मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्दश सत्र
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र
मंगलवार, दिनांक 28 फरवरी, 2023
(9 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
[ खण्ड- 14 ] [ अंक-2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 28 फरवरी, 2023
( 9 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11.01 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्री ओ.पी.कोहली, मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल,
(2) श्री सखाराम देवकरण पटेल, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(3) श्रीमती नंदा मण्डलोई, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(4) श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(5) श्री झनक लाल ठाकुर, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(6) श्री राधेश्याम शर्मा, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(7) श्री भागवत भाऊ नागपुरे, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(8) श्री शरद यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, तथा
(9) श्री शांति भूषण, पूर्व केन्द्रीय मंत्री.
श्री शांतिभूषण का जन्म 11 नवम्बर, 1925 को बिजनौर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. आप जनता पार्टी के अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता तथा प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन रहे. श्री भूषण वर्ष 1977 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा केन्द्र सरकार में विधि, न्याय और कंपनी कार्य मंत्री रहे.
आपके निधन से देश ने एक वरिष्ठ नेता, विधिवेत्ता तथा कुशल प्रशासक खो दिया है.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश कोहली जी देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् थे, मौलिक चिन्तक थे, राष्ट्रवादी विचारक थे और कुशल संगठक थे. वे जहाँ भी रहे एक नया आदर्श उन्होंने उपस्थित किया. वे एक आदर्श व्याख्याता थे, वे एक आदर्श राजनैतिक कार्यकर्ता थे और उन्होंने राज्यपाल के रूप में भी, राज्यपाल के पद की गरिमा को बढ़ाया था. मध्यप्रदेश, गुजरात और गोवा के राज्यपाल के पद पर वे रहे, राज्यसभा के सदस्य वे रहे ही. लेकिन राज्यपाल के नाते मध्यप्रदेश की जनता के हितों का संरक्षण और विशेषकर मैंने देखा उस समय वह वर्ग, जिनकी आवाज अक्सर भोपाल तक नहीं आ पाती, सदैव उन्होंने उनकी चिन्ता की थी. उनके निधन से एक वरिष्ठ शिक्षाविद्, एक आदर्श राजनैतिक कार्यकर्ता और एक कुशल प्रशासक हमने खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री सखाराम देवकरण पटेल जी जनसंघ के जमीन से जुड़े कार्यकर्ता थे. भारतीय जनसंघ के काम को बढ़ाने में उन्होंने विशेषकर खंडवा जिले में और समाज के गरीब वर्गों में बढ़ाने में अतुलनीय योगदान दिया, अनेकों आँदोलन किए, आपातकाल में जेल में रहे और 5 वीं, 6 वीं, 7 वीं विधान सभा में पंधाना का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया था और राज्य के मंत्री पद पर रहकर भी उन्होंने प्रदेश की जनता की सेवा की थी. उनके निधन से हमने एक वरिष्ठ राजनेता, कुशल प्रशासक और गरीबों के हित चिन्तक को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्रीमती नन्दा मण्डलोई जी, खंडवा में उनका जन्म हुआ था, काँग्रेस की जमीन से जुड़ी हुई कार्यकर्ता थीं और भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की ओर से ही उन्होंने खंडवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी हमने एक कर्मठ समाजसेवी को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह जी का उमरिया के राजनैतिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान था. वे पार्षद से लेकर, नगर परिषद् के अध्यक्ष तक रहे और 11 वीं विधान सभा में काँग्रेस पार्टी की ओर से उन्होंने उमरिया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी हमने एक लोकप्रिय नेता को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्री झनकलाल ठाकुर जी पहले शासकीय अधिकारी थे. सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 12 वीं विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी की ओर से दमुआ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी प्रदेश के सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
श्री राधेश्याम शर्मा जी, रायपुर के अत्यंत लोकप्रिय नेता थे और सहकारिता क्षेत्र में, सहकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने में उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया. जिला सहकारी भूमि विकास बैंक और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक के भी वे अध्यक्ष रहे. दसवीं विधान सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से उन्होंने भाटापारा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व किया था. सहकारी आन्दोलन में उनको उल्लेखनीय योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा.
श्री भागवत भाऊ नागपुरे, बालाघाट के लोकप्रिय नेता थे. समाजसेवी थे. किसानों के कल्याण के लिए उन्होंने जीवन भर परिश्रम किया. लाँजी क्षेत्र से उन्होंने विधान सभा में प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय शरद यादव जी, एक ऐसा नाम है जिस पर पूरा प्रदेश गर्व करता है. वे नर्मदापुरम्, तत्कालीन होशंगाबाद जिले के गांव में जन्मे थे. नर्मदा जी के इस पार उनका गाँव था और उस पार मेरा गाँव था. बचपन से ही जुझारू रहे. छात्र राजनीति में वे सक्रिय रहे. एक समय था वर्ष 1974-75 का जब वे देश की छात्र राजनीति के सबसे उज्जवल नक्षत्र के रुप में उभरे थे. जे.पी. आन्दोलन में उन्होंने केवल मध्यप्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश को खड़ा कर दिया था. छात्र युवा वाहिनी जैसे संगठनों को खड़ा करने में उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन जानता है वर्ष 1974-75 में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और गलत शिक्षा नीति के खिलाफ जो आन्दोलन उस समय चला था उसमें पहले जे.पी. उम्मीदवार के रुप में शरद यादव जी चुनाव लड़े थे और शानदार बहुमत से जीते थे. उसके साथ ही वे देश में एक बड़े युवा नेता के रुप में वे उभरे थे और तब से लेकर उन्नीस के दशक तक सदैव भारत की राजनीति को उन्होंने बहुत गहराई से प्रभावित किया. शरद जी हों, रामविलास पासवान हों यह एक टीम थी. एनडीए के चेयरमैन भी शरद यादव जी रहे. वे न केवल एक कुशल संगठक थे, एक क्रांतिकारी नेता थे. मंडल आयोग के गठन में और उसकी सिफारिशें लागू करवाने में, पिछड़े वर्गों के कल्याण में उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान था. वे मध्यप्रदेश में जन्मे लेकिन उनकी प्रतिभा ऐसी थी कि वे उत्तर प्रदेश से भी सांसद रहे, बिहार से भी सांसद रहे. वे जहां जाते थे वहां से जीत जाते थे. इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि कितना बहुआयामी व्यक्तित्व उनका था. अपने संपर्क से ज्यादा अपने विचारों से जनता और जनमत को वे कैसे प्रभावित करते थे. वे बेबाक थे, जो ठीक समझते थे बोलते थे उसके कारण आलोचना होती थी वो भी सहते थे लेकिन परवाह नहीं करते थे. मैंने कई बार उनको लोक सभा में बोलते हुए सुना, कुछ लोगों को विवादित लगता था लेकिन जो ठीक होता था वो कहते थे. एक मंत्री के नाते भी वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में वे रहे. उन्होंने देश की जनता की विशेषकर समाज के जो तबके पीछे रह गए उनकी बड़ी सेवा की. उनके निधन से न केवल भारतीय राजनीति में एक लोकप्रिय नेता को हमने खोया है बल्कि मध्यप्रदेश की धरती ने अपने एक ऐसे लाल को जिस पर हम गर्व करते हैं, खोया है. उनका निधन सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति है जिसकी पूर्ति संभव नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री शांति भूषण जी जनता पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रहे और वह यूपी के महाधिवक्ता के साथ-साथ प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमेन भी रहे. वह सन् 1977 में राज्यसभा के सदस्य निवार्चित हुए और केन्द्र में विधि न्याय और कंपनीकारी मंत्री रहे. उनके निधन से देश ने एक वरिष्ठ नेता, एक विधिवेत्ता और कुशल प्रशासक को खोया है. मैं सभी महान दिवंगतों के चरणों में अपनी ओर से और सदन की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और परमपिता परमात्मा से यह प्रार्थना करता हूं कि वह दिवंगत आत्माओं को शांति दे. उनके परिवार, मित्र, अनुयायियों को यह गहन दुख सहन करने की क्षमता दे. ओम शांति.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी और आपने हमारे देश और प्रदेश के सम्माननीय राजनैतिक राजनेता, जनता के बीच काम करने वाले और समाज में क्षेत्र और देश को दिशा देने वाले आदरणीय ओ.पी. कोहली जी मध्यप्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल महोदय, सखाराम देवकरण पटेल साहब, भूतपूर्व सदस्य, श्रीमती नंदा मण्डलोई, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, नरेन्द्र प्रताप सिंह जी भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, झनक लाल ठाकुर जी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, राधेश्याम शर्मा जी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, भागवत भाऊ नागपुरे, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, शांति भूषण जी पूर्व केन्द्रीय मंत्री इन लोगों ने अपने सामाजिक, राजनैतिक जीवन में अलग-अलग क्षेत्रों में जनता के गरीब शोषित, पीडि़तों की मदद की और अपना संपूर्ण जीवन जनता के हित में, परोपकार में और गरीबों की लड़ाई में अर्पित किया है. मैं इन सभी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में तीन शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज थे. रायपुर, ग्वालियर और जबलपुर. जब पहला शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय खोला गया था उस समय एडमीशन मेरठ से होते थे. जब मेरा सन् 1970-71 में आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रथम वर्ष में प्रवेश हुआ उस समय शरद यादव दो वर्ष पूर्व अपनी पढ़ाई समाप्त करके वहां से निकल चुके थे. लेकिन पूरे शहर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र नेता शरद यादव का नाम पहली बार सुना था. मैंने उनको अपने होस्टल में आमंत्रित किया और जैसे ही मैंने उनका पहला भाषण सुना मैं उसी दिन से उनके प्रभाव में आकर उनका अनुयायी बना और उनके जीवन के अंतिम समय तक उनसे मिलता रहा. मैंने देखा है कि संघर्ष के मामले में शरद यादव जी का कोई सानी नहीं था. एक बार जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी पेट्रोल, डीजल के भाव में भारत सरकार ने दो-दो रुपए लीटर की मूल्य वृद्धि की थी. शरद यादव जी छात्र नेता थे उन्होंने सभी छात्रों के राजनेता को साइंस कॉलेज हॉस्टल में बुलाया और आह्वान किया कि हमें जबलपुर बंद रखना है. सात, आठ लाख की आबादी का शहर था उनके आह्वान पर शहर लगातार एक दिन बंद रहा. एक चाय की दुकान भी नहीं खुली. उसके बाद दूसरे दिन भी बढ़ाया गया और लगातार दूसरे दिन भी आठ लाख की आबादी का शहर उनकी अवाज पर बंद रहा. वह हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ते थे. छात्रों के हित में लड़ाई लड़ते रहे और इसके साथ-साथ जनता की मूल समस्याओं के देश की समस्याओं के प्रति भी जागरुक रहते हुए जनआंदोलन किये. एक बार जबलपुर के गोमती थाने में छात्र नेताओं को साधारण सी बात पर बंद कर लिया गया था. उन्होंने जाकर थाने का घेराव किया, वहां पथराव होने लगा, उनकी बहादुरी थी कि जब लाठीचार्ज होता था, तो वे भागते नहीं थे, तमाम छात्र लाठी पड़ने पर दौड़ लगा देते थे लेकिन वे अकेले साधारण धोती-कुर्ता पहने डटे रहे, वे छात्र जीवन से ही धोती-कुर्ता पहनते थे. उनको तीन लाठियां पड़ीं, उनके दोनों पैरों में फ्रैक्चर हुआ, लेकिन वे बहादुर आदमी थे, एक बार नहीं कई बार आंदोलनों में जेल गये, लाठियां पड़ी. लेकिन वे कभी भागे नहीं, पीठ नहीं दिखाई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सन् 1974 में जब जयप्रकाश जी का आंदोलन चल रहा था, सभी पार्टियों ने मिलकर उन्हें उम्मीदवार बनाया और 19 जनवरी, 1975 को वे निर्वाचित हुए. मैं, उस समय छात्रसंघ का अध्यक्ष था, जबलपुर विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का सचिव था, उस समय हमें सेंवरा-सिंगरौली क्षेत्र के 34 पोलिंग बूथ की जिम्मेदारी मिली थी. हमने उनके लिए काम किया. शरद यादव जी ने इस देश में एक नहीं, तमाम नौजवानों को देश की राजनीति में ऊंचे पदों पर पहुंचाया है. हमने वह समय देखा, जब वे पहली बार सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे, तो लालू यादव जी, रामविलास पासवान जी, नितीश कुमार जी, ये तमाम नौजवान छात्र नेता उनसे मिलने आते थे. एक बार हमने अरूण जेटली जी को भी वहां बैठे देखा था. लोग उनसे मिलने के लिए इंतजार करते थे, इतनी भीड़ में भी वे एक-एक से मिलते थे. इन सभी नौजवान नेताओं को गढ़ने का, इन सभी को आगे बढ़ाने का श्रेय, यदि किसी एक व्यक्ति को जाता है, तो वे शरद यादव जी ही हैं.
मुलामय सिंह यादव जी को जब उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने में विवाद चल रहा था तो एक मात्र शरद यादव जी थे, उनके तिकड़म, दिमाग और मेहनत ही थी, जिसने उनको पहली बार मुख्यमंत्री के पद पर बैठाया. देवी लाल जी को आगे लाने के लिए शरद यादव जी ने उन्हें पूरे देश में घुमाया और उनको उपप्रधानमंत्री बनाने में भी उनकी महती भूमिका थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वे मध्यप्रदेश से 2 बार सांसदख् उत्तरप्रदेश में 1 बार बलिया से सांसद और 4 बार बिहार से सांसद रहे. वे कुल मिलाकर 7 बार चुनाव लड़कर सांसद रहे और 4 बार राज्य सभा के सदस्य रहे. मध्यप्रदेश की राजनीति में किसी भी राजनेता ने अपना कद इतना नहीं बढ़ाया. बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश जहां भी वे गये, चुनाव लड़े और जीते. आज वे हमारे बीच नहीं हैं, मध्यप्रदेश ने एक ऐसे नेता को जो गरीबों, शोषित वर्ग और पिछड़े वर्ग के नेता थे, को खो दिया है. जिन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष के लिए लगाया. उनके पास कोई जमीन-जायदाद नहीं थी. उनके साले साहब हरियाणा के हैं, वे अपना कारोबार करते हैं, उन्होंने ही उनकी एकमात्र बहन के नाम पर, एक मकान उनको छतरपुर दिल्ली में दिया, नहीं तो उनके पास अपना मकान भी नहीं था. आज वे हमारे बीच नहीं हैं, मेरे लिए यह एक व्यक्तिगत क्षति है क्योंकि उनका मुझ पर उपकार है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सन् 1989-90 में वी.पी.सिंह जी प्रधानमंत्री थे, जनता दल का गठन हुआ, तब तय हुआ कि जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं, वहां भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लड़ेंगे और जहां समाजवादी शोषित पार्टी के विधायक हैं, उनको टिकट मिलेगा. दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश में लहार में भारतीय जनता पार्टी के विधायक माननीय मथुरा प्रसाद महंत जी थे. शरद यादव जी लहार आये थे, उन्होंने वहां सभा की, देवीलाल जी उपप्रधानमंत्री थे, उनको साथ लाये थे और मुझे कहा था कि आप तैयारी करो, आपको टिकट मिलेगा. लेकिन यहां तो सिद्धांत तय हो गए थे, अब महंत जी का टिकट कैसे कटेगा ? उन्होंने मुझसे पूछा, जीत जाओगे ? मैंने कहा निश्चित. उन्होंने अटल जी और सभी से मिलकर ऐसी तिकड़म लगाई और कहा कि मध्यप्रदेश में मैत्रीपूर्ण संघर्ष होगा. उन्होंने मैत्रीपूर्ण संघर्ष की एक नई परिभाषा निकाली और मध्यप्रदेश में करीब 18 विधायक भारतीय जनता पार्टी, जनता दल और समाजवादी पार्टी दोनों से लड़े. यदि उस समय वे मुझे टिकट नहीं देते तो मैं, विधायक नहीं बनता. यदि मुझे इस सदन में पहली बार लाने का श्रेय किसी को जाता है, तो वे शरद यादव जी हैं.
माननीय गोपाल भार्गव जी ने एक बार कहा था आज आप कांग्रेस की वकालत करते हैं. मैं पार्टी में हूं, तो करूंगा. उन्होंने कहा शरद यादव जी आपके नेता थे. मैंने कहा- थे, हैं और रहेंगे. क्योंकि उन्होंने ही मुझे कहां से कहां तक पहुंचाया. वह व्यक्ति ने जब भी परिवार में सुख-दुख: की छोटी सी भी घटना हुई तो वह आये. हम जब नगर पालिका अध्यक्ष थे तो 1985-1987 में, उस समय हमारे कार्यक्रम में आये. डॉ. राम मनोहर लोहिया की स्टैच्यू लहार में हमने नगर पालिका के अध्यक्ष रहते, हमने लगवायी. नगर पालिका जो नया बस स्टैंड बना था तो उनके करकमलों के द्वारा उसका उद्घाटन हुआ था. आज वह हमारे बीच नहीं हैं.
मैं बहुत दुखी मन से उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि माननीय शरद यादव जी हमारे बीच नहीं है. आज उनके परिवार को यह गहन दुख: सहन करने की क्षमता प्रदान करे और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. एक बात का मैं, मुख्यमंत्री से जरूर अनुरोध करना चाहता हूं कि अभी शरद यादव जी के बड़े भाई जो अभी डिप्टी डायरेक्टर, शिक्षा विभाग से रिटायर हुए हैं. अभी तीन दिन पहले मेरे पास उनका फोन आया था कि गोविन्द सिंह जी अब मैं शरद यादव जी की प्रतिमा अपने गांव में लगाना चाहता हूं. आप माननीय मुख्य मंत्री जी से, कमल नाथ जी से और दिग्विजय सिंह से समय ले लो और जब वह समय देंगे उस समय प्रतिमा को तैयार कराऊं. ताकि उनकी प्रतिमा का अनावरण उनके गांव जो हरदा से बिल्कुल समीप है उसमें हो सके.
मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि मध्यप्रदेश के एक राजनेता ने पूरे देश की राजनीति को दिशा दी हो, ऐसे महान व्यक्ति की प्रतिमा शासन की ओर से लगायी जाये तो मैं, मुख्य मंत्री जी का आभार व्यक्त करूंगा. इसी के साथ मैं पुन: सभी दिवंगत नेताओं के चरणों में प्रणाम करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह सबकी आत्मा को शांति दे.
श्री गौरीशंकर बिसेन( बालाघाट ):- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में आज 9 ऐसी हमारी महान हस्तियां हैं, जिनका हम शोक व्यक्त कर रहे हैं.
मैं सर्वप्रथम सम्माननीय ओ.पी.कोहली जी, जो हमारे महामहिम राज्यपाल रहे हैं और मैं, जब सांसद था तो कई बार उनका हमको मार्गदर्शन मिला है. यह उस पीढ़ी के हैं जिन्होंने भारतीय जन संघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी को यहां तक पहुंचाया है. मैं उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करता हूं.
सम्माननीय सखाराम देवकरण पटेल साहब, श्रीमती नंदा मण्डलोई जी, श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह जी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, श्री झनक लाल ठाकुर जी जो हमारे छिंदवाड़ा जिले से विधायक चुने जाते रहे हैं और जुन्नार देव में, हमारे जो हमारा आदिवासी क्षेत्र है, वहां से इस सदन के सदस्य रहे. हम लोगों ने साथ-साथ काम किया है. अभी उनके बेटे आशीष हमारी पार्टी और अनुसूचित जनजाति बेल्ट में वह काम करते हैं . एक ऐसे जमीनी नेता को हमने खोया है, जिनकी सुदूर बैगा और भारिया जाति के बीच में उनकी बड़ी अच्छी पकड़ थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री राधेश्याम जी शर्मा,भूतपूर्व विधान सभा सदस्य सहित श्री भागवत भाऊ नागपुरे यह लांजी बालाघाट से आते थे. यह प्रगतिशील किसान है और इनके पास करीब 70 से 100 एकड़ जमीन है और उन्होंने आम को अपने क्षेत्र में काफी डेव्ह्लप किया है. वह जब अस्वस्थ हुए तो मैंने माननीय मुख्य मंत्री जी से निवेदन किया तो यहां से भी जितनी मदद हो सकती थी, वह की. सारा प्रयास मध्यप्रदेश शासन की ओर से हुआ, लेकिन हम उनको नहीं बचा सके. हम लोग इसको लेकर काफी द्रवित हैं.
मान्यवर्, शरद यादव जी के बारे में मुझे लगता है कि बहुत ज्यादा कहने की आवश्यकता नहीं है. डॉ. गोविन्द सिंह जी और मुख्य मंत्री जी इतना कह चुके हैं. मैं तो स्वयं 1975 में जे.पी आंदोलन में राजनीति में आया हूं. चूंकि उस समय जबलपुर की राजनीति में हमने शरद यादव जी को1974-1977 में देखा और उनसे ही प्रेरणा लेकर के, उनकी मैंने एक स्पीच सुनी थी बालाघाट की छोटी सी गुजरी में. वह चल-चल कर के पूरे मंच पर बोलते थे. एक अपनी बात को किस तरह से रखने का मैंने जो उनका प्रदर्शन देखा, वह वास्तव में मैं, समझता हूं कि देश में मान्यवर अटल जी, मान्यवर आडवानी जी और हमारा जो नेतृत्व है उसको सदैव उनका सपोर्ट रहा है. हमारे सम्माननीय शांति भूषण जी हमारे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सहित सभा दिवंगत आत्माओं की शांति के प्रार्थना है और विशेष रूप से भागवत भाऊ नागपुरे के परिवार को गहरा दुख: पहुंचा है, इसके पहले उनके दो बेटों का भी निधन हो चुका है. मैं अपनी ओर से और अपने दल की ओर से, अपने परिवार की ओर से दिवंगत आत्माओं की शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना करता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े होकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
( सदन द्वारा दिवंगतों के सम्मान में दो मिनट मौन खड़े रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.)
(11.31 बजे दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित.)
(विधानसभा पुनः समवेत हुई)
11.43 बजे (अध्यक्ष महोदय {श्री गिरीश गौतम}पीठासीन हुए)
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल हो जाए उसके बाद अभी प्रश्नकाल शुरू ही नहीं हुआ है. अभी व्यवस्था कहां से आ गई.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल में व्यवस्था नहीं होती है. इनको बताओ जरा प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता इनको थोड़ा सा ज्ञान दे दो.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल हो जाने दीजिये उसके बाद शून्यकाल में. अभी इसको हो जाने दीजिये.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न हो जाने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--आपके सदस्य ही प्रश्न उठा रहे हैं. श्रीमती झूमा सोलंकी जी.
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, कोई महिला जल गई है. यह आखिरी में क्यों आयेगा.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, यह तो अयोग्यता की श्रेणी में आता है. प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता. इनको कौन समझाएगा.
अध्यक्ष महोदय--आप कृपया बैठ जाएं. यह सबकी समझ से परे है. सत्ताधारी दल का कोई विधायक खड़ा हो रहा हो उसमें आप आपत्ति करो तो समझ में आता है. अभी आपके ही विधायक प्रश्न कर रहे हैं. कम से कम उनका प्रश्न तो हो जाने दीजिये.
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, विधायकों के प्रश्न नहीं होते हैं. यह आपके विवेकाधिकार का प्रश्न है कि आपको ध्यान रखने का अधिकार है. आखिरी में फाईलें जल गई हैं इसलिये उत्तर नहीं दे सकते हैं, यह सरकार का तरीका है क्या ?
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल होने दीजिये. श्रीमती झूमा सोलंकी.
11.44 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
पंचायत सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक की मांगों का निराकरण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
1. ( *क्र. 79 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम पंचायत सचिव संगठन एवं ग्राम रोजगार सहायक संगठन द्वारा वर्ष 2022 एवं वर्ष 2023 में अपनी मांगों के संबंध में कितनी बार ज्ञापन माननीय मुख्यमंत्री जी या कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों के माध्यम से म.प्र. शासन को प्रस्तुत किया गया है? कृपया दिनांक का विवरण, मांगों का विवरण सहित प्रदाय किये गये समस्त ज्ञापन की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें। (ख) उक्त प्राप्त समस्त ज्ञापन में वर्णित मांगों के निराकरण हेतु पंचायत विभाग एवं राज्य शासन द्वारा वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या पंचायत सचिव को सातवां वेतनमान, पंचायत विभाग में संविलियन, वेतन गणना में संशोधन, क्रमोन्नति/पदोन्नति का लाभ तथा ग्राम रोजगार सहायक को नियमितीकरण करने की कार्यवाही शासन द्वारा की जा रही है? यदि हाँ, तो की गई कार्यवाही का विवरण उपलब्ध करावें तथा कौन-कौन से लाभ कब तक दिये जायेंगे? नहीं तो क्या कारण है?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) ग्राम पंचायत सचिव संगठन की प्रमुख मांग ग्राम पंचायत सचिवों के रिक्त पदों की पूर्ति एवं ग्राम पंचायत सचिवों की अनुकंपा नियुक्ति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) ग्राम पंचायत सचिवों के प्रश्नांकित बिन्दुओं के संबंध में यथोचित कार्यवाही हेतु समिति का गठन किया गया है। ग्राम रोजगार सहायकों के नियमितीकरण का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायत के सचिवों को सातवां वेतनमान एवं ग्राम पंचायतों के साथ साथ रोजगार सहायकों के नियमितीकरण और सातवां वेतनमान के संबंध में है. मुझे जो उत्तर मिला है माननीय मंत्री जी की ओर से जो कि पूर्ण नहीं है. मैंने पूछा था कि पूरे प्रदेश भर के ग्राम के सचिवों की जो मांगें हैं. वर्तमान तक एक साल के संबंध में मैंने जानकारी चाही थी, जो दी गई. किन्तु उन्होंने मुझे पूर्ण उत्तर नहीं दिया. उनकी प्रमुख मांग थी कि सातवां वेतनमान कब दिया जायेगा और साथ ही, उनके वेतनमान की गणना सन् 2008 से की जा रही है. उनकी नियुक्ति सन् 1995 से की गई है तो मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाह रही हूँ कि पंचायत सचिवों की नियुक्ति से पूर्ण गणना सन् 1995 से करें और उनका सातवां वेतनमान कब दिया जायेगा?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पंचायत सचिव और रोजगार सहायकों के बारे में जो चिन्ता की है. निश्चित रूप से, वह बहुत ही लाभदायक है और मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह की सरकार, सचिव और रोजगार सहायकों के हितों के लिए पूरी तरह से तैयार है. सातवें वेतनमान और उनके नियमितीकरण के बारे में हमने कमेटी बनाई है, जो अतिशीघ्र ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और तत्पश्चात् उस पर कार्यवाही की जायेगी.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब से समिति बनी है, तब से आज तक कोई मीटिंग नहीं हुई, कोई बैठक नहीं हुई, कोई निर्णय नहीं हुआ है. सिर्फ बैठक करना और उसमें फैसला लेना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मैं समझती हूँ कि ग्रामों के विकास की जो पहली इकाई है, वह पंचायत है और उसकी कार्यवाही करने वाला प्रमुख, पंचायत सचिव और रोजगार सहायक है, तो निश्चित ही उनके नियमितीकरण, उनको सातवां वेतनमान देना बहुत जरूरी है. यह जो समिति इन्होंने गठित की है, उसकी आज तक कोई बैठक नहीं हुई है और कोई निर्णय नहीं हुआ है. माननीय मंत्री जी, मुझे यह आश्वस्त करें और पूरी तरह से उस पर कार्यवाही करने का भी बताएं कि इस समिति ने अभी तक कितनी बैठकें कीं और क्या निर्णय लिये हैं ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, सातवां वेतनमान और नियमितीकरण की प्रक्रिया लम्बी होती है और इसमें पंचायत ग्रामीण विकास के साथ-साथ, वित्त का भी समावेश होता है, सामान्य प्रशासन विभाग का भी समावेश होता है, इसलिए प्रक्रिया थोड़ी सी लम्बी हुई. दिनांक 3 मार्च को इसकी मीटिंग आहूत की गई है और मैं सदस्या जी को यह आश्वासित करता हूँ कि 3 माह के अन्दर आपको इसका निराकरण करके, हम प्रस्तुत करेंगे.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - माननीय अध्यक्ष जी, अभी तक एक भी मीटिंग नहीं हुई है. अब मीटिंग करेंगे तो कब वित्त विभाग को भेजेंगे और कब कार्यवाही करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - इसकी बैठक 3 मार्च को हो रही है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - अध्यक्ष जी, बैठक ही बैठक से थोड़ी नहीं, फैसला लेना होगा. 18 वर्ष हो गए हैं, 18 वर्ष में भी इतना नहीं कर पाये, जो ग्राम पंचायत का प्रमुख कर्मचारी है, उसके लिए भी कोई फैसला अभी तक नहीं हुआ तो अब क्या करेंगे ? मंत्री जी, आपको बताना पड़ेगा. आप इस तरह से बच नहीं सकते हैं. आपने समिति गठित की, कोई फैसले नहीं हुए, कोई मीटिंग नहीं हुई है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, हमारी माननीय सदस्या जी को यह जानकारी लेनी पड़ेगी कि हमारा सचिव जो होता है, वह जिले के कैडर का कर्मचारी होता है, न कि स्टेट का कर्मचारी होता है और उसके नियमितीकरण करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया होती है. उस प्रक्रिया के तहत ही पूरी समिति बनी है. उसकी 3 मार्च को बैठक है और मैं माननीय सदस्या जी को आश्वस्त करता हूँ कि 3 माह के अन्दर समिति की रिपोर्ट आकर उस पर कार्यवाही की जायेगी.
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष जी, सचिव स्टेट का कर्मचारी नहीं होता है, तो वह किसके अंतर्गत आता है ? जिले में जो कर्मचारी काम करता है, वह जिले का कर्मचारी होता है तो क्या वह स्टेट के अंतर्गत नहीं आता है ?
अध्यक्ष महोदय - स्टेट के अंतर्गत आता होगा. स्टेटवाईज अलग है. उनकी नियुक्ति जिलावाईज़ होती है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, जिलावाईज़ होती है लेकिन वह आता तो राज्य सरकार के अधीन है. वित्त विभाग से ही प्रोविज़न उसके लिए भी होता है. यह कौन सा नया प्रावधान है कि जिले का अधिकारी अलग होता है और राज्य सरकार का अधिकारी अलग होता है ? मंत्री जी सदन को भ्रामक जानकारी दे रहे हैं.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री आश्वस्त करें कि सातवां वेतनमान उनको दिया जायेगा और नियमितीकरण, दोनों बातें मानी जायेंगी.
अध्यक्ष महोदय - विधायिका जी, आप बैठ जाइये. आप ही का प्रश्न है कि कमेटी कब बैठेगी और निर्णय कब होगा ? तो निर्णय तो कमेटी ही करेगी. आप ही इसको स्वीकार कर रही हैं. आप 3 मार्च को बैठक होने दीजिये, उसके बाद आप बताइये और 3 महीने का समय दिया है कि 3 महीने के अन्दर निर्णय कर देंगे.
प्रवर श्रेणी की मंडियों में सचिवों की पदस्थापना
[किसान कल्याण एवं कृषि विकास]
2. ( *क्र. 108 ) श्रीमती कल्पना वर्मा : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. की प्रवर श्रेणी में कितनी मण्डियां हैं, क्या उक्त श्रेणी की मंडियों में प्रवर श्रेणी के सचिव पदस्थ हैं? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या मंडी बोर्ड मुख्यालय में उप संचालक पदस्थ होते हुये प्रवर श्रेणी की मंडियों में पदस्थ नहीं किये गये, जबकि मुख्यालय में इनका कोई कार्य नहीं है? (ग) क्या मंडियों में कर्मचारियों के अभाव में कार्य प्रभावित हो रहा है, बोर्ड मुख्यालय एवं आंचलिक कार्यालय में लेखापाल, सहायक उपनिरीक्षक, निरीक्षक, सचिवों को अटैच रखने का क्या औचित्य है? इनको मंडियों में वापस कब तक पदस्थ कर दिया जायेगा? (घ) प्रश्नांश (ग) के अटैच कर्मचारियों को मंडियों में पदस्थापना करने से मंडियों का कार्य सुचारू रूप से चलेगा? (ड.) मंडी बोर्ड मुख्यालय एवं आंचलिक कार्यालयों में लेखापाल, सहायक उपनिरीक्षक, निरीक्षक, सचिव कौन-कौन कब से पदस्थ हैं? क्यों पदस्थ हैं? पृथक-पृथक विवरण दें।
किसान कल्याण मंत्री ( श्री कमल पटेल ) : (क) प्रदेश में 09 प्रवर श्रेणी की मंडियां हैं, जिसमें से प्रवर श्रेणी की कृषि उपज मंडी समिति देवास में सचिव-अ प्रवर श्रेणी/उप संचालक पदस्थ हैं। सचिव-अ प्रवर श्रेणी के 09 पद स्वीकृत हैं, वर्तमान में कार्य की आवश्यकता के आधार पर मुख्यालय में 06 सचिव-अ प्रवर श्रेणी को अन्तर परिवर्तनीय पद होने से उप संचालक पद पर पदस्थ किया गया है। (ख) मंडी बोर्ड मुख्यालय में पृथक से उप संचालक के 09 पद स्वीकृत हैं, कार्य की आवश्यकता के अनुरूप मुख्यालय में 06 सचिव-अ प्रवर श्रेणी/उप संचालक का अन्तर परिवर्तनीय पद होने से उप संचालक पद पर पदस्थ किया गया है। (ग) जी नहीं, मंडियों में कार्य के अनुरूप पर्याप्त कर्मचारी/अधिकारी पदस्थ होने से कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है। बोर्ड मुख्यालय एवं आंचलिक कार्यालयों में अधिकारियों/कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने एवं सीधी भर्ती/पदोन्नति नहीं होने से कर्मचारियों की कमी तथा कार्य की अधिकता के कारण अन्य संवर्ग के रिक्त पद के विरूद्व सचिव, मंडी निरीक्षक एवं सहायक उप निरीक्षक प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर कार्य सम्पादन हेतु आदेशित किया गया है। शेष प्रश्नांश उद् भूत नहीं होता है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (घ) मंडियों का कार्य सुचारू रूप से संचालन हेतु आवश्यक मानव संसाधन तैनात है एवं समय-समय पर आवश्यकता अनुसार पदस्थापना की जाती है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) मंडी बोर्ड मुख्यालय एवं आंचलिक कार्यालयों में पदस्थ लेखापाल, सहायक उपनिरीक्षक, निरीक्षक, सचिवों के पदस्थी का कारण सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्रीमती कल्पना वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के 'क' में पूछा कि प्रवर श्रेणी की प्रदेश में कितनी मण्डियां हैं ? उनमें प्रवर श्रेणी के सचिव क्यों पदस्थ नहीं किये गये ? माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है, उसमें कारण बताया है, जो सही नहीं हैं. मण्डी बोर्ड ने दिनांक 1.2.2011 से 6 कर्मचारियों को प्रवर श्रेणी के सचिव, उप संचालक के पद पर पदोन्नत किया गया है किंतु पदोन्नति पश्चात् इनको 12-13 वर्षों से आज तक कभी भी प्रवर श्रेणी की मंडियों में क्यों पदस्थ नहीं किया गया, जबकि इन मंडियों में बहुत से छोटे वर्ग के कर्मचारियों को प्रभारी सचिव के पद पर पदस्थ किया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न क्या है, आप प्रश्न पूछें ?
श्रीमती कल्पना वर्मा -- प्रश्न ''क'' में मैंने पूछा था कि प्रवर श्रेणी की प्रदेश में कितनी मंडियां हैं, उनमें प्रवर श्रेणी के सचिव को पदस्थ क्यों नहीं किया गया है ?
अध्यक्ष महोदय -- यह उत्तर में है, आप पूरक प्रश्न पूछें. यह उसी के उत्तर में आ गया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर सहीं नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, तो आपका पूरक प्रश्न क्या है ?
श्रीमती कल्पना वर्मा -- मैंने जो पूछा है कि मंडी बोर्ड द्वारा दिनांक-01/02/2011 से पांच कर्मचारियों को प्रवर श्रेणियों के सचिव, उप संचालक के पद पर पदोन्नत किया गया है, किंतु पदोन्नति पश्चात् इनको 12-13 वर्षों से आज तक कभी भी प्रवर श्रेणी की मंडियों में क्यों पदस्थ नहीं किया गया है ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी उनका प्रश्न यह है कि जिनको पदोन्नत आपने किया है, उनकी पदस्थापना क्यों नहीं की गई?
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिये नहीं की गई क्योंकि ये जो पद होते हैं, यह उप संचालक के समतुल्य होते हैं और मंडी बोर्ड में भी हमको कर्मचारियों की आवश्यकता है क्योंकि वहां नहीं है और उप संचालक के पद रिक्त हैं, इसलिये हमने इनको पदस्थ किया है. दूसरा यह जो प्रवर श्रेणी के पदाधिकारी हैं, ये चार-पांच तो शीघ्रलेखन में हैं और इसलिये इनका मंडी बोर्ड में ज्यादा उपयोग है और इसलिये इनको शुरू से इसमें पदस्थ किया गया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से माननीय कृषिमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि प्रवर श्रेणी के पद पर पदोन्नत हुए सचिवों को यदि आवश्यकता ही नहीं थी, तो इनकी पदोन्नति क्यों की गई ?
अध्यक्ष महोदय -- पदोन्नति तो एक प्रक्रिया है, पद न मिलना अलग है और पदोन्नति चीज अलग है, दोनों चीजें अलग-अलग है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- लेकिन यदि परिवर्तन तब होगा, जब इनकी पदोन्नति हुई और जिस उद्देश्य से इनकी पदोन्नति की गई कि प्रवर श्रेणी की मंडियों के नियम व्यवस्था और अच्छे ढंग से प्रभावी हो सके, इसके लिये प्रावधान किया गया. मैं माननीय मंत्री जी, से आश्वासन चाहती हूं कि प्रवर श्रेणी के सचिव को प्रवर श्रेणी की मंडियों में जल्द से जल्द पदस्थ किया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी क्या इस पर विचार करेंगे?
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पर विचार करेंगे.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विचार तो बहुत समय से हो रहा है, आज भी मंडियों में कोई कर्मचारी काम करने के लिये तैयार नहीं है, क्योंकि आपने दूसरी जगह उनको अटेचमेंट किया हुआ है.
श्री कमल पटेल -- आपने कहा कि विचार करें, तो हमने कहा विचार करेंगे.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- नहीं तो कब करेंगे?
श्री कमल पटेल -- आवश्यकता के अनुसार.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- मतलब अभी आवश्यकता नहीं है.
श्री कमल पटेल -- मंडी बोर्ड में ज्यादा है, इसलिये इनको वहां काम दिया गया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- नहीं तो मेन जो हमारी जमीनी भूमि से काम है, किसानों का काम है तो वह मंडी से चालू होता है और मंडियों में यदि कोई कर्मचारी ही नहीं होगा तो फिर काम कैसे होगा उधर पर. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कमल पटेल -- मंडी में कर्मचारी है, मंडी की आय ओर बढ़ रही है, मध्यप्रदेश में बढि़या काम चल रहा है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- नहीं, कर्मचारी तो हैं लेकिन उनको आपने दूसरे अन्य जगह पर अटेचमेंट किया हुआ है, जिसके चलते वहां पर मंडियों में काम ही नहीं हो पा रहा है, किसानों को तो सबसे बड़ी समस्या वहीं से है.
नेता प्रतिपक्ष(डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह पहली बार उपचुनाव में विधायक बनी हैं, तो कृपया करके जब उनकी मांग है तो वास्तव में प्रवर श्रेणी के सचिव को पदस्थ कर दें, तो अच्छी मंडी चलेगी विकास होगा. हमारा आपसे अनुरोध है कि दूसरे किसी को जिनको अटेचमेंट कर रखे हैं, उनको एक को किसी को भी भेज दो, उनकी व्यक्ति विशेष में कोई रूचि नहीं है, आप किसी को भी भेज दें.
श्री कमल पटेल -- ठीक है, कह तो दिया विचार करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- विचार नहीं, आप बहादुर आदमी हो आप विचार करोगे (हंसी) ..आप सही से बोलें खड़े होकर.
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायिका जी से चर्चा कर लूंगा और अगर किसी विशेष में उनकी रूचि होगी तो मैं कर दूंगा.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय मंत्री जी मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि वह चर्चा कब होगी ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह आपसे चर्चा कर लेंगे, अभी आपसे मिल लेंगे. (एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा अपने आसन से बैठे-बैठे कुछ कहने पर) मैं सभी माननीय सदस्यों से आग्रह करता हूं कि एक तो वह हमारी प्रथम बार की विधायिका हैं और उनके साहस की हमको तारीफ करना चाहिये (मेजों की थपथपाहट) माननीय मंत्री जी थोड़ा सा उनका जवाब ठीक से आ जाये, वह पहली बार की विधायिका हैं.
श्री कमल पटेल -- माननीय विधायिका जी, मेरी बहन है, आप मुझसे कभी भी मिल सकते हैं, ऑफिस में मिल सकते हैं, घर पर मिल सकते हैं, यहां पर मिल सकते हैं और आपके क्षेत्र की कोई समस्या आप बतायेंगी तो मैं उसको पूरा करूंगा.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
सी.एम. राईज विद्यालयों में आवंटित बजट
[स्कूल शिक्षा]
3. ( *क्र. 269 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विषयांकित विद्यालय फेस-1 में स्वीकृत विद्यालयों को अब तक आवंटित बजट की जानकारी देते हुए कृपया स्पष्ट करें कि सभी विद्यालयों को समान रूप से बजट का आवंटन किया जाता है या अलग-अलग विद्यालयों को अलग-अलग आवंटन किया जाता है? यदि आवंटन अलग-अलग है, तो कृपया विद्यालय अनुसार आवंटन की जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित प्रकरणों में बजट देने में देरी के कारणों को स्पष्ट करते हुए यह भी बताएं कि बजट कब तक उपलब्ध करा दिया जाएगा?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं। जिला, विकासखण्ड एवं संकुल स्तर के विद्यालयों को अलग-अलग आवंटन दिया जाता है। विद्यालयवार आवंटन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विद्यालयों को आवंटन प्रत्येक त्रैमास में उपलब्ध आवंटन की सीमा में किश्तों में जारी किया जाता है। आवंटन जारी करने में विलंब नहीं हुआ है। अतएव शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री संजय उइके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लांजी विधायिका सुश्री हिना कावरे जी किन्ही कारणोवश सदन में उपस्थित नहीं हो सकी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- इसीलिये आपको अनुमति दी है, आप प्रश्न कीजिये.
श्री संजय उइके-- उनकी ओर से, आपके माध्यम से मंत्री जी से मेरा प्रश्न है कि लांजी विधान सभा क्षेत्र में सी.एम. राईज स्कूल तो खोले गये हैं, लेकिन क्या ब्लॉक मुख्यालय लांजी और किरनापुर में द्वितीय चरण में सी.एम. राईज स्कूल खोले जायेंगे ?
श्री इंदर सिंह परमार-- अध्यक्ष महोदय, यह इस प्रश्न में उद्भूत नहीं हो रहा है.
श्री संजय उइके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने जो प्रश्न किया था वह सी.एम. राईज से संबंधित ही था, इसलिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं....
अध्यक्ष महोदय-- सी.एम. राइज स्कूल खोलने का इसमें नहीं है, इसमें तो बजट आवंटन का है.
स्कूल भवनों की मरम्मत
[स्कूल शिक्षा]
4. ( *क्र. 189 ) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबेरा विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड तेंदूखेड़ा एवं जबेरा में कुल कितने प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल के भवन क्षतिग्रस्त हैं? क्षतिग्रस्त भवनों के प्राप्त प्रस्तावों में से शासन द्वारा कितने स्कूलों के भवनों को वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में कितनी धनराशि रख रखाव व मरम्मत के लिए कब-कब प्रदाय की गई है? प्रदाय की गई राशि से किन-किन स्कूलों में क्या-क्या मरम्मत कार्य कराए गए हैं? उपयोगिता प्रमाण पत्र सहित जानकारी प्रदान करें। (ख) भवनों की मरम्मत के लिए प्रदाय की गई राशि में से कितनी राशि व्यय की गई है तथा कितनी शेष है? यदि कार्य पूर्ण हो चुके हैं तो कार्य पूर्णता एवं गुणवत्ता की जांच किस अधिकारी द्वारा की गई है? स्कूलवार जानकारी प्रदान करें। (ग) जिन स्कूल के भवनों में मरम्मत कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं किया गया है, क्या उनकी जांच कराई गई है? यदि हाँ, तो जांच उपरांत किन-किन अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) :
(ख) विधानसभा जबेरा में मरम्मत कार्य हेतु कुल राशि रूपये 4,32,000/- प्रदाय की गई, जिसमें से 4,14,720/- का व्यय हुआ तथा राशि रूपये 17,280/- शेष है। पूर्ण कार्यों की जांच उपयंत्री/सहायक यंत्री, जिला शिक्षा केन्द्र दमोह के द्वारा की गई है। शालावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों की जानकारी निरंक है। अतः शेषांश उद् भूत नहीं होता। (ग) वर्ष 2021-22 में 04 शाला भवनों में मरम्मत कार्य गुणवत्ता सहित पूर्ण किये गये हैं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों की जानकारी निरंक है। अतः शेषांश उद् भूत नहीं होता।
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से जानना चाहता हूं कि हमारी विधान सभा जबेरा में अधिकांश प्राथमिक शाला भवन और माध्यमिक शाला भवन क्षतिग्रस्त हैं जिसमें माननीय मंत्री जी ने भी माना है कि 128 शासकीय प्राथमिक शाला और 103 माध्यमिक प्राथमिक शाला ये भवन क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन जो राशि उपलब्ध करवाई गई है वह केवल 29 विद्यालयों के लिये राशि उपलब्ध करवाई गई है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि वहां के जो क्षतिग्रस्त विद्यालय हैं उनके लिये राशि कब तक उपलब्ध करवाई जायेगी.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने अभी 30 स्कूलों के लिये राशि उपलब्ध करवाई थी इसमें 28 का कार्य पूर्ण हो गया है, 2 स्थानों पर कार्य प्रगति पर है. हम अभी फिर मरम्मत के लिये जो राशि दे रहे हैं वह लगातार दे रहे हैं. प्राथमिक स्कूलों में हम 75 करोड़ रूपये का प्रावधान और किया गया है और इसी प्रकार से हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूलों में भी 100 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. हमने पूरे प्रदेश भर के सभी विद्यालयों के लिये जो प्राथमिक और माध्यमिक शालायें हैं उनमें 156 करोड़ रूपये का वर्ष 2022-2023 का बजट उपलब्ध हुआ है उस पर कार्य चल रहा है, उसमें प्राथमिकताएं तय की गई थीं कि जिनमें ज्यादा काम हैं उनमें पहले दे दिया जाये ऐसा करके हमने आवंटन किया है. आपके विधान सभा क्षेत्र के सभी स्कूलों को हम आगे पैसा देने वाले हैं.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष जी, क्षेत्र भ्रमण के दौरान कुछ विद्यालय जैसे प्राथमिक शाला भवन, बगदरी यहां पर नई बिल्डिंग बनी थी लेकिन उस बिल्डिंग में एक भी दिन स्कूल नहीं लगा और वह क्षतिग्रस्त हो गई. इसी प्रकार से जामुन प्राथमिक शाला भवन, शहरी प्राथमिक शाला भवन और सिलपुरा प्राथमिक शाला भवन, यह चार शाला भवन ऐसे हैं जो बने थे, लेकिन उनमें स्कूल नहीं लगा, पुरानी बिल्डिंग में ही स्कूल लग रहा है. नई बिल्डिंग का इतना घटिया निर्माण हुआ है कि वह क्षतिग्रस्त हैं. मैं आपसे एक आग्रह करना चाहता हूं कि इनकी जांच करवाकर संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाये.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय विधायक जी ने चारों शालायें बताई हैं उनकी जांच करायेंगे और एजेंसियां भी अगर उस प्रावधान में आती हैं तो उनके ऊपर कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- उनका बहुत गंभीर विषय है, स्कूल लगा ही नहीं उसके पहले ही बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो गई.
श्री इन्दर सिंह परमार-- जी हां, गंभीर है. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राथमिक स्कूल और यह एजेंसी या तो ग्राम पंचायत होती थी या हमारी जो शाला विकास समितियां होती थीं, इसलिये उन चारों जगह का दिखवाकर कब निर्माण हुआ, कौन सी एजेंसी थी, हम बराबर उसकी जांच करवायेंगे और कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी-- धन्यवाद अध्यक्ष जी.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक सुझाव रखना चाहता हूं क्योंकि संदर्भ आया है. विगत वर्षों में जो हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल उन्नयन करके प्रारंभ किये गये किंतु उन भवनों की स्वीकृति नहीं दी गई और जो कि लगभग-लगभग 25 से 35 वर्ष से संचालित किये जा रहे हैं, छात्र संख्या भी काफी अधिक है तो भवन निर्माण करने के लिये बजट का प्रावधान किया जाये यह आग्रह है और वह जीरो बजट में ही हुये थे जो लगभग 25 से 35 वर्षों से लगातार चल रहा है. इसी के साथ ढोढर,जावरा विधान सभा क्षेत्र का एक हायर सेकेंड्री स्कूल बनकर तैयार हो गया है लेकिन उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है और वह लोकार्पित होने के बावजूद भी उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. उसकी जांच भी करवा लें और भवन निर्माण का प्रावधान भी रख लें.
अध्यक्ष महोदय - उसकी जांच कराने का कह दिया है.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय पाण्डेय जी ने जो बात रखी है. अभी जिस विभाग को निर्माण एजेंसी का काम मिला है उस विभाग को लिखेंगे क्योंकि टेक्नीकल हमारे पास अमला नहीं है और जिसको हम एडवांस पैसा देते हैं विभाग को, मेरे ख्याल से पी.आई.यू. को दिया होगा और मैं सदन के माध्यम से आपको बताना चाहता हूं कि हम पी.आई.यू. को लिखेंगे कि ऐसी बिल्डिंगें, जिनकी गुणवत्ता ठीक नहीं है तो उनकी जांच कराई जाए.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - भवन विहीन का भी बता दें. भवन विहीन के निर्माण के बारे में मंत्री जी बता दें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह(पथरिया) - अध्यक्ष महोदय, यह जवेरा अकेले की स्थिति नहीं है. मेरा निवेदन है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी कई स्कूलों की हालत ऐसी है कि कई स्कूल जर्जर हो चुके हैं. बच्चे बैठ भी नहीं पाते हैं तो उन स्कूलों का सुधार किया जाए क्योंकि बहुत ज्यादा खराब हालत है. बच्चे बाहर बैठते हैं.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जावेंगी :-
1. श्री आरिफ अकील
2. डॉ.सतीश सिंह सिकरवार
3. डॉ.हिरालाल अलावा
4. डॉ.सीतासरन शर्मा
5. श्री पी.सी.शर्मा
6. श्री सुनील सराफ
7. इंजी.प्रदीप लारिया
8. श्री रामलाल मालवीय
9. श्री बहादुर सिंह चौहान
10. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
12.01 बजे बधाई
श्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर बधाई
श्री पी.सी.शर्मा(भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी का जन्मदिन है. वे दस साल सदन के नेता रहे और कई वर्षों तक सदन के सदस्य रहे. इस सदन के माध्यम से हम उनको जन्मदिन की बधाई देना चाहते हैं. वे दीर्घायु हों.
12.02 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह की मूर्ति के अनावरण के संबंध में
श्री नीलांशु चतुर्वेदी(चित्रकूट) - मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि विन्ध्य के सपूत कुंवर अर्जुन सिंह जो पूरे देश की राजनीति में चाणक्य जैसा उनका नाम था. उनकी मूर्ति पर भोपाल में लगातार कई वर्षों से कपड़ा लपेटा हुआ है. अध्यक्ष महोदय, आप भी चूंकि विन्ध्य से आते हैं तो आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि उस मूर्ति का लोकार्पण करना चाहिये. पूरे विन्ध्य क्षेत्र की, पूरे प्रदेश की, पूरे देश की लगातार मागं रही है जिसमें न तो किसी सरकार द्वारा कोई ध्यान दिया गया है. आज सदन के माध्यम से उस मूर्ति के अनावरण की तिथि निर्धारित हो जाए क्योंकि वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं और देश में शिखर पर राजनीति में रहे हैं.
12.02 बजे
अध्यादेश का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेशों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अध्यादेश,2023(क्रमांक1सन्2023)
12.03बजे
दिसम्बर, 2022 सत्र की स्थगित बैठक दिनांक 23 दिसम्बर, 2022 की प्रश्नोत्तर सूची तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-12 पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय - दिसम्बर, 2022 सत्र की स्थगित बैठक दिनांक 23 दिसम्बर, 2022 की प्रश्नोत्तर सूची तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-12 पटल पर रखा गया.
12.03 बजे
नियम 267-क के अधीन दिसम्बर, 2022 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा
उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन दिसम्बर,2022 सत्र में सदन में पढ़ी गई शून्यकाल की सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा गया.
12.04 बजे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
12.04 बजे कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
12.05 बजे ध्यानाकर्षण
(1) प्रदेश के विकासखण्ड मुख्यालयों पर बंद पड़े मिट्टी परीक्षण केन्द्रों को संचालित न किया जाना.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा) -- अध्यक्ष महोदय,
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने खुद ही स्वीकार किया है कि 265 नवीन मिट्टी परीक्षण केन्द्र विकास खण्डों में स्थापित करने का निर्णय शासन ने लिया. न सिर्फ शासन ने निर्णय लिया, बल्कि उसके लिये 108 करोड़ रुपये लगभग खर्च भी कर दिये. एक मिट्टी परीक्षण केन्द्र बनाने में 41 से 42 लाख रुपये खर्च भी कर दिये. 2017-18 में यह काम पूरा भी हो गया. अब यह जो प्रक्रिया हो रही है, री-डिप्लोयमेंट की और यंत्रों के उपलब्धता की और अमले की, जिससे कि वह संचालित हो सकें. इसमें 5 साल बीत चुके हैं. मुख्यमंत्री जी ने सिंचाई के रकबे को 47 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया है. खेती को लाभ का धंधा बनाने का हमारा मिशन है. और इस मिशन को ध्यान में रखते हुए ही यह निर्णय लिया गया था कि मिट्टी परीक्षण केन्द्र विकास खण्डों में बनाएंगे तो आम किसान आसानी से वहां जाकर अपनी मृदा का परीक्षण कराकर बेहतर से बेहतर खेती करेगा और उसकी उत्पादकता भी बढ़ेगी.
अध्यक्ष महोदय, 5 साल बीत जाने के बाद भी यदि हम उन केन्द्रों को संचालित करने में सफल नहीं हो सके तो मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि इसकी एक टाईम लाइन तय कर दें. यदि 41 लाख रुपये केन्द्र पर खर्च हुए हैं तो मात्र दो-ढाई लाख रुपये यंत्र और 25-30 हजार रुपये महीने अमले पर खर्च होना है. दो व्यक्तियों से ज्यादा एक केन्द्र में अमला नहीं लगेगा, इसलिए इतने कम खर्च में जबकि बड़ा खर्च हमने कर दिया है. इस छोटे खर्चे की कमी के कारण हमारे यह परीक्षण केन्द्र, इतना व्यापक हमारे किसानों के हित का मामला इससे जुड़ा हुआ है, इसलिए आप यदि इसको शीघ्र शुरू करा देंगे तो खेती को लाभ का धंधा बनाने का हमारा सपना, भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री जी का सपना पूरा हो जाएगा.
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री राजेन्द्र शुक्ल जी को मैं बधाई भी देता हूं कि उन्होंने किसानों का बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. सरकार इसमें गंभीर है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में और मुख्यमँत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में गांव, गरीब और किसानों की सरकार है, इसलिए किसानों के लिए जो भी हो सकता है, वह हम कर रहे हैं. इसमें हम जल्दी ही पद भी सृजित कर रहे हैं. जो कमियां हैं, उसको पूरा करके 265 ही प्रयोगशालाएं चालू करके किसानों को अधिक से अधिक हर किसान की खेत की मिट्टी का परीक्षण हो जाय ताकि उसको हम अच्छी सलाह दे सकें ताकि हमारा उत्पादन बढ़े, किसान की आय भी बढ़े और लागत भी कम हो. इसके लिए प्रक्रिया हमने शुरू कर दी है, इसको जल्दी ही कर देंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, आप यह कर रहे हैं यह अच्छी बात है लेकिन 5 साल से जो कर रहे हैं, वह 4-5 दिन में हो जाय.
श्री कमल पटेल - ठीक है, जल्दी करेंगे.
12.13 बजे (2) जबलपुर एवं रीवा संभाग में ओपन कैप में रखे अनाज के रख-रखाव में अनियमितता होना
श्री भूपेन्द्र मरावी (शहपुरा) - अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री बिसाहूलाल सिंह)- अध्यक्ष महोदय,
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जबलपुर एवं रीवा संभाग में वर्ष 2015-16 से वर्ष 2020-21 तक गेहूँ के भंडारण के समय व धान के भंडारण के समय कितने कवर्ड गोदाम शासकीय जेबीएस व प्रायवेट गोदाम में कुल जगह उपलब्ध थी ? इसमें से गेहूँ व धान के भंडारण के समय कितनी जगह भरी गई जिलेवार बतावें. दूसरा, जबलपुर व रीवा संभाग में उक्त अवधि में गेहूँ के भंडारण के समय व धान के भंडारण के समय कितने-कितने कैप, कितनी-कितनी मात्रा के भंडारण हेतु कुल जगह उपलब्ध थी इसमें से कितनी जगह गेहूँ व धान के भंडारण के समय भरी गई ? जिलेवार बतावें.
अध्यक्ष महोदय, तीसरा, शासन के निर्देशानुसार कवर्ड गोदाम शासकीय जेबीएस व प्रायवेट गोदाम में ही गेहूँ व धान का भंडारण किया जाना चाहिये इस बावत शासन के द्वारा जारी आदेशों व निर्देशों की प्रतिलिपि देवें. चौथा, कैप में धान व गेहूँ का उक्त संभाग में नियमों के विपरीत भंडारण हेतु किस अधिकारी के आदेश से भंडारण किया गया, उसका नाम व पदनाम तथा नियम विरुद्ध करने हेतु इनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई ? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई तो क्या कार्यवाही की जाएगी ? पाचवां, उक्त संभागों में उक्त जिलों में ..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, हो गया. इसमें आपने देखा नहीं, उनके उत्तर में आया है भाई ओपन कैप में भंडारित धान के रखरखाव का दायी कितना है, उसमें 11 लाख, 57 हजार मीट्रिक टन है. पहले से लिखा हुआ है आप इसी को पूछ रहे हैं कि ओपन कैप में कितना है. ऑलरेडी इसमें है. उत्तर में आप देखिये ना. इनके उत्तर में यह लिखा हुआ है कि वर्ष 2020-21, 2021-22 में कुल 11 लाख, 57 हजार, 317 मीट्रिक टन ओपन कैप में भंडारित धान है.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा पाचवां प्रश्न है उक्त संभागों में, उक्त जींसों के ओपन कैप में रखे जाने से कितना गेहूँ व धान खराब हुआ तथा कितना चोरी हुआ इसकी मात्रा व कीमत बतावें ? इस हेतु जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों का नाम व पदनाम तथा नियम विरुद्ध करने हेतु इनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह भी है. माननीय विधायक जी, यह तो उत्तर में आया है कोई अलग से पूछिये ना. इनके उत्तर में है कि इतने मीट्रिक 2.3 परसेंट धान खराब हुई. जो मान्य है उसमें से 3.49 सार्टेज है. जो आप पूछ रहे हैं वह तो उत्तर में ऑलरेडी है.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, इसके लिये जिम्मेदार कौन है ?
अध्यक्ष महोदय -- जिम्मेदारी किस बात की ?
श्री भूपेन्द्र मरावी -- माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई ?
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही किस बात की ? इसमें तो आ गया ना.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही. धान तो जिले में काफी जगहों पर खराब हुई है ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, दोष तो अभी तय ही नहीं हुआ है.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हमने स्पष्ट रूप से माननीय सदस्य को बताया है कि इतने परसेंट धान यहां पर खराब हुई है और जो निविदा लिये थे उनसे हम वसूली की कार्यवाही भी कर रहे हैं. उस कार्यवाही में कोई दिक्कत नहीं है.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- माननीय मंत्री जी बताना चाहेंगे कि कब तक कार्यवाही होगी ?
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही जल्दी हो.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- जी हां, कार्यवाही जल्दी होगी और हमने नोटिस दे दिया है वसूली की कार्यवाही चालू है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
12.17 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-182 बड़वाह के सदस्य श्री सचिन बिरला की
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र में सभा की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
12.18 बजे सभापति तालिका की घोषणा
12.19 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी आवेदन पत्र प्रस्तुत किये माने जाएंगे.
12.20 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री यशपाल सिंह सिसोदिया, सदस्य द्वारा दिनांक 27 फरवरी, 2023 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए मैं अपने वक्तव्य को प्रारंभ कर रहा हूँ. कल जब सदन में राज्यपाल महोदय अपना वक्तव्य अभिभाषण के माध्यम से दे रहे थे, तब सदन में प्रतिपक्ष ने भी बहुत गंभीरता के साथ, बहुत शालीनता के साथ बगैर किसी शोर-शराबे के इसलिए उस अभिभाषण को सुना क्योंकि उसमें टीका-टिप्पणी करने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी. (...व्यवधान...)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें कुछ था ही नहीं तो क्या टिप्पणी करते.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब बाहर निकले तो इन्होंने उसे असत्य का पुलिंदा करार दिया. यहां सदन में नहीं बोले. अध्यक्ष महोदय, पुलिंदा तो था वचन-पत्र का, कर्ज माफी के नाम पर किसान ठगे गए, बेरोजगारों को रोजगार देने को लेकर, बेरोजगारी भत्ता दिए जाने को लेकर, स्व-सहायता समूह, सब समूहों का कर्जा माफ कर दिया जाएगा. अध्यक्ष महोदय, 'छलनी कहे सुई से तेरे पेट में छेद', जिनके पूरे पेट में छेद ही छेद हैं, वे हम पर सवाल उठा रहे हैं. खुद सवालों के घेरे में थे. आज तक जवाब नहीं बन रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी का अभिभाषण आइने की तरह साफ है. तभी तो कल सदन में पूरा भाषण आत्ममुग्ध होकर सुना, विरोध करने लायक कुछ था भी नहीं उसमें. (...व्यवधान...)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- कुछ था ही नहीं उसमें..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- हां, कुछ बोलने लायक ही नहीं था. आपको तो बस खाली इतना ही करना था कि मेजें नहीं थपथपाई आपने बाकी सब कर दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में तर्क था, तथ्य समाहित थे. मुझे इस सदन में 15 वर्ष हो गए हैं. 15 वर्ष में एक दर्जन से ज्यादा बार आपकी आसंदी के समकक्ष राज्यपाल जी के अभिभाषण को मैंने सुना है. कभी भी राज्यपाल जी के अभिभाषण में आदिवासी जनजाति समुदाय के लोगों के लिए पेसा एक्ट को लेकर 'यह लागू कर दिया है', ऐसा वक्तव्य कभी नहीं आया. पहली बार कल के अभिभाषण में पेसा एक्ट लागू किए जाने का वक्तव्य राज्यपाल जी के मुखारबिंद से आया. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी श्री शिवराज सिंह चौहान को बधाई देना चाहता हूँ कि जिन्होंने पेसा एक्ट को प्रदेश के पूरे उन जिलों में लागू कर दिया, जहां पर इसकी आवश्यकता प्रतीत हो रही थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण यह स्पष्ट कर रहा है कि सरकार 'आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश' के निर्माण के लिए कटिबद्ध है. यह प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है, प्रतिबिंब भी है. 'आत्मनिर्भर भारत' की महायात्रा में देश का दिल मध्यप्रदेश भी कदमताल करता हुआ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्णयुग की शंख ध्वजा है. प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में जी-20 की अध्यक्षता भारत के स्वर्णयुग की शंख ध्वनि है. मध्यप्रदेश का यह सौभाग्य है कि जी-20 समूह की 8 बैठकों की मेजबानी करने का सौभाग्य मध्यप्रदेश को प्राप्त हुआ है, जो देश का दिल है, उसमें भोपाल, इंदौर और खजुराहो में यह संपन्न भी हो चुका है. दुनिया में मध्यप्रदेश की छवि उज्ज्वल हुई है, जो प्रतिपक्ष को नागवार गुजर रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले दिनों इंदौर में एक सफल आयोजन हुआ है.
इस सत्र में प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में इतिहास रचा है. 70 से अधिक देशों से 3500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया. 3-3 राष्ट्रपतियों ने शिरकत की. वैसे भी इंदौर स्वच्छता में छठवीं बार स्थान पाने वाला शहर है. नमो ग्लोबल गार्डन प्रवासी भारतीयों के लिये चिरस्थायी स्मृति पटल पर आया है. अभी 5 फरवरी से 25 फरवरी तक सदन के प्रारम्भ होने के एक दिन पूर्व तक माननीय मुख्यमंत्री जी के दिशा-निर्देश पर 230 विधानसभा क्षेत्रों में विकास यात्रा निकली है. हमने विकास किया है, हमारी सरकार ने विकास किया है. विकास की बात हम करेंगे. प्रतिपक्ष जाकर के या हमारे विरोधी जाकर के हमारे विकास कार्यों का क्यों बखान करेंगे और प्रारम्भिक एक सप्ताह तक तो प्रतिपक्ष को इस बात का पता भी नहीं चल पा रहा था कि इस विकास यात्रा में कितना रिस्पांस मिल रहा है. जैसे ही माननीय मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली बहना योजना की शुरूआत करने की बात कही और जो जनसमूह गांवों में उमड़ा और जिस प्रकार से स्वागत-सत्कार प्रारम्भ हुआ, जल-जीवन मिशन को लेकर के हर घर नल-जल योजना, लाड़ली बहना योजना है तो प्रतिपक्ष ने सुनियोजित तरीके से हमारी विकास यात्राओं का विरोध करना प्रारम्भ किया. मऊगंज में तो पथराव तक होने लगे. आदरणीय माननीय नरोत्तम जी तो कहते हैं कि जिस घर से पत्थर निकलकर आएंगे, उस घर के पत्थर निकाले जाएंगे और मऊगंज से जो शुरूआत हुई है वहां से शुरूआत के कारण से अनेक विधानसभा क्षेत्रों में प्रतिपक्ष ने व्यवधान डालने की कोशिश की है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी नगरीय नगर परिषद् में 4 कांग्रेसी जो पद पर बैठे हैं, जो दायित्ववान हैं वे मुझसे चौराहे पर आकर के बात करते हैं और कहते हैं कि विधायक जी, विकास कहां हुआ है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस नगरीय गांव में क्या नहीं दिया है. जनता स्वीकार कर रही है लेकिन कांग्रेस के उन 4 पदाधिकारियों को सूझ नहीं पड़ रही है,समझ नहीं पड़ रही है. मैंने भी कह दिया, जाइये आपको विकास दिख ही नहीं रहा है, दिखेगा भी नहीं. शायद आपकी आंखों में मोतियाबिंद आ गया है. आप पहले ऑपरेशन करवा लो. प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी का आयुष्मान कार्ड चल जाएगा. जिस गांव में इतना विकास हुआ, उस गांव में यदि कांग्रेस के उन 4 लोगों को विकास नहीं दिख रहा है, तो मैं कैसे दिखाऊंगा. तब प्रशासन ने उनको बिठाया तो पुलिस प्रशासन में इस बात की पुष्टि हुई. मंदसौर की पूरी कांग्रेस थाने का घेराव करने चली गई. यहां तक कि तीसरे दिन मंदसौर जिले के पदाधिकारियों ने जाकर के उन 4 कांग्रेसियों के गले में माला डालकर उनका अभिनंदन और स्वागत कर दिया कि वाह, आपने कमाल कर दिया, विकास यात्रा का विरोध कर दिया. यह इन लोगों का षडयंत्र है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वामित्व योजना नजर नहीं आ रही है. धारणाधिकार योजना नजर नहीं आ रही है जो बाडे़, जो मकान, जिनका आधिपत्य होते हुए भी जिनके राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज नहीं किए. ड्रोन से फोटोग्रॉफी हुई है और चूने की लाइनिंग डली हुई है. उन मकानों के नामांतरण नहीं होते थे, उन मकानों की रजिस्ट्री नहीं होती थी, उन मकानों पर लोन नहीं मिलता था, जमानत नहीं मिलती थी. बैंक लोन नहीं देता था. माननीय मुख्यमंत्री जी ने और माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूरे मध्यप्रदेश के गांवों के एक-एक और शहरों के एक-एक मकानों को ड्रोन के माध्यम से, लाइनिंग के माध्यम से धारणाधिकार के अंतर्गत शहरों में और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना के अंतर्गत लोगों को लाभान्वित करने का काम किया. यही लोगों में उत्साह था. यही रंग और गुलाल वर्षा और आतिशबाजी उस विकास यात्रा में होती थी. इधर विकास यात्रा में हमारा स्वागत होता था और उधर प्रतिपक्ष के सीने पर सांप लोटते थे और सोचते थे कि सुबह किस प्रकार से यात्रा का विरोध किया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सड़क निर्माण में मध्यप्रदेश में तस्वीर बदली है. जब वर्षों तक यह लोग थे, हम इनसे पूछना चाहते हैं आप यह बताने की कृपा करें कि गड्ढों में सड़कें थीं या सड़कों में गड्ढे थे. आज 2 लेन सड़क, 4 लेन सड़क, 8 लेन सड़क, 8 लेन सड़कें हैं. जिस प्रकार से प्रदेश में गत दो वर्षों में 12 हजार करोड़ रूपए का व्यय कर 8 हजार किलोमीटर की सड़कों का निर्माण हुआ है, 69 पुलों का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्गों पर 27 हजार करोड़ रूपयों के कार्य प्रगति पर हैं. नेशनल हाईवे पर तीन वर्षों में 17 हजार 5 सौ करोड़ रूपयों की स्वीकृति भारत की सरकार ने दी है.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- यशपाल भाई साहब, हम भी कछु बोलें आपके साथ साथ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- मेरे बाद बोल लेना.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अच्छा ठीक है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, रीवा-सीधी सिक्स लेन प्रारंभ करने में एक नई दिशा दी है. अध्यक्ष महोदय, मेरे जिले से 125 किलोमीटर पर गुजर रही है एट लाइन सड़क, जो दिल्ली से बॉम्बे हमारा रेल्वे का ब्रॉड गैज का ट्रैक है जिस पर रतलाम बड़ा स्टेशन है. कोटा, सूरत और बड़ौदा आता है. 10 से 12 घंटे ट्रेन में लगते हैं. आज अगर मंदसौर से हम जावरा के भूतेड़ा से या हरदीप डंग जी के निर्वाचन क्षेत्र का हमारा जो गाँव है लदूना के पास में ढंडेरा, वहाँ से अगर हम चढ़ाई करेंगे एट लेन पर तो बॉम्बे और दिल्ली हम साढ़े पाँच से छ: घंटे में बाय रोड पहुँचेंगे. यह उन्नति और तरक्की किसी ने की है तो भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने की है और अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है इन सड़कों पर प्रतिपक्ष के लोग भी चल रहे हैं तब उनको विकास नहीं दिखता है, उनकी जेबों में, उनके परिवार के लोगों की जेबों में, प्रधानमंत्री जी का आयुष्मान कार्ड है, वे भी जीरो प्रतिशत पर ब्याज लेते हैं. हर घर नल जल योजना के अंतर्गत उनके उनके समर्थकों को नल कनेक्शन मिल रहे हैं. तब उनको यह विकास नहीं दिखता है, विरोध के लिए जरूर ये विरोध करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, 7 लाख 50 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में किसी जमाने में सिंचाई होती थी. अँग्रेजों से लेकर काँग्रेस तक, नवाब भी आ गए, राजा आ गए, रजवाड़े आ गए, लेकिन मैं मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ.....
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट लूंगा. आपने कहा कि विपक्ष के लोग भी हाई वे पर चलते हैं पर वे कुछ कहते नहीं हैं, ऐसा नहीं है. सड़क सबके लिए होती है. मैं कहता हूँ जब पंडित नेहरू ने गाँधी सागर बाँध बनाया था तो उन्होंने तो नहीं कहा था कि यशपाल सिंह जी को पानी नहीं देंगे, तो आप काँग्रेस को या विपक्ष को इस बारे में न कहें. बाँध हो, सड़क हो, यह सबके लिए होता है.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू-- उस बाँध में हमारा नुकसान हुआ था, उसकी कोई भरपाई नहीं कर पाया था. बाँध हमारे जिले और तहसील का नुकसान करके गया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लक्ष्मण सिंह जी की बात को आगे बढ़ाता हूँ. यह बात ठीक है कि मंदसौर जिले का गाँधी सागर बाँध नेहरू जी के कालखण्ड में बना. लेकिन माननीय लक्ष्मण सिंह जी, उस गाँधी सागर बाँध की एक एक बूंद के पानी का उपयोग अगर प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना में किसी ने लिया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लिया है. (मेजों की थपथपाहट) और लक्ष्मण सिंह जी, आज यदि हम ड्रिंकिंग वॉटर में पानी को उठा करके हर घर नल जल योजना में नीमच और मंदसौर जिला पूरा एक एक गाँव 1900 करोड़ रुपये की राशि माननीय मुख्यमंत्री जी, आपके सहयोग से मंदसौर और नीमच जिले में प्राप्त हुई है.(मेजों की थपथपाहट) मैं आपका भी आभार व्यक्त करता हूँ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का भी आभार व्यक्त करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं बोल रहा था साढ़े सात लाख हैक्टेयर कुल सिंचाई थी और आज बढ़ करके 45 लाख हैक्टेयर से ज्यादा हो गई है. अध्यक्ष महोदय, अकेले 44 हजार 600 करोड़ रुपये की राशि केन बेतवा पर बुन्देलखण्ड में यह तस्वीर बदलने वाली योजना प्रधानमंत्री जी ने दी है. अध्यक्ष महोदय, मुझे ध्यान है सदन में भारतीय जनता पार्टी के तेजसिंह जी सेंधव देवास जिले से विधायक थे. उन्होंने जब प्रश्न किया था तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी से, कि नर्मदा क्षिप्रा में कब लाएँगे? सदन में मुख्यमंत्री जी का जवाब था इमपॉसिबल, यह असंभव है, यह हो ही नहीं सकता है कि नर्मदा क्षिप्रा में आ जाए. माननीय मुख्यमंत्री जी विराजित हैं. नर्मदा को क्षिप्रा में लाने का भागीरथी काम यदि किसी ने किया है तो माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने किया है. (मेजों की थपथपाहट) और चरण बढ़ रहे हैं, गंभीरी, श्यामला, हमारी काली सिन्ध, ये तब द्वितीय और तृतीय चरण में नर्मदा को आगे बढ़ाने का काम भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार कर रही है.
अध्यक्ष महोदय, बगैर ब्याज के किसानों को अगर जीरो परसेंट पर कर्जा मिल जाए, तीन लाख रुपये तक की लिमिट है. किसानों को, जिसका जितना रकबा है, जिसकी जितनी खेती है, उसके हिसाब से तय होता है. कोऑपरेटिव मुवमेंट में सबसे बड़ा काम यदि कोई हुआ है तो किसानों को जीरो प्रतिशत पर कर्ज देना. अध्यक्ष महोदय, हम जानते हैं एक वर्ष में दो फसलें होती हैं. किसान बोलता है नया जूना करना है मुझे, हमारे उधर खाता पलटाना बोलते हैं. उसके अंतर्गत बगैर ब्याज चुकाए किसान अपने खाते को पलट देता है, उसके ऊपर कोई ब्याज नहीं लगता है. गत दो वित्तीय वर्षों में 32 हजार सौ करोड़ से अधिक का अल्पकालीन ऋण बगैर ब्याज का किसानों को सरकार ने उपलब्ध कराया है. यह कोऑपरेटिव की सबसे बड़ी उपलब्धि है. यहाँ तक कि मछुआरों की जो सोसायटी है उसको भी नाव लाने के लिए, जाल लाने के लिए, अपना कारोबार करने के लिए, चूँकि कोऑपरेटिव से जुड़ा हुआ है इसलिए किसान भी कोऑपरेटिव से जुड़ा है तो मछुआरों को भी, मछुआरों की समितियों को भी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जीरो प्रतिशत पर कर्ज उपलब्ध कराने की बात की. 3 लाख 64 हजार किसानों को पशुपालन पर किसान क्रेडिट कार्ड देना बड़ी बात है. सिर्फ किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड नहीं हैं. पशु पालकों के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड हैं. मध्यप्रदेश में पांच वर्षों में मछली के उत्पादन में दोगुना वृद्धि हुई है. 66400 मछली पालकों को केसीसी दिया गया है. मुख्यमंत्री जी ने परिभाषा ही बदल दी. किसान क्रेडिट कार्ड का मतलब यह समझते थे कि जो किसान हैं, जो पशुपालक है उसको भी केसीसी दिया है. जो मछली पालन करने वाला है उसको भी किसान क्रेडिट कार्ड देकर उसको भी केसीसी के संज्ञान में लाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खाद्यान्न के क्षेत्र में 5 करोड़ 18 लाख हितग्राहियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत निशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया. जिन हितग्राहियों के पास जर्जर, फटे थैले होते थे उस थैले को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का फोटो और माननीय मुख्यमंत्री जी का फोटो देकर बताने की बात कही गई. भारत की 80 करोड़ जनता को निशुल्क खाद्यान्न दिए जाने का काम भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान, एक ऐसा अभियान चलाया गया जिसमें मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान शिविर लगाकर लोगों के आवेदन आमंत्रित करके आवेदनों का निराकरण टेबल पर ही किया है. पांच हजार से अधिक दिव्यांगजनों को 2 करोड़ 80 लाख रुपए के कृत्रिम अंग बांटने का काम भी इन शिविरों के माध्यम से किया गया है. जहां तक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लोगों का जो संवैधानिक अधिकार है उसके तहत उनको नौकरियों में आरक्षण दिया जाता है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कि आपने सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार के दिशा निर्देश के अन्तर्गत मध्यप्रदेश में भी गरीब सवर्ण जाति के समाज के लोगों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया है और नौकरियाँ देना प्रारंभ हो गया है. इसको EWS के नाम से जाना जाता है. मैं वल्लभ भवन में माननीय मुख्यमंत्री जी के पास EWS संगठन के मात्र 5 लोगों को लेकर गया था. वहां मुख्यमंत्री जी से चर्चा हुई उन्होंने कहा कि EWS के बेरोजगारों को लाभ दूंगा. आज मुझे कहते हुए अत्यंत प्रशंसा है कि इसकी शुरुआत हो गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने जिक्र किया कि 15 नवम्बर, 2022 को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति महोदया के कर कमलों से मध्यप्रदेश की धरा पर पेसा एक्ट लागू हो गया है. राज्य के 20 जनजातीय बाहुल्य जिलों में जल, जंगल और जमीन से जुड़े मामलों में वनवासी क्षेत्र के लोगों को अधिकार संपन्न बना दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी लाड़ली बहना योजना को प्रस्तुत करने जा रहे हैं. उसकी अभी सामान्य चर्चा है और 5 मार्च से यह प्रारंभ होने वाली है. इस योजना को लेकर गरीब और सामान्य परिवार की जो महिलाएं हैं उनमें उत्साह है. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, धर्म के क्षेत्र में चार दिशाओं में काम हो रहा है. माननीय नरेन्द्र मोदी जी के कर कमलों से बाबाश्री महाकाल लोक परिसर का शुभारंभ हुआ. इससे रोजगार बढ़ा है. मैं रविवार को मंदसौर से आ रहा था तो मैंने देखा कि बहुत ट्राफिक बढ़ गया है उसका कारण यह है कि इंदौर, उज्जैन, देवास, जावरा, रतलाम, मंदसौर की तरफ से यात्रियों का जन समूह उमड़ रहा है. दूसरा ज्योर्तिलिंग ओमकारेश्वर, यहां पर आदि गुरु शंकराचार्य जी जो कि 1008 हैं उनकी माननीय मुख्यमंत्री जी ने 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने का संकल्प लिया है, उसका कार्य प्रगति पर है. ओरछा, भव्य राजाराम लोक परिसर, चित्रकूट में दिव्य वनवासी राम लोक निर्माण का निर्णय भी स्वागतयोग्य है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय जी का अभिभाषण आइने की तरह साफ है. जो कुछ सरकार करती है, जो कुछ सरकार कर रही है. उसका वक्तव्य, उसकी बात राज्यपाल महोदय के मुखारबिंद से हुई है, प्रतिपक्ष तो नहीं करेगा. राज्यपाल महोदय ने सरकार की उपलब्धियों को यहां आकर बताया है. मैं राज्यपाल महोदय का भी आभार व्यक्त करता हूँ. मुख्यमंत्री जी को भी बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ. मैं तो प्रतिपक्ष से भी उम्मीद करुंगा कि अपने वक्तव्य के दौरान राज्यपाल महोदय के अभिभाषण समर्थन कर दें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.40 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि मुझे दो मिनट का समय दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- आपका बाद में आएगा. मैं आपको मौका दूंगा.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल महोदय जी से जो बहुत सीधे-साधे, सरल व्यक्ति हैं और आदिवासी वर्ग से आते हैं. उनसे सरकार ने जिस तरह से अभिभाषण के माध्यम से असत्य बयानी प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत कराया है हम समझते हैं कि यह एक सीधे-साधे महामहिम राज्यपाल महोदय का अपमान है. जिस तरह से सरकार ने स्तुति गान कराया है सच बात तो यह है कि जिन बातों का उल्लेख किया गया है उनमें ऐसी कई बातें हैं जिनका उल्लेख पूर्व में भी कई बार अभिभाषण में किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी रोजगार बढ़ाने के लिए इसमें 22 एमएसएमई क्लस्टर बना रहे हैं इसका जिक्र किया है. मध्यप्रदेश में 18 वर्षों से सरकार है और 18 वर्षों से अभी तक हम सिर्फ क्लस्टर्स बनाए जा रहे हैं, इसका उल्लेख कर रहे हैं. हम कहीं न कहीं यह कह सकते हैं कि जो हमारे मध्यप्रदेश के बेरोजगार हैं और जो यहां के उद्यमी हैं या जो लोग उद्योग लगाने के लिए आते हैं. हम इनवेस्टर्स मीट करते हैं, हर साल ईवेंट करते हैं.
12. 43 बजे {सभापति महोदय (श्री हरिशंकर खटीक) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय, जिस तरह से बहुत सारे लोगों का ईवेंट होता है. एमओयू साईन होता है और उसका क्रियान्वयन नहीं होता यह इसका जीता जागता उदाहरण है. इसी प्रदेश में माननीय स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री थे उस समय उन्होंने यहां पर, ग्वालियर में मालनपुर, इंदौर में पीथमपुर भोपाल में मण्डीदीप, पीलूखेड़ी, गोविन्दपुरा, सिंगरौली में ऊर्जाधानी जैसे कि एनसीएल, एनटीपीसी से लेकर बहुत सारे उद्योग, सतना में सीमेंट उद्योग, कटनी में चूना और माइनिंग उद्योग इस तरह से कई जगह कांग्रेस सरकार ने उद्योग स्थापित करने का और प्रदेश को आगे ले जाने का काम किया था. इतने वर्षों में यह सरकार उद्योग स्थापित नहीं कर पाई बल्कि गोविन्दपुरा इसका पूरा जीता जागता उदाहरण है. ऐसे कई जगह जो उद्योग लगे थे वह सरकार की गलत नीतियों की वजह से बंद हुए हैं और यह हमारे प्रदेश के लिए चिंता का विषय है. प्रदेश में बेरोजगारी की क्या दर है आप यह अंदाजा लगा सकते हैं. जब हम किसी भी विभाग में कोई भी सरकारी नौकरी अगर वहां 6 पद भी निकलते हैं तो उसके लिए हजारों की संख्या में आवेदन आते हैं और बेरोजगार रोजगार की जगह वहां भी ठगा हुआ सा महसूस करता है. परीक्षाएं कैंसिल हो जाती हैं. उनसे शुल्क भी जमा करा लिया जाता है यह हालात हैं. न औद्योगिक संस्थानों में बेरोजगारों को रोजगार, न सरकार की तरफ से किसी प्रकार के रोजगार के लिए पहल. हमारी बहुत सारी सरकारी संस्थायें हैं, जहां बहुत से पद हैं लेकिन वहां भर्तियां नहीं हो रही हैं. हम कृषि को लाभ का धंधा बनाने की बात करते हैं, हमारे विकाखण्ड में ही 22 कृषि विकास अधिकारी के पद हैं लेकिन केवल 2 पद भरे हुए हैं. इसी प्रकार शिक्षा विभाग में देखें तो स्कूलों में हम अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं. यहां हम सीएम राईस स्कूल की बात कर रहे हैं लेकिन यू.पी.ए. सरकार के समय जो मॉडल स्कूल, पूरे प्रदेश में खोले गए थे, उन्हीं संस्थानों को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है. पहले तो हम नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करते, वहां नई फैकल्टी लाते. आज कहीं किसी स्कूल में कोई शिक्षक अच्छा पढ़ा रहा था, तो उनको आप सीएम राईस स्कूल में ले आये. शिक्षकों की जो भर्ती होनी चाहिए, आज वह हो नहीं रही है. शिक्षा जीवन की, विकास की प्रथम सीढ़ी है लेकिन यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस सरकार ने शिक्षा का जो व्यापीकरण किया था, विकेंद्रीकरण किया था, टोले-मजरे में स्कूल खोले थे कि गरीब का बच्चा भी पढ़ सके, एक किलोमीटर में प्राथमिक-माध्यिमक शाला, 5 किलोमीटर में सर्वशिक्षा अभियान के तहत हाई स्कूल, 7 किलोमीटर में हायर सेकण्डरी स्कूल. यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आज सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या लगातार कम हो रही है क्योंकि हमने शिक्षकों की व्यवस्था ही नहीं की. आज शालायें शिक्षकविहीन हैं. ये हमारे प्रदेश के लिए बहुत ही चिंता की बात है. एक तरफ हम यहां उल्लेखित कर रहे हैं कि हमें अवॉर्ड मिल रहा है, हम 17वें नंबर पर हैं लेकिन मुझे लगता है कि यदि हम जमीन स्तर की बात करें तो आज हमारे सरकारी स्कूल बंद होने के कगार पर हैं. गरीबों के बच्चों के साथ, किसान-मजदूर के बच्चों के साथ, हमने बहुत बड़ा अन्याय करने का काम इतने वर्षों में किया है.
सभापति महोदय, सरकार हाल ही में विकास यात्रा निकाल रही थी. हम समझते हैं कि 18 वर्षों तक काम करने के बाद, विकास यात्रा निकालने की आवश्यकता किसी सरकार को नहीं पड़ती है. जनता स्वयं विकास को महसूस करे, वह सच्चा विकास होता है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- जनता विकास को महसूस कर रही है.
श्री कमलेश्वर पटेल- सभापति महोदय, इस विकास यात्रा में हमारे कई माननीय विधायक साथियों के साथ जो हुआ, जनता ने कहीं काले झण्डे दिखाये, कहीं मंत्रियों को काले झण्डे दिखाये, कई स्थानों पर जनता का विकास यात्रा के प्रति जो रूझान होना चाहिए था, वह नहीं था.
सभापति महोदय, मैं एक बात विशेष रूप से कहना चाहूंगा कि आज यहां राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है लेकिन आज सदन की अधिकारी दीर्घा में केवल एक-दो अधिकारियों के अलावा कोई दिखाई नहीं दे रहा है. इससे समझ में आता है कि यह सरकार कितनी गंभीर है. जैसे इस सदन में राज्यपाल महोदय से असत्य अभिभाषण प्रस्तुत करवाया, उसी तरह से हमें समझ आ रहा है.
सभापति महोदय- सभी काम सही चल रहे हैं. आप अपनी बात रखें.
श्री कमलेश्वर पटेल- सभापति महोदय, यही तो बात है कि सब सही चल रहा है. विकास यात्रा में किस तरह की अव्यवस्थायें थीं, किस तरह से हमारे जनप्रतिनिधि जो सत्ता पक्ष के विधायक हैं, मंत्री हैं, कई स्थानों पर इन्हें भागना पड़ा है, जनता ने इनको भगाया है. कई वीडियो इस संबंध में वायरल हुए हैं, यह चिंता का विषय है. सरकार को सोचना चाहिए कि इस तरह की परिस्थितियां क्यों निर्मित हुई हैं ? आज समय पर न खाद्यान्न मिल रहा है न समय पर मध्याह्न भोजन मिल रहा है. आज प्रदेश का हर वर्ग आंदोलनरत है. कर्मचारी-अधिकारी आंदोलनरत हैं, पदोन्नति हेतु आंदोलनरत हैं. बहुत सारी आशा-उषा कार्यकर्ता आंदोलनरत हैं. आंगनबाड़ी सहायिकाओं का वर्ष 2018 में इस सरकार ने 2500 रुपये वेतनमान बढ़ाया था लेकिन आज तक उनके बैंक खाते में फूटी कौड़ी नहीं गई है, सभी आंदोलनरत हैं. हमारे शिक्षक, कर्मचारी जो OPS के लिए भटक रहे हैं, वे आंदोलनरत हैं कि उनकी पुरानी पेंशन की बहाली हो. उनके सामने भविष्य के लिए यह बहुत-बड़ा चिंता का विषय है. सरकार ने यहां बहुत सारा स्तुतिगान किया है लेकिन सच्चाई यह है आज हर वर्ग परेशान है. आज ग्राम पंचायत स्तर पर विकास का कोई कार्य नहीं हो रहा है. सुदूर सड़कों की अनुमति जो ग्राम पंचायत का कार्य है, जो जनपद और जिला पंचायत का कार्य है, उनकी अनुमति भी भोपाल से आती है, राज्य सरकार से आती है. हम समझते हैं कि यह अच्छी बात नहीं है. एक तरफ कांग्रेस की सरकार ने विकेन्द्रीकरण किया था, पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार सम्पन्न बनाया था और निचले स्तर तक सारे अधिकार दिये थे. परन्तु यह सरकार एक-एक करके अधिकार छीनने का काम कर रही है.
सभापति महोदय:- आप अपनी बात शार्ट में बोलियेगा. क्योंकि काफी माननीय सदस्यों के नाम हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- सभापति महोदय, अभी तो शुरूआत की है. आज बिजली की जिस तरह की स्थिति है. हमारी कांग्रेस की सरकार बनते ही हमने एक रूपये एक यूनिट बिजली घरेलू और 10 हार्स पावर तक बिजली का बिल आधा करने का काम किया था. सरकार बदलते ही किसानों कुर्कियां हो रही है किसानों के यहां, गरीबों के यहां. गावों की लाइटें बंद कर दी जा रही है और लोक-अदालतों के नोटिस जारी हो रहे हैं, गरीब परेशान है. आप कहीं भी जाइये यही स्थिति है. विकास यात्राओं में इन सबका विरोध सरकार को झेलना पड़ा है. आज जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं. मेरा आपके माध्यम से सरकार ने जो स्तुतिगान कराया है, सरकार इस पर चिंतन करे और जो जनता की तकलीफ है उसका निवारण करे.
सभापति महोदय, सरकार ने बताया कि हमारे पास बिजली सरप्लस में है, जैसा की बताते हैं. फिर बिजली की कटौती हो रही है, क्यों फिर किसान को समय पर बिजली नहीं मिल पा रही है ? किसान को क्या चाहिये, किसान को यह चाहिए की समय पर खाद मिल जाये, समय पर बीज मिल जाये आपने खाद डेढ़ गुना महंगा कर दिया है और खाद की 50 किलो की बोरी में 45 किलो खाद मिल रहा है. समय पर किसानों बिजली नहीं मिल रही है, समय पर बीज नहीं मिल रहा है. कृषि मंत्री जी आप कहां जा रहे हैं. आप क्यों भाग रहे हैं. कर्ज माफी हमारी सरकार ने की, हमारी सरकार ने 27 लाख लोगों की कर्ज माफी की है और अगर हमारी योजनाएं अच्छी थी और आप किसानों के हिमायती हैं तो आपको कर्ज माफ करना था. आपने क्यों कर्ज माफी नहीं की ? अगर 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया और अगर हमारी सरकार खरीद-फरोख्त में नहीं जाती, धोखाधड़ी नहीं होती तो आज किसानों का पूरा कर्ज माफ होता. आज किसान इतना परेशान नहीं होता, किसानों के साथ धोखा हुआ है.
सभापति महोदय:- देखिये, आपको बोलते हुए 10 मिनट हो गये है. आप अपनी बात शार्ट में रखिये.
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय सभापति महोदय, मैं पहला वक्ता हूं. मुझे बोलने के लिये समय दीजिये. अभी तो मैंने विषय ही टच नहीं किया है. कई पेज का माननीय महामहिम का अभिभाषण है, सरकार का स्तुतिगान है, थोड़ा तो मुझे बोलने दीजिये.
सभापति महोदय, जिस तरह ने सरकार ने किसानों के साथ लगातार मजाक करने का काम किया है और सबसे बड़ा मजाक तो आप अभी देख लीजिये कि हमारे भाई विधान सभा में हल लेकर आते हैं तो उनको रोक दिया जाता है और एक तरफ धार-धार हथियार रखकर माननीय मुख्य मंत्री जी हेलिकाप्टर में लेकर जाते हैं, सिर्फ फोटो सेशन कराने के लिये. यह आदिवासियों का अपमान है यह किसानों का अपमान है और मुख्यमंत्री को यह करने की आवश्यकता नहीं है. मुख्य मंत्री तो सर्वापरि हैं. वह जिधर नजर दौड़ा दें और जो करना चाहते हैं वह हो सकता है. परन्तु इस तरह का फोटो सेशन, इस तरह की सस्ती लोकप्रियता, इससे यह समझ में आता है कि हम चला चली की बेला में हैं. विसर्जन यात्रा निकलने वाली है विकास यात्रा से . यह समझ में आता है.
सभापति महोदय:- आप अपनी बात शार्ट में रखिये, नहीं तो मैं दूसरे सदस्य का नाम पुकार लूंगा.
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय सभापति महोदय, बोलने के लिये कम से कम आधा घंटा तो चाहिये.
सभापति महोदय:- आधा घंटा नहीं. बोलने के लिये काफी लोगों के नाम हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह लोधी:- काफी लोग लाइन में हैं. वह लोग भी बोलेंगे. आप बाकि लोगों का समय खराब कर रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- समय खराब नहीं कर रहा हूं. मैं जो बात कर रहा हूं वह तार्किक बात कर रहा हूं. जो सामने चुनौती है, परेशानी है. क्षेत्र में हम लोग भी जाते हैं और जो परेशानी महसूस करते हैं, उस पर बात कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, मेरा आपसे एक ओर विनम्र निवेदन है. मुख्यमंत्री जी और कृषि मंत्री भी चले गये हैं. किसान को हर बार सोसाटियों में पंजीयन कराने के लिये लोक सेवा में घूमना पड़ता है, यह सिस्टम बंद होना चाहिये. सोसाटियों में बार-बार खरीदी के लिये जो पंजीयन कराना पड़ता है, मोबाइल पर मैसेज आता है, वह मैसेज अपग्रेड क्यों नहीं कर देते हैं और उसमें एक ऐसा सिस्टम बन जाए कि किसानों से मोबाइल पर ही पूछ लें कि आप सोसायटी में गेहूं या धान जो भी पैदावार है, उसको आप सोसायटी में बेचना चाहते हैं या नहीं. किसानों को बार-बार बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बार-बार फोटोकॉपी कराओ, पटवारी के चक्कर लगाओ, सत्यापन कराओ फिर तहसीलदार के यहां जाओ. देश भर का चक्कर लगाना पड़ता है. सभापति महोदय आप की किसान होंगे और ज्यादातर यहां पर जो लोग बैठे हैं, उसमें से 99 प्रतिशत खेती- किसानी से जुड़े हैं. अगर सब सहमत हों तो मेरा यह आग्रह है कि हम समझते हैं कि सिसौदिया जी भी सहमत होंगे यह बार बार पंजीयन कराने का सिस्टम खत्म होना चाहिये. मोबाईल पर ही पंजीयन हो जाये इसमें बार बार वेरिफिकेशन का चक्कर नहीं होना चाहिये. यह सरकार के माननीय मंत्रीगण तथा और लोग भी बैठे हैं इस पर चिन्तन करेंगे और सरकार की तरफ से हम चाहते हैं कि व्यवस्था आनी चाहिये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--पूर्ववर्ती सरकारों में तो उस समय पंजीयन होते ही नहीं थे ऐसे.
श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय, पूर्व की सरकारों के समय इतना हाईटेक नहीं था माननीय सिसौदिया जी पहले तो मोबाईल भी नहीं थे. पर उस युग में काम कर गये हमारे नेता लोग हमारे विन्ध्य के ही नेता स्वर्गीय अर्जुनसिंह जी, स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी जी, आदरणीय गोविन्द नारायण सिंह जी, पूज्यनीय पिता श्री इन्द्रजीत कुमार पटेल जी इन सब लोगों ने जहां पर भी जो भी इनके पास में जिम्मेदारी थी वह लोग उदाहरण छोड़ करके गये हैं और काम करके गये हैं. सिर्फ भाषणबाजी नहीं करते थे. पर आज का दौर तो भाषणबाजी का है, सिर्फ प्रशस्ति-पत्र का है, यह बंद होना चाहिये. जमीनी स्तर पर काम होना चाहिये कहीं न कहीं हम सबको रियलाईज करना चाहिये. सत्तापक्ष की ओर से हमारे विन्ध्य की पहले इतनी उपेक्षा नहीं हुई थी. हमारे यहां विन्ध्य से एक भी मंत्री नहीं बना है. इतने वरिष्ठ लोग बैठे हैं.
सभापति महोदय--आप सिर्फ अपनी बात कहें. अपनी बात एक दो मिनट में समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, विन्ध्य की इतनी बड़ी उपेक्षा पहली बार हुई है. आदरणीय केदारनाथ शुक्ला जी हैं, आदरणीय राजेन्द्र शुक्ला जी हैं एक से एक लोग बैठे हैं इनको मंत्रिमंडल में जगह तक नहीं दी. जहां पर कई मंत्री होते थे बड़ा ही महत्वपूर्ण महकमा होता था. इतनी उपेक्षा हमने ऐसा कभी नहीं सोचा था. माननीय यशपाल सिंह जी सिसौदिया योग्य आदमी जो सरकार का स्तुतिगान करने से थकते नहीं हैं उनको भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी.
सभापति महोदय--आप अपनी बात समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, खेती किसानी को लाभ का धन्धा बनाने की बात बार बार सरकार करती है. पर सच बात यह है कि 2008 इनका जो घोषणा-पत्र था बिन्दु क्रमांक 17 में उल्लेख था कि किसानों का हम 50 हजार का कर्जा माफ करेंगे वह इतने साल सत्ता में रहे आज तक यह 50 हजार रूपये का कर्जा माफ नहीं हुआ है, यह इनके घोषणा-पत्र में है. आप कहें तो इनको दिखा भी सकते हैं, इनका घोषणा-पत्र, यह स्थिति है.
श्री रामपाल सिंह--आपका घोषणा-पत्र भी तो निकाल दो.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, हमारी सरकार को अगर आप लोग लूटते नहीं तो भी वचन-पत्र है और जिन बिन्दुओं का वचन-पत्र है में जो उल्लेख था उसको हम एक एक करके सारे वचन-पत्र के बिन्दु माननीय कमलनाथ जी पूरा करते, कांग्रेस की सरकार पूरा करती. पर दुर्भाग्य है कि आप न बेरोजगारों के प्रति चिन्तित हैं.
सभापति महोदय--डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय अपनी बात शुरू करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, सभापति महोदय, एक दो मिनट दीजिये. मैं अपनी बात समाप्त करने के लिये.
सभापति महोदय--आपसे हमने बार बार निवेदन किया है. दो मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, जिस तरह से यहां पर पिछड़े वर्ग के हिमायती होने की बात यहां पर कही गई है. इसी सरकार ने देखते देखते 27 प्रतिशत पिछड़े वर्ग का बढ़ा हुआ आरक्षण छीनने का काम किया. नोटिफिकेशन हो गया था उसके बाद दोबारा नोटिफिकेशन इस सरकार ने जब कि हमारी सरकार ने इसको लागू किया था. हाईकोर्ट ने सारा पिछड़ा वर्ग का बढ़ा हुआ आरक्षण रोक लगाने के आदेश कर दिये. सरकार ने इसकी अच्छे से पैरवी नहीं की. अच्छे अधिवक्ता नहीं खड़े किये. आज एम.पी.पी.एस.सी.के चार साल से रिजल्ट घोषित नहीं हो रहे हैं परीक्षाएं नहीं हो रही हैं. इसी तरह से पुलिस भर्ती में हाईकोर्ट इन्दौर से रोक लग गई. इसी तरह से जिला कोर्ट में 1255 भर्तियां होनी थीं तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों की अगउनको हाईकोर्ट जबलपुर से रोक लग गई. बहुत सारा अन्याय सरकार के द्वारा पिछड़े वर्ग के लोगों का किया जा रहा है. आप समतामूलक समाज की बात करते हैं पर अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के साथ सबसे बड़ा कुठाराघात इस सरकार ने किया है 18 वर्षों में आऊट सोर्स से सरकार में भर्तियां हुई हैं सरकारी नौकरियों में कोई भर्तियां नहीं हुई हैं. भर्ती नहीं होने की वजह से अपने आप आरक्षण का पूरी तरह से अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय करने का काम इस सरकार ने किया है. राज्यपाल जी ने जो अभिभाषण प्रस्तुत किया है उसमें कोई सच्चाई नहीं है उसका हम विरोध करते हैं. धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) - माननीय सभापति महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. सभापति महोदय, मुझे लगता है कि कल राज्यपाल महोदय ने जो सदन में अभिभाषण प्रस्तुत किया, सदन में सदस्य मौन रह गए, स्तब्ध रह गए, अवाक् रह गए, चुपचाप बैठे रह गए और मुझे यह भी लगता है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय सभापति महोदय, हम लोगों ने आदिवासी महामहिम का सम्मान किया था क्योंकि वह आदिवासी वर्ग से आते हैं. इसलिए विपक्ष ने उनका ससम्मान स्वागत किया था और कोई टीका-टिप्पणी नहीं की.
सभापति महोदय - सम्मानित सदस्य पटेल जी, आप जिम्मेवार हैं, आप मंत्री भी रह चुके हैं. आपके भाषण के बीच में कोई नहीं बोला. आप बैठ जाइये, उनको बोलने दीजिये.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - सभापति महोदय, मैं आपसे यह आग्रह कर रहा हूँ कि मौन रहे तो थोड़ा सा अभिभाषण पढ़ लेते. बैठे रहे, तो थोड़ा सा अभिभाषण पर ध्यान दे देते. यह जो इसमें विवरण दिया है, यह मात्र 2 वर्षों का विवरण दिया है. हम उन विगत वर्षों में नहीं जा रहे हैं, हम उन विगत वर्षों की याद नहीं कर रहे हैं. उन विगत वर्षों को तो निश्चित रूप से आपने भी भुगता है, भोगा है. मध्यप्रदेश इस बात को जानता है. एक ही शब्द में पहचाना जाता है- मध्यप्रदेश का बंटाधार. जिस मध्यप्रदेश का बंटाधार हो गया था. माननीय सभापति महोदय, आज हम स्वर्णिम मध्यप्रदेश की ओर बढ़ रहे हैं. जो कहा जाता था, मैं वही व्यक्त कर रहा हूँ. आज मध्यप्रदेश चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर हो रहा है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास. परमपूज्य संत रविदास की जयन्ती पर जो विकास यात्राएं प्रारंभ हुईं, 'जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि के होई', उस भाव और भावनाओं को लेकर जब यात्रा गांव-गांव पहुँची, नगर-नगर पहुँची, उस यात्रा का इतना भव्य स्वागत किया गया, तो कहीं एकाध जगह जो इन्होंने कहीं षड्यंत्रपूर्वक, जैसा कि अभी यशपाल जी ने व्यक्त किया कि कहीं षड्यंत्र करते हुए, उस यात्रा में व्यवधान करने का प्रयास किया तो वहां पर भी ऐसे तत्वों का लोगों ने विरोध किया है.
माननीय सभापति महोदय, मैं यात्रा का विवरण देना चाहता हूँ. जब हम गांव-गांव पहुँचे, तो हाथों से पुष्पवर्षा की गई, जो मालाएं पहनाई गईं, मैं सच कह रहा हूँ. आपको इसके फोटो दिखा सकता हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - सभापति महोदय, राजेन्द्र भैया इनके ऊपर नहीं हुई न, तो इनको समझ में नहीं आएगी. आप तो कन्टिन्यू कीजिये. इनके ऊपर पुष्पवर्षा नहीं हुई है, वह तो हमारे ऊपर हुई है. (हंसी)
श्री कमलेश्वर पटेल (सिंहावल) - सभापति महोदय, पाण्डेय जी के साथ वहां की जनता काफी सिम्पैथी रखती है, इनके साथ भी बहुत अन्याय हुआ है. मंत्री नहीं बनाया.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - कमलेश्वर जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपको आग्रहपूर्वक कहना चाहता हूँ एवं आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ. इन दो वर्षों में जो लगतार काम किये गये हैं, सड़कें, जो सड़कविहीन मध्यप्रदेश हुआ करता था, उन सड़कों की दुर्दशा हम सबने देखी है, क्या बुरे हाल हुए थे. एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में बहुत परेशानी आती थी. आज माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से और माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में लगातार काम करने का यह परिणाम हुआ है कि पूरे मध्यप्रदेश में हजारों किलोमीटर न केवल सड़कें बनीं, वरन् इतनी उत्कृष्ट सड़कें चाहे सिक्स लेन की सड़क हो, चाहे एट लेन की सड़क हो, चाहे फोर लेन की सड़क हो, चाहे टू लेन की सड़क हो, पूरे मध्यप्रदेश को चारों दिशाओं से जोड़कर विकास का क्रम प्रारंभ किया है और उससे निश्चित रूप से विकास होना प्रारंभ हुआ है. आज हम देख रहे हैं कि सड़क किनारे तरह-तरह के उद्योग धंधे प्रारंभ हो रहे हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ (महेश्वर) - माननीय सभापति महोदय, जिस तरह से सिसौदिया जी और आप बोल रहे हैं और जो बखान कर रहे हैं. माननीय राज्यपाल महोदय, जो हमारे आदिवासी समाज से आते हैं, जिन्होंने अपना अभिभाषण यहां प्रस्तुत किया. उनके अभिभाषण को कितनी तवज्जो दी जा रही है कि कितने मंत्रीगण यहां फ्रंटलाईन में बैठे हुए हैं और कितने अधिकारी, अधिकारी दीर्घा में बैठे हुए हैं. यह इस बात का द्योतक है कि माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का कितना मान रखा जा रहा है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय दीदी यहां पर भारतीय जनता पार्टी के जो निवार्चित विधायक हैं और जनप्रतिनिधि हैं.वह सब एक-एक मंत्री के बराबर हैं.
सभापति महोदय -- सम्माननीय मंत्री जी सब लोग यहीं पर हैं, यही सब बैठे हुए हैं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- सब एक-एक मंत्री जैसा अनुभव रखने वाले लोग हैं और उन सबको अनुभव हैं और यहां पर मंत्रीगण बैठे हुए हैं और विधायक भी मंत्री समान ही है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा हमारी सरकार में यहां पर असमानता का कोई व्यवहार नहीं है,.
सभापति महोदय -- आप अपनी बात बोलिये.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय सभापति महोदय, समतामूलक समाज, सामाजिक समरसता, जैसा मैंने निवेदन किया है कि संत रविदास जयंती पर प्रारंभ करते हुए विकास यात्रा का, उस सामाजिक समरसता के साथ में सबको साथ में लेकर, समस्त वर्गों के लिये, समस्त वर्गों का कल्याण करने के लिये, आप कल्पना करें कि लगभग लगभग 47 लाख आवास बन जाना एक ही प्रदेश में क्या कम बात है और उसमें से 39 लाख आवास बनकर के तैयार होना क्या कम बात है, यह क्या छोटी बात है. 47 लाख आवास तो बना दिये हैं, 39 लाख आवास बनकर के तैयार हो जाना. अब मैं दीदी का थोड़ा ध्यान आकर्षित करूंगा, जब दो लाख आवास प्रधानमंत्री के स्वीकृत किये गये थे, उस समय आपकी सरकार ने उनको क्यों रोक दिया था.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, मेरा नाम का उल्लेख किया है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- उन दो लाख आवास को आपने क्यों रोक दिये थे ?
सभापति महोदय -- वह अपनी बात कह रहे हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप यह क्यों भूल जाते हो कि यह इंदिरा आवास योजना है, आप तो बस नाम बदलते हो, नई योजना तो लाते नहीं हो. आपने इंदिरा आवास योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया और आप वाह वाही लूट रहे हो, आप असली बात तो बोलते नहीं हो.... (व्यवधान)..
सभापति महोदय -- सम्माननीय सदस्या जी उनको अपनी बात बोलने दीजिये. .... (व्यवधान)..
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- आपकी सरकार में दो लाख मकान चले गये, आपने चालिस प्रतिशत की राशि भरी नहीं थी, इसलिये दो लाख मकान चले गये हैं. .... (व्यवधान)..
श्री रामपाल सिंह -- छत्तीसगढ़ में भी आंदोलन चल रहा है, प्रधानमंत्री आवास के मकान नहीं बन रहे हैं, टी.वी. में आप देख लेना.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ --आप पंचायतों में जाओ क्या हाल हो रहे हैं.पंचायतों में जाओ जब आप लोगों को पता चलेगा.
सभापति महोदय -- पाण्डेय जी आप अपनी बात पूरे करें.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय सभापति महोदय, साढ़े आठ करोड़ की आबादी वाला हमारे मध्यप्रदेश में उसमें माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में, माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में 5 करोड़ 18 लाख परिवारजनों को अगर नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण करवाया जाता है, उसके बावजूद भी काम दिखाई नहीं देता है, आखिरकार यह आश्चर्य की बात है. 5 करोड़ 18 लाख परिवारजनों को, परिवार के सदस्यों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण किया जाता है और उसी के साथ-साथ में जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग की बात की जाती है, उन पिछड़ा वर्गों में विगत सरकारें क्या करके आई, कितना किया? निश्चित रूप से यह उनको मनन करना चाहिये, उनको मंथन करना चाहिये, उनको विचार करना चाहिये, उन्हें तो अभी भी दिखाई नहीं दे रहा है. लगातार उन सारे प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं के लिये अनुदान की व्यवस्थाएं, सब्सिडी की व्यवस्थाएं, उच्च अध्ययन के लिये व्यवस्थाएं, अगर वह ऊंचाई पर जाना चाहते हैं, उच्च अध्ययन प्राप्त करना चाहते हैं, तो मध्यप्रदेश सरकार लगातार उन्हें सहयोग करते हुए हजारों करोड़ रूपये की राशि प्रदान कर रही है, ताकि वह अच्छा अध्ययन-अध्यापन करते हुए इस देश के एक नेतृत्वकर्ता बने, एक कुशल अनुभवी नागरिक बने और अपनी उस सामाजिक समरसता के साथ में अपनी सहभागिता प्रदान करें.
माननीय सभापति महोदय, मेरी सरकार, मेरे प्रधानमंत्री और मेरे मुख्यमंत्री जी के द्वारा माता बहनों के लिये भी जो लगातार किया जा रहा है, उस ओर भी मैं थोड़ा सा ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. सिर्फ और सिर्फ इन 16 वर्षों में लाड़ली लक्ष्मी योजना जो प्रारंभ हुई और प्रारंभ से लेकर अब तक 44 लाख 39 हजार लाड़ली लक्ष्मी बेटियां इस मध्यप्रदेश में हो जाती है और वह हमारे मित्रों को दिखाई नहीं देता है. 44 लाख 39 हजार की संख्या कोई कम होती है. वह लाड़ली लक्ष्मी बेटियां आज उच्च अध्ययन के लिये जायेंगी, उन्हें उच्च अध्ययन के लिये साढ़े बारह हजार- साढ़े बारह हजार दो किश्तों के रूप में 25 हजार रूपये की राशि प्रदान की जायेगी. वे गांव की बेटी बनती हैं, वे प्रतिभा किरण बनती हैं, उन्हें छठवीं में, आठवीं में, दसवीं में, बारहवीं में, दो हजार, चार हजार, छ: हजार और आठ हजार रूपये की राशि दी जाती है. वे जब बड़ी होंगी, जब उनका विवाह करवाने की बात सरकार करती है, उनके विवाह आयोजन, उनके निकाह आयोजन सरकार करती है, इन महिलाओं के संरक्षण के लिये तो अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली बहना योजना भी प्रारंभ की है, जो मार्च में प्रारंभ होकर उस महिला को सशक्कत करने के लिये प्रति माह के एक हजार रूपये की राशि दिये जाने का काम यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है और यह इतना सब कुछ किया जाना उस आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार रूप प्रदान करता है. आत्मनिर्भर भारत का सपना तब साकार होगा जब हर परिवार में समृद्धि आयेगी, जब हर परिवार में खुशहाली आयेगी, जब अंतिम पंक्ति का अंतिम व्यक्ति सक्षम होगा, सशक्त होगा, मजबूत होगा, उसके परिवार को अगर मजबूती मिलेगी तभी जाकर हम आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार कर सकते हैं और यही संकल्प को लेकर के माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान लगातार दिन-रात एक करते हुये 24 घंटे में से 16 घंटे, 18 घंटे कौन मुख्यमंत्री पहले काम करता रहा हमने तो कभी देखा नहीं, हमने तो कभी सुना नहीं, एकमात्र ऐसा मुख्यमंत्री जिसे प्यार से पांव-पांव वाले भैया भी हम पुकारते हैं, वह पांव-पांव वाले भैया 24 घंटे में से 16 घंटे, 18 घंटे लगातार परिश्रम करें, लगातार मेहनत करें. पहले हमारी हालत क्या थी, चाहे राजा रजवाड़ों का समय लें, चाहे नवाबों का समय लें हमारे मध्यप्रदेश का सिंचित रकवा मात्र साढ़े 7 लाख हेक्टेयर हुआ करता था माननीय सभापति महोदय जो बढ़कर लगातार सबकी मेहनत से माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में 45 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाता है वह दिखाई नहीं देता और इसी के साथ-साथ जो अंधेरे में डूबा हुआ मध्यप्रदेश हमने देखा था आज लगभग-लगभग 25 हजार मेगावाट विद्युत का उत्पादन करते हुये मध्यप्रदेश लगातार तेजी के साथ में आगे बढ़ रहा है. मध्यप्रदेश के विकास को, मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने के लिये माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्व में निश्चित रूप से सराहनीय कार्य किये जा रहे हैं और इस हेतु मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुये बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं. धन्यवाद माननीय सभापति महोदय जो आपने मुझे समय प्रदान किया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर)-- माननीय सभापति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने मुझे यहां बोलने का समय दिया, परंतु माननीय सभापति महोदय, अभी एक अकेले विश्वास सारंग जी के अलावा मुझे कोई केबीनेट का मंत्री यहां दिखाई नहीं देता.
एक माननीय सदस्य-- आप लोगों के लिये एक ही काफी है.
श्री तुलसी राम सिलावट-- मैं भी हूं. (विपक्ष की ओर से उठकर जाते हुये)
श्री प्रियव्रत सिंह-- आप भी इधर बैठे थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आप तो यहां पर मंत्रियों की संख्या गिनने के लिये बैठे हो, मुद्दों की बात करने के लिये नहीं ...(व्यवधान).... यह मंत्री उपस्थित, यह मंत्री अनुपस्थित, खाली इसीलिये बैठे हो. ...(व्यवधान)....
श्री कुणाल चौधरी-- आपको नहीं बनायेंगे, आप बैठ जाओ भाई साहब. ...(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- प्रियव्रत जी, मंत्री का अभी तक उतर नहीं रहा है वो.
श्री कुणाल चौधरी-- आपको जल्दी बनना है, इसलिये आपको नहीं बनायेंगे, वह खरीदे हुये को ही बनायेंगे, आप चिंता मत करो.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय सभापति महोदय, एक केबीनेट का मंत्री यहां पर बैठा और अधिकारी दीर्घा में भी मुझे एकाध सचिव के अलावा दूसरा कोई नहीं दिख रहा.
श्री कैलाश विश्वास सारंग-- सभापति महोदय, यही बात विजय लक्ष्मी साधौ जी ने भी बोली. जिम्मेदारी के साथ मैं भी बैठा हूं, हमारे बाकी मंत्री भी बैठे हैं और दीर्घा में भी अधिकारी बैठकर जो नोट करना है वह नोट कर रहे हैं, आप बोलिये तो आपके पास कंटेंट नहीं है, अरे बात तो बोलो भैया, सब रिकार्ड होगा क्यों फिकर कर रहे हो.
सभापति महोदय-- प्रियव्रत सिंह जी आप तो अपनी बात बोलिये, हमारे मंत्री जी जो बोल रहे हैं वह सही बोल रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय सभापति महोदय, एक मंत्री बैठे हैं और दावा कर रहे हैं कि जो मैं बोलूंगा वह आप नोट करेंगे, पर जब बात आती है प्रश्नोत्तरी की तो अगर कोई प्रश्न पूछता है प्रमाण सहित बोल रहा हूं कि जब प्रश्न कोई पूछता है तो मंत्री यह जवाब देते हैं कि यह हमारे विभाग का मामला नहीं है तो आप भी कल खड़े होकर कह दोगे कि यह हमारे विभाग का मामला नहीं है तो मेरा बोलना तो यहां पर व्यर्थ हो जायेगा. माननीय सभापति महोदय, यह दिखाता है इस सरकार की जवाबदारी हमारे प्रदेश के प्रति और राज्यपाल के अभिभाषण के प्रति और इसीलिये हमने इसको झूठ का पुलिंदा कहा है. अब जहां तक बात है 19 वर्ष हो गये, 19 वर्ष में 19वां राज्यपाल का अभिभाषण यहां पर प्रस्तुत हुआ और 19 वर्ष में मैं स्वागत करता हूं शायद मेरी बात पहुंच गई हो तो माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहां पधारे हैं इनके सामने भी यह बात रखना चाह रहा था. माननीय सभापति महोदय, 19 वर्ष में प्रदेश की माली हालत क्या हुई है इसका आज ही वर्णन एक विज्ञप्ति के माध्यम से हो रहा है. शायद माननीय मुख्यमंत्री जी को तो ध्यान भी नहीं होगा.
कि 19 वर्ष पहले एक ऋण लिया गया था. ब्याज चुकाने के लिये और उसका ब्याज भी नहीं चुका पाए और यशपाल जी,मध्यप्रदेश की संपत्ति जो वहां गिरवी रखी गई थी उसकी कुर्की की विज्ञप्ति लगी है. जब आप यहां सदन में अपनी पीठ थपथपा रहे हो तो रिजर्व बैंक मध्यप्रदेश को नीलाम करने में लगा हुआ है. यह जो विकास यात्रा है यशपाल जी.
सभापति महोदय - आप किसी का नाम इंगित करके न बोलें. आपको कोई नहीं टोक रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - सभापति महोदय, यह मेरा जरूर नाम लेंगे क्योंकि इनको तकलीफ है. खीज है.
श्री प्रियव्रत सिंह - तकलीफ में तो आप है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - आपके समय में तो चार-चार बार ओव्हर ड्राफ्ट हो जाया करता था.
श्री प्रियव्रत सिंह - दिवालिया होकर प्रदेश में दीवाली मनाने चली हमारी सरकार.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - चार-चार बार दीवाला निकालती थी आपकी सरकार. बार-बार ओव्हर ड्राफ्ट होती थी और अपने आपको दीवाला घोषित करती थी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - तनख्वाह बांटने के पैसे नहीं थे. लाड़ली लक्ष्मी योजना नहीं थी.
सभापति महोदय - प्रियव्रत जी, आपका समय हो रहा है.आप मंत्री भी रहे हैं. आप बहुत सम्मानित सदस्य हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति जी, टोकाटाकी वहां से हो रही है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - सड़क नहीं थी. बिजली नहीं थी. कुछ नहीं था.
श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति महोदय, यह कोई तरीका है. दिवालिया होकर दीवाली मनाने चली सरकार और अपनी पीठ थपथपाने चली सरकार.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - दिवालिया तो आप रहे. हम तो दिलवाले रहे. यह दिलवालों की सरकार है.
श्री प्रियव्रत सिंह - मेरे कई साथी सभापति जी, नाम नहीं लूंगा. आप समझ जाओ. बड़े बेआबरू होकर रुखसत किये गये उन कूचों से और नाम हमारा ले रहे हैं. नाम हमारा ले रहे हैं कि कांग्रेस का षड़यंत्र है. अरे, आपकी विकास यात्रा फ्लाप हुई. माननीय सभापति महोदय, क्या खर्चा, क्या टेंट, क्या नाश्ता, क्या कुर्सियां, क्या चकाचौंध और नृत्य.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - - आपको क्यों तकलीफ हो रही है.
श्री प्रियव्रत सिंह - नृत्य और मनोरंजन का कार्यक्रम और उस पर ठुमके लगाते हुए.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - विकास यात्रा का सम्मान करती थी जनता. आपको क्यों तकलीफ हो रही है.
श्री प्रियव्रत सिंह - मुझे कोई तकलीफ नहीं. मैं तो वर्णन कर रहा हूं.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - प्रियव्रत जी, आपका समय हो रहा है.
श्री प्रियव्रत सिंह - मैं उसकी भव्यता का वर्णन कर रहा हूं.
सभापति महोदय - आप 1-2 मिनट में अपनी बात पूरी करिये. आपका समय हो रहा है.
(..व्यवधान..)
श्री प्रियव्रत सिंह - मैं तो वर्णन कर रहा हूं. मैं तो सरकार का महिमा मण्डन कर रहा हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - यही तो आपको तकलीफ हो रही है. भव्यता क्यों,यह टेंट क्यों, यह पटाखे क्यों, यह गुलाल क्यों, यह फूल-माला क्यों. यह तकलीफ है आपको.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - आप एक-दो मिनट में अपनी बात पूरी करें.
श्री प्रियव्रत सिंह - यह टोकाटाकी कर रहे हैं सभापति महोदय. सदन के नेता बैठे हैं. विश्वास जी रोक लीजिये. मैं तो आपकी ही भव्यता का वर्णन कर रहा हूं. मैं टोकाटाकी नहीं कर रहा हूं.
चौधरी सुजीत मेर सिंह - स्कूल के बच्चे लाकर बैठाये धूप में सुबह 8 बजे से 12 बजे तक.यह विकास यात्रा है.
श्री विश्वास सारंग - सभापति महोदय, प्रियव्रत भाई, इतने उद्वेलित क्यों हो रहे हो. इतने हाथ उठाकर डांस कर रहे हो. आप तो ऐसे न थे. आप पर क्या असर आ रहा है आगे की बेंच वाला. आप तो कंटेंट पर बोलते थे. यह अच्छा नहीं लग रहा.
सभापति महोदय - प्रियव्रत जी, अपनी बात पूरी करिये.
श्री प्रियव्रत सिंह - जी सभापति महोदय. हाथ भी बांध लिये और बात बहुत अच्छे से कह रहा हूं कि जो ठुमके लगे. जो भव्यता हुई. जो आनंद आया. जो नाश्ता सरकारी खर्चे पर लगा.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - देशभक्ति के गीत हुए. राष्ट्रभक्ति के गीत हुए. यह आपत्ति सही नहीं है इनकी.
श्री प्रियव्रत सिंह - यह सोशल मीडिया का जमाना है और उसके बाद जब बेआबरू होकर जब लौटे हमारे कुछ साथी जब जनता ने सवाल किये तो कह रहे हैं कि प्रतिपक्ष का षड़यंत्र है और एक सदस्य तो यहां विधान सभा में कह रहा है कि पत्थर निकलवा देंगे. मकान तुड़वा देंगे. मेरे ही जिले की बात है. एक सरपंच विकास यात्रा में नहीं गया. तो थानेदार का फोन गया उसके पास. उसके पास थानेदार ने फोन करके कहा कि तेरा मकान तुड़वा दूंगा. ऐसी धौंसबाजी और आज आप पूरे बिल उठाकर देख लें जनपदों के. सर्वोच्च मध्यप्रदेश की जनपदों के, 15वें वित्त आयोग के जो बिल लगे हैं, उसका पूरा खर्चा विकास यात्रा में सरकार ने अपनी महिमामंडन के लिये किया है.
सभापति महोदय-- देखिये, आप अपनी बात एक मिनट में समाप्त कीजियेगा. सभी माननीय सदस्यगण हैं, आप अपनी समय सीमा में बात कीजियेगा. एक मिनट में अपनी बात समाप्त कीजियेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह-- सभापति महोदय, यही नहीं, यह 11वें पाइंट पर बड़ी जोरदार बात लिखी है, बहुत जोरदार. सस्टेनेबल एग्रीकल्चर. अभी तक तो हम मुख्यमंत्री जी को 2005 में, माननीय शिवराज सिंह जी जब मुख्यमंत्री बनें, तब से आज तक हम एक बात सुनते आये हैं कि खेती लाभ का धंधा बनेगी, पर वह कब बनेगी, यह किसी को नहीं मालूम. 19 वर्ष बीत गये. 19 वर्ष में किसान की हालत वही की वही है और यह बात दिखाती है, यह आपके आंकड़े बोलते हैं.
सभापति महोदय-- देखिये, अपनी बात जल्दी समाप्त कीजियेगा. आपका समय हो गया है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- सभापति महोदय, आपने बोलने तो दिया नहीं. अगर आप बोलने नही देंगे, तो मैं बैठ जाता हूं. क्या मतलब है मेरा बोलने से.
सभापति महोदय-- सबके लिये समानता है, ऐसा नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- सभापति महोदय, जब आप बोलने ही नहीं दे रहे हैं. यह गलत है. यह अन्याय है, घोर अन्याय है.
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदय, अगर आप बोलने नहीं देंगे, तो फिर आप इसको ऐसे ही पास करा लीजिये.
श्री प्रियव्रत सिंह-- सभापति महोदय, अगर आप चुप कराना चाहते हैं, तो हम बाहर चले जाते हैं, तो थपथपा दें मेजें अभी हाल.
1.21 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, इस पर दो दिन चर्चा के लिये रखे हैं. जैसे ही ये दो मिनट बात करते हैं, पहले ही टोका-टाकी करके बोलने नहीं देते हैं. फिर सदन में चर्चा क्यों हो रही है. वे आंकड़े के साथ बात रख रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग -- तरुण जी, एक भी आंकड़ा नहीं रखा है 10 मिनट में.
श्री
प्रियव्रत
सिंह-- अध्यक्ष
महोदय, 5 करोड़ 18
लाख लोगों को
यहां पर
सार्वजनिक
वितरण
प्रणाली से
अनाज दिया जा
रहा है. यह बात
आप अपनी पीठ
थपथपाने के
लिये कह रहे
हैं. आप
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी
जी का बार बार
नाम ले रहे
हैं और उनके
आत्मनिर्भर
भारत में 20 साल
में इस सरकार
ने अपने आपको
इतना
आत्मनिर्भर
नहीं बनाया
कि आज भी 5 करोड़
18 लाख लोग गरीब
हैं इस
प्रदेश में,
पिछले 20 साल की
आपकी सरकार
में और आप
इसको अपनी
महिमा मानते
हैं. 5 करोड़ 18
लाख आपके
राज्यपाल जी
के अभिभाषण
में लिखा हुआ
है. पूरा
प्रदेश गरीब,
पूरा प्रदेश कर्जे
में डूबा हुआ
है. पूरा
प्रदेश
परेशान है. मामा
जी हवाई जहाज
में और लाड़ली
बहना योजना के
नाम पर
महिलाओं के
साथ ठगी करने
की तैयार सरकार
जो कर रही है
मध्यप्रदेश
की, अगर आपको
देना ही है तो
एक काम करिये,
हम भी मान
लेंगे आपको.
आप एडवांस
में पैसा दे
दीजिये एक
वर्ष का. चुनाव
के समय का
जुमला है.
टेबलेट में
बजट और टेबलेट
तो आप नहीं ले
रहे हैं
जुमले छोड़ने
की. रोज नया
जुमला छोड़ते
हैं. एक
टेबलेट आप भी
ले लें. सरकार
भी एक टेबलेट
ले ले, असत्य न
बोलने की और
जुमले न
छोड़ने की.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु-- अब आप लेना शुरु कर दो टेबलेट अभी से. मालूम पड़ जायेगी.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आज पूरे प्रदेश में अंधकार छाया हुआ है और यह लिख रहे हैं कि हमारी समेकित ऊर्जा क्षमता 28 हजार मेगावाट से भी अधिक हो गई है. राज्यपाल जी के भाषण में लिखा है कि सरप्लस बिजली का स्टेट है हमारा. बिजली कम्पनियां आपकी सरकार में बनीं. कांग्रेस की सरकार जब 2003 में थी, उस समय बिजली कम्पनियां नहीं बनीं और 20 साल हो गये उस बात को, जब कांग्रेस की सरकार थी मध्यप्रदेश में, पर आज आपकी बिजली कम्पनियों की खस्ता हालत के लिये कौन जिम्मेदार है. आज 12वीं और 10वीं के छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं और जिलेवार उठाकर देख लें, 52 जिलों में अगर 100 गांव से भी कम किसी जिले में बिजली बंद हों, तो मैं यहां पर अभी इस बात को छोड़ दूंगा और अभिभाषण के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हो जाऊंगा. पर यह आपकी भी पीड़ा है.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु-- अध्यक्ष महोदय, जिन्होंने कभी बिजली नहीं दी, वह बिजली पर बात कर रहे हैं. जिन्होंने बिजली दी नहीं, वह बिजली पर बात कर रहे हैं और चैलेंज कर रहे हैं की 100 गांव की बिजली बंद.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपका मानसिक दिवालियापन है कि आप यह बात नहीं सुनना चाहते हैं. जनता सुना देगी, जब 10वीं और 12वीं के छात्रों की आज बोर्ड की परीक्षा के समय में आपने बिजली काटी है, डीपियां उतार ली हैं और लोगों के ऊपर असत्य केस बना रहे हैं और इन्दिरा गृह ज्योति योजना का नाम बदल दिया. पढ़ लो. अटल गृह ज्योति योजना कभी सुनी भी नहीं होगी किसी ने. हमारी इन्दिरा गृह ज्योति योजना थी, जो 1 करोड़ उपभोक्ताओं को लाभ दिलाती थी. आज एक एक बिल 200 यूनिट से उठाये जा रहे हैं. किसी को भी इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - आपने बिजली दी ही कब? आपने बिजली नहीं दी और आप बिजली की बात कर रहे हैं?
श्री प्रियव्रत सिंह - बिजली आपसे ज्यादा दी. आपकी विधानसभा में पूछ लें कि कांग्रेस की सरकार में कितनी बिजली मिली. अध्यक्ष महोदय, यही नहीं, आज सिंचाई की परिस्थिति देख लें. सिंचाई के संबंध में इस अभिभाषण में बहुत कुछ व्याख्यान है. परन्तु मेरे ही जिले में कुण्डालिया और मोहनपुरा, दो वृहद सिंचाई परियोजनाएं हैं. एक का उद्घाटन प्रधानमंत्री जी ने किया और दूसरी परियोजना का उद्घाटन मुख्यमंत्री जी ने किया. कब? वर्ष 2018 के चुनाव के पहले, उसके बाद राजगढ़ जिले में जो रिजल्ट चाहते थे, वह नहीं मिला तो आज उनका काम लचर व्यवस्था में पड़ा हुआ है. खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाया है. जो टारगेट थे, उनको आप मीट आउट नहीं कर पाए. किसान के खेत में कब तक प्रेशर पाइप लाइन पहुंचनी थी, वह आज तक नहीं पहुंच पाई है और यही नहीं, सुठालिया में योजना बनने जा रही है, उसमें 250 करोड़ रुपया एडवांस ठेकेदार को पेमेंट हो गया और किसानों को आज दिनांक तक मुआवजे का एक रुपया नहीं मिला. किसानों ने धरना दिया.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी से मिलने का समय मांगा तो मुख्यमंत्री जी ने मिलने का समय नहीं दिया. हमारे दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री धरने पर बैठ गये, उसके बाद मिलने का समय मांगा तो ठंडा हाथ फेर दिया. परन्तु मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि आज दिनांक तक एक फूटी कौड़ी किसानों के खातों में नहीं डली है.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - मेरा हाथ ठंडा नहीं है भैया.
श्री प्रियव्रत सिंह - आजकल बहुत गरम चल रहा है, परन्तु उसका असर कुछ नहीं हो रहा है.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्यक्ष महोदय, यह सिंचाई की बात कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री की बात उन्होंने कही, इनके जमाने में मात्र 6 या 7 लाख हैक्टेयर में सिंचाई होती थी.
श्री प्रियव्रत सिंह - आप उस जमाने में कहां थे? आप जिसको मेरा जमाना बता रहे हैं, उस जमाने में आप कहां खड़े थे? आप तो टेबल कूद कर उधर मजे ले रहे हो, लड़ाई तो हम ही लड़ रहे हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट - यह गलतफहमी दूर कर लो.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - यह कौन-सी पीड़ा दर्शा रहे हैं ? यह कौन-सी पीड़ा है?
श्री तुलसीराम सिलावट - इन पर अभी भी मंत्री का भूत सवार है.
श्री प्रियव्रत सिंह - आप एक मिनट बैठो, मैं पीड़ा बताता हूं.
श्री विश्वास सारंग - यह पीड़ा क्या है? आप तो ऐसे न थे, आज क्या हो गया?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कल के हल का असर हो गया है.
श्री तुलसीराम सिलावट - जितु भाई ध्यान रखो.
श्री विश्वास सारंग - क्या हो गया कि आगे से पेपर आ रहे हैं. आप बिना पढ़े उसको बोल रहे हो.
श्री जितु पटवारी - प्रियव्रत सिंह जी कह रहे हैं कि पानी तो नहीं आया परन्तु आप बह गये.
श्री विश्वास सारंग -प्रियव्रत भाई, आप ओरिजनल उसमें रहें, इधर-उधर की छाया अपने पर मत आने दो.
श्री प्रियव्रत सिंह -अध्यक्ष महोदय, आज मुझे विश्वास जी का असर आ गया है. अध्यक्ष महोदय, बात सारी यह है कि अभी महाकाल लोक का निर्माण हुआ. काम कांग्रेस की सरकार में शुरू हुआ. काम पूरा भाजपा की सरकार में हुआ. प्रधानमंत्री जी ने उद्घाटन किया. बहुत अच्छा काम है. हमारे प्रदेश का दर्शनीय स्थल है, महाकाल लोक एक आस्था का केन्द्र है. वह काम हुआ. आपने उसको इतना महिमा-मंडित किया, परन्तु उसकी आड़ में आज धर्मस्व विभाग की क्या परिस्थितियां हैं? उसमें बजट नहीं है. पुजारियों को बांटने के लिए तनख्वाह नहीं है. हमारे ही जिले में होड़ा माता मंदिर एक आस्था का केन्द्र है. होड़ा माता मंदिर के लिए 6 करोड़ रुपया स्वीकृत हुआ था. कांग्रेस की सरकार में वहां पर निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ, परन्तु उसको रोक दिया गया. अब उसको पैसा नहीं दिया जा रहा है ताकि काम न हो. अध्यक्ष महोदय, ईश्वर में अंतर नहीं हो सकता है. अगर महाकाल पूजनीय है तो होड़ा माता जी भी हमारी पूजनीय है. आपने अभिभाषण में दावा किया कि 56 लाख 70 हजार से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से शुद्ध जल पहुंचाया जा चुका है. आज हमारा जिला राजगढ़ जो है, वहां पर 4 समूह नल जल योजनाएं चलती हैं, मोहनपुरा, कुण्डालिया, गोरखपुरा यह तीन चालू हो गई हैं. बाघपुरा चालू होने वाली है. आज इन चारो नल जल योजनाओं के कार्य पीछे हैं. जिस समय उनका काम चालू होना था, जब उनसे पानी मिलना था तो वह कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री जी भी हमारे जिले में पिपल्याकलां गांव में पधारे थे. मैंने आपसे भी अनुरोध किया था. आपने कहा था कि मैं एल एंड टी की मीटिंग लूंगा. एल एंड टी से बात करूंगा. मोहनपुरा और कुंडालिया योजना में जो वहां एजेंसी है उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है. कभी-कभी ऐसा लगता है कि यह कंपनी सरकार से भी ज्यादा बड़ी हो गई हैं. उसके बाद मैंने विधान सभा में प्रश्न लगाया, मंत्री जी ने कार्यवाही का आश्वासन दिया, मंत्री जी मेरे जिले में भी गये. राजवर्द्धन सिंह जी और बृजेन्द्र यादव जी, बड़ी हेडलाइन बनी कि कल तक एफआईआर दर्ज हो जाएगी, 6 महीने बीत गये ना एफआईआर दर्ज हुई और ना पानी पहुंचा. आज भी टंकियां अधूरी हैं, पाइप अधूरे हैं और भ्रष्टाचार की भेंट वह दोनों योजनाएं चढ़ रही हैं परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई.
अध्यक्ष महोदय, अभी रोजगार और औद्योगिकीकरण के लिये इसमें बहुत सारे दावे हैं, परंतु हमने भी अप्रवासी भारतीय समिट में देखा था किस प्रकार बाहर से आये डेलीगेट्स बाहर खड़े रहे. बयानबाजी करते रहे, प्रदेश की छवि पूरे देश में धूमिल होती रही और अंदर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से वह हॉल भराया गया और अप्रवासी भारतीय बाहर घूमते रहे, परेशान होते रहे.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है. पूरे देश में सम्मान बढ़ा है जब अप्रवासी भारतीय यहां आये थे. पूछ लो पूरे देश में. आपके स्त्रोत क्या हैं. आपकी सोच क्या है, संकुचित सोच है आपकी.
श्री प्रियव्रत सिंह -- मैंने तो देखा है. महिलाएं चिल्ला रही हैं महिला डेलीगेट्स जो बाहर से आयी थीं, यह आपके इंदौर के ही भाई साहब वीडियो आए हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- जो अप्रवासी भारतीय आये थे आज तक इंदौर को याद कर रहे हैं. आपको पता नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- वीडियो किसने बनाये, वीडियो आये पूरे प्रेस में चले. नेशनल टेलीविजन पर चले. आप पता नहीं कहां रहते हैं, शायद उस टाइम पर आप कथा में चले गये होंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट -- आप कहां थे जो बड़े उससे बोल रहे हैं, मैं तो वहां पर था इसलिये कह रहा हूं. अथेंटिक कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप पूरा करिये.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आज प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति है. औद्योगिकीकरण के लिये जो भी कदम उठाये होंगे आपने, परंतु कितना निवेश आया, निवेश तो कुछ आया नहीं. इसमें भी जो आंकड़े दिये गये हैं यह आंकड़े भी सिर्फ मेन्युपुलेशन के शिकार हैं. प्रदेश की जनता व्यापम से परेशान रही, अब आपने उसका नाम बदल दिया. उसके बाद भी आज परीक्षा देने के लिये लोग परेशान रहते हैं. एक और बात मैं आपके बीच में रखना चाहता हूं, मुख्यमंत्री जी यहां पर हैं इसलिये और संवेदनशील हैं, कह भी रहे हैं कि मेरा हाथ आजकल ठंडा नहीं है, परंतु अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के विधायक अगर चिट्ठी लिखते हैं मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के लिये तो प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिये जाते हैं. बीमारी में राजनीति करना यह बहुत शर्मनाक है और यह बहुत बड़ा मुद्दा है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह बहुत बार आ चुका है. बार-बार मत उठाइये. यह बहुत बार उठ चुका है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश का मुद्दा है. बीमार की पार्टी देखी जाती है.
श्री अनिरुद्ध माधव मारू -- आपने तो योजना ही बंद कर दी थी. आपने कभी किसी की मदद नहीं की है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आपने तो कुछ किया ही नहीं भाई. अपने गिरेबां में झांकों आपने उस समय क्या किया है. ..(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी -- भाजपा के पूर्व विधायक की चिट्ठी पर हो जाता है लेकिन कांग्रेस के वर्तमान विधायकों की चिट्ठी पर स्वेच्छानुदान नहीं होता है. ..(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य -- 15 महीने में आपने किस भाजपा विधायक को दी थी बता दो जरा.
श्री प्रियव्रत सिंह -- यह राज्यपाल का अभिभाषण असत्य पर आधारित है इस कारण मैं इसका विरोध करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(अपराह्न 1.33 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
03.10 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और धन्यवाद देने के लिए यहां उपस्थित हूँ. राज्यपाल महोदय का अभिभाषण सर्वहारा वर्ग के कल्याण का और जो किसान है, उस किसान को राहत देने वाला अभिभाषण था. मैं उसका स्वागत करता हूँ, अभिनन्दन करता हूँ. मैं नीमच, जो हमारा अंतिम छोर है, वहां से आता हूँ और मैं धन्यवाद दूंगा हमारे माननीय मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री जी को कि उन्होंने नीमच जिले में सिंचाई की योजना के लिए अद्भुत परिवर्तन किया है. नीमच, मंदसौर जिले में गांधीसागर डैम की जो अभी बात चल रही थी कि मान्यवर नेहरू जी ने उसका उद्घाटन किया था, वाकई में उन्होंने किया था और यह बात सही है कि वह मानव निर्मित एक डैम है, मगर उस डैम का पानी हमारे नीमच और मंदसौर जिले में नहीं मिला था. आज सर्वहारा वर्ग का कल्याण करने वाले हमारे देश के प्रधानमंत्री और पानीदार मुख्यमंत्री मान्यवर शिवराज सिंह जी चौहान साहब, जो मध्यप्रदेश की धरती हैं, उन्होंने किसान की आय को बढ़ाने के लिए ये सारी योजनाएं नीचे तक चालू करने का काम किया है. नीमच, मंदसौर में गांधीसागर डैम का एक बूंद पानी हमें नहीं मिला था, देश के प्रधानमंत्री जी ने 1800 करोड़ रुपये की जो पेयजल योजना मंजूर की है, मैं उसके लिए उनको बहुत धन्यवाद देता हूँ, मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूँ कि अब हमारे नीमच और मंदसौर जिले में पीने के पानी की व्यवस्था होगी. निश्चित ही आज बड़े-बड़े पाइप वहां पर उतर रहे हैं और पानी के लिए गांधीसागर की यह योजना मंजूर हो गई है.
अध्यक्ष महोदय, वहीं 1208 करोड़ रुपये की ड्रिप एरिगेशन की सिंचाई योजना, जो मान्यवर मुख्यमंत्री जी ने मंजूर की है, उसके लिए भी मैं धन्यवाद देता हूँ. माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण में भी यह बात आई है कि सिंचाई की योजनाओं को स्वीकृति मिलने की वजह से आज नीमच, मनासा और जावद की लगभग 65 हजार हेक्टेयर भूमि अब सिंचित होगी, इसमें हमारे लगभग 650 गांव डूबे थे और पानी की वजह से ही आज सारा क्षेत्र जलमग्न हुआ है. इसकी वजह से अभी जब हम गांवों में विकास यात्रा लेकर निकले, तब हमारी छोटी-छोटी बहनें और गांवों की मातृशक्ति सिर पर कलश रखकर इन विकास यात्राओं का अभिनन्दन कर रही थीं. रहीम की वह कहावत सही सिद्ध हो रही थी कि ''रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न उबरे, मोती मानस चून''. हम सब जानते हैं कि पानी की जो कीमत है, उस पानी की कीमत को हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने आंका है और जो चंबल का पानी ठेठ कोटा और ग्वालियर जाता था, वह पानी अब नीमच और मंदसौर में सिंचाई और पेयजल योजना के लिए काम में आ रहा है. इसके लिए भी मैं बहुत बधाई देता हूँ, धन्यवाद देता हूँ. आज हम देख रहे हैं कि गांव-गांव में सिंचाई की व्यवस्था हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हमने देखा है कि 44600 एकड़ से अधिक लागत की केन-बेतवा लिंक परियोजना में प्रथम चरण में बांध लिंक, नहर तथा वॉटर हाऊसिंग निर्माण कार्य इस वर्ष आरंभ हो रहा है. इसके लिए भी मैं कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ. वर्ष 2001-2002 में कृषि विस्तार दर 3 प्रतिशत थी, जो बढ़कर 2022-2023 में लगभग 19 प्रतिशत हो गई है, इसके लिए भी मैं बहुत अभिनन्दन करता हूँ, स्वागत करता हूँ. निश्चित ही 65 लाख हेक्टेयर लक्ष्य हमने रखा है और पुराने समय में सिंचाई की क्षमता बहुत कम थी, जैसा कि हमारे लोग बोलते हैं कांग्रेस नवाब अंग्रेज, उस समय तक भी साढ़े सात हेक्टेयर ही सिंचाई होती थी, आज 45 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ी है और हमारे क्षेत्र में भी बहुत डैम देने का काम किया है. सिंचाई मंत्री जी यहां उपस्थित हैं, मान्यवर मुख्यमंत्री जी भी यहां उपस्थित है, गाडगिल सागर हो, हमेरिया हो, खुमान सिंह शिवाजी के नाम से ठिकरिया डैम हो, इस वजह से हमारा जलस्तर भी बढ़ा है और उसका लाभ हम सब लोग ले रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, इस बात के लिए भी मैं धन्यवाद दूंगा कि हम मां, बहन, बेटी का सम्मान करते हैं. बेटियों के हमने पांव पूजे. पूर्व के कार्यकालों में कांग्रेस के समय बेटियों की संख्या कम हो रही थी, मगर इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया था. हमारे लाडले मुख्यमंत्री जी ने हमको निर्देश दिया कि बेटी के पांव पूजो, हमने बेटी के पांव पूजे और आज बेटियों को सम्मान मिल रहा है. बेटी आगंनवाड़ी में जाती है तो उसके स्वास्थ्य की चिंता की जाती है. उसको मध्याह्न भोजन दिया जाता है, ड्रेस दी जाती है, पुस्तकें दी जाती हैं. गांव की बेटी की योजना का लाभ मिलता है और यदि बेटी डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहती है तो उसकी पढ़ाई की ओर भी मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी लगातार ध्यान दे रहे हैं. महामहिम राज्यपाल जी के भाषण में लाड़ली बहना योजना की जो बात आयी है उस योजना को मान्यवर मुख्यमंत्री जी प्रारम्भ कर रहे हैं. जब हम नीमच विधानसभा में विकास यात्रा में गए, वहां मॉं भादवा माता का स्थान आता है. वहां भादवा माता के प्रागंण में मान्यवर मुख्यमंत्री जी भी पधारे थे और वहां हमने संत रविदास जयंती के दिन से यह विकास यात्राएं प्रारम्भ की और इन विकास यात्राओं के माध्यम से वहां हमने अंतिम पंक्ति में बैठा जो गरीब आदमी है, उसके विकास के लिये भी काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, साथ ही पात्र महिलाओं के खाते में अब 1-1 हजार रूपए हर माह दिये जाएंगे. साल के 12 हजार रूपए खाते में डाले जाएंगे. मैं इसके लिए धन्यवाद देता हॅूं. 5 साल में लगभग 60 हजार रूपए जाएंगे और आज 1 तोले सोने का भाव 58 हजार रूपए है. कोई भी भाई अपनी बहन को 1 तोला सोना नहीं दे पाता है, हम भी नहीं दे पाते हैं. मान्यवर मुख्यमंत्री जी हमारे प्रदेश की बहनों को 5 साल में 1 तोला सोना से ज्यादा राशि दे रहे हैं, इसके लिए भी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का स्वागत करता हॅूं, अभिनन्दन करता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय, लाड़ली बहना योजना की जब बात चली, तो हमारी बहनें बहुत खुश हो रही थीं. उस विकास यात्रा में जहां भी हम सभा लेते थे, वहां बहनों की संख्या अधिकांश देखने मिलती थी. बेटियां भी लगातार यात्रा में आती थीं क्योंकि बेटियों को भी अब लैपटॉप मिलना चालू हो गए हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि नीमच की धरती पर स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं. इन 75 वर्षों में अधिकांश समय कांग्रेस ने 60 साल तक राज किया लेकिन नीमच जिले में स्वतंत्रता के बाद पहला मेडिकल कॉलेज आपने दिया है, इसके लिए भी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और माननीय विश्वास सारंग जी को धन्यवाद देता हॅूं. अभी उसका काम तीव्र गति से चल रहा है, लगभग 30-35 प्रतिशत काम हो गया है. अब हमारी बेटियां वहां मेडिकल की पढ़ाई करेंगी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी, तो अब वह भी हिन्दी भाषा में होगी जो हमारी मूल भाषा हिन्दी है उस भाषा में पढ़ाई होगी. उसके लिए भी मैं धन्यवाद देता हॅूं. हम सब जानते हैं कि पहले लोग डॉक्टर बनते थे, उसकी पढ़ाई के लिए अमेरिका, रूस, जापान जाते थे. अब वे हिन्दी भाषा में यहीं पढे़गे, तो जब वे हमारे अंतिम पंक्ति में बैठे हुए गरीब की सेवा करेंगे तो हमारी सरकारों को दुआएं मिलेंगी और उन दुआओं की वजह से ही चौथी बार हमारी सरकार आयी है, इसलिए मैं कहता हॅूं कि -
"क्या मार सकेगी मौत उसे, औरों के लिये जो जीता है,
मिलता है जहां का प्यार उसे, जो गरीब के आसूं पीता है. "
यह सरकार गरीबों के आसूं पीने वाली सरकार है जो लगातार बहनों के लिये इस प्रकार के कार्यक्रम कर रही है, लाभ देने का काम कर रही है. मुख्यमंत्री जी ने बेटियों को आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक सशक्तिकरण देने के लिये भी नया इतिहास रचा है. मध्यप्रदेश राज्य में जो लाड़ली बहना योजना लागू हुई है, आज उसकी संख्या 44 लाख 49 हजार से अधिक हो चुकी है, इसके लिये भी मैं बधाई देता हॅूं. बेटियां खूब पढ़ रही हैं, आगे बढ़ रही हैं. मेरे नीमच जिले में एक चाय बेचने वाले की बेटी ने पायलट की ट्रेनिंग ली है और नीमच की धरती पर पायलट ट्रेनिंग सेंटर भी प्रारम्भ हो रहा है, इसके लिए भी मैं धन्यवाद देता हॅूं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने नारी सम्मान किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वहारा वर्ग का कल्याण करने वाले इस देश के माननीय प्रधानमंत्री जी को भी धन्यवाद दूंगा. साथ ही हमारी सरकार ने एक नहीं, अनेकों योजनाएं स्वास्थ्य के संबंध में चलाई है. गांव-गांव में, खेत-खेत में पानी पहुंचाया है. उसके अलावा भी मुख्यमंत्री जी ने लगातार इसका जो लक्ष्य रखा था, गांव-गांव, शहर-शहर, मजरे-मजरे और टोले-टोले पर ये विकास यात्राएं गईं हैं. कांग्रेस के बंधुओं के सीने पर जरूर सांप लोटते हैं क्योंकि विकास यात्रा में जो जनसमर्थन और जनता का आशीर्वाद जनप्रतिनिधियों को मिला है, वह अद्भुत है. इस विकास यात्रा में अधिकारी-कर्मचारी, जनप्रतिनिधि कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे और स्पॉट पर ही. चाहे आयुष्मान कार्ड हो, चाहे पात्रता पर्ची हो, चाहे प्रधानमंत्री आवास से कोई वंचित रह गया है, तो उसका नाम लिखवाना हो, ऐसे अनेक काम, इस विकास यात्रा के माध्यम से हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय, स्वच्छता के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश ने कहीं न कहीं बाजी मारी है. छठवीं बार इन्दौर प्रथम आया है. हमारे नीमच जिले के जीरन को भी मान्यवर मुख्यमंत्री जी ने स्वच्छता के क्षेत्र में पचास हजार रुपये दिए थे. उसकी वजह से भी आज हमने इस विकास यात्रा में उन बाल्मीकी समाज के बन्धुओं के पाँव पूजे हैं जो स्वच्छता के लिए सुबह जल्दी उठकर नगर को स्वच्छ बनाने में हमेशा योगदान देते हैं. निश्चित ही मैं बजट के माध्यम से यही कहूँगा कि मुख्यमंत्री जी ने राज्य में आर्थिक वृद्धि में भी अपना योगदान दिया है. प्रति व्यक्ति आय 11.71 से बढ़कर 1 लाख 40 हजार 563 हुई है. हमारे राज्य सकल घरेलू उत्पादन में भी वृद्धि हुई है. औद्योगिक विकास दर में भी 0.61 से बढ़कर 24 प्रतिशत आज वृद्धि हुई. कृषि विस्तार दर जो 3 प्रतिशत थी वह लगभग 19 प्रतिशत हुई है. इसके लिए भी धन्यवाद देता हूँ. कुल खाद्यान्न उत्पादन में भी वृद्धि हुई है और आज गरीब को जो जो भी चाहिए वह सरकार हर समय उपलब्ध कराने का काम कर रही है. इसके लिए लगातार मान्यवर राज्यपाल जी का भाषण हमारे लिए एक नींव का पत्थर होगा. अब मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर बन रहा है. अमृत काल है और इस अमृत काल में....
अध्यक्ष महोदय-- बस हो गया..
श्री दिलीप सिंह परिहार-- ठीक है माननीय अध्यक्ष जी, आपने समय दिया. धन्यवाद.
श्री संजय यादव(बरगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का विरोध करने खड़ा हुआ हूँ. सबसे पहले मैं उदाहरण के साथ इस भारतीय जनता पार्टी की निकास यात्रा का यहाँ सदन में उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हूँ कि निकास यात्रा में जिस तरह से पिछले 4-5 वर्ष पूर्व नर्मदा सेवा यात्रा निकाली गई थी और सरकार की बिदाई हो गई थी क्योंकि सरकारी खर्च से पूरी-हलवा बाँट रहे थे और आशा कार्यकर्ताओं, आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, रोजगार सहायक, सचिव, तहसीलदार, पटवारी, किस तरह से दुरुपयोग करके जो विकास यात्रा निकाली गई उसमें पूरी भी भ्रष्टाचार की खिलाई गई क्योंकि सरकार ने कोई बजट या राशि आवंटित नहीं की थी. मेरे पास तो उदाहरण हैं. माननीय, सदन के पटल पर भी रखना चाहूँगा कि ये प्रशंसा कर रहे थे, एक कॉपी मुख्यमंत्री जी को भी दूँगा और उसको पढ़ना भी चाहूँगा कि एक सी.ई.ओ., जनपद, शहपुरा के सी.ई.ओ. ने सचिव को नोटिस दिया है कि ग्राम पंचायत में आपने कोई मुनादी नहीं करवाई, किसी को सूचित नहीं किया, शासकीय कर्मचारी, शिक्षकों की, उपस्थिति के अलावा, ग्रामवासियों की उपस्थिति नगण्य रही. विकास यात्रा में उपस्थित माननीय अध्यक्ष, जिला पंचायत एवं पूर्व विधायिका ने अप्रसन्नता व्यक्त की है इसलिए आपको हटाया जाता है. अगर जनता नहीं आई और आप सचिव को हटा रहे हैं तो सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इनकी विकास यात्रा में जनता का कोई योगदान भी नहीं था और जनता को विकास यात्रा के प्रति कोई रुचि भी नहीं थी...(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार-- विकास यात्रा स्नेह यात्रा बन गई थी. उमड़-घुमड़ के लोग आ रहे थे.
श्री संजय यादव-- दिलीप भाई, जब आप बोले, मैं नहीं बोला. यह मेरे पास प्रमाण हैं. आप देख लीजिए सचिव कह रहा है कि पब्लिक नहीं थी इसलिए आपको हटाया जाता है. तहसीलदार को हटाया जाता है. किस तरह से बिदाई यात्रा होगी निश्चित रूप से यह भारतीय जनता पार्टी की पारी के ताबूत में अंतिम कील साबित होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि आज मध्यप्रदेश में जो स्टेट गवर्नमेंट की सड़कें हैं उनके क्या हाल हैं. सड़क में गड्डे हैं कि गड्डों में सड़क है. कितने पुल टूट गए हैं. आप सेंटर गवर्नमेंट, एन.एच.आई. माननीय नितिन गडकरी जी ने जो काम किया है उसकी वाहवाही स्टेट गवर्नमेंट लेना चाहती है. जबकि मध्यप्रदेश सरकार विगत 3 वर्षों से, 18 वर्षों से, आज भी मध्यप्रदेश के अनेक गाँवों में सड़कों का निर्माण नहीं कर पाई.
अध्यक्ष महोदय, आप सिंचाई के साधन की बात करते हैं. मैं तो 30 साल से देख रहा हूँ बरगी डैम बना है जब से, जो काँग्रेस सरकार के समय बना और जो सिंचाई के साधन जो बढ़ाए गए उसको भारतीय जनता पार्टी आगे भी नहीं बढ़ा पाई. आँकड़ों की बाजीगरी करती है भारतीय जनता पार्टी की सरकार. अगर कोई हम बंजर जमीन खरीदते हैं उसमें बोर करवाते हैं और अगर हम बोर करवाते हैं और जब खसरे में सिंचाई अंकित हो जाता है तो सरकार उसको अपनी उपलब्धि में जोड़ लेती है. वास्तविकता यह है कि यदि कोई बंजर जमीन खरीदी जाती है और उसमें किसान बोर करवाता है तो यह सरकार की उपलब्धि में नहीं गिना जाता है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमारे यहां विस्थापितों को आज तक सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं करवा पाई है क्यों नहीं करवा रही है क्योंकि वे विस्थापित हैं, गरीब हैं, आदिवासी हैं. बरगी डेम पास में है उसके बावजूद भी सरकार 18 साल से महाकौशल खासकर जबलपुर के साथ घोर अन्याय कर रही है. इस देश में इतना अन्याय किसी सरकार ने नहीं किया होगा. मंत्री तो बना ही नहीं रहे हैं लेकिन कोई विकास कार्य भी आप नहीं करवा रहे हैं. आज बिजली करंट मार रही है. तार है तो बिजली नहीं है और बिजली है तो बिल का भार है. इतना अधिक बिल आ रहा है कि गरीब और किसान खून के आँसू रो रहा है. मुझे याद है जब एक साल की कांग्रेस सरकार बनी थी. बिजली के बिल से समस्या हल करवाई गई थी. उस समय मुख्यमंत्री जी ने कहा था अगर किसी की बिजली कटेगी तो मैं जोड़ने आउंगा. आज गांव-गांव में बिजली काटी जा रही है. किसान के यहां डीपी नहीं लगाई जा रही है. अत्यधिक बिल आने के कारण किसान बिल जमा नहीं कर पा रहा है. आपने कहा है कि हम कृषि के क्षेत्र में डेयरी स्थापित कर रहे हैं. डेयरी सरकार स्थापित कर रही है या व्यक्ति कर रहा है. आप व्यक्ति को क्या मदद दे रहे हैं. जो साधन सम्पन्न है और डेयरी लगाना चाहता है या कोई लोन का निवेदन करेगा और लोन लेकर डेयरी खोलेगा तो उसमें सरकार की उपलब्धि कहां से आ गई. कांग्रेस सरकार ने गौशाला स्थापित करने का काम किया था. भारतीय जनता पार्टी ने उन गौशाओं को रोकने का काम किया है. मेरे क्षेत्र में 26 गौशालाएं बनी थीं उनको पशु आहार देने का काम भी सरकार नहीं कर रही है. आज हमारी गायें भूखी हैं. आज खड़ी फसल का नुकसान गायें कर रही हैं. सड़कों पर गायें घूम रही हैं. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार दोषी है. आपने कहा है कि हम सबके विकास की बात करते हैं. अभी प्रियव्रत सिंह जी ने कहा था. मैं तो यह कहता हूँ भारतीय जनता पार्टी की सरकार आदरणीय शिवराज सिंह जी की सरकार मोदी जी का अपमान कर रही है. जिस क्षेत्र से मैं जीता हूँ वहीं की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद को जिताने का काम किया है उस सांसद ने भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री को चुनने का काम किया है. अगर मेरे क्षेत्र के साथ कोई भेदभाव हो रहा है. मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान किसी व्यक्ति का निरस्त हो जाता है तो सबका विकास कहां से हुआ. आप भेदभावपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं. मैं तो यह कहता हूँ कि आप प्रधानमंत्री जी का अपमान करने का काम कर रहे हैं. मुझसे चार गुना ज्यादा वोटों से हमारे यहां से सांसद जीते हैं. हमारे यहां से सांसद जीते हैं और आप कोई भी काम नहीं कर रहे हैं तो यह मोदी जी का सरासर अपमान हुआ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज की तारीख में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बहुत बुरी बन गई है न अब उनसे लीलते बन रहा है न ही उगलते बन रहा है. उनको मालूम है कि हमारे ऊपर जो बैठे हैं. उनको पता है कि शिवराज जी को हटाते हैं तो निपटेंगे और नहीं हटाते हैं तो भी निपटेंगे. भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बहुत दयनीय हो चुकी है, क्योंकि वो सोच भी नहीं पा रहे हैं कि ...
श्री उमाकांत भार्गव -- (XXX).
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित कर दें.
श्री संजय यादव -- पंडित जी मैं आपकी पार्टी की बात कर रहा हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- कमलनाथ जी पर तो एक बार संजय भैय्या भी नाराज हो गए थे.
श्री संजय यादव -- अगली बार आपका नेता प्रतिपक्ष बनना तय है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आप ख्वाब देखो, हम इधर ही मिलेंगे और आप उधर भी नहीं मिलोगे.
श्री पी.सी. शर्मा -- सिसौदिया जी आपको बधाई हो. मंत्री नहीं बन पाए इसके लिए बधाई.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- शर्मा जी, हम तो इधर मिलेंगे यह तो इधर भी नहीं मिलेंगे.
श्री संजय यादव -- मैं वहां मिलूंगा (सत्तापक्ष की बेंच की ओर इशारा करते हुए). आदिवासी समाज के उत्थान के नाम पर बहुत बड़ा धोखा आदिवासी समाज के साथ भारतीय जनता पार्टी ने किया है. कमलनाथ सरकार ने जो आदिवासी समाज के हित के लिए निर्णय लिए थे. चाहे बर्तन प्रदाय योजना हो, चाहे अन्न प्रदाय योजना हो, चाहे आष्ठान योजना हो सबको बंद करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. आज आदिवासी छात्रों के जितने स्कूल हों, छात्रावास हों, कॉलेज हों उनको बंद करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. मेरे पास तो उदाहरण हैं. आष्ठान योजना के अन्तर्गत कमलनाथ सरकार ने जो राशि स्वीकृत की थी. उस राशि में कटौती करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. आदिवासी हित में जो भी निर्णय लिये गये थे वह बंद करने का काम भारतीय जनता पार्टी ने किया है. आप शिक्षा की बात करते हैं. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा खराब स्थिति शिक्षा की है. जर्जर शाला हैं. शाला हैं तो शिक्षक नहीं, शिक्षक हैं तो बच्चे नहीं. क्या आपने कभी आंकड़े निकलवाए हैं? मेरे पास सारे आंकड़े हैं और इसी सरकार का जवाब है. मैंने विधान सभा में प्रश्न लगाया कि बच्चे शिक्षा क्यों छोड़ देते हैं तो इस सरकार का जवाब है कि माता पिता का पढ़ा लिखा न होना, आर्थिक रूप से कमजोर होना इसलिए बच्चे शिक्षा छोड़ देते हैं. पहले पूरे देश में एक समय था कि जबलपुर शिक्षा की नगरी कहलाता था. एक समय बाहर के लोग यहां पढ़ने आते थे. जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है आज समय आ गया है कि मध्यप्रदेश का बच्चा कोई दिल्ली जाता है, कोई हैदराबाद जाता है, कोई बैंगलोर जाता है. क्या कभी सुना है कि बैंगलोर का बच्चा मध्यप्रदेश में आकर पढ़ रहा है, कभी सुना कि मुंबई या दिल्ली का बच्चा आकर मध्यप्रदेश में पढ़ रहा है. यह हमारे लिए बड़ी शर्म की बात है क्यों? गरीब के पास शिक्षा नहीं है. जो सक्षम है वह अपने बच्चे को बाहर भेजता है और जो गरीब है वह पढ़ाई छुड़वा देता है. मेरे पास एक-एक रिकॉर्ड है. छठवीं या आठवीं के बाद पहली से आठवीं तक अगर 80 प्रतिशत बच्चा पढ़ रहा है तो दसवीं से बारहवीं तक सिर्फ 40 प्रतिशत बच्चा ही पढ़ता है. बारहवीं के बाद सिर्फ 20 प्रतिशत बच्चा ही कॉलेज में प्रवेश ले पाता है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की इन 15 सालों की सरकार में कोई व्यवस्था ऐसी नहीं की. आप मेडिकल की बात करते हैं मेरे यहां दो-दो अस्पताल बने पड़े हैं लेकिन उनमें ताला लगा है क्योंकि वहां डॉक्टर नहीं हैं. पूरे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं क्यों क्योंकि वहां डॉक्टर नहीं हैं. घोटाला कहां हो रहा है. आयुष्मान घोटाला 200 करोड़ रुपए का, नर्सिंग घोटाला 200 करोड़ रुपए का आप मेडिकल व्यवस्थाओं की बात करते हैं. मध्यप्रदेश में मेडिकल की इतनी दयनीय स्थिति हुई है यह कोविड में सभी ने देख लिया है. कोविड में सभी ने हाल देख लिए हैं कि ऑक्सीजन नहीं थी, डॉक्टर नहीं थे. वह तो प्रभु का धन्यवाद है कि अपने आप व्यवस्थाएं सुचारू रूप से ठीक हो गईं नहीं तो कोविड के दौरान सरकार की पोल खुल गई थी. आप सुशासन की बात करते हैं लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि किस तरह से 181 पर फोन लगाने से आमजनों को परेशानी हो रही है. अगर किसी पीडि़त ने 181 लगा दिया तो जिस विभाग के खिलाफ वह शिकायत करता है उसके पास शाम को पुलिस पहुंच जाती है कि शिकायत वापस लो और उसके ऊपर दबाव बनाया जाता है. अगर किसी ने कह दिया कि हमारे गांव में अवैध शराब बिक रही है तो माफिया को जाकर पुलिस वाला बता देता है कि 181 पर आपकी शिकायत आई है. मतलब 181 लगवाओ और आफत बुलवाओ. यह हालत मध्यप्रदेश में चल रही है. कभी जाकर देख लेना कि आपने जो जनसेवा शिविर लगाए थे मैं चेलेंज दे रहा हूं कि अगर आपने 200 आवेदन लिए तो आज दस प्रतिशत लोगों का भी काम नहीं हुआ है. किसी भी गांव में जाकर किसी भी जनप्रतिनिधि से पूछ लीजिए जो जरूरतमंद है वह भटक रहा है. अमृत सरोवर की बात करते है. कागजों में तालाब खुद गए हैं आप क्षेत्र में जाकर देख लीजिए. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करूंगा कि आप जबलपुर आते रहते हैं एक बार बिना अधिकारियों को बताए आप मेरे साथ चलिए कि अमृत सरोवर के क्या हाल किए हैं ? कागजों में खेत, तालाब, कागजों में अमृत सरोवर, कागजों में वॉटर शेड बने हैं. इस तरह से मध्यप्रदेश सरकार की स्थिति चल रही है. आपने पर्यटन की स्थिति की बात की.
अध्यक्ष महोदय-- संजय जी हो गया.
श्री संजय यादव-- पर्यटन में जबलपुर सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र बन सकता है लेकिन न भेड़ाघाट में कोई सुविधाएं हैं न बरगी डेम में कोई सुविधाएं हैं. जो कान्हा नेशनल पार्क है या बांधवगढ़ नेशनल पार्क है आम गरीब पर्यटकों के लिए इतना महंगा है कि गरीब आदमी कभी सपने में भी नहीं सोच सकता है कि मैं कान्हा या बांधवगढ़ घूमूंगा. कौन सी सुविधाएं करवाईं हैं?
अध्यक्ष महोदय-- संजय जी हो गया. दूसरे लोग भी बोलेंगे.
श्री संजय यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया) (नरसिंहपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. मैं मानता हूं कि माननीय राज्यपाल महोदय का अभिभाषण संपूर्ण है और हमारी सरकार ने, आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में जो काम किए हैं, वे अनुकरणीय हैं. हम सभी जानते हैं कि आजादी के 75 वर्ष हो गए हैं और अमृतकाल चालू हो गया है. मैं, मानता हूं कि हमारा बजट भी, अमृत बजट है और आजादी के इन 75 वर्षों में लगभग 55-60 वर्ष देश और प्रदेश में कांग्रेस की सरकारें रहीं. परंतु गरीबों को उनकी मूलभूत सुविधायें कभी नहीं मिलीं. वर्ष 2003 के बाद की यदि हम बात करें तो चाहे बिजली की बात हो, चाहे सड़क की बात हो, सिंचाई की बात हो, किसानों के उत्पादन की बात करें तो उसमें लगातार वृद्धि ही हुई है. जब अटलबिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री बने तो देश में गांव-गांव में सड़कें बनीं. माननीय अटलबिहारी जी ने किसानों को क्रेडिट कार्ड देने को काम किया, पहले तो किसानों को कर्जदार बनाया जाता था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके बाद जब आदरणीय नरेंद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने, तब शौचालय की बात हुई. जब उन्होंने लाल किले की प्राचीर से शौचालय की घोषणा की तो कांग्रेस के बंधु विरोध कर रहे थे कि देश के प्रधानमंत्री शौचालय की बात कर रहे हैं. महिलाओं को इस वजह से कितनी परेशानी होती थी, आज हम देख सकते हैं कि महिलाओं का जो अपमान होता था, जो अत्याचार होता था, उसमें बहुत सुधार हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना की बात हो, चाहे उज्जवला योजना की बात हो, चाहे राशन की बात हो, ये सब पहले भी हो सकता था पहले भी बजट आते थे, मगर मैं, कांग्रेस के बंधुओं से पूछना चाहता हूं कि ये बजट कहां चला जाता था ? बजट प्रावधान तो पहले भी हुआ करते थे लेकिन विगत 55-60 वर्षों में ये मूलभूत सुविधायें लोगों को क्यों नहीं मिलीं ? महिलाओं का लगातार क्यों अपमान किया गया ? अभी हमारे मध्यप्रदेश में आर्थिक सर्वेक्षण आया है जिसमें बताया गया है कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने देश की अर्थव्यवस्था को 5 मिलियन डॉलर बनाने का संकल्प लिया गया है, जिसमें मध्यप्रदेश द्वारा 550 बिलियन डॉलर का सहयोग देने का लक्ष्य रखा गया है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे मध्यप्रदेश की इसमें अग्रणी भूमिका है. अगर हम प्रति व्यक्ति आय की बात करेंगे वर्ष 2011-12 में यह 38 हजार 4 सौ थी, जो बढ़कर वर्ष 2022-23 के अग्रिम अनुमान अनुसार लगभग 65 हजार 23 हो गई है. इसी प्रकार से हमारे बजट का जो आकार है, वह वर्ष 2001 में 16 हजार 393 करोड़ का था, वह वर्ष 2023 में बढ़कर 2 लाख 47 हजार 715 करोड़ हो चुका है. कृषि के क्षेत्र की यदि हम बात करें तो उसमें भी आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है. राज्य में वर्ष 2013-14 में 174.8 लाख मीट्रिक टन की तुलना में वर्ष 2023 में अग्रिम अनुमान के अनुसार लगभग 392.7 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. इसी प्रकार धान में भी बढ़ोतरी हुई है. प्रत्येक वर्ष गेहूं के क्षेत्र में बढ़ोतरी हो रही है. हम गेहूं के क्षेत्र में लगभग पूरे देश में उत्पादन के क्षेत्र में सबसे आगे हैं. ऐसे अनेक प्रकार के कीर्तिमान मध्यप्रदेश द्वारा स्थापित किए गए हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि कृषि के क्षेत्र की हम बात करें तो चाहे जैविक खेती हो, चाहे प्राकृतिक खेती हो, चाहे मुर्गी पालन हो, इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए, हमने बजट प्रावधान किया है, इन सभी क्षेत्रों में हमने काम किया है. अभी हमारे एक माननीय सदस्य कह रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी का 50 हजार का कर्जा माफ करेंगे. वर्ष 2019 से लगातार प्रत्येक को 10 हजार रूपये किसान सम्मान निधि दी जा रही है. 2023 हो गया हम लोग देने का काम कर रहे हैं. एक तरफ कांग्रेस है वह कहती थी कि हर किसान 2 लाख रूपये का कर्जा माफ हो जायेगा. कर्जा तो माफ नहीं हुआ लेकिन किसान जरूर डिफाल्टर हो गया. युवाओं को 4 हजार की राशि देंगे, परन्तु किसी भी एक व्यक्ति को एक पैसा देने का काम का काम नहीं किया. इसी प्रकार से यदि हम संबल योजना की बात करें, संबल योजना का 1 करोड़, 71 लाख से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल रहा है. संबल योजना गरीबों की योजना है और इस योजना को भी बंद करने का काम कमल नाथ जी की सरकार ने किया था और उसमें मिलने वाले जो लाभ हैं, जैसे उसमें अगर महिला है तो उनको प्रसव के समय 16 हजार रूपये की राशि मिलती है, इसमें बिजली का बिल आधा लगता है, सारा इलाज नि:शुल्क होता है, अंत्येष्टि सहायता राशि 5 हजार रूपये मिलती है, अनुग्रह राशि 2 लाख और 4 लाख रूपये मिलती है. यह पुण्य काम भी बंद करने का काम कमल नाथ की सरकार ने किया था.
अध्यक्ष महोदय, यहां अभी बात हो रही थी कि नि:शुल्क 5 करोड़, 18 लाख से अधिक लोगों को हम नि:शुल्क राहत देने का काम कर रहे हैं. कोरोना काल में हम सब लोगों ने देखा है कि व्यक्ति का यही एक सहारा था और उसमें तो कांग्रेस के बंधु तो गायब हो गये थे, दिखते भी नहीं थे. मैं ऐसा मानता हूं कि मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री और देश के प्रधानमंत्री जी ने प्रदेश के लगभग 5 करोड़,18 लाख लोगों को हम नि:शुल्क राहत दे रहे हैं और पूरे देश में 80 करोड़ लोगों को अनाज देने का काम कोरोना काल से वर्ष 2024 तक देने का काम हमारी सरकारें कर रही हैं. इस प्रकार से अभी हमने विकास यात्रा के माध्यम से हम गांव-गांव और एक-एक वार्ड तक गये. इसके पहले मुख्य मंत्री जनसेवा अभियान प्रारंभ किया था. अभी मुख्य मंत्री जनसेवा का भी मजाक उड़ाया जा रहा था. 17 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक हम लोग जनता के बीच 38 योजनाओं को लेकर गये थे और उसमें लगभग पूरे मध्यप्रदेश में 83 लाख से अधिक लोगों को हितलाभ मिले हैं. नरसिंहपुर विधान सभा में लगभग 51 हजार 600 लोगों को हितलाभ मिले, 56 हजार आवेदन आये थे. अभी एक माननीय सदस्य बात कर रहे थे और पूरे जिले में 2 लाख, 10 हजार लोगों को उसका मिला है और स्वामित्व के पट्टे देने का काम आजादी के 75 वर्ष हो गये और सभी जानते हैं कि स्वामित्व के पट्टे हमारी जो आबादी थी उसमें एक व्यक्ति को भी पट्टा नहीं मिला था. हमारे पुर्खे ऐसे ही रहे रहे थे. मगर देश के प्रधान मंत्री और प्रदेश के मुख्य मंत्री जी ने यह भी काम करके दिखाया और स्वामित्व के पट्टे दिये गये और अब भू-अधिकार योजना के माध्यम से शहर और गांव में 31 दिसम्बर, 2020 तक जो जहां काबिज़ है वहां तक पट्टे दिये जा रहे हैं और अभी तक 40 हजार पट्टे दे चुके हैं. बाकि की कार्यवाही अभी जारी है और इसी प्रकार से अगर हम पी एम आवास की बात करें. अभी बात हो रही थी इंदिरा आवास की, आप एक इंदिरा आवास बता दो जो कहीं जिन्दा हो. मैं भी 2003 में जब विधायक बना था तो हमारे जिले में 1300 आवास साल भर में आते थे और उसमें भी बंदरबांट, सरपंच अलग ले जायेगा, पता चला कि अधिकारी अलग खा गये. मगर हमारी जो कार्य योजना बनी है, उसके हिसाब से मैं, ऐसा मानता हूं कि अभी तक 47 लाख, 55 हजार भवन स्वीकृत किये गये और उसमें 39 लाख आवास अभी तक बन गये हैं और गांव भी बन रहे हैं और शहर में भी बन रहे हैं. गांव और प्रदेश में मैं, ऐसा मानता हूं कि देश के प्रधान मंत्री और प्रदेश के मुख्य मंत्री जी ने रिकार्डेड लोगों को लखपति बनाने का काम किया है. अब सीधा संबंधित के खाते में पैसा डाला जाता है. मैं तो ऐसा मानता हूं कि सरकार पैसा दे रही है और व्यक्ति के खाते में जाता है. रिकार्डेड बैंक में खाते खुले हैं. पहले भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाता था, अब पैसा सीधा खाते में डल रहा है. खाते खुलवाने का काम भी हमारी सरकार ने किया है. 47 करोड़ से ज्यादा जनधन के खाते खोले गये. जब खाते खोले गये तब भी मजाक उड़ाया गया कि आपने खाते खोल दिये, पैसे तो हैं नहीं. इस प्रकार से कांग्रेस सरकार का कोई विचार ही नहीं रहा. गरीबों की बात करती रही, गरीबी हटाने की बात करती रही. गरीबी कैसे खत्म होगी कभी उसकी कार्य योजना नहीं बनायी. इसी प्रकार से भ्रष्टाचार की बात जब आपके पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी जी थे तो उन्होंने खुद ने कहा था कि यदि केन्द्र से एक रूपये भेजते हैं तो 15 पैसा पहुंचता है और 85 पैसा खा जाते हैं. उन्होंने उसकी चिंता तो की, मगर उस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये कोई कार्य योजना नहीं बनायी थी. मगर आज वर्तमान में हमारी सरकार ने कार्य योजना बनाकर चाहे पेंशन का पैसा हो, चाहे किसानों का पैसा हो, चाहे हमारे जनधन खाते का पैसा हो जो भी हो वह सीधा खाते में पैसा जाता है उसमें किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार की कोई दूर दूर तक कोई संभावना नहीं होती. ऊर्जा के क्षेत्र की बात करें तो 28 हजार मेगावाट बिजली का रिकार्ड उत्पादन है. उत्पादन के कारण मैं समझता हूं कि 2003 से 2014 तक गांवों में बिजली नहीं मिलती थी. हम गांव में जाते थे तो बोलते थे कि शहर में बिजली मिल रही है. गांव में मिल नहीं रही है. सरकार ने 1 हजार दिन का टारगेट लेकर मैं ऐसा मानता हूं कि हर गांव तक और हर घर तक बिजली पहुंचाने का काम किया है. प्रदेश सरकार एवं केन्द्र सरकार सौभाग्य टू योजना लेकर के आये हैं उसमें मजरा टोला को बच गये हैं, वहां तक बिजली पहुंचाने का काम हमारी सरकार कर रही है. बिजली उत्पादन के कारण कृषि के क्षेत्र में रिकार्ड उत्पादन हो रहा है. आज बिजली नहीं मिलती तो कैसे कृषि के क्षेत्र में रिकार्ड उत्पादन बढ़ता. लगातार उत्पादन बढ़ाने का काम हमारी सरकार कर रही है. हमारे किसान बंधु मेहनत कर रहे हैं. मात्र बंधु योजना में 33 लाख हमारी ऐसी महिलाएं हैं जिनको लाभ दिया गया है. जब महिला पहली बार गर्भवती होती है तो उसको 5 हजार रूपये की राशि मिलती है. इसी प्रकार से हमारे बच्चों को बेटियों को लेपटाप देने का काम किया है उसमें 91498 विद्यार्थियों को अभी तक 228 करोड़ रूपये के खर्च के माध्यम से उनको लेपटाप देने का काम किया है. जो हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति बने उसमें भी मध्यप्रदेश सबसे अग्रणी है. सबसे पहले हमारे मध्यप्रदेश में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कालेज में उनके लिये हिन्दी में पढ़ाई करवाई जा रही है. हर घर में नल से जल प्रत्येक में से मैं ऐसा मानता हूं कि शायद ही ऐसा कोई गांव होगा जहां पर ऐसे टेन्डर नहीं हुए होंगे उसमें मध्यप्रदेश के लिये पर्याप्त बजट का प्रावधान किया गया है. मैं एक और जिले की जानकारी आपको बताना चाहता हूं कि हमारे यहां पर चिनकी बेराज उद्वहन सिंचाई योजना के माध्यम से लगभग 58 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत हुई है उसका काम भी चालू हो गया है उसमें एक भी घर नहीं डूब रहा है. सिर्फ नर्मदा जी के दोनों तटों पर सिर्फ पानी भरा जायेगा नीचे बेराज भी बनाया जा रहा है. इसी प्रकार से एक शक्कर नदी पर भी उद्वहन सिंचाई योजना में कोई गांव डूब नहीं रहे हैं. अनेक ऐसी दो तीन और भी परियोजनाएं हैं. मैं यह बात इसलिये कह रहा हूं कि वर्तमान में जो कार्ययोजना बनाई जा रही है उसमें हम बिजली भी बना रहे हैं उसमें हम पाईप से खेतों तक पानी पहुंचाने का काम कर रहे हैं. उसके पहले जो बरगी डेम बना था उसमें कई गांव विस्थापित हुए. मैं ऐसा मानता हूं कि जो भी कार्य योजना आज वर्तमान में है वह ऐसी है कि किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं है देश के प्रधानमंत्री जी हैं और जो हमारा दल है उनका कहना है कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास बिना कोई भेदभाव के जितनी भी योजनाएं हैं उसमें बिना किसी भेदभाव के सरकार की योजना के लाभ व्यक्तियों को पहुंच रहे हैं. अन्त्योदय योजना के लाभ भी पहुंच रहे हैं और हम न्याय कर रहे हैं. इसी के साथ आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद
डॉ.अशोक मर्सकोले (निवास)--अध्यक्ष महोदय, आपने राज्यपाल के अभिभाषण पर मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिये धन्यवाद. आज हमारे बहुत से जनप्रतिनिधियों का तथा पूर्व राज्यपाल जी के निधन का उल्लेख किया लेकिन 24 तारीख को 15-16 लोग कोल समाज के लेकर अपनी विकास यात्रा पर गये थे या अपने राजनीतिक निहित के लिये लेकर के गये थे. अगर वहां पर उनकी मृत्यु हो गई उनके लिये निधन उल्लेख में एक शब्द भी अगर ना बोला जाये. यह सब आदिवासी समाज के लोग हैं. हमारे राज्यपाल महोदय जिनके माध्यम से अभिभाषण यहां पर सदन में दिया गया है. मुझे बड़ा आश्चर्य होता है और इन 15-16 लोगों के निधन पर अपना सदन में शोक प्रकट करता हूं. अभी अभी विकास यात्रा निकली थी अच्छा हुआ कि विकास यात्रा निकल गई. यह बेसिकली माफिया यात्रा होना चाहिये था और यह कैसी यात्रा है यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी भी बैठे हैं. महामहिम के अभिभाषण के बिन्दु क्रमांक 16 में 5 करोड़ 18 लाख लोगों को खाद्यान्न वितरण की बात कही गई है. अगर साढ़े 7 करोड़ लोगों की आबादी में 5 करोड़ 18 लाख लोग गरीबी के नीचे हैं और मध्यप्रदेश को एक विकसित प्रदेश के रूप में प्रजेंट किया जा रहा है, मतलब पूरा धड़ निकल गया, सिर्फ पूँछ बाकी है.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत दु:खद है, एक ऐसी असत्य कल्पना, एक ऐसी असत्य तस्वीर मध्यप्रदेश की जनता के बीच में पेश करने की कोशिश हो रही है. वह जो सच्चाई है, जो विकास यात्रा में लोगों ने दिखाई है, जनता ने दिखाई है और ऐसी बातें कही जा रही हैं, जैसे कांग्रेस के लोगों ने जाकर वह प्रदर्शन करवाया, विकास यात्रा को रोका है. यह आंकड़ें हैं, यह तस्वीरें हैं, जो इसमें दिखाई गई है. आदिवासियों को रिझाने के लिए जो पेसा एक्ट की बातें कही गई हैं. वह सिर्फ आदिवासियों को छलने का कार्य शासन के माध्यम से किया गया है. माननीय मुख्यमंत्री जी जा रहे हैं, लेकिन मैं एक विशेष बात मुख्यमंत्री जी के सामने रखना चाह रहा था, लेकिन फिर भी मैं सदन के संज्ञान में लाना चाह रहा हूँ, बहुत सी ऐसी बातें हैं, शासन तंत्र का दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है ? वह आपको विकास यात्रा में देखना पड़ेगा. कुर्सियां खाली रहती थीं, जितने लोग बैठते थे, उनमें शासकीय मजबूर कर्मचारियों को, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को, आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उनमें बैठा दिया जाता था और वह 1 हजार रुपये, 50 हजार रुपये, 1 लाख रुपये जो पंचायतों के हक के शिलान्यास या जो भूमिपूजन होने चाहिए थे, वह अपने माध्यम से करते थे. सबसे बड़ी बात यह है कि किसी को शर्म भी नहीं आई. यह बहुत बड़ी चिन्ता का विषय है.
अध्यक्ष महोदय, सिंचाई की बातें आईं, बहुत बड़ी-बड़ी बातें कही गईं. 45 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई की बातें आती हैं, लेकिन हमारा जो महाकौशल क्षेत्र है- जिसका अधिकांश भाग मण्डला, डिण्डोरी का जो हमारा क्षेत्र है, उसमें एक-एक बूंद पानी के लिए हमारा खेत और खलिहान तरस रहे हैं और मैं सदन में पिछले चार वर्षों से लगातार इन बातों को रखते आ रहा हूँ, अगर बिजली की बातें हो रही हैं, सरप्लस बिजली की बातें हो रही हैं. बिजली है कहां ? किसके पास बिजली है ? हमारे क्षेत्र में गांव क्षेत्र में तो सिंगल फेस लाइन है. अगर हम पानी से सिंचाई भी करना चाहें तो हम पानी बिना बिजली के कैसे ले पाएंगे ?
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत कड़वी बातें हैं लेकिन सच्चाई है. अगर मुख्यमंत्री जी के माध्यम से शासन चल रहा है और अपनी लिखी हुई बातें अगर राज्यपाल महोदय से पढ़ाई जा रही हैं तो कम से कम क्षेत्र में अपने-अपने अधिकारियों से एक वार्षिक रिपोर्ट सभी विभागवाईज तो लेना चाहिए कि कहां बिजली की कितनी आवश्यकता है, सिंचाई का रकबा कितना बढ़ा है ? हमारे मण्डला क्षेत्र से दो यात्राएं अभी बीच में निकलीं और उन यात्राओं का मकसद मुख्य रूप से पानी की आपूर्ति के लिए है और पानी के लिए हमें बाहर से कहीं पानी नहीं लेना है. हमारी जो जमीन हैं, हमारे जो क्षेत्र में अपार जल स्त्रोत है, उसकी सही कार्ययोजना बन जाये, उसका सही उपयोग हो जाये, वह पानी हमारे खेत-खलिहान तक पहुँच जाये, उसके लिए मण्डला से जबलपुर तक जाकर हमने कमिश्नर साहब से बात की, उनसे वन-टू-वन टॉक की. नेमपुर पिण्डरई क्षेत्र से मण्डला कलेक्टर से हमारे क्षेत्र के लिए थावर परियोजना के लिए बात की. हम लोग बरगी विस्थापित जो क्षेत्र है, बरगी से पानी की बात कह रहे हैं, लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से. जब हमारे क्षेत्र में पानी है, लेकिन हमारे विकास के लिए काम नहीं हो पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, एक ओर विस्थापन/पलायन की स्थिति बसनियाबाद जो बांध बनाने की बात हो रही है, विकास की बातें हो रही हैं. जहां पहले विकास हुआ है, उसका पुनर्वास नहीं हो पाया. उसका हमें कुछ नहीं मिल पाया और एक नये बांध की बातें हो रही हैं. उसको सिरे से हम नकारते हैं. अभी रोड की बातें कही गई हैं, फोर लेन, सिक्स लेन की बातें कही गई हैं, यह बहुत शर्म की बात है. एक कार्यक्रम जिसमें केन्द्रीय मंत्री गडकरी जी थे, माननीय मुख्यमंत्री जी थे, पीडब्ल्यूडी मंत्री थे, केन्द्रीय मंत्री थे, हाथ जोड़कर मण्डला रोड के लिए माफी मांगी गई है. जो नेशनल हाइवे 30 है और उसकी यह बदतर स्थिति है कि रोड बनाने की योजना आठ, नौ साल से चल रही है, बनाया भी जा रहा है पता नहीं कैसे बना रहे हैं. वहां पुल नहीं बनाये हैं और आज की स्थिति यह है कि वहां का एक जो पुल है, उस पुल की खराबी की वजह से लोगों को पचास किलोमीटर एक्स्ट्रा आना जाना पड़ रहा है. रोज एक्सीडेंट हो रहे हैं, चक्काजाम हो रहा है, दो घण्टे की यात्रा को पांच,पांच, छ:-छ: घंटे तक चलना पड़ रहा है तो यह ऐसी दु:खद बाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और मैं संज्ञान में लाना चाह रहा हूं कि अधिकारी कैसे शासन को खुश रखना चाहते हैं. हमारे मण्डला जिले को कार्यात्मक साक्षर जिला घोषित किया गया है और राज्यपाल महोदय, मुख्यमंत्री महोदय के माध्यम से मण्डला को सर्टिफिकेट भी मिला है. जब हमने कहा कि कार्यात्मक साक्षरता अगर हमारे मण्डला में हो गई है तो बैंकों में तो सारे हस्ताक्षर से पैसों का आहरण होना चाहिये. सोसायटी या जन सुनवाई में जितने भी पत्रक जा रहे हैं, उनमें सबमें साईन होना चाहिये और वहां तो कलेक्टर भी बैठती हैं. जब मैंने जानकारी मांगी तो बड़ा आश्चर्य होगा कि पंद्रह नवंबर या पंद्रह अगस्त से अभी तक कितने बैंक खाते जो हैं, अगूंठे से जिनका आहरण होता था, वह हस्ताक्षर में कंवर्ट हुए हैं, तो कोई जानकारी देना वाला नहीं है और हमारा जिला साक्षर जिला घोषित हो गया है. इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी और उनको सर्टिफिकेट राज्यपाल महोदय और मुख्यमंत्री महोदय के माध्यम से मिला है. अगर कोई बातें प्रशासनिक तरीके से शासन के पास में जाती है तो कोई ऐसा तंत्र नहीं है क्या जो थर्ड पार्टी उसका इंस्पेक्शन कर ले कि हम अपनी पीठ खुद ही थपथपाने में लगे हैं.
अध्यक्ष महोदय, यह ऐसा ही ओ.डी.एफ. हुआ था, हमारे मण्डला जिले में शौच मुक्त जिला घोषित हो गया है. शौच मुक्त जिला कैसे घोषित हुआ है ? सरपंच और सचिवों को दबाव बनाकर और शौच मुक्त जिला घोषित कर दिया और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ना है. हमारे ये भोपाल से लेकर मण्डला तक के जो अधिकारी हैं, वह कौन से चैन में हैं, किसके कहने पर काम करते हैं? ह मूलभूत व्यवस्थाओं की बातें, कार्ययोजना की बातों पर तो कभी ध्यान नहीं दिया जाता है और यह सब बातें ऐसी आती हैं कि जो सिर्फ सर्टिफिकेट तक सीमित रहती हैं. ध्यक्ष महोदय, चाहता तो मैं न्यायालय की शरण में भी जा सकता था, लेकिन मैं चाह रहा हूं और माननीय मुख्यमंत्री जी को जवाब भी देना चाहिये कि आखिर ये कार्यात्मक साक्षरता का क्या मतलब है, अगर कार्यात्मक साक्षर हुआ है, उसका क्या थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन हुआ है?क्या, उनको सर्टिफिकेट कैसे दे दिया गया है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे स्कूल मेडिकल कॉलेज की बातें कहीं है, ऐसा कह रहे हैं कि वर्ष 2007 के बाद में 12 मेडिकल कॉलेज हो गये हैं, हमारे मण्डला में भी मेडिकल कॉलेज की बातें आई हैं. अध्यक्ष महोदय, चार साल हो गये हैं अभी तक मण्डला में एक रूपये का काम नहीं हुआ है और मण्डला एक ऐसा जिला है, जहां पर इतने बड़े-बड़े रोटरी कैंप भी हुए है, शायद आप अध्यक्ष महोदय, नहीं आ पाये होंगे, वर्ष 2010 में दस हजार से ज्यादा ऑपरेशन हुए थे और बीस हजार से ज्यादा ऑपरेशन वर्ष 2019 में हुए थे. इतने बड़े लेवल पर अगर जहां मरीज और जहां स्वास्थ्य की सुविधाएं न हो, अगर वहां पर इस प्रकार की अनदेखी की जाएगी तो हम कैसे विकसित प्रदेश की बातें कह सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय, सी.एम.राइज स्कूल की बातें हुए हैं, सी.एम.राइज स्कूल ठीक है होना चाहिये. हम अपने तरीके से कर सकते हैं, लेकिन हमारे क्षेत्र में जो स्कूलें हैं, सी.एम.राईज स्कूल के नाम पर, जिन हाईस्कूलों का उन्नयन होना था, जिन हायर सेकेण्डरी स्कूलों का उन्नयन होना था, वह कहीं नहीं है. जर्जर स्कूल हैं, शिक्षकों की इतनी कमी है कि हमारे पास जैसे तैसे मजबूरी में कुछ अतिथियों से काम चलाना पड़ रहा है, लेकिन स्थितियां हमारे यहां इतनी बदतर हैं, चाहे वह हॉस्टलों की बात कर लें, शिक्षा की बात कर लें, उन पर ध्यान देने वाले कोई नहीं हैं. मुझे नहीं मालूम है मध्यप्रदेश कहां पर विकसित है? लेकिन हमारा क्षेत्र है, जिसकी पूरी तरह से अनदेखी हो रही है तो अध्यक्ष महोदय, यह व्यवस्था ऐसी है. आज मंहगाई इतनी बढ़ रही है, बेरोजगारी इतनी बढ़ रही है, लेकिन इस पर एक भी प्वाइंट हमारे अभिभाषण में उसका जिक्र नहीं है. आज जो अधिकारी कर्मचारी हैं, एक भी ऐसा विभाग नहीं है, जो कहीं संतुष्ट न हो.
आज जिसको देखो आउटसोर्सिंग के माध्यम से विभागों को दिया जा रहा है. एक ऐसी हवा चल रही है कि आने वाले अभी तो क्लास-4 का जो लेवल है वह पूरा आउटसोर्सिंग पर चला गया है, आने वाला जो क्लास-3 का लेवल है वह भी आउटसोर्सिंग में जाने वाला है तो क्या सरकार भी आउटसोर्सिंग में जायेगी ? यह विषय है अध्यक्ष महोदय कि हमें सदन में चिंता करना चाहिये, अगर राज्यपाल जी का अभिभाषण भी हो रहा है तो उसकी प्रॉपर स्क्रीनिंग होना चाहिये, ऐसा नहीं है कि किसी ने अगर किताब लिखकर दे दी और उसको पढ़ दिया जाये, यह संवैधानिक व्यवस्था है, हर जिले का अपना एक एजेंडा हर स्तर पर इसका होना चाहिये तब तो हम इसको कह सकते हैं नहीं तो हम एक वहां के जनप्रतिनिधि हैं, आज इंदौर विकसित हो गया तो इंदौर के लिये ताली बजायें, बजाना चाहिये पर साथ में हम अपने क्षेत्र के विकास की भी बात करेंगे वह सुनना पड़ेगा. अध्यक्ष महोदय, यह इतनी बड़ी-बड़ी बातें हैं इसमें मैं आपको और बताना चाहूंगा पेसा एक्ट के साथ में जो छलावा हुआ है, हमारे आदिवासियों के साथ में छलावा हुआ है. महापुरूषों के नाम से सिर्फ इवेंट्स हुये हैं, किला महलों की बात करें तो न उनको संरक्षित किया गया है न उनके नाम से सिर्फ नाम बदले हैं और उनके नाम से काम बताया जा रहा है. स्पेशल ट्राइवल टीएसपी का जो बजट है उसकी जो बंदरबाट जितनी हुई है, आज तक कभी नहीं हुई है. अध्यक्ष महोदय, मेरा यही कहना है कि कम से कम ट्राइवल का जो पैसा आता है उस पैसे का अगर सही उपयोग हो जाता तो शिक्षा, स्वास्थ या इंफ्रास्ट्रक्चर को वेल डेवलप कर सकते थे. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद, आपने अवसर दिया.
श्री हरीशंकर खटीक (जतारा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिये हम खड़े हुये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे राज्यपाल महोदय जी ने जो अपने भाषण में कई ऐसी चीजें मध्यप्रदेश की धरती के लिये दी हैं यह हमारी सरकार हमारे मुख्यमंत्री जी की पहल है. उन्होंने एक ऐसी पहल मध्यप्रदेश की जनता के लिये और मध्यप्रदेश की धरती पर चाहे गांव के लिये हो चाहे किसानों की बात कहें, चाहे सिंचाई सुविधाओं की बात कहें सबके लिये दी हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपके बीच में बताना चाहते हैं, सबसे पहले तो हम अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं और अनुसूचित जाति वर्ग के लिये लगातार और वर्षों से पूरे मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के द्वारा मांग की जा रही थी कि मध्यप्रदेश की धरती पर संत शिरोमणी जी पूज्य रविदास जी महाराज जी के नाम पर एक भव्य स्मारक बनना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम धन्यवाद देना चाहते हैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को जिन्होंने 8 फरवरी को सागर जिले की धरती पर एक ऐसा फैसला किया, पूरे अनुसूचित जाति वर्ग के लगभग 1 लाख लोगों के समुदाय के बीच में जो अनुसूचित जाति वर्ग की मांग थी कि हमारे संत शिरोमणी जी का भव्य स्मारक बनना चाहिये, उन्होंने घोषणा की कि मध्यप्रदेश की धरती पर, सागर जिले की धरती पर 100 करोड़ की लागत से संत रविदास जी का भव्य स्मारक बनाया जायेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ऐतिहासिक फैसला हमारी सरकार ने किया इसके लिये हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, कई अनूठी मिसालें भी हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने दी हैं जैसे आदि गुरू शंकराचार्य जी की दीक्षा स्थली जहां पर ओंकारेश्वर है वहां पर भव्य अनेकों काम स्वीकृत किये गये हैं, उनकी प्रतिमा की बात कहें और भी अनेकों काम इसमें लिये गये हैं. उसी प्रकार से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहते हैं क्योंकि हम टीकमगढ़ जिले के निवासी हैं थोड़ा निवाड़ी जिला अलग जरूर बन गया, लेकिन भगवान रामलला का भव्य मंदिर हमारे ओरछा नगरी में बना हुआ है और सभी लोग बताते हैं कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ लेकिन सुबह 4 बजे राम राजा सरकार हमारे ओरछा में आ जाते हैं और पूरे दिन भर वहीं रहते हैं और रात में फिर अयोध्या चले जाते हैं तो राम राजा सरकार का आशीर्वाद हमको मिलता है और राम राजा सरकार के आशीर्वाद से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने भी ओरछा में भव्य राम राजा लोक एवं चित्रकूट में दिव्य वनवासी राम लोक के निर्माण का सरकार ने जो फैसला किया है हम उसका स्वागत करते हैं. यह ऐतिहासिक फैसला हमारी सरकार ने किया है हम इसके लिये भी माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं. लगातार वर्षों से मांग थी कि हम ओरछा से पृथ्वीपुर,टीकमगढ़ जिले की ओर जाते थे तो बेतवा और जामुनी का पुल वहां पर राजाशाही के जमाने से बना हुआ था. आज वह बनकर तैयार हो गया है उसके लिये हम पूरी सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहते हैं. अगर हम सिंचाई की बात करें तो 2003 में सिंचाई का रकबा 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर भूमि मध्यप्रदेश की धरती पर सिंचित होती थी लेकिन उसके बाद 2022 की हम बात करें तो शिवराज सिंह चौहान जी ने दृढ़ इच्छा शक्ति से काम किया और चाहे वह तालाबों की बात करें चाहे कुंओं की बात करें, चाहे नदियों पर बांध बनाने की बात करें तो अनेकों सिंचाई सुविधाएं जो क्षेत्र वंचित रहा करते थे उस क्षेत्र के लिये भी हमारी सरकार ने सौगातें दी हैं. हमारे माननीय मंत्री तुलसी सिलावट जी बैठे हैं
4.06 बजे { सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए }
एक जमाना वह था जहां 2003 में 7 लाख 68हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होती थी और आज 2022 में 45 लाख हेक्टेयर भूमि मध्यप्रदेश की धरती पर सिंचित हो रही है. आज हमारे किसान अपने स्वयं के खेतों में पानी देने का काम कर रहे हैं. इसके साथ-साथ जो 2025 का लक्ष्य है उसमें भी हम 65 लाख हेक्टेयर मध्यप्रदेश की धरती को सिंचित करेंगे. अगर सिंचाई क्षमता की वृद्धि की बात करें तो 585 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसके साथ-साथ 2001-02 में कृषि विकास की दर 3 प्रतिशत थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर लगभग 19 प्रतिशत हो गई है. यह इस सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति का ही परिणाम है. राज्य सरकार ने वर्ष 2013-14 में 174.8 लाख टन गेहूं का उत्पादन किया था और 2022-23 में अग्रिम अनुमान के आधार पर हम कह सकते हैं कि 352.7 लाख टन गेहूं का उत्पादन मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. माननीय सभापति महोदय, गेहूं के निर्यात की बात करें तो मध्यप्रदेश में 46 प्रतिशत भागीदारी के साथ हम देश में पहले स्थान पर पहुंच रहे हैं. हम बुंदेलखण्ड की बात करें. कहीं सूखे की,ओलावृष्टि की बात आती थी तो बुंदेलखण्ड की धरती पर आती थी. देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने एक सपना संजोया था कि जिस क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएं आती हैं वहां पर हम नदियों को जोड़ने का काम करेंगे. देश का पहला प्रयोग केन बेतवा लिंक परियोजना के माध्यम से हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उस सपने को साकार करने का काम किया है और 44 हजार 600 करोड़ के बजट का प्रावधान भारत सरकार के माध्यम से किया है. उसमें केन नदी और बेतवा नदी को जोड़ने का काम किया गया उससे बिजली बनने का काम भी होगा. यह ऐतिहासिक फैसला मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने भी इसमें सहयोग किया और जो केन एवं बेतवा नदी के जल बंटवारे की बात थी उस बंटवारे को भी पूरा करने का काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया. हम अपने बुंदेलखण्ड के टीकमगढ़ जिले की बात करें तो टीकमगढ़ जिले में एक धसान नदी थी उस धसान नदी पर एक बूंद पानी किसानों को नहीं मिलता था. पूरा का पूरा पानी उत्तर प्रदेश में चला जाता था लेकिन हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी और हमारे मंत्री तुलसीराम सिलावट जी को भी हम धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने बाणसुजारा बांध के लिये 2 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किये और 1768 करोड़ रुपये खर्च करके 183 गांवों के किसानों की 75 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित करने का काम किया. इसके लिये सरकार को हम बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं. टीकमगढ़ जिले की धरती पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी गये. उन्होंने देखा कि एक पिता के चार बेटे और गरीब परिवार है और चार बेटों के चार-चार और बेटे और उनके पास रहने के लिये एक-दो घर मात्र पड़े हैं लेकिन उनके पास स्वयं की जमीन नहीं है वह बेचारे मजदूरी करते हैं. सरकार ने फैसला किया कि हम ऐसे जो गरीब व्यक्ति हैं जिनके पास मकान बनाने के लिये जमीन नहीं है उसके लिये मध्यप्रदेश की धरती पर मध्यप्रदेश भू-अधिकार आवास योजना के माध्यम से प्लाट काटकर भूखण्ड देने का काम किसी सरकार ने किया तो वह शिवराज सिंह चौहान जी ने किया. इसके साथ-साथ अनूठी बात यह है कि वह 4 जनवरी को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी टीकमगढ़ जिले की धरती पर गये और उन्होंने 10912 लोगों को मुख्यमंत्री जी ने भू-अधिकार आवास योजना के पट्टे दिये उसके बाद सिंगरौली में गये. माननीय सभापति महोदय, बोलने के लिये बहुत था लेकिन आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)-- सभापति महोदय, मुझे यहां पर राज्यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा करने के लिये मौका दिया गया है, मैं उसके लिये पहले तो धन्यवाद कहूंगा. जब मैं इसे पढ़ रहा था, तो कुछ लाइनें मुझे याद आती हैं. इनकी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े असत्य हैं, यह दावे किताबी हैं, यह दावे किताबी हैं. मैं इस बात को इसलिये कह रहा हूं कि जब मैंने इसकी बात पढ़ी कि सबसे पहले अमृत महोत्सव से लेकर अमृतकाल तक की चर्चा हुई. यह अमृत काल है किसके लिये, मैं यह समझना चाहूंगा. क्या कुछ धन्ना सेठों के लिये, क्या चंद उद्योगपतियों के लिये, क्या माफिया तंत्र के लिये, क्या यह चंद चुनिन्दा नेताओं के लिये यहां पर अमृतकाल है. विष तो मुझे लगता है कि आम जनता से पूछ लो, किसान से पूछ लो, गरीब से पूछ लो, मजदूर से पूछ लो. उसके लिये तो मुझे लगता है कि इस अमृतकाल में सिर्फ विष ही विष निकलता है और यह जिस विकसित, आत्मनिर्भर और जिस तरह की बातें बड़े बड़े शब्दों से गढ़ने का काम किया, मुझे नहीं लगता कि मध्यप्रदेश इस चीज के लिये तैयार है. आज चाहे बेरोजगार लोगों की स्थिति देख लो. चाहे नौजवानों की स्थिति देख लो. चाहे गरीब की स्थिति देख लो. हर दूर-दृष्टा के साथ कहीं न कहीं मध्यप्रदेश हर दौड़ में कही न कहीं पिछड़ता जा रहा है. बातें बड़ी कीं, प्रवासी सम्मेलन की. जो 17वें प्रवासी सम्मेलन के लिये 3500 डेलिगेट्स को बुला लिया गया. कितना खर्चा किया गया, वह बात तो छोड़ दीजिये. पर उनको बुलाने के साथ कितना अपमान किया गया, यह बड़े बड़े चैनलों पर, बड़े बड़े वीडियों में देखा कि बाहर से आये लोग तो बाहर खड़े हुए हैं और बीजेपी के नेता वहां पर अंदर जाकर बैठे हुए हैं और वह प्रवासी भारतीय जो अपने टिकट खर्च करके आये थे, उनका कितना अपमान इस इन्दौर के अंदर किया गया, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. बड़ी बड़ी बातें इसके अंतर्गत की गईं. बड़े लोगों ने बड़ी बातें अमृतकाल के बाद यहां पर इनकी विकास यात्रा की बात की गई कि विकास यात्रा. मैं बड़ा धन्यवाद दूंगा कि जिस तरीके से विकास को एक निकास बातने का काम किया, निर्गम बताने का काम किया और यह बात तो एक हेलीकॉप्टर में एक किसान गये थे. जो कुल्हाड़ी लेकर गये थे, पर वह पीछे का फोटो देखना भूल गये थे. उसमें सीधे लिखा हुआ था कि यह निकास है. यह निकास यात्रा में बड़ी बड़ी बातें अभी की गईं कि भैया कांग्रेसियों ने कुछ किया, इन्होंने कुछ किया. तो मैं पूछना चाहता हूं कि छतरपुर के अंदर वहां का एक बीजेपी का कार्यकर्ता था, जिसका नाम भी मैं बताने का काम करुंगा. मंजू अंग्रवाल, जो बीजेपी का कार्यकर्ता था. गधे पर बैठकर गया और बीजेपी की इस विकास यात्रा का विरोध करते हुए बोला कि कब तक जनता को गधा बनाओगे, मुझे लगता है कि छतरपुर के लोगों ने यह भी देखा होगा. मैंने भी देखा. अब यह बातें कर रहे हैं कि विकास यात्रा में कांग्रेसियों ने विरोध किया. किसी मंत्री को खुजली की दवाई किसी ने लगा दी. अब वह जनता देख रही है कि कितनी खुजली की स्थिति हो गई है. किसी नेता को बोलना पड़ रहा है..
सभापति महोदय-- कुणाल जी, एक मिनट. ये विपक्ष के विधायक बोल रहे हैं, कौन मंत्री जी नोट कर रहे हैं. कोई नोट कर रहा है क्या.
श्री विश्वास सारंग -- सभापति जी, नोट कर रहे हैं. कर रहे हैं.
सभापति महोदय-- दिख नहीं रहा है, कर रहे हैं. चलिये. कुणाल जी, बोलिये.
श्री कुणाल चौधरी-- सभापति महोदय, मैं माफी चाहूंगा कि भगाया कह दिया, खदेड़ा गया. जिस तरह की चीजों का उपयोग किया गया कि किसी को किरमिच की फली लगा दी कि मंत्री जी भाग जायें. किसी मंत्री जी को, किसी विधायक जी को, हमारे बगल के विधायक जी हैं, वह कह रहे थे कि अब देना हो तो देना वोट, नहीं तो मत देना. बीजेपी के नेता ही बगल के मंच के ऊपर कहां गये हमारे नरसिंहगढ़ के हमारे विधायक जी राजा साहब. उनसे पूछें कि कैसे, किस तरीके से खदेड़ने का काम किया गया. कई मंत्रियों से 6-6 साल पुराने जर्जर भवनों का उद्घाटन करवा दिया गया. क्यों मंत्री जी, करवाया था कि नहीं करवाया था. आप नाराज भी हुए थे कि 6 साल पुराने का उद्घाटन कर दिया और जब आवास की बात की, एक व्यक्ति तो मेरे पास आया. बोले विधायक जी, यह मेरा पीएम आवास बने मनमोहन सिंह जी के समय मिला था. जब 27 रुपये किलो सरिया था और 130 रुपये बोरी सीमेंट हुआ करती थी. उसको कब से बना चुका हूं, मेरे बच्चे उसके अंदर हो गये और अब 3 बार उसका उद्घाटन भाजपा सरकार कर गई. मेरा आग्रह है कि इस पर विचार और चिंतन जरुर करें. जब इस योजना को मनमोहन सिंह जी ने शुरु किया था, तब सरिये की कीमत क्या थी और आज सरिये की कीमत क्या है. क्या यह योजना गरीब को कहीं न कहीं कर्जदार बनाने की योजना नहीं हो गई है. जब सीमेंट की कीमतें और आज की सीमेंट की कीमतें उस समय यह योजना 5 साल की, पंचवर्षीय योजना बनी थी. आज यह 10-12 साल बाद उसी पैसे को लगाने का काम कर रहे हैं और आज महंगाई क्या हो रही है, इस ओर दिमाग लगाने का काम नहीं कर रहे हैं. मैं यह कहना चाहूंगा कि राज्यपाल जी के अभिभाषण के अनुसार यह अमृत महोत्सव से अमृतकाल और विकास यात्राओं से मुझे लगता है कि जो अश्लील नृत्यों को कहीं न कहीं जो हमने देखा, उस विकास यात्राओं में भीड़ बुलाने के लिये किस तरह के अश्लील नृत्य कराये गये और वह इनको आत्मनिर्भर लगता है, यह शिवराज सिंह जी की लुटेरी सरकार कहती है कि मध्यप्रदेश का निर्माण हो रहा है. अरे माननीय महोदय, इन बातों का जिक्र जरूर करना कि किस किस जगह खदेड़ा गया, किस किस जगह स्थितियां कहीं न कहीं खराब की गई. अगर इन्होंने विकास किया होता तो यात्रा निकालने की नौटंकी नहीं करना पड़ती, विकास नहीं किया तो यात्रा निकाल लोगे, फजीहत तो होगी ही होगी. इस बात को मैं कहने आया हूं.
सभापति महोदय, एक बड़ा महत्वपूर्ण विषय है. आदिवासियों के ऊपर चर्चा, चिंतन जरूर किया. परन्तु अभी डॉक्टर साहब ने बड़ी सही बात कही कि उन 14 आदिवासी मजदूरों को जिन्हें कौल आदिवासी महाकुंभ के अंदर सरकारी धौंस के द्वारा लेकर आया गया था, उन 14 गरीब मजदूरों की मौतों को मौत नहीं कहूंगा, सीधे सीधे सरकारी तंत्र के द्वारा की गई हत्या, इस हत्या का दोषी कौन है? आज अगर एक मकान बनता है और वहां एक मजदूर की मृत्यु हो जाती है, मकान मालिक वहां पर हो न हो, परन्तु उस पर भी कहीं न कहीं मुकदमा दर्ज हो जाता है. यह सरकार में बैठे लोग जो अपने आदिवासी सम्मेलन के लिए सरकारी धौंस के द्वारा लोगों को लेकर आए, उन मौतों, उन हत्याओं का जवाबदार कौन है? वह सीमेंट से भरे हुए ट्रक ओव्हर लोड कैसे चल रहे थे, इसका जवाबदार कौन है, इतनी बसें अगर गईं तो उसका जवाबदार कौन है? यह लुटेरी सूट-बूट की सरकार, गरीबों को सिर्फ टूल्स की तरह उपयोग करती है और पूंजीपतियों की गुलामी करती है.
सभापति महोदय - आप कितने समय और लेंगे?
श्री कुणाल चौधरी - सभापति महोदय, अभी तो मैंने शुरू किया है. सबको बहुत समय दिया है. मैं नया सदस्य हूं. अभी तो तीन मिनट हुए हैं.
सभापति महोदय - 2-4 मिनट में जल्दी खत्म करें.
श्री कुणाल चौधरी - सभापति महोदय, अभी तो शुरुआत ही नहीं हुई है. बड़ी-बड़ी बातें रोडों की कही है. मैं एक टोल रोड का बता दूं कि भोपाल देवास रोड 345 करोड़ रुपये का बना था, अभी वह किस पर चल रहे हैं आपको मालूम है? उस टोल से 1300 करोड़ रुपये का कलेक्शन हो गया है. अगले 10 साल तक और यह कंपनी जनता का खून चूसेगी, इसकी जवाबदेही किसकी है? यहां पर लेबड़ जावरा की बात कहूं. जावरा नया गांव की बात करूं कि जो 400-425 करोड़ रुपये की रोड बनी, दो-दो हजार करोड़ रुपये के खून चूस लिये, उसके बाद सरकार में बैठे लोग, कहीं न कहीं खून मक्खियों की तरह चूसते हैं. यह बात करने की बात कर रहे थे. अभी तो शुरुआत हुई है. नर्मदा के विकास की बात कर रहे थे.
श्री उमाकांत शर्मा - सभापति महोदय, मक्खियों की तरह खून चूसते हैं, यह असंसदीय शब्द है. इसे हटाया जाय.
(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी - आप भाई साहब बैठ जाओ.
श्री उमाकांत शर्मा - आप क्या बैठाओगे, हमने कई बार बैठा दिया.
श्री कुणाल चौधरी -सभापति महोदय, व्यापम में हत्याएं की है, यह बैठते नहीं हैं. बार-बार आ जाते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा - आप मेरे खिलाफ न्यायालय में चले जाओ.
श्री कुणाल चौधरी - यह व्यापम के लुटेरे हमसे बात करेंगे?
श्री उमाकांत शर्मा - सदन के बाहर बोलकर दिखाओ.
श्री सुनील सराफ - उम्र का ख्याल करो पंडितजी. थोड़ा कम चिल्लाओ. मेरा निवेदन है, तबीयत का ध्यान रखो.
एक माननीय सदस्य - पंडित जी, कुछ हो जाएगा, चिल्लाओ मत. सभापति महोदय, इन्हें कुछ हो जाएगा. इन्हें चुप कराएं.
(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी - सभापति महोदय, मैंने तो अभी शुरुआत की है. इतने में मिर्ची लगी. थोड़ी देर में उठक-बैठक लगाएंगे, आप रुको तो सही.
श्री संजय यादव - शर्मा जी आपकी टिकट कट चुकी है, इसलिए आप परेशान है, आपकी टिकट गई.
श्री कुणाल चौधरी -सभापति महोदय, मेरा आग्रह है कि बिजली पर चर्चा हो रही है. आज के भास्कर पेपर की कटिंग में देना चाहूंगा. 9000 छोटे उपभोक्ताओं के कनेक्शन इस सरकार ने काट दिये. विश्वास जी, यह आपकी विधान सभा का मामला है. आपके क्षेत्र का मामला है. एक पूर्व मुख्यमंत्री कहते थे कि 200 रुपये से ज्यादा बिजली का बिल आ जाय और कोई बिजली काटने आए तो मुझे बताना मैं जोड़ने जाऊंगा. यह 9000 कनेक्शन भोपाल में कटे हुए हैं. पूरे मध्यप्रदेश की क्या स्थिति है?
श्री उमाकांत शर्मा - सभापति महोदय, एक जमाना था, दादा बिजली आ गई, फिर गई.
श्री कुणाल चौधरी - सभापति महोदय, यह बिजली की बातें करते हैं. कैसी लूट चल रही है. बगैर बिजली खरीदे सरकार ने 21 हजार करोड़ रुपये का भुगतान एक कंपनी को कर दिया और उससे एक यूनिट बिजली नहीं ली. गरीब के अगर 21 करोड़ रुपये के बकाए पर 9000 लोगों के कनेक्शन काट दिये, यह लूट मध्यप्रदेश में चल रही है. यह लूट चल रही है 5 हार्स पावर की मोटर खरीद कर किसान लाता है. उसके पास 8 हार्स पावर के बिल लेकर जाते हैं या तो उस मोटर बनाने वाली कंपनी पर एफआईआर करें या बिजली कंपनी के ऊपर एफआईआर करें. उस किसान की गलती क्या है? उस किसान के साथ यह असत्य बात कर रहे हैं. मांग और उपलब्धता के नाम पर ऐसा खेल चल रहा है कि इनको समझ में नहीं आ रहा है, यह किसान की बात करेंगे. किसान का प्याज 2 से 4 रुपये किलो बिक रहा है, जिसकी लागत 10 से 12 रुपये किलो की होती है, 15 रुपये किलो होती है. आज गेहूं की बात करते हैं, जब यहां पर राशन के अंदर गेहूं देना चाहिए था. मिलर से समझौता करके, मिलर से साठगांठ करके गेहूँ की जगह घटिया चावल खिलाया गया और आज जब यहां पर मंडियों में गेहूँ आ रहा है तो सरकार उन सरकारी गोदामों में पड़ा हुआ गेहूँ मंडियों में दे रही है ताकि किसान के गेहूँ की कीमत जो 3,600 रुपये क्विंटल बिक रहा था आज 2,000 रुपये क्विंटल आ गई. यह किसान के प्रति इनकी नीति है. इनकी नीति किसान के पेट पर लात, छाती पर गोली और नंगा करके मार देने की नीति है. जब उस समय 2017 में मंदसौर में गोलीकांड किया गया, सरकार के द्वारा शिवराज सिंह की सरकार के द्वारा हत्या की गई.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- किसने कराया था. आपने कराया था.
श्री कुणाल चौधरी -- सभापति महोदय, उस हत्या की जैन आयोग की रिपोर्ट आज 5 साल पूरे होने पर भी नहीं आई. इन आयोगों का क्या फायदा है जिन आयोगों की रिपोर्ट पूरी नहीं होने दी जाती. अरे इन्वेस्टर्स समिट के दस्तावेज आग में जल रहे हैं और बड़ी-बड़ी बातें यह कर रहे हैं. बड़े रोजगार की बातें की. मैं यह बताना चाहूंगा कि आज यशोधरा जी ने एक आंकड़ा दिया है 19 लाख रजिस्टर्ड बेरोजगारों में से 21 लोग रोजगार पा चुके हैं. अरे अच्छी शिक्षा चाहिये तो बाहर जाइये, अच्छा रोजगार चाहिये तो बाहर जाइये. जिस तरह का असत्य चल रहा है, जिस तरह की लूट चल रही है तो मुझे लगता है कि राजा बोले कल एक अच्छी सुबह है, राजा बोले अभी यह अच्छी रात है, रानी बोले अच्छी रात है, मंत्री बोले अच्छी रात है, संत्री बोले अच्छी रात है, पर यह सारी सुबह-सुबह की बात है. इस तरह की लूट मध्यप्रदेश के अंदर चल रही है. कई बातें करने की हैं, कई चिंता के विषय हैं यात्राओं के माध्यम से यह सस्टेनेबल एग्रीकल्चर की बात करते हैं अरे 2022 में आय दुगुनी करने की बात करते थे, आज डीजल की कीमतें बढ़ चुकी हैं, बिजली की कीमतें बढ़ चुकी हैं, खाद की कीमतें बढ़ चुकी हैं. हमने 40 हजार रुपये बीघा का लहसुन बोया था 9-9 हजार रुपये पाया है.
सभापति महोदय -- चलिये अब समाप्त करिये. अगले वक्ता श्री जजपाल सिंह जज्जी. हो गया, आप बैठ जाइये. समय सीमा का ध्यान रखना है.
श्री कुणाल चौधरी -- सभापति महोदय, मुझे बात करने दें. गरीब, किसान, मजदूर की बातें बची हैं. अभी तो मेरी शुरुआत हुई है. सबको 15 मिनट दिये गये हैं मुझे आप 10 मिनट ही दे रहे हैं. यह तो एक आवाज दबाने की कोशिश है गरीब, मजदूर, किसान के बेटे की. मेरा आग्रह है बात तो करने दीजिये सदन में चर्चा नहीं करेंगे तो कहां करेंगे.
सभापति महोदय -- दो मिनट और. दो मिनट में बोलिये.
श्री कुणाल चौधरी -- बाहर करो तो बोलते हैं हल लेकर आ जाते हो. यहां करो तो आप कहते हैं बंद हो जाओ. माननीय महोदय, करें तो क्या करें. यह बड़ी-बड़ी बातें बेटियों के नाम पर करते हैं परंतु कानून व्यवस्था का जिक्र इन पन्नों के अंदर नहीं है. महिलाओं पर अत्याचार, बलात्कार, जिस मध्यप्रदेश के अंदर कुपोषण में नंबर एक हो, बलात्कार में नंबर एक हो, जहां रोज इस प्रकार की स्थितियां होती हों वहां यह विकास की बात करते हैं. मेरा आग्रह है जिस तरीके से 5 करोड़, 18 लाख पात्र हितग्राहियों की बात करते हैं..
सभापति महोदय -- कुणाल जी, अब आप समाप्त करिये. चलो हो गया.
श्री कुणाल चौधरी -- जिस गरीबी में मध्यप्रदेश जी रहा है कहां से हवाई जहाज में जाएगा. हवाई जहाज का सपना दिखाया था. आज 5 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है, आपने लूटा है. इस बात को निवेदन के साथ कहना चाहता हूं इस सरकार को हटाने की जरूरत है.
श्री जालम सिंह पटेल -- सभापति महोदय, राजमाता भी जमानत पर हैं. राजकुमार भी हैं, जीजा जी भी हैं.
श्री कुणाल चौधरी -- सभापति महोदय, इन्होंने एक बात याद दिला दी एक आखिरी बात, बड़ी इन्होंने इकोनॉकी बात कही थी आंकड़े बताये थे, 550 अरब डॉलर की मध्यप्रदेश की तरफ से चाहिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आंकड़ों के साथ कुछ भी बोल रहे हैं. बोलते जा रहे हैं. सभापति महोदय, इनको कहां टाइम दे रहे हैं. विधान सभा का समय बर्बाद कर रहे हैं.
सभापति महोदय -- कुणाल जी, बजट पर बोलने का मौका भी आएगा. समय का ध्यान रखिये. नहीं अब हो गया. अब नहीं. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- सभापति महोदय, मेरा आग्रह है मैं आखिरी बात कह रहा हूं.
श्री उमाकांत शर्मा -- सभापति महोदय, इनके हाईकमान ने इन्हें भगा दिया यह नहीं रुकेंगे.
श्री कुणाल चौधरी -- सभापति महोदय, कृपया एक बात, अभी सर्वेक्षण में 45 लाख करोड़ की इकोनॉकी मध्यप्रदेश की निकली है. साढ़े ग्यारह लाख करोड़ की. कैसे खर्च उठाओगे. 5 हजार करोड़ की लूट है. लूट रहे हो.
श्री जजपाल सिंह जज्जी (अशोकनगर) -- सभापति महोदय, मैं माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिये खड़ा हुआ हूं. कल माननीय राज्यपाल महोदय का जो अभिभाषण हुआ निश्चित रूप से मध्यप्रदेश को विकास की नई ऊचाइयों पर ले जाने वाला उनका अभिभाषण था और निश्चित रूप से शिवराज जी की भाजपा सरकार गरीब मजदूर, किसान के जीवन में बड़ा बदलाव लाकर उसे खुशहाल बनाने का काम कर रही है. 75 वर्ष हमारे देश को आजाद हुये हो गये. लेकिन सोचनीय यह है कि 75 वर्ष में पीने का शुद्ध पानी हमारे देश के नागरिकों को नहीं मिल नहीं पा रहा है. गरीब के सर पर छत हो, यह किसने सोचा, गरीब अपना इलाज कैसे कराए, ये किसने सोचा, गरीब की बेटी अच्छे स्कूल में कैसे पढ़ पाए, ये किसने सोचा, यह सारा बदलाव अगर आया, अभी विकास यात्रा की बहुत बातें बार-बार हो रही हैं. मैं समझता हूँ कि शिवराज जी और मोदी जी ने विकास की परिभाषा बदली है. इसके पहले मैं समझता था, यह माना जाता था कि सड़क, पानी, बिजली, अस्पताल, स्कूल बन गए और उन्होंने कहा कि क्षेत्र का विकास हो गया. लेकिन पहली बार मोदी जी और शिवराज जी ने यह कहा कि विकास मानवीय आधार पर कैसे हो. गांव में आप एक सड़क बना दें और उस सड़क के किनारे एक गरीब आदमी अपने सर के ऊपर पत्ते डालकर रह रहा है, प्लास्टिक की पॉलिथीन डालकर रह रहा है, मैं समझता हूँ यह विकास मानवीय नहीं माना जाएगा. केवल सड़क, पानी और बिजली से उसका विकास नहीं हो रहा है. उसके लिए जरूरी है कि सरकार के द्वारा उस गरीब के व्यक्तिगत विकास के लिए भी प्रयास किए जाएं. तब नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री आवास योजना को पूरी तेजी के साथ पूरे देश में अमल में लाते हैं कि हर गरीब के सर पर पक्की छत हो. उसे सड़क, पानी, बिजली के साथ-साथ पक्की छत मिले, ताकि उसे बरसात का, सर्दी का और गर्मी का भय न सताए.
सभापति महोदय, अभी विकास यात्रा की बात यहां पर हो रही थी. मैं कई गांवों में गया. मैंने कई गरीब परिवारों में जाकर जब देखा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के घर कई लोगों ने तो छोटे-छोटे और इतने सुंदर उन्होंने बनाए हैं और जब उस घर में जाकर उस परिवार से, उसकी बूढ़ी मां से, छोटे बच्चों से पूछा कि कैसा महसूस कर रहे हैं तो उनकी आंखों में आंसू थे. वे कह रहे थे कि हमने जीवन में यह नहीं सोचा था कि कभी हमारे घर में हम पक्की ईंट लगा पाएंगे. आज हमारे सिर पर सीमेंट की छत है. यह बदलाव आया है. इस विकास यात्रा में घर-घर जाकर मैं कई लोगों से मिला, मैंने लोगों के अनुभव साझा किए, गरीब आदमी, कई बुजुर्ग बोल रहे हैं कि इसके पहले जब हमारे घर में कोई बीमार हो जाता था तो जो हमारी थोड़ी-बहुत जमीन थी, वह गिरवी रखनी पड़ती थी या कर्ज लेना पड़ता था या पूरे परिवार को, हमारे यहां हमारी भाषा में बोलते हैं हरवाई लगना, किसी जमींदार के यहां साल भर के लिए बंधक हो जाना, बंधुआ मजदूर बन जाते थे तब जाकर परिवार के सदस्य का इलाज करा पाते थे और तब एक योजना आती है आयुष्मान कार्ड योजना. इससे हर गरीब, जो आयुष्मान कार्ड धारण की पात्रता रखता है, उसको पांच लाख रुपये तक का फ्री इलाज कराने की सुविधा यह सरकार देती है. यह आदमी के जीवन में बदलाव है.
सभापति महोदय, हम देखते हैं कि कई बेटियां, आज से 10-15 साल पहले गांवों में आप जाएं तो स्कूलों में बेटियां पढ़ने नहीं जाती थीं. एक धारणा बन गई थी कि लोग बेटियों को पढ़ाते नहीं हैं. लेकिन जब आप उस समय के बुजुर्ग लोगों से बात करेंगे तो वे कहते हैं कि उस समय हमारी हैसियत नहीं थी. हमारे घर में दो बेटे, दो बेटियां हैं तो पढ़ाने की हैसियत नहीं होती थी, इसलिए कह देते थे कि बेटियों को मत पढ़ाओ, बेटों को ही पढ़ा लो, इसलिए उस समय बेटियां नहीं पढ़ पा रही थीं. तब शिवराज जी ने लाडली लक्ष्मी योजना लाए, एक ऐसी योजना जिसने गरीब बेटियों के जीवन में क्रांति लाई. आज लगभग 44 लाख लाडली लक्ष्मी बेटियां हैं और उनकी शिक्षा, किसी भी स्तर पर हो, यदि वह इंटेलिजेंट हैं, जाएं, वह सारी शिक्षा सरकार के द्वारा कराई जा रही है. संबल योजना, गरीब आदमी घर में अकेला कमाने वाला है, थोड़ी-बहुत जमीन है, मजदूरी कर रहा है, ईश्वर न करे यदि कभी कोई दुर्घटना उसके साथ घट जाती थी तो उसके परिवार को कोई पूछने वाला नहीं होता था कि उसका परिवार कैसे जीवन यापन करेगा. तब संबल योजना एक ऐसी योजना आई जो उस गरीब के परिवार को एक बड़ा संबल देती है, उसके परिवार को चार लाख रुपये नकद मिलते हैं, लाखों लोगों की इस तरह से मदद हुई, ताकि उस गरीब को आगे जीने का रास्ता मिल सके. ऐसे अद्भुत निर्णय माननीय नरेन्द्र मोदी जी और शिवराज जी द्वारा किए गए हैं, जिन्होंने गरीब के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया है.
सभापति महोदय, जल जीवन मिशन योजना, कल्पना करें, मैं 4 साल पहले एक गांव में गया था तो 2 किलोमीटर दूर से बेटे-बेटियां और छोटी-छोटी बेटियां पानी लेकर आ रहे थे. मैंने पूछा कि पानी क्यों भरकर ला रहे हो तो उनका जवाब था कि अंकल, खेत में कुआं है, वहां से पानी लाते हैं, गांव में पानी नहीं है. तब मैंने वह लड़ाई लड़ी. अभी जब मैं उस गांव में गया तो हर घर में टोंटी से पानी मिल रहा था. पूरा गांव खुश था, सारी महिलाएं खुश थीं, वे बेटियां, उनके घर गया, जो बेटियां उस समय मुझे मिली थीं, तो यह परिवर्तन जल जीवन मिशन के माध्यम से लोगों के जीवन में आया है कि शुद्ध पानी पीने को मिल रहा है.
सभापति महोदय, इसके अलावा अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो लाडली बहना योजना प्रारंभ की है, मैं जब अपने क्षेत्र में गरीब बहनों के बीच, मांओं के बीच जाता हूँ और कहता हूँ कि मुख्यमंत्री जी ने इन बेटियों को लाड़ली लक्ष्मी बनाया है और आपके लिए उन्होंने कहा कि मेरी लाड़ली बहनें हैं और जब मैं उनको बताता था कि आपके खाते में 1000 रूपए सावन के महीने से आना शुरू होंगे और किस बात के लिए मिलेंगे. आपको या उस गरीब परिवार में अगर बेटी है, बेटी की शादी हो गई और उसके बेटी-दामाद आ रहे हैं तो गरीब आदमी 100-200 रूपए के लिये अपने उन रिश्तों को निभाने के लिए गरीब मां और बहन परेशान होती हैं. जब मैं उनको बताता कि केवल आपका पैसा होगा, आपको अपने नाती-पोते को खिलौना दिलाना है, मैं जो यह कह रहा हॅूं, मैं केवल यह भाषण नहीं दे रहा हॅूं. कई माताओं की आंखों में आसूं आ गए थे.
सभापति महोदय -- आप कितना समय और लेंगे. कृपया आप 2-3 मिनट में समाप्त करिए.
श्री जजपाल सिंह "जज्जी" -- जी सभापति महोदय, माताएं-बहनें खुद बोलीं कि गांव में खिलौने बेचने कोई आता तो उन्हें छोटे बच्चे को गोद में लेकर अंदर कमरे में जाना पड़ता है क्योंकि बच्चा खिलौने की जिद करेगा, रोएगा और हमारे पास 50-100 रूपए नहीं है कि हम बच्चे को खिलौना दिला पाएं और अगर शिवराज भैया यह योजना ला रहे हैं तो उनकी आंखों में आसूं आ जाते थे, तो उनका खुद कहना है कि शिवराज भैया हमें खुशियां देंगे. यह केवल 1000 रूपए नहीं हैं तो मेरा कहने का यह मतलब है कि यह एक मानवीय विकास की परिभाषा गढ़ी है. सड़क, पानी, बिजली, स्कूल, अस्पताल है लेकिन उसके साथ उस गरीब आदमी के विकास के लिए यह सारी योजनाएं हैं.
सभापति महोदय, आज किसान सम्मान निधि 10,000 रूपए है. अभी परसों अंतिम विकास यात्रा थी. आज उस गांव में 820 लोगों को सम्मान निधि मिल रही है. मैंने गांव वालों को जब बताया कि 820 का मतलब 82 लाख रूपए सालाना आपके गांव में आ रहा है तो सारे लोग हतप्रभ रह गए कि इस तरह से तो हमने कल्पना ही नहीं की. मैंने कहा कि आपके गांव में 82 लाख रूपए आ रहे हैं. आप कल्पना करिए कि आपके गांव में उस 82 लाख रूपए से कुछ हो नहीं रहा क्या. यह आम आदमी के विकास की योजनाएं हैं. हम जब उनको बता रहे हैं कि 1-2 गांवों में पिता के पास और बेटे के पास 5 बीघा जमीन है तो दोनों को 10000 रूपए सम्मान निधि मिल रही है. मैंने कहा कि अब बहन को और दोनों को भी 12000-12000 रूपए मिलेंगे. 44000 रूपए साल का आएगा. आप आश्चर्य करेंगे, गरीब आदमी की आंखों में आसूं आ जाते हैं. ऐसी योजनाएं मध्यप्रदेश में माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार की हैं. माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार लोगों के खातों में पैसे नहीं डाल रही है बल्कि उस गरीब के खाते में खुशियां डाल रही है तो मैं आज माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हुए महामहिम राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करता हॅूं. धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- माननीय सभापति महोदय जी, माननीय राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन का मैं विरोध करता हॅूं. माननीय विधायकगणों ने बहुत सारी चर्चाएं की हैं. इस प्रदेश में साढे़ आठ करोड़ जनसंख्या और जनसंख्या के साथ साढे़ बाईस परसेंट अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या इस प्रदेश में है. सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सर्वहारा समाज के विकास के लिये 51 बिन्दुओं का जो वाचन महामहिम राज्यपाल महोदय से कराया गया, उससे मैं व्यथित हॅूं और इस बात को, सरकार के साथी छाती ठोककर बोलते हैं कि हम स्मार्ट सिटी बना रहे हैं. स्मार्ट सिटी और स्मार्ट व्यक्ति अच्छा लगता है. जिस स्मार्ट सिटी में पानी है, बिजली है, नल है और तमाम सब सुविधाएं हैं जैसा कि आप बता रहे हैं और जिस समाज की साढे़ बाईस परसेंट जनसंख्या इस प्रदेश में है, वह भी शहरों की ओर निगाहें लगाए निहार रही है कि काश मेरे गांव में भी सीसी रोड होती. मैं भी अपने हाथों से नल चलाकर पानी ले लिया होता, मेरे गांव में भी बिजली, सड़क होती. मैं भी कूलर, पंखों से हवा ले लिया होता लेकिन माननीय सभापति महोदय जी, ऐसा इस सरकार में संभव नहीं है. कई बार हमने पूछा. हमने कई बार चर्चा की और इस सदन के माध्यम से भी कहता हॅूं.
श्री रामपाल सिंह -- सभापति जी, इनका जलवा हम देखकर आए हैं. आपके गांव में सड़क भी है. आपका गांव इतना सजा हुआ है. सीएम साहब से आपने राशि मांगी थी, वह भी आपकी सड़क स्वीकृत हो गई.
सभापति महोदय -- माननीय रामपाल जी, उन्हें बोलने दीजिए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- धन्यवाद, यदि कर दिया है तो आपको बधाई और माननीय मुख्यमंत्री जी को मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं. हम तो गांव-देहात में निवास कर रहे हैं. जंगल-पहाड़ों में निवास करते हैं. मैं मां नर्मदा की उस पवित्र भूमि पर निवास करता हॅूं. जहाँ से वह पवित्र धारा प्रवाहित होकर के जीवनदायिनी इस मध्यप्रदेश की बनी. उस माँ नर्मदा के आँचल में हम जन्म लेकर और इस विधान सभा में पहुँचे हैं. मेरा कहना यह है कि आप स्मार्ट सिटी बनाएँ अच्छी बात है. मेरा स्वागत है, वहाँ मेरे प्रदेश के भाई रहते हैं. लेकिन इस सदन के माध्यम से मैं यह कहना चाहता हूँ कि जब आप स्मार्ट सिटी बनाएँ तो कृपा करके मेरा गाँव भी स्मार्ट विलेज कब बनेगा इस बात को गाँव के लोग भी निहार रहे हैं. स्मार्ट विलेज भी बनने चाहिए. उस स्मार्ट विलेज में जहाँ पानी हो, नल हो, बिजली हो, तमाम सर्व सुविधाएँ हों.
सभापति महोदय, आपने शौचालय बना दिए हैं. अभी भाई लोग कह रहे थे कि आपने इंदिरा आवास योजना बनाई है, वह आज खंडहर बन गए हैं. मैं आपके शौचालय की बात बता देता हूँ और मेरे पुष्पराजगढ़ में जहाँ मेरा विधान सभा क्षेत्र है वहाँ जनजाति समुदाय के लोग निवास करते हैं. आपके शौचालय को हमारे गाँव में पिजघुच्चा शौचालय नाम दिया गया है पिजघुच्चा शौचालय, ध्यान रखें, जिसमें दाएँ मुड़ना न बाएँ मुड़ना, सीधे आते, सीधे जाते और आज जैसे दाँत टूट गया, वैसे उनके दरवाजे पड़े हुए हैं. किसी ने कंडे रखे हैं, कहीं भूसा रखने का काम आपके 12 हजार के शौचालय में हो रहा है. यह पैसा किसका है? यह पैसा, हमारे किसान का पैसा है, जिसने टैक्स दिया. हमारे कर्मचारियों ने लगान दिया. हमारे व्यापारियों ने लगान दिया. उस पैसे का दुरुपयोग जिस तरीके से मध्यप्रदेश की सरकार वर्तमान में जो कर रही है पूरे भ्रष्टाचार की वह बलि चढ़ गया.
माननीय सभापति जी, मैं आपको बताना चाहता हूँ मेरे यहाँ एक मिनी स्मार्ट सिटी अमरकंटक है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री, बहुत सारे नेता गण जाते हैं. माँ नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में 2017 में ट्रीटमेंट प्लांट स्वीकृत हुआ कि शहर का पानी डायरेक्ट माँ नर्मदा में प्रवाहित न हो इस उद्देश्य से ट्रीटमेंट प्लांट को स्वीकृत किया गया. 2017 में, ध्यान रखिएगा और 2017 से आज दिनाँक तक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट प्रारंभ नहीं हो पाया. यदि इस माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में वह आ गया होता कि अमरकंटक का ट्रीटमेंट प्लांट हमने पूर्ण कर दिया और माँ नर्मदा में प्रवाहित होने वाला गंदा पानी, जो लोग आचमन लेने जाते हैं, वे आचमन नहीं ले पाते हैं, वहाँ दुर्गन्ध आ रही है. यह आपके कर्मों के कारण हो रहा है. यह कर्मकाण्ड आपका हो रहा है कि माँ नर्मदा से स्वच्छ पानी का आज आचमन नहीं ले पा रहे हैं आपने स्वीकृत कराया वह क्यों पूर्ण नहीं हो रहा है. यह आप मिनी स्मार्ट सिटी बना रहे हैं? आप जनता के साथ धोखा कर रहे हैं. माँ नर्मदा के आँचल पर आपने हरी चुनरी चढ़ा दी है. जिस पौधे को माननीय मुख्यमंत्री लगाकर आए वही गायब हो गया, वह पौधा ही गायब हो गया. इस तरह से हरी चुनरी पर लाखों, करोड़ों, रुपयों की राशि इस सरकार ने बर्बाद कर दी और माँ नर्मदा के साथ आपने छल किया. जिसका परिणाम 2023 में मिलेगा.
माननीय सभापति जी, पोषण आहार की भी बात हो रही थी. गरीबी, भगवान करे किसी को न दे और उस गरीबी का जिस तरीके से मजाक भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो बनाया है उसको कभी आदिवासी समाज माफ नहीं करेगा. एक हजार बैगा जनजातियों को आप कुपोषण के नाम पर दे रहे हैं. आहार अनुदान राशि के नाम से आप योजना चला रहे हैं. उनको कैसे मिलता है हम बताते हैं. बैगा जनजाति की, उनकी कोई जमीन नहीं, कोई इस गाँव से आकर बस गया, कोई उस गाँव से आकर बस गया, अब उनकी पत्नी, माताओं का, उनको खसरा, बीमा, चाहिए. जिसको मिल गया उसको मिल गया. जिसका नहीं है उसको आज तक नहीं मिल रहा है. यह इनके पोषण आहार का असत्य जो मिथ्या यहाँ वाचन कराया गया और 285 करोड़ रुपये इन्होंने भुगतान करना बताया है. मैं पूछना चाहता हूँ कि सहरिया, भारिया जाति के लोगों को क्या मिल रहा है, नहीं मिल रहा है गिने-चुने लोगों को मिला बाकी के लोगों को नहीं मिला है.
सभापति महोदय -- आप और कितना समय लेंगे.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- सभापति महोदय, मैं तो चाह रहा हूँ कि आपका बढ़िया संरक्षण मुझे मिले.
सभापति महोदय -- सभी के लिए संरक्षण है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- मुझे थोड़ा ज्यादा संरक्षण दे दें.
सभापति महोदय -- दो मिनट में समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- यह ध्यान रखिएगा कि मध्यप्रदेश में कुपोषण बढ़ रहा है. कुपोषित कौन है वही जनजाति समुदाय, आदिवासी समाज के लोगों में कुपोषण है. जब यह कुपोषण से पीड़ित हो जाते हैं तो इन्हें एनीमिया हो जाता है और उससे अन्य बीमारियां हो जाती हैं. फिर वह झाड़-फूंक के चक्कर में चले जाते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि यदि आप सच्चे मन से इस समाज की सेवा करना चाहते हैं. शासकीय आंकड़ों के अनुसार कुपोषण 6.5 प्रतिशत है, हकीकत में यह 15 या 20 प्रतिशत से कम नहीं है. इस पर सरकार को काम करने की जरुरत है. सम्बल योजना का भुगतान दो साल से नहीं हुआ है, यदि राशि का भुगतान हो रहा हो तो मुझे बता दें. जनपद पंचायतों में 2-2, 3-3 करोड़ रुपए सम्बल योजना का भुगतान बाकी है. आपके पास यह जानकारी लेने के सोर्स हैं आप इसका पता लगा लें और कल उत्तर दे दें. कहीं भुगतान नहीं हो रहा है, मिथ्या अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. आप कह रहे हैं कि सम्बल योजना हमारी सब कुछ है, जीवनदायिनी है. यदि ऐसा है तो इस योजना में राशि का भुगतान तो करिए. जब आप भुगतान ही नहीं करेंगे तो योजना का लाभ कैसे मिलेगा. यह सब मिथ्या वाचन आपने कराया है.
जल जीवन मिशन के बारे में कहना चाहूँगा कि मेरे क्षेत्र में सबसे बड़े जनजातीय समुदाय में जहां लोग पहाड़ों और जंगलों में निवास कर रहे हैं. अभी गर्मी के दिन हैं. मेरे क्षेत्र में तो आज भी जल परिवहन किया जा रहा है. स्वतंत्रता के इतने सालों के बाद भी हमारे यहां लोग सुबह से पानी लेने के लिए 5-6-7 किलोमीटर दूर जाते हैं. बहनें सुबह से जाती हैं और 10-11 बजे दिन को पानी लेकर वापिस आती हैं. यह स्थिति है और आप कहते हैं कि हमने विकास किया है. आपका जल जीवन मिशन चल रहा है. यह मिशन कहां पर लागू है. क्या जंगल और पहाड़ों पर रहने वालों को आप नल से जल दे पा रहे हैं, आप नहीं दे पा रहे हैं आप मिथ्या बोल रहे हैं. आप भले अपने आपको संतुष्ट करने के लिए कहते रहिए लेकिन सत्य यह है कि आप जंगल पहाड़ों में निवास कर रहे जनजातीय समुदाय को नल से जल नहीं दे पा रहे हैं. इस बात को स्वीकार करिएगा. वर्ष 2023 में इसका असर दिखेगा. राज्यपाल महोदय से मिथ्या वाचन कराया गया. वे हमारे जनजाति समुदाय के संरक्षक हैं. हमारे संरक्षक को यह कह दिया कि जल जीवन मिशन के तहत जनजातीय समुदाय को हम नल से जल हम दे रहे हैं. यह आपकी सरकार में कथनी और करनी में अन्तर है.
सभापति महोदय, खेत-खेत में पानी, मुझे ऐसा लगा कि कोई चमत्कार हो गया इतने वर्षों में, गांव-गांव में पानी, खेत-खेत में पानी. यदि कोई प्रोसिडिंग लिखता हो तो लिख ले और उन जलाशयों में जाकर देख लें. झिलमिला जलाशय में आप चले जाइए, बटकी जलाशय में चले जाइए, जोहिला जलाशय में चले जाइए, पुष्पराजगढ़ के जलाशयों में चले जाइए. आपने जिस उद्देश्य से जलाशयों का निर्माण कराया, केनाल बनाई गईं उनसे जो प्रस्तावित सिंचाई होना चाहिए क्या उतने हेक्टयर में सिंचाई हो रही है या नहीं हो रही है. आप कहां से गांव-गांव सिंचाई का पानी पहुंचा रहे हैं. इसका भी आपने राज्यपाल महोदय से मिथ्या वाचन कराया है. बिलकुल जल नहीं पहुंच रहा है. जो बांध आपने बनाए हैं. उन बांधों में नहर, केनाल निर्माण नहीं हुआ है उसको कराना चाहिए ताकि जिस उद्देशय से इन जलाशयों का निर्माण किया गया है उसके उद्देशय की पूर्ति होना चाहिए तब जिसकी हम कल्पना करते हैं कि हमारी खेती को हम लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं जब सिंचाई होगी, पानी मिलेगा, फसलें होंगी तभी तो खेती हमारे लाभ का धंधा बनेगी, लेकिन यह मिथ्या वाचन करने से नहीं होगा.
सभापति महोदय, दुधारू गाय के बारे में कहना चाहता हूं. दूधारू गाय बैगा, सहरिया, भारिया जो जंगलों में निवास कर रहे हैं उनको दुधारू पशु दे रहे हैं. आप बताइए कि आप किस को दुधारू पशु दे रहे हैं. मैंने तो नहीं देखा है. शायद आपने अपने क्षेत्र में ही किसी को दुधारू गाय दी होगी. किसी भी बैगा जनजाति की, सहरिया जनजाति की, भारिया जनजाति की आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. उनकी डेयरी कहां चल रही है आप किसी एक का ही नाम इसमें अंकित कर देते कि इस गांव में इस बैगा, सहरिया, भरिया जनजाति के यहां डेयरी चल रही है. वहां से दूध ला रहे हैं.
सभापति महोदय-- धन्यवाद मार्को जी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, मुझे एक मिनट का समय दिया जाए. आप तो हमारी बात को सुन लीजिए. यह तो हमारी बात को वैसे भी नहीं सुनेंगे आप तो सुन लीजिए. यह कहां सुन सकते हैं.
सभापति महोदय-- आप बाहर अपनी बात कहिए आपकी पूरी बात सुनेंगे. यहां हम नियम कानून से बंधे हुए हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- मुझे अच्छा लगा कि आज यहां हमारी पार्टी के सभापति जी हैं तो हमें बोलने के लिए एक मिनट का समय ज्यादा मिल जाएगा.
सभापति महोदय-- हम सदन के बाहर आपकी बात को सुनेंगे. अब आप बैठ जाइए. मैंने अगले वक्ता का नाम ले लिया है. धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- धन्यवाद सभापति महोदय.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव)--सभापति महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. भगवान को किसी ने देखा नहीं लेकिन भगवान जिस तरह हाथी से लेकर चींटी तक सृष्टि के प्रत्येक जीव की चिंता करता है उसी तरह सरकार का भी कर्तव्य होता है कि समाज के वंचित, शोषित, पीडि़त, कमजोर वर्ग के लोगों का ध्यान रखें. महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में हमारी सरकार की जो चिंता है, सरकार की जो नीतियां हैं वह इन वर्गों के हितों के लिए काम करने वाली है ऐसा पूरी तरह से प्रतीत होता है. लगातार इतने वर्षों से सरकार जो काम कर रही है उसके कारण समाज में एक व्यापक, सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे रहा है ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ मुझे दिखाई दे रहा है हमारे जो विपक्ष के प्रतिनिधि हैं यह भी जब गांव में जाते हैं तब इनको गांव में वह कार्य होते हुए दिखाई देते हैं जो आज से पहले कभी किसी सरकार ने नहीं किए हैं. नि:संदेह पहले की सरकारें और जनप्रतिनिधि जब गांव में जाते थे तब उनसे सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सवाल और विकास के बारे में कहा जाता था, लेकिन हमारी सरकारों ने विकास को गांव की चौपाल से निकालकर चौके और चूल्हे तक पहुंचा दिया है इसलिए समाज के उन वर्गों की जीवन पद्धति में व्यापक परिवर्तन आया है जो कभी दोनों समय की रोटी नहीं पा पाते थे, जिनके बेटा, बेटी स्कूल की सीढि़यां नहीं चढ़ पाते थे, जो सरकारी अस्पताल में इलाज कराते-कराते कई बार जीवन को समाप्त कर लेते थे आज सरकार ने जो कार्य किये हैं इसके कारण इन वर्गों में उत्साह जागा है और उन्हें लगने लगा है कि सरकार इतने निचले स्तर तक जाकर भी हम लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का काम कर सकती है. ऐसी असंख्य योजनाएं हैं जिनके कारण आज गरीबों का विश्वास हमारी सरकार में बढ़ा है. चाहे मैं शिक्षा की बात करूं तो सीएम राईज़ जैसे नवाचार हमारी सरकार करने जा रही है. इतनी बड़ी संख्या में सीएम राईज़ हमारे मध्यप्रदेश में खोले जा रहे हैं जिसमें गरीब परिवारों के बेटा, बेटी आकर संगीत से लेकर स्पोर्ट्स तक की सभी शिक्षा वहां प्राप्त करेंगे. उन्हें अच्छे शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जाएगा. एक समय गरीब माता पिता के पास बेटे, बेटियों की ड्रेस के लिए, किताबें खरीदने तक का पैसा नहीं होता था. मजदूर के बेटा, बेटी उसके साथ ही मजदूरी करते थे. स्कूल नहीं जा पाते थे और आज से पहले का अगर आप साक्षरता का प्रतिशत निकालेंगे तो आपको पता लगेगा कि सन् 1990 के दशक में बहुत सारी निरक्षरता मध्यप्रदेश के विभिन्न स्थानों पर थी लेकिन आज हम साक्षरता की दिशा में तो बढ़े ही हैं, लेकिन हर बच्चा स्कूल जाए यह भी हमारी प्रतिबद्धता है. आज जो सरकार शिक्षा के क्षेत्र में मदद कर रही है उसके कारण गरीब परिवारों के बेटा, बेटी पढ़ लिख पा रहे है. हमें तब बहुत खुशी होती है जब किसी अनुसूचित जाति जनजाति परिवार का बेटा, बेटी जिसकी इंजीनियरिंग और मेडिकल की फीस सरकार भर रही है. मेरा सभी सदस्यों से कहना है कि उनके विधान सभा क्षेत्रों में भी एक-एक, दो-दो, चार चार विद्यार्थी ऐसे निकल जाएंगे जिनकी संख्या पूरे मध्यप्रदेश के पैमाने पर देखें तो लाखों में है जो सरकार के खर्चे पर मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं. एक गरीब का बेटा, बेटी पढ़ लिखकर डॉक्टर बन जाए वास्तव में गांधी जी यहीं चाहते थे और यही डॉ. भीमराव अम्बेडकर के संविधान का सपना था कि जो सबसे अंतिम पंक्ति में खड़े हैं उन्हें पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों की प्रेरणा लेकर हमने बराबर की पंक्ति में लाकर खड़ा किया है. सरकार की योजनाओं के कारण गरीब और अमीर के बीच जो खाई, गांव और शहरों में होती थी, आज वह खाई दूर हुई. पहले अमीर को पक्का मकान, ऐसा लोग बताते थे और गरीब झोपड़ी में रहता है, ऐसा बताते थे लेकिन आज दोनों के पास पक्का मकान है. आज गरीब भी खुले में शौच करने नहीं जा रहा है, उसे भी सरकार ने शौचालय बनाकर दिया है. सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना है- आयुष्मान भारत योजना. जिसके कारण मध्यप्रदेश में 25 लाख से अधिक लोगों का, इस योजना के अंतर्गत इलाज हुआ. यह योजना वास्तव में वरदान साबित हुई है. अमृत काल में मरीजों के लिए, अमृततुल्य यह योजना देने का हमने कार्य किया है. इसके अतिरिक्त जो लोग बच जाते हैं, उन्हें माननीय मुख्यमंत्री जी बिना राजनैतिक भेदभाव के इलाज की राशि स्वीकृत करते हैं. हमारे प्रकरण भी नस्तीबद्ध होते हैं, यदि मानदण्ड पूरे नहीं होते हैं तो.
श्री संजय यादव- मैंने अपनी विधान सभा से 22 प्रकरण भेजे हैं. एक भी प्रकरण स्वीकृत नहीं हुआ है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- एक भी प्रकरण स्वीकार नहीं किया है. सब खारिज कर दिये.
...(व्यवधान)...
सभापति महोदय- आशीष जी, आप अपना भाषण जारी रखें.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- सभापति महोदय, हमने कभी किसी के भाषण में टोका नहीं है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि सरकार आज गरीब के बेटा-बेटी को साइकिल दे रही है. सबसे बड़ी बात है संबल जैसी महत्वपूर्ण योजना. गरीब परिवार में भी मौत होती है, अमीर परिवार में भी मौत होती है. पैसे वालों के यहां धन-संपत्ति, रिश्तेदार भी इतने सामर्थ्यवान होते हैं कि उस परिवार को भविष्य की चिंता नहीं होती है. जाने वाले का दु:ख तो सभी को बराबर ही होता है. लेकिन गरीब परिवार में जब अंत्येष्टि के 5 हजार रुपये, सामान्य मौत पर 2 लाख और दुर्घटना होने पर 4 लाख रुपये की राशि पहुंचती है तो वे एक ही बात सोचते हैं कि भगवान ने चाहे विपत्ति दी लेकिन सरकार ने हाथ थाम लिया.
सभापति महोदय, यही वास्तव में सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि हम गरीब और कमजोर वर्गों के लिए लगातार काम कर रहे हैं. संबल जैसी योजना का लाभ समाज के हर वर्ग को हो रहा है. बिना भेदभाव के आज शहरों और गांव में काम हो रहे हैं. जब वर्ष 2023 तक भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन आयेगी, तब लगेगा कि हमारा मध्यप्रदेश भी भारत के अन्य महानगरों की तरह विकास की ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार है. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय, रोजगार की जहां बात चलती है तो "प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना" के माध्यम से लगभग सवा पांच लाख लोगों को 10-20-50 हजार रुपये, बिना ब्याज का ऋण सरकार ने दिया है. मध्यप्रदेश इसमें अग्रणी राज्यों में शामिल रहा है. विपक्ष के बंधुओं के यहां भी निश्चित ही मिला होगा, आज चाहे आप स्वीकार नहीं कर रहे हैं लेकिन हर विधान सभा क्षेत्र में, हर ब्लॉक में, इस योजना से लोगों को ऋण मिला है. साथ ही साथ सबसे बड़ी बात यह है आज अस्पतालों में लगभग 350 तरह की दवायें नि:शुल्क मिल रही है. डायलिसिस और सी.टी.स्कैन जैसी सुविधायें हमने जिला मुख्यालयों पर मुहैया करवाई हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज मध्यप्रदेश में विभिन्न राज्यों के मरीज इलाज करवाने आ रहे हैं. इसका कारण यह है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं का भी उन्नयन किया है. जहां सरकार विकास तो कर रही, जहां सरकार भौतिक सुख-सुविधायें जुटा रही है, अच्छी सड़कें बना रही है, प्रधानमंत्री सड़कों का, सुदूर सड़कों का, नेशनल हाईवे का काम हो रहा है. संजय भईया एक समय पर जब आपकी सरकार थी और हम जबलपुर जाते थे तो 8 घंटे लगते थे लेकिन अभी मुझे एक कार्यक्रम में जाना हुआ तो केवल 4 घंटे में, मैं, जबलपुर पहुंच गया.
श्री संजय यादव- हमारी सड़क के लिए गडकरी जी माफी मांग कर गये हैं. 10 साल में भी वह सड़क नहीं बन पाई है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- आप बतायें कि आपकी सरकार में कितने किलोमीटर हाईवे एक माह में बनते थे ?
...(व्यवधान)...
सभापति महोदय- आपके दो मिनट शेष हैं.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- सभापति महोदय, हम महिलाओं को कन्यादान योजना का लाभ दे रहे हैं. आज संस्थागत प्रसव मध्यप्रदेश में हो रहे हैं और जननी एक्सप्रेस की गाड़ी उस महिला को लेकर जाती है. जच्चा-बच्चा दोनों को सुरक्षित रखती है. यह कार्य हमारी सरकार ने किया है. गरीब परिवारों की जिम्मेदारी को अपने कंधे पर लिया है.
...(व्यवधान)...
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग)- सभापति महोदय, आशीष जी नये विधायक हैं लेकिन वे कितना धाराप्रवाह भाषण दे रहे हैं. उन्हें आपका संरक्षण चाहिए.
सभापति महोदय- धाराप्रवाह से मतलब नहीं है. संरक्षण सभी के लिए बराबर है. एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री जितु पटवारी- जबलपुर 3-4 घंटे में कैसे ?
श्री आशीष गोविंद शर्मा- जितु भाई, आप मेरे साथ चलना. आपके पास फॉर्च्यूनर गाड़ी है, मेरे पास स्कॉर्पियो है लेकिन फिर भी उससे आपको 4 घंटे में ले चलूंगा. आप हमारे साथ एक बार बैठिये तो सही.
4.55 बजे
{ माननीय अध्यक्ष (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री आशीष गोविन्द शर्मा:- देखिये हमारी सरकार लगातार काम कर रही है. मैं भी किसानों के क्षेत्र से आता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक भी सिंचाई परियोजना नहीं थी,लेकिन आज 90 हजार हैक्टेयर में भूमि सरकार सीचिंत कर रही है और इसके अलावा किसान भाइयों की जो चिंता होती थी, आज सरकार उनका गेहूं खरीद रही है, चना खरीद रही है और तो और हमने मुख्य मंत्रीजी और कृषि मंत्री जी से मांग की तो ग्रीष्मकालीन मूंग भी सरकार ने खरीदी. इस बार सरसों का उत्पादन भी किसान भाइयों ने किया है और सरकार सरसों भी खरीद रही है. पहले की सरकार ओला-पाला को दैवीय विपत्ती बताती थी और कहती थी कि हमारे हाथ में नहीं है, किसको मदद करना है. यह ऊपर से ओला पाला गिरा है तो हम क्या करें. बिल्कुल यदि कोई कष्ट प्रकृति ऊपर देती है तो उसके आगे किसी का बस नहीं चलता है. लेकिन जब प्रकृति की मार पड़े और सरकार का हाथ, हाथों में हो तो व्यक्ति को चिंता नहीं रहती. इसीलिये हमारी सरकार का विश्वास आज साढ़े आठ करोड़ जनता के मन में है और इसीलिये मैं, इस दम पर कह सकता हूं कि महामहिम राज्यपाल जी का जो अभिभाषण है, वह बहुत सराहनीय है. सरकार निरन्तर इसी दिशा में बढ़ती रहेगी. स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का हमारा सपना अवश्य साकार होगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री पी.सी.शर्मा(दक्षिण-पश्चिम):- माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल जी का जो अभिभाषण इस विधान सभा में हुआ. मैं उसका विरोध करने के लिये खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय, सिसौदिया जी ने एक बात कही थी कि सब मामले आइने की तरह साफ हैं, लेकिन आइना साफ नहीं है. कमलेश्वर पटेल जी ने ठीक कहा था कि हमारे सीधे-साधे आदिवासी हमारे महामहिम जी से असत्य का पुलिंदा यहां पढ़वा दिया गया. इसीलिये उन्होंने पढ़ते समय बहुत सी चीजें छोड़ दी. वह इसलिये छोड़ीं की उनकी भी समझ में आ रहा था कि यह गड़बड़ है, इसमें गड़बड़ झाला है. इसमें बहुत सी चीजें बतायी गयी हैं कि यह कर दिया और यह करने जा रहे हैं. आज की तारीख में मध्यप्रदेश के ऊपर चार लाख करोड़ के आसपास का कर्जा है. हम कर्जे में डूबे हुए हैं और सभी के ऊपर 50-50 हजार रूपये का कर्जा है, यह स्थिति है. अभी पिछले एक महीने के अंदर सरकार ने लगभग 10 हजार करोड़ का कर्जा लिया है. यह सब कर्जा लेकर जो घी पीने की जो कहावत है उसको सिद्ध कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, सरकार ने अभी विकास यात्राएं निकालीं. जब यह विकास यात्राएं निकालीं तो उनके भूमिपूजन कर रहे हैं, उनके लोकार्पण कर रहे हैं जो सब काम पहले पूरा हो चुका है, मेरे विधान सभा क्षेत्र मे अंदर. जब हमारी सरकार थी और सज्जन वर्मा जी, लोक निर्माण मंत्री थे तो हमने कुछ सड़क बनायी भदभदा और अन्य कुछ गांवों के अंदर. वहां जाकर उसका लोकार्पण कर रहे हैं, वहां भूमिपूजन कर रहे हैं जो काम लगभग कम्प्लीट हो रहा था. कुल मिलाकर आने वाले 2023 के चुनाव के लिये भारतीय जनता पार्टी की ब्रांडिंग कैसे हो, यह ब्रांडिंग का पूरा काम था. अब एक जगह तो स्थिति यह हुई कि हम विधायक निधि से जो काम कर रहे हैं और सरकार ने दी हुई है, वह हमने किया और विकास यात्रा के तहत उसका बोर्ड उखाड़कर फेंक दिया, ऐसा कई जगह हुआ है. अब जो विकास हो गया है तो बोर्ड हटाने की जरूरत क्या है ? क्या बोर्ड हटाने से लोग यह समझ जायेंगे कि आपने सड़क बनायी है. यह स्थिति विकास यात्राओं में हो रही है और अभी किसी ने सही कहा कि यह निकास यात्रा है और इसके माध्यम से इनको बाहर जाना है, यह वह यात्रा है. अब बात आती है सड़कों की. तीन, चार महीने पहले मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि भाई मैं जहां जाता हूं तो सड़कों में गड्ढे मिलते हैं. यह गड्ढे आज भी हैं. भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी है, आप इसके आसपास के इंटीरियर क्षेत्रों में जाओगे तो आज भी वहां सड़कों की हालत ठीक नहीं है. जो गरीब स्लम्स एरियाज़ हैं, वहां अंदर कांक्रीट की गलियां बनाना चाहिये, वह भी नहीं बन पा रही हैं. उसमें भी भेदभाव हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, एक बात आयी बिजली की, कि 28 हजार मेगावाट बिजली इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड और इनकी कंपनियां पैदा कर रही है. यह बिजली के बिल इतने क्यों आ रहे हैं ? पिछली विधान सभा में भी यह मामला उठा था, जब कमल नाथ जी की सरकार थी. उस समय 100 यूनिट बिजली का बिल 100 रूपये आता था. आज हजारों के बिल आ रहे हैं. कोविड काल के बिजली के बिल जो व्यवसायियों के थे, वह आज तक खत्म नहीं किये. जबकि मुख्यमंत्री जी ने इसका आश्वासन दिया था. जैसा कि अभी कहा भी गया है कि 21 करोड़ रूपये बकाया हैं 9 हजार लोगों पर आज के समाचार पत्रों में भी छपा है. यह आम-आदमी का पैसा है इसमें ट्रांसफार्मर उखाड़ करके ले गये हैं, डी.पी.उखाड़ करके ले गयी कम्पनियां और भी बड़े लोगों के तथा कुछ मंत्रियों के भी बिजली के बिल हैं जो कि पेमेन्ट नहीं हुई हैं 147 करोड़ रूपये इनको केवल नोटिस दिया गया है, यह भेदभाव हो रहा है. बड़ा आदमी है तो उनको केवल नोटिस अगर गरीब आदमी है तो उनकी डी.पी.उखाड़ करके ले गये हैं, यह स्थिति पैदा की है. राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कल विधान सभा शुरू हुई है उसके एक हफ्ते पहले मैंने राज्यपाल जी के नाम से एक ज्ञापन दिया था. उसमें 27 सूत्रीय कर्मचारियों की अलग अलग मांगें थीं चाहे वह तृतीय वर्ग की मांगें हों या ओल्ड पेंशन का मामला हो, चाहे संविदा कर्मचारी हो, चाहे शिक्षक का हो. तमाम तरह के पेंशनरों के मामले थे, लेकिन इस अभिभाषण में एक भी बात कर्मचारियों के बारे में नहीं की गई है कि उनके लिये क्या करने जा रही है, यह सरकार. कहीं के कर्मचारी का एक भी शब्द इस अभिभाषण में देखने को नहीं मिल रहा है. यह बात आती है कि इन्वेस्टर्स मीट हुई बताया गया है कि बहुत सारे एमओयू हो गये हैं. मैं समझता हूं कि 15-20 सालों में भारतीय जनता पार्टी की पांचवी छठवीं इन्वेस्टर्स मीट होगी. हर बार इसमें कहा गया कि एमओयू हुए. मैं यह पूछना चाहता हूं कि उसके बाद लगभग डेढ़ करोड़ लोग मजदूर प्रदेश में बेरोजगार हैं, यह पोर्टल के अंदर है. मध्यप्रदेश के अंदर 50 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं. पिछले आठ वर्षों के अंदर 25 हजार मजदूरों ने आत्महत्याएं की हैं, यह मजदूर की हालत है, इसमें किसान अलग, युवा अलग अब तो यह हो रहा है कि पूरा का पूरा परिवार आत्म हत्याएं कर रहे हैं. चार घर में हैं तो चारों ने आत्म-हत्याएं की हैं.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, इस तरह के आंकड़े बिना किसी उसके यह सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनते हैं.
श्री पी.सी.शर्मा--यह पोर्टल में हैं.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय,कहां के पोर्टल में हैं. यह तो कुछ तो बातें कर रहे हैं कहां पर 25 हजार आत्म हत्याएं यह प्रदेश का नाम बदनाम कर रहे हैं. इस तरह से अध्यक्ष महोदय जी इसको डिलीट करवाईये.
श्री पी.सी.शर्मा--यह 25 हजार है पूरे समाचार पत्रों में भी छपा है, यह जो मजदूरों का जो पोर्टल है उसके अंदर है. यह सच बात आपको अच्छी नहीं लगेगी ना. आपको तो असत्य का पुलिन्दा चाहिये.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय,आप इसका सोर्स बता दीजिये ना.
श्री पी.सी.शर्मा--प्रश्नों के उत्तरों में भी है.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय,किसी बात की पी.सी.भाई लफ्फबाजी मत करो.
अध्यक्ष महोदय--इस शब्द को विलोपित करें.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय,यहां पर पूरी गंभीरता के साथ बात करिये.
श्री पी.सी.शर्मा--मैं पूरी गंभीरता के साथ बात कर रहा हूं.
श्री जितु पटवारी--इसमें 25 हजार खेतिहर मजदूरों ने इस साल आत्म हत्याएं कीं. भारत सरकार के एमसीआर के आंकड़ों के अनुसार अगर आपको पूरी बात ऐसी लग रही हो तो मैं इस बात को 2 घंटे के अंदर पटल पर रख दूं.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय,जितु पटवारी जी आप तो बोलो ही मत आप तो इस सदन में कुछ सच बोलते ही नहीं हो. आप काये के लिये जबरदस्ती पैरवी कर रहे हो. वह थोड़ा बहुत सच बोलता है आप इनको ट्रेनिंग दे दो.
श्री जितु पटवारी--आप तो सबसे सचे हो. आप तो असत्य बोलते ही नहीं हो.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय,पी.सी.भाई आपके सोर्स हैं. आपके आंकड़े के सोर्स यह हैं तो हम चुप बैठ जाते हैं.
श्री पी.सी.शर्मा--विश्वास भाई जितु पटवारी भाई उधर नहीं हैं इधर हैं और यह सच बोलते हैं. मामला असत्य का उधर से आता है. आप कहां लगे हो.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय,आपके सोर्स यह हैं तो ठीक है.
श्री उमाकांत शर्मा--जितु भाई को हाईकमान भगा देता है.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू--इतने लोग आत्म हत्याएं कर रहे थे तो क्या आप सो रहे थे आप क्या घर में सो रहे थे क्या आ जाते ना मैदान में.
श्री उमाकांत शर्मा--उनके परिवार के नाम तो बता दो.
श्री पी.सी.शर्मा--इसमें तुम तथा तुम्हारी सरकार क्या कर रही है, यह तुम्हारी सरकार को करना था. लोग क्यों आत्म हत्याएं कर रहे हैं, क्योंकि लोग बेरोजगार हैं. लोगों को खाने पीने को नहीं हैं. लंबा लंबा भाषण करवा दिया.
श्री उमाकांत शर्मा--कांग्रेस के लोग तो तंदूर काण्ड करते थे.
श्री पी.सी.शर्मा--अध्यक्ष महोदय, इनका काम यही है कि सिर्फ नाम बदल दो. अभी इस्लाम नगर का नाम बदल दिया है उसका जगदीशपुर कर दिया है, यह ठीक है.
श्री प्रद्मनसिंह लोधी--आप अपने वार्ड का रख दो ना.
श्री पी.सी.शर्मा--अध्यक्ष महोदय, केवल नाम बदलने से कुछ नहीं होता. यह सुप्रीम कोर्ट कह रहा है, लेकिन ये लोग सु्प्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट की बात मानने को तैयार नहीं है. अगर नाम बदलने से लोगों को रोजगार मिल जाये, महंगाई कम हो जाये, तो सब नाम बदल दो. पूरे मध्यप्रदेश में एक ही प्रस्ताव लाओ. बुधनी का भी नाम बदल दो, सब बदल दो, लेकिन अगर इससे रोजगार मिले, महंगाई कम हो जाये, डीजल-पेट्रोल, रसोई गैस के भाव कम हो जाएं.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष महोदय, क्या इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर हुआ, आप क्या इसका विरोध कर रहे हैं ?
श्री पी.सी.शर्मा - मैं विरोध नहीं कर रहा हूँ.
श्री विश्वास सारंग - आप बोलो, विरोध कर रहे हो तो.
श्री अनिरुद्ध मारू - आप विरोध करो, करो. यह विरोध कर रहे हैं. इनका विरोध दर्ज किया जाये.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, आप विरोध कर रहे हो. आ जाने दो प्रोसिडिंग्स में. आप बोलो कि इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर हुआ, मैं इसका विरोध करता हूँ. आप क्यों चुप हो ? अब बोलो.
श्री प्रागीलाल जाटव - आप विरोध कर रहे हो. जगदीशपुर होने का. इनका विरोध दर्ज किया जाये, नहीं तो क्यों उठाया यह विषय.
श्री विश्वास सारंग - आप बोलो न कि इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर होने का विरोध करता हूँ.
श्री पी.सी.शर्मा - आपके क्षेत्र में 1.50 लाख माइनोरिटी हैं. आप इसलिए विरोध कर रहे हैं. मैं विरोध नहीं कर रहा हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - फिर आप क्यों बता रहे हैं.
श्री उमाकांत शर्मा - माननीय शर्मा जी, अल्पसंख्यक को प्रधानमंत्री बनाओगे और आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाओ, कांग्रेस से घोषणा करवा दो. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शर्मा जी से कहना चाहता हूँ कि अल्पसंख्यक को प्रधानमंत्री बनाओगे और मुख्यमंत्री आदिवासी को बनाओगे, आप घोषणा कर दो.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये, श्री पी.सी.शर्मा जी को बोलने दीजिये.
श्री पी.सी.शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, नल-जल योजना की बड़ी बात हो रही है कि घर-घर नल कनेक्शन देंगे, गांव-गांव नल कनेक्शन देंगे लेकिन भोपल, मध्यप्रदेश की राजधानी है, इसके अन्दर डिमाण्ड हो रही है कि इंडिविजुअल कनेक्शन दे दो. सोसायटियां मांग कर रही हैं लेकिन पाईपलाइन लग गई है. यह इंडिविजुअल कनेक्शन नहीं दे सकते हैं. लेकिन बातें लम्बी करेंगे कि नल-जल योजना एक-एक गांव में कनेक्शन जायेगा, एक-एक घर में कनेक्शन जायेगा. आप भोपाल में दे दीजिये. मैं इसकी मांग इस सदन के माध्यम से कर रहा हूँ. लेकिन वह नहीं हो रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जून-जुलाई में बरसात आ जायेगी. नाले-नाली नगर निगम को बनाना है. हर बार बाढ़ आती है. मेरे क्षेत्र के अन्दर पंचशील नगर, जो मुख्यमंत्री निवास के पास बाणगंगा, पंचशील, राजू नगर यहां नाले हैं, इनका कहीं भी जिक्र नहीं है. वहां पर क्या करते हैं ? जब हम लोग मंत्री थे, हम लोग डिवाईड करते थे, जितनी कन्सिट्वेंसी हैं, बराबरी से जो मुख्यालय का कोटा है. अब तो यह हालत हो गई है कि उसमें भी पक्षपात हो रहा है कि काम न हो. जहां पर दूसरे विधायक हैं, उनके यहां काम न हों. यह स्थितियां पैदा की जा रही हैं. उस पर भी माननीय अध्यक्ष महोदय न्याय नहीं हो रहा है. सीएम इन्फ्रा में होता है, सीएम इन्फ्रा में तो सब चीजें नहीं होनी चाहिए. दूसरी बात, यहां प्रियव्रत सिंह जी ने बात सही कही थी, यहां से भी बात आई थी. अब मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान जो बीमार आदमी है, अब बीमार आदमी से भेदभाव करेंगे तो बचेगा क्या. बीमार आदमी तो न कांग्रेस का है, न ही बीजेपी का है. उसका स्वेच्छानुदान तो स्वीकृत कर दो. वहां अधिकारियों से बात होती है कि बीजेपी के लोग जो जाते हैं, उनसे कहते हैं कि बीजेपी के विधायक से लिखवाकर ले आओ. अब यह हालत हो गई है. हम लोग 20-20 देते हैं लेकिन एक एप्रूव्हल नहीं होती.
श्री उमाकांत शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री बगैर भेदभाव के मरीजों का सहयोग करते हो, आपके पास प्रमाण हों तो दीजिये.
(..व्यवधान..)
श्री उमाकांत शर्मा - जितनी मदद गरीब मरीजों को मुख्यमंत्री जी देते हैं. हर गरीब के साथ शिवराज जी खड़े हैं.
(..व्यवधान..)
श्री अनिरुद्ध मारू - (श्री उमाकांत शर्मा को देखकर) आप बैठ जाओ.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये.
श्री पी.सी.शर्मा - किसी ने ठीक कहा था कि आपकी टिकट कट गई है, अब कुछ नहीं होगा. अब कट गई है तो कट गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, तीर्थ दर्शन योजना इसमें लिखा हुआ है कि पुन: शुरू की गई है. मैं धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री था. हमने तीर्थ दर्शन योजनाएं भेजी थी, उस समय पूरे मध्यप्रदेश में और उसमें खासियत यह है कि गया जहां इसके पहले कभी नहीं गई यह पटना साहब, गुरूनानक पावंटा, यहां कभी नहीं गई वहां हमने भेजी है. कुंभ, कुंभ में नहीं जाती थी, हमने इलाहाबाद का जो कुंभ लगा था उसमें भेज दी. यह भगवान के मामले ओमिनीसीएंट, ओमिनीप्रजेंट है. वह देख रहा है, अगर यह असत्य बोलेगो तो आपकी छुट्टी होने की जो कगार पर हो, वह और पूरी तरह से पुख्ता हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सरकार का फेल्यूअर आप देखें कैसे है? अभी गोविंदपुरा में, कृष्णा जी यहां बैठी हैं. वहां दशहरा मैदान में पहले करणी सेना के लाखों लोग आये थे, उन्होंने सरकार का विरोध किया था, उसके बाद हजारों लाखों की तादाद में कर्मचारी आये उन्होंने विरोध किया, उसके बाद एस.टी. आये, उसके बाद एस.सी. आये, यह सब आये और विरोध किया. यहां नीलम पार्क के अंदर 70 हजार शिक्षक आये उन्होंने विरोध किया और आज स्थिति यह हो गई है और यह सरकार का फेल्यूअर है कि बाबाओं के यहां भीड़ लग रही है, जो भी मिल जाये, वहां राहत लेने जा रहे हैं, लाखों लोग जा रहे हैं. यह बाबाओं के यहां क्यों जा रहे है? क्योंकि सरकार राहत नहीं दे रहे हैं, इसलिये बाबाओं के यहां लोग जा रहे हैं कि भईया वहां से राहत मिल जायेगी. यह मध्यप्रदेश में आम जनता को राहत नहीं है, इसलिये जनता आज परेशान है और इसमें सबसे ज्यादा आगे हमारे शर्मा जी हैं.
श्री उमाकांत शर्मा -- बाबा का सम्मान सीखो, उसी का श्राप है जो बैठे हो वहां, सम्मान करना सीखों बाबाओं का.
श्री पी.सी.शर्मा -- बाबाओं का सम्मान कर रहे हैं, लेकिन वहां जा क्यों रहे हैं? क्योंकि आपकी सरकार कुछ कर नहीं पा रही है, जनता पीडि़त है. (व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- श्री कमलनाथ जी भी गये थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- एक आध बार आप मिर्ची बाबा से मिलने गये कि नहीं? मिर्ची बाबा से मिलने गये कि नहीं, बुधवार और सोमवार कुछ होता है न तय.
श्री पी.सी.शर्मा -- वह मिर्ची बाबा आयेगा फिर मिर्ची लगेगी आपको (हंसी) . माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल शहर को स्मार्ट सिटी के नाम से बर्बाद कर दिया है, पहले सरकारी कर्मचारियों के मकान तोड़े, फिर छोटे-छोटे, दुकानदारों के तोड़े, फिर प्रायवेट लोगों के तोड़े. आजतक कुछ नहीं हुआ, स्मार्ट सिटी के पास बैलेंस नहीं है कि एक जरा सी सड़क तक नहीं बना सकती है, पहले तुलसी नगर और शिवाजी नगर को तोड़ने वाले थे, हम लोगों ने विरोध किया और वह बचे. स्मार्ट सिटी के नाम से पूरा भोपाल इन्होंने बर्बाद कर दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब बात करते हैं मेट्रो ट्रेन की, अरे कमलनाथ जी की सरकार ने, हम लोगों ने भूमि पूजन उसका किया था. मेट्रो ट्रेन का काम शुरू किया था. अब यह तो इस चक्कर में है कि वर्ष 2023 के पहले, चुनाव के पहले एक आध दो डब्बे लाकर, धकाकर कहेंगे कि भईया चालू हो गई है. ये यह कहने वाले हैं क्योंकि कम्पलीट तो होगा नहीं, दो चार डब्बे लायेंगे, धकायेंगे और बोलेंगे कि शुरू हो गई ट्रेन.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात आई महाकाल कोरिडोर की तो पूरी योजना कमलनाथ जी की कैबिनेट में तय हुई, उसका पैसा सेंक्शन हुआ. वहां कमलनाथ जी थे, जयवर्धन सिंह मंत्री थे, सज्जन सिंह वर्मा वहां के प्रभारी मंत्री थे, पूरे साधू संतों को, वहां के पुजारियों को साथियों को वल्लभ भवन के अंदर बुलाया, उनसे बात की कि कैसे किया जाये, उनसे चर्चा करने के बाद किया और उसका भी श्रेय ले रहे हैं, हर चीज में केवल श्रेय के अलावा इस सरकार के कुछ नहीं है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- बनाया तो मुख्यमंत्री जी ने ही शर्मा जी.
श्री पी.सी.शर्मा -- गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों का कार्ड आज की तारीख में नहीं बन रहा है. कंट्रोल की दुकानों के वाय. सी. थम्स इंप्रेशन आदि की बाध्यता के कारण राशन नहीं मिल रहा है. दो किलो गेहूं देते हैं, बाकी चावल और चावल में भी मिक्स जिससे लोग बीमार पड़ रहे हैं, इस चीज को मैंने उठाया था, जिस पर आपत्ति की.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- आपकी कांग्रेस सरकार में तो लाल गेहूं देते थे.
श्री पी.सी.शर्मा -- इन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना की बात की है, बीस हजार रूपये गरीब आदमी कहां से जमा करेगा. बीस हजार रूपये जमा करने की बात कर रहे हैं, फिर उसके बाद आवास मिलेगा. अरे भाई जिसको हटा रहे और कोई आवास दे रहे हो, तो यह तो उसको नि:शुल्क देना चाहिये, उसकी जमीन लेकर आप वहां पर आवास बना रहे हो, उसको दे रहे हो, लेकिन केवल ब्रांडिंग-ब्रांडिंग, इसके अलावा यहां पर कुछ नहीं किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा सी.एम.राईज विद्यालय खोलने की बात की है. पंद्रह किलोमीटर के दायरे में आने वाले जितने भी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय हैं, इनको इन्होंने पूरी तरह से खत्म कर दिया है, अब वह बच्चे परेशान होते हैं कि कहां जाये. कोई उसमें सिस्टम है नहीं और नया स्टॉफ और टीचर है नहीं, पुरानों के माध्यम से ही चलायेंगे, तो यह कहां से चलने वाला है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात आई आयुष्मान कार्ड की तो आयुष्मान कार्ड में 5 लाख तक की सुविधा मिलना चाहिये, लेकिन वहां जब जाता है कहीं भी अस्पताल में तो एकाध बीमारी तो वह ले लेते हैं बाकी फिर कहते हैं कि कैश जमा करो. आयुष्मान कार्ड की कितनी भी बात करें, लेकिन आयुष्मान कार्ड से वह फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है. एक आखिरी बात करके मैं अपनी बात को खत्म करूंगा, माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मैने बताया था जिस तरह से हमारी ट्रेनें गईं थीं इसके यह फोटो हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक नई स्कीम जो लेकर आ रहे हैं मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना, यह 5 मार्च से शुरू होगी, 15 मार्च 2023 में आवेदन भरे जायेंगे, मई 2023 में आवेदन की जांच होगी, 10 जून से बहनों के खाते में पैसा डाला जायेगा, यह कहा जा रहा है, लेकिन इसकी स्थिति यह है कि 23 से 60 वर्ष है, 18 साल क्यों नहीं. दूसरा इसमें कहा गया है कि पात्र महिला यह एक शब्द जो महामहिम के अभिभाषण में लिखा हुआ है, पात्र यह पात्र शब्द ही है जो लोगों को परेशानी में डालेगा, इसमें मूल निवासी प्रमाण पत्र चाहिये. लोग तहसीलदारों के चक्कर काट रहे हैं उनको प्रमाण पत्र नहीं मिल रहे, अपडेट आधार कार्ड चाहिये. एक हजार रूपये के लिये 500 रूपये दलाल ले रहे हैं कि यह सब चीज हम करा देंगे. चुनाव आ जायेगा यह कुछ नहीं कर पायेंगे लेकिन केवल घोषणा, घोषणावीर मुख्यमंत्री, घोषणावीर पूरे के पूरे मंत्री और राज्यपाल जी को भी इन्होंने घोषणावीर बना दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिये मैं इस अभिभाषण का विरोध करता हूं
श्री दिलीप सिंह परिहार-- बेरोजगारों को भत्ता देंगे, 2 लाख का कर्जा माफ करेंगे, कौन था घोषणावीर.
5.17 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम)-- अध्यक्ष महोदय, विकास यात्रा में कागजात फाड़े जाने एवं बोर्ड हटाये जाने के विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं और मैं ये कागज पटल पर रखता हूं. (श्री पी.सी. शर्मा सदस्य द्वारा अधिकारियों की टेबल पर कुछ अभिलेख रखे गये)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- शर्मा जी अकेले जा रहे हो, आपके साथ कोई नहीं है.
श्री जितु पटवारी-- अरे सारे साथ हैं, चलो सभी खड़े हो जाओ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- जितु भाई बहुत लोगों को तो पता ही नहीं चला कि बहिर्गमन किस बात का कर रहे हैं, चल पड़े पता ही नहीं पड़ रहा. ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह-- आपको हर बात में समस्या, कोई वाकआउट करे तो समस्या, बात रखे तो समस्या ...(व्यवधान)... हम मानते हैं कि आपके साथ विकास यात्रा के दौरान अच्छा बर्ताव नहीं हुआ ...(व्यवधान)... जनता ने आपसे बहुत प्रश्न किये ...(व्यवधान)... आपको मंत्री न बनने की पीड़ा है और हम आपकी पीड़ा के लिये वाकआउट कर रहे हैं. ...(व्यवधान)...
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा विकास यात्रा में कागजात फाड़े जाने एवं बोर्ड हटाये जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया)
श्री उमाकांत शर्मा-- हमारा प्रतिपक्ष ढंग से अपना विरोध नहीं कर पा रहा है, बड़ी दयनीय स्थिति है वह आकर के कम से कम हमारे लोगों से ट्रेनिंग ले लें.
श्री सुनील सराफ-- पंडित जी, 230 लोग बैठे हैं आप ही भर नहीं बैठे हो यार, बार-बार उचक-उचक कर खड़े हो रहे हो, बाकी लोग सब ऐसे ही हैं क्या, पंडित जी ऐसा मत करो.
5.18 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा (क्रमश:)
श्री प्रद्युम्न सिंह लोधी (मलहरा) -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय महामहिम जी ने जो कल पटल पर रखा वह सरकार का आईना था. माननीय अध्यक्ष महोदय, बार-बार सब लोग विकास यात्रा की बात कर रहे हैं, एकाध यात्रा हमारे मित्रों को भी निकाल देना चाहिये, बुंदेलखंड में जो हमारी यात्रा निकली, खास तौर से मैं तो अपनी विधान सभा क्षेत्र की बात करूंगा, उसमें एक अलग माहौल था जहां जल जीवन मिशन के तहत हम अपने विधान सभा क्षेत्र के करीब 133 गांव को पानी देने का काम कर रहे हैं. घर-घर नल और घर-घर जल से मैं माननीय प्रधान मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं कि हमारी विधान सभा के तकरीबन सभी गांवों को जल जीवन मिशन के तहत घर-घर नल और घर-घर जल देने का हमने काम किया है, हमारी सरकार ने काम किया है और लाड़ली बहना पर तो यह लोग बड़े तंज कस रहे हैं, परंतु आप गांव में जाकर देखिये. आप हमारे किसी भी गांव में चले जाईये पूरी माताएं बहनें खुश हैं और माननीय मुख्यमंत्री जी को राखी बांधने रक्षाबंधन पर वे भोपाल आएंगी क्योंकि मुख्यमंत्री जी ने 1 हजार रुपये के रूप में उनकी झोली में खुशी डालने का काम किया है. अभी एक गांव में एक काकी बोलीं कि ये बताओ विधायक जी, एक महिला को मिलेगा, एक बहू को मिलेगा या सभी बहुओं को मिलेगा मैंने कहा काकी कितनी बहुएं हैं बोलीं कि चार बहुएं हैं और मैं खुद हूं. मैंने बोला कि चारों को एक-एक हजार मिलेगा और काकी तुम्हें क्या मिलता है बोलीं कि मुझे छह सौ मिलते हैं हमने कहा कि तुम्हें भी एक हजार मिलेगा. एक साल में एक बहू को 12 हजार, पांच बहुओं को कुल मिलाकर 60 हजार मिलेगा. मैंने कहा कि काका को क्या मिलता है काकी तो बोलीं कि उनको मोदी जी के 10 हजार आ रहे हैं. ऐसे 70 हजार एक परिवार को मिलेंगे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठेगा. हमारी सरकार गरीबों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का काम कर रही है. बहुत सी योजनाएं वे लाईं. हमारे मित्र चाहेंगे. पिछली बार हमारी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना जिसमें हम 25 हजार रुपये बेटियों को देते थे. इस सरकार ने उस समय जुमला छोड़ दिया कि हम 51 हजार रुपये देंगे और फिर दिये नहीं. उस समय 51 हजार रुपये नहीं दे पाए परन्तु हमारी सरकार आने के बाद हमने 51 हजार रुपये बेटियों को दिये. उस समय बहुत सी बेटियों के अभी बच्चे भी हो गये अभी तक नहीं मिल पाए हैं. अब हम बहनों को 1 हजार दे रहे हैं. अब यह नहीं कहने लगना कि हम बहनों को 2 हजार देंगे और बाद में कहो कि हमारे पास तो पैसे ही नहीं हम कहां से दें और फिर वह योजनाएं ही बंद कर दो. मेरे कहने का मतलब यह है कि जो आप घोषणा करो, हम को ऐसी घोषणा करनी चाहिये कि जिन्हें हम लोगों को दे सकें. बरगला कर, असत्य बोलकर, योजनाएं बनाकर लोगों के वोट लेना एक अलग बात है परियोजनाएं चलाना अलग बात है. केन बेतवा सिंचाई लिंक परियोजना से हमारे यहां करीब 45 लाख हेक्टेयर सूखी जमीन बुंदेलखण्ड की सिंचेगी जिससे हमारे पूरे बुंदेलखण्ड क्षेत्र को लाभ होगा. किसान सम्मान निधि के माध्यम से सूखी और बंजर जमीन से जहां से किसान पलायन कर जाते हैं उन लोगों को 10 हजार रुपये की जो माननीय मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की राशि उनके खाते में जा रही है और छोटे-छोटे किसान, एक-दो-तीन एकड़ के किसान अपनी सही बोहनी,बखन्नी भी कर पा रहे हैं और उनको साहूकार के यहां कर्जा लेने भी नहीं जाना पड़ रहा है. हमारे यहां आज के समय में सड़कों का भी काफी विस्तार हो रहा है. लगातार सड़कें बन रही हैं. सागर से कानपुर फोर लेन, जबलपुर से ओरछा फोर लेन, जिसमें हमारे बुंदेलखण्ड में, खास तौर से हमारे तीन नगर परिषद आती हैं जहां हमेशा दुर्घटनाएं होती थीं. तीनों की तीनों नगर परिषद चाहे बक्सवाहा हो, चाहे बड़ा मलेहरा हो,चाहे घुवारा हो उसमें बाई पास हो जाएगी जिससे कि दुर्घटनाओं से बहुत बचान होगा और लाड़ली लक्ष्मी योजना में हम जहां एक बेटी को 1 लाख 18 हजार रुपये उनके खाते में डालने का काम करते थे. हमारी सरकार ने उसको बढ़ाकर 1 लाख 43 हजार कर दिया है. ऐसी बहुत सी योजनाओं के माध्यम से लोगों को लाभ देने का काम कर रहे हैं और जहां तक ऐसे गरीब, जिनके पास आवास बनाने के लिये जमीन नहीं होती थी. ऐसे गरीबों को हम भू-आवासीय पट्टा देने का काम कर रहे हैं नगर और ग्रामीण में. हमारे यहां बहुत से गरीबों के पट्टे भी बन गये हैं और आने वाले दिनों में हमारी सरकार प्रधानमंत्री आवास भी बनाकर देगी. इस अभिभाषण में जो भी महामहिम राज्यपाल ने कहा मैं उनके अभिभाषण पर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा डॉक्टर ध्यान सिंह सोलंकी (भीकनगांव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण पर अपनी बात रख रही हूं, चूंकि वे हमारे जनजाति वर्ग से हैं, हम उनका बहुत सम्मान करते हैं, किन्तु उनको जो कहा गया, वह उन्होंने पढ़कर सुनाया है,जो पढ़ा है, उसका मैं विरोध करती हूं, क्योंकि वह आइना जो दिखाया है, वह सही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, चूंकि में ट्रायबल क्षेत्र से आती हूं और मुख्य रुप से जो आज की तकलीफ है, सभी ने अपनी अपनी बात रखी है, किन्तु सबसे ज्यादा आदिवासी भाई,बहन पलायन इसलिये करते हैं, क्योंकि उनको मजदूरी नहीं मिलती है. हम सभी लोग जानते हैं कि मनरेगा एक ऐसी योजना थी, जिससे सभी को लाभ मिलता था. चाहे व्यापारी हो, तो उन्हें भी पैसा मिलता था, व्यापार के रुप में. काम करने वाले को रोजगार मिलता था और पूरे क्षेत्र में सड़कें क्या, अन्य काम उससे होते थे, किन्तु इसके अभाव में आज उनका भरण पोषण नहीं हो रहा है और पलायन के लिये वह मजबूर हैं और अन्य राज्यों में राजस्थान है, गुजरात है, यूपी है, आस पास के जितने राज्य हैं, वहां पर वह जाने के लिये मजबूर हैं. शिक्षा की बात करें, तो मेरे बहुत जिले की ही बात कर लें,तो कम से कम 500 से अधिक स्कूलें ऐसी हैं, जहां पर शिक्षक नहीं हैं, नियमित नहीं हैं और आपके द्वारा जितने उनके पद भरे गये हैं, अतिथियों के रुप में. उनकी तनख्वाह इतनी कम है कि वह पढ़ाने जाते ही नहीं हैं. उनके आने जाने का पेट्रोल का खर्च नहीं निकाल पाता, वह बच्चों को पढ़ायेंगे क्या. यह स्थिति है. बात रही महिलाओं के स्वावलम्बन की कि बहुत सारी योजनाएं उनके लिये ला रहे हैं. मैं तो कहना चाह रही हूं कि जहां स्वावलम्बन की बात करें, तो महिलाओं की सुरक्षा की भी बात की जाये, क्योंकि सबसे ज्यादा अत्याचार के मामले में पूरे देश में पहले नम्बर पर मध्यप्रदेश है. जहां पर बेटियों से लगाकर हमारी माताओं तक अत्याचार होते जा रहे हैं, जिस पर कोई नियंत्रण नहीं है. स्वास्थ्य विभाग में प्रसव के पश्चात् महिला को जो राशि मिलती है 16 हजार रुपये, शायद हमारे माननीय कमलनाथ जी ने उसको 26 हजार की थी, किन्तु 16 हजार भी दोनों विभागों की जानकरी के अभाव में या उनकी व्यवस्थाओं के अभाव में उन महिलाओं को जो गर्भ के बाद उनको मिलना चाहिये, वह राशि उनको नहीं दी गई. मैंने खुद ने ही इस बात की जांच करवाई, कलेक्टर को पत्र लिखा और जब बात सामने आई तो कम से कम 500 महिलाएं ऐसी थीं, जिनको यह राशि नहीं मिली और फिर दी गई. ऐसी अनेकों महिलाएं हैं, जिनको समय पर राशि नहीं दी जाती है. बात स्वेच्छा निधि की सबने चूंकि कह दी है. सही बात है. मेरे कितने पत्र हर महीने मैंने मुख्यमंत्री जी के नाम लिखे हैं, किन्तु एक भी मरीज को सहायता राशि नहीं मिली है. यह बहुत दुख की बात है. मरीज के लिये क्या भेदभाव है. यह नहीं होना चाहिये और आयुष्मान कार्ड, चूंकि एक उसमें जरुर यह कहा जाता है कि आयुष्मान कार्ड है, इसलिये शायद आपको राशि नहीं दी, पर बड़े बड़े अस्पताल, जैसे इन्दौर जैसे महानगर के चोइथराम जैसे बड़े अस्पताल वालों ने मना किया कि आयुष्मान की राशि नहीं आ रही है, इसलिये किसी भी मरीज को इसके कार्ड का उपयोग नहीं हो पायेगा. यह वास्तविकता है. साथ ही हमारे विधायक लोग जरुर इसकी खूब तारीफ कर रहे हैं कि पैसा मिल रहा है, किन्तु वास्तव में यह हकीकत है. सम्बल योजना, चूंकि सबने कई बार कहा कि कांग्रेस सरकार ने इसको बंद किया. बंद नहीं किया. जिस तरह से भाजपा की सरकारों ने भी योजनाओं के नाम बदले. हमारे भी साथियों ने यही सोचकर उसका नाम नया सवेरा किया था और नया सवेरा के नाम से सबको इसकी राशि मिल रही थी, किन्तु मैं दुख के साथ यह कह रही हूं, यह मेरा प्रश्न भी लगा हुआ है. बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जब कांग्रेस की सरकार डेढ़ साल रही, उस दरमियान के जितने भी हितग्राही थे, जिनकी एक्सीडेंट में यदि मृत्यु हुई, तो 4 लाख रुपये और मुखिया की मृत्यु पर 2 लाख मिलना चाहिये. वह राशि टोटल रोक ली गई और आज तक उनको नहीं मिल रही है. इसी तरह से पोषण आहार पूरे मध्यप्रदेश में धार के ही जो स्व सहायता समूह के माध्यम से यह पोषण आहार जा रहा है, वास्तव में इसकी क्वालिटी, जो दिनांक उस पर लिखा होना चाहिये, वह नहीं है और उससे गरीब बच्चों को जो वितरण होता है आंगनवाड़ियों के माध्यम से, वह सही नहीं है, उसको भी देखने की जरुरत है.
5.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय-- झूमा जी, एक सेकण्ड. माननीय सदस्या का भाषण पूरा होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
झूमा जी, आप अपना भाषण जारी रखें.
5.30 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा (क्रमशः)
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, जल की बात बहुत हो गई कि ग्रामीण क्षेत्रों में टंकियां, नल जल योजनाएं, घर घर पहुंच रहा पानी, यदि एक भी गांव दिखा दें, जहां व्यवस्थित रूप से पानी जा रहा हो, पैसा कागज में जरूर दिख रहा है कि करोड़ों, अरबों रुपया पूरे मध्यप्रदेश में खर्च हो गया है. हर महिला के घर में पानी आएगा तो महिलाएं सबसे ज्यादा खुश होंगी. एकाध महिला का नाम बता दें कि इस गांव में यह व्यवस्था हो गई है. इस गांव में सारी टंकियां बन गईं, यह पानी की व्यवस्था है. यह कहीं नहीं हुई है. पूरे ठेकेदार मध्यप्रदेश के बाहर के हैं. जो मनमानी करते हैं और सही रूप में कोई कार्य धरातल पर नहीं हो रहा है. बहुत सारी चीजें हैं, जो मैं रिपीट नहीं करना चाहती हूं. बातें जो हमारे राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर थी, हमारे साथी विधायकों ने बहुत कुछ कह दी है, इसलिए मेरी बात को मैं यहीं समाप्त करती हूं और जो आईना सही हो, वही दिखाएं तो ज्यादा बेहतर होगा ताकि मध्यप्रदेश के उज्ज्वल भविष्य की जो बात है तो हम सारे एक सहमत होना चाहिए, अलग-अलग मत नहीं होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 1 मार्च, 2023 को प्रातः 11 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 05.32 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 1 मार्च, 2023 (10 फाल्गुन, शक संवत् 1944 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
अवधेश प्रताप सिंह
भोपाल : प्रमुख सचिव
दिनांक : 28 फरवरी, 2023 मध्यप्रदेश विधान सभा