मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल,2016 सत्र
गुरूवार, दिनांक 31 मार्च, 2016
(11 चैत्र, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 21 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 31 मार्च, 2016
(11 चैत्र, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
पृच्छा
नियम 139 के अधीन प्रदेश में गंभीर पेयजल संकट व्याप्त होने संबंधी चर्चा की मांग विषयक
उप नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में भीषण पीने के पानी की समस्या है , हमने स्थगन और ध्यानाकर्षण दिया है लेकिन अभी तक सरकार से आपने जवाब नहीं मांगा है. हम चाहते हैं कि प्रश्नकाल के पहले इस गंभीर समस्या पर आपकी व्यवस्था आनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- पहले प्रश्नकाल हो जाने दें.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें मालूम है कि प्रश्नकाल है.लेकिन प्रदेश के 43 जिलों की 286 तहसीलों में भयंकर सूखा पड़ा है, हैंडपंप सूख गये हैं, कुंए, तालाब, नदी सारे सूख गये हैं. लोगों का पलायन हो रहा है. ....व्यवधान...
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष जी, सरकार का जवाब चाहिये तो लंच के बाद दे देंगे. ....व्यवधान...
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आसंदी से व्यवस्था आई थी कि आप इस गंभीर समस्या को 139 के तहत लेने वाले थे. आज हमने जब कार्यसूची देखी तो नियम 139 में दूसरी चर्चा ग्राह्य कर ली गई. सरकार जनहित के मुद्दों से भाग रही है. सरकार जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं कराना चाहती है. सरकार को जनता के हितों से कोई वास्ता नहीं है. अध्यक्ष महोदय आपसे विनम्रतापूर्वक प्रार्थना है ...
श्री आरिफ अकील-- चर्चा मत - पानी दो - पानी दो. ....व्यवधान...
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, हमें उम्मीद थी कि आप नियम 139 के तहत इस गंभीर मुद्दे पर सदन में चर्चा करायेंगे. आज की कार्यसूची में भी वह चर्चा नहीं आई है.
श्री आरिफ अकील -- पानी दो- पानी दो.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया एक मिनिट सुन लें.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष जी हमें उम्मीद थी कि आज की कार्यसूची में यह विषय होगा. लेकिन नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया सुनें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- (विपक्ष के सदस्यों से) अध्यक्ष महोदय खड़े हुये हैं, कुछ तो मर्यादा रखें.
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनिट सुन लीजिये आप.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, इतिहास में पहली बार गंभीर पानी के संकट के कारण जानवर-मवेशी भी पलायन कर रहे हैं. ....व्यवधान...
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष जी, नियम 139 के तहत भी हम लोगों ने आपसे चर्चा कराने का आग्रह किया था अगर आप इस कल भी चर्चा कराने के संबंध में अपनी व्यवस्था दे दें क्योंकि ऐसा अभूतपूर्व जल संकट मध्यप्रदेश के इतिहास में कभी नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय-- आप सुन लें एक मिनिट....व्यवधान...
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, लोगों ने हजारों मवेशी को खुले छोड़ दिया है, जहां जाना हो जाओ, 10-10 किलोमीटर लोग गांव में पानी लेने के लिये जा रहे हैं. आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस पर आप व्यवस्था दें कि कल 139 के तहत आप इस विषय पर सदन में चर्चा करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- सुन तो लें आप. प्रश्नकाल हो जाने दें. संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है कि इसके बाद में शासन जानकारी देगा . आप चाहें तो कक्ष में इस बारे में बात की जा सकती है. ....व्यवधान...
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, कक्ष में चर्चा हो चुकी है. कक्ष में आपने ही कहा था कि 139 में इसको लेंगे. आज की कार्यसूची में दूसरा विषय छपा है.
अध्यक्ष महोदय-- देखिये इस तरह की जिद करना उचित नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय,यह दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रदेश में इस मंच से हम जनहित के मुद्दों को नहीं उठा सकते .
अध्यक्ष महोदय-- इस तरह से जिद करना उचित नहीं है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कम से कम पानी पिलाने की व्यवस्था तो लोगों को करें, प्रदेश की जनता को पानी तो पिलवाये सरकार, आप इस पर व्यवस्था दें, नियम 139 के अंतर्गत आप चर्चा करायें, आपने स्थगन भी दिया है, पूरे प्रदेश में मवेशी को पानी नहीं मिल रहा है....... (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय-- पेयजल समस्या पर अलग-अलग माननीय सदस्यों के 5 ध्यानाकर्षण लगभग ले चुके हैं. ....... (व्यवधान).....
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पर्याप्त नहीं है, मैंने भी ध्यानाकर्षण लगाया था, आपने मुझसे स्वयं स्वीकार किया था कि 139 की चर्चा लेंगे और आपको भी इस बात का अहसास है. प्रदेश में भीषण पेयजल संकट है. ....(व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय-- आपसे बात होने के बाद भी सदस्यों के ध्यानाकर्षण लिये गये, विशेष आग्रह पर, अब उसी विषय पर कितनी बार चर्चा करायेंगे. ....... (व्यवधान).....
श्री सुंदरलाल तिवारी-- इतने भीषण जल संकट के बाद भी सरकार चर्चा के लिये तैयार नहीं है. ....... (व्यवधान).....
डॉ. गोविंद सिंह-- पाइप नहीं पहुंचे जिलों में, हेण्डपम्प सूख चुके हैं. ....... (व्यवधान).....
श्री रामनिवास रावत-- नदी नाले सूख गये हैं, सरकार कोई व्यवस्था नहीं कर रही. ....... (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय-- सरकार कहना चाहती है कुछ, आप सुनना नहीं चाहते.
श्री रामनिवास रावत-- आपने 139 पर दूसरी चर्चा ले ली, पेयजल जैसा मुद्दा जो जनहित का है, वह आपको दिखाई नहीं दिया, आपने स्वयं कहा था.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा अपने स्थान पर खड़े होकर "हमको पानी दो सरकार" के नारे लगाये गये.)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये पानी का संकट है, इन्होंने कहा कि हम जवाब दें, हमनें कहा कि हम जवाब देने को तैयार हैं. जब सरकार जवाब देने को तैयार है तो यह जवाब सुनने को तैयार क्यों नहीं हैं. ....... (व्यवधान).....
श्री रामनिवास रावत-- स्थगन स्वीकार कर लो ....... (व्यवधान).....
श्री सुंदरलाल तिवारी-- स्थगन स्वीकार किया जाये माननीय अध्यक्ष महोदय.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम कह रहे हैं कि यह प्राकृतिक संकट है, पेयजल संकट पर सरकार पूरी मुस्तैदी से काम करने को तैयार है, लेकिन उस पर भी ये सिर्फ राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिये प्रश्नकाल को बाधित कर रहे हैं जो एक निंदा की बात है, आपने कहा कि यह शून्यकाल में चर्चा हो, हम चर्चा को तैयार हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, शून्यकाल में चर्चा करें, (विपक्ष की तरफ इशारा करते हुये) बैठें सीट पर जाकर, क्या प्रश्नकाल में चर्चा हो सकती है इस बात की, किस बात पर चर्चा करना चाहते हैं यह. ....... (व्यवधान)..... राजनैतिक रोटियां सेंकने का काम करते हैं, कभी डंडा लेकर आते हैं, कभी कमंडल लेकर आते हैं. (XXX)....... (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया बैठ जायें. आप गंभीर मान रहे हैं तो बात सुनें जब आप विषय को गंभीर मान रहे हैं तो जवाब सुनिये न सरकार का, 5 काल अटेंशन लिये गये.
डॉ. गोविंद सिंह-- नरोत्तम जी (XXX), जनता को पानी नहीं मिल रहा, जिले में पाइप नहीं है अभी, नट, बोल्ट के बोल्ट नहीं हैं, पानी की व्यवस्था है नहीं, जिलों में एक रूपया नहीं पहुंचा है. ....... (व्यवधान).....
गर्भगृह में प्रवेश
("अब तो पानी दो सरकार" का नारा लगाते हुये इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण गर्भगृह में आये.)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये आप, कृपा करके बैठ जायें. सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित)
(सदन की कार्यवाही 11.08 बजे से 10 मिनट के लिये स्थगित की गई)
समय 11.22 बजे विधान सभा की कार्यवाही पुनः समवेत हुई.
अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा ) पीठासीन हुए.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में भीषण पेयजल संकट है. बहुत दिनों से इस विषय पर कई विधायकों ने ध्यानाकर्षण, स्थगन और नियम 139 की चर्चा की मांग करते रहे हैं. भीषण पेयजल के चलते हुए व्यक्तियों, मवेशियों के लिए पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है. हम सभी विधायकों ने आग्रह किया है. मैं समझता हूं कि नियम 139 पर चर्चा करानी चाहिए. जिससे पूरे प्रदेश में पानी की जो समस्या है, उसकी व्यवस्था सरकार करा सके और प्रदेश की जनता को समस्या से निजात मिल सके. यह हमारे पूरे दल की तरफ से आग्रह है कि इस भीषण समस्या से हम किस तरह से निपटे, जिससे पानी की समस्या हल हो सके. मवेशियों, व्यक्तियों सबको पीने का पानी मिल सके. इस पर चर्चा होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- इस संबंध में शासन का क्या कहना है?
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र)--अध्यक्ष महोदय, सम्मानित नेता प्रतिपक्ष ने जब यह बात कही थी कि शासन का जवाब नहीं आया है. उस समय भी मैंने कहा था कि हम जवाब आज भी देने को तैयार हैं. अध्यक्ष महोदय, विपक्ष की बात हो या सत्ता पक्ष की बात हो. यह सच है कि पेयजल संकट है. लेकिन यह संकट कोई सरकार का दिया हुआ नहीं है. यह प्राकृतिक है और ईश्वर का दिया संकट है. सरकार पूरी मुस्तैदी के साथ. पूरी ताकत, पूरी शिद्दत के साथ, पूरी मेहनत के साथ जनता की सेवा करना चाहती है. जहां तक सम्मानित नेता प्रतिपक्ष का सवाल है, वह चर्चा कराने की बात कर रहे हैं तो यह माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार है और यह कभी चर्चा से भागती नहीं है. मैं इस बात का पक्षधर हूं और हमेशा कहते रहे हैं कि यह फ्लोर हमें चर्चा के लिए मिला है, हल्ला करने को नहीं मिला है. हल्ला सड़क पर हो,चर्चा यहां पर हो. नेता प्रतिपक्षजी जब चाहें...मेरी पूरी बात हो जाने दें.(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- इसमें हल्ला वाली बात कहां से आ गई? (व्यवधान) यह आपत्ति जनक है.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- मेरी पूरी बात होने दें.(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- आप जो कहेंगे वह सुनेंगे. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र-- मेरी बात के बाद बोले ना.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप पहले सुन लें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हम अपनी बात बोलें तो हल्ला. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र-- यह तरीका गलत है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- हम जब समस्या उठायें तो हल्ला(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप चर्चा कराना चाहते हैं या नहीं?
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अगर पानी की बात करें तो हल्ला है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--तिवारीजी, सुन लीजिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, पानी की बात हो या अन्य कोई बात हो, जब जब यहां पर सूखे की बात की गई, पानी की बात की गई या अन्य विषय की बात की गई, सरकार ने कभी चर्चा से पलायन नहीं किया. जैसा नेता प्रतिपक्ष ने कहा है, मेरी गुजारिश है कि नेता प्रतिपक्ष जी जब चाहें, जैसे चाहें, जिस नियम के तहत चाहें उस नियम के तहत चर्चा करें, सरकार जनता की सेवा के लिए पूरी ताकत के साथ तैयार है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी और संसदीय कार्यमंत्री जी, दोनों की बातें मैंने सुनी और आज लंच के बाद अपराह्न में नियम 139 के तहत पेयजल की समस्या पर चर्चा कराई जाएगी. अब प्रश्नकाल चलने दें. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री बाला बच्चन - धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष महोदय.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
दिव्यांगों को उपकरण का प्रदाय
1. ( *क्र. 6764 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना जिले में विकलांगों की संख्या कितनी है, वर्ष 2014-2015 में क्या उक्त लोगों की गणना की गई थी? (ख) उक्त अवधि में कितने विकलांगों को उपकरण, यंत्र जीवन की सुगमता बनाने हेतु कार्यक्रमों में बांटे गये दिनांक, वर्षवार संख्या सहित जानकारी दी जावे? (ग) क्या शासन द्वारा विकलांगों, दिव्यांगों के जीवन को सुगम बनाने हेतु जो योजना चलाई गई है, जिला स्तर पर उनका क्रियान्वयन बहुत ही धीमी गति से किया जाता है? क्यों? (घ) उक्त अवधि में किये गये कार्यक्रमों की विकलांगों को सूचना देने का माध्यम क्या रहा था, क्या उक्त माध्यम से सभी विकलांगों को निश्चित दिनांक पर सूचना प्राप्त हुई थी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) मुरैना जिले में वर्ष 2011-12 में स्पर्श अभियान के अन्तर्गत कराये गये सर्वेक्षण में 10,850 निःशक्तजन चिन्हित किये गये। जी नहीं। (ख) वर्ष 2014-15 में वित्तीय वर्ष के ज्यादातर समय में चुनाव आचार संहिता लागू रहने के कारण कार्यक्रम आयोजित नहीं होने से कृत्रिम अंग/सहायक उपकरण का वितरण नहीं किया गया। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। शासन द्वारा निःशक्तजनों के जीवन को सुगम बनाने हेतु जिला स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन निरन्तर किया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश ‘‘ख‘‘ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहा था, इसमें वर्ष 2011-12 में स्पर्श अभियान के तहत निःशक्तजनों की जो संख्या मुझे प्राप्त हुई है वह 10850 है. मैंने यह जानना चाहा था कि वर्ष 2014-15 में क्या उन लोगों की गणना फिर से की गई तो मुझे जो जवाब मिला है उसमें माननीय मंत्री महोदय ने कहा है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से कार्यक्रम आयोजित नहीं होने के कारण इनकी गणना नहीं हो पाई है. मैं यह चाहता हूं कि इनकी गणना फिर दोबारा से हो जाय क्योंकि बहुत सारे ऐसे निःशक्तजन जो गांवों में निवास करते हैं, वे इस सूची में छूट गये हैं, वे सब लोग इस सूची में आ जाएंगे. दूसरा प्रश्न मेरा माननीय मंत्री महोदय से यह है कि क्या इनके जीवन को सुगम बनाने के लिए सरकार कोई योजना बना रही है? मेरा ऐसा मानना है कि इसके लिए सरकार कोई नयी योजना बनाए क्योंकि वैसे ही जो निःशक्त लोग हैं, उनको 80 प्रतिशत विकलांग होने पर ही उनको पेंशन मिलेगी और उसमें यह भी बाध्यता कर दी गई है कि उनको बीपीएल में होना जरूरी है. अगर इस विषय पर भी माननीय मंत्री महोदय विचार करेंगे तो मुझे लगता है कि ठीक होगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि पिछले वर्ष चुनाव का वातावरण था और आचार संहिता के कारण से यह केम्प नहीं लगाये जा सके थे. लेकिन जो जनसुनवाई कलेक्ट्रेट में होती है, उस दौरान काफी लोगों की मदद की गई. ट्राईसाइकिल दी गईं, केलिपर्स दिये गये, श्रवण यंत्र दिये गये और भी जो उपकरण निःशक्तजनों के लिए लगते हैं वे भी प्रदाय किये गये. अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने इच्छा व्यक्त की है कि इस साल केम्प लगाकर फिर से एक बार निःशक्तजनों का परीक्षण किया जाएगा और उनके प्रमाण पत्र बनाएं जाएंगे और निःशक्तता को दूर करने के लिए उनके लिए जो भी आवश्यक व्यवस्थाएं होंगी, वह की जाएंगी. अध्यक्ष महोदय, इसी साल अप्रैल के महीने में पूरे प्रदेश में केम्प लगाकर फिर से निःशक्तजनों का परीक्षण किया जाएगा और उनके लिए आवश्यक जो सुविधाएं हैं, वह भी उपलब्ध कराई जाएंगी. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री महोदय से एक और प्रश्न है कि इसका प्रचार-प्रसार ठीक तरह से हो जाय. देखने को मिलता है कि प्रचार-प्रसार ठीक न होने के कारण जो विकलांग दूर-दराज में निवास करते हैं उन्हें इन केम्पों का लाभ नहीं मिल पाता है. इनका प्रचार-प्रसार ठीक ढंग से हो जाय.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, पूरे मुक्कमल तरीके से प्रचार-प्रसार किया जाएगा और प्रत्येक घर पर हमारे कर्मचारी जाकर सूचित करेंगे कि ऐसा कोई व्यक्ति जो निःशक्तजन की परिभाषा में आता हो, यदि वह हो तो उस केम्प में वह आए, यह सुनिश्चित करने का काम विभाग ने कर लिया है.
श्री हरदीप सिंह डंग - मंत्री जी , यह 80 प्रतिशत की जगह 40 प्रतिशत किया जाय. यह जो 80 प्रतिशत किया गया है यदि उसको 40 प्रतिशत कर दिया जाता है तो उसे पेंशन की पात्रता आ जाएगी.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना का क्रियान्वयन
2. ( *क्र. 7554 ) श्री मुकेश नायक : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2014-15 तथा अप्रैल, 2015 से दिसम्बर, 2015 के बीच महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के अंतर्गत कितने जॉब कार्डधारियों के द्वारा जिलेवार कितने मानव दिवस श्रम कार्य किये गये और उनको कितनी राशि का भुगतान करना था? जिलेवार जानकारी प्रदान करें। (ख) उपरोक्त में से कितनी राशि का भुगतान किया गया है? यदि मजदूरी की राशि का भुगतान बकाया है, तो कितना है और शेष राशि का भुगतान कब तक करने की योजना है? जानकारी जिलेवार प्रदान करें। (ग) महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय वर्ष 2014-15 तथा अप्रैल, 2015 से दिसम्बर, 2016 तक केन्द्र सरकार से कितनी राशि कब-कब प्राप्त हुई है और यदि शेष है तो उसको प्राप्त करने की क्या योजना बनायी गयी है?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2014-15 तथा अप्रैल, 2015 से दिसम्बर, 2015 के बीच महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत जॉबकार्ड धारियों के द्वारा जिलेवार मानव दिवस श्रम कार्य किये गए और उनको राशि का भुगतान करना था, जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। (ख) उपरोक्त में से की गयी राशि का भुगतान एवं शेष मजदूरी की राशि के भुगतान की जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ग) महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2014-15 में राशि रु. 2451.63 करोड़ प्राप्त हुई माह अप्रैल, 2015 से वर्तमान दिनांक तक भारत सरकार से राशि रु. 2244.75 करोड़ प्राप्त हुई तथा शेष राशि हेतु भारत सरकार को पत्र प्रेषित किये गए हैं, पत्र की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार है।
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, पंचायत मंत्री ने मेरे प्रश्न के उत्तर में बताया है कि वर्ष 2014-15, और वर्ष 2015-16 में क्रमशः 2451.63 करोड़ रुपए और 2244.75 करोड़ रुपए की राशि मध्यप्रदेश की सरकार को प्राप्त हुई है. माननीय मंत्री महोदय से मैं जानना चाहता हूं कि वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-16 में कितनी धनराशि पिछले वर्षों की तुलना में केन्द्र सरकार से कम प्राप्त हुई है?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सूची में उल्लेख हुआ है. वर्ष 2012-13 में कुल भुगतान 2934 करोड़ रुपए हुआ है, वर्ष 2013-14 में 2424 करोड़ रुपए हुआ है, वर्ष 2014-15 में 2710 करोड़ रुपए हुआ है और वर्ष 2015-16 में अभी तक 2265 करोड रुपए हुआ है, इससे आप तुलनात्मक अंदाज कर लेंगे.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय मेरा स्पेसिफिक प्रश्न है. मैंने इसमें कोड किया है कि राज्य सरकार को कितनी कितनी राशि प्राप्त हुई है. मैं स्पेसिफिक मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार ने दोनों वर्षो में कितनी राशि के लिए आग्रह किया था. डिमांड नोट क्या बनाकर भेजा था, और पिछले वर्ष की तुलना में कितनी धन राशि कम प्राप्त हुई है, तब ही इस पर चर्चा हो पायेगी कि मजदूरों का भुगतान कितना कम हुआ है, मजदूरों के कार्य दिवस कितने हैं, जाब कार्ड कितने लोगों के बनाये गये हैं और कितने लोगों को इसमें रोजगार दिया गया है और मध्यप्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर पलायन की स्थिति क्यों है. इसलिए मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि कितने रूपये इस वर्ष और पिछले वर्ष कितने रूपये मध्यप्रदेश की सरकार को केन्द्र सरकार से कम प्राप्त हुए हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय मैं फिर इस बात को दोहरा रहा हूं. 2014-15 में 2491 करोड़, 2015-16 में 2244 करोड़ वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य द्वारा अतिरिक्त राशि, राज्य ने जो राशि खर्च की थी अपने मद से 477 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान राज्य मद से किया गया है. 2015-16 में इस राशि को समायोजित किया गया है और विभिन्न मदों के द्वारा 350 करोड़ रूपये की राशि इस वर्ष मजदूरी के हेड में प्रदाय की है. भारत सरकार की तरफ से हमें आश्वासन मिला है. लगभग 123 करोड़ रूपये की राशि अभी दो दिन पहले हमें भारत सरकार से प्राप्त हुई है, शेष हमारी डिमांड हैं लगभग 1100 करोड़ रूपये की यह डिमांड हमने भेजी हुई है. यह राशि जैसा कि भारत सरकार के वित्त मंत्री जी से, ग्रामीण विकास मंत्री जी से मुख्यमंत्री जी की भी चर्चा हुई है, मेरी भी चर्चा हुई है अगले सप्ताह तक यह राशि हमें देने का वायदा किया है.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है लेकिन मैं इस पर ज्यादा जोर नहीं डालूंगा. मैं यह कहना चाहता हूं कि मैंने बजट के भाषण में यह कहा था कि पिछले वर्ष राज्य सरकार को केन्द्र सरकार से 13 हजार करोड़ रूपये कम मिले हैं, और इस वर्ष 17 हजार करोड़ रूपये कम मिले हैं और वित्त मंत्री जी ने इस पर अपनी सहमति जताई थी. मेरा यह प्रश्न है कि तीन माह से प्रदेश में मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है. मंत्री जी क्या यह बात सही है.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय भारत सरकार का अभी बजट पारित हुआ है, राशि मिलने में कुछ विलंब हुआ है लेकिन हमने राज्य के मद से मजदूरी देने का काम किया है. 123 करोड़ रूपये की राशि हमें परसों प्राप्त हुई है और शेष राशि के लिए जैसा कि मैंने कहा है, हमने पत्र लिखे हैं, प्रत्येक सप्ताह हम पत्र लिख रहे हैं. माननीय मुख्य मंत्री जी पत्र लिख रहे हैं बजट पारित होते ही यह राशि हमें प्राप्त हो जायेगी. यह बात सही है कि कुछ विलंब हुआ है. हमारे काम रूके हुए हैं लेकिन हमें यह आश्वासन प्राप्त हुआ है कि शीघ्रातिशीघ्र भारत सरकार राशि जारी कर देगी.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय 3 माह का समय कम नहीं होता है . मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी यह बतायेंगे कि कितने समय में भुगतान हो जायेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अप्रैल माह में भुगतान हो जायेगा.
प्रश्न संख्या - 3 श्री सतीश मालवीय ( अनुपस्थित )
प्रश्न संख्या - 4 श्री प्रताप सिंह ( अनुपस्थित )
चुटका परमाणु विद्युत गृह निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण
5. ( *क्र. 2515 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिले में चुटका परमाणु विद्युत गृह निर्माण हेतु परियोजना स्थापना, कॉलोनी विकास तथा अन्य कार्यों के निर्माण हेतु परियोजना क्षेत्र से कहाँ-कहाँ से और कितनी जमीन अधिग्रहण की जावेगी, की सूचना कब-कब दी गई थी? (ख) उक्त परियोजना में जमीन अधिग्रहण एवं अवार्ड पास करने के लिये प्रभावित ग्रामों में ग्राम सह ग्राम सभाओं का आयोजन तथा लोगों की सहमति ली गई है? यदि ग्राम सभा आयोजित की गई है तो कब-कब ग्रामसभा आयोजित की गई? (ग) अवार्ड कब घोषित किया गया? अवार्ड घोषित होने के बाद लोग अपने दावे आपत्ति कहाँ दे सकेंगे, जिससे लोगों की आपत्ति का निराकरण हो सके? उक्त परियोजना में विस्थापित लोगों को मुआवज़े का क्या मापदंड होगा तथा जमीन पुनर्वास हेतु क्या मापदंड तय किये गये, विस्थापित लोगों की सहमति एवं उनकी मूलभूत आवश्यकता की जानकारी प्रदान करें।
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) ग्राम चुटका में 111.81 हे., ग्राम टाटीघाट में 26.40 हे., ग्राम कुण्डा में 85.76 हे., ग्राम मानेगांव में 63.24 हे., कुल 287.21 हे., भूमि अधिग्रहीत की गई। भू-अर्जन अधिनियम के प्रावधानानुसार धारा 4 एवं 6 की अधिसूचना का प्रकाशन क्रमशः दिनांक 20.07.2012, एवं दिनांक 05.07.2013 को किया गया है। (ख) जी हाँ। ग्राम चुटका ग्राम पंचायत पाठा दिनांक 16.03.2012 को, ग्राम टाटीघाट में दिनांक 16.03.2012 को, कुण्डा में 17.03.2012 एवं ग्राम मानेगांव में दिनांक 17.03.2012 को ग्राम सभा की बैठक का आयोजन किया गया। (ग) अवार्ड दिनांक 27.6.2015 को एवं संशोधित अवार्ड दिनांक 11.12.2015 को पारित किया गया है। भू-अर्जन अधिनियम 2013 की धारा 51 से 64 के तहत घोषित सक्षम प्राधिकारी को अपील एवं दावे प्रस्तुत किये जा सकेंगे। निर्धारित मापदण्ड अनुसार प्रत्येक विस्थापित परिवार को पाँच लाख रूपये अनुदान, पचास हजार रूपये परिवहन भत्ता, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति के विस्थापित परिवारों को पचास हजार रूपये एकमुश्त अनुदान, कारीगर एवं छोटे व्यापारी एवं अन्य को पच्चीस हजार रूपये प्रति परिवार तथा प्रत्येक परिवार को पचास हजार रूपये, पुनर्व्यवस्थापन भत्ता के मापदण्ड से प्रदान किया गया है। उपरोक्तानुसार निर्धारित मुआवजा भुगतान किया जा चुका है, अतः शेष प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता है।
श्री रामप्यारे कुलस्ते -- अध्यक्ष महोदय मेरा प्रश्न है चुटका परमाणु विद्युत गृह जो कि मण्डला जिले के चुटका नामक ग्राम में प्रस्तावित है उसमें वहां के लोगों के विस्थापन, पुनर्वास, जमीन अधिग्रहण को लेकर जो प्रश्न था उसमें जो जवाब दिया गया है. मुझे जो जवाब मिला है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. इसलिए कि एक तो ग्राम सभाओे के बारे में प्रश्न लगाया था इस प्रश्न के संदर्भ में और ग्राम सभा कब कब आयोजित की गई, लोगों की सहमति असहमति का जो भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत प्रारूप के अनुसार है वह नहीं दी गई है. आवर्ड घोषित किया गया है उसके बाद में दावे आपत्ति की बात थी. अवार्ड घोषित होने के बाद मान लें कि कोई किसान अगर सहमत नहीं है तो अपने दावे आपत्ति कहां दे सकेगा. इसका इसमें उल्लेख नहीं है. आपका संरक्षण चाहिए बहुत गंभीर बात है.
अध्यक्ष महोदय -- आपके उत्तर में दावे आपत्ति के बारे में भी बताया गया है लेकिन माननीय मंत्री जी कुछ कह लें, दोनों के उत्तर उसमें हैं, उसमें ग्राम सभा की तिथि भी दी है, दावे आपत्ति के बारे में भी लिखा है कि सक्षम अधिकारी के समक्ष दिये जायेंगे, सक्षम अधिकारी का नाम जरूर नहीं लिखा है.
श्री रामप्यारे कुलस्ते -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सक्षम अधिकारी को दिए जा सकेंगे परंतु वह सक्षम अधिकारी कौन होगा ?
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने प्रश्न पूछा है, मेरा उनसे आग्रह है कि वहां ग्राम सभाएं हुई हैं और उसकी तारीखें भी आपको उपलब्ध करा दी गई हैं. इसके अलावा आपका दूसरा विषय दावे-आपत्ति के बारे में है तो यह बात सही है कि पुराना जो अधिनियम था उसमें जिला न्यायाधीश सुनवाई करते थे. लेकिन जब नया अधिग्रहण कानून लागू हुआ है तो हमने इसके लिए विधि विभाग को लिख दिया है कि वह तुरंत रिफरेंस के मामलों के लिए जिला जजों की नियुक्ति करे. विधि विभाग द्वारा जल्दी नियुक्ति हो जाएगी तो उनकी विधिवत सुनवाई भी होगी. फिर भी यदि कोई कमी है तो माननीय विधायक जी लिखकर दे दें तो हम वहां के कलेक्टर से कहेंगे कि उनकी सुनवाई करके निराकरण करे.
श्री रामप्यारे कुलस्ते -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें उत्तर में यह कहा गया है कि अवार्ड पास होने के बाद हमने मुआवजा भुगतान कर दिया है, मुझे इसमें असत्य जानकारी दी गई है क्योंकि मुआवजा भुगतान अभी तक नहीं हुआ है. माननीय मंत्री जी ने जैसा अभी कहा कि हम कलेक्टर को सुनवाई के लिए निर्देशित कर देंगे और प्राधिकरण की नियुक्ति के लिए भी उन्होंने आश्वस्त किया है परंतु इसमें एक विषय और आता है कि परियोजना क्षेत्र में जो कुछ मोहल्ले हैं उस सीमा के अंतर्गत उनकी जमीन अधिग्रहण कर ली गई, मकान-दुकान सब कुछ ले लिया गया, पर वहां थोड़ी-बहुत ही जमीन रह गई है और केवल कुछ घर रह गए हैं तो वहां पर आने-जाने की असुविधा होगी, ऐसी स्थिति में मेरा ऐसा मानना था कि चूँकि उनकी जमीन अधिग्रहित कर ली गई है तो उनको विस्थापन की श्रेणी में मानकर पुनर्वास पैकेज दिए जाएं. माननीय मंत्री जी क्या ऐसा करवाएंगे ?
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि जानकारी पहले गलत चली गई थी लेकिन संशोधित उत्तर कल माननीय विधायक जी को दे दिया गया है. अवार्ड पारित किया गया है परंतु राशि नहीं दी गई है. माननीय विधायक जी का दूसरा जो विषय है अगर कोई पीड़ित है तो पीड़ित के लिए हम लोग फिर से परीक्षण कराएंगे और वहां के निवासियों और किसानों को अलग से पैकेज हम लोग दे रहे हैं, विस्थापितों को सरकार द्वारा पूरी सुविधा दी जाएगी.
श्री रामप्यारे कुलस्ते -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद.
मनरेगा योजनांतर्गत नीमच जिले में कराये गये कार्य
6. ( *क्र. 4622 ) श्री कैलाश चावला : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मनरेगा योजनांतर्गत नीमच जिले में वर्ष 2013-14, 2014-15 में कितने कार्य पूर्ण करा लिये गये हैं व भुगतान नहीं हुआ पंचायतवार, कार्यवार, कार्य पूर्ण होने की दिनांक व बकाया राशि बतावें? (ख) भुगतान न किये जाने के क्या कारण हैं?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) मनरेगा योजना अंतर्गत नीमच जिले में वर्ष 2013-14, 2014-15 में 100 कार्य पूर्ण करा लिये गये हैं। पूर्ण कराये गये कार्यों में भुगतान लंबित न होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) उत्तरांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्री कैलाश चावला -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से वर्ष 2013-14 और 2014-15 में मनरेगा योजना के अंतर्गत कितने कार्य पूर्ण हुए और उनके भुगतान के बारे में सवाल किया था जिसके उत्तर में उन्होंने कहा है कि 100 कार्य पूर्ण करा लिए गए हैं. अब नीमच जिले में 300 पंचायतें हैं, 300 में से केवल 100 काम पूरे हुए हैं इसका कारण यह है कि वहां वेल्युएशन नहीं किया जा रहा है और वेल्युएशन न करने के कारण उन कार्यों को पूर्ण मानकर भुगतान नहीं हो रहा है. लगातार सरपंच हमसे संपर्क कर रहे हैं कि हमारा भुगतान नहीं हो रहा है जबकि हमारा काम पूरा हो चुका है तो क्या मंत्री महोदय 15 दिवस में उनके इस वर्ष के भी भुगतान शामिल करते हुए वेल्युएशन पूरा कराएंगे और क्या उनका भुगतान कर दिया जाएगा ?
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने इच्छा व्यक्त की है, 15 दिवस के अंदर पूरा मूल्यांकन करके उसका भुगतान सुनिश्चित कर देंगे.
सहकारी संस्थाओं द्वारा लाभांश का वितरण
7. ( *क्र. 7197 ) श्री माधो सिंह डावर : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अलीराजपुर जिले में वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंकेक्षण अनुसार कितनी सहकारी संस्थाएं लाभ में चल रही हैं? (ख) क्या संस्थाओं के सदस्यों को प्रतिवर्ष लाभांश वितरण करने का प्रावधान है? (ग) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) अनुसार किस-किस संस्था द्वारा सदस्यों को कितना-कितना लाभांश वितरण किया गया? संस्थावार सूची प्रदान करें। (घ) यदि नहीं किया तो कारण बताएं? (ड.) क्या लाभांश का वितरण किया जावेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) 59. (ख) जी हाँ, मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 43 के प्रावधानांतर्गत। (ग) किसी भी संस्था के द्वारा नहीं। (घ) मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 49 (1) के अंतर्गत सहकारी संस्था की आम सभा को इस संबंध में अधिकारिता प्राप्त है। आमसभा द्वारा लाभांश वितरण का निर्णय नहीं लेने के कारण। (ड.) लाभांश वितरण के संबंध में निर्णय लेने की अधिकारिता सहकारी संस्था की आम सभा को ही प्राप्त है। अधिनियम की धारा 43 के प्रावधानों के अंतर्गत संबंधित सहकारी संस्थाओं की आमसभा की बैठक में इस बिन्दु पर विचार कर समुचित निर्णय लेने के लिये निर्देशित किया गया है।
श्री माधो सिंह डावर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा सहकारी संस्थाओं को लाभांश के वितरण से संबंधित प्रश्न पूछा गया था, माननीय मंत्री महोदय ने मेरे प्रश्न के उत्तर में जवाब दिया है कि अलीराजपुर जिले की 59 सोसाइटीज़ लाभ में चल रही हैं परंतु अभी तक लाभांश का वितरण नहीं किया गया है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि सोसाइटी गठन हुए 40 वर्ष से भी अधिक समय हो चुका है लेकिन अभी तक सदस्यों को एक पैसे का भी लाभांश वितरण नहीं किया गया है. जब सोसाइटी लाभ में चल रही है तो उसका वितरण किया जाना चाहिए, यह मेरी मांग है.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ समितियां लाभ में चल रही हैं, कुछ समितियां लाभ में नहीं हैं. इसमें 26 समितियों में 24 समितियां लाभ में ही हैं. उनमें लाभांश वितरित नहीं करने की जो बात कही गयी है. यह जो राशि है जिला सहकारी बैंकों ने सोसायटियों को दे दी थी लेकिन अनेकों सोसायटियां घाटे में चल रही हैं और इस कारण से जो डिविडेंड की राशि सोसायटियों के लिए कृषकों को देना थीं, वह डिविडेंड की राशि नहीं दी है क्योंकि उन्होंने अपने घाटे में उस राशि को समायोजित कर लिया है इस कारण से यह संभव नहीं हो पाया है.
श्री माधो सिंह डावर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अलीराजपुर जिले की क्या सभी सोसायटियां घाटे में लगातार 40 साल से चल रही हैं? यदि घाटे में चल रही हैं तो उसका औचित्य क्या है?
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब एनपीए बढ़ जाता है तो उस समय डिविडेंड देना संभव नहीं होता है. मैं एक बार परीक्षण करा लूंगा कि यदि मान लो कोई ऐसी व्यवस्था होगी तो हम उसको कर देंगे.
श्री माधो सिंह डावर-- धन्यवाद.
पंचायत सचिवों का नियम विरूद्ध निलंबन
8. ( *क्र. 7003 ) श्री मानवेन्द्र सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छतरपुर जिले में वर्ष 2016 (01 जनवरी, 2016) से प्रश्न दिनांक तक में पंचायत सचिवों को निलंबित किया गया है? हाँ, तो उक्त अवधि में निलंबित सचिवों के नाम, ग्राम पंचायत का नाम, जनपद पंचायत क्षेत्र का नाम सहित प्रस्तुत करें? (ख) क्या उक्त सचिवों को निलंबित करने से पूर्व किसी प्रकार का नोटिस अथवा सक्षम अधिकारी के समक्ष में उपस्थित होकर अपना पक्ष समर्थन करने हेतु पत्राचार किया गया है? हाँ, तो उक्त आशय का विवरण प्रस्तुत करें? (ग) प्रश्नांश (क) के उत्तर में प्रस्तुत सचिवों की सूची में से किन-किन सचिवों को शासनादेशों के अनुसार निलंबन से पूर्व सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया है? ऐसे सचिवों का नाम, ग्राम पंचायत का नाम, जनपद पंचायत का नाम उल्लेखित कर स्पष्ट करें कि उक्त निलंबन आदेश शासनादेशों के अनुकूल है या प्रतिकूल? (घ) यदि प्रतिकूल है तो शासन उक्त विसंगतिपूर्ण निलंबन आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के निर्देश जारी करेगा? हाँ, तो कब तक?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। छतरपुर जिले में 15 पंचायत सचिवों को निलंबित किया गया। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ’’ अनुसार। (ख) जी हाँ। उक्त 15 सचिवों में से 06 सचिवों को निलंबन के पूर्व कारण बताओ नोटिस एवं 02 सचिवों को जाँच उपरांत दोषी पाए जाने पर एवं शेष 07 सचिवों को गंभीर अनियमितता के आरोप में प्रथमदृष्टया दोषी पाए जाने पर कलेक्टर छतरपुर के अनुमोदन उपरांत निलंबित किया गया। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब’’ अनुसार। (ग) उत्तरांश ‘क‘ के परिपेक्ष्य में सभी सचिवों का निलंबन शासन आदेशों के अनुसार किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उपरोक्त सचिवों को गंभीर वित्तीय अनियमितता, शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में की गई गंभीर लापरवाही एवं अनुशासनहीनता के आरोपों के तहत् मध्यप्रदेश पंचायत सेवा (ग्राम पंचायत सचिव भर्ती एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम 2011 के नियम 7 के प्रावधानों के तहत् निलंबन किया गया है। आरोप पत्र का जवाब प्राप्त होने के पश्चात जाँच उपरांत गुण दोष के आधार पर निर्णय लिया जाता है। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री मानवेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से प्रश्न किया था कि छतरपुर जिले में 15 सचिवों को निलंबित किया गया था जिसमें 6 सचिवों को नोटिस दिया गया था और 2 दोषी पाये गये थे.बाकी जो 7 सचिव हैं उनको बिना कारण बताओ नोटिस दिये निलंबित किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि क्या इन 7 सचिवों को बिना कारण बताओ नोटिस दिये निलंबित करना उचित था?
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नियमों में प्रावधान है और यदि प्रथमदृष्टया बहुत गंभीर गलती पायी जाती है तो तत्काल निलंबन हो जाता है उसके बाद नोटिस इत्यादि की प्रक्रिया चलती रहती है. यदि प्रभक्षण हुआ है, राशि की गड़बड़ी हुई है, बहुत गंभीर बात सामने आयी है तो जिले के कलेक्टरों और जिला पंचायत सीईओ को यह अधिकार है कि उस कर्मचारी को निलंबित कर दें और बाद में जो भी वैधानिक खानापूर्ति होती है, वह की जाती है.
श्री मानवेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से आपके माध्यम से अनुरोध करुंगा कि जिले में सचिवों की काफी कमी है यदि इस बात का शीघ्र निराकरण करने की व्यवस्था कर दी जाए तो जिले में सारी व्यवस्था काफी सुधर जाएगी.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, परीक्षण करा लेंगे यदि कोई बड़ी गलती नहीं होगी, राशि का गबन या प्रभक्षण नहीं हुआ होगा तो जल्दी से जल्दी उनकी बहाली की कार्यवाही कर देंगे, यदि गंभीर गलती होगी तो फिर उनके विरुद्ध विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी.
श्री मानवेन्द्र सिंह-- बहुत बहुत धन्यवाद.
शासकीय भूमि पर अवैध कब्जों को हटाया जाना
9. ( *क्र. 7620 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला कटनी अंतर्गत सभी जनपद पंचायत, नगर पंचायत एवं नगर निगम की कहाँ-कहाँ पर कितनी कितनी संपत्ति है? सम्पत्तिवार उसका विवरण दें तथा उस पर वर्तमान में काबिजवार कौन है? (ख) उक्त सम्पत्ति पर प्रारंभ से लेकर वर्तमान तक कौन-कौन कितने समय से काबिज हैं तथा कितना राजस्व इनसे प्राप्त हो रहा है? (ग) उक्त सम्पत्ति के संबंध में शासन के क्या निर्देश हैं? क्या शासन निर्देशों का उक्त सम्पत्ति के संबंध में पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो पालन न करवाये जाने का क्या कारण है? (घ) क्या उक्त सम्पत्तियों पर किन्हीं के द्वारा अवैध कब्जा किया गया है? यदि हाँ, तो किसके द्वारा? अब तक उन पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? क्या अवैध कब्जे हटाये जावेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? (ड.) अवैध कब्जों को हटाये जाने के संबंध में कितने प्रकरण संबंधित पक्षकार द्वारा शासन की प्रश्नांश (क) में उल्लेखित संस्थाओं द्वारा न्यायालय में कब-कब दायर किये गये हैं? उन प्रकरणों के निपटारे हेतु शासन द्वारा क्या सक्षम प्रयास किये गये?
कुंवर सौरभ सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से प्रश्न किया था कि कटनी जिले में राजस्व विभाग की कितनी शासकीय सम्पत्ति है और कौन कौन, कब कब से काबिज है, इस संबंध में शासन के क्या निर्देश हैं और कब्जा हटाने के लिए क्या कर रहे हैं. इसमें माननीय मंत्री जी की तरफ से जो उत्तर आया है, उसमें आपको अधिकारी गुमराह कर रहे हैं. मैं बताना चाहता हूँ कि बड़वारा जनपद में ग्राम भजिया में शुक्ला सागर तालाब को भरकर उसमें दुकानें बनाकर बेच दी गयी हैं. रुपौंद में मूर्तही तालाब, वर्ष 2007-08 में मनरेगा के माध्यम से एक बड़ा तालाब बना था, इसको अवैध रुप से बिड़ला प्लांट को दे दिया गया, आज वहां पर प्लांट खड़ा है. बहौरीबंद जनपद में खास बहौरीबंद में सामुदायिक भवन भगवानदास रजक के कब्जे में है,सामुदायिक भवन बहौरीबंद में राजेन्द्र यादव के कब्जे में हैं. सामुदायिक भवन, सिंगइया टोला रीठी में डॉ. निशांत के कब्जे में हैं. प्राथमिक शाला रीठी में सिद्धांत बर्मन के कब्जे में है.जो जानकारी दी है, परिशिष्ट तीन में, पेज नं 598 में होटल सम्राट के विषय में लिखा गया है कि लीज 8.8.15 को समाप्त हो गयी और इसको इसलिए रोक के रखा गया है कि अभी तक परिषद की बैठक नहीं हुई. पिछले 6-7 माह में परिषद की बैठक नहीं हुई है, माननीय मंत्री जी, अधिकारी आपको गुमराह कर रहे हैं. मेरा प्रश्न यह है कि जो शासकीय जमीन है, जिन पर लोग काबिज हैं, पूरी शासकीय सम्पत्ति में वहां के लोकल अधिकारी उस पर रुचि नहीं ले रहे हैं तो क्या एक दल बनाकर, उस दल से उन शासकीय सम्पत्तियों को खाली कराया जायेगा?
श्री रामपाल सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पंचायत स्थावर संपत्ति का अंतरण अधिनियम 1994 के अंतर्गत प्रकरण होते हैं तो यह पंचायत विभाग उसका निराकरण करता है और इसी तरह से नगरपालिक अधिनियम 1956 के अंतर्गत संपत्ति अंतरण नियम 1994 प्रभावशील है, यह नगरपालिका और जिला पंचायत अधिनियम के तहत जो उनको अधिकार दिये हैं, संपत्ति का संचालन-संधारण करने के, अतिक्रमण हटाने के और माननीय सदस्य ने जो जानकारी चाही थी वह हमने उपलब्ध करा दी है. मेरा आपसे आग्रह है कि इस तरह शालाओं के अतिक्रमण का मामला है और जो आपने बातें बताई हैं,उसमें कुछ तो हमने आपको जानकारी दे दी कि हाँ है. लेकिन फिर भी माननीय अध्यक्ष महोदय, पंचायत विभाग या नगरीय प्रशासन विभाग को मूल रूप से यह कार्य करना चाहिए लेकिन माननीय विधायक जी ने जो बातें ध्यान में लाई है कि कहीं गड़बड़ी है तो निश्चित रूप से वह लिखकर दे दें हम उसकी निष्पक्ष जांच करा लेंगे.
कुँवर सौरभ सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह उनका कार्य है पर वह अपने कार्य का निष्पादन नहीं कर रहे हैं जो कार्यों का निष्पादन नहीं होता है वही तो हम सदन में आपके पास लेकर आते हैं. इसमें कटनी जिले में अलग से एक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए . बहुत सी सरकारी संपत्ति है, जिस पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है इनमें कोई गरीब नहीं हैं , दबंग और पैसे वाले लोग हैं और यह नियम विरुद्ध उस जमीन पर काबिज है. मेरा निवेदन है कि शासकीय संपत्तियों पर सरकार और जनता का पैसा खर्चा हुआ है इसलिए कटनी जिले में व्यवस्था बन जाये कि वहाँ जो भी शासकीय जमीनों और शासकीय संपत्तियों पर लोग काबिज है, उसके लिए एक समिति बन जाये और वह समिति इन पर एक बार निगरानी करे चूंकि संबंधित विभाग कार्यवाही कर रहे होते तो हमारे पास इतना बड़ा पुलिंदा नहीं आता और इसमें भी लगभग सारी जानकारी भ्रामक है.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं आपको निवेदन करूं कि कल रोहाणी जी मुझसे कर्ज माफ करा रहे थे. आज माननीय सदस्य नगरीय प्रशासन मंत्री जी से से पूछ सकते थे लेकिन मेरे ऊपर अति कृपा है, मेरे ऊपर उन्होंने भरोसा किया है तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सरकारी जमीन का जो भी दुरुपयोग कर रहे होंगे उस पर सख्त कार्यवाही हम कराएंगे.
कुंवर सौरभ सिंह-- धन्यवाद मंत्री जी.
कृषि व्यवस्थापन भूमि का विक्रय
10. ( *क्र. 5053 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम कृपालपुर तहसील रघुराजनगर की आराजी नं. 1285/1 रकबा 15.14 एकड़ के अंश भाग तीन एकड़ दिनबंधा तनय बोडई चमार एवं छोटवा तनय डेलिया चमार निवासी कृपालपुर को दो एकड़ कलेक्टर सतना के आदेश प्र.क्र. 2अ19/74-75 दिनांक 12/07/1977 द्वारा कृषि हेतु व्यवस्थापन में दी गई थी? उक्त भूमि को तत्कालीन कलेक्टर सतना श्री जे.एल. बोस के प्र.क्र. 31अ19/80-81 के द्वारा एक वर्ष की अस्थाई लीज़ पर दिनबंधा एवं बोड्डा चमार को दी गई थी? उक्त लीज़ की अवधि किस आदेश के अंतर्गत बढ़ाई गई थी? (ख) तहसीलदार रघुराजनगर सतना के प्र.क्र. 17ए,6ए/2008/09 आदेश दिनांक 19/01/2009 के द्वारा प्रश्नांश (क) में वर्णित भूमि जो एक वर्षीय लीज़ पर कलेक्टर द्वारा कृषि कार्य हेतु दिनबंधा एवं बोड्डा चमार को दी गई थी, को तत्कालीन कलेक्टर जे.एल. बोस के द्वारा स्वीकृत एक वर्ष की अवधि किस अधिकारी द्वारा किस आदेश से बढ़ाई गई, इसकी विवेचना न करते हुए दिनबंधा एवं बोड्डा को लीज़ में स्वीकृत हुई आराजी पाँच एकड़ त्रुटि सुधार का आदेश देकर मुन्ना चमार तनय दीनबंधु चमार के नाम कर दिया? बोड्डा चमार के नाम की विवेचना ही नहीं की गई? क्या तहसीलदार द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने हेतु शासन की बेशकीमती भूमि अनाधिकृत खसरा के कालम नं. तीन में सुधार करा दिया? (ग) क्या प्रश्नांश (क) एवं (ख) में वर्णित आराजी का आदेश दिनांक 19/01/2009 के बाद राजस्व अमले द्वारा तत्काल इत्तलाबी करना, ऋण पुस्तिका जारी करना तथा रजिस्ट्रार सतना द्वारा दिनांक 23/01/2009 को मुन्ना चमार द्वारा 35 लाख रू. में आनंद सिंह तथा विनया सिंह को चार दिन के अंदर बेच दी गई? यदि हाँ, तो क्या कृषि हेतु व्यवस्थापन भूमि को शासन के नियमानुसार विक्रय किया जा सकता है? यदि नहीं, तो उक्त प्रकरण में कलेक्टर सतना द्वारा दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (घ) खसरा पंचशाला 2015-16 में आराजी नं. 1285/1क रकबा 5.318 हेक्टेयर म.प्र. शासन दर्ज का उल्लेख है तो प्रश्नांश (क), (ख), (ग) में वर्णित भूमि का स्टेटस क्या है?
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने मेरे प्रश्नों के जो उत्तर दिये हैं पहली बात तो एक लाइन में जवाब दे दिया गया था. उसके बाद रात को 12 बजे प्रश्न का संशोधित उत्तर मुझे प्राप्त हुआ. 25 दिन पहले प्रश्न लगाये जाते हैं, 25 दिनों में जवाब नहीं आ पाता है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका उत्तर तो आ गया है आप प्रश्न पूछें.
श्रीमती ऊषा चौधरी--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यही है कि जब सतना जिले में कृपालपुर की आरजी नंबर थी उनमें जांच हो गई और 28 तारीख को माननीय कलेक्टर साहब ने सतना जिले में कार्ययोजना की मीटिंग में भी इस बात को कहा, माननीय सदस्य नारायण त्रिपाठी जी और माननीय सदस्य यादवेंद्र सिंह जी भी उस मीटिंग में थे,कि उक्त जमीन को शून्य घोषित करके सरकारी कर दी गई है फिर उन दोषियों को अभी तक अपराधी घोषित क्यों नहीं किया गया, उन्हें बचाने का काम क्यों किया जा रहा है.
श्री रामपाल सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 15 एकड़ जमीन थी, 5 एकड़ पट्टे रिकार्ड दुरुस्त करने की जो शिकायत थी उसमें गड़बड़ी की गई है, उसमें हम लोग कार्यवाही कर रहे हैं और जिन्होंने गड़बड़ी की है उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सब स्पष्ट हो गया है जिन दोषी अधिकारियों ने इन जमीनों को खुर्द-बुर्द किया है, यह तो 16 एकड़ जमीन है. मेरा कहना है कि 16 एकड़ ही नहीं बल्कि सतना जिले की रघुराजनगर तहसील 150 एकड़ जमीन है और जिन अधिकारी कर्मचारी ने, उसमें बड़े बड़े एसडीएम और तहसीलदार हैं, इनको मगरमच्छों को बचाने का काम किया जा रहा है करोड़ों –अरबों की जमीन बेच ली गई है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सब कुछ स्पष्ट हो गया है जानकारी में आ गया है तो आज तक उनके ऊपर मुकदमा क्यों नहीं कायम किया जा रहा है, उनको बचाने का काम क्यों किया जा रहा है , मेरा यही अनुरोध है. आप सदन में घोषणा करें और जांच कमेटी राज्य सरकार द्वारा तय की जाये , सतना पर मुझे भरोसा नहीं है.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस समय के जो तत्कालीन अधिकारी है, इनके समय में यह जमीन संबंधी भ्रष्टाचार हुआ है मैं मांग करता हूं कि इन्हें तुरंत निलंबित किया जाये, दंडित किया जाये.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से शासकीय भूमि का अगर मध्यप्रदेश में कही दुरुपयोग हो रहा है और ऐसी बात माननीय विधायक ध्यान में लाएंगे तो उनको मैं धन्यवाद देता हूं और उनको आपके माध्यम से पूरा विश्वास दिलाता हूं कि इस पर हम लोग सख्त कार्यवाही करेंगे और जिन्होंने भी गड़बड़ी की है उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही हम करेंगे.
बी.आर.जी.एफ. योजनातर्गत कराये गये कार्य
11. ( *क्र. 7719 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आयुक्त पंचायत राज संचालनालय मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा अपने पत्र क्रमांक 1527/पं.राज/बी.आर.जी.एफ./2016 भोपाल दिनांक 09.02.2016 से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत राजगढ़ को उनके पत्र क्रमांक 1484, दिनांक 06.02.2016 में प्रस्तावित तालिका के कार्य क्रमांक 1, 2, 6 एवं 9 को बी.आर.जी.एफ. योजना की शेष उपलब्ध राशि से कराये जाने हेतु अनुमति प्रदान कर संचालनालय को अंतरित शेष राशि रू. 159.00 लाख जिले के बी.आर.जी.एफ. योजनांतर्गत संचालित खाते में अंतरित की गई तथा शेष कार्य क्रमांक 3, 4, 5, 7, 8, 10, 11 एवं 12 कुल 8 कार्यों का विधिवत प्रस्ताव तैयार कर कार्य की लागत प्रस्तावित मद/योजना आदि की जानकारी सहित पूर्ण प्रस्ताव शासन के निर्णय हेतु पंचायत राज संचालनालय को प्रस्तुत करने हेतु दिनांक 11.02.2016 तक कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो उपरोक्तानुसार जिले के बी.आर.जी.एफ. योजनांतर्गत संचालित खाते में संचालनालय द्वारा राशि अंतरित कर दी गई है? यदि हाँ, तो दिनांक सहित बतावें? यदि नहीं, तो कब तक राशि अंतरित की जावेगी तथा क्या शेष 8 कार्यों के विधिवत पूर्ण प्रस्ताव जिला पंचायत राजगढ़ द्वारा शासन के निर्णय हेतु पंचायत राज संचालनालय को निर्धारित तिथि को पहुंचा दिये गये हैं? यदि हाँ, तो शेष 8 कार्यों की स्वीकृति कब तक प्रदान कर दी जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार। (ख) जी हाँ। दिनांक 09.03.2016 को राशि हस्तांतरित की जा चुकी है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार। जी नहीं। जिला पंचायत से प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुए हैं, कार्यवाही जिला पंचायत स्तर पर प्रचलित है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ अनुसार। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री नारायण सिंह पँवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा में मैंने 12 महत्वपूर्ण पुलियाओं के लिए लिख करके निवेदन किया था जो ग्रामीण क्षेत्र में बहुत आवश्यक मार्गों पर स्थित हैं. माननीय मंत्री जी ने 4 पुलियाओं की स्वीकृति उसमें बी आर जी एफ योजना से कर दी है. शेष 8 पुलियाओं के लिए पंचायत राज संचालनालय को लिखा था. 7 फरवरी 2015 को मेरे प्रश्न के उत्तर में यह कहा गया था कि 15 दिवस के अन्दर इसका एस्टीमेट मंगा लेंगे. लेकिन आज दिनाँक तक भी उसका एस्टीमेट प्राप्त नहीं हुआ है और कार्यवाही जिला पंचायत में प्रचलित है ऐसा जवाब दिया है. मैं जानना चाहता हूँ कि यह कार्यवाही कब तक प्रचलित रहेगी? 2-3 महीने हो गए. माननीय मंत्री जी बताएँ कि कब तक इसको पूरा करा लेंगे और पुलियाओं की स्वीकृति प्रदान कर देंगे?
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य को जानकारी है कि भारत सरकार के द्वारा यह बेक्वर्ड रीजन ग्रांट फण्ड योजना (बी आर जी एफ) है. यह बंद कर दी गई है. बंद करने के बाद में जो राशि जिले में जमा थी उस राशि के द्वारा हमने जो भी काम जिला योजना समिति ने स्वीकृत किए थे. वह काम हमने करवाने का निर्देश दिया था. उनमें से 5 काम यह स्वीकृत हो गए हैं और जिन पुलियाओं के काम अभी नहीं हुए हैं और जो शेष राशि वहाँ बी आर जी एफ की जमा होगी उसके माध्यम से या फिर सी एम जी एस वाय या किसी अन्य योजना के माध्यम से वह काम करवा लेंगे.
श्री नारायण सिंह पँवार-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि जो शेष राशि बी आर जी एफ की जिले में बच रही है क्या उसी राशि से इन पुलियाओं को स्वीकृत कर देंगे?
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा या तो उस राशि से क्योंकि वह राशि पूरे जिले की होती है. एक विधान सभा क्षेत्र की नहीं होती है. यदि अन्य विधान सभा क्षेत्रों में भी कार्य लंबित होंगे तो हो सकता है कि उनमें भी आवश्यकता के अनुसार देना पड़े तो उस राशि से भी या फिर अन्य जो भी राशि हमें हमारे विभाग से उपलब्ध हो सकेगी. उससे हम पुलिया बनाने का काम करेंगे.
श्री नारायण सिंह पँवार-- धन्यवाद.
प्रश्न संख्या-- 12 (अनुपस्थित)
शौचालय निर्माण में अनियमितता
13. ( *क्र. 3560 ) श्री रामकिशन पटेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा चलाई जा रही शौचालय निर्माण की योजना किस वर्ष से एवं किन-किन नामों से प्रारंभ की गई? योजनावार, वर्षवार जानकारी देवें। क्या एक ही परिवार को एक ही शौचालय पर अलग-अलग नामों की योजना से लाभ दिया जाने का प्रावधान है? यदि नहीं, तो योजना प्रारंभ से प्रश्न दिनांक तक रायसेन जिले में कितने परिवारों को इन योजनाओं का लाभ दिया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में एक से अधिक बार एक ही शौचालय निर्माण पर अलग-अलग योजनाओं से लाभ नहीं दिया जाता है तो उक्त योजनाओं में लाभ देने वाले शासकीय सेवक पर क्या कोई कार्यवाही करने की शासन की योजना है? यदि हाँ, तो कब तक कार्यवाही की जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) शासन द्वारा शौचालय निर्माण हेतु वर्ष 1999-2000 से समग्र स्वच्छता अभियान, 01-4-2012 से निर्मल भारत अभियान एवं 02-10-2014 से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) संचालित किया जा रहा है। जी नहीं। रायसेन जिले में अलग-अलग योजना के नामों से एक ही परिवार को शौचालय का लाभ नहीं दिया गया है। रायसेन जिले में योजना प्रारंभ से प्रश्न दिनांक तक 142573 परिवारों को लाभ दिया गया है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री रामकिशन पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री महोदय से क और ख के प्रश्न में जानकारी चाही थी जो पूर्णतः सत्य नहीं है. रायसेन जिले के मेरे विधान सभा क्षेत्र उदयपुरा में, उदयपुरा ब्लाक और बाड़ी ब्लाक में 2012 में निर्मल ग्राम के द्वारा जो शौचालय बनाए गए हैं. उनकी मैं जाँच चाहता हूँ क्योंकि वे बने ही नहीं हैं और व्यक्तियों के नाम से लिस्ट तैयार की गई है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, जैसा सदस्य ने अवगत कराया है कि बने ही नहीं हैं और राशि का भुगतान हो चुका है तो हम भोपाल से एक वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर जाँच करा लेंगे, कार्यवाही करेंगे.
श्री रामकिशन पटेल-- बहुत बहुत धन्यवाद.
व्यवसायिक दुकानों की नीलामी
14. ( *क्र. 5900 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र के साईखेड़ा जो पूर्व में ग्राम पंचायत था, उसमें सन् 2003 से 2005 एवं 2011 से 2013 तक कितनी व्यवसायिक दुकानों का निर्माण कर नीलाम कराई गई? (ख) क्या इन दुकानों के लिए समय पर विभाग द्वारा विधिवत कार्यवाही करके भूमि का विधिवत आवंटन विभाग द्वारा पंचायत को किया गया है? (ग) क्या विभाग द्वारा निर्धारित राशि भू-भाटक एवं प्रीमियम पंचायत द्वारा जमा कराया गया। यदि नहीं, तो क्यों तथा इस हेतु शासन द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (घ) क्या दुकानों का निर्माण विधिवत कार्यवाही पूर्ण कर कराया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? यह अवैध नहीं कहलायेगा? क्या इस हेतु तत्कालीन सरपंच पर उचित दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) इसमें विभिन्न भू-भाटक प्रीमियम की कितनी राशि पंचायत पर लंबित है, उसकी वसूली हेतु विभाग क्या कार्यवाही करेगा तथा जिन सरपंचों ने धोखाधड़ी की है, उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराई जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? क्या इस बेशकीमती भूमि से अतिक्रमण हटाया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) :
श्री गोविन्द सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मैंने प्रश्न में जवाब मांगा था मतलब जो जमीन कोई पंचायत या आवासीय, व्यावसायिक उपयोग के लिए राजस्व विभाग से लेती है तो भूमि का आवंटन होता है. भू-भाटक, प्रीमियम वगैरह जमा करके विधिवत होता है. लेकिन 1995 से लेकर 2015 तक साईखेड़ा ग्राम पंचायत में कम से कम 200 दुकानें नियम विरुद्ध बनाई गई हैं, जिनमें न भूमि आवंटन हुआ, न भू-भाटक जमा हुआ, न प्रीमियम जमा हुई, तो पहले जो जवाब सिर्फ मेरा 2011-13 का दिया तो मैं मंत्री महोदय से चाहता हूँ कि 1995 से 2015 तक किसी सक्षम अधिकारी से, कलेक्टर, अपर कलेक्टर, इनसे जाँच कराकर इतनी दुकानें ऐसी नियम विरुद्ध बनी हैं, जिनमें कोई भी भूमि का आवंटन नहीं है और पंचायतों ने मनमाना पैसा, सरपंचों ने अपने जेब में रख लिया है और वे किराया वसूली कर रहे हैं. उनकी किसी सक्षम अधिकारी से जाँच कराएँगे क्या?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न यहाँ रखा है. वास्तव में हम देख रहे हैं कि पंचायत, स्थानीय निकाय, राजस्व विभाग की जमीन पर बगैर बताए कुछ भी बना लेते हैं, यह आपत्तिजनक है, उनको विधिवत अनुमति लेना चाहिए. जैसी माननीय विधायक जी जाँच की मांग कर रहे हैं 1995 से, अगर बगैर अनुमति के राजस्व विभाग की जमीन पर उन्होंने निर्माण किया है तो उसकी जाँच हम कलेक्टर से कराएँगे और जिन्होंने गड़बड़ी की है उनके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे.
श्री गोविन्द सिंह पटेल--अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि चार कार्यकाल सरपंचों के निकल गये हैं उन सरपंचों ने भू-भाटक प्रीमियम का करोड़ों रुपये का चूना सरकार को लगाया है और अपनी जेब भी भरी है. क्या उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जायेगी और भू-भाटक या प्रीमियम की राशि जिस समय से पेंडिंग है क्या उन पंचायतों से वसूल की जायेगी ?
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्व से संबंधित प्रश्न कल भी आये थे आज भी आये हैं सौरभ सिंह जी ने भी पूछा था आप भी पंचायत में चले गये ऐसे में मैं अतिक्रमण करुंगा तो भार्गव जी को कष्ट हो जायेगा. आप सरपंचों के खिलाफ कार्यवाही की बात कर रहे हैं तो इसमें भार्गव जी की भी सहमति रहेगी. जांच का आप कह रहे हैं तो हम जांच भी करायेंगे और जांच के बाद ही तय होगा कि गड़बड़ी किसने की है. नियमों का उल्लंघन करके अगर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया है तो अतिक्रमण का केस भी बनायेंगे और जो राशि राजस्व विभाग की होगी उसे वसूलने का काम भी करेंगे.
श्री गोविन्द सिंह पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, अंतिम प्रश्न मेरा यह है कि जिन दुकानों का विधिवत् निर्माण नहीं हुआ है इसमें दुकानदारों की कोई गलती नहीं है. सरपंच ने अपनी जेब भरी है और विधिवत् काम नहीं कराया है. सरकार कह रही है, मुख्यमंत्रीजी कह रहे हैं और मंत्रीजी आप भी कह रहे हैं. जो बर्षों से काबिज हैं अभी तो उन्होंने टीन-टप्पर की झोपड़ी बना ली है और उनसे पैसे ले रहे हैं क्या उनको पट्टे देंगे और पंचायत जो वसूली कर रही है उससे उनको बेदखल करेंगे. उनको पट्टे मिल जायें और वे अपनी दुकान चलायें क्या मंत्रीजी ऐसा निर्णय करेंगे ?
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके गुस्से की पंचायतों पर ज्यादा झलक आ रही है. माननीय भार्गवजी से आप संपर्क कर सकते हैं उसमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मेरा निवेदन यह है कि सरकार नीति बना रही है वर्षों से जो काबिज हैं उनके लिए हम नियम बना रहे हैं. आप लिखेंगे तो भविष्य में उनके लिए प्रावधान रखा है.
अध्यक्ष महोदय--पंचायत मंत्रीजी कुछ कह रहे हैं आपकी समस्या का शायद समाधान मिल जाये.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां एक कहावत है "सबई भूमि गोपाल की" (हंसी)
श्री बाबूलाल गौर--यह कह रहे हैं सबई भूमि गोपाल की है, लेकिन गोपाल भार्गव की नहीं है. (हंसी)
श्री गोविन्द सिंह पटेल--बिना भूमि आवंटन के ऐसे निर्माण न हों इसके लिए कोई कार्यवाही करेंगे क्या ? विधिवत प्रीमियम या भू-भाटक जमा करके निर्माण हो इसके लिये पंचायत विभाग या आपका विभाग कार्यवाही करेगा क्या ? ऐसी घटनायें बहुत हो रही हैं.
श्री रामनिवास रावत--सभी नियम गोपाल के.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय विधायकजी की चिन्ता है वह निश्चित रुप से शासन के हित में है हम ऐसे निर्देश जारी करेंगे कि विधिवत् कार्यवाही करके निर्माण कार्य करें. यह आपत्तिजनक बात है इस पर हम कार्यवाही करेंगे.
श्री गोविन्द सिंह पटेल--धन्यवाद मंत्रीजी.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनांतर्गत मार्ग निर्माण
15. ( *क्र. 7842 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या डिण्डोरी जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क का निर्माण अमानक स्तर का हुआ है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो समनापुर से नोंदर, बजाग सेजल्दा रुसा से गोपालपुर गोरखपुर से गोथलपुर, जाड़ा सुरुंग से गोपालपुर डिण्डोरी अझवार से उदरी, चौरा दादर से कबीर चबूतरा, घाटा से बोना, सरवर टोल से चौरा दादर, लातरम से घुरकुटा आदि मार्ग क्यों जर्जर स्थिति में हैं। (ख) इसके लिए जिम्मेदार कौन है? मार्ग का निर्माण अच्छी तरह से हो इसके लिए कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी नहीं। प्रश्नांश में उल्लेखित सड़कों का निर्माण कार्य गुणवत्ता पूर्ण कराया गया था, जिनका निर्माणाधीन अवधि में निर्माण के विभिन्न स्तरों पर राष्ट्रीय गुणवत्ता नियंत्रक/राज्य गुणवत्ता नियंत्रक द्वारा गुणवत्ता परीक्षण किया गया एवं कार्यों की गुणवत्ता को संतोषप्रद श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था। गारंटी अवधि में संबंधित ठेकेदार द्वारा सामयिक रख-रखाव नहीं करने के कारण उक्त सड़कों में से 5 सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं, जिस पर विभाग द्वारा संबंधित ठेकेदारों के विरूद्ध की गई कार्यवाही का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेष सड़कों की स्थिति संतोषप्रद है एवं आवागमन सुचारू रूप से हो रहा है। (ख) उत्तरांश (क) के प्रकाश में 5 सड़कों के क्षतिग्रस्त होने का कारण संबंधित ठेकेदारों द्वारा सामयिक रख रखाव नहीं कराया जाना है, जिस पर विभागीय अधिकारियों द्वारा अनुबंधानुसार कार्यवाही की गयी है। अतः उक्त 5 सड़कों के क्षतिग्रस्त होने के लिये संबंधित ठेकेदार उत्तरदायी है। गुणवत्ता के अनुरूप कार्य कराये जाने का दायित्व प्रत्यक्ष रूप से निर्माण कार्य से संबंधित इकाई के महाप्रबंधक/सहायक प्रबंधक/उपयंत्री/कन्सलटेन्ट एवं ठेकेदार का है।
श्री ओमकार सिंह मरकाम--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने उत्तर दिया है कि ठेकेदार के द्वारा रख-रखाव न करने से सड़क खराब हुई है. मैं मंत्रीजी से निवेदन करना चाहता हूँ आप जो सड़क बनाते हैं वह ओजीपीसी की डीपीआर के जो नार्म्स हैं उसके आधार पर 8 टन की क्षमता की सड़क बनाते हैं. वहां पर 15, 20, 30, 40 टन को जंगल के जो लट्ठे की निकासी होती है. मैं मात्र दो प्रश्न करुंगा. यह सड़क ठेकेदार के रख-रखाव के कारण खराब नहीं हुई है जो ओव्हरलोडिंग के वाहन चलते हैं उससे खराब हुई है आप ओजीपीसी के नार्म्स से सड़क बनाते हैं क्या उसको आप डीबीएम नार्म्स में बनायेंगे तभी हमारे यहां की सड़क ठीक रह पायेगी अन्यथा जंगल में पर्वत है विन्ध्यांचल है प्रतिवर्ष वहां लट्ठा निकासी होना है आपकी सड़क खराब होना ही है. मैं चाहता हूँ कि आपकी सड़क ओजीपीसी है उसे आप डीबीएम में क्रश बिल्डअप करके 200 एम एम डामर की थिकनेस है उसको 50 एमएम करके 20 एमएम सिल्क कोट वाली सड़क बनाने के लिए आप अनुमति देंगे क्या ?
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी यह सड़क गारंटी पीरियड में है इसकी जिम्मेदारी 2016 के अंत तक ठेकेदार की है कि वह इस सड़क के मेंटेनेंस का काम वह करे. इसके बाद वहां भारी परिवहन होता है उस दृष्टि से विचार करके इस सड़क की स्ट्रेंथिंग का काम करने के ऊपर विचार करेंगे, योजना बनायेंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से अनुरोध कर रहा हूँ कि वहां पर ठेकेदार इसका रख-रखाव नहीं कर पायेगा. जो ठेकेदार रख-रखाव कर रहा है उसका बिल भी आपके विभाग से नहीं दिया जा रहा है. वह रोड ठीक-ठाक रहे इसके लिये आपका निर्देश हो और मौके के निरीक्षण के लिए आप अपने स्तर से मेरी उपस्थिति में क्या उसके रख-रखाव के लिए जांच करायेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि पांच वर्ष की गारंटी की अवधि है जैसे ही पूरी होती है इसके बाद में उस सड़क के और ज्यादा सुदृढी़करण और ज्यादा स्ट्रेंथिंग का काम हम लोग करने पर विचार करेंगे, माननीय विधायक जी से भी सलाह ले लेंगे.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
नियम 267-क के अधीन सूचनाएं
अध्यक्ष महोदय:- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. डॉ राजेन्द्र कुमार पाण्डेय
2. श्री दुर्गालाल विजय
3.श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा
4.श्री रामनिवास रावत
5. श्री शैलेन्द्र पटेल
6. श्री कमलेश्वर पटेल
7. श्री रणजीत सिंह गुणवान
8. श्री मानवेन्द्र सिंह
9. श्री शकंरलाल तिवारी
10. श्री हजारीलाल दांगी
अध्यक्ष महोदय :- अब कुछ नहीं कृपया सहयोग करें.
डॉ गोविन्द सिंह :- अध्यक्ष महोदय, कल आपने अपने कक्ष में शून्यकाल में विषय उठाने के लिये कहा था. आपने कहा थी कि परमीशन देंगे.
अध्यक्ष महोदय:- मैंने कल कहां कहा था.
डॉ गोविन्द सिंह:- कल आपने अपने चेम्बर में कहा था कि हम ध्यानाकर्षण उठा लें तो आपने कहा था कि शून्यकाल में अपना विषय उठा लें.
अध्यक्ष महोदय :- ठीक है, कल कहा था तो डॉ गोविन्द सिंह जी को अनुमति है. आप लोग बैठ जाईये. क्या हो रहा है कि जो माननीय सदस्य मेहनत करके लिखकर देते हैं, उनको अवसर नहीं मिलता है, उनके नाम पढ़ देते हैं. जो माननीय सदस्य मेहनत नहीं करते हैं, वह यहां आकर के सीधे बोल देते हैं. वह अपनी बात कह देते हैं तो यह बात उचित नहीं है. कभी कभार कोई बहुत इमरजेंसी हो, कोई ऐसा विषय हो जिसको तत्काल उठाना पड़े तो बात अलग है नहीं तो इसमें वो डिस्हार्टन होंगे जो सचमुच मेहनत कर रहे हैं और समय के अनुसार अपनी बात लिखकर के दे रहे हैं. इसलिये इस तरह से इस परमंपरा को चलने नहीं दिया जायेगा. सिर्फ डॉ गोविन्द सिंह को अनुमति दी जायेगी, क्योंकि उन्होंने कहा कि मैंने कल कह दिया था सिर्फ इसलिये. इसमें और कोई नाम नहीं है, वह कल की बात है वह लेप्स हो गयी है.
डॉ गोविन्द सिंह :- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन का जो मंत्रालय है, वहां पर भ्रष्टाचार की तमाम फाईलें जला दी गयी हैं. कई लोगों का स्वेच्छानुदान स्वीकृत हो चुका था. उनका स्वेच्छानुदान जो पीडि़त लोग है उन तक नहीं पहुंच पाया है. यह लगातार प्रदेश में हो रही हैं, जैसे कृषि विभाग, पी एच ई और अन्य विभागों में हो रही है. हमारा शासन से अनुरोध है कि कम से कम जो जनहित के मामले हैं उनकी फाईलें सुरक्षित रखें, वह न जलें और जो पीडि़त लोग जो इस सहायता से वंचित रहे हैं,उनके दस्तावेज पुन: बुलाकर उन्हें पुन: सहायता दिलायी जाये. भविष्य में जो भ्रष्टाचार बचाने का काम किया जा रहा है, वह न किया जाये.
अध्यक्ष महोदय:-आप वरिष्ठ सदस्य हैं. मैं आपको मना करना नहीं चाहता, किन्तु यह परमंपरा ठीक नहीं है. आप सभी लोग कृपया सहयोग करें.
श्री जितू पटवारी :- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है. अगर आप एक मिनिट बोलने देगें तो ठीक रहेगा.
अध्यक्ष महोदय:- आप की जो भी बात है वह लिखकर दे दीजिये.
पत्रों का पटल पर रखा जाना
क. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल (म.प्र) 43 वां वार्षिक प्रतिवेदनप्रतिवेदन वर्ष 2014-2015
ख. जीवाजी विश्वविद्यालयविश्वविद्यालय,ग्वालियर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14
12.04 बजे ध्यानाकर्षण
श्री निशंक कुमार जैन :- (x x x)
अध्यक्ष महोदय :- यह कुछ भी रिकार्ड में नहीं आयेगा. पं.रमेश दुबे अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़े. इसके अलावा कुछ भी रिकार्ड में नहीं आयेगा. आप सभी लोग सहयोग करें ध्यानाकर्षण महत्वपूर्ण होते हैं.
श्री जितू पटवारी:- (x x x)
श्री मुकेश नायक :- (x x x)
श्री निशंक कुमार जैन :- (x x x)
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आपका जो भी मुद्दा है, आप नियम से उठाईयें. आप सभी लोग बैठ जाईये. अब सिर्फ पं.रमेश दुबे का ही लिखा जायेगा.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - वरिष्ठ सदस्यों को नहीं बोलना चाहिये. उनको सब नियम मालुम हैं. यह नियम राज्य विधान सभा का नहीं है. श्री रमेश दुबे को बोलने दें.
(1) पेंच व्यपवर्तन परियोजना के बांध निर्माण में मजदूर की मिट्टी में दबकर मौत होने
पं.रमेश दुबे(चौरई) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
जल संसाधन मंत्री(श्री जयंत मलैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा वक्तव्य निम्नानुसार है :-
पेंच परियोजना के मिट्टी के बांध का निर्माण कार्य मेसर्स एच.ई.एस.इंफ्रा प्रायवेट लिमिटेड,हैदराबाद द्वारा किया जा रहा है. दिनांक 9 एवं 10 मार्च,2016 की दरम्यानी रात को श्री जयराम पिता श्री बुद्धू मेश्राम,निवासी, बावनपाड़ा की मिट्टी में दबने से मृत्यु होने की दुर्घटना हुई है. मृतक का भाई श्री आसाराम लगभग दो वर्षों से बांध निर्माण कार्य में ठेकेदार के श्रमिक के रूप में कार्यरत् था.दुर्घटना के दिन आसाराम ने उसकी पत्नि के अस्पताल में भर्ती होने के कारण उसके छोटे भाई जयराम को उसके एवज में कार्य पर पहली बार भेजा. कार्य के दौरान श्रमिक श्री जयराम कार्यस्थल पर सो गया. जो डोजर से मिट्टी डालने और फैलाते समय डोजर चालक श्री मोहम्मद नसीफ उर्फ सितारे तथा अन्य कार्यरत् श्रमिकों तथा कर्मचारियों को नहीं देखा.परिणाम स्वरूप सोते हुए श्रमिक श्री जयराम की मिट्टी में दबने से मृत्यु हो गई. इस दुर्घटना पर दिनांक 10.3.2016 को थाना चौरई,जिला छिंदवाड़ा में डोजर चालक श्री मोहम्मद नसीफ उर्फ सितारे के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. निर्माण एजेंसी मेसर्स एच.ई.एस.इंफ्रा प्रायवेट लिमिटेड,हैदराबाद ने मृतक श्री जयराम को रुपये पांच लाख की तात्कालिक सहायता बैंक आफ बड़ौदा शाखा छिंदवाड़ा के चेक से दिनांक 11 मार्च,2016 को प्रदान की गई है. मध्यप्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की योजना के अंतर्गत मृतक श्री जयराम को एक लाख रुपये की सहायता राशि के साथ-साथ तीन हजार रुपये की अंत्येष्टि सहायता राशि स्वीकृत की गई है. यद्यपि मृतक का परिवार पेंच परियोजना से विस्थापित नहीं हो रहा था. मानवीय सहानुभूति के आधार पर मृतक के परिवार को आदर्श पुनर्वास स्थल तूमड़ा में एक आवासीय भूखण्ड दिया गया है. कलेक्टर छिंदवाड़ा ने मृतक के परिवार के खेत में नलकूप खनन करने हेतु कृषि विभाग की योजना के तहत् स्वीकृति देने के निर्देश भी जारी किये हैं. दुर्घटना अत्यंत दुखद है और भविष्य में दुर्घटना न हो इसका पुख्ता इंतजाम किया जायेगा.
पं.रमेश दुबे - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय मंत्री जी कह रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि जब यह नाला क्लोजर का काम प्रारंभ हुआ था और जब चौबीस घंटे नाला क्लोजर का काम चल रहा है तो इस प्रकार की लापरवाही कंपनी के द्वारा या विभाग के द्वारा कैसे की जा रही है. वास्तविक रूप से यदि विभाग के द्वारा वहां पर काम चल रहा था तो वहां लाईटिंग की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं थी और लाईटिंग की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण कहीं न कहीं विभाग की भी लापरवाही थी. विभाग की भी नाला क्लोजर के समय महत्वपूर्ण भूमिका होती है वहां उनके जो कर्मचारी,अधिकारियों को भी उपस्थित रहना चाहिये. मुझे लगता है वे भी वहां उपस्थित नहीं थे और इस कारण इतनी बड़ी घटना घटी.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करें. सारी बातें आ गई हैं.
पं.रमेश दुबे - जब सुबह वहां मजदूर कचरा बीनने गये तो मृतक की उंगली को कचरा समझा तब वह निकला. इसमें विभाग की लापरवाही है. विभाग के लोगों पर भी कार्यवाही होनी चाहिये ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों.
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, इस प्रकरण की विवेचना पुलिस द्वारा हो रही है. जहां तक पं.रमेश दुबे जी ने यह बात उठाई है. उस समय वहां पर पर्याप्त मात्रा में लाईट थी और आज भी वहां लाईट की पूरी व्यवस्था है.
(2) शहडोल-बजाग-पडरिया सड़क निर्माण में मुरम की अवैध खुदाई किये जाने से
उत्पन्न स्थिति
श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डोरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक निर्माण मंत्री(श्री सरताज सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने इस बात को स्वीकार किया है कि वहां मिट्टी नाला किनारे खोदी गई है. आपको जितनी मिट्टी की आवश्यक्ता है विभाग द्वारा उतनी मिट्टी खोदी गई है परन्तु मैं यह कहना चाहता हूं कि सड़क बनने के बाद जो गढ्ढे 20-30 फिट के हो गये हैं. ग्राम भुरसी,आमाडोंगरी,सिंगारसक्ती में, घोबदपुर में,आमाडोंगरी के टिकराटोली में तो मंत्री जी आप उच्चाधिकारियों से हमारी उपस्थिति में जहां-जहां गढ्ढे हैं उसकी जांच कराकर उन गढ्ढों को भरने के लिये कोई आज घोषणा करेंगे ?
श्री सरताज सिंह - माननीय विधायक जी मुझसे मिले थे. अधिकारी भी उपस्थित थे और इसमें निर्णय किया गया है कि जो गढ्ढे हैं उनको जेसीबी से बराबर कर दिया जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आप जेसीबी से बराबर गढ्ढे कराएंगे लेकिन वहां मेरी उपस्थिति में आपके अधिकारी मौके पर जाकर गढ्ढे देख लें और उसमें अधिकारियों का निर्देश हो जाये. आवश्यकता के अनुसार गांव वालों की उपस्थिति में किस तरह गढ्ढे ठीक किये जायें. इसके लिये आप अधिकारियों को हमारी उपस्थिति में अधिकारियों को गढ्ढों को भरने के निर्देश देंगे ?
श्री सरताज सिंह - जैसा मैंने कहा कि इसको जेसीबी से लेबल कराया जायेगा और इस काम को देखने के लिये जब हमारे अधिकारी जायेंगे तो उनको कहा जायेगा कि माननीय विधायक जी से संपर्क कर लें और उनके सामने देख लें.
श्री जालमसिंह पटेल (नरसिंहपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री लाल सिंह आर्य, नगरीय विकास एवं पर्यावरण(राज्यमंत्री )---माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री जालमसिंह पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, करेली नगर-पालिका में जैसा कि बताया गया है कि वर्तमान में निकाय में जल-संकट नहीं है, फिर यह योजना क्यों लायी जा रही है.
अध्यक्ष महोदय--आप तो सीधा प्रश्न योजना के संबंध में कर लीजिये.
श्री जालम सिंह पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी और लगभग 18 माह हो गए हैं, पहली बार निविदा हुई, फिर दूसरी बार निविदा हुई, जिसके कम रेट थे उसको न देकर ज्यादा रेट वाली कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्था को टेण्डर दे दिया । वर्तमान में जिस प्रकार से वहां पानी का संकट है और नगर पालिका के जो अध्यक्ष हैं, उनकी मिली भगत से भी वहां बहुत सारी समस्या पैदा की गई हैं । नगर पालिका द्वारा द्वितीय निविदा स्वीकृत की गई है, क्या उस निविदा की जानकारी मंत्री महोदय और प्रमुख सचिव को है ?
अध्यक्ष महोदय- आपका प्रश्न क्या है ?
श्री जालम सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि नगर पालिका द्वारा जो द्वितीय निविदा स्वीकृत की गई है, क्या मंत्री महोदय और प्रमुख सचिव को उसकी जानकारी है ? क्या उसकी अनुमति इनसे ली गई थी ?
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन ने मुख्य अभियंता के माध्यम से 3.3.2015 को पत्र जारी किया था, इसमें दो कार्य हैं, एक लाइन बिछाने का काम है और दूसरा इन्टेकवेल बनाने का काम है । दोनों काम यदि अलग अलग करते हैं तो अनुभव यह रहा है कि योजना ठीक ढंग से फलीभूत नहीं होती है, इसलिए शासन ने मुख्य अभियंता के माध्यम से आदेश जारी किए हैं कि दोनों को सम्मिलित करके निविदा आमंत्रित की जाए और उसी आधार पर नगर पालिका ने निविदा आमंत्रित की है । माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 मार्च को उसका वर्क आर्डर भी जारी कर दिया गया है ।
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि ......
अध्यक्ष महोदय- अब तो वर्क आर्डर ही हो गया है ।
श्री जालम सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, दूसरी निविदा जिसको मिली है, जिसको ठेका मिला है, जो दस्तावेज हैं, वह टेण्डर लेने के लिए अधिकृत नहीं है और वह टेण्डर लेने की योग्यता नहीं रखता है, इसमें संचालनालय नगरीय प्रशासन का एक हवाला देता हूं कि कार्यादेश जारी करने के पूर्व मूल दस्तावेज की, संस्था की जांच निकाय स्तर पर सुनिश्चित की जाए, क्या यह सुनिश्चित किया गया है ? दूसरा निवेदन यह है कि दूसरी बार निविदा बुलाई गई है, पहली निविदा में यह लागू नहीं था, जिसको नाम दिया गया है......
अध्यक्ष महोदय- आप उत्तर ले ले, माननीय मंत्री जी ।
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य क्या चाहते हैं ।
अध्यक्ष महोदय- उनका कहना है कि जो निविदा स्वीकृत की गई है, वह नियमानुकूल है कि नहीं ?
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो निविदाएं स्वीकृत होती हैं, वह नियमानुसार ही होती हैं ।
श्री जालम सिंह पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निेवदन है कि जो दूसरी एजेंसी है, जो ठेकेदार है, वह उसकी योग्यता नहीं रखता है ।
अध्यक्ष महोदय- आपके पास कोई जानकारी है तो आप मंत्री जी को उपलब्ध करा दीजिए, मंत्री जी उसका परीक्षण करा लेंगे ।
श्री जालम सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि जो जलयोजना वहां स्वीकृत की गई है, उसमें व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है, हमारी सरकार अच्छा काम करना चाह रही है पर नीचे स्तर पर उसको गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है ।
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी को आप जानकारी उपलब्ध करा दें ।
श्री जालम सिंह पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां के जो सीएमओ हैं, अध्यक्ष हैं और प्रदेश के इएनसी की मिली भगत से यह भ्रष्टाचार हुआ है, मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इसकी जांच करा लें और सीएमओ को और बाकी लोगों को निलंबित करने की कार्यवाही करेंगे, इसके बाद जांच करा लें ।
श्री लालसिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन स्तर पर वृहद समिति है जिसके द्वारा दस्तावेजों की जांच की जाती है, माननीय सदस्य ने शासन पर आरोप लगाया है और प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया है, मैं आपको संतुष्ट करना चाहता हूं, एक महीने के अंदर हम यहां से जांच करा लेंगे और उसमें जो भी दोषी होगा उसके विरूद्व कार्यवाही करेंगे ।
श्री जालम सिंह पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीएमओ को हटाकार या सस्पेंड करके, वही अधिकारी रहेंगे तो फिर जांच कैसे होगी ?
अध्यक्ष महोदय- वह आपकी बात मान रहे हैं, अब आप बैठ जाइए ।
12.25 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
(4) सिवनी जिले में शासकीय योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को
न मिलने विषयक्.
श्री दिनेश राय (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय,
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री दिनेश राय - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरे तीनों मामले थे. गरीबी रेखा के कार्ड में चाहे वह जन-सुनवाई हो, चाहे 181 हो, चाहे सी.एम. हेल्पलाईन पर शिकायत हो- इनका वास्तव में निराकरण नहीं होता है. मैं आपके माध्यम से, मंत्री जी से निवेदन करता हूँ कि हमारे यहां 3-3, 4-4 बार महिला-पुरुष लगातार जन-सुनवाई में भी शिकायत करते हैं और अपने आवेदन-पत्र देते हैं. लेकिन पटवारी एवं तहसीलदार अपने ऑफिस में बैठकर ही निराकरण कर देते हैं. स्थल नहीं जाते हैं, किसी भी हालत में स्थल नहीं जाते हैं.
मेरा आपसे आग्रह है कि आप स्थल निरीक्षण जरूर करायें. इसके लिए कोई कमेटी या कुछ ऐसा बना दें कि गांव के ऐसे 5 से 6 प्रबुद्ध लोग उसमें रहें, जो यह निर्णय (डिसाईड) करें कि वास्तव में यह गरीब है. वह पटवारी है और वहां आकर करे. मैं पूरे गांव की लिस्ट लेकर आया हूँ, जिनके लगातार आवेदन देने के बाद भी उनको गरीबी रेखा के कार्ड नहीं बन रहे हैं. मेरे पास जन-सुनवाई में भी लोग आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधे प्रश्न कर दें.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, एक तो मैं चाहता हूं कि वे अपने कार्यालय में बैठकर पट्टा एवं गरीबी रेखा के कार्ड की कार्यवाही करते हैं. मेरा निवेदन है कि वे यह स्थल पर जाकर करें. इसका निरीक्षण जरुर करवा लें. जांच करवा लें, कमेटी बना लें. दूसरा, आपने कहा कि पेंशन उनको प्रति माह मिल रही है. लेकिन 6-6,8-8 माह से उनको पेंशन नहीं मिली है. कुछ जगह तो एक एक साल से पेंशन नहीं मिली है. मैं उनकी लिस्ट लाया हूं. आपको बता देता हूं, क्योंकि आपको विभाग ने जानकारी अपूर्ण दी है. सचिव, सहायक सचिव इनका कहना है कि हमको अभी तक बजट नहीं आया है. आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है. दूसरा, उनके द्वारा सही बैंक खाते ऑन लाइन पोर्टल में दर्ज नहीं होते. ..
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया प्रश्न कर दें.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, उसी से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय -- संबंधित है, लेकिन सीधा पाइंटेड प्रश्न करिये.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, उनके द्वारा सही बैंक खाते ऑन लाइन पोर्टल में दर्ज नहीं किया गया है. , कर्मचारियों ने एकाउंट का सही क्रियान्वयन नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय -- अगर आप इतना लम्बा बोलेंगे, तो उत्तर कैसे आयेगा.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने क्रियान्वयन नहीं किया है, जिसके कारण लोगों को पेंशन नहीं मिल रही है. असत्य जानकारी आ रही है.
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न पूछिये.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा ही प्रश्न पूछ रहा हूं कि हितग्राहियों को अभी तक, आज तक पेंशन की राशि प्राप्त नहीं हुई है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मुझे यह जानकारी दी गई है कि सिवनी जिले में फरवरी माह तक की पेंशन का भुगतान कर दिया गया है. यदि कहीं किसी ग्राम पंचायत या नगरीय निकाय में पेंशन नहीं मिली हो, तो उसके बारे में माननीय सदस्य लिख कर दे दें, हम वहां पर पेंशन देना सुनिश्चित कर देंगे. दूसरी बात मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि यह शिकायत कई जगह से आ रही है कि समय पर पेंशन नहीं मिली. हमने इसमें बहुत ज्यादा सुधार करने का काम किया है. मुख्यमंत्री जी का भी निर्देश है और सभी लोगों की चिंता है कि समय पर पेंशन मिलना चाहिये. तो एक प्रयोग यह भी चल रहा है कि जहां से गरीब लोग राशन प्राप्त करते हैं, वहां से ही पेंशन की व्यवस्था, हम वहां की मशीनों का उपयोग करके उससे करने लगें. यह व्यवस्था एकाध महीने के अंदर पूरी की पूरी सुचारु रुप से और बगैर किसी त्रुटि के पूर्ण कर ली जायेगी. शासन की पूरी चिंता है कि यह जल्दी से जल्दी समय पर हो और उसके बाद भी यदि यह संभव नहीं होगा, तो हम सीधा पंचायतों के माध्यम से या नगरीय निकायों के माध्यम से सीधा नगद राशि देकर के और हम पेंशन की व्यवस्था दिलवाने का काम करेंगे. जहां तक मेरा विचार है कि यदि एकाउंट में पैसा जमा होगा, तो उसमें पारदर्शिता रहेगी, गड़बड़ी नहीं होगी, कहीं कहीं गड़बड़ी की शिकायतें आती हैं और इसी कारण से विलम्ब हो रहा है. अब हमने यह भी तय किया है कि यदि समय पर पेंशन नहीं मिलती है, तो जिला पंचायत के जो अधिकारी हैं उनका, जनपद के जो अधिकारी हैं उनका या नगरीय निकायों के जो अधिकारी हैं उनका सीधा उत्तरदायित्व तय करके और उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी. आवश्यकता होगी तो निलंबन की कार्यवाही हम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, अभी तो पट्टा वाला और रह गया. उसमें तीनों चीजें थीं.
अध्यक्ष महोदय -- तीन नहीं, प्रश्न तो एक ही पूछ सकते हैं. ध्यान आकर्षण में एक ही प्रश्न पूछ सकते हैं. चलिये, एक प्रश्न और पूछ लीजिये.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, अभी गरीबी रेखा और पेंशन की बात आई है. पट्टे का भी ध्यान आकर्षण में है.
अध्यक्ष महोदय -- एक ही प्रश्न में इकट्ठा पूछ लीजिये.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, पट्टे में भी पटवारी वही प्रक्रिया कर रहे हैं. वे स्थल निरीक्षण नहीं करते हैं. तो मेरा आपसे आग्रह है कि आप गरीबी रेखा के कार्ड, पेंशन और पट्टा, इसके लिये किसी और विभाग को सुपुर्द कर दीजिये. क्योंकि पटवारी,तहसीलदार निरीक्षण बिलकुल नहीं कर रहे हैं. जन सुनवाई जब कलेक्टर के यहां करते हैं, तो 200 आते हैं और निराकरण कर देते हैं, विभाग को देख करके. सिर्फ कहकर निराकरण कर देते हैं, लेकिन स्थल पर उसका निराकरण नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठें, समस्या का हल तो सुन लीजिये. मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को और सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि जिस विषय के बारे में, पेंशन के बारे में, पट्टे के बारे में और भी अन्य विषयों के बारे में माननीय सदस्य चर्चा कर रहे हैं, उसकी अप्रैल के माह में समग्र रुप से पूरे प्रदेश में एक विस्तारित अभियान चलाकर 3 दिन की ग्राम सभा लगाकर के, ग्रामीण क्षेत्रों में हम पूरा का पूरा सर्वे करवा रहे हैं. मध्यप्रदेश में एक भी आदमी, एक भी व्यक्ति जो पात्र है, वह नहीं छूटना चाहिये, इस बात को अप्रैल के माह में मध्यप्रदेश सरकार सुनिश्चित करने जा रही है, अम्बेडकर जयंती के साथ में हम यह कार्यक्रम शुरु कर रहे हैं. इस कारण से मैं यह कह सकता हूं कि एक महीने के बाद शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति पात्र मिले, जो इससे वंचित रह जाये.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, अगर मंत्री जी कर लेंगे, तो उसके लिये मेरा धन्यवाद है. मंत्री जी अगर अप्रैल माह में यह कर देंगे, तो मैं उनको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- दिनेश जी, बैठ जायें.
12.33 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति
याचिका समिति का तैंतीसवां प्रतिवेदन
श्री केदारनाथ शुक्ल (सभापति) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, याचिका समिति का तैंतीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
12.34 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में उल्लेखित याचिकाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
12.35 बजे. शासकीय विधि विषयक कार्य
1.
मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन)विधेयक, 2016
राज्य मंत्री,सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री लालसिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूं.
2.
मध्यप्रदेश उपकर(संशोधन) विधेयक, 2016
वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, (डॉ.गौरीशंकर शेजवार के बैठे बैठे हंसने पर ) क्यों डॉक्टर साहब क्यों हंसी आ रही है. अध्यक्ष महोदय, शेजवार साहब कुछ बोल नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) विधेयक, 2016 पर अपने विचार रखें.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, वो हंस रहे हैं. बाघिन मर रही है, शावक मर रहे हैं, और शेजवार साहब यहां पर हंस रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह विषय इस समय कहां है. उप कर में यह विषय है क्या. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) विधेयक, 2016 जो विचार के लिये यहां पर प्रस्तुत किया गया है. इसका मैं पुरजौर विरोध करता हूं. अध्यक्ष महोदय, विरोध करने का कारण भी है. पहले भी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और रोजगार उपलब्ध कराने के लिये, सरकार के द्वारा दान पर, रजिस्ट्री पर, लिखित पर आप रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था के तहत किसी भी रजिस्ट्री पर सरकार ढाई प्रतिशत का कर लेती थी और वह उप कर पंचायत विभाग को जाता था. पहले से ही सरकार ने रजिस्ट्री के रेट बढ़ा दिये, रजिस्ट्री की वेल्यू भी बढ़ा दी, इसके बाद सरकार ढाई प्रतिशत के स्थान पर सीधा 10 प्रतिशत मतलब चार गुना आप कर बढ़ाने जा रहे हैं, केवल यह बात कहकर कि" उपकर के आगम, ग्रामीण विकास विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों की अधोसंरचना के अनुरक्षण के लिये उपयोजित किए जाएंगें. " माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके पहले भी ढाई प्रतिशत कर मिलता था तो पहले आपने कितना उपायोजित किया . इसको भी आप स्पष्ट करें.(वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया द्वारा बैठे बैठे बोलने पर कि आप तो बोलें) मैं तो बोल ही रहा हूं. टेक्स आपको लगाना है, आप पूरी जनता को टेक्स के भार से इतना दबा रहे हैं कि जनता त्राहि-त्राहि कर रही है और जनता की समस्या आपको दिखाई नहीं दे रही है. सब चीजों के नाम पर टेक्स वसूल किया जा रहा है. विद्यालयों की व्यवस्था के नाम पर टेक्स, स्वच्छता कर के नाम पर केन्द्र सरकार का टेक्स, विकास के लिये एक्साइज ड्यूटी टेक्स, कितने टेक्स आपने बढ़ा दिया और इस टेक्स से जो ग्रामीण क्षेत्र का रहने वाला किसान है, आम जनता है वह आज भी सूखे से पीड़ित है. फसल हुई नहीं है, कोई क्रय-विक्रय करना चाहता है, तो इस तरह से आप टेक्स बढ़ाते गये तो क्रय विक्रय करने वालों की संख्या में भी कमी आयेगी. और आई भी है कल ही ई-स्टाम्प में भोपाल में सर्वर डाउन होने के कारण 31 करोड़ रूपये की इनकम सरकार की मारी गई है. राजस्व कर आपको नहीं मिल पाया है, तो प्रदेश में यह स्थिति है. टेक्स बढ़ाने से विकास नहीं होगा, टेक्स में मिलने वाले पैसे को किस तरह से खर्च किया जाये, किस काम में खर्च किया जाये, मैं समझता हूं कि आपने विद्यालय की अघोसंरचना विकास के अनुरक्षण की जो बात कही है , केवल अनुरक्षण की बात कही है, अनुरक्षण केवल मरम्मत कहा जाता है, क्या आप इसके लिये नये काम भी ले सकते हैं, क्या इसमें आप वाउन्ड्रीवाल भी ले सकते हैं, पूरे प्रदेश में न तो विद्यालयों के लिये भूमि आरक्षित है, कहीं भी विद्यालय बन रहे हैं, कभी भी एक अतिरिक्त कक्ष यदि स्वीकृत हो गया तो वह 1 किलोमीटर दूर बन रहा है, यदि दूसरा अतिरिक्त कक्ष स्वीकृत हो गया तो वह तीसरी जगह बन रहा है. यह स्थिति प्रदेश में है. इसलिये वित्त मंत्री जी सबसे पहले तो आप इस प्रदेश में यह व्यवस्था करें कि प्रदेश के पूरे ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों के लिये राजस्व विभाग से भूमि आरक्षित करायें, उनको फिर सुरक्षित करें, तब आपके स्कूलों के अधोसंरचना विकास की बात करेंगे. आपके टीचर नहीं हैं, और चार गुना टैक्स बढा दिया. पहले 2.5 प्रतिशत उपकर जो आप लेते थे उसको सीधा-सीधा 10 प्रतिशत कर रहे हैं, मैं समझता हूं कि यह कतई उचित नहीं है. किसी भी टैक्स को 20 प्रतिशत, 30 प्रतिशत, 40 प्रतिशत, 50 प्रतिशत बढ़ाया जाता है, आप सीधी-सीधा 4 गुना बढ़ाकर के क्या संदेश देना चाहते हो प्रदेश की जनता को, प्रदेश की जनता से क्या चाहते हो, पूरी सरकार को चलाने का भार प्रदेश की जनता पर ही आप डालना चाहते हो. माननीय अध्यक्ष महोदय यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, मैं इस संशोधन विधेयक का विरोध करता हूं और माननीय मंत्री और सरकार के सभी मंत्रियों से निवेदन करूंगा, आग्रह करूंगा कि इसको बढ़ा दें, लेकिन 4 गुना नहीं, इसमें कहीं न कहीं कमी करके ढाई प्रतिशत से 10 प्रतिशत किया है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- केलकूलेशन तो कर लें.
श्री रामनिवास रावत-- ढाई प्रतिशत से 10 प्रतिशत किया जाये, यही तो है इसमें, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूं और माननीय मंत्री जी से उम्मीद करूंगा कि इसको 10 प्रतिशत के स्थान पर कम रखें जिससे प्रदेश की जनता पर बोझ न पड़े.
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब तक विक्रय पत्र, दान पत्र, भोग बंधक तथा 30 वर्ष एवं उससे अधिक अवधि के पट्टे के दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क का ढाई प्रतिशत उपकर लिया जाता है. इस राशि का उपयोग ग्रामीण विकास तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिये किया जाता है. जैसा माननीय रावत जी ने जानना चाहा था, वर्ष 2014-15 में इस विभाग को उपकर से लगभग 68 करोड़ रूपये के राजस्व की प्राप्ति हुई है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा उपकर को प्रभार्य स्टाम्प शुल्क की राशि का 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है, इससे उपकर के रूप में लगभग 200 करोड़ रूपये की अतिरिक्त राशि प्राप्त होना संभावित है, जिसका ग्रामीण विकास में अतिरिक्त रूप से उपयोग किया जा सकेगा. अत: इन दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क की राशि का 2.5 प्रतिशत के स्थान पर 10 प्रतिशत उपकर किये जाने का प्रस्ताव किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं जैसा कि अभी माननीय रावत साहब ने जिक्र किया है, ग्रामीण क्षेत्र के अंदर जो देय शुल्क होता है, मैं एक उदाहरण के तौर पर निवेदन करना चाहता हूं अगर कोई संपत्ति, भूमि, कुछ भी 10 लाख रूपये की है तो उस पर स्टाम्प शुल्क 5 प्रतिशत होता है, 1 प्रतिशत पंचायत शुल्क होता है और जो उपकर होता है, जो उपकर हमने लगाया है, यह उपकर स्टाम्प शुल्क के मूल्य के ऊपर होता है, जो बहुत कम होता है इससे आप समझें कि हमने 2.5 से बढ़ाकर इसको 10 प्रतिशत किया है तो पहले यह जो 1250 रूपये था अब वह 5 हजार रूपये हुआ और 10 लाख रूपये की सम्पत्ति के ऊपर मात्र 3750 रूपये की राशि बढ़ती है, ज्यादा राशि नहीं है इसमें. अध्यक्ष महोदय मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) अधिनियम 1981 (क्रमांक 1 सन् 1982) की धारा 9 (6) के स्थान पर निम्नलिखित भाग स्थापित किया जाये, अर्थात 6 उपकर के आगम ग्रामीण विकास विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों की अधोसंरचना के अनुरक्षण के लिये उपायोजित किया जाये.
श्री रामनिवास रावत-- यह तो प्रस्तुत ही कर दिया है, इसको पढ़ने की जरूरत नहीं है.
श्री जयंत मलैया-- जी, अत: यह विधेयक प्रस्तुत है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खंड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियम सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियम सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) विधेयक,2016 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) विधेयक,2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश उपकर (संशोधन) विधेयक,2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
नियम 52 के अधीन आधे घंटे की चर्चा
अध्यक्ष महोदय-- श्री रमेश मैन्दोला...(अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय--विधानसभा की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.
( अपराह्न 12.46 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल )
समय 3.08 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
उपाध्यक्ष महोदय - अब अनुपूरक कार्यसूची में उल्लेखित कार्य लिये जाएंगे. आज की अनुपूरक कार्यसूची के पद - 6 के अंतर्गत 'शासकीय विधि विषयक कार्य' के उपपद (2), (3), तथा (4) में उल्लेखित विधेयकों की महत्ता एवं उपादेयता को दृष्टिगत रखते हुए, मैंने, स्थायी आदेश की कंडिका 24 में विनिर्दिष्ट, अपेक्षाओं को शिथिल कर आज पुरःस्थापन हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान की है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमशः)
मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 8 सन् 2016)
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2016 का पुरःस्थापन करता हूं.
मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि(संशोधन) विधेयक,2016 (क्रमांक 9 सन् 2016 ) का पुर:स्थापन
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ नरोत्तम मिश्र ) -- उपाध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि(संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 9 सन् 2016 ) के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि(संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 9 सन् 2016 ) के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ नरोत्तम मिश्र ) -- उपाध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि(संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 9 सन् 2016 ) का पुर:स्थापन करता हूं.
मध्यप्रदेश मंत्री ( वेतन तथा भत्ता ) संशोधन विधेयक, 2016 ( क्रमांक 10 सन् 2016 ) का पुर:स्थापन
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग ( श्री लाल सिंह आर्य ) -- उपाध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश मंत्री ( वेतन तथा भत्ता ) संशोधन विधेयक, 2016 ( क्रमांक 10 सन् 2016) के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मंत्री ( वेतन तथा भत्ता ) संशोधन विधेयक, 2016 ( क्रमांक 10 सन् 2016) के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री लाल सिंह आर्य ---- उपाध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश मंत्री ( वेतन तथा भत्ता ) संशोधन विधेयक, 2016 ( क्रमांक 10 सन् 2016) का पुर:स्थापन करता हूं.
नियम 139 के अधीन अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा.
मध्यप्रदेश में पेयजल संकट से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा
उपाध्यक्ष महोदय -- अब मध्यप्रदेश में पेयजल संकट से उत्पन्न स्थिति के संबंध में श्री कमलेश्वर पटेल तथा श्री रामनिवास रावत सदस्य चर्चा प्रारम्भ करेंगे. पूर्व में ध्यानाकर्षण तथा कतिपय मांगों के माध्यम से भी इस विषय पर चर्चा हो चुकी है. अत: समिति अनुसार 5 - 5 सदस्य ही इस चर्चा में भाग लेंगे. कृपया सहयोग करेंगे.
श्री बाला बच्चन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय 10 - 10 माननीय सदस्यों के नाम तो पहले ही तय हो चुके हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- ठीक है विचार कर लेंगे.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- एक गुजारिश है कि बहुत सारगर्भित चर्चा होगी निश्चित रूप से आपने कहा है कि सदस्यों की संख्या बोलने के लिए बढ़ा दें, आसंदी ने कहा भी है कि इस पर विचार करेंगे, लेकिन उसमें पुनरावृत्ति न हो चर्चा काफी हो अच्छी हो, एक ही विषय जो आ गया है वह रिपीट न हो तो अच्छा होगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी का कहना उचित है कि रिपीटिशन न हों क्योंकि इस विषय पर चर्चा कई बार हुई है. वहीं चीजें बार बार न आयें इसका माननीय सदस्य ध्यान रखेंगे, उनका यह कहना उचित है.
श्री बाला बच्चन -- इ स बात का ध्यान रखा जायेगा कि रिपीटिशन न हो. सदन में जो चीजें पहले आ चुकी हैं उनको छोड़कर ही नई बातें रखी जायेंगी. बाकी वैसा जवाब भी हो और समस्याओं का समाधान भी हो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय जवाब भी वही घिसा पिटा न रहे, नया जवाब आये, जिससे जनता को राहत मिले.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- हे व्यवधान पुरूष मैं आपको नमन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- एक विधान पुरूष की उपाधि हुआ करती थी अभी आपने एक नई उपाधि निर्मित कर दी है व्यवधान पुरूष.
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्यक्ष महोदय उपाधि विधान पुरूष की ही है वह अपभ्रंश है.
श्री कमलेश्वर पटेल ( सिहावल ) -- उपाध्यक्ष महोदय बहुत ही गंभीर विषय पर प्रदेश में जो आज हालात हैं पेयजल की समस्या को लेकर, उस पर चर्चा होने जा रही है . हमारे सत्तापक्ष के जो साथी हैं माननीय मंत्रीगण हैं जिस तरह की टीकाटिप्पणी करते हैं हम आपके सामने बहुत ही कम शब्दों में कुछ बात रखने के बाद फिर पेयजल संकट के बारे में बात करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय माननीय सरकार के माननीय मंत्रीगण से हमारा निवेदन है कि हमने यह विषय न तो पेपर में फोटो छपवाने के लिए लगाया था, और न ही सरकार को कोसने के लिए, बल्कि हम यह विषय स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से लेकर आये हैं, हमने स्थगन लगाया था , वास्तव में पेयजल संकट पूरे प्रदेश के साथ साथ सीधी सिंगरौली जिले में भी है. उसके निदान के लिये यह विषय उठाया है. वह नियम 139 के तहत उठाया था. खासकर माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी से विशेष निवेदन करेंगे कि कल हमारे एक साथी दोगने जी जो पेयजल संकट को लेकर सदन में आये थे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दोगने जी पेयजल संकट के लिये आये थे या नहरों के संकट के लिये आये थे. सम्मानीय सदस्य आप बता दें.
इनका क्या है कि '' सर हो सजदे में मगर, दिल में हो दुनिया का ख्याल, ऐसी स्थिति पटेल साहब की है.
श्री कमलेश्वर पटेल :- माननीय मंत्री जी, उनका विषय पानी के संकट से संबंधित था, वह पेयजल से भी जुड़ा हुआ मामला है. अगर पानी पहुंचेगा तो वह पानी से जुड़ा हुआ ही मामला है. अगर वहां पर पानी पहुंचेगा तो वहां पर पीने के पानी का संकट भी दूर होगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- आपकी बात सही है कि वह मामला पानी के संकट से ही जुड़ा हुआ मामला था. परन्तु पानी का हर स्थान पर जाने से रूप बदल जाते हैं, नाम बदल जाते हैं. अगर पानी हाथ में देते हैं तो वह चरणामृत होता है, आंख से निकलता है तो वह आंसू होता है. जम कर गिरता है तो वह ओला होता है, नहर का पानी अलग होता है. पीने का पानी अलग होता है.
श्री जितू पटवारी :- माननीय मंत्री जी यह तो आपका ज्ञान है.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- ऐसा है कि जब से आपको डांट पड़ी है, उसके बाद पहली बार बोले है, आप बोल लो.
उपाध्यक्ष महोदय :-संसदीय कार्य मंत्री जी आज बहुत फार्म में हैं.
श्री रामनिवास रावत :- आपकी साजिश में फसेंगे तो ऐसा ही होगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- आप इनको समझाओ की मेरी साजिश में नहीं फसें. मैंने कहा था कि मेरी साजिश में फंसो ?
श्री बाला बच्चन :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी आपको याद है राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण पर माननीय मंख्यमंत्री जी बोल रहे थे. तब उन्होंने यह कहा था कि टेल से रिटेल तक आप पानी कैसे पहुंचाओगे उसको स्पष्ट करेंगे. अब आप रिटेल कैसे करेंगे. मैंने उस समय मुख्यमंत्री जी को टोका था.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- वह मेन केनाल से ब्रांच में जाता है. उसको रिटेल ही बोलते हैं.
श्री बाला बच्चन :- क्या आप तोल के देंगे कि एक लीटर, दो लीटर, क्या आप तोल के देंगे ? डीजल, पेट्रोल या खाने का तेल जो होता है, दूध को ही नापकर दिया जाता है.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- तोल के देने को रिटेल ही बोलते हैं. खेरीज को रिटेल बोलते हैं
सुश्री कुसुम महदेले:- उपाध्यक्ष महोदय, यह क्या हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी ठीक बोल रही है. चर्चा दूसरे विषय पर होनी थी. कमलेश्वर जी आप चर्चा के प्रति गंभीर नहीं है, ऐसा लगता है. आप विषय से भटकिये मत .
श्री कमलेश्वर पटेल :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने गंभीरतापूर्वक ही बात कर रहा हूं. पहले ही बोला था कि सरकार के मंत्रिगणों द्वारा जो मजाक उड़ाया जाता है, जिस तरह की बात होती है. मैंने वह बात रखने की कोशिश की है. हम ना पेपर में छपने के लिये यह ईश्यू लेकर आये हैं. बल्कि यह ईश्यू हम सरकार के सामने इसलिये लाये हैं कि पूरे मध्यप्रदेश में सीधी, सिंगरौली जिले के साथ साथ पूरे रीवा,शहडोल और बुंदेलखंड संभाग में सूखा प्रभावित जिले हैं वहां पर पीने के पानी का संकट है, चाहे वह मनुष्य हो या जीव जन्तु हो सभी परेशान है. यहां तक कि जितने भी हमारे वाटर रिर्सोसेस हैं, जो नदी नाले थे वह भी सूख गये हैं. जानवरों को पीने के पानी की किल्लत हो रही है. इंसान को पीने के पानी की भारी किल्लत हो रही है. उनको दो दो, तीन तीन किलोमीटर दूर तक पानी लेने के लिये जाना पड़ रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, हमने कुछ दिन पहले विधान सभा में ध्यानाकर्षण लगाया था. उसमें विभाग की तरफ से जो जवाब आया था, उसका जवाब परसेंटेज के आधार पर ऐसा दिया कि प्रदेश में पानी की कोई दिक्कत नहीं है. अभी होली के दरमियान जो छुट्टियां थी उस समय हम अपने विधान सभा क्षेत्र में गये तो हमने देखा कि वहां पर पानी की स्थिति आज भी वही है पहले थी . उपाध्यक्ष महोदय, हैंडपंप का वाटर लेवल नीचे चला गया है. वहां पर संधारण का काम नहीं हो रहा है. वहां पर अगर राईजर पाईप की आवश्यकता है तो लोग उसके लिये चक्कर लगा रहे हैं. वहां पर स्थिति यह है पी एच ई विभाग के पास जितना अमला होना चाहिये, उतना अमला नहीं है. हैंडपंप का खनन कराया गया था, जिनका अभी तीन या चार महिने पहले ही खनन कराया गया था, उनमें से कई हैंडपंप ऐसे हैं, जहां पर शेड नहीं डाला गया है. कई नलजल योजना ऐसी है जहां पर पाईप लाईन तो डाल दी गयी है, उनको चालू नहीं किया गया है और जो चालू थी वह बंद पड़ी हुई है. और कई जगह तो पंचायत और पीएचई के विभाग बंद पड़े हैं और यहां से माननीय पंचायत मंत्री और आदरणीय पीएचई मंत्री जी ने घोषणा भी की थी, संधारण की राशि की भी घोषणा की थी पर सच्चाई तो यह है कि निचले स्तर पर जब हम कार्यपालन यंत्री और अन्य अधिकारियों से बात करते हैं, उनके पास अभी यहां का सर्क्यूलर, आदेश नहीं गया है, जो पंचायत और पीएचई के बीच में विवाद था, अभी उसका कहीं पर निराकरण नहीं हुआ है. मेरा आपके माध्यम से सरकार से निवेदन है कि जो भी नल जल योजनाएँ बंद हैं उन नल जल योजनाओं को तत्काल चालू कराया जाए. कई ऐसी नल जल योजनाएँ हैं जहां बिजली का बिल नहीं जमा होने की वजह से बंद पड़ी हैं और आपस में विवाद चल रहा है. इसका भी निराकरण कराया जाए. हमारी जो सीधी नगरपालिका है, सीधी नगरपालिका के ही वाटर हैड टैंक से वाटर सप्लाई बंद है, जो जिला मुख्यालय है,पीएचई और नगरपालिका के विवाद में वहां की यह स्थिति है. इसी तरह मंत्री जी को हमारा सुझाव भी है और निवेदन भी है कि जो भी अभी वर्तमान में नल जल योजनाएँ या जहां पर हैण्डपम्प सूख गये हैं उनके बगल में आप पुन: हैण्ड पम्प का खनन करायें. सूखे के तहत् प्रावधान भी है पर अभी वह काम शुरु नहीं किया गया है. कब शुरु करेंगे? जबकि सूखा राहत के क्या क्या प्रावधान हैं हमने इसके पहले देखा था और प्रदेश सरकार की तरफ से, राजस्व विभाग की तरफ से सर्रक्यूलर भी जारी हो गया, पर अगर हम जिलों में देखेंगे तो जिलों में पेयजन संकट को लेकर न समीक्षा बैठक की गयी और न ही किसी प्रकार की व्यवस्थाएं की गयीं, यह चिन्ता का विषय है, इसकी ओर हम माननीय मंत्री जी और सरकार का ध्यान आकृष्ट करायेंगे. मेरा यह भी निवेदन है कि सरकार को इस संकट से निपटने के लिए मेरे सुझाव भी हैं कि एक तो पानी के टेंकर्स की ज्यादा से ज्यादा व्यवस्था करायें. जहां जहां वाटर लेवल बहुत नीचे चला गया है या हैण्डपम्प में पानी सूख गया है या जहां जल स्रोत थे जो सूख गये हैं उसके लिए माननीय मंत्री जी को, विभाग को इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए, मोबाइल यूनिट्स की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे पेयजल की व्यवस्था से आगामी 3-4 महीने जो भारी संकट आने वाला है उससे निपटा जा सके. जो हैण्डपम्प सूख गये हैं या उनका वाटर लेवल बहुत नीचे चला गया है, लोग हैण्डपम्प के माध्यम से पानी नहीं निकाल सकते, वहां पर विद्युतीकरण कराकर सबमर्सिबल पम्प के माध्यम से व्यवस्था करें. भविष्य के हिसाब से मेरा यह भी सरकार से निवेदन है कि जो भी हमारे जल के स्रोत हैं, जो तालाब हैं, या नदी नाले हैं, जो अभी सूख गये हैं तो वहां भी वर्तमान में जिस तरह की स्थिति है भविष्य में अगर वाटर लेवल बढ़ाना है, पानी का संरक्षण करना है तो उसके लिए अभी से गहरीकरण का कार्य प्रदेश सरकार को करना चाहिए जिसके माध्यम से जिस तरह से गरीब लोग, बेरोजगार, जो गांवों में मजदूरी के लिए भटक रहे हैं, पलायन कर रहे हैं, उसकी भी तत्काल व्यवस्था सरकार को करना चाहिए. इससे गहरीकरण भी होगा, जल का संरक्षण भी होगा और स्थानीय गरीब लोगों को रोजगार भी मिलेगा, वह पलायन नहीं करेंगे, ऐसी भी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए. हमारे सीधी जिले में 30 जो हैण्डपम्प आपरेटर्स थे उनको 2 साल पहले निकाल दिया गया था. मेरा निवेदन है कि अभी पीएचई के पास अमला नहीं है.ऐसी परिस्थिति में भले ही आप थोड़े दिन के लिए, तीन-चार महीने के लिए उनको हायर कर लें क्योंकि आपके पास काम करने वाले लोग नहीं हैं तो उनका अभी ऐसे संकट के दौर में उपयोग करना चाहिए. हालांकि वह 20-25 साल काम करने के बाद सड़क पर आ गये हैं, अगर उनको आप फिर से मौका देते हैं, अस्थायी कर्मचारी के रुप में ही अगर मौका देते हैं तो हम समझते हैं कि उनके परिवार के पालन पोषण में काफी सुविधा होगी. हमारे विधानसभा क्षेत्र में ग्राम उकसा में एक साल पहले वाटर सप्लाई के लिए बोर किया गया था, अभी तक उसमें सेट नहीं डाला गया है. इसी तरह हमारे विधानसभा क्षेत्र में देवसर ब्लाक में चरकी गांव हैं जहां वाटर सप्लाई के लिए बोर किया गया था पर वाटर सप्लाई के हिसाब से पानी नहीं मिलने की वजह से, मेरा यह निवेदन है कि कम से कम उसमें हैण्डपम्प सेट ही डलवा देंगे तो कम से कम 10-20 परिवारों को भी अगर पानी पीने की व्यवस्था हो जाएगी तो ऐसे संकट के दौर में वह काम आयेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि किस तरह से मेरे विधानसभा क्षेत्र में औऱ पूरे मध्यप्रदेश में नल जल परियोजनायें बंद हैं. हमारे विधानसभा क्षेत्र में ही कडियार, रजहाटीकर,तरका,हटवाखास,चितवारिया,बघोर,मेढ़ौली,पतुलखी,मयापुर,लिलवार,सेमरी,चोराही,कोदौरागांव,कोदौरा बाजार,पमरिया, बिठौली, पहाड़ी,बघौड़ी,तितली,हटवा बरहाटोला, डढ़िया, लौआ,खुटेली, जोकी एवं इसी तरह अन्य और भी नल जल परियोजनायें बंद हैं और मुख्यमंत्री नल जल योजना का कोई पता ही नहीं हैं. मेरा यह कहना है कि आलोचना करने के लिए नहीं बल्कि मैं इसलिए निवेदन कर रहा हूं जानकारी दे रहा हूं क्योंकि हमने कई बार सक्षम अधिकारियों से बात की लगातार संपर्क में है. तीन-तीन, चार-चार , छह-छह महीने बीतने के बाद भी संधारण का काम नहीं हुआ है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से हमारी विधानसभा क्षेत्र में सिंगरौली जिले के देवसर ब्लाक में डऊआडोल, हर्रा चन्देल, सरौधा, मजौना, सहुआर योजना चालू नहीं हुई हैं. इसी तरह से पोखरा देवसर, मझगवां द्वितीय, घिनहागांव,परिहासी में भी नल जल परियोजनायें बंद पड़ी हुई हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह हमारे सिंगरौली विधानसभा क्षेत्र में भी मझौली, चाचर, खम्हरिया, छतिकरम, झाझीटोला, गोभा, चरगोड़ा, ओरगढ़ी, तियरा, काम, पिपरा, झखरावल,में भी कई नल जल परियोजनायें बंद हैं. इसी तरह से सतना जिले में अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र में हिनोती, अरगट, बड़ाहरमा(रामनगर ब्लाक), इसी तरह से अमरपाटन ब्लाक की खरमसेड़ा, भीषमपुर, ताला, मुकुन्दपुर की नल जल परियोजनायें कई महीनों से बंद हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सीधी, सिंगरौली जिले में ही धौहनी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत मड़वास, गिजवार, धुकखड़, कुसमी, गोतरा, निवास, निगरी, महुआगांव, टिकरी, तमसार,बरका,छूही, ताला, पाड़ योजनायें बंद हैं. मेरा कहने का मतलब यह है कि हम तो बहुत कम आंकड़े आपके सामने दे रहे हैं, पर इससे भी ज्यादा नल जल परियोजनायें बंद हैं और हैंडपंप्स की भी लंबी सूची है, वह मैं मंत्री जी को सौंप दूंगा और अवगत करा दूंगा. इसी तरह से पूरे मध्यप्रदेश में नल जल परियोजनायें बंद हैं , हैंडपंप खराब हैं . जिस स्थिति में संधारण का काम होना चाहिए उस गति से संधारण का कार्य नहीं हो रहा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि एक तरफ संधारण का काम भी हो और दूसरी तरफ जो नल जल परियोजनायें वाटर लेवल डाउन होने से या हैंडपंप सूखने से बंद हैं तो वहाँ पर दूसरे हैंडपंप के काम कराये जाये और टैंकर्स या अन्य स्त्रोतों के माध्यम से जल सरकार उपलब्ध कराये जिससे पेयजल संकट से जानवरों की और मनुष्यों की मृत्यु न हो और लोग जल संकट के कारण पलायन न करें साथ ही साथ मजदूरों के लिए मजदूरी की भी व्यवस्था करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बार पुनः मध्यप्रदेश में प्राकृतिक आपदा वर्षाकालीन सत्र में पर्याप्त पेयजल की वर्षा न होने के कारण से जो स्थिति उत्पन्न हुई है, यहाँ भी जिस प्रकार से कृषकों को प्राकृतिक आपदाओं को झेलना पड़ता है, कम वर्षा के कारण अधिक वर्षा के कारण, ओलावृष्टि के कारण, पाले के कारण उसी प्रकार से कहीं न कहीं जो विषय चर्चा में रखा गया है, मैं दोनो पक्ष सरकार पक्ष की तरफ से भी और प्रतिपक्ष को भी धन्यवाद देना चाहता हूं . इसलिए कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर हम सब इस सदन में प्रदेश की 7 करोड़ 50 लाख जनता के बारे में विचार कर रहे हैं, उस सन्निकट जलसंकट को लेकर के. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसी भी सरकार को इसकी चिंता करना चाहिए और चिंता है और पानी ऐसी वस्तु नहीं है कि जिसको महीने दो महीने, छह महीने के लिए सुरक्षित रखा जा सके. पेट्रोल और डीजल टैंकर भर, ट्रकों भर मिल सकते हैं लेकिन अगर कुंए में , टयूबवेल में पानी नहीं है, जलस्त्रोत यदि सूख गये हैं तो उसकी उपलब्धता पर कहीं न कहीं चुनौती है, परेशानी है. यह हम सब जानते हैं. पेयजल संकट पहली बार आया है ऐसा नहीं है. पानी का संकट पहले भी कई बार आया है. सरकार की सूझबूझ और सरकार की चिन्ता के कारण से, उसकी व्यवस्था के कारण से, कहीं हाहाकार न मचा. उपाध्यक्ष महोदय, मुझे 1984 का वह दिन, वह समय, वह वर्ष, याद है जब इस प्रदेश में भयावह जल संकट का सामना हमको करना पड़ा. उस समय मैं नगर पालिका का पार्षद हुआ करता था.10-10, 15-15 किलोमीटर दूर कहीं पानी नहीं मिलता था. बड़े शहरों की नलजल योजना पूरी तरह से ठप्प पड़ गई थी. पानी का जो स्रोत, जो प्रबंधन, नदियों के माध्यम से होता था, फिल्टर प्लांट के माध्यम से नलों तक पहुँचा था, शहरों में ज्यादा हाहाकार था. ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने खेत खलिहान पर काम पर जाने के समय उस कुँए पर ही जाकर के अपनी दिनचर्या पूरी कर लेते थे, नहाने का काम वहाँ हो जाता था. पानी भर करके घर ले आते थे. लेकिन तब हम भी देखते थे कोई मोटर साइकिल पर पानी ला रहा है, दो कंटेनर कोई साइकिल पर ला रहा है. कोई सिर पर उठाकर ला रहा है और उसके बाद भी कई बार संकट आया है. लेकिन संकट का सामना करने की कूवत, ताकत, ईश्वर ने हमको दी है. सरकार कटिबद्ध है और सरकार इस बारे में प्रतिबद्ध भी है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब इतने महत्वपूर्ण मामले पर भी उधर पक्ष के सदस्य ठिठौली कर रहे हैं, हँसी उड़ा रहे हैं. एक तरफ तो गंभीर मुद्दे को सदन में लाया गया है. उस पर चिन्ता करना चाहिए, सुझाव देना चाहिए. अगर हँसी में ही करना था तो मेरे को लगता है कि इस प्रस्ताव को लाना न था...(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- वही जल पिलावे हैं, उसको एक लाईन पहले ही बोल दो. आप बोल दीजिए. सब माननीय शिवराज सिंह जी की वजह से पूरा प्रदेश पानी पी रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- पानी पिएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- यह बोलना ही आपको.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- तिवारी जी, पानी पिलाएँगे. जनता ने तो आपको पानी पानी कर दिया.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- यह बात बिल्कुल सच है कि माननीय शिवराज सिंह जी की वजह से इतने से बचे हों. (मेजों की थपथपाहट)
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- नहीं, जिसकी वजह से, उसको तो मिट्टी में मिला दिया. उमा जी को मिट्टी में मिला दिया. चालाकी से बनवाएँ हों मुख्यमंत्री.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- तीन तीन बार लगातार सरकार बनाई है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- आए किस तरह हों.(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- तिवारी जी, मध्यप्रदेश के इतिहास में तीसरी बार सरकार बनाई है...(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- यह आखिरी बार सरकार है. यह तीन तीन बार का अहंकार आखिरी बार ले जाएगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- इस गलतफहमी में मत रहना जीतू वापस आ जाओ वही बहुत है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- सत्य बोलिए. उमा जी का नाम तो ले लीजिए. हिम्मत हो तो लीजिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- केन्द्र में मंत्री हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, आप लोगों ने किस विषय पर चर्चा मांगी है?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- उनको विषय ही पता नहीं. हँसी मजाक हो रही है.
पशुपालन मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले)-- उपाध्यक्ष महोदय, उमा जी की चिन्ता तो हम लोग कर रहे हैं और कर ली है. आप अपनी चिन्ता तो करो. उमा जी की चिन्ता हमने कर ली. केन्द्र में मंत्री हैं. आप अपनी चिन्ता करिए...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- उमा जी का नाम आपने 11 बार लिया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अब नाम न आए दुबारा रिपीटिशन नहीं होना चाहिए.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- तिवारी जी, मैंने रिपीटिशन तो किया ही नहीं. अभी तो शुरुआत की है.
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- आप बार बार खड़े होंगे तो फिर लगता है कि क्या बात है. प्रदेश की जनता को पानी पिलाएँगे और फिर सरकार बनाएँगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, रहीम जी की बात कहना भूल गए,
रहिमन पानी राखिए, पानी बिन सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चून.
डॉ कैलाश जाटव-- जितू भैय्या, इतना सीरियस मुद्दा है पानी का और इतना बढ़िया विषय ले रहे थे भाई साहब आप बीच में बोल पड़े.
उपाध्यक्ष महोदय-- जीतू जी, यह उचित नहीं है. बहुत सीरियस मेटर है. सीरियस बात हो रही है.
डॉ कैलाश जाटव-- यह बहुत सीरियस मेटर है. कभी तो आप देखें गरीबों की बात, आप इन्दौर शहर में रहते हों. माननीय शिवराज जी की वजह से आज इन्दौर में पानी आया है...(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- जीतू जी, यह सदन है, सड़क नहीं है, गरिमा.
श्री जितू पटवारी-- एक मिनट. अव्वल तो मैंने कोई गरिमा खोई नहीं है और कोई ऐसी बात नहीं की फिर भी मेरा अनुरोध यह है कि (XXX) तो मत करिए आप बुरा मत मानना.
उपाध्यक्ष महोदय-- जीतू जी, यह गलत बात है, इसको निकाल दीजिए.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- उपाध्यक्ष महोदय, यह शब्द तो संसदीय नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैंने उसको निकाल दिया है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- उसको निकलवा दें, विलोपित कर दें. दूसरी मेरी जीतू भैय्या से प्रार्थना है क्यों ऐसे पिंच मारने वाले शब्द आप बोलते हों. मैं सच बता रहा हूँ कि आपकी बाकी की उम्र वहीं जानी है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय नरोत्तम जी, अभी संसदीय ज्ञान का थोड़ा अभी अभाव है. 2-4 बार विधायक कभी बन कर आएँ, पहली बार आए हैं.
डॉ.कैलाश जाटव--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सदन में कोई विषय था नहीं इनके कहने पर माननीय नरोत्तम जी ने उस विषय को लिया उनको धन्यवाद देना चाहिये कितने गंभीर विषय को लिया है और आज पूरी पार्टी मजाक उड़ा रही है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हमने मजबूर किया है तब लिया है.
श्री जितू पटवारी--जब हमने मजबूर किया है तब लिया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह--लड़ाई लड़ी है इसके लिये यह विषय लेकर कोई एहसान नहीं किया है यह साढ़े सात करोड़ जनता का सवाल है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--इसके लिये हम सदन में लड़े हैं और आपको मजबूर किया गया इसके लिये आप चर्चा लेकर आये हैं आप.
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारीजी समय जाया न करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--इनको तो हर समय शून्यकाल ही नजर आता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--उपाध्यक्ष महोदय, अच्छा आप यह तो मानते हो कि व्यवधान पुरुष नाम सही है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी आपको बहुत बहुत बधाई बहुत सही रखा है.
उपाध्यक्ष महोदय--आप जारी रखिये.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि आदरणीय नरोत्तम मिश्र जी ने कहा कि मुख्यमंत्रीजी की दृढ़इच्छाशक्ति के कारण से यह इतने से रह गये हैं. यह बात ठीक है कि प्रदेश में जल संकट है इस बात को सब स्वीकार कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस के पास प्रदेश में जनसमर्थन का संकट हो गया है और इसीलिये कांग्रेस गंभीर मुद्दों पर भी ठिठोलीपना कर रही है. जुलाई अगस्त के माह में वर्षाकालीन सत्र में पानी आया, बहुत तेज गति से आया एकाध हफ्ते में ही 25, 28 इंच तक आंकड़े पहुंच गये. हम सब प्रसन्न थे कि पहले डेढ़ महीने में ही पानी की आवक जिस प्रकार से हो रही है लगता है प्रकृति प्रसन्न है और अचानक पानी का गिरना बंद हो गया और लंबी खेंच हो गई. इस बीच जो नदी,नाले चल रहे थे वे चलते चलते थम गये, रुक गये अगला पानी नहीं आया और जब आने वाला पानी नहीं आया और पानी का जो प्रवाह था वह निरन्तर कम होता गया उसके कारण से जल संकट की जो आज संभावना बन रही है उसका एक कारण वह भी है. प्रबद्ध में जो पानी गिरा उसकी निरन्तरता दूसरी, तीसरी बार हो जाती तो शायद अक्टूबर, नवंबर माह तक नदी, नाले चलते रहते और पानी का एक दौर पेयजल का या अन्य व्यवस्थाओं का उस गिरते पानी से हम उठा सकते थे. यदि जल संकट की भयावहता नहीं दिखती, ठीक बात है कि प्रतिपक्ष ने भी इसकी मांग की है. चर्चा ग्राह्य की गई सरकार ने पलायन नहीं किया, भागने की कोशिश नहीं की, चर्चा को स्वीकार करके सदन के इस समय में इस विषय पर चर्चा करने के लिए अनुमति देते हुए हम सब इस विषय पर यहां पर बैठे हुए हैं. यह भी तय किया जा रहा है कि 10 सदस्य बोलेंगे कि 5 सदस्य बोलेंगे. चर्चा सारगर्भित होना चाहिये उससे कुछ परिणाम निकलना चाहिये. जल संकट की भयावहता है हम सब जिम्मेदार लोग बैठे हुए हैं तो सदन से सड़क तक यह ध्वनि अनुगूंज होना चाहिये कि सरकार ने पेयजल के आने वाले संकट में, बहुत ठीक समय पर अभी चर्चा हो रही है. अभी मई का समय है जून का समय है और जुलाई में न जाने कब बारिश आयेगी कुछ कहा नहीं जा सकता है अगर पिछले आंकड़े देखेंगे तो 15 जुलाई, 30 जुलाई तक है यदि तब पानी गिरने की संभावना बनती है तो अभी बहुत समय बाकी है इस संकट से लड़ने के लिए इसलिये बहुत उचित समय पर सदन में इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं. संकट के इस दौर में चाहे वह पेयजल का संकट हो, प्राकृतिक आपदाओं का संकट हो, ओला-पाला का संकट हो, ओलावृष्टि का संकट हो, अतिवृष्टि का संकट हो इन सब संकटों के समय में मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने, अन्याय सभी विभागों के मंत्रिगणों ने, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने अधिकारियों ने सबने मिलकर के कमर कसी उस संकट से जो संकट हमको प्राकृतिक संकट के रुप में मिला है यह बनाया हुआ संकट नहीं है. यह संकट हमको प्रकृति से प्राप्त हुआ है इस प्रकृति से लड़ाई लड़ना बहुत कठिन काम है इतना आसान काम नहीं है. केदारनाथ की घटना का हम उल्लेख करें तो प्रकृति का प्रकोप हमने देखा है सरकार ने अपने दम पर अपने स्तर पर जितनी व्यवस्था सुनिश्चित की होगी, वह की होगी करना भी चाहिये सरकार का दायित्व होता है लेकिन प्राकृतिक आपदा से जो क्षति होती है जो नुकसान होता है उसकी भरपाई की जाना बहुत मुश्किल होता है वह चीज नहीं आ सकती है वह चीज हमारे हाथों से गुजर गई है. पेयजल परिवहन इस प्रदेश को पेयजल संकट से उबारने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा और ऐसे में मैं माननीय मंत्री महोदय से चाहूंगा कि वे ग्राम पंचायत स्तरों पर उन गांवों को चिह्नांकित कर लें जो गांव सब तरफ से, ट्यूबवेल उनके पूरी तरह से असफल हो गये, कुंएं, बावड़ी उनके सूख चुके हैं, नदी, नालों का प्रवाह नहीं है. 3, 4, 5, 7 किलोमीटर दूर तक पानी की कोई संभावना नहीं है. ऐसे ग्रामों में शासन की ओर से, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की ओर से पंचायतों के माध्यम से हम गांवों को चिह्नांकित करते हुए अधिक से अधिक पेयजल का परिवहन करें. ''आपका टैंकर आपके द्वार'' यह योजना यदि हम हाथ में रखेंगे, नगरपालिकाओं में यह चीजें होती हैं लेकिन ग्रामीण अंचलों में पंचायतों के पास धन का अभाव रहता है, संसाधनों का अभाव रहता है ऐसी स्थिति में हम परिवहनों के माध्यम से जल संकट दूर कर सकते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री महोदया को यह भी सुझाव दूंगा कि उन गांवों में और उन क्षेत्रों में जहां पर कुएं और बावड़ियों में अभी थोड़ा-बहुत पानी बचा पड़ा हुआ है क्षेत्रीय जल प्रबंधन योजना के माध्यम से वहां पर हम पानी की 10-15 टोटियां लगा दें, खैर बना दें, टंकी रख दें, उन टंकियों में पानी भरकर रखें. इसकी समय सीमा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए. इस जल संकट के समय हमें जनता से इस बात को लेकर भी आह्वान करना पड़ेगा, अपील करनी पड़ेगी और आग्रह करना पड़ेगा कि पानी का दुरुपयोग न करें, सदुपयोग करें. बूंद-बूंद हमारे लिए आवश्यक है. ऐसी क्षेत्रीय जल प्रबंधन व्यवस्था की तरफ हमको ध्यान देना पड़ेगा. शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे ट्यूब-वेल और ऐसे कुएं लोगों के पास हैं जिनके पास पर्याप्त आवक है, उन कुओं को और बावड़ियों को चिह्नांकित करते हुए, उन ट्यूब-वेल्स को चिह्नांकित करते हुए और उनका अधिग्रहण करते हुए हम क्षेत्रीय जल प्रबंधन व्यवस्था के माध्यम से उनको जोड़ने का काम करें ताकि लोगों के बीच में हम पानी का प्रबंधन कर सकें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ट्यूब-वेल और हैंड-पंप जिनकी क्षमता समाप्त हो गई है, मालवा में, जिस क्षेत्र का मैं प्रतिनिधित्व करता हूँ, 1000-1200 फीट नीचे तक गहरा पानी चला गया है. एक समय था जब मालवा में कहावत थी ''मालव धरती गहन गंभीर, डग-डग रोटी पग-पग नीर'' लेकिन नीर समाप्त हो गया है. ऐसे क्षेत्रों को चिह्नांकित करते हुए जहां पर 1200-1300 डार्क और ग्रे जो जोन पहले से 10-10, 15-15 साल से चिह्नांकित हैं, उस सूची में रजिस्टर्ड है, मंदसौर जिला, मल्हारगढ़ तहसील, सीतामऊ तहसील ये हमारे क्षेत्र की ऐसी तहसीलें हैं जो पहले से ही डार्क और ग्रे जोन में कहीं न कहीं दर्ज हैं. उनको भी हमें आइडेंटिफाई करना पड़ेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो नल-जल योजनाएं लंबे समय से बंद पड़ी हुई हैं उनको दिखवा लें कि क्या वे पुन: जीवित हो सकती हैं. जल संकट के इस समय में मैं माननीय मंत्री महोदया से आपके माध्यम से आग्रह करूंगा कि ग्राम पंचायतों की वे नल-जल योजनाएं जो धन के अभाव में बंद पड़ी हुई हैं क्योंकि वे पैसे जमा नहीं कर पा रहे हैं और पेयजल उनका बंद पड़ा हुआ है, पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनियों ने जिन कुओं और बावड़ियों के कनेक्शन पैसा जमा नहीं करने के कारण काट दिए हैं उन कनेक्शंस को जल संकट के दौरान ग्राम पंचायतों को यथावत सुविधा देते हुए चालू करने का यदि आदेश प्रदान करेंगे तो उन गांवों में फिलहाल पानी की व्यवस्था सुनिश्चित हो जाएगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अंतिम बात मैं यह कहना चाहता हूँ कि कई बड़ी खदानें ऐसी हैं जो खनन की गई हैं काफी गहरी हो गई है, 200, 300 और 400 फीट तक चली गई हैं उन खदानों में पानी भरा पड़ा है. यह भी ठीक बात है कि उन खदानों का पानी पीने के योग्य नहीं होता है लेकिन उस पानी को हम ग्रामीण क्षेत्रों में नहाने के लिए, कपड़े धोने के लिए या अन्य कार्यों के लिए अगर हम परिवहन करेंगे तो जल संकट कुछ हद तक दूर हो सकता है. उसमें भी इस बात को हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि उक्त पानी पेयजल हेतु नहीं है. ऐसे स्थानों को हमें चिह्नांकित करना चाहिए जहां पर हमें लगता है कि यह पानी पीने से नागरिक बीमार हो सकते हैं, उनके शरीर पर विपरीत असर पड़ सकता है, इस प्रकार हमें सावधानी भी बरतनी पड़ेगी क्योंकि बड़ा संकट है और इस बड़े संकट के अवसर पर 7 करोड़ 50 लाख जनता के बीच में हमको जाना है, व्यवस्था देना है और यह भरोसा दिलाना है कि मध्यप्रदेश के यशस्वी, लोकप्रिय, संवेदनशील मुख्यमंत्री जनता के साथ खड़े हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी -- मैंने जो टिप्पणी की थी वह सही की थी.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- इसलिए तो आपको उपाध्यक्ष महोदय ने समझाइश दी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- गलती तो उस दिन भारत मां की जय बोल के कर गए.
उपाध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी, जब मैंने अनुमति दी थी, चर्चा प्रारंभ हुई तो मैंने कहा था कि पांच-पांच सदस्य दोनों पक्ष से बोलेंगे. (श्री जितू पटवारी के कुछ कहने पर) जितू पटवारी जी, उन्होंने तो आशीर्वाद दिया, आप बार-बार चुनकर आएं, कहां बैठते हैं कहां नहीं, वह अलग बात है, यह तो संसदीय कार्य मंत्री जी ने दिया हुआ है लेकिन उसके लिए थोड़ा अनुशासित रहें, हम आसंदी से कुछ बोल रहे हैं और आप बोले जा रहे हैं. (श्री सुंदरलाल तिवारी के खड़े होने पर) तिवारी जी, आप बैठ जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय, एक बार व्यवधान पुरुष आप कह दें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, भारत माता की जय के साथ-साथ आज का अखबार पढ़ लीजिए, माननीय मोहन भागवत जी ने जय हिंद की भी बात की है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं रोज ही अखबार पढ़ता हूँ, इनको व्यवधान पुरुष की उपाधि आप दे दें. आप कह दें, हाऊस चलने लगेगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- बड़ा धर्मसंकट है. तिवारी जी, अब आप बैठ जाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय उपाध्यक्ष जी, सीख वा को दीजिए, जा को सीख सुहाए.
उपाध्यक्ष महोदय--जब चर्चा प्रारंभ हुई तो मैंने कहा था दोनों पक्षों से पांच-पांच सदस्य बोलेंगे. आप लोगों ने अनुरोध किया कि हम ज्यादा लोग बोलना चाहते हैं. आपने 10 लोगों की बोलने की बात कही है अभी जो सूची मेरे पास में आयी है इसमें हनुमान जी के पूंछ जैसी बढ़ती जा रही है इसमें बोलने वाले 15 लोग आ गये हैं. आज विधान सभा का समय 5.00 बजे तक है कैसे इतने लोग बोल पाएंगे. मेरी सभी सदस्यों से प्रार्थना है कि वह कम समय लेंगे, बातों को रिपीट नहीं करेंगे. माननीय सदस्य तीन से पांच मिनट तक अपने क्षेत्र की समस्या रखें जिससे अधिकांश सदस्यों को अवसर दे सकें. माननीय मंत्री जी भी जवाब देंगी, वह भी आप लोग सुनना चाहेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, आपने तो रिकार्ड ही तोड़ दिया है.
श्री बाला बच्चन--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम आपके आदेश का पालन करेंगे, लेकिन आप चर्चा जारी करवाएं.
उपाध्यक्ष महोदय--आप लोग सहयोग करिये चूंकि सदन का समय 5.00 बजे तक है.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, बिल्कुल सहयोग करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--नाम बहुत ज्यादा आ गये हैं.
श्री बाला बच्चन--आप चर्चा को जारी रखवा दें सब एडजस्ट हो जाएंगे.
श्री बाला बच्चन--हम आपके माध्यम से सरकार से भी आग्रह करेंगे...
उपाध्यक्ष महोदय--मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि चर्चा में व्यवधान पैदा न करें.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, टाईम लिमिट में टाईम फ्रेम में सारे वक्ता बोल लेंगे, इससे यह पता लगता है कि पूरे प्रदेश में पेयजल संकट कितना बड़ा है.
उपाध्यक्ष महोदय-- इसी पेयजल संकट को दृष्टिगत रखते हुए सरकार चर्चा के लिये राजी हुई है. यह मैंने व्यवस्था दी है मेरा अनुरोध है कि आप लोग अपने क्षेत्र की बातें ज्यादा से ज्यादा करें.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस वर्ष पूरे प्रदेश में भीषण सूखे के कारण भीषण पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है जिसको आप भी भली-भांति जानते हैं. बिन पानी सब सून प्रदेश के 41 जिलों की 268 तहसीलें राज्य सरकार सूखा प्रभावित घोषित कर चुकी हैं लगभग 50 तहसीलों के प्रस्ताव अभी पड़े हुए हैं. राज्य सरकार जान-बूझकर एक तहसील मिरी का भी है उस प्रस्ताव को कलेक्टर ने भेजा है, राज्य सरकार ने उसको सूखा प्रभावित घोषित नहीं किया है उसको जान-बूझकर घोषित नहीं कर रहे हैं सूखे की भयावहता को न बताएं उसको छुपाएं, उसको कहीं न कहीं छुपाने का प्रयास किया जा रहा है. 268 तहसीलें सूखा प्रभावित घोषित की गई हैं प्रदेश में भीषण पेयजल संकट है. प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों में जहां पर कम वर्षा हुई है वहां पर सारे नदी-नाले, कुएं-बांवड़ियां तथा हैंडपम्प तक सूख गये हैं वहां की नल-जल योजनाएं बंद हो गई हैं, यह स्थिति है कि कहीं कहीं पानी बचा है. परिस्थितियां यहां तक पैदा हो गई हैं कि पशु-पक्षी भी मरने लगे हैं अगर इस बात को अतिश्योक्ति न माने तो मैं यह कह सकता हूं कि मेरे क्षेत्र में चार दिन पहले मेरे ही गांव होलपुर में पांच मोर मर गये जिनका मेरे द्वारा पीएम करवाया उनकी पीएम रिपोर्ट में यह आया है कि पीने के पानी के अभाव में इन मोरों की मृत्यु हुई है. रोज पशु मेरे क्षेत्र में मर रहे हैं जिन्हें आप गऊ माता कहते हैं गऊ हमारी धार्मिक आस्था का केन्द्र है जिसमें 33 करोड़ देवता निवास करते हैं. कहीं पर भी आप लोग राशि खर्च करें हमें कोई आपत्ति नहीं हैं, लेकिन इन पशुओं को जो बोल नहीं सकते हैं, कुछ सह नहीं सकते हैं जो पानी मांग नहीं सकते हैं, वह भटकते रहते हैं अगर उनको पानी नहीं मिला तो वह पानी के अभाव में दम तोड़ देते हैं उन गऊ माता को बचाने के लिये थोड़ी सी आप लोग संवेदनाओं को जागृत करें उनके लिये कहीं से भी पैसे की व्यवस्था करें. आप सिंहस्थ में काफी खर्च कर रहे हैं हमें कोई आपत्ति नहीं है इसमें हमारा भी सहयोग है, लेकिन मूक पशुओं के लिये भी राशि का कहीं न कहीं से जुटाएं, यही हमारा निवेदन है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भारत सरकार के मार्गदर्शी सिद्धांत हैं और राज्य सरकार भी यह बात स्वीकार करती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 55 लीटर प्रतिव्यक्ति जल उपलब्ध करवा रहे हैं और नल-जल योजनाओं से 70 लीटर जल उपलब्ध करवा रहे हैं. शहरी क्षेत्रों में 135 से 140 लीटर पानी उपलब्ध करवा रहे हैं, लेकिन स्थिति क्या है, स्थिति इतनी भयावह है कि पूरे प्रदेश के जिलों को देखें प्रदेश के कई जिलों में पानी की भयावह हालत है.
पानी की बूंद बूंद पर बंदूको का पहरा, बुंदेलखण्ड एवं बघेलखण्ड क्षेत्र के जिलों की स्थिति यह हो गई है कि वहां 5-5 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है, पानी के लिए दो –दो, तीन – तीन, दिन- रात तक जागते रहना पड़ता है । जहां पर कुंए और तालाबों में जरा सा भी पानी है, वहां बंदूकों के पहरों में पानी की सुरक्षा की जा रही है । यह बात इसलिए भी आती है कि मेरे अपने क्षेत्र में वहां के कलेक्टर और एसडीएम को पिछले तीन महीने से बारिश जैसे ही समाप्त हुई, रवि की फसल जैसे ही प्रारंभ हुई, तीने महीने में 100 बार निवेदन किया कि आप नदी, नालों, तालाबों पर जल स्त्रोतों का संरक्षण कर लो, इनको लिफ्ट मत होने दो, इनका दोहन मत होने दो, इनको खेती में उपयोग मत होने दो, उन्होंने रोक तो लगा दी परन्तु सुनवाई नहीं की, किसी को रोका नहीं, मैंने अपने गांव से ही शुरूआत करने की बात की और आज स्थिति यह है कि वह नदियां जिनमें बड़ी - बड़ी देह हुआ करती थी और बारह मास चलती थीं, लोग कहते थे कि इनमें पानी की कभी कमी नहीं आएगी, गांव की कहावत है कि सात खटिया का वाहन चला जाता था, नीचे छतरी है, उन नदियों में आज बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं, यह इसकी भयावहता है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब मैं पढ़ता था, तो एक बात ध्यान में आती थी, मैं इतिहास का विद्यार्थी था, प्रथम विश्व युद्व पड़ा, द्वितीय विश्व युद्व पड़ा, एक जगह मुझे पढ़ने को मिला, एक वैज्ञानिक ने, किसी ने घोषणा की थी कि तृतीय विश्व युद्व पानी के लिए होगा । हर व्यक्ति को, हर जनप्रतिनिधि को, इस भयावहता की गंभीरता से सबक लेना चाहिए, इसको गंभीरता से लेना चाहिए और समझना चाहिए, आज स्थिति यह है । मैं समझता हूं कि अगर आप आपराधिक आंकड़े निकाल लेंगे तो प्रदेश में प्रत्येक दिन एक मृत्यु, एक हत्या पानी के विवादों को लेकर के हो रही होगी, यह स्थिति बनी हुई है । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जल संकट के चलते 51 जिले के कस्बे और गांवों में 14,956 नलजल योजनाओं में से 3,523 गांवों में यह योजनाएं बंद हैं । यह आंकड़े तो आपके हैं, मैं अपने जिले की कह सकता हूं कि 90 प्रतिशत नलजल योजनाएं मेरे क्षेत्र में, विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में बंद हैं । श्योपुर जिले में 187 नलजल योजनाएं हैं, जिसमें से 119 नलजल योजनाएं मेरे विधानसभा क्षेत्र में हैं, माननीय उपाध्यक्ष महोदय 90 नलजल योजनाएं बंद हैं, माननीय मंत्री जी यह अतिश्योक्ति नहीं है, आप मेरे साथ किसी को भेज दीजिए, मैं साथ चलता हूं, उन गांवों में, आपकी योजनाओं को चिन्हित करके बताउंगा कि यह 90 नलजल योजनाएं कहां बंद हैं, लोग राजस्थान से पानी पी रहे हैं, 10-10 किलोमीटर से पानी ला रहे हैं, जबकि राज्य सरकार, भारत सरकार के निर्देश हैं कि किसी भी व्यक्ति को 100 मीटर के बाहर से पानी लेने के लिए नहीं जाना पड़े, लेकिन लोग 10-10 किलोमीटर दूर पानी के लिए तरस रहे हैं, यह स्थिति है । पीने के लिए दो घड़े पानी तो गांव में मिल जाता है, लेकिन पशुओं को 10 से 15 किलोमीटर दूर तक रोज पानी पिलाने के लिए ले जाना पड़ता है अगर नहीं ले गए तो उनमें से आधे पशु तो वैसे ही छोड़ दिए हैं । प्रदेश की स्थिति ब्यावरा, सागर, सीहोर, बीना, हरदा, गैरतगंज प्रदेश के लगभग सभी जिलों में सभी दूर भीषण संकट है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय यह सर्वे किया है, लोग सर्वे करते रहते हैं, सवा दो करोड़ लोगों को रोज पानी नहीं मिलता, प्रदेश के कई नगरों की नलजल योजनाएं सात दिन में एक दिन पानी देती हैं, कई जगह दो दिन में एक दिन पानी, कई जगह तीन दिन में एक दिन पानी, इसके लिए मैं बताउंगा, हमारे जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया के गृह क्षेत्र दमोह में सप्ताह में एक दिन पानी वितरित किया जाता है, प्रदेश में 11 निकाय ऐसे हैं, जिनमें तीन दिन में एक दिन पानी दिया जाता है और 119 निकाय ऐसे हैं, जिनमें एक दिन छोड़कर जलापूर्ति की जाती है, प्रदेश में गंभीर जलसंकट की स्थिति इससे भी स्पष्ट होती है कि भूजल बोर्ड के अनुसार लगातार बेताहासा दोहन के कारण प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में भूजल स्तर गिरता जा रहा है, दो से दस मीटर तक भूजल स्तर गिरा है, इस साल फरवरी के आरंभ में ही कुछ जिलों में जल स्तर 5 से 62 मीटर नीचे तक जा चुका है, इतनी भयावह स्थिति है । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस तरफ भी ध्यान दिलाना चाहूंगा ।
उपाध्यक्ष महोदय- रावत जी, आप मेरा भी सहयोग करिएगा, थोड़ा सा समय ।
श्री रामनिवास रावत- जी उपाध्यक्ष महोदय, मैं सहयोग करूंगा, आप कहें तो अपनी बात खत्म कर देता हूं ।
उपाध्यक्ष महोदय- नहीं, नहीं ऐसा नहीं है, मैंने तो कहा कि सहयोग करिए ।
श्री रामनिवास रावत- जी, उपाध्यक्ष महोदय, बिल्कुल सहयोग करेंगे ।
उपाध्यक्ष महोदय- समय का ध्यान रखएिगा, आप अच्छा बोलते हैं, नि:संदेह सारगर्भित बातें आती हैं ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर ऐसी बात है, तो मैं सब बंद कर देता हूं, अपनी बात पर आ जाता हूं, मेरी पीड़ा यह है कि मेरे क्षेत्र की स्थिति भी इतनी भयावह है ।
उपाध्यक्ष महोदय- दिक्कत यह है कि आपकी पीड़ा है, मेरी सीमा है ।
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश का जल स्तर 562 मीटर तक गिर गया है. मेरा यह निवेदन है कि अभी सिसोदिया जी ने कहा था कि जल स्तर 1,000 फीट नीचे गिरा है. मैं इसको ऐसे भी परिभाषित करना चाहूँगा कि एक स्थिति ऐसी होती है कि जल स्तर नीचे गिरता है लेकिन नीचे जल है, ग्राउण्ड वाटर है. एक क्षेत्र ऐसा भी है कि जिसमें जल स्तर केवल 200 फीट तक है और 200 फीट समाप्त होने के बाद, 1,500 फीट से 2000 फीट तक चले जाइये, उसमें जल नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं स्वयं अपने क्षेत्र में 1,200 फीट से नीचे तक के बोर करवा चुका हूँ लेकिन जल नहीं मिला है. कई हैण्डपम्प एवं बोर सूखे निकल गए. ऐसी स्थिति में क्या किया जाना चाहिए ? इस चीज को बड़ी गम्भीरता से लिया जाना चाहिए. मैंने कहा था कि मेरे क्षेत्र में 119 नल-जल योजनाएं हैं लगभग 90 नल-जल योजनाएं बन्द पड़ी हैं, माननीय मंत्री जी, मैंने एक प्रश्न किया था. मेरे यहां लगभग 20 मीटर अर्थात् 60 फीट जलस्तर इसी वर्ष नीचे गिरा है. मैंने लगातार नल-जल योजनाओं को संधारण करने के लिये मुख्य सचिव को नवम्बर 2015 एवं मार्च 2016 में लगातार पत्र भेजता रहा हूँ लेकिन उसे ठीक करने की स्थिति अभी तक नहीं आ रही है. मंत्री जी, प्रदेश में लगभग 90 प्रतिशत नल-जल योजनाएं बन्द पड़ी हैं, कई क्षेत्र ऐसे हैं- शिवपुरी के कई प्रतिनिधि होंगे, वहां सर्वाधिक नल-जल योजनाएं बन्द पड़ी हैं, शिवपुरी के फौरी, मेरे कराहल, टीकमगढ़, बघेलखण्ड और बुन्देलखण्ड की स्थिति लगभग समान है. नल-जल योजनाएं कई जगह बन्द हैं, मोटरें खराब होने के कारण, पानी सूख जाने के कारण, बिजली नहीं होने के कारण, बोर बन्द पड़ जाने के कारण एवं केबल फॉल्ट या चोरी हो जाने के कारण.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बातें कितनी भी करते रहें. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी इस सदन में कई बार घोषणा की है, सूखे पर भी घोषणा की. विशेष सत्र बुलाया तब भी घोषणा की. किसी भी नल-जल योजना का कनेक्शन बिजली बिल के अभाव में काटा नहीं जायेगा. लेकिन हकीकत क्या है ? आप हकीकत, हमारे जन-प्रतिनिधियों से पूछ सकते हैं कि बिजली वाले कोई कुछ नहीं सुनना चाहता है. उन्हें पैसे चाहिए, चाहे नल-जल योजना का कनेक्शन हो, चाहे किसी का भी कनेक्शन हो. यदि उन्हें पैसे नहीं मिले तो उन्होंने गांव के गांव नल-जल योजनाओं के कनेक्शन भी काट दिये हैं. नल-जल योजनाएं कई जगह बन्द पड़ी हैं. इसी तरह से हैण्डपम्प भी 90 प्रतिशत बन्द पड़े हैं. अब, जैसे मैं अपनी स्थिति बताऊँ, मेरे गांव में 22 हैण्डपम्प हैं, 22 में से केवल एक हैण्डपम्प एवं एक बोर चल रहा है और कई जगह तो यह स्थिति है कि हैण्डपम्प हैं ही नहीं, बोर चलते हैं और अगर बिजली है तो पानी है, बिजली नहीं है तो पानी नहीं है. लोग बिजली के इन्तजार में बैठे रहते हैं, यह स्थिति है. इसी तरह से हैण्डपम्पों की स्थिति है- सूख जाने से खराब हैं, भर पट जाने से खराब हैं, राईजर पाईप नहीं होने से खराब हैं, भू-जल स्तर गिर जाने से खराब हैं, रोड के नहीं होने से खराब हैं. इसके लिए, मैं निवेदन करूँगा कि निश्चित रूप से इस सरकार में यह सूखे की स्थिति बनी. यह स्थिति धीरे-धीरे प्राकृतिक संतुलन एवं पर्यावरण संतुलन बिगड़ने के कारण बन रही है और बढ़ती जा रही है, हम इसे रोक नहीं पा रहे हैं. इसके लिए, हमें ध्यान देना होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमें भू-जल सर्वेक्षण बोर्ड की विशेष स्थिति तैयार करनी पड़ेगी, हमें विशेष टीमें तैयार करनी पड़ेंगी. मेरा यह निवेदन है कि यह पूरी सरकार का सम्मिलित दायित्व है, अकेले पी.एच.ई. विभाग एवं पी.एच.ई. मंत्री इसे नहीं कर सकतीं कि भू-जल सर्वेक्षण बोर्ड द्वारा प्रदेश के समस्त जिलों में ऐसे क्षेत्रों को चिन्ह्ति करायें, जहां ग्राउण्ड वाटर नहीं है, जहां ग्राउण्ड वाटर की संभावना ही नहीं है, जहां हम कहीं से पानी नहीं ले जा सकते हैं, जहां हम कहीं से पानी पिलाने की व्यवस्था नहीं कर सकते, उन क्षेत्रों का सर्वेक्षण करें. नदियों एवं नालों की स्थिति का भी सर्वेक्षण करें कि हम सतही वाटर को रोककर, कैसे उन पर बांध बना सकते हैं, उन पर तालाब बना सकते हैं ? मेरे क्षेत्र में लगभग 40 तालाब टूटे-फूटे पड़े हुए हैं, वे छोटी सी राशि से ठीक हो जायेंगे, ज्यादा राशि की आवश्यकता नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - रावत जी, शॉर्ट कीजिये.
श्री रामनिवास रावत - शॅार्ट करूँ. मैं थोड़ा सुझाव और दे लूँ. कोई धर्मसंकट नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - ऐसा नहीं है, कोई धर्मसंकट नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले प्रदेश में चिह्नित करवाकर, सर्वेक्षण कराकर ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित करें और वहां सिंचाई विभाग, पीएचईडी की सतही जल रोकने की, बड़े बड़े बांध बनाने की योजना बनायें और जहां भी प्रदेश में टूटे फूटे तालाब जितने भी पड़े हैं, उनको जोड़ने की, तत्काल ठीक करने की व्यवस्था बनायें. फिलाहल आप ज्यादा से ज्यादा सर्वेक्षण कराकर बोर करवायें, वाटर सप्लाई करवायें. आप पानी का परिवहन कराकर पानी भिजवाने की व्यवस्था करें. स्थिति यह आने वाली है. मैं अपने क्षेत्र की बात करुं, तो परिवहन के लिये भी 15-20 किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा. आप भूजल अधिनियम के बारे में भी विचार करें. जो बेहताशा भूजल का दोहन हो रहा है, इसको रोकने की व्यवस्था भी आप करें. अगर आप इसमें जायेंगे कि सिंचाई का रकबा बढ़ा है, सिंचाई का रकबा आपका शासकीय परियोजनाओं से भी बढ़ा है. लेकिन सर्वाधिक अगर सिंचाई का रकबा बढ़ा है, तो वह ग्राउंड वाटर के दोहन से, बोर के इस्तेमाल से सिंचाई का रकबा बढ़ा है. लेकिन दूसरी तरफ नुकसान भी हुआ है. मेरा तो निवेदन है कि भूजल अधिनियम तुरन्त लागू करें कि हम ग्राउंड वाटर के बेतहाशा दोहन पर कैसे रोक लगायें, किस तरह से स्थिति का सामना करें. ऐसी तहसीलों को चिह्नित करें. मेरे श्योपुर जिले की विजयपुर, कराहल और वीरपुर तहसील को चिह्नित करके उनको जल संकटग्रस्त तहसीलें घोषित करें, जिससे हमेशा यह चिह्नित रहे कि हमें वहां क्या क्या करना है. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि जन भागीदारी से बूंद बूंद को सहेजने की व्यवस्था करें. जल प्रबंधन प्रणाली में आप बहुत पीछे हैं. एक समय था, मेरा क्षेत्र राजस्थान से लगा हुआ है. सिसोदिया जी कहीं चले गये. एक समय था कि राजस्थान में जल संकट भारी माना जाता था. लेकिन राजस्थान में जल प्रबंधन प्रणाली में सुधार करके, जल संरक्षण की व्यवस्था करके राजस्थान आज पीने के पानी के संकट से नहीं जूझ रहा है. हमारा मध्यप्रदेश जहां सतही जल की कमी नहीं थी, नदी नालों की कमी नहीं थी. आज हम जल संकट के पायदान पर खड़े हैं, जल संकट का सामना कर रहे हैं. आप जल प्रबंधन प्रणाली में देश के राज्यों की सूची में बहुत पीछे हैं. जल संवर्द्धन और संरक्षण की परम्परागत प्रणाली को सुधार करने की व्यवस्था करायें. नदी जोड़ो अभियान, नदी नालों पर चेक बांध की व्यवस्था करें. इसके साथ साथ नगरों में वाटर री-हारवेस्टिंग की व्यवस्था को कम्पलसरी लागू करें. मेरा यह निवेदन है कि वाटर री-हारवेस्टिंग जब तक लागू नहीं होगा, तब तक काम नहीं चलेगा. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि मेरे क्षेत्र में कम से कम पानी का उपयोग करायें, पानी की रीसाइकलिंग करें और औद्योगिक इकाइयों में जो पानी का उपयोग होता है, उपयोग होने के बाद निकलने वाले पानी को उपचारित करने के बाद किस तरह से उपयोग में ला सकें, इसके लिये अनुरोध है और इस बार मेरे क्षेत्र के लोगों को पलायन न करना पड़े, दूसरी तरफ पानी के अभाव में लाखों लोग बाहर चले गये हैं. मेरा निवेदन है कि इस स्थिति को ठीक से संभाले, संभलवायें. उपाध्यक्ष महोदय, बोलना तो बहुत कुछ था, मेरी पीड़ा भी जबरदस्त है, पर मैं क्या बताऊं. आपने बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- उपाध्यक्ष महोदय, आज सदन में जिस विषय को लेकर हम चर्चा कर रहे हैं, यह विषय वास्तव में प्राकृतिक आपदा होने की वजह से, कम बारिश होने की वजह से यहां आया है. लेकिन अगर हम पूरा इतिहास उठाकर देखें, तो इस देश पर राजा महाराजाओं का राज था. राजा महाराजा का राज हुआ, अंग्रेजों ने फिर उनके ऊपर शासन किया और उनको ठोक पीट कर फिर बराबर हमने आजादी ली. फिर यही राजा महाराजाओं ने चुनाव लड़कर सरकारें बनाईं. मध्यप्रदेश का जैसा इतिहास है कि कैसे कैसे लोगों ने यहां का नेतृत्व किया है. उन लोगों ने जंगल भी बेचा, जंगल की जमीनें भी बेचीं और जंगल के जानवरों को भी मारकर खा गये. ऐसे फोटो लगी रहती हैं, कही महलों में मैंने देखी हैं. यह प्राकृतिक आपदाएं कई बार पानी जब जमीन पर नहीं रुकता है, उसकी वजह से यह आती हैं. यह विषय..
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्यक्ष महोदय, मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जो यहां हैं ही नहीं, जंगली जानवरों को मार कर खा गये, उनका रिप्लाई कौन देगा. इसको विलोपित करा दें.
डॉ. कैलाश जाटव -- रावत जी, जब आप बोल रहे थे, तो मैं चुप बैठा था. आपको प्राकृतिक आपदायें क्यों आती हैं, उस पर तो बात करना पड़ेगी. आज यह पानी किस वजह से कम हो रहा है. आपको इन सब बातों पर चर्चा करना पड़ेगी. ..(व्यवधान).. मैंने किसी का नाम नहीं लिया है, अगर आपको लग रहा है तो आप स्वीकार करें, कोई दिक्कत नहीं है.
..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- इसमें राजा और रंक दोनों को ही चुनाव लड़कर के आना पड़ता है.सबको चुनाव जीतकर के आना पड़ता है कैलाश भैया....
डॉ.कैलाश जाटव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- जाटव जी दोनों पक्ष में राजा और महाराजा हैं , इसलिये आप क्यों विवाद की बातें कर रहे हैं. आप विषय पर आयें.
डॉ.कैलाश जाटव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह प्राकृतिक आपदायें और जल प्रबंधन को लेकर के आज पूरा देश और प्रदेश जूझ रहा है. मैं एक उदाहरण यहां पर रखना चाहता हूं. कल मैं टीवी देख रहा था लातूर में अभी भी रात को 2-2 बजे तक लोग जग रहे हैं, जबकि आपको मालूम है कि वहां पर सरकार किसकी रही है, वहां पर किसने राज किया है और उस राज्य की दुर्गति कैसे हुई. आपको सब मालूम है. लेकिन मेरा यह कहना है कि आज जिस तरीके से शिवराज जी की सरकार ने पानी का प्रबंधन किया है यह प्रबंधन 60 साल पहले क्यों नहीं हुआ, 50 साल पहले क्यों नहीं हुआ, 40 साल पहले क्यों नहीं हुआ. आज हम नदियों को जोड़ने का काम कर रहे हैं तो विपक्ष को आपत्ति है, क्षिप्रा में पानी डालने का काम कर रहे हैं उस पर विपक्ष को आपत्ति है. हम यह पूछना चाहते हैं कि अगर आप इस देश और प्रदेश के बारे में सही चिंतन कर रहे थे तो फिर आज यह विपत्ती क्यों आई, पानी के पीछे हम क्यों लड़ रहे हैं. हमने उस समय संसाधन नहीं जुटाये उसका परिणाम हमारी पीढ़ी को भोगना पड़ रहा है. आज हमारी सरकार ने कितने किसानों का भला किया है यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है, हमारे बजट में आया है, हमने सिंचाई के संसाधन बढ़ाये हैं, हमने किसानों की जमीनों में पानी देने का काम किया. लेकिन मेरा आज इस विषय को लेकर के इतना ही कहना है कि जो लोग हमें बता रहे हैं कि पानी की समस्या इस वजह से हुई है तो यह बड़ी दुखद बात है.
उपाध्यक्ष महोदय यह विषय इसलिये भी आवश्यक है कि प्रदेश का जो वनवासी बंधु क्षेत्र है , आदिवासी क्षेत्र है, उनका दोहन बहुत जबरदस्त तरीके से हुआ है, खनन के माध्यम से हुआ, जंगल कटाई के माध्यम से हुआ और वनवासी बंधु जहां पर भी निवास कर रहे हैं, आज इस सदन में जितने भी जनप्रतिनिधि बैठे हैं वे इस बात को भलीभांति जानते हैं कि उस क्षेत्र का जल स्तर जितनी तेज गति से से नीचे गया है उतना शहरों का जल स्तर नहीं गया है क्योंकि शहरों में तो नगर पालिकायें, शासन की मंशा के अनुसार जो योजनायें जाती हैं, उनका दोहन वहा पर हो रहा है वहां पर हमारी सरकार आम गरीब आदमियों तक उसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. आम आदमी तक हम पानी नहीं पहुंचा पा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, इस चर्चा के माध्यम से मेरा इतना निवेदन है कि हम सिर्फ इतना भर कर लें कि बारिश के समय छोटे नदी- नाले का लेबलिंग कराकर और छोटे छोटे स्टाप डेम बना देंगे तो आप मानकर के चलिये कि वह पानी जहां जहां रूकेगा वहां का जल का स्तर साल भर बढेगा, उसमें बहुत ज्यादा पैसा सरकार को खर्चा नहीं करना है. बहुत सारी बड़ी बड़ी योजनायें बनाने की आवश्यकता भी सरकार को नहीं है सिर्फ जो हमारे नदी-नाले बह रहे हैं उसका लेबलिंग कराकर 10फुट, 15 फुट या 25 फुट ऐसे अगर हम उसमें पानी का ड्राप रोक लेंगे तो हमारे जल का जीवन सुधर जायेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, देश के प्रधान मंत्री आदरणीय नरेन्द्र कुमार मोदी जी ने ‘‘पर ड्राप मोर क्राप’’ इसका नारा दिया, उस पर हमारे मुख्यमंत्री जी भी काम कर रहे हैं और शासन की मंशा भी है और आने वाले समय में यह भी लागू होगा. इसको जितनी गति से सरकार आगे बढ़ायेगी तो मैं समझता हूं कि ‘‘पर ड्राप मोर क्राप’’ जो है यह बहुत आगे निकलकर के हमारे पास में आयेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप सभी से अनुरोध है कि इस चर्चा में यदि आप पर्यावरण को भी ले लेते तो शायद यह चर्चा अति महत्वपूर्ण हो जाती. क्योंकि पानी का जो संकट है यह पर्यावरण के बिगड़ने के कारण है. जिस तरह से पृथ्वी का पर्यावरण बिगड़ा है उसके कारण भी हमें पानी नहीं मिल रहा है, अगर हम पर्यावरण में जायेंगे तो उचित रहेगा. मेरा सभी सदन के प्रतिनिधियों से निवेदन है कि यह राजनीति का विषय नहीं है , यह आम जनता की परेशानी का विषय है. आज जल संकट पूरे प्रदेश में, पूरे देश में है लेकिन जहां पर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की ज्यादा बस्तियां हैं वहां पर सरकार को ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है. उपाध्यक्ष जी आपने बोलने का समय प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री मुकेश नायक(पवई) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश अभूतपूर्व प्राकृतिक संकट की स्थिति से गुजर रहा है. आज ही संसदीय कार्य मंत्री जी कह रहे थे कि ईश्वर का दिया हुआ यह संकट है, मैं विनम्रतापूर्वक उनसे कहना चाहता हूं कि यह प्राकृतिक संकट है और ईश्वर तो गुणातीत है, कालातीत है, भावातीत है. और प्रकृति में होने वाले संपूर्ण परिवर्तनों को ईश्वर केवल एक साक्षीभाव से देखता है. इसलिये ईश्वर के द्वारा दिया हुआ यह संकट नहीं है, यह प्रकृति के द्वारा दिया हुआ संकट है , और इस प्रकृति के संकट को मनुष्य ने निर्मित किया है पारिस्थितिक असंतुलन (Ecological Imbalance)) के कारण साउथ और नॉर्थ पोल पर जो निरंतर बर्फ पिघल रही है, ओजोन की लेअर में छेद पड़ रहे हैं और हाइड्रोजन का जो लेबल वातावरण में बढ़ रहा है, यह इकोलॉजीकल डिसआर्डर जो हैं उसके कारण प्रकृति में इस तरह के परिवर्तन आने लगे हैं. अभी यह विषय नहीं है, यह बहुत व्यापक विषय है पर्यावरण का, लेकिन जिस तरह से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और उसके दोहन को पूरे विश्व मानव समाज ने रखा है यह उन सब चीजों का परिणाम है. आज तो मैं मध्यप्रदेश में होने वाले जल संकट को सुधारने के लिये छोटे-मोटे सुझाव मैं माननीय मंत्री महोदया को और सरकार को आपके माध्यम से देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि इस बार 2242 करोड़ का बजट पीएचई विभाग ने रखा है और यह कहा गया है कि इस साल के बजट में 132 करोड़ रूपये ज्यादा का प्रावधान मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है, अभी लगभग 20 दिन पहले 100 करोड़ रूपये ग्रामीण विकास विभाग ने एक लंबे संघर्ष के बाद कि पीएचई नल जल योजनाओं का हेण्डपम्पों का संधारण करे, रखरखाव करे, संचालन करे या ग्रामीण विकास विभाग करे. इस संघर्ष के बाद 100 करोड़ रूपये ग्रामीण विकास विभाग ने अभी पीएचई को ट्रांसफर किया है, लेकिन जिस तरह का प्रोसीजर है, सबसे पहले तो असिस्टेंट इंजीनियर प्रस्ताव बनायेगा, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को भेजेगा, 7 दिन लगेंगे असिस्टेंट इंजीनियर को, 7 दिन लगेंगे एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को, 7 दिन लगेंगे सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर को, 7 दिन लगेंगे चीफ इंजीनियर को उसके बाद उसकी प्रशासकीय स्वीकृति होगी, तब वह मैदान में जायेगा क्रियान्वयन के लिये, इम्पिलीमेंटेशन के लिये. मुझे लगता है कि जो प्रदेश में पीएचई विभाग का पिछला इतिहास और काम करने का जो तौर तरीका रहा है, मुझे लगता है कि जो 100 करोड़ रूपये मंत्री महोदया को मिला है यह आप खर्च नहीं कर पाओगी, 3 महीने खत्म हो जायेंगे और इसलिये इस अभूतपूर्व प्राकृतिक संकट के इस दौर में आपको बहुत तत्परता से काम लेना होगा और अधिकारियों का जो ढीलापन है इसको आपको ठीक करना पड़ेगा और अब जो इतनी विपुल धनराशि आप मध्यप्रदेश में पेयजल संकट या पानी की समस्या के निवारण के लिये रखना चाहते हैं, वह कैसा चल रहा है, मैं आपको बताना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो जिस तरह के घटिया मटेरियल का उपयोग मध्यप्रदेश में हो रहा है और यह सभी दौर में होता रहा है, इसमें सुधार की आवश्यकता है, केवल एक राजनैतिक दल या विपक्षी दल का सदस्य होने के नाते मैं यह बात नहीं कह रहा हूं, मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में जो पानी है इसमें अगर हम केमीकल कंटेन्ट को अगर एनालाइज करें तो इसमें फ्लोराइड, कैल्शियम और आयरन तीन केमीकल कंटेन्ट पानी में पाये जाते हैं, लेकिन जो पाइप लगाये जाते हैं जिसको राइजिंग पाइप टेक्नीकल भाषा में हम बोलते हैं जिससे पानी ऊपर आता है, वह जो पाइप का उपयोग हम करते हैं, न तो इस बात का ध्यान रखते हैं कि जमीन का स्टेटा क्या है और न हम इस बात का कोई वैज्ञानिक परीक्षण करते हैं कि उसमें किस तरह के केमीकल कंटेंट हैं पानी के अंदर और फ्लोराइड मध्यप्रदेश में ज्यादा है यह तो सभी टेक्नीकल लोग जानते हैं, यह टेक्नीकल लोगों का विभाग है, इसके बावजूद भी फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के बाद भी जीआई पाइप डाल देते हैं, सालभर में पूरे पाइप में छेद हो जाता है और साल भर के बाद जब आदमी हेण्डपम्प चलाता है तो जो हेण्डपम्प का जो हेंडल है न जिसका सरेंडर बोलते हैं, इसमें बायसर होता है, इसमें चैन होती है, इतनी घटिया क्वालिटी का बायसर और चैन उपयोग में लाये जाते हैं कि 6 महीने से ज्यादा नहीं चलते. मेरे कहने का आशय यह है कि पूरे पीएचई विभाग में जिस तरह के मटेरियल को यूज किया जाता है इसकी गुणवत्ता को अगर नहीं सुधारा गया तो संधारण का काम हो नहीं सकता, इसलिये नहीं हो सकता माननीय मंत्री महोदया क्योंकि पहले 50 हेण्डपम्प के बीच में एक आपका मैकेनिक होता था, अब 250 हेण्डपम्प के बीच में आपका एक मैकेनिक होता है और हर 6 महीने में अगर आपका हेण्डपम्प बिगड़ेगा तो आपका मैकेनिक क्या करेगा, आपके पीएचई विभाग के मटेरियल की सप्लाई टाइमली होती है क्या. एक-एक, दो-दो साल राइजिंग पाइप, वॉशर्स, चैन, कोई मटेरियल आपके यहां सप्लाई नहीं करते. बीच में आपने प्राइवेट ठेकेदारों को भी मैकेनिक कम होने के कारण हैंडपंप संधारण का काम दिया. यह कुछ क्षेत्रों में भी अभी भी चल रहा है. लेकिन वहां भी मैंने जो आंकलन किया है उसमें लगभग 900 रुपए प्रति हैंडपंप का खर्च आया है और न तो बहुत अधिक गुणवत्ता है, न कोई परिवर्तन आया है और जिस उद्देश्य से प्राइवेट ठेकेदारों को आपने यह संधारण का काम दिया था, वह काम उन्होंने कुशलतापूर्वक मध्यप्रदेश में नहीं किया है. मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि जीआई पाइप की जगह मध्यप्रदेश में जैसे झाबुआ और शहडोल में बहुत बड़े पैमाने पर एचडीपीई पाइप का उपयोग हुआ, पीवीसी पाइप लगाये गये, एल्युमिनियन के पाइप लगाये गये, उसके बहुत अच्छे परिणाम आए. वहां पर रख-रखाव और संधारण में ज्यादा सुविधा हुई. वे पाइप ज्यादा जल्दी खराब नहीं होते. लेकिन बाकी जगह इसको बिल्कुल प्रयोग में नहीं लाया गया.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा सुझाव है कि आपकी जो नलजल योजनाएं हैं, जो आप चलाना चाहता हैं उनकी बात मैं कर रहा हूं क्योंकि आपकी ज्यादातर नलजल योजनाएं तो चल ही नहीं रही हैं. मैं विनम्रतापूर्वक आपसे यह कहना चाहता हूं कि बुन्देलखण्ड पैकेज में आपने 1200 नल जल योजनाएं बनाई, जिसमें से 997 नल जल योजनाएं बंद हैं. आप कल्पना करिए कि 1200 नल जल योजनाओं में से 997 नल जल योजनाएं काम नहीं कर रही हैं. आपका वॉटर सोर्स रेडी है, उसमें मोटर पड़ी हुई है, पूरे गांव में पाइप लाइन बिछी हुई है, बिजली का कनेक्शन हो गया, लेकिन कृपया करके आप अपने जवाब में यह जरूर बताएं कि क्या कारण है कि वह मोटर आज तक चालू नहीं हुई. इतनी विपुल धनराशि का नियोजन इन नल जल योजनाओं पर हुआ. इसके वैस्टेज का जिम्मेदार कौन है? आज तक आपने उन पर क्या कार्यवाही की? मध्यप्रदेश में जो नल जल योजनाएं हैं उसको बहुत कम समय में बताऊंगा. लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि जो मध्यप्रदेश की नल जल योजनाओं का वार्षिक प्रतिवेदन आपने रखा है, यह आपने देखा है? आप इसे जरूर देखिए. आपने ही रखा है. इसको देखकर आपकी आंखें खुल जाएंगी, यह रिपोर्ट बिल्कुल आई ओपनर है. यह रिपोर्ट कहती है कि भिण्ड जिले से जहां से हमारे डॉ. गोविन्द सिंह जी आते हैं, यहां पर नल जल योजनाओं की जो प्रगति है, वह जीरो परसेंट है, जीरो परसेंट! हम गांव में जब दौरा करने केलिए जाते हैं. अनेक बार मैंने आपको फोन पर भी बताया. आपसे व्यक्तिगत मिलकर बताया. गांव में जब हम दौरा करने के लिए जाते हैं तो हमसे लोग कहते हैं कि हमारी नल जल योजना चालू करा दो, हमारी नल जल योजना बंद पड़ी हुई है, मार्मिक अपील करते हैं. हम क्या करे, आप बताइए? पंचायत कहती है कि हमारे पास टेक्निकल मेनपॉवर नहीं है और पीएचई कहती है कि हमने तो ये सारी योजनाएं पंचायत को ट्रांसफर कर दीं. इस संघर्ष में, इस दुविधा में एक ही प्रबंध में, इस दुराज की अवस्था के कारण पूरी नल जल योजनाएं ठप्प पड़ी हुई हैं, कोई उसका धनीधौरी नहीं है, कोई उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है. गांव में पानी ही नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि बुन्देलखण्ड में तो बहुत ज्यादा वॉटर लेवल नीचे है. थोड़े से क्षेत्रों को अगर आप छोड़ दें तो पानी बुन्देलखण्ड में जमीन में बहुत कम है. जहां से मैं प्रतिनिधित्व करता हूं वहां पर तो पानी की बहुत कमी है. पूरा जंगल और पहाड़ों का क्षेत्र है. न पानी के परिवहन की व्यवस्था है, न नल जल योजनाएं चालू हैं, न हैंडपंप सुधारे जा रहे हैं . हजारों की संख्या में मवेशी लोगों ने खुले छोड़ दिये हैं. जहां जाना हों जाएं क्योंकि न चारा है, न पानी है...(किसी माननीय सदस्य के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) हां, पहले से ही खुले थे. हजारों की संख्या में हैं. लेकिन जो पहले से खुले हुए मवेशी हैं, कम से कम वह पानी तो पीएंगे, पशु-पक्षी पानी तो पीएंगे, वहां रहने वाले आदमी पानी तो पीएंगे तो उसकी व्यवस्था तो करना पड़ेगी. उस दृष्टि से मैं यह बातचीत कर रहा हूं. मेरा आपसे निवेदन है कि यह वार्षिक प्रतिवेदन को आप देखें. आपने मध्यप्रदेश को 4 जोन में बांटा है. आप देखें, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी जहां का प्रतिनिधित्व करते हैं, अभी श्री सिसौदिया जी चले गये, मुझे लगता है कि सरकार ने उनको परमानेंट अपनी प्रशंसा के लिए रख छोड़ा है. इस तरह की विरुदावली का वाचन, इस तरह की भाटगिरी, एक पढ़े-लिखे प्रबुद्ध लोगों के द्वारा, इस तरह का स्तुतिगान, उनको यह नहीं पता है कि मुख्यमंत्री जी के जिले में, यह आपकी रिपोर्ट है, यह मेरी रिपोर्ट नहीं है, यह सरकार ने दी है, जिसका नेतृत्व माननीय मुख्यमंत्री जी करते हैं.उनके जिले सीहोर में 100 में से 8.89 प्रतिशत की प्रगति है, 9 प्रतिशत भी नहीं है डबल फिगर में भी नहीं पहुंचे हैं. यहां पर यह नगडिया बजाये जा रहे हैं प्रशंसा किये जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय मैं एक मिनट में बुंदेलखण्ड जहां से माननीय मंत्री जी आती हैं वहां की जरूर बात करना चाहूंगा. छतरपुर के बारे में आपके प्रगति प्रतिवेदन में लिखा है कि जो लक्ष्य रखा गया था उसका 11.11 प्रतिशत उपलब्धि है, आपकी रिपोर्ट में ही कहा गया है कि टीकमगढ़ में आपने 100 में से 7.05 प्रतिशत लक्ष्य अर्जित किया है, पन्ना जहां से हम और माननीय मंत्री जी भी प्रतिनिधित्व करती हैं वहां पर 32.5 प्रतिशत की उपलब्धी है. मेरे और माननीय मंत्री महोदया के विधान सभा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा नल जल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं. इतनी बड़ी धन राशि वहां पर खर्च हुई है लेकिन जनहित में उ सका उपयोग नहीं हो पा रहा है. यहां पर ज्यादा समय नहीं है समय की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए. मैं माननीय मंत्री महोदया और राज्य शासन से यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में बहुत ही अभूतपूर्व जल संकट पैदा होने वाला है इसको आप प्रापर एंटिसिपेट करें. इसका सही सही अनुमान निकालें, कहां पर कितनी धन राशि का नियोजन करना है. सही अधिकारी को सही स्थान पर रखें , अभी कल ही आपने प्रमुख सचिव को बदल दिया है, कहा गया कि वह बहुत ज्यादा ठीला आदमी है, कल का निर्णय है यह, आप वहां पर नये अधिकारी को लायी हैं अच्छा है आपने नई टीम को इंट्रोड्यूस किया है. लेकिन मैं उम्मीद रखता हूं कि जनहित में पेयजल समस्या का निराकरण होगा और अभूतपूर्व इस जल संकट के दौर में. पशु पक्षियों का आप विशेष रूप से ध्यान रखेंगी और जहां पर हैण्ड पंप और नल जल योजनाएं नहीं हैं वहां पर पानी के परिवहन पर भी आपका ध्यान होगा. उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद्.
श्री पन्ना लाल शाक्य ( गुना ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय और इस सदन के सभी सदस्य. बस मैं इस सदन से यह ही निवेदन करना चाहता हूं कि मैं जितना निवेदन करूंगा उतना आप सुन लीजिए. मैं कहीं भीं किसी के बीच में नहीं बोलता. कुछ करने की इच्छा हो तो सुन लेना समझ में आ जायेगी, मैं बात ही ऐसी करता हूं. हम सबके सब पश्चिम की विचारधारा से ओतप्रोत हैं. बर्नार्ड शॉ ने यह कहा है कि मनुष्य इतिहास से कुछ नहीं सीखता है, हमने आज तक कुछ नहीं सीखा, क्योंकि हम पश्चिम से ओतप्रोत हैं, विचारों से. वेदव्यास जी ने कहा था कि धर्म के अनुसार आचरण करना तो आप सबकी समृद्धि होगी, किसी ने नहीं किया और महाभारत हो गया. यहां पर जल संकट की जो बात आयी है मैं एक एक करके गिना देता हूं. हमारे प्रदेश में सामाजिक वानिकी कार्यक्रम वन विभाग के द्वारा चलता था. उस समय के जवाबदार लोग अगल यहां पर बैठे हों तो वह पहले चिंता कर लें कि उन्होंने कितने पेड़ लगाये हैं, जल संकट वहां से पैदा हुआ है, वह पेड़ जिनकी उम्र एक एक हजार वर्ष की थी, वह किसने कटवाये जैसे पीपल है बड है. हमने कौन से पेड़ लगाये यूकेलिपिटिस जो कि सत्तर लीटर पानी एक दिन में पीता है. हमारी संस्कृति में एक त्यौहार आता है हरियाली अमावस्या, हममे से कोई भी एक भी पेड़ नहीं लगाता है उस दिन,( श्री सुन्दरलाल तिवारी जी द्वारा बैठे बैठे कहने पर कि लगाते हैं ) कौन लगाता है खड़े हो जाओ बताओ जरा, कौन सा पेड़ लगाया आपने यूकेलिपिटिस.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय इनको बैंच पर खड़ा करो.
श्री पन्नालाल शाक्य -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तो मेरा आपसे एक निवेदन है कि जिनके पूर्वजों ने एक-एक हजार वर्ष पुराने जो पेड़ कटवा दिए हैं वे आज यहां प्रतिज्ञा कर लें कि उन पेड़ों की उम्र वाले पेड़ हम लगाएं, यूकेलिप्टस नहीं. आज ही यह तय करें और यह जल संकट एक दिन का नहीं है. इसे हमने ही बुलाया है कि आ जाओ, आ जाओ. मैं एक-दो घटनाएं और बता देता हूँ. हमारे गुना में एक पुराना स्थान है जहां एक गणेश कुंड है, उस गणेश कुंड के जीर्णोद्धार के लिए सरकार ने बहुत मोटी राशि दी. मोटी राशि यानि नगद पैसा दिया लेकिन उसका जीर्णोद्धार नहीं हुआ, न तो एक तगाड़ी मिट्टी आई और न ही तगाड़ी-फावड़ा आया और वह पैसा खर्च हो गया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और घटना बताता हूँ. गुना नगर के बीच में से एक नदी निकलती है जिसका नाम है केतकी और गुनिया. उसका पैसा लगभग 40 लाख रुपया आया, अफसरों ने पता नहीं उसे कहां खर्च कर दिया और वहां से एक तगाड़ी मिट्टी या एक फावड़ा मिट्टी भी नहीं निकाली. ऐसी मनोवृत्ति हमारी विकसित हुई है और इस मनोवृत्ति के कारण ही आज हम जल संकट से जूझ रहे हैं. उसमें किसी एक का दोष नहीं है, सरकार जो उधर बैठी है, वह भी दोषी नहीं है, इधर वालों को भी दोष मत दो, उधर वालों को भी दोष मत दो, हम सब दोषी हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अमृत धारा कुआं, अपने-अपने क्षेत्रों में कहां-कहां खुदे, किस-किसने खुदवाए, जनप्रतिनिधि उसका जवाबदार है. उसे देखना चाहिए. बलराम तालाब कागजों पर है, नलकूप और बोर कागजों पर हैं. हैंड-पंप कितना गहरा गया और कितना खोदा गया, कितना कागज पर है और कितना मौके पर है, इसके लिए सरकार नहीं, हम सब दोषी हैं. यहां बहुत बड़े-बड़े लोग बैठे हुए हैं, विद्वान हैं, काफी सीनियर लोग भी हैं, पर उपदेश कुशल बहुतेरे, सरकार को ऐसा करना चाहिए, सरकार को वैसा करना चाहिए, सरकार इतना पैसा किसमें खर्च कर रही है, सरकार कुछ कर ही नहीं रही है. अरे भाई, वे तो करेंगे, तुम तो बताओ, तुमने ये बलराम तालाब, अमृत धारा कुएं कहां तक खुदवा दिए. हमने उनकी निगरानी क्यों नहीं की और हम सरकार को दोष देते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक घटना और बता देता हूँ. हमारे गुना में एक पुरानी रियासत है उसके पूर्वज कहीं जीप लेकर जा रहे थे तो वह जीप फंस गई, वह उनसे अकेले से नहीं निकली तो उन्होंने गांव के 4-5 लोगों से कहा कि चलो मेरी जीप तो निकलवा देना तो उन्होंने कहा कि अरे राजा साहब, आप हमसे गाड़ी निकलवा रहे हो, आप तो खुद ही निकाल सकते हो तो उन्होंने कहा अच्छा. फिर उनको भी जरा शूरपन आया, उन्होंने कपड़े वगैरह उतारे और कमर कस के जीप के पिछले हिस्से को दोनों हाथों से उठाया और कीचड़ में से बाहर खींच लिया. ऐसा चरित्र हमें अपने में निर्मित करना चाहिए. पेड़ लगाओ, अभी रावत साहब बोल रहे थे कि हमारे यहां इतने तालाब हैं, जीर्णोद्धार करवा दो, तुम अपना पैसा तो उसमें खर्च कर दो कुछ दिन के लिए. तुम जनता के पानी के लिए बड़े चिंतित हो ना, तो करो ना, पहले लोग ऐसा ही करते थे. जैसा अभी बताया कि जीप उठाकर उन्होंने बाहर निकाली और गांव वालों से कह दिया कि जाओ, मैंने तो जीप निकाल ली. तो ऐसा मत कहो कि सरकार ऐसा पैसा लगाए, अरे खुद लगाओ ना, जनता के शुभचिंतक हो तो. अभी तिवारी जी बोल रहे थे कि तुम तो वृंदावली गा रहे हो, अरे वृंदावली तो गाएंगे ही ना, गंगा का अवतरण किसने किया, भागीरथ ने, तो हम भागीरथ का ही नाम लेंगे. सागर का जीर्णोद्धार किसने किया, राजा सागर ने, तो उसका ही नाम लेंगे हम और माननीय मुख्यमंत्री जी जनता के लिए जो कर रहे हैं तो हम उनका ही गुणगान करेंगे, आप सजग होकर वह सही काम करवाते जाओ ना, आपको किसने रोका है. धन्यवाद.
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग आज पूरे मध्यप्रदेश में पता नहीं किन कारणों से कोमा की स्थिति में पहुंच रहा है. कई जिलों में काम 20 प्रतिशत, कहीं 80 प्रतिशत और भिण्ड जिले में पेयजल की योजनाओं में जीरो परसेंट है लेकिन आपका विभाग पूरा को-लेप्स हो चुका है. मुकेश नायक जी ने तो केवल पेयजल योजनाओं की प्रगति बतायी है लेकिन वही हालत भिण्ड जिले में हैण्डपम्पों की भी है. फ्लोराइड की और बीमारियों की बातें बहुत लम्बी हो गयीं कि बीमारियां फैल रही हैं, भिण्ड में भी है. दिसम्बर में विधानसभा में एक सवाल में जवाब आया था कि 52 हजार हैण्डपम्प खराब हैं. तीन हजार से ज्यादा नल जल योजनाएँ खराब हैं लेकिन भिण्ड जिले में शत-प्रतिशत खराब हैं और खराब होने का कारण यह है कि पिछले 12-15 वर्षों में, इसमें एक-दो वर्ष और भी हो सकते हैं, पीएचई की स्थिति भिण्ड जिले में बिलकुल खत्म हो चुकी है. मैंने विधानसभा में सवाल लगाया. हैण्डपम्प कितने खनन हुए, मौके पर हैं ही नहीं और एक हजार हैण्डपम्पों के खनन का भुगतान हो गया. कई उपयंत्रियों ने यह लिख के दिया कि हमारे सिगनेचर ही नहीं हैं और करीब 40 करोड़ का भुगतान हो गया. भिण्ड जिले में मैंने पूछा कि एक वर्ष में कितने कुओं में मरम्मत और खुदाई हुई, 2 करोड़ 40 लाख का भुगतान हो गया लेकिन गांवों में कुएँ हैं ही नहीं और घर बैठे ही बिल बन गये और भुगतान हो गया. मैंने लगातार पिछले 2 वर्षों में प्रमुख सचिव, पता नहीं इनको क्या हो गया, जब वित्त में थे अच्छा काम करते थे, पीएचई में किस दबाव में, किस कारण से काम करने की हिम्मत नहीं पड़ रही है, वैसे मैं वल्लभ भवन में जाता नहीं हूँ, बहुत जरुरी हो तो दो चार वर्ष में एकाध बार जाता हूँ, पांच वर्ष बाद गया था. मैंने खुद पर्सनल मिलकर के उनको पत्र दिया था, प्रमाण सहित दस्तावेज दिये. ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार के केस दर्ज हैं उसके बाद भी 2 करोड़ 40 लाख फर्जी हैण्डपम्प, नकली पाइल लगाने, स्टोर में करीब 20 करोड़ का घपला, करीब 8 ठेकेदारों ने भी करीब 18 करोड़ का फर्जी भुगतान ले लिया. जांच हुई. जांच में, माननीय मंत्री जी बहादुर हैं, ईमानदार हैं लेकिन आपको भी मैंन पर्सनल मिलकर दिया था लेकिन हुआ नहीं.महारानी लक्ष्मीबाई वीरांगना की वंशज हमारी मंत्री महोदय बहुत बहादुर और ईमानदार हैं लेकिन पता नहीं आपके आश्वासन के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- आपकी जानकारी में हैं तो आप नाम ले लें तो ज्यादा बेहतर होगा.
डॉ. गोविन्द सिंह-- दे देंगे. आपको सब पता तो है. आपको सब जानकारी है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- जब 8 व्यक्ति हैं, आपको पता है तो नामित्त भी कर दें, उसमें क्या दिक्कत है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- जरुरी होगा, मैडम कहेंगी तो नाम दे देंगे और हमने नाम दिये हैं. हमने शिकायत में लिखित में दिये हैं. अच्छा ईमानदारी से आप बताओ कि भिण्ड जिले में भ्रष्टाचार है कि नहीं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- उपाध्यक्ष महोदय,विधानसभा में बोल दें तो और रिकार्ड में आ जायेगा, ज्यादा बेहतर है.
डॉ. गोविंद सिंह—रिकार्ड में है, लिखित में है हमारे पास. इसके साथ ही मैं कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी पीएचई के भोपाल कार्यालय में आग लगी आपने कहा कि मैं जांच कराऊँगी , आपका बयान अखबार में छपा है लेकिन आज तक जांच नहीं हुई है. मैंने विधानसभा प्रश्न भी लगाया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई.
उपाध्यक्ष महोदय--- डॉ. साहब पेयजल कैसे उपलब्ध कराया जाये उस पर आप चर्चा करें.
डॉ. गोविंद सिंह--- पेयजल उपलब्ध कैसे होगा जब पूरा भ्रष्टाचार गले गले तक हो. अधिकारी-कर्मचारी पूरा खा जाते हैं आखिर आप उन पर कंट्रोल लगायें. दो-चार को शहीद करो.इस तरह का भ्रष्टाचार है कि आप यहाँ से पैसे भेजते हैं,वहाँ पूरा पैसा डकार जाते हैं, फर्जी बिल लगातार लगाये जा रहे हैं. हम शिकायतें कर रहे हैं, विधानसभा प्रश्न लगा रहे हैं, अब और कौनसा रास्ता बचा है जहाँ हम जायें. हमने बड़ी उम्मीद लगाई थी. लोकायुक्त में शिकायतें चल रही हैं, पीएचई में पूर्व विधायक की शिकायत दर्ज है, केस रजिस्टर्ड है, पांच वर्ष हो गये हैं लेकिन उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो रही है. मैं कहना चाहता हूं कि हमारे लहार विधानसभा क्षेत्र और भिंड जिले में पीएचई की शत प्रतिशत पूरे जिले की पेयजल योजना पिछले तीन वर्ष से 100 परसेंट बंद हैं, आप यहीं आंकड़े निकालकर देख लें. कहाँ से पैसा चला आ रहा है, हर महीने का खर्च डल रहा है.
वनमंत्री(डॉ. गौरीशंकर शेजवार)---- उपाध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना है कि सरकार की तरफ से कभी कोई गलत जानकारी आती है तो उस पर तो कार्यवाही का प्रावधान है कि मंत्री ने गलत उत्तर दिया है मेरा कहना है कि सदस्यों की तरफ से यदि कोई गलत जानकारी आए तो उसके लिए क्या प्रावधान है, बताइए उसको हम कैसे उठा सकते हैं.
डॉ.गोविंद सिंह--- हमने प्रश्न एवं संदर्भ समिति में दिया है.(XXX).
उपाध्यक्ष महोदय--- इसके लिए अध्यक्ष महोदय ने आचरण समिति बना दी है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--- उपाध्यक्ष महोदय, इनका कहना है कि पूरे जिले की 100 प्रतिशत नल जल योजनायें बंद हैं , क्या यह संभव है ...(व्यवधान)... अरे, ऐसे चिल्लाने से नहीं होता है.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- रिकार्ड में है.
डॉ. गोविंद सिंह-- आपके वार्षिक प्रतिवेदन 2014-15 की रिपोर्ट है उसमें आप देख लें भिंड जिले में जीरो परसेंट प्रगति है.
श्री रामनिवास रावत--- इसके लिए अनुरोध है कि डॉ. द्वय को भेजकर पूरा परीक्षण करा लें स्थिति क्लियर हो जाएगी.
(श्री हर्ष यादव, सदस्य द्वारा संबद्ध दस्तावेज वनमंत्री को देने जाने पर)
उपाध्यक्ष महोदय--- हर्ष यादव जी , आप यह नहीं कर सकते हैं यह गलत है, उसको वापस रखिये. डॉ. साहब आप अलग से मिलकर यह दीजिये , आप संसदीय परंपराओं को अच्छी तरह से जानते हैं. आपको हर्ष यादव जी को रोकना था वह पहली बार चुनकर आए हैं.
डॉ. गोविंद सिंह—वनमंत्री जी हर बार बीच में डिस्टर्ब करते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- (वनमंत्री जी को) आपकी दीदी से क्या दुश्मनी है.
डॉ. गोविंद सिंह--- दीदी काम करना चाहती हैं लेकिन करने कहाँ दे रहे हैं. पूरा अमला कैंसर की बीमारी से पीड़ित हो चुका है, कैंसर का कोई इलाज नहीं है, लाइलाज है. हमने तो आपसे कहा भी था. दीदी बोली, मैं सबको ठीक कर दूंगी, हमने कहा आपके बस का नहीं है. कैंसर एक ऐसा रोग है जिसका इलाज अभी विश्व में नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, पानी की चर्चा और कैंसर की चर्चा कोई तालमेल नहीं है.
डॉ. गोविंद सिंह--- आपका विभाग कैंसरग्रस्त हो चुका है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--- मेरे विभाग के अंतर्गत न फ्लोराइड से कैंसर होता है और न कैल्शियम से कैंसर होता है और न आयरन से कैंसर होता है.
डॉ. गोविंद सिंह--- आपका विभाग भ्रष्टाचार के कैंसर से ग्रस्त है. हम आपको प्रमाण दे चुके हैं. प्रमुख सचिव को भी प्रमाण दे चुके हैं. अभी तक उसकी जांच क्यों नहीं हुई, दोषी दंडित क्यों नहीं हुए, वह लोग अभी भी अच्छे अच्छे पदों पर बैठे हुए हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--- यह गलत आरोप लगा रहे हैं और सत्यता होगी तो हम कीमोथैरेपी करा लेंगे. (हंसी)
डॉ. गोविंद सिंह-- मैंने तो आपको लिखित में दिया है मैं फिर प्रमाण सहित दस्तावेज दे दूंगा. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप सुधार करिये. मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं कि भिंड जिले में लगभग पूरे जिले में 200 गांव खारे पानी से दूषित हो चुके हैं. उनमें आप हैंडपंप भी लगाते हैं तो आसपास 10-10, 15-15 किलोमीटर खारा पानी हो चुका है. इसलिए वहाँ पेयजल योजना 15 और 20 किलोमीटर दूर से लगाएंगे तो गांव के लोगों को पानी उपलब्ध हो पाएगा.इसके अलावा भिण्ड जिले में, हमारा आप से अनुरोध है डी टी एच मशीन, आपके मेकेनिकल विभाग के पास ग्वालियर में है और पूरे विभाग में शायद दो या तीन मशीनें हैं तो भिण्ड जिले में जहाँ पत्थर हैं. कई गाँवों में पत्थर निकलता है 50 फिट के बाद, बिना डी टी एच के वहाँ बोर नहीं होते तो ऐसी जगह पर आप कम से कम गर्मी के सीजन में जब पेयजल संकट है. एक डी टी एच मशीन की व्यवस्था करें ताकि जिन गाँवों में भयंकर पेयजल संकट है वहाँ पर आप डी टी एच से बोर करा सकते हैं. मेडम, मैं आप से कहना चाहता हूँ कि आप जाँच करा लें. किसी को भेज दें. लहार विधान सभा क्षेत्र में पिछले ढाई वर्ष से एक भी नवीन हैण्डपंप का खनन नहीं हुआ है और करीब करीब यही हालत पूरे भिण्ड जिले की है. परसों की स्थिति है. भिण्ड जिले में न आपके पाईप हैं, न नट बोल्ट हैं, न रायजिंग पाईप हैं. कई जगह हैण्डपंप का खनन दो वर्ष पहले हो गया लेकिन हैण्डपंप के ऊपर लगाने वाला जो हैण्डपंप खींचा जाता है पाईप सिलेंडर नहीं है इसलिए बोर भी बंद पड़े हैं. ऐसे बोरों का सर्वे कराएँ और काम करें. आपके पास अमला है. सब इंजीनियर से ऊपर का अमला नहीं है. लेकिन नीचे डेली वेजेस वाले कई कर्मचारी हैं. हर सब डिवीजन में कम से कम 40-50 ऐसे कर्मचारी हैं जो वर्षों से 10-12 हजार रुपये माहवार लेते हैं लेकिन कभी आते नहीं हैं. मेरा आप से अनुरोध है कि उनको दो महीने के लिए पी एच ई विभाग से डेपुटेशन पर ग्राम पंचायत में अधिकृत कर दें और वे वहाँ रहेंगे तो हैण्डपंप सुधारने का काम करेंगे. आज जो समस्या है आपके यहाँ सब इंजीनियर नहीं हैं, आपका स्टाफ नहीं है, वहाँ पर आप पंचायतों को जिम्मेदारी दे दें जहाँ सरपंच, अगर पैसा पहुँचने के बाद ग्राम पंचायत के जन प्रतिनिधि पानी गाँव में उपलब्ध नहीं कराएँगे तो वे गाँव की जनता के प्रति जवाबदार होंगे. जहाँ आपकी स्थिति इस प्रकार की है. इसके साथ साथ भिण्ड में वर्षों से कार्यपालन यंत्री नहीं हैं. अभी लहार में एक असिस्टेंट इंजीनियर पहुँचा था. उसको भी आपने भिण्ड में भेज दिया है तो हमारा असिस्टेंट इंजीनियर बाहर आ जाए ताकि लहार पहुँच जाए और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कार्यपालन यंत्री की व्यवस्था कर दे. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आप से अनुरोध है कि एल यू एन, आप उद्योग मंत्री भी रहे हैं और उस समय की तो नहीं, लेकिन आज की हमें स्थिति मालूम है. एल यू एन, लघु उद्योग निगम नहीं है, वास्तव में यह लूट उद्योग निगम हो चुका है. इसमें पहले आप जाओ बिना किसी आदेश के, आपने पूरा एल यू एन को दे दिया, ताकि यह हुआ कि साफ सुथरा काम, हम तो दे चुके हैं एल यू एन को, सरकारी उपक्रम है, लेकिन वहाँ पर अगर आप केवल आदेश लेकर पहुँच जाओ कि हमें सौ करोड़ के पाईप खरीदना हैं तो 20 से 25 परसेंट तो आदेश पर ही दे देते हैं, ले जाने वाले दलाल को. यह स्थिति है तो आखिर 20-25 परसेंट एल यू एन ही ले लेगा, दलाल खाएगा, फिर वह खाएगा, तो फिर आखिर आपकी कितनी अच्छी मशीनरी खरीदी जाएगी इसलिए मेरा आप से अनुरोध है कि आप तो अपने विभाग में स्वयं देखते हुए सीधी खरीदी करवाएँ. ताकि इतना पैसा जो आपका अपव्यय हो रहा है वह बचेगा. उपाध्यक्ष महोदय, निजी कुँए हैं, कई जगह ऐसे गाँव हैं जहाँ निजी कुँए हैं, कई लोग तो अपने आप ही दे देते हैं. लेकिन जहाँ नहीं दे रहा है, पानी की समस्या गंभीर है और भिण्ड जिले में पिछले 3 साल से सूखा पड़ रहा है. आपकी रिपोर्ट विधान सभा में आई भी होगी. भिण्ड जिले में 35 से 40 मीटर पानी नीचे चला गया है. आज 50 से 60 परसेंट हैण्डपंप ऐसे हैं जिनमें 3-3, 4-4, रायजिंग पाईप लगा देते हैं फिर भी पानी नहीं निकल पा रहा है तो यह रायजिंग पाईप, नल बोल्ट भिण्ड में बिल्कुल नहीं हैं और जो व्यवस्था कोलैप्स हो चुकी है उसको आप तत्काल सुधारें ताकि गर्मी के 2 महीनों में वे चल सकें. उपाध्यक्ष महोदय, आप वहाँ पानी माताटीला बाँध से चिरगाँव के पास पानी भाण्डेर नहर में, राजघाट का भी है, अभी नरोत्तम मिश्रा जी हैं तो मंत्री के दबाव में इनका आजकल डंडा चल रहा है. इन्होंने तो अपने पूरे चारों तालाब भरवा लिए. वहाँ से नहर में डाल कर, उसी से आगे हमारा क्षेत्र पड़ता है तो मेरा आप से अनुरोध है कि पानी कम से कम 3 या 4 दिन के लिए भाण्डेर नहर जो है बड़ी वाली उसमें पानी छुड़वा दें तो जितने भी तालाब हैं, सिन्ध नदी के इस पार, जिसमें लहार, मेह और रौन, तीन तहसीलें आती हैं, उनमें पानी भरने से पशु-पक्षियों को पानी मिलेगा और वाटर लेवल बढ़ने से कम से कम गर्मी के संकट के दो-तीन महीने निकल जायेंगे यही हमारी आपसे प्रार्थना है इसी के साथ आपसे कहना चाहते हैं कि वैसे तो आप निर्णय जोरदार लेते हो लेकिन आपके निर्णय क्रियान्वित नहीं हो पा रहे हैं हमारा आपसे निवेदन है कि भिण्ड जिले के लिये कोई अच्छा इंजीनियर भेज दें ताकि दो महीने के लिये काम हो सके और नहीं है तो दूसरे विभाग से डेपूटेशन पर ले लो दो महीने के लिये व्यवस्था सौंप दे क्योंकि वहां आपका विभाग बिलकुल खत्म हो चुका है पूरा चरमरा गया है कोलेप्स हो चुका है यह सच्चाई है.
श्री रामप्यारे कुलस्ते (निवास)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज इस सदन में जल संकट को लेकर चर्चा चल रही है जल संकट भी एक तरह से प्राकृतिक आपदा ही है और प्राकृतिक आपदा में हम यह कहें कि प्रकृति का जब संतुलन बिगड़ता है जिसमें जल, जंगल और जमीन. जल का संरक्षण और संधारण जैसा कि हमारे पूर्व वक्ताओं ने सदन को अवगत कराया है कि किन कारणों से या पूर्व की जिस तरह की हमारी कमियां रहीं उनके कारण भी हमारे संरक्षण और संधारण जो पेयजल का होना चाहिये उस तरीके का न हो पाना भी वर्तमान जल संकट का एक बहुत बड़ा कारण है. वर्तमान समय में प्रदेश की सरकार ने बहुत गंभीरता से इस काम को पूर्व से ही जैसा कि हमारे पूर्व भविष्य वक्ताओं ने कहा और लोगों ने शंका जाहिर की कि आने वाला अगर कोई विश्व युद्ध होगा, तृतीय विश्व युद्ध तो वह जल संकट को लेकर होगा.
4.47 बजे {सभापति महोदय (डॉ. गोविन्द सिंह) पीठासीन हुए }
माननीय सभापति महोदय, इन सारी बातों को जानकर, समझकर सरकार ने पूरी मुस्तैदी के साथ में जल संरक्षण के क्षेत्र में जो काम करना प्रारंभ किया है यह निश्चित रुप से अभूतपूर्व है चाहे बांध निर्माण का विषय हो, बांध निर्माणों को लेकर के भी अगर हम देखेंगे और सरकारों की तुलना हम करेंगे तो मैं सझता हूँ वर्तमान समय में काफी हम आगे पहुंचेंगे. इसी तरह से तालाब निर्माण की बात हो, स्टाप डेम हो, कुंआ खोदने की बात हो या नदी जोड़ो परियोजना को आगे बढ़ाने का विषय हो इन सब क्षेत्रों में सरकार ने काम किया है इससे लगता है कि सरकार पूरी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ इस संकट से उबरने के लिये तैयार है पिछले दो वर्षों से लगातार बारिश कम हो रही है इन परिस्थितियों के कारण भी नदी, नाले तालाब सूखे हैं. कुएं सूख गये, हैंडपंप का जल स्तर काफी नीचे चला गया इन सब स्थितियों से निपटने के लिए पेयजल की जब बात आती है तो प्रदेश सरकार ने एक अभूतपूर्व योजना भी प्रारंभ की है. ग्रुप योजना, इसके माध्यम से मंडला जिले में लगभग 60 बसाहटों में नर्मदा नदी का सीधे पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है. इसी तरीके से 40 बसाहटों में एक बुढ़नेर नदी है वहां से पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है. मैं समझता हूँ पेयजल की जहां बात आती है आने वाले समय में हमको जो बड़ी-बड़ी नदी हैं उनसे ग्रुप योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल पहुंचाने का काम करेंगे तो काफी अच्छा होगा और इस काम के लिये सरकार को और ध्यान देने की आवश्यकता है. सामान्यत: मध्यप्रदेश के आंकड़े बताते हैं कि फ्लोराइड से लेकर अन्य तत्व हैं जैसे केल्शियम, क्लोरीन, यूरिया है. पेयजल में फ्लोराइड के निवारण के लिए सबसे बेहतर यही है नदी का जो पानी है उसको फिल्टर प्लांट के माध्यम से ग्रुप योजना के माध्यम से अगर हम देंगे तो यह समस्या भी कम हो सकती है. जैसी शिकायतें पेयजल के संबंध में मिल रही है, उसमें फ्लोराईड के निवारण के लिये सबसे बेहतर यही है कि जो नदी का पानी है उसको फिल्टर प्लांट और ग्रुप योजना के माध्यम से से देंगे तो यह समस्या भी कम हो सकती है.
सभापति महोदय, इस समय पेयजल संकट को लेकर हम सब चिंतित भी है और सदन में चर्चा कर रहे हैं. खासकर अभी वर्तमान समय में हैंडपंप या कुंओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी देने का काम किया जाता है. वह निश्चित रूप से एक अभियान चलाकर और एक टीम बनाकर पंचायत ग्रामीण विकास विभाग, पी एच ई और राजस्व विभाग इनका संयुक्त अभियान होना चाहिये और पूरी मुस्तैदी से जहां पर भी पानी के संकट की स्थिति बनती है, वहां पूरी संवेदनशीलता और तत्परता के साथ और अच्छा काम करने की आवश्यकता है, वैसे हमारी सरकार समय समय पर जहां भी पेयजल संकट वाले गांव है, वहां पर टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंचाने का काम निरंतर किया है. कहीं पर भी प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं बनी कि पीने के पानी का गंभीर संकट रहा हो, अगर पानी का संकट रहा भी है तो पीने के पानी का इंतजाम किया है. उसके लिये हमारी सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है. परन्तु दो तीन बातें मैं कहना चाहता हूं कि जो स्त्रोतों का विषय है, हमारे जो परंपरागत तरीके के जो स्त्रोत है, तालाब हैं, कुएं हैं ,स्टाप डेम है या नदी है यदि कहीं पर भरपट गये हैं इनकी भी साफ सफाई कराने के लिये एक अभियान के रूप में हम सबकों इस काम को अपने हाथ में लेने की आवश्यकता है. ऐसा मैं मानता हूं और इस काम को सरकार को स्वीकार करना चाहिये. ऐसी अपेक्षा करते हुए, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्यवाद्.
श्री हरदीप सिंह डंग:- अनुपस्थित.
कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर):- माननीय सभापति महोदय,आपने बोलने का समय दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद्.
सभापति महोदय, यह बड़ा गंभीर विषय है, जिस तरह से आज प्रदेश में सूखे की स्थिति और पेयजल के अभाव में गांव गांव से और शहर में लोग पीने के पानी से परेशान हैं. यह सबको विदित है कि पृथ्वी के भू-भाग में 73 प्रतिशत जल है, परन्तु उसमें पीने लायक जल मात्र 3 प्रतिशत है. ऐसी ही स्थिति आज प्रदेश की है. अल्प वर्षा के कारण न नदियों में पानी है और जो नदियों, तालाबों और नालों में पानी था वह सिंचाई के लिये निकाल लिया गया है. आज स्थिति यह है कि मनुष्य तो जैसे तेसे अपना पीने के पानी का काम चला लेगा. सभापति महोदय, यहां पर (XXX) विराजे हैं. मैं कहना चाहूंगा कि मेरा अधिकांश क्षेत्र वन क्षेत्र से लगा हुआ है और हमारे यहां पर दुर्लभ प्रजातियों के जीव भी उपलब्ध हैं. सभापति महोदय हमारे क्षेत्र में केन नदी हैं और उसके ऊपर तीन बांध बने हुए हैं. एक बांध जो केन नदी को फीड करता है वह है रनुंआ बांध,रनुंआ बांध की नहर यदि उत्तरप्रदेश वाली खोली जाती है तो सम्पूर्ण केन नदी में पानी हो जायेगा. जिससे जानवरों के पीने के पानी की व्यवस्था बन सकेगी और वह मनुष्यों के लिये भी वह सहायक रहेगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- माननीय सभापति महोदय सब लोग कह रहे हैं कि आप इतने गंभीर अच्छे नहीं लगते हैं, परन्तु आज आप आसंदी पर बहुत अच्छे लग रहे हैं.
सभापति महोदय :- आपको देखकर अच्छे लग रहे हैं.
श्री बाला बच्चन :- माननीय मंत्री जी आप परमानेंट व्यवस्था करवा दीजिये.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- हम तो तैयार हैं, आप राजी तो हो जाओ.
कुंवर विक्रम सिंह :- सभापति महोदय, कनऊ बांध है अगर उसको खोल दिया जाये तो उससे भी पानी नदी में आयेगा और नदी से जहां तक सिंचाई होती है वहां तक जीव जंतुओं को पानी मिल सकेगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में जैसा कि मुकेश नायक जी ने कहा छतरपुर जिले में 11.11 प्रतिशत की तरक्की पेयजल के मामले में पीएचई विभाग ने की है. 38 हमारे विधान सभा क्षेत्र में नल-जल योजनाएं स्वीकृत हुई हैं उन 38 नल-जल योजनाओं में से आज की तारीख में यदि देखा जाए तो मात्र 6 नल-जल योजनाएं ही चल रही हैं. माननीय मंत्री महोदया से मैं कहना चाहूंगा कि वह इस बात पर विशेष रूप से चिन्तन करें. हमारी जो नल-जल योजनाएं हैं उनको फिर से शुरू करवाएं उनके जो पूरे मध्यप्रदेश में बिल बकाया हैं और बिल बकाया होने की वजह से कनेक्शन कट चके हैं या कुछ हो चुका है तो ऐसी स्थिति में मैं यह कहना चाहूंगा कि सरकार को ऐसा एक टारगेट बनाना चाहिये और अपने इस बजट एलोकेशन में से इन विभागों को जो पेयजल की पूर्ति करेंगे उन विभागों को दें ताकि जो नल-जल योजनाएं जो बंद पड़ी हैं उनको चालू किया जा सके. मैं एक चीज और कहना चाहता हूं कि हैंडपम्प सुधरवाने के लिये जब हम अथवा गांव के लोग अर्जी देते हैं तो हैंडपम्प सुधारने के लिये जो टीम आती है वह दो पाईप निकालकर और ले जाते हैं और यह कहते हैं कि यह पाईप और खराब हो गये हैं तो यह राईजिंग पाईप हैं, 12-13 थे अधिकांश हैंडपम्पों में 6 अथवा 7 बचे हैं, वहां पर वॉटर लेवल उससे नीचे जा चुका है इसके लिये सरकार क्या करेगी और ऐसे भीषण समय में जब बहुत ही विकराल स्थिति हो चुकी है आप इसको कहीं पर भी देख लें चंबल से लेकर के सीधी सिंगरौली तक का उत्तरी भू-भाग जो मध्यप्रदेश का क्षेत्र है, यह सूखे की भंयकर चपेट में है सभापति महोदय यह आपका तथा माननीय मंत्री महोदया का भी क्षेत्र आता है. मैं वनमंत्री जी से भी कहना चाहूंगा पन्ना नेशनल पार्क एवं केन घड़ियाल सेन्चुरी में ऐसी कई जगहे हैं वहां पर कई जानवरों के लिये बहुत सी जगहों पर पानी का परिवहन आपको करना पड़ेगा. मेन कोर एरिया में केन नदी के किनारे पर...
सभापति महोदय--अभी आप पेयजल पर बोलिये.
कुंवर विक्रम सिंह--सभापति महोदय, पेयजल पर ही बोल रहा हूं. मनुष्य तो अपनी व्यवस्था कर सकता है,
श्री लालसिंह आर्य--कुंवर विक्रम सिंह को जंगल और जानवरों से बहुत प्यार है.
कुंवर विक्रम सिंह--सभापति महोदय, जानवर पानी की व्यवस्था कहां से करेंगे. मैं एक चीज और कहना चाहता हूं कि जो वृक्ष 40 साल में होता है जैसे कि महुए का वृक्ष इन वृक्षों को लोगों ने काटा है इसका खामियाजा आज हम और आप भुगत रहे हैं. जो पृथ्वी का भू-भाग हमने जंगल से साफ करके कृषि योग्य बनाया है इसी का खामियाजा हम और आप भुगत रहे हैं.
सभापति महोदय--यह तो पन्नालाल जी भी बोल चुके हैं.
कुंवर विक्रम सिंह--सभापति महोदय, नेशनल सर्वे ज्योलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया जो कि देहरादून में स्थित है उन्होंने आकर के मध्यप्रदेश में सर्वे किया है, उन्होंने जो अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमें कहा है कि 20 से 25 साल बाद यह उत्तरी भू-भाग मध्यप्रदेश का रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा और इसका एक ही कारण है हम लोगों ने पेड़ ज्यादा काट दिये हैं और हम लोगों ने फिर से पेड़ नहीं लगाये हैं.
माननीय सभापति महोदय, 38 ग्राम-पंचायतें मेरे क्षेत्र में हैं जिसमें भीषण पेयजल की दिक्कत है मैं माननीय मंत्री महोदया को लिस्ट गांवों सहित सौंप दूंगा माननीय मंत्री महोदया उन गांवों को चिन्हित करके उनमें पेयजल की व्यवस्था करवाएं. आपने समय दिया इसके लिये धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल( सेवढ़ा)- माननीय सभापति महोदय, यह सत्य है कि पिछले दो तीन वर्षों से हमारे प्रदेश में अल्प वर्षा के कारण पेयजल संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है, लेकिन माननीय सभापति महोदय यह कहना गलत है कि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश पेयजल के संकट से जूझ रहा है, हां कुछ क्षेत्र ऐसे हो सकते हैं, जो पथरीले क्षेत्र हैं, वहां पानी का संकट हो सकता है, लेकिन हमारी सरकार की सजगता और विभाग की सक्रियता के कारण हमने उस संकट को दूर किया है । आज हम टेंकरों के माध्यम से और बोरिंग में मशीनें डालकर इस समस्या को दूर कर रहे हैं और सभी जगह पानी की सप्लाई की जा रही है । जहां नलजल योजना नहीं हैं, वहां मोटरें डालकर सप्लाई की जा रही है और जहां नलजल योजना हैं वहां सुचारू रूप से नलजल योजना के माध्यम से पेयजल की सप्लाई की जा रही है ।
माननीय सभापति महोदय, यदि हम पहले की बात करें, मैंने देखा है कि हमारे स्वयं के वार्ड में दो दो, तीन तीन, दिन नल नहीं आते थे और जब टेंकर से पानी आता था, तो बंदूकों के साये में पानी की सप्लाई की जाती थी, लेकिन आज हम नगरों में दूसरी मंजिल तक, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पहले दो या पांच हेंडपंप हुआ करते थे, आज प्रत्येक ग्राम में 100 से लेकर 150 हेंडपंप हैं ।
सभापति महोदय- आपके यहां समस्या क्या है, सरकार को धन्यवाद दो ।
श्री प्रदीप अग्रवाल- माननीय सभापति महोदय, सरकार को धन्यवाद है, सरकार की तरफ से ही बोल रहे हैं ।
सभापति महोदय- जब कोई समस्या नहीं है, तो किसी और को बोलने दो ।
श्री प्रदीप अग्रवाल- सभापति महोदय, दो या तीन हेंडपंप हो सकते हैं, कुछ हेंडपंप खराब हैं, मैं हेंडपंपों के बारे में बात कर रहा हूं, मैं अभी अपने क्षेत्र में जा रहा था ।
डॉ. नरोत्तम मिश्र- यहां रख लो या वहां रख लो, मामला ओरिजनल है ।
सभापति महोदय- सब कुछ ठीक है तो कोई समस्या ही नहीं है ।
श्री प्रदीप अग्रवाल- सभापति महोदय, जब मैं अपने क्षेत्र में जा रहा था, तो एक व्यक्ति ने मुझे रोककर कहा कि मुझे हेंडपंप चाहिए, मैंने कहा कि तुम्हारे घर के सामने हेंडपंप लगा है तो उसने कहा कि वह हेंडपंप सड़क के उस पार है, मुझे अपने घर के सामने हेंडपंप चाहिए, इतने हेंडपंपों की उपलब्धता हमने की है, उसके बावजूद भी मेरे विधानसभा क्षेत्र में और कई क्षेत्रों में जहां ऊंचाई पर है, या पहाड़ी इलाकें हैं, वहां कुछ जगह पर वास्तव में पानी की समस्या है और इसके लिए निश्चित रूप से सरकार ने सकारात्मक प्रयास किए हैं, हमें और अधिक प्रयास करने हैं, कुछ जगह हेंडपंपों में झड़ों को बढ़ाने की आवश्यकता है । मैं पेयजल योजना, नलजल योजना के बारे में कुछ सुझाव रखना चाहता हूं जिसमें कि कहीं विद्युत अवरोध से पेयजल योजना बंद हो जाती है, कहीं पानी नीचे चले जाने से बंद हो जाती है, इसलिए यह समस्त योजनाएं, एक ही विभाग, पीएचई विभाग संचालित करे, इन्हें ग्राम पंचायत को हेंड ओवर न किया जाए, क्योंकि ग्राम पंचायतें ध्यान नहीं देती हैं, इस कारण यह योजनाएं बंद हो जाती हैं, दूसरा इसमें सोलर प्लांट लगाया जाए, विद्युत अवरोधों के कारण जो योजनाएं बंद होती हैं, वह योजना बंद न हो और सुचारू रूप से नलजल योजना चालू रहे, जहां पानी की उपलब्धता नहीं है, वहां एक एक हेंडपंप में मोटर डालकर और पाईप लाइन लगाकर वहां गांव के बीच में नल लगाकर पानी की उपलब्धता की जाए, जिससे आने वाले संकट से हम उबर सकें, सभापति जी, आपने बोलने का समय दिया, उसके लिए धन्यवाद ।
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़)- माननीय सभापति जी, पूरा सदन यह स्वीकार करता है कि मामला गंभीर है । पूरे प्रदेश में जल संकट है और जल्दी से जल्दी इसका निपटारा होना चाहिए । गर्मी के समय मनुष्य के साथ साथ जानवर, पक्षी सबको पानी उपलब्ध हो सके, जिससे उनके जीवन की सुरक्षा हो सके, वह अच्छी सरकार है जो यह भांप ले कि आने वाले समय में हमारे प्रदेश की क्या स्थिति रहेगी, गत तीन चार वर्षों से मध्य्रपदेश में अल्प वर्षा हो रही है । हम अपने रीवा जिले की बात करें तो 3 वर्षों से निरन्तर सूखाग्रस्त जिला घोषित हो रहा है. जब 3-4 वर्षों से प्रदेश में पानी का अभाव है, प्राकृतिक वर्षा नहीं हो रही है. हमारे प्राकृतिक स्त्रोत सूखते चले जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में सरकार ने क्या कदम उठाये हैं ? यह कहीं देखने और समझने में नहीं आता है. सरकार सामान्य गति से चल रही है. जैसी सरकार 3-4 वर्ष पहले, जब वर्षा पर्याप्त मात्रा में हुआ करती थी और पानी की समस्या नहीं थी, जिस गति से सरकार उस समय चल रही थी, उसी गति से सरकार वर्तमान में भी चल रही है. मुझे नहीं मालूम है कि कितना खजाना है ? बजट में आया, वह खजाना और खजाने आने पर कहते हैं कि भरमार है. लेकिन अभी 7 दिन की छुट्टी हुई थी तो मैं अपने क्षेत्र में गया था. जहां मीटिंग थी, वहां एक पानी की टंकी थी और गांव के लोगों ने घेर लिया, उस टंकी के बारे में बात की. पिछले 7-8 वर्षों से वह टंकी बन्द है. उस गांव से 80 से 90 प्रतिशत हैण्डपम्प खराब थे.
माननीय सभापति जी, सरकार की दूरदृष्टि नजर नहीं आ रही है और दूरदृष्टि होती तो वर्तमान में मध्यप्रदेश की जो स्थिति है, वह स्थिति पेयजल के संबंध में कभी नहीं होती. मैं आपको पढ़ा रहा हूँ, वह विधानसभा का प्रपत्र है. जिसमें आप देख लीजिये कि हमारे मध्यप्रदेश की क्या स्थिति है ? ग्रामीण क्षेत्रों में नल-जल से पेयजल प्रदाय में, मध्यप्रदेश की स्थिति, नल से पेयजल प्रदाय में राष्ट्रीय औसत 30 फीसदी से ज्यादा है. एक ओर जहां गुजरात से सबसे ज्यादा 55 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 50 प्रतिशत और राजस्थान में 27 प्रतिशत है तथा वहीं मध्यप्रदेश का औसत 9.9 फीसदी है. यह प्रपत्र मध्यप्रदेश विधानसभा में तैयार हुआ है. यह आपका आईना है, देखिये, वास्तविक स्थिति में हम नहीं जायेंगे तो समाधान नहीं होने वाला है. मैं कोई पक्ष या विपक्ष की वजह से नहीं बोल रहा हूँ. यह आंकड़ें विधानसभा से उपलब्ध कराये गये हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - यह कौन- सी तारीख एवं किस चीज के हैं ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - सभापति महोदय, मैं बता रहा हूँ. मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय तथ्य पत्रक संदर्भ सेवा द्वारा संकलित पेयजल, मध्यप्रदेश के विशेष संदर्भ में यह है और हम इससे हटकर आपके पास भिजवा देंगे. आप देख लीजिये. हमारी स्थिति यह है कि आज देश के अन्दर जो हमारे राज्य हैं, उन राज्यों में सबसे बुरी स्थिति पेयजल के संबंध में यदि कहीं है तो वह मध्यप्रदेश की है. इसके लिए, मैं मैडम मिनिस्टर को दोषी नहीं कह सकता हूँ कि वे अकेले दोषी हैं, इसके पहले भी कोई पी.एच.ई. मिनिस्टर रहा होगा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. आप नहीं रही होंगी, कोई और रहा होगा. अभी 2 वर्ष का वक्त आपको भी मिला मगर यह सरकार सो रही है, जाग नहीं रही है. अभी हम हैण्डपम्प की बात कर रहे हैं, टैंकर की बात कर रहे हैं, हम पानी कहां से लायेंगे, हम इसकी बात कर रहे हैं. हमारी अभी तक कोई तैयारी नहीं है. यह डिस्कशन अभी हाउस में हो रहा है और वहां माननीय शेजवार जी, पानी के अभाव में आपके शेर मर रहे हैं. यह हालत पूरे प्रदेश की हो गई है. आप छोडि़ये, आप तो जंगल के राजा हैं, आपको मनुष्य की क्या चिन्ता है ? लेकिन मैडम, हम अखबारों में पढ़ रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - सभापति जी, मेरा कहना है कि मध्यप्रदेश में पेयजल की स्थिति बहुत खराब है. मैं माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी का भी ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि अगर सरकार कुछ कोशिश करेगी तो पानी देगी लेकिन आप स्वच्छ पानी नहीं दे पायेंगे, दूषित पानी देंगे. दूषित पानी पीने में जनता की क्या स्थिति होगी एवं बीमारी किस हद तक पहुँचेगी ? यह एक सोचनीय विषय होगा. मेरा यह कहना है कि पी.एच.ई. विभाग तो जागे ही, साथ ही हमारे पॉर्लियामेन्ट्री मिनिस्टर भी जाग जायें और जागकर कम से कम कुछ ऐसी व्यवस्था तो करें स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दूषित पानी से बीमारी ज्यादा न फैले. यह मैं नहीं कह रहा हूं, यह राजस्थान की वर्तमान मुख्यमंत्री, श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया जी ने पानी पर एक आर्टिकल लिखा है. मैं बहुत प्रभावित हुआ उस पानी के आर्टिकल से, उसको मैंने काटकर रख लिया था. आज अचानक यहां जरुरत पड़ी, तो मैंने देखा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- पानी पर लिखें या जिंदगानी पर लिखें. हमारी पार्टी की नेत्री लिख सकती हैं, आपकी पार्टी की आर्टिकल थोड़ी लिख सकती हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- सभापति महोदय, अगर सही उस पक्ष के लोग भी कहेंगे, तो हम उसको स्वीकार करेंगे. उनका मैं नाम ले रहा हूं, क्योंकि बहुत महत्वपूर्ण बातें उन्होंने लिखी हैं. समय नहीं है. लेकिन मैं इतना ही कह सकता हूं, अंत में बातें रिपीटेशन की न आयें. गांधी जी को भी उन्होंने कोड किया है. जब समस्या बड़ी हो..
सभापति महोदय -- आप इसकी फोटो कॉपी नरोत्तम जी को भिजवा देना.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- सभापति महोदय, पानी पर ही हम बता रहे हैं कि निराकरण क्या है. मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि गांधी जी ने कहा था कि समस्या जब बड़ी हो, तो जन आंदोलन की आवश्यकता है. पानी की जितनी बड़ी समस्या मध्यप्रदेश में है, इसके लिये जन को जागरुक करने की आवश्यकता है. इस संकट के लिये जल आंदोलन चलाने की जरुरत है. अमीर को तैयार करिये कि गरीब को पानी पिलाये. यह तैयारी शुरु होना चाहिये. सरकार के मत्थे कुछ होना नहीं है. मेरा यह कहना है कि पूरे प्रदेश की स्थिति अच्छी नहीं है और विशेष तौर से हम अपने रीवा जिले की बात करें, तो वहां पेय जल की जितनी योजनाएं हैं, लगभग 90 प्रतिशत बंद पड़ी हैं. यह सच्चाई है. इसके लिये मैं किसी को दोषी नहीं कह सकता हूं. यह बड़े लम्बे समय से पड़ी हुई हैं. लेकिन अब आज जल्दी है कि इनको शुरु कर दिया जाये किसी तरह से. तीन महीने के लिये जो यह ठेकेदार आपने नियुक्त किये हैं हैंडपम्प सुधारने वाले, इनसे मुक्ति दिलवा दें और 3 महीने में यह सरकार इनको वापस ले और जो सुधारने का काम है, मेकेनिक आप एपाइंट करिये, देख-रेख आप करिये, ऐसी व्यवस्था करने की कोशिश करें. हमारा यह कहना है कि आप बजट भी पढ़ लीजिये. आपने पानी में बजट की कमी की है और यह आपका विभगीय वार्षिक प्रतिवेदन है, उसमें पैसा आप खर्च नहीं कर पा रहे हैं. पैसा केंद्र सरकार दे रही है. वह भी खर्च नहीं कर पा रहे हैं. हमारा उस पक्ष से भी निवेदन है कि आइये इसको जन आंदोलन बनाकर और इसकी समस्या से निपटने का प्रयास करें. यह समस्या आपकी भी है और हमारी भी है. सरकार को जगाइये और भविष्य में जो समस्याएं आने वाली हैं, उसके लिये आज से ही जग जाइये, धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा)-- सभापति महोदय, प्रदेश में पेयजल की समस्या तो है और इसको हल करने के लिये सरकार लगी हुई है कि प्रदेश की जनता प्यासी न रहे. यह व्यवस्था सब सरकार करेगी और सरकार कर रही है. मैं ज्यादा झंझट में न जाते हुए अपने क्षेत्र की ही बात करुंगा. सिर्फ बात यह है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में जितने भी बोर लगे हैं, कहीं के पुरा गये हैं, कहीं उनमें थोड़ी बहुत मिट्टी डली है, तो मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि एक मशीन हर क्षेत्र में भेजें कि हमारे हैंडपम्पों में , बोर में जो पानी है, उनकी साफ सफाई करवायें और सफाई करवाकर हमें पानी मिल सकता है. बहुत जगह ऐसा हो गया है कि जो बोर धसकर थोड़ा बहुत पुरा गया है और एक दो राइजर पाइप बढ़ा करके उससे पानी हमारी जनता को मिल सकता है. सभापति महोदय, इसी प्रकार मैं सदन में यह भी निवेदन करुंगा कि पूरे प्रदेश में सभी विधायक महोदय अपने अपने क्षेत्र में हर ग्राम पंचायत में एक एक टेंकर दें और ग्राम पंचायत क्या मैं तो कहूंगा कि गांव-गांव टेंकर दीजिये. पैसा भी सरकार, आपकी निधि बढ़ा रही है. उसके बाद यह पीने के पानी की समस्या हल होगी. एक-एक टेंकर, सभापति महोदय मैं सरकार को सुझाव देना चाहता हूं कि वह ग्राम पंचायत में एक एक टेंकर दे और इस टेंकर को सीधे पंचायत को दें और पंचायत अपनी मर्जी से लोकल कंपनी से टेंकर खरीदे या बनवाये. क्योंकि एग्रो के माध्यम से जो टेंकर का प्रदाय किया जाता है उसमें पैसा भी ज्यादा खर्चा होता है और साल भर में ही वह टेंकर खराब भी हो जाता है. एक सुझाव यह भी है कि जहां पर ज्यादा गहरा पानी है वहां पर सिंगल फेस की मोटर हर जगह दी जाये जिसके कारण भी पानी की समस्या दूर होगी. एक सुझाव यह है कि पूरे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे छोटे तालाब हैं उनके गरहीकरण की व्यवस्था की जाये जिससे कि आने वाले गर्मी के समय में पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से हो सके.
माननीय सभापति महोदय, भाई मुकेश नायक जी ने अभी बहुत अच्छी बात कही थी मैं उनकी बात से पूरी तरह से सहमत हूं . उन्होंने कहा था कि हर ग्राम क्षेत्र में जो छोटे छोटे और पुराने तालाब बने हैं, उनका गहरीकरण करायेंगे तो पानी का स्टोर रहेगा जिससे कि लोगों को लाभ मिलेगा. पानी की समस्या होगी. जहां पर भी नाला है वहां पर स्टाप डेम बनायें, चेक डेम बनाये उससे पानी भी रूकेगा और जल का स्तर भी नीचे नहीं जायेगा. हमारे देश के प्रधान मंत्री जी ने एक नई योजना लागू की है कि हर ग्रामीण क्षेत्र में, हर गांव में छोटी छोटी तलाईयां और चेक डेम बनाये जाये इससे भी पानी की किल्लत को दूर करने में मदद मिलेगी.
माननीय सभापति महोदय, प्रदेश में इस बार भी पानी तो बहुत गिरा, प्रदेश में बहुत अधिक बारिश हुई है लेकिन पानी बह गया वह रूका नहीं. एक ही बार पानी गिरा उसके बाद में दुबारा पानी नहीं गिरा. इस साल मावठा भी नहीं गिरा, किसानों को फसल के लिये पानी की आवश्यकता थी, जो हमारे पास में थोड़ा बहुत पानी था ,वह डेम का हो, स्टापडेम का हो या तालाब का पानी हो, वह पानी किसानों को दे दिया, उसके बाद पीने के पानी की जटिल समस्या उत्पन्न हो गई है. इस समस्या से भी हम सब लोग मिलकर के निजात पा लेंगे.
सभापति महोदय, सरकार से अनुरोध है कि प्रदेश की जनता प्यासी न रहे. जो भी पानी भरा है, वह गंदा पानी कर देते हैं, जो डेम भरते हैं, उसके बाद में कहीं स्टाप डेम में भरते हैं तो उसमें मवेशी भी बैठा देते हैं, मवेशियों को उसी पानी से नहला भी देते हैं, गांव की गंदगी भी उस पानी में चली जाती है इसके कारण भी पानी दूषित होता है. उस पानी से नुकसान भी होता है. पीने के पानी की जो व्यवस्था है सरकार को करनी चाहिये, सभापति जी आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया है उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- सभापति महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूं. पेयजल योजनाओं मे आप जनभागीदारी से 3 प्रतिशत ग्राम पंचायत देगा, प्रोजेक्ट की कॉस्ट का, वहां प्रोजेक्ट लागू हो जाता है ,वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुये यदि सरकार ऐसी व्यवस्था बनाती है कि वह 3 प्रतिशत हम विधायक निधि से दे दें तो वह प्रोजेक्ट वहां पर स्थापित हो जाये और पेयजल संकट में जनभागीदारी में गांव से पैसा इकट्ठा करने में समय भी लगता है , तुरंत हम लोग अपनी निधि से वह पैसा दे दें और वह प्रोजेक्ट तैयार हो जाये.
श्री रणजीत सिंह गुणवान -- माननीय सभापति महोदय, यह बात बिल्कुल सही है . हमारे क्षेत्र में भी पंचायत ने 3 प्रतिशत का लागू किया है मेरा सुझाव है कि जो पैसा जमा कराया है उससे पेयजल की समस्या हल नहीं हुई है .
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) -- माननीय सभापति महोदय, मंदसौर जिला पूरा ही सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद सुवासरा विधानसभा को डार्कजोन घोषित किया गया है. किंतु वहां पर इसके बाद भी विभाग के द्वारा कोई ऐसी योजना नहीं बनाई गई जिससे कि पेयजल की पूर्ति सूखाग्रस्त गांव के लिये की जाये. सुवासरा में पेयजल संकट कितना गहरा है उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुवासरा में कपिलधारा कुए जो प्रत्येक व्यक्ति को दिये जाते हैं, वहां पर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और 3 व्यक्ति के द्वारा मिलकर के कपिलधारा कुंए खोदने का प्रावधान वहां पर किया गया है. पानी की गंभीर समस्या है इसके बाद भी पीएचई विभाग के द्वारा वहां के लोगों को पीने के पानी के लिये कोई भी योजना नहीं बनाई गई है जिससे पानी की समस्या दूर हो सके. मेरा मंत्री जी को एक सुझाव है कि पीएचई विभाग के द्वारा जो नियम बनाये गये हैं एक तरफ जब वो होल करते हैं उसकी गहराई जाती है 600 फिट और उसमें जो हेण्डपम्प के पाइप उतारे जाते हैं उसमें 180 फीट पर हेण्डपम्प लगाये जाते हैं और 600 फीट की राशि का भुगतान किया जाता है. एक तरफ तो आप 600 फीट करा रहे हैं, 180 फीट की पाइप लाइन डालते हैं तो बाकी की जो राशि जाती है या तो जो 6 इंची होल होता है, मेरा सुझाव है कि उसको यदि आप 8 इंची होल करायेंगे तो पंचायत उसमें बड़े हार्स पावर की मोटर डाल सकती है जिससे उस होल का और आपकी जो सरकारी राशि लगती है उसका सदुपयोग हो सके क्योंकि सिंगल फेस की जो मोटर डाली जाती है वह बहुत ही घटिया, बहुत ही कमजोर होती है वह 6 महीने भी नहीं चलती है, दो महीने में जलकर बर्बाद हो जाती है, हो सकता है कि वह वहां के किसी बड़े अधिकारी या नेता की कंपनी का मामला हो तो मेरा मानना है कि जो सिंगल पाइंट की मोटर है इसको बंद कर दिया जाये और 8 इंच का होल करके उसमें बड़े हॉर्स पॉवर की मोटर लगाई जाये जिससे उनको सुविधा मिल सके. एक और हमारे मंदसौर जिले की पेयजल योजना कलेक्टर महोदय द्वारा और सभी जनप्रतिनिधियों द्वारा बन चुकी है उसको अतिशीघ्र अगर चालू करा देंगी आप तो आपको और सहूलियत मिलेगी और गांव में पानी पहुंच जायेगा. हमारे यहां प्राइवेट ट्यूबबेल में पानी है, कुये हैं अगर उनका अधिग्रहण कर लिया जायेगा तो उसमें भी पानी की सहूलियत मिल सकती है. नगर परिषद जो हैं उनमें नई आबादी हैं, जो अजा मोहल्ले हैं उनमें पाइप लाइन की व्यवस्था नहीं है उनका विशेष तौर पर अगर ध्यान रखा जायेगा तो पानी की व्यवस्था वहां पर पहुंचाई जा सकती है. हमारे जो गांव है गोपालपुरा, आसपुरा, सेमलिया रानी, अंतरालिया, ढबलादेबल, गुरोडि़या प्रताप और बागरीखेड़ा, पारदीखेड़ा और नगर परिषद की जितनी भी आबादियां हैं इनमें आप थोड़ा ध्यान देंगे तो बहुत ही मेहरबानी होगी. एक और जो तिवारी जी ने बोला है मैं यहां पर वह भी नोट करके लाया हूं कि 3 प्रतिशत की राशि जो जनभागीदारी में दी जा रही है यह पहले भी मैंने एक बार यहां पर बोला था कि वह विधायक निधि से अगर उस 3 प्रतिशत की अनुमति आप हमें देंगे तो बहुत ही बेहतरीन काम होगा और गांव-गांव में पेयजल योजना चालू हो सकेगी, यही विनय है, धन्यवाद, जय हिंद, जय भारत.
सभापति महोदय-- श्री संजय शर्मा
श्री संजय शर्मा (अनुपस्थित)
डॉ. योगेन्द्र निर्मल जी (वारासिवनी)-- सभापति जी मैं स्वार्थ और परमार्थ दोनों की बात कर रहा हूं. स्वार्थ मेरा है और परमार्थ जनता का है. मेरे क्षेत्र में भी ग्रुप योजना का एक प्रकरण स्वीकृति के लिये पड़ा हुआ है 18 करोड़ रूपये का बेनगंगा नदी पर और अगर उसको स्वीकृति मिल जाती है चूंकि माननीय मंत्री दीदी ने और ईएनसी साहब ने उसमें इंट्रेस्ट लिया, चीफ इंजीनियर को पिछले मार्च में उन्होंने पत्र लिखा, लेकिन चीफ इंजीनियर ने उसकी सुध नहीं ली, जब मैं जबलपुर गया तो उसकी वापस क्वेरी करवाकर मैंने भिजवाया है. मेरा और कुछ कहना नहीं है, बहुत कुछ पानी की व्यवस्था है, ऐसा नहीं है कि सारे प्रदेश में पीएचई विभाग में अव्यवस्था है, बहुत ठीक भी है और शासन उस कार्य को गंभीरता से देख रहा है, अभी बात आई थी कि कलेक्टर ने बैठक नहीं ली, मेरे यहां कलेक्टर महोदय ने एक महीने पहले पेयजल पर सारे जनप्रतिनिधि चाहे वह जनपद के हों, पंचायतों के हों, विधायक हैं, सांसद हैं सबको बुलाकर बैठक ली और इस मुद्दे पर बहुत गंभीर चिंतन किया, यह मूलभूत समस्या है माननीय सभापति जी, यह आज करने की नहीं है और मैं तो एक बात कह रहा हूं, जो लोग चिल्ला रहे हैं कि संकट है, संकट है वह सब अपनी निधि में से 50-50 लाख रूपये हमारी दीदी को दे दें तो 1 अरब 15 करोड़ रूपया अभी इकट्ठा हो जायेगा, प्रदेश में जो जल संकट खड़ा है वह समाप्त हो जायेगा, भारत माता की जय.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) - सभापति महोदय, आज पूरे मध्यप्रदेश में भारी जल संकट है. विशेषकर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में और इसके साथ-साथ बहुत सारे सत्तापक्ष के सदस्यों ने कहा है कि जो संकट पूरे देश में है, वही संकट पूरे प्रदेश में भी है तो ऐसी क्या बड़ी बात है? हां, हम यह बात मानते हैं कि अधिकतर जो जल संकट है, उसका कारण प्राकृतिक आपदा है, क्लाइमेट चैंज है, काफी क्षेत्रों में सूखा है. मगर उसके साथ-साथ कई ऐसे भी कारण हैं जिसके कारण इस भाजपा सरकार ने पिछले 12 साल में उनकी लापरवाही से आज यह स्थिति बनी है. सबसे पहले बुन्देलखण्ड क्षेत्र में यूपीए सरकार ने बुन्देलखण्ड पैकेज के माध्यम से काफी पैसा दिया था, मगर उस पैसे का कभी भाजपा सरकार ने ठीक से उपयोग नहीं किया. सभापति महोदय, आज हम जब भी पीएचई विभाग से बात करते हैं, अगर कहीं हैंडपंप खराब हो जाता है, उसकी पाइपिंग खराब हो जाती है, या मोटर खराब हो जाती है. पीएचई विभाग कहता है कि यह पूरा सुधारने का दायित्व पंचायत का है. सरपंच कहता है, पंचायत सचिव कहता है कि पंचायत के पास इसकी राशि नहीं है. उनमें समन्वय बिल्कुल नहीं बैठ पाता है तो किसका यह दायित्व है, यह भी माननीय मंत्री महोदया थोड़ा स्पष्ट करें. क्योंकि पंचायत के पास इसकी राशि नहीं होती है. जहां तक सवाल पीएचई विभाग का है पर्याप्त राशि 2200 करोड़ रुपए है, जैसा मेरे पूर्व वक्ताओं ने उसका उल्लेख किया था. मैं मानता हूं कि पीएचई विभाग को ही इसका पूरा दायित्व संभालना चाहिए. इसके साथ-साथ बहुत सारे ऐसे सब डिवीजन्स हैं जहां पर पीएचई की बिल्डिंग भी नहीं हैं. जैसे मेरे विधान सभा क्षेत्र में 2 सब डिवीजन्स हैं, राघोगढ़ और आरोन, आरोन सब डिवीजन में पीएचई की बिल्डिंग भी नहीं है, वहां पर उनका ऑफिस भी नहीं है तो जो सामान होता है, उनके पास रहता भी नहीं है. उनको गुना से वह सामान लाना पड़ता है. इसके कारण जो भी काम है वह ठीक से नहीं हो पाता है और जहां भी हैंडपंप खराब हो, ट्यूबवेल खराब हो, या मोटर खराब हो, उसका काम सही समय पर नहीं हो पाता है.
सभापति महोदय, मैं मानता हूं कि अगर हमें इस समस्या का हल ढूंढना है तो सबसे पहले ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करना हमारा पहला लक्ष्य होना चाहिए क्योंकि बारिश के समय जो कुछ भी पानी आता है उसको डॉयवर्ट करने की प्लानिंग होनी चाहिए. अगर हम इसका असेसमेंट करेंगे, इसकी एक प्लॉनिंग करेंगे, जिससे ग्राउंड वॉटर में कहां-कहां केविटिज़ है, कहां-कहां aquifers हैं, aquifers, अंडर ग्राउंड वह जगह होती है, जहां पर बारिश का पानी सीपेज के कारण पत्थरों के बीच से जाकर एक केविटी में, एक aquifer में जमा होता है, अगर हम इसकी स्टडीज़ करें, ब्लॉक स्तर पर इसको असेस करें कि ऐसी कौन-कौन सी जगह है, जहां पर पानी के aquifers हैं, उसके माध्यम से जब बारिश का समय होगा तो उससे पानी डॉयवर्ट करने का प्रयास कर सकते हैं. मैं मानता हूं कि इससे काफी लाभ मिल सकता है.
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय - आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 8 में उल्लेखित चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा (क्रमशः)
श्री जयवर्द्धन सिंह - सभापति महोदय, आखिर में मैं यही कहूंगा कि जो बात श्री मुकेश नायक जी ने कही थी कि जो वर्ष 2015-16 की रिपोर्ट है, जिसमें इस बात का उल्लेख है कि अधिकतर जिलों में 40 परसेंट से कम नल जल योजनाएं अभी चालू हैं. मेरे खुद गुना जिले में वह10 परसेंट पर है तो यह बहुत दुख की बात है. मैं मानता हूं कि इस योजना का नाम मुख्यमंत्री नल जल योजना है और इसमें पूरे प्रदेश में फेल हो चुके हैं तो कहीं न कहीं जो यह फेल्यर पीएचई विभाग का है, माननीय मुख्यमंत्री जी का भी फेल्येर है तो जो जल संकट है, उसमें मुख्यमंत्री जी और यह सरकार फेल हो चुकी है. मैं मानता हूं कि अगले कुछ समय में, अगले कुछ महीनों में जब तक बारिश नहीं आए, तब तक जनता को पर्याप्त पानी देने का एक बहुत बड़ा चैलेंज है, एक बहुत बड़ी चुनौती है. सभापति महोदय, आपने समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुबेदार सिंह रजौधा ( जौरा ) -- माननीय सभापति महोदय आज पेयजल की इस गंभीर समस्या पर चर्चा हो रही है इसमें आरोप और प्रत्यारोप किसी पर नहीं होना चाहिए. इस पेयजल की समस्या से कैसे निबटा जाय. इसके सुझाव और इसके उपाय विपक्ष को और हम सभी को तय करना है. असल में आज जैसा कि हमारे पन्नालाल जी कह रहे थेकि हमारी प्रवृत्ति बिगड़ गई है शहरों आदमी सुबह मोटर चालू कर देता है सड़क को साफ करता है और मोटर घंटों तक चलती रहती हैं. गांव में भी हैंड पंप में भी मोटर डाल रखी है और वह भी बहुत देर तक चलती रहती है. इससे भी प्रवृत्ति बिगड़ी है कुछ हमारे बड़े बड़े विद्वान लोग जो कभी असत्य नहीं बोलते हैं, बोलना नहीं चाहिए उनको वह विद्वान हैं. भाजपा की सरकार 12 साल में फेल हो गई है अभी यह हमारे जयवर्द्धन सिंह जी कह रहे थे. अब 12 साल में खराब हो गई है या 40 साल में खराब हो गई है या इससे 10 वर्ष पूर्व क्या हुआ था.
सभापति महोदय मैं कहना चाहता हूं कि भाजपा की सरकार में पर्याप्त बिजली और पर्याप्त पानी है और कृषि के क्षेत्र में काम किये हैं लेकिन आप मानने के लिए तैयार नहीं हैं इसलिए प्रकृति नाराज है. मैं अपने क्षेत्र की बात कहना चाहता हूं. मेरी विधान सभा में पहाड़गढ़ ब्लाक है, वह पूरा पहाड़ी क्षेत्र है, वहां पर पानी की बहुत गंभीर समस्या है, बरसात इस बार कम हुई है, इसके कारण हैण्ड पंपों का वाटर लेबल नीचे चला गया है. हैंड पंप काम नहीं कर रहे हैं. मेरा कहना है कि मेरे पहाड़ी क्षेत्र के गैतोली, धोंदा, कनार , रकैरा, जडेरू, मानपुर, मराह,छडे, घाडोर और नरेला यह प्रमुख गांव है इनमें पानी की गंभीर समस्या है यहां पर हैण्ड पंपों में पानी नहीं है. इसमें वाटर लेबल बहुत नीचे चला गया है अब उसमें पाइप बढ़ाने की भी समस्या हो गई है कितने पाइप डालकर पानी निकालेंगे इसलिए मैं सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि पाइप काम करेंगे नहीं तो उनमें मोटर डालकर पेयजल की समस्या को हल किया जा सकताहै. हमारी जो नदी है उसमें बोरी बंधान काम करके नहर का पानी नदी में छोड़कर थोड़ा बहुत वाटर लेबल बढ़ा सकते हैं.
सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से आग्रह कर रहा हूं कि जो ठेकेदारों को जो हैण्ड पंप सुधारने की व्यवस्था दी है. वह काम करेंगे नहीं वह अपना मुनाफा देखेंगे और विभाग का उन पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा. इस पर माननीय मंत्री जी विचार कर लें, केवल दो माह के लिए विभाग ही हैण्ड पंप सुधारने का काम करेगा तो बहुत उत्तम होगा और हैण्ड पंप सुधर सकेंगे. यह पेयजल समस्या बहुत ही गंभीर है इसमें पीएचई, सिंचाई और कृषि विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे तो दो माह में इ स समस्या को हल किया जा सकता है. सभापति महोदय आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद्.
समय 5.33 बजे. ( उपाध्यक्ष महोदय ( डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह ) पीठासीन हुए )
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को ( पुष्पराजगढ़ ) -- उपाध्यक्ष महोदय आज वास्तव में अवर्षा और कम वर्षा के कारण जो पेयजल संकट उत्पन्न हुआ है उसमें सभी माननीय सदस्यों ने इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने अपने विचार रखे हैं कि हम किस तरह से 7.5 करोड़ जनमानस को इस कम वर्षा की स्थिति से अवर्षा की स्थिति में कैसे सुविधा पहुंचा सकते हैं. इस पर गंभीर चर्चाएं भी हुई हैं. सबसे बड़ी परेशानी हमारे जंगल पहाड़ में जो निवास कर रहेहैं जो पहाड़ी क्षेत्र है जंगली क्षेत्र है वहां पर जो जनजाति समुदाय के लोग निवासरत हैं, आदिवासी समाज के लोग निवासरत हैं, अधिक वर्षा से नदी, नाले, जंगल, पहाड़ में पर्याप्त पानी होने के कारण, झिरीया में पानी होने के कारण वे अपने-अपने छोटे-छोटे झिरीया बनाकर, कुएं बनाकर उसका उपयोग किया करते थे परंतु इस वर्ष ऐसी भयावह स्थिति निर्मित हुई है कि उनको शुद्ध पेयजल हम कैसे उपलब्ध करवा सकते हैं इस विषय पर चिंतन करने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि मेरे राजेन्द्रग्राम तहसील मुख्यालय पुष्पराजगढ़ में जल संसाधन विभाग द्वारा स्टाप डैम बनाया गया और कई बार विभाग के लोगों से कहने के बाद भी उस स्टाप डैम के जल निकास द्वार को बंद नहीं किया गया, जबकि जनसहयोग से हमने स्टाप डैम बनाया, कहने का तात्पर्य यह है कि तहसील मुख्यालय में, जिला मुख्यालय में निवेदन करने के बाद भी जल निकास द्वार बंद नहीं किये गए तो जो स्टाप डैम दूरांचल क्षेत्रों में हैं वनांचल क्षेत्रों में स्थित हैं उनके जल निकास द्वार की क्या स्थिति होगी क्योंकि ग्राम पंचायतों में धन का अभाव भी रहता है. आज हम परेशान हैं, जनता परेशान है और साथ ही साथ पशु-पक्षी भी परेशान हैं. मैं चाहता हूँ कि सरकार ऐसे निर्देश जारी करे, ऐसी व्यवस्था करे कि जहां जल स्रोत हैं उनका सरंक्षण किया जाए. जिन स्ट्रक्चरों के जल निकास द्वार बंद नहीं कराए गए हैं उनके जल निकास द्वार तत्काल बंद कराए जाएं ताकि बहते हुए जल को संरक्षित किया जाकर पशु-पक्षी और जनमानस के उपभोग के लिए जल बचाया जा सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे जल स्रोत विहीन जो गांव हैं, मजरे हैं, टोले हैं, उनका भी सर्वे अभी तक नहीं कराया गया है तो सरकार को उनका सर्वे तत्काल करवाना चाहिए और जहां जल संकट की स्थिति है वहां तत्काल हैंड-पंप खोलकर या परिवहन के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कुछ ऐसी भी नल-जल योजनाएं हैं जिनका कनेक्शन बिल न जमा कराने पर विद्युत विभाग द्वारा काट दिया गया है. आज सूखे की स्थिति में जहां हम एक-एक बूंद पानी के लिए परेशान हैं ऐसी स्थिति में विद्युत विभाग को निर्देश जारी होने चाहिए कि जिन नल-जल योजनाओं के कनेक्शन राशि न जमा करने के कारण काटे गए हैं उन्हें तत्काल जोड़ दिए जाएं. यह मेरा निवेदन है कि किन्हीं भी कारणों से बंद पड़ी नल-जल योजनाओं को तत्काल प्रारंभ किया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके अलावा जो बहुत पुराने तालाब हैं जो दो एकड़ में, ढाई एकड़ में, पांच एकड़ के जो बड़े तालाब हैं, चूँकि आज मौसम अच्छा है तो हम उनका गहरीकरण अच्छी तरह से कर सकते हैं क्योंकि भरे तालाबों का गहरीकरण नहीं कर पाते हैं. तालाबों का गहरीकरण तत्काल कराना चाहिए ताकि हमें जल संकट की आने वाली समस्या से निजात मिल सके. बढ़ती जनसंख्या के कारण जमीन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है इसलिए पुराने तालाबों को ही, पुराने बांधों को ही गहरा कर दिया जाए ताकि जल स्तर में वृद्धि हो और गिरते वाटर लेवल से भी निजात मिले. वर्तमान में पीएचई विभाग द्वारा ठेके की पद्धति में जो काम कराया जाता है इस पर कई माननीय सदस्यों ने काफी चिन्तन किया है कि ठेकेदारों द्वारा जो बिगड़े हैण्डपम्पों का संधारण किया जाता है, बनाया जाता है और जैसा कि माननीय सदस्यों ने कहा कि यह ठेकेदारी पद्धति जो आपने पूरे प्रदेश फैलाकर के रखी है, इसको बंद करना चाहिए और जो हमारे मैकेनिक पूर्व में कार्यरत थे, उन्हीं गांव के मजदूरों से उन्हीं गांव में हैण्डपम्प का सुधार कार्य किया जाता था, इसको पुन: लागू किया जाए ताकि लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सके. मेरे पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में किरगी जल प्रदाय योजना 52 गांवों का एक प्रोजेक्ट बनाया गया. उपाध्यक्ष महोदय, वहां विभाग के अमले ने सर्वे किया और सर्वे करने के बाद 32 गांव दम्हेड़ी के प्रोजेक्ट को जोड़कर 52 गांव की किरगी प्रोजेक्ट को बनाया गया जो जल निगम भोपाल में 2 वर्षों से लंबित है यदि माननीय मंत्री जी इस जल प्रदाय योजना को स्वीकृत कर देंगे तो हमारे सैकड़़ों गांवों को जल संकट से निजात मिलेगी,ऐसा मेरा निवेदन है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपके पास अगर ऐसी सूची है तो माननीय मंत्री जी को दे दें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जलविहीन स्रोत वाले जो गांव हैं उनकी सूची में मंत्री जी को दे देता हूँ और जो ऐसे गांव हैं जहां परिवहन करके इस बार जब हम पानी उपलब्ध करायेंगे, ऐसे गांवों की सूची, यदि आपकी अनुमति है तो माननीय मंत्री जी को उपलब्ध करा दूंगा. आपने बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री के.के.श्रीवास्तव(टीकमगढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज पूरे प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण जल का संकट है और मैं ऐसा मानता हूँ कि इसमें राजनीति करने का न तो पक्ष को, न विपक्ष को प्रश्न उठता नहीं है कि राजनीति की जाए. कोई सत्ता या सरकार के कारण यह पेयजल का संकट मध्यप्रदेश में नहीं हुआ है. दो तीन वर्षों से सूखे के कारण जल स्तर नीचे चला गया जिसके कारण यह प्राकृतिक आपदा आयी है. इसके पहले भी बुन्देलखण्ड से मैं आता हूँ, वहां चार वर्ष एक साथ सूखा पड़ा था. 2008 का सूखा मुझे अच्छे से याद है जिस समय पीने के पानी का संकट उस समय भी पैदा हुआ था लेकिन बेहतर प्रबंधन के कारण तब भी बुन्देलखण्ड में ठीक से पेयजल की व्यवस्था हुई, लोगों को पीने का पानी उपलब्ध हो सका इसलिए मैं समझता हूँ कि यह संकट कोई व्यक्ति निर्मित्त नहीं है,सत्तागत निर्मित्त नहीं है और इसलिए इस पर दोनों पक्षों को बड़े चिन्तन के साथ, मंथन के साथ बातचीत करनी चाहिए और समाधान तक हम सब पहुंचे, ऐसी योजना बनानी चाहिए. अभी रावत जी कह रहे थे, मैं उनकी बात से सहमत हूँ, उन्होंने कहा था कि कई ऐसे स्थान हैं जहां पर 200 फिट के बाद पानी नहीं मिलता. हम 1000-1200 फिट तक भी अगर बोरिंग कराते हैं तो भी पानी नहीं मिलता. एक स्टेटा है, ग्रेनाइट की लेयर है, उसके बाद हम कितने भी नीचे चले जाएं तो हमें पानी नहीं मिलता है. अभी हमने टीकमगढ़ में सर्वे भी कराया तो वहां भी यही स्थिति है और मुझे लगता है कि बुन्देलखण्ड हो, चाहे वह बघेलखण्ड हो, चाहे वह चम्बल का क्षेत्र हो, यह एक समान स्टेटा पर बसे हुए क्षेत्र हैं जिसके कारण पानी का संकट यहां अत्यधिक उत्पन्न होता है. अभी आरोप प्रत्यारोप की बात हो रही थी, लोग कह रहे थे कि 10-12 सालों से जब से सरकार आयी, मुख्यमंत्री नल जल योजना, पेयजल योजना फेल हो गयी, सरकार फेल हो गयी. 50-60 सालों से जिन सरकारों पर यह चिन्ता थी, जिन सरकारों पर यह जिम्मेदारी थी और जो सरकार कल्याणकारी योजनाएँ, पीने का पानी हो,सड़क, बिजली,शिक्षा, स्वास्थ्य, यह बेहतर व्यवस्था देने का काम सरकारों का होता है, जो कल्याणकारी सरकार होती है, हम तो 12 साल में फेल हो गये, जो 50-60 सालों से परिवारों के परिवार, कुनबे के कुनबे बैठे रहे, खुद उत्तराधिकारी बन के बैठे रहे, उऩ्होंने क्या किया, वे अगर ऊंगली उठाते हैं तो तीन ऊंगली खुद उनके ऊपर उठती है, यह सोचना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पीने के पानी का स्थाई समाधान नहीं कर पाये. मैंने तय किया है(श्री सुखेन्द्र सिंह जी के बैठे बैठे टिप्पणी करने पर) सुखेन्द्र सिंह जी जरा सुनियेगा, सुनना सीखियेगा, मैं दर्पण दिखा रहा हूं,जरा चेहरा देखियेगा जिस पर कालिख पुती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह टोकना ठीक बात नहीं है. नल जल योजनाओं की बात जो चल रही थी.
डॉ. गोविंद सिंह--- (XXX).
श्री के.के.श्रीवास्तव-- डॉ.साहब मैं बोलता नहीं हूं. मैं किसी को छेड़ता नहीं हूं और कोई छेड़ेगा तो मैं छोड़ता नहीं हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- श्रीवास्तव जी , आप अपना भाषण जारी रखे.
श्री के.के. श्रीवास्तव--- गोविदं सिंह जी वरिष्ठ सदस्य हैं, जब मैं टोकता था तो इनको कहीं न कहीं से लगता था तो मुझे खबर भिजवाते थे कि टोका मत करिये.
उपाध्यक्ष महोदय--- गोविंद सिंह जी आपसे बहुत स्नेह करते हैं.
………………………………………………………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- मुझे उनका स्नेह प्राप्त है, मैं बहुत छोटा हूं, मैं उन्हीं से ही सीख रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--- आप संसदीय कार्यमंत्री जी से पूछ लीजियेगा कि उनसे सीखना है कि नहीं सीखना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- उपाध्यक्ष महोदय, शोले में बसंती कहती यूं कि मुझे ज्यादा बोलने की आदत है नहीं.
डॉ. गोविंद सिंह-- यह तो उनका रिश्तेदार है इसलिए बोलने का हक है इनको.
श्री बाला बच्चन-- श्रीवास्तव जी, आपके मंत्री जी ने शोले की बसंती से आपकी तुलना की है.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- यह बसंती कलर की बात हो रही है प्रभारी जी. मौसम बसंती है मेरा रंग दे बसंती चोला , यह उस बसंती की बात हो रही है . अब जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी. आपने यही सब तो किया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात पर आता हूं. नल जल योजनाओं के बारे में बात करना चाहता हूं. यह सही है कि नल जल योजनाओं के निर्माण करने की जिम्मेदारी पीएचई विभाग की थी और उनके रख रखाव , उनके संधारण और संचालन की जिम्मेदारी पंचायत एवं ग्रामीण विकास की थी और इसके कारण एक दूसरे विभाग, एक-दूसरे पर उतारा करते थे वह अपनी जिम्मेदारी से दूर हटते थे. योजना बनी नहीं, बनी कितनी बनी. पंचायत के सरपंच या सेक्रेटरी के माध्यम से उन्होंने जो भी गोलमाल किया उस स्तर पर कहीं न कहीं गड़बड़ी होने की बात भी मैं स्वीकार करता हूं और एक –दूसरे पर विभाग कहीं न कहीं उतारा किया करते थे. लेकिन अब यह तय हो गया है इसी सदन के अंदर कि पंचायत और ग्रामीण विकास ने कहा है कि नल जल योजनाये जो भी हैं, उनको अब पीएचई ही देखे और 100 करोड़ रुपया पीएचई को हस्तांतरित किया है. मैं समझता हूं कि पीएचई की अब जिम्मेदारी बढ़ गई है और पीएचई इन नल जल योजनाओं का सुदृढ़ीकरण करते हुए उनको ठीक से संचालित कर पाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे अच्छे से याद है 2005 में मैं जब नगरपालिका अध्यक्ष बना. तब मेरे यहाँ 1957 में साढ़े 3 एमएलडी की एक नल जल योजना टीकमगढ़ नगर में बनी थी जबकि आवश्यकता साढ़े 7 एमएलडी की थी. अभी बातचीत चल रही थी कि हमने कितना किया. 1957 से लेकर 2005 तक टीकमगढ़ नगर में मात्र चार पानी की टंकियाँ थी. 2005 से 2010 के बीच में मैं अपने काम की बात कर रहा हूं. हमने पांच नई पानी की टंकियाँ वहाँ बनाई है. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार का काम करने का तरीका है. 50-60 सालों केवल 4 टंकियाँ. हमने पांच साल में एक कार्यकाल में 5 टंकियाँ बनाकर उनकी संख्या 9 की है और 16 एमएलडी की योजना स्वीकृत कराकर उससे पानी देना प्रारंभ किया है.
श्री रजनीश सिंह-- पानी की टंकी बनाने वाले हम लोग, योजना लाने वाले हम लोग, केंद्र का पैसा था, जो 4 टंकी बनी वह कांग्रेस ने बनाई.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि केंद्र की यूपीए सरकार , उल्टा-पुल्टा एलाइंस की सरकार. अटल बिहारी बाजपेई ने नदी जोड़ो योजना बनाई. सूखी नदी और बाढ़ वाली नदियों को जोड़ने की जब बात चली थी और यूपीए की जब सरकार आई तो उसने इस योजना को धराशाई करा दिया, उस योजना पर काम नहीं हुआ, यह यूपीए की सरकार , यह उल्टी-पुल्टी सरकार . माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केंद्र सरकार की बात करोगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- श्रीवास्तव जी, अब गाड़ी को रोड पर ले आएँ और समाप्त करें.
श्री के.के.श्रीवास्तव-- माननीय उपाध्यक्ष जी, अभी रावत जी जो कह रहे थे कि पानी पर सशस्त्र गार्ड बिठाई टीकमगढ़ में, मैं टीकमगढ़ से आता हूँ, टीकमगढ़ से विधायक हूँ. टीकमगढ़ नगर पालिका का अध्यक्ष रहा हूँ. वह सशस्त्र गार्ड पानी पर नहीं, उत्तर प्रदेश के जामनी बाँध से हमारा कंप्रोमाइज है, हम वहाँ से पानी लेकर के आए, तो यू पी का जो पोर्शन पड़ता है....
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन(श्री लाल सिंह आर्य)-- उपाध्यक्ष महोदय, यह हमारी भारतीय जनता पार्टी की शताब्दी एक्सप्रेस है. (हँसी)
श्री के.के.श्रीवास्तव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वह जो सशस्त्र गार्ड थे वह यू पी के पोर्शन में उस पानी को यू पी के कोई किसान न उठा पाएँ इसलिए वहाँ से हमने सशस्त्र गार्ड अपनी लगाई थी और हमारे डेम में पानी आ गया, हम पानी दे रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में मैं मानता हूँ कि नदी जोड़ो अभियान मध्यप्रदेश की सरकार ने चलाया है. नदी-तालाब जोड़ो अभियान भी चले हैं. सूखी नदियों में भी पानी भेजा जा रहा है. मैं समझता हूँ कि मुख्यमंत्री समूह नल जल योजना की जो स्थिति है. जो जल निगम के बीच में कई योजनाएँ बन करके प्रदेश भर में अच्छा काम हुआ है. एक अच्छी सोच के साथ काम हुआ है. जहाँ अच्छे सतही पानी के सोर्सेस हैं, उस मुख्यमंत्री समूह नज जल योजना को और ज्यादा क्रियान्वित करने की आवश्यकता है. जहाँ अच्छा पानी मिले, योजनाएँ बना कर के जल निगम के अन्दर जो योजनाएँ पड़ी हुई हैं उनको तत्काल प्रारंभ कराया जाए. तत्काल स्वीकृति दी जाए ताकि अब सतही जल से ही हम, नीचे के वाटर लेवल से उतना पानी नहीं ले पाएँगे, इसलिए उसकी बहुत आवश्यकता है. उपाध्यक्ष महोदय, धसान नदी पर बानसुजारा बाँध बन रहा है. वहाँ लगभग 60-65 गाँवों से एक नल जल योजना बनाई जा सकती है. शायद बन कर तैयार है, एक जामनी नदी पर आमघाट...
उपाध्यक्ष महोदय-- इसके पहले आपने कागज क्यों नहीं निकाला था अब आप इतना बोल रहे हैं. अब आप समाप्त करें.
श्री के.के.श्रीवास्तव-- उपाध्यक्ष महोदय, आमघाट पर भी नलजल योजनाएँ मुख्यमंत्री समूह नलजल योजना बनाई जाए, बरीघाट के ऊपर एक अप स्टीम में. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया बाकी लोगों ने टोकाटाकी की, उनका भी धन्यवाद और आपको बहुत बहुत प्रणाम.
उपाध्यक्ष महोदय-- श्रीवास्तव जी, धन्यवाद.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया(दिमनी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पानी कम बरसने से पानी की पूरे प्रदेश में ही परेशानी है. मेरा तो मंत्री महोदय से यह निवेदन है कि सबसे ज्यादा पानी पर ही ध्यान दिया जाए. मेरे यहाँ तो चंबल नदी है. चंबल से मुरैना, ग्वालियर तक पानी लाया जाए क्योंकि वहाँ पर जितने खेंचू लगे हुए हैं, जिस गाँव में जाते हैं, तो हर व्यक्ति पानी के लिए गाँव में घुसने नहीं देता, वह कहता है पहले खेंचू चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, खेंचू की समस्या है, एक भी छड़, मुरैना में आप देख लो, मुरैना पूरे जिले की बात कर रहा हूँ. पूरे मुरैना में एक भी खेंचू की छड़ 4 महीनों से नहीं आई है. वहाँ कहते हैं कि पैसे ही नहीं हैं तो छड़ कहाँ से आएगी तो मेरा मंत्री महोदय से निवेदन है कि पूरे गाँव में 25 खेंचू होंगे तो 1-2 ही चालू होंगे और वहाँ एस डी ओ से कहते हैं तो वे कहते हैं कि स्टाफ ही नहीं है और स्टाफ है तो छड़ नहीं है. मैंने पहले भी मंत्री महोदय से निवेदन किया था कि मुरैना के लिए छड़ भिजवाई जाएँ. खेंचू की व्यवस्था बाद में हो पर छड़ हो तो नीचे डाल कर, जैसे पानी नीचे चला गया है तो एक एक गाँव को जोड़ जोड़ के एक एक छड़ को टेक करके डलवा रहे हैं. पी एच ई से तो 6 महीने से एक भी सामान नहीं गया है. या तो यहीं भोपाल में बिक जाता है या वहाँ जाता है वहाँ बिक जाता है. कर्मचारियों से कहो तो वे कहते हैं कि स्टाफ नहीं है. मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में एस डी ओ, ई ई को पाँच बार लिख कर दे चुका हूँ. एक भी पदाधिकारी नहीं है, उनके ट्रांसफर हो गए. मैंने लिख कर दिया, मंत्री जी से मिलने गया तो उन्होंने कहा कि हम व्यवस्था करेंगे. अब एक सब इंजीनियर भेजा गया है तो मैं यह कहता हूँ कि स्टाफ हो और पानी की समस्या सबसे ज्यादा जटिल है तो मेरा तो यही कहना है कि अगर पानी पर ध्यान दिया जाएगा तो जनता खुश रहेगी. अब लाईट 10 घंटे रहने लगी है, 24 घंटा भी रहने लगी है. अगर ऐसी कोई पानी की नल योजना है, मैंने 25 नल योजनाएँ बनवाई हैं एक भी नल योजना, अम्बाह की बात कर रहा हूँ. एक भी चालू नहीं है. 2-4 मुरैना में लगी हैं और पास के गाँवों में एक भी नहीं है. अगर नल योजना चालू हो जाए तो मंत्री जी की बड़ी कृपा होगी. उपाध्यक्ष महोदय, समय दिया धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय‑- बलवीर सिंह जी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गिरीश भंडारी (नरसिंहगढ़)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रुप से सब लोगों ने कहा कि यह प्राकृतिक आपदा है लेकिन इस प्राकृतिक आपदा का अहसास हमें तीन महीने पहले हो चुका था यह प्राकृतिक आपदा वैसी प्राकृतिक आपदा नहीं है जैसी कि अतिवृष्टि, पाला पड़ना आदि होती है इस आपदा का तीन महीने पहले हमको एहसास हो गया था कि वाटर लेवल नीचे चला गया है हमको उसके लिए व्यवस्था करना चाहिए लेकिन कहीं न कहीं सरकार और विभाग की कमी रही कि उन्होंने इस बारे में विचार नहीं किया जिसके कारण आज हम उस स्थिति में हैं कि प्यास लग रही है और कुआं खोदने की बात कर रहे हैं. आज पूरे प्रदेश में पेयजल के लिए हा-हाकार मचा हुआ है और विशेषकर जो पशुधन है उसकी स्थिति यह हो चुकी है कि वह मुंह से मांग भी नहीं सकता है, आवारा पशु जो जंगलों में गांवों में बाहर घूम रहे हैं उनको आज पीने के पानी की बहुत तकलीफ हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र में अभी 7-8 दिन पहले पीएचई के अधिकारियों से मैंने बात की कि पेयजल की समस्या है हैंड पंपों का पानी नीचे उतर चुका है कैसे व्यवस्था की जाय ताकि गांवों में पानी पिलाया जा सके. उन्होंने मुझसे यह कहा कि 6-7 मोटरें आई हैं आप 6-7 गांवों के नाम बता दो, मैंने कहा मेरे क्षेत्र में 300 गांव हैं और इनमें से 90 प्रतिशत गांवों में पानी का लेवल नीचे चला गया है. 6-7 मोटरों से क्या 250-300 गांवों को पानी पिलाया जा सकता है. मैं मंत्रीजी से आग्रह करना चाहता हूँ कि वाटर लेवल जो नीचे चला गया है उसका सबसे बढ़िया तरीका यह है कि हर गांव में पीएचई के द्वारा एक मोटर उपलब्ध कराई जाये.अभी जो मोटरें दी जा रही हैं वे सिंगल फेस की हैं उनसे 200-250 फिट से ज्यादा का पानी नहीं खींच सकते हैं. मेरे क्षेत्र में वाटर लेवल 400 से 500 फिट तक चला गया है वहां पर थ्री फेस की मोटरें दी जायें तो निश्चित रुप से वे 400-500 फिट का पानी उठा सकेंगी जिससे गांवों के लोगों को पानी की सुविधा हो सकेगी. मेरा एक और सुझाव है कि अभी जो मोटरें दी जा रही हैं वे 3 या 4 महीने चल पाती हैं और खुद विभाग के लोग कहते हैं कि इन मोटरों का विश्वास नहीं है यह मोटरें इतनी अच्छी क्वालिटी की नहीं हैं आप लोग या तो पंचायतों कें माध्यम से अच्छी मोटरें खरीदकर डालो और पंचायतों की स्थिति यह है कि पंचायतें कहती हैं कि हमारे पास मोटरें खरीदने के लिए पैसा नहीं है. कहीं न कहीं इसमें समन्वय बनाने की आवश्यकता है. मेरे क्षेत्र में जो नलजल योजना है उसमें 90 प्रतिशत नल जल योजनायें बंद हैं. जो पाइप लाइनें बिछाईं थीं वे प्लास्टिक की थीं. गांव में कहीं कांक्रीट करने के लिए खुदाई की, कहीं छोटे-मोटे काम के लिए, कहीं बक्खर निकालने के लिए खुदाई की तो वह पाइप लाइनें टूट गईं और आज स्थिति यह है कि उन पाइप लाइनों के टूटने के कारण सब नल जल योजनायें बंद पड़ी हैं. मेरा सुझाव है कि अब नल जल योजनाओं के जो प्रस्ताव बनाये जायें वे लोहे की पाइप लाइन के प्रस्ताव बनाये जायें और उसे ऊपर ही ऊपर गलियों में डालकर पेयजल की सुविधा हो जाये ताकि पाइप लाइन कहीं से लीकेज हो तो उन्हें तत्काल सुधारा जा सके. अंदर गाड़ने पर यह स्थिति हो जाती है कि पूरी लाइनों को खोदना पड़ता है यह मालूम नहीं पड़ पाता है कि कहां खराब है और कहां अच्छी है. मुझे अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि आपने हैंडपंप खनन पर प्रतिबंध कर दिया है कि हैंड पंप लगाना अब संभव नहीं है क्योंकि वाटर लेवल नीचे चला गया है. इसलिये वहां पर हैंडपंप नहीं खोदना चाहिये. अब जो बोर के पालिसी बदलना पड़ेगी . पहले जो पानी डेढ़ सौ या दो सौ फीट पर था तो हमने चार इंच या पांच इंच जो मशीनों से बोर होते थे, उनमें हम हैंडपंप डालकर पानी की व्यवस्था करते थे, लेकिन वाटर लेवल नीचे जाने के कारण अब पी एच ई विभाग को अपनी व्यवस्था बदलनी पड़ेगी. अब जो बोर किये जाते हैं उनको आठ इंच का बोर करना पड़ेगा. वह चाहे हैंडपंप के लिये करें या नल जल योजना के लिये करें. अगर आठ इंच बोर करेंगे और अगर पानी काफी गहरें में निकला है तो कम से कम मोटर डालकर पीने के पानी की व्यवस्था कर सकते हैं. इसलिये मेरा सुझाव है कि पी एच ई विभाग में अब जो भी बोर कराये जायें वह आठ इंच से कम नहीं कराये जायें. मेरे विधानसभा क्षेत्र में 300 गांव आते हैं और वहां पर यह स्थिति है कि सब हैंडपंपों का पानी नीचे ऊतर चुका है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि अभी हम वर्तमान में यदि स्टाप डेम या तालाब खोदें यह सब बातें बेकार हैं, यह आगे की बात है. अभी आज जो तत्समय आवश्यकता है वह यह है कि गांवों में मोटरों की व्यवस्था पी एच ई विभाग के द्वारा थ्री फेस की मोटरों की व्यवस्था इस विभाग के द्वारा की जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक और सुझाव है यहां पर ऊर्जा मंत्री जी नहीं बैठें हैं. चूंकि अब गांवों में सिंचाई करने के लिये पानी की आवश्यकता नहीं है. गांवों में अभी बिजली के बकाया के कारण बिजली की लाईनें काट रखी हैं. जिसके कारण गांव में जो लोगों के जो प्रायवेट सोर्स हैं , उसका भी उपयोग नहीं हो पा रहा है. क्योंकि वहां पर लाईट कटी हुई है. मेरा कहना है कि लाईट चालू कर दी जाये ताकि जो भी प्रायवेट सोर्स हैं उनसे भी गांव के लोगों को पानी की व्यवस्था करायी जाये.
तीसरा एक सुझाव और है कि हमारे क्षेत्र में लोगों के पानी के प्रायवेट सोर्स है, वहां पर भी पटवारियों के द्वारा उसका चयन किया जाये, उनका निरीक्षण किया जाये और उनके अधिग्रहण की कार्यवाही की जाये. ताकि गांव के लोगों को पानी पिलाया जा सके. विशेषकर जो हमारी कालोनियां होती हैं, जहां पर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग रहते हैं, उनके साथ गांव में यह परेशानी आती है कि वह निजी कुंओं से पानी नहीं भर सकते हैं, वहां पर उनको रोका जाता है. इसके लिये मेरा सुझाव है कि कुंओं का अधिग्रहण किया जाये या जो प्रायवेट हैंडपंप या जो बोर चालू हैं उनका अधिग्रहण किया जाये, उनसे पाईप लाईन जोड़कर उन मोहल्लों या कालोनियों में विशेषकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के मोहल्लों में पानी की व्यवस्था की जाये. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्यवाद्.
उपाध्यक्ष महोदय :- आपके यहां आपदा इस कारण से भी आ रही है कि आप बाफले और बाटी नहीं खिलाते हैं. स्वर्गीय भण्डारी जी हम लोगों को खूब खिलाया करते थे, इसलिये आपदायें वहां पर नहीं आती थी.
श्री गिरीश भण्डारी:- आपकी यह समस्या जून माह में खत्म हो जायेगी.
उपाध्यक्ष महोदय :- धन्यवाद्.
श्री सूखेन्द्र सिंह (मऊगंज) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पेयजल एक गंभीर विषय है और जल ही जीवन है. सितम्बर माह में पूरा प्रदेश सूखागस्त घोषित हुआ था उसी समय सरकार को चेतना चाहिये था कि भविष्य में क्या स्थितियां बनेगी. लेकिन आज जब हमारे विपक्ष के सभी विधायकगण जब सत्तापक्ष के ऊपर दबाव बनाया तब जाकर इस गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है, नहीं तो सरकार के कानों में जूं नहीं रेंगने वाली थी.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि जो भी प्रदेश स्तर की कार्ययोजना बनती है वह एक जैसी बनती है. लेकिन हर क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियां क्या है, इस पर सरकार की शायद कम नजर रहती है. हमारा रीवा जिला और मऊगंज क्षेत्र की एक स्थिति है,
उपाध्यक्ष महोदय :- माननीय सदस्यों के लिये सदन की लॉबी में स्वल्पाहार की व्यवस्था की गयी है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह --जहां वहां से उत्तरप्रदेश सिंगरौली एवं सीधी कम से कम 3-3 हजार की हाईट पर मऊगंज क्षेत्र आता है, वहां पर यही निर्धारित है कि 300 फीट से ज्यादा कोई मशीन बोर नहीं करेगी, हम लोग विधायक निधि का पैसा वहां पर दिये, लेकिन कोई मशीन खनन करने के लिये तैयार नहीं है तो मेरा आपसे अनुरोध यह है कि हमारे क्षेत्र की जो भौगोलिक स्थिति है वहां पर कम से कम कोई मशीन 500 फीट तक न खने यह विशेष रूप से ध्यान देने की बात है. अभी तक इसमें ठेकेदारों का पैसा फंसा हुआ है, हमने बड़े अधिकारियों से बात भी की थी, लेकिन उनका पैसा आज तक फंसा हुआ है. आज रीवा जिले में एक दिन रीवा के सांसद महोदय ने कहा कि पेयजल से निपटने के लिये आप लोग खटिया पर सोयें, खटिया पर नहाएं और उसका जो पानी गिरे उसको यूज करो. उनका ध्यान नहीं है कि दिनांक 1 तारीख से लेकर के 5 तारीख तक विन्ध्य महोत्सव मनाया जा रहा है इसमें सिर्फ नाच एवं गाने का कार्यक्रम होगा इसमें कितने करोड़ रूपये खर्च होंगे उनका इस पर भी ध्यान होना चाहिये तथा सरकार का भी ध्यान होना चाहिये कि इस तरह से फिजूलखर्ची नहीं होनी चाहिये. टाईगर सफारी चल रही है उसमें कितने की लूट हुई और उसमें भी सीधे-सीधे शेरों का प्रचार किया जा रहा है, लेकिन पेयजल पर ध्यान नहीं है. मैं सरकार का ध्यान दिलाना चाहता हूं आपके माध्यम से कि हमारे विधान सभा क्षेत्र में शेरों का प्रचार हो रहा है और पेयजल का संकट है, उस पर ध्यान नहीं है, हमारे दोनों मंत्री यहां पर बैठे हुए हैं, उनको ध्यान दिलाना चाहता हूं. आप उस उत्सव में शामिल होने जा रहे हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--आप जल संकट के मामले में गंभीर नहीं हैं आप दूसरे विषयों की बातें कर रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह--बिल्कुल ही गंभीर हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अगर इतने गंभीर होते तो दूसरे विषयों पर बातें नहीं करते.
श्री सुखेन्द्र सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, बिना पानी के 7 शेर मरे, यह भी ध्यान रखना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय--आप अपने क्षेत्र की बात करें तथा जल्दी समाप्त करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, स्कीम बोर के कम से कम 10 बोर हमारे विधान सभा क्षेत्र में हुए हैं, लेकिन उसमें एक वर्ष हो गया है आज तक राईजर पाईप नहीं पड़े हैं ना ही उसमें मोटर ही लग पाई है इससे आपकी संवेदनशीलता का पता चलता है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि एक वर्ष बीत गया है स्कीम बोर खन करके पड़े हैं उसमें आप चाहें तो मोटर की व्यवस्था कर दी जाये अथवा राईजर पाईप लगवा दिये जाएं. अभी बहुत सारे साथी विधायक तालाबों के बारे में बात कर रहे थे, पुराने तालाबों की बात तो करते हैं, लेकिन ध्यान यह नहीं होता कि ज्यादातर तालाब प्रायवेट हैं उन तालाबों में शासन का पैसा खर्च नहीं हो पाता है उसमें एक कानून बनाया जाये कि जो पुराने तालाब बने हैं, उन पर शासन पैसा किसी न किसी रूप में खर्च हो. अगर शासन इसमें रीति-नीति नहीं बनाती है तो उसमें कम से कम एक नीति यह बने कि उसमें विधायक निधि के पैसे खर्च हों जिससे कि प्रायवेट तालाब खन जाएंगे, लेकिन तालाब भले ही पट्टेदारों के हों, वह खन जाने से कम से कम मवेशियों के लिये तथा जो तमाम तरह के जल स्तर के लिये वह तालाब उपयोग में आयेंगे और गांवों के लिये यह बड़ा ही महत्वपूर्ण विषय है, यह आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं.
बहुत सारी बातें हैं बहुत सारी बातें हमारे साथी विधायकों ने की अभी सरकार की तरफ से पता चला है कि 45 मोटर पम्प हमारे जिले के लिये भेजे गये हैं, लेकिन 9 ब्लॉकों में 5-5 मोटरें एक एक विधान सभा में तो कैसे पेयजल के संकट का निदान होगा उपाध्यक्ष महोदय मैं यह आपके माध्यम से बताना चाहता हूं इसमें इसकी संख्या और बढ़ायी जाए, केवल हमारे मऊगंज में ही नहीं बल्कि पूरे जिले में इस तरह की तमाम सारी समस्याएं हैं. आपने बोलना का अवसर दिया धन्यवाद.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे सतना जिले तथा मेरी विधान सभा में भीषण पेयजल संकट है वहां पर जल स्तर बहुत ही नीचे चला गया है. आज पूरे प्रदेश में जल संकट है और हर विधान सभा में सभी विधायकों के द्वारा यह बात आपके सामने प्रस्तुत की गई है. मेरा आपसे अनुरोध है कि मेरा विधान सभा क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र है करीबन 80 से 85 गांव पहाड़ों में बसे हुए हैं. वहां पर न तो परिवहन का कार्य शुरू किया गया और न ही कोई स्त्रोत से पानी की व्यवस्था की गई । पूरे सतना जिले में 11000 राइजर पाइप मीटर गए हैं, वह न के बराबर हैं, दो तीन महीने से बिना पाईप के हैंडपंप बंद पड़े हैं, अभी फिलहाल पता चला है कि 11000 मीटर गए हैं, 11000 मीटर न के बराबर हैं, जबकि वहां पर उस दिन मीटिंग में प्रभारी मंत्री थे, कह रहे थे कि 70 हजार मीटर की हमने मांग की थी, उसमें से 11 हजार मीटर आए हैं, जितना जल्दी हो सके, यह व्यवस्था करें, मेरी विधानसभा में लगभग 5 हजार हैंडपंप हैं, 10 हजार मीटर कम से कम एक विधानसभा के हिसाब से भेजें । नागौद और उचेहरा विकास खण्ड में 500 गांव हैं, कम से कम 1 हजार से कम मोटरें नहीं जाना चाहिए, तब जाकर हम लोगों की समस्या हल होगी ।
उपाध्यक्ष महोदय- यादवेन्द्र सिंह जी आपके पड़ौस में अमरपाटन क्षेत्र भी लगा हुआ है ।
श्री यादवेन्द्र सिंह- जी, उपाध्यक्ष महोदय, अभी अमरपाटन की चर्चा हमारे विधायक श्री कमलेश्वर पटेल जी ने की है । पूरे जिले की वही स्थिति है, कहीं भी दो तीन माह से राइजर पाईप नहीं गए हैं, न ही मोटरें गई हैं, हमारी मंत्राणी जी पधारी हैं, यहां पर बैठी हैं और पड़ौस जिले के हम लोग विधायक हैं, सतना और पन्ना क्षेत्र 80 किलोमीटर की दूरी पर अमानगंज के पास तक बिल्कुल लगा हुआ है । जिस तरह से आपके द्वारा हमारे सतना जिले की उपेक्षा जा रही है, ऐसी नहीं होनी चाहिए थी, जल स्तर हो, चाहे कुछ भी हो, आज जल का भीषण संकट है, हमारे सतना में चाहे नागौद हो, चाहे अमरपाटन हो, चाहे चित्रकूट हो, आज नागौद नगर पंचायत में हालत यह है कि सरपंचों के द्वारा पांच पांच वार्ड के लिए पानी परिहवन के माध्यम से दिया जा रहा है और लगभग एक माह से यह हो रहा है, परन्तु अभी तक कलेक्टर के द्वारा पैसों की व्यवस्था नहीं की गई है, हम लोगों की निधि एक सप्ताह में भेज दी जाए, ताकि हम लोग सरपंचों को अपनी निधि से टेंकर की व्यवस्था करें, तभी यह पानी पिलाना संभव हो सकता है, बाकी आपके न तो मिस्त्री हैं और न ही कोई व्यवस्था हैं, पीएचई विभाग के 2 एसडीओ हैं, वह 8 विकासखण्ड देखते हैं, 7 विधानसभा देखते हैं, दो तीन महीने पहले ईई का प्रभार लिया था, उनका भी निलंबन का आर्डर हो गया है, ऐसे वक्त में एक तो कर्मचारियों की कमी है और सस्पेंड कराना कोई बात नहीं है । देखा नहीं है, मैंने सुना है, महेन्द्र नाम के ईई थे, मध्यप्रदेश में माना हुआ अधिकारी है, मंत्री जी से निवेदन है कि उसे निलंबन से बहाल करें, ताकि हमारे जिले की भीषण समस्या का निराकरण हो सके ।
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे उचेहरा ब्लाक में, ग्रामीण क्षेत्र में नलजल योजना हैं, इचौल रगला, पुनिया, उरदनी, गढि़या, पिपरोखर, ऊसली, खोह, करही खुर्द, पुन्जहा, पिपरीकला, अटरा, बिहटा, कुलगढ़ी हैं ।
उपाध्यक्ष महोदय- यादवेन्द्र सिंह जी, आपने सुना नहीं, माननीय मंत्री जी कह रही हैं, आप पड़ौसी हैं, आपका सब काम कर देंगी ।
श्री यादवेन्द्र सिंह- बता तो दूं कि इतनी नलजल योजना बंद पड़ी हैं ।
उपाध्यक्ष महोदय- आप लिखकर दे दीजिए ।
श्री यादवेन्द्र सिंह- जी, उपाध्यक्ष महोदय, दो मिनट में नागौद में भी पतवारा, रहिकवारा, बसुधा, पवईया, सेमरी, माढ़ाटोला, चुन्हा, अमकुई, उमरिया, दतुना, चन्कुईया, झिंगोदर, मढ़ीकला, इटमा, सितपुरा, सिंगपुर, खमरेही, लुहादर, जसो, दुरेहा कुल 20 लाख रूपए यदि आपके विभाग के द्वारा पैसा चला जाए, छोटी छोटी समस्याएं हैं, कहीं स्टार्टर, कहीं पाईप लीकेज हैं, इस वजह से योजना बंद पड़ी हैं, मेरे विधानसभा क्षेत्र में मरम्मत के लिए 20 लाख रूपया भी दे देंगी, तो उपाध्यक्ष महोदय वहां की हर योजना शुरू हो जाएगी , पाईप की व्यवस्था हो जाएगी, आपने मुझे बोलने के लिए अवसर दिया धन्यवाद । श्री दिनेश राय (सिवनी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने दिसम्बर, 2015 में एक तारांकित प्रश्न लगाया था. आज जो समस्या हमारे यहां बनी है, उसके लिए कि हमारे क्षेत्र में स्त्रोतों की कमी है, पानी की समस्या आ गई है. जिसमें माननीय मंत्री जी ने इसी सदन में जवाब दिया था कि हम किसी भी हालत में आपके क्षेत्र में पानी की कमी नहीं होने देंगे, चाहे हम ढोकर पानी पिलायें, तब से लेकर आज तक आपने पानी नहीं पिलाया तो अब 4 माह है. आप जुलाई भी पूरा गिनकर चलें. जुलाई में क्या स्थिति होगी ? आपने जो काम कल किया है, वह काम और पहले कर देते तो पूरे प्रदेश में यह समस्या नहीं आती मंत्री जी. आपने जिस अधिकारी को अब हटाया है. जिनकी वजह से आज भी हमारे क्षेत्रों में, जहां वास्तव में स्त्रोत मिल रहे हैं, वहां बोरिंग की जा सकती है, उनकी अडंगेबाजी अब बहुत देर हो गई है. आप थोड़ा और पहले कर देते तो उस पर चर्चा ही नहीं करते. लेकिन अभी जो समस्या है, आपने अवगत कराया था कि हम पानी ढोकर, किसी भी हालत में पिलायेंगे तो आग्रह है कि आप किसी भी तरीके से समस्या को हल करायें. अभी सबसे बड़ी बात है कि समस्या आ चुकी है. हमको इन 4 माह को संभालना है. पुरानी बात आ गई थी कि पेड़-पौधे एवं दुनियादारी यह बाद में चर्चा हो जायेगी. मेरा आपसे आग्रह है कि इसमें कहीं न कहीं लड़ाई-झगड़े, अपराध एवं हत्यायें होंगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसी भी निर्माण कार्य में, जहां पानी का कार्य होता हो, आप उस पर टोटल बैन लगा दीजिये. आप निर्माण कार्य रूकवा दीजिये, बैन लगा दीजिये. किसी भी स्तर पर नहीं होना चाहिए. जिनके कुँआ, बावली, हैण्डपम्प और बोर हैं, उनका आप तत्काल अधिग्रहण करें. मैं बताना चाहता हूँ मैंने दिसम्बर में बोला था और आज भी बोल रहा हूँ कि आने वाले माह जून एवं जुलाई आपसे नहीं संभलेंगे. आज ही आपको कार्यवाही करनी होगी. आप विधायकों की राशि से भी टैंकर दिलवा दें. हम लोग एम.पी.एल.यू.एन. से बात करते हैं तो उनका बहुत अधिक रेट है, छूट दे दें. विधायक अपनी स्वेच्छा से 70 से 75,000/- रू. में बहुत बढि़या एवं मजबूत टैंकर बनवा रहे हैं- जो यहां पर 1,40,000/- रू. में बना रहे हैं. उनको दे दें, तत्काल हम लोग 50-50, 60-60 टैंकर अपनी विधानसभा में बांट देंगे. जिसमें आप पर भी अधिभार कम होगा और हमारे क्षेत्र में पानी की ढुलाई में सुविधा हो जायेगी. परिवहन की सुविधा के लिए, आप विधायकों को भी निर्देशित कर दें. मेरा आपसे आग्रह है कि मेरे यहां फ्लोराइड वाला क्षेत्र है, जहां पर पानी के बोर नीचे जायें तो भी दिक्कत है और ग्राउण्ड वाटर की भी समस्या आ गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां बिना परिवहन के नहीं हो सकता है. हमारा क्षेत्र सूखाग्रस्त घोषित है. जहां आवश्यक बोरिंग होनी चाहिए, वहां उच्चाधिकारियों द्वारा परमीशन नहीं दी गई है. आप क्षेत्रीय अधिकारियों को परमिटेड कर दें कि वे अपनी स्वेच्छा से आवश्यक क्षेत्रों में बोरिंग करायें. अभी बात आ रही थी 6 इंच एवं 8 इंच बोरिंग की. हमारे क्षेत्र में आपने 18 इंच के, जो बोर कराये हैं, वे लगभग 90 प्रतिशत सफल हुए हैं. चाहे कुंआ हो, चाहे बावली हो, जितने भी हो, मेरा पूरा विधानसभा क्षेत्र है. मेरा आपसे आग्रह है कि उनकी खुदाई करवा दें एवं साफ-सफाई करवा दें, उनसे स्त्रोत बढ़ेगा और उससे हमारे क्षेत्र की समस्या भी हल होगी. अभी बात आई थी कि वन प्राणियों को लेकर जो श्री रजनीश जी भी बात कर रहे थे, क्यों शेर जंगल से बाहर आ रहा है ? तो पानी की समस्या है. वह बाहर आता है तो पानी में जहर मिला रहे हैं, प्राणी भी मारे जा रहे हैं. मेरा आग्रह है कि आप मेरे क्षेत्र को मूलभूत सुविधाएं देने की कृपा करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री बाला बच्चन.
श्री बाला बच्चन - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 2-3 विधायकगण शेष हैं. उनको 2-2 मिनिट का समय दे दें क्योंकि उनके क्षेत्र की भी बातें आ जायें. आप उन पर मेहरबानी कर दीजिये.
श्री रामनिवास रावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपसे विनम्र निवेदन है.
उपाध्यक्ष महोदय - लेकिन आप अपनी बात पर कायम रहियेगा. सिर्फ 2-2 मिनिट्स. दो से तीसरा मिनिट नहीं होना चाहिए.
श्री रजनीश सिंह (केवलारी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह भीषण संकट है, पूर्व वक्ताओं ने बड़े विस्तार से इस पर चर्चा की है, मैं उस बिन्दु को रिपीट नहीं करना चाहता हूँ. जहां पर प्राकृतिक आपदा और विपदा के कारण, जहां पर सूखे के कारण, जहां पर स्त्रोत नीचे चले गए हैं, उसके कारण भीषण संकट समझ में आता है तो बात समझ में आती है कि सरकार चाहे कोई भी रहे, दिक्कत, किल्लत और परेशानी तो होती है. जहां स्त्रोत हैं, सरकार व्यवस्था कर सकती है, वहां अगर सरकार व्यवस्था न करे तो इस पर प्रश्नचिह्न उठता है. मंत्री जी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं और हमारे सिवनी जिले में जो बेनगंगा नदी बहती है, बाजू में जो बरगी बांध है, वहां स्वयं मंत्री जी ने समूह नल जल योजना का आज के कुछ दिन पूर्व वहां पर उद्घाटन किया. हमारे छपारा विकास खण्ड में जहां से मैं और हमारे भाई दिनेश राय जी प्रतिनिधित्व करते हैं. 1994 में उसी बेनगंगा से 40 किलोमीटर दूर हमारी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने पानी पहुंचाने का काम किया. सिवनी नगर की लगभग डेढ़ लाख जनता को दो वक्त का पानी पिलाने का और दैनिक उपयोग के लिये पानी दिलाने की व्यवस्था की. आज उसी बेनगंगा में अपार पानी है, जहां कि मेरा केवलारी विधान सभा क्षेत्र है. पर एक कहावत मुझे याद आती है कि भरे तालाब में भेंगा प्यासा. ताल भरा हुआ है, तलैया भरी हुई है, पर हम उसमें से पानी का उपभोग नहीं कर रहे हैं. आज वर्तमान में जो सरकार है, हम उससे बारबार गुहार करते हैं, बारबार प्रार्थना करते हैं. मंत्री जी का आश्वासन भी है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 4-4 समूह नल जल योजनाएं लंबित हैं, पर आज तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. मैं सुझाव देना चाहूंगा कि जो नीचे का अमला है, जो हमारे ब्लाक स्तर के, सब डिवीजन के ऑफिस हैं, वहां पर कर्मचारी नहीं हैं. मेरी मंत्री जी से प्रार्थना है कि आप जो पोस्टें खाली हैं, उन्हें तत्काल भरें. जब फ्लोराइड जैसा मेरा इलाका धनौरा का है, जहां हैंडपम्प में पानी है, खनन करते हैं तो पानी निकलता है, पर फ्लोराइड युक्त है. तो वहां पर समूह नल जल योजना से पानी की व्यवस्था जो प्रस्तावित है, उसे शीघ्र लागू करवाने का काम करें. मेरा एक छोटा सा निवेदन है कि यह भीषण जल संकट का मामला है. आज सिवनी जिले में न केवल मनुष्य और मानव बल्कि पशु, पक्षी, जीव, जन्तु पूरे संकट में हैं. आज हमारे पेंच में 4 दिन पहले बाघ खत्म हुआ, उसके बाद बाघिन खत्म हुई,उसके दो शावक, बच्चे खत्म हुए. ये क्यों स्थिति निर्मित हो रही है. कहीं न कहीं सरकार की व्यवस्था में, दिशा में कोई अंतरहीन दिशा की ओर सरकार जा रही है. अंत में मैं एक बात कहूंगा कि आज प्रदेश की जनता के माथे पर बहुत बड़ी चिंता की लकीर स्पष्ट दिखाई दे रही है. आज प्रदेश की जनता करे पुकार और हमको पानी कब दोगे सरकार. यह सरकार से हमारी गुहार है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये अवसर दिया, मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं. धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) -- उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया है, उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. मैं सीधे मुद्दे पर आता हूं. मेरे क्षेत्र के बहुत से कार्य हैं, समीक्षा बैठक में निकले थे. मंत्री जी से मैं निवेदन करुंगा कि मैं इसको लिख करके दे दूंगा, आप इस समीक्षा बैठक पर कृपया ध्यान देंगी. मैं सीधे मुद्दे पर आता हूं. हमारे यहां जमीन का जो स्टेटा है, उसमें सेंट स्टोन है. लगभग 700-800 फीट तक पानी नहीं निकलता है. अगर पानी निकलता भी है, तो बीचे में एक किले की लेयर आती है. किले की लेयर आने से वहां पर बोरिंग फेल हो जाती है. दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब भी आपने गांव में बोर के जो टारगेट हैं, 450 की जनसंख्या के ऊपर अपन एक बोर करते हैं. जब भी अपन गांव में भेजते हैं, तो ठेकेदार वहां जाकर के गांव के सरपंच या लोगों के बीच में बोलता है कि बोर कहां होने हैं और गांव में विवाद चालू हो जाता है. वह रात को अकेले में जाकर सरपंच को पकड़ता है, सरपंच अपने हिसाब से जगह में बोर करवाता है और सर्टीफिकेट दे देता है. जहां 250 या 300 फीट होना होता है, वहां 100-125 फीट होता है. सबसे बड़ी समस्या हमारे क्षेत्र में यह है. पूरा का पूरा विभाग ठेकेदारों के हाथों चल रहा है. मेरा निवेदन है कि जो भी अधिकारी इस पॉलिसी को बनायें, खास करके पेय जल के संबंध में, उसके लिये उनकी लायबिलिटी फिक्स होनी चाहिये. कोई भी अधिकारी आता है, अपने हिसाब से एक नई पालिसी तैयार करता है. 2-3 साल तक नई पॉलिसी चलती है. मालूम पड़ा कि नया आदमी आया उसको चेंज कर दिया. हमारे बोर सिर्फ गिनती के हैं. हर गांव में 17,25 हकीकत में 10 प्रतिशत चल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि दिनेश भाई (मुनमुन) ने कहा है मैं उनकी बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि लघु उद्योग निगम के माध्यम से जब हम लोगों को अपनी निधि से टेंकर देना पड़ता है तो लगभग 1 लाख 50 हजार का पड़ रहा है. अगर कोई समस्या न हो तो पीएचई विभाग कुछ अंशदान दे, कुछ विधायक निधि का पैसा उसमें मिले तो हम कम से कम पानी का परिवहन कर सकें. कुछ अंश राशि पीएचई विभाग दे, इसके पूर्व के जो पीएचई मंत्री थे उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र में हर विधायक को 50-100 तक दिये हैं. मैं मंत्री जी से सदन के सभी सदस्यों की तरफ से यह निवेदन करना चाहता हूं कि आप भी हर विधायक को एक कोटा दे दें जिसमें हमको महसूस हो कि जहां पर वास्तव में गरीबी है, जहां पर पानी की समस्या है हम वहां पर मदद कर सकें. पूर्व में पीएचई मंत्री जी द्वारा ऐसा किया गया था. आपसे यह भी अनुरोध है कि हमारे पठार क्षेत्र में लगभग 30 से 35 मीटर की हाइट है वहां पर अगर कोई विशेष योजना बनाई जायेगी तो जरूर लोगों को लाभ होगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मुझे अवसर दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिये धन्यवाद. मेरी ऐसी मान्यता है कि सदन सिर्फ सरकार को घेरने के लिये नहीं होता है कि हम सरकार को घेरें. यह सदन वह सदन है जहां पर जनता के मुद्दे उठें, उनकी समस्या पर गंभीरता से चर्चा हो और उनकी समस्या का निराकरण हो. इस समय जो समस्या है वह त्वरित निर्णय लेकर के लोगों को राहत पहुंचाने की समस्या है. कुछ समस्याओं के लिये दीर्घकालीन योजना बने उसके बाद उस समस्या का समाधान हो एक अल्पकालीन योजना बने , इस मामले में समय ज्यादा नहीं है, गर्मी प्रारंभ हो गई है, जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराना है क्योंकि बिन पानी सब सून. हवा, पानी और भोजन के बिना जीवन संभव नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, लगभग सारी बातों पर चर्चा हो चुकी है, इसमें कोई दो मत नहीं है कि पूरे प्रदेश में जल का संकट है. उस जल के संकट से सभी परेशान है सभी चिंता में हैं. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने इस विषय को चर्चा के लिये लिया उसके उनको भी धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं सुझाव के रूप में सिर्फ एक बात रखना चाहता हूं कि जब तक हम ब्लाक स्तर पर इसकी मीटिंग नहीं करेंगे तब तक समाधान नहीं होगा इसलिये ब्लाक स्तर पर एक मीटिंग बुलाई जाये, जिसमें पंचायत के सरपंच, सचिव, जनपद के सारे अधिकारी, विधायक उसमें उपस्थित रहें, एसडीएम मौजूद रहें, जनपद सीईओ इसमें मौजूद रहें और हर गांव की समस्या पर चर्चा हो, किस गांव में कैसी समस्या है, उस समस्या का मूल्यांकन किया जाये , यह देखा जाये कि कैसी समस्या है, इस समस्या के समाधान के लिये एक दिनभर की मीटिंग हो और जिला स्तर पर उसकी मानीटरिंग हो और जो समस्या है उसके समाधान हो, जैसे जो होल खराब हैं, जो होल काम नहीं कर रहे हैं उसमें री-बोरिंग हो जहां पर मोटरें नहीं हैं वहां पर मोटरें दी जायें. जहां पर हैंडपंप खराब हैं वहां पर हैंडपंप ठीक किये जायें, नल योजनायें ठीक हों और टेंकर की व्यवस्था इन चारों के अलावा हम कुछ नहीं कर पायेंगे. लेकिन यह कैसे करेंगे इस बात को देखना होगा और उसके लिये ब्लाक स्तर पर बैठक हो, जिला स्तर पर बैठक हो, लगातार मानीटरिंग हो. इस चर्चा के बाद सार्थकता तभी होगी जब एक आदेश यहां से जाये और उसके आधार पर बैठकें हों, उनका क्रियान्वयन सही तरीके से हो. हमारे प्रभारी मंत्री जी भी यहां पर उपस्थित हैं. 3 माह पूर्व जिला योजना समिति की बैठक में यह बात उठाई गई थी लेकिन अभी तक उसको अमलीजामा नहीं पहनाया गया है. कभी और मौका आयेगा कि पेयजल की समस्या से कैसे निपटा जाये उसके बारे में हम चर्चा करेंगे. उपाध्यक्ष जी मेरा यही मंत्री जी से अनुरोध था. आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद शैलेन्द्र जी, जितू पटवारी जी, अनुशासन की बात सदन में आई है. आप तो इसका बहुत ध्यान रखते हैं.
श्री जितू पटवारी(राऊ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरी तरह से इस बात का ध्यान रखूंगा. उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पूरी बात को बहुत ध्यान से सुना है. सबने अपनी अपनी राय व्यक्त की है. चिंतन इस बात का हुआ कि समस्या से कैसे निपटा जाए. मैं समझता हूं कि सब सकारात्मक था. सत्तापक्ष के लोगों ने भी पूरी ताकत से अपनी बात कही कुछ अपने क्षेत्र के काम भी बताये और कहा कि अच्छा भी हो रहा है और शिवराज सिंह जी की सरकार ने अच्छा किया है. ऐसे ही विपक्ष के हमारे परिवार के साथियों ने भी कुछ कमियों की और सरकार का ध्यान दिलाया और कुछ मांग भी की. कुछ बुनियादी सवाल हैं. मैं माननीय पीएचई विभाग की जो मंत्री हैं उनको दोष भी नहीं है, इस सरकार का भी दोष नहीं है, इसके पहले की भी सरकारें होंगी , किसी की भी हो, लेकिन यह व्यवस्था का दोष है . चूंकि 2 मीनिट का समय है और उसी समय सीमा में मुझे अपनी बात को कहना है तो मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरे सवालों के उत्तर मुझे मिलना चाहिये. यह सच है और जो मैं बोल रहा हूं और मेरा ख्याल है कि सदन में उपस्थित एक भी सदस्य इसको नकार नहीं सकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि इस पीएचई विभाग में 2200-2300 करोड़ के लगभग का बजट है , हर साल लगभग इससे 10 प्रतिशत आगे पीछे बढ़ाते जाते हैं और कई सालों से ऐसा होता आ रहा है. कांग्रेस की सरकार से ही ऐसा होता आ रहा है फिर भी क्या कारण है कि इतनी भयावह स्थिति लगातार बनती जा रही है और हम इस समस्या से निदान नहीं पा रहे हैं. जो नल जल योजनाओं की बात हुई है, किसी की भी बात हुई है आंकड़ों पर मैं जाऊंगा ही नहीं, ये बात इतनी है माननीय मंत्री जी कि हमारे इंदौर में मालवा में और खासकर निमाड़ में और उस साइड जो 80 रूपये में बोरिंग होती है, आपका विभाग 180 से 200 रूपये में करता है. यह 100 रूपया कहां जाता है, सीधा-सीधा दिखता है, कोई गधा, अंगूठा टेक जो कोई पढ़ा-लिखा नहीं है वह भी अगर एक विधायक ऐसा हो और इस बात को बताये कि जो 80 रूपये फीट में बोरिंग होती है वह आपका विभाग 180 रूपये से 200 रूपये फीट करता है, बीच में मंत्री जी देंगे जवाब फिर यह टोका टाकी होगी तो ...
नगरीय विकास एवं पर्यावरण मंत्री (श्री लालसिंह आर्य)-- जितू जी आप गरीब आदमी को और निरक्षर आदमी को गधा बोल रहे हैं, अंगूठा टेक और गधा, यह आपत्तिजनक है माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह निकलवा दीजिये.
श्री जितू पटवारी-- मैं माफी चाहता हूं, मेरा कहने का संदर्भ आप भी समझ गये हैं, हो सकता है शब्दों में कहीं कोई कमी रही. आपको नहीं कहा मैंने, उसके लिये मैं माफी चाहता हूं. ...(हंसी)... जो मोटर पम्प अंदर लगते हैं उनके जितने भी टेंडर हुये हैं वह कम पैसे में जो आपने मापदण्ड तय किये हैं उससे विलो होते हैं, उसके बाद भी अगर मार्केट से वही मोटर लेकर आओ तो आधे पैसे में मिलती है, अन्यथा जो आपने टेण्डर दिये, जिस कंपनी की आपने मोटर मंगाई और प्राइवेट मार्केट से वही मोटरें आती हैं तो 50 प्रतिशत में आती हैं, यह 50 प्रतिशत पैसा कहा जाता है मंत्री जी इसका जवाब चाहिये और यह मेरी और आपकी समस्या नहीं है, यह सिस्टम की समस्या है, इसका आपको उत्तर देना ही चाहिये. ऐसे ही बहुत से करप्शन की बात आई जो जीआई पाइप होते हैं, आपने जो टेण्डर किये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू जी समाप्त करेंगे आप.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष जी मैंने कोई गलत बोला.
उपाध्यक्ष महोदय-- 2 मिनट की बात हुई थी, मैंने आपको 3 मिनट दे दिया.
श्री जितू पटवारी-- मैं कोशिश करता हूं माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसे ही जीआई पाइप में भी आप यह बताओं कि 250 हेण्डपम्प पर एक मैकेनिक है आपका, आपने प्राइवेट सेक्टर में भी सुधारने को दे दिये और इस भयावह संकट से फिर निपटना भी है, यह कैसे संभव है. आपका कहना कुछ, बताना कुछ और व्यवहारिक रूप से कुछ, मैं नहीं समझता हूं कि हमारी गंभीरता इससे दिखती है. मैं इतना कहूंगा, शाक्य जी की बहुत अच्छी बात लगी मुझे एक बार मैंने बीच में खड़े होकर कुछ बोलना चाहा था उन्होंने इतना बुरा डांटा मुझे मेरे पिता तुल्य हैं एक बार और भी डांटेगे तो सहन करूंगा पर आप एक नंबर आदमी हैं, आपने-
कबीरा खड़ा बजार में, सबकी मांगे खैर,
न काऊ से दोस्ती, न काऊ से बैर.
बहुत अच्छी बातें कहीं. मेरे जो सवाल हैं इनके उत्तर मिलना चाहिये, भ्रष्टाचार का पर्याय बना हुआ है आपका विभाग, या तो भ्रष्टाचार कह दो या पीएचई कह दो, एक सिक्के के दो पहलू हैं मंत्री जी. मुझे पक्का भरोसा है वह हिस्सा आपके पास नहीं आता है पर कहां जाता है, यह सवाल है, कृपया करके जवाब दें, धन्यवाद उपाध्यक्ष जी.
श्री बाला बच्चन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय जी, यह जो प्रदेश में पीने के पानी की जो समस्या उत्पन्न हुई इसके पीछे मैं समझता हूं कि केवल प्राकृतिक आपदा ही नहीं है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव)-- अगर आप एक मिनट का समय दें, मैं अपनी बात बताकर बैठ जाऊंगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से बहुत गंभीर संकट है पेयजल के संबंध में और हर क्षेत्र में है. मैं अपने क्षेत्र के संबंध में सिर्फ 2 बातें कहना चाहूंगा आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से कि एक तो भिण्ड जिले का सबसे बड़े भू-भाग में मेरा विधानसभा क्षेत्र है और उसके उपरांत भी वहां सब डिवीजन कार्यालय पीएचई का नहीं है. एक तरफ तो एक वरिष्ठ सदस्य हैं माननीय गोविंद सिंह जी, एक तरफ हैं वरिष्ठ मंत्री माननीय लाल सिंह आर्य साहब दोनों लोगों के यहां सब डिवीजन है, बीच में मेरा क्षेत्र है.
उपाध्यक्ष महोदय-- दो पाटन के बीच में.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- साबुत बचा न कोई, तो मैं अनुरोध कर रहा था कि जो पाइप बगैरह आता है या जो भी सामग्री आती है उधर गोविंद सिंह जी रोक लेते हैं, इधर माननीय मंत्री जी रोक लेते हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- मेहगांव की दूरी 20 किलोमीटर है, माननीय मंत्री जी मेरा आपसे अनुरोध है कि गोहद का सब डिवीजन लाकर मेहगांव में कर दिया जाये.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- गोहद का नहीं, यह गलत बात है, डॉ. साहब राजनीति नहीं, क्या है एक नया सब डिवीजन मेहगांव में अगर खोल दें तो मैं बहुत आभारी रहूंगा क्योंकि 172 किलोमीटर लंबाई में मेरा क्षेत्र है माननीय उपाध्यक्ष महोदय. तो यह बहुत लम्बा क्षेत्र है और इधर मैंने जैसा बताया कि एक तरफ मेरे क्षेत्र में लहार सब डिवीजन से पाइप आता है और एक तरफ गोहद सब डिवीजन से आता है तो कहीं न कहीं दोनों का दबाव अधिकारियों पर आप जानते हैं, सक्षम लोग हैं तो मेरा अनुरोध है कि मेहगांव में एक सब डिवीजन बना दिया जाय.
डॉ. गोविन्द सिंह - यह बिल्कुल 1000 परसेंट इनकी बात असत्य है, पाइप न भिंड में रह जाते हैं न इनके यहां आते हैं, न हमारे यहां आते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - इनके यहां सब डिवीजन खुल जाए उसके लिए तो आप सहमत हैं?
डॉ. गोविन्द सिंह - भिंड से लहार पहुंचता कहां है, बीच में ही बिक जाता है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - दूसरा मेरा अनुरोध है कि मेरे क्षेत्र में 24-25 पंचायतें ऐसी हैं जिनमें खारे पानी की समस्या है, कोई भी हैंडपंप खुदवाएंगे तो उसमें खारा पानी ही निकलता है, उसमें टोटल सेलॉइन वॉटर है तो मेरा अनुरोध आपके माध्यम से यह है कि कोई ऐसी योजना वहां पर लाई जाए दो नदियां छोटी-छोटी रेनी सीजन की हैं, एक झिलमिल नदी और दूसरी बेसवी नदी है. उन पर विभाग की ओर से पानी रोकने की कोई योजना बनाई जाय और उससे फिल्टर करके उन पंचायतों को टेप वॉटर सप्लाई सिस्टम के तहत पाइप से पानी सप्लाई किया जाय. यह मेरा अनुरोध है. उपाध्यक्ष महोदय, आपकी ओर से आप माननीय मंत्री जी से कहेंगे तो यह मान्य हो जाएगी. दूसरा यह कहना चाहता हूं, यह मेरे ख्याल से सभी की समस्या होनी चाहिए, भिंड में पथरीला इलाका है, वहां तो लगभग 60-70 हजार रुपए में हैंडपंप लगता है, जो रेतीला इलाका है, जिसमें नीचे पत्थर नहीं हैं, वहां पर 35 से 45 हजार रुपए में हैंडपंप खनन हो जाता है और अच्छी क्वालिटी का हो जाता है. पीएचई विभाग ने उसका एस्टीमेट लगभग 1 लाख रुपए से ऊपर का बना रखा है. चूंकि विधायक निधि में हम लोगों पर हैंडपंप के लिए क्षेत्र की जनता का बहुत दबाव रहता है तो उसमें बहुत पैसा बर्बाद होता है और कहीं न कहीं उसका अपव्यय होता है, जब 1 लाख रुपए एक हैंडपंप के लिए देना पड़ता है. मेरा आपसे अनुरोध है कि विभाग इस पर भी विचार करे और उसका एस्टीमेट 50 हजार रुपए कर दे, 45 हजार रुपए कर दे तो इससे विधायक निधि का बचाव होगा और उसमें कुछ न कुछ सुधार भी आएगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - धन्यवाद उपाध्यक्ष महोदय, यह जो पूरे प्रदेश में पीने के पानी की समस्या निर्मित हुई है, मैं समझता हूं कि इसके पीछे न केवल प्राकृतिक आपदा ही नहीं है, बल्कि यह सरकार की भी लापरवाही की नतीजा है. सरकार यदि समय रहते चेत जाती तो यह स्थिति नहीं बनती. उपाध्यक्ष महोदय, आज ढाई बजे मेरी विधान सभा के एक सरपंच का फोन आया था कि भैया, मुझ पर मेरे गांव के लोगों ने नरोला ग्राम पंचायत है, मेरे गांव के लोगों ने मुझ पर अटैक किया है. मैंने पूछा कि क्या कारण है तो उसने कहा कि पीने की पानी की समस्या के कारण मुझ पर अटैक किया है तो मुझे अब क्या करना चाहिए? यह स्थिति बन गई है और लगभग 20 लाख रुपए की पाइप लाइन का अभी साल भर पहले ही काम हुआ है. पानी की समस्या जो इतनी बड़ी है, माननीय मंत्री महोदया, आपको ध्यान देना पड़ेगा कि ऐसी स्थिति क्यों बन गई है, मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपके विभाग के प्रमुख सचिव को जो कल हटाया गया है, जो अभी सिर पर समस्या है और माननीय मुख्यमंत्री जी ने उन्हें पहले भी समझाया था, जब उन्होंने आपके डिपार्टमेंट का रिव्यू किया था, जब उनके पास फीडबैक आ रहा था कि बहुत बड़ी समस्या पानी की आने वाली है तो पहले भी उनको समझाया था लेकिन उन्होंने उसको नहीं माना और उसको गंभीरता से नहीं लिया था. कल उनको जो हटाया है. यदि इसके पहले ही आपके विभाग और तंत्र में कसावट यदि मुख्यमंत्री जी पहले ही ले आते तो आज यह स्थिति नहीं बनती. आज मैं बताना चाहता हूं कि इस सरकार ने पीएचई विभाग का भट्टा ही बैठा दिया है. जितने काम होते हैं उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से जानकारी में लाना चाहता हूं कि पूरा तंत्र पाइप सप्लाई में लगा हुआ है. बोरिंग के ठेकों में लगा हुआ है और जो काम होते हैं वह काम क्वालिटी के नहीं होते हैं इस बात का मैं खुद उदाहरण हूं. मेरे यहां पर अभी 4-5 ग्राम पंचायतों में नयी नलजल योजनाएं स्वीकृत हुई हैं, भामी ग्राम पंचायत, नरोला ग्राम पंचायत, और जाहुर ग्राम पंचायत है, यहां पर घटिया किस्म का काम हुआ है. लाखों रुपए खर्च हुए हैं और लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. यह उदाहरण के रूप में मैं आपको मंत्री महोदया बता रहा हूं. मेरी पार्टी के और अन्य विधायकों ने भी, चाहे वे कांग्रेस पार्टी के विधायक हों या बीएसपी के हों, निर्दलीय विधायक रहे हों, उनकी चाहे बात हो, जो आपने गंभीरता से बात सुनीं, उपाध्यक्ष महोदय, मैं इसके लिए आपको धन्यवाद देता हूं, माननीय मंत्री महोदया उसके लिए आपको भी धन्यवाद देता हूं या आपकी पार्टी के विधायक भी हों, पहले तो उन्होंने तारीफ की है लेकिन उसके बाद में अपनी समस्याएं भी बताई हैं तो यह जो आपने सुना, इतनी बड़ी समस्या जो उत्पन्न हो गई है. आप अपने जवाब में या फिर इसके बाद में आपकी क्या प्लानिंग रहेगी, क्या योजना रहेगी किस तरह से इतने बड़े संकट से आप और आपका विभाग और यह तंत्र , पीने के पानी की समस्या मवेशियों के लिए पानी की समस्या इससे किस तरह से निजाद दिला पायेगा. उस पर आपको योजना बनाना पड़ेगी और अभी जब आप हमें संबोधित करेंगी तो आपको यह ध्यान देना होगा , मैं सुन रहा था जब मांगों पर चर्चा चल रही थी, फण्ड की कोई कमी नहीं है . जहां तक मेरी जानकारी में है कि 15 हजार नलजल योजनाओं में से 3500 नलजल योजनाएं अभी बंद पड़ी हैं, बाकी का तो आप छोड़िये, हमारे पूर्व वक्ताओं ने बोला है कि हैण्ड पंप सुधारने के लिए मैकेनिक नहीं हैं, चैन खराब हो जाती है तो उसकी व्यवस्था नहीं है, पाइप डालने के लिए आपके पास में व्यवस्था नहीं है, है या नहीं या फिर सरकार बहाना बनाती है.
मैं यह जानना चाहता हूं कि आप इन चीजों को बताना , एक तरफ तो फण्ड की कमी नहीं है, लेकिन आपके पास में तो अमला ही नहीं है 15 हजार में से 3500 नलजल योजनाएं बंद पड़ी हैं. माननीय गोपाल भार्गव मंत्री जी मांगो पर जब बोल रहे थे उस समय उन्होंने कहा था कि 11-3-2015 को पीएचई को 100 करोड़ रूपये दिये हैं नलजलयोजना सुचारू रूपसे चले उसके लिए और बिजली के जो बिल हैं लंबित पड़े हैं उसके लिए भी 100 करोड़ रूपये दिये हैं, जहां तक मेरी जानकारी में है कि 14वें वित्त आयोग से भी 1400 करोड़ रूपये जारी किये गये हैं. यह पैसा पीने के पानी पर क्यों नहीं सरकार खर्च कर पा रही है. जब एक माह पहले इतनी राशियां जारी हो चुकी हैं, आपके विभाग का भी फण्ड था उसके बाद में भी यह स्थिति क्यों बनती जा रहीहै कहीं न कहीं मेरी जो समझ में आया है कि आपकी या तो पकड़ ढीली है या फिर पूरा तंत्र निरंकुश हो रहाहै, आप किस तरह से कसावट करेंगी, यह अंदेशा है. आपने वर्ष 2008 में 2200 हैण्ड पंप मैकेनिक संविदा के रूप में नियुक्त किये थे वह अभी मात्र 800 बचे हैं सब धीरे धीरे छोड़कर जा रहे हैं. 6500 रूपये में कौन नौकरी करेगा, उसके अलावा जो तकनीकी अमला होना चाहिए उस अमले की भी कमी है तो यह जो तमाम बातें आयी हैं. पानी की समस्या के रूप में मैं तो यह चाहता हूं कि आप इसके लिए एक मानिटरिंग समिति बनायें जिससे आप विभाग का रिव्यू कर सकें और यह जो अभी स्थिति यहां पर पैदा हो गई है, इससे आप किस तरह से निजात दिला सकेंगी इस पर आपको योजना बनाना होगी, और अगर आप आज ही हमें संबोधन में बताती हैं तो ज्यादा अच्छा होगा. इंसान तो अपने पीने के पानी की व्यवस्था कर लेगा लेकिन मवेशियों को कहां ले जायेंगे, भीषण पानी की समस्या है, बहुत सारे मुद्दे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय अभी कल ही सीहोर की सेमरी का एक मामला आया है कि सीहोर जिले का सेमरी गांव की पानी की टंकी में और सप्लाई की लाइन में डेंगू का लारवा मिला है उसके बाद में उस गांव के 80 प्रतिशत लोग डेंगू की चपेट में आ गये हैं, पिलाने के पानी से दूसरी दिक्कतें पैदा न हो जायें, और कोई दूसरी बीमारियां महामारियां पैदा न हो जायें इसलिए मंत्री महोदया आपको इस बात पर ध्यान देना होगा. मै उनको रिपीट नहीं करना चाहता हूं जो मुद्दे पहले ही यहां पर प्रस्तुत हो चुके हैं हमारी पार्टी के और सदन केअन्य विधायकों के द्वारा लेकिन मैं यह आग्रह करना चाहता हूं कि जिस मकसद और उद्देश्य के साथ में यह 139 की चर्चा यहां पर हमारे आग्रह पर मंत्री जी आपने करवायी है, उसका मकसद तब पूरा होगा और सार्थकता तो तब आयेगी जब यह पानी की समस्या से पूरा प्रदेश गुजर रहा है उसका समाधान आये और आम जनता को पीने का पानी मिले, मवेशियों को पीने का पानी मिले तो मैं समझूंगा कि यह चर्चा सार्थक हुई है. ऐसा मेरा मानना है कि हमें इस चर्चा के लिए कितनी एक्सरसाइज करना पड़ी है, हम तो कब से इस चर्चा की उम्मीद कर रहे थे, हमने इस पर स्थगन दिया था, ध्यानाकर्षण दिया था, नियम 139 की चर्चा में हमने मांग की थी. लेकिन बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करना पड़ी हैं हमें इस चर्चा को यहां पर कराने के लिए, पर चर्चा आपने यहां पर करवायी है उसका मैं आपको धन्यवाद देता हूं, पर इस बात के साथ कि आप इस पानी की समस्या को दूर करें जिस भीषण समस्या से प्रदेश गुजर रहा है तो मैं समझता हूं कि चर्चा सार्थक हुई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय आपने जो मुझे समय दिया और बहुत सारी बातें बोलने के लिए हैं, लेकिन जब कभी और समय मिलेगा तब उस समय हम अपनी बातें रखेंगे, सदन के उन साथियों को जिन्होंने बहुत दमदारी से इस मुद्दे को उठाया है उसके लिए उनका भी धन्यवाद् आपका भी धन्यवाद्, माननीय मंत्री जी इसको गंभीरता से लेना और पानी की इस समस्या से इस प्रदेश को निजात दिलाना. उपाध्यक्ष महोदय धन्यवाद्.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर अनुमति हो तो एक निवेदन कर लूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- रावत जी, आप तो बहुत बोल चुके हो.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी कहेंगी तो ही निवेदन करूंगा.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब 25 लोगों ने निवेदन किया है तो आप भी कर लो, कोई दिक्कत नहीं है मुझे.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करूंगा कि आपसे पहले आपके बाजू में बैठे हुए माननीय श्री गौरीशंकर बिसेन जी जब पीएचई मंत्री हुआ करते थे जो अब कृषि मंत्री हैं और कृषि कर्मण अवार्ड ले रहे हैं. ये प्रतिवर्ष विधायकों के प्रस्ताव पर कार्य योजना से अतिरिक्त 25-25 हैंड-पंप खनन करने के लिए विधायकों के लिए घोषणा करते थे तो मैं आपसे भी अनुरोध करूंगा कि वह घोषणा आप भी कर दें और दूसरा महत्वपूर्ण निवेदन यह है कि जो नल-जल योजनाएं आप पीएचई के विभाग द्वारा ठेके पर देना चाह रही हैं, ठेके पर दें लेकिन इसे जून के बाद दें, जून तक और वर्षा आने तक आपका ही विभाग इनका संधारण करे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने कहा था कि --
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून,
पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून,
यह उक्ति आपने स्वयं कही थी और मैं इसका सम्मान करती हूँ. यह बात सच है कि अगर पानी है संसार में सब कुछ है और पानी नहीं है तो संसार में कुछ भी नहीं है. चाहे वह मनुष्य हो, चाहे आटा हो, चाहे मोती हो, क्योंकि यदि पानीदार मनुष्य है तो उसकी हर जगह इज्जत है, अगर पानीदार मनुष्य नहीं है तो उसकी इज्जत होने का सवाल ही नहीं है. यदि पानी है तो आटे को माढ़कर रोटी बनाकर खा सकते हैं, पेट भर सकते हैं. इसी प्रकार से मोती में यदि पानी है तो उसकी चमक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहती हूँ कि हमारी पानीदार सरकार है और पानीदार मंत्री भी है. (हंसी) मैं सभी माननीय सदस्यों का बहुत सम्मान करती हूँ, उन्होंने बहुत अच्छे-अच्छे सुझाव दिए हैं, उन सारे सुझावों पर हमारी सरकार अमल करेगी. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी किसी को प्यासा नहीं रहने देंगे. पूरे प्रदेश को पानी देने की हमारी जिम्मेवारी है, हमारी सरकार की जिम्मेवारी है और माननीय मुख्यमंत्री जी तो इतने संवेदनशील हैं कि जब छोटी से छोटी भी किसी को तकलीफ होती है, परेशानी होती है तो दौड़ कर खड़े होते हैं. फिर यह तो इतनी बड़ी समस्या है लेकिन मैं यह भी समझती हूँ कि हालांकि यह बड़ी समस्या है लेकिन मनुष्य के धैर्य से बड़ी समस्या नहीं है. मनुष्य में बड़ा धैर्य है, हमारी सरकार में बड़ा धैर्य है, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी में बड़ा धैर्य है. अभी सब बातों को हमने, हमारी सरकार ने बड़े धैर्य से सुना है और हम इन सबका निदान करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सदन के सभी माननीय सदस्यों को मालूम है कि पिछले 3 साल से वर्षा नहीं हो रही है. जब वर्षा नहीं होगी तो जमीन के अंदर पानी कहां से आएगा, धरती माता के अंदर कितने भी छेद करते जाइये, लेकिन उसकी छाती में जब दूध नहीं बचा है तो दूध कहां से आएगा. कहीं 300, कहीं 400, कहीं 500 और कहीं 8-8 सौ फिट के गड्ढे हो रहे हैं, जब धरती के अंदर पानी नहीं है तो पानी आए कहां से.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- तो फिर पानीदार सरकार कैसे हुई.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पानीदार सरकार ऐसे हुई कि पानी सरकार का खत्म नहीं हुआ है, प्रकृति का पानी खत्म हुआ है. सरकार के पास पानी है, मंत्री के पास पानी है और माननीय मुख्यमंत्री जी के पास तो सबसे ज्यादा पानी है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- बिसलरी का पानी होगा.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बिसलरी में पानी भी तब आएगा जब नलों में पानी होगा, तालाबों में, कुओं में पानी होगा, बिसलरी भी अपने आप नहीं भर जाएगी. मैं यह कहना चाहती हूँ कि जब भगवान 3 साल से पानी नहीं बरसा रहा है तो धरती के अंदर पानी होने का प्रश्न ही नहीं उठता और आप लोगों ने जो समस्या उठाई है बिल्कुल मौजूं समस्या है और जायज समस्या है जिसका मैं सम्मान करती हूँ. जो चर्चा आपको बहुत पहले करनी चाहिए थी वह आप अभी, जब गर्मी सिर पर खड़ी है, तब आप वह चर्चा कर रहे हैं, फिर भी इस चर्चा को उठाने के लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूँ. मैंने तो कल-परसों ही माननीय प्रमुख सचिव, विधान सभा से निवेदन किया था कि आप चर्चा ले लीजिए. आज की कार्य सूची में विषय नहीं था लेकिन आया जिसके लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूँ, सचिवालय को धन्यवाद देती हूँ और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को भी धन्यवाद देती हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- संसदीय कार्यमंत्री जी को जरुर धन्यवाद दे दीजिए.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको भी धन्यवाद देती हूँ. कम से कम विषय आ गया, विषय सुलझ गया. अगर विषय नहीं आता तो सुलगता रहता और विषय आ गया तो सुलझ गया और हम उसको सुलझा रहे हैं. अभी माननीय विद्वान महोदय, प्रवचनकार चले गये, मुकेश नायक जी, कह रहे थे कि प्रकृति अलग है, भगवान अलग है. द्वैत और अद्वैत क्या है, जो द्वैत है वही अद्वैत है. अब मैं इसकी व्याख्या नहीं करना चाहती हूँ, आध्यात्म में नहीं जाना चाहती हूँ लेकिन प्रकृति ही ईश्वर है और ईश्वर ही प्रकृति है. जब ईश्वर प्रकृति का साथ देगा तो पानी बरसेगा और प्रकृति वही करेगी जो ईश्वर चाहेगा. अपने हाथ में कुछ नहीं होता. पानी बरसाना किसी सरकार का काम नहीं है, न सरकार के बस में है लेकिन हम यह आशा कर सकते हैं कि भले अभी तक पानी नहीं बरसा है लेकिन अब आने वाले वर्ष में इतना पानी, इतना पानी बरसेगा कि हम सब पानी पानी हो जाएंगे और पानी की कमी पूरी हो जाएगी. अब मैं बहुत अधिक भाषणबाजी नहीं करना चाहती हूँ.माननीय सदस्य श्री कमलेश्वर पटेल, रामनिवास रावत जी,कैलाश जाटव जी, मुकेश नायक जी, सूबेदार सिंह जी, फुन्देलाल सिंह, के.के. श्रीवास्तव जी,बलबीरसिंह डण्डोतिया जी, योगेन्द्र सिंह निर्मल जी, माननीय गोविन्द सिंह जी, इस तरह 26 माननीय सदस्यों ने बहुत अच्छे सुझाव दिये हैं और पन्नालाल जी शाक्य ने तो गजब कर दिया, प्राकृतिक नजारा खींच दिया, सारी कमियां गिना दीं, कारण तो सब वही हैं जो उन्होंने गिनाये थें लेकिन जरा डांट डांट के गिनाये इसलिए अच्छे से गिनाते तो अच्छा रहता. कुछ सदस्यो के मैं जवाब भी देना चाहती हूँ. मैं सब को धन्यवाद देती हूँ कि इस कठिन समस्या पर आपने ध्यान दिलाया.सबसे पहले तो जितू पटवारी जी को मैं कहना चाहती हूँ कि भ्रष्टाचार की जानकारी होने पर विभाग द्वारा त्वरित कार्यवाही की जाती है. इन्दौर संभाग में जो नलकूप खनन में भ्रष्टाचार हुआ है उसके विरुद्ध भी कार्यवाही हुई है और की जा रही है.नलकूप खनन की दर इऩ्दौर जिले में 70 रुपये फीट है. आप जो कह रहे थे वह गलत जानकारी दे रहे थे.
उपाध्यक्ष महोदय-- वह मीटर और फीट में थोड़ा सा भ्रम है.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले-- 70 रुपये फीट जब इन्दौर में है तो पूरे प्रदेश में भी लगभग यही दर है या थोड़ी बहुत कम बढ़ हो सकती है लेकिन उतनी नहीं है जितनी आप कह रहे थे. मोटर पम्प एवं अन्य सामग्री मध्यप्रदेश के लघु उद्योग निगम के माध्यम से खरीदी जाती है और उसके लिए वही जिम्मेदार हैं, उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं. माननीय यादवेन्द्रसिंह जी ने जो बात उठायी, सतना जिले में लगभग 44 हजार मीटर राइजर पम्प उपलब्ध करा दिये गये हैं, जो अभी भी रखे हुए हैं और उनका उपयोग आने वाले भविष्य में हमारा विभाग करेगा और पानी की समस्या को दूर करेगा और 630 सिंगल फेस पम्प उपलब्ध आपके जिले में कराये गये हैं और जो आप ई.ई. की बात कर रहे थे, गलती तो उसने की, और उसको निलंबित करके उसको सजा भी दी गयी लेकिन बाद में जो थोड़े बहुत उसने अच्छे काम किये थे उसके फलस्वरुप हमने उसको बहाल भी कर दिया है, यह मैं आपको बताना चाहती हूँ जिसकी आप बहुत तारीफ कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर किसी ने कुछ अच्छा काम किया हो तो वह कभी बुरा नहीं करेगा या बुरा किया है तो कभी अच्छा नहीं करेगा,ऐसा नहीं होता है, यह प्रकृति का स्वभाव है कि मनुष्य कभी गलती करता है, कभी अच्छा काम करता है और जब गलती करता है तो सजा मिलती है और अच्छा करता है तो प्रशंसा मिलती है तो उसको दोनों बातें हो गयीं. सजा भी मिल गयी और बहाल भी हो गया. कमलेश्वर पटेल जी को मैं बताना चाहती हूँ कि आप सीधी जिले का बड़ा गुणगान कर रहे थे, यह नहीं है, वह नहीं है लेकिन मैं हकीकत बता रही हूँ उसको भी आप सुन लीजिए. सीधी जिले में कुल 19025 हैण्डपम्प है जिसमें से 18222 चालू हैं.(श्री कमलेश्वर पटेल के अपने आसन से ना में सिर हिलाने पर) आपने जब आरोप लगाया है तो उसका सही जवाब सुनने का भी धीरज धरिये.
उपाध्यक्ष महोदय-- संसदीय कार्यमंत्री जी को जरुर धन्यवाद दे दीजिए.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको भी धन्यवाद देती हूँ. कम से कम विषय आ गया, विषय सुलझ गया. अगर विषय नहीं आता तो सुलगता रहता और विषय आ गया तो सुलझ गया और हम उसको सुलझा रहे हैं. अभी माननीय विद्वान महोदय, प्रवचनकार चले गये, मुकेश नायक जी, कह रहे थे कि प्रकृति अलग है, भगवान अलग है. द्वैत और अद्वैत क्या है, जो द्वैत है वही अद्वैत है. अब मैं इसकी व्याख्या नहीं करना चाहती हूँ, आध्यात्म में नहीं जाना चाहती हूँ लेकिन प्रकृति ही ईश्वर है और ईश्वर ही प्रकृति है. जब ईश्वर प्रकृति का साथ देगा तो पानी बरसेगा और प्रकृति वही करेगी जो ईश्वर चाहेगा. अपने हाथ में कुछ नहीं होता. पानी बरसाना किसी सरकार का काम नहीं है, न सरकार के बस में है लेकिन हम यह आशा कर सकते हैं कि भले अभी तक पानी नहीं बरसा है लेकिन अब आने वाले वर्ष में इतना पानी, इतना पानी बरसेगा कि हम सब पानी पानी हो जाएंगे और पानी की कमी पूरी हो जाएगी. अब मैं बहुत अधिक भाषणबाजी नहीं करना चाहती हूँ.माननीय सदस्य श्री कमलेश्वर पटेल, रामनिवास रावत जी,कैलाश जाटव जी, मुकेश नायक जी, सूबेदार सिंह जी, फुन्देलाल सिंह, के.के. श्रीवास्तव जी,बलबीरसिंह डण्डोतिया जी, योगेन्द्र सिंह निर्मल जी, माननीय गोविन्द सिंह जी, इस तरह 26 माननीय सदस्यों ने बहुत अच्छे सुझाव दिये हैं और पन्नालाल जी शाक्य ने तो गजब कर दिया, प्राकृतिक नजारा खींच दिया, सारी कमियां गिना दीं, कारण तो सब वही हैं जो उन्होंने गिनाये थें लेकिन जरा डांट डांट के गिनाये इसलिए अच्छे से गिनाते तो अच्छा रहता. कुछ सदस्यो के मैं जवाब भी देना चाहती हूँ. मैं सब को धन्यवाद देती हूँ कि इस कठिन समस्या पर आपने ध्यान दिलाया.सबसे पहले तो जितू पटवारी जी को मैं कहना चाहती हूँ कि भ्रष्टाचार की जानकारी होने पर विभाग द्वारा त्वरित कार्यवाही की जाती है. इन्दौर संभाग में जो नलकूप खनन में भ्रष्टाचार हुआ है उसके विरुद्ध भी कार्यवाही हुई है और की जा रही है.नलकूप खनन की दर इऩ्दौर जिले में 70 रुपये फीट है. आप जो कह रहे थे वह गलत जानकारी दे रहे थे.
उपाध्यक्ष महोदय-- वह मीटर और फीट में थोड़ा सा भ्रम है.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले-- 70 रुपये फीट जब इन्दौर में है तो पूरे प्रदेश में भी लगभग यही दर है या थोड़ी बहुत कम बढ़ हो सकती है लेकिन उतनी नहीं है जितनी आप कह रहे थे. मोटर पम्प एवं अन्य सामग्री मध्यप्रदेश के लघु उद्योग निगम के माध्यम से खरीदी जाती है और उसके लिए वही जिम्मेदार हैं, उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं. माननीय यादवेन्द्रसिंह जी ने जो बात उठायी, सतना जिले में लगभग 44 हजार मीटर राइजर पम्प उपलब्ध करा दिये गये हैं, जो अभी भी रखे हुए हैं और उनका उपयोग आने वाले भविष्य में हमारा विभाग करेगा और पानी की समस्या को दूर करेगा और 630 सिंगल फेस पम्प उपलब्ध आपके जिले में कराये गये हैं और जो आप ई.ई. की बात कर रहे थे, गलती तो उसने की, और उसको निलंबित करके उसको सजा भी दी गयी लेकिन बाद में जो थोड़े बहुत उसने अच्छे काम किये थे उसके फलस्वरुप हमने उसको बहाल भी कर दिया है, यह मैं आपको बताना चाहती हूँ जिसकी आप बहुत तारीफ कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर किसी ने कुछ अच्छा काम किया हो तो वह कभी बुरा नहीं करेगा या बुरा किया है तो कभी अच्छा नहीं करेगा,ऐसा नहीं होता है, यह प्रकृति का स्वभाव है कि मनुष्य कभी गलती करता है, कभी अच्छा काम करता है और जब गलती करता है तो सजा मिलती है और अच्छा करता है तो प्रशंसा मिलती है तो उसको दोनों बातें हो गयीं. सजा भी मिल गयी और बहाल भी हो गया. कमलेश्वर पटेल जी को मैं बताना चाहती हूँ कि आप सीधी जिले का बड़ा गुणगान कर रहे थे, यह नहीं है, वह नहीं है लेकिन मैं हकीकत बता रही हूँ उसको भी आप सुन लीजिए. सीधी जिले में कुल 19025 हैण्डपम्प है जिसमें से 18222 चालू हैं.(श्री कमलेश्वर पटेल के अपने आसन से ना में सिर हिलाने पर) आपने जब आरोप लगाया है तो उसका सही जवाब सुनने का भी धीरज धरिये.
श्री कमलेश्वर पटेल--- वही तो कह रहे हैं कि अभी भी आप गलतबयानी कर रही हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले—बिल्कुल गलतबयानी नहीं है. इसमें बंद सिर्फ 203 हैं, लेकिन फिर भी जनसंख्या के हिसाब से कोई कमी नहीं है सबको पानी मिल रहा है, जो यह कह रहे हैं कि पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा है ,हायतौबा मची है ऐसी कोई बात नहीं है और मैं नल जल योजना की भी जानकारी देना चाहती हूं कि कुल 256 नल योजनायें हैं, जिसमें से चालू हैं 193, बंद हैं 63, जो हमें पंचायत विभाग से हैंडओवर हो जाएंगी,हम उनको चालू कर देंगे . सिंगरौली जिले की भी बात आपको बताना चाहती हूं, सीधी में आप रहते हो लेकिन सिंगरौली का आपने ठेका ले रखा है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारा विधानसभा क्षेत्र दो जिले में आता है यह मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं. सीधी और सिंगरौली दोनों जिले में आता है और विधायक पूरे मध्यप्रदेश का होता है और कहीं भी कोई समस्या होती है वह उसको उठा सकता है यह इस तरह का बयान मंत्रीजी का उचित नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- आप उठा सकते हैं इसलिए मैं जवाब भी दे रही हूं. सीधी जिले में कुल 10363 हैंडपंप हैं जिसमें से चालू हैं 10281 और बंद मात्र 82 हैं, जो कि सुधार प्रक्रिया के अंतर्गत भी हैं. उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से कुल 97 नल जल योजनायें हैं जिनमें से चालू हैं 57 और बंद हैं 40 . वह भी ग्रामीण विकास विभाग हमें हस्तांतरित कर देगा तो हम तत्काल उसको सुधार देंगे. इतना ही नहीं कलेक्टर सीधी , सिंगरौली से भी हमने इन हैंडपंपों की जांच करवाई है. माननीय गोविंद सिंह जी ने बहुत अच्छे सुझाव दिये हैं उनके सुझावों पर हम अमल भी करेंगे. तत्कालीन कार्यपालन यंत्री जिसकी उन्होंने शिकायत की थी, जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे उसको निलंबित कर दिया गया है उसकी विभागीय जांच चल रही हैं, जो गोविंद सिंहजी ने समस्यायें बताई हैं उनका भी हम निराकरण करेंगे. भिंड जिले की और मैं बात बताना चाहती हूं कि वहाँ 19891 हैंडपंप हैं जिसमें से चालू 19655 हैं अब आप खुद निर्णय कर लीजिये कि 236 बंद हैं तो धरती के अंदर पानी नहीं बचा है लेकिन 19655 फिर भी चालू हैं और क्षेत्र का पूरा काम चल रहा है. जिसमें से 142 की सुधार प्रक्रिया चल रही है और 94 जलस्तर गिरने के कारण से बंद हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं नल जल योजना में बताना चाहती हूं , मैं सबके बारे में नहीं बताऊँगी लेकिन जो जरूरी है वही बता रही हूं, मैं ज्यादा समय भी नहीं लेने वाली हूं. भिंड जिले में नल जल योजनाओं की जहाँ तक बात है तो कुल 207 हैं जिसमें से चालू 89 हैं और बंद 118 हैं, जो हमें मिल जाएंगी तो हम उनको भी सुधार देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुकेश नायक जी ने बड़ी बड़ी बातें की, वह हमारे जिले के विधायक हैं. उन्होंने खुद ही स्वीकार किया है कि सबसे ज्यादा काम उन्हीं के क्षेत्र में हो रहा है. रामनिवास रावत जी का भी जवाब मैं देना चाहती हूं, भूजल स्तर में गिरावट के कारण हमारी सरकार ने 18 हजार 561 करोड़ की लागत से सतही स्त्रोत आधारित 47 पेयजल योजनायें आपके यहाँ बनाई हैं और इन योजनाओं को हम जल्दी कार्यान्वित करेंगे. इससे आपके यहाँ की 1.50 करोड़ आबादी लाभान्वित होगी. बुंदेलखंड क्षेत्र के पांच जिलों के लिए हमने 8 हजार करोड़ रुपयों की 27 सतही स्त्रोत आधारित पेयजल योजनायें बनाकर स्वीकृत की है और इन पर तत्काल काम होगा.
श्री रामनिवास रावत-- 1.50 करोड़ मेरे यहाँ की आबादी ही नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय--- माननीय मंत्री जी अमरपाटन से भी आपका गहरा रिश्ता है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--- उपाध्यक्ष महोदय, जरूर रिश्ता है , जो आप आदेश देंगे वह सिर माथे पर, उसका हम पालन करेंगे. मैं थोड़ी सी जानकारी और देना चाहती हूं वैसे तो मेरे पास बहुत सारी जानकारी है . एक – एक चीज की जानकारी है.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में पानी की बहुत परेशानी है. यह तो असत्य का पूरा पुलिंदा है.
उपाध्यक्ष महोदय-- डण्डौतिया जी को खेंचू पाईप के बारे में बता दें.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- खेंचू पाईप के बारे में नहीं कह रहा हूँ. यह असत्य का पुलिंदा है. एक साल से बिल्कुल कोई काम नहीं हुआ. यहीं भाषण में कह रहे हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं सदस्य का पूरा सम्मान करती हूँ..(व्यवधान)..और आपके यहाँ तो विशेष समस्या है, विशेष कठिनाई है...
उपाध्यक्ष महोदय-- डण्डौतिया जी, सुन लीजिए. वे आपका जवाब दे रही हैं.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- आपको जो अधिकारी ने कह दिया वह पत्थर की लकीर है और यहाँ कोई भी विधायक बोलते रहें, उनकी बात नहीं मानेंगी. अधिकारी असत्य लिख दे....
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप बैठ जाएँ. आप सुन लें वे बता रही हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसी की बात मानूँ या न मानूँ लेकिन डण्डौतिया जी की बात जरूर मानूँगी. (हँसी) उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश के 24 जिलों में सतही स्रोत आधारित समूह जल प्रदाय योजना तैयार की गई हैं. जिनसे घर घर नल कनेक्शन के माध्यम से हम पेयजल उपलब्ध कराएँगे. हैण्डपंपों पर हम बिल्कुल नहीं निर्भर करेंगे और हम सतही पेयजल योजनाओं के ऊपर जितनी भी योजनाएँ हमारी अब आगे बनेंगी उनको बनाएँगे. अभी रावत जी ने कहा था कि यह तो बंद होने के बाद खराब हो जाती हैं तो अब हमारी योजना यह रहेगी कि जो ठेकेदार हैण्डपंप खोदेगा, टंकी बनाएगा और पाईप लाईन बिछाएगा, बिजली का कनेक्शन करेगा, एक ही ठेकेदार सारा काम करेगा और यह कम से कम 10 साल ये नलजल योजनाएँ चला कर ठेकेदार हमको देगा. जिस प्रकार से सड़कें बी ओ टी के माध्यम से बनती हैं. उसी प्रकार से हम पी एच ई विभाग में भी यह व्यवस्था कर रहे हैं और इन योजनाओं में 9 जिलों में, मंदसौर, नीमच, रतलाम, छतरपुर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, सागर को शत प्रतिशत आच्छादित किया गया है, इस योजना के अंतर्गत, उपाध्यक्ष महोदय, जो 9 जिले हैं इसमें आगर मालवा भी इसमें शामिल है. इसके अतिरिक्त 4 जिलों में शहडोल, उमरिया, अनूपपुर एवं सिंगरौली, को सोलर आधारित नल योजना के अंतर्गत भी हम जोड़ रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- मेरा जिला नहीं है इसमें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- आपके जिले में ऐसी समस्या नहीं है. अगर होगी तो हम उसको भी जोड़ लेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, अब कहा जाता है कि गत वर्ष ऐसा था इस वर्ष ऐसा नहीं है तो उसका भी मैं जवाब देना चाहती हूँ. गत वर्ष की अपेक्षा नहीं, पिछले 5-10 वर्षों की अपेक्षा भी हमने बहुत अधिक काम किया है. जिसका मैं आपको उदाहरण देना चाहती हूँ. जैसे गत वर्ष में हमने बढ़ाए जा रहे रायजर पाईप थे 1.86 लाख मीटर, इस साल बढ़ाए हैं 2.89 लाख मीटर. आप लोग भी जरा इस पर ध्यान दीजिएगा. पिछले वर्ष 39 हजार हैण्डपंपों में बढ़ाए थे. इस बार हमने 51 हजार हैण्डपंपों में रायजर पाईप बढ़ाए हैं और जो हमने हैण्डपंप सुधारे हैं 1.22 लाख थे पिछले साल और इस समय हमने 2 हजार 4 लाख हैण्डपंप सुधारे और सिंगल फेस पंप की स्थापना हमने पिछले वर्ष 1,756 थी तो इस साल हमारी 2,538 है और जहाँ तक जल स्तर से बंद हैण्डपंपों की संख्या है तो 2011-12 में थी 33,440, 2012-13 में थी 36604 और 2013-14 में है 30,121 और 2014-15 में है 25,620. उपाध्यक्ष महोदय, मैं गर्व के साथ कहना चाहती हूँ कि 2015-16 में सिर्फ 17,907 हैण्डपंप बंद हैं. आप पिछले वर्षों की तुलना में देखिए सबसे अधिक हमने हैण्डपंप सुधारे हैं और उसकी संख्या घट कर 17,907 हो गई है. इस समय तो कम से कम आपको मेरे लिए ताली बजाना चाहिए. मैं इतना काम कर रही हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
श्री रामनिवास रावत-- हम आपको नमन कर देते हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- ऐसा नहीं है. जब हमने आपकी सारी बातें बड़ी गंभीरता से ली हैं..(व्यवधान)..
श्री कमलेश्वर पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, स्थगन प्रस्ताव इसलिए लाया गया था कि समस्या का समाधान हो..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत-- आपको देखते हुए गंभीरता से सुन रहे हैं लेकिन आप गंभीर ही नहीं हैं...(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि आपने हम लोगों की बात सुनी है. हम केवल बात कर सकते हैं सदन के अन्दर आपको सुना सकते हैं. लेकिन क्रियान्वित करने की ताकत आपके अन्दर है माननीया मंत्री जी.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, हमने क्रियान्वयन किया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है सहमत नहीं हैं यह कैसी रिपोर्ट आपके पास आ रही है हैंड पंप बनने की अन्दर से बोलो.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--आप बैठ जायेंगे तब तो बोलूंगी मैं.
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारीजी आपकी बात आ गई है और माईक भी बंद हो गया है आपका.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--जल स्तर नीचे चला गया है और हैंड पंप भी चल रहे हैं यह कैसे संभव है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--सुधार कर, राइजिंग पाइप बढ़ाकर.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--सुधारने से पानी कहां से आ गया.
उपाध्यक्ष महोदय--अलग-अलग हैंड पंप की बात की है एक ही हैंड पंप की बात नहीं की है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--मैं पूरे सम्मान के साथ माननीय मंत्रीजी से कहना चाहता हूँ कि एक तरफ आप स्वीकार कर रही हैं कि जल स्तर नीचे चला गया है और हैंड पंप भी चल रहे हैं तब तो कोई समस्या ही नहीं है इसका मतलब प्रदेश में कोई समस्या ही नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--तो फिर बैठ जाइये ना अब हो गया ना.
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी बैठ जाइये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--उपाध्यक्ष जी आपकी आज्ञा से मैं आदेशित कर रही हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--अब आपको आदेश मानना पड़ेगा. अब रावत जी आप क्यों खड़े हो गये हैं बैठ जाइये.
श्री रामनिवास रावत--मुझे कष्ट है कि दीदी का मैं सम्मान करता हूँ दीदी कह रही हैं कि आपके जिले में समस्या ही नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय--सबसे लंबा भाषण आप ही ने दिया था.
श्री रामनिवास रावत--भाषण का मैं क्या करुंगा पानी थोड़ी मिलेगा मेरे जिले में समस्या ही नहीं है यह बता रही हैं कितना बड़ा दुर्भाग्य है मेरा आप अपने अधिकारियों को भेज दो समस्या नहीं होगी तो मैं विधान सभा लौटकर नहीं आउंगा. कम से कम बात को स्वीकार तो कर लो दीदी हम सम्मान करते हैं आपका.
श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रावतजी हर बात पर विधानसभा नहीं आने की बात करते हैं हर विषय पर आप विधान सभा छोड़ने की बात करते हो आप जैसे सदस्य को तो विधान सभा में रहना चाहिये.
श्री रामनिवास रावत--छोड़ने की स्थिति बन रही है, आप बैठ जाओ मैं दीदी से निवेदन कर रहा हूँ. कम से कम सच बात तो देख लिया करो.
उपाध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें समाप्त करने दें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--हमने आपसे निवेदन किया था कि 18561 करोड़ की लागत से सतही स्त्रोत आधारित 47 पेयजल योजनायें बनाई हैं और 1.50 करोड़ आबादी लाभान्वित होगी इसमें आपका श्योपुर जिला भी शामिल है और आपकी अगर अलग कोई समस्या है आप मुझे और बता देंगे तो मैं उस पर कार्यवाही करूंगी यह मैं वादा करती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--इन्होंने निष्कर्ष निकाल ही लिया है.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया--भगवान से प्रार्थना करें कि पानी गिरे, दीदी से कहो पुण्य करवायें, यज्ञ करवायें, तो ही पानी गिरेगा नहीं तो प्रदेश में बिलकुल सूखा पड़ गया है फिर पड़ जायेगा अगर पुण्य नहीं करेंगे, जप नहीं करेंगे, दीदी से कह रहा हूं सभी मंत्रियों से कह रहा हूं तब ही मध्यप्रदेश में पानी गिरेगा.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे पहले ही निवेदन किया है कि 2011 की तुलना में आज 2015-16 में, यानि जो आंकड़े 2012 में थे 33440, 2013 में 36604 और 2013-14 में 30121 और 2014-15 में 25620 आज 2015-16 में इसकी संख्या घटकर 17907 हो गई है. इसका मतलब हमारी सरकार अच्छा काम कर रही है हमारे मुख्यमंत्रीजी का हर स्तर पर सहयोग है ऐसी भी कोई बात नहीं है कि ग्रामीण विकास विभाग से हमारा कोई द्वंद्व चल रहा हो हमें 100 करोड़ रुपये मिल गये हैं और जो-जो नल जल योजनायें हमें सौंपी जा रही हैं उन पर हमने काम चालू कर दिया है उन सब पर हम काम करेंगे. मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूँ कि प्रदेश को हम पानी की कमी से नहीं जूझने देंगे प्रत्येक कंठ को पानी देंगे प्रत्येक व्यक्ति को पानी उपलब्ध करायेंगे. अब यह बीच-बीच में बोलने का कोई काम नहीं है कृपा करके आप इन्हें डांटें. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय--गोविन्द सिंह जी सबसे पहले नंबर आप ही का आयेगा आप बैठ जायें उनकी तरफ से मुझे कहा गया है डांटने के लिये और आप इतने वरिष्ठ सदस्य हैं मेरा तो दुर्भाग्य होगा आपको डांटना.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय गोविन्द सिंह जी ने कहा था कि 3 प्रतिशत राशि और अन्य माननीय सदस्यों ने भी कहा है कि 3 प्रतिशत राशि यदि विधायक निधि से दे दी जाये तो नलजल योजना की स्वीकृति मिलना चाहिये मैं जीएडी विभाग को प्रस्ताव भेजूंगी, माननीय मुख्यमंत्रीजी से इस संबंध में चर्चा करुंगी और सब की सहमति बनी तो निश्चित रुप से आपका प्रस्ताव माना जायेगा और यह बात भी आयी थी कि परिवहन की जरूरत पड़ेगी तो टेंकर के लिये पी एच ई विभाग सहायता करे, इस संबंध में भी हम अपने विभाग में चर्चा करेंगे. किसी भी हालत में हम किसी को भी प्यासा नहीं रहने देंगे. हम मनुष्य की चिंता तो करेंगे ही, पशु पक्षियों की भी चिंता करेंगे और यह भी चिंता करेंगे की मवेशियों को भी बराबर पानी मिले. यह भी घोषणा करती हूं कि जनसंख्या के हिसाब से जहां पर जितने भी हैंडपंपों की आवश्यकता हो, जहां पर 25 या 50 की आवश्यकता हो वहां पर उतने हैंडपंप की व्यवस्था करेंगे. यहां पर आज मैं पी एच ई विभाग को सदन के माध्यम से आदेशित करती हूं कि जनसंख्या के मान से जहां पर जितनी भी हैंडपंपों की आवश्यकता हो वहां पर उतने हैंडपंप अवश्य खोले जायें. जहां पर जल स्तर प्राप्त हो वहां पर हैंडपंप खोदने में कोई कोताही न हो. उपाध्यक्ष महोदय, आपकी उपस्थिति में सदन में इस बात की घोषणा करती हूं. दूसरी बात यह कि जहां तक टेंकरों की बात तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने आपके इतने सारे पैसे बढ़ा दिये हैं तो आप टेंकर खरीदकर क्यों नहीं दे सकते हैं. आपको कोई नहीं रोक रहा है, आप चाहे तो आप अपने क्षेत्र में टेंकर खरीदकर या बनवाकर दे सकते हैं. आप नहीं भी देते हैं तो हमारे विभाग का दायित्व है कि जहां पर टेंकर हैं वहां पर उपलब्ध करायें और जिन गांवों में पानी के स्त्रोत सूख गये हैं वहां पर टेंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध करायें.
श्री रजनीश सिंह :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, समूह नलजल योजना के बारे में माननीय मंत्री जी बता दें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:- समूह नलजल योजना के बारे में मैं पहले ही निवेदन कर चूंकी हूं कि सिवनी जिले की जितनी भी योजनाएं स्वीकृत हैं, अभी बजट आ गया है, उन पर अप्रैल मई में काम चालू हो जायेगा. इसके लिये आप निश्चिंत रह सकते हैं. हमने सतही नल जल योजनाएं हमने जल निगम के द्वारा इसीलिये बनवायी हैं कि हमें भूजल के ऊपर निर्भर नहीं रहना पड़े और सतही नल जल योजना बनाकर हम चौबीस घंटे सबको पानी उपलब्ध करवायें, आप टेप खोलिये और आपके घर पर पानी आयेगा. हमारी ऐसी योजनाएं बन गयी है. सदन में मैं इस बात का वादा करती हूं कि हम घर घर नल की टोटी पहुंचायेंगे. सबको सतही नलजल योजना के माध्यम से पानी देंगे. बहुत सारा मसाला मेरे पास बोलने के लिये है. लेकिन समय की सीमा है, मैं माननीय सदस्यगणों से यह भी निवेदन करना चाहती हूं कि इसके बावजूद भी किसी के क्षेत्र में जो समस्या आयेगी, उसको हम अवश्य सुलझायेंगे. मैं माननीय सदस्यों को बताना चाहती हूं कि प्रदेश में किसी भी क्षेत्र में पानी की कमी नहीं होने देंगे, किसी को भी प्यासा नहीं रहने देंगे. इसमें कोई भेदभाव नहीं करेंगे कि हम कांग्रेस के सदस्य हैं भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं. हमारी शिवराज सिंह की सरकार का दायित्व है कि हम प्रत्येश में पूरे क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति करें. इसके लिये हम वचनबद्ध हैं.आपने समय दिया इसके लिये धन्यवाद्.
श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदया ने सामने बैठे जो लोग दृष्टिगत हो रहे हैं उनकी बात का जवाब दे दिया है. हम लोग जो पीछे बैठे हैं और जो हम लोग प्रशंसा करते रहे. मैंने हमारे क्षेत्र में एक सब डिविजन की मांग की थी.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:- मैं यह घोषणा करती हूं कि आपके क्षेत्र में एक सब डिविजन खुलेगा.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी :- मंत्री जी धन्यवाद्.
प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के त्रयोदश प्रतिवेदन
उपाध्यक्ष महोदय :- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनांक 1 अप्रैल, 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
रात्रि 7.15 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 1 अप्रैल , 2016 ( 12 चैत्र, शक संवत् 1938) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल,
दिनांक :- 31 मार्च, 2016 भगवानदेव ईसरानी
प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा