मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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षोडश विधान सभा                                                                        षष्‍टम सत्र

 

 

जुलाई-अगस्‍त, 2025 सत्र

 

गुरुवार, दिनांक 31 जुलाई, 2025

 

(9 श्रावण, शक संवत्‌ 1947)

 

 

[खण्ड- 6 ]                                                                                        [अंक-4 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

गुरुवार, दिनांक 31 जुलाई, 2025

 

(9 श्रावण, शक संवत्‌ 1947)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.

 

{ अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए }

 

11.01 बजे                               विशेष उल्‍लेख

 

    उपन्‍यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर बधाई

अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍यगण, आज मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती है. उनका जन्‍म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के पास लमही गांव में हुआ था. वह हिन्‍दी साहित्‍य के महान कथाकार और उपन्‍यासकार थे, जिन्‍हें उपन्‍यास सम्राट के नाम से भी जाना जाता है. मुंशी प्रेमचंद जी को धनपतराय श्रीवास्‍तव के नाम से भी जाना जाता है. उन्‍होंने गोदान, गबन, सेवासदन जैसे कई प्रसिद्ध उपन्‍यास लिखे. उनके कार्यों में आम आदमी की समस्‍याओं और भावनाओं को दर्शाया गया है. सदन मुंशी प्रेमचंद जी के प्रति आदर प्रकट करता है.

 

श्री भैरो सिंह बापू, सदस्‍य को जन्‍मदिवस की बधाई

आज हमारे सदन के सदस्‍य श्री भैरो सिंह बापू जी, सुसनेर, आगर मालवा से विधायक हैं उनका जन्‍मदिन है, सदन उनको भी अपनी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं प्रकट करता है.

 

11.02 बजे                       तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

कालाखेत शॉपिंग कॉम्‍प्‍लेक्‍स को अतिक्रमण मुक्‍त कराया जाना

[नगरीय विकास एवं आवास]

1. क्र. 208 श्री विपीन जैन : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर स्थित कालाखेत शॉपिंग कॉम्‍प्‍लेक्‍स पर साठीया समुदाय द्वारा कितनी दुकानों पर कब से अतिक्रमण कर रखा है जानकारी देवें। (ख) कालाखेत शॉपिंग कॉम्‍प्‍लेक्‍स से अतिक्रमण को हटाकर अन्य जगह परिवारों को पट्टा प्रदाय कर विस्थापित करने की कार्यवाही कब तक की जायेगी? इस संबंध में अभी तक क्या-क्या प्रयास किये गए हैं.

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) मंदसौर स्थित कालाखेत शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स की दुकानों में नहीं अपितु दुकानों के बाहर साठिया समुदाय के लोगों द्वारा वर्ष 2002 से अतिक्रमण किया गया है। (ख) जानकारी संलग्‍न परिशिष्टि अनुसार है।

परिशिष्ट - "एक"

        श्री विपीन जैन --  अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न क्रमांक 208.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय --  अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रखा है.

श्री विपीन जैन -- अध्‍यक्ष महोदय, मंदसौर में स्थित कालाखेत जो कि मंदसौर का हृदयस्‍थल कहा जाता है, वर्ष 2002 में वहां पर गृह निर्माण मण्‍डल द्वारा 145 दुकानों का निर्माण किया गया. उन 145 दुकानों में से 104 दुकान सरकार द्वारा नीलाम की गईं और 104 दुकानों को जिन व्‍यापारियों ने खरीदा था उन्‍होंने सरकार को उनका रुपया जमा कर दिया, उसके बावजूद वहां पर एक विशेष समुदाय के लोग झोपडि़यां बनाकर रहते हैं, उनकी दुकानों के सामने झोपडि़यां बना रखी हैं और 20 से 25 दुकानों पर उन्‍होंने कब्‍जा कर रखा है. 20-22 वर्षों से यह समस्‍या जैसी की तैसी आज भी खड़ी है, तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है, मंत्री जी का जवाब आया है कि वहां पर दुकानों के बाहर उन्‍होंने झोपडि़यां बना रखी हैं लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि बाहर उन्‍होंने झोपडि़यां तो बना रखी हैं लेकिन 20 से 25 दुकानों पर उन्‍होंने कब्‍जा भी कर रखा है. मैंने एक शून्‍यकाल लगाया था उसमें सरकार का ही यह जवाब आया था कि 25 दुकानों पर उनका कब्‍जा भी है, तो मेरा आपसे निवेदन है कि वह जो समुदाय वहां रहता है उनको आप अन्‍य कहीं जगह दे दें, उनको पट्टे दे दें, या प्रधानमंत्री आवास में मकान दे दें और जिन लोगों ने वहां पर दुकान खरीदीं उनकी क्‍या गलती है.

अध्‍यक्ष महोदय --  विपीन जी प्रश्‍न तो करिए.

श्री विपीन जैन -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है एक तो दुकानों पर कब्‍जा है, वह कब्‍जा मुक्‍त कराया जाए. दूसरा, जो समुदाय वहां रह रहा है उनको कहीं भी पट्टे देकर मकान दे दिए जाएं ताकि वहां वह दुकानदार अपना व्‍यापार, व्‍यवसाय कर सकें. यह स्थिति 22 साल से है. वह मंदसौर का हृदय स्‍थल है और उसके आस-पास 1,000 दुकानें हैं.

            श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से इसकी वस्‍तुस्थिति से सदन को अवगत कराना चाहता हूं. यह बात सही है कि कालाखेत शॉपिंग कॉम्‍प्‍लेक्‍स शिक्षा विभाग की जमीन है. वह शिक्षा विभाग के स्‍वामित्‍व की जमीन है. शिक्षा विभाग ने हाउसिंग बोर्ड एजेंसी को बनाने के लिए दिया है. यह बात भी सही है कि वहां पर दुकानों के सामने कुछ अतिक्रमण हुआ है. कुछ दुकानों के अंदर भी हुआ होगा जैसा कि माननीय सदस्‍य बता रहे हैं मैं इससे असहमति प्रकट नहीं करता. मेरी जानकारी में तो यह था कि दुकान के बाहर है. आप जवाबदार सदस्‍य हैं इसलिए मैं मान लेता हूं कि दुकान के अंदर भी होगा. यह राजस्थान की अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. मेरी कलेक्टर से रात को बात हुई थी मैंने उनको कहा है कि आप इनको वैकल्पिक स्थान दीजिए. उसमें समस्या यह आ रही है कि इन लोगों के पास रेसीडेंशियल के लिए कुछ प्रमाण नहीं हैं. हमने कहा है कि इसका कुछ भी विकल्प निकालें और इनको प्रधानमंत्री आवास के मकान उपलब्ध कराएं. अध्यक्ष महोदय, इसमें थोड़ा समय लगेगा. अभी बरसात के मौसम में इन पर कार्रवाई करना मुश्किल है. हमारे माननीय लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का निर्देश है कि बरसात के मौसम में किसी भी आवासीय स्थलों का अतिक्रमण नहीं हटाया जाए. हम बरसात के बाद इस पर विचार करेंगे. कलेक्टर महोदय को भी मैंने कहा है और नगर निगम को भी कहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से क्या इनको मकान दिए जा सकते हैं. "प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0" में भी  भारत शासन के निर्देश हैं कि इनके पास पट्टे होना चाहिए. उन्हें ही वह मकान मिलेंगे. हम उसका कोई रास्ता निकालेंगे. हम वहां मल्टी स्टोरी बना सकते हैं. किसी भी तरह से हम इस क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त करने का प्रयास करेंगे. हम कोशिश करेंगे को इन लोगों को अच्छा आवास मिल जाए और वहां पर जो अतिक्रमण है वह हट जाए.

          श्री विपीन जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि पिछली बार भी जब मैंने प्रश्न लगाया था तो उस समय भी बारिश का समय था तो उस समय भी कहा गया था कि बारिश के बाद हटा देंगे. एक साल हो गया है. मैं पूछना चाहता हूँ कि वे लोग कब तक खुली छत के नीचे रहेंगे वे भी इंसान हैं, उनके बच्चे हैं उनका परिवार है. 22 साल में सरकार उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर पाई है तो अब क्या उम्मीद करें कि बारिश के बाद उनको वैकल्पिक जगह दे दी जाएगी. उनके आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बने हुए हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उत्तर में पहले ही बताया है कि "प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0" में भारत शासन के निर्देश हैं कि जिनके पास पट्टे हैं उन्हें ही यह आवास दिए जाएं. परन्तु हम इसका कोई रास्ता निकालेंगे. हम मल्टी स्टोरी में उनको आवास दे सकते हैं. इस प्रकार के लोग जो भूमिहीन हैं और उनके पास पट्टे नहीं हैं सरकार उनको पट्टे भी नहीं दे सकती है. लेकिन हम  कोई न कोई व्यवस्था करेंगे मैंने कलेक्टर को भी कहा है और नगर निगम आयुक्त को भी कहा है. निश्चित रुप से यह अतिक्रमण तो है इससे वहां पर जो दुकान के मालिक हैं वे परेशान हैं. बरसात के बाद हम इस पर कोई कार्यवाही कर पाएंगे पर जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होगी तब तक उनको हटाया नहीं जा सकता है क्योंकि वे बहुत गरीब लोग हैं.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी को एक सुझाव है कि कोई जमीन जो आपको लगता है कि नजूल की है उसको आबादी में घोषित करवा कर वहां पर इनको दे सकते हैं. बारिश के बाद एक समय सीमा में यह किया जा सकता है. इनको 22 साल हो गए हैं. समय सीमा आ जाय तो ठीक है. कलेक्टर से आप जानकारी ले लें कि हम इस जमीन को आबादी में कर सकते हैं तो वहां पर इन लोगों को शिफ्ट कर दें.

          अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी ने कहा तो है कि बरसात के बाद कार्यवाही करेंगे और कलेक्टर को निर्देश भी दिए हैं.

          श्री कमलनाथ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक छोटी सी बात कहना चाहता हूँ. केन्द्र सरकार के पास राज्य सरकार की बहुत सारी जमीनें लीज पर हैं यह मैंने कल WCL के संदर्भ में कहा था. पर WCL और कोल इंडिया के अलावा बहुत सारी ऐसी जमीनें केन्द्र सरकार को हमने हवाला की थीं. जिनका सही उपयोग नहीं हो रहा है. इस पर जांच की जाए और जहां पर केन्द्र सरकार इस जमीन का उपयोग नहीं कर रही है या सही उपयोग नहीं कर रही है हमें उनकी लीज कैंसिल कर देनी चाहिए और उनका कब्जा ले लेना चाहिए ताकि यह जमीनें सरकार के पास आ सकें. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ नेता कमलनाथ जी ने बिलकुल सही विषय उठाया है. बीएचईएल की ऐसी जमीनें जो उनके किसी काम नहीं आ रहीं थीं उनमें से कुछ हमने वापस ली हैं और उन पर हम योजना भी बना रहे हैं. ऐसी जितनी भी जमीनें हैं जो केन्द्रीय योजनाओं के अन्तर्गत भारत शासन ने मांगी थीं और वे जमीनें खाली हैं. वहां पर हम प्रयास कर रहे हैं कि इन सब जमीनों को लेकर हमारे उपयोग में आ सकें इसका प्रयास कर रहे हैं. आपने WCL का कहा है उसके लिए भी हम लोग प्रयासरत् हैं.

          मेट्रो रेल परियोजना अंतर्गत भोपाल मेट्रो की जानकारी

[नगरीय विकास एवं आवास]

2. ( *क्र. 247 ) श्री आरिफ मसूद : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्य प्रदेश मेट्रो रेल परियोजना के अंतर्गत ऑरेंज मेट्रो लाइन (AIIMS से करोंद) का निर्माण कार्य कब प्रारंभ किया गया एवं कार्य पूर्ण करने की नियत तिथि क्या थी? प्रारंभ में कार्य की कुल कीमत क्या थी तथा वर्तमान में कार्य की लागत क्या है? समय-समय पर परिवर्तन प्लान के साथ मय मानचित्र एवं सर्वे की जानकारी सहित दस्तावेज उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्‍नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या अभी भी भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्स्थापन से जुड़े अनेक मुद्दे लंबित हैं? यदि हाँ, तो अब तक कुल कितनी जमीन का अधिग्रहण किया गया एवं कितनी जमीन का अधिग्रहण शेष है? पुनर्स्थापन के सर्वे सहित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) क्या ब्लू लाइन (भदभदा से रत्‍नागिरी) का कार्य प्रारंभ किया गया है? यदि हाँ, तो कार्य की कुल लागत क्या है एवं कार्य       किन-किन कंपनि‍यों को दिया गया है, उनके साथ हुए अनुबंध, राशि की जानकारी उपलब्ध करावें।               (घ) प्रश्‍नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में ब्लू लाइन (भदभदा से रत्‍नागिरी) के कार्य के संपूर्ण मानचित्र, भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्स्‍थापन के सर्वे एवं परियोजना के दौरान किन मार्गों को बंद किया जावेगा? समस्त जानकारी मय दस्तावेजों के साथ उपलब्ध करावें।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) मेट्रो रेल परियोजना के अंतर्गत ऑरेंज मेट्रो लाइन का कार्य 2 चरणों में प्रारंभ हुआ, जिसकी विस्तृत जानकारी निम्न है :-

चरण

प्रारंभ

पूर्ण होने का अनुमानित समय

चरण-1 AIIMS से सुभाष नगर

नवम्‍बर-2018

नवम्बर-2025

चरण-2 सुभाष नगर से करोंद

मार्च-2024

जून-2028

 

ऑरेंज लाइन की प्रारंभ में कुल लागत रू. 4406.57 करोड़ थी। वर्तमान में परियोजना के लागत राशि में वृद्धि का मूल्‍यांकन कार्य किया जा रहा है। परियोजना का मानचित्र, राजपत्र अधिसूचना का. आ.3587 (अ) दिनांक 22.08.2024 के आधार पर संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। (ख) भोपाल मेट्रो रेल परियोजना के लिए कुल 3.2 हेक्‍टेयर निजी भूमि के अधिग्रहण हेतु प्रस्‍ताव, जिला प्रशासन को भेजा गया है, जिसकी कार्यवाही प्रचलित है। (ग) ब्‍लू लाइन (भदाभदा से रत्‍नागिरी) का कार्य प्रगति पर है, जिसके सिविल पैकेज का अनुबंध M/S AFCONS को प्रदान किया गया है एवं अनुबंध राशि रू. 1006.74 करोड़ है। (घ) परियोजना का मानचित्र, राजपत्र अधिसूचना का.आ. 3587 (अ) दिनांक 22.08.2024 के आधार पर संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। भूमि अधिग्रहण संबंधित जानकारी उत्‍तरांश (ख) अनुसार है। वर्तमान में ब्‍लू लाइन पर भू एवं मिट्टी परीक्षण का कार्य चल रहा है। वास्‍तविक निर्माण कार्य प्रारंभ होने से पूर्व, विभिन्‍न चरणों में यातायात परिवर्तन की योजना यातायात पुलिस के समन्‍वय से तैयार की जायेगी। इसके उपरांत, यातायात विभाग से अनुमोदन प्राप्‍त कर एवं परिवर्तित मार्ग में आवश्‍यक सुधार करते हुए मार्ग परिवर्तन लागू किया जायेगा। समय-समय पर इस संबंध में जानकारी विभिन्‍न संवाद माध्‍यमों से आम जनता को चरणबद्ध तरीके से प्रदान की जायेगी।

परिशिष्ट - "दो"

          श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 247 है.

          श्री कैलाश विजयर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.

          श्री आरिफ मसूद--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो प्रश्‍न मैंने किया था उसका उत्‍तर आया ही नहीं है और जो उत्‍तर आया है वह बहुत ही घुमा फिराकर दिया गया है. यह उत्‍तर सही नहीं है, जो चीजें मैंने मांगी थी वह इसमें नहीं हैं. माननीय मंत्री जी बहुत‍ वरिष्‍ठ मंत्री हैं और गंभीर भी हैं. यह मेट्रो प्रोजेक्‍ट का मुद्दा है और सदन भी इस बात को समझता है कि भोपाल में जिस तरह का मेट्रो का काम चल रहा है उससे कितने लोग परेशान हैं. मैंने जो दो, तीन चीजें मांगी थीं वह मुझे नहीं मिली हैं. यह बताया जाए.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर थोड़ा सा लंबा होगा. मैं आपकी अनुमति से यह बताना चाहूंगा कि यह जो मेट्रो योजना की कल्‍पना हमने वर्ष 2013 में की थी उस समय हमारी सरकार आने के बाद हमने तत्‍काल मेट्रो का प्‍लान किया उसके टेंडर निकाले. डीआरपी के लिए हमने एजेंसी को बुलाया, डीआरपी बनी और उसमें डीपीआर बनी और डीपीआर बनने के बाद उसमें हमने देखा कि दो विकल्‍प हैं. एक लाईट मेट्रो है और एक हेवी मेट्रो है. लाइट मेट्रो पर जाएं कि हेवी मेट्रो पर जाएं इस पर हमने निर्णय लिया. उसके बाद हम भारत शासन के पास गये. भारत शासन ने कहा कि हम इतना बड़ा लोन नहीं दे सकते हैं. हम एशियन डेवलपमेंट बैंक के पास गये उन्‍होंने कहा कि हम दे सकते हैं, लेकिन इसके ऊपर आप डिटेल प्‍लॉन बनाकर लाइये. इसी बीच में वर्ष 2014 में माननीय मोदी जी की सरकार आ गई और मोदी जी की सरकार ने इसमें बड़ा इंटरेस्‍ट लिया. जब हम उस मंत्रालय में गये तो वहां के सेक्रेट्री ने कहा कि आप अलग से एक कंपनी बनाइये.

          अध्‍यक्ष महोदय, हमने सरकार के माध्‍यम से शुरुआत की थी और सरकार ने पहले टेंडर बुलाया और अब पूरी की पूरी एक कंपनी बन गई है. कंपनी बनने के बाद हमने वर्ष 2014-2015 में एक कंपनी बनाई और वर्ष 2018 में हमें स्‍वीकृति मिली और वर्ष 2018 के बाद कभी भी किसी शहर के अंदर कोई भी प्‍लान बनता है तो उसका बजट निर्धारित नहीं हो सकता है, अनुमानित बजट हो सकता है. मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा कि हम इंदौर में ब्रिज बना रहे हैं. वह ब्रिज 18 करोड़ रुपए की लागत का था और जहां ब्रिज बना रहे हैं वहां पर वॉटर लाइन थी, वहां बिजली की अंडरग्राउंड लाइन थी. वह भी हमारे ब्रिज के ऊपर लोड हो गई. वह बजट 18 करोड़ रुपए से ब‍ढ़कर 24 करोड़ रुपए का हो गया क्‍योंकि पानी की बड़ी लाइन थी उसको शिफ्ट करना पड़ा. ग्रीन फील्‍ड पर हम जो अनुमान लगाते हैं बजट उसके आसपास ही जाता है परंतु विकसित शहर कि अंदर जब कुछ भी काम करते हैं तो बजट अनुमान कभी भी सही नहीं हो सकता है. इसलिए आपको लगता है कि आपने जो प्रश्‍न पूछा था उसका जवाब ठीक नहीं दिया गया, लेकिन जब हम वास्‍तव में काम करने जाते हैं तो बाद में पता लगता है कि इसमें यह अतिरिक्‍त खर्च और आ गया है तो इसलिए सप्‍लीमेंट्री डीपीआर फिर बनाई. इसका समय बढ़ता जा रहा है. दो साल कोविड़ के भी खराब हो गये इसलिए समय बढ़ता जा रहा है और इसके बजट का साइज़ भी बढ़ता जा रहा है, परंतु इस बात के लिए हमें गर्व करना चाहिए कि भोपाल राजधानी है और हमारे प्रधानमंत्री जी,  मुख्‍यमंत्री जी के सहयोग से मेट्रो आ रही है. इंदौर में प्रथम चरण आ गया है. भोपाल में भी प्रथम चरण आने वाला है और द्वितीय चरण के लिए भी काम चल रहा है. आप बजट पर मत जाईये लेकिन यह बात सही है कि भोपाल और इंदौर के नागरिकों को सुविधा देंगे और उसके साथ जबलपुर और ग्‍वालियर का सर्वे चल रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आरिफ जी एक पूरक प्रश्‍न और कर लें.

          श्री आरिफ मसूद-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय मैंने मंत्री जी से बजट की बात ही नहीं की. आपने कहा कि वर्ष 2013 में बना. आपने अपनी गंभीरता से बहुत ही घुमाफिराकर जवाब देना चाहा. आप गंभीर हैं. वरिष्‍ठ हैं. मैंने कहा कि आप हमें लीज डेट दीजिए, तो इन्‍होंने लीज़ डेट नहीं दी. लीज़ डेट वर्ष 2024 की दी. वर्ष 2018 में काम चालू हुआ और उत्‍तर में यह वर्ष 2024 की लीज़ डेट दे रहे हैं. मेरी जानकारी में लगभग 4 वर्ष मेट्रो प्रोजेक्‍ट के होते हैं. वर्ष 2018 का यह खुद कह रहे हैं कि वर्ष 2024 तक हम पहला फेज़ पूरा करेंगे. अभी दो स्‍टेशन ही पूरे किये हैं और पूरा शहर खोद डाला है. मेट्रो में कभी जनप्रतिनिधियों को बुलाया ही नहीं जाता है. मैं प्रभारी मंत्री महोदय को धन्‍यवाद दूंगा कि उन्‍होंनें एक बार बुला लिया था. हमने तब भी कहा था कि आप पहले एक चीज पूरी करो तब दूसरी जगह ब्‍लू लाईन पूरी करना. पूरा शहर खोदा जा रहा है. विस्‍थापितों की सूची उत्‍तर में दिया है कि जितने विस्‍थापित हैं. 

          अध्‍यक्ष महोदय-- आरिफ जी आप क्‍या पूछना चाहते हैं.

 


 

          श्री आरिफ मसूद-  अध्‍यक्ष जी, मैं, तीन चीजें जानना चाहता हूं. विस्‍थापन की सूची इसमें नहीं है, मंत्री जी सही बात कह रहे हैं कि बजट आगे-पीछे हो सकता है, लेकिन आपने विस्‍थापन की सूची सार्वजनिक नहीं की, कितने विस्‍थापन होंगे वह बताना चाहिए, कितने साल में करेंगे यह भी बताना चाहिए. इसके अलावा इसे क्‍यों चालू किया जा रहा है, Soil Testing (मिट्टी परीक्षण) के नाम पर पूरे शहर को खोदा गया है, पूरा शहर बर्बाद हो रहा है. पहले एक कार्य पूर्ण किया जाये, तब दूसरा शुरू किया जाये.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  अध्‍यक्ष महोदय, यह तकनीकी कार्य है, विधायक जी का सुझाव सर आंखों पर, लेकिन यह तकनीकी कार्य है, जब हम कोई बड़ी योजना बनाते हैं तो उसका बड़ा प्‍लान होता है, ऐसा नहीं किया जा सकता कि उसे टुकड़ों-टुकड़ों में किया जाये, हमें उसका पूरा प्‍लान बनाना पड़ता है. इसलिए पहला स्‍टेशन बनाकर, फिर दूसरे स्‍टेशन पर जायें, फिर तीसरे स्‍टेशन को बनायें, ऐसा कभी नहीं होता है. पूरा प्‍लान, पूरी लाईनिंग, पूरा कंस्‍ट्रक्‍शन का काम सभी की प्‍लानिंग एक साथ की जाती है, जब इतना बड़ा प्रोजेक्‍ट आता है. यह संभव नहीं है जैसा विधायक जी ने कह दिया कि आप टुकड़ों-टुकड़ों में बनायें, यह व्‍यावहारिक रूप से भी संभव नहीं है.

          श्री आरिफ मसूद-  अध्‍यक्ष महोदय, मैंने यह नहीं कहा कि टुकड़ों में बनायें, मैंने कहा कि ऑरेंज लाईन पूर्ण होने के पश्‍चात् ही ब्‍लू लाईन का काम प्रारंभ किया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आरिफ भाई, आपकी बात को कमलनाथ जी पूर्ण करेंगे.

          श्री कमल नाथअध्‍यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि उनकी इतनी दिलचस्‍पी मेट्रो प्रोजेक्‍ट में है, परंतु आज इस सदन में इतिहास और रिकॉर्ड पेश करना चाहता हूं, जब मैं केंद्र में मंत्री था और मैं विभिन्‍न राज्‍यों में जाता था, जहां मेट्रो का उद्घाटन होता था तो मुझे शर्म आती थी कि मध्‍यप्रदेश में मेट्रो नहीं है. उस समय बाबूलाल गौर जी मंत्री थे, मैंने उनको दिल्‍ली बुलाया, मैंने कहा आप मेट्रो की योजना क्‍यों नहीं बनाते ? उन्‍होंने कहा मैं चैक करता हूं, वे दो सप्‍ताह बाद मेरे पास आये और कहा कि DPR बनाने में रुपये 15 करोड़ लगेंगे, मैंने कहा मैं आपको देता हूं आप आवेदन भेजिये, मैं आपको ये 15 करोड़ देता हूं. (मेजों की थपथपाहट)

          इस प्रकार मेट्रो प्रोजेक्‍ट की पहली किश्‍त, पहली राशि, DPR की मैंने दी थी और उससे मेट्रो की DPR बनी. सौभाग्‍य से जब मैं प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बना तो वह DPR पूर्ण थी और आज भी मुझे इस इतिहास पर गर्व है कि इस मेट्रो प्रोजेक्‍ट का शिलान्‍यास मैंने किया था. (मेजों की थपथपाहट)

 

नाले के घटिया निर्माण की शिकायत

[नगरीय विकास एवं आवास]

        3. ( *क्र. 358 ) श्री रमेश प्रसाद खटीक : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर परिषद नरवर जिला शिवपुरी में वर्ष 2024-25 में लोड़ी माता मंदिर से धुवाई दरवाजे से होते हुए तालाब तक नाले के निर्माण कार्य कितनी राशि का स्वीकृत हुआ था? उक्‍त कार्य की निर्माण एजेंसी कौन है? (ख) क्‍या उपरोक्त नाला निर्माण में स्‍टीमेट के मुताबिक कार्य न कराकर गुणवत्ताहीन कार्य कराने की शिकायत स्थानीय निवासियों द्वारा क्षेत्रीय विधायक को की गयी? उक्‍त शिकायत के आधार पर प्रश्‍नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 639, दिनांक 25.03.2025 को           मान. मंत्री जी को उक्‍त कार्य की जांच हेतु पत्र दिया था? (ग) उपरोक्‍त निर्माण कार्य की शिकायत पत्र पर क्‍या विभाग द्वारा उक्‍त घटिया निर्माण कार्य की जांच कराकर दोषी अधिकारी/कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही की है? उक्‍त गुणवत्ताहीन कार्य की जांच कब तक कराई जावेगी तथा की गई कार्यवाही से कब तक अवगत कराया जावेगा?

        नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) नगर परिषद नरवर को एस.डी.एम.एफ. योजनान्तर्गत लोड़ी माता मंदिर से धुवाई दरवाजे से होते हुए तालाब तक नाला निर्माण कार्य रू. 214.00 लाख का स्वीकृत हुआ था। कार्य का निर्माण एजेन्सी मेसर्स फिरोज खान, नरवर है। (ख) माननीय विधायक जी द्वारा पत्र क्र. 640, दिनांक 25.03.2025 से आयुक्त को पत्र लिखा गया है। (ग) संचालनालय के पत्र क्र. 6069, दिनांक 02.06.2025 से संभागीय अधीक्षण यंत्री, ग्वालियर-चंबल संभाग को शिकायत पत्र में उल्लेखित बिंदुओं की जांच की जाकर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया, जिसके अनुक्रम में संभागीय अधीक्षण यंत्री, नगरीय प्रशासन एवं विकास, ग्वालियर-चंबल संभाग द्वारा शिकायत पत्र में उल्लेखित बिंदुओं की जांच की जाकर, जांच प्रतिवेदन पत्र क्र. 998, दिनांक 26.06.2025 से प्रस्तुत किया है। जांच प्रतिवेदन में गुणवत्ताविहीन कार्य का उल्लेख नहीं है। संचालनालय के पत्र क्र. 7268, दिनांक 02.07.2025 से जांच प्रतिवेदन के संबंध में माननीय विधायक को अवगत कराया गया है।

          श्री रमेश प्रसाद खटीक-  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न क्रमांक 358 है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  महोदय, उत्‍तर सदन के पटल पर प्रस्‍तुत है.

          श्री रमेश प्रसाद खटीक-  अध्‍यक्ष महोदय, यह प्रश्‍न राजा नल की नगरी, हमारे चौदह महादेव और पसर देवी तथा लोड़ी माता के नगर का प्रश्‍न है. इसमें मैंने पूछा है, उसमें उत्‍तर में एक जगह मैंने अधिकारियों को जो जांच के लिए पत्र दिया था, उसकी जांच उपरांत उत्‍तर आया कि जांच प्रतिवेदन में गुणवत्‍ताविहीन कार्य का उल्‍लेख नहीं है, जबकि मैंने जो पत्र दिया था उसमें NGT का भी कार्य भी चल रहा है, उसे भी अनदेखा करके ठेकेदारों ने निर्माण कर दिया और कार्य टूटी-फूटी स्थिति में है. मेरा प्रश्‍न है कि क्‍या मंत्री जी इस कार्य की जांच, किसी तीसरी संस्‍था अथवा किसी दूसरे विभाग के अधिकारियों से करवायेंगे ?

            श्री कैलाश विजयवर्गीय-  अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी मुझसे मिले थे और उन्‍होंने कहा था कि किसी तीसरी संस्‍था से जांच करवाई जाये, इसलिए हमने वहां के पॉलिटेक्निक कॉलेज से इसकी जांच करवाई थी और उन्‍होंने जांच में निर्धारित मानकों के अनुरूप ही गुणवत्‍ता पाई है. इसके बाद भी माननीय सदस्‍य जिससे कहेंगे, हम उससे जांच करवाने के लिए तैयार हैं, हमें कोई तकलीफ नहीं है. माननीय सदस्‍य बता दें कि किस एजेंसी से जांच करवानी है, हम फिर से जांच करवा देंगे.

          श्री रमेश प्रसाद खटीक-  अध्‍यक्ष महोदय, किसी अन्‍य विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारी, जो जांच करते हैं, उनसे इसकी जांच करवाई जाये और उसमें मुझे भी शामिल किया जाये. मैंने अपने पूर्व के पत्र में भी लिखा था कि मेरे समक्ष जांच करवाई जाये, लेकिन नहीं करवाई गई. इस बार मैं चाहता हूं कि जब जांचकर्ता दल जाये तो मैं वहां रहूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  रमेश जी, मंत्री जी ने कहा है कि आपके आग्रह पर वहां के पॉलिटेक्निक कॉलेज के लोगों से जांच करवाई गई और उस जांच में कार्य को गुणवत्‍तापूर्ण पाया गया. अब यदि जांच करवाने के अलावा, कोई दूसरी चीज़ आप कहना चाहें, तो वह मंत्री जी करेंगे, तो ठीक रहेगा.

          श्री रमेश प्रसाद खटीक - नहीं, मंत्री जी ने अभी कहा है कि मैं दूसरी जांच करा लूँगा. दूसरी जांच करा लें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं भोपाल से दो इंजीनियर भेज दूँगा, जांच करा लेंगे.

          श्री रमेश प्रसाद खटीक - अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी के लिए धन्‍यवाद.

ट्रांसफार्मर/डी.पी. से घटित विद्युत दुर्घटनाएं

[ऊर्जा]

        4. ( *क्र. 1555 ) श्री आतिफ आरिफ अकील : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष जनवरी 2024 से प्रश्‍न दिनांक तक भोपाल शहर के किन-किन क्षेत्रों में विभाग द्वारा स्थापित ट्रांसफार्मरों में से कितने ट्रांसफार्मर/डी.पी. किन कारणों से क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं? जोनवार, क्षेत्रवार क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर/डी.पी. की जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्‍नांश "क" के परिप्रेक्ष्य में क्या क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर/डी.पी. की चपेट में आने/दुर्घटना से जान माल की हानि/मृत्यु हुई? यदि हाँ, तो कब-कब तथा किस-किस क्षेत्र में किन कारणों से कितने व्यक्तियों की मृत्यु/जानमाल की हानि हुई? (ग) उपरोक्त प्रश्‍नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में ट्रांसफार्मर/डी.पी. से घटित दुर्घटनाओं से हुई जान माल की हानि/मृत्यु के लिए दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर शासन द्वारा किस-किस धारा अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध कर कब तथा क्या-क्या कार्रवाई की गई? यदि नहीं, तो क्यों?

        ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) म.प्र. मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के शहर वृत्त भोपाल क्षेत्रान्‍तर्गत स्थापित कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर/डी.पी. (डबल पोल) क्षतिग्रस्त अवस्था में नहीं है, अपितु कति‍पय स्‍थलों पर वितरण ट्रांसफार्मरों के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कन चोरी हुए हैं अथवा क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं। उल्‍लेखनीय है कि असामाजिक तत्वों द्वारा वितरण ट्रांसफार्मरों के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कन बेचने की मंशा से चोरी किये जाने एवं तोड़फोड़ कर नुकसान पहुँचाने की अनैतिक गतिविधि के कारण वितरण ट्रांसफार्मरों के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स क्षतिग्रस्त/खुले रह जाते हैं, जिसकी जानकारी प्राप्त होने पर संबंधित जोन कार्यालय द्वारा सुधार कार्य की कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए संबंधित पुलिस थाने में भी समय-समय पर सूचना दी जाती है। शहर वृत्त भोपाल अंतर्गत स्थापित वितरण ट्रांसफार्मरों हेतु माह फरवरी, 2025 में किये गये सर्वे के अनुसार कुल 1451 वितरण ट्रांसफार्मरों के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्‍कन क्षतिग्रस्त अथवा चोरी हुए पाये गये। उक्‍त सर्वे के अनुसार क्षतिग्रस्त/चोरी हुए डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कनों के विरूद्ध दिनांक 12.07.2025 की स्थिति में बदले गये/लगाये गये डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कनों की संख्या एवं शेष डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कनों की संख्या जिनमें ढक्कन लगाने का कार्य प्रगतिरत है, की प्रश्‍नाधीन चाही गयी जोनवार जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। (ख) उत्‍तरांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में दिनांक 01 जनवरी, 2024 से प्रश्‍न दिनांक तक की अवधि में क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर/डी.पी. (डबल पोल) की चपेट में आने/दुर्घटना से जान-माल की/मृत्यु की कोई घटना घटित नहीं हुई है। तथापि दिनांक 30.05.2025 को भोपाल शहर अंतर्गत वितरण ट्रांसफार्मर के क्षतिग्रस्‍त डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स की चपेट में आने से एक दुर्घटना घटित हुई है। शहर संभाग पश्चिम अंतर्गत शाहपुरा जोन में बूटी मैदान लाला लाजपत राय, ई-7 में बालक वंश जोगी की क्रिकेट खेलने के दौरान मैदान की बाउण्ड्री के बाहर स्थापित ट्रांसफार्मर के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के समीप से क्रिकेट बॉल उठाते समय क्षतिग्रस्त डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के संपर्क में आने से घातक विद्युत दुर्घटना घटित हुई। (ग) उत्‍तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में घटित दुर्घटना की जांच में पाया गया है कि शाहपुरा जोन जहां उक्‍त दुर्घटना घटित हुई, सहित संपूर्ण भोपाल शहर में डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के क्षतिग्रस्त ढक्कन को बदले जाने की कार्यवाही प्रगतिरत थी, परंतु ढक्कन बदले जाने के पूर्व ही उक्त दुर्घटना घटित हो गई। इसके अलावा उल्लेखनीय है कि म.प्र. मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा समय-समय पर दैनिक समाचार पत्रों, सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से नागरिकों से विद्युत संस्थापनाओं से दूरी बनाये रखने की अपील की जाती है। प्रश्‍नाधीन दुर्घटना में कोई भी अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं पाया गया है। उक्‍त घटना की पृथक से जाँच संबंधित थाना द्वारा की जा रही है। अत: शेष प्रश्‍न नहीं उठता।

परिशिष्ट - "तीन"

          श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं यह बात कहूँगा कि भोपाल शहर के अन्‍दर स्‍मार्ट मीटर, जो लगाए जा रहे हैं, उनको रोका जाये. माननीय मंत्री जी द्वारा मेरे प्रश्‍न का जो जवाब दिया गया है, वह भ्रामक है, असत्‍य है. प्रश्‍न में डी.पी. के ढक्‍कन चोरी होने की बात ही नहीं कही गई थी. लेकिन प्रश्‍न के उत्‍तर में सबसे पहले डी.पी. के ढक्‍कन चोरी होने का उल्‍लेख कर दिया गया. प्रश्‍न के उत्‍तर में क्षतिग्रस्‍त डिस्‍ट्रीब्‍यूशन बॉक्‍स की चपेट में आने वाले सिर्फ एक बच्‍चे की मौत का उल्‍लेख किया गया है, जबकि थाना शाहजहॉनाबाद क्षेत्र अन्‍तर्गत मॉडल ग्राउण्‍ड क्षेत्र में करंट लगने से पांच वर्षीय आयशा नामक बच्‍ची की खम्‍भे से करंट लगने से उसकी मृत्‍यु हो गई, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका समय कम लेते हुए, आपको यह भी बताना चाहूँगा कि न आज तक उसको कोई मुआवजा मिला, शासन ने भी वायदा किया था कि उसको 4 लाख रुपये मुआवजा देंगे. उसको कोई मुआवजा नहीं दिया गया है. ऐसे ही 43 वर्ष के गणेश थे, उनकी भी मृत्‍यु हो गई और एक सतीश थे, उनकी भी मृत्‍यु हो गई, जबकि हमने यह पूछा और उसमें उन्‍होंने यह जवाब दिया है कि एक ही व्‍यक्ति की मृत्‍यु हुई थी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से एक मदद चाहूँगा कि विधायकों को जान-बूझकर गलत जवाब दिये जाते हैं. उस बच्‍ची की बकायदा एफआईआर की कॉपी भी है, पोस्‍टमार्टम की रिपोर्ट कॉपी भी है, झूठे जवाब दिये जाते हैं, आप कहें तो मैं इसको पटल पर रख देता हूँ. क्‍या उन अधिकारियों के खिलाफ जिन लोगों ने गलत जवाब बनाये हैं, आपको भटकाया है, विधायकों को भटकाया है, विधान सभा को मजाक बनाया है, तो क्‍या उनके खिलाफ कार्यवाही होगी ?

          अध्‍यक्ष महोदय - अकील साहब, एक चीज हम लोगों के ध्‍यान में रहना चाहिए कि अगर कोई गलत जवाब आया है या अपूर्ण जवाब आया है, तो प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति एक मंच है, जो सभी मान्‍यवर विधायकों के लिए है और उस मंच का हम लोगों को उपयोग करना चाहिए.

          श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप हमारे बहुत सीनियर हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी जवाब दे रहे हैं, यह तो मैंने वैसे ही आपका ध्‍यान आकर्षित किया है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपनी बात को कहना चाहता हूँ. प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति है, लेकिन उसमें एक वर्ष, दो वर्ष, तीन वर्ष तो जवाब आने में ही लग जाते हैं. वहां पीएस आते नहीं हैं, तो यह परम्‍परा गलत है. इस सदन की गरिमा है, सदन जवाबदार है. हर विधायक के प्रति जवाबदेही है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सभी सदस्‍यों को आपके संरक्षण की आवश्‍यकता है.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक बात जवाबदारी से कह सकता हूँ कि प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति ने बहुत तेजी से काम किया है. 1,000 से ज्‍यादा प्रश्‍नों के जवाब मंगवाए हैं और इसलिए आपको प्रतिवेदन प्रस्‍तुत भी किया है. (मेजों की थपथपाहट) प्रश्‍न एवं संदर्भ संमिति बहुत अच्‍छे से काम कर रही है, जो प्रश्‍न अनुत्‍तरित हैं, उनके उत्‍तर भी मंगवा रही है, इसलिए मैं यह चाहता हूँ कि हमें प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति के लिए एक बार मेज थपथपाकर इसका अभिनन्‍दन करना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)    

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं भी उस समिति में सदस्‍य हूँ. मेरा निवेदन है कि शासन-प्रशासन हमें उसमें मदद करे. शॉर्टआउट हो रहे हैं, लेकिन अभी भी बड़ी संख्‍या में पैंडेंसी है और यह चौंकाने वाला तथ्‍य है. सरकार को इस पर और ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है.

          श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति का डर होता, तो ....

          अध्‍यक्ष महोदय - अकील जी, प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति विषय नहीं है, प्रश्‍न का. यह मैंने आपका ध्‍यान आकर्षित किया है, मंत्री जी को जवाब देने दीजिये.        

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से, सम्‍माननीय साथी को बताना चाहता हूँ कि एक तो ट्रांसफार्मर कोई क्षतिग्रस्‍त नहीं हुआ है. आपने क्षतिग्रस्‍त शब्‍द का उपयोग किया, पर क्षतिग्रस्‍त ......

          श्री आतिफ आरिफ अकील - हम भोपाल शहर में चलकर घूम लेते हैं. हम अभी चलें, घूम लें, भोपाल शहर में कितने ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्‍त हैं ? असत्‍य जवाबों से कुछ नहीं होगा, साहब. 

          अध्‍यक्ष महोदय - आतिफ जी, इसके बाद आपको एक प्रश्‍न करने की अनुमति और मिलेगी.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - अध्‍यक्ष महोदय, आप प्रेम से सुनिये. ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्‍त नहीं हैं, क्षतिग्रस्‍त में किसी दुर्घटना में एक्‍सीडेंट होता है, दुर्घटना होती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. हमारे यहां जो बॉक्‍स लगे हुए हैं. ट्रांसफार्मर में जो बॉक्‍स लगे हुए हैं, उन बॉक्‍सों के डिब्‍बे, मैं नहीं कहना चाहता कि मैक्सिमम डिब्‍बे लगे हुए हैं, उनके ढक्‍कन खुल गए हैं. जो 1,400 ट्रांसफार्मर लगभग हैं, जिनका आंकलन किया गया है कि डिब्‍बे खुल गए हैं, उन डिब्‍बों के ढक्‍कन लगाने का काम भी शुरू हुआ है और 1,051 पर लगा दिए गए हैं. आदरणीय सदस्‍य ने कहा कि जो दुर्घटना हुई है, दुर्घटना बहुत दु:खद थी. ट्रांसफार्मर का डिब्‍बा खुला हुआ था. बच्‍चे क्रिकेट खेल रहे थे, बॉल गई, बच्‍चे ने ट्रांसफार्मर में से बॉल निकालने की कोशिश की. दुर्घटना हुई. दु:खद दुर्घटना है. हमारे पूरे सदन को, हमारी पार्टी को दु:ख है. हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने संवेदनशीलता दिखाई. उसको 4 लाख रुपये मुआवजा, केवल बताना है, कोई मुआवजे के आधार पर मृत्‍यु का आंकलन नहीं कर रहे हैं, 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया. दूसरा, आपने आइशा के बारे में कहा, भोपाल शहर के अंतर्गत 30 जून, 2025 को 5 साल की लड़की आइशा खान की एलटी लाइन के पोल में करंट लगने के कारण दु:खद मृत्‍यु हुई. जिस पोल पर मृत्‍यु हुई है, वहां चोरी के 9 प्रकरण दर्ज हैं. वह लाइन बार-बार काटकर की गई. उसके बावजूद भी उस आइशा खान बच्‍ची को 4 लाख रुपये का मुआवजा सरकार ने दिया है. यह मैं आपको स्‍पष्‍ट कर देना चाहता हूँ.

          श्री आरिफ मसूद -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा से संबंधित भी है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक मिनट, अकील साहब का दूसरा प्रश्‍न हो जाने दीजिए.

        श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक छोटा सा यह जवाब देना चाहूँगा कि प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति का अगर डर होता तो ये लोग जवाब गलत नहीं बनाते. कहीं न कहीं डर नहीं है. आपको इस चीज का डर अधिकारियों के अंदर पैदा करना पड़ेगा कि यदि आप गलत जवाब बनाएंगे तो आप पर कार्यवाही होगी. अध्‍यक्ष महोदय, आइशा की जो बात ये अभी कर रहे थे, अभी जो वर्तमान में एसडीएम हैं, हम लोगों ने बाकायदा वीडियोग्राफी की है, जो मेरे पास है, आप कहेंगे तो मैं आपको वीडियोग्राफी भी उपलब्‍ध करा दूंगा, उस समय स्‍मार्ट मीटर लगे थे, कोई भी चोरी का प्रकरण वहां पर दर्ज नहीं है. आप लोगों ने अनऑफिशियली बना दिया होगा, लेकिन यह एक मजाक बना दिया गया है. उस बच्‍ची की जान चली गई. 5 साल की बच्‍ची गरीब है, इसलिए कोई उसकी आवाज नहीं उठाएगा. अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि आपको मदद करनी पड़ेगी. मैंने पूछा था कि कितने लोगों की मृत्‍यु हुई है, उन्‍होंने कहा सिर्फ एक, जबकि चार तो मेरे रिकार्ड में हैं और पता नहीं कितने छुपा दिए गए. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि जिन लोगों ने, बाकायदा पटल पर भी मैंने चीजें रख दी हैं, एफआईआर की कॉपी है या तो थाने ने एफआईआर गलत की है या पोस्‍टमार्टम गलत हुआ या फिर ये रिकार्ड गलत बना, तीनों में से एक चीज गलत हो सकती है. सब चीजें तो गलत हो नहीं सकतीं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा फिर से निवेदन यह है कि प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति का अगर डर होता तो क्‍या इस प्रश्‍न का जवाब ये लोग गलत बनाते, बाकायदा रिकार्ड पर है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अकील साहब, ये पुनरावृत्‍ति हो रही है.

          श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे सिर्फ इतना निवेदन है कि आप यह कह दें कि जिन लोगों ने गलत जवाब बनाया, उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. नहीं तो विधायकों को हमेशा इधर-उधर के रास्‍ते दिखा दिए जाएंगे. आए दिन विधायकों को जवाब नहीं मिलते, जो जवाब मिलते हैं, वे भी घुमा-फिरा कर दिए जाते हैं. कहीं न कहीं अधिकारियों में डर तो होना चाहिए कि गलत जवाब नहीं बना सकते आप.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आतिफ जी, दूसरा प्रश्‍न किया जाता है, भाषण नहीं दिया जाता. कृपया कोई प्रश्‍न हो तो आप मंत्री जी से पूछें.

          श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं भाषण नहीं दे रहा. आप कार्यवाही कर दें, मैं भाषण नहीं दे रहा. जिन लोगों ने गलत जवाब बनाया, उनके खिलाफ कार्यवाही कर दें, प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति में तब जाता, जब मैं बाद में प्रूव करता, मैं तो ऑलरेडी पटल पर प्रूव कर रहा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाइये, मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं ?

            श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष जी, सम्‍मानीय सदस्‍य ने अगर कोई गलत उत्‍तर प्राप्‍त किया है तो सदन में, इस लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में समिति बनी हुई है. समिति के समक्ष रखेंगे. वहां दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा. आइशा के बारे में मैंने स्‍पष्‍ट कहा है कि उसकी मृत्‍यु करेंट लगने से हुई है. आपने कहा कि गरीब की मदद नहीं करते, अगर हमारी सरकार संवेदनशील नहीं होती तो उसको 4 लाख रुपये की तुरंत सहायता नहीं देती. ..(व्‍यवधान)..

          श्री आतिफ आरिफ अकील -- क्‍या उसको 4 लाख रुपये मिल गए कि बस घोषणा कर दी थी ? ..(व्‍यवधान)..

            श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- नहीं नहीं, केवल घोषणा ही नहीं की थी. ..(व्‍यवधान)..

          श्री आतिफ आरिफ अकील -- नहीं मिले उसको. ..(व्‍यवधान)..

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अगर नहीं मिले होंगे तो उसका हम आपसे ..(व्‍यवधान)..

          श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय मंत्री जी, आपके अधिकारी आपको गलत जानकारी दे रहे हैं.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सदन को बताना चाहता हूँ कि ..

          श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय मंत्री जी, आप हमारे बहुत सम्‍माननीय हैं. लेकिन मंत्री जी, मेरा..

          अध्‍यक्ष महोदय -- आतिफ जी, प्‍लीज, प्‍लीज. मंत्री जी रिकार्ड पर बोल रहे हैं कि 4 लाख रुपये दे दिए हैं..        

          श्री आतिफ आरिफ अकील --  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नहीं दिए हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक मिनट, ऐसा कहने से नहीं होगा. रिकार्ड चेक करा लीजिए.

          श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ इतना सा कहना है कि जिसने जवाब गलत बनाया है, उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक मिनट. मंत्री जी, जो 4 लाख रुपये दिए हैं, वह सदस्‍य की जानकारी में आ जाए. आरिफ मसूद जी, क्‍योंकि भोपाल का प्रश्‍न है.

          श्री आरिफ मसूद -- अध्‍यक्ष महोदय, गंभीर प्रश्‍न है. मैं मंत्री जी को सुझाव देना चाहूँगा क्‍योंकि दो घटनाएं मेरी विधान सभा में भी ऐसी ही हुई हैं. डिब्‍बे नहीं लगे. जब ये घटनाएं हुईं तो मैं अधिकारियों से मिला, उन्‍होंने जो बात बताई, बड़ी गंभीर बात है. सदन को भी अवगत होना चाहिए. अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी को मेरा सुझाव है कि जो ढक्‍कन की बात आई है, ढक्‍कन ही नहीं अध्‍यक्ष महोदय, भोपाल में जितने ट्रांसफार्मर लगे हैं, मैक्‍सिमम ट्रांसफार्मरों में फेंसिंग ही नहीं है. जब मैंने उन अधिकारियों से पूछा कि यहां पर फैंसिंग क्‍यों नहीं है.

क्योंकि बच्चे खेलते-खेलते लाईन के करीब चले गये और हाई टेंशन लाईन खींच लेती है ट्रांसफार्मर की तो बताया कि ट्रांसफार्मर के आसपास फेंसिंग का कोई बजट ही नहीं है. यह बड़ा दुर्भाग्य है बड़े अफसोस वाली बात है कि बजट न होने की वजह से बच्चों की जानें जा रही हैं तो मैं चाहूंगा कि मंत्री जी इस बार बजट में प्रस्ताव कर दें हमने तो कहा कि हमारी विधायक निधियों से ले लो लेकिन कम से कम जो भी ट्रांसफार्मर ऐसे खुले हैं उनकी फेंसिंग करा दें ताकि हम पूरे प्रदेश के बच्चों की जान बचा लें यह मेरा सुझाव है.

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सम्मानित सदस्य को बताना चाहूंगा कि जहां-जहां जगह उपलब्ध हैं ट्रांसफार्मर फेंसिंग के लिये भोपाल शहर के लिये हमने 2 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और प्रावधान करके कहीं ऐसा प्वाइंट भोपाल शहर के अंदर सम्मानित सदस्य बताएंगे तो जरूरी होगा वहां भी हम काम कराएंगे.

प्रधानमंत्री आवास योजना

[नगरीय विकास एवं आवास]

5. ( *क्र. 128 ) श्री अशोक ईश्‍वरदास रोहाणी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर केंट विधानसभा अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना के कुल कितने हितग्राहियों के आवास निर्माण पूर्ण हो चुके हैं? (ख) प्रधानमंत्री आवास योजना के वर्तमान में कितने हितग्राहियों के आवेदन लंबित हैं? (ग) प्रधानमंत्री आवास योजना के लंबित आवेदन कब तक स्वीकृत होंगे?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जबलपुर केंट विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी अंतर्गत 3124 हितग्राहियों के आवास निर्माण पूर्ण हो चुके हैं। (ख) प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के बी.एल.सी. घटक अंतर्गत कुल 1792 आवेदन लंबित हैं। विस्तृत जानकारी संलग्‍न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश '''' में उल्लेखित जानकारी अनुसार लंबित आवेदनों का कारण भूमि संबंधी दस्तावेज न होना है। भूमि संबंधित दस्तावेज के संबंध में राज्‍य के दिशा-निर्देश दिनांक 17.03.2025 के प्रावधान एवं पात्रतानुसार विहित प्रक्रिया अपनाकर आवास स्वीकृत कराया जा सकेगा। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

परिशिष्ट - "चार"

          श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी - प्रश्न क्रमांक 128.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,उत्तर पटल पर रखा दिया गया है.

          श्री अशोक रोहाणी - अध्यक्ष महोदय,हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी एवं मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी की संवेदनशील सरकार के कारण आज हमारी विधान सभा में 2124 गरीब परिवारों को अपनी छत का सपना साकार हुआ है. प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 में 1700 के करीब प्रकरण हमारी विधान सभा में लंबित हैं. मेरा निवेदन है कि पट्टों की अनिवार्यता के कारण उसमें विलंब हो रहा है और नियमों को शिथिल करके भू धारणा अधिकार के अंतर्गत पट्टों के आवेदन दिये हैं उनका शीघ्र निपटारा करके उनको प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल सके ऐसा मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,मुझे कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि प्रधानमंत्री आवास  योजना मध्यप्रदेश में केन्द्र सरकार की इस योजना  के कारण मध्यप्रदेश को द्वितीय पुरस्कार मिला और आने वाले समय में भी हमने 10 लाख आवास बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य लिया है लगभग 50 हजार करोड़ का इसमें खर्च किया जायेगा इसमें 25 हजार करोड़ सरकार लगाएगी और 25 हजार करोड़ रुपये का अनुदान आवास बनाने हेतु दिया जायेगा. प्रथम चरण में जैसा मैंने बताया उस समय बिजली का बिल और इसकी ही गाईड लाईन थी लेकिन भारत शासन ने इस बार यह कहा है कि पात्रताधारी वही होगा जिसका आवास का पट्टा होगा. हमने भारत शासन से निवेदन किया कि इसको शिथिल आप करें. यह चर्चा चल रही है अन्यथा हम यह करेंगे कि शहरी क्षेत्रों में मल्टी स्टोरी बना देंगे और मल्टी स्टोरी बनाकर इन सब लोगों को जो प्रधानमंत्री जी का सपना है और जो मुख्यमंत्री जी का सपना है और इन सब लोगों के सिर पर पक्की छत होगी इस सपने को हम साकार करेंगे.

          श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी - अध्यक्ष महोदय,शिविर लगाकर अगर पट्टों के वितरण को शीघ्र किया जाये तो जिनको प्रथम किश्त मिलनी है उनकी राशि हमको मिल जाए मंत्री जी कलेक्टर को निर्देश दे दें कि इसको थोड़ा शीघ्र करें ऐसा मेरा मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, आज सुबह ही मैंने कलेक्टर से बात की है जहां के यह निवासी हैं जिन लोगों ने आवेदन किया है वह तालाब की जमीन पर रह रहे हैं. जो आवासीय भूमि है वहां तो पट्टे दिये जा सकते हैं पर तालाब की भूमि पर पट्टे देना बहुत मुश्किल होता है पर फिर भी हम कोई रास्ता निकालेंगे जिससे गरीबों को प्रधानमंत्री आवास मिल जाए. भारत शासन से भी हम चर्चा कर रहे हैं कि कोई रास्ता निकालिये क्योंकि यह सिर्फ जबलपुर की समस्या नहीं है यह पूरे प्रदेश की समस्या है. हमारी स्पीड बहुत स्लो हो गई है नहीं तो हम प्रधानमंत्री आवास में पूरे देश में सेकंड नंबर पर थे और हमने इस बार लक्ष्य रखा था कि हम प्रथम नंबर पर आएं तेजी से हमने काम भी प्रारंभ कर दिया था सिर्फ इस एक शर्त के कारण हमारा काम स्लो हो गया है हम भारत शासन सेचर्चा भी कर रहे हैं यदि उसकी छूट मिल जायेगी तो हम बहुत तेज गति से कर देंगे नहीं मिली तो हम उसके विकल्प के बारे में हम जरूर कुछ चर्चा करकर हमारे गरीब भाईयों को प्रधानमंत्री आवास का निश्चित रूप से लाभ मिले इसके लिये सरकार कटिबद्ध है.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को और अपनी प्रदेश सरकार को धन्‍यवाद दूंगा मुख्‍यमंत्री जी को जिन्‍होंने इतनी बड़ी राशि का प्रावधान इस साल के बजट में किया हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश में जहां तक मुझे जानकारी है कि आवास के लिये जो पट्टे दिये जाते थे फिलहाल एक डेढ़ वर्षों से उन पट्टों का दिया जाना बंद है. जब तक यह आवास के पट्टे नहीं दिये जायेंगे नगरीय या ग्रामीण क्षेत्रों में तब तक मुझे लगता है कि हमारा जो  प्रथम स्‍थान है वह कहीं नीचे न चला जाये, इसलिये इस बारे में, यह राज्‍य का नियम है या भारत सरकार का नियम है कि पट्टे नहीं दिये जायेंगे, थोड़ा इसको स्‍पष्‍ट कर दें, क्‍योंकि काफी जटिल स्थिति हो गई है और आंकड़े ही बताते होंगे कि शहरी क्षेत्रों में इस समय आवास के आवेदन जो जिलों से अनुशंसा होकर आते थे बहुत कम आ रहे हैं तो इस बात पर गौर करना बहुत आवश्‍यक है.

          श्री अजय अर्जुन सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से आपके माध्‍यम से पूछना चाहता हूं कि भोपाल में रंगमहल और दशहरा मैदान के बीच में हजारों की संख्‍या में जो आवास सालों से बनकर खड़े हुये हैं उनका आवंटन होगा और जहां-जहां यह प्रधानमंत्री आवास बने उनकी आवंटन होने के लिये कोई समय-सीमा है.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्‍यक्ष जी, नीतिगत विषय पर मेरा प्रश्‍न था बाद में अध्‍यक्ष जी..

          अध्‍यक्ष महोदय--  मंत्री जी दोनों का जवाब एक साथ देने में सक्षम हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, धारणा भू-स्‍वामित्‍व योजना के अंतर्गत हम ग्रामीण क्षेत्र में भी पट्टे दे रहे हैं. शहरी क्षेत्र में यह बात सही है कि आवासीय भूमि बहुत कम है और इसलिये वहां हम मल्‍टी स्‍टोरी का भी प्‍लान कर रहे हैं. सारे शहरी क्षेत्र में हमने नगर निगम आयुक्‍त को निर्देश दिये हैं कि अब आप मल्‍टी स्‍टोरी बनाकर ही दें और वहां पर सुविधा, क्‍योंकि जब हम पट्टे दे देते हैं, मकान बन जाते हैं तो वहां सड़क के लिये बजट नहीं होता, वहां ड्रेनेज के लिये बजट नहीं होता है तो वहां मकान तो बन जाते हैं पर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर कुछ नहीं होता तो हम चाहते हैं कि जब प्रधानमंत्री आवास बन रहे हैं तो वहां पूरा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर भी बने तो हम जब मल्‍टी स्‍टोरी बनायें अध्‍यक्ष महोदय तो हम सुनिश्चित करेंगे कि वहां सड़क हो, वहां ड्रेनेज हो और वहां लोगों को जो इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की प्राथमिक सुविधायें हैं वह हम दे सकें और इसलिये शहरी क्षेत्रों में अभी समस्‍या है, मैं इसको स्‍वीकार करता हूं क्‍योंकि वहां पर आवासीय भूमि बहुत कम है, ग्रामीण क्षेत्र में समस्‍या नहीं है. अध्‍यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्र में हमारा काम बहुत तेजी से चल रहा है और वहां हम पट्टे भी बना रहे हैं, भू-स्‍वामित्‍व अधिकार भी दे रहे हैं पर अध्‍यक्ष महोदय शहरी क्षेत्रों में थोड़ी समस्‍या है.

          श्री भगवानदास सबनानी--  माननीय अध्‍यक्ष जी, निवेदन यह था कि अजय सिंह जी ने जो विषय उठाया, 3 महीने पहले माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने 336 बने हुये आवास अलाट कर दिये हैं.

          श्री अजय अर्जुन सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष जी, यह सरकार की तरफ से जवाब दे रहे हैं. मंत्री महोदय इतने समक्ष थे, हमारा उत्‍तर ही नहीं दिया उन्‍होंने, दूसरा जवाब दे रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  मिलकर बता देना राहुल भैया को.

जलपूर्ति पर व्‍यय

[नगरीय विकास एवं आवास]

6. ( *क्र. 262 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम जबलपुर द्वारा शहर की जनता को शुद्ध पेय जल की आपूर्ति व्यवस्था पर जलस्त्रोतों, जलाशयों, कुओं, बावड़ियों, नलकूपों का रख-रखाव सुधार मरम्मत कार्य, सफाई, पाइप लाइनों का विस्तार, लीकेज सुधार पर कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है? वर्ष 2020-21 से 2025-26 तक की वर्षवार पृथक-पृथक जानकारी दें। (ख) जबलपुर शहर की कितनी आबादी को किन-किन माध्यमों से कितनी-कितनी मात्रा में पेयजल की आपूर्ति की जा रही है? किन-किन क्षेत्रों में पेयजल की समस्या बनी हुई है एवं क्यों? (ग) प्रश्‍नांश (क) में किन-किन जल संशोधन संयंत्रों, तलीय जलाशयों की कब-कब कराई गई साफ-सफाई व्यवस्था पर एवं उनकी सुरक्षा रख-रखाव, सुधार मरम्मत कार्य पर तथा सामग्री आदि के क्रय पर कितनी-कितनी राशि व्यय हुई है? भोंगाद्वार जल शोधन संयंत्र एवं अन्य किन-किन संयत्रों से प्रदूषित, मटमैला पेयजल आपूर्ति करने का क्या कारण है? (घ) क्या शासन जबलपुर शहर की जनता को प्रदूषित, मटमैला पेय जल की आपूर्ति की जाने, पेय जल व्यवस्था में किये गये भ्रष्टाचार की जांच कराकर दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करेगा?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) जबलपुर शहर में 171228 घरेलू कनेक्‍शन के माध्‍यम से 271 एम.एल.डी. पानी की आपूर्ति प्रतिदिन प्रात: एवं सायंकाल 5 जलशोधन संयंत्रों के माध्‍यम से की जा रही है। जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) जलशोधन संयंत्रों की साफ-सफाई का कार्य नियमित रूप से किया जाता है। साफ-सफाई व्‍यवस्‍था पर प्रतिवर्ष लगभग रू. 23 लाख का व्‍यय होता है। भोंगाद्वार जलशोधन संयंत्र या अन्‍य किसी जलशोधन संयंत्र से प्रदूषित पेयजल की आपूर्ति नहीं की जा रही है। (घ) उत्‍तरांश '' के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थि‍त नहीं होता है।

परिशिष्ट - "पांच"

 

          श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न क्रमांक 262 है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय--  अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रखा है.

          श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के प्रश्‍न '' के उत्‍तर में जबलपुर शहर की जनता को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के संदर्भ में है जिसमें जल आपूर्ति में प्रतिवर्ष एक करोड़ रूपये और केमिकल पर 50 करोड़ जल आपूर्ति पर व्‍यय बताया है. 5 फिल्‍टर प्‍लांट हैं, 63 पानी की टंकियां हैं, 271 एमएलटी पानी की सप्‍लाई पूरे शहर में डेली बताई है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये 5 फिल्‍टर प्‍लांट में नलपुर फेस-वन और टू में 24 टंकियां हैं और रमनगर फिल्‍टर प्‍लांट में 26 हैं, टोटल 50 टंकियां नर्मदा जल योजना से संबंधित हैं. लेकिन दो फिल्‍टर प्‍लांट ऐसे हैं, जिसमें रांझी फिल्‍टर प्‍लांट जो परियट से दूसरा भोंगाद्वार खनदारी से संचालित होते हैं, जिसमें 13 टंकिया अटैच हैं. अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रपत्र ब में पेयजल समस्‍या से ग्रसित 12 वार्ड बताये गये हैं, पूरे जबलपुर नगर निगम सीमा के अंदर 79 वार्ड हैं और वह 12 वार्ड जो पेयजल से ग्रसित बताये गये हैं, उनमें 9 वार्ड मेरी विधानसभा के हैं, यह आपके ही यहां का जवाब है. मेरी विधानसभा में टोटल 20 वार्ड हैं, 9 वार्ड जल संकट से ग्रसित हैं, यह आपने स्‍वीकार किया है और आपने कारण भी बताया है. आपने कारण यह दिया है कि कहीं वॉटर लेवल और प्रेशर कम है, दबाव कम है. अध्‍यक्ष महोदय, इतने दिनों से, इतने सालों से तो हम नर्मदामाई की गोद में बसे हैं, तो जलसंकट होना नहीं चाहिए. अध्‍यक्ष महोदय, दबाव कम है कि ज्‍यादा, पानी का दबाव कम है कि राजनीतिक दबाव ज्‍यादा है, इतने सालों से बार-बार इस बात की डिमांड की जाती है, इनमें कारण दिया है कि जहां टंकी अभी बन रही है, हमारे 18 महीने की सरकार के कार्यकाल में एक टंकी का निर्माण चालू हुआ और जब वह चालू हुआ तो भूमि पूजन हुआ लेकिन कार्य चालू वर्ष 2023 में हुआ, तो उसके बाद बारह माह के अंदर उसको पूरा हो जाना चाहिए थी, फरवरी 2025 में उसको कम्‍पलीट हो जाना था, लेकिन अफसोस यह है कि सिर्फ पिलर गढ़े हैं और इसमें बता दिया गया है कि टैंक के बॉटम सिलेब की तैयारी चल रही है, बाकी टंकियों की स्थितियां यह हैं, 9 वार्ड बताये हैं, उनमें जल भराव कैसे बढ़ेगा ? यह भी बताया है, यह भी बताया है कि अमृत योजना फेस-2 में चार टंकियों को आपकी यहां से लिया गया है, स्‍पष्‍ट कारण दिया है, लेकिन अमृत योजना फेस-2 में 190 करोड़ की लागत से 18 टंकियों का निर्माण होना है, उसमें चार टंकिया मेरे क्षेत्र की हैं, बाकी जगह भूमि पूजन शुरू हो गये हैं, परंतु मेरे क्षेत्र में अभी तक स्‍वाइल टेस्‍ट नहीं हुआ है, तो दबाव कौन सा है?

           अध्‍यक्ष महोदय -- लखन जी प्रश्‍न तो करें.

          श्री लखन घनघोरिया -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में पेयजल की जो समस्‍या बनी हुई है, उसका समाधान नई पाइप लाइन डालने से, टंकियों के निर्धारित जल क्षमता तक न भरने का कारण क्‍या है, या कारण स्‍पष्‍ट करें?

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, बहुत लंबा प्रश्‍न था, तो मुझे भी आपकी अनुमति से थोड़ा सा लंबा ही लेना पड़ेगा,

          श्री लखन घनघोरिया -- पूरा समय ले लो भईया, लेकिन पानी दे दो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सदस्‍य और मंत्री जी दोनों का व्‍यक्तिव भी ऊंचा ही है(हंसी)

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अब वो लखन हैं, मैं राम हूं(हंसी)

          श्री लखन घनघोरिया -- कृपा करो प्रभू (हंसी)

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, अमृत 1.0 में लगभग 134 करोड़ रूपये की राशि आवंटित हुई थी, उसमें 16 नग ओवरहेड टैंक बने हैं, 40 एम.एल.डी. पंप हाउस बना है और 243 किलोमीटर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन लाईन का नेटवर्क बना है और लगभग 53 किलोमीटर राईजिंग मेन लाईन और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन लाईन बनी है. इसमें यह बात सही है कि जिस प्रकार जनसंख्‍या जबलपुर की बढ़ रही है, उस हिसाब से जो 271 एम.एल.डी. पानी है, वह अपर्याप्‍त है और इसलिए वहां टैंकर भी चल रहे हैं और कुछ बोरिंग से पानी भी दे रहे हैं. लखन भाई ने कल मुझे बताया कि मेरे खुद के टैंकर भी चल रहे हैं. अध्‍यक्ष महोदय, कुछ लोग तो मैं लखन भाई के बारे में नहीं कह रहा हूं, लेकिन कुछ लोग टैंकर पर अपना बड़ा नाम लिखवाते हैं, तो उनका प्रचार भी हो जाता है, तो इसलिए भी वह करते हैं, आपके बारे में नहीं कह रहा हूं, मैं तो बता रहा हूं कि सामान्‍यत: यह होता है. (...हंसी) 

अध्‍यक्ष महोदय, अमृत 2.0 में जल प्रदाय में 312 करोड़ है और इसमें 20 प्रतिशत काम चालू हो गया है, इसमें 54 एमएलडी जल शोधन संयंत्र लगने वाला है और 135 एमएलडी इन्‍टेक वेल है. 21 किलोमीटर रॉ-वाटर राइजिंग मैन लाइन बन रही है, क्‍योंकि वहां से जो हमारा फिल्‍टर स्‍टेशन है, वह थोड़ा सा दूर है. 18 ओवरहैड टैंक बन रहे है, उसमें से 4 टैंक आपके विधान सभा में भी बन रहे हैं. लगभग 476 किलोमीटर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन नेटवर्क होगा. इसलिए ये वर्ष 2040 तक की योजना बनी है. मुझे लगता है कि अमृत 2.0 को लगभग दो साल लगेंगे और दो साल में इस समस्‍या का पूरी तरह निराकरण हो जाएगा. अमृत 1 के बाद हमारे डिस्‍ट्रीब्‍यूशन लाइन में थोड़ा सुधार हुआ, पूरा सुधार नहीं हुआ, लगभग हमारे 30 हजार नए कनेक्‍शन भी इसलिए लगे हुए हैं. जब अमृत 2.0 पूरा होगा, तो इस समस्‍या का बिल्‍कुल निराकरण हो जाएगा और हमारी पार्टी सबका-साथ सबका विकास में विश्‍वास रखती है, कोई पक्षपात नहीं है. मैं मंत्री हूं तो आप बिल्‍कुल चिन्‍ता न करें, आपके यहां बिल्‍कुल भी इस प्रकार का विवाद नहीं होगा, जो जबलपुर में एक साथ होगा, वैसे ही आपके यहां भी होगा.

श्री लखन घनघोरिया माननीय अध्‍यक्ष महोदयमाननीय मंत्री महोदय ने जलापूर्ति पर टैंकर की बात कही. पूरे नगर निगम में, 79 वार्ड में, नगर निगम के पास सिर्फ 26 टैंकर है, पांचवां नंबर का अवॉर्ड लेकर आए हैं. 79 वार्ड के लिए जलापूर्ति जब ललपुर फिल्‍टर प्‍लांट लीकेज होता है, पाइप लाइन, यदि लीकेज होता है तो 12-12 दिन तक नहीं बनती है, तो जो आपके 26 टैंकर है, वह कम पड़ते हैं, यहां वे अधिकारी बैठे है जो समय समय पर हमसे 9 टैंकर लेते हैं. टैंकर, ट्रेक्‍टर, डीजल, ड्रायवर की समस्‍या है, इसलिए आप नहीं सुन रहे तो करना पड़ेगा हमको. आप भगवान राम बन रहे, मैं लक्ष्‍मण हूं आपका, आपसे प्रार्थना कर रहा हूं, लेकिन वनवास भी साथ‍ चलेंगे(....हंसी)

मंत्री महोदय, मेरा आग्रह है कि मेरे प्रश्‍न उत्‍तर में 27 एमएलडी पेयजल प्रतिदिन मेरी विधान सभा में सु‍बह शाम देने की बात कही गई है. कितने घंटे, कितने एमएलडी पेयजल प्रदाय किया जाता है, जरा बता देंगे मंत्री महोदय. कहीं सुबह पानी आ जाता है तो शाम को नहीं आता. ये सुबह शाम की बात कही गई है, बताएंगे कि कितने एमएलडी पानी सुबह शाम हमारे यहां जाता है.

श्री कैलाश विजयवर्गीय ये जानकारी तो अभी मेरे पास नहीं है कि आपकी विधान सभा में कितना एमएलडी पानी जाता है और किस विधान सभा में कितना एमएलडी पानी जाता है. क्‍योंकि इस प्रश्‍न में, जो प्रश्‍न आपने पूछा था. मैंने जिन्‍दगी में कभी चीट नहीं की इसलिए मेरे पास जो भी है(....हंसी)

श्री लखन  घनघोरिया इसीलिए लेट हो रहे कैलाश भैया(....हंसी)

अध्‍यक्ष महोदय लखन जी बहुत ज्‍यादा टाइम हो गया. आप टाइम तो देखिए, आप कितना बोल चुके. नए सदस्‍यों को आपका अनुसरण करना है.

श्री लखन  घनघोरिया अध्‍यक्ष जी, मेरा एक प्रश्‍न रह गया है. एक निवेदन है, पेयजल के संदर्भ में. मैंने तो अभी एक ही प्रश्‍न पूछा हूं. वे ही रामायण सुनाने लगे तो हम सुन रहे थे. टाइम तो उसी में चला गया

अध्‍यक्ष महोदय मंत्री जी ने बहुत विस्‍तृत जवाब दिया है. ठीक है, एक निवेदन कर लें.

श्री लखन  घनघोरिया अध्‍यक्ष जी, जहां मटमैला और दूषित पानी जो विशेषकर के भौंगाद्वार फिल्‍टर प्‍लांट में हुआ है और ये बकायदा उसका पूरा प्रमाण है. फिल्‍टर प्‍लांट में गोबर से लिप्‍त पानी, कैमिकल का इन्‍होंने बताया कि उसका क्‍या क्‍या करते हैं तो कैमिकल में चूने से लेकर क्लोरीन शब्द बताया है, लेकिन वहां केमिस्ट नहीं होता है. एक चौकीदार यह सारे केमिकल डालता है. उस चौकीदार की कितनी योग्यता है, कितनी क्षमता है लोगों को दूषित पानी मिल रहा है. एक बार तो यह हुआ कि एक मरा हुआ बंदर सफाई में मिला है. आप उसकी जानकारी ले लें. यह दूषित पानी लोगों को मिल रहा है. केमिस्ट वहां नहीं है, वहां पर फिल्टर प्लांट में केमिकल डालने का काम चौकीदार करता है. इन तमाम चीजों पर किनका उत्तरदायित्व बनता है ? अध्यक्ष महोदय उसकी जांच तो करवा लें.

शासकीय सर्किट/रेस्ट हाऊस निर्माण

[लोक निर्माण]

7. ( *क्र. 1755 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ विधानसभा के नगर खुजनेर में आने वाले वी.आई.पी. के विश्राम के लिये कोई शासकीय रेस्ट हाऊस या सर्किट हाउस है? (ख) यदि हाँ, तो कहाँ पर? (ग) यदि नहीं, तो क्या नगर खुजनेर में रेस्ट हाउस या सर्किट हाउस बनाया जाना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कब तक?                (घ) इसके निर्माण के लिये क्या लोक निर्माण विभाग द्वारा एस्टीमेट तैयार किया गया है? यदि हाँ, तो कब तथा कितनी राशि का?

लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्‍तरांश '' के संदर्भ में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं, प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्‍तरांश '' अनुसार। शेष का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री अमर सिंह यादव-- प्रश्न क्रमांक (1755)

          श्री राकेश सिंहउत्तर पटल पर रख दिया गया है.

          श्री अमर सिंह यादवअध्यक्ष महोदय, राजगढ़ विधान सभा खुजनेर नगर में लोक निर्माण विभाग की रेस्ट हाउस की मांग के बारे में प्रश्न किया है. मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि खुजनेर तहसील प्लेस है नगरीय क्षेत्र में रेस्ट हाउस की घोषणा कीजिये.

          श्री राकेश सिंहअध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि आवागमन बढ़ने के साथ ही रेस्ट हाउस की मांग भी बढ़ रही है. लेकिन आम तौर पर ऐसे किसी तहसील मुख्यालय से रेस्ट हाउस की दूरी उसका आधार बनाया जाता है. वर्तमान में पचौर में जो रेस्ट हाउस है वह लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर है उसमें लगभग 25 से 26 मिनट का समय लगता है, तो मेरा माननीय सदस्य से आग्रह है कि अगर पचौर के रेस्ट हाउस में अगर अतिरिक्त सुविधा वह चाहते होंगे तो विभाग उस पर विचार करके पूरा करेगा.

          श्री अमर सिंह यादवअध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि 17 किलोमीटर की दूरी तो है. खुजनेर नगर में खाटू श्याम जी का बहुत बड़ा धाम लगने लगा है. हर महीने ग्यारस पर 50 हजार लोग एकत्रित होते हैं स्टेट हाईवे फोर लेन भी वहां बना है, वह राजस्थान कोटा जयपुर सीमा से जोड़ता है वहां से बंगलामुखी का भी रास्ता है तो वहां से वीआईपी लोग गुजरते हैं, शहर में भी व्हीआईपी लोग आते हैं इसलिये मेरा आपसे आग्रह है कि वहां पर एक रेस्ट हाउस की घोषणा की जाये, उसकी बहुत आवश्यकता है तथा मेरा क्षेत्र भी है. इसलिये मंत्री जी से यही निवेदन करूंगा कि वहां पर उसकी आवश्यकता है.

          श्री राकेश सिंहअध्यक्ष महोदय, सदस्य महोदय की चिन्ता महत्वपूर्ण है. यह बात भी सही है कि खुजनेर एन.एक्स.7 52 पर स्थित है. उसका एक हिस्सा एन.एच.52 पर दूसरा राजस्थान की सीमा को जोड़ता है. इसलिये उन्होंने आग्रह किया है कि निश्चित रूप से विभाग इसका परीक्षण करके अगर उपयुक्त लगता है कि वहां पर बनाना चाहिये, तो उसको जरूर बनाएंगे .

          श्री अमर सिंह यादवअध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद.

 

वित्‍तीय अनियमितताओं की शिकायतों की जांच

[नगरीय विकास एवं आवास]

8. ( *क्र. 1673 ) श्री बृज बिहारी पटैरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या विधानसभा क्षेत्र देवरी जिला सागर की नगर पालिका परिषद देवरी के अध्यक्ष पर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों की जांच उपरांत आरोप सिद्ध पाये गये हैं? यदि हाँ, तो आर्थिक अनियमिततायें सिद्ध, प्रमाणित हो जाने के उपरांत भी आज दिनांक तक शासन के द्वारा क्या कार्यवाही की है? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों? (ख) क्या न.पा. देवरी के अध्यक्ष के विरूद्ध एवं पद से पृथक की कार्यवाही हेतु मान. उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा भी निर्देशित किया गया है? यदि हाँ, तो मान. न्यायालय के निर्देशन में अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई? यदि की गई है तो प्रमाणित विवरण उपलब्ध करायें। (ग) वर्तमान में नगरपालिका देवरी के अध्यक्ष के पास बहुमत भी नहीं है। प्रश्‍न दिनांक तक किन-किन मदों में राशि का आहरण वितरण किया गया है? क्या शासन/विभाग द्वारा जानकारी/प्रमाण होने के उपरांत भी पद से पृथकता की कार्यवाही में विलम्ब किया जा रहा है? (घ) नियम विरुद्ध अध्यक्ष पद पर पदस्थ को कब तक पद से पृथक करते हुये किसी अन्य को पदस्थ किया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। विभाग द्वारा मध्‍यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 41-क में वर्णिंत प्रावधानों के अंतर्गत अध्‍यक्ष, नगरपालिका परिषद, देवरी के विरूद्ध कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है, जिस पर सुनवाई की कार्यवाही प्रचलित है। (ख) जी नहीं। (ग) मदवार राशि आहरण वितरण की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। जी नहीं। (घ) उत्‍तरांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

 

          श्री बृजबिहारी पटेरियाप्रश्न क्रमांक 1673

          श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर है.

          श्री बृजबिहारी पटेरिया-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के संबंध में इसमें कुछ करना नहीं है. आपका अनुग्रह हो, आपकी कृपा हो, तो एक विशेष उल्लेख यहां पर करना चाहता हूं. उल्लेख भी प्रश्न से संदर्भित है.

          अध्यक्ष महोदयआप प्रश्न नहीं करेंगे तो उसका जवाब नहीं होगा. अपनी संतुष्टि के लिये बोलना है तो बोलिये.                                                                               

          श्री बृज बिहारी पटैरिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज श्रावण शुक्‍ल पक्ष है. सप्‍तमी है. विश्‍व के प्रथम कवि बाबा तुलसीदास जी की आज जन्‍म जयंती है. मैं बहुत श्रद्धा भाव से उनको स्‍मरण करता हॅूं और महाकाव्‍य रामायण में लिखी उनकी दो पंक्‍तियों को यहां उद्धरित करता हॅूं. उन पंक्‍तियों का अर्थ भी हमारे प्रश्‍न में संदर्भगत है. माननीय मंत्री जी ध्‍यान देंगे. "होई है वही जो राम रची राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा". तो प्रश्‍न हमारा जो है तो उसमें होना वही है वह पहले ही तय हो गया कि क्‍या होना है क्‍या नहीं होना है इसलिए ज्‍यादा तर्क-वितर्क करने से कोई लाभ है नहीं. (हंसी) आपने 9 अगस्‍त तक का समय आपने ऐसे भ्रष्‍ट पदाधिकारी को दे दिया है अब जब 9 अगस्‍त मध्‍यप्रदेश सरकार ने तय कर दिया है तो उसके पहले मुझे कुछ कहना अनुचित होगा. पार्टी के अनुशासन का दंड भी मेरे ऊपर है. पार्टी लाइन भी है और इतने गूढ़ विषय में मैं और अधिक अंदर नहीं जाना चाहता. अपेक्षा आपसे केवल इतनी करता हॅूं, उम्‍मीद आपसे केवल इतनी करता हॅूं कि जब मध्‍यप्रदेश शासन ने जांच करवा ली, आरोपी जांच में दोषी पाये गये,  सरकार के लिए माननीय उच्‍च न्‍यायालय के निर्देश प्राप्‍त हैं कि निश्‍चित समय सीमा के अंदर आपको कार्यवाही करना है फिर भी कार्यवाही विलंबित है. समय पर समय, समय पर समय, समय पर समय, समय पर समय इसमें चार बार समय दिया गया. केवल इसलिए कि उनका कार्यकाल पूरा हो जाये. ठीक है, सरकार की मंशा है मैं भी सहमत हॅूं. सरकार का हिस्‍सा हॅूं. पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हॅूं. बस दो पंक्‍तियों में अपनी बात समाप्‍त करूंगा. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.   

          "पीछे बंधे हैं हाथ, मुंह पर पडे़ हैं ताले,

                     किससे कहें, कैसे कहें कि पैर का कांटा निकाल दो".

                             (मेजों की थपथपाहट)

            श्री बाला बच्‍चन -- आपने दो पंक्‍तियों में सब बोल दिया है...(व्‍यवधान).

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, "पीछे बंधे हैं हाथ, ऊपर लगे हैं ताले, यह डॉ.मोहन की सरकार है कि अब आपके हाथ खुलने वाले हैं". (मेजों की थपथपाहट)

.....(व्‍यवधान)..

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय संसदीय मंत्री, श्री कैलाश जी, वह सबके मुंह पर लगे हैं ताले. सबके मुंह पर लगे हैं ताले.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सबके प्रश्‍न लगे हैं, जवाब आने दीजिए.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍य को जानकारी देना चाहता हॅूं कि यह बात सही है कि माननीय विधायक जी ने वहां की शिकायत की थी. शिकायत की जांच कराई. जांच कराने में प्रथम दृष्‍ट्या अनियमितता पायी गई. अनियमितता पाने के बाद उनको कारण बताओ नोटिस दिया है. कारण बताओ नोटिस देने के बाद उनसे स्‍पष्‍टीकरण मांगा गया है. कल आखरी तारीख थी किन्‍तु उस क्षेत्र में बाढ़ होने के कारण उन्‍होंने 8 दिन का समय मांगा है. 8 दिन बाद क्‍योंकि मैं आपको पहले ही व्‍यक्‍तिगत रूप से भी बता चुका हॅूं और यहां फिर से दोहराना चाहूंगा कि अध्‍यक्ष के खिलाफ, सीएमओ के खिलाफ, लेखापाल के खिलाफ हमने प्रथम दृष्‍ट्या आरोप, अनियमितता पायी गई है. हम उनके खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं. उन्‍होंने 8 दिन का समय मांगा है, हमने दिया है. 8 दिन बाद जो भी कार्यवाही होगी, हम कड़ी से कड़ी सजा देंगे, यह मैं सदन में आपको आश्‍वस्‍त करता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री बृज बिहारी पटैरिया -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैंने पहले ही बड़ी विनम्रतापूर्वक निवेदन कर लिया था कि प्रश्‍न के संदर्भ में मुझे कोई प्रश्‍न नहीं करना है. फिर भी माननीय मंत्री जी ने उत्‍तर दिया है, जवाब दिया है. मैं पहले ही उनके उत्‍तर से संतुष्‍ट हो गया था. परन्‍तु अब जब आपने जवाब दिया ही है और विस्‍तार से दिया है, तो मैं भी थोड़ा विस्‍तार से जाना चाहता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय बृज बिहारी जी, बहुत विस्‍तार से नहीं जा सकते हैं. सिर्फ एक मिनट बचा है. एक मिनट में आपका प्रश्‍न भी आ जाए और जवाब भी आ जाए.

          श्री बृज बिहारी पटैरिया -- जी माननीय अध्‍यक्ष महोदय. मैं एक मिनट के अंदर अपनी व्‍यथा, अपनी पीड़ा व्‍यक्‍त कर दूं. 22 फरवरी 2024 से पीआईसी भंग है. आज दिनांक तक उसका गठन नहीं हुआ है. वर्ष 2024-25 और वर्ष 2025-26 आय-व्यय का बजट पारित नहीं हुआ है. 15 में से 12 पार्षद अध्यक्ष  के खिलाफ है. सभी विकास निर्माण कार्य अवरुद्ध हैं. 2 वर्ष में लगभग 4 सीएमओ बदले गये. आरापों के बारे में पहले ही कह चुका हूं कि अध्यक्ष दोषी पाये गये हैं.

अध्यक्ष महोदय - श्री बृज बिहारी जी, अब समय समाप्त हो गया है, क्षमा कीजिएगा, अब शून्यकाल शुरू होगा.

श्री बृज बिहारी पटैरिया - अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना आश्वासन चाहता हूं. हमारी बात तो पहले ही हो गई थी.

अध्यक्ष महोदय - आप मंत्री जी से मिलकर पूरी चीज बता देना, श्री सुरेश राजे.

श्री बृज बिहारी पटैरिया - अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.

(प्रश्नकाल समाप्त)

 

 

 

12.01 बजे                       नियम 267-क के अधीन विषय

         

श्री प्रताप ग्रेवाल - (XXX)

अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल में मैंने श्री सुरेश राजे जी का नाम पुकारा है.    श्री सुरेश राजे जो बोलेंगे वही रिकॉर्ड पर आएगा.

(1) डबरा में कन्या महाविद्यालय खोला जाना

श्री सुरेश राजे (डबरा) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -

(2) विधान सभा क्षेत्र क्रमांक 23 करैरा में हर्सी बांध से निकले पानी के कारण मार्ग बंद होना

श्री रमेश प्रसाद खटीक ( करैरा ) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -

(XXX) आदेशानुसार रिकॉर्ड नहीं किया गया.

(3) नगर निगम भोपाल द्वारा हाऊसिंग फार ऑल के अंतर्गत शहर के विभिन्न        क्षेत्रों में बनाये गये फ्लेट एवं शापिंग कॉम्प्लेक्स की हालत बदहाल होना

 

श्री आतिफ आरिफ अकील  (भोपाल उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -

 

 

(4)     टीकमगढ़ जिले में गौ-शालाओं में देखरेख न होने से गौवंश की मौत होना.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह (टीकमगढ़)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है.

 

 

 

 

(5) प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते नहरों, झरनों, नदियों की पुलियाओं पर चेतावनी संकेतक लगाया जाना.

          श्री आशीष गोविन्‍द्र शर्मा( खातेगांव)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है.

 

 

 

(6) प्रदेश में डी.ए.पी. यूरिया सहित अन्‍य रासायनिक उर्वरकों की भारी कमी होना.

          श्री विवेक विक्की पटेल( वारासिवनी)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है.

 

 

 

 

(7) जावरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जावरा सीतामऊ रोड पर निर्माणाधीन तीन ब्रिजों के निर्माण में विलंब से हो रही असुविधा.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय (जावरा)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है-

 

 

 

 

(8)     नरयावली में सांदिपनी विद्यालय का भवन निर्माण अतिशीघ्र कराया जाना.

          इंजी. प्रदीप लारिया-( नरयावली)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है.

 

 

 

 

 

 

(9)     मध्‍यप्रदेश में सर्राफा व्‍यापारियों को शस्‍त्र लाईसेंस प्रदान किया जाना.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन(सागर)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है.

 

 

                                                                                   

 

(10) मध्यप्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में संचालित थैरेपी सेंटर, वेलनेस सेंटर एवं मसाज सेंटर के संचालन में स्पष्ट नियमों का पालन न किया जाना.

                   डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) --  अध्यक्ष महोदय,

                   श्री प्रदीप अग्रवाल- अध्यक्ष महोदय,  मैं  चाहता हूं कि मुझे भी अपना विषय रखने की  अनुमति  दी जाये.

                   अध्यक्ष महोदय प्रदीप  जी,  इसमें आपका नाम नहीं है.  रामकिशोर दोगने जी का था.  तो वे हैं नहीं.  कार्यवाही अब आगे बढ़ रही है.  जगदीश देवड़ा जी.

         

 

 

 

 

 

 

 

12.11 बजे                         पत्रों का पटल पर रखा जाना

(1) (क)   (i)  भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का मध्‍यप्रदेश में उर्वरक के प्रबंधन एवं वितरण पर 31 मार्च, 2022 को समाप्‍त वर्ष हेतु प्रतिवेदन मध्‍यप्रदेश शासन 2025 का प्रतिवेदन संख्‍या-1 (निष्‍पादन लेखापरीक्षा-सिविल),

     (ii)  भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का 31 मार्च, 2022 को समाप्‍त वर्ष के लिए प्रतिवेदन मध्‍यप्रदेश शासन 2025 का प्रतिवेदन संख्‍या-2 (अनुपालन लेखापरीक्षा-सिविल),

     (iii) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का वर्ष 2023-2024 के लिए राज्‍य वित्‍त पर प्रतिवेदन मध्‍यप्रदेश शासन वर्ष 2025 का प्रतिवेदन संख्‍या-3 (राज्‍य वित्‍त लेखापरीक्षा प्रतिवेदन), तथा

(ख) त्रिस्‍तरीय पंचायतराज संस्‍थाओं पर संचालक स्‍थानीय निधि संपरीक्षा का वार्षिक समेकित संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021.

 

 

 

(2) मध्‍यप्रदेश राज्‍य परिसम्‍पत्ति प्रबंधन कंपनी लिमिटेड का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2022-2023 एवं द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2023-2024..

 

 

(3)  मध्‍यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का 9वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024.

 

 

 

 

12.14 बजे                           ध्यानाकर्षण  सूचना

प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होना.

 

श्री उमंग सिंघार (गंधवानी) {सर्वश्री फूल सिंह बरैया,जयवर्द्धन सिंह}- अध्यक्ष महोदय,

 

 


 

            लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

                                         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                                                              

 

 

 

श्री उमंग सिंघार -- अध्‍यक्ष महोदय, गृह राज्‍यमंत्री जी को जो आंकड़े दिए गए वह पढ़ दिए, लेकिन एक सत्‍य बात वह बोल गए कि लूट में 15 परसेंट वृद्धि हुई है. अब लूट कैसे हो रही है प्रदेश में यह पूरा प्रदेश जानता है. आपने कहा वर्ष 2019 के बाद अपराधों में वृद्धि नहीं हुई कमी आई है. वर्ष 2024 में रोजाना 25 औसतन अपराध, 20 बलात्‍कार, 38 महिलाओं के गुमशुदगी के दर्ज हुए हैं और 19 परसेंट वृद्धि हुई है. आप कैसे कह सकते हैं. सायबर अपराध वर्ष 2025 में, आप 2019 की बात कर रहे हैं मैं तो अभी की बात बता रहा हूं कि ढाई सौ करोड़ की धोखाधड़ी पकड़ी गई. जहां बड़े शहर हैं, जहां मीडिया का फोकस है, वहां पुलिस त्‍वरित कार्यवाही करती है, लेकिन जहां मीडिया नहीं पहुंच पाती या देर होती है, ग्रामीण क्षेत्र के अंदर, आदिवासी क्षेत्र में घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन वहां पर कोई नहीं पहुंच पाता ना वहां पर कार्यवाही हो पाती है. निश्चित तौर से मैं यह कह सकता हूं कि यह अपराधों का वर्गीकरण है कि कैसे मामले निपटाए जाते हैं, यह स‍ब बातें हैं.

अध्‍यक्ष महोदय, सरकार ने जो जवाब विधान सभा में है वह इस प्रदेश के लिए और देश के लिए बड़े चौंकाने वाले हैं. आदिवासी दलित महिलाएं बलात्‍कार का शिकार वर्ष 2022 से 2024 के बीच में, सुशासन की बात कर रहे हैं, प्रतिदिन एवरेज 7 एससी, एसटी महिलाओं के बलात्‍कार हैं. बाला बच्‍चन जी का सवाल था उसमें सरकार ने जवाब दिया 23 हजार से ज्‍यादा महिलाएं लापता हैं. कहां हैं बेटियां, कहां हैं लाड़ली बहना, सिर्फ 1,250 रुपये आप दे रहे हैं उस लाड़ली बहना को, लेकिन उसकी अस्मिता की बात नहीं करते, उसकी इज्‍जत की बात नहीं करते कि यह कैसे होगा, उसको कैसे सुरक्षा मिले ?

          अध्‍यक्ष महोदय, हत्‍या की वर्ष 2023 से 2025 के बीच में एवरेज 4 रोज हत्‍या की घटनाएं हो रही हैं. प्रदेश में गुण्‍डाराज नहीं है तो और क्‍या है. किसका गुण्‍डाराज, कौन छूट दे रहा है ? आंकड़े बहुत सारे हैं. आपको मैं बताना चाहता हूं कि 25 अप्रैल को बालाघाट में सामूहिक बलात्‍कार आदिवासी महिलाओं के साथ हुआ. किस प्रकार से सरकार ने उसके अंदर सहायता राशि नहीं दी, उनको सहयोग नहीं किया, यह सरकार खुद जानती है. सरकार ने जवाब तक नहीं दिया. मैं खुद बालाघाट गया था. खण्‍डवा में सामूहिक बलात्‍कार 25 मई को आदिवासी महिला के साथ किस प्रकार से और कितना जघन्‍य अपराध हुआ. आदिवासी युवक पर अत्‍याचार छिन्‍दवाड़ा में 2 जुलाई, 8 मई रीवा में गला रेतकर हत्‍या, 1 मई रीवा में चोरी, 5 मई धार में 17 वर्षीय छात्रा की हत्‍या, श्‍योपुर में जातीय टकराव 28 अप्रैल, 27 जून नरसिंहपुर में दिनदहाड़े हत्‍या, 6 जुलाई उज्‍जैन में धार्मिक तनाव, 13 अप्रैल देवास में पुजारी पर हमला, 22 अप्रैल छतरपुर में पुलिस से बर्बरता, 26 जुलाई रतलाम में प्रेम संबंध को लेकर हत्‍या, 22 जुलाई जबलपुर में बलात्‍कार, 4 मई धार में लूटपाट, 13 मई गुना में सांप्रदायिक झड़प, 27 जून भोपाल में हत्‍या, यह मैंने आपको तात्कालिक आंकड़े गिनाए हैं. किस प्रकार सरकार असक्षम है. मुख्यमंत्री जी के पास गृह विभाग है, मुख्यमंत्री जी गायब हैं. इतनी महत्वपूर्ण चर्चा पर, पूरे प्रदेश के अन्दर घटनाएं घट रही हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- मुख्यमंत्री जी सूचना देकर गए हैं. राज्य के काम से ही गए हैं.

          श्री उमंग सिंघार -- मुख्यमंत्री जी बगैर सूचना के भी कब सदन में रहते हैं. प्रदेश में गए हैं तो मुझे लगता है दूरबीन लगाकर देखना पड़ेगा कि प्रदेश में कहां हैं. मालूम पड़ेगा कि दुबई गए हैं, स्पेन गए हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- अब आप प्रश्न तो कर लें. जिससे माननीय मंत्री जी प्रश्न का उत्तर दे सकें.

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब आप स्थगन लेते नहीं हैं, हमारे जितने भी साथी हैं जिन्होंने ध्यानाकर्षण दिया है उनको भी आप बोलने का समय दें.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दल के विधायकों पर केस हुए हैं. 24 घंटे के बजाए 48 और 72 घंटे हो गए लेकिन सरकार के पास कोई वो नहीं है. क्या आप विपक्ष की आवाज दबाना चाहते हैं. मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस पर तत्काल जांच होना चाहिए, इंक्वायरी होना चाहिए. अशोक नगर में हमारे प्रदेश अध्यक्ष पर असत्य प्रकरण दर्ज हुआ. जिन्होंने प्रकरण दर्ज कराया वो आज भी गायब हैं. उस परिवार का मध्यप्रदेश में पता ही नहीं है. जो फरियादी है वह सामने आए. ऐसा कहां केप्चर कर लिया है और किसने किया है. किसने अपहरण किया है. क्या पुलिस इसकी जांच नहीं कर रही है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- आपके अध्यक्ष जी के भय से गायब हुए होंगे वो.

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी गुजरात पुलिस ने आकर के 1800 करोड़ रुपए का एंटी ड्रग्स पकड़ा. साल-छह महीने हुए हैं. अभी मालूम पड़ा है कि कोई शफीक "मछली", कोई शफीक थे, शेरू थे. किस पार्टी के थे, भाजपा के कार्यकर्ता थे. अब मैं किसी व्यक्ति का नाम नहीं ले रहा हूँ. लेकिन वे किससे जुड़े थे. आप थानों में खुलेआम गाड़ी लेकर छुड़ाने जा रहे हैं. यह पुलिस विभाग मुझे बता रहा है. क्या भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों का संरक्षण है. इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए. कई बातें चलीं कि अल्पसंख्यक का अध्यक्ष बना दिया. हिन्दू लड़कियों के साथ अगर आपकी पार्टी का कोई अपराध करता है, गलत कृत्य करता है तो वह माफ है, वह जायज है. अगर और कोई होता तो वो लव जिहाद है. सनातन की बात करने वाले ऐसा अन्याय क्यों कर रहे हैं. पार्टी के अन्दर इस बात पर मंथन होना चाहिए.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, पत्रकारों पर असत्य प्रकरण बन रहे हैं. अभी हमारे कुलदीप सिंगोरिया पर बन गया था. जिस पर पूरे पत्रकारों ने धरना दिया था. पुलिस सुनना नहीं चाहती है. अभी कल नरसिंहपुर में रात में अमित भाटिया पर गोली चल गई. गोली चलाने वाले आदर्श कोहली. यह कौन हैं, क्या हैं, किससे जुड़े हैं यह पुलिस को पूरी जानकारी है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय,  जौरा में कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष, विनोद दुबे पर लूट और अपहरण का असत्य मुकदमा कर दिया गया. इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. सेंधवा में टीआई दिलीप पुरी शराब जब्त करते हैं और खुद ही शराब बेचने लगते हैं. कैसे टीआई रखे हैं. प्रदेश में यह भी हो रहा है.

          अध्यक्ष महोदय -- अब प्रश्न पर आ जाएं

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पन्ना में वाहन चेकिंग के दौरान, मैं तो आपको प्रमाण के साथ जानकारी दे रहा हूँ कि किस प्रकार अमानवीयता की स्थिति है. वहां पर देवेन्द्र नगर में सलैया तिराहे पर महिला अपने भाई के साथ ससुराल जा रही थी. वाहन चेकिंग के दौरान महिला के बाल पकड़कर खींच दिए गए. इसका नाम था. देवेन्‍द्र नायक नाम था जिसको निलंबित कर दिया, लेकिन पुलिस निलंबित ही करती है, कठोर कार्यवाही क्‍यों नहीं करती है. खुलेआम आप वाहन चेकिंग में महिला के बाल खींच रहे हो. बड़ी लज्‍जा की बात है. मेरे पास बहुत केस स्‍टडियां हैं, लेकिन मैं उसमें से एक या दो बताना चाहता हूं जिसमें कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर किये इसके बावजूद भी मध्‍यप्रदेश में न पुलिस विभाग ने सुना और मुख्‍यमंत्री जी तो सुनते ही नहीं हैं, मुख्‍यमंत्री जी तो संवाद में रहते ही नहीं हैं तो मैं क्‍या कहूं. वह माननीय हैं, नेता हैं. गुना का मामला है 13, 14 जुलाई, 2024 को गुना जिले में बंजारा जनजाति के देव पारदी को शादी के मंडप से उठा लिया और जब परिवार ने कहा कि क्‍या आपके पास गिरफ्तारी वारेंट है तो पुलिस ने उनके पूरे परिवार को मारा. थाने में देव की हार्ट अटैक से मौत हो गई.

          सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में सीबीआई को सौंपते हुए 30 दिन में आरोपियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश दिये. न्‍याय कहां मिल रहा है. न तो पुलिस से न्‍याय मिल रहा है, न तो सरकार से न्‍याय मिल रहा है. कोर्ट को न्‍याय देना पड़ रहा है. कानून की क्‍या स्थिति है? सागर में एक 15 वर्षीय दलित के साथ कुछ जमीदारों ने यौन शोषण किया. पुलिस ने बलात्‍कार के बजाय मारपीट का मामला दर्ज किया.

          अध्‍यक्ष महोदय-- उमंग जी, अब आप कृपया समाप्‍त करें.

          श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि सदन नियम और परम्‍पराओं से चलता है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- उमंग जी, ध्‍यानाकर्षण की परम्‍पराएं आपको मालूम हैं. आप सीनियर सदस्‍य हैं. बाकी दो लोग भी इसमें बोलने वाले हैं.

          श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐसे कई मामले हैं. चीफ सेक्रेटी जी को भी हाईकोर्ट ने निर्देश दिये हैं वह भी मैं संज्ञान में लाना चाहता हूं. अंतराम अवशेद, ट्रायबल बुरहानपुर, बारेला आदिवासी समुदाय का है. एक साल के लिए बुरहानपुर कलेक्‍टर ने जिला बदर कर दिया. भारतीय वन अधिनियम के तहत 11 लंबित मामले में फरार. हाईकोर्ट ने जिला बदर रद्द किया और उसके बाद हाईकोर्ट की टिप्‍पणी है. हाईकोर्ट ने मध्‍यप्रदेश के मुख्‍य सचिव अनुराग जैन को निर्देश दिये कि राज्‍य के सभी जिला अधिकारियों, कलेक्‍टरों की बैठक बुलाएं और उन्‍हें समझाएं कि राजनीतिक दबाव में आकर आदेश पारित न करें. राजनीतिक दबाव में पुलिस काम कर रही है. इस प्रकार से असत्‍य प्रकरण बन रहे हैं. मैं प्रमाण दे सकता हूं कि प्रदेश के अंदर 70 लाख असत्‍य प्रकरण बनाए गये. 151, 107, 108.

          अध्‍यक्ष महोदय, आपसे संरक्षण चाहिए. एक आम व्‍यक्ति की बात कर रहे हैं, हम जनता की बात कर रहे हैं. जिन पर पुलिस प्रकरण बन रहे हैं. मैं समझता हूं कि कानून के साथ जो फरियादी होता है उसकी भावना का संवाद है, उसकी संवेदनाओं का संवाद है, लेकिन कई थानों में खुलेआम पैसे वसूले जाते हैं. इसमें माननीय मुख्‍यमंत्री जी कब समीक्षा करेंगे. सिर्फ ऑर्डर की लिस्‍ट निकाल दो. लाओ, ले जाओ ऑर्डर. अभी विभाग का एक अंतिम ऑर्डर निकला है. मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि दिनांक 17.6.2025 का आर्डर है. विशेष महानिदेशक प्रशासन, आदर्श कटियार जी का आदेश है कि आपराधिक प्रकरणों, विभागीय जांच में सम्मिलित अधिकारियों की  पदस्‍थापना के संबंध में, इसमें स्‍पष्‍ट लिखा है कि इस संबंध में किसी भी पुलिसकर्मी के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण, भ्रष्‍टाचार, विवेचना, अभियोजन में लंबित है, दुर्घटना को छोड़कर तो उनको कोई थाने नहीं दिये जाएंगे, कोई पद नहीं दिये जाएंगे. ऐसे कितने लोग हैं, टी.आई., सब इंस्‍पेक्‍टर, अधिकारी जिन पर जांच चल रही है,जिनको आपने महत्‍वपूर्ण जवाबदारी दे रखी है, क्‍या सरकार का आदेश बेमानी है ? आप अगर भ्रष्‍टाचारी और निर्मम लोगों को, जो पुलिस में हैं, उनको आप थाने देंगे, तो आम जनता से वे क्‍या व्‍यवहार करेंगे, यह मैं कह नहीं सकता हूं. क्‍या सरकार तत्‍काल ऐसे लोगों को लाईन अटैच करेगी ? पूरे प्रदेश में ऐसे लोग हैं, पूरे प्रदेश के अंदर, हर थाने में, हर विधान सभा क्षेत्र में, हर ब्‍लॉक में ऐसे लोग मिल जायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय-  कृपया अब समाप्‍त करें.

          श्री उमंग सिंघार-  अध्‍यक्ष महोदय, विषय बहुत हैं लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि सरकार आंकड़ों पर ध्‍यान दे और मुख्‍यमंत्री जी आज सदन में नहीं है लेकिन मैं, राज्‍यमंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि आप ही मुख्‍यमंत्री जी को सलाह दें कि गृह विभाग यदि उनसे नहीं संभल रहा, तो किसी और को दे दें, ऐसा क्‍या प्रेम है ?

            अध्‍यक्ष महोदय-  संसदीय कार्य मंत्री जी सदन में हैं.

          श्री उमंग सिंघार-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं कल बता चुका हूं, प्रदेश में शराब खुलेआम बंट रही है, MRP से ज्‍यादा भाव में बिक रही है, यह पैसा किसके पास जा रहा है, ये 200-300 करोड़ रुपये कहां जा रहे हैं, प्रदेश में कहां अवैध वसूली हो रही है, कौन शराब माफिया है, कौन इसको चला रहे हैं, कौन गुजरात शराब भेज रहे हैं, इन सभी का संज्ञान पार्टी क्‍यों नहीं लेती है ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  बरैया जी, केवल एक प्रश्‍न करना है.

          श्री फूलसिंह बरैया (भाण्‍डेर)-  अध्‍यक्ष महोदय, सवाल आपके बड़े होते हैं हमारे छोटे कर दिये जाते हैं. मध्‍यप्रदेश में जो कानून व्‍यवस्‍था बिगड़ी है, इसका सबसे ज्‍यादा असर गरीब और कमजोर लोगों पर पड़ता है, दबंगों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है, अगर सरकार दबंगों का पक्ष लेती है तो निश्चित रूप से लॉ एण्‍ड ऑर्डर खराब नहीं है और यही नहीं, अच्‍छी बातें कह सकते हैं, अपनी पीठ थपथपा सकते हैं, सारी बातों को न्‍यायालय ने खारिज कर दिया. पुलिस गुण्‍डों का संगठित गिरोह है, यह माननीय उच्‍च न्‍यायालय की टिप्‍पणी है और ये पुलिस में रहने लायक नहीं है इसे बर्दाश्‍त क्‍यों कर रहे हैं इन्‍हें बाहर का रास्‍ता दिखाओ. मुख्‍यमंत्री जी बात करने के लिए उपलब्‍ध नहीं हैं, DGP फोन नहीं उठाते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  बरैया जी, कृपया यदि आप प्रश्‍न करेंगे तो मंत्री जी उत्‍तर दे सकेंगे.

          श्री फूलसिंह बरैया-  अध्‍यक्ष महोदय, जिला दतिया में, भाण्‍डेर क्षेत्र में, थाना गोदन में अनुसूचित जाति का सहायक उपनिरीक्षक (ASI) प्रमोद पावन, पुलिस और रेत माफिया की प्रताड़ना के कारण थाने में फांसी लगाकर झूल गया, उसका पूरा परिवार दु:खी है, उसका वीडियो है, सुसाइड नोट भी है. इसी प्रकार थाना थरेट में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ क्‍या व्‍यवहार हो रहा है, थाना धीरपुरा में अनुसूचित जाति और अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ क्‍या व्‍यवहार हो रहा है, थाना पंडोखर में तो हद हो गई है, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों को बुला-बुलाकर असत्‍य मुकदमे दर्ज करके, महिलाओं के साथ अन्‍याय पुलिस स्‍वयं कर रही है, थाना मेहगांव तो अत्‍याचार की चौकी बन गया है, वहां के थाना प्रभारी डकैतों से कम नहीं है. थाना रोंन में तो लूट का ठेका ले लिया गया है, वह रेत माफिया का अड्डा बन गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, इसलिए मैं कहना चाहता हूं महिलाओं की इज्‍जत, कमजोर वर्गों की इज्‍जत नहीं है. कमजोर वर्गों की तरफ से यदि कोई FIR होती है तो उसको गिरफ्तार नहीं किया जाता है और अगर कोई गिरफ्तार हो भी गया तो तत्‍काल ज़मानत दिलवा दी जाती है. सहायक उपनिरीक्षक प्रमोद पावन जब फांसी पर झूला, उसका वीडियो उपलब्‍ध है, सुसाइड नोट उपलब्‍ध है, उसके बाद भी आज 10वां दिन है FIR नहीं हुई है और कह क्‍या रहे हैं कि जांच चल रही है. अगर ये आपके पक्ष का आदमी होता, दबंगों का आदमी होता, तो क्‍या कहते, फिर कहते कि फरियादी कहेगा तो हम तो FIR काटेंगे. यहां फरियादी की बात और वहां के फरियादी की बात में, दो तरह की बात है. क्‍या सरकार दो बात ही करती है. क्‍या सरकार नागरिकता दो तरह की दे रही है ? अगर हम कहते हैं कि हमारा कोई गरीब आदमी थाने में प्रताडि़त हो रहा है, तो उसके बारे में सरकार जांच करवा ले. सरकार खुद जाकर प्रतिनिधि को भेज दे. अगर हम जो बात कह रहे हैं, उसमें अगर कोई बात छोटी से छोटी असत्‍य निकल जाये.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक प्‍वाइंट ऑफ ऑर्डर है. यह ध्‍यान आकर्षण की सूचना है. पहले नेता प्रतिपक्ष जी ने भाषण दिया और अब फूल सिंह जी भाषण दे रहे हैं. प्रश्‍न आएंगे कि नहीं आएंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - बरैया जी, आप प्रश्‍न कीजिये. मैंने पहले ही आपको कहा था.

          श्री बाला बच्‍चन - अध्‍यक्ष महोदय, लॉ एण्‍ड ऑर्डर पूरी तरह से मध्‍यप्रदेश में ध्‍वस्‍त और खत्‍म है, आप इससे संबंधित हमारे प्रश्‍नों का जवाब नहीं दे रहे थे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस पर किसी बड़ी व्‍यवस्‍था के अंतर्गत चर्चा होनी चाहिए थी, इसमें हमारे विधायकगण भी बोलना चाह रहे थे.

          अध्‍यक्ष महोदय - बाला जी, यह महत्‍वपूर्ण विषय है, इसीलिये ध्‍यान आकर्षण लाया गया है. लेकिन ध्‍यान आकर्षण के नियम, प्रक्रिया एवं परम्‍परा है, उसकी तरफ संसदीय कार्य मंत्री जी ने ध्‍यान आकर्षित किया है, उसका पालन करना भी जरूरी है. मैंने बरैया जी से कहा था कि वह प्रश्‍न करेंगे तो जवाब मिलेगा.                        

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसका पालन संसदीय कार्य मंत्री जी और सरकार करे. हम तो सभी विधायकगण बोलना चाह रहे थे.

          अध्‍यक्ष महोदय - (बरैया जी के खड़े होकर बोलने पर) बरैया जी, आपका समय पूरा हो गया है. आपका प्रश्‍न ही नहीं आ रहा है.   

          श्री फूल सिंह बरैया - अध्‍यक्ष महोदय, एक मिनट. मैं चाहता हूँ कि इसमें दसवां दिन है, इसमें एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, तो जांच कैसे कराई जायेगी, जांच कैसे होगी ? इसके बारे में जवाब दिया जाये. एफआईआर कब होगी, यह भी बताया जाये कि होगी कि नहीं होगी, या यह कमजोर वर्ग का मामला है तो नहीं होगी, यह भी बताया जाये. धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय - ठीक है. श्री जयवर्द्धन सिंह जी.

          श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका आभारी हूँ कि आपने मुझे भी इस बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर बोलने का मौका दिया है. मैं शुरुआत में कहना चाहूँगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - जयवर्द्धन सिंह जी, बोलने का नहीं, प्रश्‍न करने का मौका दिया है. (हंसी)

          श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके संरक्षण की आवश्‍ययकता है. जैसा नेता प्रतिपक्ष जी ने कल ही अनुपूरक बजट के भाषण में कहा था कि कहीं न कहीं वर्तमान में सदन में जो गंभीरता है, उस पर एक बड़ा प्रश्‍नचिन्‍ह लगता है. आज उसका सीधा उदाहरण यहीं मिल रहा है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी, जो गृह मंत्री भी हैं, वह आज सदन में उपस्थित नहीं हैं. अन्‍त में, मैं यह उम्‍मीद करूँगा कि जिन-जिन हादसों की हम सब बात कर रहे हैं, उन पर क्‍या कार्यवाही होगी ? जिसका मुझे विश्‍वास है कि जब माननीय राज्‍यमंत्री जी, हमें अपना उद्बोधन देंगे तो उसका हमें आश्‍वासन दिया जायेगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, श्रीमती सेना महेश पटेल, जोबट विधान सभा क्षेत्र की आदिवासी विधायक हैं, उनका पुत्र पुष्‍पराज रावत एक नौजवान युवा है, हम उनको बचपन से जानते हैं, उसको घर पर भय्यू के नाम से पुकारते हैं. शिक्षित युवा है, वह अपनी गाड़ी में जाता है, गलती से टक्‍कर हो जाती है.

          अध्‍यक्ष महोदय - जयवर्द्धन सिंह जी, एक मिनट, एक मिनट. मेरा कहना यह है कि श्रीमती सेना महेश पटेल जी और श्री अभय मिश्रा जी की जब बात आई थी, तो इन दोनों को सदन में अपनी बात रखने का अवसर प्रदान कर दिया गया है. सदन के भी संज्ञान में है और सरकार के भी संज्ञान में है. इसलिए मैं समझता हूँ कि आप दूसरा प्रश्‍न करेंगे तो वह ठीक रहेगा.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपकी बात समझ गया हूँ. लेकिन उसी विषय में मेरा एक प्‍वाइंट यह है कि उसके कुछ दिन बाद तथा अभी कुछ दिन पहले झाबुआ की कलेक्‍टर महोदया की गाड़ी को एक वाहन टक्‍कर मार जाता है, लेकिन उस वाहन चालक पर धारा 307 दर्ज नहीं होती है, उस पर तो जो जमानती धारा है, वह दर्ज होती है. ऐसा भेदभाव क्‍यों हो रहा है ? यह बड़ा प्रश्‍न है, जिसका उत्‍तर आज हमें मिलना चाहिए. पोहरी विधान सभा क्षेत्र के बैराड़ कस्‍बे में एक व्‍यापारी श्री मनीष गुप्‍ता के सिर पर जूता रखवाकर माफी मंगवाई जाती है और आश्‍चर्य की बात यह है कि यह निर्णय पंचायत के माध्‍यम से लिया जाता है. पंचायत कौन लेते हैं, सत्‍ता पक्ष के नेता लेते हैं. 'नई दुनिया' अखबार ने इस खबर को छापा है और लिखा है कि बैराड़ में पंचायत रखी गई और तालीबानी सजा दी गई. तालीबानी सजा, यह स्‍थिति है आज के राज में कि आज पत्रकार ऐसी भाषा का उपयोग कर रहे हैं क्‍योंकि ऐसे कारनामे हो रहे हैं. अध्‍यक्ष महोदय, इसके साथ-साथ जो हादसा करणी सेना के साथ हरदा में हुआ था, उसमें भी पहले जो पीड़ित पक्ष था, उसने यह मांग की थी कि उसके साथ जो 18 लाख रुपये का घपला हुआ था, उसने एफआईआर की मांग की थी, जब एफआईआर नहीं हुई तो मजबूरी में करणी सेना को धरना देना पड़ा था, लेकिन शांतिपूर्ण धरना देने के बावजूद उनके साथ जो बर्ताव हुआ, उसके बारे में सबको खबर भी है और अभी तक जो कार्यवाही हुई है, उससे हम संतुष्‍ट नहीं है. हमने मांग की थी कि उस विषय पर भी मजिस्‍ट्रियल जांच होनी चाहिए. इसका आदेश अभी तक नहीं आया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा के अंतर्गत ब्रह्मदास अहिरवार, आरोन थाने की घटना है, उनकी हत्‍या एक बीघा जमीन के विवाद में होती है. घटना के एक दिन पहले उनका पुत्र सत्‍य अहिरवार थाने में जाता है, शिकायत करता है कि ऐसी घटना की संभावना है. लेकिन पुलिस उनको कहती है कि एक केन्‍द्रीय मंत्री गुना में आ रहे हैं, हम अभी वहां पर व्‍यस्‍त हैं और फिर अगले दिन 20 लोग उनको घेरकर और लट्ठ मारकर ब्रह्मदास अहिरवार की हत्‍या करते हैं. ऐसी घटना इसलिए हो रही है माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍योंकि कहीं न कहीं जो पुलिस फोर्स की व्‍यवस्‍था होनी चाहिए, आज हमारे प्रदेश में नहीं है. अध्‍यक्ष महोदय, बालाघाट जिले की बात है, संजय उइके जी वहां के विधायक हैं, चार बालिकाओं का सामूहिक रेप होता है..

          अध्‍यक्ष महोदय -- जयवर्द्धन सिंह जी, कृपया समाप्‍त करें.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, चार बालिकाओं का सामूहिक रेप होता है और उन चार बालिकाओं में से तीन बालिकाएं नाबालिग होती हैं. यह स्‍थिति आज मध्‍यप्रदेश की है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहूँगा कि कुछ महीने पहले ही 'दैनिक भास्‍कर' अखबार में रिपोर्ट छपी थी, जिसमें इस बात का उल्‍लेख हुआ था कि आज मध्‍यप्रदेश में पुलिस के 25 हजार पद रिक्‍त पड़े हुए हैं. इस संबंध में पहले भी वर्ष 2023 में कॉन्‍स्‍टेबल की और एसआई की भर्ती निकाली गई थी लेकिन अफसोस की बात यह है कि उस भर्ती में भी घोटाला किया गया. परिणाम नहीं आ पाया. पिछले 8 सालों से मध्‍यप्रदेश में कॉन्‍स्‍टेबलों और एसआई की भर्ती लंबित पड़ी हुई है. किसकी गलती है, सत्‍ता पक्ष की गलती है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया समाप्‍त करें.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसमें यही मांग करूंगा और मैं माननीय राज्‍य मंत्री जी से यह प्रश्‍न पूछना चाहूँगा कि ये जो शेष लंबित भर्तियां हैं, वह कब तक पूर्ण की जाएगी. अध्‍यक्ष महोदय, अंत में, जैसा कि आपने बताया कि जो हादसा अभय मिश्रा जी के साथ में हुआ, उसके बारे में आपने उनको बोलने का मौका दिया था, लेकिन पिछले सत्र में भी मिश्रा जी के बारे में बात हुई थी. उस समय भी माननीय मंत्री जी भावुक हो गए थे. ऐसा क्‍या कारण है कि बार-बार इनको टारगेट किया जा रहा है. इनको परेशान किया जा रहा है. एक वीडियो सामने आया है अध्‍यक्ष महोदय, जहां पर भाजपा का एक पूर्व विधायक महिला सीएसपी ऋतु उपाध्‍याय जी को घेर रहा है और उनको असंवेदनशील औरत के नाम से पुकार रहा है, क्‍या ये उचित है ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- जयवर्द्धन सिंह, कृपया बैठें.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या ये सही है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसमें अंत में आपसे यही मांग करना चाहता हूँ कि जिन घटनाओं की हमने बात की है. उन एक-एक घटना के बारे में माननीय मंत्री जी उत्‍तर भी दें और उन घटनाओं में कब तक कार्यवाही होगी, सेना पटेल जी के बेटे को न्‍याय कब मिलेगा. हम यह मांग करते हैं कि इसका उत्‍तर हमको मिले.

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं आपसे आधे मिनट का समय चाहता हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैंने किसी को अनुमति नहीं दी है. मंत्री जी का उत्‍तर ही रिकार्ड में आएगा.

          राज्‍य मंत्री, लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा (श्री नरेन्‍द्र शिवाजी पटेल) -- अध्‍यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने मेरे बयान में वृद्धि शब्‍द तो सुन लिया था, जो केवल एक बार आया था, लेकिन उसी में वर्ष 2000 से 2025 में लूट में 28.77 प्रतिशत की कमी आई है. वे नहीं सुन पाए थे, इसलिए मैं पुन: स्‍मरण दिला रहा हूँ. साइबर अपराधों में लगातार जो थोड़ी वृद्धि हुई है, उसको हम स्‍वीकार कर रहे हैं. टेक्‍नॉलॉजी आई है, इसलिए साइबर अपराधों में थोड़ी वृद्धि हुई है, परंतु मुझे आपको बताते हुए यह प्रसन्‍नता है कि 105 करोड़ रुपये से अधिक की राशि होल्‍ड की गई है और हमारी पुलिस के पास सूचना आते से ही तत्काल  कार्यवाही की जाती है और तत्काल कार्यवाही करने के कारण 105 करोड़ रुपये की राशि होल्ड हुई है. हमारे 1930 साईबर हेल्प लाईन है उस पर यदि कोई भी साईबर अपराध की सूचना आती है तो तत्काल कार्यवाही होती है तत्काल अकाउंट को होल्ड किया जाता है. लगातार साईबर अपराधों पर नियंत्रण करने के लिये मध्यप्रदेश की डॉ.मोहन यादव जी की सरकार प्रयास कर रही है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एक शब्द का उपयोग किया तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि कितना अंतर देश में नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आया है और डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में आ रहा है कि जहां पहले दंगे शब्द का उपयोग किया जाता है वहां अब केवल धार्मिक तनाव की बात कही जा रही है. पहले दंगे में लोग मारे जाते थे आज केवल तनाव शब्द का उपयोग किया जा रहा है और मेरे को यह भी बताते हुए हर्ष है कि वहां पर भी कोई  धार्मिक तनाव नहीं था केवल एक जुलूस को दूसरे मार्ग पर ले जाने का प्रयास किया जा रहा था.छोटी सी एक घटना थी. नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में हर मगरमच्छ को खत्म कर दिया है छोटी-मोटी गंदी मछलियां बची हैं उनको भी खत्म करने का काम करेंगे.  माननीय मुख्यमंत्री जी ने शपथ लेने के बाद

          श्री अजय सिंह - माननीय मंत्री जी खुद की कबूल कर रहे हैं कि मगरमच्छ हैं.

          श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - माननीय मैं आपका सम्मान करता हूं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी सी.एम. साहब का उल्लेख कर रहे थे.निश्चित रूप से हमारे सी.एम. साहब विदेशों की यात्रा करके लाखों करोड़ों रुपये का इन्वेस्टमेंट मध्यप्रदेश के अंदर लाये हैं और आपके प्रदेश अध्यक्ष शायद अभी प्रदेश भ्रमण पर ही हैं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एक प्रश्न किया था एक दिशा निर्देश आदर्श कटियार जी के नाम से जो जारी हुआ उसमें मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि कोई भी आपराधिक प्रकरण जिन पर दर्ज हो या आपराधिक रिकार्ड हो या गंभीर आरोप हो ऐसे किसी भी व्यक्ति को थाना प्रभारी नहीं रखा गया है मध्यप्रदेश में.  मिश्रा जी सुन लीजिये, आपके कहने पर ही इस सदन में कार्यवाही की थी चिंता मत करिये. मध्यप्रदेश के अंदर 11 हजार से अधिक लोगों के स्थानांतरण किये गये हैं. किसी भी पुलिस के आरक्षक को,निरीक्षक को 5 वर्ष से अधिक किसी थाने में नहीं रखा जा रहा है और किसी आरक्षक को अन्य विभाग में 10 साल से ज्यादा नहीं रहने दिया जा रहा. ऐसे सख्त निर्देश दिये गये हैं. आदरणीय फूल सिंह बरैया जी ने प्रश्न किया.

          श्री अजय सिंह- अवनीश पाण्डे जो निलंबित हुआ गढ़ थाने से निलंबित हुआ और 25 दिन के बाद वहीं पर पदस्थ है.

          श्री अभय मिश्रा -  यह आपका उत्तर है  उन पर विभागीय जांच संस्थित है और उनको आपने उनको बहाल किया है और गढ़ थाने में ही पोस्टिंग है. आप क्यों असत्य बोल रहे हैं. आप कहिये कि मेरा जो मन करेगा मैं करूंगा जैसा आप कर रहे हैं पूरे प्रदेश में अपराध करवा रहे हैं. महिला सी.एस.पी. पर आक्रमण करवा रहे हैं. आप लोगों को लज्जा नाम की चीज नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय - अभय जी कृपया बैठें.

          श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - आदरणीय फूल सिंह बरैया जी ने जो प्रश्न उठाया है उस विषय में विभाग भी गंभीर है और गंभीरतापूर्वक उसकी जांच की जा रही है जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जायेगी. जयवर्द्धन सिंह जी ने जो प्रश्न उठाया है कि पुलिस की भर्ती का तो 8 हजार से अधिक पदों की भर्ती की प्रक्रिया प्रचलन में है और जो विषय उठाया है कि एक निर्दोष बालक है परिवार आपका हो चाहे मेरा हो. परिवार में सबकी चिंता करना माननीय अध्‍यक्ष जी का दायित्‍व भी है और हम सबको उनका संरक्षण भी प्राप्‍त है. मैं बताना नहीं चाह रहा था, लेकिन आपने उल्‍लेख किया इसलिये बताना चाह रहा हूं कि वह काली स्‍कॉर्पियो से वगैर नंबर लगी गाड़ी से जा रहे थे और उन पर पहले से 6 प्रकरण दर्ज हैं तो यह नहीं कहा जा सकता कि वह निर्दोष हैं. आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश के अंदर डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में शांति है और कानून व्‍यवस्‍था सुदृढ़ है. धन्‍यवाद.

... (व्‍यवधान)...

2. पन्‍ना जिले में राजस्‍व एवं वन विभाग की सीमाओं का निराकरण न होना.

          श्री ब्रजेन्‍द्र प्रताप सिंह (पन्‍ना)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

          श्री उमंग सिंघार--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिये इससे हमारे सदस्‍य असंतुष्‍ट हैं ... (व्‍यवधान)... कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. ... (व्‍यवधान)... माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के अंदर कानून व्‍यवस्‍था बिगड़ी हुई है. ... (व्‍यवधान)... माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भ्रष्‍टाचार बढ़ रहा है, मुख्‍यमंत्री जी कंट्रोल नहीं कर पा रहे. मेरा आपसे निवेदन यह है कि इसकी समीक्षा होना चाहिये. ... (व्‍यवधान)... माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपसे संरक्षण चाहिये.           ... (व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  कृपया बैठ जायें, दूसरा ध्‍यानाकर्षण चल रहा है...(व्‍यवधान)...

 

 

12.58 बजे                           गर्भगृह में प्रवेश 

   इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश.

          (इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यों ने गर्भगृह में प्रवेश किया एवं नारे लगाये)

ध्‍यानाकर्षण (क्रमश:)

          अध्‍यक्ष महोदय--  मेरी सभी सदस्‍यों से प्रार्थना है कि वह अपने स्‍थान पर बैठें. ... (व्‍यवधान)... ध्‍यानाकर्षण पर काफी चर्चा हुई है. नेता प्रतिपक्ष ने विषय को विस्‍तृत तरीके से रखा है. जिन सदस्‍यों के नाम थे उनको भी बोलने की अनुमति दी गई है ... (व्‍यवधान)... मंत्री जी ने जवाब दिया है. मैं समझता हूं सदस्‍यों को संतुष्‍ट होना चाहिये, अपने स्‍थान पर बैठना चाहिये. दूसरा ध्‍यानाकर्षण मैंने पुकार लिया है इसलिये कार्यवाही आगे बढ़ गई है. ... (व्‍यवधान)... मेरी आप सबसे प्रार्थना है कि अपने स्‍थान पर बैठें ... (व्‍यवधान)...

          श्री उमंग सिंघार--  हमारे विधायकों पर कार्यवाही हो रही है उस पर सरकार ... (व्‍यवधान)... माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पुलिस द्वारा तानाशाही चल रही है ... (व्‍यवधान)... असत्‍य प्रकरण दर्ज किये जा रहे हैं. ... (व्‍यवधान)... कोई सुनवाई नहीं हो रही है ... (व्‍यवधान)... थाने के अंदर पैसे लेकर पोस्टिंग हो रही है माननीय अध्‍यक्ष महोदय. ... (व्‍यवधान)... जो पैसे लेकर पोस्टिंग करेंगे तो करप्‍शन करेंगे ... (व्‍यवधान)... आम जनता की नहीं सुनेंगे. ... (व्‍यवधान)...

          लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह)--  माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं सदन को एक महत्‍वपूर्ण सूचना देना चाहता हूं. अभी-अभी मालेगांव बम ब्‍लास्‍ट वाले मामले में एएनआई कोर्ट का फैसला आया है और जिन पर आरोप लगाये गये थे.. (व्‍यवधान).. हिन्‍दू आतंकवाद को लेकर वह सारे के सारे बरी हो गये हैं और हिन्‍दू आतंकवाद जैसी थ्‍योरी ध्‍वस्‍त हो गई है. ... (व्‍यवधान)...इस देश में हिन्‍दू आतंकवाद जैसी कोई धारणा न थी, न है और न रहेगी. इस फैसले ने यह साबित कर दिया है.

... (व्‍यवधान)...

          श्री उमंग सिंघार--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर अराजकता है, पुलिस का कंट्रोल नहीं ... (व्‍यवधान)... बेलगाम हो चुका है ... (व्‍यवधान)... मुख्‍यमंत्री संभाल नहीं पा रहे ... (व्‍यवधान)...जनता की आवाज दबाई जा रही है ... (व्‍यवधान)... पुलिस के अंदर भ्रष्‍टाचार हो रहा है.

 

12.59 बजे                                    बहिर्गमन

इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर अराजकता है, पुलिस का कंट्रोल नहीं है, पुलिस के अंदर भ्रष्‍टाचार है, जनता की आवाज दबाई जा रही है. हम बहिर्गमन करते हैं.

          (श्री उमंग सिंघार, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्‍व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगणों द्वारा शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)

श्री ब्रजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक तो माननीय मंत्री जी का जो जवाब है, उसमें मैं देख रहा था, तो उसमें उन्‍होंने पहले कहा है कि राजस्‍व नक्‍शों एवं वन नक्‍शों में सीमाएं अंकित कर दी गई है, दूसरा बात उन्‍होंने उसी में यह लिखी है कि वन व्‍यवस्‍थापन अधिकारी द्वारा इसके निराकरण संबंधित कार्यवाही की जा रही है, फिर तीसरी बात जवाब में यह आई है कि धारा 5 से 19 की कार्यवाही प्रचलन में है, उसके बाद यह भी बताया है कि  मुख्‍य सचिव कार्यालय से 24 जुलाई 2004 को जिसको कि 25 साल हो गये हैं, 25 साल में जिसमें कि उनके पत्र में यह लिखा गया था कि छ: महीने के अंदर इसका निराकरण किया जाये, लेकिन छ: महीने तो क्‍या 25 साल होने के बावजूद भी आज भी उसका निराकरण नहीं हुआ है, उसमें पी.एस.रेवेन्‍यू, पी.एस. फॉरेस्‍ट को उसकी निगरानी के लिये भी उस पत्र में लिखा गया था और उसमें यह बोला गया था कि दो महीने के अंदर समीक्षा करें और यदि उसमें जो भी दोषी हों, उनके विरूद्ध कार्यवाही करें, उस पत्र का भी हवाला दिया गया है, इसमें यह भी लिखा गया है कि कार्य अत्‍यंत जटिल और विस्‍तृत रूप से होने से समय लगता है. अब मेरा यह कहना है कि इधर आप कह रहो कि नक्‍शे में हमने हरी लाईन भी डाल दी है,चिह्नित भी कर दिया है, इधर यह भी कह रहो कि वह प्रचलन में धारा 5 से लेकर 19 तक की कार्यवाही प्रचलन में चल रही है, आपका सी.एस. का लेटर भी आप बता रहे हो,  मेरा आपसे आग्रह यह है कि आज वहां पर क्‍योंकि हमारे माननीयम मुख्‍यमंत्री जी नहीं हैं, जब वह उच्‍च शिक्षा मंत्री थे, तो उन्‍होंने हमें एक गर्ल्‍स कॉलेज दिया था, अब गर्ल्‍स कॉलेज को जो जमीन आवंटित हुई, उसको भी वन विभाग ने जब बाउंड्री बनी तो, उसको गिरा दिया, जब उसका संयुक्‍त सीमांकन किया गया तो वह 112 एक एकड़ जमीन राजस्‍व की निकली, दूसरा वहां पर एक मेडीकल कॉलज जो हमारे यहां पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने स्‍वीकृत किया, उसके लिये जो जमीन कलेक्‍टर ने आवंटित की, उस जमीन को भी उसमें आपत्ति लगा दी की यहां पर मेडीकल कॉलेज नहीं बन सकता है क्‍योंकि यह फॉरेस्‍ट की जमीन है और जब उसका संयुक्‍त सीमांकन हुआ तो 111 एकड़ जमीन राजस्‍व की निकली, आपके यहां पर जो एनएस-39 है जो झांसी से आपके यहां तक इलाहाबाद तक जाती है, आज उसके बमीठा से सतना के बीच की जो फॉरलाइन जो रास्‍ता बनना चाहिए वह रूकी पड़ी है, उसका मूल कारण है कि जो हमारा घाट सेक्‍शन है वहां पर आपके जंगल विभाग की जो आपत्ति है, अभी कलेक्‍टर महोदय ने एक उसकी जो सर्वे रिपोर्ट निकाली है वर्ष 1975 का जो नोटिफिकेशन फॉरेस्‍ट का है, उसमें से 36 एकड़ से ज्‍यादा राजस्‍व की है, जिस पर फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट आपत्ति लगा रहा है और जिस कारण से वह रोड नहीं बन पा रही है, सिर्फ इतना ही नहीं है आपके जो जल जीवन मिशन की जो टंकी है, उसको भी रोक दिया गया है जिस कारण से आज हमारा लॉस्‍ट टेन में हमारा जिला चल रहा है, इसलिए मैं यह कहना चाहता हूं कि यह तो हो गई आपके विकास की बात, जहां तक राजस्‍व को लेकर बात है, तो डेढ़ हजार हमारे ऐसे पट्टेधारी भूमि स्‍वामी है, जिनको आपके राजस्‍व की जमीन से बेदखल करके, उनके ऊपर सीमा डाली जा रही है, उनको बाहर भगाया जा रहा है और इसलिए 415 ऐसे हमारे वन व्‍यवस्‍थापन के पट्टे हैं, जिनको राजस्‍व में आज तक अमल नहीं किया गया है. इसके साथ साथ आज जो ग्राम वन से राजस्‍व ग्राम बने हैं आज उनको भी कोई सुविधाएं, चाहे खाद बीज की हो, किसान सम्‍मान नीति हो, या केसीसी हो वह इसलिए नहीं मिल पा रही क्‍योंकि राजस्‍व रिकार्ड में उसको दुरुस्‍त नहीं किया गया है. मेरा आग्रह है, मंत्री जी बड़े बेबाक्, स्‍पष्‍ट और संवदेनशील है, पन्‍ना का 43 प्रतिशत आपने बोला जंगल है, ये तो जिले का आंकड़ा बताया आपने. यदि मेरी विधान सभा में देखे तो 60 प्रतिशत जंगल है. मेरा कहना है कि आज डेढ़ हजार से ज्‍यादा लोग जो भूमि स्‍वामी वाले हैं उनको बाहर किया जा रहा है और आपके सीएस, आपका एक लेटर 1/05/2024 को, पीएस फारेस्‍ट ने सर्कुलर जारी किया और उसमें यह लिखा है कि जब तक फॉरेस्‍ट सेटलमेंट नहीं हो जाता है, तब तक किसी भी भूमि स्‍वामी को बेदखल नहीं किया जाएगा. ये आपका 1/05/2024 का पत्र है, जो पीएस फारेस्‍ट ने सभी डीएफओ को भेजा है, उसके बावजूद भी हालत यह है कि कलेक्‍टर आफिस हो या मेरा आफिस हो, सैकड़ों- हजारों की संख्‍या में लोग आ रहे हैं, कयोंकि डेढ़ हजार से ज्‍यादा लोगों वहां से बेदखल हो रहे हैं. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जब आप इसमें खुद एक्‍सेप्‍ट कर रहे हो कि यह अत्‍यंत जटिल और विस्‍तृत है, धारा-4 से लेकर 19 की कार्यवाही प्रचलन में है, हमारे मुख्‍यमंत्री जी के कार्यालय से भी एक पत्र गया था, उसमें भी लिखा था कि 15 दिन के अंदर इसका निराकरण करें, उसकी कॉपी भी मेरे पास है. मैं तो सिर्फ इतना पूछ रहा हूं कि क्‍या अलग से कोई वन व्‍यवस्‍थापन अधिकारी पन्‍ना में नियुक्‍त करके, ये जो वन और राजस्‍व की सीमाओं का विवाद है, इसको एक समय सीमा में निराकृत करेंगे और कब तक वन व्‍यवस्‍थापन अधिकारी को नियुक्‍त कर देंगे. साथ ही यह भी कहना चाहता हूं कि जब तक ये सेटलमेंट नहीं हो जाता है, तब तक क्‍या वहां पर जो बेदखली की कार्यवाही जंगल विभाग के द्वारा की जा रही है, उसको रोका जाएगा जो कि 1/05/2024 को पीएस, फॉरेस्‍ट ने लेटर भेजा इस पर पर मैं माननीय मंत्री जी का जवाब चाह रहा हूं.

श्री करण सिंह वर्मा अध्‍यक्ष जी, विधायक जी ने बड़ी चिन्‍ता की है, थोड़ी दिक्‍कत तो आ रही है. लेकिन मैंने अपने प्रश्‍न के उत्‍तर में बताया कि हमारे राजस्‍व विभाग के एसडीओ और वन अधिकारी जहां भी ऐसी दिक्‍कत आती है, वहां का सर्वे करते हैं और उसका निराकरण करते हैं. वहां दूसरे अधिकारी की हमें जरूरत नहीं है, जहां भी ऐसे गांव हैं, मैं आपको सदन में कह रहा हूं. माननीय मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार है, एक भी आदिवासी को वहां से हटाया नहीं जाएगा, इनका सर्वे करेंगे, हम सक्षम अधिकारी है, कलेक्‍टर भी वहां पर बहुत प्रयास कर रहे हैं, मेहनत कर रहे हैं और एक भी व्‍यक्ति जिसके पास फारेस्‍ट के पट्टे हैं, उनको नहीं हटाएंगे और इसका सर्वे करवाएंगे.

अध्‍यक्ष महोदय माननीय सदस्‍य दूसरा कोई पूरक प्रश्‍न है.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह अध्‍यक्ष जी, मैं बार बार कह रहा हूं 25 साल हो गए हैं, मुख्‍य सचिव के यहां से जो सर्कुलर जारी हुआ, जिसमें 6 महीने के अंदर सीमांकन होना था 01/05/2024 का प्रमुख सचिव फॉरेस्‍ट का लेटर गया है, जिसमें कि किसी को बेदखल न किया जाए, तब तक कि फॉरेस्‍ट सेटलमेंट नहीं हो जाता है, उसके बाद भी डेढ़ हजार रेवेन्‍यु के, वन व्‍यवस्‍थापन तो छोडि़ए, अभी भी 415 पड़े हैं वह अभी भी राजस्‍व रिकार्ड में अमल नहीं हुए हैं. आपके खुद के जो 1950 के पट्टे मिले हैं, जिनको पट्टे मिले हैं, उनको बेदखल किया जा रहा है, उसमें ग्रीन लाइन डाली जा रही है .मेरा आग्रह है कि मंत्री जी, फारेस्‍ट वालों ने जो भी आपको जवाब दिया हो, मेरा आज वहां का ज्‍वलंत और संगीन मुद्दा है, या तो मैं उसकी समस्‍या के साथ खड़ा हूं या उसका समाधान ढूंढू. मैं आज समाधान के लिए आया हूं अध्‍यक्ष जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि एक संवेदनशील मुद्दा को आपने सदन में रखने का मौका दिया. मैं हृदय से आभारी हूं. मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि एक वन व्‍यवस्‍थापन अधिकारी, क्‍योंकि वहां पर जो आपके डिप्‍टी कलेक्‍टर है, सात होने चाहिए 5 ही है वह एसडीएम अपना काम करेगा कि वन व्‍यवस्‍थापन का कार्य करेगा, आप अलग से, सीएम साहब जब भी वहां पर जाते हैं, चाहे तत्‍कालीन हो, चाहे वर्तमान हो, आज सबसे पहली मांग वहां पर यह होती है कि वन व्यवस्थापन्न और सीमा का विवाद के लिये कोई अधिकारी को नियुक्त करें. मैं आज यह घोषणा चाहता हूं कि वन व्यवस्थापन्न अधिकारी को वहां पर आप नियुक्त करेंगे जिससे समय सीमा में वन एवं राजस्व का विवाद खत्म हो जाये, जिसके कारण हमारे निर्णाय कार्य रूक रहे हैं, जिसके कारण वह आपत्ति लगा रहे हैं, वह हमारी जमीनें हैं हम बता रहे हैं कि मेडिकल कॉलेज को रोक दिया उसके बाद 112 एकड़ जमीन मिली. सीएम साहब हमारे उच्च शिक्षा मंत्री थे तो उन्होंने कॉलेज बिल्डिंग दी उसकी बाउंड्री गिरा दी उसके बाद जब उसको नापा गया तो 111 एकड़ जमीन निकली हमारी तो इसमें आपको सीमांकन कराने में क्या दिक्कत है ?

          श्री करण सिंह वर्माअध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी ने बताया कि अभी हमारे एसडीओ एवं वन के अधिकारियों ने सर्वे किया तो 1 सौ कुछ एकड़ जमीन बता रहे थे. वह राजस्व विभाग में निकली है. ऐसे ही मैंने आपके समक्ष बोला है कि कोई भी राजस्व विभाग का पट्टा जिसको दिया गया, वह बेदखल नहीं होगा, उसका पट्टा निरस्त नहीं होगा. जहां माननीय सदस्य जी ने कहा है कि कोई दिक्कत अगर रोड़ बनाने में हो तो हमारे अनुविभागीय अधिकारी को आवेदन दें. डीएफओ को ढाई एकड़ तक का रास्ता देने का अधिकार है. जहां डॉ.मोहन जी की सरकार में 929 में वन ग्रामों में से 827 वन ग्रामों को राजस्व विभाग में परिवर्तन कर रहे हैं. उनका पूरा डिटेल में कर रहे हैं. सरकार को इसकी चिन्ता है, आदिवासियों की चिन्ता है. जहां पर भी ऐसे मामले हैं जहां पर वन विभाग के पट्टे दिये गये हैं उनको राजस्व विभाग में परिवर्तन कर रहे हैं, तो ऐसे क्षेत्रों में विकास कार्यों को कभी रोका नहीं जायेगा, यह मैं आश्वस्त करता हूं कि कोई भी आदिवासी का वहां से उनको हटाया नहीं जायेगा, यह सदन में घोषणा करता हूं.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी बहुत ईमानदार हैं, बहुत कड़क भी हैं. ईमानदारी से इनके यहां पर काम भी चल रहा है. माननीय सदस्य जी की समस्या का निराकरण आज का नहीं है, वह सिर्फ एक बात चाहते हैं कि एक अधिकारी को नियुक्त कर दें और समय सीमा में काम हो जाये. मेरे ख्याल से एक अधिकारी को नियुक्त करने में क्या तकलीफ है ? एक अधिकारी को नियुक्त करना चाहिये और उनकी समस्या का निराकरण करना चाहिये तथा उसकी समय सीमा निर्धारित करना चाहिये. मतलब जो वहां पर बसे हुए लोग हैं उनको सरकार की योजनाओॆं का लाभ नहीं मिल रहा है. यह ठीक है कि हमारी लोक कल्याणकारी सरकार है. इसकी आप समय सीमा निर्धारित करिये और हो सकता हो तो एक अधिकारी को सुनिश्चित भी करिये.

          श्री मोहन सिंह राठौरभितरवार विधान सभा क्षेत्र के अंदर जहां करीबन 900 रेवेन्यू के पट्टे जिनको कि फारेस्ट बेदखल कर रहा है.

          श्री करण सिंह वर्माअध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय मंत्री जी ने कहा है. वैसे तो हमारा अनुविभागीय अधिकारी सक्षम अधिकारी है. यहां पर कोई कमी नहीं जैसा कि मैंने सदन में बोला है.

          अध्यक्ष महोदयराजस्व के अंतर्गत तो सभी समाहित हैं आपकी क्षमता पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है.

          श्री करण सिंह वर्माअध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्यमंत्री जी के आदेश का पालन करूंगा. अनुविभागीय अधिकारी पूर्व से ही इस कार्य को कर रहे हैं और वह नियुक्त हैं वही अभी तक इस कार्य को देखते आ रहे हैं उस पर विचार करेंगे, देखेंगे.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंहअध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने इतनी बढ़िया बात कही है मैं भी वही चाह रहा हूं. वर्षों तक तथा लंबे समय तक एक अधिकारी को जब तक आप नियुक्त नहीं करेंगे तो आपके सीएस का आर्डर 25 साल से पड़ा हुआ है. किसानों को आज सम्मान निधि नहीं मिल रही है. वन से राजस्व हो गये आपने रिकार्ड में अमल नहीं किया, उनको खाद बीज नहीं मिल रहा है. 415 पट्टे आज भी अमल नहीं हुए हैं. माननीय मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं कि एक अधिकारी नियुक्त करके कम से कम सीमांकन सेपरेट तरीके से कराया जाये, उसको कई वर्ष बीत गये हैं. संसदीय कार्य मंत्री जी ने बहुत ही अच्छी बात कही है. हम उसकी नियुक्ति के लिये ध्यानाकर्षण लेकर के आये हैं कि हमारा यह विवाद खत्म हो.

          अध्यक्ष महोदयमंत्री जी मेरा सिर्फ इतना ही आग्रह है कि यह जनहित का विषय है. इसलिये आप पीएस को एक बार निर्देशित करिये के इस विषय की विस्तृत समीक्षा कर लें. विधायक

            श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह  -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं धन्‍यवाद दे रहा हॅूं. मै सिर्फ इतना कह रहा हॅूं कि हमारे जो राजस्‍व के, जो वन व्‍यवस्‍थापन के पट्टे हैं क्‍या वह राजस्‍व में अमल कर लेंगे ? जो अमल के लिए बचे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह विषय खतम हो गया है. माननीय प्रदीप लारिया जी. मैंने प्रदीप लारिया जी को आमंत्रित किया है.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- वह अमल तो आप कर ही लेंगे. आप बोल दीजिए न.

          मंत्री राजस्‍व (श्री करण सिंह वर्मा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जितने राजस्‍व के पट्टे दिये हैं मैंने पूर्व में भी कहा और अब भी कह रहा हॅूं कि उनको सारे पट्टे अमल में किये जायेंगे.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राजस्‍व के नहीं, वन व्‍यवस्‍थापन के पट्टे जो राजस्‍व हो गए हैं, उनको अमल करना है. राजस्‍व के तो राजस्‍व में ही हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय प्रदीप लारिया जी.

 

1.16 बजे                       प्रतिवेदन की प्रस्‍तुति एवं स्‍वीकृति

    गैर-सरकारी सदस्‍यों के विधेयकों तथा संकल्‍पों संबंधी समिति के पंचम प्रतिवेदन                                 की प्रस्‍तुति एवं स्‍वीकृति

 

1.17 बजे                              याचिकाओं की प्रस्‍तुति

 

          आज की कार्यसूची के पद क्रमांक-5 में उल्‍लिखित क्रमांक 1 से 68 तक की याचिकाएं प्रस्‍तुत की हुईं मानी जायेंगी.

 

 

1.18 बजे                              शासकीय विधि विषयक कार्य

 

(1)            मध्‍यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 8 सन्                               2025) का पुर:स्‍थापन

 

 

(2)            मध्‍यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक, 2025                          (क्रमांक 5 सन् 2025)

 

 

 

          श्रम मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भारत सरकार ने लगातार मजदूरों के जितने भी नियम और विधान थे, उनको ध्‍यान में रखकर हम हमेशा से इस बात के समर्थक रहे हैं कि मजदूरों का हित हो, लेकिन देश का हित हो और उसमें सबसे अहम हमारी हमेशा से चाहे भारतीय मजदूर संघ के तौर पर विचारधारा के हमारे लोग काम करते हों, हम सरकार में हों, हम सार्वजनिक जीवन में हों, हम जनप्रतिनिधि हों या हम उद्योगपति हों, हम हमेशा ही यह मानते हैं कि हमें टकराव से बचना चाहिए और यह नीति आज हमारी आज की नई नहीं है हम परम्‍परा से इस सिद्धांत को लेकर चलने वाले लोग हैं. भारत सरकार ने सारे श्रम कानूनों के जितने आजादी के पहले बने हुए कानून थे, आजादी के बाद बने हुए कानून थे, उन सबको 4 वॉल्‍यूम में करके उसको जितना कमतर कर सकते थे उतना कम करने की कोशिश की है, तो भारत सरकार ने जब इन कानूनों को संशोधन किया था, तब आप और मैं संसद में लोकसभा के सदस्‍य भी थे. उसी समय मध्‍यप्रदेश सरकार ने एक अध्‍यादेश जारी किया होगा, जो विधानसभा के भीतर नहीं आ पाया. जब भारत सरकार के श्रम मंत्री की अगुवाई में जब राज्‍यों की जो बैठक हुई, उसमें मैं गया तो मैं यह मानकर चल रहा था कि ये रिपील हो गए हैं लेकिन अध्‍यादेश निकला था लेकिन हम विधानसभा के सामने नहीं लाए थे, उस कारण से यह तीनों संशोधन, जो विधेयक के संशोधन हैं वह इस विधानसभा के सामने लाए हैं. ठेका श्रम अधिनियम 1970 अभी तक जो हमारा स्‍थापित नियम था, उसमें अगर कोई 20 ठेका श्रमिक हैं तो उस उद्योगपति को बाकायदा उसकी परमीशन लेनी पड़ती थी. भारत सरकार ने भी और हमने उसका अनुमोदन के तौर पर करके अब 50 की संख्या में ही इसके रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ेगी, अगर  कोई उससे कम रहता है तो बाकी सब नियम तो उस पर लागू होंगे, वेतन है, पीएफ, एएसआई है, जितने प्रकार के मजदूरों के हित के कानून है वह उस पर लागू होंगे, लेकिन रजिस्ट्रेशन के लिए उसको 50 तक की छूट दी गई है. दूसरा, जो हमारा कानून है, कारखाना अधिनियम, 1948  इसमें 2 प्रकार के उद्योग प्रदेश में भी हैं और देश के भीतर भी हैं. जो बिजली से चलने वाले उद्योग हैं, उसमें था कि 10 मजदूरों की अगर उपस्थिति है तो उस पर रजिस्ट्रेशन कराना ही पड़ेगा. इस संख्या को बढ़ाकर 20 किया गया है क्योंकि देश के भीतर जिस प्रकार से उत्पादन की इकाइयां बढ़ी हैं, जिस प्रकार से तकनीक बढ़ी है. लेकिन यहां पर चूंकि खतरे हैं, इसलिए बहुत सारे नियम इस पर भी लागू होंगे, लेकिन संख्या को 10 की बजाय 20 कर दिया गया है और जहां पर ऊर्जा का उपयोग नहीं है, वहां पर अभी तक 20 में हम परमीशन देते थे, उसकी संख्या बढ़ाकर 40 की गई है और बाकी जितने भी प्रकार के मजदूरों के हित हैं, चाहे उसमें उनका वेतन हो, ओवर टाईम हो, बोनस हो, ग्रेच्युटी हो, अवकाश हो, सेवा शर्तें हों, जो श्रम कानूनों के नियम हैं वह उन पर भी लागू होंगे, जिन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है.

          तीसरा है, औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 इसमें जो हमारी लोकोपयोगी सेवाएं थीं, उनमें पहले से ही यह कानून थे. यदि कोई व्यक्ति चाहे वह मजदूर संगठन का हो या उद्योगपति हो. सामान्यतः लोग अपना कारखाना बंद कर देते हैं, उसके बाद कहते हैं कि लिटिगेशन में चले जायं, लेकिन यह कानून अब उद्योगपति पर भी है कि उसको 6 महीने पहले  यह सूचना देनी होगी, वह उद्योग बंद कर रहा है या नहीं, लेकिन साथ में यह मजदूरों पर भी एप्लाई होगा और या तो 6 महीने के भीतर या 14 दिन के पहले दोनों लोग कार्यवाही नहीं कर सकते हैं तो जो पहले से हमारा लोकोपयोगी सेवा अधिनियम था, उसमें यह संशोधन बाकी सब पर भी लागू होगा ताकि हड़ताल और बाकी चीजों से बचा जा सके और कोई भी उद्योगपति ऐसी मनमर्जी न कर सके कि उसने शटर बंद कर दिया और उसके बाद में बाकी लोगों का नुकसान हो गया. इस पर बड़ी लम्बी बहस देश के भीतर हुई है. राज्यों को खाली उसका अनुमोदन करना है. इस नाते ही हम विधान सभा के भीतर इसे लेकर आए हैं. इसमें लोकोपयोगी सेवा के जितने भी हमारे उद्योग हैं, इसमें खतरनाक किस्म की जितनी भी इकाइयां होंगी, अगर वह 20 की संख्या में भी हैं तब भी सरकार को उस पर कार्यवाही करने का अधिकार होगा. साथ में किसी भी उद्योग को जब भी चाहे सरकार, लोकोपयोगी सेवा घोषित कर सकती है. यह पहले से ही हमारे श्रम कानूनों में था, वह यथावत् है और इसलिए मैं फिर से कहूंगा कि जितने भी मजदूरों के वेतन, भत्ते, ग्रेच्युटी उनके स्वास्थ्य अवकाश, इस प्रकार की जो सुविधाएं हैं, उसके किसी भी कानून में कोई छेड़खानी नहीं है. वह उसको यथावत् मिलेंगे. सिर्फ अवधि की, संख्या की प्रावधान में जो तब्दीली हुई है, उन तीनों संशोधनों को लेकर मैं आपके सामने और सदन के सामने आया हूं. मुझे लगता है कि इसमें जितने प्रकार से हम सोच सकते हैं तो हमें 2-3 बातें ही विचार करनी पडे़गी कि हम मजदूरों का हित देखें. हम उद्योग का जब हित देखते हैं तो राष्ट्र का हित देखें. टकराव कैसे बचेंगे, इसमें अगर कोई बीच में विवाद हुआ और कोई अगर सुनवाई हो रही है, उसके लिए भी पर्याप्त समय रहेगा. 6 सप्ताह बहुत बड़ा समय होता है. 14 दिन के पहले अगर कोई कार्यवाही नहीं करनी है तो मुझे लगता है कि सामंजस्य बैठाने के लिए भी यह पर्याप्त समय होगा. मैं समझता हूं कि सदन मेरी इस बात से सहमत होगा और इसलिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन से आग्रह करूंगा कि इस संशोधन को सहमति दें.

श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यही अनुरोध करना चाहता हूं कि यह जो काला कानून प्रदेश की सरकार द्वारा लाया गया है, जो मजदूरों के हित में नहीं है. माननीय मंत्री जी ने काफी कुछ विस्तार से भले ही बताया है, परन्तु सच्चाई यह है कि मजदूर का बेटा प्रदेश का मुख्यमंत्री है. सबके लिए गौरव का विषय है. हमारे लिये भी है और उनसे यह अपेक्षा रखना कि मजदूरों के साथ में जो अन्याय होने जा रहा है, जो मजदूरों की पीढ़ा, परेशानी मैं जितना अच्छे से समझता हूं कि मेरे क्षेत्र में लगभग 100 कारखाने हैं, उसमें 1 रेमण्ड का भी बहुत बड़ा कारखाना है. इन 100 कारखानों में लगभग 12 से 13 हजार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से कामगार काम करते हैं.

(..जारी..)