मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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षोडश विधान सभा                                                                                   षष्टम सत्र

 

 

जुलाई-अगस्त,2025 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 29 जुलाई, 2025

 

(7 श्रावण, शक संवत्‌ 1947 )

 

 

[खण्ड-  6 ]                                                                                           [अंक- 2 ]

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                                मध्यप्रदेश विधान सभा

 

मंगलवार, दिनांक 29 जुलाई, 2025

 

(7 श्रावण, शक संवत्‌ 1947 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11. 02  बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

         

          श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.

          संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न आता ही  नहीं है.

          श्री बाला बच्चन - माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी मैं नियम 267 के अंतर्गत प्वाइंट आफ आर्डर उठा रहा हूं. आज मुख्यमंत्री जी का टर्म है जवाब देने का और 16 प्रश्न ऐसे हैं विधायकों के जिनमें जानकारी एकत्रित की जा रही है. मेरे खुद के भी 2 प्रश्न ऐसे हैं. विधायक इस फोरम पर अगर प्रश्नों का जवाब नहीं ले सकते हैं तो कहां से लेंगे इसीलिये मेरा यह व्यवस्था का प्रश्न है और आप व्यवस्था दें अध्यक्ष महोदय मेरा आपसे ऐसा आग्रह है. विभाग और दूसरे मंत्री जवाब नहीं देते वहां तक तो ठीक है आज मुख्यमंत्री जी के 16 प्रश्नों के जवाब में जानकारी एकत्रित की जा रही है. मैं समझता हूं कि प्रदेश की जनता के लिये और हम सबके लिये बड़े दुर्भाग्य का विषय है और आप इसमें व्यवस्था दें.

          अध्यक्ष महोदय - बाला जी आपकी बात आ गई है प्रश्नकाल चलने दें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,सदन को एक जानकारी देना चाहता हूं कि हमारी बहादुर सेना ने पहलगाम में जो 3 आतंकवादियों ने घटना की थी उन तीनों आतंकवादियों को खत्म कर दिया है इसीलिये मैं चाहता हूं सदन  हमारी वीर सेना को धन्यवाद दे जिन्होंने उन आतंकवादियों का सफाया किया.

          नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय,सदन की ओर से यह हो जाए.

          श्री अभय मिश्रा - आज नागपंचमी है.

          सहकारिता मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - आप लोग दूध बंटवाएं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - आपके यहां अमूल का दूध भिजवा दिया है.

          मुख्यमंत्री(डॉ.मोहन यादव) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मुझे समझ में नहीं आता है कि जब नागपंचमी हो तो आप भैंस की बात लाते हो जब नागपंचमी हो तो उस दिन करो जो करना हो. मेरे को तालमेल नहीं लगता कभी गिरगिट लाते हैं कभी भैंस लाते हो. या तो चिड़ियाघर में जाएं या ढंग से विधान सभा में आएं. ढाई-ढाई लाख लोगों को चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं. हमारे लिये सौभाग्य की बात है कि हमारे साथी है और हमारी,आपकी इतनी बड़ी संसदीय परंपरा में हम 9 करोड़ लोगों की हम आशा के केन्द्र है तो कम से कम गरिमा से तो करें.

          अध्यक्ष महोदय - आज का प्रश्नकाल हमारे नये सदस्यों और महिला सदस्यों को समर्पित है इसीलिये सभी गंभीरता बनाए रखें.

 

11.04 बजे                                             बधाई

दिव्या देशमुख के फेडरेशन आफ वुमेंस इंटरनेशनल शतरंज वर्ल्ड कप जीतने और सेना द्वारा पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों को मारने के संबंध में

          अध्यक्ष महोदय - हमारे देश की बेटी दिव्या देशमुख ने जार्जिया के बटूमी में आयोजित फेडरेशन आफ वुमेंस इंटरनेशनल शतरंज वर्ल्डकप 2025 के फाईनल का प्रतिष्ठित खिताब जीता है. यह पहली बार है जब किसी भारतीय महिला ने यह प्रतिष्ठित विश्व कप जीता है. इस जीत से हमारे देश गौरवान्वित हुआ है. सदन की ओर से दिव्या देशमुख के चेस में वर्ल्ड चैंपियन बनने पर सदन हार्दिक बधाई देता है. दूसरा जो कैलाश जी ने बात उठाई कि जो आतंकवादी थे उनको हमारी सेना ने मार गिराया, मैं समझता हूं कि सदन की ओर से सभी लोग सर्वसम्‍मति से सेना को बधाई दें.

          बाला बच्‍चन जी ने जो बात कही है वह निश्चित रूप से मेरे संज्ञान में है. मैंने भी देखा है, इससे पहले भी इस मामले में निर्देश दिये गये हैं और आज भी कुछ प्रश्‍नों में जानकारी एकत्रित की जा रही है, ऐसा विषय आया है. कुछ प्रश्‍नों की जानकारी आ गई है जो सदस्‍यों तक अभी पहुंची होगी, लेकिन फिर भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी यहां बैठे हुये हैं, जानकारी एकत्रित की जा रही है, ऐसा उत्‍तर की बजाय सीधा उत्‍तर आना ही चाहिये.

          श्री बाला बच्‍चन--  धन्‍यवाद, अध्‍यक्ष महोदय.

 

 

 

 

11.06 बजे                        तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

कैलेण्‍डर वितरण में दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही

[महिला एवं बाल विकास]

1. ( *क्र. 579 ) श्रीमती अनुभा मुंजारे : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्‍या जिला बालाघाट में मान. मुख्‍यमंत्री लाड़ली बहना योजना 2023 अंतर्गत पात्र हितग्राहियों के प्रथम/द्वितीय चरण के कैलेण्‍डर मध्‍यप्रदेश माध्‍यम, 40, प्रशासनिक क्षेत्र अरेरा हिल्‍स भोपाल के चालान क्रमांक 1388/23, दिनांक 29.08.2023 द्वारा प्राप्‍त कैलेण्‍डर का वितरण नहीं किया गया तो क्‍यों नहीं किया गया? कैलेण्‍डरों की संख्या, व्‍यय धनराशि व दिनांक का विवरण प्रस्‍तुत करें। (ख) क्‍या उक्‍त प्रकरण में समिति द्वारा जांच प्रतिवेदन दिनांक 07.05.2025 के अनुसार तत्‍कालीन भण्‍डार शाखा प्रभारी श्री योगेश खजरे, सहायक ग्रेड-3, सह डाटा एंट्री ऑपरेटर एवं तत्‍कालीन प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी, सुश्री वंदना धुमकेती, सहायक संचालक, महिला एवं बाल विकास द्वारा मान. मुख्‍यमंत्री लाड़ली बहना योजना 2023 (कैलेण्‍डर) का वितरण नहीं किये जाने के दोषी हैं, तो दोषियों पर क्‍या कार्यवाही की गई? क्‍या उन्‍हें सक्षम अधिकारी द्वारा निलंबित किया गया? यदि नहीं, तो क्‍यों? निलंबन के लिये सक्षम अधिकारी कौन हैं? समस्त अभिलेखों सहित की गई कार्यवाही से अवगत करायें। (ग) उक्‍त प्रकरण में दोषी कर्मचारियों/अधिकारियों द्वारा झूठी गलत जानकारी प्रमाण पत्र विभाग को प्रस्‍तुत कर शासकीय धन की हानि/अपव्‍यय किया गया है? उसकी भरपाई कौन करेगा? क्‍या दोषियों से शासकीय धन की पूर्ति की जायेगी? यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं? वर्तमान में कैलेंडर किस स्थिति में है?

महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) जी हाँ, प्राप्‍त कुल कैलेण्‍डर 3,61,832 में से 1,64,000 कैलेण्‍डर का वितरण नहीं किया गया है। वितरण नहीं किये जाने के संबंध में की गई जांच पर निर्णय की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। कैलेण्‍डर की दर राशि रूपये 6.27/- (कर सहित) प्रति कैलेण्‍डर है। मध्‍यप्रदेश माध्‍यम द्वारा दरों एवं चालान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जी हाँ। दोषी अधिकारी/कर्मचा‍री पर जांच कार्यवाही प्रचलन में है। जांच संबंधी अभिलेख पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।(ग) दोषी अधिकारी/कर्मचारी पर जांच कार्यवाही प्रचलन में है। वर्तमान में कैलेण्‍डर यथास्थिति में है।

          श्रीमती अनुभा मुंजारे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न क्रमांक 579 है.

          सुश्री निर्मला भूरिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जानकारी पटल पर रखी है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  माननीय सदस्‍य, पूरक प्रश्‍न करें.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपको बहुत-बहुत हार्दिक धन्‍यवाद देना चाहूंगी, जैसा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में हम महिलाओं को जनता ने बहुत विश्‍वास के साथ चुनकर मध्‍यप्रदेश की विधान सभा में विधायक के रूप में भेजा है और मंगलवार का दिन क्‍योंकि माता दुर्गा शक्ति का होता है, भगवान श्रीराम जी के भक्‍त परम बीर बजरंग बली जी का होता है और आज के दिन हमें सदन में प्रा‍थमिकता दी जाती है, इसके लिये मैं आपका, आसंदी का हृदय से धन्‍यवाद देना चाहूंगी.

          माननीय मंत्री जी से मेरा सवाल है. मैं यह जानना चाहती हूं कि क्‍या कैलेण्‍डर वितरण में हुई अनियमितता के लिये सिर्फ सहायक ग्रेड-3, डाटा एंट्री आपरेटर स्‍तर के ही कर्मचारी दोषी हैं, उच्‍च अधिकारी पर कोई कार्यवाही अब तक क्‍यों नहीं की गई है. तत्‍कालीन प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी सुश्री वंदना धुमकेती को विभाग द्वारा  संरक्षण क्‍यों दिया गया है, जबकि पूर्व में भी पोषण अभियान अंतर्गत बालाघाट जिले में स्‍मार्ट फोन की खरीदी में हुई अनियमितता में उन्‍हें पूर्णत: दोषी पाया गया था. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि उक्‍त अधिकारी पर तत्‍काल कार्यवाही करने हेतु सदन में घोषणा करें और मैं माननीय मंत्री जी यह भी कहना चाहती हूं कि सिर्फ डाटा एंट्री आपरेटर को निलंबित कर देना इस समस्‍या का हल नहीं है. तत्‍कालीन प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी सुश्री वंदना धुमकेती पर आज दिनांक तक कार्यवाही क्‍यों नहीं की गई. मैं माननीय मंत्री जी आपसे यह जानना चाहती हूं.

          सुश्री निर्मला भूरिया-- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने बालाघाट जिले में मुख्‍यमंत्री लाडली बहना के जो कैलेण्‍डर वितरित किये जाने थे उससे संबंधित और यह वर्ष 2023 का प्रकरण है और उसमें माननीय ने जो पूछा था कि कैलेण्‍डर वितरित हुये या नहीं हुये इसमें कुछ कैलेण्‍डर तो वितरित हुये थे और कुछ नहीं हो पाये और उसमें जो दोषी कर्मचारी पाये गये तो उनके खिलाफ हमारे द्वारा कार्यवाही की गई है और जिस अधिकारी के खिलाफ माननीय सदस्‍य चाह रही हैं कि कार्यवाही होना चाहिये तो उसके खिलाफ भी हमने कारण बताओ नोटिस दिया है और किसी को भी बचाने की कोशिश हम लोग नहीं कर रहे हैं और अध्‍यक्ष महोदय बराबर कार्यवाही कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  दूसरा पूरक प्रश्‍न करें.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे--  माननीय मंत्री जी, मैं आपके सवाल से कुछ हद तक संतुष्‍ट हूं, कुछ हद तक नहीं भी हूं. मेरा ऐसा कहना है कि जब तक दोषी अधिकारी पर कार्यवाही नहीं होगी, छोटे कर्मचारी पर हमने कार्यवाही कर दी, लेकिन जो वास्‍तव में जिम्‍मेदार अधिकारी है अगर उस पर हम कार्यवाही नहीं करेंगे तो इनकी मनमानी पर रोक कैसे लगेगी. विभाग ने स्‍वयं अपने प्रश्‍न के उत्‍तर में स्‍वीकार किया है कि प्राप्‍त कुल कैलेण्‍डर 3,61,832 में से 1,64,000 कैलेण्‍डर का वितरण नहीं किया गया है. तत्‍कालीन प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी सुश्री वंदना धुमकेती द्वारा संपूर्ण कैलेण्‍डर का वितरण कार्यालयीन पत्र क्रमांक 3449 दिनांक 25.09.2023 द्वारा विभाग को असत्‍य एवं गलत जानकारी प्रस्‍तुत की है एवं कैलेंडर का वितरण नहीं होने से कुल राशि 10 लाख 28 हजार 280 रूपये की शासन को शासकीय धन की हानि हुई है, क्‍या उक्‍त राशि की वसूली दोषी अधिकारी से की जायेगी और अगर जायेगी तो कब तक की जायेगी ? आदरणीय मंत्री जी बतायें.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक बात की ओर सदन का ध्‍यानाकर्षित कराना चाहूंगी कि उस समय भी हमारे शासन में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी थे, तो उनके फोटो छपे कैलेंडर उस समय थे, अब मैं सरकार से जानना चाहती हूं कि क्‍या अब वह कैलेंडर आज की परिस्थिति में क्‍योंकि आज हमारे मुख्‍यमंत्री डॉक्‍टर मोहन यादव जी हैं, तो अब तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी के वह कैलेंडर तो वितरित हो नहीं सकते हैं, तो इसमें शासन को जो साढ़े दस लाख रूपये की हानि संबंधित विभाग के अधिकारी द्वारा पहुंचाई गई है, मैं चाहती हूं‍ कि उनका निलंबन हो और उन पर कठोर कार्यवाही हो, जिससे शासन के धन का जो दुर्पयोग किया जाता है, उस पर ऐसे भ्रष्‍ट अधिकारियों पर लगाम लगे, माननीय मंत्री जी आपका धन्‍यवाद और मुझे जो जवाब मिला इसके लिये आपका आभार भी व्‍यक्‍त करती हूं.

          सुश्री निर्मला भूरिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो कार्यवाही माननीय विधायिका चाहती थीं वह हमने जहां तक हो वह की है, जैसा कि वह चाह रही हैं  तो उनके खिलाफ भी हम लोग कार्यवाही कर रहे हैं और कारण बताओ नोटिस भी हम लोगों ने दिया है, तो आप लोग निश्‍चिंत रहें हम लोग कार्यवाही करेंगे.

सहकारी सूत मिल मर्यादित, बुरहानरपुर के श्रमिकों का भुगतान

[सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम]

2. ( *क्र. 848 ) श्रीमती अर्चना चिटनीस : क्या सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा तारांकित प्रश्‍न क्र. 588, दिनांक 17.12.2024 के उत्तर में मिल के श्रमिकों के देयताओं के भुगतान पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है तथा प्रश्‍नांश (ग) व (घ) के उत्तर में श्रमिकों के देयताओं के तथ्य शासन के संज्ञान में है, इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है? (ख) यदि हाँ, तो क्या विभाग द्वारा श्रमिकों के देयताओं के भुगतान पर किसी प्रकार की कार्यवाही सुनिश्चित की गई? यदि हाँ, तो क्‍या भुगतान हेतु कोई समय-सीमा निश्चि‍त की गई है?

सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्री ( श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप ) : (क) जी हाँ। प्रक्रियाधीन है। (ख) मिल के कर्मचारियों के स्वत्वों की गणना/निर्धारण हेतु निम्‍न कार्यवाही की गई है :-  1. परिसमापक द्वारा श्रमिक संघों के प्रतिनिधियों के सहयोग से गणना की कार्यवाही की जा रही है। 2. कलेक्टर, बुरहानपुर द्वारा गठित समिति ने कर्मचारी संघों से श्रमिकों की सूची प्राप्त की है।  3. 743 कर्मचारियों के पी.एफ. खाता नम्बर की जानकारी प्राप्त हुई है। 4. कर्मचारियों द्वारा प्रस्‍तुत देय राशि पत्रकों का नियमानुसार परीक्षण किया जा रहा है। 5. तत्‍समय कार्यरत कर्मचारियों की प्रमाणित सूची उपलब्‍ध नहीं होने से गणना में समय लग रहा है। वर्तमान परिसमापक द्वारा पूर्व परिसमापक तथा कार्यालय क्षेत्रीय भविष्‍य निधि, इंदौर से प्रमाणित सूची प्रदाय करने हेतु पत्र दिनांक 03.07.2025 एवं दिनांक 04.07.2025 लिखा गया है। जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' एवं '' अनुसार है। उक्‍त तथ्‍यों के दृष्टिगत, श्रमिकों के स्‍वत्‍वों का समय-सीमा में निर्धारण संभव नहीं है। श्रमिकों के स्‍वत्‍वों के अंतिम निर्धारण के बाद ही आगामी कार्यवाही की जावेगी।

परिशिष्ट - "एक"

          श्रीमती अर्चना चिटनीस -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न क्रमांक-2 है.

          श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न का जवाब पटल पर प्रस्‍तुत कर दिया गया है.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं ही नहीं इस सदन की सभी विधायक बहनें आपने जो हमें अवसर दिया है, उसके लिये हृदय से आपकी आभारी हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, यह बड़ा महत्‍वपूर्ण और मार्मिक विषय है, मैं इस प्रश्‍न को करने की इसलिए हिम्‍मत उठा पाई और इसलिए उम्‍मीद कर पाई क्‍योंकि हमारी  सरकार श्रमिकों के प्रति बहुत संवेदनशील है और गत दिनों जब यह पता लगा कि हुकुमचंद मिल इंदौर, विनोद मिल उज्‍जैन के श्रमिकों के लिये माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उनकी सरकार ने बहुत संवेदनशीलता से बहुत लंबित निर्णय को पूरा किया, उनके लिये एक बड़ा निर्णय करके उनको एक राहत दी है. सज्‍जन मिल रतलाम की भी कार्यवाही लिक्‍वेडीशन की जारी है, जब सरकार सभी इस प्रकार के विषयों को हैंडिल कर रही है, डील कर रही, श्रमिकों के लिये विचार करके निर्णय कर रही है, तब हमें उम्‍मीद जागी है कि हमारे भी 25 साल पुरानी बुराहनपुर की बहादरपुर सूत मिल की यह एक समस्‍या है और माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी का और उनके विभाग का भी बहुत आभार व्‍यक्‍त करती हूं कि इस विषय को सदन में उठाने के बाद इन्‍होंने इस पर गति से कार्यवाही की है, कर्मचारियों को सूचीबद्ध किया है और कलेक्‍टर बुराहनपुर भी इस कार्यवाही को आगे बढ़ा रहे हैं, पर इस सारे काम को करने की कोई न कोई समय सीमा निर्धारित होना आवश्‍यक है क्‍योंकि हम इसको ओपन हैडेंड रखेंगे तो 25 साल निकल गये हैं और साल, दो साल, तीन साल पता नहीं कितना समय निकल जायेगा और माननीय मुख्‍यमंत्री जी मैं आपकी संवेदनशीलता देखते हुए मैं आपसे बस इतनी अपेक्षा करती हूं कि चाहे आप चार महीने कह दें, चाहे आप छ: महीने कह दें, आप एक साल कह दें आपको जितना समय लगता है पर कोई न कोई समय सीमा निर्धारित करेंगे तो आपका अमला भी और सारी व्‍यवस्‍था, सारा सिस्‍टम उसके लिये शिद्दत से काम करेगा.

          श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दिसंबर 2024 के बाद से बुरहानपुर सहकारिता मिल का कार्य प्रारंभ कर दिया गया था, परंतु यह वर्ष 1999 का प्रकरण है, जब परिसमापक के द्वारा मिल बंद की गई है और उसकी जो मजदूरों की देनदारियां डेढ़ करोड़ रूपये थी, परंतु मजदूरों की संख्‍या और कोई सूची वहां पर उपलब्‍ध नहीं है, वर्तमान में हमने प्रयास करके पिछले छ: माह में कलेक्‍टर के माध्‍यम से प्राविडेंट फंड के अंदर इसकी सूची हम दिखवाने का काम हम कर रहे हैं, प्राविडेंट फंड का एक रजिस्‍टर प्राप्‍त हुआ है, परंतु वह काफी पुराना है और उसमें वर्ष 2011 के बाद का रिकार्ड कम्‍प्‍यूटराईज्ड है, वह मेन्‍यूअल रिकार्ड है, तो जैसे ही मजदूरों की सूची प्रमाणिकता से मिल जायेगी, तत्‍काल इसके बाद हम कार्यवाही करेंगे, माननीय मुख्‍यमंत्री जी के इसमें बड़े स्‍पष्‍ट निर्देश हैं और आपने उल्‍लेख भी किया है कि हुकुमचंद मिल का करीब 200 करोड़ रुपए का मजदूरों का पेमेन्‍ट और 200 करोड़ रुपए उनकी देयता चुका कर के पूरा निपटारा किया है और विनोद मिल का भी 11 करोड़ रुपए देयता का चुकारा किया है और सज्‍जन मिल में भी वही स्थिति जो बुरहानपुर की है कि परिसमापक के द्वारा देयताओं का निर्धारण किया जा रहा है, तो आपका जो समय सीमा का प्रश्‍न है, मेरा आपसे आग्रह है कि आप भी वहां पर मजदूर संघों से जुड़ी हुई हैं, उनसे जुड़कर  के जैसे ही उनकी देयता फिक्‍स करवा देंगे, हम तत्‍काल इसके लिए मुख्‍य सचिव की अध्‍यक्षता में एक समिति बना दी गई है, जो जितने भी 10, 20, 25 सालों से ऐसे प्रकरण जो मध्‍यप्रदेश में रुके हुए थे. मुख्‍यमंत्री जी के द्वारा उसके अंदर तत्‍काल निर्णय लेने की प्रक्रिया बना दी गई है, तो जैसे ही यह मजदूर सूची बद्ध होंगे, हम इस पूरे प्रकरण का निराकरण करेंगे.

अध्‍यक्ष महोदय माननीय सदस्‍य, दूसरा पूरक प्रश्‍न करें.

श्रीमती अर्चना चिटनीस माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सूची बनाकर कलेक्‍टर द्वारा प्रॉविडेंट फंड के उपलब्‍ध रजिस्‍टर के आधार पर सरकार को भेजी गई है और मैं भी व्‍यक्तिगत तौर पर उसमें जो भी कमी है, मैं प्रयास करुंगी कि मैं 15-20 के अंदर जिला स्‍तर के सारे विषय आप तक पहुंचा दूं और मेरा आपसे पुन: करबद्ध निवेदन है कि अगर हम इसको फॉस्‍ट ट्रेक पर लेकर काम कर लेंगे, तो हमारे काम करने का एक असर उन परिवारों की बहन बेटियों को मिलेगा, जिनकी दो पीढि़यां इस प्रकरण के लंबित रहने से तत्‍कालीन सरकार ने बिना लिक्विडेशन के कैबिनेट के निर्णय से उस बिल को बंद कर दिया, जो कि गैर कानूनी है, ऐसे नहीं किया जा सकता था. आप कॉ-ऑपरेटिव मिल को ऐसे नहीं बंद कर सकते, पर उस समय की गलती है हमें उसकी प्रतिपूर्ति करनी है.

श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप मैंने आपसे उल्‍लेख किया है, सूची मिलते ही हम लोग बराबर इस देयता की पेमेन्‍ट करेंगे और इसका जो सेटलमेंट है, उसके लिए हमने प्रमुख सचिव, इंडस्‍ट्री की अध्‍यक्षता में कमेटी बनाई है तो कुछ देयता दूसरे इंस्‍टीटयूशन के भी हैं, उनके भी हम चर्चा के माध्‍यम से निपटारा होगा तो तत्‍काल हम लोग इस पर निराकरण करवाएंगे.

संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) अध्‍यक्ष जी, हमारी सरकार मजदूरों की समर्थक सरकार है और हमें कहते हुए गर्व है कि हमारे प्रदेश के मुख्‍यमंत्री भी प्रदेश के बेटे हैं और यह कहते हुए भी गर्व है कि हुकुमचन्‍द मिल के प्रकरण का लाभ मजदूरों की तीसरी पीढ़ी को मिला है वह भी हमारी सरकार ने दिया है. मैं माननीय सदस्‍य से निवेदन करुंगा कि आप समय सीमा का आग्रह नहीं करें, पर जल्‍दी से जल्‍दी माननीय मंत्री जी और विभाग के अधिकारी से कहूंगा कि तत्‍काल उसको करना चाहिए, क्‍योंकि यह मजदूरों से जुड़ा हुआ विषय है.

श्रीमती अर्चना चिटनीस माननीय मंत्री जी, एक निवेदन है कि आप एक बैठक जिले के और विभाग के अधिकारियों की, भोपाल में आहुत कर दें, ताकि हम सब इस विषय को एक साथ बैठकर एक टाइम पर निराकरण कर लें.

श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप अध्‍यक्ष महोदय, बैठक जल्‍दी बुला ली जाएगी.

श्री पंकज उपाध्‍याय अध्‍यक्ष महोदय, इसी तरह का प्रकरण मेरा भी है

अध्‍यक्ष महोदय पंकज जी आपका मामला कॉ-ऑपरेटिव का है. श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक.

संविदा नीति 2023 का पालन

[सामान्य प्रशासन]

3. ( *क्र. 313 ) श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विभिन्न विभागों एवं योजनाओ में कार्यरत संविदा कर्मियों हेतु वर्ष 2023 में संविदा नीति बनाई गयी है एवं नीति में अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया गया है?     (ख) यदि हाँ, तो संविदा नीति 2023 प्रश्‍न दिनांक तक कितने विभागों एवं योजनाओं में लागू की गयी? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) संविदा नीति 2023 बनने के पश्चात प्रश्‍न दिनांक तक   किन-किन विभागों एवं योजनाओं में कितने संविदा कर्मियों की मृत्यु हुई? उनकी जानकारी उपलब्ध करायें। (घ) मृत हुये संविदा कर्मियों के आश्रितों/परिवारों को नीति के तहत अनुकंपा नियुक्ति का लाभ मिलेगा या नहीं? (ड.) यदि हाँ, तो लाभ कब तक मिलेगा? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?

मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्‍य मंत्री (श्रीमती कृष्‍णा गौर)      (क) जी हां, (ख) संविदा नीति 2023 शासन के समस्‍त विभागों पर लागू है. संविदा नीति 2023 की कंडिका 11.5 में उल्‍लेखित प्रावधान अनुसार ‘’मध्‍यप्रदेश शासन के विभगों के अंतर्गत आने वाले निगम, मंडल, सार्वजनिक उपक्रम, स्‍थानीय निकाय, विश्‍व विद्यालय आयोग, विकास प्राधिकरण, बोर्ड, परिषद, संस्‍थाएं इन निर्देशों को अपने संविदा कर्मियों के लिए लागू करने के संबंध में अपने स्‍तर पर समुचित निर्णय लेने के लिए सक्षम होंगे’’  (ग) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है. (घ) संविदा नीति की कंडिका-2 के अनुसार पात्रता के परीक्षण उपरांत अनुकंपपा नियुक्ति का लाभ दिए जाने का प्रावधान है. (ड.) पात्रता अनुसार ही लाभ दिए जाने का प्रावधान है. अत: समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है.

श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक माननीय अध्‍यक्ष जी, मेरा प्रश्‍न क्रमांक 313 है.

श्रीमती कृष्‍णा गौर माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर सदन के पटल पर है.

श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि मैं उनके जवाब से संतुष्‍ट हूं, इसके अलावा शासन की कई योजनाएं जैसे कि मनरेगा, आजीविका मिशन, राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन एवं वाटरशेड आदि में राज्‍य सरकार की संविदा नीति को लागू नहीं किया गया है, इसे कब तक लागू किया जाएगा?

श्रीमती कृष्‍णा गौर माननीय अध्‍यक्ष महोदय, संविदा नीति 2023 की कंडिका 11.4 एवं 11.5,  माननीय सदस्‍य के जवाब में स्‍पष्‍ट और विस्‍तार से उल्‍लेखित है. इसके बावजूद भी, चूंकि माननीय सदस्‍य ने जानना चाहा है कि मनरेगा आजीविका मिशन, राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन एवं वाटरशेड में यह नीति कब से लागू होगी] तो मैं बताना चाहूंगी कि मध्‍यप्रदेश शासन के नियमों के अंतर्गत आने वाले निगम, मंडल, सार्वजनिक उपक्रम, स्‍थानीय निकाय, विश्‍व विद्यालय आयोग, विकास प्राधिकरण, बोर्ड, परिषद, संस्‍थाओं को इन दिशा निर्देशों के अनुसार अपने संविदा कर्मियों के लिए अनुकंपा नीति लागू करने के संबंध में अपने स्‍तर पर निर्णय लेने का नियम है. मनरेगा, राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन आदि योजनाओं में भारत सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है. इन योजनाओं के प्रशासकीय संचालक मंडल में केन्‍द्र सरकार के भी सदस्‍य रहते हैं. मैं धन्‍यवाद देना चाहूंगी, हमारे स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को जिन्‍होंने राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन में अनुकंपा नियुक्ति देने का निर्णय लिया है. मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आश्वासन देती हूं कि हम विभागों के माध्यम से संविदा नीति के क्रियान्वयन के संबंध में शीघ्र समुचित निर्णय लेने हेतु निर्देश जारी कर देंगे.

          श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीकहमारी सरकार जनता के हित में कार्य कर रही है, उसमें नीति लागू करने के बाद जिन संविदा कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है. उनके आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ कब तक प्रदान किया जायेगा ?

          श्रीमती कृष्णा गौरमाननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि योजनाओं का अपना प्रशासकीय संचालक मंडल होता है. नीति के तहत संचालक मंडल के निर्णय के बाद अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ दिया जाना संभव होगा इस संबंध में शीघ्र समुचित निर्णय लेने हेतु हम निर्देश जारी कर देंगे.

          खण्डवा जिला न्यायालय को इंदौर खंडपीठ से जोड़ा जाना

[विधि एवं विधायी कार्य]

4. ( *क्र. 628 ) श्रीमती छाया गोविन्‍द मोरे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि खण्डवा जिला न्यायालय जबलपुर हाई कोर्ट के क्षेत्र अधिकार में अंतर्गत आता है, जिसकी दूरी जिला मुख्यालय खंडवा से 477 कि.मी. है एवं उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ की दूरी मात्र 130 कि.मी. ही है और इस कारण पक्षकारों को याचिका दायर करने एवं कानूनी कार्यवाही में समय पर सम्मिलित होने में बहुत समस्याएं आती हैं, इसको देखते हुए क्‍या विधि एवं विधायी कार्य विभाग की खण्डवा को इंदौर हाई कोर्ट से जोड़ने की कोई कार्ययोजना है? यदि हाँ, तो कब तक जोड़ दिया जायेगा?

          श्री गौतम टेटवाल माननीय उच्च न्यायालय द्वारा लेख किया गया है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 51 के अनुसार भारत के माननीय राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित करने और राज्यों के माननीय राज्यपाल और उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से पीठ के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का निर्धारण करने का अधिकार है. वर्तमान में इस संबंध में कोई कार्य योजना नहीं है. माननीय उच्च न्यायालय से प्राप्त जानकारी से संलग्न परिशिष्ट अनुसार है.

          श्रीमती छाया गोविन्द मोरेमाननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक (628)       

श्रीमती छाया गोविन्द मोरेमाननीय अध्यक्ष महोदय,उत्तर पटल पर रखा है.

श्रीमती छाया गोविन्द मोरेमाननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी के जवाब से मैं संतुष्ट हूं, परन्तु मेरा यह कहना है कि खण्डवा जिला न्यायालय है उसको इन्दौर खण्डपीठ से जोड़ने के लिये निवेदन है, क्योंकि उच्च न्यायालय जबलपुर करीबन 477 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि इन्दौर खण्डपीठ की दूरी मात्र 130 किलोमीटर है तो मैं चाहती हूं कि मेरा उत्तर दिया है उससे मैं संतुष्ट हूं, परन्तु हमारे सदन की ओर से और आपकी ओर से तथा माननीय मंत्री जी की ओर से भी यहां पर जनहित में वहां पर व्यवस्थाएं करने के लिये यहां से भी एक पत्र जारी करके कार्य किया जाये तथा यह जो समस्या है उसका निराकरण किया जाये.

            श्री गौतम टेटवालमाननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी के प्रश्नानुसार माननीय उच्च न्यायालय द्वारा लेख किया गया है कि राज्य पुनर्गठन अधिकार अधिनियम 1956 की धारा 51 के अनुसार भारत के माननीय राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित करने और राज्यों के माननीय राज्यपाल और उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से पीठ के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करने का अधिकार है. वर्तमान में इस संबंध में कोई कार्य योजना नहीं है. माननीय उच्च न्यायालय से प्राप्त जानकारी संलग्न परिशिष्ट आज्ञानुसार है, फिर भी माननीय विधायक महोदय के प्रश्न के अनुसार मैं उच्च न्यायालय के परामर्श अनुसार तकनीकी परीक्षण करवाकर नियमानुसार कार्यवाही करेंगे.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न जो माननीय सदस्य महोदया जी ने पूछा है, यह बहुत ही मौजूद प्रश्न है. इसमें खण्डवा के लोगों को काफी तकलीफ है वहां से जबलपुर जाना और अगर वहां से तारीख बढ़ जाती है तो वापस आने में काफी खर्चा बढ़ जाता है. वहां से इन्दौर बहुत नजदीक है. मैं मुख्यमंत्री जी से आग्रह करूंगा कि आप इसकी घोषणा करें कि आप इसमें प्रयास करेंगे कि एक अतिरिक्त इन्दौर में बेंच लग जाये तो खण्डवा के लोगों को इस परेशानी से बचाया जा सकता है. इसमें सिर्फ क्षेत्राधिकार बदलना है.

          श्री कमलनाथअध्यक्ष जी, मैं माननीय सदस्य जी के प्रश्न से बिल्कुल सहमत हूं. इसमें बड़ी लंबी चौड़ी कार्यवाही मंत्री जी ने बतायी है. पर जो भी यह कार्यवाही है यह रूटीन में नहीं हो सकती है. यह तो जब तक माननीय मुख्यमंत्री जी आप इसमें दिलचस्पी लेंगे तभी यह मामला आगे बढ़ेगा, तो मेरा मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि आप इसमें पूरा एक्शन लें. इसमें मंत्री जी ने लंबी कार्यवाही बतायी है इस कार्यवाही को पारित कैसे किया जायेगा, इसको आप तय करें.

          श्री प्रहलाद पटेलअध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने ठीक दिशा में अपनी बात कही है कि सी.जे.हाईकोर्ट और राज्यपाल दोनों की सहमति से उस बेंच के क्षेत्राधिकार को बदल सकते हैं. बाकी बेंच तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला है. अगर खण्डवा जिले को इसमें जोड़ना है तो यह क्षेत्राधिकार का परिवर्तन है. तो यह सच है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी के संज्ञान में अगर यह बात आती है तो माननीय राज्‍यपाल जी और चीफ ज्‍यूडिशयल, हाईकोर्ट जबलपुर के साथ बैठकर कभी संवाद हो, तो इस पर बातचीत हो सकती है. इससे ज्‍यादा मुझे लगता है कि इस सदन में चर्चा का यह विषय नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं समझता हॅूं कि माननीय सदस्‍य का जो दूसरा पूरक प्रश्‍न था, वह पूरा हो जाने दें, क्‍योंकि आज महिलाओं का दिवस है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने सुना ही है. माननीय सदस्‍य आप कुछ और कहना चाहती हैं ?

            श्रीमती छाया  गोविन्‍द मोरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी और हमारी सरकार से मुझे पूरा विश्‍वास है कि जो मैंने प्रश्‍न लगाया है, निश्‍चित ही इस पर अमल किया जायेगा और हमारे खंडवा जिले को इससे राहत मिलेगी. हमारे वहां के आमजन की जो समस्‍याएं हैं जिनको वहां 2-2 दिन लगते हैं तो इस समस्‍या का निराकरण होगा, इसका मुझे पूरा विश्‍वास है. धन्‍यवाद.

          मुख्‍यमंत्री (डॉ.मोहन यादव) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पूरे तौर पर सदन के दोनों पक्ष की ओर से यह कहना चाहता हॅूं और यह बात भी आयी है. मैं यह मानवीय दृष्‍टिकोण से भी आवश्‍यक समझता हॅूं कि हम इसका समाधान करेंगे. इसमें मैं और जानकारी देना चाहूंगा कि हमारी सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन भी किया है. जो ऐसे सारे प्रश्‍नों के भविष्‍य में भी अलग-अलग प्रकार से कठिनाई हमने देखी है. सरकार के संचालन में, व्‍यवस्‍थाओं के विकास के कामों में. यह आयोग भी अपना काम कर रहा है और उस दिशा में भी मौका पडे़गा, तो हम मिलकर के इसका समाधान स्‍थायी रूप से भी निकालेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक-5. श्रीमती नीना विक्रम वर्मा.

 

[नर्मदा घाटी विकास]

5. ( *क्र. 113 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या धार तथा बड़वानी जिले के सरदार सरोवर के डूब प्रभावितों को पुनर्वास हेतु आवासीय भूखण्ड आवंटित किये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो कितने वर्ष पूर्व भूखण्ड आवंटित किये गये थे तथा क्या आवासीय भूखण्ड के अधिकार पत्र/अलॉटमेंट आर्डर ही प्रदान किये गये थे? भूखण्डों की संबंधितों को रजिस्ट्री नहीं करवाई गई थी? (ग) यदि हाँ, तो उक्त भूखण्ड अधिकार प्राप्तकर्ता की इतने वर्षों में मृत्यु होने पर उनके वारिसों को इन भूखण्डों का नामांतरण किये जाने की क्या व्यवस्था है तथा इस हेतु क्या कोई प्रावधान है? (घ) यदि नहीं, तो क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री जी द्वारा सी.एम. हाउस पर डूब प्रभावितों की एक बैठक आयोजित करते हुए घोषणा की गई थी कि समस्त इस प्रकार के भूखण्ड धारकों को उनके आवंटि‍त भूखण्ड की रजिस्ट्री निःशुल्क बनवाकर दी जावेगी? (ड.) क्या भूखण्ड धारकों को निःशुल्क रजिस्ट्रि‍यां बनाकर प्रदान की गई हैं? यदि नहीं, तो क्या वर्तमान में विभाग इस हेतु पहल करेगा?

मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्‍य मंत्री (श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी) : (क) जी हाँ। (ख) लगभग 20 से 24 वर्ष पूर्व। जी हाँ। (ग) भू-खण्‍ड आवंटन प्रमाण पत्र प्राप्‍तकर्ता की मृत्‍यु होने पर उनके वारिसों द्वारा आवेदन के साथ विधि मान्‍य वारिस प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करने पर नामांतरण की कार्यवाही की जाकर उन्‍हें आवंटन पत्र प्रदान किये जाते हैं। (घ) उत्‍तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्‍य में लागू नहीं। (ड.) जी नहीं। वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्‍ताव नहीं है।

          श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- मेरा प्रश्‍न क्रमांक-113 है.

          श्री धर्मेन्‍द भाव सिंह लोधी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, इसका उत्‍तर पटल पर रख दिया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, अपना पूरक प्रश्‍न करें.

          श्रीमती नीना विक्रम वर्मा --  अध्‍यक्ष महोदय, आज महिलाओं को विशेष अधिकार देने के लिए धन्‍यवाद. मेरा प्रश्‍न यह है कि सरदार सरोवर बांध को लेकर  के जब डूब प्रभावित क्षेत्रों के अंदर भूखण्‍ड आवंटित किए गए थे, उसमें उनको अधिकार पत्र दिये थे और इस बात को कम से कम 25 से 30 साल से अधिक का  समय हो गया है और वह अधिकार पत्र तो मिल गए हैं लेकिन उस पर कई लोगों ने अपना भवन बना लिया है. कई लोगों के पास मालिकाना हक है लेकिन उनमें कई लोग जो दिवंगत हो गए हैं उनके वारिसों को इसके अंदर काफी परेशानी आ रही है. मैं आपके माध्‍यम से यह निवेदन करना चाहती हॅूं कि यह जो अधिकार पत्र हैं उनको रजिस्‍ट्री का स्‍वरूप दिया जाये, ताकि वहां पर जो व्‍यक्‍ति हैं उसको उसका लाभ मिल सके और जो गरीब हैं वे लोन लेकर के उसमें अपना मकान बना सकें और वारिसों को ट्रांसफर करवाने में कोई परेशानी न आये. क्‍या माननीय मंत्री जी यह करेंगे ?

श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं माननीय सदस्‍या को बताना चाहता हॅूं कि भूखण्‍डों का आवंटन भी कर दिया गया था और अधिकार पत्र भी, अलॉटमेंट लैटर भी प्रदान कर दिए गए हैं. दूसरी बात यह है कि उन लोगों को मालिकाना हक दिये जाने की कार्यवाही हमने कर दी है और जैसा कि माननीय सदस्‍या जी ने पूछा है कि उनके जो वारिस हैं उनको भी भूखण्‍ड प्रदान किये जायेंगे, तो जो वारिस हैं अगर वे उचित प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करते हैं तो उनके नामातंरण की कार्यवाही करके उनको भूखण्‍ड के आवंटन पत्र सरकार प्रदान कर रही है. अभी तक ऐसे 8 प्रकरणों में विधिक वारिसों को भूखण्‍ड प्रदान करने का काम सरकार ने किया है. दूसरी बात यह है कि माननीय सदस्‍या जी ने जो चिंता व्‍यक्‍त की है कि इनकी रजिस्‍ट्री नहीं की जा सकती, तो अभी जो भू-स्‍वामित्‍व योजना आयी है उसके अंतर्गत इन सारे भूखण्‍डों को भू-स्‍वामित्‍व योजना के अंतर्गत लेकर भविष्‍य में सरकार रजिस्‍ट्री करने का प्रावधान भी करने वाली है, तो मुझे लगता है कि भविष्‍य में रजिस्‍ट्री की जो समस्‍या आ रही है वह रजिस्‍ट्री भी उनकी हो सकेगी.       

श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा इसमें इसलिए निवेदन है क्‍योंकि इस समस्‍या ने एक वृह्द रूप ले लिया था, तब तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने अपने बंगले पर एक मीटिंग बुलायी थी और उसमें पूरे जिले के लोग आए थे, तब उन्होंने यह घोषणा की थी कि जल्दी ही इसकी रजिस्ट्री का प्रावधान रखा जाएगा और वहां पर रहने वाले लोगों को कुछ राशि जो थी, वह तो उनको मिलती जा रही है, लेकिन मुख्य परेशानी जो रह गई है, वह रजिस्ट्री की है. माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि भविष्य में वह प्रावधान है, लेकिन अगर आज किसी को मकान बनाना है  तो उसको तत्काल राशि की आवश्यकता होती है.

श्री अजय अर्जुन सिंह - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी की कितनी घोषणाएं पेंडिंग हैं, पहले उसकी जानकारी तो हो जाय.

अध्यक्ष महोदय - बहन जी का प्रश्न पूरा हो जाय.

श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, अगर रजिस्ट्री की अभी कार्यवाही हो जाय या अभी घोषणा हो जाय तो लोगों को तत्काल फायदा मिलेगा क्योंकि बारिश के पानी का जो स्तर है, वह लगातार बढ़ता चला जा रहा है और धरमपुरी जैसा स्थान तो बहुत ज्यादा डूब में प्रभावित है तो मेरा निवेदन है कि रजिस्ट्री का प्रावधान जल्दी से जल्दी हो जाय. यहां सदन में अभी माननीय मुख्यमंत्री जी बैठे हैं तो मैं उनसे विशेष निवेदन करूंगी कि आप यह घोषणा कर दें कि रजिस्ट्री का प्रावधान जल्दी से जल्दी हो जाय ताकि लोगों को फायदा मिल सके.

अध्यक्ष महोदय - श्री अजय सिंह जी आप कुछ कह रहे थे.

श्री अजय अर्जुन सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि बहन जी, तत्कालीन मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं के बारे में चर्चा कर रही हैं. सदन में हम सब लोग जानना चाहते हैं कि आज की तारीख में कितनी घोषणाएं पेंडिंग हैं. (किसी माननीय सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) उद्भूत होता है. महिला दिवस है. वह बेचारी अपनी घोषणाओं के बारे में बात कर रही हैं. हम लोग चाहते हैं.

श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - नहीं, भैया हम सक्षम हैं, हम अपनी सरकार से बात कर लेंगे.

श्रीमती अर्चना चिटनिस - अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है, इस सदन में महिला को बेचारी नहीं कहा जाय. महिला स्वयं शक्ति है, बेचारी नहीं है.

श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय सदस्या को बताना चाहता हूं कि जहां भूखण्ड आवंटित किये गये हैं, उस जगह को आबादी घोषित करने की प्रक्रिया जारी करेंगे  और भू-स्वामित्व योजना जो यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री जी ने लागू की है तो भू-स्वामित्व योजना के अंतर्गत सभी भू-खण्ड धारकों को उसका मालिकाना हक देने का काम करेंगे और निश्चित रूप से भू-खण्ड धारकों को मालिकाना हक मिलने के बाद अगर वह भू-खण्ड का विक्रय भी करना चाहते हैं तो वह कर पाएंगे तो कुल मिलाकर यह प्रक्रिया चल रही है और जल्दी ही इसके अच्छे और सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे.

श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरे सवाल का जवाब आ गया है. इसमें समय-सीमा बता दें और यह जल्दी हो जायगा तो ठीक रहेगा.

श्री राजन मण्डलोई -  अध्यक्ष महोदय, जो सरदार सरोवर परियोजना में गांव डूबे थे, उनको बसाहटों पर प्लाट आवंटित हो गये, लेकिन जो मूल गांव थे, जो डूब वाले गांव थे, जो लोग वहीं रह रहे थे, ऐसे लोगों के लिए पिछली कमलनाथ जी की सरकार के समय 5.80 लाख रुपये का विशेष पैकेज प्लाट पर मकान बनाने के लिए घोषित हुआ था. ऐसे आज भी कई हितग्राही बचे हैं जो गरीब लोग हैं, मछुआरे हैं और मजदूरी पेशा लोग हैं तो जो 5.80 लाख रुपये के लिए पात्र हितग्राही हैं, उनका चयन करके राशि दी जाएगी.

श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से संपूर्ण सदन को आश्वस्त कराना चाहता हूं कि डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में हमारी सरकार लोकहित के कार्यों के प्रति पूरी तरह से सजग है और प्रतिबद्ध है. (मेजों की थपथपाहट). विकास परियोजनाओं में हुए विस्थापितों के पुनर्वास का कार्य पूरी संवेदनशीलता, सहजता और प्रतिबद्धता के साथ किया जाएगा और जल्दी ही भू-स्वामित्व योजना जो लागू की गई है उसके अंतर्गत जो माननीय सदस्यों की चिंता है और उसको हम दूर करने का काम करेंगे. निश्चित रूप से यशस्वी डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में यह काम जल्दी ही अतिशीघ्र पूरा किया जाएगा. धन्यवाद.

श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - मंत्री जी, धन्यवाद.

श्री राजन मण्डलोई - अध्यक्ष महोदय, उसका जवाब तो आया ही नहीं.

अध्यक्ष महोदय - जवाब दोनों आ गये हैं. कुल मिलाकर उन्होंने कहा है कि जो वारिसान हैं उनके नामांतरण में दिक्कत नहीं आने दी जाएगी. स्वामित्व योजना के अंतर्गत इसको लेकर मालिकाना हक दिया जाएगा. दोनों जवाब आ गये हैं.

 प्रश्न संख्या 6 - (अनुपस्थित)

 प्रश्न संख्या 7 - (अनुपस्थित)

 


 

जनभागीदारी निधि‍से कार्यों की स्वीकृति‍

[योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी]

           

8. ( *क्र. 864 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या उप मुख्‍यमंत्री, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनभागीदारी निधि‍ से कार्य स्वीकृति‍ हेतु प्रश्‍नकर्ता द्वारा माननीय वित्त मंत्री जी को आवेदन पत्र दिया गया था? उक्त पत्र पर वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई है? क्या कार्य स्वीकृति‍ हेतु कार्यों के प्रस्ताव की मांग जिले खरगोन से की गई है? हाँ तो क्या जिला योजना मण्डल खरगोन द्वारा प्रस्ताव स्वीकृति‍ हेतु प्रस्तुत किये गये हैं? यदि नहींतो क्या कारण है? (ख) क्या प्रश्‍नांश (क) में वर्णित कार्यों के प्रस्ताव मय आवश्यक दस्तावेज के जनपद पंचायत झिरन्या एवं भीकनगांव से योजना मण्डल खरगोन को प्राप्त हुए हैं? हाँ तो किस दिनांक को प्राप्त हुए थे तथा प्राप्त प्रस्ताव की स्वीकृति हेतु वर्तमान तक योजना मण्डल खरगोन द्वारा क्या कार्यवाही की गई है तथा उक्त कार्यों की स्वीकृति कब तक जारी की जायेगी?

      उप मुख्‍यमंत्री, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) जी हाँ। उक्‍त पत्र के संबंध में राशि आवंटित की जा चुकी है। जी हाँ। जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय खरगोन द्वारा प्रस्‍ताव प्रेषित किये गये थे। अत: शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। उक्‍त प्रस्‍ताव जनपद पंचायत झिरन्‍या से दिनांक 28.02.2025 एवं भीकनगांव से दिनांक 19.02.2025 एवं 21.02.2025 को प्राप्‍त हुए थे। जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय, खरगोन के पत्र कमांक 1330, दिनांक 04.06.2025 एवं पत्र क्रमांक 1668, दिनांक 04.07.2025 द्वारा तकनीकी स्‍वीकृति के प्रस्‍ताव आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय को प्रेषित किये गये। आदेश क्रमांक 1698, दिनांक 11.07.2025 एवं आदेश क्रमांक 1700, दिनांक 11.07.2025 के द्वारा प्राप्‍त आवंटन अनुसार प्रशासकीय स्‍वीकृति जारी की जा चुकी है।

           श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यान सिंह सोलंकी- प्रश्‍न क्रमांक-8.

          श्री जगदीश देवड़ा- अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रख दिया है.

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यान सिंह सोलंकी- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पुन: आपको इस सत्र में महिलाओं को अवसर देने के आदेश जारी किया. मैं इसके लिये आपका दिल से आभार व्‍यक्‍त करती हूं.

          मेरा प्रश्‍न इस तरह से है कि योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग के लिये हैं. विधान सभा क्षेत्र भीकनगांव के अंतर्गत जन-भागीदारी निधि से कार्य स्‍वीकृत हेतु मैंने माननीय उप मुख्‍यमंत्री जी को एक प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत किया था, जिसका जवाब प्रश्‍न के उत्‍तर '' और '' में ''हां'' आया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय- जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय खरगौन के द्वारा प्रशासकीय स्‍वीकृति आ चुकी है और माननीय मंत्री जी के द्वारा आदेश जारी किया गया है. इसके लिये मैं आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद ज्ञापित करती हूं. साथ ही मेरा एक अगला जो प्रश्‍न है वह है कि अति महत्‍वपूर्ण कार्य, मतलब जो प्रस्‍तावित थे उसमें दो की स्‍वीकृति आयी है जो अति महत्‍वपूर्ण कार्य हैं भिलाला मोहल्‍ला सामुदायिक भवन, रूसिया, सिराली मार्ग पर सामुदायिक भवन नूरियाखेड़ी, सामुदायिक भवन कालियाखेड़ी और नवार्डफलिया पहुंच मार्ग, अम्‍बाडोचर यदि इन कामों की भी आप यदि इन कामों की भी स्‍वीकृति देंगे तो आमजन जिनको तकलीफ है वह आपके प्रति बहुत आभार व्‍यक्‍त करेंगे.

          श्री जगदीश देवड़ा- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दो कार्य स्‍वीकृत किये हैं. माननीय सदस्‍या ने 9 कार्य भेजे थे उसमें से 2 कार्य स्‍वीकृत हो गये हैं. बजट की उपलब्‍धता को देखते हुए आगे विचार करेंगे.

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यान सिंह सोलंकी- अध्‍यक्ष जी, बहुत बड़े काम नहीं हैं जो चार काम मैंने पूरी तैयारी के साथ भेजे हैं उसकी आप प्रशासकीय स्‍वीकृति जारी करवा दें. बहुत बड़ी मांग नहीं हैं. क्‍योंकि प्रश्‍न लगा है आपने हमारे प्रति जो स्‍वीकृति देकर आशीर्वाद दिया है उसके लिये धन्‍यवाद तो कर ही रही हूं. यह तो छोटे काम हैं इनको भी आप कर दें, यह आपसे आग्रह है.

          श्री जगदीश देवड़ा- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें जैसे ही बजट की उपलब्‍धता होगी तो हम इस पर विचार करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय- झूमा जी, मुझे लगता है कि आपके दो काम हो गये हैं तो आगे भी होंगे. आप मिलते रहिये.

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यान सिंह सोलंकी- अध्‍यक्ष जी, इनको भी कर दें. मंत्री जी आप थोड़ा समय बता दें. क्‍योंकि बजट आना ही है. यह आपके हाथ में हैं. आप वित्‍त मंत्री भी हैं. इसलिये आपको किसी से लेने की जरूरत नहीं है. इनको आप कर दीजिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

     प्रश्‍न क्रमांक- 9- (अनुपस्थित)

फरार आरोपी की गिरफ्तारी

[गृह]

10. ( *क्र. 886 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या प्रश्‍नकर्ता के तारांकित प्रश्‍न क्र. 1022, दिनांक 12.3.2025 के उत्‍तर में बताया गया कि सिविल लाईन थाना छतरपुर में 94/02 प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रतिवेदन पर तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी के आदेशानुसार अपराधिक प्रकरण क्रमांक 1269/2010 पंजीबद्ध हुआ था, उसमें एक आरोपी आज दिनांक तक फरार है। पुलिस द्वारा इतने लम्‍बे समय से फरार आरोपी को क्‍यों नहीं पकड़ा गया, उस पर इनाम घोषित किया गया था या नहीं? समस्‍त जानकारी दें। (ख) क्‍या प्रश्‍नकर्ता को प्रश्‍न के उत्‍तर में यह भी बताया गया कि फरार आरोपी के गिरफ्तार करने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैंकौन-कौन से प्रयास किये जा रहे हैं कि जानकारी स्‍पष्‍ट करें। (ग) क्‍या स्‍थाई वारंट निकाला जाना ही समाधान हैइस प्रकार के अपराध करने वाले की 2010 से प्रश्‍न दिनांक तक गिरफ्तारी नहीं की गई तो इसका मूल कारण क्‍या है एवं पुलिस पर संदेह उत्‍पन्‍न होता है कि इस प्रकार कार्यशैली क्‍यों अपनाई जा रही है कि उक्‍त अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर है? उक्‍त अपराधी को कब तक गिरफ्तार किया जावेगा

मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्‍य मंत्री (श्री नरेन्‍द्र शिवाजी पटेल) : (क) जी हाँ। फरार आरोपिया आशा दीक्षित के संदर्भ में संबंधित न्यायालय द्वारा स्थाई वारंट जारी किया गया है। आरोपिया के स्थाई वारंट की तामीली हेतु 8000/- रूपये का ईनाम घोषित है। (ख) समय-समय पर आरोपिया के मिल सकने के संभावित स्थानों पर आरोपिया की तलाश की गई एवं तलाशी पंचनामा तैयार किये गये। पुलिस द्वारा अपने मुखबिर तंत्र को सक्रिय कर आरोपिया आशा दीक्षित की गिरफ्तारी के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। (ग) जी नहीं फरार आरोपिया की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमों द्वारा समय-समय पर दबिश देकर तलाश की जा रही है। पुलिस द्वारा आरोपिया की दस्तयाबी के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं, जिसकी तलाश जारी है। आरोपिया की दस्तयाबी होने पर गिरफ्तारी की जावेगी।

          श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर- प्रश्‍न क्रमांक -10.

          श्री नरेन्‍द्र शिवाजी पटेल-अध्‍यक्ष जी, उत्‍तर पटल पर रखा हुआ है.

          श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के माध्‍यम से यह बात साबित हो गयी है कि प्रदेश में पुलिस कितनी मेहनत कर रही है. 15 साल से अपराधी नहीं पकड़ पर रही है. पुलिस की ऐसी कार्यशैली पर और सरकार पर प्रश्‍नचिह्न लगता है. फिर भी सरकार अपनी प्रशंसा सुनकर खुश है.

          आपने मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में बताया है कि हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. अगर इसमें गिरफ्तारी के संबंध में समय-सीमा बता दी जाये तो उत्‍तर अच्‍छा हो जायेगा.

           श्री नरेन्‍द्र शिवाजी पटेल- माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय सदस्‍या ने जो प्रश्‍न किया है उसके उत्‍तर में स्‍पष्‍ट रूप से सारी जानकारी दी गयी है जो प्रकरण है उस प्रकरण में और जो सह-आरोपी थे उनको न्‍यायालय के द्वारा दोषमुक्‍त कर दिया गया है. एक बुजुर्ग महिला आशा दीक्षित को तलाश करने का काम लगातार चल रहा है. हमारी पुलिस ने लगातार उसके लिये कार्यवाही की है और उनके घर पर तलाशी की है और जहां पर भी उनकी संभव उपस्थिति हो सकती थी, वहां खोजने का प्रयास किया है.  परंतु उनकी कोई जानकारी न मिले के कारण अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है. लेकिन पुलिस का प्रयास अभी जारी है.

            श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौरअध्यक्ष महोदय,आपके उत्तर के अनुसार सरकार का यह भी  इन्तजार कर लूंगी कि अपराधी कितने समय बाद गिरफ्तार किया जायेगा. अगर आपकी   समय सीमा  नहीं है,तो पुलिस  को सफलता कब मिलेगी, इंतजार करेंगे.  कृपया आप बता दें.

          श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेलअध्यक्ष महोदय,  समय सीमा बताया जाना तो  संभव नहीं है, परन्तु पुलिस  यथा सम्भव प्रयास कर रही है, उन पर इनाम भी घोषित  कर दिया गया है.  आवश्यकता पड़ेगी, तो  इनाम  बढ़ाकर  और तेजी से प्रयास किया जायेगा.

          श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौरअध्यक्ष महोदय, 15   साल से पुलिस प्रयास कर रही है.  अभी तक गिरफ्तारी नहीं की गई है. इसमें कब तक गिरफ्तारी की जायेगी.  मैं यह पूछना चाहती हूं कि क्या पुलिस को इनाम देना पड़ेगा.  तो इनाम  भी दे दें आप लोग और पकड़वा लें.

          अध्यक्ष महोदयश्री केशव देसाई जी.

          श्री भंवर सिंह शेखावत15 साल हो गये हैं. आखिर कितने साल लगेंगे.  आदरणीय मोहन जी, प्रणाम स्वीकार करें.

          श्री सचिन सुभाषचन्द्र  यादव--  अध्यक्ष महोदय, 15 साल हो गये हैं और पुलिस उसको 15 साल से गिरफ्तार नहीं कर पा रही है.

          श्री भंवर सिंह शेखवातअध्यक्ष महोदय, 15 साल और मंत्री जी कह  रहे हैं कि पुलिस उसको ढूण्ड रही है.

          अध्यक्ष महोदय मंत्री जी ने  कहा है कि  इनाम घोषित कर दिया गया है, जरुरत होगी, तो   इनाम  और बढ़ाया जायेगा.

          श्री भंवर सिंह शेखावत--  इनाम अपराधी पर घोषित  किया है कि  पुलिस पर किया है,  इनाम किस पर है.

          श्री नरेन्द्र शिवाजी  पटेल--  इसकी सूचना जो  बता देगा, हमारे माननीय सदस्यगण  भी   यदि बता देंगे कि कहां पर है,  तो इनाम उसको भी दे दिया जायेगा.

            श्री भंवर सिंह शेखावतवेरी गुड.  (व्यवधान).. क्या तमाशा है भाई.यह तो गजब हो गया भाई.        

            श्री हेमन्त सत्यदेव कटारेअध्यक्ष महोदय,  मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि  इनाम घोषित करने के बाद यदि  आरोपी नहीं ढूण्ढने पर  मिलता है, तो कुर्की  का प्रावधान होता है.  15 साल में  यदि आपने  उस कार्यवाही को आगे नहीं  बढ़ाया है,  तो इसका अर्थ यह है कि पुलिस  का निश्चित ही आरोपियों को  संरक्षण है,  क्योंकि इनाम घोषित करने के बाद  इनाम 10 हजार का 20 हजार   करने  का  नहीं है. उनकी जितनी जितनी   सम्पत्तियां हैं पूरे प्रदेश  में  एवं देश में,  उसकी जानकारी एकत्रित की जायेगी.  उसकी कुर्की की सूचना दी जायेगी.यह   माननीय न्यायालय के माध्यम से किया जाता है,  उस प्रक्रिया को पूर्ण न करने का  कारण ऐसा लगता है कि  पुलिस का इन आरोपियों को  संरक्षण है.

 

अवैध वसूली व बलात्‍कार के आरोपी को छोड़ा जाना

[गृह]

11. ( *क्र. 1018 ) श्री केशव देसाई : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                    (क) क्‍या पुलिस थाना गोहद चौराहा अन्‍तर्गत ग्राम बिरखड़ी में दिनांक 16.03.2025 को दो गुटों द्वारा फायरिंग की घटना में आरोपी को पकड़ने के बाद थाने ले जाकर छोड़ा गया जो कि उसी थाने में गैंगरेप में फरार आरोपी था? जिसके संबंध में प्रश्‍नकर्ता द्वारा दोषी पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय कार्यालय को प्रेषित पत्र जिसका पंजीयन क्रमांक 2056/सी.एम.एस./एम.एल.ए./013/2025, दिनांक 01.04.2025 से प्रेषित पी.एस. गृह विभाग उक्‍त संबंध में क्‍या-क्‍या कार्यवाही हुई है? यदि नहीं, हुई तो कब तक होगी? (ख) पुलिस अनुभाग गोहद अंतर्गत पुलिस थानों द्वारा प्राईवेट लोगों के माध्‍यम से अवैध वसूली करने के संबंध में प्रश्‍नकर्ता द्वारा एस.डी.ओ.पी. गोहद को पत्र क्रमांक 336, दिनांक 28.02.2025 दिया गया है? उक्‍त संबंध में क्‍या-क्‍या कार्यवाही हुई है? यदि नहीं हुई तो कब-तक होगी

मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्‍य मंत्री (श्री नरेन्‍द्र शिवाजी पटेल) : (क) प्रश्‍नांश में उल्लेखित घटनाक्रम की शिकायत जांच हेतु पुलिस मुख्यालय शिकायत शाखा के द्वारा दिनांक 09.07.2025 को पुलिस अधीक्षक भिण्ड को भेजी गई है, शिकायत जांच जारी है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस अनुभाग गोहद की जांच रिपोर्ट के अनुसार कहीं भी पुलिस के द्वारा एवं किसी अन्य प्राईवेट व्यक्ति के माध्यम से अवैध वसूली नहीं कराई जा रही है। अतः कोई कार्यवाही नहीं की गई। शेष प्रश्‍नांश उपस्थित नहीं होता है।

अध्यक्ष महोदयप्रश्न संख्या-11  (श्री केशव देसाई)

श्री केशव देसाई--   अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्र. 1018.

श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल--  अध्यक्ष महोदय,  उत्तर पटल पर रखा गया है.

श्री केशव देसाई--   अध्यक्ष महोदय,   मंत्री जी ने उत्तर (क) में बतया  है कि  प्रश्नांश में  उल्लेखित घटनाक्रम  की शिकायत   जांच हेतु  पुलिस मुख्यालय शिकायत  शाखा  के द्वारा दिनांक  9.7.2025 को  पुलिस अधीक्षक,भिण्ड को भेजी गई है, परन्तु जांच कब तक पूरी हो जायेगी.  मंत्री जी ने इसकी समय सीमा नहीं बनाई है.  मैं  आपके माध्यम से मंत्री जी से  निवेदन करता हूं कि वे इसकी समय सीमा निर्धारित कर दें और  जांच निष्पक्ष हो, जांच कब तक पूरी हो जायेगी, कृपया समय सीमा बताने का कष्ट करें.

श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल--   अध्यक्ष महोदय, पुलिस मुख्यालय के द्वारा  शिकायत पत्र के आधार पर  पुलिस अधीक्षक, भिण्ड को  9 जुलाई,2025 को पत्र भेज दिया गया है, जांच प्रारम्भ है.  जांच में जो भी तथ्य आयेंगे,  वह  रख दिये जायेंगे. समय सीमा  बताना संभव नहीं है.

श्री केशव देसाई--  अध्यक्ष महोदय, मेरे   प्रश्नांश (ख)  के उत्तर  में गलत जानकारी  दी गई है.  मंत्री जी उत्तर  में कह रहे हैं कि  अवैध वसूली नहीं की जा रही है.  मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि  गोहद में 4 थाना पड़ते हैं, उसमें  पूर्व एसडीओपी के संरक्षण में  सभी थाना प्रभारियों द्वारा प्रायवेट लड़कों के द्वारा  वसूली की जाती है.  चाहे सरपंचों के ट्रेक्टर हों,  निर्माण कार्य जो चल रहे हैं,  उसमें ट्रेक्टर, रेत, गिट्टी  ले जा रहे हैं,  उसमें हर थाने में  एक-एक हजार रुपया लिया जा रहा है.  मंत्री जी, विश्वास न हो तो हमारे साथ किसी  प्रतिनिधि को भेजें दो दिन के लिये, तो मैं साक्ष्य दे दूंगा.

श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेलअध्यक्ष महोदय,  यह तथ्य और पत्र  हमारे माननीय सदस्य ने दिया था,  उस पर जांच हुई है.  वह असत्य पाये गये हैं,  उसमें कोई भी साक्ष्य ऐसा  नहीं  पाया गया कि उसको  सही माना जाये.

श्री केशव देसाई--  मंत्री जी, हम मय रिकार्ड के दे देंगे.

श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल--  अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने स्वयं स्वीकार किया है कि  यह जो ट्रेक्टर, ट्राली, जो कि रेत, गिट्टी के  लिये  परिवहन करने के लिये  अधिकृत  नहीं हैं,  वह कर रहे हैं, तो वह  तो स्वयं   अपने  आप में अवैध कार्य कर रहे हैं.

श्री केशव देसाई--  मंत्री जी, आप उनको पकड़ो ना.  उनको पकड़ा जाये.

          श्री केशव देसाई- मंत्री जी पूरे भिंड जिले में वसूली की जा रही है.

          श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- इसीलिये मैं कह रहा हूं कि जो अवैध काम कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही हो रही है इसलिये यह दर्द हो रहा है.

          श्री केशव देसाई- मंत्री जी मय रिकार्डिंग के आपको बता दूंगा.

          अध्यक्ष महोदय-- माननीय राजेन्द्र सिंह जी इस विषय पर कुछ कह रहे हैं.

          श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सख्त कार्यवाही हो रही है. जो भी गलत काम करेगा पुलिस उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी.

          अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, मैंने राजेन्द्र सिंह जी को अनुमति दी हैं.

          श्री केशव देसाई- मंत्री जी हम आपको मय रिकार्डिंग के सबूत देंगे.

          अध्यक्ष महोदय- केशव जी, रिकार्ड लेकर के आप मंत्री जी से मिलो.

          डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, यह अत्यंत गंभीर प्रवृत्ति का मामला है. फायरिंग में लोगों को थाने लाया गया जिनका इसमें उल्लेख है और वह गेंगरेप का आरोपी भी था उसको कैसे छोड़ दिया गया यह समझ से परे है. अध्यक्ष महोदय, क्या इसमें पुलिस की लापरवाही नहीं है, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं.

          श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -माननीय अध्यक्ष महोदय, जिनके विरूद्ध शिकायत हुई है और जिस व्यक्ति ने शिकायत की है जो फरियादी है उसने स्वयं ने अपनी कंपलेंट में एफआईआर में यह स्वीकार किया है  कि वह लोग घटना करने के बाद में वहां से फरार हो गये हैं. तो यह आरोप लगाना कि उनको थाने ले जाया गया, गलत है.

          प्रश्न संख्या 12 श्री श्रीकांत चतुर्वेदी..

 

औद्योगिक इकाइयों द्वारा कराये गये निर्माण कार्य

[औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन]

12. ( *क्र. 942 ) श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि            (क) वर्ष 2021-22 से अब तक मैहर जिले में कार्यरत औद्योगिक इकाइयों द्वारा कौन-कौन से कार्य सी.एस.आर. मद से कराये गये हैं? औद्योगिक इकाइयों के नामवार, कार्य के नामवार, स्‍थानवार, लागत सहित वर्षवार पृथक-पृथक जानकारी दी जावे। (ख) प्रश्‍नांश (क) के प्रकाश में क्‍या जिस अनुपात में मैहर क्षेत्र में कार्यरत औद्योगिक इकाइयों द्वारा खनिज सम्‍पदा का उपयोग कर लाभ प्राप्‍त किया जाता है, उस अनुपात में ऐसे प्रभाव‍ित क्षेत्रों में जनहित के लिये सी.एस.आर. फण्‍ड से निर्माण कार्य नहीं कराये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्‍यों? क्‍या निकट भविष्‍य में इस विषय पर अधिक से अधिक जनहित में कार्य कराये गये हैं? यदि नहीं, तो क्‍यों?

मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्‍य मंत्री (श्री दिलीप अहिरवार) : (‍क) मैहर जिले में स्‍थापित एवं पात्र उद्योगों द्वारा प्रदत्‍त जानकारी अनुसार वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक निम्‍नानुसार राशि सी.एस.आर. मद में व्‍यय की गई है :-

 

(1) मे. के.जे.एस. सीमेंट (आई) लिमिटेड मैहर

वित्‍तीय वर्ष

सी.एस.आर. मद में व्‍यय राशि

2021-22

172.25 लाख रूपये

2022-23

11.03 लाख रूपये

2023-24

8.77 लाख रूपये

2024-25

13.93 लाख रूपये

(2) मे. अल्‍ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड (यूनिट मैहर सीमेंट वर्क्‍स) मैहर

वित्‍तीय वर्ष

सी.एस.आर. मद में व्‍यय राशि

2021-22

221.25 लाख रूपये

2022-23

107.21 लाख रूपये

2023-24

99.40 लाख रूपये

2024-25

187.40 लाख रूपये

 (3) मे. आर.सी.सी.पी.एल. प्राईवेट लिमिटेड मैहर

वित्‍तीय वर्ष

सी.एस.आर. मद में व्‍यय राशि

2021-22

242.50 लाख रूपये

2022-23

273.70 लाख रूपये

2023-24

168.00 लाख रूपये

2024-25

157.13 लाख रूपये

 

उपरोक्‍त कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्‍व (सी.एस.आर.) मद अंतर्गत किये गये व्‍यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। (ख) कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्‍व निर्वहन के संबंध में भारत सरकार द्वारा अधिसूचित कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के अनुसार किसी वित्‍तीय वर्ष के दौरान पांच सौ करोड़ रूपये या अधिक के शुद्ध मूल्‍य वाली या एक हजार करोड़ रूपये या अधिक के आवर्त वाली या पांच करोड़ रूपये या अधिक के शुद्ध लाभ वाली प्रत्‍येक कंपनी द्वारा सी.एस.आर. नीति का पालन किया जाना अनिवार्य है। कंपनी अधिनियम अनुसार उक्‍त कंपनी का बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि कंपनी प्रत्‍येक वित्‍तीय वर्ष में ठीक तीन पूर्ववर्ती वित्‍तीय वर्षों के दौरान किये गये कंपनी के औसत शुद्ध लाभों का कम से कम दो प्रतिशत निगमित सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व नीति के अनुसरण में खर्च करें। साथ ही, C.S.R. गतिविधियों के चयन एवं कार्यान्वयन में कंपनी को अपने परिचालन स्थलों तथा संबंधित क्षेत्रों को प्राथमिकता प्रदान करना अपेक्षित होगा। भारत शासन कंपनी अधिनियम में वर्णित सी.एस.आर. (निगमित सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व) का पालन कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संबंधित कंपनियों के द्वारा ही किया जाना होता है। कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत सी.एस.आर. के अंतर्गत कार्यों के क्रियान्‍वयन हेतु राज्‍य शासन की भूमिका के संबंध में कोई व्‍यवस्‍था नहीं है। मध्यप्रदेश राज्य की कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (C.S.R.) वेबसाइट पर विभागवार एवं जिलावार 'शेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट्स' प्रदर्शित किये गये हैं, जिनमें से कंपनी अपनी इच्छा एवं सुविधा अनुसार उपयुक्त परियोजनाओं का चयन कर सकती है। यह चयन कंपनी के लिए बाध्यकारी नहीं है, बल्कि एक सहयोगात्मक सुझाव के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

          श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 942 है.

          मंत्री,सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम(श्री चैतन्य काश्यप)--अध्यक्ष महोदय, जवाब पटल पर रख दिया गया है.

          श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं. लेकिन मेरा प्रश्न..

          अध्यक्ष महोदय- अब जब संतुष्ट ही हैं तो फिर क्या है..(हंसी)

          श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मैं (क) से संतुष्ट हूं.

          अध्यक्ष महोदय- चलो, लेकिन में तो सब कुछ आता है.

          श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मैहर जिले में जो औद्योगिक संस्थान है ,उसमें सीएसआर मद के तहत जो खर्च किया जाता है उसकी प्रापर जानकारी नहीं देते हैं. जहां से खनिज का दौहन होता है, जहां से उनको लाभांश मिलता है तो उसका जो व्यय हो तो जहां पर किसान प्रभावित होते हैं उनके हित में इस राशि को खर्च किया जाये यह मेरा आपसे निवेदन है.

          श्री चैतन्य काश्यप-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैहर जिले में 16 करोड़ रूपये वहां के संस्थानों के द्वारा खर्च किये गये हैं. सीएसआर मद में कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार यह अधिकार उन कंपनियों का रहता है कि वह कहां पर खर्च करे परंतु मध्यप्रदेश सरकार ने एमपीआईडीसी को नोडल बनाया है और जिले के अंदर एक समिति जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी है, मैं माननीय विधायक जी से अनुरोध करूंगा कि मैहर के अंदर जो भी कार्य हों, वह जिले में जिला कलेक्टर के अनुमोदन से दें तो हम लोग उस कंपनी से समन्वय स्थापित करके और वहां के कार्यों को हम गति दिलवा सकें.

          श्री श्रीकांत चतुर्वेदी --माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं और मैं यह अपेक्षा करता हूं कि हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी जो हमेशा किसानों के बारे में संवेदनशील रहते हैं तो अगर यह अवगत हो जायेगा तो अच्छा कहलायेगा. अध्यक्ष जी बहुत बहुत धन्यवाद.

          डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी मैहर जिले से आता हूं. मैहर में दो विधानसभा क्षेत्र हैं. अध्यक्ष जी, सीएसआर मद की जो राशि है , पिछले वर्ष वाली राशि तो सतना जिले और मैहर जिले के आपसी झगड़े में कहां गई, कितना खर्च हुआ, यह जानकारी बहुत कम है. लेकिन इस वर्ष जो राशि आई है संभवत: मैहर जिले को, चूंकि वहां पर माइनिंग की एक्टिविटि मैहर में बहुत होती हैं,लगभग 40 से 50 करोड़ रूपये मैहर जिले को मिले हैं, यह अनुमान है मुझे एग्जेक्ट जानकारी नहीं है लेकिन हम लोगों से भी कलेक्टर के द्वारा प्रस्ताव भी लिये गये हैं, कलेक्टर द्वारा बैठक भी बुलाई गई थी लेकिन उसके बाद भी पैर घसीटे जा रहे हैं, कार्यवाही नहीं हो रही है, बहुत से लोग उम्मीद लगाये बैठे हैं क्योंकि मैहर के खनन से प्रभावित वह लोग हैं और वह चाहते हैं कि उनके क्षेत्र में वह राशि खर्च हो तो जो प्रस्ताव कलेक्टर को दिये गये हैं, कलेक्टर उसमें तत्परता बरतें, क्या ऐसे निर्देश माननीय मंत्री जी देंगे.

अध्‍यक्ष महोदय -- यह डीएमएफ और सीएसआर दोनों अलग-अलग बात हो रही है या सीएसआर ही है. राजेन्‍द्र कुमार सिंह जी डीएमएफ की बात कर रहे हैं.

श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप -- अध्‍यक्ष महोदय, दोनों फंड अलग-अलग हैं. जो विधायक जी का प्रश्‍न था वह सीएसआर से संबंधित है. डीएमएफ में जिला स्‍तरीय कमेटी है जिसमें विधायक भी सदस्‍य रहते हैं और उसकी बैठक होती है. डीएमएफ में जो 5 करोड़ से ऊपर की राशि एकत्र होती है उसमें राज्‍य स्‍तर के ऊपर फंड लाया जाता है. राज्‍य स्‍तर से उसकी पूरे राज्‍य की विवेचना के अनुसार वह राशि दी जाती है. माननीय सदस्‍य के द्वारा जो बात रखी गई है तो मैहर जिले में जिला बनने के बाद वहां की राशि का वर्गीकरण कर दिया गया है. अभी जो प्रश्‍न था उसमें भी राशि 16 करोड़ सीएसआर की है. वह सिर्फ मैहर जिले की 3 कंपनियों के द्वारा खर्च किया जाना बताया है और डीएमएफ में अभी वर्तमान में वापस कोई प्रस्‍ताव आते हैं तो मुख्‍यमंत्री जी की अध्‍यक्षता में राज्‍य स्‍तरीय समिति में आपके प्रस्‍ताव आएंगे उसको हम लोग यहां स्‍वीकार करके जो कार्य श्रेष्‍ठ हो सकता है वह करेंगे.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्‍यक्ष महोदय, जैसा आपने भी स्‍पष्‍ट कह दिया दो फंड हो गए, सीएसआर और डीएमएफ. सीएसआर फंड में भी कोई चर्चा जिले लेबल पर हो ऐसी कुछ व्‍यवस्‍था करनी चाहिए क्‍योंकि कंपनी के जितने भी लोग होते हैं सीएसआर फंड की जगह पीआर फंड के रूप में उपयोग करते हैं और कोई क्षेत्र जहां पर इम्‍पेक्‍ट आ रहा है उसकी बजाय दूसरी जगह करते हैं. दूसरा, इसमें महत्‍वपूर्ण बात आती है कि सीएसआर फंड कई बार जो बड़े कारपोरेट होते हैं वह उस जिले के बजाय हेडक्‍वार्टर में ले जाकर करते हैं. मुझे अच्‍छी तरह याद है जब मैं एक बार इस्‍टीमेट कमेटी की बैठक लेने गया था तब यह चर्चा फिरोदिया मोटर्स में हुई थी कि हमने सभी एमपीज़ को एम्‍बुलेंस दे दी है. उसमें स्‍थानीय लोगों की आपत्ति थी कि सीएसआर की जगह आप पीआर शिफ्ट कर रहे हैं. यह पूरे प्रदेश में हर बड़ी कंपनी कर रही है. 

अध्‍यक्ष महोदय -- ओमप्रकाश जी, आप प्रश्‍न कर लें.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यही कहना है कि सीएसआर और डीएमएफ में क्‍लेरिफिकेशन हो. सीएसआर लोकल चर्चा जरूर करवाए. 50 प्रतिशत् भले ही कंपनी करे, परंतु जनप्रतिनिधि से चर्चा करके उसकी राय ली जाए. वह लोग इन्‍फॉर्मेशन शेयर भी नहीं करते. दूसरा, डीएमएफ में मेरी बहुत स्‍पष्‍ट सोच है कि इम्‍पेक्‍ट वाले एरिये में..

अध्‍यक्ष महोदय -- आपका प्रश्‍न आ गया.

श्री ओम प्रकाश सखलेचा -- अध्‍यक्ष महोदय, एक छोटा सा प्रश्‍न है कि इम्‍पेक्‍ट वाले एरिया की बजाय कई बार वह जिले को पूरा प्रदेश कर देते हैं.

श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍नकाल चल रहा है बहुत ज्‍यादा भाषण हो रहा है.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा --अध्‍यक्ष महोदय, इम्‍पेक्‍ट वाले एरिये की डेफिनेशन पहले थी. क्‍या अभी वह हटा दी गई है और अगर नहीं हटाई है तो उसका पालन करवाया जाए.

श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, यहां डीएमएफ की बात हो रही थी, मैं अपनी बात एक लाइन में समाप्‍त करना चाहता हूं कि मेरे छिंदवाड़ा जिले में लगभग 3 वर्षों से डीएमएफ का फंड नहीं दिया जा रहा है. हमने बार-बार कलेक्‍टर से निवेदन किया परंतु डीएमएफ का फंड हमारे विधान सभा क्षेत्रों के विकास कार्यों में नहीं दिया जा रहा है. उसमें कोई व्‍यवस्‍था बनाने की जरूर कृपा करें.

श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप -- अध्‍यक्ष महोदय, जो हमारे पूर्व मंत्री सखलेचा जी ने बात कही है सीएसआर का फंड केन्‍द्र सरकार के द्वारा नियंत्रित है. उसके अंदर कंपनियों के अधिकार हैं. राज्‍य सरकार ने फिर भी इसमें प्रयास किया है और हरेक जिला स्‍तर पर और राज्‍य स्‍तर पर कमेटी बनाई है और हमारी वेबसाइट पर एक सेल्‍फ बनाया गया है, उसमें जो प्रस्‍ताव आते हैं तो कंपनियों के साथ समन्‍वय बैठाया जाता है, क्‍योंकि यह पूर्णतया केन्‍द्र सरकार के कानून के तहत रेग्‍युलेटेड है परंतु फिर भी हम लोग समन्‍वय स्‍थापित करके जो राज्‍य में उद्योग हैं, उनके साथ वह राशि लाने का प्रयास करेंगे और जहां तक सवाल डीएमएफ का है तो हर जिले के अंदर आपने जो बात कही है कि उसकी प्राथमिकता बदली है, तो प्राथमिकता नहीं बदली है. उसमें जो राशि का पेयजल के अंदर या उस क्षेत्र के अंदर, शिक्षा या रोजगार के अवसरों के लिए कार्य करना है, 60 से 62 परसेंट राशि राज्‍य सरकार के मद की उसमें ही खर्च की गई है. जिले का मद मैंने उल्‍लेख किया था कि जिले के अंदर सभी सांसद, विधायक और जिले की कमेटी है, उन्‍हीं के प्रस्‍तावों के अंदर उस बैठक के माध्‍यम से ही सारी राशि का वितरण होता है. अगर किसी जिले में कोई समस्‍या है या बैठक नहीं हुई हो, तो हम लोग उसको दिखवा लेंगे. तीन हजार रुपए दिये जाएंगे, लेकिन उत्‍तर मिला है कि ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है. कहीं न कहीं निश्चित रूप से सदन का अपमान हो रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से स्‍पष्टीकरण चाहता हूं कि ऐसा क्‍यों किया जा रहा है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, पंकज जी की आवाज बहुत बुलंद है. आप इनका वॉल्‍यूम थोड़ा कम कर करवा देंगे तो अच्‍छा रहेगा. (हंसी)

          श्री पंकज उपाध्‍याय-- कैलाश जी माइक का वाल्‍यूम या मेरा वाल्‍यूम.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माइक का.

          श्री पंकज उपाध्‍याय-- ठीक है. आपके दोनों स्‍टाइल मुझे मालूम हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- प्रश्‍नकाल समाप्‍त अब शून्‍यकाल की सूचनाएं पढ़ी जाएंगी.

प्रश्‍नकाल समाप्‍त

 

 

 

 

 

 

12.01 बजे                   नियम 267-क के अधीन विषय

(1) नरयावली टप्‍पा तहसील को तहसील का दर्जा प्रदान किया जाना.

       

        इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है कि नरयावली विधान सभा का मुख्‍यालय है उसमें टप्‍पा तहसील को तहसील का दर्जा प्रदान करने के संबंध में आम जनता द्वारा लगातार मांग की जा रही है. समय-समय पर तहसील का दर्जा प्रदान करने के संबंध में कार्यवाही की जाती है परंतु तहसील का दर्जा प्रदान नहीं किया जा रहा है. आम जनता को तहसील स्‍तर के शासकीय कार्य कराने में सागर शहर आना जाना पड़ता है. सागर की दूरी अधिक होने के कारण ग्रामीणजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण जन लगातार तहसील का दर्जा प्राप्‍त करने की बात कर रहे हैं तो मेरा सरकार से आग्रह है कि नरयावली को शीघ्र तहसील का दर्जा प्रदान करें.

 

 

 

(2) निवाड़ी जिला टीकमगढ़ जिले में अत्‍याधिक वर्षा से खराब हुई फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा न दिया जाना.

 

          श्री नितेन्‍द्र बृजेन्‍द्र सिंह राठौर (पृथ्‍वीपुरा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है. निवाड़ी एवं टीकमगढ़ जिले सहित समूचे बुंदेलखण्‍ड में अतिवर्षा के कारण किसानों की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गर्इ हैं. कई जगह किसान अपनी बोवनी भी नहीं कर पाया है. गरीब किसानों द्वारा ऋण लेकर खाद एवं बीज लिया गया था. वर्षा के कारण खाद, बीज एवं फसलें न होने के कारण उनका भारी नुकसान हो गया है. गरीबों के कच्‍चे घर गिर गये हैं. आकाशीय बिजली गिरने से कई लोगों की मृत्‍यु हो गई है. किसानों द्वारा ऋण लेकर खाद, बीज लिया गया एवं फसल ने होने से वह और ऋण में फंस गया है. गरीब किसानों के भरण पोषण की समस्‍या उत्‍पन्‍न हो गई है. ग्रामों में रोजगार न होने से मजबूरी में लोग पलायन करने पर विवश हैं. शीघ्र सभी किसानों की फसलों का सर्वे करवाकर मुआवजा एवं बीमा की राशि दिलाई जाए. वर्षा से जिनके घर गिर गये हैं व आकाशीय बिजली से जिनकी मृत्‍यु हो गई है उन्‍हें भी मुआवजा दिलाया जाए. धन्‍यवाद.

(3) सेवा निवृत्‍त शिक्षकों के अर्जित अवकाश प्रकरणों का कार्योत्‍तर स्‍वीकृति उपरांत भी भुगतान न हो पाना

 

        श्री मधु भगत (परसवाड़ा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 

 

          श्री अभय मिश्रा-  अध्‍यक्ष महोदय,     

          अध्‍यक्ष महोदय-  अभय जी, अपनी बात हो गई है, ये शून्‍यकाल पूरा हो जाने दीजिये आप ऐसा करेंगे तो यह ठीक नहीं है. आपका शून्‍यकाल में नाम है, आपका नाम आने वाला है, ये आपको मालूम है, फिर भी आप नियमों का उल्‍लंघन कर रहे हैं.  

(4) नर्मदापुरम जिले में अमृत योजना- 2 के कामों के क्रियान्‍वयन में लापरवाही बर्ती जाना

 

          डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)-  अध्‍यक्ष महोदय, नर्मदापुरम संभाग एवं जिले के मुख्‍यालय नर्मदापुरम के अनेक प्रमुख मार्गों जैसे हरियाली चौक, उत्‍कृष्‍ट सड़क, कुलामड़ी रोड, को अमृत योजना- 2 के कामों के क्रियान्‍वयन के लिए संबंधित कंपनी द्वारा खोद डाला गया एवं बारिश के बाद भी अनुबंध की शर्तों के अनुसार खोदे गए मार्गों की मरम्‍मत न किये जाने के कारण उक्‍त मार्गों पर जगह-जगह कीचड़ के कारण नागरिकों को परिवहन में अत्‍यंत असुविधा हो रही है अत्‍यधिक मिट्टी कीचड़ से फिसलन के कारण प्रतिदिन अनेक नागरिक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं.

 

          (5) श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे (अटेर)-  अनुपस्थित

 

(6) सिवनी जिले की विभिन्‍न ग्राम पंचायतों में सिंचाई सुविधा हेतु जलाशयों का निर्माण कराया जाना

 

          श्री दिनेश राय "मुनमुन" (सिवनी)-  अध्‍यक्ष महोदय मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है- सिवनी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत मोहगांव (कातलबोड़ी) (जनपद पंचायत सिवनी) के अंतर्गत सिंचाई सुविधा के लिए इस लालमाटी क्षेत्र में जलाशय निर्माण कराये जाने की महती आवश्‍यकता है. इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए कोई साधन उपलब्‍ध नहीं है. इस क्षेत्र में पेंच नहर निर्माण कार्य की स्‍वीकृति भी नहीं मिल पायी है. इस लालमाटी क्षेत्र में सिंचाई के लिए कोई भी साधन उपलब्‍ध नहीं होने के कारण क्षेत्रीय किसान बंधुओं को काफी समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है. सिवनी विधान सभा का यह क्षेत्र कृषि पर ही आधारित है. आय के दूसरे कोई साधन नहीं हैं. क्षेत्रीयजनों द्वारा ग्राम पंचायत मोहगांव में बांध निर्माण कराये जाने हेतु मांग की जा रही है. ग्राम पंचायत मोहगांव के अंतर्गत जलाशय के निर्माण होने से लालमाटी क्षेत्र के किसान बंधुओं को सिंचाई के लिए पानी उपलब्‍ध हो सकेगा. प्राप्‍त जानकारी अनुसार ग्राम पंचायत मोहगांव में जलाशय के निर्माण के लिए उपयुक्‍त स्‍थल होने के कारण संबंधित विभाग द्वारा साध्‍यता भी जारी कर दी गई है. अध्‍यक्ष महोदय, मेरे द्वारा इस संबंध में पूर्व में भी सदन के माध्‍यम से अवगत कराया गया है. किंतु अभी-भी कार्रवाई अपेक्षित है.

          अत: सिवनी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत सिंचाई सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए जनहित में ग्राम पंचायत मोहगांव (जनपद पंचायत सिवनी) के अंतर्गत जलाशय निर्माण कराये जाने हेतु अनुरोध है.

 

(7) टीकमगढ़ नगर के क्षतिग्रस्‍त बड़े पुल की पिचिंग धराशाही होने से बड़ा हादसा होने की संभावना

 

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह (टीकमगढ़)-  अध्‍यक्ष महोदय, टीकमगढ़ नगर के बड़े पुल जिसके ऊपर पुल और नीचे से पुरानी टेहरी एवं सागर रोड पर बसने वाले गांवों के हजारों वाहन एवं व्‍यक्तियों की आवाजाही रहती है, इसके संबंध में अनेक वर्षों से शहरवासी मांग कर रहे हैं कि इसका जीर्णोद्धार किया जाये अन्‍यथा कोई बड़ा हादसा हो सकता है, प्रशासन ने न तो इस पर ध्‍यान देकर जर्जर पुल की मरम्‍मत करवाई और न ही उसकी सुरक्षा पर ध्‍यान दिया, परिणामस्‍वरूप तेज बारिश के कारण जीर्ण-शीर्ण पुल सहित पानी की बड़ी टंकी के पास की पिचिंग भी गिर गई, गनीमत यह रही है कि हादसा रात्रि के समय हुआ अगर यह घटना दिन के समय होती तो बड़ी अनहोनी घटना व जनहानि होती. उक्‍त पुल की मरम्‍मत को लेकर टीकमगढ़ नगर की जनता में शासन के प्रति भारी रोष एवं आक्रोश व्‍याप्‍त है.

 

(8) रीवा जिले की जनपद पंचायत सिरमौर के ग्राम करमई में काली दाई मंदिर से पंजाबी सिंह के घर तक 01 किमी रोड का निर्माण कराया जाना

 

          श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)-  अध्‍यक्ष महोदय मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है- रीवा जिले के जनपद पंचायत सिरमौर के ग्राम पंचायत करमई के ग्राम करमई में काली दाई मंदिर से पंजाबी सिंह के घर तक लगभग 01 किमी रोड का निर्माण न कराये जाने से आवागमन बाधित है, रोड का डामरीकरण कराये जाने की मांग आमजन द्वारा की गई निर्माण न कराये जाने से शासन एवं प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है.  

          अध्‍यक्ष महोदय मेरा इसमें एक और अनुरोध है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  अभय जी, आपका जो दूसरा विषय है, मैं, उसके लिए आपको और सेना जी को अलग से अनुमति दे रहा हूं.

          श्री अभय मिश्रा-  ठीक है.

          श्री उमंग सिंघार-  अध्‍यक्ष महोदय, आप कब-क्‍या व्‍यवस्‍था देंगे, मैं चाहता हूं कि यह सभी सदस्‍यों को पता चल जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय-  यह कोई व्‍यवस्‍था नहीं है, ये लोग अभी मेरे पास आये थे चूंकि शून्‍यकाल की 10 सूचनायें पहले ही तय हो गई थीं, इसलिए मैंने कहा कि आपकी सूचना कल ले लेंगे, परंतु इनका आग्रह था कि आज ही ली जायें. आज की निर्धारित 10 सूचनायें पूर्ण होने के पश्‍चात् मैं, इन दोनों को बोलने की अनुमति दूंगा.

          श्री उमंग सिंघार-  ठीक है.

          (9) श्रीमती रीती पाठक (सीधी) - अनुपस्थित.

          (10) श्री आतिफ आरिफ अकील (भोपाल उत्‍तर) - अनुपस्थित.

12.11                                 शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख

(11) रीवा विधान सभा क्षेत्र में लचर कानून व्‍यवस्‍था होना

          श्री अभय मिश्रा (सेमरिया) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. प्रदेश में सत्‍ताधारी दल से जुड़े लोगों द्वारा भय एवं आतंक का माहौल बना दिया गया है. दिनांक 24 को थाना चुरहटा, जिला रीवा में जहां पूर्व में भी फर्जी मुकदमे बनाये गये थे और बाद में हटा लिये गये थे. आज आपने कहा कि सदन का महिला दिवस है. एक महिला सीएसपी के ऊपर 150 लोगों के द्वारा, जिसमें एक पूर्व विधायक भी थे, कुछ सम्‍मानित लोग भी थे और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के साथ वहां आक्रमण किया गया. महिला सीएसपी को मारा गया, वह दौड़ी और उन्‍होंने अपनी जान बचाई और वह अन्‍दर बन्‍द हुई. केवल इस बात के लिए कि हमारे ऊपर फर्जी मुकदमा लगा दिया जाये. 36 घण्‍टे में रीवा शहर के अन्‍दर थाना होने के बावजूद भी कोई पुलिस की गाड़ी नहीं पहुँची, उनको फोर्स नहीं मिली एवं 3 लोग संघर्ष करते रहे और अभी कोई दूसरा व्‍यक्ति होता, कोई और दल का व्‍यक्ति होता तो इतने में उस पर धारा 307 लग जाती, उसका घर गिरा दिया जाता और इस तरह की 10 घटनाएं घटी हैं. श्री त्रिपाठी, पूर्व विधायक के द्वारा फसल रौंदाई हुई, सीईओ की आंख निकाल दी गई, शराब की दुकान पर हमला हुआ. डेढ़ वर्ष पहले भी इसी तरह से यूनिवर्सिटी थाने में हमला हुआ. अभी फिर यह घटना हुई, इधर किस बात के लिए 36 घण्‍टे धरना कि एक छोटा सा मार-पीट का 330 का मुकदमा दर्ज करो और हमारे ऊपर मुकदमा दर्ज कर दिया. अगर मैं गलत था तो उसी समय दर्ज कर लेना था. 36 घण्‍टे तक अनशन प्रदर्शन करके क्‍यों किया ?

          अध्‍यक्ष महोदय - कल माननीय नेता प्रतिपक्ष ने आपके मामले को मुख्‍यमंत्री जी के समक्ष रख दिया है.

          श्री अभय मिश्रा - अध्‍यक्ष जी, वीडियोग्राफी में नाम हैं, ऐसे महत्‍वपूर्ण लोगों का खुलेआम नाम लिया जा रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय - कल माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने मुख्‍यमंत्री जी से सब लोगों के साथ बात की है.

(12) जोबट विधान सभा क्षेत्र में माननीय सदस्‍या के पुत्र की कार खम्‍भे में टकराना

          श्रीमती सेना महेश पटेल (जोबट) - धन्‍यवाद, अध्‍यक्ष महोदय. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. मैं यह बोलना चाह रही हूँ कि मैं अलीराजपुर जिला जोबट विधान सभा से विधायक हूँ. अभी कुछ समय पहले यूथ कांग्रेस का इलेक्‍शन चल रहा था. रात्रि 12 बजे का समय था, मेरा बेटा अपने दोस्‍तों को छोड़ने नगर की दूसरी कॉलोनी में जा रहा था. वहां बीच में एक सर्कल पड़ता है, जहां चौराहा है. चौराहे पर पुलिस की गाड़ी खड़ी हुई थी, पेट्रो‍लिंग कर रही थी और वहीं से मेरे बेटे का गुजरना हुआ था, लेकिन बीच में गाड़ी खड़ी होने के कारण, वह उसकी गाड़ी दूसरे रास्‍ते से निकाल रहा था, उसी समय गाड़ी पूरी नहीं निकल पाई, वहां पर खम्‍भा था, गाड़ी उस खम्‍भे से टकरा गई, तब मेरे बेटे ने वहां पर गाड़ी रोकी और उसने उतरकर एसडीओपी साहब से बात की, उनसे पूछा भी कि कोई दिक्‍कत तो नहीं है, तो एसडीओपी साहब ने कहा कि पुष्‍पराज कोई दिक्‍कत नहीं है, आप अपने घर जाइये. उसने यह भी पूछा कि अगर कोई दिक्‍कत हो रही है तो मैं अस्‍पताल भी लेकर जाता हूँ. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. उसने 10 मिनट तक बात की. उसके पश्‍चात् 10 घण्‍टे बाद दूसरे दिन मेरे बेटे के ऊपर एफआईआर दर्ज होती है और हत्‍या जैसी धारा लगाई जाती है. 307, 109 बीएनएस धारा के अंतर्गत हत्‍या की धारा लगाई जाती है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहती हूँ कि यह जो किसी के दबाव में धारा लगाई गई है, इसको तत्‍काल हटाई जाये. मैं हमारे अलीराजपुर जिले में, ऐसे एक्‍जाम्‍पल केसेस बता रही हूँ कि पुलिस थाना अलीराजपुर अपराध क्रमांक 488/2000, वर्ष 2024 में हुआ था, जो कि धारा 281, 125 ए, 106 बीएनएसएस वर्ष 2023 में हुआ था. यह दुर्घटना में फैक्‍चर और मृत हो गया है, इसका नाम दिनेश एवं निवासी- बड़ाऊंडवा है. उसके पश्‍चात् दूसरा, सौंडवा का केस है. जिसमें धारा 304 दुर्घटना में आईपीएस के तहत कपिल रावत मृत हो गई. इसके पश्‍चात् नानपुर थाना का भी केस है, यह 364/2023 में हुआ है, 300 ए दुर्घटना में मृत हो गई है, इसी प्रकार चार से पांच केस और भी हैं. अभी हाल ही में कल झाबुआ की कलेक्‍टर महोदया जो गाड़ी से बाल-बाल बची हैं. वह ड्यूटी पर निकल ही रही थीं, अचानक से डम्‍पर आया और उनकी गाड़ी को बुरी तरह से क्षतिग्रस्‍त कर दिया और उसके पश्‍चात् उनके ऊपर जो धारा लगी, 603, 2025-26, 281, 324 बीएनएस 184, 51,130, 177 और 1, 3 तो माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे यह बोलना पड़ रहा है कि जब ये मृत्‍यु हो गई, उनके ऊपर वह धारा नहीं लगी, लेकिन मेरा बेटा सिर्फ खंबे से टच हो गया तो उसके ऊपर हत्‍या वाली धारा लग गई तो हमारे देश में ये दो नियम क्‍यों हैं. मैं यह पूछना चाहती हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है सेना महेश पटेल जी, कृपया समाप्‍त करें. ..(व्‍यवधान)..

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा अभय मिश्रा के साथ हुआ. आपके संज्ञान में भी हम लोगों ने लाया. एक जनप्रतिनिधि, जो सिंगापुर से आया है, बाम्‍बे आया है, वहां से 13 किलोमीटर दूर थे, टॉवर लोकेशन नहीं है, स्‍पॉट पर नहीं है, फिर भी इन पर केस लगा. ऐसे ही, माननीय हमारी सेना पटेल के साथ हुआ, सीधा वीडियो उसके अंदर है कि उनका लड़का गाड़ी चला रहा था, नजर हटी, दुर्घटना घटी, तो जान-बूझकर गाड़ी नहीं चढ़ाई, उसमें स्‍पष्‍ट है. फिर भी पुलिस ने धारा 307 लगा दी. अध्‍यक्ष महोदय, पुलिस वहां पर रीवा में घुस कर थाने के अंदर अभय मिश्रा जी पर केस दर्ज करवा रही है. आपके कोई पूर्व विधायक, कोई त्रिपाठी जी, वे. स्‍थिति क्‍या हो रही है. क्‍या विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है. (विपक्ष के सदस्‍यगण द्वारा शेम-शेम की आवाज). ..(व्‍यवधान)..

          श्री अभय मिश्रा -- उनके ऊपर कोई मामला नहीं बनाया गया. ..(व्‍यवधान)..

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि अगर इस प्रकार की पुलिस कार्यवाही कर रही है या किसी के कारण कर रही है तो मैं समझता हूँ कि ये जनप्रतिनिधियों के लिए लज्‍जा की बात है. फिर अगर हम लोग लाठी उठाएंगे तो आप बोलेंगे कि धारा 353 लगाओ, शासकीय कार्य में बाधा, फिर अटैक की धारा हम पर लगेगी. क्‍या करें हम लोग ? क्‍या हम लोग शांतिपूर्वक बात नहीं कर सकते ? हम चाहते हैं कि इन दोनों केस के मामले में इंक्‍वायरी हो, अभी आरिफ मसूद जी का स्‍कूल तोड़ने चले गए थे. मतलब किस प्रकार से दबाव बनाया जा रहा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे सरंक्षण चाहता हूँ कि ये जनप्रतिनिधियों की बात है. चाहे उधर के सदस्‍य हों, चाहे इधर के सदस्‍य हों, मेरा आपसे अनुरोध है कि इस प्रकार से किया जा रहा है. अगर कोई व्‍यक्‍ति नहीं है, जबरदस्‍ती उसका नाम डाला जा रहा है. यह अगर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा रहा है तो फिर ऐसी स्‍थिति में क्‍या होगा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं चाहता हूँ कि आप इसमें अगर कोई निर्देश सरकार को दें तो ठीक रहे क्‍योंकि मुख्‍यमंत्री जी तो इस महत्‍वपूर्ण विषय के पहले ही चले गए. मुख्‍यमंत्री जी के पास में ही गृह विभाग भी है. अब वे गृह विभाग को कब समय देते हैं, यही नहीं पता.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं समझता हूँ कि नेता प्रतिपक्ष, अभय जी और सेना महेश पटेल जी ने जो बात रखी है, वह विषय कल माननीय मुख्‍यमंत्री जी के संज्ञान में लाया जा चुका है. सभी हमारे प्रतिपक्ष के विधायक आए थे और उन्‍होंने यह विषय संज्ञान में लाया है तो मुख्‍यमंत्री जी के संज्ञान में जब बात आ गई है तो मुझे लगता है कि उसके बाद और कुछ करने की आवश्‍यकता नहीं लगती. मुख्‍यमंत्री जी ने कहा है कि उसको वे करेंगे. ..(व्‍यवधान)..

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 24 घण्‍टे का समय हो गया है, मुख्‍यमंत्री जी ने इस विषय पर कुछ किया ही नहीं है. सरकार बताए कि इसमें क्‍या कार्यवाही हो रही है ? कौन है मुख्‍यमंत्री जी की तरफ से प्रतिनिधि, सरकार बताए या आप बताएं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे यह चाहता हूँ क्‍योंकि 24 घण्‍टे हो चुके हैं. ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- थोड़ा कार्यवाही आगे बढ़ने दें, श्री जगदीश देवड़ा जी. ..(व्‍यवधान)..

          श्रीमती सेना महेश पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय ..(व्‍यवधान)..

          श्री अभय मिश्रा -- अध्‍यक्ष महोदय, महिला सीएसपी के ऊपर हमला हुआ..(व्‍यवधान)..

          श्री उमंग सिंघार -- असत्‍य केस बनाए जा रहे हैं..(व्‍यवधान)..

          श्री अभय मिश्रा -- पुलिस हाथ जोड़ रही है, दादा-दादा कर रही है..(व्‍यवधान).. हमला हो रहा है. पुलिस पिट रही है. ..(व्‍यवधान)..

          श्री उमंग सिंघार -- 24 घण्‍टे हो गए. अध्‍यक्ष महोदय, हमें आपका सरंक्षण चाहिए. सरकार का जवाब आए. ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा नेता प्रतिपक्ष से आग्रह है कि जब हम लोग सीधी बात मुख्‍यमंत्री जी से कर चुके हैं और मुख्‍यमंत्री जी को कल आप सबने कहा है और उन्‍होंने आपको जांच का आश्‍वासन दिया है तो उसके बाद तो कोई बात बचती नहीं है. इसलिए मैं आग्रह कर रहा हूँ कि सदन की कार्यवाही आगे बढ़ने दें..(व्‍यवधान)..

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमें कोई आश्‍वासन नहीं मिला. सिर्फ बात की गई. आप भी थे सामने, कोई आश्‍वासन नहीं मिला, 24 घण्‍टे हो गए, सरकार की तरफ से कोई बात ही नहीं आ रही है. ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा अनुरोध है कि सदन की कार्यवाही आगे बढ़ने दें. ..(व्‍यवधान)..

          श्री उमंग सिंघार -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें हमें सरकार का जवाब चाहिए. सरकार क्‍या कर रही है, इंक्‍वायरी करा रही है कि नहीं, इसका जवाब दे. अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या विधायकों पर इस प्रकार से हमले होंगे, असत्‍य प्रकरण बनेंगे, कांग्रेस पार्टी इस बात को नहीं सहेगी. अब विपक्ष नहीं सुनेगा.(व्‍यवधान)..

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आरिफ मसूद जी के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही होती है. ..(व्‍यवधान)..

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका सरंक्षण चाहिए. जनप्रतिनिधियों के खिलाफ असत्‍य प्रकरण नहीं बनेंगे. इस पर आपका सरंक्षण चाहिए. ..(व्‍यवधान)..

            श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव -- अध्‍यक्ष महोदय, विपक्ष की आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है. ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा आग्रह है कि कृपया शांति बनाए रखें. अभी अनुपूरक बजट भी आने वाला है, बाकी चीजें भी आने वाली हैं. कृपा करके मेरा सभी लोगों से आग्रह है. ..(व्‍यवधान)..

            (..व्यवधान..)

          श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय,इसमें सरकार का पक्ष आना चाहिये. 24 घंटे हो गये. मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया.

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय- संसदीय कार्य मंत्री जी कुछ कह रहे हैं. 

          श्री उमंग सिंघार - इसमें इन्क्वायरी कराएं. जांच कराएं. हम यह चाहते हैं.

          अध्यक्ष महोदय- मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया अपने स्थान पर बैठ जाएं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,कल आपके चेंबर में आपकी उपस्थिति में माननीय मुख्यमंत्री जी उपस्थित थे और मैं भी सौभाग्य से वहां पर उपस्थित था. नेता प्रतिपक्ष और सभी सदस्य उपस्थित थे. नेता प्रतिपक्ष ने अपनी बात बहुत गंभीरता से रखी. वहां अभय जी भी थे बहन सेना जी भी थीं और सबने अपनी बात मुख्यमंत्री जी के पास रखी है. मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में बात आ गई इसके बाद भी आपकी कृपा से सब लोगों ने भी सदन में भी यह बात रख दी है. यह बात रिकार्ड में आ गई है.सदन एकदम निर्णय का स्थान नहीं होता है सिर्फ संज्ञान में लाने का स्थान होता है और इसीलिये अध्यक्ष महोदय, निर्णय यहां नहीं हो सकता सदन निर्णय नहीं कर सकता. माननीय मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में आपकी उपस्थिति में कोई बात आ गई तो निश्चित रूप से उस पर विश्वास रखना चाहिये नेता प्रतिपक्ष को और माननीय सदस्यों को इसमें कुछ न कुछ कार्यवाही हो रही होगी. समय थोड़ा लग सकता होगा विषय गंभीर है और इसलिये नेता प्रतिपक्ष से निवेदन है कि आपकी बात सदन के रिकार्ड में भी आ गई और माननीय मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में भी आ गई इसीलिये सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाएं अध्यक्ष महोदय.

          श्री उमंग सिंघार - निष्पक्ष इन्क्वायरी चाह रहे हैं निर्णय तो होना नहीं है और रही मुख्यमंत्री जी की बात वह भी सदन के नेता हैं.अध्यक्ष महोदय, हम आपसे चाहते हैं कि सरकार इसमें निष्पक्ष इन्क्वायरी कराएं. हम किसी निर्णय की बात नहीं कर रहे हैं इन्क्वायरी की बात है. इन्क्वायरी होना चाहिये.

          अध्यक्ष महोदय - मैंने विषय की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए पुन: सदस्यों को अपनी बात रखने की विशेष अनुमति सदन में दी है. सदन ने सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है.

          श्री उमंग सिंघार -बातों को टालने से कोई मतलब नहीं है. सरकार टाल रही है बात को.स्पष्ट करें.चौबीस घंटे हो गये इन्क्वायरी कराएं.इसमें आश्वासन सरकार की तरफ से दे सकते हैं. आश्वासन भी नहीं देंगे संसदीय कार्य मंत्री जी.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री प्रहलाद सिंह पटेल)- माननीय अध्यक्ष जी,मेरा आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष से और सदन से निवेदन है कि जो परंपराएं हैं उस परंपरा में चाहे लोकसभा हो या विधान सभा हो. शून्यकाल  में सरकार उत्तर देती नहीं है लेकिन यह ऐसा प्रसंग है मैं भी वहां उपस्थित था नेता प्रतिपक्ष को भी यह बात पता है लेकिन मुझे लगता है कि एक चर्चा के बाद सदन के अंदर आप रिकार्ड में लेकर आए.एक जनप्रतिनिधि का मामला है और इस बात को बहुत गंभीरता से मुख्यमंत्री जी ने लिया आपकी उपस्थिति में हुआ लेकिन आपने जो अवसर दिया यह संवैधानिक व्यवस्था है और सदन की एक मान्य उच्च परंपरा है कि आपके संज्ञान में आने के बाद आप रिकार्ड में लेकर आ गये.मैं आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष से प्रार्थना करता हूं कि शून्यकाल में उत्तर की परंपरा तो नहीं है. कई बार आसंदी कहती है अपेक्षा आपकी हो सकती है लेकिन मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री जी के संज्ञान के बाद और सदन में रिकार्ड में आने के बाद उसको इस बात के लिये कहना कि हमको अभी ही फैसला चाहिये. मुझे लगता है कि यह ठीक नहीं है. मेरी प्रार्थना है कि हम सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाएं.

          श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो फैसले की कोई बात नहीं हुई न निर्णय की बात हुई और सदन नियम के साथ परंपराओं से भी चलता है. मैं वरिष्ठ सदस्य जी को बताना चाहता हूं. मैं यह चाहता हूं कि सरकार की तरफ से आश्वासन तो आए.

          अध्यक्ष महोदय- बात हो गई है.

          श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, इसके अंदर संरक्षण चाहिये,जनप्रतिनिधियों,विधायकों की बात है.(..व्यवधान..)

 

12.23 बजे                                  गर्भगृह में प्रवेश

        ( श्री अभय मिश्रा,श्री सचिन सुभाष चन्द्र यादव एवं इंडियन नेशनल कांग्रेस के कई सदस्यगण शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए और नारे बाजी की.)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.24 बजे                              पत्रों का पटल पर रखा जाना

          (1) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम,2017 की धारा 166 की अपेक्षानुसार

                                        विभिन्न अधिसूचनाएं.

                             


 

12.25 बजे      2.लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा की निम्‍नलिखित अधिसूचनाएं.

          (क) क्रमांक एफ-3-3-4-001-1-सत्रह (PHE) भोपाल, दिनांक 24 दिसम्‍बर, 2024, एवं

          (ख) एफ 3-3-4-0001-2025-1-सत्रह- भोपाल, दिनांक 23 जनवरी, 2025 (संशोधन)

 

....(व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय--  मेरा सभी सदस्‍यों से आग्रह है कृपया अपने आसन पर बैठें और कार्यवाही को आगे बढ़ने दें. ....(व्‍यवधान).... कृपया मेरी सबसे करबद्ध प्रार्थना है कि अपने स्‍थान पर विराजें सदन की कार्यवाही को चलने दें.

          श्री उमंग सिंघार--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय आपका संरक्षण चाहिये, ये सब लोग सदन के सदस्‍य हैं. ....(व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय--  मेरा बार-बार आग्रह है, मैंने सदन की माननीय परंपराओं को ध्‍यान में रखते हुये विषय की गंभीरता को ध्‍यान में रखते हुये सदस्‍यों को अपनी बात रखने का अवसर दिया है ....(व्‍यवधान).... अब मेरी प्रार्थना है कि अब आप लोग अपने स्‍थान पर बैठें जिससे सदन की कार्यवाही आगे बढ़े.

          श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लेकिन सदन का सदस्‍य है, अगर आपका संरक्षण नहीं होगा तो फिर किसका संरक्षण होगा. ....(व्‍यवधान)....

 

12.26 बजे                                   बहिर्गमन

इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यों द्वारा सदन से बहिर्गमन.

        नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी बात नहीं सुनी जा रही. हम बहिर्गमन करते हैं.

          (श्री उमंग सिंघार, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्‍व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगणों द्वारा उनकी बात न सुने जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)

 

 

12.26 बजे                   पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमश:)

3. मध्‍यप्रदेश भू-सम्‍पदा विनियामक प्राधिकरण के वित्‍तीय लेखों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का पृथक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन.

 

 

 

 

12.27 बजे      4. मध्‍यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष           2023-2024.

12.28 बजे   5. (क) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा                 (1) (ख) की अपेक्षानुसार

        (i) बाणसागर थर्मल पॉवर कम्‍पनी लिमिटेड का 13वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-          2024, एवं

                (ii) शहपुरा थर्मल पॉवर कम्‍पनी लिमिटेड का 18वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-                     2024, तथा

                (ख) विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 182 की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश विद्युत                        नियामक आयोग की निम्‍नलिखित अधिसूचनाएं :-

        (i) क्रमांक 423/मप्रविनिआ/2025 भोपाल, दिनांक 04 मार्च, 2025,

        (ii) क्रमांक 424/मप्रविनिआ/2025 भोपाल, दिनांक 04 मार्च, 2025,

        (iii) क्रमांक 570/मप्रविनिआ/2025 भोपाल, दिनांक 27 मार्च, 2025, एवं

        (iv) क्रमांक 571/मप्रविनिआ/2025 भोपाल, दिनांक 27 मार्च, 2025

 

12.29 बजे      6. मध्‍यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 40वां वार्षिक                    प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022.

 

 

 

 

12.29 बजे      7. महाराजा छत्रसाल बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024.

 

 

            (8) (क)   जिला खनिज प्रतिष्‍ठान, जिला इंदौर, धार, मंदसौर, ग्‍वालियर एवं पन्‍ना के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 तथा जिला सिंगरौली का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-      2024, एवं

                (ख) मध्‍यप्रदेश प्‍लास्टिक सिटी डेवलपमेन्‍ट कॉरपोरेशन ग्‍वालियर     लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2023-2024.

 

            सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्री  (श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप) माननीय अध्‍यक्ष महोदय,(क) खनिज प्रतिष्‍ठान नियम, 2016 के नियम 18 के उपनियम (3) की अपेक्षानुसार जिला खनिज प्रतिष्‍ठान, जिला इंदौर, धार, मंदसौर, ग्‍वालियर एवं पन्‍ना के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 तथा जिला सिंगरौली का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024, एवं

          (ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश प्‍लास्टिक सिटी डेवलपमेन्‍ट कॉरपोरेशन ग्‍वालियर लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2023-2024 पटल पर रखता हूं.

 

 

 

 

 

12.30 बजे

फरवरी, 2024 से मार्च, 2025 सत्र तक के प्रश्नों के अपूर्ण उत्‍तरों  के पूर्ण उत्‍तरों  का संकलन खण्ड-4 पटल पर रखा जाना

         

 

12.31 बजे

नियम 267-क  के अधीन मार्च, 2025 सत्र में पढ़ी  गई सूचनाओं तथा उनके उत्‍तरों का संकलन पटल पर रखा जाना

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.32 बजे            राज्यपाल की अनुमति प्राप्‍त विधेयकों की सूचना


12.33बजे                                 कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन

                                                                             (प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ)

          12.34 बजे                   अध्‍यक्षीय घोषणा

राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री और पूर्व विधानसभा के अध्‍यक्ष जन्‍मदिन के अवसर पर विधानसभा परिसर में उनका चित्र लगाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने संबंधी

          अध्‍यक्ष महोदय -- कल कार्यमंत्रणा समिति में एक विषय और तय किया है जो सदन की जानकारी में रहे, हमारे राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री और पूर्व विधानसभा के अध्‍यक्ष जो आज हम सबके मध्‍य नहीं है, उनका जन्‍मदिन जब-जब आये तो विधानसभा परिसर में उनका चित्र लगाकर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किये जायें, यह परंपरा आगे से प्रारंभ करेंगे. अब माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी राज्‍य परिषद में लिये गये निर्णय में वक्‍तव्‍य देंगे.                                                          


 

12:35 बजे                                          वक्‍तव्‍य

मंत्रि परिषद् में लिए गए निर्णय से संबंधित  विभिन्‍न विधेयकों को सदन में प्रस्‍तुत करने संबंधी वक्‍तव्‍य

अध्‍यक्ष महोदय माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी राज्‍य परिषद् में लिए गए निर्णय में वक्‍तव्‍य देंगे.

श्री कैलाश विजयवर्गीय अध्‍यक्ष महोदय, आज 29 जुलाई, 2025 को मंत्रि परिषद् के विधेयकों को सदन में प्रस्‍तुत करने हेतु लिए गए निर्णय से, मैं सदन को अवगत कराने के लिए आपकी अनुमति चाहता हूं.

अध्‍यक्ष महोदय, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्‍साहन विभाग संबंधी.

 

अध्‍यक्ष महोदय, विधि एवं विधायी कार्य विभाग, संबंधी.

 

 

 

 

अध्‍यक्ष महोदय, विधि एवं विधायी कार्य विभाग संबंधी.

 

अध्‍यक्ष महोदय, श्रम विभाग संबंधी.

 

अध्‍यक्ष महोदय, श्रम विभाग संबंधी.

 

अध्‍यक्ष महोदय, परिवहन विभाग संबंधी.

 

 

 

 

 

अध्‍यक्ष महोदय, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्‍साहन विभाग संबंधी.

अध्‍यक्ष महोदय, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्‍साहन विभाग संबंधी.

अध्‍यक्ष महोदय कैलाश जी, विषय रखने वाले थे तो सारे विधायकगण बड़ी उत्‍सुकता से देख रहे थे कि उनके बारे में कोई महत्‍वपूर्ण निर्णय हो गया है, इसलिए आप विशेष रूप से रख रहे हैं.

श्री विजय पाल सिंह अध्‍यक्ष जी, बड़े उद्योग लगने वाले हैं, इसके लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी और उसको आपने यहां प्रस्‍तुत किया, इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.

श्री भंवर सिंह शेखावत अध्‍यक्ष जी, आदरणीय कैलाश जी आप तो जनता और नौजवानों का प्रतिनिधित्‍व करते हो मंत्रिमंडल में, एकाध विषय तो कोई विधायकों के लिए करवा लेते.

श्री कैलाश विजयवर्गीय अध्‍यक्ष जी, अभी तो जब मुझसे बड़े, वे नौजवान हैं, तो मुझे नौजवान कहने में किसी को कोई तकलीफ नहीं होना चाहिए(..हंसी)

श्री भंवर सिंह शेखावत आप मंत्री मंडल में हमारा प्रतिनिधित्‍व करते हो विधायकों के लिए भी कुछ करवा देते(..हंसी)

श्री कैलाश विजयवर्गीय अध्‍यक्ष महोदय, वह विचाराधीन है.

श्री भंवर सिंह शेखावत मंत्री मंडल में कीजिए मंत्रीमंडल के सारे निर्णय ऐसे हैं..

श्री कैलाश विजयवर्गीय वह विचाराधीन है, अध्‍यक्ष जी भी आपकी बात से सहमत है; कल काफी तर्कपूर्ण बात हमने जहां रखनी थी, वहां रखी है.मुझे उम्‍मीद है कि उसके सकारात्‍मक परिणाम आएंगे.

श्री भंवर सिंह शेखावत हम यही उम्‍मीद करते हैं.

 

 


 

12.40                                                                       ध्यानाकर्षण

 

(1)  प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस की वसूली किया जाना.

 

श्री अजय अर्जुन सिंह(चुरहट)अध्यक्ष महोदय, मेरे ध्यानाकर्षण की सूचना इस प्रकार है. 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

         स्कूल शिक्षा मंत्री(श्री उदय प्रताप सिंह)अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                                                                                                           


 

            श्री अजय अर्जुन सिंह (चुरहट) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह तो मुझे उम्‍मीद थी कि माननीय मंत्री महोदय इसी तरह जवाब देंगे. लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आयी कि हम किन लोगों के बारे में बात कर रहे हैं. हम आने वाली पीढ़ी के बारे में बात कर रहे हैं. शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य से ऊपर और कोई चीज नहीं है. यदि किसी प्रदेश में शासन शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य को गंभीरता से लेता है तो उस प्रदेश की तरक्‍की होती है. लेकिन माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि इस तरह की कमेटी और सरकार सहज, सजग है और सब कुछ कर देगी. मैं एक छोटा-सा उदाहरण देता हूं. दिनांक 8.4.2025 को राजधानी भोपाल के कलेक्‍टर महोदय ने एक आदेश निकाला और निरीक्षण दल प्रभारी के लिए उन्‍होंने 3-4 नाम दिये. कितनी उदासीनता है कि निरीक्षण करने वाले जो अधिकारी हैं उन्‍हीं का नाम गलत है, उनका फोन नंबर गलत है. इससे ज्‍यादा उदाहरण मैं क्‍या दे सकता हॅूं कि यह सरकार इस विषय में बिल्‍कुल उदासीन है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है. हम लोग नियम बनाते हैं. माननीय मंत्री महोदय जी, यह विभाग का नियम है कि पहली कक्षा में 1.6 से 2.2 किलो से ज्‍यादा का बोझ बस्‍ते का नहीं होना चाहिए. आप किसी भी स्‍कूल में चले जायें और पहली कक्षा के बच्‍चे के बस्‍ते का वजन करवा लीजिए, तो 4 से 5 किलो वजन बस्‍ते का कम हो, तो मैं अपना नाम बदल दूं. नियम सब तरह के हैं. वर्ष 2017 में आपने फीस के नियम बनाये. वर्ष 2024 में संशोधन किया, वर्ष 2025 में संशोधन किया लेकिन सत्र शुरू होने के 90 दिन पहले फीस वहां पर पोर्टल में आ जाना चाहिए और पोर्टल में यदि शिकायत करना हो, तो सरकार के विभाग के जो विभागीय प्रमुख है यह देखिए, (कागज दिखाते हुए) इनके किसी के नम्बर ही नहीं हैं, यह पोर्टल का है. श्री विनय निगम हैं, सुश्री शिल्पा गुप्ता का एक लैंड लाइन नम्बर है, बाकी किसी अधिकारी के नम्बर नहीं हैं. अभिभावक जाएं तो जाएं कहां? यदि हम शिकायत करना चाहते हैं और इस पोर्टल का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो कहां ढूंढते जाय? यह कहना कि इस जगह से किताब लेना जरूरी नहीं है. मैं एक उदाहरण देता हूं. भोपाल का ही है, दूसरी जगह तो जाने की जरूरत ही नहीं है. यहां पर लिखते हैं. एक स्कूल ने सूची दी है कि आप इसी जगह से लीजिएगा. इसी दुकान से लीजिएगा. आप दुकान में चले जायें, अभी सत्र शुरू हुआ है. अध्यक्ष महोदय, आप अपने नाति के लिए किसी दुकान में चले जाइए. वहां पर पांच हजार रुपये का किताब पेंसिल सब सहित इतना बड़ा झोला देगा, यह क्या है? अभिभावक स्वतंत्र नहीं हैं. बचपन में आप स्कूल गये, हम भी स्कूल गये. यदि आपका कोई छोटा भाई या बहन हो तो होता क्या था कि उसकी किताब अगले साल छोटा भाई पढ़ लेता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. यहां पर सिर्फ उदाहरण देता हूं यह इंद्रधनुष की किताब है बालगीत की, यह साल आपको लेना है. इसमें '' फॉर एप्पल जो भी है, यह पीला रंग का है, किताब में  अगले साल आपको लाल एप्पल रहेगा तो प्रिंसिपल साहब कहेंगे कि आप तो यह किताब नहीं लाए हो. माननीय यह मजाक है! मैं छठीं में था, मेरा भाई ग्यारहवीं पास की, मैं जब ग्यारहवीं में पहुंचा तो वही किताबों से हमने भी पढ़ा, लेकिन यह आज नहीं हो सकता है. आज तो हर साल रंग बदल जाता है. इसमें यह भी नहीं लिखा है कि कहां छपा है. इसका दाम क्या है? लेकिन जब आप दुकान में जाएंगे तो मजबूरी वश आपको दाम देना पड़ेगा.

          अध्यक्ष महोदय, आप एनसीआरटी की किताबें क्यों नहीं लेना चाहते हैं क्योंकि एनसीआरटी की किताबों में पहले से लिखा रहता है कि किसने किताब छापी है, किन लोगों ने वह किताब लिखी है, गाइडेंस ली, कौन-कौन से प्रिंसिपल, मास्टर रहे होंगे, उन्होंने किताब बनाई. वह उल्लेख रहता है. जब हम शिक्षा का सुधार चाहते हैं.

अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करें.

श्री अजय अर्जुन सिंह - मैं सिर्फ एक चीज पूछ रहा हूं. आप लोगों को चिंता ही नहीं है. मैं कहने वाला था.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - अध्यक्ष महोदय, चिंता होती है. मैंने संसदीय कार्यमंत्री जी से  नियम पूछा क्योंकि मैं तो नया हूं. हमने कहा कि कितनी देर भाषण दे सकते हैं, उन्होंने कहा कि 2 ही प्रश्न पूछ सकते हैं. मैंने कहा कि यह भाषण तो प्रस्ताव से ज्यादा हो गया.

श्री अजय अर्जुन सिंह - आप इसी में तो सदन को गुमराह करना चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, यह चिंता का विषय है कि नहीं है कि भावी पीढ़ी को हम किस तरफ ले जाना चाहते हैं? इसमें यदि हम दो मिनट बोल चुके तो क्या बड़ी आपत्ति हो गई?

संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, आप कभी कभी बोलते हैं, इसलिए मैं खड़ा नहीं हुआ और इसलिए आप थोड़ा नियम का ध्यान देंगे तो बड़ी कृपा होगी,  आप सीनियर सदस्य हैं.

श्री अजय अर्जुन सिंह - अध्यक्ष महोदय, मुझे सिर्फ चिंता है कि भावी पीढ़ी को किस तरफ ले जाना चाहते हैं. यदि एनसीआरटी सही किताबें देती है, बनती है, प्रकाशित करती है तो अनिवार्यता नहीं है तो भी क्या हम लागू नहीं कर सकते हैं. सिर्फ एनसीआरटी की किताबें प्रदेश के स्कूलों में अनिवार्यता नहीं है उसके बाद भी आप उसे लागू कर देंगे कि नहीं?         

श्री उदय प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, चूंकि माननीय सदस्य बहुत वरिष्ठ है और बहुत विस्तार से उन्होंने चीजों को रखा है. मैंने पहले भी अपने जवाब में कहा है कि विभाग का मैकेनिज्म रहता है, एक फोरम रहता है. अगर शिकायत है, बुक्स से रिलेटेड, यूनिफार्म से रिलेटेड, दुकान में कहीं बाध्य किया जा रहा है तो हमारे कलेक्टर को इम्पॉवर्ड किया गया है कि किसी भी किस्म की फीस आदि अगर अनुचित ले रहे हैं, यूनिफार्म की कोई बात है तो मैंने पहले भी कोट किया है कि मध्यप्रदेश में इसी विधान सभा ने नियम बनाया है, फीस संबंधित नियम बना है. वर्ष 2025 में उसको हमने संशोधित किया है, जिसका पालन कराने की बाध्यता कलेक्टर के पास है. आपका यह कहना कतई उचित नहीं है कि हम लोगों को शिकायत मिलती हैं. आप देखेंगे की हरदा जिले में 28 अशासकीय विद्यालयों, होशंगाबाद जिले में 9, जबलपुर में 35 विद्यालय और भोपाल में 12 विद्यालयों पर कार्यवाही की है. पूरे प्रदेश की सूची है. अगर सरकार या विभाग सतर्क नहीं होता तो यह चीजें निकलकर नहीं आतीं. आप आश्‍चर्य करोगे की करोड़ों रूपये की राशि, ऐसा माननीय मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में मध्‍य प्रदेश में शायद पहली बात हुआ है कि अगर अवैध फीस वसूल की गयी है. जबलपुर में, यहां पर लघन घनघोरिया जी बैठे हैं, करोड़ों रूपये की राशि कलेक्‍टर के द्वारा वापस लेकर अभिभावकों के खाते में जमा करवायी गयी है.

          श्री लखन घनघोरिया- य‍ह शिकायतपूर्ण कार्यवाहियां थीं. बहुत से स्‍कूल के शिक्षा माफिया बैठे हैं उन पर कार्यवाही नहीं हुई. जो निरीह थे उनके ऊपर कार्यवाही हुई है.

          श्री उदय प्रताप सिंह- मैं उसमें भी आपको बताया चाहता हूं कि मामला चूंकि न्‍यायालय में लंबित है, वह हाई कोर्ट चला गया तो हाई कोर्ट से ऊपर जाकर विभाग अपनी तरफ से कोई कार्यवाही नहीं कर सकता है. लेकिन मेरा आपसे अनुरोध है कि सरकार की प्राथमिकता में बच्‍चों की शिक्षा है. हम लगातार उस पर काम भी कर रहे हैं. जैसा आपने किया कि क्‍या आप एनसीईआरटी बुक्‍स के लिये आप कुछ करेंगे. अभी वर्तमान में ही NCERT ने दिनांक 12.08.2024 को निर्देश दिये थे उसमें कक्षा पहली से आठवीं तक के लिए उन्‍होंने कहा था कि Schools are strongly advice to follow NCERT and SCERT text books.

             श्री लखन घनघोरिया- जबलपुर कलेक्‍टर ने NCERT की बुक को अनिवार्य किया है. आपकी सरकार के नियम नहीं हैं ?

          श्री उदय प्रताप सिंह - नहीं, कक्षा नौवीं से बारहवीं के बीच में हमारे CBSE बोर्ड ने कहा है कि Schools shall mandatory follow the NCERT text books prescribed in CBSE curriculum. तो इसको लेकर हम लोग एक कदम आगे बढ़े हैं. जैसा आपने कहा है जो आपकी अपेक्षा है कि हम लोग यह तैयारी कर रहे हैं कि आगे से चूंकि हमारा टेक्‍स्‍ट बुक कार्पोरेशन अच्‍छा काम कर रहा है. इस साल हमने मध्‍य प्रदेश में इतिहास में पहली बार हुआ है कि हमने छापकर अप्रैल के पहले सप्‍ताह में पूरे प्रदेश के अंदर स्‍कूल में बच्‍चों को टेक्‍स्‍ट बुक बांटने का काम किया है. (मेजों की थपथपाहट)  आगे हम लोगों की तैयारी है कि हम इसको पहली से आठवीं तक कम्‍पलसरी करेंगे. कुछ विषयों को स्‍थानीय स्‍तर पर जो छूट जो मिलती है, अपने स्‍कूल्‍स् को वह छोड़कर TVC के माध्‍यम से छपने वाली हमारी बुक्‍स को हम उपलब्‍ध करायेंगे जो कि स्‍कूलों में बच्‍चों के पास जायेगी और यही स्थिति हमारी 11वीं से 12वीं के बीच में है.

          अध्‍यक्ष जी, मेरा आपके माध्‍यम से अनुरोध है कि लगातार हम लोग कार्यवाही कर रहे हैं, लगातार मान्‍यता निरस्‍ती का हम काम कर रहे हैं, लगातार हम लोगों ने स्‍कूल्‍स् को दंडित भी किया है. हमारा प्रयास है कि मध्‍य प्रदेश में बच्‍चों की शिक्षा की बेहतरी के लिये. चाहे वह शासकीय स्‍कूल में हों, चाहे अशासकीय स्‍कूलों में हों. सरकार की सर्वोच्‍च प्राथमिकता है कि उनको समय पर चीजें मिलें, समय पर संसाधन उपलब्‍ध हों, बेहतर संसाधन उपलब्‍ध हों और प्रायवेट स्‍कूल्‍स् कहीं पर कोई अनियमितता करते हैं तो उसका हमने एक क्रायटेरिया बनाया है, उसके लिये अलग-अलग फोरम बनाये गये हैं कलेक्‍टर से लेकर भोपाल स्‍तर तक जहां आवश्‍यक होता है तो हम समय पर कार्यवाही भी करते हैं.

          श्री अजय अर्जुन सिंह- अध्‍यक्ष महोदय, पहली बात तो माननीय मंत्री महोदय ने एक जिले का नाम लिया होशंगाबाद जिला. शायद अब होशंगाबाद जिला कोई है नहीं, नर्मदापुरम जिला है. आप उसको थोड़ा संशोधित कर लीजिये, रिकार्ड में भी.

          अध्‍यक्ष महोदय- होशंगाबाद जबान पर चढ़ा हुआ है और वह वहां से सांसद भी रहे हैं.

          श्री उदय प्रताप सिंह- असल में इसलिये जबान पर चढ़ा हुआ है कि 15 साल सांसद रहा और संसद में अभी भी होशंगाबाद लिखा है. वहां परिवर्तन नहीं हुआ है. वहां बदल जायेगा तो यहां भी हो जायेगा. राजस्‍व में मध्‍य प्रदेश के अंदर उसका परिवर्तन हो गया है.

          श्री अजय अर्जुन सिंह- आप तो विधान सभा में हैं ना.

          अध्‍यक्ष महोदय- अब बदल लीजिये.

          डॉ सीतासरन शर्मा- विधान सभा भी अभी होशंगाबाद ही लिखी जाती है.

          श्री अजय अर्जुन सिंह-बताइये कि फिर नर्मदापुरम क्‍यों लाये ?

          डॉ सीतासरन शर्मा- वैसे चेंज हो गया है, सिर्फ चुनाव आयोग में नहीं हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय- आप विषयांतर नही करो. आप विषय पर आ जायें.

          श्री अजय अर्जुन सिंह- कहने का मतलब है कि किसी अभिभावक को यह सूचना नहीं दी जाती कि कहां से लें. मेरे पास एक लिस्‍ट है - Dear Parents, books will be available at the shops listed below from 18th April and Uniforms from 28th April onwards. Please contact the given numbers before visit. Greenland Book Store मैं यहां सिर्फ भोपाल के उदाहरण दे रहा हूं अधिकारी पता लगा लेंगे शास्‍त्री नगर, जवाहर चौक, गुडलक बुक स्‍टोर, श्रीजी टावर अशोका गार्डन, सागर बुक स्‍टोर, बुधवारा रोड नियर ओल्‍ड दैनिक ऑफिस, ओम साईं कलेक्शन, जैन टॉवर, नेहरू नगर, भोपाल.  अध्यक्ष महोदय, साफ साफ है कि आपको इसी जगह से किताब लेनी है, और यही लूट है. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी एनसीईआरटी की किताबें नहीं लाना चाहते हैं तो नहीं लायें, आप यदि आने वाली पीढ़ी को बर्बाद करने पर ही तुले ही हैं तो उसमें  कुछ कहने की बात नहीं है लेकिन कम से कम अभिभावकों से लूट तो नहीं करें. नियम बहुत बन जाते हैं वर्ष 2017 में फीस के नियम बन गये,  वर्ष 2024 में संशोधन हो गया, लेकिन पालन कहां होता है. मंत्री जी आपने 25 स्कूल बताये, आपने कहा कि जबलपुर में कार्यवाही हुई. अध्यक्ष महोदय एक जिले में जबलपुर में कार्यवाही हुई जिसमें जो सही लोग थे वह तो छूट गये जैसा कि लखन भाई ने अभी कहा, उनका तो कुछ हुआ नहीं लेकिन एक पूर्व महापौर से स्कूल जो जबर्दस्ती टारगेट किया. इसलिये माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से विनम्र अनुरोध है क्योंकि मामला बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ है, माननीय मंत्री जी आप दिल्ली से 15 साल के बाद में वापस आये हैं थोड़ा संवेदनशील हो जायें, मंत्री जी आपके भी दोनों बच्चों की शादी हो गई है, नाती पोते होंगे, कम से कम उनका ध्यान रखते हुये आप एक नई व्यवस्था बनायें. बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री उदय प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत जिम्मेदारी से माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाये हैं उन पर आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि हमारे मध्यप्रदेश की संवेदनशील सरकार , माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी के नेतृत्व में 100 फीसदी कमेटमेंट के साथ बच्चों के बेहतर भविष्य के लिये जो श्रेष्ठतम कर सकती है वह कर रही है और आगे आने वाले समय में बच्चों के भविष्य को देखते हुये कड़े से कड़े नियम अगर बनाने पड़ें, कठोर से कठोर निर्णय लेना पड़े, सरकार वह निर्णय लेगी लेकिन हमारी भावी पीढ़ी सही रास्ते पर चले, सही मार्ग पर चले उसको बेहतर सुविधायें मिले, उसको बेहतर संसाधन मिले, बेहतर स्लेबर्स मिले इस बात की चिंता कर रही है.

 

 

 

          श्री दिनेश सिंह गुर्जर -- माननीय मंत्री जी एक वर्ष से मैं कह रहा हूं कि मुरैना विधानसभा क्षेत्र में अनुदान प्राप्त शालायें बंद हो गई हैं. वहां के छात्र छात्रायें पढ़ नहीं पा रहे हैं, मंत्री जी इतने संवेदनशील हैं तो आज ही वहां पर शिक्षकों की व्यवस्था करायें.

          अध्यक्ष महोदय- दिनेश जी आज ही आपकी प्रशंसा हुई है. कृपया बैठें.

समय 1.03 बजे

(2)     शासन द्वारा वृद्धावस्था एवं विधवा पेंशन की राशि में बढौत्री न किये जाने से उत्पन्न स्थिति.

          इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

                                                                        

         मंत्री, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण (श्री नारायण सिंह कुशवाह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

          इंजीनियर प्रदीप लारिया -- अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी धीर भी हैं और गंभीर भी हैं. विषय भी बहुत गंभीर है. यह बात सही है कि मध्‍यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार गरीब कल्‍याण के लिए जानी जाती है. गरीब कल्‍याण के क्षेत्र में हमने अनेक निर्णय लिए हैं और निश्चित तौर पर जब आप अपने क्षेत्र में देखेंगे तो लोगों का जीवन बदलने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. उन योजनाओं का उल्‍लेख करेंगे तो बहुत लंबी बात हो जाएगी, लेकिन यह विषय भी बहुत गंभीर है और मुझे यह भी मालूम है कि सरकार बड़ी गंभीरता से विचार कर रही है. मेरा केवल इतना ही निवेदन है कि हम सब लोग चाहे मंत्री जी हों या अन्‍य जनप्रतिनिधि हों, अपने-अपने क्षेत्र में जाते हैं तो यह विषय आता है. जब हमने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में 1,250 रुपये लाड़ली बहनों के लिए किए तो निश्चित तौर पर मध्‍यप्रदेश में तो हुई ही, पूरे देश के अंदर इस संबंध में वाहवाही हुई, अनेक राज्‍यों ने इस योजना को अपने-अपने ढंग से अपने राज्‍य में क्रियान्वित किया.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, आप पेंशन को बढ़ाने की बात करें ना.

          इंजीनियर प्रदीप लारिया -- बाल्‍मीकी जी, आप बैठ जाइए मैं अपनी बात कर लूंगा. यह वह सरकार है जो गरीब कल्‍याण के लिए जानी जाती है. 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकाले हैं. मुझे पूरा विश्‍वास है हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी और हमारे सामाजिक न्‍याय मंत्री जी निश्चित तौर पर इसमें गंभीरता से विचार कर रहे हैं. मेरा केवल इतना सा प्रश्‍न है कि कब तक यह काम पूरा हो जाएगा जिससे उनके लिए लाभ हो सके ?

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक सवाल कर लूं जिससे एक साथ जवाब आ जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है कर लीजिए.

          श्री उमंग सिंघार -- अध्‍यक्ष महोदय, इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय विधवा पेंशन और आपने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन तकरीबन 25 लाख से ज्‍यादा लोग हैं, आपने कहा कि 1,250 रुपये दिए जा रहे हैं.

          संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्‍यक्ष महोदय, यह विधवा शब्‍द आजकल समाप्‍त हो गया है. वह कल्‍याणी योजना है.

          श्री उमंग सिंघार -- अध्‍यक्ष महोदय, ठीक है कल्‍याणी योजना है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन में आप दे रहे हैं तो कितने रुपये दे रहे हैं यह स्‍पष्‍ट करें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अभी गोपाल भार्गव जी सदन में नहीं हैं. ठीक है चहिए. ..(हंसी)..

श्री उमंग सिंघार -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या इनको लाड़ली बहना बराबर सामाजिक सुरक्षा में राशि देंगे. आपने कहा कि जो गरीबी रेखा में आते हैं उनको सामाजिक सुरक्षा में दे रहे हैं, लेकिन सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनांतर्गत समग्र में कितने रुपये दे रहे हैं यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है. क्‍या 1,250 रुपये लाड़ली बहना के बराबर हम कल्‍याणियों, वृद्ध और दिव्‍यांग को नहीं दे सकते हैं ? कुछ आंकड़े हैं जो मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं. आंध्रप्रदेश में 3 से 5 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, तेलंगाना में 2 हजार से 4 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, हरियाणा में 3 हजार दिए जा रहे हैं, दिल्‍ली के अंदर ढाई हजार रुपये दिए जा रहे हैं. मैं समझता हूं कि मानवता और इंसानियत के नाते हमारे यहां शारीरिक रूप से दिव्‍यांग भी 10 लाख कार्ड धारक हैं. लगभग 9 लाख पोर्टल पर दर्ज हैं तो इनके लिए भी हो. आप लाड़ली बहना को 1,250 रुपये दे रहे हैं तो इन लोगों को भी 1,250 रुपये दे सकते हैं. 600 रुपये में कहां अनाज आता है विचार कीजिए. मैं तो आपको एक उदाहरण देना चाहता हूं कि मैं एक बार रास्‍ते में जा रहा था तब रास्‍ते से एक बुजुर्ग महिला खाली थैली लेकर जा रही थी तो मैंने पूछा मॉं कहां जा रही हो तो उसने कहा राशन की दुकान बंद हो गई है राशन वाले ने बोला है कि सामान खत्‍म हो गया है. वह 25 किलोमीटर संघर्ष कर रही है, झोपड़ी में रहती है, पानी गिर रहा है, तो मेरा यह कहना है कि कुछ फैसले सरकार को इंसानियत के नाते एक भावनात्‍मक सोच के हिसाब से उन गरीब, बेसहारा लोगों के लिए करना चाहिए. मैं चाहूंगा कि जो समग्र योजना है इस पर 1,250 रुपए या जो भी राशि आप बढ़ाना चाहते हैं, क्‍या वह आप बढ़ाएंगे ?

अध्‍यक्ष महोदय -- मंत्री जी, प्रदीप जी का और उमंग जी दोनों का साथ में उत्‍तर दे दीजिए. इसके बाद विषय को पूरा करें.

            सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री (श्री नाराणय सिंह कशुवाह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ योजनाओं में केन्द्र की राशि भी इसमें आधी आती है. यह विचार सरकार के पास में है जिसमें पेंशन बढ़ाने का काम है. दूसरा कल्याणी महिलाओं को भी जिन्हें लाड़ली बहना का लाभ मिल रहा है, 1250 रुपए. लगभग 9 लाख 14 हजार कल्याणी महिलाएं भी शामिल हैं जिन्हें 600 रुपए की पेंशन और 650 रुपए लाड़ली बहना का लाभ मिल रहा है. माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष यह बात विचाराधीन है अतिशीघ्र यह राशि बढ़ाने का काम सरकार करेगी. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्यक्ष महोदय -- श्री हरदीप सिंह डंग जी.

          इंजीनियर प्रदीप लारिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विषय और था इसमें.

          अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने कह दिया है की बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं.

          इंजीनियर प्रदीप लारिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विषय और था. मेरा एक विषय और था.

          अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने कहा है कि बहुत सारी कल्याणी बहने हैं जिनको दूसरी पेंशन में 600 रुपए मिल रहे हैं शेष पैसा लाड़ली बहना से मिल रहा है. इस प्रकार 1250 रुपए मिल रहा है. ऐसा ही कहा है न मंत्री जी आपने. प्रदीप जी प्लीज बैठ जाएं.

 

 

 

 

 

 

01.12 बजे                           प्रतिवेदनों की प्रस्तुति

याचिका एवं अभ्यावेदन समिति का याचिकाओं से संबंधित तृतीय, चतुर्थ, पंचम्, षष्टम्, सप्तम् एवं अष्टम् तथा अभ्यावेदनों से संबंधित सैंतीसवां, अड़तीसवां, उनचालीसवां, चालीसवां एवं इकतालीसवां प्रतिवेदन

 

          श्री हरदीप सिंह डंग, सभापति -- अध्यक्ष महोदय, मैं, याचिका एवं अभ्यावेदन समिति का याचिका से संबंधित तृतीय, चतुर्थ, पंचम्, षष्टम्, सप्तम् एवं अष्टम् तथा अभ्यावेदनों से संबंधित सैंतीसवां, अड़तीसवां, उनचालीसवां, चालीसवां एवं इकतालीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.

 

शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का दशम्, एकादश, द्वादश, त्रयोदश एवं चतुर्दश प्रतिवेदन

 

          श्री हरिशंकर खटीक, सभापति -- अध्यक्ष महोदय, मैं, शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का दशम्, एकादश, द्वादश, त्रयोदश एवं चतुर्दश प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में आपके प्रति आभार भी व्यक्त करना चाहता हूँ.

          अध्यक्ष महोदय -- हरिशंकर जी इस बात को कहना चाह रहे हैं और मैं भी इस बात का उल्लेख करना चाहूता हूँ कि विगत दिनों आश्वासन समिति ने बहुत गंभीरता से विषयों को लिया है और मुझे लगता है कि इतने अल्प समय में 9 हजार से अधिक आश्वासनों का निराकरण किया है. यह एक अच्छा संकेत है. जो बचा हुआ है उसे भी आप जीरो करें. (मेजों की थपथपाहट)

         

कृषि विकास समिति का पंचम् कार्यान्वयन प्रतिवेदन

          श्री दिलीप सिंह परिहार, सभापति -- अध्यक्ष महोदय, मैं कृषि विकास समिति का पंचम् कार्यान्वयन प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.

 

 

 

 

 

 

 

 

01.14 बजे                               याचिकाओं की प्रस्‍तुति

          अध्यक्ष महोदय -- निम्नलिखित सदस्यों की याचिकाएं सदन में प्रस्तुत हुई मानी जाएंगी --

          1.       श्री पंकज उपाध्याय जी,

          2.       श्री हेमंत सत्यदेव कटारे जी,

          3.       डॉ. सतीश सिकरवार जी,

          4.       श्री फूल सिंह बरैया जी,

          5.       श्री राजेन्द्र भारती जी,

          6.       श्री बृज बिहारी पटैरिया जी,

          7.       श्री यादवेन्द्र सिंह जी,

          8.       श्री हरिशंकर खटीक जी,

          9.       श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर जी,

          10.     श्री अरविन्द पटैरिया जी,

          11.     श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी,

          12.     श्री रजनीश हरवंश सिंह जी,

          13.     श्री देवेन्द्र पटेल जी,

          14.     श्री गोपाल सिंह इंजीनियर जी,

          15.     श्री राजन मण्डलोई जी,

          16.     श्री वीरसिंह भूरिया जी,

          17.     श्री उमंग सिंघार जी,

          18.     डॉ. हिरालाल अलावा जी,

          19.     डॉ. चिंतामणि मालवीय जी,

          20.     श्री विपीन जैन जी,

          यह सभी याचिकाएं आज की कार्यसूची में सम्मिलित हैं. यह प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी. अब वक्तव्य होंगे. श्री प्रहलाद पटेल जी.

                                                                                     


 

1.15 बजे                                   वक्‍तव्‍य

 

(1) प्रदेश के 43 जिलों की 94 जनपद पंचायतों के लिए भवन निर्माण हेतु मध्‍यप्रदेश शासन द्वारा राशि की स्‍वीकृति प्रदान किया जाना

 

                संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय प्रहलाद सिंह जी एक बैठक में गए हैं तो वह मुझे अधिकृत करके गए थे.

 

 

       (2)  ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर)-- (अनुपस्थित)

 

 

(3) दिनांक 16 जुलाई, 2024 को पूछे गये अतारांकित प्रश्‍न संख्‍या 113 (क्रमांक 3925) के उत्‍तर में संशोधन करने के संबंध में राज्‍यमंत्री, कौशल विकास एवं रोजगार का वक्‍तव्‍य

 

         कौशल विकास एवं रोजगार राज्‍यमंत्री (श्री गौतम टेटवाल)--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दिनांक 16.07.2024 की प्रश्‍नोत्‍तर सूची के पृष्‍ठ क्रमांक 160 में मुद्रित अतारांकित प्रश्‍न संख्‍या 113 (क्रमांक 3925) में, '' प्रश्‍नोत्‍तर सूची मुद्रित उत्‍तर के भाग (क) विभाग अंतर्गत मध्‍यप्रदेश राज्‍य इलेक्ट्रानिक्‍स विकास निगम तथा मध्‍य प्रदेश विज्ञान एवं प्रैद्योगिकी परिषद की चल एवं अचल संपत्ति का ब्‍यौरा पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-1 के अनुसार है. के स्‍थान पर कृपया निम्‍नानुसार संशोधित उत्‍तर पढ़ा जावे-

       विभाग के अधीनस्‍थ मध्‍य प्रदेश राज्‍य इलेक्‍ट्रानिक्‍स विकास निगम द्वारा धारित अचल संपत्ति के संबंध में प्रश्‍नकर्ता के अतारांकित प्रश्‍न क्रमांक 3925 के उत्‍तर दिनांक 16.07.2024 के प्रश्‍नांश '' के उत्‍तर में पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-1 के क्रमांक 02, में अंकित अचल संपत्ति का पता टंकण त्रुटि के कारण त्रुटिपूर्ण दर्ज हो गया था. इस अचल संपत्ति के पूर्ण पते का विवरण वन भवन कॉम्‍पलेक्‍स, ई ब्‍लॉक द्वितीय तल, तुलसी नगर, लिंक रोड नंबर-02 नगर पालिका निगम भोपाल है. पते के प्रमाण स्‍वरूप रजिस्‍ट्री की छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-1 अनुसार है. टंकण त्रुटि के लिए संबंधित कर्मी को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है.

 

 

 

1.18 बजे           

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्‍याण संबंधी समिति के लिए सदस्‍यों का निर्वाचन

 

      संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूं कि- 

       '' सभा के सदस्‍यगण, मध्‍यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 234-क के उपनियम (1) द्वारा अपेक्षित रीति से वर्ष 2025-2026 के लिए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्‍याण संबंधी समिति के सदस्‍य होने के लिए अपने में से ग्‍यारह सदस्‍यों के निर्वाचन के लिए (जिनमें क्रमश: चार-चार सदस्‍य अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के होंगे) अग्रसर हों''

       अध्‍यक्ष महोदय-- प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ.

        प्रश्‍न यह है कि--

        '' सभा के सदस्‍यगण, मध्‍यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 234-क के उपनियम (1) द्वारा अपेक्षित रीति से वर्ष 2025-2026 के लिए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्‍याण संबंधी समिति के सदस्‍य होने के लिए अपने में से ग्‍यारह सदस्‍यों के निर्वाचन के लिए (जिनमें क्रमश: चार-चार सदस्‍य अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के होंगे) अग्रसर हों''

 

 

                                                                                  प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

       श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी सदन में नहीं हैं उन्‍हें ही यह प्रस्‍ताव करना था. वह कहां हैं. विजय शाह जी उनको बुलाया जाए, बात की जाए. जिस तरीके से सेना के खिलाफ उन्‍होंने जो बात की है तो क्‍या वह सदन के अंदर मुह दिखाने लायक नहीं है. यहां आकर सदन में अपना चेहरा दिखाएं. राष्‍ट्र के खिलाफ बोलने वाले को मंत्री बना दिया. सुप्रीमकोर्ट ने भी संज्ञान लिया है. उसके बाद भी इसमें कार्यवाही नहीं की जा रही है. ऐसे मंत्री को हटाया जाना चाहिए. इनको रहने का कोई अधिकार नहीं है. जो हमारी सेना का अपमान करे, जो हमारे राष्‍ट्र का अपमान करे, ऐसे मंत्री को रहने का कोई अधिकार नहीं है. इनको बुलाकर सदन से हटाया जाए. सरकार इस पर फैसला करे. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को संज्ञान में लिया है. उसके बाद भी सरकार नहीं हटाना चाह रही है. ऐसे गलत लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह गलत चीज है. (व्‍यवधान)

 

(...व्‍यवधान...)

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  अध्‍यक्ष महोदय, सौ-सौ चूहे खाकर बिल्‍ली हज को चली है, सेना पर प्रश्‍न चिह्न लगाने वाले ये लोग, सर्जिकल स्‍ट्राइक पर प्रश्‍न चिह्न लगाने वाले ये लोग, एयर स्‍ट्राइक पर प्रश्‍न चिह्न लगाने वाले ये लोग, ये सेना का अपमान करने वाली पार्टी के सदस्‍य, ये हमारे ऊपर आरोप लगायेंगे ?

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-  अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या वे मंत्री सदन में आकर जवाब नहीं दे सकते ?

          श्री उमंग सिंघार-  ये चीन-अमेरिका से डरते हैं. उन्‍होंने आतंकी की बहन कहा है, ये राष्‍ट्र का अपमान है, सेना का अपमान है.

(...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय-  कृपया सभी बैठ जायें. म‍ंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्‍मेदारी होती है. विजय शाह जी ने संसदीय कार्य मंत्री जी को अधिकृत किया है.  

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍होंने सेना से उसकी बहादुरी के प्रमाण मांगे हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-  अध्‍यक्ष महोदय, विजय शाह सदन से क्‍यों नहीं आ रहे हैं, अपना मुंह क्‍यों नहीं दिखा रहे हैं ? उस आदमी ने राष्‍ट्र का अपमान किया है, ऐसे आदमी को मंत्री पद से हटाना चाहिए, उसे क्‍यों नहीं हटाया जा रहा है, क्‍यों नहीं फैसला किया जा रहा है ?

(...व्‍यवधान...)

          श्री उमंग सिंघार-  चीन और अमेरिका से प्रधानमंत्री मोदी डर गए हैं, नौ सौ चूहे खाकर खुद बैठे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  सामान्‍यत तौर पर अध्‍यक्ष से अनुमति लेकर कोई भी व्‍यक्ति सदन से अनुपस्थित रह सकता है.

          श्री पंकज उपाध्‍याय-  अध्‍यक्ष महोदय, ऐसा नहीं चलेगा.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  ये वह पार्टी है जो सेना का अपमान करती है, सेना के नाम पर राजनीति करती है.

(...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय-  कृपया सभी सदस्‍य अपने-अपने स्‍थान पर बैठें. सुबह सभी व्‍यायाम करके आया करें, फिर सदन में इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी.

 

01.22 बजे

पिछड़े वर्गों के कल्याण संबंधी समिति के लिए सदस्यों का निर्वाचन

 

          राज्‍यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण (श्रीमती कृष्‍णा गौर)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करती हूं कि -

                                                                                  प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

 

 

 

 

 

 

 

 

01.23 बजे

            अध्‍यक्ष महोदय-

                

 


 

1.25 बजे

वर्ष 2025-2026 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्‍थापन

          उप मुख्‍यमंत्री (वित्‍त) (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्‍यक्ष महोदय, मैं, राज्‍यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2025-2026 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्‍थापन करता हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - मैं, इस प्रथम अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिये दिनांक 30 जुलाई, 2025 को 2 घण्‍टे का समय नियत करता हूँ. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्‍थगित.

(1.26 बजे से 3.00 बजे तक अन्‍तराल)

 

        

 

3.08 बजे    

                        {अध्‍यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

 शासकीय विधि विषयक कार्य

मध्‍यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक, 2025 (क्रमांक 5 सन् 2025) का पुर:स्‍थापन

 

          श्रम मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक, 2025 के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूँ.

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक, 2025 के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाय.

 

अनुमति प्रदान की गई.

 

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक, 2025 का पुर:स्‍थापन करता हूँ.

 

3.09 बजे

                   नियम 139 के अधीन अविलम्‍बनीय लोक महत्‍व के विषय पर चर्चा

प्रदेश में लगातार कम होते भू-जल स्‍तर एवं परंपरागत जल संग्रहण संरचनाओं के सतत् समाप्‍त होने से उत्‍पन्‍न स्‍थिति

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रदेश में लगातार कम होते भू-जल स्‍तर एवं परंपरागत जल संग्रहण संरचनाओं के सतत् समाप्‍त होने से उत्‍पन्‍न स्‍थिति के संबंध में श्री गोपाल भार्गव एवं श्री भूपेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य चर्चा प्रारंभ करेंगे.

          श्री गोपाल भार्गव (रेहली) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में लगातार भूमिगत एवं सतही जल कम हो रहा है. इसके साथ-साथ बहुत तेजी से प्राकृतिक जल स्‍त्रोत समाप्‍त हो रहे हैं. भू-जल के अंधाधुंध दोहन से वॉटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है. इसी प्रकार, यदि समय रहते ध्‍यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में प्रदेश में गंभीर जल संकट उत्‍पन्‍न हो जाएगा. इसी तरह आबादी के बढ़ने एवं विकास के दौर में कहीं न कहीं भू-जल संरक्षण के लिए प्राकृतिक व्‍यवस्‍था जैसे पेड़-पौधे, वृक्ष इत्‍यादि लगातार कम होते जा रहे हैं. पेड़-पौधों का कम होना, जल संरचनाओं का क्षरण होना, प्राचीन कुएं बावड़ी एवं अन्‍य प्राचीन संरचनाओं का तेजी से नष्‍ट हो जाना, नदियों का सिमट जाना, उनके उद्गम स्‍थल नष्‍ट हो जाना, तालाबों का क्षेत्रफल कम होना, ऐसे कारण हैं जिनसे जल संकट तेजी से आ रहा है. सरकार ने 30 मार्च,2025 से 30 जून,2025 तक की अवधि में जल गंगा संवर्द्धन अभियान पूरे प्रदेश में चलाया उसमें शासन प्रशासन ने बढ़चढ़कर भाग लिया परन्तु यह पर्याप्त नहीं है कई जिलों में इच्छानुरूप काम नहीं हुए हैं इस काम में प्रदेश के एक-एक व्यक्ति एवं सभी वर्गों की भागीदारी आवश्यक है और यह जल संवर्द्धन का यह अभियान एक निरंतर चलने वाला काम है क्योंकि पानी का दोहन निरंतर हो रहा है मैं चाहता हूं कि लोक महत्व के विषय पर तत्काल चर्चा की जाए जिससे इस महत्वपूर्ण विषय पर सदन के विचार सामने आए और शासन द्वारा इस संबंध में क्या-क्या प्रयास किये गये हैं और भविष्य में क्या-क्या किये जाने हैं इसकी जानकारी प्रदेश  की जनता को मिल सके. यह अत्यंत लोक महत्व का विषय है और इस पर तत्काल चर्चा की जाना आवश्यक है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा देश नदियों को पूज्य मानता है. गंगा मां हों हमारी यमुना मैया हो,नर्मदा जी हों इनके घाटों पर इनके तीर्थों पर करोड़ों लोग जाते हैं मन्नत मांगते हैं और हमारा पौराणिक इतिहास भी इस बात का साक्षी है है कि नदियों को हमने मां का नाम दिया है नदियों को हमने मां के रूप में माना है यह इसलिये कि हम इन नदियों को पवित्र मानकर मां का स्वरूप मानकर नदियों का संरक्षण करें. हमारे प्रदेश की नदियां बड़ी हों या छोटी हैं या देश की नदियां हों लंबे समय से बात आ रही है कि जितना जल संरक्षण नदियों का कमांड एरिये में नहीं किया जा रहा है जितना कि किया जाना चाहिये था. नदियों की पवित्रता और उसका पूज्य  होना इसी बात का प्रतीक है कि जब हम पूजन का मंत्र कहते हैं जब हम कोई भी पूजन शुरू करते हैं और अपने भगवान को जल चढ़ाते हैं अभिषेक करते हैं तो सारी नदियों का स्मरण करते हैं. गंगा सिंधु सरस्वती च यमुना गोदावरी नर्मदा कावेरी सरयू महेन्द्रतनया चर्मण्यवती वेदिका। क्षिप्रा वेत्रवती महासुरनदी ख्याता जया गण्डकी पूर्णाः पूर्णजलैः समुद्रसहिताः कुर्वन्तु मे मंगलम्। नदियों को हमने पूज्य माना है. भगवान का स्नान बगैर पवित्र नदियों के जल संवर्द्धन नहीं हो सकता. अनेकों  फिल्में बनी होंगी अनेकों स्तुतियां बनी हैं.नर्मदा मैया की नर्मदा जयंती होती है त्वदीय पाद पंकजम नमामि मां तु नर्मदे,नमामि मा तु नर्मदे,नमामि देवि नर्मदे. जब हम इस स्तुति को करते हैं यह इसी बाद का द्योतक है कि हमारी मां नर्मदा आज हमारी मध्यप्रदेश में हम कल्पना नहीं कर सकते कि यदि मां नर्मदा नहीं होती मां रेवा नहीं होती तो मध्यप्रदेश की क्या हालत होती.  मध्यप्रदेश के बड़े शहरों की पेयजल व्यवस्था से लेकर उध्योगों से लेकर सिंचाई की योजनाओं से लेकर अनेकों प्रकार से मां नर्मदा सहित चाहे वह हमारी चंबल हो,चाहे वह हमारी बेतवा हो, चाहे केन हो चाहे जो भी बड़ी नदियां हैं उनसे सिंचाई होती है लेकिन कहते हुए दुख है आज हम अखबार पढ़ते हैं टेलिविजन देखते हैं सभी तरफ पूरे देश में बाढ़ आई हुई है कहीं कहीं तो औसत से ज्यादा वर्ष भर में पानी गिरता है वह गिर चुका जबकि वर्षाकाल आधा शेष है. अतिवृष्टि होने के बावजूद भी जब हम देखते हैं मई जून के महिने में कि कहीं जल की राशनिंग हो रही है कहीं जल को लोग ढ़ूंढ रहे हैं तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं. टेंकर लगा रहे हैं कहीं कुछ लगा रहा है तो हमें सोचना पड़ता है कि हमने अगली पीढ़ी के लिये क्या दिया और क्या कर रहे हैं इसीलिये आज आवश्यक है कि इस नियम 139 की चर्चा के माध्यम से हम इस बात पर विचार करें. यह चर्चा है बल्कि साथ में चिंतन भी है. सरकार की जिम्मेदारी जब तक पूरी नहीं हो सकती तब तक कि इसमें जनभागीदारी न हो और जनभागीदारी के लिये जनजागरण आवश्यक है. हमारी सरकार ने जनजागरण का प्रतिवर्ष जहां तक मुझे स्मरण है प्रयास किये हैं. तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं, टेंकर लगा रहे हैं कोई कुछ लगा रहा है तो हमें सोचना पड़ता है कि हमने अगली पीढ़ी के लिये क्‍या दिया और क्‍या दे रहे हैं और इसलिये यह आवश्‍यक है कि आज इस 139 की चर्चा के माध्‍यम से हम इस बात पर विचार करें, सोचें, यह चर्चा है, बल्कि इसके साथ में चिंतन भी है, यह किसी सरकार की जिम्‍मेवारी नहीं हो सकती जब तक इसमें जनभागीदारी न हो और जनभागीदारी के लिये जन जागरण बहुत आवश्‍यक है. हमारी सरकार ने जन जागरण का प्रति वर्ष जहां तक मुझे स्‍मरण है प्रयास किया है, कार्यक्रम आयोजित किये हैं. हमारा रेनफेड एरिया है, बुंदेलखंड वर्षा का क्षेत्र है. अध्‍यक्ष महोदय, बुंदेलखंड में मुझे मालूम है कि पहले हम गेहूं की खेती नहीं कर पाते थे, 40-50 साल पहले और वर्षा का क्षेत्र था, चौमासी फसल होती थी सिर्फ एक फसल, छोटे छोटे बांध बना देते थे और जब उसका पानी निकल जाता था वारिस के बाद तो हम गेहूं, चना, मसूर इत्‍यादि की वोबनी कर देते थे. अध्‍यक्ष महोदय, आज मुझे कहते हुये खुशी है कि हमारे बुंदेलखंड क्षेत्र में जो सिंचाई की संरचनायें बढ़ी हैं और इन संरचनाओं के निर्मित होने के कारण से आज हमारा जो वर्षा का क्षेत्र था पूरा बुंदेलखंड निश्चित रूप से हम कहेंगे कि अब 3-3 फसलें बुंदेलखंड में रवी की भी, खरीफ की भी और मूंग की भी फसलें हमारा किसान ले रहा है, समृद्ध हो रहा है. अध्‍यक्ष महोदय मध्‍यप्रदेश में जल संग्रहण के मामले में उत्‍तरोत्‍तर प्रगति हुई है जल संरचनाओं के बनाने के मामले में बड़े-बड़े बांध बनाने के मामले में और उनके माध्‍यम से लाखों एकड़ सिंचाई किसानों तक पहुंचे, खेतों तक पहुंचे, उनको उपलब्‍ध कराने के मामले में यह हमारी बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसके बावजूद हम यह भी देखते हैं जब आंकड़े आते हैं, भूजल की जब रिपोर्ट आती है तो हम देखते हैं कि हमारा जल स्‍तर निरंतर नीचे जा रहा है. जल स्‍तर को बढ़ाने के लिये संरचनाओं के लिये जल ग्रहण मिशन जैसी अनेकों योजनायें हैं. लगभग 14-15 विभाग ऐसे हैं जो इस विषय पर काम कर रहे हैं. अध्‍यक्ष महोदय पूर्व में जब मेरे पास पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग था तो हमने तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्‍व में रतलाम जिले से जामुन नदी से हम लोगों ने एक प्रक्रिया शुरू की थी कि जो नदियां मृत हो चुकी हैं, जो नदियां सूख चुकी हैं, जो सदा नीरा थीं उनमें अब कोई जल नहीं बचा है, अस्तित्‍व नहीं बचा है, अस्तित्‍वहीन हो गईं, उनके लिये हम लोगों ने जन अभियान शुरू किया था. महिलायें भी साथ में जुड़ीं, बड़ी-बड़ी जल यात्रायें निकाली गईं और उसके बाद में जो परिणाम देखने को मिला, कह सकते हैं कि मध्‍यप्रदेश में काफी काम हुआ है. लोग कहते हैं कि अगला विश्‍व युद्ध यदि होगा तो शायद वह पानी के लिये हो, ऐसा कई जो भविष्‍यवक्‍ता हैं उन्‍होंने कहा है, लेकिन अंधाधुंध पानी के दोहन से, हेण्‍डपम्‍पों के अंधाधुंध उत्‍खनन से मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में कम से कम 10 हजार से ज्‍यादा हेण्‍डपम्‍प और बोर होंगे जो पानी को चूसते हैं और देखते हैं कि धीरे-धीरे, धीरे-धीरे यदि पीएचई वाले हेण्‍डपम्‍प लगाते हैं तो हमने देखा कि अभी तो ठीक है उनमें वाटर लेवल अच्‍छा रहता है, कुओं में अच्‍छा रहता है, स्‍टाप डेमों में अच्‍छा रहता है, लेकिन रवी की फसल जब तक आधी होती है उसकी सिंचाई के लिये पानी इतना खींच लिया जाता है कि आखिरी पानी देने के लिये उन बोरों में, स्‍टाप डेमों में, उन तालाबों में पानी का अभाव हो जाता है और फिर यह लगता है कि आखिरी पानी हम कहां से दे लें. अध्‍यक्ष महोदय, यह इसी कारण से हुआ कि जो कुएं हमारे अधिकतर भरे रहते थे, ऊपर तक लबालब कुएं भरे रहते थे तालाब भरे रहते थे, वह नीचे चले गये और इसीलिए हमें अपने जलग्रहण क्षेत्र के लिये बहुत ही ज्‍यादा बेहतर, ज्‍यादा परिस्‍कृत और ज्‍यादा आधुनिक योजनाएं बनाने की आवश्‍यकता है, क्‍योंकि अभी हमारे पास वह क्षमता नहीं है कि इतनी बाढ़ आई, इतनी बरसात हो रही है और हम सारे के सारे जल के लिये संग्रहण कर लें. डेम कुंए सारे के सारे अभी भर जाते हैं, इसके बाद में फिर भी यह समस्‍या आती है. मैं अपनी सरकार को सुझाव देना चाहता हूं, कई विभाग इस क्षेत्र में काम करते हैं, मुझे बताया गया है कि पंद्रह विभाग जलग्रहण क्षेत्र में काम करते हैं, इस विषय में जो हमारा जलगंगा संवर्धन अभियान है, इसके अंतर्गत समेकित शासकीय पहल के लिये पंद्रह प्रमुख सहभागी विभाग नाम का पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन विभाग, नर्मदा घाटी विकास विभाग, नगरीय विकास और आवास विभाग, पर्यावरण विभाग, उद्यानिकी विभाग, किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास विभाग, वन और राजस्‍व विभाग, लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी विभाग, औद्योगिक नीति एवं निवेश, स्‍कूल शिक्षा, संस्‍कृति, जन संपर्क और जन अभियान परिषद जैसे विभिन्‍न विभागों ने इस क्षेत्र में काम किया है, इस विषय में काम किया है, इन सहभागी विभागों द्वारा गंगा जल संवर्धन अभियान के कार्यों हेतु अपने विभागीय योजनाओं में सांसद विधायक निधि और भी जन भागीदारी सी.एस.आर. इत्‍यादि के माध्‍यम से साधन जुटाएं गये हैं. इस प्रकार से सभी विभागों ने अपनी क्षमता के अनुसार काम किया है और हमने काफी बेहतर स्थिति कर ली है और पहले 40-50 सालों से जो अंधाधुंध पानी का दोहन हो रहा था, हमने उस पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया है और भूमिगत जल को हमने संरक्षित करने का काम किया है. हमारा जो जल निगम है जो पेयजल की व्‍यवस्‍था पूरे राज्‍य में कर रहा है, जल निगम के माध्‍यम से भी सरफेस वॉटर को हम लोगों ने जो भू-जल है, उसके लिये अंदर से दोहन न करके बल्कि ऊपर से सरफेस वॉटर ज्‍यादा से ज्‍यादा हम इकट्ठा कर सकें और वह बिजली बनाने के भी काम आये और सिंचाई के भी काम आये, हमारे घरेलू उपयोग के भी काम आये, हमारे अन्‍य प्रकार के भी जो उद्योग हैं, उन उद्योगों के काम आये और इसीलिये मुझे बताते हुए खुशी है कि पिछले वर्षों में हमारी सरकार के आने के बाद भू-जल जो सतही जल है, उसके संवर्धन के लिये उसके बढ़ाने के लिये हम लोगों ने जो काम किया है, वह उल्‍लेखनीय है, हनुवंतिया इसका एक बहुत बड़ा जीवंत उदाहरण है. हम सारे लोग वहां जाते हैं, आज वह पर्यटन स्‍थल है और लाखों एकड़ में सिंचाई हो रही है और यही प्रक्रिया हमें अपने छोटी जल संरचनाओं के लिये भी करना होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बोलने वाले दो लोग हैं, इसलिए थोड़ा संक्षिप्‍त करें. (एक माननीय सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कहने पर) वह सागर के हैं, इसलिए उन्‍हें पूरे सागर को गागर में भरना चाहिए.

श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, जिन पंद्रह विभागों के मैंने नाम लिये हैं, इन विभागों के मध्‍य आपसी समन्‍वय का अभाव होने के कारण, इस योजना में शोध कार्य क्रियान्‍वयन और उत्‍तरदायित्‍व निर्धारण तथा मूल्‍यांकन किये जाने का प्रावधान होना चाहिए, पूर्व में निर्मित खेत तालाब बगैर वैज्ञानिक परीक्षण के कहीं भी बना दिये जाते हैं, परिणामस्‍वरूप योजना सफल नहीं हो पाती है, उचित होगा कि भू-गर्भीय सर्वेक्षण, मृदा सर्वेक्षण, जल प्रवाह इत्‍यादि के सर्वेक्षण उपरांत ही उनका निर्माण किया जाना चाहिए. अभी तक भू-जल संरक्षण की योजनाएं वर्ष में केवल एक सीमित काल में ही की जाती है, हमने देखा कि जैसे ही गर्मी शुरू होती है और उसके बाद हम भू-जल सर्वेक्षण के लिये अपनी जो कुछ भी अभियान चलाते हैं, जबकि यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और वर्ष भर इसका क्रियान्‍वयन और पर्यवेक्षण होना चाहिए.                                अध्‍यक्ष महोदय डेफीसिएंसी एरियाज जो हैं, इनकी वैज्ञानिक आधार पर मैंपिंग किया जाना चाहिए तथा उनके लिए अत्‍याधुनिक वैज्ञानिक टूल्‍स का उपयोग होना चाहिए. Reach to velly consept को देखते हुए वन विभाग के क्षेत्र के अंतर्गत होने वाले कार्यों के लिए बाहरी ऑडिट होना चाहिए, इसमें थर्ड पार्टी ऑडिट हो. चूंकि यह कार्यक्रम एक जन अभियान के रूप में संचालित किया जा रहा है, इसलिए संबंधित विभागों के मध्‍य आपसी समन्‍वय स्‍थापित किए जाने के लिए शासन द्वारा एक उत्‍तरदायी प्राधिकृत संस्‍था बनायी जानी चाहिए, जो सभी विभागों के मध्‍य समन्‍वय का कार्य करें और जो भी शोध होते हैं, जो सुझाव होते हैं, सभी विभागों को प्रेषित करके उनके लिए परिणाम दायी बनाई जाए. ये विषय ऐसा है, जिसमें चर्चा हो तो पूरा एक सत्र इसमें चला जाएगा, क्‍योंकि यह हमारे जीवन से जुड़ा हुआ विषय है.

अध्‍यक्ष महोदय, लिखा रहता है कि जल ही जीवन है, जल ही कल है ये सब कुछ हम लिखते हैं, लेकिन उसका क्रियान्‍वयन नहीं हो पाता, जिस प्रकार से जल का दोहन हो रहा है, हमारी सरकार ने काफी प्रयास किए हैं. प्रतिवर्ष अभियान चलाए जाते हैं, हम लोग उस काम को करते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में और ज्‍यादा व्‍यापक रूप से काम करने का आवश्‍यकता है. यही इस लोक महत्‍व के प्रश्‍न को मेरे द्वारा उठाए जाने का औचित्‍य था. अध्‍यक्ष जी आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.

श्री भूपेन्‍द्र सिंह(खुरई) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज आपकी अनुमति से जब हम जल संरक्षण पर, जल प्रबंधन और जल के महत्‍व पर यहां पर चर्चा कर रहे है. जब इस चर्चा की हम शुरूआत करते हैं तो मैं सबसे पहले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के चरणों में प्रणाम करता हूं, जिन्‍होंने आजादी के बाद प्रधानमंत्री रहते हुए सबसे पहले जल के महत्‍व को प्रतिपादित करने का काम हामरे देश के अंदर किया. मैं हमारे यशस्‍वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का भी आज अभिनंदन करना चाहता हूं जिन्‍होंने जल गंगा संवर्धन जैसे एवं जल जीवन मिशन जैसा एक मिशन हमारे देश के अंदर प्रारंभ किया और जिसके कारण आज हर घर को पीने का पानी मिल रहा है. नल से जल की जो हमारी योजना है.

            अध्‍यक्ष जी, मैं हमारे प्रदेश के यशस्‍वी नेता मुख्‍यमंत्री माननीय मोहन यादव जी का भी हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं. उनके नेतृत्‍व में मध्‍यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार ऊंचाईयों को विकास के पैमाने पर छूने का काम कर रही है. हमारे मुख्‍यमंत्री माननीय मोहन यादव जी कहते हैं कि जल पारस के पत्‍थर जैसा है, जैसे पारस पत्‍थर को अगर लोहे में लगा दें तो वह पत्‍थर सोने का हो जाता है. इसी तरह आज जल पारस के पत्‍थर के समान हम सभी के जीवन में है. इस अवसर पर मैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, माननीय प्रहलाद पटेल जी का भी अभिनंदन करना चाहता हूं कि जब हम जल पर चर्चा कर रहे हैं तो उन्‍होंने स्‍वयं ने मां नर्मदा की परिक्रम की है और मैं समझता हूं कि मां नर्मदा की परिक्रम करना हमारी संस्‍कृति और हमारे धर्म में उसका महत्‍व हम सभी जानते हैं. मैं इस विषय पर नहीं जाऊंगा लंबा विषय है.

हमारे सिंचाई मंत्री माननीय तुलसी सिलावट जी का धन्यवाद करता हूं वह भी लगातार सिंचाई के प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. हम सब जानते हैं कि हमारी जो प्रमुख सभ्यताएं हैं जल निकायों के आसपास विकसित हुई हैं. आपका भी इसमें बहुत अध्ययन है आप कृषि मंत्री भारत सरकार के लंबे समय से रहे हैं, उसमें आपका अनुभव, कृषि एवं सिंचाई एक ही विषय है. मध्यप्रदेश सरकार में आपका पंचायत मंत्री के रूप में लंबा अनुभव इसलिये आप इस महत्व को आप ज्यादा जानते हैं. जब हम जल संरक्षण की बात करते हैं, तो जीवन का आधार, आर्थिक स्थिरता, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समानता यह बिना जल के हमारे जीवन में संभव नहीं है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के मात्र डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में साढ़े सात लाख हेक्टेयर का नया सिंचाई रकबा मध्यप्रदेश सरकार ने बनाकर के तैयार किया है. मैं यह भी कहूंगा कि 2003 तक हम सब जानते हैं कि हमारे यहां पर सिंचाई का रकबा मात्र साढ़े सात लाख हेक्टेयर था आज मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद इन 22 वर्षों के अंदर मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा आज की तारीख 60 लाख हेक्टेयर रकबा है. हमारी सरकार का यह संकल्प है कि इन पांच वर्षों के अंदर हम मध्यप्रदेश में एक लाख हेक्टेयर में सिंचाई का रकबा विकसित करने का काम करेंगे. हमारी योजनाओं पर काम चल रहा है, यह अपने आप में रिकार्ड होगा. अनेक योजनाएं जिन पर काम होना है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का इस बात के लिये भी अभिनन्दन करूंगा कि हमारे मुख्यमंत्री जी की महाराष्ट्र सरकार के साथ वार्ता के बाद विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वॉटर रीचार्ज अंतर्राज्यीय संयुक्त परियोजना ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना का अब अवरोध दूर हो गया है माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से, यह भी एक बड़ी उपलब्धि हमारे लिये है. हम सबको इस बात का भी गौरव है कि माइक्रो सिंचाई में देश में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है. आज पर्यटन के मामले में भी हमारा जो मध्यप्रदेश इस वर्ष 2024 में 13.41 करोड़ लोग मध्यप्रदेश में पर्यटन के लिये आये. यह जो हमने जल संरचनाएं बनाईं, यह जो हमने वन प्रबंधन किया उसका परिणाम है कि राज्य का विकास हुआ है. आज पर्यटन का बड़ा केन्द्र मध्यप्रदेश माननीय मोहन यादव जी के भारतीय जनता पार्टी की सरकार के नेतृत्व में हुआ है. हम सब जानते हैं दुनिया का सबसे बड़ा रेवेन्यू अगर किसी चीज में है तो पर्यटन के अंदर है इसलिये पर्यटन बढ़ने से हमारे राज्य के विकास और तेजी के साथ बढ़ेगा.

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम सब को इस बात का भी गौरव है कि स्‍वच्‍छ जल से सुरक्षा अभियान फेज़-2 के अंतर्गत इसमें भी हमारा मध्‍यप्रदेश पूरे देश में इस वर्ष शीर्ष पर पहले स्‍थान पर है. माननीय श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल जी बैठे हैं.

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नवकरणीय ऊर्जा में आज देश में पहली बार स्‍टोर करने की पहल की अगर शुरूआत हुई है तो वह हमारे मध्‍यप्रदेश से हुई है और आज हम सब को गौरव है कि सोलर के क्षेत्र में एशिया में सबसे बड़ा अगर प्‍लांट लगा है तो वह हमारे रीवा के अंदर लगा है और इसके लिए माननीय श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल जी का विशेष रूप से प्रयास रहा है. उनका भी मैं अभिनंदन करता हॅूं.(मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उद्योग के क्षेत्र में जो ताप अचीवर कैटेगरी एंड सिटीजन सर्विसेज के अंदर मध्‍यप्रदेश सरकार को सम्‍मानित किया गया. भारत सरकार के पीएलएफ सर्वे में मध्‍यप्रदेश ने...

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नियम 139 में चर्चा हो रही है. उद्योग और यह सारी चीजें...

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- अरे भैया, पानी से ही उद्योग चलते हैं. आप बैठ जाइए. मैं उस पर आ रहा हॅूं. पानी होगा, तब ही उद्योग चलेंगे.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं समझ रहा हॅूं. यह विषय अलग हटकर हो रहा है. यह जो नियम 139 है, उस बात की चिंता है कि हमें करना क्‍या है. जो आपने कर लिया है, उसके बारे में नहीं है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- मैं बोल रहा हॅूं. आप सुनिए तो. आप सुनेंगे, तो अच्‍छा लगेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अच्‍छा लगे या नहीं लगे, लेकिन जल संरक्षण पर ही बोले हैं. वे उसी पर ही बोले हैं...(हंसी)..

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, यह आपने सही कहा है..(हंसी)..

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पीएलएफ सर्वे में मध्‍यप्रदेश में सबसे कम बेरोजगारी दर्ज की है. यह जो हमने सिंचाई क्षमता बढ़ायी है यह हमारे मध्‍यप्रदेश के अंदर उस सिंचाई क्षमता का परिणाम है.(मेजों की थपथपाहट).

          डॉ.हिरालाल अलावा -- अध्‍यक्ष महोदय, 25 लाख बेरोजगारी दर्ज है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बीच में इंटरप्‍ट मत करो. सकारात्‍मक चर्चा हो रही है. सभी लोगों को बोलने का अवसर मिलेगा. जिसको बोलना है वे भी मुझे नाम दे दें.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब मैं श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के चरणों में प्रणाम कर रहा था, तो इसलिए प्रणाम कर रहा था, वैसे तो हमारे नेता हैं मार्गदर्शक हैं, हमेशा उनके चरणों में प्रणाम है. श्रद्धेय श्री अटल जी ने सुजलाम, सुफलाम और समृद्धि के नये आयाम स्‍थापित करने के लिए 20 वर्ष पूर्व "नदी जोड़ो योजना" भारत के अंदर प्रारम्‍भ की थी. (मेजों की थपथपाहट) आप भी संसद में थे और मैं भी आपके साथ संसद में था. उस समय आपको भी ध्‍यान है और मुझे भी अच्‍छे से ध्‍यान है कि कांग्रेस की यूपीए की सरकार थी और उस समय कांग्रेस की यूपीए की सरकार के कार्यकाल में पॉर्लियामेंट के अंदर श्री राहुल गांधी जी ने इस बात को कहा था कि यह "नदी जोड़ो योजना" देश के अंदर नहीं होना चाहिए. श्री राहुल गांधी जी ने इसका विरोध किया.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- माननीय अध्‍यक्ष जी...(व्‍यवधान)...

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब "नदी जोड़ो योजना" पर ही तो बोल रहा हॅूं...(व्‍यवधान)..

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, जितनी भी योजनाएं जल संवर्धन के अंतर्गत हैं, वह सब कांग्रेस के जमाने की हैं....(व्‍यवधान)..

          श्री महेश परमार -- आपका डेम धार में बना था, वह बह गया....(व्‍यवधान)..

.......(व्‍यवधान)...

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं कागज लेकर आता हॅूं. मेरे पास श्री राहुल गांधी जी का भी बयान है और श्री जयराम रमेश जी का भी बयान है. जब मध्‍यप्रदेश में "केन-बेतवा नदी परियोजना" का माननीय प्रधानमंत्री जी ने भूमिपूजन किया, यह भारत की पहली योजना थी, जो श्रद्धेय माननीय श्री अटल जी का सपना था. उसको माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने पूरा किया. माननीय मुख्‍यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी ने पूरा किया. तब श्री जयराम रमेश जी का स्‍टेटमेंट आया कि यह लागू नहीं होना चाहिए. श्री जयराम रमेश जी ने इसका विरोध किया.(शेम-शेम) कांग्रेस ने इसका विरोध किया.

          अध्यक्ष महोदय, नदी जोड़ो अभियान के फायदे मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा. आप भी जानते हैं. जल की कमी का समाधान, सिंचाई में सुधार, बाढ़ नियंत्रण, जल विद्युत उत्पादन, नौवहन और परिवहन, भू-जल स्तर में सुधार, आर्थिक विकास, परिस्थितिकीय संतुलन, रोजगार सृजन और सामाजिक समानता, ये लाभ नदी जोड़ो परियोजना के हैं. यह हम सब जानते हैं. विश्व की पहली नदी जोड़ो योजना केन-बेतवा, हम सब सौभाग्यशाली हैं. हम लोग बुन्देलखण्ड के रहने वाले हैं और बुन्देलखण्ड एक समय पूरे देश में सूखे के लिए जाना जाता था. जो देश के पिछड़े हुए 5 जिले थे, उसमें बुन्देलखण्ड के पांचों जिले आते थे और आज देश में सबसे पहले माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अगर नदी जोड़ो योजना केन-बेतवा का प्रारंभ किया तो वह बुन्देलखण्ड के अंदर शुभारंभ किया गया. (मेजों की थपथपाहट)

          अटल जी के सपने को धरातल पर लाने का काम हमारी सरकार ने किया है. श्रद्धेय अटल जी कहा करते थे -

 

"उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा,
क़दम मिलाकर चलना होगा।"
 

          अध्यक्ष महोदय, बिना जल के समाज प्रगति नहीं कर सकता है.

3.42 बजे             {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.}

          सभापति महोदय, यह जल का महत्व है और इसलिए विश्व जल दिवस के अवसर पर जो संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट है, उस रिपोर्ट में दुनिया के अंदर करीब 200 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनको शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध नहीं है. यह वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट है. 46 परसेंट दुनिया में लोग ऐसे हैं जिनको पेयजल आसानी से उपलब्ध नहीं है. 350 करोड़ लोग 12 महीने में पानी की किल्लत से गुजरते हैं. यह वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट है. इसका महत्व कितना है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और आपका धन्यवाद करूंगा कि आज आपने इस पर चर्चा करने का अवसर दिया. अध्यक्ष महोदय, यूनाइटेड नेशन्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 40 साल में विश्व स्तर पर पानी का उपयोग लगभग 1 प्रतिशत की दर से हर साल बढ़ रहा है. अगर हम इसकी चिंता नहीं करेंगे. हम अगर जल संरक्षण की दिशा में काम नहीं करेंगे तो हमारे सामने यह चुनौती है और इसीलिए सरकार इस दिशा में काम कर रही है. जैसे ही मैंने कहा कि प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जल जीवन मिशन प्रारंभ किया और वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन प्रारंभ हुआ और उसके बाद  दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश में उस समय बीच में कांग्रेस की सरकार आ गई. एक सवा साल तक जब तक इनकी सरकार रही, तब तक इन्होंने मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन शुरू नहीं होने दिया. (किसी माननीय सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) मैं आंकड़ें सही बोल रहा हूं. मैं गलत नहीं बोलता हूं.

            श्री सोहनलाल बाल्मीक - सभापति महोदय, क्या प्रमाण हैं?

श्री भूपेन्द्र सिंह - सभापति महोदय, मार्च, 2019 में, मैं तो तारीख बता रहा हूं. मार्च, 2019 में माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश में जल जीवन मिशन प्रारंभ किया. मध्यप्रदेश सरकार के पास भारत सरकार से उसका पैसा आया और उस समय की कांग्रेस की सरकार ने जल जीवन मिशन इसलिए प्रारंभ नहीं किया कि इसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी की सरकार को न मिल जाय, इसलिए सवा साल तक जल जीवन मिशन का काम शुरू नहीं हुआ. इसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी की सरकार को न मिल जाये, इसलिये सवा साल तक जल जीवन मिशन का शुरू नहीं हुआ. मार्च, 2020 में हमारी सरकार बनी और हमारी सरकार बनने के बाद हम लोगों ने फिर जल जीवन मिशन पर काम शुरू किया.

          श्री भंवर सिंह शेखावत- जल जीवन मिशन की चर्चा करके क्‍यों अपने कपड़े उतार रहे हो उसमें 10 हजार करोड़ रूपये का भ्रष्‍टाचार हुआ है.

          सभापति महोदय- माननीय भंवर सिंह जी आप बैठ जायें, व्‍यवधान न करें.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव- सभापति महोदय, इन्‍होंने कहा कि जल जीवन मिशन की शुरूआत कांग्रेस ने केन्‍द्र से पैसा आने के बाद भी शुरू नहीं की. मेरे खुद के विधान सभा जल जीवन मिशन की एक सामूहिक योजना जो लगभग120  गांवों की योजना को स्‍वीकृत करने का काम जब कांग्रेस की सरकार थी तब हुआ है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह- सभापति महोदय, आज हम सब जो हमारे प्रधान मंत्री जी का सपना है कि हर घर, शुद्ध नल का जल.

          सभापति महोदय, हम लोगों ने ग्रामीण परिवेश देखा है. हमारी बहनें सिर पा मटके रख कर एक किलोमीटर, दो किलोमीटर पानी भरने के जाती थीं. शुद्ध पानी नहीं मिलता था. कई गांव ऐसे हैं कि वहां लोग अपनी बच्‍ची की शादी उस समय इसलिये नहीं करते थे, कांग्रेस की सरकार में कि वहां पर पानी लेने के दो किलोमीटर बहनों को जाना पड़ता था.

          सभापति महोदय, माननीय मोदी जी ने आज घर-घर, नल से जल पहुंचा दिया. गांव-गांव में घर में जल पहुंचा दिया और फिल्‍टर्ड वॉटर, जर्मन टेक्‍नॉलाजी से. आज जो मिनरल वॉटर हमारी बाटल में नहीं आ रहा है वह शुद्ध पानी आज गांव के गरीब आदमी को भारतीय जनता पार्टी की सरकार शुद्ध पानी 24 घण्‍टे नल से देने का काम हमारी सरकार कर रही है. मैं कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने अटल भू-जल योजना, हमारी सरकार ने प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना, नमामि गंगे योजना, जैसी योजनाएं बनाकर हमारे देश और प्रदेश के अंदर हमारा जल संग्रहण बने, सिंचाई की क्षमता बढ़े इस दिशा में काम करने का काम किया है. जैसा मैंने कहा कि आज भी विश्‍व में 18 फीसदी आबादी ऐसी है, जिनके पास पीने योग्‍य पानी है.

          सभापति महोदय, हमारा मध्‍य प्रदेश, हमारे मध्‍य प्रदेश में 207 छोटी-बड़ी नदियां हैं. मॉं नर्मदा, चम्‍बल, ताप्‍ती, सोन, बेतवा, क्षिप्रा, केन और तवा यह प्रमुख नदियां हैं और इन नदियों से लगभग आज की तारीख में 60 लाख हेक्‍टेयर में हमारी सरकार के माध्‍यम से प्रदेश के अंदर सिंचाई हो रही है. इसीलिये आज देश के अंदर मध्‍य प्रदेश की विकास दर सबसे ज्‍यादा है, 11.6 विकास दर आज मध्‍य प्रदेश की सबसे ज्‍यादा, इस कारण से है.

          सभापति महोदय, कृषि के मामले में हम देश में आज मध्‍य प्रदेश दूसरे नंबर पर है, जिसने गेहूं की खरीदी की है. माननीय मुख्‍य मंत्री जी ने गेहूं का समर्थन मूल्‍य पर बोनस देने का काम, अलग से राशि देने का काम हमारे मुख्‍य मंत्री मा. मोहन यादव जी ने हमारे प्रदेश के अंदर किया है.

          सभापति महोदय, मैं आपसे कहना चाहूंगा कि हमारा बुन्‍देलखंड, मैं हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी, माननीय मुख्‍य मंत्री जी का इस बात के लिये कि बुन्‍देलखंड का प्रतिनिधि होने के नाते धन्‍यवाद करूंगा कि मध्‍य प्रदेश में सिर्फ बुन्‍देलखंड को अटल भू-जल योजना के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है. इसके लिये भी मैं मुख्‍य मंत्री जी का, प्रधान मंत्री जी का धन्‍यवाद करना चाहूंगा. बांधों के संरक्षण का काम तेजी से चल रहा है.जल गंगा संर्वधन का काम हमारे मुख्‍य मंत्री जी ने प्रारंभ किया है और इसके अंतर्गत..

                                                                                 

            सभापति महोदयथोड़ा सा संक्षेप करिये.  आप दोनों वरिष्ठ सदस्यों ने  बहुत महत्वपू्र्ण विषय, सबके  लिये आवश्यक विषय  को छुआ है.  इसमें काफी सदस्य हैं.

          श्री भूपेन्द्र सिंह मैं कोशिश करुंगा कि जल्दी पूरा करुं.  विषय बहुत बड़ा है, इसलिये   थोड़ा समय दे दें.

          सभापति महोदयविषय   भी बहुत गंभीर है,  विस्तृत है.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--  मैं जल्दी पूरा करुंगा.

          श्री सोहनलाल बाल्मीकसभापति महोदय, नियम 139 का जो विषय है,  यह वह चीज जो बता रहे हैं,  इनके बताने से  ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश में  इस विषय में चर्चा करने की  आवश्यकता नहीं है.  मतलब कहीं  संकट  है ही नहीं पानी का.

          सभापति महोदयकृपया बैठ जायें. भूपेन्द्र सिंह जी,आप अपनी  बात जारी रखें.

          श्री भूपेन्द्र सिंहसभापति महोदय, हमारे प्रधानमंत्री जी ने  पर्यावरण संरक्षण के लिये  एक पेड़ मां के नाम. यह  अभियान देश के अन्दर प्रारम्भ किया और मैं मुख्यमंत्री जी को, हमारी सरकार को  बधाई दूंगा कि हमने  मध्यप्रदेश के अन्दर 5  करोड़ पौधे इस वर्ष लगाने का काम  हमारी सरकार ने  किया है.  जल दूत बनाये गये हैं.  मुख्यमंत्री जी ने स्वयं  32 जिलों का दौरा करके  श्रम दान किया, निरीक्षण किया. 50936  जल संरक्षणाएं बनीं. 1500 किलोमीटर  नदी तट  साफ किये.  5 से 10 प्रतिशत भूजल  स्तर में सुधार हुआ.  इतने कम समय में हमारी  भाजपा की सरकार ने  यह काम करने का काम  किया है. हमारे सागर में, हमारी विधान सभा  में  हमारी भाजपा की सरकार ने,  45 साल तक  मध्यप्रदेश के कांग्रेस के राज में  हमारे  सागर जिले में एक  भी सिंचाई योजना मंजूर नहीं हुई. माननीय प्रहलाद  जी बैठे हैं हमारे यहां के सांसद अभी तक रहे. आज सागर  जिले के अन्दर मेरे अकेले  विधान सभा  में बीना नदी परियोजना, जिससे  80 हजार हेक्टेयर  में  सिंचाई होगी.  उल्दन  बांध  परियोजना,  जिससे 75 हजार हेक्टेयर  में सिंचाई होगी.  हनोता बांध परियोजना,  जिससे 6 हजार हेक्टेयर  में  सिंचाई होगी और  आज  पूरे बुन्देलखण्ड के अन्दर, इन 5 वर्षों के अन्दर  सौ प्रतिशत  सिंचाई होगी,  मैं  आपको कहना चाहता हूं कि सौ प्रतिशत सिंचाई  हमारी  भाजपा   की सरकार, जो सूखा हुआ  करता  था बुन्देलखण्ड में कांग्रेस  के राज में,  वहां सौ प्रतिशत हमारे यहां सिंचाई  होगी.  मैं कहना चाहता हूं कि हमारी जो अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है, वह कृषि है और  कृषि बिना जल के संभव नहीं है. इसलिये हर क्षेत्र में हमारी सरकार विकास में तेजी से आगे  बढ़ रही है.  आज दुनिया में  3 चीजों  की तरफ लोगों का ध्यान है.  एक पूरे दुनिया में  शस्त्रों की होड़ है. कोई मिसाइल बना रहा है,  कोई परमाणु बम  बना रहा है.  कोई कुछ कर रहा है.  दूसरा,  दुनिया के अन्दर मादक पदार्थों का  व्यापार तेजी से बढ़ा है. मैं दुनिया की बात कर रहा हूं.

          श्री अभय मिश्रासभापति महोदय,  यह कृतज्ञता ज्ञापन पढ़ा जा रहा है.

          सभापति महोदयउनका समाप्त हो ही रहा है.  आप और समय बढ़ा  रहे हैं.  सदस्य जी, कृपया समाप्त करें.

          श्री भूपेन्द्र सिंहसभापति महोदय,  जी.मैं समाप्त ही कर रहा हूं. मैं बहुत महत्वपूर्ण बात कर रहा हूं.  थोड़ा ज्ञान मिलेगा इनको.

          श्री शैलेन्द्र कुमार जैन--  यह  आपके  खिलाफ नहीं बोल रहे हैं,  यह तो जल संरक्षण पर  जो काम   हुए हैं,  उसके संबंध में बात कर रहे हैं.  आपके खिलाफ कुछ नहीं है.

..(व्यवधान)..

           श्री सोहनलाल बाल्मीक--  इनके हिसाब से बुन्देलखण्ड में  कुछ काम नहीं होना चाहिये था.

            सभापति महोदयकृपया बैठ जायें.             

           श्री ओमकार सिंह मरकामआप सागर की गरिमा के खिलाफ बोल रहे हैं.  सागर के                       पानी में ये नहीं है.

          सभापति महोदय-- ओमकार सिंह जी, कृपया बैठें.  भूपेन्द्र सिंह जी, आप जल्दी समाप्त करें.

          श्री भूपेन्द्र सिंह -- सभापति महोदय, बहुत महत्वपूर्ण बात कर रहा हूं.

          सभापति महोदय- कृपया जल्दी करें.

          श्री भूपेन्द्र सिंह -- सभापति महोदय मैं कह रहा था कि दुनियां के अंदर एक मादक पदार्थों की होड़ चल रही है, एक हथियारों की चल रही है, तीसरा दवाईयों की होड़ चल रही है, और सभापति जी, यह चीजें हमारे जीवन के लिये आवश्यक हो सकती है परंतु उससे भी अगर आवश्यक है तो पहले नंबर पर जल है, दूसरे नंबर पर वायु और नंबर तीन पर हमारी मातृभूमि है, हमारी जमीन है और इसीलिये हमारा जीवन तभी रहेगा जब वायु रहेगी, जब जल रहेगा, जब यह हमारी मातृभूमि की उर्वरा शक्ति रहेगी तभी हमारा जीवन रहेगा और इसीलिये हमारी सरकार की, हमारे प्रधान मंत्री जी की, हमारे मुख्यमंत्री जी की, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार की यह सर्वोच्य प्राथमिकता है कि हम जल के क्षेत्र में, पर्यावरण के क्षेत्र में, भूमि को उर्वरा बनाने के क्षेत्र में देश के अंदर काम करे और यह काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है.

          माननीय सभापति महोदय, अंग्रेज कभी नहीं चाहते थे कि भारत आगे बढ़े और दुर्भाग्य से अंग्रेजों के जाने के बाद में देश में और प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार आ गई और इन्होंने कभी नहीं चाहा कि गरीब की गरीबी दूर हो, किसान को फायदा हो...

          श्री सोहनलाल बाल्मीक-- सभापति महोदय, देख लीजिये, विषय क्या है और सदस्य किस विषय पर चर्चा कर रहे हैं विषय है अविलंबनीय लोक महत्व का लग रहा है कि  कृतज्ञता ज्ञापन पर चर्चा चल रही है .

          श्री दिनेश जैन(बोस) - सभापति जी मुझे लग रहा है कि मंत्री बनने के लिये ऐसा बोल रहे हैं. लेकिन आप मंत्री नहीं बनने वाले हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक- सभापति जी माननीय सदस्य  किस विषय पर बोल रहे हैं.

          सभापति महोदय- भूपेन्द्र सिंह जी आप समाप्त करें.

          श्री आशीष शर्मा -- भूपेन्द्र सिंह जी क्या कह रहे हैं, यह आपको समझ में नहीं आयेगा भैया.

          श्री दिनेश जैन (बोस)-- सभापति जी, सदस्य विषय पर बोलें, समझ में नहीं आ रहा है कि ये बोल किस विषय पर रहे हैं और सदन में विषय क्या है.

          सभापति महोदय- माननीय भूपेन्द्र सिंह जी आपकी सारी बात आ गई है.कृपया समाप्त करें.

          श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय सभापति जी, मैं एक बार फिर से हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी, और भारतीय जनता पार्टी की सरकार का बहुत स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं कि आज हम जल संरक्षण के क्षेत्र में देश में सबसे अच्छा काम कर रहे हैं. सभापति जी आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिये आपका हृदय से धन्यवाद करता हूं.

          श्री भंवर सिंह शेखावत(बदनावर) -- आदरणीय सभापति जी, बहुत महत्वपूर्ण और बहुत अच्छे विषय को लेकर के आज सार्थक चर्चा होगी, इस चर्चा से कुछ निदान निकलेगा ऐसा प्रस्ताव आदरणीय गोपाल भार्गव जी लाये थे. गोपाल जी ने जो चिंता जताई वह स्वाभाविक रूप से आने वाले भविष्य को बचाने की, आने वाली पीढियों के सामने जो समस्या आने वाली है, अगर इस जल को नहीं रोका गया, जल का संवर्धन नहीं किया गया तो भविष्य कितना खतरनाक होगा इस पर इन्होंने ध्यानाकर्षित किया है.

          सभापति महोदय, आदरणीय गोपाल जी ने यह भी उल्लेख किया है कि दुनियां में यह चर्चा है कि अगर जल संवर्धन के ऊपर सही ढंग से विचार करके, सही ढंग से पानी को रोकने का प्रयास नहीं किया गया तो आने वाले समय में तीसरा विश्व युद्ध अगर होगा तो पानी के ऊपर होगा, ऐसी चिंता लोगों के मन में है. लेकिन मुझे बड़ी पीड़ा हुई, मेरे छोटे भाई ने जब विवेचन किया, मैं इन्हें सुन रहा था. जितनी तारीफ आपने की है तो फिर गोपाल जी को यह विषय लाने की जरूरत ही नहीं थी. यह सागर वाले पता नहीं क्‍यों आपस में बैठकर सामंजस्‍य नहीं बैठा पा रहे हैं. गोपाल जी कह रहे हैं पानी बचाओ, पानी का संवर्द्धन करो और भाई हमारे पूर्व मंत्री जी कह रहे हैं कि बहुत बढि़या काम हो रहा है, चारों तरफ शानदार, जरूरत क्‍या है पानी को बचाने की, सब कुछ तो बढि़या, शानदार सरकार काम कर रही है यह कह रहे थे तो तीसरे हमारे एक और साथी शैलेन्‍द्र जी खड़े हो गए.

          सभापति महोदय -- आप तो अपनी बात रखें.

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- सभापति महोदय, अरे क्‍या कमाल कर रहे हैं आप. आदरणीय गोपाल जी ने जितना गंभीर विषय रखा है, आने वाली पीढि़यां, आने वाले भविष्‍य की तरफ इंगित किया है, हम सब समझ रहे हैं कि आज जल की जो व्‍यवस्‍था है वह किस ढंग से चिंता का विषय बनती जा रही है. जल जीवन मिशन की चर्चा करने लग गए. मेरे छोटे भाई कम से कम अपनी सरकार का काम ही देख लेते. पूरे देश के अंदर किस प्रकार छवि खराब हुई इस कार्यक्रम को क्रियान्वित करने को लेकर. मेरा यह कहना है कि हम आज यहां इस सरकार या उस सरकार की तारीफ करने के लिए नहीं बैठे हैं, हम इसलिए बैठे हैं कि आने वाले समय के अंदर अगर पानी को रोका नहीं गया, पानी को संग्रहित नहीं किया गया, पानी को व्‍यवस्थित तरीके से सिंचाई के लिए नहीं रोका गया तो आने वाली पीढि़यों का क्‍या होगा, आज उसकी चिंता के लिए माननीय गोपाल भार्गव जी जिस गंभीर विषय को लेकर आए हैं, आपने उस विषय की धज्जियां बिखेरकर रख दीं. माननीय सभापति जी मेरा यह निवेदन है कि यह विषय बहुत गंभीर है और यह विषय गंभीर इसलिए है क्‍योंकि यह सारा का सारा ..

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- सभापति महोदय, मैंने यह कहा कि..

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- मेरे छोटे भाई बैठ जाओ.

          सभापति महोदय -- आप लोग आपस में बात नहीं करें. आप इधर बात करें. माननीय भंवर सिंह जी, आपकी बात जारी रखें.

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- सभापति महोदय, मैं आपकी पीड़ा समझ रहा हूं. अगर आपका भाषण माननीय मुख्‍यमंत्री जी सुन लेते तो आपको कुछ लाभ भी होता. वह सुन भी नहीं रहे हैं आपको, क्‍यों आप इतनी दुनिया भर की मक्‍खनबाजी कर रहे हैं. उसमें कोई तुक तो है नहीं. ये कैलाश जी हंस रहे हैं. कैलाश जी जानते नहीं थे नहीं तो समय देते ही नहीं.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- सभापति महोदय, आइना दिखाने की उन्‍होंने कोशिश की है. आप लोगों ने क्‍या किया है वह आइना जरूर देखिए.

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- शैलेन्‍द्र जी, बैठो मेरे भाई. यह वाकई बहुत गंभीर विषय है. इसको गंभीरता से लेना चाहिए. आज हमारी जितनी योजनाएं हैं पानी को रोकने की, नदियों को साफ करने की, नदियों का संरक्षण करने की, पौधे लगाकर पानी और नदियों को संरक्षित करने की सारी की सारी योजनाएं भ्रष्‍टाचार के मत्‍थे चढ़ चुकी हैं. सारी योजनाएं पूरे देश में यह सरकार या उस सरकार की बात मैं नहीं कर रहा हूं व्‍यवस्‍था इतनी चरमरा गई है, व्‍यवस्‍था इतनी खराब हो गई है, भ्रष्‍टाचार इस कदर निगल गया है कि हर योजना इसके अंदर खत्‍म हो गई है. हम नलजल योजना की बात कर रहे हैं, माननीय प्रधानमंत्री जी ने तो बहुत अच्‍छी योजना लाई थी कि हर घर में शुद्ध पानी मिले, हर महिला को शुद्ध पानी मिले, हर घर में नल पहुंच जाए. यह कौन सी छोटी-मोटी योजना है. बहुत अच्‍छी योजना माननीय मोदी जी लाए थे. हम भी तारीफ करते लेकिन वह अगर जमीन पर इम्‍प्‍लीमेंट हो जाए, घर-घर तक पानी पहुंच जाए, हमारी बहू बेटियों को पानी मिल जाए, अरे जहां-जहां नल पहुंचे हैं वहां टोटियां नहीं लगीं, जहां टोटियां लगी हैं वहां पानी नहीं है, नीचे पाईप फूट गए हैं. जरा गांव में घुसिए तो सही गांव में जाकर नल जल योजना का हाल तो देखिए पूरे देश के अंदर इसकी चर्चा चल रही है इस प्रदेश में ही नहीं. भ्रष्‍टाचार के कारण इस योजना का सत्‍यानाश कर दिया गया है. 10 हजार करोड़ का भ्रष्‍टाचार तो सिर्फ हमारे यहां मध्‍यप्रदेश में होना कहा गया है और कोई एक विधायक खड़ा होकर बोल दे कि उसकी विधान सभा के अंदर भ्रष्‍टाचार नहीं हुआ है नल जल योजना से पानी मिल रहा है. नहीं मिलेगा, कोई एक विधायक नहीं बोल सकता, न इस पार्टी का न उस पार्टी का. कारण यह है कि यह व्‍यवस्‍था की भेंट चढ़ गयी है. अरे व्‍यवस्‍था में भ्रष्‍टाचार बढ़ रहा है क्‍यों नहीं बोलते हो. हम तारीफ करेंगे सिंचाई की योजनाएं हैं रकबा बढ़ गया, सब कुछ हो गया, बहुत कुछ साधन दे रही है, सरकार दे रही है हो रहे हैं काम, सरकार अच्‍छे काम कर रही होगी लेकिन भ्रष्‍टाचार ने जो गति पकड़ ली है, आज भ्रष्‍टाचार गले-गले तक पहुंच चुका है. भ्रष्‍टाचार के कारण योजनाओं का सत्‍यानाश हो गया है. भ्रष्‍टाचार के कारण जनता का जो पैसा है जनता तक नहीं पहुंच रहा है. आप पौधे लगाने की बात कह रहे हैं आदरणीय गोपाल जी कह रहे थे..

          श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- सभापति महोदय, हमारे यहां ...

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- सभापति महोदय, अरे बैठ जाओ कुछ नहीं होगा. कोई मतलब नहीं है.

          सभापति महोदय -- आप अपनी बात जारी रखें भंवर सिंह जी. बहुत सदस्‍य इसमें भाग ले रहे हैं. आप अपनी बात समाप्‍त करें.

            श्री भंवर सिंह शेखावत -- सभापति महोदय, एक घंटे से इनका भाषण सुन रहे थे. मैं अपनी बात कह रहा हूं यह बीच में टोका टोकी नहीं करें नहीं तो फंस जाएंगे. मेरा एक निवेदन है कि अभी यहां पौधारोपण की बात चली, बहुत खुशी की बात है पौधारोपण से नर्मदा नदी को बचाया जाए. पानी जो बेकार जा रहा है .जो पानी बेकार जा रहा है उसको बचाया जाए. नदियों को सुरक्षित किया जाए. पौधारोपण का क्या हाल है, माननीय कैलाश जी जरा बता दें. इन्हें मालूम है, जितने करोड़ पौधे पिछले पांच साल के अन्दर लगाए गए उनकी गिनती कर ली जाए तो दो प्रतिशत पौधे भी जिंदा नहीं हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- मैं इससे सहमत नहीं हूँ.

          श्री भंवरसिंह शेखावत -- आप सहमत नहीं हैं तो आपकी असहमति से मैं भी असहमत हूँ.

          श्री तुलसी सिलावट -- माननीय सभापति महोदय,..

          श्री भंवरसिंह शेखावत -- तुलसी भैया आपका तो सब्जेक्ट ही नहीं है मेरे भाई. मेरा निवेदन यह है कि हमारी व्यवस्था कर क्या रही है.

          सभापति महोदय -- आप तो मेरी तरफ देखकर बात जारी रखें. पहले सागर-सागर आपस में बात कर रहे थे अब इंदौर-इंदौर आपस में बात कर रहे हैं.

          श्री भंवरसिंह शेखावत -- कहने में बहुत अच्छा लगता है कि नदियों का संवर्द्धन होना चाहिए. नर्मदा नदी को शुद्ध करना चाहिए. गंगा शुद्ध हो गई क्या पिछले 20 सालों में ? गंगा को शुद्ध करने में क्या स्थिति है, आदरणीय उमा भारती जी से पूछा जाए. उमा भारती जी आज यहां नहीं है, लेकिन जब उन्होंने कहा था तो वे तो केन्द्र में उस मंत्रालय की मंत्री थीं.  स्थिति कुल मिलाकर यह है कि यह जो व्यवस्था हमारे देश की बिगड़ी है. प्रहलाद भाई यह व्यवस्था जो हमारे देश की बिगड़ी है. यह भ्रष्टाचार जिस प्रकार से अपना फन फैला रहा है इस पर तो आप लोग अंकुश लगाइए. जब तक आप यह नहीं करेंगे तब तक कोई योजना सफल नहीं होने वाली है. निंदा सहनी पड़ेगी इस पार्टी को और उस पार्टी को. कोई मतलब नहीं है इस पार्टी और उस पार्टी की बात करने का. हर पार्टी आती है अपना काम करती है और बहुत अच्छा काम करती है. किसी पार्टी की आलोचना करने का सवाल नहीं है. लेकिन दोनों पार्टी को आज की जो व्यवस्था है, ब्युरोक्रेसी की जो व्यवस्था है, भ्रष्टाचार की जो व्यवस्था है इसने निगल लिया है. परिणाम नहीं निकल रहे हैं. आदरणीय कैलाश जी बताइए कान्ह नदी साफ करने के लिए इंदौर के अन्दर आप तो इस विभाग के मंत्री हैं. 2200 करोड़ रुपए पहले खर्च हो चुका है इंदौर की छोटी सी कान्ह नदी को साफ करने के लिए. पिछले 12 साल के अन्दर पैसा पूरा खर्च हो चुका है और अब 800 करोड़ रुपए फिर मांगे जा रहे हैं कि कान्ह नदी ठीक करेंगे. वो इंदौर का नाला वैसा का वैसा ही है. (हंसी) आज तक वह कान्ह नदी नहीं बन पाई.

          माननीय मुख्यमंत्री जी यहां नहीं है, क्षिप्रा नदी को साफ करने की कितनी बार योजना बनी है. क्षिप्रा को ठीक किया जाए, शुद्ध किया जाए. अभी सिंहस्थ आने वाला है हम लोगों को शुद्ध पानी में स्नान कराएंगे. क्षिप्रा की क्या हालत है. गंदे नाले का पानी आज भी उसमें जा रहा है, दिक्कत जा रही है. फिर 500 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है कि हम क्षिप्रा को शुद्ध करेंगे. तुलसी भाई बैठो (श्री तुलसीराम सिलावट जी के खड़े होने पर) तुलसी भाई, तुम तो इधर से उधर, उधर से इधर करते रहते हो बैठो भैय्या. (हंसी)

          सभापति महोदय -- भंवरसिंह जी आपस में बात न करें.

          श्री भंवरसिंह शेखावत -- सभापति महोदय, मेरा ऐसा कहना है कि यह जो व्यवस्था है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- सभापति महोदय,  कांग्रेस ने इनको नहीं स्वीकारा और इनने भी कांग्रेस को नहीं स्वीकारा.

          सभापति महोदय -- दोनों तरफ का अनुभव है. अब आप समाप्त करें.

          श्री भंवरसिंह शेखावत -- हम तो सब जगह घूमने वाले प्राणी हैं. सबका अनुभव लेते हैं. आदरणीय कैलाश जी यहां भी मुझे आना पड़ा उसका कारण भी आप ही हो. (हंसी)

          सभापति महोदय -- आप काफी अनुभवी हैं, सभी जगह का अनुभव है, अब आप समाप्त करें.

          श्री भंवरसिंह शेखावत -- माननीय सभापति जी, मैं इस बात के समापन पर आ रहा हूं. आदरणीय गोपाल जी ने जो विषय रखा है इस पर हम सभी को गंभीरता से चिंता करना पड़ेगी. राजस्थान से मैं आता हूँ वहां पर बहुत कम पानी होता था. पानी के आधार पर राजस्थान खेती नहीं कर पाता था. सिंचाई के साधन नहीं थे, रेतीला स्थान था. लेकिन उन लोगों ने पिछले 20 सालों में पानी की एक-एक बूंद को रोका.  राजस्थान आज देश की सबसे बड़ी सिंचाई व्यवस्थाओं का प्रतिपादन कर रहा है. अपनी स्थिति भी उन्होंने सुधार ली है. उसका मूल कारण यही था कि उन्होंने बारिश की एक एक बूंद को रोकने का काम किया. छोटे-छोटे तालाब बनाए.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- राजस्थान में इसलिए अच्छा हो गया कि आपने राजस्थान छोड़ दिया.

          श्री भंवरसिंह शेखावत -- आदरणीय कैलाश जी राजस्थान छोड़ा नहीं है. मेरी सारी खेती, जमीन, परिवार सब राजस्थान में ही है. मैं अकेला ही मध्यप्रदेश में हूं. आप छोड़ देंगे तो मैं चला भी जाउंगा, कोई दिक्कत नहीं है. आज हम सिंचाई के क्षेत्र में किसानों के लिए क्या कर रहे हैं. सिंचाई की योजनाएं और रकबा तो बढ़ा रहे हैं. लेकिन कल जब पानी नहीं रहेगा, जल स्तर नीचे चला जाएगा. सारे विधायक इस बात से दुखी हैं, वे साक्षी हैं कि आज जब उनके खेतों में बोरिंग होता है 800 फिट, 900 फिट या 1000 फिट तक जमीन में पानी नहीं मिल रहा है. इसका क्या कारण है. यदि बारिश एक दो साल के लिए गड़बड़ हो जाएगी तो सारा का सारा हमारा सिस्टम चरमरा जाएगा. एक साल बारिश न हो तो हमारा किसान सड़क पर आ जाता है. अभी अतिवृष्टि हो रही है, पानी ज्यादा गिर गया तो हमारा किसान सड़क पर है. क्या हमने कभी योजना बनाई है कि यदि अतिवृष्टि होगी तो हम पानी को कैसे चेनलाइज करेंगे. इस पानी को रोककर खेतों को बाद में यह पानी मिलता रहे इसकी कभी चिंता नहीं की गई है. पानी नहीं गिरा तो पानी नहीं गिरा तो सरकार पर आधारित हैं, पानी गिर गया तो सरकार पर आधारित हैं. किसान को अपने क्षेत्र के अंदर, अपने खेत के अंदर साधन कहां उपलब्‍ध करा पा रहा हैं. एक-एक किसान एक-एक, दो-दो एकड़ जमीन के अंदर तालाब बनाकर पानी रोकने का प्रयास क्‍यों नहीं कर रहा है? क्‍यों सरकार ने यह योजना नहीं बनाई?  सिंचाई विभाग, कृषि विभाग यह योजना नहीं बना रहा है आप योजना तो बनाईये कि हमारा किसान पानी को रोक ले, उसको हम साधन देंगे, सहायता करेंगे. भूपेन्‍द्र जी भी कह रहे थे अटल जी ने बहुत अच्‍छी योजनाएं बनाईं, अटल जी ने नदी जोड़ो अभियान चलाया. केन बेतवा उसी का परिणाम है, लेकिन उसके बाद भी आज अतिवृष्टि से, बाढ़ के माध्‍यम से जो सारा पानी बह रहा है क्‍या हम इसको रोक पाये? पचास साल इस पार्टी ने राज कर लिया, 50 साल आप भी कर लेना उससे क्‍या हो जाएगा.

          सभापति महोदय-- आप कृपया समाप्‍त करें.

          श्री भंवरसिंह शेखावत--सभापति महोदय, आज गोपाल जी ने जो चिंता  जताई है उसको आप हंसी और मजाक में मत लीजिए. यह गंभीर विषय है. मैं सभी सदस्‍यों के लिए कह रहा हूं. हरेक विधायक अपनी-अपनी विधान सभा में भुगत रहा  है. बोलने की हिम्‍मत नहीं है. विपक्ष तो बोल लेता है आपकी तो बोलने की हिम्‍मत नहीं हैं. आज सत्‍ता पार्टी के विधायक प्रश्‍न पूछ रहे हैं और कह रहे हैं कि हम संतुष्‍ट हैं. आप यदि संतुष्‍ट हैं तो प्रश्‍न क्‍यों पूछ रहे हो. प्रश्‍न भी पूछ रहे हैं और कह रहे हैं कि उत्‍तर से संतुष्‍ट हैं. भय है, आतंक है. अपनी बात को कहना सीखिये. यह जो विषय रखा गया है, यह बहुत ही चिंता का विषय है. मैं मेरी बात का समापन करते हुए मैं उनका समर्थन करता हूं और इस विषय के ऊपर गहरी चिंता से सभी विभागों ने, सभी पार्टियों ने विचार नहीं किया तो आने वाला समय हमें चेतावनी दे रहा है कि यदि हमने इसे आज नहीं संभाला तो हमारी आने वाली पीढि़यां बर्बाद हो जाएंगी.  धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय-- बहुत-बहुत धन्‍यवाद शेखावत जी.

          श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा (खातेगांव) -- माननीय सभापति महोदय, देश की बढ़ती हुई आबादी हमारे भविष्‍य में पानी के संकट को निश्चित ही रेखांकित करती है. हर व्‍यक्ति को जीने के लिए रोटी और पानी की आवश्‍यकता होती है. चाहे जीव हों या निर्जीव वस्‍तुए हों. उद्योग हों, कृषि हो पानी की आवश्‍यकता विकास के लिए भी होती है, निर्माण के लिए भी होती है, अन्‍न के उत्‍पादन के लिए भी होती है. जब प्‍यासे कंठों को पानी मिल जाता है. तो वह तृप्ति महसूस करते हैं. प्रधान मंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी की वर्ष 2014 में सरकार बनने के बाद जल संरक्षण को लेकर इस देश में निश्चित ही ऐसे काम हुए जिनके परिणाम आने वाले कई वर्षों तक सुखद रूप में हम सभी को देखने को मिलेंगे. हमारे यहां 6 ऋतुएं होती हैं, मानसून भी बहुत प्रभावी रहता है. पिछले 30 वर्षों में एक दो वर्षों को छोड़ दिया जाए तो देश को सूखे का सामना बहुत कम करने को मिला है. इसके बाद भी जो वर्षा आधारित हमारी पानी की व्‍यवस्‍था है उसे ठीक करने की आवश्‍कता है. प्राचीन समय में जब राजा महराजाओं का शासन हुआ करता था तब भी बड़े-बड़े तालाब, कुएं जो हमारे प्रदेश की राजधानी भोपाल है यहां पर भी प्राचीन समय में तालाबों का निर्माण किया गया. आज भी हमारे मध्‍यप्रदेश में बहुत से प्राचीन कुएं, तालाब मौजूद हैं जिनके संरक्षण की आवश्‍यकता आज के समय में महसूस की जाती है. जल गंगा अभियान जिस पर मैं बोलना चाहता हूं एक भागीरथ थे जो गंगा को इस धरती पर लाए थे और आज सरकारें उन कामों को ठीक तरह से करती हैं तो जनमानस में इस बात की अभिव्‍यक्ति मिलती है कि सरकार ने पानी लाने के लिए ठीक काम किया है. अभी विपक्ष के सदस्‍य भी बोल रहे थे और अन्‍य सदस्‍य भी इस सदन में इस विषय पर बोलेंगे, लेकिन मैं ऐसा मानता हूं कि इस मध्‍यप्रदेश ने वह दृश्‍य भी देखे हैं जब निश्चित ही दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर से लोगों को माथे पर पानी का परिवहन करके लाना पड़ता था. मालवा जिसे कभी पानी की बाहुल्‍यता वाला क्षेत्र माना जाता था बीच में वहां भी ऐसी स्थिति हो गई थी कि एक समय माल गाडि़यों से पानी का परिवहन किया गया. देवास, पीथमपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्र भी पानी की कमी के कारण दम तोड़ चुके थे, लेकिन नदी जोड़ो अभियान हो या फिर किसानों के खेतों पर जल संरचनाओं का निर्माण हो. सभापति महोदय, "अमृत सरोवर" मान्‍यवर प्रधानमंत्री जी का एक महत्‍वपूर्ण मिशन है, जिसके अंतर्गत केवल मध्‍यप्रदेश में ही 5500 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ है और इसके एक तालाब की जल ग्रहण क्षमता 10 हजार घन मीटर है, इस हिसाब से हम सोच सकते हैं कि मध्‍यप्रदेश की जल ग्रहण क्षमता को इन अमृत सरोवरों ने कितना बढ़ाया है. इस अभियान के माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री जी की जैसी मंशा थी कि मध्‍यप्रदेश से निकलने वाली नदियां, जिनके छोटे-छोटे उद्गम स्‍थल हैं, जो नदियां आगे जाकर बड़ा स्‍वरूप धारण करती हैं, उनके संरक्षण के लिए भी मध्‍यप्रदेश में काम किया जाये.

           सभा‍पति महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल जी, द्वारा कई जल गंगा मिशन अभियानों में उन नदियों के उद्गम स्‍थलों पर जाकर, जनता के साथ, स्‍वयंसेवकों के साथ, उन नदियों की स्‍वच्‍छता के लिए अभियान चलाया और इसके कारण जनता में भी उन नदियों के संरक्षण के लिए जागृति आयी है.

           कूप रिचार्ज तकनीक, जिसके माध्‍यम से भू-जल संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है. हमारे ग्रामीण क्षेत्रों के कुंओं, चूंकि जल स्‍तर बहुत नीचे जा चुका है और कई पुराने कुंए हैं, कपिल धारा योजनांतर्गत नए कुंए भी बनते हैं, इनको रिचार्ज करने के लिए कूप रिचार्ज का काम सरकार करवा रही है, जिससे वर्षा का पानी भी इन कुओं में रिचार्ज-पिट के माध्‍यम से पहुंच जाये ताकि वर्षा के ठीक बाद की रबी फसल के गेहूं, चना के उत्‍पादन के लिए कुंए में एक-दो बार की सिंचाई का पानी पर्याप्‍त रूप से किसान को मिल सके. 7 लाख से अधिक कुंओं को इस "जल गंगा संवर्धन अभियान" अंतर्गत चिह्नित किया गया है और लगभग रुपये 263 करोड़ की लागत से इनका रिचार्ज किया जाना है.

          सभा‍पति महोदय, राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत स्‍वीकृ‍त 70 हजार से अधिक नवीन सतही जल और भू-जल संवर्धन के कार्य क्रियान्‍वित किये जा रहे हैं. मैं, नर्मदा नदी के किनारे से आता हूं. मां नर्मदा इस मध्‍यप्रदेश की जीवनदायिनी है, गुजरात को भी मां नर्मदा अपने जल से सिंचित करती हैं. नर्मदा करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्‍था का केंद्र है, नर्मदा परिक्रमा पथ का निर्माण सरकार कर रही है और नर्मदा जी की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए आश्रय स्‍थल का निर्माण भी किया जाना है. नर्मदा जी के तटों पर वर्षा के कारण भूमि का कटाव होता है. इस समय नर्मदा का जल स्‍तर बाढ़ के करीब है और इस भूमि के इस कटाव को रोकने के लिए नर्मदा जी के किनारे-किनारे पथ पर पौधारोपण का कार्य भी इस जल गंगा मिशन अंतर्गत सरकार ने करने का काम किया है, इसके लिए मैं मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता है और साथ ही साथ नर्मदा जी के आस-पास लगभग 10 एकड़ भूमि पर पौधारोपण किये जाने से इन तटों के आस-पास पर्यटन केंद्र विकसित हो सकेंगे एवं भूमि का कटाव भी रूकेगा.

          सभा‍पति महोदय, "गंगोत्री हरित योजना" जो कि 10 एकड़ भूमि पर पौधारोपण करने के लिए प्रारंभ की गई है, निश्चित ही यह योजना कारगर होगी. मध्‍यप्रदेश में हमारी जल ग्रहण संरचनायें बावड़ी, तालाब, चेक-डैम, स्‍टॉप-डैम और कुंओं को चिह्नित करके, सरकार इनकी साफ-सफाई से लेकर, इनके उत्‍खनन का कार्य भी कर रही है क्‍योंकि इनमें जमा गाद के कारण के भी जल स्त्रोत बंद हो जाते हैं. सरकार पानी की एक-एक बूंद को सहेजने के लिए काम कर रही है.

          मान्‍यवर प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2021 में अपने उद्बोधन में कहा था कि हमारे युवा जल सैनिक बनें, हमारे प्रधानमंत्री जी के आह्वान के पश्‍चात् युवाओं ने भी जल संरक्षण के लिए बीड़ा उठाया है, प्रदेश में अभी तक 2.5 लाख के करीब जलदूत पंजीकृत हो चुके हैं. इसके साथ ही हमारे भारतीय समाज की विशेषता रही है कि ग्रीष्‍मकाल में अपने पूर्वजों की स्‍मृति में कई सामाजिक संस्‍थायें, प्रतिष्ठित व्‍यक्ति प्‍याऊ लगाते थे. आजकल तो पानी की बोतल मिल जाती है लेकिन गरीबों और राहगीरों के लिए प्‍याऊ ही ग्रीष्‍मकाल में पानी उपलब्‍ध करवाता है. सरकार ने इस बार ग्राम पंचायतों के माध्‍यम से प्‍याऊ लगाने का काम किया है, साथ ही साथ इस जल संवर्धन और गंगा मिशन के माध्‍यम से हमारी जो समूह पेयजल योजनायें हैं, ग्रामीण पेयजल योजनायें चल रही हैं.

उनके लीकेज को सुधारना और ग्राम पंचायतों में जो भी छोटा-मोटा काम है, उनको दुरुस्‍त करके पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम सरकार कर रही है.

          सभापति महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में लगभग 390 खेत-तालाबों का निर्माण किया गया है और लगभग 758 कुओं का रिचार्ज किया गया है, साथ ही साथ मेरे विधान सभा क्षेत्र में 475 कृषकों को स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई सुविधा प्रदान कर लाभान्वित किया गया है. मैं आज इसके माध्‍यम से सरकार के प्रति धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूँ, निश्चित ही हमारे आने वाली पीढि़यां, जब पेयजल की सिंचाई की समुचित व्‍यवस्‍था मध्‍यप्रदेश में देखेंगी तो वह निस्‍संदेह इन सरकारों को साधुवाद देगी. जिन्‍होंने सिंचाई के लिए, जिन्‍होंने पेयजल के लिए, जिन्‍होंने प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए अच्‍छा कार्य किया एवं इतिहास में उन्‍हें ही याद किया जाता है, जो अच्‍छा काम करके जाते हैं, मैं ऐसा मानता हूँ. जल संरक्षण के क्षेत्र में हम सबको अपने-अपने विधान सभा क्षेत्रों में काम करने की आवश्‍यकता है, ताकि गर्मी में भीषण जल संकट का सामना किसी को न करना पड़े. सरकार की इन योजनाओं का लाभ प्रत्‍येक विधायक को अपने-अपने विधान सभा क्षेत्रों में लेना चाहिए. आपने बोलने का अवसर दिया, धन्‍यवाद.

            सभापति महोदय - आशीष जी आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) - माननीय सभापति महोदय, हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने दिनांक 30 मार्च, 2025 को उज्‍जैन में, मध्‍यप्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरूआत की थी. उस समय उन्‍होंने कहा था कि मैं किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि अपने प्रदेश को जल संकट से बचाने के लिए यह अभियान चला रहा हूँ एवं आने वाली पीढि़यां हमें इस कार्य के लिए याद रखेंगी, यही मेरी आकांक्षा है.

          माननीय सभापति महोदय, मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी ने यह अभियान चलाया और लगातार पूरे प्रदेश के हर जिले में यह अभियान चला. अगर हम टीकमगढ़ जिले की बात करें, तो पूरे जिला प्रशासन के माध्‍यम से पुरानी नदियां, नदियों की जो बावड़ी हुआ करती थी, कुएं हुए करते थे, उनकी साफ-सफाई कराने का काम भी किया और इसके साथ-साथ, पहले ऐसी स्थिति थी कि तालाबों में पानी नहीं पहुँचता था, लेकिन जब नहरों की सफाई हुई या किसी ने अतिक्रमण किया था, तो उसको हटाने का काम किया गया, तो आज हमारी टीकमगढ़ जिले के तालाब और बुन्‍देलखण्‍ड के तालाबों में पानी पहुँचा है, तालाब पूरे भरे हुए हैं. इसके साथ ही महत्‍वपूर्ण चीज यह है कि हमारी सरकार का यह संकल्‍प है कि हर किसान के खेत में हम पानी देने का काम करें. किसान अपना पेट पालने के लिए दिल्‍ली, पंजाब न जाये, उसके लिए सरकार ने चिन्‍ता की है.

          सभापति महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि एक जमाना वह था कि जब बुन्‍देलखण्‍ड की धरती पर सूखा हुआ करता था और लागातार सूखे के अभाव में किसान अपना पेट पालने के लिए दिल्‍ली, पंजाब, चंडीगढ़ जाया करते थे. लेकिन माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का यह सपना था कि किस क्षेत्र में सबसे ज्‍यादा सूखे की स्थिति, प्राकृतिक आपदा की स्थिति आती है. जब प्राकृतिक आपदा की बात आई, तो पूरे हिन्‍दुस्‍तान की धरती में सबसे ज्‍यादा सूखा बुन्‍देलखण्‍ड की धरती में पड़ता था. उस समय उन्‍होंने संकल्‍प संजोया था कि अगर केन नदी में पानी है और पूरा पानी उत्‍तरप्रदेश में जा रहा है, तो हम उसको रोकने का काम करेंगे. अगर बेतवा नदी में पानी है, उस पानी को हम रोकने का काम करेंगे. उस सपने को अगर किसी ने साकार किया है, तो हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने किया है और आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि उसके लिए 44,605 करोड़ रुपये केन-बेतवा लिंक सिंचाई परियोजना के लिए स्‍वीकृत हुए हैं. केन-बेतवा लिंक सिंचाई परियोजना से जहां बुन्‍देलखण्‍ड की तकदीर और तस्‍वीर बदलने का काम होगा, वहीं दूसरी ओर हम आपको बताना चाहते हैं कि इसमें 44,605 करोड़ रुपये, दिनांक 22/12/2021 को इसकी प्रशासकीय स्‍वीकृति प्राप्‍त हुई.

          माननीय सभापति महोदय, हम इसके लिए और धन्‍यवाद देना चाहते हैं. इसमें 10 जिले लिए गए हैं- उसमें पन्‍ना जिला, दमोह जिला, छतरपुर जिला, टीकमगढ़ जिला, निवाड़ी जिला, दतिया जिला, शिवपुरी जिला, सागर जिला, रायसेन जिला एवं विदिशा जिला इसमें जोड़े गए हैं. 10 जिलों के 2013 ग्रामों की 8.11 लाख हेक्‍टेयर भूमि इससे सिंचित होगी, इसमें पीने के पानी की व्‍यवस्‍था भी की गई है. इससे 44 लाख की आबादी में पेयजल 126 घन मीटर जल आरक्षित किया जायेगा. इसके साथ-साथ इससे बिजली बनाने के लिए भी प्रावधान किया गया है, इस परियोजना से 103 मेगावाट जल विद्युत एवं 27 मेगावाट ऊर्जा के उत्‍पादन का लाभ भी जनता को मिलेगा. इसमें महत्‍वपूर्ण चीज यह है कि जो हमारे चन्‍देलकालीन तालाब हुआ करते थे, जो सूख जाते थे, जहां पानी नहीं पहुँच पाता था. उसमें नहरों के माध्‍यम से ओपन कैनाल के माध्‍यम से 42 तालाब ऐसे हैं, जिनकी मरम्‍मत और जीर्णोद्धार के साथ-साथ चंदेलकालीन तालाबों में नहर और ओपन नहर के माध्‍यम से उनमें पानी भेजने का काम किया जाएगा. इसके साथ-साथ डूब क्षेत्रों में आने वाले, जो अभी काम प्रारंभ हुआ है, उसमें डूब क्षेत्रों में आने वाले प्रभावितों के लिए अभी छतरपुर जिले के डूब प्रभावितों को मुआवजा राशि 223 करोड़ 61 लाख रुपये यानि 84 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जा चुका है. इसके साथ-साथ जिला पन्‍ना के अंतर्गत डूब प्रभावित क्षेत्रों में इसमें 79 करोड़ 25 लाख रुपये की राशि का भुगतान भी किया जा रहा है.

          माननीय सभापति महोदय, दूसरा, केन नदी पर दोधन डैम बनाने का काम भी इसमें लिया गया है. इसमें जल भण्‍डारण क्षमता 2,853 मिली घनमीटर ली गई है. इसमें दो टनल का निर्माण होगा. इसमें दोधन बांध से 221 किलोमीटर की नहर पूरे बुंदेलखण्‍ड के क्षेत्र में जाएगी और इसमें अण्‍डर ग्राउण्‍ड प्रेशर पाइप के माध्‍यम से भी पानी किसानों के खेतों में भेजने का काम किया जाएगा. ओपन कैनल के माध्‍यम से भी वहां पर एक टीकमगढ़ जिले में और एक निवाड़ी जिले में इसके स्‍टोर भण्‍डारण के लिए तालाब भी, डैम भी बनाया जाएगा.

          माननीय सभापति महोदय, इसके साथ-साथ महत्‍वपूर्ण चीज यह है कि किसानों के खेतों में पानी कैसे पहुँचे. इसकी चिंता हमारी सरकार ने की और टीकमगढ़ जिला, वर्ष 2003 के पहले, अभी हमारे सम्‍मानित वरिष्‍ठ सदस्‍य शेखावत साहब, हम सब लोगों के बीच में बोल रहे थे तो यह सच्‍चाई की बात है कि वर्ष 2003 के पहले हमारा जिला स्‍वयं टीकमगढ़ जिला एक ऐसा जिला था, जहां एक बूंद पानी किसानों को नहीं मिलता था. वे बेचारे जो बरसों के तालाब थे, उनके ऊपर आश्रित हुआ करते थे. चंदेलकालीन तालाबों पर वे आश्रित होते थे. लेकिन आज धसान नदी का पानी टीकमगढ़ जिले से जो उत्‍तर प्रदेश में जाता था, उसको धसान नदी पर बान सुजारा बांध बनने के कारण 183 गांवों के किसानों की 75 हजार हेक्‍टेयर भूमि सिंचित करने का काम अगर किसी सरकार ने किया है तो हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है.

          माननीय सभापति महोदय, अगर हम जामनी नदी की बात करें तो जामनी नदी का पूरा पानी उत्‍तर प्रदेश से होकर गंगाजी में पहुँच जाता था. जामनी नदी पर भी हम लोगों ने हरपुरा सिंचाई परियोजना के माध्‍यम से फेस वन का काम प्रारंभ कराया था, उसमें कम से कम हमारे जो 12 पुराने तालाब थे, उनमें जामनी नदी का पानी डालने का काम किया और फेस टू के माध्‍यम से भी अब बराना खास के तालाब में भी उसकी नहर बनाने के कार्य का शुभारंभ हो गया है. सरकार की चिंता है...

          सभापति महोदय -- खटीक जी, शीघ्र समाप्‍त करें. काफी माननीय सदस्‍य बोलने वाले हैं.

          श्री हरिशंकर खटीक -- सरकार की चिंता है कि जो हमारे किसान हैं, उनके खेतों में पानी कैसे पहुँचे. पानी को रोकने का काम कैसे करें, इसके लिए सरकार को चिंता है और हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार यह काम कर रही है. हम धन्‍यवाद देना चाहते हैं देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी को, धन्‍यवाद देना चाहते हैं उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी को, धन्‍यवाद देना चाहते हैं मध्‍यप्रदेश के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी को और वर्तमान मुख्‍यमंत्री जी को भी कि जो केन-बेतवा लिंक परियोजना जैसी सिंचाई परियोजना हम सब लोगों के बीच में एक जीवनदायिनी के रूप में आई है. हम धन्‍यवाद देना चाहते हैं कि हमारे टीकमगढ़ जिले के जो हमारे जतारा विधान सभा क्षेत्र के गांव रह गए थे, माननीय सभापति महोदय, अब जतारा विधान सभा का एक-एक गांव, मजरा, टोला इस योजना में सम्‍मिलित कर लिया गया है. आपने बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्‍डोरी) -- माननीय सभापति महोदय, सनातन धर्म के सबसे पवित्र दिन नागपंचमी पर मैं आप सबको बधाई देता हूँ. नागपंचमी का यह दिवस हमारी परम्‍परा और विरासत का हमारा बहुत खूबसूरत दिन है. हम लोग जब स्‍कूल में पढ़ते थे तो बजरंग बली की मूर्ति या कागज की प्रतिमा बना करके उसको स्‍थापित करके नागपंचमी का उत्‍सव हम ऐसा मनाते थे जो आज भी मुझे याद है. मेरा वह बचपना मुझे याद आ रहा है. पर अफसोस है कि आखिर हमारे सनातन धर्म के पवित्र दिन को लोग क्‍यों ध्‍यान नहीं रख रहे हैं. आज के दिन अगर हमें अनुमति दे देते तो क्‍या बिगड़ जाता, क्‍या घट जाता. मैं तो सरकार से मांग करता हूँ कि सनातन धर्म के जो पारम्‍परिक दिवस हैं, उन पर कृपया करके हमको भी इजाजत दें कि हम सनातन धर्म को मान सकें. यह मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रदेश की सरकार और केन्‍द्र की सरकार से भी अनुरोध करता हूँ.

          सभापति महोदय, यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण विषय है. माननीय भार्गव जी ने बहुत सही बात कही है और मुझे लगता है कि भार्गव जी नंबर वन इसलिए नहीं आ पाए कि सही बात आप कर जाते हैं. भू-जल लगातार कम हो रहा है. बहुत कम हो रहा है. यह सिर्फ हमारा बस विषय नहीं है, सभी प्रकार के जीव-जंतु भी इस बात को स्‍वीकार करते हैं कि जल के बिना किसी का जीवन नहीं है. जल के बिना किसी का जीवन नहीं है इसलिये मैं कहता हूं कि पानी बिना जीवन नहीं है सुन लो जनमानस हमारे,सभी मिलकर प्रयास करो ताकि भविष्य में जीवन बना रहे हमारा.हमारा जीवन अत्यंत निर्भर है जल पर बात आती है कि बात तो बहुत की जाती है पर सच्चाई कुछ और है मैं आज आपके माध्यम से सभी साथियों से कहना चाहूंगा कि हमारे कितने साथी हैं जो सच्चाई चाहते हैं और कितने साथी हैं जो बेईमानी चाहते हैं. सच्चाई वाले हाथ उठाओ कि कितने सच्चाई चाहते हो. सभापति महोदय, मैं दोनों हाथ उठाकर कहता हूं कि हम सच्चाई चाहते हैं और जो नहीं उठाना चाहते वह सिद्ध है कि वह क्या चाहते हैं आजलड़ाई इसकी है कि हम सच्चाई की बात करें कि जल क्यों कम हो रहा है. यह कोई राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की बात नहीं है. जल क्यों कम हो रहा है क्या कारण है कैसे हम उसको संरक्षित करें. कैसे उसको हम व्यवस्थित करें पर पानी दो जगह कम हो रहा है एक तो प्राकृतिक जल जो पानी के रूप में है और इंसानों का पानी भी कम हो रहा है. सिर्फ भूजल पर ही ध्यान नहीं देना पड़ेगा. इंसानों के पानी का भी ध्यान देना पड़ेगा. आज हमारे अंदर पानी का मतलब है कि हमारी सच्चाई कैसे कम होती जा रही है. आज हम बात करते हैं कि हमारी सरकारी आई हमारी सरकार आई.अच्छी बात है सरकार आती है सरकार जाती है लोकतंत्र की यही परंपरा है और आज जो जल से संबंधित काम चल रहे हैं. जिस तरह जल से संबंधित काम चल रहे हैं. इतने महत्वपूर्ण विषय में आदरणीय भार्गव जी ने 15 विभागों को कोड किया कि 15 विभाग जिम्मेदार हैं तो 15 विभाग के प्रमुख सचिवों को दर्शक दीर्घा में बैठकर रहना चाहिये. जल से बड़ा महत्वपूर्ण काम नहीं है उनको सुनना चाहिये कि हमारी चर्चा क्या हो रही है क्या बातें हो रही हैं कैसे इसका निराकरण किया जाये पर वह गंभीर नहीं है. दो ही हैं हमारे उनको धन्यवाद पर बाकी को भी रहना चाहिये समझना चाहिये भार्गव जी, यह हमारे लोकतंत्र पर लोक पर तंत्र हावी हो गया है जबकि तंत्र पर लोक को हावी होना चाहिये यह हमारा लोकतंत्र कहता है पर आज हमारे अभी माननीय साथीगण बता रहे थे पहले चला अमृत सरोवर,मुझे भी लगा कि कुछ अमृत मिल ही जायेगा कांग्रेस भाजपा की बात छोड़ो अमृत के लिये सभी लाईन लग जाएंगे.अमृत मिल जायेगा अमृत मिल जायेगा बजट का कोई प्रावधान नहीं. मनरेगा के तहत ही आप अमृत योजना बनाओगे. मैं कहना चाहता हूं जब सरकार का जवाब आए तो बताएं कि अमृत योजना में आपने किस मद से कितना प्रावधान किया था दूसरा मां गंगा के लिये आपने नमामि गंगे, क्या अच्छा नाम का नामकरण किया. हम उसका स्वागत करते हैं. आपने उसके लिये बजट कितना रखा. कितना पैसे का बजट रखा. एक रूपये का अतिरिक्त बजट नहीं. मनरेगा के अलावा आपका कोई प्रावधान उसमें नहीं फिर आया इस साल गंगा जल संवर्द्धन. अरे भाई, गंगा मईया पाप को धोने वाली है और उतना पवित्र नाम को आप रखते हैं तो पाप क्यों कर रहे हो थोड़ा बजट भी बढ़ा देना चाहिये कि इतना-इतना बजट प्रावधानित है. एक रुपये का  बजट नहीं मनरेगा में सिर्फ काम करोगे और मनरेगा को कमजोर करने के लिये. मैं तो कहूंगा कि आदरणीय प्रहलाद पटैल भईया को पीडब्लूडी या दूसरे विभाग का मंत्री बना दो. यह बड़ा मंत्री है गरीबी की स्थिति समझता ही नहीं कि कौन सा काम करना है क्या करना है. मुख्यमंत्री जी के पास गृह विभाग है गृह विभाग दे दो.

          सभापति महोदय--  मरकाम जी, समाप्‍त  कीजिये, काफी  सदस्‍य हैं और विषयानुकूल रहें, समय अनावश्‍यक ज्‍यादा हो रहा है, प्‍लीज, आप बहुत अनुभवी और वरिष्‍ठ सदस्‍य  हैं.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--  सभापति महोदय जी, मेरा कहना है कि जल संवर्धन में आपके माध्‍यम से माननीय विजयवर्गीय जी से अनुरोध करूंगा कि जल संवर्धन में अगर सबसे अच्‍छा काम हुआ है तो मेड़ बंधान से हुआ है, मेड़ बंधान में छोटे-छोटे स्‍ट्रक्‍चर बनाये जाते हैं, मेड़ बंधान जब बनता है तो बरसात का जल अगर सबसे ज्‍यादा रोका जाता है तो उसका मैं बता दूं मेड़ बंधान पिछले एक साल से एक भी मेड़ बंधान की स्‍वीकृति न दिया जाना जल संग्रहण मिशन पर बहुत बड़ा प्रश्‍नचिह्न खड़ा करता है. माननीय सभापति महोदय जी, मैं चाहता हूं कि जल संवर्धन पर निष्‍पक्ष बात होनी चाहिये और जितना जल संरक्षण के लिये काम करने की जरूरत है इस पर अगर हम लोग काम नहीं करे तो आने वाला भविष्‍य संकट में जायेगा, यह सब कह रहे हैं पर निर्धारित कार्यक्रम आपको बनाना पड़ेगा. जल संवर्धन संरचना से जुड़े हुये काम धनपुरी में एक डेम बना, माननीय विजयवर्गीय जी एक साल में बह गया, जल संरचना का यह हाल है. अमृत तालाब सूखे हुये हैं. गंगा जल संवर्धन पर अभी आप जाकर के कोई सार्वजनिक कमेटी बनाकर भेज दें सभापति जी तो आपको सच्‍चाई, वैसे आपके अंदर भी मैं समझ सकता हूं, पर अब क्‍या करें मजबूरी है, वहां बैठने के बाद आपको भी थोड़ा सा....

          सभापति महोदय--  आप तो अपनी बात समाप्‍त करें.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--  माननीय सभापति महोदय जी, एक मेरा अनुरोध है. गंगा जल संवर्धन और जल ग्रहण मिशन, अमृत सरोवर तालाब यह तमाम जो प्रयास हुये हैं इसके वास्‍तविक भौतिक मूल्‍यांकन के लिये सर्वदलीय एक विधायक दल की कमेटी बनाकर के, दूसरा मेरा अनुरोध है कि सभी विधायकों की सहभागिता से जल बचाने के लिये एक विशेष कार्यशाला बनाई जाये जिसमें माननीय मुख्‍यमंत्री जी, जल संवर्धन से जुड़े हुये विशेषज्ञ, गांव के अनुभवी हमारे सामाजिक लोग और हमारे सभी जनप्रतिनिधि के बीच में इस पर एक संवाद हो और जल के लिये हमारा जो माननीय गोपाल भार्गव जी ने, गोपाल भार्गव जी, भूपेन्‍द्र सिंह जी, जैन साहब सब सागर के, पर सब पर भारी गोविंद हो गये तो हम क्‍या करें.

          सभापति महोदय--  बहुत-बहुत धन्‍यवाद मरकाम जी, खत्‍म कीजिये.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--  सभापति महोदय जी, (श्री गोपाल भार्गव जी की ओर देखते हुये) पंडित जी हम आपके साथ हैं, आप चिंता मत करना, यह अन्‍याय करेंगे पर मैं तो आपके साथ दलगत नीति से ऊपर उठकर साथ हूं. सभापति जी, मेरा अंतिम अनुरोध यही है कि इसमें निष्‍पक्षता से कार्यक्रम निर्धारित हों. यह हमारे आने वाले भविष्‍य का बहुत बड़ा कार्यक्रम है. पुन: आपने बोलने का जो मौका दिया मुझे उम्‍मीद है कि भूमि का जो जल कम हो रहा है वैसे ही हमारे अफसरों का जल भी कम हो रहा है उसका भी स्‍तर बढ़ाने का प्रयास करेंगे, ऐसा मेरा आपके बीच में अनुरोध है. मैं भार्गव जी का समर्थन करता हूं और मुझे उम्‍मीद है पंडित जी आप संघर्ष करो हम आपके साथ हैं. लड़ेंगे, जीतेंगे.

          श्री गोपाल भार्गव--  मरकाम जी, अपना तो ऐसा है, आपने जिस तरफ चर्चा मोड़ी, मेरे बारे में एक बात बताना चाहता हूं-

          ''चाह गई चिंता गई और मनवा बेपरवाह,

                और जिनको कछु नहीं चाहिये वे साहन के साह.

           श्री गौरव सिंह पारधी(कटंगी) -- माननीय सभापति महोदय, एक गंभीर विषय पर बहुत अच्‍छी चर्चा चल रही है, सबने अपनी बात रखी है, इसीलिये मैं भी अपनी बात से शुरू करूंगा. जलमेव जीवन, जल के बिना न कोई जीवन और विश्‍वभेजनम यानी जल में समस्‍त औषधियां समाहित होती हैं, इतने प्रमुख मुद्दे पर चर्चा करते हुए, हम सबके वरिष्‍ठ जो आज हमारे बीच में नहीं रहे श्री अनिल माधव दवे जी को याद करते हुए नदी, निर्झर, सरोवर, कसार, कूप, जलाशय आदि हमारी संस्‍कृति का हमेशा से अभिन्‍न हिस्‍सा रहे हैं और यह संस्‍कृति हमेशा नदियों के तट पर ही बसी हैं, चाहे आयोध्‍या हो सरयू के किनारे, उज्‍जैनी छिप्रा जी के किनारे, चाहे बैनगंगा के किनारे बालाघाट, बावनथड़ी के किनारे हमारी विधानसभा कटंगी और चंदन के किनारे मेरा गांव अनसेरा, यह सभी जो हैं नदी के किनारे बसे हैं और इसी को ध्‍यान देते हुए धीरे-धीरे समझ में आया कि जल कितना महत्‍व रखता है और इसके बाद इस महत्‍व को समझते हुए इसमें सुधार करने के लिये हमारे आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी की सरकार ने जलगंगा संवर्धन अभियान भी शुरू किया है, सभी विभागों के मिश्रण से एक प्‍यारी जलधारा का संकल्‍प लेते हुए शुरू किया, तीन माह हमने देखा इस कार्यक्रम में अनेकों कार्य हुए, शुरूआत करूंगा मैं पंचायती राज विभाग से जिसमें हमारे आदरणीय प्रहलाद जी भाई साहब का मार्गदर्शन मिला, प्रहलाद जी भाई साहब इस पूरे दौर में मैं समझता हूं पिछले साल से लेकर अभी तक पचास से अधिक नदियों के उद्गम स्‍थल पर पहुंचे और तीन चार जगह पर मुझे भी साथ रहने का सौभाग्‍य मिला. यह इस बात का संकेत करता है कि भारतीय जनता पार्टी की यह सरकार इस विषय को लेकर कितनी चिंतित है, अनेकों कार्य हुए खेत तालाब के, चर्चा चल रही थी खेत तालाब को लेकर तो मैं बताना चाहूंगा कि इस बार जो खेत तालाब बने वह जी.पी.एस. को ध्‍यान में रखते हुए बने हैं, मैं मोटा मोटा बता रहा हूं ऐसा तो नहीं कह सकता हूं लेकिन निश्चित तौर पर सुधार हुआ है कि उन तालाबों में पानी का संचय हो सके, डकबेल रिचार्ज का कार्य हुआ, अमृत सरोवर हुआ है.  एक बात जरूर बताना चाहूंगा एक जलदूत ट्रेनिंग की योजना हुई, जिसमें आने वाले समय के हिसाब से हमारे जलदूतों का संरक्षण किया गया, उनको तैयार किया गया और जब नदियों की चर्चा होती, जल की चर्चा होती है तो वेद हो पुराण हो हर जगह, इसका वर्णन आता है, यजुर्वेद में जल संरक्षण पर बल देते हुए कहा गया मां आपो हिंसी याने जल का हमको संरक्षण करना है. वेद में कहा गया है मनुष्‍य वर्षा जल तथा अन्‍य स्‍त्रोतों से निकलने वाले जल जैसे कुएं बावड़ी आदि तथा फैले हुए जल जैसे तालाब आदि के जल में बहुत पोषण होता है, इस जल का प्रयोग करके वेगवान और शक्तिवान बनना चाहिए, इसी को समझते हुए इसी धारा को आगे बढ़ाते हुए माननीय मुख्‍यमंत्री जी की यह योजना चलती चली गई और जैसा कि हमारे वरिष्‍ठों ने बताया कि अनेक विभागों का इसमें मिश्रण रहा, संरक्षण रहा, तो मैं ध्‍यान दिलाना चाहूंगा राजस्‍व विभाग की ओर क्‍योंकि निश्चित तौर पर उन्‍होंने जो हमारी जलीय संरचनाएं हैं, जो अक्सर हमने देखा और कई बार चर्चा होती है कि शहरों में या गांवों में तालाब गायब हो जाते हैं, तो जो-जो संरचना बन रही हैं, उसको राजस्‍व अभिलेख में दर्ज किया गया, यह मैं समझता हूं कि बिल्‍कुल ध्‍यान देने योग्‍य बात है. जल संसाधन विभाग ने भी जीर्णोधार के कार्य किये, माननीय हमारे तुलसी भईया यहां बैठे हैं, मैं उनको धन्‍यवाद देना चाहूंगा. पर्यावरण विभाग ने भी अनेक प्रकार से जो नाले हमारी नदियों को दोषित कर रहे हैं, उनको चिह्नित किया, उनकी कार्य योजना बना रहे हैं. नगरीय प्रशासन विभाग नगर वन से लेकर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग स्‍ट्रक्‍चर से लेकर एक बहुत बडे़ तरीके से मैं देख रहा हूं पूरे प्रदेश में लगभग 250 से 300 सीवेज ट्रीटमेंट प्‍लांट इनकी स्‍थापना को लेकर कार्य किया जाना है, उसके लिये मैं हम सबके आदरणीय श्री कैलाश जी भाई साहब को धन्‍यवाद देना चाहूंगा. स्‍कूल शिक्षा विभाग ने भी अपना योगदान दिया है. प्रतियोगिताओं के माध्‍यम से उद्यानिकी विभाग ने कार्यशालाएं की हैं, किसान कल्‍याण विभाग ने भी अपनी बात कही है, पीएचई विभाग ने भी अपना काम किया है, लेकिन एक बात जो मैं ध्‍यान में लाना चाहूंगा कि हमें जल के प्रयोग में सतही जल पर ध्‍यान देना होगा, चाहे वह पीने का जल हो, चाहे वह कृषि का जल हो या उद्योगों में इस्‍तेमाल होने वाला जल हो, हमें धीरे-धीरे सतही जल के उपयोग की ओर बढ़ना पड़ेगा ताकि जो हमारा ग्राउंड  वॉटर का हम एक्‍सेसिव यूज कर रहे हैं, धीरे-धीरे उससे हमारी निर्भरता दूर होती चली जाये और इसी को ध्‍यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के संरक्षण में केन बेतवा लिंक परियोजना, बेतवा काली सिंध परियोजनाएं चालू हो रही हैं, तो इसके लिये निश्चित तौर पर केंद्र सरकार और मध्‍यप्रदेश की सरकार को मैं धन्‍यवाद देना चाहूंगा.

माननीय सभापति महोदय, अनेकों कार्य जल अभियान के माध्‍यम से हुए हैं, बोरीबंधान के कार्य हुए, मैंने भी उसमें सहयोग किया, उसमें अपना हिस्‍सा लिया. एक बात आई थी कि सरकारों ने क्‍या किया? तो मैं बताना चाहूंगा कि वर्ष 1985 में एक गंगा एक्‍शन प्‍लान आया. ऐसा प्‍लान आया कि 15 वर्ष में भी उसमें गैप रह गया और उसको पूर्ण करने के लिए हमने नमामि गंगे अभियान लाया और निश्चित तौर पर वह धीरे धीरे, उस गैप को पूर्ण कर रहा है और उस दिशा में कार्य कर रहा है.

आगे बताना चाहूंगा कि बातें यहां खत्‍म नहीं होती. हम अगली कड़ी पर पहुंच रहे हैं. जल को रोकने के लिए हमें वृक्षारोपण करना पड़ेगा, तो 15 जुलाई से 15 अगस्‍त तक हमारी सरकार के द्वारा बड़े स्‍तर पर यह कार्य किया जा रहा है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने एक बगिया मां के नाम जो योजना लाई है, उसका हम सब आने वाले समय में प्रयास देखेंगे. आखिर में तीन-चार बातें कहना चाहता हूं. ये जो इंटीग्रेटेड एप्रोच भारतीय जनता पार्टी की, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने लाई है, इस पर ध्‍यान देना पड़ेगा, लेकिन सामाजिक स्‍तर पर जो एक वेस्‍टर्न कन्‍ज्‍यूमरिस एप्रोच जो हमारे समाज में आया है, उसमें सभी को चिन्‍तन करना पड़ेगा. सदन की तरफ से चार शब्‍द जरुर रखूंगा..

          जल का संरक्षण करें, संकट यह बलवान है.

          बारिश हो पूरी यहां, पेड़ लगा इंसान.

          जल कुदरत की देन है, कर इसका सम्‍मान.

          दूषित इसे नहीं करें, यह होगा अपमान, यह होगा अपमान.

          आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह(पन्‍ना) माननीय सभापति जी, आज निश्चित रूप से एक ऐसा विषय सदन के अंदर आया है. इसमें लोक महत्‍व की बात करें तो इसमें सभी समाहित हो जाते हैं और यह सबके महत्‍व की चीज भी है. मैं अपने सीनियर विधायक और सम्‍माननीय भार्गव जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि आपने ऐसे विषय को सदन के अंदर उठाया, जो चर्चा में आया. मैं बहुत सी बातें सुन रहा था. मैं मानता हूं‍ कि आज प्रकृति की जो भी चीजें मिली हैं, उसमें से एक अनमोल उपहार के रूप में हमें जल मिला है, इसको संरक्षित करने के लिए, इसके संरक्षण के लिए हम सभी इस पर चर्चा कर रहे हैं, चिन्‍ता भी जाहिर कर रह हैं. लेकिन उस चिन्‍ता का कारण क्‍या है, उसकी पृष्‍ठभूमि में भी जाने की जरुरत है. हम निश्चित रूप से आगे बढ़ते जा रहे हैं, सिंचाई का रकबा भी बढ़ा रहे हैं, लेकिन इधर हम यह भी देख रहे हैं कि भारत का भविष्‍य भी जल को लेकर खतरे में है. यदि उन चीजों को हम याद करते हैं तो बहुत सी चीजें हमारे ध्‍यान में आती है . हम देख रहे हैं कि हमारे कुंए सूख रहे हैं, हैण्‍डपम्‍प सूख रहे हैं. यहां पर पानी की कमी है, निरंतर कमी आ रही है क्‍योंकि जो हमारी पुरानी बावडि़यां थीं, पुरानी संरचनाएं थीं, जो हमारे पूर्वज हमें दे गए थे, आज क्‍या वह जीवित है या आज कहीं न कहीं अतिक्रमण की चपेट में आ गई हैं, या आज जो बाढ़ का स्‍वरूप देश या प्रदेश में देख रहे हैं, उसका मूल कारण क्‍या है. हमें उन चीजों पर जाने की जरुरत है, उनको ठीक करने की जरुरत है. मैं मानता हूं कि आज जो हमारा भू-जल स्‍तर है, जो हमारा जल भंडारण था, वह धीरे धीरे गायब हो रहा है. उसके लिए हमने यह देखा है कि हमारी जो बावडि़यां  थीं, उनमें कचरा भर गया, हमारे कुएं जिनसे हम सिंचाई करते थे, पीने का पानी लेते थे, वह सूख गए और जो हमारे झीलें थीं, वह भी सूख गईं. आज हम देखते हैं कि हम मूल बात पर जाए तो जितने ट्यूबवेल्‍स हुए हैं, हम जितना पानी का दोहन कर रहे हैं, उतना पानी रिचार्ज नहीं हो रहा है, जिससे ये सब समस्‍याएं खड़ी हो रही है. जहां जहां पर बोर है, ट्यूबवेल्‍स हैं, वहां आस-पास के चाहे कुंए हो, तालाब हो, निरंतर सूख रहे हैं, क्‍योंकि जिस हिसाब से हम खिंचाई कर रहे हैं, उस हिसाब से रिचार्ज नहीं हो रहा है. उन सभी चीजों को लेकर आज चिंता चाहे पक्ष की हो, या विपक्ष की हो कि आज हमारा भविष्‍य कैसे होने वाला है, उन चीजों पर हम लगातार बात कर रहे हैं. आज हमारा औद्योगिकीकरण बढ़ रहा है, पानी की आवश्‍यकताएं बढ़ रही है, हम आधुनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं, हमारी फसल का रकबा भी बढ़ रहा है. इसलिए हमें पानी की जरुरत है, जब हम पानी की जरुरत की बात करते हैं तो हम उसके संरक्षण, संवर्धन की बात करते हैं और मैनेजमेंट की बात करते हैं और उन सब चीजों को लेकर हम देख रहे हैं, तो उसमें जो मूल बात आती है आज हमारा जल स्तर घट क्यों रहा है. उसका मतलब है कि हमारे यहां पर पानी का अत्यधिक दोहन हो रहा है. आज उसके लिये हमारी आवश्यकताएं क्या हैं ? आज उस पर हम काम क्या कर रहे हैं ? इसलिये उन चीजों को लेकर भी हम यह देख पा रहे हैं कि कहीं न कहीं हमारा यदि पानी का रिचार्ज नहीं हो रहा है उसका एक और कारण बन रहा है कि हमारा जो अनियंत्रित मानसून है, वह भी सही तरीके से जिस तरह से पहले पानी सही समय पर और अच्छा पानी आता था उस तरह से उसकी सायकल भी बिगड़ी है. जब हम उसके पीछे जाते हैं तो कहीं न कहीं यह देखते हैं कि हमारा जो जंगल था, जिस कारण से पूरी सायक्लिंग होती थी, वह हमारा कहीं न कहीं खत्म हुआ है, जिसके लिये हमारी सरकारें काम कर रही हैं. लेकिन इसके लिये हम देख रहे हैं कि जितने भी उद्योग हों, यह बात मैं मानता हूं कि आज जितना इस सृष्टि में पानी है उतना मानव जीवन के अंदर भी पानी है. 70 प्रतिशत हम मानते हैं कि हमारी सृष्टि में पानी है, हमारी पृथ्वी में पानी है तो हम यह देखते हैं कि 70 प्रतिशत हमारे शरीर में भी पानी है. हमारे माननीय मरकाम जी बोल रहे थे कि पानी की कमी निरंतर हो रही है उसके लिये हमें करना क्या है ? हमारे माननीय भार्गव जी ने भी इसकी चिन्ता जाहिर की. हमारे भैरोसिंह शेखावत जी ने उस पर काफी चर्चा की तथा हमारे कई सीनियर मेम्बरों ने भी चर्चाएं कीं, लेकिन उसमें विकसित करने की जो हमारी संरचनाएं हैं उसको ज्यादा विकसित करने की जरूरत है. आज हम देख रहे हैं कि भारत में 1951 का जो आंकड़ा है प्रति व्यक्ति 5177 क्यूबिक मीटर पानी की उपलब्धता थी आज घटकर 2025 में 1500 क्यूबिक मीटर हो गई है. इसलिये हम देख रहे हैं कि भविष्य में जो आने वाला दशक है अगर इसी तरह से पानी का दोहन किया जाता रहा तथा उसका सही ढंग से रख-रखाव नहीं किया तो चाहे वह भोपाल हो, इन्दौर हो, ग्वालियर हो, यहां पर भी सूखे की स्थिति आगे होने वाली है. इसके लिये अगर आप नीति आयोग की रिपोर्ट देखें 2023 की उसमें स्पष्ट रूप से कहा है कि दुनिया में यदि सबसे ज्यादा जल का संकट आने वाला है तो यह भारत देश के अंदर आने वाला है. उसी के लिये यह महत्ती चर्चा जारी है. हम यह चाहते हैं सदन को सकारात्मक रूप में क्या हम सुझाव सरकार को दे सकते हैं, कैसे कर सकते हैं ? उन पर विचार करने की जरूरत है. आज हम देख रहे हैं कि हमारे प्रदेश में मात्र 22 प्रतिशत हमारा जो पानी का कृषि के ऊपर उपयोग है वह कर रहे हैं. जबकि वर्षा की जो औसत है वह 900 से 1200 मिली मीटर है इसलिये आज बहुत सी हमारी नदियां भी हैं जो जंगल पर आधारित है. जो हमारी वर्षा प्राकृतिक रूप से आती है. आज हमारी नदियां चाहे सोन हों, केन हों, बेतवा हो, ताप्ती हो, आज नदियां के लिये मानसून आता है हमारे जो जंगल हैं उनके थ्रू आता है तथा जंगलों के थ्रू ही हमारी नदियां भी जीवित रहती हैं. मैं निश्चित रूप से माननीय प्रहलाद जी को धन्यवाद देना चाहूंगा वह पन्ना आये थे, तो वह नदियों के उद्गम स्थल पर गये वहां पर उन्होंने कहा कि कैसे हम नदियों को जीवित करें, उस पर उन्होंने काम किया है इसलिये इस तरह से काम होने भी चाहिये. अभी कोई बता रहा था कि 50 से 55 उद्गम स्थलों पर हमारे माननीय प्रहलाद जी गये हैं, वह निश्चित रूप से धन्यवाद के पात्र हैं. कम से कम उन्होंने सोच अपने मन के अंदर रखी. आज उन्हें मालूम है कि जल ही जीवन की हम बात करते हैं, तो जल को हम कैसे संरक्षित करें, कैसे नदियों के उद्गम स्थलों को जीवित करें, उस पर उन्होंने काम किया है. आज रेन वॉटर हारवेस्टिंग की भी बात आ रही है. हमारी जो परम्परागत बावड़ियां रही हों, चाहे चंदेलकालीन तालाब रहे हैं, चाहे हमारी झीलें रही हों आज उसको पुनर्जीवित करने के लिये आज जागरूकता सबसे बड़ी जरूरत है. आज यह सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, यह आज हर व्यक्ति की जरूरत नहीं है, इसको एक जनान्दोलन के रूप में लाने की जरूरत है, यह हर व्यक्ति की चिन्ता होनी चाहिये, हर जनप्रतिनिधि की भी चिन्ता होनी चाहिये. इसलिये मैं यह मानता हूं कि बहुत सारे नीतिगत बदलाव लाने की भी जरूरत है, उसमें हमें कई कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे, उसकी भी जरूरत है, आज देश-प्रदेश में जागरूकता को भी बढ़ाने की जरूरत है, आज हमें यह भी देखने की जरूरत है कि आज आगे आने वाला भविष्य जिसमें हम देख रहे हैं कि मैं पन्ना का एक छोटा सा उदाहरण दे रहा हूं कि हमारे मध्यप्रदेश के अंदर बहुत सी नदियां हमारे यहां से प्रभावित होती हैं. बहुत सारे उद्गम स्थल हमारे मध्यप्रदेश के अंदर है. लेकिन आज उनके जो एग्रीमेंट हुए हैं बहुत-सा पानी हमारा दूसरे प्रदेशों में जा रहा है, उस पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत है. क्‍योंकि हमारे यहां का पानी दूसरे प्रदेश वाले ज्‍यादा इस्‍तेमाल कर रहे हैं. जितना हमें यूज़ करना चाहिए, उतना यूज़ हम नहीं कर पा रहे है. इस पर यदि मैं कहूंगा कि यह कबके एग्रीमेंट हैं तो उसमें फिर एक कंट्रोवर्सी चालू हो जायेगी. इसलिए मैं तो यह कहता हॅूं कि आज उस पर विचार करना चाहिए. क्‍योंकि हम लोग भी उन चीजों को भोग रहे हैं और हम माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को धन्‍यवाद देना चाहते हैं जिन्‍होंने "नदी जोड़ो अभियान" चालू किया. उसमें केन-बेतवा परियोजना है. केन-बेतवा नदी का उद्गम स्‍थल पन्‍ना जिले से है और इसलिए आज वह केन-बेतवा लिंक परियोजना है जिस पर अभी हमारे माननीय सदस्‍य श्री हरिशंकर खटीक जी बोल रहे थे कि 8 लाख हेक्‍टेयर के ऊपर सिंचाई होने वाली है. उससे 10 जिले लाभान्‍वित होने वाले हैं. लेकिन उसमें हमारी मूल संरचना यह भी है कि जहां से वह पानी जाता है, जहां से वह निकलता है तो वह जिला भी कहीं न कहीं अछूता न रहे. हमारे माननीय सिंचाई मंत्री जी बैठे हैं तो मैं कहना चाहता हॅूं कि इस पर भी विचार कर लिया जाये क्‍योंकि हम दूसरे प्रदेश को पानी देना चाहते हैं लेकिन आज हमारा प्रदेश या जहां से उसका उद्गम स्‍थल है जहां से हमारा पानी जा रहा है.

 

4.56 बजे         { अध्‍यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

 

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह देख रहा हॅूं कि हमारी बहुत-सी योजनाएं आयी हैं जैसे कि अटल भू-जल योजना है, जिसमें कि हमारे विश्‍व बैंक ने 6 हजार करोड़ रूपए दिये हैं. उसमें भी हमारा प्रदेश है. 7 राज्‍य हैं उसमें से एक राज्‍य हमारा मध्‍यप्रदेश भी है. जिसमें करीब 8350 हमारी पंचायतें हैं जिसमें अटल भू-जल का काम चल रहा है. इस तरह की हमारी बहुत-सी योजनाएं हैं जिसको लेकर के हमारे बहुत-से माननीय सदस्‍यों ने उस बात को रखा है. मैं उन बातों पर नहीं जाना चाहता. इसमें आज जरूरत इस बात की है कि जो हमारा पर्ल ड्रॉप है जो हम मोर क्रॉफ्ट की बात करते हैं कि एक-एक बूंद में हम कितनी ज्‍यादा फसल उगा सकें, उस पर भी हमारी सरकारें काम कर रही हैं. वह चाहे जल स्‍तर को लेकर हो, चाहे वह पानी की चौपालों को लेकर हो या और भी हमारे ऐसे अभियान हैं. जल गंगा संवर्धन के अभियान की जो बात हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी कर रहे हैं इसकी रेग्‍यूलर मॉनीटरिंग हो रही है और इसका एक सॉफ्टवेयर जीआईएस मैपिंग के माध्‍यम से, आज कहां पर स्‍थान का चयन होना है, उसको भी बनाने का काम किया जा रहा है और इसलिए मैं मानता हॅूं क्‍योंकि अब मैं यह देख रहा हॅूं कि हमारी ऐसी बहुत-सी संरचनाएं जो निर्मित हुई हैं आज चाहे वह हमारी केन्‍द्र की सरकार हो या प्रदेश की सरकार हो, उनके माध्‍यम से हमारी इतनी बड़ी संरचनाएं बनी हैं जिस कारण से आज हमारा सिंचाई का रकबा बढ़ता जा रहा है और इसलिए जो चिंता आज यहां सदन के अंदर इस लोक महत्‍व को लेकर, आज हमारे जल को लेकर की जा रही है कि कैसे हम जल को संरक्षित करें, उसको लेकर आए हैं. निश्‍चित रूप से मैं माननीय श्री गोपाल भार्गव जी को भी धन्‍यवाद देना चाहता हॅूं और मैं आपको भी धन्‍यवाद देना चाहता हॅूं कि इस लोक महत्‍व के प्रश्‍न पर निश्‍चित रूप से सभी के सुझाव आए और इसका क्रियान्‍वयन भी होना चाहिए, ऐसा मैं मानकर अपनी बात समाप्‍त करता हॅूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री दिनेश जैन "बोस" जी.

          श्री दिनेश जैन "बोस" (महिदपुर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज मुझे बहुत महत्‍वपूर्ण विषय पर बोलने का मौका मिला. गिरते हुए जल स्‍तर पर आज यह विषय है. यह बहुत बड़ा विषय है. मेरा ऐसा मानना है कि अभी मानसून में बदलाव आया है. राजस्‍थान और मध्‍यप्रदेश राज्‍य के अंदर ज्‍यादा बारिश हो रही है लेकिन इसके पहले हमारे यहां ओवर ड्रॉप की कंडीशन थी. जल स्‍तर काफी नीचे जा रहा था. उसके 3-4 कारण थे. स्‍केंटी रेनफॉल हो रहा था. बारिश कम हो रही थी. अनसिस्‍टमेटिक ड्रिलिंग और हेवी पंपिंग थी. इन कारणों से हमारा जल स्‍तर काफी नीचे चला गया. हमने उस समय 1000 से 1200-1200 फीट के होल किए. हमारा जो सब सरफेस पानी था, वह बहकर उन ट्यूबवेल के माध्‍यम से 1000 से 1200 फीट नीचे चला गया. उसके कारण पानी का लेवल 3 सौ, 4 सौ, 5 सौ फीट पर हमें पीने का पानी मिलता था और वह जो नीचे का पानी था, वह काफी गर्म होता था. वह फसल को भी खराब करता था, तो यह अनसिस्‍टमेटिक ड्रीलिंग भी एक कारण रहा है. लेकिन अब मानसून ने हमारे ऊपर बड़ी मेहरबानी की है तो 1000 से 1200 फीट के जो होल हैं इसमें मैं एक चीज और भी चाहूंगा कि जो हमारे 15 डिपार्टमेंट हैं वह भी मेरी बात को सुनें. मुझे सदन ने मौका दिया है. तो मैं वही पाइंट बोलना चाहता हूं, जिससे जल का स्तर कैसे उठे. जो 1000 से 1200 फीट के होल किये हैं. हम पर आज मानसून मेहरबान है तो हम क्यों नहीं उन होल्स को रिचार्ज करें. मालवा प्लेट के बारे में मैंने सुना है और मैंने पढ़ा भी है कि मालवा की प्लेट 32 वॉलकेनोज़ ब्लास्ट हुए, उसके बाद मालवा का पठार बना. मालवा के पठार पर बोला जाता है कि 'डग-डग नीर, पग-पग रोटी.' हमारे यहां पर बहुत सारी ऐसी संरचनाएं हैं. यह जो पानी को हम रोकेंगे और होल के अंदर डालेंगे, अगर हम ऐसी छोटी-छोटी संरचनाएं बनाएं. 10-15 फीट की दीवाल, छोटे नाले,  बड़े नाले, छोटे स्टापडेम, चेक डेम अगर हर विधान सभा में 15 से 20 ऐसे छोटे- छोटे डेम बना देंगे तो वह सब पानी रिचार्ज होकर उन ट्यूबवेल्स के अंदर जाएगा जो हमने अन-सिस्टमेटिक ड्रीलिंग कर रखी है. 1200 फीट तक चले गये. वह छोटे छोटे होल रिचार्ज होंगे और वाटर लेवल उससे काफी ऊपर आएगा. मेरा ऐसा मानना है कि इजराईल में केवल 14 इंच बारिश में वह तीन फसल लेते हैं. इजराईल का मशरूम तो शायद मोदी जी भी सुबह सुबह सेवन करते हैं. वहां इतनी अच्छी खेती करते हैं. मैं इस बात को अन्यथा नहीं ले रहा हूं. मेरे पास एक किलो लाने के लिए  75000 रुपये नहीं है. मैं यह बोलना चाहता हूं कि हम क्यों नहीं कर सकते हैं? मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि अन-सिस्टमेटिक ड्रीलिंग भी बंद की जाय. जहां पर जो ज्योलॉजिस्ट हैं वह समझते होंगे कि सबसे अच्छा रिचार्ज मालवा के अंदर हो सकता है और मध्यप्रदेश के अंदर डक-कम-बोरवेल बना सकते हैं. अगर आपने 25-30 फीट का कुआं खोद रखा है और उसके अंदर 50-60 फीट का होल डाल दें तो जो भी बारिश का पानी आएगा, वह उसके अंदर इकट्ठा होगा और धीरे धीरे रिचार्ज होता चला जाएगा. इसी तरीके से जो नदियां बहती हैं, हमारे यहां बहुत सारी प्रतिभाएं  और संभावनाएं हैं, हाइड्रो ज्योलॉजिस्ट इधर-उधर घूम रहे हैं. उनको रिचार्जिंग के लिए जॉब दे दिया जाय. उनको जॉब दे दिया जाय कि किस तरीके से हम 14 इंच बारिश में दोनों फसल ले लेंगे. बहुत कम पैसे में काम करने के लिए ये प्रतिभाएं तैयार हैं, लेकिन अधिकारी लोग जो हम नियम कानून बनाते हैं वास्तव में जब क्रियान्वयन की बात आती है तो ये लोग क्रियान्वयन करते नहीं है. जल संवर्धन 1 महीने तक मैंने देखा. मैं खुद भी एक जगह गया था. एक ठेकेदार को आक्यालिम्बा के अंदर उन्होंने बुलाया और केवल 30-40 डम्फर से उसने ऊपर की मिट्टी साफ कर दी. उस ठेकेदार का काम पूरा हुआ और वह चला गया. काफी बड़े बड़े अक्षरों में आया कि जल संवर्धन आक्यालिम्बा के अंदर हुआ. जनपद सीईओ, विधायक सब मौजूद रहे. दूसरे दिन मैंने जाकर देखा, वह 40 डम्फर ले गया और काम खत्म हो गया तो यह अधिकारियों की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि सरकार इतना पैसा खत्म कर रही है तो हमें उसका फल भी मिले, लेकिन फल नहीं मिलता है. मैं कहता हूं कि आज भी मेरी विधान सभा में जो मालवा की ऐसी संरचनाएं हैं एंटीक्लाइन, सिंक्लाइन स्ट्रक्चर्स हैं. उस पर छोटे छोटे डेम बना दिये जाएं. पूरा इलाके का वॉटर लेवल भी बढ़ जाएगा और पानी 50 फीट, 60 फीट, 100 फीट के ऊपर पानी की पंपिंग होगी, बिजली का खर्चा भी कम होगा और किसान तीनों फसल भी ले लेंगे. लेकिन यह अधिकारी लोग ऐसी ऐसी चीजें बताते हैं कि वह क्रियान्वित भी नहीं कर पाएंगे और इतना बड़ा खर्चा बता देते हैं. आज की तारीख में रिचार्जिंग करें तो सर्फेस फ्लो होकर पानी को बहने ही नहीं दे. अपने इंजीनियर्स, वैज्ञानिक क्या ऐसा नहीं कर सकते हैं? मिट्टी भी उपलब्ध है, गिट्टी, बोल्डर्स भी हैं, बेसाल्टिक फार्मेश, रॉक्स भी है केवल मेहनत करना है छोटे छोटे पिट्स बना दिये जाएं.

          अध्यक्ष महोदय - श्री दिनेश जी कृपया समाप्त करें.

          श्री दिनेश जैन - अध्यक्ष महोदय, एक दो चीज और है, जिनको बोलना जरूरी है.

          अध्यक्ष महोदय - एक और जरूरी वाली बोल दें, क्या है कि विषय बड़ा हो और बोला कम जाय तो इम्प्लीमेंट करना आसान होता है.

          श्री दिनेश जैन - अध्यक्ष महोदय, मैं तो इतना ही बोलना चाहूंगा कि अगर मेरे उज्जैन जिले में ही अगर 30-40 डेम हमको 10-10 लाख रुपये के दे दिये जाएं तो हम बता देंगे कि 14 इंच बारिश में भी हम दोनों, तीनों फसल वहां पर ले लेंगे तो हरेक पंचायत के अंदर छोटे-छोटे स्टापडेम बनाने के लिए 10-10 लाख रुपये, 10-12 डेम मध्यप्रदेश की सभी विधान सभाओं को दे दिये जाएं तो आप देखेंगे कि वाटर लेवल एकदम ऊपर आ जाएगा. काफी ऊपर आ जाएगा. अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री अरविंद पटेरिया- (अनुपस्थित)

          श्री प्रदीप अग्रवाल- (अनुपस्थित)

          श्री जीतेन्‍द्र उदयसिंह पंड्या (बड़नगर)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस महत्‍वपूर्ण विषय पर आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसलिये मैं, आपके प्रति कृतज्ञता व्‍यक्‍त करना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय, इस जल संवर्धन,  जल प्रबंधन और गिरते भू-जल स्‍तर पर सदन में जो चर्चा चल रही है. इस पर सुझाव के साथ-साथ सरकार क्‍या प्रयास कर रही है इस पर भी चर्चा होनी चाहिये. निश्चित रूप से इस पूरे सदन में आज जो चर्चा का विषय है, वह गंभीर विषय है. अगर इस पर हम किसी सार्थक योजना की बात करने जायें तो नदी जोड़ो परियोजना जो पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जी, जिनका पूरा देश जनशताब्‍दी वर्ष मना रहा है. यह जो नदी जोड़ो परियोजना का जो उनका सपना था उसको संकल्‍प मानते हुए देश के यशस्‍वी प्रधान मंत्री मा. नरेन्‍द्र मोदी जी, इस प्रदेश के मुख्‍य मंत्री डॉ. मोहन यादव जी, इस संकल्‍प को पूरा कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं यहां पर एक ऐसी परियोजना के बारे में चर्चा करना चाह रहा हूं जो मालवा के कई जिलों को लाभांवित करती है, जिसके कार्य का अभी हाल ही में शुभारंभ इस देश के यशस्‍वी प्रधान मंत्री और मा. मुख्‍य मंत्री जी ने किया है. पार्वती-कालीसिंध-चबंल लिंक परियोजना के माध्‍यम से इन नदियों को आपस में जोड़ा जायेगा. इस परियोजना के क्रियान्‍वयन से 13 जिलों के 2012 ग्रामों में 6 लाख, 16 हजार हेक्‍टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलने जा रही है और राज्‍य सरकार द्वारा इसकी राशि भी 34 हजार 583 करोड़ रूपये की राशि की प्रशासकीय स्‍वीकृति प्रदाय की जा चुकी है. पेयजल एवं उद्योगों के लिये भी इसमें पेयजल उपलब्‍ध रहेगा. क्षेत्री  य जनप्रतिनिधियों एवं जिला योजना समिति से प्राप्‍त प्रस्‍तावों के आधार पर चरणबद्ध तरीके से नदियों को आपस में जोड़ने की दिशा में प्रारंभिक रूप से 13 राज्यांतरिक नदी जोड़ो परियोजना चिन्ह्ति की गयी है. जिसकी साध्‍यता का परीक्षण जल संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से इस अवसर पर एक आग्रह भी करना चाहता हूं कि सरकार परिणात्‍मक प्रयास कर रही है, जैसा कि हम अंग्रेजों का भी समय जोड़ लें, राजा-महाराजों का भी समय जोड़ लें और उसके बाद की जो कि विपक्ष हमारी 40-50 साल की सरकारों को भी जोड़ लें तो वर्ष 2003 के पहले हमारे मध्‍य प्रदेश का सिंचाई का रकबा 7 लाख हेक्‍टेयर था. जब से वर्ष 2003-04 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तो हम गर्व से कह सकते हैं कि इस 21-22 साल में इस सिंचाई का रकबा बढाने का काम किया तो आज 70 लाख हेक्‍टेयर से अधिक का हमारा सिंचाई का रकबा हुआ है तो निश्चित रूप से सरकार जो काम कर रही है, वह प्रशंसनीय काम कर रही है और इस अवसर पर मैं आपके माध्‍यम से सरकार से भी आग्रह करना चाहता हूं कि बड़नगर विधान सभा क्षेत्र में चामला-चंबल और गंभीर यह तीन नदियां वहां से होकर निकलती हैं. इस नदी जोड़ो परियोजना के माध्‍यम से अगर नर्मदा और क्षिप्रा से भी वह नदियां जुड़ जायें तो इसका लाभ भी कई किसानों को मिलेगा. निश्चित रूप से वह चाहे केन्‍द्र की सरकार हो या मध्‍य प्रदेश की सरकार हो. इस जल संवर्धन, जल प्रबंधन और गिरते भू-जल स्‍तर के लिये बहुत ही संवेदनशील है और निश्चित रूप से कई योजनाओं और अभियानों के माध्‍यम से इस ओर लगातार प्रयास कर रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे इस चर्चा में भाग लेने का मुझे अवसर दिया, इसके लिये मैं आपका पुन: धन्‍यवाद करता हूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

            श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर)--  अध्यक्ष महोदय, यह लोक महत्व का विषय,  जिस  पर   आपने चर्चा  ग्राह्य की है.  बहुत ही गंभीर विषय है,  परन्तु देखने को मिला कि अभी आपने दो तीन नाम बुलाये भाजपा  के सदस्य लोक महत्व के  विषय पर  भी  वे अनुपस्थित रहे.  इससे  पता चलता है कि  भाजपा  के सदस्यों को कितनी चिंता है इस लोक महत्व के विषय की.

          अध्यक्ष महोदयआपका नाम जल्दी आ गया इस वजह से ..(हंसी)

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--  अध्यक्ष महोदय, मुझे थोड़ा  उनका समय  भी मिल जायेगा, ऐसी भी उम्मीद  करता हूं, दो सदस्यों का समय  आज  और आप दे देंगे. (हंसी).. निश्चित ही   वाटर कन्जर्वेशन का  जो विषय है,  बहुत चिंताजनक है और एक ग्लोबल  विषय  है. यह सिर्फ मध्यप्रदेश का नहीं,  पूरे देश का और  पूरा एक ऐसा विषय  है,  जिस पर पूरा विश्व  निगाहें रखा हुआ है.   निश्चित ही ऐसे विषय पर  चिंता की जानी चाहिये.  लेकिन जब  चिंता सरकार करे, क्योंकि नियम 139  में यह जो चर्चा लाई गई  है,  मुझे  समझ नहीं आ रहा है कि  सरकार क्यों चर्चा लेकर  आई है. चिंता करती है जनता.  चिंता करने का काम है विपक्ष का, चौथा स्तम्भ   चिंता कर सकता है. लेकिन यदि सरकार के लोग  चिंता करने बैठ जायें,तो फिर काम कौन करेगा.  आपका काम तो है डिलीवर  करना.  कोई भी  काम है, प्रोजेक्ट्स को इम्प्लीमेंट करना.  आप लोगों को  अगर  चिंता करना ही है,  यदि आपको इतना चिंतन शिविर लगाना  है,  तो आप लोग इधर आकर बैठ जाओ,  फिर वहां के लोग दूसरे  काम करेंगे.

          अध्यक्ष महोदययह इधर और  उधर  वालों  के  अपने हाथ में नहीं है.  वह जनता के हाथ में है.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--  अध्यक्ष महोदय यह जो विषय है,  मुख्यतः दो तीन   विभागों से जुड़ा हुआ है.  जल संसाधन विभाग,  पीएचई विभाग,  हालांकि पंचायत विभाग  की भी  इसमें सहभागिता है.  चूंकि सरकार इस विषय को लेकर  आई है, इसलिये सोचने के लिये मजबूर किया  कि   इसके पीछे निश्चित ही   कोई छुपा हुआ उद्देश्य है.  मैंने देखा है कि भाजपा  के नेता या कोई भी प्रोजेक्ट लाते हैं,  जब भाजपा की जहां जहां सरकार  होती है,  तो ये नाम  बड़े  अच्छे चुनकर लाते हैं. गंगा जल  संवर्धन.  सुनते ही बिल्कुल  मां गंगा का  स्मरण हो जाये, देश भक्ति का भाव  जागने लगे. जल जीवन मिशन.  मतलब नाम बहुत अच्छे होते हैं, लेकिन  उसका  काम क्या  इम्प्लीमेंटेशन  नीचे धरातल पर  क्या होता है,  यह सब ने देखा है. रोज के रोज  पेपर में,  आज भी  एक पेपेर में छपा.  जल जीवन मिशन में जो है,  311  करोड़  रुपये की  फर्जी बैंक गारंटी   लगाकर काम हुआ.  मैंने अभी एक विषय उठाया था,  अभी सागर जिले  के खुरई से विधायक हैं,  भूपेन्द्र  सिंह जी  एक बात कह रहे थे,  मैं   उनका वक्तव्य सुन रहा था.  मैंने  बीच में नहीं रोका.  तो वह कह रहे थे, पानी की क्वालिटी  की कह रहे थे, जल जीवन मिशन के माध्यम से  कि  इतनी बेहतरीन  पानी की क्वालिटी मिल रही है कि  जो डिस्टिल वाटर है, जो हम लोग मिनरल वाटर  खरीदते हैं,  उससे अच्छा पानी  हैंडपम्प या इससे  नलों से  निककर आ रहा है जल जीवन  मिशन में.  तो मैं सिर्फ एक उदाहरण  बताना  चाहता हूं इसका कटाक्ष करते हुए. वैसे तो जल जीवन मिशन  में भ्रष्टाचार इतना  बड़ा  है कि  उस पर  दो चार दिन लगातार  बोला जा सकता है. लेकिन  सिर्फ एक उदाहरण है.

          अध्यक्ष महोदययह  जल संवर्धन  पर चर्चा है.  जल जीवन  मिशन जो है,  वह   अलग पेयजल योजना है.  यह जल संवर्धन और  जल प्रबंधन  पर चर्चा है.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--  अध्यक्ष महोदय, जहां भी जल आयेगा, वहीं कन्जर्वेशन आयेगा. जल का ही तो कन्जर्वेशन  होगा.  अब दो माध्यम है एक  इरिगेशन के माध्यम से  किसानों के खेतों में  जाता  है,  एक घरों  के  माध्यम से.  अगर घर में भी  रेन वाटर हार्वस्टिंग का   सिस्टम लगा दिया  जाये, तो भी वाटर कन्जर्वेशन है.  इसलिये जल  जीवन  तो  उससे जुड़ा ही हुआ है.  चाहे वह पेयजल हो,  चाहे वह  किसानों  के खेतों में जाने वाला जल हो.  इसलिये मैं जल जीवन मिशन पर थोड़ा सा  बोलना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदयवह योजना  अलग है.  इसलिये मैंने आपका ध्यान आकर्षित  किया  है.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--  अध्यक्ष महोदय, मैं तो वाटर कन्जर्वेशन  की बात कर रहा हूं. सरकार की चिंता है, तो मुझे लगता है कि  उसको एड्रेस करना चाहिये. जो पीएचई में एक सिल्वर  आयनाइजेशन  टेक्निक यूज की है. इसको वाटर प्यूरीफिकेशन या डिसइन्फेक्टेड  के लिये  एक टेक्निक यूज की है  और पूरे प्रदेश में हर योजना में इसको लागू  किया गया. मैं इसके बारे में थोड़ा सा  आपको बताना चाहूंगा कि यह सिल्वर आयनाइजेशन वह टेक्निक है, जिसको Department of Drinking Water and Sanitation  ने एप्रूव ही नहीं किया है पूरे देश में और मध्यप्रदेश के अलावा कोई भी ऐसा देश नहीं है, जहां पर यह टेक्नीक यूज हो रही है. अगर कोई  भी व्यक्ति गूगल  पर इसको लिखकर देखेगा कि सिल्वर आयनाइजेशन का जो डिवाइस है, यह कितने रुपये का आता है,  मैं आपको बता रहा हूं, यह  5 हजार से लेकर 10 हजार  रुपये के अन्दर मिल जायेगा. कोई भी गूगल खोल कर  अभी भी  देख सकता है  और इसको मध्यप्रदेश की सरकार ने एक लाख रुपये से लेकर  के  डेढ़ लाख रुपये  तक में लगाया.  डेढ़ लाख रुपये. यह आप ही की जेब का पैसा है, आप ही क्षेत्र की जनता का पैसा है.

          श्री  अनिरुद्ध (माधव) मारु--  आप विषय पर बोलिये.  आप विषय पर क्यों नहीं चर्चा करते हैं.  सदन का समय खराब  कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदयमारु जी, कृपया उनको अपनी बात  कहने दीजिये.  आप अपनी बात कन्टीन्यू  रखे. समय  का ध्यान रखें.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--  अध्यक्ष महोदय, जी.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय--  माधव भैया,  भाभी जी से भी ऐसी ही बात  करते हैं.  आप चिंता मत करो, उनका स्वभाव ही  ऐसा है.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--  अध्यक्ष महोदय  तो फिर मैं इसको माइंड  नहीं करता.  यह जो सिल्वर  आयनाइजेशन  टेक्नीक  इसको मध्यप्रदेश में  डेढ़ लाख रुपये में  लगाया गया.  अनिवार्य किया गया,  क्योंकि इसको  एक कम्पनी नागपुर के द्वारा  इम्पैनल  करवाया गया. इम्पैनल्ड करवाकर के इसको अनिवार्य कर दिया और बाद में जो रिपोर्ट आई उसमें यह कहा गया कि इसकी कोई भी उपयोगिता जल जीवन मिशन के अंदर नहीं पाई गई.  200 करोड़ का भ्रष्टाचार सिर्फ एक छोटे से डिवाइस के माध्यम से किया गया, इसमें बाकायदा आईआईटी चैन्नई की रिपोर्ट है, आईआईटी के तीन विशेषज्ञों की रिपोर्ट है, आप चाहेंगे तो मैं वह रिपोर्ट पटल पर रखूंगा कि इसकी कोई भी उपयोगिता नहीं पाये जाने के बाद भी इसको लगाया गया. मैं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री बहन संपतिया उईके जी को सम्मान पूर्वक आग्रह करना चाहता हूं कि चाहे आप मेरे क्षेत्र अटेर में आ जायें अगर जल जीवन मिशन की इतनी ही प्रशंसा आप लोग कर रहे हैं, चाहे आप मंडला में मुझे अपनी विधानसभा में बुला लें और एक औचित्य निरीक्षण करवा लिया जाये और जनता के बीच में यह फैसला हो जाये कि पीएचई में जल जीवन मिशन में क्या चल रहा है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं कहना चाहता हूं कि जल संसाधन विभाग का इसमें बहुत बड़ा रोल है, इस विभाग का केन-बेतवा प्रोजेक्ट ऐसा प्रोजेक्ट है जिसकी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य तारीख करने से पीछे नहीं हटते, जब कभी इसकी बात आती है तो प्रधानमंत्री केन-बेतवा की बात करते हैं , खूब तारीफ करते हैं सबकी तालियां बजती हैं. मैं बताना चाहता हूं कि जो बेतवा नदी है उसका जो उदगम स्थल है, जो सोर्स है वही सूख चुका है. जब सोर्स सूख चुका है तब आपका आगे का प्रोजेक्ट कैसे सफल हो पायेगा. पहले आपको जो नदी का सोर्स है उसको पुनर्जीवित करना पडेगा . आदरणीय पंचायत मंत्री जी श्री प्रहलाद पटेल जी ने इसकी चिंता की है लेकिन पंचायत मंत्री जी की सुनवाई मुख्यमंत्री जी थोड़ी कम कर रहे हैं लेकिन उनकी चिंता जायज है और हम सब लोग उनकी चिंता में उनके साथ में हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में एक ददी गांव आता है, तुलसी सिलावट जी यहां पर बैठे हुये हैं उस ददी गांव में एक डेम बन रहा है और डेम बनते बनते पूरा टूट गया , निर्माणाधीन डेम टूट गया, वह डेम पूरा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और वहां पर जो किसानों की जमीनें थीं वह सारी जमीनें कटाव-भराव में चली गईं और किसानों को कई एकड़ जमीन का नुकसान हो गया. सरकार के द्वारा आज तक न ठेकेदार पर कोई कार्यवाही की गई न ही उन किसानों के प्रति कोई सहानुभूतिपूर्वक निगाह से उनको मुआवजा या मदद की गई.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में ही कहा है कि जल संसाधन विभाग में एक कंपनी है मंटेना नाम की, जो अलग अलग नाम से मध्यप्रदेश में आ जाती है, हैदराबाद की कंपनी है, इस मंटेना कंपनी को एक दिन के अंदर 7 हजार 50  करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट दिये जाते हैं.

          मंत्री, संसदीय कार्य(श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हेमन्त कटारे जी मेरे भतीजे हैं, बहुत विद्वान हैं, अच्छा अध्ययन करके आते हैं, पर क्या है कि किस विषय पर बोलना है इनको ध्यान नहीं रहता है. यह ऐसी अन-गाइडेड मिसाइल है, कि किधर भी चली जाती है (हंसी) मतलब जल संवर्धन और जल संरक्षण पर बात चल रही है और वह पीएचई पर कर रहे हैं और ऐसे टेक्निकल शब्द इन्होंने कहे कि हम भी घबरा गये कि हमने भी यह नहीं पढ़ा है. तो आप विषय पर बोलें.

          श्री भंवर सिंह शेखावत-- कैलाश जी, आदरणीय भूपेन्द्र सिंह जी को आपने नहीं सुना क्या.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - जब आप सामने बैठते हो तब मेरी नजर कहीं और नहीं जाती है (हंसी)

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- मैं जल संसाधन विभाग की बात इसलिये कर रहा हूं कि जो भी पैसा आता है यह पैसा आता है, जब पानी की डेम बनेगी तो व़ॉटर का संरक्षण वही से शुरू होगा. पहले वॉटर का सही यूटिलाइजेशन, पानी का डिस्ट्रीब्यूशन सही होना चाहिये तभी तो वह सही माध्यम से नीचे पहुंचेगा. जल संसाधन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रोजेक्ट यह दोनों जल से जुड़े महत्वपूर्ण विभाग हैं, यदि यह प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेंगे  तो जल का कंर्जवेशन कैसे होगा. इसलिये मैं इस बात को रख रहा हूं कि पैसा तो आता है और यह जो चिंता सरकार लेकर के आई है यह चिंता सरकार को जल को रोकने की नहीं है , जल को प्रोटेक्ट करने की नहीं है इसके माध्यम से बढ़िया एक प्रोजेक्ट केन्द्र सरकार को भेजेंगे और करोड़ो रूपये आयेगा, हैदराबाद के ठेकेदार आयेंगे और फिर जल संसाधन विभाग से एक नोशाद नाम का व्यक्ति जायेगा, सारे प्रोजेक्ट उनको दिलवायेगा, पूरे टेंडर मैनेज होंगे, करोड़ो रूपये का भ्रष्टाचार होगा और हम यहां पर बहस करते रहेंगे इसलिये मैं इस बात को बार बार कह रहा हूं.

          अध्यक्ष महोदय- हेमन्त जी आपका समय हो गया है. कृपया बैठें.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- मैं थोड़ा सा संक्षिप्त कर देता हूं अध्यक्ष महोदय.

          अध्यक्ष महोदय- थोड़ा सा नहीं, आपका समय जितना था उससे ज्यादा हो गया है.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- अध्यक्ष जी मैं थोड़ा सा समय आपका और लूंगा.

          अध्यक्ष महोदय- जितना समय आपको आवंटित था वह हो गया है.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- अध्यक्ष महोदय, चलिये मैं भोपाल की बात कर लेता हूं क्योंकि भोपाल में हम बैठे हैं. भोपाल हमारी राजधानी है, भोपाल विश्व में विख्यात है झीलों की नगरी के नाम से जानी जाती है परंतु दुर्भाग्य की बात है कि भोपाल झील के चारो और कब्जा है और यह बात आये दिन पेपरों में छपती रहती है . मैं वॉटर बाडीज की बात कर रहा हूं. कैलाश जी मैं आपसे आग्रह करूंगा मैं वॉटर बाडीज का बता देता हूं कि कैसे उन पर कब्जा किया है, कैसे किया है और आपके विभाग का विषय है, उम्मीद करूंगा कि अगर आप ईमानदारी से कार्यवाही कर सकते हैं तो आप उस पर कार्यवाही करके अवगत करवायेंगे.

          अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ एक उदाहरण देना चाहूंगा. कैलाश जी को मैं बताना चाहूंगा कि एक प्रोजेक्ट है सेवनिया गोंड में सेन्ट्रल पार्क नाम से यह प्रोजेक्ट चल रहा है आप कहेंगे तो एक ज्वाइंट विजिट उसकी कर लेंगे .

          अध्यक्ष महोदय- हेमंत जी आपने कई मंत्रियों के नाम ले लिये हैं मुझे सबको बुलवाना पड़ेगा जवाब के लिये.

श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- अध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ कैलाश जी का क्‍योंकि उनका विभाग है इसलिए मैं कह रहा हूं. सेंट्रल पार्क प्रोजेक्‍ट का विषय मैंने पहले भी उठाया था तब गंभीरता से नहीं लिया. वहां पर एनजीटी की स्‍पष्‍ट गाइडलाइंस है कि झील से 50 मीटर एफटीएल एरिया होता है, उस एरिया पर न कंस्‍ट्रक्‍शन जोन हो सकता है, न किसी भी प्रकार का एफएआर स्‍वीकृत हो सकता है. वहां जो सेंट्रल पार्क प्रोजेक्‍ट चल रहा है शायद वर्तमान में भी वहां कंस्‍ट्रक्‍शन चल रहा है, मैं एक बार देखकर आया तब तो चल रहा था, करीब 30 मीटर के अंदर धुंआधार कंस्‍ट्रक्‍शन चल रहा है. क्‍यों चल रहा है यह कंस्‍ट्रक्‍शन उसकी गहराई में गए तो सेंट्रल पार्क प्रोजेक्‍ट में एक व्‍यक्ति है  (xx)  जो ज्‍वाइंट वेंचर में जुड़ा हुआ है पहले इस प्रोजेक्‍ट की दो बार परमिशन निरस्‍त हो गई. एक बार हुई फिर दूसरी बार आपके विभाग ने ही निरस्‍त की मैं आपको परमिशन भी दे दूंगा और तीसरी बार जैसे ही (xx) इस प्रोजेक्‍ट में ज्‍वाइंट वेंचर में जुड़ जाता है वैसे ही डेढ़ महीने के अंदर परमिशन मिल जाती है जो दो साल में नहीं मिली. (xx) वही व्‍यक्ति है जिसके लिए मैंने खुलकर आरोप लगाया है कि यह (xx) की जो बेनामी संपत्ति है वह (xx) के पास है और अभी ईओडब्‍ल्‍यू में कार्यवाही भी चल रही है यह बातें उसमें भी आई हैं. इस प्रोजेक्‍ट में दो प्‍लॉट (xx) के भी हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जो व्‍यक्ति सदन का सदस्‍य नहीं है, हेमंत जी आप विद्वान सदस्‍य हैं आप जानते हैं यह कई बार बात आ चुकी है उसका नाम नहीं लेना चाहिए.

          श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसमें आरोप नहीं लगा रहा हूं. मैं सिर्फ आपको इतना कहना चाहता हूं. 

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, यह बात ठीक नहीं है. किस विषय पर बोल रहे हैं और क्‍या कह रहे हैं.

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं हेमंत जी, प्‍लीज़ गलत बात है. इसका क्‍या मतलब है. जल संवर्द्धन पर चर्चा हो रही है फिर आप व्‍यक्तिगत पर लेकर आएंगे.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- अध्‍यक्ष महोदय, निजी रूप से व्‍यक्तिगत आरोप न लगाएं. व्‍यक्तिगत रूप से आरोप लगा रहे हैं यह तो उचित नहीं है. हेमंत जी, ऐसे व्‍यक्तिगत आरोप नहीं आना चाहिए

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- अध्‍यक्ष महोदय, यह बगैर तथ्‍यों के कुछ भी आरोप लगाए जा रहे हैं यह उचित नहीं है..

          श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- मैं इस बात से आगे बढ़ता हूं जो आप कह रहे हैं. ठीक है शैलेन्‍द्र जी, मैं आपकी आपत्ति को स्‍वीकार कर लेता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- विषय पर एक मिनट बोलकर पूरा करें.

          श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं विषय पर ही आ रहा हूं. मैं इस प्रोजेक्‍ट पर सिर्फ नाम नहीं ले रहा किसी का. यह जो प्रोजेक्‍ट है इसका जो एफएआर है उसमें ग्रीन बेल्‍ट इन्‍क्‍लूड किया गया है आप कहेंगे तो मैं आपको दस्‍तावेज दे दूंगा. पहले तो यह हो नहीं सकता यह बहुत बड़ा फ्रॉड है. दूसरी चीज इसमें जो एनजीटी के नार्म्‍स हैं उनका पालन नहीं हुआ है, तो पहले जो भी नगरीय विकास मंत्री थे उस समय आपको पता होगा, उनके समय पर इसकी स्‍वीकृति मिली और उनके ही वहां प्‍लॉट हैं और बाद में जब यह परमिशन निरस्‍त हुई तो आप चेक कर लीजिएगा कि किन कारणों से निरस्‍त हुई मुझे लगता है कि इसमें गंभीर कार्यवाही होनी चाहिए. मेरे बस तीन-चार सुझाव हैं. मैं बस सुझाव देकर खत्‍म करूंगा. मेरे पूरे विषय पर तीन सुझाव हैं. मेरे इस पूरे विषय पर तीन सुझाव हैं. सिर्फ सुझाव दे रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं दस मिनट हो गए हैं. प्‍लीज़ प्‍लीज़ अब नहीं. 10 मिनट समाप्‍त हो गए हैं.

          श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- अध्‍यक्ष महोदय सिर्फ सुझाव दे रहा हूं. मेरी सरकार से मांग है कि तालाबों का सीमांकन किया जाना चाहिए. मैं सिर्फ अपनी मांगें रख रहा हूं. 30 सेकंट में अपनी मांगें रखकर बैठ जाऊंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय --  प्‍लीज़ अब नहीं. दिव्‍यराज सिंह जी आप बोलिए.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्‍यक्ष महोदय, व्‍यक्तिगत आरोपों को कार्यवाही से हटाना चाहिए. इसको विलोपित करें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- इसको विलोपित किया जाए. दिव्‍यराज सिंह जी, आप बोलिए और संक्षिप्‍त में करिए. 

          श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- आपने मुझे बोलने का अवसर दिया धन्‍यवाद.

          श्री दिव्‍यराज सिंह (सिरमौर) -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे सदन के माननीय वरिष्‍ठ सदस्‍य आदरणीय गोपाल भार्गव जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं कि उन्‍होंने हमारे प्रदेश में एक बहुत महत्‍वपूर्ण विषय जो भू-जलस्‍तर का गिरना और पुराने जल स्‍थलों का संरक्षण करने के विषय में उन्‍होंने यह मुद्दा उठाया है निश्चित रूप से हम सब जानते हैं और सदन में यह चर्चा काफी देर से चल रही है कि जल हमारे जीवन के लिए कितना महत्‍वपूर्ण होता है. निश्चित रूप से जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है यह विश्‍व में कहीं न कहीं चर्चा है कि जल तो हमारे विश्‍व में पर्याप्‍त है लेकिन पीने का जल कम है और पीने के जल को हम कैसे संरक्षित कर सकें इस पर हम सब आज चर्चा कर रहे हैं. यह हमारी मध्‍यप्रदेश की सरकार निरंतर प्रयास कर रही है कि हमारे पेयजल को कैसे हम बेहतर कर सकें और इसका संरक्षण कैसे कर सकें. बाकी विषय लगभग सारे यहां पूरे हो चुके हैं लेकिन मैं दो तीन विषय हमारे सिरमौर क्षेत्र से जहां से मैं आता हूं वहां के बारे में चर्चा करूंगा क्‍योंकि संक्षिप्‍त में हमको रखना है. निश्चित रूप से हम देखते हैं कि हमारा जल स्‍तर है वह मैं अपनी विधान सभा की ही अगर मैं बात करूं तो जो ऐसे स्‍थल थे जहां पर नहरें नहीं थीं वहां पर हमारा जल स्‍तर बहुत तेजी से गिरता चला जा रहा है, लेकिन आज मैं गर्व के साथ यह कह सकता हूं कि हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने हमारे रीवा जिले में और खासकर विंध्‍य में जो नहरों का जाल बनाया है, जो बाणसागर की परियोजना बनी और उसके माध्‍यम से आज लाखों हेक्‍टयर में पानी फैल रहा है उन गांवों में जहां-जहां पानी पहुंच रहा है उनमें हम देख रहे हैं कि जल स्तर का रिवाइवल एक तरह से शुरु हो रहा है. जैसे अभी सदस्य कह रहे थे कि जल स्तर 300-400 मीटर नीचे चला गया था वह आज धीरे-धीरे 50-60 मीटर पर वहां पर आ चुका है. यह अपने आप में बहुत बड़ा जल संरक्षण का काम हम कर रहे हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में कई ऐसे तालाब थे. सिरमौर में, बैकुण्ठपुर में जैसे रानी तालाब था वह पहले एकदम से सूख चुके थे. नहरों के माध्यम से हमने उन तालाबों को रिवाइव करने का काम शुरु कर दिया है. तालाबों को रिवाइव करने से आज वहां के गांववासियों और पशु-पक्षियों को पर्याप्त जल प्राप्त हो रहा है. मेरे क्षेत्र में जो छोटे-छोटे गांव छूटे हुए थे उनको भी हमने त्यौंथर फ्लो नाम से  हमारी बहुत बड़ी योजना है जो वहां पर चल रही है उसके माध्यम से 40 हजार हेक्टयर से अधिक की सिंचाई शुरु कर दी है. ऐसे ऐसे स्थान जहां पर लोगों में सोन नदी का पानी कभी नहीं देखा था लेकिन आज उन गांवों और खेतों में भी सोन नदी का पानी पहुंच रहा है. इससे वहां के किसानों को बहुत बड़ा लाभ प्राप्त हो रहा है. इसके कारण वहां के जो जल स्त्रोत हैं जो वहां के छोटे-छोटे नाले या तालाब थे उनमें भी आज जल भराव दिखने लगा है. कई ऐसे गांव है जहां पर पुराने तालाब थे उनको संरक्षित करके उनको भरने का काम कर रहे हैं. इसमें अभी कुछ काम और बाकी हैं. बहुत सारे काम पूरे कर लिए गए हैं. जल को बचाने के लिए जंगलों की भी आवश्यकता होती है. जंगलों को संरक्षित करने के लिए हम लोग कई बार पेड़ पौधे तो लगाते हैं लेकिन हम यह चीज भूल जाते हैं कि हमारा जो नेचुरल हेबिटाइट था उस नेचुरल हेबिटाइट के पेड़ों को लगाना छोड़ देते हैं और नए पेड़ों को लगाना वहां पर शुरु कर देते हैं. जो कि वहां के हेबिटाइट से भिन्न रहते हैं. मेरा निवेदन है कि हम इस पर ध्यान दें. वहां का जो पुराना हेबिटाइट है उसको बचाने की बहुत बड़ी आवश्यकता है. मैं इसी बात के साथ अपनी बात को समाप्त करूंगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

          डॉ. चिंतामणि मालवीय (आलोट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे इस लोक महत्व के विषय पर बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारे वरिष्ठ नेता आदरणीय गोपाल भार्गव जी को भी धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने इस विषय को इनिशिएट किया. अभी तक जितने अंतरिक्ष अभियान हुए हैं. जब भी किसी अन्तरिक्ष अभियान में किसी ग्रह या उपग्रह पर जीवन को तराशा तो उन्होंने पहले वहां पानी का तलाशा है. क्योंकि यदि पानी मिल जाएगा तो जीवन भी संभव किया जा सकेगा. न केवल किसी प्लेनेट पर बल्कि इस दुनिया में भी जो हमारे प्राचीनतम ज्ञान ग्रंथ हैं, वेद हैं, उप निषद् हैं उनसे लगाकर तुलसीदास तक और आज तक पानी की महत्ता को बहुत कहा गया है. तुलसीदास जी कहते हैं कि क्षितिज पावक गगन समीरा,पंचतत्व रचि अधम शरीरा. इसमें बाकी तत्वों की बात करें जैसा की अभी एक वक्ता बता रहे थे कि 70 प्रतिशत शरीर में पानी है, 70 प्रतिशत दुनिया में पानी है, लेकिन शरीर के पानी की बात तो अलग है, लेकिन दुनिया में जो 70 प्रतिशत पानी है उसमें जो पीने योग्‍य पानी है वह केवल तीन प्रतिशत ही है और यह जो तीन प्रतिशत पानी है इसमें भी बड़ा हिस्‍सा ग्‍लेशियर में है, चोटियों पर है बर्फ के रूप में है शुद्ध जल यदि मानव को उपलब्‍ध है तो वह केवल एक प्रतिशत ही है. यह इस विषय के महत्‍व को दर्शाता है कि यह कितना महत्‍वपूर्ण विषय है. अध्‍यक्ष महोदय, विज्ञान ने सब कुछ बना लिया, कृत्रिम दिल बना लिया, क्‍लोन से भेड़ बना ली, भेड़ बना ली तो मनुष्‍य भी बनाया जा सकता है. सब कुछ बनाया जा सकता है लेकिन कृत्रिम रूप से पानी नहीं बनाया जा सकता है. वैज्ञानिकों ने कहा कि H2o से पानी बनता है लेकिन दो भाग हाइड्रोजन और एक भाग ऑक्‍सीजन मिलाकर पानी नहीं बनाया जा सकता है, केवल पानी में क्‍या तत्‍व हैं यह बताया है और इसलिए जो बनाया नहीं जा सकता उसका संरक्षण किया जाना बहुत जरूरी है, उसका संवर्धन किया जाना बहुत जरूरी है. हमारी कोई भी शक्ति उस पानी को बना नहीं सकती है. इसलिए यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण विषय है, बहुत मौजू विषय है, बहुत समिचीन विषय है और हमारे देश में सन् 1970 के ग्रीन रिवॉल्‍यूशन को छोड़ दे तब पानी पर बहुत चर्चा हुई, इसके प्रबंधन पर बात हुई, लेकिन कोई नीति इस विषय पर बनी हो ऐसा कहीं दिखाई नहीं देता है. यह बात ठीक है कि बड़े बांध बनें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- चिन्‍तामणि जी 5:30 हो गये हैं यह चर्चा कल जारी रहेगी. सदन की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 30 जुलाई, 2025 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित की जाती है.

          अपराह्न 5.31 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 30 जुलाई, 2025 (श्रावण 8, शक संवत् 1947) को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित की गई.

 

भोपाल:                                                                                        ए. पी. सिंह

दिनांक: 29 जुलाई, 2025                                                                  प्रमुख सचिव,                                                                                                  मध्‍यप्रदेश विधान सभा