मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्दश सत्र
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र
मंगलवार, दिनांक 28 फरवरी, 2023
(9 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
[ खण्ड- 14 ] [ अंक-2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 28 फरवरी, 2023
( 9 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11.01 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्री ओ.पी.कोहली, मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल,
(2) श्री सखाराम देवकरण पटेल, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(3) श्रीमती नंदा मण्डलोई, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(4) श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(5) श्री झनक लाल ठाकुर, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(6) श्री राधेश्याम शर्मा, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(7) श्री भागवत भाऊ नागपुरे, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(8) श्री शरद यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, तथा
(9) श्री शांति भूषण, पूर्व केन्द्रीय मंत्री.
श्री शांतिभूषण का जन्म 11 नवम्बर, 1925 को बिजनौर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. आप जनता पार्टी के अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता तथा प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन रहे. श्री भूषण वर्ष 1977 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा केन्द्र सरकार में विधि, न्याय और कंपनी कार्य मंत्री रहे.
आपके निधन से देश ने एक वरिष्ठ नेता, विधिवेत्ता तथा कुशल प्रशासक खो दिया है.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश कोहली जी देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् थे, मौलिक चिन्तक थे, राष्ट्रवादी विचारक थे और कुशल संगठक थे. वे जहाँ भी रहे एक नया आदर्श उन्होंने उपस्थित किया. वे एक आदर्श व्याख्याता थे, वे एक आदर्श राजनैतिक कार्यकर्ता थे और उन्होंने राज्यपाल के रूप में भी, राज्यपाल के पद की गरिमा को बढ़ाया था. मध्यप्रदेश, गुजरात और गोवा के राज्यपाल के पद पर वे रहे, राज्यसभा के सदस्य वे रहे ही. लेकिन राज्यपाल के नाते मध्यप्रदेश की जनता के हितों का संरक्षण और विशेषकर मैंने देखा उस समय वह वर्ग, जिनकी आवाज अक्सर भोपाल तक नहीं आ पाती, सदैव उन्होंने उनकी चिन्ता की थी. उनके निधन से एक वरिष्ठ शिक्षाविद्, एक आदर्श राजनैतिक कार्यकर्ता और एक कुशल प्रशासक हमने खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री सखाराम देवकरण पटेल जी जनसंघ के जमीन से जुड़े कार्यकर्ता थे. भारतीय जनसंघ के काम को बढ़ाने में उन्होंने विशेषकर खंडवा जिले में और समाज के गरीब वर्गों में बढ़ाने में अतुलनीय योगदान दिया, अनेकों आँदोलन किए, आपातकाल में जेल में रहे और 5 वीं, 6 वीं, 7 वीं विधान सभा में पंधाना का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया था और राज्य के मंत्री पद पर रहकर भी उन्होंने प्रदेश की जनता की सेवा की थी. उनके निधन से हमने एक वरिष्ठ राजनेता, कुशल प्रशासक और गरीबों के हित चिन्तक को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्रीमती नन्दा मण्डलोई जी, खंडवा में उनका जन्म हुआ था, काँग्रेस की जमीन से जुड़ी हुई कार्यकर्ता थीं और भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की ओर से ही उन्होंने खंडवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी हमने एक कर्मठ समाजसेवी को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह जी का उमरिया के राजनैतिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान था. वे पार्षद से लेकर, नगर परिषद् के अध्यक्ष तक रहे और 11 वीं विधान सभा में काँग्रेस पार्टी की ओर से उन्होंने उमरिया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी हमने एक लोकप्रिय नेता को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्री झनकलाल ठाकुर जी पहले शासकीय अधिकारी थे. सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 12 वीं विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी की ओर से दमुआ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी प्रदेश के सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
श्री राधेश्याम शर्मा जी, रायपुर के अत्यंत लोकप्रिय नेता थे और सहकारिता क्षेत्र में, सहकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने में उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया. जिला सहकारी भूमि विकास बैंक और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक के भी वे अध्यक्ष रहे. दसवीं विधान सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से उन्होंने भाटापारा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व किया था. सहकारी आन्दोलन में उनको उल्लेखनीय योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा.
श्री भागवत भाऊ नागपुरे, बालाघाट के लोकप्रिय नेता थे. समाजसेवी थे. किसानों के कल्याण के लिए उन्होंने जीवन भर परिश्रम किया. लाँजी क्षेत्र से उन्होंने विधान सभा में प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय शरद यादव जी, एक ऐसा नाम है जिस पर पूरा प्रदेश गर्व करता है. वे नर्मदापुरम्, तत्कालीन होशंगाबाद जिले के गांव में जन्मे थे. नर्मदा जी के इस पार उनका गाँव था और उस पार मेरा गाँव था. बचपन से ही जुझारू रहे. छात्र राजनीति में वे सक्रिय रहे. एक समय था वर्ष 1974-75 का जब वे देश की छात्र राजनीति के सबसे उज्जवल नक्षत्र के रुप में उभरे थे. जे.पी. आन्दोलन में उन्होंने केवल मध्यप्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश को खड़ा कर दिया था. छात्र युवा वाहिनी जैसे संगठनों को खड़ा करने में उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन जानता है वर्ष 1974-75 में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और गलत शिक्षा नीति के खिलाफ जो आन्दोलन उस समय चला था उसमें पहले जे.पी. उम्मीदवार के रुप में शरद यादव जी चुनाव लड़े थे और शानदार बहुमत से जीते थे. उसके साथ ही वे देश में एक बड़े युवा नेता के रुप में वे उभरे थे और तब से लेकर उन्नीस के दशक तक सदैव भारत की राजनीति को उन्होंने बहुत गहराई से प्रभावित किया. शरद जी हों, रामविलास पासवान हों यह एक टीम थी. एनडीए के चेयरमैन भी शरद यादव जी रहे. वे न केवल एक कुशल संगठक थे, एक क्रांतिकारी नेता थे. मंडल आयोग के गठन में और उसकी सिफारिशें लागू करवाने में, पिछड़े वर्गों के कल्याण में उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान था. वे मध्यप्रदेश में जन्मे लेकिन उनकी प्रतिभा ऐसी थी कि वे उत्तर प्रदेश से भी सांसद रहे, बिहार से भी सांसद रहे. वे जहां जाते थे वहां से जीत जाते थे. इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि कितना बहुआयामी व्यक्तित्व उनका था. अपने संपर्क से ज्यादा अपने विचारों से जनता और जनमत को वे कैसे प्रभावित करते थे. वे बेबाक थे, जो ठीक समझते थे बोलते थे उसके कारण आलोचना होती थी वो भी सहते थे लेकिन परवाह नहीं करते थे. मैंने कई बार उनको लोक सभा में बोलते हुए सुना, कुछ लोगों को विवादित लगता था लेकिन जो ठीक होता था वो कहते थे. एक मंत्री के नाते भी वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में वे रहे. उन्होंने देश की जनता की विशेषकर समाज के जो तबके पीछे रह गए उनकी बड़ी सेवा की. उनके निधन से न केवल भारतीय राजनीति में एक लोकप्रिय नेता को हमने खोया है बल्कि मध्यप्रदेश की धरती ने अपने एक ऐसे लाल को जिस पर हम गर्व करते हैं, खोया है. उनका निधन सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति है जिसकी पूर्ति संभव नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री शांति भूषण जी जनता पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रहे और वह यूपी के महाधिवक्ता के साथ-साथ प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमेन भी रहे. वह सन् 1977 में राज्यसभा के सदस्य निवार्चित हुए और केन्द्र में विधि न्याय और कंपनीकारी मंत्री रहे. उनके निधन से देश ने एक वरिष्ठ नेता, एक विधिवेत्ता और कुशल प्रशासक को खोया है. मैं सभी महान दिवंगतों के चरणों में अपनी ओर से और सदन की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और परमपिता परमात्मा से यह प्रार्थना करता हूं कि वह दिवंगत आत्माओं को शांति दे. उनके परिवार, मित्र, अनुयायियों को यह गहन दुख सहन करने की क्षमता दे. ओम शांति.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी और आपने हमारे देश और प्रदेश के सम्माननीय राजनैतिक राजनेता, जनता के बीच काम करने वाले और समाज में क्षेत्र और देश को दिशा देने वाले आदरणीय ओ.पी. कोहली जी मध्यप्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल महोदय, सखाराम देवकरण पटेल साहब, भूतपूर्व सदस्य, श्रीमती नंदा मण्डलोई, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, नरेन्द्र प्रताप सिंह जी भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, झनक लाल ठाकुर जी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, राधेश्याम शर्मा जी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, भागवत भाऊ नागपुरे, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, शांति भूषण जी पूर्व केन्द्रीय मंत्री इन लोगों ने अपने सामाजिक, राजनैतिक जीवन में अलग-अलग क्षेत्रों में जनता के गरीब शोषित, पीडि़तों की मदद की और अपना संपूर्ण जीवन जनता के हित में, परोपकार में और गरीबों की लड़ाई में अर्पित किया है. मैं इन सभी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में तीन शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज थे. रायपुर, ग्वालियर और जबलपुर. जब पहला शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय खोला गया था उस समय एडमीशन मेरठ से होते थे. जब मेरा सन् 1970-71 में आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रथम वर्ष में प्रवेश हुआ उस समय शरद यादव दो वर्ष पूर्व अपनी पढ़ाई समाप्त करके वहां से निकल चुके थे. लेकिन पूरे शहर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र नेता शरद यादव का नाम पहली बार सुना था. मैंने उनको अपने होस्टल में आमंत्रित किया और जैसे ही मैंने उनका पहला भाषण सुना मैं उसी दिन से उनके प्रभाव में आकर उनका अनुयायी बना और उनके जीवन के अंतिम समय तक उनसे मिलता रहा. मैंने देखा है कि संघर्ष के मामले में शरद यादव जी का कोई सानी नहीं था. एक बार जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी पेट्रोल, डीजल के भाव में भारत सरकार ने दो-दो रुपए लीटर की मूल्य वृद्धि की थी. शरद यादव जी छात्र नेता थे उन्होंने सभी छात्रों के राजनेता को साइंस कॉलेज हॉस्टल में बुलाया और आह्वान किया कि हमें जबलपुर बंद रखना है. सात, आठ लाख की आबादी का शहर था उनके आह्वान पर शहर लगातार एक दिन बंद रहा. एक चाय की दुकान भी नहीं खुली. उसके बाद दूसरे दिन भी बढ़ाया गया और लगातार दूसरे दिन भी आठ लाख की आबादी का शहर उनकी अवाज पर बंद रहा. वह हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ते थे. छात्रों के हित में लड़ाई लड़ते रहे और इसके साथ-साथ जनता की मूल समस्याओं के देश की समस्याओं के प्रति भी जागरुक रहते हुए जनआंदोलन किये. एक बार जबलपुर के गोमती थाने में छात्र नेताओं को साधारण सी बात पर बंद कर लिया गया था. उन्होंने जाकर थाने का घेराव किया, वहां पथराव होने लगा, उनकी बहादुरी थी कि जब लाठीचार्ज होता था, तो वे भागते नहीं थे, तमाम छात्र लाठी पड़ने पर दौड़ लगा देते थे लेकिन वे अकेले साधारण धोती-कुर्ता पहने डटे रहे, वे छात्र जीवन से ही धोती-कुर्ता पहनते थे. उनको तीन लाठियां पड़ीं, उनके दोनों पैरों में फ्रैक्चर हुआ, लेकिन वे बहादुर आदमी थे, एक बार नहीं कई बार आंदोलनों में जेल गये, लाठियां पड़ी. लेकिन वे कभी भागे नहीं, पीठ नहीं दिखाई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सन् 1974 में जब जयप्रकाश जी का आंदोलन चल रहा था, सभी पार्टियों ने मिलकर उन्हें उम्मीदवार बनाया और 19 जनवरी, 1975 को वे निर्वाचित हुए. मैं, उस समय छात्रसंघ का अध्यक्ष था, जबलपुर विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का सचिव था, उस समय हमें सेंवरा-सिंगरौली क्षेत्र के 34 पोलिंग बूथ की जिम्मेदारी मिली थी. हमने उनके लिए काम किया. शरद यादव जी ने इस देश में एक नहीं, तमाम नौजवानों को देश की राजनीति में ऊंचे पदों पर पहुंचाया है. हमने वह समय देखा, जब वे पहली बार सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे, तो लालू यादव जी, रामविलास पासवान जी, नितीश कुमार जी, ये तमाम नौजवान छात्र नेता उनसे मिलने आते थे. एक बार हमने अरूण जेटली जी को भी वहां बैठे देखा था. लोग उनसे मिलने के लिए इंतजार करते थे, इतनी भीड़ में भी वे एक-एक से मिलते थे. इन सभी नौजवान नेताओं को गढ़ने का, इन सभी को आगे बढ़ाने का श्रेय, यदि किसी एक व्यक्ति को जाता है, तो वे शरद यादव जी ही हैं.
मुलामय सिंह यादव जी को जब उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने में विवाद चल रहा था तो एक मात्र शरद यादव जी थे, उनके तिकड़म, दिमाग और मेहनत ही थी, जिसने उनको पहली बार मुख्यमंत्री के पद पर बैठाया. देवी लाल जी को आगे लाने के लिए शरद यादव जी ने उन्हें पूरे देश में घुमाया और उनको उपप्रधानमंत्री बनाने में भी उनकी महती भूमिका थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वे मध्यप्रदेश से 2 बार सांसदख् उत्तरप्रदेश में 1 बार बलिया से सांसद और 4 बार बिहार से सांसद रहे. वे कुल मिलाकर 7 बार चुनाव लड़कर सांसद रहे और 4 बार राज्य सभा के सदस्य रहे. मध्यप्रदेश की राजनीति में किसी भी राजनेता ने अपना कद इतना नहीं बढ़ाया. बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश जहां भी वे गये, चुनाव लड़े और जीते. आज वे हमारे बीच नहीं हैं, मध्यप्रदेश ने एक ऐसे नेता को जो गरीबों, शोषित वर्ग और पिछड़े वर्ग के नेता थे, को खो दिया है. जिन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष के लिए लगाया. उनके पास कोई जमीन-जायदाद नहीं थी. उनके साले साहब हरियाणा के हैं, वे अपना कारोबार करते हैं, उन्होंने ही उनकी एकमात्र बहन के नाम पर, एक मकान उनको छतरपुर दिल्ली में दिया, नहीं तो उनके पास अपना मकान भी नहीं था. आज वे हमारे बीच नहीं हैं, मेरे लिए यह एक व्यक्तिगत क्षति है क्योंकि उनका मुझ पर उपकार है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सन् 1989-90 में वी.पी.सिंह जी प्रधानमंत्री थे, जनता दल का गठन हुआ, तब तय हुआ कि जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं, वहां भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लड़ेंगे और जहां समाजवादी शोषित पार्टी के विधायक हैं, उनको टिकट मिलेगा. दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश में लहार में भारतीय जनता पार्टी के विधायक माननीय मथुरा प्रसाद महंत जी थे. शरद यादव जी लहार आये थे, उन्होंने वहां सभा की, देवीलाल जी उपप्रधानमंत्री थे, उनको साथ लाये थे और मुझे कहा था कि आप तैयारी करो, आपको टिकट मिलेगा. लेकिन यहां तो सिद्धांत तय हो गए थे, अब महंत जी का टिकट कैसे कटेगा ? उन्होंने मुझसे पूछा, जीत जाओगे ? मैंने कहा निश्चित. उन्होंने अटल जी और सभी से मिलकर ऐसी तिकड़म लगाई और कहा कि मध्यप्रदेश में मैत्रीपूर्ण संघर्ष होगा. उन्होंने मैत्रीपूर्ण संघर्ष की एक नई परिभाषा निकाली और मध्यप्रदेश में करीब 18 विधायक भारतीय जनता पार्टी, जनता दल और समाजवादी पार्टी दोनों से लड़े. यदि उस समय वे मुझे टिकट नहीं देते तो मैं, विधायक नहीं बनता. यदि मुझे इस सदन में पहली बार लाने का श्रेय किसी को जाता है, तो वे शरद यादव जी हैं.
माननीय गोपाल भार्गव जी ने एक बार कहा था आज आप कांग्रेस की वकालत करते हैं. मैं पार्टी में हूं, तो करूंगा. उन्होंने कहा शरद यादव जी आपके नेता थे. मैंने कहा- थे, हैं और रहेंगे. क्योंकि उन्होंने ही मुझे कहां से कहां तक पहुंचाया. वह व्यक्ति ने जब भी परिवार में सुख-दुख: की छोटी सी भी घटना हुई तो वह आये. हम जब नगर पालिका अध्यक्ष थे तो 1985-1987 में, उस समय हमारे कार्यक्रम में आये. डॉ. राम मनोहर लोहिया की स्टैच्यू लहार में हमने नगर पालिका के अध्यक्ष रहते, हमने लगवायी. नगर पालिका जो नया बस स्टैंड बना था तो उनके करकमलों के द्वारा उसका उद्घाटन हुआ था. आज वह हमारे बीच नहीं हैं.
मैं बहुत दुखी मन से उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि माननीय शरद यादव जी हमारे बीच नहीं है. आज उनके परिवार को यह गहन दुख: सहन करने की क्षमता प्रदान करे और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. एक बात का मैं, मुख्यमंत्री से जरूर अनुरोध करना चाहता हूं कि अभी शरद यादव जी के बड़े भाई जो अभी डिप्टी डायरेक्टर, शिक्षा विभाग से रिटायर हुए हैं. अभी तीन दिन पहले मेरे पास उनका फोन आया था कि गोविन्द सिंह जी अब मैं शरद यादव जी की प्रतिमा अपने गांव में लगाना चाहता हूं. आप माननीय मुख्य मंत्री जी से, कमल नाथ जी से और दिग्विजय सिंह से समय ले लो और जब वह समय देंगे उस समय प्रतिमा को तैयार कराऊं. ताकि उनकी प्रतिमा का अनावरण उनके गांव जो हरदा से बिल्कुल समीप है उसमें हो सके.
मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि मध्यप्रदेश के एक राजनेता ने पूरे देश की राजनीति को दिशा दी हो, ऐसे महान व्यक्ति की प्रतिमा शासन की ओर से लगायी जाये तो मैं, मुख्य मंत्री जी का आभार व्यक्त करूंगा. इसी के साथ मैं पुन: सभी दिवंगत नेताओं के चरणों में प्रणाम करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह सबकी आत्मा को शांति दे.
श्री गौरीशंकर बिसेन( बालाघाट ):- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में आज 9 ऐसी हमारी महान हस्तियां हैं, जिनका हम शोक व्यक्त कर रहे हैं.
मैं सर्वप्रथम सम्माननीय ओ.पी.कोहली जी, जो हमारे महामहिम राज्यपाल रहे हैं और मैं, जब सांसद था तो कई बार उनका हमको मार्गदर्शन मिला है. यह उस पीढ़ी के हैं जिन्होंने भारतीय जन संघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी को यहां तक पहुंचाया है. मैं उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करता हूं.
सम्माननीय सखाराम देवकरण पटेल साहब, श्रीमती नंदा मण्डलोई जी, श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह जी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, श्री झनक लाल ठाकुर जी जो हमारे छिंदवाड़ा जिले से विधायक चुने जाते रहे हैं और जुन्नार देव में, हमारे जो हमारा आदिवासी क्षेत्र है, वहां से इस सदन के सदस्य रहे. हम लोगों ने साथ-साथ काम किया है. अभी उनके बेटे आशीष हमारी पार्टी और अनुसूचित जनजाति बेल्ट में वह काम करते हैं . एक ऐसे जमीनी नेता को हमने खोया है, जिनकी सुदूर बैगा और भारिया जाति के बीच में उनकी बड़ी अच्छी पकड़ थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री राधेश्याम जी शर्मा,भूतपूर्व विधान सभा सदस्य सहित श्री भागवत भाऊ नागपुरे यह लांजी बालाघाट से आते थे. यह प्रगतिशील किसान है और इनके पास करीब 70 से 100 एकड़ जमीन है और उन्होंने आम को अपने क्षेत्र में काफी डेव्ह्लप किया है. वह जब अस्वस्थ हुए तो मैंने माननीय मुख्य मंत्री जी से निवेदन किया तो यहां से भी जितनी मदद हो सकती थी, वह की. सारा प्रयास मध्यप्रदेश शासन की ओर से हुआ, लेकिन हम उनको नहीं बचा सके. हम लोग इसको लेकर काफी द्रवित हैं.
मान्यवर्, शरद यादव जी के बारे में मुझे लगता है कि बहुत ज्यादा कहने की आवश्यकता नहीं है. डॉ. गोविन्द सिंह जी और मुख्य मंत्री जी इतना कह चुके हैं. मैं तो स्वयं 1975 में जे.पी आंदोलन में राजनीति में आया हूं. चूंकि उस समय जबलपुर की राजनीति में हमने शरद यादव जी को1974-1977 में देखा और उनसे ही प्रेरणा लेकर के, उनकी मैंने एक स्पीच सुनी थी बालाघाट की छोटी सी गुजरी में. वह चल-चल कर के पूरे मंच पर बोलते थे. एक अपनी बात को किस तरह से रखने का मैंने जो उनका प्रदर्शन देखा, वह वास्तव में मैं, समझता हूं कि देश में मान्यवर अटल जी, मान्यवर आडवानी जी और हमारा जो नेतृत्व है उसको सदैव उनका सपोर्ट रहा है. हमारे सम्माननीय शांति भूषण जी हमारे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सहित सभा दिवंगत आत्माओं की शांति के प्रार्थना है और विशेष रूप से भागवत भाऊ नागपुरे के परिवार को गहरा दुख: पहुंचा है, इसके पहले उनके दो बेटों का भी निधन हो चुका है. मैं अपनी ओर से और अपने दल की ओर से, अपने परिवार की ओर से दिवंगत आत्माओं की शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना करता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े होकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
( सदन द्वारा दिवंगतों के सम्मान में दो मिनट मौन खड़े रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.)
(11.31 बजे दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित.)
(विधानसभा पुनः समवेत हुई)
11.43 बजे (अध्यक्ष महोदय {श्री गिरीश गौतम}पीठासीन हुए)
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल हो जाए उसके बाद अभी प्रश्नकाल शुरू ही नहीं हुआ है. अभी व्यवस्था कहां से आ गई.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल में व्यवस्था नहीं होती है. इनको बताओ जरा प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता इनको थोड़ा सा ज्ञान दे दो.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल हो जाने दीजिये उसके बाद शून्यकाल में. अभी इसको हो जाने दीजिये.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न हो जाने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--आपके सदस्य ही प्रश्न उठा रहे हैं. श्रीमती झूमा सोलंकी जी.
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, कोई महिला जल गई है. यह आखिरी में क्यों आयेगा.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, यह तो अयोग्यता की श्रेणी में आता है. प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता. इनको कौन समझाएगा.
अध्यक्ष महोदय--आप कृपया बैठ जाएं. यह सबकी समझ से परे है. सत्ताधारी दल का कोई विधायक खड़ा हो रहा हो उसमें आप आपत्ति करो तो समझ में आता है. अभी आपके ही विधायक प्रश्न कर रहे हैं. कम से कम उनका प्रश्न तो हो जाने दीजिये.
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, विधायकों के प्रश्न नहीं होते हैं. यह आपके विवेकाधिकार का प्रश्न है कि आपको ध्यान रखने का अधिकार है. आखिरी में फाईलें जल गई हैं इसलिये उत्तर नहीं दे सकते हैं, यह सरकार का तरीका है क्या ?
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल होने दीजिये. श्रीमती झूमा सोलंकी.
11.44 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
पंचायत सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक की मांगों का निराकरण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
1. ( *क्र. 79 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम पंचायत सचिव संगठन एवं ग्राम रोजगार सहायक संगठन द्वारा वर्ष 2022 एवं वर्ष 2023 में अपनी मांगों के संबंध में कितनी बार ज्ञापन माननीय मुख्यमंत्री जी या कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों के माध्यम से म.प्र. शासन को प्रस्तुत किया गया है? कृपया दिनांक का विवरण, मांगों का विवरण सहित प्रदाय किये गये समस्त ज्ञापन की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें। (ख) उक्त प्राप्त समस्त ज्ञापन में वर्णित मांगों के निराकरण हेतु पंचायत विभाग एवं राज्य शासन द्वारा वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या पंचायत सचिव को सातवां वेतनमान, पंचायत विभाग में संविलियन, वेतन गणना में संशोधन, क्रमोन्नति/पदोन्नति का लाभ तथा ग्राम रोजगार सहायक को नियमितीकरण करने की कार्यवाही शासन द्वारा की जा रही है? यदि हाँ, तो की गई कार्यवाही का विवरण उपलब्ध करावें तथा कौन-कौन से लाभ कब तक दिये जायेंगे? नहीं तो क्या कारण है?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) ग्राम पंचायत सचिव संगठन की प्रमुख मांग ग्राम पंचायत सचिवों के रिक्त पदों की पूर्ति एवं ग्राम पंचायत सचिवों की अनुकंपा नियुक्ति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) ग्राम पंचायत सचिवों के प्रश्नांकित बिन्दुओं के संबंध में यथोचित कार्यवाही हेतु समिति का गठन किया गया है। ग्राम रोजगार सहायकों के नियमितीकरण का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायत के सचिवों को सातवां वेतनमान एवं ग्राम पंचायतों के साथ साथ रोजगार सहायकों के नियमितीकरण और सातवां वेतनमान के संबंध में है. मुझे जो उत्तर मिला है माननीय मंत्री जी की ओर से जो कि पूर्ण नहीं है. मैंने पूछा था कि पूरे प्रदेश भर के ग्राम के सचिवों की जो मांगें हैं. वर्तमान तक एक साल के संबंध में मैंने जानकारी चाही थी, जो दी गई. किन्तु उन्होंने मुझे पूर्ण उत्तर नहीं दिया. उनकी प्रमुख मांग थी कि सातवां वेतनमान कब दिया जायेगा और साथ ही, उनके वेतनमान की गणना सन् 2008 से की जा रही है. उनकी नियुक्ति सन् 1995 से की गई है तो मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाह रही हूँ कि पंचायत सचिवों की नियुक्ति से पूर्ण गणना सन् 1995 से करें और उनका सातवां वेतनमान कब दिया जायेगा?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पंचायत सचिव और रोजगार सहायकों के बारे में जो चिन्ता की है. निश्चित रूप से, वह बहुत ही लाभदायक है और मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह की सरकार, सचिव और रोजगार सहायकों के हितों के लिए पूरी तरह से तैयार है. सातवें वेतनमान और उनके नियमितीकरण के बारे में हमने कमेटी बनाई है, जो अतिशीघ्र ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और तत्पश्चात् उस पर कार्यवाही की जायेगी.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब से समिति बनी है, तब से आज तक कोई मीटिंग नहीं हुई, कोई बैठक नहीं हुई, कोई निर्णय नहीं हुआ है. सिर्फ बैठक करना और उसमें फैसला लेना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मैं समझती हूँ कि ग्रामों के विकास की जो पहली इकाई है, वह पंचायत है और उसकी कार्यवाही करने वाला प्रमुख, पंचायत सचिव और रोजगार सहायक है, तो निश्चित ही उनके नियमितीकरण, उनको सातवां वेतनमान देना बहुत जरूरी है. यह जो समिति इन्होंने गठित की है, उसकी आज तक कोई बैठक नहीं हुई है और कोई निर्णय नहीं हुआ है. माननीय मंत्री जी, मुझे यह आश्वस्त करें और पूरी तरह से उस पर कार्यवाही करने का भी बताएं कि इस समिति ने अभी तक कितनी बैठकें कीं और क्या निर्णय लिये हैं ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, सातवां वेतनमान और नियमितीकरण की प्रक्रिया लम्बी होती है और इसमें पंचायत ग्रामीण विकास के साथ-साथ, वित्त का भी समावेश होता है, सामान्य प्रशासन विभाग का भी समावेश होता है, इसलिए प्रक्रिया थोड़ी सी लम्बी हुई. दिनांक 3 मार्च को इसकी मीटिंग आहूत की गई है और मैं सदस्या जी को यह आश्वासित करता हूँ कि 3 माह के अन्दर आपको इसका निराकरण करके, हम प्रस्तुत करेंगे.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - माननीय अध्यक्ष जी, अभी तक एक भी मीटिंग नहीं हुई है. अब मीटिंग करेंगे तो कब वित्त विभाग को भेजेंगे और कब कार्यवाही करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - इसकी बैठक 3 मार्च को हो रही है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - अध्यक्ष जी, बैठक ही बैठक से थोड़ी नहीं, फैसला लेना होगा. 18 वर्ष हो गए हैं, 18 वर्ष में भी इतना नहीं कर पाये, जो ग्राम पंचायत का प्रमुख कर्मचारी है, उसके लिए भी कोई फैसला अभी तक नहीं हुआ तो अब क्या करेंगे ? मंत्री जी, आपको बताना पड़ेगा. आप इस तरह से बच नहीं सकते हैं. आपने समिति गठित की, कोई फैसले नहीं हुए, कोई मीटिंग नहीं हुई है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, हमारी माननीय सदस्या जी को यह जानकारी लेनी पड़ेगी कि हमारा सचिव जो होता है, वह जिले के कैडर का कर्मचारी होता है, न कि स्टेट का कर्मचारी होता है और उसके नियमितीकरण करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया होती है. उस प्रक्रिया के तहत ही पूरी समिति बनी है. उसकी 3 मार्च को बैठक है और मैं माननीय सदस्या जी को आश्वस्त करता हूँ कि 3 माह के अन्दर समिति की रिपोर्ट आकर उस पर कार्यवाही की जायेगी.
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष जी, सचिव स्टेट का कर्मचारी नहीं होता है, तो वह किसके अंतर्गत आता है ? जिले में जो कर्मचारी काम करता है, वह जिले का कर्मचारी होता है तो क्या वह स्टेट के अंतर्गत नहीं आता है ?
अध्यक्ष महोदय - स्टेट के अंतर्गत आता होगा. स्टेटवाईज अलग है. उनकी नियुक्ति जिलावाईज़ होती है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, जिलावाईज़ होती है लेकिन वह आता तो राज्य सरकार के अधीन है. वित्त विभाग से ही प्रोविज़न उसके लिए भी होता है. यह कौन सा नया प्रावधान है कि जिले का अधिकारी अलग होता है और राज्य सरकार का अधिकारी अलग होता है ? मंत्री जी सदन को भ्रामक जानकारी दे रहे हैं.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री आश्वस्त करें कि सातवां वेतनमान उनको दिया जायेगा और नियमितीकरण, दोनों बातें मानी जायेंगी.
अध्यक्ष महोदय - विधायिका जी, आप बैठ जाइये. आप ही का प्रश्न है कि कमेटी कब बैठेगी और निर्णय कब होगा ? तो निर्णय तो कमेटी ही करेगी. आप ही इसको स्वीकार कर रही हैं. आप 3 मार्च को बैठक होने दीजिये, उसके बाद आप बताइये और 3 महीने का समय दिया है कि 3 महीने के अन्दर निर्णय कर देंगे.
प्रवर श्रेणी की मंडियों में सचिवों की पदस्थापना
[किसान कल्याण एवं कृषि विकास]
2. ( *क्र. 108 ) श्रीमती कल्पना वर्मा : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. की प्रवर श्रेणी में कितनी मण्डियां हैं, क्या उक्त श्रेणी की मंडियों में प्रवर श्रेणी के सचिव पदस्थ हैं? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या मंडी बोर्ड मुख्यालय में उप संचालक पदस्थ होते हुये प्रवर श्रेणी की मंडियों में पदस्थ नहीं किये गये, जबकि मुख्यालय में इनका कोई कार्य नहीं है? (ग) क्या मंडियों में कर्मचारियों के अभाव में कार्य प्रभावित हो रहा है, बोर्ड मुख्यालय एवं आंचलिक कार्यालय में लेखापाल, सहायक उपनिरीक्षक, निरीक्षक, सचिवों को अटैच रखने का क्या औचित्य है? इनको मंडियों में वापस कब तक पदस्थ कर दिया जायेगा? (घ) प्रश्नांश (ग) के अटैच कर्मचारियों को मंडियों में पदस्थापना करने से मंडियों का कार्य सुचारू रूप से चलेगा? (ड.) मंडी बोर्ड मुख्यालय एवं आंचलिक कार्यालयों में लेखापाल, सहायक उपनिरीक्षक, निरीक्षक, सचिव कौन-कौन कब से पदस्थ हैं? क्यों पदस्थ हैं? पृथक-पृथक विवरण दें।
किसान कल्याण मंत्री ( श्री कमल पटेल ) : (क) प्रदेश में 09 प्रवर श्रेणी की मंडियां हैं, जिसमें से प्रवर श्रेणी की कृषि उपज मंडी समिति देवास में सचिव-अ प्रवर श्रेणी/उप संचालक पदस्थ हैं। सचिव-अ प्रवर श्रेणी के 09 पद स्वीकृत हैं, वर्तमान में कार्य की आवश्यकता के आधार पर मुख्यालय में 06 सचिव-अ प्रवर श्रेणी को अन्तर परिवर्तनीय पद होने से उप संचालक पद पर पदस्थ किया गया है। (ख) मंडी बोर्ड मुख्यालय में पृथक से उप संचालक के 09 पद स्वीकृत हैं, कार्य की आवश्यकता के अनुरूप मुख्यालय में 06 सचिव-अ प्रवर श्रेणी/उप संचालक का अन्तर परिवर्तनीय पद होने से उप संचालक पद पर पदस्थ किया गया है। (ग) जी नहीं, मंडियों में कार्य के अनुरूप पर्याप्त कर्मचारी/अधिकारी पदस्थ होने से कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है। बोर्ड मुख्यालय एवं आंचलिक कार्यालयों में अधिकारियों/कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने एवं सीधी भर्ती/पदोन्नति नहीं होने से कर्मचारियों की कमी तथा कार्य की अधिकता के कारण अन्य संवर्ग के रिक्त पद के विरूद्व सचिव, मंडी निरीक्षक एवं सहायक उप निरीक्षक प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर कार्य सम्पादन हेतु आदेशित किया गया है। शेष प्रश्नांश उद् भूत नहीं होता है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (घ) मंडियों का कार्य सुचारू रूप से संचालन हेतु आवश्यक मानव संसाधन तैनात है एवं समय-समय पर आवश्यकता अनुसार पदस्थापना की जाती है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) मंडी बोर्ड मुख्यालय एवं आंचलिक कार्यालयों में पदस्थ लेखापाल, सहायक उपनिरीक्षक, निरीक्षक, सचिवों के पदस्थी का कारण सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्रीमती कल्पना वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के 'क' में पूछा कि प्रवर श्रेणी की प्रदेश में कितनी मण्डियां हैं ? उनमें प्रवर श्रेणी के सचिव क्यों पदस्थ नहीं किये गये ? माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है, उसमें कारण बताया है, जो सही नहीं हैं. मण्डी बोर्ड ने दिनांक 1.2.2011 से 6 कर्मचारियों को प्रवर श्रेणी के सचिव, उप संचालक के पद पर पदोन्नत किया गया है किंतु पदोन्नति पश्चात् इनको 12-13 वर्षों से आज तक कभी भी प्रवर श्रेणी की मंडियों में क्यों पदस्थ नहीं किया गया, जबकि इन मंडियों में बहुत से छोटे वर्ग के कर्मचारियों को प्रभारी सचिव के पद पर पदस्थ किया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न क्या है, आप प्रश्न पूछें ?
श्रीमती कल्पना वर्मा -- प्रश्न ''क'' में मैंने पूछा था कि प्रवर श्रेणी की प्रदेश में कितनी मंडियां हैं, उनमें प्रवर श्रेणी के सचिव को पदस्थ क्यों नहीं किया गया है ?
अध्यक्ष महोदय -- यह उत्तर में है, आप पूरक प्रश्न पूछें. यह उसी के उत्तर में आ गया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर सहीं नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, तो आपका पूरक प्रश्न क्या है ?
श्रीमती कल्पना वर्मा -- मैंने जो पूछा है कि मंडी बोर्ड द्वारा दिनांक-01/02/2011 से पांच कर्मचारियों को प्रवर श्रेणियों के सचिव, उप संचालक के पद पर पदोन्नत किया गया है, किंतु पदोन्नति पश्चात् इनको 12-13 वर्षों से आज तक कभी भी प्रवर श्रेणी की मंडियों में क्यों पदस्थ नहीं किया गया है ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी उनका प्रश्न यह है कि जिनको पदोन्नत आपने किया है, उनकी पदस्थापना क्यों नहीं की गई?
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिये नहीं की गई क्योंकि ये जो पद होते हैं, यह उप संचालक के समतुल्य होते हैं और मंडी बोर्ड में भी हमको कर्मचारियों की आवश्यकता है क्योंकि वहां नहीं है और उप संचालक के पद रिक्त हैं, इसलिये हमने इनको पदस्थ किया है. दूसरा यह जो प्रवर श्रेणी के पदाधिकारी हैं, ये चार-पांच तो शीघ्रलेखन में हैं और इसलिये इनका मंडी बोर्ड में ज्यादा उपयोग है और इसलिये इनको शुरू से इसमें पदस्थ किया गया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से माननीय कृषिमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि प्रवर श्रेणी के पद पर पदोन्नत हुए सचिवों को यदि आवश्यकता ही नहीं थी, तो इनकी पदोन्नति क्यों की गई ?
अध्यक्ष महोदय -- पदोन्नति तो एक प्रक्रिया है, पद न मिलना अलग है और पदोन्नति चीज अलग है, दोनों चीजें अलग-अलग है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- लेकिन यदि परिवर्तन तब होगा, जब इनकी पदोन्नति हुई और जिस उद्देश्य से इनकी पदोन्नति की गई कि प्रवर श्रेणी की मंडियों के नियम व्यवस्था और अच्छे ढंग से प्रभावी हो सके, इसके लिये प्रावधान किया गया. मैं माननीय मंत्री जी, से आश्वासन चाहती हूं कि प्रवर श्रेणी के सचिव को प्रवर श्रेणी की मंडियों में जल्द से जल्द पदस्थ किया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी क्या इस पर विचार करेंगे?
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पर विचार करेंगे.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विचार तो बहुत समय से हो रहा है, आज भी मंडियों में कोई कर्मचारी काम करने के लिये तैयार नहीं है, क्योंकि आपने दूसरी जगह उनको अटेचमेंट किया हुआ है.
श्री कमल पटेल -- आपने कहा कि विचार करें, तो हमने कहा विचार करेंगे.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- नहीं तो कब करेंगे?
श्री कमल पटेल -- आवश्यकता के अनुसार.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- मतलब अभी आवश्यकता नहीं है.
श्री कमल पटेल -- मंडी बोर्ड में ज्यादा है, इसलिये इनको वहां काम दिया गया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- नहीं तो मेन जो हमारी जमीनी भूमि से काम है, किसानों का काम है तो वह मंडी से चालू होता है और मंडियों में यदि कोई कर्मचारी ही नहीं होगा तो फिर काम कैसे होगा उधर पर. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कमल पटेल -- मंडी में कर्मचारी है, मंडी की आय ओर बढ़ रही है, मध्यप्रदेश में बढि़या काम चल रहा है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- नहीं, कर्मचारी तो हैं लेकिन उनको आपने दूसरे अन्य जगह पर अटेचमेंट किया हुआ है, जिसके चलते वहां पर मंडियों में काम ही नहीं हो पा रहा है, किसानों को तो सबसे बड़ी समस्या वहीं से है.
नेता प्रतिपक्ष(डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह पहली बार उपचुनाव में विधायक बनी हैं, तो कृपया करके जब उनकी मांग है तो वास्तव में प्रवर श्रेणी के सचिव को पदस्थ कर दें, तो अच्छी मंडी चलेगी विकास होगा. हमारा आपसे अनुरोध है कि दूसरे किसी को जिनको अटेचमेंट कर रखे हैं, उनको एक को किसी को भी भेज दो, उनकी व्यक्ति विशेष में कोई रूचि नहीं है, आप किसी को भी भेज दें.
श्री कमल पटेल -- ठीक है, कह तो दिया विचार करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- विचार नहीं, आप बहादुर आदमी हो आप विचार करोगे (हंसी) ..आप सही से बोलें खड़े होकर.
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायिका जी से चर्चा कर लूंगा और अगर किसी विशेष में उनकी रूचि होगी तो मैं कर दूंगा.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय मंत्री जी मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि वह चर्चा कब होगी ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह आपसे चर्चा कर लेंगे, अभी आपसे मिल लेंगे. (एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा अपने आसन से बैठे-बैठे कुछ कहने पर) मैं सभी माननीय सदस्यों से आग्रह करता हूं कि एक तो वह हमारी प्रथम बार की विधायिका हैं और उनके साहस की हमको तारीफ करना चाहिये (मेजों की थपथपाहट) माननीय मंत्री जी थोड़ा सा उनका जवाब ठीक से आ जाये, वह पहली बार की विधायिका हैं.
श्री कमल पटेल -- माननीय विधायिका जी, मेरी बहन है, आप मुझसे कभी भी मिल सकते हैं, ऑफिस में मिल सकते हैं, घर पर मिल सकते हैं, यहां पर मिल सकते हैं और आपके क्षेत्र की कोई समस्या आप बतायेंगी तो मैं उसको पूरा करूंगा.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
सी.एम. राईज विद्यालयों में आवंटित बजट
[स्कूल शिक्षा]
3. ( *क्र. 269 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विषयांकित विद्यालय फेस-1 में स्वीकृत विद्यालयों को अब तक आवंटित बजट की जानकारी देते हुए कृपया स्पष्ट करें कि सभी विद्यालयों को समान रूप से बजट का आवंटन किया जाता है या अलग-अलग विद्यालयों को अलग-अलग आवंटन किया जाता है? यदि आवंटन अलग-अलग है, तो कृपया विद्यालय अनुसार आवंटन की जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित प्रकरणों में बजट देने में देरी के कारणों को स्पष्ट करते हुए यह भी बताएं कि बजट कब तक उपलब्ध करा दिया जाएगा?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं। जिला, विकासखण्ड एवं संकुल स्तर के विद्यालयों को अलग-अलग आवंटन दिया जाता है। विद्यालयवार आवंटन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विद्यालयों को आवंटन प्रत्येक त्रैमास में उपलब्ध आवंटन की सीमा में किश्तों में जारी किया जाता है। आवंटन जारी करने में विलंब नहीं हुआ है। अतएव शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री संजय उइके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लांजी विधायिका सुश्री हिना कावरे जी किन्ही कारणोवश सदन में उपस्थित नहीं हो सकी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- इसीलिये आपको अनुमति दी है, आप प्रश्न कीजिये.
श्री संजय उइके-- उनकी ओर से, आपके माध्यम से मंत्री जी से मेरा प्रश्न है कि लांजी विधान सभा क्षेत्र में सी.एम. राईज स्कूल तो खोले गये हैं, लेकिन क्या ब्लॉक मुख्यालय लांजी और किरनापुर में द्वितीय चरण में सी.एम. राईज स्कूल खोले जायेंगे ?
श्री इंदर सिंह परमार-- अध्यक्ष महोदय, यह इस प्रश्न में उद्भूत नहीं हो रहा है.
श्री संजय उइके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने जो प्रश्न किया था वह सी.एम. राईज से संबंधित ही था, इसलिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं....
अध्यक्ष महोदय-- सी.एम. राइज स्कूल खोलने का इसमें नहीं है, इसमें तो बजट आवंटन का है.
स्कूल भवनों की मरम्मत
[स्कूल शिक्षा]
4. ( *क्र. 189 ) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबेरा विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड तेंदूखेड़ा एवं जबेरा में कुल कितने प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल के भवन क्षतिग्रस्त हैं? क्षतिग्रस्त भवनों के प्राप्त प्रस्तावों में से शासन द्वारा कितने स्कूलों के भवनों को वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में कितनी धनराशि रख रखाव व मरम्मत के लिए कब-कब प्रदाय की गई है? प्रदाय की गई राशि से किन-किन स्कूलों में क्या-क्या मरम्मत कार्य कराए गए हैं? उपयोगिता प्रमाण पत्र सहित जानकारी प्रदान करें। (ख) भवनों की मरम्मत के लिए प्रदाय की गई राशि में से कितनी राशि व्यय की गई है तथा कितनी शेष है? यदि कार्य पूर्ण हो चुके हैं तो कार्य पूर्णता एवं गुणवत्ता की जांच किस अधिकारी द्वारा की गई है? स्कूलवार जानकारी प्रदान करें। (ग) जिन स्कूल के भवनों में मरम्मत कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं किया गया है, क्या उनकी जांच कराई गई है? यदि हाँ, तो जांच उपरांत किन-किन अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) :
(ख) विधानसभा जबेरा में मरम्मत कार्य हेतु कुल राशि रूपये 4,32,000/- प्रदाय की गई, जिसमें से 4,14,720/- का व्यय हुआ तथा राशि रूपये 17,280/- शेष है। पूर्ण कार्यों की जांच उपयंत्री/सहायक यंत्री, जिला शिक्षा केन्द्र दमोह के द्वारा की गई है। शालावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों की जानकारी निरंक है। अतः शेषांश उद् भूत नहीं होता। (ग) वर्ष 2021-22 में 04 शाला भवनों में मरम्मत कार्य गुणवत्ता सहित पूर्ण किये गये हैं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों की जानकारी निरंक है। अतः शेषांश उद् भूत नहीं होता।
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से जानना चाहता हूं कि हमारी विधान सभा जबेरा में अधिकांश प्राथमिक शाला भवन और माध्यमिक शाला भवन क्षतिग्रस्त हैं जिसमें माननीय मंत्री जी ने भी माना है कि 128 शासकीय प्राथमिक शाला और 103 माध्यमिक प्राथमिक शाला ये भवन क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन जो राशि उपलब्ध करवाई गई है वह केवल 29 विद्यालयों के लिये राशि उपलब्ध करवाई गई है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि वहां के जो क्षतिग्रस्त विद्यालय हैं उनके लिये राशि कब तक उपलब्ध करवाई जायेगी.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने अभी 30 स्कूलों के लिये राशि उपलब्ध करवाई थी इसमें 28 का कार्य पूर्ण हो गया है, 2 स्थानों पर कार्य प्रगति पर है. हम अभी फिर मरम्मत के लिये जो राशि दे रहे हैं वह लगातार दे रहे हैं. प्राथमिक स्कूलों में हम 75 करोड़ रूपये का प्रावधान और किया गया है और इसी प्रकार से हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूलों में भी 100 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. हमने पूरे प्रदेश भर के सभी विद्यालयों के लिये जो प्राथमिक और माध्यमिक शालायें हैं उनमें 156 करोड़ रूपये का वर्ष 2022-2023 का बजट उपलब्ध हुआ है उस पर कार्य चल रहा है, उसमें प्राथमिकताएं तय की गई थीं कि जिनमें ज्यादा काम हैं उनमें पहले दे दिया जाये ऐसा करके हमने आवंटन किया है. आपके विधान सभा क्षेत्र के सभी स्कूलों को हम आगे पैसा देने वाले हैं.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष जी, क्षेत्र भ्रमण के दौरान कुछ विद्यालय जैसे प्राथमिक शाला भवन, बगदरी यहां पर नई बिल्डिंग बनी थी लेकिन उस बिल्डिंग में एक भी दिन स्कूल नहीं लगा और वह क्षतिग्रस्त हो गई. इसी प्रकार से जामुन प्राथमिक शाला भवन, शहरी प्राथमिक शाला भवन और सिलपुरा प्राथमिक शाला भवन, यह चार शाला भवन ऐसे हैं जो बने थे, लेकिन उनमें स्कूल नहीं लगा, पुरानी बिल्डिंग में ही स्कूल लग रहा है. नई बिल्डिंग का इतना घटिया निर्माण हुआ है कि वह क्षतिग्रस्त हैं. मैं आपसे एक आग्रह करना चाहता हूं कि इनकी जांच करवाकर संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाये.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय विधायक जी ने चारों शालायें बताई हैं उनकी जांच करायेंगे और एजेंसियां भी अगर उस प्रावधान में आती हैं तो उनके ऊपर कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- उनका बहुत गंभीर विषय है, स्कूल लगा ही नहीं उसके पहले ही बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो गई.
श्री इन्दर सिंह परमार-- जी हां, गंभीर है. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राथमिक स्कूल और यह एजेंसी या तो ग्राम पंचायत होती थी या हमारी जो शाला विकास समितियां होती थीं, इसलिये उन चारों जगह का दिखवाकर कब निर्माण हुआ, कौन सी एजेंसी थी, हम बराबर उसकी जांच करवायेंगे और कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी-- धन्यवाद अध्यक्ष जी.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक सुझाव रखना चाहता हूं क्योंकि संदर्भ आया है. विगत वर्षों में जो हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल उन्नयन करके प्रारंभ किये गये किंतु उन भवनों की स्वीकृति नहीं दी गई और जो कि लगभग-लगभग 25 से 35 वर्ष से संचालित किये जा रहे हैं, छात्र संख्या भी काफी अधिक है तो भवन निर्माण करने के लिये बजट का प्रावधान किया जाये यह आग्रह है और वह जीरो बजट में ही हुये थे जो लगभग 25 से 35 वर्षों से लगातार चल रहा है. इसी के साथ ढोढर,जावरा विधान सभा क्षेत्र का एक हायर सेकेंड्री स्कूल बनकर तैयार हो गया है लेकिन उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है और वह लोकार्पित होने के बावजूद भी उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. उसकी जांच भी करवा लें और भवन निर्माण का प्रावधान भी रख लें.
अध्यक्ष महोदय - उसकी जांच कराने का कह दिया है.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय पाण्डेय जी ने जो बात रखी है. अभी जिस विभाग को निर्माण एजेंसी का काम मिला है उस विभाग को लिखेंगे क्योंकि टेक्नीकल हमारे पास अमला नहीं है और जिसको हम एडवांस पैसा देते हैं विभाग को, मेरे ख्याल से पी.आई.यू. को दिया होगा और मैं सदन के माध्यम से आपको बताना चाहता हूं कि हम पी.आई.यू. को लिखेंगे कि ऐसी बिल्डिंगें, जिनकी गुणवत्ता ठीक नहीं है तो उनकी जांच कराई जाए.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - भवन विहीन का भी बता दें. भवन विहीन के निर्माण के बारे में मंत्री जी बता दें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह(पथरिया) - अध्यक्ष महोदय, यह जवेरा अकेले की स्थिति नहीं है. मेरा निवेदन है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी कई स्कूलों की हालत ऐसी है कि कई स्कूल जर्जर हो चुके हैं. बच्चे बैठ भी नहीं पाते हैं तो उन स्कूलों का सुधार किया जाए क्योंकि बहुत ज्यादा खराब हालत है. बच्चे बाहर बैठते हैं.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जावेंगी :-
1. श्री आरिफ अकील
2. डॉ.सतीश सिंह सिकरवार
3. डॉ.हिरालाल अलावा
4. डॉ.सीतासरन शर्मा
5. श्री पी.सी.शर्मा
6. श्री सुनील सराफ
7. इंजी.प्रदीप लारिया
8. श्री रामलाल मालवीय
9. श्री बहादुर सिंह चौहान
10. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
12.01 बजे बधाई
श्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर बधाई
श्री पी.सी.शर्मा(भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी का जन्मदिन है. वे दस साल सदन के नेता रहे और कई वर्षों तक सदन के सदस्य रहे. इस सदन के माध्यम से हम उनको जन्मदिन की बधाई देना चाहते हैं. वे दीर्घायु हों.
12.02 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह की मूर्ति के अनावरण के संबंध में
श्री नीलांशु चतुर्वेदी(चित्रकूट) - मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि विन्ध्य के सपूत कुंवर अर्जुन सिंह जो पूरे देश की राजनीति में चाणक्य जैसा उनका नाम था. उनकी मूर्ति पर भोपाल में लगातार कई वर्षों से कपड़ा लपेटा हुआ है. अध्यक्ष महोदय, आप भी चूंकि विन्ध्य से आते हैं तो आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि उस मूर्ति का लोकार्पण करना चाहिये. पूरे विन्ध्य क्षेत्र की, पूरे प्रदेश की, पूरे देश की लगातार मागं रही है जिसमें न तो किसी सरकार द्वारा कोई ध्यान दिया गया है. आज सदन के माध्यम से उस मूर्ति के अनावरण की तिथि निर्धारित हो जाए क्योंकि वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं और देश में शिखर पर राजनीति में रहे हैं.
12.02 बजे
अध्यादेश का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेशों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अध्यादेश,2023(क्रमांक1सन्2023)
12.03बजे
दिसम्बर, 2022 सत्र की स्थगित बैठक दिनांक 23 दिसम्बर, 2022 की प्रश्नोत्तर सूची तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-12 पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय - दिसम्बर, 2022 सत्र की स्थगित बैठक दिनांक 23 दिसम्बर, 2022 की प्रश्नोत्तर सूची तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-12 पटल पर रखा गया.
12.03 बजे
नियम 267-क के अधीन दिसम्बर, 2022 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा
उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन दिसम्बर,2022 सत्र में सदन में पढ़ी गई शून्यकाल की सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा गया.
12.04 बजे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
12.04 बजे कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
12.05 बजे ध्यानाकर्षण
(1) प्रदेश के विकासखण्ड मुख्यालयों पर बंद पड़े मिट्टी परीक्षण केन्द्रों को संचालित न किया जाना.
श्री
राजेन्द्र
शुक्ल (रीवा) --
अध्यक्ष
महोदय,
किसान
कल्याण तथा
कृषि विकास
मंत्री (श्री
कमल पटेल) --
अध्यक्ष
महोदय,
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने खुद ही स्वीकार किया है कि 265 नवीन मिट्टी परीक्षण केन्द्र विकास खण्डों में स्थापित करने का निर्णय शासन ने लिया. न सिर्फ शासन ने निर्णय लिया, बल्कि उसके लिये 108 करोड़ रुपये लगभग खर्च भी कर दिये. एक मिट्टी परीक्षण केन्द्र बनाने में 41 से 42 लाख रुपये खर्च भी कर दिये. 2017-18 में यह काम पूरा भी हो गया. अब यह जो प्रक्रिया हो रही है, री-डिप्लोयमेंट की और यंत्रों के उपलब्धता की और अमले की, जिससे कि वह संचालित हो सकें. इसमें 5 साल बीत चुके हैं. मुख्यमंत्री जी ने सिंचाई के रकबे को 47 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया है. खेती को लाभ का धंधा बनाने का हमारा मिशन है. और इस मिशन को ध्यान में रखते हुए ही यह निर्णय लिया गया था कि मिट्टी परीक्षण केन्द्र विकास खण्डों में बनाएंगे तो आम किसान आसानी से वहां जाकर अपनी मृदा का परीक्षण कराकर बेहतर से बेहतर खेती करेगा और उसकी उत्पादकता भी बढ़ेगी.
अध्यक्ष महोदय, 5 साल बीत जाने के बाद भी यदि हम उन केन्द्रों को संचालित करने में सफल नहीं हो सके तो मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि इसकी एक टाईम लाइन तय कर दें. यदि 41 लाख रुपये केन्द्र पर खर्च हुए हैं तो मात्र दो-ढाई लाख रुपये यंत्र और 25-30 हजार रुपये महीने अमले पर खर्च होना है. दो व्यक्तियों से ज्यादा एक केन्द्र में अमला नहीं लगेगा, इसलिए इतने कम खर्च में जबकि बड़ा खर्च हमने कर दिया है. इस छोटे खर्चे की कमी के कारण हमारे यह परीक्षण केन्द्र, इतना व्यापक हमारे किसानों के हित का मामला इससे जुड़ा हुआ है, इसलिए आप यदि इसको शीघ्र शुरू करा देंगे तो खेती को लाभ का धंधा बनाने का हमारा सपना, भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री जी का सपना पूरा हो जाएगा.
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री राजेन्द्र शुक्ल जी को मैं बधाई भी देता हूं कि उन्होंने किसानों का बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. सरकार इसमें गंभीर है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में और मुख्यमँत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में गांव, गरीब और किसानों की सरकार है, इसलिए किसानों के लिए जो भी हो सकता है, वह हम कर रहे हैं. इसमें हम जल्दी ही पद भी सृजित कर रहे हैं. जो कमियां हैं, उसको पूरा करके 265 ही प्रयोगशालाएं चालू करके किसानों को अधिक से अधिक हर किसान की खेत की मिट्टी का परीक्षण हो जाय ताकि उसको हम अच्छी सलाह दे सकें ताकि हमारा उत्पादन बढ़े, किसान की आय भी बढ़े और लागत भी कम हो. इसके लिए प्रक्रिया हमने शुरू कर दी है, इसको जल्दी ही कर देंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, आप यह कर रहे हैं यह अच्छी बात है लेकिन 5 साल से जो कर रहे हैं, वह 4-5 दिन में हो जाय.
श्री कमल पटेल - ठीक है, जल्दी करेंगे.
12.13 बजे (2) जबलपुर एवं रीवा संभाग में ओपन कैप में रखे अनाज के रख-रखाव में अनियमितता होना
श्री भूपेन्द्र मरावी (शहपुरा) - अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री बिसाहूलाल सिंह)- अध्यक्ष महोदय,
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जबलपुर एवं रीवा संभाग में वर्ष 2015-16 से वर्ष 2020-21 तक गेहूँ के भंडारण के समय व धान के भंडारण के समय कितने कवर्ड गोदाम शासकीय जेबीएस व प्रायवेट गोदाम में कुल जगह उपलब्ध थी ? इसमें से गेहूँ व धान के भंडारण के समय कितनी जगह भरी गई जिलेवार बतावें. दूसरा, जबलपुर व रीवा संभाग में उक्त अवधि में गेहूँ के भंडारण के समय व धान के भंडारण के समय कितने-कितने कैप, कितनी-कितनी मात्रा के भंडारण हेतु कुल जगह उपलब्ध थी इसमें से कितनी जगह गेहूँ व धान के भंडारण के समय भरी गई ? जिलेवार बतावें.
अध्यक्ष महोदय, तीसरा, शासन के निर्देशानुसार कवर्ड गोदाम शासकीय जेबीएस व प्रायवेट गोदाम में ही गेहूँ व धान का भंडारण किया जाना चाहिये इस बावत शासन के द्वारा जारी आदेशों व निर्देशों की प्रतिलिपि देवें. चौथा, कैप में धान व गेहूँ का उक्त संभाग में नियमों के विपरीत भंडारण हेतु किस अधिकारी के आदेश से भंडारण किया गया, उसका नाम व पदनाम तथा नियम विरुद्ध करने हेतु इनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई ? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई तो क्या कार्यवाही की जाएगी ? पाचवां, उक्त संभागों में उक्त जिलों में ..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, हो गया. इसमें आपने देखा नहीं, उनके उत्तर में आया है भाई ओपन कैप में भंडारित धान के रखरखाव का दायी कितना है, उसमें 11 लाख, 57 हजार मीट्रिक टन है. पहले से लिखा हुआ है आप इसी को पूछ रहे हैं कि ओपन कैप में कितना है. ऑलरेडी इसमें है. उत्तर में आप देखिये ना. इनके उत्तर में यह लिखा हुआ है कि वर्ष 2020-21, 2021-22 में कुल 11 लाख, 57 हजार, 317 मीट्रिक टन ओपन कैप में भंडारित धान है.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा पाचवां प्रश्न है उक्त संभागों में, उक्त जींसों के ओपन कैप में रखे जाने से कितना गेहूँ व धान खराब हुआ तथा कितना चोरी हुआ इसकी मात्रा व कीमत बतावें ? इस हेतु जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों का नाम व पदनाम तथा नियम विरुद्ध करने हेतु इनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह भी है. माननीय विधायक जी, यह तो उत्तर में आया है कोई अलग से पूछिये ना. इनके उत्तर में है कि इतने मीट्रिक 2.3 परसेंट धान खराब हुई. जो मान्य है उसमें से 3.49 सार्टेज है. जो आप पूछ रहे हैं वह तो उत्तर में ऑलरेडी है.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, इसके लिये जिम्मेदार कौन है ?
अध्यक्ष महोदय -- जिम्मेदारी किस बात की ?
श्री भूपेन्द्र मरावी -- माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई ?
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही किस बात की ? इसमें तो आ गया ना.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही. धान तो जिले में काफी जगहों पर खराब हुई है ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, दोष तो अभी तय ही नहीं हुआ है.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हमने स्पष्ट रूप से माननीय सदस्य को बताया है कि इतने परसेंट धान यहां पर खराब हुई है और जो निविदा लिये थे उनसे हम वसूली की कार्यवाही भी कर रहे हैं. उस कार्यवाही में कोई दिक्कत नहीं है.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- माननीय मंत्री जी बताना चाहेंगे कि कब तक कार्यवाही होगी ?
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही जल्दी हो.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- जी हां, कार्यवाही जल्दी होगी और हमने नोटिस दे दिया है वसूली की कार्यवाही चालू है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
12.17 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-182 बड़वाह के सदस्य श्री सचिन बिरला की
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र में सभा की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
12.18 बजे सभापति तालिका की घोषणा
12.19 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी आवेदन पत्र प्रस्तुत किये माने जाएंगे.
12.20 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री यशपाल सिंह सिसोदिया, सदस्य द्वारा दिनांक 27 फरवरी, 2023 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए मैं अपने वक्तव्य को प्रारंभ कर रहा हूँ. कल जब सदन में राज्यपाल महोदय अपना वक्तव्य अभिभाषण के माध्यम से दे रहे थे, तब सदन में प्रतिपक्ष ने भी बहुत गंभीरता के साथ, बहुत शालीनता के साथ बगैर किसी शोर-शराबे के इसलिए उस अभिभाषण को सुना क्योंकि उसमें टीका-टिप्पणी करने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी. (...व्यवधान...)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें कुछ था ही नहीं तो क्या टिप्पणी करते.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब बाहर निकले तो इन्होंने उसे असत्य का पुलिंदा करार दिया. यहां सदन में नहीं बोले. अध्यक्ष महोदय, पुलिंदा तो था वचन-पत्र का, कर्ज माफी के नाम पर किसान ठगे गए, बेरोजगारों को रोजगार देने को लेकर, बेरोजगारी भत्ता दिए जाने को लेकर, स्व-सहायता समूह, सब समूहों का कर्जा माफ कर दिया जाएगा. अध्यक्ष महोदय, 'छलनी कहे सुई से तेरे पेट में छेद', जिनके पूरे पेट में छेद ही छेद हैं, वे हम पर सवाल उठा रहे हैं. खुद सवालों के घेरे में थे. आज तक जवाब नहीं बन रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी का अभिभाषण आइने की तरह साफ है. तभी तो कल सदन में पूरा भाषण आत्ममुग्ध होकर सुना, विरोध करने लायक कुछ था भी नहीं उसमें. (...व्यवधान...)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- कुछ था ही नहीं उसमें..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- हां, कुछ बोलने लायक ही नहीं था. आपको तो बस खाली इतना ही करना था कि मेजें नहीं थपथपाई आपने बाकी सब कर दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में तर्क था, तथ्य समाहित थे. मुझे इस सदन में 15 वर्ष हो गए हैं. 15 वर्ष में एक दर्जन से ज्यादा बार आपकी आसंदी के समकक्ष राज्यपाल जी के अभिभाषण को मैंने सुना है. कभी भी राज्यपाल जी के अभिभाषण में आदिवासी जनजाति समुदाय के लोगों के लिए पेसा एक्ट को लेकर 'यह लागू कर दिया है', ऐसा वक्तव्य कभी नहीं आया. पहली बार कल के अभिभाषण में पेसा एक्ट लागू किए जाने का वक्तव्य राज्यपाल जी के मुखारबिंद से आया. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी श्री शिवराज सिंह चौहान को बधाई देना चाहता हूँ कि जिन्होंने पेसा एक्ट को प्रदेश के पूरे उन जिलों में लागू कर दिया, जहां पर इसकी आवश्यकता प्रतीत हो रही थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण यह स्पष्ट कर रहा है कि सरकार 'आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश' के निर्माण के लिए कटिबद्ध है. यह प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है, प्रतिबिंब भी है. 'आत्मनिर्भर भारत' की महायात्रा में देश का दिल मध्यप्रदेश भी कदमताल करता हुआ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्णयुग की शंख ध्वजा है. प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में जी-20 की अध्यक्षता भारत के स्वर्णयुग की शंख ध्वनि है. मध्यप्रदेश का यह सौभाग्य है कि जी-20 समूह की 8 बैठकों की मेजबानी करने का सौभाग्य मध्यप्रदेश को प्राप्त हुआ है, जो देश का दिल है, उसमें भोपाल, इंदौर और खजुराहो में यह संपन्न भी हो चुका है. दुनिया में मध्यप्रदेश की छवि उज्ज्वल हुई है, जो प्रतिपक्ष को नागवार गुजर रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले दिनों इंदौर में एक सफल आयोजन हुआ है.
इस सत्र में प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में इतिहास रचा है. 70 से अधिक देशों से 3500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया. 3-3 राष्ट्रपतियों ने शिरकत की. वैसे भी इंदौर स्वच्छता में छठवीं बार स्थान पाने वाला शहर है. नमो ग्लोबल गार्डन प्रवासी भारतीयों के लिये चिरस्थायी स्मृति पटल पर आया है. अभी 5 फरवरी से 25 फरवरी तक सदन के प्रारम्भ होने के एक दिन पूर्व तक माननीय मुख्यमंत्री जी के दिशा-निर्देश पर 230 विधानसभा क्षेत्रों में विकास यात्रा निकली है. हमने विकास किया है, हमारी सरकार ने विकास किया है. विकास की बात हम करेंगे. प्रतिपक्ष जाकर के या हमारे विरोधी जाकर के हमारे विकास कार्यों का क्यों बखान करेंगे और प्रारम्भिक एक सप्ताह तक तो प्रतिपक्ष को इस बात का पता भी नहीं चल पा रहा था कि इस विकास यात्रा में कितना रिस्पांस मिल रहा है. जैसे ही माननीय मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली बहना योजना की शुरूआत करने की बात कही और जो जनसमूह गांवों में उमड़ा और जिस प्रकार से स्वागत-सत्कार प्रारम्भ हुआ, जल-जीवन मिशन को लेकर के हर घर नल-जल योजना, लाड़ली बहना योजना है तो प्रतिपक्ष ने सुनियोजित तरीके से हमारी विकास यात्राओं का विरोध करना प्रारम्भ किया. मऊगंज में तो पथराव तक होने लगे. आदरणीय माननीय नरोत्तम जी तो कहते हैं कि जिस घर से पत्थर निकलकर आएंगे, उस घर के पत्थर निकाले जाएंगे और मऊगंज से जो शुरूआत हुई है वहां से शुरूआत के कारण से अनेक विधानसभा क्षेत्रों में प्रतिपक्ष ने व्यवधान डालने की कोशिश की है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी नगरीय नगर परिषद् में 4 कांग्रेसी जो पद पर बैठे हैं, जो दायित्ववान हैं वे मुझसे चौराहे पर आकर के बात करते हैं और कहते हैं कि विधायक जी, विकास कहां हुआ है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस नगरीय गांव में क्या नहीं दिया है. जनता स्वीकार कर रही है लेकिन कांग्रेस के उन 4 पदाधिकारियों को सूझ नहीं पड़ रही है,समझ नहीं पड़ रही है. मैंने भी कह दिया, जाइये आपको विकास दिख ही नहीं रहा है, दिखेगा भी नहीं. शायद आपकी आंखों में मोतियाबिंद आ गया है. आप पहले ऑपरेशन करवा लो. प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी का आयुष्मान कार्ड चल जाएगा. जिस गांव में इतना विकास हुआ, उस गांव में यदि कांग्रेस के उन 4 लोगों को विकास नहीं दिख रहा है, तो मैं कैसे दिखाऊंगा. तब प्रशासन ने उनको बिठाया तो पुलिस प्रशासन में इस बात की पुष्टि हुई. मंदसौर की पूरी कांग्रेस थाने का घेराव करने चली गई. यहां तक कि तीसरे दिन मंदसौर जिले के पदाधिकारियों ने जाकर के उन 4 कांग्रेसियों के गले में माला डालकर उनका अभिनंदन और स्वागत कर दिया कि वाह, आपने कमाल कर दिया, विकास यात्रा का विरोध कर दिया. यह इन लोगों का षडयंत्र है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वामित्व योजना नजर नहीं आ रही है. धारणाधिकार योजना नजर नहीं आ रही है जो बाडे़, जो मकान, जिनका आधिपत्य होते हुए भी जिनके राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज नहीं किए. ड्रोन से फोटोग्रॉफी हुई है और चूने की लाइनिंग डली हुई है. उन मकानों के नामांतरण नहीं होते थे, उन मकानों की रजिस्ट्री नहीं होती थी, उन मकानों पर लोन नहीं मिलता था, जमानत नहीं मिलती थी. बैंक लोन नहीं देता था. माननीय मुख्यमंत्री जी ने और माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूरे मध्यप्रदेश के गांवों के एक-एक और शहरों के एक-एक मकानों को ड्रोन के माध्यम से, लाइनिंग के माध्यम से धारणाधिकार के अंतर्गत शहरों में और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना के अंतर्गत लोगों को लाभान्वित करने का काम किया. यही लोगों में उत्साह था. यही रंग और गुलाल वर्षा और आतिशबाजी उस विकास यात्रा में होती थी. इधर विकास यात्रा में हमारा स्वागत होता था और उधर प्रतिपक्ष के सीने पर सांप लोटते थे और सोचते थे कि सुबह किस प्रकार से यात्रा का विरोध किया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सड़क निर्माण में मध्यप्रदेश में तस्वीर बदली है. जब वर्षों तक यह लोग थे, हम इनसे पूछना चाहते हैं आप यह बताने की कृपा करें कि गड्ढों में सड़कें थीं या सड़कों में गड्ढे थे. आज 2 लेन सड़क, 4 लेन सड़क, 8 लेन सड़क, 8 लेन सड़कें हैं. जिस प्रकार से प्रदेश में गत दो वर्षों में 12 हजार करोड़ रूपए का व्यय कर 8 हजार किलोमीटर की सड़कों का निर्माण हुआ है, 69 पुलों का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्गों पर 27 हजार करोड़ रूपयों के कार्य प्रगति पर हैं. नेशनल हाईवे पर तीन वर्षों में 17 हजार 5 सौ करोड़ रूपयों की स्वीकृति भारत की सरकार ने दी है.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- यशपाल भाई साहब, हम भी कछु बोलें आपके साथ साथ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- मेरे बाद बोल लेना.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अच्छा ठीक है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, रीवा-सीधी सिक्स लेन प्रारंभ करने में एक नई दिशा दी है. अध्यक्ष महोदय, मेरे जिले से 125 किलोमीटर पर गुजर रही है एट लाइन सड़क, जो दिल्ली से बॉम्बे हमारा रेल्वे का ब्रॉड गैज का ट्रैक है जिस पर रतलाम बड़ा स्टेशन है. कोटा, सूरत और बड़ौदा आता है. 10 से 12 घंटे ट्रेन में लगते हैं. आज अगर मंदसौर से हम जावरा के भूतेड़ा से या हरदीप डंग जी के निर्वाचन क्षेत्र का हमारा जो गाँव है लदूना के पास में ढंडेरा, वहाँ से अगर हम चढ़ाई करेंगे एट लेन पर तो बॉम्बे और दिल्ली हम साढ़े पाँच से छ: घंटे में बाय रोड पहुँचेंगे. यह उन्नति और तरक्की किसी ने की है तो भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने की है और अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है इन सड़कों पर प्रतिपक्ष के लोग भी चल रहे हैं तब उनको विकास नहीं दिखता है, उनकी जेबों में, उनके परिवार के लोगों की जेबों में, प्रधानमंत्री जी का आयुष्मान कार्ड है, वे भी जीरो प्रतिशत पर ब्याज लेते हैं. हर घर नल जल योजना के अंतर्गत उनके उनके समर्थकों को नल कनेक्शन मिल रहे हैं. तब उनको यह विकास नहीं दिखता है, विरोध के लिए जरूर ये विरोध करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, 7 लाख 50 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में किसी जमाने में सिंचाई होती थी. अँग्रेजों से लेकर काँग्रेस तक, नवाब भी आ गए, राजा आ गए, रजवाड़े आ गए, लेकिन मैं मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ.....
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट लूंगा. आपने कहा कि विपक्ष के लोग भी हाई वे पर चलते हैं पर वे कुछ कहते नहीं हैं, ऐसा नहीं है. सड़क सबके लिए होती है. मैं कहता हूँ जब पंडित नेहरू ने गाँधी सागर बाँध बनाया था तो उन्होंने तो नहीं कहा था कि यशपाल सिंह जी को पानी नहीं देंगे, तो आप काँग्रेस को या विपक्ष को इस बारे में न कहें. बाँध हो, सड़क हो, यह सबके लिए होता है.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू-- उस बाँध में हमारा नुकसान हुआ था, उसकी कोई भरपाई नहीं कर पाया था. बाँध हमारे जिले और तहसील का नुकसान करके गया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लक्ष्मण सिंह जी की बात को आगे बढ़ाता हूँ. यह बात ठीक है कि मंदसौर जिले का गाँधी सागर बाँध नेहरू जी के कालखण्ड में बना. लेकिन माननीय लक्ष्मण सिंह जी, उस गाँधी सागर बाँध की एक एक बूंद के पानी का उपयोग अगर प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना में किसी ने लिया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लिया है. (मेजों की थपथपाहट) और लक्ष्मण सिंह जी, आज यदि हम ड्रिंकिंग वॉटर में पानी को उठा करके हर घर नल जल योजना में नीमच और मंदसौर जिला पूरा एक एक गाँव 1900 करोड़ रुपये की राशि माननीय मुख्यमंत्री जी, आपके सहयोग से मंदसौर और नीमच जिले में प्राप्त हुई है.(मेजों की थपथपाहट) मैं आपका भी आभार व्यक्त करता हूँ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का भी आभार व्यक्त करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं बोल रहा था साढ़े सात लाख हैक्टेयर कुल सिंचाई थी और आज बढ़ करके 45 लाख हैक्टेयर से ज्यादा हो गई है. अध्यक्ष महोदय, अकेले 44 हजार 600 करोड़ रुपये की राशि केन बेतवा पर बुन्देलखण्ड में यह तस्वीर बदलने वाली योजना प्रधानमंत्री जी ने दी है. अध्यक्ष महोदय, मुझे ध्यान है सदन में भारतीय जनता पार्टी के तेजसिंह जी सेंधव देवास जिले से विधायक थे. उन्होंने जब प्रश्न किया था तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी से, कि नर्मदा क्षिप्रा में कब लाएँगे? सदन में मुख्यमंत्री जी का जवाब था इमपॉसिबल, यह असंभव है, यह हो ही नहीं सकता है कि नर्मदा क्षिप्रा में आ जाए. माननीय मुख्यमंत्री जी विराजित हैं. नर्मदा को क्षिप्रा में लाने का भागीरथी काम यदि किसी ने किया है तो माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने किया है. (मेजों की थपथपाहट) और चरण बढ़ रहे हैं, गंभीरी, श्यामला, हमारी काली सिन्ध, ये तब द्वितीय और तृतीय चरण में नर्मदा को आगे बढ़ाने का काम भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार कर रही है.
अध्यक्ष महोदय, बगैर ब्याज के किसानों को अगर जीरो परसेंट पर कर्जा मिल जाए, तीन लाख रुपये तक की लिमिट है. किसानों को, जिसका जितना रकबा है, जिसकी जितनी खेती है, उसके हिसाब से तय होता है. कोऑपरेटिव मुवमेंट में सबसे बड़ा काम यदि कोई हुआ है तो किसानों को जीरो प्रतिशत पर कर्ज देना. अध्यक्ष महोदय, हम जानते हैं एक वर्ष में दो फसलें होती हैं. किसान बोलता है नया जूना करना है मुझे, हमारे उधर खाता पलटाना बोलते हैं. उसके अंतर्गत बगैर ब्याज चुकाए किसान अपने खाते को पलट देता है, उसके ऊपर कोई ब्याज नहीं लगता है. गत दो वित्तीय वर्षों में 32 हजार सौ करोड़ से अधिक का अल्पकालीन ऋण बगैर ब्याज का किसानों को सरकार ने उपलब्ध कराया है. यह कोऑपरेटिव की सबसे बड़ी उपलब्धि है. यहाँ तक कि मछुआरों की जो सोसायटी है उसको भी नाव लाने के लिए, जाल लाने के लिए, अपना कारोबार करने के लिए, चूँकि कोऑपरेटिव से जुड़ा हुआ है इसलिए किसान भी कोऑपरेटिव से जुड़ा है तो मछुआरों को भी, मछुआरों की समितियों को भी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जीरो प्रतिशत पर कर्ज उपलब्ध कराने की बात की. 3 लाख 64 हजार किसानों को पशुपालन पर किसान क्रेडिट कार्ड देना बड़ी बात है. सिर्फ किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड नहीं हैं. पशु पालकों के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड हैं. मध्यप्रदेश में पांच वर्षों में मछली के उत्पादन में दोगुना वृद्धि हुई है. 66400 मछली पालकों को केसीसी दिया गया है. मुख्यमंत्री जी ने परिभाषा ही बदल दी. किसान क्रेडिट कार्ड का मतलब यह समझते थे कि जो किसान हैं, जो पशुपालक है उसको भी केसीसी दिया है. जो मछली पालन करने वाला है उसको भी किसान क्रेडिट कार्ड देकर उसको भी केसीसी के संज्ञान में लाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खाद्यान्न के क्षेत्र में 5 करोड़ 18 लाख हितग्राहियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत निशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया. जिन हितग्राहियों के पास जर्जर, फटे थैले होते थे उस थैले को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का फोटो और माननीय मुख्यमंत्री जी का फोटो देकर बताने की बात कही गई. भारत की 80 करोड़ जनता को निशुल्क खाद्यान्न दिए जाने का काम भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान, एक ऐसा अभियान चलाया गया जिसमें मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान शिविर लगाकर लोगों के आवेदन आमंत्रित करके आवेदनों का निराकरण टेबल पर ही किया है. पांच हजार से अधिक दिव्यांगजनों को 2 करोड़ 80 लाख रुपए के कृत्रिम अंग बांटने का काम भी इन शिविरों के माध्यम से किया गया है. जहां तक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लोगों का जो संवैधानिक अधिकार है उसके तहत उनको नौकरियों में आरक्षण दिया जाता है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कि आपने सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार के दिशा निर्देश के अन्तर्गत मध्यप्रदेश में भी गरीब सवर्ण जाति के समाज के लोगों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया है और नौकरियाँ देना प्रारंभ हो गया है. इसको EWS के नाम से जाना जाता है. मैं वल्लभ भवन में माननीय मुख्यमंत्री जी के पास EWS संगठन के मात्र 5 लोगों को लेकर गया था. वहां मुख्यमंत्री जी से चर्चा हुई उन्होंने कहा कि EWS के बेरोजगारों को लाभ दूंगा. आज मुझे कहते हुए अत्यंत प्रशंसा है कि इसकी शुरुआत हो गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने जिक्र किया कि 15 नवम्बर, 2022 को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति महोदया के कर कमलों से मध्यप्रदेश की धरा पर पेसा एक्ट लागू हो गया है. राज्य के 20 जनजातीय बाहुल्य जिलों में जल, जंगल और जमीन से जुड़े मामलों में वनवासी क्षेत्र के लोगों को अधिकार संपन्न बना दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी लाड़ली बहना योजना को प्रस्तुत करने जा रहे हैं. उसकी अभी सामान्य चर्चा है और 5 मार्च से यह प्रारंभ होने वाली है. इस योजना को लेकर गरीब और सामान्य परिवार की जो महिलाएं हैं उनमें उत्साह है. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, धर्म के क्षेत्र में चार दिशाओं में काम हो रहा है. माननीय नरेन्द्र मोदी जी के कर कमलों से बाबाश्री महाकाल लोक परिसर का शुभारंभ हुआ. इससे रोजगार बढ़ा है. मैं रविवार को मंदसौर से आ रहा था तो मैंने देखा कि बहुत ट्राफिक बढ़ गया है उसका कारण यह है कि इंदौर, उज्जैन, देवास, जावरा, रतलाम, मंदसौर की तरफ से यात्रियों का जन समूह उमड़ रहा है. दूसरा ज्योर्तिलिंग ओमकारेश्वर, यहां पर आदि गुरु शंकराचार्य जी जो कि 1008 हैं उनकी माननीय मुख्यमंत्री जी ने 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने का संकल्प लिया है, उसका कार्य प्रगति पर है. ओरछा, भव्य राजाराम लोक परिसर, चित्रकूट में दिव्य वनवासी राम लोक निर्माण का निर्णय भी स्वागतयोग्य है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय जी का अभिभाषण आइने की तरह साफ है. जो कुछ सरकार करती है, जो कुछ सरकार कर रही है. उसका वक्तव्य, उसकी बात राज्यपाल महोदय के मुखारबिंद से हुई है, प्रतिपक्ष तो नहीं करेगा. राज्यपाल महोदय ने सरकार की उपलब्धियों को यहां आकर बताया है. मैं राज्यपाल महोदय का भी आभार व्यक्त करता हूँ. मुख्यमंत्री जी को भी बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ. मैं तो प्रतिपक्ष से भी उम्मीद करुंगा कि अपने वक्तव्य के दौरान राज्यपाल महोदय के अभिभाषण समर्थन कर दें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.40 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि मुझे दो मिनट का समय दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- आपका बाद में आएगा. मैं आपको मौका दूंगा.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल महोदय जी से जो बहुत सीधे-साधे, सरल व्यक्ति हैं और आदिवासी वर्ग से आते हैं. उनसे सरकार ने जिस तरह से अभिभाषण के माध्यम से असत्य बयानी प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत कराया है हम समझते हैं कि यह एक सीधे-साधे महामहिम राज्यपाल महोदय का अपमान है. जिस तरह से सरकार ने स्तुति गान कराया है सच बात तो यह है कि जिन बातों का उल्लेख किया गया है उनमें ऐसी कई बातें हैं जिनका उल्लेख पूर्व में भी कई बार अभिभाषण में किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी रोजगार बढ़ाने के लिए इसमें 22 एमएसएमई क्लस्टर बना रहे हैं इसका जिक्र किया है. मध्यप्रदेश में 18 वर्षों से सरकार है और 18 वर्षों से अभी तक हम सिर्फ क्लस्टर्स बनाए जा रहे हैं, इसका उल्लेख कर रहे हैं. हम कहीं न कहीं यह कह सकते हैं कि जो हमारे मध्यप्रदेश के बेरोजगार हैं और जो यहां के उद्यमी हैं या जो लोग उद्योग लगाने के लिए आते हैं. हम इनवेस्टर्स मीट करते हैं, हर साल ईवेंट करते हैं.
12. 43 बजे {सभापति महोदय (श्री हरिशंकर खटीक) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय, जिस तरह से बहुत सारे लोगों का ईवेंट होता है. एमओयू साईन होता है और उसका क्रियान्वयन नहीं होता यह इसका जीता जागता उदाहरण है. इसी प्रदेश में माननीय स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री थे उस समय उन्होंने यहां पर, ग्वालियर में मालनपुर, इंदौर में पीथमपुर भोपाल में मण्डीदीप, पीलूखेड़ी, गोविन्दपुरा, सिंगरौली में ऊर्जाधानी जैसे कि एनसीएल, एनटीपीसी से लेकर बहुत सारे उद्योग, सतना में सीमेंट उद्योग, कटनी में चूना और माइनिंग उद्योग इस तरह से कई जगह कांग्रेस सरकार ने उद्योग स्थापित करने का और प्रदेश को आगे ले जाने का काम किया था. इतने वर्षों में यह सरकार उद्योग स्थापित नहीं कर पाई बल्कि गोविन्दपुरा इसका पूरा जीता जागता उदाहरण है. ऐसे कई जगह जो उद्योग लगे थे वह सरकार की गलत नीतियों की वजह से बंद हुए हैं और यह हमारे प्रदेश के लिए चिंता का विषय है. प्रदेश में बेरोजगारी की क्या दर है आप यह अंदाजा लगा सकते हैं. जब हम किसी भी विभाग में कोई भी सरकारी नौकरी अगर वहां 6 पद भी निकलते हैं तो उसके लिए हजारों की संख्या में आवेदन आते हैं और बेरोजगार रोजगार की जगह वहां भी ठगा हुआ सा महसूस करता है. परीक्षाएं कैंसिल हो जाती हैं. उनसे शुल्क भी जमा करा लिया जाता है यह हालात हैं. न औद्योगिक संस्थानों में बेरोजगारों को रोजगार, न सरकार की तरफ से किसी प्रकार के रोजगार के लिए पहल. हमारी बहुत सारी सरकारी संस्थायें हैं, जहां बहुत से पद हैं लेकिन वहां भर्तियां नहीं हो रही हैं. हम कृषि को लाभ का धंधा बनाने की बात करते हैं, हमारे विकाखण्ड में ही 22 कृषि विकास अधिकारी के पद हैं लेकिन केवल 2 पद भरे हुए हैं. इसी प्रकार शिक्षा विभाग में देखें तो स्कूलों में हम अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं. यहां हम सीएम राईस स्कूल की बात कर रहे हैं लेकिन यू.पी.ए. सरकार के समय जो मॉडल स्कूल, पूरे प्रदेश में खोले गए थे, उन्हीं संस्थानों को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है. पहले तो हम नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करते, वहां नई फैकल्टी लाते. आज कहीं किसी स्कूल में कोई शिक्षक अच्छा पढ़ा रहा था, तो उनको आप सीएम राईस स्कूल में ले आये. शिक्षकों की जो भर्ती होनी चाहिए, आज वह हो नहीं रही है. शिक्षा जीवन की, विकास की प्रथम सीढ़ी है लेकिन यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस सरकार ने शिक्षा का जो व्यापीकरण किया था, विकेंद्रीकरण किया था, टोले-मजरे में स्कूल खोले थे कि गरीब का बच्चा भी पढ़ सके, एक किलोमीटर में प्राथमिक-माध्यिमक शाला, 5 किलोमीटर में सर्वशिक्षा अभियान के तहत हाई स्कूल, 7 किलोमीटर में हायर सेकण्डरी स्कूल. यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आज सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या लगातार कम हो रही है क्योंकि हमने शिक्षकों की व्यवस्था ही नहीं की. आज शालायें शिक्षकविहीन हैं. ये हमारे प्रदेश के लिए बहुत ही चिंता की बात है. एक तरफ हम यहां उल्लेखित कर रहे हैं कि हमें अवॉर्ड मिल रहा है, हम 17वें नंबर पर हैं लेकिन मुझे लगता है कि यदि हम जमीन स्तर की बात करें तो आज हमारे सरकारी स्कूल बंद होने के कगार पर हैं. गरीबों के बच्चों के साथ, किसान-मजदूर के बच्चों के साथ, हमने बहुत बड़ा अन्याय करने का काम इतने वर्षों में किया है.
सभापति महोदय, सरकार हाल ही में विकास यात्रा निकाल रही थी. हम समझते हैं कि 18 वर्षों तक काम करने के बाद, विकास यात्रा निकालने की आवश्यकता किसी सरकार को नहीं पड़ती है. जनता स्वयं विकास को महसूस करे, वह सच्चा विकास होता है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- जनता विकास को महसूस कर रही है.
श्री कमलेश्वर पटेल- सभापति महोदय, इस विकास यात्रा में हमारे कई माननीय विधायक साथियों के साथ जो हुआ, जनता ने कहीं काले झण्डे दिखाये, कहीं मंत्रियों को काले झण्डे दिखाये, कई स्थानों पर जनता का विकास यात्रा के प्रति जो रूझान होना चाहिए था, वह नहीं था.
सभापति महोदय, मैं एक बात विशेष रूप से कहना चाहूंगा कि आज यहां राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है लेकिन आज सदन की अधिकारी दीर्घा में केवल एक-दो अधिकारियों के अलावा कोई दिखाई नहीं दे रहा है. इससे समझ में आता है कि यह सरकार कितनी गंभीर है. जैसे इस सदन में राज्यपाल महोदय से असत्य अभिभाषण प्रस्तुत करवाया, उसी तरह से हमें समझ आ रहा है.
सभापति महोदय- सभी काम सही चल रहे हैं. आप अपनी बात रखें.
श्री कमलेश्वर पटेल- सभापति महोदय, यही तो बात है कि सब सही चल रहा है. विकास यात्रा में किस तरह की अव्यवस्थायें थीं, किस तरह से हमारे जनप्रतिनिधि जो सत्ता पक्ष के विधायक हैं, मंत्री हैं, कई स्थानों पर इन्हें भागना पड़ा है, जनता ने इनको भगाया है. कई वीडियो इस संबंध में वायरल हुए हैं, यह चिंता का विषय है. सरकार को सोचना चाहिए कि इस तरह की परिस्थितियां क्यों निर्मित हुई हैं ? आज समय पर न खाद्यान्न मिल रहा है न समय पर मध्याह्न भोजन मिल रहा है. आज प्रदेश का हर वर्ग आंदोलनरत है. कर्मचारी-अधिकारी आंदोलनरत हैं, पदोन्नति हेतु आंदोलनरत हैं. बहुत सारी आशा-उषा कार्यकर्ता आंदोलनरत हैं. आंगनबाड़ी सहायिकाओं का वर्ष 2018 में इस सरकार ने 2500 रुपये वेतनमान बढ़ाया था लेकिन आज तक उनके बैंक खाते में फूटी कौड़ी नहीं गई है, सभी आंदोलनरत हैं. हमारे शिक्षक, कर्मचारी जो OPS के लिए भटक रहे हैं, वे आंदोलनरत हैं कि उनकी पुरानी पेंशन की बहाली हो. उनके सामने भविष्य के लिए यह बहुत-बड़ा चिंता का विषय है. सरकार ने यहां बहुत सारा स्तुतिगान किया है लेकिन सच्चाई यह है आज हर वर्ग परेशान है. आज ग्राम पंचायत स्तर पर विकास का कोई कार्य नहीं हो रहा है. सुदूर सड़कों की अनुमति जो ग्राम पंचायत का कार्य है, जो जनपद और जिला पंचायत का कार्य है, उनकी अनुमति भी भोपाल से आती है, राज्य सरकार से आती है. हम समझते हैं कि यह अच्छी बात नहीं है. एक तरफ कांग्रेस की सरकार ने विकेन्द्रीकरण किया था, पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार सम्पन्न बनाया था और निचले स्तर तक सारे अधिकार दिये थे. परन्तु यह सरकार एक-एक करके अधिकार छीनने का काम कर रही है.
सभापति महोदय:- आप अपनी बात शार्ट में बोलियेगा. क्योंकि काफी माननीय सदस्यों के नाम हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- सभापति महोदय, अभी तो शुरूआत की है. आज बिजली की जिस तरह की स्थिति है. हमारी कांग्रेस की सरकार बनते ही हमने एक रूपये एक यूनिट बिजली घरेलू और 10 हार्स पावर तक बिजली का बिल आधा करने का काम किया था. सरकार बदलते ही किसानों कुर्कियां हो रही है किसानों के यहां, गरीबों के यहां. गावों की लाइटें बंद कर दी जा रही है और लोक-अदालतों के नोटिस जारी हो रहे हैं, गरीब परेशान है. आप कहीं भी जाइये यही स्थिति है. विकास यात्राओं में इन सबका विरोध सरकार को झेलना पड़ा है. आज जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं. मेरा आपके माध्यम से सरकार ने जो स्तुतिगान कराया है, सरकार इस पर चिंतन करे और जो जनता की तकलीफ है उसका निवारण करे.
सभापति महोदय, सरकार ने बताया कि हमारे पास बिजली सरप्लस में है, जैसा की बताते हैं. फिर बिजली की कटौती हो रही है, क्यों फिर किसान को समय पर बिजली नहीं मिल पा रही है ? किसान को क्या चाहिये, किसान को यह चाहिए की समय पर खाद मिल जाये, समय पर बीज मिल जाये आपने खाद डेढ़ गुना महंगा कर दिया है और खाद की 50 किलो की बोरी में 45 किलो खाद मिल रहा है. समय पर किसानों बिजली नहीं मिल रही है, समय पर बीज नहीं मिल रहा है. कृषि मंत्री जी आप कहां जा रहे हैं. आप क्यों भाग रहे हैं. कर्ज माफी हमारी सरकार ने की, हमारी सरकार ने 27 लाख लोगों की कर्ज माफी की है और अगर हमारी योजनाएं अच्छी थी और आप किसानों के हिमायती हैं तो आपको कर्ज माफ करना था. आपने क्यों कर्ज माफी नहीं की ? अगर 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया और अगर हमारी सरकार खरीद-फरोख्त में नहीं जाती, धोखाधड़ी नहीं होती तो आज किसानों का पूरा कर्ज माफ होता. आज किसान इतना परेशान नहीं होता, किसानों के साथ धोखा हुआ है.
सभापति महोदय:- देखिये, आपको बोलते हुए 10 मिनट हो गये है. आप अपनी बात शार्ट में रखिये.
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय सभापति महोदय, मैं पहला वक्ता हूं. मुझे बोलने के लिये समय दीजिये. अभी तो मैंने विषय ही टच नहीं किया है. कई पेज का माननीय महामहिम का अभिभाषण है, सरकार का स्तुतिगान है, थोड़ा तो मुझे बोलने दीजिये.
सभापति महोदय, जिस तरह ने सरकार ने किसानों के साथ लगातार मजाक करने का काम किया है और सबसे बड़ा मजाक तो आप अभी देख लीजिये कि हमारे भाई विधान सभा में हल लेकर आते हैं तो उनको रोक दिया जाता है और एक तरफ धार-धार हथियार रखकर माननीय मुख्य मंत्री जी हेलिकाप्टर में लेकर जाते हैं, सिर्फ फोटो सेशन कराने के लिये. यह आदिवासियों का अपमान है यह किसानों का अपमान है और मुख्यमंत्री को यह करने की आवश्यकता नहीं है. मुख्य मंत्री तो सर्वापरि हैं. वह जिधर नजर दौड़ा दें और जो करना चाहते हैं वह हो सकता है. परन्तु इस तरह का फोटो सेशन, इस तरह की सस्ती लोकप्रियता, इससे यह समझ में आता है कि हम चला चली की बेला में हैं. विसर्जन यात्रा निकलने वाली है विकास यात्रा से . यह समझ में आता है.
सभापति महोदय:- आप अपनी बात शार्ट में रखिये, नहीं तो मैं दूसरे सदस्य का नाम पुकार लूंगा.
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय सभापति महोदय, बोलने के लिये कम से कम आधा घंटा तो चाहिये.
सभापति महोदय:- आधा घंटा नहीं. बोलने के लिये काफी लोगों के नाम हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह लोधी:- काफी लोग लाइन में हैं. वह लोग भी बोलेंगे. आप बाकि लोगों का समय खराब कर रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- समय खराब नहीं कर रहा हूं. मैं जो बात कर रहा हूं वह तार्किक बात कर रहा हूं. जो सामने चुनौती है, परेशानी है. क्षेत्र में हम लोग भी जाते हैं और जो परेशानी महसूस करते हैं, उस पर बात कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, मेरा आपसे एक ओर विनम्र निवेदन है. मुख्यमंत्री जी और कृषि मंत्री भी चले गये हैं. किसान को हर बार सोसाटियों में पंजीयन कराने के लिये लोक सेवा में घूमना पड़ता है, यह सिस्टम बंद होना चाहिये. सोसाटियों में बार-बार खरीदी के लिये जो पंजीयन कराना पड़ता है, मोबाइल पर मैसेज आता है, वह मैसेज अपग्रेड क्यों नहीं कर देते हैं और उसमें एक ऐसा सिस्टम बन जाए कि किसानों से मोबाइल पर ही पूछ लें कि आप सोसायटी में गेहूं या धान जो भी पैदावार है, उसको आप सोसायटी में बेचना चाहते हैं या नहीं. किसानों को बार-बार बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बार-बार फोटोकॉपी कराओ, पटवारी के चक्कर लगाओ, सत्यापन कराओ फिर तहसीलदार के यहां जाओ. देश भर का चक्कर लगाना पड़ता है. सभापति महोदय आप की किसान होंगे और ज्यादातर यहां पर जो लोग बैठे हैं, उसमें से 99 प्रतिशत खेती- किसानी से जुड़े हैं. अगर सब सहमत हों तो मेरा यह आग्रह है कि हम समझते हैं कि सिसौदिया जी भी सहमत होंगे यह बार बार पंजीयन कराने का सिस्टम खत्म होना चाहिये. मोबाईल पर ही पंजीयन हो जाये इसमें बार बार वेरिफिकेशन का चक्कर नहीं होना चाहिये. यह सरकार के माननीय मंत्रीगण तथा और लोग भी बैठे हैं इस पर चिन्तन करेंगे और सरकार की तरफ से हम चाहते हैं कि व्यवस्था आनी चाहिये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--पूर्ववर्ती सरकारों में तो उस समय पंजीयन होते ही नहीं थे ऐसे.
श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय, पूर्व की सरकारों के समय इतना हाईटेक नहीं था माननीय सिसौदिया जी पहले तो मोबाईल भी नहीं थे. पर उस युग में काम कर गये हमारे नेता लोग हमारे विन्ध्य के ही नेता स्वर्गीय अर्जुनसिंह जी, स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी जी, आदरणीय गोविन्द नारायण सिंह जी, पूज्यनीय पिता श्री इन्द्रजीत कुमार पटेल जी इन सब लोगों ने जहां पर भी जो भी इनके पास में जिम्मेदारी थी वह लोग उदाहरण छोड़ करके गये हैं और काम करके गये हैं. सिर्फ भाषणबाजी नहीं करते थे. पर आज का दौर तो भाषणबाजी का है, सिर्फ प्रशस्ति-पत्र का है, यह बंद होना चाहिये. जमीनी स्तर पर काम होना चाहिये कहीं न कहीं हम सबको रियलाईज करना चाहिये. सत्तापक्ष की ओर से हमारे विन्ध्य की पहले इतनी उपेक्षा नहीं हुई थी. हमारे यहां विन्ध्य से एक भी मंत्री नहीं बना है. इतने वरिष्ठ लोग बैठे हैं.
सभापति महोदय--आप सिर्फ अपनी बात कहें. अपनी बात एक दो मिनट में समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, विन्ध्य की इतनी बड़ी उपेक्षा पहली बार हुई है. आदरणीय केदारनाथ शुक्ला जी हैं, आदरणीय राजेन्द्र शुक्ला जी हैं एक से एक लोग बैठे हैं इनको मंत्रिमंडल में जगह तक नहीं दी. जहां पर कई मंत्री होते थे बड़ा ही महत्वपूर्ण महकमा होता था. इतनी उपेक्षा हमने ऐसा कभी नहीं सोचा था. माननीय यशपाल सिंह जी सिसौदिया योग्य आदमी जो सरकार का स्तुतिगान करने से थकते नहीं हैं उनको भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी.
सभापति महोदय--आप अपनी बात समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, खेती किसानी को लाभ का धन्धा बनाने की बात बार बार सरकार करती है. पर सच बात यह है कि 2008 इनका जो घोषणा-पत्र था बिन्दु क्रमांक 17 में उल्लेख था कि किसानों का हम 50 हजार का कर्जा माफ करेंगे वह इतने साल सत्ता में रहे आज तक यह 50 हजार रूपये का कर्जा माफ नहीं हुआ है, यह इनके घोषणा-पत्र में है. आप कहें तो इनको दिखा भी सकते हैं, इनका घोषणा-पत्र, यह स्थिति है.
श्री रामपाल सिंह--आपका घोषणा-पत्र भी तो निकाल दो.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, हमारी सरकार को अगर आप लोग लूटते नहीं तो भी वचन-पत्र है और जिन बिन्दुओं का वचन-पत्र है में जो उल्लेख था उसको हम एक एक करके सारे वचन-पत्र के बिन्दु माननीय कमलनाथ जी पूरा करते, कांग्रेस की सरकार पूरा करती. पर दुर्भाग्य है कि आप न बेरोजगारों के प्रति चिन्तित हैं.
सभापति महोदय--डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय अपनी बात शुरू करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, सभापति महोदय, एक दो मिनट दीजिये. मैं अपनी बात समाप्त करने के लिये.
सभापति महोदय--आपसे हमने बार बार निवेदन किया है. दो मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, जिस तरह से यहां पर पिछड़े वर्ग के हिमायती होने की बात यहां पर कही गई है. इसी सरकार ने देखते देखते 27 प्रतिशत पिछड़े वर्ग का बढ़ा हुआ आरक्षण छीनने का काम किया. नोटिफिकेशन हो गया था उसके बाद दोबारा नोटिफिकेशन इस सरकार ने जब कि हमारी सरकार ने इसको लागू किया था. हाईकोर्ट ने सारा पिछड़ा वर्ग का बढ़ा हुआ आरक्षण रोक लगाने के आदेश कर दिये. सरकार ने इसकी अच्छे से पैरवी नहीं की. अच्छे अधिवक्ता नहीं खड़े किये. आज एम.पी.पी.एस.सी.के चार साल से रिजल्ट घोषित नहीं हो रहे हैं परीक्षाएं नहीं हो रही हैं. इसी तरह से पुलिस भर्ती में हाईकोर्ट इन्दौर से रोक लग गई. इसी तरह से जिला कोर्ट में 1255 भर्तियां होनी थीं तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों की अगउनको हाईकोर्ट जबलपुर से रोक लग गई. बहुत सारा अन्याय सरकार के द्वारा पिछड़े वर्ग के लोगों का किया जा रहा है. आप समतामूलक समाज की बात करते हैं पर अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के साथ सबसे बड़ा कुठाराघात इस सरकार ने किया है 18 वर्षों में आऊट सोर्स से सरकार में भर्तियां हुई हैं सरकारी नौकरियों में कोई भर्तियां नहीं हुई हैं. भर्ती नहीं होने की वजह से अपने आप आरक्षण का पूरी तरह से अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय करने का काम इस सरकार ने किया है. राज्यपाल जी ने जो अभिभाषण प्रस्तुत किया है उसमें कोई सच्चाई नहीं है उसका हम विरोध करते हैं. धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) - माननीय सभापति महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. सभापति महोदय, मुझे लगता है कि कल राज्यपाल महोदय ने जो सदन में अभिभाषण प्रस्तुत किया, सदन में सदस्य मौन रह गए, स्तब्ध रह गए, अवाक् रह गए, चुपचाप बैठे रह गए और मुझे यह भी लगता है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय सभापति महोदय, हम लोगों ने आदिवासी महामहिम का सम्मान किया था क्योंकि वह आदिवासी वर्ग से आते हैं. इसलिए विपक्ष ने उनका ससम्मान स्वागत किया था और कोई टीका-टिप्पणी नहीं की.
सभापति महोदय - सम्मानित सदस्य पटेल जी, आप जिम्मेवार हैं, आप मंत्री भी रह चुके हैं. आपके भाषण के बीच में कोई नहीं बोला. आप बैठ जाइये, उनको बोलने दीजिये.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - सभापति महोदय, मैं आपसे यह आग्रह कर रहा हूँ कि मौन रहे तो थोड़ा सा अभिभाषण पढ़ लेते. बैठे रहे, तो थोड़ा सा अभिभाषण पर ध्यान दे देते. यह जो इसमें विवरण दिया है, यह मात्र 2 वर्षों का विवरण दिया है. हम उन विगत वर्षों में नहीं जा रहे हैं, हम उन विगत वर्षों की याद नहीं कर रहे हैं. उन विगत वर्षों को तो निश्चित रूप से आपने भी भुगता है, भोगा है. मध्यप्रदेश इस बात को जानता है. एक ही शब्द में पहचाना जाता है- मध्यप्रदेश का बंटाधार. जिस मध्यप्रदेश का बंटाधार हो गया था. माननीय सभापति महोदय, आज हम स्वर्णिम मध्यप्रदेश की ओर बढ़ रहे हैं. जो कहा जाता था, मैं वही व्यक्त कर रहा हूँ. आज मध्यप्रदेश चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर हो रहा है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास. परमपूज्य संत रविदास की जयन्ती पर जो विकास यात्राएं प्रारंभ हुईं, 'जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि के होई', उस भाव और भावनाओं को लेकर जब यात्रा गांव-गांव पहुँची, नगर-नगर पहुँची, उस यात्रा का इतना भव्य स्वागत किया गया, तो कहीं एकाध जगह जो इन्होंने कहीं षड्यंत्रपूर्वक, जैसा कि अभी यशपाल जी ने व्यक्त किया कि कहीं षड्यंत्र करते हुए, उस यात्रा में व्यवधान करने का प्रयास किया तो वहां पर भी ऐसे तत्वों का लोगों ने विरोध किया है.
माननीय सभापति महोदय, मैं यात्रा का विवरण देना चाहता हूँ. जब हम गांव-गांव पहुँचे, तो हाथों से पुष्पवर्षा की गई, जो मालाएं पहनाई गईं, मैं सच कह रहा हूँ. आपको इसके फोटो दिखा सकता हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - सभापति महोदय, राजेन्द्र भैया इनके ऊपर नहीं हुई न, तो इनको समझ में नहीं आएगी. आप तो कन्टिन्यू कीजिये. इनके ऊपर पुष्पवर्षा नहीं हुई है, वह तो हमारे ऊपर हुई है. (हंसी)
श्री कमलेश्वर पटेल (सिंहावल) - सभापति महोदय, पाण्डेय जी के साथ वहां की जनता काफी सिम्पैथी रखती है, इनके साथ भी बहुत अन्याय हुआ है. मंत्री नहीं बनाया.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - कमलेश्वर जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपको आग्रहपूर्वक कहना चाहता हूँ एवं आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ. इन दो वर्षों में जो लगतार काम किये गये हैं, सड़कें, जो सड़कविहीन मध्यप्रदेश हुआ करता था, उन सड़कों की दुर्दशा हम सबने देखी है, क्या बुरे हाल हुए थे. एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में बहुत परेशानी आती थी. आज माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से और माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में लगातार काम करने का यह परिणाम हुआ है कि पूरे मध्यप्रदेश में हजारों किलोमीटर न केवल सड़कें बनीं, वरन् इतनी उत्कृष्ट सड़कें चाहे सिक्स लेन की सड़क हो, चाहे एट लेन की सड़क हो, चाहे फोर लेन की सड़क हो, चाहे टू लेन की सड़क हो, पूरे मध्यप्रदेश को चारों दिशाओं से जोड़कर विकास का क्रम प्रारंभ किया है और उससे निश्चित रूप से विकास होना प्रारंभ हुआ है. आज हम देख रहे हैं कि सड़क किनारे तरह-तरह के उद्योग धंधे प्रारंभ हो रहे हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ (महेश्वर) - माननीय सभापति महोदय, जिस तरह से सिसौदिया जी और आप बोल रहे हैं और जो बखान कर रहे हैं. माननीय राज्यपाल महोदय, जो हमारे आदिवासी समाज से आते हैं, जिन्होंने अपना अभिभाषण यहां प्रस्तुत किया. उनके अभिभाषण को कितनी तवज्जो दी जा रही है कि कितने मंत्रीगण यहां फ्रंटलाईन में बैठे हुए हैं और कितने अधिकारी, अधिकारी दीर्घा में बैठे हुए हैं. यह इस बात का द्योतक है कि माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का कितना मान रखा जा रहा है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय दीदी यहां पर भारतीय जनता पार्टी के जो निवार्चित विधायक हैं और जनप्रतिनिधि हैं.वह सब एक-एक मंत्री के बराबर हैं.
सभापति महोदय -- सम्माननीय मंत्री जी सब लोग यहीं पर हैं, यही सब बैठे हुए हैं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- सब एक-एक मंत्री जैसा अनुभव रखने वाले लोग हैं और उन सबको अनुभव हैं और यहां पर मंत्रीगण बैठे हुए हैं और विधायक भी मंत्री समान ही है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा हमारी सरकार में यहां पर असमानता का कोई व्यवहार नहीं है,.
सभापति महोदय -- आप अपनी बात बोलिये.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय सभापति महोदय, समतामूलक समाज, सामाजिक समरसता, जैसा मैंने निवेदन किया है कि संत रविदास जयंती पर प्रारंभ करते हुए विकास यात्रा का, उस सामाजिक समरसता के साथ में सबको साथ में लेकर, समस्त वर्गों के लिये, समस्त वर्गों का कल्याण करने के लिये, आप कल्पना करें कि लगभग लगभग 47 लाख आवास बन जाना एक ही प्रदेश में क्या कम बात है और उसमें से 39 लाख आवास बनकर के तैयार होना क्या कम बात है, यह क्या छोटी बात है. 47 लाख आवास तो बना दिये हैं, 39 लाख आवास बनकर के तैयार हो जाना. अब मैं दीदी का थोड़ा ध्यान आकर्षित करूंगा, जब दो लाख आवास प्रधानमंत्री के स्वीकृत किये गये थे, उस समय आपकी सरकार ने उनको क्यों रोक दिया था.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, मेरा नाम का उल्लेख किया है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- उन दो लाख आवास को आपने क्यों रोक दिये थे ?
सभापति महोदय -- वह अपनी बात कह रहे हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप यह क्यों भूल जाते हो कि यह इंदिरा आवास योजना है, आप तो बस नाम बदलते हो, नई योजना तो लाते नहीं हो. आपने इंदिरा आवास योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया और आप वाह वाही लूट रहे हो, आप असली बात तो बोलते नहीं हो.... (व्यवधान)..
सभापति महोदय -- सम्माननीय सदस्या जी उनको अपनी बात बोलने दीजिये. .... (व्यवधान)..
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- आपकी सरकार में दो लाख मकान चले गये, आपने चालिस प्रतिशत की राशि भरी नहीं थी, इसलिये दो लाख मकान चले गये हैं. .... (व्यवधान)..
श्री रामपाल सिंह -- छत्तीसगढ़ में भी आंदोलन चल रहा है, प्रधानमंत्री आवास के मकान नहीं बन रहे हैं, टी.वी. में आप देख लेना.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ --आप पंचायतों में जाओ क्या हाल हो रहे हैं.पंचायतों में जाओ जब आप लोगों को पता चलेगा.
सभापति महोदय -- पाण्डेय जी आप अपनी बात पूरे करें.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय सभापति महोदय, साढ़े आठ करोड़ की आबादी वाला हमारे मध्यप्रदेश में उसमें माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में, माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में 5 करोड़ 18 लाख परिवारजनों को अगर नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण करवाया जाता है, उसके बावजूद भी काम दिखाई नहीं देता है, आखिरकार यह आश्चर्य की बात है. 5 करोड़ 18 लाख परिवारजनों को, परिवार के सदस्यों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण किया जाता है और उसी के साथ-साथ में जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग की बात की जाती है, उन पिछड़ा वर्गों में विगत सरकारें क्या करके आई, कितना किया? निश्चित रूप से यह उनको मनन करना चाहिये, उनको मंथन करना चाहिये, उनको विचार करना चाहिये, उन्हें तो अभी भी दिखाई नहीं दे रहा है. लगातार उन सारे प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं के लिये अनुदान की व्यवस्थाएं, सब्सिडी की व्यवस्थाएं, उच्च अध्ययन के लिये व्यवस्थाएं, अगर वह ऊंचाई पर जाना चाहते हैं, उच्च अध्ययन प्राप्त करना चाहते हैं, तो मध्यप्रदेश सरकार लगातार उन्हें सहयोग करते हुए हजारों करोड़ रूपये की राशि प्रदान कर रही है, ताकि वह अच्छा अध्ययन-अध्यापन करते हुए इस देश के एक नेतृत्वकर्ता बने, एक कुशल अनुभवी नागरिक बने और अपनी उस सामाजिक समरसता के साथ में अपनी सहभागिता प्रदान करें.
माननीय सभापति महोदय, मेरी सरकार, मेरे प्रधानमंत्री और मेरे मुख्यमंत्री जी के द्वारा माता बहनों के लिये भी जो लगातार किया जा रहा है, उस ओर भी मैं थोड़ा सा ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. सिर्फ और सिर्फ इन 16 वर्षों में लाड़ली लक्ष्मी योजना जो प्रारंभ हुई और प्रारंभ से लेकर अब तक 44 लाख 39 हजार लाड़ली लक्ष्मी बेटियां इस मध्यप्रदेश में हो जाती है और वह हमारे मित्रों को दिखाई नहीं देता है. 44 लाख 39 हजार की संख्या कोई कम होती है. वह लाड़ली लक्ष्मी बेटियां आज उच्च अध्ययन के लिये जायेंगी, उन्हें उच्च अध्ययन के लिये साढ़े बारह हजार- साढ़े बारह हजार दो किश्तों के रूप में 25 हजार रूपये की राशि प्रदान की जायेगी. वे गांव की बेटी बनती हैं, वे प्रतिभा किरण बनती हैं, उन्हें छठवीं में, आठवीं में, दसवीं में, बारहवीं में, दो हजार, चार हजार, छ: हजार और आठ हजार रूपये की राशि दी जाती है. वे जब बड़ी होंगी, जब उनका विवाह करवाने की बात सरकार करती है, उनके विवाह आयोजन, उनके निकाह आयोजन सरकार करती है, इन महिलाओं के संरक्षण के लिये तो अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली बहना योजना भी प्रारंभ की है, जो मार्च में प्रारंभ होकर उस महिला को सशक्कत करने के लिये प्रति माह के एक हजार रूपये की राशि दिये जाने का काम यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है और यह इतना सब कुछ किया जाना उस आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार रूप प्रदान करता है. आत्मनिर्भर भारत का सपना तब साकार होगा जब हर परिवार में समृद्धि आयेगी, जब हर परिवार में खुशहाली आयेगी, जब अंतिम पंक्ति का अंतिम व्यक्ति सक्षम होगा, सशक्त होगा, मजबूत होगा, उसके परिवार को अगर मजबूती मिलेगी तभी जाकर हम आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार कर सकते हैं और यही संकल्प को लेकर के माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान लगातार दिन-रात एक करते हुये 24 घंटे में से 16 घंटे, 18 घंटे कौन मुख्यमंत्री पहले काम करता रहा हमने तो कभी देखा नहीं, हमने तो कभी सुना नहीं, एकमात्र ऐसा मुख्यमंत्री जिसे प्यार से पांव-पांव वाले भैया भी हम पुकारते हैं, वह पांव-पांव वाले भैया 24 घंटे में से 16 घंटे, 18 घंटे लगातार परिश्रम करें, लगातार मेहनत करें. पहले हमारी हालत क्या थी, चाहे राजा रजवाड़ों का समय लें, चाहे नवाबों का समय लें हमारे मध्यप्रदेश का सिंचित रकवा मात्र साढ़े 7 लाख हेक्टेयर हुआ करता था माननीय सभापति महोदय जो बढ़कर लगातार सबकी मेहनत से माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में 45 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाता है वह दिखाई नहीं देता और इसी के साथ-साथ जो अंधेरे में डूबा हुआ मध्यप्रदेश हमने देखा था आज लगभग-लगभग 25 हजार मेगावाट विद्युत का उत्पादन करते हुये मध्यप्रदेश लगातार तेजी के साथ में आगे बढ़ रहा है. मध्यप्रदेश के विकास को, मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने के लिये माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्व में निश्चित रूप से सराहनीय कार्य किये जा रहे हैं और इस हेतु मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुये बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं. धन्यवाद माननीय सभापति महोदय जो आपने मुझे समय प्रदान किया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर)-- माननीय सभापति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने मुझे यहां बोलने का समय दिया, परंतु माननीय सभापति महोदय, अभी एक अकेले विश्वास सारंग जी के अलावा मुझे कोई केबीनेट का मंत्री यहां दिखाई नहीं देता.
एक माननीय सदस्य-- आप लोगों के लिये एक ही काफी है.
श्री तुलसी राम सिलावट-- मैं भी हूं. (विपक्ष की ओर से उठकर जाते हुये)
श्री प्रियव्रत सिंह-- आप भी इधर बैठे थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आप तो यहां पर मंत्रियों की संख्या गिनने के लिये बैठे हो, मुद्दों की बात करने के लिये नहीं ...(व्यवधान).... यह मंत्री उपस्थित, यह मंत्री अनुपस्थित, खाली इसीलिये बैठे हो. ...(व्यवधान)....
श्री कुणाल चौधरी-- आपको नहीं बनायेंगे, आप बैठ जाओ भाई साहब. ...(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- प्रियव्रत जी, मंत्री का अभी तक उतर नहीं रहा है वो.
श्री कुणाल चौधरी-- आपको जल्दी बनना है, इसलिये आपको नहीं बनायेंगे, वह खरीदे हुये को ही बनायेंगे, आप चिंता मत करो.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय सभापति महोदय, एक केबीनेट का मंत्री यहां पर बैठा और अधिकारी दीर्घा में भी मुझे एकाध सचिव के अलावा दूसरा कोई नहीं दिख रहा.
श्री कैलाश विश्वास सारंग-- सभापति महोदय, यही बात विजय लक्ष्मी साधौ जी ने भी बोली. जिम्मेदारी के साथ मैं भी बैठा हूं, हमारे बाकी मंत्री भी बैठे हैं और दीर्घा में भी अधिकारी बैठकर जो नोट करना है वह नोट कर रहे हैं, आप बोलिये तो आपके पास कंटेंट नहीं है, अरे बात तो बोलो भैया, सब रिकार्ड होगा क्यों फिकर कर रहे हो.
सभापति महोदय-- प्रियव्रत सिंह जी आप तो अपनी बात बोलिये, हमारे मंत्री जी जो बोल रहे हैं वह सही बोल रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय सभापति महोदय, एक मंत्री बैठे हैं और दावा कर रहे हैं कि जो मैं बोलूंगा वह आप नोट करेंगे, पर जब बात आती है प्रश्नोत्तरी की तो अगर कोई प्रश्न पूछता है प्रमाण सहित बोल रहा हूं कि जब प्रश्न कोई पूछता है तो मंत्री यह जवाब देते हैं कि यह हमारे विभाग का मामला नहीं है तो आप भी कल खड़े होकर कह दोगे कि यह हमारे विभाग का मामला नहीं है तो मेरा बोलना तो यहां पर व्यर्थ हो जायेगा. माननीय सभापति महोदय, यह दिखाता है इस सरकार की जवाबदारी हमारे प्रदेश के प्रति और राज्यपाल के अभिभाषण के प्रति और इसीलिये हमने इसको झूठ का पुलिंदा कहा है. अब जहां तक बात है 19 वर्ष हो गये, 19 वर्ष में 19वां राज्यपाल का अभिभाषण यहां पर प्रस्तुत हुआ और 19 वर्ष में मैं स्वागत करता हूं शायद मेरी बात पहुंच गई हो तो माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहां पधारे हैं इनके सामने भी यह बात रखना चाह रहा था. माननीय सभापति महोदय, 19 वर्ष में प्रदेश की माली हालत क्या हुई है इसका आज ही वर्णन एक विज्ञप्ति के माध्यम से हो रहा है. शायद माननीय मुख्यमंत्री जी को तो ध्यान भी नहीं होगा.
कि 19 वर्ष पहले एक ऋण लिया गया था. ब्याज चुकाने के लिये और उसका ब्याज भी नहीं चुका पाए और यशपाल जी,मध्यप्रदेश की संपत्ति जो वहां गिरवी रखी गई थी उसकी कुर्की की विज्ञप्ति लगी है. जब आप यहां सदन में अपनी पीठ थपथपा रहे हो तो रिजर्व बैंक मध्यप्रदेश को नीलाम करने में लगा हुआ है. यह जो विकास यात्रा है यशपाल जी.
सभापति महोदय - आप किसी का नाम इंगित करके न बोलें. आपको कोई नहीं टोक रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - सभापति महोदय, यह मेरा जरूर नाम लेंगे क्योंकि इनको तकलीफ है. खीज है.
श्री प्रियव्रत सिंह - तकलीफ में तो आप है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - आपके समय में तो चार-चार बार ओव्हर ड्राफ्ट हो जाया करता था.
श्री प्रियव्रत सिंह - दिवालिया होकर प्रदेश में दीवाली मनाने चली हमारी सरकार.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - चार-चार बार दीवाला निकालती थी आपकी सरकार. बार-बार ओव्हर ड्राफ्ट होती थी और अपने आपको दीवाला घोषित करती थी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - तनख्वाह बांटने के पैसे नहीं थे. लाड़ली लक्ष्मी योजना नहीं थी.
सभापति महोदय - प्रियव्रत जी, आपका समय हो रहा है.आप मंत्री भी रहे हैं. आप बहुत सम्मानित सदस्य हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति जी, टोकाटाकी वहां से हो रही है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - सड़क नहीं थी. बिजली नहीं थी. कुछ नहीं था.
श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति महोदय, यह कोई तरीका है. दिवालिया होकर दीवाली मनाने चली सरकार और अपनी पीठ थपथपाने चली सरकार.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - दिवालिया तो आप रहे. हम तो दिलवाले रहे. यह दिलवालों की सरकार है.
श्री प्रियव्रत सिंह - मेरे कई साथी सभापति जी, नाम नहीं लूंगा. आप समझ जाओ. बड़े बेआबरू होकर रुखसत किये गये उन कूचों से और नाम हमारा ले रहे हैं. नाम हमारा ले रहे हैं कि कांग्रेस का षड़यंत्र है. अरे, आपकी विकास यात्रा फ्लाप हुई. माननीय सभापति महोदय, क्या खर्चा, क्या टेंट, क्या नाश्ता, क्या कुर्सियां, क्या चकाचौंध और नृत्य.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - - आपको क्यों तकलीफ हो रही है.
श्री प्रियव्रत सिंह - नृत्य और मनोरंजन का कार्यक्रम और उस पर ठुमके लगाते हुए.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - विकास यात्रा का सम्मान करती थी जनता. आपको क्यों तकलीफ हो रही है.
श्री प्रियव्रत सिंह - मुझे कोई तकलीफ नहीं. मैं तो वर्णन कर रहा हूं.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - प्रियव्रत जी, आपका समय हो रहा है.
श्री प्रियव्रत सिंह - मैं उसकी भव्यता का वर्णन कर रहा हूं.
सभापति महोदय - आप 1-2 मिनट में अपनी बात पूरी करिये. आपका समय हो रहा है.
(..व्यवधान..)
श्री प्रियव्रत सिंह - मैं तो वर्णन कर रहा हूं. मैं तो सरकार का महिमा मण्डन कर रहा हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - यही तो आपको तकलीफ हो रही है. भव्यता क्यों,यह टेंट क्यों, यह पटाखे क्यों, यह गुलाल क्यों, यह फूल-माला क्यों. यह तकलीफ है आपको.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - आप एक-दो मिनट में अपनी बात पूरी करें.
श्री प्रियव्रत सिंह - यह टोकाटाकी कर रहे हैं सभापति महोदय. सदन के नेता बैठे हैं. विश्वास जी रोक लीजिये. मैं तो आपकी ही भव्यता का वर्णन कर रहा हूं. मैं टोकाटाकी नहीं कर रहा हूं.
चौधरी सुजीत मेर सिंह - स्कूल के बच्चे लाकर बैठाये धूप में सुबह 8 बजे से 12 बजे तक.यह विकास यात्रा है.
श्री विश्वास सारंग - सभापति महोदय, प्रियव्रत भाई, इतने उद्वेलित क्यों हो रहे हो. इतने हाथ उठाकर डांस कर रहे हो. आप तो ऐसे न थे. आप पर क्या असर आ रहा है आगे की बेंच वाला. आप तो कंटेंट पर बोलते थे. यह अच्छा नहीं लग रहा.
सभापति महोदय - प्रियव्रत जी, अपनी बात पूरी करिये.
श्री प्रियव्रत सिंह - जी सभापति महोदय. हाथ भी बांध लिये और बात बहुत अच्छे से कह रहा हूं कि जो ठुमके लगे. जो भव्यता हुई. जो आनंद आया. जो नाश्ता सरकारी खर्चे पर लगा.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - देशभक्ति के गीत हुए. राष्ट्रभक्ति के गीत हुए. यह आपत्ति सही नहीं है इनकी.
श्री प्रियव्रत सिंह - यह सोशल मीडिया का जमाना है और उसके बाद जब बेआबरू होकर जब लौटे हमारे कुछ साथी जब जनता ने सवाल किये तो कह रहे हैं कि प्रतिपक्ष का षड़यंत्र है और एक सदस्य तो यहां विधान सभा में कह रहा है कि पत्थर निकलवा देंगे. मकान तुड़वा देंगे. मेरे ही जिले की बात है. एक सरपंच विकास यात्रा में नहीं गया. तो थानेदार का फोन गया उसके पास. उसके पास थानेदार ने फोन करके कहा कि तेरा मकान तुड़वा दूंगा. ऐसी धौंसबाजी और आज आप पूरे बिल उठाकर देख लें जनपदों के. सर्वोच्च मध्यप्रदेश की जनपदों के, 15वें वित्त आयोग के जो बिल लगे हैं, उसका पूरा खर्चा विकास यात्रा में सरकार ने अपनी महिमामंडन के लिये किया है.
सभापति महोदय-- देखिये, आप अपनी बात एक मिनट में समाप्त कीजियेगा. सभी माननीय सदस्यगण हैं, आप अपनी समय सीमा में बात कीजियेगा. एक मिनट में अपनी बात समाप्त कीजियेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह-- सभापति महोदय, यही नहीं, यह 11वें पाइंट पर बड़ी जोरदार बात लिखी है, बहुत जोरदार. सस्टेनेबल एग्रीकल्चर. अभी तक तो हम मुख्यमंत्री जी को 2005 में, माननीय शिवराज सिंह जी जब मुख्यमंत्री बनें, तब से आज तक हम एक बात सुनते आये हैं कि खेती लाभ का धंधा बनेगी, पर वह कब बनेगी, यह किसी को नहीं मालूम. 19 वर्ष बीत गये. 19 वर्ष में किसान की हालत वही की वही है और यह बात दिखाती है, यह आपके आंकड़े बोलते हैं.
सभापति महोदय-- देखिये, अपनी बात जल्दी समाप्त कीजियेगा. आपका समय हो गया है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- सभापति महोदय, आपने बोलने तो दिया नहीं. अगर आप बोलने नही देंगे, तो मैं बैठ जाता हूं. क्या मतलब है मेरा बोलने से.
सभापति महोदय-- सबके लिये समानता है, ऐसा नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- सभापति महोदय, जब आप बोलने ही नहीं दे रहे हैं. यह गलत है. यह अन्याय है, घोर अन्याय है.
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदय, अगर आप बोलने नहीं देंगे, तो फिर आप इसको ऐसे ही पास करा लीजिये.
श्री प्रियव्रत सिंह-- सभापति महोदय, अगर आप चुप कराना चाहते हैं, तो हम बाहर चले जाते हैं, तो थपथपा दें मेजें अभी हाल.
1.21 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, इस पर दो दिन चर्चा के लिये रखे हैं. जैसे ही ये दो मिनट बात करते हैं, पहले ही टोका-टाकी करके बोलने नहीं देते हैं. फिर सदन में चर्चा क्यों हो रही है. वे आंकड़े के साथ बात रख रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग -- तरुण जी, एक भी आंकड़ा नहीं रखा है 10 मिनट में.
श्री
प्रियव्रत
सिंह-- अध्यक्ष
महोदय, 5 करोड़ 18
लाख लोगों को
यहां पर
सार्वजनिक
वितरण
प्रणाली से
अनाज दिया जा
रहा है. यह बात
आप अपनी पीठ
थपथपाने के
लिये कह रहे
हैं. आप
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी
जी का बार बार
नाम ले रहे
हैं और उनके
आत्मनिर्भर
भारत में 20 साल
में इस सरकार
ने अपने आपको
इतना
आत्मनिर्भर
नहीं बनाया
कि आज भी 5 करोड़
18 लाख लोग गरीब
हैं इस
प्रदेश में,
पिछले 20 साल की
आपकी सरकार
में और आप
इसको अपनी
महिमा मानते
हैं. 5 करोड़ 18
लाख आपके
राज्यपाल जी
के अभिभाषण
में लिखा हुआ
है. पूरा
प्रदेश गरीब,
पूरा प्रदेश कर्जे
में डूबा हुआ
है. पूरा
प्रदेश
परेशान है. मामा
जी हवाई जहाज
में और लाड़ली
बहना योजना के
नाम पर
महिलाओं के
साथ ठगी करने
की तैयार सरकार
जो कर रही है
मध्यप्रदेश
की, अगर आपको
देना ही है तो
एक काम करिये,
हम भी मान
लेंगे आपको.
आप एडवांस
में पैसा दे
दीजिये एक
वर्ष का. चुनाव
के समय का
जुमला है.
टेबलेट में
बजट और टेबलेट
तो आप नहीं ले
रहे हैं
जुमले छोड़ने
की. रोज नया
जुमला छोड़ते
हैं. एक
टेबलेट आप भी
ले लें. सरकार
भी एक टेबलेट
ले ले, असत्य न
बोलने की और
जुमले न
छोड़ने की.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु-- अब आप लेना शुरु कर दो टेबलेट अभी से. मालूम पड़ जायेगी.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आज पूरे प्रदेश में अंधकार छाया हुआ है और यह लिख रहे हैं कि हमारी समेकित ऊर्जा क्षमता 28 हजार मेगावाट से भी अधिक हो गई है. राज्यपाल जी के भाषण में लिखा है कि सरप्लस बिजली का स्टेट है हमारा. बिजली कम्पनियां आपकी सरकार में बनीं. कांग्रेस की सरकार जब 2003 में थी, उस समय बिजली कम्पनियां नहीं बनीं और 20 साल हो गये उस बात को, जब कांग्रेस की सरकार थी मध्यप्रदेश में, पर आज आपकी बिजली कम्पनियों की खस्ता हालत के लिये कौन जिम्मेदार है. आज 12वीं और 10वीं के छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं और जिलेवार उठाकर देख लें, 52 जिलों में अगर 100 गांव से भी कम किसी जिले में बिजली बंद हों, तो मैं यहां पर अभी इस बात को छोड़ दूंगा और अभिभाषण के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हो जाऊंगा. पर यह आपकी भी पीड़ा है.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु-- अध्यक्ष महोदय, जिन्होंने कभी बिजली नहीं दी, वह बिजली पर बात कर रहे हैं. जिन्होंने बिजली दी नहीं, वह बिजली पर बात कर रहे हैं और चैलेंज कर रहे हैं की 100 गांव की बिजली बंद.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपका मानसिक दिवालियापन है कि आप यह बात नहीं सुनना चाहते हैं. जनता सुना देगी, जब 10वीं और 12वीं के छात्रों की आज बोर्ड की परीक्षा के समय में आपने बिजली काटी है, डीपियां उतार ली हैं और लोगों के ऊपर असत्य केस बना रहे हैं और इन्दिरा गृह ज्योति योजना का नाम बदल दिया. पढ़ लो. अटल गृह ज्योति योजना कभी सुनी भी नहीं होगी किसी ने. हमारी इन्दिरा गृह ज्योति योजना थी, जो 1 करोड़ उपभोक्ताओं को लाभ दिलाती थी. आज एक एक बिल 200 यूनिट से उठाये जा रहे हैं. किसी को भी इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - आपने बिजली दी ही कब? आपने बिजली नहीं दी और आप बिजली की बात कर रहे हैं?
श्री प्रियव्रत सिंह - बिजली आपसे ज्यादा दी. आपकी विधानसभा में पूछ लें कि कांग्रेस की सरकार में कितनी बिजली मिली. अध्यक्ष महोदय, यही नहीं, आज सिंचाई की परिस्थिति देख लें. सिंचाई के संबंध में इस अभिभाषण में बहुत कुछ व्याख्यान है. परन्तु मेरे ही जिले में कुण्डालिया और मोहनपुरा, दो वृहद सिंचाई परियोजनाएं हैं. एक का उद्घाटन प्रधानमंत्री जी ने किया और दूसरी परियोजना का उद्घाटन मुख्यमंत्री जी ने किया. कब? वर्ष 2018 के चुनाव के पहले, उसके बाद राजगढ़ जिले में जो रिजल्ट चाहते थे, वह नहीं मिला तो आज उनका काम लचर व्यवस्था में पड़ा हुआ है. खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाया है. जो टारगेट थे, उनको आप मीट आउट नहीं कर पाए. किसान के खेत में कब तक प्रेशर पाइप लाइन पहुंचनी थी, वह आज तक नहीं पहुंच पाई है और यही नहीं, सुठालिया में योजना बनने जा रही है, उसमें 250 करोड़ रुपया एडवांस ठेकेदार को पेमेंट हो गया और किसानों को आज दिनांक तक मुआवजे का एक रुपया नहीं मिला. किसानों ने धरना दिया.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी से मिलने का समय मांगा तो मुख्यमंत्री जी ने मिलने का समय नहीं दिया. हमारे दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री धरने पर बैठ गये, उसके बाद मिलने का समय मांगा तो ठंडा हाथ फेर दिया. परन्तु मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि आज दिनांक तक एक फूटी कौड़ी किसानों के खातों में नहीं डली है.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - मेरा हाथ ठंडा नहीं है भैया.
श्री प्रियव्रत सिंह - आजकल बहुत गरम चल रहा है, परन्तु उसका असर कुछ नहीं हो रहा है.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्यक्ष महोदय, यह सिंचाई की बात कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री की बात उन्होंने कही, इनके जमाने में मात्र 6 या 7 लाख हैक्टेयर में सिंचाई होती थी.
श्री प्रियव्रत सिंह - आप उस जमाने में कहां थे? आप जिसको मेरा जमाना बता रहे हैं, उस जमाने में आप कहां खड़े थे? आप तो टेबल कूद कर उधर मजे ले रहे हो, लड़ाई तो हम ही लड़ रहे हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट - यह गलतफहमी दूर कर लो.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - यह कौन-सी पीड़ा दर्शा रहे हैं ? यह कौन-सी पीड़ा है?
श्री तुलसीराम सिलावट - इन पर अभी भी मंत्री का भूत सवार है.
श्री प्रियव्रत सिंह - आप एक मिनट बैठो, मैं पीड़ा बताता हूं.
श्री विश्वास सारंग - यह पीड़ा क्या है? आप तो ऐसे न थे, आज क्या हो गया?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कल के हल का असर हो गया है.
श्री तुलसीराम सिलावट - जितु भाई ध्यान रखो.
श्री विश्वास सारंग - क्या हो गया कि आगे से पेपर आ रहे हैं. आप बिना पढ़े उसको बोल रहे हो.
श्री जितु पटवारी - प्रियव्रत सिंह जी कह रहे हैं कि पानी तो नहीं आया परन्तु आप बह गये.
श्री विश्वास सारंग -प्रियव्रत भाई, आप ओरिजनल उसमें रहें, इधर-उधर की छाया अपने पर मत आने दो.
श्री प्रियव्रत सिंह -अध्यक्ष महोदय, आज मुझे विश्वास जी का असर आ गया है. अध्यक्ष महोदय, बात सारी यह है कि अभी महाकाल लोक का निर्माण हुआ. काम कांग्रेस की सरकार में शुरू हुआ. काम पूरा भाजपा की सरकार में हुआ. प्रधानमंत्री जी ने उद्घाटन किया. बहुत अच्छा काम है. हमारे प्रदेश का दर्शनीय स्थल है, महाकाल लोक एक आस्था का केन्द्र है. वह काम हुआ. आपने उसको इतना महिमा-मंडित किया, परन्तु उसकी आड़ में आज धर्मस्व विभाग की क्या परिस्थितियां हैं? उसमें बजट नहीं है. पुजारियों को बांटने के लिए तनख्वाह नहीं है. हमारे ही जिले में होड़ा माता मंदिर एक आस्था का केन्द्र है. होड़ा माता मंदिर के लिए 6 करोड़ रुपया स्वीकृत हुआ था. कांग्रेस की सरकार में वहां पर निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ, परन्तु उसको रोक दिया गया. अब उसको पैसा नहीं दिया जा रहा है ताकि काम न हो. अध्यक्ष महोदय, ईश्वर में अंतर नहीं हो सकता है. अगर महाकाल पूजनीय है तो होड़ा माता जी भी हमारी पूजनीय है. आपने अभिभाषण में दावा किया कि 56 लाख 70 हजार से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से शुद्ध जल पहुंचाया जा चुका है. आज हमारा जिला राजगढ़ जो है, वहां पर 4 समूह नल जल योजनाएं चलती हैं, मोहनपुरा, कुण्डालिया, गोरखपुरा यह तीन चालू हो गई हैं. बाघपुरा चालू होने वाली है. आज इन चारो नल जल योजनाओं के कार्य पीछे हैं. जिस समय उनका काम चालू होना था, जब उनसे पानी मिलना था तो वह कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री जी भी हमारे जिले में पिपल्याकलां गांव में पधारे थे. मैंने आपसे भी अनुरोध किया था. आपने कहा था कि मैं एल एंड टी की मीटिंग लूंगा. एल एंड टी से बात करूंगा. मोहनपुरा और कुंडालिया योजना में जो वहां एजेंसी है उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है. कभी-कभी ऐसा लगता है कि यह कंपनी सरकार से भी ज्यादा बड़ी हो गई हैं. उसके बाद मैंने विधान सभा में प्रश्न लगाया, मंत्री जी ने कार्यवाही का आश्वासन दिया, मंत्री जी मेरे जिले में भी गये. राजवर्द्धन सिंह जी और बृजेन्द्र यादव जी, बड़ी हेडलाइन बनी कि कल तक एफआईआर दर्ज हो जाएगी, 6 महीने बीत गये ना एफआईआर दर्ज हुई और ना पानी पहुंचा. आज भी टंकियां अधूरी हैं, पाइप अधूरे हैं और भ्रष्टाचार की भेंट वह दोनों योजनाएं चढ़ रही हैं परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई.
अध्यक्ष महोदय, अभी रोजगार और औद्योगिकीकरण के लिये इसमें बहुत सारे दावे हैं, परंतु हमने भी अप्रवासी भारतीय समिट में देखा था किस प्रकार बाहर से आये डेलीगेट्स बाहर खड़े रहे. बयानबाजी करते रहे, प्रदेश की छवि पूरे देश में धूमिल होती रही और अंदर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से वह हॉल भराया गया और अप्रवासी भारतीय बाहर घूमते रहे, परेशान होते रहे.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है. पूरे देश में सम्मान बढ़ा है जब अप्रवासी भारतीय यहां आये थे. पूछ लो पूरे देश में. आपके स्त्रोत क्या हैं. आपकी सोच क्या है, संकुचित सोच है आपकी.
श्री प्रियव्रत सिंह -- मैंने तो देखा है. महिलाएं चिल्ला रही हैं महिला डेलीगेट्स जो बाहर से आयी थीं, यह आपके इंदौर के ही भाई साहब वीडियो आए हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- जो अप्रवासी भारतीय आये थे आज तक इंदौर को याद कर रहे हैं. आपको पता नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- वीडियो किसने बनाये, वीडियो आये पूरे प्रेस में चले. नेशनल टेलीविजन पर चले. आप पता नहीं कहां रहते हैं, शायद उस टाइम पर आप कथा में चले गये होंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट -- आप कहां थे जो बड़े उससे बोल रहे हैं, मैं तो वहां पर था इसलिये कह रहा हूं. अथेंटिक कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप पूरा करिये.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आज प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति है. औद्योगिकीकरण के लिये जो भी कदम उठाये होंगे आपने, परंतु कितना निवेश आया, निवेश तो कुछ आया नहीं. इसमें भी जो आंकड़े दिये गये हैं यह आंकड़े भी सिर्फ मेन्युपुलेशन के शिकार हैं. प्रदेश की जनता व्यापम से परेशान रही, अब आपने उसका नाम बदल दिया. उसके बाद भी आज परीक्षा देने के लिये लोग परेशान रहते हैं. एक और बात मैं आपके बीच में रखना चाहता हूं, मुख्यमंत्री जी यहां पर हैं इसलिये और संवेदनशील हैं, कह भी रहे हैं कि मेरा हाथ आजकल ठंडा नहीं है, परंतु अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के विधायक अगर चिट्ठी लिखते हैं मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के लिये तो प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिये जाते हैं. बीमारी में राजनीति करना यह बहुत शर्मनाक है और यह बहुत बड़ा मुद्दा है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह बहुत बार आ चुका है. बार-बार मत उठाइये. यह बहुत बार उठ चुका है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश का मुद्दा है. बीमार की पार्टी देखी जाती है.
श्री अनिरुद्ध माधव मारू -- आपने तो योजना ही बंद कर दी थी. आपने कभी किसी की मदद नहीं की है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आपने तो कुछ किया ही नहीं भाई. अपने गिरेबां में झांकों आपने उस समय क्या किया है. ..(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी -- भाजपा के पूर्व विधायक की चिट्ठी पर हो जाता है लेकिन कांग्रेस के वर्तमान विधायकों की चिट्ठी पर स्वेच्छानुदान नहीं होता है. ..(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य -- 15 महीने में आपने किस भाजपा विधायक को दी थी बता दो जरा.
श्री प्रियव्रत सिंह -- यह राज्यपाल का अभिभाषण असत्य पर आधारित है इस कारण मैं इसका विरोध करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(अपराह्न 1.33 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
03.10 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और धन्यवाद देने के लिए यहां उपस्थित हूँ. राज्यपाल महोदय का अभिभाषण सर्वहारा वर्ग के कल्याण का और जो किसान है, उस किसान को राहत देने वाला अभिभाषण था. मैं उसका स्वागत करता हूँ, अभिनन्दन करता हूँ. मैं नीमच, जो हमारा अंतिम छोर है, वहां से आता हूँ और मैं धन्यवाद दूंगा हमारे माननीय मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री जी को कि उन्होंने नीमच जिले में सिंचाई की योजना के लिए अद्भुत परिवर्तन किया है. नीमच, मंदसौर जिले में गांधीसागर डैम की जो अभी बात चल रही थी कि मान्यवर नेहरू जी ने उसका उद्घाटन किया था, वाकई में उन्होंने किया था और यह बात सही है कि वह मानव निर्मित एक डैम है, मगर उस डैम का पानी हमारे नीमच और मंदसौर जिले में नहीं मिला था. आज सर्वहारा वर्ग का कल्याण करने वाले हमारे देश के प्रधानमंत्री और पानीदार मुख्यमंत्री मान्यवर शिवराज सिंह जी चौहान साहब, जो मध्यप्रदेश की धरती हैं, उन्होंने किसान की आय को बढ़ाने के लिए ये सारी योजनाएं नीचे तक चालू करने का काम किया है. नीमच, मंदसौर में गांधीसागर डैम का एक बूंद पानी हमें नहीं मिला था, देश के प्रधानमंत्री जी ने 1800 करोड़ रुपये की जो पेयजल योजना मंजूर की है, मैं उसके लिए उनको बहुत धन्यवाद देता हूँ, मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूँ कि अब हमारे नीमच और मंदसौर जिले में पीने के पानी की व्यवस्था होगी. निश्चित ही आज बड़े-बड़े पाइप वहां पर उतर रहे हैं और पानी के लिए गांधीसागर की यह योजना मंजूर हो गई है.
अध्यक्ष महोदय, वहीं 1208 करोड़ रुपये की ड्रिप एरिगेशन की सिंचाई योजना, जो मान्यवर मुख्यमंत्री जी ने मंजूर की है, उसके लिए भी मैं धन्यवाद देता हूँ. माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण में भी यह बात आई है कि सिंचाई की योजनाओं को स्वीकृति मिलने की वजह से आज नीमच, मनासा और जावद की लगभग 65 हजार हेक्टेयर भूमि अब सिंचित होगी, इसमें हमारे लगभग 650 गांव डूबे थे और पानी की वजह से ही आज सारा क्षेत्र जलमग्न हुआ है. इसकी वजह से अभी जब हम गांवों में विकास यात्रा लेकर निकले, तब हमारी छोटी-छोटी बहनें और गांवों की मातृशक्ति सिर पर कलश रखकर इन विकास यात्राओं का अभिनन्दन कर रही थीं. रहीम की वह कहावत सही सिद्ध हो रही थी कि ''रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न उबरे, मोती मानस चून''. हम सब जानते हैं कि पानी की जो कीमत है, उस पानी की कीमत को हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने आंका है और जो चंबल का पानी ठेठ कोटा और ग्वालियर जाता था, वह पानी अब नीमच और मंदसौर में सिंचाई और पेयजल योजना के लिए काम में आ रहा है. इसके लिए भी मैं बहुत बधाई देता हूँ, धन्यवाद देता हूँ. आज हम देख रहे हैं कि गांव-गांव में सिंचाई की व्यवस्था हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हमने देखा है कि 44600 एकड़ से अधिक लागत की केन-बेतवा लिंक परियोजना में प्रथम चरण में बांध लिंक, नहर तथा वॉटर हाऊसिंग निर्माण कार्य इस वर्ष आरंभ हो रहा है. इसके लिए भी मैं कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ. वर्ष 2001-2002 में कृषि विस्तार दर 3 प्रतिशत थी, जो बढ़कर 2022-2023 में लगभग 19 प्रतिशत हो गई है, इसके लिए भी मैं बहुत अभिनन्दन करता हूँ, स्वागत करता हूँ. निश्चित ही 65 लाख हेक्टेयर लक्ष्य हमने रखा है और पुराने समय में सिंचाई की क्षमता बहुत कम थी, जैसा कि हमारे लोग बोलते हैं कांग्रेस नवाब अंग्रेज, उस समय तक भी साढ़े सात हेक्टेयर ही सिंचाई होती थी, आज 45 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ी है और हमारे क्षेत्र में भी बहुत डैम देने का काम किया है. सिंचाई मंत्री जी यहां उपस्थित हैं, मान्यवर मुख्यमंत्री जी भी यहां उपस्थित है, गाडगिल सागर हो, हमेरिया हो, खुमान सिंह शिवाजी के नाम से ठिकरिया डैम हो, इस वजह से हमारा जलस्तर भी बढ़ा है और उसका लाभ हम सब लोग ले रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, इस बात के लिए भी मैं धन्यवाद दूंगा कि हम मां, बहन, बेटी का सम्मान करते हैं. बेटियों के हमने पांव पूजे. पूर्व के कार्यकालों में कांग्रेस के समय बेटियों की संख्या कम हो रही थी, मगर इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया था. हमारे लाडले मुख्यमंत्री जी ने हमको निर्देश दिया कि बेटी के पांव पूजो, हमने बेटी के पांव पूजे और आज बेटियों को सम्मान मिल रहा है. बेटी आगंनवाड़ी में जाती है तो उसके स्वास्थ्य की चिंता की जाती है. उसको मध्याह्न भोजन दिया जाता है, ड्रेस दी जाती है, पुस्तकें दी जाती हैं. गांव की बेटी की योजना का लाभ मिलता है और यदि बेटी डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहती है तो उसकी पढ़ाई की ओर भी मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी लगातार ध्यान दे रहे हैं. महामहिम राज्यपाल जी के भाषण में लाड़ली बहना योजना की जो बात आयी है उस योजना को मान्यवर मुख्यमंत्री जी प्रारम्भ कर रहे हैं. जब हम नीमच विधानसभा में विकास यात्रा में गए, वहां मॉं भादवा माता का स्थान आता है. वहां भादवा माता के प्रागंण में मान्यवर मुख्यमंत्री जी भी पधारे थे और वहां हमने संत रविदास जयंती के दिन से यह विकास यात्राएं प्रारम्भ की और इन विकास यात्राओं के माध्यम से वहां हमने अंतिम पंक्ति में बैठा जो गरीब आदमी है, उसके विकास के लिये भी काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, साथ ही पात्र महिलाओं के खाते में अब 1-1 हजार रूपए हर माह दिये जाएंगे. साल के 12 हजार रूपए खाते में डाले जाएंगे. मैं इसके लिए धन्यवाद देता हॅूं. 5 साल में लगभग 60 हजार रूपए जाएंगे और आज 1 तोले सोने का भाव 58 हजार रूपए है. कोई भी भाई अपनी बहन को 1 तोला सोना नहीं दे पाता है, हम भी नहीं दे पाते हैं. मान्यवर मुख्यमंत्री जी हमारे प्रदेश की बहनों को 5 साल में 1 तोला सोना से ज्यादा राशि दे रहे हैं, इसके लिए भी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का स्वागत करता हॅूं, अभिनन्दन करता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय, लाड़ली बहना योजना की जब बात चली, तो हमारी बहनें बहुत खुश हो रही थीं. उस विकास यात्रा में जहां भी हम सभा लेते थे, वहां बहनों की संख्या अधिकांश देखने मिलती थी. बेटियां भी लगातार यात्रा में आती थीं क्योंकि बेटियों को भी अब लैपटॉप मिलना चालू हो गए हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि नीमच की धरती पर स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं. इन 75 वर्षों में अधिकांश समय कांग्रेस ने 60 साल तक राज किया लेकिन नीमच जिले में स्वतंत्रता के बाद पहला मेडिकल कॉलेज आपने दिया है, इसके लिए भी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और माननीय विश्वास सारंग जी को धन्यवाद देता हॅूं. अभी उसका काम तीव्र गति से चल रहा है, लगभग 30-35 प्रतिशत काम हो गया है. अब हमारी बेटियां वहां मेडिकल की पढ़ाई करेंगी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी, तो अब वह भी हिन्दी भाषा में होगी जो हमारी मूल भाषा हिन्दी है उस भाषा में पढ़ाई होगी. उसके लिए भी मैं धन्यवाद देता हॅूं. हम सब जानते हैं कि पहले लोग डॉक्टर बनते थे, उसकी पढ़ाई के लिए अमेरिका, रूस, जापान जाते थे. अब वे हिन्दी भाषा में यहीं पढे़गे, तो जब वे हमारे अंतिम पंक्ति में बैठे हुए गरीब की सेवा करेंगे तो हमारी सरकारों को दुआएं मिलेंगी और उन दुआओं की वजह से ही चौथी बार हमारी सरकार आयी है, इसलिए मैं कहता हॅूं कि -
"क्या मार सकेगी मौत उसे, औरों के लिये जो जीता है,
मिलता है जहां का प्यार उसे, जो गरीब के आसूं पीता है. "
यह सरकार गरीबों के आसूं पीने वाली सरकार है जो लगातार बहनों के लिये इस प्रकार के कार्यक्रम कर रही है, लाभ देने का काम कर रही है. मुख्यमंत्री जी ने बेटियों को आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक सशक्तिकरण देने के लिये भी नया इतिहास रचा है. मध्यप्रदेश राज्य में जो लाड़ली बहना योजना लागू हुई है, आज उसकी संख्या 44 लाख 49 हजार से अधिक हो चुकी है, इसके लिये भी मैं बधाई देता हॅूं. बेटियां खूब पढ़ रही हैं, आगे बढ़ रही हैं. मेरे नीमच जिले में एक चाय बेचने वाले की बेटी ने पायलट की ट्रेनिंग ली है और नीमच की धरती पर पायलट ट्रेनिंग सेंटर भी प्रारम्भ हो रहा है, इसके लिए भी मैं धन्यवाद देता हॅूं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने नारी सम्मान किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वहारा वर्ग का कल्याण करने वाले इस देश के माननीय प्रधानमंत्री जी को भी धन्यवाद दूंगा. साथ ही हमारी सरकार ने एक नहीं, अनेकों योजनाएं स्वास्थ्य के संबंध में चलाई है. गांव-गांव में, खेत-खेत में पानी पहुंचाया है. उसके अलावा भी मुख्यमंत्री जी ने लगातार इसका जो लक्ष्य रखा था, गांव-गांव, शहर-शहर, मजरे-मजरे और टोले-टोले पर ये विकास यात्राएं गईं हैं. कांग्रेस के बंधुओं के सीने पर जरूर सांप लोटते हैं क्योंकि विकास यात्रा में जो जनसमर्थन और जनता का आशीर्वाद जनप्रतिनिधियों को मिला है, वह अद्भुत है. इस विकास यात्रा में अधिकारी-कर्मचारी, जनप्रतिनिधि कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे और स्पॉट पर ही. चाहे आयुष्मान कार्ड हो, चाहे पात्रता पर्ची हो, चाहे प्रधानमंत्री आवास से कोई वंचित रह गया है, तो उसका नाम लिखवाना हो, ऐसे अनेक काम, इस विकास यात्रा के माध्यम से हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय, स्वच्छता के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश ने कहीं न कहीं बाजी मारी है. छठवीं बार इन्दौर प्रथम आया है. हमारे नीमच जिले के जीरन को भी मान्यवर मुख्यमंत्री जी ने स्वच्छता के क्षेत्र में पचास हजार रुपये दिए थे. उसकी वजह से भी आज हमने इस विकास यात्रा में उन बाल्मीकी समाज के बन्धुओं के पाँव पूजे हैं जो स्वच्छता के लिए सुबह जल्दी उठकर नगर को स्वच्छ बनाने में हमेशा योगदान देते हैं. निश्चित ही मैं बजट के माध्यम से यही कहूँगा कि मुख्यमंत्री जी ने राज्य में आर्थिक वृद्धि में भी अपना योगदान दिया है. प्रति व्यक्ति आय 11.71 से बढ़कर 1 लाख 40 हजार 563 हुई है. हमारे राज्य सकल घरेलू उत्पादन में भी वृद्धि हुई है. औद्योगिक विकास दर में भी 0.61 से बढ़कर 24 प्रतिशत आज वृद्धि हुई. कृषि विस्तार दर जो 3 प्रतिशत थी वह लगभग 19 प्रतिशत हुई है. इसके लिए भी धन्यवाद देता हूँ. कुल खाद्यान्न उत्पादन में भी वृद्धि हुई है और आज गरीब को जो जो भी चाहिए वह सरकार हर समय उपलब्ध कराने का काम कर रही है. इसके लिए लगातार मान्यवर राज्यपाल जी का भाषण हमारे लिए एक नींव का पत्थर होगा. अब मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर बन रहा है. अमृत काल है और इस अमृत काल में....
अध्यक्ष महोदय-- बस हो गया..
श्री दिलीप सिंह परिहार-- ठीक है माननीय अध्यक्ष जी, आपने समय दिया. धन्यवाद.
श्री संजय यादव(बरगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का विरोध करने खड़ा हुआ हूँ. सबसे पहले मैं उदाहरण के साथ इस भारतीय जनता पार्टी की निकास यात्रा का यहाँ सदन में उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हूँ कि निकास यात्रा में जिस तरह से पिछले 4-5 वर्ष पूर्व नर्मदा सेवा यात्रा निकाली गई थी और सरकार की बिदाई हो गई थी क्योंकि सरकारी खर्च से पूरी-हलवा बाँट रहे थे और आशा कार्यकर्ताओं, आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, रोजगार सहायक, सचिव, तहसीलदार, पटवारी, किस तरह से दुरुपयोग करके जो विकास यात्रा निकाली गई उसमें पूरी भी भ्रष्टाचार की खिलाई गई क्योंकि सरकार ने कोई बजट या राशि आवंटित नहीं की थी. मेरे पास तो उदाहरण हैं. माननीय, सदन के पटल पर भी रखना चाहूँगा कि ये प्रशंसा कर रहे थे, एक कॉपी मुख्यमंत्री जी को भी दूँगा और उसको पढ़ना भी चाहूँगा कि एक सी.ई.ओ., जनपद, शहपुरा के सी.ई.ओ. ने सचिव को नोटिस दिया है कि ग्राम पंचायत में आपने कोई मुनादी नहीं करवाई, किसी को सूचित नहीं किया, शासकीय कर्मचारी, शिक्षकों की, उपस्थिति के अलावा, ग्रामवासियों की उपस्थिति नगण्य रही. विकास यात्रा में उपस्थित माननीय अध्यक्ष, जिला पंचायत एवं पूर्व विधायिका ने अप्रसन्नता व्यक्त की है इसलिए आपको हटाया जाता है. अगर जनता नहीं आई और आप सचिव को हटा रहे हैं तो सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इनकी विकास यात्रा में जनता का कोई योगदान भी नहीं था और जनता को विकास यात्रा के प्रति कोई रुचि भी नहीं थी...(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार-- विकास यात्रा स्नेह यात्रा बन गई थी. उमड़-घुमड़ के लोग आ रहे थे.
श्री संजय यादव-- दिलीप भाई, जब आप बोले, मैं नहीं बोला. यह मेरे पास प्रमाण हैं. आप देख लीजिए सचिव कह रहा है कि पब्लिक नहीं थी इसलिए आपको हटाया जाता है. तहसीलदार को हटाया जाता है. किस तरह से बिदाई यात्रा होगी निश्चित रूप से यह भारतीय जनता पार्टी की पारी के ताबूत में अंतिम कील साबित होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि आज मध्यप्रदेश में जो स्टेट गवर्नमेंट की सड़कें हैं उनके क्या हाल हैं. सड़क में गड्डे हैं कि गड्डों में सड़क है. कितने पुल टूट गए हैं. आप सेंटर गवर्नमेंट, एन.एच.आई. माननीय नितिन गडकरी जी ने जो काम किया है उसकी वाहवाही स्टेट गवर्नमेंट लेना चाहती है. जबकि मध्यप्रदेश सरकार विगत 3 वर्षों से, 18 वर्षों से, आज भी मध्यप्रदेश के अनेक गाँवों में सड़कों का निर्माण नहीं कर पाई.
अध्यक्ष महोदय, आप सिंचाई के साधन की बात करते हैं. मैं तो 30 साल से देख रहा हूँ बरगी डैम बना है जब से, जो काँग्रेस सरकार के समय बना और जो सिंचाई के साधन जो बढ़ाए गए उसको भारतीय जनता पार्टी आगे भी नहीं बढ़ा पाई. आँकड़ों की बाजीगरी करती है भारतीय जनता पार्टी की सरकार. अगर कोई हम बंजर जमीन खरीदते हैं उसमें बोर करवाते हैं और अगर हम बोर करवाते हैं और जब खसरे में सिंचाई अंकित हो जाता है तो सरकार उसको अपनी उपलब्धि में जोड़ लेती है. वास्तविकता यह है कि यदि कोई बंजर जमीन खरीदी जाती है और उसमें किसान बोर करवाता है तो यह सरकार की उपलब्धि में नहीं गिना जाता है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमारे यहां विस्थापितों को आज तक सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं करवा पाई है क्यों नहीं करवा रही है क्योंकि वे विस्थापित हैं, गरीब हैं, आदिवासी हैं. बरगी डेम पास में है उसके बावजूद भी सरकार 18 साल से महाकौशल खासकर जबलपुर के साथ घोर अन्याय कर रही है. इस देश में इतना अन्याय किसी सरकार ने नहीं किया होगा. मंत्री तो बना ही नहीं रहे हैं लेकिन कोई विकास कार्य भी आप नहीं करवा रहे हैं. आज बिजली करंट मार रही है. तार है तो बिजली नहीं है और बिजली है तो बिल का भार है. इतना अधिक बिल आ रहा है कि गरीब और किसान खून के आँसू रो रहा है. मुझे याद है जब एक साल की कांग्रेस सरकार बनी थी. बिजली के बिल से समस्या हल करवाई गई थी. उस समय मुख्यमंत्री जी ने कहा था अगर किसी की बिजली कटेगी तो मैं जोड़ने आउंगा. आज गांव-गांव में बिजली काटी जा रही है. किसान के यहां डीपी नहीं लगाई जा रही है. अत्यधिक बिल आने के कारण किसान बिल जमा नहीं कर पा रहा है. आपने कहा है कि हम कृषि के क्षेत्र में डेयरी स्थापित कर रहे हैं. डेयरी सरकार स्थापित कर रही है या व्यक्ति कर रहा है. आप व्यक्ति को क्या मदद दे रहे हैं. जो साधन सम्पन्न है और डेयरी लगाना चाहता है या कोई लोन का निवेदन करेगा और लोन लेकर डेयरी खोलेगा तो उसमें सरकार की उपलब्धि कहां से आ गई. कांग्रेस सरकार ने गौशाला स्थापित करने का काम किया था. भारतीय जनता पार्टी ने उन गौशाओं को रोकने का काम किया है. मेरे क्षेत्र में 26 गौशालाएं बनी थीं उनको पशु आहार देने का काम भी सरकार नहीं कर रही है. आज हमारी गायें भूखी हैं. आज खड़ी फसल का नुकसान गायें कर रही हैं. सड़कों पर गायें घूम रही हैं. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार दोषी है. आपने कहा है कि हम सबके विकास की बात करते हैं. अभी प्रियव्रत सिंह जी ने कहा था. मैं तो यह कहता हूँ भारतीय जनता पार्टी की सरकार आदरणीय शिवराज सिंह जी की सरकार मोदी जी का अपमान कर रही है. जिस क्षेत्र से मैं जीता हूँ वहीं की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद को जिताने का काम किया है उस सांसद ने भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री को चुनने का काम किया है. अगर मेरे क्षेत्र के साथ कोई भेदभाव हो रहा है. मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान किसी व्यक्ति का निरस्त हो जाता है तो सबका विकास कहां से हुआ. आप भेदभावपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं. मैं तो यह कहता हूँ कि आप प्रधानमंत्री जी का अपमान करने का काम कर रहे हैं. मुझसे चार गुना ज्यादा वोटों से हमारे यहां से सांसद जीते हैं. हमारे यहां से सांसद जीते हैं और आप कोई भी काम नहीं कर रहे हैं तो यह मोदी जी का सरासर अपमान हुआ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज की तारीख में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बहुत बुरी बन गई है न अब उनसे लीलते बन रहा है न ही उगलते बन रहा है. उनको मालूम है कि हमारे ऊपर जो बैठे हैं. उनको पता है कि शिवराज जी को हटाते हैं तो निपटेंगे और नहीं हटाते हैं तो भी निपटेंगे. भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बहुत दयनीय हो चुकी है, क्योंकि वो सोच भी नहीं पा रहे हैं कि ...
श्री उमाकांत भार्गव -- (XXX).
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित कर दें.
श्री संजय यादव -- पंडित जी मैं आपकी पार्टी की बात कर रहा हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- कमलनाथ जी पर तो एक बार संजय भैय्या भी नाराज हो गए थे.
श्री संजय यादव -- अगली बार आपका नेता प्रतिपक्ष बनना तय है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आप ख्वाब देखो, हम इधर ही मिलेंगे और आप उधर भी नहीं मिलोगे.
श्री पी.सी. शर्मा -- सिसौदिया जी आपको बधाई हो. मंत्री नहीं बन पाए इसके लिए बधाई.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- शर्मा जी, हम तो इधर मिलेंगे यह तो इधर भी नहीं मिलेंगे.
श्री संजय यादव -- मैं वहां मिलूंगा (सत्तापक्ष की बेंच की ओर इशारा करते हुए). आदिवासी समाज के उत्थान के नाम पर बहुत बड़ा धोखा आदिवासी समाज के साथ भारतीय जनता पार्टी ने किया है. कमलनाथ सरकार ने जो आदिवासी समाज के हित के लिए निर्णय लिए थे. चाहे बर्तन प्रदाय योजना हो, चाहे अन्न प्रदाय योजना हो, चाहे आष्ठान योजना हो सबको बंद करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. आज आदिवासी छात्रों के जितने स्कूल हों, छात्रावास हों, कॉलेज हों उनको बंद करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. मेरे पास तो उदाहरण हैं. आष्ठान योजना के अन्तर्गत कमलनाथ सरकार ने जो राशि स्वीकृत की थी. उस राशि में कटौती करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. आदिवासी हित में जो भी निर्णय लिये गये थे वह बंद करने का काम भारतीय जनता पार्टी ने किया है. आप शिक्षा की बात करते हैं. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा खराब स्थिति शिक्षा की है. जर्जर शाला हैं. शाला हैं तो शिक्षक नहीं, शिक्षक हैं तो बच्चे नहीं. क्या आपने कभी आंकड़े निकलवाए हैं? मेरे पास सारे आंकड़े हैं और इसी सरकार का जवाब है. मैंने विधान सभा में प्रश्न लगाया कि बच्चे शिक्षा क्यों छोड़ देते हैं तो इस सरकार का जवाब है कि माता पिता का पढ़ा लिखा न होना, आर्थिक रूप से कमजोर होना इसलिए बच्चे शिक्षा छोड़ देते हैं. पहले पूरे देश में एक समय था कि जबलपुर शिक्षा की नगरी कहलाता था. एक समय बाहर के लोग यहां पढ़ने आते थे. जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है आज समय आ गया है कि मध्यप्रदेश का बच्चा कोई दिल्ली जाता है, कोई हैदराबाद जाता है, कोई बैंगलोर जाता है. क्या कभी सुना है कि बैंगलोर का बच्चा मध्यप्रदेश में आकर पढ़ रहा है, कभी सुना कि मुंबई या दिल्ली का बच्चा आकर मध्यप्रदेश में पढ़ रहा है. यह हमारे लिए बड़ी शर्म की बात है क्यों? गरीब के पास शिक्षा नहीं है. जो सक्षम है वह अपने बच्चे को बाहर भेजता है और जो गरीब है वह पढ़ाई छुड़वा देता है. मेरे पास एक-एक रिकॉर्ड है. छठवीं या आठवीं के बाद पहली से आठवीं तक अगर 80 प्रतिशत बच्चा पढ़ रहा है तो दसवीं से बारहवीं तक सिर्फ 40 प्रतिशत बच्चा ही पढ़ता है. बारहवीं के बाद सिर्फ 20 प्रतिशत बच्चा ही कॉलेज में प्रवेश ले पाता है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की इन 15 सालों की सरकार में कोई व्यवस्था ऐसी नहीं की. आप मेडिकल की बात करते हैं मेरे यहां दो-दो अस्पताल बने पड़े हैं लेकिन उनमें ताला लगा है क्योंकि वहां डॉक्टर नहीं हैं. पूरे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं क्यों क्योंकि वहां डॉक्टर नहीं हैं. घोटाला कहां हो रहा है. आयुष्मान घोटाला 200 करोड़ रुपए का, नर्सिंग घोटाला 200 करोड़ रुपए का आप मेडिकल व्यवस्थाओं की बात करते हैं. मध्यप्रदेश में मेडिकल की इतनी दयनीय स्थिति हुई है यह कोविड में सभी ने देख लिया है. कोविड में सभी ने हाल देख लिए हैं कि ऑक्सीजन नहीं थी, डॉक्टर नहीं थे. वह तो प्रभु का धन्यवाद है कि अपने आप व्यवस्थाएं सुचारू रूप से ठीक हो गईं नहीं तो कोविड के दौरान सरकार की पोल खुल गई थी. आप सुशासन की बात करते हैं लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि किस तरह से 181 पर फोन लगाने से आमजनों को परेशानी हो रही है. अगर किसी पीडि़त ने 181 लगा दिया तो जिस विभाग के खिलाफ वह शिकायत करता है उसके पास शाम को पुलिस पहुंच जाती है कि शिकायत वापस लो और उसके ऊपर दबाव बनाया जाता है. अगर किसी ने कह दिया कि हमारे गांव में अवैध शराब बिक रही है तो माफिया को जाकर पुलिस वाला बता देता है कि 181 पर आपकी शिकायत आई है. मतलब 181 लगवाओ और आफत बुलवाओ. यह हालत मध्यप्रदेश में चल रही है. कभी जाकर देख लेना कि आपने जो जनसेवा शिविर लगाए थे मैं चेलेंज दे रहा हूं कि अगर आपने 200 आवेदन लिए तो आज दस प्रतिशत लोगों का भी काम नहीं हुआ है. किसी भी गांव में जाकर किसी भी जनप्रतिनिधि से पूछ लीजिए जो जरूरतमंद है वह भटक रहा है. अमृत सरोवर की बात करते है. कागजों में तालाब खुद गए हैं आप क्षेत्र में जाकर देख लीजिए. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करूंगा कि आप जबलपुर आते रहते हैं एक बार बिना अधिकारियों को बताए आप मेरे साथ चलिए कि अमृत सरोवर के क्या हाल किए हैं ? कागजों में खेत, तालाब, कागजों में अमृत सरोवर, कागजों में वॉटर शेड बने हैं. इस तरह से मध्यप्रदेश सरकार की स्थिति चल रही है. आपने पर्यटन की स्थिति की बात की.
अध्यक्ष महोदय-- संजय जी हो गया.
श्री संजय यादव-- पर्यटन में जबलपुर सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र बन सकता है लेकिन न भेड़ाघाट में कोई सुविधाएं हैं न बरगी डेम में कोई सुविधाएं हैं. जो कान्हा नेशनल पार्क है या बांधवगढ़ नेशनल पार्क है आम गरीब पर्यटकों के लिए इतना महंगा है कि गरीब आदमी कभी सपने में भी नहीं सोच सकता है कि मैं कान्हा या बांधवगढ़ घूमूंगा. कौन सी सुविधाएं करवाईं हैं?
अध्यक्ष महोदय-- संजय जी हो गया. दूसरे लोग भी बोलेंगे.
श्री संजय यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया) (नरसिंहपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. मैं मानता हूं कि माननीय राज्यपाल महोदय का अभिभाषण संपूर्ण है और हमारी सरकार ने, आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में जो काम किए हैं, वे अनुकरणीय हैं. हम सभी जानते हैं कि आजादी के 75 वर्ष हो गए हैं और अमृतकाल चालू हो गया है. मैं, मानता हूं कि हमारा बजट भी, अमृत बजट है और आजादी के इन 75 वर्षों में लगभग 55-60 वर्ष देश और प्रदेश में कांग्रेस की सरकारें रहीं. परंतु गरीबों को उनकी मूलभूत सुविधायें कभी नहीं मिलीं. वर्ष 2003 के बाद की यदि हम बात करें तो चाहे बिजली की बात हो, चाहे सड़क की बात हो, सिंचाई की बात हो, किसानों के उत्पादन की बात करें तो उसमें लगातार वृद्धि ही हुई है. जब अटलबिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री बने तो देश में गांव-गांव में सड़कें बनीं. माननीय अटलबिहारी जी ने किसानों को क्रेडिट कार्ड देने को काम किया, पहले तो किसानों को कर्जदार बनाया जाता था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके बाद जब आदरणीय नरेंद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने, तब शौचालय की बात हुई. जब उन्होंने लाल किले की प्राचीर से शौचालय की घोषणा की तो कांग्रेस के बंधु विरोध कर रहे थे कि देश के प्रधानमंत्री शौचालय की बात कर रहे हैं. महिलाओं को इस वजह से कितनी परेशानी होती थी, आज हम देख सकते हैं कि महिलाओं का जो अपमान होता था, जो अत्याचार होता था, उसमें बहुत सुधार हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना की बात हो, चाहे उज्जवला योजना की बात हो, चाहे राशन की बात हो, ये सब पहले भी हो सकता था पहले भी बजट आते थे, मगर मैं, कांग्रेस के बंधुओं से पूछना चाहता हूं कि ये बजट कहां चला जाता था ? बजट प्रावधान तो पहले भी हुआ करते थे लेकिन विगत 55-60 वर्षों में ये मूलभूत सुविधायें लोगों को क्यों नहीं मिलीं ? महिलाओं का लगातार क्यों अपमान किया गया ? अभी हमारे मध्यप्रदेश में आर्थिक सर्वेक्षण आया है जिसमें बताया गया है कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने देश की अर्थव्यवस्था को 5 मिलियन डॉलर बनाने का संकल्प लिया गया है, जिसमें मध्यप्रदेश द्वारा 550 बिलियन डॉलर का सहयोग देने का लक्ष्य रखा गया है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे मध्यप्रदेश की इसमें अग्रणी भूमिका है. अगर हम प्रति व्यक्ति आय की बात करेंगे वर्ष 2011-12 में यह 38 हजार 4 सौ थी, जो बढ़कर वर्ष 2022-23 के अग्रिम अनुमान अनुसार लगभग 65 हजार 23 हो गई है. इसी प्रकार से हमारे बजट का जो आकार है, वह वर्ष 2001 में 16 हजार 393 करोड़ का था, वह वर्ष 2023 में बढ़कर 2 लाख 47 हजार 715 करोड़ हो चुका है. कृषि के क्षेत्र की यदि हम बात करें तो उसमें भी आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है. राज्य में वर्ष 2013-14 में 174.8 लाख मीट्रिक टन की तुलना में वर्ष 2023 में अग्रिम अनुमान के अनुसार लगभग 392.7 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. इसी प्रकार धान में भी बढ़ोतरी हुई है. प्रत्येक वर्ष गेहूं के क्षेत्र में बढ़ोतरी हो रही है. हम गेहूं के क्षेत्र में लगभग पूरे देश में उत्पादन के क्षेत्र में सबसे आगे हैं. ऐसे अनेक प्रकार के कीर्तिमान मध्यप्रदेश द्वारा स्थापित किए गए हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि कृषि के क्षेत्र की हम बात करें तो चाहे जैविक खेती हो, चाहे प्राकृतिक खेती हो, चाहे मुर्गी पालन हो, इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए, हमने बजट प्रावधान किया है, इन सभी क्षेत्रों में हमने काम किया है. अभी हमारे एक माननीय सदस्य कह रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी का 50 हजार का कर्जा माफ करेंगे. वर्ष 2019 से लगातार प्रत्येक को 10 हजार रूपये किसान सम्मान निधि दी जा रही है. 2023 हो गया हम लोग देने का काम कर रहे हैं. एक तरफ कांग्रेस है वह कहती थी कि हर किसान 2 लाख रूपये का कर्जा माफ हो जायेगा. कर्जा तो माफ नहीं हुआ लेकिन किसान जरूर डिफाल्टर हो गया. युवाओं को 4 हजार की राशि देंगे, परन्तु किसी भी एक व्यक्ति को एक पैसा देने का काम का काम नहीं किया. इसी प्रकार से यदि हम संबल योजना की बात करें, संबल योजना का 1 करोड़, 71 लाख से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल रहा है. संबल योजना गरीबों की योजना है और इस योजना को भी बंद करने का काम कमल नाथ जी की सरकार ने किया था और उसमें मिलने वाले जो लाभ हैं, जैसे उसमें अगर महिला है तो उनको प्रसव के समय 16 हजार रूपये की राशि मिलती है, इसमें बिजली का बिल आधा लगता है, सारा इलाज नि:शुल्क होता है, अंत्येष्टि सहायता राशि 5 हजार रूपये मिलती है, अनुग्रह राशि 2 लाख और 4 लाख रूपये मिलती है. यह पुण्य काम भी बंद करने का काम कमल नाथ की सरकार ने किया था.
अध्यक्ष महोदय, यहां अभी बात हो रही थी कि नि:शुल्क 5 करोड़, 18 लाख से अधिक लोगों को हम नि:शुल्क राहत देने का काम कर रहे हैं. कोरोना काल में हम सब लोगों ने देखा है कि व्यक्ति का यही एक सहारा था और उसमें तो कांग्रेस के बंधु तो गायब हो गये थे, दिखते भी नहीं थे. मैं ऐसा मानता हूं कि मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री और देश के प्रधानमंत्री जी ने प्रदेश के लगभग 5 करोड़,18 लाख लोगों को हम नि:शुल्क राहत दे रहे हैं और पूरे देश में 80 करोड़ लोगों को अनाज देने का काम कोरोना काल से वर्ष 2024 तक देने का काम हमारी सरकारें कर रही हैं. इस प्रकार से अभी हमने विकास यात्रा के माध्यम से हम गांव-गांव और एक-एक वार्ड तक गये. इसके पहले मुख्य मंत्री जनसेवा अभियान प्रारंभ किया था. अभी मुख्य मंत्री जनसेवा का भी मजाक उड़ाया जा रहा था. 17 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक हम लोग जनता के बीच 38 योजनाओं को लेकर गये थे और उसमें लगभग पूरे मध्यप्रदेश में 83 लाख से अधिक लोगों को हितलाभ मिले हैं. नरसिंहपुर विधान सभा में लगभग 51 हजार 600 लोगों को हितलाभ मिले, 56 हजार आवेदन आये थे. अभी एक माननीय सदस्य बात कर रहे थे और पूरे जिले में 2 लाख, 10 हजार लोगों को उसका मिला है और स्वामित्व के पट्टे देने का काम आजादी के 75 वर्ष हो गये और सभी जानते हैं कि स्वामित्व के पट्टे हमारी जो आबादी थी उसमें एक व्यक्ति को भी पट्टा नहीं मिला था. हमारे पुर्खे ऐसे ही रहे रहे थे. मगर देश के प्रधान मंत्री और प्रदेश के मुख्य मंत्री जी ने यह भी काम करके दिखाया और स्वामित्व के पट्टे दिये गये और अब भू-अधिकार योजना के माध्यम से शहर और गांव में 31 दिसम्बर, 2020 तक जो जहां काबिज़ है वहां तक पट्टे दिये जा रहे हैं और अभी तक 40 हजार पट्टे दे चुके हैं. बाकि की कार्यवाही अभी जारी है और इसी प्रकार से अगर हम पी एम आवास की बात करें. अभी बात हो रही थी इंदिरा आवास की, आप एक इंदिरा आवास बता दो जो कहीं जिन्दा हो. मैं भी 2003 में जब विधायक बना था तो हमारे जिले में 1300 आवास साल भर में आते थे और उसमें भी बंदरबांट, सरपंच अलग ले जायेगा, पता चला कि अधिकारी अलग खा गये. मगर हमारी जो कार्य योजना बनी है, उसके हिसाब से मैं, ऐसा मानता हूं कि अभी तक 47 लाख, 55 हजार भवन स्वीकृत किये गये और उसमें 39 लाख आवास अभी तक बन गये हैं और गांव भी बन रहे हैं और शहर में भी बन रहे हैं. गांव और प्रदेश में मैं, ऐसा मानता हूं कि देश के प्रधान मंत्री और प्रदेश के मुख्य मंत्री जी ने रिकार्डेड लोगों को लखपति बनाने का काम किया है. अब सीधा संबंधित के खाते में पैसा डाला जाता है. मैं तो ऐसा मानता हूं कि सरकार पैसा दे रही है और व्यक्ति के खाते में जाता है. रिकार्डेड बैंक में खाते खुले हैं. पहले भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाता था, अब पैसा सीधा खाते में डल रहा है. खाते खुलवाने का काम भी हमारी सरकार ने किया है. 47 करोड़ से ज्यादा जनधन के खाते खोले गये. जब खाते खोले गये तब भी मजाक उड़ाया गया कि आपने खाते खोल दिये, पैसे तो हैं नहीं. इस प्रकार से कांग्रेस सरकार का कोई विचार ही नहीं रहा. गरीबों की बात करती रही, गरीबी हटाने की बात करती रही. गरीबी कैसे खत्म होगी कभी उसकी कार्य योजना नहीं बनायी. इसी प्रकार से भ्रष्टाचार की बात जब आपके पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी जी थे तो उन्होंने खुद ने कहा था कि यदि केन्द्र से एक रूपये भेजते हैं तो 15 पैसा पहुंचता है और 85 पैसा खा जाते हैं. उन्होंने उसकी चिंता तो की, मगर उस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये कोई कार्य योजना नहीं बनायी थी. मगर आज वर्तमान में हमारी सरकार ने कार्य योजना बनाकर चाहे पेंशन का पैसा हो, चाहे किसानों का पैसा हो, चाहे हमारे जनधन खाते का पैसा हो जो भी हो वह सीधा खाते में पैसा जाता है उसमें किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार की कोई दूर दूर तक कोई संभावना नहीं होती. ऊर्जा के क्षेत्र की बात करें तो 28 हजार मेगावाट बिजली का रिकार्ड उत्पादन है. उत्पादन के कारण मैं समझता हूं कि 2003 से 2014 तक गांवों में बिजली नहीं मिलती थी. हम गांव में जाते थे तो बोलते थे कि शहर में बिजली मिल रही है. गांव में मिल नहीं रही है. सरकार ने 1 हजार दिन का टारगेट लेकर मैं ऐसा मानता हूं कि हर गांव तक और हर घर तक बिजली पहुंचाने का काम किया है. प्रदेश सरकार एवं केन्द्र सरकार सौभाग्य टू योजना लेकर के आये हैं उसमें मजरा टोला को बच गये हैं, वहां तक बिजली पहुंचाने का काम हमारी सरकार कर रही है. बिजली उत्पादन के कारण कृषि के क्षेत्र में रिकार्ड उत्पादन हो रहा है. आज बिजली नहीं मिलती तो कैसे कृषि के क्षेत्र में रिकार्ड उत्पादन बढ़ता. लगातार उत्पादन बढ़ाने का काम हमारी सरकार कर रही है. हमारे किसान बंधु मेहनत कर रहे हैं. मात्र बंधु योजना में 33 लाख हमारी ऐसी महिलाएं हैं जिनको लाभ दिया गया है. जब महिला पहली बार गर्भवती होती है तो उसको 5 हजार रूपये की राशि मिलती है. इसी प्रकार से हमारे बच्चों को बेटियों को लेपटाप देने का काम किया है उसमें 91498 विद्यार्थियों को अभी तक 228 करोड़ रूपये के खर्च के माध्यम से उनको लेपटाप देने का काम किया है. जो हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति बने उसमें भी मध्यप्रदेश सबसे अग्रणी है. सबसे पहले हमारे मध्यप्रदेश में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कालेज में उनके लिये हिन्दी में पढ़ाई करवाई जा रही है. हर घर में नल से जल प्रत्येक में से मैं ऐसा मानता हूं कि शायद ही ऐसा कोई गांव होगा जहां पर ऐसे टेन्डर नहीं हुए होंगे उसमें मध्यप्रदेश के लिये पर्याप्त बजट का प्रावधान किया गया है. मैं एक और जिले की जानकारी आपको बताना चाहता हूं कि हमारे यहां पर चिनकी बेराज उद्वहन सिंचाई योजना के माध्यम से लगभग 58 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत हुई है उसका काम भी चालू हो गया है उसमें एक भी घर नहीं डूब रहा है. सिर्फ नर्मदा जी के दोनों तटों पर सिर्फ पानी भरा जायेगा नीचे बेराज भी बनाया जा रहा है. इसी प्रकार से एक शक्कर नदी पर भी उद्वहन सिंचाई योजना में कोई गांव डूब नहीं रहे हैं. अनेक ऐसी दो तीन और भी परियोजनाएं हैं. मैं यह बात इसलिये कह रहा हूं कि वर्तमान में जो कार्ययोजना बनाई जा रही है उसमें हम बिजली भी बना रहे हैं उसमें हम पाईप से खेतों तक पानी पहुंचाने का काम कर रहे हैं. उसके पहले जो बरगी डेम बना था उसमें कई गांव विस्थापित हुए. मैं ऐसा मानता हूं कि जो भी कार्य योजना आज वर्तमान में है वह ऐसी है कि किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं है देश के प्रधानमंत्री जी हैं और जो हमारा दल है उनका कहना है कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास बिना कोई भेदभाव के जितनी भी योजनाएं हैं उसमें बिना किसी भेदभाव के सरकार की योजना के लाभ व्यक्तियों को पहुंच रहे हैं. अन्त्योदय योजना के लाभ भी पहुंच रहे हैं और हम न्याय कर रहे हैं. इसी के साथ आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद
डॉ.अशोक मर्सकोले (निवास)--अध्यक्ष महोदय, आपने राज्यपाल के अभिभाषण पर मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिये धन्यवाद. आज हमारे बहुत से जनप्रतिनिधियों का तथा पूर्व राज्यपाल जी के निधन का उल्लेख किया लेकिन 24 तारीख को 15-16 लोग कोल समाज के लेकर अपनी विकास यात्रा पर गये थे या अपने राजनीतिक निहित के लिये लेकर के गये थे. अगर वहां पर उनकी मृत्यु हो गई उनके लिये निधन उल्लेख में एक शब्द भी अगर ना बोला जाये. यह सब आदिवासी समाज के लोग हैं. हमारे राज्यपाल महोदय जिनके माध्यम से अभिभाषण यहां पर सदन में दिया गया है. मुझे बड़ा आश्चर्य होता है और इन 15-16 लोगों के निधन पर अपना सदन में शोक प्रकट करता हूं. अभी अभी विकास यात्रा निकली थी अच्छा हुआ कि विकास यात्रा निकल गई. यह बेसिकली माफिया यात्रा होना चाहिये था और यह कैसी यात्रा है यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी भी बैठे हैं. महामहिम के अभिभाषण के बिन्दु क्रमांक 16 में 5 करोड़ 18 लाख लोगों को खाद्यान्न वितरण की बात कही गई है. अगर साढ़े 7 करोड़ लोगों की आबादी में 5 करोड़ 18 लाख लोग गरीबी के नीचे हैं और मध्यप्रदेश को एक विकसित प्रदेश के रूप में प्रजेंट किया जा रहा है, मतलब पूरा धड़ निकल गया, सिर्फ पूँछ बाकी है.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत दु:खद है, एक ऐसी असत्य कल्पना, एक ऐसी असत्य तस्वीर मध्यप्रदेश की जनता के बीच में पेश करने की कोशिश हो रही है. वह जो सच्चाई है, जो विकास यात्रा में लोगों ने दिखाई है, जनता ने दिखाई है और ऐसी बातें कही जा रही हैं, जैसे कांग्रेस के लोगों ने जाकर वह प्रदर्शन करवाया, विकास यात्रा को रोका है. यह आंकड़ें हैं, यह तस्वीरें हैं, जो इसमें दिखाई गई है. आदिवासियों को रिझाने के लिए जो पेसा एक्ट की बातें कही गई हैं. वह सिर्फ आदिवासियों को छलने का कार्य शासन के माध्यम से किया गया है. माननीय मुख्यमंत्री जी जा रहे हैं, लेकिन मैं एक विशेष बात मुख्यमंत्री जी के सामने रखना चाह रहा था, लेकिन फिर भी मैं सदन के संज्ञान में लाना चाह रहा हूँ, बहुत सी ऐसी बातें हैं, शासन तंत्र का दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है ? वह आपको विकास यात्रा में देखना पड़ेगा. कुर्सियां खाली रहती थीं, जितने लोग बैठते थे, उनमें शासकीय मजबूर कर्मचारियों को, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को, आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उनमें बैठा दिया जाता था और वह 1 हजार रुपये, 50 हजार रुपये, 1 लाख रुपये जो पंचायतों के हक के शिलान्यास या जो भूमिपूजन होने चाहिए थे, वह अपने माध्यम से करते थे. सबसे बड़ी बात यह है कि किसी को शर्म भी नहीं आई. यह बहुत बड़ी चिन्ता का विषय है.
अध्यक्ष महोदय, सिंचाई की बातें आईं, बहुत बड़ी-बड़ी बातें कही गईं. 45 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई की बातें आती हैं, लेकिन हमारा जो महाकौशल क्षेत्र है- जिसका अधिकांश भाग मण्डला, डिण्डोरी का जो हमारा क्षेत्र है, उसमें एक-एक बूंद पानी के लिए हमारा खेत और खलिहान तरस रहे हैं और मैं सदन में पिछले चार वर्षों से लगातार इन बातों को रखते आ रहा हूँ, अगर बिजली की बातें हो रही हैं, सरप्लस बिजली की बातें हो रही हैं. बिजली है कहां ? किसके पास बिजली है ? हमारे क्षेत्र में गांव क्षेत्र में तो सिंगल फेस लाइन है. अगर हम पानी से सिंचाई भी करना चाहें तो हम पानी बिना बिजली के कैसे ले पाएंगे ?
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत कड़वी बातें हैं लेकिन सच्चाई है. अगर मुख्यमंत्री जी के माध्यम से शासन चल रहा है और अपनी लिखी हुई बातें अगर राज्यपाल महोदय से पढ़ाई जा रही हैं तो कम से कम क्षेत्र में अपने-अपने अधिकारियों से एक वार्षिक रिपोर्ट सभी विभागवाईज तो लेना चाहिए कि कहां बिजली की कितनी आवश्यकता है, सिंचाई का रकबा कितना बढ़ा है ? हमारे मण्डला क्षेत्र से दो यात्राएं अभी बीच में निकलीं और उन यात्राओं का मकसद मुख्य रूप से पानी की आपूर्ति के लिए है और पानी के लिए हमें बाहर से कहीं पानी नहीं लेना है. हमारी जो जमीन हैं, हमारे जो क्षेत्र में अपार जल स्त्रोत है, उसकी सही कार्ययोजना बन जाये, उसका सही उपयोग हो जाये, वह पानी हमारे खेत-खलिहान तक पहुँच जाये, उसके लिए मण्डला से जबलपुर तक जाकर हमने कमिश्नर साहब से बात की, उनसे वन-टू-वन टॉक की. नेमपुर पिण्डरई क्षेत्र से मण्डला कलेक्टर से हमारे क्षेत्र के लिए थावर परियोजना के लिए बात की. हम लोग बरगी विस्थापित जो क्षेत्र है, बरगी से पानी की बात कह रहे हैं, लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से. जब हमारे क्षेत्र में पानी है, लेकिन हमारे विकास के लिए काम नहीं हो पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, एक ओर विस्थापन/पलायन की स्थिति बसनियाबाद जो बांध बनाने की बात हो रही है, विकास की बातें हो रही हैं. जहां पहले विकास हुआ है, उसका पुनर्वास &