मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा षष्टम सत्र
जुलाई-अगस्त, 2025 सत्र
गुरुवार, दिनांक 31 जुलाई, 2025
(9 श्रावण, शक संवत् 1947)
[खण्ड- 6 ] [अंक-4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 31 जुलाई, 2025
(9 श्रावण, शक संवत् 1947)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए }
11.01 बजे विशेष उल्लेख
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर बधाई
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण, आज मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती है. उनका जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के पास लमही गांव में हुआ था. वह हिन्दी साहित्य के महान कथाकार और उपन्यासकार थे, जिन्हें उपन्यास सम्राट के नाम से भी जाना जाता है. मुंशी प्रेमचंद जी को धनपतराय श्रीवास्तव के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने गोदान, गबन, सेवासदन जैसे कई प्रसिद्ध उपन्यास लिखे. उनके कार्यों में आम आदमी की समस्याओं और भावनाओं को दर्शाया गया है. सदन मुंशी प्रेमचंद जी के प्रति आदर प्रकट करता है.
श्री भैरो सिंह बापू, सदस्य को जन्मदिवस की बधाई
आज हमारे सदन के सदस्य श्री भैरो सिंह बापू जी, सुसनेर, आगर मालवा से विधायक हैं उनका जन्मदिन है, सदन उनको भी अपनी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं प्रकट करता है.
11.02 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
कालाखेत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को अतिक्रमण मुक्त कराया जाना
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. क्र. 208 श्री विपीन जैन : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर स्थित कालाखेत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स पर साठीया समुदाय द्वारा कितनी दुकानों पर कब से अतिक्रमण कर रखा है जानकारी देवें। (ख) कालाखेत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स से अतिक्रमण को हटाकर अन्य जगह परिवारों को पट्टा प्रदाय कर विस्थापित करने की कार्यवाही कब तक की जायेगी? इस संबंध में अभी तक क्या-क्या प्रयास किये गए हैं.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) मंदसौर स्थित कालाखेत शॉपिंग कॉम्पलेक्स की दुकानों में नहीं अपितु दुकानों के बाहर साठिया समुदाय के लोगों द्वारा वर्ष 2002 से अतिक्रमण किया गया है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्टि अनुसार है।
श्री विपीन जैन -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 208.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री विपीन जैन -- अध्यक्ष महोदय, मंदसौर में स्थित कालाखेत जो कि मंदसौर का हृदयस्थल कहा जाता है, वर्ष 2002 में वहां पर गृह निर्माण मण्डल द्वारा 145 दुकानों का निर्माण किया गया. उन 145 दुकानों में से 104 दुकान सरकार द्वारा नीलाम की गईं और 104 दुकानों को जिन व्यापारियों ने खरीदा था उन्होंने सरकार को उनका रुपया जमा कर दिया, उसके बावजूद वहां पर एक विशेष समुदाय के लोग झोपडि़यां बनाकर रहते हैं, उनकी दुकानों के सामने झोपडि़यां बना रखी हैं और 20 से 25 दुकानों पर उन्होंने कब्जा कर रखा है. 20-22 वर्षों से यह समस्या जैसी की तैसी आज भी खड़ी है, तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है, मंत्री जी का जवाब आया है कि वहां पर दुकानों के बाहर उन्होंने झोपडि़यां बना रखी हैं लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि बाहर उन्होंने झोपडि़यां तो बना रखी हैं लेकिन 20 से 25 दुकानों पर उन्होंने कब्जा भी कर रखा है. मैंने एक शून्यकाल लगाया था उसमें सरकार का ही यह जवाब आया था कि 25 दुकानों पर उनका कब्जा भी है, तो मेरा आपसे निवेदन है कि वह जो समुदाय वहां रहता है उनको आप अन्य कहीं जगह दे दें, उनको पट्टे दे दें, या प्रधानमंत्री आवास में मकान दे दें और जिन लोगों ने वहां पर दुकान खरीदीं उनकी क्या गलती है.
अध्यक्ष महोदय -- विपीन जी प्रश्न तो करिए.
श्री विपीन जैन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है एक तो दुकानों पर कब्जा है, वह कब्जा मुक्त कराया जाए. दूसरा, जो समुदाय वहां रह रहा है उनको कहीं भी पट्टे देकर मकान दे दिए जाएं ताकि वहां वह दुकानदार अपना व्यापार, व्यवसाय कर सकें. यह स्थिति 22 साल से है. वह मंदसौर का हृदय स्थल है और उसके आस-पास 1,000 दुकानें हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से इसकी वस्तुस्थिति से सदन को अवगत कराना चाहता हूं. यह बात सही है कि कालाखेत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स शिक्षा विभाग की जमीन है. वह शिक्षा विभाग के स्वामित्व की जमीन है. शिक्षा विभाग ने हाउसिंग बोर्ड एजेंसी को बनाने के लिए दिया है. यह बात भी सही है कि वहां पर दुकानों के सामने कुछ अतिक्रमण हुआ है. कुछ दुकानों के अंदर भी हुआ होगा जैसा कि माननीय सदस्य बता रहे हैं मैं इससे असहमति प्रकट नहीं करता. मेरी जानकारी में तो यह था कि दुकान के बाहर है. आप जवाबदार सदस्य हैं इसलिए मैं मान लेता हूं कि दुकान के अंदर भी होगा. यह राजस्थान की अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. मेरी कलेक्टर से रात को बात हुई थी मैंने उनको कहा है कि आप इनको वैकल्पिक स्थान दीजिए. उसमें समस्या यह आ रही है कि इन लोगों के पास रेसीडेंशियल के लिए कुछ प्रमाण नहीं हैं. हमने कहा है कि इसका कुछ भी विकल्प निकालें और इनको प्रधानमंत्री आवास के मकान उपलब्ध कराएं. अध्यक्ष महोदय, इसमें थोड़ा समय लगेगा. अभी बरसात के मौसम में इन पर कार्रवाई करना मुश्किल है. हमारे माननीय लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का निर्देश है कि बरसात के मौसम में किसी भी आवासीय स्थलों का अतिक्रमण नहीं हटाया जाए. हम बरसात के बाद इस पर विचार करेंगे. कलेक्टर महोदय को भी मैंने कहा है और नगर निगम को भी कहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से क्या इनको मकान दिए जा सकते हैं. "प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0" में भी भारत शासन के निर्देश हैं कि इनके पास पट्टे होना चाहिए. उन्हें ही वह मकान मिलेंगे. हम उसका कोई रास्ता निकालेंगे. हम वहां मल्टी स्टोरी बना सकते हैं. किसी भी तरह से हम इस क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त करने का प्रयास करेंगे. हम कोशिश करेंगे को इन लोगों को अच्छा आवास मिल जाए और वहां पर जो अतिक्रमण है वह हट जाए.
श्री विपीन जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि पिछली बार भी जब मैंने प्रश्न लगाया था तो उस समय भी बारिश का समय था तो उस समय भी कहा गया था कि बारिश के बाद हटा देंगे. एक साल हो गया है. मैं पूछना चाहता हूँ कि वे लोग कब तक खुली छत के नीचे रहेंगे वे भी इंसान हैं, उनके बच्चे हैं उनका परिवार है. 22 साल में सरकार उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर पाई है तो अब क्या उम्मीद करें कि बारिश के बाद उनको वैकल्पिक जगह दे दी जाएगी. उनके आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बने हुए हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उत्तर में पहले ही बताया है कि "प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0" में भारत शासन के निर्देश हैं कि जिनके पास पट्टे हैं उन्हें ही यह आवास दिए जाएं. परन्तु हम इसका कोई रास्ता निकालेंगे. हम मल्टी स्टोरी में उनको आवास दे सकते हैं. इस प्रकार के लोग जो भूमिहीन हैं और उनके पास पट्टे नहीं हैं सरकार उनको पट्टे भी नहीं दे सकती है. लेकिन हम कोई न कोई व्यवस्था करेंगे मैंने कलेक्टर को भी कहा है और नगर निगम आयुक्त को भी कहा है. निश्चित रुप से यह अतिक्रमण तो है इससे वहां पर जो दुकान के मालिक हैं वे परेशान हैं. बरसात के बाद हम इस पर कोई कार्यवाही कर पाएंगे पर जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होगी तब तक उनको हटाया नहीं जा सकता है क्योंकि वे बहुत गरीब लोग हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी को एक सुझाव है कि कोई जमीन जो आपको लगता है कि नजूल की है उसको आबादी में घोषित करवा कर वहां पर इनको दे सकते हैं. बारिश के बाद एक समय सीमा में यह किया जा सकता है. इनको 22 साल हो गए हैं. समय सीमा आ जाय तो ठीक है. कलेक्टर से आप जानकारी ले लें कि हम इस जमीन को आबादी में कर सकते हैं तो वहां पर इन लोगों को शिफ्ट कर दें.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी ने कहा तो है कि बरसात के बाद कार्यवाही करेंगे और कलेक्टर को निर्देश भी दिए हैं.
श्री कमलनाथ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक छोटी सी बात कहना चाहता हूँ. केन्द्र सरकार के पास राज्य सरकार की बहुत सारी जमीनें लीज पर हैं यह मैंने कल WCL के संदर्भ में कहा था. पर WCL और कोल इंडिया के अलावा बहुत सारी ऐसी जमीनें केन्द्र सरकार को हमने हवाला की थीं. जिनका सही उपयोग नहीं हो रहा है. इस पर जांच की जाए और जहां पर केन्द्र सरकार इस जमीन का उपयोग नहीं कर रही है या सही उपयोग नहीं कर रही है हमें उनकी लीज कैंसिल कर देनी चाहिए और उनका कब्जा ले लेना चाहिए ताकि यह जमीनें सरकार के पास आ सकें. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ नेता कमलनाथ जी ने बिलकुल सही विषय उठाया है. बीएचईएल की ऐसी जमीनें जो उनके किसी काम नहीं आ रहीं थीं उनमें से कुछ हमने वापस ली हैं और उन पर हम योजना भी बना रहे हैं. ऐसी जितनी भी जमीनें हैं जो केन्द्रीय योजनाओं के अन्तर्गत भारत शासन ने मांगी थीं और वे जमीनें खाली हैं. वहां पर हम प्रयास कर रहे हैं कि इन सब जमीनों को लेकर हमारे उपयोग में आ सकें इसका प्रयास कर रहे हैं. आपने WCL का कहा है उसके लिए भी हम लोग प्रयासरत् हैं.
मेट्रो रेल परियोजना अंतर्गत भोपाल मेट्रो की जानकारी
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( *क्र. 247 ) श्री आरिफ मसूद : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्य प्रदेश मेट्रो रेल परियोजना के अंतर्गत ऑरेंज मेट्रो लाइन (AIIMS से करोंद) का निर्माण कार्य कब प्रारंभ किया गया एवं कार्य पूर्ण करने की नियत तिथि क्या थी? प्रारंभ में कार्य की कुल कीमत क्या थी तथा वर्तमान में कार्य की लागत क्या है? समय-समय पर परिवर्तन प्लान के साथ मय मानचित्र एवं सर्वे की जानकारी सहित दस्तावेज उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या अभी भी भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्स्थापन से जुड़े अनेक मुद्दे लंबित हैं? यदि हाँ, तो अब तक कुल कितनी जमीन का अधिग्रहण किया गया एवं कितनी जमीन का अधिग्रहण शेष है? पुनर्स्थापन के सर्वे सहित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) क्या ब्लू लाइन (भदभदा से रत्नागिरी) का कार्य प्रारंभ किया गया है? यदि हाँ, तो कार्य की कुल लागत क्या है एवं कार्य किन-किन कंपनियों को दिया गया है, उनके साथ हुए अनुबंध, राशि की जानकारी उपलब्ध करावें। (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में ब्लू लाइन (भदभदा से रत्नागिरी) के कार्य के संपूर्ण मानचित्र, भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्स्थापन के सर्वे एवं परियोजना के दौरान किन मार्गों को बंद किया जावेगा? समस्त जानकारी मय दस्तावेजों के साथ उपलब्ध करावें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) मेट्रो रेल परियोजना के अंतर्गत ऑरेंज मेट्रो लाइन का कार्य 2 चरणों में प्रारंभ हुआ, जिसकी विस्तृत जानकारी निम्न है :-
चरण |
प्रारंभ |
पूर्ण होने का अनुमानित समय |
चरण-1 AIIMS से सुभाष नगर |
नवम्बर-2018 |
नवम्बर-2025 |
चरण-2 सुभाष नगर से करोंद |
मार्च-2024 |
जून-2028 |
ऑरेंज लाइन की प्रारंभ में कुल लागत रू. 4406.57 करोड़ थी। वर्तमान में परियोजना के लागत राशि में वृद्धि का मूल्यांकन कार्य किया जा रहा है। परियोजना का मानचित्र, राजपत्र अधिसूचना का. आ.3587 (अ) दिनांक 22.08.2024 के आधार पर संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) भोपाल मेट्रो रेल परियोजना के लिए कुल 3.2 हेक्टेयर निजी भूमि के अधिग्रहण हेतु प्रस्ताव, जिला प्रशासन को भेजा गया है, जिसकी कार्यवाही प्रचलित है। (ग) ब्लू लाइन (भदाभदा से रत्नागिरी) का कार्य प्रगति पर है, जिसके सिविल पैकेज का अनुबंध M/S AFCONS को प्रदान किया गया है एवं अनुबंध राशि रू. 1006.74 करोड़ है। (घ) परियोजना का मानचित्र, राजपत्र अधिसूचना का.आ. 3587 (अ) दिनांक 22.08.2024 के आधार पर संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। भूमि अधिग्रहण संबंधित जानकारी उत्तरांश (ख) अनुसार है। वर्तमान में ब्लू लाइन पर भू एवं मिट्टी परीक्षण का कार्य चल रहा है। वास्तविक निर्माण कार्य प्रारंभ होने से पूर्व, विभिन्न चरणों में यातायात परिवर्तन की योजना यातायात पुलिस के समन्वय से तैयार की जायेगी। इसके उपरांत, यातायात विभाग से अनुमोदन प्राप्त कर एवं परिवर्तित मार्ग में आवश्यक सुधार करते हुए मार्ग परिवर्तन लागू किया जायेगा। समय-समय पर इस संबंध में जानकारी विभिन्न संवाद माध्यमों से आम जनता को चरणबद्ध तरीके से प्रदान की जायेगी।
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 247 है.
श्री कैलाश विजयर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री आरिफ मसूद--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न मैंने किया था उसका उत्तर आया ही नहीं है और जो उत्तर आया है वह बहुत ही घुमा फिराकर दिया गया है. यह उत्तर सही नहीं है, जो चीजें मैंने मांगी थी वह इसमें नहीं हैं. माननीय मंत्री जी बहुत वरिष्ठ मंत्री हैं और गंभीर भी हैं. यह मेट्रो प्रोजेक्ट का मुद्दा है और सदन भी इस बात को समझता है कि भोपाल में जिस तरह का मेट्रो का काम चल रहा है उससे कितने लोग परेशान हैं. मैंने जो दो, तीन चीजें मांगी थीं वह मुझे नहीं मिली हैं. यह बताया जाए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर थोड़ा सा लंबा होगा. मैं आपकी अनुमति से यह बताना चाहूंगा कि यह जो मेट्रो योजना की कल्पना हमने वर्ष 2013 में की थी उस समय हमारी सरकार आने के बाद हमने तत्काल मेट्रो का प्लान किया उसके टेंडर निकाले. डीआरपी के लिए हमने एजेंसी को बुलाया, डीआरपी बनी और उसमें डीपीआर बनी और डीपीआर बनने के बाद उसमें हमने देखा कि दो विकल्प हैं. एक लाईट मेट्रो है और एक हेवी मेट्रो है. लाइट मेट्रो पर जाएं कि हेवी मेट्रो पर जाएं इस पर हमने निर्णय लिया. उसके बाद हम भारत शासन के पास गये. भारत शासन ने कहा कि हम इतना बड़ा लोन नहीं दे सकते हैं. हम एशियन डेवलपमेंट बैंक के पास गये उन्होंने कहा कि हम दे सकते हैं, लेकिन इसके ऊपर आप डिटेल प्लॉन बनाकर लाइये. इसी बीच में वर्ष 2014 में माननीय मोदी जी की सरकार आ गई और मोदी जी की सरकार ने इसमें बड़ा इंटरेस्ट लिया. जब हम उस मंत्रालय में गये तो वहां के सेक्रेट्री ने कहा कि आप अलग से एक कंपनी बनाइये.
अध्यक्ष महोदय, हमने सरकार के माध्यम से शुरुआत की थी और सरकार ने पहले टेंडर बुलाया और अब पूरी की पूरी एक कंपनी बन गई है. कंपनी बनने के बाद हमने वर्ष 2014-2015 में एक कंपनी बनाई और वर्ष 2018 में हमें स्वीकृति मिली और वर्ष 2018 के बाद कभी भी किसी शहर के अंदर कोई भी प्लान बनता है तो उसका बजट निर्धारित नहीं हो सकता है, अनुमानित बजट हो सकता है. मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा कि हम इंदौर में ब्रिज बना रहे हैं. वह ब्रिज 18 करोड़ रुपए की लागत का था और जहां ब्रिज बना रहे हैं वहां पर वॉटर लाइन थी, वहां बिजली की अंडरग्राउंड लाइन थी. वह भी हमारे ब्रिज के ऊपर लोड हो गई. वह बजट 18 करोड़ रुपए से बढ़कर 24 करोड़ रुपए का हो गया क्योंकि पानी की बड़ी लाइन थी उसको शिफ्ट करना पड़ा. ग्रीन फील्ड पर हम जो अनुमान लगाते हैं बजट उसके आसपास ही जाता है परंतु विकसित शहर कि अंदर जब कुछ भी काम करते हैं तो बजट अनुमान कभी भी सही नहीं हो सकता है. इसलिए आपको लगता है कि आपने जो प्रश्न पूछा था उसका जवाब ठीक नहीं दिया गया, लेकिन जब हम वास्तव में काम करने जाते हैं तो बाद में पता लगता है कि इसमें यह अतिरिक्त खर्च और आ गया है तो इसलिए सप्लीमेंट्री डीपीआर फिर बनाई. इसका समय बढ़ता जा रहा है. दो साल कोविड़ के भी खराब हो गये इसलिए समय बढ़ता जा रहा है और इसके बजट का साइज़ भी बढ़ता जा रहा है, परंतु इस बात के लिए हमें गर्व करना चाहिए कि भोपाल राजधानी है और हमारे प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी के सहयोग से मेट्रो आ रही है. इंदौर में प्रथम चरण आ गया है. भोपाल में भी प्रथम चरण आने वाला है और द्वितीय चरण के लिए भी काम चल रहा है. आप बजट पर मत जाईये लेकिन यह बात सही है कि भोपाल और इंदौर के नागरिकों को सुविधा देंगे और उसके साथ जबलपुर और ग्वालियर का सर्वे चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आरिफ जी एक पूरक प्रश्न और कर लें.
श्री आरिफ मसूद-- माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने मंत्री जी से बजट की बात ही नहीं की. आपने कहा कि वर्ष 2013 में बना. आपने अपनी गंभीरता से बहुत ही घुमाफिराकर जवाब देना चाहा. आप गंभीर हैं. वरिष्ठ हैं. मैंने कहा कि आप हमें लीज डेट दीजिए, तो इन्होंने लीज़ डेट नहीं दी. लीज़ डेट वर्ष 2024 की दी. वर्ष 2018 में काम चालू हुआ और उत्तर में यह वर्ष 2024 की लीज़ डेट दे रहे हैं. मेरी जानकारी में लगभग 4 वर्ष मेट्रो प्रोजेक्ट के होते हैं. वर्ष 2018 का यह खुद कह रहे हैं कि वर्ष 2024 तक हम पहला फेज़ पूरा करेंगे. अभी दो स्टेशन ही पूरे किये हैं और पूरा शहर खोद डाला है. मेट्रो में कभी जनप्रतिनिधियों को बुलाया ही नहीं जाता है. मैं प्रभारी मंत्री महोदय को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंनें एक बार बुला लिया था. हमने तब भी कहा था कि आप पहले एक चीज पूरी करो तब दूसरी जगह ब्लू लाईन पूरी करना. पूरा शहर खोदा जा रहा है. विस्थापितों की सूची उत्तर में दिया है कि जितने विस्थापित हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आरिफ जी आप क्या पूछना चाहते हैं.
श्री आरिफ मसूद- अध्यक्ष जी, मैं, तीन चीजें जानना चाहता हूं. विस्थापन की सूची इसमें नहीं है, मंत्री जी सही बात कह रहे हैं कि बजट आगे-पीछे हो सकता है, लेकिन आपने विस्थापन की सूची सार्वजनिक नहीं की, कितने विस्थापन होंगे वह बताना चाहिए, कितने साल में करेंगे यह भी बताना चाहिए. इसके अलावा इसे क्यों चालू किया जा रहा है, Soil Testing (मिट्टी परीक्षण) के नाम पर पूरे शहर को खोदा गया है, पूरा शहर बर्बाद हो रहा है. पहले एक कार्य पूर्ण किया जाये, तब दूसरा शुरू किया जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, यह तकनीकी कार्य है, विधायक जी का सुझाव सर आंखों पर, लेकिन यह तकनीकी कार्य है, जब हम कोई बड़ी योजना बनाते हैं तो उसका बड़ा प्लान होता है, ऐसा नहीं किया जा सकता कि उसे टुकड़ों-टुकड़ों में किया जाये, हमें उसका पूरा प्लान बनाना पड़ता है. इसलिए पहला स्टेशन बनाकर, फिर दूसरे स्टेशन पर जायें, फिर तीसरे स्टेशन को बनायें, ऐसा कभी नहीं होता है. पूरा प्लान, पूरी लाईनिंग, पूरा कंस्ट्रक्शन का काम सभी की प्लानिंग एक साथ की जाती है, जब इतना बड़ा प्रोजेक्ट आता है. यह संभव नहीं है जैसा विधायक जी ने कह दिया कि आप टुकड़ों-टुकड़ों में बनायें, यह व्यावहारिक रूप से भी संभव नहीं है.
श्री आरिफ मसूद- अध्यक्ष महोदय, मैंने यह नहीं कहा कि टुकड़ों में बनायें, मैंने कहा कि ऑरेंज लाईन पूर्ण होने के पश्चात् ही ब्लू लाईन का काम प्रारंभ किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- आरिफ भाई, आपकी बात को कमलनाथ जी पूर्ण करेंगे.
श्री कमल नाथ- अध्यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उनकी इतनी दिलचस्पी मेट्रो प्रोजेक्ट में है, परंतु आज इस सदन में इतिहास और रिकॉर्ड पेश करना चाहता हूं, जब मैं केंद्र में मंत्री था और मैं विभिन्न राज्यों में जाता था, जहां मेट्रो का उद्घाटन होता था तो मुझे शर्म आती थी कि मध्यप्रदेश में मेट्रो नहीं है. उस समय बाबूलाल गौर जी मंत्री थे, मैंने उनको दिल्ली बुलाया, मैंने कहा आप मेट्रो की योजना क्यों नहीं बनाते ? उन्होंने कहा मैं चैक करता हूं, वे दो सप्ताह बाद मेरे पास आये और कहा कि DPR बनाने में रुपये 15 करोड़ लगेंगे, मैंने कहा मैं आपको देता हूं आप आवेदन भेजिये, मैं आपको ये 15 करोड़ देता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
इस प्रकार मेट्रो प्रोजेक्ट की पहली किश्त, पहली राशि, DPR की मैंने दी थी और उससे मेट्रो की DPR बनी. सौभाग्य से जब मैं प्रदेश का मुख्यमंत्री बना तो वह DPR पूर्ण थी और आज भी मुझे इस इतिहास पर गर्व है कि इस मेट्रो प्रोजेक्ट का शिलान्यास मैंने किया था. (मेजों की थपथपाहट)
नाले के घटिया निर्माण की शिकायत
[नगरीय विकास एवं आवास]
3. ( *क्र. 358 ) श्री रमेश प्रसाद खटीक : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर परिषद नरवर जिला शिवपुरी में वर्ष 2024-25 में लोड़ी माता मंदिर से धुवाई दरवाजे से होते हुए तालाब तक नाले के निर्माण कार्य कितनी राशि का स्वीकृत हुआ था? उक्त कार्य की निर्माण एजेंसी कौन है? (ख) क्या उपरोक्त नाला निर्माण में स्टीमेट के मुताबिक कार्य न कराकर गुणवत्ताहीन कार्य कराने की शिकायत स्थानीय निवासियों द्वारा क्षेत्रीय विधायक को की गयी? उक्त शिकायत के आधार पर प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 639, दिनांक 25.03.2025 को मान. मंत्री जी को उक्त कार्य की जांच हेतु पत्र दिया था? (ग) उपरोक्त निर्माण कार्य की शिकायत पत्र पर क्या विभाग द्वारा उक्त घटिया निर्माण कार्य की जांच कराकर दोषी अधिकारी/कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही की है? उक्त गुणवत्ताहीन कार्य की जांच कब तक कराई जावेगी तथा की गई कार्यवाही से कब तक अवगत कराया जावेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) नगर परिषद नरवर को एस.डी.एम.एफ. योजनान्तर्गत लोड़ी माता मंदिर से धुवाई दरवाजे से होते हुए तालाब तक नाला निर्माण कार्य रू. 214.00 लाख का स्वीकृत हुआ था। कार्य का निर्माण एजेन्सी मेसर्स फिरोज खान, नरवर है। (ख) माननीय विधायक जी द्वारा पत्र क्र. 640, दिनांक 25.03.2025 से आयुक्त को पत्र लिखा गया है। (ग) संचालनालय के पत्र क्र. 6069, दिनांक 02.06.2025 से संभागीय अधीक्षण यंत्री, ग्वालियर-चंबल संभाग को शिकायत पत्र में उल्लेखित बिंदुओं की जांच की जाकर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया, जिसके अनुक्रम में संभागीय अधीक्षण यंत्री, नगरीय प्रशासन एवं विकास, ग्वालियर-चंबल संभाग द्वारा शिकायत पत्र में उल्लेखित बिंदुओं की जांच की जाकर, जांच प्रतिवेदन पत्र क्र. 998, दिनांक 26.06.2025 से प्रस्तुत किया है। जांच प्रतिवेदन में गुणवत्ताविहीन कार्य का उल्लेख नहीं है। संचालनालय के पत्र क्र. 7268, दिनांक 02.07.2025 से जांच प्रतिवेदन के संबंध में माननीय विधायक को अवगत कराया गया है।
श्री रमेश प्रसाद खटीक- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 358 है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- महोदय, उत्तर सदन के पटल पर प्रस्तुत है.
श्री रमेश प्रसाद खटीक- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न राजा नल की नगरी, हमारे चौदह महादेव और पसर देवी तथा लोड़ी माता के नगर का प्रश्न है. इसमें मैंने पूछा है, उसमें उत्तर में एक जगह मैंने अधिकारियों को जो जांच के लिए पत्र दिया था, उसकी जांच उपरांत उत्तर आया कि जांच प्रतिवेदन में गुणवत्ताविहीन कार्य का उल्लेख नहीं है, जबकि मैंने जो पत्र दिया था उसमें NGT का भी कार्य भी चल रहा है, उसे भी अनदेखा करके ठेकेदारों ने निर्माण कर दिया और कार्य टूटी-फूटी स्थिति में है. मेरा प्रश्न है कि क्या मंत्री जी इस कार्य की जांच, किसी तीसरी संस्था अथवा किसी दूसरे विभाग के अधिकारियों से करवायेंगे ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी मुझसे मिले थे और उन्होंने कहा था कि किसी तीसरी संस्था से जांच करवाई जाये, इसलिए हमने वहां के पॉलिटेक्निक कॉलेज से इसकी जांच करवाई थी और उन्होंने जांच में निर्धारित मानकों के अनुरूप ही गुणवत्ता पाई है. इसके बाद भी माननीय सदस्य जिससे कहेंगे, हम उससे जांच करवाने के लिए तैयार हैं, हमें कोई तकलीफ नहीं है. माननीय सदस्य बता दें कि किस एजेंसी से जांच करवानी है, हम फिर से जांच करवा देंगे.
श्री रमेश प्रसाद खटीक- अध्यक्ष महोदय, किसी अन्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, जो जांच करते हैं, उनसे इसकी जांच करवाई जाये और उसमें मुझे भी शामिल किया जाये. मैंने अपने पूर्व के पत्र में भी लिखा था कि मेरे समक्ष जांच करवाई जाये, लेकिन नहीं करवाई गई. इस बार मैं चाहता हूं कि जब जांचकर्ता दल जाये तो मैं वहां रहूं.
अध्यक्ष महोदय- रमेश जी, मंत्री जी ने कहा है कि आपके आग्रह पर वहां के पॉलिटेक्निक कॉलेज के लोगों से जांच करवाई गई और उस जांच में कार्य को गुणवत्तापूर्ण पाया गया. अब यदि जांच करवाने के अलावा, कोई दूसरी चीज़ आप कहना चाहें, तो वह मंत्री जी करेंगे, तो ठीक रहेगा.
श्री रमेश प्रसाद खटीक - नहीं, मंत्री जी ने अभी कहा है कि मैं दूसरी जांच करा लूँगा. दूसरी जांच करा लें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भोपाल से दो इंजीनियर भेज दूँगा, जांच करा लेंगे.
श्री रमेश प्रसाद खटीक - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के लिए धन्यवाद.
ट्रांसफार्मर/डी.पी. से घटित विद्युत दुर्घटनाएं
[ऊर्जा]
4. ( *क्र. 1555 ) श्री आतिफ आरिफ अकील : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष जनवरी 2024 से प्रश्न दिनांक तक भोपाल शहर के किन-किन क्षेत्रों में विभाग द्वारा स्थापित ट्रांसफार्मरों में से कितने ट्रांसफार्मर/डी.पी. किन कारणों से क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं? जोनवार, क्षेत्रवार क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर/डी.पी. की जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश "क" के परिप्रेक्ष्य में क्या क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर/डी.पी. की चपेट में आने/दुर्घटना से जान माल की हानि/मृत्यु हुई? यदि हाँ, तो कब-कब तथा किस-किस क्षेत्र में किन कारणों से कितने व्यक्तियों की मृत्यु/जानमाल की हानि हुई? (ग) उपरोक्त प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में ट्रांसफार्मर/डी.पी. से घटित दुर्घटनाओं से हुई जान माल की हानि/मृत्यु के लिए दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर शासन द्वारा किस-किस धारा अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध कर कब तथा क्या-क्या कार्रवाई की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के शहर वृत्त भोपाल क्षेत्रान्तर्गत स्थापित कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर/डी.पी. (डबल पोल) क्षतिग्रस्त अवस्था में नहीं है, अपितु कतिपय स्थलों पर वितरण ट्रांसफार्मरों के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कन चोरी हुए हैं अथवा क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं। उल्लेखनीय है कि असामाजिक तत्वों द्वारा वितरण ट्रांसफार्मरों के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कन बेचने की मंशा से चोरी किये जाने एवं तोड़फोड़ कर नुकसान पहुँचाने की अनैतिक गतिविधि के कारण वितरण ट्रांसफार्मरों के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स क्षतिग्रस्त/खुले रह जाते हैं, जिसकी जानकारी प्राप्त होने पर संबंधित जोन कार्यालय द्वारा सुधार कार्य की कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए संबंधित पुलिस थाने में भी समय-समय पर सूचना दी जाती है। शहर वृत्त भोपाल अंतर्गत स्थापित वितरण ट्रांसफार्मरों हेतु माह फरवरी, 2025 में किये गये सर्वे के अनुसार कुल 1451 वितरण ट्रांसफार्मरों के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कन क्षतिग्रस्त अथवा चोरी हुए पाये गये। उक्त सर्वे के अनुसार क्षतिग्रस्त/चोरी हुए डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कनों के विरूद्ध दिनांक 12.07.2025 की स्थिति में बदले गये/लगाये गये डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कनों की संख्या एवं शेष डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के ढक्कनों की संख्या जिनमें ढक्कन लगाने का कार्य प्रगतिरत है, की प्रश्नाधीन चाही गयी जोनवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में दिनांक 01 जनवरी, 2024 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर/डी.पी. (डबल पोल) की चपेट में आने/दुर्घटना से जान-माल की/मृत्यु की कोई घटना घटित नहीं हुई है। तथापि दिनांक 30.05.2025 को भोपाल शहर अंतर्गत वितरण ट्रांसफार्मर के क्षतिग्रस्त डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स की चपेट में आने से एक दुर्घटना घटित हुई है। शहर संभाग पश्चिम अंतर्गत शाहपुरा जोन में बूटी मैदान लाला लाजपत राय, ई-7 में बालक वंश जोगी की क्रिकेट खेलने के दौरान मैदान की बाउण्ड्री के बाहर स्थापित ट्रांसफार्मर के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के समीप से क्रिकेट बॉल उठाते समय क्षतिग्रस्त डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के संपर्क में आने से घातक विद्युत दुर्घटना घटित हुई। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में घटित दुर्घटना की जांच में पाया गया है कि शाहपुरा जोन जहां उक्त दुर्घटना घटित हुई, सहित संपूर्ण भोपाल शहर में डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स के क्षतिग्रस्त ढक्कन को बदले जाने की कार्यवाही प्रगतिरत थी, परंतु ढक्कन बदले जाने के पूर्व ही उक्त दुर्घटना घटित हो गई। इसके अलावा उल्लेखनीय है कि म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा समय-समय पर दैनिक समाचार पत्रों, सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से नागरिकों से विद्युत संस्थापनाओं से दूरी बनाये रखने की अपील की जाती है। प्रश्नाधीन दुर्घटना में कोई भी अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं पाया गया है। उक्त घटना की पृथक से जाँच संबंधित थाना द्वारा की जा रही है। अत: शेष प्रश्न नहीं उठता।
श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं यह बात कहूँगा कि भोपाल शहर के अन्दर स्मार्ट मीटर, जो लगाए जा रहे हैं, उनको रोका जाये. माननीय मंत्री जी द्वारा मेरे प्रश्न का जो जवाब दिया गया है, वह भ्रामक है, असत्य है. प्रश्न में डी.पी. के ढक्कन चोरी होने की बात ही नहीं कही गई थी. लेकिन प्रश्न के उत्तर में सबसे पहले डी.पी. के ढक्कन चोरी होने का उल्लेख कर दिया गया. प्रश्न के उत्तर में क्षतिग्रस्त डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स की चपेट में आने वाले सिर्फ एक बच्चे की मौत का उल्लेख किया गया है, जबकि थाना शाहजहॉनाबाद क्षेत्र अन्तर्गत मॉडल ग्राउण्ड क्षेत्र में करंट लगने से पांच वर्षीय आयशा नामक बच्ची की खम्भे से करंट लगने से उसकी मृत्यु हो गई, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका समय कम लेते हुए, आपको यह भी बताना चाहूँगा कि न आज तक उसको कोई मुआवजा मिला, शासन ने भी वायदा किया था कि उसको 4 लाख रुपये मुआवजा देंगे. उसको कोई मुआवजा नहीं दिया गया है. ऐसे ही 43 वर्ष के गणेश थे, उनकी भी मृत्यु हो गई और एक सतीश थे, उनकी भी मृत्यु हो गई, जबकि हमने यह पूछा और उसमें उन्होंने यह जवाब दिया है कि एक ही व्यक्ति की मृत्यु हुई थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक मदद चाहूँगा कि विधायकों को जान-बूझकर गलत जवाब दिये जाते हैं. उस बच्ची की बकायदा एफआईआर की कॉपी भी है, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट कॉपी भी है, झूठे जवाब दिये जाते हैं, आप कहें तो मैं इसको पटल पर रख देता हूँ. क्या उन अधिकारियों के खिलाफ जिन लोगों ने गलत जवाब बनाये हैं, आपको भटकाया है, विधायकों को भटकाया है, विधान सभा को मजाक बनाया है, तो क्या उनके खिलाफ कार्यवाही होगी ?
अध्यक्ष महोदय - अकील साहब, एक चीज हम लोगों के ध्यान में रहना चाहिए कि अगर कोई गलत जवाब आया है या अपूर्ण जवाब आया है, तो प्रश्न एवं संदर्भ समिति एक मंच है, जो सभी मान्यवर विधायकों के लिए है और उस मंच का हम लोगों को उपयोग करना चाहिए.
श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हमारे बहुत सीनियर हैं.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी जवाब दे रहे हैं, यह तो मैंने वैसे ही आपका ध्यान आकर्षित किया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात को कहना चाहता हूँ. प्रश्न एवं संदर्भ समिति है, लेकिन उसमें एक वर्ष, दो वर्ष, तीन वर्ष तो जवाब आने में ही लग जाते हैं. वहां पीएस आते नहीं हैं, तो यह परम्परा गलत है. इस सदन की गरिमा है, सदन जवाबदार है. हर विधायक के प्रति जवाबदेही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी सदस्यों को आपके संरक्षण की आवश्यकता है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात जवाबदारी से कह सकता हूँ कि प्रश्न एवं संदर्भ समिति ने बहुत तेजी से काम किया है. 1,000 से ज्यादा प्रश्नों के जवाब मंगवाए हैं और इसलिए आपको प्रतिवेदन प्रस्तुत भी किया है. (मेजों की थपथपाहट) प्रश्न एवं संदर्भ संमिति बहुत अच्छे से काम कर रही है, जो प्रश्न अनुत्तरित हैं, उनके उत्तर भी मंगवा रही है, इसलिए मैं यह चाहता हूँ कि हमें प्रश्न एवं संदर्भ समिति के लिए एक बार मेज थपथपाकर इसका अभिनन्दन करना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी उस समिति में सदस्य हूँ. मेरा निवेदन है कि शासन-प्रशासन हमें उसमें मदद करे. शॉर्टआउट हो रहे हैं, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में पैंडेंसी है और यह चौंकाने वाला तथ्य है. सरकार को इस पर और ध्यान देने की आवश्यकता है.
श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर प्रश्न एवं संदर्भ समिति का डर होता, तो ....
अध्यक्ष महोदय - अकील जी, प्रश्न एवं संदर्भ समिति विषय नहीं है, प्रश्न का. यह मैंने आपका ध्यान आकर्षित किया है, मंत्री जी को जवाब देने दीजिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, सम्माननीय साथी को बताना चाहता हूँ कि एक तो ट्रांसफार्मर कोई क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है. आपने क्षतिग्रस्त शब्द का उपयोग किया, पर क्षतिग्रस्त ......
श्री आतिफ आरिफ अकील - हम भोपाल शहर में चलकर घूम लेते हैं. हम अभी चलें, घूम लें, भोपाल शहर में कितने ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हैं ? असत्य जवाबों से कुछ नहीं होगा, साहब.
अध्यक्ष महोदय - आतिफ जी, इसके बाद आपको एक प्रश्न करने की अनुमति और मिलेगी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, आप प्रेम से सुनिये. ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त नहीं हैं, क्षतिग्रस्त में किसी दुर्घटना में एक्सीडेंट होता है, दुर्घटना होती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. हमारे यहां जो बॉक्स लगे हुए हैं. ट्रांसफार्मर में जो बॉक्स लगे हुए हैं, उन बॉक्सों के डिब्बे, मैं नहीं कहना चाहता कि मैक्सिमम डिब्बे लगे हुए हैं, उनके ढक्कन खुल गए हैं. जो 1,400 ट्रांसफार्मर लगभग हैं, जिनका आंकलन किया गया है कि डिब्बे खुल गए हैं, उन डिब्बों के ढक्कन लगाने का काम भी शुरू हुआ है और 1,051 पर लगा दिए गए हैं. आदरणीय सदस्य ने कहा कि जो दुर्घटना हुई है, दुर्घटना बहुत दु:खद थी. ट्रांसफार्मर का डिब्बा खुला हुआ था. बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे, बॉल गई, बच्चे ने ट्रांसफार्मर में से बॉल निकालने की कोशिश की. दुर्घटना हुई. दु:खद दुर्घटना है. हमारे पूरे सदन को, हमारी पार्टी को दु:ख है. हमारे मुख्यमंत्री जी ने संवेदनशीलता दिखाई. उसको 4 लाख रुपये मुआवजा, केवल बताना है, कोई मुआवजे के आधार पर मृत्यु का आंकलन नहीं कर रहे हैं, 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया. दूसरा, आपने आइशा के बारे में कहा, भोपाल शहर के अंतर्गत 30 जून, 2025 को 5 साल की लड़की आइशा खान की एलटी लाइन के पोल में करंट लगने के कारण दु:खद मृत्यु हुई. जिस पोल पर मृत्यु हुई है, वहां चोरी के 9 प्रकरण दर्ज हैं. वह लाइन बार-बार काटकर की गई. उसके बावजूद भी उस आइशा खान बच्ची को 4 लाख रुपये का मुआवजा सरकार ने दिया है. यह मैं आपको स्पष्ट कर देना चाहता हूँ.
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा से संबंधित भी है.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट, अकील साहब का दूसरा प्रश्न हो जाने दीजिए.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक छोटा सा यह जवाब देना चाहूँगा कि प्रश्न एवं संदर्भ समिति का अगर डर होता तो ये लोग जवाब गलत नहीं बनाते. कहीं न कहीं डर नहीं है. आपको इस चीज का डर अधिकारियों के अंदर पैदा करना पड़ेगा कि यदि आप गलत जवाब बनाएंगे तो आप पर कार्यवाही होगी. अध्यक्ष महोदय, आइशा की जो बात ये अभी कर रहे थे, अभी जो वर्तमान में एसडीएम हैं, हम लोगों ने बाकायदा वीडियोग्राफी की है, जो मेरे पास है, आप कहेंगे तो मैं आपको वीडियोग्राफी भी उपलब्ध करा दूंगा, उस समय स्मार्ट मीटर लगे थे, कोई भी चोरी का प्रकरण वहां पर दर्ज नहीं है. आप लोगों ने अनऑफिशियली बना दिया होगा, लेकिन यह एक मजाक बना दिया गया है. उस बच्ची की जान चली गई. 5 साल की बच्ची गरीब है, इसलिए कोई उसकी आवाज नहीं उठाएगा. अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि आपको मदद करनी पड़ेगी. मैंने पूछा था कि कितने लोगों की मृत्यु हुई है, उन्होंने कहा सिर्फ एक, जबकि चार तो मेरे रिकार्ड में हैं और पता नहीं कितने छुपा दिए गए. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि जिन लोगों ने, बाकायदा पटल पर भी मैंने चीजें रख दी हैं, एफआईआर की कॉपी है या तो थाने ने एफआईआर गलत की है या पोस्टमार्टम गलत हुआ या फिर ये रिकार्ड गलत बना, तीनों में से एक चीज गलत हो सकती है. सब चीजें तो गलत हो नहीं सकतीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा फिर से निवेदन यह है कि प्रश्न एवं संदर्भ समिति का अगर डर होता तो क्या इस प्रश्न का जवाब ये लोग गलत बनाते, बाकायदा रिकार्ड पर है.
अध्यक्ष महोदय -- अकील साहब, ये पुनरावृत्ति हो रही है.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे सिर्फ इतना निवेदन है कि आप यह कह दें कि जिन लोगों ने गलत जवाब बनाया, उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. नहीं तो विधायकों को हमेशा इधर-उधर के रास्ते दिखा दिए जाएंगे. आए दिन विधायकों को जवाब नहीं मिलते, जो जवाब मिलते हैं, वे भी घुमा-फिरा कर दिए जाते हैं. कहीं न कहीं अधिकारियों में डर तो होना चाहिए कि गलत जवाब नहीं बना सकते आप.
अध्यक्ष महोदय -- आतिफ जी, दूसरा प्रश्न किया जाता है, भाषण नहीं दिया जाता. कृपया कोई प्रश्न हो तो आप मंत्री जी से पूछें.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मैं भाषण नहीं दे रहा. आप कार्यवाही कर दें, मैं भाषण नहीं दे रहा. जिन लोगों ने गलत जवाब बनाया, उनके खिलाफ कार्यवाही कर दें, प्रश्न एवं संदर्भ समिति में तब जाता, जब मैं बाद में प्रूव करता, मैं तो ऑलरेडी पटल पर प्रूव कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाइये, मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं ?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, सम्मानीय सदस्य ने अगर कोई गलत उत्तर प्राप्त किया है तो सदन में, इस लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में समिति बनी हुई है. समिति के समक्ष रखेंगे. वहां दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा. आइशा के बारे में मैंने स्पष्ट कहा है कि उसकी मृत्यु करेंट लगने से हुई है. आपने कहा कि गरीब की मदद नहीं करते, अगर हमारी सरकार संवेदनशील नहीं होती तो उसको 4 लाख रुपये की तुरंत सहायता नहीं देती. ..(व्यवधान)..
श्री आतिफ आरिफ अकील -- क्या उसको 4 लाख रुपये मिल गए कि बस घोषणा कर दी थी ? ..(व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- नहीं नहीं, केवल घोषणा ही नहीं की थी. ..(व्यवधान)..
श्री आतिफ आरिफ अकील -- नहीं मिले उसको. ..(व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अगर नहीं मिले होंगे तो उसका हम आपसे ..(व्यवधान)..
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय मंत्री जी, आपके अधिकारी आपको गलत जानकारी दे रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूँ कि ..
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय मंत्री जी, आप हमारे बहुत सम्माननीय हैं. लेकिन मंत्री जी, मेरा..
अध्यक्ष महोदय -- आतिफ जी, प्लीज, प्लीज. मंत्री जी रिकार्ड पर बोल रहे हैं कि 4 लाख रुपये दे दिए हैं..
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नहीं दिए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट, ऐसा कहने से नहीं होगा. रिकार्ड चेक करा लीजिए.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ इतना सा कहना है कि जिसने जवाब गलत बनाया है, उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट. मंत्री जी, जो 4 लाख रुपये दिए हैं, वह सदस्य की जानकारी में आ जाए. आरिफ मसूद जी, क्योंकि भोपाल का प्रश्न है.
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, गंभीर प्रश्न है. मैं मंत्री जी को सुझाव देना चाहूँगा क्योंकि दो घटनाएं मेरी विधान सभा में भी ऐसी ही हुई हैं. डिब्बे नहीं लगे. जब ये घटनाएं हुईं तो मैं अधिकारियों से मिला, उन्होंने जो बात बताई, बड़ी गंभीर बात है. सदन को भी अवगत होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को मेरा सुझाव है कि जो ढक्कन की बात आई है, ढक्कन ही नहीं अध्यक्ष महोदय, भोपाल में जितने ट्रांसफार्मर लगे हैं, मैक्सिमम ट्रांसफार्मरों में फेंसिंग ही नहीं है. जब मैंने उन अधिकारियों से पूछा कि यहां पर फैंसिंग क्यों नहीं है.
क्योंकि बच्चे खेलते-खेलते लाईन के करीब चले गये और हाई टेंशन लाईन खींच लेती है ट्रांसफार्मर की तो बताया कि ट्रांसफार्मर के आसपास फेंसिंग का कोई बजट ही नहीं है. यह बड़ा दुर्भाग्य है बड़े अफसोस वाली बात है कि बजट न होने की वजह से बच्चों की जानें जा रही हैं तो मैं चाहूंगा कि मंत्री जी इस बार बजट में प्रस्ताव कर दें हमने तो कहा कि हमारी विधायक निधियों से ले लो लेकिन कम से कम जो भी ट्रांसफार्मर ऐसे खुले हैं उनकी फेंसिंग करा दें ताकि हम पूरे प्रदेश के बच्चों की जान बचा लें यह मेरा सुझाव है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सम्मानित सदस्य को बताना चाहूंगा कि जहां-जहां जगह उपलब्ध हैं ट्रांसफार्मर फेंसिंग के लिये भोपाल शहर के लिये हमने 2 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और प्रावधान करके कहीं ऐसा प्वाइंट भोपाल शहर के अंदर सम्मानित सदस्य बताएंगे तो जरूरी होगा वहां भी हम काम कराएंगे.
प्रधानमंत्री आवास योजना
[नगरीय विकास एवं आवास]
5. ( *क्र. 128 ) श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर केंट विधानसभा अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना के कुल कितने हितग्राहियों के आवास निर्माण पूर्ण हो चुके हैं? (ख) प्रधानमंत्री आवास योजना के वर्तमान में कितने हितग्राहियों के आवेदन लंबित हैं? (ग) प्रधानमंत्री आवास योजना के लंबित आवेदन कब तक स्वीकृत होंगे?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जबलपुर केंट विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी अंतर्गत 3124 हितग्राहियों के आवास निर्माण पूर्ण हो चुके हैं। (ख) प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के बी.एल.सी. घटक अंतर्गत कुल 1792 आवेदन लंबित हैं। विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश ''ख'' में उल्लेखित जानकारी अनुसार लंबित आवेदनों का कारण भूमि संबंधी दस्तावेज न होना है। भूमि संबंधित दस्तावेज के संबंध में राज्य के दिशा-निर्देश दिनांक 17.03.2025 के प्रावधान एवं पात्रतानुसार विहित प्रक्रिया अपनाकर आवास स्वीकृत कराया जा सकेगा। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी - प्रश्न क्रमांक 128.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,उत्तर पटल पर रखा दिया गया है.
श्री अशोक रोहाणी - अध्यक्ष महोदय,हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी एवं मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी की संवेदनशील सरकार के कारण आज हमारी विधान सभा में 2124 गरीब परिवारों को अपनी छत का सपना साकार हुआ है. प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 में 1700 के करीब प्रकरण हमारी विधान सभा में लंबित हैं. मेरा निवेदन है कि पट्टों की अनिवार्यता के कारण उसमें विलंब हो रहा है और नियमों को शिथिल करके भू धारणा अधिकार के अंतर्गत पट्टों के आवेदन दिये हैं उनका शीघ्र निपटारा करके उनको प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल सके ऐसा मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,मुझे कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना मध्यप्रदेश में केन्द्र सरकार की इस योजना के कारण मध्यप्रदेश को द्वितीय पुरस्कार मिला और आने वाले समय में भी हमने 10 लाख आवास बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य लिया है लगभग 50 हजार करोड़ का इसमें खर्च किया जायेगा इसमें 25 हजार करोड़ सरकार लगाएगी और 25 हजार करोड़ रुपये का अनुदान आवास बनाने हेतु दिया जायेगा. प्रथम चरण में जैसा मैंने बताया उस समय बिजली का बिल और इसकी ही गाईड लाईन थी लेकिन भारत शासन ने इस बार यह कहा है कि पात्रताधारी वही होगा जिसका आवास का पट्टा होगा. हमने भारत शासन से निवेदन किया कि इसको शिथिल आप करें. यह चर्चा चल रही है अन्यथा हम यह करेंगे कि शहरी क्षेत्रों में मल्टी स्टोरी बना देंगे और मल्टी स्टोरी बनाकर इन सब लोगों को जो प्रधानमंत्री जी का सपना है और जो मुख्यमंत्री जी का सपना है और इन सब लोगों के सिर पर पक्की छत होगी इस सपने को हम साकार करेंगे.
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी - अध्यक्ष महोदय,शिविर लगाकर अगर पट्टों के वितरण को शीघ्र किया जाये तो जिनको प्रथम किश्त मिलनी है उनकी राशि हमको मिल जाए मंत्री जी कलेक्टर को निर्देश दे दें कि इसको थोड़ा शीघ्र करें ऐसा मेरा मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, आज सुबह ही मैंने कलेक्टर से बात की है जहां के यह निवासी हैं जिन लोगों ने आवेदन किया है वह तालाब की जमीन पर रह रहे हैं. जो आवासीय भूमि है वहां तो पट्टे दिये जा सकते हैं पर तालाब की भूमि पर पट्टे देना बहुत मुश्किल होता है पर फिर भी हम कोई रास्ता निकालेंगे जिससे गरीबों को प्रधानमंत्री आवास मिल जाए. भारत शासन से भी हम चर्चा कर रहे हैं कि कोई रास्ता निकालिये क्योंकि यह सिर्फ जबलपुर की समस्या नहीं है यह पूरे प्रदेश की समस्या है. हमारी स्पीड बहुत स्लो हो गई है नहीं तो हम प्रधानमंत्री आवास में पूरे देश में सेकंड नंबर पर थे और हमने इस बार लक्ष्य रखा था कि हम प्रथम नंबर पर आएं तेजी से हमने काम भी प्रारंभ कर दिया था सिर्फ इस एक शर्त के कारण हमारा काम स्लो हो गया है हम भारत शासन सेचर्चा भी कर रहे हैं यदि उसकी छूट मिल जायेगी तो हम बहुत तेज गति से कर देंगे नहीं मिली तो हम उसके विकल्प के बारे में हम जरूर कुछ चर्चा करकर हमारे गरीब भाईयों को प्रधानमंत्री आवास का निश्चित रूप से लाभ मिले इसके लिये सरकार कटिबद्ध है.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को और अपनी प्रदेश सरकार को धन्यवाद दूंगा मुख्यमंत्री जी को जिन्होंने इतनी बड़ी राशि का प्रावधान इस साल के बजट में किया हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में जहां तक मुझे जानकारी है कि आवास के लिये जो पट्टे दिये जाते थे फिलहाल एक डेढ़ वर्षों से उन पट्टों का दिया जाना बंद है. जब तक यह आवास के पट्टे नहीं दिये जायेंगे नगरीय या ग्रामीण क्षेत्रों में तब तक मुझे लगता है कि हमारा जो प्रथम स्थान है वह कहीं नीचे न चला जाये, इसलिये इस बारे में, यह राज्य का नियम है या भारत सरकार का नियम है कि पट्टे नहीं दिये जायेंगे, थोड़ा इसको स्पष्ट कर दें, क्योंकि काफी जटिल स्थिति हो गई है और आंकड़े ही बताते होंगे कि शहरी क्षेत्रों में इस समय आवास के आवेदन जो जिलों से अनुशंसा होकर आते थे बहुत कम आ रहे हैं तो इस बात पर गौर करना बहुत आवश्यक है.
श्री अजय अर्जुन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि भोपाल में रंगमहल और दशहरा मैदान के बीच में हजारों की संख्या में जो आवास सालों से बनकर खड़े हुये हैं उनका आवंटन होगा और जहां-जहां यह प्रधानमंत्री आवास बने उनकी आवंटन होने के लिये कोई समय-सीमा है.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष जी, नीतिगत विषय पर मेरा प्रश्न था बाद में अध्यक्ष जी..
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी दोनों का जवाब एक साथ देने में सक्षम हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, धारणा भू-स्वामित्व योजना के अंतर्गत हम ग्रामीण क्षेत्र में भी पट्टे दे रहे हैं. शहरी क्षेत्र में यह बात सही है कि आवासीय भूमि बहुत कम है और इसलिये वहां हम मल्टी स्टोरी का भी प्लान कर रहे हैं. सारे शहरी क्षेत्र में हमने नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिये हैं कि अब आप मल्टी स्टोरी बनाकर ही दें और वहां पर सुविधा, क्योंकि जब हम पट्टे दे देते हैं, मकान बन जाते हैं तो वहां सड़क के लिये बजट नहीं होता, वहां ड्रेनेज के लिये बजट नहीं होता है तो वहां मकान तो बन जाते हैं पर इंफ्रास्ट्रक्चर कुछ नहीं होता तो हम चाहते हैं कि जब प्रधानमंत्री आवास बन रहे हैं तो वहां पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर भी बने तो हम जब मल्टी स्टोरी बनायें अध्यक्ष महोदय तो हम सुनिश्चित करेंगे कि वहां सड़क हो, वहां ड्रेनेज हो और वहां लोगों को जो इंफ्रास्ट्रक्चर की प्राथमिक सुविधायें हैं वह हम दे सकें और इसलिये शहरी क्षेत्रों में अभी समस्या है, मैं इसको स्वीकार करता हूं क्योंकि वहां पर आवासीय भूमि बहुत कम है, ग्रामीण क्षेत्र में समस्या नहीं है. अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्र में हमारा काम बहुत तेजी से चल रहा है और वहां हम पट्टे भी बना रहे हैं, भू-स्वामित्व अधिकार भी दे रहे हैं पर अध्यक्ष महोदय शहरी क्षेत्रों में थोड़ी समस्या है.
श्री भगवानदास सबनानी-- माननीय अध्यक्ष जी, निवेदन यह था कि अजय सिंह जी ने जो विषय उठाया, 3 महीने पहले माननीय मुख्यमंत्री जी ने 336 बने हुये आवास अलाट कर दिये हैं.
श्री अजय अर्जुन सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, यह सरकार की तरफ से जवाब दे रहे हैं. मंत्री महोदय इतने समक्ष थे, हमारा उत्तर ही नहीं दिया उन्होंने, दूसरा जवाब दे रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- मिलकर बता देना राहुल भैया को.
जलपूर्ति पर व्यय
[नगरीय विकास एवं आवास]
6. ( *क्र. 262 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर निगम जबलपुर द्वारा शहर की जनता को शुद्ध पेय जल की आपूर्ति व्यवस्था पर जलस्त्रोतों, जलाशयों, कुओं, बावड़ियों, नलकूपों का रख-रखाव सुधार मरम्मत कार्य, सफाई, पाइप लाइनों का विस्तार, लीकेज सुधार पर कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है? वर्ष 2020-21 से 2025-26 तक की वर्षवार पृथक-पृथक जानकारी दें। (ख) जबलपुर शहर की कितनी आबादी को किन-किन माध्यमों से कितनी-कितनी मात्रा में पेयजल की आपूर्ति की जा रही है? किन-किन क्षेत्रों में पेयजल की समस्या बनी हुई है एवं क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) में किन-किन जल संशोधन संयंत्रों, तलीय जलाशयों की कब-कब कराई गई साफ-सफाई व्यवस्था पर एवं उनकी सुरक्षा रख-रखाव, सुधार मरम्मत कार्य पर तथा सामग्री आदि के क्रय पर कितनी-कितनी राशि व्यय हुई है? भोंगाद्वार जल शोधन संयंत्र एवं अन्य किन-किन संयत्रों से प्रदूषित, मटमैला पेयजल आपूर्ति करने का क्या कारण है? (घ) क्या शासन जबलपुर शहर की जनता को प्रदूषित, मटमैला पेय जल की आपूर्ति की जाने, पेय जल व्यवस्था में किये गये भ्रष्टाचार की जांच कराकर दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जबलपुर शहर में 171228 घरेलू कनेक्शन के माध्यम से 271 एम.एल.डी. पानी की आपूर्ति प्रतिदिन प्रात: एवं सायंकाल 5 जलशोधन संयंत्रों के माध्यम से की जा रही है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जलशोधन संयंत्रों की साफ-सफाई का कार्य नियमित रूप से किया जाता है। साफ-सफाई व्यवस्था पर प्रतिवर्ष लगभग रू. 23 लाख का व्यय होता है। भोंगाद्वार जलशोधन संयंत्र या अन्य किसी जलशोधन संयंत्र से प्रदूषित पेयजल की आपूर्ति नहीं की जा रही है। (घ) उत्तरांश 'ग' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 262 है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के प्रश्न 'क' के उत्तर में जबलपुर शहर की जनता को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के संदर्भ में है जिसमें जल आपूर्ति में प्रतिवर्ष एक करोड़ रूपये और केमिकल पर 50 करोड़ जल आपूर्ति पर व्यय बताया है. 5 फिल्टर प्लांट हैं, 63 पानी की टंकियां हैं, 271 एमएलटी पानी की सप्लाई पूरे शहर में डेली बताई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, ये 5 फिल्टर प्लांट में ललपुर फेस-वन और टू में 24 टंकियां हैं और रमनगरा फिल्टर प्लांट में 26 हैं, टोटल 50 टंकियां नर्मदा जल योजना से संबंधित हैं. लेकिन दो फिल्टर प्लांट ऐसे हैं, जिसमें रांझी फिल्टर प्लांट जो परियट से दूसरा भोंगाद्वार खनदारी से संचालित होते हैं, जिसमें 13 टंकिया अटैच हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रपत्र ब में पेयजल समस्या से ग्रसित 12 वार्ड बताये गये हैं, पूरे जबलपुर नगर निगम सीमा के अंदर 79 वार्ड हैं और वह 12 वार्ड जो पेयजल से ग्रसित बताये गये हैं, उनमें 9 वार्ड मेरी विधानसभा के हैं, यह आपके ही यहां का जवाब है. मेरी विधानसभा में टोटल 20 वार्ड हैं, 9 वार्ड जल संकट से ग्रसित हैं, यह आपने स्वीकार किया है और आपने कारण भी बताया है. आपने कारण यह दिया है कि कहीं वॉटर लेवल और प्रेशर कम है, दबाव कम है. अध्यक्ष महोदय, इतने दिनों से, इतने सालों से तो हम नर्मदामाई की गोद में बसे हैं, तो जलसंकट होना नहीं चाहिए. अध्यक्ष महोदय, दबाव कम है कि ज्यादा, पानी का दबाव कम है कि राजनीतिक दबाव ज्यादा है, इतने सालों से बार-बार इस बात की डिमांड की जाती है, इनमें कारण दिया है कि जहां टंकी अभी बन रही है, हमारे 18 महीने की सरकार के कार्यकाल में एक टंकी का निर्माण चालू हुआ और जब वह चालू हुआ तो भूमि पूजन हुआ लेकिन कार्य चालू वर्ष 2023 में हुआ, तो उसके बाद बारह माह के अंदर उसको पूरा हो जाना चाहिए थी, फरवरी 2025 में उसको कम्पलीट हो जाना था, लेकिन अफसोस यह है कि सिर्फ पिलर गढ़े हैं और इसमें बता दिया गया है कि टैंक के बॉटम लेवल सिलेब की तैयारी चल रही है, बाकी टंकियों की स्थितियां यह हैं, 9 वार्ड बताये हैं, उनमें जल भराव कैसे बढ़ेगा ? यह भी बताया है, यह भी बताया है कि अमृत योजना फेस-2 में चार टंकियों को आपकी यहां से लिया गया है, स्पष्ट कारण दिया है, लेकिन अमृत योजना फेस-2 में 190 करोड़ की लागत से 18 टंकियों का निर्माण होना है, उसमें चार टंकिया मेरे क्षेत्र की हैं, बाकी जगह भूमि पूजन शुरू हो गये हैं, परंतु मेरे क्षेत्र में अभी तक स्वाइल टेस्ट नहीं हुआ है, तो दबाव कौन सा है?
अध्यक्ष महोदय -- लखन जी प्रश्न तो करें.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में पेयजल की जो समस्या बनी हुई है, उसका समाधान नई पाइप लाइन डालने से, टंकियों के निर्धारित जल क्षमता तक न भरने का कारण क्या है, या कारण स्पष्ट करें?
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, बहुत लंबा प्रश्न था, तो मुझे भी आपकी अनुमति से थोड़ा सा लंबा ही लेना पड़ेगा,
श्री लखन घनघोरिया -- पूरा समय ले लो भईया, लेकिन पानी दे दो.
अध्यक्ष महोदय -- सदस्य और मंत्री जी दोनों का व्यक्तिव भी ऊंचा ही है(हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अब वो लखन हैं, मैं राम हूं(हंसी)
श्री लखन घनघोरिया -- कृपा करो प्रभू (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, अमृत 1.0 में लगभग 134 करोड़ रूपये की राशि आवंटित हुई थी, उसमें 16 नग ओवरहेड टैंक बने हैं, 40 एम.एल.डी. पंप हाउस बना है और 243 किलोमीटर डिस्ट्रीब्यूशन लाईन का नेटवर्क बना है और लगभग 53 किलोमीटर राईजिंग मेन लाईन और डिस्ट्रीब्यूशन लाईन बनी है. इसमें यह बात सही है कि जिस प्रकार जनसंख्या जबलपुर की बढ़ रही है, उस हिसाब से जो 271 एम.एल.डी. पानी है, वह अपर्याप्त है और इसलिए वहां टैंकर भी चल रहे हैं और कुछ बोरिंग से पानी भी दे रहे हैं. लखन भाई ने कल मुझे बताया कि मेरे खुद के टैंकर भी चल रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, कुछ लोग तो मैं लखन भाई के बारे में नहीं कह रहा हूं, लेकिन कुछ लोग टैंकर पर अपना बड़ा नाम लिखवाते हैं, तो उनका प्रचार भी हो जाता है, तो इसलिए भी वह करते हैं, आपके बारे में नहीं कह रहा हूं, मैं तो बता रहा हूं कि सामान्यत: यह होता है. (...हंसी)
अध्यक्ष महोदय, अमृत 2.0 में जल प्रदाय में 312 करोड़ है और इसमें 20 प्रतिशत काम चालू हो गया है, इसमें 54 एमएलडी जल शोधन संयंत्र लगने वाला है और 135 एमएलडी इन्टेक वेल है. 21 किलोमीटर रॉ-वाटर राइजिंग मैन लाइन बन रही है, क्योंकि वहां से जो हमारा फिल्टर स्टेशन है, वह थोड़ा सा दूर है. 18 ओवरहैड टैंक बन रहे है, उसमें से 4 टैंक आपके विधान सभा में भी बन रहे हैं. लगभग 476 किलोमीटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क होगा. इसलिए ये वर्ष 2040 तक की योजना बनी है. मुझे लगता है कि अमृत 2.0 को लगभग दो साल लगेंगे और दो साल में इस समस्या का पूरी तरह निराकरण हो जाएगा. अमृत 1 के बाद हमारे डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में थोड़ा सुधार हुआ, पूरा सुधार नहीं हुआ, लगभग हमारे 30 हजार नए कनेक्शन भी इसलिए लगे हुए हैं. जब अमृत 2.0 पूरा होगा, तो इस समस्या का बिल्कुल निराकरण हो जाएगा और हमारी पार्टी सबका-साथ सबका विकास में विश्वास रखती है, कोई पक्षपात नहीं है. मैं मंत्री हूं तो आप बिल्कुल चिन्ता न करें, आपके यहां बिल्कुल भी इस प्रकार का विवाद नहीं होगा, जो जबलपुर में एक साथ होगा, वैसे ही आपके यहां भी होगा.
श्री लखन घनघोरिया – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने जलापूर्ति पर टैंकर की बात कही. पूरे नगर निगम में, 79 वार्ड में, नगर निगम के पास सिर्फ 26 टैंकर है, पांचवां नंबर का अवॉर्ड लेकर आए हैं. 79 वार्ड के लिए जलापूर्ति जब ललपुर फिल्टर प्लांट लीकेज होता है, पाइप लाइन, यदि लीकेज होता है तो 12-12 दिन तक नहीं बनती है, तो जो आपके 26 टैंकर है, वह कम पड़ते हैं, यहां वे अधिकारी बैठे है जो समय समय पर हमसे 9 टैंकर लेते हैं. टैंकर, ट्रेक्टर, डीजल, ड्रायवर की समस्या है, इसलिए आप नहीं सुन रहे तो करना पड़ेगा हमको. आप भगवान राम बन रहे, मैं लक्ष्मण हूं आपका, आपसे प्रार्थना कर रहा हूं, लेकिन वनवास भी साथ चलेंगे(....हंसी)
मंत्री महोदय, मेरा आग्रह है कि मेरे प्रश्न ‘क’ उत्तर में 27 एमएलडी पेयजल प्रतिदिन मेरी विधान सभा में सुबह शाम देने की बात कही गई है. कितने घंटे, कितने एमएलडी पेयजल प्रदाय किया जाता है, जरा बता देंगे मंत्री महोदय. कहीं सुबह पानी आ जाता है तो शाम को नहीं आता. ये सुबह शाम की बात कही गई है, बताएंगे कि कितने एमएलडी पानी सुबह शाम हमारे यहां जाता है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – ये जानकारी तो अभी मेरे पास नहीं है कि आपकी विधान सभा में कितना एमएलडी पानी जाता है और किस विधान सभा में कितना एमएलडी पानी जाता है. क्योंकि इस प्रश्न में, जो प्रश्न आपने पूछा था. मैंने जिन्दगी में कभी चीट नहीं की इसलिए मेरे पास जो भी है(....हंसी)
श्री लखन घनघोरिया – इसीलिए लेट हो रहे कैलाश भैया(....हंसी)
अध्यक्ष महोदय – लखन जी बहुत ज्यादा टाइम हो गया. आप टाइम तो देखिए, आप कितना बोल चुके. नए सदस्यों को आपका अनुसरण करना है.
श्री लखन घनघोरिया – अध्यक्ष जी, मेरा एक प्रश्न रह गया है. एक निवेदन है, पेयजल के संदर्भ में. मैंने तो अभी एक ही प्रश्न पूछा हूं. वे ही रामायण सुनाने लगे तो हम सुन रहे थे. टाइम तो उसी में चला गया
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी ने बहुत विस्तृत जवाब दिया है. ठीक है, एक निवेदन कर लें.
श्री लखन घनघोरिया – अध्यक्ष जी, जहां मटमैला और दूषित पानी जो विशेषकर के भौंगाद्वार फिल्टर प्लांट में हुआ है और ये बकायदा उसका पूरा प्रमाण है. फिल्टर प्लांट में गोबर से लिप्त पानी, कैमिकल का इन्होंने बताया कि उसका क्या क्या करते हैं तो कैमिकल में चूने से लेकर क्लोरीन शब्द बताया है, लेकिन वहां केमिस्ट नहीं होता है. एक चौकीदार यह सारे केमिकल डालता है. उस चौकीदार की कितनी योग्यता है, कितनी क्षमता है लोगों को दूषित पानी मिल रहा है. एक बार तो यह हुआ कि एक मरा हुआ बंदर सफाई में मिला है. आप उसकी जानकारी ले लें. यह दूषित पानी लोगों को मिल रहा है. केमिस्ट वहां नहीं है, वहां पर फिल्टर प्लांट में केमिकल डालने का काम चौकीदार करता है. इन तमाम चीजों पर किनका उत्तरदायित्व बनता है ? अध्यक्ष महोदय उसकी जांच तो करवा लें.
शासकीय सर्किट/रेस्ट हाऊस निर्माण
[लोक निर्माण]
7. ( *क्र. 1755 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ विधानसभा के नगर खुजनेर में आने वाले वी.आई.पी. के विश्राम के लिये कोई शासकीय रेस्ट हाऊस या सर्किट हाउस है? (ख) यदि हाँ, तो कहाँ पर? (ग) यदि नहीं, तो क्या नगर खुजनेर में रेस्ट हाउस या सर्किट हाउस बनाया जाना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) इसके निर्माण के लिये क्या लोक निर्माण विभाग द्वारा एस्टीमेट तैयार किया गया है? यदि हाँ, तो कब तथा कितनी राशि का?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्तरांश 'क' के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं, प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश 'ग' अनुसार। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री अमर सिंह यादव-- प्रश्न क्रमांक (1755)
श्री राकेश सिंह—उत्तर पटल पर रख दिया गया है.
श्री अमर सिंह यादव—अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ विधान सभा खुजनेर नगर में लोक निर्माण विभाग की रेस्ट हाउस की मांग के बारे में प्रश्न किया है. मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि खुजनेर तहसील प्लेस है नगरीय क्षेत्र में रेस्ट हाउस की घोषणा कीजिये.
श्री राकेश सिंह—अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि आवागमन बढ़ने के साथ ही रेस्ट हाउस की मांग भी बढ़ रही है. लेकिन आम तौर पर ऐसे किसी तहसील मुख्यालय से रेस्ट हाउस की दूरी उसका आधार बनाया जाता है. वर्तमान में पचौर में जो रेस्ट हाउस है वह लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर है उसमें लगभग 25 से 26 मिनट का समय लगता है, तो मेरा माननीय सदस्य से आग्रह है कि अगर पचौर के रेस्ट हाउस में अगर अतिरिक्त सुविधा वह चाहते होंगे तो विभाग उस पर विचार करके पूरा करेगा.
श्री अमर सिंह यादव—अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि 17 किलोमीटर की दूरी तो है. खुजनेर नगर में खाटू श्याम जी का बहुत बड़ा धाम लगने लगा है. हर महीने ग्यारस पर 50 हजार लोग एकत्रित होते हैं स्टेट हाईवे फोर लेन भी वहां बना है, वह राजस्थान कोटा जयपुर सीमा से जोड़ता है वहां से बंगलामुखी का भी रास्ता है तो वहां से वीआईपी लोग गुजरते हैं, शहर में भी व्हीआईपी लोग आते हैं इसलिये मेरा आपसे आग्रह है कि वहां पर एक रेस्ट हाउस की घोषणा की जाये, उसकी बहुत आवश्यकता है तथा मेरा क्षेत्र भी है. इसलिये मंत्री जी से यही निवेदन करूंगा कि वहां पर उसकी आवश्यकता है.
श्री राकेश सिंह—अध्यक्ष महोदय, सदस्य महोदय की चिन्ता महत्वपूर्ण है. यह बात भी सही है कि खुजनेर एन.एक्स.7 52 पर स्थित है. उसका एक हिस्सा एन.एच.52 पर दूसरा राजस्थान की सीमा को जोड़ता है. इसलिये उन्होंने आग्रह किया है कि निश्चित रूप से विभाग इसका परीक्षण करके अगर उपयुक्त लगता है कि वहां पर बनाना चाहिये, तो उसको जरूर बनाएंगे .
श्री अमर सिंह यादव—अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद.
वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों की जांच
[नगरीय विकास एवं आवास]
8. ( *क्र. 1673 ) श्री बृज बिहारी पटैरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र देवरी जिला सागर की नगर पालिका परिषद देवरी के अध्यक्ष पर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों की जांच उपरांत आरोप सिद्ध पाये गये हैं? यदि हाँ, तो आर्थिक अनियमिततायें सिद्ध, प्रमाणित हो जाने के उपरांत भी आज दिनांक तक शासन के द्वारा क्या कार्यवाही की है? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों? (ख) क्या न.पा. देवरी के अध्यक्ष के विरूद्ध एवं पद से पृथक की कार्यवाही हेतु मान. उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा भी निर्देशित किया गया है? यदि हाँ, तो मान. न्यायालय के निर्देशन में अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई? यदि की गई है तो प्रमाणित विवरण उपलब्ध करायें। (ग) वर्तमान में नगरपालिका देवरी के अध्यक्ष के पास बहुमत भी नहीं है। प्रश्न दिनांक तक किन-किन मदों में राशि का आहरण वितरण किया गया है? क्या शासन/विभाग द्वारा जानकारी/प्रमाण होने के उपरांत भी पद से पृथकता की कार्यवाही में विलम्ब किया जा रहा है? (घ) नियम विरुद्ध अध्यक्ष पद पर पदस्थ को कब तक पद से पृथक करते हुये किसी अन्य को पदस्थ किया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। विभाग द्वारा मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 41-क में वर्णिंत प्रावधानों के अंतर्गत अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद, देवरी के विरूद्ध कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है, जिस पर सुनवाई की कार्यवाही प्रचलित है। (ख) जी नहीं। (ग) मदवार राशि आहरण वितरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं। (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री बृजबिहारी पटेरिया—प्रश्न क्रमांक 1673
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर है.
श्री बृजबिहारी पटेरिया-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के संबंध में इसमें कुछ करना नहीं है. आपका अनुग्रह हो, आपकी कृपा हो, तो एक विशेष उल्लेख यहां पर करना चाहता हूं. उल्लेख भी प्रश्न से संदर्भित है.
अध्यक्ष महोदय—आप प्रश्न नहीं करेंगे तो उसका जवाब नहीं होगा. अपनी संतुष्टि के लिये बोलना है तो बोलिये.
श्री बृज बिहारी पटैरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज श्रावण शुक्ल पक्ष है. सप्तमी है. विश्व के प्रथम कवि बाबा तुलसीदास जी की आज जन्म जयंती है. मैं बहुत श्रद्धा भाव से उनको स्मरण करता हॅूं और महाकाव्य रामायण में लिखी उनकी दो पंक्तियों को यहां उद्धरित करता हॅूं. उन पंक्तियों का अर्थ भी हमारे प्रश्न में संदर्भगत है. माननीय मंत्री जी ध्यान देंगे. "होई है वही जो राम रची राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा". तो प्रश्न हमारा जो है तो उसमें होना वही है वह पहले ही तय हो गया कि क्या होना है क्या नहीं होना है इसलिए ज्यादा तर्क-वितर्क करने से कोई लाभ है नहीं. (हंसी) आपने 9 अगस्त तक का समय आपने ऐसे भ्रष्ट पदाधिकारी को दे दिया है अब जब 9 अगस्त मध्यप्रदेश सरकार ने तय कर दिया है तो उसके पहले मुझे कुछ कहना अनुचित होगा. पार्टी के अनुशासन का दंड भी मेरे ऊपर है. पार्टी लाइन भी है और इतने गूढ़ विषय में मैं और अधिक अंदर नहीं जाना चाहता. अपेक्षा आपसे केवल इतनी करता हॅूं, उम्मीद आपसे केवल इतनी करता हॅूं कि जब मध्यप्रदेश शासन ने जांच करवा ली, आरोपी जांच में दोषी पाये गये, सरकार के लिए माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश प्राप्त हैं कि निश्चित समय सीमा के अंदर आपको कार्यवाही करना है फिर भी कार्यवाही विलंबित है. समय पर समय, समय पर समय, समय पर समय, समय पर समय इसमें चार बार समय दिया गया. केवल इसलिए कि उनका कार्यकाल पूरा हो जाये. ठीक है, सरकार की मंशा है मैं भी सहमत हॅूं. सरकार का हिस्सा हॅूं. पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हॅूं. बस दो पंक्तियों में अपनी बात समाप्त करूंगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
"पीछे बंधे हैं हाथ, मुंह पर पडे़ हैं ताले,
किससे कहें, कैसे कहें कि पैर का कांटा निकाल दो".
(मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन -- आपने दो पंक्तियों में सब बोल दिया है...(व्यवधान).
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, "पीछे बंधे हैं हाथ, ऊपर लगे हैं ताले, यह डॉ.मोहन की सरकार है कि अब आपके हाथ खुलने वाले हैं". (मेजों की थपथपाहट)
.....(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय संसदीय मंत्री, श्री कैलाश जी, वह सबके मुंह पर लगे हैं ताले. सबके मुंह पर लगे हैं ताले.
अध्यक्ष महोदय -- सबके प्रश्न लगे हैं, जवाब आने दीजिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को जानकारी देना चाहता हॅूं कि यह बात सही है कि माननीय विधायक जी ने वहां की शिकायत की थी. शिकायत की जांच कराई. जांच कराने में प्रथम दृष्ट्या अनियमितता पायी गई. अनियमितता पाने के बाद उनको कारण बताओ नोटिस दिया है. कारण बताओ नोटिस देने के बाद उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है. कल आखरी तारीख थी किन्तु उस क्षेत्र में बाढ़ होने के कारण उन्होंने 8 दिन का समय मांगा है. 8 दिन बाद क्योंकि मैं आपको पहले ही व्यक्तिगत रूप से भी बता चुका हॅूं और यहां फिर से दोहराना चाहूंगा कि अध्यक्ष के खिलाफ, सीएमओ के खिलाफ, लेखापाल के खिलाफ हमने प्रथम दृष्ट्या आरोप, अनियमितता पायी गई है. हम उनके खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं. उन्होंने 8 दिन का समय मांगा है, हमने दिया है. 8 दिन बाद जो भी कार्यवाही होगी, हम कड़ी से कड़ी सजा देंगे, यह मैं सदन में आपको आश्वस्त करता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट)
श्री बृज बिहारी पटैरिया -- माननीय अध्यक्ष जी, मैंने पहले ही बड़ी विनम्रतापूर्वक निवेदन कर लिया था कि प्रश्न के संदर्भ में मुझे कोई प्रश्न नहीं करना है. फिर भी माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया है, जवाब दिया है. मैं पहले ही उनके उत्तर से संतुष्ट हो गया था. परन्तु अब जब आपने जवाब दिया ही है और विस्तार से दिया है, तो मैं भी थोड़ा विस्तार से जाना चाहता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय बृज बिहारी जी, बहुत विस्तार से नहीं जा सकते हैं. सिर्फ एक मिनट बचा है. एक मिनट में आपका प्रश्न भी आ जाए और जवाब भी आ जाए.
श्री बृज बिहारी पटैरिया -- जी माननीय अध्यक्ष महोदय. मैं एक मिनट के अंदर अपनी व्यथा, अपनी पीड़ा व्यक्त कर दूं. 22 फरवरी 2024 से पीआईसी भंग है. आज दिनांक तक उसका गठन नहीं हुआ है. वर्ष 2024-25 और वर्ष 2025-26 आय-व्यय का बजट पारित नहीं हुआ है. 15 में से 12 पार्षद अध्यक्ष के खिलाफ है. सभी विकास निर्माण कार्य अवरुद्ध हैं. 2 वर्ष में लगभग 4 सीएमओ बदले गये. आरापों के बारे में पहले ही कह चुका हूं कि अध्यक्ष दोषी पाये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय - श्री बृज बिहारी जी, अब समय समाप्त हो गया है, क्षमा कीजिएगा, अब शून्यकाल शुरू होगा.
श्री बृज बिहारी पटैरिया - अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना आश्वासन चाहता हूं. हमारी बात तो पहले ही हो गई थी.
अध्यक्ष महोदय - आप मंत्री जी से मिलकर पूरी चीज बता देना, श्री सुरेश राजे.
श्री बृज बिहारी पटैरिया - अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
श्री प्रताप ग्रेवाल - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल में मैंने श्री सुरेश राजे जी का नाम पुकारा है. श्री सुरेश राजे जो बोलेंगे वही रिकॉर्ड पर आएगा.
(1) डबरा में कन्या महाविद्यालय खोला जाना
श्री सुरेश राजे (डबरा) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
(2) विधान सभा क्षेत्र क्रमांक 23 करैरा में हर्सी बांध से निकले पानी के कारण मार्ग बंद होना
श्री रमेश प्रसाद खटीक ( करैरा ) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
(XXX) आदेशानुसार रिकॉर्ड नहीं किया गया.
(3) नगर निगम भोपाल द्वारा हाऊसिंग फार ऑल के अंतर्गत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बनाये गये फ्लेट एवं शापिंग कॉम्प्लेक्स की हालत बदहाल होना
श्री आतिफ आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
(4) टीकमगढ़ जिले में गौ-शालाओं में देखरेख न होने से गौवंश की मौत होना.
श्री यादवेन्द्र सिंह (टीकमगढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है.
(5) प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते नहरों, झरनों, नदियों की पुलियाओं पर चेतावनी संकेतक लगाया जाना.
श्री आशीष गोविन्द्र शर्मा( खातेगांव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है.
(6) प्रदेश में डी.ए.पी. यूरिया सहित अन्य रासायनिक उर्वरकों की भारी कमी होना.
श्री विवेक विक्की पटेल( वारासिवनी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है.
(7) जावरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जावरा सीतामऊ रोड पर निर्माणाधीन तीन ब्रिजों के निर्माण में विलंब से हो रही असुविधा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
(8) नरयावली में सांदिपनी विद्यालय का भवन निर्माण अतिशीघ्र कराया जाना.
इंजी. प्रदीप लारिया-( नरयावली)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है.
(9) मध्यप्रदेश में सर्राफा व्यापारियों को शस्त्र लाईसेंस प्रदान किया जाना.
श्री शैलेन्द्र जैन(सागर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है.
(10) मध्यप्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में संचालित थैरेपी सेंटर, वेलनेस सेंटर एवं मसाज सेंटर के संचालन में स्पष्ट नियमों का पालन न किया जाना.
डॉ.
सीतासरन
शर्मा
(होशंगाबाद) --
अध्यक्ष महोदय,
श्री प्रदीप अग्रवाल- अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि मुझे भी अपना विषय रखने की अनुमति दी जाये.
अध्यक्ष महोदय –प्रदीप जी, इसमें आपका नाम नहीं है. रामकिशोर दोगने जी का था. तो वे हैं नहीं. कार्यवाही अब आगे बढ़ रही है. जगदीश देवड़ा जी.
12.11 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) (क) (i) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का मध्यप्रदेश में उर्वरक के प्रबंधन एवं वितरण पर 31 मार्च, 2022 को समाप्त वर्ष हेतु प्रतिवेदन मध्यप्रदेश शासन 2025 का प्रतिवेदन संख्या-1 (निष्पादन लेखापरीक्षा-सिविल),
(ii) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का 31 मार्च, 2022 को समाप्त वर्ष के लिए प्रतिवेदन मध्यप्रदेश शासन 2025 का प्रतिवेदन संख्या-2 (अनुपालन लेखापरीक्षा-सिविल),
(iii) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का वर्ष 2023-2024 के लिए राज्य वित्त पर प्रतिवेदन मध्यप्रदेश शासन वर्ष 2025 का प्रतिवेदन संख्या-3 (राज्य वित्त लेखापरीक्षा प्रतिवेदन), तथा
(ख) त्रिस्तरीय पंचायतराज संस्थाओं पर संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा का वार्षिक समेकित संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021.
(2) मध्यप्रदेश राज्य परिसम्पत्ति प्रबंधन कंपनी लिमिटेड का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2022-2023 एवं द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2023-2024..
(3) मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का 9वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024.
12.14 बजे ध्यानाकर्षण सूचना
प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होना.
श्री उमंग सिंघार (गंधवानी) {सर्वश्री फूल सिंह बरैया,जयवर्द्धन सिंह}- अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, गृह राज्यमंत्री जी को जो आंकड़े दिए गए वह पढ़ दिए, लेकिन एक सत्य बात वह बोल गए कि लूट में 15 परसेंट वृद्धि हुई है. अब लूट कैसे हो रही है प्रदेश में यह पूरा प्रदेश जानता है. आपने कहा वर्ष 2019 के बाद अपराधों में वृद्धि नहीं हुई कमी आई है. वर्ष 2024 में रोजाना 25 औसतन अपराध, 20 बलात्कार, 38 महिलाओं के गुमशुदगी के दर्ज हुए हैं और 19 परसेंट वृद्धि हुई है. आप कैसे कह सकते हैं. सायबर अपराध वर्ष 2025 में, आप 2019 की बात कर रहे हैं मैं तो अभी की बात बता रहा हूं कि ढाई सौ करोड़ की धोखाधड़ी पकड़ी गई. जहां बड़े शहर हैं, जहां मीडिया का फोकस है, वहां पुलिस त्वरित कार्यवाही करती है, लेकिन जहां मीडिया नहीं पहुंच पाती या देर होती है, ग्रामीण क्षेत्र के अंदर, आदिवासी क्षेत्र में घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन वहां पर कोई नहीं पहुंच पाता ना वहां पर कार्यवाही हो पाती है. निश्चित तौर से मैं यह कह सकता हूं कि यह अपराधों का वर्गीकरण है कि कैसे मामले निपटाए जाते हैं, यह सब बातें हैं.
अध्यक्ष महोदय, सरकार ने जो जवाब विधान सभा में है वह इस प्रदेश के लिए और देश के लिए बड़े चौंकाने वाले हैं. आदिवासी दलित महिलाएं बलात्कार का शिकार वर्ष 2022 से 2024 के बीच में, सुशासन की बात कर रहे हैं, प्रतिदिन एवरेज 7 एससी, एसटी महिलाओं के बलात्कार हैं. बाला बच्चन जी का सवाल था उसमें सरकार ने जवाब दिया 23 हजार से ज्यादा महिलाएं लापता हैं. कहां हैं बेटियां, कहां हैं लाड़ली बहना, सिर्फ 1,250 रुपये आप दे रहे हैं उस लाड़ली बहना को, लेकिन उसकी अस्मिता की बात नहीं करते, उसकी इज्जत की बात नहीं करते कि यह कैसे होगा, उसको कैसे सुरक्षा मिले ?
अध्यक्ष महोदय, हत्या की वर्ष 2023 से 2025 के बीच में एवरेज 4 रोज हत्या की घटनाएं हो रही हैं. प्रदेश में गुण्डाराज नहीं है तो और क्या है. किसका गुण्डाराज, कौन छूट दे रहा है ? आंकड़े बहुत सारे हैं. आपको मैं बताना चाहता हूं कि 25 अप्रैल को बालाघाट में सामूहिक बलात्कार आदिवासी महिलाओं के साथ हुआ. किस प्रकार से सरकार ने उसके अंदर सहायता राशि नहीं दी, उनको सहयोग नहीं किया, यह सरकार खुद जानती है. सरकार ने जवाब तक नहीं दिया. मैं खुद बालाघाट गया था. खण्डवा में सामूहिक बलात्कार 25 मई को आदिवासी महिला के साथ किस प्रकार से और कितना जघन्य अपराध हुआ. आदिवासी युवक पर अत्याचार छिन्दवाड़ा में 2 जुलाई, 8 मई रीवा में गला रेतकर हत्या, 1 मई रीवा में चोरी, 5 मई धार में 17 वर्षीय छात्रा की हत्या, श्योपुर में जातीय टकराव 28 अप्रैल, 27 जून नरसिंहपुर में दिनदहाड़े हत्या, 6 जुलाई उज्जैन में धार्मिक तनाव, 13 अप्रैल देवास में पुजारी पर हमला, 22 अप्रैल छतरपुर में पुलिस से बर्बरता, 26 जुलाई रतलाम में प्रेम संबंध को लेकर हत्या, 22 जुलाई जबलपुर में बलात्कार, 4 मई धार में लूटपाट, 13 मई गुना में सांप्रदायिक झड़प, 27 जून भोपाल में हत्या, यह मैंने आपको तात्कालिक आंकड़े गिनाए हैं. किस प्रकार सरकार असक्षम है. मुख्यमंत्री जी के पास गृह विभाग है, मुख्यमंत्री जी गायब हैं. इतनी महत्वपूर्ण चर्चा पर, पूरे प्रदेश के अन्दर घटनाएं घट रही हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मुख्यमंत्री जी सूचना देकर गए हैं. राज्य के काम से ही गए हैं.
श्री उमंग सिंघार -- मुख्यमंत्री जी बगैर सूचना के भी कब सदन में रहते हैं. प्रदेश में गए हैं तो मुझे लगता है दूरबीन लगाकर देखना पड़ेगा कि प्रदेश में कहां हैं. मालूम पड़ेगा कि दुबई गए हैं, स्पेन गए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप प्रश्न तो कर लें. जिससे माननीय मंत्री जी प्रश्न का उत्तर दे सकें.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब आप स्थगन लेते नहीं हैं, हमारे जितने भी साथी हैं जिन्होंने ध्यानाकर्षण दिया है उनको भी आप बोलने का समय दें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दल के विधायकों पर केस हुए हैं. 24 घंटे के बजाए 48 और 72 घंटे हो गए लेकिन सरकार के पास कोई वो नहीं है. क्या आप विपक्ष की आवाज दबाना चाहते हैं. मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस पर तत्काल जांच होना चाहिए, इंक्वायरी होना चाहिए. अशोक नगर में हमारे प्रदेश अध्यक्ष पर असत्य प्रकरण दर्ज हुआ. जिन्होंने प्रकरण दर्ज कराया वो आज भी गायब हैं. उस परिवार का मध्यप्रदेश में पता ही नहीं है. जो फरियादी है वह सामने आए. ऐसा कहां केप्चर कर लिया है और किसने किया है. किसने अपहरण किया है. क्या पुलिस इसकी जांच नहीं कर रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- आपके अध्यक्ष जी के भय से गायब हुए होंगे वो.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी गुजरात पुलिस ने आकर के 1800 करोड़ रुपए का एंटी ड्रग्स पकड़ा. साल-छह महीने हुए हैं. अभी मालूम पड़ा है कि कोई शफीक "मछली", कोई शफीक थे, शेरू थे. किस पार्टी के थे, भाजपा के कार्यकर्ता थे. अब मैं किसी व्यक्ति का नाम नहीं ले रहा हूँ. लेकिन वे किससे जुड़े थे. आप थानों में खुलेआम गाड़ी लेकर छुड़ाने जा रहे हैं. यह पुलिस विभाग मुझे बता रहा है. क्या भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों का संरक्षण है. इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए. कई बातें चलीं कि अल्पसंख्यक का अध्यक्ष बना दिया. हिन्दू लड़कियों के साथ अगर आपकी पार्टी का कोई अपराध करता है, गलत कृत्य करता है तो वह माफ है, वह जायज है. अगर और कोई होता तो वो लव जिहाद है. सनातन की बात करने वाले ऐसा अन्याय क्यों कर रहे हैं. पार्टी के अन्दर इस बात पर मंथन होना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पत्रकारों पर असत्य प्रकरण बन रहे हैं. अभी हमारे कुलदीप सिंगोरिया पर बन गया था. जिस पर पूरे पत्रकारों ने धरना दिया था. पुलिस सुनना नहीं चाहती है. अभी कल नरसिंहपुर में रात में अमित भाटिया पर गोली चल गई. गोली चलाने वाले आदर्श कोहली. यह कौन हैं, क्या हैं, किससे जुड़े हैं यह पुलिस को पूरी जानकारी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जौरा में कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष, विनोद दुबे पर लूट और अपहरण का असत्य मुकदमा कर दिया गया. इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. सेंधवा में टीआई दिलीप पुरी शराब जब्त करते हैं और खुद ही शराब बेचने लगते हैं. कैसे टीआई रखे हैं. प्रदेश में यह भी हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- अब प्रश्न पर आ जाएं
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पन्ना में वाहन चेकिंग के दौरान, मैं तो आपको प्रमाण के साथ जानकारी दे रहा हूँ कि किस प्रकार अमानवीयता की स्थिति है. वहां पर देवेन्द्र नगर में सलैया तिराहे पर महिला अपने भाई के साथ ससुराल जा रही थी. वाहन चेकिंग के दौरान महिला के बाल पकड़कर खींच दिए गए. इसका नाम था. देवेन्द्र नायक नाम था जिसको निलंबित कर दिया, लेकिन पुलिस निलंबित ही करती है, कठोर कार्यवाही क्यों नहीं करती है. खुलेआम आप वाहन चेकिंग में महिला के बाल खींच रहे हो. बड़ी लज्जा की बात है. मेरे पास बहुत केस स्टडियां हैं, लेकिन मैं उसमें से एक या दो बताना चाहता हूं जिसमें कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर किये इसके बावजूद भी मध्यप्रदेश में न पुलिस विभाग ने सुना और मुख्यमंत्री जी तो सुनते ही नहीं हैं, मुख्यमंत्री जी तो संवाद में रहते ही नहीं हैं तो मैं क्या कहूं. वह माननीय हैं, नेता हैं. गुना का मामला है 13, 14 जुलाई, 2024 को गुना जिले में बंजारा जनजाति के देव पारदी को शादी के मंडप से उठा लिया और जब परिवार ने कहा कि क्या आपके पास गिरफ्तारी वारेंट है तो पुलिस ने उनके पूरे परिवार को मारा. थाने में देव की हार्ट अटैक से मौत हो गई.
सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में सीबीआई को सौंपते हुए 30 दिन में आरोपियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश दिये. न्याय कहां मिल रहा है. न तो पुलिस से न्याय मिल रहा है, न तो सरकार से न्याय मिल रहा है. कोर्ट को न्याय देना पड़ रहा है. कानून की क्या स्थिति है? सागर में एक 15 वर्षीय दलित के साथ कुछ जमीदारों ने यौन शोषण किया. पुलिस ने बलात्कार के बजाय मारपीट का मामला दर्ज किया.
अध्यक्ष महोदय-- उमंग जी, अब आप कृपया समाप्त करें.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि सदन नियम और परम्पराओं से चलता है.
अध्यक्ष महोदय-- उमंग जी, ध्यानाकर्षण की परम्पराएं आपको मालूम हैं. आप सीनियर सदस्य हैं. बाकी दो लोग भी इसमें बोलने वाले हैं.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे कई मामले हैं. चीफ सेक्रेटी जी को भी हाईकोर्ट ने निर्देश दिये हैं वह भी मैं संज्ञान में लाना चाहता हूं. अंतराम अवशेद, ट्रायबल बुरहानपुर, बारेला आदिवासी समुदाय का है. एक साल के लिए बुरहानपुर कलेक्टर ने जिला बदर कर दिया. भारतीय वन अधिनियम के तहत 11 लंबित मामले में फरार. हाईकोर्ट ने जिला बदर रद्द किया और उसके बाद हाईकोर्ट की टिप्पणी है. हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन को निर्देश दिये कि राज्य के सभी जिला अधिकारियों, कलेक्टरों की बैठक बुलाएं और उन्हें समझाएं कि राजनीतिक दबाव में आकर आदेश पारित न करें. राजनीतिक दबाव में पुलिस काम कर रही है. इस प्रकार से असत्य प्रकरण बन रहे हैं. मैं प्रमाण दे सकता हूं कि प्रदेश के अंदर 70 लाख असत्य प्रकरण बनाए गये. 151, 107, 108.
अध्यक्ष महोदय, आपसे संरक्षण चाहिए. एक आम व्यक्ति की बात कर रहे हैं, हम जनता की बात कर रहे हैं. जिन पर पुलिस प्रकरण बन रहे हैं. मैं समझता हूं कि कानून के साथ जो फरियादी होता है उसकी भावना का संवाद है, उसकी संवेदनाओं का संवाद है, लेकिन कई थानों में खुलेआम पैसे वसूले जाते हैं. इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी कब समीक्षा करेंगे. सिर्फ ऑर्डर की लिस्ट निकाल दो. लाओ, ले जाओ ऑर्डर. अभी विभाग का एक अंतिम ऑर्डर निकला है. मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि दिनांक 17.6.2025 का आर्डर है. विशेष महानिदेशक प्रशासन, आदर्श कटियार जी का आदेश है कि आपराधिक प्रकरणों, विभागीय जांच में सम्मिलित अधिकारियों की पदस्थापना के संबंध में, इसमें स्पष्ट लिखा है कि इस संबंध में किसी भी पुलिसकर्मी के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण, भ्रष्टाचार, विवेचना, अभियोजन में लंबित है, दुर्घटना को छोड़कर तो उनको कोई थाने नहीं दिये जाएंगे, कोई पद नहीं दिये जाएंगे. ऐसे कितने लोग हैं, टी.आई., सब इंस्पेक्टर, अधिकारी जिन पर जांच चल रही है,जिनको आपने महत्वपूर्ण जवाबदारी दे रखी है, क्या सरकार का आदेश बेमानी है ? आप अगर भ्रष्टाचारी और निर्मम लोगों को, जो पुलिस में हैं, उनको आप थाने देंगे, तो आम जनता से वे क्या व्यवहार करेंगे, यह मैं कह नहीं सकता हूं. क्या सरकार तत्काल ऐसे लोगों को लाईन अटैच करेगी ? पूरे प्रदेश में ऐसे लोग हैं, पूरे प्रदेश के अंदर, हर थाने में, हर विधान सभा क्षेत्र में, हर ब्लॉक में ऐसे लोग मिल जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय- कृपया अब समाप्त करें.
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष महोदय, विषय बहुत हैं लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि सरकार आंकड़ों पर ध्यान दे और मुख्यमंत्री जी आज सदन में नहीं है लेकिन मैं, राज्यमंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि आप ही मुख्यमंत्री जी को सलाह दें कि गृह विभाग यदि उनसे नहीं संभल रहा, तो किसी और को दे दें, ऐसा क्या प्रेम है ?
अध्यक्ष महोदय- संसदीय कार्य मंत्री जी सदन में हैं.
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष महोदय, मैं कल बता चुका हूं, प्रदेश में शराब खुलेआम बंट रही है, MRP से ज्यादा भाव में बिक रही है, यह पैसा किसके पास जा रहा है, ये 200-300 करोड़ रुपये कहां जा रहे हैं, प्रदेश में कहां अवैध वसूली हो रही है, कौन शराब माफिया है, कौन इसको चला रहे हैं, कौन गुजरात शराब भेज रहे हैं, इन सभी का संज्ञान पार्टी क्यों नहीं लेती है ?
अध्यक्ष महोदय- बरैया जी, केवल एक प्रश्न करना है.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर)- अध्यक्ष महोदय, सवाल आपके बड़े होते हैं हमारे छोटे कर दिये जाते हैं. मध्यप्रदेश में जो कानून व्यवस्था बिगड़ी है, इसका सबसे ज्यादा असर गरीब और कमजोर लोगों पर पड़ता है, दबंगों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है, अगर सरकार दबंगों का पक्ष लेती है तो निश्चित रूप से लॉ एण्ड ऑर्डर खराब नहीं है और यही नहीं, अच्छी बातें कह सकते हैं, अपनी पीठ थपथपा सकते हैं, सारी बातों को न्यायालय ने खारिज कर दिया. पुलिस गुण्डों का संगठित गिरोह है, यह माननीय उच्च न्यायालय की टिप्पणी है और ये पुलिस में रहने लायक नहीं है इसे बर्दाश्त क्यों कर रहे हैं इन्हें बाहर का रास्ता दिखाओ. मुख्यमंत्री जी बात करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं, DGP फोन नहीं उठाते हैं.
अध्यक्ष महोदय- बरैया जी, कृपया यदि आप प्रश्न करेंगे तो मंत्री जी उत्तर दे सकेंगे.
श्री फूलसिंह बरैया- अध्यक्ष महोदय, जिला दतिया में, भाण्डेर क्षेत्र में, थाना गोदन में अनुसूचित जाति का सहायक उपनिरीक्षक (ASI) प्रमोद पावन, पुलिस और रेत माफिया की प्रताड़ना के कारण थाने में फांसी लगाकर झूल गया, उसका पूरा परिवार दु:खी है, उसका वीडियो है, सुसाइड नोट भी है. इसी प्रकार थाना थरेट में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ क्या व्यवहार हो रहा है, थाना धीरपुरा में अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ क्या व्यवहार हो रहा है, थाना पंडोखर में तो हद हो गई है, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को बुला-बुलाकर असत्य मुकदमे दर्ज करके, महिलाओं के साथ अन्याय पुलिस स्वयं कर रही है, थाना मेहगांव तो अत्याचार की चौकी बन गया है, वहां के थाना प्रभारी डकैतों से कम नहीं है. थाना रोंन में तो लूट का ठेका ले लिया गया है, वह रेत माफिया का अड्डा बन गया है.
अध्यक्ष महोदय, इसलिए मैं कहना चाहता हूं महिलाओं की इज्जत, कमजोर वर्गों की इज्जत नहीं है. कमजोर वर्गों की तरफ से यदि कोई FIR होती है तो उसको गिरफ्तार नहीं किया जाता है और अगर कोई गिरफ्तार हो भी गया तो तत्काल ज़मानत दिलवा दी जाती है. सहायक उपनिरीक्षक प्रमोद पावन जब फांसी पर झूला, उसका वीडियो उपलब्ध है, सुसाइड नोट उपलब्ध है, उसके बाद भी आज 10वां दिन है FIR नहीं हुई है और कह क्या रहे हैं कि जांच चल रही है. अगर ये आपके पक्ष का आदमी होता, दबंगों का आदमी होता, तो क्या कहते, फिर कहते कि फरियादी कहेगा तो हम तो FIR काटेंगे. यहां फरियादी की बात और वहां के फरियादी की बात में, दो तरह की बात है. क्या सरकार दो बात ही करती है. क्या सरकार नागरिकता दो तरह की दे रही है ? अगर हम कहते हैं कि हमारा कोई गरीब आदमी थाने में प्रताडि़त हो रहा है, तो उसके बारे में सरकार जांच करवा ले. सरकार खुद जाकर प्रतिनिधि को भेज दे. अगर हम जो बात कह रहे हैं, उसमें अगर कोई बात छोटी से छोटी असत्य निकल जाये.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्वाइंट ऑफ ऑर्डर है. यह ध्यान आकर्षण की सूचना है. पहले नेता प्रतिपक्ष जी ने भाषण दिया और अब फूल सिंह जी भाषण दे रहे हैं. प्रश्न आएंगे कि नहीं आएंगे.
अध्यक्ष महोदय - बरैया जी, आप प्रश्न कीजिये. मैंने पहले ही आपको कहा था.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, लॉ एण्ड ऑर्डर पूरी तरह से मध्यप्रदेश में ध्वस्त और खत्म है, आप इससे संबंधित हमारे प्रश्नों का जवाब नहीं दे रहे थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पर किसी बड़ी व्यवस्था के अंतर्गत चर्चा होनी चाहिए थी, इसमें हमारे विधायकगण भी बोलना चाह रहे थे.
अध्यक्ष महोदय - बाला जी, यह महत्वपूर्ण विषय है, इसीलिये ध्यान आकर्षण लाया गया है. लेकिन ध्यान आकर्षण के नियम, प्रक्रिया एवं परम्परा है, उसकी तरफ संसदीय कार्य मंत्री जी ने ध्यान आकर्षित किया है, उसका पालन करना भी जरूरी है. मैंने बरैया जी से कहा था कि वह प्रश्न करेंगे तो जवाब मिलेगा.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका पालन संसदीय कार्य मंत्री जी और सरकार करे. हम तो सभी विधायकगण बोलना चाह रहे थे.
अध्यक्ष महोदय - (बरैया जी के खड़े होकर बोलने पर) बरैया जी, आपका समय पूरा हो गया है. आपका प्रश्न ही नहीं आ रहा है.
श्री फूल सिंह बरैया - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट. मैं चाहता हूँ कि इसमें दसवां दिन है, इसमें एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, तो जांच कैसे कराई जायेगी, जांच कैसे होगी ? इसके बारे में जवाब दिया जाये. एफआईआर कब होगी, यह भी बताया जाये कि होगी कि नहीं होगी, या यह कमजोर वर्ग का मामला है तो नहीं होगी, यह भी बताया जाये. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है. श्री जयवर्द्धन सिंह जी.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका आभारी हूँ कि आपने मुझे भी इस बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर बोलने का मौका दिया है. मैं शुरुआत में कहना चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय - जयवर्द्धन सिंह जी, बोलने का नहीं, प्रश्न करने का मौका दिया है. (हंसी)
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके संरक्षण की आवश्ययकता है. जैसा नेता प्रतिपक्ष जी ने कल ही अनुपूरक बजट के भाषण में कहा था कि कहीं न कहीं वर्तमान में सदन में जो गंभीरता है, उस पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगता है. आज उसका सीधा उदाहरण यहीं मिल रहा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी, जो गृह मंत्री भी हैं, वह आज सदन में उपस्थित नहीं हैं. अन्त में, मैं यह उम्मीद करूँगा कि जिन-जिन हादसों की हम सब बात कर रहे हैं, उन पर क्या कार्यवाही होगी ? जिसका मुझे विश्वास है कि जब माननीय राज्यमंत्री जी, हमें अपना उद्बोधन देंगे तो उसका हमें आश्वासन दिया जायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रीमती सेना महेश पटेल, जोबट विधान सभा क्षेत्र की आदिवासी विधायक हैं, उनका पुत्र पुष्पराज रावत एक नौजवान युवा है, हम उनको बचपन से जानते हैं, उसको घर पर भय्यू के नाम से पुकारते हैं. शिक्षित युवा है, वह अपनी गाड़ी में जाता है, गलती से टक्कर हो जाती है.
अध्यक्ष महोदय - जयवर्द्धन सिंह जी, एक मिनट, एक मिनट. मेरा कहना यह है कि श्रीमती सेना महेश पटेल जी और श्री अभय मिश्रा जी की जब बात आई थी, तो इन दोनों को सदन में अपनी बात रखने का अवसर प्रदान कर दिया गया है. सदन के भी संज्ञान में है और सरकार के भी संज्ञान में है. इसलिए मैं समझता हूँ कि आप दूसरा प्रश्न करेंगे तो वह ठीक रहेगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी बात समझ गया हूँ. लेकिन उसी विषय में मेरा एक प्वाइंट यह है कि उसके कुछ दिन बाद तथा अभी कुछ दिन पहले झाबुआ की कलेक्टर महोदया की गाड़ी को एक वाहन टक्कर मार जाता है, लेकिन उस वाहन चालक पर धारा 307 दर्ज नहीं होती है, उस पर तो जो जमानती धारा है, वह दर्ज होती है. ऐसा भेदभाव क्यों हो रहा है ? यह बड़ा प्रश्न है, जिसका उत्तर आज हमें मिलना चाहिए. पोहरी विधान सभा क्षेत्र के बैराड़ कस्बे में एक व्यापारी श्री मनीष गुप्ता के सिर पर जूता रखवाकर माफी मंगवाई जाती है और आश्चर्य की बात यह है कि यह निर्णय पंचायत के माध्यम से लिया जाता है. पंचायत कौन लेते हैं, सत्ता पक्ष के नेता लेते हैं. 'नई दुनिया' अखबार ने इस खबर को छापा है और लिखा है कि बैराड़ में पंचायत रखी गई और तालीबानी सजा दी गई. तालीबानी सजा, यह स्थिति है आज के राज में कि आज पत्रकार ऐसी भाषा का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि ऐसे कारनामे हो रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, इसके साथ-साथ जो हादसा करणी सेना के साथ हरदा में हुआ था, उसमें भी पहले जो पीड़ित पक्ष था, उसने यह मांग की थी कि उसके साथ जो 18 लाख रुपये का घपला हुआ था, उसने एफआईआर की मांग की थी, जब एफआईआर नहीं हुई तो मजबूरी में करणी सेना को धरना देना पड़ा था, लेकिन शांतिपूर्ण धरना देने के बावजूद उनके साथ जो बर्ताव हुआ, उसके बारे में सबको खबर भी है और अभी तक जो कार्यवाही हुई है, उससे हम संतुष्ट नहीं है. हमने मांग की थी कि उस विषय पर भी मजिस्ट्रियल जांच होनी चाहिए. इसका आदेश अभी तक नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा के अंतर्गत ब्रह्मदास अहिरवार, आरोन थाने की घटना है, उनकी हत्या एक बीघा जमीन के विवाद में होती है. घटना के एक दिन पहले उनका पुत्र सत्य अहिरवार थाने में जाता है, शिकायत करता है कि ऐसी घटना की संभावना है. लेकिन पुलिस उनको कहती है कि एक केन्द्रीय मंत्री गुना में आ रहे हैं, हम अभी वहां पर व्यस्त हैं और फिर अगले दिन 20 लोग उनको घेरकर और लट्ठ मारकर ब्रह्मदास अहिरवार की हत्या करते हैं. ऐसी घटना इसलिए हो रही है माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि कहीं न कहीं जो पुलिस फोर्स की व्यवस्था होनी चाहिए, आज हमारे प्रदेश में नहीं है. अध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले की बात है, संजय उइके जी वहां के विधायक हैं, चार बालिकाओं का सामूहिक रेप होता है..
अध्यक्ष महोदय -- जयवर्द्धन सिंह जी, कृपया समाप्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष महोदय, चार बालिकाओं का सामूहिक रेप होता है और उन चार बालिकाओं में से तीन बालिकाएं नाबालिग होती हैं. यह स्थिति आज मध्यप्रदेश की है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहूँगा कि कुछ महीने पहले ही 'दैनिक भास्कर' अखबार में रिपोर्ट छपी थी, जिसमें इस बात का उल्लेख हुआ था कि आज मध्यप्रदेश में पुलिस के 25 हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं. इस संबंध में पहले भी वर्ष 2023 में कॉन्स्टेबल की और एसआई की भर्ती निकाली गई थी लेकिन अफसोस की बात यह है कि उस भर्ती में भी घोटाला किया गया. परिणाम नहीं आ पाया. पिछले 8 सालों से मध्यप्रदेश में कॉन्स्टेबलों और एसआई की भर्ती लंबित पड़ी हुई है. किसकी गलती है, सत्ता पक्ष की गलती है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें यही मांग करूंगा और मैं माननीय राज्य मंत्री जी से यह प्रश्न पूछना चाहूँगा कि ये जो शेष लंबित भर्तियां हैं, वह कब तक पूर्ण की जाएगी. अध्यक्ष महोदय, अंत में, जैसा कि आपने बताया कि जो हादसा अभय मिश्रा जी के साथ में हुआ, उसके बारे में आपने उनको बोलने का मौका दिया था, लेकिन पिछले सत्र में भी मिश्रा जी के बारे में बात हुई थी. उस समय भी माननीय मंत्री जी भावुक हो गए थे. ऐसा क्या कारण है कि बार-बार इनको टारगेट किया जा रहा है. इनको परेशान किया जा रहा है. एक वीडियो सामने आया है अध्यक्ष महोदय, जहां पर भाजपा का एक पूर्व विधायक महिला सीएसपी ऋतु उपाध्याय जी को घेर रहा है और उनको असंवेदनशील औरत के नाम से पुकार रहा है, क्या ये उचित है ?
अध्यक्ष महोदय -- जयवर्द्धन सिंह, कृपया बैठें.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष महोदय, क्या ये सही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें अंत में आपसे यही मांग करना चाहता हूँ कि जिन घटनाओं की हमने बात की है. उन एक-एक घटना के बारे में माननीय मंत्री जी उत्तर भी दें और उन घटनाओं में कब तक कार्यवाही होगी, सेना पटेल जी के बेटे को न्याय कब मिलेगा. हम यह मांग करते हैं कि इसका उत्तर हमको मिले.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपसे आधे मिनट का समय चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने किसी को अनुमति नहीं दी है. मंत्री जी का उत्तर ही रिकार्ड में आएगा.
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने मेरे बयान में वृद्धि शब्द तो सुन लिया था, जो केवल एक बार आया था, लेकिन उसी में वर्ष 2000 से 2025 में लूट में 28.77 प्रतिशत की कमी आई है. वे नहीं सुन पाए थे, इसलिए मैं पुन: स्मरण दिला रहा हूँ. साइबर अपराधों में लगातार जो थोड़ी वृद्धि हुई है, उसको हम स्वीकार कर रहे हैं. टेक्नॉलॉजी आई है, इसलिए साइबर अपराधों में थोड़ी वृद्धि हुई है, परंतु मुझे आपको बताते हुए यह प्रसन्नता है कि 105 करोड़ रुपये से अधिक की राशि होल्ड की गई है और हमारी पुलिस के पास सूचना आते से ही तत्काल कार्यवाही की जाती है और तत्काल कार्यवाही करने के कारण 105 करोड़ रुपये की राशि होल्ड हुई है. हमारे 1930 साईबर हेल्प लाईन है उस पर यदि कोई भी साईबर अपराध की सूचना आती है तो तत्काल कार्यवाही होती है तत्काल अकाउंट को होल्ड किया जाता है. लगातार साईबर अपराधों पर नियंत्रण करने के लिये मध्यप्रदेश की डॉ.मोहन यादव जी की सरकार प्रयास कर रही है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एक शब्द का उपयोग किया तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि कितना अंतर देश में नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आया है और डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में आ रहा है कि जहां पहले दंगे शब्द का उपयोग किया जाता है वहां अब केवल धार्मिक तनाव की बात कही जा रही है. पहले दंगे में लोग मारे जाते थे आज केवल तनाव शब्द का उपयोग किया जा रहा है और मेरे को यह भी बताते हुए हर्ष है कि वहां पर भी कोई धार्मिक तनाव नहीं था केवल एक जुलूस को दूसरे मार्ग पर ले जाने का प्रयास किया जा रहा था.छोटी सी एक घटना थी. नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में हर मगरमच्छ को खत्म कर दिया है छोटी-मोटी गंदी मछलियां बची हैं उनको भी खत्म करने का काम करेंगे. माननीय मुख्यमंत्री जी ने शपथ लेने के बाद
श्री अजय सिंह - माननीय मंत्री जी खुद की कबूल कर रहे हैं कि मगरमच्छ हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - माननीय मैं आपका सम्मान करता हूं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी सी.एम. साहब का उल्लेख कर रहे थे.निश्चित रूप से हमारे सी.एम. साहब विदेशों की यात्रा करके लाखों करोड़ों रुपये का इन्वेस्टमेंट मध्यप्रदेश के अंदर लाये हैं और आपके प्रदेश अध्यक्ष शायद अभी प्रदेश भ्रमण पर ही हैं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एक प्रश्न किया था एक दिशा निर्देश आदर्श कटियार जी के नाम से जो जारी हुआ उसमें मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि कोई भी आपराधिक प्रकरण जिन पर दर्ज हो या आपराधिक रिकार्ड हो या गंभीर आरोप हो ऐसे किसी भी व्यक्ति को थाना प्रभारी नहीं रखा गया है मध्यप्रदेश में. मिश्रा जी सुन लीजिये, आपके कहने पर ही इस सदन में कार्यवाही की थी चिंता मत करिये. मध्यप्रदेश के अंदर 11 हजार से अधिक लोगों के स्थानांतरण किये गये हैं. किसी भी पुलिस के आरक्षक को,निरीक्षक को 5 वर्ष से अधिक किसी थाने में नहीं रखा जा रहा है और किसी आरक्षक को अन्य विभाग में 10 साल से ज्यादा नहीं रहने दिया जा रहा. ऐसे सख्त निर्देश दिये गये हैं. आदरणीय फूल सिंह बरैया जी ने प्रश्न किया.
श्री अजय सिंह- अवनीश पाण्डे जो निलंबित हुआ गढ़ थाने से निलंबित हुआ और 25 दिन के बाद वहीं पर पदस्थ है.
श्री अभय मिश्रा - यह आपका उत्तर है उन पर विभागीय जांच संस्थित है और उनको आपने उनको बहाल किया है और गढ़ थाने में ही पोस्टिंग है. आप क्यों असत्य बोल रहे हैं. आप कहिये कि मेरा जो मन करेगा मैं करूंगा जैसा आप कर रहे हैं पूरे प्रदेश में अपराध करवा रहे हैं. महिला सी.एस.पी. पर आक्रमण करवा रहे हैं. आप लोगों को लज्जा नाम की चीज नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - अभय जी कृपया बैठें.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - आदरणीय फूल सिंह बरैया जी ने जो प्रश्न उठाया है उस विषय में विभाग भी गंभीर है और गंभीरतापूर्वक उसकी जांच की जा रही है जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जायेगी. जयवर्द्धन सिंह जी ने जो प्रश्न उठाया है कि पुलिस की भर्ती का तो 8 हजार से अधिक पदों की भर्ती की प्रक्रिया प्रचलन में है और जो विषय उठाया है कि एक निर्दोष बालक है परिवार आपका हो चाहे मेरा हो. परिवार में सबकी चिंता करना माननीय अध्यक्ष जी का दायित्व भी है और हम सबको उनका संरक्षण भी प्राप्त है. मैं बताना नहीं चाह रहा था, लेकिन आपने उल्लेख किया इसलिये बताना चाह रहा हूं कि वह काली स्कॉर्पियो से वगैर नंबर लगी गाड़ी से जा रहे थे और उन पर पहले से 6 प्रकरण दर्ज हैं तो यह नहीं कहा जा सकता कि वह निर्दोष हैं. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के अंदर डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में शांति है और कानून व्यवस्था सुदृढ़ है. धन्यवाद.
... (व्यवधान)...
2. पन्ना जिले में राजस्व एवं वन विभाग की सीमाओं का निराकरण न होना.
श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह (पन्ना)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिये इससे हमारे सदस्य असंतुष्ट हैं ... (व्यवधान)... कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. ... (व्यवधान)... माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के अंदर कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है. ... (व्यवधान)... माननीय अध्यक्ष महोदय, भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, मुख्यमंत्री जी कंट्रोल नहीं कर पा रहे. मेरा आपसे निवेदन यह है कि इसकी समीक्षा होना चाहिये. ... (व्यवधान)... माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे संरक्षण चाहिये. ... (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जायें, दूसरा ध्यानाकर्षण चल रहा है...(व्यवधान)...
12.58 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों ने गर्भगृह में प्रवेश किया एवं नारे लगाये)
ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय-- मेरी सभी सदस्यों से प्रार्थना है कि वह अपने स्थान पर बैठें. ... (व्यवधान)... ध्यानाकर्षण पर काफी चर्चा हुई है. नेता प्रतिपक्ष ने विषय को विस्तृत तरीके से रखा है. जिन सदस्यों के नाम थे उनको भी बोलने की अनुमति दी गई है ... (व्यवधान)... मंत्री जी ने जवाब दिया है. मैं समझता हूं सदस्यों को संतुष्ट होना चाहिये, अपने स्थान पर बैठना चाहिये. दूसरा ध्यानाकर्षण मैंने पुकार लिया है इसलिये कार्यवाही आगे बढ़ गई है. ... (व्यवधान)... मेरी आप सबसे प्रार्थना है कि अपने स्थान पर बैठें ... (व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार-- हमारे विधायकों पर कार्यवाही हो रही है उस पर सरकार ... (व्यवधान)... माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस द्वारा तानाशाही चल रही है ... (व्यवधान)... असत्य प्रकरण दर्ज किये जा रहे हैं. ... (व्यवधान)... कोई सुनवाई नहीं हो रही है ... (व्यवधान)... थाने के अंदर पैसे लेकर पोस्टिंग हो रही है माननीय अध्यक्ष महोदय. ... (व्यवधान)... जो पैसे लेकर पोस्टिंग करेंगे तो करप्शन करेंगे ... (व्यवधान)... आम जनता की नहीं सुनेंगे. ... (व्यवधान)...
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह)-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सदन को एक महत्वपूर्ण सूचना देना चाहता हूं. अभी-अभी मालेगांव बम ब्लास्ट वाले मामले में एएनआई कोर्ट का फैसला आया है और जिन पर आरोप लगाये गये थे.. (व्यवधान).. हिन्दू आतंकवाद को लेकर वह सारे के सारे बरी हो गये हैं और हिन्दू आतंकवाद जैसी थ्योरी ध्वस्त हो गई है. ... (व्यवधान)...इस देश में हिन्दू आतंकवाद जैसी कोई धारणा न थी, न है और न रहेगी. इस फैसले ने यह साबित कर दिया है.
... (व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर अराजकता है, पुलिस का कंट्रोल नहीं ... (व्यवधान)... बेलगाम हो चुका है ... (व्यवधान)... मुख्यमंत्री संभाल नहीं पा रहे ... (व्यवधान)...जनता की आवाज दबाई जा रही है ... (व्यवधान)... पुलिस के अंदर भ्रष्टाचार हो रहा है.
12.59 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर अराजकता है, पुलिस का कंट्रोल नहीं है, पुलिस के अंदर भ्रष्टाचार है, जनता की आवाज दबाई जा रही है. हम बहिर्गमन करते हैं.
(श्री उमंग सिंघार, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो माननीय मंत्री जी का जो जवाब है, उसमें मैं देख रहा था, तो उसमें उन्होंने पहले कहा है कि राजस्व नक्शों एवं वन नक्शों में सीमाएं अंकित कर दी गई है, दूसरा बात उन्होंने उसी में यह लिखी है कि वन व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा इसके निराकरण संबंधित कार्यवाही की जा रही है, फिर तीसरी बात जवाब में यह आई है कि धारा 5 से 19 की कार्यवाही प्रचलन में है, उसके बाद यह भी बताया है कि मुख्य सचिव कार्यालय से 24 जुलाई 2004 को जिसको कि 25 साल हो गये हैं, 25 साल में जिसमें कि उनके पत्र में यह लिखा गया था कि छ: महीने के अंदर इसका निराकरण किया जाये, लेकिन छ: महीने तो क्या 25 साल होने के बावजूद भी आज भी उसका निराकरण नहीं हुआ है, उसमें पी.एस.रेवेन्यू, पी.एस. फॉरेस्ट को उसकी निगरानी के लिये भी उस पत्र में लिखा गया था और उसमें यह बोला गया था कि दो महीने के अंदर समीक्षा करें और यदि उसमें जो भी दोषी हों, उनके विरूद्ध कार्यवाही करें, उस पत्र का भी हवाला दिया गया है, इसमें यह भी लिखा गया है कि कार्य अत्यंत जटिल और विस्तृत रूप से होने से समय लगता है. अब मेरा यह कहना है कि इधर आप कह रहो कि नक्शे में हमने हरी लाईन भी डाल दी है,चिह्नित भी कर दिया है, इधर यह भी कह रहो कि वह प्रचलन में धारा 5 से लेकर 19 तक की कार्यवाही प्रचलन में चल रही है, आपका सी.एस. का लेटर भी आप बता रहे हो, मेरा आपसे आग्रह यह है कि आज वहां पर क्योंकि हमारे माननीयम मुख्यमंत्री जी नहीं हैं, जब वह उच्च शिक्षा मंत्री थे, तो उन्होंने हमें एक गर्ल्स कॉलेज दिया था, अब गर्ल्स कॉलेज को जो जमीन आवंटित हुई, उसको भी वन विभाग ने जब बाउंड्री बनी तो, उसको गिरा दिया, जब उसका संयुक्त सीमांकन किया गया तो वह 112 एक एकड़ जमीन राजस्व की निकली, दूसरा वहां पर एक मेडीकल कॉलज जो हमारे यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वीकृत किया, उसके लिये जो जमीन कलेक्टर ने आवंटित की, उस जमीन को भी उसमें आपत्ति लगा दी की यहां पर मेडीकल कॉलेज नहीं बन सकता है क्योंकि यह फॉरेस्ट की जमीन है और जब उसका संयुक्त सीमांकन हुआ तो 111 एकड़ जमीन राजस्व की निकली, आपके यहां पर जो एनएस-39 है जो झांसी से आपके यहां तक इलाहाबाद तक जाती है, आज उसके बमीठा से सतना के बीच की जो फॉरलाइन जो रास्ता बनना चाहिए वह रूकी पड़ी है, उसका मूल कारण है कि जो हमारा घाट सेक्शन है वहां पर आपके जंगल विभाग की जो आपत्ति है, अभी कलेक्टर महोदय ने एक उसकी जो सर्वे रिपोर्ट निकाली है वर्ष 1975 का जो नोटिफिकेशन फॉरेस्ट का है, उसमें से 36 एकड़ से ज्यादा राजस्व की है, जिस पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट आपत्ति लगा रहा है और जिस कारण से वह रोड नहीं बन पा रही है, सिर्फ इतना ही नहीं है आपके जो जल जीवन मिशन की जो टंकी है, उसको भी रोक दिया गया है जिस कारण से आज हमारा लॉस्ट टेन में हमारा जिला चल रहा है, इसलिए मैं यह कहना चाहता हूं कि यह तो हो गई आपके विकास की बात, जहां तक राजस्व को लेकर बात है, तो डेढ़ हजार हमारे ऐसे पट्टेधारी भूमि स्वामी है, जिनको आपके राजस्व की जमीन से बेदखल करके, उनके ऊपर सीमा डाली जा रही है, उनको बाहर भगाया जा रहा है और इसलिए 415 ऐसे हमारे वन व्यवस्थापन के पट्टे हैं, जिनको राजस्व में आज तक अमल नहीं किया गया है. इसके साथ साथ आज जो ग्राम वन से राजस्व ग्राम बने हैं आज उनको भी कोई सुविधाएं, चाहे खाद बीज की हो, किसान सम्मान नीति हो, या केसीसी हो वह इसलिए नहीं मिल पा रही क्योंकि राजस्व रिकार्ड में उसको दुरुस्त नहीं किया गया है. मेरा आग्रह है, मंत्री जी बड़े बेबाक्, स्पष्ट और संवदेनशील है, पन्ना का 43 प्रतिशत आपने बोला जंगल है, ये तो जिले का आंकड़ा बताया आपने. यदि मेरी विधान सभा में देखे तो 60 प्रतिशत जंगल है. मेरा कहना है कि आज डेढ़ हजार से ज्यादा लोग जो भूमि स्वामी वाले हैं उनको बाहर किया जा रहा है और आपके सीएस, आपका एक लेटर 1/05/2024 को, पीएस फारेस्ट ने सर्कुलर जारी किया और उसमें यह लिखा है कि जब तक फॉरेस्ट सेटलमेंट नहीं हो जाता है, तब तक किसी भी भूमि स्वामी को बेदखल नहीं किया जाएगा. ये आपका 1/05/2024 का पत्र है, जो पीएस फारेस्ट ने सभी डीएफओ को भेजा है, उसके बावजूद भी हालत यह है कि कलेक्टर आफिस हो या मेरा आफिस हो, सैकड़ों- हजारों की संख्या में लोग आ रहे हैं, कयोंकि डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों वहां से बेदखल हो रहे हैं. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जब आप इसमें खुद एक्सेप्ट कर रहे हो कि यह अत्यंत जटिल और विस्तृत है, धारा-4 से लेकर 19 की कार्यवाही प्रचलन में है, हमारे मुख्यमंत्री जी के कार्यालय से भी एक पत्र गया था, उसमें भी लिखा था कि 15 दिन के अंदर इसका निराकरण करें, उसकी कॉपी भी मेरे पास है. मैं तो सिर्फ इतना पूछ रहा हूं कि क्या अलग से कोई वन व्यवस्थापन अधिकारी पन्ना में नियुक्त करके, ये जो वन और राजस्व की सीमाओं का विवाद है, इसको एक समय सीमा में निराकृत करेंगे और कब तक वन व्यवस्थापन अधिकारी को नियुक्त कर देंगे. साथ ही यह भी कहना चाहता हूं कि जब तक ये सेटलमेंट नहीं हो जाता है, तब तक क्या वहां पर जो बेदखली की कार्यवाही जंगल विभाग के द्वारा की जा रही है, उसको रोका जाएगा जो कि 1/05/2024 को पीएस, फॉरेस्ट ने लेटर भेजा इस पर पर मैं माननीय मंत्री जी का जवाब चाह रहा हूं.
श्री करण सिंह वर्मा – अध्यक्ष जी, विधायक जी ने बड़ी चिन्ता की है, थोड़ी दिक्कत तो आ रही है. लेकिन मैंने अपने प्रश्न के उत्तर में बताया कि हमारे राजस्व विभाग के एसडीओ और वन अधिकारी जहां भी ऐसी दिक्कत आती है, वहां का सर्वे करते हैं और उसका निराकरण करते हैं. वहां दूसरे अधिकारी की हमें जरूरत नहीं है, जहां भी ऐसे गांव हैं, मैं आपको सदन में कह रहा हूं. माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार है, एक भी आदिवासी को वहां से हटाया नहीं जाएगा, इनका सर्वे करेंगे, हम सक्षम अधिकारी है, कलेक्टर भी वहां पर बहुत प्रयास कर रहे हैं, मेहनत कर रहे हैं और एक भी व्यक्ति जिसके पास फारेस्ट के पट्टे हैं, उनको नहीं हटाएंगे और इसका सर्वे करवाएंगे.
अध्यक्ष महोदय – माननीय सदस्य दूसरा कोई पूरक प्रश्न है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह – अध्यक्ष जी, मैं बार बार कह रहा हूं 25 साल हो गए हैं, मुख्य सचिव के यहां से जो सर्कुलर जारी हुआ, जिसमें 6 महीने के अंदर सीमांकन होना था 01/05/2024 का प्रमुख सचिव फॉरेस्ट का लेटर गया है, जिसमें कि किसी को बेदखल न किया जाए, तब तक कि फॉरेस्ट सेटलमेंट नहीं हो जाता है, उसके बाद भी डेढ़ हजार रेवेन्यु के, वन व्यवस्थापन तो छोडि़ए, अभी भी 415 पड़े हैं वह अभी भी राजस्व रिकार्ड में अमल नहीं हुए हैं. आपके खुद के जो 1950 के पट्टे मिले हैं, जिनको पट्टे मिले हैं, उनको बेदखल किया जा रहा है, उसमें ग्रीन लाइन डाली जा रही है .मेरा आग्रह है कि मंत्री जी, फारेस्ट वालों ने जो भी आपको जवाब दिया हो, मेरा आज वहां का ज्वलंत और संगीन मुद्दा है, या तो मैं उसकी समस्या के साथ खड़ा हूं या उसका समाधान ढूंढू. मैं आज समाधान के लिए आया हूं अध्यक्ष जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि एक संवेदनशील मुद्दा को आपने सदन में रखने का मौका दिया. मैं हृदय से आभारी हूं. मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि एक वन व्यवस्थापन अधिकारी, क्योंकि वहां पर जो आपके डिप्टी कलेक्टर है, सात होने चाहिए 5 ही है वह एसडीएम अपना काम करेगा कि वन व्यवस्थापन का कार्य करेगा, आप अलग से, सीएम साहब जब भी वहां पर जाते हैं, चाहे तत्कालीन हो, चाहे वर्तमान हो, आज सबसे पहली मांग वहां पर यह होती है कि वन व्यवस्थापन्न और सीमा का विवाद के लिये कोई अधिकारी को नियुक्त करें. मैं आज यह घोषणा चाहता हूं कि वन व्यवस्थापन्न अधिकारी को वहां पर आप नियुक्त करेंगे जिससे समय सीमा में वन एवं राजस्व का विवाद खत्म हो जाये, जिसके कारण हमारे निर्णाय कार्य रूक रहे हैं, जिसके कारण वह आपत्ति लगा रहे हैं, वह हमारी जमीनें हैं हम बता रहे हैं कि मेडिकल कॉलेज को रोक दिया उसके बाद 112 एकड़ जमीन मिली. सीएम साहब हमारे उच्च शिक्षा मंत्री थे तो उन्होंने कॉलेज बिल्डिंग दी उसकी बाउंड्री गिरा दी उसके बाद जब उसको नापा गया तो 111 एकड़ जमीन निकली हमारी तो इसमें आपको सीमांकन कराने में क्या दिक्कत है ?
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी ने बताया कि अभी हमारे एसडीओ एवं वन के अधिकारियों ने सर्वे किया तो 1 सौ कुछ एकड़ जमीन बता रहे थे. वह राजस्व विभाग में निकली है. ऐसे ही मैंने आपके समक्ष बोला है कि कोई भी राजस्व विभाग का पट्टा जिसको दिया गया, वह बेदखल नहीं होगा, उसका पट्टा निरस्त नहीं होगा. जहां माननीय सदस्य जी ने कहा है कि कोई दिक्कत अगर रोड़ बनाने में हो तो हमारे अनुविभागीय अधिकारी को आवेदन दें. डीएफओ को ढाई एकड़ तक का रास्ता देने का अधिकार है. जहां डॉ.मोहन जी की सरकार में 929 में वन ग्रामों में से 827 वन ग्रामों को राजस्व विभाग में परिवर्तन कर रहे हैं. उनका पूरा डिटेल में कर रहे हैं. सरकार को इसकी चिन्ता है, आदिवासियों की चिन्ता है. जहां पर भी ऐसे मामले हैं जहां पर वन विभाग के पट्टे दिये गये हैं उनको राजस्व विभाग में परिवर्तन कर रहे हैं, तो ऐसे क्षेत्रों में विकास कार्यों को कभी रोका नहीं जायेगा, यह मैं आश्वस्त करता हूं कि कोई भी आदिवासी का वहां से उनको हटाया नहीं जायेगा, यह सदन में घोषणा करता हूं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी बहुत ईमानदार हैं, बहुत कड़क भी हैं. ईमानदारी से इनके यहां पर काम भी चल रहा है. माननीय सदस्य जी की समस्या का निराकरण आज का नहीं है, वह सिर्फ एक बात चाहते हैं कि एक अधिकारी को नियुक्त कर दें और समय सीमा में काम हो जाये. मेरे ख्याल से एक अधिकारी को नियुक्त करने में क्या तकलीफ है ? एक अधिकारी को नियुक्त करना चाहिये और उनकी समस्या का निराकरण करना चाहिये तथा उसकी समय सीमा निर्धारित करना चाहिये. मतलब जो वहां पर बसे हुए लोग हैं उनको सरकार की योजनाओॆं का लाभ नहीं मिल रहा है. यह ठीक है कि हमारी लोक कल्याणकारी सरकार है. इसकी आप समय सीमा निर्धारित करिये और हो सकता हो तो एक अधिकारी को सुनिश्चित भी करिये.
श्री मोहन सिंह राठौर—भितरवार विधान सभा क्षेत्र के अंदर जहां करीबन 900 रेवेन्यू के पट्टे जिनको कि फारेस्ट बेदखल कर रहा है.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय मंत्री जी ने कहा है. वैसे तो हमारा अनुविभागीय अधिकारी सक्षम अधिकारी है. यहां पर कोई कमी नहीं जैसा कि मैंने सदन में बोला है.
अध्यक्ष महोदय—राजस्व के अंतर्गत तो सभी समाहित हैं आपकी क्षमता पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्यमंत्री जी के आदेश का पालन करूंगा. अनुविभागीय अधिकारी पूर्व से ही इस कार्य को कर रहे हैं और वह नियुक्त हैं वही अभी तक इस कार्य को देखते आ रहे हैं उस पर विचार करेंगे, देखेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह—अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने इतनी बढ़िया बात कही है मैं भी वही चाह रहा हूं. वर्षों तक तथा लंबे समय तक एक अधिकारी को जब तक आप नियुक्त नहीं करेंगे तो आपके सीएस का आर्डर 25 साल से पड़ा हुआ है. किसानों को आज सम्मान निधि नहीं मिल रही है. वन से राजस्व हो गये आपने रिकार्ड में अमल नहीं किया, उनको खाद बीज नहीं मिल रहा है. 415 पट्टे आज भी अमल नहीं हुए हैं. माननीय मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं कि एक अधिकारी नियुक्त करके कम से कम सीमांकन सेपरेट तरीके से कराया जाये, उसको कई वर्ष बीत गये हैं. संसदीय कार्य मंत्री जी ने बहुत ही अच्छी बात कही है. हम उसकी नियुक्ति के लिये ध्यानाकर्षण लेकर के आये हैं कि हमारा यह विवाद खत्म हो.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी मेरा सिर्फ इतना ही आग्रह है कि यह जनहित का विषय है. इसलिये आप पीएस को एक बार निर्देशित करिये के इस विषय की विस्तृत समीक्षा कर लें. विधायक
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद दे रहा हॅूं. मै सिर्फ इतना कह रहा हॅूं कि हमारे जो राजस्व के, जो वन व्यवस्थापन के पट्टे हैं क्या वह राजस्व में अमल कर लेंगे ? जो अमल के लिए बचे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह विषय खतम हो गया है. माननीय प्रदीप लारिया जी. मैंने प्रदीप लारिया जी को आमंत्रित किया है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- वह अमल तो आप कर ही लेंगे. आप बोल दीजिए न.
मंत्री राजस्व (श्री करण सिंह वर्मा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जितने राजस्व के पट्टे दिये हैं मैंने पूर्व में भी कहा और अब भी कह रहा हॅूं कि उनको सारे पट्टे अमल में किये जायेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्व के नहीं, वन व्यवस्थापन के पट्टे जो राजस्व हो गए हैं, उनको अमल करना है. राजस्व के तो राजस्व में ही हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय प्रदीप लारिया जी.
1.16 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के पंचम प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
1.17 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
आज की कार्यसूची के पद क्रमांक-5 में उल्लिखित क्रमांक 1 से 68 तक की याचिकाएं प्रस्तुत की हुईं मानी जायेंगी.
1.18 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 8 सन् 2025) का पुर:स्थापन
(2) मध्यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक, 2025 (क्रमांक 5 सन् 2025)
श्रम मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार ने लगातार मजदूरों के जितने भी नियम और विधान थे, उनको ध्यान में रखकर हम हमेशा से इस बात के समर्थक रहे हैं कि मजदूरों का हित हो, लेकिन देश का हित हो और उसमें सबसे अहम हमारी हमेशा से चाहे भारतीय मजदूर संघ के तौर पर विचारधारा के हमारे लोग काम करते हों, हम सरकार में हों, हम सार्वजनिक जीवन में हों, हम जनप्रतिनिधि हों या हम उद्योगपति हों, हम हमेशा ही यह मानते हैं कि हमें टकराव से बचना चाहिए और यह नीति आज हमारी आज की नई नहीं है हम परम्परा से इस सिद्धांत को लेकर चलने वाले लोग हैं. भारत सरकार ने सारे श्रम कानूनों के जितने आजादी के पहले बने हुए कानून थे, आजादी के बाद बने हुए कानून थे, उन सबको 4 वॉल्यूम में करके उसको जितना कमतर कर सकते थे उतना कम करने की कोशिश की है, तो भारत सरकार ने जब इन कानूनों को संशोधन किया था, तब आप और मैं संसद में लोकसभा के सदस्य भी थे. उसी समय मध्यप्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया होगा, जो विधानसभा के भीतर नहीं आ पाया. जब भारत सरकार के श्रम मंत्री की अगुवाई में जब राज्यों की जो बैठक हुई, उसमें मैं गया तो मैं यह मानकर चल रहा था कि ये रिपील हो गए हैं लेकिन अध्यादेश निकला था लेकिन हम विधानसभा के सामने नहीं लाए थे, उस कारण से यह तीनों संशोधन, जो विधेयक के संशोधन हैं वह इस विधानसभा के सामने लाए हैं. ठेका श्रम अधिनियम 1970 अभी तक जो हमारा स्थापित नियम था, उसमें अगर कोई 20 ठेका श्रमिक हैं तो उस उद्योगपति को बाकायदा उसकी परमीशन लेनी पड़ती थी. भारत सरकार ने भी और हमने उसका अनुमोदन के तौर पर करके अब 50 की संख्या में ही इसके रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ेगी, अगर कोई उससे कम रहता है तो बाकी सब नियम तो उस पर लागू होंगे, वेतन है, पीएफ, एएसआई है, जितने प्रकार के मजदूरों के हित के कानून है वह उस पर लागू होंगे, लेकिन रजिस्ट्रेशन के लिए उसको 50 तक की छूट दी गई है. दूसरा, जो हमारा कानून है, कारखाना अधिनियम, 1948 इसमें 2 प्रकार के उद्योग प्रदेश में भी हैं और देश के भीतर भी हैं. जो बिजली से चलने वाले उद्योग हैं, उसमें था कि 10 मजदूरों की अगर उपस्थिति है तो उस पर रजिस्ट्रेशन कराना ही पड़ेगा. इस संख्या को बढ़ाकर 20 किया गया है क्योंकि देश के भीतर जिस प्रकार से उत्पादन की इकाइयां बढ़ी हैं, जिस प्रकार से तकनीक बढ़ी है. लेकिन यहां पर चूंकि खतरे हैं, इसलिए बहुत सारे नियम इस पर भी लागू होंगे, लेकिन संख्या को 10 की बजाय 20 कर दिया गया है और जहां पर ऊर्जा का उपयोग नहीं है, वहां पर अभी तक 20 में हम परमीशन देते थे, उसकी संख्या बढ़ाकर 40 की गई है और बाकी जितने भी प्रकार के मजदूरों के हित हैं, चाहे उसमें उनका वेतन हो, ओवर टाईम हो, बोनस हो, ग्रेच्युटी हो, अवकाश हो, सेवा शर्तें हों, जो श्रम कानूनों के नियम हैं वह उन पर भी लागू होंगे, जिन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है.
तीसरा है, औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 इसमें जो हमारी लोकोपयोगी सेवाएं थीं, उनमें पहले से ही यह कानून थे. यदि कोई व्यक्ति चाहे वह मजदूर संगठन का हो या उद्योगपति हो. सामान्यतः लोग अपना कारखाना बंद कर देते हैं, उसके बाद कहते हैं कि लिटिगेशन में चले जायं, लेकिन यह कानून अब उद्योगपति पर भी है कि उसको 6 महीने पहले यह सूचना देनी होगी, वह उद्योग बंद कर रहा है या नहीं, लेकिन साथ में यह मजदूरों पर भी एप्लाई होगा और या तो 6 महीने के भीतर या 14 दिन के पहले दोनों लोग कार्यवाही नहीं कर सकते हैं तो जो पहले से हमारा लोकोपयोगी सेवा अधिनियम था, उसमें यह संशोधन बाकी सब पर भी लागू होगा ताकि हड़ताल और बाकी चीजों से बचा जा सके और कोई भी उद्योगपति ऐसी मनमर्जी न कर सके कि उसने शटर बंद कर दिया और उसके बाद में बाकी लोगों का नुकसान हो गया. इस पर बड़ी लम्बी बहस देश के भीतर हुई है. राज्यों को खाली उसका अनुमोदन करना है. इस नाते ही हम विधान सभा के भीतर इसे लेकर आए हैं. इसमें लोकोपयोगी सेवा के जितने भी हमारे उद्योग हैं, इसमें खतरनाक किस्म की जितनी भी इकाइयां होंगी, अगर वह 20 की संख्या में भी हैं तब भी सरकार को उस पर कार्यवाही करने का अधिकार होगा. साथ में किसी भी उद्योग को जब भी चाहे सरकार, लोकोपयोगी सेवा घोषित कर सकती है. यह पहले से ही हमारे श्रम कानूनों में था, वह यथावत् है और इसलिए मैं फिर से कहूंगा कि जितने भी मजदूरों के वेतन, भत्ते, ग्रेच्युटी उनके स्वास्थ्य अवकाश, इस प्रकार की जो सुविधाएं हैं, उसके किसी भी कानून में कोई छेड़खानी नहीं है. वह उसको यथावत् मिलेंगे. सिर्फ अवधि की, संख्या की प्रावधान में जो तब्दीली हुई है, उन तीनों संशोधनों को लेकर मैं आपके सामने और सदन के सामने आया हूं. मुझे लगता है कि इसमें जितने प्रकार से हम सोच सकते हैं तो हमें 2-3 बातें ही विचार करनी पडे़गी कि हम मजदूरों का हित देखें. हम उद्योग का जब हित देखते हैं तो राष्ट्र का हित देखें. टकराव कैसे बचेंगे, इसमें अगर कोई बीच में विवाद हुआ और कोई अगर सुनवाई हो रही है, उसके लिए भी पर्याप्त समय रहेगा. 6 सप्ताह बहुत बड़ा समय होता है. 14 दिन के पहले अगर कोई कार्यवाही नहीं करनी है तो मुझे लगता है कि सामंजस्य बैठाने के लिए भी यह पर्याप्त समय होगा. मैं समझता हूं कि सदन मेरी इस बात से सहमत होगा और इसलिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन से आग्रह करूंगा कि इस संशोधन को सहमति दें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यही अनुरोध करना चाहता हूं कि यह जो काला कानून प्रदेश की सरकार द्वारा लाया गया है, जो मजदूरों के हित में नहीं है. माननीय मंत्री जी ने काफी कुछ विस्तार से भले ही बताया है, परन्तु सच्चाई यह है कि मजदूर का बेटा प्रदेश का मुख्यमंत्री है. सबके लिए गौरव का विषय है. हमारे लिये भी है और उनसे यह अपेक्षा रखना कि मजदूरों के साथ में जो अन्याय होने जा रहा है, जो मजदूरों की पीढ़ा, परेशानी मैं जितना अच्छे से समझता हूं कि मेरे क्षेत्र में लगभग 100 कारखाने हैं, उसमें 1 रेमण्ड का भी बहुत बड़ा कारखाना है. इन 100 कारखानों में लगभग 12 से 13 हजार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से कामगार काम करते हैं. आज कामगारों की क्या स्थिति है, यह मंत्री जी और पूरे प्रदेश को पता है. मेरा यही सुझाव है कि ठेका पद्धति में आप लोग जितना भी आउट सोर्स रख रहे हैं और कंपनी वालों को आपने जो अधिकार दिये हैं. इससे मजदूरों का शोषण होगा, उसके बाद मजदूर कोई भी हड़ताल नहीं कर सकता है. इसका मतलब सीधा-सीधा उद्योगपतियों को संरक्षण देने का मामला है.
माननीय मंत्री मैं एक और बात बताना चाहता हूं कि इतना भारी शोषण मजदूरों का हो रहा है. कानून तो बन गये, नियम बन गये, बहुत सारे बिल पास हो गये हैं. मंत्री जी, परंतु इसकी वास्तविकता यह है कि इसके लिये बहुत गहन विचार करने की आवश्यकता है. मैंने पिछले बार भी जब मेरा प्रश्न लगा था तो मैंने कहा था कि भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि आज जो ठेका मजदूरी पर काम करते हैं तो गरीब महिलाएं दौ सौ रूपये रोजी पर काम कर रही हैं, मिनिमम वेज़ नहीं दिया जा रहा है. आपने कानून तो बना दिया लेकिन कलेक्टर रेट नहीं दिया जा रहा है उसके बाद 8-8 घण्टे की बजाय 10-12 घण्टे ड्यूटी करायी जा रही है, उनको ओवर टाइम का भी पैसा नहीं दिया जा रहा है. मेरा आपसे यही अनुरोध है कि इस कानून को लागू करते समय गंभीरता से विचार करें और जितने भी आपने कानून बनाये हैं, मजदूर जो होता है कम्पनी के द्वारा या ठेकेदार के द्वारा उसको पैसे दे दिये जाते हैं, होता क्या है कि आज छोटा मजदूर आवाज इसलिये नहीं उठाता, क्योंकि उसको पता है कि अगर मैं किसी के खिलाफ आवाज उठाउंगा तो मुझे कल को नौकरी से निकाल दिया जायेगा. मेरे परिवार का क्या होगा ? पर वास्तविक सच्चाई यह है कि जब ऐसे लोगों के साथ में अन्याय हो रहा है तो मंत्री जी आप ऐसा कानून बनाइये कि हम सब लोग उसमें सहमत हों. ऐसा पोर्टल बनाइये, आजकल तो साफ्टवेयर बन जाते हैं, पोर्टल बन जाते हैं और उसमें जब ऑन लाइन पेमेंट डले, जब ऑन लाइन पेमेंट डलता है तो पता चलता है कि उसके खाते में पेमेंट डला है या नहीं. इसलिये शासन के पास भी एक प्लान हो.जिसके माध्यम से सरकार को भी पता चले कि कंपनी वाला कोई गड़बड़ तो नहीं कर रहा है.
1.27 बजे
{सभापति महोदया (श्रीमती झूमा डॉ ध्यान सिंह सोलंकी) पीठासीन हुई.}
सभापति महोदया, लेबर ऑफिसर कोई गड़बड़ नहीं कर रहा है. इस क्ष्ोत्र में इतना भारी भ्रष्टाचार है. मंत्री जी, एक लेबर इंस्पेक्टर जिसकी मैंने शिकायत की थी उसको मंत्री जी ने मेरे निवेदन पर हटा तो दिया था, फिर वह कोर्ट से स्टे लेकर आ गया है. मंत्री जी वह 20 वर्षों में एक-एक फैक्ट्री से कम से कम 20-20 हजार रूपये वसूली करके लेकर जाता है. क्योंकि वह लेबर इंस्पेक्टर है, उसको दो पैट्रोल पंप हैं, दो-तीन करोड़ रूपये का बंगला है, आसामी है और 50 लाख रूपये की फार्च्युनर से घूमता है.
मेरा कहने का आशय किसी पर टिप्पणी करना नहीं है. पर व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है और विशेष रूप से इतना कहना चाह रहा हूं कि जितना आज हमारा लेबर परेशान है, पीडि़त है वह जूझ रहा है उससे 12-12 घण्टे काम लिया जा रहा है. मैं कल की ही घटना बता रहा हूं कि मेरे यहां एक एथेनॉल कंपनी, रात की घटना बता रहा हूं उस कंपनी में बायलर फट जाने से पांच सात लोग झूलस गये, वह तो परमेश्वर की कृपा रही कि वह लोग बच गये, अभी वह लोग अस्पताल में भर्ती हैं. उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी, उनकी भविष्य निधि की कोई गारंटी नहीं है उनके साथ जो अन्याय हो रहा है, अत्याचार हो रहा है उनकी पीड़ा पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
माननीय मंत्री जी, मेरा एक सुझाव है कि हम कानून बनाते हैं, नियम बनाते हैं. हम बात जरूर करते हैं, पर उसको जमीनी स्तर पर नहीं कर पाते हैं. आपकी एथेनॉल कंपनियां जब से खुलने लगी हैं. तब से यह स्थिति देखने में आयी है कि नदी, नालों का पूरा पानी दूषित हो रहा है वह पानी पीने के योग्य नहीं बचा है. उस पानी से इतनी दुर्गंध आ रही है. हम ऐसे उद्योग खोल रहे हैं, उद्योग खुलें. हम चाहते हैं कि उद्योग खुलें, रोजगार मिले देश, प्रदेश का विकास हो. परंतु ऐसे उद्योग किस काम के जो मजदूरों के साथ में शोषण हो रहा है उनको दौ सौ रूपये मजदूरी दी जा रही है. उनसे बारह-बारह घण्टे काम कराया जा रहा है. ऐसे उद्योग किस काम के जिनसे पानी दूषित हो रहा है, जलवायु प्रदूषित हो रही है. इसलिये मेरा कहना है कि ऐसे उद्योग किस काम के हैं ? इस पर भी गहनता से विचार होना चाहिये.
सभापति महोदया, एक विषय और है, उस पर मैं कल बोल नहीं पाया था. किसानों की बड़ी गंभीर समस्या है. आज किसान खाद के लिये लंबी-लंबी लाइन में लगा हुआ है और वह यूरिया के लिये दर-दर भटक रहा है. उसकी परिस्थिति यह है कि आज दो-दो बोरी लेने के लिये उसे रात में तीन बजे से जागना पड़ रहा है उसकी इतनी स्थिति खराब है कि रात भर किसान को जागने के बाद ही उसको दो बोरी यूरिया मिलता है. डी.ए.पी तो बाजार से गायब ही हो गया है.
सभापति महोदया- माननीय, विधेयक पर ही चर्चा करें.आप उसी पर बोलें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- मेरा कहने का आशय यह है कि जो भी कानून बनते हैं, जो भी नियम बनते हैं उस पर हम सब लोग गंभीरता से विचार करें. मेरे बहुत सारे मुद्दे और भी हैं.
सभापति महोदया- बस अब आप समाप्त करें. विधेयक पर चर्चा जारी रहेगी. सदन की कार्यवाही अपराह्न तीन बजे तक के लिये स्थगित की जाती है.
( 1.30 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.06 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय—विजय जी, कन्टीन्यू से मतलब यह है कि समापन करना है. पहले आपके 10 मिनट हो गये हैं. कन्टीन्यू का मतलब यह नहीं है कि प्रारम्भ करेंगे.
श्री विजय रेवनाथ चौरे-- धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय. मध्यप्रदेश में 15-20 वर्षों में एक नया मजदूर ठेका युग शुरु हुआ है, जिसका नाम आउट सोर्स है. पहने कम्पनियों में ठेकेदारी पर मजदूर तो रखते थे, पर अब सरकारी दफ्तरों में भी मजदूर रखने लग गये हैं. आउट सोर्स के नाम पर इतनी भयानक लूट मची हुई है कि अस्पताल में सफाई कर्मचारी वह भी ठेके पर है. ड्रायवर है, उसकी पोस्ट खतम कर दी. ड्रेसर की पोस्ट खतम कर दी, सारे ठेके पर हैं और जिस ठकेदार को हमारे विभाग के द्वारा पैसे दिये जाते हैं आउट सोर्स, क्योंकि श्रम विभाग से संबंधित है, इसलिये मैं इसकी ओर ध्यानाकर्षित कर रहा हूं कि उसको 15 हजार रुपये आप देते हैं और वह गरीब जो मजदूर सफाई का काम करता है, उसको 5-6-7 हजार रुपये दे रहे हैं. यह शोषण, पूरे प्रदेश की स्थिति है. यही नहीं हर दफ्तर में यह काम हो रहा है. दूसरा, एक और मैं कहना चाह रहा हूं कि जिन कम्पनियों में नियम है कि दिव्यांग जनों को रोजगार देना है, उनकी योग्यता के आधार पर कि अगर कोई इंजीनियर है, कोई आईटीआई किया है, कोई और कुछ पढ़ा लिखा है, उन दिव्यांग लोगों को भी उस कम्पनी में, औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार देना है, पर दुर्भाग्य यह है कि वह दर-दर भटक रहा है. उसको रोजगार नहीं मिल रहा है. कम्पनियों में जाओ, तो वह कहते हैं कि तुम तो हाथ से तुम्हारा काम नहीं बनेगा. पैर से तुम्हारा काम नहीं बनेगा. तुमको कौन सा काम दें हम. तो यह बहुत बड़ा शोषण हो रहा है. जहां हमारी सरकार एक तरफ 10 लाख दिव्यांग हैं पूरे मध्यप्रदेश में, जो रजिस्टर्ड हैं. तो वहां ऐसी परिस्थिति में हमारे सामने संकट है उन लोगों को रोजगार का. एक तो वह अपने जीवन से जूझ रहे हैं, संघर्ष करके बड़ी मेहनत से पढ़ाई करते हैं, गरीबी से जूझते हैं. हमारे मध्यप्रदेश की सरकार दिव्यांगों को 600 रुपये देती है और संकल्प पत्र, घोषणा पत्र में 1500 रुपये लिखे हैं. तो 1500 रुपये भी आज दिनांक तक नहीं दिये गये, उन दिव्यांगों को. तो उनकी बड़ी पीड़ा है. कई राज्य ऐसे हैं, जहां पर दिव्यांग जनों को 1500 नहीं ढाई हजार, साढ़े तीन हजार और पांच-पांच हजार तक दे रहे हैं. तो न हम उनको रोजगार दे पा रहे हैं किसी उद्योग कम्पनियों में और न हम उनको कोई आउट सोर्स में रख पा रहे हैं. तो ऐसा सिस्टम बन गया है कि इनकी पीड़ा को भी समझना बहुत जरुरी है. एक बात मजदूरों से संबंधित है. मनरेगा योजना जो थी, वह बहुत महत्वकांक्षी योजना थी, कांग्रेस की सरकार ने कानून बनाया था कि 100 दिन तक मजदूर को रोजगार दिया जायेगा, यह कम्पलसिरी था. पर आज मनरेगा की क्या हालत है. मजदूर आज दर-दर भटक रहा है. उनकी आज परिस्थिति यह है कि कोई काम नहीं बचा उनके पास. खेत के पहले बंधान के काम होते थे, सुदृढ़ सड़क बनती थी. मनरेगा में काम होता था. आज तीन वर्ष से, मैं मेरी विधानसभा की नहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष के सारे विधायकों की यह हालत है. 3 वर्ष से मनरेगा में एक भी काम नहीं चल रहा है. एक तरफ हम रोजगार की बात करते हैं, मजदूरों की बात करते हैं उनके साथ में अन्याय हो रहा है. आज देखने में आया है कि कई बड़े बड़े नेता हैं जिनके बंगले के सामने , फार्म हाउस के सामने से चकाचक चमकती हुई सड़क बन जाती है 80 फीट की चौड़ी सड़क बन जाती है. परंतु कई किसान ऐसे हैं जिनके खेत में जाने के लिये सड़क नहीं है पर मनरेगा एक ऐसा माध्यम था मजदूरों को रोजगार देने का कि उसके माध्यम से सुदृढ़ सड़क, खेत सड़क बनाई जाती थीं. आज भी कई किसान ऐसे हैं जिनके खेत में जाने के लिये रास्ता नहीं है पांधन जिसको बोलते हैं ,कमर तक का कीचड़ रहता है. ऐसी परिस्थितियों में किसान न खेत जा पाता है न फसल ला पाता है तो यह मजदूरों के साथ मे अन्याय हो रहा है, माननीय़ मंत्री जी के पास में श्रम विभाग है, पंचायत भी है उनको इस समस्या पर भी गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री अजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, किसानों की बात हो, मजदूरों की बात हो मेरा सदन से यही अनुरोध है आज हमारा युवा दर दर भटक रहा है, उसको रोजगार नहीं मिल रहा है, वह आउटसोर्स के माध्यम से भी फेक्ट्री में लगना चाहता है, कंपनियों में लगना चाहता है पर उसकी दुर्दशा यह है कि कभी पेपर लीक हो जाता है, कभी पटवारी घोटाला हो जाता है, कभी व्यापम घोटाला हो जाता है, आउटसोर्स की अपेक्षा रखता है उसमें भी उसको फायदा नहीं हो पाता है, यह दुर्दशा मध्यप्रदेश के बेरोजगार युवाओं की है, घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं तो इस बात पर मंत्री जी गंभीरता से ध्यान दें. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश जैन(बौस) (महिदपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश श्रम विधियां और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक पर अपनी बात रखने के लिये खड़ा हुआ हूं. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार ने 3 जून 2025 को पचमढ़ी कैबिनेट बैठक में तीन श्रम कानूनों में संशोधन कर श्रमिकों के अधिकारों पर सीधा हमला किया है। सरकार इसे "MSME अनुकूल" नीति कह रही है, लेकिन असलियत में यह फैसला मजदूरों को असंगठित, असुरक्षित और अधिकारविहीन बनाने वाला है। ठेका श्रम कानून में बदलाव से अब 50 तक श्रमिकों को बिना किसी सुरक्षा ठेके पर रखने की छूट दे दी गई है। इसका मतलब है – स्थायी रोजगार खत्म, ठेकेदारी राज मजबूत। क्या सरकार मजदूरों को गुलामी की ओर धकेलना चाहती है? कारखाना अधिनियम में भी मजदूरों की संख्या की सीमा बढ़ाकर उन्हें सुरक्षा के दायरे से बाहर किया गया है। अब छोटे कारखानों में श्रमिकों का शोषण और ज़्यादा आसान होगा।
अध्यक्ष महोदय, आज उद्योगपतियों के पास में बड़ी बड़ी देश की प्रतिभायें काम करती हैं, वह उद्योगपतियों के हित में तो कानून को बना लेते हैं. आज भी जो 29 श्रम कानून केन्द्र सरकार के हैं उनको चार संहिता में जोडने का काम किया जा रहा है, पूरे देश भर की मजदूर संस्थायें इनका विरोध कर रही हैं. यह कैसा विकास है जिसमें मजदूर की मेहनत तो ली जाती है, पर हक नहीं दिया जाता?
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि इन उद्योगपतियों के पास में बड़े बड़े ज्ञाता होते हैं, देश का क्रीम इनके यहां पर काम करता है और उन मजदूरों के खिलाफ में कानून बनाते हैं और हमसे यहां विधानसभा में उस कानून को पास करवाते हैं.लेकिन उन गरीब लोगों को, जो एमएसएमई, छोटे लघु उद्योगों में काम करते हैं. मैं बहुत सारे ऐसे उद्योगों की जानकारी दे सकता हूं जहां पर 5 से 7 हजार रूपये की मासिक तनख्वाह पर काम करते हैं, मसाला उद्योग, दाल मिल उद्योग, फर्नीचर उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़े का सामान , इलेक्ट्रानिक उपकरण उद्योग, कुटिर उद्योग, पत्ता उद्योग और अगरबत्ती उद्योग, ऐसे बहुत सारे उद्योग हैं जो छोटे छोटे बिजनेसमेन 5 हजार से 7 हजार 9 हजार रूपये तक की युवाओं को नौकरी देते हैं और वह सब युवा 25 साल से 28 साल के रहते हैं. हम जब सुबह उठते हैं चाय की दुकान पर चाय पीने के लिये जाते हैं वह मजदूर कितने में काम करता है 5 हजार रूपये प्रतिमाह ,पेट्रोल पंप पर जाते है जो पेट्रोल भरता है वह कितने में काम करता है 10 हजार रूपये में काम करता है, गैस एजेंसी में जाते हैं कितने में काम करता है इसमें में अभी आउटसोर्स कर्मी की बात नहीं कर रहा हूं. उन युवाओं की बात कर रहा हूं जिनको आज न्याय दिलाने की जरूरत है, उनके पास बड़े बड़े उद्योगपति हैं उनके पास में ज्ञानी लोग हैं जो उद्योगपतियों का हित सोचते हैं लेकिन हमारे उन श्रमिक वर्ग के पास में हमारी विधानसभा और संसद है, जहां पर हम लोग गरीब लोगों के पक्ष में कानून बनाकर के उनको न्याय दिला सकते हैं. यह संसद इसीलिये है कि गरीब, शोषित पीड़ित लोगों को हम न्याय दिलायें , उन्होंने तो कानून बना दिया हम पास भी कर देंगे लेकिन हम 230 सदस्यों को चुनकर के यहां विधानसभा में इसलिये भेजा गया है कि हम हमारे क्षेत्र की आवाज उठायें, पूरे मध्यप्रदेश में ऐसे युवाओं की भरमार है . वह 10 हजार और 12 हजार रूपये की मासिक तनख्वाह में भी खुश होते हैं और हमको धन्यवाद देते है कि बौस अच्छा किया आपने कि हमको पेट्रोल पंप पर लगा दिया, मैंने पूछा कि तुमको तनख्वाह कितनी मिलती है तो कहने लगा कि 7 हजार रूपये .
माननीय अध्यक्ष महोदय, और इनके अत्याचार की कहानी बताता हूं. एक, लेंसेस फेक्ट्री है उसके बारे में मैंने एक प्रश्न लगाया था तो मुझे जवाब आया, मुझे देखने की भी जरूरत नहीं पड़ती इतने विषय हैं. वहां से जवाब आया कि हमारे यहां पर 17 स्थायी श्रमिक काम करते हैं. इतनी बड़ी फैक्ट्री है कि उसका टर्न ओवर करोड़ों, अरबों में है. केवल 17 स्थाई और उनमें भी 6 कम्प्यूटर ऑपरेटर, 2 हैल्पर और 6 टेक्नीशियन और जब मैंने उनके स्वास्थ्य की बात की तो उन्होंने बोला कि हम हर साल इनका स्वास्थ्य परीक्षण करवाते हैं. लगातार वर्ष 2022-23, 2023-24, 2024-25 में उन्होंने स्वास्थ्य परीक्षण कराया और 1,200 मजदूरों से 3,000 मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाया मेरे पास उसके आंकड़े हैं लेकिन उन सबमें यह दिया गया कि इनको व्यावसायिक कोई भी बीमारी नहीं पाई गई. यह उद्योगपतियों का राज है. वह उनके मनमाने कानून हमसे पास करवा लेते हैं लेकिन मेरा आपसे यह आग्रह है कि जो युवा भटक रहे हैं, जिनको रोजगार मिल गया है इनको हम बेरोजगार भी नहीं बोल सकते हैं, उनकी यह हालत है, तो उनके लिए यह सदन यह कानून जरूर बनाए जिससे उनको न्याय मिले और वह हमारी तरफ आंख उठाकर देख भी रहे हैं कि हमारे लिए लड़ाई सदन में जाकर लड़ो, हमारे लिए कानून बनाओ, उनके पास तो बड़े-बड़े लोग हैं.
अध्यक्ष महोदय, आप बीजेपी के लोग बहुत बात करते हैं कि राजीव गांधी के समय हम जितना पैसा देते थे तो केवल 15 परसेंट मिलता था. आज आउटसोर्सेज के माध्यम से मैंने प्रश्न लगाया था एक कम्प्यूटर आपरेटर के लिए, जो स्कूल में काम करता है तो सरकार कंपनी को देती है 18,800 कुछ रुपये उसमें से 2,000 पीएफ कट जाता है और 2,000 रुपये उस कंपनी के पास रह जाता है और 14,000 रुपये उस कम्प्यूटर आपरेटर को मिलता है. यह कैसा न्याय है. बिचौलिया बीच में पैसे खा रहा है तो इस आउटसोर्स में जो पैसा सरकार देती है वह डायरेक्ट उनके खाते में क्यों नहीं दे दिया जाए तो बहुत सारे लोगों का भला हो जाएगा. हर डिपार्टमेंट में आउटसोर्सेज से, मंडी कमेटी में आप ले लें, नगर पालिका में ले लें, पंचायत में ले लें, पीडब्ल्यूडी, सभी डिपार्टमेंट में आउटसोर्सेज, स्कूल में, कॉलेज में, यहां तक कि गेस्ट टीचर को भी आउटसोर्सेज के माध्यम से लिया जाता है. मैं इन सब लोगों के लिए न्याय मांगना चाहता हूं और सदन में यह प्रस्ताव रखता हूं कि इन सब लोगों के लिए भी ऐसा कानून बने कि इनको भी इनका हक मिले. बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) -- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे श्रम कानूनों के संशोधन पर बोलने का मौका दिया उसके लिए मैं धन्यवाद प्रकट करता हूं. मैं रामधारी सिंह दिनकर जो प्रसिद्ध कवि थे उनकी लाइन से शुरुआत करता हूं कि ‘’मैं मजदूर हूं मजबूर नहीं.’’ जो इस श्रम कानून में हमारी सरकार के द्वारा बदलाव लाया गया है एक तो हमारे देश और पूरी दुनिया का इतिहास रहा है कि हमेशा ताकतवर, कमजोरों का शोषण करता है. सरकार की भूमिका रही थी कि जब कंपनियां श्रमिकों का शोषण करती थीं, मजदूरों का शोषण करती थीं, तो उन्होंने कानून बनाए और आज उन बने हुए कानूनों को हम कमजोर कर रहे हैं और मजदूरों के खिलाफ, कंपनियों को मजबूत बना रहे हैं. ठेकेदारों को मजबूत बना रहे हैं. जो हमारे तीन संशोधन कानून हैं जिसमें कॉन्ट्रेक्ट लेबर फैक्ट्री ठेका श्रम अधिनियम 1970 का संशोधन, कारखाना अधिनियम 1948 का संशोधन और औद्योगिक विवाद 1947 का संशोधन, इन तीन कानूनों में संशोधन किए हैं. इस संशोधन का प्रमुख रूप से उद्देश्य है उद्योगों और ठेकेदारों को श्रम कानूनों की बाध्यता से मुक्त करना. ठेका श्रम अधिनियम में जो संशोधन किया था कि पहले 20 मजदूरों वाले प्रतिष्ठानों पर यह कानून लागू होता था अब इसे बढ़ाकर 50 कर दिया गया है. मतलब 50 मजदूर रहेंगे उस ठेकेदार के ऊपर, वह कानून के लिए बाध्य है, लेकिन अगर 49 मजदूर उसके अण्डर काम कर रहे हैं तो वो रजिस्ट्री भी फ्री है और ठेका श्रम के तहत जो उन मजदूरों को अधिकार मिले थे उन अधिकारों से भी वंचित रह जाएगा. उदाहरण के तौर पर ठेका श्रम कानून के तहत मिनिमम 8 घंटे का पहले प्रावधान था. हमारी सरकार ने 12 घंटे का प्रावधान किया वह भी कानून के तहत. लेकिन अब ठेका श्रम कानून में जो बदलाव किया गया है. अगर ठेकेदार के अन्डर 39 मजदूर रहेंगे तो वह 12-14 या कितने भी घंटे काम करवा सकता है. उसके ऊपर श्रम कानून लागू नहीं होगा. जो पहले श्रम कानून था उसमें 8 घंटे के बाद, एक घंटे भी अतिरिक्त काम लिया जाता था तो उसको पैसा बढ़ाकर दिया जाता था. उसको डबल सेलरी मिलती थी. लेकिन अब कम पैसे में ज्यादा घंटे तक काम कराया जा रहा है. श्रम कानूनों के तहत मजदूर को मिनिमम मजदूरी देने का प्रावधान था केन्द्र सरकार ने यह कानून बनाया है. वर्ष 2019 में वेतन संहिता लागू हुई और 1 अक्टूबर, 2024 से जो अकुशल श्रमिक थे उनको 783 रुपए, अर्द्ध कुशल श्रमिकों को 800 रुपए और कुशल श्रमिकों को 1065 रुपए देने का प्रावधान था. यह कानून बनने के बाद आज भी ग्रामीण इलाकों में जो मजदूर हैं, आदिवासी क्षेत्रों के जो मजदूर हैं उनको 150 रुपए से ज्यादा नहीं मिल पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूँ कि इन कानूनों के माध्यम से इन संशोधनों के माध्यम से एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करना चाहते हैं. एमएसएमई सेक्टर में 90 प्रतिशत मजदूर ग्रामीण इलाकों के हैं. एसटी, एससी, ओबीसी और गरीब किसान वर्ग के मजदूर आते हैं. क्या हम श्रम कानूनों के तहत जो अधिकार मिल रहा था उससे हम इनको मुक्त करेंगे. क्या सरकार इस बात की गारंटी लेगी कि जो 39 मजदूर आ रहे हैं जिन पर श्रम कानून, श्रम एक्ट लागू नहीं हो रहा है उनके लिए भी कोई कानून बनाएगी, उनको भी कोई अधिकार देगी. यदि अधिकार नहीं देगी तो यह कहीं न कहीं मजदूरों के साथ विश्वासघात कर रही है. आज सरकारी सेक्टर में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों में ज्यादातर आउटसोर्स के माध्यम से भर्ती की जा रही है. एमपीईबी हो, स्वास्थ्य विभाग हो आज मध्यप्रदेश में हर जगह हड़ताल रहे हैं क्योंकि न तो उन्हें मिनिमम वेज का फायदा मिल पा रहा है. न ही उनको पेंशन पीपीएफ, ईपीएफ की सुविधा मिल पा रही है न ही स्वास्थ्य सुविधा मिल पा रही है. न ही कानून जो अन्य बेनिफिट देते हैं वे मिल पा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा जो संशोधन है, फेक्ट्री एक्ट में संशोधन. इसमें कहा गया है कि सख्ती के साथ बिजली के लिए काम करने के लिए 20 और गैर बिजली वालों को 40 की संख्या कर दी गई है. जैसा अभी माननीय सदस्य ने कहा कि बड़ी फेक्ट्री है उसमें हमने जानकारी मांगी तो सिर्फ 17-18 लोगों की जानकारी दी जा रही है कि यह फेक्ट्री एक्ट के तहत काम कर रहे हैं. अब यदि 20 से बढ़ाकर 40 की जा रही है यदि एक अंक कम कर दें तो 39 लोगों के लिए यह फेक्ट्री एक्ट लागू नहीं होगा. इन 39 लोगों का जो शोषण हो रहा है. यह कौन होंगे यह गरीब, मजदूर, किसान, आदिवासी लोग होंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से चाहता हूँ कि यह जो 39 मजदूर जिनको फेक्ट्री एक्ट से छूट दी जा रही है, उनको भी न्याय मिलना चाहिए. यह मेरी आपसे अपेक्षा है. लास्ट जो विधेयक है औद्योगिक विवाद अधिनियम जब पहले फेक्ट्री के भीतर कई बार समय पर मजदूरों को वेतन नहीं मिलता है. कई बार उनको स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं नहीं मिलती हैं. कई बार कोई दुर्घटना होती है तो उनको कम्पनसेशन नहीं मिलता है. कई बार कई गंभीर मुद्दे रहते हैं जिनको लेकर मजदूरों को हड़ताल पर जाना पड़ता है. अब औद्योगिक विवाद अधिनियम में जो संशोधन किया गया है, पहले कानून में यह था कि लोक उपयोगी सेवाओं के लिए ही यह कानून लागू होता था. लेकिन अभी सभी सेवाओं में, मतलब अब मजदूर अपने हक और अधिकारों के लिए आंदोलन नहीं कर पाएगा. यह कानून पूरी तरह से किसानों और गारीबों वर्गों के खिलाफ है. मैं आपके माध्यम से मांग करता हूं कि यह जो तीनों काले कानून लाये गये हैं सबसे पहले तो इनको लागू करने से पहले हमें मजदूर संगठनों के साथ चर्चा करना चाहिए, ट्रेड यूनियनों के साथ चर्चा करना चाहिए, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा करना चाहिए और मजदूरों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए न कि पूंजी और मुनाफे को. हमारा संविधान हमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की गारंटी देता है. यह विधेयक उस वादे के साथ विश्वासघात है. यह सदन श्रमिकों की आवाज को कुचलने वाला नहीं है बल्कि उनकी सुरक्षा का ढाल होना चाहिए. मैं इस विधेयक का विरोध करता हूं एवं सभी जनवादी, संवेदनशील और न्यायप्रिय सदस्यों से अपील करता हूं कि हम इन तीनों काले कानूनों का विरोध करें. मजदूरों के हित में कानून बनना चाहिए ऐसी मेरी सरकार से मांग है. आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- हिरालाल जी कानून पर बोले यह अच्छी बात है.
डॉ. हिरालाल अलावा-- अध्यक्ष महोदय बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (देवसर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक 2025 के पक्ष में अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए खड़ा हुआ हूं .
अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री विश्व के सर्वमान्य नेता सम्माननीय श्रीमान् नरेन्द्र मोदी जी एवं प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं विभाग के मंत्री श्रीमान् प्रहलाद पटेल जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. श्रमिकों को हित में श्रम कानूनों का सरलीकरण करके जो यह चार कानूनों को लागू करने के लिए लाया गया है इसके लिए मैं हृदय की गहराई से धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं भी जनप्रतिनिधि होने के पहले भारत सरकार की कोल इंडिया कंपनी के सिस्टम एनसीएल में मैं कार्यरत था. मैं भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष, सचिव पद के दायित्व का निर्वह्न करते हुए श्रमिकों के हित में काम किया करता था. तब भी कानून हुआ करते थे, लेकिन आज अगर उन श्रमिकों की, उनके बच्चों की, उनके रहन, सहन की, उनके बच्चों की शिक्षा की, उनके परिवारों के चिकित्सा की चिंता किसी ने की है तो देश की भारतीय जनता पार्टी ने की है जो राष्ट्रवादी विचारों की सरकार है. यह जो श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार ने समस्त राज्यों से ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) अधिनियम 1970, कारखाना अधिनियम, 1948 एवं औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 में जो आवश्यक संशोधन करने की अपेक्षा की है ताकि उद्योग समस्त राज्यों से सुचारू रूप से चलाए जा सकें.
अध्यक्ष महोदय, आप संवेदनशीन विद्वान व्यक्ति हैं. आप जानते हैं, आपने देखा होगा कि पहले ठेकेदार कभी भी बगैर सूचना दिये बगैर नोटिस दिये हड़ताल तालाबंदी, कर देते थे. उससे देश को कितना नुकसान होता था, उससे उन श्रमिकों का कितना नुकसान होता था यह आप और हम सभी जानते हैं. आज यह श्रेष्ठ कानून बनाकर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने जो न्यायसंगत कानून बनाकर लाए कि हम कभी भी श्रमिकों के साथ अन्याय नहीं कर सकते हैं. हमने कानून का सरलीकरण किया है ताकि अगर आपको कोई हड़ताल करनी हो तो 6 सप्ताह पूर्व आपको सूचना देनी पड़ेगी. यह जो अचानक तालाबंदी कर देते थे उससे देश में और प्रदेश में कितना नुकसान होता था. इसमें सरलीकरण किया गया है, यह श्रमिकों के हित के लिए किया गया है. आज भी जहां उन फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिक हैं उनका कभी ईपीएफ नहीं हुआ करता था, उनका कभी पीएफ नहीं कटता था, लेकिन मुझे फक्र है कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने कानून बनाकर आज सभी मजदूरों के हित में, उनके परिवारों के हित में, उनके बच्चों के हित में, उनके चिकित्सा के हित में कानून बनाकर जो उन्होंने नवकरणीय कार्य किया है, ह्दय की गहराई से धन्यवाद देने योग्य है. विपक्ष के हमारे भाई कुछ भी कह सकते हैं, आप मजदूरों के द्वार पर जाकर देखें, मैं, तो रोज मजदूरों के बीच ही रहता हूं. मैं मजदूरों का बेटा हूं, मैंने देखा है वे कभी शिक्षा के लिए सोच नहीं सकते थे, आज आप देख लीजिय कि उनकी आर्थिक स्थिति में कितना बदलाव आया है. विपक्ष के मित्र केवल विरोध करने के लिए विरोध करते हैं. मेरा आग्रह है कि हम देख रहे हैं कि भारत विकसित हो रहा है, मध्यप्रदेश विकसित राज्य की श्रेणी में खड़ा है, तो उसे विकसित कहने में क्या बुराई है ? एक समय था जब हमारा प्रदेश बीमारू राज्य के नाम से जाना जाता था क्योंकि इनके पास विकास की कोई योजना नहीं थी, ये सिर्फ थोथी बातें करते हैं, इसलिए मैं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को ह्दय की गहराई से धन्यवाद देना चाहता हूं कि इन चारों कानूनों को लाकर, उनका सरलीकरण किया है, मजदूरों के हित में काम किया है, निश्चित रूप से यह सराहनीय कार्य है.
अध्यक्ष महोदय, मैं, विपक्ष के मित्रों से कहना चाहूंगा कि आपको भी देश के प्रधानमंत्री का सम्मान करना चाहिए कि उन्होंने इतनी दूरदर्शी सोच के साथ श्रमिक भाईयों के लिए यह पहल की है. मैं हमारे राज्य के श्रम मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि इन चार कानूनों, ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) अधिनियम, 1970, कारखाना अधिनियम, 1948, औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947, इनकी आवश्यकता क्यों है, क्योंकि हमारे मजदूरों की चिंता कोई नहीं करता था, इनके भी संगठन हुआ करते थे, भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता थे, तब कभी किसी गरीब के घर में गैस का चूल्हा नहीं हुआ करता था, जब भारतीय मजदूर संघ के नेता उनकी लड़ाई लड़ते थे, तब कोल इंडिया में पहली बार गैस चूल्हा मिला था. तब सभी श्रमिकों को गैस चूल्हा मिला था. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है, इन्होंने तो कभी चिंता नहीं की.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- सिर्फ भारतीय मजदूर संघ नहीं लगा था, पांच अन्य मजदूर संघ भी इसमें शामिल थे.
श्री राजेन्द्र मेश्राम- मेरे भाई, सुनने की आदत डालें. मैं अनुशासित कार्यकर्ता हूं, मैं कभी किसी के बीच में अवरोध उत्पन्न नहीं करता हूं. मेरी प्रार्थना है कि कम से कम सुनने की आदत होनी चाहिए. इस अनुक्रम में इस संशोधन के परिणामस्वरूप जो लाभ हमें मिलता है, जहां 50 से कम श्रमिक नियोजित करने वाले सूक्ष्म एवं लघु ठेकेदार तथा प्रमुख नियोजकों को अनावश्यक रूप से ठेका श्रम अधिनियम की प्रक्रियाओं तथा प्रावधानों का अनुपालन की आवश्यकता नहीं होगी. वहीं नियोजक इससे श्रमिकों को उनके संस्थान में सीधे नियुक्ति प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित होंगे क्योंकि 50 से कम ठेका श्रमिक होने पर गैर लाइसेंसधारी ठेकेदार की स्थिति में इन श्रमिकों के वेतन, पी.एफ., ई.एस.आई. जैसे वैधानिक उत्तरदायित्व सीधे नियोजक पर ही होंगे, अत: नियोजक के लिए सीधी भर्ती किया जाना ही औचित्यपूर्ण होगा.
अध्यक्ष महोदय, आपने पहले देखा होगा कि ठेकेदार कितनी मनमानी करते थे, मजदूरी का रेट कुछ होता था, मजदूरों को देते कुछ और थे. कई मजदूरों के बैंक खाते तय रेट के आधार पर मजदूरी डाल दी जाती थी, लेकिन ठेकेदार मजदूरों को कहते थे कि आधा पैसा वापस कर दो, नहीं तो तुम्हें नौकरी से हटा दिया जायेगा. जब यह जानकारी देश के प्रधानमंत्री तक, नीचे से ऊपर तक गई, तो उन्होंने इन कानूनों के अनुपालन करने के लिए सरलीकरण किया कि श्रमिकों के साथ किसी को भी अन्याय नहीं करने देंगे, श्रमिक है तो हमारा देश है, इसलिए वे ये कानून लेकर आये हैं, इसके लिए उन्हें ह्दय की गहराई से धन्यवाद देना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय, इसी अनुक्रम में अधिनियम की धारा की 1 की उपधारा (4) के पश्चात् परंतुक में संशोधन करते हुए राज्य सरकार को सशक्त किया गया है, यदि यह आवश्यक लगता है कि किसी ठेकेदार या प्रमुख नियोजक द्वारा 50 से कम ठेका श्रमिक नियोजित करने पर भी उन पर अधिनियम के प्रावधान लागू होना चाहिए तो इस हेतु विनिर्दिष्ट प्रक्रियानुसार अधिसूचना जारी कर उन पर अधिनियम लागू किया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय, कभी-भी ठेकेदार अब मनमानी नहीं कर सकता और हमारी जो शर्तें हैं, जो कानून बनाये हैं, जितने श्रमिकों को लाभ मिलना है वह दोनों स्थिति में लाभ मिलेगा, अगर वे 20 मजदूर हैं, 40 मजदूर हैं, या 50 मजदूर हैं तब भी लाभ मिलेगा. यह कानून है, सोच है, जिसकी सोच सकारात्मक होती है, वहां निश्चित रूप से उसके परिणाम भी सकारात्मक आते हैं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, सभी मजदूर भाई इसके लिए अभिनंदन करेंगे वंदन करेंगे कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री, मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री एवं श्रम विभाग के मंत्री प्रह्लाद पटेल जी ने, इस कानून को लाकर हमारे हित में कार्य किया है. निश्चित रूप से वे साधुवाद के पात्र हैं, मैं, ह्दय की गहराई से धन्यवाद देना चाहता हूं. पहले भी सरकार हुआ करती थी, आप पता करें, तब श्रमिकों की क्या हालत हुआ करती थी ? हमने देखा है क्योंकि हमने उन कारखानों में काम किया है. कभी किसी ने चिंता नहीं की थी, पहले आप कर सकते थे, क्यों नहीं की ? आज अगर कोई चिंता कर रहा है तो यह भारत की राष्ट्रवादी विचारों का कार्यकर्ता, राष्ट्रवादी विचारों से पल्लवित और पोषित कार्यकर्ता, जब उस स्थान पर पहुंचता है, तब वह अपने उन भाई-बंधुओं की चिंता करता और ऐसे कानून लाकर पारित करता है, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, ह्दय की गहराई से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आज के समय में श्रम हमारी सबसे बड़ी चुनौती है, श्रम का नाम लेते हुए बहुत विषयों को हमें समझने की जरूरत है. मैं पहले आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूँ कि आप इसके लिए श्रम पर एक दिन अलग से विधान सभा सत्र आयोजित करके अगर श्रमिकों पर चर्चा कराएंगे, तो सभी लोगों को एक अच्छा अवसर मिलेगा. श्रम पर संशोधन के लिए माननीय मंत्री जी, मुझे पता है कि आप हंसेंगे ही क्योंकि आपने श्रमिकों को 'भिखारी' कहा है. आपके अन्दर दर्द नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी और आप दोनों वहीं नजदीक के हो, दोनों वहीं बात कर लें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, पर वह सुधरते नहीं हैं न. बड़े भईया कहता हूँ, तो तब भी नहीं सुधरते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप दोनों लोग नर्मदा पुत्र हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आप जो संशोधन कर रहे हैं, बहुत सरल सी बात है. पहले जहां 10 मजदूर लगाने पर, आपने जो ठेकेदार के ऊपर एक नियम बनाया था कि आपको रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा और उस रजिस्ट्रेशन में आपको 200 रुपये के मान से फीस लेनी है, इसके बाद आपके विभाग का जो शुल्क है और आपके विभाग की ड्राफ्टिंग का भी शुल्क आपको लेना है. अब आप उसको 20 से बढ़ा रहे हैं, आपके मजदूरों की संख्या ज्यादा हो रही है, उस पर आप छूट बढ़ा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय जी, इसमें पहला यह है कि आप जो 20 की जगह 50 श्रमिक ला रहे हैं, इस नियम का अगर कोई ठेकेदार पालन नहीं करेगा तो आप उस पर क्या कार्यवाही करेंगे? मैं आपको बताना चाहूँगा कि आप उसमें नियम 1970 की धारा 12 नियम 21 का उल्लंघन करने पर दण्डनीय धारा 23 एवं 24 के तहत मात्र 1,000 रुपये जुर्माना करेंगे. मजदूर के साथ अन्याय करने पर, आपके नियम पालन नहीं कराने में आपकी नजर वहां नहीं गई, क्योंकि आप मजदूर के लिए सोचते ही नहीं हैं. दूसरा, आपका जो अधिनियम है, जिसमें भवन निर्माण 1996 की धारा 7, धारा 23 (1) के तहत आप अगर नियमों का पालन नहीं करेंगे तो मंत्री जी आप बताएंगे कि आप उसके लिए कितना दण्ड लगायेंगे, मात्र 100 रुपये. उस पर आपका कोई ध्यान नहीं है. आपको ध्यान है कि ठेकेदारों को कैसे मदद पहुँचाई जाये ? कैसे उनको अवसर दिये जायें ? उस पर आपका ध्यान रहता है. आपका ध्यान इसमें नहीं है.
अध्यक्ष महोदय जी, केन्द्र सरकार ने जो 4 प्रकार के मजदूरों की श्रेणी तय की है- अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल एवं उच्च कुशल. केन्द्र सरकार के आपके जिम्मेदार अधिकारी बैठे हुए हैं, आप जरा लिखकर ले लेना. केन्द्र सरकार का जो डर है, आपका डर क्या है ? बिना मोदी चालीसा के तो भाषण ही शुरू नहीं होते हैं. अगर आप उनको मानते हो तो कम से कम उनकी मजदूरी दर को अपने प्रदेश में लागू करने की हिम्मत दिखाएं. आपके अकुशल मजदूर की दर 466 रुपये है, अर्द्धकुशल की दर 505 रुपये है और कुशल का 571 रुपये है तथा उच्च कुशल का 633 रुपये है. केन्द्र के उच्च कुशल श्रमिक की मजदूरी 1 हजार रुपये से ऊपर है. उनके बराबर लाने के लिए आपको ध्यान नहीं है. वहीं पर, आपकी जो मजदूरी होती है, अध्यक्ष महोदय, नियम कहता है कि जो नियोजित मजदूर हैं, उनको रविवार का भी आपको भुगतान करना है. महीने में 4 रविवार आते हैं, उनका भी भुगतान करना होता है. आपने 12,125 अकुशल श्रमिक के लिए, 13,121 अर्द्धकुशल श्रमिक के लिए, 14,844 कुशल श्रमिक के लिए और 16,669 उच्च कुशल श्रमिक के लिए तय किया है. आप कैलकुलेशन कीजिए, मजदूरी 633 रुपये है तो 33 रुपये को हम छोड़ भी दें तो 600 गुना 30, इस प्रकार से 18,000 रुपये बनते हैं जबकि आपने 16,000 रुपये पर नियोजित करके रखा है.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात, आपका नियम यह कहता है कि जहां मजदूरी अगर चल रही है तो वहां पर विश्राम करने की जगह होनी चाहिए. शौचालय होना चाहिए. मोदी जी कह रहे हैं कि शौचालय, शौचालय, आप कम से कम कुछ तो मोदी जी की बात मान लीजिए. स्नानागार, अगर मजदूर का छोटा बच्चा है तो स्तनपान के लिए सुरक्षित जगह होनी चाहिए. साथ ही वहां पर इलाज के लिए किट भी होना चाहिए. इस पर आप बात नहीं कर रहे हैं कि यह व्यवस्था प्रॉपर हो जाए. आप बात कर रहे हैं कि 20 की जगह हम आपको 50 में लेकर पहुँचाते हैं. यह स्पष्ट करता है कि भारतीय जनता पार्टी पूंजीवादियों की सरकार है और पूंजीवादियों को बढ़ावा देना चाहती है. यह बात आज यहां पर संशोधन के रूप में आ गई. चाहे आपके विभागों में लगे हुए श्रमिक हों, अध्यक्ष महोदय, आपके भी क्षेत्र में होंगे. जो रसोइया खाना बनाते हैं, उनको 4 हजार रुपये मिलते हैं. वे श्रमिक हैं.
अध्यक्ष महोदय -- समय का भी ध्यान रखना है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष जी, आपके क्षेत्र की बात की और खत्म करने की बात आप कर रहे हैं, यह कौन सी बात हुई.
अध्यक्ष महोदय -- समय का ध्यान रखना जरूरी है. क्षेत्र कोई भी रहे. मेरा ध्यान समय पर है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष जी, जरूर, हम आपके भरोसे ही तो बात कर रहे हैं. जब से आप आए हैं, तब से ही बोलने को मिलता है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, समय के साथ-साथ इनके ऊपर भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- विजयवर्गीय जी, शर्मा जी बोले थे आपको मुख्यमंत्री, मुझे ध्यान है. आप जल्दी बन जाएं, यह हम चाह रहे हैं. पर आप लोगों की लड़ाई में हम क्या करें. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- यह कानून में नहीं है. (हंसी)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तो मेरा कहना है कि जो हमारे श्रमिक हैं, एमपीईबी में जो लगे हुए हैं, स्वास्थ्य विभाग में जो लगे हुए हैं, मैं तो कहना चाहता हूँ कि हमारे विधान सभा में भी जो लगे हैं, जो सफाईकर्मी हैं, जो विभिन्न प्रकार के सफाई कार्यों में सहभागी हैं. आप थोड़ा सा उनके लिए भी सोच लेते. पर माननीय पटेल साहब ऐसे मंत्री हैं कि गरीबों के लिए आपके अंदर दया ही नहीं आती. मनरेगा के मजदूर आज कितना प्राप्त कर रहे हैं. अकुशल के रूप में मनरेगा की मजदूरी की दर आप बढ़ा देते, आप वह नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- समाप्त करें, कम समय बचा है, बाला बच्चन जी को भी बोलना है, उसके बाद मंत्री जी बोलेंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मैं अंत में एक अनुरोध करूंगा कि यह बात सही है कि हम आज मजदूरों के विषय में चर्चा कर रहे हैं. यह बात भी सही है, कभी अगर अवसर आएगा तो हां की जीत हुई, हां की जीत हुई, बड़ी मुश्किल हो जाती है, हमारी जीत कब होगी. एक समय से संघर्ष करना पड़ रहा है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- उसके लिए अच्छे कार्य करने पड़ेंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- बहुत बढ़िया.
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष जी मैं एक अनुरोध के साथ अपनी बात करूंगा कि पटेल साहब हमें पता है आप सब लोग दिल्ली वाले हो आप लोग हैं चाहे आप हैं चाहे विजयवर्गीय जी हैं.
अध्यक्ष महोदय - हम पहले विधान सभा में ही थे यहां से दिल्ली गये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - हम तो सोच रहे थे अध्यक्ष जी कि सिर्फ सरनेम का फर्क है (XX)तो क्या बात हो जाए. हम तो सोच रहे थे पर क्या पता मध्यप्रदेश का भाग्य कब खुलेगा.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, एक तो यह टिप्पणी डिलीट होनी ही चाहिये.आसंदी का,मजाक किसी का भी उड़ाओ ऐसे कैसे हो सकता है आपने मेरे बारे में बोला मैंने नहीं बोला. आसंदी पर कैसे बोल सकते हो. इतनी तो कम से कम आपको तो ध्यान रखना चाहिये गलत बात. एक तो डिलीट होना चाहिये और दूसरी तरफ इतना भी कम से कम होश रहना चाहिये कि हम टिप्पणी किस पर कर रहे हैं. आपको बाकी पर व्यक्तिगत तौर पर करना हो तो करिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आप मध्यप्रदेश के नेता को प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहते.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - आपको कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है. गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय - मरकाम जी विषय पर रहिये. इसको विलोपित कर दें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर आ रहा हूं. अब आप लोगों के बीच में इतना अंतर्द्वंद है मुझे क्या पता.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह तो ऐसी बात है कि जैसे इनके यहां तो एक ही प्लेट में हलवा खा रहे हैं ये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - हलवा तो आप ही भेज रहे हो. अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात कहकर मैं अपनी बात समाप्त करूंगा. मैं मजदूर की तरफ से बात कर रहा हूं. दिन रात मेहनत करता हूं मैं भी हूं इंसान मुझ पर अन्याय बंद करो आप भी हो इंसान. यह शायद आप पर लागू हो जाए. आपकी अंतर्रात्मा से गन्ना काटने वाले किसानों की तरफ सोच लेना. बेचते आप लोग हैं काटते हम लोग हैं. मेरा अनुरोध है कि मजदूरों पर आप चर्चा के लिये एक या दो दिवसीय अतिरिक्त सत्र बुलाकर चर्चा कराएं ताकि मजदूरों की चर्चा हो सके. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन(राजपुर) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश श्रम विधियां और प्रकीर्ण उपबंध 2025 पर चर्चा हो रही है और हमारे बहुत सारे विधायक साथियों ने इसमें हिस्सा भी लिया है और मंत्री जी को और सरकार को आईना दिखाने की कोशिश भी की है प्रयास भी किया है मैं भी मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि यह संशोधन विधेयक पूरी तरीके से मजदूरों और श्रमिकों के खिलाफ है उनके हितों के विरुद्ध है और सरकार को इस पर विचार करना चाहिये. इस संशोधन विधेयक के जो प्रावधान हैं यह श्रमिकों के हितों को कुचलने का काम करेगा. मंत्री जी को इस पर विचार करना चाहिये और ऐसे समय पर यह संशोधन विधेयक आ रहा है जिस समय जो मुख्यमंत्री जी कहते हैं और माननीय संसदीय कार्य मंत्री भी कहते हैं कि हम कभी न कभी कहीं न कहीं मजदूरों के सुपुत्र रहे हैं. उनके पिताश्री ने मजदूरी की है उनके पुत्र रहे हैं तो इस पर विचार किया जाना चाहिये. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी कल ही हुकुमचंद मिल के श्रमिकों,मजदूरों के बकाया भुगतान की बात कर रहे थे. 20 साल बाद आपने उन मजदूरों का भुगतान आपने किया और वह भी कोर्ट के इन्वाल्वमेंट के बाद किया है तो अब यह जो संशोधन विधेयक आया है इसके माध्यम से इन पर गाज जो गिरेगी इस पर सरकार को विचार करना चाहिये और इस पर मैं आपको बताना चाहता हूं कि इससे संबंधित मेरा खुद का एक प्रश्न था 28 जुलाई को प्रोवीडेंट फंड से संबंधित सरकार के पास विभाग के पास जवाब नहीं था तो मेरे इस प्रश्न के जवाब देने को अस्वीकृत कर दिया है और उसका जवाब ही नहीं आया है. मैं इसलिये इसको कोड कर रहा हूं और इसको जोड़ रहा हूं क्योंकि वह भी मजदूरों,श्रमिकों से संबंधित था इस कारण से मैंने इस बात को यहां कोड किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं इस संशोधन विधेयक के जो भाग 2 के बिंदु क्रमांक 3 की उपधारा 4 के क्रमांक 1 और 2 में जो 20 कर्मकारों के स्थान पर 50 कर्मकार का प्रावधान किया गया है वह पूरी तरह से छोटी संस्थाओं में कार्यरत श्रमिक और मजदूरों के लिये ठेकेदारी प्रथा में काम करने वालों के लिये और उसके बाद दिहाड़ी मजदूरों के लिये यह पूरी तरह से नुकसान पहुंचाने वाला संशोधन विधेयक है, माननीय मंत्री जी आप इस पर विचार करें. हमारे बहुत सारे विधायक साथियों ने इस बात का उल्लेख कर दिया है मैं उनको रिपीट नहीं करना चाहता हूं जो मैंने अभी आपको बताया है और जो यह सीमा है 20 से 50 आपने किये 20 से 50 की सीमा में ही लगभग लाखों मजदूर ऐसे आते हैं जिनका नुकसान हो जायेगा. पहले मान लो कि अगर छोटी संस्था है या ठेकेदारी प्रथा में काम करते हैं आप 49 तक 45 है, 46 है, 47 है, 48 से 49 तक के ऊपर तो यह संशोधन विधेयक के जो प्रावधान हैं उसके अंतर्गत आयेंगे नहीं तो उसका फायदा नहीं होगा. बीमा से नुकसान उनका हो जायेगा, प्रोवीडेंट फंड से हो जायेगा उसके बाद जिस कोर्ट में या जहां अपनी बात को कहना चाहिये जिनके लिये कानून जो लड़ता था वह सब खत्म कर देगा यह संशोधन विधेयक, इस पर आपको विचार करना चाहिये. ऐसे ही माननीय अध्यक्ष महोदय, बताना चाहता हूं इसी के भाग 3 के बिंदु 5 के खंड ड में ड के क्रमांक 1 के 1 में 10 के स्थान पर आपने 20 मजदूरों का भी ऐसा किया है आपको यहां पर भी विचार करना चाहिये क्योंकि यह पूरी तरह से माननीय अध्यक्ष महोदय ये कारखाना अधिनियम 1948 की जो मूल भावना के बिलकुल विपरीत है. माननीय मंत्री जी जो आपने 10 से 20 मजदूरों की संख्या बढ़ाई है और आगे आपने श्रमिकों का जो 20 से 50 किया है और यह 10 से जो 20 करने जा रहे हैं आप इसके ऊपर विचार करें और एक तरफ तो सरकार इनवेस्टर्स समिट कर रही है बेरोजगारों को रोजगार देने के लिये और दूसरी तरफ उनका नुकसान करने जा रही है इस संशोधन विधेयक के माध्यम से तो इसका जो हिडन एजेंडा है माननीय मंत्री जी उसको आप स्पष्ट करें. आप क्यों इस संशोधन विधेयक को लाये इसके पीछे आपकी और सरकार की मंशा क्या थी. जहां तक हमने समझने की कोशिश की और हमने जो प्रयास किया कि हो सकता है कि किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुये छोटे-छोटे जो कारोबारी हैं उनको 49 मजदूरों तक इस कानून के प्रावधानों के अंतर्गत बंधना न पड़े और वो जितना नुकसान कर सकते हैं जितना शोषण हमारे मजदूरों का और श्रमिकों का जो कर सकते हैं यह हो सकता है इसके पीछे इसका कोई हिडन एजेंडा हो. माननीय मंत्री जी, जब आप इस बात को बोलें तो आप स्पष्ट करें इसके क्रमांक 1 में भी है और क्रमांक 2 में 20 से 40 किया और क्रमांक 1 में 10 से 20 किया है तो आप इस बात को स्पष्ट करें ऐसा ही इसका भाग 4 है. भाग 4 के बिंदु 8 के अंतर्गत क्रमांक 1 व 2 में आपने जो जोड़ा है कि लोक उपयोगी सेवा के सात औद्योगिक स्थापना को भी जोड़ा जाये इसकी क्या आवश्यकता पड़ी और आपने इसमें क्या कर दिया है कि पहले यह होता था कि लोक उपयोगी सेवा वहां हड़ताल नहीं हो सकती थी, वहां तालाबंदी नहीं हो सकती थी, वहां आंदोलन नहीं हो सकते थे, लेकिन आप देख लीजिये हिडन एजेंडा की मैंने जो बात की है आपने औद्योगिक स्थापना भी उसके साथ जोड़ दी है तो पूरी तरह साफ हो सकता है कि आपकी पार्टी से जुड़े हुये लोगों के मंसूबों को पूरा करने के लिये या उनको फायदा करने के लिये श्रमिकों का और मजदूरों का जिसमें कि मैं समझता हूं कि बिलकुल वीकर सेक्शन के लोग आते हैं उनका नुकसान करने के लिये आप यह जो संशोधन विधेयक लाये हैं इस पर आपको विचार करना चाहिये और हमारा पूरी तरह से इसका विरोध है और मैंने और हमारी पार्टी के विधायक साथियों ने जो सुझाव सुझायें हैं आप कृपा करके इस पर विचार करें और मैं समझता हूं कि अगर जस का तस पहले जैसा रहेगा तो इसमें कोई ज्यादा नुकसान वाली बात नहीं है. यह संख्या बढ़ाकर श्रमिकों का जो नुकसान कर रहे हैं और यह संशोधन विधेयक के प्रावधानों के अंतर्गत आप उनकी पूरी तरह से घेराबंदी कर रहे हैं, उनकी लड़ाई को खत्म करने की बात कर रहे हैं और लड़ाई लड़ते लड़ते देख लीजिये मजदूर के बेटे एक मुख्यमंत्री बन गये दूसरे संसदीय कार्यमंत्री बन गये आपको इस बात पर विचार करना चाहिये और इसको वापस लेना चाहिये मेरा आग्रह है माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी से और सरकार से. धन्यवाद.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी) -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, हमारे श्रम विभाग के यशस्वी मंत्री जी पूर्व में कोयला मंत्रालय भी जिन्होंने देखा है और बहुत नजदीक से जिन्होंने कोयला श्रमिकों को समझा और उनकी पीड़ा को समझा है, आज उनके पास श्रम विभाग है और उन्हीं के द्वारा आज यह श्रम में जो परिवर्तन कानून लाये गये हैं, मैं इन तीनों संशोधन को जो यहां पर हैं, उनका समर्थन करते हुए कुछ बातें सभी के ध्यान में लाना चाहता हूं. कुल मिलाकर यह संशोधन जो है, कई बार भारत के बारे में कहा जाता है कि यहां पर रेड टेपिज्म बहुत है, तो यह रेड टेपिज्म को कम करते हुए, हिंदी में बात करें तो उसको सरलीकरण कर रहा है और यह उस चीज को दूर कर रहा है, जो दुविधा हमेशा रहती थी. अक्सर यह होता था कि लोग बीस मजदूरों के दायरे से बचने के लिये या तो कम मजदूर रखते थे और अगर ज्यादा रखते भी थे, तो उनको दिखाते नहीं थे, आज यह सीमा जैसे ही हमने बढ़ाई, चूंकि हर मजदूर को सारी चीजों का फायदा मिलना है, मिनिमम वेजेस एक्ट का फायदा मिलेगा, ग्रेच्युटी का फायदा मिलेगा, जो भी फायदे हैं, वह उससे नहीं छीने जा रहे हैं, सिर्फ एक लाईसेंस राज जिसने हमेशा इस देश को पीछे पहुंचाया उसके रेड टेपिज्म को दूर किया जा रहा है, तो इसके लिये मैं हमारे यशस्वी मंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा कि आपके द्वारा ऐसा कार्य किया जा रहा है कि मजदूरों का हित इसमें सधेगा.
अध्यक्ष महोदय, एक बात और मैं ध्यान में लाना चाहूंगा कि यह जो प्रक्रिया है यह पूरे देश में हो रही है और हमने देखा कि कुछ राज्य जिन्होंने लेबर लॉज में सरलीकरण किया है, जिनमें महाराष्ट्र है, गुजरात है, वहां पर ज्यादा उद्योग आये हैं और मध्यप्रदेश उसमें कहीं न कहीं पिछड़ता चला गया है, आज उस पिछडे़पन को दूर करने के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी डॉ. मोहन यादव जी के द्वारा जो प्रयास किये जा रहे हैं, यह जो संशोधन है, उसी प्रयास में एक मील का पत्थर साबित होने वाला है.
अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि चाईना जो एक मेन्यूफेक्च्युरिंग हब के रूप में पूरे विश्व के पटल पर उभरा है, उसका बहुत बड़ा कारण था कि उन्होंने बहुत ही सरल लेबर लॉज रखे, उसी का आज यह नतीजा है कि विश्व की सबसे बड़ी मेन्यूफेक्च्युरिंग कहीं होती है, तो वह चाईना में होती है और कहीं न कहीं उसमें हम पिछड़े हैं और उस पिछड़ेपन को दूर करने करने के लिये आज यह संशोधन लाये जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारा एम.एस.एम.ई. सेक्टर आगे बढ़ेगा और निश्चित तौर पर अध्यक्ष महोदय हम देखेंगे कि एक एग्रेसिव एनीमिल स्प्रिट हमारे यहां के उद्योग में आयेगी, जिससे कई मजदूरों को रोजगार मिलेगा, जो आज रोजगार से वंचित रह जाते हैं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए जो इसमें एक आखिरी है औद्योगिक विवाद अधिनियम में जो संशोधन किया जा रहा है. हमने देखा हमारा उद्देश्य हड़ताल करना नहीं है. हमारा उद्देश्य हमारे मजदूरों को परेशान करना नहीं है, हमने देखा कि कैसे मिल मालिकों ने अपनी बड़ी-बड़ी मिले बंद करके आज वह मिल की जमीनें करोड़ों अरबों में मुंबई में बेच रहे हैं. हमारा उद्देश्य है कि हमारे मजूदरों को उनका हक मिलना चाहिए, मिल में काम करने वाले मजूदर को वहां पर मौका मिलना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, कोई मजदूर लड़ाई करने नहीं जाता है. मजदूर चाहता है कि मुझे रोजगार मिले, मैं अच्छे से काम करूं, अगर मेरी कोई मांग है तो वह पूरी होनी चाहिए, तो यह संशोधन उन मांगों को सरकार के माध्यम से एक तरफ मिल मालिक,उद्योग मालिक एक तरफ मजदूरों को साथ में बैठाकर बीच का रास्ता निकालकर दोनों के हित को साधने वाला संशोधन है.
अध्यक्ष महोदय, मैं पूर्ण रूप से पुन: बधाई देते हुए आभार प्रकट करता हूं, धन्यवाद करता हूं, हमारे मंत्री जी का कि आपने ऐसा संशोधन लाये हैं, इसके लिये आप बधाई के पात्र हैं, आखिर में एक बात इतनी सी कहना चाहूंगा. यह मजूदर है, जो धरती को स्वर्ग बनाते हैं, यह मजदूर हैं, जो अपनी मेहनत से इतिहास रचते हैं, यह मजदूर किसी के रहमोकरम पर नहीं रहते हैं, इसी मजूदर के हित के लिये यह संशोधन है, इसका हम सब मिलकर समर्थन करते हैं(मेजों की थपथपाहट)
श्रम मंत्री(श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं इस चर्चा में शामिल होने वाले माननीय श्री विजय रेवनाथ चौरे जी, माननीय दिनेश जैन जी, माननीय डॉ.हीरालाल अलावा जी, माननीय राजेन्द्र मेश्राम जी, माननीय ओमकार सिंह मरकाम जी, माननीय श्री बाला बच्चन जी, माननीय श्री गौरव सिंह पारधी जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस सम सामयिक चर्चा में भाग लिया, विशेषकर में आपका हृदस से अभारी हूं.
अध्यक्ष महोदय, प्रारंभ में जब मैंने अपनी बात रखी थी तो मैंने सिद्धांतत: कम शब्दों में अपनी बात रखी थी. मैं मानता था कि जब हम सदन में बैठते हैं तो इतिहास को भी पढ़ते हैं, विचारधारा और कार्यप्रणाली में हमारा मतभेद स्वाभाविक है, उस कारण ही हम आमने सामने बैंचों पर बैठे हुए हैं. लेकिन दशकों का इतिहास झुठलाया नहीं जा सकता है, आपका रास्ता अलग था, हमारा रास्ता अलग है, हम मजदूर की मेहनत का भी सम्मान करते हैं और उसके अपमान को भी कभी बर्दाश्त नहीं करते हैं, लेकिन हमेशा यह ध्यान में रखते हैं कि भारत माता का नुकसान नहीं होना चाहिए, देश का नुकसान नहीं होना चाहिए(..मेजो की थपथपाहट)
हमने अगर वामपंथी विचार धारा का विरोध किया, जिसको हमने माना कि यह हमारे वैचारिक विरोधी है, तो हमने सिर्फ इसलिए कहा था कि हम तालाबंदी जैसी बातों को स्वीकार नहीं करते और इसका परिणाम था कि भारतीय मजदूर संघ जैसा एक श्रमिक संगठन, जो देश की आजादी के बाद बना है और देश में नहीं, दुनिया के अनेक देश, उस संगठन को अपने देश में स्थापित करना चाहते हैं. हम आज अगर चौथे नंबर की अर्थ व्यवयस्था दुनिया में बने हैं, इन 11 सालों के भीतर तो ये सर्टिफिकेट तो कोई अपने मन से तो नहीं बना सकता और जो औद्योगिक परिस्थितियां हैं अगर आप उसकी अनुकूलता के बारे में नहीं सोचेंगे, तो मुझे नहीं लगता कि हम बहुत विकास की सीढि़यों को चढ़ पाएंगे, जिसके लिए हम जैसे लोग सार्वजनिक जीवन में आए थे. कि ‘’तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहे न रहे’’. हम तो इस मंत्र को लेकर आए और इसने कभी ऐसे चोले पहनकर जो मजदूरों का ढिंढोरी पीटते थे, जिन्होंने मजदूरों के नाम पर दशकों तक राजनीति की वह काम वह नहीं कर सके. मैं आज गर्व के साथ कहता हूं, मैंने चार साल इस देश में असंगठित मजदूरों के लिए काम किया. मैं चार वर्ष पूरे देश में घूमा हूं और जो चार्टर हमने बनाया था, वर्ष 2013 तक का आंकड़ा मैं कहता हूं, बहुत हमदर्द है मजदूरों के 2013 तक आप ही सरकार में थे. मजदूर, मजदूरी करने जाता था ओमकार जी तो उसको ठेकेदार लेकर जाता था, उसका पीएफ कटता था दिल्ली में, लेकिन पीढि़यों तक उसे मिल नहीं सका. वर्ष 2013 का आंकड़ा उठाकर देखिए सिर्फ दिल्ली का, 27 हजार करोड़ रुपए अनक्लैम्ड पीएफ का पैसा दिल्ली के पास पड़ा रहा, मजदूर के खाते में नहीं गया और अगर कोई यूनिक पीएफ नंबर किसी ने इस देश में दिया, आजादी के बाद तो उस व्यक्ति का नाम है, नरेन्द्र मोदी, मजाक उड़ान की हिम्मत आपमें नहीं हो सकती. मैं नहीं चाहता था कि इस पर बोलूं, मैं चाहता था कि बड़े सौहार्द्रपूर्ण तरीके से संशोधन स्वीकार होने चाहिए. आप किस कानून की बात कर रहे हो. वर्ष 2019 में मजदूर संहिता पारित हो गई साहब... आज वर्ष 2025 है, आप कह रहे हैं कि वह बन जाएगी, अरे बन चुकी भैया... 6 साल हो गए. कभी पुस्तक पलटकर देखो. मजदूरों का उपयोग करना है, नारे देना है मजदूर हित में, कोई कहेगा, मैं किसान का बेटा हूं, कोई कहेगा मैं मजदूर का बेटा हूं. मजदूर का बेटा देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा, तो उसने मजदूरों के हित में करके दिखा दिया. (..मेजो की थपथपाहट)
मध्यप्रदेश की कुर्सी पर अगर मजदूर का बेटा बैठा है, जैसे हमारे पहले वक्ता चौरे जी कह रहे थे कि इस बात की गारंटी है कि हमारे रहते मजदूर का बुरा नहीं हो सकता. हम मजदूर का सम्मान करते हैं, लेकिन हमें निर्माण की उस गति को भी तो बनाकर रखना पड़ेगा. इसके पहले अगर, मैं अलावा जी को धन्यवाद देता हूं, बाला साहब को धन्यवाद देता हूं, कम से कम आपने बिन्दु पर तो बात की, आपके मन में जो बात थी वह आपने कही है, मैं उसका सम्मान करता हूं. मतभेद से कोई आपत्ति नहीं हैं, आलोचना से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मजाक उड़ाने पर तो आपत्ति है, ये सदन है, कोई आमसभा नहीं है. मुझे लगता है कि (...व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम – अध्यक्ष जी, मंत्री 4 हजार रुपए अगर रसोइयों को मिल रहा है. (...व्यवधान) आउटसॉर्स को आप मदद दे नहीं रहे हैं. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – मरकाम जी, आप अपनी बात रख चुके हो.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - अध्यक्ष जी, अभी तो ये शुरूआत है. मैंने कहा न कि मैं बोलना नहीं चाहता था, इसलिए आपको सुनना तो पड़ेगा, जो आपने कहा है, उसी का जवाब दे रहा हूं. मैं अलग से नहीं कह रहा, जिन वक्ताओं ने ठीक कहा है, उन्होंने भी हमारे खिलाफ बोला है, लेकिन मैं उनका सम्मान करता हूं. एक विधायक की जिम्ममेदारी है, आप विपक्ष में बैठे हो, आपके मन में है कि हम गलत कर रहे है तो हमारी आलोचना होनी चाहिए. मैं आलोचना सुनने वाला आदमी हूं, उससे भागने वाला आदमी नहीं हूं, लेकिन आप ऐसा नहीं कह सकते, आपने पढ़ा ही नहीं. आप कह रहे थे कि 100 रुपए जुर्माना है, साथ में तीन महीने की सजा है, आपने पढ़ा कभी. आप सदन के भीतर असत्य बोल रहे हैं, गलत बोल रहे हैं. अगर आप कागज में लिखकर के गलत लाये हो आपको जिसने दिया है, उससे पूछो. इसलिये खुद पुस्तक पढ़ो तो ज्यादा अच्छा होगा.(व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, अगर नियम के तहत रखा है तो पटल पर रखे. (व्यवधान)
श्री प्रहलाद सिंह पटेल— अध्यक्ष महोदय,अगर आपको किसी ने गलत पर्ची पकड़ा दी तो आप उसको गलत ही पढ़ोगे ना. खुद पढ़ते तो सही बोलते. (व्यवधान)
श्री कैलाश विजयवर्गीय—इनके नेता भी पर्ची पढ़कर के ही देते हैं, इनके कार्यकर्ता भी ऐसे ही हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—मरकाम जी आपने अपना विषय पूरा रखा.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल— अध्यक्ष महोदय,जब सदन के पटल पर बोलते हैं वह सत्य होता है भईया, वह गलत नहीं होता. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी आप अपनी बात रखें.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल— अध्यक्ष महोदय,उन्होंने कहा साहब मनरेगा में नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय—कुल-मिलाकर कार्य मंत्रणा समिति ने इस पर 1 घंटे का समय तय किया था. सभी सदस्यों ने पूरा एक घंटा विचार किया. एक घंटा पूरा होने के बाद ही मंत्री जी बोल रहे हैं. इसमें 8 लोग बोले हैं 8 में से 6 लोग प्रतिपक्ष के बोले हैं 2 लोग पक्ष के बोले हैं. मैं समझता हूं कि जो बात आपके मन में थी आप रख चुके हैं. अब मंत्री जी का जवाब सुने.
· श्री प्रहलाद सिंह पटेल— अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2025-26 में 861 लाख से अधिक मानव दिवस मनरेगा में हुए हैं. मनरेगा में कुछ है नहीं, मनरेगा का पता नहीं. रिकार्ड ऐसे ही सदन के भीतर नहीं झुठलाया जा सकता. मैं जरूर इस रिकार्ड के लिये कि इस विधान सभा में भी जानकारी होनी चाहिये कि इस देश में आजादी के पहले के लगभग 38 कानून थे. जितने कानून थे, तो उन्होंने कहा कि साहब ठेका कानून नहीं था. अरे भाई साहब ठेका कानून वर्ष 1970 का बना हुआ है. जिन कार्यों की मैं रिपील लेकर के आया हूं वह वर्ष1947-48 के हैं, एक वर्ष 1970 का आज आप कह रहे हैं कि ठेका कानून बनाया है. हमने नहीं बनाया है वर्ष 1970 में हम नहीं थे उसमें वर्ष लिखा हुआ है उसको आपने भी पढ़ा होगा. आप बोलने के पहले कैसे बातें करते हैं. इसलिये अध्यक्ष जी मैंने प्रारंभ में आपके सामने कहा था कि हमने आजादी के पहले के कानून और आजादी के बाद के कानूनों को भारत सरकार ने रिपील पहले से ही किया है हम तो खाली उसका अनुमोदन करने के लिये आये हैं. पहले कानून जो मजदूर संहिता थी वह वर्ष 2019 में पारित हुई मैंने कहा था कि जब आप भी सदन में थे और मैं भी सदन में था जब यह कानून बने हैं. कम से कम इन चीजों की जानकारी हमें होनी चाहिये कि हमारे किसी उच्च सदन ने कोई कानून बनाया है तो हम उसको एक बार पलटकर देखें. अगर उसमें आपको कुछ लगता है तो आपको लगता है तो बोलना चाहिये. हम तो सिर्फ अनुमोदन करने के लिये आये हैं. मैंने अपनी उस बात को भी स्वीकार किया है कि उस साल मुझे पटल पर नहीं बोलना चाहिये था. मैंने कहा कि जब हमारे केन्द्रीय मंत्री जी ने बुलाया तो हमने कहा कि हमारे यहां तो पारित हो गया है, लेकिन वह इन्डेक्स में जब वह टिक नहीं आया तो पता चला कि हमारा अध्यादेश जारी था, लेकिन हम पटल पर नहीं ला पाये थे. इसलिये मैं दोबारा सदन के पटल पर लाया हूं. इस गलती को भी रेक्टिफाई करके स्वीकार किया पटल के भीतर, इसमें आप कैसे बचा सकते हो अपने आप को. कानून इस सदन की प्रापर्टी है, कानून अकेले किसी पार्टी की प्रापर्टी नहीं है. इस सदन में अगर कोई बात कहूंगा तो यह प्रहलाद पटेल का कथन नहीं है. इस सरकार का कथन है वह सदन के भीतर अपनी बात को कह रहे हैं. इसलिये औद्योगिक संबंध संहिता वर्ष 2020 में पारित हुई, व्यावसायिक और सुरक्षा संहिता यह भी वर्ष 2020 में पारित हुई, सामाजिक सुरक्षा संहिता जो वेलफेयर के लिये है वह भी वर्ष 2020 में ही पारित हुई. किसी की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि एक समय में हमारे अटल बिहारी बाजपेयी थे जिन्होंने असंगठित मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी थी और दूसरे व्यक्ति का नाम नरेन्द्र मोदी जिन्होंने सामाजिक सुरक्षा गारंटी का कानून बनाया आप उसको पलटकर देख लीजिये, आप कहिये कि हमने बनाया. इतने लोग इतनी बड़ी बड़ी बातें मजदूरों की करते रहे. अध्यक्ष जी जब मैंने मजदूरों के बीच में जब मैंने काम किया और उसके बाद जब मैं किसान के लिये काम करता था. मजदूरों के लिये जीवन में चार साल देने का मौका मिला. वह भी असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिये जब मैंने एक लाख से ज्यादा लोग जब दिल्ली में इकट्ठे किये थे उस दिन मुझे संतोष हुआ था कि जीवन के कुछ वर्ष हमने सार्थक लगाये, कितनी चीजे हैं. जब हमने चार्टर बनाया वह चार्टर को एक साल के भीतर मोदी सरकार ने एडमिट कर लिया वर्ष 2015-16 में. मतलब कि मैं कभी विश्वास नहीं कर सकता था कि ऐसा हो सकता है. इसलिये मुझे लगता है कि पलटकर देखना चाहिये कि मजदूरों के नाम तथा उनके दर्द का दोहन मत करिये.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को पाइंट ऑफ इर्न्फोमेशन बताना चाहता हॅूं कि माननीय श्री प्रहलाद पटेल जी भारतीय जनता पार्टी के असंगठित मजदूर मोर्चे के राष्ट्रीय संयोजक थे. उन्होंने पूरे देश में असंगठित मजूदरों के लिए काम किया और उसका एक चॉर्टर बनाकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को दिया था, जिसमें से 90 परसेंट आपने जो चॉर्टर दिया था, वह मांग माननीय प्रधानमंत्री जी ने मंजूर किया था.(मेजों की थपथपाहट)
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसको बहुत लंबा न करते हुए यह कहूंगा कि राजनैतिक हित हमारे हो सकते हैं, हम उन पर जरूर बात करें, इसमें मुझे आपत्ति नहीं. माननीय बाला जी ने जो मुझसे कहा था, मैं उसको पढ़कर सुना देता हॅूं, वह शायद माननीय अलावा जी ने भी पढ़ा होगा. जो ठेका मजदूर हैं, उसमें तीसरे कॉलम में बड़ा स्पष्ट लिखा है कि सिर्फ लायसेंस और रजिस्ट्रेशन के लिए यह नंबर बदला है लेकिन नियोजक इसके श्रमिकों को उसके संस्थान में सीधे नियुक्ति प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित होंगे, जो उसका आशय दिया गया है. क्योंकि 50 से कम ठेका श्रमिक होने पर भी गैर-लायसेंसधारी ठेकेदार की स्थिति में इन श्रमिकों के वेतन, पीएफ, ईएसआई जैसे वैधानिक उत्तरदायित्व सीधे नियोजक पर ही होंगे और इसलिए यह जिम्मेदारी पूरी तरह से ठेकेदार पर होगी. अध्यक्ष महोदय, दूसरा जो भ्रम है कि कोई कानून जो औद्योगिक विवाद के कानून हैं उसमें खाली मजदूरों भर के लिए लिया गया है. जी नहीं, ऐसा नहीं है. उसमें पूरी तरह से उद्योगपति, पहले जो लोग मजदूरों के क्षेत्र में काम करते रहे हैं शायद माननीय बाला जी ने काम किया होगा, कभी भी शटर बंद होते थे और बंदी के बाद में हम माननीय न्यायालय के अलावा कुछ कर नहीं पाए और मैं अपने जीवन का एक उदाहरण बताता हॅूं. वर्ष 1989-90 में हमारे यहां एक डालडा फैक्ट्री थी, वह बंद हुई. चूंकि मैं उस समय मजदूरों के बारे में ज्यादा जानता नहीं था और उसके बाद में जब हमने उसकी लड़ाई लड़ी, तो सारे लोगों में से कोई सब्जी का ठेला लगा रहा है, कोई कुछ कर रहा है, उसका कोई विकल्प ही नहीं था. उस उद्योगपति के खिलाफ हम कोर्ट में गये लेकिन बाद में दबाव पर आकर ही वह इन्डस्ट्री शुरू हुई. लेकिन इसमें नियोजक पर भी है कि वह उसको भी बंद करने के पहले 6 महीने तक और14 दिन के पहले तक उसको सूचना देनी पडे़गी. खाली मजदूर के लिए नहीं है. हड़ताल पर प्रतिबंध नहीं है सिर्फ सूचना तो उसको देनी पडे़गी. आप मनमर्जी नहीं कर सकते. जिसने ट्रेड यूनियन में काम किया है. हम 2 साल पहले ज्ञापन देते थे और जब मर्जी होती है, उस ज्ञापन का नंबर डालकर ताला लगा देते थे कि आज से तालाबंदी है. यह नहीं हो सकता. इसके लिए हम यह न सोचें कि किसी संगठन का काम है, हमें आज अनुकूल वातावरण बनाना पडे़गा. संघर्ष से कभी कोई देश और समाज ऊपर नहीं उठता. तालाबंदियों ने इस देश के उद्योग जगत का कितना नुकसान किया है. यह इतिहास गवाह है और उनके साथ में जो परिणाम उन्होंने भुगता, यह मैं समझता हॅूं जब हम अकेले बैठेंगे, तो हम इसे स्वीकार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, राज्य में कोटा और लायसेंस ने इस देश का कितना नुकसान किया है, यह भी आप अच्छी तरह से जानते हैं. लेकिन मुझे लगता है कि यह तो सिर्फ हम भारत सरकार के उन संशोधनों को रिपील करके भेजेंगे, ताकि भारत सरकार को भी जाये और माननीय राष्ट्रपति जी अनुमोदन करेंगे. देश की संसद तो इसको 5-6 साल पहले पारित कर चुकी है. राज्य उसमें पीछे था और इसलिए आज यह अवसर आया है कि हम सदन से पारित करें, ताकि भारत सरकार के पास भी जाये और महामहिम राष्ट्रपति जी के पास भी यह कानून जाये.
अध्यक्ष महोदय, मैं सदन से प्रार्थना करता हॅूं कि हमारे मन में मतभेद हो सकते हैं कोई शंका-कुशंका हो सकती है, तो मुझे लगता है कि उस पर बातचीत हो सकती है. नियमों में परिवर्तन के बारे में मैं दो बातें और कहूंगा. ओवर टाईम के बारे में जितने भी ओवर टाईम हो सकते हैं. एक बड़ी सिम्पल-सी बात है कि अगर मेरे पास में 8 घंटे का रोजगार है और अगर मैं 10 घंटे करना चाहता हॅूं, 12 घंटे करना चाहता हॅूं तो मेरी मर्जी है तो मैं कर सकता हॅूं लेकिन मैं सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा नहीं कर सकता. अगर मैं 4 दिन में 48 घंटे काम कर लूं, तो मुझे सप्ताह भर की मजदूरी मिलनी चाहिए. अगर यह सुविधा मजदूर की सहमति से मिल जाये, तो क्या आपत्ति है. ऐसे अनेक संशोधन हैं वह निश्चित रूप से आयेंगे.
अध्यक्ष महोदय, हमारे एक मित्र ने कहा था कि ऑनलाइन वेतन होना चाहिए. मेरे विभाग में पहले ऑनलाइन नहीं था. संविदा के लिए, ऑउटसोर्स के लिए जितनी संस्थाएं काम करती हैं हमने कहा कि वह ऑनलाइन होंगी और हम उसका पोर्टल भी बना रहे हैं. यह निश्चित रूप से हम सबकी चिंता होनी चाहिए कि मजदूर की एक-एक पाई उसके खाते में जाये और मैं आज फिर से इस सदन के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का धन्यवाद करता हॅूं क्योंकि मैंने देखा कि पीएफ का पैसा मजदूर के पास नहीं जाता था, वह यूनिक आइडेंडिटी नंबर होने के कारण एक मजदूर 6 महीने मध्यप्रदेश में काम करे, 4 महीने मुंबई में काम करे, 2 महीने दिल्ली में काम करे, उसका पीएफ का पैसा तो उसी के खाते में जायेगा, कोई माई का लाल ले नहीं सकता. यह है मोदी सरकार का काम. (मेजों की थपथपाहट) तो मजदूरों की बातें करना और मजदूरों के हित में काम करना, दोनों अलग-अलग बात है. मैं सदन को आश्वस्त करता हूं कि हम मजदूरों के नाम पर रोटी सेंकने वाले लोग नहीं हैं. मजदूर के हित में जीएंगे, मजदूर के हित में मर जाएंगे, लेकिन उसका अहित नहीं होने देंगे. अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद और मैं निवेदन करता हूं कि इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित करें, यह विनती करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मजदूरों की आय में कमी न हो और उद्योग मालिकों की दया पर मजदूर निर्भर न हो, इसका आप ख्याल रख लीजिएगा. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक, 2025 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय - खण्ड, 3 5 एवं 8 में एक-एक संशोधन है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि खण्ड 3, 5 एवं 8 में इस प्रकार संशोधन किया जाए, अर्थात् -
"खण्ड-3 में, उपखण्ड (एक), (दो) तथा (तीन) का लोप किया जाए."
"खण्ड-5 में, उपखण्ड (एक) तथा (दो) का लोप किया जाए."
"खण्ड-8 में, उपखण्ड (एक) तथा (दो) का लोप किया जाए."
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. कुछ बोलना चाहते हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ध्यान उन करोड़ों कामगार कर्मचारियों के वर्ग के सवालों की ओर ले जाना चाहता हूं कि जिन्हें भुलाया जा रहा है. यह एक बहुत बड़ा वर्ग है, जो निजी क्षेत्रों में, सरकारी क्षेत्रों में काम करता है. यह हमारे देश की एक रीड़ की हड्डी है, जो देश को विकास की कड़ी में आगे बढ़ाता है. सरकार ने श्रम कानून में संशोधन की मंजूरी देकर पहले ही मुश्किल में जीवन-यापन कर रहे कामगारों को और मुश्किल में डाला है. जो संशोधन आए हैं, वे श्रम कानूनों में निश्चित रूप से उनके अधिकारों को कहीं न कहीं खत्म करने की योजना बन रही है. माननीय मंत्री जी ने बहुत सारी बातें कही. पहले भी कही कि संशोधन जो होगा, उसमें किसी मजदूर का नुकसान नहीं होगा. सिर्फ कुछ संख्या में बदलाव होगा बाकी वैसी की वैसी स्थिति बनी रहेगी.
अध्यक्ष महोदय, पचमढ़ी में हुई कैबिनेट की बैठक में श्रमिक कर्मचारियों के संगठन के बारे में 3 प्रस्तावों का बदलाव करने का फैसला किया गया. इसमें व्यापक चर्चा करने की आवश्यकता थी, जो हमारे साथियों ने और उधर के साथियों ने चर्चा की है. मैं 3 बातों में कोशिश करूंगा कि सारी बातें आ जाएं. पहला श्रम कानूनों में संशोधन, दूसरा न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण, तीसरा सरकारी विभागों के ठेकाकरण एवं तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों का स्थायी आऊट सोर्सीकरण हो गया है. पूरे प्रदेश में आऊट सोर्स एक ऐसा शब्द हो गया है कि इसको सुनते ही ऐसा लगता है कि यह कहीं न कहीं लोगों के अधिकार को मारने की योजना है, आऊट सोर्स. उसी संबंध में तीनों कानूनों में जो बदलाव लाया जा रहा है, जिन श्रमिक कानूनों में संशोधनों की मंजूरी दी गई है, उनमें से एक ठेका श्रम नियमन और उन्मूलन अधिनियम 1970, दूसरा है कारखाना अधिनियम 1948, तीसरा है औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, इन 3 श्रमिक कानूनों में और जो श्रमिक कानून थे, इसमें हम लोग कहते थे कि वे श्रमिकों का एक सुरक्षा कवच हैं. इन कानूनों से मजदूरों को सुरक्षा रहेगी और उनके अधिकारों का शोषण नहीं होगा. इस बात में कहना बहुत मुश्किल होगा कि इस संशोधन में जो चीजें आई हैं, वह आगे चलकर कहीं न कहीं जो उद्योगपति हैं या जो ठेकेदार हैं, सीधे तौर पर मजदूरों का शोषण करेंगी और उनके अधिकारों का शोषण करेंगी क्योंकि आज भी यह कानून होने के बाद भी आप देखेंगे कि जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था को कोई कानून, कोई उद्योगपति, कोई ठेकेदार नहीं मानता था. लगातार वे मजदूरों का शोषण निश्चित रूप से करते चले आ रहे थे.
अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ बातें कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा, जिनके कारण श्रमिकों के पास न्यूनतम वेतन, काम के घंटे, सामाजिक सुरक्षा सवाल उठाने जैसे अधिकार मिले थे और जिनके सहारे वह अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ यूनियन बनाते थे, फिर अपनी बात लोकतांत्रिक तरीके से प्रबंधन के सामने रखते थे, मगर इन कानूनों के आने से वह निश्चित रूप से सारी चीजें धीरे-धीरे खत्म होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज प्रदेश में बहुत विपरीत स्थिति है. श्रम कानून में संशोधन की मंजूरी देकर न्यूनतम वेतन, काम के घण्टे तय करने का अधिकार
मालिकों और ठेकेदारों को दे दिया जायेगा. यहां तक कि उनसे संगठन बनाने का भी अधिकार छीना जा रहा है. श्रम कानून के संशोधन में सबसे ज्यादा असर ठेका श्रमिक कर्मचारियों पर पड़ेगा. अभी तक जहां 20 ठेका श्रमिक होते थे, उन सभी को कानून के दायरे में माना जाता था. वह अपने अधिकारों पर बात कर सकते थे. परंतु इसमें बदलाव करके 50 कर दिया गया है. अब जब 20 ठेका कामगार काम करते थे उस समय यह जो हमारे तीनों कानून बने थे, वह चाहे छोटा उद्योगपति हो या ठेकेदार हो उस कानून को भी नहीं मानते थे, कानून होने के बाद भी और यदि इस कानून में बदलाव होगा तो क्या इसमें शंका पैदा नहीं होती कि जब उसको नहीं मान पाते थे, तो 50 के बाद कैसे मान पायेंगे. यह हम सबके लिये एक चिंता का विषय है.
माननीय मंत्री जी ने पहले भी बहुत सारी बातें कहीं. मैं उन बातों के बारे में बताऊंगा. इससे ज्यादातर ठेका श्रमिक कानून के दायरे से बाहर हो जायेंगे, यह 50 होने से. उद्योगों में पहले बिना बिजली 10 और बिजली के आधार 20 श्रमिक वाले उद्योगों पर श्रम कानून लागू होते थे. अब इन्हें बढ़ाकर 10 से 20 कर दिया गया है, 20 से चालीस कर दिया गया है. इसी तरह से औद्योगिक विवाद अधिनियम में संशोधन श्रमिक एवं हड़तालें, धरने प्रदर्शन पर अंकुश लग जायेगा, जो उनका अधिकार था. जैसे समय-समय पर उनका शोषण होता था, उनका हक उनको समय पर नहीं मिल पाता था, तो यह अधिकार था. वह अधिकार भी धीरे-धीरे इस कानून के माध्यम से समाप्त हो जायेंगे और मालिकों के ऊपर वह निर्भर हो जायेगा कि वह किस तरह से..
अध्यक्ष महोदय- बस अब आप समाप्त करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- थोड़ा सा और समय दे दें.
अध्यक्ष महोदय- संशोधन पर ही बोल रहे हैं. कानून पर नहीं बोल रहे हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- संशोधन पर ही है. कुछ बातें इसमें जुड़ी हुई है. महोदय जी, प्रदेश के कर्मचारी वर्ग का न्यूनतम वेतन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. यह सब कानून होने के बाद भी न्यूनतम वेतन आज तक मजदूरों को नहीं मिल पाया है. नौकरियों में अस्थायीकरण धीरे-धीरे पूरी तरह से बढ़ गया है. आउट सोर्स का कान्सेप्ट पूरी तरह से आ गया है. न्यूनतम भुगतान दिलाने की व्यवस्था बनानी चाहिये लेकिन प्रदेश में खुद सरकार ने न्यूनतम वेतन दिलाने के मामले में धोखा किया है, जो नहीं होना चाहिये था. उनको न्यूनतम वेतन नहीं मिल पा रहा है.
महोदय, न्यूनतम वेतन कानून, 1948 में स्पष्ट प्रावधान है कि सरकार द्वारा पांच वर्ष की अवधि में न्यूनतम परीक्षण किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- कृपया आप समाप्त करें. अभी जल पर चर्चा भी बाकी है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, थोड़ा सा समय दे दें.
अध्यक्ष महोदय जी, आपको बताना चाहता हूं कि तत्कालीन कमल नाथ जी की सरकार में 15 नवम्बर, 2019 को न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड की बैठक हुई थी और 1 अक्टूबर, 2019 से प्रभावशील महंगाई भत्ते का मूल वेतन जोड़कर 25 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी, मूल वेतन निर्धारण करने की अनुशंसा की गयी थी, जिसका भुगतान अक्टूबर, 2019 से किया जाना था. सरकार ने न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण के पूरे पांच साल लटकाकर रखा गया. श्रमिक कर्मचारियों के संगठनों के आंदोलनों के बाद दबाव में 1 अप्रैल, 2024 से पुनरीक्षित वेतन लागू किया गया. जिसमें भी श्रमिकों के साथ धोखा किया गया. 15 नवम्बर, 2019 को हुई बैठक की अनुशंसानुसार मूल वेतन, महंगाई भत्ते से जोड़कर, मूल वेतन तय करके 25 प्रतिशत की वृद्धि की गयी...
अध्यक्ष महोदय- सोहन जी कृपया पूरा करें. आप पढ़ो मत वैसे ही भाषण दे दें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष जी, बस थोड़ा सा है. मैं बस कुछ आंकड़े पढ़ रहा था.
डॉ. सीतासरन शर्मा- यह न तो संशोधन पर है और न ही विधेयक पर है. आप मिनिमम वैजेस एक्ट पर आ गये हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ आंकड़े लिखकर लाया था यदि आप मना करेंगे तो कोई बात नहीं. हमारे सभी साथियों ने बहुत सारी बात बोली है. मगर यह जरूर है कि 1947, 1948 और 1970 में जिस प्रकार से बदलाव किया जा रहा है. इसमें उद्योगपतियों को फायदा दिलाने की पूरी तरह से कोशिश की जा रही है, जो मजदूरों का अधिकार था, उन अधिकारों को मारने का प्रयास किया जा रहा है. माननीय जब केन्द्र में कोल मंत्री थे, मैं उनको बताना चाहता हूं कि जो भारतीय मजदूर संघ की बात, ठेका श्रमिकों में या अन्य संगठनों में जो काम किया है, जब वह कोल मंत्री थे तो उस कार्यकाल में मैंने देखा है कि कोल कंपनी में जो ठेकेदार, कामगार करते थे उनके साथ भी शोषण हुआ. उस समय इस पर कार्यवाही क्यों नहीं की गयी ? क्यों सामने नहीं आये, मंत्री महोदय ने इस बात को कहा कि जिनका जो अधिकार बनता था, वह नहीं दिया जायेगा. आज भी कोल इंडिया में हाई पॉवर कमेटी की रिकमण्डेशन है. मगर कोयला के कामगारों को, मजदूरों को, उनका अधिकार नहीं दिया जा रहा. आप अब यह नहीं कहोगे कि मैं केन्द्र में पहुंच गया हूं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि उस समय जब आप मंत्री थे तो हमारे क्षेत्र में भी आते थे और यह भारतीय मजदूर संघ से जुड़े थे. हमारी लड़ाई भी इस संबंध में कई बार हुई थी कि जो ठेकेदारी कामगार हैं उनको सही से वेतन दिया जाये. उस समय नहीं मिल पाया.
अध्यक्ष महोदय- अभी भी आपके क्ष्ोत्र में उनको बुलाते रहें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- आते रहें, वह तो हमारे वरिष्ठ हैं. वह नेता जी हैं वो तो कोई बात ही नहीं. मैं यह कहना चाहता हूं कि इस संशोधन को ना लाया जाये और इसको वापस लिया जाये. हम सबकी यह भावना है ताकि हम मजदूरों के हित की बात कर सकें क्योंकि कम से कम 25 लाख आउट सोर्स के कर्मचारी हैं, 10 लाख ठेकेदारी कामगार ऐसे बहुत सारे लाखों कर्मचारी भी इससे प्रभावित होंगे. आपसे हमारा आग्रह है कि इस संशोधन में इसको वापस किया जाये.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, शायद आपने, बाल्मीक जी बड़े विद्वान आदमी हैं. इन्होंने बोला बहुत अच्छा है, पर उन्होंने उसके पहले मंत्री जी का भाषण नहीं सुना है. मजदूर हड़ताल नहीं करें, ऐसा नहीं है. उसको नोटिस देना पड़ेगा और वैसे ही मालिक की भी जिम्मेदारी है कि वह तालाबंदी नहीं कर सकता है. तो दोनों की जवाबदारी सुनिश्चित की है और इसलिये किसी के भी अधिकार का हनन नहीं है. आप जरा सुन तो लेते बात को और इसलिये मैं आपसे करबद्ध निवेदन करना चाहता हूं कि यह मजदूरों के हित का है. यह सरकार, हमारी और कम से कम हम, जो हमने मजदूरी की है. हम मजदूरों का अहित कभी भी नहीं कर सकते. इसलिये आपसे निवेदन है कि इस संशोधन को आप वापस ले ले लें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा था कि ये तीनों कानून होने के बाद भी मजदूरों को हक नहीं मिल पा रहा है और यदि इसमें संशोधन होंगे, तो क्या मिल पायेगा. यह बातें जो बताई जा रही हैं, यह सिर्फ बताने के लिये हैं, मगर वास्तविकता हम देखेंगे, तो यह कहीं लागू नहीं हो पायेगा और अधिक शोषण होगा. जो तालाबंदी की बात हो रही है, हड़ताल की बात हो रही है, यह तो मजदूर का अधिकार है. उसको यह करने का मौका मिलना चाहिये. हड़ताल पर आदमी जब जाता है अपनी रोजी रोटी छोड़कर कि जब उसके अधिकार को मारा जाता है. उसका शोषण किया जाता है. यदि वह भी मामला खतम कर दिया जायेगा, तो वह जायगा कहां, किसके पास जायेगा.
अध्यक्ष महोदय—सोहन जी, आपने बात कही है, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि मंत्री जी ने बताया कि सेंट्रल एक्ट थे और काफी दिन पहले यह बदल गये हैं. सिर्फ विधान सभा में आना भर हैं. तो ये तो कानून बन ही चुके हैं, मतलब यह तो लागू होने ही हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—अध्यक्ष महोदय, तो सरकार ने ठान लिया है कि मजदूरों के अधिकारों को मारा जायेगा.
अध्यक्ष महोदय—नहीं नहीं, मारा नहीं जायेगा. मतलब जो मंत्री जी ने कहा, उस पर अपन ध्यान दें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे कहा कि मंत्री जी ने जो बात कही, वह अपनी जगह ठीक है. मगर यह 3 कानून होने के बाद में मजदूरों के साथ शोषण होता रहा है. मजदूरों का अधिकार खतम किया गया है. ठेकेदारी, कामगार हो, चाहे वह जो मालिक है, उसके विरुद्ध एक आवाज नहीं उठा सकता था वह. आप आवाज उठाओगे, तो आपको नौकरी से निकाल दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय—संसदीय कार्य मंत्री जी ने आपसे आग्रह किया. आप अपना संशधन वापस लेना चाहते हैं क्या.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—अध्यक्ष महोदय, यह संशोधन हमने इसलिये लाया था कि इसमें इसको वापस लिया जाये, तो मैं तो आपसे निवेदन करुंगा हाथ जोड़ करके कि वह वापस लें इसे.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ, प्रश्न यह है कि खण्ड 3,5 एवं 8 में इस प्रकार संशोधन किया जाये.-
“खण्ड-3 में, उपखण्ड (एक, (दो) तथा (तीन) का लोप किया जाए,”.
“खण्ड-5 में, उपखण्ड (एक) तथा (दो) का लोप किया जाए.”.
“खण्ड-8 में, उपखण्ड (एक) तथा (दो) का लोप किया जाए.”.
संशोधन अस्वीकृत हुआ.
4.27 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—अध्यक्ष महोदय, हम सभी इस संशोधन विधेयक का विरोध करते हैं और इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री उमंग सिंघार, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में मध्यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक,2025 के विरोध में इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.)
..(व्यवधान)..
4.28 बजे शासकीय विधि विषय कार्य (क्रमशः)
अध्यक्ष महोदय—प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 10 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 10 इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
4.29 बजे नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा का पूनर्ग्रहण.
प्रदेश में लगातार कम होते भू-जल स्तर एवं परंपरात जल संग्रहण संरचनाओं के सतत् समाप्त होने से उत्पन्न स्थिति.
अध्यक्ष महोदय—डॉ. चिन्तामणि मालवीय जी (अनुपस्थित). श्री जय सिंह मरावी जी.
श्री जयसिंह मरावी(जैतपुर) --माननीय अध्यक्ष महोदय, आज सदन में बहुत ही महत्वपूर्ण विषय प्रदेश में लगातार कम होते भू-जल स्तर एवं परंपरागत जल संग्रहण संरचनाओं के सतत् समाप्त होने से उत्पन्न स्थिति के संबंध में चर्चा हो रही है.प्रथम वक्ता के रूप में, मैं अपनी बात कहना प्रारंभ कर रहा हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश भारत का हृदय स्थल कहलाता है और यह राज्य जल संकट की गंभीर चुनौती से जूझ रहा है. वर्ष दर वर्ष यहां भू जल स्तर गिरता जा रहा है जिससे न केवल कृषि प्रभावित हो रही है बल्कि पीने योग्य पानी की उपलब्धता भी संकट मे है. कारण भी है कि यहां पर कृषि, घरेलू उपयोग के लिये जरूरत से ज्यादा पानी निकलना, ट्यूववैल और बोरबेल की सख्या में भारी वृद्धि होना, ऐसे में हमारी मध्यप्रदेश की सरकार डॉ. मोहन यादव जी के कुशल नेतृत्व में काम कर रही है. कुछ क्षेत्रों में पानी को लेकर के सरकार ने कार्य भी किये हैं. मैं कहना चाहता हूं कि मेरे ही विधानसभा क्षेत्र की बात करूंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत रूपये 27.79 करोड़ की लागत से 791 खेत तालाबो का निर्माण हुआ है. इसी प्रकार से 99.98 लाख की लागत से 4 अमृत सरोवर और रूपये 3.29 करोड़ की लागत से 1368 अन्य जल संरक्षण व संवर्धन कार्यों का क्रियान्वयन किया गया है. भू जल के संवर्धन हेतु रूपये 1.24 करोड़ की लागत से 247 कुओं का रिचार्ज किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में 1 लघु सिंचाई परियोजना के कार्य को पूर्ण किया गया है तथा 10 नहरों की साफ सफाई कर इन्हें शासकीय नगर अंकित कराया गया है. इन नहरों के अंतिम छोर पर किलोमीटर स्टोन लगाये गये हैं. नगर परिषद बकोह में 9 तालाबों की साफ सफाई और पुनर्जीवन का कार्य किया गया है. कुल 5 नालों की साफ सफाई का कार्य किया गया है. नालों की भी सफाई की गई है.
समय 4.32 बजे [सभापति महोदय(डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय)पीठासीन]
माननीय सभापति महोदय, क्षेत्र में स्थित उद्योगों को शून्य निस्त्राव का पालन किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है. सोन नदी में मिलने वाले नालों में सीवेज प्रवाह का आंकलन किया गया और जल गुणवत्ता का मापन किया गया है. क्षेत्र के अंतर्गत दीवार लेखन, पैम्पलेट वितरण कर जन जागरूकता अभियान का कार्य भी किया गया है. माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के "ड्राप मोर क्रॉप " के अंतर्गत 173 कृषकों को स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सुविधा प्रदान कर लाभान्वित किया गया है.मेरे विधानसभा क्षेत्र मे 5 जगहों पर चौपाल का कार्य भी किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में कुछ वन क्षेत्रों में भी काम किये गये है. वन क्षेत्रों में वन्य जीवों हेतु पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न संरचनाओं का निर्माण किया गया है. 106 तालाबों, 219 सौसर, 106 स्टाप डेम, 1215 झिरिया तथा 12 किलोमीटर वाटर लिफ्टिंग सिस्टम का निर्माण कार्य पूर्ण करा लिया गया है. साथ ही 173 पूर्व से निर्मित तालाबों का गहरीकरण कार्य भी कराया गया है.माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2025-26 में सम्पूर्ण प्रदेश में वन विभाग की विभिन्न योजनाओं में 75,025 हेक्टेयर क्षेत्र में 5.38 करोड़ पौधों का रोपण हेतु तैयारी पूर्ण हो चुकी है. इन क्षेत्रों में रोपण के लिये विभागीय रोपणियों में 6.99 करोड पौध तैयार कर ली गई है.
माननीय सभापति महोदय, इस अभियान के अंतर्गत वन विभाग द्वारा प्रदेश के वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण कार्यों के अंतर्गत 1404 मीटर कंटूर ट्रेंच, 18031 घनमीटर बोल्डर, चेक डैम, 12859 घनमीटर ब्रशबुड चेक डैम, 91 परकोलेशन पिट एवं 87 परकोलेशन टेंक का निर्माण कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है. विभाग द्वारा अविरल निर्मल नर्मदा योजनांतर्गत नर्मदा नदी की अविरलता एवं निर्मलता सुनिश्चित करने हेतु नदी के दोनों तटों पर 10 किलोमीटर की दूरी तक स्थित 5,600 हेक्टेयर वन भूमि पर पौधारोपण तथा भू-जल संरक्षण कार्य कराने हेतु..
सभापति महोदय -- मरावी जी, शीघ्र समाप्त करें काफी सदस्य बोलने के लिए हैं.
श्री जयसिंह मरावी -- सभापति महोदय, बस दो मिनट और लूंगा. 70 करोड़ की योजना पर भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त कर ली गई है. वर्ष 2025-26 में पौधारोपण के लिए क्षेत्र तैयारी एवं भू-जल संरक्षण कार्य कराए जाएंगे. आगामी रोपण सीजन वर्ष 2026 में संपादित किया जाएगा. इस अभियान के अंतर्गत विभाग को नदियों एवं अन्य जल स्त्रोतों में जलीय जीव के संरक्षण का कार्य भी सौंपा गया था. वर्ष 2024-25 में मध्यप्रदेश के देवरी, मुरैना में घडि़याल, मगरमच्छ, कछुआ संवर्धन केन्द्र में तैयार कर 108 घडि़याल शावकों तथा 10 कछुओं का चम्बल नदी में जलावतरण किया गया है. भोपाल स्थित बड़ा तालाब में भी 5 कछुओं को मुक्त किया गया है. इस वर्ष में सोन घडि़याल अभ्यारण्य में 132 अण्डों से एवं चम्बल घडि़याल अभ्यारण्य में 195 अण्डों से घडि़याल के बच्चे विमुक्त हुए हैं. इस अभियान में चम्बल नदी में डाल्फिंस का संरक्षण कार्य भी प्रमुख है. प्रदेश की अन्य नदियों तथा जल स्त्रोतों में घडि़याल एवं कछुए छोड़ने की कार्ययोजना तैयार करने का कार्य प्रगतिरत् है. इसी वर्ष वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल में कर्नाटक से लाए गए 2 किंग कोबरा सांपों का अनावरण किया गया है. विभाग द्वारा सती अनुसुईया, राजबाबा, गौमुख, कुरदनाथ, मार्कण्डेय आश्रम, बाणसागर में पर्यावरण दिवस के अवसर पर दिनांक 5 जून, 2025 से जन सहभागिता से जल स्त्रोतों की साफ-सफाई का कार्य किया गया है. सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री घनश्याम चन्द्रवंशी (कालापीपल) -- सभापति महोदय, जलसंवर्धन का जो विषय है लगातार जो पिछले सदस्यों ने विषय रखा, बहुत संक्षिप्त में मैं अपनी बात रखूंगा. जलसंवर्धन का विषय सर्व स्पर्शी विषय है. हर व्यक्ति इससे प्रभावित है. हमारी सरकार ने पिछले तीन माह में जलगंगा संवर्धन को लेकर जो अभियान मध्यप्रदेश में चलाया है उसमें एक-एक व्यक्ति को साथ में लेकर जन अभियान बनाया है और इससे पहले भी सरकार मध्यप्रदेश में और देश में रही हैं, लेकिन किसी ने प्रकृति की, इन जल संस्थानों की, नदी, तालाब, बावड़ी, कुंए इनकी कोई चिंता नहीं की, लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार ने, हमारे देश की सरकार ने जो स्थान अपनी सरकार में प्रकृति को दिया है वह शायद है कि इससे पहले किसी सरकार ने दिया हो. आज मध्यप्रदेश में हर विधान सभा में जो पक्ष के विधायक हैं, एक पेड़ मां के नाम से अपनी-अपनी विधान सभा में लाखों पेड़ इस अभियान के माध्यम से लगाए हैं, लेकिन सामने बैठे विपक्ष के जो विधायक हैं वह शायद कोई एक खड़े होकर यह नहीं कह सकता कि हमने 1,000 पौधे लगाए हैं. मैं यहां से खड़े होकर कह सकता हूं कि मैंने 5 लाख, 40 हजार पौधे कालापीपल विधान सभा में पिछले वर्ष लगाए हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- उनमें से कितने पौधे संरक्षित बचे हैं ?
सभापति महोदय -- दोगने जी, कृपया व्यवधान ना करें. चन्द्रवंशी जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्री घनश्याम चन्द्रवंशी -- जाकर देख लें सारे के सारे पौधे संरक्षित हैं. एक-एक व्यक्ति की जिम्मेदारी हमने तय की है. प्रत्येक व्यक्ति को हमने एक पौधे की जिम्मेदारी दी और सुन लें. हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी यहां पर बैठे हैं. उनका तो वर्ल्ड रिकार्ड बना था. माननीय अमित शाह जी भी आए थे. प्रकृति के संरक्षण के लिए आप लोग सिर्फ विरोध कर सकते हैं. लेकिन आज तक का रिकार्ड है कि आपकी केन्द्र की सरकार ने कभी पौधे लगाने की बात की, आपकी केन्द्र की सरकार ने कभी भी नदी का जल नदी में हो और किसानों को मिले इसको लेकर बात की. हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी यहां पर बैठ हुए हैं. उनकी बार-बार बातें इसलिए आएंगी क्योंकि उन्होंने इंदौर के अन्दर रेवती रेंज में जो पौधे लगाए थे आज वे सारे के सारे जिंदा हैं. विपक्ष के लोग भी इसकी तारीफ करते हैं. प्रकृति की चिंता करने वाली सरकार हमारी सरकार है. मैं किसान का बेटा हूँ जानता हूँ कि किस प्रकार से पौधे लगाए जाते हैं और पानी को किस प्रकार से रोका जाता है. यह सारी जानकारी मुझे है और मजदूर के बेटे को यह पता है कि पानी अगर नहीं होगा तो उद्योग नहीं लग पाएगा और उद्योग नहीं होगा तो श्रमिक को श्रम नहीं मिल पाएगा. इसलिए ध्यान रखना मजदूर का बेटा मुख्यमंत्री है, मजदूर का बेटा हमारे संसदीय कार्य मंत्री माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी यहां बैठे हैं. उन्होंने बता दिया कि लाखों की संख्या में उन्होंने जो पौधे लगाए हैं उससे हम सभी को सीख लेने की आवश्यकता है, जो सम्माननीय सदस्य यहां पर बैठे हैं वे तो कर रहे हैं. आप सभी से भी यह निवेदन है कि आप भी नेतृत्व कर रहे हैं और हम मध्यप्रदेश के भू-जल स्तर की चिंता कर रहे हैं तो हम सभी को जिम्मेदारी लेना पड़ेगी. हम किसी विधान सभा क्षेत्र के तीन-साढ़े-तीन लाख लोगों का नेतृत्व कर रहे हैं. हमको सभी को साथ लेकर एक जन अभियान बनाकर इससे जोड़ना चाहिए. भू-जल स्तर की चिंता सिर्फ इस सदन में नहीं हो सकती है. हम जब यहां से बाहर जाएं, क्षेत्र में जाएं तो हमको जनता को साथ में लेना है, हम वहां के नेता हैं, नेतृत्व आप कर रहे हैं. क्या आपने अपनी छत के जल को संग्रहित करके वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर जल स्तर को री-चार्ज किया है. यह सब बातें हमको स्वीकार करना पड़ेंगी. उसके बाद हम जनता से अपेक्षा कर सकते हैं. इसलिए आप सभी से विनती है कि जो हमारे सदस्य करते हैं कांग्रेस के सदस्य भी वही करेंगे. ऐसी मैं अपेक्षा करता हूँ. सभापति महोदय, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से एक अभियान चल रहा है जिसके तहत तीन "P" पर काम हो रहा है. प्लास्टिक, पानी और पेड़. यह तीनों "P" हैं. व्यक्ति प्रकृति से दूर होता जा रहा है. इसलिए आज छोटे-छोटे बच्चों को कैंसर हो रहा है. छोटे-छोटे बच्चों को बीपी हो रहा है. क्योंकि हमने पानी को बोतल के अन्दर बंद कर दिया है. आज हर व्यक्ति बोतल से पानी पी रहा है. समझ लीजिए की बीमारी का स्तर कहां तक पहुंचने वाला है. रेलवे स्टेशन पर आप जाते हैं और वहां पर वाटर कूलर लगा है. किसी के पास पैसा है तो वह पैसे से बाटल खरीद सकता है. लेकिन जो गरीब है, मजदूर है वो वहां से बाटल नहीं खरीद सकता है. इसलिए सबसे पहले हम लोगों को चिंता करना पड़ेगी हम प्लास्टिक की बॉटल से पानी खरीदकर पीना बंद करें. हम संकल्प लें कि हम प्लास्टिक की बॉटल का पानी नहीं पिएंगे तब जाकर हम नेतृत्वकर्ता कहलाएंगे. मैंने तो तय किया है मैं पानी खरीदकर नहीं पिऊंगा. एक व्यक्ति कम से कम अपने जीवनकाल में 10 से 15 हजार खाली बॉटल पानी पीकर फेंकता है जो कहीं न कहीं प्रकृति को नुकसान पहुंचाती हैं. भू-जल स्तर से लेकर किसानों की चिंता तो सरकार कर ही रही है. हम सब लोग क्या कर रहे हैं इसकी जिम्मेदारी हम सभी को लेना पड़ेगी.
सभापति महोदय, डॉ. मोहन यादव की सरकार ने बनते से ही प्रकृति की चिंता की, जो वन्य जीव हैं उनकी चिंता की. नदी-तालाब की चिंता की. यह हमारी संवेदनशील सरकार है. "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान का हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने आह्वान किया उस आह्वान को पूरे देश ने अपनाया. यह आह्वान और आगे बढ़े हम सब लोग इसका संकल्प लें. एक बात और है कि पूरे विश्व के अंदर हमारे प्रधानमंत्री हैं जिनका सम्मान 27 देशों ने सर्वोच्च नागरिक के रुप में किया है. मैं उन्हें बहुत बहुत बधाई देना चाहूँगा. पूरे सदन को उनको बधाई देना चाहिए. वास्तव में जिस विषय पर चर्चा चल रही है. हमारे प्रदेश की पहली ऐसी सरकार है जो सूक्ष्म सिंचाई में पहले नंबर पर है और मैं कालापीपल विधान सभा की ओर से माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय सिंचाई मंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा. मेरी कालापीपल विधान सभा की ओर से माननीय मोदी जी ने और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. मेरे क्षेत्र में 70 गावों में खेत में पानी पहुंचाने का काम पूर्ण होने वाला है. 2900 हेक्टर में रबी की आने वाली फसल के समय पर पानी पहुंचने वाला है. यह हमारी सरकार की उपलब्धि है. मैं बहुत बहुत बधाई देता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर)--माननीय सभापति महोदय, भूजल स्तर निश्चित रूप से गिर रहा है. यह विषय माननीय भार्गव जी ने रखा था. वह अभी सदन में नहीं हैं. यह बहुत ही गंभीर और चिंता का विषय है, लेकिन पक्ष के सदस्य हमेशा विपक्ष के ऊपर कटाक्ष करते ही हैं. मैं यह कहना चाहूंगा कि जब भार्गव जी कह रहे थे कि यह चिंता का विषय है तो माननीय सदस्य भूपेन्द्र सिंह जी कह रहे थे कि नहीं, नहीं हमारी सरकार ने तो इतना पानी लाकर रख दिया है कि हर जगह पानी ही पानी है. अगर हम सदन में आधा घंटा और बैठे रहते तो कल्पना होती कि हम यहां डूबने लगे. इधर तो चिता का विषय है और एक तरफ चिंता के खिलाफ बात कर रहे हैं. आपमें खुद में ही सहमति नहीं है और सामने वाले के ऊपर आवाज उठा रहे हैं. मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि सिंचाई चिंता का विषय है. इसमें कांग्रेस का दोष नहीं है, इसमें बीजेपी का भी दोष नहीं है. यह प्रकृति का मामला है, यह भू-विज्ञान का मामला है. अगर जल स्तर नीचे जाता है तो सबसे ज्यादा नुकसान सबसे ज्यादा हानि गरीब व्यक्ति को होगी. कोई भी त्रासदी चाहे, वह अतिवृष्टि हो, ओलावृष्टि हो, चाहे आगजनी हो, चाहे तूफान आ जाये सबसे ज्यादा नुकसान गरीब व्यक्ति का होता है. इसमें अमीर व्यक्ति, संपन्न व्यक्ति का ज्यादा कुछ बिगड़ने वाला नहीं है. इसलिए मैं आपसे कहूंगा कि अगर हम इस बात को देखें कि कांग्रेस के समय में पानी नहीं था हम पानी लाए तो 100 वर्ष का हम एक खाका खीचें. हम में से यहां 100 वर्ष के पहले का कोई व्यक्ति नहीं होगा, लेकिन यदि 100 वर्ष का खाका खीचें तो हमने स्वयं देखा कि इतना पानी था कि हमारे कुछ खेत गहराई में थे, कुछ खेत ऊंचाई पर थे तो गहराई वाले खेतों में पानी छ:-छ:, सात-सात महीना अपने आप चलता रहता था. इतना पानी था. यह कुदरत की बात है. कहीं पहाड़ों में से पानी चलता था और वह पानी पूरे साल भर चलता था. कभी थोड़ा कम हो जाता था और वर्षा शुरू हो जाती थी तो फिर से चलने लगता था. 100 वर्ष का खाका अगर हम देखते हैं तो भू-जल स्तर घटता चला आ रहा है और अभी भी घट रहा है. हां प्रबंधन करके हम आगे अपनी व्यवस्था बनाएंगे यह सत्य है लेकिन, इसमें विज्ञान को चेलेंज नहीं करना चाहिए. विज्ञान को चेलेंज कर रहे हैं. हमारे माननीय सदस्य भूपेन्द्र जी कह रहे थे कि पारस पथरी थी जो लोहे से टच कर दो तो सोना बनाता था. गंगा जी ऊपर से लाई गईं थीं. अपनी जो उपलब्धि है उसको बढ़ा, चढ़ाकर कहें इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन, अगर आप प्रकृति को चेलेंज करेंगे तो जो प्रकृति की पूजा करने वाले लोग हैं उनको तकलीफ होती है. मैं कहना चाहूंगा कि अगर पारस पथरी से सोना बनता है. तो मध्यप्रदेश सरकार पर 4.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, वह पारस पत्थर कहां छुपा है, उसे खोज लाओ और लगा दो लोहे से, इतना सोना आ जायेगा कि हमारा कर्ज दूर हो जायेगा और इतना पैसा आ जायेगा कि कभी कोई कमी नहीं रहेगी.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- वो आलू भी तो ले आयें. (हंसी)
श्री फूलसिंह बरैया- सभापति महोदय, मैं पारस पत्थर की बात कर रहा हूं. मेरा कहना है कि वह पत्थर कहां है, आप खोजें, आपके पास तो सरकार है. गंगा जी ऊपर से आई थीं, आप लोग इसे NASA में चुनौती क्यों नहीं देते ? किसी भी नदी का उद्गम पृथ्वी है या पहाड़ है. कोई नदी ऊपर से नहीं आई है. आप विज्ञान को चुनौती देते हैं ?
सभापति महोदय- बरैया जी, समय का ध्यान रखें.
श्री फूलसिंह बरैया- सभापति महोदय, मैं इसलिए कह रहा हूं कि अवैज्ञानिकता से देश का नुकसान होता है, राज्य का नुकसान होता है, मानव जीवन का नुकसान होता है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप अपनी उपलब्धियां न बतायें, खूब बढ़ा-चढ़ाकर बतायें, कोई बुराई नहीं है, लेकिन यदि हम वैज्ञानिकता को चुनौती देंगे तो हम दुनिया से विज्ञान में पीछे हैं और धीरे-धीरे कितने पीछे होते जा रहे हैं. हमारे साथियों ने अभी कहा कि मोदी जी को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है, [xx] मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भी बात की जाये, लेकिन विज्ञान को चुनौती न दी जाये.
सभापति महोदय- बरैया जी, हमारा विषय जल संवर्धन है.
डॉ. सीतासरन शर्मा- सभापति जी, इसे कार्यवाही से विलोपित करवाया जाये, इस बात का जल संवर्धन से क्या संबंध है ?
सभापति महोदय- इसे कार्यवाही से विलोपित किया जाये.
श्री फूलसिंह बरैया- सभापति महोदय, यह सत्य है कि जल स्तर नीचे जा रहा है, इसमें कहीं न कहीं शहरीकरण का योगदान है. जब से शहरीकरण बढ़ा है, तब से निर्माण कार्य और लोगों के पानी उपयोग करने की क्षमता भी बढ़ी है. मैं विगत 20 वर्षों से इसे देख रहा हूं. गांव के व्यक्ति शहरों में आ रहे हैं, क्यों आ रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं हमारी सरकार के कारण सामाजिक सुरक्षा को नुकसान हुआ है और गांव में लोग परेशान हैं, तंग हैं, पता नहीं रात को घर में घुसकर कौन आकर मार जाये, पीट जाये, इसलिए गांवों से बहुत अधिक पलायन हो रहा है और शहर में उनके बसने से पानी का उपयोग बढ़ा है. इसके लिए, इसमें कुछ प्रतिबंध लगाये जायें. यह सत्य है कि पेड़ अधिक लगाये जायें, यह किसी व्यक्ति, किसी पार्टी का मामला नहीं है, यह मानवता का विषय है, जितने अधिक हम पेड़ लगायेंगे, उतना ही मानसून को आकर्षित करने की व्यवस्था बढ़ेगी और जल स्तर में फर्क पड़ेगा.
सभापति महोदय, फसलों का रकबा बढ़ा है, विशेषकर पानी वाली फसलों का. पहले इतनी फसलें नहीं होती थी, अब पानी की फसलों की पैदावार अधिक होने लगी है. पहले धान का उत्पादन इतना अधिक नहीं होता था, कहीं-कहीं होता था, इनका रकबा बढ़ने से असंतुलन की स्थिति हो रही है, इसलिए जल स्तर नीचे जा रहा है. यह न सिर्फ प्रदेश की चिंता है, अपितु भारत की चिंता है और भारत ही खतरे में है. दुनिया में सबसे अधिक खतरा भारत पर है. आने वाले समय में हम भी इसमें अपना योगदान जैसे शुरू से दे रहे हैं, वैसे करेंगे. इतना कहकर मैं अपनी बात को विराम दूंगा, धन्यवाद, जय भीम, जय भारत.
श्रीमती ललिता यादव (छतरपुर) - अनुपस्थित.
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे (खण्डवा) - सभापति महोदय जी को जय राम जी की. सदन में उपस्थित सभी विधायकगण, सभी मंत्रीगणों को भी जय राम जी की. अभी हम सबने नागपंचमी का त्यौहार मनाया. मैं नागपंचमी के पावन पर्व की भी आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाई देती हूँ.
सभापति महोदय - जय राम जी.
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे - सभापति महोदय, 'जल गंगा संवर्धन अभियान' जल है तो कल है. इस स्लोगन को जमीनी रूप देने में मध्यप्रदेश ने स्वर्ण अक्षरों में देश में नाम कमाया है. 90 दिवसीय अभियान में पुरानी जल संरचनाओं का संरक्षण, संवर्धन और नई जल संरचनाएं, वर्षा जल को सहेजने के कई अभूतपूर्व कार्यों से खण्डवा जिला प्रदेश भर में अलग रहा है. देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी द्वारा वर्षा जल को सहेजने को मध्यप्रदेश सरकार ने जल आन्दोलन का रूप देकर वर्षा जल को, हार्वेस्टिंग के माध्यम से जमीन के अन्दर उतारने का जो कार्य सौंपा गया था, उसे हमारे माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के कुशल मागदर्शन एवं नेतृत्व में सफलता अर्जित की है. इस अभियान के माध्यम से प्रदेश के नागरिकों को स्वच्छ पेयजल व किसानों को कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराने हेतु हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. उसमें स्थानीय नागरिकों की जनभागीदारी, जनप्रतिनिधियों की सक्रियता और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता का यह परिणाम है कि हमारे पूरे तालाब, बावड़ी, जलाशयों, नहरों की सफाई एवं मरम्मत के कार्यों में हमें अप्रत्याशित सफलता मिली है. इस अभियान में हमारी सरकार की प्रतिबद्धता का यही परिणाम है कि हमारी जल संरचनाएं पुनर्जीवित हुईं, अब इसका जल उपयोग में पुन: आने लगा है. हमें आदरणीय श्री तुलसीराम सिलावट जी और श्री प्रहलाद सिंह पटेल जी, मंत्रीद्वय का मार्गदर्शन भी निरन्तर मिलता है. प्रभारी मंत्री माननीय श्री लोधी जी ने भी खण्डवा जिले में इस अभियान के तहत चल रहे कार्यों की सतत् समीक्षा की है.
माननीय सभापति महोदय, खण्डवा जिले के प्रशासनिक अधिकारी विशेष रूप से कलेक्टर महोदय एवं जिला पंचायत सीईओ द्वारा अभियान के अंतर्गत इसकी गंभीरता एवं इसे चैलेंज के रूप में लेकर जमीनी कार्य किया गया. जिसका परिणाम यह रहा है कि खण्डवा जिला 'जल गंगा संवर्धन अभियान' के तहत प्रदेश में अलग रहा है. 'जल गंगा संवर्धन अभियान' से न केवल जल संरचनाओं की मरम्मत हुई, सौन्दर्यीकरण हुआ अपितु जल संचय क्षमता में वृद्धि होने से भू-जल स्तर में वृद्धि होने से आगामी ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट से मुक्ति भी मिली है. अभियान के तहत, वृक्षारोपण के तहत खण्डवा जिले सहित प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण जनप्रतिनिधि एवं समाजसेवी संस्थाओं द्वारा शासकीय भूमि पर किया गया है. हमें आवश्यकता है कि इस अभियान के प्रति सतत् जागरूकता बढ़ाने की, भले ही यह अभियान 30 जून से समाप्त हो गया, किन्तु इसके सकारात्मक परिणाम लम्बे समय तक मिलते रहेंगे. निश्चित ही नगरीय निकाय एवं ग्राम पंचायतों की इस अभियान में सक्रियता अनिवार्य है. संसार के पांच तत्वों में से एक जल को सहजना, प्रदूषण मुक्त रखना, संचय करना, इसके संवर्धन में प्रयास करना ही आने वाली पीढि़यों के भविष्य को सुरक्षित करना है.
सभापति महोदय, खण्डवा जिले में एशिया का बड़ा जल संग्रह क्षेत्र इन्दिरा सागर परियोजना का है, जिसकी नहरें लिफ्ट एरिगेशन से हजारों किसानों की लाखों हेक्टेयर भूमि लगातार सिंचित हो रही है. हमें विश्वास है कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश जल प्रदूषण से मुक्ति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा. प्रदेश का हर नागरिक अपनी इन मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रदेश सरकार की ओर निर्भर है. हम यह संकल्प लेते हैं कि हम सदैव जल संरक्षण के कार्यों में अपनी सक्रिय सहभागिता, तन-मन-धन से रखेंगे. अन्त में, मैं निम्नलिखित दो लाइनें इस अभियान को समर्पित करती हूँ :-
''जख्म सूखा और धरा को हरा होना चाहिए,
पानी आंखों से नहीं, नदियों में बहना चाहिए ।''
मैं माननीय सभापति महोदय जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूँ, उनका आभार व्यक्त करती हूँ कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया.
सभापति महोदय - आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अनिरुद्ध माधव मारू (मनासा) -- माननीय सभापति महोदय, आपका धन्यवाद कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. सबकी बातें सुनीं. चर्चा हमारे सम्माननीय वरिष्ठ सदस्य आदरणीय श्री गोपाल भार्गव जी ने शुरू की थी और एक लोकमहत्व के मुद्दे पर चर्चा हुई. लेकिन मैंने जितने वक्ताओं को इसमें सुना, अधिकांश वक्ताओं ने जल के उपयोग पर चर्चा ज्यादा की, हमारे विपक्षी सदस्यों ने अपनी पीड़ा उठाई. जल संरक्षण के लिए वास्तविक रूप से जो चर्चा होनी चाहिए कि हम जल को कैसे बचाएं. किस तरह से जल का संरक्षण करें, इस पर चर्चा कम हुई. हमारी सरकार के नेतृत्व में, माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में और माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में निश्चित रूप से हमने जल संर्वद्धन में एक अभूतपूर्व कदम उठाया. जल-गंगा अभियान के माध्यम से हमने बहुत काम किया. हमने नदियों की सफाई की. हमने तालाबों की सफाई की. हमने कुंओं की सफाई की. हमने कई नई संरचनाएं बनाईं. लेकिन जल के संरक्षण का जो हमारा सबसे बड़ा सोर्स है, वह हमारी नदियां हैं. नदियों का मूल स्वरूप क्या है. क्या उनमें एकत्रित गाद उनका मूल स्वरूप है. नदियों में इकट्ठा हुई रेत क्या उसके मूल स्वरूप का हिस्सा है. पर्यावरण के नाम से हमने बहुत बेरियर लगाए. नदियों की रेत निकालेंगे तो नदियों का मूल स्वरूप बिगड़ जाएगा. ये रेत आई कहां से, कचरा आया कहां से. हम सफाई उसकी करते हैं जो बाहर से आकर शामिल होता है. जब तालाबों में गाद इकट्ठा हो जाती है तो हम गाद निकालते हैं तो वापस उसकी कैपेसिटी बढ़ा देते हैं. इन नदियों की रेत हमारे लिए सबसे बड़ा संकट खड़ा कर रही है. इस बात पर रिसर्च करने की आवश्यकता है क्योंकि सिर्फ पर्यावरण की आड़ में कि नदियों का मूल स्वरूप बिगड़ जाएगा, ये जो बेरियर हमने लगाए हैं, रेत तो खेतों से, मैंदानों से, पहाड़ों से बहकर आती है, ये बाहर से आकर शामिल होती है तो यह नदियों का मूल स्वरूप कैसे हो सकता है. हम देखते हैं कि बहुत सारी नदियों में मैदान हो गए हैं. पुल से निकलो तो आपको मैदान चारों तरफ नजर आएंगे. ये रेत आना कभी बंद नहीं होगी, ये बारिश कभी बंद नहीं होगी, पानी हमेशा आएगा. जब ये रेत नदियों में इकट्ठा होती रहेगी तो एक दिन ऐसा आएगा कि अगली पीढ़ियों को हम नदियों की जगह रेत के ढेर देंगे. उनको रेत के मैदान देंगे और इसलिए इस विषय पर फिर से रिसर्च होनी चाहिए. अगर कोर्ट का बेरियर इसके ऊपर है तो उसके लिए भी फिर से रिट लगानी चाहिए क्योंकि रेत का उत्खनन सबसे आवश्यक है. एक समय ऐसा आएगा, जब सरकार को इन नदियों को खाली करने के लिए, इन नदियों की रेत को हटाने के लिए पैसा खर्च करना पड़ेगा, वह स्थिति आने वाली है. इसलिए इनका मूल स्वरूप बिगड़ता जा रहा है, इन नदियों में पानी के लिए जगह नहीं है, स्टोरेज नहीं है.
श्री बाला बच्चन -- हमारा ध्यान जो अवैध उत्खनन होता है, उस पर है. अवैध उत्खनन नहीं होना चाहिए. हमारा ध्यान इस पर है.
सभापति महोदय -- बाला बच्चन जी, उन्हें अपनी बात रखने दें. वे जल संरक्षण पर बात रख रहे हैं. माधव जी, शीघ्र समाप्त करें.
श्री अनिरुद्ध माधव मारू -- माननीय सभापति महोदय, अगर हम इन नदियों को खाली नहीं करेंगे तो हमारा भू-जल स्तर जो गिर रहा है, वह गिरता चला जाएगा. पहले इन नदियों में पानी भरा रहता था तो हमारा भू-जल स्तर भी बना रहता था. आज नदियों में पानी टिकता नहीं है, क्योंकि उनमें पानी की जगह रेत भरी हुई है. उस रेत की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है. जब पानी आता है और नदियों में रेत होती है तो वह पानी फैलकर के बाढ़ का रूप लेता है और पास के खेतों में, गांवों में, शहरों में घुसता है. उसका सबसे मूल कारण है कि नदियों में जमा गाद और रेत, जो हमारे सबसे बड़े नेचुरल टैंक हैं, जो सबसे ज्यादा जल संरक्षित करते हैं. हम जब तक उनको उनके मूल स्वरूप में नहीं लाएंगे और उनका मूल स्वरूप क्या है, उसकी तलहटी तक साफ होना चाहिए, यह उनका मूल स्वरूप है. जबकि नदियां रेत से पट चुकी हैं और इन ठेकेदारों के चक्कर में लिमिटेड हाथों में चली गई, उसको तो खुल्ला करना चाहिए कि नदियों से रेत जितनी ज्यादा निकलेगी, जितनी ज्यादा गाद निकल जाएगी. जितनी ज्यादा गाद निकल जायेगी उतना आपका जल का संरक्षण बढ़ जायेगा.हम कितने भी तालाब खोद लें कितनी भी संरचनाएं,परियोजनाएं चालू कर लें पर नदियों का मुकाबला हम नहीं कर सकते इसलिये नदियों को हमको मूल स्वरूप में लाना चाहिये इसमें यदि आवश्यक्ता पड़े तो फिर से रिसर्च करना चाहिये और इस रिसर्च के आधार पर उसके लिये जो भी कानून बनाया जा सकता है बनाएं. जब तक हम यह व्यवस्था नहीं करेंगे हमने सिंचाई का रकबा तो बढ़ाया लेकिन भूजल संरक्षण का हमने उतना काम अभी भी नहीं किया है जितना पानी का उपयोग हम करेंगे पानी सहेजने की व्यवस्था होनी चाहिये पानी का स्टाक होना चाहिये हम सिर्फ बारिश के भरोसे न रहें इसलिये हमारे जितने प्राकृतिक टैंक हैं जितनी नदियां है उनको साफ करने के लिये उनकी सफाई करना चाहिये. उनकी सफाई की तरफ ध्यान नहीं जा रहा है. इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिये. हमारे जो प्राकृतिक टैंक हैं उनको फिर से हम तैयार करवाएं नदियों को उनके मूल स्वरूप में लाएं. मूल स्वरूप यह नहीं था कि उसमें रेत,कचरा,गाद थी मूल स्वरूप यह था कि वह साफ होकर बहती थीं चूंकि सिंचाई का,खेती का रकबा बढ़ा है इसलिये नदियों में ज्यादा गाद आने लग गई पहाड़ों पर माईनिंग बढ़ी है इसलिये नदियों में रेत आना बढ़ गई उसकी समय से सफाई हो. धन्यवाद.
श्री लखन घनघोरिया(जबलपुर पूर्व) - माननीय सभापति महोदय,एक बेहद गंभीर नियम 139 की यह चर्चा बड़ी गंभीरता के साथ हमारे वरिष्ठ सदस्य माननीय गोपाल भार्गव जी ने शुरू की थी एक चिंतन के साथ शुरू की थी कि गिरते भूजल स्तर पर पूरा सदन चिंतन करे लेकिन धीरे-धीरे वह चर्चा ऐसा लगा गोपाल भैया के बोलने के बाद कि वह एक जिले में सिमट गई है. भूपेन्द्र जी बोले फिर शैलेन्द्र जी बोले तीन वक्ता शुरुआत के जो बोले तो चिंतन की जो गंभीरता थी इस विषय की जो गंभीरता थी वह वहीं की वहीं सिमट गई जबकि यह विश्व व्यापी है. सारे चिंतक कहते हैं सारे विद्वान कहते हैं कि यदि तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो जल के ऊपर होगा सब कहते हैं प्रकृति की अनमोल धरोहर हैं हमारी नदियां. हमारी धर्म,संस्कृति,परंपराएं जल को देव तुल्य मानती हैं. आप देख लें नदी में हम मातेश्वरी मां नर्मदा का स्वरूप देखते हैं. मातेश्वरी मां गंगा का स्वरूप देखते हैं. मातेश्वरी मां सरस्वती का स्वरूप देखते हैं. मातेश्वरी यमुना का स्वरूप देखते हैं. मानते भी हैं हम और उनका जबर्दस्त आशीर्वाद भी है हम पर. हिन्दुस्तान वह देश है जो संस्कृति,परंपरा और धर्म पर आधारित है.परंपरागत रूप से हम बहुत मानते हैं और हमको भरपूर आशीर्वाद भी मिलता है.बारिश भी हमारे यहां होती है. साल भर की बारिश हम देख लें तो 60 से 65 इंच होती है. भरपूर पानी मिलता है लेकिन साल के अंत में हम कितनी दिक्कतों से जूझते हैं. एक छोटा सा देश है इजराईल सबसे उन्नत कृषि है वहां की. वहां औसत बारिश 14-15 इंच होती है लेकिन सबसे उन्नत कृषि मानी जाती है. हम चिंतन तो करते हैं बात तो करते हैं लेकिन स्त्रोत हमारे कैसे संरक्षित रहें. हम चिंतन तो करते हैं, बात तो करते हैं, चर्चा तो करते हैं, लेकिन स्रोत हमारे कैसे संरक्षित रहें, संग्रहण कैसे हो, हम जलाशय की बात कर रहे थे, लेकिन वह चर्चा धीरे-धीरे आरोप प्रत्यारोप में बदलती जाती है. किसी ने लिखा है ''हर कड़ी धूप की, ध्यान से सुनना प्रहलाद भाई.
हर कड़ी धूप की नजरों से बचा लें पानी,
आओ यह सोच कर हाथों में उठा लें पानी,
आबरू आंख की हो या हो फिर होठों की,
हो कोई भी बात जरा सा बचा लें पानी.
माननीय सभापति महोदय, रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम इस पर सबने चिंता की, सरकारें भी करती हैं. बारिस का पानी हम कैसे सहेजकर रखें, एक-एक बूंद को सहेजकर रखना सब कहते हैं, लेकिन उस पर अमल कितना हो रहा है. नगर निगम, नगर पालिका सभी में नियम बने हुये हैं. यदि कोई नया मकान बना रहे हैं और नक्सा पास कराना है तो हजार स्क्वायर फीट, 1500 स्क्वायर फीट से ज्यादा का अगर भूखंड निर्माण कर रहे हैं तो आपको रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कम से कम 15 से 20 हजार रूपया जमा करना पड़ेगा, एफ.डी. देना पड़ेगी, एफ.डी लेते हैं और उसका नियम यह है कि यह एफ.डी जब आप मकान बना लोगे और यह सिस्टम आप अपने यहां बना लोगे तो आपके 15-20 हजार वापस हो जायेंगे. सर्वे होता है, सत्यापन होता है, नियम है सत्यापन होता है, लेकिन कोई भी नगर पालिका, कोई भी नगर निगम इसका सर्वे नहीं करती सत्यापन नहीं करती, पैसा न देना पड़े, लोगों में भी लापरवाही हो गई, क्यों हम यह सिस्टम बनायें, हर आदमी बचना चाहता है. हम नियम तो बना देते हैं, लेकिन जमीन के ऊपर कितने नियम आये, धरती पर कितने नियम आये, हर नगर पालिका नगर निगम की यह स्थितियां है.
सभापति महोदय-- लखन जी, थोड़ा सहयोग करें, संक्षिप्त करें.
श्री लखन घनघोरिया-- यदि इतने में हमको रूकना पड़ेगा...
सभापति महोदय-- आपके तो एक ही शेर में सारी बात आ गई है. थोड़ा संक्षिप्त कर दें.
श्री लखन घनघोरिया-- फिर हम आखिरी में एक शेर और बोल देंगे. (उमाकांत शर्मा जी के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) उमाकांत जी यह समझदारों की बात है, थोड़ा धैर्य रखा करे. माननीय सभापति महोदय, सागर से शुरू हुई है यह चर्चा, गोविंद जी बैठे हैं, प्रदीप भाई भी थे. सागर का तालाब कभी भोपाल के तालाब से कम नहीं माना जाता था, हमारा वास्ता है, हमारा ननिहाल है, आना जाना बचपन से रहा देखते थे तालाब वह तालाब कितना सिमट गया और जो हमारे राजा रजवाड़ों ने जो संसाधन बनाये थे, जो शासकों ने बनाये थे, जो हमारे पूर्वजों द्वारा निर्मित थे, उनके साथ कैसा खिलवाड़ हो रहा है जो पानी के रिचार्ज के लिये थे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- आप काफी समय से नहीं गये हैं, इतना सुंदर हो गया है सागर का तालाब कि अब वह नहाने लायक हो गया है, पानी पीने के लायक हो गया है.
श्री लखन घनघोरिया-- भैया, सुंदरता चाहे ओढ़ो या बिछाओ, जल नीचे जा रहा है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- आप आयें, पधारो तो.
श्री लखन घनघोरिया-- आप सुन तो लें, उस दिन यदि आप होते तो चार हो जाते.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- सभापति जी, इनको उपमुख्यमंत्री बनाया जाये यह उनकी आसंदी से बोल रहे हैं उनकी कुर्सी से.
श्री लखन घनघोरिया-- तालाब की स्थिति गोविंद जी सफाई के मामले में कितने घोटाले हुये. संजय ड्राइव आपने बना दिया, किनारे से तालाब को छोटे से छोटा करते चले गये और बीच से फिर आपने डाल दिया. शहर की सुंदरता के लिये आपने पूरी अपनी धरोहरों के साथ खिलवाड़ किया. दूसरे तरीके से भी शहर सुंदर हो सकता था. कुल मिलाकर अधिकारियों की खाने की स्थितियां क्या हैं. हमको इस पर भी चिंतन करना चाहिये.
पूरा तालाब जो हमारे पूर्वजों की धरोहर है, हमारे यहां गोंडवाना कालीन ऐसे बावन ताल तलैया बने थे, रानी ताल रानीदुर्गावती के नाम का था, चेरीताल उनकी दासी चेरी के नाम पर था, आधार ताल उनके दीवान के नाम पर था, माढ़ो ताल उनके सिपाही के नाम पर था, उनने चिंतन किया था कि जल स्त्रोत कैसे रहें? लेकिन बाद में क्या स्थिति हुई, सारे के सारे तालाब खत्म हो गये, गलगला ताल, फूटा ताल, हाथी ताल, हाथी ताल के बारे में यह कहा जाता था कि हाथी डूब जायेगा, लेकिन सब जगह रहवासी इलाके में तब्दील हो गये हैं,एकमात्र हनुमान ताल बचा है, जहां सारे धार्मिक प्रयोजन होते हैं. माननीय सभापति महोदय, वह इतना व्यवस्थित तालाब वर्ष 1885 में बना है, उसमें सीधे खनदारी जलाशय से सीधा शुद्ध पानी आये और तालाब के सबसे आखरी निचले स्तर पर एक कुंआ बना है, वह वर्ष 1904 का है, वह कुंआ छलनीनुमा है, उसके नीचे दो प्लेट लगी हैं, उसका बकायदा एक लीवर लगा था और लीवर से प्लेट खोल दी जाती थी, तो नाले के बाहर निकलकर पानी साफ हो जाता था. सफाई के नाम पर सफाई होती थी. अब स्थिति क्या हुई उसे कुंए को तो छोड़ो वह लीवर ही खत्म कर दिया है. पिछले दो चार साल पहले वहां कलेक्टर आये थे, उन्होंने वह लीवर जो बनी थी, वह उनको समझ में ही नहीं आई और उन्होंने उसको खत्म कर दिया, जबकि पहले वहां अपने आप पानी बहकर चला जाता था. यह हमारे यहां कुछ ऐसे संसाधन थे, जिनको संरक्षण की आवश्यकता थी, हम शहरीकरण के चलते-चलते भौतिक संसाधनों के कारण हम अपनी उन धराहरों को भूलते जा रहे हैं. मेरा आपसे एक निवेदन है कि यह जितनी ताल तलैया हैं, इनके लिये कम से कम कोई एक नियम बनना चाहिए. नदी के लिये है, रेन वॉटर के लिये हैं, लेकिन जमीन में पानी उतरे उसके लिये नगर पालिका नगर निगम सिर्फ पैसे बचाने के लिये कोशिश न करे कि हमारे पास रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का पैसा आ गया, एफ.डी. आ गई है, वह हमारे दूसरे काम में आ जायेगी, इसके लिये कोई सत्यापन नहीं, कोई सर्वे नहीं, जिस दिन इस पर कड़ाई से पालन होने लगेगा, तो पूरे प्रदेश भर में आप देखिये जल स्तर कैसे आगे नहीं बढ़ेगा? मेरा आपसे यही निवेदन है, अंत में इन शब्दों के साथ की यह सबकी चिंता का विषय है, किसी एक की चिंता का विषय नहीं है,
न किसी हम-सफ़र, न किसी हम-नशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा सिर्फ हमीं से निकलेगा, सभापति महोदय बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.अभिलाष पाण्डेय(जबलपुर-उत्तर) -- सभापति महोदय, मैं सिर्फ इतना निवेदन करता हूं कि वह हनुमानताल मेरे उत्तर मध्य विधानसभा में है, वह वर्ष1794 में भौसले परिवार के द्वारा बनाया गया, उस हनुमानताल के बारे में मेरे संकल्प पत्र में मैंने यह लिखा था कि मेरे हनुमानताल का जीर्णोद्धार करूंगा. सभापति महोदय, तीस साल के बाद उस हनुमानताल में काम प्रारंभ हुआ है, साढ़े नौ महीने का वह टेंडर है. अभी ठीक साढ़े तीन महीने हुए हैं. मैं आज सदन के माध्यम से जो आदरणीय लखन भईया ने जो बात कही है, जिस तरह से वहां पर लोग उस पर आरोप लगाना चाहते हैं, मैं विश्वास दिलाता हूं कि नगर निगम ने जरूर उस पर थोड़ा हीला हवाली की है, लेकिन संसदीय कार्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री जी ने साफ दिशा निर्देश दिये हैं कि हनुमानताल को भव्य सौंदर्यीकरण के साथ बनाया जायेगा और मैं आज आपको आश्वस्त कर रहा हूं कि हम साढ़े नौ महीने में तालाब को सौंदर्यीकरण के साथ तीस साल बाद के इस प्रोजेक्ट पर उसको शहर की जो ऐतिहासिक धरोहर है, उसको बचाये रखने के लिये संकल्पित रहेंगे, ठेकेदारों पर जुर्माना भी लगाया है और अभी रिटर्निंग वॉल बनी है. हम उसमें ऐरियेटर्स बना रहे हैं, उसमें हम फुव्वारे लगा रहे हैं, हम वहां पर चारों तरफ फैसिंग कर रहे हैं, चारों तरफ वृक्षारोपण कर रहे हैं और पाथवे बनाकर उसको सुंदर हनुमानताल बनाऊंगा, यह विश्वास मैं आज सदन को दिलाना चाहता हूं. सभापति महोदय, आपका धन्यवाद.
सभापति महोदय -- (श्री लखन घनघोरिया, सदस्य के अपने आसन से कहने पर) अब आप परस्पर चर्चा न करें. लखन जी आप वहीं के हैं, आप आपस में चर्चा कर लेना.
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय अभिलाष जी, श्याम सिंह का धड़ा और श्याम सिंह काछी का तालाब, इनके बारे में आपके भूराजस्व में उल्लेख है कि वह तालाब किसके द्वारा बनाया गया है. आप अभी पढ़ ले जाकर, अभी रिकार्ड में है.
सभापति महोदय – कृपया इतिहास में न जाएं, श्रीमती अर्चना चिटनीस जी.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय – माननीय लखन भैया मेरा निवेदन है. वह 1794 में बनाया गया है(...व्यवधान) क्या उनको मैंने बुलाया जबलपुर में. कांग्रेस इसमें पॉलिटिकल सिस्टम को लाने की कोशिश कर रही है.
सभापति महोदय – दोनों सदस्यों से निवेदन है कि कृपया बैठ जाए. परस्पर चर्चा न करें.
श्रीमती अर्चना चिटनीस (बुरहानपुर) – माननीय सभापति महोदय, पानी के विषय में चर्चा हो और सौहार्द्र न हो, तो चर्चा का आनंद नहीं आता है. सभापति जी अथर्ववेद में यह प्रार्थना की गई है.. हे, पृथ्वी मैंने तुझसे लिया है जो कुछ भी, वह बासंती हो, फलें, बढ़ें, हे पावन पृथ्वी मैं तेरी जीवंतता, तेरे हृदय का कभी वेदन न करूं..
सभापति महोदय, हमारे बहुत सारे सदस्यों ने बहुत अर्थपूर्ण बात की, बहुत मनोयोग से बात की और बहुत सार्थक चर्चा माननीय गोपाल भार्गव जी ने इस सदन में प्रारंभ की. मैं कुछ निवेदन करना चाहती हूं, हमारे माननीय सदस्यों ने कहा है कि हमें सरफेस वाटर का, सतही जल का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए. सरफेस वाटर और ग्राउंड वाटर, ये आपस में बहुत ज्यादा इंटररिलेटेड है. अगर ग्राउंड वाटर नहीं है, तो नदी नालों में पानी नहीं होगा, क्योंकि हमारे देश के मैदानी इलाकों में कहीं से बर्फ पिघलकर पानी नहीं आता, सतपुड़ा-विन्ध्याचल के जंगलों से रिस-रिसकर, बूंद-बूंद ये पृथ्वी अपना स्नेह छोड़ती जाती है और नदी-नालों को भरती जाती है. भूमि में पानी होगा, तो ही हमारे ओवर हैड टैंक्स में भी पानी होगा, अगर भूमि में पानी नहीं हुआ, तो हमने जो जल जीवन मिशन की पाइप लाइन बिछा रखी है, उसमें और टोटियों में पानी तब तक होगा, जब तक भूमि में पानी होगा. मैं सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं कि नासा और ग्रेस(GRACE) के सेटेलाइट्स ये बताते हैं कि हमने लाखों-करोड़ों वर्ष का पानी, इतनी बुरी तरह उसका दोहन किया है कि लाखों-करोड़ों वर्ष के संचित जल को हमने मात्र 25 वर्ष में लगभग समाप्ति की ओर ला दिया है और दुनिया का सबसे अधिक ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल करने वाला, भूमिगत जल का इस्तेमाल करने वाला, हमारा देश है, भारत. हम 80 प्रतिशत जल जमीन में से निकालते हैं, पर हम उसमें डालते कितना है.
हमारे जल संसाधन मंत्री जी यहां बैठे हैं, संसदीय कार्यमंत्री और वरिष्ठ नेता प्रहलाद पटेल जी की उपस्थिति में, मैं उनसे एक निवेदन करना चाहती हूं और सभी सदस्यों से भी एक आग्रह करना चाहती हूं कि हम जाने-अनजाने में पता नहीं क्यों इसको सिंचाई विभाग कहते रहते हैं. ये सिंचाई विभाग नहीं है, ये जल संसाधन विभाग है, ये वाटर रिसोर्स मिनिस्ट्री का विभाग है, केवल स्ट्रक्चर बनाने का विभाग नहीं है ये. मैंने जैसे शुरूआत में कहा कि अगर नदी नालों में पानी नहीं होगा, तो हमारे बैराजेस में और तालाबों में पानी कहां से होगा. यह केवल मेक्रो लेवल पर सोचने का विषय नहीं है. बहुत माइक्रो लेवल पर काम करने के और संवेदनशीलता के विषय हैं. पूर्व में जल संसाधन विभाग जब कभी प्रोजेक्ट बनाता था, तो उस प्रोजेक्ट का हिस्सा केचमेंट एरिया डवलपमेंट भी होता था. केचमेंट एरिया डवलपमेंट के बिना लंबे समय तक यह हमारे स्ट्रक्चर्स कैसे भरेंगे, यह चिन्ता का एवं चिन्तन का और उस अनुसार काम करने का विषय है. हमारे माननीय प्रहलाद पटेल जी ने जो नदियों के उद्गम की बात की. हम सभी विधायक इसका संकल्प लें इस चर्चा के दरिम्यान कि अपने अपने विधान सभा क्षेत्र में जिस भी नदी का उद्गम है उसके उद्गम से लेकर जहां तक हमारे विधान सभा क्षेत्र से वह नदी छोटी हो अथवा बड़ी बहती हो उसको संभालने का उसकी सेवा करने का, उसके आस-पास वृक्षारोपण करने का काम हम सब करेंगे. क्योंकि अकेले राज नहीं राज और समाज मिलकर जब काम करेंगे, तभी पानी संभल पायेगा. हम देखते हैं कि झाबुआ में महेश शर्मा जी हमारे आदिवासी भाई-बहनों के साथ मिलकर हलमा के माध्यम से बिना सरकार का एक भी रूपया लिये बिना उन्होंने कईयों तालाब बनाकर के रख दिये. आप किसी गांव में जाओ और पूछो कि पहला जब हैण्डपम्प तुम्हारे गांव में लगा तो कितने फिट पर पानी था तब 35 फिट पर पानी, 40 फिट पर पानी 8 साल का बच्चा भी हैण्डपम्प को पकड़े और थोड़ा झूल जाये, तो पानी बाहर निकल जाता था. आज हजार-बारह सौ-पन्द्रह सौ फिट नीचे तक पानी नहीं है. अब तो बोरिंग मशीनें 2 हजार फिट नीचे तक बोर करने वाली मशीने बाजार में आ गई हैं. पर किसी विकसित देश में बोरिंग एलाउड ही नहीं है. मोहन यादव जी की सरकार को केवल जनगणना अभियान के लिये नहीं बल्कि बहुत बड़े काम के लिये जो उनके हाथ से कांससली हुआ है. इस अवसर पर उनको धन्यवाद न दूं तो मेरी बात अधूरी रह जायेगी. 10 मई का 2025 का दिन न केवल प्रदेश बल्कि देश और दुनिया के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है. जब संसार का गऊमोटर रीचार्ज का एक यूनिक प्रोजेक्ट एक पायलट प्रोजेक्ट के लिये मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री जी के बीच में एमओयू साईन हुआ और ताप्ती मेगा रीचार्ज 19 हजार करोड़ रूपये की योजना जमीन पर उतरने का एक बड़ा कदम हम लोगों ने आगे रखा है. वह कदम अगर मोदी जी सरकार केन्द्र में नहीं होती अगर वह टास्कफोर्स नहीं बनाते अगर टास्कफोर्स उसका अनुमोदन नहीं करता हमारी तत्कालीन जल संसाधन मंत्री उमा भारती जी उसमें सहयोग नहीं करती, हमारी सीता मेनन जी जो उस समय डिफेंस मिनिस्टर थीं उन्होंने लिडार सर्वे की अनुमति दी, तो उसकी डीपीआर तैयार थी. सब कुछ तैयार होने के बाद अगर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी का तथा देवेन्द्र फड़नवीस जी ध्यान पर नहीं जाता तो 60 से अधिक बैठकें होने के बाद हम ताप्ती मेगा रीचार्ज को नहीं कर पाते. उस योजना की यूनिकनेस केवल एक ही वाक्य में बताते हुए मैं अपनी बात को पूरा करूंगी. उल्टा मैं तो यह चाहती हूं तथा माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी से मेरा निवेदन है कि इतनी यूनिक योजना है वह एक बार सभी हमारे विधायकों को उसका प्रजेन्टेशन आधे घंटे का दिखाने का अवसर मिले तो आप सबको आनन्द होगा. आम तौर पर हम रीचार्च केलक्यूलेट करते हैं लिटर्स में पर ताप्ती नगर रीचार्च में हम ग्राउंड वॉटर रीचार्ज लिटर्स में केलक्यूलेट करेंगे हम उसका टीएनसी में आंकलन करेंगे. पीएक टीएमसी में होता है 2 हजार 281 करोड़ लीटर्स एक टीएमसी में होता है. यह एक धरती की विकृति है, एक नेचरल फाल्ट है उसका इस्तेमाल करते हुए हम ताप्ती मेगा रीचार्ज का काम आगे बढ़ाने वाले हैं. पानी हम बना नहीं सकते हैं, हम पानी को संभाल तो सकते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- सभापति महोदय, ऐसा कहते हैं कि गंगा जी में डुबकी लगाने से पापमुक्त हो जाते हैं और पुण्य मिलता है. मां नर्मदा जी के दर्शन से पापमुक्त हो जाते हैं और ताप्ती नदी का नाम लेने से ही मुक्ति मिल जाती है. ताप्ती नदी का शास्त्रों में इतना महत्व है.
सभापति महोदय -- धन्यवाद माननीय अर्चना जी.
श्रीमती अर्चना चिटनीस -- सभापति महोदय, मैं आधे मिनट में अपनी बात समाप्त कर रही हॅूं.
5.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय -- नियम-139 पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हॅूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
श्रीमती अर्चना चिटनीस -- सभापति महोदय, मेरा साधारण-सा प्रश्न है कि हम इस बोतल से पानी कब तक पी सकते हैं. आमतौर पर उत्तर यह होता है कि जब तक पानी है, तब तक पी सकेंगे. जबकि सही उत्तर यह है कि जब तक पानी डालते रहेंगे, तब तक पीते रहेंगे. अगर पानी डालेंगे नही, तो हम इसमें पानी नहीं पी सकेंगे और इन शब्दों के साथ मैं अपनी बात को समाप्त करती हॅूं कि "धरती कहती है हमसे, पानी लेते हो मुझसे, पानी डालो भी मुझमें ". बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री दिलीप सिंह परिहार जी.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय सभापति महोदय, बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर आज चर्चा चल रही है. नियम-139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व का यह विषय है. जल ही जीवन है क्योंकि बचपन में हम कविता पढ़ते थे. "रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून. पानी गये न ऊबरे, मोती मानुष चून". हम देख रहे हैं कि संसार से यदि पानी चला जाये, तो संसार की कोई कीमत नहीं है और मनुष्य का पानी उतर जाये, तो मनुष्य की भी कोई कीमत नहीं है. इसलिए पानी का संचय करना हम सब लोगों का दायित्व है और इसीलिए हमारे वरिष्ठ विधायक मान्यवर श्री गोपाल भार्गव जी ने जिस विषय को यहां रखा है उस विषय पर हम गंभीरता से सभी जनप्रतिनिधि चर्चा कर रहें हैं. चाहे वह पक्ष के हों या विपक्ष के हों. क्योंकि धरती माता में पानी का संचय करने में सरकारें भी काम करती हैं और समाज भी करता है, व्यक्ति भी करता है.
सभापति महोदय, जब मैं पहली बार नीमच से चुनाव जीता था, तो पूर्व मुख्यमंत्री मान्यवर श्री शिवराज सिंह चौहान जी आए थे. उन्होंने जलाभिषेक का कार्यक्रम किया था. खेत का पानी खेत में रूके, गांवों का पानी गांवों में रूके और इसके लिए कई संरचनाएं बनायी गईं, तो संसार में भी पानी का संचय करने के लिए साधना की. भागीरथ जी अपने प्रयास से पानी लेकर आए और शिव बाबा ने सावन के महीने में अपनी जटाओं में उसको समेटा, तो इस पानी की वजह से ही आज हम जो चिंता कर रहे हैं और इस चिंता की वजह से ही मध्यप्रदेश की सरकार अनेक योजनाएं बनाकर काम चालू कर रही है. मैं जब छोटा था, कभी चौपे में गाय छोड़ने जाया करता था, तो पुराने समय में सुनते थे कि अगर वैतरणी पार करना है, तो गौमाता की पूंछ पकड़कर हम पार सकते हैं और पहले नदियां भी साफ होती थीं. कल-कल करके नदियां बहती थीं, जिसमें हम घंटो बिताया करते थे. घर में मार भी खाते थे, तो वह आज कहीं न कहीं नदियां गायब हो गई हैं. उन नदियों को सजाना-संवारना हम सब लोगों का दायित्व है और इसलिए जहां-जहां भी नदियों का उद्गम स्थल है, मैं मान्यवर श्री प्रहलाद जी को धन्यवाद दूंगा कि वह अभी नीमच में आए थे, तब हम जावद में खेत वनांचल में गए थे और जहां से नदी निकलती है उस स्थान को हमने देखा था, तो ऐसा लग रहा था कि पेड़ों में से प्रकृति टपक-टपक कर के पानी की बूंदें दे रही थी. पेड़ों के आसपास से कोई स्थान नहीं था और उस नदी के उद्गम स्थान से यह नदी खेत तक बह रही थी.
सभापति महोदय, आज हम देख रहे हैं कि कुएं हों, बावड़ी हो, तालाब हो, यह पुराने लोग खुदवाते थे. पुराने समय में जल के लिए प्याऊ लगाते थे, तो आज उसी महत्व को हम वापिस से जैसा कि अभी माननीय अर्चना चिटनीस दीदी ने कहा कि बोतल में जब तक पानी है तब तक ही पी सकेंगे. अगर बोतल में पानी नहीं है, अगर उसे संचय नहीं किया, तो पानी को रोकने के लिए लगातार सरकारें समय-समय पर प्रयास करती रही हैं. सामाजिक लोगों ने भी प्रयास किया है. वृक्ष ही हमारा जीवन है. हम कहते हैं कि पेड़ लगाएं हम, सांसें हो रहीं कम. हमने कोरोना काल में वृक्ष के महत्व को भी देखा है और उसकी वजह से कई लोगों की सांसें चली गईं और उस समय हमने यह संकल्प लिया कि हम पेड़ लगाएंगे. पुराने समय में पेड़ भी फलदार होते थे. आज क्या है कि बबूल लगा दिये, बीच में यूकेलिप्टिस लगा दिये, तो हम चाहते हैं कि आज वृक्षारोपण का यह अभियान देश के प्रधानमंत्री मान्यवर श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो चलाया है, उसमें फलदार वृक्षों के लिए भी कहा है कि आम के वृक्ष हों, कबीट के वृक्ष हों, शहतूत के वृक्ष हों. पहले बच्चे आनंद के साथ फल खाते थे. पेड़ पर पत्थर भी मारते थे और आम के पेड़ में भी जब फल आ जाता है तो नीचे की तरफ झुकता है. वह धरती माता का अभिनंदन करता है तो हम भी चाहे वह नर्मदा मैया हो, जो आज हमारी सरकारों ने नर्मदा, क्षिप्रा नदी को मिलाया है, उसकी वजह से अन्य क्षेत्रों में पानी आया है. आज कालीसिंध, चंबल नदी मिल रही है तो हमारे नीमच जिले में सारी जल संरचनाएं बन रही है. ऐसे ही जनभागीदारी के माध्यम से भी 30 मार्च से 30 जून, 2025 तक चलाये गये अभियान में भी लगभग 2 लाख जल दूतों को नियुक्त किया गया है. गांव गांव में सुरक्षा का संदेश पहुंचाया गया है और पानी चौपाल के माध्यम से जन जागरण भी प्रारंभ किया है. जन जागरण नाट्य प्रस्तुत करना, पानी के महत्व को बताना, पानी को किस प्रकार से बचाएं क्योंकि पानी बाजार में मिलने वाली चीज नहीं है. पानी की वजह से ही आज टिकाऊ जल संरचनाएं अभियान चले हैं, जहां तालाब हुए हैं, अमृत सरोवर बने हैं और कुओं को रिचार्ज किया गया है. जैसा भी पूर्व वक्ताओं ने बताया है कि जब गाद जम जाती है. वाकई में आज जो हमारे यहां डेम बने हुए हैं उनमें जो गाद जम गई है. सरकारों को चाहिए कि गर्मी के मौसम में उस गाद को निकालने की व्यवस्था करें. किसानों को छूट दे, जिससे कि वह खेत में ले जाकर उस मिट्टी को अपनी फसल के उपयोग में ले सके. आज हम देख रहे हैं कि जैसे कोई अन्य मामले भी हैं. जल संरक्षण को लेकर सरकार और समाज मिलकर काम करें. यदि सामाजिक संगठन, समाज, सरकार मिलकर काम करेंगे तो जल संरक्षण के संस्कार बनेंगे. हमारा दायित्व है कि जल की हर बूंद को सहेजें और आने वाली पीढ़ियों को हम समृद्ध भारत की नींव देकर जाएं क्योंकि हमारे पुरखा हमें पानी का भण्डार देकर गये हैं और आज उसी वजह से हमारे यहां जल संरचनाएं बनी हैं जैसे अभी जल संसाधन मंत्री जी यहां बैठे हैं तो 1200 करोड़ रुपये की सिंचाई योजना, रामपुरा की उद्वहन योजनाएं, 1800 करोड़ रुपये की जल जीवन मिशन की योजनाएं जो पूरे जिले में पानी पहुंचा रही है. अगर पानी नहीं होगा तो इन योजनाओं का कोई महत्व नहीं है, इसलिए हम सबको इस मामले में चिंता करना चाहिए. पुराने समय में गंगा माता, गायत्री माता, यमुना मैया, हमारी जो परम्परा रही है, जैसे सरस्वती नदी के मामले में हम कहते हैं कि लुप्त हो गई है, इस प्रकार नदियों का पुनर्जीवन सरकारें भी कर रही हैं, हम भी कर रहे हैं तो निश्चित आने वाला समय अच्छा रहे, इसके लिए जल ही जीवन है. वृक्ष लगाएं, वाटिकाएं लगाएं. सभापति महोदय, आपने इस महत्वपूर्ण विषय पर मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
श्री रामनिवास शाह (सिंगरौली) - सभापति महोदय, 2 दिन से चल रहे इस लोक महत्व के विषय पर प्रदेश में लगातार कम होते भू-जल स्तर एवं परम्परागत जल संग्रहण संरचनाओं, सतत् समाप्त होने की उत्पन्न स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं. बहुत ही महत्वपूर्ण है. जब हम बात करते हैं वर्ष 2047 तक भारत माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में विश्व का नेतृत्व करेगा, तब हमें जल की आवश्यकता होगी. विकास की आवश्यकता होगी और संरचनाओं की भी आवश्यकता होगी. बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर गंगा संवर्धन योजना के नाम से लेकर प्रदेश की सरकार आगे चली हुई है. जब हम जल की बात करते हैं और गंगा का नाम लेते हैं तो ऐसे ही हम सबके मन में गंगा का क्या महत्व है, उस महत्व के नाते हमारे जीवन में आने वाले जल के कारण जीवन, जल से जीवन, जल है तो कल है, वन से जल है, इस विषय पर मध्यप्रदेश की सरकार काम कर रही है. इस नाते सुझाव भी, चुनौती भी, जल संकट पर चर्चा करने के लिए आपके बीच उपस्थित हूं. अपने माननीय जल संसाधन मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि आप इस विषय पर यह प्रस्ताव लेकर आए. देश और प्रदेश की सरकार माननीय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जी की ओर से जल गंगा को कैसे हम रोक सकते हैं, इन विषयों पर हम काम करना चाहते हैं. मैं दूरांचल क्षेत्र सिंगरौली विधानसभा से आता हूं. सिंगरौली यहां से 750 किलोमीटर दूर है. इसीलिये हमने कहा कि चुनौती भी है और संकट भी है. हमारा क्षेत्र भी थोड़ा अलग प्रकार का है. वहां कायले की खदानें हैं, जहां जल स्रोत को लेकर सम्माननीय पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल जी और माननीय दादागुरू जी का वहां जाना हुआ था. हम जल उद्गम पर पहुंचकर के उन उद्गमों को भी देखा, उसकी पूजा अर्चना की और मेरी समझ में आता है कि जहां कोयले का उत्खनन हो रहा है, उन उत्खनन के माध्यम से जल स्रोत उद्गम जो हैं वह दब जा रहे हैं. हमें इस विषय पर भी चर्चा करनी है, देखनी है कि जो हमारे क्षेत्र के उद्गम स्थान हैं उन उद्गम स्थानों का हम कैसे संचय कर सकते हैं. सरकार कुआं, तालाब, डबरी, खेत, मेड़ और बंधान तमाम क्ष्ोत्रों में काम कर रही है. काम करते हुए जल संरक्षण की दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण काम करके आगे बढ़ रहे हैं. मेरे क्षेत्र की एक काचन नदी है उसकी वस्तुस्थिति आपको बताना चाहता हूं. एक समय में काचन नदी में उरई, दूब, कांस, घास और गाद पड़ा हुआ था. जिसके कारण कहीं विलुप्त हो गयी थी, लेकिन जल गंगा संवर्धन से जब हमारी सरकार और हमारे जिला प्रशासन की ओर से काम प्रारंभ हुआ तो उसकी साफ-सफाई हुई. आज हम कह सकते हैं कि वहां पर बहुत ही अच्छे स्टाप डेम का निर्माण हुआ है. जहां पर माननीय पंचायत मंत्री जी उपस्थित हुए थे और उसका अवलोकन किया था. हम जल संसाधन मंत्री जी से भी चाहेंगे कि ऐसे ही संरक्षित करने के लिये और भी काम करने का प्रयास करेंगे.
माननीय दोनों मंत्री जी उपस्थित हैं, चर्चा भी कर रहे हैं. इस चिंता का विषय है कि जहां पर हमारी बालू से जो हमारे क्षेत्र की नदियों का कटिंग हो रहा है. कोयले के उत्पादन के कारण नदियों के उद्गम स्थान बंद हो रहे हैं, उन जगहों पर नहरों के माध्यम से या उस क्षेत्र को डबरी के माध्यम से कोयले के उत्खनन से रोकने के लिये प्रयास सरकार की तरफ से हो, यह हम आपसे आग्रह करना चाहते हैं. हमारा सिंगरौली जिला तीन नदियों के बीच में बसा हुआ है. उत्तरप्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच में है. तीनों नदियों के मध्य में जो बांधों की स्थिति है उन बांधों के लिये उद्गम स्थानों को बचाना बहुत ही अनिवार्य है. हम रेहन डेम जहां पर सिंगरौली की विद्युत परियोजनाएं स्थापित हैं. पूरे देश को 12 प्रतिशत बिजली देते हैं. बिना पानी के विद्युत परियोजनाएं बिजली का उत्पादन नहीं दे पायेंगी. इस बात की भी चिंता रहे कि उत्पादन के साथ ही हमारा उद्गम नहीं रहा तो हमारे डेम में पानी नहीं होगा और पानी नहीं होगा तो विद्युत परियोजनाएं कम होंगी और जब विद्युत परियोजनाएं कम होंगी तो विद्युत उत्पादन कम होने से आपूर्ति कम हो जायेगी. इस दिशा में भी चिंता करने के लिये आपसे आग्रह करते हैं.
सभापति महोदय- रामनिवास जी, कृपया समाप्त करें.
श्री रामनिवास शाह- इसी तरह से हम प्रदेश और देश की सरकार को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं कि आपकी ओर से तीसरे विश्व युद्ध की चिंता जो जल पर की गयी है, उन चिंताओं को समय रहते, हम सब प्रयास कर रहे हैं. सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री रजनीश हरवंश सिंह( केवलारी)- माननीय सभापति महोदय धन्यवाद, सदन में आज बहुत ही व्यापक..
सभापति महोदय- धन्यवाद के साथ ही रजनीश जी सभी समय का ध्यान रखें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह- सभापति महोदय, आपका संरक्षण चाहूंगा कि-
'' बहुत कठिन डगर है पनघट की और कैसे मैं भर लाऊं जमुना से मटकी.''
इतना व्यापक यह विषय है. इसमें जितना बोला जाये, उतना कम है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- रजनीश जी, धार बहुत लंबी है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह—सभापति महोदय, श्री राम चरित्र मानस में, हमारे पवित्र ग्रंथ में मानव समाज को दिशा देने का और जीवन जीने का सारांश व्याप्त है. जहां भगवान राजा रामचन्द्र जी के बारे में पूरा व्याख्यान हुआ. गोस्वामी तुलसी दास जी महाराज ने बहुत ही अच्छी चौपाई लिखी कि क्षिति,जल,पावक,गगन,समीरा, पंचतत्व रचि अधम शरीरा. सिमट सिमट जल भरहि जिमि सद्गुण सज्जन पहि आवा. सभापति महोदय, जीवन का आधार जल है और न केवल मनुष्य के लिये, जो मनुष्य इस जीवन को जीने के लिये अन्न उगाता है, उस धरती माता के लिये भी जल आवश्यक है. अगर जल नहीं होगा, तो धरती सूनी, रुखी, सूखी और प्यासी पड़ी रह जायेगी. उसमें अन्न नहीं होगा. उसके गर्भ में कभी भी अन्न का दाना नहीं होगा. जल एक ऐसा विस्तारित विषय है, जिसमें जितनी बात की जाये, उतनी कम है. सभापति महोदय, 5 तत्वों का यह शरीर है, जिसमें जल का अपना एक स्थान और महत्व है. गंगा जहां नदी है, गंगा जल संवर्थन की हमारी बात हो रही है. गंगा जहां नदी है, वहीं गंगा जीवन दायिनी है. वहीं गंगा मोक्षदायिनी है. जीवन के रहते हुए गंगा के जल का महत्व है. मरने के बाद हमारी अस्थियों का अगर विसर्जन होता है, तो वह गंगा में होता है और फिर उसके बाद जब हमारे त्रयोदशी के संस्कार का कार्यक्रम होता है, तो वहां पर भी गंगा जल का पूजन होती है, तभी आदमी को मोक्ष प्राप्त होता है. यह हमारी भारतीय संस्कृति के शास्त्र में लिखा हुआ है. इसलिये जल व्यापक विषय है. हम सौभाग्यशाली हैं कि हम जिस जिले में निवास करते हैं, जहां जन्म लिया. वहां मां वैनगंगा निकली. मुंडारा गांव से मां वैनगंगा निकली. न जाने कितने लोगों का कल्याण करती हुई, विश्राम करती हुई, एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध बनाकर वहां विश्राम करके और उसने अन्नदाता, किसानों का भला करते हुए बहुत आगे तक, वह खम्भात की खाड़ी तक की उनकी यात्रा हुई. मां नर्मदा, भाई फुन्देलाल मार्को जी हमारे वहां के सौभाग्यशाली जन प्रतिनिधि यहां बैठे हुए हैं सदन में. अमरकंटक से मां नर्मदा जी का उद्गम हुआ. हम उनके किनारे के हैं. आज चाहे सरकार उधर की हो और चाहे इधर की सरकार पहले रही हो. सबकी चिंता जल संवर्धन के लिये थी. जब कांग्रेस की सरकार थी, तो पानी रोको, पानी सोखो काम किया गया कि जो गिरता हुआ जल स्तर है, उसको वहीं पर रोक कर नीचे उस पानी को पहुंचाने का काम किया जाय. राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के नाम पर ताल तलैया, स्टाप डेमों का निर्माण कराया गया और आज भाजपा की सरकार भी चिंतित है कि पानी का संवर्धन होना चाहिये, पर हमको आज विचार करने की आवश्यकता है कि जो बड़े बड़े बांध बने हैं, बड़ी बड़ी जिनकी कैनाल और नहरें हैं, आज वह जीर्ण शीर्ण की हालत में हैं. अगर हम उन पर सीमेंट, कांक्रीटीकरण करायेंगे, तो हम जल को बचा पायेंगे. उसका संग्रहण कर पायेंगे. आदिकाल से हमारे देश का इतिहास रहा है कि चाहे कुआ, बावली, पोखर, कुइयां, सरोवर हो, इनका निर्माण गांव के लोगों के द्वारा और उस समय की व्यवस्था के द्वारा कराया जाता था. आज भी जो सरकारें हैं, वह बड़े बड़े तालाबों का निर्माण कराकर जल संवर्धन का काम कर रही हैं. सरकार को इस विषय पर भी चिंता करने की आवश्यकता है कि जो सरकार की मंशा है कि हमें पानी रोकना है, इसका संवर्धन करना है. मेरे जिले में ऐसे कई उदाहरण हैं कि जहां सरकार ने योजना लाई, वह लागू भी हुईं, पर अधिकारियों की गलती के कारण भ्रष्टाचार की बलि चढ़ीं और तालाब बनें, पर वह दूसरी सरकार की योजना अमृत सरोवर में बलि चढ़ गयीं और एक तालाब के ऊपर दूसरा तालाब बन गया. ऐसी अनियमितताओं को रोकने का जिम्मा भी हमारे जैसे जन प्रतिनिधियों का है और हमारे लिये यह सदन है. आप सभापति जी के रुप में यहां आसंदी पर विराजित हैं कि आपके संज्ञान तक यह बातें पहुंचे. हम उसकी जानकारी आप तक पहुंचायें.
सभापति महोदय- रजनीश जी कृपया समाप्त करें . पर्याप्त समय आपको मिल गया है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह- माननीय सभापति महोदय, मैं बस अंत में मानस की एक चौपाई पूरा कहकर के अपनी बात को समाप्त करना चाहता हूं. जहां राजा रामचन्द्र भगवान ने अयोध्यापुरी में जन्म लिया अगर एक तरफ अयोध्यापुरी के भगवान राजा रामचन्द्र जी की भूमि का चरणरथ पाने के लिये पूरे लोग वहां अपना शीश झुकाते हैं वही दूसरी तरफ "अवधपुरी मम सुहावनी, उत्तर दिसि बह सरयू पावनी. जहां सरयू नदी बह रही है तो निश्चित रूप से सरयू नदी को अयोध्या की पहचान और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. मैं सरयू नदी को, भगवान राजा रामचन्द्र जी को प्रणाम करते हुये अपनी बात को यही समाप्त करता हूं. आपने समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल- सभापति जी, मेरा भी इसमें नाम था किसी कारण से रह गया है कृपया मुझे भी अपनी बात रखने के लिये दो मिनट का समय दें.
सभापति महोदय- जी.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार(चित्रकूट) माननीय सभापति महोदय, पहले तो मैं रजनीश भाई से कहूंगा कि वे अपनी चौपाई सुधार लें. रजनीश भैया यह चौपाई सिमट-सिमट जल भरहिं तलावा, जिमि सद्गुन सज्जन पहिं आवा तुलसीदास जी ने लिखी है. इसका अर्थ है कि जिस प्रकार वर्षा का जल विभिन्न दिशाओं से आकर तालाब में भर जाता है, उसी प्रकार सद्गुण भी एक-एक करके सज्जनों के पास पहुँचते हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - मेरे पास रामचरित कांड की है
क्षिति,जल,पावक,गगन,समीरा, पंचतत्व रचि अधम शरीरा…
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- रजनीश, सुरेन्द्र जी से आप नहीं जीत सकते , वो चित्रकूट के विधायक हैं (हंसी) इस बात का जरा ध्यान रखना. वह चित्रकूट के विधायक हैं.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- माननीय सभापति महोदय, पानी की चिंता हुई है और सबने अपनी अपनी बात कही है . मैं भी अपनी बात कहने जा रहा हूं. संरक्षण जरूर दें क्योकि और विषय पर मैं नहीं बोला हूं. इसलिये थोड़ा सा अवसर ज्यादा देंगे.
माननीय सभापति महोदय, जहां मध्यप्रदेश में 2003 के पहले 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई होती थी, सरकारी व्यवस्था से वहां पर आज 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है. हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का मानना है और घोषणा भी है कि यह सरकार इस सिंचाई क्षमता को 100 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना है. सभापति जी, अभी इस सिंचाई को बढ़ाने के लिये माननीय प्रधान मंत्री जी ने केन-बेतवा लिंक परियोजना 45 हजार करोड़ की लागू की है, अन्य योजनायें भी पानी के लिये तैयार हो रही है. लेकिन पानी का विकल्प कुछ नहीं है पानी का विकल्प सिर्फ और सिर्फ पानी है.
माननीय सभापति महोदय, रहीमदास जी ने लिखा है कि
"रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून।"
पानी चाहे स्वाभिमान का हो, चाहे सिंचाई का हो पानी के बिना, उद्योग, व्यापार, खेती,पाती, स्कूल कालेज, यह सब संभव नहीं है इसलिये मैं बहुत धन्यवाद दूंगा कि पानी की चर्चा पर सबका ध्यान आकर्षित किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, अब मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की चर्चा करूंगा पानी के संबंध में, मेरी विधानसभा चित्रकूट में सिंचाई जीरो प्रतिशत है. 2008 से 2013 के बीच में जब मैं विधायक था, तब चित्रकूट क्षेत्र के लिये पानी की चिंता करके इसी सदन से 22 क्यूबिक पानी चित्रकूट को मंजूर हुआ था . लेकिन रामपुर बघेलान के पास एक मगरदह नाला है मुरचुआ जो साइफन सिस्टम फेल होने के कारण और एक्वाडक्ट नहीं बन पाने के कारण चित्रकूट को 13-14 वर्षो में पानी नहीं मिल पाया, काफी खोज खबर की गई . सदन में माननीय तुलसी सिलावट जी जल संसाधन मंत्री जी बैठे हुये हैं उनसे प्रार्थना करूंगा कि इसकी चिंता करके एक साल के अंदर यदि यह एक्वाडक्ट बनवा देंगे मगरदा के पास मोरचुआ नाला में तीन चीर महीने में, जो मूल ठेकेदार हो वह काम करके 3-4 महिने में मार्च से जून के बीच में वह काम पूरा कर दे ताकि वह 22 क्यूबिक मीटर पानी चित्रकूट को मंजूर है वह पानी मिलने से चित्रकूट की लगभग 30 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित हो जायेगी. दूसरा निवेदन बरगी के संबंध में है. पिछले साल इसी सदन में मैंने ध्यानाकर्षण लगाया था, इसमें माननीय जल संसाधन मंत्री जी ने कहा था कि वर्ष 2025 तक हम बांध बनाकर दे देंगे, ऐसा लगता है भूल से कह गए होंगे इसको सुधार लेंगे. इसमें 3 बांध थे रौसरा, बसानिया और राघौपुर जिसमें से बसानिया और राघौपुर उसी में रौसरा विलीन हो गया, यह दो बांध बनाकर चित्रकूट में पानी देना था क्योंकि चित्रकूट सबसे टेल में है, लास्ट में है. उसमें साढे़ 11 क्यूसिक पानी मिलना था लगभग 30 हजार एकड़ जमीन सिंचित करने के लिए, वह भी अधर में लटका हुआ है. यदि कैमोर की टनल जो अभी लगभग एक किलोमीटर बाकी है वह पूरी हो जाएगी तो पानी आने की उम्मीद है, लेकिन जब बांध बनाया गया और नहर से जितना पानी आना था उस समय माइक्रो लिफ्ट इरीगेशन कहीं नहीं था और माइक्रो लिफ्ट इरीगेशन होने के कारण चित्रकूट में जो पानी पहुंचना है वह पानी पहले लिफ्ट हो जाएगा तो वहां पानी कैसे पहुंचेगा, क्योंकि पानी का जो आउटलेट है वह तो उतना ही है ना. इसमें थोड़ा गौर कर लेंगे. अभी जो चित्रकूट को पानी मिलने जा रहा है वह केवल नदी के बहाव का है क्योंकि पानी जितना खर्च होता जाएगा बरगी बांध में उतना पानी पीछे से, यदि वर्षा इस साल अच्छी है तो वह पानी मिलता जाएगा और जनवरी तक हमको पानी मिल सकता है, लेकिन जब तक ऊपर जो पोषक बांध है वह बनकर तैयार नहीं होंगे तब तक चित्रकूट को पानी नहीं मिल पाएगा. मेरा निवेदन है कि जब यह टनल पूरी होकर पानी चलने लगेगा तब व्यावहारिक स्थिति समझ में आएगी.
सभापति महोदय, एक तीसरा उपाय और है चित्रकूट को पानी देने के लिए. टोन साइडर प्रोजेक्ट आज 20 साल पहले बना था जब बाणसागर नहीं बना था, आज वह एक हजार करोड़ से ज्यादा में बनेगा. 50 परसेंट पानी मध्यप्रदेश को देना था, 25 परसेंट पानी उत्तरप्रदेश और 25 परसेंट पानी बिहार को देना था. इस बीच बिहार एवं उत्तरप्रदेश ने स्थानीय स्तर पर पानी का इंतजाम कर लिया और बाणसागर नहर से मात्र 10 परसेंट पानी ले रहे हैं. 15 परसेंट पानी बिहार का बच रहा है, 15 परसेंट पानी उत्तरप्रदेश का बच रहा है, कुल 30 परसेंट पानी जो बच रहा है उससे हमारे जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कहा देवड़ा जी बैठे हुए हैं उनको भी मालूम है, उन्होंने कहा कि यह पानी हमारे पास बाणसागर का इतना है कि यदि टोन साइडर प्रोजेक्ट का पानी सिंचाई के लिए हमको दे दिया जाता है तो एक साल पानी ना भी बरसे तब भी बाणसागर में इतना पानी है कि हम इससे ज्यादा बिजली बनाकर उपलब्ध करा देंगे. जहां तक बिजली विभाग का कहना है कि यह टोन साइडर प्रोजेक्ट बखिया बैराज हमारे लिए सफेद हाथी है. बिजली हम 4 करोड़ की बनाते हैं खर्च हमारा 10 करोड़ का होता है और यदि यह बांध जल संसाधन विभाग ले ले तो इससे सिंचाई बढ़ जाएगी और जल संसाधन विभाग कहता है कि हम इससे दोगुनी बिजली बाणसागर से बनाकर दे देंगे. मुझे लगता है कि इसमें अध्ययन करके और गंभीरता से विचार कर लिया जाएगा तो उस पानी से चित्रकूट के लगभग 200 से ज्यादा गांव सिंचित हो जाएंगे.
सभापति महोदय, एक और निवेदन इसी संदर्भ में करना चाहूंगा कि बखिया बैराज का पानी लगभग डेढ़ सौ हेक्टेयर में डेड वाटर रहता है. वह डेड वाटर में और उसका प्रोजेक्ट पिछले साल बिरसिंहपुर माइक्रोलिफ्ट इरीगेशन के नाम से विभाग में पेंडिंग है यदि वह मंजूर हो जाएगा तो 5 क्यूसिक पानी हम पर-डे छोड़कर बखिया डेम में और 3-3 हजार हार्सपावर के दो बड़े पम्प लगाकर, लिफ्ट करके वह पानी चित्रकूट की बिरसिंहपुर तहसील में 83 गांव और मझिगवां तहसील के 13 गांव सिंचित करके कुल 96 गांवों को पानी दे पाएंगे. यह उस स्थिति में जब हम केवल डेड वाटर का उपयोग करेंगे. यदि उस बांध का पूरा पानी जो लगभग 30 किलोमीटर लंबा है, 12 किलोमीटर चौड़ा है और 80 फिट गहराई का पानी यदि हमको पूरा मिल जाता है टोन साइडर प्रोजेक्ट का तो हमारे 200 से ज्यादा गांव सिंचित हो जाएंगे.
सभापति महोदय -- सुरेन्द्र सिंह जी, आपने अच्छे सुझाव रखे हैं. माननीय मंत्री जी से एक बार अलग से चर्चा कर लीजिएगा और अपनी बात आप समाप्त करें. आप शीघ्रता कर लें. काफी डीटेल आ गई है. आपके क्षेत्र की संपूर्ण बात आ गई है.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- माननीय मारू जी ने उस विषय को थोड़ा सा छुआ है. मैंने वहां पर अपने कई प्रयोग किए हैं. एक तो मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा. 15 करोड़ रुपए उन्होंने दिए थे जिसमें 17 जलाशय बनाने थे. इसमें 9 जलाशय लगभग आधे से ज्यादा बन गए हैं, कुछ बाकी हैं. इन 15 करोड़ रुपए में से 6 करोड़ रुपए नहीं मिले हैं. वह पैसा कहां गुमा है. मैं फुटबाल की तरह वल्लभ भवन से विकास भवन और विकास भवन से वल्लभ भवन आता जाता हूँ.
सभापति महोदय -- आप अलग से चर्चा कर लेना.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- वह पैसा दे दें तो वह बांध जिनका मैं भूमि पूजन कर चुका हूँ. बदनामी हो रही है. पैसा आ जाए तो वे 8 बांध भी 6 करोड़ रुपए की लागत से और बन जाएंगे. इसके अलावा एक निवेदन और करने जा रहा हूँ. हमारे 7 बांध हैं जो अभी पेंडिंग पड़े हैं. इनकी अनुमति मिल जाए. जिसमें गौरी सागर लगभग बनने जा रहा है. इसमें थोड़ी सी कड़ाई कर दी जाए तो वन विभाग की झंझट दूर हो जाए. पर्यावरण क्लियरेंस हो जाए तो अक्टूबर से काम शुरु हो जाएगा. 6-7 छोटे बांध हैं जिसमें परहनिया, पंडर, रानीपुर, बगदरा, खाड़ी पाथर, जनमान सागर के नाम से, गहपर है इनकी मंजूरी दे दी जाए. वहां से सर्वे होकर रिपोर्ट की फाइल आ गई है. अभी एक और प्रयोग मैंने किया है. मेरी विधान सभा में लगभग 500 गांव का क्षेत्र है. नए और पुराने तालाब मिलाकर करीब 70-80 तालाब होंगे. गांव के 10-5 नाले मिलकर जो नदी बनाते हैं. ऐसा कोई गांव नहीं बचा है जो नाला विहीन हो. गांव ऊंचाई पर बनते हैं, पानी ढाल में जाकर नाले का रुप लेता है. इस बीच में जोत जमीन ज्यादा बढ़ने के कारण नाले भरते चले गए. 20-20, 15-15 फिट की गहराई पर जो नाले थे वे सब पट गए हैं. 3-4-5 फिट बचे हैं. अभी पिछले साल मैंने करीब 20 किलोमीटर नालों को 2-2 मीटर खुदवाकर, मेरे यहां पर जीरो प्रतिशत सिंचाई है. 75 प्रतिशत जंगली क्षेत्र है. 600 फीट पर भी हैंडपम्प ड्राई हैं. इस साल एक भी नहीं हुए हैं. कृपा करके मेरी बात सुन लें.
सभापति महोदय -- यह बजट पर चर्चा नहीं हो रही है. भू-जल प्रबंधन पर चर्चा हो रही है.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- मैंने 20 किलोमीटर नाले खुदवाकर दो-दो, ढाई-ढाई मीटर गहरा करवाकर, 20-20 फिट चौड़े करवाकर पानी रोकने का प्रयास किया. जो पानी नवम्बर-दिसम्बर तक सूख जाता था. वह पानी इस बार अप्रैल तक पहुंचा है. जल स्तर भी बढ़ा है. किसानों को पानी भी ज्यादा मिल गया. इस साल मैं उसको 3 मीटर गहरा करवा रहा हूँ. हर 300 मीटर के बाद कच्चा स्टाप डेम उसमें बनवा रहा हूँ. कच्चा स्टाप डेम जब तक पानी नेचुरल बहता है तब तक ठीक है उसके बाद वह पानी 10 फिट भी गहरा भरा है तो आगे के लिए काम करेगा. मेरा निवेदन है कि इसमें माननीय जल संसाधन मंत्री जी बैठे हैं धन उपलब्धि करवा दें. उनका चित्रकूट जाना भी हुआ था. इससे जितने गांव से घिरे हुए नाले हैं उन नालों में पानी ज्यादा समय तक रुकेगा और इससे जल स्तर भी बढ़ेगा.
सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री माधवसिंह (मधु गेहलोत) (आगर) -- सभापति महोदय, मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ अपनी सरकार को कि जिसने कल की चिंता की. जल है तो कल है. सरकार ने नदी जोड़ो अभियान के माध्यम से कई नदियों को जोड़ने का भी काम किया है. माननीय डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने केन-बेतवा नदी, चम्बल-काली सिंध नदी जोड़ने का काम किया है. इनसे कई हजारों हेक्टयर भूमि को पानी मिलने वाला है. जो ट्यूबवेल हैं, कुएं, बावड़ी हैं उनके री-चार्ज होने में भी इससे सहायता मिलेगी. आने वाले समय में सरकार की यह कोशिश है कि हर खेत को पानी मिले तो उसके लिए माँ नर्मदा को लाने का काम हमारी सरकार ने किया है और वह मेरी विधान सभा से टच होने के कगार पर है. अभी तराना तक माँ नर्मदा आ चुकी हैं और मेरी आगर विधान सभा क्षेत्र में भी आने वाली है. माननीय जल संसाधन मंत्री जी यहां बैठे हुए हैं. मैं उनसे निवेदन करना चाहता हूं और उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में आपने जो आऊं डैम का जो निर्माण किया है उसमें पानी भरना शुरू हो चुका है. हजारों हेक्टेयर भूमि उससे सिंचित होने वाली है. कई पशु पक्षियों को जीवनदान मिलने वाला है. उस क्षेत्र के अंदर हरित क्रांति आने वाली है. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में सुसनेर से लगा कुण्डलिया डैम है जहां पर लगभग 25 प्रतिशत पानी वहां पर बच जाता है और वहां से लगे हुए लगभग 25 से 30 गांव अभी वंचित हैं. मेरा निवेदन है कि वहां पर पर्याप्त मात्रा में पानी है तो आप उन्हें जोड़ने का काम करें ताकि आने वाले समय में मेरा क्षेत्र भी सिंचाई के मामले में आगे जा सके. लगभग पांच डैम, हड़ई डैम, सिरपोई डैम और खंदवास डैम मैंने पिछली बार भी निवेदन किया कि उन्हें जोड़ने का काम करें. दूसरा भीमपुरा डैम और सियाखेड़ी डैम की साध्यता हो चुकी है. मेरा आपसे निवेदन है कि महिदपुर से लगा हुआ विधान सभा है वहां पर बड़े-बड़े डैम बने हुए हैं. वहां पर दो नदियों का संगम है. वहां पर अगर हम एक छोटा सा बैराज बनाने का काम करें जिससे चालीस से पचास गावों को पानी मिल सकता है. मैं आपने निवेदन करना चाहता हूं माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री जी भी यहां पर बैठे हुए हैं जिन्होंने मेरी विधान सभा में 13 करोड़ रुपए दिये हैं जिससे तालाबों का सौन्दर्यीकरण हो रहा है. एक मोती सागर तालाब है, रत्न सागर तालाब है जिन्हें आप एक बार घूमेंगे तो ऐसा लगेगा कि हम कोई बहुत बड़े वीआईपी क्षेत्र में हैं जबकि मेरा विधान सभा क्षेत्र बहुत ही छोटा विधान सभा क्षेत्र है. मेरी नगर पंचायत और नगरपालिका की जो कायाकल्प की है. उसके लिए मैं सरकार और नगरीय प्रशासन मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. हमने एक पेड़ मां के नाम लगाने का संकल्प लिया था. पिछले सोमवार के दिन हमने एक नया कीर्तिमान रचने का काम किया. माननीय कैलाश जी से प्रेरणा लेकर लगभग 35 हजार बहनों को हमने कलश यात्रा के रूप में बुलाया और उन्हें हमने वह पौधा दिया और उन्होंने उनके घर पर जाकर के उसे लगाने का काम किया. हमने अभी कई तालाबों, कुएं, बावडि़यों की सफाई का अभियान चालू किया जिसमें लगभग 25 सरपंच ऐसे रहे जिन्होंने मुझे बुलाया और वहां पर हम लोगों ने एक-एक दिन श्रम दान किया और पानी बचाने का भी काम किया. मेरी सरकार हमेशा पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर हर प्रकार से नंबर एक पर आने का काम कर रही है. मध्यप्रदेश बहुत जल्द नंबर एक की पोजीशन हांसिल करेगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय-- अब नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जी प्रदेश में बाढ़ एवं अति वृष्टि के संबंध में वक्तव्य देंगे.
6.08 बजे वक्तव्य
अति वृष्टि एवं बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों के संबंध में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री का वक्तव्य
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय सभापति महोदय, पिछले दिनो लगातार बाढ़ एवं अति वृष्टि के कारण अनेक क्षेत्रों मे जलभराव और बहुत सारे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को व्यक्तिगत रूप से भी क्षति हुई है. इस संदर्भ में माननीय मुख्यमंत्री जी ने लगातार बैठकें कीं इस संदर्भ में मैं, एक वक्तव्य सदन में देना चाहता हूं.
06.12 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
6.16 बजे
नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय - श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय गोपाल भार्गव जी की जल संरचनाओं का और परम्परागत गिरते भू-जल के संबंध में, जो आप विषय लाये, निश्चित ही इतना महत्वपूर्ण है कि हम आने वाले कल के लिए आज सदन में चिन्ता कर रहे हैं. राजा-महाराजाओं के साथ भी यह परम्परा भी रही है और भारत में हजारों वर्षों से जल संरक्षण की परम्परा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब देश स्वतंत्र हुआ, उस समय बहुत सारे बांध हमारी तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी एवं स्वर्गीय राजीव गांधी द्वारा भाखड़ा नांगल बांध, हीराकुंड बांध, नागार्जुन सागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध, इंदिरा सागर बांध, सरदार सरोवर बांध, माताटीला बांध, प्रतिकोरीन बांध, गांधी सागर बांध, बरगी बांध के साथ बाण सागर बांधों का कांग्रेस शासनकाल में इन बड़े-बड़े बांधों का निर्माण करवाकर और जल को रोकने और इन बांधों में जब जल रुकेगा तो निश्चित ही हमारे सतही जल में भी प्रभाव पड़ेगा और वह ऊपर आयेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने कोविडकाल को भी देखा. मछली पानी के बिना फड़फड़ाने लगती है, उसकी जो तड़प देखी कि वह कैसे पानी के बिना फड़फड़ाती है. जैसे आज हमारे बढ़ते उद्योग-धंधे एवं कारखाने और सतही जल का जिस तरह से दोहन किया जा रहा है, निश्चित ही यह चिन्ता का विषय है. एक मुनि श्री ने कहा था कि 'ऐ मानव, तू विलासिता की ओर क्यों बढ़ रहा है, तुम यहां क्या लेकर के आये हो और क्या लेकर के जाओगे, जो प्रकृति ने तुम्हें दिया है, उसका सदुपयोग कर और आगे बढ़.' हमारे पुराने माननीय पंचायत मंत्री महोदय से, मैं थोड़ा अनुरोध करना चाहूँगा कि हमारे पास पुरानी संरचनाएं गांवों में है, उस समय प्रधान, भोई और गौटिया हुआ करते थे, यदि वह लोग किसी के यहां अच्छा अन्न पैदा हो जाये, तो वह पूरे गांव के लोगों को इकट्ठा करते थे और कहते थे इस वर्ष हमें तालाब बनवाना है, कुआं खुदवाना है. ऐसी संरचनाएं हमारे पास बहुत हैं, 2-2, 3-3, 4-4 और 5-5 एकड़ की है. आज उनके रखरखाव किया जाना है, जो जीर्ण-शीर्ण पड़े हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय, पहला, मेरा अनुरोध है कि जितने पुराने तालाब मध्यप्रदेश में हैं, उनका गहरीकरण कर दिया जाये. दूसरा, जो वर्षा का जल है, चूँकि आज वन अवैध कटाई के कारण, लैंटाना के जंगल बचे हुए हैं और लैंटाना से कभी भी वर्षा नहीं होगी. हमको इस बात पर चिन्ता करना है. मैंने इस बात को सदन में कई बार उठाई कि हमको लैंटाना का उन्मूलन करना पड़ेगा.
श्री उमाकांत शर्मा -- लैंटाना क्या होता है, हम नहीं जानते.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- इसलिए आप नहीं जानते कि आप जंगल के नहीं हैं, मैं हूँ. पण्डित जी, आप नहीं जानेंगे. बरमसिया को जानते हैं ? यदि बरमसिया को जानते होंगे तो लैंटाना को भी जान जाएंगे, मैं गांव का हूँ. मैं जानता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- पण्डित जी, आप लैंटाना के चक्कर में मत पड़ो. (हंसी).
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- हम चाहते हैं कि जो वर्षा का जल पहाड़ों में गिरता है. तेजी से वर्षा हो रही है और हमारे जंगल भी तेजी से कटते जा रहे हैं. पानी सीधे बह करके नदियों में जा रहा है, उससे भू-कटाव भी हो रहा है. हम छोटे-छोटे ऐसे स्ट्रक्चर बनाएं कि सीधे जल नदी-नालों में प्रवाहित न हो करके रुकते-रुकते जाए. हमारा कृषि क्षेत्र बढ़ रहा है. हमारी पैदावार भी बढ़ रही है. यदि एक आदमी ने 300 फिट खुदाया है तो उसका भाई यह प्रयास करता है कि अगले साल मैं 500 फिट खुदवा लूंगा. फिर कोई और कहता है कि मैं 1 हजार फिट खुदवा लूंगा. मैं ज्यादा पानी निकाल करके ज्यादा पैदावार लूंगा. ये प्रतिस्पर्धा हमारे भूजल स्तर को खराब कर रही है. लोग जल का उपयोग तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही साथ उसका दुरुपयोग भी कर रहे हैं. बड़े-बड़े कल-कारखाने अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. आने वाला समय हमारे लिए अच्छा नहीं है. हमको निश्चित ही इस विषय पर सोचना होगा.
अध्यक्ष महोदय, हमको गांवों से चलना पड़ेगा. आज जो हम चिंतन कर रहे हैं. हमारे दादा-परदादाओं ने, राजा-महाराजाओं ने जो बाहुली, तालाब, कुंए बनाए हैं, आज भी वे जीवित हैं. हम अभी माण्डू गए थे. हमारे माननीय नेता प्रतिपक्ष जी लेकर गए थे. वहां हमने देखा कि बहुत ऊँचाई और बहुत गड्ढे में वह बना हुआ है और आज भी वहां जल है. हम वहां संग्रामपुर में रानी दुर्गावती जी के महल में गए, वह बहुत ऊँचे टीले में, पहाड़ में बना हुआ है, वहां आज भी पानी जीवित है. लेकिन हमारे स्रोत, जिनका आज हम निर्माण कर रहे हैं, उनमें पानी खत्म हो जाता है तो कहीं न कहीं प्रश्न-चिह्न लगता है. हमारे ऐसे निर्माण हों, ऐसी संरचनाएं हमारी बननी चाहिए, ऐसी सोच पैदा होनी चाहिए कि जल का संरक्षण हो. इस पर जब तक हमारे जन-जन की सहभागिता नहीं होगी, तो पानी के दुरुपयोग को हम नहीं रोक सकते हैं. हमको उनके हृदय में इस बात को पैदा करना पड़ेगा कि जिस तरीके से हम ऑक्सीजन के बिना नहीं रह सकते. अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि हमारे यहां एक मेडिकल कॉलेज है, उस मेडिकल कॉलेज में कोरोना के समय में 5 मिनट के अंदर में 16 लोगों की जान चली गई. वह भी ऑक्सीजन की थोड़ी सी कमी हो जाने के कारण ऐसा हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- फुन्देलाल जी, अब आप समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, यदि ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो कैसे जीवन चलेगा. हम कॉर्बन डाई ऑक्साइड बढ़ाते जा रहे हैं. यह निश्चित ही आने वाले समय में हमारे लिए घातक है. जल का संरक्षण होना चाहिए. भूजल और सतही जल हमारे लिए अति आवश्यक है, चट्टानों के बीच में, परतों में जो जमा हुआ है, जिसका हम दोहन कर रहे हैं, उस पर हमारा चिंतन होना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष जी, चूँकि माननीय पंचायत मंत्री महोदय ने श्रम कानून की बात भी आज की, उन्होंने बहुत अच्छा बोला, मैं मीठे पर खटास नहीं पैदा करना चाह रहा था, लेकिन थोड़ा ध्यान आकृष्ट करना चाह रहा हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ के जनपद पंचायत क्षेत्र में ग्राम पंचायत अहिरगवां, ग्राम पंचायत सरई, ग्राम पंचायत कुम्हनी, ग्राम पंचायत खमरोद, ग्राम पंचायत गिजरी, ग्राम पंचायत करपा, ये जो ग्राम पंचायतें हैं, इनमें अभी हम लोग जिस सतही जल की बात कर रहे हैं, वहां मजदूर हमारे बहुत मेहनत करते हैं. जल को रोकने का, बचाने का, बांधने का काम करते हैं, उस समय जो मूल्यांकन आया, वह 75 रुपये आ गया. 75 रुपये दैनिक मजदूरी उनको भुगतान की गई. मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूँ, वह उपयंत्री कौन है, जिसने मूल्यांकन किया. हमारे काम दो तरह से होते हैं. आप यदि मजदूर को कहेंगे कि पत्थर तोड़ो और यह राशि आप प्राप्त करो तो कैसे होगा. नरम और कड़ी मिट्टी जब हम खोदेंगे तो उसके रेट भी अलग-अलग हैं. जहां टाईट मिट्टी है तो वहां उसके रेट अलग लगा दें. नरम मिट्टी है उसके रेट अलग लगा दें ताकि यह मजदूरों को जो पूरे दिन काम करते हैं और आज आनलाईन उनका भुगतान है 75 रुपये उनको मिलते हैं यह मैं आपसे विनती करना चाहता हूं कि आपके अधिकारी इसको नोट कर लें और कृपया पुष्पराजगढ़ के सीईओ को निर्देश दें कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.जय हिन्द जय भारत.
अध्यक्ष महोदय - बहुत धन्यवाद फुन्देलाल जी. अब पंचों की क्या राय है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - एक जवाब तुलसीराम सिलावट जी का करा दें.
अध्यक्ष महोदय - अभी नेता प्रतिपक्ष और आप तीन लोग जवाब देने वाले बचे हैं.
श्री उमंग सिंघार(नेता प्रतिपक्ष) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि नियम 139 की चर्चा जब बारिश में बाढ़ आ रही है गर्मी के समय अगर विशेष सत्र बुलाकर इस पर चर्चा होती तो समझ में आता लेकिन जब तालाबों में पानी आ गया उस पर चर्चा हो रही है तो मुझे नहीं लगता कि यह अतिआवश्यक इस समय थी अगर इसके बजाय किसानों की यूरिया खाद को लेकर चर्चा होती तो ज्यादा बेहतर होता. सत्ता पक्ष यह नियम 139 की चर्चा लेकर आया बड़े आश्चर्य की बात है यह तो विपक्ष का काम है. ठीक है आपके सदन के नेता की भावना थी. निश्चित तौर से मध्यप्रदेश के कई जिलों की स्थिति सेमी क्रिटिकल है.मध्यप्रदेश में जल गंगा संवर्द्धन अभियान आया 2334 करोड़ रुपये खर्च होंगे. तीन महिने में एक हजार-डेढ़ हजार करोड़ तो खर्च हो गये होंगे. मुख्यमंत्री जी नहीं हैं. फारेस्ट विभाग भी उनके पास है. 30 मार्च,2025 को उद्घाटन किया था उज्जैन से और भावना थी कि प्रदेश में जो जल संकट है इसे राजनीति से दूर हटकर मैं इस पर प्रयास करूंगा तो कई पीढ़ियां याद करेंगी. जल संवर्द्धन,जल स्तर,जल स्त्रोत,वर्षा जल संचयन सबकी अच्छी बात रखी गई. जनभागीदारी की बात रखी गई लेकिन मैं समझता हूं कि स्थायी समाधान को लेकर इस योजना में कहीं न कहीं अनदेखी की गई. वाटर रीचार्ज, चेकडेम,पारंपरिक तालाबों पर हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया और यही कारण है कि आज प्रदेश में पेयजल संकट है. ग्रामीण जो पशु हैं उनको पानी नहीं मिला. जल जीवन मिशन भी उसमें अहम् भूमिका रही. किस प्रकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी वह योजना. सरकार उस पर कुछ कहना नहीं चाहती. निश्चित तौर से मध्यप्रदेश में खतरे की घंटी है भूजल स्तर का नीचे जाना और यह भी कह सकते हैं कि धरती से पानी कम होता जा रहा है निश्चित तौर से मौसमी गिरावट कई जिलों में आई है. जब बारिश नहीं रहती तब भूजल खेती का आधार बनता है लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर सरकार ने जो प्रयास किये. सरकार ने जो प्रयास किये, धरातल तक कितने पहुंचे यह आप समझ सकते हैं. मैं समझता हूं कि इस प्रकार की संरचनाओं की आवश्यकता है, जनभागीदारी की आवश्यकता है. वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट की क्या स्थिति है, विशेषकर औद्योगिक क्षेत्र में. नाम के लिये वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट रहते हैं, लेकिन आसपास के कई गांव जो लगे रहते हैं, कॉलोनियां रहती हैं, उनके पास पानी रहता है 1000, 1200 से ज्यादा टीडीएस रहता है, वह कैसे पानी पीते हैं, इस पर भी हमको सोचना चाहिये. जल संसाधन का बजट था साढ़े नौ हजार करोड़, हर बार बजट बढ़ा है. वर्ष 2023-24 में था साढ़े सात हजार करोड़, वर्ष 2024-25 में सात हजार दो सौ, वर्ष 2025-26 में 9.2 हजार करोड़. नर्मदा घाटी साढ़े 8 करोड़, सवा आठ करोड़, फिर अभी हो गया वर्ष 2025 में 8.7 हजार करोड़. जल गंगा अभियान 3 साल में 30 हजार हेक्टेयर हरियाली, स्वागत करता हूं आपकी सरकार का कि प्रदेश में हरियाली आयेगी. एक तरफ जंगल कट रहे हैं और एक तरफ हरियाली आयेगी. मां के नाम एक पौधा, माननीय अध्यक्ष महोदय, योजना अच्छी है, भावनायें हैं, स्लोगन अच्छा है, लेकिन क्या मां के नाम पर पौधा लगेगा, क्या वह जिंदा रहेगा, क्या उसकी जवाबदारी किसी ने ली है. मैं वन मंत्री था नर्मदा में उस समय शिवराज जी ने की थी, साढ़े तीन सौ करोड़ के पौधे नर्मदा किनारे, जब मैंने सेटेलाइट से सर्वे कराया, (श्री प्रहलाद पटेल जी की ओर देखते हुये) आपने तो पद यात्रा की है, आपको तो शायद जंगल दिखे नहीं होंगे, पौधे दिखे नहीं होंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, पौधे गायब, मां नर्मदा की बात करते हैं तो कैसे जल संवर्धन होगा. अभी मेरे मित्र साथी बोल रहे थे सदस्यगण कि वगैर पेड़ के हम नहीं कर सकते, किसी भी स्तर पर फारेस्ट डिपार्टमेंट पौधे लगा रहा है, अन्य विभाग लगा रहे हैं, लेकिन क्या आपके पास मॉनीटरिंग सिस्टम है. हर साल पांच सौ, हजार करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे हैं पौधों पर लेकिन नहीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं अभी पिछले तीन महीनों में जो आंकड़े सामने आये कि 50936 जल संरक्षण संरचनायें बनीं. आंकड़े कई साथियों ने गिनाये हैं, लेकिन क्या 50 हजार जो संरचनायें बनीं क्या उसका वेरीफिकेशन हुआ, क्या उसका सोशल आडिट हुआ, क्या जियो टेग हुआ और किसने मॉनीटरिंग की, सदन को बतायें. माननीय अध्यक्ष महोदय, 12450 वर्ष जल संरचनायें और 1500 किलोमीटर नदी तट साफ किया. आदरणीय प्रहलाद भाई तीसरी बार यात्रा करोगे तो आपको नदी तट साफ मिलेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि यह योजना ...
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अगली बार वह आपके साथ जाना चाहते हैं.
श्री उमंग सिंघार-- स्वागत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि यह योजना प्रदेश का भू-जल स्तर बढ़ाने की योजना नहीं थी, यह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के जेब स्तर बढ़ाने की योजना थी. एक लाख दूत प्रदेश के अंदर बनाये गये. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक लाख जल दूत प्रदेश के अंदर बनाये, मुझे लगता नहीं कि मेरे विधायक साथियों को किसी को पता हो, नहीं पता. तो क्या सरकार विधान सभा में जानकारी देगी कि जिले में, ब्लॉक में कौन जल दूत बने हैं, कि उनके नाम से वेतन भत्ते निकल गये, क्या उन्होंने कोई आडिट किया है, नहीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार से सरकार के पैसे का दुरूपयोग किया जा रहा है, यह मैं कह रहा हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दिनेश जी बता रहे थे कि कई किसान सिंचाई के लिये के.सी.सी. के लिये, बैंक के लिये सिंचाई लिखवा रहे हैं, जिससे यहां आंकड़ें आ जाते हैं कि सिंचाई हो गई, चंबल में स्थिति यही है.
अध्यक्ष महोदय, अटल भू-जल योजना बनी, एक छतरपुर जिला था, मैं उदाहरण दे रहा हूं, वैसे तो मैं कई उदाहरण जल संसाधन विभाग के दे सकता हूं, सात परियोजनाएं वहां पर हुई, एक परियोजना पूरी हुई है, बाकी छ: परियोजनाएं पूरी नहीं हुई है, अब जांच चल रही है, घोटाले चल रहे हैं. मैं यही कहना चाहता हूं कि यह जलदूत जो हैं, वह सामने आयें, एक लाख की संख्या मायने रखती है, उनके नाम से पैसे गये हैं, किसके खाते में गये, वे कौन थे, सामाजिक कार्यकर्ता थे कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता थे? यह स्पष्ट होना चाहिए और सबको इसकी सूची भी मिलना चाहिए. मैं सुझाव भी देना चाहता हूं कि जितनी भी आपकी योजनाएं हैं, आपने इतनी सारी योजनाएं बनाईं हैं, क्या इसके लिये आप मानिटरिंग करायेंगे और क्या वहां के स्थानीय विधायकों को जानकारी देंगे, यह सरकार की तरफ से स्पष्ट होना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से तालाबों में मिट्टी भर जाती है, कई तालाब हैं, अब तालाबों के बारे में नई योजनाएं बनाना, नये तालाब बनाना, बजट को एसक्लेट कैसे करना है? यह सब आता है, लेकिन जो तालाब आज भी पारंपरिक रूप से हैं, जो कई सालों से हैं, उन तालाबों में मिट्टी गहरीकरण के लिये कोई योजना सरकार की नहीं है और सरकार कहती है कि नहीं हो सकता है, तो क्यों नहीं हो सकता है? तालाब गांव के बीच में है, तो क्यों नहीं गहरीकरण हो सकता है, क्यों नहीं उसके अंदर आप पॉलिसी बदलते हो, क्या यह जल संवर्धन के लिये नहीं है? नई योजना बनाना और उस पर 100 करोड़ रूपये की राशि, 50 करोड़ रूपये की राशि, 20 करोड़ रूपये की राशि खर्च करना, इससे अच्छा तो जो पुराना तालाब है, अगर उसका गहरीकरण 10 लाख रूपये में, 50 लाख रूपये में हो सकता है, तो उस पर सरकार क्यों नहीं पैसा खर्च करना चाहती है? अध्यक्ष महोदय, इसमें सरकार को नीतिगत निर्णय लेना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, उद्ववहन सिंचाई योजना एन.बी.डी.ए. की है, नर्मदा से कई जगह से पानी कई जिलों में ऊपर मालवा तक कई क्षेत्रों में आ रहा है, मैं चाहता हूं कि इसके अंदर भी नीतिगत पॉलिसी होना चाहिए और रास्ते में जो भी तालाब हैं, उन तालाबों को भी आपको पूरा फिल करना चाहिए, ताकि उन तालाबों से भी आप कई जगह पानी दे सकें. नर्मदा से पानी जायेगा बदनावर लेकिन रास्ते में जो बेचारे ग्रामीण आदिवासी किसान हैं, उनके यहां कोई तालाब है, तो वह खाली पड़ा रहेगा, क्या सरकार इस पर एक प्वाइंट नहीं दे सकती है? दे सकती है, लेकिन क्या कारण है कि नहीं देती है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे सुझाव भी सरकार को हैं और विशेष रूप से मैं माण्डव की बात करना चाहता हूं कि माण्डव माननीय हमारे पूर्व कलेक्टर भी अभी यहां बैठे हैं, यह भी माण्डव को अच्छी तरह से जानते हैं कि वहां पर पेयजल संकट कैसे रहता है? नर्मदा से पानी की पाइप लाइन स्वीकृत हो गई, घरों में पानी कब मिलेगा, यह अलग बात है, लेकिन मेरा आपसे निवेदन है कि वह एक पर्यटन स्थल है, वहां के जितने तालाब हैं, उन तालाबों के लिये भी लाइन होना चाहिए, पानी तो आप दे ही रहो हो, जिससे वहां पर पानी होगा तो पर्यटन भी बढ़ेगा और सरकार का टूरिज्म भी बढ़ेगा, मेरा ऐसा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय, अब इससे ज्यादा आलोचना करने मैं विश्वास नहीं रखता हूं, लेकिन मैं समझता हूं कि कोई भी योजना हो, उस योजना को धरातल पर, जमीन पर जब तक हम एक जनहित के अंदर एक आम व्यक्ति को लाभ नहीं मिलेगा, यह जो योजनाएं करोड़ों रूपये की बनती हैं और बजट जाता रहता है, लेकिन यही है कि हम सबको मिलकर इस प्रदेश की जनता के लिये कुछ सोचना पड़ेगा, अध्यक्ष महोदय आपका बहुत-बहुत धन्यवाद (मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय – माननीय सिलावट जी.
जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट)- माननीय अध्यक्ष जी, नियम 139 के अधीन भू-जल एवं जल संग्रहण संरचनाओं पर बहुत सारे वरिष्ठ विधायकों ने, हमारे अपने पार्टी के वरिष्ठ नेता, परम सम्माननीय पूर्व मंत्री, गोपाल भार्गव जी ने ये महत्व के मुद्दे को सदन में रखा है, इसमें सर्वश्री भूपेन्द्र सिंह जी, हरिशंकर खटीक जी, राजेन्द्र पाण्डेय जी, बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी, अरविंद पटैरिया जी, जितेन्द्र जी, घनश्याम रघुवंशी जी, बहन अर्चना जी, भंवर सिंह शेखावत जी, हेमन्त कटारे जी, गौरव जी, आशीष जी, फूलसिंह बरैया जी, श्रीमती कंचन तानवे जी, अनिरुद्ध मारू जी, लघन घनघोरिया जी, दिलीप परिहार जी, रामनिवास शाह जी, रजनीश हरवंश सिंह जी, सुरेन्द्र जी, मधु गेहलोत जी, फुन्देलाल सिंह मार्कों जी ने और हमारे प्रतिपक्ष के नेता सम्माननीय उमंग सिंघार जी ने भाग लिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ये सदन में इतने गंभीर विषय पर, जल है तो कल है, जल है तो भविष्य है, जल विकास और प्रगति की एक बुनियाद है. जल हमारा संकल्प है, जल हमारा लक्ष्य है, जल हमारा उद्देश्य है. आप जानते हैं ये भाजपा की सरकार, जिसका नेतृत्व परम सम्माननीय डॉ. मोहन यादव जी कर रहे हैं. पिछले वर्ष एक पवित्र काम, जल संवर्धन के भाव को उन्होंने 30 दिन चलाया था, इस वर्ष पूरे 90 दिन जल संवर्धन, पूरे मध्यप्रदेश में, जो हमारी संस्कृति है, जो हमारी धरोहर है, नदी, नाले, तालाब, कुंए, इनका संरक्षण और जल की संरचनाओं का संवर्धन जाए. यह अभियान मध्यप्रदेश की पूरी सरकार का डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में एक जन आंदोलन बना. साथ साथ आप जानते हैं कई वर्षों से जो बावड़ी खराब पड़ी थी, उसकी साफ सफाई के साथ साथ जो हमारे तालाब थे, कई वर्षों से उनका गहरीकरण, सौन्दर्यीकरण, उनको अतिक्रमण मुक्त, ये जल गंगा संवर्धन में हमने लिया. एक उदाहरण दूंगा, 300 साल पुरानी कनाडिया, जिला इन्दौर की अहिल्या माता के द्वारा बनाई गई बावड़ी आज उसका पूरा वैभव, एक अच्छी दिशा में हमने उसका सौन्दर्यीकरण किया, इसी के साथ अहिल्या माता द्वारा निर्मित अहिल्या कुण्ड की हमने सफाई की. आज उसका पूरा का पूरा दृश्य बदल गया. इसी प्रकार से हमने जल गंगा संवर्धन हर व्यक्ति ने, जितने भी सम्माननीय सदस्य है, सभी से अनुरोध करता हूं कि जल का जो स्तर प्रतिदिन नीचे गिर रहा है, ये चुनौती मध्यप्रदेश की नहीं, पूरे राष्ट्र की है, पूरे विश्व की है. आने वाला तीसरा विश्व युद्ध जल पर होने वाला है, क्यों न हम अपनी विचारधारा को छोड़कर ये जल गंगा संवर्धन हम सभी का बने, जिस प्रकार से इस आंदोलन में, मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में किसान, तरुण, शिक्षा शास्त्री, साधु, संत, समाज सेवी, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, सांसद आए और समाज का वह हर तबका ने इस जल गंगा संवर्धन में अपना सहयोग दिया. यह इस बात का प्रतीक है कि भाजपा की सरकार, डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में एक गंभीर चुनौती को स्वीकार कर रही है.
मैं मानता हूं कि यह चिन्ता का विषय है और इसी सदन में जल के ऊपर यह चिन्तन हो रहा है, यह एक सकारात्मक बात है. हम सब आज इस दिशा में सकारात्मक सोच की ओर आगे बढ़ रहे हैं. मैं सभी सम्मानित वरिष्ठ सदस्यों का कृतज्ञ हूं. मुझे स्मरण है कि वर्ष 2003-04 में आजादी के बाद मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा मात्र साढ़े सात लाख हेक्टेयर हुआ करता था. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जो डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में हम वर्तमान में लगभग 52 लाख हेक्टेयर में सिंचाई कर रहे हैं तथा मात्र 19 माह के अंदर लगभग साढ़े सात लाख हेक्टेयर में अभी हमने अतिरिक्त सिंचाई की है दो वर्ष के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार का संकल्प है कि हम 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई करेंगे. यह सरकार मेरे अन्नदाताओं के प्रति सजग है कि तीन साल बाद वर्ष 2030 में एक 100 हेक्टेयर में सिंचाई करने का हमारी सरकार का संकल्प है.
श्री भंवर सिंह शेखावत—कैलाश जी भूल गये हैं कि पुराने कैलाश जी हैं या तुलसी सिलावट हैं. इतने सीनियर आदमी बीजेपी के हैं आपको मान गये (हंसी)
एक माननीय सदस्य—इतने सीनियर आप कांग्रेस के हो. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय—इन्दौर में कुछ न कुछ समस्या है. (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय—तुलसी भैय्या की एक विशेषता है कि वह दूध में शक्कर की तरह जहां वे रहते हैं, घुल-मिल जाते हैं. आप दूध से शक्कर को कभी अलग नहीं कर सकते हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत—कैलाश जी सोच रहे हैं कि मैं पहले बीजेपी में आया या तुलसी सिलावट आये. (हंसी)
श्री गोविन्द सिंह राजपूत—ऐसा आप भी प्रयास करो.
श्री तुलसीराम सिलावट—अध्यक्ष महोदय, आप जानते हैं कि हमारे राष्ट्र के गौरव देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल जी ने नदियों से नदियों को जोड़ने का एक संकल्प एवं उनका सपना था जिसे मध्यप्रदेश तथा इस देश में किसी प्रांत ने पूरा किया है, वो हमारा आपका मध्यप्रदेश है. देश के तेजस्वी-ओजस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में यह संकल्प डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में हम पूरा कर रहे हैं, आप सब जानते हैं. बुंदेलखण्ड माननीय शेखावत जी एक एक बूंद पानी के लिये तरसता था जिसे केन बेतवा परियोजना में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश का समन्वय और सामंजस्य से पूरा किया. केन बेतवा परियोजना से विकास और प्रगति में बुंदेलखण्ड की तस्वीर और तकदीर बदलेगी. इसकी लागत 44 हजार 605 करोड़ है. जब यह योजना लागू होगी तो उससे सिंचाई का रकबा 8 लाख 11 हजार और बुंदेलखण्ड के 10 जिले इससे सिंचित होंगे. अध्यक्ष महोदय उससे लगभग लगभग 2 हजार गांव जिसके 7 लाख 25 हजार किसानों को लाभ मिलेगा. उससे बढ़कर केन बेतवा से हम बुंदेलखण्ड की लगभग 44 लाख जनता को शुद्ध पीने का जल उपलब्ध करायेंगे. साथ ही उससे 103 मेगावाट बिजली उत्पन्न होगी. माननीय लखन भैया, सुनिए. उससे बुन्देलखण्ड की तस्वीर और तकदीर बदलेगी. उससे पर्यटन आएगा और रोजगार मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय -- लखन भैया को चिंता अपने 9 वार्डों की है.(हंसी).
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, देश के पूर्व प्रधानमंत्री जी का संकल्प नदियों से नदियों को जोड़ने का था. पहले हमने उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश, बाद में राजस्थान और मध्यप्रदेश को जोड़ने का प्रयास किया, अनुबंध किया. हमारे राष्ट्र के गौरव देश के तेजस्वी, ओजस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी ने वह संकल्प पूरा किया. पार्वती-कालीसिंध चंबल राष्ट्रीय परियोजना के लिए मैं गर्व के साथ कह सकता हॅूं कि देश में मध्यप्रदेश पहला प्रांत है, जहां पर माननीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल जी का संकल्प दोनों राष्ट्रीय परियोजनाएं माननीय मोदी जी के नेतृत्व में, माननीय डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में हम पूरी करने जा रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) लगभग इसकी लागत 72 हजार करोड़ रूपए है और मध्यप्रदेश को लगभग 35 हजार करोड़ रूपए मिलेंगे. आप मुझसे बेहतर जानते हैं. 13 जिलों को उससे लाभ होगा और लगभग 6 लाख 14 हजार हेक्टेयर में इससे सिंचाई कर पायेंगे और 3 हजार 150 गांवों के लगभग 40 लाख लोगों को इस योजना से लाभ होगा. (मेजों की थपथपाहट) यह है भारतीय जनता पार्टी की सरकार. यह है जल गंगा संवर्धन. क्योंकि नदियों से नदियों को जोड़ने का यह फर्क है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर आप जानते हैं ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना यह भारत के लिए नहीं, बल्कि विश्व की एक अनूठी योजना है, एक ऐतिहासिक योजना है क्योंकि अब जो जल स्तर नीचे जा रहा है यह भी हमारा अनुबंध..
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष जी, हम व्यवधान उत्पन्न नहीं कर रहे हैं. आप बोलते जाइए.(हंसी)..
श्री सुरेश राजे -- माननीय मंत्री जी, निमाड़ के जिले की याद कर लीजिए...(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि वह 35 हजार करोड़ रूपए केन्द्र सरकार से आयेंगे, तो उसका उपयोग क्या होगा....(व्यवधान)...
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के मध्य ताप्ती समझौता हेतु दिनांक 10.5.2025 को एमओयू पर हस्ताक्षर किए और इन योजनाओं में लगभग 19 हजार 224 करोड़ रूपए खर्च होगा. मध्यप्रदेश में 7 हजार 313 करोड़ रूपए से इसमें लगभग 1 लाख 23 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होगी. 2 जिले खंडवा, बुरहानुपर और 4 तहसीलों को इसका लाभ मिलेगा. मैं सोचता हॅूं कि भू-जल स्तर जो नीचे जा रहा है, यह विश्व की एक अनूठी योजना साबित होगी. कई वर्षों से कई दिनों से जो पानी के अपव्यय को रोकने के लिए जल संवर्धन की बात हम कर रहे थे. मध्यप्रदेश की वह सरकार है, जिसने पूरे भारत में पहली बार माइक्रो सिंचाई परियोजना हमने मध्यप्रदेश में प्रारंभ की. देश के प्रधानमंत्री का संकल्प विकसित भारत का वर्ष 2047 का मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में हम पूरा करेंगे.
श्री भंवरसिंह शेखावत - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन आदरणीय श्री तुलसीराम सिलावट जी से है, बहुत अच्छा फ्लो में आपका भाषण चल रहा है. मैं रोकना नहीं चाहता. आप तो इंदौर के नेता है, लीडर हैं, इंदौर की कान नदी के अंदर 2000 करोड़ रुपया तो खर्चा हो चुका है. कान नदी, कान नदी अभी तक नहीं बन पाई है. आप वहां के मंत्री है, प्रभारी मंत्री रहे हैं और अभी भी वहां गंदे नाले की तरह प्रवाहित हो रहा है. जनता दुर्गंध से परेशान है. इस छोटी सी नदी को आप ठीक कर लें, ऐसा मेरा निवेदन है.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, सम्मानित श्री शेखावत जी मैं उसका भी जवाब दूंगा. आप जानते हैं कि माननीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत का संकल्प वर्ष 2047 का.
श्री महेश परमार - अध्यक्ष महोदय, उज्जैन में क्षिप्रा मां को कान नदी दूषित कर रही है. अमावस्या हो, पूर्णिमा हो, मां क्षिप्रा में गंदे पानी में लोगों को स्नान करना पड़ रहा है, वह 10 कि.मी. दूर पड़ोस में है.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, माइक्रो सिंचाई परियोजना में आज मध्यप्रदेश में देश में प्रथम स्थान पर है, मध्यप्रदेश में मोहनपुरा कुंडालिया एवं गरोठ सिंचाई परियोजना की शुरुआत की गई है. मैंने कहा था कि जब हम नहरें और केनाल बनाते थे.
अध्यक्ष महोदय - आप बड़े बड़े प्रोजेक्ट के बारे में बता दें. छोटे प्रोजेक्ट पर मत जाना, लम्बा समय लगेगा.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, मैं बड़े गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि वर्ष 2023 में जल प्रबंधन एवं जल संवर्धन के लिए संपूर्ण देश में उत्कर्ष कार्य हेतु मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय जल अवार्ड से सम्मानित किया गया है. यह है भारतीय जनता पार्टी की सरकार. (मेजों की थपथापहट) आप जानते हैं जल संवर्धन को लेकर देश के तेजस्वी, ओजस्वी प्रधानमंत्री जी ने एक सपना देखा था. आप जानते हैं अमृत सरोवर में मध्यप्रदेश में लगभग 5839 अमृत सरोवर बने हैं, जिस प्रकार से आपने जो पीड़ा तालाबों की व्यक्त की थी, इससे जल स्तर बढ़ेगा, यह भारतीय जनता पार्टी की सोच है. आप जानते है कि देश के प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में एक पेड़ मां के नाम, पूरे राष्ट्र में देश के प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में 141 करोड़ पेड़, एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत लगाये गये हैं और मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में करोड़ों पेड़ लगाये गये हैं और आज भी यह क्रम निरंतर जारी है.
अध्यक्ष महोदय, जल एक महत्वपूर्ण संकल्प है और जितने माननीय सदस्यों ने अपने विचार रखे हैं, उनको जल संसाधन विभाग गंभीरता से विचार करेगा. मैं अध्यक्ष महोदय, आपका कृतज्ञ हूं. इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर जल संवर्धन, जल संरक्षण, जल प्रबंधन पर आपने जो बात की है, वाकई में एक चुनौती भी है. इस चुनौती को भारतीय जनता पार्टी की सरकार स्वीकार करती है और इस दिशा में हम काम भी कर रहे हैं और मैं कहता हूं कि "लहरों के डर से नौका पार नहीं होती और कभी भी कोशिश करने वालों की हार नहीं होती," बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 1 अगस्त, 2025 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
अपराह्न 7.00 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 1 अगस्त, 2025 (10 श्रावण, शक संवत् 1947) को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल ए.पी.सिंह
दिनांक : 31 जुलाई, 2025 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा