं व्यय राशि की जानकारी दी जावे? (ख) उपरोक्त कार्यों में से ओरछा एवं गढ़ कुण्डार में जो कार्य स्वीकृत किये गये हैं? उन कार्यों के नाम स्वीकृत राशि कार्य प्रारम्भ होने का दिनांक, कार्य प्रारम्भ दिनांक से अब तक व्यय राशि, शेष राशि कार्य की पूर्णता की स्थिति, कार्य अपूर्ण रहने का कारण बताया जावे। (ग) प्रश्नांश (ख) में के स्वीकृत कार्यों में विभिन्न प्रकार की निर्माण सामग्री की प्राक्कलन मात्रा तथा अब तक उपयोग की गई मात्रा बतायी जावे? प्राक्कलन से हटकर सामग्री उपयोग करने की शिकायतें क्या विभाग को प्राप्त हो रही हैं यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की जा रही है।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार। जी नहीं शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बैरसिया के अंतर्गत आवासीय कॉलोनियाँ
79. ( क्र. 7339 ) श्री विष्णु खत्री : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैरसिया विधान सभा क्षेत्रांतर्गत कौन-कौन कालोनाईजरों द्वारा दिनांक 31.12.2015 की स्थिति में टी. एण्ड सी.पी. से अनुमतियां प्राप्त कॉलोनियाँ विकसित की जा रही हैं, कालोनाईजरों के नाम सहित, कॉलोनीवार विस्तृत सूची उपलब्ध करावें? (ख) बैरसिया विधान सभा क्षेत्रांतर्गत ऐसी कितनी कॉलोनियाँ हैं नगरीय प्रशासन एवं पर्यावरण विभाग के मापदण्डों को पूरा नहीं करती हैं और न ही वैध अनुमतियां प्राप्त हैं, फिर भी आवासीय भू-खण्ड विकसित कर विक्रय किये जा रहे हैं? सूची उपलब्ध करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अंगीकृत बैरसिया विकास योजना 2021 दिनांक 26.10.2008 से प्रभावशील है। दिनांक 31.12.2015 की स्थिति में नगर तथा ग्राम निवेश जिला कार्यालय भोपाल द्वारा जारी अनुमतियों की सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है (ख) प्रश्नांश ’ख’ में चाही गई जानकारी निरंक है।
ग्वालियर नगर पालिक निगम में खरीदी गई सुपर सक्शन मशीन
80. ( क्र. 7349 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि ग्वालियर नगर पालिक निगम में खरीदी गई सुपर सक्शन मशीन किस दिनांक को किस अधिकारी के आदेश से कितनी कीमत में किस एजेन्सी/ठेकेदार द्वारा खरीदी गई? क्या इस मशीन के खरीदने के लिये शासन की खरीदी नीति का पालन किया गया था? यदि हाँ, तो उक्त मशीन की खरीदी मार्केट कीमत से बहुत मेहंगी दरों पर क्यों की गई? इसके लिए कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी दोषी हैं उनके नाम स्पष्ट करें? क्या इस मशीन की खरीदी या अन्य मेन्टीनेन्स से संबंधित लोकायुक्त में शिकायत की गई थी? यदि हाँ, तो शिकायतकर्ता का नाम, पता स्पष्ट करें? क्या उक्त मशीन के भ्रष्टाचार सम्बन्धित पिछली परिषद् में मुद्दा उठने पर जाँच कराई गई थी? यदि हाँ, तो कौन अधिकारी दोषी था दोषी के प्रति क्या कोई दण्डात्मक कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो स्पष्ट करें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : ग्वालियर नगर पालिक निगम में ठहराव क्रं. 327 दिनांक 25.03.2013 द्वारा प्रदत्त सक्षम स्वीकृति उपरांत सुपर सक्शन मशीन आयुक्त, नगर निगम के कार्यादेश क्रमांक 31/12/4/19/कार्यशाला/76 दिनांक 30.03.13 द्वारा राशि रू. 2,17,43,853.40/- जिसमें ऑपरेशन एण्ड मेन्टेनेंस एक वर्ष की राशि रू. 36,00,000/- शामिल है, मैसर्स कैम ऐविडा इनवायरो प्रा.लि. पुणे तथा चेसिस की राशि रू. 54,88,828/- टाटा मोटर्स से क्रय का आदेश दिया गया। सुपर सक्शन मशीन क्रय हेतु नियमानुसार ई-टेण्डर प्रणाली द्वारा निविदा आमंत्रित की गयी। उक्त मशीन की खरीदी नियमानुसार ई-टेण्डर प्रक्रिया से निविदा आमंत्रित कर सक्षम स्वीकृति उपरांत क्रय की गई है, अतएव मार्किट से महंगी दरों पर क्रय करने तथा इसके लिए किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने की स्थिति निर्मित नहीं होती। सुपर सक्शन मशीन की खरीदी व अन्य मेंटेनेंस से संबंधित लोकायुक्त में शिकायत की जानकारी इस विभाग को नहीं है। उक्त मशीन के भ्रष्टाचार के संबंध में पिछली परिषद् में मुद्दा उठाने पर परिषद् द्वारा ठहराव क्रं. 298 दिनांक 29.11.12 द्वारा मशीन का निरीक्षण कर दरों के संबंध में शिकायतकर्ता मैसर्स टी.पी.एस. इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा दिये गये पत्र के आधार पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु गठित समिति ने मशीनरी का निरीक्षण कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। समिति द्वारा बहुमत के आधार पर निगम हित एवं उपयोगिता एवं आवश्यकता के दृष्टिगत उक्त मशीन को क्रय करने की अनुशंसा की गयी। समिति के प्रतिवेदन में किसी प्रकार की गड़बड़ी न पाये जाने के कारण कोई अधिकारी दोषी न होने से दण्डात्मक कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
खजुराहो में होने वाला लोक रंजन कार्यक्रम
81. ( क्र. 7354 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले के खजुराहो में शासन के द्वारा लोक रंजन कार्यक्रम कब से आयोजित किया जाता रहा हैं इस कार्यक्रम के तहत कौन-कौन सी गतिविधियां की जाती रही हैं। (ख) खजुराहो में लोक रंजन कार्यक्रम किन कारणों से किसके आदेश से कब से बन्द किया गया वह कार्यक्रम किस स्थान पर प्रारम्भ किया गया। (ग) खजुराहो में लोक रंजन कार्यक्रम पुन: प्रारम्भ किए जाने के संबंध में शासन क्या कार्यवाही कर रहा है कब तक कार्यक्रम पुन: प्रारम्भ किए जाने के आदेश जारी कर दिए जावेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) दिनांक 15 से 19 दिसम्बर, 2001 को आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रदेशों के लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां, विभिन्न शिल्पकारों द्वारा शिल्पों का प्रदर्शन एवं बिक्री, लोकाभूषणों, वाद्यों तथा जनजातीय मुखौटों की प्रदर्शनियां इत्यादि गतिविधियां की गई थी। (ख) उक्त कार्यक्रम अपरिहार्य कारणों से मुख्य महाप्रबंधक, मुख्यालय, म.प्र. पर्यटन विकास निगम, भोपाल के पत्र क्रमांक 4971 दिनांक 08/12/2008 के अनुसार स्थतिगत किया गया था। पर्यटन निगम द्वारा कार्यक्रम पुन: कहीं प्रारंभ नहीं किया गया। (ग) पर्यटन विभाग द्वारा वर्तमान में कोई योजना प्रस्तावित नहीं है।
पत्थर एवं मुरूम उत्खनन
82. ( क्र. 7373 ) श्री ओम प्रकाश धुर्वे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला-डिण्डोरी, उद्योग विहीन जिला है, क्या खनिज विभाग, या निगम द्वारा भविष्य में खनिज से संबंधित उद्योग या खनन करने का कोई योजना है? (ख) जिला, डिण्डोरी में कितने प्रकार के खनिजों का भण्डारण विभाग द्वारा चिन्हित किया गया है? उनमें राजस्व एवं वन क्षेत्र में कहाँ-कहाँ कितने क्षेत्र में कितनी मात्रा में कौन-कौन से खनिज है? (ग) जिला डिण्डोरी में पत्थर एवं मुरूम उत्खनन के कहाँ-कहाँ कितने रकबें में किन-किन लोगों को कब से कब तक के लिए खदान आवंटित की गयी हैं, विकास खण्डवा बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। (ख) जी नहीं। (ग) जिला डिण्डोरी में गौण खनिज मुरूम की खदान आवंटित नहीं की गई है अपितु जिले में क्रशर से गिट्टी निर्माण हेतु गौण खनिज पत्थर के उत्खनन पट्टे एवं गौण खनिज रेत की नीलाम खदानें स्वीकृत की गई हैं। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
रानी अवंति बाई एवं रानी दुर्गावती के उत्सव
83. ( क्र. 7374 ) श्री ओम प्रकाश धुर्वे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला डिण्डोरी में सांस्कृतिक विभाग द्वारा रानी अवंति बाई एवं रानी दुर्गावती के उत्सव शहादत या जयंती मनाने हेतु कितनी राशि जिले को दी जाती है। (ख) क्या उक्त राशि खर्च करने हेतु कोई समिति है। (ग) वर्ष 2014,15 में कितनी राशि संस्कृति विभाग से किन-किन कार्यों के लिए प्राप्त हुई उनमें से कितना व्यय किन-किन कार्यों के लिए हुआ।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) म.प्र. शासन, संस्कृति विभाग के स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा रानी अवंति बाई बलिदान दिवस पर बालपुर जिला डिण्डोरी में जिला प्रशासन के सहयोग से मेले के आयोजन हेतु राशि रूपये 3.00 लाख जिला कलेक्टर, डिण्डोरी को दी जाती है. रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर मण्डला में जिला प्रशासन के सहयोग से मेले के आयोजन हेतु राशि रूपये 1.00 लाख जिला कलेक्टर, मण्डला को दी गई. (ख) जी नहीं. (ग) वर्ष 2014, 2015 में संस्कृति विभाग से डिण्डोरी जिले को 3-3 लाख रूपये की राशि रानी अवंति बाई के शहीद दिवस पर प्रतिवर्ष 20 मार्च को मेला आयोजन हेतु प्राप्त हुई. समस्त व्यय मेला आयोजन हेतु किया गया है.
निरीक्षकों का वेतनमान एवं विभागीय पदोन्नति
84. ( क्र. 7381 ) श्री कमल मर्सकोले : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खाद्य निरीक्षकों, खनिज निरीक्षकों, श्रम निरीक्षकों, नापतौल निरीक्षकों, पुलिस उप निरीक्षकों एवं राजस्व निरीक्षकों का वर्तमान में वेतनमान कौन-कौन सा है एवं विभागीय पदोन्नति में उक्त संवर्गों का कितने-कितने प्रतिशत विभागीय कोटा तय है? (ख) क्या उक्त संवर्गों का वेतनमान एवं विभागीय पदोन्नति में विभागीय कोटा एक समान है? (ग) यदि नहीं, तो क्या सभी पद विशिष्ट श्रेणी के होने के बाद भी वेतनमान एवं विभागीय पदोन्नति हेतु विभागीय कोटा अलग-अलग होने के क्या कारण हैं? (घ) उक्त सभी संवर्गों में सबसे कम वेतनमान एवं विभागीय पदोन्नति में विभागीय कोटा सबसे कम क्या राजस्व निरीक्षकों का है? (ड.) यदि हाँ, तो क्या सभी संवर्गों के कर्तव्य एवं दायित्व लगभग एक समान होने के बाद भी ऐसी विसंगती के क्या कारण है? (च) समान कार्य, समान वेतन, के सिद्धांत के तहत उक्त विसंगति को दूर करने हेतु क्या शासन विचार करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (च) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
शराब की अवैध बिक्री
85. ( क्र. 7467 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में आबकारी विभाग द्वारा नीमच जिले में छापामार कार्यवाही के तहत कब-कब कितनी मात्रा में अवैध शराब जप्त की गई तथा किन-किन के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किये गये? प्रकरण की अद्यतन स्थिति से अवगत कराये? (ख) नीमच विधान सभा क्षेत्र में कहाँ-कहाँ पर पंजीकृत ठेके अहाते के रूप में संचालित हैं? क्या नीमच शहर में बगैर पंजीयन अहातों में अवैध रूप से खुले में शराब की बिक्री हो रही है? यदि हाँ, तो शासन खुले में बगैर अहातों के पंजीयन किये हो रही अवैध बिक्री पर कब तक रोक लगायेगा? (ग) प्रश्नांश (ख) के सन्दर्भ में क्या कोई शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो उक्त संबंध में की गई कार्यवाही का मय प्रमाणों के ब्यौरा दें। कार्यवाही नहीं करने के लिये कौन उत्तरदायी है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) नीमच विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत नगर पालिका नीमच की भौगोलिक सीमा में कोई अहाता नहीं है, किन्तु विदेशी मदिरा दुकान फव्वारा चौक में वर्ष 2013-14, वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में ''शॉप बार लायसेंस स्वीकृत है। नीमच शहर में बगैर शॉप बार लायसेंस (अहाता) स्वीकृति के, खुले में अवैध रूप से शराब की बिक्री नहीं हो रही है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में वर्ष 2013-14, वर्ष 2014-15, वर्ष 2015-16 में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
132 के.व्ही. का सब-स्टेशन निर्माण
86. ( क्र. 7479 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम अतरैला तहसील जवा जिला रीवा अंतर्गत 132 के.व्ही. का सब-स्टेशन निर्माण प्रस्तावित है। (ख) यदि 132 के.व्ही. का सब-स्टेशन निर्माण प्रस्तावित है तो क्या इस कार्य का शिलान्यास हो चुका है या नहीं? कार्य की पूर्णता की समय-सीमा क्या है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रस्तावित 132 के.व्ही. उपकेन्द्र का शिलान्यास हो चुका है। जायका-2 (जापान) योजना के अंतर्गत 132 के.व्ही. उपकेन्द्र अतरेला का निर्माण वित्तीय वर्ष 2018-19 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है।
सिरमौर क्षेत्र अंतर्गत विद्युतीकरण कार्य
87. ( क्र. 7480 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिरमौर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत विद्युतीकरण का कार्य जो कि राजीव गाँधी ग्राम विद्युतीकरण 12वें प्लान अंतर्गत संचालित हैं तथा फीडर सेपरेशन का कार्य चालू है उस कार्य के पूर्णता की समय-सीमा क्या है। (ख) सिरमौर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितने ग्रामों में विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है तथा कितने ग्रामों में विद्युतीकरण का कार्य प्रस्तावित अथवा लंबित है।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सिरमौर विधान सभा क्षेत्र में, 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत विद्युतीकरण के कार्य पूर्णता की समय-सीमा, टर्न-की ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार माह फरवरी-2017 निर्धारित है। सिरमौर विधान सभा क्षेत्र में फीडर सेपरेशन योजना के अन्तर्गत शेष कार्यों को, टर्न-की ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध के अनुसार दिसम्बर, 2016 तक पूर्ण करने की समय-सीमा निर्धारित है। (ख) सिरमौर विधान सभा क्षेत्र में 12वीं पंचवर्षीय योजना में राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत सघन विद्युतीकरण हेतु स्वीकृत 215 ग्रामों में से दिनांक 10.03.2016 तक 58 ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले अविद्युतीकृत क्षेत्रों/मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर 936 गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सभी श्रेणी के हितग्राहियों को नि:शुल्क बी.पी.एल. कनेक्शन प्रदान कर दिए गए हैं तथा योजना में शामिल शेष 157 विद्युतीकृत ग्रामों में उक्तानुसार सघन विद्युतीकरण का कार्य किया जाना शेष/लम्बित है।
कोयला खदान के विस्थापितों को नौकरी
88. ( क्र. 7484 ) श्री मनोज कुमार अग्रवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला अनूपपुर अंतर्गत कोतमा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम आमाडांड में खुली कोयला खदान से प्रभावित भूमि के विस्थापित किसानों को उनकी भूमि के बदले किन-किन को कोल माईंस में नौकरी प्रदान की जा चुकी है तथा कितने लोग अभी भी नौकरी प्राप्त किये जाने हेतु प्रतीक्षारत हैं? (ख) ग्राम आमाडांड में कितने व्यक्तियों की कितनी-कितनी भूमि खुली खदान हेतु अधिग्रहित की गई है, रकवा सहित व्यक्तियों के नाम एवं पता सहित जानकारी दें तथा अधिग्रहित की गई भूमि के बदले परिवार के प्रत्येक सदस्य को कब तक सेवा में ले लिया जायेगा, अब तक सेवा में नहीं लेने पर विलंब का क्या कारण हैं। (ग) शासन की ओर से इस दिशा में क्या पहल की गई है? यदि नहीं, की गई तो क्यों तथा क्या शासन यह सुनिश्चित करेगा कि जिनकी जमीन खदान में गई है उनके परिवार को रोजी रोटी की दृष्टि से एक सदस्य को शीघ्रातिशीघ्र सेवा में रख लिया जायेगा?
ऊर्जा
मंत्री ( श्री
राजेन्द्र
शुक्ल ) : (क) महा
प्रबंधक, साउथ
ईस्टन कोल
फील्ड
लिमिटेड, जमुना
कोतमा
क्षेत्र से
प्राप्त
जानकारी
अनुसार
आमाडांड में
खुली कोयला खदान
में ग्राम
आमाडांड, निमहा, कुहका
के जिन
प्रभावित
भूमि के विस्थापित
किसानों को
भूमि के बदले
साउथ ईस्टन
कोल फील्ड
लिमिटेड, कंपनी
में मुख्यालय
से नौकरी स्वीकृत
हो चुकी है, उसकी जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र 'अ'
में
दर्शित है।
899
लोगों को
अधिकतम
रोजगार
प्रदान किया
जा सकता है। 516 लोगो की
नौकरी के लिए
साउथ ईस्टन
कोल फील्ड
लिमिटेड, कंपनी
मुख्यालय
द्वारा स्वीकृति
दी जा चुकी
है। 383
रोजगार शेष
है। (ख)
आमाडांड खुली
खदान हेतु जिन
व्यक्तियों
की भूमि
अधिग्रहित की
गई है उनकी एवार्ड
की सूची पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र 'ब'
पर
दर्शित है।
परिवार में
प्रत्येक
सदस्य को
सेवा में लेने
का प्रावधान
मध्य प्रदेश
पुनर्वास
नीति 1991
संशोधित 1995 व कोल
इंडिया पुन:
स्थापना व
पुनर्वास
नीति 2012
में नहीं है।
शेष भूमि पर
उत्पन्न
रोजगार/सेवा
की प्रक्रिया
साउथ ईस्टन
कोल फील्ड
लिमिटेड, मुख्यालय
में
विचाराधीन
है। विलंब का
कारण ग्रामीणों
द्वारा
विभिन्न
माननीय न्यायालयों
में प्रकरण
दर्ज करना है।
माननीय उच्च
न्यायालय
जबलपुर की
युगलपीठ
द्वारा इनके
मामलों में
निराकरण करते
हुए
नौकरी/रोजगार
के संबंध में
स्पष्ट
निर्देश न
देकर पुन:
प्रकरण की एकल
पीठ में विचार
हेतु वापस
किया गया है।
शेष
रोजगार हेतु
समस्त
पहलुओं को
मद्देनजर
रखते हुए
जमुना कोतमा क्षेत्र
द्वारा साउथ
ईस्टन कोल
फील्ड
लिमिटेड, कंपनी
मुख्यालय के
समक्ष प्रस्ताव
प्रेषित किया
जा चुका है, जहां इस
मामले में अब
तक उत्पन्न
विवादों को
देखते हुए
विभिन्न
समितियों
द्वारा जाँच
करायी जा रही
है। साउथ ईस्टन
कोल फील्ड
लिमिटेड, कंपनी
बोर्ड के
समक्ष माह
अप्रैल 2016 तक
विचार होने की
संभावना है। (ग)
आमाडांड ओपेन
कास्ट
प्रोजेक्ट
के प्रभावित
ग्रामवासियों
की समस्याओं
को लेकर
दिनांक 14.11.2015 को
राज्य शासन
के अधिकारी, जनप्रतिनिधि
एवं साउथ ईस्टन
कोल फील्ड
लिमिटेड, जमुना
कोतमा
क्षेत्र के
प्रबंधन के
साथ बैठक आयोजित
कर आमाडांड
खुली खदान से
प्रभावित
भू-स्वामियों
के रोजगार के
संबंध में
आवश्यक
दिशा-निर्देश
दिए गए। जिसके
परिपालन में एक
व्यक्त्िा
को रोजगार
देने की
कार्यवाही की
गई व शेष पात्र
भू-स्वामियों
के रोजगार के
बारे में
कार्यवाही प्रक्रियाधीन
है।
विभागीय पदोन्नति
89. ( क्र. 7492 ) डॉ. मोहन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2010 से प्रश्न दिनांक तक उज्जैन नगर निगम एवं उज्जैन जिले की नगर पालिकाओं से विभागीय पदोन्नति हेतु कितने प्रस्ताव उप संचालक कार्यालय उज्जैन को प्राप्त हुए? कार्यालयवार पृथक-पृथक जानकारी प्रदान करें? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार प्राप्त प्रस्तावों में से कितने प्रस्तावों को जिला चयन समिति की बैठकों में स्वीकृत किया गया है एवं कितने प्रस्तावों पर निर्णय लिया जाना शेष है? विभागीय पदोन्नति के स्वीकृत प्रस्तावों/अस्वीकृत प्रस्तावों/लंबित प्रस्तावों की जानकारी कारण सहित प्रदान करें? (ग) विभागीय पदोन्नति के किन प्रस्तावों पर वरिष्ठ कार्यालयों से मार्गदर्शन चाहा गया है? पत्र की प्रति उपलब्ध कराते हुए वरिष्ठ कार्यालय से प्राप्त मार्ग दर्शन की प्रति उपलब्ध करावे? (घ) प्रश्नांश (ग) की जानकारी के अनुसार क्या जिस तरह के विभागीय पदोन्नति के प्रकरण में वरिष्ठ कार्यालय से मार्ग दर्शन चाहा गया था उसी तरह के अन्य प्रकरण में व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति करते हुए विभागीय पदोन्नति कर दी गई है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन अधिकारी दोषी है? दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) निगम द्वारा पदोन्नति के प्रस्ताव संभागीय संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास कार्यालय को प्रेषित नहीं किये जाते है। उज्जैन जिले की नगर पालिका नगर परिषदों द्वारा निम्नानुसार प्रस्ताव संयुक्त संचालक कार्यालय को भेजे गये :-
क्रमांक |
निकाय |
संख्या |
(1) |
बड़नगर |
01 |
(2) |
नागदा |
04 |
(3) |
उन्हेल |
03 |
(4) |
महिदपुर |
01 |
(5) |
खाचरौद |
04 |
(6) |
माकडोन |
02 |
(ख) कुल 15 प्रस्तावों में से 13 प्रस्तावों में जिला चयन जिला चयन समिति की स्वीकृति प्रदान की गई। 02 प्रस्तावों में कार्यवाही प्रचलित है। जिला चयन समिति के समक्ष निकाय से प्राप्त कोई प्रस्ताव अस्वीकृत/लंबित नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) नगर परिषद् माकडोन द्वारा राजस्व उपनिरीक्षक के पद की पूर्ति हेतु संचालनालय में पत्र प्राप्त हुआ है, पत्र की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है, जिस पर कार्यवाही प्रचलित है। (घ) जिन प्रकरणों में वरिष्ठालय से मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है केवल उन्ही प्रकरणों में मार्गदर्शन प्राप्त किया जाता है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
चालू प्रभार
90. ( क्र. 7493 ) डॉ. मोहन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक सी/3-18/2001/3/एक भोपाल दिनांक 23/12/02 व आवास एवं पर्यावरण विभाग के पत्र क्र. एफ-7-74/2002/बत्तीस (पार्ट-2) दिनांक 26 अक्टूबर 2004 द्वारा उच्च पद का चालू प्रभार सौंपने संबंधी सभी आदेशों को निरस्त कर दिया है और भविष्य में रिक्त पदों को सिर्फ पदोन्नति द्वारा ही भरे जाने के निर्देश दिए हैं? (ख) यदि हाँ, तो फिर प्रदेश के लगभग समस्त प्राधिकरणों में उपयंत्री, सहायक यंत्री व कार्यपालन यंत्रियों को उच्च पदों का प्रभार किस नियम से, किस आदेश से दिया जाकर, निरन्तर जारी रखा गया है? क्या उक्त आदेश नियम विरूद्ध होकर दिये गये उच्च पदों के प्रभार को निरस्त किया जायेगा? (ग) पूर्व में भी म.प्र. शासन आवास एवं पर्यावरण विभाग के आदेश पत्र क्र. एफ-7-74/2002/बत्तीस/ (पार्ट-2) भोपाल दिनांक 26/10/2004 द्वारा उक्त सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों का हवाला देते हुए सभी सौंपे गये चालू प्रभार तत्काल समाप्त कर दिये थे? तो उसके पश्चात इन्दौर विकास प्राधिकरण इन्दौर एवं उज्जैन विभाग प्राधिकरण में चालू प्रभार किस नियम के तहत सौंपे गये? इसके लिये कौन दोषी है? उपरोक्त के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नांश 'ख' में वर्णित आदेश संज्ञान होने के बावजूद नियम विरूद्ध तरीके से सौंपे गये चालू प्रभार देने वाले अधिकारियों के वियद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी ताकि इसकी पुनरावृत्ति दौबारा न हो सके।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वस्तुस्थिति यह है कि तत्कालीन आवास एवं पर्यावरण विभाग के आदेश दिनांक 25.07.2011 द्वारा उच्च पदों का प्रभार सौंपे जाने के संबंध में नीति निर्धारित की गई है, जो संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश 'क' में उल्लेखित नीति का पालन होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नियम विरूद्ध पदोन्नति
91. ( क्र. 7520 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संचालनालय, नगर तथा ग्राम निवेश भोपाल में अधिकारियों/कर्मचारियों के कौन-कौन से पद रिक्त हैं तथा कब तक भर लिए जायेंगे? (ख) किस-किस उप संचालक को प्रभारी संयुक्त संचालक, सहायक संचालक को प्रभारी उप संचालक एवं मानचित्रकार, उपयंत्री, वरिष्ठ रिसर्च सहायक को नियम ताक में रखकर प्रभारी सहायक संचालक बनाया गया है? (ग) यदि हाँ, तो क्यों? नियम विरूद्ध की गई पदोन्नति निरस्त कर कब तक नियमानुसार पदोन्नति दी जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) संचालनालय, नगर तथा ग्राम निवेश, भोपाल में अधिकारियों/कर्मचारियों की रिक्त पदों की सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। द्वितीय श्रेणी के पदों की भर्ती की प्रक्रिया म.प्र. लोक सेवा आयोग के माध्यम से शासन द्वारा एवं तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती की कार्यवाही प्रोफेशनल ऐक्जामिनेशन बोर्ड द्वारा की जाना प्रचलित है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ख) जानकारी निरंक। (ग) प्रश्नांश ’’ख’’ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
प्रस्तावों पर स्वीकृति
92. ( क्र. 7632 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या गंजबासौदा नगर पालिका परिषद् एवं प्रश्नकर्ता द्वारा अनेक जन आवकश्यकताओं के प्रस्ताव स्वीकृति हेतु वर्ष 2014, 2015 में अग्रेषित किए हैं? प्रस्ताव प्राप्त होने का दिनांक सहित जानकारी देवें? (ख) यदि हाँ, तो किन-किन प्रस्तावों की स्वीकृति होकर राशि जारी कर दी गई या नहीं? यदि हाँ, तो कब, यदि नहीं, तो प्रस्ताव पर कब तक स्वीकृति/राशि जारी की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। प्रस्तावों की कमियों की पूर्ति हेतु निकाय को पत्र प्रेषित किये गये है। निकाय द्वारा पूर्ति प्रतिवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अवैधानिक रूप से मकान तोड़ा जाना
93. ( क्र. 7645 ) एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जी.डी.ए. ग्वालियर द्वारा सर्वे क्र. 2220 में जो डुप्लेक्स निर्मित कराये गये है? उक्त भूमि का सीमांकन कराया गया है या नहीं? (ख) क्या सर्वे क्र. 2217 पर निर्मित 3027 वर्ग फुट की विधिवत रजिस्ट्री, नामांतरण, डायवर्सन, सीमांकन होने के बावजूद दलित परिवार का आवेदक मोहित सिंह पुत्र सरपरस्त रामअवतार सिंह जाति जाटव 13-14 श्रृति विहार कालोनी न्यू सुरेश नगर ठाटीपुर का भवन G.D.A. द्वारा बलपूर्वक तोड़ दिया गया है, यदि हाँ, तो ऐसा क्यों? (ग) सर्वे क्र. 2217 के निर्माण को तोड़ने से पूर्व उक्त भूमि का सीमांकन कराया गया या नहीं, यदि कराया गया तो कौन सा भाग अतिक्रमण में था तथा अतिक्रमण किस दिशा में किस भाग में था? ऐसा मानने का फार्मूला क्या था? (घ) क्या कॉलोनाईजर (मैसर्स श्रृति डव्लपर्स) द्वारा सर्वे क्र. 2217 की भूमि पर 2008-9 में बाउण्ड्रीवॉल बनाई, सीवर लाइन डाली R.C.C. रोड़ बनाई, बिजली के खम्भे लगाये गये हैं? यदि हाँ, तो जब सर्वे क्र. 2217 अतिक्रमण में था तो उक्त निर्माण पर शासन ने रोक क्यों नहीं लगाई? इसमें दोषी कौन है, उसके प्रति क्या कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। मोहित सिंह पुत्र सरपरस्त राम अवतार सिंह द्वारा स्वीकृत अभिन्यास अनुसार सर्वे क्र. 2220 में आने वाली 18 मीटर चैडी सड़क की भूमि पर अतिक्रमण कर अनाधिकृत निर्माण किया गया था। मान. उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर द्वारा जनहित याचिका क्र. 7690/2012 में आदेश दिनांक 09.01.2014 एवं रिट पिटीशन क्र. 69/2014 में पारित आदेश दिनांक 21.02.2014 के अनुपालन में श्री मोहित सिंह को सुनवाई एवं साक्ष्य का पूर्ण अवसर देकर विधिवत कार्यवाही पश्चात् दिनांक 22.01.2016 को अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई थी। (ग) ग्वालियर विकास प्राधिकरण द्वारा सर्वे क्र. 2217 के निर्माण को तोड़ने की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। राजस्व नक्शा प्लान पर स्वीकृत अभिन्यास अनुसार सर्वे क्र. 2220 की 18 मीटर चौड़ी सड़क की भूमि पर सर्वे क्र. 2217 का अंश भाग बताकर किया गया अतिक्रमण विधिवत हटाया गया। (घ) श्रुति डेव्हलपर्स द्वारा सर्वे क्र. 2220 की भूमि पर अतिक्रमण कर बाउंड्री बनाये जाने पर ग्वालियर विकास प्राधिकरण द्वारा पत्र दिनांक 03.12.2009 एवं 07.04.2010 द्वारा नोटिस दिये गये थे। म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 अंतर्गत दिनांक 04.1.2011 को बेदखली आदेश पारित किया गया। उत्तरांश 'ख' में उल्लेखित मान. उच्च न्यायालय के आदेशों के पश्चात् पुनः दिनांक 18.11.2015 को नाटिस देकर विधिवत सुनवाई पूर्ण कर श्रुति बिल्डर्स का अतिक्रमण दिनांक 07.01.2016 को हटाया गया। अतः शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
अध्यक्ष पद पर नियुक्ति
94. ( क्र. 7662 ) श्रीमती सरस्वती सिंह (श्री प्रताप सिंह) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2009 एवं 2012 में अध्यक्ष, म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नियुक्ति के लिए अभ्यार्थियों की अधिकतम आयु-सीमा 58 वर्ष विज्ञापित की गई थी? यदि हाँ, तो क्या यह पद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद से वरिष्ठ होता है? (ख) क्या दिनांक 9/10/2015 को प्रश्नांश (क) में उल्लेखित पद हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा विज्ञापन जारी किया गया है, यदि हाँ, तो उसमें अधिकतम आयु सीमा क्या रखी गई है? यदि आयु सीमा नहीं दी गई है, तो क्यों? (ग) क्या पूर्व वर्षों की भांति उक्त पद हेतु आयु सीमा निर्धारित करते हुए पुन: विज्ञापन जारी किया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। अधिकतम आयु सीमा का कोई बंधन नहीं है। यह निर्णय प्रशासकीय अनुमोदन उपरांत लिया गया था। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश ‘‘क‘‘ एवं ‘‘ख‘‘ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अवैध मुरम खदान का संचालन
95. ( क्र. 7666 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम मिड़की तहसील पाटन जिला जबलपुर में एक अवैध मुरम खदान का संचालन किया जा रहा है? यह खदान किस खसरा नंबर के कितने रकबे में संचालित हो रही है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित मुरम खदान वर्तमान में किस स्थिति में है? अभी तक इसमें कितने फुट खनन कर कितनी मुरम निकाली जा चुकी है? इस मुरम का किसके द्वारा कहाँ पर उपयोग किया गया? (ग) क्या शासन ग्राम मिड़की में हो रहे अवैध मुरम खुदाई को रोक कर दोषियों पर कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक, यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नांश 'क' में दिये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नाधीन ग्राम से किये गये मुरूम खनिज के अवैध परिवहन के प्रकरण प्रकाश में आये है। जिस पर नियमानुसार कार्यवाही की गई है। दर्ज प्रकरणों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। प्रकरण प्रकाश में आने पर संलग्न परिशिष्ट अनुसार कार्यवाही की गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
स्टाम्प विक्रय पर रोक
96. ( क्र. 7676 ) श्री गोपालसिंह चौहान (डग्गी राजा) : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा 20 जुलाई 2015 से 1000 व 500 के स्टाम्पों के विक्रय पर रोक लगा दी है? कारण बताएं? (ख) क्या यह सही है कि करीब 40 जिला कोषालय एवं 90 कोषालयों में 100 एवं 50 के स्टाम्प कम मात्रा में उपलब्ध हैं जो कभी भी खत्म हो सकते हैं? 1000 एवं 500 के स्टाम्प क्या आम जनता के लिये जारी नहीं हो रहें? क्यों? (ग) क्या 1000 एवं 500 के स्टाम्पों के लिये सर्विस प्रोवाईडर नियुक्त किये पर नेट (सर्वर) अधिक समय तक डाउन या बंद रहने से ई-स्टाम्प प्रिंटर से नहीं निकलते हैं जिससे सर्विस प्रोवाईडर के खाते से रूपये (बेलेंस) कट जाता है? (घ) प्रदेश में सर्विस प्रोवाईडरों ने 1000 एवं 500 के स्टाम्प पेपर जारी करना क्या बंद कर दिया है? कारण बताएं? क्या संपूर्ण म.प्र. में 100 एवं 50 के स्टाम्प पेपर की भारी कमी है? कमी की पूर्ति कब तक की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। विभाग में ई-पंजीयन की व्यवस्था लागू होने के कारण दिनांक 18.08.2015 से 500 एवं 1000 के स्टाम्प पेपरों के विक्रय पर रोक लगा दी गई है। (ख) यह सही नहीं है। प्रदेश में रूपये 100 एवं 50 के स्टाम्प, नोडल स्टाम्प डिपो इन्दौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल से छ: माही मांग पत्र प्राप्त कर, संकलित मांग नासिक प्रेस को भेजा जाता है तथा नासिक प्रेस से स्टाम्प प्रिंट होकर सीधे नोडल स्टाम्प डिपो को प्रदाय किये जाते हैं। वर्तमान में प्रदेश में 50 एवं 100 रूपये के स्टाम्प की कमी नहीं है। प्रश्नांश (क) के उत्तर के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। ई-स्टापिंग बिना व्यवधान के की जा रही है। अब तक 2515 सर्विस प्रोवाईडरों ने 9 लाख ई-स्टाम्प रूपये 7548.77 लाख राशि के जारी कर दिये हैं। (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अतिशेष कर्मचारियों की पदस्थापना
97. ( क्र. 7706 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जल संसाधन विभाग के अतिशेष हुए अमले तथा लिपिक वर्ग को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में प्रतिनियुक्ति पर लेकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग उपसंभाग एवं जिला पंचायतों में पदस्थ किया गया हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत ग्रामीण यांत्रिकी सेवा एवं जिला पंचायतों में अतिशेष अमले को पदस्थ करने हेतु मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया था कि जिन कर्मचारियों को एक बार लिया जायेगा उन्हें वापस नहीं किया जायेगा? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में क्या प्रतिनियुक्ति पर लेने एवं वापिस करने हेतु विभाग की सहमति ली जाना चाहिए तथा कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर लेने एवं वापिस करने के अधिकार राज्य शासन के पास सुरक्षित हैं। यदि हाँ, तो आदेश की प्रति देंवे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रं. एफ ए 3-15/94/एक (एक) दिनांक 12 अगस्त 1994 द्वारा जल संसाधन विभाग के अतिशेष घोषित 50 संभागों के अमले से ग्रामीण विकास विभाग के अधीन कार्य लेने के निर्देश दिए गए हैं। (ख) एवं (ग) प्रश्नांश 'क' के उत्तर में वर्णित सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञाप में प्रश्नांकित निर्देश नहीं है। अत: शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्वीकृति
98. ( क्र. 7721 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न संख्या 83 (क्रमांक 1637) दिनांक 15 दिसम्बर 2015 के उत्तर में बताया गया था कि राजगढ़ जिले की ब्यावरा तहसील के ग्राम सेमलापार में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित किया गया है? उक्त योजना की डी.पी.आर. ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड नई दिल्ली द्वारा पत्र क्रमांक REC/DDUGJY/2015-16/57 दिनांक 28.07.2015 एवं पत्र क्रमांक REC/DDUGJY/2015-16/67 दिनांक 30.07.2015 से स्वीकृत की जा चुकी है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक प्रस्तावित विद्युत ग्रिड की स्थापना हेतु क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या शासन उक्त प्रस्तावित विद्युत ग्रिड ग्राम सेमलापार की स्थापना हेतु कोई निश्चित समय-सीमा निर्धारित करेगा? यदि हाँ, तो क्या?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा विधान सभा सत्र दिसम्बर, 2015 में पूछे गये प्रश्न क्रमांक 1637 के उत्तर में यह जानकारी दी गई थी कि राजगढ़ जिले की ब्यावरा तहसील के ग्राम सेमलापार में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित किया गया है तथा उक्त योजना की डी.पी.आर. ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड द्वारा प्रश्नांश में उल्लेखित पत्र दिनांक 28/7/2015 एवं दिनांक 30/7/2015 द्वारा स्वीकृत की जा चुकी है। उक्त योजना के प्रावधानों के अनुसार योजना का कार्य टर्न-की आधार पर कराये जाने हेतु निविदा दस्तावेजों की स्वीकृति ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड से प्रतीक्षित है। निविदा दस्तावेजों की स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत निविदा जारी कर प्रश्नाधीन विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना हेतु कार्यवाही की जा सकेगी। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार निविदा दस्तावेजों की स्वीकृति उपरांत निविदा जारी कर प्रश्नाधीन उपकेन्द्र की स्थापना हेतु कार्यवाही की जा सकेगी। अत: वर्तमान में इस उपकेन्द्र की स्थापना हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
132 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्वीकृति
99. ( क्र. 7722 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न संख्या 84 (क्रमांक 1638) दिनांक 15 दिसम्बर 2015 के उत्तर में बताया गया था कि तहसील ब्यावरा के अंतर्गत सुठालिया में 132 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना जायका-2 (जापान) स्कीम के अंतर्गत प्रस्तावित की गई है? जायका (जापान) से ऋण सहायता हेतु मार्च 2016 तक अनुबंध हस्ताक्षरित किये जाने की संभावना है? यदि हाँ, तो क्या उक्त प्रस्तावित 132 के.वही. उपकेन्द्र की स्थापना हेतु जायका (जापान) से अनुबंध हस्ताक्षरित किया जा चुका है अथवा नहीं? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में कब तक अनुबंध हस्ताक्षरित कराया जाकर प्रस्तावित उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य कराया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। प्रश्न 1638 दिनांक 15.12.2015 के उत्तर में यह उल्लेख किया गया था कि तहसील ब्यावरा के अंतर्गत सुठालिया में 132 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना जायका-2 (जापान) योजना के अंतर्गत प्रस्तावित है। जायका (जापान) से ऋण सहायता हेतु मार्च, 2016 के अंतिम सप्ताह में अनुबंध हस्ताक्षरित किया जाना संभावित है। जी नहीं दिनांक 15.03.2016 तक अनुबंध हस्ताक्षरित नहीं हुआ है। (ख) जायका-2 (जापान) परियोजना हेतु वित्त मंत्रालय, भारत सरकार एवं जायका (जापान) के मध्य मार्च, 2016 के अंतिम सप्ताह में अनुबंध हस्ताक्षरित किया जाना संभावित है। उक्त योजना के अंतर्गत प्रस्तावित उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य वर्ष 2018-19 में किया जाना प्रस्तावित है।
खरीदी में अनियमितता
100. ( क्र. 7730 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर कार्यालय द्वारा 01 जनवरी,2014 के बाद कितने नये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पॉवर ट्रांसफार्मर, पी.सी.सी. पोल, एक्स.एल.पी.ई. केबल, 11 के.व्ही.एरियल बंच केबल तथा निम्नदाब केबल किस-किस कम्पनी से कितनी-कितनी राशि के खरीदे गये जानकारी देवें? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित क्रय की गई सामग्री में से कितनी सामग्री का उपयोग कर लिया गया है तथा शेष कितनी सामग्री उपलब्ध है? 01 जनवरी, 2014 के पश्चात् कितने 11 के.व्ही. के सर्किट ब्रेकर खरीदने हेतु क्रयादेश जारी किये गये, कितने 11 के.व्ही. सर्किट ब्रेकर फर्मों ने प्रदाय किये तथा इनमें से कितने 11 के.व्ही. सर्किट ब्रेकर स्थापित कर क्रियाशील कर दिये गये? (ग) क्या म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर के क्षेत्रीय भंडार गृहों में रखी गयी सामग्री का भौतिक सत्यापन कराया जाता है? यदि हाँ, तो वर्ष 2015-16 में विभिन्न क्षेत्रीय भंडार गृह में कब-कब भौतिक सत्यापन कराया गया है? (घ) विद्युत कंपनियों के स्टोरों में रखी सामग्री के खराब होने से कंपनियों को उक्त अवधि में कितना नुकसान हुआ, तथा इसके लिए जवाबदार अधिकारी, कर्मचारियों पर इस हेतु क्या कार्यवाही की गयी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. प.क्षे.वि.वि.कं.लि. इंदौर द्वारा 01 जनवरी-2014 के बाद क्रय की गई विद्युत सामग्री यथा-विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पॉवर ट्रांसफार्मर, एक्स.एल.पी.ई. केबल, 11 के.व्ही. एरियल बंच केबल तथा निम्न दाब केबल जिन कंपनियों से क्रय की गई है उनके नाम, क्रय की गई सामग्री की मात्रा एवं राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' अनुसार है। पी.सी.सी. पोल क्रय हेतु मुख्य अभियंता (क्रय) द्वारा जारी क्रयादेशों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-2' अनुसार एवं मुख्य अभियंता (सिविल) इंदौर द्वारा जारी क्रयादेशों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-3' अनुसार है, जिनमें फर्म का नाम, क्रय किये गये पी.सी.सी. पोल की मात्रा एवं राशि की जानकारी समाहित है। (ख) उत्तरांश ''क'' में उल्लेखित जारी किये गये क्रयादेशों के विरुद्ध भण्डार गृह में प्राप्त हुई सामग्री तथा उसमें में से उपयोग की गई सामग्री की मात्रा एवं भण्डार गृह में शेष बची सामग्री की मात्रा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। 01 जनवरी-2014 के पश्चात् कुल 424 नग 11 के.व्ही सर्किट ब्रेकर खरीदने हेतु क्रय आदेश जारी किये गये। इनमें से 355 नग 11 के.व्ही सर्किट ब्रेकर फर्मों द्वारा प्रदाय कर दिये गये हैं तथा उक्तानुसार प्राप्त 355 नग 11 के.व्ही. सर्किट ब्रेकरों में से 328 नग 11 के.व्ही सर्किट ब्रेकर स्थापित कर क्रियाशील कर दिये गये हैं। (ग) जी हाँ, म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के क्षेत्रीय भंडार गृहों में रखी सामग्री का भौतिक सत्यापन कराया जाता है। वर्ष 2015-16 में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रांतर्गत क्षेत्रीय भंडार इंदौर का माह मई 2015 एवं माह फरवरी 2016 में, क्षेत्रीय भंडार धार का माह जनवरी 2016 एवं माह फरवरी 2016 में, क्षेत्रीय भंडार मंदसौर का माह जनवरी 2016 में, क्षेत्रीय भंडार बड़वाह का माह जनवरी 2016 में तथा क्षेत्रीय भंडार उज्जैन का माह जनवरी 2016 में भौतिक सत्यापन किया गया। (घ) प्रश्नाधीन म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के क्षेत्रीय भण्डार गृहों में रखी सामग्री खराब नहीं हुई है, अत: आर्थिक क्षति होने अथवा किसी अधिकारी/कर्मचारी के जवाबदार होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।
विद्युत वितरण कम्पनी में उपकरणों एवं अन्य खरीदी
101. ( क्र. 7731 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर कार्यालय द्वारा विद्युत उपकरण जैसे विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पॉवर ट्रांसफार्मर एवं पी.सी.सी.-पोल का खरीद कार्य निविदा के आधार पर किया जा रहा है? यदि हाँ, तो 01 जनवरी,2014 के पश्चात निविदा आधार पर कंपनी कार्यालय द्वारा क्या-क्या सामग्री किन-किन फर्मों से क्रय की गई जानकारी देवें? (ख) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर कंपनी कार्यालय द्वारा विद्युत उपकरण जैसे विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पॉवर ट्रांसफार्मर एवं पी.सी.सी. पोल की खरीदी के लिये गुणवत्ता के मापदण्ड एवं गारंटी अवधि की शर्त निर्धारित की जाती है? यदि हाँ, तो उपरोक्त तीनों सामग्री हेतु कौन-कौन से तकनीकी मापदण्ड निर्धारित किये जाते हैं एवं गारंटी की अवधि क्या है? (ग) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर कंपनी कार्यालय द्वारा वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में माह फरवरी, 2016 तक 10/16/25 के.व्ही.ए. क्षमता के कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर क्रय किये गये? उपरोक्त क्रय किये गये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों में से कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों गारंटी अवधि में जले? उक्त जले हुये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों में से कितने ट्रांसफार्मरों को प्रदायकर्ता फर्म द्वारा सुधार कर ठीक कर दिया गया है? (घ) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र वितरण कंपनी लिमिटेड इन्दौर द्वारा क्रय किये गये 10,16 एवं 25 के.व्ही.ए. क्षमता के ट्रांसफार्मर की औसत लागत कितनी है? गारंटी अवधि के पश्चात ट्रांसफार्मर जलने पर रिपेयरिंग की औसत लागत क्षमतावार कितनी आती है? 10,16,25 के.व्ही.ए क्षमता के कितने ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग के पश्चात वर्ष 2015-16 में माह फरवरी 2016 तक जल गये संख्या बतावें? क्या उपकरण सप्लाई करने वाली फर्मों द्वारा निविदा अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं करने पर उन्हें दण्डित किये जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो वर्तमान वित्तीय वर्ष 2015-16 में विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर केबल पी.सी.सी. पोल, तार एवं इन्सूलेटर प्रदाय करने वाली कितनी फर्मों ने निविदा शर्तों का उल्लंघन किया तथा उन पर क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, म.प्र. प.क्षे.वि.वि.कं.लि. द्वारा विद्युत उपकरण यथा-विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पॉवर ट्रांसफार्मर एवं पी.सी.सी. पोल का क्रय निविदा के आधार पर किया जा रहा है। 01 जनवरी-2014 के पश्चात पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा क्रय की गई सामग्री यथा-विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पॉवर ट्रांसफार्मर एवं पी.सी.सी. पोल की मात्रा की क्रयादेश की दिनांक सहित फर्मवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अ-1 एवं अ-2 अनुसार है। (ख) जी हाँ, म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि. द्वारा विद्युत उपकरण यथा-विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पॉवर ट्रांसफार्मर एवं पी.सी.सी. पोल की खरीद की गुणवत्ता के मापदण्ड एवं गांरटी अवधि की शर्त निर्धारित की जाती है। प्रश्नाधीन उल्लेखित विद्युत सामग्री हेतु तकनीकी मापदण्ड एवं गारंटी अवधि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि. द्वारा वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में माह फरवरी-2016 तक 10 एवं 16 के.व्ही.ए. क्षमता के विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर की कोई खरीदी नहीं की गई है, केवल 25 के.व्ही.ए. क्षमता के 18,324 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर क्रय किये गये है। उपरोक्त कुल 18,324 क्रय किये गये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर में से गारंटी अवधि में फेल हुए विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या 986 है। उक्त फेल हुए 986 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर में से 786 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों को संबंधित प्रदायकर्ता फर्मों द्वारा सुधार कर ठीक कर दिया गया है। शेष 200 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों का सुधार कार्य संबंधित फर्मों के द्वारा किया जा रहा है। (घ) म.प्र. प.क्षे.वि.वि.कं.लि. द्वारा वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में माह फरवरी-2016 तक 10 एवं 16 के.व्ही.ए. क्षमता के विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर की कोई खरीदी नहीं की गई है। अत: औसत लागत की जानकारी निरंक है। प्रश्नाधीन अवधि में क्रय किये गये 25 के.व्ही.ए. क्षमता के विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर की औसत लागत राशि रू. 37,595 प्रति ट्रांसफार्मर है। प्रश्नाधीन अवधि में 10 के.व्ही.ए. क्षमता के विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर के सुधार कार्य के आदेश प्रसारित नहीं किये जाने के कारण औसत लागत की जानकारी निरंक है, केवल 16 एवं 25 के.व्ही.ए. क्षमता के विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों का सुधार कार्य गांरटी अवधि के पश्चात करवाये जाने पर उसकी औसत रिपेयरिंग लागत क्रमश: राशि रू. 13,840 एवं रू. 14,430 प्रति ट्रांसफार्मर आई है। वर्ष 2015-16 में माह फरवरी, 2016 तक रिपेयरिंग के पश्चात जले 10, 16 एवं 25 के.व्ही.ए. क्षमता के विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या क्रमश: निरंक, 13 एवं 394 है। जी हाँ, प्रदायकर्ता फर्म द्वारा निविदा अनुबंध की शर्तों (निविदा शर्तों नहीं) का पालन नहीं करने पर अनुबंध के अनुसार शास्ति का प्रावधान होता है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2015-16 में विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, केबल, पी.सी.सी. पोल, तार एवं इन्सूलेटर प्रदाय करने वाली फर्मों द्वारा निविदा शर्तों का उल्लंघन नहीं किया गया है, अत: कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
स्वीमिंग पुल एवं पार्किंग स्थल निर्माण
102. ( क्र. 7749 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा नगर की जनसंख्या में जहां एक ओर वृद्धि हो रही है तो इसी के साथ चार पहिया व दो पहिया वाहनों की संख्या में भी लगातार वृद्धि होती जा रही है? (ख) यदि हाँ, तो क्या पुराना शहर होने के कारण जन सुविधाओं की कठिनाईयाँ विगत कई वर्षों से कष्टदायक होकर बढ़ती जा रही है? (ग) क्या बढ़ते हुए वाहनों की संख्या को दृष्टिगत रख शहर के मध्य स्थित पुराने घंटाघर स्थल को धवस्त कर मल्टीलेवल पार्किंग एवं शॉपिंग काम्पलेक्स तथा शहर में स्वास्थ्य की दृष्टि से स्वीमिंग पुल की मांग की जा रही है? (घ) यदि हाँ, तो लगातार जनमांग एवं जनप्रतिनिधियों के साथ ही प्रश्नकर्ता द्वारा एवं नगर पालिका परिषद् जावरा द्वारा उपरोक्त दोनों सुविधाओं को प्रदान किये जाने हेतु अनेक प्रस्ताव एवं मांग दिये गये पत्रों पर तत्संबंधी क्या-क्या कार्यवाहियां की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। बढ़ती जनसंख्या तथा वाहनों के अनुरूप नवीन पार्किंग सुविधाओं का निर्माण भी हो रहा है। यह सतत् प्रक्रिया है। (ग) जी हाँ। (घ) नगर पालिका परिषद् जावरा की परिषद् द्वारा जनप्रतिनिधियों एवं प्रश्नकर्ता की मांग अनुसार घंटाघर को नगर पालिका परिषद् के आधिपत्य में लेने का संकल्प क्रमांक 139 दिनांक 18.08.2015 पारित किया गया है एवं स्वीमिंग पूल निर्माण के लिए डी.पी.आर. तैयार कराने के लिए निविदा आमंत्रित की गई है।
खनिज खदानों का चिह्नांकन
103. ( क्र. 7750 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा एवं पिपलौदा तहसीलों में अनेक खनिज खदानें यथा मुरम, रेत, मिट्टी, गिट्टी इत्यादि प्रकार की संपूर्ण क्षेत्र में होकर जन आवश्यकताओं की पूर्ति कर रही है? (ख) यदि हाँ, तो उपरोक्त दोनों तहसीलों में उक्ताशय एवं अन्य प्रकार की भी कितनी खनिज खदानें किन-किन स्थानों पर शासन/विभाग द्वारा चिन्हित की जाकर नियमानुसार प्रदान की जाती है? (ग) यदि हाँ, तो उपरोक्त तहसीलों में वर्तमान में कितनी, किस-किस प्रकार की किन-किन स्थानों पर खनिज खदानों को चिन्हित कर आवश्यकताओं की पूर्ति की जा रही है? (घ) क्या समस्त चिन्हित खनिज खदानों को उत्खनन की अनुमति दी जाकर खनन कार्य किया जा रहा है, साथ ही कितनों को किन स्थानों पर अनुमति प्राप्त नहीं होकर अवैध खनन की शिकायतें प्राप्त हो रही है वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक की स्थिति से अवगत कराएं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। (ख) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार प्रश्नाधीन तहसीलों में क्रशर से गिट्टी निर्माण हेतु गौण खनिज पत्थर के उत्खनिपट्टे एवं रेत की खदानें स्वीकृत व अनुबंधित होकर कार्यशील हैं। उक्त के अलावा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार प्रश्नाधीन तहसीलों में क्रशर से गिट्टी निर्माण हेतु गौण खनिज पत्थर के 07 उत्खनन पट्टे स्वीकृत किए गए हैं। परन्तु पर्यावरणीय अनापत्ति के अभाव में अनुबंध निष्पादन नहीं होने से उत्खनन कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। उक्त स्वीकृतियां म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 के प्रावधानों के तहत की गई हैं। (ग) प्रश्नांश 'ख' में दिए गए उत्तर अनुसार कार्यशील खदानों से खनिज की पूर्ति की जा रही है। स्थान, खनिज आदि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ में दर्शित है। (घ) जी हाँ। जिन स्थानों पर अवैध खनन की शिकायत प्राप्त होने तथा आकस्मिक भ्रमण के दौरान अवैध खनन पाए जाने पर संबंधितों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक की स्थिति में बनाए गए अवैध खनन के प्रकरणों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' पर है।
दीनदयाल अन्त्योदय समिति का गठन
104. ( क्र. 7769 ) पं. रमेश दुबे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छिन्दवाड़ा जिले के वर्तमान त्रिस्तरीय पंचायतों एवं नगरीय निकायों में दीनदयाल अन्त्योदय समितियों का गठन किया गया है? यदि हाँ, तो इन समितियों का गठन कब-कब किया गया? पंचायतवार एवं नगरीय निकायवार गठन की गयी समितियों के पदाधिकारियों के नाम पता सहित जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में गठित की गयी समितियों के क्या कार्य है इनकी बैठकों का आयोजन करने के लिए कौन सक्षम हैं बैठकों में किन किन प्रस्तावों पर चर्चा करने का अधिकार है समितियों के अधिकार और कार्य के नियम निर्देश सहित जानकारी दें? (ग) क्या उक्त समितियों के गठन दिनांक से बैठकें आयोजित की गयी? यदि हाँ, तो कब कब तथा किन किन बिंदुओं पर चर्चा की गयी? पंचायतवार एवं नगरीय निकायवार जानकारी दें? यदि नहीं, की गयी तो क्यों? (घ) क्या शासन/प्रशासन अन्त्योदय समितियों की बैठकें समय पर आयोजित नहीं करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए भविष्य में समय पर बैठकें आयोजित करने तथा बैठकों में पारित किये गये प्रस्तावों आदि पर समय पर कार्यवाही कराने हेतु सक्षम अधिकारियों को आदेश देगा? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
पेंच व्यपवर्तन के पुनर्वास हेतु आवास निर्माण
105. ( क्र. 7771 ) पं. रमेश दुबे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पेंच व्यपवर्तन चौरई के डूब क्षेत्र के बसाहटों को पुनर्वास हेतु ग्राम मडुआढ़ाना एवं जमुनिया में कॉलोनी निर्माण और अन्य आवश्यक सुविधाएं जिसमें भवन इत्यादि भी शामिल था का टेंडर लगाया गया था। (ख) यदि हाँ, तो उक्त आमंत्रित निविदा में किन-किन ठेकेदारों ने निविदाएं भरी थी। क्या इस निविदा को निरस्त कर दिया गया था? यदि हाँ, तो क्यों? निरस्ती आदेश के साथ निरस्त करने का पर्याप्त कारण स्पष्ट करें तथा यह बतावें कि री-टेंडर कॉल क्यों नहीं किया गया? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्य जिसके लिए टेंडर आमंत्रित किया गया था उसे निरस्त कर पुन: निविदा आमंत्रित न करते हुए मेसर्स मनीष पांडे सतना को बिना किसी टेंडर के कार्य दे दिया गया जिसके विरूद्ध ग्राम धनोरा एवं बारहबरियारी के पुर्नवास के घटिया निर्माण कार्य की जिला प्रशासन एवं शासन को अनेकों शिकायतें की गई है? क्या प्रस्तुत शिकायतों को जाँच हुई यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या मेसर्स मनीष पांडे सतना द्वारा ग्राम धनोरा एवं बारहबरियारी में कराये गये निर्माण कार्य के घटिया होने, गुणवत्तायुक्त नहीं होने आदि के संबंध में विभाग एवं जिला प्रशासन को प्राप्त शिकायतें की जाँच जिला प्रशासन और शासन प्रश्नकर्ता की उपस्थिति में करायेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) 4 निविदाकार मेसर्स राघवेन्द्र द्विवेदी, भोपाल मेसर्स मनीष पाण्डे, भोपाल मेसर्स देव कंस्ट्रक्शन, पांढुर्णा एवं मेसर्स रायसिंह एण्ड कंपनी, बालाघाट द्वारा निविदाएं दी गई थी। जी हाँ। दरें अधिक होने के कारण निविदाएं अस्वीकार की गई। पुनर्वास कार्य वर्षा ऋतु के पूर्व पूर्ण करने के लिए समयाभाव के परिप्रेक्ष्य में वैकल्पिक व्यवस्था के कारण। (ग) पुनर्वास का अन्यत्र कार्य कर रहे मेसर्स मनीष पाण्डे को अनुबंधित दर पर अतिरिक्त मात्रा का कार्य सौंपा गया। जिला प्रशासन को कोई शिकायत प्राप्त होना प्रतिवेदित नहीं है। मा. प्रश्नकर्ता विधायक से विभाग को दिनांक 24.09.2015 को शिकायत प्राप्त हुई थी। जाँच प्रतिवेदन की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) कार्य की गुणवत्ता अच्छी होने से पुन: जाँच की आवश्यकता नहीं है।
राज्य वन सेवा परीक्षा के संदर्भ में
106. ( क्र. 7828 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य वन सेवा परीक्षा-2014 दिनांक 11.01.2016 को आयोजित गणित सांख्यिकी की परीक्षा रद्द की गई हैं? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) उक्त प्रश्न पत्र में कितने प्रश्न त्रुटिपूर्ण थे, कितने प्रश्न हस्तलिखित थे, कितने प्रश्न मिसप्रिंट थे और कितने प्रश्नों में उत्तर ही नहीं थे? उक्त सभी प्रश्नों की संख्या बताऐं (ग) क्या प्रश्नांश (क) में दर्शित विषय की परीक्षा पुन: दिनांक 20.2.2016 को आयोजित की गई? क्या यह परीक्षा पूर्व से निर्धारित विषय की परीक्षा से एक दिन पूर्व आयोजित की गई? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं, एवं उन पर क्या कार्यवाही की जाएगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। प्रश्नों में भाषांतर, अनुवाद, मुद्रण एवं संकेतांक त्रुटियां होने के कारण विषय विशेषज्ञों की राय अनुसार परीक्षा रद्द की गई। (ख) ऐच्छिक विषय गणित में 86, सांख्यिकी विषय में 29 प्रश्न त्रुटिपूर्ण थे। गणित विषय में 6, सांख्यिकी विषय में 8 प्रश्नों में सूत्र होने से विषय विशेषज्ञों द्वारा सूत्र हाथ से बनाकर स्कैन कर अपलोड किये गये थे। सभी प्रश्नों के विकल्प उत्तर दिये गये थे, ऐसे प्रश्नों की संख्या निरंक है। (ग) जी हाँ। जी हाँ। परीक्षा आयोजन में आयोग द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गई है। अत: कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नगर परिषद् लांजी में पदस्थ अधिकारी
107. ( क्र. 7829 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर परिषद् लांजी जिला बालाघाट में जनवरी 2011 से दिसम्बर 2012 तक कौन-कौन मुख्य नगर पालिका अधिकारी कब-कब पदस्थ थे? (ख) प्रश्नांश (क) अंतर्गत कितने मुख्य नगर पालिका अधिकारियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध हुआ? (ग) प्रश्नांश (ख) अंतर्गत वर्तमान तक क्या-क्या कार्यवाही हुई? (घ) प्रश्नांश (क) अंतर्गत मुख्य नगर पालिका अधिकारीगण वर्तमान में कहाँ-कहाँ पदस्थ है और इन अधिकारियों का मूल पद एवं विभाग बताएं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) श्री ए.ए. उस्मानी, तत्कालीन प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद्, लांजी के विरूद्ध लोकायुक्त संगठन, जबलपुर में प्रकरण क्रमांक 12/2013 पंजीबद्ध हुआ है। (ग) कार्यालय पुलिस अधीक्षक, विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त संगठ, जबलपुर में कार्यवाही प्रचलित है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
अचल सम्पत्तियों पर स्टाम्प तथा पंजीयन शुल्क की गणना
108. ( क्र. 7839 ) श्री अरूण भीमावद : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला शाजापुर में नगर पालिका क्षेत्र, नगर पंचायत क्षेत्र एवं ग्राम पंचायत क्षेत्रों की अचल सम्पत्तियों का मूल्यांकन किस प्रावधान से किया जाकर देय स्टाम्प तथा पंजीयन शुल्क की गाइड-लाइन निर्धारित की गई है? (ख) जिला शाजापुर की ग्राम पंचायतों के क्षेत्र की परिधि में आने वाली अचल सम्पत्तियों (जैसे-मूलीखेड़ा, लोंदिया, बोर्डी, बरवाल, काँजा, गिरवर, किसोनी, फूलेन आदि) मूल्यांकन नगरीय क्षेत्र के आधार पर निर्धारित कर 1% (एक प्रतिशत) स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क लिया जा रहा है क्यों? (ग) जिले की नगर पालिका क्षेत्रों की अचल सम्पत्तियों पर पंचायत उपकर नहीं लगता है, जबकि पंचायतों के क्षेत्रों में प्रश्नांश (ख) के अनुसार नगरीय उपकर लिया जा रहा है? (घ) प्रश्नांश (ख) के अनुसार सम्पत्तियों पर नगरीय उपकर कब तक समाप्त किया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मध्यप्रदेश बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिद्धांतों का बनाया जाना और उनका पुनरीक्षण नियम, 2000 के अन्तर्गत निर्धारित की गई कलेक्टर गाइड लाइन अनुसार अचल सम्पत्ति का मूल्यांकन किया जाता है। (ख) उक्त ग्रामों के जो क्षेत्र नगर पालिका के अंतर्गत आते है, उन पर नगर पालिका अधिनियम, 1961 के अंतर्गत 1 प्रतिशत की दर से नगर पालिका शुल्क देय होता हैं, जो नियमानुसार लिया जाता है। (ग) मध्यप्रदेश उपकर अधिनियम, 1982 के अंतर्गत विक्रय पत्र, दान पत्र, भोगबंधक तथा 30 वर्ष या उससे अधिक अवधि के पट्टा विलेख पर देय उपकर नियमानुसार लिया जा रहा है। नगरीय उपकर जैसा कोई उपकर प्रभावशील नहीं है। (घ) नगरीय उपकर जैसा कोई उपकर प्रभावशील नहीं है। अत: इसे समाप्त किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अपर नर्मदा बांध रीना टोला का निर्माण
109. ( क्र. 7840 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अपर नर्मदा बांध रीना टोला जिला डिण्डोरी में निर्माण कराने हेतु निविदा आमंत्रित की गई है, यदि हाँ, तो निविदा कब आमंत्रित की गई? कितने ठेकेदारों ने निविदा क्रय की तथा कितने ने भरी किसकी निविदा स्वीकृत हुई? बाँध निर्माण एवं नहर निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत हुई, कितनी जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है कितनी जमीन सिंचित होगी? (ख) क्या डूब क्षेत्र के सभी कृषकों से सहमति ली गई है अगर नहीं तो क्यों सहमति नहीं ली है? (ग) क्या ठेकेदार को अग्रिम राशि दी गई है? अगर हाँ, तो किस नियम के तहत अग्रिम दिया गया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। अपर नर्मदा बांध ग्राम शोभापुर जिला डिण्डोरी में निर्माण कराने हेतुनिविदा दिनांक 21/01/2013 को आमंत्रित की गई। निविदा 11 ठेकेदार/फर्मों ने क्रय की थी, जिसमें से 8 निविदाकारों द्वारा निविदा भरी गई थी। मेघा इंजी. एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर-प्रसाद (संयुक्त उपक्रम) की निविदा स्वीकृत की गई। बांध निर्माण एवं नहर निर्माण हेतु रूपये 402.80 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई। इस परियोजना में लगभग 2952 हेक्टेयर जमीन डूब में आ रही है। इस योजना में लगभग 18616 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है। (ख) जी नहीं। परियोजना की स्वीकृति के लिये कृषकों से सहमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है। (ग) जी हाँ। अनुबंध के भाग-2 की कंडिका क्रमांक 113.6 (A) के तहत अग्रिम दिया गया था। जिसकी वापसी ठेकेदार द्वारा दिनांक 11/03/2016 को की जा चुकी है।
पर्यटन विकास के कार्य
110. ( क्र. 7841 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014-15 में म.प्र. में कहाँ-कहाँ पर्यटन विभाग हेतु क्या-क्या कार्य किया गया है? (ख) किस-किस मद से कार्य किया गया है, कार्य का उद्देश्य कार्य की प्राक्कलन, स्वीकृत राशि, व्यय की गई राशि, वर्तमान के कार्य की भौतिक स्थिति, बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
कम्युनिटी हॉल का दुरूपयोग
111. ( क्र. 7849 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भोपाल के वार्ड क्रमांक 7 से 21 के अंतर्गत विशेषकर गरीब लोगों के विवाह, सामाजिक, सांस्कृतिक आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाने के उद्देश्य से कम्युनिटी हॉल निर्मित कराए गये थे? (ख) यदि हाँ, तो किस-किस जनप्रतिनिधि की कितनी-कितनी राशि से किस-किस कम्युनिटी हॉल में कब-कब कौन-कौन से कार्य सम्पन्न कराये गये? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में उद्देश्य के विपरीत जाकर नगर निगम भोपाल द्वारा उक्त कम्युनिटी हॉल का कमर्शियल उपयोग करने हेतु माह फरवरी, 2016 को लाखों रूपये में नीलाम कर दिये गये हैं? यदि हाँ, तो कौन-कौन से कम्युनिटी हॉल कितनी-कितनी राशि में किन-किन ठेकेदार को नीलाम किए गए? वार्ड क्रमांक 8 स्थित शकीला बानो कम्युनिटी हॉल गरीबों के कार्यक्रम की अपेक्षा निगम स्वयं अपने कार्यालय के उपयोग में उपयोग कर रहा है? यदि हाँ, तो इसके क्या कारण है? (घ) प्रश्नांश (क) (ग) के परिप्रेक्ष्य में निगम प्रशासन द्वारा आदूरदर्शिता पूर्वक गरीबों के हित एवं विधायक निधि के उद्देश्य के विपरीत, उक्त कम्युनिटी हॉल नीलामी की कार्यवाही के लिए कौन-कौन दोषी है? उनके विरूद्ध शासन द्वारा क्या तथा कब तक कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्या शासन विधायक निधि की राशि संबंधित विधायक को राशि वापिस लौटाकर विधायक की अनुसंशानुसार दूसरे विकास कार्य करायेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। नगर निगम भोपाल सीमा क्षेत्र में वार्ड क्रमांक 07 से 21 के अंतर्गत निर्मित समुदायिक भवनों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) मान. जनप्रतिनिधियों द्वारा कराये गये कार्य की वर्षवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। सामुदायिक भवनों को वैवाहिक/सामाजिक/सांस्कृतिक/धार्मिक/राजनैतिक आदि प्रयोजनों हेतु दिये जाने की व्यवस्था है जिसके अंतर्गत ही नगर निगम द्वारा निर्धारित शुल्क एवं शर्तों पर उनका संचालन दिये जाने हेतु ऑफर आमंत्रण की कार्यवाही नियमानुसार की गई है, जिसमें प्राप्त उच्चतम राशि के ऑफर पर सक्षम स्वीकृति उपरांत ही कम्युनिटी हॉलवार ऑफरकर्ताओं (ठेकेदारों) की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। वार्ड क्रमांक 08 स्थित शकीला बानो कम्युनिटी हॉल के अंश भाग में नगर निगम द्वारा सदर मंजिल स्थित कार्यालय हेरिटेज के कारण रिक्त किये जाने से आगामी व्यवस्था होने तक पूर्णत: अस्थाई तौर पर कार्यालय का उपयोग किया जा रहा है शीघ्र ही उक्त कार्यालय की व्यवस्था अन्यत्र की जायेगी। (घ) नगर निगम द्वारा कम्युनिटी हॉल के उद्देश्य में कोई परिवर्तन नहीं किया है सिर्फ उसका संचालन/संधारण नगर निगम द्वारा निर्धारित दर पर नियमों एवं शर्तों के अंतर्गत किया जाने बाबत् ऑफर आमंत्रण की कार्यवाही नियमानुसार की गई है, जिसमें सामुदायिक भवन का आरक्षण कराने वाले किसी भी वर्ग पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े यह सुनिश्चित किया गया है, जिससे स्पष्ट है कि निगम प्रशासन द्वारा आदूरदर्शिता पूर्व गरीबों के हित एवं विधायक निधि के उद्देश्य के विपरीत कम्युनिटी हॉल की नीलामी की कार्यवाही नहीं की गई है। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मोबाइल टावरों की अनुमति
112. ( क्र. 7867 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के परि.अता. प्रश्न संख्या 138 (क्र. 4291) दिनांक 03.03.2016 अनुसार उज्जैन नगर निगम आयुक्त को 01.01.2014 से प्रश्न दिनांक तक कितने टावरों की अनुमति रिलायंस जियों कंपनी द्वारा मांगी गई है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार आवेदित टावरों को किन-किन कारणों के कारण अनुमति नहीं दी गई? (ग) प्रश्न दिनांक तक रिलायन्स जियों कंपनी द्वारा कितने अवैध टावर बिना अनुमति के निगम सीमा में लगाये गये? सूची पते सहित उपलब्ध कराये? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार अवैध टावरों को बिना अनुमति क्यों लगाने दिया गया उसके लिये कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं व उन्हें कब तक दण्डित किया जाकर किस दिनांक तक टावर हटा दिये जायेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 43 (ख) निगम परिषद् द्वारा निर्धारित किये गये वार्षिक भू-भाटक कंपनी द्वारा जमा नहीं करने से स्वीकृति नहीं दी गयी। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) नगर पालिक निगम, उज्जैन द्वारा टावरों का सर्वे कराया गया है, सर्वे उपरांत चिन्हित अवैध टावरों के संबंध में कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
राजपुर के पुर्नवास स्थलों के किराया
113. ( क्र. 7873 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़वानी जिले के राजपुर के पुर्नवास स्थलों विगत 5 वर्षों में कितने निर्माण कार्य कितनी लागत के कब-कब स्वीकृत किए गए? कार्य नाम, स्थान नाम, लागत, दिनांक कार्य पूर्ण/अपूर्ण स्थिति सहित बतावें? राशि आहरण दिनांक भी देवें? (ख) जो कार्य अपूर्ण हैं वे कब तक पूर्ण होंगे? उनमें कितनी राशि आहरित की गई? (ग) पुर्नवास स्थलों के पहुंच मार्गों के जीर्ण-शीर्ण होने की स्थिति के परिप्रेक्ष्य में नवीन मार्ग कब तक स्वीकृत होंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) विगत पाँच वर्षों में कोई भी निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं किया गया है। राजपुर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सरदार सरोवर परियोजना के 17 पुनर्वास स्थलों की मरम्मत/सुधार कार्यों के लिये रूपये 98.58 लाख के कार्य दिनांक 16/09/2014 को स्वीकृत किये गये है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) नवीन मार्ग निर्माण का कोई प्रस्ताव नहीं है।
नियुक्तियों की जाँच
114. ( क्र. 7875 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रिट पिटीशन क्रमांक 198/1999 में मान. उच्च न्यायालय के आदेश के परिप्रेक्ष्य में क्या विभाग के कर्मचारियों की भी जाँच चल रही है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कौन-कौन से अधिकारियों/कर्मचारियों की नियुक्ति में म.प्र. विकास प्राधिकरण सेवा (अधिकारी तथा सेवक) भर्ती नियम 88 के अनुसार वर्णित चयन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है? ऐसे अधिकारी/कर्मचारी के नाम, पदनाम सही दस्तावेज देवें? (ग) इंदौर विकास प्राधिकरण के कौन-कौन से अधिकारी/कर्मचारियों की नियुक्ति चयन प्रक्रिया की फाइल नहीं मिल रही है? उनके नाम, पदनाम सहित जानकारी देवें? (घ) उज्जैन विकास प्राधिकरण की भी जानकारी प्रश्नांश (ख) व (ग) अनुसार देवें नियमानुसार नियुक्त न होने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को शासन कब तक पद से हटाएगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) प्राथमिक जाँच के आधार पर प्रेषित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ’’अ’’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ’’ब’’ अनुसार है। (घ) उज्जैन विकास प्राधिकरण की जानकारी उत्तरांश ’’ख’’ एवं ’’ग’’ अनुसार निरंक है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
दैनिक वेतन भोगी का नियमितीकरण
115. ( क्र. 7876 ) श्री बाला बच्चन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 27/07/2010 के तारांकित प्रश्न संख्या 5 (क्र. 2280) पर चर्चा के दौरान माननीय मंत्रीजी ने राजधानी परियोजना प्रशासन के 20 वर्ष से अधिक समय तक कार्यरत हैं। दैनिक वेतन भोगी को नियमित करने के कथन पर अब तक की कार्यवाही की जानकारी देवें? (ख) अभी तक कितने दैनिक वेतन भोगियों का नियमितीकरण किया गया? उनके नाम, पदनाम सहित शैक्षणिक योग्यता भी बतायें। (ग) इसके लिए विभाग ने किस तरह पात्रता निर्धारित की क्या प्रक्रिया अपनाई जाकर, इन्हें नियमित किया गया? (घ) प्रश्नांश (क) अनुसार शेष बचे दैनिक वेतन भोगी (राजधानी परियोजना प्रशासन) कब तक नियमित कर दिये जाएंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) वस्तुस्थिति यह है कि दिनांक 27.07.2010 के तारांकित प्रश्न संख्या 5 (क्र.2280) पर चर्चा के दौरान माननीय मंत्री जी ने आश्वासन दिया गया था कि 1. छानबीन समिति द्वारा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वरिष्ठता एवं शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उपयुक्त पाये जाने पर रिक्त पदों पर नियमित किया जावेगा, 2. दो माह के भीतर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करेंगे। राजधानी परियोजना प्रशासन में अब तक 45 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को आदेश दिनांक 03.03.2011 द्वारा कार्यभारित स्थापना में नियमितीकरण किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 5-3/2006/1-3, दिनांक 16.05.2007 द्वारा निर्धारित मापदण्ड अनुसार प्रक्रिया अपनाकर नियमित किया गया। (घ) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
कर चोरी के प्रचलित प्रकरण
116. ( क्र. 7886 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के तारांकित प्रश्न संख्या 24 (क्रमांक 4029) दिनांक 3.3.2016 के संशोधित उत्तर में बताया गया कि फर्मों पर 357.08 लाख रूपये की वसूली बाकी है यह राशि कब तक वसूल कर ली जावेगी? (ख) छापे से लेकर प्रश्न दिनांक तक धार जिले में पदस्थ एवं छापे की कार्यवाही में शामिल सभी अधिकारियों के नाम, पदनाम, पदस्थापना, अवधि की जानकारी प्रश्न दिनांक तक की अवधि के विषय तक देवें? (ग) प्रश्न क्रमांक 4029 के (ग) के उत्तर में बताया गया कि बिना टिन नं. के कोई फर्म चिन्हित नहीं की गई? लेकिन संशोधित उत्तर के क्रमांक 5 एवं 12 में दर्शाई गयी फर्मों का टिन नं. नहीं है। इस तरह सदन में गलत उत्तर प्रस्तुत करने वाले अधिकारियों का नाम, पदनाम, सहित बतावें? इन पर कब तक कार्यवाही की जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्न क्रमांक 4029 के उत्तर में बताई गई बकाया राशि में से अब 348.23 लाख की बकाया वसूली शेष है। जिनमें से बकाया राशि रूपये 334.90 लाख, ऐसे प्रकरणों से संबंधित है, जिनमें माह जनवरी, 2016 में कर निर्धारण आदेश पारित किए जाकर अतिरिक्त मांग निकाली गई है। प्रकरणों में वैधानिक प्रावधान के अनुसार वसूली की कार्यवाही की जा रही है। (ख) धार जिला अंतर्गत, धार एवं पीथमपुर वृत्त में अवधि के दौरान पदस्थ प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी कार्यपालिक अधिकारियों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। छापे के अधिकार पत्र आयुक्त, वाणिज्यिक कर द्वारा जारी किए जाते हैं, अधिकार पत्र में अधिकृत अधिकारियों द्वारा छापे की कार्यवाही की जाती है। (ग) प्रश्न क्रमांक 4029 के संशोधित उत्तर में क्रमांक 5 पर दर्ज फर्म का टिन नं. 23181704593 तथा क्रमांक 12 पर दर्ज फर्म का टिन नं. 23831603695 है। सूची में उल्लेखित व्यवसायी के पास टिन नंबर है, इस प्रकार सदन में गलत जानकारी नहीं दी गई है। अत: किसी भी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की कोई स्थिति नहीं है।
घरेलू विद्युत कनेक्शनों पर मीटर लगाना
117. ( क्र. 7909 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर के अन्तर्गत आने वाले घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के विद्युत कनेक्शनों पर मीटर लगाने हेतु मीटर क्रय किये गये हैं? यदि हाँ, तो वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में माह फरवरी तक कितने सिंगल फेस/थ्री फेस विद्युत मीटर क्रय करने हेतु किन-किन कम्पनियों को क्रयादेश जारी किये गये हैं सूची देवें? क्रयादेश की राशि एवं माह फरवरी-2016 तक इनके विरूद्ध किये गये भुगतान की राशि फर्मवार बतावें? (ख) वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में माह फरवरी, 2016 तक क्रय किये गये सिंगल फेस/थ्री फेस विद्युत मीटरों में से कितने मीटर विद्युत उपभोक्ताओं के परिसरों में लगा दिये गये हैं? जिलेवार जानकारी देवें? माह फरवरी2016 की स्थिति में ऐसे कितने घरेलू उपभोक्ता है जिनके परिसरों में विद्युत मीटर लगाना शेष हैं एवं कब तक लगा दिये जायेगें? (ग) ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपभोक्ताओं के घरों में, जो विद्युत मीटर लगाये गये है, क्या उनकों मीटरों से रीडिंग लेकर बिल प्रदाय किये जा रहे है? यदि हाँ, तो शाजापुर जिले में विद्युत बिलों में उपयोग से अधिक राशि आने की शिकायतें क्यों प्राप्त हो रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, म.प्र. प.क्षे.वि.वि.कं.लि. इंदौर क्षेत्रान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में माह फरवरी-2016 तक सिंगल फेस के 3,00,000 एवं थ्री फेस के 15,000 विद्युत मीटर क्रय किए गए हैं। उक्त मीटर जिन कंपनियों से क्रय किए गए है उनकी क्रय आदेशवार, वर्षवार सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। उक्त क्रय किये गए विद्युत मीटरों हेतु जारी क्रयादेश की राशि तथा उसके विरूद्ध माह फरवरी 2016 तक किये गये भुगतान की फर्मवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) म.प्र. प.क्षे.वि.वि.कं.लि. इंदौर क्षेत्रान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में माह फरवरी-2016 तक सिंगल फेस एवं थ्री फेस के क्रय किए गए विद्युत मीटरों में से विद्युत उपभोक्तओं के परिसरों में लगाये गए मीटरों की जानकारी पृथक से देना संभव नहीं है, क्योंकि भण्डार गृहों में मीटरों की आपूर्ति सतत् रूप से होती रहती है एवं इनमें से मीटर मैदानी अधिकारियों द्वारा आहरित करके लगाये जाते हैं जो कि एक सतत् प्रक्रिया हैं। तथापि वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में माह फरवरी 2016 तक पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत सभी श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं के परिसरों में क्रमश: 3,23,209 एवं 2,12,925 विद्युत मीटर लगाए गए हैं, जिनकी जिलेवार संख्या संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। घरेलू विद्युत कनेक्शनों में 2,183 विद्युत मीटर लगाया जाना शेष है। उक्त शेष विद्युत मीटर जून 2016 तक लगा दिये जायेंगे। (ग) जी हाँ। ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपभोक्ताओं के घरों में जो विद्युत मीटर लगाये गये है उनकी मीटर रीडिंग के अनुसार ही विद्युत देयक जारी किये जा रहे है। तथापि मीटर बंद अथवा खराब होने की स्थिति में उपभोक्ता को विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के प्रावधानों के अनुसार उसकी विगत तीन माह की खपत के औसत के आधार पर नियमानुसार विद्युत देयक जारी किया जा रहा है। शाजापुर जिले में विद्युत बिलों में उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग की गई विद्युत खपत से अधिक राशि के विद्युत देयक जारी किये जाने संबंधी शिकायतें संबंधित वितरण केन्द्रों पर प्राप्त हुई है। कतिपय प्रकरणों में मानवीय त्रुटि के कारण गलत रीडिंग अंकित होने अथवा बिल की राशि से उपभोक्ता के संतुष्ट नहीं होने के कारण उक्त शिकायतें हुई हैं, जिनका नियमानुसार निराकरण किया गया है।
भूमि का उपयोग परिवर्तन
118. ( क्र. 7910 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भूमि के उपयोग में परिवर्तन के लिये ग्राम एवं नगर निवेश के नियम शाजापुर जिले में कहाँ-कहाँ लागू है? (ख) क्या शाजापुर के ग्राम पंचायत क्षेत्र अविन्तपुर बड़ोदिया, अरनियाकलॉ, खोकराकलॉ एवं खरदौनकलॉ में ग्राम एवं नगर निवेश के नियम लागू होते है? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित गांवों में नियम लागू नहीं होता है तो फिर भू-खण्डधारियों को अनापत्ति क्यों नहीं दी जाती है? उससे पूरी प्रक्रिया क्यों कराई जाती हैं।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के अंतर्गत गठित निवेश क्षेत्र पर उक्त अधिनियम तथा इसके अंतर्गत बनाये गये नियम प्रभावशील होते है। शाजापुर जिले में शाजापुर, शुजालपुर एवं अकोदिया के निवेश क्षेत्र गठित है जिनमें सम्मिलित ग्रामों की सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शाजापुर एवं शुजालपुर की विकास योजना प्रभावशील है। निवेश क्षेत्र के गठन तथा वर्तमान भूमि उपयोग के स्थिरीकरण उपरांत किसी भी भूमि के विकास के पूर्व नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय से अनुज्ञा प्राप्त करना अनिवार्य है। विकास योजना में निर्दिष्ट भूमि के उपयोग में परिवर्तन की प्रक्रिया केवल शाजापुर एवं शुजालपुर निवेश क्षेत्र में लागू होती है किंतु भूमि के व्यपवर्तन के प्रकरणों में राजस्व विभाग द्वारा अभिमत चाहे जाने पर म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 के मार्गदर्शन सिद्धांत मानकर नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा अभिमत दिया जाता है। (ख) जी नहीं। क्योंकि, ग्राम पंचायत अविन्तपुर, बड़ोदिया, अरनियाकलॉ, खोखराकलॉ एवं खरदौनकलॉ निवेश क्षेत्र में सम्मिलित नहीं है। (ग) विकास योजना में निर्दिष्ट भूमि के उपयोग में परिवर्तन की प्रक्रिया केवल शाजापुर एवं शुजालपुर निवेश क्षेत्र में लागू होती है किंतु भूमि के व्यपवर्तन के प्रकरणों में राजस्व विभाग द्वारा अभिमत चाहे जाने पर म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 के मार्गदर्शन सिद्धांत मानकर नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा अभिमत दिया जाता है।
अनुबंध के विरूद्ध त्रुटिपूर्ण भुगतान
119. ( क्र. 7912 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजधानी परियोजना के निर्माण क्र.-2 में अनुबंध 401/DL/13-14 में विभागीय लिपिकीय त्रुटि के कारण ब्रिज एवं रोड क्रं. एस.ओ.आर. 2009 की दर से संबंधित ठेकेदार/एजेंसी को भुगतान किया गया है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित लिपिकीय त्रुटि को विभाग द्वारा स्वीकार भी किया गया है, यदि हाँ, इस हेतु दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या इसी तरह के एक अन्य प्रकरण में संभाग क्र.1 में दिनांक 7.8.13 एवं 13.8.13 को सचिव, आवास एवं पर्यावरण की अध्यक्षता में समिति द्वारा लिए गए निर्णय उपरांत ब्रिज एवं रोड एस.ओ.आर 2013 से भुगतान किया गया है? (घ) यदि हाँ, तो क्या उसी प्रकार से प्रश्नांश (क) में वर्णित अनुबंध में भी एस.ओ.आर. 2013 से भुगतान संबंधित ठेकेदार/एजेंसी का किया जाएगा, यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। वस्तुस्थिति यह है कि उक्त भुगतान अनुबंध क्रमांक-401/डी. एल.2013-14 के अनुसार ही हुआ है। (ख) जी नहीं। वस्तुस्थिति यह है कि ठेकेदार ने इसे लिपिकीय त्रुटि बताया है जबकि विभाग ने इसे अंतिम रूपे से स्वीकार्य नहीं किया है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं, निर्माण संभाग क्रमांक-1 का यह प्रकरण कुछ भिन्न है एवं उससे अनुबंध अनुसार ही भुगतान किया है। (घ) प्रश्नांश (क) में वर्णित अनुबंध कुछ भिन्न है ठेकेदार से अनुबंध अनुसार वर्ष 2009 से लागू एस.ओ.आर. से भुगतान किया गया है, जिसे ठेकेदार द्वारा स्वीकार भी किया गया है। अब ठेकेदार द्वारा वर्ष 2013 से लागू एस.ओ.आर. पर भुगतान की मांग की गई है, जिस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है, समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
नरसिंहपुर जिलान्तर्गत अवैध उत्खनन
120. ( क्र. 7916 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिलान्तर्गत तहसील गोटेगाँव में गंगई एवं सिद्ध घाट से अवैध उत्खनन होने संबंधी पत्र प्रश्नकर्ता सदस्या द्वारा माननीय मुख्य मंत्री, प्रभारी मंत्री, आयुक्त, कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को प्रेषित किए गए थे, यदि हाँ, तो उक्त पत्रों पर आज दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई है? 1 जनवरी, 2014 से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी दें? (ख) क्या इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा भी कोई आदेश/निर्देश पारित किए गए हैं, यदि हाँ, तो क्या एवं क्या उन निर्देशों/आदेशों के अनुरूप कार्यवाही की गई है, यदि नहीं, तो क्यों नहीं, इस हेतु कौन दोषी है एवं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जाएगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) संलग्न परिशिष्ट अनुसार पत्र प्राप्त हुए हैं, तथा उन पर कार्यवाही की गई है। (ख) प्रश्नांश 'ख' में याचिकाकर्ता का नाम, याचिका क्रमांक, वर्ष व पारित आदेश दिनांक आदि का उल्लेख नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में शेष जानकारी उपलब्ध कराना संभव नहीं है।
पुल का निर्माण
121. ( क्र. 7922 ) श्री अशोक रोहाणी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या केंट विधान सभा क्षेत्र के रानी लक्ष्मी बाई वार्ड अंतर्गत बिलहरी पिंक सिटी नाले पर निर्मित पुल को तोड़ने के पूर्व क्या नगर निगम द्वारा इसे बड़े पुल के रूप में बनाने की कोई योजना थी? यदि हाँ, तो इस संबंध में नगर निगम जबलपुर द्वारा अभी तक क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या प्रश्नांकित पुल के टूट जाने से स्थानीय रहवासियों को आवागमन में बहुत ही असुविधा हो रही है? यदि हाँ, तो इस समस्या के निदान हेतु नगर निगम जबलपुर द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं? (ग) क्या उक्त पुल का निर्माण कराना नगर निगम की प्राथमिकता में है अथवा नहीं? यदि हाँ, तो इसे कब तक बनवाया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। अपितु नगर निगम द्वारा पुल निर्माण हेतु सर्वे कराकर प्राक्कलन तैयार कराया जा रहा है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। प्रश्नाधीन क्षेत्र के निवासियों को अन्य मार्ग उपलब्ध है एवं इस मार्ग को भी पैदल व दो पहिया वाहन हेतु निर्मित करा दिया गया है। आवागमन में कोई असुविधा नहीं है। (ग) पुल का निर्माण कार्य स्वीकृति उपरांत किया जावेगा। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
भाग-3
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
क्षतिग्रस्त
जलाशय की जाँच
1. ( क्र. 515 ) श्री मुकेश नायक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले के अंतर्गत भितरी मुटमुरू जलाशय कब क्षतिग्रस्त हुआ था? इसका निर्माण कब हुआ तथा क्षतिग्रस्त होने से मरम्मत में कितनी राशि कब-कब खर्च हुई? (ख) क्या जलाशय क्षतिग्रस्त होने में किसी अधिकारी को निलंबित किया गया था? यदि हाँ, तो किसे-किसे? आदेश की प्रति बतायें तथा किस-किस के विरूद्ध क्या-क्या अनुशासनिक कार्यवाही की गई थी? (ग) क्या बांध/जलाशय क्षतिग्रस्त होने की जाँच किसी अधिकारी से कराई गई थी? यदि हाँ, तो अधिकारी का नाम, पद जाँच रिपोर्ट की प्रति प्रस्तुत करने का दिनांक बताएं? जाँच रिपोर्ट पर आर्थिक हानि प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से तथा कितनी जनहानि हुई थी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
खनिज सम्पदा की रायल्टी विषयक
2. ( क्र. 665 ) श्री राजेश सोनकर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इन्दौर संभाग अंतर्गत विगत तीन वर्षों (2013-14, 15-15 एवं 15-16) में खनिज विभाग को खनिज सम्पदा की रायल्टी से कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कहाँ-कहाँ से खनिज सम्पदा की रायल्टी ली जाती है? क्या केन्द्र सरकार द्वारा नये माइंस एंड मिनरल डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन (एफ.एम.आर.डी.) एक्ट में संशोधन किया है? क्या राज्य में ट्रस्ट के गठन के माध्यम से संचालन के लिये कहाँ गया है व राज्य सरकार द्वारा नोटिफिकेशन कर ट्रस्ट का गठन किया गया है? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में इस ट्रस्ट में कौन-कौन से सदस्यों को लिया गया है व ट्रस्ट का कार्य क्या होगा? ट्रस्ट में जमा रायल्टी की राशि से जिले में क्या-क्या विकास कार्य कराये जायेंगे व कब तक विकास कार्यों हेतु जिले को राशि उपलब्ध कराई जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वांछित जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) स्वीकृत खदानों से खनिज की निकासी होने पर उसके अनुरूप रायल्टी देय होती है। जी हाँ। इस संशोधन में खनिज क्षेत्र के विकास हेतु राज्य शासन द्वारा जिला स्तर पर अधिसूचना के माध्यम से ट्रस्ट का गठन किया गया है। (ग) ट्रस्ट के संचालन हेतु नियम तैयार किये जाने की प्रक्रिया की जा रही है। इसके नियम अधिसूचित होने पर प्रश्नांश के शेष भाग का उत्तर दिया जाना संभव हो सकेगा।
छिन्दवाड़ा जिले में स्वीकृत रेत खदानें के पट्टे
3. ( क्र. 879 ) श्री जतन उईके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले में पदस्थ 3 वर्षों से 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक कितने रेत खदान के पट्टे स्वीकृत किये गये हैं? अलग-अलग विकासखण्डवार जानकारी बतायें? (ख) छिन्दवाड़ा जिले में वर्तमान में कितनी रेत खदानें संचालित है? कितनी खदानों के पट्टे की स्वीकृति दी गई है? स्थान का नाम, रकबा, खसरा, हल्का सहित जानकारी देवें? (ग) अवैध करोबारियों के विरूद्ध प्रश्नांश (क) अवधि तक क्या-क्या कार्यवाही की गई? कितना राजस्व वसूली की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में प्रश्नाधीन अवधि में रेत खदान के पट्टे स्वीकृत नहीं किये गये है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नाधीन जिले में 02 रेत खदाने नीलामी के माध्यम से स्वीकृत होकर संचालित है। इनका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) खनिज के अवैध परिवहन के विरूद्ध की गई कार्यवाही के प्रकरण एवं इससे वसूल किये गये राजस्व की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
अवैध शराब बिक्री
4. ( क्र. 880 ) श्री जतन उईके : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले की पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितनी देशी और कितनी विदेशी शराब की दुकानें हैं? स्वीकृत दुकानें कहाँ-कहाँ और किस दिन और रात में कब तक कितने समय से कितने समय तक संचालित होती हैं? (ख) क्या स्वीकृति स्थान के अलावा भी अलग दुकानें संचालित होती हैं? अगर हाँ तो कहाँ-कहाँ? (ग) अवैध करोबार करने वालों के विरूद्ध अभी तक क्या कार्यवाही हुई है एवं कच्ची शराब बेचने वालों के खिलाफ अभी तक की गई कार्यवाही सहित जानकारी देवें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) छिंदवाड़ा जिले में पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत 10 देशी एवं 02 विदेशी शराब की दुकानें हैं। स्वीकृत दुकानों का विवरण विधान सभा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। उक्त दुकानें नियमानुसार स्वीकृति स्थलों (अनुज्ञप्त परिसरों) में वर्षभर (शुष्क दिवसों के अतिरिक्त) प्रात: 9.30 बजे से रात्रि 11.00 बजे तक संचालित होती है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ग) अवैध कारोबार करने वाले एवं कच्ची शराब बेचने वालों के खिलाफ वर्ष 2015-16 में मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम के तहत कार्यवाही कर 733 अपराधिक प्रकरण दर्ज किये गये हैं, जिसकी जानकारी विधान सभा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है।
कलेक्टर पन्ना को प्रेषित पत्रों पर कार्यवाही
5. ( क्र. 1877 ) श्री मुकेश नायक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कलेक्टर पन्ना को प्रश्नकर्ता द्वारा दिसंबर 2013 से प्रश्न दिनांक तक कितने पत्र प्रेषित किये गये? (ख) प्रेषित पत्रों पर की गई कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) यदि पत्रों पर कार्यवाही नहीं हुई तो इस हेतु कौन-कौन अधिकारी दोषी है? क्या इनके विरूद्ध शासन कठोर कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब-तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्नकर्ता द्वारा कलेक्टर पन्ना को दिसम्बर 2013 से प्रश्न दिनांक तक कुल 183 पत्र प्रेषित किये गये। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार प्रेषित पत्रों पर संबंधित विभागों को कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया है। (ग) उत्तरांश (ख) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जल संसाधन विभाग में मुकदमेंबाजी
6. ( क्र. 1878 ) श्री मुकेश नायक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले में विगत 5 वर्षों में जल संसाधन विभाग से संबंधित कितने प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय तथा उसकी खण्डपीठों में वर्तमान में चल रहे हैं। (ख) वर्ष 2012 से प्रश्न दिनांक तक ऐसे कितने प्रकरण हैं जिनमें सर्वोच्च न्यायालय और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय तथा उसकी खण्डपीठों ने फैसले दिये हैं जिनसे शासन पर करोड़ों रूपयों की देनदारी का बोझ पड़ा है, इस बारे में पूर्ण जानकारी, देनदारी की धनराशि के विवरण सहित दीजिए।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
अपर कलेक्टर का दौरा प्रतिवेदन
7. ( क्र. 2010 ) श्री संजय उइके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अपर कलेक्टर छिंदवाड़ा द्वारा जिले का भ्रमण/दौरा किया जाता है? (ख) यदि हाँ, तो 01 अगस्त 2015 से 30 दिसम्बर 2015 तक कहाँ-कहाँ, कब-कब तक जिले में भ्रमण/दौरा किया गया? (ग) अपर कलेक्टर द्वारा भ्रमण/दौरा के बाद दौरा प्रतिवेदन का विवरण उपलब्ध करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। अपर कलेक्टर छिंदवाड़ा द्वारा जिले का भ्रमण किया जाता है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट है। (ग) अपर कलेक्टर छिंदवाड़ा द्वारा किये गये भ्रमण/दौरा प्रतिवेदन प्रश्नांश 'ख' के संलग्न परिशिष्ट में उल्लेखित अनुसार।
नहर समितियों द्वारा व्यय राशि एवं कार्य
8. ( क्र. 2655 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन जिले में कार्यरत नहर समितियों की नाम, पतावार सूची देवें? इनके अध्यक्षों के नाम व पता सहित समिति के कार्य प्रारंभ दिनांक सहित सूची देवें? (ख) खरगोन जिले की वर्तमान निर्वाचित कृषक संस्थाओं को जारी की राशि की सूची समितिवार देवें? इन समितियों के सदस्यों को कितना मानदेय दिया जाता है? यह मानदेय शासन द्वारा कब निर्धारित किया गया थ? इसकी प्रति देवें? इस राशि को पुन: निर्धारण की कोई योजना है, तो बतायें? (ग) खरगोन जिले की नहर समितियों द्वारा व्यय राशि की जानकारी मदवार देवें? (घ) खरगोन जिले में कितनी नहरें पूर्ण हैं तथा कितनी नहरें अपूर्ण हैं? कितनी क्षतिग्रस्त हैं? अपूर्ण, प्रगतिरत, क्षतिग्रस्त नहरों की सूची नाम, स्थान सहित देवें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। जल उपभोक्ता संस्था के सदस्यों को मानदेय नहीं दिया जाता है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। परियोजना की नहरों में रूपांकित क्षमता से जल प्रवाह करने के लिए मरम्मत एवं सुधारण की व्यवस्था की गई, होने से नहरें क्षतिग्रस्त नहीं है।
गोण-खनिज मुद्रांकन शुल्क
9. ( क्र. 2713 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा खनिज विभाग को संबंधित पंचायत क्षेत्र में लीज पर दी गई खदानों से होने वाली आय का मुद्रांक शुल्क देने का क्या प्रावधान हैं? (ख) यदि हाँ, तो सकल आय में से पंचायत को उसके अपने क्षेत्र में विकास हेतु प्रतिवर्ष कितने प्रतिशत दी जाती है? (ग) यदि प्रावधान अनुसार राशि दी जाती है, तो विधान सभा क्षेत्र धरमपुरी में आने वाली संबंधित पंचायतों को विगत पाँच वर्षों में कितनी-कितनी राशि किस-किस पंचायत को दी गई, वर्षवार राशि का विवरण दिया जावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में प्रश्नानुसार मुद्रांक शुल्क दिये जाने का प्रावधान नहीं है। (ख) एवं (ग) प्रश्नांश 'क' में दिये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अपराध अन्वेषण ब्यूरों की जाँच
10. ( क्र. 2879 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों की इंदौर इकाई में वर्तमान में कितने लोक सेवकों के विरूद्ध लंबित है? (ख) वर्ष 2013 से 2014 तक विभाग में खरगोन जिले से संबंधित कितनी प्राथमिक जाँच दर्ज की/कराई गई है? (ग) विभाग में खरगोन जिले से वर्ष 2013-2015 में कितनी शिकायतें प्राप्त हुई, कितनी शिकायतों की जाँच प्रारम्भ की गई, कितने प्रकरण किन कारणों से जाँच योग्य नहीं पाये गये। (घ) आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों में शिकायत करने तथा प्राप्त शिकायत पर कार्यवाही करने संबंधी नीति/निर्देश की एक प्रति देवे। सर्वाधिक समयावधि वाली जाँच एवं अधिक समय लगने के कारण आरोप को मिलने वाले लाभ को रोकने हेतु क्या नीति है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की इंदौर इकाई में वर्तमान में :- अ- 67 लोक सेवकों के विरूद्ध 32 आपराधिक प्रकरण, ब- 27 लोक सेवकों के विरूद्ध 06 प्रारंभिक जाँच, स- 119 लोक सेवकों के विरूद्ध 74 शिकायत जाँच लंबित है। (ख) जानकारी निरंक है। (ग) वर्ष 2013 में 31, 2014 में 19 एवं 2015 में 20 शिकायतें। इनमें से 04 शिकायतें प्रकोष्ठ में पंजीबद्ध कर सत्यापनाधीन है। शेष 66 शिकायतें संबंधित विभागों को वैधानिक/आगामी कार्यवाही हेतु भेजी गई है। (घ) आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायतों का निराकरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय के संवैधानिक खण्डपीठ द्वारा रिट पिटीशन (क्रिमिनल) क्रमांक 68/2008 ललिता कुमारी विरूद्ध उत्तर प्रदेश शासन एवं अन्य में पारित दिशा निर्देशों के अनुरूप किया जाता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
इन्दौर में डाली नर्मदा पाईप लाईन बंद
11. ( क्र. 2909 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर पालिक निगम इन्दौर द्वारा शहरी क्षेत्र में विगत 5 वर्षों में नर्मदा प्रोजेक्ट के तहत पीने के पानी की नवीन नर्मदा पाईप लाईन डाली गई हैं? यदि हाँ, तो इन पाईप लाईनों हेतु कितनी राशि का व्यय हुआ है? (ख) क्या अधिकांश क्षेत्रों में लाखों रूपयों की पाईप लाईन डाल दी गई है, किन्तु आज दिनांक तक उन्हें चालू नहीं किया गया है? यदि हाँ, तो ऐसे स्थानों की सूची उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार इन नवीन पाईप लाईनों को चालू नहीं करने का क्या कारण है, स्पष्ट करें व कब तक इन्हें चालू किया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। गत 05 वर्षों में प्रोजेक्ट उदय में विभिन्न पैकेज के अंतर्गत फीडरमेन पैकेज क्रं. IND/WS/24 एवं डिस्ट्रीब्यूशन पैकेज क्रं. IND/WS/18A, 18B & 19 A अंतर्गत पीने के पानी की नवीन पाईप लाईन डाली गयी। इस पर कुल व्यय राशि रू. 107.43 करोड़ हुआ है। (ख) यह सही नहीं कि अधिकांश क्षेत्रों में बिछाई गई पाईप लाईन को चालू नहीं किया गया है। अपितु विभिन्न ऐसे क्षेत्र जहाँ पर नर्मदा का जलप्रदाय न होकर नलकूप आधारित व्यवस्था थी वहाँ पर भी नर्मदा जलप्रदाय प्रारंभ किया गया है तथा निगम में जलसंयोजनों की संख्या में वृद्धि भी हुई है। सूची की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) वर्तमान में विभिनन टंकियां अंतर्गत कुछ क्षेत्रों में जल आपूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति है। नर्मदा तृतीय चरण योजना महेश्वर हायड्ल डेम पर आधारित है। अपरिहार्य कारणों से उक्त डेम में जलभराव नहीं हो सकने से नर्मदा तृतीय चरण योजना अपनी पूर्ण क्षमता 360 एम.एल.डी. पर कार्य नहीं कर पा रही है। निगम द्वारा इन्दौर शहर के नागरिकों को पीने के पानी की सुचारू व्यवस्था हेतु वैकल्पिक उपाय कर वर्ष 2010 में 90 एम.एल.डी. तथा पुन: वर्ष 2013 में अतिरिक्त 90 एम.एल.डी. इस प्रकार 180 एम.एल.डी. जलापूर्ति नर्मदा तृतीय चरण से की जा रही है। नर्मदा तृतीय चरण परियोजना में पूर्ण क्षमता पर कार्य आरंभ करने के उपरांत जलप्रदाय व्यवस्था में और सुधार परिलक्षित होगा।
मस्टर उपयंत्री/कर्मचारियों को स्थाई करना
12. ( क्र. 2928 ) श्री राजेश सोनकर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिक निगम इन्दौर में कितने वर्षों से मस्टर पर उपयंत्रियों के पद अनुरूप मस्टर उपयंत्री का कार्य लिया जा रहा है? नगर पालिक निगम इन्दौर में कितने पद उपयंत्रियों के लिए रिक्त हैं व कितने पद तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के रिक्त हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या मस्टर पर कार्यरत उपयंत्रियों को नियमित किये जाने हेतु शासन द्वारा कोई कार्यवाही की गई है? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में मेयर इन कौंसिल द्वारा मस्टर उपयंत्रियों को नियमितीकरण हेतु शासन से स्वीकृति चाही गई थी? यदि हाँ, तो शासन द्वारा क्या निर्देश नगर पालिक निगम इन्दौर को प्रदान किये? (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या शासन व नगर पालिक निगम इन्दौर में कर्मचारियों/उपयंत्रियों एवं अन्य स्टॉफ की कमी होना बताया है? यदि हाँ, तो रिक्त पदों पर नगर पालिक निगम इन्दौर द्वारा मस्टर पर कार्यरत कर्मचारियों को प्राथमिकता से स्थाई नियुक्ति एवं क्रमोन्नति/पदोन्नति देकर रिक्त पदों की पूर्ति की जायेगी? समय-सीमा बतायें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर पालिक निगम, इंदौर में दैनिक वेतन पर रखे गये मस्टर श्रमिक जिनसे उपयंत्री का कार्य लिया जा रहा है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। नवीन आदर्श कार्मिक संरचना के अनुसार तृतीय श्रेणी के 892 एवं चतुर्थ श्रेणी के 967 पद रिक्त है। (ख) एवं (ग) नगर निगम, इंदौर से प्राप्त प्रस्ताव परीक्षणाधीन है। (घ) मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम (अधिकारियों तथा सेवकों की नियुक्ति तथा सेवा की शर्तें) नियम, 2000 एवं संशोधित भर्ती नियम दिनांक 15-07-15 के अनुसार रिक्त पदों की पूर्ति किये जाने का प्रावधान है।
विदिशा जिले में पत्थर खदानें
13. ( क्र. 3639 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कुरवाई विधान सभा क्षेत्र में वर्तमान में कितनी फर्शी पत्थर की खदानों को स्वीकृति दी गई है तथा कितनी खदानों में पत्थर उत्खनन हो रहा है? कितनी खदानों की किस-किस व्यक्ति या समिति को लीज पर स्वीकृति दी गई है? (ख) तहसील पठारी के ग्राम बड़ोह और आस-पास कई खदानें चल रही हैं जो संग्रहीत पुरातत्व महत्व की या पुरातत्व घोषित जगह, स्कूल, गांव या सड़क के 750 मीटर की दूरी के अन्दर है? इनमें कितनी खदानें चैक की गई? उनमें कितनी गलत पाई गई और उन पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) पठारी तहसील के ग्राम बड़ोह के अन्दर धार्मिक स्थल और स्कूल के पास लोग विस्फोटक पदार्थों सहित अवैध खदानें संचालित की जा रही हैं? क्या उन्हें बंद कराने हेतु कोई ठोस कार्यवाही करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या ग्राम बड़ोह में संग्रहीत पुरातत्व महत्व के स्थान मंदिर स्कूल के पास खदान चलाने की अनुमति दी गई है? उनका निरीक्षण किया गया या नहीं? ऐसी खदानें जो शासन और जनता के लिए असुविधाजनक हैं? क्या शासन उन्हें बंद करा सकेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) कुरवाई विधान सभा क्षेत्र में वर्तमान में 52 फर्शी की खदानों को उत्खननपट्टे पर स्वीकृत किया गया है, जिनमें उत्खनन का कार्य किया जा रहा है। फर्शी पत्थर की स्वीकृत लीजों के संबंध में शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर है। (ख) विदिशा जिले के तहसील पठारी के ग्राम बडोह अंतर्गत कुल 12 खदानें पुरातत्व महत्व की संरक्षित स्मारक से 750 मीटर दूरी के अंदर स्थित होने संबंधी प्रतिवेदन अधीक्षण पुरातत्वविद भारत सरकार पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा दिया गया। इसकी जाँच तहसीलदार पठारी से करायी गई है, जिसके प्रतिवेदन दिनांक 01.03.2016 के अनुसार यह 12 खदानें पुरातत्व महत्व के संरक्षित स्मारक से 750 मीटर की दूरी के भीतर पाई गई हैं। इन खदानों की समय पूर्व समाप्ति हेतु कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया जा रहा है। (ग) पठारी तहसील के ग्राम बड़ोह के अंदर धार्मिक स्थल और स्कूल के पास विस्फोटक पदार्थों सहित अवैध खदानें संचालित करने का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। अपितु स्वीकृत खदानों से अवैध परिवहन के प्रकरण प्रकाश में आए जिस पर कार्यवाही करते हुए वर्ष 2016-17 में 05 अवैध परिवहन के प्रकरण पंजीबद्ध किए गए। (घ) प्रश्नांश 'ख' में दिये उत्तर अनुसार कार्यवाही की जा रही है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
क्रेशर मशीनों से खनिज निकालने संबंधी
14. ( क्र. 3641 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले में कितनी क्रेशर मशीनें (गिट्टी तोड़ने की) संचालित हैं? इनका मालिक या प्रोपराईटर अथवा समितियां कौन-कौन सी हैं? किसके द्वारा कहाँ-कहाँ किस रकबा नम्बर कितना क्षेत्रफल और कौन सा पटवारी हल्का व तहसील आदि में है? पूरी सूची देवें? (ख) जो क्रेशर मशीनें संचालित हैं क्या उनके मालिकों ने शासकीय विभागों जैसे प्रदूषण पर्यावरण वन बिजली पंचायत विभाग आदि से अनापत्ति प्रमाण पत्र ले लिये हैं तो उनकी सूची देवें और जिन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र के बाद भी क्रेशर मशीनें लगा और चला रखी हैं उन पर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई या आगे की जावेगी? नाम सहित अलग-अलग जानकारी देवें? (ग) खनिज विभाग द्वारा सभी क्रेशर मशीनों का निरीक्षण मौके पर किया गया है? यदि हाँ, तो उनमें कितनी मशीनें नियमानुसार व सही जगह पर पाई गई और कितनी मशीनें अपने निर्धारित जगह से हटकर और अवैध रूप से दूसरी जगह नदी या तालाब किनारे शासकीय जमीन पर पाई गई? उन पर क्या सख्ती के साथ ठोस कार्यवाही की जावेगी? अवैध मशीनों से शासन को राजस्व व रायल्टी का क्या प्रावधान है? (घ) इन क्रेशर मशीनों को जो अनुमति दी जाती है उसमें कितना पत्थर निकालने का प्रावधान रहता है? यदि किसी संचालक ने सीमा से अधिक पत्थर निकाला है तो वह कैसे देखा जायेगा और उस पर क्या कार्यवाही हो सकती है? ऐसे कितने लोगों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? कितना राजस्व मिला?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में 31 क्रेशर मशीनें संचालित हैं। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित क्रेशर मशीनें स्वीकृत उत्खनिपट्टा के आधार पर संचालित हैं। यह खदानें प्रदूषण, पर्यावरण, पंचायत से अनापत्ति प्राप्त होने के उपरांत स्वीकृत की गई हैं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। जिले में क्रेशर मशीनें स्वीकृत उत्खनिपट्टा क्षेत्र पर ही स्थापित होकर संचालित हैं। कोई भी क्रेशर अवैध रूप से संचालित नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में क्रेशर मशीनों को स्वीकृति दिये जाने का प्रावधान नहीं है। क्रेशर द्वारा गिट्टी निर्माण हेतु स्वीकृत पत्थर खनिज के उत्खनिपट्टा में खनन योजना में दर्शित मात्रा अनुसार खनन का प्रावधान होता है। स्वीकृत उत्खनिपट्टा का कर निर्धारण के समय में निकाली गई मात्रा का आंकलन किया जाता है। खनन योजना में दर्शित मात्रा से अधिक उत्खनन करनें पर नियमों का उल्लंघन मानकर पट्टेदार के विरूद्ध कार्यवाही की जा सकती है। प्रश्नाधीन जिले में किसी भी पट्टेदार द्वारा सीमा से ज्यादा खनन नहीं किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बांध निर्माण
15. ( क्र. 4318 ) श्री रजनीश सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र केवलारी के अंतर्गत क्या ग्राम गुबरिया, केवलारी खेड़ा के मध्य पटपरा नाला में लागत 150 करोड़ की लागत से सिंचाई हेतु बांध का निर्माण होना प्रस्तावित है? (ख) उक्त बांध से किन-किन ग्रामों को लाभ होगा एवं सिंचाई हेतु कितने हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी? (ग) प्रश्नांश (क) से निर्मित बांध कब से निर्माण कार्य शुरू किया जाकर पूर्ण कर लिया जावेगा, समय अवधि बतावें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जी हाँ, छीन्दा टेल जलाशय परियोजना (प्रस्तावित रबी सिंचाई 390 हेक्टर) की साध्यता का आदेश दि. 07.01.2016 को जारी किया गया है। परियोजना की डी.पी.आर. की स्थिति नहीं आने से सैच्य क्षेत्र का रूपांकन नहीं किया गया है। स्वीकृति की स्थिति नहीं आने से निर्माण प्रारंभ करने के लिए तिथी नियत करना संभव नहीं है।
कंपनियों द्वारा टेंडर की शर्तों
16. ( क्र. 4492 ) श्री राजेन्द्र श्यामलाल दादू : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 05 वर्ष में ऊर्जा विकास निगम ने किस-किस कार्य की कब-कब निविदाएं जारी की एवं उक्त निविदा किस कंपनी को स्वीकृत की गई? (ख) उस कंपनी का मध्यप्रदेश में किस स्थान पर उत्पादन यूनिट किस जगह पर स्थापित है, मध्यप्रदेश में कंपनी का किस-किस जगह पर ऑफिस या सर्विसिंग सेंटर स्थापित है? क्या उनकी सी.एम.सी. नियमित चल रही है? (ग) क्या उक्त कंपनी नियमित उत्पादन कार्य कर रहे हैं? क्या उन्हें हर वर्ष में चार बार सर्विस दी जा रही है, जो टेंडर के नियम अनुसार होना चाहिए?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) से (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
जानकारी प्रदाय
17. ( क्र. 4511 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मऊगंज विधान सभा क्षेत्र-71 में लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण भूमि सिंचित किए जाने हेतु उपयुक्त स्थान का सर्वे कराया जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में क्या प्रश्न दिनांक से पूर्व कोई सर्वे किया गया है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ नाम बतावें तथा कितनी भूमि कहाँ-कहाँ सिंचित की जावेगी नाम बतावें? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में सर्वे कब तक कराया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों कारण स्पष्ट करें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ग) मऊगंज विधान सभा क्षेत्र में मध्यम परियोजना की संभावना नहीं है। लघु सिंचाई परियोजना चिन्हित नहीं होने से सर्वेक्षण कराए जाने की स्थिति नहीं है। (ख) प्रश्नाधीन क्षेत्र में कोई सर्वेक्षित परियोजना नहीं है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
नगर पंचायत पृथ्वीपुर में वर्ष 2012 से किये गये कार्य
18. ( क्र. 4588 ) श्रीमती अनीता नायक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पंचायत पृथ्वीपुर में वित्तीय वर्ष 01.04.2012 से प्रश्न दिनांक तक 02 लाख रूपये से ज्यादा राशि के क्या-क्या कार्य, किस-किस स्थान पर किये गये? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित नगर पंचायत में उक्त समयानुसार मेंटेनेंस पर किस-किस स्थान पर किस-किस प्रकार के कार्यों पर कितनी राशि व्यय की गई? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में उल्लेखित कार्यों में से किस-किस को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किस-किस रूप में किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है।
लाईट एवं साउण्ड सिस्टम
19. ( क्र. 4659 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पर्यटन को बढ़ावा देने के अनुक्रम में विभाग की कार्ययोजना में माण्डव पर्यटन स्थल पर पर्यटकों व सेलानियों को प्रोत्साहित करने एवं उन्हें पुरातन सभ्यता से अवगत कराने के लिये नगर के जहाजमहल एवं छप्पन महल आदि स्थलों पर लाईट एवं साउण्ड सिस्टम स्थापित किये जाने की योजना प्रस्तावित है? (ख) यदि हाँ, तो उक्त योजना कब से प्रस्तावित है तथा अब तक उक्त योजना के तहत क्या कार्यवाही की गई है? किस कारण से अब तक लाईट एवं साउण्ड सिस्टम स्थापित नहीं किये जा सके है, कारण बतावें? (ग) यदि योजना प्रस्तावित नहीं है तो क्या शासन इस ओर ध्यान देकर माण्डव के प्रस्तावित पुरातन महलों पर लाईट एवं साउण्ड सिस्टम स्थापित करेगा? यदि हाँ, तो समयावधि बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। वर्तमान में कोई योजना प्रस्तावित नहीं है। (ग) जी नहीं।
विद्युत यांत्रिकी संभाग क्रमांक-2 द्वारा सामग्री का क्रय
20. ( क्र. 4710 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वि./याँ. सम्भाग क्र.2 बरगी नगर द्वारा वर्ष 2014-15 से अब तक क्या-क्या सामग्री किन-किन फर्मों/विक्रेताओं से किस दर पर किन-किन कार्यों हेतु कितनी-कितनी राशि की, निविदा द्वारा, सप्लाई आर्डर, पीस वर्क के माध्यम से क्रय की गयी? उक्त क्रय सामग्री का उपयोग कहाँ-कहाँ किया गया? (ख) वि./याँ. सम्भाग क्रं.2 बरगी नगर के अंतर्गत आने वाली कालोनी/ऑफिस कॉम्प्लेक्स की वाटर सप्लाई पर सेक्शनवार, कार्यवार, मदवार विगत दो वर्षों में कितना-कितना व्यय किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’ अनुसार है।
अनुकंपा नियुक्ति
21. ( क्र. 4737 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अनुकंपा नियुक्ति नियमों में वर्ष 2013 में संशोधन किया गया है? संशोधन करने के क्या कारण थे? (ख) क्या संशोधन के उपरांत प्रभावितों को अनुकंपा नियुक्ति हेतु अधिक कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा? क्या विभाग पूर्व नियमों को लागू कर नियुक्तियां करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। अपितु, कंपनियों में लागू अनुकंपा नियुक्ति नीति में, वर्ष 2014 में, राज्य शासन के अनुमोदन के पत्र क्रमांक एफ-3-29/ 2013/तेरह, दिनांक 1.11.2014 के अनुसरण में, संशोधन किया गया था। कंपनियों में लागू अनुकंपा नियुक्ति नीति-2013 में, दिनांक 15.11.2000 के पश्चात् के पूर्ववर्ती म.प्र. राज्य विद्युत मंडल/कंपनी में कार्य करते समय दुर्घटना मृत्यु के प्रकरणों को भी सम्मिलित किया गया है। (ख) जी नहीं। वर्ष 2014 में संशोधित नीति सरल, पारदर्शी एवं परिपूर्ण है, जिसके जारी होने पर पुराने नियम अधिक्रमित हो चुके हैं, अत: पूर्व नियमों के पुन: लागू करने का प्रश्न नहीं उठता।
बीना स्थित भैसवाही स्टापडेम का निर्माण
22. ( क्र. 4745 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले के बीना जनपद क्षेत्र अंतर्गत भैसवाही स्टापडेम कब से निर्माणाधीन है? इसके निर्माण के पूर्ण होने की समय-सीमा क्या है? निर्माण में हो रहे विलंब के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है एवं उन पर क्या कार्यवाही हुई? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) में निर्माण कार्य कब तक पूर्ण हो जावेगा? समय-सीमा बताएं।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) भैसवाही स्टाप डेम का निर्माण अक्टूबर 2008 में मनरेगा योजना के तहत प्रारम्भ किया गया। मनरेगा योजना के तहत स्वीकृत कार्यों का पर्यवेक्षण तथा उन्हें पूर्ण करने की समय-सीमा विभाग द्वारा नियत नहीं की जाती है। (ख) मनरेगा योजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग द्वारा पूर्ण किया जा सकता है। जिसके लिए जल संसाधन विभाग समय-सीमा नियत नहीं कर सकता है।
जिला योजना अधिकारी के रिक्त पदों की पूर्ति
23. ( क्र. 4772 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर जिले में संचालित जिला योजना आर्थिक और सांख्यिकी कार्यालय में जिला योजना अधिकारी का पद कब से व किन कारणों से रिक्त पड़ा है? इसे कब तक भरा जावेगा? (ख) क्या उक्त पद का अतिरिक्त प्रभार वर्तमान में डिप्टी कलेक्टर, कार्यालय कलेक्टर श्योपुर के पास है? इनकी अपने मूल कार्यालय से संबंधित कार्यों में अत्यधिक व्यस्तता के कारण ये पूर्णकालिक समय प्रश्नांश (क) में वर्णित कार्यालय में नहीं दे पाते है? नतीजन जिला योजना आर्थिक और सांख्यिकी कार्यालय में महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं? (ग) यदि हाँ, तो क्या शासन जिला योजना आर्थिक और सांख्यिकी श्योपुर के कार्यालय का कार्य सुचारू रूप से संपन्न होता रहे, उसे दृष्टिगत रखते हुए जिला योजना अधिकारी के रिक्त पद को शीघ्र भरेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जिला श्योपुर में जिला सांख्यिकी अधिकारी (प्रभारी जिला योजना अधिकारी) के दिनांक 30.04.2013 को सेवानिवृत्त हो जाने की दिनांक से पद रिक्त है। विभागीय अधिकारियों की कमी के कारण पद रिक्त है। द्वितीय श्रेणी अधिकारियों की पदोन्नति से प्राप्त होने वाले पदों से पद पूर्ती की जा सकेगी। (ख) वर्तमान में जिला योजना अधिकारी का प्रभार डिप्टी कलेक्टर के पास होने से इस कार्यालय में महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित होने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ग) द्वितीय श्रेणी अधिकारियों की पदोन्नति से प्राप्त होने वाले पदों में से किसी अधिकारी को जिला सांख्यिकी अधिकारी के पद पर पदस्थ कर जिला योजना अधिकारी का प्रभार जिला सांख्यिकी अधिकारी को दिया जा सकेगा।
खनिज खादानों की एन.ओ.सी.
24. ( क्र. 4991 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में शासन द्वारा नीलाम की गई खनिज खदानों के वर्ष 2013 से जनवरी 2015 तक कितने एवं कौन-कौन से एन.ओ.सी. आवेदन पर्यावरण विभाग को प्राप्त हुए? नामवार ब्यौरा दें? (ख) उपरोक्त अवधि में प्राप्त आवेदनों में से कितने आवेदनों की एन.ओ.सी. जारी की गई? कितने अब तक लंबित है एवं किस कारण? (ग) एन.ओ.सी. जारी करने हेतु विभाग के मापदण्डों, नियमों का क्या प्रावधान एवं प्रक्रिया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वस्तुस्थिति यह है कि पर्यावरण विभाग अंतर्गत मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम,1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम,1981 के प्रावधानों के अंतर्गत सम्मति हेतु आवेदन प्राप्त किये जाते है, एन.ओ.सी. हेतु प्रावधान नहीं है। प्रश्नाधीन अवधि में प्राप्त आवेदन पत्रों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में नर्मदा एक्सजीएन साफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाईन आवेदन मय आवश्यक दस्तावेजों के निर्धारित शुल्क सहित प्रस्तुत करने पर ऑनलाईन सशर्त सम्मति जारी की जाती है। विवरण बोर्ड की वेवसाईट www.mppcb.nic.in पर उपलब्ध है।
इंदिरा गांधी कॉम्प्लेक्स की निलामी
25. ( क्र. 5105 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले की नगर पालिका परिषद वारासिवनी द्वारा दोनों ओर से इंदिरा गांधी कॉम्पलेक्स की निविदा कब निकाली गई थी? किस समाचार पत्र में इसका प्रकाशन किया गया था? (ख) नीलामी के समय किस-किस व्यक्ति को कॉम्पलेक्स आवंटित किया गया? क्या उक्त कॉम्पलेक्स का इंजीनियरों द्वारा भौतिक सत्यापन कराया गया था? क्या उक्त कॉम्पलेक्स की छत की नीलामी भी नगर पालिका वारासिवनी द्वारा कर दी गई है? जिसके लिए क्या नगर पालिका परिषद वारासिवनी ने राज्य शासन से आदेश प्राप्त किया था? आदेश की छायाप्रति देवें? (ग) क्या टाउन एण्ड कन्ट्री से कोई परमिशन नगरपालिका परिषद वारासिवनी द्वारा ली गई थी? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) इंदिरा गॉधी शॉपिंग कॉम्पलेक्स की निविदा दिनांक 14 अगस्त 1989, 20 जुलाई 1990, 07 सितम्बर 1990 एवं 29 नवम्बर 1990 को निकाली गई थी। निविदा सूचना का प्रकाशन समाचार पत्र में नहीं किया गया था। (ख) कॉम्पलेक्स के दुकानों की आवंटन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। लगभग 27 वर्ष पूर्ण निर्माण होने से निर्माण कार्य की नस्ती उपलब्ध नहीं होता है। (ग) जी नहीं, नगरीय क्षेत्र वारासिवनी में मास्टर प्लान लागू न होने से टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग से अनुमति प्राप्त नहीं की गई।
इन्दौर स्थित लालबाग परिसर में प्रस्तावित व्यवस्था
26. ( क्र. 5323 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पर्यटन विकास निगम द्वारा इन्दौर स्थित लालबाग परिसर में सुलभ शौचालय, पेयजल, पाथवे, बाउण्ड्रीवाल, पार्किंग, बोरिंग कर पेयजल व्यवस्था किया जाना प्रस्तावित था? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्न पूछे जाने तक इन कार्यों की प्रगति स्पष्ट करें? यदि कार्य प्रारंभ नहीं हुए हैं तो कारण बतावें व कब तक प्रस्ताव अनुसार कार्य प्रारंभ किये जावेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) कार्य पूर्ण। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की मानदेय वृद्धि
27. ( क्र. 5400 ) डॉ. मोहन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के मानदेय के संबंध में विभाग द्वारा क्या प्रस्ताव तैयार कर कार्यवाही की गई है? प्रस्ताव एवं की गई कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार मानदेय में वृद्धि के प्रस्ताव पर कब तक अमल किया जावेगा एवं प्रस्तावित नई दरें कब से लागू की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) प्रस्ताव विचाराधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
नि:शक्त शासकीय सेवकों को पदोन्नति में आरक्षण
28. ( क्र. 5550 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नि:शक्त शासकीय सेवकों को पदोन्नति में आरक्षण देने के आदेश दिये है? (ख) यदि हाँ, तो म.प्र. शासन द्वारा मा.सर्वोच्च न्यायालय के प्रश्नांश (क) अनुसार आदेशों का पालन नहीं किये जाने का क्या कारण है? (ग) सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश का पालन कब से किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रकियाधीन है। (ग) समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
विद्युत विभाग की जानकारी
29. ( क्र. 5746 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पन्ना जिले के गांवों के कुछ उपभोक्ताओं के घरों में विद्युत विभाग द्वारा मीटर नहीं लगाये गये है? जिससे उपभोक्ता को बिना किसी ऑकलन के मनमाना बिल दिया जाता है? (ख) क्या कुछ उपभोक्ताओं के घरों में मीटर लगे होने के बाद भी विद्युत विभाग द्वारा आंकलित खपत लेख कर मनमाने तरीके से बिजली बिल दिये जाते है? मीटर लगे होने पर मीटर रीडिंग के अलावा आंकलित खपत अंकित करने का क्या औचित्य है? (ग) गुनौर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत विद्युत वितरण केंद्र देवेन्द्रनगर, अमानगंज, गुनौर व सलेहा में अटलज्योति योजना, कृषि कार्य व राजीव गांधी योजना अंतर्गत वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक कितने ट्रांसफार्मर लगे एवं लगाने के कितने दिनों बाद जले? (घ) विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण जले ट्रांसफार्मर को बिना बदले उपभोक्ताओं से उसी अवधि का बिल लिये जाने का क्या औचित्य है? क्या विद्युत विभाग के द्वारा ज्यादा बिल देने के कारण उपभोक्ता बिल जमा नहीं कर पाते और उनका कनेक्शन काट दिया जाता है? क्या विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में मीटर लगाकर मीटर रीडिंग के आधार पर बिना आंकलित खपत के मीटर रीडिंग के आधार पर विद्युत बिल प्रदाय किये जावेंगे? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) पन्ना जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रश्न दिनांक की स्थिति में 14,960 अनमीटर्ड घरेलू कनेक्शन हैं। उक्तानुसार उल्लेखित जिन उपभोक्ताओं के घरों में मीटर नहीं लगे हैं उन्हें म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश दिनांक 17.04.2016 के तहत् अनमीटर्ड घरेलू कनेक्शनों हेतु निर्धारित टैरिफ के अनुसार विद्युत देयक जारी किये जा रहे हैं। (ख) यदि मीटर्ड घरेलू उपभोक्ता के परिसर में स्थापित मीटर बंद/खराब है, तो विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के प्रावधानों के अनुसार मीटर बंद/खराब होने की दिनांक से पूर्व के तीन माहों की औसत खपत के अनुसार बिल दिये जाते हैं। जिन परिसरों में स्थापित मीटर सही स्थिति में कार्य कर रहे हैं उन्हें मीटर रीडिंग के आधार पर ही बिल जारी किया जाता है। (ग) गुनौर विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत विद्युत वितरण केन्द्र देवेन्द्र नगर, अमानगंज, गुनौर एवं सलेहा में अटल ज्योति योजना नहीं अपितु फीडर विभक्तिकरण योजना, कृषकों को स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु अनुदान योजना एवं राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक 1013 ट्रांसफार्मर लगाये गये हैं। उक्त ट्रांसफार्मरों में से प्रश्न दिनांक तक कुल 63 ट्रांसफार्मर जले/खराब हुए हैं, जिनको लगाने के बाद फेल होने की अवधिवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार है। (घ) ट्रांसफार्मर जलने/खराब होने पर उसे निर्धारित समय-सीमा में बदल कर पुन: विद्युत प्रदाय चालू कर दिया जाता है। ऐसे ट्रांसफार्मर जिनसे सम्बद्ध उपभोक्ताओं पर विद्युत बिल की राशि बकाया होती है, उन्हें नियमानुसार बकाया राशि की अंश राशि जमा होने पर ही बदला जाता है तथा अवधि में नियमानुसार बकाया राशि के बिल जारी किये जाते हैं। जिन उपभोक्ताओं द्वारा बिल जमा नहीं किये जाते हैं उनके विद्युत कनेक्शन नियमानुसार अस्थाई रूप से विच्छेदित किये जाते हैं। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा ज्यादा राशि के बिल नहीं दिए जाते अपितु उपभोक्ताओं को उनकी खपत एवं म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों एवं टैरिफ के अनुसार ही बिल दिए जाते हैं। विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में मीटर लगाने का कार्य सतत् रूप से जारी है जिस हेतु वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। मीटर स्थापित होने के उपरान्त मीटर रीडिंग के आधार पर विद्युत बिल जारी किये जा रहे हैं।
गुन्नौर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत
30. ( क्र. 5747 ) श्री महेन्द्र सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र गुन्नौर अंतर्गत विगत 05 वर्षों से आज दिनांक तक कितने बांधों का निर्माण किया गया, उनकी लागत क्या है वर्तमान में उनसे सिंचित रकबा कितना है? प्रत्येक बांध में रख-रखाव व सुधार में कितनी राशि खर्च की जाती है, प्रत्येक बांधवार बतावें? (ख) क्या विगत 5 वर्षों में जो बांध बनाये गये हैं उनमें से एक भी बांध से सिंचाई नहीं होती है और न ही नहरों का निर्माण ठीक ढंग से किया जिससे खेतों में सिंचाई नहीं हो पा रही है? (ग) क्या उक्त बांधों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है? क्या कमेटी बनाकर मौके में प्रश्नकर्ता की उपस्थिति में जाँच कराई जा सकती है? यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
गौण खनिज खनन, क्रय उपयोग में मनमानी
31. ( क्र. 5763 ) श्री हर्ष यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में किन-किन एजेन्सियों द्वारा ग्रामीण विकास हेतु कार्य किये जा रहे हैं? इन कार्यों में लगने वाले गौण खनिज के खनन, परिवहन, उपयोग एवं रायल्टी भुगतान के संबंध में शासन के क्या प्रावधान प्रचलित है? (ख) जिला सागर के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 की प्रश्नाधीन संबंधित सांख्यिकीय जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के नियम 3 में क्या छूट दी गई है? खनिज विभाग ने वर्ष 2013 में छूट से संबंधित क्या प्रक्रिया निर्धारित की है? (घ) ग्रामीण विकास कार्यों के लिये गौण खनिज क्रय करने और उसका उपयोग करने के संबंध में कार्यवाहियां करने के संबंध में राज्य शासन ने विकास आयुक्त को क्या-क्या आदेश/निर्देश जारी किये है? नहीं तो क्यों? आदेश कब तक जारी किये जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) वर्तमान में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क अभिकरण, जल संसाधन विभाग, म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना, लोक निर्माण विभाग द्वारा ग्रामीण विकास हेतु कार्य किए जा रहे है। इन कार्यों में लगने वाले गौण खनिज के खनन, परिवहन उपयोग हेतु निर्माण एजेन्सियों के ठेकेदारों द्वारा अग्रिम रायल्टी जमा कर, उत्खनन अनुज्ञा प्राप्त कर उत्खनन एवं परिवहन किया जाता है एवं रायल्टी भुगतान के संबंध में संबंधित निर्माण एजेन्सियों के द्वारा कार्य करने वाले ठेकेदारों के बिल से रायल्टी राशि काटी जाती है, जिसे निर्धारित मद में जमा किया जाता है। इसके अतिरिक्त संबंधित निर्माण कार्य में संलग्न ठेकेदार वैधानिक रूप से खनिज का क्रय कर उपयोग करने हेतु स्वतंत्र है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में दर्शित है। (ग) प्रश्नाधीन नियम अधिसूचित नियम है। वर्ष 2013 में विभाग द्वारा जारी प्रक्रिया संबंधी निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' में दर्शित है। (घ) जानकारी संकलित की जा रही है।
आदेश की अवहेलना
32. ( क्र. 5768 ) श्री हर्ष यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा संयुक्त कलेक्टर जिला रायसेन का स्थानांतरण अन्यत्र करने संबंधी उत्तर विगत विधान सभा सत्र के अता. प्रश्न संख्या 175 (क्रमांक 2690) में दिया गया था? यदि हाँ, तो संबंधित अधिकारी का नाम बतावें एवं उसका स्थानांतरण किस स्थान के लिये किस आदेश द्वारा किया गया? (ख) इस अधिकारी को एक तरफा भारमुक्त किस आदेश द्वारा कब किया गया? क्या उक्त अधिकारी ने नवीन पदस्थापना स्थल पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है? यदि हाँ, तो कब यदि नहीं, तो क्यों? (ग) मामले में यदि शासनादेश का अपालन कर अवहेलना हुई है तो अनुशासनहीनता के दोषी के खिलाफ अब तक क्या कार्यवाही की गई? नहीं तो क्यों? (घ) शासनादेश के उल्लंघन के दोषी को कब तक निलंबित किया जायेगा? नहीं तो क्यों? (ड.) यदि शासनादेश निरस्त अथवा संशोधित किया गया तो प्रति उपलब्ध करावें? इसका अनुमोदन किसके प्रस्ताव पर किनके अनुमोदन से हुआ?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। शासन द्वारा श्री ओ.पी.सोनी, संयुक्त कलेक्टर, रायसेन एवं श्री गजेन्द्र सिंह नागेश संयुक्त कलेक्टर रायसेन का स्थानांतरण करने संबंधी उत्तर विगत विधान सभा सत्र के अतारांकित प्रश्न क्रमांक 175 (प्रश्न क्रमांक 2690) में दिया गया था। श्री नागेश का स्थानांतरण अपर आयुक्त, नगर निगम, जबलपुर के रूप में तथा श्री सोनी का स्थानांतरण संयुक्त कलेक्टर, टीकमगढ़ के रूप में विभागीय आदेश क्रमांक बी-1/64/2015/2/एक, दिनांक 22/07/2015 से किया गया था। (ख) उपरोक्त अधिकारियों में से एक अधिकारी श्री ओ.पी.सोनी, संयुक्त कलेक्टर रायसेन को विभागीय आदेश क्रमांक बी-1/64/2015/2/एक, दिनांक 30 दिसम्बर, 2015 से शासन द्वारा एकपक्षीय कार्यमुक्त किया गया। श्री सोनी द्वारा प्रशासकीय कारणों से कार्यभार ग्रहण नहीं किया गया। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) शासनादेश निरस्त किया गया। आदेश की प्रति संलग्न परिशिष्ट पर है। प्रशासकीय आधार पर स्थानांतरण निरस्त किया गया।
सर्वाधिक टैक्स प्राप्त करने वाला जिला
33. ( क्र. 5891 ) सुश्री उषा ठाकुर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्त वर्ष 2013-14 और 2014-15 एवं 31.12.15 तक का वित्त वर्षवार इंदौर जिले से प्राप्त होने वाला (I) संपत्ति कर (II) वाणिज्य कर (III) आबकारी कर बतावें? (ख) क्या प्रदेश में इंदौर जिला सर्वाधिक टैक्स प्राप्त करने वाला जिला है? यदि और कोई जिला इससे ज्यादा टैक्स प्राप्त करने वाला है तो उसका नाम बतावें? (ग) क्या इंदौर जिला जितनी राशि कर के रूप में देता है, उतना उसके विकास हेतु वापिस नहीं मिलता है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) हाँ। इंदौर जिला सर्वाधिक टैक्स प्राप्त करने वाला जिला है। (ग) प्राप्त आय शासन के राजस्व कोष (कोषालय) में जमा करायी जाती है। जमा की गई इस राशि को विभाग अपने स्तर से व्यय करने हेतु अधिकृत नहीं होते है वरन् वित्त विभाग द्वारा बजट के प्रावधानों के साथ उस राशि का यथोचित लेखा शीर्षों में आवंटन किया जाता है।
आय से अधिक सम्पत्ति के प्रकरण
34. ( क्र. 6059 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा एवं जबलपुर संभाग के विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति को लेकर किन-किन कर्मचारियों/अधिकारियों के यहां वर्ष 2010 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में किस-किस दिनांक को छापे डाले गए? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में जिनके यहां छापे डाले गए थे, उनमें से कितने लोगों के विरूद्ध न्यायालय में चालान पेश किया गया? कितनों के विरूद्ध नहीं किया गया? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में जिन कर्मचारियों के चालान नहीं पेश किए गए उनकी विवेचना कौन कर रहा है और अभी तक विवेचना क्यों पूर्ण नहीं की गई? कब तक पूर्ण की जावेगी बताएं? (घ) क्या कुछ प्रकरणों में आरोपियों को बचाने के लिए या तो विवेचना नहीं हो रही या कुछ के खात्मा लगाए गए है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। विवेचना पूर्ण किये जाने की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जी नहीं।
महिला आरक्षण में गलत व्याख्या
35. ( क्र. 6242 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न संख्या 8 (क्रमांक 132) दिनांक 04.03.2014 के संदर्भ में बतावे कि महिला आरक्षण को रूल्स आफ प्रोसीजर को मान. उच्च न्यायलय की इंदौर बैंच ने किस प्रकरण में किस दिनांक को सही मान्य किया है? क्या माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के संदर्भ में विधि विभाग से राय ली गई है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रश्न के उत्तर अनुसार यदि रूल्स आफ प्रोसीजर को मान. उच्च न्यायालय इंदौर ने सही ठहराया है तो फिर 19.06.2012 से इसे हटाने से मान. उच्च न्यायालय की अवमानना नहीं हो रही है? मा. उच्चतम न्यायालय के निर्देश दस साल बाद क्यों माने गये? (ग) राज्य सेवा परीक्षा 2010 से 2013 तक के प्रारंभिक परीक्षा मुख्य परीक्षा के कर आफ इण्डिया की केटेगरी अनुसार जानकारी दे तथा अंतिम रूप से चयनित तथा प्रतिक्षा सूची में रखे गये अभ्यार्थियों की सूची देवें? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रश्न के अनुसार राज्य सेवा परीक्षा 2010 की लिखित परीक्षा में सफल परीक्षार्थियों की केटेगरी एवं प्राप्तांक अनुसार सूची देवें तथा बतावें कि अंतिम परिणाम किस दिनांक को घोषित किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
क्षेत्र विकास निधि की अनियमितता पर कार्यवाही
36. ( क्र. 6262 ) श्री मोती कश्यप : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वि.स.क्षे. मुड़वारा के किसी तत्कालीन विधायक ने दिसम्बर 2011 एवं कालान्तर में क्षेत्र विकास निधि मद से कटनी के शासकीय तिलक महाविद्यालय के छात्रों की सुविधा हेतु किसी भवन निर्माण हेतु कोई राशि प्रदान की है? (ख) प्रश्नांश (क) हेतु किसे निर्माण एजेंसी बनाया गया है और उसके द्वारा कब कितनी राशि का प्राक्कलन स्वीकृत कराया गया है और क्या कारण है कि प्रदत्त राशि से निर्माण पूर्ण नहीं हो सका है? (ग) क्या प्रश्नांश (क), (ख) की किसी तकनीकी विशेषज्ञ से जाँच करायी गई है और दोषी उपयंत्रियों पर कोई कार्यवाही की गई है? (घ) क्या प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) का निर्माण कब तक किसी विधि पूर्ण कराकर छात्रों व कर्मियों को सुविधा उपलब्ध करा दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश ''क'' हेतु कार्यापालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग कटनी को एजेन्सी नियुक्त किया गया। एजेन्सी द्वारा दिनांक 07.09.2011 को राशि रूपये 5.00 लाख एवं दिनांक 06.10.2012 को राशि रूपये 2.00 लाख के प्राक्कलन प्रस्तुत किये जिनकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई। प्राचार्य शासकीय तिलक महाविद्यालय कटनी द्वारा उपलब्ध करायी गई ड्राईंग के आधार पर कार्य के स्वरूप में परिर्वतन कराया गया एवं अतिरिक्त कक्ष के स्थान पर केन्टीन का निर्माण कराया गया। (ग) उत्तरांश ''ख'' अनुसार निर्माण एजेन्सी शासन का तकनीकी विभाग है। कार्य संम्पादित न करने वाले अधिकारियों को आयुक्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा स्पष्टीकरण पत्र तथा कारण बताओं सूचना पत्र जारी किये गये। (घ) अतिरिक्त कार्य की स्वीकृति महाविद्यालय निधि अथवा किसी अन्य निधि से राशि प्राप्त होने पर शेष कार्य पूर्ण किया जाना संभव हो सकेगा।
पवन ऊर्जा कंपनियों की अनियमितता
37. ( क्र. 6408 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पवन ऊर्जा कंपनी ने रतलाम, मंदसौर जिले में टॉवर स्थापना के क्षेत्रफल में कितनी खनिज संपदा का खनन मिट्टी, मुरम, गिट्टी का उपयोग किया? (ख) प्रश्नांश (क) संदर्भित खनिज विभाग द्वारा किस-किस कंपनी से कितनी-कितनी रॉयल्टी की राशि ली गई, यदि नहीं, तो क्यों इसे कब तक वसूल कर लिया जाएगा? (ग) रतलाम, मंदसौर जिले में पवन ऊर्जा कंपनी ने कितने आदिवासी कृषकों की कृषि भूमि क्रय की उनके नाम,पते की जानकारी उपलब्ध करायें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
38. ( क्र. 6517 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ए.सी.सी. कैमोर कटनी द्वारा प्रदूषित पानी को शुद्ध करने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है? यदि हाँ, तो कब? इसकी क्षमता कितनी है? ये कहाँ-कहाँ से निकलने वाले पानी को शुद्ध करता है? (ख) प्रश्नांश (क) के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी की कौन-कौन सी अशुद्धियों को ठीक किया जाता है? विवरण तकनीकी मापदण्ड सहित बतायें? क्या उक्त वाटर ट्रीटमेंट प्लांट शासन के निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप है? (ग) पूर्व में जब वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया गया तो अशुद्ध पानी की सप्लाई कहाँ-कहाँ, किस-किस मात्रा में कितने अवधि तक होती रही? (घ) म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योगों द्वारा फैलाए जाने वाले प्रदूषण के नियंत्रित करने के क्या प्रावधान एवं निर्देश हैं, की प्रति देते हुए बताए की ए.सी.सी. कैमोर द्वारा उक्त प्रावधान एवं निर्देशों का पालन कर रहा है? यदि नहीं, तो शासन क्या कार्यवाही करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। मेसर्स ए.सी.सी. कैमोर कटनी द्वारा घरेलू निस्त्राव के उपचार हेतु अक्टूबर,2008 में तथा औद्योगिक निस्त्राव के उपचार हेतु वर्ष 2000 में उपचार संयंत्र स्थापित किया गया है। घरेलू निस्त्राव के उपचार संयंत्र की क्षमता 750 घनमीटर/दिन एवं औद्योगिक निस्त्राव हेतु स्थापित उपचार संयंत्र की क्षमता 192 घनमीटर/दिन है। घरेलू निस्त्राव हेतु स्थापित उपचार संयंत्र से कालोनी एवं प्लांट से निकलने वाले घरेलू निस्त्राव को तथा औद्योगिक निस्त्राव हेतु स्थापित उपचार संयंत्र से डी.एम.प्लॉट से निकलने वाले जल को शुद्ध किया जाता है। (ख) प्रश्नांश ‘‘क‘‘ में उल्लेखित घरेलू निस्त्राव के उपचार हेतु स्थापित उपचार संयंत्र द्वारा बी.ओ.डी.,सी.ओ.डी. एवं अन्य अशुद्वियों को तथा औद्योगिक निस्त्राव हेतु स्थापित उपचार संयंत्र में पी.एच. एवं एसिडिटी को उपचारित किया जाता है। वस्तुस्थिति यह है कि उपचार संयंत्रों के मापदण्ड निर्धारित नहीं किये जाते है अपितु उपचारित निस्त्राव की गुणवत्ता हेतु निर्धारित मापदंड निम्नानुसार हैः-
1- पी.एच.5.5 से 9.0 पी.एच.यूनिट
2- बी.ओ.डी.-30 मि.ग्राम/लीटर
3- सी.ओ.डी.-250 मि.ग्राम/लीटर
4- एस.एस.-100 मि.ग्राम/लीटर
5- आइल
एवं ग्रीस-10
मि.ग्राम/लीटर
(ग) थर्मल पॉवर संयंत्र की स्थापना वर्ष 2000 के पूर्व औद्योगिक निस्त्राव की मात्रा निरंक थी एवं घरेलू निस्त्राव के उपचार हेतु 750 घनमीटर/दिन क्षमता का ऑक्सीडेशन पौण्ड की व्यवस्था थी। उपचारित निस्त्राव का उपयोग ऐश क्यून्चिग, डस्ट सप्रेशन एवं वृक्षारोपण की सिंचाई हेतु किया जाता था। (घ) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योगों को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम,1974 की धारा 25/26 एवं वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम,1981 की धारा 21 के अंतर्गत प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने संबंधी शर्तों का समावेश कर सम्मति प्रदान की जाती है। अधिनियमों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। सामान्यतया पालन किया गया है। पालन नहीं करने पर विधिक कार्यवाही करने का प्रावधान उपलब्ध है।
सिंचाई जलाशयों का सर्वे
39. ( क्र. 6518 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले के बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र में कितने नवीन सिंचाई जलाशयों का निर्माण कराये जाने हेतु सर्वे कराया गया है? कितने जलाशयों का विशेष सुधार, विस्तारीकरण, जीर्णोद्धार एवं नहर लाइनिंग हेतु सर्वे कराया गया है? सर्वेक्षित जलाशयों का कार्य प्रारंभ कराये जाने हेतु क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है? विकासखण्डवार पृथक-पृथक जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत धरमपुरा, बिरूहली, श्रीबांध गुडहर, आमागार, जमुनहा जलाशय का भी सर्वे कराया गया है? यदि हाँ, तो इनका कार्य कब तक प्रारंभ कराया जाएगा? (ग) क्या उक्त सर्वेक्षित जलाशयों में भूमि अधिग्रहण हेतु जिला स्तर पर कार्यवाही लंबित है? भूमि अधिग्रहण न होने के कारण कार्यों की निविदा आदि की कार्यवाही नहीं हो पा रही है? भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही कब तक पूर्ण हो सकेगी? भूमि अधिग्रहण अभी तक न होने के लिए कौन उत्तरदायी है? (घ) कटनी जिले में किस-किस सिंचाई जलाशय से कितना-कितना हेक्टेयर रकवा सिंचित है? भविष्य में कितनी जमीन और सिंचित करने का विभाग ने निर्णय लिया है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
गाडरवारा के ग्रामों का नदियों के कारण कटाव होना
40. ( क्र. 6539 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र नर्मदा नदी एवं सहायक नदियां शक्कर दुधी बड़ी नदियां बहती है? इन नदियों के कारण कई ग्रामों में कटाव से नुकसान हो रहा है? उसे रोकने के लिए विभाग कोई कार्य योजना बनाएगा? यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों? (ख) क्या इन नदियों के कटाव से ग्राम तूमड़ा, केलकक्ष, शिरशिरी, नेमावर, मेहरागांव अर्जुनगांव आदि ग्रामों को कटाव के कारण खतरा उत्पन्न हो गया है? इन ग्रामों की सुरक्षा एवं कटाव रोकने हेतु विभाग कोई योजना बना रहा है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। वर्षाकाल में नदी में बाढ़ आने से नदी के किनारों में कटाव होना तथा नदी का बहाव बदलना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जिसे रोकना संभव नहीं होता है। उपलब्ध सीमित वित्तीय संसाधनों के परिप्रेक्ष्य में ग्राम उलथन में नीलकुट घाट का निर्माण प्रारंभ है।
गौण खनिज के पट्टे
41. ( क्र. 6558 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा संभाग के जिले वार कितने खनिज पट्टे व गौण खनिज के पट्टे स्वीकृत हैं? (ख) मुख्य एवं गौण खनिज पट्टे के EC के संबंध में कोई आदेश प्राप्त हुए हैं? यदि हाँ, तो क्या? (ग) कितने प्रकरणों में EC प्राप्त है? कितने के नहीं? जिन प्रकरणों के EC प्राप्त नहीं है? इनके क्या कार्य हो रहे हैं? रेत की कितनी खदान हैं जिनमें EC के कार्य चालू है? जिले वार जानकारी बतावे? (घ) जिन प्रकरणों में EC प्राप्त नहीं है उनके कार्य न चले शासन ने इसका क्या प्रबंध किया है? (ड.) बिना EC खदानों की किन-किन अधिकारियों द्वारा निगरानी की जाती है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में दर्शित है। (ख) जी हाँ। पर्यावरण अनुमति हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत जारी अधिसूचना दिनांक 14.09.2006 एवं दिनांक 15.01.2016 लागू है। (ग) वांछित जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' में दर्शित है। (घ) विभागीय अमले द्वारा सतत् निगरानी रखी जा रही है। (ड.) विभागीय अमले द्वारा सतत् निगरानी रखी जा रही है।
रेत व गिट्टी खदानों की अनुमति
42. ( क्र. 6596 ) श्रीमती इमरती देवी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दूधाखेड़ी तहसील ताल जिला रतलाम की सर्वे क्रमांक 111 भूमि को इस वर्ष पहली बार रेत खदान घोषित कर नीलामी की गई है? यदि हाँ, तो क्या काबिल कास्त की भूमि को खदान घोषित किया जा सकता है? यदि हाँ, तो किस नियम के अंतर्गत? क्या उक्त भूमि पर चार वर्ष पूर्व ही फसल होती थी व काबिलकास्त थी तो दो या तीन वर्षों में उक्त भूमि को खदान घोषित करने हेतु तहसीलदार, पटवारी आदि के प्रमाण पत्र की प्रति मय नाम एवं पद सहित उपलब्ध करावे जिसमें उक्त भूमि को कृषि योग्य नहीं माना? (ख) ग्राम खेरखेड़ा तहसील सैलाना जिला रतलाम की सर्वे नम्बर 198/2 एवं 198/3 की भूमि पर स्थिति गिट्टी खदान जो सैलाना शिवगढ़ रोड पर स्थित है, अनीस इन्फ्रा ने गिट्टी खदान की क्या समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कर ली हैं, समस्त विभागों से एन.ओ.सी. प्राप्त कर ली गई है? यदि हाँ, तो प्रति उपलबध करावें, यदि नहीं, तो बिना एन.ओ.सी. व औपचारिकताओं के खदान में किस आधार पर उत्पादन प्रारंभ कर दिया गया, स्पष्ट करें। (ग) रतलाम जिले की पिपलोदा तहसील में कुल कितनी गिट्टी क्रेशर हैं उनका विवरण देते हुए बताए कि उनमें से कितने-कितने क्रेशर ग्रामीण बसाहटों, तालाब, सड़कों व स्कूल आदि से कितनी कितनी दूरी पर है। क्रेशर का नाम, प्रोपरायटर का नाम, गांव के नाम सहित सम्पूर्ण विवरण दें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में प्रश्नानुसार कोई प्रतिबंधात्मक प्रावधान नहीं हैं। प्रश्नाधीन भूमि पर 4 वर्ष पूर्व कोई फसल नहीं होती थी। इस भूमि पर पर्याप्त रेत उपलब्ध होने के कारण रेत खदान घोषित की गई है। इस भूमि के संबंध में पटवारी एवं तहसीलदार से प्राप्त प्रतिवेदन पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ में दर्शित है। (ख) जी नहीं। वर्तमान में खदान में उत्पादन कार्य नहीं किया जा रहा है। (ग) रतलाम जिले की पिपलोदा तहसील में यांत्रिक क्रिया से गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर खनिज के 05 उत्खनिपट्टा विभाग द्वारा स्वीकृत किये गये है, जिसमें से 03 खदाने कार्यशील हैं व 02 खदानें वर्तमान में शिथिल हैं। इसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर है।
भवन भूमि नामांतरण एवं दुकान निर्माण
43. ( क्र. 6599 ) श्रीमती इमरती देवी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर परिषद पिपलोदा जिला रतलाम में विगत 5 वर्षों में भवन भूमि नामान्तरण एवं भवन दुकान निर्माण के कितने दिये गये व उन पर क्या कार्यवाही हुई? कितने नामांतरण किये गये व कितने भवन, दुकान की निर्माण की अनुमति दी गई व कितने प्रकरण कब से व क्यों लम्बित है? (ख) क्या आवास एवं पर्यावरण विभाग मंत्रालय भोपाल दिनांक 26.12.12 क्र. एफ-3-131-2012 बत्तीस मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 04.01.2013 में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 में पिपलौदा जिला रतलाम को नहीं रखा गया किन्तु उप संचालक नगर तथा ग्राम निवेश से नगर पालिका परिषद द्वारा अभिमत माँगा जाता है? क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर परिषद, पिपलौदा, जिला-रतलाम में विगत 05 वर्षों में नामांतरण हेतु कुल 191 तथा भवन निर्माण हेतु 57 प्रकरण प्राप्त हुये है। जिनमें तत्समय कार्यवाही करते हुये 191 प्रकरणों में नामांतरण किये गये तथा 56 प्रकरणों में भवन निर्माण अनुमति प्रदान की गई है। एक प्रकरण भवन निर्माण (शॉपिंग कॉम्पलेक्स) अनुमति का दिनांक 18.05.2015 से आवश्यक दस्तावेजों के अभाव में लंबित है। (ख) जी हाँ, नगर परिषद द्वारा उप संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से डायवर्सन अभिमत की शर्त क्रमांक 02 के अंतर्गत व्यवसायिक प्रयोजन बिना अभिन्यास स्वीकृति/स्थल अनुमोदन के निर्माण अनुज्ञा क्या दी जा सकती है इस हेतु मार्गदर्शन चाहा गया है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
जावरा शहर में तक सड़क निर्माण
44. ( क्र. 6608 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के अतारांकित प्रश्न 6 (क्रं. 56) दिनांक 11.12.14 एवं अतारांकित प्रश्न संख्या 1 (81) दिनांक 11.07.13 के सदंर्भ में नगर पालिका जावरा के साधारण सम्मेलन दिनांक 31.8.06 अनुसार रेल्वे फाटक से गाँधी चौराहा वादी होटल तक एकांगी सड़क निर्माण योजना अन्तर्गत रोड डिवाइडर, एवं ट्रिपल पोल लगाने के कार्य की सामग्री क्रय करने के बाद भी पूर्ण नहीं होने की शिकायत की जाँच परिक्षणाधीन होकर संभागीय संचालक उज्जैन से जाँच प्रतिवेदन भी प्राप्त हो चुका था? विवरण दे? (ख) क्या उक्त जाँच पूर्ण हो चुकी है? यदि हाँ, तो विवरण देवें? यदि नहीं, तो क्यों? उक्त जाँच में इतनी देरी होने के कारणों को स्पष्ट करते हुए बतावे की जाँच कब तक पूर्ण कर ली जावेगी व उक्त रोड पर डिवाइडर एवं ट्रिपल पोल कब तक लगाकर कार्य पूर्ण हो जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) संभागीय उप संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास उज्जैन संभाग द्वारा प्रकरण की जाँच की गई है, जाँच उपरांत श्री कैलाश सिंह गहलोत, तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी, श्री राजेश पंचोली एवं श्री विक्रम सिंह सोलंकी, प्रभारी लेखापाल को आरोप पत्र जारी किया गया है, परन्तु याचिका समिति पुन: जाँच कराने का निर्देश हुआ था, जिसके परिपालन में पुन: जाँच के लिए संभागीय उपं संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास, उज्जैन संभाग को लिखा गया है। जाँच की कार्यवाही प्रचलित है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार। याचिका समिति के निर्देश के परिपालन में मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद जावरा को क्रय की गई सामग्री के उपयोग के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए लिखा गया है। सड़क मूलत: म.प्र. लोक निर्माण विभाग की होने से, लोक निर्माण विभाग द्वारा सशर्त अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया था। नगर पालिका परिषद में प्रकरण पुनर्विचार हेतु रखा गया है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
रतलाम जिले में रेत खदानों व मिट्टी खदानों
45. ( क्र. 6609 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम मेलूखेड़ी पटवारी हल्का नं; 42 तह. ताल जिला रतलाम भूमि सर्वे क्रमांक 1 से 110 रकबा 16 हेक्टेयर साथ ही ग्राम उणी तहसील जावरा की सर्वे क्रमांक 1 रकबा 6 हेक्टयर को रेत खदान घोषित कर दिनांक 23.11.2014 को नीलाम भी कर दी गई है? यदि हाँ, तो क्या उक्त भूमि पर खदान घोषित करने में समस्त नियमों का पालन किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) से संबंधित पुरातत्व महत्व के स्थल मनकामनेश्वर मंदिर, धर्मशाला, मनकामनेश्वर (आतरिया घाट) स्टापडेम की दीवाल भी इसी सर्वे क्रमांक में होकर जल भराव क्षेत्र होने के साथ ही ग्राम मिण्डाखेड़ा आबादी से 80 मीटर दूरी पर ही है। क्या खदान घोषित करते समय प्रश्न में उल्लेखित बिन्दुओं को नजर अंदाज किया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) से संबंधित खदान में क्या राज्य पर्यावरण प्रभाव निर्धारित प्राधिकरण की 107 वी बैठक दिनांक 17.09.12 के कार्यवाही विवरण के बिन्दु क्रमांक 8 के क्रमांक 2, 4, 6, 8 व 9 का पालन भी नहीं किया गया क्यों? कारण स्पष्ट करते हुए बताए कि जनहित को देखते हुए उक्त खदान निरस्त की जावेगी तथा दोषियों को दण्ड दिया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नानुसार ग्राम मेलुखेड़ी के सर्वे क्रमांक 110 रकबा 16 हे. तथा ग्राम ऊणी के सर्वे क्रमांक 1 रकबा 6 हे. क्षेत्र को रेत खदान घोषित कर दिनांक 23.12.2014 को नीलाम किया गया है। उक्त दोनों खदानों को घोषित करने में समस्त नियमों का पालन किया गया है। (ख) प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित खदाने नियमानुसार निर्धारित दूरी छोड़े जाने के उपरांत घोषित की गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) ग्राम मेलुखेड़ी रेत खदान से संबंधित प्रकरण पर्यावरण अनुमति हेतु विचाराधीन है। ग्राम ऊणी रेत खदान के संबंध में पर्यावरण अनुमति प्राप्त होने के पश्चात् यह खदान संचालित है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को समयमान वेतनमान
46. ( क्र. 6614 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश शासन में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्राप्त होने वाले क्रमोन्नति वेतनमान व समयमान वेतनमान में क्या अंतर है? किन-किन संवर्ग को समयमान वेतनमान मिलता है, पदनाम, विभाग का नाम, समयमान वेतनमान सहित बतावें? (ख) एक ही दिनांक को नियुक्त एक ही संवर्ग के अधिकारियों/कर्मचारियों को क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान मिलने के मध्य एक अधिकारी/कर्मचारी को पदोन्नति प्राप्त हो जाती है, तब दूसरे अधिकारी/कर्मचारी के साथ उसे भी समयमान/वेतनमान की पात्रता होगी हॉ या नहीं? यदि उत्तर में हाँ तो नियम की प्रतिलिपि देवें। (ग) प्रश्नांश भाग (ख) के उत्तर में यदि नहीं, तो क्यों नहीं। आदेश की प्रतिलिपि देते हुये बतावें? (घ) प्रश्नांश भाग (ख) के उत्तर में यदि नहीं, तो कुछ संवर्ग में एक ही दिनांक को एक ही संवर्ग के नियुक्त अधिकारी/कर्मचारी जिसे पदोन्नति प्राप्त हुई है, उसे वेतनमान, बिना पदोन्नति पाये अधिकारी/कर्मचारी से कम होगा? क्या विभाग इस विसंगति को दूर करेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) क्रमोन्नति वेतनमान एवं समयमान वेतनमान में प्रथम एवं द्वितीय उच्चतर वेतनमान देने की पात्रता अवधि में अंतर है, साथ ही क्रमोन्नति वेतनमान शासकीय सेवा में प्रथम नियुक्ति दिनांक तथा समयमान वेतनमान सीधी भरती के पद पर नियुक्ति दिनांक के उपरांत की गई सेवा अवधि पर आधारित है। राज्य शासन के सिविल सेवा के समस्त संवर्गों को समयमान वेतनमान उपलब्ध है। (ख) सामान्यत: नहीं। क्योंकि क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान योजना पदोन्नति में विलंब के परिणामस्वरूप देय है। (ग) क्रमोन्नति/समयमान योजना शासकीय सेवक को पदोन्नति में हो रहे विलंब के परिणामस्वरूप देय है। यदि क्रमोन्नति/समयमान की पात्रता अवधि के पूर्व पदोन्नति हो जाती है तब क्रमोन्नति/समयमान का औचित्य नहीं रह जाता। (घ) विशिष्ट प्रकरण समक्ष में आने पर तदनुसार निर्णय लिया जायेगा।
महाराज मल्हाराव होल्कर की छत्री के अनुरक्षण कार्य
47. ( क्र. 6642 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भिण्ड जिले के आलमपुर में महाराजा मल्हाराव होल्कर की छत्री के अनुरक्षण कार्य हेतु वर्ष 2015-16 में रूपये 4,71,300/- का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया है? (ख) यदि नहीं, तो क्यों और कब तक स्वीकृति प्रदान की जाएगी? (ग) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या छत्री के सामने बगीचे अथवा शासकीय भूमि पर किए गए अवैध कब्जा को हटाने एवं अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही के संबंध में सीमांकन प्रतिवेदन प्राप्त हो गया है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक अवैध कब्जा हटाने एवं सीमांकन के संबंध में क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ. कार्य पूर्ण हो गया है. (ख) ‘क’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार.
संस्थाओं को प्रचार-प्रसार कार्य
48. ( क्र. 6667 ) श्री बाला बच्चन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रश्नकर्ता के तारांकित प्रश्न संख्या 19 (क्रं. 283) दिनांक 08.12.2015 के (ग) उत्तर में जिन संस्थाओं को प्रचार प्रसार के कार्य हेतु राशि दी गई उसकी दिनांक, कार्य का नाम बतावे।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को पानी लेने की अनुमति
49. ( क्र. 6694 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में उद्गम से लगाकर कितने किलोमीटर शिप्रा एवं नर्मदा नदी प्रदेश में बहती है? नदी से किन-किन नगर निगम एवं निकायों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को पानी लेने की अनुमति प्राप्त है? साल में लेने वाले पानी की मात्रा एवं लगाये गये शुल्क की जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितने उद्योग शहरों एवं अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के नदी में छोड़ा जा रहा है की जानकारी उपलब्ध करायें? (ग) प्रश्नांश (ख) अंतर्गत उपयोग किये पानी (सीवर) को नदी में मिलाने को लेकर क्या नियम है एवं क्या उनका पालन किया जा रहा हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) के अंतर्गत नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थान एवं निकायों पर विगत तीन वर्षों में क्या कार्यवाही की गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मध्यप्रदेश में उद्गम से लगाकर क्षिप्रा नदी 195 कि.मी. एवं नर्मदा नदी 1112 कि.मी. बहती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) उपचारित सीवेज को सतही जल में निस्सारित करने संबंधी मानक पर्यावरण (संरक्षण) नियम 1986 में है, जिसका यथा संभव पालन किया जा रहा है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
अपर संचालक के विरूद्ध प्राप्त शिकायतें
50. ( क्र. 6720 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनसंपर्क संचालनालय में जनसंपर्क विभाग के अंतर्गत अपर संचालक के कुल कितने पद स्वीकृत हैं तथा इन पदों के विरूद्ध कुल कितने अपर संचालक कार्यरत/पदस्थ है। (ख) वर्तमान में पदस्थ अपर संचालकों की प्रथम नियुक्ति का दिनांक, नियुक्ति की प्रक्रिया तथा नियुक्ति के समय उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या थी तथा वर्तमान में उन सभी की शैक्षणिक योग्यता में कोई बढ़ोत्तरी हुई है तो उसकी जानकारी भी प्रदान करें। (ग) वर्तमान कार्यरत अपर संचालकों के विरूद्ध वर्ष 2013 के बाद कुल कितनी शिकायतें प्राप्त हुई है, शिकायत का स्वरूप, शिकायत किस विषय से संबधित है तथा विभाग द्वारा प्राप्त शिकायतों पर कोर्इ कार्यवाही की गई है अथवा नहीं। (घ) अपर संचालकों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों, जिसमें उनकी शैक्षणिक योग्यता, भर्ती में गड़बड़ी, पदोन्नति में अनियमितताओं आदि की शिकायतों पर जाँच करवाकर उनके विरूद्ध विधि सम्मत कार्यवाही की जावेगी अथवा नहीं। (ड.) यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) विभाग में अपर संचालक के 05 पद स्वीकृत हैं। इन पदों के विरूद्ध 05 अधिकारी पदस्थ हैं। (ख) कार्यरत अपर संचालकों की प्रथम नियुक्ति/शैक्षणिक योग्यता आदि की जानकारी निम्नानुसार हैं :-
क्र. |
अधिकारी का नाम |
शैक्षणिक योग्यता |
शा. सेवा में प्रथम नियुक्ति का दिनांक |
1. |
श्री सुरेश गुप्ता, अपर संचालक |
बी.कॉम |
09.12.1983 |
2. |
डॉ. एच.एल.चौधरी, अपर संचालक |
बी.एस.सी./एम.ए. |
13.11.1987 |
3. |
श्री देवेन्द्र जोशी, अपर संचालक |
एम.कॉम./एल.एल.बी. |
18.12.1983 |
4. |
श्री जी.एस.मौर्य, अपर संचालक |
बी.एस.सी. |
16.11.1981 |
5. |
श्री सी.के. सिसोदिया, अपर संचालक |
बी.एस.सी./एल.एल.बी. |
17.12.1981 |
(ग) विभाग में इस स्तर की शिकायत अप्राप्त है। (घ) प्रश्नांश (ग) के प्रकाश में प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (ड.) प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
नगर परिषद बरेली एवं उदयपुरा में अवैध निर्माण
51. ( क्र. 6734 ) श्री रामकिशन पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उदयपुरा विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत नगर परिषद बरेली एवं उदयपुरा में अवैध निर्माण को लेकर वर्ष 2011 से प्रश्न दिनांक तक कुल कितने प्रकरण दर्ज किये गये? दर्ज किये गये प्रकरणों में संबंधित नगर परिषद द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित स्थानों में निर्माण को लेकर कुल कितने आवेदन वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक प्रस्तुत किये गये? प्रस्तुत अवेदनों पर कुल कितने आवेदनों का निराकरण किया जा चुका है? कितने आवेदन वर्तमान में लंबित है? आवेदन लंबित रहने का कारण स्पष्ट करें? (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित नगर परिषद में पर्यावरण को स्वच्छ रखने हेतु विभाग की कोई योजना है? यदि हाँ, तो जानकारी दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर पालिका बरेली में प्रश्नांकित अवधि में कुल 104 प्रकरण दर्ज किये गये जिसमें से 7 प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। शेष 97 प्रकरणों में स्वीकृति दी जाकर निराकृत किये जा चुके है। नगर परिषद उदयपुरा में कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। (ख) वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक नगर पालिका बरेली में कुल 70 आवेदन प्राप्त हुए जो कि निराकृत किये जा चुके है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। नगर परिषद उदयपुरा में कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। (ग) जी हाँ। नगर पालिका परिषद बरेली में मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन अंतर्गत 500 व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण की योजना स्वीकृत है जिसमें से 398 शौचालयों का निर्माण पूर्ण हो चुका है शेष कार्य प्रगति पर है। नगर परषिद उदयपुरा में मुख्यमंत्री स्वच्छता मिशन अंतर्गत 458 व्यक्तिगत शौचालय तथा स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 298 व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें से 198 शौचालयों को निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है शेष कार्य प्रगति पर है। दोनों निकायों में कचरा गाड़ी एवं साइकिल रिक्शा के माध्यम से सम्पूर्ण वार्डों में कचरा संग्रहण का कार्य कराया जाता है।
कालोनाइजरों को भूमि विकास की अनुमति
52. ( क्र. 6737 ) श्री रामकिशन पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा दिनांक 01.01.2013 से प्रश्न दिनांक तक कितने कालोनाइजरों को भूमि विकास (कालोनी डेव्हलपमेंट) की अनुमति प्रदान की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में क्या उपरोक्तानुसार कालोनाइजरों द्वारा इन विलेखों के पंजीकृत कराने का शुल्क जमा किया गया है? (ग) जिन कालोनाइजरों द्वारा उपरोक्त शुल्क जमा नहीं किया गया है तो उनसे वसूली कब तक कर ली जावेगी एवं क्या इन कालोनाइजरों के प्रकरण मुद्रांक संग्राहक को भेजे गये हैं? यदि हाँ, तो कितने प्रकारण भेजे गये हैं? (घ) मुद्रांक संग्राहक द्वारा इन प्रकरणों पर क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, की गई है तो कब तक की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) रायसेन जिले के अनुविभागीय अधिकारियों (राजस्व) द्वारा दिनांक 01.01.2013 से प्रश्न दिनांक तक 34 कॉलोनाइजरों को भूमि विकास की अनुमति प्रदान की गई है। (ख) जी नहीं। कॉलोनाइजरों द्वारा इन विलेखों के पंजीकृत कराने का शुल्क जमा नहीं किया जाता है। (ग) एवं (घ) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मुरैना हाउसिंग बोर्ड द्वारा मुरैना नगर बिक्रीत भवन
53. ( क्र. 6766 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना म.प्र. गृह निर्माण मण्डल एवं अधोसंरचना मण्डल द्वारा पुरानी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित हाउसिंग बोर्ड कार्यालय के नीचे वाले निर्मित भूखण्ड को वर्ष 2015 व जनवरी, फरवरी 2016 में किसको बेचा गया था नाम भूखण्ड स्थिति सहित जानकारी दी जावे। (ख) उक्त भूखण्ड को बेचने की क्या प्रक्रिया अपनाई गई भूखण्ड को कितनी राशि में बेचा गया, कितनी राशि जमा कराई गई। (ग) क्या उक्त भूखण्ड का क्रेता को कब्जा दे दिया गया है विभाग को भूखण्ड भवन की कितनी राशि जमा की गई है कितनी बकाया है? (घ) क्या उक्त निर्मित भूखण्ड से लगी जनसुविधा (पेशाब घर) को भी बेच दिया है यदि नहीं, तो उसे क्यो तोड़ा गया तोड़ने वालों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल द्वारा पुरानी हाउसिंग बोर्ड कालोनी स्थित हाउसिंग बोर्ड कार्यालय के नीचे भूखण्ड का विक्रय नहीं किया गया है। ऑफिस कॉम्पलेक्स परिसर में भूतल हॉल का विक्रय श्री रामलखन डण्डौतिया, मुरैना को दिनांक 21.09.2015 को ऑफर के माध्यम से किया गया। (ख) प्रश्नाधीन भूतल हॉल को ऑफर के माध्यम से विक्रय किये जाने हेतु समाचार-पत्रों में विधिवत विज्ञप्ति प्रकाशित कराई जाकर ऑनलाईन विक्रय किये जाने की प्रक्रिया नियमानुसार अपनाई गई। भूतल हॉल को रू. 50,01,100/- (रू. पचास लाख ग्यारह सौ मात्र) में विक्रय किया गया। ऑफरदाता श्री रामलखन डण्डौतिया द्वारा ऑफर की संपूर्ण राशि मण्डल में जमा करा दी गई है। (ग) ऑफरदाता श्री रामलखन डण्डौतिया द्वारा ऑफर की संपूर्ण राशि जमा कराये जाने के उपरान्त विक्रय विलेख निष्पादित किया जाकर दिनांक 04.03.2016 को भूतल हॉल का आधिपत्य दिया गया है। आवंटी से कोई भी राशि लेना शेष नहीं है। (घ) हॉल के समीप जनसुविधा (पेशाब घर) का निर्माण मण्डल द्वारा नहीं किया गया। उक्त निर्मित जनसुविधा की भूमि न तो मण्डल की है और न ही उक्त जनसुविधा को विक्रय किया गया है। अतः प्रश्नांश (घ) में उल्लेखित स्थिति का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मुरैना जिले के शिवलाल के पुरा (मौडेरी) अटल आश्रय योजना
54. ( क्र. 6769 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना जिले के ग्राम शिवलाल के पुरा (मौडेरी) में म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल-मुरैना द्वारा अटल आश्रय योजना आकांक्षा परिसर मैं कितने आवासों का निर्माण किया जा रहा है फरवरी 2016 की स्थितिनुसार जानकारी दी जावें। (ख) वर्तमान में म.प्र. गृह निर्माण मण्डल द्वारा जिले में कितनी योजना में किन स्थानों पर कार्य कराये जा रहे है परिसरों के नाम निर्माण के प्रकार सहित फरवरी 2016 तक पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) जिले में चल रहे निर्माणों की किस संस्था को निर्माण का ठेका दिया है ठेकेदार के नाम, राशि, निर्माण की अवधि, अभी तक किये गये भुगतान की राशि सहित जानकारी दी जावे। (घ) क्या निर्धारित अवधि में निर्माण में हो रहे विलम्ब के क्या कारण हैं तथा ठेकेदार को क्या नोटिस आदि दिया गया है।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मुरैना जिले के ग्राम शिवलाल का पुरा (भौंडेरी) में म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल द्वारा वर्तमान में अटल आश्रय योजनान्तर्गत आकांक्षा परिसर में 98 एल.आई.जी. एवं 152 ई.डब्ल्यू.एस. कुल 250 भवनों का निर्माण किया जा रहा है। माह फरवरी, 2016 की स्थिति अनुसार 70 ई.डब्ल्यू.एस. एवं 55 एल.आई.जी. भवनों की छत डाली जा चुकी है, शेष भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। (ख) वर्तमान में मुरैना जिले में अटल आश्रय योजना शिवलाल का पुरा (भौंडेरी) मुरैना में क्रियान्वित की जा रही है। इसके अतिरिक्त और कोई योजना मुरैना जिले में क्रियान्वित नहीं की जा रही है। (ग) मुरैना जिले में शिवलाल का पुरा (भौंडेरी) मुरैना में अटल आश्रय योजनांतर्गत निर्माण कार्य का ठेका मेसर्स सुरेश चंद गुप्ता को दिया गया है। निर्माण कार्य की ठेका राशि रूपये 1332.63 लाख है, निर्माण अवधि 18 माह है। निर्माण कार्य अंतर्गत ठेकेदार को अभी तक रूपये 373.47 लाख का भुगतान किया गया है। (घ) निर्माण कार्य प्रगति पर है एवं कार्य पूर्णता हेतु 10 माह शेष है, अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
योजनान्तर्गत विद्युतीकरण कार्य
55. ( क्र. 6779 ) श्री सचिन यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगौन जिले में किस-किस योजनान्तर्गत विद्युतीकरण का कार्य किस-किस विधान सभा क्षेत्र में संपादित किया जा रहा है? विधान सभा क्षेत्रवार कार्य कर रही निविदाकार फर्मों के नाम बतावें साथ ही पूर्ण किये गये कार्यों का निम्नानुसार विवरण बतावें? (अ) ग्रामों की संख्या (ब) 11 के.व्ही. लाईन की मात्रा किलोमीटर में (स) वितरण ट्रांसफार्मर की संख्या (द) निम्नदाब लाईन की मात्रा मिलोमीटर में (इ) बी.पी.एल. हितग्राहियों को दिये गये विद्युत कनेक्शनों की संख्या? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कसरावद विधान सभा क्षेत्र में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का कितना कार्य अभी तक कराया जा चुका है? ग्रामवार कराए गए कार्य का विवरण देवें? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में किये गये कार्यों में कौन-कौन से कार्य अपूर्ण हैं? कितने खराब अवस्था में है इन्हें कब तक बदल कर कार्य पूर्ण किए जायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) खरगोन जिले में 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत 6 विधान सभा क्षेत्रों यथा- भीकनगांव, महेश्वर, बड़वाह, कसरावद, खरगोन एवं भगवानपुरा में विद्युतीकरण का कार्य संपादित कराया जा रहा है। विधान सभा क्षेत्रवार कार्य कर रही निविदाकार फर्मों के नाम तथा योजनान्तर्गत पूर्ण किये गये कार्य यथा- ग्रामों की संख्या, 11 के.व्ही. लाईन की मात्रा, वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या, निम्नदाब लाईन की मात्रा एवं बी.पी.एल. हितग्राहियों को दिये गये विद्युत कनेक्शनों की संख्या की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के सन्दर्भ में कसरावद विधान सभा क्षेत्र में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत 205 राजस्व ग्रामों में विद्युतीकरण का कार्य कराया जा चुका है। संपादित कराये गये कार्य का ग्रामवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के सन्दर्भ में, स्वीकृति अनुसार सभी कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं, कोई भी कार्य अपूर्ण नहीं है। उक्त संपादित कराये गये विद्युतीकरण के कार्यों में से कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर एवं विद्युत लाईन खराब अवस्था में नहीं है, अत: प्रश्न नहीं उठता।
नर्मदा पेयजल योजना में अनियमितता
56. ( क्र. 6780 ) श्री सचिन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 20.10.2014 को मध्यप्रदेश शासन महामहिम राज्यपाल महोदय, द्वारा जिला खण्डवा में राशि रूपये 106 करोड़ की नर्मदा जल पेयजल योजना में जन भागीदारी का गजट नोटिफिकेशन जारी कर योजना को स्वीकृति प्रदान की गई? यदि हाँ, तो उक्त योजना का प्रकाशन राजपत्र में होने के बाद उसे खण्डित/स्थगति किया गया है? हाँ तो किस अधिकारी द्वारा किस नियम के अंतर्गत? पदनाम सहित जानकारी दें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में दर्शित राशि की डी.पी.आर. तैयार की गई? उस समय कार्ययोजना एवं मूल-स्वरूप क्या था, कौन-कौन से कार्य किस-किस कंपनी के सम्मिलित थे और उनमें कौन-कौन से बदलाव किस-किस प्रकार के लिये गये? योजना का टेण्डर होने के बाद किन नियमों के अंतर्गत डी.पी.आर. में बदलाव किया और क्यों? क्या टेण्डर के बाद नियमों में परिवर्तन करने का अधिकार किसी भी अधिकारी को प्राप्त है? हाँ तो बतायें नहीं तो ऐसा करने वाले अधिकारी/कर्मचारियों की पदनाम सहित जानकारी दें? (ग) उक्त योजना में 32 करोड़ रूपये की अतिरिक्त डी.पी.आर. तैयार कर शासन को स्वीकृति हेतु भेजी गई? हाँ तो क्यों? उक्त योजना के प्रारंभिक से प्रश्न दिनांक तक की गई अनियमितताओं की जाँच उच्चाधिकारी से कराकर जाँच प्रतिवेदन से अवगत करावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 426-ए के अधीन म.प्र. शासन, नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग के आदेश दिनांक 02.11.2014 द्वारा राजपत्र (असाधारण) दिनांक 20.10.2014 में किये गये प्रकाशन को स्थगित किया गया है। (ख) जी हाँ। कार्ययोजना संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। कार्य किसी भी कंपनी से संबंधित नहीं थे। बदलाव पश्चात् योजना का स्वरूप संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। योजना का टेण्डर होने के बाद निविदा सूचना में निविदाकारों को निर्देश कण्डिका-11 के अनुसरण में प्री-बिड मीटिंग के बाद संशोधन किये गये। टेण्डर के बाद नियमों में परिवर्तन नहीं किये गये। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। स्वीकृत निविदा कार्य के अतिरिक्त डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के लिये डी.पी.आर. तैयार की गई थी। प्रकरण में अनियमितता नहीं हुई है। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अस्पताल स्कूल एवं घनी बस्तियों के पास मोबाइल टॉवर
57. ( क्र. 6794 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगरीय क्षेत्र में मोबाइल टॉवर स्थापित किये जाने के क्या नियम हैं? क्या अस्पताल, स्कूल एवं घनी बस्तियों के पास मोबाइल टॉवर नहीं लगाये जाने का प्रावधान है? (ख) क्या सागर नगर में उक्त जगहों पर मोबाइल टॉवर स्थापित किये गये हैं? यदि हाँ, तो क्या शासन के नियमों के विपरीत इन्हें स्थानीय प्रशासन ने अनुमति प्रदान कर दी है? (ग) प्रश्न (ख) के परिप्रेक्ष्य में क्या शासन ऐसे जगहों को चिन्हित कर लोकहित में उनकी अनुमति निरस्त करके टॉवर हटाये जाने पर विचार करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगरीय क्षेत्र में मोबाइल टॉवर स्थापित करने के लिये ''मध्यप्रदेश नगर पालिका (अस्थायी टॉवर का संस्थापन/सेल्यूलर मोबाइल फोन सेवा के लिये अधोसंरचना) नियम-2012 है। उक्त नियम की कण्डिका 3 (ग) अनुसार सभी प्रकार के संस्थागत भवन, स्कूल एवं हॉस्पिटल भवनों/परिसरों को छोड़कर मोबाइल टॉवर स्थापित किये जाने का प्रावधान है। (ख) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
डेम निर्माण की घोषणा
58. ( क्र. 6808 ) श्री गोपाल परमार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर मालवा जिले में माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा ग्राम हड़ाई, बापचा आगर, सुण्डि, एवं भादवा में डेम निर्माण हेतु घोषणाए की गई थी? घोषणा के उपरान्त प्रश्न दिनांक तक किन-किन डेमों की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है एवं कितनी लागत से। (ख) यदि प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति जारी नहीं की गई है तो कब तक कर दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
टिल्लर डेम के स्कैप से पानी छोड़ना
59. ( क्र. 6809 ) श्री गोपाल परमार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टिल्लर डेम से वर्ष 2015-16 में रवि की फसल हेतु नवम्बर माह से कमांड के सभी कृषकों को गेहू चना की फसल हेतू पानी दिया जाता है इस बार अधिकारियों द्वारा नवम्बर माह में स्केप का गेट खोल कर नदी में डेम में जो पानी स्टोर था लगभग 25 प्रतिशत पानी नदी में किस के आदेश से व्यर्थ बहाया गया? (ख) क्या नवम्बर 2015 में कमांड के सभी कृषकों को कुलावे के लिए पानी पहुंचा दिया गया था यदि नहीं, तो क्या कारण है? (ग) स्कैप की उपयोगिता क्या है यदि नहरे फूटती हैं या अत्यधिक वर्षा के कारण डैम का पानी स्पील चैनल से पूर्णत: बाहर नहीं हो रहा हो या अधिक स्टोरेज के कारण डैम को क्षति पहुंचती है ऐसी अवस्था में ही डेम का स्कैप गैट खोला जाता है क्या ऐसी स्थिति निर्मित हुई थी यदि नहीं, तो स्कैप का गैट किस आधार पर खोला गया यदि नियमों के विरूद्ध गैट खोल कर डेम का पानी व्यर्थ बहाया गया तो ऐसे दोषी अधिकारियों विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) स्कैप का गैट किन परिस्थतियों में खोला जा सकता है ऐसी क्या परिस्थिति निर्मित हुई जो की डेम का 25 प्रतिशत पानी खाली कर दिया गया?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। शासन स्तर से वीडियो कांफ्रेंस में दिए गए निर्देश के पालन में नीचे बने स्टापडेमों से सिंचाई के लिए जलाशय से पानी छोड़ा गया। (ख) जी हाँ। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। (ग) एवं (घ) परियोजना में स्केप गेट की व्यवस्था जलाशय से निचले क्षेत्र के लिए आवश्यकतानुसार जल प्रवाहित करने के लिए है। जलाशय में संग्रहित जल का इष्टतम उपयोग कर अधिकाधिक सिंचाई की गई है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
कृषकों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना
60. ( क्र. 6822 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सोनकच्छ विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत कृषकों को सिंचाई सुविधा हेतु कितनी शासकीय संस्थाएं स्थापित हैं व किन-किन स्थानों पर संचालित हैं? क्या कृषकों को सिंचाई हेतु जल प्रदाय किया जा रहा है? (ख) यदि नहीं, तो कब से कृषकों को सिंचाई सुविधा नहीं मिल रही है? क्या कृषकों को सिंचाई सुविधा प्रदाय न होने के कारण फसल उत्पादन प्रभावित नहीं हो रहा है? (ग) कृषक और विभाग के बीच में जल कर वसूली हेतु क्या एग्रीमेंट किये जाते हैं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) सोनकच्छ विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत 10 जल उपभोक्ता संस्थाएं क्रमश: गंजपुरा, मोमनपुरा, पिपलरावा, छायनमैना, औरनी, न्यू राजानल, चिड़ावद, भैसाखेड़ी, चाँदगढ़ एवं बुराडि़या सुरदास में हैं जो कृषकों को सिंचाई हेतु जल प्रदाय में सहायोग करती हैं। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं। (ग) जी हाँ।
लिपिक वर्ग कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां
61. ( क्र. 6826 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लिपिक वर्ग कर्मचारी किस श्रेणी के कर्मचारी में आते हैं? क्या उनके वेतन में विसंगतियां है। यदि हैं तो क्या वर्तमान में लिपिक वर्ग की पे स्केल क्या हैं? (ख) क्या लिपिक वर्गीय कर्मचारियों द्वारा उक्त संबंध में माननीय न्यायालय द्वारा केस दायर किया गया था। यदि हाँ, तो क्या कोर्ट ने लिपिक वर्ग के कर्मचारियों के हित में आदेश दिये थे। (ग) क्या माननीय न्यायालय द्वारा भी लिपिक वर्ग के पक्ष में आदेश देने पर शासन द्वारा उक्त आदेश का पालन किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों नहीं तथा आदेश की छायाप्रति संलग्न करें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) तृतीय श्रेणी। वर्तमान छठवें वेतनमान में कोई विसंगति नहीं है। वेतनमान रूपये 5200-20200 है। (ख) जी हाँ। रिट याचिका क्रंमाक 6555/2013 दायर की गई है जो पूर्व वेतनमानों से संबंधित है। प्रकरण मान. न्यायालय में विचाराधीन है। (ग) उत्तरांश (ख) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सर्वेक्षित योजनायें
62. ( क्र. 6855 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन एवं विदिशा जिले में 01 अप्रैल 14 से 29 फरवरी 16 तक की अवधि में किन-किन योजनाओं, बांध, स्टापडेम, बैराज का सर्वे कब-कब किया गया, कौन-कौन सी योजना साध्य/असाध्य है? (ख) उक्त जिले में उक्त अवधि में कौन-कौन सी योजनाओं का सर्वे करवाने, स्वीकृत करने के सबंध में मान. मंत्री जी को किन-किन सांसद, विधायकों के पत्र प्राप्त हुए उक्त पत्रों पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) उक्त जिलों में कौन-कौन सी योजनाओं का कार्य अपूर्ण है तथा क्यों कारण बतायें उक्त कार्य कब तक पूर्ण होगें समयावधि बतायें? (घ) उक्त जिलों की साध्य योजनाओं की स्वीकृति हेतु विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की जा रही है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
देवास विकास योजना-2031 प्रारूप प्रकाशन
63. ( क्र. 6870 ) श्रीमती गायत्री राजे पवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा गठित समिति द्वारा दिनांक 07.01.2013 को सुनवाई की जाकर अपनी अनुशंसा को उप संचालक देवास द्वारा दिनांक 06.04.2013 को संचालक नगर तथा ग्राम निवेश म.प्र. भोपाल को भेजने की दिनांक से वर्तमान क्या कार्यवाही प्रचलित है और कब तक रहेगी? (ख) देवास विकास योजना 2031 (प्रारूप) प्रकाशन कब तक किया जाना है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) उप संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश जिला कार्यालय देवास के पत्र क्र. 904 दिनांक 06.04.2000 द्वारा प्रेषित देवास विकास योजना का आपत्ति/सुझाव सुनवाई प्रतिवेदन दिनांक 18.04.2013 को संचालनालय, नगर तथा ग्राम निवेश में प्राप्त हुआ। संचालनालय से म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 18 (3) के अंतर्गत प्राप्त प्रतिवेदन का परीक्षणोपरांत विभागीय पत्र दिनांक 07.09.2013 द्वारा आयुक्त सह संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश से पूर्व विकास योजना एवं पुनर्विलोकित की विकास योजना में क्या बदलाव प्रस्तावित किये गये है, के संबंध में जानकारी चाही गई है। अतः पुनर्विलोकित देवास विकास योजना प्रारूप परीक्षणाधीन होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) देवास विकास योजना 2031 (प्रारूप) का प्रकाशन म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 18 (1) के अंतर्गत दिनांक 09.10.2012 को किया गया है।
बुरहानपुर शहर ने स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता
64. ( क्र. 6872 ) श्रीमती अर्चना चिटनिस : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बुरहानपुर शहर ने स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता के प्रथम चरण में प्रदेश के प्रथम 7 शहरों में स्थान प्राप्त किया था और उज्जैन के बराबर अंक प्राप्त किए थे किन्तु बुरहानपुर के स्थान पर उज्जैन को प्रदेश के सात स्मार्ट शहरों में रखा गया है? (ख) यदि हाँ, तो बुरहानपुर को स्मार्ट सिटी के अवसर से वंचित करने के क्या कारण है जबकि सिंहस्थ शहर होने के कारण उज्जैन के विकास के लिए पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था शासन ने की थी? (ग) बुरहानपुर जैसे एतिहासिक और महत्वपूर्ण नगर के समुचित विकास के लिए अब शासन की क्या योजना है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) स्मार्ट सिटी योजना की मार्गदर्शिका के अनुसार प्रथम चरण की प्रतिस्पर्धा में उज्जैन नगर निगम तथा बुरहानपुर नगर निगम को संयुक्त रूप से 78-78 अंक प्राप्त हुए थे। नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा संयुक्त सचिव, भारत सरकार, शहरी विकास मंत्रालय को अपने पत्र क्रं.1548 दिनांक 30.07.2015 द्वारा 7 वें स्थान पर उज्जैन तथा बुरहानपुर नगरों को स्मार्ट सिटी योजना की प्रथम चरण की प्रतिस्पर्धा के अंकों के आधार पर योजना में सम्मिलित किये जाने हेतु भारत सरकार को प्रेषित किया गया था। भारत सरकार द्वारा यह निर्देश दिये गये कि केवल सात शहरों के नाम ही स्मार्ट सिटी योजना की द्वितीय चरण की प्रतिस्पर्धा हेतु विचार किये जाएगें। विभाग द्वारा पुन: समग्र विचारोपरांत उज्जैन शहर के पर्यटन तथा धार्मिक महत्व के दृष्टिगत भारत सरकार को द्वितीय चरण की प्रतिस्पर्धा हेतु सात शहरों की सूची में उज्जैन नगर को प्रथम चरण की प्रतिस्पर्धा के अंको के आधार पर 7 वें स्थान पर रखते हुए अनुशंसित किया गया। (ख) स्मार्ट सिटी योजना का क्रियान्वयन भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अंतर्गत ही किया जाना है। जिसमें एक क्षेत्र आधारित विकास (Area Based Development) जिसमें से रिट्रोफिटिंग (न्यूनतम 500 एकड़ क्षेत्र), पुनर्विकास (50 एकड़ क्षेत्र), अथवा हरित क्षेत्र विकास (250 एकड़ से अधिक) नवीकृत योजना आधारित नगरीय निकायों की सीमा के अंतर्गत किया जाना है। इसके अतिरिक्त पेन सिटी विकास के अंतर्गत नगरीय निकाय में एक स्मार्ट सॉल्यूशन लिया जाना है। उपरोक्त से यह स्पष्ट है कि स्मार्ट सिटी योजना सिंहस्थ के विकास कार्यों से पृथक है एवं विचार उपरांत भारत सरकार की निर्धारित प्रक्रिया अनुसार ही शहरों का चयन किया गया। (ग) भारत सरकार की स्मार्ट सिटी योजना के घटकों को केन्द्र तथा राज्य सरकार की अन्य योजनाओं के माध्यम से बुरहानपुर नगर में लागू किया जा रहा है। अमृत योजना के अंतर्गत जल प्रदाय, सीवेज, शहरी यातायात तथा हरित क्षेत्र के विकास हेतु 109.61 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत शहरी गरीबों के लिये आवास, विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित योजना अंतर्गत जल आवर्धन, मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना योजना अंतर्गत सड़क निर्माण, ई-नगर पालिका योजना अंतर्गत ई-गवर्नेन्स इत्यादि का क्रियान्वयन बुरहानपुर नगर में किये जाने की कार्यवाही प्रचलित है।
छोटे और मध्यम शहरों की अधोसंरचना विकास
65. ( क्र. 6873 ) श्रीमती अर्चना चिटनिस : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छोटे और मध्यम शहरों की अधोसंरचना विकास के लिए केन्द्र प्रवर्तित UIDSSMT योजना बंद हो गई है और एक लाख से अधिक आबादी के शहरों के विकास के लिए केन्द्र प्रवर्तित AMRUT योजना लागू की गई है? (ख) यदि हाँ, तो प्रदेश के छोटे और मध्यम शहरों की, जिनकी आबादी एक लाख से कम है कि अधोसंरचना विकास के लिए शासन की क्या योजना है? (ग) इन छोटे और मध्यम शहरों की अधोसंरचना विकास के लिए शासन कब तक योजना प्रारंभ करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) अधोसंरचना विकास के लिये मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना का द्वितीय चरण प्रस्तावित है। (ग) कार्यवाही प्रचलित है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
महेश्वर में किसानों को नर्मदा नदी से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना
66. ( क्र. 6882 ) श्री राजकुमार मेव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र महेश्वर की जनपद पंचायत बड़वाह की 28 ग्राम पंचायतों के ग्राम मुख्त्यारा, बलवाडा, पढाली, झिगडी, कुण्डिया, हनुम्न्त्या, सेल्दा, बावी, बांडीखार, मोगरगांव, बागोद, टेमला, बरझर, ईत्यादि ग्रामों के किसानों की असिंचित कृषि भूमि को सिंचित करने हेतु विभाग द्वारा नर्मदा नदी से सिंचाई हेतु कौन सी योजना तैयार की गई है अथवा तैयार किये जाने की कार्यवाही लंबित है? (ख) क्या ओंकारेश्वर नहर सिंचाई परियोजना के माध्यम से एवं नर्मदा क्षिप्रा लिंक, नर्मदा गंभीर लिंक परियोजना से उक्त ग्रामों के किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा क्या योजना तैयार की गई है? योजना की जानकारी दी जावे? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उल्लेखित ग्रामों के किसानों की असिंचित कृषि भूमि को सिंचाई हेतु कौन सी योजना के माध्यम से कब तक पानी उपलब्ध कराया जावेगा? क्या ओंकारेश्वर परियोजना का पानी, नर्मदा क्षिप्रा का पानी अथवा गंभीर लिंक परियोजना का पानी क्षेत्र में स्थित बलवाडा तालाब, चंदनपुरा तालाब, उधरन्या तालाब, जामन्या तालाब, रमठान तालाब, जेठवाय तालाब, प्रेमपुरा तालाब आदि तालाबों में पानी डाला जाकर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जावेगी? (घ) यदि हाँ, तो कब तक? क्या कार्ययोजना है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्न में उल्लेखित 13ग्रामों यथा मुख्त्यारा, बलवाडा, पढाली, झिगडी, कुण्डिया, हनुम्न्त्या, सेल्दा, बावी, बांडीखार, मोगरगांव, बागोद, टेमला, बरझर, के किसानों को असिंचित कृषि भूमि को सिंचित करने हेतु विभाग द्वारा बलवाडा माइक्रो सिंचाई परियोजना तैयार की गई है। (ख) जी हाँ। इस क्षेत्र में नर्मदा क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक से जल प्राप्त कर 5000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हेतु बलवाडा माइक्रो सिंचाई परियोजना तैयार की गई है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) बलवाडा माइक्रो सिंचाई परियोजना तैयार कर निविदा दिनांक 10/03/2016 को आमंत्रित की गई है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। जी नहीं। (घ) उत्तरांश ‘’ग’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जल भराव के ऊपर बसे गांव
67. ( क्र. 6886 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे किरानी अवंती बाई सागर बांध के HFL (हाई फ्लड लेवल) MSL 422.7 एवं F.T.L. (फुल टेंक लेवल) 426.00 MSL के कितने ऊपर वन ग्राम-खामखेड़ा वि.ख. एवं जिला-जबलपुर स्थित है? बांध के डूब क्षेत्र में आने के बाद उक्त ग्राम कब बसा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) रानी अवंती बाई लोधी सागर बांध का HFL (अधिकतम जल स्तर) 425.70 मीटर तथा FRL (पूर्ण जल स्तर) 422.76 मीटर है। वनग्राम खामखेड़ा विकासखंड एवं जिला जबलपुर उक्त परियोजना अंतर्गत बांध ऊंचाई 417.00 मीटर से 421.00 मीटर के बीच डूब से प्रभावित हुआ था। उक्त वनग्राम में 15 प्रभावित परिवार थे जिन्हें नियमानुसार वर्ष 1990-91 में मुआवजा प्रदान किया गया। वन विभाग जबलपुर से प्राप्त जानकारी अनुसार जबलपुर वनमण्डल में वर्तमान में खामखेड़ा वनग्राम नहीं है।
विद्युत लाईन चोरी की घटनाएं
68. ( क्र. 6887 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दतिया जिले में वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में कहाँ-कहाँ एवं कब-कब विद्युत की लाईन (तार) चोरी की घटनायें हुई, विद्युत विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई, घटनावार जानकारी उपलब्ध करायें? (ख) क्या विभाग द्वारा पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई या नहीं? यदि हाँ, तो F.I.R. की छायाप्रति उपलब्ध करायें? चोरी गये तार से शासन को कितनी आर्थिक क्षति हुई, कितने प्रकरणों में चोरी पकड़ी गई? कितना तार बरामद किया गया? कौन-कौन दोषी पाये गये दोषियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई? (ग) जिन ग्रामों की लाइनें चोरी गई हैं उन ग्रामों में पुन: लाइनें डाली गई अथवा नहीं? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ डाली जा चुकी हैं तथा कहाँ-कहाँ डलना शेष हैं, जो शेष हैं वो कब तक डाली जायेगी और यदि नहीं, डाली गई तो क्यों? कारण बताएं? (घ) क्या दतिया से धीखुरा 33 के बी.ए. की 15 कि.मी. विद्युत लाइन अभी हाल में चोरों द्वारा काटी गई है? यदि हाँ, तो इस संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? चोरी गई लाईन से शासन को कितनी आर्थिक क्षति हुई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) दतिया जिले में वर्ष 2014-15 में 2 एवं वर्ष 2015-16 में प्रश्न दिनांक तक 3 विद्युत लाईनों के तार चोरी की घटना घटित हुई है, जिनकी घटना की दिनांक, स्थान एवं की गई कार्यवाही सहित घटनावार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी हाँ, उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन चोरी की सभी घटनाओं की वितरण कंपनी के क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा संबंधित पुलिस थानों में लिखित में सूचना दी गई। प्रश्नाधीन 5 प्रकरणों में से 1 प्रकरण में एफ.आई.आर. दर्ज हुई है, जिसकी छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। तार चोरी की उक्त घटनाओं में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को रूपये 12.07 लाख की आर्थिक क्षति हुई है। संबंधित पुलिस थानों से तार बरामदगी अथवा दोषियों के पकड़े जाने एवं उनके विरूद्ध की गई कार्यवाही के संबंध में कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' में दर्शाए अनुसार 2 स्थलों पर पुन: तार लगाकर विद्युत प्रदाय चालू किया जा चुका है तथा शेष 3 स्थलों पर वैकल्पिक व्यवस्था कर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। इन शेष 3 स्थलों के तार लगाने का कार्य जून-2016 तक पूर्ण कर लिया जावेगा। (घ) जी हाँ, दतिया से धीरपुरा (धीखुरा नहीं) की 15 कि.मी. 33 के.व्ही.लाईन के तार दिनांक 27.01.2016 को चोरी हो गये थे। इसके संबंध में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा संबंधित पुलिस थाना सिविल लाईन दतिया को पत्र क्रमांक 647 दिनांक 28.01.2016 के माध्यम से सूचना दी गई है। चोरी की घटना से मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को रूपये 8.10 लाख की आर्थिक क्षति हुई है।
हितग्राहियों को राशि भुगतान
69. ( क्र. 6916 ) श्री ठाकुरदास नागवंशी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पत्र क्रमांक 1041/आर पिपरिया दिनांक 02.11.2015 के द्वारा श्री राहुल आत्मज श्री रनवीर सिंह रघुवंशी, पत्र क्रमांक 135/आर पिप. दिनांक 30.10.2015 जसवंत सिंह, पत्र क्रमांक 985/आर पिपरिया दिनांक 18.10.15 चमेली बाई, पत्र क्रमांक 24/आर पिपरिया दिनांक 07.01.2016 द्वारा प्रश्नकर्ता ने मयंक व्यास को स्वेच्छानुदान की राशि स्वीकृत करने हेतु प्रस्ताव भेजे गये थे? (ख) यदि हाँ, तो क्या इन हितग्राहियों के बैंक खाता/आई.एफ.सी. कोड में त्रुटि होने के कारण इनको स्वेच्छानुदान की राशि का भुगतान नहीं किया गया? (ग) यदि हाँ, तो क्या प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 18/आर पिपरिया दिनांक 06.01.2016 द्वारा राहुल/रनवीर पत्र क्रमांक 1035/आर पिपरिया दिनांक 30.10.2015 के द्वारा श्री जसबंत/दौलतराम के खाता क्रमांक बैंक पास बुक की छायाप्रति के साथ सुधार कर पुन: प्रेषित किये गये, ऐसे हितग्राहियों की राशि भुगतान किये जाने की क्या प्रक्रिया हैं इनके बैंक खाता क्रमांक में कब तक राशि जमा कर दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। हितग्राहियों के बैंक खाते त्रुटिपूर्ण होने की दशा में कोषालय द्वारा बैंकर्स चैक प्राप्त कर हितग्राहियों के खातों की सही जानकारी प्राप्त करने के उपरांत राशि भुगतान की कार्यवाही की जाती है। सभी हितग्राहियों को राशि भुगतान कर दिये जाने से प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मकोडि़या डेम के सिंचाई क्षेत्र का विस्तार
70. ( क्र. 6934 ) श्री कल्याण सिंह ठाकुर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला रायसेन अंतर्गत मकोडिया डेम निर्माण की कार्यवाही विचाराधीन है? इस के अंतर्गत जिला विदिशा को भी सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाना है? क्या डेम का क्षेत्र बढ़ाये जाने हेतु विदिशा जिले के किसान विगत 2-3 माह से आंदोलनरत हैं? (ख) क्या जिला रायसेन स्थित मकोडिया डेम का क्षेत्र विस्तृत किया जाता है तो जिला विदिशा क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा? (ग) क्या शासन मकोडि़या डेम के क्षेत्र में जिला विदिशा का क्षेत्र शामिल किये जाने की कार्यवाही कर रहा है? तो शीघ्र स्वीकृति आदेश हेतु निर्देश देगा? यदि नहीं, तो कारण सहित बतायें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत चिन्हित मकोडि़या बाँध का डूब क्षेत्र का अत्याधिक होने के कारण मकोडि़या परियोजना असाध्य पाई गई है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते है।
शराब की दुकानें शहर से बाहर स्थानांतरित करना
71. ( क्र. 6935 ) श्री कल्याण सिंह ठाकुर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विदिशा शहर में मदिरा (शराब) की दुकानें संचालित हो रही हैं, स्थान खरीफाटक, पुराना बस स्टैण्ड, नीमताल, वक्सरिया, पूरनपुरा, अहमदपुर चौराहा इन दुकानों को शहर से बाहर स्थानांतरित किया जाना है, इन दुकानों के संचालित होने से आम जनता परेशान है? (ख) क्या शासन शहर में संचालित हो रही शराब दुकानों को अन्य स्थान पर किये जाने की कार्यवाही कर रहा है? यदि नहीं, कर रहा है तो क्यों? (ग) क्या शहर में मदिरा (शराब) की दुकानें संचालित हो रही हैं? शराब के विक्रय से शहर की आम जनता परेशान है? (घ) यदि प्रश्नांश (ग) के क्रम में हाँ, तो क्या शासन विदिशा शहर की मदिरा (शराब) की दुकानें बाहर स्थानांतरित करने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। विदिशा शहर में निम्नांकित मदिरा दुकानें संचालित की जा रही हैं (1) देशी मदिरा दुकान खरीफाटक (2) विदेशी मदिरा दुकान पीतलमील (3) पुराना बस स्टेण्ड विदेशी मदिरा दुकान माधवगंज (4) नीमताल विदेशी मदिरा दुकान बस स्टेण्ड (5) बक्सरिया देशी मदिरा दुकान तोपपुरा (6) पूरनपुरा देशी मदिरा दुकान पूरनपुरा (7) अहमदपुर चौराह देशी मदिरा दुकान अहमदपुर रोड सेलमेमो अनुसार उपर्युक्त मदिरा दुकानों की अवस्थिति का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 के तहत् बने सामान्य प्रयुक्त नियम के अन्तर्गत आपत्तिरहित स्थलों पर संचालित है। ठेका वर्ष 2015-16 की अवधि में प्रश्नांश ''क'' में वर्णित मदिरा दुकानों के संबंध में आम जनता के परेशान होने संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अत: दुकानों को शहर के बाहर अन्यत्र स्थानांतरित करने की कार्यवाही नहीं की गई है। (ख) प्रश्नांश ''क'' में वर्णित मदिरा दुकानें मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 के तहत् बने सामान्य प्रयुक्त नियम के अन्तर्गत आपत्तिरहित स्थलों पर संचालित होने के कारण शहर में संचालित हो रही शराब दुकानों को अन्यत्र स्थानांतरित किये जाने की कार्यवाही नहीं की जा रही है। (ग) जी हाँ। प्रश्नांश ''क'' में वर्णित मदिरा दुकानों से शराब विक्रय से आम जनता के परेशान होने संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
आवंटित खदानों से प्राप्त रायल्टी
72. ( क्र. 6947 ) श्री लखन पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह जिले में पंचम नगर बैराज निर्माण के लिए क्या रेत के बजाय पत्थर की रेत तैयार की जा रही है? (ख) यदि हाँ, तो पत्थर खनन हेतु खनिज विभाग द्वारा खनन हेतु खदान आवंटित की गई है? (ग) आवंटित खदान का रकबा कितना-कितना है, किस-किस के नाम से उत्खनन हेतु खदान आवंटित की गई है? कब आवंटित की गई है उत्खनन का निर्धारित समय कब तक है? (घ) जब से उत्खनन किया जा रहा है, अब तक उनके द्वारा कितनी-कितनी रायल्टी कब-कब वसूली गई है, शेष राशि कितनी है? शेष राशि जमा न करने के उपरांत भी क्या खनन किया जा रहा है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। (ग) प्रश्नांश 'ख' में दिये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) अनुबंध अनुसार पंचम नगर बैराज निर्माण के लिए आवश्यक खुदाई से प्राप्त पत्थर का उपयोग प्रश्नानुसार किया जा रहा है। इसकी रायल्टी रूपये 88,33,436/- दिनांक 11.09.2014 तक वसूल की गई है। ठेकेदार पर वर्तमान में कोई रायल्टी वसूली योग्य नहीं है। वर्तमान में कोई खनन कार्य नहीं किया जा रहा है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
ट्रांसफार्मर स्थापना हेतु किसानों को अनुदान
73. ( क्र. 6948 ) श्री लखन पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्रामीण क्षेत्र में कृषकों को विद्युत पम्प चलाने हेतु ट्रांसफार्मर स्थापित करने के लिए क्या किसानों को अनुदान योजना दमोह जिले में लागू है? यदि हाँ, तो कितना-कितना किस रेंज (क्षमता) में किसानों को अनुदान दिया जाता है? (ख) वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में जिले में कितने किसानों ने ट्रांसफार्मर स्थापित करने के लिए आवेदन दिए? (ग) कृषक अनुदान योजना के अन्तर्गत स्थायी पम्प कनेक्शन प्रदान किये जाने हेतु योजना स्वीकृत की गई है तो तहसील पथरिया एवं बटियागढ़ के कितने ग्रामों में इस योजना के अन्तर्गत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित कर दिये गये हैं एवं कितने स्थापित किया जाना शेष हैं? (घ) किसानों द्वारा इस योजना के तहत दिए गए आवेदन को निरस्त करने का कारण बतायें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, कृषि कार्य हेतु 3 हार्स पॉवर एवं इससे अधिक क्षमता के स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय किये जाने के लिए दमोह जिले सहित संपूर्ण प्रदेश में अनुदान योजना लागू है। उक्त योजना के अंतर्गत सीमांत कृषकों (2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले) को रूपये 6,500 प्रति हार्स पॉवर तथा अन्य कृषकों को रूपये 10,400 प्रति हार्स पॉवर की दर से राशि जमा करानी होती है। इस योजना में प्रत्येक कृषक हेतु रूपये 1.5 लाख की राशि का प्राक्कलन स्वीकृत करने की सीमा निर्धारित की गई है तथा प्राक्कलन लागत एवं कृषकों द्वारा प्रति हार्स पॉवर भुगतान की गई राशि के अंतर की राशि का भुगतान राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों को अनुदान के रूप में किया जाता है। प्राक्कलन की लागत प्रति हितग्राही रूपये 1.5 लाख से अधिक होने पर संबंधित आवेदकों को रूपये 1.5 लाख से अधिक की राशि का भुगतान करना होता है। (ख) दमोह जिले में वर्ष 2014-15 में 99 कृषकों द्वारा तथा वर्ष 2015-16 में माह फरवरी-2016 तक 419 कृषकों द्वारा अनुदान योजनान्तर्गत ट्रांसफार्मर स्थापित कर स्थायी पम्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु आवेदन दिये गये हैं। (ग) कृषकों को स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में प्रश्न दिनांक तक दमोह जिले के पथरिया तहसील अन्तर्गत 56 एवं बटियागढ़ तहसील अन्तर्गत 44 ट्रांसफार्मर स्थापित कर दिये गये हैं। पथरिया तहसील अन्तर्गत 55 एवं बटियागढ़ तहसील अन्तर्गत 39 ट्रांसफार्मर स्थापित किये जाने शेष हैं। (घ) प्रश्नाधीन योजनांतर्गत प्राप्त आवेदनों को आवेदक द्वारा अंश राशि जमा नहीं, करने अथवा प्राक्कलन राशि रू. 1.5 लाख से अधिक होने पर अतिरिक्त राशि जमा नहीं करने, राइट ऑफ-वे उपलब्ध नहीं होने, समीपस्थ कृषकों द्वारा उनके खेत से लाईन विस्तार हेतु सहमति नहीं देने, आदि कारणों से निरस्त करना पड़ता है।
कृषि उपकरणों पर वेट की वसूली
74. ( क्र. 6966 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीहोर जिले के नसरूल्लागंज में दिनांक 17.09.2014 को प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री ने कृषि उपकरणों पर से वेट समाप्त किए जाने के संबंध में घोषणा की थी एवं यह घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी के कार्यालय में दर्ज हैं? यदि हाँ, तो विवरण दें? (ख) क्या उक्त घोषणा की पूर्ति हो चुकी है? यदि हाँ, तो किन-किन उपकरणों एवं कृषि यंत्रों को वेट कर से मुक्त किया गया? सूची एवं विवरण दें? यदि नहीं, तो इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं? (ग) क्या वेट कर मुक्ति आदेश में शामिल कृषि यत्रों के अतिरिक्त क्या अभी भी कुछ यंत्र शामिल किए जाने हेतु शेष हैं एवं उन्हें कब तक शामिल कर लिया जाएगा? (घ) क्या कि माननीय मुख्यमंत्री जी की इस घोषणा के उपरांत भी एम.पी. एग्रो द्वारा कृषि उपकरणों पर वेट वसूला जा रहा है? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं तथा क्या वेट की वसूल की गई राशि किसानों को वापस लौटाई जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। मान. मुख्यमंत्री जी द्वारा ''कृषि उपकरणों पर से वेट समाप्त किया जावेगा, जिससे कृषि के सस्ते उपकरण किसानों को मिलेंगे'' संबंधी घोषणा की गई थी। उक्त घोषणा मान. मुख्यमंत्री जी के कार्यालय में घोषणा क्रमांक बी 0359 दिनांक 17/09/2014 पर दर्ज है। (ख) जी हाँ। कृषि उपकरणों एवं कृषि यंत्रों को वेट अधिनियम, 2002 की अनुसूची-एक के अंतर्गत वेट कर से करमुक्त किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उक्त संबंधी कोई प्रस्ताव विभाग में विचाराधीन नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) मेसर्स एम.पी. एग्रो इण्ड. डेव. कार्पो. लिमिटेड द्वारा कर मुक्त किए गए कृषि उपकरणों पर कर वसूले जाने की कोई जानकारी नहीं है।
क्वारी नदी पर स्टॉप डेम
75. ( क्र. 6979 ) श्री मेहरबान सिंह रावत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सबलगढ़ विधान सभा अंतर्गत क्वारी नदी पर कितने स्टॉप डेमों का निर्माण कराया जा चुका है? ग्रामवाईज जानकारी बतावें। इन स्टॉप डेमों में कितनी राशि विभाग द्वारा व्यय की गई एवं कितनी राशि ठेकेदारों द्वारा व्यय की गई? (ख) सबलगढ़ विधान सभा अंतर्गत क्वारी नदी पर कितने स्टॉप डेम नवीन स्वीकृत कर दिए गए हैं? ग्रामवार संख्या बतावें अथवा नहीं तो क्यों नहीं? (ग) क्या नवीन स्टॉप डेम स्वीकृत कर दिए गए हैं? यदि हाँ, तो कब तक पूर्ण कर लिए जाऐंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) स्वीकृत एवं निर्मित स्टॉप डेम की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। वर्तमान में स्वीकृति हेतु कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
आरोन उद्वहन सिंचाई योजना
76. ( क्र. 6990 ) श्री मेहरबान सिंह रावत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले के घाटीगाँव विकासखण्ड के अंतर्गत आरोन से रानीघाट मार्ग पर स्थित ग्रामों की सिंचाई सुविधा के लिये क्या शासन ने आरोन उद्वहन सिंचाई योजना बनाई थी? यदि हाँ, तो कब, इसके अंतर्गत कितनी राशि की योजना बनाई गई थी? इससे कितने व कौन-कौन ग्राम लाभान्वित होते कितना रकबा सिंचित होता? यह योजना क्यों क्रियान्वित नहीं हो सकी? (ख) क्या इस क्षेत्र में नदी, नहरों का अभाव है वाटर लेवल बहुत नीचे स्तर पर चला गया हैं? क्या ककेटा, पहेसारी डेम से सर्वे कराके सिंचाई योजना बनाई जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों? स्पष्ट करें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) आरोन उद्वहन सिंचाई परियोजना की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति सिंध फेस-1 के घटक के रूप में दिनांक 04.11.1991 को रूपये 506.59 लाख की दी गई थी। जिससे 12 ग्रामों की 1960 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई प्रस्तावित थी। पानी की उपलब्धता पर्याप्त न होने के कारण परियोजना का क्रियान्वयन नहीं किया गया। (ख) जी नहीं। जी नहीं। तकनीकी रूप से साध्य नहीं होने के कारण।
दोषियों के विरूद्ध गलत जानकारी देने पर कार्यवाही
77. ( क्र. 7039 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नोत्तरी दिनांक 08.12.2015 के अतारांकित प्रश्न संख्या 29 (क्रमांक 304) में दिये गए उत्तर के संदर्भ विद्युतीकरण के कार्य को पूर्ण करने की जानकारी दी गई है, जबकि उपरोक्त जगहों में विद्युतीकरण के पोल ही नहीं गाड़े गए और न ही केबिलें बिछाई गई हैं? जबकि फरवरी 2016 में कार्य पूर्ण करने का उल्लेख किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के कार्य के अलावा अन्य टोले एवं मजरों को भी विद्युतीकरण हेतु चिन्हांकित कर गुढ़ विधान सभा क्षेत्र के वंचित ग्रामों, टोलों, मजरों को राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना में जोड़ने का कार्य करेंगे? करेंगे तो कब तक बतावें? (ग) प्रश्नांकित कार्य कब तक पूर्ण कर लिये जायेंगे? अगर समय पर दी गई जानकारी अनुसार कार्य पूर्ण नहीं किये जाते तो इसके लिए दोषियों की पहचान कर क्या कार्यवाही करेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं, प्रश्नांश में उल्लेखित पूर्व विधान सभा प्रश्न में ग्राम पोखरा एवं ग्राम जरहा में विद्युतीकरण का कार्य क्रमश: माह फरवरी 2016 एवं माह मार्च 2016 तक पूर्ण किया जाना अनुमानित का लेख किया गया था। वर्तमान में ग्राम पंचायत इटार पहाड के ग्राम पोखरा में 1.50 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन हेतु पोल खड़े हैं एवं 0.80 कि.मी. एल.टी. लाईन का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। ग्राम जरहा में 11 के.व्ही. लाईन के 08 पोल एवं एल.टी. लाईन के 38 पोल खड़े किये जा चुके है। टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल लिमिटेड मुम्बर्इ के पास 11 के.व्ही. लाईन में कार्य हेतु प्रयुक्त होने वाली डी.पी. चैनल एवं एल.टी. लाईन कार्य हेतु अन्तिम छोर (डेड एण्ड) क्लैम्प की अनुपलब्धता के कारण कार्य अनुमानित समय-सीमा में पूर्ण नहीं किया जा सका है। वर्तमान में कार्य प्रगति पर है, जिसे सामग्री की उपलब्धता एवं वे-लीव उपलब्ध होने पर मई-16 तक पूर्ण किया जाना अनुमानित है। (ख) प्रश्नांश 'क' के कार्य के अलावा गुढ़ विधान सभा क्षेत्र के 12वीं पंचवर्षीय योजना में राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत स्वीकृत 58 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले अविद्युतीकृत मजरों/टोलों का विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण के कार्य में से दिनांक 10.03.16 तक 33 ग्रामों में सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर 781 बी.पी.एल. हितग्राहियों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन प्रदाय किया जा चुका है तथा शेष कार्य प्रगति पर है। ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार योजनांर्गत समस्त कार्य फरवरी 2017 तक पूर्ण किया जाना अनुमानित है। (ग) उत्तरांश (क) में उल्लेखित कार्य मई, 2016 तक तथा उत्तरांश (ख) में उल्लेखित कार्य फरवरी 2017 तक पूर्ण किया जाना अनुमानित है। योजना के प्रावधानों के अनुसार सभी कार्य टर्न-की आधार पर करवाये जा रहे हैं। ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य में विलंब होने पर संबंधित ठेकेदार से प्राप्त होने वाले बिलों से 5% राशि लिक्विडेटेड डैमेज के रूप में पेनाल्टी स्वरूप काटी जायेगी।
सिंचाई रकबा बढ़ाने हेतु सर्वेक्षित योजनाएं
78. ( क्र. 7055 ) श्री दिनेश राय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्न दिनांक की स्थिति में सिवनी जिले में सिंचाई रकबा/सुविधाओं में वृद्धि के लिए कौन-कौन सी सिंचाई परियोजना का सर्वेक्षण विभाग द्वारा कराया है? सर्वेक्षण में कौन-कौन सी योजनाएँ साध्य पायी गयी हैं? कौन-कौन सी असाध्य है? तहसीलवार जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार साध्य परियोजनाओं में से किन-किन परियोजनाओं की डी.पी.आर. तैयार की जा चुकी है अथवा की जा रही है? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार डी.पी.आर. तैयार होने के पश्चात् कितनी-कितनी लागत की कौन-कौन सी परियोजनाओं की स्वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है? स्वीकृति में विलंब के क्या कारण हैं? कब तक स्वीकृति प्रदान कर दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) डी.पी.आर. अंतिम नहीं होने से स्वीकृति हेतु कोई परियोजना विचाराधीन नहीं है। स्वीकृति की स्थिति नहीं आने से समय-सीमा नियत करना संभव नहीं है।
सिवनी क्षेत्र अंतर्गत सिंचाई सुविधा
79. ( क्र. 7056 ) श्री दिनेश राय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिवनी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत ऐसी कौन-कौन सी सिंचाई परियोजनाएं हैं, जिनकी नहरों में मुरम क्षेत्र में सीपेज होने के कारण सिंचाई सुविधा प्रभावित हो रही है? सिंचाई परियोजनाओं एवं सिंचित क्षेत्र/भूमि सहित जानकारी दें? (ख) क्या शासन/विभाग नहरों में मुरम क्षेत्र में होने वाले सीपेज को रोकने के लिए सीमेंट कांक्रीट की लाईनिंग कराएगा? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ पर कब तक कराएगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) सिवनी विधान सभा क्षेत्र में निर्मित परियोजनाओं की नहरें रूपांकित क्षमता से जल प्रवाह करने हेतु संधारित है। बम्होडी एवं टोला पिपरिया परियोजनाओं की नहरों की लाईनिंग का कार्य पूर्ण कराया जा चुका है और बिजना परियोजना की नहरों की लाईनिंग का कार्य प्रारंभ है।
ग्रामों में स्थापित ट्रांसफार्मर
80. ( क्र. 7070 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरयावली विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सागर जिले के सागर एवं राहतगढ़ वि.खं. अंतर्गत ग्रामों में विगत एक वर्ष में विभाग द्वारा कितने ट्रांसफार्मर बदले गये? (ख) नरयावली विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सागर एवं राहतगढ़ वि.खं. अंतर्गत ग्रामों में विभाग द्वारा विगत एक वर्ष से प्रश्न दिनांक तक कितने नवीन ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये/रखे गये? (ग) कितने ग्रामों में तकनीकी खराबी ट्रांसफार्मर एवं नवीन ट्रांसफार्मर स्थापित किये जाने हेतु विभाग के पास आवेदन एवं राशि जमा है जो प्रश्न दिनांक तक स्थापित नहीं किये जा सके? (घ) तकनीकी खराबी ट्रांसफार्मर एवं नवीन ट्रांसफार्मर स्थापित किये जाने पर विलंब हेतु दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर विभाग कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सागर जिले के नरयावली विधान सभा क्षेत्रांतर्गत ग्रामों में विगत एक वर्ष में सागर विकासखण्ड में 73 एवं राहतगढ़ विकासखण्ड में 17 जले/खराब ट्रांसफार्मर बदले गये। (ख) विगत एक वर्ष में नरयावली विधान सभा क्षेत्रांतर्गत सागर विकासखण्ड में 83 तथा राहतगढ़ में 34 नवीन वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये हैं। (ग) नरयावली विधान सभा क्षेत्रांतर्गत प्रश्न दिनांक की स्थिति में तकनीकी खराबी के कारण बदलने हेतु कोई ट्रांसफार्मर शेष नहीं है। सिंचाई कार्य हेतु कृषकों को स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने के लिये लागू अनुदान योजनांतर्गत 33 पंप कनेक्शनों हेतु कुल 19 नवीन वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना का कार्य आवश्यक आवेदन/राशि जमा होने के उपरांत कनेक्शन प्रदाय करने हेतु निर्धारित समयावधि में किया जाना प्रक्रियाधीन है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
विद्युत विच्छेद ग्रामों की जानकारी
81. ( क्र. 7071 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नरयावली विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सागर जिले के सागर एवं राहतगढ़ वि.खं. अंतर्गत कितने ग्रामों में वर्तमान में विद्युत होने के बाद भी विद्युतविहीन है या लाईट नहीं है? यदि हाँ, तो कारण बतायें? (ख) उपरोक्त ग्रामों में विद्युत प्रभाव के लिये विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? विद्युत प्रभाव हेतु कब तक ट्रांसफार्मर रखे जावेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सागर जिले के नरयावली विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत सागर एवं राहतगढ़ विकासखण्डों के किसी भी विद्युतीकृत ग्राम का विद्युत प्रदाय बन्द नहीं है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) प्रश्नाधीन क्षेत्र के विद्युतीकृत सभी ग्रामों का विद्युत प्रवाह चालू है एवं विद्युत प्रवाह हेतु प्रश्नाधीन क्षेत्र में कोई ट्रांसफार्मर रखा जाना शेष नहीं है, अत: प्रश्न नहीं उठता।
विद्युतविहीन बसाहटें
82. ( क्र. 7091 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पोहरी विधान सभा क्षेत्र में ऐसे कौन-कौन से ग्राम है जो कि वर्तमान में विद्युतविहीन हैं व किस कारण से? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार विद्युतविहीन ग्रामों को किस योजना के अंतर्गत कब तक विद्युतीकृत कर दिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) पोहरी विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार 12 ग्रामों में विद्युत व्यवस्था नहीं है। उक्त 12 ग्राम पूर्व में विद्युतीकृत थे, परन्तु विभिन्न कारणों से विद्युत अधोसंरचना के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण वर्तमान में डी-इलेक्ट्रिफाईड हो गये हैं। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित 12 ग्रामों में आवश्यक विद्युत अधोसंरचना की स्थापना का कार्य फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत ठेकेदार एजेंसी मेसर्स एन.सी.सी.लि. हैदराबाद द्वारा जून 2016 तक पूर्ण किया जाना संभावित है।
डेरी-त्रिवेणी जलाशय से सिंचाई हेतु पानी लेना
83. ( क्र. 7106 ) श्री मथुरालाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या डेरी-त्रिवेणी जलाशय निर्मित होने के पूर्व पानी के स्त्रोत वाले नाले से रतलाम ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम डेरी, चिकलिया, अम्बोदिया, नलकुई इत्यादि ग्राम के कृषक सिंचाई हेतु पानी प्राप्त कर रहे थे? (ख) क्या डेरी-त्रिवेणी जलाशय निर्मित होने के उपरांत डूब क्षेत्र के ग्रामीण कृषकों को छोड़कर उक्त जलाशय से अन्य ग्रामों के कुछ कृषकों द्वारा भी जलाशय में मोटरें डालकर अवैध रूप से लगभग दो से तीन किलोमीटर तक सिंचाई की जा रही है? यदि हाँ, तो कुल कितनी मोटरें कितने-कितने हार्स पावर की किन-किन अधिकारियों की अनुमति से चल रही है? यदि नहीं, तो जलाशय से कमाण्ड क्षेत्र भाटीबडोदिया, सरवनीजागीर, सरवनीबंट, मूंदडी, कुआझागर, धतूरिया के अंतिम छोर तक नहरों से सिंचाई हेतु पानी क्यों नहीं पहुँच पा रहा है? (ग) क्या शासन उक्त जलाशय से कमाण्ड क्षेत्र के अंतिम छोर तक सिंचाई हेतु पानी की सुलभता हेतु वर्तमान में निर्मित कच्ची एवं टूटी नहरों को पक्की नहरों में परिवर्तित करने की कोई योजना बना रहा है? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। 3 से 5 हार्स पॉवर के 129 विद्युत पम्प बिना अनुमति के चलाए गए होना प्रतिवेदित हैं। प्रश्नाधीन ग्रामों में सिंचाई हेतु जल पहुँचाया गया है। (ग) जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। निर्मित नहर रूपांकित सिंचाई क्षमता हेतु संधारित होने के कारण।
जन सुनवाई कार्यक्रम का आयोजन
84. ( क्र. 7130 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा प्रत्येक मंगलवार को प्रत्येक कार्यालय स्तर पर जन-सुनवाई कार्यक्रम के आयोजन के निर्देश दिये गये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में कटनी जिला अंतर्गत, शासन के कार्यालयों में जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक, जन-सुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किन दिनांकों को कहाँ किया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) क्या जन-सुनवाई का आयोजन कार्यालय स्तर पर नहीं किया जा रहा है? यदि हाँ, तो किस आदेश, नियम के तहत? (घ) प्रश्नांश (क) से (ग) के तहत शासनादेशों के विपरीत लम्बे समय से कटनी जिले में कार्यालय स्तर पर जन-सुनवाई कार्यक्रम आयोजित न होने का कौन-कौन जिम्मेदार है? क्या इन पर कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) आयोजन किया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) आयोजन किया जा रहा है। अत: शेषांश कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
निर्माण सामग्री उत्खनन की अनुमति
85. ( क्र. 7131 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी जिले में वर्तमान में निर्मित हो रही नर्मदा दायी तट नहर एवं राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 07, रा.रा. क्रं.-78, और राज्यीय राजमार्गों का निर्माण करने वाली ठेकेदार कंपनियों द्वारा गौण खनिज उत्खनन हेतु खनि पट्टों की अनुमति/स्वीकृति प्राप्त की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) हो तो जिले के किन-किन स्थानों से कितना-कितना एवं क्या-क्या खनिज के उत्खनन की अनुमति, किन शर्तों पर किन-किन ठेकेदार कंपनियों को कब-कब प्रदान की गई? (ग) क्या ठेकेदार कंपनियों द्वारा बिना अनुमति उत्खनन के मामले, वर्तमान में ज्ञात हुये हैं? यदि हाँ, तो किन कंपनियों का कब और कहाँ अवैध उत्खनन पाया गया? क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या सक्षम प्राधिकारियों द्वारा गौण खनिजों के उत्खनन स्थलों एवं निर्माण में उपयोग किये गये खनिज की मात्रा की जाँच की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) प्रश्नांश (क) से (घ) में क्या इन निर्माणों में अवैध तौर पर उत्खनित गौण खनिजों का उपयोग होने की जाँच की जायेगी? यदि हाँ, तो कब और क्या जाँच की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्नांश 'क' में दिये गये उत्तर के प्रकाश में इस प्रश्नांश की जानकारी निरंक है। (ग) जी नहीं। (घ) जी हाँ। खनि निरीक्षकों द्वारा ठेकेदारों को गौण खनिज मुरूम के परिवहन हेतु दी गई अनुमति एवं निर्माण कार्य में उपयोग की गई गौण खनिज मात्रा की जाँच की गई है। (ड.) प्रश्नांश 'क' में उल्लेखित कार्यों के लिए उत्खनन हेतु अनुमति/स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। प्रश्नांश 'घ' में दिये उत्तर अनुसार निर्माण कार्य में उपयोग हेतु गौण खनिज के खनिज परिवहन की अनुमति प्रदान की गई है। खनि निरीक्षकों द्वारा समय-समय पर जाँच की जाती है। कोई अनियमितता प्रकाश में आने पर अग्रिम कार्यवाही करने का विकल्प खुला हुआ है। अत: समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
संविदा शिक्षकों का संविलियन
86. ( क्र. 7132 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगरपालिका निगम, कटनी द्वारा वर्ष 2001 में संविदा शिक्षकों की भर्ती शैक्षणिक संवर्ग के पद रिक्त होने पर की गई थी? हाँ, तो कितने संविदा शिक्षकों की भर्ती की गई? इनमें कौन-कौन शिक्षक वर्तमान में किन-किन विद्यालयों में किन-किन संवर्ग में कब से कार्यरत हैं एवं किन्हीं का अध्यापक संवर्ग में संविलियन किया गया और पदोन्नति भी दी गई? (ख) क्या नगर निगम कटनी के विद्यालयों में शैक्षणिक संवर्ग के पद लगातर रिक्त हैं और कार्यरत संविदा शिक्षकों द्वारा संविलियन की माँग की जा रही है? यदि हाँ, तो रिक्त पदों की पूर्ति एवं संविलियन की समुचित कार्यवाही न करने के क्या कारण रहे? (ग) क्या निगमायुक्त कटनी द्वारा पत्र दिनांक 10/06/2015 द्वारा संचालनालय को संविदा शिक्षकों के पद स्वीकृत न होने की जानकारी दी गई? यदि हाँ, तो शैक्षणिक संवर्ग के पद रिक्त होने पर भी अब तक पद स्वीकृति हेतु क्या कार्यवाही की गई? कार्यवाही न करने के लिये कौन जिम्मेदार है? (घ) प्रश्नांश (क) से (ग) में विद्यालयों में शिक्षकों के अभाव को दूर करने एवं विगत 15 वर्षों से लगातार कार्यरत संविदा शिक्षकों का अध्यापक संवर्ग में संविलियन किये जाने के निर्देश, विभाग को कब तक दिये जायेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। कटनी द्वारा वर्ष 2001 में 08 संविदा शाला शिक्षकों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। संविलियन का प्रकरण माननीय उच्च न्यायायल जबलपुर में विचाराधीन है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय उपरांत कार्यवाही की जायेगी। (ग) एवं (घ) प्रश्नांश ‘ख’ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
संचालित खदानों की जानकारी
87. ( क्र. 7161 ) श्री रामसिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शिवपुरी जिले में जनवरी-2016 की स्थिति में फर्शी-पत्थर, रेत, खण्डा-बोल्डर-मुरम की कौन-कौन सी खदानें कितने रकबे में कहाँ-कहाँ पर कब से संचालित हैं? खदान स्वीकृति क्रमांक एवं दिनांक तथा संचालकों के नाम व पते सहित जनकारी दें? (ख) उक्त स्वीकृत खदानों से वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में प्रश्न दिनांक तक कितना-कितना (क) वर्णित खनिज का उत्खनन किया गया तथा कितनी रॉयल्टी राशि किन-किन के द्वारा कब-कब जमा की गई वर्षवार बताएं? (ग) क्या स्वीकृत खदानों के रकबे में उतना उत्खनन नहीं हुआ है? जितनी रॉयल्टी की राशि खदान संचालकों द्वारा जमा कराई गई है? यदि हाँ, तो ऐसी कौन-कौन सी खदानें है जिनमें खनिज उत्खनन कम हुआ है और रॉयल्टी राशि अधिक जमा की गई है? (घ) क्या प्रश्नाधीन वर्णित खदानों का वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में अधिकारियों एवं टास्क फोर्स द्वारा निरीक्षण किया है? यदि हाँ, तो किस-किस खदान का कब-कब किस-किस के द्वारा निरीक्षण किया गया है? दिए गए निरीक्षण का विवरण दें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में जनवरी 2016 की स्थिति में फर्शी पत्थर एवं रेत की स्वीकृत खदानों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में दर्शित है। प्रश्नाधीन जिले में खण्डा बोल्डर एवं मुरूम की कोई खदान स्वीकृत नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' में दर्शित है। (ग) म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में रायल्टी/ठेकाधन अग्रिम रूप से जमा किये जाने का प्रावधान है। अत: स्वीकृत खदानों में रायल्टी/ठेकाधन, खनन की गई मात्रा के अनुपात में अधिक जमा होता है। कर निर्धारण के संबंध में यह सुनिश्चित होता है कि, खनन की गई मात्रा के अनुपात में रायल्टी कम या ज्यादा जमा की गई है। यदि रायल्टी कम जमा हो तब उसका माँग पत्र भेजकर वसूली की कार्यवाही की जाती है। यदि रायल्टी अधिक जमा हो तब उसका आगामी वर्ष हेतु समायोजन किया जाता है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' में दर्शित है।
बिजली कनेक्शन जोड़ने एवं काटने के प्रावधान
88. ( क्र. 7175 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नरसिंहपुर जिले में बकाया राशि के कारण बिजली कनेक्शन काटने के पश्चात बिना वसूली किये आर.सी. के नाम पर पुन: कनेक्शन जोड़े जाने का शुल्क आम उपभोक्ताओं से वसूल किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कितना बताएं? (ख) क्या आर.सी.डी.सी. (लाइन काटना और लाइन जोड़ना) को क्षतिपूर्ति राशि म.प्र. विद्युत मण्डल लि. के किस प्रावधान के अनुसार हैं? क्या उक्त आर.सी.डी.सी. की राशि विशेष न्यायालय के माध्यम से वसूली करने का प्रावधान है? यदि नहीं, तो राशि न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराके वसूली की जा रही है? यदि हाँ, तो क्यों? क्या आर.सी.डी.सी. की राशि 200 रूपये वसूली हेतु अधिवक्ता शुल्क 1900 रूपये का भुगतान किया जाता है? यदि हाँ, तो क्यों कारण बताएं? आर.सी.डी.सी. दो सौ रूपये की वसूली के लिए 1900 रूपये अधिवक्ता शुल्क लेने का क्या औचित्य है? (ग) प्रश्नांश (ख) की राशि वसूली विशेष न्यायालय के माध्यम से पेश किए जाने से शासन को प्रति प्रकरण अधिवक्ता को 1900 रूपये का भुगतान करने से विद्युत मण्डल को वर्ष 2005 से प्रश्न दिनांक तक कितनी आर्थिक क्षति हुई बताएं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) विद्युत बिल की बकाया राशि के कारण उपभोक्ता की विद्युत लाईन काटने के पश्चात् उपभोक्ता द्वारा बकाया राशि की अंश राशि या बकाया राशि जमा करने पर पुन: लाईन जोडने के लिए आर.सी.डी.सी. (री-कनेक्शन एवं डिसकनेक्शन) चार्ज की राशि रू. 200/- लेने का प्रावधान है। (ख) मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 9.15 के अनुसार विद्युत कनेक्शन काटने/जोड़ने (आर.सी.डी.सी.) हेतु चार्ज लिये जाने का प्रावधान है। उक्त प्रावधानों की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं, आर.सी.डी.सी. की राशि विशेष न्यायालय के माध्यम से वसूल करने का कोई प्रावधान नहीं है। तथापि जाँच के दौरान कनेक्शन काटे जाने के बावजूद अवैधानिक रूप से विद्युत का उपयोग करते पाये जाने पर विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 138 के तहत् प्रकरण न्यायालय में दर्ज कराया जाता है तथा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा तय किये गये नियमों के अनुसार उक्त प्रकरणों में अधिवक्ता की नियुक्ति कर अधिवक्ता शुल्क रूपये 1900/- का नियमानुसार भुगतान किया जाता है ताकि अवैधानिक रूप से बिजली के उपयोग पर दंड के साथ-साथ बकाया बिल की राशि भी वसूली हेतु न्यायालयीन कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार आर.सी.डी.सी. की राशि की वसूली हेतु प्रकरण विशेष न्यायालय में नहीं लगाए जाते, अत: प्रश्न नहीं उठता।
राशि का आवंटन
89. ( क्र. 7224 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पंचायत इंदरगढ़ जिला दतिया को वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि का आवंटन शासन द्वारा दिया गया एवं कितनी राशि नगर पंचायत द्वारा स्वयं के संसाधनों से अर्जित की समस्त अर्जित राशि को किस-किस मद में खर्च किया गया? (ख) वर्तमान में प्रदेश से कौन-कौन से कार्य नगर पंचायत इंदरगढ़ के लिये स्वीकृत किये गये है उक्त समस्त कार्यों की डी.पी.आर. सहित जानकारी उपलब्ध कराई जावें? (ग) क्या उक्त किये गये कार्यों की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया है यदि हाँ, तो उसके लिये कौन-कौन उत्तरदायी है और यदि नहीं, तो कराये गये कार्यों की जाँच कराई जावेगी? (घ) क्या वर्ष 2015-16 में नगर पंचायत इंदरगढ़ द्वारा मेला लगवाया गया था यदि हाँ, तो मेला किस विभाग की भूमि पर लगाया गया था संबंधित विभाग से अनुमति प्राप्त की अथवा नहीं तथा मेला से नगर पंचायत को क्या आय हुई तथा नगर पंचायत द्वारा मेला व्यय में कितना व्यय किया, आय व्यय की जानकारी उपलब्ध कराई जावे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकायल में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) मुख्यमंत्री शहरी पेय-जल योजना अंतर्गत पाइप लाइन बिछाई कार्य, इन्टेकवेल, फिल्टर प्लान्ट एवं पानी की टंकी का निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ग) मुख्यमंत्री शहरी पेय-जल योजना के कार्यों की वित्तीय स्वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जी हाँ। शिक्षा विभाग। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से अनुमति प्राप्त की गई थी। नगर परिषद् इन्दरगढ़ द्वारा मेले में किसी प्रकार की वसूली नहीं करने से आय की जानकारी निरंक है एवं मेला के आयोजन में कोई कार्य नहीं कराने से व्यय की जानकारी निरंक है।
अमरकंटक ताप विद्युत गृह के मुख्य अभियंता की पदोन्नति विषयक
90. ( क्र. 7240 ) श्री अजय सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अमरकंटक ताप विद्युत गृह के वर्तमान मुख्य अभियंता, सहायक यंत्री से मुख्य अभियंता पद पर लगातार चचाई में ही पदस्थ हैं? क्या मात्र 6 माह के लिए अतिरिक्त मुख्य अभियंता पद पर पदोन्नति होने के बाद ही अन्य स्थान पर गये थे? (ख) क्या कारण है कि 8 माह में 2 इकाइयों को बर्बाद करने वाले पुराने पोल लगाने में आरोपित हो जाने के बाद भी इन्हें चचाई से नहीं हटाया जा रहा है और न ही कोई कार्यवाही की जा रही है क्या राज्य शासन इनको अन्यत्र पदस्थ कर जाँच कराकर कार्यवाही करेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं, वर्तमान में विद्युत गृह प्रमुख श्री डी.एन.राम, कार्यपालक निदेशक (उत्पादन), (न कि मुख्य अभियंता) विद्युत गृह में सहायक अभियंता के पद से मुख्य अभियंता (उत्पादन) के पद पर लगातार चचाई में पदस्थ नहीं थे। जी हाँ, श्री डी.एन.राम, अतिरिक्त मुख्य अभियंता (उत्पादन) के पद पर पदोन्नति उपरांत लगभग 06 माह के लिए अन्य विद्युत गृह में पदस्थ थे। (ख) यह कथन सही नहीं है कि 2 इकाइयों को बर्बाद किया गया, अपितु अमरकंटक ताप विद्युत गृह क्रमांक 2 की इकाई क्रमांक 3 एवं 4 अपनी सामान्य आयु पूर्ण कर चुकी थी। उनमें आई तकनीकी खामियों के कारण उनको आगामी संचालन योग्य नहीं पाया गया। प्रश्नांश में उल्लेखित पुराने रेल पोल लगाये जाने बाबत् आरोपों की विभागीय जाँच की गई, जिसमें श्री डी.एन.राम, कार्यपालन निदेशक के विरूद्ध आरोप सही नहीं पाए गए। अत: इन्हें अन्यत्र पदस्थ नहीं किया गया है तथा इनके विरूद्ध किसी अन्य कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं उठता।
कम मूल्यांकन कर दस्तावेज पंजीयन किया जाना
91. ( क्र. 7278 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगरीय क्षेत्र में तथा उसमें स्थित ग्रामों की भूमियों के मूल्यांकन की गाइड लाइन की कीमतों में क्या अंतर होता है? (ख) यदि हाँ, तो छतरपुर के पंजीयन विभाग में पिछले एक वर्ष में नगरीय क्षेत्र में स्थित बगौता की भूमियों का मूल्यांकन किस आधार पर किया जाकर दस्तावेजों का पंजीयन किया गया है? (ग) तहसील छतरपुर ग्राम बगौता के खसरा क्रमांकों की जो भूमियां नगरीय क्षेत्र में शामिल हो गयी हैं, उनमें मूल्यांकन कम किये जाने के संबंध में क्या कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थी? (घ) यदि हाँ, तो उन पर क्या कार्यवाही की गई तथा कम मूल्यांकन कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई एवं शेष शुल्क की वसूली हेतु क्या कार्यवाही की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। नगरपालिका क्षेत्रों एवं गाइड लाइन में विशिष्ट रूप से उल्लेखित ग्रामों में अव्यपवर्तित कृषि भूमि के मूल्यांकन हेतु गाइड लाइन उपबंधों की कण्डिका 4.3 के स्लैब अनुसार पहले 500 वर्गमीटर तक आवासीय भू-खण्ड की दर तथा शेष भूमि के लिए कृषि भूमि की दर मान्य की जाती है। (ख) उपर्युक्त (क) अनुसार। (ग) मूल्यांकन कम किए जाने के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
कुशल श्रमिक का वेतन
92. ( क्र. 7305 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यालय नगर पालिका परिषद् सीधी द्वारा दिनांक 24.04.2015 को प्रस्ताव में पास किया गया कि जिन कर्मचारी की सेवा 10 वर्ष से अधिक हो गई उनकी कुशल श्रमिक की वेतन देने का निर्णय लिया गया परन्तु आज दिनांक तक नहीं दिया गया? (ख) क्या जो कर्मचारी जूनियर हैं उनको कुशल श्रमिक का वेतन दिया जा रहा है और जो कर्मचारी सीनियर हैं उन कर्मचारियों को अकुशल श्रमिक का वेतन दिया जा रहा है? जो कि मध्यप्रदेश शासन के आदेशानुसार 01 अक्टूबर 2014 से बढ़ी हुई मंहगाई भत्ता आज दिनांक तक नहीं दिया गया? (ग) क्या सी.एम.ओ. एवं अध्यक्ष द्वारा कर्मचारियों को माह दिसम्बर और जनवरी का कुशल श्रमिक का वेतन देने का निर्णय लिया गया परन्तु दोनों माह का वेतन लेखापाल ऑफिसर द्वारा अकुशल श्रमिक का वेतन दिया गया, प्रार्थी को इसकी जानकारी भी नहीं है? (घ) क्या अकुशल कर्मचारी को कुशल श्रमिका का वेतन जोड़कर एरियर्स सहित भी दिया गया तथा कुछ कर्मचारी को न तो कुशल श्रमिक का वेतन दिया गया न ही एरियर्स दिया गया? यदि हाँ, तो कब तक विसंगति दूर कर निराकरण किया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। आवासीय संपरीक्षा ने श्रम विभाग द्वारा प्रकाशित राजपत्र दिनांक 10 अक्टूबर, 2014 के नियम 22 का उल्लेख कर देयक, श्रम विभाग के दर निर्धारण अनुसार ही तैयार करने के निर्देश जारी किये गये। माह नवम्बर, 2015 का वेतन देयक श्रम विभाग द्वारा प्रकाशित राजपत्र दिनांक 10 अक्टूबर, 2014 के अनुसार वेतन भुगतान किया गया। (घ) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अन्यत्र स्थानांतरण
93. ( क्र. 7324 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पर्यटन विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय खजुराहो जिला छतरपुर से अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया है यदि हाँ, तो कहा और क्यों? (ख) क्या शासन के पास खजुराहो में पुन: क्षेत्रीय कार्यालय खोले जाने की योजना है यदि हाँ, तो कब तक खोला जावेगा? (ग) क्या क्षेत्रीय कार्यालय खजुराहो अन्यत्र स्थानांतरित होने के कारण शासन को वित्तीय हानि हुई है। यदि हाँ, तो स्थानांतरण के दिनांक से प्रश्न दिनांक तक शासकीय आय में कितनी कमी हुई है? (घ) क्षेत्रीय कार्यालय स्थानांतरित होने से पर्यटकों को होने वाली परेशानी का निदान विकल्प शासन द्वारा क्या उपाय किया जावेगा? यदि हाँ, तो कैसे और कब तक किया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ख) से (घ) प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
शासकीय सेवकों को विभागीय पदोन्नति
94. ( क्र. 7334 ) श्री अनिल जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा शासकीय सेवकों को विभागीय पदोन्नति एवं समयमान वेतनमान प्रदान करने के लिये विभिन्न विभागों को समय-समय पर डी.पी.सी. बैठक आयोजित करने के निर्देश जारी किये गये हैं। यदि हाँ, तो अद्यतन आदेश कब जारी हुआ है और इस बैठक के आयोजन के लिये कितने माह का अन्तराल निर्धारित है। (ख) क्या ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से सीधे जुड़े विभागों जैसे पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग, किसान कल्याण तथा कृषि विकास, पशु चिकित्सा, उद्यानिकी एवं मत्स्य पालन विभागों को भी इसी आशय के निर्देश दिये गये हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विभागीय पदोन्नति समिति की बैठकें वर्ष में दो बार, प्रथम बैठक माह जनवरी-फरवरी तथा दूसरी बैठक अगस्त-सितम्बर में आयोजित करने के निर्देश जारी किये गये हैं। किन्तु समयमान वेतनमान प्रदान करने के लिए डी.पी.सी. बैठक आयोजित करने के निर्देश जारी नहीं किये गये हैं। (ख) सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले निर्देश सभी विभागों पर समान रूप से लागू होते हैं। विभाग विशेष के लिए पृथक से निर्देश जारी नहीं किये जाते हैं।
अनिवार्य सेवानिवृत्ति की जानकारी
95. ( क्र. 7352 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर निगम मुरैना के लेखापाल का मेडीकल अवकाश करने की शक्ति जिला कलेक्टर को है? क्या मान. उच्च न्यायालय ग्वालियर की रिट याचिका क्र. 7281/2011 मीना सिंह विरूद्ध म.प्र. शासन एवं अन्य में दिनांक 08.05.2013 को आदेश पारित हुआ है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि हाँ, तो तत्कालीन नगर पालिका मुरैना के पत्र क्र. 1076 दिनांक 29.04.2014 तथा मान. न्यायालय के आदेश दिनांक 08.05.2013 को संज्ञान में लेकर संचालनालय नगरीय प्रशासन भोपाल अपने आदेश क्रमांक 10960 दिनांक 01.07.2014 तथा 6871 दिनांक 16.05.2014 में संशोधन करेगा और कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या म.प्र. नगर पालिका कर्मचारी भर्ती सेवा नियम 1968 के नियम 23 (1क) के तहत सेवानिवृत्त करने की शक्ति नियुक्ति प्राधिकारी को है? क्या नियम 49 की व्याख्या (सात) अनुसार उक्त सेवा निवृत्त शक्ति की श्रेणी में नहीं आती है? (घ) क्या तत्कालीन नगर पालिका मुरैना की पी.आई.सी. ने ठहराव क्र. 12 तथा 13 दिनांक 29.10.2014 पारित कर संबंधित कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने कि आज्ञा दी थी? क्या उक्त आज्ञा का पालन कराने की शासन कि मंशा है? (ड.) प्रश्नांश (ग) एवं (घ) अनुसार यदि हाँ, तो क्या मुरैना नगर निगम की एन.आई.सी. द्वारा पारित विधि विहीन संकल्प क्रमांक 68 तथा 69 दिनांक 14.10.2015 को शासन नगर निगम कानून की धारा 421 के अंतर्गत स्थगित/निरस्त कर अवगत करायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। जी हाँ। (ख) प्रकरण में कार्यवाही जारी है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। जी नहीं, विहित प्रावधानों के अनुसार अनिवार्य सेवानिवृत्त दी जा सकती है। (घ) जी हाँ। परन्तु विधि के विपरीत होने के कारण संबंधित कर्मचारियों को सेवानिवृत्त के आदेश तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा नहीं दिये गये। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) नगर निगम से प्रस्ताव प्राप्त होने पर विधि अनुसार कार्यवाही की जावेगी।
शिकायतकर्ता के बयान न लिया जाना
96. ( क्र. 7361 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खनिज विभाग बैतूल के संबंध में गत चार वर्षों में प्राप्त शिकायतों की जाँच के समय किसी भी शिकायतकर्ता के प्रश्नांकित दिनांक तक बयान दर्ज नहीं किए गए। (ख) उपरोक्त अवधि में किस दिनांक को किसकी शिकायत जिला खनिज कार्यालय में प्राप्त हुई किस दिनांक को संचालनालय में प्राप्त हुई उसमें से किस शिकायत की जाँच किसके द्वारा की जाकर किस दिनांक को प्रतिवेदन किया गया। (ग) किस शिकायत की जाँचकर्ता अधिकारी ने किस दिनांक को शिकायतकर्ता के बयान दर्ज किए यदि शिकायतकर्ता के बयान दर्ज नहीं किए हो तो उसका कारण बतावें। (घ) कब तक शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए जावेगें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ एवं 'ब' में दर्शित है। (ग) तत्समय शिकायतकर्ता के कथन आवश्यक नहीं होने के कारण बयान दर्ज नहीं किए गए। (घ) प्रश्नांश 'ग' में दिए गए उत्तर अनुसार प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अधूरा कार्य पूरा करवाया जाना
97. ( क्र. 7362 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सारनी पावर हाउस की यूनिट क्रमांक 10 एवं 11 से संबंधित कौन-कौन सा कार्य प्रश्नांकित दिनांक तक किस-किस निर्माण एजेन्सी के द्वारा किन कारणों से पूरा नहीं किया गया है। (ख) यूनिट क्रमांक 10 एवं 11 से संबंधित किए गए निर्माण कार्यों में प्रश्नांकित दिनांक तक कितन-कितने गौण खनिज का उपयोग किया गया इनमें से किस निर्माण एजेन्सी ने कितने गौण खनिज का रॉयल्टी क्लीयरेंस प्रमाण-पत्र खनिज विभाग से प्राप्त कर प्रस्तुत किया हैं कितने गौण खनिज की रॉयल्टी क्लीयरेंस प्रश्नांकित दिनांक तक भी प्रस्तुत नहीं किया गया। (ग) यूनिट क्रमांक 10 एवं 11 से बिजली का उत्पादन किस दिनांक से प्रारम्भ हुआ इन यूनिटों में प्रश्नांकित दिनांक तक क्या-क्या गड़बडि़यां उत्पन्न हुई उसके लिए कम्पनी ने किसे जिम्मेदर माना उन गड़बडि़यों को ठीक किए जाने में कितनी राशि खर्च की गई है कितनी राशि खर्च किया जाना शेष हैं। (घ) यूनिट क्रमांक 10 एवं 11 का कार्य पूरा न करने वाली किस एजेन्सी के विरूद्ध कब और क्या कार्यवाही की गई यदि नहीं, की गई तो कारण बतावें कब तक की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी की विस्तारित इकाई क्रमांक 10 एवं 11 के मुख्य विद्युत संयंत्र एवं शेष संयंत्र निर्माण के सिविल कार्य, आपूर्ति एवं स्थापना से संबंधित कार्य हेतु क्रमश: मेसर्स बी.एच.ई.एल. एवं मेसर्स एम.बी.ई.एल. को ई.पी.सी. आधार पर कार्यादेश जारी किए गए। उक्त दोनों कंपनियों द्वारा इन इकाइयों के कुछ कार्यों को छोड़कर शेष सभी मुख्य कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं। प्रश्नांकित दिनांक तक इन इकाइयों के अपूर्ण कार्यों, निर्माण एजेंसी एवं जिन कारणों से कार्य पूर्ण नहीं किये जा सके हैं, से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) यूनिट क्र. 10 एवं 11 से संबंधित निर्माण कार्यों में प्रश्नांकित दिनांक तक उपयोग किये गये खनिज का विवरण निम्नानुसार है- 01) रेत-118900.64 घन मी., 02) मेटल-198098.21 घन मी., 03) बोल्डर-14340.00 घन मी., 04) मुरूम-830.00 घन मी.। निर्माण एजेंसियों से प्राप्त/अप्राप्त रॉयल्टी क्लीयरेंस की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) इकाई क्रमांक 10 एवं 11 से वाणिज्यिक उत्पादन क्रमश: दिनांक 18/8/2013 एवं 16/3/2014 से प्रारंभ किया गया। इन इकाइयों से वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने के उपरांत प्रश्नांकित दिनांक तक उत्पन्न हुईं प्रमुख तकनीकी गड़बड़ियों का विवरण, किये गये खर्च की राशि, खर्च की जाने वाली शेष राशि एवं जिम्मेदारी के संबंध में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (घ) मेसर्स बी.एच.ई.एल एवं मेसर्स एम.बी.ई.एल के द्वारा अनुबंधों के अनुसार दोनों इकाइयों के कुछ कार्यों को छोड़कर सभी मुख्य कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं। शेष कार्य पूर्ण किए जा रहे हैं। अत: इन निर्माण एजेंसियों पर इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई। तथापि कार्य में विलंब के लिए मेसर्स बी.एच.ई.एल. एवं मेसर्स एम.बी.ई.एल से अनुबंधों की शर्तों के अनुसार पेनाल्टी वसूली की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
माँ नर्मदा तट पर, पर्यटक भवन
98. ( क्र. 7375 ) श्री ओम प्रकाश धुर्वे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला डिण्डौरी के अंतर्गत माँ नर्मदा तट पर कितने पर्यटक भवन एवं घाट कितनी-कितनी राशि से कहाँ-कहाँ बने हैं। (ख) क्या उक्त भवनों के संचालन हेतु कौन-कौन कितने कर्मचारी किन-किन पदों पर कब-कब भर्ती की गई? (ग) वर्तमान में आज तक उन पर्यटक भवनों में कितने लोगों ने विश्राम किया या आश्रय लिया जब से भवन बने है? (घ) क्या उक्त घाटों एवं भवनों का आज यदि उपयोग नहीं हो रहा है, तब जिम्मेदार कौन है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
बाँधों का घटिया निर्माण
99. ( क्र. 7376 ) श्री ओम प्रकाश धुर्वे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला डिण्डौरी के अंतर्गत वि.ख. शहपुरा में बने सिचाई बाँध, सरई, एवं दूधीमझौबी के पास बने बाँध से सिंचित रकबा कितना है, एवं कितने रकबे पर वर्तमान में सिंचाई हो रही हैं। (ख) क्या उक्त दोनों बाँधों से पानी नीव या अन्य जगह से बह रहा है? (ग) दोनों बाँधों से कितने कि.मी. या मीटर नहर बनाया गया है, कुड़ा कमाण्ड एरिया में से कितनी भूमि पर सिंचाई हो रही है।
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ, पानी नहीं बहता है।
विद्युत माँग एवं आपूर्ति
100. ( क्र. 7478 ) प्रो. संजीव छोटेलाल उइके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. में वर्ष 2013-14 से जनवरी 2016 तक माहवार वर्षवार प्रदेश में कितने मेगावाट विद्युत की माँग रही तथा म.प्र. पा.ज.कं.लि. की जल एवं ताप विद्युत इकाइयों, राज्य शासन की स्थापित इकाइयों, केन्द्र शासन की इकाइयों निविदा आधार पर लघु अवधि क्रय एवं प्रायवेट विद्युत कंपनियों एवं अन्य स्त्रोत से कितने मेगावाट बिजली प्राप्त कर आपूर्ति की गई? माँग एवं आपूर्ति का अंतर बतायें? (ख) म.प्र.पा.ज.कं.लि. एवं राज्य शासन की सभी ताप एवं जल विद्युत इकाइयों तथा प्रदेश में स्थित प्राइवेट विद्युत उत्पादन कंपनी (केप्टिव एवं गैर पंरपरागत ऊर्जा स्त्रोतों को छोड़कर) से प्रश्नांश (क) की अवधि में कितने मिलियन यूनिट विद्युत क्रय की गई, विद्युत गृहवार माहवार, वर्षवार बतायें? (ग) वर्तमान में म.प्र.पा.ज.कं.लि. एवं राज्य शासन की सभी ताप एवं जल विद्युत इकाइयों तथा प्राइवेट विद्युत उत्पादन कंपनियों की इकाइयों (केप्टिव एवं गैर पंरपरागत ऊर्जा स्त्रोतों को छोड़कर) जो म.प्र. में स्थापित हैं के नाम स्थान एवं क्षमता का विवरण दें तथा 2010-11 से प्रदेश में म.प्र. पा.ज.कं.लि. राज्य शासन एवं निजी क्षेत्र की (केप्टिव एवं गैर पंरपरागत ऊर्जा स्त्रोतों को छोड़कर) नवीन एवं निर्माणधीन विद्युत उत्पादन गृह का नाम स्थान एवं क्षमता बतायें तथा निर्माणधीन परियोजनाओं से कब से विद्युत उत्पादन प्रारंभ हो जायेगा, इकाईवार बतायें? (घ) म.प्र. में कितने पुराने विद्युत गृहों को बंद कर दिया गया है और कितने को बंद करने का प्रस्ताव है? इकाई का नाम स्थान उत्पादन क्षमता सहित बतायें एवं बंद करने का कारण बतायें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. में वर्ष 2013-14 से माह जनवरी 2016 तक माहवार, वर्षवार प्रदेश की विद्युत की औसत मांग तथा सभी स्त्रोतों को मिलाकर की गयी विद्युत की औसत आपूर्ति (म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी की जल एवं ताप विद्युत इकाइयों, राज्य शासन की स्थापित इकाइयों, केन्द्र शासन की इकाइयों, निविदा आधार पर लघु अवधि क्रय एवं प्रायवेट विद्युत कंपनियों एवं अन्य स्त्रोत से बिजली प्राप्त कर की गयी आपूर्ति) एवं इस अवधि में औसत मांग एवं औसत आपूर्ति का अंतर पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र–''क'' में दर्शाया गया है. (ख) म.प्र.पा.ज.कं.लि. एवं राज्य शासन के सभी ताप एवं जल विद्युत गृहों तथा प्रदेश में स्थित प्रायवेट विद्युत उत्पादन कंपनी (केप्टिव एवं गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों को छोड़कर) से वर्ष 2013-14 में माह अप्रैल 2013 से माह जनवरी 2016 तक की अवधि में क्रय की गई माहवार विद्युत की जानकारी मिलियन इकाई में पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ख'' में दर्शाये अनुसार है. (ग) प्रश्न दिनांक की स्थिति में म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के ताप एवं जल विद्युत गृह, राज्य शासन और एन.एच.पी.सी. लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम एन.एच.डी.सी. लिमिटेड एवं एन.वी.डी.ए. के जल विद्युत गृह और निजी क्षेत्र के ताप विद्युत गृह, जो मध्य प्रदेश में स्थापित है और जिनसे विद्युत क्रय किए जाने हेतु अनुबंध है, का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ग'' में दर्शाये अनुसार है. वर्ष 2010-11 से प्रश्न दिनांक तक प्रदेश में स्थापित किये गये विद्युत गृहों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''घ'' में दर्शाये अनुसार है, तथा निर्माणाधीन ताप विद्युत गृह जो कि आगामी पाँच वर्षों के दौरान प्रदेश में स्थापित किये जाने वाले हैं, का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''च'' में दर्शाये अनुसार है. (घ) राज्य शासन की कंपनी म.प्र.पा.ज.कं.लि. के प्रदेश में स्थित बंद किये गये पुराने विद्युत गृह तथा वर्तमान में बंद किये जाने हेतु प्रस्तावित विद्युत गृह के नाम, स्थान, उत्पादन क्षमता एवं बंद किये जाने के कारण से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''छ'' में दर्शाये अनुसार है।
नगद भुगतान पर रोक
101. ( क्र. 7497 ) डॉ. मोहन यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम उज्जैन एवं उज्जैन जिले की नगर पालिकाओं द्वारा जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक कितने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों एवं मस्टर कर्मियों को रखा गया? कितने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी एवं मस्टर कर्मियों से उनके पहचान संबंधित दस्तावेज प्राप्त किये गये एवं उन्हें कितनी-कितनी राशि का नगद भुगतान किया गया? नगद भुगतान किये जाने के संबंध में किन-किन जनप्रतिनिधियों व्यक्तियों द्वारा शिकायत अथवा सुझाव दिये गये, विवरण प्रदान करे? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार जनधन योजना के अंतर्गत सभी के बैंक खाते खुल जाने के पश्चात भी नगर निगम एवं नगर पालिकाओं द्वारा बिना पहचान संबंधित दस्तावेज प्राप्त किये निरन्तर नगद भुगतान करने के लिये कौन अधिकारी दोषी है? दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी? क्या वरिष्ठ कार्यालय द्वारा भविष्य में नगद भुगतान पर रोक लगाने के संबंध में कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर निगम उज्जैन एवं उज्जैन जिले की कुल 4 नगर पालिकाओें में निम्नानुसार दैनिक वेतन भोगी/कर्मियों को रखा गया है :-
क्रमांक |
नगर निगम/नगर पालिका का नाम |
संख्या |
1 |
नगर निगम उज्जैन |
741 |
2 |
नगर पालिका नागदा |
32 |
3 |
नगर पालिका बड़नगर |
06 |
4 |
नगर पालिका महिदपुर |
01 |
5 |
नगर पालिका खाचरौद |
28 |
|
कुल योग |
808 |
उक्त सभी कर्मचारियों से पहचान संबंधी दस्तावेज प्राप्त किये गये है एवं किसी भी कर्मचारी को नगर राशि का भुगतान नहीं किया गया है। बैंक खाते के माध्यम से ही भुगतान किया जा रहा है। (ख) किसी भी दैनिक वेतन भोगी/मस्टर कर्मी को नगद राशि का भुगतान नहीं किया जाता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सर्विस प्रोवाईडरों का पंजीयन
102. ( क्र. 7526 ) श्री योगेन्द्र सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अगस्त 2015 से 29/2/2016 तक प्रदेश में कितने सर्विस प्रोवाईडरों के पैसे पंजीयन के दौरान एवं उनकी केथ लिमिट में उलझे हैं एवं इनके पैसे का उपयोग कहाँ हो रहा है तथा कितने टिकिट दिनांक 29.2.16 तक लंबित थे? इनके निराकरण में विलंब का क्या कारण हैं? (ख) सर्विस प्रोवाईडरों के केश लिमिट का निराकरण कब तक होगा? (ग) प्रदेश में कितने सर्विस प्रोवाईडर्स को लायसेंस दिये गये हैं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) अगस्त 2015 से 29.02.2016 तक प्रदेश में लगभग 2500 सर्विस प्रोवाईडर्स द्वारा ऑन-लाईन पेमेन्ट करते समय राशि कट जाने, बैंक से कोषालय में ट्रांसफर न होने आदि कारणों से शिकायतें प्राप्त हुई है। यह राशि सर्विस प्रोवाईडर के लेजर में न आने से इसका उपयोग नहीं हुआ है। दिनांक 29.02.2016 तक कुल 8434 टिकिट बने थे जिनमें से 6096 टिकिटों का निराकरण किया जा चुका है। शेष 2338 टिकिटों के निराकरण की कार्यवाही जारी है। चूंकि टिकिट लेखा से संबंधित है इसलिए कोषालय से सत्यापन उपरांत ही निराकरण संभव हो पाता है। (ख) सर्विस प्रोवाईडर्स के क्रेडिट लिमिट के निराकरण की कार्यवाही जारी है। (ग) प्रदेश में 5300 सर्विस प्रोवाईडर्स को लायसेंस दिए गए हैं।
अतिक्रमण हटाने बाबत्
103. ( क्र. 7561 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर निगम मुरैना के वार्ड क्र. 46 में एल.आई.जी. र्क्वाटर 385 के सामने वाले पार्क पर अतिक्रमणकारियों ने एक बड़े भू-भाग पर अतिक्रमण कर बाउण्ड्रीवॉल बना ली है? यदि हाँ, तो प्रशासन द्वारा अब तक उसे हटाया क्यों नहीं गया हैं? (ख) विधान सभा अता. प्रश्न संख्या 107 (क्र. 1871) दिनांक 15.12.2015 के उत्तरांश में यह अवगत कराया गया कि उक्त अतिक्रमण संज्ञान में आया हैं उसे समन्वय समिति बनाकर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो उक्त प्रक्रिया पर अब तक क्या-क्या कार्यवाही की गई हैं? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में वर्णित प्रश्न के उत्तरांश के परिशिष्ट (अ) में यह जानकारी दी गई कि उक्त अतिक्रमण बहुत पुराना है? म.प्र. गृह निर्माण मण्डल द्वारा कार्यवाही की गई थी? हाँ तो क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या म.प्र. गृह निर्माण के तत्कालीन अधिकारियों की उदासीनता से यह संदेह होता है कि वह उक्त अतिक्रमण करवाने में संलिप्त रहे हैं? क्या प्रशासन से अधिक अतिक्रमणकारी ताकतवर हैं? सम्पूर्ण प्रकरण में जाँच कर अतिक्रमणकारियों एवं संलिप्त अधिकारियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही कब तक कर दी जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं, अपितु प्रश्नाधीन पार्क के अंश भाग पर 6 फुट ऊँची दीवाल निर्मित है। प्रश्नांकित भूमि का संबंधित व्यक्तियों के पक्ष में रजिस्ट्री एवं नामांतरण होने से अतिक्रमण नहीं हटाया गया है। (ख) म.प्र. गृह निर्माण मण्डल मुरैना से प्राप्त जानकारी अनुसार नगर पालिक निगम, मुरैना द्वारा रजिस्ट्री एवं नामांतरण निरस्त कराने की कार्यवाही की जा रही हैं। (ग) जी हाँ। जनहित याचिका क्रमांक 3001/2007 में मान. उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 23.01.2008 के परिपालन में हाउसिंग बोर्ड द्वारा तत्समय उक्त अतिक्रमण हटाया गया था। इसी के साथ, एक अन्य न्यायालयीन प्रकरण क्रं. 2024/2007 में मान. उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश क्रं. 28.01.2008 के पालन में श्री पवन कुमार एवं जगदीश पुत्र श्री बाबूलाल जैन से हाउसिंग बोर्ड ने विकास शुल्क जमा कराया था। जिसके आधार पर तहसीलदार मुरैना द्वारा नामांतरण किया गया और संबंधितों द्वारा वर्ष 2011 में दीवाल का निर्माण कर लिया गया। (घ) जी नहीं। जी नहीं। रजिस्ट्री एवं नामांतरण निरस्ती उपरांत सीमांकन कराया जाकर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जा सकेगी। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मुख्यमंत्री शहरी पेय-जल परियोजना का क्रियान्वयन
104. ( क्र. 7581 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र क्रमांक 229 नीमच में संचालित मुख्यमंत्री पेय-जल परियोजना के क्रियान्वयन की अवधि क्या निर्धारित की गई है और इस परियोजना में अब तक कितनी राशि व्यय की जा चुकी है? (ख) क्या पेय-जल परियोजना निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण की जा चुकी है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) परियोजना का समय-सीमा में क्रियान्वयन नहीं होने से क्षेत्रवासियों को इसका समय पर लाभ नहीं मिल पाया है? यदि हाँ, तो इसके लिये क्रियान्वयन एजेंसी के विरूद्ध शासन कोई कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर पालिका परिषद् नीमच में मुख्यमंत्री शहरी पेय-जल आवर्धन योजनांतर्गत स्वीकृत पेय-जल आवर्धन योजना की अवधि दिनांक 17.12.2014 तक निर्धारित थी। समयवृद्धि के उपरांत दिनांक 30.04.2016 निर्धारित की गई है। वर्तमान तक उक्त योजनांतर्गत राशि रू. 1884.00 लाख का व्यय किया जा चुका है। (ख) जी नहीं। निर्माण एजेंसी द्वारा धीमी गति से कार्य करने एवं रेल्वे क्रासिंग की अनुमति में विलंब के कारण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। (ग) जी हाँ। विलंब के लिए निर्माण एजेंसी के देयकों से राशि रू. 70.00 लाख पेनाल्टी के रूप में काटी गई है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
एक बत्ती कनेक्शन
105. ( क्र. 7622 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भाण्डेर विधान सभा क्षेत्र में अ.जा.ज.जा. एवं बी.पी.एल. कार्डधारी हितग्राहियों को एक बत्ती विद्युत कनेक्शन दिये गये थे। (ख) यदि प्रश्नांश (क) का उत्तर हाँ है तो कृपया वितरण केन्द्रवार हितग्राहितयों की संख्या उपलब्ध कराये वर्तमान में उनको बिजली दी जा रही है अथवा नहीं यदि नहीं, तो क्यों कारण बतायें? (ग) क्या राजीव गाँधी विद्यतीकरण योजना के तहत अभी भी कई क्षेत्र/गाँव विद्युतीकरण के लिए शेष हैं? (घ) यदि हाँ, तो उनका विवरण देवें एवं उन क्षेत्रों में कब तक विद्युतीकरण हो जावेगा? इस कार्य में हो रही लापरवाही के लिए कौन दोषी हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) भाण्डेर विधान सभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के बी.पी.एल. हितग्राहियों सहित सभी बी.पी.एल. हितग्राहियों को घरेलू कनेक्शन दिये गये हैं। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में कुल 4539 हितग्राहियों को कनेक्शन दिये हैं, जिनकी वितरण केन्द्रवार संख्या संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार है। वर्तमान में उक्त हितग्राहियों में से जिनके द्वारा नियमित रूप से विद्युत बिल जमा किये जा रहे हैं, उन हितग्राहियों को विद्युत सप्लाई दी जा रही है तथा जिनके द्वारा विद्युत बिल जमा नहीं किये जा रहे, उनका विद्युत प्रदाय बंद है। (ग) भाण्डेर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत् कोई भी राजस्व ग्राम विद्युतीकरण हेतु शेष नहीं है। (घ) उत्तरांश (ग) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र के सभी राजस्व ग्राम विद्युतीकृत हैं, अत: प्रश्न नहीं उठता।
किसान अनुदान योजना
106. ( क्र. 7637 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले के अन्तर्गत किसान अनुदान योजना में पिछले 2 वर्ष में बिजली कनेक्शन हेतु कितने हितग्राहियों द्वारा राशि जमा कराई गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न दिनांक तक कितने हितग्राहियों को उक्त योजना का लाभ दिया गया है, कितने शेष हैं? विधान सभा क्षेत्र वार सूची उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत शेष रहे हितग्राहियों को कब तक लाभ प्रदान किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) विदिशा जिले में कृषकों को स्थायी पंप कनेक्शन प्रदाय करने हेतु लागू अनुदान योजना के अंतर्गत विगत दो वर्षों में स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन हेतु 1499 हितग्राहियों द्वारा राशि जमा कराई गई है। (ख) उत्तरांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में दिनांक 29.02.2016 की स्थिति में 1110 पम्पों के कार्य पूर्ण कर हितग्राहियों को उक्त योजना का लाभ दिया गया है। वर्तमान में 389 पंपों का कार्य किया जाना शेष है। उक्त योजना से लाभान्वित एवं शेष हितग्राहियों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) बासौदा विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत शेष 62 पम्पों के कार्यों में से 16 पम्पों के कार्य हेतु कार्यादेश जारी किये जा चुके हैं तथा इनका कार्य 31 मार्च 2016 तक पूर्ण करने के प्रयास किये जा रहे हैं। शेष 46 पम्पों के कार्य हेतु फण्ड की व्यवस्था की जा रही है एवं तद्नुरूप इनका कार्य यथाशीघ्र पूर्ण करने का प्रयास किया जायेगा, जिस हेतु वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
नि:शक्तजनों के मेडिकल प्रमाण-पत्रों की जाँच
107. ( क्र. 7638 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल संभाग अन्तर्गत शासन के विभिन्न विभागों में व्यापम, लोक सेवा आयोग, अनुकंपा नियुक्ति तथा अन्य माध्यम से दिनांक 1 जनवरी 2004 से 31 जनवरी 2015 तक कितने नि:शक्तजनों की नियुक्तियां की गई है? जिलेवार जानकारी देवें? (ख) क्या सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसर चयनित/नियुक्त नि:शक्तजन के विकलांग प्रमाण-पत्र की जाँच जिला स्तर पर गठित मेडीकल बोर्ड से परीक्षण कराकर यह सुनिश्चित कराये जाने के निर्देश हैं कि वे वास्तव में विकलांग हैं या नहीं? (ग) प्रश्नांश (ख) का उत्तर हाँ है तो आदेश के क्रम किस-किस विभाग के अधिकारी द्वारा नियुक्त नि:शक्तजन के विकलांग प्रमाण-पत्र की जाँच जिला मेडीकल बोर्ड से कराई गई है? नहीं तो क्यों? कब तक जाँच कराई जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
महत्वपूर्ण पदों पर कार्य लिया जाना
108. ( क्र. 7649 ) एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को मध्यप्रदेश शासन के समस्त विभागों के अंतर्गत महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ किया जाकर कार्य सम्पादित कराये जाने के आदेश प्रसारित किये गये है? यदि हाँ, तो क्या उक्त आदेश का पालन कराया जा रहा हैं? (ख) राज्य शासन के आदेशानुसार चम्बल संभाग/जिला स्तरीय कार्यालय कमिश्नर/कलेक्टर अपने विभाग के महत्वपूर्ण पदों-स्टेनों, रीडर, स्थापना, आर्म्स शाखा में पदस्थ कर कार्य क्यों नहीं लिया जा रहा है। क्या अब शासन के उक्त आदेश के पालन में कमिश्नर चम्बल/कलेक्टर कार्यालय में कार्यरत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को उक्त पदों पर पदस्थ करने के आदेश कमिश्नर चम्बल एवं कलेक्टर जारी करेंगे। यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। वर्ग के आधार पर कार्य विभाजन में कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। (ख) राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्यालय आयुक्त, चंबल संभाग में स्टेनो, रीडर, स्थापना, आर्म्स शाखा में समय-समय पर सभी वर्गों के शासकीय सेवकों (लिपिकों) को कार्य करने का आदेश दिया गया है। वर्गों के आधार पर कभी भेदभाव नहीं किया गया है। वर्तमान में आर्म्स, रीडर शाखाओं में पिछड़े वर्ग के कर्मचारी कार्य संपादित कर रहे हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जिम का निर्माण कार्य
109. ( क्र. 7683 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर नगर पालिक निगम के वार्ड क्र. 41 के अंतर्गत श्रीमती राजमाता विजयाराजे सिंधिया हॉकी स्टेडियम छत्री बाजार लश्कर के बाहरी हिस्से की खाली भूमि पर जिम हाल निर्माण कराया जा रहा था? यदि हाँ, तो स्वीकृति दिनांक तथा राशि बतावें? जिम निर्माण का कार्य किस दिनांक को शुरू किया गया था? प्रश्न दिनांक तक कितना निर्माण भौतिक तथा वित्तीय अनुसार हो चुका है? निर्माण कार्य किस दिनांक से किस कारण बंद है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार जिम निर्माण किस एजेन्सी/ठेकेदार द्वारा किस-किस यंत्री/अधिकारी के सुपरविजन में कराया गया है तथा कराया जा रहा है? अचानक कार्य क्यों रोक दिया गया है? इसके लिये क्या निर्माण एजेन्सी/ठेकेदार या यंत्री/अधिकारी दोषी है? दोषियों के नाम स्पष्ट करें। क्या दोषियों के प्रति कोई दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो क्यों कारण स्पष्ट करें। कब तक जिम निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। दिनांक 02.02.2013। राशि रू. 8,65,735.00. अप्रैल 2014. ढाँचा छत लेवल तक। अधूरे निर्माण का मूल्यांकन नहीं किया गया है। दिनांक 10 अक्टूबर 2015 से नागरकों के विरोध किये जाने से निर्माण कार्य बन्द है। (ख) मे. बाबा मनीराम पुरी। श्री सुरेन्द्र जैन, कार्यपालन यंत्री, श्री राकेश कुशवाह, सहायक यंत्री एवं श्री राजेन्द्र शर्मा, उपयंत्री। नागरिकों के विरोध के कारण कार्य बन्द है। जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। नागरिकों के विरोध के निराकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। निराकरण उपरांत कार्य पूर्ण कराया जा सकेगा। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
खनिज खदानों की स्थिति
110. ( क्र. 7686 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले में खनिज विभाग का कोई कार्यालय संचालित है? यदि हाँ, तो उक्त कार्यालय में कौन-कौन अधिकारी कौन-कौन सा कार्य कब से देख रहे हैं? (ख) राजगढ़ जिले में ऐसे कौन से खनिज संसाधन हैं जिन का कार्य खनिज विभाग के नियंत्रण में है? (ग) उक्त खनिज संसाधनों के लीज पर दिये जाने के क्या नियम हैं? निर्देश की प्रति उपलब्ध करावें? (घ) वर्तमान में राजगढ़ जिले में कौन-कौन सी खदानें किस-किस दर पर किस-किस को कितने समय के लिये दी गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में खनिज विभाग का कोई कार्यालय पृथक से संचालित नहीं है। अपितु कलेक्टर कार्यालय राजगढ़ में खनिज शाखा के रूप में यह कार्यरत है। प्रश्न की शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 में दर्शित है। (ख) प्रश्नाधीन जिले में रेत, पत्थर, फर्शी पत्थर एवं मुरम खनिज पाया जाता है। इससे संबंधित कार्य खनिज शाखा द्वारा किया जाता है। (ग) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के प्रावधानों के तहत प्रश्नांश 'ख' में उल्लेखित खनिजों की नीलामी/लीज/उत्खनन अनुज्ञा स्वीकृत की जाती है। यह नियम अधिसूचित है। (घ) प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 पर दर्शित है।
खरीफ का मुआवजा
111. ( क्र. 7693 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नहर का पानी छोड़ने का हवाला देकर शासन को गुमराह कर ग्राम बीसावाड़ी (बंडोल) तह. व जिला सिवनी में वर्ष 15-16 में खरीफ का मुआवजा नहीं दिया गया है? (ख) यदि नहर का पानी छोड़ा गया है तो कब और कितने समय के लिए? (ग) क्या नहर का पानी छोड़ने का हवाला देकर कुछ किसानों को मुआवजा दिया गया है तथा कुछ किसानों को छोड़ दिया गया है? यदि हाँ, तो छोड़े गये किसानों को कब तक मुआवजा दिया जायेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ग) विभाग की परियोजना से किसी प्रकार की फसल क्षति नहीं होना प्रतिवेदित होने से मुआवजा देने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। (ख) रबी सिंचाई के लिए दिनांक 13.11.2015 से 17.01.2016 तक जल प्रदाय किया गया है।
सिंचाई सुविधा हेतु सर्वेक्षण कार्य
112. ( क्र. 7727 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले के विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत सुठालिया-उकावद मार्ग के मध्य पार्वती नदी के घोघरा घाट नामक स्थान पर एक उच्च स्तरीय बैराज निर्माण हेतु क्षेत्रीय जनता द्वारा वर्षों से माँग की जा रही है तथा उक्त बैराज के निर्माण से पार्वती नदी में 8-10 कि.मी. की लंबाई में जल भराव हो सकेगा? (ख) यदि हाँ, तो उक्त स्थल पर पार्वती नदी में काफी ऊँचे किनारे तथा इससे न तो कोई भूमि डूब क्षेत्र में आयेगी और न ही मुआवजा वितरित करना पड़ेगा, किंतु यदि बैराज बना दिया जाता है तो क्षेत्र की हजारों हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा प्राप्त हो सकेगी तथा शासन की सतही स्त्रोत आधारित समूह नल-जल योजना से दर्जनों ग्रामों को पेय-जल सुविधा का भी लाभ मिल सकेगा? (ग) क्या शासन प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में उक्त स्थल का तकनीकी परीक्षण कराकर वर्तमान में उपलब्ध विपुल जल राशि भंडारण एवं भविष्य में बैराज बन जाने की स्थिति में अतिरिक्त जल भंडारण से क्षेत्र की कृषक आबादी को सिंचाई सुविधा का लाभ दिलाने हेतु यथाशीघ्र सर्वे करायेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) सुठालिया-उकावद मार्ग के मध्य पार्वती नदी पर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा स्टाप डेम निर्मित है। जल संसाधन विभाग द्वारा प्रश्नाधीन स्थल पर बैराज बनाये जाने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (ख) एवं (ग) प्रश्नाधीन स्थान पर परियोजना की साध्यता संबंधी जानकारी एकत्रित करने के निर्देश मैदानी अधिकारियों को दे दिए गए हैं। परियोजना की प्रथम दृष्ट्या साध्यता स्थापित नहीं होने से जानकारी दी जाना संभव नहीं है।
हवाई पट्टी का निर्माण
113. ( क्र. 7728 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य शासन द्वारा हवाई पट्टी बनाये जाने की क्या नीति है? बतावें? (ख) क्या राजगढ़ जिले में वर्तमान में कोई हवाई पट्टी स्थापित है? यदि नहीं, तो जिला मुख्यालय होने के कारण अनेकों बार अतिविशिष्ट राजनेता, केन्द्रीय अधिकारी एवं उद्योगों से संबंधित लोगों के आवागमन को दृष्टिगत रखते हुये हवाई पट्टी का निर्माण आवश्यक है? यदि हाँ, तो इस बाबत् शासन द्वारा क्या कभी जिला प्रशासन को राजगढ़ जिले के सबसे बड़े केन्द्र ब्यावरा में आवश्यक भूमि का चयन कर प्रस्ताव भेजने हेतु निर्देशित किया गया था? यदि हाँ, तो क्या जिला प्रशासन द्वारा इस बाबत् कोई प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत किये गये है? (ग) क्या शासन जिले के औद्योगिक विकास एवं प्रशासनिक व्यवस्थाओं के कुशल संचालन हेतु समय-समय पर विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन के दृष्टिगत ब्यावरा में हवाई पट्टी का निर्माण करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) कोई नीति नहीं है, परंतु जिन जिलों में हवाई पट्टी नहीं है उनमें विभागीय बजट के अनुसार चरणबद्ध रूप से हवाई पट्टी बनाये जाने का सैद्धान्तिक निर्णय लिया गया है। (ख) जी नहीं। अतिविशिष्ट महानुभावों के आवागमन की जानकारी विभाग में संधारित नहीं की जाती। जी हाँ। जी हाँ। (ग) राजगढ़ में हवाई पट्टी निर्माण करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया। समय-सीमा निर्धारित की जाना संभव नहीं है।
नहरों का कमांड एरिया बढ़ाया जाना
114. ( क्र. 7759 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा तहसील अंतर्गत रूपनिया डेम काफी बड़ा होकर कृषकों की सिंचाई का मुख्य माध्यम होकर आस-पास के कई गांवों के कृषकों की सैंकड़ों बीघा भूमि को सिंचित कर फसल उत्पादन का माध्यम है? (ख) यदि हाँ, तो रूपनिया डेम की कब कब सफाई मरम्मत एवं नहरों की मरम्मत के साथ ही नहरों का कमांड एरिया बढाये जाने की आवश्यकता को दृष्टिगत रख क्या किया जा रहा है? (ग) साथ ही डेम की उंचाई में वृद्धि कर नहरों का कमांड एरिया बढ़ाये जाने हेतु क्या क्या कार्य किये जाने के साथ ही इस हेतु क्षेत्रीय कृषकों की एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा भी लगातार माँग के संबंध में क्या किया जा रहा है? (घ) वर्ष 2013-14 से लेकर प्रश्न दिनांक तक नहरों का कमांड एरिया बढाये जाने एवं समय समय पर उल्लेखित वर्षों के अंतर्गत साफ-सफाई एवं मरम्मत मूलक कार्यों के साथ ही अन्य कार्यों हेतु कितना बजट स्वीकृत होकर क्या कार्य हुए, कितना व्यय हुआ?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) परियोजना का नियमित संधारण किया जाता है। वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 में परियोजना की नहरों की लाईनिंग कराकर रबी सिंचाई क्षमता 1592 हेक्टर से बढ़ाकर 1992 हेक्टर की गई है। बाँध की ऊँचाई बढ़ाई जाना तकनीकी रूप से उपयुक्त नहीं है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। प्रश्नाधीन अवधि में आर.आर.आर. मद में रू.359.61 लाख एवं मरम्मत/संधारण पर रू.3.57 लाख व्यय किया गया।
अपशिष्ट प्रबंधन एवं उपयोग
115. ( क्र. 7794 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत जावरा नगर पालिका परिषद् एवं पिपलौदा नगर परिषद् का शहरी क्षेत्र होकर बढ़ती हुई जनसंख्या एवं आवश्यकताओं के कारण दोनों नगरों में भारी मात्रा में कचरा इकट्ठा होता है? (ख) यदि हाँ, तो क्या इनके उचित ढंग से रखे जाने हेतु कोई निश्चत व्यवस्था नहीं होकर, कचरा, खुली भूमि पर मरे हुए जानवरों एवं मल मूत्र इत्यादि भी खुले में पड़े रहते हैं? (ग) यदि हाँ, तो क्या इनसे पर्यावरण प्रदूषित नहीं होकर संपूर्ण पर्यावरण को जहां एक ओर प्रदूषित कर गंभीर बीमारियों का कारण बनता है तो वहीं दूसरी ओर भयंकर दुर्गन्ध पैदा करता है? (घ) यदि हाँ, तो क्या शहरों का कचरा इकट्ठा कर बंद पड़े पात्रों में रखे जाने की व्यवस्था कर अतिशीघ्र नष्ट किये जाने की व्यवस्था की जाना चाहिये, साथ ही क्या कचरे से खाद एवं विद्युत उत्पादन की कार्ययोजना भी बनाई जा सकती है? यदि हाँ, तो इस हेतु क्या किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। भारी मात्रा में कचरा इकट्ठा नहीं होता है। (ख) नगर पालिका परिषद् जावरा द्वारा प्रतिदिन डोर टू डोर कचरा एकत्रित तथा रोजना एकत्रित किए गए कचरे को सादाखेड़ी ग्राम स्थित ट्रेचिंग ग्राउण्ड पर कचरा निष्पादन हेतु डाला जाता है। कहीं भी खुली भूमि पर मलमूत्र इकट्ठा नहीं होता है। निकाय में मरे हुए जानवर खुले में नहीं पड़े रहते है। संज्ञान में आने पर तत्काल मरे हुए जानवरों को उठवाया जाकर निष्पादन किया जाता है। नगर परिषद् पिपलौदा द्वारा प्रतिदिन सभी वार्डों में डोर-टू-डोर कचरा इकट्ठा कर ट्रेचिंग ग्राउण्ड, प्रतापगढ़ रोड पर डाला जाता है तथा कहीं भी खुली भूमि पर मलमूत्र इकट्ठा नहीं होता है। निकाय में मरे हुये जानवर खुले में नहीं पड़े रहते है। संज्ञान में आने पर तत्काल मरे हुए जानवरों को उठवाया जाकर निष्पादन किया जाता है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) नगर पालिका परिषद् जावरा एवं नगर परिषद् पिपलौदा में खाद एवं विद्युत उत्पादन के लिए पर्याप्त कचरा इकट्ठा नहीं होने से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए प्रदेश स्तर पर क्लस्टर बेस तैयार किया जा रहा है, ताकि कचरा निष्पादन वैधानिक तरीके से किया जाए एवं खाद/विद्युत उत्पादन किया जा सके।
कैलाश वाटिका में कॉम्पलेक्स निर्माण
116. ( क्र. 7810 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नीमच जिले के रामपुरा नगर में मध्य भारत प्रांत के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कैलाश नाथ काटजू के नाम कैलाश वाटिका स्थित है जो शासकीय हॉस्पिटल, रामपुरा के पास स्थित है तथा उसमें बड़ी संख्या में हरे भरे पेड़ थे? (ख) क्या नगर परिषद् रामपुरा के प्रस्ताव क्रमांक 14/13.02.2015 एवं प्रस्ताव क्रमांक 15/13.02.2015 द्वारा सभी हरे भरे वृक्षों को काटकर तथा कैलाश वाटिका को नष्ट करके शॉपिंग कॉम्पलेक्स व मैरिज गार्डन बनाने की योजना स्वीकृत की गई है व कैलाश वाटिका का नामकरण शांतिलाल जैन शॉपिंग कॉम्पलेक्स करने की योजना बनाई गई? (ग) उक्त कॉम्पलेक्स निर्माण के लिए ई-टेण्डरिंग प्रक्रिया कब प्रारंभ हुई? निविदाएं कब आमंत्रित हुई? किस मद से कितनी राशि प्राप्त हुई? शासकीय अनुदान से प्राप्त धनराशि से निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति किस अधिकारी के द्वारा दी गई? (घ) नगर पंचायत द्वारा कॉम्पलेक्स निर्माण हेतु किस मद से कितनी राशि का प्रावधान रखा गया है एवं निर्माण हेतु टेण्डर कब प्रारंभ हुये? इस हेतु कौन सी प्रक्रिया अपनाई गई?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगर परिषद् रामपुरा में कैलाश वाटिका नाम से खुली भूमि है, जिसमें हरे भरे पेड़ लगे हुये है। (ख) जी नहीं। अपितु नगर परिषद् रामपुरा द्वारा प्रस्ताव क्रमांक 14/13.02.15 से कैलाश वाटिका के दक्षिण पूर्व दिशा में जहाँ पर पेड़ नहीं है, वहाँ पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स निर्माण एवं संकल्प क्रमांक 15/13.02.15 से मैरिज गार्डन निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें से मैरिज गार्डन का कार्य वर्तमान में नहीं कराया जा रहा है। जी नहीं। (ग) 686/ई-टेण्डर-2015/23.05.15 को निविदा जारी की गई। जिसमें टेण्डर क्रय की अंतिम दिनांक 08.06.15 एवं निविदा प्रस्तुत करने की दिनांक 09.06.15 (17:30 बजे) तक। कॉम्पलेक्स निर्माण का कार्य नगर पालिका परिषद् निधि से किया जा रहा है। जिससे शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) निकाय निधि से राशि रू. 2.00 करोड। ई-टेण्डरिंग की ऑन-लाईन प्रक्रिया अपनाई गई। ई-टेण्डरिंग-686/ई-टेण्डर/23.05.15 से ऑन-लाईन विज्ञप्ति जारी कर टेंडर क्रय दिनांक 08.06.15 से सबमिशन दिनांक 09.06.15 (17:30 बजे) तक थी।
बाँधों का जीर्णोद्धार
117. ( क्र. 7831 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. के भोपाल संभाग में कितने बाँध/तालाब उम्रदराज हो चुके हैं? क्या शासन द्वारा इन बाँधों/तालाब के जीर्णोद्धार हेतु कोई योजना बनाई गई हैं? यदि हाँ, तो कब तक? इसका कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा? (ख) क्या इन बाँधों/तालाबों से पानी का रिसाव होता हैं? यदि हाँ, तो इसके लिए शासन द्वारा अभी तक कोई कार्य रिसाव रोकने हेतु किया गया? यदि हाँ, तो क्या कब? (ग) क्या यह बाँध/तालाब कमजोर होने के कारण फूट सकते हैं? यदि हाँ, तो इससे होने वाले नुकसान का ब्यौरा देवें? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार नुकसान रोकने हेतु शासन की क्या योजना है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) निरंक। विश्व बैंक सहायित परियोजना के तहत 5 परियोजनाएं क्रमश: बागेर, मैना प्रथम, जमोनिया, नापानेरा एवं बाण्डाबेदरा का सुदृढ़ीकरण कार्य किया गया है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (ख) से (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
टाउन एवं कंट्री प्लानिंग योजना
118. ( क्र. 7832 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीहोर जिले के नगरीय निकाय क्षेत्र के विकास योजना टाउन एवं कंट्री प्लानिंग विभाग के पास कितने वर्षों से लंबित हैं? (ख) क्या जिला स्तर पर एवं राज्य स्तर पर प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में सुनवाई की कार्यवाही पूर्ण हो गई हैं? (ग) योजना लागू न करने या विलंब के क्या कारण हैं? (घ) नवीन विकास योजना कब तक लागू कर दी जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) सीहोर जिले के अंतर्गत दो नगरीय निकायों यथा सलकनपुर एवं सीहोर विकास योजनाओं का प्रारूप प्रकाशन क्रमशः दिनांक 23.12.2011 एवं 28.06.2014 को किया जाकर म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 19 के अंतर्गत परीक्षणाधीन है। (ख) सलकनपुर विकास योजना 2021 की सुनवाई जिला स्तर पर अधिनियम की धारा 17-क (1) अंतर्गत गठित समिति द्वारा की गई है। सीहोर विकास योजना 2031 की सुनवाई जिला स्तर पर अधिनियम की धारा 17-क (1) एवं राज्य स्तर पर धारा 19 (3) के अंतर्गत की गई है। (ग) सलकनपुर विकास योजना 2021 एवं सीहोर विकास योजना 2031 परीक्षण अंतर्गत है। (घ) म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में विकास योजना लागू किये जाने हेतु समय-सीमा निर्धारित नहीं होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
सार्वजनिक प्याऊ व ट्यूबवेल बंद होना
119. ( क्र. 7850 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2004 से प्रश्न दिनांक की स्थिति में विधायक निधि से भोपाल के वार्ड क्रमांक 7 से 21 के अंतर्गत जनहित के उपयोग हेतु ट्यूबवेल खनन एवं सार्वजनिक प्याऊ निर्मित कराये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो किस-किस वार्ड में कहाँ-कहाँ कितनी-कितनी राशि व्यय कर ट्यूबवेल खनन व प्याऊ निर्मित किए गए तथा कौन-कौन से ट्यूबवेल वर्तमान में चालू है तथा कौन-कौन से ट्यूबवेल व प्याऊ वर्तमान में कब-कब से किन-किन कारणों से व किन-किन की लापरवाही के कारण बंद हैं? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) के परिप्रेक्ष्य में ट्यूबवेल खनित एवं प्याऊ निर्मित किए जाने की दिनांक से चालू व बंद करने हेतु निगम प्रशासन द्वारा किन-किन कर्मचारियों को पदस्थ किया गया उनके नाम व पद सहित बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
अनियमितता के आरोपियों की पदोन्नति
120. ( क्र. 7853 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर पालिक अधिनियम में अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध अनियमितता/लोकायुक्त/ई.ओ.डब्ल्यू. व अन्य विभागीय जांचों के चलते पदोन्नति का लाभ दिये जाने का प्रावधान है? यदि नहीं, तो ऐसे कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी है जिनके विरूद्ध उक्त प्रकार की जांचें प्रचलन में हैं और भोपाल नगर निगम प्रशासन द्वारा वर्ष 2005 से प्रश्न दिनांक की स्थिति में किस-किस पद से किस-किस पद पर पदोन्नति दी गई? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में यह अवगत करावें कि मनमाने ढंग से व भ्रष्टाचार के चलते अधिनियम के विपरीत जाकर पदोन्नति आदेश जारी करने वाले कौन-कौन अधिकारी हैं उनके विरूद्ध शासन द्वारा क्या तथा कब तक कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों कारण सहित बतावें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। नगर निगम, भोपाल की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। आयुक्त, नगर निगम, भोपाल से प्राप्त जानकारी आयुक्त, नगर निगम, भोपाल के जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध जाँच प्रचलन में है, उनमें से किसी को भी वर्ष 2005 से प्रश्न दिनांक तक पदोन्नति का लाभ नहीं किया गया है। (ख) उत्तरांश ‘क’ के परिप्रेक्ष्य में उत्पन्न नहीं होता।
सीवेज मशीनों का क्रय
121. ( क्र. 7854 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भोपाल नगर निगम द्वारा निविदा क्रमांक 22/46/47 दिनांक 27 जून 2015 को सीवेज मशीन क्रय की गई थी? यदि हाँ, तो किस अधिकारी द्वारा कब स्वीकृति दी गई? बजट में कितनी सीवेज मशीन क्रय करने का व कितनी राशि का प्रावधान किया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में उक्त सीवेज मशीन क्रय करने हेतु किन-किन राष्ट्रीय समाचार पत्रों में कब-कब प्रकाशन किया गया है और किन-किन निविदाकारों ने कितनी-कितनी राशि की निविदाएं डाली गई तथा यह भी अवगत करावें कि वर्तमान में नगर निगम के पास कितनी सीवेज मशीनें उपलब्ध हैं? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में क्या नागरिकों द्वारा सेप्टिक टैंक की सफाई हेतु निर्धारित शुल्क का भुगतान करने के बाद भी निगम प्रशासन के महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं? यदि नहीं, तो क्या शासन द्वारा इसकी जाँच कराकर मनमानी करने वाले निगम अधिकारी एवं कर्मचारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। निविदा जारी करने की अनुमति महापौर परिषद् के संकल्प क्रं. 19 दिनांक 15.05.2015 द्वारा प्राप्त की गई थी। बजट में सीवेज मशीन क्रय हेतु पृथक से राशि का प्रावधान नहीं किया गया अपितु यह स्वास्थ्य विभाग हेतु वाहन के मद-410501701 से क्रय किया जाना प्रस्तावित था। (ख) सीवेज मशीन क्रय करने हेतु ई-टेण्डर, दैनिक समाचार पत्र, दैनिक भास्कर, दैनिक पत्रिका एवं निगम वेबसाईट में दिनांक 01.07.2015 को प्रकाशन किया गया। निर्धारित दिनांक को दो निविदाकारों द्वारा निविदा में भाग लिया गया। जिनके दस्तावेज निविदा नियम व शर्तों अनुसार सही नहीं पाये जाने उपरांत निविदा निरस्त कर पुन: द्वितीय निविदा क्रं. 2738 दिनांक 09.10.2015 के माध्यम से निविदा आमंत्रित की गई। जिसका प्रकाशन ई-टेण्डर, दैनिक पत्रिका, दैनिक पीपुल्स समाचार, डैली टाइम्स ऑफ इंडिया एवं निगम वेबसाईट पर किया गया निर्धारित दिनांक को किसी भी निविदाकारों द्वारा निविदा में भाग नहीं लिया गया। प्रश्न दिनांक तक सीवेज मशीन क्रय नहीं की गई। वर्तमान में नगर निगम भोपाल के पास 15 सीवेज मशीन उपलब्ध है। (ग) जिन नागरिकों द्वारा सक्शन मशीन से सैप्टिक टैंक की सफाई हेतु निर्धारित शुल्क का भुगतान किया जाता है। उक्त कार्य हेतु जहाँ सक्शन मशीन से कार्य किया जाना संभव होता है, वहाँ मशीन उपलब्धता के आधार पर सैप्टिक टैंक की सफाई प्राथमिकता के आधार पर अविलंब कराई जाती है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
जहरीले कचरे से प्रभावित आबादी को मुआवजा
122. ( क्र. 7861 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के किन-किन शहरों में जहरीला कचरा पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से रखा हुआ तथा वह किस फैक्ट्री का है, उसकी मात्रा क्या है, तथा किस वर्ष से रखा है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कचरे के किस-किस ढेर में क्या-क्या रसायनिक तत्व मौजूद है तथा उसमें वायु, जल, भूमि, फसल, पशुधन एवं मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ा है? (ग) क्या रतलाम में 3 फैक्ट्रियों का 3 हजार टन जहरीले कचरे से 400 फिट नीचे तक भूमिगत जल जहरीला हो गया है? यदि हाँ, तो आज दिनांक तक उस कचरे का निष्पादन क्यों नहीं किया गया? (घ) क्या माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार कचरे का शीघ्र निष्पादन किया जाएगा? क्या इस कचरे से जो आबादी प्रभावित हुई है उसे मुआवजा दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) वस्तुस्थिति यह है कि परिसंकटमय अपशिष्ट तीन स्थानों पर चिन्हित किया गया है, जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश ‘‘क‘‘ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) रतलाम में दो बंद फैक्ट्रियों का 23472.4 मैट्रिक टन परिसंकटमय अपशिष्ट से भूमिगत जल प्रदूषित हो गया है। उक्त फैक्ट्रियों के बंद होने तथा तत्समय परिसंकटमय अपशिष्ट निपटान व्यवस्था उपलब्ध न होने के कारण निष्पादन नहीं किया गया। (घ) मे.यूनियन कार्बाइड ऑफ इंडिया लि., भोपाल का प्रकरण क्रमांक एस.एल.पी. 9874/2012 माननीय उच्चतम न्यायालय में लंबित होने से आगामी कार्यवाही माननीय न्यायालय के निर्णय अनुसार की जायेगी।
इंदौर भोपाल बी.आर.टी.एस. को तोड़ना
123. ( क्र. 7862 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर भोपाल बी.आर.टी.एस. पर अभी तक कुल कितनी-कितनी राशि किन-किन विभाग द्वारा खर्च की गई है तथा कन्सलटेंट को कितना-कितना पैसा किस कार्य हेतु भुगतान किया गया है तथा किसे कितना भुगतान शेष है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित दोनों बी.आर.टी.एस. की प्रारम्भिक डी.पी.आर. में कन्सलटेंट हेतु भुगतान के लिये कितनी राशि का प्रावधान था तथा प्रारम्भिक डी.पी.आर. में बी.आर.टी.एस. की कुल लागत राशि से अभी तक कितने प्रतशित अधिक राशि खर्च हो चुकी है? (ग) इंदौर, भोपाल मेट्रो का डी.पी.आर. किस कन्सलटेंट द्वारा तैयार किया जा रहा है तथा उसे किस दर से लगभग कितनी राशि का भुगतान करना होगा। (घ) क्या मेट्रो के निर्माण हेतु बी.आर.टी.एस. को खण्डित किया जायगा अथवा सम्पूर्ण हटा दिया जायेगा, यदि यह अभी तय नहीं हुआ तो शासन इस मामले में अपनी नीति की जानकारी दें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) इंदौर बी.आर.टी.एस. में इंदौर विकास प्राधिकारी इंदौर द्वारा रू. 167.03 करोड़, नगर पालिक निगम इंदौर द्वारा क्रमश: रू. 16.57 करोड़ एवं ए.आई.सी.टी.एस.एल. इंदौर द्वारा रू. 8.20 करोड़, कुल राशि रू. 191.80 करोड़ व्यय किया गया है। भोपाल बी.आर.टी.एस. में रू. 309.44 करोड़ व्यय किया गया है। सलाहकारों को भुगतान की गई राशि एवं शेष राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ-1 एवं अ-2 पर है। (ख) इंदौर बी.आर.टी.एस. की प्रारंभिक डी.पी.आर. में कंसलटेंट को भुगतान हेतु 4 प्रतिशत का प्रावधान था। भोपाल की डी.पी.आर. में कंसलटेंट को भुगतान हेतु राशि का प्रावधान नहीं था। प्रारंभिक डी.पी.आर. अनुसार इंदौर के बी.आर.टी.एस. हेतु राशि रू. 173 करोड़ का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किया गया था जिसके विरूद्ध राशि रू. 98.45 करोड़ स्वीकृत हुआ। ए.आई.सी.टी.एस.एल. इंदौर विकास प्राधिकारी इंदौर, एवं नगरपालिक निगम इंदौर द्वारा अद्यतन कुल राशि रू. 191.80 करोड़ खर्च किया गया है। प्रारंभिक डी.पी.आर. अनुसार भोपाल बी.आर.टी.एस. की कुल लागत राशि रू. 357.20 करोड़ है, जिसके विरूद्ध राशि रू. 309.44 करोड़ व्यय किया जा चुका है। (ग) इंदौर, भोपाल मेट्रो की डी.पी.आ. रोहित एसोसिएट्स आर्किटेक्ट एण्ड इन्जीनियर्स प्रा.लि. कन्सोर्सियम के द्वारा तैयार की गई है। उक्त कन्सलेंट को रू. 17.95 लाख तथा सर्विस टैक्स प्रति किलोमीटर की दर से लगभग कुल राशि रू. 3577.07 लाख एवं सर्विस टैक्स का भुगतान किया जायेगा। (घ) शासन की नीति के अनुसार मल्टी मॉडल इंटीग्रेशन के तहत मेट्रो एवं बी.आर.टी.एस. परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जायेगा। जिससे ये एक दूसरे के संपूरक के रूप में कार्य करेंगे।
मोबाइल टावर कंपनियों की दी गई जमीन का पंजीयन
124. ( क्र. 7864 ) श्री जितू पटवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर, भोपाल एवं उज्जैन शहर (नगर निगम सीमा) में रिलायंस जियो कंपनी में टावर लगाने हेतु नगर निगम द्वारा आवंटित भूमि जोकि लीज पर दी गई है पर 01.01.2004 से आज दिनांक तक लीज को रजिर्स्टड करवाने का कितना शुल्क जिला पंजीयक के द्वारा शासन को प्राप्त हुआ? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त राशि का नगर निगम द्वारा ब्यौरा देवें यदि प्राप्त नहीं हुआ तो क्यों नहीं हुआ जबकि भोपाल में 186 एवं इंदौर 100 व उज्जैन में 50 से ज्यादा टॉवर नगर निगम के द्वारा लीज पर दी गई जमीन पर लग चुके हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) अंतर्गत हुए शासन को हुए राजस्व हानि का कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार है व उन पर लापरवाही बरतने पर क्या कार्यवाही कब तक कर दी जावेगी? (घ) प्रश्नांश (क) अंतर्गत संबंधित कंपनी एवं निगम को टैक्स जमा करने हेतु भेजे गए पत्रों का विवरण उपलब्ध करायें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) इन्दौर, भोपाल एवं उज्जैन (नगर निगम सीमा) में रिलायंस जियो कम्पनी में टॉवर लगाने हेतु नगर निगम द्वारा आवंटित भूमि की लीज को पंजीयन करवाने से संबंधित दस्तावेजों पर शुल्क संबंधी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) एवं (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है। (घ) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत संबंधित कम्पनी एवं नगर निगम को शुल्क जमा करने हेतु भेजे गये पत्रों का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है।
समयमान वेतन दिया जाना
125. ( क्र. 7872 ) श्री कमल मर्सकोले : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश राज्य की सिविल सेवा सदस्यों को समयमान वेतनमान उपलब्ध कराने की योजना अंतर्गत देय उच्चतर वेतनमान में वर्ग (अ) एवं (ब) के शासकीय सेवकों को प्रथम उच्चतर वेतनमान 08 वर्ष में द्वितीय उच्चतर वेतनमान 16 वर्ष में दिये जा रहे हैं? (ख) क्या वर्ग (स) के शासकीय सेवकों को प्रथम उच्चतर वेतनमान 10 वर्ष में एवं द्वितीय उच्चतर वेतनमान 20 वर्ष में दिये जा रहे हैं? यदि हाँ, उक्त समयावधि की विसंगति के क्या कारण हैं? (ग) क्या पूर्व में क्रमोन्नत योजनांतर्गत प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के सभी शासकीय सेवकों को प्रथम क्रमोन्नति 12 वर्ष में एवं द्वितीय क्रमोन्नति 24 वर्ष में दी जाती थी? यदि हाँ, तो समयमान वेतनमान में वर्ग (स) के शासकीय सेवकों के साथ समयावधि का भेदभाव क्यों किया जा रहा है? क्या शासन सभी शासकीय सेवकों वर्ग (अ) वर्ग (ब) एवं (स) सभी को एक निश्चित एक समान समयावधि (प्रथम उच्चतर वेतनमान 08 वर्ष में द्वितीय उच्चतर वेतनमान 16 वर्ष) में समयमान वेतनमान दिये जाने पर विचार करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या क्रमोन्नति योजना में सभा शासकीय सेवकों के कर्तव्य और दायित्व एक समान थे और वर्तमान समयमान वेतनमान में शासकीय सेवकों के कर्तव्य और दायित्व अलग हैं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। शासन का नीतिगत निर्णय हैं। (ग) जी हाँ। प्रश्नांश ''ख'' अनुसार प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं, परन्तु तत्कालीन क्रमोन्नत योजना को शासकीय सेवकों के लिये और अधिक हितकर बनाये जाने के लिये समयमान वेतनमान योजना में आवश्यक प्रावधान किये गये हैं।
विस्थापितों को प्रदाय भू-खण्ड
126. ( क्र. 7888 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र कुक्षी में सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित लोगों के विस्थापन हेतु कितने पुनर्वास स्थल एवं उन पर कितने आवासीय भू-खण्ड विकसित किये गये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार जो भू-खण्ड विकसित किये गये हैं क्या उनकी पहचान हेतु क्रमांक दिया गया है? (ग) क्या निर्मित आवासीय भू-खंडों में से कुछ भू-खण्ड अनुपयोगी हैं यदि हाँ, तो उन की जानकारी प्रदाय की जावे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विधान सभा क्षेत्र कुक्षी में सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित विस्थापितों के पुनर्वास हेतु 14 पुनर्वास स्थल विकसित कर उन पर 6829 आवासीय भू-खण्ड विकसित किये गये हैं। विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बिजली उपभोक्ताओं से वसूली गई सुरक्षा निधि
127. ( क्र. 7889 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार, बड़वानी खरगोन जिले में वित्तीय वर्ष 2014-15 में निम्नदाब उपभोक्ताओं से कितनी राशि सुरक्षा निधि मद में प्राप्त हुई? जिलेवार जानकारी देवें? (ख) वित्तीय वर्ष 2014-15 में धार, बड़वानी एवं खरगोन जिले में निम्नदाब उपभोक्ताओं को उनकी जमा सुरक्षा निधि पर कुल कितनी ब्याज राशि का समायोजन उनके विद्युत देयकों में किया गया जिलेवार बतावें? (ग) धार, बड़वानी एवं खरगोन जिले में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर के अन्तर्गत आउट-सोर्सिंग से कितने कर्मचारी माह जनवरी, 2016 की स्थिति में कार्यरत हैं जिलेवार बतावें वर्ष 2015-16 में कुल कितनी राशि कर्मचारी भविष्य निधि में इन 3 जिलों में आउट-सोर्सिंग के कर्मचारी प्रदाय करने वाले ठेकेदारों द्वारा जमा कराई गई? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार इन कर्मचारियों का पी.एफ. न जमा करने वाले नियोक्ताओं पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) धार, बड़वानी एवं खरगोन जिलों में वित्तीय वर्ष 2014-15 में निम्नदाब उपभोक्ताओं से सुरक्षा निधि मद में क्रमश: रू. 164.70 लाख, रू. 160.27 लाख एवं रू. 395.80 लाख इस प्रकार कुल 720.77 लाख की राशि प्राप्त हुई। (ख) धार, बड़वानी एवं खरगोन जिलों में वित्तीय वर्ष 2014-15 में निम्नदाब उपभोक्ताओं से सुरक्षा निधि मद में जमा राशि पर क्रमश: रू. 191.85 लाख, रू. 114.37 लाख एवं रू. 169.28 लाख (कुल रू. 475.50 लाख) ब्याज की राशि का समायोजन संबंधित उपभोक्ताओं के विद्युत देयकों में किया गया। (ग) धार, बड़वानी एवं खरगोन जिलों में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर के अंतर्गत आउट-सोर्सिंग के माध्यम से माह जनवरी-2016 की स्थिति में कुल 1832 कार्मिक कार्यरत् है, जिनमें से उक्त जिलों में कार्यरत कार्मिकों की संख्या क्रमश: 768, 356 एवं 708 है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में धार, बड़वानी एवं खरगोन जिलों में आउट-सोर्सिंग के माध्यम से कार्यरत् उक्त कार्मिकों के कर्मचारी भविष्य निधि खातों में, उनके संबंधित मेन-पॉवर प्रदायकर्ता (ठेकेदार) द्वारा कुल राशि रू. 237.18 लाख जमा कराई गई है। (घ) उत्तरांश ''ग'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
फीडर सेपरेशन के कार्य
128. ( क्र. 7890 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आनन्द इलेक्ट्रिकल दिल्ली, को इन्दौर संभाग में फीडर सेपरेशन एवं अन्य कौन-कौन से कार्य कितनी लागत के कब-कब स्वीकृत हुये, कार्य का नाम, स्वीकृति दिनांक, लागत, कार्य पूर्णता दिनांक सहित बतावें? (ख) उपरोक्त कार्यों में राशि का आहरण कब-कब हुआ, दिनांक, कार्य का नाम, स्थन, सहित आवंटित राशि की जानकारी देवें? (ग) उपरोक्त (क) अनुसार कितने कार्य अपूर्ण है प्रतिशत में बतावें? क्या कार्य अपूर्ण होने पर भी कंपनी को पूर्ण भुगतान कर दिया गया है? यदि हाँ, तो क्यों कारण बतावें? अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण करा लिये जावेंगे? (घ) कार्य अपूर्ण होने पर भी पूर्ण भुगतान करने के लिये दोषी अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित बतावें? इन पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) मेसर्स आनन्द इलेक्ट्रिकल्स, नई दिल्ली को इन्दौर संभाग में फीडर सेपरेशन योजनान्तर्गत धार जिले के राजगढ़ संचालन/संधारण संभाग में फीडर सेपरेशन का रू. 37.92 करोड़ की लागत राशि का कार्य दिनांक 18.11.2010 को स्वीकृत किया गया था। ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध के अनुसार उक्त कार्य की कार्य पूर्णता दिनांक 20.03.2014 थी। (ख) उपरोक्त कार्य हेतु राशि का आहरण नहीं अपितु ठेकेदार एजेंसी को विभिन्न दिनांकों में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा भुगतान किया गया है। धार जिले के राजगढ़ संचालन/संधारण संभाग में किये गये फीडर सेपरेशन के कार्य के विरूद्ध ठेकेदार एजेंसी को समय-समय पर बिल प्रस्तुत करने पर किये गये भुगतान की राशि एवं भुगतान की दिनांक सहित जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार उक्त कार्य हेतु रू. 37.92 करोड़ की राशि का अवार्ड (आवंटित राशि) जारी किया गया है। (ग) उपरोक्त (क) अनुसार फीडर सेपरेशन योजना अन्तर्गत, कार्यादेश अनुसार कोई भी कार्य अपूर्ण नहीं है तथा ठेकेदार कंपनी को कार्य पूर्ण होने पर ही भुगतान किया गया है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) प्रश्नाधीन फीडर सेपरेशन के कार्यों में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कंपनी स्तर पर कार्य की मात्रा के भौतिक सत्यापन में अनियमितता पाई गई थी। सत्यापन उपरान्त ठेकेदार एजेंसी द्वारा पूर्ण किये गये कार्यों की भौतिक मात्रा से अधिक का कार्य निष्पादन दर्शा कर ठेकेदार को अतिरिक्त राशि भुगतान होना पाया गया। कार्य अपूर्ण होने पर नहीं अपितु कार्य में उक्त अनियमितता पाए जाने पर कंपनी के अधिकारियों यथा: श्री गजानंद सातपुते, सेवानिवृत्त-सहायक यंत्री, श्री राकेश शाह, सहायक यंत्री, श्री कमलेश हिरकणे, सहायक यंत्री, श्री रमेश चापोरकर कनिष्ठ यंत्री एवं श्री भूपेन्द्र सिंह कार्यपालन यंत्री (सिविल) टी.बी.पी.एस. को कारण बताओ सूचना पत्र दिनांक 31.12.2015 को जारी कर जाँच कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। जाँचोपरांत, जाँच निष्कर्ष के आधार पर उक्त प्रकरण में नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
बस स्टेण्ड परिसर में दुकानों का निर्माण
129. ( क्र. 7892 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नीमच सुधार न्यास की योजना क्रमांक 12 अंतर्गत डॉ. हेडगेवार बस स्टेण्ड परिसर में कितनी दुकानों का निर्माण प्रस्तावित था उनमें से कितने दुकानें पूर्ण एवं कितनी अपूर्ण हैं। (ख) उक्त दुकानों का आवंटन कब-कब, किस-किस दर पर किस प्रक्रिया के तहत किस किसको किया गया। कितनी दुकानों का आवंटन शेष हैं। (ग) उक्त दुकानों के आवंटन के संबंध में किस किस समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशित की गई थी। (घ) क्या उक्त दुकानों के आवंटन में अनियमितताएं होने संबंधी शिकायतें समय-समय पर प्राप्त हुई हैं यदि हाँ, तो उक्त संबंध में आज दिनांक तक क्या क्या कार्यवाही की गई है? (ड.) क्या इस संबंध में कलेक्टर नीमच द्वारा भी कोई जाँच की गई है, यदि हाँ, तो उनके द्वारा जाँच उपरांत क्या प्रतिवेदन दिया गया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) तत्कालीन नीमच सुधार न्यास की योजना क्रमांक 12 डॉ. हेडगेवार बस स्टेण्ड परिसर में कुल 138 दुकानों का निर्माण प्रस्तावित था, जिसमें 95 दुकानें पूर्ण तथा 43 दुकानें अपूर्ण है। (ख) डॉ. हेडगेवार बस स्टेण्ड योजना क्रमांक 12 में नीलामी प्रक्रिया द्वारा 30 प्रथम आओ प्राथम पाओ योजनांतर्गत 71, अनुज्ञप्ति/समझौता पर 03, शेष रिक्त दुकानें 34 है। आवंटितों व दर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) योजना क्रमांक-12 में दुकानों के आवंटन हेतु विज्ञप्ति का प्रकाशन निम्नानुसार कराया गया है :-
नीलामी द्वारा आवंटन हेतु :-
1. दिनांक 15.12.1993 को नई विधा।
2. दिनांक 16.12.1993 व दिनांक 21.12.1994 को दैनिक दशपुर एक्सप्रेस।
प्रथम आओ प्रथम पाओ से आवंटन हेतु :-
3. दिनांक 26.11.1998 को दशपुर एक्सप्रेस।
(घ) उक्त योजना में दुकानों के आवंटन में अनियमितताओं के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। (ड.) जी नहीं।
पदोन्नति एवं पद पूर्ति नियम
130. ( क्र. 7894 ) श्री अनिल फिरोजिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिका परिषद् में पदोन्नति के क्या नियम है? (ख) क्या नगरीय प्रशासन एवं विकास संचनालय म.प्र. के पत्र क्र./स्था./एफ/2000/8488 दिनांक 03.04.2000 में दिये गये निर्देशों का पालन किया जा रहा है? अगर नहीं तो शासन के द्वारा उक्त नियम का पालन नहीं करने वाले अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही किस सक्षम स्तर से की जा सकती है? (ग) क्या राजस्व उपनिरीक्षक के पद को 100% पदोन्नति से भरा जाने का कोई नियम है? (घ) सीधी भर्ती एवं पदोन्नति से पद भरे जाने के संबंध में स्थाई समिति (पी.आई.सी.) को क्या अधिकार है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मध्यप्रदेश नगर पालिका कर्मचारी (भर्ती तथा सेवा शर्तें) नियम, 1968 के नियम-12 के तहत नगर पालिका परिषदों में पदोन्नति की कार्यवाही की जाती है। (ख) जी हाँ। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। सीधी भर्ती तथा पदोन्नति दोनों से राजस्व उपनिरीक्षक के पदों को भरा जाता है। (घ) म.प्र. नगर पालिका कर्मचारी (भर्ती तथा सेवा शर्तें) नियम, 1968 के नियम-5 के अनुसार निकाय में किसी भी वर्ष में भर्ती होने वाले उम्मीदवारों की संख्या का निर्धारण (सीधी भर्ती एवं पदोन्नति के पदों की पूर्ति हेतु) स्थायी समिति द्वारा (रोस्टर बनाया जाकर) किया जाता है।
बरगी व्यपवर्तन योजना की नहर से प्रभावित सड़क
131. ( क्र. 7905 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरगी व्यपवर्तन योजना की नहरों से मैहर विधान सभा क्षेत्र के कौन-कौन से ग्रामीण मार्ग, मुख्य मार्ग व प्रधानमंत्री सड़कें प्रभावित हुई हैं? नहर निर्माण से किन-किन स्थानों पर यातायात अवरूद्ध हुआ है? विवरण दें? (ख) प्रभावित सड़कों व प्रभावित यातायात को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु विभाग की क्या योजना है? कहाँ-कहाँ पुल-पुलियों का निर्माण किया जा रहा है व कहाँ-कहाँ पर पुल-पुलियों का निर्माण प्रस्तावित है? (ग) अवरूद्ध सड़कों पर कब तक पुल-पुलियों का निर्माण करा दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। नहर निर्माण से कहीं पर भी आवागमन अवरूद्ध नहीं है। (ख) पुल-पुलियों के निर्माण के पूर्व डायवर्सन बनाने के उपरांत ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाता है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) कोई भी मार्ग अवरूद्ध नहीं है। अत: समय-सीमा का प्रश्न ही नहीं उठता है।
उद्वहन सिंचाई योजना
132. ( क्र. 7906 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मैहर व अपरपाटन विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत पहाड़ क्षेत्र में कृषकों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराये जाने हेतु विभाग द्वारा क्या कोई योजना तैयार की जा रही है? क्या इस हेतु कोई सर्वे किया गया है? यदि हाँ, तो प्रारम्भिक प्रतिवेदन का विवरण दें। (ख) यदि प्रश्नांश (क) का उत्तर हाँ है, तो इस योजना में किन-किन ग्रामों की कितनी-कितनी भूमि सिंचित किये जाने का लक्ष्य है? विस्तृत डी.पी.आर. कब तक तैयार कर ली जावेगी? सर्वे व प्रारम्भिक आकलनों के आलोक में योजना की साध्यता की क्या स्थिति है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। रामनगर सूक्षम सिंचाई परियोजना का सर्वेक्षण किया गया है। परियोजना से 14,500 हेक्टर में भूमि में सूक्षम सिंचाई हेतु जल पहुंचाना प्रस्तावित है। परियोजना की डी.पी.आर. अंतिम नहीं हुई है। वर्ष 2016-17 में डी.पी.आर. अंतिम किया जाना संभावित है। प्रथम दृष्ट्या परियोजना साध्य है।
कलेक्टर को प्रेषित पत्र पर कार्यवाही
133. ( क्र. 7913 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा माह जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक कलेक्टर नरसिंहपुर को कितने पत्र प्रेषित किये गये एवं कलेक्टर द्वारा किस-किस पत्र पर क्या-क्या कार्यवाही की गई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
उच्चतर वेतनमान का लाभ
134. ( क्र. 7915 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग के ज्ञाप क्रमांक/एफ-11/1/2008/नियम/चार/ दिनांक 24.01.2008 एवं 24.09.2008 के प्रावधान अनुसार सहायक ग्रेड-3 को नियुक्ति दिनांक से 10 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होने पर प्रथम उच्चतर वेतनमान (5200-20200+2400 ग्रेड पे) एवं सहायक ग्रेड 2 एवं 3 को 20 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर द्वितीय उच्चतर वेतनमान 5200-20200+2800 ग्रेड पे का लाभ दिया जा रहा है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) के अनुसार लेखापाल जो दो पदोन्नति का लाभ लेकर वेतनमान 5200-20200+2400 ग्रेड पे में कार्यरत है एवं सहायक ग्रेड-2 एवं 3 को 20 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर समयमान वेतनमान में द्वितीय उच्चतर वेतनमान 5200-20200+2800 ग्रेड पे का लाभ प्राप्त होने से लेखापाल से सहायक ग्रेड-2 एवं 3 कनिष्ठ होते हुए भी अधिक वेतन प्राप्त कर रहे है। (ग) क्या उक्त विसंगति के लिये मध्यप्रदेश शासन वन विभाग के ज्ञाप क्रमांक /डी/2601/3132/2010/10-1 दिनांक 28.07.2010 से लेखापाल के वेतनमान के सुधार को प्रस्ताव चाहे गये। (घ) यदि प्रश्नांश (ग) हाँ तो उक्त ज्ञाप के प्रावधान अनुसार लेखापाल के वेतनमान में सुधार के आदेश जारी किये जावेंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। लेखापाल संवर्ग के पदोन्नति पर हुई विसंगति को दूर किये जाने हेतु विसंगति प्रस्ताव विचाराधीन है। (ग) वन विभाग में लेखापाल को समयमान वेतनमान की पात्रता के संदर्भ में प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। (घ) यह मुद्दा वन विभाग का नहीं अपितु अन्य विभागों से संबंधित है एवं एकजाई निर्णय लिया जाएगा।