मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा षष्टम सत्र
जुलाई-अगस्त, 2025 सत्र
बुधवार, दिनांक 30 जुलाई, 2025
(8 श्रावण, शक संवत् 1947)
[खण्ड- 6 ] [अंक-3 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 30 जुलाई, 2025
(8 श्रावण, शक संवत् 1947)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
11.03 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
भूमि पट्टा दिये जाने के नियम
[राजस्व]
1. ( *क्र. 1085 ) डॉ. सतीश सिकरवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के गरीब भूमिहीन परिवार को शासकीय भूमि का पट्टा दिये जाने का क्या नियम है? शासन आदेश सहित जानकारी दी जावे। (ख) जिला ग्वालियर में वर्ष 2020 से मई 2025 तक भूमि का पट्टा दिये जाने हेतु कितने आवेदन प्राप्त हुये? संख्यावार जानकारी दी जावे। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित अवधि में प्राप्त आवेदनों से कितने हितग्राहियों को भूमि पट्टा दिया गया? आवेदकों के नाम एवं पता सहित जानकारी दी जावे। (घ) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित अवधि में प्राप्त आवेदनों में से कितने आवेदकों को भूमि पट्टा नहीं दिया गया है? पट्टा न दिये जाने के क्या कारण रहे। (ड.) प्रश्नांश (घ) के संबंध में जिन आवेदकों को भूमि पट्टा नहीं मिला है, क्या उन्हें पट्टा दिया जायेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा सहित जानकारी दी जावे।
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना नगरीय क्षेत्र की शासकीय भूमि के धारकों के धारणाधिकार के अंतर्गत पट्टा दिये जाने एवं म.प्र. नजूल भूमि निर्वर्तन निर्देश, 2020 के अध्याय-7 में भूमि स्वामी हक में कृषि प्रयोजन के लिए भूमि का आवंटन के नियम हैं. भूमि के आवंटन संबंधी हेतु कोई कार्यकारी निर्देश नहीं हैं. आदेश/नियमों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट "क" अनुसार है।
(ख) जिला ग्वालियर में वर्ष 2020 से मई 2025 तक मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना अंतर्गत कुल 53876, नगरीय क्षेत्र में शासकीय भूमि के धारकों के द्वारा धारणाधिकार के अंतर्गत कुल 2446 आवेदन प्राप्त हुए हैं.
(ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट "ख" अनुसार है।
(घ) उत्तरांश ख में प्राप्त आवेदनों में से मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना अंतर्गत 36868 तथा नगरीय क्षेत्र में शासकीय भूमि के धारकों के द्वारा धारणाधिकार के अंतर्गत कुल 1219 आवेदकों के आवेदन अपात्र होने के कारण निरस्त किये गए.
(ड.) उत्तरांश 'घ' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ. सतीश सिकरवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1085 है.
श्री करण सिंह वर्मा- महोदय, प्रश्न का उत्तर सदन के पटल पर प्रस्तुत है.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य, पूरक प्रश्न करें.
डॉ. सतीश सिकरवार- अध्यक्ष महोदय, मैं, आसंदी को प्रणाम करता हूं और आज यह सौभाग्य का दिन है कि मुझे आज सदन में बोलने का अवसर मिला है. मेरे प्रश्न का उत्तर जो कि मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत किया गया है कि ग्वालियर जिले में मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना अंतर्गत कुल 53876 फॉर्म जमा हुए एवं शासकीय भूमि के धारकों के द्वारा धारणाधिकार के अंतर्गत कुल 2446 फॉर्म आये. इसमें से कुल 598 पट्टे दिये गए और इन 598 में से मुझे जो सूची उपलब्ध करवाई गई है, वह ग्वालियर जिले की केवल एक विधान सभा की है, ग्वालियर शहर में लगभग 3.5 विधानसभायें हैं. उनमें जो 598 पट्टे वितरित किये गये हैं, वे केवल एक विधान सभा के हैं, उसमें ग्वालियर, ग्वालियर दक्षिण एवं ग्वालियर ग्रामीण के वार्डों में से किसी को पट्टा नहीं दिये गए हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि 53876 फॉर्म जमा हुए और हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि वर्ष 2025 तक कोई भी भूमिहीन नहीं रहेगा. जिसके पास स्वयं का आवास नहीं हो. माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने भी कहा था कि जो गरीब जहां पर भी निवास करता है, उसको वहां पर पट्टे दिये जायेंगे. लेकिन इतने फॉर्म जमा होने के बाद भी आज दिनांक तक 598 पट्टे दिये गये हैं, शेष लोगों को पट्टे प्रदान नहीं किये गये हैं. आप बताएं कि अगर इनको पट्टे नहीं दिये गये तो दिये जायेंगे कि नहीं दिये जायेंगे. यदि दिये जायेंगे तो कब तक दिये जायेंगे ? एक तरफ सरकार गरीब मजदूरों की बात करती है.
अध्यक्ष महोदय - सतीश जी, आपका प्रश्न आ गया है. पट्टे दिये जायेंगे कि नहीं दिये जायेंगे.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, पट्टे दो तरह से दिये जाते हैं. एक तो जैसे हम नगरीय क्षेत्र में पट्टे देते हैं. उसमें 2,446 आवेदन प्राप्त हुए और 1,227 पट्टे दिए हैं. हमने अस्वीकृत 1,219 किए हैं. अध्यक्ष महोदय, उसमें एक नियम होता है कि जब वह पात्रता में आ जायेंगे तो उनको भी पट्टे देंगे. दूसरा, हम धारणा के दो तरह के पट्टे देते हैं, धारणा के आधार पर हमें 24,648 आवेदन प्राप्त हुए हैं और हमने 1,001 पट्टे दिए हैं एवं 17,200 अस्वीकृत किए हैं. धारणा का भी एक नियम है कि वह 5 पांच वर्ष से वहां रहता हो, टपरिया और उसका कुछ छोटा-मोटा बना हुआ हो, उसका बिजली का बिल हो, उसी आधार पर हम पट्टे देते हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, दूसरा अनुपूरक प्रश्न करें.
डॉ. सतीश सिकरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मंत्री जी ने पहले लिखित जवाब में बताया है कि कोई शहरी क्षेत्र में पट्टे देने का कोई, कृषि क्षेत्र में तो देने का प्रावधान है. सरकार के पास कोई नियम नहीं है. यहां ग्वालियर में धारणाधिकार के तहत 24,000 से ज्यादा पट्टे के लिए आवेदन किये गये और मुख्यमंत्री आवास भू-अधिकार योजना के तहत 53,000 लोगों ने आवेदन किये. कुछ लोगों को मिले हैं, कुछ लोगों को अस्वीकृत कर दिया है. उसका कोई नियम नहीं है कि किस आधार पर अस्वीकृत किए गये. ग्वालियर में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनमें बगल वाले को पट्टा मिल गया और बगल वाले 3 लोगों को पट्टा नहीं मिला. मेरे पास तमाम लोगों की सूची है, मैं आपको उपलब्ध करवाऊँगा. मैं माननीय मंत्री जी से यही कहना चाहता हूँ कि सरकार अपनी संवेदनशीलता दिखाये. हम लोग सदन में चुनाव लड़कर जीतकर आते हैं. जो लोग चुनाव हार जाते हैं, उनको राज्य सभा में पहुँचा दिया जाता है. अगर जिनके पट्टे अस्वीकृत किये हैं, उन गरीबों को भी तो देखा जाये. गरीब लोगों को पट्टे दिये जायें. नियम में शिथिलता बरती जाये.
माननीय प्रधानमंत्री जी का सपना है, मुख्यमंत्री जी का सपना है कि भूमिहीन लोगों को पट्टे दिये जायें, उनको आवास दिये जायें. मैं, माननीय मंत्री जी से यही निवेदन करना चाहता हूँ कि आप नियमों में शिथिलता बरतते हुए जिन लोगों ने पट्टे के लिए आवेदन किए हैं, उनकी विधिवत् जांच कराकर उन्हें पट्टे दिये जायें.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने निवेदन पहले भी किया है और अब भी कर रहा हूँ कि वर्ष 2020 से वर्ष 2025 तक मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के अंतर्गत कुल 53,876 नगरीय क्षेत्र में शासकीय भूमि के धारकों को धारणा के अधिकार के तहत 24,600 आवेदन प्राप्त हुए और उनको हमने पात्रता अनुसार पट्टे दे दिए हैं. जिनको पात्रता नहीं है, उनको हम नहीं दे पायेंगे.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, सतीश जी, उसमें पात्रता क्या है ? वह पूछना चाह रहे हैं.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, वह जिसको हम पट्टा देते हैं, वह उस जमीन पर पहले से ही धारण किया होगा, उसको पांच वर्ष वहां रहना चाहिए या उसका मकान रहना चाहिए, उसका बिजली का बिल एवं नल का बिल होना चाहिए. उसी को पात्रता मानकर हम धारणा के अनुसार पट्टे देते हैं.
डॉ. सतीश सिकरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि कई जगह बिजली नहीं है. जहां लोग झोपडि़यों में 10-10 वर्षों से रह रहे हैं, वहां बिजली नहीं है और पानी की कोई लाईन नहीं है तो पानी का बिल कहां से आयेगा ? तो माननीय मंत्री जी, उसमें कुछ शिथिलता बरती जाये. आपने 24,000 में से 1,200 लोगों को दिया है और सरकार 17,000 लोगों को अपात्र घोषित कर रही है. सरकार लोगों से पट्टे छीन रही है, 1.25 लाख लोगों के पट्टे निरस्त कर दिये गये हैं. पट्टे देने चाहिए कि पट्टे निरस्त करने चाहिए. माननीय मंत्री जी, मैं यही चाहता हूँ और पूरा सदन भी यही चाहता है कि गरीबों को पट्टे मिलने चाहिए, उसके लिए आप नियम बना दें, नियमों में शिथिलता बरतें. जहां पानी की पाईप लाईन नहीं है, वहां पानी के बिल कहां से आ जायेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - सतीश जी, आपका प्रश्न आ गया है. सोहनलाल जी, आप क्या कहना चाहते हैं ?
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, पट्टे से संबंधित मेरा भी प्रश्न था. आपको ध्यान होगा कि पिछली बार मेरा अशासकीय संकल्प लगा हुआ था कि डब्ल्यूसीएल की भूमि को निरस्त करते हुए मध्यप्रदेश सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में ले, उसका मुझे कोई जवाब नहीं मिला है. मैंने कल आपको पत्र भी दिया है, मंत्री जी को भी तीन बार पत्र लिख चुका हूँ, जो इसी से संबंधित है कि यदि डब्ल्यूसीएल की जमीन को केन्द्र सरकार से मध्यप्रदेश सरकार ले ले तो वहां पट्टा वितरण हो जाए. ऐसे हजारों लोग हैं और वहां शासकीय काम कुछ होते नहीं हैं. प्रधानमंत्री आवास आता है तो नहीं बन पाते, शौचालय आता है तो नहीं बन पाते, कोई सामुदायिक भवन आता है तो नहीं बन पाता, इस तरीके की तकलीफें हैं तो मेरा आपसे ऐसा निवेदन है.
डॉ. सतीश सिकरवार -- अध्यक्ष महोदय, कुछ शिथिलता वाले पट्टे मिलेंगे कि नहीं मिलेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- सतीश जी, एक मिनट, श्री कमलनाथ जी.
श्री कमलनाथ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब शहरी हो या ग्रामीण हो, गरीब तो गरीब है. जो भी संशोधन करना है, आज नीति और नियम में यह संशोधन करना है. अभी मेरे साथी सोहनलाल बाल्मीक जी ने डब्ल्यूसीएल के बारे में जिक्र किया. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ और उनके जरिए मुख्यमंत्री जी से भी कहना चाहता हूँ कि डब्ल्यूसीएल और एसईसीएल की बहुत सारी ऐसी जमीनें हैं, जहां खदानें बंद हो गई हैं. जब मैं मुख्यमंत्री था तो मैंने शुरुआत की थी कि इनकी जो लीज थी, खदान तो खत्म, कोयला खत्म, पर लीज चालू है. इनकी लीज कैन्सिल की जाए. हजारों एकड़ जमीन राज्य सरकार के हाथ में आएगी. यह बहुत आवश्यक है कि अब डब्ल्यूसीएल से और एसईसीएल से चर्चा करें और उनकी लीज कैन्सिल करें. इन जमीनों को हम गरीबों को बांट सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, कुछ कहना चाहेंगे.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय बाल्मीक ने जो प्रश्न उठाया है, अब वे जो खदानें हैं, उनको केन्द्र से लीज दी गई हैं, हम उनको निरस्त नहीं कर सकते.
श्री कमलनाथ -- अध्यक्ष जी, यह गलत है. यह मैंने शुरुआत की थी और डब्ल्यूसीएल तथा एसईसीएल वाले खुश थे क्योंकि उनका जो चौकीदारी में खर्चा लगता था, उसकी प्रोटेक्शन में जो खर्चा लगता था, वह खर्चा उनका बच रहा था. अतिक्रमण बचाने के लिए वह बहुत पैसे खर्च करते थे तो डब्ल्यूसीएल राजी थी. केवल कागज की कार्यवाही बची थी. अब ये कागज की कार्यवाही करनी है. हमें उन्हें नोटिस देना है कि आपको तो हमने खदान के लिए लीज दी थी, कोयले के लिए लीज दी थी. आपकी खदान बंद हो गई, अब कोई खदान नहीं है, कोई कोयला नहीं है तो आपकी लीज कैन्सिल हुई और लीज हम कैन्सिल करते हैं क्योंकि लीज हमने कोयला खदान के लिए दी थी, बंद खदान के लिए नहीं दी थी तो बंद खदानें जो हैं, उनके ऊपर हमें एक्शन लेना चाहिए.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी विनम्रता से कहूँगा कि मैं उस विभाग का मंत्री रहा हूँ. जब भी लीज राज्य सरकार को ट्रांसफर होती है या वापस होती है तो वह वृक्षारोपण के लिए या फिलिंग के लिए होती है, जहां पर आवासीय भूमि होती है या कालोनियां होती हैं, उसका तो प्रावधान हो सकता है, लेकिन जब तक वे हैण्ड ओवर नहीं करते, यह होता नहीं है. इसलिए वे मुख्यमंत्री रहे हैं और उन्होंने प्रयास किया तो कितनी सफलता मिली, उनको भी पता होगा. इसलिए मुझे लगता है कि इस पर बहुत क्लियर होना चाहिए कि जो माइनिंग का एरिया है, उस माइनिंग के एरिए में या तो प्लांटेशन हो सकता है या रिफिलिंग हो सकती है. लेकिन जो रेसिडेन्शियल क्वार्टर्स होते हैं, उन पर विचार हो सकता है लीज कैन्सिल होने के बाद.
अध्यक्ष महोदय -- पिछली बार सोहनलाल बाल्मीक जी का संकल्प था और उस पर यह बात हुई थी कि राज्य सरकार केन्द्र सरकार को अनुरोध करेगी. मुझे सोहनलाल जी ने बीच में ध्यान दिलाया तो राजस्व विभाग ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर यह आग्रह कर दिया है, आप भी चाहें तो उसकी कॉपी प्राप्त कर लें. जहां तक पट्टे की पात्रता या अपात्रता का मामला है तो यह लंबा विषय है और यहां उस पर ज्यादा समय देना उचित नहीं है. मेरा मंत्री जी को सिर्फ इतना आग्रह है कि सतीश सिकरवार जी को बुला लें, उनके पास कौन सी सूची है, अगर अपात्र लोग हैं तो उनको संतुष्ट कर दें, पात्र लोग हैं तो उस पर कार्यवाही कर दें.
सिविल अस्पताल व अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों का घटिया निर्माण
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
2. ( *क्र. 1362 ) श्री देवेन्द्र पटेल : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिले में सिविल अस्पताल सिलवानी के नवीन भवन का निर्माण कब, कितनी लागत से शुरू हुआ था? इसकी निर्माण एजेंसी व ठेकेदार कौन है? किन तकनीकी अधिकारियों के मार्गदर्शन में उक्त भवन का निर्माण किया गया? (ख) सिविल अस्पताल सिलवानी के निर्माणाधीन भवन में डी.पी.आर. के अनुसार कार्य न कराये जाने के क्या कारण हैं? किन-किन अधिकारियों और ठेकेदारों की निगरानी में घटिया व गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य किया गया? भवन के हैंडओवर से पूर्व ही छत से पानी टपकना, अपूर्ण विद्युतीकरण कार्य, सीवेज व जल निकासी और पाईप-लाईन संबंधी अधूरे व ऑक्सीजन लाईन व अन्य तकनीकी कार्य अपूर्ण व गुणवत्ताहीन होने के लिये कौन उत्तरदायी है? अपूर्ण कार्यों को गुणवत्ता के साथ कब तक पूर्ण कराया जायेगा? निर्माण में विलंब के लिये क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या सिविल अस्पताल सिलवानी में गुणवत्ताहीन निर्माण व अन्य तकनीकी त्रुटियों का निरीक्षण क्या भोपाल से तकनीकी टीम भेजकर वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में कराया जाकर दोषियों को दंडित किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सिविल अस्पताल सिलवानी भवन का निर्माण कार्य डी.पी.आर. के अनुसार ही कराया गया है। गुणवत्ता की जांच हेतु तकनीकी जांच कमेटी गठित की गई है। प्राक्कलन में ऑक्सीजन लाईन का प्रावधान नहीं होने के कारण ऑक्सीजन लाईन का कार्य नहीं कराया गया। निर्माण कार्य दिनांक 30.11.2024 को पूर्ण कर दिया गया है एवं दिनांक 04.06.2025 को भवन हस्तांतरित किया जा चुका है, विलंब के लिये ठेकेदार के विभिन्न चल देयकों से राशि रूपये 314417.00 रोकी गयी है। (ग) गठित जांच दल द्वारा जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरांत ठेकेदार के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री देवेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1362 है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर सदन के पटल पर पटलित किया गया है.
श्री देवेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय,आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जो सिलवानी में अस्पताल का निर्माण किया गया वहां के जो ब्लाक मेडिकल आफिसर थे उन्होंने उसका अधूरा काम होने की वजह से उसको हैंडओवर नहीं किया. जो जिला चिकित्सा अधिकारी थे सीएमएचओ द्वारा उसको हैंडओवर कर लिया गया और इसके बाद उसका निरीक्षण एसडीओ द्वारा और मुख्य चिकित्सा अधिकारी सिलवानी द्वारा दोबारा किया गया. उन्होंने उसमें करीब 20 काम अधूरे पाए थे और उसकी प्राकलन राशि करीब 3 करोड़ 11 लाख रुपये का रिवाईज इस्टीमेट वहां का भेजा. यह स्वीकृत हो जाए जिससे वहां पर जो ओपीडी में काम होना है या लेबर रूम में काम होना है या काल सेंटर में काम होना है अगर वह राशि स्वीकृत हो जायेगी तो वह अस्पताल सुचारू रूप से चालू हो जायेगा क्योंकि हैंडओवर होने के बाद भी आज भी उस अस्पताल में डाक्टर वगैरह नहीं पहुंचे पुराने अस्पताल में ही शिफ्ट हैं. मैं यह चाहता हूं कि जो वहां का रिवाईज इस्टीमेट हुआ है अगर वह सेंग्शन हो जायेगा जिससे वहां का अधूरा काम है वह पूर्ण हो जायेगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय,यह भवन तो हैंड ओवर हो चुका है. 3 साल की डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियेड भी होता है यदि कोई कमी है तो उसकी भी पूर्ति हो जायेगी. जहां तक रिवाईज इस्टीमेट की यह बात कर रहे हैं उसको हम दिखवा लेंगे यदि वह जस्टीफाईड है तो उस पर कार्यवाही होगी.
श्री देवेन्द्र पटेल - अध्यक्ष महोदय, दिनांक 7.4.2024 को वह रिवाईज इस्टीमेट मुख्य अभियंता तो भेजा गया है.एक वर्ष हो गया और अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और वह अधूरा अस्पताल पड़ा है अगर यह काम हो जायेगा तो वह सुचारू रूप से चालू हो जायेगा नहीं तो काम पूरा नहीं हुआ तो अस्पताल भी जीर्णशीर्ण होने के कारण गिर जायेगा एक वर्ष में. माननीय मंत्री जी वह रिवाईज इस्टीमेट सेंग्शन कर दें जिससे वह अधूरा काम पूर्ण हो.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, भवन तो पूरी तरीके से तैयार है फर्नीचर इक्विपमेंट भी 5 अगस्त तक सारे पहुंच जायेंगे. आधे पहुंच गये हैं आधे पहुंच रहे हैं और यह पुराना कम्युनिटी सेंटर है जिसका सिविल अस्पताल में उन्नयन किया गया है यह जो रिवाईज इस्टीमेट की बात कर रहे हैं उसकी वजह से अस्पताल चालू न हो ऐसी स्थिति नहीं है लेकिन यदि कुछ काम ऐसा एडीशनल उसमें करना जरूरी है जिसके कारण रिवाईज इस्टीमेट प्रस्तुत किया गया है तो हम उसका परीक्षण करके जो आवश्यक कार्यवाही है करेंगे लेकिन जहां तक अस्पताल शुरू करने का सवाल है 5 अगस्त तक सारे इक्विपमेंट,फर्नीचर,जो मेन पावर है उन सब चीजों की व्यवस्था कर दी जायेगी.
श्री देवेन्द्र पटेल - ठीक है.
बान सुजारा जलाशय में अनियमितताओं की जांच
[मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास]
3. ( *क्र. 1434 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या राज्य मंत्री, मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ (सहकारी) मर्यादित भोपाल द्वारा क्या इसी वर्ष 2025 में बान सुजारा जलाशय से आखेटित मछली के विक्रय हेतु निविदाएं आमंत्रित की गई थी? इसमें क्या-क्या शर्तें थीं और नियमानुसार किस-किस की निविदाएं किस दर पर प्राप्त हुई थी? सम्पूर्ण जानकारी छायाप्रतियों सहित प्रदाय करें। (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर बताएं कि ऐसे कौन-कौन से निविदा डालने वाले ठेकेदार थे, जिन्होंने फर्म के नाम पर निविदा प्रपत्र फार्म लिया था और व्यक्तिगत नाम के सभी निविदा प्रपत्र फार्म में लगाए थे एवं ऐसे कौन-कौन से निविदाकार थे, जिन्होंने विगत 03 वर्ष की ऑडिट फायनेशियल रिपोर्ट/प्रोफिट लॉस स्टेटमेंट रिपोर्ट एवं मत्स्य व्यवसाय संबंधी अनुभव प्रमाण-पत्र संलग्न नहीं किये थे? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर बताएं कि जब निविदा खोलने की तिथि 20.05.2025 थी फिर दिनांक 22.05.2025 को क्यों बताया गया कि टेण्डर स्वीकृत किसका हुआ, उसी दिन क्यों नहीं? उपरोक्त निविदा प्रक्रिया में कौन-कौन अधिकारी एवं कर्मचारी दोषी हैं? प्रश्न दिनांक तक दोषियों के विरूद्ध विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही हुई? स्पष्ट एवं संपूर्ण जानकारी प्रदाय करें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर बताएं कि क्या विभागीय मंत्री जी ने इसमें जांच के आदेश दिये थे, अगर हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही हुई है? जब इसमें अनियमितता प्रतीत हो रही थी, तब सर्वाधिक दर प्रस्तुत करने वाले निविदाकार को कार्यादेश/अनुबंध हेतु क्यों बुलाया गया है? क्या उक्त निविदा निरस्त करने हेतु क्रमशः जो निविदाकार पात्रता की श्रेणी में आ रहा है, उसे कार्यादेश/अनुबंध करने हेतु बुलाया जावेगा, तो कब तक? निश्चित समय-सीमा सहित बताएं।
राज्य मंत्री, मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास ( श्री नारायण सिंह पंवार ) : (क) जी हाँ। निविदा से संबंधित नियम एवं शर्तें तथा प्रतिभागी एवं प्रस्तुत दर संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) निविदा में व्यक्तिगत एवं फर्म के नाम से कुल सात निविदाकारों ने भाग लिया। किसी भी निविदाकार ने तीन वर्षों का ऑडिट फायनेशियल रिपोर्ट संलग्न नहीं किया था। केवल मे. यश इंटरप्राइजेस द्वारा मत्स्य व्यवसाय संबंधी दस्तावेज संलग्न किया गया था (ग) निविदा समिति द्वारा निर्धारित तिथि 20.05.2025 को तकनीकी बिड खोलने पश्चात संलग्न दस्तावेजों के परीक्षण उपरांत दिनांक 22.05.2025 को फाईनेशियल बिड खोला गया। निविदा खोलने की कार्यवाही नियमानुसार प्रक्रिया अपनाते हुए की गई। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय,मेरा प्रश्न क्रमांक 1434 है.
श्री नारायण सिंह पंवार - अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रख दिया गया है.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, हमारे टीकमगढ़ जिले में बानसुजारा बांध जलाशय में मछली आखेट करने से संबंधित ठेका पद्धति में जो अनियमितताएं की गई हैं उससे संबंधित मेरा प्रश्न है. माननीय मंत्री जी के पास मेसर्स एस.इंटरप्राईजेज ने शिकायत की थी कि जो निविदा प्रक्रिया की गई है वह दूषित है और इसकी जांच की जाए तो माननीय मंत्री जी ने भी जांच के आदेश दिये गये थे और जांच होने पर अनियमितताएं पाए जाने के बावजूद भी वहां पर जो पात्र नहीं है उसको ठेका चौधरी फिश सेंटर को तो मेरा अनुरोध है कि इस ठेके को निरस्त करने की कार्यवाही करेंगे मंत्री जी.
श्री नारायण सिंह पंवार - अध्यक्ष महोदय, यह बात निश्चित है कि मेसर्स एस.इंटरप्राईजेज ने मुझसे संपर्क किया था और मैंने प्राथमिक तौर पर इस प्रकरण को देखा भी था. प्राथमिक तौर पर देखने पर पता लगा कि सभी नियमितताएं उसमें बरती गई हैं कहीं भी अनियमितता नहीं पाई गई. मेरा निवेदन है कि वर्ष 2025 में बाण सुजारा जलाशय से मस्त्य विक्रय हेतु दिनांक 28.4.2025 को निविदाएं की गईं थीं.प्राप्त निविदाएं दिनांक 20.5.2025 को दोपहर 3.30 बजे खोली गईं इसमें 7 निविदाएं प्राप्त हुईं थीं. सातों के नाम हैं. अली हसन,श्री कलीम खान,चौधरी फिश सेंटर,परवेज फिश सेंटर,परवेज फिश सेंटर,यश इंटरप्राईजेज,श्री कलीम अहमद और श्री असलम खान इसमें चौधरी फिश सेंटर परवेज फिश सेंटर,यश इंटरप्राईजेज द्वारा फर्म के नाम पर प्रपत्र फार्म लिया गया था. निविदा के साथ नसीम अहमद द्वारा चौधरी फिश सेंटर, मोहम्मद परवेज के द्वारा परवेज फिश सेंटर के नाम से व्यक्तिगत रूप से भी फार्म दिये गये थे. मेसर्स यश फिश सेंटर द्वारा फर्म के नाम पर निविदा दस्तावेज प्रस्तुत किये गये थे किन्तु उनके द्वारा भी 3 वर्ष की फाईनेंशियल रिपोर्ट एवं प्राफिट,लास संकलन नहीं किया गया एवं फर्म का पेन कार्ड भी संलग्न नहीं किया गया.
इस आधार पर प्रस्तुत निविदा अमान्य योग्य थी, परंतु निविदा समिति के द्वारा चार्टर्ड अकाउंटेंट से अभिमत लिया गया जिसके आधार पर, चूंकि यह प्रोपराइटर फर्म है इसलिये उन्हें व्यक्तिगत श्रेणी में भी मान्य करते हुये निविदा समिति द्वारा सभी सातों निविदायें तकनीकी रूप से मान्य कर ली गईं थीं तथा दिनांक 22.05.2025 को फाइनेंशियल बिड खोलने हेतु निविदा समिति द्वारा श्री नसीम अहमद की दर अधिक पाये जाने के कारण पात्र घोषित किया गया. दिनांक 20.05.2025 तथा दिनांक 22.05.2025 की कार्यवाही सभी निविदाकारों के समक्ष हुई. 20 तारीख को तकनीकी बिड खोली गई थी और 22 तारीख को फाइनेंशियल बिड खोली गई थी. संपूर्ण कार्यवाही निविदा नियमों के अनुसार हुई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे स्वयं के द्वारा दस्तावेजों का अवलोकन किया गया है.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वयं माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि वह अमान्य थीं और सातों निविदायें अमान्य करने की स्थिति में थीं तो यह जानकारी जो दी जा रही है वह सरासर गलत है. सात में सात नहीं थीं एक ऐसी निविदा थी जिसने पूरी अर्हताओं का पालन किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 20 तारीख को जो निविदा खोली गई थी वह तकनीकी बिड खोली गई थी और 20.05.2025 में जो तकनीकी बिड खोली गई थी तो उसमें जो लेखा प्रपत्र होते हैं उन सबकी जांच हुई, जांच होने के बाद जब उसमें जो-जो अर्हतायें पूर्ण नहीं कर पा रहा था तो 22 तारीख को उसकी फाइनेंशियल बिड क्यों खोली गई, नंबर वन बात यह है. जब तकनीकी बिड पास नहीं हो रही थी तो उसकी फाइनेंशियल बिड क्यों खोली गई, मंत्री जी से यह जवाब चाहते हैं. दूसरा यह चाहते हैं कि जो फर्म है किसी ने टेंडर फार्म फर्म के नाम से खरीदा और इसमें स्पष्ट उल्लेख था कि जो फर्म के नाम से खोला जायेगा तो वह फर्म के नाम से ही डाक्यूमेंट्स लगायेगा तो जब फर्म के नाम से डाक्यूमेंट्स नहीं थे, फर्म के नाम से फार्म खरीदा गया और फर्म के नाम से डाक्यूमेंट्स सम्मिट नहीं किये व्यक्तिगत नाम से आधार कार्ड पूरे लेखा प्रपत्र सब जमा कर दिये तो उसका टेंडर क्यों निरस्त नहीं किया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत बड़ी त्रुटि है और माननीय मंत्री जी ने इसमें जांच के आदेश भी दिये थे, विभाग ने घुमाफिराकर उनको गुमराह कर दिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा निवेदन है इसमें जो पात्र ठेकेदार हैं, जो पात्रता की श्रेणी में आते हैं उसको आदेश देना चाहिये और जो ठेका दिया गया है, जो कार्यादेश दिया गया है वह निरस्त होना चाहिये.
श्री नारायण सिंह पंवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 20.05.2025 को दोपहर 3.30 बजे निविदायें खोली जानी थीं जिसके अनुसार निविदा समिति द्वारा निविदाओं की तकनीकी बिड खोली गई, जिसके साथ संलग्न दस्तावेजों की विधिवत परीक्षण की दृष्टि से निविदा समिति द्वारा फाइनेंशियल बिड दिनांक 22.05.2025 में खोलने का निर्णय लेते हुये सभी उपस्थित निविदाकारों को इसकी जानकारी दी गई. तदुपरांत दिनांक 22.05.2025 को सभी निविदाकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में फाइनेंशियल बिड खोला गया है जिसमें श्री नसीम अहमद छतरपुर की अधिकतम पाई गई जिसमें उपस्थित निविदाकार प्रतिनिधि को अवगत कराया गया इस प्रकार निविदा खोलने की कार्यवाही नियमानुसार और प्रक्रियानुसार ही की गई है.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नियम प्रक्रिया के माध्यम से नहीं किया गया, इसके पुन: जांच के आदेश जारी करें. पहले उनका कार्यादेश निरस्त करें, माननीय मंत्री जी, आपसे हमारी विनम्र प्रार्थना है. जिनको नियम प्रक्रिया के अनुसार कार्यादेश दे दिया गया है, वह निरस्त करें और फिर जो पात्रता की श्रेणी में आता है उन सात निविदाकारों में से उसको कार्यादेश देने का कष्ट करें माननीय अध्यक्ष जी, आपसे भी प्रार्थना है.
श्री नारायण सिंह पंवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, तकनीकी दृष्टि से बिड में सभी पात्र थे, किसी को भी अपात्र नहीं किया गया, उसमें सातों निविदाकार पात्र पाये गये और उसमें सभी को मौका दिया गया. व्यक्तिगत रूप से ही आवेदन किये गये थे, इसलिये व्यक्तिगत रूप से ही दस्तावेज देखे गये हैं और जिसकी सर्वाधिक निविदा दरें प्राप्त हुई हैं उसी को इसमें अवसर दिया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें निवेदन करना चाहता हूं कि जिस पार्टी का चौधरी फिश सेंटर नसीम अहमद इसका प्रोपराइटर है उनकी आफसेट 57.86 प्रतिशत अधिक दरें पाई गईं, यह पिछले बार की तुलना में लगभग, पिछली बार 7 करोड़ में यह टेंडर उठा था इस बार साढ़े 24 करोड़ रूपये का राजस्व सरकार को प्राप्त हो रहा है. सर्वाधिक दरें प्राप्त होने के कारण चौधरी फिश सेंटर को यह मौका दिया गया, जो सभी नियमानुसार है.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विनम्र प्रार्थना है, यह नियम प्रक्रिया के माध्यम से बिलकुल नहीं हुआ है. यह सरासर गलत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विनती और प्रार्थना है, पहले यह कार्यादेश निरस्त होना चाहिये और इसके जांच के आदेश होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- हरिशंकर जी आपको मैंने तीन प्रश्न करने की अनुमति दी है और मंत्री जी ने जवाब दिया है. आप मिलकर भी बात कर सकते हैं.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी विनम्र प्रार्थना है, एक बार पुन: जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय-- चौधरी सुजीत जी.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी विनती और प्रार्थना है. हमारे टीकमगढ़ जिले का मामला है. माननीय मंत्री जी को निर्देश दें, हमारी प्रार्थना है. एक बार पुन: जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी.
श्री नारायण सिंह पंवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी प्रक्रियायें नियमित रूप से पूर्ण की गई हैं, इसमें कहीं कोई गुंजाइश नहीं है इसलिये इसमें ऐसी स्थिति नहीं है.
कोरोना काल में मृत कर्मचारियों के वारिसों को अनुकम्पा नियुक्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
4. ( *क्र. 641 ) चौधरी सुजीत मेर सिंह : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले में कोरोना महामारी से कितने कर्मचारियों की मृत्यु हुई थी? (ख) क्या सभी मृत कर्मचारियों के वारिसों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गई है? (ग) कितनों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गई है? (घ) शेष वारिसों को कब तक नियुक्ति प्रदान कर दी जावेगी? (ड.) शेष नियुक्तियाँ क्या कर्मचारी की मृत्यु अवधि के सात वर्ष के पहले हो जावेगी?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत कोरोना महामारी से 15 कर्मचारियों की मृत्यु हुई थी। (ख) जी नहीं। 02 कर्मचारियों के वारिसों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की गई है। 02 कर्मचारी संविदा कर्मचारी होने से उन्हें अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं है। 11 नियमित कर्मचारियों एवं 02 संविदा कर्मचारियों के वारिसों को शासन के नियमानुसार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज योजना अंतर्गत 50,00,000/- रूपये की राशि प्रदान की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ''अनुसार है। (ग) 02 कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब''अनुसार है। (घ) एवं (ड.) उत्तरांश ''ख'' के परिपालन में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
चौधरी सुजीत मेर सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक-4 है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर प्रस्तुत कर दिया गया है.
चौधरी सुजीत मेर सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न करोना से संबंधित है, कोरोना महामारी से जो कर्मचारी मृत हुए हैं. बहुत से कर्मचारियों को मुआवजे का लाभ मिल भी गया है, दो कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति भी मिल गई है, पर दो कर्मचारी संविदा कर्मचारी थे, तो मेरा अध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से मंत्री जी से यह कहना है कि संविदा कर्मचारी भी यद्यपि मैं जानता हूं कि सामान्य रूप से उनके परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं है, पर संविदा कर्मचारी भी कोविड ड्यूटी के दौरान फ्रंट लाईन वर्कर के रूप में उनको जाना जाता था, उन्होंने भी बहुत जोखिम भरा कार्य किया है, एक ही प्रकार की सेवा भी वह दे रहे थे, एक ही कार्यस्थल पर सेवा दे रहे थे, पर नियमित कर्मचारी के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ मिल गया और संविदा कर्मचारी के परिजन को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नहीं मिला है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि इसमें शिथिलता बरतकर इसे स्पेशल केस के रूप में लेकर, उन्हें भी नियुक्ति का लाभ प्रदान किया जाये तो बहुत अच्छा होगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, इस पर विचार करते हैं क्योंकि संविदा कर्मचारियों को भी अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान है, लेकिन जिनको प्रधानमंत्री कल्याण पैकेज से इंश्योरेंस से 50 लाख रूपये मिल गया है, उनको अनुकंपा नियुक्ति देना है कि नहीं देना है, इस पर जरूर ईश्यू है, तो इस पर हम विचार करेंगे.
चौधरी सुजीत मेर सिंह --माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रकरण नियमित कर्मचारी का ऐसा है, जिसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से 50 लाख रूपये का लाभ मिला है और अनुकंपा नियुक्ति भी प्रदान कर दी गई है, यही नियम संविदा कर्मचारियों के लिये भी लागू हो जाये तो बहुत अच्छा होगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप मंत्री जी से मिलकर उनके ध्यान में ला दीजिये.
चौधरी सुजीत मेर सिंह -- जी. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
नक्शा विहीन ग्रामों के सीमांकन
[राजस्व]
5. ( *क्र. 398 ) श्री विक्रम सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले के किन-किन ग्रामों के राजस्व का नक्शा नहीं है? ग्राम का नाम तहसीलवार बतावें। (ख) क्या शासन द्वारा सभी नक्शा विहीन ग्रामों के नक्शा बनाने के लिये कोई आदेश प्रसारित किया गया है? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति उपलब्ध करावें? (ग) रामपुर बघेलान विधानसभा के किन-किन ग्रामों के नक्शा बनाये जाने की कार्यवाही चल रही है? क्या नक्शा विहीन ग्रामों में सीमांकन नहीं किया जा सकता है? (घ) क्या नक्शा विहीन ग्राम होने के कारण राजस्व मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है? यदि हाँ, तो उन प्रकरणों का निराकरण कैसे किया जायेगा? नक्शा विहीन ग्रामों का कब तक नक्शा बना दिया जावेगा? (ड.) रामपुर बघेलान विधानसभा के नक्शा विहीन कितने ग्रामों में सीमांकन के आवेदन अभी तक निराकृत नहीं हैं? नाम सहित सूची प्रदान करें।
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) सतना जिले अंतर्गत कुल 214 नक्शाविहीन ग्रामों में से 126 ग्रामों के नक्शे डिजिटाईज्ड कर भू-लेख पोर्टल पर अपलोड की कार्यवाही की जा रही है। शेष 118 ग्रामों के राजस्व नक्शे नहीं है, जिनकी ग्राउंड ट्रूथिंग की कार्यवाही प्रचलित है। ग्राम का नाम तहसीलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) रामपुर बघेलान विधानसभा अंतर्गत कुल-6 राजस्व ग्रामों के नक्शे बनाये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। बगैर नक्शे के सीमांकन किया जाना संभव नहीं है। (घ) जी नहीं। नक्शाविहीन ग्राम होने के कारण राजस्व मामलों में बढो़त्तरी नहीं हुई है। ग्रामों के नक्शे तैयार होना एक सतत् प्रक्रिया है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ड.) जी नहीं। शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
श्री विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक-5 है.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रख दिया गया है.
श्री विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पहले मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने मेरा प्रश्न ग्राह्य किया है.
अध्यक्ष महोदय -- हमने ग्रहण नहीं किया है, लॉटरी में निकला है(हंसी)
श्री विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैंने माननीय मंत्री जी से प्रश्न किया था कि सतना जिले में कितने ग्राम नक्शाविहीन है और उनके ऊपर क्या कार्यवाही हो रही है, तो माननीय मंत्री जी ने जवाब में दिया है कि 214 ग्राम अभी नक्शाविहीन है और इसमें 126 ग्रामों में कार्यवाही चालू है और 118 ग्रामों के ऊपर भी कार्यवाही हो रही है मतलब 214 नक्शाविहीन गांवों में अभी तक कोई कार्यवाही हुई नहीं है, मैंने समय सीमा भी उनसे मांगी तो उन्होंने यह भी उसमें लिखा है कि समय सीमा देना उचित नहीं है. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से जानना चाहूंगा कि जिन गांवों में नक्शा नहीं है, वहां के लोग सीमांकन नहीं करा पा रहे हैं, वहां पर बंटवारे के जो प्रकरण वह ठीक से नहीं हो पा रहे हैं, भाई-भाई का बंटवारा नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण बहुत विवाद उत्पन्न हो रहा है, तो मैं माननीय मंत्री से जानना चाहूंगा कि कोई समय सीमा अगर वह निर्धारित कर सकें, क्योंकि यह विषय मेरी विधानसभा का नहीं है, बल्कि यह विषय लगभग हर जिले का है जहां नक्शाविहीन ग्रामों की सूची बहुत लंबी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से अगर माननीय मंत्री जी यह बता सकें कि कब तक यह इसको पूरा कर पायेंगे तो बहुत-बहुत अच्छा रहेगा.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पूछा है, मैंने प्रश्न के उत्तर में बताया है कि 214 नक्शाविहीन ग्राम हमारे हैं, इनमें डिजिटाईज्ड कर ग्रामों की संख्या हमने 96 कर ली है और बाकी जो गांव हैं, उनका काम बहुत तेजी से चल रहा है, अब अगर मैं बताऊं तो इन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में बिहारा में 90 प्रतिशत काम हो गया है, सुनहोरा में करीब 80,90 प्रतिशत काम हो गया है, उसमें हम द्रोण से सर्वे करवाते हैं फिर तहसीलदार, आर.आई, पटवारी वहां उसका सत्यापन करते हैं, उसी के आधार पर हम जल्दी से जल्दी बाकी बचे हुए काम कर रहे हैं.
श्री विक्रम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पिछले कार्यकाल में भी मैं यहां इस विधानसभा में विधायक था. मैं जब से विधायक बना हूं, तब से देख रहा हूं इनका 80 और 90 प्रतिशत ही कार्य पूरा हो गया है, क्योंकि जब तक 100 प्रतिशत कार्य पूरा नहीं होगा, तब तक उस गांव का नक्शा बनकर तैयार नहीं होगा, तब तक उस गांव में हमेशा यह समस्या बनी रहेगा. अध्यक्ष जी, मंत्री जी से निवेदन है कि इसमें समय सीमा निर्धारित कर दें तो हम लोगों को भी जनता को आश्वासन देने में सहुलियत रहेगी कि इतने दिन में आपका नक्शा बनकर तैयार हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी, माननीय सदस्य यह पूछ रहे है कि ये 90 प्रतिशत कब तक रहेगा.
श्री करण सिंह वर्मा – अध्यक्ष महोदय, पहले हम ड्रोन से सर्वे करते हैं और तहसीलदार, पटवारी, आरआई वहां उसका सत्यापन करते हैं, उसमें थोड़ा समय लगता है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) – अध्यक्ष महोदय, क्या 6 साल से ड्रोन सर्वे ही कर रहा है क्या?
श्री करण सिंह वर्मा – अध्यक्ष जी, जल्दी से जल्दी बाकी बचे हुए ग्रामों के भी हम नक्शा दुरस्त कर देंगे.
श्री उमंग सिंघार – माननीय, इसमें तो समय सीमा दे सकते हैं. 6 साल से ज्यादा हो गया आपके ही सदस्य है, इसको थोड़ा गंभीरता से लें.
श्री करण सिंह वर्मा – नेता प्रतिपक्ष जी, मैं ये तो नहीं कहूंगा कि ये पहले का जख्म है थोड़ा धीरे धीरे भरेगा. (..व्यवधान) मैं बोलना नहीं चाह रहा था. मैं प्रश्न का उत्तर दे रहा हूं(..व्यवधान)
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव – 22 साल वाली बात अब नहीं चलने वाली, ये बहुत पुरानी हो गई है. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – सचिन भाई बैठ जाइए, मंत्री जी विषयांतर न करें प्रश्न के भीतर ही रहिए आप क्या कहना चाहते हो, अपनी बात पूरी कीजिए.
श्री करण सिंह वर्मा – माननीय अध्यक्ष महोदय, 96 ग्रामों का तो हो गया है. 214 में जो बाकी 118 गांव बचे हैं. मैंने आपसे भी प्रार्थना की है कि 75 से 90 प्रतिशत काम हो गया है, उसका सत्यापन होता है, जो नक्शा विहीन गांव है, वहां ड्रोन से काम होता है, वहां तहसीलदार, आरआई, पटवारी जाते हैं, उसके आधार पर काम होता है.
अध्यक्ष महोदय – ओम जी कुछ कह रहे थे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा – अध्यक्ष जी, ये व्यवस्था और तकनीक हमारे नीमच जिले में भी काफी हद तक है और ये कई बार जानकर के भी डुप्लीकेट कापी होने के बाद भी उसको पूरा अप्रूव नहीं करते, क्योंकि उन लोगों के कुछ व्यक्ति रीजन्स होते हैं. इसमें सख्ती से कोई नियम बनाए, क्योंकि जब शासन चाहता है और कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की इच्छा के कारण ऐसी चीजें हो रही है. इसमें मेरा आग्रह है कि वास्तव में एक सख्त निर्देश हो कि जो इतने समय पर काम न कर पाए उसको वहां से मुक्त कर देना चाहिए, नहीं तो यह कभी पूर्ण होगा ही नहीं. क्योंकि उसमें कहीं न कहीं छोटे स्तर पर समस्या है, उसी के कारण ये सब समस्या आ रही है. मेरा आग्रह है कि उसमें समय सीमा किसी भी हालत में तय कर देना चाहिए, क्योंकि ड्रोन से कोई भी सर्वे, किसी भी गांव का सर्वे करने में 2 से 3 महीने की समय सीमा तय कर दें, उससे ज्यादा की जरुरत ही नहीं है.
श्री करण सिंह वर्मा – अध्यक्ष जी, मैंने पहले भी प्रार्थना की है कि ये नक्शा बनाने का काम तेजी से चल रहा है, इसमें समय लगता है और समय सीमा बताना संभव नहीं है.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) – अध्यक्ष महोदय, चूंकि सतना का मैं प्रभारी हूं, इसलिए विक्की भाई आपकी समस्या से मैं अवगत हूं. मैं जल्दी से जल्दी इसको करवाने का प्रयास करुंगा.
अध्यक्ष महोदय – ठीक है, धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा – भाई साहब, नीमच का भी बोल दें, आपसे निवेदन है, पूरा जिला परेशान है.
अध्यक्ष महोदयि – प्रश्न क्रमांक 6, श्री अशोक रोहाणी जी.
सिविल अस्पताल रांझी में अतिरिक्त निर्माण की राशि
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
6. ( *क्र. 126 ) श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केंट विधान सभा अन्तर्गत सिविल अस्पताल रांझी में अतिरिक्त निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत हुई है? (ख) सिविल अस्पताल रांझी के निर्माण कार्य की वर्तमान स्थिति क्या है? (ग) सिविल अस्पताल रांझी में यह निर्माण कब तक पूर्ण होगा एवं इसमें आगे क्या-क्या सुविधाएं प्रदान की जावेगी?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सिविल अस्पताल रांझी का अतिरिक्त निर्माण हेतु नहीं अपितु, 50 बिस्तरीय अस्पताल भवन का 100 बिस्तरीय भवन में उन्नयन/निर्माण एवं उपकरण फर्नीचर कार्य हेतु म.प्र. शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आदेश क्रमांक पी.एच.एफ.डब्ल्यू-042/2023/सत्रह/मेडि-3/आई/92131, दिनांक 03.02.2023 द्वारा राशि रूपये 4060.95 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है, जिसमें भवन निर्माण कार्य हेतु राशि 2408.84 लाख का प्रावधान है। (ख) भवन का निर्माण कार्य फिनिशिंग स्तर पर है। (ग) कार्य जनवरी 2026 तक पूर्ण होना लक्षित है, इसमें मरीजों एवं प्रसूताओं व बच्चों का उपचार एवं भर्ती, पैथालॉजी जांच, ऑपरेशन की व्यवस्था व उपचार इत्यादि की सुविधाएं प्राप्त होगी।
श्री राजेन्द्र शुक्ल – अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर प्रस्तुत है.
अध्यक्ष महोदय – रोहाणी जी, पूरक प्रश्न करें.
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले माननीय मुख्यमंत्री जी का, उप मुख्यमंत्री जी का हृदय से आभार और धन्यवाद ज्ञापित करता हूं कि प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के संकल्प के तहत मेरी विधान सभा में 50 बिस्तर का सिविल अस्पताल और 100 बिस्तर का अस्पताल मेरे आग्रह पर किया, इसके लिए मैं उनका धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. (..मेजों की थपथपाहट..) अध्यक्ष जी, यह 100 बिस्तर का अस्पताल 3 लाख की आबादी में 10 किलोमीटर की रेंज में एक भी अस्पताल न होने के कारण मैं माननीय उप मुख्यमंत्री जी से आग्रह करता हूं कि इसमें बेहतर आकस्मिक चिकित्सा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाएं, एमआईआर, सीटी स्कैन, कार्डिएक ऐसी और दुर्घटना में अगर कोई ग्रसित होता है तो उसको तुरंत इलाज मिले क्योंकि 10 किलोमीटर की रेंज में एक भी अस्पताल न होने के कारण दुर्घटना से ग्रसित पहले ही मृत हो जाता है. जहां कार्डिक से किसी व्यक्ति को अटेक आता है, तो उसको स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. आज माननीय उप मुख्यमंत्री जी से धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ साथ यह आग्रह करता हूं कि यह स्वास्थ्य सुविधाएं उसमें उपलब्ध करायें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय रोहाणी जी को बधाई देता हूं कि उन्होंने सक्रियता के साथ 50 बेड के अस्पताल को 100 बेड वाला उन्नयन कराया है इसके लिये 40 करोड़ रूपये सिविल वर्क के लिये उपकरण के लिये, फर्नीचर के लिये स्वीकृत हुए थे. यह कार्य जनवरी 2026 में पूरा हो जायेगा. सुविधाओं में सोनोग्राफी से लेकर, एक्सरे मशीन सारे जो इलाज होते हैं. वहां सारे टेक्निशयन भी भर्ती हो रहे हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत—आपके मशीन चलाने वाले आदमी नहीं हैं. आप भवन बहुत अच्छे बना रहे हैं, आपको धन्यवाद. मशीनें भी आप ला रहे हैं, पैसे भी खर्च कर रहे हैं, लेकिन उन मशीनों को अस्पताल में चलाने वाले आपके पास में आदमी नहीं हैं, अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर नहीं हैं श्रीमान् उसकी व्यवस्था करिये भवन तो बहुत जल्दी बन जायेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वरिष्ठ सदस्य जी को शायद यह जानकारी नहीं है कि बड़ी संख्या में मानव संसाधन की भर्ती स्वास्थ्य विभाग कर रहा है. पीएसी में भर्ती हो रही है, कर्मचारी चयन मंडल में लगातार भर्तियां हो रही हैं. मैंने कहा है कि अक्टूबर के महीने तक पिछली विधान सभा में जब माननीय जयवर्द्धन सिंह जी का प्रश्न आया था. मैंने उसमें कहा था कि अक्टूबर के महीने तक हमारी कोशिश रहेगी सभी रिक्त पद जो स्वीकृत हैं उन सबको भरने में हम सफलता प्राप्त कर लेंगे. माननीय रोहाणी जी ने जो कहा कि कार्डिक की फेसलिटी तथा सिटी एमआरआई की, तो अभी जो नार्म्स हैं हेल्थ सेन्टर के लिये उसमें जिला अस्पताल में भी सिटी मशीन को लगा रहे हैं. मेडिकल कॉलेज में एमआरआई, सिटी, कार्डियोलॉजी अभी कुछ मेडिकल कॉलेज में शुरू हो रहा है. धीरे धीरे उसका विस्तार होगा उसमें सीएम केयर योजना बन रही है जिसमें हमारी कोशिश रहेगी कि हम पीपीपी मोड में केथ लेब शुरू कर लें. पीपीपी मोड में और ज्यादा जो टर्सरी केयर से रिलेटेड जो ट्रीटमेंट होता है उसको शुरू कर लें. क्योंकि सिविल अस्पताल में अभी इस प्रकार की योजना आने में अभी समय लगेगा, लेकिन चूंकि अभी भवन बनकर के तैयार हो गया है, उसमें सोनोग्राफी, अल्ट्रा साऊंड यह सारी चीजें शुरू हो जायेंगी, तो आपको फर्क तो आपको दिखाई देगा. आने वाले समय में फिर जिस प्रकार की पॉलिसी बनेगी उस हिसाब से फिर आगे काम होगा.
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी— माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि अगर सिविल अस्पताल में सब सुविधाएं होंगी तो स्वाभाविक है कि जिला चिकित्सालय में तथा मेडिकल में इसका लोड कम होगा इसलिये मेरा आग्रह है कि मेरे इस आग्रह को यहां पर स्वीकार करें और यह सुविधाएं उपलब्ध करायें. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री भंवर सिंह शेखावत— माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि आप कब भर्ती करेंगे ? मशीनें हमारे बदनावर में भी पड़ी हुई हैं एक्सरे की भी है तथा सिटी स्केन की भी है. वहां पर चलाने वाले कर्मचारी है ही नहीं, सफाई करने वाले कर्मचारी नहीं हैं ? आदरणीय कैलाश जी बैठे हैं इन्दौर तो बहुत बड़ा शहर है इन्दौर का जिला अस्पताल माननीय कैलाश जी के नेतृत्व में पिछले 12 साल से बन रहा है, यह अभी तक कम्पलीट नहीं हुआ. नेतृत्व तो इन्दौर में हमारा यही कर रहे हैं और कौन करेंगे ? लेकिन भाई साहब चिन्ता आपकी बता रहा हूं. माननीय सदस्य ने बड़ा अच्छा किया भवन आप बना रहे हैं, भवन तैयार हैं. मशीनें भी आपने खरीद ली हैं. लेकिन सब माननीय सदस्यों की एक ही पीड़ा है दोनों पार्टियों से आज भी कर्मचारियों के अभाव में कोई भी अस्पताल के अंदर न तो डॉक्टर उपलब्ध हैं, न कर्मचारी उपलब्ध हैं, न ही मशीनों को चलाने वाले ही उपलब्ध हैं. मेहरबानी करके आप इस पर कोई व्यवस्था दे दीजिये. मैं समझता हूं कि सभी लोगों की पीड़ा यही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय,आप तो भारी बत्ती दे रहे हैं, कौन सा 12 साल से अस्पताल नहीं बना है बताओ जरा आप तो मेरे ही नाम का उपयोग कर रहे हैं साथ में पहले आपको इशारा करना था ना. (हंसी)
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने सारे जितने आवश्यक पद की आवश्यकता हो सकती है. आईपीएचएस-12 को मई 2024 में मंजूर किया और मई 2024 में स्वीकृत करने के बाद उनकी भर्ती की प्रक्रिया हमने शुरू कर दी है और इन सारी चिंताओं को समावेश करते हुए की है जो चिंता आप व्यक्त कर रहे हैं कि किसी भी हेल्थ सेंटर में पैरामेडिकल स्टॉफ हो, नर्सिंग स्टॉफ हो, डॉक्टर्स हों, उनकी आखिर कितनी आवश्यकता है और स्वीकृत करने के बाद उनके पदों की भर्ती हो रही है. अब आप जानते हैं कि भर्ती की प्रक्रिया में कभी-कभी थोड़ा-सा समय लगता है. लेकिन हमने आपको बताया कि अक्टूबर तक हमारी भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी, तब तक हमने अभी ढाई हजार बॉण्ड डॉक्टर्स की पोस्टिंग कर दी. हमने 6 सौ बाण्ड वाले स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की पोस्टिंग कर दी, जो पीजी और एमबीबीएस करके निकलते हैं (मेजों की थपथपाहट) और हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे लोग वहां पर ज्वाइन कर लें. क्योंकि उनको गांवों में ज्वाइन कराना थोड़ी एक चुनौती रहती है. लेकिन हमारी कोशिश है कि उनको किसी भी तरह से वहां पर ज्वाइन कर लें. वे वहां 1 साल, 2 साल के लिए रहेंगे, तो फिर अगला बैच आ जायेगा. पैरामेडिकल स्टॉफ और 16 हजार की संख्या में आउटसोर्स से भी हम भर्ती कर रहे हैं. इसलिए रेडियोग्राफर 114, लैब टेक्नीशियन 454 की सूची प्राप्त भी हो चुकी है जिसकी काउंसिलिंग भी चालू है. कुल मिलाकर के किसी की भर्ती हो रही है, किसी की भर्ती का सेलेक्शन होने के बाद काउंसिलिंग हो रही है, तो आपकी चिंता बहुत जल्दी दूर हो जायेगी. और हेल्थ सेक्टर में किसी प्रकार के मेनपॉवर की कमी न रहे, इन्फ्रॉस्ट्रक्चर के साथ-साथ, यही आप चाहते हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद. लेकिन 22 साल से आप लगातार सरकार में हैं और आज भी अगर आप इस प्रक्रिया को पूरी नहीं कर पा रहे हैं तो जनता यह पूछ रही है, जनता यह चाहती है कि कम से कम इसमें कुछ न कुछ निर्णय होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- भंवर सिंह जी, कृपया बैठ जाइए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष जी...
अध्यक्ष महोदय -- कृपया, दूसरे लोगों का प्रश्न है, वह आ जाने दीजिए. श्री प्रीतम लोधी जी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, हमने उन्नयन के लिए अनुरोध किया था. इसके उन्नयन के लिए अगर थोड़ी कृपा कर देंगे, क्योंकि मेरा आदिवासी क्षेत्र है और 100-100 किलोमीटर दूर से लोग चिकित्सा के लिए आते हैं, कृपा करके उसका उन्नयन कर देंगे, तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय -- श्री प्रीतम लोधी जी.
पिछोर को जिला बनाया जाना
[राजस्व]
7. ( *क्र. 993 ) श्री प्रीतम लोधी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राज्य प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग द्वारा पिछोर को जिला बनाये जाने पर विचार किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या आयोग 21 अगस्त, 2023 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री महोदय द्वारा पिछोर को जिला बनाये जाने संबंधी घोषणा का संज्ञान लेकर और इस संबंध में समुचित प्रस्ताव प्राप्त कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करेगा? (ग) राज्य शासन कब तक पिछोर को जिला बनाने की कार्यवाही करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) म.प्र. राज्य प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के समक्ष प्रकरण विचाराधीन है। (ख) उक्त संबंध में कोई घोषणा नहीं की गई। शेष उत्तरांश 'क' के उत्तर अनुसार। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री प्रीतम लोधी -- मेरा प्रश्न क्रमांक 993 है.
श्री करण सिंह वर्मा -- मैं उत्तर पटल पर रखता हॅूं.
श्री प्रीतम लोधी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न मैं बहुत दिनों से बार-बार कर रहा हॅूं. इसका उत्तर मुझे गोल-मोल मिलता है. कृपया करके नापतौल करके दिया जाये, तो संतुष्टि हो. हमारे पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने एक सभा में बोला था कि तुम मुझे विधायक दो, मैं तुम्हें जिला दूंगा, तो अभी तक जिले की कार्यवाही नहीं हुई, तो मैं मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हॅूं कि जिले की कार्यवाही कब तक होगी ?
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें शासन का जो उत्तर प्राप्त हुआ है, इसमें कोई मुख्यमंत्री जी ने वहां जिले की घोषणा नहीं की. दूसरी बात यह है कि हमने आयोग द्वारा एक पुनर्गठन आयोग बनाया है कि कहां जिला बनाया जाये, कहां तहसील बनायी जाये. शिवपुरी कलेक्टर को हमने पत्र भी लिखा है कि तत्काल इसकी जानकारी दें. यहां से भी अधिकारी जायेंगे. यह एक निम्न प्रक्रिया के अंतर्गत ही जिला बनाया जायेगा.
श्री प्रीतम लोधी -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से यह निवेदन करना चाहता हॅूं कि मैं उसकी वीडियो दूंगा. बड़ी दमदारी से हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने और हमारे माननीय श्री सिंधिया जी ने बड़ी दमदारी से बोला था. मैं आपको उसका वीडिया दे दूंगा और आप उस वीडियो को जरूर देखना. इस पर बिल्कुल ध्यान आकर्षित करें क्योंकि यह जिला बनाने लायक है. वहां से जिला कम से कम डेढ़ सौ-दो सौ किलोमीटर है. इसलिए बनाने लायक जगह है. अगर बनाने लायक जगह नहीं होती, तो हम नहीं कहते. इसमें एक दूसरी चीज और थी कि हमारे यहां 30 साल से कांग्रेस का विधायक रहा है. सरकारी जमीनों पर कब्जे हैं. वन विभाग की जमीनों पर कब्जे हैं. वह भी मैंने पत्र कलेक्टर महोदय को लिखा है तो आपके माध्यम से मेरा कलेक्टर महोदय से आग्रह है कि कलेक्टर महोदय को आदेश दिया जाये कि वह जमीनें खाली करायी जायें. कम से कम 5 हजार बीघा जमीनों पर कब्जा है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठिए, आपका प्रश्न आ गया है कि जमीन खाली कराई जाय.
श्री प्रीतम लोधी - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत जरूरी, इमरजेंसी चीज है.
अध्यक्ष महोदय - पुनरावृत्ति न करें, एक बार आपने कह दिया है.
श्री प्रीतम लोधी - अध्यक्ष महोदय, सब काम हो रहे हैं. हमारे मोदी जी की सरकार में इतने अच्छे काम हो रहे हैं कि वहां पर आदिवासियों के लिए इतनी योजनाएं और ढेर सारी सौगातें दी हैं, कभी-कभी मुझे लगता है कि हमारे मोदी जी ने आदिवासियों भाइयों के लिए जो कुटीरें दी हैं, वह कभी कभी ऐसा लगता है कि छोटा-मोटा ताजमहल हो. वह ताजमहल-सा दिखता है. दूसरा उनके लिए सड़कें भी दी हैं तो कभी कभी जब मैं उनकी कालोनियों में जाता हूं तो ऐसा लगता है कि नोएडा में आ गया हूं. यह भी हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार की उपलब्धियां हैं, इनके साथ-साथ जो कांग्रेसियों ने पिछोर विधान सभा में गड्ढे किये हैं उनको भरना है.
अध्यक्ष महोदय -श्री प्रीतम जी, आपका प्रश्न आ गया है, मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, श्री लोधी जी, जिसकी बात कर रहे हैं उस पर सरकार को कार्यवाही करना चाहिए और 20 साल से आपकी सरकार है. यह तो आप एक व्यक्ति विशेष की बात कर रहे हैं, लेकिन जिन जमीनों पर 20-25 साल से गरीब लोग रहे हैं उनको अगर आप पट्टे नहीं दे रहे हैं इस पर क्या कहना है? यह सरकार जेसीबी चला रही है, कई बेचारे खदानों में रह रहे हैं, 20-25 साल से रह रहे हैं, उनको हटा दिया. आपके पास गूगल इमेजरी है, आप क्यों नहीं देखते. यह गंभीर विषय है, इस पर विचार होना चाहिए.
श्री करण सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न के उत्तर में बताया है. आज तक किसी भी सरकार ने इतने पट्टे नहीं दिये, जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दिये हैं. (मेजों की थपथपाहट)
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, मैं आपको हर जिले की हर विधान सभा के प्रमाण के साथ पट्टों की जानकारी दे दूंगा कि कितने लोगों को हटाया. वहां पर क्या सरकार कर रही है, मैं प्रमाण के साथ जानकारी दे दूंगा. आप असत्य बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - श्री उमंग जी इस पर अलग से डिस्कस करने वाले हैं. आप श्री प्रीतम जी का उत्तर दे दें.
श्री करण सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, श्री प्रीतम लोधी जी के यहां कलेक्टर को पत्र भी लिखूंगा, मैं बात भी करूंगा और जहां अतिक्रमण है तत्काल हटाया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - श्री प्रीतम जी, जिला परिसीमन आयोग बनाया हुआ है, वह परीक्षण कर रहा है. परिसीमन आयोग जब अपना सब काम पूरा कर लेगा, तब यह विषय आगे बढ़ेगा.
श्री प्रीतम लोधी - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री महेश परमार - अध्यक्ष महोदय, यह नोएडा की कॉलोनी हमें एक बार दिखा दें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य को ले जाओ और नोएडा दिखाओ.
प्रश्न संख्या 8 - (अनुपस्थित)
नहरों का रख-रखाव एवं जीर्णोद्धार
[जल संसाधन]
9. ( *क्र. 1095 ) श्री सुरेश राजे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरसी बाँध, ककेटो बाँध, पहसारी बाँध तथा हरसी जल संसाधन (नियंत्रण क्षेत्र) एवं हरसी हाई लेवल विभाग जिला ग्वालियर को नहरों तथा बाँध के रख-रखाव एवं नवीन कार्यों हेतु वर्ष 2022-23 से 2024-25 में विभिन्न विकास कार्यों हेतु कुल कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई? कार्यवार एवं वर्षवार पृथक-पृथक बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार उक्त अवधि में प्राप्त राशि से कौन-कौन से कार्य कहाँ-कहाँ कितनी-कितनी राशि के किस दिनांक को स्वीकृत किये गये? इनके वर्तमान में पूर्ण/अपूर्ण की स्थिति कारण सहित बतावें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री सुरेश राजे - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1095 है.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, मैं उत्तर पटल पर रखता हूं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य पूरक प्रश्न करें.
श्री सुरेश राजे - अध्यक्ष महोदय, जो माननीय मंत्री जी ने प्रश्न में उत्तर दिया है. ठीक है वह वैसे ही जवाब है कि ढूंढा जा रहा है, देखा जा रहा है, किया जा रहा है. उन्होंने कुछ काम किये हैं, उसके लिए मैं दिल से धन्यवाद दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - आपस में दोनों का प्रेम भी है, मुझे ऐसा लग रहा है.
श्री सुरेश राजे - अध्यक्ष महोदय, शेष काम कब तक पूरे होंगे, एक तो माननीय मंत्रीजी यह बताने की कृपा करें?
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सम्मानित सदस्य को यह जानकारी देना चाहता हूं, पटल पर दे चुका हूं. हमने ग्वालियर जिले के 12 काम मरम्मत में स्वीकृत किये थे, 7 कार्य पूर्ण हो गये हैं, उसकी लागत लगभग 28 करोड़ रुपये की है. जो 5 काम शेष बचे हैं. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सम्मानित सदस्य को कहना चाहता हूं कि जैसे ही बारिश समाप्त होती है, कार्य प्रारम्भ कर दिया जाएगा. (मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय - और कुछ बचा है क्या?
श्री सुरेश राजे - अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित एक प्रश्न है. माननीय मंत्री महोदय, मां रतनगढ़ बहुउद्देशीय परियोजना, यह लम्बे समय से प्रस्तावित है, यह प्रस्तावित ही नहीं है, इसका दो बार शिलान्यास हुआ, उद्घाटन हुआ, कार्य प्रगति पर है, लेकिन उसका कार्य आज तक पूरा नहीं हुआ और अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि जैसे ही चुनाव आता है तो बड़े बड़े ट्रकों में पाइप भरकर उधर को चल देते हैं और जैसे ही चुनाव जाता है तो पता ही नहीं चलता है कि वह पाइप कहां पर डिस्ट्रीब्यूट हो जाते हैं तो क्या यह बताने की कृपा करेंगे?
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा कि इससे प्रश्न उद्भूत होता ही नहीं है कोई भी और जानकारी रतनगढ़ की चाहिए तो मैं उनको व्यक्तिगत दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय- पूरक प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री सुरेश राजे- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूरक प्रश्न किया है. अध्यक्ष महोदय के आदेश से.
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, सुरेश जी हो गया काम.
श्री सुरेश राजे- जी, अध्यक्ष जी.
स्वीकृत एवं निर्माणाधीन उप स्वास्थ्य/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
10. ( *क्र. 672 ) श्री इंजीनियर प्रदीप लारिया : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र नरयावली अंतर्गत कितने उप स्वास्थ्य/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन की स्वीकृति प्रदान की गई? वर्ष 2022-23, 2023-24, 2024-25 की जानकारी देवें तथा कितने भवन निर्माणाधीन हैं/निर्मित हो गये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित निर्माणाधीन भवन में से कितने भवन कार्य एजेन्सी/निर्माण एजेन्सी द्वारा अनुबंध अवधि/कार्यपूर्णता अवधि में पूर्ण नहीं किये हैं तथा कितने भवन पूर्ण कर लिये गये हैं? (ग) निर्माणाधीन भवन यदि कार्य अवधि में पूर्ण नहीं हुए हैं तो विभाग द्वारा कार्य एजेन्सी के विरूद्ध कोई कार्यवाही की गई है तो जानकारी देवें तथा निर्माणाधीन भवन कब तक पूर्ण होंगे?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) संबंधित कार्य एजेन्सी द्वारा कार्यों में विलम्ब किये जाने से उनके चल देयकों से राशि रोकी गई है, कार्य पूर्ण होने पर अंतिम देयक के समय निराकरण किया जाता है, कार्य दिसम्बर 2025 तक पूर्ण होना लक्षित है।
इंजी. प्रदीप लारिया- प्रश्न क्रमांक- 10
श्री राजेन्द्र शुक्ल- अध्यक्ष महोदय, उत्तर प्रस्तुत कर दिया गया है.
इंजी. प्रदीप लारिया- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं स्वास्थ्य मंत्री जी को बधाई देता हूं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में खासतौर पर ग्रामीण स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काफी काम सरकार कर रही है. हमारे विधान सभा क्षेत्र में जो प्रश्न क्रमांक- 'क' और 'ख' का जवाब दिया है उसमें लगभग 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और 10 उप- स्वास्थ्य केन्द्र, निर्माणानाधीन हैं. मैंने समय-सीमा के बारे जानकारी मांगी थी तो सारे के सारे भवन निर्धारित समय पर निर्माण हो रहे हैं. उसकी वर्ष 2025 तक पूर्णता के लिये जवाब आया है. मेरा केवल इतना ही निवेदन है कि जब निर्धारित समय पर नहीं हुआ है तो क्या विभाग इस बात की समीक्षा करेगा कि दिसम्बर, 2025 तक वह पूर्ण हो जायें.
मैंने दूसरा प्रश्न किया था कि जो हमारे भवन निर्मित हो गये हैं उन पर हमारा अमला कब तक तय हो जायेगा तो उसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, चितौरा का उल्लेख नहीं है जो दो साल पहले बन गया था तो थोड़ा आप उसकी समय-सीमा बता दें कि वह अस्पताल कब प्रारंभ हो जायेगा और जो निर्धारित समय पर भवन पूर्ण नहीं हो रहे हैं, उसमें ठेकेदारों और विभाग पर क्या कार्यवाही करेंगे, के संदर्भ मंत्री जी बताना चाहेंगे ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय लारिया जी ने अपने निर्माण कार्यों के पूर्ण होने की तिथि के बारे में कहा है तो पूरी कोशिश है, लगातार मॉनिटरिंग हो रही है. दोबारा जो समय-सीमा तय हुई है. क्योंकि कभी-कभी स्वास्थ्य केन्द्रों के काम शुरू होने में विलंब हो जाता है. कहीं जमीन की परेशानी आती है, अलाटमेंट की परेशानी आती है, लेकिन अब काम सुचारू रूप से चल रहा है. हम उसको समय-सीमा में पूरा करेंगे, जैसा आप चाहते हैं और जो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बन गया है उसके फर्नीचर, उपकरण और मानव संसाधन को भी अतिशीघ्र पूरा करके आपसे उद्घाटन करा देंगे.
इंजी. प्रदीप लारिया- मेरा केवल इतना ही निवेदन है कि दो-ढाई साल से वह भवन जर्जर हो रहा है तो उसका उपयोग भी जायेगा और वहां के लोगों को लाभ भी मिल जायेगा. इसलिये जो भी फर्नीचर है या उपकरण हैं इसकी कोई ऐसी तिथि निश्चित कर दें, जिससे वह पूर्णता की ओर हो जाये.
दूसरा, मेरा निवेदन है कि हमारा मकरोनियां का हमारा सिविल अस्पताल, मकरोनियां की आबादी बहुत ज्यादा हो गयी है जिससे जिला अस्पताल और मेडिकल अस्पताल पर ज्यादा लोड पड़ता है. आपने सिविल अस्पताल बनाया इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. लेकिन लंबे समय से वहां पर 100 बिस्तरों के अस्पताल की बात चल रही है, वहां लगभग ढेड़-दो लाख की आबादी है तो मैं समझता हूं कि उसकी भी आवश्कता है. आपके ध्यान में सारी चीजें हैं और आपका निश्चित तौर पर सहयोग भी मिलता है. मेरे दोनों विषय हैं एक तो पूर्णता, मतलब जो हमारे भवन का निर्माण हो रहा है वह समय-सीमा में हो जाये और हमें कोई ऐसा केलेण्डर बनाना पड़ेगा कि भवन तैयार हो जायें और उसके साथ-साथ एच.आर. मतलब जो मानव संसाधन हैं, फर्नीचर हैं यह सभी एक साथ हो जायेंगे तो हमारे यह अस्पताल अच्छे से रन करेंगे और मैं समझता हूं इससे ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ होगा. इसके बारे में मंत्री जी जरूर अवगत करायें.
अध्यक्ष महोदय- प्रदीप जी, आपने पहले राउण्ड में तीन प्रश्न किये, दूसरे राउण्ड में आपने दो प्रश्न किये तो दो की जगह पांच प्रश्न हो गये हैं. इसका भी ध्यान हम सब लोग रखें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- अध्यक्ष महोदय, सिविल अस्पताल मकरोनियां में 61 पद सेंक्शन हैं और आपकी बात सही है कि उसमें कार्यरत् 22 हैं और 39 पद जो खाली हैं, अक्टूबर के महीने तक उन सभी पदों को भरने का काम हो जायेगा, बहुत तेजी के साथ प्रक्रिया चल रही है. पी.एस.सी में भी चल रही है और एस.बी. में भी चल रही है और भवन के फर्नीचर के लिये भी राशि जारी हो गयी है और भवन साढे सात करोड़ रूपये में स्वीकृत हुआ है उसकी भी समय-सीमा में पूर्ति करेंगे, आपके साथ अलग से बैठकर उसकी तारीख तय करेंगे और इसका उद्घाटन करने के लिये आपके साथ में चलेंगे. ( मेजों की थपथपाहट)
इंजी. प्रदीप लारिया- माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय, अभी बीच में इसके पहले के प्रश्न में यह विषय आया था..
अध्यक्ष महोदय—शैलेन्द्र जी, एकदम प्रश्न, समय कम है. बहुत जरुरी हो, चूंकि सागर का विषय चल रहा था, इसलिये मैंने समय दिया है.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय, जहां पर जिन स्वास्थ्य केन्द्रों पर जिला अस्पताल में इक्विपमेंट्स आ गये हैं, सीटी स्कैन मशीन, एमआरआई मशीन अन्य आ गये हैं, ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है. तो क्या जब तक ये अपने रिक्रूटमेंट होगा, तब तक आउट सोर्स एजेंसी से क्या उनको शुरु करने की कोई व्यवस्था कर सकेंगे. तो सब लोगों को लाभ हो जायेंगा.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी, बोलना चाहेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—जी, अध्यक्ष महोदय. आउट सोर्स से व्यवस्था कर दी गई है. पत्र जारी हो गये हैं. जब तक हमारे रेगुलर टेक्निशियंस नहीं आते हैं, तब तक जो आउट सोर्स एजेंसी है, मेडिकल कालेज में सीटी, एमआरआई मशीन जहां लगी है, आउट सोर्स से उन टेक्निशियंस को ले लिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी सागर पर पूरी तरह मेहरबान हैं.
श्री गोपाल भार्गव—अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य मंत्री जी हमारे सागर जिले के प्रभारी मंत्री जी भी हैं. वे बहुत भले आदमी हैं और उनके आश्वासन पर मैं संदेह भी नहीं कर सकता. बड़ी संख्या में हमारी सरकार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जो लघु प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, उनका निर्माण कर रही है. जैसा कि प्रश्नकर्ता विधायक, लारिया जी ने बताया भी कि उनके विधान सभा क्षेत्र में 10 जो लघु स्वास्थ्य केंद्र हैं वह और 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निर्मित हो रहे हैं. भवन भी बन रहे हैं. मंत्री जी, यह बताने की कृपा करेंगे कि ये लघु स्वास्थ्य केंद्र जो हैं, इनका सेटअप क्या है, कौन से कर्मचारी इसमें रहेंगे. डाक्टर रहेंगे या उससे निचले कर्मचारी कोई रहेंगे, इसकी व्यवस्थाएं क्या रहेंगी, उपकरण क्या रहेंगे, थोड़ी जानकारी हो जाती, भवन तो बन जाते हैं, लेकिन भवन बनने के बाद उनका सदुपयोग नहीं हो पाता है, इस कारण से यह हम जानना चाहते हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—अध्यक्ष महोदय, लगभग 11 हजार के जो हमारे उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, उसमें एक सीएचओ होता है, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर और एएनएम होते हैं, जो वहां पर 5 हजार के पापुलेशन को केटर करता है यह सेंटर और उसमें ओपीडी होती है और हमारी यह व्यवस्था भी है कि टेलीमेडिसन से सारे सब हेल्थ सेंटर को हम जिला अस्पतालों से भी हमने जोड़ा है कि यदि किसी को कंसल्टेशन की जरुरत है, तो सीएचओ, विशेषज्ञ जो जिला अस्पताल में हैं, उनसे बातचीत भी करा सकते हैं. यह आरोग्य मंदिर प्रधानमंत्री जी ने इसको आयुष्मान आरोग्य मंदिर नाम दिया है और इसको बहुत टेली मेडिसिन से भी जोड़ा है, ई संजीवनी से भी जोड़ा है और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा के लिये वहां पर नर्सिंग ऑफिसर या आर्युवेद चिकित्सा अधिकारियों को सीएचओ बनाया है. तो यह इसका सेटअप है. बहुत बड़ा सेटअप नहीं है और यहां पर प्राथमिक चिकित्सा के बाद,ओपीडी के बाद यदि आवश्यकता होती है, तो प्रायमरी हेल्थ सेंटर में भेजेंगे या जिला अस्पताल में भेजते हैं और टेली मेडिसिन भी करा सकते हैं.
प्रश्न संख्या-11 सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत (अनुपस्थित)
आदिवासी की भूमि गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति
[राजस्व]
12. ( *क्र. 1005 ) श्री बाबू जन्डेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्योपुर जिले में पिछले 5 वर्षों में अनुसूचित जाति (SC) की शासकीय पट्टे की भूमि एवं आदिवासियों (ST) की जमीन, भूमि को गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति धारा 165 (6) के तहत दी गई है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ है तो समस्त प्रकरणों के विक्रेता, क्रेता, रकबा, खसरा, सर्वे क्रमांक, गांव का नाम, आवेदन की दिनांक तथा अनुमति आदेश क्रमांक व दिनांक व अनुमति देने वाले अधिकारी का नाम, पद सहित सूची उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रकरणों में अ.जा. एवं अ.ज.जा. आदिवासियों की बहुमूल्य भूमि गैर अ.जा., अ.ज.जा. आदिवासियो के साथ दुरभिसन्धि कर औने-पौने दाम पर विक्रय की अनुमति दी गई है? यदि हाँ, तो जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही की जावेगी, कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रकरणों में अ.जा., अ.ज.जा. आदिवासियों के हित का संरक्षण किस प्रकार किया गया? प्रत्येक प्रकरण अनुसार जानकारी उपलब्ध कराएं। (ड.) श्योपुर जिले में वर्तमान स्थिति में शासकीय/नजूल भूमि की तहसीलवार खसरा, रकबा, भूमि की श्रेणी में से किस-किस भूमि पर भूमि स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा है तथा कितने प्रकरण न्यायालय में प्रचलित है? सम्पूर्ण सूची पृथक-पृथक तैयार कर उपलब्ध करावें।
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) श्योपुर जिले में पिछले 05 वर्षों में प्रश्न दिनांक तक म.प्र.भू.रा.सं. 1959 की धारा 165 (6) के तहत कोई अनुमति नहीं दी गयी है। (ख) उत्तरांश (क) के प्रकाश में शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (ग) उत्तरांश (ख) के प्रकाश में शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (घ) उत्तरांश (ग) के प्रकाश में शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (ड.) जिला श्योपुर अंतर्गत तहसील विजयपुर के प्रतिवेदन अनुसार तहसील भवन से संबंधित प्रकरण क्रमांक आर.सी.एस.ए./07/2025, कलेक्टर श्योपुर विरूद्ध महाराज सिंह पुत्र गोपी सिंह, जाति कुशवाह, निवासी विजयपुर के अपर सत्र न्यायालय विजयपुर, जिला श्योपुर में प्रकरण विचाराधीन है।
श्री बाबू जन्डेल -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्र. 1005.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय, मैं उत्तर पटल पर रखता हूं.
श्री बाबू जन्डेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा मंत्री जी से वर्ष 2010 से 15 वर्षों की जानकारी मांगी गई थी, परन्तु उन्होंने मात्र 5 वर्ष की जानकारी दी है. 15 वर्षों की क्यों नहीं दी गई है. मेरा मूल प्रश्न किसने बदला है. बदलने का क्या कारण था. शासन एवं जिला प्रशासन द्वारा जो जानकारी दी गई है, वह सब असत्य है एवं मुझे तथा सदन को गुमराह किया गया है. उत्तर में कहा गया है कि आदिवासियों की भूमि बेचने की कोई अनुमति नहीं दी गई है. जबकि गरीब आदिवासियों की सैकड़ों बीघा कीमती जमीन, भूमि को भू माफिया एवं नेताओं ने जिला प्रशासन से सांठ-गांठ कर अपने परिवार तथा चहेतों के नाम औने पौने दामों में खरीद ली गई है. जो जानकारी उत्तर में दी गई है, उसमें केवल बेचने वाले का नाम दिया गया है, परन्तु किसने खरीदा है, उनका नाम नहीं दिया गया है.
श्री करण सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, किसी भी प्रश्न को संशोधित किया है, उनके पास कापी भेजी थी. किसी भी आदिवासी की जमीन बेचने की अनुमति कलेक्टर ने नहीं दी है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, सदन में असत्य जानकारी दी जा रही है. हजारों एकड़ जमीन दे दी गई हैं.
श्री बाबू जन्डेल -- अध्यक्ष महोदय, मैंने 15 वर्ष की जानकारी चाही थी और मुझे 5 वर्ष की जानकारी दी गई है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि यह पूरे प्रदेश का पॉलिसी मैटर है.भू राजस्व संहिता की धारा 165(6) उसका हर जिले में दुरूपयोग हो रहा है. आदिवासियों की जमीनें कैसे गैर आदिवासियों के नाम पर की जा रही हैं, कम पैसों के अंदर. मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से आपके माध्यम से अनुरोध है कि इस पर जिलेवार समीक्षा करवा लें.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्न काल समाप्त )
समय 12.00 बजे नियम 267(क) के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल प्रारंभ.
डॉ.रामकिशोर दोगने(हरदा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हरदा जिले में करणी सेना के साथ में जो अत्याचार हुआ है उसके संबंध में चर्चा करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- दोगने जी कृपया बैठें .मैंने मधु भगत को अनुमति दी है.
(1) जिला बालाघाट की ग्राम पंचायत परसवाड़ा के खसरा नंबर 208 को जनपद पंचायत परसवाड़ा के नाम स्थानांतरित करने की जांच कराने संबंधी.
श्री मधु भगत(परसवाड़ा)-- धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है. जिला बालाघाट की जनपद पंचायत परसवाड़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत परसवाड़ा के खसरा नंबर 208 पुराना बस स्टेण्ड परसवाड़ा में विगत 50 वर्ष पूर्व से ग्रामीणों के द्वारा छोटी छोटी दुकान प्रारंभ की गई थी तथा उपरोक्त खसरा नंबर की जमीन वर्ष 2004 में ग्राम पंचायत समिति द्वारा दुकान को तोड़कर ग्राम पंचायत से 10 कमरे बनाकर कब्जाधारियों को प्रदाय किये गये थे. उपरोक्त खसरे की भूमि का दुकानदारों द्वारा राजस्व विभाग को जुर्माना को तौर पर राशि भी प्रदाय की जाती जिसकी राशि कब्जाधारियों के द्वारा वर्ष 1964 से 1990 तक जमी की गई है. वर्ष 2002 में तत्कालीन सचिव द्वारा अकेले की सिंगल साइन से पंचायत के कब्जे वाली जमीन बगैर किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के तोड़ दिये गये खसरा नंबर 208 छोटे झाड़ के जंगल होने के बावजूद भी जनपद पंचायत,परसवाड़ा के नाम में स्थानांतरित कर लिया गया है. इसके साथ ही लामता, परसवाड़ा मार्ग पर खसरा नंबर 238/9 को भी अवैध रूप से जनपद पंचायत, परसवाड़ा के नाम से स्थानांतरित कर दिया गया है जिसकी संपूर्ण रूप से जांच कराई जाकर दोनों जमीनों को ग्राम पंचायत परसवाड़ा के नाम से स्थानांतरित किये जाने का कष्ट करें.
(2) कान्हा टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों को विशेष भत्ता दिये जाने संबंधी.
श्री नारायण सिंह पट्टा(बिछिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है. विश्व विख्यात कान्हा टाइगर रिजर्व में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा विगत कई वर्ष से विशेष भत्ता, नक्सल भत्ता दिये जाने की मांग की जा रही है. कान्हा टाइगर रिजर्व के कर्मचारी अत्यंत विषम एवं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी जंगल को सुरक्षत रखने के साथ ही नक्सली समस्याओं से भी जूझते हैं. इसके साथ ही पुलिस व अन्य सुरक्षा बल से भी इन्हें जूझना पड़ता है. नक्सली गतिविधियों के लिये कान्हा टाइगर रिजर्व कई वर्ष से अत्यंत संवेदनशील है. कान्हा टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों द्वारा विशेष भत्ते की मांग अत्यंत महत्वपूर्ण है. कई वर्षों से विशेष भत्ते की मांग के बावजूद भी आज तक कर्मचारियों को भत्ता नहीं दिया जा रहा है जिससे कान्हा टाइगर रिजर्व के हजारों कर्मचारियों में अत्याधिक रोष व्याप्त है.
(3) (श्री आशीष गोविंद शर्मा) - अनुपस्थित.
(4) जन स्वास्थ्य रक्षक(जन आरोग्य मित्र एवं प्राथमिक चिकित्सक) को प्रत्येक जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में सूचीबद्ध करते हुये इन्हें पहचान पत्र प्रदान किये जाने के संबंध में.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन (सागर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है. जन स्वास्थ्य रक्षकों (जन आरोग्य मित्र एवं प्राथमिक चिकित्सक) का शासन द्वारा 6 माह के पूर्व नवीनीकरण करते हुये चिरायु मेडिकल कालेज में सीपीआर, बीएलएस (बेसिक लाईफ सपोर्ट) का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. इन जन स्वास्थ्य रक्षकों द्वारा स्वास्थ्य सलाह हेतु कैंसर के लक्षणों की पहचान कर उसकी रोकथाम हेतु जागरूकता, दिव्यांग व्यक्तियों को चिह्नित कर शासन द्वारा लाभ प्रदान कराना, टीवी एसोसिएशन अंतर्गत टीवी उन्नमूलन, प्राथमिक उपचार स्वस्थ्य जीवन का आधार जैसे आकस्मिक दुर्घटना पर अत्यधिक रक्त-रसाव को रोकना एवं घायल व्यक्तियों को अस्पताल तक पहुंचाना, हार्ट अटैक के लक्षणों की पहचान कर तुरंत सीपीआर देना है. कोरोना काल में ग्रामवासियों को इन्हीं जन स्वास्थ्य रक्षकों द्वारा शासन के दिशा निर्देशों का पालन कराया गया था जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में शासन को इनका सहयोग प्राप्त हुआ था, ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान से जुड़े जन स्वास्थ्य रक्षकों को प्रशिक्षित भी किया गया.
जन स्वास्थ्य रक्षकों (जन आरोग्य मित्र एवं प्राथमिक चिकित्सक) द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता अभियान व आपातकाल टीम में जोड़ने तथा प्रत्येक जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में सूचीबद्ध करते हुये पहचान पत्र प्रदान किये जाने की मांग की जा रही है. अत: जन स्वास्थ्य रक्षक ( जन आरोग्य मित्र एवं प्राथमिक चिकित्सक) को प्रत्येक जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में सूचीबद्ध करते हुये पहचान पत्र प्रदान कराये जाने का अनुरोध है.
(5) प्रदेश के धार जिले के सरदारपुर में खिलाडि़यों हेतु स्टेडियम का निर्माण कराया जाना
श्री प्रताप ग्रेवाल (धार) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि प्रदेश के धार जिले के सरदारपुर में फुटबाल के उदीयमान खिलाड़ी आदिवासी किशोर मैदान पर नहीं बल्कि धूल कीचड़ और कूड़े पर प्रशिक्षण ले रहे हैं. जहां से फुटबाल की एक बालिका ने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया एवं विगत 12 वर्षों में सरदारपुर खेल परिसर मैदान से 310 से अधिक अधिलाडि़यों ने राज्य एवं 155 से अधिक खिलाडि़यों ने राष्ट्रीय स्तर पर सरदारपुर एवं प्रदेश का नाम रोशन किया यहां के लिए स्टेडियम स्वीकृति कई वर्षों से अटकी हुई है. कलेक्टर धार द्वारा पत्र क्रमांक 5624 दिनांक 08.05.2025 एवं प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 210 दिनांक 14.05.2025 को आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग, भोपाल को भेजा गया था. सरदारपुर को अपनी गहरी फुटबाल संस्कृति से जाना जाता है, लेकिन वह मैदान जहां लगभग सैकड़ों लड़के और लड़कियां अपने हुनर को निखारते हैं वह उपेक्षित अवस्था में है. यह ऊबड़-खाबड़, धूल भरी, बिना सुविधा, चहारदीवारी के बिना है. इस मैदान का इस्तेमाल सड़क के लिए होता है. यहां खिलाडि़यों को गर्मियों में एलर्जी होती है और मानसून के दौरान जब मैदान कीचड़ से भर जाता है तो उन्हें चोटें लग जाती हैं. इस इलाके से 155 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं जिनमें से ज्यादातर आदिवासी और दलित समुदायों से हैं. जिस मैदान ने 155 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दिए हैं उसके प्रति सरकार की उदासीनता गंभीर चिंता का विषय है.
(6) जावरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम नांदलेटा में कालबेलिया बस्ती पहुंच मार्ग पर स्थित नाले पर पुलिया निर्माण कराया जाना
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (सुवासरा) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि जावरा विधान सभा क्षेत्र क्रमांक 222 अंतर्गत ग्राम नांदलेटा, तहसील पिपलौदा में कालबेलिया बस्ती की ओर पहुंच मार्ग गहरा नाला होने से आवागमन में कठिनाई होती है. बारिश में नाला ऊफान पर आने से बस्ती व ग्राम संपर्क टूट जाता है. इस नाले पर पुलिया बनाये जाने की मांग विगत काफी समय से की जा रही है. बीते दिनों नाले में एक महिला के बहकर जाने की घटना भी घटित हुई. पुलिया निर्माण की स्वीकृति नहीं मिलने से ग्रामीणों में आक्रोश है.
(7) विधानसभा क्षेत्र सेंवढ़ा में सेंवढ़ा एवं इंदरगढ़ के रेस्ट हाउस के क्षतिग्रस्त होने से नवीन रेस्ट हाउस निर्माण एवं ग्राम रठावली, परसौदा गूजर, नीमडांढ़ा में पक्की सड़कों का निर्माण कराया जाना
श्री प्रदीप अग्रवाल (सेवढ़ा) -- अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान क्षेत्र सेंवढ़ा जिला दतिया में सेंवढ़ा एवं इंदरगढ़ के रेस्ट हाऊस पूरी तरह क्षतिग्रस्त एवं अनुपयोगी हो गए हैं एवं हमारे क्षेत्र के ग्राम रठावली के लिए परसौदा गूजर से नये गांव के लिये एवं नीमडांढ़ा से किटाना के लिये पक्के मार्ग न होने से ग्रामवासी परेशान हैं. इस समस्या के निराकरण हेतु माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं प्रदेश सरकार ने सेंवढ़ा एवं इंदरगढ़ में एक-एक नवीन रेस्टहाऊस एवं उक्त तीनों गावों क पक्की डामरीकृत सड़कें स्वीकृत की. मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां विगत वर्षों में आई हुई बाढ़ से दो पुल क्षतिग्रस्त हो गये थे. इसमें से एक माता रतनगढ़ मंदिर का था और दूसरा, पुल सेंवढ़ा सनकुंआ धाम का था जिससे कम से कम प्रतिवर्ष एक करोड़ से ज्यादा लोग दर्शन और आवागमन के लिए प्रभावित हो रहे थे, लेकिन मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उन्होंने बड़ी राशि लगभग 80-85 करोड़ रुपये की राशि के दोनों पुल स्वीकृत किए. एक तैयार होकर चालू हो गया है और दूसरा तैयार होकर चालू होने की स्थति में है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं और साथ ही उनसे प्रार्थना करता हूं कि वह आगामी महीने में उसका उद्घाटन करें और आमजनता के लिए खोलें. धन्यवाद.
(8) जल गंगा संवर्धन अभियान में खण्डवा जिले के देश में प्रथम आने पर
माननीय प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी का सदन के माध्यम से आभार व्यक्त किया जाना
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे (खण्डवा) -- माननीय अध्यक्ष जी को जय रामजी की. सदन में उपस्थित सभी मंत्रीगण, सभी विधायकगण, आप सभी को जय रामजी की. खण्डवा विधान सभा जल गंगा संवर्धन अभियान में नंबर वन आने पर मैं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी का और हमारे प्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का बहुत बहुत धन्यवाद आभार व्यक्त करती हूं. (मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष जी का भी धन्यवाद व्यक्त करती हूं कि आपने मुझे सदन में बोलने का अवसर प्रदान किया. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द, जय भारत.
9. साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या के निराकरण के लिए मध्यप्रदेश के सभी संभागों में साइबर फोरेंसिक लैब स्थापित किए जाने के संबंध में.
श्री महेश परमार (तराना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है--
10. प्रदेश में ओ.बी.सी. वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न मिल पाना
श्री सचिन सुभाष सुभाषचन्द्र यादव (कसरावद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है --
सरकार ओबीसी वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर मजबूती से ओबीसी वर्ग का पक्ष नहीं रख रही है. जिसके कारण ओबीसी वर्ग के हजारों प्रतिभावान छात्र परेशान हो रहे हैं. सरकार तत्काल प्रभाव से 13 प्रतिशत होल्ड पदों को अनहोल्ड करे. सरकार की निष्क्रियता को लेकर ओबीसी वर्ग में भारी रोष है.
12.11 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
ध्यानाकर्षण, शून्यकाल एवं स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने संबंधी उल्लेख
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने कानून व्यवस्था को लेकर ध्यानाकर्षण दिया है. आदिवासियों की जमीन और वन भूमि के पट्टों को लेकर स्थगन प्रस्ताव भी दिया है. किसानों की खाद की मांग को लेकर भी दिया है. मेरा कहना है चूंकि चार दिन हो गए हैं. अभी जो चर्चाएं करा रहे हैं वह महत्वपूर्ण हैं या दूसरी चर्चाएं महत्वपूर्ण हैं. मेरा निवेदन है कि आप इनको चर्चा के लिए स्वीकृत करें. सभी विधायकों की यह मांग है.
अध्यक्ष महोदय -- इस मामले में मेरी आपसे बातचीत हुई है. मैं अवसर दूंगा.
श्री उमंग सिंघार -- जी. माननीय अध्यक्ष महोदय, कब अवसर देंगे. आज, कल या परसों यह तो बता दें.
अध्यक्ष महोदय -- जल्दी ही देंगे.
श्री उमंग सिंघार -- जल्दी ही देंगे तो सदन ही खत्म हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- सदन खत्म नहीं होने देंगे.
श्री उमंग सिंघार -- ठीक है. धन्यवाद.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने भी शून्यकाल की सूचना दी है. मैं अपनी बात रखना चाहता हूँ. मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि इस घटना को सुना जाए.
अध्यक्ष महोदय -- मेरा आपसे अनुरोध है कि आपने शून्यकाल की सूचना दी होगी. एक दिन के लिए 10 सूचनाओं का चयन किया जाता है. जिनका चयन किया गया था वह आज आई हैं आपकी सूचना पेंडिंग है तो वह भी आएगी. अभी यदि आप थोड़ा सा बोल देंगे तो फिर वह खत्म हो जाएगी.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- ठीक है. धन्यवाद.
12.14 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) दि प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड का 92वां, 93वां एवं 94वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, 2019-2020 एवं 2020-2021
उप मुख्यमंत्री (वित्त) (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार दि प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड का 92वां, 93वां एवं 94वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, 2019-2020 एवं 2020-2021 पटल पर रखता हूँ.
(2) (क) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 182 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचना क्रमांक 1159/मप्रविनिआ/2025, दिनांक 19 जून, 2025, एवं
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड का 22वां वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2023-2024.
उर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, (क) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 182 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचना क्रमांक 1159/मप्रविनिआ/2025, दिनांक 19 जून, 2025, एवं
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड का 22वां वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2023-2024 पटल पर रखता हूँ.
(3) (क) राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिन्दवाड़ा (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024
(ख) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा संपरीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2024-2025
(4) मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड का 47 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2021-2022
12.17 बजे ध्यानाकर्षण
(1) खरगौन जिले के महेश्वर जल विद्युत परियोजना का कार्य ठप्प होना
श्री
सचिन
सुभाषचन्द्र
यादव (कसरावद)--
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय- सचिन जी, पूरक प्रश्न करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- अध्यक्ष महोदय, मैं, आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मेरे इस ध्यान आकर्षण को ग्राह्य कर, एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विषय को इस सदन में उठाने का अवसर दिया. इस पूरे प्रकरण में, मैं, ऊर्जा मंत्री जी तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, प्रहलाद सिंह पटेल जी का भी ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा, इस पूरे विषय में मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, मैं, ऊर्जा मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि यह आपका जो जवाब आया है. उससे कहीं न कहीं जो मेरी मंशा थी, उसके अनुरूप आपका जवाब नहीं आया है. यह एक टिपिकल ब्यूरोक्रेटिक आंसर है, यह ब्यूरोक्रेटिक आंसर माननीय मंत्री जी ने पढ़कर सुनाया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ कि आज लगभग 35 वर्ष से अधिक का समय हो गया है और आज भी हमारे क्षेत्र के जो डूब प्रभावित लगभग 61 गांव हैं, जो इस पूरी परियोजना से प्रभावित हुए हैं और लगभग 10,000 परिवार इस परियोजना से प्रभावित हुए हैं. आज वह ऐसा नारकीय जीवन जी रहे हैं, वहां पर जिन गांवों का पुनर्वास नहीं हुआ है, वहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, आज वह इतनी विषम परिस्थितियों में अपना जीवन-यापन कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, भूमिका तो बनाना पड़ेगी.
अध्यक्ष महोदय - सचिन जी, यदि सब लोग भूमिका बनायेंगे तो ध्यानाकर्षण के नियमों का उल्लंघन होगा. जैसे नेता प्रतिपक्ष जी हैं, कोई बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, तो तभी अनुमति दी जाती है. आप पूरक प्रश्न करें, दो प्रश्न करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि आपने इस योजना को वर्ष 2020 में बन्द करने की घोषणा की है, उसको टर्मिनेट करने का काम किया है. एक तरफ आपको चिन्ता है कि जो 6,000 करोड़ रुपये की संपत्ति की नीलामी की आप बात कर रहे हैं. उससे जो पैसा रिकवर होगा, उस पैसे से जो फायनेन्शियल कम्पनी हैं, उनका तो पैसा रिकवर हो जायेगा, लेकिन जो लोग वहां पर प्रभावित हुए हैं, उन प्रभावितों के लिए, उनको जिन मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है, उनका क्या होगा ? उनके पुनर्वास का क्या होगा? जिन गांवों का पुनर्वास हुआ है, वहां पर भी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय. जिनको आवासीय प्लॉट आवंटित किए गए हैं, उनकी रजिस्ट्रियां नहीं हो पा रही हैं, तो इस तरह की समस्याएं वहां पर सामने आ रही हैं. जो कर्मचारी हैं, उन कर्मचारियों का भविष्य भी वहां अटका हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - सचिन जी, आप दूसरा प्रश्न कर लेना. इसका जवाब आ जाये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, माननीय सदस्य महोदय को बताना चाहूँगा कि पहले ही हमारी सरकार हर वर्ग की, हर चीज का ध्यान रखती है. पहला, जितनी भी शासकीय योजनाएं हैं- चाहे लाड़ली बहना योजना हो, चाहे लाड़ली लक्ष्मी योजना हो, चाहे राशन की कोई योजना हो, सारी योजनाओं का लाभ वहां पर मिल रहा है. दूसरा, मैं यह बताना चाहता हूँ कि आदरणीय वह पूरी जमीन का जो मामला है, वह अभी न्यायालय में, ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है. अभी हमारी सरकार ने अपनी बात रखी और दिनांक 11 तारीख को उसका फैसला भी कराया है और जब इसकी नीलामी प्रक्रिया होगी, उसके बाद जो राशि प्राप्त होगी. उसमें भी सरकार पूरा ध्यान रखेगी कि उन परिवारों के साथ भी न्याय हो, बैंकर्स का भी पैसा मिले, पार्टी का भी पैसा मिले और हमारा जो है, उसका भी ध्यान रखा जाये, तो यह आपका कहना उचित नहीं है कि हमारी सरकार का ध्यान नहीं है. ध्यान निश्चित है और हम उस पर कड़ी नजर रखे हुए हैं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ इतना अनुरोध है कि जिन गांवों का पुनर्वास नहीं हो पाया, उन गांवों में ग्राम पंचायतों में राशि भी है, माननीय पंचायत मंत्री जी. लेकिन चूंकि वह डूब प्रभावित गांवों की श्रेणी में आ रहे हैं, वहां पर विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से यह स्पष्ट जानना चाहूँगा कि इस परियोजना का भविष्य क्या है ? यह जो अनिश्चितता का एक माहौल बना हुआ है. इस अनिश्चितता के माहौल को दूर करने के लिये आप स्पष्टीकरण दें कि क्या योजना भविष्य में जो आज उसकी परिस्थिति है, यहीं पर नीलामी होने के बाद पैसा रिकवर होगा, उसके बाद वह वहीं की वहीं बन्द हो जायेगी, जो निर्माणाधीन हैं, परियोजना में 10 गेट हैं, उसमें 3 टरबाईन लग चुके हैं और 7 टरबाइन लगना बाकि हैं, तो उसमें करोड़ों रुपये लग चुके हैं, तो क्या सरकार इस योजना को आगे बढ़ायेगी या वहीं पर जो उसकी वर्तमान स्थिति है, वहीं पर उसे खत्म कर देगी. मैं यह जानना चाहता हूँ.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, माननीय सदस्य को यह बताना चाहता हूँ कि वह जिस जगह विकास कार्य की बात कर रहे हैं, वह दूसरे के स्वामित्व की है. सरकार वहां पर पैसे का इन्वेस्टमेंट, खर्च नहीं कर सकती है. प्रकरण न्यायालय में है. न्यायालय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसका जो भी निराकरण होगा, उसके बाद कोई काम संभव होगा. मैं यह स्पष्ट कर दूँ. यह प्रकरण न्यायालय में होने के कारण, मैं ज्यादा टिप्पणी नहीं करूँगा. दूसरी बात, मैं यह कहना चाहता हूँ कि आपने कहा है तो वहां पर कुल 22 गांव थे, उन 22 गांवों के विस्थापन का काम हुआ. मकान कुछ बने, कुछ ने कब्जा लिया, 4 गांव ऐसे थे जो ऊपर शिफ्ट हो गए, पर निश्चित रूप से इस समय परेशानी है. मैं माननीय सदस्य की बात से अवगत हूँ, सरकार भी अवगत है, उसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं. परंतु जब तक न्यायालयीन प्रकरण स्पष्ट नहीं होगा, वहां पर कोई काम कराने का आश्वासन देना संभव नहीं है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ. बहुत ही वरिष्ठ और बहुत ही गंभीर पंचायत मंत्री माननीय श्री प्रहलाद सिंह पटेल जी भी यहां पर बैठे हुए हैं, उनसे भी मैं पुन: अनुरोध करना चाहता हूँ. जो बात मैंने पहले भी रखी है, मैं उसको सिर्फ दोहराना चाहता हूँ कि जिन गांवों का पुनर्वास नहीं हो पाया है, वहां पर जो मूलभूत सुविधाएं हैं, नाली निर्माण है, खरंजा निर्माण है, अन्य जो सुविधाएं ग्राम पंचायत के द्वारा मुहैया कराई जाती हैं, आधारभूत और मूलभूत सुविधाएं, उन मूलभूत सुविधाओं का तो निर्माण कार्य शुरू हो. इसका निर्णय कब होगा, कब नहीं होगा, 35 साल तो हो चुके हैं और पता नहीं कितना समय और निकल जाएगा, तो मेरा आपके माध्यम से सिर्फ यही अनुरोध है कि जिन गांवों का पुनर्वास नहीं हो पाया है, उन गांवों में ग्राम पंचायतों के माध्यम से निर्माण कार्य किया जाए और जिन गांवों का पुनर्वास हो चुका है, वहां पर भी मूलभूत सुविधाओं का भारी अभाव है. अगर इतनी अनिश्चितता है तो आप उनको ग्राम पंचायतों को हैण्ड ओवर कर दीजिए और ग्राम पंचायतों के माध्यम से वहां पर शेष मूलभूत काम किए जाएं. साथ ही एक और अनुरोध है क्योंकि इतना लंबा समय बीत गया है, वहां पर बहुत ही ज्यादा परेशानियां हैं, कम से कम एक स्पेशल पैकेज उन गांवों के लिए आधारभूत निर्माण हेतु दिया जाए. पंचायत मंत्री जी सदन में उपस्थित हैं, बड़े संवेदनशील हैं और वे बहुत ही गंभीर हैं, मुझे आशा है कि मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए वहां पर अतिरिक्त राशि उन ग्राम पंचायतों में देकर के वहां पर मूलभूत सुविधाओं के निर्माण कार्य कराने का काम करेंगे और साथ ही साथ माननीय मंत्री जी से मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि जो कर्मचारी हैं, कर्मचारियों के बारे में कुछ किया जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- सचिन जी, प्लीज, कई प्रश्न हो गए आपके. माननीय मंत्री जी, कुछ कहना चाहेंगे ?
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा मंत्री जी ने जो बात कही है, वह बिल्कुल सौ प्रतिशत सच है. उस विवाद के कारण यह समयावधि बढ़ी है. जहां पर विस्थापन हुआ है, ये बात मेरे संज्ञान में आई थी तो मैंने उसकी जानकारी तब ली थी. विस्थापन जहां पर हो गया है, वहां पर तो पंचायतों का अधिकार है. लेकिन चूँकि अलग से बड़ा पैकेज चाहिए, यह माननीय विधायक की अपेक्षा है, लेकिन कुछ ऐसे गांव हैं जो एफए लाइन (रिहेबिलिटेशन) के नीचे हैं, जो विस्थापन की परिभाषा में हैं, लेकिन किसी को मुआवजा नहीं मिला है या कुछ लोग वहां से हटे नहीं तो पंचायत विभाग ने उनको विस्थापित गांव मानकर वहां पर निर्माण की अनुमति नहीं दी है. जिले के कलेक्टर को भी इस बारे में हम फिर से कहने वाले हैं कि एक बार इस पूरे पैकेज को देख लें, लेकिन जो एफए लाइन (रिहेबिलिटेशन) के नीचे हैं, वहां तो सरकार अनाधिकृत रूप से काम नहीं कर सकती. कोई छोटी-मोटी सुविधा हो तो दी जा सकती है. हम एक इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करें और कल के दिन वह डूबेगा, मुझे लगता है कि कोई अधिकारी इस बात के लिए तैयार नहीं होगा. दोनों बातें मेरे ध्यान में हैं, जब सचिन जी ने कहा था, मैंने उसकी जानकारी ली थी, मैं फिर से जिला कलेक्टर से कह कर कि एक बार पैकेज के तौर पर देखें कि हम इसमें क्या कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, डॉ. अभिलाष पाण्डे जी. ..(व्यवधान)..
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, आखिरी सवाल... ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सचिन जी, तीन प्रश्न हो गए हैं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, आखिरी सवाल, इसमें जो डूब प्रभावितों को आवासीय प्लॉट दिए गए, उनकी रजिस्ट्रियां नहीं हो पा रही हैं.
अध्यक्ष महोदय -- सचिन जी, तीन प्रश्न हो गए हैं, प्लीज, अभिलाष जी, अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें. ..(व्यवधान)..
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, कम से कम रजिस्ट्रियां तो करवाने का आदेश आप दे दें. वे लोन ले सकें, लोन लेकर अपने मकानों का निर्माण कर सकें.
डॉ. अभिलाष पाण्डे -- माननीय अध्यक्ष महोदय... ..(व्यवधान)..
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- एक मिनट बस, खत्म कर रहा हूँ. माननीय अध्यक्ष महोदय, जिनको आवासीय प्लॉट मिले हैं, उनकी रजिस्ट्रियां नहीं हो पा रही हैं, कम से कम उनकी रजिस्ट्रियां तो हो जाएं. वहां पर कोई पुनर्वास अधिकारी नहीं है जो निराकरण के लिए जा सकें. एक व्यवस्थित अधिकारी, पुनर्वास अधिकारी तो वहां पर आएं.
अध्यक्ष महोदय -- सचिन जी, विभाग के मंत्री जी ने भी जवाब दिया है, वरिष्ठ मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल जी ने भी जवाब दिया है, कुल मिलाकर हाऊस इसलिए होता है कि हम हाऊस के माध्यम से सरकार के संज्ञान में जनता की पीड़ा को ले आएं. मैं समझता हूँ कि सरकार के संज्ञान में आपकी बात आ गई है, आगे की कार्यवाही सरकार गंभीरता से करे और आपकी तथा जनता की भावना को समझे, ऐसा मैं विश्वास करता हूँ. डॉ. अभिलाष पाण्डे जी. ..(व्यवधान)..
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, कम से कम एक समिति गठित हो जाए. माननीय पंचायत मंत्री जी, ऊर्जा मंत्री जी खुद आकर के मेरे साथ भ्रमण कर लें. उनको वस्तुस्थिति मालूम हो जाएगी. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्लीज, प्लीज, प्लीज..
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, कम से कम समय सीमा तो बताएं. 35 साल निकल गए अध्यक्ष महोदय, कब नीलामी होगी, कब उनको न्याय मिलेगा. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्लीज सचिन जी.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा गंभीर विषय है. 35 वर्ष के बाद भी अगर यही जवाब आएगा कि समयसीमा.. ..(व्यवधान)..
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- अध्यक्ष महोदय, समय सीमा निर्धारित हो जाए या समिति गठित कर दें. ..(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि 35 साल पुराना मामला है, आपसे विनती है कि सरकार इसमें कोई समय सीमा निर्धारित कर दे कि जो मांगे हैं उनको समय सीमा में जो हो सकती हैं वह करें. समय सीमा तो हो सकती है, इसमें क्या है. अब स्वामित्व का अधिकार आप दे रहे हैं, उसको अधिकार पत्र दे दिया और उसकी रजिस्ट्री नहीं करा रहे तो इसमें क्या. प्लॉट उसको दे दिया है पुनर्वास का तो उसको रजिस्ट्री के लिये परमीशन क्यों नहीं दे रहे, आपने अधिकार पत्र दे दिया. इसमें क्या परेशानी है, इसमें भी सरकार इस बात को टाले.
अध्यक्ष महोदय-- प्रहलाद जी कुछ कह रहे हैं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, ऊर्जा मंत्री जी ने कहा है कि मामला ट्रिब्यूनल के पास है. विस्थापन के बाद यदि राजस्व ग्राम घोषित नहीं होगा तो यह समस्यायें हैं. उन चुनौतियों को उन्होंने बड़े स्पष्ट ढंग से कहा है. मैं आपसे फिर आग्रह करता हूं, सरकार के ध्यान में है ट्रिब्यूनल के मामले में बीच में तो कोई करेगा नहीं, लेकिन मैंने फिर भी जिला कलेक्टर से कहा है कि हम एक बार बैठेंगे कि हम राजस्व के मामलों को कैसे निपटा सकते हैं और पंचायत के विकास के काम अगर इस कारण से रूके हैं तो इसका कोई रास्ता निकलेगा तो उसको निकाल लेंगे.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मैं कहना चाहता हूं. माननीय वरिष्ठ सदस्य ट्रिब्यूनल के अंदर मामला एनसीएलटी का है नीलामी को लेकर, लेकिन जो प्लाट के अधिकार पत्र उनको दिये हैं रजिस्ट्री का अधिकार तो मिले, इसमें तो ट्रिब्यूनल में कोई मामला ही नहीं है, दोनों विषय अलग हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय प्रहलाद पटेल जी ने कहा है कि उन्होंने जिला कलेक्टर से बात की है और फिर इस मामले पर बात करके क्या रास्ता निकल सकता है, वह करेंगे.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष जी, इसमें मेरा आपसे अनुरोध है कि रजिस्ट्री के लिये यह तो नियम है, पॉलिसी है इसमें समय-सीमा मिल जाये. प्लॉट के लिये समय-सीमा तो दे सकते हैं. पुनर्वास का अधिकार पत्र मिल चुका तो उसको रजिस्ट्री के लिये आप क्यों नहीं दे रहे. मैं जो विस्थापित हुये हैं, जिनको प्लॉट मिल गये हैं, उनकी बात कर रहा हूं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी मुझे लगता है कि सब चीज यहां पर एक मिनट में संभव नहीं हो सकतीं. मैं एक उदाहरण देता हूं, पुनासा बांध के लिये 100 साल की लीज सरकार को मिली थी, कैसे आप यहां तय करेंगे, आप तय कर लेना और उसके बाद में हमारी एक आदर्श पंचायत है वहां एक भी आदमी को प्रधानमंत्री आवास इसलिये नहीं मिला क्योंकि किसी ने लिख दिया कि यह तो वन विभाग की भूमि है, जबकि 90 साल की लीज में पुनासा को है और पुनासा जिन्होंने बनाया वही वहां पर रह रहे हैं. कामकाज की दृष्टि से वह आदर्श पंचायत है, लेकिन एक भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला था 6 महीने पहले. अब कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं और हम सोचते हैं कि यहीं बैठकर हो जायेगा, यह आसान नहीं है. मैं आपसे कह रहा हूं एक बार कलेक्टर को यह अधिकार देना चाहिये.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा ऐसा कोई आशय नहीं है. मेरा कहना है कि 35 साल हो चुके तो 1 महीने, 2 महीने, 4 महीने अब ऐसा थोड़ी है कि आप फिर 35 साल इंतजार करोगे जैसे ड्रोन से सर्वे हो रहा था. आप बोल दो कि रजिस्ट्री का 35 साल इंतजार करना है, हम मान लेते है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें क्या परेशानी है. आप जब अधिकार पत्र दे रहे हैं, आपने सेंट्रल में स्वामित्व की योजना बनवाई उसके बाद इनको रजिस्ट्री के अधिकार दे रहे हैं तो इनको क्या परेशानी है पॉलीसी मेटर है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय उमंग जी, दोनो चीजें अलग-अलग हैं. स्वामित्व योजना जो है उसकी प्राथमिकता अलग है, ये पुनर्वास का मामला है.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा घाटी में कई अधिकार पत्र दिये वहां भी विवाद आ जाता, लेकिन बाद में सबको रजिस्ट्री के दे दिये गये. ये भी वही स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय-- मिनिस्टर की बात पर भरोसा करना चाहिये भाई.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि आप एक साल बोलेंगे क्या एक साल बोल दें, लेकिन आश्वासन देना फिर आश्वासन समिति में जायेगा और फिर 10 साल के बाद होगा, ये कैसे होगा.
अध्यक्ष महोदय-- आश्वासन समिति में नहीं जायेगा. वरिष्ठ मंत्री हैं, आप लोग मिलकर भी बात कर सकते हैं.
श्री उमंग सिंघार-- वो 35 साल पुरानी बात कर रहे हैं माननीय सदस्य हमारे सचिन यादव जी तो सदन को थोड़ा संवेदनशील होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक बात है, इसमें कैलाश जी ध्यान देंगे.
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव-- मैं माननीय प्रहलाद पटेल जी का धन्यवाद देना चाहता हूं, माननीय मंत्री जी का भी.
12.39 बजे 2. मध्यप्रदेश में संस्कृत भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय (जबलपुर उत्तर)-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा आपसे आग्रह है कि जो मेरा ध्यानाकर्षण है यह भाषा विषय का है, संस्कृत भाषा का है. मैं आपसे यह आग्रह करता हूं कि मुझे इस ध्यानाकर्षण को संस्कृत भाषा में रखने की अनुमति प्रदान की जाये.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, करिये. (मंत्री जी की ओर देखते हुये) उन्होंने हिन्दी में दिया है, यहां पर संस्कृत में पढ़ रहे हैं, आप जवाब हिन्दी में दीजियेगा.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी हिंदी में उत्तर दें.(हंसी)
स्कूल शिक्षा मंत्री (श्री उदयप्रताप सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद(हंसी).
माननीय
सदस्य ने अगर
पहले पूरा बता
दिया होता तो
हम भी उसको
संस्कृत में
पढ़ देते हैं,
लेकिन यह पहली
बार विषय आया
है तो आंशिक
रूप से जो तत्काल
में हो सकता
था,
वह तो संस्कृत
में सदन का
सम्मान रख ही सकते
हैं.
''अस्याम्
विधानसभायाम्
एष:
प्रथम-अवसर:
अस्ति यत् देवभाषाम्
संस्कृतम
आधारीकृत्य
ध्यानाकर्षण-प्रस्ताव:
सदनस्य पटले
शोभते
पारितम् च
भविष्यति एव.
एतस्य कृते
अहं माननीय
विधानसभा अध्यक्षम्
प्रति अथ च
माननीय सदस्य:
डॉ.अभिलाष
पाण्डेय
महोदयम्
प्रति धन्यवादं
ज्ञापयापि,
आभार
प्रकटीकरोमि
च.''
(मेजों की
थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय,
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी चूंकि देवभाषा संस्कृत भाषा है, इसकी बेहतरी के लिये बच्चों के अंदर इसके लिये रूचि बढ़े, इसके लिये हमारा विभाग कृतसंकल्पित है, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में संस्कृत भाषा उत्तरोत्तर वृद्धि करे, शिक्षा के माध्यम से इसको ज्यादा से ज्यादा हम बच्चों के बीच में उतारें, इसके लिये हम प्रयास भी कर रहे हैं.
डॉ. अभिलाष पाण्डे (जबलपुर) – अध्यक्ष जी, सबसे पहले तो मैं धन्यवाद देना चाहता हूं, आभार: अस्ति: माननीय मंत्री जी, आज बड़ी संख्या में विद्यार्थी भी यहां पर बैठे हुए हैं और उन पर एक अच्छा इम्प्रेशन भी पड़ रहा है. मैंने संस्कृत में पूछा, आपने संस्कृत में उत्तर दिया. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाकर त्रिस्तरीय भाषा को लाने का जो काम उन्होंने किया है, तो नवमीं से दसवीं तक का और ग्यारहवीं और बारहवीं में हम हिन्दी और अंग्रेजी को तो अनिवार्यता देते हैं लेकिन कहीं न कहीं संस्कृत भाषा को हम अनिवार्यता नहीं दे पाते हैं. त्रिभाषा के तहत और उसको व्यवसायिक भाषा कम्प्यूटर से रिप्लेस करते हैं, जबकि मेरा यह मानना है कि संस्कृत ऐसी भाषा है जिसमें ज्योतिष, वास्तु, रत्नविज्ञान, पूजा पाठ, ये सारे व्यवसायिक उपक्रम के माध्यम से लोग अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खड़ा कर सकते हैं. इसलिए मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि त्रिभाषा फार्मूेले को लेकर सरकार की क्या योजना है और भविष्य में ये प्रदेशव्यापी संस्कृत को हम किस तरह से बढ़ावा दे सकते हैं, उस दिशा पर माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है.
श्री उदय प्रताप सिंह – माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से सदस्य महोदय को बताना चाहता हूं कि जैसे उन्होंने कहा है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति पर व्यापक काम हुआ है, तो नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर हमारी सरकार भी काफी आगे बढ़ी है; टास्क फोर्स के माध्यम से लगातार उसके क्रियान्वयन पर हम बीच बीच में बैठकर तैयारी करते रहते हैं. अध्यक्ष जी आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा फार्मूला लागू किए जाने का उल्लेख है, मध्यप्रदेश की सरकार नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू किए जाने के लिए जैसा मैंने कहा कि हम प्रतिबद्ध भी है. वर्तमान में तीन भाषाएं पढ़ाए जाने का प्रावधान है, परन्तु किसी एक भाषा के स्थान पर व्यवसायिक शिक्षा का विषय भी ले सकता है ये वर्तमान में प्रावधान है. नई शिक्षा नीति के अनुसार त्रिभाषा फार्मूला लागू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और हम उसके लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं. जब सारी प्रक्रिया और मापदंड पूरे हो जाएंगे तो आपकी जो मंशा है, उस पर भी हम आगे आने वाले समय में काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय – माननीय सदस्य, दूसरा पूरक प्रश्न.
डॉ. अभिलाष पाण्डे – माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि जिस तरह से मध्यप्रदेश में संस्कृत को प्रोत्साहन देने के लिए मंत्री जी ने कहा है कि सरकार डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में काम कर रही है. मैं यह चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में जो संस्कृत माध्यम से विद्यालय संचालित हैं, इनमें सरकार क्या सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है, किस किस्म की स्कॉलरशिप छात्रों को दी जा रही है. चूंकि यह मेरे विधान सभा से भी जुड़ा हुआ विषय है, उत्तर मध्य विधान सभा जबलपुर की एक हिस्टोरीकल विधान सभा है. उसमें बड़ी संख्या में संस्कृत को पढ़ने वाले लोग भी रहते हैं और ऐसे पंडित भी निवास करते हैं. मध्यप्रदेश में शाजापुर और राजगढ़ जिले में झिरी और नरसिंहपुर का गोहद गांव है जिसमें भाषा के रूप में संस्कृत बोली जाती है. मुझे यह लगता है कि हिन्दी और अंग्रेजी हमारे भाषा के प्रचलन का माध्यम है इसलिये यह दोनों जीवित हैं, लेकिन संस्कृत हमारे बोलचाल का हिस्सा नहीं है. मुझे यह लगता है कि संस्कृत को यदि जीवंत रूप प्रदान करना है तो कहीं न कहीं बोलचाल की भाषा में भी संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाये. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि क्या मध्यप्रदेश सरकार आगामी समय में संस्कृत दिवस के रूप से जिस तरह से 1969 में भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षामंत्री ने जो बात कही थी और श्रावण मास में उसे एक सप्ताह के रूप के मनाने की बात कही थी. क्या मध्यप्रदेश में बहुत गंभीरता के साथ इस तरह से संस्कृत सप्ताह या संस्कृत दिवस मनाने की कोई योजना सरकार करेगी ताकि बच्चों में बाकी सब लोगों में संस्कृत के विषय में जागरूकता हो पाये.
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात आ गई है. आपकी भावना अपनी जगह पर ठीक है. लोक सभा की कार्यवाही में भी संस्कृत का समावेश है, वहां ट्रांसलेट भी होती है.
श्री उदय प्रताप सिंह—अध्यक्ष महोदय जी की तरफ से वैसे आधा आश्वासन तो मिल गया है. जैसा कि माननीय सदस्य जी ने कहा है कि प्रदेश में अशासकीय आवासीय संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों के लिये छात्रवृत्ति की प्रावधान है. 2022-23 से यह योजना लागू की गई है. पांचवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों को हम 8 हजार रूपये प्रति वर्ष और नवीं से 12 वीं के विद्यार्थियों को 10 हजार रूपये प्रतिवर्ष देते हैं. विगत् वर्ष 2024-25 में भी इसमें लगभग 3500 बच्चे थे जिनको इसका लाभ दिया गया है. आपके माध्यम से सदस्य महोदय को बताना चाहता हूं कि वर्ष 2014 में मध्यप्रदेश में 34 संस्कृत के विद्यालय थे आज 11 साल के बाद 2025 में इन विद्यालयों की संख्या बढ़कर 271 मध्यप्रदेश में हो गई है. जैसा कि आपने कहा कि संस्कृत सप्ताह के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमने यहां पर नवाचार की व्यवस्था लागू की है. पहले गुरू पूर्णिमा मनाई जाती थी. अब गुरू पूर्णिमा पूरे विद्यालय और सारे प्रदेश के महाविद्यालय भी इसको मनाते हैं. गुरूओं के शिक्षकों के आदर में उनका मान सम्मान करते हैं. पहले गुरू जी का मतलब यह माना जाता था आचार्यों की केवल वंदना होनी चाहिये. लेकिन हर शिक्षक को गुरू का महत्व दिया जाता है. यहां पर कुलपति को कुलगुरू का दर्जा भी दिया गया है. अध्यक्ष महोदय, हम आगे बढ़ रहे हैं वित्तीय व्यवस्था नहीं है, लेकिन भविष्य में इसका चूंकि माननीय वित्तमंत्री जी तथा माननीय मुख्यमंत्री जी भी से भी हम लोग बात करेंगे. अभी कुछ जिलों में यह प्रयोग करने जा रहे हैं कि वहां ऐसे कैसे संस्थान बनाने जा रहे हैं जहां पर संस्कृत, वैदिक, योग इन तीनों की शिक्षा एक ही केम्पस में दें. संस्कृत, वैदिक, योगिक संस्थान इस तरह की हम लोग तैयारी कर रहे हैं चूंकि यह प्रायमरी स्तर पर है. अगर वित्त की अनुमति मिलेगी माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा करने के बाद हम लोग आगे बढ़ेंगे, तो हमारी कोशिश होगी की आगे आने वाले समय में हर जिले में इस तरह की व्यवस्था लागू हो. यह होता है तो मुझे यह लगता है कि संस्कृत के लिये यह एक मील का पत्थर साबित होगा.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय—मंत्री जी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव—अध्यक्ष महोदय, माननीय अभिलाष जी को धन्यवाद दूंगा कि एक बहुत हमारी संस्कृति से, हमारी सभ्यता से, हमारी आदि इतिहास से जुड़ा हुआ यह विषय है. संस्कृति के बिना संस्कृत नहीं और संस्कृत के बिना सनातन नहीं. अनेक भाषाओं के बारे में अलग अलग संस्थान बने हैं. माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है और जो उत्तर शासन की तरफ से आया है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा यदि वास्तव में संस्कृत के लिये उनके मन में इच्छा है, हमारे सरकार के मन में तो है. और हमारी पार्टी की जो मूल भावना है वह हमारी संस्कृति और सनातन से ओतप्रोत है और इसलिए हमारी प्राथमिकता होना चाहिए कि हम संस्कृत का उन्नयन और बल्कि जो विलुप्त होती जा रही है, उसको हम फिर से नवजीवन कैसे दें. मैं पिछले 22 वर्षों से एक संस्कृत विद्यालय चलाता हॅूं, बल्कि वह महाविद्यालय हो गया है. जो महाविद्यालय है, हमारा सांदीपनी संस्थान है उसके द्वारा संचालित होता है, मान्यता उसी से होती है. मैं माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हॅूं कि जो संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय मैं चलाता हॅूं शायद यहां अधिकारी भी बैठे होंगे, टॉप-5 छात्रों में मेरे ही विद्यालय के, जो मैं संचालित करता हॅूं उसके ही छात्र बोर्ड के इम्तेहान में आए हैं. लेकिन बडे़ दुख की बात है कि किसी प्रकार की शासकीय सहायता 22 वर्षों में मुझे एक रूपए की भी न भवन बनाने के लिए, न ही किताबों के लिए, न आवास के लिए मिली. मेरा 300 छात्रों का आवासीय विद्यालय है. हमारे साथ में प्रभारी मंत्री जी ने भी देखा होगा. कई लोगों ने देखा होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी देखा है. मैं इसलिए आग्रह करना चाहता हॅूं कि अगर वास्तव में मदद करना है, आप शासकीय स्कूलों में पद बढ़ा रहे हैं मुझे मालूम है कि वहां पर क्या होता है. क्या स्थिति होती है. कैसे नंबर दिये जाते हैं. कैसी मॉर्कशीट मिलती है क्या होता है क्या नहीं होता है. मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि यदि संस्कृत में हम संस्कृत के शिष्यों का संवाद करा लें, जितना संवाद अभी विधायक जी और माननीय मंत्री जी के बीच में हुआ है, चाहे वे संस्कृत विद्यालय के डिग्रीधारी हों, शायद वे नहीं कर पाएंगे. इसलिए मैं कहना चाहता हॅूं कि यदि वास्तव में संस्कृत का पुनर्जीवन करना है तो ऐसी संस्थाएं, जो मैं चला रहा हॅूं मुझे मालूम है कि कितना बोझ मेरे ऊपर व्यक्तिगत रूप से आता है और कहीं न कहीं से हम अपनी व्यवस्थाएं करके उसको संचालित कर रहे हैं. हमारे सागर में 120 वर्ष पुराना सिलाकारी जी के द्वारा संचालित संस्कृत धर्म श्री विद्यालय है.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय, वह महाविद्यालय है.
श्री गोपाल भार्गव -- हां, महाविद्यालय हो गया है, वह श्री शैलेन्द्र जी के आवास के निकट ही है. वह 120 वर्ष पुराना है.
अध्यक्ष महोदय -- शैलेन्द्र जी के आवास के निकट ही है तो फिर सहायता की क्या जरूरत है. (हंसी)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, 120 वर्षों से विद्यालय संचालित है और धनाभाव के कारण से वहां पर जो सिलाकारी जी इसको चलाते थे, तो चमेली चौक में, बड़ा बाजार में, धर्मश्री में इनके यहां भिक्षावृत्ति करके वह बच्चों को पढ़ाते थे, वहां उनके भोजन की व्यवस्था करते थे, तो ऐसे विद्यालयों को चिन्हि्त करके और जो वास्तव में कई तो सहायता लेने के लिए ऐसे ही खुल जाते हैं, फर्जी भी होते हैं उनके बारे में मैं नहीं कहना चाहता, लेकिन जो वास्तव में चल रहे हैं उनके लिए एक समिति बनाकर एक महीने में आप उसकी रिपोर्ट ले लें और वास्तव में उसको आप देखें कि वे भौतिक रूप से चल रहे हैं या नहीं चल रहे हैं. उसकी यदि हम सहायता करेंगे, तो वास्तव में इसके पीछे एक और बात है.
अध्यक्ष महोदय, अभी कर्मकाण्ड की बात की. यदि सारी सामग्री इकट्ठी करके पुण्य प्राप्त करने के लिए, मोक्ष प्राप्त करने के लिए अच्छे पंडित से पूजा करवाना चाहते हैं चूंकि मैं वर्ण से ब्राम्ह्ण हॅूं. मैं यह कहना चाहता हॅूं कि पूर्णत: हमारे कई विप्रजनों के लिए कर्मकाण्ड की शिक्षा भी नहीं दी जाती, इसलिए वह कभी-कभी अधूरे मंत्र पढ़ते हैं और इस कारण से यजमान को जो पुण्य मिलना चाहिए या हमारी संस्कृति में, पुराणों में, वेदों में, संस्कृति में धर्मग्रन्थों में जो कुछ भी उल्लेख है उसका लाभ उतना नहीं मिल पाता है. इसलिए यह जरूरी है कि शुद्ध व्याकरण, शुद्ध उच्चारण और सही मंत्र यदि पढ़े जायेंगे, तो यह कहा गया है कि देवता भी अवतरित हो जाते हैं. इसलिए आवश्यक है कि संस्कृत के लिए वास्तव में उसकी पुन: स्थापना करना है तो हम एक समिति बनाकर एक महीने में रिपोर्ट लेकर और उसका उत्थान करेंगे, तो बहुत भला होगा. (मेजों की थपथपाहट)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से इतना अनुरोध करना चाहूंगा कि किसी विद्यालय में जब दो अतिशेष अतिथि विद्वानों को पृथक करना हो, तो सबसे पहले संस्कृत वाले को अलग कर दिया जाता है, निकाल दिया जाता है तो मेरा आपसे यह अनुरोध है कि जो संस्कृत से स्नातक किए हुए हैं, कृपया अनिवार्यता उस विद्यालय में उनको अध्यापन कार्य कराने की अनुमति प्रदान की जाये. ऐसा मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय - अब इसमें प्रश्न ही करेंगे. माननीय मंत्री जी एक साथ उत्तर दे देंगे.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) - अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री गोपाल भार्गव जी ने भी अभी सदन में अपनी बात रखी है, उसी प्रकार से राघोगढ़ में आवन ग्राम में वर्ष 2001-02 में पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी के द्वारा आचार्य वाचस्पति शुक्ल संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित किया गया था. जहां तक मेरे पास में जानकारी है, माननीय मंत्री महोदय श्री प्रहलाद सिंह पटेल भी वहां ग्राम आवन में पधार चुके हैं. वर्तमान सासंद और पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री बी.डी.शर्मा जी भी वहां पर रात विश्राम कर चुके हैं. लगभग 70 बच्चे वहां पर पढ़ाई कर रहे हैं और अनेकों बच्चे जिन्होंने वहां से पढ़ाई पूरी की है, तिरुपति बालाजी से लेकर केदारनाथ तक वहां पर पूजा-अर्चना करवा रहे हैं तो बहुत ही सही सलाह माननीय श्री गोपाल भार्गव जी ने दी है. अगर इसकी समिति बनती है तो मेरी आपसे यही प्रार्थना रहेगी कि मुझे भी उसमें शामिल किया जाय और जो आवन ग्राम में विद्यालय स्थापित है, लगातार वर्ष 2023-24 में पूरे देश में हमको द्वितीय स्थान का राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है.
अध्यक्ष महोदय - आपका अच्छा विद्यालय है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय.
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा (उज्जैन-उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 471 ही संस्कृत के संवर्धन के लिए लगा था, परन्तु चूंकि आज मेरा नम्बर नहीं आया है. मैं डॉ. अभिलाष पाण्डेय जी को और विशेषकर आदरणीय श्री गोपाल भार्गव जी को धन्यवाद करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - श्री अनिल जी, कृपया प्रश्न करें.
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश के विद्यालयों में कक्ष 9वीं व 10वीं में किन-किन भाषाओं का अध्ययन कराया जाता है? वर्ष 2025 के हाईस्कूल परीक्षा 10वीं में किन-किन भाषाओं में कितने-कितने विद्यार्थी पंजीकृत थे?
अध्यक्ष महोदय - विषय संस्कृत भाषा का चल रहा है तो संस्कृत के बारे में पूछें.
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा- अध्यक्ष महोदय, संस्कृत भाषा के बारे में ही मैंने पूछा है कि संस्कृत भाषा के संवर्धन हेतु स्कूल शिक्षा विभाग की क्या योजनाएं हैं?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, सबका सामूहिक उत्तर आप दे दें.
श्री उदय प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, हमारे आदरणीय श्री गोपाल भार्गव जी ने जो विषय रखा है. स्वाभाविक रूप से मैं तो पड़ोसी भी हूं तो मेरे मन में जिज्ञास भी हुई है तो मैं तो जल्दी जाकर उस विद्यालय में जाने का अवसर मिलेगा, ऐसा प्रयास भी करूंगा. एक जानकारी के लिए बताना चाहता था कि आपने महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान संस्थान, उज्जैन का उल्लेख किया था, शायद उससे सम्बद्ध है. यह भारत सरकार की संस्था है और हमारे प्रदेश में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के माध्यम से भी विद्यालय संचालित होते हैं. दो अलग-अलग तरह के संस्थान काम कर रहे हैं, फिर भी अगर महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान संस्थान से सम्बद्ध है तो हम भारत सरकार से बात करके उसकी बेहतरी के लिए क्या हो सकता है, वह काम करेंगे और जो महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान से संबंधित विद्यालय हैं तो उनकी बेहतरी के लिए हम काम करते ही है. स्कालरशिप आदि देने का काम करते हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी ने जैसा कहा कि संस्कृत शिक्षक रहे तो हम इसका प्रयास कर रहे हैं कि संस्कृत शिक्षक अतिशेष न हों. कम से कम एक शिक्षक जहां पर संस्कृत के विद्यार्थी हैं, वहां पर आवश्यक रूप से रहे. इस बात की चिंता विभाग करेगा. ऐसे ही आवन ग्राम का आपने बताया है तो अगर हमारे महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान से सम्बद्ध है तो स्वाभाविक रूप से उसकी चिंता करने की जिम्मेदारी हमारे विभाग की है और हम सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर उसको करेंगे. संस्कृत विषय ऐसा है कि यह हमारी देवभाषा है.
जैसा कि आदरणीय श्री गोपाल भार्गव जी ने कहा कि उसके लिए तो जो कर सकते हैं और खासकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार जिस राज्य में शासन कर रही है, वहां तो वह सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश करेगी. हमारी देवभाषा समृद्ध हो और हम उसकी जड़ों को मजबूत कर सकें. अगली पीढ़ी तक उसको और बेहतर तरीके से ले जा सकें, यह सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर हमारी सरकार करेगी.
1.04 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्याण
संबंधी समिति का दशम् प्रतिवेदन
(2) प्रश्न एवं संदर्भ समिति के पंचदश विधान सभा के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों संबंधी तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम् प्रतिवेदन
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि हमारे पास करीब 1000 अपूर्ण उत्तर थे, जिसमें 600 का हम सभी सदस्य मिलकर समाधान करके आज प्रतिवेदन प्रस्तुत कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - बहुत बहुत धन्यवाद.
1.05 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में पद क्रमांक -5 के सरल क्रमांक 1 से 53 तक उल्लिखित याचिकाएं सदन में प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
1.06 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 6 सन् 2025) का पुर:स्थापन.
(2) भारतीय स्टाम्प( मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025(क्रमांक 7 सन् 2025) का पुर:स्थापन.
(3) रजिस्ट्रीकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 9 सन् 2025) का पुर:स्थापन.
(4) भारतीय स्टाम्प(मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025(क्रमांक 10 सन् 2025) का पुर:स्थापन.
1.09 बजे
वर्ष 2025-2026 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब चर्चा होगी. श्री लखन घनघोरिया जी.
श्री लखन घनघोरिया( जबलपुर-पूर्व)- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट दो हजार तीन सौ पैतीस करोड़, छत्तीस लाख, अस्सी हजार, नौ सौ अठानवे रूपये का लगभग 28 मांग संख्याओं के लिये मांगा गया है.
1.10 बजे {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.}
श्री लखन घनघोरिया- ...4 लाख करोड़ का कर्जा सह रही है सरकार, आम जन मानस और समय समय पर अनुपूरक के अलावा भी समय समय पर कर्ज लिया जाता है. वस्तुस्थिति पूरे प्रदेश की जो है, वह बड़ी अजीब है. आपके अधिकारी आपको,सरकार को वह बताते हैं, जो वह सच नहीं होता, ज्यादातर असत्य पर आधारित होता है. सभापति महोदय, जो नहीं बताते, वह आइना हम विपक्ष के साथी आपको बताने की कोशिश करते हैं. जो आपसे छुपाया जाता है. सरकार से छुपाया जाता है. वह आइना हम दिखाना चाहते हैं. यह फाइलों में आपको जो कुछ भी बता दें, किसी ने लिखा है कि तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े असत्य है, यह सिर्फ यह दावा किताबी है. यह आंकड़े टोटल असत्य होते हैं. उधर जम्हूरियत का ढोल पीट रहे हो तुम, पर्दे के पीछे बर्बरता और वादा खिलाफी है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल – यह लिखा कब गया था. .. (हंसी)..
श्री आशीष गोविन्द शर्मा—लखन भैया, आज आपके शेर में जरा मजा नहीं आया, थोड़ा उम्दा वाला और.
श्री लखन घनघोरिया—मजा नहीं अया, फिर से पढ़ दें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा— दूसरा बोलिये.
श्री लखन घनघोरिया— यह सहन नहीं हो रहा है. यह सहन करना पड़ेगा भाई, यह सच्चाई है.
सभापति महोदय—लखन जी, आप तो अपनी बात जारी रखिये. शेर ओ शायरी में न उलझें.
श्री लखन घनघोरिया— आंकड़े पूरे असत्य हैं. सभापति महोदय, सबसे पहले जो सबसे महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है, जो हमारे निजी जीवन से जुड़ा होता है, वह होता है स्वास्थ्य सेवा का. बड़ी भ्रामक स्थिति बनती है और लगभग 3-4 महीने में बड़ी भ्रामक स्थिति बन गई. हमारे यहां यह घोषणा हुई, बार बार यह भ्रम की स्थिति बनती है कि मेडिकल विश्वविद्यालय को बन्द किया जा रहा है. जबलपुर में स्थित है. 2010 में इसकी स्थापना हुई, 2002 में इसकी घोषणा हुई थी और एक नहीं 3-3 मुख्यमंत्रियों ने इसकी पुष्टि की थी. शिवराज सिंह चौहान जी के समय में बना और जब इसकी स्थापना हुई तो एक बिलकुल पवित्र धारणा, सोच थी कि मेडिकल एजूकेशन के मामले में जो पूरे के पूरे एफिलेटेड मेडिकल कालेज थे, वह क्षेत्र की यूनिवर्सिटियों से थे. यूनिवर्सिटी खुद तो अपना संचालन अच्छे से कर नहीं पा रही और मेडिकल कालेज कैसे चलाते. उस समय कैसे गिने चुने कालेज थे. शासकीय मेडिकल कालेज गिने चुने थे. प्रायवेट दो चार थे. आरडी गार्डी मेडिकल कालेज, अरबिंदो मेडिकल कालेज. तो यह आवश्यकता बनी कि जब निजी मेडिकल विश्वविद्यालय. निजी मेडिकल कालेज खोले गये और शासकीय मेडिकल कालेजों की भी तादाद बढ़ी. अब तो एक अवधारणा बन गई, एक कांसेप्ट सरकार का आ गया है कि हर जिले में एक मेडिकल कालेज, हर जिले मे इतने पैरा मेडिकल कालेज, इतने डेंटल कालेज, इतने होम्योपैथी कालेज, न जाने कितने कालेज होंगे. उनके लिये यदि एक यूनिवर्सिटी बनी है, उसके स्वरुप को खंडित करने का प्रयास हो रहा है. बार बार कहा जा रहा है और इसकी पुष्टि भी होती है. मुख्यमंत्री जी कहते हैं, अपने उद्गार में उन्होंने कहा कई जगह कि हर विश्वविद्यालय अपने मेडिकल कालेज संचालित करेंगे. विश्वविद्यालयों की स्थितियां आपके सामने हैं. विश्वविद्यालय खुद तो चला नहीं पा रहे हैं. यूजीसी की ग्रांट पर चलने वाले विश्वविद्यालय हैं. सभापति महोदय, यह भ्रामक स्थिति यही पर खतम नहीं होती है, एक अलग से फरमान जारी हुआ कि सरकारी अस्पतालों में बिना परीक्षा के मेडिकल टीचर बन सकेंगे. इसकी संख्या भी दे दी, कितने प्रोफेसर, कितने एसोसियेट प्रोफेसर और कितने असिस्टेंट प्रोफेसर बनेंगे, सभापति जी अगर बगैर कोई मापदंड और योग्यता के डॉक्टर बनेंगे तो स्वास्थ्य सेवायें कैसी होंगी. यही भ्रम की स्थिति है. एक तरफ मेडिकल कालेज में पात्र टीचर की पात्रता दी जा रही है दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी को मेडिकल कालेज से अटेच किया जा रहा है. मेडिकल विश्वविद्यालय बंद किया जा रहा है.
सभापति महोदय, हमारा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि यह भ्रम की जो स्थिति है उसको स्पष्ट होना चाहिये. स्वास्थ्य मंत्री जी धीर-गंभीर हैं लेकिन यह भ्रम की स्थिति है.5 हजार के आसपास एमबीबीएस डॉक्टर बेरोजगार हैं. इससे ज्यादा तो विभाग में डॉक्टरों के पद रिक्त हैं. पीजी डॉक्टरों के 2 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं. आप कितना दावा कर लें, लेकिन स्थिति यह है कि डॉक्टरों के पद रिक्त हैं. अभी एक माननीय सदस्य गेहलोत जी ने भी बताया कि भवन तो बन जाते हैं, मशीनें भी आ जाती हैं, लेकिन तकनीशियन के अभाव में मशीन खराब हो जाती है, भवन जर्जर हो जाते हैं, सारे जिलों में संजीवनी क्लीनिक बने हुये हैं, सरकार की अच्छी सोच थी, लेकिन भवन बन गये हैं, स्टाफ नहीं है. नगरीय निकाय विभाग ने भवन बनाकर के आपको सौंप दिया उसके बाद में न वहां पर डॉक्टर हैं, न वहां पर पैरामेडिकल स्टाफ पदस्थ है, वह भवन भी जर्जर हो रहे हैं. यह संजीवनी क्लीनिक की स्थिति है. प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदतर है .मंत्री जी अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन अधिकारी जो कहते हैं वही मंत्री जी बोल देते हैं. सच्चाई क्या है, इसीलिये में कह रहा हूं कि भ्रम की स्थिति है और मंत्री जी अपने उत्तर में इस बात को स्पष्ट करेंगे कि मेडिकल विश्वविद्यालय में वस्तु स्थिति क्या है.
माननीय सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि मेडिकल कॉलेज अपने क्षेत्रीय विश्वविद्यालय संचालित करेंगे, मेडिकल कालेज के टीचर्स के लिये मापदंड क्या हों उस पर भी भ्रामक स्थिति बनी हुई है इसलिये मेरा आग्रह है कि स्थिति को मंत्री जी अपने उत्तर में स्पष्ट करेंगे. क्योंकि प्रदेश का जनमानस स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर के ज्यादा परेशान है. आयुष्मान कार्ड की क्या स्थिति है उसके बारे मे बताना चाहूंगा. निजी अस्पताल को फायदा पहुंचाने के लिये यह है, आयुष्मान कार्ड उन्हीं अस्पतालों में चल रहा है जिसकी थोड़ी बहुत पहुंच है, बड़ा भ्रष्टाचार है इसमें हालांकि सरकार की मंशा आयुष्मान कार्ड के बारे में अच्छी है किंतु अव्यवस्था क्या है उसके बारे में भी थोडा सा बता दूं. सभापति महोदय, आयुष्मान कार्ड लेकर के जब मरीज किसी अस्पताल में जाता है तो वहां पर यह कहा जाता है कि इसको पहले चेक कर लें कि यह आयुष्मान कार्ड चलेगा अथवा नहीं, तब तक आप इतने पैसे जमा कर लें, इलाज भी शुरू हो जाता है.लेकिन जब आयुष्मान कार्ड का पैसा अस्पताल प्रबंधन के पास में आ जाता है तब उस मरीज के द्वारा जो पहले राशि जमा कराई जाती है उस राशि को अस्पताल प्रबंधन के द्वारा वापस नहीं किया जाता है, अस्पताल प्रबंधन उस राशि को खा जाता है. यह तमाम भ्रामक स्थितियां बनी हुई हैं. दूसरा, माननीय कैलाश भैया के विभाग से संबंधित है, नगरीय निकाय की भारी भरकम राशि मांगी जाती है. स्मार्ट सिटी, स्मार्ट मीटर, स्मार्ट तरीका हो गया है खाने का. हर चीज में गजब का है. पहले होता था कि रोडें धुलती थीं, अब एक बारिश में घुल गई हैं. आप किसी भी जिले में जाकर देख लें, हर शहर की स्थिति बड़ी विचित्र हो चुकी है. एक बारिश हुई, यह जबलपुर की स्थिति बता रहा हूं, एक रोड बनी 40 दिन हुआ, 40 दिन के अंदर, 40 लाख की रोड छलनी हो गई है. वहां धूल फैल रही है. अकेली एक नहीं जबलपुर में ऐसी कम से कम 10-15 रोडें हैं नगर निगम की जो 40 दिन के अंदर बनी थीं और सबकी स्थिति बिल्कुल अजीब टाईप की हो गई है. गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं. वहीं पर हास्यास्पद स्थिति एक व्यंग्य हुआ. बड़ा विचित्र व्यंग्य था कि हमारी जबलपुर नगर निगम को स्वच्छता में 5 वां अवार्ड दिया गया. यहां बैठे होंगे हमारे जबलपुर के साथी या जबलपुर को नज़दीक से जानने वाले. आप जबलपुर चले जाएं. कैलाश भैया मानते नहीं, उनकी आंखों में सिर्फ इन्दौर का चश्मा लगा है. उनको बस इन्दौर में प्रदेश दिखता है. प्रह्लाद जी बैठे हैं, उदय प्रताप जी बैठे हैं, यह जबलपुर से जुड़े हुए लोग हैं, एक रोड पर चले जाएं, किसी भी रोड पर, तो एक तस्वीर देख लेंगे, स्वच्छता किस बात की. कचरों के ढेर का अम्बार है. डोर टू डोर कलेक्शन कचरे का जो होता था वह ढप्प है. कचरे वाली गाड़ी में कचरा फेंको जी पूरी कचरे में चली गई हैं, लेकिन 5 वें नंबर का अवार्ड मिल रहा है. पूरा शहर हंस रहा है कि किस बात पर मिला है.
सभापति महोदय, जल प्लावन की स्थिति यदि आपको कहीं देखने को मिलेगी तो जबलपुर में आकर देखें. एक स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम का नाला जो 374 करोड़ में बना, 80 फिट, 100 फिट के नालों को 12 बाय 12 का कवर्ड कर दिया. जब बारिश का पानी बहता है तो अपने वेग से बहता है और लोगों के घरों में घुसता है. जल प्लावन की स्थति बहुत लंबे समय से है और कई बार मैंने इस सदन में बोला है. मैं आपसे आग्रह करता हूं, एकाध बार कैलाश भैया से भी कहता हूं कि पूरे शहर में पदयात्रा खूब करते हैं, प्रह्लाद जी भी करते हैं, बहुत पदयात्रा करते हैं, एक बार हमारे साथ चलकर देख लो प्यारे, एक बार चलकर देख लें. वृक्षारोपण में जबलपुर की स्थिति यह दोषारोपण नहीं कर रहा हूं वृक्षारोपण की स्थिति बड़ी विचित्र है. वहां 30 करोड़ रुपये सिर्फ और सिर्फ उद्यान का निकला है. बंदरबाट हुआ है वृक्षारोपण के लिए. यह बाकायदा उसके प्रमाण हैं नाम सहित.(कागज दिखाते हुए) यह प्रमाण हैं. हो क्या रहा है कि चित्रकारों को काम सौंप दिया गया कि शहर में कहीं भी खाली दीवार बनाओ और उस पर पेड़ की तस्वीर बना दो. उसी को वृक्ष समझ लेते हैं. यह वृक्षारोपण है. यह सिर्फ पेंटिंग का 20 करोड़ रुपये है. वृक्षों की स्थिति क्या होगी. वृक्ष लगते हैं जवाब मांगों तो बोलते हैं जानवर खा गए. दिखते नहीं, सिर्फ पेंटिंग दिखती है. इसलिए कम से कम यह प्रूफ है कि पेंटिंग बन गई है. यह 56 करोड़ के रोडों के प्रमाण हैं और आप कहें तो यह प्रमाण हम मंत्री जी को दे देंगे. यह प्रमाण हैं 56 करोड़ की रोड के जो अभी इस बारिश में बह गई है. उसके बाद 5 वां नंबर है. चारों तरफ जाम की स्थिति है. यह बात आम है, चारों तरफ जाम है. यह जबलपुर में होता है. इंसान यदि बड़ा फुआरा मुख्य शहर से स्टेशन की तरफ जाएगा तो एक घंटे में पहुंचता है तब तक उसकी ट्रेन छूट जाती है. हमारे यहां विक्टोरिया जिला अस्पताल है. यह अभिलाष जी का भी क्षेत्र लगता है. ओमती चौराहे से मुश्किल से 500 मीटर की दूरी पर है, 500 मीटर की दूरी से यदि कोई मरीज अस्पताल जाएगा और यदि जाम की स्थिति है तो पता चलेगा कि उसके जीवन की गाड़ी चूक गई. चारों तरफ यातायात का ताण्डव होता है, नाकामी नगर निगम की होती है.
माननीय सभापति महोदय, सप्रमाण यह चीजें आपके सामने हैं. हमने आग्रह किया है कि हमारे जो भी साथी जबलपुर से जुड़े हैं और हर काम के लिए जबलपुर आते जाते रहते हैं. वे एक बार मेरे सविनय निवेदन को मान लें और मेरे साथ एक बार घूम लें. जबलपुर की स्थिति देख लें. माननीय उदय प्रताप सिंह जी बहुत गंभीर हैं, इसमें कोई दो मत नहीं है, काम करने का जज्बा भी है, इसमें भी कोई दो मत नहीं है. मंत्री अच्छे हैं, लेकिन अधिकारी आपको क्या बताते हैं. जबलपुर में हुई कार्रवाइयों की कल बात हो रही थी. बड़ी विचित्र व्यथा है. हमारे यहां के पूर्व महापौर और विधान सभा के पहले विधान सभा अध्यक्ष पंडित कुंजीलाल दुबे जी के सुपुत्र स्वर्गीय विश्वनाथ दुबे जो कि जबलपुर ही नहीं प्रदेश का बड़ा नाम है. उनका एक स्कूल चलता है कार्रवाई उस स्कूल पर हो गई. लेकिन क्या वह व्यवसाय के लिए कर रहे हैं. एक बहुत बड़ा ग्रुप है ज्ञान गंगा, विश्व हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष रहे हैं सिंघई जी उनका भतीजा एज ए प्रिंसीपल एक गवर्मेंट कॉलेज से रिटायर हुआ. उसने सोचा कि शिक्षा के अलावा कुछ नहीं सीखा है तो स्कूल में बैठ जाएं, मुल्जिम बन गया. सिर्फ अपनी पीठ थपथपाने के लिए ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई हो गई. जो बड़े मगरमच्छ हैं जिनके बारे में मैंने कल कहा था उन पर कार्रवाई नहीं हुई. अधिकारी अपनी मर्जी से छपास की बीमारी के कारण छपने के कारण यह कार्रवाइयां कर रहे हैं और आपके सामने गलत तस्वीर पेश कर रहे हैं. स्कूलों की स्थिति आपको मालूम है. आप स्कूलों की स्थिति देखें.
सभापति महोदय -- लखन जी थोड़ा शीघ्रता से समाप्त करें. काफी माननीय सदस्यों ने नाम दिए हैं. दो घंटे का समय निर्धारित है.
श्री लखन घनघोरिया -- सभापति जी, मैं माननीय उदय प्रताप सिंह जी से आग्रह करना चाहता हूँ चूंकि मेरी विधान सभा शहर के अन्दर है. वहां पर सबसे ज्यादा आर्थिक अभाव में रहने वाले लोग रहते हैं. सबसे गरीब लोग हैं, इसलिए वहां पर सरकारी स्कूलों की भी आवश्यकता ज्यादा होती है. लोगों के पास आर्थिक संसाधन नहीं है कि बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में पढ़ा सकें. जहां पर उदय प्रताप सिंह जी पढ़ें हैं, मॉडल स्कूल, वे मॉडेलियन हैं. यह बहुत अच्छा स्कूल है इसमें कोई दो मत नहीं हैं, काम भी हो रहा है. लेकिन बाकी स्कूल जर्जर स्थिति में हैं. 9500 स्कूलों में बिजली नहीं है. 12000 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है. आप शौचालय की स्थितियां देखें.
सभापति महोदय -- माननीय लंच का समय भी हो रहा है, थोड़ा ध्यान दें.
श्री लखन घनघोरिया -- आप बोलेंगे तो बैठ जाएंगे.
सभापति महोदय -- आप तो अत्यंत अनुभवी हैं, हंसमुख हैं, सक्रिय हैं और जानकार हैं. जल्दी से खत्म करें.
श्री लखन घनघोरिया--सभापति महोदय, 2787 बालकों के स्कूलों में शौचालय नहीं हैं. 9833 बालिका स्कूलों में शौचालय बंद पड़े हैं. 11390 स्कूलों में बालक शौचालय बंद पड़े हैं. कारण यह है कि सफाई कर्मचारी ही नहीं है. पानी नहीं है इसलिए वह बंद हो जाते हैं. स्कूलों की व्यवस्था में दो-चार सफाई कर्मचारी कहीं निश्चित कर दें. दिनभर स्कूल लगते हैं और रात में पीने खाने वाले वहां बैठते हैं. वहां चौकीदार भी नहीं रहते हैं. यहां सुधार की आवश्यकता है. हमारे एक मित्र साथी पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं उन्होंने जबलपुर के गड्ढों के लिए कहा था कि सड़क है तो गड्ढे तो होंगे ही. उन्होंने स्वीकार किया था कि सड़क है तो गड्ढे तो होंगे ही, लेकिन गड्ढे ही गड्ढे हों और सड़क मिले ही न, यह हम नहीं कह रहे हैं वह आकर देखें कि पीडब्ल्यूडी की स्थिति क्या है. कितनी रोडों पर गड्ढे हैं.
माननीय राकेश सिंह जी आये नहीं हैं. मैं उनके सामने कहता कि कहीं नहीं तो आप अपने शहर को तो सही रखें.
श्री अभिलाष पाण्डेय-- सभापति महोदय, लखन जी हमारे मार्गदर्शक भी हैं.
सभापति महोदय--आप सभी जबलपुर के साथी हैं. आप सभी आपस में बात कर लेना. लखन जी, अभिलाष जी आपको बाहर मिल जाएंगे. मुलाकात हो जाएगी.
श्री लखन घनघोरिया-- अभिलाष जी आप हम लोगों के बीच में मत पड़ो आप कॉलेज में बहुत बाद में आए थे. सभापति जी, अभिलाष जी के बहुत अच्छे प्रयास रहे. हमारे यहां एक जलाश्य है. जबलपुर 52 तालों का शहर माना जाता है. बड़े-बड़े तालाब थे. गोंडवाना कालीन तालाब थे. रानी ताल, चेरी ताल, चेरी उनकी दासी थी. रानी दुर्गावती के नाम से उनका तालाब था. आधार सिंह उनके मुंशी थे उनके नाम पर भी तालाब था. 52 तालाबों में से केवल दो तीन तालाब ही शेष बचे हैं. एक हनुमान ताल है. अभिलाष जी के विधान सभा क्षेत्र में थोड़ा हिस्सा मेरे विधान सभा क्षेत्र का आता है. उसकी सफाई का काम चालू हुआ. अमृत योजना के तहत कम से कम एक करोड़ तीस लाख रुपए का काम हुआ. तालाब को खाली कराया गया. उसके बाद उसका सेकेण्ड पार्ट आ गया. 30 करोड़ रुपए का टेंडर दोबारा हुआ. जो तालाब खाली हुआ था वह एक बार की बारिश में भर गया. जो कचरा निकाला गया था वह कचरा आज तक नहीं फेंका गया है. वह कचरा वहीं का वहीं पड़ा हुआ है. यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है. आप अनुपूरक ले आयें, सबकुछ ले आएं लेकिन व्यवस्थाओं में पारदर्शिता नहीं होगी और अधिकारी आपको सिर्फ असत्य दिखाएंगे. जब तक आप हकीकत की जमीन नहीं देखेंगे तब तक प्रदेश की स्थिति बदहाल ही रहेगी. सभापति जी आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अभिलाष पाण्डेय-- सभापति महोदय, मेरा निवेदन है चूंकि लखन जी हमारे वरिष्ठ नेता हैं. उन्होंने हनुमान ताल का जिक्र किया है. हनुमान ताल मेरे संकल्प पत्र का भी हिस्सा है.
सभापति महोदय--आप दोनों जबलपुर के साथी हैं. आप आपस में चर्चा कर लेना. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
(1.35 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
03.06 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
वर्ष 2025-2026 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्रीमती अर्चना चिटनीस (बुरहानपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार के हमारे आदरणीय वित्त मंत्री, श्री जगदीश देवड़ा जी द्वारा अनुपूरक मांगों के विषय को रखा गया है, उस संदर्भ में, मैं, उनके समर्थन में अपनी बात रखना चाहती है.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2025-26 में रुपये 4.21 लाख करोड़ का बजट पारित होने के पश्चात्, हम देख रहे हैं एक बड़े सुविचारित तरीके से कार्य-योजना वित्त मंत्री जी ने अनुपूरक बजट की बनाई है और मैं, ऐसी किसी बात के बारे में यहां उल्लेख नहीं करूंगी, जो होनी है. मैं, केवल वही बातें यहां करूंगी जो विगत 18 माह की सरकार में, भारतीय जनता पार्टी की सरकार, माननीय डॉ. मोहन यादव जी की सरकार, उनके मंत्रिमण्डल ने जो योजनायें बनाई, जो कुछ कहा, जो कुछ घोषित किया, उनका कार्यान्वयन भी कर दिया. अभी आदरणीय लखन जी जब सदन में बात कर रहे थे, तब सुनकर थोड़ा अटपटा लग रहा था, एक तो वे जबलपुर से बाहर ही निकल पाये, ठीक है, कमियां भी दिखनी चाहिए लेकिन जो कुछ अच्छा हो रहा, उसकी ओर भी हमें अपनी दृष्टि रखनी चाहिए. मैं चाहती थी कि यदि वे अभी सदन में होते तो हमारे दृष्टिकोण को भी सुन पाते. हम सभी के लिए गर्व का विषय है कि मध्यप्रदेश, "प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना" के अंतर्गत हमने 119 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की है. हम सभी को इस बात पर आनंदित होना चाहिए कि हमने "प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना" में शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है. हमने "प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि" में शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है. हमने "प्रधानमंत्री आवास योजना" में लगभग 90 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की है और "प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना" में 90 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, "आयुष्मान योजना" में हम देश में सर्वप्रथम हैं, हम 92 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल कर चुके हैं. हमारे वरिष्ठ नेता और पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा श्रम विभाग देखने वाले आदरणीय श्री प्रहलाद सिंह पटेल जी भी यहां उपस्थित हैं, मैं, उन्हें भी बधाई देना चाहती हूं कि "संबल-2 योजना" अंतर्गत 1 करोड़ 75 लाख श्रमिकों का पंजीयन इस सरकार ने कर दिया है. (मेजों की थपथपाहट)
वर्षों से जिन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी. हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी ने उसका कल उल्लेख भी किया था कि तीसरी पीढ़ी को लाभ मिला. हुकुमचन्द मिल के 4,800 श्रमिक परिवारों को 224 करोड़ रुपये की लम्बित राशि का भुगतान किया गया. श्रमिकों को ई-स्कूटर खरीदने के लिए 40 हजार रुपये की सहायता उपलब्ध है, सामाजिक सुरक्षा पेंशन के अन्तर्गत प्रतिमाह 26 लाख से अधिक हितग्राहियों को 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी जा रही है. प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण में 37 लाख से अधिक परिवारों और प्रधानमंत्री आवास शहरी में 8 लाख से अधिक परिवारों को पक्के मकान दिये जा चुके हैं. यह सब साधारण नहीं है. यह मात्र 18 माह की सरकार की अवधि है और मैं इसकी तुलना वर्ष 2002, वर्ष 2003 और वर्ष 2004 से न करते हुए, पिछले एक वर्ष में हमने प्रगति हासिल की है. अगर मैं उसकी ही बात करूँ तो प्रगति का एक बड़ा मानक प्रति व्यक्ति आय होता है और हमारी प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2024-25 में 1.39 लाख रुपये थी और जब आज मैं सदन में खड़े होकर, आपके माध्यम से अपनी बात कहना चाह रही हूँ तो प्रति व्यक्ति आय 1.39 लाख रुपये से बढ़कर, एक वर्ष में हमारी प्रति व्यक्ति आय 1.52 लाख रुपये हुई है. एक वर्ष में इतनी वृद्धि होना साधारण बात नहीं है. अभी वर्ष 2002 से तुलना करें, तब तो प्रति व्यक्ति आय 11,171 रुपये थी. एक वर्ष में अगर हम प्रति वर्ष जो प्रगति कर रहे हैं, उसका उल्लेख करें तब भी वह सब्सटेंशियल है, वह उल्लेखनीय है, वह निश्चित तौर पर उत्साहवर्धक है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के हमारे जनजातीय बन्धुओं का मध्यप्रदेश के विकास में, मध्यप्रदेश की प्रगति में, मध्यप्रदेश की पहचान एवं संस्कृति में एक बहुत अभिन्न योगदान है, उनका एक अपना विशेष स्थान है. मैं मध्यप्रदेश की सरकार को इस बात के लिए बहुत बधाई देना चाहती हूँ कि जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध मध्यप्रदेश की सरकार ने राजा भभूत सिंह को पचमढ़ी में अपनी मंत्रिपरिषद् की बैठक में सम्मान दिये जाने का निर्णय लिया, जो अपने आप में जनजातीय संस्कृति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. हम सब अपने-अपने क्षेत्रों में देख रहे हैं कि जनजातीय क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए ''धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान'' की शुरुआत हुई है, जिसका सुदूर गांव में जाकर सारा प्रशासन, सब विभाग के अधिकारी विस्तार से माइक्रो लेवल पर चीजों को प्लान कर रहे हैं, प्रोजेक्ट बनाकर भेज रहे हैं, जहां बिजली नहीं पहुँची, सड़क नहीं है, जहां शिक्षा नहीं है, जहां आंगनवाड़ी में कोई कमी है, छोटे-छोटे प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं और उनकी आपूर्ति निश्चित तौर पर सरकार करना चाहती है, कर रही है, इसलिए बजट के बाद अनुपूरक बजट और फिर बजट एवं फिर अनुपूरक बजट यह क्रम हम सतत् चलते हुए देख रहे हैं. अगर फायनेन्शियल डिसिप्लिन हमारी सरकार ने मेंटेन न किया होता, तो बजट की यह अभिवृद्धि करने की परिस्थिति ही सरकार की न बनती. बड़ी बात है कि पीएम जनमन योजना के अंतर्गत हमारे 21 जिलों में 66 मोबाइल मेडिकल यूनिट का प्रारंभ होना, यह अपने आपमें बहुत महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय विषय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस संवेदनशील सरकार ने हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन का हमारे 89 जनजातीय विकासखण्डों में प्रभावी तरीकों से लागू किया, मैं अपने स्वयं के जिले में हमारे खकनार विकासखण्ड में उसको लागू होते हुए और हमारे आदिवासी भाइयों-बहनों को उसका लाभ उठाते हुए देख रही हूँ. एक बड़ा अभिनव प्रयोग सरकार ने किया है कि छात्रावासों के विद्यार्थियों की समस्याओं के निराकरण एवं मार्गदर्शन के लिए 24X7 हेल्पलाइन प्रारंभ की है, जो अपने आपमें एक जवाबदेह सरकार का एक बहुत दृष्टिकोण है, इसमें कार्यशैली दिखती है.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, किसानों के लिए समर्पित सरकार है और हम एक प्रकार से देश का सोयाबीन उत्पन्न करने वाला सबसे बड़ा राज्य हैं और मध्यप्रदेश की सरकार ने 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सोयाबीन का समर्थन मूल्य उपार्जन करने का निर्णय लिया है. मध्यप्रदेश के किसान निश्चित तौर पर इससे अभिभूत हैं. श्रीअन्न मिशन माननीय प्रधानमंत्री का एक ऐसा मिशन है, जिसमें सारा देश ही नहीं, सारी दुनिया इसको लेकर सजग हो रही है. मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले हमारे किसान उसमें अपना योगदान अपनी स्वयं की समृद्धि के लिए और देश तथा दुनिया के स्वास्थ्य के लिए कर रहे हैं. रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अधिकतम 3,900 रुपये तक का जो एक बोनस माननीय मुख्यमंत्री जी ने और उनकी सरकार ने घोषित किया है, यह भी हमारे श्रीअन्न उत्पादन करने तथा इसे प्रोत्साहन देने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण विषय है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि पिछले 5 सालों में दाल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 'मिशन दाल' शुरू किए जाने का निर्णय लिया गया. अरहर, मूंग, उड़द और मसूर जैसी सभी प्रकार की दालों में एमएसपी पर उर्पाजन की व्यवस्था मजबूत बनी है. अध्यक्ष महोदय, खरीफ वर्ष 2024 में तुवर उत्पादक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,550 रुपये दिया जाना निश्चित तौर पर हम सबके लिए एक आनन्द का विषय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीबों के लिए सरकार समर्पित है. सरकार अपने कर्तव्यों का परिपालन किस प्रकार कर रही है, इसका उल्लेख चाहे वे हमारे अन्न के वितरण के विषय हों, उनमें लाई गई पारदर्शिता हो और हमारे श्रमिकों के लिए चलने वाली सारी योजनाएं हों, बहनों के लिए चलने वाली योजनाएं हों, उनमें कभी भी किसी भी योजना के क्रियान्वयन के लिए बजट की कमी इसलिए नहीं आती क्योंकि सरकार इसको बहुत दूरदर्शी तरीके से सोचकर के पहले से कार्ययोजना बनाती है और उस कार्ययोजना का क्रियान्वयन अपनी व्यवस्था, अपने सिस्टम के अंतर्गत करती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता भी है और मेरी सरकार से एक अपेक्षा भी है कि हमने देखा कि विगत दिनों 7 रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव्स आयोजित किए गए हैं. भोपाल की इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का उल्लेख तो अपनी जगह महत्वपूर्ण है ही, पर 7 रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवा, नर्मदापुरम और शहडोल में आयोजित किए गए. इनमें 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्राप्त हुए. इससे 2.7 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे. ये 7 रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव हमारी सरकार ने आयोजित किए हैं और आगे भी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव को आयोजित करना सरकार की अपनी कार्ययोजना में है, जिसमें आने वाले समय में 10 जिलों में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव योजनाबद्ध तरीके से किए जाएंगे. मेरा आपके माध्यम से सरकार से आग्रह है कि निमाड़ की रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का भी आयोजन शीघ्रातिशीघ्र करें क्योंकि हमारे पास रिसोर्सेज, नेचुरल रिसोर्सेज, कृषकों द्वारा उत्पन्न रिसोर्सेज हैं और कनेक्टिविटी तथा इन्टरप्रेन्योरशीप से भरपूर सारा निमाड़ है. चाहे बुरहानपुर हो, चाहे खण्डवा हो, चाहे खरगोन हो, चाहे बड़वानी हो, निमाड़ को भी इस दृष्टि से अपने रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का अवसर दें, जिससे कि हम अपना योगदान मध्यप्रदेश और देश के विकास में बेहतर तरीके से कर सकें.
अध्यक्ष महोदय, कमियां भी निकलनी चाहिए और वे दुरुस्त भी होनी चाहिए. पर हम सब के लिए यह गर्व का विषय है कि विगत एक वर्ष में सर्वाधिक निवेश प्राप्त करने वाला मध्यप्रदेश देश का तीसरा राज्य बना है और यह केवल एमओयू वाला विषय नहीं है विगत एक वर्ष में प्रदेश में 250 से अधिक औद्योगिक इकाईयों का लोकार्पण और भूमिपूजन भी किया जा चुका है.
श्री भंवर सिंह शेखावत - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि जो 250 जो लोकार्पण हुए हैं इंडस्ट्रियां शुरू हुई हैं उनके मेहरबानी करके नाम तो बता दीजिये कहां-कहां हुए हैं और कितने लोगों को रोजगार मिला है.
श्रीमती अर्चना चिटनीस - मैं यहां इस पवित्र सदन में जो कुछ भी कह रही हूं अथ्रेंटिक तरीके से क्रास चेक करके और जानकारियां पूरी तरीके से निकालकर कर रही हूं और आदरणीय सदस्य को कोई जानकारी चाहिये तो शासन में ट्रेजरी बेंचेज पर बैठे लोग उस पर जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं. मुझे अपनी बात पूरी करने का अवसर दिया जाए. एमएसएमई उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिये अब इसकी भी सूचना मांगेंगे वह भी उपलब्ध कराएगी सरकार,प्रोत्साहित करने के लिये पिछले एक वर्ष में 350 करोड़ से अधिक वित्तीय सहायता दी जा चुकी है और साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में मध्यप्रदेश सारे देश में अग्रणी भी है और भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की स्थापना भी मध्यप्रदेश ने की है. चाहे नारी शक्ति का विकास हो चाहे लाड़ली लक्ष्मी से लेकर लाड़ली बहना का क्रियान्वयन हो,चाहे प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का क्रियान्वयन हो. 90 लाख महिलाओं को सस्ते सिलेंडर उपलब्ध हुए और 25 लाख लाड़ली बहनों को रुपये 450 के गैस सिलेण्डर की रिफलिंग अब तक कराई जा चुकी है जिसके लिये 882 करोड़ से अधिक की राशि का अंतरण किया गया है. विषय बहुत है विस्तृत है समय सीमित है और इस सीमित समय में मैं केवल महत्वपूर्ण विषयों को इंगित करते हुए अपनी बात को पूरा करूंगी. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का इस बात के लिये स्वागत करती हूं कि सीएम राईज स्कूल जो वर्तमान में 369 स्कूल पूर्ण हो गये हैं या पूर्णता की ओर है उनका नाम सांदीपनी विद्यालय के नाम से किया है जो अपने आप में जहां श्रीकृष्ण ने शिक्षा ली हो उसी सांदीपनी आश्रम के नाम पर हमारे सीएम राईज स्कूल का नामकरण करना भी स्वागत योग्य है. मेघावी छात्रों के लिये चाहे स्कूटी हो,लैपटाप हो, हर चीज की व्यवस्था हमारे वित्त मंत्री जी पैसे की कमी कहीं आने नहीं देते हैं. महाविद्यालयों के लिये 2 हजार नये पदों का सृजन किया गया है. नरसिंहपुर में सैनिक स्कूल के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. अब इसके बहुत विस्तार में न जाते हुए मेरा एक सुझाव सदन को भी है और विनम्र आग्रह मंत्रिमण्डल में बैठे बहनों और भाईयों से भी है हम सबको व्यवस्था है कि हम हर तीन माह में अपने-अपने क्षेत्र का विकास की योजनाएं हों या गरीब कल्याण की योजनाएं हों उनके इंप्लीमेंटेशन का रिव्यू हम विभागीय अधिकारियों के साथ बैठकर करते हैं कर सकते हैं और उसको हम लोग बखूबी करें और बखूबी करने के साथ जो हमें कमजोर दिखता है अच्छा नहीं दिखता है बेहतर कुछ सुझाव हो सकते हैं हम सभी विधायकों की यह जवाबदारी है कि अपने-अपने क्षेत्र में विकास और अपने-अपने क्षेत्र में जनकल्याण की योजनाओं का क्रियान्वयन हम जमीनी स्तर पर हमें भी विधायक के नाते से करना होगा और हम उनको एक बार देखें क्रास चेक करें सरकार से जो अपेक्षा हो सरकार तक पहुंचाएं और हमारे मंत्रीगणों से भी मेरा आपके माध्यम से यह विनम्र आग्रह है कि साल में एक बार संभागवार विधायकों को भोपाल बुलाएं. भोपाल में आपका सारा अमला होता है, आपके एसीएस होते हैं, प्रिंसीपल सेक्रेट्रीज होते हैं, कमिश्नर्स होते हैं, ईएनसी होते हैं. साल में एक बार आप संभाग बार, 10 ही तो संभाग हैं, आप बुलायें, उससे पहले हम लोगों से आप कोई आवेदन हो, कोई निवेदन हो, कोई आग्रह हो वह बुला लें, विभाग उस पर एक्सरसाइज कराकर साल में एक बार अगर विभागीय मंत्री संभागबार विधायकों के साथ बैठ जायें तो शायद अनुपूरक बजट पर जो ओपन करे हमारे विपक्ष का साथी वह अपने जिले से बाहर ही न निकल पाये, यह परिस्थिति से हम लोग बच पायेंगे और स्टेट बाइज पर्सपेक्टिव में बात हम मध्यप्रदेश के इस सदन में कर पायेंगे. अनुपूरक बजट के समर्थन में 18 माह की डॉ. मोहन यादव जी की सरकार के मंत्रिमंडल ने कुछ इस तरह काम किया कि मैं यह आप सबसे कहना चाहती हूं कि सरकार का दृष्टिकोण निश्चित ही यह रहा है कि ''विज्ञान हो, अनुसंधान हो, कला साहित्य का ज्ञान हो, राष्ट्रभक्त हर गुणवान हो, अखिल जगत में भारत का मान हो. गौ कृषि की रखवाली हो, अन्न से भरी सबकी थाली हो, नदी तालाब कुएं न खाली हों, शक्ति का संधान हो, जण गण मण बलवान हो, पराक्रमी नौजवान हो, भारत सर्व शक्तिमान हो. दीन हीन का त्रास हरेंगे, सर्वांगीण विकास करेंगे, स्वप्न सबके साकार करेंगे, भारत का पुनरोत्थान करेंगे. आयें हम सब मिलकर संकल्प करें. आने वाला महीना अगस्त का महिना है, आने वाला महीना देश की स्वाधीनता का महिना है, उस स्वाधीनता का निकटतम पर्यायवाची शब्द जो मुझे लगता है वह है जिम्मेदारी. अगर हम व्यक्तिगत तौर पर, समाज के तौर पर, जनप्रतिनिधि के तौर पर हैं तभी तो यह देश स्वतंत्र है. अगर हम हर चीज के लिये हम दूसरों को ही अन्य किसी और से अपेक्षा कर रहे हैं तो हम इस स्वावलंबी और स्वतंत्र स्टेट के एक जवाबदार नागरिक भी नहीं है, जनप्रतिनिधि तो छोड़ो. आने वाले महिने में हम सब आजादी का पर्व मनायेंगे और जिम्मेदारी के साथ अपनी-अपनी जवाबदारी को हम पूरा कर सकें, उसका हम संकल्प करें, रक्षा बंधन का माह भी है आने वाला और बहनों की भाईयों से अपेक्षा है और भाईयों की बहनों से अपेक्षा है. इन सब पवित्र राष्ट्रीय और सांस्कृतिक त्यौहारों को मनाते हुये हम मध्यप्रदेश को अपने चरम पर पहुंचाने के लिये सब अपना-अपना योगदान दें और एक पॉजीटिव दृष्टि से एक सकारात्मक दृष्टिकोण से इस मिट्टी के साथ अपने प्रेम के संबंधों को प्रमाणित तौर पर जीते हुये हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया इसके लिये मैं आपकी बहुत-बहुत आभारी हूं. इसी प्रकार आपका स्नेह बना रहे. धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- आदरणीया बहन अर्चना चिटनीस बोलती बहुत अच्छा हैं और हम लोग सब उनके प्रति शुभकामनायें रखते हैं कि वह मंत्री भी बनें, लेकिन दिक्कत यह है आपकी भारतीय जनता पार्टी में कि कुछ लोगों को फील्डिंग के लिये लगाया जाता है, वेटिंग मिलती नहीं. वह सीट पर भी यशपाल सिंह सिसौदिया साहब बैठा करते थे, वह बहुत बोला करते थे, हम लोग सब चाहते थे कि मंत्री बनें, पर यशपाल जी मंत्री नहीं बने और अर्चना जी से गुजारिश है कि थोड़ा सा वेटिंग करने के लिये भी इस तरफ आईये, फील्डिंग ..(हंसी)...
श्रीमती अर्चना चिटनीस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी पार्टी की और क्षेत्र की जनता की बहुत ऋणी हूं. किसको पार्टी 6 बार चुनाव लड़ने का मौका देती है. मैं तो पिछली बार चुनाव जीती भी नहीं थी फिर पार्टी ने मुझे मौका दिया, मैं विधायक बनकर यहां बैठी हूं. और विधायक मंत्री से छोटा नहीं होता, यह कुंठा मुझे कहीं नहीं है. ..(मेजो की थपथपाहट)..
श्री महेश परमार-- फिर तुलसी भईया से इस्तीफा दिला दो, मंत्री पद छोटा नहीं है तो.
अध्यक्ष महोदय-- अभी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से एक-एक व्यक्ति बोलें, इस चर्चा पर दो घंटे का समय निश्चित है. लगभग 50 मिनट की चर्चा पूरी हो गई है और सामान्य तौर पर सदन के नियम यह है कि कुल मिलाकर संख्या बल के हिसाब से ही समय का आवंटन होता है इसलिये हम सब लोगों को यह ध्यान रखना चाहिये कि दो घंटे में कितना समय पक्ष के पास है और कितना समय विपक्ष के पास है. इसलिये मेरी सभी सदस्यों से यह प्रार्थना है, मेरी इच्छा हमेशा रहती है कि सभी सदस्य अपनी बात रख पायें. लेकिन समय जो है, उसकी इजाजत नहीं देता है तो बार-बार आग्रह करना पड़ता है, इसलिए मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि तीन मिनिट में अपनी बात पूरी करेंगे तो सब लोग बोल पायेंगे, नहीं तो फिर आगे की चर्चा में कुछ लोगों की कटौती करना पड़ेगी, इसलिए मेरा अनुरोध है कि समय का सभी लोग ध्यान रखें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, आपसे मेरा निवेदन है कि बहुत सारे हमारे नये विधायक आपका संरक्षण चाहते हैं, थोड़ा समय बड़ा देंगे क्योंकि उनकी बहुत सारी समस्याएं हैं.
अध्यक्ष महोदय -- देखिये समय बढ़ाना न बढ़ाना अलग बात है, लेकिन कार्यमंत्रणा समिति में जो चीज तय हुई हैं, कभी-कभी हमको उसकी पालना करने की आदत अपने भीतर भी डालना चाहिए कि कैसे हम समाहित कर सकते हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, हम आपसे सहमत हैं, अगर आधा एक घण्टे के लिये बढ़ा देंगे, तो बड़ी मेहरबानी होगी.
अध्यक्ष महोदय -- श्री ओमकार सिंह मरकाम जी आप बोलें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डौरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब से आप अध्यक्ष बने हैं, हम लोग बड़े कांफिडेंस में रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह बजट में नहीं है भाई(हंसी)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, आप जब हैं तो समय की बाध्यता कैसी, आपका आदेश शिरोधार्य है. मैं समझता हूं दोनों हाथ जोड़कर कि समय की बाध्यता हम समझ रहे हैं और सर्वाधिकार आपके पास है, आप अगर चाह लेंगे तो सबका मान सम्मान बना रहेगा.
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी आप अपनी बात प्रारंभ करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक अनुरोध कर रहा हूं कि माननीय अध्यक्ष महोदय, समय थोड़ा बढ़ा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपनी बात आगे बढ़ायें, तीन मिनिट के लक्ष्य को ध्यान में रखें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी ने यहां पर अनुपूरक बजट में राशि 2 हजार 357 करोड़ रूपये की जो मांग किया है, माननीय मंत्री जी बहुत जिम्मेदार हमारे वित्तमंत्री जी हैं, उपमुख्यमंत्री जी हैं, पर आपने मूल बजट में जो मांग किया है, मूल बजट में आपने कुल 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रूपये तीन महीने पहले मांग किये थे, उसमें आपके राजस्व का 2 लाख 90 हजार 879 करोड़ रूपये आय था. सरकारी ऋण इधर उधर से आपका 5 हजार 556 करोड़ रूपये मिला और राजकोषीय घाटा 78 हजार 902 करोड़ रूपये आपने मूल बजट में रखा था और आप 2 हजार 3सौ करोड़ रूपये मतलब 81 हजार करोड़ कर्जे की तरफ बढ़ रहे हैं और विकास के लिये आप क्या दे रहे हैं? जरा सुनिये मेट आंदोलन कर रहे हैं, उनको श्रम करने का अवसर आप नहीं दे पा रहे हैं, उनको मजूदरी नहीं दे पा रहे हैं, मजूदर पलायन कर रहे हैं, आप उनको काम नहीं दे पा रहे हैं, मजूदरों की आप मजदूरी भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. आउटसोर्स लगाकर के नौजवानों का आप खून चूसने का काम कर रहे हैं. नौजवान परेशान हैं, वे अपनी जरूरत की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. आप आउटसोर्स के माध्यम से उनका शोषण कर रहे हैं. वहीं पर आशा कार्यकर्ता दिन रात मेहनत कर रहे हैं, वह आपसे परिश्रम का पैसा मांग रहे हैं, वहीं पर रसोईया जो खाने बनाने का काम करती हैं, बहुत मेहनत करती हैं, सौ-सौ बच्चों के लिये दो रसोईया काम करती हैं, उनके लिये आप एक पैसा नहीं बढ़ा रहे हैं, चार हजार रूपये आप उनको महीने में देने का काम कर रहे हैं, 150 रूपये भी उनको दिन का नहीं पड़ता है. वहीं पर आपके संविदा कर्मचारी मांग कर रहे हैं, ये जितने मंत्रालय में अधिकारी हैं, अगर आउटसोर्स के कर्मचारी काम न करें और संविदा कर्मचारी काम न करें तो यह काम नहीं कर सकते हैं, यह हम बात कहना चाहते हैं, पर उनको आप एक रूपया देने का प्रावधान नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, वहीं पर विद्यालय जर्जर हैं. परसो के दिन सिंगार सती का मेरा मिडिल स्कूल भवन गिर गया, वह तो वहां पर राजस्थान जैसे दु:खद घटना नहीं हो पाई, उसके लिये आप एक रूपया, पैसा नहीं दे पा रहे हैं. आप स्वास्थ्य के लिये जिला स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर , उपस्वास्थ्य केंद्र स्तर पर आप भवन पीने का पानी उचित व्यवस्था नहीं दे पा रहे हैं, रोजगार के लिये हमारे लोग आज जा रहे हैं, आप नौजवानों के दर्द को नहीं समझ पा रहें हैं. आपकी पॉलिसी मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस समय नौजवानों के रोजगार के लिए आपने प्रक्रिया बनाई है. आप इंटरेस्ट्र सब्सिडी दे रहे हैं, कैपिटल सब्सिडी नहीं दे रहे हैं और बैंक में रोजगार के लिए जो जाते हैं, बैंक से उनको 10 प्रतिशत मार्जिन मनी की रिक्वायर होती है, जो वह नहीं दे पाते हैं. मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं, रानी दुर्गावती स्वरोजगार योजना. जब हमारी सरकार थी 30 प्रतिशत मार्जिन मनी विफोर बैंक में दिया जाता था, ये आपके रिकार्ड में है. यदि आप उसका अध्ययन करेंगे तो आपको समझ आ जाएगा. आज हर वर्ग परेशान है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं, आप स्पष्ट कीजिए आप 2 हजार की जगह 2 लाख करोड़ कर्जा लीजिए, पर आप विधायक और जनता से तो पूछ लीजिए. आपके शासन में हमने अन्याय देखा, पक्ष का विधायक हो, या विपक्ष का विधायक हो, विधायक तो विधायक होता है. 15 करोड़ रुपए सत्ता पक्ष वाले विधायकों को दे दिये. हम लोगों को विकास कार्य के लिए राशि नहीं दे रहे हैं. आप शपथ लेते हैं कि हम भेदभाव नहीं करेंगे, इससे बड़ा उदाहरण क्या है, सीधा भेदभाव कर रहे हो, विधायकों को पैसा नहीं दे रहे हो, आपसे बड़ा अन्याय करने वाला कौन हो सकता है(..मेजो की थपथपाहट) प्रत्यक्ष लोकतंत्र के पवित्र मंदिर पर.
अध्यक्ष जी, आपके संरक्षण में हम अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाना चाहते हैं. पर सरकार भेदभाव करके हमको रोकना चाहती है. कांग्रेस का विधायक है तो वह आपकी नजर में दुश्मन नजर आता है. आज मैं पूछना चाहता हूं. मैं बार बार कहता हूं, हम ग्रामीण क्षेत्र के विधायक हैं, ईस्ट-वेस्ट 150 किलोमीटर, नार्थ-साउथ 95 किलोमीटर. यदि हम क्षेत्र का दौरा करते हैं तो हम डीजल नहीं डलवा पाते, आज कितने दिन हो गए ऐसी स्थिति से ग्रामीण क्षेत्र के विधायकों को गुजरना पड़ रहा है. आप उदाहरण देखिए. आप हमें चीफ सेक्रेटरी से ऊपर प्रोटोकॉल दे रखे हैं, पर सिस्टम में आपने हमें कमजोर कर दिया है, मजबूर कर दिया है कि अधिकारी की कृपा नहीं होगी तो विधायकी करना बड़ा कठिन हो गया है. ये हाल हो गया है. अगर आपके संरक्षण में हम लोगों की बात नहीं सुनी गई, तो बहुत कठिन समस्या हो जाएगी और ये बात पक्ष विपक्ष की नहीं है, यह लोकतंत्र की खूबसूरती और हमारा जो अधिकार है उसके लिए अनुरोध करना चाहता हूं. आप हमारे वर्ग से आते हैं और मैं यह कहना चाहता हूं, आप मत भूलिए, अगर हमारा वर्ग नहीं होता तो आपको टिकट नहीं देते, हमारा वर्ग गरीबी से संघर्ष कर रहा है, इसलिए आपको और हमको टिकट दिया गया है, कोई इंदौर या भोपाल से टिकट नहीं देते हैं. हमारा समाज कहता है कि अनुसूचित जाति का हमारा वित्त मंत्री है, हमारा दर्द क्यों नहीं समझ रहा है. जनजाति का नौजवान, पिछड़ा वर्ग का नौजवान आज दर-दर भटक रहा है.
माननीय वित्त मंत्री जी, आप कम से कम आदिवासी और हमारे अनुसूचित जाति के जो विधायक हैं, 47 विधायक एसटी और 35 विधायक एससी के ऐसे 82 विधायकों के लिए आपको सोचना पड़ेगा. हमें आप संपन्न विधायकों की गणना में मत लीजिए. बहुत विधायक हैं, जो बिजनेस करते हैं. हम उन्हें धन्यवाद देते हैं, पर हम संघर्ष करते हैं, समाज की जिम्मेदारियां हमें हर तरह से निभानी पड़ेगी. अध्यक्ष जी, माननीय वित्त मंत्री जी जब वक्तव्य दें तो हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के विधायकों के लिए हमारी जो व्यवस्था है, उस पर आप एक समीक्षा करवा लो. आप किसी को भेज दो, कितनी जरुरत है, इन पर आपको सोचना पड़ेगा. हमारे गांव के नौजवान, बेरोजगार इसके लिए सोचना पड़ेगा और मैं तो यह कहना चाहता हूं कि इस समय सरकार का बहुत बड़ा इन्कम जनरेट हुआ है. भारतीय जनता पार्टी ने नेताओं में मेरे जिले डिण्डोरी में बयान दिया है कि ट्रांसफर में 4 करोड़ रूपया वसूली हुआ है. आपका एक नया स्रोत जनरेट हो गया है. मंत्री जी ट्रांसफरों में पैसे की वसूली हुई है. (व्यवधान)
श्री महेश परमार—यह कांग्रेस की सरकार नहीं है. (व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, ट्रांसफर उद्योग चलाकर के गलत तरीके अधिकारियों तथा कर्मचारियों से पैसे वसूल रहे हैं, इसको बंद किया जाये. आज शिक्षक परेशान हैं, आज पटवारी परेशान हैं, तृतीय वर्ग के कर्मचारी परेशान हैं, इस बात को आपको मानना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठिये डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम— अध्यक्ष महोदय,मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी आपको इसका संज्ञान लेना चाहिये. खुले आम भारतीय जनता पार्टी के नेता इस बात का बयान दे रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी में चार करोड़ रूपया, दस करोड़ रूपया, यह क्या है ? यह ट्रांसफर उद्योग बन गया है. यह भी आप इन्कम में जोड़िये. आप 2 हजार करोड़ से 1 हजार करोड़ जो ट्रांसफार में कमाये हो, यह पैसा आपको सरकार के खजाने में जमा करना चाहिये, यह मैं कहना चाहता हूं. सरकार के खजाने में कर्जा बढ़ाना बंद करो आपके सानिध्य में हमने बोला आपकी तरफ से भी निर्देश हो जायें कि विधायकों के लिये भी थोड़ी बहुत राशि बढ़ा दी जाये 15 करोड़ रूपये पक्ष में दिये हैं विपक्ष में कुछ राशि देनी होगी, नहीं तो बात नहीं बनेगी. हम लोग संघर्ष करेंगे, यह अत्याचार नहीं चलने देंगे बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री उमाशंकर शर्मा—कांग्रेस के सभी विधायक सरकार के कार्यों से खुश हैं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा)—अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्तमंत्री जी के द्वारा लाये गये अनुपूरक का समर्थन करता हूं, निश्चित रूप से इसकी सराहना भी करता हूं. लेकिन दुःख भी होता है कि काम इतना हो रहा है, वह दिखाई नहीं दे रहा है. कोई विभाग अथवा विभागीय कार्य योजना छोड़ी नहीं जा रही है, तो न जाने किस तरह की झुंझलाहट है. तर्कसंगत बात नहीं, अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप अगर मरकाम जी की बात से ही प्रारंभ करूं तो ज्यादा समय नहीं हुआ था बीच में अल्पकालीन सरकार आयी थी तब बड़े बड़े अखबारों में, टीवी पर, दूरदर्शन पर, समाचार छपे थे कि वरिष्ठ नेता के वरिष्ठ ओएसडी, वरिष्ठ पीए के यहां पर करोड़ो की सम्पत्ति पकड़ी गई, छापे पड़ गये. यह बहुत पुरानी बात नहीं है. हमारा देश को भ्रष्टाचार मुक्त, शोषण मुक्त समाज की कल्पना और देश को सशक्त करने के साथ साथ में यह प्रदेश कैसे सशक्त हो सके, हमारा क्षेत्र कैसे मजबूत हो सके, हमारे क्षेत्र में प्रत्येक वर्ग के लिये किस तरह से कार्य किये जा सकें, यह पहली बार होना प्रारंभ हुआ है. पहले जो किया जाता था मैं आरोप में नहीं जाना चाहता, लेकिन नीतियां बनती थीं, योजनाएं बनती थीं. तुष्टिकरण तुष्ट कर दिया जाता था कुछ लोगों को थोड़ा सा तुष्टिकरण कर दिया जाता था. एक बड़ा वर्ग छूट जाया करता था. अध्यक्ष महोदय, लगातार बात की जाती है महिला सशक्तिकरण की भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकार माननीय मोहन यादव, तथा माननीय जगदीश देवड़ा जी के नेतृत्व में हमारे कुशल अनुभवी मंत्रियों के नेतृत्व में हमारी सरकार काम कर रही है उसमें महिला सशक्तिकरण का कार्य पूरे देश भर में हुआ है. जो सबसे अधिक कार्य हुए हैं सिर्फ लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना 2 करोड़ से अधिक हमारी बिटियाएं और बहनें सशक्तिकरण की ओर बढ़ रही है. अगर हम स्व-सहायता समूह को अगर उसमें जोड़ लें तो लगभग इनकी संख्या ढाई से तीन करोड़ तक पहुंच जाती है. 8 करोड़ की आबादी वाला हमारा मध्यप्रदेश जिसमें तीन करोड़ से अधिक महिलाओं का सशक्तिकरण किया जा रहा है. तो वह केन्द्र शासन की और राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किया जा रहा है. आप कह रहे हैं कि औद्योगिक समिट हो रही है. अभी हमारे रतलाम जिले में भी औद्योगिक समिट हुई. निश्चित रूप से रतलाम जैसी जगह पर मैं स्वयं भी वहां पर था, वहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी आए थे. मध्यप्रदेश के साथ-साथ पूरे देश भर के उद्योगपति आए थे. मैं सिर्फ एक जिले की बात कर रहा हॅूं. वहां पर 6250 करोड़ रूपए के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. यह हमारे लिए प्रसन्नता की बात है. (मेजों की थपथपाहट) यह एक स्थान पर है. पूरे इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर में जो प्रस्ताव आए, वह हम सबकी जानकारी में है. लेकिन यह जो क्षेत्रीय औद्योगिक विकास के लिए कार्य किए जा रहे हैं क्या उससे युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा ? क्या युवा उससे रोजगार प्राप्त नहीं करेंगे ? निश्चित रूप से उससे उनको रोजगार प्राप्त होगा. नये औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जा रहे हैं. नये औद्योगिक क्षेत्र कैसे विकसित किये जायें, कैसे उनको और अधिक राहत दी जाये, तत्काल त्वरित उन्हें मदद देकर के किस तरह से उद्योग-धंधे प्रारम्भ किये जायें, यह लगातार किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, इसी के साथ-साथ हमारे यहां पर एमएसएमई के द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल स्टॉर्टअप और विमानन नीति को स्वीकृति मिली है. उसमें लगभग 53 हजार करोड़ रूपए के निवेश का लक्ष्य रखा गया है. यह कोई कम नहीं है. अभी माननीय मुख्यमंत्री जी निवेश के लिए औद्योगिक प्रस्तावों को लेकर के दुबई और स्पेन गये थे. लगभग 11 हजार 119 करोड़ रूपए के वहां से निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हो गए हैं. यह हमारे पूरे मध्यप्रदेश को औद्योगिक नीति की ओर बढ़ाने वाला काम है. अभी यहां पर विषय आया था. कल से चर्चा चल रही है. अभी वापस वह विषय जारी रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पर भू-जल स्तर कम हो रहा है. निश्चित रूप से वह चिंता का विषय है. पहले चिंता क्यों नहीं की गई ? पहले "नदी जोड़ो योजना" की बात क्यों नहीं की गई ? चाहे वह केन-बेतवा नदी परियोजना हो या पार्वती-चंबल नदी परियोजना हो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, जल ग्रहण मिशन चल ही रहा था. आपको राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन पता नहीं है. आपके क्षेत्र में स्वीकृत करा लें. राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन पहले से ही चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, कृपया आप बैठिए. माननीय राजेन्द्र जी आप अपनी बात कहिए. राजेन्द्र जी, आप अपनी बात कन्टीन्यू करिए.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- आपकी तो बात पूरी हो गई. माननीय मरकाम जी, मैं निवेदन पूर्वक कहना चाहता हॅूं कि यदि 18 वर्ष या 20 वर्ष की बात की जाती है, तो विगत 20 वर्षों में, 25 वर्षों में आप भी तो लगातार रहे. आपकी सरकारें भी तो लगातार रहीं. उन सरकारों ने अगर लगातार काम किया होता, निरंतर काम किया होता, तो इस तरह की कमियां नहीं होतीं, जो इन 20 वर्षों में पूरी की गई है और इस 1 वर्ष में लगातार उन सारी बातों को आगे बढ़ाने का काम किया गया है. हम 1 लाख हेक्टेयर एक-एक क्षेत्र में, 6 लाख हेक्टेयर एक क्षेत्र में, पूरे 100 लाख हेक्टेयर में हमारा मध्यप्रदेश सिंचित हो जाए, उस लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. इससे निश्चित रूप से किसानों में समृद्धि आने वाली है. (मेजों की थपथपाहट) इससे निश्चित रूप से हमारा मध्यप्रदेश खुशहाल होने वाला है. यह लगातार जो काम किए गए हैं और इसी के साथ-साथ में चाहे अन्य विभागीय कार्य हों. जैसे हमारे गृह विभाग के लिए माननीय वित्त मंत्री जी ने 62 करोड़ रूपए का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया है और इसी के साथ-साथ राजस्व विभाग के लिए 20 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है. वन विभाग के लिए 63 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है. लोक निर्माण विभाग के लिए 50 करोड़ रूपए का अतिरिक्त प्रावधान किया है. जिला मुख्य मार्गों के लिए 40 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है.
अध्यक्ष महोदय, इसी के साथ-साथ में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा का एकीकरण करते हुए, यह हम सभी जानते हैं कि विगत वर्षों में स्वास्थ्य की क्या स्थिति थी. मेरा स्वयं का ग्रामीण क्षेत्र है. लगभग 200 गांव लगते हैं. आज वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बन रहा है. आज वहां पर उप-स्वास्थ्य केन्द्र बन रहा है. आज वहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बन रहा है. माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री राजेन्द्र शुक्ल जी ने मेरे एक ब्लॉक में सिविल अस्पताल की मंजूरी दी, मैं उनका धन्यवाद करना चाहूंगा. निश्चित रूप से मैं उनका अभिनन्दन करना चाहूंगा. हमारे ब्लॉक के मुख्यालय पर सिविल अस्पताल के लिए आपने साढे़ ग्यारह करोड़ रूपए की मंजूरी दी. एक भव्य बिल्डिंग बनकर के वहां पर तैयार होने वाली है. एक और सिविल अस्पताल जो पुराना था, उसे 100 से 150 करने का काम भी आपने किया है वह निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है. मैं यह कहना चाहता हॅूं कि आज ग्रामीण क्षेत्र में जहां पर स्वास्थ्य सेवायें नहीं थीं, वहां पर स्वास्थ्य सेवायें मिलने लगी हैं. जननी एक्सप्रेस वहां पर जा रही है. इसी के साथ-साथ जो पीएमश्री एयर बस योजना प्रारंभ की गई है. आप कल्पना कीजिए कि जो तत्काल कहीं इलाज के लिए दूर जाना चाहता है, जो जाने में मजबूर है, कठिनाई में है, उसे ले जाने के लिए तत्काल व्यवस्था की जाती है, उसमें जो भी खर्च आता है, वह खर्च शासन के द्वारा दिया जाता है. अभी भोपाल जो हमारे मध्यप्रदेश की राजधानी है और भोपाल में एक अच्छे कुशल चिकित्सक विशेषज्ञ के लिए तत्काल इलाज की आवश्यकता हुई, उन्हें मद्रास जाना था. तत्काल पीएमश्री योजना के माध्यम से उन्हें वहां पर ले जाया गया, उनकी जांच बच गई. हजारों लोगों की जान बचाने वाला एक चिकित्सक, विशेषज्ञ था, उसकी जान बचाने का काम किया है. ऐसी पीएमश्री एयर बस योजना प्रारंभ की गई है. ऐसे अनेक कार्य किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेडिकल कॉलेज, हमारे यहां मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेज पहले वर्ष 2004 तक कुल 5 थे. आज उनकी संख्या बढ़कर 30 हो गई है और 30 होने के साथ-साथ में 14 मेडिकल कॉलेज पीपीपी मोड पर बनने हैं, फिर से 8 और निर्माणाधीन हैं. 3 मेडिकल कॉलेज का कार्य भी प्रारंभ हो गया है. हमारा रतलाम जिला, मंदसौर जिला और नीमच जिला, लगातार एक-एक जिले में एक-एक मेडिकल कॉलेज होने से चिकित्सा की सुविधा प्राप्त हुई. कोराना काल में हम आप सभी ने देखा है, उस कोरोना काल में क्या स्थिति हुई थी, कैसी विभीषिका आई थी, अगर मेडिकल कॉलेज की वह सुविधाएं प्राप्त नहीं होती तो हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती. किसी को जान, प्राणदायी जीवन देने का काम अगर किया है तो वह मेडिकल कॉलेजों के माध्यम से हमें निश्चित रूप से प्राप्त हुआ है. ऐसे अनेक कार्य करने के साथ-साथ अभी उज्जैन में मेडीसिटी प्रारंभ होने वाली है. अभी 5 स्थानों पर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना बनी है और इसी के साथ-साथ लगातार सरकार के काम करने के कारण में हमारी स्वास्थ्य सेवाएं भी निश्चित रूप से ज्यादा मजबूत और सुदृढ़ हुई है. हम सब जानते हैं कि हमें आज वृक्षारोपण की आवश्यकता है. पर्यावरण सुधार की आवश्यकता है. जल संरक्षण के लिए आवश्यकता है तो एक बगिया मां के नाम, इस योजना को प्रारंभ किया है. मैं माननीय श्री प्रहलाद पटेल जी का निश्चित रूप से धन्यवाद देना चाहूंगा, स्वागत करना चाहूंगा कि लगभग 900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वे जो हमारी महिलाएं हैं, उनके माध्यम से निजी भूमि पर वहां पर एक अच्छा फलोद्यान लगाएं और फलोद्यान लगाकर स्वयं रोजगार भी प्राप्त करें, उन्हें प्रतिवर्ष राशि लगातार दी जाएगी, उससे न केवल हमारे फलदार वृक्ष लगेंगे, निश्चित रूप से इससे अच्छे बगीचे बनेंगे और इसी के साथ-साथ में रोजगार भी प्राप्त होगा.
अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा किसानों का लगातार संरक्षण किया जाता रहा है. मूंग और उड़द के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी निश्चित रूप से की गई है तो इसी के साथ-साथ गेहूं का समर्थन मूल्य भी बढ़ा करके रुपये 2700 करने का काम किया गया है.
ऐसे अनेक कार्य माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा, माननीय वित्त मंत्री जी के द्वारा किये गये हैं. लोक स्वास्थ्य के लिए 988 करोड़ रुपये का प्रावधान माननीय वित्त मंत्री जी ने किया है. नगरीय विकास, ग्रामीण विकास के साथ में निश्चित रूप से होना चाहिए और उसमें नगरीय विकास को भी दृष्टिगत रखते हुए इसमें लगभग 9.51 करोड़ रुपये का एक कंपोनेंट योजना के लिए अनुपूरक अनुमान किया है तो इसी के साथ-साथ वृहद निर्माण कार्यों के लिए भी 142 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. अन्य अनुदान मूलक कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जल संसाधन विभाग बहुत अच्छा काम कर रहा है, तुलसी भैया. हमारे इधर भी बहुत अच्छे डेम आपने बनवाए. बड़े-बड़े डेम बन रहे हैं. बड़ी-बड़ी योजनाएं बन रही हैं. मेरे यहां पर दो ब्लाक हैं जो डार्क जोन एरिया घोषित हो गये थे, वहां का भू-जल स्तर कोई भी जाकर देख सकता है. लगभग 1200 से 1400 फीट पानी नीचे चला गया था. हकीकत में आप जाकर देख सकते हैं. मैं श्री भंवरसिंह शेखावत जी आपको लेकर चलूंगा. हंसने की बात नहीं है. ईमानदारी से कह रहा हूं. मैं कोई औपचारिक भाषण नहीं दे रहा हूं.
श्री महेश परमार - बारिश से जल स्तर ऊपर आया है. आप यह बारिश का बता रहे हैं.
श्री भवंरसिंह शेखावत - जल स्तर तो बढ़ गया, धार का कारम डेम फूट गया है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - श्री भंवरसिंह, काका जी सब जानते हैं लेकिन उनकी मजबूरी है. उन्होंने भी देखा है कि मध्यप्रदेश की जलग्रहण की क्षमता पहले से बढ़ी है, लेकिन उनको बोलना पड़ रहा है. लगातार डेम बनने के कारण हमारा भू-जल स्तर में सुधार हुआ है. मैं माननीय मुख्य मंत्री जी के साथ-साथ मैं माननीय तुलसी भैया को भी निश्चित रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने हमें जो डेम और तालाब की स्वीकृतियां दी हैं. हमारे यहां का भी जल स्तर बढ़ा है और लगातार जल स्तर बढ़ाने का जो काम किया है वह हमारी अपनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है और जल संसाधन के लिये भी राशि का प्रावधान किया गया है. पंचकुला डेयरी के लिये किया गया है. अनेक विभागों को इस प्रकार से अनुपूरक बजट में सम्मिलित किया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष( श्री उमंग सिंघार)- अध्यक्ष महोदय, जल क्षमता के हिसाब से डेम के अंदर मिट्टी का खेल है. मंत्री जी आपने मिट्टी का खेल किया है.
अध्यक्ष महोदय- श्री भंवर सिंह जी शेखावत. वैसे आपका स्टेटस नहीं है, छोटे बजट पर बोलने लायक. ( हंसी)
श्री भंवर सिंह शेखावत (बदनावर )- माननीय अध्यक्ष जी, मैं तो एक छोटे से निवेदन के साथ अपनी बात प्रारंभ करूंगा कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय रहता है, बजट और उसका जो सप्लीमेंट्री. मध्यप्रदेश की जनता की घोर पसीने की कमाई का टैक्सेशन का जो पैसा है उसके अंदर से खर्च करने वाली बात पर बहस होती है.
अध्यक्ष महोदय, आपने चर्चा के लिये दो घण्टे का समय रखा है, बड़ी अच्छी बात है लेकिन उसमें से तो एक घण्टा उन लोगों को दे दिया जिनको सिर्फ पक्ष में ही बोलना है, तारीफ ही तारीफ करना है दिन भर के अंदर जितने लोग बोलेंगे, उतने में तो एक अमूल बटर की डेयरी का पूरा बटर खत्म हो जायेगा, लगाये जा रहे हैं, लगाये जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- ऐसा नहीं है, पहले वक्ता घनघोरिया जी थे. उसके बाद अर्चना जी थीं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- अध्यक्ष जी, मुझे लगता है कि अनुपूरक बजट में तो यह बातें नहीं हैं. ज्यादा समय आपने खराब किया है, पड़ोसी ने भी ज्यादा किया है. श्री भंवर सिंह शेखावत-समय खराब करने की बात नहीं है. समय कम से कम जो मिल रहा है, जो सही वास्तविकता आना है वह आ रही है. आज सुबह से जो चर्चा चल रही है. आदरणीय देवड़ा जी तो बड़े सभ्य आदमी है, भले इंसान हैं, उप मुख्यमंत्री हैं. बजट भी इन्होंने पेश किया है और अब सप्लीमेंट्री लेकर आये हैं. क्या जनता को यह पूछने का अधिकार नहीं है कि आप प्रदेश की जनता की गाढ़ी पसीने की कमाई का आप क्या उपयोग कर रहे हैं. यह जो पैसे आप मांग रहे हैं, इसके पहले जो पैसे आपने बजट में मांगे थे आपने उसको कहां खर्चा किया. यह जनता का अधिकार है. मध्य प्रदेश की जनता को यह पता होना चाहिये कि उनके गाड़े पसीने का जो आप टैक्स ले रहे हैं, उसका खर्चा कैसे कर रहे हैं. यही तो हम आपसे कह रहे हैं. आप फिर सप्लीमेंट्री बजट ले आये कि दो लाख करोड़ रूपये चाहिये. आप मुझे बताइये कि 2 हजार करोड़ रूपये , सब कुछ जनता से ले लो जनता से. लेकिन आपको जनता को जवाबदारी देना पड़ेगी.
मैं आपसे पूछना चाहता हूं, अभी राजेन्द्र भैया बता रहे थे कि 5 मेडिकल कॉलेज थे, अब 45 मेडिकल कॉलेज प्रस्तावित कर दिेये हैं. भवन बन रहे हैं, आपकी सारी बिल्डिंगें तो बन रही है, पर स्टॉफ कहां है, डॉक्टर है नहीं, मशीन चलाने के लिये आपरेटर नहीं हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय- दादा आप अनुभवी हो. सुबह तो बोला है राजेन्द्र जी ने. फिर बात की पुनरावृत्ति हो जायेगी. अभी सुबह तो बताया, आप सुबह की बात को शाम को भूल रहे हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत- आप यह जो पैसा मांग रहे हैं तो हम यह चाहते हैं इस पैसे को आप कहां खर्च कर रहे हैं यह तो बतायें. न तो आपके पास में स्टॉफ है, आपने अस्पतालों के अंदर बिल्डिंगें बना दी. आपने बड़ी-बड़ी मशीनें खरीद ली. सब तो लेकिन उसके बाद क्या है ? शिक्षा की बात में भी वही बात आयी, बिल्डिंगें गिर रही हैं, मरम्मत के पैसे नहीं हैं, शौचालय बनाने के लिये पैसा नहीं है. आप जरा आदिवासी क्षेत्रों में जरा घुमकर देखिये तो सही. आप अपने-अपने गिरेंबान में झांककर देखिये कि अपने-अपने आंगनवाड़ी का क्या हाल है, स्कूलों का क्या हाल है. कितना पैसा मिड डे मील के लिये मिल रहा है. शिक्षकों का क्या हाल हैं, पांच हजार भवन आज भी ऐसे हैं, जहां पर आप बिजली तक नहीं पहुंचा पाये हैं, प्रहलाद जी, पांच हजार स्कूल, वहां पर बिजली नहीं है, कनेक्शन नहीं हैं, बच्चों के लिये शौचालय नहीं हैं, अब आपको क्या बताया जाये. आप लोगों ने तो कह दिया , तमाशा बना दिया है इस विधान सभा को. तारीफ की तारीफ, कितनी तारीफ, आप लोग वास्तविकता कैसे बोलोगे. शिक्षा का भी वही हाल बताया गया है. वह विभाग पर भी चर्चा आ ही गयी है. पांच करोड़ पौधे लगे थे, 25 लाख नहीं मिल रहे हैं, 2 प्रतिशत पौधे नहीं बच रहे हैं. बहाना क्या है पेड़ खा गये, झाड़ खा गये, अरे कौन खा गया, जानवर खा गये तो फिर आपने पौधे क्यों लगाये थे और आपने तो खुद अपने बयान में कहा है कि ढाई करोड़ पौधे तो इसलिये खत्म हो गये कि पानी देने की व्यवस्था नहीं थी. जब आपके पास में झाड़ों को पानी देने की व्यवस्था नहीं है तो आप ढाई करोड़ पौधों को लगाने का काम क्यों कर रहे हो. यह भ्रष्टाचार के अंदर जो सारा सिस्टम लील गया है, हम तो उस पर कहना चाहते हैं. हम आपकी कोई आलोचना नहीं कर रहे हैं. हम तो यह कह रहे हैं कि कांग्रेस और बीजेपी का झगड़ा नहीं है. झगड़ा एक पैरेलल सिस्टम चल रहा है, जो सारी की सारी योजनाओं को पलीता लगा रहा है. इन सारी योजनाओं का सत्यानाश करने का जो सिस्टम लग गया है, उस सिस्टम पर तो कंट्रोल करिये. भ्रष्टाचार कैसे बढ़ रहा है. आयुष्मान योजना की बड़ी वाह-वाही लेते हो. आयुष्मान योजना बहुत अच्छी है, बड़ा गरीबों को लाभ मिल रहा है. कितना मिल रहा है. पता है आपको. 200 करोड़ की वसूली तो उन अस्पतालों ने कर ली है, जिनके आयुष्मान कार्ड थे. लेकिन उनको सुविधा नहीं दी गई. उनसे पैसे जमा करा लिये गये. सरकार से भी पैसे ले लिये अस्पतालों ने और जो बेचारे लोगों ने पैसे जमा किये थे, आज तक वे भटक रहे हैं. इन्दौर के अन्दर 130 केस हैं मेरे पास. जिनसे पैसे तो ले लिये कि हमको सरकार पैसे देगी, तो हम वापस कर देंगे. कोई देखने वाला है. है कोई माई का लाल. बातें करते हैं आप बड़े बड़े मंत्री और गाड़ी घोड़े लेकर घूम रहे हैं जनता के पैसे से. जनता भटक रही है, रो रही है. हम इसलिये बात कर रहे हैं इस दृष्टि से. योजनाएं बनाते हैं साहब. योजना बहुत अच्छी बनाई आपने. योजना तो बहुत अच्छी है, नल जल योजना की बात चल रही थी अभी. योजना कौन खराब बता रहा है. प्रधानमंत्री जी तो चाहते हैं कि एक एक घर पर जाकर पानी पहुंच जाये. पहुंच रहा है क्या. क्या वहां स्थिति बनी है. 10 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार हो गया, कोई देखने वाला है क्या. यह पैसा जनता के पसीने की कमाई का, टैक्स का है. टैक्स से वसूला गया पैसा है. (श्री कैलाश विजयवर्गीय के सदन में उपस्थित होने पर) कैलाश जी जरा आ जाओ अब आप भी. आपका भी नम्बर है. ..(हंसी).. मैं आने वाला था, आपका विषय लेने के लिये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- जोड़ी बहुत पुरानी है, मैं यह कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय—तुलसी जी, लम्बा मत करो.
श्री भंवर सिंह शेखावत—तुलसी भैया. आप तो पानी का, जल स्तर बढ़ा ही रहे हो. राजेन्द्र भैया के यहां तो तो बढ़ ही गया है. मेरे धार जिले के अन्दर एक कारम डेम था,कारम डेम फूट गया. पूरा डेम फूट गया. जमीनें डूब गयीं, किसान बर्बाद हो गये. तुलसी भैया आप ही ने बनवाया था वह.
श्री तुलसीराम सिलावट—मेरी इस पर आपत्ति है.
श्री भंवर सिंह शेखावत – क्या आपत्ति है, बताओ.
श्री तुलसीराम सिलावट— वहां जाकर देखो, काम शुरु हो गया है. एक भी जन हानि नहीं हुई थी. चुनौती के साथ बोल रहा हूं सदन में.
श्री भंवर सिंह शेखावत – जनहानि का नहीं भाई. किसानों को नुकसान हुआ. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय—भंवर सिंह जी, आप अपनी बात पूरी करें.
श्री भंवर सिंह शेखावत – मैं वही कह रहा हूं, लेकिन देखिये न कैसी बातें करते हैं कि एक भी जन हानि नहीं हुई. बांध फूट गया. अब इंडस्ट्री पर आ जाते हैं. हमारी बहन अर्चना जी बड़ी कह रही थीं इंडस्ट्री और राजेन्द्र जी भी कह रहे थे. कान्क्लेव हो रहे हैं.जरा मेहरबानी करके मध्यप्रदेश की जनता को यह तो बता दीजिये कि जितने कान्क्लेव अभी तक हुए हैं, जितने मध्यप्रदेश में इन्दौर, रतलाम, रीवा में हुए, जहां जहां भी हुए. जरा इस प्रदेश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि कितना रुपया उन कान्क्लेव को करने में आपने खर्चा किया है., यह बता दीजिये. वित्त मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी विदेश जा रहे हैं. विदेश से निवेश ला रहे हैं. 261 आपने उद्योगों का कहा. आप मुझे यह बता दें पिछले 5-10 साल, जो भी आंकड़ा आप लेना चाहें. कितने उद्योग खुले, कितना इन्वेस्टमेंट आया. जितना करोड़ रुपया आपने ये कान्क्लेव करने में खर्च किया है, उसका एक परसेंट भी, प्रस्ताव जरुर आये होंगे, एमओयू हो गये होंगे, वास्तविकता क्या है. कितने लोगों को रोजगार मिला मध्यप्रदेश के अन्दर.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं एक सेक्टर की बात करता हूं. इन्दौर में आईटी सेक्टर की. इंफोसिस वहां आया, टीसीएस आई और लगभग सौ आईटी कम्पनियां आई हैं, जिसमें 2 लाख लोग काम कर रहे हैं. सिर्फ एक सेक्टर. जब मैं आईटी मिनिस्टर था, जब यह एमओयू साइन हुआ था. सिर्फ मैं एक सेक्टर बता रहा हूं. ऐसे बहुत सारे सेक्टर हैं, आपको गिना सकता हूं. क्योंकि यह प्रश्नकाल नहीं है. तो मैं आपको बता रहा हूं कि आप वही बोलिये, जो बोलने लायक हो. अब हम आ गये हैं. ..(हंसी)..
श्री भंवर सिंह शेखावत -- मैं बोलने लायक ही बोल रहा हूं. इन्दौर में भी हुआ है. यह कान्क्लेव के अन्दर हम इतना अनावश्यक खर्चा कर रहे हैं. इन्वेस्टमेंट आयेगा, इन्वेस्टमेंट आ नहीं रहे हैं. उद्योगति आ नहीं रहे हैं. इसका कारण क्या है. कारण यही है कि हमारी जो व्यवस्थाएं हैं, जिनको हम लोग चाहते हैं, जिससे कि वह उद्योग लगायेंगे. वह व्यवस्थाएं खराब हैं. हम वन विंडो की बात करते हैं. वन विंडो के अंदर आदमी फंस तो जाता है, लेकिन उसके बाद की जो खुलने वाली विंडो है, वह कितनी हैं. कितना भ्रष्टाचार है इसके अंदर. उद्योगपति इसलिये भागता है. आप उसकी व्यवस्था तो कर नहीं रहे है. हम कान्क्लेव कर रहे हैं. कान्क्लेव में जनता का पैसा खर्च कर लीजिये. एमओयू हो जायेंगे, कागजों के अंदर एमओयू पड़े हैं. वास्तविकता में कुल जीरो. कहीं कुछ नहीं हो रहा है. आप यह तो बताइये जनता को, जवाब तो दीजिये कि कितने रोजगार पिछले 10 साल में मिल गये. अभी कैलाश जी आईटी की बात कर रहे थे. अब इन्दौर के अंदर तो आईटी हब बन गया था. बड़ी बड़ी कंपनियां भी आई, उन्होंने बड़ी बड़ी बिल्डिंगें भी बना ली लेकिन जितने लोगों को रोजगार देने का प्रावधान माननीय कैलाश जी था उसका 10 प्रतिशत भी लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- गारंटी के साथ में बोल रहा हूं कि हमारी सरकार के आने के बाद में 2 लाख नोजवान इंदौर में आईटी के क्षेत्र में नये काम कर रहे हैं और यह बात मैं जवाबदारी के साथ में बोल रहा हूं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- आदरणीय शेखावत जी आप तो इंदौर में ही रहते हैं आपको तो पता ही है, इन्फोसेस फुल-फ्लेश चल रही है और खूब लोगों को रोजगार मिला है.
श्री भंवर सिंह शेखावत- हां, पता है न भाई, अरे यार फोकट मख्खन मत लगाओ. रोजगार जितना कहा था उतना मिला हो तो बताओ.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आप जैसे पहले विपक्ष में अपन थे तब भाषण देते थे वैसे ही आज भी दे रहे हैं.
श्री बाला बच्चन- अध्यक्ष महोदय, आज ही मेरे प्रश्न के उत्तर में आया है. अनुमति हो तो बताऊं. वास्तविक आंकड़े सुनना चाहते हैं तो मैं बताना चाहता हूं.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- (श्री बाला बच्चन जी से) आपका टाइम जब आये तब बता देना. (हंसी)
श्री बाला बच्चन -- माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को मैं बताना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- बाला बच्चन जी कृपया बैठिये.
श्री भंवर सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, चलिये यह तो आंकड़े की बात हो गई. बेरोजगारी का आंकड़ा किस प्रकार से इस देश में बढ़ रहा है, प्रदेश में बढ़ रहा है इसके ऊपर हंसी उड़ाने की बात नहीं है, नो-जवान भटक रहा है, पढ़ा लिखा इंजीनियर डिग्री लेकर के घूम रहा है. आदरणीय देवड़ा जी उनको रोजगार नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय- भंवर सिंह जी क्या है कि ट्रेड यूनियन के लीडर रहे हैं तो कभी कभी वह ट्रेड यूनियन लीडरशिप जागृत हो जाती है. इसलिये किसी को बुरा मानने की जरूरत नहीं है.
श्री भंवर सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, अब एक विषय पर इंदौर में आता हूं. डबल इंजन की सरकार, बड़ा कहा जाता है डबल इंजन की सरकार है, ट्रिपल इंजन की सरकार है, सारे इंजन आपके पास में हैं, ऊपर से नीचे तक के सारे इंजन आपके पास और भ्रष्टाचार कितना बढ़ा, विकास कहां हो रहा है. अध्यक्ष महोदय माननीय कैलाश जी को बताना चाहता हूं कि इंदौर के अंदर ट्रिपल इंजन की सरकार है. दिल्ली में आपकी सरकार, प्रदेश में आपकी सरकार, इंदौर नगर में आपकी सरकार है, नगर निगम इंदौर जिसके कैलाश जी आप मंत्री हो उसी नगर निगम में 700 करोड़ का पेमेंट तो ऐसे ही हो गया जिसके अंदर काम हुये ही नहीं, बोगस पेमेंट हो गया, उसका कैस बना मुकदमे चले और अधिकारी गिरफ्तार हुये. लेकिन अधिकारियों के गिरफ्तार होने से क्या हो गया, क्या प्रदेश की जनता का टैक्स का पैसा क्या वापस आ गया.
अध्यक्ष महोदय- भंवर सिंह जी आप इंदौर से बाहर आयें.
श्री भंवर सिंह शेखावत- (हंसी) अध्यक्ष महोदय, अब हम इंदौर से बाहर कैसे आयें. इंदौर में अभी भी स्मार्ट सिटी के नाम से लाखों करोड़ रूपये का गबन हो गया, भोपाल के अंदर भी यही हुआ. सबनानी जी कहां हैं, बैठें है क्या यहां पर. अध्यक्ष महोदय, उनके नेतृत्व में हम प्राक्कलन समिति को लेकर के भोपाल का स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट देखने को गये, माननीय मुख्य सचिव महोदय, ने उस स्मार्ट सिटी पर क्या कमेंट किया है वह सबको मालूम है. स्मार्ट सिटी के नाम से कितना गबन हुआ है, कितना जनता का पैसा बर्बाद हुआ है इसकी कल्पना किसी को है. कोई बोल सकता है. इंदौर के अंदर स्मार्ट सिटी में क्या हुआ है, माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी बतायें कि इंदौर में स्मार्ट सिटी का क्या हाल है. एक एक सड़क की पेवर ब्लाक को 10-10 बार बदला गया, 10-10 बार. इतना भयंकर भ्रष्टाचार. मैं वही कह रहा हूं कि कांग्रेस-बीजेपी मत करो, आप भी जबरन मख्खन लगाने का काम इसलिये करते हो कि आपकी मजबूरी है, आपको बोलना है सरकार की तारीफ करना है, लेकिन हम यहां पर तारीफ करने के लिये थोड़े ही बैठे हैं. यह सदन तो बना है कि जनता के टैक्स का पैसा सही लग रहा है कि नहीं लग रहा है उस पर बहस होना चाहिये और इसके लिये अगर समय नहीं मिलेगा तो फिर वह बहस होगी कहां से. सत्ता पक्ष के बारे में तो मैं भी जानता हूं मैं भी इस पार्टी में रहा हूं, सरकार में भी रहे हैं, हमको चापलूसी करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. हमको तो करना ही पडेगा, मख्खन लगाना पडेगा.
श्री उमाकांत शर्मा- महाराज आप तो यहां वापस आ जाओ.
श्री भंवर सिंह शेखावत- पंडित जी (हंसी)
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री भंवर सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि आदरणीय देवड़ा जी जो जनता के पैसे का जो दुरूपयोग हो रहा है और आप बार बार सप्लीमेन्टरी लाते हैं, पैसा तो आप ले लेंगे बजट भी पास हो जायेगा लेकिन उसके बाद में जो पिछला बजट था उसका उपयोग क्या हो रहा है. शिक्षकों का क्या हाल है, संविदा शिक्षकों का क्या हाल है, उनको 6 माह से तनख्वाह नहीं मिल रही है. 3 माह से तो मेरे यहां संविदा शिक्षकों की तनख्वाह नहीं मिल रही है. अभी मरकाम जी बता रहे थे छोटी छोटी योजनाओं के लिये पैसा नहीं है, पहले सरपंच पांच हजार रूपये किसी मृतक के यहां संबल योजना के अंतर्गत यह पैसे देने जाता था. पिछले दो साल से संबल योजना का पूरा पैसा नहीं मिल पा रहा है, अरे कोई योजना तो आप मुझे बताईये जिसका 10 या 20 प्रतिशत पैसा आप यहां से भेजते हैं. कुल मिलाकर के मेरा निवेदन यह है कि आपकी आर्थिक स्थिति जर्जर हो गई है. प्रदेश की आर्थिक स्थिति जर्जर हो गई है और हम कर्जा लिये जा रहे हैं. लाड़ली बहना को तो आप दीजिये, क्योंकि लाड़ली बहना आपकी लाड़ली तो है ही हमारी भी लाड़ली है. लेकिन हो क्या रहा है. लाड़ली योजना में जो पैसा आप दे रहे हैं उस पर तीन कलेक्टरो की जो रिपोर्ट अभी आई है जिसमें महिलाओं ने जाकर के कलेक्टर से कहा कि कलेक्टर साहब आप पैसा तो हमको देते हो लाड़ली बहना का लेकिन हमारे छोरे और हमारे पति शराब के लिये पैसा छीन लेते हैं, हमसे पैसा छीनकर के शराब पी लेते हैं.सुधार कहां हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- शेखावत जी कृपया समाप्त करिये.
श्री भंवर सिंह शेखावत- चलिये मैं समाप्त करता हूं आपके आदेश से लेकिन इन सब बातों का जवाब कैलाश जी देना पडेगा आपको यह जो इंदौर में यह जो इन्दौर में आपकी नाक के नीचे भ्रष्टाचार हो रहा है पूरे अधिकारी अनियंत्रित हो रहे हैं, अधिकारियों की स्वतंत्रता आप लोगों ने इतनी बढ़ा दी है कि अधिकारियों के सामने विधायकों को गिड़गिड़ाना पड़ता है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा -- अपना इन्दौर स्वच्छता में नंबर वन आ रहा है इसके लिए बधाई भी दे दीजिए.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, आप इनके मान-सम्मान को बढ़ाइए और विधायकों के संबंध में अंतिम बात करके मैं आपनी बात समाप्त करूंगा. कैलाश जी, विधायकों को आप जो तनख्वाह देते हैं उसके अंदर ग्रामीण क्षेत्र के विधायक का तो डीज़ल का खर्ज भी नहीं निकलता है. उसका डबल खर्चा है. जरा अंदाज करिए, सब विधायक अपने-अपने क्षेत्र में घूमते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, विधायकों का वेतन बंद होना चाहिए.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, आप विधायकों के बारे में भी सोचिये. मेरा आपसे निवेदन है कि आप यह जो पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं उसका सदुपयोग करिये. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर डोडियार (सैलाना) -- अध्यक्ष महोदय, सरकार के पक्ष में बहुत सारी बातें हो रही थीं. मैं आपके माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि मैं रतलाम जिले के आदिवासी इलाके से आता हूं. अभी आंगनवाड़ी की बात हो रही थी, मैं आपको बताना चाहता हूं कि मेरे रतलाम जिले के अंदर तकरीबन ढाई सौ से ज्यादा आंगनवाडि़यों में भवन ही नहीं हैं. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि आंगनवाड़ी भवन या तो झोपड़ी में चल रहे हैं या फिर किसी पेड़ के नीचे चल रहे हैं. अब बारिश का समय चल रहा है और कितनी ज्यादा बारिश हो रही है, तो बच्चे कैसे सुरक्षित होंगे इसके ऊपर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. सरकारी स्कूल कैसे होते हैं खासकर उस रिमोट इलाके में, आदिवासी इलाके में आपको पता होगा. स्कूल भवन पूरी तरीके से जर्जर हो चुके हैं और जब ऊपर से पानी टपक रहा है, छतें गिर रही हैं और खासकर हमारे आदिवासी इलाके में भृत्य नहीं होते हैं, तो स्कूल का रखरखाव कौन करता होगा, वहां की साफ-सफाई कौन करता होगा. मेरा आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध है कि जो खराब स्कूल जर्जर हो चुके हैं, कई वर्षों पुराने, जिनकी छतें गिर रही हैं, पानी टपक रहा है, स्कूल भवन में पानी भर जाता है, उसको तोड़कर, उसको गिराकर नये भवन स्वीकृत किए जाएं, खासकर मेरे रतलाम जिले के सैलाना-बाजना इलाके में और आदिवासी इलाका ग्रामीण इलाका होता है, मकान अलग-अलग लोगों के खेतों पर होते हैं, एक तो आदिवासी इलाके में लोगों के बीच कनेक्टिविटी भी नहीं होती है, सड़कें ठीक नहीं बनी होती हैं.
4.13 बजे { सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए }
सभापति महोदय, आदिवासी अंचल में अलग-अलग घरों से, अलग-अलग मोहल्लों से निकलकर, अलग-अलग बसाहटों से निकलकर स्कूल जाना बहुत कठिन होता है, खासकर ऐसे समय में जब अभी बारिश हो रही है. मेरा आपके माध्यम से सरकार से आग्रह है कि आदिवासी इलाके में जो पहले से छात्रावास बने हुए हैं, जो आश्रम छोटे बच्चों के लिए पहले से बने हुए हैं उनकी क्षमता बढ़ाई जाए और वहां अतिरिक्त भवन बनाए जाएं ताकि आदिवासी इलाके के बच्चे ठीक तरीके से शिक्षा ले सकें और जहां छात्रावास नहीं हैं वहां पर 4-4, 5-5 गावों को मिलाकर छात्रावास स्वीकृत किए जाएं और नये छात्रावास भवन बनाए जाएं, क्योंकि बिना छात्रावास के, बिना आश्रम के आदिवासी वर्ग के ग्रामीण इलाके में जो लोग रहते हैं उनके बच्चों के लिए पढ़ाई-लिखाई ठीक से कर पाना संभव ही नहीं है. जो हम जैसे विधान सभा सदस्य हैं हम अपना इलाका छोड़कर बाहर कहीं शिफ्ट हए थे, रतलाम, इन्दौर, दिल्ली में, तब जाकर हम लोग यहां तक पहुंचे हैं, तो जो बच्चे गांव में रहकर पढ़ाई करने की सोच रहे हैं उनके लिए बहुत कठिनाई है. मेरा आपके माध्यम से सरकार से यह अनुरोध है कि छात्रावास नये स्वीकृत किए जाएं.
सभापति महोदय -- कमलेश्वर जी, थोड़ा संक्षिप्त करें. काफी सदस्य हैं.
श्री कमलेश्वर डोडियार -- सभापति महोदय, बस समाप्त करने वाला हूं. बहुत मुश्किल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद बहुत से लोग बेरोजगार हैं. बहुत वेकेंसीज़ बहुत रिक्तियां हैं, चाहे शिक्षा विभाग में देख लें, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में, चाहे स्वास्थ्य विभाग में देख लें, विद्युत विभाग में देख लें, जो रिक्तियां हैं उनकी भर्ती की जाए. लोग 5-5, 10-10 साल से पढ़ाई करते हैं, परीक्षा की तैयारी करते हैं, परीक्षा की फीस देते हैं, अपना समय खराब करते हैं, समय पढ़ाई में लगाते हैं, यहां तक कि बहुत सारे जो नौजवान हैं, पढ़ने वाले स्टूडेंट, वह ओवरएज़ हो जाते हैं. उसके बावजूद भी प्रयास करते हैं लेकिन वे सरकारी नौकरी के रिक्रूटमेंट में शामिल नहीं हो पाते हैं. अलग-अलग विभागों में जो खाली पद हैं उनको भरा जाए. बैकलॉग के भी बहुत से विभागों में अलग-अलग पद रिक्त पड़े हैं उनको भी भरा जाए. यह सब भर्तियां करने से सरकार अच्छी तरह से काम कर पाएगी. सरकार की जो सोच है कि लोगों का कल्याण करना है वह काम ठीक तरह से हो पाएगा. जब अधिकारी और कर्मचारी ही नहीं हैं तो फिर काम कौन करेगा और सरकार की योजनाएं कैसे क्रियान्वित होंगी.
सभापति महोदय, जो दिल्ली-मुम्बई 8 लेन एक्सप्रेस-वे बना है उसमें मध्यप्रदेश के रतलाम और झाबुआ यह दो जिले प्रभावित हुए हैं. यहां के आदिवासी किसानों की जमीनें अधिग्रहित हुई हैं. इन किसानों को न तो ठीक से मुआवजा मिला है और न ही जमीन के बदले जमीन मिली है. मैं सरकार से आग्रह करता हूँ कि जो लोग प्रभावित हुए हैं, जिनकी जमीनें अधिग्रहण में गई हैं. उन लोगों को उस एक्सप्रेस-वे के आसपास जो रेस्ट एरिया बना हुआ है, अलग-अलग दुकानें बनी हुई हैं. वहां पर आदिवासी लोगों को रोजगार दिया जाए.
सभापति महोदय, आप भी मेरे जिले से हैं. नीमच, मंदसौर, अलीराजपुर, झाबुआ और रतलाम को मिलाकर रतलाम को संभाग बनाया जाना चाहिए. रतलाम यदि संभाग बनता है तो वहां के लोगों को उज्जैन नहीं जाना पड़ेगा. संभाग स्तर पर अलग-अलग प्रकार की समस्याएं होती हैं इसलिए रतलाम को संभाग बनाया जाए. आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री
फुन्देलाल
सिंह मार्को
(पुष्पराजगढ़)
-- माननीय
सभापति महोदय,
त्वदीय
पाद पंकजम
नमामि देवी
नर्मदे .
नर्मदा माईं
को प्रणाम
करते हुए मैं
अपनी बात रखना
चाहूंगा.
सभापति महोदय, अमरकंटक माँ नर्मदा की एक पवित्र नगरी है. देश विदेश के पर्यटक वहां आते हैं. यह घने वन-जंगल का क्षेत्र है. जो सयाने (बुजुर्ग) हैं वे लोग तो वहां आकर दर्शन कर लेते हैं और मंदिरों में घूमकर समय बिताते हैं, पूजा पाठ करते हैं. जो उनके साथ में युवा आते हैं उनके लिए भी वहां पर ऐसी व्यवस्था होना चाहिए कि वे भी वहां पर अपना समय व्यतीत कर सकें. पिछली पंचवर्षीय में भी मैंने सदन से अनुरोध किया था कि वहां पर एक वन्य प्राणी अभ्यारण्य बनना चाहिए. माननीय पंचायत मंत्री जी भी कई बार वहां का भ्रमण कर चुके हैं. यदि वहां पर वन्य प्राणी अभ्यारण्य बना दिया जाए तो उससे रोजगार का सृजन होगा. वहां के आसपास के जो शिक्षित बेरोजगार हैं उनको वहां पर रोजगार मिलेगा. इससे हम वहां पर विदेशी पर्यटकों को ज्यादा आकर्षित कर सकते हैं. साथ ही वहां पर इससे वन्य प्राणियों को संरक्षण का एक आश्रय भी मिलेगा. वहां के जो साधु-संत, महात्मा हैं उनकी इच्छा है कि उस अभ्यारण्य का नाम जामवंत अभ्यारण्य रखा जाए. उनकी इच्छा का यह प्रस्ताव भी मैं उनकी ओर से रखता हूँ.
सभापति महोदय, आज मुझे एक प्रश्न के उत्तर के माध्यम से जानकारी मिली है. मेरा प्रश्न क्रमांक 1373 था जो कि राजस्व विभाग से संबंधित था. मुझे दुख इस बात का है कि माननीय वित्त मंत्री जी ने जो अनुपूरक बजट आज पेश किया है और उसमें राजस्व विभाग का भी उल्लेख है कि इस विभाग को भी पैसा दिया जाएगा. गांव से जो आवेदन पत्र दिए जाते हैं, मंत्रालयों में भी आवेदन दिए जाते हैं, जन प्रतिनिधि भी अपने लेटर हेड पर लिखकर देते हैं. मेरे पास एक जानकारी आई एक आवेदन दिया गया. पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व सांसद माननीय दिग्विजय सिंह जी ने कभी सिफारिश की होगी कि सिरोंज को जिला बनाया जाए. विभाग ने उनके लेटर हेड को पलटाया और उसके पीछे फोटोकॉपी कर दी. मैं इसे सदन में रख दूंगा. इसी तरीके से एक आवेदन मेरे क्षेत्र के लोगों ने भी दिया कि इस पर कार्यवाही करें. जब मैंने उनके आवेदन पत्र की जानकारी मांगी तो उसको पलटाया और पलटाने के बाद उसके दूसरे पेज पर फोटोकॉपी कर दी. यह सिरोंज जिला बनाओ अभियान समिति का लेटर हेड है. इसको पलटाकर फोटोकॉपी कर दी. दूसरा अधिवक्ता संघ लटेरी, जिला विदिशा का लेटर हेड है उसको भी पलटाया और फोटोकॉपी करके मेरे तक भेज दिया गया. यह मध्यप्रदेश सरकार की हालत है. पैसे की कोई कमी नहीं है. आप निर्माण कीजिए, सब कुछ कीजिए, चारों तरफ चाकचौबंद, आपका प्रशासन हड्डी का एक दाना छूते हैं कि पका है कि नहीं पका है. इससे यह साबित होता है कि आपकी मानसिकता क्या है. जो लेटरहेड, जो आवेदन, निवेदन पत्र आपको काम कराने के लिए देते हैं, इतना गरीब, निरीह आपका मंत्रालय है, विभाग है कि उसी आवेदन को पलटाकर छायाप्रति करके हमें दे दिया जाता है.
सभापति महोदय-- फुन्देलाल जी आपका समय पूरा हो गया है, कृपया आप अपना भाषण समाप्त करें. आज शीघ्रता कर लें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, समाप्त कहां से करूंगा, बिलकुल समाप्त करने वाला नहीं हूं. सरकार में सब अच्छा-अच्छा नहीं हो रहा है. मेरे प्रश्न क्रमांक 1372 की जानकारी मुझे मिली. स्कूल शिक्षा विभाग का प्रश्न है. इसमें मुझे जो सूचियां मिलीं इसमें यह दिया गया कि जहां दूरांचल में, जंगल में, पहाड़ में, जहां आदिवासी लोग रहते हैं, बैगा लोग रहते हैं, सहरिया भाई रहते हैं, भारिया भाई रहते हैं, जहां कोई पूछने वाला नहीं है, जाने के लिए रास्त नहीं है, पहाड़ में कौन चढ़ेगा. माननीय मंत्री जी आपको पता है उनके विद्यालय कैसे लगते हैं? वहां आज भी दूसरे के मकान में विद्यालय लग रहा है. बच्चे कहां से आपके विद्यालय में आएंगे. आजकल जो घटते प्रवेशी हैं उसका कारण क्या है? उसका यही कारण है कि आपकी प्राथमिक शाला में बैठने के लिए भवन नहीं है, बैठने के लिए टाटपट्टी नहीं है, शिक्षक नहीं हैं, इसी कारण से मध्यप्रदेश में प्राथमिक शालाओं में, माध्यमिक शालाओं में बच्चे कम होते जा रहे हैं, वहीं एक छोटी सी झोपड़ी में यदि अशासकीय विद्यालय संचालित है उसकी शाला में 150 बच्चे हैं. जिसको एक लाख रुपए देते हैं वहां केवल 10 बच्चे हैं. उसका कारण यह है कि वहां भवन नहीं है, बैठने की व्यवस्था नहीं है. अभिभावक कैसे आकर्षित होंगे इस बात पर हमें सोचना पड़ेगा. शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है. 22.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा-- दिग्विजय सिंह जी के जमाने में, अर्जुन सिंह जी के जमाने में पेड़ के नीचे स्कूल लगते थे.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, वह गुरुकुल कहा जाता था. हम हवा हवाई बात नहीं कर रहे हैं.
सभापति महोदय-- मार्को जी आप से आग्रह है कि आप इसे थोड़ा संक्षिप्त कर लें. बहुत सदस्य हैं. कृपया ध्यान दें, गंभीरता रखें. आप बहुत गंभीर हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, मैं जानता हूं. आप मेरा दर्द समझिये. हम प्रत्यक्षदर्शी हैं. हमारे जितने माननीय सदस्य हैं वह अपने-अपने क्षेत्र के प्रत्यक्षदर्शी हैं. यदि रोड नहीं है तो माननीय विधायक जानता है, यदि स्वास्थ्य की समस्या है तो हमारा विधायक जानता है, यदि कहीं गड़बडि़यां होती हैं तो वह उसको भी प्रत्यक्ष देखकर सदन में उठाने का प्रयास करता है. यह सदन हमारी चर्चा के लिए है यदि हम सदन में चर्चा नहीं करेंगे तो क्या सड़क और जंगल में करेंगे, वहां तो हम आंदोलन करते रहते हैं. दूसरा मैं, आपको बताना चाहता हूं, मेरा अनुरोध है कि सभी प्राथमिक विद्यालयों के भवन एक तरफ से बनने चाहिए, यह प्रस्ताव होना चाहिए. कोई भवनविहीन विद्यालय नहीं होगा, चाहे कांग्रेस पक्ष का हो या भाजपा पक्ष का हो. क्या वहां आपके प्रदेश के बच्चे नहीं पढ़ते हैं ? जब प्रदेश की 8.5 करोड़ जनसंख्या की गणना होगी, तो उनकी गणना नहीं होगी ? तो क्या आप कांग्रेस पक्ष के विधायकों की विधान सभाओं की गणना नहीं होगी ? वे भी भारत के नक्शे में ही हैं और इस देश में सभी का समान अधिकार है, इसलिए मेरा निवेदन है कि शिक्षा के क्षेत्र में, इस अनुपूरक बजट में, इसे समाहित करें कि प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालयों के भवनों का निर्माण किया जायेगा.
सभापति महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को- केवल एक मिनट दीजिये, क्योंकि कहने को तो बहुत कुछ है, लेकिन समय की बाध्यता है. सभापति महोदय, दूसरा विषय यह है कि हमारी उन्नति के लिए, विकास के लिए, सरकार चिंतित है, हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप चिंतित नहीं हैं, लेकिन चिंता इनकी कैसी है, वह मैं बताना चाहता हूं, रबी फसल वर्ष 2024-25 में विशेष जनजाति बैगा समाज के 250 किसानों को गेहूं, मसूर, चने के बीज देने थे, उद्देश्य यह था कि वे आदिवासी भाई भी मसूर, चना, गेहूं खायें, रोटी वे भी बना लें, कभी पूड़ी भी बना लें लेकिन हुआ क्या ? 10 हजार क्विंटल गेहूं के बीज अनूपपुर में गये, मसूर के 2 हजार मिनी किट्स, 8 किलो में आपने भेजे, लेकिन उस बैगा जाति के भाईयों को, आदिवासी भाईयों को वह क्यों नहीं मिला, क्योंकि वे सारे बीज बाजार में बेच दिये गए.
सभापति महोदय, मैं, कहना चाहता हूं चूंकि इस बजट में वेतन-भत्तों की राशि भी आप पास कर रहे हैं, इसलिए गांजा के विषय में कहना चाहूंगा कि जिला शहडोल के थाना जयसिंह नगर क्षेत्र में 121 बोरी गांजा पकड़ा गया, वहां धड़ल्ले से गांजा बेचा जा रहा है, किसकी अनुमति से वहां 121 बोरी गांजा था ? गांव के लोगों ने एक बार बता दिया तो आपने उसे पकड़ लिया, इसके पहले कितना बोरी गांजा वहां बेचा गया और कितना पैसा आया, उसमें कौन-कौन संलिप्त थे, अभी आपने वहां केवल 2 लोगों को बंद किया और उनको छोड़ भी दिया गया. 121 बोरी गांजा, जिसका वजन 38 क्विंटल था, उसकी बाजार कीमत लगभग रुपये 3 करोड़ से अधिक है, जिसका वहां रुपये 4 करोड़ में व्यापार चल रहा था. इस तरीके से वहां कारोबार चल रहा है, आपका प्रशासन वहां क्या कर रहा है ? जिन जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों का वेतन आप दे रहे हैं, वे वहां सोकर, ये गांजा बिकवा रहे हैं,
सभापति महोदय, सट्टा-जुआ आज पूरे प्रदेश में खुलेआम किया जा रहा है. कोई गिट्टी ले रहा है, कोई मिट्टी ले के भाग रहा है, कोई कोयला ले रहा है, कोई बॉक्साइड खोद रहा है, मतलब जिसके हाथ में जो मिला नि:शुल्क, बिना हिचक ले जा रहा है. रेत की तो मैं बात ही नहीं कर रहा हूं, इन लोगों ने मां नर्मदा की छाती को छलनी कर दिया है, ये आज प्रदेश के हालात हैं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- सभापति महोदय, मैं, केवल आधे मिनट का समय लूंगा. आज 04:30 अपराह्न का समय हो गया है, 05:30 बजे के पहले मंत्री जी का उत्तर भी आना है, क्योंकि यह फायनेंस बिल है, इसलिए कृपया माननीय सदस्यों को निर्देश दिया जाये कि वे केवल काम की बात, अपने विधान सभा क्षेत्र की बात यहां रखें, पूरे प्रदेश का विषय नहीं रखेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा. बोलने के लिए अभी बहुत से अवसर आयेंगे, इससे सभी कार्य समय पर हो जायेंगे. मुझे लगता है कि जल-संवर्धन पर चर्चा संभवत: कल ही हो पायेगी, क्योंकि आज तो समय ही नहीं है. मेरा उमंग जी से अनुरोध है कि यदि वे सूची में से कुछ नाम काट सकें तो काट लें, क्योंकि अभी बहुत सारे नाम शेष हैं.
सभापति महोदय - माननीय उमंग जी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - सभापति जी, चर्चा कल भी जा सकती है, बढ़ा दीजिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदय, यह फायनेंस बिल है, बाकी चर्चा कर लेंगे.
श्री उमंग सिंघार - क्या हुआ ?
सभापति महोदय - उमंग जी, इसमें वाकई में काफी नाम हैं. मेरा भी आग्रह यही है कि अनुपूरक से संबंधित .....
श्री उमंग सिंघार - माननीय सभापति महोदय, पहले ही सत्र छोटे हैं और आप कालखण्ड छोटा कर रहे हो. सत्र भी छोटा है. भाषण भी छोटे हैं, फिर क्या मतलब.
सभापति महोदय - उमंग जी, वित्तीय कार्य आज ही पूरा करना है. प्रथम अनुपूरक से संबंधित एवं अपने क्षेत्र से संबंधित थोड़ा सा सीमित 3 मिनट का करें, माननीय अध्यक्ष महोदय जी ने भी आग्रह किया है. 3 मिनट में अपनी पूरी बात आ जाये, अनुपूरक और अपने क्षेत्र का उल्लेख करते हुए सभी से निवेदन है कि सभी की भागीदारी भी हो जायेगी.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन (सागर) - माननीय सभापति महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर समर्थन करता हूँ.
माननीय सभापति महोदय, हमारे विपक्षी साथियों ने एक विषय को न केवल सदन में, अपितु अनेक बार अनेक फोरम पर मध्यप्रदेश सरकार ने जो ऋण लिया है, उस ऋण की अदायगी को लेकर कि किस तरह मध्यप्रदेश का हर एक व्यक्ति ऋणमय कर्ज में डूबा हुआ है. प्रति व्यक्ति कितना ऋण उस पर हो गया है ? सिवाय इस रिकॉर्ड के कुछ सुनाई नहीं देता. सभापति महोदय, मैं समय सीमा में अपनी बात रखने की कोशिश करूँगा. इनका कालखण्ड मुझे याद है, इन्होंने वर्ष 2003-2004 में अंतिम बजट पेश किया था, वह संभवत: 23,000 करोड़ रुपये का था. उस 23,000 करोड़ रुपये में इन्होंने जो राशि ऋण के रूप में ली थी, वह जीडीपी जो किसी भी राज्य की सकल घरेलू उत्पाद होता है, उसका 47 प्रतिशत था. आज हमारा बजट 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपये है, उसके अनुपात में वॉल्यूम मत देखिये. आप प्रतिशत के हिसाब से देखिये. प्रतिशत के हिसाब से हमारा बजट आज भी जो हमारा राजकोषीय मापदण्ड है, वह उस मापदण्ड के हिसाब से अन्दर है. 30 प्रतिशत तक हम ऋण ले सकते हैं. हम 28 प्रतिशत, साढ़े 28 प्रतिशत की ऋण की सीमा में हैं. इनका कालखण्ड वाकई ऐसा था, ये बड़े भाग्यशाली थे. उस समय एफआरबीएम नहीं था, वह वर्ष 2005 से आया. वर्ष 2005 से अब कोई भी राज्य असीमित मात्रा में ऋण नहीं ले सकता, उसकी सीमा निश्चित की जाती है, उस सीमा में ही उसको ऋण लेने की अनुमति है और ऋण लेते समय यह जरूर देखा जाता है कि उस कर्जे का इस्तेमाल कैसे हो रहा है ? उसमें जो ब्याज की राशि है, उसका भुगतान नियमित हो रहा है कि नहीं हो रहा है. वह ब्याज की राशि भी जो हमारी रेवेन्यू रिसीप्ट्स हैं, जो हमारी आय हो रही है, रिसीप्ट्स हो रही हैं, उन रिसीप्ट्स के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता. हम 9 प्रतिशत पर अपनी लिमिट बनाए हुए हैं, हम कुल मिलाकर मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 का पालन करते हुए ऋण भी ले रहे हैं और ऋण की अदायगी भी समय पर कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, एक और महत्वपूर्ण विषय है कि हम उस ऋण का क्या उपयोग कर रहे हैं ? कैसे उपयोग कर रहे हैं ? माननीय चले गए हैं क्या ? (श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी) की रिक्त सीट को देखकर)
सभापति महोदय - शैलेन्द्र जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्री भंवरसिंह शेखावत - सभापति महोदय, मैं आ गया, आ गया.
श्री बाला बच्चन - सभापति महोदय, आप सकल घरेलू उत्पाद के अगेंस्ट आप 28 प्रतिशत नहीं ले सकते हैं.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन - माननीय सभापति महोदय, आपको इन्डस्ट्रियल कॉन्क्लेव करने की फुर्सत नहीं थी. आप फिल्म फेयर अवार्ड में लगे हुए थे. आपको इस प्रदेश की चिन्ता नहीं थी.
श्री बाला बच्चन - शैलेन्द्र भाई, आप आंकड़ा ठीक कर लीजिये. सकल राज्य घरेलू उत्पाद का आपने 28 प्रतिशत बोला. पहले 3 था, फिर साढ़े 3 हुआ, फिर 4 हुआ और फिर साढ़े 4 हुआ.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन - आपका 47 प्रतिशत था.
सभापति महोदय - बाला बच्चन जी, आप परस्पर चर्चा न करें. कृपया समय का ध्यान रखें.
श्री बाला बच्चन - अभी आपने सरकार का बोला है. आप साढ़े 4 प्रतिशत से ऊपर नहीं ले सकते हैं. अभी 31 मार्च, 2026 तक 4 लाख 62 हजार करोड़ रुपये का कर्ज हो जायेगा.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन - सभापति महोदय, 28 प्रतिशत कहा.
सभापति महोदय - बाला बच्चन जी, आप बैठ जाइये.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय सभापति महोदय, बाला बच्चन जी, वर्ष 2024-25 में 28 प्रतिशत और वर्ष 2025-26 में जो एस्टिमेटेड है, वह 29 प्रतिशत है, 29 प्रतिशत होने की उम्मीद है. लेकिन वह हमारी जो सीमा है, ऋण लेने की सीमा, उसके अंदर है. फिर महत्वपूर्ण विषय यह है कि हम उस ऋण का उपयोग कैसे कर रहे हैं. पूंजीगत व्यय, आपके समय में पूंजीगत व्यय ऋणात्मक था महोदय, आपकी इंडस्ट्रियल ग्रोथ ऋणात्मक थी. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- शैलेन्द्र जी, आप इधर आसंदी की तरफ मुखातिब हों. ..(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- आप एफआरबीएम एक्ट, 2005 का देख लेना. आप नहीं ले सकते हैं. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- बाला बच्चन जी, बार-बार उठने की आवश्यकता नहीं है. आप सहयोग करें. आप वरिष्ठ सदस्य हैं. कृपया बैठें. (व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदय, लेकिन असत्य बयां कर रहे हैं. एफआरबीएम, 2005 का जो एक्ट है, उसके अंतर्गत स्पष्ट नियम है कि... ..(व्यवधान)..
श्री गौरव सिंह पारधी -- कन्फ्यूजन हो गया है. ..(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय सभापति महोदय, जहां इनकी सरकार है, हिमाचल प्रदेश में 45 प्रतिशत, आप देखिए, अभी 28 प्रतिशत पर हैं और पूरे साल, पूरे पांचों वर्ष आप एक ही रिकार्ड बजा रहे हैं. हमने इतना ऋण ले लिया है. उस ऋण का हमने क्या उपयोग किया है. आपके समय में पूंजीगत व्यय की क्या स्थिति थी. सभापति महोदय, आज 38 और 40 प्रतिशत हम पूंजीगत व्यय कर रहे हैं. पूंजीगत व्यय करने से हम रोजगार उत्पन्न कर रहे हैं. इस मध्यप्रदेश के अंदर बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हो रहा है. ..(व्यवधान)..
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय शैलेन्द्र जी, आप ऋण लेकर के विकास के काम करें, उसमें किसी कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन आप ऋण लेकर के घी पीने का काम कर रहे हैं. ..(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- नहीं, नहीं, लोककल्याण के काम कर रहे हैं, यही तो वे बता रहे हैं. ..(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- सभापति महोदय, पूंजीगत व्यय में, आप पूंजीगत व्यय समझते होंगे, कैपिटल एक्सपेंडिचर में हमारा प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. मैं कुशल वित्तीय प्रबंधन के लिए हमारी मध्यप्रदेश सरकार को बहुत बधाई देना चाहता हूँ. आपको भी इस बात का गर्व होना चाहिए, लज्जा नहीं आनी चाहिए. यहां पर राष्ट्रीय औसत से हम बेहतर हैं और फिस्कल हेल्थ इंडेक्स, 2025, इसमें हमारी रेटिंग एक की गई है. एक ए प्लस में हमारे मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति है. हम कुशल वित्तीय प्रबंधन के लिए सम्माननीय मुख्यमंत्री महोदय को और वित्त मंत्री महोदय को बहुत-बहुत बधाई देना चाहते हैं, बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं. मध्यप्रदेश को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाने की दिशा में हम संकल्प के साथ काम कर रहे हैं. मैं आज इस अवसर पर माननीय सभापति महोदय, समय सीमा आपने निश्चित की है. इतना कुछ है बोलने को, लेकिन कहा है कि ''कहां से इब्तदा कीजे, बड़ी मुश्किल है दरवेशों, कहानी उम्र भर की और मजमा रात भर का है,'' माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद शैलेन्द्र जी. श्रीमती झूमा सोलंकी जी.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय, मैं आधा मिनट चाहता हूँ. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- बाला बच्चन जी, बार-बार नहीं, कृपया क्षमा करें. आप वरिष्ठ हैं. ..(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- माननीय वित्त मंत्री जी, जब आप बोलें तो शैलेन्द्र भाई अभी जो बोल रहे थे, आप सकल घरेलू उत्पाद वित्तीय वर्ष का क्या समझ रहे हैं, 16 लाख करोड़ रुपये के लगभग है और 4 से साढ़े 4 प्रतिशत से ज्यादा आप कर्जा नहीं ले सकते हैं. मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि जब आप बोलें तो इस बात को आप स्पष्ट करें. सकल घरेलू उत्पाद जो अभी आपका है ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- श्रीमती झूमा सोलंकी जी, अपनी बात शुरू करें. बाला बच्चन जी, परस्पर वार्तालाप न करें. ..(व्यवधान)..
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- सभापति महोदय, ये दोनों शांत हों तो मैं अपनी बात कह पाऊँगी. ..(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- आप हिमाचल प्रदेश में 45 प्रतिशत ले रहे हैं. माननीय सभापति महोदय, अब वह विषय ही खत्म हो गया, आप चाहें तो नहीं ले सकते. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- आ गई आपकी बात. श्रीमती झूमा सोलंकी जी.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी(भीकनगांव) - माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिये मैं आपको धन्यवाद करती हूं.दोनों पक्षों की ओर से काफी प्रतिक्रियाएं हो रही हैं पर जो आवश्यक है उसी पर मैं अपनी बात रखने वाली हूं. वन अधिकार की मान्यता और 2006 का जो कानून बना है और 100 प्रतिशत आदिवासियों के लिये ही बना है आज की स्थिति में देखा जाए तो सरकार इसको पूरी तरह से लागू करने में नाकाम है. आज भी कई हमारे आदिवासी भाई जमीन और आजीविका चलाने में बहुत परेशानी उठा रहे हैं और इन मानवीय अधिकारों की अनदेखी होती जा रही है. वन विभाग भी कई बार इन वन अधिकारों को पूरी तरह से लोगों को मिलने में बाधा उत्पन्न करता है और मेरे विधान सभा की बात करें तो जब उनके पट्टे देने की बात आती है.सर्वे की बात आती है. पीडीएफ सर्वे होता है तो इनके अधिकारियों के द्वारा रोका जाता है. उनको कोई सहयोग नहीं दिया जाता है और यहां तक कि नाम न लेते हुए मैं कहूंगी की वहां का जो एसडीओ सीधे तौर पर सरपंचों को धमकाता है डराता है और कहता है कि वाशिंग मशीन में निकल जाईये आपके सारे काम हो जायेंगे.ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है तो मैं इस सदन में इसका पुरजोर विरोध करती हूं. वन अधिकार के पट्टे सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार ग्राम सभा को दिये गये 2006 में यह बना पर वन संसाधन संबंधी पट्टे केवल झाबुआ जिले में ही 5 या 6 पट्टे दिये गये हैं जितने भी हमारे खनिज और जो भी हमारे वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं उनके पट्टे देना चाहिये ताकि उनको सीधा लाभ मिले. वह नहीं मिले हैं और एक ओर 2005 में जो नाबालिग थे और 2006 का कानून बना है तब उन्होंने अपने व्यक्तिगत दावे लगाये उनको इसलिये अमान्य कर दिया कि आप उस समय नाबालिग थे यह अमान्य नहीं होना चाहिये क्योंकि वह पहले से ही पीढ़ियों से काबिज है तो उनको यह अधिकार दिये जाएं और उनके पुत्रों को भी पट्टे दिये जाएं इसके साथ ही सार्वजनिक पट्टे वहां पर आपकी जलाऊ लकड़ी है शासकीय भवन बनाना है अस्पताल बनाना है रोड बनाना है पेयजल कूप निर्माण कराना है तालाब निर्माण कराना है यह सार्वजनिक विकास के कामों में भी भारी तकलीफें आती हैं यह भी इसमें दूर होना चाहिये. वर्तमान में वन अधिकार के पट्टे हेतु आवेदन किये गये.पीडीएफ का जो सर्वे है कम से कम जो पात्र हैं पात्रों को तो दिये जाएं हम नये कब्जे की बात नहीं कर रहे हैं यह पूरे मध्यप्रदेश की बात करें तो यह लाखों में हैं. माननीय कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने इनको आनलाईन कराकर वन मित्र पोर्टल बनाकर सीधे आवेदन लिये थे किन्तु इसको बंद कर दिया गया है इसको फिर से चालू करके उनको पट्टे बनाकर दिये जाएं और एक नयी योजना लाए हैं एक ब गिया मां के नाम अच्छी बात है पर्यावरण को बचाने के लिये वृक्षारोपण होना चाहिये आज की स्थिति में इसकी जरूरत भी है किन्तु फारेस्ट विभाग ने इस पर रोक लगाई हुई है वहां पर यह नहीं लगेगा इसको भी दूर किया जाए. साथ ही जो वारिस हैं जिनके पिता की मृत्यु हुई और उनके पट्टे हैं तो उनके नामांतरण,बंटवारे नहीं हो रहे हैं उसमें काफी तकलीफें आ रही हैं उसको भी दूर किया जाए साथ ही मेरे क्षेत्र के कम से कम 35 वन ग्राम हैं जहां 34 हजार की आबादी है वहां पर सिंचाई का एक भी साधन नहीं है हमारे सामने बैठे जल संसाधन मंत्री जी से बहुत आग्रह किया है कि एक-दो तालाब तो निर्मित किये जाएं. जल संवर्द्धन का काम हो जायेगा और सिंचाई के साधन भी उपलब्ध होंगे पर आज तक उन्होंने नहीं दिया.इसलिये आपकी बहन श्रावण मास में आपसे नाराज है मान कर चलिये रक्षाबंधन सही आपका नहीं होने वाला है. सिंचाई के साधन उनको उपलब्ध किये जाएं. हमारी अर्चना दीदी हैं मैं बार-बार हर सत्र में उनसे निवेदन करती हूं कि उनकी ताप्ती नदी पर जो बनने वाला प्रोजेक्ट सेंग्शन हुआ है जलाशय जो निर्मित होंगे पेयजल की व्यवस्था होगी सिंचाई के साधन उसमें होंगे तो उसमें हमारे इस क्षेत्र को भी जोड़ा जाए ताकि वहां पर सिंचाई के साधन उपलब्ध हों इसलिये कि भारी मात्रा में हजारों की तादात में हमारे आदिवासी भाई पलायन करके अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में भटकते हैं कई समस्याओं का सामना करते हैं तो इस समस्या का समाधान होना चाहिये इसलिये सिंचाई के साधन उनको दिये जाएं और पट्टेधारियों को 2006 के कानून में लिखा है कि उनके पट्टों की जगह पर एक-एक कूप दिया जाए और उस पर कनेक्शन भी दिया जाए. यहां तक एक और उसमें आवास भी होना चाहिये तो यह सारे अभी तक कोई सुनवाई नहीं है इधर उधर की बातें ज्यादा होती हैं, किंतु जो आवश्यक चीजें हैं वह सारी चीजें छूटी हुई हैं. पेसा एक्ट जो दिखावे के लिये बहुत कुछ हाथी के दांत की तरह जो पेश किया गया हमारे भाईयों के लिये, उसकी भी बात मैं कहना चाह रही हूं. हमारे आदिवासी भाईयों के लिये विशेष तौर से 89 ब्लॉक में इसको लागू किया गया. हमारी परंपरायें और रूढि़यां और संस्कृति की पहचान को बनाये रखना उनके तौर तरीकों को बचाये रखना इसके लिये इसको लागू किया गया और उनको ग्रामीणजनों को इसकी शक्तियां दे दी गई हैं, किंतु वास्तव में आज भी ये अनुपयोगी साबित हो रहा है. आज भी प्रकरण थानों में दर्ज हो रहे हैं, उसका पालन नहीं हो रहा. आज भी 89 ब्लॉक में शराब की दुकानें खुल रही हैं वहां पेसा एक्ट की जो समितियां बन रही हैं, ग्रामसभा बनी हुई हैं उनसे परमीशन नहीं ली जा रही है और कई ग्राम समितियां विरोध कर रही हैं कि हमारे यहां नहीं खुलना चाहिये, इसके बाद भी वह संचालित हैं तो इसको भी बंद करना चाहिये और यह वास्तव में बहुत सामाजिक सुधार इसमें होगा तो ऐसे कामों में सरकार को आगे आना चाहिये, नहीं तो फ्यूनिक की घटना जैसे पुन: निर्मित न हो मध्यप्रदेश में कि एक साथ आदिवासी युवाओं को उठ खड़ा होना पड़े, विरोध करना पड़े. इसके लिये बहुत जरूरी यह है कि आदिवासी पट्टों के साथ-साथ उनकी सुविधाओं को उनके नियम कानून कायदों का ध्यान रखा जाये और इसको पूरी तरह से लागू किया जाये. यही बात मैं आपके सामने कहना चाह रही थी और अंत में बहनों की बात छूट रही है, लाड़ली बहनों की बहुत बात हो रही है, अच्छी बात है उनको आप सब तरह की योजनायें लागू कीजिये, किंतु हमारी छूटी हुई बहनों को कब जोड़ा जायेगा और कब 3 हजार उनको दिये जायेंगे यह मांग भी मैं इस सदन में कर रही हूं. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी)-- आदरणीय सभापति महोदय, आपका संरक्षण लेते हुये थोड़े विषय ऐसे उठ गये कि समय की मर्यादा को मैं थोड़ा पार करना चाहूंगा. शुरूआत करना चाहूंगा एक विषय जो थोड़ी देर पहले उठा हमारे सम्मानीय वरिष्ठ सदस्य बाला बच्चन जी और हमारे वरिष्ठ शैलेन्द्र जी भाई साहब, शैलेन्द्र जी भाई साहब ने जो आंकड़ा दिया था वह था टोटल डेड टू जीएसडीपी रेश्यो और बाला बच्चन जी जिस बात की बात कर रहे हैं वह फिस्कल डेफिसिट से जुड़ा हुआ है तो दोनों विषय जो हैं वह अलग-अलग हैं इसलिये मैंने क्लीयर कर दिया. माननीय हमारे वित्तमंत्री जी से अपेक्षा कर रहे थे पहले ही मैंने इस बात को क्लीयर कर दिया. एफआरबीएम एक्ट जो है वह फिस्कल डेफिसिट से जुड़ा हुआ है और शैलेन्द्र जी भाई साहब जो बोल रहे थे वह टोटल डेड टू जीएसडीपी है तो इस बात को आगे बढ़ाते हुये मैं बधाई देना चाहूंगा हमारे वित्तमंत्री जी को और मैं देख रहा हूं यह लगातार इस कार्यकाल में हमारा तीसरा सप्लीमेंट्री बजट है. एक पहचान बनती जा रही है मध्यप्रदेश की कि जो हमारे सप्लीमेंट्री बजट आते हैं वह केपीटल ओरिएंटेड होते हैं. इस बार भी लगभग 58 प्रतिशत जो एक्सपेंडीचर है वह केपीटल एक्सपेंडीचर है और उसमें भी इस पूरे बजट का 2335 जो कि सदन में रखा गया है, एक चर्चा और आई थी, किसी ने बोला था 2356 तो जो 21 जो है वह 21 हजार करोड़ का जो आंकड़ा है वह सदन में भारित है यानी उस पर कोई चर्चा नहीं होनी है, उस पर कोई वोट नहीं होना है तो 2335 करोड़ के इस बजट में लगभग 68 प्रतिशत जो है वह स्वास्थ के ऊपर है, मैं इसके लिये पुन: बधाई देते हुये एक नये आंकड़े पर हम पहुंचे हैं. मध्यप्रदेश के इतिहास में लगभग पहली बार यह हो रहा है कि 1.58 प्रतिशत हम जीएसडीपी के प्रतिशत का स्वास्थ विभाग में खर्चा करने जा रहे हैं, मैं समझता हूं इसको बधाई देना चाहूंगा याद दिलाना चाहूंगा कि वर्ष 2002-2003 में यह आंकड़ा एक प्रतिशत होता था जीएसडीपी का तो पुन: इसके लिये बधाई देते हुये, लेकिन मेरी छोटी सी मांग हमेशा रहेगी कि कटंगी का जो हमारा सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र है उसको सिविल अस्पताल में उन्नयन किया जाये. माननीय स्वास्थ मंत्री जी चले गये हैं मैं यह मांग उनके सामने रखूंगा. बहुत कर्जे की भी चर्चा चली, एक छोटी सी बात मैं सबके सामने रखना चाहूंगा, वर्तमान में जो मध्यप्रदेश का कर्जा है इसमें जो कूपन रेट है जिसको हम कहते हैं ब्याज की अदायगी यह 6.77 से लेकर 6.99 के आसपास तैर रहा है. एक जमाना था जब यह 8 प्रतिशत से ऊपर होता था तो यह इस बात का सूचक है कि जो लोग यह बांड खरीदते हैं उनका मध्यप्रदेश की इकॉनामी में, मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ गया है और इस विश्वास का सूचक है कि आज हमारा कूपन रेट जो है वह घटकर 6.88 पर आ गया है. बहुत सारी चर्चाएं हैं, बहुत सारी बाते हैं, एक जल संसाधन की जरूर चर्चा करूंगा जो इस बार बजट में शामिल है, लेकिन माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में सीधेकसा से नहलेसरा को जोड़ने वाली नहर की आप अनुमति दीजिये, लिफ्ट एरीगेशन की अनुमति आप दीजिये, तो मैं आपकी अगली बार के बजट में ओर तारीफ करूंगा और आपके विभाग को धन्यवाद भी ज्यादा प्रेषित करूंगा.
सभापति महोदय, इस बजट में विशेष तौर से मैं धन्यवाद देना चाहूंगा कि पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के कन्या छात्रावासों की हमेशा चर्चा आती हैं, हमारी महिलाओं की हमारी बच्चियों की चर्चा आती है, तो उनके फर्नीचर लघु निर्माण आदि के लिये 5करोड़ रूपये की राशि रखी गई है. अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के लिये भी अजय नवीन योजना चालू की गई है और जो बात मैं ध्यान में लाना चाहूता हूं कि गृह विभाग के लिये जो मद रखा गया है, वह निश्चित तौर पर आंतरिक सिक्योरिटी के लिये मजबूती प्रदान करने वाला है, इसके अलावा निर्भया फंड को बढ़ाया गया है, हमारे जो पुलिसकर्मी हैं, उनके स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ा गया है और जो इंटेलीजेंस गेदरिंग एक्टीविटी है, उस पर ध्यान रखा गया है.
सभापति महोदय, मैं बधाई देना चाहूंगा कि ''नेशनल मिशन फॉर एडिब ऑयल'' इसका कहीं न कहीं पूरे इंपोर्ट से भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ा है कि कहीं न कहीं हमको ट्रेड डेफिसिट भी देता है, तो इस ओर भी सरकार ने ध्यान में रखते हुए एक राशि यहां पर आवंटित की है, साथ ही साथ नगरीय विकास एवं आवास विभाग के द्वारा एक जो ई-वी पॉलिसी के लिये यहां पर मद रखा गया है और प्रधानमंत्री ई-बस सेवा हेतु जो रखा गया है, यह आने वाले भविष्य के लिये हमारे वैश्विक क्लाइमेट चेंज की दिशा में एक पॉजिटिव कदम है, इसके लिये पुन: में नगरीय प्रशासन विभाग और हमारे वित्तमंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा.
सभापति महोदय, लोक निर्माण विभाग ऐतिहासिक कदम उठा रहा है, मैं समझता हूं कि पिछले डेढ़ साल में जो कार्य किये गये हैं, उसके लिये बधाई देते हुए सड़क सुरक्षा के लिये जो मद रखा गया है, साथ ही साथ मुख्य जिला सड़क के लिये जो मद रखा गया है और सीआरएफ के लिये जो वृहद पुलों के निर्माण के लिये जो मद रखा गया है, मैं उसके लिये भी आपको बधाई देता हूं.
सभापति महोदय, एक चर्चा चली थी, हमारे भाई ने सुबह संस्कृत को लेकर चर्चा की तो मैं आप सबके ध्यान में लाना चाहूंगा कि लगभग 16 करोड़ की राशि संस्कृत विश्विद्यालय के लिये रखी गई है, इसके लिये आज सुबह की बात को आगे बढ़ाते हुए, एक बार सबके लिये मैं बधाई प्रेषित करता हूं कि आने वाले समय के हिसाब से ग्रोन ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर, सेमी कंडेक्टर जो कि हमारे आने वाले भविष्य होने वाले हैं, उसके लिये भी इसमें ध्यान रखा गया है तो मैं समझता हूं कि यह बहुत ही सांरगिक बजट है.
सभापति महोदय, मैं दो बातें रखकर अपनी बात को खत्म करूंगा. मैं एक बात बोलना भूल गया. बहुत चर्चा चल रही है कि उद्योग के लिये जो हो रहा है, इससे क्या होगा, क्या होगा? मैं आज सदन में यह बात रखना चाहूंगा कि आने वाले समय मैं आप देखेंगे कि भारत के नक्शे में मध्यप्रदेश उद्योग के जगत में अपनी एक पहचान बनायेगा(मेजों की थपथपाहट) और एक बात 90 के दशक में जब लिब्रलाइजेएशन हुआ और पूरा देश औद्योगीकरण की तरफ बढ़ा, जब आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्य अगर उस दिशा में बढ़े और अगर हमने वह बस छोड़ी तो उसके लिये मैं बताना नहीं चाहूंगा कि 90 के दशक में किसकी सरकार थी, हम सब जानते हैं कि किसकी सरकार थी, वह बस हमने छोड़ दी थी.
सभापति महोदय -- (श्री सुरेश राजे, सदस्य द्वारा अपने आसन से कहने पर) सुरेश जी हस्तक्षेप न करें. गौरव जी थोड़ा संक्षिप्त करके समाप्त करें.
श्री सुरेश राजे-- पटवा जी की सरकार थी.
श्री गौरव सिंह पारधी -- देखिये, 1992 में पटवा जी की सरकार चली गई, 1993 से लेकर आपकी ही सरकार थी और वही समय था, जब उद्योग की दिशा में सारे राज्य बढे़ और हम पीछे रह गये थे. आखिरी बात मैं यही कहना चाहूंगा कि हजार बार गिरे, लाख आंधियां उठे, वो फूल खिलते रहेंगे जो खिलने वाले हैं, आप सब जानते हैं, मैं किस फूल की बात कर रहा हूं. सभापति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. सभापति महोदय – श्री महेश परमार, महेश जी थोड़ा समय की मर्यादा रखेंगे.
श्री महेश परमार(तराना) – धन्यवाद सभापति महोदय, गौरव भाई को 10 मिनट दिया. मुझे 9 मिनट ही देना, इतनी कृपा मुझ पर करना. मैं भगवान महाकाल की नगरी से आता हूं. सावन का पवित्र महिना चल रहा है. कल नागपंचमी हुई, महाकाल की कृपा आप, हम, सब पर बनी रहे जय महाकाल...
सभापति महोदय, मैं अनुपूरक बजट का विरोध करता हूं. मुझे आंकड़ों की जादूगरी तो आती नहीं, जहां वरिष्ठ विधायकगण विराजमान हैं, जो उनकी पाठशालाएं लगती हैं, मुझे वैसे आंकड़े तो नहीं आते हैं, लेकिन मैं आपको वह बातें बताऊंगा जो जमीन पर रोज घटित होती है. हम देखते हैं, सड़क से लेकर सदन तक आदरणीय वरिष्ठजन यहां विराजमान है, कितनी जादूगरी और सफाई से असत्य बातें बोलते हैं और उनको पेश करने का तरीका तारीफ-ए-काबिल है, उनकी जितनी तारीफ करें कम है. आज पूरा मध्यप्रदेश, देश के भ्रष्टाचार की राजधानी बन चुका है. पूरे मध्यप्रदेश में भू-माफिया, गली, मोहल्ले, चौपाल, पूरे प्रदेश में हर जिले में इनका राज, मिलावट माफिया, ड्रग्स एमडी माफिया, भोपाल से लेकर मंदसौर तक हर जिले में आप देख लें, क्या स्थिति है. सभापति जी आप रतलाम जिले से आते हैं. शराब माफिया, खनिज माफिया, रेत माफिया, नकली खाद बीज माफिया, ऑनलाइन सट्टा माफिया, सायबर ठगी माफिया और नए नए माफिया मध्यप्रदेश में पांव पसार रहे हैं, इन सबका संरक्षण कौन कर रहा है, उस पुलिस को सत्ता पक्ष के लोगों को, लेकिन उनका संरक्षण करते हैं ये जितने भी माफिया मध्यप्रदेश की जनता को लूटने में लगे हैं, पूरी सरकार उनकी रक्षा करने में, उनकी सुरक्षा करने में, पूरा प्रशासनिक तंत्र लोकतंत्र को समाप्त करने में, उनकी रक्षा करने में लगा हुआ है.
सभापति महोदय – महेश जी, मैंने निवेदन किया था अनुपूरक पर बोले, वित्तीय व्यवस्था पर और प्रबंधन पर अपने क्षेत्र से संबंधित बातें बोले तो सारी बात आ जाएगी.
श्री महेश परमार – सभापति जी, जो सच दिख रहा है, वही तो मैं बोल रहा हूं. कमलनाथ जी की सरकार थी, 15 महीने एक दो आईएएस के तबादले होते थे, इन डेढ़ साल में लगभग 350-400 आईएएस के तबादले हुए हैं, उस तरफ के लोग लगातार मीडिया पर बोलते थे. एक आईएएस का तबादला होता है, दूसरे को दो-चार घंटे में उसको मालूम नहीं होता है फिर परिवर्तन कर देते हैं, ये तबादला माफिया, ये विकास है, भारतीय जनता पार्टी का. मैं पूछना चाहता हूं सत्ता पक्ष और वरिष्ठ मंत्री भी यहां बैठे हैं. 350 आईएएस के तबादले, एक एसीएस स्तर के अधिकारी का 6 बार तबादला, ये विकास मध्यप्रदेश का ये सरकार का विकास. अभी मैंने समाचार पत्रों में देखा सिया का आफिस, वरिष्ठ अधिकारी यहां पर बैठे हैं. अजब गजब मध्यप्रदेश है, सिया के आफिस में ताला जड़ देते हैं और सरकार को यही नहीं मालूम कि किस बात की लड़ाई है. अब यह आप जानते हैं या उस तरफ बैठे हमारे परिवार के लोग जानते हैं, बस हिस्सेदारी की लड़ाई है. मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ कि किसी शासकीय आफिस में तालाबंदी कर दी गई, बड़ी लज्जा की बात है. हद हो गई. आज मध्यप्रदेश बहनों के अपराध में नंबर वन, बलात्कार के मामलों में, छोटी बच्चियों के अपहरण के मामलों में, बेरोजगार के मामलों में, बढ़ती महंगाई के मामलों में, किसानों के कर्ज के मामलों में, स्कूल फीस के मामलों में नंबर वन, मध्यप्रदेश के प्रत्येक विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार है. जनता में हाहाकार है.
सभापति जी, लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू में सैकड़ों प्रकरण बने क्या इन 8-10 साल में जो दोषी अधिकारी हैं, कितने पर कार्यवाही हुई. मैं सरकार और वरिष्ठ जनों से पूछना चाहता हूं कि वे खुलेआम भ्रष्टाचार में पकड़ाए, लेकिन इन 7-8 वर्षों में कितने प्रतिशत लोगों के ऊपर कार्यवाही हुई. सरकार ने क्या अनिश्चितकालीन जनता को भटकाने के लिए, ये बिना दांत के शेर ईओडल्यू और लोकायुक्त, क्या सिर्फ विपक्ष को डराने के लिए और उन भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए है.
सभापति महोदय – महेश जी कृपया सहयोग करें.
श्री महेश परमार--सभापति महोदय, मंदसौर गोलीकाण्ड किसानों के ऊपर उनकी छातियों में गोली चलाई गई. आज तक जांच की रिपोर्ट पटल पर नहीं रखी गई है. यह सरकार है भारतीय जनता पार्टी की मैं पूछना चाहता हूं.
5.01 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था.
सदन के समय में वृद्धि विषयक.
सभापति महोदय—अनुपूरक की मांगों पर चर्चा हेतु निर्धारित 2 घंटे की अवधि पूर्ण हो चुकी है, परन्तु बोलने वाले सदस्यों की संख्या अभी भी अधिक है. अतः वित्त विषयक कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया समय की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए तीन तीन मिनट में अपनी बात रखें.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल—मंदसौर गोलीकाण्ड की जगह मुलताई गोली काण्ड को भी याद करें. (व्यवधान)
श्री महेश परमार—सभापति महोदय, मेरी बात पूरी होने दीजिये. मैं कहना चाहता हूं कि इतने बड़े विकास के दावे हैं खुले मंच से कहना चाहता हूं कि आपके नेतृत्व में एक कमेटी बना दी जाये और जितने भी विभाग हैं चाहे महिला विकास विभाग हो, चाहे शिक्षा विभाग हो, स्वास्थ्य हो, पुलिस विभाग हो, उसका आप भौतिक सत्यापन कर लें, तो क्या स्थिति है ? अगर इनमें खुले रूप से चुनौती देता हूं कि चलकर के देख लें कि पूरे मध्यप्रदेश में क्या स्थिति है ? सिर्फ आंकड़ों की जादूगरी है सभापति महोदय जमीन पर कोई काम ही नहीं हुए हैं. यह सरकार पूरी तरह से विफल हो चुकी है. हर मामले में भ्रष्टाचार, चारों तरफ उज्जैन में आप देख लीजिये क्या स्थिति है ? इन्दौर-उज्जैन रोड़ तथा सड़क का काम चल रहा है, वहां पर टोल टैक्स वसूल कर रहे हैं. आदरणीय तुलसी सिलावट जी बैठे हैं इनका विधान सभा का क्षेत्र बीच में आता है. सभापति महोदय, यह कौन सी सरकार है दो घंटे-तीन घंटे पहुंचने में लगते हैं उसमें भी टोल टैक्स वसूल कर रहे हैं. जाम में निर्दोष लोगों की जान चली जाती है तो उस पर कुछ नहीं होता. आज सबसे ज्यादा परेशान किसान हैं उसकी लागत चार गुना बढ़ चुकी है. दाम भी बढ़े हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल—यह टोल टैक्स फोर लेन वाला पुराना है आपको भी पता है. आप तो कहीं की बातें कहीं कर रहे हैं.
श्री महेश परमार—सभापति महोदय, 10 स्मार्ट सिटी का वायदा किया था उसका क्या हुआ ? सभापति महोदय, पंचायती राज, मनरेगा में दो साल में क्या काम किया ? आदरणीय वित्त मंत्री जी इसको पटल पर दिखायें मैं उसको दावे के साथ कह सकता हूं कि सिर्फ आंकड़े हैं खेत सड़क तक नहीं बनी हैं तो क्या विकास की बात कर रहे हैं यह लोग ? मैं क्षेत्र की बात कहकर अपनी बात को समाप्त करता हूं. मेरे क्षेत्र में नर्मदा सिंचाई परियोजना में जो छूटे हुए गांव हैं उनको जोड़ा जाये. मेरी मांग है अगर उन गांवों को नहीं जोड़ा गया तो आने वाले समय में वहां के हजारों किसानों के साथ मैं मध्यप्रदेश की विधान सभा का घेराव करूंगा, उज्जैन संभागीय कार्यालय का घेराव करूंगा. यह मेरी मांग है. पुलिस के साथियों को साप्ताहिक एक दिन का अवकाश दिया जाये, यह मेरी मांग है. कूटरचित शराब घोटाला अभी जबलपुर में आपने देखा संजय दुबे जिन्होंने करोड़ो का वाणिज्यिक घोटाला किया सैकड़ो करोड़ का फर्जी चालान बनाकर उसको बचाने का प्रयास किया जा रहा है.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू (मनासा)—सभापति महोदय, काफी समय से मैं विपक्षी मित्रों की बातों को सुन रहा था. वह हर बात को ऐसा रखते हैं कि जैसे उनके कार्यकाल में सारा काम करके मध्यप्रदेश को विकसित राज्य बनाकर हमारे को देकर के गये हैं, अब व्यवस्था हमने बिगाड़ दी है. हम प्रदेश का विकास भी कर रहे हैं. हम दोहरे मोर्चे पर काम कर रहे हैं. हमारी भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश की सरकार केन्द्र की हमारी सरकार माननीय मोदी जी के नेतृत्व में देश का समुचित विकास करने का काम कर रही है. मैं धन्यवाद देता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में माननीय वित्त मंत्री जी देवड़ा जी के अनुपूरक बजट में जो उन्होंने प्रस्तुत किया. निश्चित रूप से समुचित विकास की दृष्टि से परिपूर्ण अनुपूरक बजट 2 हजार 3 सौ 35 करोड़ 36 लाख रूपये का यह बजट है. इस बजट में सबसे महत्वपूर्ण बात जो है इसमें सबसे ज्यादा जो व्यवस्था रखी गई है वह कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने के लिये पुलिस विभाग के लिये, हमारे सुरक्षा कर्मियों के लिये, हमारे जवानों के लिये नवीन उपकरण खरीदें जायेंगे. इसमें साढ़े 62 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य है, इससे प्रदेश में अपराध भी कम होंगे और अपराधी भी जल्दी पकड़े जायेंगे. उसके उन्नयन के लिये सारा पैसा खर्च किया जा रहा है. निश्चित रूप से हमारे प्रदेश की पुलिस व्यवस्था के लिये एक महत्वपूर्ण योगदान होगा. अन्य सभी विभागों के लिये बहुत सारे प्रावधान किये गये हैं.जिसमें से हमारी सड़कों और पुलों के लिए लगभग 100 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया. हमारे स्वास्थ्य के लिए 988 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया. नगरीय विकास एवं आवास के लिए 172 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया. निश्चित रूप से यह प्रदेश की सड़कों एवं जनता के स्वास्थ्य के प्रति माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है.
सभापति महोदय, अभी मेरे विधानसभा क्षेत्र मनासा में मेरी मांग पर 100 बेड का सिविल हॉस्पीटल बनकर तैयार हो गया और सामुदायिक केन्द्र भी वहां स्थानांतरित हो गया, वह चल रहा है. लेकिन आज तक उस हॉस्पीटल को सिविल हॉस्पीटल का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ. माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि उसको सिविल हॉस्पीटल का दर्जा दिया जाये और वहां पर आवश्यक स्टॉफ की नियुक्ति और उपकरण की व्यवस्था की जाये. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी संवेदनशील हैं. हमारे माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी भी संवेदनशील हैं और मुझे आशा है कि यह काम बहुत जल्दी हो जाएगा. मुझे इस बात को लेकर प्रसन्नता है कि हमारे प्रदेश की सरकार माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में पूरी संवेदनशीलता से काम कर रही है. मैं संवेदनशीलता का एक उदाहरण देना चाहता हॅूं.
सभापति महोदय, पिछले सत्र में मैंने इस विधानसभा सदन में गांधी सागर बांध के सारे उत्पादन सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए एक बात रखी थी. मैंने सदन के माध्यम से अपनी बात रखी थी, एक सुझाव रखा था कि हमारे सिस्टम को अपग्रेड कर लिया जायेगा, तो जो उत्पादन अभी 25 मेगावॉट है वह सवा सौ मेगावॉट तक जा सकता है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री को धन्यवाद देता हॅूं कि उस बात को संज्ञान में लेते हुए उन्होंने 3 महीने के अंदर उस डेम की स्टडी करके उसके लिए 468 करोड़ रूपए का प्रावधान करके टेण्डर तक लगवा दिये. इस बात के लिए मैं मध्यप्रदेश की संवेदनशील सरकार को बधाई देता हॅूं जिन्होंने सदन में रखी हुई बातों को इतनी जल्दी से नोटिस किया. यह इस बात को दर्शाता है कि यह सरकार जनता की मांग पर और जनप्रतिनिधियों के सुझाव पर संवेदनशीलता के साथ काम करती है. मैं इस बात के लिए धन्यवाद देता हॅूं. अंत में मैं अपनी बात को लंबी नहीं खींचना चाहता. आंकड़ों की चर्चा सब ने की है. मैं इस अनुपूरक बजट का समर्थन करते हुए अपनी बात को यहीं समाप्त करता हॅूं. धन्यवाद.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरा सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है जैसा कि माननीय श्री अनिरूद्ध माधव मारू जी ने समय की मर्यादा का पालन किया है, तो सभी माननीय सदस्य उसमें सहयोग करें. श्री नारायण पट्टा जी.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) -- माननीय सभापति महोदय, अनुपूरक बजट में हम 2 हजार 335 करोड़ 36 लाख रूपए से ज्यादा का प्रावधान कर रहे हैं पर क्या वाकई में हम अपने प्रदेश के लोगों तक यह पहुंचा पा रहे हैं. आज हमारे स्कूलों की क्या स्थिति है, यह किसी से छिपी हुई नहीं है. हमारे प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं के बच्चे किन गंभीर परिस्थितियों में स्कूलों में पढ़ रहे हैं, यह सब जानते हैं. कहीं छत टपक रही है, तो कहीं भवन ही नहीं हैं. कहीं पेड़ के नीचे स्कूल लग रहे हैं तो कहीं भवन जर्जर हैं. मेरे मंडला जिले में ही 1973 स्कूल भवनों में से 580 भवन जर्जर हैं और 70 से ज्यादा स्कूल भवन जो अति जर्जर थे, उन्हें बंद कर दिया गया. अभी आप सब लोगों ने देखा कि राजस्थान के झालावाड़ जिले में हुई जैसी किसी घटना का इंतजार हम कर रहे हैं. क्यों हम बच्चों की जिंदगी दांव पर लगाकर उन्हें पढ़ाई करने को मजबूर कर रहे हैं. हर साल हजारों-करोड़ों रूपए की सामग्री सप्लाई के नाम पर, तो कहीं मेंटेंनेंस के नाम पर खर्च किए जाते हैं. लेकिन स्कूलों की हालत जस की तस बनी हुई है. हमारे देश का भविष्य अच्छे से बिना किसी भय से पढ़-लिख सके, इसके लिए स्कूल भवनों का निर्माण कराया जाना अति आवश्यक है.
सभापति महोदय, मैं विद्युत विभाग की बात करना चाहता हॅूं. विद्युत विभाग में अभी-अभी उपभोक्ताओं के घरों में जो स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, उसमें मुझे एक बात समझ में नहीं आती कि अभी कुछ समय पहले इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाये गये, तो यह स्मार्ट मीटर लगाने की अचानक से क्या जरूरत आ गई. जो स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं वह इतने स्मार्ट हैं कि जिन गरीब उपभोक्ताओं का बिजली बिल पहले 100-200 रूपए आता था, अब कहीं 20 हजार, 25 हजार, 50 हजार रूपए तक के बिजली बिल देखने को मिल रहे हैं. क्या इन मीटरों को इसलिए लगाया जा रहा है, जिससे जनता से बेवजह वसूली करके बिजली कंपनियों को भुगतान किया जा सके. इससे आम-जनता का आर्थिक शोषण हो रहा है और बेवजह सरकार के हजारों करोड़ों रुपए भी बर्बाद हो रहे हैं.
सभापति महोदय, पेसा मोबिलाइजर की बात बहुत सारे लोगों ने की है. सरकार के पास इनके मानदेय देने तक के लिए पैसा नहीं है. पिछले कई महीने से प्रदेश में 23000 से ज्यादा पेसा मोबिलाइजर को मानदेय नहीं मिला है. वहीं इनका मानदेय 4000 रुपये से 8000 रुपये करने की घोषणा की गई थी और अभी पिछली दिवाली के समय माननीय मुख्यमंत्री जी ने बकायदा सोशल मीडिया में पोस्ट करके मानदेय बढ़ाने की जानकारी दी थी, जिससे पेसा मोबिलाइजरों के मन में खुशी आई थी, लेकिन पूरे प्रदेश में वह 23000 पेसा मोबिलाइजर बढ़े हुए मानदेय का आज भी इंतजार कर रहे हैं.
इसी प्रकार रोजगार सहायकों को सहायक सचिव का पदनाम देने की बात कही गई थी, जिसे सरकार भूल गई. संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की तरह सारी सुविधाएं दिये जाने की घोषणाएं कई बार की गई हैं, लेकिन आज यह कर्मचारी भी अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं. अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की बात भी कही गई थी, लेकिन अब तो यह स्थिति हो गई है कि नियमित तो दूर अतिथि शिक्षकों को रखा भी नहीं जा रहा है. नये-नये नियम प्रक्रिया बनाकर उनको दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है. इस तरह से लगातार उनको परेशान किया जा रहा है.
सभापति महोदय, सभी साथियों ने कहा कि अभी किसानी का समय है. किसानों को खाद बीज की सख्त आवश्यकता है, लेकिन किस तरह से व्यापारियों के गोदामों में स्टॉक भरे पड़े हैं, लेकिन हमारी सरकारी समितियों में किसके द्वारा किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा है.
सभापति महोदय, हम सरकार से आग्रह करना चाहते हैं और संबंधित मंत्री से भी यह बात कहना चाहते हैं कि यह बहुत ही संजीदगी का विषय है कि हम अपने आपको किसान तो कहते हैं लेकिन आज किसान किस तरह से ठगा महसूस कर रहा है यह बहुत गंभीर विषय है. किसानों को लगातार खाद नहीं मिल रही है, लगातार लाइनों में खड़े होकर रात-दिन किसान परेशान हो रहा है. अतिवृष्टि में हमारे किसान भाइयों की जो रोपा लगी हुई थी, जिनका धान का फसल बोया जा चुका था. अतिवृष्टि के कारण उनकी क्षति हुई है. मैं आग्रह करना चाहता हूं वित्तमंत्री महोदय से कि इसको सरकार प्रावधानित करे और सर्वे कराकर जो किसानों की क्षति हुई है, वह क्षतिपूर्ति किसानों तक पहुंचाई जाय.
सभापति महोदय, आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि सिर्फ और सिर्फ अनुपूरक बजट को पास करके वहां तक सीमित न रहें कि जो जनसुविधाओं के मुद्दे हैं, हम उन पर अनुपूरक बजट को व्यय करें, यही वित्त मंत्री महोदय से कहना चाहता हूं. जमीन स्तर पर अगर आज हम देखते हैं तो जो पहले की स्थिति थी, वही स्थिति आज ग्रामीण क्षेत्रों की है.
मैं वित्तमंत्री महोदय का एक बात पर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि हमारा एक ऐसा विकास खण्ड मवई जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, ग्राम पंचायत टिकरिया का पोषक गांव बाघण्डी जो लगभग 3 कि.मी. की दूरी पर बसा हुआ है. आज भी वहां पर पहुंच मार्ग नहीं है. एक नाला है, जिसमें जरा-सा पानी आने पर बाढ़ आ जाती है. बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. जैसे तैसे उसको पार करके पालक बच्चों के आने तक का इंतजार करते हैं. मैं वित्तमंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि टिकरिया से बाघण्डी मार्ग को अनुपूरक बजट में शामिल करके उसकी स्वीकृति प्रदाय की जाय. सभापति महोदय, आपने अनुपूरक बजट पर अपनी बात कहने का मुझे अवसर दिया, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय- श्री उमाकांत शर्माजी. उमाकांत जी आप विद्धान हैं,बस गागर में सागर.
श्री उमाकांत शर्मा( सिरोंज) - माननीय सभापति महोदय, मेरे को अवसर देने के लिये धन्यवाद. पहले तो मैं अपने मन की बात कहना चाहता हूं.
सभापति महोदय- आप तो अनुपूरक पर बात रखिये.
श्री उमाकांत शर्मा- आगामी सोमवार, सुखिया सोमवार सदन के माननीय सदस्य और हमारे वरिष्ठ लोग भी सहमत होंगे. सबके यहां बहुत बड़े भव्य, कोई के यहां कावड़, कोई के यहां पार्थिव लिंग बनना है. कृपया सोमवार का अवकाश घोषित कर दें तो हम लोगों के लिये जनता से मिलना हो जायेगा. साथ ही हमारे जनजातीय समाज के कांग्रेस के बहुत से मित्रों ने विषय रखा है कि जनजातीय समाज के साथ ऐसा हो रहा है, गलत व्यवहार हो रहा है, अधिकारों की पूर्ति नहीं हो रही है. माननीय बाला बच्चन जी, उमंग सिंघार जी आपको कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाया जायेगा, विपक्ष की नेता जमुना देवी जी थी थीं और आप भी हों. यह कांग्रेस का आदर्श है. यह कांग्रेस का व्यवहार है. इसलिये जनजातीय समाज की वकालत करना...
डॉ. रामकिशोर दोगने- सभापति महोदय, इनको पता है या नहीं, यह किस विषय पर बोल रहे हैं.
श्री उमाकांत शर्मा- मैं अनुपूरक बजट के लिये बोलना चाहता हूं. माननीय वित्त मंत्री जी ने, माननीय मोहन यादव जी ने और हमारी प्रधानमंत्री जी ने एवं मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जीने जनजातीय गौरव दिवस और जनजातीय समाज के हित में जो कार्य किये हैं उनकी मैं वंदना करता हूं, अभिनंदन करता हूं और बजट के प्रावधान का स्वागत करता हूं.
सभापति महोदय, माननीय विधायक बोल रहे थे कि हमारे साथ भेदभाव हो रहा है. आपने कितना किया जरा कलेजे़ को टटोल कर के तो देखो. आप बताइये कि प्रधानमंत्री सड़क बनी कि नहीं, अटल जी की देन है, भाजपा सरकार की देन है. प्रधान मंत्री आवास देश के अंदर साढ़े चार करोड़ के लगभग हर विधान सभा क्षेत्र में चार-चार, पांच-पांच हजार, माननीय कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष महोदय, क्या आपके यहां प्रधान मंत्री आवास नहीं बने ? उसमें कौन सा भेदभाव हुआ है. इंदिरा आवास की एक कुटी बता देना, चलो हम दौरा करने चलते हैं. आपके साथ चलते हैं और विधान सभा से हटकर चलने को तैयार हूं. पता नहीं है, सरपंच की जेब में और आज मध्य प्रदेश सरकार और हमारे वित्त मंत्री जी ने, मुख्यमंत्री जी ने, प्रधानमंत्री जी ने पारदर्शी नीति के अंतर्गत डेढ़ लाख और ढाई लाख रूपये हितग्राही की जेब में नहीं करे ? मकान खड़ा हो गया और छत डल गयी. गरीबों के सर के ऊपर छाया हो गयी. ( मेजों की थपथपाहट) इसके लिये मध्य प्रदेश की सरकार का मोहन यादव जी का, माननीय प्रधान मंत्री जी का अभिनंदन करता हूं, जोर-जोर से करता हूं.
सभापति महोदय- उमाकांत जी समाप्त करिये.
श्री फून्देलाल सिंह मार्को- पंडित जी, आप इसे ठीक कर लें कि एक लाख बीस हजार में प्रधान मंत्री आवास बन रहा है.
श्री उमाकांत शर्मा- और श्रीमान मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आप बिरसा मुंडा को भूल गये हो, भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय गौरव दिवस यह भारतीय जनता पार्टी ने दिया है और संत रविदास जी का ये वित्त मंत्री जी बैठे हैं, हमारी सरकार के माननीय मंत्रीगण संसदीय कार्य मंत्री, कैलाश जिनका नाम है और जो स्वच्छता में बड़े-बड़े शिखर बना रहे हैं, कैलाश से भी ऊंचे बना देंगे. मैं कहना चाहता हूं संत रविदास के बारे में. अनुसूचित जाति की बात करने वालों सारे विधायक, अनुसूचित जाति के सांसद भारतीय जनता पार्टी के हैं. अनुसूचित जाति, जनजाति हमारे सिर के गौरव हैं, मैं ब्राह्मण का बालक हूं. लेकिन मैंने दो साल पहले हमारे नरेन्द्र मोदी जी से प्रेरणा लेकर, दीन दयाल जी से प्रेरणा लेकर स्वच्छता मित्रों का सम्मेलन किया और कलेक्टर साहब एवं एसपी साहब, सब आये. मैंने उनके चरण पखारे मेरे सिर पर धारण किया. यह हमारी भारतीय जनता पार्टी का चेहरा, चाल और चरित्र है.
..(व्यवधान)..
श्री दिनेश जैन (बोस)-- उमाकांत जी, धीरे बोलिये, नस फट जायेगी.
श्री उमाकांत शर्मा—हमें देखकर कई लोग फट जाते हैं. हम नहीं फटते, हम कैलाश जी के पट्टे हैं. हमें मत दबाना. हम जोर से दहाड़ते हैं और दहाड़ते रहेंगे.
सभापति महोदय—उमाकांत जी, कृपया समाप्त करें. कृपया सहयोग करें.
श्री उमाकांत शर्मा-- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हित वर्धन के लिये ..
श्री दिलीप सिंह परिहार—सभापति महोदय, मॉडल पुराना है, कंडीशन ओके है, आवाज में दम है. (हंसी)..
सभापति महोदय—हां, अब सहयोग करें उमाकांत जी. समाप्त करें.
श्री उमाकांत शर्मा-- बिलकुल, आपकी आज्ञा शिरोधार्य है. सभापति महोदय, देवड़ा जी पर, हमारे वित्त मंत्री जी पर आरोप लगाने के लिये तो आप बढ़े आ गये. ये अनुसूचित जाति के उप मुख्यमंत्री बने हैं, तो वह भी हमारी भाजपा की सरकार में बने हैं.
सभापति महोदय—उमाकांत जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री उमाकांत शर्मा-- आदरणीय तुलसी जी भाई साहब से निवेदन कर रहा हूं, मेरा आश्वासन पूरा नहीं हुआ. सिंध नदी पर डेम बनवाइये. आपने काली सिंध जुड़वा दी, बेतवा और चीजें जुड़वा दीं. मेरी बहुत बड़ी नदी है सिंध, उसके लिये कुछ करिये. आनन्दपुर में महाविद्यालय प्रारम्भ करवा दें और गांव, गीता, गंगा की सरकार पशु पालन मंत्री जी हैं कि नहीं. हमने 30 रुपये से बढ़ाकर यह गौमाता की सेवा के लिये 40 रुपये किये हैं. मैं अभिनन्दन करता हूं, मोहन यादव जी का. अब आप देखना सहकारिता के माध्यम से, अमित शाह जी के माध्यम से गांव गांव में तरक्की होगी, दूध पर 5 रुपये बोनस देंगे, धन्यवाद, नमस्कार.
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) -- सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. आपने वर्ष 20025-2026 के प्रथम अनुपूरक बजट पर बोलने का मौका दिया. अनुपूरक बजट में सरकार ने 2 हजार 335 करोड़ का प्रावधान किया. सभापति महोदय, यह सरकार अपने आपको संवेदनशील सरकार कहती है. सरकार का नारा है कि सबका साथ सबका विकास, लेकिन मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार गरीबों, आदिवासियों एवं पिछड़ों के लिये, दलितों के लिये कितनी संवेदनशील है, यह तो आज मध्यप्रदेश में जो अत्याचार, शोषण हो रहा है इन वर्गों के साथ, वह सबके सामने है. मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां पर सबसे ज्यादा आदिवासी निवास करते हैं. मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां पर सबसे ज्यादा जंगल क्षेत्र आता है. पूरे देश का जंगल क्षेत्र, जिसमें मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा एरिया है. जंगलों पर अधिकार देने की जब बात आती है, तो यह सरकार आदिवासियों को जंगलों पर उनके अधिकार देने की बजाय उनके घरों पर बुल्डोजर चलवाती है. यह संवेदनशील सरकार है. पिछले दिनों देवास के खिवनी अभयारण्य में 40 आदिवासियों के घरों को भरी बरसात में बिना नोटिस दिये, इन्होंने घरों पर बुल्डोजर चलवा दिये.
सभापति महोदय, देवास जिले के खिवनी अभ्यारण्य में 40 आदिवासियों के घरो को भरी बरसात में बिना नोटिस दिये सरकार ने उनके घरों पर बुल्डोजर चलवा दिये.23 जून को डिण्डोरी जिले के करंजिया ब्लाक के बरेंडा गांव में 57 बेगा आदिवासियों के घरों पर सरकार ने बुल्डोजर चलवा दिया. उसी 23 जून को नर्मदापुरम जिले के माखन नगर के डांगपुरा और खरगापुर में भी 57 आदिवासी परिवारों को उजाड़ दिया . जब केन्द्र सरकार ने वन अधिकार कानून बनाया 2006 में, यह कानून 2008 में लागू हुआ और उसमें स्पष्ट प्रावधान है कि 2205 से पहले जो आदिवासी जंगलों में तीन पीढ़ी से निवास करते हैं उनको वन अधिकार के तहत व्यक्तिगत पट्टे और सामुदायिक वन अधिकार के पट्टे दिये जाना चाहिये लेकिन मध्यप्रदेश में हाल ही में केन्द्र सरकार ने एक योजना शुरू की यह अक्टूबर 2024 से "धरती आबा" जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान और इस "धरती आबा" अभियान के माध्यम से जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को जंगल में अधिकार देने की बात कही थी. केन्द्र सरकार ने 3380 करोड़ की राशि का इसके लिये प्रावधान किया और ग्राम सभा को सशक्त और संपन्न बनाने के लिये प्रत्येक ग्राम सभा को 15 लाख रूपये देने की घोषणा की. आज दिनांक तक मध्यप्रदेश की एक भी ग्राम सभा को 15 लाख यह सरकार नहीं दिला पाई. क्योंकि एक भी ग्राम सभा को वनों पर प्रबंधन का अधिकार नहीं दिया गया. यह सरकार की मंशा है. पिछले दिनों जब एक साथ 23 जून को आदिवासियों के घरों पर बुल्डोजर चलाया, प्रदेश के आदिवासी युवाओं ने प्रदर्शन किया सरकार ने अपने मंत्रियों को उनके घर में भेजा, खिवनी गांव में जब मंत्री गये तब उन आदिवासियों को क्या देकर के आये, चार पतरे (टीन) की व्यवस्था करके आये. आपने उनके घरों को तोड़ा, उनके ताजमहल को तोड़ा और कंपनसेशन में कुछ नहीं दिया, सरकार ने उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही भी नहीं की, न उन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, न उन अधिकारियों को हटाया, न ही पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया. यह सरकार की संवेदनशीलता है.
माननीय सभापति महोदय, हमारे पड़ोसी राज्य, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान ने जो सामुदायिक वन अधिकार के दावे स्वीकृत किये हैं उनको मैं सदन के ध्यान में लाना चाहता हूं. महोदय, महाराष्ट्र ने 5 हजार 71 ग्राम सभा को 11 हजार 769 वर्ग किलोमीटर पर सामुदायिक वन अधिकार की मान्यता प्रदान की है. छत्तीसगढ राज्य ने 4 हजार 307 ग्राम सभा के 19 हजार 421 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र पर सामुदायिक वन अधिकार के दावे सौंपे लेकिन मध्य प्रदेश की सरकार एक दावा भी नहीं सौंप पाई. (xx) मैं यह कहना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से एक और महत्वपूर्ण बात सदन में कहना चाहता हूं. आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं. जो भी अधिकारी अनुसूचित क्षेत्रों में, पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में जिन भी कलेक्टर , एसपी की पोस्टिंग करते हैं उनको सबसे सबसे पहले पांचवी अनुसूची की ट्रेनिंग दी जानी चाहिये क्योंकि खुले आम आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार की धज्जियां उडा रहे हैं, खुले आम इन्ड्रस्टीज के नाम पर आदिवासियों की जमीन बिना ग्राम सभा की अनुमति से ली जा रही है. एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर भी मैं आपका और सदन का ध्यान दिलाना चाहता हूं . एक ब़ड़ा मुद्दा यह है कि प्रदेश में आदिवासियों की जमीन को बड़े पैमाने पर गैर आदिवासियों को दिया जा रहा है, बड़े पैमाने पर आदिवासी की जमीन किसी न किसी माध्यम से उनसे छीनी जा रही है. डिण्डोरी जिले में 1 हजार एकड़ बैगा आदिवासियों की जमीन भू-माफिया ने हडपी और आज दिनांक तक सरकार ने उन भू-माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है.
जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसी सिलावट) -- सभापति महोदय, माननीय सदस्य द्वारा वन विभाग के उच्च अधिकारियों पर आरोप लगाये गये हैं, उनके नाम लिये हैं, मेरा अनुरोध है कि उनको कार्यवाही से विलोपित करना चाहिये.
सभापति महोदय- जिनके नाम लिये गये हैं उनको विलोपित करें. डॉ. साहब आप समाप्त करें.
डॉ.हीरालाल अलावा-- सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि सरकार ने पेसा नियम लागू करने के लिये एक्सीलेंस सेंटर बनाने जा रही है.बहुत गंभीर बात है कि सरकार जो कुछ एक्सीलेंस सेंटर बनाने जा रही है. सभापति महोदय, कुछ गंभीर मुद्दे हैं, पेसा मोबेलाइजर्स पिछले 6 महीने से उनको 4,000 रुपये का वेतन सरकार नहीं दे पा रही है. आज यह कैसे युवाओं के साथ न्याय करेगी. जनसेवा मित्र आज की तारीख में जो 9,300 जनसेवा मित्र हैं सरकार को खून से लेटर लिख रहे हैं, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार उन मित्रों से बात नहीं करना चाहती है. जब चुनाव था तब उन मित्रों के साथ इन्होंने चुनाव में काम लिया और जैसे ही चुनाव खतम हुआ सरकार ने उनको हटा दिया. मेरे विधान सभा क्षेत्र का एक गंभीर मुद्दा है.
सभापति महोदय -- डॉक्टर साहब, बहुत-बहुत धन्यवाद. आपको पर्याप्त समय दिया गया है अब आप समाप्त करें.
डॉ. हिरालाल अलावा -- सभापति महोदय, मैंने बायपास को लेकर लगातार मांग किया कि मनावर में बायपास बनाया जाए. 2300 करोड़ मिला लेकिन एक बायपास स्वीकृत नहीं किया गया. मैं आपका धन्यवाद और आभार प्रकट करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सिद्धार्थ तिवारी (त्योंथर) -- सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे इस बजट चर्चा में बात रखने का मौका देने के लिए. मैं सरकार के द्वारा पेश किए गए इस बजट का सपोर्ट करता हूं, समर्थन करता हूं और कुछ भी बोलने के पहले अपने जवानों को, तीनों सेनाओं को नमन करता हूं और मोदी जी ने जो मजबूती से पाकिस्तान के छक्के छुड़ाए हैं, दुश्मन को उसकी जगह दिखाई है, मैं उसकी बड़ाई करता हूं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- बहन कर्नल सोफिया को आतंकियों की बहन बताया, अगर आप सेना का सम्मान करते तो उनका इस्तीफा होना चाहिए.
श्री सिद्धार्थ तिवारी -- बैठ जाओ भाई, अभी तो बहुत मिलेगा अभी तो बोलना चालू नहीं किया मैंने. बैठो-बैठो.
सभापति महोदय -- कृपया बैठें, उनको अपनी बात रखने दें. तिवारी जी, अपनी बात जारी रखें.
श्री सिद्धार्थ तिवारी -- सभापति महोदय, मैं समय की सीमा में अपनी बात रखूंगा, लेकिन थोड़ा सा उधर दिक्कत होगी.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- इनको बोलने दो अभी, आपका जब अवसर आएगा तब बोलना.
श्री सिद्धार्थ तिवारी -- सभापति महोदय, हमारे कांग्रेस के विपक्ष के मित्रों को बड़ी समस्या हो रही थी बजट से और कर्ज से, लेकिन पूरे आंकड़े यह लोग नहीं बताते हैं. यह लोग यह नहीं बताते हैं कि जब कांग्रेस की सरकार वर्ष 2003 में गई थी तब प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 11,000 रुपये थी और आज वह 1,400 परसेंट बढ़कर 1 लाख, 47 हजार रुपये प्रति व्यक्ति हो गई है. माननीय डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में मात्र सवा साल में यह 10 परसेंट से बढ़ी है और आज मध्यप्रदेश नई ऊचाइयों को छू रहा है. 11.7 प्रतिशत् जीएसडीपी ग्रोथ से आज अग्रणी राज्यों में से एक राज्य बन गया है. यह खूबी है हमारे इन बजटों की. प्राथमिकताओं की बात होती है. हम लाड़ली बहना की बात करते हैं. डॉ. मोहन यादव अपने शरीर का एक-एक कण और अपने समय का एक-एक क्षण बहनों के उत्थान के लिए, गांव की लाड़ली बहनाओं के लिए लगाते हैं, परंतु जब कांग्रेस की सरकार आती है तो यह बॉलीवुड अभिनेत्रियों और आईफा पर पूरा बजट और ध्यान लगाते हैं. यह प्राथमिकताओं की बात है. यह काम की बात करते हैं. कांग्रेस को मुझसे ज्यादा अच्छे तरीके से कोई नहीं जानता है. जब वर्ष 2003 में कांग्रेस की सरकार गई थी तब के मुख्यमंत्री यह बोला करते थे कि काम करने से सरकारें नहीं आती हैं, उनका मॉडल कौन हुआ करता था, कांग्रेस का रोल मॉडल उस समय लालू प्रसाद यादव जी हुआ करते थे. बोलते थे कि लालू जी को जाकर देखो वहां सिर्फ गणित से सरकार आती है, काम करने से सरकार नहीं आती है. यह प्राथमिकताएं कांग्रेस की हैं. हमारे डॉ.मोहन यादव जी की सरकार इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव्स को रीजंस में ले जा रही है. हमारे विंध्य में भी रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव हुई. 31 हजार करोड़ के उत्तरप्रदेश और कई प्रदेशों से और यहां तक कि लोकल आंत्रप्रेन्योर से हमें 31 हजार करोड़ के प्रपोजल्स मिले हैं और वह जमीन पर उतरना चालू हो गए हैं. जब हमारे मुख्यमंत्री बजट पेश करते हैं या जब इंडस्ट्रीज़ की बात करते हैं, तो वह एकमात्र कॉन्क्लेव की बात नहीं करते हैं बल्कि उसके हिसाब से पॉलिसी भी निर्धारित करते हैं. जब हम इनवेस्टमेंट अट्रैक्ट करते हैं तो सिर्फ कॉन्क्लेव से नहीं होता है, कॉन्क्लेव सिर्फ उसका हिस्सा है कांग्रेस के साथी उसके पीछे की तैयारी नहीं जानते हैं, वह यह नहीं जानते कि मुख्यमंत्री जी हुकुमचंद मिल के जो वर्कर्स हैं. उनका भी ख्याल रखते हैं और जो यहां इनवेस्ट करेगा उन कम्पनियों के वर्कर्स का भी ख्याल रखेंगे. यह सोच कांग्रेस के साथियों की नहीं है. हमारे यहां विन्ध्य में रीजनल टूरिज्म कॉनक्लेव हुई. जहां पर विन्ध्य की जितनी संपदाएं हैं. विन्ध्य में आध्यात्म के मामले में चित्रकूट है, जहां भगवान राम वनवास के समय में सबसे ज्यादा समय रहे थे. वहां पर एक कॉरीडोर बन रहा है. हमारे यहां अमरकंटक है, हम विन्ध्यवासिनी के चरणों में रहते हैं. विन्ध्य की रीजनल टूरिज्म कॉनक्लेव में एक दिन में 2700 करोड़ रुपए के हमारे पास प्रपोजल्स आए थे. हम यह बजट क्यों लाते हैं. इन बजटों से 51 एक्सलेंस कॉलेज हर डिस्ट्रिक्ट में खुल गए हैं. हमारे यहां सांदीपनि विश्वविद्यालयों का जाल बिछ रहा है. डॉक्टर मोहन यादव खुद मोहन नहीं हैं. वे इस प्रदेश के हर बच्चे को मोहन के रुप में देखते हैं. सांदीपनि विद्यालय में उसकी शिक्षा हो उस पर वे ध्यान देते हैं, जहां भगवान श्रीकृष्ण स्वयं पढ़े थे. प्राथमिकताओं की बात है. हम स्कूटियां दे रहे हैं, साइकिल दे रहे हैं, लेपटॉप दे रहे हैं. मैंने अपने हाथों से दिए हैं. हम साक्ष्य में काम करते हैं हम कांग्रेस की तरह हवाबाजी में काम नहीं करते हैं. यह बजट जो भारतीय जनता पार्टी लाती है. कांग्रेस के समय में 5 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे आज 27 हैं और इसी सरकार में 45 मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे. यह भारतीय जनता पार्टी के बजटों का काम है.
माननीय सभापति महोदय, स्वच्छता में इंदौर ने एक नंबर प्राप्त किया है और हमारे प्रदेश के कई शहरों को भारत के मानचित्र में स्वच्छता में जगह मिली है. यह डॉ. मोहन यादव जी का काम है. प्रदेश में 50 लाख आवास मिल चुके हैं और अगले "आवास 2.0" पर काम चल रहा है. एक एक तहसील में अनुसूचित जाति, जनजाति और गरीब भाइयों के लिए 25-25 हजार मकान आए हैं. यह आंकड़ा दोगुना हो जाएगा. प्राथमिकताओं की बात थी जब वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार थी तो उन्होंने 2 लाख आवास केन्द्र को वापस कर दिए थे, गरीबों को नहीं दिए थे. चर्चा होगी तो प्राथमिकताओं की बात होगी.
सभापति महोदय, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने न केवल रामलला के लिए भव्य मंदिर बनाया बल्कि हमारे गरीब को मढ़ई से निकालकर पक्के मकान में रखा. यह भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी का विजन है.
सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री सुरेश राजे (डबरा) -- माननीय सभापति महोदय, सभी ने अनुपूरक बजट की बात की है. सत्तापक्ष का धर्म है उधर के सदस्यों का फर्ज भी बनता है कि वे अपनी सरकार की तारीफ करें लेकिन हम जिधर खड़े हैं हमारा यह कर्तव्य है कि सरकार कहां चूक रही है उसे याद दिलाएं. सभी ने कहा कि शिक्षा की स्थिति बेहतर है, स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर है, सिंचाई की स्थिति बेहतर है, बिजली की स्थिति बेहतर है. यदि सभी स्थितियां आपकी नजर में बेहतर हैं तो बंधुओं मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि फिर प्रदेश का किसान परेशान क्यों है. किसान को समय पर खाद क्यों नहीं मिल रहा है. बिजली की बहुत बात हो रही है कि हम आत्मनिर्भर हो गए हैं. हमारे पास सरप्लस बिजली है. अगर हमारे पास सरप्लस बिजली है तो किसान को 10 घंटे बिजली देने की बात करने वाली सरकार उसको 2 घंटे भी बिजली नहीं दे पा रही है. इसके कई उदाहरण मैं साक्ष्य के साथ दे सकता हूँ. 24 घंटे अटल ज्योति की बात करने वाली यह सरकार..
5.39 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
श्री सुरेश राजे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 24 घंटे तो छोड़ो ग्रामीण क्षेत्र में 10 घंटे भी बिजली उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. यह कैसी उपलब्धता है. अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार से आपके माध्यम से पूछना चाहता हूँ कि बहुत बात हुई कि हमने 45-50 मेडिकल कॉलेज बना दिए हैं. एक तो इनकी कीमत कहां पहुंच गई है. पहले कितने में डॉक्टर्स बनते थे और आज वर्तमान में क्या स्थिति है. इसके नीचे आ जाओ, आप मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं उसके लिए बधाई, धन्यवाद है. लेकिन जो सिविल हास्पिटल हैं उनकी स्थिति क्या है. मैं अपने क्षेत्र की बात कर रहा हूं. डबरा में वर्ष 2018 में सिविल अस्पताल के नये भवन का उद्घाटन करने हमारे उस समय के सम्माननीय मुख्यमंत्री शिवराज भैय्या गये. वर्ष 2018 से लेकर वर्ष 2025 आ गया. प्रदेश के बहुत बड़े-बड़े नेताओं के नाम उस शिला पट्टिका पर हैं. उस पट्टिका का ही पता नहीं हैं कि वह पट्टिका कहां गई और वह सिविल अस्पताल कब बनकर तैयार होगा कोई पता नहीं है. मेरा यह निवेदन है कि यह अच्छी बात है कि सरकार की तारीफ करो, लेकिन यह भी तो बताइये कि सरकार कहां चूक रही है. हम किसान को खाद समय पर दे नहीं पा रहे हैं, बिजली नहीं दे पा रहे हैं उसकी आय दोगुनी कैसे होगी. मेरा निवेदन इतना ही है कि इन गंभीर मुद्दों पर भी सरकार को विचार करना होगा, सोचना होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, फायनेंस से संबंधित फायनेंशियल बिल पर चर्चा हो रही और इससे संबंधित जो वरिष्ठ अधिकारी सदन में होना चाहिए वह नहीं हैं. आप देख लीजिए कि अधिकारियों की क्या स्थिति है. कोई भी वरिष्ठ अधिकारी नहीं है. आप व्यवस्था दें और सरकार को निर्देशित भी करें.
अध्यक्ष महोदय-- देखिये डिप्टी चीफ मिनिस्टर साहब, चिंता करें.
श्री नीरज सिंह ठाकुर (बरगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुपूरक अनुमान की मांगों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. लगभग 2 हजार 356 करोड़ 79 लाख रुपए का अनुपूरक अनुमान पेश किया गया है जिसमें से लगभग राजस्व व्यय 1 हजार 4 करोड़ रुपए जो 43 प्रतिशत होता है. पूंजीगत व्यय जो लगभग 97 प्रतिशत 1353 करोड़ रुपए का है. हम यदि इसको प्रमुख रूप से देखें कि अनुपूरक अनुमान में व्यय किन विभागों में या किस दिशा में हुआ है तो देखने में आता है कि प्रमुख रूप से लोक निर्माण विभाग, स्वस्थ्य विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग में ही लगभग 1850 करोड़ रुपए की अनुमानित मांग है जो यह दर्शाता है कि मध्यप्रदेश की सरकार विकास के लिए प्रतिबद्ध है. स्वास्थ्य का बजट लगभग स्वास्थ्य की जो अनुमानित मांग है वह 1602 करोड़ रुपए की है. इसमें मैं माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी, उप मुख्यमंत्री जी से एक निवेदन भी करुंगा कि बरगी विधान सभा में भेड़ाघाट प्रमुख पर्यटन स्थल भी आता है. यहां पर अभी सिर्फ उप स्वास्थ्य केन्द्र है, यहां पर यदि एक अच्छा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कराया जाए तो यहां देशी विदेशी पर्यटक बहुत संख्या में आते हैं उनको भी लाभ होगा और उन्हें त्वरित और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी.
अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण अनुमानित मांग में आपदा राहत पर व्यय की बात की गई है. जिस पर लगभग 98.87 करोड़ रुपए की मांग है. मैं इसका समर्थन इसलिए भी करता हूं कि अभी मध्यप्रदेश में भारी वर्षा हो रही है. सभी जिलों में अतिवृष्टि देखी जा रही है. उस समय में एनडीसीएफ या एनडीआरएफ जिसको हम नेशनल डिजास्टर रिस्पॉस फण्ड कहते हैं. इसमें इस राशि के प्रावधान से आपदा राहत एवं बचाव कार्यों को आसानी से करने में मदद मिलेगी साथ ही स्थाई पुनर्वास एवं आवश्यक ढांचागत मरम्मत के लिए भी मदद मिलेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे हमेशा कम समय दिया जाता है. मैं इस अपेक्षा के साथ कि आगे जब मुझे बोलने का अवसर मिलेगा, मौका मिलेगा तो आप थोड़ी ज्यादा कृपा करेंगे, ज्यादा समय देंगे अपनी बात को यहीं समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुनील उईके (जुन्नारदेव)- अनुपस्थित
श्री कैलाश कुशवाहा (पोहरी)- अध्यक्ष महोदय, मैं, सर्वप्रथम प्रदेश में हो रही अतिवृष्टि के बारे में कहूंगा कि हमारे शिवपुरी जिले में सभी बहुत परेशान हैं, चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है. मैं, आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी तक अपनी यह बात पहुंचाना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में लगभग सौ प्रतिशत फसल खराब हो चुकी है, कई लोगों के मकान गिर गए हैं, कई व्यक्ति पानी में बह के खत्म हो गए हैं. मेरा आग्रह है कि सरकार द्वारा सर्वे न कराकर, सौ प्रतिशत मुआवज़ा दिया जाये और जितने घर गिरे हैं, उनके अतिशीघ्र रहने की व्यवस्था की जाये.
अध्यक्ष महोदय, आदिवासी क्षेत्रों में कई नए मजरे-टोले बन गए हैं, वहां लोग अंधेरे में रह रहे हैं, कीड़े-मकोड़े का डर है, कई लोगों की सर्पदंश से मृत्यु हो चुकी है. मेरा निवेदन है कि वहां बिजली की व्यवस्था की जाये, क्योंकि कीड़ों के काटने का डर है, जिससे किसी की मृत्यु न हो, क्योंकि जिसके परिवार का सदस्य चला जाता है तो उन पर क्या गुजरती है, यह वे ही जानते हैं.
अध्यक्ष महोदय, किसान का बच्चा स्कूल नहीं जा पा रहा है. खेत-सड़क और सुदूर-सड़क योजना बंद है. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि इन्हें जल्दी से जल्दी बनवाने के आदेश करें, जिससे किसान का बच्चा भी पढ़ सके.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि हमारे इस सदन में सभी विधायक और मंत्री बैठे हैं, मैं पूछना चाहता हूं कि आप किस स्कूल में पढ़े हैं और किस अस्पताल में आपको पोलियो की दवा पिलायी गई है, आप जिस स्कूल में पढ़े और जिस अस्पताल में आपको पोलियो की दवा पिलायी गई, वे सभी कांग्रेस ने बनवाये थे, नहीं तो आज हम सभी दिव्यांग होते, इसलिए मेरा कहना है कि सरकार किसी की भी हो, उसका फर्ज़ बनता है कि वह जनता की भलाई के लिए कार्य करे. उस समय कांग्रेस की सरकार थी, उसने काम किया, आज भाजपा की सरकार है, इसलिए उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह हर क्षेत्र में काम करे, धन्यवाद (मेजों की थपथपाहट)
श्री राजेश कुमार वर्मा (गुन्नौर)- अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट में "लाड़ली लक्ष्मी योजना" जो कि मध्यप्रदेश शासन की सबसे लोकप्रिय योजना है, जिसमें माताओं-बहनों को सम्मान देने का काम हमारी सरकार ने किया है. हम जब अपने क्षेत्र में जाते हैं तो मातायें बड़ी प्रसन्नचित्त अवस्था में मिलती हैं और कहती हैं कि इस योजना में हम अपनी विधवा बहनों का नाम और शामिल करवा दें. मेरा वित्त मंत्री जी से आग्रह है कि अगर हमारी विधवा बहनों को भी इसमें समाहित कर लिया जाये तो यह बड़ा पुण्य का काम होगा.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास की बात बहुत देर से कांग्रेस के हमारे साथी कर रहे थे, कांग्रेस की निकम्मी सरकार, जो कुटीर गरीबों के बीच बांटती थी, उसके केवल रुपये 25-30 हजार आते थे और गांव तक आते-आते, बहुत सारे हाथों से लीकेज होते-होते, जब वह पैसा गांव तक पहुंचता था तो पूरे गांव में हल्ला होता था कि आज संबंधित व्यक्ति का एक कुटीर स्वीकृत हो गया, लेकिन उस राशि में उस गरीब की छत तक नहीं पड़ पाती थी. आज गांव में, शहरों में बहुत बड़ी मात्रा में प्रधानमंत्री आवास बन रहे हैं, लेकिन गांव में यह चर्चा है, आज सदन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रह्लाद पटेल जी भी हैं, मेरा उनसे आग्रह है कि सरकार शहरों में इस हेतु जो राशि दे रही है, वैसे ही अगर गांव में भी इसकी कुछ राशि बढ़ा दी जाये, तो आपकी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय, जल संसाधन मंत्री, सिलावट जी भी यहां उपस्थित हैं, उनसे आग्रह है कि बरगी की नहर जो कल्पा तक है, यह मेरी विधान सभा के बगल का गांव है, जिसमें छोटी गुन्नौर से हमारा क्षेत्र प्रारंभ होता है, शासन स्तर पर यह प्रस्तावित है, यदि इसे अनुपूरक बजट में समाहित कर लेंगे तो मेरे विधान सभा क्षेत्र को इसका लाभ मिलेगा. वृदावन बांध जो गढि़पडरिया के पास में है, इसका अगर कैचमेंट एरिया बढ़ा दिया जाये, तो हमारी विधान सभा गुन्नौर तक सिंचाई का रकबा बढ़ जायेगा. जो महेबा तालाब है, उसका गहरीकरण और सौन्दर्यीकरण अगर हो जायेगा तो उस क्षेत्र के लोगों को उसका लाभ मिलेगा. ककरहटी के पास में एक तावर बांध है, अगर तावर बांध बन जायेगा, तो ककरहटी क्षेत्र का सिंचाई का रकबा हमारा बढ़ जायेगा. आज सड़कों की बात हमारे कांग्रेस के साथी बार-बार कर रहे हैं. हम उन्हें याद दिलाना चाह रहे हैं कि जब हम युवा थे तो उस समय कांग्रेस की सरकार रहती थी. हम पन्ना से सतना जाया करते थे, तो डण्डा गाड़ी में रखकर चला करते थे. मारूति 800 कार से जाने पर, जहां पर गड्डा दिखता था, वहां कार रोक लेते थे, गड्डे में डण्डा डाला करते थे कि अगर गड्डे में डण्डा रुक गया, गाड़ी का टायर निकल गया तो ही गाड़ी आगे बढ़ाते थे.
अध्यक्ष महोदय, लेकिन आज पूरे मध्यप्रदेश में रोडों का जो जाल भारतीय जनता पार्टी की सरकार एवं डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने प्रदेश के अन्दर फैलाया है. हम उसके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहते हैं. मैं माननीय भाई साहब श्री प्रहलाद सिंह पटेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री से आग्रह करना चाहता हूँ कि पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मुख्य मार्गों से रोडों को जोड़ने का काम किया है, लेकिन आज मजरे से मजरे जोड़ने के लिये हम माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहते हैं कि जो मजरों से मजरों की कुछ रोडें रह गई हैं, उसको अगर माननीय मंत्री जी इस बजट में शामिल कर लेंगे, तो उसका भी लाभ हमें मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया समाप्त करें.
श्री राजेश कुमार वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश के सबसे लोकप्रिय मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि अमानगंज नगर पंचायत से दूषित गंदा पानी, जो नाले-नदी से बहकर मिठासन नदी में जाता है, अगर वहां नाली बनाने के लिए पैसा मिल जायेगा, तो हमारा वातावरण शुद्ध हो जायेगा. मैं एक निवेदन और करना चाहता हूँ कि [ XX]
अध्यक्ष महोदय - इसको विलोपित किया जाये.
[ XX] आदेशानुसार विलोपित किया गया.
श्री पंकज उपाध्याय - अध्यक्ष जी, आप इनकी भाषा पर मर्यादा रखवाएं.
अध्यक्ष महोदय - राजेश जी, आपको इस तरह की शब्दावली का उपयोग नहीं करना चाहिए.
श्री राजेश कुमार वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं अपने शब्द वापिस लेता हूँ. लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहता हूँ कि जितनी योजनाएं 14 महीने में जब कांग्रेस की सरकार आई थी, तो इन्होंने जीरो प्रतिशत भी बजट नहीं दिया, उन योजनाओं में एक पैसा भी नहीं दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री पंकज उपाध्याय (जौरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने 2,335 करोड़ रुपये का प्रथम अनुपूरक बजट मांगा है. प्रदेश में भारी बरसात के कारण समस्त स्कूलों की हालत जर्जर हो चुकी है, स्कूलों में छत से पानी टपक रहा है. बच्चे स्कूल के लिए नहीं आ पा रहे हैं, बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं. हमारे सम्पूर्ण मुरैना क्षेत्र में हर स्कूलों की छत से पानी टपक रहा है, मेरा आपसे अनुरोध और निवेदन है कि यह बजट गरीबों के पास भी पहुँचने दें, ताकि पता लगे कि गरीबों के लिए कुछ हो रहा है. स्कूलों के लिए एक सर्वे कराएं.
अध्यक्ष महोदय, जो घटना राजस्थान में हुई है, वहां पर कई बच्चे मृत हो गए. मेरा अनुरोध और निवेदन है कि आप हर स्कूल का निरीक्षण करवाएं. आप कम से कम ऐसी व्यवस्था करें कि ऐसी घटना मध्यप्रदेश के स्कूलों में न हो, साथ ही इस बार बहुत ज्यादा बरसात हुई है, हमारे पूरे मुरैना जिले में फसलें बहुत बुरी तरह बर्बाद हो गई हैं. जौरा और कैलारस की पूरी फसलें बर्बाद हो गई हैं, बाजरा और तिल बोई थी, वह खत्म हो गई हैं. इसमें मेरा अनुरोध है कि आप कोई सर्वे न करें, आप किसानों को 100 प्रतिशत मुआवजा देने की यहां से घोषणा कराएं.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा, खाद की बहुत समस्या चल रही है. एक तरफ जोमैटो आधे घण्टे में पिज्जा पहुँचाने की बात करता है और ब्लिंकिट से 10 मिनट में घर में सामान पहुँचता है. लेकिन हमारे किसानों को खाद मिलने के लिए 8-8 दिन लाइन में लगना पड़ता है. एक तरफ हम कहते हैं कि हमने डिजिटल इंडिया कर दिया. लेकिन किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है, इसकी ओर आपको ध्यान देना होगा. हर अखबार में हमारे जौरा का फोटो छपा था, आपने भी फोटो देखे थे, मुझे मालूम है. लेकिन आज तक खाद नहीं पहुँच पाई. मेरा निवेदन है कि इस खाद की समस्या पर आप ध्यान दें. इस बरसते हुए पानी में अभी मेरे जौरा क्षेत्र में कम से कम 10 जगह पर मृत्यु हुई हैं, लोग बह गए, मर गए. कई जगह पर रपटे एवं पुलिया इतनी छोटी-छोटी हैं, नीची हैं, लेकिन वहां पर आज तक आजादी के 75 वर्ष बाद भी बड़े-बड़े पुल नहीं बन पाये.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया समाप्त करें.
श्री पंकज उपाध्याय - अध्यक्ष महोदय, अभी तो मैं चालू हुआ हूँ. आप मुझे 3-4 मिनट तो दें.
अध्यक्ष महोदय - अभी दो-तीन लोग बचे हुए हैं, अभी नेता प्रतिपक्ष जी को भी बोलना है.
श्री पंकज उपाध्याय - अध्यक्ष महोदय, इतनी जर्जर स्थिति हो चुकी है, आप इन पुलियाओं पर ध्यान दें. बहुत सारे ऐसे गांव हैं. खरीका हमारा एक गांव है, मालीबाजना है, कारपुरा है, पचोदरा है, खिटौरा है, यहां पर कई लोग हर वर्ष बह जाते हैं. हमारे कई क्षेत्रों में अभी तक रोड नहीं बनी हैं. उन रोडों को बनाने की व्यवस्था की जाये. उच्च शिक्षा के लिए मेरा निवेदन है कि हमारे मंत्री जी ने कहा है कि 14 में से 13 पद खाली हैं, हमारे कैलारस में कॉलेज में कोई व्यवस्था नहीं है. मेरा अनुरोध और निवेदन है कि जौरा एवं कैलारस में कॉलेज की अच्छी व्यवस्था की जाये. दूसरा, रोजगार के लिए कैलारस शक्कर कारखाना प्रारंभ कराने के लिए आप कुछ करें, लगातार घोषणाएं हो रही हैं, लेकिन कुछ कार्यवाही नहीं हो पा रही है. हमारे यहां रोजगार के लिए लोग फौज में भर्ती होने के लिए जाते हैं. फोर्सेज में भर्ती होने के लिए जाते हैं. हर साल कम से कम 5-10 लोग शहीद हो जाते हैं, अध्यक्ष जी, सेना के लिए कुछ कीजिए. सेना में जो बच्चे भर्ती होना चाहते हैं, अध्यक्ष जी, उनके लिए कुछ व्यवस्था कीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- पंकज जी, कृपया समाप्त करें.
श्री पंकज उपाध्याय -- अध्यक्ष जी, दो-तीन प्वॉइन्ट फिर भी रह गए.
अध्यक्ष महोदय -- कोई दिक्कत नहीं है, अभी 7-8 दिन सदन है.
श्री दिनेश गुर्जर (मुरैना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मुझे अमूल्य समय दिया. मैं माननीय अध्यक्ष जी को हृदय की गहराइयों से बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे इस सदन में हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ. मुरैना जिले से आप भी आते हैं. हर बार इस सदन में क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर हम लोग मांग करते हैं. दु:ख होता है कि (XX) माननीय अध्यक्ष जी, आप इतने संवेदनशील हैं. अगर (XX) इस सदन का तो मेरा विश्वास है कि सारे मंत्री, अधिकारी और मुख्यमंत्री (XX) पर आज दुर्भाग्य है मुरैना का, आप संवेदनशील हैं, मर्यादाओं का पालन करते हैं, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि महाभारत की तरह अर्जुन बन के मुरैना का विकास कराएं. कई बार हम कहते हैं कि हमारी यहां सड़कें नहीं हैं, एडेड शाला के लिए एक साल से हम लोग चिल्ला रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अब समाप्त तो करो.
श्री दिनेश गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, मुरैना विधान सभा क्षेत्र की एडेड शालाएं बंद पड़ी हैं. छात्र-छात्राएं पढ़ नहीं पा रहे हैं. शिक्षा मंत्री जी वहां एक शिक्षक नहीं भेज पा रहे हैं. हमारे यहां अभी ओला, आंधी से मकान टूट गए..
अध्यक्ष महोदय -- दिनेश जी, बस एक मिनट में ही पूरा करना है.
श्री दिनेश गुर्जर -- माननीय, मैं आपसे संक्षिप्त में कह देता हूँ. एक तो अस्पतालों में डॉक्टरों की व्यवस्था की जाए, जिससे इलाज सुचारु रूप से हो. अभी माननीय मुख्यमंत्री मुरैना गए थे, उन्होंने घोषणा की थी कि मुरैना में छोना नदी पर हम वॉटर पार्क और बोट क्लब खोलेंगे. आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. मुरैना के अंदर सीवर लाइनें चोक पड़ी हुई हैं. शहर में गंदगी का आलम है. नरक का जीवन क्षेत्र के लोग जी रहे हैं. आज तक कोई उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. मैं चाहता हूँ कि नगर निगम को बजट दिया जाए, वहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था की जाए. माननीय, बमूर बसई, दोहरावली, बमूर बसई में जद्दे की पुरा पर सड़क बनाई जाए. रिठोरा मुख्य मार्ग से नाऊ के पुरा पर सड़क बनाई जाए. दोहरावली में डाढ़ेवाली माता तक सड़क बनाई जाए. यह मैं आपके माध्यम से मांग करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- दिनेश जी, कृपया समाप्त करें.
श्री दिनेश गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, बड़े दु:ख की बात है कि हर बार हम लोग कहते हैं, अपनी बातें रखते हैं, पर दुर्भाग्य यह है कि आज तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- जो अध्यक्ष जी पर टिप्पणी की है, वह विलोपित की जाएं.
श्री दिनेश गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, अभी जो फसलें नष्ट हुई हैं, हमारी मांग है कि मध्यप्रदेश सरकार उनका सर्वे करा के उनको मुआवजा अधिक से अधिक दिलाए. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- दिनेश जी की आसंदी वाली टिप्पणी को विलोपित कर दें.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं चाहूँगा कि कम से कम तीन मिनट का समय तो दिया ही जाए, जो सबके लिए निर्धारित किया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आपके बाद दरअसल नेता प्रतिपक्ष जी को भी बोलना है.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर -- सर, तीन मिनट. अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री जी ने अनुपूरक बजट जो पेश किया, मैं उससे असहमत हूँ. सुनने में तो यह बहुत अच्छा लगा, लेकिन ईमानदारी से जमीन पर अगर इतनी चीजें आ जाएं तो यहां पर कोई असंतुष्ट हो ही न, सारा प्रदेश संतुष्ट हो जाए. मध्यप्रदेश हमारा दिल है और माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं. हम एक ऐसा राज्य हैं, जहां कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं. जैसे ओरछा, जहां रामराजा का मंदिर है. उज्जैन, महाकालेश्वर का मंदिर है. ओमकारेश्वर का मंदिर है. दतिया, जहां पितांबरा पीठ का मंदिर है और यहां पर कई धार्मिक स्थल हैं. हम एक ऐसा प्रदेश हैं, जहां कई ऐतिहासिक धरोहर हैं. जैसे खजुराहो है, ओरछा है, चंदेरी है, ग्वालियर है, माण्डू है, सांची है, महेश्वर आदि हैं. हम एक ऐसा राज्य हैं, जहां कई वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरीज़ हैं, जैसे बांधवगढ़ है, कान्हा है, पेंच है, मढ़ई है, कूनो आदि हैं. प्राकृतिक खूबसूरती भी हमारे प्रदेश में किसी से कम नहीं है, पचमढ़ी और कई जगहें हैं. मैं बुंदेलखण्ड से आता हूँ, जहां अनेक चंदेलकालीन तालाब हैं, मेरा कहना है कि इसके बावजूद भी जो पर्यटन को महत्व मिलना चाहिए, वह महत्व हमारे प्रदेश में नहीं मिलता और जो अनुपूरक मांगों की किताब है, उसमें पर्यटन का कहीं कोई उल्लेख नहीं है. इससे यह साबित होता है कि सरकार पर्यटन के प्रति कितनी गंभीर है. माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्थान की पर्यटन इंडस्ट्री लगभग 12 प्रतिशत उनकी जीडीपी में कंट्रीब्यूट करती है. मध्यप्रदेश की अभी भी सिर्फ 7 प्रतिशत कंट्रीब्यूट करती है. मैं चाहता हूँ कि पर्यटन एक महत्वपूर्ण इंडस्ट्री है, जिसमें सरकार को और ध्यान देना चाहिए. मैं जहां से आता हूँ, रामराजा की नगरी से आता हूँ. मेरा कहना है कि यहां ओरछा और कई बड़े पर्यटन के डेस्टिनेशन हैं जिनसे जोड़कर छोटे-छोटे जो जगह हैं जहां पर्यटन की संभावनाएं हैं उनको जोड़कर पर्यटन के सर्किट बनाए जाने चाहिए. मैंने इससे पहले ओरछा से जोड़कर वीरसागर का राधा-कृष्ण मंदिर,गढ़ कुढ़ार का किला,मोहनगढ़ का किला,मड़खेड़ा का सूर्य मंदिर,अचड़ू माता का मंदिर आदि जोड़कर पर्यटन के सर्किट बनाए जाने की मांग माननीय मुख्यमंत्री जी से की थी और सदन में भी मैंने उठाया था. मेरा यह विनम्र आग्रह है कि यह पर्यटन के सर्किट बनाए जाएं और न केवल ओरछा से जोड़कर सर्किट बनाए जाएं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में बनाए जाएं जिससे जो बेरोजगार लोग घूम रहे हैं उनको रोजगार मिलने के अवसर मिलेंगे और हमारी सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी उसके साथ-साथ कई ऐसे स्थल हैं जो अनएक्सप्लोर्ड हैं और उसके साथ-साथ हमारा प्रदेश राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र कई जगह से बहुत सारी संभावनाएं हैं कि प र्यटकों को यहां पर लाया जा सकता है इसके लिये नई-नई आर्टिनरीज को प्रमोट करना चाहिये और उसके साथ-साथ जो देशी और विदेशी ट्रेवल एजेंट है उनको भी यहां आमंत्रितकरना चाहिये जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री भैंरो सिंह(बापू) - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट मुझे दे दीजिये.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, बापू पहली बार के हैं.उनसे बुलवा लीजिये.
श्री भैंरो सिंह(बापू) - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय - बापू को कल बताना हम बुलवा देंगे. भैंरों सिंह जी हम बुलवा देंगे.पहले से ही आपकी तरफ से 18 नाम आए दूसरी तरफ से 9 नाम आए. मैंने 18 लोगों को बुलवाया आपका नाम बाद में आया. अब ऐसे धीरे-धीरे ऐसा चलता रहेगा तो इसका कोई अंत नहीं है. नेता प्रतिपक्ष सबकी तरफ से बोल लेंगे. भैरों सिंह जी आप किसी भी अवसर पर मुझे बोलना मैं आपको एक नहीं पांच मिनट बोलने दूंगा हाऊस की परिस्थिति अपने को ध्यान में रखना चाहिये. मर्यादित आदमी हो आप.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट को लेकर सबने अपने विचार रखे. पाण्डे जी मैं सुन रहा था. बहन चिटनीस माननीय सदस्या का सुन रहा था. सबने अपनी-अपनी विकास की बात की लेकिन बड़े दुख के साथ मैं कह सकता हूं. एक पीड़ा है चिंता है यह सदन जनता की उम्मीदों का मंदिर है इस सदन से आम व्यक्ति की भावनाएं उम्मीदें जुड़ी हैं हर विधायक अपने अधिकारों की बात करता है अपने क्षेत्र की समस्याएं उठाता है लेकिन मुझे लगता है कि यह सदन औपचारिकता का रह गया है. हर बार विधान सभा सत्र छोटा कर दिया जाता है.सरकार क्यों नहीं चर्चा करना चाहती. इस सदन की मीटिंग चलाने के लिये करोड़ों रुपये खर्च होता है लेकिन जब जनता की बात सुनने की बात आती है तो सरकार के पास सत्र चलाने के लिये समय नहीं होता. या तो इसके बजट में कटौत्री की जाए. हर मिनट लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. मैं समझता हूं कि मैं नेता प्रतिपक्ष के नाते बात नहीं कह रहा हूं मैं इस प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की बात कर रहा हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से हमारी भावना होती है कि सरकार को जगायें, चेतायें यही लोकतंत्र के अंदर विपक्ष की एक भूमिका है, लेकिन सदन चलाने के लिये समय नहीं है, भारतीय जनता पार्टी को अपनी सदस्यता अभियान चलाने के लिये महीनों समय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी सदन में बैठते ही नहीं हैं. बजट है विदेश यात्रा जाने के लिये मुख्यमंत्री जी के पास, लेकिन जनता की समस्यायें सुनने के लिये न समय है, न बजट है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि जनता की आवाज को हम लोग बुलंद करते हैं. डबल इंजन, त्रिपल इंजन की बात कर रहे थे शेखावत जी, डबल इंजन है, त्रिपल इंजन है, पेट्रोल ज्यादा पी रही है सरकार, ये इंजन, लेकिन जब इंजन चलते हैं तो परफारमेंस नहीं दे पा रहे, क्षमतायें खत्म हो गईं और माननीय अध्यक्ष महोदय निश्चित तौर से मैं कह सकता हूं सब अपना समय क्षेत्र से छोड़कर आते हैं, क्षेत्र में समस्या होती है, किसान परेशान है खाद के लिये, क्षेत्र में परेशान है, आदमी को 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही. मेरी विधान सभा में कई ऐसे गांव हैं जिसके अंदर करोड़ों रूपये मंजूर हो चुके हैं, लेकिन आज भी पिछले 5 साल के अंदर आज भी डीपी, तार, खंबे नहीं लगे तो सरकार, कहां आडिट होता है. सरकार का आडिट करती है सीएजी आपके डिपार्टमेंट ऑडिट करते हैं, लेकिन सोशल आडिट की हम कहीं बात नहीं करते सिर्फ कागज पर बात होती है, क्यों नहीं कराते आप सोशल आडिट, क्या सिर्फ पन्नों पर आडिट कराना, आम जनता से आडिट कराईये तो आपको आपकी समस्यायें पता चलेंगी, आपकी योजनाओं की क्या स्थिति है. जल जीवन में क्या स्थिति रही कि हजारों करोड़, अच्छी योजना थी, माननीय मोदी जी की प्रधानमंत्री जी की, लेकिन धरातल तक नहीं पहुंच पाई. करोड़ों रूपये निकल गये, लेकिन आज भी सरकार उस पर न कोई जानकारी चाहती है न कोई इस बारे में बात करना चाहती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि यह अनुपूरक बजट नहीं है, कर्ज का खाका है. साढ़े 4 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज में डूब गया मध्यप्रदेश, हर महीने कर्ज लिया जा रहा है, लेकिन न स्वास्थ सुविधाओं का सुधार हो रहा, न शिक्षा का सुधार हो रहा, न युवाओं के रोजगार की बात हो रही है. उसके कुछ आंकड़े मैं आपको बताना चाहता हूं. सरकार ने 30 हजार करोड़ का कर्ज लिया मार्च 2025 में, 16 हजार करोड़ मई 2025 में, 5 हजार करोड़ जून 2025 में, साड़े 4 हजार करोड़ जुलाई 2025 में, 4800 करोड़ तो कर्ज ले रहे हैं, लेकिन इस कर्ज का क्या हो रहा है, क्या मुख्यमंत्री जी की विदेश यात्राओं के लिये कर्ज लिया जा रहा है, यह निवेश आ नहीं रहा. दुबई जा रहे हैं, स्पेन जा रहे हैं, लेकिन माननीय प्रदेश में कहीं कर्ज नहीं दिख रहा, कागजों पर दिख रहा है कि निवेश आ रहा है, निवेश आ रहा है. अभी माननीय पाण्डेय जी एमएसएमई की बात कर रहे थे, 25 हजार, 50 हजार आंकड़े का, अरे आपके विभाग का एमएसएमई का बजट ही 1785 करोड़ है. जब आपके पास बजट के अंदर पैसा ही नहीं है तो कहां से आप लघु उद्योग, सूक्ष्य उद्योग की बात करते हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सत्यता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भूख और कुपोषण के बीच सरकार हर दिन डेढ़ करोड़ रूपये प्रचार के लिये खर्च कर रही है, अपनी ब्रांडिंग के लिये खर्च कर रही है. सरकार अपने प्रचार के लिये हर साल 560 करोड़ रूपये खर्च कर रही है, मतलब प्रतिदिन डेढ़ करोड़ रूपये सिर्फ प्रचार पर सरकार खर्च कर रही है, यह क्या कम है?
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- कम है.
श्री उमंग सिंघार -- ठीक है, आपकी सरकार है, बढ़ा लो और कर्ज ले लो और प्रचार कर लो, जैसी आपकी इच्छा. प्रदेश में लाखों बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. आदिवासी ग्रामीण ईलाकों में भुखमरी की स्थिति है, बदहाली है, लेकिन सरकार इस पर चिंतन मनन नहीं करना चाहती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा था कि मुख्य बजट में शून्य आधारित बजटिंग रहेगी, जीरो बेस बजटिंग रहेगी, क्या हुआ आपके दावे का, आपने खर्चों में कहां कटौती की? नहीं की, लेकिन आप कर्ज ले रहे हैं और आपको कटौती नहीं करना है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- वित्तमंत्री जी सुबह से सदन में बैठे हैं, चाय पीने भी नहीं गये हैं और आप बोल रहे हो खर्चे में कटौती नहीं की है.(हंसी)
श्री उमंग सिंघार -- अब भाई साहब आप मेरे माननीय और सम्माननीय हो, मैं भी इस पर बोल सकता हूं, लेकिन मैं समझता हूं कि यह एक गंभीर विषय है, तो इस पर कटाछ अलग बात है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मुख्य बजट था, पूरे प्रदेश के आदिवासियों के लिये, जनजाति कल्याण के लिये 14 हजार 861करोड़ रूपये आपने रखे हैं, मतलब पूरे बजट का साढ़े तीन प्रतिशत आदिवासियों के लिये आपने प्रदेश के अंदर रखा है, इसमें प्रदेश की आबादी में 22 से 25 प्रतिशत आदिवासियों की है, इस प्रकार उनकी आबादी के हिसाब से भी उसमें उन्हें हिस्सा नहीं मिला है.
अध्यक्ष महोदय, आप उच्च शिक्षा पढ़ने की बात करते हैं, उच्च शिक्षा मंत्री ही सदन में नहीं है. न बजट है, न सदन में मंत्री है. 4 हजार 360 करोड़ यानि एक परसेंट कुल बजट का शर्म की बात है. यह हमारे प्रदेश के अंदर युवाओं के लिये, उच्च शिक्षा के लिये सिर्फ बजट में एक परसेंट, तकनीकी शिक्षा कौशल विकास, रोजगार विभाग, अब हम कहां से नयी टेक्नोलॉजी लायेंगे ? कहां से साइंस से अपडेट होंगे? हमारे प्रदेश के बच्चे दूसरे स्टेटों में जाते हैं, हम यहां पर प्रदेश में उनको पढ़ा ही नहीं पा रहे हैं, उसके लिये आपने बजट रखा है 2 हजार 851 करोड़ रूपये, मतलब 0.6 प्रतिशत, तो कहां से हमारा मध्यप्रदेश तकनीकी कौशल से मजबूत होगा, कहां से युवा आयेंगे? सिर्फ ब्रांडिंग रहेगी, ब्रांडिंग के लिये माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने कहा है कि बजट डबल बढ़ाया जाये, तो क्या मैं आपकी बात का समर्थन कर दूं? मैं डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी को बता दूं कि 1 हजार 785 करोड़ यानि 0.4 प्रतिशत लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योग के लिये, आप कहां बात करते हो, आप लोग मुझे समझ में नहीं आता है कि आपके पास, सरकार के पास पैसा नहीं है, बजट नहीं है, मुख्य बजट में प्रावधान नहीं है और आप इंफ्रास्ट्रेक्चर की बात करते हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- अध्यक्ष महोदय, मैंने आने वाले निवेश पर चर्चा की है, जो संभावना है, निवेश आयेगा.
श्री उमंग सिंघार -- निवेश जब आयेगा, जब आप आधारभूत सुविधाएं दोगे, बिजली दोगे, सड़क दोगे, उनको स्कीम का फायदा दोगे, उसके लिये आपके पास पैसा ही नहीं है, फिर कहां से निवेश आयेगा. उद्योगपति को किसी को लाना है, बड़े उद्योग को या छोटे उद्योग को, ठीक है श्री कैलाश विजवर्गीय जी ने कहा कि आई.टी. पार्क हमने वहां पर इतने सारे लाये हैं, आपने एक रूपये के अंदर उनको सिंबोसिस को दे दिया है, बड़ी कंपनियों को एक रूपये के अंदर आपने दे दिया, लेकिन जब लघु उद्योग की बात होती है, तो उनको पांच लाख, बीस लाख, पचास लाख रूपये के अंदर प्लॉट दिये जाते है. वह छोटे उद्योग हैं, तो वह छोटे उद्योग वाले प्रदेश के लोग कहां जायेंगे? माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग के लिये ओ.बी.सी. की बात कर रहे हैं तो 27 प्रतिशत आरक्षण सरकार नहीं दे रही है, लेकिन कल मुख्यमंत्री जी ने कहीं कहा है कि मैं डंके की चोट पर 27 प्रतिशत आरक्षण कराऊंगा. तो आप सुप्रीम कोर्ट के अंदर क्यों वकील खड़ा कर रहे हो, 13 प्रतिशत रिजल्ट के लिए केस विड्रा क्यों नहीं करते. ये कथनी और करनी है. पीएससी के छात्र परेशान हैं, उनकी आज उम्र हो रही है, लेकिन हम उनकी बात नहीं सुनना चाहते. यह प्रदेश के पिछड़ा वर्ग के साथ न-इंसाफी है. पिछ़ड़ा वर्ग का बजट 1 हजार 573 करोड़ यानि 0.3 प्रतिशत और प्रदेश की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है और पिछड़ा के लिए आपके मूल बजट में इनता पैसा है, तो कहां से आप पिछड़ों की बात कर रहे. न आप दलित की बात करते हो, न आदिवासियों की बात करते हो, न पिछड़ों की बात करते हो. श्रम विभाग 1108 करोड़, मतलब 0.2 प्रतिशत बजट के हिसाब से, तो कहां से मजदूरों को मिलेगा. आपका एक नया बिल आ रहा है, उस बिल के अंदर मजदूरों के जो अधिकार थे, वह अधिकार ही छीन रहे हो, उनको कहां से आप सपोर्ट करोगे. मैं समझता हूं कि प्रदेश के अंदर जो स्थिति है. बार बार कर्ज के बजाए, मैं वित्त मंत्री जी को कहना चाहूंगा, राज्य की वित्तीय सेहत के लिए मेरा सुझाव है, अगर आप गंभीरता से सोचेंगे, तो विचार कर सकते हो. मैंने गए बार भी कहा था, लेकिन मुझे उसकी क्रिया प्रतिक्रिया कहीं नहीं दिखी, इसलिए दोबारा आपको याद दिलाना चाहता हूं. प्रिंसिपल ग्रांट इन्फ्रास्ट्रक्चर, इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, रीयल स्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, सार्वजनिक, निजी साझेदारी, पीपी मॉडल ऐसी कई चीजें जिस पर हम काम कर सकते हैं, तो मैं सोचता हूं वित्त मंत्री जी कि कर्ज लेने के बजाए यदि हम इस प्रकार से सभी को ज्वाइंट वेंचर या पीपी मॉडल में लाए, या इस प्रकार से बांड भराए, तो हमें कर्ज की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. मैं दूसरी बार यह बात कह चुका हूं. इससे आपके और आपके विभाग के जो अधिकारी बैठे हैं, वे कितना चिन्तन मनन करते हैं, वह समझ में आता है. कर्ज लो और घी पीयो, लेकिन नई योजनाओं को कैसे करना है, कैसे पैसा हमें बनाना है, प्रदेश को कैसे मजबूत करना है, उस पर विचार होना चाहिए. मैंने फिर कहा था कि पारदिर्शता जब ही रहेगी जब सोशल ऑडिट होगा.
कल जल संवर्धन की बात हो रही थी, लगभग 2025 करोड़ रुपए उसमें आपने रखा. एक हजार परियोजना, 50 हजार परियोजनाएं, हमने संरचनाएं की, यह किया, वह किया, गड्ढे खोदे, तालाब खोदे, फलाना किया, सब अच्छी ब्रांडिंग है. मुख्यमंत्री जी ने शायद 25 मार्च को उज्जैन में बयान दिया था कि मेरी भावना राजनीतिक नहीं है पीढि़यां याद रखें, तो क्यों याद रखेगी, आपको इसलिए याद रखेगी कि आपकी हर योजना में भ्रष्टाचार हो रहा है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप हर योजना का जियो टैग करवाते हो, इसके अंदर आपने कितनी समीक्षा की. यदि 10 लाख का तालाब बन रहा है तो क्या आपने उसका सोशल ऑडिट करवाया, नहीं करवाया. यह योजना पूरी तरह करप्शन की भेंट चढ़ गई है. आज की तारीख में आप एडवांस टेक्नॉलॉजी का फायदा उठाते हो, आप क्यों नहीं सेटेलाइट इमेजरी लेते हो. आदिवासियों के पट्टों की बात करते हो, आप कहते हो सर्वे कराएंगे, फलाना कराएंगे, ये कराएंगे, अरे गूगल इमेजरी उठाओ, आपके मोबाइल में निकल जाएग वर्ष 2006 के पहले जो वहां पर जमीन में अधिकृत कब्जा है, उसको दे दो. कलेक्टर को आदेश दो, लेकिन आप लोग नहीं चाहते. नीचे से कागज आएंगे, रिजेक्ट होगा, हमारा आदमी होगा, उसको देना. मैं समझता हूं कि इन बातों पर विचार होना चाहिए.
अध्यक्ष जी आयुष्मान कार्ड की बात करूं प्रदेश के निजी अस्पतालों में क्या स्थिति है आयुष्मान कार्ड की आपको पता है. विगत 5 वर्षों में 1 लाख 31 हजार 830 कार्ड धारक क्यों प्रदेश से बाहर गए इलाज करवाने, मेरा ये प्रश्न था. मतलब प्रदेश के अंदर डाक्टर नहीं है, सुविधाएं नहीं है, इस कारण बाहर जा रहे हैं. क्यों नहीं आप मद्रास जैसी फेसेलिटी, बाम्बे जैसी फेसेलिटी, दिल्ली तरह की फेसेलिटी यहां मध्यप्रदेश में कराना चाहते हैं ? आपने कहा है कि हम भर्ती कर रहे हैं, देख लेंगे. हजारों की संख्या में डॉक्टर नहीं है आप उप स्वास्थ्य केन्द्र की बात कर रहे थे, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की बात कर रहे थे. आप बतायें कि वहां पर डॉक्टर हैं, वहां बतायें कि पूरा स्टॉफ है. मैं पाण्डे जी से बात करना चाहता हूं कि एक भी अस्पताल के अंदर डॉ पूरे नहीं होंगे इसकी मैं गारंटी दे दूं. मैं तो ठोक के बात करता हूं, पद की चिन्ता नहीं करता हूं. आप बतायें ? मैं अभी इस्तीफा दे दूंगा, नहीं हैं ? ऐसी कई जगहों पर स्थिति है. मेरी विधान सभा क्षेत्र में आज तक डॉक्टर नहीं हैं कई जगहों पर धार से जाते हैं गंधवानी दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र में. ऐसे कई आदिवासी क्षेत्र हैं, ग्रामीण क्षेत्र हैं. मैं समझता हूं कि इस पर विचार करना चाहिये. यहां पर जुमलेबाजी, भाषणबाजी से काम नहीं होना चाहिये. जितना हो उतना करो, नहीं होता है, मत करो. लेकिन सदन के साथ पूरे प्रदेश की जनता को गुमराह मत करो. मैं आपसे यही कहना चाहता हूं. एक और प्रश्न लगा था शराब को लेकर मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी को मैंने पत्र लिखा मुख्यमंत्री जी ने आबकारी आयुक्त को पत्र भेज दिया 16 जुलाई 2025 को कि प्रदेश के अंदर अवैध शराब बिक रही है, इसके लिये आपको क्यों बजट चाहिये इसको भी मैं बता देता हूं. आबकारी आयुक्त ने उड़न दस्ता भेज दिया, कई जगहों पर चार पांच शिकायतें प्राप्त हुईं, लेकिन कुछ नहीं. दुकानों पर जो मूल्य भाव है एमआरपी उससे ज्यादा भाव में बिक रही है शराब का दुकानदार ठेकेदार कहता है कि लेना हो तो लो. प्रदेश के अंदर सौ-दो सौ-तीन सौ करोड़ रूपये इकट्ठे किये जा रहे हैं शराब की दुकानों से, तो किसके पास पैसे जा रहे हैं, कौन हैं इसके हिस्सेदार. क्या यह सरकार उनके आय का स्रोत देखें. देखिये आप उत्तर प्रदेश के अंदर उन्होंने किस प्रकार से दुकानें बढ़ाई, उनकी आय का स्रोत बढ़ गया. लेकिन किसी की जेब में पैसा तो नहीं जा रहा है. जनता का पैसा इनके कोष में आ रहा है. आपके राजकोषीय में आ रहा है, यह आपके काम आयेगा. लेकिन हमें दुकानें नहीं बढ़ाना, लेकिन सिंडिकेट जो बड़े व्यापारी हैं, मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं. 50 ऐसे हैं उन लोगों की जेब में पैसा आना चाहिये उनसे कौन पार्टनरशिप रख रहा है, यह सरकार बता रही है. स्कूल के विषय की बात कई सदस्यों ने की कि स्कूल की जर्जर स्थिति है. इस पर अलग से मॉनिटरिंग होना चाहिये मैं समझता हूं कि छोटे बच्चे हैं चाहे आठवीं के बच्चे हैं. मैं भी कई स्कूलों में गया हूं. बच्चे बेचारे पानी के अंदर बैठे रहते हैं, शीत में बैठे रहते हैं, फंफूद लगी रहती हैं हम उनके लिये क्या दो लाख रूपये नहीं दे सकते हैं मरम्मत के लिये ? यह भावना हमारी समझना चाहिये. स्मार्ट मीटर की बात कहना चाहता हूं इससे प्रदेश के अंदर लोग परेशान हैं. आप स्मार्ट मीटर के नाम पर जनता से पैसा लेना चाहते हैं, लेकिन स्मार्ट मीटर की स्पीड तो बिल्कुल जेट की तरह चल रही है. जहां पर 200 रूपये का बिल आता था सीधे उनका बिजली बिल 2 हजार से 5 हजार रूपये हो रहा है. सब कान्टेक्ट का उसमें था ही नहीं एग्रीमेंट के अंदर, फिर भी दिल्ली की कोई कम्पनी है उनको सब कांटेक्ट दे दिया, इस पर भी आप संज्ञान नहीं ले रहे हैं. घटिया वगैर आईएसआई की सामग्री मीटर के अंदर लग रही है. आपकी जानकारी दे दूं सरकार को, लेकिन का सेटिलमेंट ? किसका सेटिलमेंट हैं आप समझिये. अध्यक्ष महोदय विधान सभा के तृतीय श्रेणी के लिपिक वर्ग के लिये चतुर्थ समयमान वेतनमान देना चाहिये इन लोगों को भी 35 साल सेवा करते हो गये हैं. इस बारे में भी पहले कर चुका हूं. इस पर भी विचार होना चाहिये. अंत में सभी सदस्यों ने कहा आपसे भी बात हुई माननीय मुख्यमंत्री जी से भी बात हुई कि विधायकों के वेतन की बात मैं इस सदन में कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी कह रहे थे कि मीडिया वाले गलत छापते हैं, बदनाम करते हैं. मैं कहना चाहता हूं कि एक विधायक हैं, एक पूर्व विधायक हैं जो गरीब छोटे संघर्ष करते हुए विधायक बनते हैं उनके परिवार को 20 हजार रूपये पेंशन के रूप में मिलते हैं, तो कैसे 15-20 हजार रूपए में अपना घर चलायेंगे. तो क्या हमें उन विधायकों के बारे में नहीं सोचना चाहिए, जो आज हमारे सदन में नहीं हैं. (मेजों की थपथपाहट) आप इतने घबरा रहे हैं कि ताली भी नहीं बजा सकते हैं. (सत्ता पक्ष की ओर देखकर) आप लोगों को इतनी घबराहट क्यों है. यह कोई पक्ष-विपक्ष की बात नहीं है. यह सबकी बात है. मीडिया में छपता है कि अन्य प्रदेशों के अंदर डेढ़-दो लाख रूपए मिल रहे हैं. मेरे ख्याल से 30-35 हजार रूपए मिल रहे हैं. विधायकों का वेतन एक लाख-डेढ़ लाख रूपए हो गया है. बाकी तो भत्ते हैं. डीज़ल के, पेट्रोल के भत्ते हैं, फोटोकॉपी के भत्ते हैं. आईएएस, आईपीएस की तनख्वाह तो विधायकों से ज्यादा है. हमारे भृत्यों के बराबर हम लोगों की तनख्वाह है. मेरे ख्याल से उनको ज्यादा मिलते हैं तो मैं यह कहना चाहता हॅूं कि हमारी विधायक निधि कम है. यह 5 करोड़ रूपए के करीब होना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) आप लोग 15 करोड़ के लिए ताली बजा लीजिए..(हंसी). यह बाकी सदस्य सुविधाएं हैं. यह आपका विवेक है और मैं समझता हॅूं कि आपकी मुस्कुराहट पूरा सदन देख रहा है तो आप भी इस बात से सहमत होंगे. माननीय वित्त मंत्री जी आप भी इस बारे में विचार करेंगे और हो सकता है कि अब मुख्य बजट के बजाय अनुपूरक बजट से ही चालू कर दें, तो ठीक रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं अंत में एक बात और कहना चाहता हॅूं कि वर्मा जी से बात हुई और आपके भी संज्ञान में लाना चाहता हॅूं कि आप कह रहे थे. यह मेरी विधानसभा का मामला है. भू-स्वामित्व की जो जमीन, जिनके पास आदिवासियों की जमीन 1958-1959 से नाम से थी, वह पूरे प्रदेश के अंदर हमारी विधानसभा के अंदर ऐसी कई जगहों पर हुआ, लेकिन मेरी विधानसभा के अंदर उनके सबके नाम जीएसआई वेबसाइट के कॉलम नंबर 12 में अहस्तांतरणीय कर दिया. पूरे आदिवासी बेचारे आज लोन नहीं ले पा रहे हैं, न कर्ज ले पा रहे हैं तो इस प्रकार यह पूरे प्रदेश की समस्याएं हैं. इस पर संज्ञान होना चाहिए और अंत में सरकार को यही सुझाव दूंगा कि कई टेक्नालॉजी हैं, कई नई चीजें हैं, नये विज़न हैं, नई सोच है अगर आप अनबॉयज्ड होकर किसी चीज को देखेंगे, तो मैं समझता हॅूं कि सरकार को कई नये रास्ते मिलेंगे, यही मैं कहना चाहता हॅूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- आज उमंग जी ने बिना शेर के भाषण समाप्त कर दिया. (हंसी)..
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट पर हमारे सभी माननीय सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए. माननीय श्री लखन घनघोरिया जी, माननीय श्रीमती अर्चना चिटनीस जी, माननीय श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, माननीय डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय जी, माननीय श्री भंवर सिंह शेखावत जी, माननीय श्री कमलेश डोडियार जी, माननीय श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी, माननीय शैलेन्द्र कुमार जैन जी, माननीय श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी जी, माननीय श्री गौरव सिंह पारधी जी, माननीय श्री महेश परमार जी, माननीय श्री अनिरूद्ध माधव मारू जी, माननीय श्री नारायण सिंह पट्टा जी, माननीय श्री उमाकांत शर्मा जी, माननीय डॉ.हिरालाल अलावा जी, माननीय श्री सिद्धार्थ तिवारी राज, माननीय श्री सुरेश राजे जी, माननीय श्री नीरज सिंह ठाकुर, माननीय श्री कैलाश कुशवाह जी, माननीय श्री राजेश कुमार वर्मा जी, माननीय श्री पंकज उपाध्याय जी, माननीय श्री दिनेश गुर्जर जी, माननीय श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र राठौर जी, माननीय श्री कैलाश विजयवर्गीय जी और अंत में नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार जी. हमारे पक्ष के और प्रतिपक्ष के सभी सम्माननीय साथियों ने बडे़ सारगर्भित तरीके से अपने विचार व्यक्त किए और बजट के संबंध में अपनी बात रखी. मुझे लगता है कि पक्ष के साथियों ने भी जो मध्यप्रदेश सरकार ने काम किये हैं, उन्होंने उनके बारे में काफी विस्तार से विचार अपने रखें. प्रतिपक्ष के साथियों ने बहुत सारी समस्याओं के बारे में भी बताया, कुछ कमियों के बारे में भी बताया, लेकिन निश्चित रूप से सबकी भावना है कि प्रदेश हमारा आगे बढ़े, विकास हो, आलोचना करना प्रतिपक्ष का धर्म भी है कि करें, लेकिन मैं यह भी आग्रह करना चाहूंगा कि श्री भंवरसिंह शेखावत जी ने और भी हमारे साथियों ने बहुत जोर जोर से बोला और कहा कि जनता जानना चाह रही है तो हमने तो जनता के सामने जाकर गांव गांव जाकर, चौपाल चौपाल पर, प्रदेश सरकार ने क्या काम किये, केन्द्र सरकार ने क्या काम किये, यह सार्वजनिक चौपाल पर जाकर लोगों को बताया. आप बार-बार इस बात को कह रहे थे कि ऋण लो, ऋण लिया, बजट से ऋण को जोड़ा जाना मुझे लगता है कि बिल्कुल न्यायसंगत नहीं है. ऋण सीमा में लिया, अनुमति से लिया, नियम प्रक्रिया में लिया, समय पर ब्याज चुकाया, चुका रहे हैं, समय पर दे रहे हैं, यह निवेश है. आपको पूंजीगत व्यय की जानकारी बता देता हूं कि आपकी पूंजीगत व्यय की स्थिति क्या थी, वर्ष 2003-04 की, 3038 करोड़ रुपये केवल! वर्ष 2021-22 में 44463 करोड़ रुपये, वर्ष 2022-23 में 46779 करोड़ रुपये, वर्ष 2023-24 में 57347 करोड़ रुपये, वर्ष 2024-25 में 59381 करोड़ रुपये और वर्ष 2025-26 में 85076 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय किया. आपने तो कर्मचारियों के ऋण लेकर वेतन भत्ते दिये, यह रिकार्ड है. ऋण लेकर वेतन भत्ते देने का काम किया, आपने विकास के काम नहीं किये. पूरे प्रदेश में आप जहां भी जाओ, आप अपना कार्यकाल याद करो, फिर आप कहोगे बार-बार उस कार्यकाल की क्यों बात करते हैं, यह सारा पाप आपकी सरकारें जब बैठी थीं, उस समय हुआ. अब आप एकदम से इस बात से बड़े विचलित हो जाते हैं कि जब उसकी बात करते हैं, सारे प्रदेश की दुर्दशा थी, कहां थी सड़कें, कहां पानी की व्यवस्था थी, कहां बिजली थी, कहां आवास थे? आज अगर आप पूरे प्रदेश में जहां जाओगे वहां सड़कों का जाल बिछा मिलेगा.
श्री दिनेश गुर्जर - आप पढ़े कहां थे?
श्री जगदीश देवड़ा - यहां सदन में फ्लोर पर आप बोल रहे हैं. यहां आपका धर्म है बोलना. लेकिन आपने आपको भी देखना चाहिए कि हम कहां थे, यह सारी बातें हमने बता दीं कि यह पूंजीगत व्यय किया. आप बात कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि यह बजट का आकार, उस समय बजट की स्थिति आपकी 2003-04 में बीस हजार, पैंसठ करोड़ रूपये थी और आज यह वर्ष 2021-22 से लगाकर के चार लाख, इक्कीस हजार, बत्तीस करोड़ रूपये (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, यह राज्य घरेलू जीएसडीपी का वर्ष 2023-24 में तेरह लाख, तिरेसठ हजार, तीन सौ सत्ताइस करोड़, वर्ष 2024-25 में पन्द्रह लाख, तीन हजार, तीन सौ पिन्चानवे करोड़, वर्ष 2025-26 में सौलह लाख, चौरानवे हजार, चार सौ सितहत्तर करोड़ रूपये, लगातार जीएसडीपी में बढ़ोत्तरी हुई है. अर्थव्यवस्था निरंतर बढ़ रही है, यह स्थिति उस समय नहीं थी.
अध्यक्ष महोदय, यह राजस्व आधिक्य, भारतीय जनता पार्टी की सरकार में आंकड़ा बता रहा हूं कि वर्ष 2002 में राजस्व घाटा था एक सौ इक्यावन करोड़ रूपये और कांग्रेस की सरकार जब-जब रही, हमेशा राजस्व घाटे में रही. वर्ष 2024-25 में एक हजार पच्चीस करोड़, वर्ष 2025-26 में....
श्री बाला बच्चन- वर्ष 2019-20 में हमारी सरकार थी, उस समय की बात नहीं कर रहे हैं. आप वर्ष 2003-04 की बात कर रहे हो. आप वर्ष 2019-20 की अभी बात कीजिये. आप वर्ष 2019-20 की बात नहीं करते हैं. अभी जब पांच साल पहले हमारी सरकार थी आप उसकी बात करो. आप उससे तुलना करो. आप वर्ष 2002-03 की बात करते हो, उससे तुलना करते हो. आप तो अभी हमारी सरकार थी उससे तुलना करो.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- वर्ष 2019-20 में आपने खाली लुटाया ही था जो बसाया था भाजपा की सरकार ने वह आपने खाली लुटाया है. कुछ कमाया नहीं था, खाली लुटाने का काम किया था.
श्री बाला बच्चन- आप उसी से तुलना करो. वही बता दो क्योंकि वह आपके पास है नहीं. जब आप अगली बार आयें तो वह लेकर आना.
अध्यक्ष महोदय- बाला बच्चन जी आप बैठ जाइये, वित्त मंत्री को बोलने दीजिये.
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको अभी का आंकड़ा बता देता हूं कि यह सरकार काम करना चाह रही है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के मुख्य बजट में ऋण प्राप्त करने की सीमा रूपये एक लाख, आठ हजार, सात सौ पचास करोड़ रूपये रखी गयी है. दिनांक 28 जुलाई, 2025 तक की स्थिति में रूपये अट्ठारह हजार, एक सौ अट्ठायसी करोड़ का ऋण प्राप्त किया और दिनांक 28 जुलाई, 2025 तक की स्थिति में पूंजीगत व्यय बीस हजार अट्ठारह करोड़ रूपये का है. मैं अभी का बता रहा हूं 28 पूंजीगत व्यय में हमने राजस्व का पैसा भी इसमें लगाया. मैं यह आपको अभी का आंकड़ा बता रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय, अभी प्रथम अनुपूरक अनुमान में मुख्य रूप से स्वास्थ्य क्षेत्रों के विकास एवं सुधार के लिये, जैसा कि हमारे आदरणीय श्री भंवर सिंह शेखावत जी स्वास्थ्य की बात कर रहे थे कि पूरी चिंता कर रहे हैं, जब राजेन्द्र शुक्ल जी ने पूरी बात बतायी कि अस्पताल बने हैं तो डॉक्टर भी आयेंगे, स्टॉफ भी आयेगा, अरे भाई कब आयेगा अभी आयेगा. आपने तो डॉक्टर बनाये ही नहीं थे, डॉक्टर आते कहां से हैं. अगर मेडिकल कॉलेज खुलेंगे तो बच्चे पढेंगे और बच्चे पढ़ेंगे तो डॉक्टर होंगे नहीं तो आयेंगे कहां से. आप तो केवल आलोचना करो. आप तो खड़े होकर यह कहो कि स्टॉफ नहीं है. स्टॉफ आयेगा, अभी हमने बजट दिया अभी एक हजार छ: सौ दो करोड़ रूपये दिये, स्वास्थ्य केन्द्रों के सुधार के लिये.
श्री भंवर सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय से यह निवेदन करना चाहता हूं कि हमने भवन तो बना दिये, आपने बहुत अच्छा किया. लेकिन इस सदन को बता दीजिये कि अगले तीन महीने के अंदर सब जगह डॉक्टर और सारा स्टॉफ पहुंच जायेगा. क्या इतना बड़ा घोटाला हुआ आज तक. जो पुराने स्कूल हैं, उसमें तो शिक्षक पहुंचे नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय—भंवर सिंह जी, यह बात आप कह चुके हैं और स्वास्थ्य मंत्री जी जवाब दे चुके हैं. इस बात की दोबारा पुनरावृत्ति हो रही है. मंत्री जी, कृपया आप पूरा करिये.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- अध्यक्ष जी, खाली इतनी सी बात कि जो काम 60 साल में ये नहीं कर पाये, हमसे 3 साल में उम्मीद कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—मनोज जी बैठें.
श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय, यह सरकार डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में चल रही है. निश्चित रुप से सारे क्षेत्रों में, चाहे स्वास्थ्य, शिक्षा का क्षेत्र हो, प्रदेश निरन्तर प्रगति पर है.
अध्यक्ष महोदय—(श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य के खड़े होने पर) ओमकार जी, कृपया टोका-टाकी न करें. कृपया आप बैठिये.
श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय, मुख्य बजट में यह सारे प्रावधान हुए हैं. जैसा नेता प्रतिपक्ष जी ने भी कहा है कि भाई यहां बजट कम दिया. मुख्य बजट में पर्याप्त प्रावधान रखे हैं हमने. यह केवल अनुपूरक बजट इसलिये है कि जहां आवश्यकता है, केंद्र की योजनाओं में हमको राशि उसमें मिलाना पड़ती है, उसके लिये है. यह बजट इसलिये थोड़ी है. अनुपूरक बजट आया मेचिंग ग्रांट के लिये, तो इस प्रकार के काम के लिये यह बजट आया है. बहुत छोटा बजट है और इसलिये हमने जीरो बजटिंग के लिये कहा. पहले हम सीधे विभाग के लोगों से पूछ करके कि कितना बजट लगेगा, वह बजट देते थे. जीरो बजटिंग में हमने यह प्रयास किया. अब हम यह पूछेंगे कि आपको जो बजट दिया था, उसमें खर्चा हुआ कि नहीं हुआ. अगर बचे तो क्यों बचे. अगर उसमें जितना बजट लगेगा, उतनी ही राशि हम बजट में प्रावधान करेंगे. यह जीरो बजटिंग के लिये हमने प्रयास किया. अच्छा काम करने के लिये अगर प्रयास किया है, तो निश्चित रुप से उसमें सफलता मिलेगी. अभी सारे यह जो प्रावधान किये हैं 1352 करोड़ 81 लाख गृह विभाग के लिये प्रावधान किया. 124 करोड़ 27 लाख रुपये का प्रावधान गैर सरकारी तकनीकी कालेज के लिये किया और 113 करोड़ 15 लाख रुपये का प्रावधान प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अंत्योदय योजना के लिये किया. इसमें 30 करोड़ के अतिरिक्त प्रावधान सम्मिलित किये. पर्याप्त प्रावधान सभी क्षेत्रों में, सम्बल के लिये किये. बहुत सारे प्रावधान किये. मेरे साथी सब हमारे पक्ष के भी साथी ..
श्री दिनेश जैन (बोस)—मंत्री जी, कोई बात इस बजट के अन्दर है, जो अभी अभी पानी गिरा और फसल खराब हुई और उसके साथ 2019 से बीमा भी किसानों को नहीं मिला है, उसके लिये कोई प्रावधान है.
श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय, कई काम किये हैं. मैं बड़े दावे के साथ कह रहा हूं, जैसे नेता प्रतिपक्ष जी से भी मैं आग्रह करना चाहता हूं कि देश के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी ने 2047 तक का जो संकल्प लिया है कि विश्व में हमारा देश विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में नम्बर एक पर आयेगा, तो मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश सरकार भी उसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और जितने काम हो रहे हैं, वह सराहनीय काम हो रहे हैं. मैं इस बात को भी स्वीकार करता हूं कि अगर कमी है, मैंने पहले भी कहा था कि अगर कमी है, तो उसको दूर करने का काम भी यही सरकार करेगी. आप काम नहीं करोगे. आप बतायें ना. लम्बे लम्बे समय तक, 10-10 साल रहे. लम्बे समय तक बैठे रहे. जनता के बीच में जाकर के कहीं चौराहे पर खड़े होकर के माइक पर अगर आप बताओ कि हमने ये काम किये. यह हम सब बताते हैं. भाजपा के सारे लोग जाकर के और अभियान चलाया हमने गांव चलो और अभियान चला करके हमने कहा. हम यह नहीं कह रहे हैं, हम यह कह रहे हैं कि तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा. हम भी समझते हैं कि जनता का पैसा जनता के लिये लगाना है. हम यह नहीं कह रहे हैं, पर लगाया. भंवर सिंह जी, आपने कहा कि जनता पूछना चाहती है, तो जनता तो आपसे पूछना चाहती है. कांग्रेस से पूछना चाहती है कि आप लम्बे समय तक रहे. आप हिसाब बताओ.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – उस समय वहां भंवर सिंह जी नहीं थे. ..(हंसी)..
श्री जगदीश देवड़ा -- लेकिन अध्यक्ष महोदय, मै आग्रहपूर्वक कह रहा हूं कि सारे काम जो आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी इस समय कर रहे हैं वह वास्तव में उसके बारे में जितना कहा जाये वह हम है. इसलिये प्रदेश की सरकार भी काम कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि प्रतिपक्ष के सारे सदस्य भी बोले, हमारे पक्ष के भी सदस्यों ने बहुत सारे विषय रख दिये हैं,निश्चित रूप से मैं समझता हूं कि समय भी बहुत ज्यादा हो गया है. हमारी सरकार का यह अनुपूरक बजट समावेशी, प्रगतिशील व भविष्य की सोच का बजट है. अंत में, मैं माननीय सदस्यों से यही कहना चाहूंगा कि
मंजिलों पर जिन्हें जाना है वे शिकवा नहीं करते
जो शिकवा करते हैं वह मंजिलों पर नहीं पहुंचते.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्हीं शब्दों के साथ मैं सदन से यह अनुरोध करूंगा कि मेरे द्वारा सदन में प्रस्तुत प्रथम अनुपूरक अनुमान के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका को सार्थकता प्रदान करे. बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- धन्यवाद मंत्री जी.
प्रश्न यह है कि दिनांक 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 3, 6, 8, 10, 13, 14, 19, 22, 23, 24, 26, 27, 28, 29, 30, 31, 32, 33, 35, 36, 44, 46, 47, 48, 49, 53, 54 एवं 55 के लिये राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर दो हजार तीन सौ पैंतीस करोड़, छत्तीस लाख, अस्सी हजार, नौ सो अठानवे रूपये की अनुपूरक राशि दी जाये .
मैं समझता हूं कि हां की जीत हुई.
अनुपूरक मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
समय 6.47 बजे
शासकीय वित्त विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2025
श्री जगदीश देवड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2025 (क्रमांक 11 सन् 2025) का पुर:स्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय- आप कुछ बोलना चाहेंगे.
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक के अंग बने.
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय,मैं प्रस्ताव करता हूं मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
प्रस्तीव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय- विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार दिनांक 31 जुलाई, 2025 को प्रात:11.00 बजे तक के लिये स्थगित की जाती है.
अपराह्न 6.50 बजे विधानसभा की कार्यवाही, गुरूवार, दिनांक 31 जुलाई, 2025 (श्रावण 9, शक संवत् 1947) को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल ए. पी. सिंह
दिनांक 30 जुलाई,2025 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा.