मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा पंचदश सत्र
नवम्बर-दिसम्बर, 2017 सत्र
गुरूवार, दिनांक 30 नवम्बर, 2017
( 9 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 15 ] [अंक- 4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 30 नवम्बर, 2017
(9 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए. }
प्रश्नकाल में उल्लेख
नेता प्रतिपक्ष द्वारा माननीय अध्यक्ष पर असंसदीय टिप्पणी पर निंदा प्रस्ताव लाने विषयक
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न संख्या 1 श्रीमती रेखा यादव.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट सुन लीजिए.
अध्यक्ष महोदय - मेरा आपसे अनुरोध है, प्रश्नकाल हो जाने दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट कृपा करके सुन लें, चूंकि इस सदन की मर्यादा से, इस सदन की सभ्यता से, इस सदन के बेहतर इतिहास से जुड़ा हुआ मामला है, इस कारण से मैं कहना चाहता हूं, मेरी बात को सुन लिया जाए. अध्यक्ष महोदय, कल किसी विषय को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने सदन के अंदर भी और सदन के बाहर भी आसंदी के लिए अर्थात् आपके लिए (XXX) की संज्ञा दी है.
(शेम शेम की आवाज)
अध्यक्ष महोदय, मैं करीब 34-35 साल से इस विधान सभा में लगातार बैठ रहा हूं, अभी तक के इतिहास में इस प्रकार के शब्दों का उपयोग कभी नहीं किया गया. इस विधान सभा की बहुत श्रेष्ठ, बहुत अनुकरणीय, परम्परा रही है और अध्यक्ष का निर्वाचन, सारे सदन की सहमति से तय हुआ था. आप हम लोगों के भी अध्यक्ष हैं, आप प्रतिपक्ष के भी अध्यक्ष हैं. उपाध्यक्ष महोदय का भी चयन सर्वसम्मति से हुआ था. जब हम सभी लोगों ने मिलकर आपको आसंदी पर बैठाया है, इसके बाद किन्हीं व्यक्तियों द्वारा या प्रतिपक्ष के नेता द्वारा आपको बंधक कहा जाना, मैं मानकर चलता हूं यह सदन की मर्यादा का उल्लंघन है और इसके लिए मैं चाहता हूं कि उनके विरूद्ध निन्दा प्रस्ताव लाया जाए या फिर उसके लिए वे क्षमा व्यक्त कर दें.
श्री यशपालसिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने बयान पढ़ा है, दूसरी तरफ आपने मर्यादित होकर के यह प्रतिउत्तर दिया कि वह जो कह सकते हैं, वह मैं नहीं कह सकता हूं. हम चाहते हैं, सदन चाहता है वह खेद व्यक्त करें, क्षमा मांगे.
अध्यक्ष महोदय--इस संबंध में नियमों के अंतर्गत अगर कोई बात आती आयेगी तो हम उस पर विचार करेंगे. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इस तरह की परम्पराएं चलेंगी तो मैं मानकर चल रहा हूं कि विधान सभा की धीरे-धीरे अवमानना होगी.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--नियमों के अंतर्गत बात आयेगी तो उस पर विचार कर लिया जाएगा.(व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह—(XXX) (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है, घोर निन्दनीय है, यह असंसदीय भी है. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह—(XXX) (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--बलात्कार हो रहा है उसकी आपको चिन्ता नहीं है. 3 साल, 5 साल की बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं आप उस पर चर्चा कराने के लिये तैयार नहीं हैं. आप महिलाओं का अपमान करोगे. प्रदेश में लूट हो रही है, बलात्कार हो रहे हैं. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, आज तक के विधायी इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है. अध्यक्ष जी को (XXX) कहा जाना क्या उचित है. सदन में इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--नियमों के अंतर्गत उस पर विचार करेंगे. विधिवत कुछ होगा तो उस पर विचार कर लेंगे. कृपया आप सब लोग बैठ जाएं प्रश्नकाल को चलने दें.आप सभी लोग भी बैठ जाएं, माननीय मंत्रिगण भी बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, आपको आसंदी पर सर्वसम्मति से बिठाया गया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल महत्वपूर्ण है उसको हो जाने दें. माननीय मंत्रिगणों से अनुरोध है कि आपकी बात रिकार्ड में आ गई है. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--सरकार अपनी इज्ज़त नहीं बचा पा रही है.
डॉ.गोविन्द सिंह—(XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी आपकी बात आ गई है. उसमें कुछ विधिवत् आयेगा तो उस पर विचार करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय आपको आसंदी पर सभी ने सर्वसम्मति से बिठाया, उपाध्यक्ष महोदय को सर्वसम्मति से बिठाया. इस तरह का आपके ऊपर आक्षेप लगाना क्या उचित है?
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई है. मैंने माननीय रामनिवास रावत जी को बोलने की अनुमति दी है. माननीय मंत्री जी कृपया आप बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मेरा विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि आसंदी की नजरों में सत्तापक्ष एवं विपक्ष दोनों का एक समान व्यवहार होना चाहिये. आपसे हम लोग पूरी तरह से संरक्षण चाहते हैं. हम जानते हैं कि आपका संरक्षण है. विपक्ष इसलिये चुनकर के आता है, क्योंकि संवैधानिक व्यवस्था में विपक्ष बहुत आवश्यक है. विपक्ष जनता के मुद्दों को उठाता है.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)--आप लोग कुछ भी आरोप लगाएंगे (XXX) इसके लिये विपक्ष के नेता को क्षमा मांगनी चाहिये. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--आपकी कुछ भी मर्जी होगी क्या उस हिसाब से सदन को चलाएंगे.(व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता—(XXX) (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--दो दिन से आप लोग सदन का समय खराब कर रहे हैं चर्चा नहीं करा रहे हैं.(व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--आप लोग दो दिन से चर्चा कराने के लिये तैयार नहीं हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता--आप लोग अध्यक्ष महोदय को बंधुआ मजदूर कहेंगे,आप सामंती सोच खतम करो. अध्यक्ष महोदय ने कल कहा तो है कि इस मामले को हम किसी न किसी रूप में चर्चा में ले लेंगे.यह अखबारों में है उसमें दिया हुआ है. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव- यह अखबारों में दिया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी--हम आसंदी का सम्मान करते हैं.(व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--सरकार ने विज्ञापन देकर के अखबार छपवाया गया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- कृपा करके बैठ जायें.
श्री उमाशंकर गुप्ता--यह मनोवृत्ति तानाशाही का प्रतीक है.
श्री सुंदरलाल तिवारी--आसंदी का पूरा सम्मान है, यह अकेले आपके सम्मान के ठेकेदार नहीं हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--तिवारी जी आप बैठ जाएं.
श्री उमाशंकर गुप्ता—(XXX) (व्यवधान)
श्री सुंदरलाल तिवारी- हम भी उनके सम्मान के ठेकेदार हैं. अकेले आप नहीं हो.
श्री उमाशंकर गुप्ता- क्या ऐसे ही सम्मान करोगे. (XXX) इसके लिये आपके पिताजी लड़ते रहे.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय यह मंत्रियों का व्यवहार है (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कृपया प्रश्नकाल हो जाने दें. आप लोग बैठें प्रश्नकाल होगा.
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दे दें और प्रश्नकाल हो जाने दें, हमें क्या आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय:- रावत जी कहिये, आप क्या कहना चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने एक स्थगन प्रस्ताव दिया है कि महिलाओं के बलात्कार संबंधी..
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले हम लोगों ने जो बात कही है, उस पर आसंदी से व्यवस्था आना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, यदि नियमों के अंतर्गत कोई बात आती है तो मैं उस पर विचार करूंगा.
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने नियम 140 के अंतर्गत बात कराने की बात कही, हम उस पर भी तैयार हैं. हम हर तरह से तैयार हैं, आप बिना विपक्ष को विश्वास में लिये ही सदन चलाना चाहते हैं तो आप जानें, लेकिन यह संवैधानिक व्यवस्था नहीं होगी.
अध्यक्ष महोदय:- मैंने आपकी बात भी सुन ली है. आप अब कृपा करके प्रश्नकाल को चलने दें.
श्री रामनिवास रावत:- आपने मेरी बात सुन ली है तो व्यवस्था दे दें.
डॉ. गोविन्द सिंह:-अध्यक्ष महोदय, हम लोगों ने नियमों के तहत ही स्थगन दिया था.
अध्यक्ष महोदय:- कल मैं आपसे कह चूंका हूं कि किसी न किसी रूप में चर्चा करा लूंगा.
श्री रामनिवास रावत:- तो आप व्यवस्था दे दें कि किस नियम के तहत आप चर्चा कराना चाहते हैं. आप प्रश्नकाल चलायें हमें क्या आपत्ति है, हम तो खुद चलाना चाहते हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष महोदय, यदि इसमें सरकार की साख दॉंव पर लग गयी है और सरकार स्थगन पर चर्चा नहीं कराना चाहती है तो नियम 139 के अंतर्गत चर्चा करा ले.यह हमारी आपसे प्रार्थना है. (XXX)
श्री उमाशंकर गुप्ता:- इसमें साख का क्या सवाल है. आप सदन को बाधित करना चाहते हैं. अध्यक्ष जी ने व्यवस्था दी है कि किसी न किसी रूप में चर्चा करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय:-माननीय सदस्य अपने-अपने स्थान पर बैठ जायें.
श्री उमाशंकर गुप्ता:- आज अनुपूरक अनुमान पर चर्चा होनी है, उसमें आपको जितना बोलना है, बोलिये आपको कौन मना कर रहा है.(व्यवधान) आज विधेयक आयेगा उस पर बोलिये जितना बोलना है. (व्यवधान) (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- नेता प्रतिपक्ष जी,कृपया सदस्यों को अपने स्थान पर बैठने के लिये कहें.
श्री रामनिवास रावत:- (XXX) (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी:- आप यह चाहते हैं कि महिलाओं के संबंध में चर्चा न हो?
श्री लाखन सिंह यादव:- आप चर्चा कराने से भाग रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव:- अभी हम सरला मिश्रा की बात करने लगेंगे तो मुंह बंद हो जायेगा. (व्यवस्था)
श्री लाखन सिंह यादव:-आप चर्चा करो न.
श्री उमाशंकर गुप्ता:- (XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- अभी रामनिवास रावत जी ने जो बात कही, उस पर मैंने अपनी व्यवस्था दे दी. यदि आप मेरी बात से सहमत हो तो कार्यवाही आगे बढ़ने दें.
श्री रामनिवास रावत:- आप चर्चा करवा लें. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी:- महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में सरकार तैयार चर्चा चर्चा को तैयार है. आप बोलिये तैयार हैं या नहीं?
श्री गोपाल भार्गव :- अध्यक्ष जी ने कहा है कि हम किसी न किसी रूप में चर्चा में लेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी:- सीधे महिलाओं की सुरक्षा का प्रश्न है. सरकार इसी रूप में तैयार है या नहीं, जवाब दीजिये. सदन में बताइये, बताइये अध्यक्ष महोदय को.
श्री उमाशंकर गुप्ता:- इस संबंध में अध्यक्ष जी व्यवस्था दे चुके हैं.
श्री गोपाल भार्गव:- परसों अध्यक्ष जी ने तीन-तीन बार कहा है.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, हम आपकी बात से सहमत हैं. आपके आदेश हमें शिरोधार्य हैं. आप यह और बता दें कि आप किस माध्यम से और किस तरह से चर्चा करायेंगे ? आप हमें यह विश्वास दिला दें कि इस पर चर्चा कराये बिना सदन समाप्त नहीं होगा.हम सदन चलने देंगे और सब बैठ जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय :- प्रश्नकाल के तत्काल बाद 12 बजे यही प्रश्न उठा देना, मैं उत्तर दे दूंगा.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष जी, यह क्या बात हुई12 बजे देंगे तो अभी दे दें.
अध्यक्ष महोदय :- आप 45 मिनट का धीरज रख लें, नहीं तो यह एक गलत परम्परा पड़ जायेगी.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल हमें स्वीकार नहीं.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- आप मेरा अनुरोध सुन लें. यदि अभी आपने इस पर जोर दिया तो यह एक ठीक परम्परा नहीं बनेगी. मैं यह चाहता हूं कि आप प्रश्नकाल हो जाने दें, उससे सदन की मर्यादा भी बनी रहेगी.आप 45 मिनट बाद सुन लीजियेगा.
श्री रामनिवास रावत- अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दे दें. हम प्रश्नकाल बाधित नहीं करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- रावत जी, आप 45 मिनट का धीरज रख लें. 12 बजे प्रश्नकाल के बाद आप इसी प्रश्न को उठायें, मैं इसी सदन में, इस पर बात करूंगा.
....(व्यवधान)....
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष से पूछना चाहूंगा कि कल इन्होंने (XXX), क्या वे उस पर क्षमा मांगेंगे ?
....(व्यवधान)....
श्री सुन्दरलाल तिवारी- सरकार बताये कि वह महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार के विषय पर चर्चा के लिए तैयार है या नहीं ?
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- मैंने आपके मुख्य सचेतक को सदन में बात रखने का समय दिया और उनकी बात सुनी. मैंने उनकी बात का समाधान करने का प्रयत्न भी किया. अब कृपया माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को भी सुनें.
....(व्यवधान)....
श्री उमाशंकर गुप्ता- अध्यक्ष महोदय, मैं पुन: आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष से पूछना चाहूंगा कि कल उन्होंने आसंदी को बंधुआ मजदूर कहा है, क्या उस पर वे सदन से क्षमा मांगेंगे ?
....(व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत- ये क्या तरीका है ? ऐसा सदन में कब कहा गया ? आप सदन चलाना नहीं चाहते हैं इसलिए कुछ भी बोल रहे हैं.
....(व्यवधान)....
श्री उमाशंकर गुप्ता- हम तो सदन चलाना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप सभी से निवेदन है कि कृपया बैठ जायें और प्रश्नकाल हो जाने दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता- (XXX)
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के कई माननीय सदस्यगण अपने-अपने स्थानों पर खड़े होकर अपनी-अपनी बात कहने लगे.)
....(व्यवधान)....
श्री सचिन यादव- हम नहीं आप बंधुआ मजदूर बोल रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता- आप लोगों ने पूरे सदन का अपमान किया है, जिसमें आप भी शामिल हैं.
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(11.17 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित)
11.23 बजे (विधानसभा पुन: समवेत हुई)
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, महिलाओं के साथ प्रदेश में जो अत्याचार हो रहे हैं क्या सरकार इस पर चर्चा कराने के लिए तैयार है ?
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, कृपया 37 मिनट धीरज रख लीजिए. रेखा यादव जी आप अपना प्रश्न पूछिए. (व्यवधान)..
11.24 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
शिकायतों की जाँच/कार्यवाही
[लोक सेवा प्रबन्धन]
1. ( *क्र. 1539 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला छतरपुर के अनुविभागीय अधिकारी छतरपुर को दिनांक 04.05.2012 एवं 05.05.2012 को गेहूं पकड़े जाने संबंधी एवं 05.05.2012 को कलेक्टर एवं जन शिकायत निवारण विभाग पी.जी. क्रमांक 172891/2012/99 को दिनांक 03.05.2012 के संबंध में गेहूं, पकड़े जाने संबंधी शिकायत की गई थी? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि हाँ, तो क्या उक्त शिकायत पर संबंधित अधिकारी द्वारा कार्यवाही की गई थी? यदि हाँ, तो प्रश्नांश से संबंधित सम्पूर्ण कार्यवाही का विवरण उपलब्ध करायें। (ग) यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। क्या शासन उक्त शिकायतों की जाँच करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या शासन विधि सम्मत एवं समय-सीमा में कार्यवाही न करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करने के आदेश जारी करेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतायें।
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) जी हाँ। (ख) उक्त शिकायत पर जाँच अधिकारी तहसीलदार छतरपुर द्वारा जाँच में 100 बोरी गेहूं एवं एक छोटा ट्रक गेहूं कुल 400 बोरी गेहूं (191.50 क्वि.) बगैर पंजीयन एवं निम्न गुणवत्ता का पाये जाने पर कृषि उपज मंडी में सील किया गया। जप्तसुदा गेहूं की सार्वजनिक नीलामी में रुपये 1381.00 प्रति क्विंटल की दर से राशि रु. 264462/- को शीर्ष 8443 आर.डी. में जमा खजाना जरिये चालान क्रमांक 54 के द्वारा दिनांक 22/02/2013 को बैंक में जमा की गयी थी, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" "ब" "स" अनुसार है। (ग) प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती रेखा यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रश्न (क) में मांगी गई जानकारी सही नहीं दी गई है . छतरपुर में दिनांक 03.05.2012 को जो जब्त किया गया था वह संबंधित व्यक्ति ने 05.05.2012 को जन शिकायत निवारण विभाग में अपनी शिकायत दर्ज की थी लेकिन आज दिनांक तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि हमारे भोपाल स्तर पर जो शिकायत हुई थी सचिव मध्यप्रदेश शासन... (व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हमें दो दिन से आश्वासन दे रहे हैं. बात 37 मिनट की नहीं है. हम दो दिन से बात कर रहे हैं. सरकार क्यों डर रही है. दो दिन से आश्वासन मिल रहा है. अगर सरकार में हिम्मत हो तो चर्चा कराए. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जाएं. (व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह-- हम इसके बारे में दो दिन से मांग कर रहे हैं. बहुत गंभीर मुद्दा है, महिलाओं का मुद्दा है. महिलाओं के साथ पूरे प्रदेश में अत्याचार हो रहा है. (व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, पांच वर्ष, सात वर्ष, दस वर्ष की बच्चियों के साथ राज्य में बलात्कार हो रहा है और यह सरकार चुप बैठी है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- क्या आप प्रश्नकाल नहीं होने देना चाहते हैं ? (व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत-- हम चलाना चाहते हैं. बिलकुल होने देना चाहते हैं. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप 35 मिनट नहीं रुक सकते हैं क्या. (व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत-- आप 35 मिनट का कह रहे हैं हम तीन दिन से रुके हैं. (व्यवधान)..
(व्यवधान)
11.25 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यणगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यणगण द्वारा भोपाल में कोचिंग से घर लौट रही छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने की मांग करते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया)
श्री रामनिवास रावत--क्या प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण है?(व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता--कल अध्यक्ष महोदय व्यवस्था दे चुके हैं कि प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण है और क्या चाहिए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--यह तरीका ठीक नहीं है, आप लोग पहले अपने स्थान पर बैठिए उसके बाद बात होगी. आप लोग अपनी सीट पर जाएं. सभी अपनी-अपनी सीट पर जाएं.(व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता--कल अध्यक्ष महोदय व्यवस्था दे चुके हैं कि किसी न किसी रुप में चर्चा कराएंगे (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--आप हाउस नहीं चलने देना चाहते हो..(व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता--मैं निवेदन कर रहा हूँ कि यह कल ही बोला गया है कि हम किसी न किसी रुप में चर्चा कराएंगे, उसके बाद भी यह (XXX) कर रहे हो (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--संसदीय कार्य मंत्री आप निवेदन करिए. ऐसे ही मत चिल्लाओ आप निवेदन कीजिए क्योंकि आप संसदीय कार्य मंत्री हैं, आसंदी से निवेदन कर लो. आप बोल दो हम मान लेते हैं (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कुंवर सौरभ सिंह जी अपने स्थान पर जाएं, सचिन यादव जी अपने स्थान पर बैठें. अपने स्थान से बोलिए जो बोलना है वहां से भी दिखते हैं. (व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय ने जो कहा है वह सरकार मानती है हम अध्यक्ष महोदय का आदेश मानते हैं. आप अध्यक्ष महोदय का अपमान करते हो, आप आसंदी का अपमान करते हो (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--गलत बात मत बोलो (व्यवधान)
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यणगण द्वारा गर्भगृह में नारेबाजी की गई)
श्री उमाशंकर गुप्ता--पूरे हाउस का अपमान किया है, (XXX) कहा है. यह सामंतवादी प्रवृत्ति आप कब से मानने लगे हैं ? आपके पिताजी हमेशा लड़ते रहे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.27 बजे विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित)
12.01 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूँ हमने जो स्थगन महिलाओं की सुरक्षा संबंधी दिया था...
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, उससे पहले मैं आपका ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूं. मैंने प्रश्न काल में जो विषय सदन के सामने और आपके सामने रखा था उसके बारे में कुछ व्यवस्था नहीं आई है.
अध्यक्ष महोदय-- मैंने आपसे कहा था कि यदि नियमों के अंतर्गत कोई बात आएगी तो मैं उस पर विचार करूँगा. श्री रावत अपनी बात रखें.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल में 31 अक्टूबर को जो पीएससी की कोचिंग करने जा रही छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ था और उसके बाद की अन्य जो सामूहिक बलात्कार की घटनायें लगातार हुई हैं इसके संबंध में हमने स्थगन दिया था. तीन दिन से सदन में गतिरोध चल रहा है. अध्यक्ष महोदय, आपने आसंदी से कहा था कि आप 12 बजे के बाद व्यवस्था दे देंगे तो हम चाहते हैं कि किसी-न-किसी रूप में आप व्यवस्था दें और इस पर चर्चा करायें. प्रदेश की 50 प्रतिशत महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मामला है अगर इस पर चर्चा नहीं हो पाएगी तो निश्चित रूप से हम कहीं-न-कहीं अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वाह नहीं कर पाएंगे और कहीं-न-कहीं अपने आपमें गिल्टी महसूस करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि इस विषय पर पूरा सदन संवेदनशीलता दिखायें. सत्ता पक्ष भी संवेदनशीलता दिखाये और प्रदेश की महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा की चिंता करते हुए इस पर चर्चा कराने का निर्णय लें.
12.02 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
स्थगन प्रस्ताव विषय संबंधी चर्चा नियम 130 के अंतर्गत कराने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- मुझे इसका खेद है कि मैंने अनुरोध किया था कि प्रश्नकाल हो जाने दें उसके बाद में मैं व्यवस्था दूँगा. आज प्रश्नकाल नहीं हो पाया और बहुत-से महत्वपूर्ण प्रश्न रह गये. माननीय श्री रामनिवास रावत जी ने जो विषय उठाया है उस पर मैंने कहा था कि मैं अपनी व्यवस्था दूँगा. मैं कल 1 दिसम्बर को नियम 130 के अंतर्गत उस विषय पर चर्चा कराने के लिए आपको आश्वस्त करता हूं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. पहले अगर यह व्यवस्था आ जाती तो यह गतिरोध ही नहीं होता और प्रश्नकाल भी चलता.
अध्यक्ष महोदय-- अब शून्यकाल की सूचनायें ली जाएंगी.
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल आप यह कह चुके थे. कल आपने व्यवस्था दी थी कि किसी ना किसी रूप में चर्चा करा लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी तीन दिन से कह रहे हैं कि किसी ना किसी रूप में चर्चा करा लेंगे लेकिन यह आपकी हठधर्मिता थी और आपने हाउस नहीं चलने दिया.इसके जवाबदार आप हो.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह)-- आपने आसंदी पर कल विश्वास नहीं किया और इसलिए आज अध्यक्ष महोदय को यह बात कहना पड़ी. आपने आसंदी पर अविश्वास किया.
श्री रामनिवास रावत-- आसंदी पर पूरा विश्वास है पर आप पर नहीं है. हम आसंदी का पूरा सम्मान करते हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- यह जनता ने देख लिया है कि आप आसंदी पर कितना विश्वास करते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- हम आसंदी पर पूरा विश्वास करते हैं लेकिन आप पर नहीं करते हैं. आपको तो देख लिया कि आप महिलाओं का भी सम्मान नहीं करते हो आपको तो पहले ही दिन खड़े होकर कह देना चाहिए कि इस पर स्थगन स्वीकार किया जाये और चर्चा हो.अध्यक्ष महोदय खड़े हैं कम-से-कम आप लोग बैठ जाओ. संसदीय परंपराओं का पालन करो.
12.04 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय--निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनायें पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. श्री के.डी.देशमुख
2. श्री प्रदीप अग्रवाल
3. डॉ. योगेन्द्र निर्मल
4. श्री निशंक कुमार जैन
5. श्री शैलेन्द्र पटेल
6. श्री जितेन्द्र गेहलोत
7. डॉ. गोविंद सिंह
8. श्री सूबेदार सिंह रजौधा
9. श्री रामनिवास रावत
10. श्री कमलेश्वर पटेल
12.05 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन 31 मार्च, 2016 को समाप्त वर्ष हेतु नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के कार्यान्वयन पर निष्पादन लेखापरीक्षा मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2017 का प्रतिवेदन संख्या-5
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) --
2. विक्रम उद्योगपुरी लिमिटेड, उज्जैन का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16 (31मार्च, 2016 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष)
वाणिज्य, उद्योग और रोजगार मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) --
3. मध्यप्रदेश पुलिस हाऊसिंग एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड का चौंतीसवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2014-15
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) --
4. (क) महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन का वार्षिक प्रतिवेदन सन् 2016-2017 (01 जुलाई, 2016 से 30 जून, 2017 तक), तथा
(ख) मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम, 2010(क्रमांक 24 सन् 2010) की धारा 10 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार विभिन्न विभागों की 33 अधिसूचनाएं.
उच्च शिक्षा मंत्री( श्री जयभान सिंह पवैया) -- अध्यक्ष महोदय, आज की कार्यसूची में उल्लेखित मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम, 2010(क्रमांक 24 सन् 2010) की धारा 10 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार विभिन्न विभागों की 1 से 33 तक की अधिसूचनाएं पटल पर रखता हॅूं. *
__________________________________________________________
(*) परिशिष्ट के रुप में मुद्रित
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) --
5. (क) श्री आर.के.जैन, उपायुक्त वाणिज्यिक कर की पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु बाबत् गठित न्यायिक जॉंच आयोग का प्रतिवेदन दिनांक 30 अप्रैल, 2009
(ख) मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन (01 जनवरी, 2015 से 31 दिसम्बर, 2015), तथा
(ग) मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग का वार्षिक लेखा वर्ष 2014-2015
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) --
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय,(XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दें. जो धारा बोला है वह भी निकाल दें.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप चाहें तो कोर्ट की नोटशीट, कोर्ट के आदेश की कॉपी पटल पर रख सकता हॅूं. ....(व्यवधान).....
डॉ.गोविन्द सिंह -- (xxx) ......(व्यवधान).....
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वारंट जारी है. क्या वह आपसे अनुमति लेकर, छुट्टी लेकर गया है ?
डॉ. गोविन्द सिंह -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- पं.रमेश दुबे अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढे़ं. डॉ. गोविन्द सिंह जी ने जो कहा है उसे रिकॉर्ड से निकाल दिया जाए.
डॉ.गोविन्द सिंह -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- नो कमेंट. इसे रिकॉर्ड से निकाल दीजिए.
डॉ.गोविन्द सिंह -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- आप ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ने दीजिए. आपने प्रश्नकाल नहीं होने दिया.
डॉ.गोविन्द सिंह -- (xxx)....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- कुछ भी नहीं लिखा जाएगा....(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, कोर्ट के आदेश को नहीं मानेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- आपने प्रश्नकाल नहीं होने दिया, क्या आप ध्यानाकर्षण नहीं होने देना चाहते ? ....(व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह -- (xxx)..(व्यवधान)...
पं.रमेश दुबे -- डॉ. साहब, मेरा ध्यानाकर्षण तो होने दीजिए. ....(व्यवधान)...
डॉ.गोविन्द सिंह -- (xxx)....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह बात ठीक नहीं है. इस तरह से बाधित कर-करके कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती. आप बता दें कि आप कार्यवाही चलवाना चाहते हैं या नहीं ?
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम तो चलवाना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- हॉं तो ध्यानाकर्षण होने दीजिए.
डॉ.गोविन्द सिंह -- (xxx)
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष जी, कोर्ट ने अपराधी माना है. कोर्ट के आदेश से अपराधी बना है. ....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- कुछ नहीं लिखा जाएगा, केवल दुबे जी की बात लिखी जाएगी.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष जी, कांग्रेस हाऊस चलाना ही नहीं चाहती है....(व्यवधान)....
12.08 बजे ध्यानाकर्षण
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हाऊस हम लोग चलाना चाहते हैं, आप जिस तरह से चलाना चाहते हैं उस तरह से चलाएं, उसमें कोई आपत्ति नहीं है. आपकी कृपा विपक्ष पर बनी रहे, हम लोगों को यह भरोसा है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- पंडित रमेश दुबे अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें. (...व्यवधान...) यह रिकार्ड में नहीं आएगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा नेता प्रतिपक्ष से आग्रह है कि वे यह भी स्पष्ट कर दें कि कल आसंदी के बारे में जो उन्होंने कहा है उस पर वे क्षमा मांग रहे हैं कि नहीं मांग रहे हैं. (...व्यवधान...)
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात, क्या मैंने सदन में कोई चीज कही, किसी के बारे में ? यदि कहीं बाहर किसी के बारे में कहा, यदि अध्यक्ष के लिए भी कहा हो, यदि होश में थोड़ा जोश आ गया हो, यदि कुछ कहा हो तो मैं माफी मांगता हूँ. (XXX)
(...व्यवधान...)
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अब कांग्रेस अध्यक्ष से मांग नहीं करूंगा कि अजय भैया के इस कृत्य पर उनको निकाल दें. (...व्यवधान...)
श्री अजय सिंह -- (XXX)
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- रिकार्ड में नहीं आएगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा कि मैं ऐसा नहीं कहूंगा.
(...व्यवधान...)
डॉ. गोविंद सिंह -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह भी रिकार्ड में नहीं आएगा. केवल दुबे जी का ही लिखा जाएगा.
1. छिन्दवाड़ा जिले के चौरई एवं बिछुआ विकासखण्डों में कृषकों के विद्युत ट्रांसफॉर्मर न बदले जाने से उत्पन्न स्थिति
पं. रमेश दुबे (चौरई) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राप्त जानकारी के अनुसार
12.15 बजे,
{ उपाध्यक्ष महोदय ( डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
पं. रमेश दुबे -- माननीय उपाध्यक्ष जी, जैसा कि मेरा ध्यानाकर्षण लगने के पश्चात् रंगारी और रामाकोना डीसी के क्षेत्र में 15-20 दिन से विद्युत प्रवाह व्यवस्था बंद है. वनग्राम टेकापार में भी विद्युत प्रवाह एक माह से बंद है. माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया कि वहां विद्युत व्यवस्था दी जा रही है. मैं जानना चाहता हूं कि क्या ध्यानाकर्षण लगाने के पूर्व इस क्षेत्र में जो विद्युत व्यवस्था बंद थी, क्या उच्च अधिकारियों से उसकी जांच कराएंगे ? दूसरा मेरा बिंदु यह है कि मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के माध्यम से कपुर्दा डीसी के, जेई श्री ओंमकार पाण्डे को हमारे किसान श्री योगेश सोलंकी, डुंगरिया और श्याम कुमार पटेल, कृषक कपुर्दा, जिन्होंने 11.8.2017 को रुपये 60,500/- कनिष्ठ यंत्री को दिये, लेकिन उन्होंने आज तक उन कृषकों को रसीद प्रदान नहीं की है. इसी प्रकार से चौरई में जगन्नाथ वर्मा, लिपिक ने सुभाष गुन्दे कृषक कामती वाले से 48,600/- रुपये की राशि ली है और अभी चार दिन पहले जब दबाव दिया, तब 40,106/- रुपये की रसीद प्रदान की गई है. इस प्रकार मुख्यमंत्री कृषक योजना के माध्यम से ..
उपाध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न क्या है.
पं. रमेश दुबे -- उपाध्यक्ष महोदय, पैसा तो लिया जाता है, लेकिन रसीद नहीं दी जाती है और रसीद दी जा रही है, तो वह कम पैसे की रसीद दी रही है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि क्या वहां पर पदस्थ अधिकारियों को हटाकर इसकी जांच करायेंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन -- उपाध्यक्ष महोदय, उन्होंने जो कहा है, हम उसकी जांच करवा लेंगे, हमको कोई दिक्कत नहीं है.
पं. रमेश दुबे -- उपाध्यक्ष महोदय, लेकिन वहां पर जो अधिकारी पदस्थ हैं, उनको यदि आप हटायेंगे, तब जांच सही होगी और ऐसे बहुत सारे प्रकरण निकल कर आयेंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन -- उपाध्यक्ष महोदय, यदि माननीय सदस्य यह कह रहे हैं, तो उनको हटाकर भी जांच कराने में हमको कोई प्रॉबलम नहीं है. हम जांच करवा लेंगे.
(2) विदिशा जिले के गंजबासौदा विकास खण्ड अंतर्गत नल-जल योजनाएं ठप्प हो जाना.
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा) -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
विदिशा जिले में करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी क्षेत्र के ग्रामीणों को शासन की महत्वपूर्ण नल जल योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. अल्प वर्षा के कारण जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है और कई गांवों में अभी से जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है. ऐसे में गंजबासौदा विकासखण्ड अंतर्गत गांवों में बनी 62 नल जल योजनाओं में से मात्र 30 योजनाएं आंशिक रुप से संचालित हो रही हैं. यदि समय रहते हुए इन योजनाओं से जल प्रदाय की व्यवस्था नहीं की गई, तो आगामी गर्मियों में इन ग्रामों में भीषण जल संकट हो सकता है. क्षेत्रांतर्गत आने वाले अमारी, कालापाठा, करारी, कस्बाबागरोद, लग्धा, सुनेटी, सिरनोटा, घटेरा, भिलाय, मुदावल, मटयाई, सतपाड़ाकला, महागौर, नेगमापिपरिया, रीछई, स्वरुपनगर, मैनवाड़ा, अनवई, पंचमा आदि ग्रामों में संचालित नल जल योजना बंद होने से ग्रामीणजनों में रोष व्याप्त है.
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रूस्तम सिंह ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
श्री निशंक कुमार जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय मंत्री जी ने कहा कि विदिशा जिले की जनसंख्या 11 लाख 20 हजार 414 है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपने अपने जवाब में स्वीकार किया है कि अधिकांश नल जल योजनाएं बंद हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा कि क्या जिन गावों में नलजल योजनाएं बंद हैं वहां पर नये हैण्डपंप उत्खनन करवाकर पानी का इंतजाम करेंगे. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 327 गांव हैं उसमें से 250 गांवों में वर्तमान स्थिति में पेयजल संकट व्याप्त है. क्या वहां पर आप प्रति गांव में एक से दो हैण्डपंप नये स्थापित करेंगे. जिन हैण्ड पंपों में 17 राइजिंग पाइप डले हैं लेकिन 17 राइजिंग पाइप डालने के बाद में भी वह हैण्ड पंप नहीं चलते हैं वहां पर विभाग का कहना है कि अगर इससे ज्यादा पाइप डाले तो मशीन नीचे गिर जायेगी पूरा हैण्ड पंप कोलेपस हो जायेगा. कागज में रिकार्ड में आता है कि हैण्ड पंप चालू है और मौके पर हैण्ड पंप चालू नहीं होगा तो क्या ऐसी स्थिति में मंत्री जी वहां पर नये हैण्ड पंप स्थापित करेंगे, नहीं तो मैं आपको एक बढ़िया तरीका बताता हूं.
श्री रुस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई विरोध वाली बात नहीं है. जो आपने कहा है कि वे खराब हैं, यह विभाग ने स्वीकार किया है और उनको ठीक करने के सतत् प्रयास चल रहे हैं. मैंने स्वयं जवाब में बताया है कि 6 तारीख को जितनी इनकी बंद नल-जल योजनाएं हैं, उनके टेंडर खुलने वाले हैं, उसमें स्वीकृति होगी. दूसरी बात, जो इन्होंने दर्शाया है तो जितनी भी योजनाएं हैं, जहां पानी की जरूरत है. अब हर जिले के कलेक्टर को 3 लोगों की कमेटी के साथ अधिकृत किया गया है, सीईओ जिला पंचायत, पीएचई के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर और कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है. वह ऐसी प्रत्येक नल-जल योजना को जो चलाना जरूरी है, पेयजल की व्यवस्था से वह एक साल के लिए उसका संधारण, उसकी दुरुस्तगी, उसको ठीक करने के लिए उपाध्यक्ष महोदय, 20 लाख रुपए तक खर्च कर सकेंगे. यह पर्याप्त व्यवस्था मध्यप्रदेश की सरकार ने की हुई है, इससे इनकी एक भी नल-जल योजना ठीक हुए बगैर नहीं रहेगी.
उपाध्यक्ष महोदय - 20 लाख रुपए प्रति नल-जल योजना?
श्री रुस्तम सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, प्रति यूनिट.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) - उपाध्यक्ष महोदय, सतना जिले में भी यही हालत है.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य को पूछ लेने दीजिए, उनका क्रम टूट जाएगा. श्रीमती ऊषा जी, अभी बैठ जाएं, आपके ध्यानाकर्षण भी तो लगते हैं. आपके ध्यानाकर्षण अक्सर लगा करते हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष महोदय, कहीं नहीं लगते हैं. आज विधायक बने हुए चार साल हो गये, एक भी ध्यानाकर्षण कभी भी नहीं लगा. उपाध्यक्ष महोदय, सतना जिला भी सूखाग्रस्त घोषित किया गया है, लेकिन हम लोग अपनी बात कैसे कहें?
उपाध्यक्ष महोदय - उनको अपनी बात कह लेने दीजिए. मूल ध्यानाकर्षण उनका है.
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष महोदय, आज प्रश्नकाल भी चलने नहीं दिया गया.
श्री निशंक कुमार जैन - उपाध्यक्ष महोदय, जो मैंने मंत्री जी से पूरक प्रश्न किये थे. मंत्री जी ने उसमें से किसी का जवाब नहीं दिया है. गोल-माल जवाब दे दिया कि कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी है और नल-जल योजना उससे संधारित हो जाएंगी. मैंने कहा कि जिन ग्रामों में नल-जल योजनाएं बंद हैं, क्या वहां पर नये हैंडपंप स्थापित करेंगे? दूसरा, जिन हैंडपंपों में 17 राइजिंग पाइप डले हैं और वह चल नहीं पा रहे हैं, क्या वहां पर उनकी जगह दूसरे हैंडपंप स्थापित करेंगे? तीसरा, माननीय मंत्री जी ने मैंने कहा था कि 327 गांवों में से 250 गांवों में पेयजल संकट व्याप्त है क्या वहां पर एक नया हैंडपंप स्वीकृत करने की कृपा करेंगे? यह मैंने आपसे पिन-पाइंट क्वेशचन पूछे हैं. आप यदि घूमाकर जवाब देंगे फिर मुझे ये प्रश्न करना पड़ेंगे, नहीं तो उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जिस तरह से आपने विदिशा जिले के 2250 गांवों में पिछले वित्तीय वर्ष में 100 हैंडपंप दिये थे, क्या 100 हैंडपंपों से 2250 गांवों में पेयजल की आपूर्ति की जा सकती है? नहीं तो एक काम करिए माननीय मुख्यमंत्री जी का फोटो लगा दीजिए और हैंडपंप का फोटो लगा दीजिए और ऐसी तकनीकी बता दीजिए कि उसमें से पानी निकलने लगे.
उपाध्यक्ष महोदय - निशंक जी, यह कौन-सी बात है? माननीय मंत्री जी, इनके तीन प्रश्न हैं. एक तो नल-जल योजनाओं के लिए जो आपने कमेटी बना दी है, वह अलग से हैंडपंप की बात कर रहे हैं और 17 राइजिंग पाइप कहीं लगते हैं? 12 से ज्यादा में तो पानी नहीं खिचेगा?
श्री निशंक कुमार जैन - अधिकतम तो 17 पाइप डाल देते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - 17 पाइप में पानी कहां खिचेगा?
श्री निशंक कुमार जैन - उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रैक्टिकल बात कर रहा हूं.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - उपाध्यक्ष महोदय, इसकी जांच होना चाहिए, यह अंदाजमार ठेकेदारी कर रहे हैं.
श्री रुस्तम सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, या तो मैं इनको समझा न सका, या मेरी बात वे समझ न सके. मैंने यह कहा है कि एक भी गांव बिना पीने के पानी की व्यवस्था के नहीं रहने दिया जाएगा, उसमें इनके हर गांव शामिल हैं. हम पूरे मध्यप्रदेश की बात कर रहे हैं.
श्री निशंक कुमार जैन - आपके पास वाइसर नहीं है, पाइप नहीं हैं, चैन है नहीं, हैंडपंप के डंडे हैं नहीं, मशीनें बदल नहीं पा रहे हैं, आप यह कहां से करेंगे? आपके यहां से या तो आपको गलत जानकारी दी जा रही है या विभाग के अधिकारी आपको भ्रामक जानकारी दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- निशंक जी, मंत्री जी ने कहा है, आपको भरोसा तो करना पड़ेगा.
श्री निशंक कुमार जैन - उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का तो आज प्रश्न का जवाब देकर इस विभाग से वास्ता खत्म हो जाएगा. पिछले सत्र में इसी सदन में जो हमारी मंत्राणी जी थीं, उन्होंने जो जवाब दिया था.
उपाध्यक्ष महोदय - यह मंत्राणी शब्द कौन-सा हो गया?
श्री निशंक कुमार जैन-- सम्मानीय मंत्री जी थीं, उन्होंने जो जवाब दिया था उसके उलट वहां पर हमको देखने को मिला और लगातार परेशान हो रहे हैं. माननीय पंचायत मंत्री जी बैठे हैं. मैं तो आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने कम से कम ग्राम पंचायतों को हैंडपंप लगाने के अधिकार तो दे दिए थे उससे थोड़ी बहुत व्यवस्था सुधरी है. मैं आपसे भी अनुरोध करना चाहूंगा कि आप पंचायतों को नए हैंडपंप लगाने के स्पष्ट अधिकार दे दीजिए यह अकेले मेरे विधान सभा क्षेत्र की बात नहीं है यह पूरे प्रदेश की बात है, पंचायतों को आवश्यकतानुसार अपने अपने क्षेत्र नए हैंडपंप स्थापित करने के अधिकार दे दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- निशंक जी, आप विषयान्तर कर रहे हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा-- उपाध्यक्ष जी, मेरी दूसरी प्रार्थना है, सूखे को लेकर हम सब लोग चिन्तित हैं. सभी ग्रामों में यह परिस्थितियां आ रही है कि सरकार ने नल-जल योजना के लिए निश्चित रुप से राशि दी है. पानी की टंकी बन गई लाईन बिछ गई. घर घर नल कनेक्शन दे दिए लेकिन हमारे यहां सब ट्यूबवेल सूख गए पानी नहीं है. यहां पर पंचायत मंत्री जी भी बैठे हैं. श्री रुस्तम सिंह जी दूसरे विभाग का जवाब दे रहे हैं. मेरी एक प्रार्थना है कि क्या मनरेगा से पूरे प्रदेश में एक अभियान जनवरी से मई जून तक चला सकते हैं जहां जहां शासकीय तालाब हैं, यदि वहां अतिक्रमण भी हैं तो उन्हें मुक्त कराया जाये और तीन-चार महीने में सारे तालाबों का ऐसा गहरीकरण कराया जाये जिससे आने वाले वर्षों में पानी का जो संकट हो सकता है उसका सामना कर सकते हैं. अभी 700 फीट तक ट्यूबवेल खुद गए लेकिन पानी नहीं है. अब इससे नीचे नहीं जा सकते. इसलिए मेरी प्रार्थना है कि मनरेगा को यह अधिकार दिए जाएं, पंचायत मंत्री जी जा रहे हैं, वे मेरी प्रार्थना सुन लेंगे. उपाध्यक्ष जी, यह व्यवस्था हो कि प्रत्येक पंचायत में जहां पानी की नल जल योजना है वहां पर तालाब अवश्य खोदे जायें तभी तालाब सफल होगा या नदी के द्वारा पानी रोका जाये.
उपाध्यक्ष महोदय-- (श्री प्रताप सिंह, सदस्य के प्रश्न करने का आग्रह करने पर) देखिये, तय हुआ था और चार ध्यानाकर्षण इसलिए लिए गए हैं कि संबंधित सदस्य एक प्रश्न पूछेंगे और दूसरे सदस्य नहीं पूछेंगे यह स्पीकर साहब के सामने तय हुआ था. मैं आपको अलाऊ कर रहा हूं. संक्षेप में प्रश्न कर लें.
श्री प्रताप सिंह-- उपाध्यक्ष जी, दमोह जिले को भी सूखाग्रस्त घोषित किया गया है लेकिन वहां को कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी बता रहे हैं कि वहां इस वर्ष नए हैंडपंप खनन का लक्ष्य ही प्राप्त नहीं हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करता हूं कि वहां पर लक्ष्य दे दीजिए ताकि वहां पर समय पर हैंडपंप खनन हो जाए.
उपाध्यक्ष महोदय-- ध्यानाकर्षण दूसरे जिले के बारे में था. मंत्री जी आपके जिले के बारे में कैसे कह सकते हैं?
श्री प्रताप सिंह-- उपाध्यक्ष जी, लक्ष्य तो दे सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, वैसे यह गंभीर समस्या है.
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह)-- उपाध्यक्ष जी, आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से आग्रह करना चाहता हूं कि पूरे प्रदेश में जो नल जल योजनाएं बंद पड़ी हैं जिनमें स्रोत भी हैं कम से कम जो सूखे जिले हैं, वहां तो चालू करवा दें. सैकड़ों की संख्या में सूखाग्रस्त जिलों में वह बंद पड़ी हुई है. यदि उसी पर नीतिगत निर्णय हो जाये कि बंद पड़ी नल जल योजनाएं चालू कर दी जायेंगी.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने यह जवाब दिया है कि कलेक्टर की अध्यक्षता में सीईओ जिला पंचायत और पीएचई के एक्जिक्यूटिव इंजीनियर की कमेटी बनी है और 20 लाख रुपये तक की राशि प्रत्येक नल जल योजना को सुधार-संधारण के लिए उपलब्ध होगी. यह माननीय मंत्री जी बता चुके हैं.
श्री अजय सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, जरुर बता चुके होंगे. मेरे खुद के क्षेत्र में 36 नल जल योजनाएं बंद पड़ीं हैं. 20 लाख रुपये से कहां क्या करना है? कुछ नहीं हो रहा है. यहीं तो चिन्ता है. यह राशि प्रति योजना हो.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रति योजना की ही बात हो रही है.
श्री रुस्तम सिंह-- प्रति योजना ही है.
श्री रामनिवास रावत-- प्रति योजना 20 लाख रुपये !!
श्री रुस्तम सिंह-- जी हां.
श्री रामनिवास रावत-- प्रति योजना ?
श्री रुस्तम सिंह-- प्रति योजना.
श्री रामनिवास रावत--अधिकारियों से पूछ लें.
श्री रुस्तम सिंह--अधिकृत जवाब दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, अविश्वास का क्या कारण है. मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. वे अपनी बात को दोहरा रहे हैं. (व्यवधान) योग्य मंत्री हैं. आप अविश्वास क्यों कर रहे हैं. बैठ जायें. (व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता-- रावत जी, यह कांग्रेस का जमाना नहीं है. वो पूरे प्रदेश में 20 लाख रुपये देते थे.
श्री रामनिवास रावत-- ग्रामीण क्षेत्र में जो मुख्यमंत्री नल जल योजनाएं हैं उनकी कुल लागत 8 और 9 लाख रुपये है. सब खराब पड़ी हुई है और मंत्री जी कह रहे हैं प्रत्येक योजना के संधारण के लिए 20 लाख रुपये देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, आप समझने की कोशिश करें.
श्री उमाशंकर गुप्ता - आपको भरोसा नहीं आयेगा.भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. आप समझ जाएं सरकार बदल गई.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी,
श्री निशंक कुमार जैन - उपाध्यक्ष महोदय,
उपाध्यक्ष महोदय - निशंक जी आप बैठ जाईये. आपका बहुत लम्बा वक्तव्य हो गया है. 8-9 प्रश्न पूछ चुके हैं. माननीय मंत्री जी, 8-9 लाख रुपये प्रारंभिक लागत आती है, किसी भी योजना में, लेकिन योजनाओं के संधारण के लिये यह 20 लाख रुपये की राशि प्रति योजना है. जहां पाईप फूटे हैं,नये पाईप बदलने के लिये है, यदि पंप जले हैं उनको चालू करने के लिये है, उसके लिये 20 लाख रुपये पर्याप्त होते हैं. माननीय मंत्री जी, मेरा एक सुझाव सुन लें, पूरे प्रदेश में मैंने अध्ययन किया है. ग्राम पंचायतों को सरकार योजना बनाकर हैंडओवर कर देती है लेकिन ग्राम पंचायतें उनको चलाने में सक्षम नहीं होती हैं. उसके कई कारण हैं, उसका मैं उल्लेख नहीं करना चाहता. से ग्रामीण जल निगम बना हुआ है. ग्रामीण जल निगम, ग्रामीण क्षेत्र की जितनी नलजल योजनाएं हैं वह उनका संधारण करता है. उनके पास तकनीकी व्यक्ति होते हैं,अमला होता है ग्राम पंचायतें मिस्त्री के ऊपर निर्भर होते हैं. 5-6 पंचायतों के बीच में एक मिस्त्री होता है. ग्रामीण जल निगम से ही सभी योजनाओं का संधारण हो, इस पर भी सरकार विचार करे.
श्री रुस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह हकीकत है कि कम वर्षा के कारण पूरे प्रदेश में नलजल स्त्रोत कम हुए हैं. नीचे चले गये हैं. वाटर लेबल नीचे गया है. हमारे विद्वान साथियों ने जो शंकाएं जाहिर की हैं. मैं इन सबके यहां सरकार के आदेश की प्रतियां भिजवा दूंगा, जो कलेक्टर को भेजी गई हैं. 1 रुपये से लेकर अधिकतम् 20 लाख रुपये तक अगर किसी योजना को चालू करने में राशि लगना है तो उसके लिये कलेक्टर अधिकृत है. आप लोग सूची दे दें. प्रत्येक कलेक्टर को उसको चालू कराने के लिये पर्याप्त मात्रा में राशि उपलब्ध करा दी गई है.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया - माननीय मंत्री जी, मुरैना कलेक्टर से करा देंगे क्या ?
श्री रुस्तम सिंह - मुरैना जिला क्या मध्यप्रदेश से अलग है.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया - मुरैना कलेक्टर, मंत्री जी की बात नहीं मान रहा है.
श्री अजय सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है विधायक महोदय कह रहे हैं कि मुरैना कलेक्टर, मंत्री जी की बात नहीं सुन रहा है.
श्री रुस्तम सिंह - जो बात अनैतिक होगी वह नहीं सुनी होगी. हम तो अनैतिक नहीं कहते हैं. कोई ऐसी बात जो नीतिगत है वह हर कलेक्टर सुनता है.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया - माननीय मंत्री जी असत्य कह रहे हैं. कलेक्टर,मुरैना एक परसेंट बात नहीं सुन रहे हैं.एक भी विधायक की बात नहीं सुन रहे हैं.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - उपाध्यक्ष महोदय, यह सही कह रहे हैं. एक भी विधायक की बात नहीं सुन रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप बैठ जाईये.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया - मुरैना की पानी की समस्या है.
श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पानी की व्यवस्था के लिये गौण खनिज में,तमाम सूची बनवाई गई. वह सूची कहां गायब हो गई. करोड़ों रुपये जो गौण खनिज का आया. जिस क्षेत्र के लिये नलजल योजनाएं थीं. उसमें टैंकर के लिये, तालाबों के गहरीकरण का पैसा था. वह पैसा 6 महिने से गायब है. सतना के चित्रकूट में तो ट्रांसफार्मर लग गये, नलजल योजना लग गईं. सारे काम मझगंवा में चले गये. हम लोग क्या करें.
उपाध्यक्ष महोदय - वह प्रस्ताव वित्त विभाग में मंजूरी के लिये आये हैं. मैंने भी जानकारी ली है.
श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,सतना जिले के लोग,किसान,नौजवान,सरपंच सभी लोग पीड़ित हैं. न पानी मिल रहा है,न बिजली मिल रही है,न पैसा मिल रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप बैठ जाईये. श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना जी अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी - उपाध्यक्ष महोदय,चित्रकूट में जो भी चीजें लगी थीं. ट्रांसफार्मर,नलजल योजना, वह सारी चीजें चुनावी थीं वह सब हट गई हैं. अब कोई काम नहीं कर रहा है, जैसा माननीय विधायक महोदया ने बताया.
(3) रीवा के कोठी कम्पाउण्ड में कोर्ट भवन न बनाया जाना.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज), (श्री अजय सिंह)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जो जवाब आया है उस जवाब में माननीय मंत्री जी ने यह कहा है कि ए.जी. कॉलेज के लिये पहले जमीन ली गई थी इसके बाद वह जमीन उपलब्ध न होने के कारण, मान्यता रद्द होने के कारण वह जमीन नहीं ली गई, इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन ली गई. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से यह अनुरोध है कि रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज में मात्र 25-30 एकड़ की जमीन है और प्रदेश में कई ऐसे इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जहां कम से कम 200, 300, 400, 500 मैं नामजद गिना सकता हूं जमीनें हैं तो क्या 25-30 एकड़ की जमीन जो रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज के लिये है, क्या भविष्य में कम नहीं पड़ेगी. मैं आपके माध्यम से यह भी पूछना चाहता हूं कि उच्च शिक्षा मंत्री उस समय रीवा गये थे और अपने उद्बोधन में यह बोल आये थे कि मैं यहां पर तकनीकी विश्वविद्यालय खोल रहा हूं तो क्या तकनीकी विश्वविद्यालय के लिये रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन कम नहीं पड़ेगी. दूसरी बात जब कोठी कम्पाउण्ड में पर्याप्त जमीन है और वहीं पर कमिश्नरी है, वहीं पर इतना बड़ा कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण हुआ तो सिविल कोर्ट को वहां से उठाकर ले जाने की क्या जरूरत है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह मंत्री जी से पूछना चाहता हूं.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो बाते वहां के अधिवक्तागणों की उठा रहे हैं उस पर वहां के प्रशासन ने उच्च न्यायालय को भी सूचित किया था . उसके बाद भी उच्च न्यायालय ने यह निर्देशित किया है कि जो जगह अभी आवंटित है वहीं निर्माण होगा. हाईकोर्ट के जजेज भी वहां पर आये थे और वही जजेज फाइनल करके गये हैं, उनके निर्देश पर ही यह निर्माण हो रहा है. जहां तक इंजीनियरिंग कालेज का सवाल है तो जितनी भी भूमि वर्तमान में इंजीनियरिंग कालेज के पास में बची है, वह पर्याप्त है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का कहना है कि जजेज आये थे और वहीं पर निर्देशित करके गये. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि वे क्या कोई लिखित में आदेश देकर के गये हैं ? उपाध्यक्ष महोदय, कोई लिखित में आदेश नहीं है सिर्फ भ्रमण के दौरान उन्होंने यह कह दिया. मेरा कहना है कि जब कोठी कंपाउंड में पर्याप्त जगह है तो फिर क्या कारण है कि न्यायालय वहीं पर स्थापित की जा रही है. फिर आज की दिनांक में इतने बड़े न्यायालय की जरूरत भी नहीं है, जब कि त्योंथर, मऊगंज, सिरमौर आलरेडी सिविल कोर्ट हो चुके हैं. एक रीवा कोर्ट जो कि वहीं पर चल सकता है, जिसके लिये 5 हजार अधिवक्ता आंदोलन कर रहे हैं, छात्र जेल में गये, एक माह बाद छात्र जेल से वापस आये हैं , जब इस तरह की समस्या वहां पर उत्पन्न हो रही है, और रीवा जिले का वह ऐतिहासिक प्लेस भी है तो फिर वहीं पर कोर्ट स्थापित होने में क्या दिक्कत है, वहीं पर कोर्ट लगाने में क्या दिक्कत है. यह बड़ा गंभीर विषय है....
उपाध्यक्ष महोदय- सुखेन्द्र सिंह जी, आपने लगता है कि मंत्री जी का जबाव ठीक से सुना नहीं है. मंत्री जी ने जबाव में यह कहा है कि जिला सत्र न्यायाधीश, रीवा के आवेदन पर इस स्थल का चयन हुआ है . बाद में हाईकोर्ट के जज आये हैं तो उस स्थल को उन्होंने भी उपयुक्त माना है. ऐसा जबाव मंत्री जी का आया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- उपाध्यक्ष महोदय, जो आपने बात कही है उसको मैं पहले ही कह चुका हू.
उपाध्यक्ष महोदय- जी हां आपके जबाव मे यह आया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -उपाध्यक्ष महोदय, मैं स्पष्ट कह चुका हूं और जो कोठी कंपाउंड की बात माननीय सदस्य कह रहे हैं .यह हेरिटेज भवन है, इसको तोड़ना पड़ेगा और यह सारी बातें देखकर ही जिला सत्र न्यायालय के न्यायाधीश के आवेदन पर जैसा कि आपने भी कहा है यह जमीन आवंटित की गई है . इसमें हमारा कोई ज्यादा रोल नहीं है और कोर्ट ने जो निर्देश दिये और जैसा कि मैंने कहा कि जिला प्रशासन में जब कुछ असंतोष की बात आई तो उसने माननीय हाईकोर्ट को अवगत कराया था लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया और जहां इंजीनियरिंग कालेज की जमीन आवंटित हुई है उसी पर बनाने के लिये कहा है.
उपाध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, माननीय सदस्य की एक शंका का समाधान आप और कर दीजिये. इनका कहना है कि किसी मंत्री जी ने घोषणा की थी कि वहां पर भविष्य में तकनीकी विश्वविद्यालय बनेगा, वह अगर आयेगा तो...
श्री उमाशंकर गुप्ता-उपाध्यक्ष महोदय, तो जगह दे देंगे. कोई जरूरी नहीं कि वह इंजीनियरिग कालेज में ही बने.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा फिर कहना है कि यह साजिश है. जहां पर कोर्ट है उस कोर्ट को हटाने के लिये वहां की कीमती जमीन को हड़पने की साजिश है.मेरा कहना है कि जब कोर्ट के अधिवक्ता वहां के आंदोलित हैं, छात्र आंदोलित हैं, फिर वहीं पर कोर्ट बनाने में मंत्री जी को क्या दिक्कत है. यह रीवा जिले का एक ऐतिहासिक स्थान है उसको खंडित न किया जाये, इससे वहां के आम जनमानस, अधिवक्ता, युवा सभी इस बात को लेकर के आंदोलित है. और मंत्री जी के द्वारा यह जो बार बार न्यायालय की बात की जा रही है कि हाईकोर्ट के जज आये थे उनके निर्देश थे तो यहां पर मैं यह तो नहीं कह सकता कि असत्य बात है लेकिन कोई लिखित आदेश वहां पर नहीं है इसलिये मैं ध्यानाकर्षण के माध्यम से मंत्री जी से पुन: अनुरोध करना चाहता हूं कि आप मंत्री हैं आप निर्णय नहीं करेंगे तो कौन निर्णय करेगा, जब कि मुख्यमंत्री और वहां के स्थानीय मंत्री ने भी वहां पर आश्वासन दिया है कि कोर्ट यहीं पर बनेगा लेकिन किसी की बात को नहीं सुना जा रहा है सिर्फ साजिश के तहत ऐसा किया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय- आपका प्रश्न क्या है ?
श्री सुखेन्द्र सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से प्रश्न यही है कि पुन: जांच कराई जाये या इसके लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करके फिर से इसकी जांच करा लें और जहां पर कोर्ट स्थापित है वहीं पर कोर्ट बनाई जाये.
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य अगर इंजीनियरिंग कालेज की चिंता कर रहे हैं तो इस आवंटन के बाद भी इंजीनियरिंग कालेज के पास में 130 एकड़ जमीन है. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि इस पर अब पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं है वहां पर निर्माण कार्य प्रारंभ हो रहा है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, अभी मेरी बात समाप्त नहीं हुई है. माननीय मंत्री जी को स्मरण कराना चाहता हूं कि इसी तरीके का प्रकरण जब मऊगंज कोर्ट का आया था तो आपने इस सदन में कहा था कि अगर तहसील न्यायालय बन नहीं गया होता तो मैं यह रोक देता. आज की स्थिति में यह कोर्ट बना नहीं है, अभी आपके पास में निर्णय लेने का पर्याप्त अवसर है. इसलिये उपाध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि यह जो कह रहे हैं कि इसमें कोई जरूरत नहीं है तो मैं पुन: इस बात को कहना चाहता हूं कि यह एक साजिश के तहत कोर्ट को वहां से हटाया जा रहा है और बेशकीमती जमीन को हड़पने की साजिश है.
श्री दिव्यराज सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि मैं भी एक प्रश्न इस पर करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हैं. उनका नाम है आप कृपया बैठ जाईये.
श्री दिव्यराज सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, इसके बाद में एक प्रश्न पूछने की अनुमति चाहता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रीवा जिले का एक अलग इतिहास है. पिछले कुछ वर्षों में जितनी भी शासकीय कीमती जमीन हैं, वह कोई व्यक्ति विशेष बिल्डर को सौंपी जा रही हैं, उसी के तहत यह न्यायालय का प्रकरण भी है. मैं किसी के ऊपर आक्षेप नहीं लगा रहा हूं लेकिन मैं अधिवक्ता संघ के बीच में गया था, उस समय संपूर्ण अधिवक्ता संघ ने मांग की है कि वहां पर पर्याप्त जगह है. स्वर्गीय जी.पी.सिंह जी जो चीफ जस्टिस रिटायर हुए, इसके साथ ही अन्य बहुत सारे जस्टिस वहां पर प्रेक्टिस कर चुके हैं,उनकी वह धरोहर है. क्यों न वहीं पर कोर्ट बनाया जाये जो पहले से प्रस्तावित जगह थी, वहां पर पर्याप्त जगह है. लेकिन उस तथाकथित बिल्डर की नजरें ऐसे ही रीवा की जमीन पर पड़ती हैं और इसलिए पहले एग्रीकल्चर कॉलेज पर बात आ गई किंतु वहां पर नहीं जम पाया इसलिए फिर इंजीनियरिंग कॉलेज पर बात आ गई.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप रीवा से परिचित है और आप भी रीवा के रहने वाले हैं. कोठी कम्पाउंड से कलेक्ट्रेट 500 मीटर, कमिश्नरी 70 मीटर और इंजीनियरिंग कॉलेज 5 किलोमीटर है, इसमें न्यायोचित क्या है? इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र अंदोलित हैं. इसी इंजीनियरिंग कॉलेज से बहुत सारे छात्र आईएस अफसर और आईपीएस अफसर बने, बड़े-बड़े पदों पर गये और यहां पर चीफ इंजीनियर तक रिटायर हुए हैं, वह सब हम लोगों से मिले और उनकी भी मंशा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज में कोई उच्च शिक्षा के लिये कुछ बनाया जाये वही उचित होगा. वहां पर न्यायालय बनाने का कोई प्रावधान उचित नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी आपसे सिर्फ विनम्र प्रार्थना है कि आप पुनरीक्षण कर लें या किसी कमेटी को भी बना लें. चाहे आप वह कमेटी वहां के अधिवक्ता संघ के और इंजीनियरिंग कॉलेज के लोगों से मिलकर बना लें और यदि आप चाहें तो हम लोगों को भी उस कमेटी में रख सकते हैं. लेकिन यह कहना कि हाईकोर्ट का निर्देश है. हाईकोर्ट का लिखित निर्देश कहीं पर नहीं है, लेकिन बात सिर्फ यह है कि सिर्फ कुछ वरिष्ठ लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि यहीं पर न्यायालय बने और उस बिल्डर को लाभांवित किया जाए.(श्री तरूण भनोत द्वारा अपने आसन पर बैठे-बैठे यह कहने पर कि कौन सा बिल्डर है) यहां पर सदन में बिल्डर का नाम लेने की जरूरत नहीं है. आप रीवा आएं और देखे कि जितनी भी बिल्डिंगे आप देखेंगे उसमें एक ही बिल्डर का नाम है.
उपाध्यक्ष महोदय - कृपया आप अपना प्रश्न करें .
श्री अजय सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सिर्फ यही बात करना चाहता हूं कि माननीय मंत्री महोदय इसको गंभीर मामला समझें. आप राजस्वमंत्री हैं और न्यायप्रिय हैं. जनता जो चाहती है, आप वह चाहते हैं या एकाध व्यक्ति जो चाहता है, आप वह चाहते हैं. चाहे वह एक बिल्डर को लाभांवित करने के लिये है वह, अब किसमें उचित है, यह आप खुद जाकर देख लें और आप वहां की भावना समझ लें. रीवा एक ऐतिहासिक शहर है, आप वहां के लोगों की भावना समझ लें कि क्या सिर्फ एक बिल्डर को लाभांवित करने के लिये सरकार है. मैं माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपसे विनम्रता के साथ पूछना चाहता हूं कि कृपया करके मंत्री महोदय इसमें स्पष्ट करें कि आप जनता के साथ हैं या आप उस बिल्डर के साथ हैं ?
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्री अजय सिंह जी कल से थोड़ा (XXX) हैं.
श्री अजय सिंह - मैं कतई (XXX) नहीं हूं लेकिन आपके व्यवहार से (XXX) हो जाता हूं.
श्री गोपाल परमार - इसके भरोसे थोड़ी प्रदेश में विकास चल रहा है.
श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह सदन विधायकों से चलता है और विधायकों का सम्मान न किया जाए और (XXX) कहा जाए यह ठीक बात नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - इस जमीन के आवंटन में बिल्डर कहां से आ गया. ऐसा तो हो नहीं रहा है कि जमीन बिल्डर को दी जा रही है. मैंने पूरक प्रश्न के जवाब में कहा है कि जिला प्रशासन ने इन सारी बातों को जिसमें अधिवक्ताओं को असंतोष है इससे भी हाईकोर्ट को सूचित किया था, लेकिन वहां से इंकार हो गया है. मेरा यह कहना है कि अगर हाईकोर्ट को कोई आपत्ति नहीं है तो हम इस पर विचार कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो (XXX) शब्द कहा है, उसे तो निकाल दें, अब पता नहीं कौन (XXX) है.
उपाध्यक्ष महोदय - इस शब्द को कार्यवाही से निकाल दें.
श्री अजय सिंह - एक-एक करके जो पुरानी इमारतें हैं, वे तोड़कर तथाकथित बिल्डर को दी जा रही हैं. जो पहले चीफ सेकेट्री का बंगला हुआ करता था, आई.जी. का बंगला हुआ करता था एवं कुछ दिन बाद राजनिवास का भी नम्बर आ जाएगा. उपाध्यक्ष महोदय, यह बहुत गम्भीर विषय है. आप वहां की भावनाओं से अच्छी तरफ से परिचित हैं. मैं आपसे विनम्रता के साथ प्रार्थना करना चाहता हूँ कि हाईकोर्ट की आड़ में न रहें, सदन में स्पष्ट कर दें कि आप किसका हित संरक्षण करना चाहते हैं ?
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यहां पर हित संरक्षण का सवाल नहीं है. यह सरकार जनता की है और यह अभी सिद्ध कर दिया है, यदि हमारे कांग्रेस के साथियों को भरोसा नहीं हो रहा हो कि जनता किसके साथ है. यह सरकार जनता के साथ है लेकिन मैंने सारी परिस्थितियां रख दी हैं और इसके बाद भी मैंने कहा है कि वहां के हमारे अधिवक्तागण या बार काउन्सिल, हाइकोर्ट से अगर उनको निर्देश मिल जायेगा तो हम उस पर विचार कर लेंगे. हमें उस पर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन मैं आदरणीय अजय सिंह जी के इस आरोप को पूरी तरह से खारिज करता हूँ कि कोठी भूमि जहां से शिफ्ट हुई है, वह किसी बिल्डर को दी जा रही है. यह किसी बिल्डर को नहीं दी जा रही है, कोई नियम विरुद्ध काम नहीं हो रहा है, केवल हवाई बातें करने की आदत हमारे कांग्रेस के साथियों की है, यह उसी का परिणाम है.
श्री अजय सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है, यह हवाई बात नहीं है. आप वैश्य समाज के प्रान्तीय कुछ हैं. आप वहां के समाज के लोगों से ही बात कर लीजिये कि क्या यह हवाई बात है ? आप रीवा में एक-आधा दिन घूम तो लीजिये, आपको पता चल जायेगा कि कितने सारे भवनों को तोड़कर उस बिल्डर को दिये गये हैं, बस स्टैण्ड, सरकारी मकान, अब नम्बर सिविल कोर्ट का आ गया है, उसके बाद जो पुराने मंत्रियों के घर थे. आप किस दिशा में ले जाना चाहते हैं, जो हमारा ऐतिहासिक शहर है एवं जो हमारे विंध्य प्रदेश की राजधानी थी.
श्री तरुण भनोत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ मंत्री माननीय श्री शुक्ल जी बैठे हैं, इस पर उनकी राय भी ले ली जाये.
श्री गोपाल परमार - ये पुरानी बिल्डिंग का हवाला दे रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - इन्हें कौन समझाए ?
उपाध्यक्ष महोदय - बैठ जाएं, मंत्री जी को सुन लीजिये.
वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष की आधारहीन बातें करने की आदत हो गई है और जब भी ये कोई आरोप लगाते हैं, यदि उसकी गहराई पर जाकर जांच होती है तो वह पूरी तरह से असत्य और आधारहीन साबित होता है.
श्री अजय सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह (XXX) है. सदन की एक समिति बना दी जाये और रीवा जिले के मुख्यालय शहर को, आप उस समिति के माध्यम से पता लगवा लें कि कौन-कौन से सरकारी भवन तोड़कर, एक तथाकथित बिल्डर को दिए गए हैं. यदि वह बात असत्य है तो मैं सदन से इस्तीफा दे दूँगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण की विषय-वस्तु पर बात हो रही है क्या ?
उपाध्यक्ष महोदय - हटकर हो रही है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विधानसभा के रिकॉर्ड देख लिये जाएं. मैंने 4 प्रश्न लगाए हैं. समदडि़या बिल्डर को रीवा की कितनी जमीन दे दी गई है लेकिन आज तक चारों प्रश्नों का जवाब सदन में नहीं आया है.
...(व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदय - ध्यानाकर्षण का यह विषय नहीं है.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुँवर विजय शाह) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शासन का जवाब आ चुका है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, सरकार जवाब दे पाने की स्थिति में नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप दूसरा ध्यानाकर्षण लगाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - यह ध्यानाकर्षण का ही विषय है कि समदडि़या को जमीन लुटाई जा रही है और मैं विधायक हूँ. मैं बार-बार प्रश्न लगा चुका हूँ लेकिन आज तक जवाब नहीं आया कि कितनी जमीन शहर की समदडि़या को दी गई है ?
श्री रामनिवास रावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन सुन लें.
श्री सुखेन्द्र सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी माननीय मंत्री जी का इसमें कोई ठोस जवाब नहीं आया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - मैंने ध्यानाकर्षण भी दिया है.
श्री दिव्यराज सिंह (सिरमौर) -तिवारी जी, कृपा करके एक मिनट का समय मुझे दे दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय - दिव्यराज सिंह जी बिल्कुल संक्षेप में, (श्री रामनिवास रावत जी के खड़े होने पर) नहीं रावत जी, वे नए सदस्य हैं, रीवा के ही हैं, बोल लेने दीजिए. आपकी दूरी और उनकी दूरी 600 किलोमीटर है.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कोर्ट परिसर के लिए जो कृषि महाविद्यालय की जमीन आवंटित थी, प्रस्तावित थी अगर वहीं बनाया जाए तो सारा विवाद खत्म हो जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय - शीला जी, आप बिना अनुमति के बोल रही हैं. दिव्यराज सिंह जी आप संक्षेप में पूछ लीजिए.
श्री दिव्यराज सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं संक्षेप में बोलूंगा लेकिन बोलने से पहले एक चीज बोलूंगा, मैं इस मुद्दे का समर्थन करता हूं कि कोर्ट को कोठी कंपाउंड क्षेत्र में ही बनना चाहिए, इसका कारण मैं बना देता हूं. (शेम शेम की आवाज)
लेकिन मैं इनके आधारों का जो यह बोल रहे हैं कि किस बिल्डर को दिया जाता है, किसको नहीं दिया जाता है, यह अपने आपको खंगाल लें, शिल्पी प्लाजा कैसे बना यह भी आप देख ले, उसके पहले का भी आप देख लें, इसके बारे में हम नहीं जाए.
उपाध्यक्ष महोदय - यह तो आब्जर्वशन है, आपका प्रश्न क्या है.
श्री दिव्यराज सिंह - मैं केवल यही समर्थन करना चाहता हूं और प्रश्न करना चाहता हूं कि कोठी कंपाउंड एरिया यह मेरे परिवार का बनाया गया है, वहां पर राजपरिवार का पहले से बनाया गया एरिया है और इस क्षेत्र में पहले से ही सारे शासकीय भवन बनाए गए थे, चाहे वहां पर कलेक्ट्रेट हो, चाहे वहां पर कमिश्नरी हो, चाहे कोर्ट एरिया हो और जो अलग जगह पर शिक्षा के जो एरिया बनाए गए थे, चाहे वह अवधेश प्रताप यूनिवर्सिटी हो, चाहे इंजीनियरिंग कॉलेज हो, चाहे उस तरफ आईटीआई या मेडीकल से संबंधित हो वह सारे एक ही क्षेत्र में हैं और दोनों की दूरी काफी भिन्न है अगर शासन चाहेगी तो हम लोग मिलकर के और शासन अगर कोर्ट से आज्ञा करेगी कि इसी क्षेत्र में पर्याप्त जगह भी है वहां पर हम लोगों ने मंत्री जी से बात भी की है तो उसी पर हम कोर्ट बनाए मैं यह शासन से निवेदन करना चाहता हूं.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी के परिवार की ओर भी बहुत सारी जमीनें पड़ी हुई हैं, अगर वह दे दी जाए तो.
उपाध्यक्ष महोदय - खत्म हो गया यह विषय.
श्री यादवेन्द्र सिंह(नागौद) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - इस तरह से टिप्पणी करने से क्या मतलब है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - उपाध्यक्ष जी, (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए आप.
श्री यादवेन्द्र सिंह - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - यह गलत बात है, यह कौन सी परम्परा शुरू कर रहे हैं.
श्री सूबेदार सिंह राजौधा - इसको कार्यवाही से निकलवा दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय - कौन सी चीज कार्यवाही से निकलवाना चाहते हैं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा - (XXX) यह बात कार्यवाही से निकलवा दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से बिल्कुल निकाल दीजिए. रिकॉर्ड में नहीं आएगा.
श्री यादवेन्द्र सिंह - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - इनकी पूरी बात कार्यवाही से निकाल दीजिए. रिकॉर्ड में नहीं आएगा.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- तिवारी जी आप बार बार खड़े हो जाते हो, मुझे बुलाया है उपाध्यक्ष जी ने.
उपाध्यक्ष महोदय - सूबेदार सिंह जी, क्या बात है आप लोग सुनना नहीं चाहते. मैं खड़ा हुआ हूं, मैं हमेशा खड़ा नहीं होता हूं, बैठकर ही कार्यवाही करता हूं, अभी खड़ा हुआ हूं, आसंदी का सम्मान करिए. रामनिवास जी, जब माननीय अध्यक्ष जी से चर्चा हुई थी कि चार-चार ध्यानाकर्षण हम लोग लेंगे तो उसके साथ और क्या चर्चा हुई थी, कि एक-एक प्रश्न पूछा जाएगा. अब आप इसके गवाह है तो फिर क्यों आप व्यवधान पैदा कर रहे हैं. हमने कितने लोगों को अवसर दे दिया, यह मैंने शायद गलती की है.
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष जी, माननीय मंत्री राजेन्द्र शुक्ला जी ने सीधा-सीधा नेता प्रतिपक्ष जी से कहा है कि यह आधारहीन बातें करते हैं यह बहुत आपत्तिजनक है, अगर आधारहीन बाते करते हैं तो नेता जी ने कहा है कि एक विधायक दल की समिति बना दें, आप इसे प्रस्तावित कर दें तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा, इसलिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--रावत जी जिस विषय पर चर्चा होने लगी थी उसका यहां प्रसंग नहीं था. इसलिये उसको भी कार्यवाही से निकाल दिया है.
श्री रामनिवास रावत--उपाध्यक्ष महोदय, जो सरकार में मंत्री हैं माननीय राजेन्द्र शुक्ला जी इस तरह की हल्की बातें करके सदन की भावना को ठेस न पहुंचायें.
उपाध्यक्ष महोदय--उस बात को न दोहरायें. मैंने उसको कार्यवाही से निकाल दिया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, यह रीवा का मामला है इसमें मैं बोलना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी आप बैठिये. सिर्फ रीवा के सदस्य यहां पर नहीं बैठे हैं पूरे प्रदेश के सदस्य यहां पर बैठे हैं.
1.12 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--उपाध्यक्ष महोदय, सदन गंभीर नहीं है, सरकार जनता के हित में उत्तर नहीं दे रही है इसलिये हम लोग सदन से बहिर्गमन करते हैं.
( श्री अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन किया गया.)
(4) मुरैना जिले की जनपद पंचायत कैलारस में मनरेगा योजना में अनियमितता किये जाने
श्री सूबेदार सिंह रजौधा(जौरा)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है--
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
श्री सूबेदार सिंह रजौधा:-माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बड़े विश्वास और दावे से कह रहा हूं कि कैलारस जनपद को एक छोटे से अधिकारी ने हाईजैक कर लिया है, यदि वह चाहता है तो वहां पर काम होता है, यदि नहीं चाहता है तो काम नहीं होता है. एक महीने के अंदर उसके भोपाल से दो बार ट्रांसफर हुए, उसके पास ऐसी कौन सी ताकत है कि वह अपना ट्रांसफर केंसिल कराकर वापस कैलारस पहुंच जाता है. मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि क्या उसके द्वारा किये गये सभी कार्यों की उसको निलंबित करके जांच करायेंगे और कितने दिन में यह जांच करा लेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जिस असिसटेंट इंजीनियर के बारे में कहा है, उसकी सात दिवस के अंदर, उसके बारे में, उसके पिछले कामों के बारे में, पूरी जानकारी लेकर, उसका भौतिक सत्यापन करके और जैसा कि बताया गया है तकनीकी स्वीकृतियों में भी गड़बडी हुई हैं. उसकी सारी रिपोर्ट तैयार करके, जो कुछ भी उसके निष्कर्ष होंगे, उसके आधार पर संबंधित अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी.
उपाध्यक्ष महोदय:- विधायक जी बैठ जायें, आपकी बात का समाधान हो गया है, अब आप बैठ जायें. आपने जांच की मांग की है, वह मंत्री जी ने बोल दिया है.
श्री सुबेदार सिंह रजौधा:- माननीय उपाध्यक्ष जी, अभी मेरी बात का समाधान नहीं हुआ है. मैंने जांच की मांग की है, वह एई तो वहीं पर रहेगा. मैं यह कह रहा हूं कि तकनीकी स्वीकृति की कोई आवश्यकता नहीं थी. पंचायत एवं ग्रामीण विकास का स्टेण्डर्ड टेण्डर गया, उसने सरपंचों को ठगने के लिये 50-50 हजार रूपये लेकर तकनीकी स्वीकृति दी, यह बहुत बड़ा अपराध है. जिस सरपंच ने पैसे नहीं दिये,उसकी तकनीकी स्वीकृति निरस्त कर दी. मैंने जिन सड़कों के नाम बताये हैं, जो किसी भी मजरों-टोलों को नहीं जोड़ती है, उसमें शासन के पैसों का सीधा-सीधा दुरूपयोग है.
उपाध्यक्ष महोदय:- सूबेदार जी, मंत्री जी ने स्पष्ट कहा है कि वह जांच करायेंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा:- उपाध्यक्ष जी, मंत्री जी ठीक कह रहे हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी आपके माध्यम इतना सा ही आग्रह कर रहा हूं कि आज ही उस एई को वहां से हटाकर, क्या भोपाल से अधिकारी भेजकर जांच करायेंगे, यह तभी संभव है, नहीं तो जो अधिकारी एक महीने में दो बार ट्रांसफर निरस्त करवा कर यहां से ले जाता है तो उसके वहां पर रहते हुए सही जांच होना संभव नहीं है. उसमें माननीय पंचायत मंत्री जी का भी अनुमोदन नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उस अधिकारी को संभागीय मुख्यालय में अटैच करके सात दिन में जांच करके कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा:- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद्.
श्री घनश्याम पिरौनियां:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न आ ही नहीं पाये हैं. मेरा माननीय मंत्री से निवेदन है कि मेरे भाण्डेर विधान सभा का एक मामला है कि एक एडीओ, इटारिया है, वह सरकार की योजनाओं को पलीता लगा रहा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उसमें भी आप जांच करा लें.
1.18 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का इक्कीसवां प्रतिवेदन.
श्रीमती योगिता नवल सिंह बोरकर, सदस्य -
(2) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का एक सौ पैंतालीसवां से एक सौ तिरपनवां प्रतिवेदन
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया, सभापति:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का एक सौ पैंतालीसवां से एक सौ तिरपनवां प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस समिति का सभापति होने के नाते सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों का जो परिश्रम है और मेरी समिति के सदस्यों की जो मौजू उपस्थिति है. उपाध्यक्ष महोदय, हमारी समिति की प्रत्येक बैठक में 8-10 समिति के सदस्य आकर कामकाजों का संचालन करते हैं और ऑडिट के पैरों को निपटाने में उनका जो सक्रिय सहयोग है, उसके प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूं.
(3) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का सैंतीसवां, अड़तीसवां, उनतालीसवां एवं चालीसवां प्रतिवेदन
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय, सभापति:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का सैंतीसवां, अड़तीसवां,उनतालीसवां एवं चालीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे समिति के सभी सदस्य और सचिवालय के सभी अधिकारी और कर्मचारी, लगातार सक्रिय रहते हुए समिति की बैठकों को निरंतरता प्रदान कर रहे हैं. समिति ने काफी लंबित आश्वासनों को समिति ने पूर्ण किया है, उनके प्रति बहुत-बहुत धन्यवाद्
1.20 बजे
(4) याचिका समिति का छत्तीसवां एवं सैंतीसवां प्रतिवेदन
श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, याचिका समिति का छत्तीसवां एवं सैंतीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
1.20 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
1.21 बजे
मंत्री का वक्तव्य
दिनांक 7 मार्च, 2017 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 147 (क्रमांक 4366) के उत्तर में संशोधन के संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री का वक्तव्य
उपाध्यक्ष महोदय- अब, श्री गोपाल भार्गव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, दिनांक 07 मार्च, 2017 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 147 (क्रमांक 4366) के उत्तर के भाग (ख) एवं (ग) में संलग्न परिशिष्ट इकतालीस के सरल क्रमांक- 7 एवं 16 में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
1.22 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश सहकारी सोयाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 24 सन् 2017) का पुर:स्थापन
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
(2) दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 26 सन् 2017) का पुर:स्थापन
विधि और विधायी मंत्री, (श्री रामपाल सिंह)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
विधि और विधायी मंत्री, (श्री रामपाल सिंह)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
1.23 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
कार्यसूची के पद क्रमांक 7 के उप पद (3), (7) एवं (8) में अंकित विधेयकों की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए सदन में पुर:स्थापन की अनुमति विषयक
उपाध्यक्ष महोदय-
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
1.24 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
(3) मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 27 सन् 2017) का पुर:स्थापन
स्कूल शिक्षा मंत्री, (कुंवर विजय शाह)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
स्कूल शिक्षा मंत्री, (कुंवर विजय शाह)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
(4) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 28 सन् 2017) का पुर:स्थापन
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करती हूं.
(5) मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 (क्रमांक 29 सन् 2017) का पुर:स्थापन
वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
(6) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 (क्रमांक 30 सन् 2017) का पुर:स्थापन
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
(7) मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 31 सन् 2017) का पुर:स्थापन
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
(8) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 (क्रमांक 32 सन् 2017) का पुर:स्थापन
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3 बजे तक के लिए स्थगित.
(अपराह्न 1.29 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.08 बजे
{उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सदन में कोरम नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय--कोरम पूरा है.
श्री मुकेश नायक--(सत्तापक्ष की ओर देखते हुए)अगली बार आप लोग इतने ही बचोगे.
3.09 बजे
8. वर्ष 2017-2018 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान
उपाध्यक्ष महोदय--अब, अनुपूरक अनुमान की मागों पर चर्चा होगी. सदन की परम्परा के अनुसार सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत की जाती हैं और उन पर एक साथ चर्चा होती है.
अत: वित्त मंत्री जी सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत कर दें. मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि--
"दिनांक 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 2, 3, 4, 8, 10, 11, 12, 13, 18, 19, 20, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30, 31, 32, 33, 35, 36, 37, 38, 39, 40, 42, 45, 47, 48, 50, 52, 53, 55, 56, 58, 60, तथा 65 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर पन्द्रह हजार पांच सौ पचास करोड़, सोलह लाख, तिरसठ हजार, नौ सौ तैंतीस रुपए की अनुपूरक राशि दी जाए. "
उपाध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री मुकेश नायक (पवई)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, (मुख्यमंत्री जी के सदन में आकर बैठने पर) मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने विधान सभा में आकर विधान सभा के ऊपर बड़ी कृपा की है.
डॉ. गोविंद सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी से हमारी प्रार्थना है कि आप कम-से-कम मंत्रियों को तो कंट्रोल करो, विधायकों को तो कंट्रोल नहीं कर पा रहे हों आपके सत्ता पक्ष के केवल 12 विधायक बैठे हैं यदि हम लोग नहीं हों तो सदन में कोरम ही पूरा ना हो.
श्री कालूसिंह ठाकुर-- अरे, भाई साहब आपकी सोचिये. हम तो हैं.
श्री मुकेश नायक-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अभी कह रहा था कि पिछले दो वर्षों में पूरे देश में जो इंन्स्टिटयूशनल फ्रेम है उसको जो क्षति पहुँची है उसके बारे में मैं आपसे संकेत कर रहा था. चाहे वह विधान सभा जैसी महान् लोकतांत्रिक संस्था हो, चाहे हमारे एनजीओ हों, चाहे खेल संगठन हों, चाहे स्वायत्त संस्थायें हों. संस्थागत ढाँचों को इन दो वर्षों में जो नुकसान पहुँचा है उससे देश को बहुत नुकसान हुआ है और अपने राज्य को भी बहुत नुकसान हुआ है. विधान सभा में भी मुख्यमंत्री जी और मंत्री इस तरह से आते हैं जैसे विधान सभा के ऊपर बड़ी कृपा कर रहे हों. विधान सभा जन संरक्षण का, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, धार्मिक सभी क्षेत्रों के संरक्षण और संवर्धन का एक मुख्य फोरम है और इस फोरम की जो गंभीरता कम हुई है, पिछले चार-पाँच सालों में उससे बड़ी तकलीफ और दुख होता है. जिस संस्था के पास आम आदमी के अधिकारों उनके हितों की रक्षा और संरक्षण का अधिकार है अगर लोकतंत्र में वह संस्था ही कमजोर हो जाएगी तो फिर लोगों का हित कैसे संरक्षित होगा इसकी कल्पना की जा सकती है और उसका ताजा उदाहरण है कि पिछले दिनों जिस तरह से सरकार की तरफ से विधान सभा में जवाब आए हैं, मैं कहता हूँ कि आप संदर्भ समिति को देख लीजिये कितने बड़े पैमाने पर प्रश्न संशोधन के लिए उन समितियों के पास गये हैं इससे ही अंदाज लगता है कि हमारे जो अधिकारी हैं, वह कितनी लाईटली इस हाउस को लेने लगे हैं, बिल्कुल सहज ही उसका अनुमान लग सकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, जब मैं पहली बार 1985 में विधायक बना तो मध्यप्रदेश का पहला बजट था लगभग 33 सौ करोड़. आज 15 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट यह सदन प्रस्तुत कर रहा है और मैं माननीय वित्त मंत्री जी को इस बात के लिए बधाई दूँगा कि अनुपूरक बजट के मामले में तो उन्होंने वर्ल्ड रिकार्ड बना दिया और भारत के सभी राज्यों से बहुत आगे हो गये हैं. साल में एक अनुपूरक बजट आए वह बजट की एक स्वस्थ परंपरा मानी जाती है लेकिन अगर एक साल में तीन-तीन अनुपूरक बजट विधान सभा में प्रस्तुत किये जायें इससे ही यह अंदाज लगता है कि कितना वित्तीय कुप्रबंध है. किस तरह से हमारी ब्यूरोक्रेसी की एंटीसिपेशंस लड़खड़ा रहे हैं और किस तरह से बजट के अनुमानों का ठीक-ठीक आंकलन नहीं हो पा रहा है, इसका सहज रुप से आप अंदाज लगा सकते हैं. मैं यह कहना चाह रहा हॅूं कि एक अनुपूरक बजट अगर आए तो हम कह सकते हैं कि जो कमीबेसी हमारी योजना के बजट में, गैर-आयोजना के बजट में जो कमीबेसी रही है उसकी पूर्ति की जा रही है. लेकिन अगर एक वित्तीय वर्ष में तीन-तीन अनुपूरक बजट यह सरकार प्रस्तुत करती है तो इससे यह अंदाज लगता है कि किस तरह से बजट बनाए जा रहे हैं और बजट को कितने हल्केपन से लिया जा रहा है. पिछले अनेक सत्रों में मध्यप्रदेश के विधायकों ने सीएजी की रिपोर्ट्स की ओर संकेत किया. आपको याद होगा कि केन्द्र की सरकार ने सीएजी के स्पेकुलेशंस को, उनके अनुमानों को लोक सभा में अपना धर्मग्रंथ बना दिया था. चाहे वह टू जी हो, थ्री जी हो या कोल स्कैम हो सब के सब सीएजी की रिपोर्ट्स के आधार पर पूरे देश में बड़े मुद्दे बना दिए गए और केन्द्र सरकार की छवि को गिराने का मुख्य रुप से हथियार के रुप में उसका इस्तेमाल हुआ. लेकिन बडे़ दुर्भाग्य से मुझे कहना पड़ रहा है कि मध्यप्रदेश में जो सीएजी की रिपोर्ट्स आयी हैं उन पर बात करने के लिए सरकार तैयार नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज वर्ष 2016 तक की सीएजी की रिपोर्ट्स सदन के पटल पर इस सरकार ने रखी है और सीएजी ने आर्थिक कुप्रबंध को लेकर, करप्शन को लेकर, निरंकुश और स्वेच्छाचारी रवैए को लेकर, जिस तरह की गंभीर टिप्पणियां की है अगर सदन इस पर चर्चा करा ले और दुर्भाग्य सबसे ज्यादा यह है कि इन चार सालों में सीएजी की रिपोर्ट्स पर एक बार भी विधानसभा के अंदर चर्चा नहीं हुई है. क्यों चर्चा नहीं हुई? सारे राज्यों में होती है, लोक सभा में होती है, विधानसभाओं में होती है लेकिन आज तक चार सालों में इस सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट्स पर विधानसभा में किसी भी प्रकार की चर्चा कराना उपयुक्त नहीं समझा. क्योंकि सीएजी रिपोर्ट्स की इतनी गंभीर टिप्पणियां हैं कि एक जगह वर्ष 2015 की रिपोर्ट में लिखा है कि 72,000 करोड़ के खातों का मिलान नहीं हो पा रहा है. सिंचाई मंत्रालय ने 9000 करोड़ का नियोजन ऐसी जगह पर कर दिया कि जो पैसे बेकार चले गए, अनुपयोगी हो गए. आप कल्पना करें. एक तरफ आप दुहाई देते हैं कि मध्यप्रदेश की सिंचाई क्षमता इतनी ज्यादा आपने बढ़ा दी. दूसरी तरफ आप इस बात पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 9000 करोड़ सिंचाई परियोजनाओं में ऐसी जगह पर नियोजित कर दिए गए जो अनुपयोगी हो गए. इस तरह की अराजकता, इस तरह का आर्थिक कुप्रबंध, कल्पना के परे है. अभी देख लीजिए इस अनुपूरक बजट में 4000 करोड़ भावांतर योजना पर इस सरकार ने प्रावधान किया है.
माननीय मुख्यमंत्री जी, भावांतर योजना को लेकर आपको बहुत अंधेरे में रखा गया है और पूरे भारत में यह पहली सरकार है जिसने प्रोक्योरमेंट किया ही नहीं, समर्थन मूल्य पर अनाज लिया ही नहीं है. पूरे देश में यह प्रचार किया कि भावांतर योजना एक ऐसा मॉडल बनाकर दे रहे हैं कि सारे राज्यों को इसको अंगीकार करना चाहिए और सारे राज्यों को किसानों की फसल का उचित मूल्य देने के लिए इस योजना को एडॉप्ट करना चाहिए, यह प्रचार किया जा रहा है. योजना क्या है ? आपने कहा कि किसान जिस मूल्य पर अनाज बेचेगा उसका जो अंतर होगा वह किसान को सरकार अपने खजाने से प्रोवाइड करेगी. 15 अक्टूबर से सरकार ने प्रोक्योरमेंट शुरु किया. 15 अक्टूबर से किसान का अनाज लेना शुरु किया और मैं आपको बता दूं, उड़द और मूंग दालें तो किसानों ने व्यापारियों को 15 अक्टूबर के पहले ही बेच दीं. एक एकड़ में 50 से लेकर 70 किलो और ज्यादा से ज्यादा 1 क्विंटल तक मूंग और उड़द दाल की पैदावार इस साल मध्यप्रदेश में हुई है. मैदानी स्तर पर जिन्होंने खेती-किसानी का आंकलन किया है जो किसान हैं किसानों के बीच में रहते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी तो स्वयं कहते हैं और यह सौभाग्य है वे कहते हैं कि वे किसान के बेटे हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि खेती-किसानी की उन्हें कोई समझ है क्योंकि वे स्वयं खेती नहीं करते.
3.20 बजे { अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए }
अध्यक्ष महोदय, और इसलिए उनके आसपास, जिनकी आँखों से वे देखते हैं, जिनके कानों से वे सुनते हैं, जिनके मुंह से वे बोलते हैं, ऐसा होता है कि लंबे समय तक कोई सत्ता और शासन में रहे तो उसके आसपास बनने वाला घेरा इतना मजबूत हो जाता है कि व्यक्ति उसी के कान से सुनने लगता है, उसकी आँख से देखने लगता है, उसके मुंह से बोलने लगता है और दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी इसके शिकार हो रहे हैं. भावांतर योजना इसका जीता-जागता नमूना है. मध्यप्रदेश के किसानों को लाभ देने के लिए 4 हजार करोड़ रुपये का आपने भावांतर योजना में प्रावधान किया लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं दावे से कहता हूँ कि किसानों की पूरी फसल व्यापारियों ने लूट ली, व्यापारियों ने खरीद ली. आज महंगाई का यह हाल है कि एक किलो टमाटर के बदले में 4 किलो उड़द की दाल मिल रही है. किसान की उड़द की दाल 18 से 20 रुपये प्रति किलो व्यापारियों ने खरीदी और बाजार में टमाटर 80 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. आपने 800 करोड़ रुपये की प्याज खरीदकर सड़ा दी और आपने मध्यप्रदेश के अंदर इस प्रकार का परसेप्शन बनाया, इस तरह की जनधारणा तैयार करने की कोशिश की कि भले ही प्याज सड़ गई लेकिन हमने मध्यप्रदेश के किसानों को लाभ देने के लिए अपने खजाने का 800 करोड़ रुपया पानी में फेंक दिया और उस समय आपने किसानों को लाभ दिया. महाराष्ट्र और दूसरे राज्य के किसानों ने आकर हमारे किसानों के नाम पर वह प्याज आपको मंडियों में दे दी, आपके पास रखने की व्यवस्था नहीं थी, आपके पास प्रॉपर गोडाउंस नहीं थे लेकिन यह कहकर आपने लोगों को संतुष्ट करने की कोशिश की कि भाई, भले ही हमारे पैसे बेकार चले गए लेकिन हमने किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य दिया, ऐसा आपने जस्टिफाइड करने की कोशिश की. लेकिन जब आप प्याज खरीद रहे थे, उसी समय उपभोक्ता को महंगे दामों पर प्याज मिल रही थी और दूसरी तरफ आपके पास प्याज रखने की व्यवस्था नहीं थी. इसलिए हजारों क्विंटल प्याज सड़ गई, यह कुप्रबंध है. आपके पास न तो उसके कोई ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था थी और न ही रख-रखाव और संरक्षण की व्यवस्था थी. आपने लोकप्रियता हासिल करने के लिए कि किसानों के सामने हम लोकप्रिय बने रहें, जल्दी-जल्दी में इस गरीब राज्य के 800 करोड़ रुपये पानी में फेंक दिए. भावांतर योजना आपने लागू कर दी, आपने कहा 15 अक्टूबर से खरीदी होगी.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुकेश जी से एक उत्कंठा मेरी है कि उस समय क्या करना चाहिए था, अगर यह भी सुझाव दे दें तो आगे काम आएगा.
श्री बाला बच्चन -- जब आपकी और हमारी पोजिशन बदल जाएगी तब हम वह करेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- वह तो मध्यप्रदेश ने 50 साल तक देखा है.
श्री बाला बच्चन -- केवल साल भर बचा है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- यह कोई राजनीतिक प्रश्न नहीं था, यह मेरी उत्कंठा थी, मुकेश नायक जी बहुत विद्वान हैं, उन्होंने कहा कि उस समय जल्दबाजी में निर्णय हुए, 800 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया, यह कुप्रबंध है, इसलिए मेरे मन में उत्कंठा उठी कि क्या प्रबंध करना चाहिए था ?
श्री जालम सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, उस समय प्याज उचित मूल्य की दुकानों में भी गई है और वहां से बेची गई है, मंडियों से भी दी गई है.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, जब भी कोई योजना बनाई जाती है जिसमें इतनी विपुल धनराशि का नियोजन होता है तो वह दो दिन में नहीं बनाई जाती. आपको मांग और पूर्ति में संतुलन लाना चाहिए था, ताकि उपभोक्ता सामग्री इतनी मात्रा में आपके पास हो कि मांग और पूर्ति में इतना संतुलन रहे कि जितनी मांग है वह एंटीसिपेशन आपका बना रहे ताकि महंगाई पर नियंत्रण आप कर सकें. दो दिन में योजनाएं नहीं बनानी पड़तीं. आपको मध्यप्रदेश में शासन करते हुए 14 साल हो गए और 14 साल शासन करने के बाद विपक्ष के एक विधायक से आप पूछ रहे हैं कि क्या करना चाहिए ? 14 सालों में आप यह तय नहीं कर पाए कि आपको क्या करना चाहिए ?
श्री उमाशंकर गुप्ता -- हमने जो तय किया, वह हमने किया, आपने कहा यह कुप्रबंध था.
श्री बाला बच्चन -- जो हमको बोलना है वह हमको बोलने दीजिए ना आप.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- बच्चन जी, आप लोग बड़े विद्वान हों, 50 साल इस प्रदेश में शासन किया है, और जो किसानों की स्थिति है वह भी प्रदेश के और देश के सामने है, मेरा आग्रह यह है कि उस समय जब किसान की फसल एक प्रकार से चौपट हो गई थी, उसे सही दाम नहीं मिल रहा था, किसान हताश हो गया था, उस समय यह निर्णय तत्काल लेना जरूरी था, क्या 8-10 दिन योजना बनाने में लगाते, तब तक प्याज जिंदा रहती और किसान जिंदा रह पाता ?
श्री मुकेश नायक -- मैं आपको इसका विकल्प एक लाइन में बता देता हूँ कि 800 करोड़ रुपये पानी में फेंकने की बजाय वह 800 करोड़ रुपये किसानों में बांट देते जिन्होंने प्याज का उत्पादन किया है तो आपको ज्यादा फायदा हो जाता.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- वही तो भावांतर योजना है और उसकी भी आप आलोचना कर रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग -- वही तो भावांतर है और प्याज का पैसा भी किसानों में ही बांटा है.
श्री गिरीश भंडारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्याज का पैसा कितने अधिकारियों और कर्मचारियों ने लूटा यह आपने पेपर में भी पढ़ा होगा ?
श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज क्या हो रहा है ? माननीय मुख्यमंत्री जी, आज भावान्तर योजना का फायदा कितने किसानों को मिल रहा है ? मैं दावे के साथ यह बात कहता हूं कि यह 4,000 करोड़ रुपये पूरे के पूरे व्यापारियों के जेब में जाने वाले हैं. मैं यह इसलिये कह रहा हूं कि किसान के पास तो उसका अनाज बचा ही नहीं.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वैसे कभी इन्ट्रप्ट नहीं करता, विद्वान सदस्य हैं, जो बोलना चाहे बोलें. लेकिन मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि यह पैसा केवल किसान के खाते में जा रहा है और जाएगा. किसान के लिये 4,000 करोड़ तो क्या जरूरत पड़ेगी तो और ज्यादा व्यवस्था करेंगे.
श्री मुकेश नायक -- माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह किसान के खाते में नहीं जाएगा, यह किसान के खाते में जाएगा, लेकिन वहां से कहां जाएगा इस बात को जानने का प्रयत्न करिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहकर किसानों का अपमान न करें. किसान ऐसी ''बेईमानी'' नहीं करता कि अपने खाते से पैसे निकालकर व्यापारियों को देगा. एक तरफ आप व्यापारियों को गाली देते हैं, दूसरी तरफ किसान को बेईमान कह रहे हैं; आपको लज्जा आनी चाहिये.
श्री मुकेश नायक -- माननीय मुख्यमंत्री जी, किसान को आप बेईमान कह रहे हैं. आप मध्यप्रदेश में किसानों के साथ, आम आदमी के साथ बेईमानी कर रहे हैं और अभी यह कह रहे हैं कि मैं किसानों को बेईमान कह रहा हूं.
(श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी एक मिनट पहले आपने कहा कि व्यापारी खाएगा. ..(व्यवधान).. आपने अभी कहा भावान्तर योजना का पैसा किसान के खाते में जाएगा और फिर कहां जाएगा. मतलब क्या किसान बेईमान हो गया ? हम किसानों को दे रहे हैं तो आपको नहीं पच रहा है. .. (व्यवधान).. एक-एक, दो-दो लाख रुपया जब किसानों को मिल रहा है, यह बात आपके पेट में नहीं पच रही है. आपने कभी जिंदगी में इतना मुआवजा किसान को दिया नहीं, इतना भावान्तर दिया नहीं और अब व्यापारी भी मध्यप्रदेश में (XXX) हो गया ? किसान भी मध्यप्रदेश का (XXX) हो गया ? आप क्या कहना चाहते हैं कि आप ही बस ईमानदार हैं ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, किसानों की आत्महत्या के मामले में मध्यप्रदेश नंबर एक पर है. हिन्दुस्तान के अंदर मध्यप्रदेश पहला राज्य है जहां सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. यह आपके केन्द्र सरकार के आंकड़े हैं. यह आपकी नीति किसानों के प्रति है.
अध्यक्ष महोदय -- अभी कौन बोल रहा है ? आप बैठ जाएं. श्री मुकेश नायक जी बात कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्ता पक्ष के लोग व्यापारी (XXX), किसान (XXX) कह रहे हैं कम से कम इसे तो कार्यवाही से निकलवा दीजिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, यह बात मुकेश नायक जी ने कही, मैं उनकी बात को रिपीट कर रहा हूं, हमने यह बात नहीं कही..(व्यवधान).. कुछ भी बोले जा रहे हैं. मुकेश नायक जी ने कहा पूरे व्यापारी (XXX) हैं और बाद में कहा किसानों के खाते में जाएगा, वहां से कहां जाएगा. केवल आप ही ईमानदार हो गये.
..(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, मैंने यह कहा है कि यह सरकार (XXX) है. मैंने व्यापारियों को (XXX) नहीं कहा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, पहले इन्होंने व्यापारियों को (XXX) कहा है और फिर बदल रहे हैं. पहले कहा व्यापारी (XXX) है, फिर किसान (XXX) है. अब कौन (XXX) हो गया ?
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, यह किस तरह की चर्चा सदन में होने लगी ? आपको शांतिपूर्वक बात सुनना चाहिये और बात सुनने के बाद आपको रिप्लाय करना चाहिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, क्या यह कुछ भी कहेंगे ? पूरे व्यापारी (XXX), पूरे किसान (XXX) और हम सुनते रहें ?
श्री मुकेश नायक -- हमने यह कहा है कि आप (XXX) हैं. किसान को (XXX) नहीं कहा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- आपने कहा है और अब बदल रहे हैं. थूक कर चाट रहे हो. (XXX) कौन है मध्यप्रदेश की जनता जानती है.
श्री मुकेश नायक -- (XXX)
उमाशंकर गुप्ता -- आपकी सरकार में 23 मंत्रियों के विरुद्ध लोकायुक्त में चालान पेश करने की अनुमति दी गई थी.
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही में जहां-जहां यह शब्द आया है उसे कार्यवाही से निकाल दिया जाये. मुकेश नायक जी, कृपया दो मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
..(व्यवधान)..
श्री रणजीत सिंह गुणवान -- अध्यक्ष महोदय, श्री मुकेश नायक जी सभी को (XXX) बता रहे हैं कि मंत्री भी (XXX), विधायक भी (XXX). तो क्या आप विधायक नहीं हैं ? तो आप भी (XXX) ही हैं, आप (XXX) के बाप हैं, आप (XXX) के आका हैं.
अध्यक्ष महोदय -- गुणवान जी, कृपया आप बैठ जाइये. मुकेश नायक जी, आप अपनी बात दो मिनट में समाप्त करिये, समय कम है.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, दो मिनट में कैसे बात समाप्त होगी.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं करना ही पड़ेगा, अब समय कम है.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, हमारे पक्ष को जो समय दिया है, हम उसका उपयोग कर रहे हैं और मैं 15 मिनट में अपनी समाप्त करुंगा.
अध्यक्ष महोदय -- आपके पक्ष के लिये कुल 28 मिनट हैं, जिसमें से 18 मिनट हो चुके हैं.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, 18 मिनट में से 10 मिनट तो व्यवधान में चले गये.
अध्यक्ष महोदय -- अब सब हिसाब आप ही लगायेंगे क्या.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, इसी तरह की बात करते करते मुख्यमंत्री जी ने बारहवीं पास कर ली, 12 साल हो गये, अब तेरहवीं आने वाली है. वे यह समझने के लिये तैयार नहीं हैं कि इनकी योजनाओं का किसको फायदा हो रहा है. इन्हें लगता है कि इन पर आरोप लगाये जा रहे हैं. यह बुरा मानते हैं, यह कोई बात समझने के लिये तैयार नहीं हैं, कोई बात सुधारने के लिये तैयार नहीं हैं. कोई बात जब जनप्रतिनिधियों के द्वारा कही जा रही है, तो उन्हें समझना चाहिये, उस पर विचार करना चाहिये और उस पर सुधार करना चाहिये. मैं दावे से कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश के अंदर जो भावांतर योजना है, इसमें जो किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, यह व्यापारियों ने कराया है. किसानों के पास तो अनाज बचा ही नहीं है. पूरी खरीफ की फसल का पूरा का पूरा अनाज व्यापारियों ने अपने पास रख लिया, अब वह मंडियों में भेज रहे हैं और किसान का जो रजिस्ट्रेशन है, उस खाते में पैसा जायेगा और वह पूरा का पूरा पैसा व्यापारी निकाल लेंगे, उनके पास चला जायेगा. यह भावांतर योजना की बिलकुल असली तस्वीर है. अगर यह माननीय विधायक महोदय नहीं मान रहे हैं, जिनके विधान सभा क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्र है, वह जरा गांव में जाकर यह बात कह लें, जो विधान सभा के अंदर कह रहे हैं, तो इन्हें पता चल जायेगा कि वहां पर इनकी क्या हालत होगी. कितना दुर्भाग्यजनक है..
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- अध्यक्ष महोदय, मैं भी मण्डी में जाता हूं, वहां किसान लोग आते हैं और वे सरकार और मुख्यमंत्री जी को बधाई देते हैं. अभी 22 तारीख को पैसा डाला है, हर किसान के खाते में पैसे आ गये हैं. किसान बहुत खुश हैं. वे सरकार और मुख्यमंत्री जी की प्रशंसा कर रहे हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद) -- अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक बनने के पहले मण्डी अध्यक्ष रहा हूं. यह जो बात आई कि किसान के खाते में पैसे जायेंगे. तो किसान को जब व्यापारी पैसे देता है, तो पहले वह उससे चेक ले लेता है और जब पैसे उसके खाते में आते हैं, तब वह उसके खाते में चेक डालता है. यह सही बात है. भले वे न मानें, कोई बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मुकेश नायक जी, कृपया अपनी बात समाप्त करें.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, ठीक है. मैं बहुत दुर्भाग्यजनक रुप से आपका आदेश मानकर अपनी बात समाप्त करता हूं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) -- अध्यक्ष महोदय, मैं द्वितीय अनुपूरक बजट के पक्ष में खड़ा हुआ हूं, जो पन्द्रह हजार पांच सौ पचास करोड़, सोलह लाख, तिरसठ हजार, नौ सो तैंतीस रुपये का आज प्रस्तुत हुआ है. मैं अभी चर्चा सुन रहा था और मैंने बैठे बैठे अनुपूरक बजट को देखा तो इसका 80 प्रतिशत हिस्सा 5 विषयों पर कुल अलाटेड है. मैं इस बात के लिये बधाई दूंगा कि सरकार ने किसान के बारे में सोचा, गांव के बारे में सोचा, सूखा राहत के बारे में सोचा, ग्रामीण आवास के बारे में सोचा, प्रधानमंत्री आवास के बारे में सोचा, निर्मल भारत के बारे में सोचा और मेरे यह समझ में नहीं आ रहा है, जो अभी हमारे पूर्व वक्ता, माननीय सदस्य ने बात रखी कि वह पैसा इधर- उधर जा रहा है. क्या वह भावांतर योजना, जिसके माध्यम से तेजी से भाव गिरा, किसान वैसे भी खेती से भाग कर बेरोजगार होकर इधर-उधर घूम रहा है. उस समय उसको खेती में प्रोत्साहन देकर वापस वह खेती अपनी और बेहतर कैसे करे, उसके बारे में पैसे देने की बात कही, तो 4 हजार करोड़ रुपया भावांतर का पहले से क्या सपना आना चाहिये कि दो दिन में योजना न बनाकर 6 महीने योजना बनाने के लिये इंतजार करना चाहिये, जब तक किसान पिट जाये. जब तक उसकी जमीनों पर व्यापारी और दलाल लोग कब्जा कर लें या अन्य लोग कब्जा कर लें? यह मेरे समझ के बाहर है. सूखा राहत, सूखा आने के पहले उसकी योजना बनानी चाहिये थी क्या? सूखा राहत की योजना सूखा आने के बाद ही बनेगी, तुरंत में ही बनेगी. मैं अभी हिसाब लगा रहा था कि 15 हजार 500 करोड़ में से 12 हजार 650 करोड़ रूपये केवल ग्रामीण और खेती किसानी और आवास योजना में दिये हैं, क्या इनको यह तकलीफ हो रही है कि सबके लिए आवास बनाकर दे रहे हैं जिसमें मध्यप्रदेश ने पूरे भारत में 60 प्रतिशत से ज्यादा आवास बने हैं यह पूरे भारत का रिकार्ड है, सबसे ज्यादा नंबर वन 60 प्रतिशत एक तरफ और दूसरी तरफ पूरा भारत है. क्या इनको यह तकलीफ हो रही है कि किसानों को भावांतर के पैसे देकर बचाया जा रहा है, क्या इनको यह तकलीफ हो रही है कि निर्मल भारत जो स्वच्छता के नाम पर पहले बीमार पड़ो, इलाज करवाओ, उसकी व्यवस्था की है कि स्वच्छता से बीमारी कम हो और स्वच्छता के नाम पर 1170 करोड़ रूपया एलाट किया है क्या उस पर आपत्ति है, या आपत्ति इनको आवास, जमीन या किस बार पर इनको आपत्ति है, यह बहुत स्पष्ट शब्दों में बात करें.
श्री मुकेश नायक -- मुझे किसी बात पर आपत्ति नहीं है, मुझे दुख इस बात का है कि सारे मुख्यमंत्रियों के बच्चों को मंत्रिमण्डल में ले लिया है एक आपको ही नहीं लिया है.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा -- मेरी चिंता मैं कर लूंगा, आपको करने की जरूरत नहीं है और मैं आज भी किसी भी पोजिशन में कमजोर महसूस नहीं करता हूं. आप लोगों को हमेशा जीवन में मंत्रिपद के सहारे की जरूरत रही है. जब सहारा चला गया तो बिना सिर पैर की बात करना सीख गये...(व्यवधान).. हमारे क्षेत्र में जीवन में पहली बार किसानों को, गरीबों को ऐसे आवास मिले कि जब हम क्षेत्र में जाते हैं तो वह लोग दुआं देते हैं कि जिंदगी में पहली बार किसी सरकार ने सबसे अंतिम छोर के, सबसे गरीब व्यक्ति को आवास दिये हैं..
श्री यादवेन्द्र सिंह -- इंदिरा आवास कौन दे रहा था.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा -- इंदिरा आवास साल में एक आता था, एक आवास साल भर में पंचायत में आता था और उसमें से भी आधे पैसे दलाली के खाते थे हमने वह दिन भी देखें और हमने यह दिन भी देखे हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- पूरा का पूरा पैसा उन गरीबों का आपके ठेकेदार खा रहे हैं.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा -- उसमें कोई ठेकेदार नहीं है आदरणीय विधायक जी आपको ज्ञान नहीं है. आवास खुद हितग्राही बना रहे हैं, हितग्राही उसमें अपने पैसे और जोड़कर बहुत अच्छे आवास बना रहे हैं आप कभी आकर मेरे क्षेत्र में देखियेगा. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- बन्ना जी आप बैठ जायें. कोई बीच में न बोलें. आपस में बात न करें.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा -- चिंता की बात नहीं है एक साल के बाद में आपको भी महसूस हो जायेगा. एक विधान सभा उप चुनाव की मिठाई खाकर आप बैठ गये हैं, उसे खाकर ही प्रसन्न रहें, उसे ही खाते रहें आप एक साल तक.
श्री बाला बच्चन -- सखलेचा जी अभी दो और आ रही हैं उसको बचा लेना.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा --आप चिंता मत करें एक साल तक आपको यही बासी मिठाई खाना पड़ेगी. 2018 तक यही मिठाई खाइयेगा...(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक -- मुख्यमंत्री जी की तरफ से इतना पक्षपात है कि मुख्यमंत्रियों के बच्चों में जो सबसे योग्य थे उनको मंत्री नहीं बनाया है, बाकी लोगों को बना दिया है जो कि अपेक्षाकृत कम योग्य हैं.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा - मुझे आपकी सहायता की अभी जरूरत नहीं है. अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी का भी मैं इस बात के लिए धन्यवाद देता हूं कि दिल्ली में आवासीय भवन के लिए एक और जमीन उन्होंने ली है. डेढ़ एकड़ की जमीन के लिए 21 करोड़ 15 लाख रुपए का जो प्रॉविजन किया है, उसके लिए भी बधाई देता हूं क्योंकि जब हम लोग दिल्ली जाते थे, सभी को तकलीफ होती थी, कई बार जो कार्यक्रम होते हैं तो वहां आवास मिलने में बहुत तकलीफ आती थी. मध्यप्रदेश से कोई भी व्यक्ति जाए तो उसके लिए उचित आवास, ठहरने की सस्ती और सही व्यवस्था देने का जो उन्होंने प्रयास किया, उसके लिए भी मैं उन्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात के लिए भी बहुत धन्यवाद देता हूं. पहली बार उन्होंने ग्रामीण आवास में 3391 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान किया है. यह प्रावधान इसलिए किया कि मध्यप्रदेश में एक भी व्यक्ति ऐसा न हो, जिसके पास अपनी छत न हो, उसकी चिंता की और जो वायदा माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया, उस वायदे को पूरा करने का हर संभव प्रयास बजट के माध्यम से आवास देकर किया है. ऐसे ही नगरीय क्षेत्र में 1049 करोड़ रुपए का प्रावधान किया. यह दोनों मिलाकर जो प्रावधान किया है उससे अगले साल तक एक भी आवासहीन न रहे, उसका प्रयास करने की सुंदर कोशिश की है. मैं अगर केन्द्र सरकार की बात करूं तो पहली बार किसी सरकार ने बिना मांगे गैस की टंकी हर ग्रामीण आदिवासी को उपलब्ध करवाने की कोशिश की है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - रेट जरूर बता दीजिए.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा - रेट भी बता देंगे और उसी का उत्तर आपको उत्तरप्रदेश में मिला. पुरानी सरकारें क्या करती रहीं, पेड़ लगाओ के नाम से पैसे दो और पेड़ कटवाओ गैस के माध्यम से, मैं आपको बड़ी गंभीरता से यह बताता हूं कि एक गैस की टंकी देने का मतलब 10 पेड़ साल के बचाना और केन्द्र सरकार ने 5 करोड़ फ्री की टंकिया बांटी तो एक साल में 50 करोड़ पेड़ कटने से बचाए. 50 करोड़ पेड़ के नाम से 50 सालों में कितने पैसे का क्या-क्या गबन किया, उसका हिसाब जनता पूछेगी, वह गरीब आदमी की आह आपको बख्शेगी नहीं, जो आपने उनके नाम से काम किया.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको निर्मल भारत के मामले में भी बहुत बधाई देना चाहता हूं कि केवल स्वच्छता कहने से स्वच्छता नहीं होती है, उसके लिए बजट में प्रावधान करना और उसके लिए अनुपूरक बजट में भी 1170 करोड़ रुपए का जो प्रॉविजन किया है, उसके लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बहुत बधाई देता हूं. मैं अगर गृह विभाग पर बात करूं.
अध्यक्ष महोदय - दो मिनट में पूरा कर दें. अब आप पूरा करने की ओर चलें.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा - अध्यक्ष महोदय, आप बोलेंगे तो बैठ जाऊंगा. जितना आप आदेश दें, मैं ऐसा कोई विषय नहीं कहूंगा. जब आप बोलेंगे मैं उसी क्षण बैठ जाऊंगा.
अध्यक्ष जी, आज तेजी से साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं. प्रदेश के गृहमंत्री और वित्त मंत्री जी के सहयोग से और मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में 1.30 करोड़ रुपये का प्रावधान साइबर क्राइम को डिटेक्ट करने के लिए किया है. पुलिस मुख्यालय में अतिरिक्त सामग्री के लिए 3 करोड़ रुपये का प्रावधान किया इसके मैं माननीय मंत्री जी को बधाई देता हूं. अध्यक्ष महोदय, एक और महत्वपूर्ण विषय है. पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए नए उपकरण खरीदने के लिए 27 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है उसके लिए भी शुभकामनाएं देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, सड़क सुरक्षा महत्वपूर्ण विषय है. सड़क दुर्घटनाएं बहुत होती हैं. सड़क सुरक्षा के लिए जगह जगह पर इंडिकेशन, साइन और अन्य व्यवस्थाओं के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया. उसके लिए भी मैं बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं. यह आज के लिए बहुत जरुरी था कि साइबर क्राइम और सड़क सुरक्षा के लिए प्रावधान करें.
अध्यक्ष महोदय, इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम बहुत पुअर हो गया था. केन्द्र सरकार ने तो कई योजनाएं बनायीं. मध्यप्रदेश की सरकार ने भी इमरजेंसी के रिस्पांस सिस्टम के लिए 14.18 करोड़ का प्रावधान किया. उसके लिए भी मैं बहुत शुभकामनाएं देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, सरकार केवल किसान, गरीब, ग्रामीण के साथ साथ नौजवानों के रोजगार के मामले में भी थोड़ी चिन्ता करती है. उसके लिए रोजगार विभाग को लंबित निवेश प्रोत्साहन योजना में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया. इससे भी हजारों नौजवानों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. इसके लिए भी बहुत शुभकामनाएं देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, पहली बार किसानों के पुराने विवादित बिलों में 75% का अनुदान देने के लिए 1150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया वह भी बहुत जरुरी था. क्योंकि वास्तव में गांव में कई बार यह स्थिति आती थी कि किसान के बिल पेंडिंग है और उसने जमीन बेच दी तो वह बिल कहीं से रिकवर नहीं हो सकता था तो तब तक वहां डीपी नहीं बदली जाती थी जिससे शेष किसानों को परेशानी होती थी. यह सरकार कितनी संवेदनशील है वह इससे पता चलता है कि उन लोगों के बारे में चिन्ता करते हुए उनके बिलों में 75 प्रतिशत का अनुदान देकर इसको आसान बनाया.
अध्यक्ष महोदय, मैं लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में 25 करोड़ रुपये के प्रावधान के लिए सरकार को बधाई देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण सड़कों और पीडब्ल्यूडी के लिए 650 करोड़ रुपये का जो प्रावधान किया उसके लिए भी मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं. इस राशि से सभी सदस्यों को अपने क्षेत्रों की कुछ सड़कें रिपेयर कराने या नई सड़कें बनाने के लिए मदद मिलेगी. जब हम हमारे क्षेत्रों में जाते थे तो मंत्री जी हमेशा बोलते थे कि प्रावधान नहीं है. अब मुझे विश्वास है, माननीय लोक निर्माण मंत्री जी सुन रहे हैं, उनको पैसा मिल गया है, मैं उनकी प्रशंसा कर रहा हूं. वह हमारे कामों को याद रखेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- जैसा आपका आदेश. मैं कुल मिलाकर इस अनुपूरक बजट की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं. मैं अपने विपक्ष के मित्रों से भी यह निवेदन करता हूं...
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष जी, इस अनुपूरक में एक भी सड़क के लिए प्रावधान नहीं है. माननीय सखलेचा जी आपने अनुपूरक बजट को पढ़ा है?
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- इसमें 650 करोड़ रुपये का प्रावधान है. अध्यक्ष जी, आपने समय दिया. धन्यवाद.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया(बमौरी)-- अध्यक्ष महोदय, हमारा बहुत सौभाग्य रहा कि सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी हमारे बीच उपस्थित हुए और क्षणिक अपना चेहरा दिखाकर सदन से चले गए. अमूमन जब माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में आते हैं तो उनके चेहरे से प्रसन्नता झलकती है. आज पहली बार मैंने देखा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के चेहरे से वह प्रसन्नता और मुस्कराहट गायब थी. यह मुस्कराहट इसलिए गायब थी कि जब इंसान घर में बैठ कर आत्ममंथन करता है कि हमने क्या पाया और क्या खोया तब उसकी बॉडी लैंग्वेज़ इस बात को इंगित करती है. आज माननीय मुख्यमंत्री जी के चेहरे से मुस्कराहट गायब थी. अभी दो दिन पूर्व 12 साल पूरे होने का उत्साह मनाया वह इसी आत्ममंथन का नतीजा है कि 12 सालों में मध्यप्रदेश की सरकार में जिस तरीके से किसान,नौजवान, कर्मचारी और व्यापारी वर्ग पूरी तरह से टूट कर बिखर गया. उसका नतीजा था कि आज माननीय मुख्यमंत्री जी के चेहरे की मुस्कराहट गायब थी.
अध्यक्ष महोदय, भावान्तर योजना. हमारे ग्रामीण विकास मंत्री जी बैठे हैं. परसों दैनिक भास्कर में एक आर्टिकल छपा जिसमें कलेक्टर गुना ने कहा कि अचानक उड़द की आवक कहां से शुरु हो गई. हजारों क्विंटल उड़द जो मार्केट से गायब थी,मंडियों से गायब थी, वह अचानक मंडियों में कैसे आने लगी, उसका उत्तर आने के पहले ही माननीय मुख्यमंत्री जी सदन से चले गये. उसका उत्तर यह है कि जो पंजीयन किसानों का हुआ उनको तो पैसा नहीं मिला और उनके पंजीयन के नाम पर उनके खातों के नाम पर लोगों ने पंजीयन कराया,उनसे चैक एडवांस में लिया और जैसे ही उसका भावांतर का मूल्य बढ़ा वह लेने के लिये अचानक उड़द की आवक मार्केट में शुरू हो गई. यह मैं नहीं कह रहा यह जिलाधीश,गुना और दैनिक भास्कर पेपर में आप देख सकते हैं. आज मध्यप्रदेश की हालत क्या है. 7 हजार डाक्टर्स की जरूरत है मात्र 3 हजार डाक्टर्स हैं. 370 बाल विशेषज्ञ डाक्टर चाहिये उनमें से मात्र 85 कार्यरत् हैं. जहां अस्पताल हैं वहां डाक्टर नहीं हैं और जहां डाक्टर हैं वहां दवाईयां नहीं है. मुझे कभी-कभी ऐसा लगता है कि यह सरकार वेंटीलेटर पर आ गई है. यह सरकार आई.सी.यू. में है. यह मध्यप्रदेश की हालत हो गई है. आपने 650 करोड़ रुपये पी.डब्लू.डी. को दिये. आज भी हजारों पुल,पुलिया ऐसी हैं जो पिछले तेरह वर्षों से यथास्थिति में हैं. आप सड़क बना देते हो मगर पुल-पुलियों का ध्यान नहीं रखते. उसके लिये आपने बजट में कोई आवंटन नहीं किया.
लोक निर्माण मंत्री(श्री रामपाल सिंह) - मेरे भाई, प्रेम से कहो गुस्सा मत करो.पुलिया बना देंगे. 400 पुलिया हम बना रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -(XXX).
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि असत्य आंकड़ों से जनता का भला नहीं होने वाला. पहले आपने नोटबंदी की चोट की, फिर जी.एस.टी. लागू करके चोट की और अब भावांतर जैसी योजना लाकर आपने पूरी तरह से किसान को ध्वस्त कर दिया. आज हमारे मध्यप्रदेश की स्थिति कृषि कर्मण पुरस्कार लेने की है. आपको शर्म आनी चाहिये. धरातल पर जाकर देखिये आपकी आंखें खुल जायेंगी. ऐसी सरकार और ऐसा शासन न कभी हुआ है अंग्रेजों के समय से और न कभी होगा. अब तो इस बात की तैयारी कीजिये तेरह वर्ष हो गये. आदरणीय उमाशंकर जी यहां बैठे हुए हैं. तेरह साल बहुत हो गया आनंद,अब पलायन कीजिये और हम लोगों को आगे बढ़ने दीजिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता - आप खुशफहमी में रहिये.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - रामपाल सिंह जी जब राजस्व मंत्री थे जब इसी बजट पर इन्होंने कहा था कि हर हलके में पटवारी होगा. बजट में प्रावधान किया जा रहा है. मैं सदन से और माननीय रामपाल सिंह जी से पूछना चाहता हूं. कहां गया आपका बजट आज भी एक पटवारी चार-चार हलके देख रहा है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अब राजस्व विभाग मेंरे पास है पटवारी के पद का विज्ञापन निकल गया. दिसम्बर में पद भर रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - गुप्ता जी, जैसे बड़े भाई वैसे छोटे भाई.(XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दीजिये. कृपया समाप्त करें.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, मैं इस अनुपूरक बजट का पुरजोर विरोध करता हूं और आपसे और सरकार से अपेक्षा करता हूं कि किसानों के हित में,युवाओं के हित में और हमारे कर्मचारियों के हित में आगे बढ़कर काम करें धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री सुन्दरलाल तिवारी..तिवारी जी, आपसे मेरा संक्षेप का अनुरोध है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, सीट बदली है काफी परिवर्तन दिख रहा है.
श्री अजय सिंह - जबसे सीट बदली है तो जो दिखाई दे रहा है वह आपको दिखाई दे रहा है लेकिन जबसे नरोत्तम मिश्रा जी गये हैं और आपको प्रभार मिला है तब से आप भी कुछ बहके-बहके दिखाई दे रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - आपके साथ संगत ज्यादा होती है इन दिनों.
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगाकि अनुपूरक ब जट की जो यह पुस्तिका है. ऐसा लगता है कि किसी चाय की दुकान में आपने यह पेश किया है. न तो इसमें संविधान का ध्यान रखा गया. न नियमों का ध्यान रखा गया और आपके कैसे अधिकारी हैं पिछली बार भी मैंने सदन में बात उठाई थी फिर दूसरे दिन आपने संशोधन पेश किया था और मुझे लगता है आपको फिर संशोधन इस बार पेश करना पड़ेगा. मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, मांग संख्या 12, पेज 10 इसमें स्कीम 1933, विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा एकत्रित विद्युत शुल्क की राशि की 75 प्रतिशत राशि का अनुदान के रूप में परिवर्तन, मेरा ख्याल है यह आपने पढ़ा होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना है कि संविधान में केपीटल एक्सपेंडिचर और रेवेन्यू एक्सपेंडिचर दोनों अलग-अलग किये गये हैं और दोनों में यह प्रावधान है कि आप अलग-अलग तरीके से उनकी राशि को डिस्ट्रीब्यूट कर सकते हो. क्या आपने जो मांग संख्या 12 में स्कीम 1933 में दिखाया है, यह रेवेन्यू एक्सपेंडिचर है या केपिटल एक्सपेंडिचर है, आप बतायें तभी तो जाकर बात आगे बढ़ेगी, तभी हम सदन में कोई बात कर सकते हैं. यह केपिटल एक्सपेंडिचर है ही नही, ये तो रेवेन्यू एक्सपेंडिचर है, अनुदान की राशि केपिटल कैसे हो सकती है ? अब मेरा यह कहना है कि अनुच्छेद 112 में, मैं उसको पढ़ना नहीं चाहता. भारत के संविधान के अनुच्छेद 112 में स्पष्ट लिखा है कि किस तरह का बजट आना चाहिये, उसमें क्या-क्या प्रोवीजन होना चाहिये, उसका भी पालन नहीं किया गया. यह राशि आप किस तरह से दे सकते हैं, आपकी यह राशि किस मद में है, क्या बताने की कृपा करेंगे, केपिटल में है कि रेवेन्यू में है ? जिससे सदन में कुछ विस्तृत चर्चा हो सके. मेरा यह कहना है कि पिछली बार और इस बार जब बजट बनाया जाता है तो इन बिंदुओं पर आपके अधिकारी गंभीरता से विचार नहीं करते. आगे मेरा कहना है कि केपिटल और रेवेन्यू क्लासीफिकेशन के जो बेसिक कन्सेप्ट हैं उन पर ध्यान नहीं दिया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि क्या माननीय मंत्री जी इसमें संशोधन लायेंगे, सदन के अंदर इसमें सुधार लायेंगे जिससे इसमें विधिवत और वैधानिक तरीके से बात हो सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आगे मेरा कहना है कि यह सेकेण्ड सप्लीमेंट्री बजट है जो आपने पेश किया है. अगर दोनों मेन बजट और सप्लीमेंट्री बजट को जोड़ दिया जाये तो यह पहुंच रहा है 1 लाख 90 हजार 569 करोड़ का यह बजट बन रहा है. अब आपकी एफआरबीएम की सीमा 3.5 है, अब आप सदन को यह भी नहीं बता पा रहे है कि आपकी जो एफआरबीएम की सीमा है 3.5 जो आपने निर्धारित कर रखी है, क्या उस सीमा से आप अधिक बढ़ रहे हैं या उसके अंदर ही रहेंगे ? आपने जो कागजात सदन के अंदर पेश किये हैं, अनुपूरक बजट जो आपने दिया है, इसमें इस बात का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया है. अब जब इस तरह की जो मूल आवश्यकता है अनुपूरक बजट में डिस्कशन के पहले जिससे विधिवत और तरीके से हम अपनी बात को इस सदन के अंदर कह सकें, जब वह जानकारी ही वित्त विभाग के द्वारा सदन को नहीं दी गई है तो उस विषय पर हम लोग क्या चर्चा करें ? एफआरबीएम के बारे में पहले भी बहुत बातें उठ चुकी हैं और आज इसमें आपने कोई आंकड़ा ही नहीं दिया है कि क्या स्थिति है तो हम इसमें क्या बात करें, जो कि इसका आधार होगा, फिजिकल डेफीसिट की पोजीशन राज्य में क्या होगी, आपने क्या अनुमानित किया है, इसके बारे में कोई चर्चा नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आगे मेरा कहना है कि मेरे मित्र ने भावांतर की बात की है उस बारे में हम ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे, बस इतना ही कहेंगे. जो हमारी मूल समस्यायें राज्य की हैं उसके बारे में बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है.हम नहीं जानते हैं आपने खूब प्याज में पैसा दिया है. भावान्तर योजना में आप वादा कर रहे हैं हम खूब पैसा देंगे. ठीक है भाषण है. कहना भी चाहिये, सरकार में आप बैठें हैं जो चाहेंगे, जो कहेंगे उसको दुनियां सुनेगी. लेकिन एक चीज का जबाव राज्य को आपने नहीं दिया है कि हिन्दुस्तान के अंदर सबसे ज्यादा आत्महत्या मध्यप्रदेश का किसान क्यों कर रहा है, इसका क्या कारण है . क्या इसमें आपने कोई कमेटी बनाई, इसकी कोई जांच की कि वजह क्या है, कारण क्या है जब इतना धन लुटा रहे हैं आप. सिंचाई के आंकड़े आप बढ़ा कर के बता रहे हैं. आप भावान्तर योजना में किसानों को लाभान्वित करवा रहे हैं. पर्याप्त आप बिजली दे रहे हैं फिर भी हमारा मध्यप्रदेश का किसान पीड़ित होकर के, अपमानित होकर के अपने हाथ से अपने गले में फांसी लगा रहा है. इसका जबाव यह सरकार कभी नहीं देगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बेरोजगारी का प्रतिशत हिन्दुस्तान के अंदर सबसे ज्यादा अगर कहीं बढ़ा है तो वह हमारे मध्यप्रदेश का बढ़ा है. सबसे ज्यादा बेरोजगारी यहां बढ़ी है और आंकड़े देखें तो एनसीआरबी के आंकडे बतायेंगे कि इस समय आत्महत्या करने वालों की आयु 30 वर्ष से कम है और मध्यप्रदेश में नो-जवानों की आत्महत्या करने की संख्या सबसे ज्यादा है. यह हालत मध्यप्रदेश की है. इसके बाद भी इस सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने के लिये कोई प्रावधान नहीं किया है. उन बेरोजगारों के बारे में क्या इस सरकार को कोई चिंता नहीं है. मेरा कहना है कि बेरोजगारों के बारे में भी सरकार को चिंता करना चाहिये.इसके लिये अनुपूरक बजट ले आयें.
अध्यक्ष महोदय- तिवारी जी, कृपया समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- बस दो मिनट में अपनी बात को समाप्त करूंगा. अध्यक्ष महोदय, कुपोषण के बारे में कहना चाहूंगा कि जब कभी हम मध्यप्रदेश में कुपोषण की बात करते हैं तो कुपोषण के आंकड़े जब हमारे सामने आते हैं तो मध्यप्रदेश में रहने वाले लोगों को शर्म से सिर झुक जाता है. आप कहते हो कि हम 1 रूपये में अनाज दे रहे हैं, आप कहते हैं कि हम विकास कर रहे हैं, आप धन राशि दे रहे हैं फिर भी कुपोषण मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा क्यों है इस बात का जबाव इस सरकार ने अभी तक नहीं दिया है और अभी भी नहीं दे रही है. कई बार इस सदन के अंदर हमारे दोनों पक्षों के विद्वान साथियों ने इस बात की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित किया है , अनुभवी लोगों ने भी इस बात को उठाया है लेकिन सरकार ने इस पर कोई जबाव नहीं दिया है. केवल इसका जबाव इनके पास एक ही है कि बार बार हमारी सरकार बन रही है.
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- तिवारी जी आप बार बार गरीबों का मजाक उड़ा रहे है. सरकार गरीबों को एक रूपये किलो अनाज दे रही है. क्या आपको अच्छा नहीं लग रहा है क्या.
अध्यक्ष महोदय- गुणवान जी आप बीच में नहीं बोलें, बैठ जायें. तिवारी जी आप जारी रखें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, अभी सदन में प्रधान मंत्री आवास योजना के बारे में बात चल रही थी. माननीय विद्वान मित्र गुणवान जी इसके बारे में कह रहे थे कि क्या आपको यह अच्छा नहीं लग रहा है ? हमें लगता है कि आपने क्या इतिहास के पन्नों को बंद कर दिया है. क्या इंदिरा आवास योजना के तहत आज से 20 साल पहले मै जनपद का अध्यक्ष था .
श्री रणजीत सिंह गुणवान--तब क्या इतनी राशि मिलती थी?
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि इतनी बड़ी तादात में राशि नहीं मिलती थी, मुझे मालूम है.
श्री दिलीप सिंह शेखावत- तिवारी जी आज गरीबों को गांव में और शहरों में बहुत कुछ मिल रहा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि आप अपने पूर्वजों को गाली मत दो. इस देश के निर्माण में उनकी भी भागीदारी थी. उन बेचारों ने कितनी गरीबी में धीरे धीरे करके इस देश को लाकर के यहां पर लाकर खड़ा किया 100 से हजारों में लाकर के खड़ा कर दिया.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- कुछ नहीं किया, सिवाए गबन के कुछ नहीं किया.
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी कृपया समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट में. प्रधान मंत्री आवास योजना देश के पूर्व प्रधान मंत्री आदरणीय डॉ. मनमोहन सिंह जी के द्वारा 2011 में लाई गई थी और 2011 में देश के तत्कालीन प्रधान मंत्री ने 3 लाख रूपये देकर हर गरीब को मकान बनाकर के देने का वायदा किया था. आज आप 1.50 लाख रूपया दे रहे हो. और गरीबों के हितैषी होने की बात करते हो.
श्री रणजीत सिंह गुणवान -- तिवारी जी असत्य बात बोल रहे हैं.
श्री ओम प्रकाश सखलेचा-- 3 लाख की घोषणा के बाद 3 हजार रूपये भी नहीं मिले हैं. पैसा खा गये.
अध्यक्ष महोदय- तिवारी जी अपना भाषण समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- वादा भी गया और वादा करने वाले भी गये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- सुनने की हिम्मत भी तो रखो.5 मिनट और रूक जाओ अभी सदन को जानकारी दूंगा कि वह पैसा कहां चला गया.
अध्यक्ष महोदय- आप लोग बैठ जाये, गुणवान जी आप भी बैठ जाईये.सीधे कोई भी बात नहीं करेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, आप मुझे 2 मिनट का समय दे दीजिये मैं इनका सारा विकास बता दूंगा.
अध्यक्ष महोदय- अब नहीं, कृपया बैठ जायें. श्री शैलेन्द्र पटेल जी अपनी बात रखें.
(...व्यवधान...)
.....(व्यवधान)...
श्री राजेन्द्र मेश्राम - क्या पैसा आपकी जेब से चला गया ? .....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - श्री सुन्दरलाल तिवारी जी आप समाप्त करें. ..(व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, बस पांच मिनिट में समाप्त करता हूं. ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - श्री शैलेन्द्र पटेल जी आप बोलें. श्री सुन्दरलाल तिवारी जी आप बैठ जाएं. ..(व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, पांच मिनट का समय दे दीजिए. ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - श्री सुन्दरलाल तिवारी जी आप भी बैठ जाएं, आपका अब कुछ नहीं लिखा जाएगा सिर्फ श्री शैलेन्द्र पटेल जी की बात लिखी जाएगी. ..(व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने द्वितीय अनुपूरक बजट 2017-18 में बोलने का मौका दिया इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. जब भी प्रदेश की वित्तीय हालत की चर्चा की जाती है तो चाहे हमारे मुख्यमंत्री जी हों, चाहे वित्तमंत्री जी हों, या सरकार की तरफ से जब भी बात की जाती है तो हमेशा यह कहा जाता है कि प्रदेश की वित्तीय हालत बहुत अच्छी है और लगातार प्रदेश विकास की राह पर चल रहा है, लेकिन जब विधानसभा में कुछ प्रश्न लगते हैं और उनके उत्तर आते हैं तो उससे स्थिति उलट दिखती है. मैं उदाहरण के लिये इसी सत्र का दिनांक 27/11/2017 का तारांकित प्रश्न क्रमांक-618 जो कि क्रमांक -5 पर था लेकिन उस दिन वह प्रश्न आ नहीं पाया था. उसमें मैंने इछावर विधानसभा क्षेत्र की सी श्रेणी की मुख्य जिला मार्ग अमलाहा से भाऊखेड़ी के पुनर्निर्माण से संबंधित प्रश्न लगाया था. उस प्रश्न का शासन और विभाग ने जो उत्तर भेजा था, उस उत्तर के कुछ अंश मैं आपको बताना चाहता हूं और हमारे पीडब्ल्यूडी मंत्री बैठे हैं उसकी मांग जब वह भाऊखेड़ी आए थे, तब भी उनके सामने की गई थी. पूर्व में भी मैंने उसके लिये सवाल लगाये थे लेकिन अभी तक उस पर कोई काम नहीं हुआ है और जो उत्तर आया है वह यह आया है कि विभाग के अधिकारियों ने 28/07/2016 को निरीक्षण किया था और निरीक्षण करने के बाद मार्ग के उन्नयन हेतु 3628.97 लाख का प्रस्ताव तैयार करके भेजा था लेकिन वह बजट में शामिल नहीं हो पाया था. पुन: फिर मार्ग का प्रस्ताव बनाकर विभाग ने उन्नयन हेतु एनडीबी योजना के अंतर्गत 4807.14 लाख का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वह बजट के अभाव में स्वीकार नहीं हो पाया था. उसके बाद फिर जब पुर्ननिर्माण के लिये नहीं हुआ तो उसकी मरम्मत के लिए 338.41 लाख की स्वीकृति के लिये भेजा था, वह आज दिनांक तक विचाराधीन है और यह स्थिति मुख्यमंत्री जी के गृह जिले सीहोर की है. यह स्थिति माननीय सुषमा स्वराज जो विदेश मंत्री हैं उनके संसदीय क्षेत्र की है और माननीय रामपाल जी जो कि पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं और उस जिले के पालक मंत्री हैं, उनके कार्यक्षेत्र की है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर वहां
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
पर रोड पर मरम्मत नहीं हो पा रही है तो यह प्रदेश किस स्थिति में जा रहा है, मुझे इससे बड़ा उदाहरण पेश करने की आवश्यकता नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा शासकीय महाविद्यालय का प्रश्न मैंने पूर्व में लगाया था, उसमें भी यही उत्तर दिया गया था कि बजट के अभाव में वहां पर अतिरिक्त जो क्लासेस चालू होना चाहिए वह नहीं हो पा रही है. पिछले तीन वर्षों से उस बजट का आवंटन नहीं हो पाया है. चाहे वह इछावर के अस्पताल की बात हो, वहां के उन्नयन की बात की तब भी वही जवाब आया कि बजट के अभाव में उसका उन्नयन अभी नहीं होगा प्रस्ताव लंबित है. पिछले तीन चार सालों से वह भी लंबित है. चाहे पीने के पानी की बात हो, चाहे सिंचाई की जो मांगें हों, हर बार विभागों के द्वारा जो उत्तर आता है कहीं न कहीं वह यही आता है कि बजट आवंटन होगा, लेकिन अभी तक वह आवंटित नहीं हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति है मैं इस ओर आपको इंगित करना चाहता हूं. खैर कहने और होने में बहुत फर्क होता है. निश्चित रूप से जो आंकड़ें बताए जाते हैं, वह सुनने में बहुत अच्छे लगते हैं लेकिन जमीनी धरातल में अभी भी प्रदेश में विकास बहुत पीछे है और बहुत से कार्य होना बाकी है. चाहे वह स्कूल की बात हो, कॉलेज की बात हो, पीने के पानी की बात हो, अभी तक इन मूलभूत आवश्यकताओं में काम करने की बहुत ज्यादा जरूरत है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं मांग संख्या 2 मुख्य शीर्ष 2053 के मद क्रमांक 3 की बात करता हूं. मैं माननीय वित्तमंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूं कि जो वाहन दुर्घटना होती है और उसके बाद अज्ञात वाहन से दुर्घटना होने पर मृत्यु उपरांत 25 हजार रूपये देने का प्रावधान है.पूर्व में भी जब इस तरह से अकाल मृत्यु होती थी और अलग-अलग कारण से अलग-अलग राशि मिलती थी, जब सदन में यह चर्चा आई थी, तब मैंने भी अपनी बात रखी थी और अन्य सदस्यों ने भी रखी थी फिर उस राशि को 4 लाख रूपये हितग्राहियों को देने का फैसला हुआ था. इसी तरह जब अज्ञात वाहन से किसी की दुर्घटना होती है तो उसे भी चार लाख रूपये कर देना चाहिए क्योंकि मृत्यु-मृत्यु समान है, चाहे वह कुंऐं में जाकर मृत्यु हो, चाहे बिजली से मृत्यु हो, जब उनको चार लाख रूपये दिये जा रहे हैं तो वाहन दुर्घटना में भी जब अज्ञात वाहन से दुर्घटना होती है तो उसे भी चार लाख रूपये कर देना चाहिए. यह एक मांग मैं आपके माध्यम से सरकार की ओर रखता हूं, इस पर अगले बजट के दौरान बात करेंगे. इसी तरीके से मांग संख्या 11, मुख्य शीर्ष 2852 के बारे में भी मैं कहना चाहता हूँ कि 'फ्रैण्ड्स ऑफ एमपी कॉन्क्लेव, 2018' के लिए एक करोड़ रुपये की राशि आवंटन की बात कही गई है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि अभी तक लगातार कितनी मीट हो गई हैं ? लेकिन मध्यप्रदेश में इन्डस्ट्रीज़ नहीं आ रही हैं. माननीय वित्त मंत्री जी, आपके फण्ड से कितनी ही धनराशि जा तो रही है लेकिन इन्डस्ट्रीज़ आ नहीं रही हैं और खर्च होने के बाद भी जितने पैसे आने चाहिए थे, वे नहीं आ रहे हैं. इन्डस्ट्रीज़ क्यों नहीं आ रही हैं ? कहीं न कहीं इस बारे में विचार करने की आवश्यकता है और जब तक इस बारे में गम्भीर विचार नहीं होगा तब तक मध्यप्रदेश में इन्डस्ट्रीज़ नहीं आएंगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19, मुख्य शीर्ष 2210 के बारे में 2 बातें ही करूँगा कि लोक स्वास्थ्य विभाग ने यह बात कही है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र के लिए गांवों में ही हम भवन किराये पर लेकर चलाएंगे लेकिन गांवों में भवन मिल नहीं रहे हैं, किराये के मकान की बात है, इस ओर भी सरकार को विचार करना चाहिए और भवन निर्माण की बात करनी चाहिए और अन्त में, मैं आपसे एक बहुत महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूँ कि मांग संख्या 48, मुख्य शीर्ष 2401 के मद क्रमांक 9 में नर्मदा आईएफसी पार्वती लिंक परियोजना को नवीन मद के रूप में बजट में शामिल करना प्रस्तावित किया है, नया हेड खोलने की बात की है. माननीय मुख्यमंत्री जी आज यहां नहीं हैं, मैं सीहोर जिले से आता हूँ. इछावर का पानी भोपाल आता है, मैं कई बार कह चुका हूँ कि वहां पर सिंचाई की नितान्त आवश्यकता है, पीने के पानी की आवश्यकता है और यह योजना एन.व्ही.डी.ए. में बनकर तैयार है, इस योजना में लगभग 8,000 करोड़ रुपए खर्च होना हैं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि माननीय वित्त मंत्री जी बजट सत्र में यह राशि आवंटित करें ताकि इछावर, सीहोर, आष्टा, शुजालपुर एवं शाजापुर के जो किसान हैं, उनको सिंचाई की सुविधा प्राप्त हो सके और विशेष रूप से मेरे विधानसभा क्षेत्र इछावर जहां से पानी चाहे बड़े तालाब में जाता हो, चाहे कोलार के माध्यम से आता हो, वहां पर लोगों को पीने का पानी एवं सिंचाई में उपलब्धता हो पायेगी. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से पुन: निवेदन करता हूँ. धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी - (अनुपस्थित)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वर्ष 2017-18 की द्वितीय अनुपूरक अनुदान मांगों का समर्थन करते हुए, अपनी बात प्रारम्भ करता हूँ. 'किसानों का सुरक्षा कवर' यह वही योजना है, जिसको भावान्तर भुगतान योजना के नाम से जाना जा रहा है. आज भोजनावकाश के दौरान, जब मैं सदन से बाहर जा रहा था, प्रतिपक्ष के कांग्रेस के एक वरिष्ठ पूर्व मंत्री एवं सदन के वरिष्ठ सदस्य उन्होंने चलते-चलते मुझसे प्रश्न किया कि क्या सिसौदिया जी यह वास्तव में सही बात है कि भावान्तर भुगतान योजना किसानों के लिए वरदान साबित होगी ? यह प्रश्न अभी उनके मन-मस्तिष्क में घूम रहा है और अभी शायद प्रतिपक्ष को पता भी नहीं है.
श्री मुकेश नायक - यह आप अपने विधानसभा क्षेत्र में बोलना.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मुकेश जी, मैं वहां भी वही बात करूँगा. मैंने आपको बिल्कुल नहीं टोका है. दिनांक 22 नवम्बर, 2017 को नानाखेड़ा, उज्जैन स्टेडियम में 'किसानों का सुरक्षा कवर' किसानों का बड़ा सम्मेलन है. अब इस सदन में 5-7-10 विद्वान बैठकर कुछ भी कह दें लेकिन मैं सभी को न्यौता देता हूँ, निमन्त्रण देता हूँ कि माननीय मुख्यमंत्री जी के इस 22 नवम्बर और उसके बाद वाले जितने भी किसान सम्मेलन हो रहे हैं, उसमें आकर पीछे के कोने में बैठ जाना, आगे मत पधारना अन्यथा सी.आर. खराब हो जाएगी. पचास हजार, साठ हजार और सत्तर हजार किसान आपको उन सम्मेलनों में दिखलाई पड़ेंगे.
श्री मुकेश नायक - वह सरकारी खर्चे पर है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अरे, कैसा भी खर्चा हो, काहे का भी खर्चा हो लेकिन कर्मचारी नहीं, किसान आ रहे हैं. अब मेरी बात इतनी तकलीफदायी होगी, यह मुझे कल्पना नहीं थी.
श्री मुकेश नायक - आपने उनकी इतनी तारीफ की है, अब तो एक ही साल बचा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आप उधर ओम जी को भी उकसा रहे थे और मुझे भी उकसा रहे हैं. आपका काम ही यही है क्या. मुकेश जी को इसके अलावा कुछ दिखता है या नहीं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - मुकेश जी, आप हैरान-परेशान हैं, सपने में भी वही कुर्सी दिख रही है. अभी 10-20 साल कोई उम्मीद नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, किसानों के खातों में पैसा जाना प्रारम्भ हो गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है कि जिस हितग्राही के खाते में पैसा जाता है, जा रहा है, जाएगा, वह किस व्यापारी के कब्जे में कैसे आ जाएगा. मेरा बैंक, मेरा एकाउंट मैंने पोर्टल पर उसका रजिस्ट्रेशन कराया, पंजीयन कराया मुकेश जी, और वह सीधा सीधा व्यापारी के खाते में कैसे चला जाएगा, व्यापारी कैसे छीन लेगा? यह बिल्कुल गलत बात है और जहां तक भाव का मामला है. माननीय मुकेश जी आप तो बड़े वरिष्ठ है, बहुत विद्वान है, मंत्री रहे हैं, राजस्थान देख लें, महाराष्ट्र देख लें, गुजरात देख लें, उड़द का भाव हो या सोयाबीन का भाव सिर्फ मध्यप्रदेश में नहीं गिरा है, सब दूर गिरा है, तो इसका मॉडल रेट तय करते हुए. माननीय मुख्यमंत्री जी की कार्यशैली वहां समाप्त हो जाती है, जहां आपकी सोच भी प्रारंभ नहीं होती, यह पहली बार इस प्रकार का एक नया नवाचार हुआ है. जनता को सिर्फ गुमराह करने में प्रतिपक्ष लगा हुआ है. मुद्दे सब समाप्त हो गये हैं. जीएसटी की बात कर लें, वह भी समाप्त हो गया है, बार बार कहा जाता था बजट में वैट कम करो, वह भी समाप्त हो गया, अब भावांतर आ गया तो भावांतर की बात की जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सारे मुद्दे प्रतिपक्ष के पास समाप्त होते चले जा रहे हैं. बिजली का उत्पादन हो, सिंचाई का रकबा हो, सड़कों के उन्नयन या आधुनिकीकरण का हो, पुल पुलियाओं का निर्माण हो, बेटे-बेटियों के शिक्षा के क्षेत्र में दिनों दिन प्रगति का मामला हो, खेल कूद का मामला हो, आज ही मैं देख रहा था स्पेन से तीन पुरस्कार प्राप्त करके कथक नाट्य में उज्जैन की तीन बेटियां जब ट्रेन से उज्जैन शहर में उतरी तो शहरवासियों ने भावभीनी स्वागत किया, यह अभी दोपहर की बात है. हर क्षेत्र में हितग्राहीमूलक योजना हो, पंचायत और महापंचायत का मामला हो.
श्री मुकेश नायक - यशोधरा जी तो उद्योग में अच्छा काम कर रही थीं उनका डिपार्टमेंट ही ले लिया, अभी स्पोर्ट्स में ही तो सबसे अच्छा काम हो रहा है. उनका प्रमोशन करना चाहिए था तो उनका डिमोशन कर दिया, क्योंकि वह ईमानदार हैं, अच्छा काम कर रही थीं, वे अभी स्पोर्ट में कितना अच्छा काम कर रही हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, कर्मचारियों का मामला, एक-एक झटके में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को निकाल दिया जाता था, उनको नियमितीकरण करने का काम किया जा रहा है, सातवां वेतनमान हो, डी.ए. की बात हो, टी.ए. की बात हो, वेतन वृद्धि की बात हो, कर्मचारियों अधिकारियों का मामला आया हो, सैनिकों के सम्मान करने की बात हो, शौर्य स्मारक की बात हो, हर क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार माननीय शिवराज सिंह जी चौहान के नेृतत्व में जो उपलब्धियां हासिल कर रही हैं, शायद वह तकलीफ कांग्रेस को बराबर निरन्तर सताये जा रही है. (मेजों की थपथपाहट...)
माननीय अध्यक्ष महोदय, समर्थन मूल्य, ए.डी.एम., एस.डी.एम., पटवारी, तहसीलदार, पुलिस, टीआई, कानून और व्यवस्था, मंडियों में ड्यूटी लगी रहती थी, चक्काजाम, समर्थन मूल्य से कम भाव में बिकने से किसान नाराज है, समर्थन मूल्य एक आधार है और उस आधार को आधारित मानते हुए मॉडल रेट तय करते हुए, जो गारंटी दी है, आज कल्पना करें कांग्रेस के लोग अगर उड़द (...व्यवधान) मंदसौर में आप ही लोग थे आंदोलन को भड़काने वाले, आप ही के कारण आंदोलन हुआ है, किसानों के कारण आंदोलन नहीं हुआ है, कांग्रेस ने आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाए .
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, सच हमेशा कड़वा होता है और यह तकलीफ स्वभाविक है. कानून और व्यवस्था का प्रश्न खड़ा होता था, आज समर्थन मूल्य से, आप कल्पना कीजिए कांग्रेस के प्रतिपक्ष के नेताओं से मैं आह्वान करना चाहता हूं, अगर उड़द का वास्तव में समर्थन मूल्य 5050 रूपए था, है अगर और ढाई हजार में ही व्यापारी ले रहा है सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं अन्य राज्यों की भी आप तुलना करें, और आप कहे कि इतना ही मिलना था तो क्या प्रतिपक्ष नहीं चिल्लाता कि समर्थन मूल्य से पैसा क्यों कम मिल रहा है, समर्थन मूल्य की भरपाई करने का यदि किसी ने किया है तो माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल के सदस्यों ने किया है.
श्री रामनिवास रावत - बजाओ टेबल बजाओ (बैठे बैठे).
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - बज रही अपने आप टेबल बज रही है, टेबल बजाने के लिए किसी को कहना नहीं पड़ता रावत जी. प्याज खरीदने का मामला, ऐतिहासिक मामला, उपलब्धिपूर्व मामला, प्याज खरीदकर के पी.डी.एस. कंट्रोल की दुकान पर देकर के गरीब को प्याज देने का काम भी यदि किसी सरकार ने किया है तो वह शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में किया है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - गिरीश जी आपका नाम है, जब आपका समय आए तब बोलना.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट के आंकलन तो हमेशा ठीक होते हैं, लेकिन परिस्थ्िातिजन्य जब स्थितियां निर्मित होती है, तब प्रथम अनुपूरक हो या दूसरा अनुपूरक हो, या तृतीय अनुपूरक बजट हो, लाना ही पड़ता है और शायद भावांतर मुख्य बजट में इसलिए नहीं आया था, क्योंकि उस समय परिस्थितियां सामने नहीं थी, आज यदि परिस्थितियां सामने हैं तो चार हजार करोड़ रूपए का बजट में प्रावधान अनुपूरक में भरपाई के लिए किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 9.90 रूपये प्रति क्विंटल प्रतिमाह जो वास्तविक भुगतान किया जाएगा. किसानों को बाजार मूल्य पर अगर नहीं देना है उसकी भरपाई सरकार करेगी लायसेंसी गोदामों में चार माह तक माल को रखने की भी सुविधा सरकार के माध्यम से दी गई है. अगर जल्दबाजी में किसान माल नहीं बेचना चाहता है तो वह न बेचे उसका 9.90 पैसे प्रति क्विंटल प्रतिमाह के हिसाब से दिये जाने का प्रावधान इस योजना के अंतर्गत भी किया गया है. आपको शायद इसकी जानकारी नहीं होगी कि परिवहन की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है. मालव धरती गहन गंभीर डग-डग रोटी पग-पग नीर.
अध्यक्ष महोदय--आप समाप्त करें. आपने हां नां नहीं बोला. एक मिनट में समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--अध्यक्ष महोदय, दो तीन मिनट में समाप्त करता हूं. सिंचाई, पेयजल को लेकर नर्मदा का पानी क्षिप्रा में चलकर के आये और वर्ष भर तक क्षिप्रा भरी रहे उसको आगे बढ़ाने को लेकर के इस द्वितीय अनुपूरक बजट में मालवा की रीढ़ की हड्डी, मालवा गंभीर लिंक उद्वहन सिंचाई योजना के लिये 100 करोड़ रूपये का यदि प्रावधान किया जाता है तो स्वागत योग्य है, क्योंकि मालवा में अगर क्षिप्रा के बाद गंभीरी,चामला,कालीसिंध और आगे जाकर के गांधी सागर तक पानी जाता है तो नर्मदा का पूरा का पूरा पानी हमारे मालवा अंचल को नीमच-मंदसौर एवं गांधी सागर तक मिलने की संभावना बलवती होती है.
अध्यक्ष महोदय, हर क्षेत्र में जो व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है बल्क एसएमएस किसानों को उसकी उपज का उचित भाव, खरीदी केन्द्र यह सब भी दिये जाने का जनसम्पर्क विभाग से कोई काम किया गया है. उसी के तहत कोई प्रचार-प्रसार के बारे में कांग्रेस प्रतिपक्ष हमेशा आरोप-प्रत्यारोप लगाता है कि प्रचार-प्रसार क्यों किया जा रहा है. जंगल में मोर नाचा किसने देखा बंद कमरे में कोई व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकती है क्या ? हम सदन में बैठकर के कोई निर्णय अथवा बात कर लेंगे? एक एक किसान के लिये हर क्षेत्र की हितग्राही मूलक योजनाओं के लिये, इलेक्ट्रानिक मीडिया हो या प्रिन्ट मीडिया हो, सोशल मीडिया हो इसके माध्यम से सशक्त प्रचार प्रसार की यदि आवश्यकता पड़ती है तो मुझे प्रसन्नता है कि द्वितीय अनुपूरक में जो 35 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, इलेक्ट्रानिक्स मीडिया के लिये 20 करोड़ रूपये का जो प्रावधान किया गया है. मैंने कहा है कि किसानों की उपज का माल उसके भाव, उसका पंजीयन यदि बल्क एसएमएस के माध्यम से भी पहुंच जाये, हिन्दी में पहुंच जाये यह अनुकरणीय कार्य मध्यप्रदेश की सरकार के माननीय शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्व ने किया है. कहने के लिये बहुत कुछ है.
श्री मुकेश नायक--साल भर का समय बचा है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--अध्यक्ष महोदय, मुकेश जी आने वाला समय में भी भारतीय जनता पार्टी के माननीय शिवराज सिंह जी का नेतृत्व होगा. आपने बोलने के लिये समय दिया धन्यवाद.
श्री दिनेश राय मुनमुन (अनुपस्थित)
श्री गिरीश भण्डारी (नरसिंहगढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अनुपूरक बजट पर बोलने का मौका दिया उसके लिये आपको धन्यवाद देता हूं. कुछ महत्वपूर्ण मद क्रमांक 11-12 में पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिये बात की गई है. निश्चित रूप से जिसमें 27 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. बड़ा दुर्भाग्य है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी इस प्रदेश की कानून व्यवस्था है वह किस तरह से बिगड़ी हुई है, किस तरह से लचर हो गई है, यह आये दिन समाचार पत्रों में पढ़ा जा सकता है. मध्यप्रदेश अपराधों में सबसे ऊपर, महिला बलात्कार में सबसे ऊपर, महिला अत्याचार में सबसे ऊपर. कितने बड़े शर्म की बात है कि यहां पर महिलाओं के ऊपर अत्याचार, महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं, बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं. आये दिन लूट-खसोट, इस प्रदेश में आम बात हो गयी है. इस प्रदेश का एक कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि जब इस प्रदेश का एक केबिनेट मंत्री भादंवि की धारा 302 का आरोपी है, जिसकी हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज हो गयी है, वह आज भी अपने विभाग को आरोपी होने के बावजूद चला रहा है.मैं आपके माध्यम से जानना चाहता हूं कि क्या इसी तरह से मध्यप्रदेश की कानून-व्यवस्था सुधरेगी.
अध्यक्ष महोदय, कृषक समृद्धि योजना, इसमें 15 करोड़ रूपये कि अतिरिक्त राशि की आवश्यकता की बात कही गयी है, लेकिन आज पूरे प्रदेश का किसान किस बदहाली, तंगहाली में है, यह अभी आपने किसान आंदोलनों के माध्यम से देखा और सुना है. इसी का परिणाम है कि जब किसान को उसकी फसल की कीमत नहीं मिली तो आंदोलन हुए और आंदोलन में निहत्थे किसानों के ऊपर गोलियां चलायी, उनकी हत्याएं की गयीं. यही इस प्रदेश की कानून व्यवस्था है और यही इस प्रदेश के किसानों की समृद्धि की योजना की बात करने वाली, मध्यप्रदेश की सरकार है.
आज मेरे विद्वान साथी भावांतर योजना की बात कर रहे हैं. भावांतर योजना में होना यह चाहिये था कि किसान की फसल को उसके समर्थन मूल्य पर खरीदना चाहिये था, लेकिन समर्थन मूल्य और जो मॉडल रेट बनाया गया है, उसका अंतर दिया जा रहा है. 15 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक सोयाबीन का जो मॉडल रेट 25p80 बनाया गया था और जो 470 रूपये, जिसको भावांतर योजना का प्रति क्विंटल का फायदा दिया गया. लेकिन भावांतर योजना के बाद आप रिकार्ड उठाकर देख लीजिये कि जिस दिन से भावांतर योजना की घोषणा हुई, उस दिन से मण्डियों में सोयाबीन की फसलों में तीन सौ से चार सौ रूपये की कमी आ गयी है. भावांतर योजना का अगर किसी को फायदा मिल रहा है तो देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों को मिल रहा है. भावांतर योजना के अंतर्गत किसान को मॉडल रेट का डिफरेंस दिया जा रहा है. किसान की सोयाबीन 2000-2200 रूपये में बिकी, जबकि उसको 850 रूपये मिलना चाहिये था और मिल रहा है 470 रूपये. 2200 रूपये में बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने व्यापारियों के माध्यम से खरीदी, उसका सीधा फायदा अडानी जैसे उद्योगपति को मिला.
अध्यक्ष महोदय, हमारे मुख्यमंत्री जी बार-बार हर मंच से यह बात करते हैं कि मैं किसान का पुत्र हूं और किसान को परेशान नहीं होने दूंगा. आज यहां पर वित्त मंत्री जी भी हैं. मैं मंडी टैक्स के बारे में अपनी बात कहना चाहता हूं कि मंडी में 2.20 पैसे मंडी टैक्स के रूप में लिये जाते हैं. लेकिन जब से इस वर्ष जीएसटी लागू हुआ है तो फसलों के ऊपर पांच प्रतिशत जीएसटी लागू किया गया है. चूंकि किसान बहुत मेहनत से अपनी फसल का उगाता है. किसान रात-दिन मेहनत करके जैसे-तैसे अपनी फसल को मंडी में लाता है, यदि यह पांच प्रतिशत जीएसटी को मंडी टैक्स के रूप में खत्म कर दिया जाये तो कहीं न कहीं उसका फायदा हमारे किसान भाईयों को मिलेगा. स्वाभाविक है कि जो भी टैक्स लिया जाता है या जो भी टैक्स सरकार को दिया जाता है, उसका भार कहीं न कहीं किसान के ऊपर आता है. वह कोई व्यापारी या उद्योगपति अपने घर से नहीं देता है. इसलिये मेरा निवेदन है कि फसलों पर जो पांच प्रतिशत जीएसटी लगाया है, उसको खत्म करने के लिये जो जीएसटी की काऊसलिंग कमेटी है, उसमें रखने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय:- भण्डारी जी, कृपया आप समाप्त करें.
श्री गिरीश भंडारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत ही विनम्रता के साथ अपनी बात रखना चाहूंगा इसमें लिखा है कि संस्कृति विभाग के अंतर्गत ''नमामि देवी नर्मदे'' नर्मदा सेवा यात्रा के आयोजन के लिए 3 करोड़ रूपये अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता है. मैं सदन में उदाहरण रखना चाहूंगा कि जनता के पैसे का किस तरह से दुरूपयोग हुआ है. अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि जब अमरकंटक में प्रधानमंत्री जी नर्मदा सेवा यात्रा के समापन कार्यक्रम में आये थे, तब वहां पर प्रदेश के पूरे 51 जिलों से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को ले जाने के लिए बसें लगाई गई थीं. उन बसों को लगाने पर भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार ने 15 करोड़ रूपये का खर्चा किया है. यह वह पैसा था जो जनता की मेहनत का पैसा है, जो वे टैक्स के रूप में सरकार को देते हैं लेकिन इसका उपयोग भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को अमरकंटक ले जाने में किया गया.
मैं सदन को यह भी बताना चाहूंगा कि इस यात्रा में भी घोटाला हुआ. अनूपपुर जो कि अमरकंटक से 70 किलोमीटर की दूरी पर है, वहां से 161 बसों के लिए 84 लाख रूपये का भुगतान इस मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें. आपने बहुत समय ले लिया है.
कुँवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारा द्वितीय अनुपूरक बजट आ रहा है. एक आम आदमी की तरह मैं यह समझता हूं कि अनुपूरक बजट से तात्पर्य यह है कि हमारे पैसे के प्रबंधन में कमी थी. हमारे पिछले बजट का पैसा लैप्स हुआ है और हम फिर से बजट मांग रहे हैं. हम कई विभागों का पैसा खर्च ही नहीं कर पा रहे हैं और अनुपूरक बजट बना रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, यदि सिस्टम फेल है तो हम यह कैसे मान लें कि पैसे का सही उपयोग हो रहा है. एक तरफ हम पैसे मांग रहे हैं और दूसरी ओर अपना बजट खर्च भी नहीं कर पा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, इन आंकड़ों को हम कितना सही मानें जो सदन के सम्मुख लाये जा रहे हैं और जो जनता के पास पहुंच रहे हैं, इनमें हकीकत कितनी है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी एवं सी.एस. महोदय ने कहा था कि 30 अक्टूबर 2017 तक राज्य के सभी गैर विवादित सीमांकन एवं बंटवारे के प्रकरणों को समाप्त कर दिया जायेगा. इसके लिए शायद लाख रूपये की घोषणा भी की गई थी. वह तो आप छोड़ दें वरन् यहां हम किसानों को उल्टा लटका रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मद क्रमांक 1 में 1300 करोड़ रूपये सूखे के लिए रखे गए हैं. मेरा पूरा क्षेत्र पठार का है. हमारे यहां मुख्य फसल धान की है और मेरे क्षेत्र में धान की फसल का हाल बहुत ही बुरा है. फिर भी मेरे क्षेत्र को सूखाग्रस्त क्षेत्र में शामिल नहीं किया गया. हमारे यहां टैन-टैन नामक धान की एक किस्म है जो कटनी जिले में भारी धान की श्रेणी में ली जाती है और पड़ोस में 2 किलोमीटर की दूरी पर जबलपुर-सीहोरा में हल्के धान की श्रेणी में आती है जिससे 30 रूपये क्विंटल का अंतर पड़ता है. इस संबंध में कई बार पत्राचार किया गया है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 3, 4 पुलिस एवं गृह से संबंधित है. राज्य में कई स्थानों पर सुरक्षा के लिए लगाए गए कैमरे बंद हैं. शासन की हंड्रेड डायल की व्यवस्था केवल वसूली के लिए है. पहले आदमी थाने में शिकायत करने जाता था तो खर्चा करता था अब होम डिलीवरी के रूप में हंड्रेड डायल की गाड़ी घर पर आती है और घर से ही पैसे ले जाती है. जनता को कोई राहत नहीं मिली है. हाल ही में मेरे विधान सभा क्षेत्र स्लीमनाबाद में हाई प्रोफाइल शराब कांड हुआ था. सी.सी. टीवी कैमरे बंद थे, चार लोगों को चोट लगी, एम.एल.सी. हुई, हड्डियां टूटीं लेकिन कोई शिकायतकर्ता सामने नहीं आया. सरकार का प्रशासन और कानून बिल्कुल सही है ? किसी की हड्डियां टूट जायें परंतु वह शिकायत नहीं कर सकता है.
अध्यक्ष महोदय, मद क्रमांक 8 और 10 के संबंध में कहना चाहूंगा कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है. शालाओं में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, अतिथि शिक्षकों के माध्यम से हमारी शिक्षा व्यवस्था चल रही है. जनता के पैसे से हमने हर ब्लॉक में दो-तीन कम्प्यूटर सेंटर तो खोल रखे हैं लेकिन वहां बिजली ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मद क्रमांक 22. होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा वालों के पक्ष में माननीय न्यायालय का फैसला आ गया है. परंतु उनका नियमितीकरण नहीं हो रहा है. मांग संख्या 11, मद क्रमांक 2 में उद्योगपतियों को सौ करोड़ रूपये का निवेश में प्रोत्साहन दिया जा रहा है. मेरे कटनी जिले के डीमरखेड़ा ब्लॉक में करौंदी है, जहां 200-300 आदिवासी परिवार कई सौ सालों से रह रहे हैं, उन्हें विस्थापित कर दिया गया है और वहां की जमीन उद्योग विभाग को दी जा रही है. अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 12, मद क्रमांक 2 में 1150 करोड़ का अनुदान दिया गया है. परंतु बिजली का बिल बहुत ज्यादा आ रहा है. हमारे कटनी जिले में बिजली की वसूली के लिए प्राईवेट कंपनी को लगा दिया गया है एक गरीब आदमी जो 100 से 150 रुपए रोज कमाता है और उसका बिल बारह हजार रुपए के आसपास आ रहा है. ट्रांसफार्मर जले हुए हैं वह बदले नहीं जा रहे हैं. एक तरफ सरकार कह रही है कि ग्रामीण क्षेत्र में कृषि क्षेत्र के लिए 10 घंटे बिजली मिलेगी वहां सिर्फ 6 घंटे बिजली मिल रही है. मद क्रमांक 6 मांग संख्या 12 में पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के पास कोयला नहीं है. हमारे विद्वान साथी लोग हमेशा कहते हैं कि कांग्रेस के जमाने में वर्ष 2002-03 में बिजली का उत्पादन बहुत कम होता था मैं बिलकुल स्वीकारता हूं पर उस समय पी.यू.एफ. 73.17 प्रतिशत था जो वर्तमान में 60 प्रतिशत से कम है. आप चाहे तो पता करवा लें इतना पैसा देने के बाद, इतना उत्पादन करने के बाद हम पहले स्तर से नीचे गए हैं. मद क्रमाक 4, 6, 7, 8 में 2856 प्रकरण लोकायुक्त में हैं जो आठ, दस साल से विचाराधीन चल रहे हैं. उनमें तीन माननीय मंत्री के हैं, 21 आई.ए.एस. अफसरों के हैं और हमारे मुख्यमंत्री जी जीरो टॉलरेंस की बात कर रहे हैं. सिंचाई विभाग में मैंने सूची पढ़ी दुर्भाग्यवश हमारे जिले का एक भी तालाब नहीं था. आठ जलाशय स्वीकृत हैं और पैसे के अभाव में हमारे यहां लंबित हैं. संविदा वर्ग एक, दो, तीन की भर्ती की घोषणा की गई अभी तक कोई भर्ती नहीं की गई है. प्रदेश के बाहर के लोगों को प्राथमिकता मिल रही है. क्षेत्र के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. किसी भी परीक्षा की इंटरेंस फीस इतनी ज्यादा हो गई है कि मुझे लगता है कि जितना फीस का कलेक्शन हो रहा है और उन्हें जो सेलरी मिलनी है वह फीस से ही पूरी हो जाएगी.
4.36 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ) पीठासीन हुए}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रोज अखबारों में खबर आ रही है किसी के फोन पर एस.एम.एस. आ गया कि उनके खाते से पैसे निकल रहे हैं. गरीब लोग अभी अपना एकाउंट ऑपरेट नहीं कर पा रहे हैं और आप कैशलेस व्यवस्था कर रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रों में जब वृद्ध महिलाएं पेंशन लेने जाती हैं और अंगूठा लगाकर अपनी पेंशन निकालती हैं वह पेंशन तक उनको नहीं मिल पा रही है और हम कैशलेस इकोनॉमी की तरफ जा रहे हैं. हमारे यहां एक टनल बन रही है वहां लोकल लोगों को काम नहीं मिल रहा है. उनकी जमीन गई है, लोग परेशान हो रहो हैं. उनको क्षेत्र में पानी नहीं मिल रहा है, स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. मांग संख्या 39 खाद्य और नागरिक आपूर्ति में मेरे प्रश्नों के जवाब में माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि लोग जितनी जनसंख्या है उससे ज्यादा दर्ज हो गए हैं और मेरा कहना यह है कि यदि खाद्य पर्ची में ज्यादा लोग दर्ज हो गए हैं तो गलती उन लोगों की नहीं है गलती उनकी है जिन्होंने उन्हें दर्ज किया है. लोगों को खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है. कौन गलत है यह तय नहीं कर पा रहे हैं. पी.एच.ई. में समस्या है लगातार किसानों की बात की जा रही है धान में किसानों का बोनस बंद हो गया है. इस वक्त जनता को कर्ज माफी देना चाहिए, बिजली के बिल में संशोधन किया जाना चाहिए. एक समस्या और है फेंसिंग की. आवारा पशु और जंगली पशु इतना ज्यादा नुकसान कर रहे हैं जिसको हम नहीं देख पा रहे हैं. मेरा सरकार से कहना है कि अगर सरकार समर्थन मूल्य देना चाह रही है तो हल्के बीजों में जैसे गेहूं में लोकमन बीज लगभग एक एकड़ में 40 किलो के आसपास बोवनी होती है तो उन्हें हल्के बीजों पर जो कम पानी के बीज हैं उस पर सब्सिडी खत्म कर दी है और भारी बीजों पर सब्सिडी दे रहे हैं. जब पानी कम है और दूसरा, तीसरा पानी किसान लगा नहीं पाएगा तो सब्सिडी हल्के बीज में देना चाहिए. सरकार समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदना नहीं चाह रही है या सरकार चाह रही है कि किसान का उत्पादन कम हो दोनों ही कारणों से किसान का नुकसान होने वाला है. मेरा ऐसा मानना है कि हम पेपर में जो योजनाएं दिखा रहे हैं यह एक मार्केटिंग अखबार की तरह है जो देखने में तो बड़ी अच्छी लगती हैं पर नीचे लिखा होता है शर्तें लागू. जो शर्तें लागू हैं वह भी जनता को बता दें जिससे जनता जान सके कि उससे होना क्या है. मैं इस द्वितीय अनुपूरक बजट का पुरजोर विरोध करता हूं क्योंकि इसमें जनता के पैसों का अपव्यय हो रहा है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, द्वितीय अनुपूरक अनुमान जो आज सदन में प्रस्तुत किया गया है मैं उसका समर्थन करता हूं निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश की सरकार कई सारे नवाचारों को करने के लिए जानी जाती है. किसानों के हित के लिए इस बजट में जो प्रावधान किये गए हैं चाहे सिंचाई के लिए हों, चाहे भावांतर भुगतान योजना के लिए किए गए हों निश्चित तौर पर माननीय मुख्यमंत्री जी की सहृदयता को दर्शाता है. कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए जो उनके प्रयास हैं वह इस अनुपूरक बजट में किसानों के हित में की गई घोषणाओं को सार्थकता प्रदान करते हैं मैं इस अनुपूरक बजट के माध्यम से जो भावांतर भुगतान योजना के लिए चार हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है उससे किसानों को एक बहुत बड़ी राहत मध्यप्रदेश में मिल रही है. शुरुआत में भावांतर योजना जिस समय घोषित की गई थी उस समय जरूर किसानों में इस योजना के प्रति कुछ असमंजस की स्थिति थी लेकिन समय बीतने के साथ-साथ जब सरकार ने भावान्तर भुगतान योजना में किसानों के पंजीयन की समय-सीमा में वृद्धि की और आज किसानों के खाते में इस भावान्तर योजना के भुगतान की राशि जब पहुंचने लगी है तो किसानों को लगने लगा है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने किसानों के हित में वह करके दिखाया है जो अभी तक किसी सरकार ने नहीं किया है. आने वाले समय में किसानों को खाते के माध्यम से ही सरकार के समर्थन मूल्य की राशि का डिफरेंस प्राप्त होगा. ऐसा इस योजना के माध्यम से आगे संभव होता हुआ हमें दिख रहा है. इस अनुपूरक बजट में लगभग 24000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति की गई है. मध्यप्रदेश में सिंचाई का जो रकबा बढ़ रहा है उसमें और बढ़ोतरी होगी. इस अनुपूरक बजट के माध्यम से विभिन्न सिंचाई योजनाओं को स्वीकृत किया गया है वह भी किसानों के हित में एक बहुत बड़ा कदम है.
मध्यप्रदेश में नर्मदा सेवा यात्रा निकाली गई थी इस यात्रा का उद्देश्य माँ नर्मदा की पवित्रता और स्वच्छता में और वृद्धि करना था. इस हेतु माँ नर्मदा जी के विभिन्न घाटों निर्माण के लिए, यात्री निवास निर्माण के लिए सरकार ने इस अनुपूरक बजट में प्रावधान रखा है. इससे माँ नर्मदा के घाट और सुन्दर होंगे. माँ नर्मदा के तटों पर रोज हजारों-लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री स्नान के लिए आते हैं इससे उनको सुविधा मिलेगी. ओमकारेश्वर में भारत के आदि पुरुष जगतगुरु शंकराचार्य जी की प्रतिमा की स्थापना करने की योजना सरकार द्वारा बनाई गई है. शंकराचार्य जी न केवल आदि पुरुष थे बल्कि उन्होंने भारत के चारों कोनों में भ्रमण करके भारतीय संस्कृति को स्थापित करने के लिए, भारतीय धर्म और दर्शन को कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए अपना जीवन अर्पित किया था. सनातन संस्कृति की स्थापना में उनका बहुत बड़ा योगदान था. जिन्होंने इस देश को एकात्म करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया. उनकी प्रतिमा की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश सरकार पहल कर रही है. इस हेतु एक एकात्मता यात्रा प्रदेश के विभिन्न जिलों में निकाली जाएगी. इसके लिए सरकार ने अनुपूरक बजट में प्रावधान किया है. मैं इस प्रावधान के लिए सरकार को धन्यवाद देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में आज बहुत तेजी से प्रधानमंत्री आवासों व प्रधानमंत्री सड़कों का निर्माण चल रहा है. गरीबों को अपना मकान उपलब्ध हो यह जीवन में उनका एक स्वप्न होता है. हम जब ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं और गरीब लोगों को मकान की तराई करते हुए, मकान की छत बनाते हुए देखते हैं तो लगता है कि मध्यप्रदेश में ग्रामोदय का सपना जो कि महात्मा गाँधी जी ने देखा था, जिसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने निर्मित किया था, उनके विचारों को जमीन पर पहुंचाने का काम मध्यप्रदेश की सरकार के माध्यम से हो रहा है. 500 से कम की आबादी वाले गांवों में भी अब प्रधानमंत्री सड़क योजना के अन्तर्गत काम चल रहा है. राशन की दुकानों पर शकर उपलब्ध कराने के लिए भी बजट का प्रावधान किया गया है. मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. यह कहना चाहता हूँ कि शकर की उपलब्धता प्रतिमाह सुनिश्चित करने का आप प्रयास करें ताकि गरीबों को राशन की दुकानों से जो उचित मूल्य पर शकर मिलती है वह मिल सके.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री जी की एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है जिसका नाम प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना है. शिशु मृत्यु दर कम हो, सुरक्षित प्रसव हो इस हेतु प्रधानमंत्री जी ने गर्भवती महिलाओं को पहले माह से जांच की सुविधा उपलब्ध कराई है. इसमें 2000-2000 रुपए की तीन किश्तें अर्थात् 6000 रुपए की सहायता इस योजना के माध्यम से प्राप्त होगी. इस योजना के बाद महिलाओं का शासकीय चिकित्सालय की ओर आने का क्रम बढ़ा है. इस सहायता राशि के माध्यम से एक सुरक्षित प्रसव महिलाओं का अस्पतालों में होगा. इस योजना को धरातल तक पहुंचाने कि जिम्मेदारी हम सभी की है. वित्त मंत्री जी ने इस योजना को बढ़ाने के लिए बजट में इसके लिए प्रावधान किया है. इस हेतु मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कई विद्युत उपभोक्ता जिन्होंने कृषि पम्प का आवेदन वर्षों से दिया हुआ था, बजट के अभाव में इस किसानों के खेत पर लाइन के विस्तारीकरण का काम रुका हुआ था लेकिन इस बार के अनुपूरक बजट में एस.सी., एस.टी. के कृषि उपभोक्ताओं के लिए लाइन विस्तारीकरण हेतु बजट में प्रावधान किया गया है. हम सभी विधायक और सांसद जब दिल्ली में जाते हैं तो वहां एकमात्र मध्यप्रदेश भवन में रुकने का अवसर हमें प्राप्त होता है. यह भवन काफी पुराना हो गया है इसलिए नए भवन की दरकार है, उसका भी प्रावधान इस बजट में किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, अंत में इस बजट की सबसे खास बात जिसे मैं मानता हूँ वह है मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद. इस हेतु मध्यप्रदेश के सभी विधायक मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं. मध्यप्रदेश के लाखों गरीब लोगों को त्वरित अच्छे अस्पतालों में इलाज मिल सके, उनके जीवन की रक्षा हो सके इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत सह्रदय हैं हम जब भी उनके पास जाते हैं, कोई प्रकरण उन तक पहुँचता है या राज्य बीमारी सहायता के माध्यम से भी पहुँचता है तो मध्यप्रदेश की सरकार ऐसे मरीजों को तत्काल सहायता करती है इसके लिए भी बजट में और राशि बढ़ाकर माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्रावधान किया है. निश्चित ही इससे मध्यप्रदेश में लाखों लोगों की जान आज बच सकी है. मैं इस अनुपूरक बजट को इस मायने में अच्छा मानता हूँ क्योंकि इसमें संस्कृति की भी चिंता की गई है. नमामि देवि नर्मदा सेवा यात्रा और जगद्गुरु शंकराचार्य जी की एकात्मक यात्रा, किसानों के लिए सिंचाई और किसानों के लिए भावांतर भुगतान योजना और मध्यप्रदेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करने के लिए सड़कों की और प्रधानमंत्री आवास की योजनाओं के लिए राशि का इस बजट में प्रावधान किया गया है. मैं इस बजट को बहुत अच्छा मानता हूँ और माननीय वित्त मंत्री जी को अपनी ओर से धन्यवाद प्रेषित करता हूँ.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस बजट की माँग संख्या 53 और अन्य जो माँगें हैं, उनका विरोध करता हूँ. सबसे महत्वपूर्ण बात जो अभी प्रधानमंत्री आवास की कही जा रही है यह जब-जब वाहवाही लूटना हो तब कही जाती है कि हमने सर्वे कराया और सर्वे में अगर किसी का नाम छूट गया है तो बोलते हैं कि 2011 में हुआ था जब 2011 में सर्वे हुआ था तो केंद्र में मनमोहन सिंह जी की, कांग्रेस की सरकार थी उस समय यह तय हो चुका था कि जिन गरीबों के पास मकान नहीं है उनका सर्वे कर के उनको आवास दिया जाये और उस समय इस योजना में तीन लाख रुपये का जो प्रावधान किया गया था उसको इन्होंने 1.50 लाख रुपये कर दिया है और 1.50 लाख रुपये में जो 70 हजार रुपये इंदिरा आवास के मिलते थे, वह समाप्त करके इसमें जोड़े गये हैं, शौचालय की राशि इसमें जोड़ी गई है. मनरेगा राशि के मस्टर इसमें भर कर 1.50 लाख रुपये का प्रावधान रखा गया है और उसमें भी यह राशि 1 लाख 47 हजार रुपये ही दी जा रही है और जब ग्रामीण क्षेत्र में यह 1.50 लाख रुपये दे रहे हैं तो क्या कारण हैं कि 2.50 लाख रुपये आप शहरी क्षेत्र में दे रहे हैं? आप शहर में 2.50 लाख रुपये देते हैं और ग्रामीण क्षेत्र में 1.50 लाख रुपये देते हैं. जबकि ग्रामीण क्षेत्र वाला अगर सीमेंट लाता है तो शहर से लाता है, सरिया लाता है तो शहर से लाता है, ईंट लाता है तो शहर से लाता है अगर किसी को भाड़ा लगता है तो वह ग्रामीण क्षेत्र वालों को लगता है तो हम मानते हैं कि 2.50 लाख रुपये आप शहर वालों को दे रहे हैं तो ग्रामीण क्षेत्र वालों को 2 लाख 75 हजार देना चाहिए क्योंकि भाड़ा तो गांव वालों को लग रहा है और उनको आप 1.50 लाख रुपये दे रहे हैं और शहर वालों को 2.50 लाख रुपये दे रहे हैं तो कहीं ना कहीं यह प्रस्ताव भेजना चाहिए कि गांव वालों को भी 2.50 लाख से ऊपर राशि दी जाये. इसके अलावा जो प्रधानमंत्री योजना की लिस्ट जारी की जाती है यह कहते हैं कि हमने ग्राम सभा में लिस्ट चस्पा कर दी है लेकिन क्या कारण हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में इंग्लिश में लिखे हुए नामों की लिस्ट लगाई है? गांव वालों को यह नहीं मालूम है कि उनका नाम उस लिस्ट में या है नहीं है वहाँ पर कर्मचारी बोलते हैं कि तेरा नाम आ गया है तो गांव वाले मान लेते हैं कि नाम आ गया है, कर्मचारी कहते हैं कि तेरा नाम नहीं आया है मैं ला दूंगा तो कैसे दो दिन बाद उसका नाम आ जाता है, कैसे जुड़ जाता है ? तो यह जो इंग्लिश में लिस्टें टाँगी गई है इसकी बजाय हिंदी में वालपेंटिंग की जाये और अभी जो निर्माण कार्य चल रहे हैं उसमें से मान लीजिये कि 100 कार्य स्वीकृत हुए हैं और 50 के निर्माण कार्य चल रहे हैं पर उन 50 लोगों को यह मालूम नहीं है कि उनका भी कार्य स्वीकृत है तो कहीं ना कहीं यह नाम प्रिंट करे जायें जितने भी नाम हैं अगर वह प्रिंट होंगे तो कहीं ना कहीं उनको सुविधा होगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी जो सूखाग्रस्त संबंधी बात की गई है, हमारे मंदसौर जिले में चाहे गरोठ ले लो, सुवासरा ले लो, क्यामपुर ले लो वहाँ पर वर्षा बहुत कम हुई है और कुँए लगभग पूरे सूख चुके हैं. पेयजल की वहाँ कमी है. मेरा निवेदन है कि सुवासरा विधानसभा की समस्त तहसील के साथ-साथ मंदसौर जिले में जितनी भी तहसीलें हैं उनको सूखाग्रस्त घोषित किया जाये. भावांतर योजना के बारे आपने बताया, भावांतर योजना जो मेरे समझ में आई है उसमें तीन जो मूल्य तय करे गये हैं, एक समर्थन मूल्य, एक मॉडल रेट जो आया है और एक जो किसान पहले बेच कर आ चुका है अगर किसान 22 सौ रुपये में अपनी सोयाबीन बेच कर आया है तो बीच में एक मॉडल रेट ऐसा आया कि 22 सौ से जो अंतर 3050 का रहता है उसको 850 रुपये खाते में डलना चाहिए थे पर मॉडल रेट का बीच में जो एक तुक्का लगाया है वह कहीं ना कहीं किसानों के साथ धोखा हुआ है. आपके अगर अभी 2580 रुपये आए मतलब 470 रुपये ही मिलेंगे. जबकि साढ़े आठ सौ रुपए उसके खाते में डालना चाहिए था. अगर आप वास्तव में किसानों का भला चाहते हैं तो समर्थन मूल्य 3050/- रुपए घोषित नहीं करना था. कम से कम यदि 4200-4500/- रुपए समर्थन मूल्य घोषित होता, तब जाकर आप किसानों के हितैषी माने जाते. किसानों के साथ कहीं न कहीं बहुत बड़ा धोखा हुआ है. प्रधानमंत्री बीमा योजना की हम बात करते हैं अभी यहां पर मंत्री जी बैठे हैं, विधायक बैठे हैं, अधिकारी भी बैठे हैं आज भी प्रधानमंत्री बीमा के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है. आज भी जो किसान हैं इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं. प्रधानमंत्री बीमा योजना का लाभ मात्र कागज में ही मिल रहा है. पीडब्ल्यूडी सड़कों के बारे में अभी जो बात की गई जिसमें सिंगापुर, अमेरिका की सड़कें बताई गईं मैं मानता हॅूं कि कहीं-कहीं मेन रोड ठीक हैं पर आज भी मेरी विधानसभा में एक-एक किलोमीटर, दो-दो, तीन-तीन, चार-चार किलोमीटर सड़क के कई लेटर मैं दे चुका हॅूं जो हम मांग कर रहे हैं. अभी कल परसों जो स्वीकृत हुई है, उसके लिए मैं धन्यवाद देना चाहता हॅूं वह भी केवल एक किलोमीटर की है. मैं चाहता हॅूं कि सीतामऊ का विश्रामगृह है जिसके लिए मंत्री जी ने सदन में घोषणा की थी. सीतामऊ में एशिया की जो सबसे बड़ी लाइब्रेरी है, विकासखण्ड है, एसडीएम कार्यालय है, उसके बाद भी वहां एक विश्रामगृह नहीं है. मंत्री जी ने सदन में आश्वासन दिया था अत: वहां पर विश्रामगृह स्वीकृत कर उसका काम चालू कराया जाए. क्यामपुर, सीतामऊ सिंचाई योजना हमारे यहां पर 60 किलोमीटर की नदी हमारी विधानसभा क्षेत्र में बहती है. एक छोर पर सुवासरा और श्यामगढ़ तहसील है उसमें सिंचाई योजना पास हो गई है, उसके लिए मैं धन्यवाद देता हॅूं. एक जो क्यामपुर और सीतामऊ का दूसरा छोर है उसमें सिंचाई योजना के लिए माननीय वित्त मंत्री जी आपका आशीर्वाद चाहेंगे, इसमें आप यदि जल्दी से कर दें तो पूरा इलाका सिंचित हो जाएगा और बहुत बड़ा लाभ वहां पर मिलेगा. यहां पर क्यामपुर में आदरणीय शरद जी जो स्वास्थ्य मंत्री हैं उस समय उन्होंने कहा था कि क्यामपुर में दो डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ और 10 बिस्तर का हॉस्पिटल स्वीकृत किया जाता है. आज दो साल होने के बाद भी वहां पर एक भी डॉक्टर नहीं हैं. इस पर ध्यान दिया जाए. चंदवासा में आज से 15-17 साल पहले हॉयर सेकेण्डरी स्कूल खुला था. आज मिडिल स्कूल में हॉयर सेकेण्डरी के बच्चे बैठते हैं और वह बिल्डिंग पूरी टूटने लायक है और यदि किसी दिन कोई हादसा हो जाता है तो इसकी जवाबदारी शासन और प्रशासन की रहेगी. वहां पर बिल्डिंग की स्वीकृति तुरंत दी जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पर उन्नयन के लिए बहुत बार विधानसभा में पत्र दिया जा चुका है. वह भी काम नहीं हुआ है. यहां पर धर्मराजेश्वर मंदिर है. पूरे एशिया में ऐसा कोई मंदिर नहीं है जो एक पत्थर पर भीम की प्रतिमा, भोलेनाथ का मंदिर है , यदि पर्यटन स्थल के तौर पर धर्मराजेश्वर मंदिर का चयन होता है तो हमारे क्षेत्र के लिए यह बहुत बड़ी सौगात होगी. श्यामगढ़ नगर जो मंदसौर जिले का सबसे बड़ा नगर है वहां पर उद्योग-धंधे के लिए कई बार हमने यहां पर निवेदन किया, कई बार आंदोलन किया, कहीं न कहीं यदि हम उद्योग के लिए उद्योगपतियों को बुलाना चाहें और उद्योगपति वहां आकर अपना उद्योग लगाएं तो उसके लिए हम जमीन भी देने के लिए तैयार हैं, पानी की सुविधा भी करा दी जाएगी, पर आप वहां उद्योगपतियों को ले आएं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिए इतना समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी अनुपूरक बजट लेकर आए हैं जबकि प्रदेश कर्ज में डूबा है यह किसी से छुपा नहीं है. पूरे प्रदेश की जनता भी जानती है और हम सब भी जानते हैं क्योंकि जब हम लोग किसी काम के लिए अनुशंसा करते हैं तो जवाब यही आता है कि वित्तीय कमी की वजह से यह काम स्वीकृत नहीं हो सकता चाहे हम लोग स्कूलों के उन्नयन की बात करें, चाहे कहीं औषधालय खोलने की बात करें, चाहे सड़कों की बात करें. ज्यादातर जगह सरकार की तरफ से यही जवाब आता है कि हम यह काम नहीं कर सकते, क्योंकि वित्तीय अभाव है. तो वित्त का तो बार-बार प्रावधान किया जाता है, पर यह बजट जाता कहां है? यदि विकास के लिए जाता हो तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन मुझे तो ऐसा लगता है कि यह सारा बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में वित्तीय निरंकुशता और कुप्रबंधन पूरी तरह से हावी है. इसका मैं छोटा सा उदाहरण दूंगा. इसी सदन में हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने वक्तव्य दिया था, एक वर्ष होने वाला है. इसी सदन में हम लोगों ने आवाज उठाई थी कि जो गरीबी रेखा में जीवन यापन कर रहे हैं, क्योंकि एक तरफ ग्राम उदय से भारत उदय अभियान भी चला, गरीब कल्याण वर्ष मनाने का काम भी सरकार ने किया. जो सबसे निरीह होता है, कोई 100 प्रतिशत विकलांग है, कोई 60 वर्ष से ऊपर का वृद्ध है, माताएं-बहनें विधवा हो गई हैं, उनका जीवन यापन पूरी तरह से चलना मुश्किल हो गया है. उनके पास आय का कोई जरिया नहीं है. इसी मध्यप्रदेश सरकार ने गरीबी रेखा की पात्रता कर दी कि पेंशन तभी मंजूर होगी, उनको खाद्यान्न तभी मिलेगा, जब उनका गरीबी रेखा में नाम होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसी सदन में उद्बोधन दिया था, बड़ी-बड़ी बातें की थीं, साल भर हो गया, कि हम आज घोषणा करते हैं कि माताओं-बहनों के विधवा होने के बाद उनको पेंशन मिलेगी, गरीबी रेखा की बाध्यता हम खत्म करते हैं, पर आज तक सर्कुलर जिले में नहीं पहुँचा है. अभी भी हमारी विधवा माताएं-बहनें, विकलांग, वृद्ध, जो 100 प्रतिशत पात्र हैं, उनको पेंशन मिलना चाहिए, पर वे भटक रहे हैं. वे निरीह लोग भटक रहे हैं और हम तो कहेंगे कि अगर ऐसे निरीह लोगों के लिए वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांगता पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए सरकार प्रावधान नहीं करेगी और गरीबी रेखा की बाध्यता सरकार खत्म नहीं करेगी तो इन गरीबों की हाय इस सरकार को लगेगी क्योंकि इसी सरकार ने यह नियम बनाया है. हमारी सरकार जब थी तो जब हमारे सरपंच, सेक्रेटरी अनुशंसा कर देते थे, जनपद से उनका नाम जुड़कर आ जाता था. ग्राम उदय से भारत उदय का महीने भर नाटक-नौटंकी चला है. भोपाल से भी बहुत सारे अधिकारी गए थे, प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी गए थे और खूब ग्राम सभाएं हुई थीं. ग्रामस भाएं करने का भी एक प्रावधान है कि साल में कितनी ग्राम सभाएं हो सकती हैं, महीने में कितनी ग्राम सभाएं हो सकती हैं, हर दिन ग्राम ग्राम सभाएं हुई हैं. लोगों ने खूब आवेदन जमा किए, उनको लगा पता नहीं सरकार क्या कर देगी, कितना हमारा उदय हो जाएगा, हमारे गांवों का कितना विकास हो जाएगा, बहुत सारी योजनाओं के लिए आवेदन लिए गए. आप पता करा लीजिए, जनपदों में और जिलों में उन आवेदनों का पता नहीं है. गरीबों ने अपने पैसे खर्च करके फार्म लिए, फार्म भरवाए और फार्म जमा करने के लिए जो लिखते-पढ़ते हैं, उनको भी पैसे दिए, गरीबी रेखा में अगर किसी का नाम जुड़ना है तो बिना लेन-देन के तहसीलों में नाम जुड़ता ही नहीं है. इस मामले में सरकार को सोचना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम किसानों की बात करते हैं और कई बार कृषि कर्मण अवार्ड भी हमारे माननीय कृषि मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी ले आए. हमारे आदरणीय सिसौदिया जी अभी भावांतर योजना के बारे में बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे, आपके ही संभाग के जो योजना आयोग के उपाध्यक्ष हैं, आदरणीय हिम्मत कोठारी जी का वक्तव्य है कि भावांतर योजना भंवरजाल में है, पता नहीं कौन से भंवरजाल में है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- हिम्मत कोठारी जी नहीं हैं, संशोधन कर लेना.
श्री कमलेश्वर पटेल -- तो कौन से कोठारी जी हैं ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- मैं यह नहीं बताऊंगा, आपकी जानकारी अपुष्ट है. हिम्मत कोठारी जी योजना आयोग के उपाध्यक्ष नहीं हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- आपकी पार्टी के नेता ने ही बोला है कि भावांतर योजना के माध्यम से किसानों को भंवरजाल में इस सरकार ने फंसा दिया है. यह चुनावी भंवरजाल है, इतना बोनस देने का जो प्रावधान किया गया है, इतने सालों से तो आपने ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया, जबकि आप कृषि कर्मण अवार्ड ले रहे हैं. आज जब चुनाव नजदीक आया, अच्छी बात है चलिए आपने प्रावधान किया, पर इसमें भ्रष्टाचार न हो. लोगों को लाभ मिले. हमने यहीं उज्जैन की कृषि उपज मंडी में देखा, एक वीडियो वायरल हुआ था, न्यूज में भी छपा था, किसानों ने दौड़ा-दौड़ा कर व्यापारी को मारा था. मुख्यमंत्री जी ने 50 हजार रुपये देने की घोषणा की थी, किसान ने 2 लाख रुपये का मंडी में बेचा, उसको 10 हजार रुपये दे रहे थे या 5 हजार रुपये दे रहे थे, दौड़ा-दौड़ा कर मारा था. यहां असत्य मत बोलिए वहां जनता के बीच में, किसानों के बीच में जाना पड़ेगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आप और आपका दल अपनी चिंता करो, हमारी चिंता मत करो.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम अपनी खुद की भी चिंता करते हैं, जनता की भी चिंता है और अपनी पार्टी की भी चिंता है. चिंता तो अब सरकार को करना चाहिये. माननीय मुख्यमंत्री जी इस सरकार के 12 वर्ष पूर्ण करने का उत्सव मना रहे हैं. मुख्यमंत्री जी और इस सरकार को बने 14 साल हो गया है. किसान पूरे प्रदेश में बदहाल है. एक तरफ प्रकृति की मार लगातार झेल रहा है, दूसरी तरफ सरकार की मार भी झेल रहा है. बिजली की समस्या पूरे प्रदेश में भयावह है. हमारे सीधी, सिंगरौली जिले में भी भयावह स्थिति है. साल में दो बार विद्युत नियामक आयोग विद्युत की दर बढ़ाता है. गरीब और हजारों किसान जेल की यात्राएं करके आ गए और जब तक वे लोग बिल का भुगतान नहीं करते, तब तक उनकी जमानत नहीं होती. इसी सरकार के नियम और नीति है. इसमें सुधार करने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमको कोई ऐसा उद्योगपति या कोई भी बिजनेसमेन नहीं दिखा जो बिजली चोरी, ज्यादा बिल आने और उसे नहीं चुका पाने की वजह से जेल गया हो, परंतु आये दिन गरीब और किसान जेल जा रहा है. ओव्हरड्यू दिखाते हैं, ट्रांसफार्मर दो-दो साल से जले हुये हैं, ट्रांसफार्मर नहीं बदलते, उस बीच में भी लगातार बिलिंग होती रहती है. बिजली विभाग के अधिकारी- कर्मचारी उसको ओव्हरड्यू दिखाते हैं. उस बिल को कैसिंल नहीं करते और उस गांव का ट्रांसफार्मर नहीं बदलते हैं. पहले 60 परसेंट बिल जमा करने की बात करते थे, फिर 40 परसेंट किया और अब 20 परसेंट कर दिया है. गरीब किसान के पास में इतना पैसा भी नहीं है. प्रकृति की मार में, सूखे की मार में, सीधी और सिंगरौली जिले हैं, लेकिन सरकार ने जिले को सूखा घोषित नहीं किया है. सिंगरौली जिले को भी सूखा घोषित करना चाहिये. बारिश नहीं होने के कारण किसान, गरीब, मजदूर परेशान हैं. सरकार को इस संबंध में आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है. चित्रकूट के उपचुनाव में आये परिणाम से सरकार को हो सकता है कि ऐसा लग रहा हो कि आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है. यह बहुत बड़ा रिजल्ट आया है. इस चुनाव में पूरी सरकार लगी थी. आने वाले समय में उपचुनाव हैं और उसके बाद मुख्य चुनाव भी है. जहां-जहां भी वर्तमान में चुनाव हो रहे हैं, वहां सरकार के प्रति चाहे वह नोटबंदी की वजह से हो, चाहे जीएसटी की वजह से हो और चाहे डीजल, पेट्रोल में लगने वाले वेट टैक्स की वजह से हो. पेपर में हम भी पढ़ते रहते हैं कि पूरे भारत में मध्यप्रदेश सरकार सबसे ज्यादा डीजल, पेट्रोल पर वेट टैक्स वसूल करती है. सबसे ज्यादा डीजल, पेट्रोल का उपयोग गरीब किसान लोग करते हैं, वे सबसे ज्यादा परेशान हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खाद्यान्न के कूपन जनरेट नहीं हो रहे हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम बन गया, लेकिन जो 100 परसेंट पात्र हैं, उनको खाद्यान्न नहीं मिल रहा है. दो-दो साल से कूपन जनरेट नहीं हो रहे हैं. गरीब अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. जो एक संवैधानिक व्यवस्था है, उसकी भी यह सरकार खिल्ली उड़ा रही है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप समाप्त करें, आपको बहुत समय दे दिया है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, दो बड़ी महत्वपूर्ण बातें हैं. हमारे जिला अस्पताल में हमारे मुख्यमंत्री जी गये थे और ओपीडी का शुभारम्भ करके आये थे, परंतु आज तक वहां एक भी आपरेशन नहीं हुआ है. जिला मुख्यालय में छोटे से छोटे प्रकरण में भी संभागीय मुख्यालय भेज देते हैं. एलएलबी का कोर्स जो सीधी महाविद्यालय में कुंवर अर्जुन सिंह जी ने शुरू किया था, मुख्यमंत्री जी ने यहां से घोषणा की थी और सीधी में जाकर भी घोषणा की थी कि हमारे यहां महाविद्यालय में जो एलएलबी कोर्स बंद हो गया है उसे चालू करेंगे. यह छोटी-छोटी व्यवस्थायें हमारे यहां की हैं. मुख्यमंत्री जी ने तो सीधी जिले को गोद लिया था. गोद लिया गया जो जिला है उसके साथ सौतेला व्यवहार नहीं होना चाहिये. पूरे प्रदेश में व्यवस्था चरमरा चुकी है. व्यवस्था इस सरकार के वश में नहीं है. बातें ज्यादा हैं और काम कम है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटेर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे इस द्वितीय अनुपूरक अनुदान के महत्वपूर्ण विषय पर बोलने का मौका दिया, उसके लिये मैं आपको धन्यवाद अर्पित करता हूं. सर्वप्रथम मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी को 12 साल का कार्यकाल पूर्ण करने के लिये बधाई और धन्यवाद देना चाहूंगा. धन्यवाद इसलिये देना चाहूंगा, चूंकि मैंने जब आंकड़े देखे तो पाया कि कुपोषण में मध्यप्रदेश नंबर एक स्थान पर है. महिलाओं के साथ अत्याचार में मध्यप्रदेश नंबर एक है. मैं अलग-अलग वर्ग की बात कर रहा हूं. बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश सबसे पहले स्थान पर है. बच्चों की बात करेंगे तो कुपोषण में पहले स्थान पर है, युवाओं की बात करेंगे तो बेरोजगारी में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है. युवाओं की बात करेंगे, तो बेरोजगारी में मध्यप्रदेश सबसे आगे है. किसानों की बात करेंगे, तो चाहे किसानों की आत्महत्या में देखा जाये, तो मध्यप्रदेश सबसे ऊपर है या यह देखा जाये कि जो किसानों को सबसे महत्वपूर्ण बिजली की जरुरत होती है, उसमें मध्यप्रदेश की जो दर है, वह पूरे भारत में सबसे ज्यादा है. पानी की बात की जाये, तो सूखाग्रस्त होने के बाद आज भी पेयजल का संकट बना हुआ है, सब जगह नल-जल योजनाएं ठप्प पड़ी हुई हैं. आप जिस वर्ग की बात करें, वहां पर मध्यप्रदेश में आक्रोश है और सब समस्याओं में मध्यप्रदेश का पहला स्थान है. और यह स्थान, यह आंकड़े मेरे द्वारा या कांग्रेस के द्वारा नहीं दिये गये हैं. एनसीआरबी के आंकड़े हैं, जो यहीं राज्य से इकट्ठे होकर केंद्र तक जाते हैं. यह सरकारी आंकड़े हैं, जिनके आधार पर मैं बोल रहा हूं. आज मध्यप्रदेश इस स्थान पर है, हर चीज में पिछड़ा हुआ है. शिक्षा के क्षेत्र में बात की जाये, तो मध्यप्रदेश का कोई नम्बर नहीं है. यहां से बच्चा पढ़कर बाहर भागने के लिये तुरन्त तैयार खड़ा हो जाता है. ऐसे 12 वर्ष के कार्यकाल के लिये मैं आदरणीय मुख्यमंत्री जी को तहेदिल से धन्यवाद देना चाहूंगा और कल मैंने उस पूरे सभा स्थल का वीडियो देखा, उसमें मैंने देखा कि गिनती के शायद 100-150 लोग होंगे, इतने तो मैं जब अगर अपने गांव में जाता हूं, तो नुक्कड़ सभा में निकल कर लोग आ जाते हैं. तो इन 12 वर्षों का लोगों ने कितना स्वागत किया है, वह भी मैंने उस वीडियो के माध्यम से देखा और आप लोग भी कृपा करके देखियेगा. लेकिन मैं देखकर हेरान हो गया कि 12 साल के कार्यकाल का मुख्यमंत्री जी जश्न मना रहे हैं, लाखों रुपये के पटाखे फूट रहे हैं और यह बड़ा मंच, करोड़ों रुपये का मंच बन रहा है. आलोक शर्मा जी को तो देखकर यह लगा कि अगले केबिनेट मंत्री ही बन जायेंगे. ऐसा रंगा-रंग कार्यक्रम और देखने के लिये एक आदमी नहीं है. मैं समझता हूं कि यदि ये वास्तविकता में किसान के परिवार के मुख्यमंत्री होते, तो किसान ऐसे जश्न नहीं मनाता है और इस समय में तो जश्न नहीं मनाता है, जब 5-5 किसान मरे हों, जब महिलाओं के साथ निरंतर बलात्कार हो रहे हों, ऐेसे समय में जश्न नहीं मनाया जाता है और करोड़ों रुपये खर्च करके तो नहीं मनाया जाता है. उपाध्यक्ष महोदय, एक और जश्न मन रहा था, 1 तारीख की बात है. प्रदेश उत्सव मनाया जा रहा था. मुझे बड़े अच्छे से ध्यान है कि श्रेया घोषाल आई हुई थीं, उनके साथ मुख्यमंत्री जी बड़े शर्माते हुए गाने गा रहे थे. उसका एक दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि तब एक बच्ची, जिसके साथ बलात्कार हुआ था, वह एमपी नगर थाने से लेकर, हबीबगंज थाने से लेकर जीआरपी थाने के चक्कर काट रही थी, यह ज्यूरिस्डिक्शन तय कर रही थी कि मेरी इस थाने में रिपोर्ट लिखी जायेगी कि इस थाने में कायमी होगी. जब उसके साथ चार लोगों ने बलात्कार किया था. यह बहुत लज्जा की बात है. मैं इसको राजनैतिक रुप से नहीं कहना चाह रहा हूं. लेकिन उसी दिन प्रदेश उत्सव मन रहा था, करोड़ों रुपये खर्च करके आम जनता के टैक्स से जो पैसा आता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं अब विषय पर आना चाहूंगा. भावांतर भुगतान योजना, सब लोगों ने कहा और जब इतने लोग कह रहे हैं, तो कुछ न कुछ तो कमी होगी, क्योंकि जब हर कोने से आवाज उठ रही है तो आप कमी में भी झांकने की कोशिश करें. मैं अपने चम्बल अंचल की बात करुंगा. वहां पर भावांतर भुगतान योजना को लागू तो कर दिया, लेकिन हमारी जो मुख्य फसल सरसों है, जिस पर 70 से 75 प्रतिशत किसान आश्रित हैं, जिसकी प्रत्येक दिन की जीवन की भूमिका, आजीविका उस पर निर्भर करती है. उस फसल को आपने उसमें शामिल ही नहीं किया और आपके जो बीजेपी के विधायक हैं, यहां सदन में बोलें न बोलें वह भी मन ही मन कोस रहे हैं, क्योंकि जब 70 प्रतिशत किसान आपकी योजना से वंचित हो गया. बाजरा आपने उसमें शामिल नहीं किया. उसमें बाजरा, सरसों शामिल नहीं है. इससे हमारे चम्बल अंचल का 80 प्रतिशत किसान दुखी है, पीड़ित है. कैसी भावांतर योजना है और इस भावना में कब अंतर आया, यह भी मैं बताना चाहूंगा. मंदसौर का कांड हुआ और 5 किसानों को गोली लगी और पूरे देश में एक ही राष्ट्रीय विषय छाया हुआ था कि मध्यप्रदेश में किसानों को गोली मारी, वह भी काला दिवस था. शिवराज सिंह चौहान जी और पूरा मंत्रिमंडल परेशान था कि कैसे मुद्दे को भटकायें, क्या करें. तो उन्होंने कहा कि भाई कोई एक योजना बनाकर तुरन्त आनन-फानन में जैसा आदरणीय मुकेश नायक जी ने भी कहा कि योजना बनाओ तो सोच समझकर तो बनाओ, जिसमें 14 वर्ष का अनुभव तो दिखाई दे. एक योजना बनाई और बनाकर रख दी. अब उससे क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, पूरे चम्बल की जो मुख्य फसल है, उसको शामिल ही नहीं किया. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी एवं यहां पर बैठे हुए सभी वरिष्ठ जनों से हाथ जोड़कर विनम्रतापूर्वक आग्रह करुंगा कि 4 हजार करोड़ रुपये तो आपने दे दिया, लेकिन कुछ हमारे जो चम्बल के किसान हैं, उन पर भी आप दया करिये. वह भी आप ही की तरह इंसान हैं, नहीं तो वह किसान आत्महत्या करेगा. फिर आप पुलिस थानों पर यह दबाव बनायेंगे कि यह पारिवारिक कारण से मरा लिखवाओ और ऐसे झूठे आंकड़े भेजेंगे, मैं चाहता हूं कि ऐसा न हो. आप श्रेय ले लीजिये. आप कांग्रेसियों को श्रेय मत दीजिये. आप भारतीय जनता पार्टी पूरा श्रेय रखे, श्रेय तो वैसे भी जायेगा लेकिन आप उन किसानों को वंचित तो नहीं रखें. मुझे याद है वह समय जब मनमोहन सिंह जी की सरकार थी.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- माननीय थोड़ा रबी फसल के आने का इंतजार तो करें.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा -- पहले यह तो बतायें कि भावांतर योजना अच्छी है, आप योजना मांग रहे हैं, आप चंबल की मूल फसलों को जोड़ने की बात कर रहे हैं. पहले आप यह बतायें कि वह योजना सही है या गलत है. अगर वह योजना गलत है तो फिर आप उस योजना में अपनी फसलों को जोड़ने की बात क्यों कर रहे हैं. आप अपने क्षेत्र में गलत योजना की मांग क्यों कर रहे हैं. पहले तो आप भावांतर योजना की तारीफ करें और फिर चंबल की मूल फसलों को उसमें जोड़ने की बात करेंगे तो हमें लगेगा कि आप वास्तव में चाह रहे हैं. आप दोहरी भाषा का उपयोग न करें.
श्री हेमन्त कटारे -- मैं अपनी अंतिम दो बातें कहना चाहता हूं. मुझे ध्यान है कि केन्द्र में जब मनमोहन सिंह जी की सरकार थी उस समय राज्य सरकार के मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी रोते रहते थे कि हमें केन्द्रीय योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है, उस समय यहां पर जो रेशो था वह 75 प्रतिशत केन्द्र देता था और 25 प्रतिशत राज्य सरकार उसमें मिलाती थी और मुझे अच्छे से ध्यान है आप भी जानते होंगे कि जो केन्द्र सरकार का 75 प्रतिशत था वह कई बार अग्रिम भुगतान के रूप में आता था. आज क्या स्थिति है पहले तो उस 75 प्रतिशत को 60 प्रतिशत कर दिया है और 40 राज्य सरकार का कर दिया है. मैं अंतिम बात यह कहना चाहता हूं कि राज्य सरकार ने शक्कर के लिए 20 करोड़ का फण्ड आवंटित किया है मुझे 2012-13 का वह समय याद आ रहा है जब आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी केन्द्र सरकार के विरूद्ध धरने पर बैठे थे शक्कर के मामले को लेकर आज तो केन्द्र सरकार ने शक्कर के लिए बजट देना ही बंद कर दिया है. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या हिम्मत दिखाकर मोदी जी के खिलाफ, अमित शाह जी के खिलाफ धरने पर बैठेंगे, या जनता की आवाज को सदन में ही दबाकर छोड़ देंगे. बहुत धन्यवाद्.
श्री रामनिवास रावत ( विजयपुर ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत पन्द्रह हजार पांच सौ छप्पन करोड़, नवासी लाख, दो हजार तीन सौ निन्यानवे रूपये का जो अनुपूरक बजट और विनियोग विधेयक प्रस्तुत किया गया है. मैं उस पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं अभी सभी सत्तापक्ष के सदस्यों की बात सुन रहा था. सत्तापक्ष के सदस्य विकास के मामले में प्रदेश को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं. किसानों के उत्थान की बात कर रहे हैं. मैं राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 11 ए के अंतर्गत यथाअपेक्षित संक्षिप्त विवरण 6 माही बजट के आय व्यय से संबंधित विवरण प्रस्तुत किया है.
उपाध्यक्ष महोदय इसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी 2017-18 प्रथम त्रैमास के सकल मूल्य वर्धन के अनुमानी वर्ष के 2016-17 के प्रथम त्रैमास की तुलना करने पर विभिन्न क्रियाक्लापों के अंतर्गत कृषि वानिकी एवं मत्स्य पालन में 9.9 प्रतिशत के स्थान पर 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. आप किस दिशा में प्रदेश को ले जा रहे हैं. यह सरकार के द्वारा प्रस्तुत पुस्तक के आँकड़े हैं जो पटल पर रखी गई है. इसी प्रकार से विनिर्माण में 10 प्रतिशत के स्थान पर 3 प्रतिशत याने 8 प्रतिशत की वृद्धि, वित्त बीमा स्थावर संपदा एवं व्यावसायिक सेवा में 11.2 मतलब 2016-17 में 11.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और इस बार 9 प्रतिशत की वृद्धि रही है. इस प्रकार से राष्ट्रीय स्तर पर विकास दर का प्रभाव प्रदेश की आर्थिक विकास दर पर भी पड़ा है, कहीं न कहीं हम पिछड़े हुए हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी ने जो प्रावधान इसमें किये हैं मैं उनकी तरफ ध्यान दिलाना चाहता हूं. मुख्यमंत्री जी की स्वेच्छानुदान निधि वैसे 200 करोड़ रूपये पहले से है, 30 करोड़ रूपये उन्होंने और बांट दिये हैं, 40 करोड़ रूपये और मांग रहे हैं और अभी 70 करोड़ रूपये की व्यवस्था की है.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) - उपाध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि आप इसकी तो तारीफ करेंगे कि हजारों लोगों की जान बची है. आप भी कभी मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के लिए किसी बीमार के लिए जाते हैं.
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, उसके लिए हमें आपत्ति नहीं है. लेकिन आपको भी जो स्वेच्छानुदान मिलता है, उसे आप भी बांटते हो, कम से कम आप उस स्वेच्छानुदान की जानकारी को निकलवा लें, प्रदेश के सभी जिलों में, सभी क्षेत्रों में समान रूप से वह बंटे तो हमें बड़ी खुशी होगी..
श्री उमाशंकर गुप्ता - उपाध्यक्ष महोदय, बीमारी जहां होगी, स्वेच्छानुदान जो है वह तो बंटता है. मुख्यमंत्री जी का स्वेच्छानुदान जो बीमारों के लिए है..
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, यदि किसी एक विधान सभा क्षेत्र में एक जिले विशेष क्षेत्र में पूरी राशि बांटी जाय, मैं उस राशि पर आपत्ति नहीं कर रहा हूं, बांटने की बात पर आपत्ति कर रहा हूं कि आवश्यकता पूरे प्रदेश की गरीब जनता को है. इसी तरह से आपने यह विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों के भ्रमण मद के लिए राशि 1.20 करोड़ रुपए दिये हैं. किसान आत्महत्या कर रहे हैं, कौन-से गणमान्य नागरिकों को आप भ्रमण करा रहे हैं? यह विदेश भ्रमण के लिए है. कौन-से भ्रमण के लिए दे रहे हैं यह आपने स्पष्ट नहीं किया है? मद क्रमांक 9, 10 पेज 58 पर आपने पर्यवेक्षक कर्मचारी वृंद के अंतर्गत बिजली जल प्रवाह एवं पेट्रोल तेल मद के लिए 40 लाख रुपए दिये हैं, यह किस विभाग के हैं, आपने विभाग ही स्पष्ट नहीं किया है? आपकी यह पुस्तक है, आपने ही यह प्रस्तुत किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, ऐसे कई मद हैं. हां, भावांतर भुगतान योजना के लिए आपने 4000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. भावांतर भुगतान योजना, मैंने भी सबसे पहले मुख्यमंत्री जी को प्रस्ताव दिया था कि कृषक की फसल का बिकने वाला मूल्य और समर्थन मूल्य के अंतर की राशि के संबंध में हम सुनिश्चित करें कि कृषक के उत्पादित फसल के भाव का समर्थन मूल्य उसे दिलाएं. हमारी यह ड्यूटी बनती है कि कृषक जो फसल उत्पादित करता है उसको उसके समर्थन मूल्य पर खरीदें. परन्तु हम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं पा रहे हैं. आपने भावांतर भुगतान योजना चालू कर दी. अगर इसे सामान्य ढंग से बोलेंगे कि भावांतर भुगतान योजना, यह योजना है कि किसान जो फसल मंडी में बेचे और समर्थन मूल्य की राशि का अंतर हम सीधे किसानों को देंगे तो आपकी यह बहुत अच्छी योजना है. लेकिन मैं समझता हूं कि इस योजना को बहुत से सदस्य समझ नहीं पाए होंगे. भावांतर के भंवर जाल में किसानों को इतना बुरा फंसाया है, जिस दिन से यह योजना लागू की है. मैं थोड़े-से आंकड़े बताना चाहूंगा कि जिस दिन से यह योजना लागू की है. 8 फसलों के लिए लागू की है. प्रदेश की मंडियों में भावांतर योजना लागू करने के दिनांक को उड़द का भाव था 6000 रुपए. भावांतर भुगतान योजना, जिस दिन लागू की, उस योजना के भाव से इसका भाव आ गया, प्रदेश में यह अब 1500 रुपए प्रति क्विंटल, 1800 रुपए प्रति क्विंटल मंडियों में बिक रही है. जिस दिन यह योजना लागू की, उस दिन पता नहीं था कि हमें उस योजना का क्रियान्वयन कैसे करना है? आज तक इस योजना के कम से कम 30 बार संशोधन जारी किये जा चुके हैं. पहले इस योजना को लागू किया था कि हम 15 दिसम्बर के बाद मॉडल रेट निकालेंगे, वह भी इस राज्य में फसल बिकनी थी. इस राज्य में बिकने वाली फसल का मूल्य और लगे हुए दो प्रांतों की फसलों के मूल्य के विक्रय के आधार पर मॉडल रेट जारी करेंगे. आपकी फसल जितने मूल्य में बिक रही है. हम तो यह कहे हैं कि हम आपको धन्यवाद देंगे कि भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत किसान की बिकने वाली फसल का मंडी रेट जो 37-1 की पर्ची मंडी में कटती है. जो व्यापारी देता है, मंडी समिति से पर्ची दी जाती है, उस रेट का और समर्थन मूल्य के रेट का अंतर सीधे किसानों के खाते में पहुंचें तो मैं सबसे पहला व्यक्ति होऊंगा, आपकी पूरी सरकार को, पूरी भारतीय जनता पार्टी के लोगों को और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद दूंगा. लेकिन आपने क्या किया है. मेरे क्षेत्र में जिस दिन आपने योजना लागू की, आपने प्रशासनिक अधिकारियों को टारगेट दिये कि इसका रजिस्ट्रेशन कराएं, प्रचार-प्रसार कराएं. मेरे यहां जबर्दस्त सूखा है. मेरे यहां पर चल चले. माननीय कृषि मंत्री जी आप चले चलो. कम से कम 15000 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है और 15000 में से 14000 लोग ऐसे हैं, जिनके खेतों में फसल ही नहीं बोई गई. इस योजना को कहां ले जाएंगे? इतना सूखा पड़ा है कि फसल उत्पादित ही नहीं हुई है. इस चीज को आप कैसे लागू करेंगे? उसके बाद आप मॉडल रेट निर्धारित कर रहे हैं. किसान की फसल तो 1500 रुपए, 1800 रुपए प्रति क्विंटल में बिक रही है और मॉडल रेट आप निर्धारित कर रहे हैं 3000 रुपए क्विंटल. 1500 रुपए में तो वह मारा गया. अगर आप यह योजना लागू नहीं करते तो फसल के दाम ही नहीं गिरते. जितना दाम आप भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत देना चाह रहे हैं, जिस दिन से यह योजना लागू की है, उस दिन से आपकी फसल का रेट गिर गया है.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - उपाध्यक्ष महोदय, इस कारण से क्या देश भर में रेट गिरा है? बाजू के राज्यों में भी रेट गिरा क्या?
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, बाजू के राज्यों में मैं लेने नहीं गया.
श्री गोपाल भार्गव - आप सच्चाई को स्वीकार क्यों नहीं करते हैं?
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, इससे एक प्रवृत्ति विकसित हुई.
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदय, मतलब वह महाराष्ट्र में भी हुई और गुजरात में भी हुई जहां से मॉडल रेट तय हुए, वहां सब जगह हुई?
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, मॉडल रेट लेने का मतलब क्या है? किसान में हूं, फसल मैं उत्पादित करता हूं, फसल मैं बेचता हूं, मॉडल रेट का मतलब क्या है? मॉडल रेट जो निर्धारित कर रहे हैं क्या किसानों के साथ अन्याय नहीं है?
श्री गोपाल भार्गव - एमसीएक्स में सारे देश का जो भी रेट चल रहा है तो वह क्या मध्यप्रदेश से प्रभावित हुआ?
श्री रामनिवास रावत-- आप कैसे कह दोगे? किसान को जबरजस्ती कह रहे हो कि आपने इतने भाव में नहीं बेचो. किसान 2 हजार रुपये में बेच रहा और आप 3 हजार रुपये बेचना बता रहे हैं. हम तो 3 हजार और एमएसपी का अंतर देंगे.यह कौन सा न्याय है?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- यह एवरेज रेट है. एवरेज रेट से हर जगह अंतर नहीं आता.
श्री रामनिवास रावत-- जिस दिन यह योजना लागू की थी. उससे किसान को क्या मिला?
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी आप अपनी बात कहें.
श्री रामनिवास रावत-- उपाध्यक्ष जी, भावान्तर भुगतान योजना के भंवर जाल में किसानों को फंसा दिया. आप मंडियों में जाकर देखें तो किसान लट्ठ लेकर तैयार हैं. दौड़ा दौड़ा कर मारने के लिए तैयार हैं. आपने उज्जैन के आयोजन की तारीफ की. इस आयोजन में आपने खर्च कितना किया? आप 10 करोड़ रु बांट रहे हैं, मुझे पता नहीं. मैने हिसाब भी नहीं मांगा लेकिन अखबार ने छापा कि आयोजन पर 8 करोड़ रुपये खर्च किया. ऐसा कहीं होता है! इससे तो अच्छा होता आप किसानों के खाते में दे देते.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- आप सारी बातें अखबारों की खबरों के आधार पर केंद्रित मत किया करें. आप वरिष्ठ हैं. कार्यक्रम में आ जाया करें.
श्री रामनिवास रावत-- आप अखबारों में ही तो ब्रांडिंग कर रहे हैं. फिर क्या जरुरत है अखबारों में ब्राडिंग करने की? आपने ही कहा कि हमने विज्ञापन के लिए व्यवस्था की है. अखबारों की खबरों को सत्य नहीं मानोगे? उपाध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूं कि विचार अच्छा है लेकिन विचार अच्छे होने से कार्य अच्छा नहीं हो जाता. कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए. जो इच्छाएं हैं उसके क्रियान्वयन के लिए भी आगे आना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, आपने प्याज की खरीदी की. किसान की फसल निश्चित रुप से 2 रुपये किलो बिक रही थी. लेकिन मंदसौर में जो आंदोलन हुआ वह नहीं होता जब 8 रुपये किलो का भाव आयोजन करके, चर्चा करके पहले से देने का निर्णय ले लेते. आपकी सरकार की पुलिस की गोलियों से 6 किसान नहीं मरते.
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- सरकार की 8 रुपये किलो प्याज खरीदी की घोषणा करने के एक दिन बाद कांग्रेस लोग उछले और मंदसौर तक पहुंच गए.
उपाध्यक्ष महोदय-- गुणवान जी, आपके दल वाले बोलने के लिए आपका नाम क्यों नहीं भेजते? आप वैसे ही बोल लिया करते हैं. फ्री लांसर हैं.
श्री रामनिवास रावत--उपाध्यक्ष महोदय, प्याज खरीदी की घोषणा की. प्याज खरीदी भी गई. आपने बजट प्रॉवीजन भी किया. हमने समर्थन भी किया. बजट यहां से पारित हुआ. लेकिन क्या हुआ?
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, कृपया समाप्त करें. आप टेल एंडर हैं. आप ओपनिंग फाइव में भी नहीं हैं. आप नौवें नंबर पर हैं. आपके 10 मिनट हो चुके हैं. सब लोग 6-7 मिनट बोले हैं.
श्री रामनिवास रावत-- मैं दो मिनट में अपनी बात समाप्त कर रहा हूं. उपाध्यक्ष जी, हमारे सखलेचा जी ने लोक स्वास्थ्य विभाग को धन्यवाद दिया कि उन्होंने 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है. पेज 62 में मद क्रमांक 7 से 17 तक में लोक स्वास्थ्य विभाग के मकान किराये के लिए यह प्रावधान है. मकान किराये से स्वास्थ्य कैसे सुधर जाएगा?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- उपकरण आदि के लिए भी है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- उपकरण आदि के लिए भी है.
श्री रामनिवास रावत-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं समाप्त कर रहा हूं. सूखा पड़ा. सूखे से फसलों के नुकसान की क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की है. लेकिन आपने परिपत्र जारी किया कि फसलों का सर्वे किया जाये. फसलों का सर्वे करने के बाद आपको बताना चाहिए था कि पूरे जिलों से आपके पास कितनी मांग आयी और कितना देना है. खरीफ की फसल का पूरा सीजन खत्म हो गया उसके बाद यह सरकार परिपत्र जारी कर रही है कि फसलों का सर्वेक्षण कराया जाये कि सूखे के कारण कितनी फसलों का नुकसान हुआ है. आप क्यों नहीं यह घोषणा कर देते कि सूखे के कारण जो किसान बोनी नहीं कर पायेगा उसको हम...
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, 139 में भी तो यही बोलना है.यही विषय है उसमें क्या बोलेंगे?
श्री रामनिवास रावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस बजट के आखिरी में मैं देख रहा था. इन्होंने सांसद स्वेच्छानुदान निधि से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिये 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. आप सांसद स्वेच्छानुदान निधि किस तरह से देना चाहते हैं, कैसे देना चाहते हैं. कुछ विधायकों ने चर्चा की तो मालुम पड़ा कि यह जनसंपर्क निधि है. तो जनसंपर्क निधि और स्वेच्छानुदान अनुदान निधि में बहुत अंतर होता है. सांसदों को वहां से भी 5 करोड़ रुपये मिलते हैं. हम विरोध नहीं कर रहे लेकिन क्या आपने इसका कोई परिपत्र जारी किया है. सर्कुलर जारी किया है, क्या नियम बनाया है ? यह 10 करोड़ रुपये आप किस तरह से दे रहे हैं. आपके 29 सांसद हैं. तो आपको कितनी राशि चाहि,ये वह एक साथ मांग लें. आपने विधायकों को भी 15 लाख रुपये स्वेच्छानुदान के लिये दिये. इसको स्पष्ट करें कि इसे किस तरह से करना चाहते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन(राजपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सरकार की वित्तीय स्थिति दिनों-दिन बहुत खराब होती जा रही है. सरकार लगभग डेढ़ लाख करोड़ से भी अधिक कर्जे में डूबी हुई है और अभी भी सरकार उधार लेकर घी पीने का काम करती जा रही है. जहां तक मेरी जानकारी में है कि पन्द्रह हजार पांच सौ पचास करोड़,सोलह लाख,तिरसठ हजार,नौ सौ तैंतीस रुपये का यह जो द्वितीय अनुपूरक बजट, जिस पर हम चर्चा कर रहे हैं. इसमें भी सरकार पूरी तरह से अपनी ब्रांडिंग कराने में और सरकार को चमकाने में लगी है कि किस तरह से सरकार चमके और सरकार की ब्रांडिंग हो. माननीय वित्त मंत्री जी ने इसमें इसका पूरा-पूरा इंतजाम किया है. मांग संख्या 32 की मद क्रमांक 2 में 20 करोड़ रुपये इलेक्ट्रानिक मीडिया के विज्ञापन और प्रचार-प्रसार पर खर्च करने के लिये रखे गये हैं और 20 करोड़ रुपये मद क्रमांक 3 में जो विशेष आयोजन होते हैं उसके प्रचार-प्रसार के लिये रखे हैं. हमें इस बात की दिक्कत है कि हम भी इस सदन के सदस्य हैं. सरकार की जानकारी में हम गहरी चीजें ध्यान में लाते हैं लेकिन सरकार उस पर कोई ध्यान नहीं देती है और सरकार निरंतर उसकी पुनरावृत्ति करती जाती है. पिछले बजट का मैं बताना चाहता हूं कि सरकार ने किस तरह से करप्शन करवाया है, उसका मैं उल्लेख करना चाहता हूं. मेरे यहां बड़वानी में जनवरी,2017 में कार्यक्रम हुआ था. मैंने प्रश्न लगाया था, 4 करोड़ रुपये उस आयोजन पर सरकार ने खर्च किये थे. मैंने हिसाब मांगा था तो मात्र 2 करोड़ रुपये का बिल आया था और शेष 2 करोड़ रुपये की सरकार की पार्टी के लोगों ने और आयोजकों ने उस राशि की बंदरबांट की थी. बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि यह नहीं होना चाहिये. इस द्वितीय अनुपूरक में कहीं नई सड़कों का उल्लेख नहीं है. मैं वाशिंगटन की सड़कों की बात नहीं कह रहा हूं. मैं रोज जिस सड़क से निकलता हूं. विधान सभा से लेकर मालवीय नगर तक की, मैं समझता हूं कि इस सदन के सदस्य और जो भी मेरी बात को सुन रहे हैं लगभग सभी उस सड़क का उपयोग करते हैं. उस सड़क का क्या हाल है. उस सड़क के लिये आपने कोई प्रोवीजन नहीं किया है. प्याज खरीदी की बात है. मैंने अपने प्रश्न में पूछा था कि वर्ष,2016 में कितनी प्याज खरीदी गई तो 10 लाख क्विटंल प्याज खरीदना बताया गया था. उसकी हम्माली और तुलाई का मैंने प्रश्न लगाया था कि प्रति क्विंटल सरकार ने हम्माली और तुलाई पर कितना खर्च किया तो 220 रुपये प्रति क्विंटल का खर्च बताया गया था. ऐसा 10 लाख क्विंटल पर 22 करोड़ रुपये खर्च करना बताया गया था. ऐसे ही भण्डारण के लिये जब मैंने पूछा तो 140 रुपये प्रति क्विंटल का खर्च बताया था और 14 करोड़ रुपये की राशि उस काम पर खर्च की गई थी. मैंने दूसरे सत्र में दूसरे प्रश्न में यह जानना चाहा था कि यह हम्माली और तुलाई की राशि किन तुलावटियों को दी गई,भण्डारण की राशि किन भण्डारणकर्ताओं की दी गई ?
5.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि संबंधी
उपाध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 9 का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
श्री बाला बच्चन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी तक कोई जानकारी सरकार ने नहीं दी है, मेरी जानकारी में 27 नवम्बर 2017 को इसी सत्र के दौरान इस सदन के हमारे 6 विधायक साथियों ने प्याज की खरीदी से संबंधित प्रश्न लगाये थे. सरकार ने सब प्रश्नों का एक जैसा जवाब दिया है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, एक भी विधायक का जवाब नहीं दिया है. 10 लाख क्विंटल प्याज में से साढ़े 7 लाख क्विंटल प्याज वर्ष 2016 की सड़ गई है, खराब हो गई है. अब फिर वर्ष 2017 की बात आती है, इसमें 800 करोड़ रूपये की प्याज खरीदी में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. माननीय वित्त मंत्री जी और दूसरे माननीय मंत्रीगण जो मेरी बात को सुन रहे हैं इस बात को आप गंभीरता से लें और यह सब हम विधान सभा के प्रश्नों के माध्यम से उठाते हैं लेकिन सरकार इस पर बिलकुल ध्यान नहीं देती है और सरकार हमारे प्रश्नों का जवाब नहीं देती है यह मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है. माननीय वित्त मंत्री जी आप इस बात का जवाब दें और जब आप बोलें तो इस बात का ध्यान रखें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बात यहीं समाप्त नहीं होती है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- बाला बच्चन जी, हम तो आपको बड़ी गंभीरता से लेते हैं, लेकिन आपकी पार्टी आपको गंभीरता से नहीं ले रही है यह चिंता का विषय है.
श्री बाला बच्चन-- मेरी पार्टी ने मुझे गंभीरता से लिया है और मेरी पार्टी ने मुझे राष्ट्रीय सचिव बनाया हुआ है. अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी का मैं सेक्रेट्री हूं और अभी भी मैं इस हाउस का डिप्टी अपोजीशन लीडर हूं.
श्री सुदर्शन गुप्ता-- विपक्ष के नेता का क्या हुआ, क्यों हटा दिया ?
श्री बाला बच्चन-- वह सीनियरटी के हिसाब से होता है और हमारी पार्टी जो तय करती है उसका हम पालन करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- जब कुछ बचा ही नहीं तब आपको बनाया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं, ये तो पहले से हैं, काफी दिनों से हैं.
श्री बाला बच्चन-- हम पहले से हैं और हम हमारी सीनियरटी के हिसाब से संतुष्ट हैं. हमारे हाईकमान के द्वारा डिसीजन हो जाने के बाद कहीं कोई दिक्कत नहीं है. हमारे अपोजीशन लीडर एनर्जेटिक हैं, डायनामिक हैं, अपना परफार्मेंस दे रहे हैं और उनके नेतृत्व में हम काम कर रहे हैं.
श्री सुदर्शन गुप्ता-- प्रतिपक्ष में चोट हो गई है.
श्री गिरीश भंडारी-- चोट तो आपके साथ हुई कि मंत्री बनते-बनते रह गये.
श्री बाला बच्चन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सरकार भावांतर योजना की बात कर रही है. आप मेरी बात को सुन लीजिये, आप इससे भटकाने की कोशिश मत कीजिये. भावांतर योजना की बात आपको जैसी भी लग रही हो, मैं उस बात को भी बताना चाहता हूं. वर्ष 2010 में मध्यप्रदेश में कपास 8 हजार रूपये प्रति क्विंटल बिकता था, सोयाबीन 4800 रूपये प्रति क्विंटल बिकता था, आज सोयाबीन का भाव क्या है, कपास का भाव क्या है ? उसके बाद माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भावांतर योजना में रामतिल का उत्पादन कितना होता है, उसको आपने लिया है. कपास जो मालवा में और निमाड़ में और मैं समझता हूं मध्यप्रदेश के बहुत सारे अंचलों में होता है, कपास को आपने क्यों छोड़ा है और जो रेट्स अभी मैंने बताये हैं यह आप क्यों नहीं दे रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भावांतर योजना में मध्यप्रदेश के किसानों ने सरकार के ऊपर कोई ज्यादा विश्वास नहीं किया है. देखा है कितना पंजीयन हुआ है, मात्र एक तिहाई किसानों का पंजीयन हुआ है. सरकार किसानों को छलने में और ठगने में क्यों लगी हुई है, 7-8 साल पहले के जो मैं रेट आपको बता रहा हूं कपास का रेट, सोयाबीन का रेट उसके बाद जो मक्का पर और गेंहू पर डेढ़ सौ रूपये हमारी केन्द्र सरकार बोनस देती थी वह सब आप लोगों ने समाप्त कर दिया है और भावांतर योजना और अलग-अलग योजना लाकर लोगों को भ्रमित करने का जो आप काम कर रहे हैं, कृपा करके इसे बंद करें और लोगों को फायदा पहुंचायें. बिजली कितनी महंगी कर दी है, उसके बाद बिजली का संकट, यह तमाम चीजें मध्यप्रदेश में बनी हुई हैं, समाप्त नहीं हुई हैं और मध्यप्रदेश के किसान इस बात को जान रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वृक्षारोपण की बात, 6 करोड़ पौधे लगाने की बात आपने कही, आज मेरे दो प्रश्न थे 15 नंबर पर मेरा प्रश्न था और एक ही जानकारी के 2 प्रश्न थे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बड़वानी जिले की मैंने जानकारी मांगी थी, 2 प्रश्न मैंने लगाये थे, बड़वानी जिले में ही 70 हजार पौधों का अंतर, खरगोन जिले में 1 लाख 30 हजार पौधों का अंतर, वह पौधे कहां लगाये, कितने बचे और कितने प्रतिशत में वह तैयार हुये हैं, इनका सरकार के पास कोई ढंग का जवाब नहीं है और सभी में अंतर है. नमामि देवी नर्मदे, नर्मदा सेवा यात्रा जो मेरी अपनी विधान सभा क्षेत्र से निकलती है उस समय भी वृक्षारोपण का काम किया गया था, कोई पौधे नहीं बचे हैं. आपने जो भ्रष्टाचार करने के अलग-अलग तरीके निकाल रखे हैं और ढूंढ रखे हैं यह मध्यप्रदेश की जनता को सारी जानकारी है, समय आने दीजिये. यह तो अभी चित्रकूट का चुनाव था, हांडी में एक चावल चेक करने जैसा मामला था, अभी यह दो उप चुनाव भी आ जाने दीजिये, अपना चेहरा, सरकार का चेहरा, मध्यप्रदेश की जनता आप लोगों को आईना दिखा देगी, इस बात का आप लोग ध्यान रखना. थर्ड टाइम जो सरकार बनी उसका अगर पब्लिक मेंडेट का गुरूर है तो ध्यान रखना.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सरदार सरोवर बांध में बड़वानी जिले के बहुत सारे गांव, बहुत सारी तहसीलें डूब में गई हैं और कहीं पर भी टीनशेड का उल्लेख नहीं था. टीनशेड का काम कराया है क्या जमकर के इनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने और ठेकेदारों ने माल कमाया है और भ्रष्टाचार किया है. कहीं पर भी पुनर्वास नीति में इसका उल्लेख नहीं था और अभी जो टीनशेड का निर्माण किया है इसमें असामाजिक तत्वों ने अड्डे बना लिये हैं और जमकर के निर्माण की राशि भ्रष्टाचार का शिकार हुई है. जब इसकी तहकीकात और जांच में जायेंगे तो आंखे खुल जायेंगी और पता चल जायेगा, हम लोग वहां के रहने वाले हैं हम इस बात को अच्छी तरह से जानते है. आप लोगों को अच्छा ही अच्छा लग रहा है बाकी बिल्कुल भी स्थिति ठीक नहीं है यह मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, यह सरकार हमेशा मेट्रो ट्रेन की बात भोपाल व इंदौर के लिये करते हैं. मुझे मालूम है कि अनुसूचित जनजाति के मद से आपने 100 करोड़ रूपये निकाल कर पिछली बार दिये थे वर्ष 2013-14, 2014-15 , 2015-16 में आपने लगभग 2000 करोड़ रूपये जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति मद के आपने दूसरे कार्यों में खर्च कर दिये थे 100 करोड़ रूपये आपने मेट्रो ट्रेन भोपाल के लिये खर्च कर दिये लेकिन अभी भी इस बजट में आपने एक लाईन में भी मेट्रो ट्रेन भोपाल या इंदौर के लिये उल्लेख क्यों नहीं किया है. वित्त मंत्री जी बताये.
उपाध्यक्ष महोदय-- बाला बच्चन जी कृपया दो मिनट में अपनी बात को समाप्त करें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा आपका आदेश. आपके आदेश का मैं पालन करूंगा. इसके अलावा यह कहना चाहता हूं कि जब तक यह सरकार बिजली सस्ती नहीं देगी, कर्ज माफ नहीं करेगी, लोगों की और जनता की आवाज को बंद करने की कोशिश करेंगे, लोकतंत्र का गला घोटने की कौशिश करेंगे तो फिर मंदसौर जैसी घटना की पुनरावृत्ति मध्यप्रदेश में न हो इस बात को सरकार को ध्यान में रखना पड़ेगा और जिन कार्यो के लिये बजट में प्रावधान किया जाता है उन कार्यों पर ही सरकार खर्च करे तो मैं समझता हूं कि उसके दूरगामी परिणाम मध्यप्रदेश में देखने को मिलेंगे.नहीं तो जनता को कुछ भी नहीं मिल रहा है. सरकार में बैठे हुये लोगों का सारा ठीक ही ठीक दिख रहा है, बाकि ऐसा है नहीं और हम लोगों के प्रश्नों का जबाव सरकार और मंत्री जी देंगे तो बात ठीक होगी. मेरी अन्य बात नियम 139 पर जब चर्चा होगी उसमें किसानों की समस्या और दूसरी समस्या है उस पर मैं अपनी बात को रखूंगा. लेकिन इस उम्मीद और इस अपेक्षा के साथ मै अपनी बात को समाप्त कर रहा हूं कि जहां जिस क्षेत्र के लिये, जिन कार्यों के लिये जो बजट का प्रावधान सरकार करती है उसको उसी में खर्च करना चाहिये, ऐसी उम्मीद में इस सरकार से और वित्त मंत्री जी से करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017-18 के लिये विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत वार्षिक वित्तीय विवरण बजट के अंतर्गत एक लाख उन्हत्तर हजार नौ सो चौवन करोड़ छियालिस लाख का अनुमानित व्यय तथा एक लाख उन्हत्तर हजार दौ सो करोड़ सतासी लाख रूपये की अनुमानित प्राप्तियां प्रावधानित थीं. प्रथम अनुपूरक वर्ष 2017-18 में 5059.46 करोड़ के प्रावधान किये गये थे, जिसमें शुद्ध भार रूपये 2477.40 करोड़ रूपया था.
अब द्वितीय अनुपूरक अनुमान 2017-18 लाने के बारे में बहुत से माननीय सदस्यों ने चर्चा की कि इसको आप क्यों लाये हैं . इसके बारे में मैं निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे संविधान में यह व्यवस्था है. संविधान के अनुच्छेद 205 के अंतर्गत यह है कि विशेष अलग अलग कारणों से एक वित्तीय वर्ष में दो सप्लीमेन्ट्री बजट भी आ सकते हैं, तीन सप्लीमेन्ट्री बजट भी आ सकते हैं इसका कारण प्रथम यह है कि आकस्मिकता निधि से स्वीकृत किेये गये अग्रिमों की प्रतिपूर्ति का प्रावधान किये जाने के लिये कतिपय अप्रत्याशित अनिवार्य एवं प्रतिक व्यय के रूप के प्रावधान के लिये शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं व नवीन मदों पर व्यय के प्रावधान के लिये केन्द्र प्रवर्तित, केन्द्रीय क्षेत्रीय एवं अन्य स्त्रोतो की योजनाओं से संबंधित केन्द्रांश एवं राज्य शासन के अंश का प्रावधान किये जाने के लिये और कुछ ऐसी मदें जिन पर व्यय के लिये पुनर्विनियोजन द्वारा राशि उपलब्ध कराई जा सकेगी. ऐसी मदों के लिये केवल प्रतीकात्मक प्रावधान किये जाने हेतु उक्त कारणों से द्वितीय अनुपूरक 2017-18 में अनुपूरक मांगे रखी गई हैं. आप आगे देखेंगे कि जितनी भी मांग रखी गई हैं इन्ही के भीतर ही हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने एक आपत्ति उठाई थी.
श्री जयंत मलैया -- मैं आपके प्रश्न का उत्तर दूंगा. कृपया आप पधारें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- जी धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- तिवारी जी, मंत्री जी ने आपकी बात को नोट कर लिया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - मेरा सुझाव है कि वित्त मंत्री जी इनको सलाहकार के रूप में रख लें. (हंसी)
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017-18 के लिये विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत वार्षिक वित्तीय विवरण बजट के अंतर्गत एक लाख उन्हत्तर हजार नौ सो चौवन करोड़ छियालिस लाख का (1,69,954.46 करोड़ का) अनुमानित व्यय तथा एक लाख उन्हत्तर हजार दौ सो करोड़ सतासी लाख रूपये (1,69,200.87 करोड़) की अनुमानित प्राप्तियां प्रावधानित थीं. प्रथम अनुपूरक वर्ष 2017-18 में 5059.46 करोड़ के प्रावधान किये गये थे, जिसमें शुद्ध भार रूपये 2477.40 करोड़ रूपया था. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि हमारी सरकार द्वारा राज्य के चहॅूंमुखी विकास के लिये द्वितीय अनुपूरक अनुमान 2017-18 में आवश्यकतानुसार पर्याप्त प्रावधान प्रस्तावित किये गये हैं. विधानसभा द्वारा मतदेय राशि 15 हजार 550 करोड़ 16 लाख 63 हजार 930, संचित निधि पर भारित 6 करोड़ 72 लाख 38 हजार 466 कुल 15 हजार 556 करोड़ 89 लाख 2 हजार 399.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, द्वितीय अनुपूरक अनुमान का विस्तृत विवरण निम्न प्रकार है. प्रस्ताव में निहित कुल व्यय 16 हजार 748 करोड़ 89 लाख 23 हजार 399, कुल अनुपूरक मांग की राशि 15 हजार 556 करोड़ 89 लाख 2 हजार 399 राज्य की शुद्ध संचित निधि पर शुद्ध अतिरिक्त भार 9 हजार 262 करोड़ 28 लाख 9 हजार 999. पुनर्विनियोजन द्वारा उपलब्ध राशि 1192 करोड़ 21 हजार रूपये. अनुपूरक मांग के लिये स्वीकृत राशि से समर्पित होने वाली राशि 1438 करोड़ रूपये, अनुपूरक मांग के लिये भारत सरकार अन्य स्त्रोतों से उपलब्ध हुई राशि 4856 करोड़ 60 लाख 92 हजार 400.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसे की अभी बड़ी चर्चा चल रही थी बड़ी हमारे यहां की बहुप्रतीक्षित योजना है हमारे देश के प्रधानमंत्री श्रीमान् नरेन्द्र मोदी जी की, 2022 तक हर एक व्यक्ति का अपना पक्का आवास हो और उसके तहत प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत 3391.42 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान प्रस्तावित है. इसी तरह से निर्मल भारत योजना के अंतर्गत 1170.51 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत 6 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. प्रधानमंत्री आवास योजना, हाउसिंग फार ऑल यह अर्बन सेक्टर के लिये है, इसके लिये 1049 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. मुख्यमंत्री भावांतर योजना इसके लिये मध्यप्रदेश के कृषकों के उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके इसके लिये 4 हजार करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है. इस वर्ष हमारे प्रदेश में कई जिलों में सूखा पड़ा है इसलिए इस सूखे से राहत पहुंचाने के लिये 13सौ करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है. लोक निर्माण विभाग के लिये केंद्रीय सड़क निधि के अंतर्गत 350 करोड़ रूपये तथा न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम अंतर्गत अन्य ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिये 350 करोड़ रूपये. इस तरह से कुल 650 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान प्रस्तावित है. जनजाति कार्य अनुसूचित जनजाति विभाग, कन्या शिक्षा परिसर हेतु 2 सौ करोड़ रूपये. आईटीडीपी माडा पॉकेट, क्लस्टर में स्थानीय विकास कार्यक्रम हेतु 213.97 करोड़ रूपये. आदिवासी उपयोजना क्षेत्र में विविध विकास कार्य अनुच्छेद 275(1) अंतर्गत 228.40 करोड़ तथा अन्य कार्यों को शामिल करने हेतु 408.22 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस वर्ष से हमने अपने सांसदों के लिये स्वेच्छानुदान निधि की भी व्यवस्था की है. सांसदों को स्वेच्छानुदान निधि के अंतर्गत प्रदेश के सांसदों के लिये प्रत्येक सांसद 25 लाख रूपये इस प्रकार कुल 10 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है.
5.44 बजे { अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निवेश प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत सौ करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. नर्मदा घाटी विकास विभाग, नर्मदा मालवा गंभीर लिंक उद्वहन योजना के अंतर्गत सौ करोड़ रूपये, नर्मदा नदी किनारे घाट निर्माण हेतु दस करोड़ रूपये, प्री.प्री. उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना, मोरंड गंजाल संयुक्त सिंचाई योजना, नीलकुंठ घाट संरक्षण कार्य, नमामी देवी नर्मदे मिशन, नर्मदा पार्वती लिंक परियोजना तथा अन्य योजनाओं हेतु कुल 126.25 करोड़ रूपये का इसमें प्रावधान किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज इस द्वितीय अनुपूरक अनुमान में हमारे माननीय मुकेश नायक, ओमप्रकाश सखलेचा जी एवं श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी ने चर्चा में भाग लिया. सुन्दरलाल तिवारी जी ने पिछली बार भी कोई बात की थी, उनको यह लग रहा है कि हमने पिछली बार कोई संशोधन नहीं किया, यह उनके समझने में फेर हो गया था और अगर कभी मुझे बताएंगे तो मैं बता दूँगा. इस बार भी आपने दो बातों की तरफ ध्यानाकर्षित किया है, एक तो यह किया है कि ऊर्जा विभाग में जो खर्च है, यह कैपिटल एक्सपेंडिचर है और यह धन वेस्टर्न निवेश, उसमें दोनों चीजें लिखी हुई हैं. दूसरी बात, आपने एफ.आर.बी.एम. के बारे में कही है. मैं यहां पर निवेदन करना चाहता हूँ कि इसी विधानसभा के सत्र में हमने वर्ष 2017-18 की प्रथम छ:माही की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. हमारा राजकोषीय घाटा, जीएसडीपी के 3.5 प्रतिशत के भीतर हमारा रखा जायेगा. मैं यहां पर यह निवेदन करना चाहता हूँ कि हमारे देश के बहुत कम प्रदेश ऐसे होंगे, जिनका जीएसडीपी से फिसकल डेफिसिट 3.5 प्रतिशत के भीतर हो और मैं यहां यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि एक मेरे मित्र बाला बच्चन जी ने कहा कि आप लोग कर्जा लेते हैं. हम कर्ज लेते हैं. देश में कोई प्रदेश ऐसा है, जो कर्ज न लेता हो. क्या कोई प्रदेश ऐसा है ?
श्री बाला बच्चन - आप ज्यादा कर्जा लेते हैं.
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ कि हम पैसा लेते हैं तो इसको हम पूँजीगत व्यय के ऊपर खर्च करते हैं. आप इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च देख रहे होंगे, इसमें कहने की जरूरत नहीं है. अब आप लोग विरोध में हैं तो आपका काम विरोध करना है. हम अपनी बात कहेंगे परन्तु आप देखेंगे. आप अपने आंकड़े तो उठाकर देखें. आपकी सरकार 10 वर्ष रही है. बाला बच्चन जी, आप भी तो उसमें मंत्री रहे हैं. पूँजीगत पर व्यय, आप उस समय क्या करते थे ? आप सिर्फ 2,883 करोड़ रुपये खर्च करते थे और हम सन् 2017-18 के बजट अनुमान के हिसाब से 35,435 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं, यह 12 गुना अधिक हमारा पूँजीगत व्यय है और हम दूसरे स्टेट्स से भी देख रहे हैं. वे हमको बता रहे थे कि हमारा कर्ज ज्यादा है. मैंने आंकड़े निकलवाये थे.
.....(व्यवधान)....
श्री सुन्दरलाल तिवारी - राज्य की पूँजी बढ़ी है ? आप उसकी बात करें. केन्द्र से जो सहायता ले रहे हैं, आप उसकी बात करें.
श्री जयंत मलैया - हां, देखिये. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि हमारी पूँजी भी बढ़ी है, हमारे राज्य का सकल घरेलू उत्पाद बहुत बढ़ा है. जितना आपका सन् 2003-2004 में था, उससे हमारा लगभग-लगभग साढ़े पांच से छ: गुना अधिक बढ़ा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आपकी सरकार केन्द्र की मदद पर चल रही है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - क्या बात है ? क्या बात है ?
श्री जयंत मलैया - अगर आप यह चाहें तो मैं यह आंकड़े भी आपको बता दूँ. आपने यह पूछा है तो सन् 2003-2004 में जो आपका राजस्व व्यय था, पहले तो मैं आपको आय बता दूँ. आपके स्वयं के करों से जो आपकी प्राप्ति होती थी, वह 6,805 करोड़ रुपये थी और हमारी सन् 2017-18 में लगभग 51,106 करोड़ रुपये होगी, यह हमारा बजट अनुमान है. आप पूछें तो क्या पूछना चाहते हैं ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - केन्द्र का प्रतिशत और राज्य का प्रतिशत बताइये. केन्द्र का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है और राज्य का प्रतिशत ........
श्री जयंत मलैया - बिल्कुल नहीं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - पहले 90:10 था, अब 60:40 हो गया है. आप क्या बात कर रहे हो ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - कहां का 90 हो गया है ? कुछ नहीं है भारत सरकार का. भारत सरकार से ज्यादा, राज्य सरकार का नकद था. आप आंकड़े निकालकर देख लीजिये.
श्री गोपाल भार्गव - नहीं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आंकड़े निकालकर देख लीजिये. अध्यक्ष महोदय, एक दिन निर्धारित कर दिया जाये और इस पर स्पष्ट आधे घण्टे की चर्चा हो जाये और तब सारे आंकड़े बाहर आ जाएंगे.
श्री गोपाल भार्गव - यह 34 अरब रुपया ग्रामीण हाउसिंग के लिए दिया है. यह सब राज्य का हिस्सा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - कहां से आया है ?
श्री गोपाल भार्गव - राज्य का हिस्सा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - राज्य का हिस्सा है लेकिन केन्द्र से कितना प्रतिशत आया है ? बताइये.
श्री गोपाल भार्गव - 60 प्रतिशत वहां से आया है और 40 प्रतिशत यहां से है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आपका 40 प्रतिशत कहीं नहीं है.
श्री जयंत मलैया - हां, 40 है.
श्री गोपाल भार्गव - वह तो मेनडेटरी है.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बैठ जाएं. आधे घण्टे की चर्चा कौन से नियम में कराएंगे?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं एक योजना की बात नहीं कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्नकाल नहीं है. बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - ताकि बहस हो.
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाइये. मंत्री जी खड़े हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, जो मैंने बात कही है, आपने यह कहा कि दोनों चीज है आप हमको पढ़कर सुना दें कि पेज नंबर 10 में यह कहां है.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी, मंत्री जी बैठ नहीं रहे हैं,
श्री जयंत मलैया - मैंने बता तो दिया आपको केपीटल एक्सपेंडिचर है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी उनकी बात का उत्तर नहीं दीजिए. तिवारी जी का कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री जयंत मलैया - शैलेन्द्र पटेल जी ने जो सुझाव दिया वह बहुत अच्छा सुझाव है, उस पर आगे विचार करेंगे. भाई यशपाल सिसौदिया जी, गिरीश भंडारी जी, कुंवर सौरभ सिंह जी, श्री आशीष शर्मा जी, हरदीप डंग जी, कमलेश्वर पटेल जी, श्री हेमंत कटारे जी, श्री रामनिवास रावत और श्री बाला बच्चन जी ने जोरदार तरीके से इसमें हिस्सा लिया. अध्यक्ष महोदय, जो मैंने द्वितीय अनुपूरक अनुमान पेश किया है, मैं सदन से निवेदन करूंगा कि इसको कृपया सर्वसम्मति से पारित करें, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है दिनांक 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 2, 3, 4, 8, 10, 11, 12, 13, 18, 19, 20, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30, 31, 32, 33, 35, 36, 37, 38, 39, 40, 42, 45, 47, 48, 50, 52, 53, 55, 56, 58, 60, तथा 65 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर पन्द्रह हजार पांच सौ पचास करोड़, सोलह लाख, तिरसठ हजार, नौ सौ तैंतीस रुपए की अनुपूरक राशि दी जाए.
अनुपूरक मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
05:51 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2017
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - श्री जयंत मलैया.
श्री जयंत मलैया - मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक के अंग बने.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 1 दिसम्बर, 2017 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 5.54 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 1 दिसम्बर, 2017 (10 अग्रहायण, शक संवत् 1939) को पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल: अवधेश प्रताप सिंह
दिनाँक : 30 नवम्बर, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा