मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा पंचदश सत्र
नवम्बर-दिसम्बर, 2017 सत्र
मंगलवार, दिनांक 28 नवम्बर, 2017
( 7 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 15 ] [अंक- 2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 28 नवम्बर, 2017
(7 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या -1 (अनुपस्थित)
सिहोरा विधान सभा क्षेत्र में नहर का निर्माण
[नर्मदा घाटी विकास]
2. ( *क्र. 1143 ) श्रीमती नंदनी मरावी : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिहोरा विधान सभा क्षेत्रांतर्गत सिहोरा विकासखण्ड के बरनू जलाशय एवं मड़ई जलाशय में जल स्तर पर्याप्त न होने के कारण इनसे निकली हुई नहर एरिया में आने वाली जमीन में पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है? क्या प्रश्नकर्ता द्वारा इन नहरों को बरगी परियोजना की दायीं तट नहर से जोड़े जाने की मांग का ज्ञापन माह अगस्त 2017 में दिया गया था? पत्र की प्रति उपलब्ध करायें। पत्र में उल्लेखित बिंदुओं पर की गई कार्यवाही की प्रति भी उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार बरगी परियोजना की दायीं तट परियोजना नहर से जलाशयों की नहरों को कनेक्ट कर जल प्रदाय का कार्य कब तक आरंभ कर दिया जावेगा? क्या यह सही है कि सिहोरा तहसील में औसत से बहुत कम वर्षा होने के कारण रबी की फसल यदि नहरों से पानी प्रदाय नहीं होता तो किसानों के खेत में फसल होना नामुमकिन है।
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। इस वर्ष पर्याप्त वर्षा न होने के फलस्वरूप जल संसाधन विभाग के बरनू एवं मड़ई जलाशय में जल स्तर पर्याप्त नहीं होने के कारण, इनसे निकली हुई नहर से सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) बरगी परियोजना के बुधवा माईनर के प्रस्तावित कमाण्ड में पूर्व से ही बरनू जलाशय एवं मड़ई जलाशय की कमाण्ड ओवरलेप होने से बुधवा माईनर का निर्माण प्रस्तावित नहीं है तथापि प्रस्ताव का पुन: परीक्षण किया जा रहा है। ग्रेविटी से तालाब जोड़ने योग्य पाए जाने पर जोड़ा जाएगा। जी हाँ।
श्रीमती नंदनी मरावी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहती हूं कि अल्पवर्षा के कारण मेरे क्षेत्र के मड़ई और बरनू जलाशय सूखे गये हैं और उनके कैनाल में पानी नहीं है. क्या माननीय मंत्री महोदय एनवीडीए की नहर से इन दोनों नहरों को क्रांकीट के गेट बनाकर पानी देने की कृपा करेंगे ?
वित्तमंत्री (श्री जयंत मलैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, बरनू जलाशय के 17 ग्रामों का 1316 हैक्टेयर रकबा तथा मड़ई जलाशय के 13 ग्रामों का 2232 हैक्टेयर रकबा इससे लाभांवित होगा.
श्रीमती नंदनी मरावी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि जब एक एनवीडीए की नहर का सर्वे हुआ था, तब उसी समय एक बुधवा माईनर का भी सर्वे हुआ था परंतु कुछ कारणवश उसमें जल संसाधन विभाग ने कहा कि यह मेरे कमांड एरिये में आता है, इस कारण से एनवीडीए ने उसमें नहर का निर्माण नहीं किया. इस कारण वहां पर 20 ग्रामों के किसानों को पानी नहीं मिलता है तो क्या दोनों विभाग संयुक्त रूप से इसका कार्य करेंगे अर्थात् जलसंसाधन विभाग अगर एनओसी दे देती है तो क्या एनवीडीए उसमें नहर का निर्माण करेगी ?
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय हम इसका परीक्षण करा लेंगे. श्रीमती नंदनी मरावी - अध्यक्ष महोदय, मैं इसके लिए धन्यवाद देना चाहती हूँ और मेरी विधानसभा क्षेत्र के कुण्डम में चार जलाशयों की स्वीकृति है. मैं उसके लिए माननीय मंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ और साथ में, जो एन.व्ही.डी.ए. की नहर से गेट बनाकर पानी देने की बात कही है, उसके लिए भी मैं माननीय मंत्री जी का धन्यवाद करना चाहती हूँ.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी कुछ जलाशयों के प्रपोज़ल पड़े हुए हैं. मैं माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहूँगा कि मेरे जलाशयों के प्रपोज़लों को भी स्वीकृति दिलाने का कष्ट करें.
गंभीर कुपोषित बच्चों का उपचार
[महिला एवं बाल विकास]
3. ( *क्र. 646 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या दैनिक समाचार पत्र पत्रिका विदिशा में दिनांक 26.10.2017 में इस आशय का समाचार पत्र प्रकाशित हुआ है कि ''गंभीर कुपोषित हैं, पौने दो हजार मासूम''? (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर हाँ है तो उक्त समाचार पत्र के क्रम में विभाग के रिकॉर्ड के आधार पर बतावें कि विदिशा जिले में परियोजनावार कितने गंभीर कुपोषित बच्चे एवं सामान्य कुपोषित बच्चे हैं? (ग) विदिशा जिले में सितम्बर 2017 की स्थिति में 5 वर्ष तक की आयु के कितने बच्चे आंगनवाड़ी केन्द्रों में दर्ज हैं, कितने बच्चों का वजन लिया गया है, कितने बच्चों का वजन कम पाया गया है, कितने बच्चों का वजन अति कम पाया गया है? परियोजनावार जानकारी देवें। (घ) प्रश्नांश (ग) उल्लेखित केन्द्रों के बच्चों का कम वजन होने से क्या शासन की योजना का लाभ उक्त बच्चों को नहीं मिल पा रहा है? इसके लिए विभाग किस अधिकारी व कर्मचारी को जिम्मेदार मानता है? इन बच्चों के उपचार हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? इनके उपचार पर किस-किस बच्चे पर कितनी राशि किस प्रयोजन पर व्यय की गई? आंगनवाड़ी केन्द्रवार, बच्चोंवार जानकारी देवें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती अर्चना चिटनिस) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विदिशा जिले में माह सितम्बर 2017 की स्थिति में 05 वर्ष तक के बच्चों की आंगनवाड़ी केन्द्रों में दर्ज एवं लिये गये वजन, कम वजन एवं अतिकम वजन के बच्चों की परियोजनावार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी नहीं, उल्लेखित केन्द्रों के कम वजन के बच्चों को शासन की योजना का लाभ दिया जा रहा है। कुपोषण के कई सामाजिक एवं आर्थिक कारण हैं, जिसके लिए किसी व्यक्ति विशेष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इन बच्चों के उपचार हेतु विभाग द्वारा जिले अंतर्गत संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्रों में बच्चों को भर्ती कराया जाता है, इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा साझा चूल्हा कार्यक्रम अंतर्गत कपोषित बच्चों को पूरक पोषण आहार प्रदाय किया जाता है तथा समय-समय पर सुपोषण अभियान अंतर्गत (स्नेह शिविरों) का आयोजन कराया जाता है। पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती बच्चों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमानुसार राशि व्यय किये जाने का प्रावधान है।
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न कुपोषण को लेकर है. जैसी विभाग ने मुझे तालिका उपलब्ध करवाई है, विभाग खुद स्वीकार कर रहा है कि बासौदा में कम वजन के बच्चों की संख्या 317, बासौदा-2 में 105 एवं ग्यारसपुर में 108 है, यह हमारी विधानसभा के हैं बाकी मैं विकासखण्डों की बात बाद में करूँगा. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि चाहे उसमें भारत सरकार की एड हो, चाहे प्रदेश सरकार की हो, कुपोषण के लिए तमाम राशि खर्च कर रही है फिर ऐसे कौन से कारण हैं कि कुपोषण की वजह से बच्चों की मौतें हो रही हैं ? मेरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम दैलवाड़ा में एक चार वर्ष की आदिवासी बच्ची धनदेवी पुत्री स्वर्गीय ज्वाला आदिवासी की मृत्यु कुपोषण की वजह से 24 सितम्बर को हुई, इसके पहले मेरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम भिलाई में एक आदिवासी बच्चे की मौत हुई, मेरे ही विधानसभा क्षेत्र के ग्राम खजूरी में एक आदिवासी बच्चे की मौत हुई तथा मेरे ही विधानसभा क्षेत्र के एक अन्य गांव में आदिवासी बच्चे की मौत हुई. मध्यप्रदेश में लगातार कुपोषण बढ़ रहा है. यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि आज मुख्यमंत्री जी सदन में मौजूद नहीं है, नहीं तो मैं उनसे पूछता.
अध्यक्ष महोदय - आप अपना प्रश्न पूछें. आप भाषण मत दीजिये.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को याद दिलाना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - आप, मंत्री जी से पूछ लीजिये.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने इन्हीं ग्रामों के आदिवासी बच्चों के कुपोषण की वजह से उदयपुर से लेकर गंज बासौदा तक पदयात्रा की थी और सन् 2002 में जिन्सी चौराहे पर धरने पर भी बैठे थे.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया अपना प्रश्न करें. अन्य माननीय सदस्यों के भी प्रश्न हैं.
श्री निशंक कुमार जैन - मैं माननीय मंत्री जी का उत्तर सुन लूँ, उसके बाद मैं सप्लीमेन्ट्री प्रश्न कर लूँगा. मैंने प्रश्न पूछ लिया है.
श्रीमती अर्चना चिटनिस - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी जो संख्या बता रहे हैं, वह संख्या हमारे अपने विभाग के एम.आई.एस. की है. यह तो मैं या कोई अन्य नहीं कह सकता कि कुपोषण की समस्या का पूरा निदान हो चुका है और मैं आपके माध्यम से इस ओर माननीय सदस्य का ध्यानाकर्षित कराना चाहती हॅूं कि कुल 1,40,822 बच्चों में से 1,770 बच्चे अति कम वजन के हैं अर्थात् यह 1.3 प्रतिशत है. इस पर भी माननीय मुख्यमंत्री जी का कन्सर्न है, मेरा विभाग इस पर मुस्तैदी से काम कर रहा है और बेहतर काम करने के लिए हम सतत् प्रयासरत हैं. मैं आपके माध्यम से, माननीय सदस्य को यह भी बताना चाहूँगी कि बासौदा तहसील में 25 डे-केयर सेन्टर्स प्रारम्भ करने की कार्यवाही जारी है और अतिशीघ्र वे डे-केयर सेन्टर्स प्रारम्भ होंगे क्योंकि जब बच्चे डे-केयर सेन्टर्स में रहेंगे तो हम बच्चों के ऊपर और अधिक ध्यान दे पाएंगे.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गलती की वजह से कुपोषण बढ़ रहा है या उन बच्चों की मौतें हुई हैं. क्या मंत्री जी विदिशा जिले के जिला महिला बाल विकास अधिकारी और गंज बासौदा के सुपरवाइजर को निलंबित करके जांच कराएंगे ?
श्रीमती अर्चना चिटनीस - माननीय अध्यक्ष महोदय, काम बेहतर हो, उसकी मॉनिटरिंग के लिए मैं वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम को वहां भेजकर स्थितियों को बेहतर तरीके से काम में कसावट ला सकती हूं और उसमें आगे आपको शिकायत नहीं मिलेगी इसकी चिन्ता करूंगी?
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या माननीय मंत्री जी इसकी समय- सीमा बताने का कष्ट करेंगी.
अध्यक्ष महोदय - समय सीमा बता दीजिए.
श्रीमती अर्चना चिटनीस - अध्यक्ष महोदय, हम अतिशीघ्र अधिकारियों की टीम वहां भेजेंगे.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा इसमें सप्लीमेंट्री है, क्या जिन ग्रामों में आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं है, वहां पर कोई आंगनवाड़ी केन्द्र के लिए बिल्डिंग खोलने की व्यवस्था करेंगे? यह कुपोषण से जुड़ा हुआ प्रश्न है.
श्रीमती अर्चना चिटनीस - अध्यक्ष महोदय, हम निश्चित तौर से गंभीर है, जहां आंगनवाड़ी बिल्डिंग नहीं है, आप मुझे सूची उपलब्ध करा दें, वहां बिल्डिंग की व्यवस्था की जाएगी.
श्री निशंक कुमार जैन - मैं आपको अभी हाल सूची दे देता हूं, मेरे पास सूची है.
अध्यक्ष महोदय - यहां नहीं सूची आप बाद में दे देना, आपकी बात का उत्तर आ गया है.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी आज यहां मौजूद नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात का उत्तर आ गया.
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कुपोषण का मामला बहुत गंभीर है. मैंने दो विधान सभा सत्र के दौरान यह प्रश्न रखे हैं. आज ही मेरा प्रश्न क्रमांक 2 अतारांकित प्रश्न है. केवल ग्वालियर जिले के अंदर कुपोषित बच्चे हैं, जिसमें 2014 में 27375 बच्चे, 2015 में 30925 बच्चे, 2016 में 28650 बच्चे, और भी 6 माह 2017 के अंदर 27867 कुपोषित बच्चे हैं, अगर 6 महीने और जाएंगे तो क्या 50000 बच्चे कुपोषित हो जाएंगे ऐसा क्यों है.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है?
श्री बाबूलाल गौर - मेरे कहने का मतलब है कि ऐसा क्यों हो रहा है, इसका क्या कारण है.
श्रीमती अर्चना चिटनीस - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपके माध्यम से माननीय सदस्य और सदन को यह बताते हुए खुशी है कि यह संख्या मध्यप्रदेश में निरंतर कम हुई है और कम होने का प्रतिशत 28.7 है. माननीय गौर साहब जब मुख्यमंत्री थे, तब जो संख्या थी, उससे आज कम है.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, यह असत्य है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदया ने कहा, मुझे खुशी है कि संख्या कम है. मुझे बड़ा दु:ख है कि मध्यप्रदेश के 8 जिले जो चिन्हित हुए हैं, सबसे गरीब, सबसे कमजोर, उसमें विदिशा जिला भी है. केन्द्र की सबसे हाईप्रोफाइल मंत्री महोदया का जिला है, मुख्यमंत्री वहां से 5 से 6 बार सांसद रह चुके हैं, कार्यक्षेत्र है विदिशा और यदि विदिशा में ही इस तरह की कुपोषण की बात माननीय मंत्री महोदया कहे कि कुपोषण घटता हुआ जा रहा है? 12 साल मुख्यमंत्री महोदय के कल पूरे होने जा रहे हैं. जब हमारे मध्यप्रदेश के मामा के भांजे-भांजियों की सुरक्षा नहीं हो पा रही है, कुपोषण दूर नहीं हो पा रहा है तो, यहां हो क्या रहा है ?
श्री निशंक कुमार जैन - अध्यक्ष महोदय, दैनिक भास्कर और पत्रिका में प्रतिदिन खबर आ रही है.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए निशंक जी.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रतिदिन 70 बच्चे कुपोषण से काल के गाल में समा रहे हैं. जो बच्चे हमारे प्रदेश का भविष्य बनने वाले है अगर उनको पोषण नहीं दे पा रहे हैं, उनको सुरक्षित नहीं रख सके रहे हैं, उनका जीवन नहीं बचा सके रहे हैं, तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है.
अध्यक्ष महोदय - इस पर काफी चर्चा हो गई, पूर्व मुख्यमंत्री जी ने प्रश्न कर लिए, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने प्रश्न कर लिए, मूल प्रश्नकर्ता ने भी तीन चार प्रश्न कर लिए.प्रश्न क्रमांक 4, श्री कैलाश चावला.
ट्रांसफार्मरों की क्षमता में वृद्धि
[ऊर्जा]
4. ( *क्र. 108 ) श्री कैलाश चावला : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मनासा विधानसभा क्षेत्र में विद्युत वितरण केन्द्रों से कनिष्ठ यंत्रियों के माध्यम से ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि के कितने प्रस्ताव 31 मार्च, 2016 से 30 सितम्बर, 2017 तक अधीक्षण यंत्री म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं. लिमिटेड जिला नीमच को प्राप्त हुए हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रस्तावों में से प्रश्न दिनांक तक कितने प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं एवं कितने प्रस्ताव लंबित हैं? (ग) लंबित प्रस्तावों को कब तक स्वीकृत किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) नीमच जिले के मनासा विधानसभा क्षेत्र में वितरण केन्द्रों के प्रभारी कनिष्ठ यंत्रियों/सहायक यंत्रियों से वितरण ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि के 37 प्रस्ताव प्रश्नावधि में अधीक्षण यंत्री (संचालन-संधारण) वृत्त, नीमच में प्राप्त हुए थे। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित वितरण ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि के 37 प्रस्तावों में से 26 प्रस्ताव स्वीकृत किये गये हैं, शेष 11 प्रस्ताव स्वीकृति हेतु लंबित हैं। (ग) वितरण ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि के लंबित 11 प्रस्ताव वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने एवं इसी प्रकार के अन्य कार्यों की वरीयता के दृष्टिगत स्वीकृति हेतु प्रक्रियाधीन हैं। वर्तमान में स्वीकृत किये जाने की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री कैलाश चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से ओवरलोड ट्रांसफार्मर की छमता वृद्धि के बारे में सवाल किया था, जहां तक मेरी जानकारी है, विभाग के ऐसे निर्देश है जो ट्रांसफार्मर है, उनके 75 से 80 प्रतिशत कनेक्शन ही दिए जाने चाहिए, फिर ये ट्रांसफार्मर ओवरलोड क्यों हो रहे हैं और 37 ट्रांसफार्मरों की जो जानकारी मंत्री जी ने दी है, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इसमें 25 केवीए के कितने ट्रांसफार्मर हैं, 63 केवीए के कितने हैं और 100 केवीए के कितने ट्रांसफार्मर हैं.
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक आपने ओव्हरलोडिंग ट्रांसफार्मर वाली बात कही है. राज्य शासन द्वारा तीनों वितरण कंपनियों को दिनांक 21.11.17 को हमने जो ट्रांसफार्मर जले हैं उनमें क्षमता वृद्धि करने के आदेश जारी किये हैं. जो ट्रांसफार्मर जलेंगे उनके स्थान पर ज्यादा क्षमता वाले ट्रांसफार्मर लगाने का हमारा विभाग काम करेगा.
श्री कैलाश चावला--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सवाल यह किया है कि 25 के.वी.ए के कितने ट्रांसफार्मर हैं, 63 के कितने हैं तथा 100 के कितने हैं और उसमें क्षमतावृद्धि की आवश्यकता क्यों पड़ रही है ? जब कि आपके स्थायी निर्देश हैं कि अगर 63 का ट्रांसफार्मर है तो उसमें 80 प्रतिशत विद्युत कनेक्शन होने चाहिये ताकि ट्रांसफार्मर जले नहीं उन निर्देशों को आपके अधिकारी नहीं मानते हुए ओव्हरलोड की स्थिति क्यों बना रहे हैं? 25, 63, 100 के कितने ट्रांसफार्मर हैं उनकी जानकारी जानना चाहता हूं.
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तीनों आंकड़े इन्होंने मांगे हैं उससे संबंधित जानकारी उपलब्ध करवा दूंगा.
श्री कैलाश चावला--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी जानकारी के हिसाब से जो 37 ट्रांसफार्मर हैं यह 25, 63 के.वी.ए के हैं, 100 के.वी.ए. के ट्रांसफार्मरों की सूची विभाग ने आपको नहीं दी है. 100 के.वी.ए. के ट्रांसफार्मर जब ओव्हरलोड होते हैं मेरे पास ऐसी जानकारियां हैं कि 100 के बजाय 150 विद्युत कनेक्शन दिये गये हैं, 130 के.वी.ए.के कनेक्शन दिये गये हैं अगर ओव्हरलोड हो चुके हैं तो उनकी चिट्ठी लिखी जाती है तो उनको यह कहा जाता है कि अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाना पड़ेगा, जबकि 100 की क्षमता है तो उससे ज्यादा कनेक्शन नहीं दिये जाने चाहिये. क्या माननीय मंत्री जी उनको निर्देश देंगे जो 100 के.वी.ए. के ट्रांसफार्मर जो ओव्हरलोड हो चुके हैं उनमें अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाये जायें या उनकी क्षमता वृद्धि की जाए, यह निर्देश देंगे क्या ?
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो अतिरिक्त ट्रांसफार्मर की बात कही है जहां पर ओव्हरलोड होंगे वहां पर लगायेंगे.
श्री कैलाश चावला--अध्यक्ष महोदय, आखिरी सवाल करना चाहता हूं कि विद्युत मण्डल के अधिकारियों द्वारा एक ही स्थान पर दो दो ट्रांसफार्मर लगाये गये हैं उसकी लाईन हो गई लंबी अब टेल एण्ड तक जो मोटरें चाहिये उनको वोल्टेज मिलता नहीं है उनकी शिफ्टिंग करना जरूरी है तो क्या ऐसे ट्रांसफार्मर जो एक साथ दो लगे हुए हैं उनको शिफ्टिंग करने के निर्देश देंगे क्या ?
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो पूछा है उसका परीक्षण करवा लेंगे ऐसी अगर आवश्यकता है तो उसकी पूर्ति करवा देंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि ट्रांसफार्मर में क्षमता के अधिकार एस.ई. को दे दिये हैं उसकी फाईलें सीएमडी के कार्यालय में पड़ी रहती हैं, लेकिन मेरा मूल सवाल यह है कि माननीय मंत्री जी से मैंने पूर्व में भी चर्चा की थी कि क्षमता से ज्यादा कनेक्शन बिजली विभाग का जेई खुद देता है. लाईनमेन को एक एक ट्रांसफार्मर का अंदाजा रहता है कि कितने ओव्हरलोड पर ट्रांसफार्मर चल रहा है. पर हर बार यह बात कही जाती है कि ग्रामीण आवेदन दे उसके बाद हम कार्यवाही करेंगे. उस पर यह दबाव बनाया जाता है कि आप सूची बनाकर के लाईये कि कितने ट्रांसफार्मर ओव्हरलोड हैं, जबकि यह जिम्मेदारी जेई की होनी चाहिये और भविष्य के लिये क्यों न नियम बनाये जाएं कि अगर कोई भी ट्रांसफार्मर ओव्हरलोड है तो पहले जेई उसके लिये जिम्मेदार होगा और दूसरा जो लाईनमेन है वह अगर समय पर ट्रांसफार्मर जलने की सूचना न दे तो उसके लिये भी एक जिम्मेदारी तय होनी चाहिये तो क्या माननीय मंत्री जी उस पर आदेश अथवा निर्देश देने की कृपा करेंगे?
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य महोदय ने जो पूछा है उन्होंने ओव्हरलोड मामले की बात कही है वास्तव में 40 की जगह जो 20 ट्रांसफार्मर जो जले हुए हैं उनको बदलने के लिये दो महीने में बदलने के लिये उसमें हमने संशोधन किया है. बाकी माननीय सदस्य बताएंगे तो उसको दिखवा लेंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--माननीय अध्यक्ष महोदय, सवाल का जवाब नहीं आया है उसमें जेई की जिम्मेदारी होना चाहिये वह ओव्हरलोडिंग करवा रहा है शासन का नुकसान कर रहा है केवल वह निजी हित के लिये कर रहा है उसमें साफ स्पष्ट आदेश आने चाहिये यह ओव्हरलोड पर एक एक ट्रांसफार्मर जलना सीधा उसकी लापरवाही का नतीजा है उसका पूरा जुर्माना किसानों के ऊपर पड़ रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- वह दो बात कह रहे हैं, आप कृपया बैठ जाएं, प्रश्न का उत्तर आने दें. माननीय चावला जी कृपया बैठ जाएं. सखलेचा जी बैठ जाएं. मैं आधे मिनट में क्लियर कर दे रहा हूं, आप बैठ जाएं. उन्होंने समस्या ही बताई है. वे यह कह रहे हैं कि ओव्हरलोड यदि दिये जाते हैं तो जेई की जिम्मेदारी है और ट्रांसफार्मर जलने की निश्चित समय सीमा में सूचना नहीं दी जाती तो लाईनमेन की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए. क्या ऐसा करेंगे ?
श्री पारस चंद्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सदस्य ने बात कही है वास्तव में उनकी जवाबदारी से जानकारी हमारे पास आती है तो हम विभाग से कहते हैं कि उसको तुरंत बदल दो... (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 5. ..(व्यवधान)....
श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की जनता को बिजली के माध्यम से लूटा जा रहा है. बिजली माध्यम हो गया है लूटने का सरकार के द्वारा. ..(व्यवधान)...इस समय खेती बाड़ी का समय है... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- सब लोग बैठ जाइये, प्रश्न क्रमांक 5, श्री शैलेन्द्र जैन... (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां किसानों को बिजली मिलनी चाहिये.. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- सुखेन्द्र जी बैठ जाइये, बघेल साहब को पूछने दीजिये. उनके सामने खड़े हैं आप, बैठ जाइये, मर्यादा के खिलाफ है. जो सदस्य प्रश्न पूछेंगे उनके सामने खड़े नहीं होंगे, बैठ जाइये अवस्थी जी.
श्री कैलाश चावला -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो 37 ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि की स्वीकृति आपने दी है, उनका व्यावहारिक काम कब तक पूरा हो जाएगा ? वे कब तक बदल दिये जाएंगे ?
श्री पारस चंद्र जैन -- इस माह के अंत तक.
अध्यक्ष महोदय -- अब प्रतिपक्ष के नेता जी बोलेंगे.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया -- अधयक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में बिजली घर में लूट चल रही है.
अध्यक्ष महोदय -- डण्डौतिया जी, आपकी बात आ गई, कृपया बैठ जाइये.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में लूट कराई जा रही है और किसानों के खेत में सूखा पड़ गया, बिजली में लूट कर ली है. पहले डकैती-लूट डाली जाती थी अब बिजली की लूट की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- डण्डौतिया जी, बैठ जाइये आपकी बात आ गई है.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने देखा कि प्रश्न सत्ता पक्ष की तरफ से आया, चिंता सबको है. बहुत लोग बोल रहे हैं कुछ लोग बोल नहीं रहे हैं, लेकिन .. (व्यवधान)..
श्री कैलाश चावला -- देखिये, यह सदस्य ने पूछा है इसमें सत्ता पक्ष और उसका सवाल नहीं है कृपया अपनी बात को सुधारें.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, चावला जी ने जो प्रश्न पूछा है वह प्रश्न पूर्ण रूप से मध्यप्रदेश के किसानों की हित की बात है. जिस तरह से चिंता है कि किसानों को लूटा जा रहा है, ट्रांसफार्मर बदले नहीं जा रहे. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय बिना जानकारी के गैर जिम्मेदार जवाब देते हैं. माननीय, नियम, कानून, कायदे के अनुसार ट्रांसफार्मर लगाये जाने चाहिये. जो सखलेचा जी ने कहा कि जेई उसका पुनरीक्षण करके दे, इसमें अभी आपने कोई निर्देश नहीं दिये हैं. जो पहले के निर्देश हैं क्या उसका पालन हो रहा है ? अगर यहां पर बैठकर आप इस तरह का जवाब देंगे तो 2018 में पब्लिक में आपको करंट लगेगा यह भी बताये देता हूं. हम भुगते हुये हैं इसलिये बता रहे हैं. हम 2003 में भुगते हुए हैं, इसलिये आपको बता रहे हैं.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:-भनोत जी, अवस्थी जी आप उत्तर सुन लीजिये, आपको हल्ला करना है या उत्तर सुनना है, नहीं सुनना है तो मैं आगे बढूंगा. मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं, आप उनको सुन लीजिये.
श्री पारस चन्द्र जैन:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरे बड़े भाई हैं.
श्री अजय सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबका बड़ा भाई नहीं हो सकता. मैं इनका बड़ा भाई कहां से हो गया. मैं शिवराज सिंह जी का बड़ा भाई हूं. इनका बड़ा भाई कहां से हो गया.
श्री पारस चन्द्र जैन:- अध्यक्ष महोदय, यह सुनने को तैयार ही नहीं हैं तो मुझे कुछ नहीं कहना है. इनके जमाने में तो बिजली मिलती ही नहीं थी. हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान जब से आये हैं तो बिजली भी मिल रही है.
इछावर नगर के शासकीय कार्यक्रम
[सामान्य प्रशासन]
5. ( *क्र. 620 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 05 वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, इछावर नगर में किन-किन शासकीय व अशासकीय कार्यक्रमों में शामिल हुए? कार्यक्रमवार ब्यौरा दें। उक्त कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं का ब्यौरा दें। (ख) भोपाल शहर, बुधनी और नसरूल्लागंज से इछावर की दूरी कितनी है? शहर से पृथक-पृथक दूरी का विवरण दें। (1) पिछले 03 वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री बुधनी व नसरूल्लागंज शहरों में किन-किन शासकीय कार्यक्रमों में शामिल हुए? वर्षवार, कार्यक्रमवार दिनांकवार ब्यौरा दें। (ग) क्या मुख्यमंत्री के पास इछावर विधानसभा क्षेत्र के विकास का कोई मांग पत्र लंबित है? यदि हाँ, तो कब से? क्या मांग पत्र में शामिल बिंदुओं पर कार्यवाही की जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो बिंदुवार कार्यवाही का ब्यौरा दें। मांग कब तक पूरी हो जाएगी? (घ) क्या मुख्यमंत्री जी का इछावर नगर का दौरा प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कब तक आगमन होगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) विगत 05 वर्षों के दौरान मुख्यमंत्री जी इछावर नगर में किसी भी शासकीय व अशासकीय कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए हैं। (ख) भोपाल शहर, बुदनी और नसरूल्लागंज की दूरी इछावर से क्रमश: 56 कि.मी., 50 कि.मी. एवं 100 कि.मी. है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) नहीं है।
श्री शैलेन्द्र पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा सा सवाल था कि माननीय मुख्यमंत्री के स्वयं के गृह जिले इछावर मुख्यालय के बारे में था कि मुख्यमंत्री जी पिछले पांच वर्षों में अपने जिले के इछावर ब्लॉक मुख्यालय में कितनी बार आये. प्रश्न के उत्तर में जवाब आया कि एक भी बार नहीं आये.
मेरा सीधा सा सवाल है कि क्या माननीय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं कि जो भी मुख्यमंत्री इछावर जायेगा तो उसकी कुर्सी चली जायेगी या वह पक्षपात कर रहे हैं या क्या कारण है कि वह इछावर नहीं आते हैं, मैं इसका उत्तर चाहता हूं.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया):- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी बातें, बहुत बार बहुत से लोग करते हैं कि यहां जायेंगे तो ऐसा हो जायेगा. हमारे जिले में पथरिया एक जगह है. वहां के बारे में भी बहुत जमानों से बात चलती आ रही है, यदि वहां पर कोई मुख्यमंत्री जाता है तो वह निपट जाता है. इतने वर्षों के अंदर वहां पर शिवराज सिंह जी चार बार होकर आ गये हैं. मैं नहीं मानता इन बातों को नहीं मानता. अभी फिर वहां पर होकर आये हैं तो चौथी बार भी आयेंगे. इन बातों को छोड़ दो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी इछावर विधान सभा के 11.10.2017 को अंत्योदय मेले में गये थे और वहां पर 29,604 हितग्राहियों को 113.68 लाख का लाभ दिया गया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिये, वह इछावर मुख्यालय पर नहीं गये थे, वह अल्हादाखेड़ी गांव में गये थे. मेरा बड़ा स्पेसिफिक सा प्रश्न है जो हमारे मुख्यमंत्री की कार्यशैली है, वह उनका स्वयं का गृह जिला है. यहां से मात्र 56 किलोमीटर दूर है.
अध्यक्ष महोदय:- आपके प्रश्न का उत्तर आ गया है, अब इसमें कुछ बचा नहीं है. अब इसमें समय खराब करने की जरूरत नहीं है.
श्री शैलेन्द्र पटेल:- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने उत्तर दिया कि कोई मांग पत्र नहीं है. मैंने स्वयं ने वल्लभ भवन में जाकर मुख्यमंत्री जी को सौंपा, जो सीहोर के अंत्योदय मेले में आये थे तो मांग पत्र सौंपा था. उत्तर में कहा है कि कोई मांग पत्र लंबित नहीं है. क्योंकि माननीय मंख्यमंत्री जी की कार्यशैली है कि जहां भी जाते हैं वहीं घोषणा करते हैं, लेकिन इछावर नहीं आते हैं और आज तक वहां के लिये कोई घोषणा नहीं की है.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये, मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल:- माननीय मंत्री जी आप यह बता दें कि माननीय मुख्यमंत्री जी का अपने गृह जिले के मुख्यालय इछावर में आगमन कब होगा ?
श्री जयंत मलैया:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि वर्ष 2013-14 से लेकर 2017-18 तक अलग-अलग मदों में 272.27 करोड़ रूपये के विकास का कार्य हुआ है.
अध्यक्ष महोदय:- पटेल जी अब आप बैठ जायें, यह ठीक बात नहीं है. भनोत जी आप अपना प्रश्न पूछें.
सामुदायिक मंगल भवन का निर्माण
[अनुसूचित जाति कल्याण]
6. ( *क्र. 1048 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अधोहस्ताक्षरी ने अपने पत्र क्र. 2187, दिनांक 15.06.2015 एवं पत्र क्र. 3020, दिनांक 26.10.2017 को कलेक्टर (आदिवासी विकास) जबलपुर को अनुसूचित जाति बस्ती विकास मद से पश्चिम विधान सभा क्षेत्र जबलपुर में अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र के सामुदायिक मंगल भवन निर्माण हेतु लेख किया था? (ख) यदि हाँ, तो क्या शासन ने अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में सामुदायिक मंगल भवन निर्माण हेतु प्रदाय आवंटन राशि पर रोक लगा दी है? (ग) वर्णित (ख) के अनुसार यदि आवंटन राशि पर रोक नहीं है तो वर्णित (क) के विधान सभा क्षेत्र में मंगल भवन निर्माण हेतु राशि कब तक जारी की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। (ग) कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री तरूण भनोत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं कि आप सबसे पहले तो ऊर्जा मंत्री जी से यह पूछकर बता दीजिये कि मध्यप्रदेश में बिजली के बिल कब कम होंगे, प्रदेश की पूरी जनता परेशान है.
अध्यक्ष महोदय:- यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं हो रहा है.
श्री तरूण भनोत:- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए, मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मंत्री जी ने मेरे प्रश्न में जो जवाब दिया है. अध्यक्ष महोदय, आपने कई बार आपने सदस्यों की पीड़ा समझते हुए यह निर्देश जारी किये हैं कि हमारे माननीय सदस्य जो भी पत्र लिखते हैं उनका जवाब आना चाहिये. यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. मैं लगातार तीन वर्षों से जबलपुर जिले के जिलाधीश और विभाग के अधिकारियों को पत्र लिख रहा हूं. मेरे क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की संख्या बहुत अधिक है और उस पूरे क्षेत्र में एक भी मंगल भवन नहीं है. वर्ष 2014-15, 2016-17 में भी मैंने पत्र लिखे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय काम तो छोडि़ये, मुझे उन पत्रों के जवाब तक नहीं मिले हैं. मैं सबसे पहले माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि हमारे पत्रों के जवाब आपके विभाग के अधिकारी और अधीनस्थ जिलाधीश क्यों नहीं देते हैं ?
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारे जनप्रतिनिधियों के पत्रों के जवाब देने के निर्देश शासन द्वारा जारी किए गए हैं. यदि विधायक ने कोई स्पेसीफिक पत्र लिखा हो तो उसकी जानकारी दें, हम जिलाधीश को निर्देश जारी करेंगे.
श्री तरूण भनोत- अध्यक्ष जी, मैंने अपने प्रश्न में बहुत ही स्पष्ट लिखा है और मेरे द्वारा प्रेषित पत्रों की कॉपी भी संलग्न है. मैंने पत्रों की दिनांक का भी उल्लेख किया है. कार्य होना तो दूर है, जवाब तक नहीं आ रहा है. क्या माननीय मंत्री जी संबंधित अधिकारियों पर कोई कार्यवाही करने की अनुशंसा करेंगे ?
कुंवर विजय शाह- अध्यक्ष जी, जो प्रश्न पूछा गया है, वह इससे उद्भूत तो नहीं होता है लेकिन सामान्यत: चूंकि ये जनप्रतिनिधि हैं और मैंने शासन की ओर से जवाब देने का प्रयास किया है. शासन के निर्देश स्पष्ट हैं कि सभी जनप्रतिनिधियों को समय-सीमा पर उनके पत्रों के जवाब दिए जायें. अभी मेरे पास जो जानकारी आई है, उसके अनुसार दिनांक 06.08.2015 को विधायक जी को जवाब दिया गया है. उनके दूसरे पत्र का उत्तर उन्हें दिनांक 07.11.2017 को दिया गया है.
श्री तरूण भनोत- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जानकारी असत्य है कि दिनांक 06.08.2015 को मुझे जवाब दिया गया है. यह प्रश्न जब विधान सभा की कार्यवाही में आ गया तो जिस दिन मैं आ रहा था, उसके 4 घंटे पूर्व मुझे एक पत्र लिखा गया कि आपने पूर्व में जो पत्र लिखे हैं, हम उनका परीक्षण कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जब तक कोई जनहितकारी कार्यों से संबंधी प्रश्न विधान सभा में नहीं लगेगा, तब तक क्या वह कार्य नहीं होगा ? दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी सदन में यह घोषणा करने का कष्ट करेंगे कि निश्चित समय-सीमा के भीतर उस मंगल-भवन का निर्माण कर, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, उस वर्ग के लोगों की मांग पूरी करेंगे.
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में 88 मंगल-भवनों के लिए 41.80 लाख की लागत से 13 करोड़ 39 लाख रूपये की राशि शासन द्वारा जारी की गई है. जबलपुर जिले में ही 4 मंगल-भवन हमने बनाये हैं क्योंकि अभी बस्ती विकास की नियमों में परिवर्तन हुआ है और अब नियमों के अनुसार जहां पर 40 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जाति की होगी, वहां ही इन मंगल-भवनों की स्वीकृति दी जा सकती है. प्राप्त जानकारी अनुसार विधायक जी के वार्ड भैरव में एस.सी. समाज की जनसंख्या लगभग 15 प्रतिशत के आस-पास है.
श्री तरूण भनोत- अध्यक्ष जी, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. 3 साल बाद जवाब दिया गया, वो भी गलत. सरदार वल्लभ भाई पटेल वार्ड है, भैरव नगर पहाड़ी का क्षेत्र है. वहां 80 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग रहते हैं. आप यहां से एक अधिकारी को भेजकर इसका परीक्षण करवा लें. यदि विधान सभा में गलत जानकारी दी गई है तो क्या मंत्री जी उस अधिकारी को निलंबित करेंगे ? और यह कार्य पूर्ण करवायेंगे. जिस क्षेत्र को उनके लिए मार्क किया गया है, उसमें ये कहते हैं कि 12-15 प्रतिशत की आबादी है. क्या यह सर्वेक्षण करवाने में इन्हें 3 साल लग गए ?
कुंवर विजय शाह- अध्यक्ष जी, नगर पालिका एवं जिलाधीश के माध्यम से जानकारी आई है. सहायक आयुक्त से जानकारी आई है. यदि माननीय विधायक जी चाहते हैं तो जांच करवा ली जायेगी.
अध्यक्ष महोदय- तरूण जी, ने तो स्पष्ट बताया है. आप इसका परीक्षण करवा लें और दूसरी बात यह है कि यह एक सामान्य शिकायत है कि माननीय विधायकों के प्रश्नों एवं पत्रों के उत्तर विभाग से नहीं आते हैं. बार-बार शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. कृपया यह सुनिश्चित करें कि यदि भविष्य में ऐसी कोई शिकायत आये तो संबंधित जिला प्रशासन के खिलाफ कार्यवाही की जा सके.
(मेजों की थपथपाहट)
कुंवर विजय शाह- अध्यक्ष जी, हम आपके आदेश का पालन करेंगें और जनसंख्या का परीक्षण करवाकर, विधायक जी को 15 दिनों में सूचित करवा देंगे.
श्री तरूण भनोत- अध्यक्ष जी, केवल एक मंगल-भवन की आवश्यकता है, उस वर्ग के लिए जिसे इसकी आवश्यकता है. यदि मंत्री जी सदन में इसकी घोषणा कर दें कि हम बनवा देंगे और यदि मंत्री जी की घोषणा से एक मंगल-भवन बन जायेगा तो क्या दिक्कत है ?
अध्यक्ष महोदय- परीक्षण के उपरांत.
श्री तरूण भनोत- सरकार कहती है कि हम अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए कार्य कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने सभी जगहों पर मंगल-भवन बनवाये हैं. अध्यक्ष महोदय, वहां सिर्फ इसलिए नहीं बना रहे हैं क्योंकि वहां पर कांग्रेस पार्टी का विधायक है. मंत्री जी आप तो कुंवर हो बडा़ दिल दिखाइए कर दो. मंत्री जी तैयार हैं.
अध्यक्ष्ा महोदय- आप जिद मत कीजिए. दूसरों के भी प्रश्न हैं.
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपको बहुत समय दिया गया है अब आप कृपया करके सहयोग करें. आप जबरदस्ती कर रहें हैं.
प्रश्न संख्या-7 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या-8 (अनुपस्थित)
बस्ती विकास योजनान्तर्गत किये गये कार्य
[जनजातीय कार्य]
9. ( *क्र. 989 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सुसनेर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत बस्ती विकास योजनान्तर्गत विगत 03 वित्तीय वर्षों में क्या-क्या कार्य किए गए हैं? (ख) बस्ती विकास योजनान्तर्गत कार्यों के क्रियान्वन हेतु आगर जिले को कितना बजट आवंटन विगत 03 वित्तीय वर्षों में हुआ है एवं आवंटित बजट का व्यय किन-किन कार्यों में किया गया है? वित्तीय वर्षवार, कार्यवार पूर्ण विवरण देवें। (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत बस्ती विकास योजना से किन-किन निर्माण कार्यों के क्रियान्वयन हेतु अनुशंसा की है? अनुशंसित कार्यों की स्वीकृति हेतु क्या कार्यवाही की गई? (घ) प्रश्नकर्ता द्वारा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत बस्ती विकास योजना से किन-किन विद्युतीकरण कार्यों के क्रियान्वयन हेतु अनुशंसा की है एवं अनुशंसित कार्यों की स्वीकृति हेतु क्या कार्यवाही की गई?
श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने पूर्व में जो योजना थी उसमें आमूलचूल परिवर्तन किया है और यह बहुत स्वागत योग्य है कि जहां सबसे ज्यादा जनजाति और दलित समाज के लोग रहते हैं उनकी बस्तियों में पहले 100 प्रतिशत विकास कार्य किए जाएं उसी में मेरे ही क्षेत्र का गुदरावन गांव भी शामिल था लेकिन वह पता नहीं बीच में कहां छूट गया. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि गुदरावन की कार्ययोजना अभी तक क्यों नहीं बन पाई? माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि दलित विकास बस्ती की योजनांतर्गत गुदरावन गांव भी शामिल था. अनुसूचित जाति बाहुल्य गुदरावन गांव है और वह छूट गया है मेरा आग्रह है कि उसे जल्द से जल्द इसमें जुड़वाया जाए.
कुंवर विजय शाह-- यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बस्ती विकास का पूछा है कि कहां-कहां विकास किया गया है वह उत्तर आ गया है उसको छोड़ दिया है.
कुंवर विजय शाह-- आप शिक्षक रहे हैं. समझदार हैं बस्ती विकास का नियम है कि जहां जनसंख्या ज्यादा होती है वहां......
श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय मंत्री जी आप बातों में लगे थे और यह बात मैं पहले बोल चुका हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप पूछ लीजिए.
कुंवर विजय शाह-- 50 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या अगर एस.टी. समाज की होगी तो वहां पर बस्ती विकास का काम होगा और हमने हर जिले का सिस्टम बना दिया है.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय मंत्री जी गुदरावन शामिल हो चुका था और उसकी कार्ययोजना भी बन गई थी.
कुंवर विजय शाह-- वहां की जनसंख्या की जांच करके बता देंगे.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- ठीक है. मेरा माननीय मंत्री जी से दूसरा आग्रह है कि विद्युतीकरण के कार्य बस्ती के साथ-साथ सब जगह हुए हैं एक बार उसमें एम.पी.ई.बी. और आपका विभाग दोनों में अनियमितता हुई है उसकी जांच कराएंगे क्या?
कुंवर विजय शाह-- मेरे पास बस्ती विकास के लिए आपका कोई लेटर नहीं है.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- आपके पास कुछ भी नहीं है तो मैं क्या कर सकता हूं. आपके पास क्या है आप वह मुझे बता दीजिए मैं वही पूछ लेता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- जतन सिंह जी आप कुछ कह रहे थे.
श्री जतन सिंह उइके—(XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
प्रश्न संख्या-10 (अनुपस्थित)
विद्युत लाइनों का मेंटेनेंस
[ऊर्जा]
11. ( *क्र. 88 ) श्रीमती सरस्वती सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.पू.क्षे.वि.वि. कंपनी मुख्य महा प्रबन्धक कार्यालय में 01 अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक विद्युत लाइनों के सुधार हेतु कितनी राशि प्राप्त हुई है एवं कितनी राशि व्यय हुई है? (ख) सिंगरौली जिला विधान सभा क्षेत्र चितरंगी अंतर्गत उक्त मेंटेनेंस राशि से कितने पुराने ट्रान्सफार्मर बदले गये हैं, कितने पुराने पोल-तार बदले गये हैं एवं कितने पुराने तार बदलकर नवीन तार डलवाये गये? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार उक्त मेन्टेनेंस की कितनी राशि प्राप्त हुई एवं कितनी राशि व्यय हुई? ठेकेदार के नाम सहित जानकारी बतावें। (घ) उक्त मेंटेनेंस की राशि का सत्यापन किस अधिकारी द्वारा किया गया? अधिकारी का नाम एवं पद बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को मेन्टेनेंस (संचालन-संधारण) मद में 01 अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक (वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 हेतु) कुल रू. 246.97 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई, जिसमें से रू. 209.82 करोड़ की राशि व्यय हुई है। (ख) सिंगरौली जिले के विधानसभा क्षेत्र चितरंगी अंतर्गत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संचालन एवं संधारण संभाग, बैढ़न में मेन्टेनेंस राशि से 166 पुराने ट्रांसफार्मर बदले गये हैं तथा मेन्टेनेंस कार्य के दौरान पाये गये सभी पुराने/टेढ़े पोलों को सही करने तथा लूज तारों को टाईट करने सहित विद्युत लाईनों को व्यवस्थित करने के समस्त कार्य कराये गये हैं। उक्त मेन्टेनेंस कार्य के अंतर्गत 31 टूटे पोलों को बदलकर नये पोल लगाये गये हैं, पुराने तारों को ही व्यवस्थित कर मेन्टेनेंस कार्य किया गया है, नये तार नहीं लगाये गये हैं। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संचालन एवं संधारण संभाग, बैढ़न के अंतर्गत उक्त मेन्टेनेंस के लिए प्रश्नाधीन अवधि में रू. 8.89 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई एवं रू. 6.76 करोड़ की राशि व्यय हुई है। मुख्यत: प्रश्नाधीन सभी कार्य पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई सामग्री से कंपनी के कर्मचारियों व लेबर कान्ट्रेक्टर ठेकेदार श्री प्रेमलाल द्वारा उपलब्ध कराए गए श्रमिकों की सहायता से किये गये हैं। (घ) उक्त ठेकेदार के प्रश्नाधीन कार्यों से संबंधित देयकों का सत्यापन श्री दिनकर दुबे, सहायक अभियंता द्वारा किया गया।
श्रीमती सरस्वती सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न (ख) में माननीय मंत्री जी द्वारा जो उत्तर दिया गया है उस उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं मेरे द्वारा प्रश्न पूछा गया था कि सिंगरौली जिले में चितरंगी विधान सभा में मेंटेनेंस के लिए कितने पैसे दिए गए हैं और पुराने पोल और जर्जर तार कितने बदले गए हैं. माननीय मंत्री जी द्वारा जो उत्तर दिया गया है इसमें गलत उत्तर दिया गया है मैं चाहती हूं कि चितरंगी विधानसभा में जितने भी पोल जर्जर हो गए हैं, जो टूट गए हैं और जितने भी तार टूटकर नीचे आ गए हैं उनको तत्काल सुधारा जाए.
श्री पारस चन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, इनके प्रश्न के जवाब में ही हमने दिया है कि कितने-कितने काम किए हैं फिर भी यदि विधायक जी यह कहते हैं कि मेरे यहां यदि कोई काम शेष है तो वह हमें बता दें हम उसको प्राथमिकता के हिसाब से करवा देंगे.
श्रीमती सरस्वती सिंह-- माननीय मंत्री जी धन्यवाद.
कार्यक्रम अधिकारी के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों की जांच
[महिला एवं बाल विकास]
12. ( *क्र. 549 ) श्री सतीश मालवीय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) उज्जैन जिले में पदस्थ महिला एवं बाल विकास के कार्यक्रम अधिकारी द्वारा रतलाम जिले में पदस्थ रहने के समय किस-किस प्रकार की आर्थिक अनियमितता की गई थी? संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) क्या इनकी जांच आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरों में जारी है? जांच की स्थिति क्या है? (ग) उक्त अधिकारी अपने सेवाकाल में कार्यक्रम अधिकारी पद पर कब-कब और कहाँ-कहाँ पदस्थ रहे हैं तथा इनके विरूद्ध उक्त पद पर रहते हुए कौन-कौन सी शिकायत प्राप्त हुई थी तथा उन पर अब तक कितने आरोप सिद्ध पाए गये?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) उज्जैन जिले में पदस्थ जिला कार्यक्रम अधिकारी की रतलाम जिले में पदस्थ रहने के समय निम्नलिखित शिकायतें प्राप्त हुई हैं :- (1) श्री सी.एल. पासी जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास द्वारा पद का दुरूपयोग कर भारी भ्रष्टाचार एवं अनियमिततायें करने बाबत्। (2) रतलाम जिले में आगंनवाड़ी भवन उन्नयन के नाम पर श्री सी.एल. पासी जिला कार्यक्रम अधिकारी तथा श्री रविन्द्र मिश्रा सहायक संचालक के विरूद्ध भ्रष्टाचार कर शासन को गंभीर नुकसान करने बाबत्। (3) आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मुख्यालय भोपाल में शिकायत पंजीबद्ध 94/16, (ख) जांच आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरो में प्रचलित है। आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरों द्वारा की जा रही कार्यवाही की जानकारी विभाग में उपलब्ध नहीं है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री सतीश मालवीय--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न पूछा था उसके लिए सर्वप्रथम मैं माननीय मंत्री महोदय को धन्यवाद देना चाहूंगा कि जिन कठिनाइयों का सामना मेरे अन्य साथी विधायकों को करना पड़ रहा है उन कठिनाइयों का सामना मुझे नहीं करना पड़ा. मुझे शत-प्रतिशत सही जवाब मिला है. उत्तर के "ख" भाग के तीन नंबर पैरा में मुझे जानकारी मिली है कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है और कार्यवाही प्रचलन में है. यह कार्यवाही कब तक पूर्ण हो जाएगी और संबंधित के खिलाफ कब तक कार्यवाही हो जाएगी.
श्रीमती अर्चना चिटनीस--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक माह में कार्यवाही पूर्ण कर ली जाएगी.
श्री सतीश मालवीय--धन्यवाद.
आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण
[महिला एवं बाल विकास]
13. ( *क्र. 1030 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 835, दिनांक 18 जुलाई, 2017 के उत्तर में दी गई जानकारी अनुसार विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत स्वीकृत 53 आंगनवाड़ी भवनों की प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति जिला स्तर पर प्रचलन में है तथा प्रति आंगनवाड़ी भवन के मान से राशि रूपये 4.00 लाख संबंधित ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराने की कार्यवाही प्रचलन में है? तो क्या प्रश्न दिनांक तक उक्त आंगनवाड़ी भवनों की प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति जारी करते हुये शेष राशि संबंधित ग्राम पंचायतों के खातों में उपलब्ध करा दी गई है अथवा नहीं? यदि नहीं, तो उक्त संबंध में क्या कार्यवाही किस स्तर पर किन कारणों से लंबित है तथा कब तक आवश्यक स्वीकृतियां एवं राशि उपलब्ध करा दी जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) वर्णित प्रश्न के उत्तर में दी गई जानकारी अनुसार विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा की शेष भवन विहीन 44 आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण हेतु प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई तथा कब तक शेष आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी नहीं। प्रदेश में मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संलग्न परिशिष्ट अनुसार पूर्व में वित्तीय व्यवस्था प्रचलित थी। पंचायतराज संचालनालय के पत्र क्रमांक 496, दिनांक 8/6/2017 द्वारा प्रदेश में मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना अन्तर्गत प्रति भवन मानक लागत राशि रूपये 7.80 लाख में से महिला एवं बाल विकास विभाग को 60 प्रतिशत अशंदान राशि (प्रति आंगनवाड़ी भवन राशि रूपये 4.68 लाख) तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास 40 प्रतिशत अशंदान राशि (प्रति आंगनवाड़ी भवन राशि रूपये 3.12 लाख) वहन करने सबंधी निर्देश पर वित्तीय व्यवस्था सबंधी कार्यवाही विचाराधीन है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ख) विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा अन्तर्गत शेष भवन विहीन 44 आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण हेतु जिले से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इनमें से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की स्वीकृति उपलब्ध बजट आवंटन की सीमा में मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना अन्तर्गत दी जा सकेगी। आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
श्री नारायण सिंह पँवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मेरे विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा में आंगनवाड़ी भवनों की स्वीकृति के बारे में प्रश्न किया था. एक साल पहले लगभग 90 आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत हो गए हैं ऐसी सूचना लिखित में विभाग द्वारा प्राप्त हुई थी. विभाग द्वारा जानकारी दी गई है कि 53 आंगनवाड़ी भवनों की प्रशासकीय स्वीकृति प्रचलन में है. एक साल व्यतीत होने के बाद भी प्रचलन की जानकारी आगे नहीं बढ़ पाई है और न ही राशि खातों में पहुंच पा रही है. जिला पंचायत के द्वारा यह जानकारी दी गई है कि उन्हें ऐसा कोई फण्ड प्राप्त नहीं हुआ है. कुछ ग्राम पंचायतों मे 2 लाख या 4 लाख रुपए जमा कर दिए गए हैं. किन्तु स्पष्ट निर्देश न होने के कारण विभिन्न पंचायतों द्वारा भी राशि अलग-अलग मदों में खर्च कर दी गई है. क्या शासन उक्त आंगनवाड़ियों की संपूर्ण राशि एक साथ जारी करने का कष्ट करेगा ? जो शेष 44 आंगनवाड़ी हैं उनके बारे में अभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है. माननीय मंत्री महोदय, यह बताने की कृपा करें कि आंगनवाड़ी भवन बन पाएंगे या नहीं बन पाएंगे ?
श्रीमती अर्चना चिटनीस--माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग द्वारा स्वीकृति के अधीन जो आंगनवाड़ी भवन हैं उनमें विभाग ने अपने अंश की राशि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को जारी कर दी है. यह जो सारे आंगनवाड़ी भवन हैं यह अभिसरण से बनने हैं जिसमें महिला बाल विकास विभाग की राशि, पंचायत विभाग की राशि और मनरेगा शामिल हैं. इनके कनवर्जन से यह बनने हैं. मैं अतिशीघ्र ग्रामीण विकास विभाग के साथ चर्चा कर स्वीकृतियां जारी करने का प्रयास करुंगी.
श्री नारायण सिंह पँवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा इसमें पूरक प्रश्न यह है कि एक साल से यही उत्तर आ रहा है. इनका आपस में कब समन्वय बैठेगा और कब तक यह राशि मिलेगी ?
अध्यक्ष महोदय--पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री जी कुछ कह रहे हैं वह सुन लीजिए.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, 1300 पंचायतों और आंगनवाड़ियों के लिए राशि जारी कर दी गई है. स्वीकृति दे दी जाएगी.
श्री नारायण सिंह पँवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि यह जो राशि जारी कर दी गई है. इसके बारे में पंचायत को स्पष्ट निर्देश प्राप्त नहीं हो रहे हैं पूर्व की राशि में भी स्पष्ट संकेत नहीं है. आजकल पंचायत का एक खाता हो गया है उस खाते में अलग से उल्लेख नहीं है कि पंचायत की राशि कौन सी है, आंगनवाड़ी की कौन सी राशि है. इसलिए पंचायत द्वारा यह राशि खर्च हो गई है.
श्री गोपाल भार्गव--आज स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए जाएंगे.
OYT के अंतर्गत स्थापित विद्युत ट्रान्सफार्मर
[ऊर्जा]
14. ( *क्र. 734 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में किसानों को स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना (OYT) के अतंर्गत स्थापित विद्युत ट्रांसफार्मरों के जलने/फैल होने पर बदलने/मरम्मत का कार्य कृषक उपभोक्ताओं को स्वयं के व्यय पर करना पड़ता है, जबकि उपभोक्ताओं से उक्त योजना में वि.वि. कंपनी द्वारा 3 प्रतिशत सुपरवीजन चार्ज लिया जाता है? (ख) प्रदेश के मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप विद्युत कनेक्शन योजना में कृषकों को सिंचाई पंप संचालन बावत् स्थापित विद्युत ट्रांसफार्मरों के जलने/फैल होने पर वि.वि. कंपनी द्वारा ही बदलने/मरम्मत करने का कार्य किया जाता है? (ग) क्या शासन उक्त दोहरी व्यवस्था/मापदण्ड नीति को कृषक हितों को ध्यान में रखते हुए समाप्त कर जले/फैल ट्रांसफार्मरों को बदलने/मरम्मत करने की एक समान नीति बनायेगा? नवम्बर 2017 की स्थिति में पूर्ण जानकारी दी जावे? (घ) क्या यह सही है कि (OYT) योजना में कृषक उपभोक्ताओं को भारी आर्थिक परेशानी उठाकर स्वयं के व्यय पर जले/फैल ट्रांसफार्मरों पर हो रहे आर्थिक व्यय से प्रदेशभर के किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। सुपरविजन चार्ज, किसानों द्वारा अधोसंरचना के कराये गये कार्य के सुपरविजन के लिए लिया जाता है, न की ट्रांसफार्मर सुधारने या बदलने के लिए। (ख) एवं (ग) जी हाँ। किसानों को स्थायी कृषि पंप कनेक्शन प्रदान करने के लिए राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना लागू की गई है, जिसमें किसान को निर्धारित अंश राशि का भुगतान करना पड़ता है। मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना में वितरण ट्रांसफार्मर से ट्रांसफार्मर की क्षमता के अनुसार, एक से अधिक कनेक्शन प्रदान किए जाते हैं, जबकि ''स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना'' में ऐसे किसानों द्वारा कनेक्शन लिया जाता है जो कि उस ट्रांसफार्मर से किसी अन्य उपभोक्ता का कनेक्शन साझा नहीं करना चाहते हैं। अतः इस योजना में वे स्वयं ट्रांसफार्मर क्रय कर स्थापित करते हैं तथा विद्युत वितरण कंपनी द्वारा इस योजना में मात्र सुपरविजन चार्ज लिया जाता है। अन्य कोई राशि आवेदक से नहीं ली जाती है। किसान के पास यह विकल्प रहता है कि वह ''मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना'' के अंतर्गत स्थायी कनेक्शन प्राप्त करें अथवा "स्वयं का ट्रांसफार्मर योजना" में मात्र स्वयं के उपयोग हेतु ट्रांसफार्मर की स्थापना का कार्य कराये। चूंकि दोनों योजनाओं के उद्देश्य एवं प्रावधान अलग-अलग हैं, अतः एक समान नीति बनाये जाने का प्रश्न ही नहीं उठता। नवम्बर, 2017 में भी ये योजनाएं यथावत् लागू हैं। (घ) जी नहीं। उत्तरांश (ख) एवं (ग) के अनुसार किसान के पास मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना में कनेक्शन प्राप्त करने का विकल्प है।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहा था कि क्या स्वयं की ट्रांसफार्मर योजना (OYT) के अन्तर्गत स्थापित विद्युत ट्रांसफार्मरों के जलने या फेल होने पर बदलने या मरम्मत का कार्य कृषक उपभोक्ताओं को स्वयं के व्यय पर करना पड़ता है. जबकि मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप योजना के अन्तर्गत अगर कोई किसान इसका लाभ लेना चाहता है तो ट्रांसफार्मर बदलने की या मरम्मत की जिम्मेदारी कंपनी की होती है. मैं यह जानना चाहता हूँ कि यह दोहरी नीति जो अपनाई जाती है उसमें मेरा माननीय मंत्री महोदय से कहना है कि वर्ष 2010 में सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया था उसमें यह कहा गया था कि जो स्वयं के व्यय पर ट्रांसफार्मर लगाए जाते हैं उसमें 3 प्रतिशत सुपरवीजन चार्ज के बाद अगर कोई ट्रांसफार्मर फेल होता है तो उसकी मरम्मत कराने का कार्य कंपनी द्वारा कराया जाएगा. लेकिन एक साल बाद ही दिनांक 13.5.2011 को यह नियम बदल दिया गया. उसमें यह कहा गया कि इसकी सारी जिम्मेदारी किसान की रहेगी. मैं माननीय मंत्री महोदय से कहना चाहता हूँ कि यह किसान हितैषी सरकार है. इस योजना में ट्रांसफार्मर बदले का कार्य अगर कंपनी द्वारा कराया जाएगा तो सीधे किसानों को इसका लाभ मिलेगा.
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, ओन योर ट्रांसफार्मर (OYT) का मालिक भी किसान ही रहता है और यह किसान के पैसे से ही बदला जाता है. यह ट्रांसफार्मर जलता है तो वह किसान ही उसे अपने पैसे से बदल सकता है. लेकिन इस योजना के अलावा यदि वह चाहे तो प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने 2 योजनाएं और चालू की हैं. मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप योजना के माध्यम से यदि कनेक्शन लेंगे तो वह हम बदलेंगे. अभी आपने देखा होगा कि सोलर पंप के माध्यम से भी इस योजना को हम कर रहे हैं. यदि इस योजना के अन्दर यह आ जाते हैं तो उसमें बदलने की जवाबदारी हमारी है.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि अगर कृषक स्थाई कनेक्शन लेता है तो उसकी जिम्मेदारी उसको बदलने की होती है वह दूसरे कृषक को वहाँ से लाइन नहीं दे सकता. मैं यह कहना चाहता हूँ कि अगर वह इस योजना के माध्यम से किसी दूसरे कृषक को लाइन देना चाहता है तो क्या शासन ट्रांसफार्मर बदलने के लिए तैयार है ? दूसरा मेरा निवेदन यह है कि वर्ष 2010 में आपने ही सरकुलर जारी किया और कहा कि इसकी जिम्मेदारी पूरी कंपनी की रहेगी. एक साल बाद आपने नियम बदल दिये इससे किसानों को बहुत तकलीफ होती है और मैं पूरे सदन की ओर से माँग करना चाहता हूं कि अगर इस सरकुलर को दुबारा वापिस इसी योजना में ले लिया जाएगा तो ठीक होगा चूंकि मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप योजना में तो छह-छह महीने लग जाते हैं किसान परेशान होकर स्वयं के व्यय पर ट्रांसफार्मर लगाता है इसलिए यह योजना कारगर नहीं है मुझे लगता है कि अगर इसका भी लाभ मिल जाएगा तो किसानों को बहुत लाभ होगा.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप योजना में वह कनेक्शन लेते हैं और उसमें देर से लग रहा है तो अस्थाई कनेक्शन ले लें और अस्थाई कनेक्शन का जो पैसा है वह स्थाई कनेक्शन में हम समायोजन कर देंगे.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बहुत कुछ नहीं कहना है लेकिन सहानुभूतिपूर्वक मंत्री महोदय विचार कर लें पूरे सदन का मामला है, पूरे प्रदेश का मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, माननीय सदस्य ने जो प्रस्ताव दिया है उस पर विचार करने का आग्रह कर रहे हैं.श्री योगेन्द्र निर्मल अपना प्रश्न करें.
श्री अमर सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके द्वारा यह कहा गया था कि किसानों को स्थाई कनेक्शन दिया जाएगा उसमें परिवर्तन किया जाएगा लेकिन आपने उसमें परिवर्तन नहीं किया.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरे मध्यप्रदेश की समस्या है इसमें बदलाव आना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- सत्यपाल सिंह जी ने कह दिया है, मंत्री जी के ध्यान में बात आ गई है. अब आप लोग बैठ जाइए.डॉ. योगेन्द्र निर्मल अपना प्रश्न करें.
घरेलू विद्युत कनेक्शन का अधोसंरचना शुल्क
[ऊर्जा]
15. ( *क्र. 1014 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में विद्युत वितरण कंपनी द्वारा घरेलू कनेक्शन के क्या मापदण्ड हैं एवं कितनी राशि उपभोक्ता से ली जाती है? प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत वारासिवनी नगर फीडर में वर्ष 2017-18 में कितने क्षेत्रों में अधोसंरचना शुल्क लिया गया है? क्षेत्रवार प्रति उपभोक्ता राशि का विवरण भी देवें। वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि अधोसंरचना शुल्क के रूप में उपभोक्ताओं से ली गई है एवं उसके विरूद्ध कितनी अधोसंरचना कंपनी द्वारा विकसित की गई है? (ख) अधोसंरचना शुल्क का निर्धारण किस अधिकारी द्वारा किस मापदण्ड से किया गया है? क्या ले-आउट बनाने का अधिकार म.प्र. विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को है? म.प्र. में किन-किन क्षेत्रों में घरेलू कनेक्शन के लिए अधोसंरचना शुल्क लगाया गया है? (ग) अधोसंरचना शुल्क घरेलू कनेक्शन के लिए किन क्षेत्रों को अधिसूचित किया जाता है? इसका कोई नियम है? यदि हाँ, तो नियम की छायाप्रति देवें। जिन क्षेत्रों में अधोसंरचना शुल्क नहीं लगा है इसके क्या कारण हैं? क्या विभाग द्वारा कुछ क्षेत्रों को ही जानबूझकर अधोसंरचना शुल्क में जोड़ा गया है? क्या संपूर्ण म.प्र. में घरेलू कनेक्शन के एक समान नियम हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) घरेलू कनेक्शन दिये जाने से संबंधित मापदण्ड एवं कनेक्शन हेतु उपभोक्ता से ली जाने वाली राशि से संबंधित प्रावधान म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 एवं म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के विनियम 2009 के अनुसार हैं, जिसका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत वारासिवनी नगर फीडर के 6 क्षेत्रों में वर्ष 2017-18 में नियमानुसार अधोसंरचना शुल्क लिया गया है। क्षेत्रवार प्रति उपभोक्ता अधोसंरचना शुल्क की राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक प्रश्नाधीन क्षेत्र में कुल रु. 4,09,500/- की राशि अधोसंरचना शुल्क के रूप में जमा की गयी है एवं प्राक्कलन स्वीकृत कर अधोसंरचना विकास का कार्य करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) अधोसंरचना शुल्क का निर्धारण म.प्र. विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचना दिनांक 02-09-2009 में प्रकाशित विनियम RG-31 (1) वर्ष 2009 में निहित प्रावधानों के अनुसार वितरण कंपनी के संबंधित प्रभारी अधिकारी द्वारा किया जाता है। जी नहीं, कॉलोनियों के ले-आउट का निर्धारण नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा किया जाता है, परंतु जिन कॉलोनियों में नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा ले-आउट का निर्धारण नहीं किया गया है एवं जो असंगठित बस्ती एवं स्लम बस्ती है, उनमें मौके पर उपलब्ध प्लाटों के क्षेत्रफल एवं आवेदक के द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी के अनुसार आंकलन एवं निर्धारण कर विनियम RG-31 (1) वर्ष 2009 एवं म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के प्रावधानों के अनुसार अधोसंरचना शुल्क जमा कराने की कार्यवाही की जाती है। संपूर्ण प्रदेश में उक्त नियमानुसार अधोसंरचना शुल्क जमा कराया जाता है। (ग) घरेलू कनेक्शन के लिये अधोसंरचना शुल्क लिये जाने हेतु अवैध कॉलोनी, असंगठित क्षेत्र एवं स्लम बस्ती वाले क्षेत्रों को अधिसूचित किया जाता है। शुल्क के निर्धारण एवं क्षेत्र की जानकारी संबंधी नियम म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 तथा म.प्र. विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचना दिनांक 02-09-2009 में प्रकाशित विनियम RG-31 (1) वर्ष 2009 की कण्डिका क्रमांक 4.4.1, 4.5.1 एवं 4.5.2 में उल्लेखित है। नियमों की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। वितरण कंपनी द्वारा उपरोक्त वर्णित नियमानुसार ही अधोसंरचना शुल्क निर्धारण संबंधी कार्यवाही की जाती है। सम्पूर्ण म.प्र. में घरेलू कनेक्शन के एक समान नियम लागू हैं।
डॉ.योगेन्द्र निर्मल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश (ग) के संबंध में ध्यानाकृष्ट कराना चाहता हूं कि जिन क्षेत्रों में अधोसंरचना शुल्क नहीं लगा है इसके क्या कारण है. मेरे यहाँ बालाघाट जिले में अधोसंरचना शुल्क नहीं है और वारासिवनी नगर में अधोसंरचना शुल्क लगा है उसे अधिसूचित क्षेत्र जारी किया है मेरी आज ही बालाघाट डी.ई. से बात हुई है उन्होंने कहा कि बालाघाट नगर में किसी प्रकार से अधोसंरचना शुल्क नहीं लिया जाता और ना ही उसे अधिसूचित क्षेत्र जारी किया गया है. क्या वारासिवनी को अधोसंरचना शुल्क से हटाया जाएगा?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अधोसंरचना का पैसा तो लिया जाता है लेकिन पहले यह कोई भी नियम नहीं था जिसके कारण अवैध कालोनियों को बिजली देने में काफी परेशानी आती थी वर्ष 2009 में राज्य शासन के निर्देश पर नियामक आयोग ने डिटेल में निर्देश जारी किये गये उसके आधार पर पूरे प्रदेश में अवैध कालोनियों में भी विद्युतीकरण कार्य किया जा रहा है और यदि कोई कार्य कराना चाहता है तो विधायक निधि और सांसद निधि से भी यदि पैसा दे देते हैं तो योजना का लाभ उनको मिल जाता है.
डॉ.योगेन्द्र निर्मल --माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि बालाघाट नगर अधिसूचित क्षेत्र में क्यों नहीं है वारासिवनी क्यों है ? बालाघाट नगर में भी तो अवैध कॉलोनियॉं हैं अकेले वारासिवनी नगर में ही अवैध कॉलोनियॉं नहीं हैं. विधायक निधि और सांसद निधि से तो हम दे ही रहे हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्न है कि क्या वारासिवनी को आप अधिसूचित क्षेत्र से हटाएंगे ? कृपया माननीय मंत्री जी इसका उत्तर दें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- बालाघाट में भाऊ है और वारासिवनी में आप हो.
अध्यक्ष महोदय -- आपको कुछ कहना है.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अधोसंरचना शुल्क तो लिया जाता है लेकिन यदि माननीय सदस्य जहां का कह रहे हैं यदि वहां नहीं है तो माननीय सदस्य लिखकर बता देंगे, तो हम उसकी जॉंच करवा लेंगे.
डॉ.योगेन्द्र निर्मल -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
लोकायुक्त पुलिस द्वारा छापामार कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
16. ( *क्र. 1155 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल, इन्दौर संभाग में 3 वर्षों की स्थिति में यह अवगत करावें कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई छापामार कार्यवाही में कुल कितने स्थानों पर सफलता प्राप्त हुई और कितने व किन-किन स्थानों पर असफल रहे? जिलेवार, वर्षवार बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में छापामार कार्यवाही में असफल रहने के क्या कारण हैं तथा इस लापरवाही के लिए कौन-कौन दोषी हैं? उनके नाम व पद सहित यह अवगत करावें कि दोषियों के विरूद्ध नियमानुसार शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) कुल 20 स्थानों पर छापों की कार्यवाही की गई। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। (ख) छापामार कार्यवाही में असफल रहने के प्रकरणों की जानकारी निरंक है।
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि पिछले तीन वर्षों में लोकायुक्त ने भोपाल और इंदौर संभाग में कितने लोगों के खिलाफ कार्यवाही की और उनके चालान पेश किए ?
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल और इंदौर संभाग में विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त पुलिस द्वारा अवधि दिनांक 01.10.2014 जैसा कि आपने अपने प्रश्न में उल्लेख किया है दिनांक 30.09.2017 तक कुल 20 स्थानों पर छापामार कार्यवाही के प्रकरण पंजीकृत किए गए. उपरोक्त 20 प्रकरणों में से अपराध क्रमांक 50/2015 में माननीय न्यायालय के समक्ष चालान प्रस्तुत किया गया है तथा शेष 19 प्रकरण विवेचना में विचाराधीन हैं.
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब लोकायुक्त कार्यवाही करता है तो उनको उसी समय गिरफ्तार करता है. जिस समय कार्यवाही होती है उसकी जॉंच नहीं होती है कि जॉंच के बाद गिरफ्तार करेंगे और दूसरी बात यह है कि सरकार जिस नियम से चल रही है उस नियम में शायद यह है कि ये लोग अपनी ड्यूटी पर तो हैं और प्रमोशन भी ले लिया है लेकिन 90 दिवस में चालान पेश नहीं हुआ. रोज दफ्तर जाते हैं इनको गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है इसमें कौन-सी मिलीभगत है ? माननीय मंत्री जी आप तो स्पष्ट बात करने वाले हैं यह बता दीजिए कि इन लोगों को इतने दिनों में गिरफ्तार कर लिया जाएगा?
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने कुछ नियम बनाए हैं. इसमें शासकीय सेवा-अवधि में जो भी आरोपी रहते हैं उसकी आय-व्यय, खरीद-बिक्री के दस्तावेज एवं आरोपी के परिवार की गैर-आनुपातिक सम्पत्ति की बारीकी से जॉंच करना पड़ती है. इसके साथ ही आरोपी द्वारा अपने बचाव पक्ष में अभ्यावेदन भी दिया जाता है जिसके द्वारा अपने स्तर पर स्वयं का अपना लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है. आरोपी द्वारा प्राप्त प्रस्तुत अभ्यावेदन गुण-दोषों के आधार पर निराकृत किया जाता है जिसमें समय लगता है. अत: आय से अधिक सम्पत्ति के प्रकरणों की विवेचना में समय लगता है.
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सीधी-सी बात पूछ रहा हॅूं कि जब चालान पेश होने के बाद अपराध पंजीबद्ध हो गया, केस बन गया, तो इनको गिरफ्तार करने में क्या परेशानी है ? 90 दिन में तो चालान पेश करने का प्रावधान है. अब इसमें कहीं अलग से उल्लेख किया गया हो कि इनको अलग से मौका दिया जाएगा कि तुम डिप्टी रेंजर से रेंजर बन जाओ, तुम चपरासी से हेडमास्टर हो जाओ तुम्हारे खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी. कमाओ खाओ और खाने दो.
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो क्रिमिनल प्रोसीज़र होता है उसका एक अलग तरीका होता है. लोकायुक्त या सीबीआई जो जॉंच करती है इसमें समय भी लगता है और मैं यहां आपको दो-तीन बातों का निवेदन करना चाहता हॅूं. पहली बात तो यह है कि जब भी किसी के ऊपर छापा पड़ता है तो उसको तीन दिवस के अंदर वहां से हम अन्यत्र ट्रांसफर कर देते हैं. दूसरी बात यह है कि अभियोजन की स्वीकृति जारी करने का अधिकार प्रशासनिक विभाग के पास रहता है. अभियोजन स्वीकृति जारी करने के संबंध के प्रकरणों का तीन माह के अंदर निराकरण का किया जाता है.
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रमोशन का भी बता दीजिए कि जिन पर ऐसे आरोप होते हैं, जिनका अपराध पंजीबद्ध हो जाता है, क्या उनको नियमानुसार प्रमोशन दिया जा सकता है ?
श्री जयंत मलैया -- जी नहीं.
श्री आरिफ अकील -- प्रमोशन तो दिए हुए हैं.
श्री जयंत मलैया -- आप बताइए कि कौन-सा प्रमोशन दिया गया है ? क्या आप बता सकते हैं ?
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास लिस्ट है उस लिस्ट में आपने उन लोगों को प्रमोशन दिया है. आप गलत बयानी कर रहे हैं.
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जिन 20 लोगों के बारे में बात की है एक-एक के बारे में आप देख लें, मैं आपको बता देता हॅूं. विवेचना पूर्ण होने के उपरांत ही चालान पेश करने की कार्यवाही की जाती है. जब तक पूर्ण रुप से अपराध सिद्ध नहीं पाया जाता है तब तक गिरफ्तारी नहीं की जाती है.मैं यहां यह भी उल्लेख करना चाहता हूँ कि अभी तक विशेष पुलिस शाखा लोकायुक्त द्वारा विगत 5 वर्षों में विभिन्न विशेष न्यायालयों द्वारा आय से अधिक सम्पत्तियों के मामले में आरोपियों को 32 प्रकरणों में सजा से दंडित किया गया है और उक्त प्रकरणों में आरोपियों के पास से अनुमानित चल-अचल...
श्री रामनिवास रावत -- यह इस प्रश्न में कहां है ?
श्री जयंत मलैया -- आपने बात की ना, उसी बात का मैं जवाब दे रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- रावत जी, आप क्या कहना चाहते हैं वह आप कह दीजिए.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त द्वारा छापे की कार्यवाही या ट्रैप की कार्यवाही भ्रष्ट लोगों के खिलाफ की जाती है और भ्रष्टाचार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस देश के प्रधानमंत्री भी जीरो टोलेरेंस की बात करते हैं और आप भी करते हैं. मेरा सीधा-सीधा प्रश्न यह है कि 20 अधिकारियों के विरुद्ध लोकायुक्त ने छापामार कार्यवाही की, पिछले 3 वर्षों में आपने 20 में से सिर्फ 1 के विरुद्ध ही चालान प्रस्तुत किया है, 19 अधिकारियों के विरुद्ध अभी विवेचना ही चल रही है और ये सब लोग अभी फील्ड में भी पदस्थ होंगे. कम से कम इनको फील्ड में पदस्थ नहीं किया जाना चाहिए, इन 19 लोगों में से अभी तक आपने कितने लोगों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति के लिए प्रकरण भेजे हैं या सरकार को अभियोजन स्वीकृति के प्रकरण प्राप्त हुए हैं ?
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिनका अभियोजन पूरा हो जाता है तो स्वीकृति के लिए भेजा जाता है, जब जांच चलती है. आप समझते हैं कि ये जो क्रिमिनल प्रोसीजर होता है वह अलग होता है, यह अलग है और इसमें हमें हरेक व्यक्ति को, हर पक्ष को पूरी सुनवाई का अवसर देना पड़ता है. इसमें हमेशा विलंब होता है, चाहे वह लोकायुक्त का हो या चाहे सीबीआई का हो, इस तरीके के मामले जब आते हैं तो इसमें समय लगता ही है और यह नेचुरल जस्टिस की मांग भी है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, क्या ये 19 लोग अभी फील्ड में पदस्थ हैं ? पुन: भ्रष्टाचार को आप संरक्षण दे रहे हैं.
श्री जयंत मलैया -- जहां-जहां छापा पड़ा था, वहां पदस्थ नहीं हैं.
श्री रामनिवास रावत -- वहां से हटाकर फिर फील्ड में पदस्थ हैं. आप भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं.
प्रश्न संख्या 17 - (अनुपस्थित)
खराब ट्रांसफार्मरों का सुधार
[ऊर्जा]
18. ( *क्र. 709 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर खराब हो जाने, जल जाने आदि के कारण ग्राम की एवं खेतों की बिजली महीनों बंद पड़ी रहती है? अधीक्षण अभियंता (संचा-संधा), सागर एवं कार्यपालन अभियंता (संचा-संधा), रहली से दूरभाष पर शिकायत करने पर यहां तक कि प्रश्नकर्ता द्वारा लिखित अनुरोध करने पर भी ट्रांसफार्मर न तो बदले जाते हैं न उनमें सुधार किया जाता है? (ख) यदि नहीं, तो बतावें कि प्रश्नकर्ता द्वारा 01 मार्च, 2017 से प्रश्न दिनांक तक विद्युत कंपनी के अधीक्षण अभियंता (संचा-संधा), सागर एवं कार्यपालन अभियंता (संचा-संधा), रहली को सीधे एवं कलेक्टर सागर के माध्यम से सुरखी विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत कितने और कौन-कौन से ग्रामों के कितने-कितने ट्रांसफार्मर जल जाने या खराब हो जाने के चलते उन्हें बदलने और सुधार करने हेतु पत्र लिखकर अनुरोध किया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शित पत्रों पर विद्युत कम्पनी द्वारा क्या कार्यवाही की गयी और क्या शिकायतों का निराकरण कर सभी ट्रासंफार्मर को बदल दिया गया अथवा सुधार दिया गया है? यदि नहीं, तो ट्रासंफार्मर बदलने के विभागीय नियम क्या हैं और क्या उनका पालन किया जाना सुनिश्चित किया गया है? (घ) जिन अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा समय-सीमा में पत्रों पर कार्यवाही न करते हुये ट्रासंफार्मर नहीं बदले गये हैं, उन पर कब तक और क्या कार्यवाही की जावेगी तथा ट्रासंफार्मर कब तक बदल दिये जायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। ट्रांसफार्मर जलने/खराब होने की सूचना प्राप्त होते ही तत्काल नियमानुसार ट्रांसफार्मर बदलने की कार्यवाही की जाती है। मात्र ऐसे ट्रांसफार्मर जहाँ उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार बकाया राशि जमा नहीं की जाती है, उन्हें नहीं बदला जाता है। (ख) प्रश्नांश से संबंधित विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित पत्रों में उल्लेखित सभी ट्रांसफार्मरों को नियमानुसार बदला/सुधार दिया गया है जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित सभी वितरण ट्रांसफार्मरों को बकाया राशि जमा होने के उपरान्त समय-सीमा में सुधारा अथवा बदला जा चुका है। अतः किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।
श्रीमती पारूल साहू केशरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां-जहां ट्रांसफार्मर लगे हैं, अगर उनकी बिजली सप्लाई बंद की जाती है या ट्रांसफार्मर जल जाते हैं या अन्य किसी भी कारण से ट्रांसफार्मर में बिजली नहीं है तो वहां पर सब-स्टेशन में रखे हुए कम्प्यूटर में एक-एक सेकण्ड का रिकार्ड दर्ज होता है. मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से यह आश्वासन चाहती हूँ कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में जब भी किसी भी कारण से अगर ट्रांसफार्मर पर 24 घंटे से ज्यादा बिजली बंद होती है तो क्या उसकी सूचना कारण सहित नियमित हमें भेजेंगे ?
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का कहना है कि हमको सूचना देना चाहिए तो वैसे हम सूचना नहीं देते हैं लेकिन दे देंगे. यदि ये मांगेंगे तो हमको कोई दिक्कत नहीं है.
श्रीमती पारूल साहू केशरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि हम जनप्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि बिजली का संकट जब भी कहीं किसी ग्राम में आता है तो अधिकांश में यह होता है कि हमें जानकारी ही नहीं होती है, मैं मंत्री जी से आग्रह करना चाहती हूँ कि पूरे मध्यप्रदेश में समस्त विधायकों को इसकी सूचना भेजी जाए ताकि जब भी इस तरह की समस्या आती है तो हमें भी यह जानकारी रहे कि हमारे विधानसभा क्षेत्र में किस ग्राम में किस कारण से ट्रांसफार्मर बंद हैं ?
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो इन्होंने सुझाव दिया है, वह पूरे मध्यप्रदेश के लिए दिया है, उसका हम परीक्षण कराएंगे.
श्री के.पी. सिंह -- यह सुझाव नहीं है, प्रश्न का उत्तर नहीं दिया गया है कि किस-किस कारण से किस ग्राम में ट्रांसफार्मर नहीं बदल रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- के.पी. सिंह जी, उनका प्रश्न नहीं है, यह उनका सुझाव है.
श्री के.पी. सिंह -- प्रश्न का जवाब आप देते नहीं हैं, उन्होंने पूरे मध्यप्रदेश का नहीं कहा है, अपनी विधानसभा के बारे में कहा है.
श्रीमती पारुल साहू केशरी -- अध्यक्ष महोदय, अपनी विधान सभा के बारे में भी कहा है और साथ ही साथ सभी के बारे में भी कहा है.
श्री मनोज सिंह पटेल -- के.पी. सिंह जी, आपने शायद सुना नहीं, पूरे मध्यप्रदेश का कहा था.
श्रीमती पारुल साहू केशरी-- अध्यक्ष महोदय, मैंने अपनी विधान सभा के बारे में भी कहा है, साथ ही साथ इसको भी एड किया है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 19. श्री सचिन यादव.
श्री के.पी. सिंह -- अध्यक्ष महोदय, टाइम तो खत्म हो गया है. पिछले प्रश्न का जवाब भी नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उनका नाम पुकार लिया है. अब जवाब नहीं.
कसरावद विधान सभा क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था
[नर्मदा घाटी विकास]
19. ( *क्र. 852 ) श्री सचिन यादव : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कसरावद विधान सभा क्षेत्रांतर्गत प्राकृतिक आपदा एवं अवर्षा के कारण किसानों की खरीफ की फसल नष्ट होने से दुखी किसानों की आगामी रबी की फसलों में सिंचाई का पानी दिये जाने के लिए (जल संसाधन विभाग से सुनिश्चित कर) नर्मदा नदी पर आधारित सभी सिंचाई परियोजनाओं की नहरों, तालाबों अन्य संसाधनों के माध्यमों से उक्त किसानों को सिंचाई का पानी कितने-कितने समय तक के लिए कब-कब उपलब्ध कराया जायेगा? (ख) क्या उक्त क्षेत्रांतर्गत स्थित सभी तालाबों में पानी इंदिरा सागर परियोजनाओं और ओंकारेश्वर बांध परियोजनाओं की मुख्य नहरों से भरा जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? उक्त परियोजनाओं के पानी का लाभ तालाबों के माध्यमों से किसानों को रबी की फसलों के लिए नियमित सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने के लिए तत्संबंध में कार्यवाही करते हुए सुनिश्चित कर प्रश्नांकित दिनांक की स्थिति में जानकारी दें? (ग) प्रश्नांश (क) में दर्शित तालाबों में इंदिरा सागर परियोजनाओं और ओंकारेश्वर बांध परियोजनाओं की मुख्य नहरों से पानी भरने से कितने-कितने ग्रामों में कितने-कितने रकवे को सिंचित किया जा रहा है और किया जा सकता है? तत्संबंध में जानकारी दें।
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) (ख) एवं (ग) ओंकारेश्वर परियोजना की नहर में दिनांक 23.10.2017 एवं इंदिरा सागर परियोजना की नहर में दिनांक 06.10.2017 से जल प्रवाहित किया जा रहा है। जल की उपलब्धता के आधार पर कृषकों को आवश्यकतानुसार सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराया जायेगा। इंदिरा सागर परियोजना की नहरों से अम्बकनाला, साटक, साडली, बारदेवला, उटावद, मेहतपुरा तथा सांगवी तालाबों को पूर्व से ही भरा जा रहा है। जल की उपलब्धता एवं तकनीकी रूप से साध्य होने पर ही तालाबों में पानी भरा जाना संभव है। जहाँ संभव है, वहाँ पूर्व से ही उपरोक्तानुसार भरा जा रहा है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सचिन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से प्रश्न है कि पर्याप्त पानी उपलब्ध होने के बावजूद भी पूर्व में कई बार किसानों के लिये पानी नहीं छोड़ा गया और कभी भी बिना सूचना दिये पानी बंद कर दिया जाता है, जिसके कारण किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं. इस समस्या को लेकर किसान पूर्व में कई बार क्षेत्र में आंदोलन भी कर चुके हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रश्न है कि क्या इसके लिये आप अपने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठ करके कोई नियम, कानून बनायेंगे, जिसका कि हमारे साथियों को लाभ मिल सके.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- अध्यक्ष महोदय, कसरावद विधान सभा क्षेत्र में इंदिरा सागर परियोजना की नहरों के अतिरिक्त कठोरा उद्वहन सिंचाई योजना से कमांड क्षेत्र में सिंचाई हेतु पानी छोड़ा जा रहा है तथा ओंकारेश्वर परियोजना से भी पानी छोड़ा जा रहा है.
श्री सचिन यादव -- अध्यक्ष महोदय, पानी छोड़ा जा रहा है, यह मैं मानता हूं, लेकिन कभी कभी वहां पर बिना सूचना के भी किसानों के लिये पानी बंद कर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय -- सचिन यादव जी, बैठ जायें. आपको प्रश्नकाल का समय पूरा होने के बाद भी टाइम दिया है. आप कृपा करके सहयोग करें. प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे शून्यकाल में उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
दिनांक 31 अक्टूबर,2017 को भोपाल में 19 वर्षीय छात्रा के साथ हुए
सामूहिक बलात्कार की घटना पर स्थगन लिया जाना.
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल की सूचनाएं.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- अध्यक्ष महोदय, 31 अक्टूबर,2017 को भोपाल के एम.पी. नगर में ..
अध्यक्ष महोदय -- यह शून्यकाल की सूचनाएं हैं, पहले इनको पढ़वा लेने दें. इसके बाद में आपकी बात सुन लेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्नकाल के बाद ही आयेगा. हमने स्थगन दिया हुआ है, स्थगन की बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय --ठीक है. आप बोलिये.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, दिनांक 31 अक्टूबर,2017 को शाम के 7.00 बजे भोपाल के एम.पी. नगर की 19 वर्षीय छात्रा पीएससी की कोचिंग से घर वापस लौट रही थी. उसी दर्मियान हबीबगंज रेलवे ट्रेक पर चार लोगों ने उसे अगुआ कर, खींच कर झाड़ी में पटक लिया और कीचड़ में डाल करके उसके साथ...
अध्यक्ष महोदय -- यह आप अभी पढ़ नहीं सकते. आप अपना विषय बता दीजिये.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मैं पढ़ नहीं रहा हूं. विषय यही है कि झाड़ियों में पटक कर उसके साथ बलात्कार किया.
अध्यक्ष महोदय -- यह विषय नहीं है. आप कहना क्या चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हमने इस विषय पर स्थगन दिया हुआ है. कृपा करके स्थगन ग्राह्य कर लें, क्योंकि पूरी तरह से कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है और प्रदेश की महिलाएं असुरक्षित हैं, प्रदेश की बालिकाएं असुरक्षित हैं. इस विषय पर चर्चा करा लें. इस स्थगन को ग्राह्य करें.
अध्यक्ष महोदय -- मैं परीक्षण करता हूं, उसके बाद फिर आपसे बात करेंगे. अभी मैं जानकारी पता करता हूं कि विभाग से जानकारी आ गई है या नहीं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, अगर इस तरह के विषयों को यह हमने विधान सभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के बाद, जैसे ही जिस दिन से ये देना शुरु होते हैं, उसी समय स्थगन दे दिया. शासन की ओर से जानकारी आ जाना चाहिये. शासन को गंभीरता से लेना चाहिये. प्रदेश की पूरी महिलाएं असुरक्षित हैं, उनमें असुरक्षा का भाव है और रोज लगातार इस तरह से बलात्कार की घटनायें बढ़ती जा रही हैं. पुलिस प्रशासन असंवेदनशीलता दिखा रहा है. सरकार पर लोगों का भरोसा नहीं रहा, विश्वास उठ रहा है. अगर आप इसको ग्राह्य नहीं करेंगे और अब कहेंगे कि जानकारी मंगा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, मैं जानकारी ले लेता हूं. इसके बाद मैं आपसे चर्चा करुंगा.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, दिल्ली में एक निर्भया काण्ड हुआ. पूरे विश्व में उसकी गूंज उठ गई और यहां पर तो रोज ही निर्भया पीड़ित हो रही हैं. रोज ही निर्भयाओं के साथ बलात्कार हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. आपने अपनी बात कह ली.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, नहीं, यहां कहने के लिये थोड़ी आये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- तो काहे के लिये आये हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, इस मुद्दे को आप चर्चा के लिये स्वीकार करें.
अध्यक्ष महोदय -- हम आपसे बोल तो रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आप ही कहते हैं. आप ही की संवेदनाएं थीं. आपने एक पत्रकार वार्ता में कहा है कि मुद्दा उठायें. हम चर्चा कराने के लिये तैयार हैं. सार्थक बहस होना चाहिये..
अध्यक्ष महोदय -- तो मैंने मना कहां किया है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आप सार्थक विषय स्वीकार करिये, हम सार्थक बहस करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने मना कहां किया है. मुझे आप जानकारी ले लेने दीजिये, अपने सचिवालय से भी और यहां से भी. इसके बाद मैं आपसे बात करुंगा. मैंने मना तो नहीं किया है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, शून्यकाल के बाद.
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल के बाद नहीं. यह कार्यवाही हो जाये, इसके बाद.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, नहीं तो कल से आप, अभी वहीं चर्चा हुई, कल से आप अनुपूरक ले लेंगे. या तो आप मना कर दें कि नहीं लेंगे हम. सरकार मना कर दें कि नहीं लेंगे हम. स्थगन के माध्यम से विषय उठाया जाता है, सरकार जवाब देती है. हां करें या ना करें.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विषय पर माननीय रावत जी गोविंद सिंह और मैंने साथ ही अन्य सदस्यों ने भी स्थगन प्रस्ताव दिया है. यह गंभीर मामला है आपने ही कहा था कि अच्छे विषय आयेंगे तो आप उनको सदन में लेंगे. इसमें परीक्षण करने की तो कोई बात है नहीं, आपको जानकारी है कि यह घटना हुई है उसके बाद में, सरकार ने कोई नया कानून भी बनाने की बात कही है, पेपरों में भी आ रहा है इसमें चर्चा कराने में क्या दिक्कत है.
अध्यक्ष महोदय -- कोई दिक्कत नहीं हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय 31 अक्टूबर से 28 नवम्बर आ गया है. 28 दिन में महिला की सुनवाई नहीं कर पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप इसको अभी आगे बढ़ने दें, मैं अभी आपसे चर्चा करता हूं.
श्री अजय सिंह -- नहीं, आगे क्या बढ़ने दें, स्थगन प्रस्ताव दिया है.
श्री रामनिवास रावत -- आप इसे ग्राह्य कर लें और लंच के बाद में चर्चा करा लें, तब तक आप अपनी कार्यसूची के विषय पूरे कर लें, हम सहयोग करने के लिए तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आपकी बात सुन ली है. आप मुझे कुछ समय देंगे या नहीं.
श्री अजय सिंह -- आप आश्वासन दे दें कि चर्चा के लिए ले लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, मैं आश्वासन नहीं देता हूं लेकिन मैं आपसे कक्ष में चर्चा कर लूंगा, मैं आपसे कह रहा हूं.
श्री अजय सिंह -- नहीं, कक्ष में क्या चर्चा करना है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय या तो ग्राह्य हो या अग्राह्य हो यह आपका निर्णय होगा, आपका अधिकार है, आप अग्राह्य कर दें, हम चुपचाप बैठ जायेंगे हम नहीं उठायेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपको बता दूंगा. अभी आप तत्काल इसके लिए न कहें. मैं आपको बता दूंगा अभी आपसे बात करता हूं.
श्री रामनिवास रावत -- 31 अक्टूबर की घटना है कोर्ट रोज संज्ञान ले रहा है, पूरे प्रदेश की स्थिति खराब है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय यह ही कहना है कि इन्होंने विषय रखा है तो थोड़ा तो समय देना होगा, यह तो सदन की मान्य परंपरा है, अध्यक्ष महोदय ने कहा है कि विचार करके आपको बताता हूं इतना तो समय देना चाहिए यह तो मान्य परंपरा है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय मंत्री जी आपके पास में संसदीय कार्य मंत्री का प्रभार है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- मेरा यह कहना है कि आपने विषय उठाया है लिखकर दिया है, माननीय अध्यक्ष महोदय ने कहा है कि मुझे शासन का जवाब देख लेने दें, तो यह तो मान्य परंपरा है, इसमें कोई नई बात नहीं है, आप भी जब सरकार में थे तब भी यह ही होता था. आप एकदम निर्णय लेने के लिए क्यों बाध्य कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- नियम प्रक्रियाओं में यह व्यवस्था है कि सुबह 8 बजे दिया जाता है यह तो हमने 8 दिन पहले दिया है जिस दिन से यह देना शुरू हुए हैं, और 8 बजे देने के बाद में भी सरकार जवाब देती है उसी दिन चर्चा होती है उसी दिन व्यवस्था आती है. आप इसे ग्राह्य करें या अग्राह्य करें. आप असंदी से ग्राह्य के लिए सिफारिश करें या अग्राह्य के लिए करें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- आप उसी समय पर निर्णय क्यों चाह रहे हैं, मेरा यह कहना है कि थोड़ा तो समय दें.
श्री अजय सिंह -- मंत्री जी कह रहे हैं कि उसी समय व्यवस्था क्यों चाह रहे हैं तो स्थगन का मतलब क्या है.
अध्यक्ष महोदय -- आप कार्य संचालन नियमावली के नियम 140 को देख लें - यदि सूचना देने वाले सदस्य और मंत्री से ऐसी जानकारी मंगाने के बाद जिसे वह आवश्यक समझे, अध्यक्ष का समाधान हो जाय कि विषय अविलंबनीय है और सभा में जल्दी उठाये जाने के लिए पर्याप्त महत्व का है, तो वह सूचना ग्रहण कर सकेगा और सभा नेता के परामर्श से ऐसी स्थिति सुनिश्चित कर सकेगा, जब ऐसा विषय चर्चा के लिए लिया जा सके, और चर्चा के लिए उतने समय की अनुमति दे सकेगा जितना की वह उस स्थिति में उचित समझे, और जो कि डेढ घंटे से अधिक न हो, परंतु यदि ऐसे विषय पर चर्चा के लिए अन्य अवसर जल्दी उपलब्ध होने वाले हों तो अध्यक्ष सूचना ग्रहण करने से इंकार कर सकेगा, आपको समय देना ही चाहिए.
श्री रामनिवास रावत -- तो निर्णय क्या हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आपको बता दिया है नियमों में भी साफ लिखा है जो कि नियमों का आपने हवाला दिया है कि आपकी बात सुन ली, शासन से जानकारी मंगा लेंगे, इसके बाद में आपको सूचना देंगे.
श्री रामनिवास रावत -- स्थगन प्रस्ताव सुबह दिये जाते हैं तब उस पर जानकारी मंगायी जाती है यह तो हमने 8 दिन पहले दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है न, इससे इंकार कहां है.
श्री रामनिवास रावत -- आप हमें यह बता दें कि हमें कब तक बतायेंगे कि ग्राह्य करेंगे या अग्राह्य करेंगे. या सरकार बता दे कि वह चर्चा कराना चाहती है या नहीं.
अध्यक्ष महोदय -- अभी शासन से जानकारी अपेक्षित है. मुझे जानकारी ले लेने दें,
श्री रामनिवास रावत -- 8 दिन में जानकारी नहीं आ पायी है.
अध्यक्ष महोदय -- इस पर मैं क्या कह सकता हूं, यहां से तो इसका उत्तर नहीं दे सकता हूं. यह आप बाद में प्रश्न उठा सकते हैं. अभी नहीं उठा सकते हैं कि 8 दिन में जानकारी नहीं आयी है.
श्री रामनिवास रावत -- अभी यहां पर यह सदन और सरकार आपके अधीन है, सरकार आपसे बड़ी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आपको बता दिया है कि अभी सरकार से जानकारी अपेक्षित है.
श्री रामनिवास रावत -- जानकारी कब तक मंगाकर, कब तक हमें निर्णय दे देंगे, निर्णय की बात इसलिए कि हमें यहां पर शासन की मंशा ठीक नहीं लग रही है. शासन चर्चा कराने से भागना चाह रहा है, शासन महिलाओं को सुरक्षा नहीं दे पा रहा है या तो सरकार उत्तर दे दे स्वीकार कर लें. जब आप कहेंगे हम चर्चा के लिए तैयार हैं, आज कहें तो आज कल का कहें तो कल.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय रामनिवास जी वरिष्ठ सदस्य हैं. लेकिन यहां पर आसंदी को बाध्य करके किसी बात पर कमिटमेंट करवाना.
श्री रामनिवास रावत -- नहीं, हम आसंदी को बाध्य नहीं कर रहे हैं, हमने तो सरकार के बारे में कहा है कि आप भागना चाहते हैं चर्चा से, आसंदी को बाध्य नहीं किया है.
श्रीमती शकुन्तला खटीक --हमारी महिलाएं कहीं से कहीं तक सुरक्षित नहीं है माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारे वरिष्ठ नेता कह रहे हैं उस पर अमल करें, मामा की भांजियां सुरक्षित नहीं हैं तो फिर मामा का क्या होगा.
श्री गोपाल भार्गव -- यह पूर्वाभास करके कोई बात नहीं करें.
श्रीमती शकुन्तला खटीक -- महिलाओं की सुरक्षा होना चाहिए, सरकार की कानून व्यवस्था गड़बड़ है, खराब है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप बैठ जाएं.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - फांसी लगवा रहे हैं, आप क्यों चिंता कर रही हैं?
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - पकड़वा तो नहीं रहे हैं, फांसी की बात कर रहे हैं?
श्री रामनिवास रावत - आप इसे स्वीकार करें.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, कल एक मंत्री महोदय ने पत्रकारवार्ता में कहा कि सरकार सब चर्चा के लिए तैयार है चाहे जो विषय आ जाए. जब आप चर्चा के लिए तैयार हैं तो चर्चा क्यों नहीं करवा रहे हैं?
श्री तरूण भनोत - आप बलात्कार रुकवाइए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, क्या आपने चर्चा की अनुमति दे दी है?
श्री अजय सिंह - पहले आप चर्चा करा लीजिए, फिर फांसी लगाइए. हमने बहुत सुना है फांसी के बारे में. अध्यक्ष महोदय, इसमें आप निर्णय दें.
अध्यक्ष महोदय - आपको बता दिया है जानकारी लेकर करेंगे.
श्री तरूण भनोत - आप बलात्कार रुकवाइए. आपको फांसी लगाने का अधिकार कहां है?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, राज्य को कानून बनाने का अधिकार है.
(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत - पहले आप इसे ग्राह्य करें.
श्री अजय सिंह - सदन के बाहर कहते हैं कि हम सब चीज के लिए तैयार हैं और (XXX). कल डॉ. नरोत्तम मिश्र कह रहे थे कि हम कोई भी चर्चा के लिए तैयार हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इंकार किसने किया है?
अध्यक्ष महोदय - चर्चा से इंकार नहीं किया है.
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सांरग) - सदन नियम से ही चलेगा.
श्री अजय सिंह - तो हां कर दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव - आसंदी कहे.
श्री रामनिवास रावत - शासन तैयार हो, आप निवेदन कर दें. गृह मंत्री जी शांत बैठे हैं.
श्री तरूण भनोत - आप बलात्कार रोकिए.
अध्यक्ष महोदय - भनोत जी बैठ जाइए.
श्री गोपाल भार्गव - धैर्य रखें, 10 बैठकें होना हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में अल्पवर्षा हुई, हर जगह सूखा पड़ा, सूखाग्रस्त घोषित किया, लेकिन रीवा जिला सूखाग्रस्त घोषित क्यों नहीं हुआ?
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मैं विनम्रतापूर्वक निवेदन करना चाहता हूं कि कल जो कार्यसूची प्रस्तुत की गई उसमें दिया गया कि जुलाई, 2017 सत्र निर्धारित अवधि के पूर्व स्थगित हो जाने के फलस्वरूप शेष दिनांकों की प्रश्नोत्तरी तथा इसी सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना एवं नियम 267 - क के अधीन जुलाई, 2017 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना. लेकिन यह हमें तो प्राप्त हुआ नहीं है. यहां पर पटल पर रखा हो तो मुझे दे दें. यह अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - अभी वहां तक आने तो दीजिए. वह पहले रखा जाएगा, फिर बंटेगा.
श्री रामनिवास रावत - इसमें लिखा है रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय - आप वरिष्ठ सदस्य हैं आप क्रम तो पढ़िए.
श्री रामनिवास रावत – (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आपकी बातों से गिर रही है, आप बार-बार इस तरह की बात करके सदन की गरिमा गिरा रहे हैं. यह बात ठीक नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - रखा जाना.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) - रखा जाएगा, तभी तो आपके पास आएगा. ठीक से पढ़ें. नियमावली पढ़ लें कि व्यवस्था क्या है. जब अध्यक्ष जी कहेंगे कि पटल पर रखा जाय उसके बाद तो वह आएगा. पहले कैसे वह आ जाएगा?
श्री रामनिवास रावत - आप इसे पढ़ो.
श्री उमाशंकर गुप्ता - यह अभी रखा जाएगा.
श्री रामनिवास रावत - आप नियमों को भी पढ़ लो, दूसरे सत्र का सदन शुरू होने के प्रथम दिन रखा जाएगा, यह नियमों में भी दिया हुआ है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - कल तो बैठक निधन के उल्लेख के बाद स्थगित हो गई. आज की कार्य सूची में वह है.
श्री रामनिवास रावत -क्या है कार्यसूची में? वह रखा नहीं गया है. क्या आप ऐसे सदन चलाएंगे?
श्री उमाशंकर गुप्ता -आपके चिल्लाने से हाउस चलता है क्या?
श्री रामनिवास रावत - आपको नियम प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -नियमों से ही हाउस चल रहा है. आपको नियम मालूम नहीं है.
श्री रामनिवास रावत – (XXX)
श्री उमाशंकर गुप्ता -कहा जा रहा है कि आज रखा जाएगा. आप समझ तो लें.
श्री रामनिवास रावत -आपकी समझ में यह नहीं आएगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -मुझे मालूम है कि आपकी समझ में कितना आता है?
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट, उनका समाधान कर दें. एक तो वह पढ़कर नहीं आते हैं. इसके बाद में कहते हैं कि मैं विद्वान हूं. अब यह पांचवें नम्बर पर है. अभी दूसरे नम्बर पर अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना है, शून्यकाल के बाद में वह आएगा. वह पांचवें नम्बर पर आएगा, तब यह आपत्ति उठाना. कल की कार्यसूची में भी यह था.
श्री रामनिवास रावत -आप कौन-सी कार्यसूची पढ़ रहे हैं? मैं कल की कार्यसूची की बात कर रहा हूं, आज की कार्यसूची की नहीं?
अध्यक्ष महोदय - कल की कार्यसूची में भी था.
श्री रामनिवास रावत -पिछले सत्र की शून्यकाल की सूचनाओं की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - कल तो विधान सभा स्थगित हो गई थी. कल की कार्यसूची में तो प्रश्नोत्तरी भी थी.
श्री रामनिवास रावत -आज वह पटल पर कहां रखे गये, वह कापी दे दो.
अध्यक्ष महोदय - अब रखेंगे.
श्री रामनिवास रावत -कब?
अध्यक्ष महोदय - यह पटल पर रखने के बाद ही बंटता है. यह पटल पर रखने के पहले नहीं बंटता है.
…………………………………………………………………………………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री उमाशंकर गुप्ता - रावत जी, पांचवें नम्बर पर कार्यवाही को आने तो दो. पांचवें नम्बर पर यह आएगा तभी तो खानों में रखा जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - कल विधान सभा स्थगित हो गई थी. पहले शून्यकाल की सूचनाएं पढ़वा दें, माननीय सदस्य चाहते हैं कि वह पढ़ी जाएं, उसके बाद में मैं आपको अनुमति दूंगा.
12.15 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
रीवा जिले में कैंसर यूनिट संचालन में अव्यवस्थाओं के कारण मरीजों को स्वास्थ्य लाभ न मिल पाना.
श्री सुन्दर लाल तिवारी( गुढ़)-- अध्यक्ष महोदय,
मुरैना नगर के बीच गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-3 पर यातायात व्यवस्थाएं न होना.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली)-- अध्यक्ष महोदय,
कटनी स्थित कृषि उपज मंडी द्वारा दाल मिल संचालकों से गरीब उत्थान हेतु निराश्रित शुल्क की वसूली न किया जाना.
श्री यादवेन्द्र सिंह(नागौद)-- अध्यक्ष महोदय, कृषि उपज मंडी समिति कटनी के अंतर्गत निराश्रित शुल्क की वसूली वर्ष 2015-16 से अभी तक कई दाल मिलों में बकाया है. गरीबों के उत्थान के लिए यह राशि वसूली जाती है. मंडी कटनी के सचिव एवं मंडी शुल्क शाखा के प्रभारी द्वारा उन बकायादारों के विरुद्ध कोई कार्यवाही आज दिनांक तक नहीं की है जबकि ऐसी दाल मिलों की अनुज्ञप्ति तत्काल निलंबित क क्रय-विक्रय प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए था किन्तु ऐसा नहीं कर दाल मिलों से सांठगांठ कर गरीबों के हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है. कई ऐसी फर्में हैं जिनके लेखा सत्यापन कई वर्षों से नहीं किए गए. मंडी निरीक्षक पनिका को मात्र एक फर्म का लेखा सत्यापन मंडी सचिव द्वारा सौंपा गया. यह भी पूरा नहीं किया गया.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- (अनुपस्थित)
छतरपुर जिले की तहसील नौगांव अंतर्गत कई ग्रामीण लोगों की कृषि भूमि नक्शा विहीन होने से उनका शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित होना.
श्री मानवेन्द्र सिंह(महाराजपुर)--
(5)डॉ.हरिसिंह गौर की जीवनी स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने
श्री शैलेन्द्र जैन(सागर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
महान दानवीर,शिक्षाविद् डॉ.सर हरीसिंह गौर द्वारा अपने जीवन की समस्त पूंजी सेसागर में प्रदेश का प्रथम विश्वविद्यालय स्थापित कर आधुनिक समाज में त्याग समर्पण एवं दूरदर्शिता की अनूठी मिसाल स्थापित की है. आधुनिक युग में अपनी जिंदगी की समस्त पूंजी दान कर देना एक बिरला उदाहरण है. आज डॉ.हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय से अध्ययन कर चुके लाखों विद्यार्थी देश ही नहीं विदेशों में भी भारत राष्ट्र का नाम गौरवान्वित कर रहे हैं. मेरा राज्य शासन से अनुरोध है कि ऐसे महान दानवीर,शिक्षाविद् और दूरदृष्टा डॉ.हरीसिंह गौर की जीवनी को स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाये ताकि न केवल आने वाली पीड़ी डाक्टर गौर के जीवन चरित्र को समझ सके अपितु उससे प्रेरणा लेकर समाज व राष्ट्र को डाक्टर गौर के मार्ग पर ले जा सकें.
अध्यक्ष महोदय - डॉ.रामकिशोर दोगने....(अनुपस्थित)
(6)मध्यप्रदेश सरकार द्वारा केन्द्रीय सरकार से प्राप्त सब्सिडी किसानों को पूर्ण रूप से वितरित न किया जाना
श्री सुखेन्द्र सिंह "बन्ना" (मऊगंज) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
भारत सरकार द्वारा किसानों के लिये डायरेक्ट बेनीफिट स्कीम के तहत सब्सिडी के रूप में तकरीबन 628 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश शासन को भेजे गये थे लेकिन प्रदेश सरकार 200 करोड़ रुपये ही बांट पाई. समय पर सब्सिडी न मिलने के कारण प्रदेश के किसान खेती किसानी के उपकरण नहीं खरीद पाये. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत् वर्ष 2017-18 के खरीफ सीजन के लिये यह राशि दी गई थी जिसके कारण दलहन उत्पादन के कार्यक्रम को धक्का लगा है. इस प्रकार के मध्यप्रदेश शासन के क्रियान्वयन ऐजेंसियों की असफलता से एक ओर किसानों को भारी नुकसान हुआ वहीं दूसरी ओर शासन की असफलता भी सिद्ध हुई है जिससे प्रदेश के लोगों में व्यापक असंतोष उत्पन्न हुआ है.
(7)श्योपुर जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल अंतर्गत कई ग्रामों में तालाबों का सुदृढ़ीकरण न होने से पेयजल संकट उत्पन्न होना
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
अध्यक्ष महोदय - श्री तरुण भनोत..
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शून्यकाल की सूचनाओं के विषय के संबंध में आपके नियम में बताना चाहूंगा. नियम 267-क(7) " जो सूचना सदन में पढ़ी जाती है उसकी एक प्रति यथाशीघ्र शासन के संबंधित विभाग को भेजी जाती है और उसका लिखित उत्तर शासन की ओर से 10 दिवस की अवधि में अथवा विशेष परिस्थिति में 15 दिवस में अनिवार्यत: विधान सभा सचिवालय को प्रेषित किया जायेगा. उत्तर की प्रतिलिपि विधान सभा सचिवालय द्वारा संबंधित सदस्य को यथाशीघ्र उपलब्ध कराई जायेगी. सदन में पढ़ी गई सभी सूचनाओं पर शासन से प्राप्त उत्तरों को संकलित करके मुद्रित कराया जायेगा. उसे अगले सत्र के प्रथम दिन सभा के पटल पर रखा जायेगा तथा एक-एक प्रति सभी सदस्यों को उपलब्ध कराई जायेगी."
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोगों को प्रति पटल पर रखी गई, उससे मतलब नहीं है. हमारी यह इच्छा है कि सदस्यों को इसी अवधि में ही उत्तर प्राप्त हो जायें. मैं समझता हूं कि पिछली विधान सभा सत्र में जितने भी सदस्यों ने शून्यकाल की सूचनाएं दी होंगी अभी तक किसी भी सदस्य को उनका उत्तर प्राप्त नहीं हुआ होगा. आप सरकार को ऐसे निर्देश दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात ठीक है रावत जी, मेरा माननीय मंत्री जी आपसे अनुरोध है कि शून्यकाल की सूचनायें जो यहां पर पढ़ी जाती हैं उनके उत्तर सीधे माननीय सदस्यों को जल्दी से जल्दी पहुंचाना चाहिये, किंतु शासन से उत्तर देर से आता है इसलिये समस्या होती है. आप इसको सुनिश्चित करें कि नियमों के अनुसार यह कार्यवाही हो. इस विषय पर ध्यान आकर्षित करने के लिये आपको धन्यवाद.
8. प्रदेश में पथ विक्रेताओं के हितों का ध्यान न रखा जाना.
श्री तरूण भनोत (जबलपुर पश्चिम)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार द्वारा देश के पथ विक्रेताओं के अधिकारों, हितों एवं उनकी सुरक्षा हेतु कानून का गठन किया गया था, इसी के तारतम्य में म.प्र. शासन द्वारा वर्ष 2017 में भी नियम लागू किये थे कि प्रदेश में पथ विक्रेताओं हेतु नगर विक्रय समिति का गठन एवं उनके माध्यम से हाकर्स जोनों का निर्माण, लायसेंस उपलब्ध करवाना एवं उनके पुनर्वास एवं अन्य योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करवाना था. लेकिन प्रदेश के किसी भी जिले में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है जो कि केन्द्र सरकार के बनाये गये वर्ष 2014 के नियमों का उल्लंघन है. (मंत्री महोदय) उक्त गरीब पीडि़त पथ विक्रेताओं के हितार्थ उक्त कानून का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराया जावे.
12.26 बजे शून्यकाल में उल्लेख (क्रमश:)
(1) श्री मधु भगत (परसवाड़ा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 17 नवम्बर 2018 को जिला पंचायत सीईओ, बालाघाट द्वारा सरपंचों की मीटिंग बुलाई गई थी जिसमें सेकड़ों जन समुदाय जमा था जिसके चलते पादरीगढ़ सरपंच भक्ति ठाकुर पति श्री महेन्द्र ठाकुर, इसके ऊपर आरोप तय किये गये कि तुम्हारे पति महेन्द्र सिंह ठाकुर ने हितग्राहियों से प्रधानमंत्री आवास का पैसा लिया है, मामला 41 हजार रूपये का था. सरपंच को जिला पंचायत सीईओ एवं पूर्व सरपंच यादव द्वारा इतना प्रताडि़त किया गया उस भक्ति ठाकुर को, वह बोल भी रही है, हाथ जोड़ रही है, प्रार्थना भी कर रही है कि मैंने पैसे नहीं लिये हैं लेकिन उसके बाबजूद जिला पंचायत सीईओ मंजू शाह विक्रांता राय ने इतना प्रताडि़त किया कि वह रोते हुये अपने ग्राम पहुंची और उसने एक सुसाइड नोट लिखा, उस सुसाइड नोट में उसने पूरी जानकारी लिखी. उसने ज्वलनशील पदार्थ अपने ऊपर डालकर के साढ़े आठ बजे रात में ही अपने प्राण त्याग दिये. क्या हमारे प्रशासन के अधिकारी इतना दवाब बनाकर जनप्रतिनिधियों के ऊपर प्रेशर डालेंगे कि वह आत्महत्या करें. इसके ऊपर आप ...
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात सदन में आ गई है.
श्री मधु भगत-- अध्यक्ष महोदय, उस जिला पंचायत सीईओ के ऊपर हम कार्यवाही चाहते हैं.
12.29 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुये
(2) श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्योपुर जिले के विधान सभा क्षेत्र श्योपुर में ग्राम कोंड, कनापुर, काटोदी, किशोरपुरा, तुलसेफ, अजापुरा, चंद्रपुरा ऐसे लगभग 36 गांवों में सिंचाई का कोई प्रबंध न हो पाने के कारण से वहां के किसानों की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब होती जा रही है. ऐसे में किसान लगातार सिंचाई का प्रबंध करने के लिये बड़ी नहर से जिसको चंबल केनाल कहा जाता है उससे नहर निकालकर पानी देने की मांग कर रहे हैं. वहां पर उन किसानों की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो जाने के कारण वह आंदोलन के लिये आगे बढ़े हैं, इसके कारण से वहां पर किसानों में असंतोष की भावना व्याप्त हुई है. चंबल नहर से पानी देने की जो बात है, अगर नहर निकल जाती है तो किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा, लेकिन किसी कारण साध्य नहीं होता है तो किसान मांग कर रहे हैं कि पार्वती उद्वहन सिंचाई योजना के माध्यम से किसानों को पानी दिया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया संक्षिप्त करें, आप अनुपूरक बजट में अपनी बात रख लीजियेगा.
श्री रामनिवास रावत- उपाध्यक्ष महोदय, यह विषय ध्यानाकर्षण में मैंने भी दिया हुआ है. कृपया करके ग्राह्य कर लें.
श्री दुर्गालाल विजय-उपाध्यक्ष महोदय, वहां पर जो स्थिति बनी हुई है, उसके बारे में बता रहा हूं.
श्री सुखेन्द्र सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में अल्पवर्षा के कारण अनेकों जिले सूखाग्रस्त घोषित किये जा चुके हैं लेकिन रीवा जिले को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया है. रीवा जिले को भी सूखाग्रस्त घोषित किये जाने की मांग करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- सुखेन्द्र सिंह जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं कृपया बैठ जायें.
श्री दुर्गालाल विजय- उपाध्यक्ष महोदय, मेरे जिले के 36 गांव के किसानों को सिंचाई हेतु नहर से पानी दिये जाने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय- दुर्गालाल जी संक्षेप में अपनी बात रखें. नियमों से हम और आप बंधे हुये हैं.
श्री दुर्गालाल विजय- ठीक है, उपाध्यक्ष महोदय, अपनी बात को संक्षेप में करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आग्रह यह है कि वहां पर किसानों को सिंचाई हेतु पानी दिये जाने के लिये आग्रह कर रहा हूं. मैंने भी इस विषय पर ध्यानाकर्षण दिया हुआ है. लेकिन मेरा निवेदन है कि ध्यानाकर्षण मंजूर होगा यह अलग बात है अभी तो मैं सदन का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-दुर्गालाल जी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार रखी जाती है ?
श्री दुर्गालाल विजय - बहुत सारे किसान सड़क पर आ गये हैं. वहां पर स्थिति ठीक नही है इसलिये वहां के किसानों को सिंचाई के लिये पानी की व्यवस्था की जाये.
श्री रामनिवास रावत-उपाध्यक्ष महोदय, मैंने ध्यानाकर्षण दिया हुआ है, कल पूरा श्योपुर बंद रहा लोग आंदोलनरत हैं इसलिये आप मेरे द्वारा दिये गये ध्यानाकर्षण को ग्राह्य कर लें.
उपाध्यक्ष महोदय- रावत जी, आप माननीय अध्यक्ष जी से कक्ष में इस बारे में चर्चा कर लें.
श्री रामनिवास रावत- उपाध्यक्ष महोदय, आसंदी पर तो अभी आप हैं. इसलिये आपसे निवेदन कर रहे हैं. आपसे व्यवस्था की मांग कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- यही व्यवस्था है मेरी.
श्री रामनिवास रावत- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा ध्यानाकर्षण ग्राह्य कर लें, 35 गांव के लोग आंदोलनरत हैं, कल श्योपुर बंद कराया है, लोगों के भूखे मरने की नोबत आ गई है, लोगों ने अपने बच्चों को पढ़ाना बंद कर दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय- रावत जी, बैठ जाईये. आपकी ही पार्टी के सदस्य कुछ कहना चाहते हैं, कृपया बैठ जायें.सहयोग करें.
श्री रामनिवास रावत- उपाध्यक्ष महोदय, जवाब मंगाने के लिये तो कह दें.
(3) श्री गिरीश भण्डारी(नरसिंहगढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नरसिंहगढ़ नगर के सिविल अस्पताल जो कि अनेक वर्षों से 30 बिस्तरों वाला है, आज की स्थिति में नरसिंहगढ़ की वर्तमान आबादी लगभग 50,000 है और आसपास के लगभग 100 से अधिक गांव उस अस्पताल से इलाज कराते हैं. डॉक्टरों की कमी व सुविधाओं के अभाव के कारण लोगों को मजबूरी में भोपाल के प्रायवेट अस्पतालों में इलाज हेतु आना पड़ता है और हजारों रूपये देकर के अपना इलाज कराने के लिये मजबूर हैं. आज नरसिंहगढ़ अस्पताल को 100 बिस्तरों का अस्पताल करने की आवश्यकता है. इस संबंध में शासन को और प्रशासन को अनेकों बार अवगत कराया गया है.लेकिन शासन और प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण क्षेत्र की जनता में तीव्र रोष एवं आक्रोश व्याप्त है. कृपया इस समस्या पर शासन ध्यान देने का कष्ट करे.
(4) श्री दिनेश राय (सिवनी )-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है. वर्तमान में मेरी सिवनी विधानसभा सूखाग्रस्त हो जाने के बावजूद भी वहां पर जो पेंच प्रवर्तन की योजना के अंतर्गत जो नहर खोली जानी थी उसको आज और कल दो दिन खोले हुये हैं जिससे किसानों को पूरी नहरों में पानी न मिलने के कारण से किसान काफी परेशान है. उस नहर का अधिकांश पानी हमारे बगल के जिले के प्रदेश के कृषि मंत्री ले जा चुके हैं जिससे किसान इतना आक्रोषित है कि उसको भरपूर पानी मिल पायेगा या नहीं मिल पायेगा. मेंन्टेना कंपनी जिसने एक नहर में 80 करोड़ का एडवांस निकालकर के खाकर के भाग गई दूसरी नहर जिस पर सरला कंपनी काम कर रही है उसको डिफाल्टर घोषित कर दिया है जिससे किसानों को ऐसा प्रतीत होने लगा है कि आने वाले समय में भी उनको पानी नहीं मिलेगा, उन्होने फसल लगा दी है आपसे आग्रह है कि किसानों को पर्याप्त पानी मिले इसकी व्यवस्था सरकार करे और वहां पर विद्युत व्यवस्था भी पूरी तरह से लड़खड़ा गई है लगातार वहां पर विद्युत की आपूर्ति नहीं हो पा रही है इसको भी दुरस्त किया जाये. धन्यवाद.
(5) श्री रजनीश हरवंश सिंह(केवलारी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में सूखे की स्थिति है. प्रदेश के अन्य जिले सूखाग्रस्त घोषित कर दिये गये हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं हमारे जिले में और मेरी विधानसभा क्षेत्र में गये थे और वहां पर उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि सोयाबीन, धान की फसल बहुत बुरी तरह से चौपट हो गई है,इसलिये सूखाग्रस्त घोषित करायेंगे. परंतु अन्य जिले तो सूखाग्रस्त घोषित हो गये हैं लेकिन सिवनी जिला अभी भी सूखाग्रस्त नहीं हुआ है. मेरी आपके माध्यम से प्रार्थना है कि सिवनी जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाये. उपाध्यक्ष महोदय, जैसे हमारे सदस्य दिनेश राय जी ने पेंज प्रवर्तन योजना के बारे में कहा है तो मेरे यहां भी भीमगढ़ में पेंज की नहर से पानी आता है . हमारे पड़ोस के जिले के प्रदेश की कृषि मंत्री पूरा पानी अपने जिले में ले जाते हैं . मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी पानी की बहुत समस्या है. पेंच का पानी भीमगढ़ बांध में भी छोड़ा जाये ताकि सुचारू रूप से व्यवस्था चल सके.धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -(श्री रामनिवास रावत जी के खड़े होने पर) रावत जी आप तो शून्यकाल की सूचना पढ़ चुके हैं. जो सदस्य सदन में सूचना पढ़ चुके हैं उनको अवसर नहीं देंगे.क्योंकि सदन तो नियम से चलता है.
श्री रामनिवास रावत- उपाध्यक्ष महोदय, हमने इस विषय पर ध्यानाकर्षण दिया है, उसी पर आपका ध्यान आकर्षित करवाना चाह रहे हैं. मैं शून्यकाल की सूचना पर नहीं बोल रहा हूं.
(6) श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सुवासरा विधानसभा सहित मंदसौर जिले के अन्य अंचलो में भी वर्तमान में कुंए में पानी का स्तर कम हो चुका है जिसके कारण फसलें और पेयजल व्यवस्था के लिये वहां की जनता परेशान है. आने वाले दिनों में पेयजल और फसलों के लिये पानी के लेकर भयावह परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, मैं चाहता हूं कि वहां की जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुये सुवासरा विधानसभा सहित मंदसौर जिले की समस्त तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जाये. धन्यवाद.
(7) श्री नीलेश अवस्थी (पाटन) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी विधानसभा क्षेत्र में मंझोली, पाटन एवं जबलपुर जिले को सूखा घोषित किया जाए क्योंकि स्थिति बहुत खराब है और उस स्थिति को सुधारने के लिये सूखाग्रस्त घोषित करना आवश्यक है, इसलिए मैं सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग करता हूं. मैं आपसे यह भी निवेदन करता हूं कि बिजली व्यवस्था बहुत लचर हो चुकी है. बढ़े हुए बिजली के बिल अनाप शनाप आ रहे हैं और ट्रांसफार्मर 4-4, 5-5 महीने के बाद भी बदले नहीं जा रहे हैं, इन सभी व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित कराया जाए यही आपसे अनुरोध है.
(8) कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि खजुराहो नगर में खजुराहो विश्व पर्यटन स्थल है, वहां पर 100 प्रतिशत लोग ऐसे निवास करते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यटन से जुड़े हुए हैं. वह सभी लोग कहीं न कहीं पर्यटन से जुड़े हैं परंतु दुख की बात यह है कि आज पर्यटन का ग्राफ दिन प्रति दिन नीचे गिरते जा रहा है इसलिए मैं सरकार से निवेदन करूंगा कि वह कुछ प्रयास इस तरह से करे कि वहां की कनेक्टिविटी बढ़े, जैसे रेल की कनेक्टिविटी कोलकत्ता,मुंबई और चेन्नई से बढ़े क्योंकि इस क्षेत्र के लोगों में बहुत रोष है.
(9) श्री प्रताप सिंह (जबेरा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा क्षेत्र सूखाग्रस्त तो हुआ है लेकिन वहां के किसान भाई और मजदूर भाई यह आशा लगाये हुएं हैं कि यदि सूखाग्रस्त हुआ है तो वहां सरकार क्या करने जा रही है और वह लोगों को, किसानों को क्या लाभ देगी. इस प्रकार के शासन के कोई भी नियम तहसील स्तर तक नहीं पहुंचें हैं और राजस्व विभाग के पटवारी और अधिकारी लोग उन लोगों से मनमाफिक लिस्टें बनवा रहे हैं और उनसे पैसा ले रहे हैं. मैं इस संबंध में सदन के माध्यम से शासन का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि यदि क्षेत्र सूखाग्रस्त हुए हैं तो वहां पर सरकार तत्काल ही कोई नियम लागू करवाएं.
(10) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पुष्पराजगढ़ विधानसभा में पुष्पराजगढ़ और जैतहरी तहसील में अल्पवर्षा के कारण काफी भू-जल स्तर नीचे गिरते जा रहा है तथा बहुत सारे हमारे किसान बेरोजगार होते जा रहे हैं. मैं आपके माध्यम से सदन से निवेदन करता हूं कि पुष्पराजगढ़ और जैतहरी तहसील को सूखा घोषित करते हुए वहां पर पेयजल व्यवस्था सुचारू रूप से पूर्ण की जाए.
12.37 बजे 2. अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) अध्यादेश, 2017 (क्रमांक 5 सन् 2017)
(2) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2017 (क्रमांक 6 सन् 2017).
विधि और विधायी कार्यमंत्री (श्री रामपाल सिंह) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार निम्न अध्यादेश:-
(क) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन ) अध्यादेश, 2017 (क्रमांक-5 सन् 2017),तथा
(ख) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2017( क्रमांक-6 2017) पटल पर रखता हूं.
12.38 बजे 3. पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड का 16 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
वित्तमंत्री ( श्री जयंत मलैया) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड अधिनियम, 2000 (क्रमांक 6 सन् 2000) की धारा 13 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड का 16 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 पटल पर रखता हूं.
(2) दि मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 53 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
खनिज साधन मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार दि मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 53 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हूं.
(3) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की निम्न अधिसूचनाएं:-
(क) क्रमांक 1020-म.प्र.वि.नि.आ./2017, दिनांक 12 जुलाई, 2017 (शुद्धि पत्र)
(ख) क्रमांक 1249/म.प्र.वि.नि.आ./2017, दिनांक 31 अगस्त, 2017
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चंद्र जैन) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 182 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की निम्न अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक 1020-म.प्र.वि.नि.आ./2017, दिनांक 12 जुलाई, 2017 (शुद्धि पत्र), तथा
(ख) क्रमांक 1249/म.प्र.वि.नि.आ./2017, दिनांक 31 अगस्त, 2017
पटल पर रखता हूं.
4. सामान्य प्रशासन विभाग का बाईसवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1994 (क्रमांक 21 सन् 1994) की धारा 19 की अपेक्षानुसार सामान्य प्रशासन विभाग का बाईसवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015 पटल पर रखता हूँ.
5. मध्यप्रदेश स्टेट टेक्सटाईल कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल (म.प्र.) का 38 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा (31 मार्च, 2009 को सामाप्त) तथा 39 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं
लेखा (31 मार्च, 2010 को समाप्त).
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश स्टेट टेक्सटाईल कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल (म.प्र.) का 38 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा (31 मार्च, 2009 को समाप्त) तथा 39 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा (31 मार्च, 2010 को समाप्त) पटल पर रखता हूँ.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारा यह आग्रह भी है कि वार्षिक प्रतिवेदन बहुत पैंडिंग हो गए हैं, उस पर हाऊस में भी चर्चा होनी चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय - जी.
12.41 बजे जुलाई, 2017 सत्र निर्धारित अवधि के पूर्व स्थगित हो जाने के फलस्वरूप
शेष दिनांकों की प्रश्नोत्तरी तथा इसी सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.
उपाध्यक्ष महोदय - जुलाई, 2017 सत्र निर्धारित अवधि के पूर्व स्थगित हो जाने के फलस्वरूप शेष दिनांकों की प्रश्नोत्तरी तथा इसी सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर खण्ड-11 का संकलन पटल पर रखा गया.
नियम 267-क के अधीन जुलाई, 2017 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके
उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.
उपाध्यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन जुलाई-2017 सत्र में सदन में पढ़ी गई शून्यकाल सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन सदन के पटल पर रखा गया.
12.42 बजे
12.44 बजे राष्ट्रपति/राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना.
उपाध्यक्ष महोदय - विधानसभा के विगत सत्रों में पारित ग्यारह विधेयकों में से एक विधेयक को माननीय राष्ट्रपति महोदय एवं दस विधेयकों को माननीय राज्यपाल महोदय की अनुमति प्राप्त हो गई है. अनुमति प्राप्त विधेयकों के नाम दर्शाने वाले विवरण की प्रतियां माननीय सदस्यों को वितरित कर दी गई हैं. इन विधेयकों के नाम कार्यवाही में मुद्रित किये जाएंगे.
12:46 बजे ध्यानाकर्षण
(1) मंदसौर एवं नीमच जिले में चिटफंड कंपनियों द्वारा निवेशकों की राशि हड़पी जाने से उत्पन्न स्थिति.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर) माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:
गृह एवं परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शीतकालीन विधान सभा सत्र की अधिसूचना के ठीक पहले जब मंदसौर में मेरे निवास स्थान पर 300-400 एजेंटों और निवेशकों का प्रतिनिधित्व मंडल आता है, और उसमें सारी पीड़ा मुझे सुनाई जाती है, ज्ञापन दिया जाता है और सरकार से और गृह मंत्रालय से विशेष आग्रह और अपेक्षा की जाती है कि इस महत्वपूर्ण मेटर को चूंकि नीमच और मंदसौर की यह हालत है तो पूरे मध्यप्रदेश में चिटफंड कंपनियों ने क्या गुल खिलाए होंगे और क्या खेल खेले होंगे. इसका अंदाजा उसी से लगाया जा सकता है कि जो एजेण्ट तैयार हुए थे या जो बेरोजगार थे उनको लोक-लुभावन बातों में लाकर के उन कम्पनियों, संस्थाओं ने बड़े बड़े बोर्ड लगाकर के भोले-भाले किसानों, हम्मालों, व्यापारियों, छोटे व्यापारियों और बहुत गरीब लोगों का पैसा एफ.डी.आर, बचत खाते के माध्यम से जमा कर लिया. मेरा अपना दायित्व बनता था कि शीतकालीन सत्र में इसको ध्यानाकर्षण के माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करूं. पुलिस प्रशासन विभाग होटल में यदि कोई ठहरने जाता है तो उनसे आई.डी. प्रूफ मांगा जाता है, हम मोबाईल, टेलीफोन क्रय करते हैं तो आई.डी. प्रूफ मांगा जाता है, हम ट्रेन में सफर करते हैं तो हमसे आई.डी.प्रूफ मांगा जाता है, बैंक खाता, विद्युत का कनेक्शन लेते हैं तो हमसे आई.डी.प्रूफ मांगा जाता है, लेकिन इतनी बड़ी कम्पनियां आ जाती हैं तो उनकी आईडेंटिटी-स्टेटस को लेकर के कोई परीक्षण नहीं किया जाता है. लुट जाते हैं गरीब और किसान उसके बाद प्रशासन उनके ऊपर एफ.आई.आर दर्ज करती है. जब ठगा हुआ व्यक्ति थाने पर जाकर बात करता है तब इस बीच सैकड़ों कम्पनियां इस प्रकार से निवेशकों के साथ ठगी कर रही है इसमें कोई ठोस परिणाम इस बारे में नहीं आ रहे हैं. जहां तक मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने कम से कम दो तीन बातें तो स्वीकार कीं कि करोड़ो रूपयों को नीमच एवं मंदसौर जिले में हड़पने का आरोप आया है 14 प्रकरण इसमें पंजीबद्ध हुए हैं लेकिन मात्र 8 कंपनियों पर ही प्रकरण पंजीबद्ध कर पाये हैं अभी शेष पर प्रकरण पंजीबद्ध करना विवेचना में लंबित हैं. मैं मंत्री जी से जानना चाहूंगा और अपेक्षा करूंगा कि वह जिस प्रकार से सरल एवं सहज हैं उसमें ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें कि आपको इसमें एसएमएस आपको किसी प्रकार से मंडियों में साईन बोर्ड लगाने की व्यवस्था न करनी पड़े. इसमें ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें कि चिटफण्ड कम्पनियों की स्थापना जिन थाना क्षेत्र में हो कम से कम उसमें पुलिस प्रशासन उनकी जांच-पड़ताल तो करें उनकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करें कि वह आयेंगे छः महीने अथवा साल भर रहेंगे उसके बाद वह चले जायेंगे, इस बात की क्या गारंटी है ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी जानता हूं कि आरबीआई के तहत इनका पंजीयन होता है. क्या माननीय मंत्री महोदय भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को आरबीआई को इस प्रकार का पत्र मध्यप्रदेश की सरकार की ओर से प्रेषित करेंगे कि हमारा यहां का किसान, हम्माल लूटा जा रहा है, हमारे यहां के एजेण्ट ठगे जा रहे हैं. अब तो बात यहां तक आ गई कि जो निवेशक थे वह सीधे सीधे एजेण्टों के गले पकड़ रहे हैं एजेण्टों ने मुझसे कहा कि हमारी खुद की भी पूंजी फंसी हुई है. वह एजेण्ट का भी काम करते थे तथा अपनी एफडीआर भी जमा करवाते थे. क्या मध्यप्रदेश की सरकार भारत सरकार के वित्त मंत्रालय, आरबीआई को इस प्रकार की ठगी करने वाली एजेंसियों, कम्पनियों को जो यहां पर आते हैं उनको रोकने का प्रयत्न करेंगे, यह मेरा पहला प्रश्न है ?
श्री भूपेन्द्र सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य द्वारा एक बहुत ही ज्वलंत नीमच एवं मंदसौर के विषय पर आज यहां पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया गया है तथा इस विषय को सरकार के सामने रखा है. मैं उनका इसके लिये धन्यवाद करता हूं. इतने महत्वपूर्ण प्रश्न को ध्यानाकर्षण के माध्यम से लेकर के आये हैं. मंदसौर एवं नीमच इन दोनों जिलों के बारे में माननीय विधायक जी ने एक आवेदन-पत्र पुलिस अधीक्षक मंदसौर, नीमच को दिया था उस आधार पर पुलिस के द्वारा कार्यवाही की गई. 14 कम्पनियों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किये गये. मुख्य रूप से इनको लायसेंस देने का काम रिजर्व बैंक का है. राज्य सरकार के इसमें अधिकार सीमित हैं. सीधे तौर पर हम लोग उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते. पुलिस के पास तब प्रकरण आता है जब कोई कंपनी फ्रॉड करके चली जाती है फिर हम लोग प्रयास करके और उसमें जो भी कानूनी कार्यवाही हो सकती है, वह कानूनी कार्यवाही पुलिस विभाग के द्वारा होती है. परंतु मुख्य रूप से यह विषय रिजर्व बैंक का है. माननीय उपाध्यक्ष जी, पिछले दिनों प्रदेश में लगातार हमको इस तरह की शिकायतें मिल रही थीं, तो हम लोगों ने स्वत: अपनी तरफ से हमारे मध्यप्रदेश के जो थाने हैं उन थानों में 1511 जन संवाद जागरूकता शिविर आयोजित किये. उसके माध्यम से हम लोगों ने समाज को जागरूक करने का प्रयास किया कि इस तरह की कंपनियां फ्रॉड करती हैं और जो ब्लैक लिस्टेड कंपनियां हैं उनकी जानकारी भी हमने उसके माध्यम से दी. लोग इसके बावजूद भी इन कंपनियों के शिकार होते हैं और इसलिये राज्य सरकार, हमारे विभाग ने गंभीरता के साथ पिछले वर्ष ही इस संबंध में रिजर्व बैंक को लिखा था. हमारे प्रस्ताव एवं पत्र व्यवहार पर आरबीआई द्वारा आरओसी ने विगत चार माह में मध्यप्रदेश के 4500 एनबीएफसी को (स्ट्राईक ऑफ) बंद किया है. एनबीएफसी नॉन बैंकिंग फायनेंशियल कंपनी है और आरओसी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ है.
माननीय उपाध्यक्ष जी, इस तरह से हम लोगों ने जो-जो प्रयास इस संबंध में हो सकते थे, वे प्रयास राज्य सरकार की ओर से किये हैं. जो विषय माननीय विधायक जी ने हम लोगों के समक्ष रखा है, इस पूरे विषय को और राज्य में जहां कहीं भी इस तरह की शिकायतें हैं, इन सारी शिकायतों को समुचित रूप से हम लोग फिर से रिजर्व बैंक को और भारत सरकार को भेजेंगे. भारत सरकार के जो माननीय वित्तमंत्री जी हैं उनको भेजेंगे और उनसे आग्रह करेंगे कि इस तरह की जो कंपनियां हैं उन पर और प्रभावी कार्यवाही की जाये.
माननीय उपाध्यक्ष जी, जैसा माननीय विधायक जी ने कहा कि इसमें पुलिस वेरीफिकेशन हो, पुलिस को जानकारी हो, लेकिन कंपनी के लायसेंस रिजर्व बैंक तय करता है और रिजर्व बैंक से हम लोग यह आग्रह करेंगे, क्योंकि हम लोगों की जानकारी में कुछ नहीं रहता. इसलिये हम लोग रिजर्व बैंक से इस बात का आग्रह करेंगे कि किसी भी कंपनी को अगर मध्यप्रदेश में अनुमति दी जाती है तो उसमें पुलिस वेरीफिकेशन अनिवार्य किया जाये. मैं समझता हूं कि पुलिस वेरीफिकेशन अनिवार्य होगा तो इससे काफी हद तक जो इस तरह की फ्रॉड कंपनियां हैं, उनको भी हमें रोकने में सफलता मिलेगी. इसको लेकर गृह विभाग के स्तर पर चूंकि यह कई विभागों से जुड़ा हुआ प्रश्न है, एक संयुक्त बैठक भी तीन माह में हमारे एसीएस की अध्यक्षता में स्वयं आयोजित करते हैं. उसमें भी इन सब चीजों पर विचार करके निर्णय करते हैं. हमारे मुख्य सचिव भी इसकी समीक्षा करते हैं और समय-समय पर हम रिजर्व बैंक को भी इन सब गतिविधियों से अवगत कराने का कार्य करते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने विषय की महत्ता को स्वीकार करते हुये पूरे प्रदेश में चिटफंड कंपनी, नाम सुनते ही ऐसा लगता है कि हो गई धोखाधड़ी, इसको लेकर आपने जो गंभीरता बताई. आपने किये गये प्रयास और मैंने जो सुझाव दिये, उनको आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया, मैं आपको हृदय से धन्यवाद देता हूं और आभार व्यक्त करता हूं.
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नीमच जिले में भी लगभग 100 करोड़ रूपये गरीबों का पैसा है और गरीब बड़ी मुश्किल से अपना जीवन-यापन करता है और कोई भी जाकर, इन चिटफंड कंपनियों में उनका पैसा जमा करा देते हैं तो कम से कम साईंनाथ और इस प्रकार की जो कंपनियां हैं, उनको मार्क करके इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही हो जाये, जिससे गरीब लोग उसमें नहीं फंसे. अपनी दिनचर्या से कमाया हुआ फंस जाता है.मेरा यही निवेदन है कि उनके खिलाफ कठिन कार्यवाही की जाये.
श्री मुरलीधर पाटीदार(सुसनेर):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा बहुत ही विनम्रतापूर्वक मंत्री जी से आग्रह है. मैंने पिछली बार विधान सभा में प्रश्न भी लगाया था और मंत्री जी का बहुत ही सकारात्मक जवाब भी आया था. इसमें दिक्कत यह है कि जो एजेंट होता है जिसने किसी ने दो हजार, पांच हजार, पच्चीस हजार या पचास हजार रूपये कमाये, दो या पांच प्रतिशत कमीशन पर. उसमें अब दिक्कत यह है कि एजेंट मूलधन तो दे ही नहीं सकता है. मूलधन तो कंपनी लेकर भाग गयी है. इसमें दिक्कत यह है मध्यप्रदेश में अभी तक लगभग 22 एजेंट आत्म हत्या कर चुके हैं. एजेंट अभी भोपाल में अनुमति लेने का काफी समय से प्रयास भी कर रहे थे, इन्होंने 14 तारीख को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन भी किया है. मेरा आपसे बहुत ही विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि अभी एफआईआर एजेंट के ऊपर थाने में दर्ज होती है, कंपनी के ऊपर नहीं होती है. यदि कोई आवेदन आता है तो एजेंट के बजाये थाने में कंपनी के ऊपर एफआईआर हो और हर जिले में नोडल थाना बना दिया जाये तो माननीय मंत्री जी, इस समस्या से बहुत आसानी से निपटा जा सकता है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा(शुजालपुर):- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय मुरलीधर जी ने बताया, मैं उनकी बात से सहमत हूं कि जो नौजवानों को मात्र कमीशन के पर पुलिस परेशान कर रही है, उनके ऊपर मुकदमे दायर कर रही है और पुलिस ने एक, दो कंपनी के मालिकों को पकड़ने के बाद इतिश्री कर दी है. मेरा कहने का आशय यह है कि जो जनता परेशान हो रही है, जिनका पैसा फंसा है, नौजवान फंसे हैं इनसे कम से कम न्याय मिले.
श्री आशीष गोविंद शर्मा(खातेगांव):- माननीय उपाध्यक्ष जी, मेरा इस मामले में यह कहना है कि ऐसी धोखाधड़ी पूरे मध्यप्रदेश में कई सारी कंपनियों ने की है और कई बार निवेशकों ने इतनी राशि जमी की है कि एक हजार- दो हजार रूपये के कारण वह पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने में संकोच दर्ज करता है कि पैसा चला गया तो चला गया.इस तरह से जो भी कंपनियां मध्यप्रदेश में अवैध तरीके से व्यापार प्रारंभ कर रही हैं, उनकी जानकारी संबंधित पुलिस थाने को होना चाहिये. इस विषय की ओर माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा.
दूसरा जैसा कि हाड़ा जी ने कहा कि जब भी पुलिस प्रशासन इस तरह की कार्यवाही करता है तो उन छोटे-छोटे एजेंटो पर करता है.
उपाध्यक्ष महोदय:- इसमें आपका प्रश्न क्या है ?
श्री आशीष गोविंद शर्मा :- मेरा इसमें प्रश्न यह है कि जिन भी कंपनियों ने अभी तक मध्यप्रदेश में पिछले दो-चार वर्षों में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है, उनकी संपत्ति मध्यप्रदेश में विभिन्न जगहों पर है और उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के मेम्बर्स हैं, उनके विरूद्ध अभी तक क्या कार्यवाही हुई है, उनके विरूद्ध अभी तक क्या कार्यवाही हुई है और क्या सरकार ने उनकी संपत्ति को बेचकर, उन निवेशकों को कुछ-कुछ मात्रा में राशि उपलब्ध कराने या राशि वापस कराने का काम किया है ?
श्री भूपेन्द्र सिंह:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सभी माननीय सदस्यों ने बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये और कुछ प्रश्न भी किये. इसमें जो कंपनी के संचालक हैं, उनके विरूद्ध भी हम लोग कार्यवाही कर रहे हैं. इसके साथ-साथ यह बात सही है कि जो एजेंट होते हैं वह स्थानीय होते हैं और कंपनियां बाहर की होती हैं और नौजवान रोजगार के कारण उनके शिकार हो जाते हैं. परंतु हम कार्यवाही कंपनी के खिलाफ भी कर रहे हैं और अगर एजेंटो के विरूद्ध शिकायत नामजद आती है तो फिर पुलिस को उसमें कार्यवाही करना पड़ती है.
जहां तक कंपनियों की संपत्ति का प्रश्न हैं तो सामान्यत: इन कंपनियों के हेड-क्वार्टर होते हैं, वह राज्य से बाहर दिल्ली, मुम्बई या देश के अन्य जगहों में होते हैं. वह अपने छोटे-छोटे कार्यालय जिलों में कहीं-कहीं पर बनाते हैं. परंतु इसमें भी हमने न्यायालय में आवेदन दिया हुआ है कि इन कंपनियों की जो भी संपत्ति है, उसकी कुर्की करने का अधिकार हम लोगों को मिले. चूंकि नियमों में प्रावधान है कि न्यायालय से अनुमति लेना पड़ती है और न्यायालय अनुमति देता है तभी हम उनकी संपत्ति कुर्क कर सकते हैं. वह कार्यवाही भी पूर्व से प्रचलन में है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सभी माननीय सदस्यों को विश्वास दिलाता हूं कि जो-जो कार्यवाही हमारे स्तर पर संभव हो सकती है, हम वह करेंगे. यह पूरे प्रदेश से संबंधित प्रश्न है और अनेक लोग इससे प्रभावित हैं.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा (जावद)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जितनी भी चिटफण्ड कंपनियां हैं, जो तय सीमा से अधिक रिटर्न की गारण्टी देती हैं, उसका संज्ञान जिले में पहले ही डी.एम. और एस.पी. ले लें और उनकी जानकारी के बारे में जागरूकता अभियान चला दें. क्योंकि अंत में लंबी सरकारी प्रक्रिया के कारण गांव का गरीब-छोटा आदमी मरता है जिसके पैसे की कीमत कई गुना ज्यादा है. मेरा सीधा सा प्रश्न यह है कि जिले का डी.एम. और एस.पी. पहले ही कार्यवाही क्यों नहीं करते हैं, जब राशि का कलेक्शन किया जाता है, जिसकी कोई डिटेल ही नहीं होती है. आर.बी.आई के नियमानुसार चिटफण्ड कंपनियों के सभी विवरण एवं उनके संचालकों की जानकारी देना अनिवार्य है. यह सारी जानकारी जग-जाहिर कर देने से बड़ी संख्या में जनता कंपनियों के धोखे में आने से पहले ही बच सकती है क्योंकि कंपनी के धोखे में आने के बाद विवाद हो जाता है और स्थानीय एजेंट फंस जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय- सखलेचा जी, आपका प्रश्न क्या है ?
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा- मेरा प्रश्न यह है कि क्या प्रशासन पहले ही थोड़ी चिंता करते हुए, जब जरूरत से अधिक राशि के रिफण्ड का विज्ञापन आता है, तो डी.एम.उसी समय कार्यवाही क्यों नहीं करता है ? यदि डी.एम. प्रारंभ में ही ऐसी सभी चिटफण्ड कंपनियों की जानकारी ले लेगा तो इतने अधिक लोग ऐसी कंपनियों के चक्कर में नहीं फंसेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय- जहां तक जागरूकता का प्रश्न है, मैं समझता हूं कि मंत्री जी के जवाब में उसी का ज्यादा अंश है और काफी-कुछ प्रयास किए गए हैं कि भविष्य में लोग धोखाधड़ी के शिकार न हों. इस प्रश्न के दो अंश हैं एक तो वे लोग जो पूर्व में शिकार हो चुके हैं और भविष्य में ऐसी घटना न हो. इसके लिए सरकार ने पर्याप्त कदम उठाये हैं और मंत्री जी ने इसका उल्लेख भी किया है.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको नीमच जिले का उदाहरण देता हूं. नीमच जिले में हम तीनों विधायकों ने डी.एम. से बात की है. एस.पी. ने कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी शुरू की लेकिन दूसरे ही दिन बात आकर एजेंट पर अटक जाती है. इसलिए ऐसे प्रकरणों में पहले से कार्यवाही करनी पड़ेगी. मध्यप्रदेश में जितनी भी ऐसी कंपनियां हैं, उनकी सूची बनाकर, उनका डाटा इकट्ठा करने में कितनी देर लगेगी. डाटा इकट्ठा करके उनकी संपत्तियों का मूल्यांकन करवाकर जग-जाहिर कर दिया जाए. चिटफण्ड कंपनियों के धोखाधड़ी के मामले में उत्तरप्रदेश अव्वल स्थान पर है. रोज ऐसे घटनाक्रमों से बचने के लिए एडवांस में कंपनियों की पूरी जानकारी लेकर जिला मुख्यालय पर सूची लगाई जा सकती है.
श्री शंकर लाल तिवारी (सतना)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सरकार से केवल इतना निवेदन करना चाहूंगा कि यह गोरखधंधा पिछले 40-50 सालों से चल रहा है. आज सदन में इस पर सार्थक चर्चा हुई है. तत्काल आज ही माननीय मंत्री जी, यह कहे कि प्रदेश के अंदर जितनी भी ऐसी चिटफण्ड कंपनियां हैं चाहे किसी ने भी उन्हें परमिशन दी हो, हमारे यहां ये कंपनियां लूट का कारण हैं तो उन्हें आज ही प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और इनके मालिकों को जेल में डाला जाना चाहिए. माननीय गृह मंत्री जी इस अपराध को जमानती अपराध के स्थान पर पॉक्सो एक्ट जैसा कानून लगाकर इसे गैरजमानती अपराध घोषित करें.
उपाध्यक्ष महोदय- शंकर लाल जी, आप बहुत ही वरिष्ठ एवं अनुभवी सदस्य हैं. माननीय मंत्री जी ने स्पष्ट किया है कि आर.बी.आई. को पत्र लिखा गया है और आर.बी.आई. ने आर.ओ.सी. को निर्देश दिए हैं. लगभग 4500 कंपनियों को सूची से हटाया गया है. जहां तक कंपनियों को प्रतिबंधित करने का प्रश्न है, यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. आर.बी.आई. इन कंपनियों को लाइसेंस देता है. फिर भी मेरा मंत्री जी को एक सुझाव है कि व्यापक स्तर पर पूरे प्रदेश में ऐसी धोखाधड़ी की घटनायें हुई हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी एक डायमंड कंपनी, क्रिस्टल कंपनी है, उनके भी क्षेत्र में लगभग सभी के क्षेत्रों में हैं. आपकी पुलिस तभी पिक्चर में आती है जब आपका अपराध घटित हो जाता है. इसके एजेंट, मालिक, डायरेक्टर्स जिसके खिलाफ भी शिकायत आएगी आप उनको दोषी बनाएंगे. एजेंट भी धारा 120-बी का अपराधी हो जाता है चूंकि उनके साथ काम करता है. यह बात अपनी जगह है लेकिन यह गंभीर विषय है. मेरा सुझाव है कि मॉनिटरिंग के लिए पी.एच.क्यू. में आप एक सेल स्थापित करें और वह सतत् संपर्क आपके जिलों से और थानों से रखें जो नई कंपनियां आ रही हैं उनकी सारी जानकारी ले, आप स्पेशल ब्रांच के माध्यम से पॉलिटिकल जानकारी तो लेते ही हैं यह जानकारी भी ली जाए कि अब जो नई कंपनियां आ रही हैं वह क्या कर रही हैं, किन कार्यों में लिप्त हैं, क्या गड़बड़ हो रही है? ताकि आपको प्रदेश स्तर पर त्वरित रूप से जानकारी मिल सके. दूसरा जिन कंपनियों ने यह अपराध घटित किया है आप नि:संदेह कार्यवाही कर रहे हैं, इसमें कोई दो-राय नहीं है लेकिन एक विशेष अभियान चलाकर जो अपराधी लोग हैं जो किसी कारण से घूम रहे हैं और आपने सही बताया कि इनका हेडऑफिस दिल्ली में है, गाजियाबाद में है, मुम्बई में है वहां तक पहुंच पाना कठिन होता है और आपकी पुलिस दूसरे कार्यों में भी व्यस्त रहती है. पुलिस की संख्या भी सीमित है लेकिन इसको जरूर गंभीरता से लें. यह हजारों करोड़ का मामला है. अगर आप पूरे प्रदेश में देखेंगे एक ही जिले में 15 करोड़ की बात कही गई है, तो मेरा आपसे यह सुझाव है.
सिसौदिया जी मंत्री जी ने जो जवाब दिया कि ठीक है किसी ने आत्महत्या नहीं की वह तो रिकार्ड की बात है परंतु मंत्री जी ने कहा कि तनावग्रस्त कोई नहीं है क्या यह सही है ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने अच्छे सुझाव दिए हैं. अगर 400 एजेंट मेरे यहां आते हैं. (व्यवधान)
डॉ गोविन्द सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने सरकार को सुझाव दिया है आपको तो निर्देश देना चाहिए कि सरकार निर्देश जारी करें. सुझाव तो हम लोग देते हैं. (व्यवधान)
श्री शंकर लाल तिवारी-- विधान सभा में विशेष कानून बनाना पड़े चाहे उसमें किसी की भी परमीशन की जरूरत हो जब हम एक ट्रक रोक लेते हैं तो हम इतनी बडी़ लूट रोकने के लिए विधानसभा में भी कुछ कानून बना सकते हैं. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी जो मैंने अभी आपसे कहा यह आसंदी से व्यवस्था मान लीजिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं आपका निर्देश तो सर्वोपरि है. आसंदी तो सर्वोच्च है. हम लोगों ने इस संबंध में पहले भी लगातार प्रयास किए हैं. जैसा मैंने कहा कि हम लोगों के प्रयास से ही 4500 कंपनियां बंद हुई हैं जो एक बहुत बड़ी संख्या है और यदि हम लोगों के स्तर पर इतना प्रयास नहीं होता तो यह नहीं हो पाता. चूंकि इसमें राज्य सरकार का सीधा कोई हस्तक्षेप नहीं है. यह बात सही है कि हमारे डी.एम. को इन चीजों को देखना चाहिए और इसलिए एक बार हम गृह विभाग की ओर से फिर से सभी डी.एम. को पत्र भेजेंगे कि जो भी इस तरह की कंपनियां हैं उनकी जानकारी प्राप्त करें और उन्हें जो अधिकार हैं उस अधिकार के अंतर्गत यदि कार्यवाही आवश्यक है तो कार्यवाही भी करें. तीसरी बात यह है कि जो आपकी और से सुझाव, निर्देश आए हैं वह बहुत महत्वपूर्ण हैं कि इसमें पी.एच.क्यू. लेवल पर एक अधिकारी हम नियुक्त करें और वह इसकी पूरी मॉनिटरिंग करे. उपाध्यक्ष महोदय, आपका निर्देश है कहीं कोई दिक्कत नहीं है मेरा निवेदन सिर्फ इतना है कि अभी भी स्थिति यह है कि यह जो फ्रॉड कंपनियां हैं इनकी कई स्तर पर शिकायत होती है. ई.ओ.डब्ल्यू. में भी शिकायत होती है, जिला स्तर पर भी शिकायत होती है, सी.आई.डी. में भी शिकायत होती है. अनेक एजेंसिया इसकी अलग- अलग जांच करती हैं परंतु आपके सुझाव, निर्देश दोनों को हम मानते हुए पुलिस मुख्यालय में हम जो चिटफंड कंपनियां है इनकी सतत् मॉनिटरिंग के लिए ए.डी.जी. के नेतृत्व में हम एक सेल आपके निर्देशानुसार बनाएंगे और पूरी गंभीरता से सरकार इसको देखेगी.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद मंत्री जी.
2. प्रदेश के महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ न मिलने के संबंध में.
सुश्री हिना लिखिराम कावरे (लांजी)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया)--उपाध्यक्ष महोदय,
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह ध्यानाकर्षण लगाने का मेरा जो कारण था, मेरे पास अनुसूचित जाति-जनजाति के बच्चों के माता-पिता आए थे और उन्होंने मुझे बताया कि हमारे बच्चों को लेपटॉप मिला है और लेपटॉप मिलने के बाद हमको पोस्ट मैट्रिक की जो छात्रवृत्ति मिलती है उसका लाभ नहीं मिल रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, क्योंकि सारी जितनी योजनायें हैं उन सबके लिए एक ही पोर्टल है और उस पोर्टल में ऑलरेडी पहले एक योजना का लाभ उनको मिल गया है इसीलिये उनको दूसरी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है तो मेरा ध्यानाकर्षित कराने का मुख्य कारण यही था कि दिक्कत पोर्टल में आ रही है और जैसा कि आपने बताया है कि यदि लेपटॉप मिल रहा है तो पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की भी उनको सारी सुविधायें मिलेंगी तो दिक्कत पोर्टल की है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और बात मैं इसके साथ कहना चाहती हूं कि क्या मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना में अनुदान प्राप्त शासकीय महाविद्यालयों में प्रवेशित मेधावी विद्यार्थियों को भी इसका लाभ दिये जाने का प्रावधान है? क्योंकि मैं इसलिए बताना चाहती हूं कि अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में प्रवेशित मेधावी विद्यार्थियों के रजिस्ट्रेशन तो हुए हैं लेकिन कम्प्यूटर द्वारा केवल शासकीय महाविद्यालय के कॉलेज के कोड एक्सेप्ट किये जा रहे हैं. अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के कॉलेज के कोड कम्प्यूटर एक्सेप्ट नहीं कर रहा है तो मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहती हूं?
श्री जयभान सिंह पवैया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने अपने उत्तर में पहले ही स्पष्ट किया कि कठिनाई इस बात के कारण आई कि विद्यार्थियों में पहले तो किसी ने मुख्यमंत्री मेधावी योजना का एप्लाई कर दिया और बाद में उस विद्यार्थी को जानकारी मिली कि हॉस्टल के और बाकी के जो भत्ते हैं, वह सुविधा मेधावी विद्यार्थी योजना में नहीं है. उसमें शिक्षण शुल्क माफ की जाती है इसीलिए दूसरी एप्लीकेशन उन्होंने पोस्ट मैट्रिक की डाली इसमें एक के लिए ही पात्र हो सकते हैं और जो अपनी दरख्वास्त विथड्रा कर रहे हैं उसके लिए पोर्टल पर व्यवस्था की गई है. पोर्टल के उपयोग में अगर कोई कठिनाई है तो बालाघाट जिले के लिए मैं यह कहना चाहूंगा कि हम बालाघाट में तीन दिन का एक विशेष शिविर तत्काल लीड कॉलेज में लगा देंगे और पोर्टल की टेक्निकल कठिनाई के कारण जो शिकायत होगी, उसको दूर कर दिया जाएगा.
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्या ने यह पूछा है कि शासकीय विद्यालयों और अनुदान प्राप्त विद्यालयों के कोड एक्सेप्ट नहीं हो रहे हैं.
श्री जयभान सिंह पवैया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुदान प्राप्त जो महाविद्यालय हैं उनके छात्र मेधावी विद्यार्थी योजना के पात्र हैं. आपके पास कोई शिकायत हो कि यह कठिनाई आ रही है तो तत्काल उसे दूर कर दिया जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- सुश्री हिना जी आपकी जो शिकायत हो, आप माननीय मंत्री जो लिखकर दे दें और माननीय मंत्री जी ने शिविर भी लगाने की बात कही है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- जी माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहती हॅूं जैसा कि आपने बताया और आपके उत्तर में भी आया है कि किसी भी एक योजना का लाभ विद्यार्थियों को मिल सकता है. आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं कि शासकीय महाविद्यालयों का शुल्क इतना कम होता है कि कोई भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग का बच्चा मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का लाभ नहीं लेना चाहेगा, वह तो स्वत: छोड़ देगा क्योंकि उससे तो उनका आर्थिक नुकसान हो रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहती हॅूं कि माननीय मंत्री जी उन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, चूंकि यह तो एक प्रोत्साहन योजना है उनको पहले से पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिल रहा था वह रहे ही रहे लेकिन उनको मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का भी लाभ निश्चित रुप से दिया जाना चाहिए या तो आप स्पष्ट कर दीजिए कि यह केवल उन बच्चों के लिए है जो सामान्य वर्ग के बच्चे आते हैं जिन पर पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति वाली योजना लागू नहीं होती है तो आप स्पष्ट कर दीजिए कि केवल सामान्य वर्ग के बच्चों को ही इस योजना का लाभ मिलेगा.
श्री जयभान सिंह पवैया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना है इसमें सामान्य और आरक्षित वर्ग का हो, ऐसा कोई बन्धन नहीं है. एक तो यह बात बहुत स्पष्ट है. उसमें बन्धन आय सीमा का है. यदि छ: लाख तक की आय सीमा है और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में 75 फीसदी अंक आए हैं या 85 फीसदी अंक सीबीएसई में आए हैं तो उनको यह लाभ दिया जाता है और किसी भी वर्ग के विद्यार्थी हों, मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का जो मानदंड है कि बारहवीं में इतने अंक आए हों और उसके बाद जो कॉम्पटेटिव एक्जॉम हैं जिनके द्वारा चिन्ह्ति संस्थानों में भर्ती होती है, प्रवेश होता है तो सरकार उसके लिए लाभ देती है. इसमें कोई वर्ग को लेकर इस तरह का कोई बन्धन नहीं है. यह तो पहले से ही बहुत स्पष्ट है. आप बाकी योजनाओं की बात कर रहे हैं तो मेधावी विद्यार्थी योजना और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति केवल इन दोनों योजनाओं के बारे में मैं चर्चा कर रहा हॅूं बाकी योजनाएं तो सबके लिए पात्र हैं. चाहे वह गांव की बेटी योजना हो, लैपटॉप दिया जाता है उसमें कोई बन्धन नहीं है उसका लाभ तो उन वर्गों को मिलेगा ही.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, जहां तक मैं समझा हॅूं माननीय सदस्या दोनों योजनाओं का लाभ चाह रही हैं. मेधावी विद्यार्थी योजना का और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति का भी. क्या ऐसा ही है ?
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना से तो अपने आपको हटा लिया है. यह पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति का लाभ लेना चाहते हैं और यह स्वाभाविक है. आपकी जो संख्या है यह एक साल के अंदर निश्चित रुप से दो गुना और तीन गुना हो जाएगी क्योंकि कोई भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या ओबीसी का बच्चा इस लाभ को कतई नहीं लेना चाहेगा इसलिए माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आपसे निेवेदन था.
श्री जयभान सिंह पवैया -- इसमें आप दोनों योजनाओं का अंदर समझिए. मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना में सरकार शिक्षण शुल्क का भुगतान करती है. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के बच्चों को जो लाभ मिलता है वह 100 प्रतिशत फीस, हॉस्टल और अलाउंस ये तीनों चीजों का लाभ दिया जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्या यह सब समझ रही हैं. वे दोनों योजनाओं का लाभ लेना चाहती हैं. पर यह तो नीतिगत निर्णय है.
श्री जयभान सिंह पवैया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दोनों योजनाओं के लाभ में उसको पोस्ट मैट्रिक में फीस का लाभ तो मिल ही रहा है जो मेधावी विद्यार्थी योजना में माफ होता है तो लाभ दो का अर्थ क्या हुआ. मेधावी विद्यार्थी योजना में हम शिक्षण शुल्क माफ करते हैं.पोस्ट मैट्रिक में पहले से ही माफ का प्रावधान है तो फिर दोनों योजनाओं में शिक्ष्ाण शुल्क माफ का मतलब माफ है तो फिर दोनों योजनाओं में लाभ लेने का अर्थ मैं नहीं समझ पा रहा हॅूं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षण शुल्क हटा दीजिए लेकिन बाकी सारी सुविधाएं तो एड कर सकते हैं.
1.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
उपाध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए, मैं समझता हॅूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
उपाध्यक्ष महोदय -- सुश्री हिना जी, आपका प्रश्न आ गया है. मंत्री जी, जो मूल बात है मैंने आपसे कह दी है, माननीय सदस्या दोनों योजनाओं का लाभ चाहती हैं. लेकिन यह नीतिगत निर्णय है आप अकेले इसमें निर्णय नहीं ले पाएंगे. यह तो केबिनेट में जाएगा. सरकार निर्णय लेगी और वित्तीय साधन, संसाधन अनुमति देते हैं तभी ये सब लिया जाएगा.
श्री जयभान सिंह पवैया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध समझ लिया जाए कि मेधावी विद्यार्थी योजना में शिक्षण शुल्क माफ होता है, सरकार उसका भुगतान करती है, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में पहले से वह भत्ते और हॉस्टल फीस मिलाकर शिक्षण शुल्क माफ है. अब दो में शिक्षण शुल्क का लाभ लेने का मतलब क्या होगा, शिक्षण शुल्क माफ है यानि माफ है. मेधावी विद्यार्थी योजना में आय की जो सीमा है वह 6 लाख रुपये है, उसके कारण यदि कोई वंचित हो रहा है तो यह नीतिगत प्रश्न है, इसके बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह पाऊंगा.
1.31 बजे सभापति तालिका
उपाध्यक्ष महोदय -- मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उपनियम (1) के अधीन, मैं, निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिए नाम-निर्दिष्ट करता हूँ -
1. श्री कैलाश चावला,
2. श्री शंकरलाल तिवारी,
3. श्रीमती नीना विक्रम वर्मा,
4. श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा,
5. श्री रामनिवास रावत, तथा
6. श्री के.पी. सिंह.
1.32 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
1.33 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 22 सन् 2017)
राज्य मंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 22 सन् 2017) को वापस लेने की अनुमति चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 22 सन् 2017) को वापस लिए जाने की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 22 सन् 2017) को वापस लेता हूँ.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसकी जरूरत क्यों पड़ गई. जब कोई संशोधन विधेयक पुर:स्थापित किया जाता है तो उसमें कारण बताना पड़ता है कि क्यों लाया गया या वापस लिया जा रहा है तो क्यों वापस लिया जा रहा है ? मंत्री जी बताएं, सरकार को स्पष्ट करना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, ऐसी कोई परंपरा तो रही नहीं है ?
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदय, मैंने विधेयक वापस ले लिया, ऐसी कोई जवाब देने की परम्परा नहीं है.
श्री बाला बच्चन -- लेकिन अगर विपक्ष जानना चाहता है या सदन जानना चाहता है तो ? आप खुद भी इतने प्रिपेयर्ड हैं कि नहीं ?
श्री विश्वास सारंग -- बच्चन भाई, मैं पूरा प्रिपेयर्ड हूँ पर सदन तो नियम कायदे से ही चलेगा ना.
उपाध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 29 नवम्बर, 2017 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 1.33 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 29 नवम्बर, 2017 (8 अग्रहायण, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 28 नवंबर, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा