मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
मंगलवार, दिनाँक 28 फरवरी, 2017
(9 फाल्गुन, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 13 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनाँक 28 फरवरी, 2017
(9 फाल्गुन, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
बधाई
श्री दिग्विजय सिंह पूर्व मुख्यमंत्री को जन्म दिन की बधाई.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष जी, आज श्री दिग्विजय सिंह जी का जन्म दिन है मैं चाहता हूँ कि आप कृपा करके सबकी ओर से बधाई दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- हम सबकी ओर से इस प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जी को उनके जन्म दिन पर बधाई और शुभकामनाएँ.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- आरिफ भाई तो बीच में सिंधिया गुट में चले गए थे. गोविन्द सिंह जी की वजह से वापस दिग्विजय सिंह जी के गुट में आ गए क्या?
श्री आरिफ अकील-- हमारा ग्रुप एक है. हम तुम्हारी तरह बदलते नहीं हैं. पहले हमारे मामा के साथ थे उनको अपना उस्ताद मानते थे. अब मामा को छोड़कर तुम उधर आ गए हों.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अभी वर्तमान में आप किस ग्रुप में हैं?
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, ये कौनसा प्रश्न चल रहा है? ये कौनसे प्रश्न का उत्तर आ रहा है.
श्री आरिफ अकील-- मैं इस विधान सभा में केवल अध्यक्ष महोदय के ग्रुप में हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- आपको धन्यवाद.
श्री बाबूलाल गौर-- ये कौन से प्रश्न का उत्तर नरोत्तम दे रहे?
11.03 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
राजघाट बांध से अनाधिकृत रूप से सिंचाई
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. ( *क्र. 2222 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या सागर नगर में पेयजल प्रदाय हेतु निर्मित राजघाट बांध से अनाधिकृत रूप से जल लेकर खेतों की सिंचाई की जा रही है, जिससे बांध का जलस्तर भी घट रहा है? यदि हाँ, तो नगर निगम ने इस पर रोक लगाये जाने हेतु प्रश्न दिनांक तक क्या व्यवस्था की है? (ख) क्या सागर नगर में विगत वर्ष पेयजल का संकट राजघाट बांध से अनाधिकृत रूप से जल का उपयोग खेतों में सिंचाई करने एवं पाईप लाईन में अनेक स्थानों पर लीकेज के कारण पैदा हुई थी? चालू वर्ष में नगर में पेयजल की समस्या उत्पन्न न हो इसके लिए राजघाट बांध के जल को संरक्षित करने एवं अवैध पानी उठाव रोकने के लिए प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गयी है? (ग) क्या सागर नगर पालिक निगम से संबंधित कोई पेय-जल योजना शासन के समक्ष विचाराधीन है? यदि हाँ, तो वह कब तक स्वीकृत हो जायेगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जी हाँ। नगर पालिक निगम, सागर द्वारा कलेक्टर, जिला सागर को पत्र लिखा गया। कलेक्टर जिला सागर द्वारा आदेश क्रमांक 807 दिनांक 30.01.2017 द्वारा सिंचाई पर पेयजल परीरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधित आदेश 2002 के प्रावधानों के तहत प्रतिबंध लगाया गया है। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ, निकाय की जलप्रदाय योजना प्रोजेक्ट उदय में स्वीकृति हेतु प्रस्तावित है।
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री महोदया ने स्वीकार किया है कि सागर में अवैध रूप से कृषि कार्य के लिए पेयजल से भिन्न कार्यों के लिए. अध्यक्ष महोदय, ऐसा अनुमान है कि कृषि कार्य के लिए लगभग 20 लाख गैलन पानी प्रतिदिन उपयोग में लाया जा रहा है. उससे लगभग सागर शहर की आधी जनता की प्यास बुझाई जा सकती है. ऐसे ही सागर में जो पाइप लाइन बिछी हुई है वह काफी जीर्णशीर्ण अवस्था में है, काफी पुरानी हो गई है. उसके रखरखाव की एक लंबे समय से चिंता नहीं हुई है और बहुत पानी की बर्बादी उन टूटी हुई पाइप लाइन के माध्यम से हो रही है. पिछले वर्ष इसी ग्रीष्मकालीन समय में सागर में भीषण जल समस्या की स्थिति पैदा हुई थी और शासन को बहुत एहतियातन उस समय कदम उठाने पड़े थे. नगर निगम पर बहुत अधिक आर्थिक लोड आया था. वही स्थिति आज पुनः स्थापित होने वाली है. 30 दिनों में लगभग एक से डेढ़ मीटर पानी का स्तर नीचे गिर चुका है. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदया से पूछना चाहता हूँ कि इतनी भयावह स्थिति जो आज वर्तमान में है और आगे आने वाले 3-4 महीने....
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया प्रश्न पूछें. वैसे तो समाधान हो गया.
श्री शैलेन्द्र जैन-- ऐसे समय में माननीय मंत्री महोदया ने कहा है कि हमने कलेक्टर को पत्र लिखा है और कलेक्टर उस पर कार्यवाही कर रहे हैं . अध्यक्ष महोदय, मैंने यह पूछा है कि अभी तक क्या कार्यवाही हुई है उसके बारे में हमें जानकारी दें कि कितनी मोटरें जप्त हुई हैं ? बहुत दबंग लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, विधायक जी ने जो सवाल पूछा है उसके बारे में मैं कहना चाहती हूं कि लीकेज सुधार का जो कार्य वहाँ चल रहा है उसमें अभी तक 13 बड़े लीकेज सुधारे जा चुके हैं और साथ-ही-साथ एक अतिक्रमण दस्ता भी बनाया गया है जो वहाँ पर पुलिस बल के साथ मोटर पंप जप्त करने की कार्यवाही कर रहा है. कुछ स्लम्स बस्तियाँ हैं, जहाँ वाटर सप्लाई के पाईप खुले हैं, वहाँ पर टोंटी वितरण शिविर भी लगाये गये हैं तो यह सारे प्रयास चल रहे हैं और पूरी कोशिश की जाएगी कि जो पिछले वर्ष परेशानियों का सामना करना पड़ा था, आगे आने वाले गर्मी के मौसम में वहाँ पेयजल का संकट का सामना इन्हें इस वर्ष नहीं करना पड़ेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर नगरपालिक निगम के पास ना तो स्किल्ड स्टॉफ है, ना रिग्स हैं, ना मशीन हैं, ना टूल्स हैं. ऐसे समय में आज की तारीख में लगभग डेढ़ हजार लीकेज हैं और अगर इन्होंने एक महीने में 13 लीकेज ठीक किये तो माननीय अध्यक्ष महोदय, आप समझ सकते हैं कि इन चार महीनों में क्या स्थिति बनेगी.
अध्यक्ष महोदय-- आप तो सीधा प्रश्न पूछिये कि कितने दिन में लीकेज ठीक करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदया से पूछना चाहता हूं कि लीकेज रिपयेरिंग का काम कितने दिन में पूरा कर लिया जाएगा ?
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहाँ पर काम चल रहा है और हम कोशिश करेंगे कि जल्दी-से-जल्दी वह सारे लीकेज सुधर जायें और लीकेज कार्यों में लगने वाली जो सामग्री है, जिसका जिक्र माननीय विधायक जी ने किया वह समय पर प्राप्त हो, इसके लिए अधिकारी वहाँ पर नियुक्त कर दिये गये हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के भाग (ग) में पूछा था कि सागर नगर के लिए पेयजल से संबंधित कोई योजना शासन के समक्ष विचाराधीन है? मुझे जवाब मिला है कि इस तरह की योजना अमृत योजना के तहत विचाराधीन है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अमृत योजना मैंने स्वयं देखी है उस योजना में पेयजल से संबंधित कोई भी परियोजना विचाराधीन नहीं है उसमें हमारा प्रपोजल नहीं गया है. लेकिन एडीबी में जरूर यह प्रपोजल गया हुआ है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि जो एशियन डेवलपमेंट बैंक के माध्यम हमारी जो परियोजना का प्रस्ताव गया है उसकी क्या स्थिति है, वह कब तक स्वीकृत हो जाएगा और कब तक उसमें काम शुरु हो पाएगा ?
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, वहाँ पर अमृत योजना में नहीं बल्कि एडीपी के तहत योजना तैयार की गई है जिसकी अनुमानित लागत 239 करोड़ रुपये है और जल्दी-से-जल्दी यह प्रारंभ हो, इसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है और कोशिश करेंगे कि यह योजना समय पर शुरु हो और समय पर ही समाप्त हो जाये.
श्री शैलेन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 2 ( अनुपस्थित)
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)-- (प्रश्न संख्या 2 (क्र.1930 )के परिप्रेक्ष्य में) माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका पुराना विधानसभा क्षेत्र है आप कुछ निर्देश देना चाहें तो दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह जो लोग इसमें विस्थापित हुए हैं, उसमें से कुछ लोग रह गयें और अब उनकी समस्या बढ़ गई है क्योंकि वह जंगल के क्षेत्र में हैं तो आप अपने अधिकारियों को निर्देशित करें कि जल्दी-से-जल्दी इनको विस्थापित करें,क्योंकि आपने इसमें उत्तर दिया है कि समय सीमा नहीं बता पाएंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, विकल्प-एक जो है, वह सबसे आसान है और 242 में से 152 लोग विस्थापित हो चुके हैं और 90 लोग शेष हैं. 90 में से भी 67 सहमति दे रहे हैं ,पहले विकल्प के लिए जिसमें 10 लाख रुपये नगद दिये जाते हैं तो मेरा आपसे निवेदन है और माननीय विजयपाल जी से भी निवेदन है कि पहले विकल्प में लोगों को सहमत करें ताकि उनको भी जल्दी-से-जल्दी सुविधायें मिल जाएं और आसानी से विस्थापन भी हो जाए.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
विस्थापितों का पुनर्वास
[नगरीय विकास एवं आवास]
3. ( *क्र. 2774 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या ग्वालियर में वर्ष 2011 में शासकीय नजूल भूमि सर्वे क्रमांक 3738 के द्वारिकाधीश मंदिर के पास 16 दुकानों को अतिक्रमण में मानकर तोड़ा गया था? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) क्या कलेक्टर ग्वालियर के कार्यालय में उक्त विस्थापित अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को दुकान बनाने हेतु नजूल भूमि के आवंटन का प्रस्ताव लंबित है? यदि हाँ, तो उसमें प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही हुई? (ग) क्या नगर निगम ग्वालियर में भी विस्थापितों को अन्य जगह आवंटित करने हेतु कोई प्रकरण विचाराधीन है? यदि हाँ, तो इस प्रकरण में भी कब तक कार्यवाही की जावेगी? (घ) प्रश्नांश (ख) में वर्णित आवंटन में विलम्ब करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) ग्राम मुरार की भूमि सर्वे क्रमांक 3738 पटवारी अभिलेख में सड़क नोईयत (नोईयत खाना नं. 3 में शासकीय एवं खाना नं. 12 में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट अभिलिखित है) के रूप में दर्ज है, नक्शा में भी सड़क की आकृति बनी हुई है, वर्ष 2011 में सड़क चौड़ीकरण के दौरान पाये गये अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही की गई थी। (ख) वर्तमान में कार्यालयीन अभिलेखों में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार उक्त प्रस्ताव कार्यालय में लंबित नहीं है। (ग) विस्थापितों को जगह आवंटन करने की कार्यवाही नगर निगम में विचाराधीन नहीं है। (घ) शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री आर.डी.प्रजापति -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जो अतिक्रमण हुआ है और दुकानें गिराई गई हैं विगत 30 वर्षों से वहां पर वे लोग छोटे-मोटे काम कर रहे थे, चाय का धंधा, फर्नीचर का धंधा कर रहे थे, वे बहुत गरीब तबके के लोग थे. मेरा एक यही निवेदन है कि अगर उनकी दुकानें टूट गई हैं तो कहीं दूसरी जगह उनको स्थापित किया जाए, जिससे कि उनको पुन: रोजगार मिल जाए और वे अपने बच्चों का पालन-पोषण कर सकें. यही मेरा व्यक्तिगत निवेदन है.
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी ने जो सवाल पूछा है उसमें जो अतिक्रमण हटाए थे वहां 16 व्यक्ति थे जिसमें से 7 लोगों ने व्यवस्थापन की मांग की थी लेकिन जो स्थल है वह ग्रीन बेल्ट में होने के कारण उनकी मांगें अमान्य कर दी गई थीं. लेकिन इसके बावजूद भी यदि कोई आवेदन आता है तो हम उस पर गंभीरता से विचार करेंगे और वहां के कलेक्टर को निर्देशित कर देंगे ताकि पात्रतानुसार सरकारी योजनाओं के तहत जो भी मदद दी जा सकती होगी, मदद देंगे.
श्री आर.डी.प्रजापति -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार संवेदनशील सरकार है और हर एक के लिए रोजगार हमारी सरकार चाहती है. माननीय मुख्यमंत्री जी की योजना है कि कोई भी व्यक्ति ऐसा न रहे जिसको रोजगार न मिले. विगत 30 वर्षों से जो व्यक्ति रोजगार में लगे थे आज वे रोजगार से विहीन हो गए हैं. मेरा व्यक्तिगत निवेदन है कि कहीं भी, जहां भी आप चाहें चूंकि विस्थापित आपने किया है तो आप उनको जहां भी चाहेंगे उनको रोजगार दे दें जिससे वे लोग रोजगार स्थापित कर सकें. अपना भरण-पोषण कर सकें और कब तक उनको रोजगार मिल जाएगा ? यह भी बताने का कष्ट करें क्योंकि वर्ष 2011 से अभी तक उनको कुछ मिला नहीं है.
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, असल में यह वर्ष 2010-11 का मामला है. द्वारकाधीश मंदिर की मुख्य सड़क जो है वह लोक निर्माण विभाग की है और सड़क चौड़ीकरण का कार्य लोक निर्माण विभाग के द्वारा ही कराया गया था और यह अतिक्रमण नजूल की भूमि में था जिसे नजूल विभाग के द्वारा हटाया गया है. नगर निगम ने तो उसमें सहयोग किया है लेकिन उसके बावजूद भी मैंने सम्मानीय विधायक जी से कहा है कि पात्रतानुसार जो भी वे आवेदन करें अगर उनका कोई भी आवेदन हमारे पास आता है तो पात्रतानुसार सरकार की योजनाओं में जो भी उन्हें मदद कर सकते हैं, करेंगे.
श्री आर.डी.प्रजापति -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक ही निवेदन है कि पात्रतानुसार यदि उनको पात्रता होती, तो मिल गया होता. अब उन्होंने 30 साल से अपना रोजगार स्थापित किया था और वे आज कहीं के नहीं रह गए हैं और छोटी-छोटी दुकानें चला रहे थे, कोई बहुत बड़ा धंधा नहीं कर रहे थे. चाय की दुकान, फर्नीचर की दुकान. माननीय मुख्यमंत्री जी भी यह कहते हैं कि जहां जो स्थापित है उसको वहां से हटाया नहीं जाएगा लेकिन उन्हें हटा दिया गया है अगर वहां रहने लायक स्थान नहीं हैं तो उनको कहीं भी दूसरी जगह दे दी जाए, नजूल में दे दी जाए, जहां चाहें वहां दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- इस बात के लिए वे राजी भी हैं.
श्री आर.डी.प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, पात्रतानुसार उनकी कोई योग्यता है ही नहीं इसलिए हमारा व्यक्तिगत निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- वे कह रहे हैं कि पात्रता का मापदण्ड खत्म कर दें.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जो भी वे अपना काम कर रहे हैं उनकी जो रूचि है जिस क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं तो उस हिसाब से सरकार की योजनाएं सभी व्यक्तियों के हित के लिए बनी हैं. इसलिए मैंने कहा कि पात्रता के अनुसार जो भी मदद होगी, हम करेंगे.
बैरसिया विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत सड़क निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
4. ( *क्र. 2822 ) श्री विष्णु खत्री : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र बैरसिया की ग्राम पंचायत रमपुरा, जमूसरखुर्द, खजूरिया एवं तरावली कलां, सेमरी, इस्लामनगर एवं कोटरा चोपड़ा की आबादी कितनी है? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित ग्राम पंचायत रमपुरा का बालाचौन, ग्राम पंचायत जमूसरखुर्द का लालूखेड़ी एवं भूरीपठार, ग्राम पंचायत खजूरिया का मैनापुरा, ग्राम पंचायत इस्लामनगर का मस्तीपुरा, ग्राम पंचायत तरावली कलां का करोली, ग्राम पंचायत सेमरी का मोतीपुरा एवं ग्राम पंचायत कोटरा चोपड़ा का चोपड़ा किसी मार्ग से वर्तमान में जुड़ा है अथवा नहीं? यदि नहीं तो क्या कारण रहे? (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शित मार्ग को बनाये जाने हेतु प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री सड़क योजना अंतर्गत निर्धारित मापदण्ड के अनुसार है अथवा नहीं है? यदि हाँ, तो विभाग कब तक इस मार्ग को बनायेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) :
श्री विष्णु खत्री -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बैरसिया विधानसभा के प्रश्नाधीन कुछ गांवों की जानकारी मैंने माननीय मंत्री जी से चाही थी कि इन गांवों को किसी भी योजनान्तर्गत क्यों नहीं जोड़ा गया. उसमें माननीय मंत्री जी ने कुछ गांवों का यहां उल्लेख किया है कि यह राजस्व ग्राम नहीं होने के कारण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना या मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत नहीं जोडे़ गए हैं. मैं माननीय मंत्री को धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि सुदूर संपर्क योजनान्तर्गत उन्होंने इसमें कहा है कि हम कुछ गांवों को तो जोडे़ंगे लेकिन उसमें दो गांव ऐसे हैं ये हमारी रमपुरा पंचायत का बालाचौन है इस गांव की आबादी 500 से अधिक है लगभग 700 के आसपास की आबादी है. यह मजरा-टोला न होकर एक बड़ा गाँव है. दूसरा, इसी प्रकार तरावली कलां का करोली गाँव है यह भी 500 से अधिक की आबादी वाला है और मेरी दृष्टि से निश्चित रूप से ये दोनों गाँव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जोड़े जाने हेतु पात्र हैं, लेकिन चूँकि राजस्व ग्राम नहीं हैं इसलिए विभाग ने कहा है कि ये जोड़े नहीं गए हैं तो मैं माननीय मंत्री जी से यह आश्वस्त होना चाहता हूँ कि यदि ये राजस्व ग्राम हो जाएंगे तो क्या प्रधानमंत्री ग्राम सड़क ग्राम योजना के अंतर्गत इनको जोड़ लिया जाएगा ?
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि ये राजस्व ग्राम नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद इनकी जनसंख्या पर्याप्त है और इस कारण से विभाग ने निर्णय लिया है कि एक तरफ हम इनको राजस्व ग्राम घोषित करवा के प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के नार्म्स के अंतर्गत प्रस्तावित करके हम इन्हें जोड़ने का काम करेंगे. जो कम आबादी के गाँव हैं उनकी भी कनैक्टिविटी हम मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत इसी साल कर देंगे.
श्री विष्णु खत्री -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद.
भानपुर खंती का विस्थापन
[नगरीय विकास एवं आवास]
5. ( *क्र. 437 ) श्री बाबूलाल गौर : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नगर पालिक निगम भोपाल को कचरा डंपिग हेतु भानपुर में कितनी भूमि आवंटित की गई थी एवं निगम द्वारा कितनी भूमि पर कचरा डंपिग किया गया है? खसरा क्रमांक एवं रकबे की जानकारी दी जाये। (ख) भानपुर खंती के आस-पास कितनी-कितनी कॉलोनियों की कितनी-कितनी आबादी खंती के प्रदूषण से प्रभावित है एवं इस खंती के प्रदूषण से नागरिकों को किस-किस प्रकार की बीमारियां हो रही हैं? (ग) क्या भानपुर खंती को अन्यत्र शिफ्ट किया जा रहा है? स्थल का नाम, आवंटित भूमि का रकबा सहित बताया जाये। (घ) नवीन खंती निर्माण हेतु अभी तक क्या-क्या कार्य किये गये हैं एवं किस-किस मद में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है? (ड.) भानपुर खंती को कब तक शिफ्ट कर दिया जायेगा एवं रिक्त हुये स्थान के उपयोग हेतु क्या योजना बनाई गई है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) नगर पालिक निगम, भोपाल को कचरा डंपिग हेतु भानपुर से 36.62 एकड़ भूमि आंवटित की गई है, जिसमें से लगभग 32 एकड़ भूमि पर कचरा डंपिग का कार्य किया जाता है। भूमि का खसरा क्रमांक एवं अन्य विवरण की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) इस संबंध में कोई वैज्ञानिक अध्ययन रिपोर्ट नहीं है। (ग) जी नहीं। अपितु कचरे का स्थल पर ही वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन कर खंती को वैज्ञानिक तरीके से कैपिंग की जा रही है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) नवीन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन इकाई हेतु निजी जनभागीदारी के माध्यम से ग्राम आदमपुर छावनी में कार्य हेतु अनुबंध हस्ताक्षरित किया गया है। प्रस्तावित नवीन इकाई स्थल सें 85 रहवासियों को ग्राम हरीपुरा में विस्थापित किया गया है। ग्राम हरीपुरा में आधारभूत अधोसंरचना निर्माण जैसे नाली, रोड एवं विद्युत हेतु नगर निगम मद से राशि रूपये 1.25 करोड़ का व्यय किया गया है। (ड.) भानपुर स्थित खंती को वैज्ञानिक तरीके से बंद किये जाने हेतु निविदा आमंत्रण की कार्यवाही की गई है। समय-सीमा निर्धारित किया जाना संभव नहीं है। रिक्त होने वाली भूमि का उपयोग भूमि रिक्त होने के पश्चात् हो सकेगा।
श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा कि मेरे प्रश्न के (ख) का उन्होंने उत्तर ही नहीं दिया. मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि भानपुर खंती के आस-पास कितनी-कितनी कॉलोनियों की कितनी-कितनी आबादी खंती के प्रदूषण से प्रभावित है एवं इस खंती के प्रदूषण से नागरिकों को किस-किस प्रकार की बीमारियाँ हो रही हैं ? तो (ख) में माननीय मंत्री जी ने चार-पाँच शब्दों में उत्तर देकर मेरे प्रश्न के उत्तर को ही नकार दिया है. उन्होंने (ख) के उत्तर में यह बताया है कि इस संबंध में कोई वैज्ञानिक अध्ययन रिपोर्ट नहीं है. अब कॉलोनियों के लिए क्या वैज्ञानिक रिपोर्ट आवश्यक है ? यह तो मुझे बताइये कि डेढ़-दो किलोमीटर आस-पास में जो कॉलोनियाँ बनी हुई हैं उनका पूरा रिकॉर्ड नगरीय निकायों के पास रहता है और मैंने बहुत साधारण-सी बात पूछी है, माननीय मंत्री जी बहुत योग्य हैं, महिला मंत्री हैं, बड़ी संवेदनशील भी हैं तो मेरा निवेदन यह है कि कम से कम इस प्रश्न का उत्तर अधिकारियों के द्वारा क्यों नहीं दिया गया, इसका जवाब मुझे देंगी ?
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय बाबूलाल गौर जी को बताना चाहती हूँ कि जो भानपुर खंती है उसके चारों ओर लगभग एक किलोमीटर के दायरे में कॉलोनी है और वहाँ 550 परिवार निवासरत् हैं.
श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गलत बता रही हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गौर साहब स्वयं इस विभाग के लंबे समय तक मंत्री रहे हैं तो वे प्रश्न भी कर लें और उत्तर भी दे दें. (हंसी)
श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तो मैं प्रश्न पूछने का हकदार हूँ. शेजवार जी की राय बाद में मानूँगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि ये प्रश्न तो पूछ रहे हैं लेकिन किया-धरा भी अपना ही है सब. (हंसी)
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, वह सरकार के द्वारा होता है और सरकारी काम में अगर कोई कमी रहे तो उसको ठीक करने का काम विधायक का है. माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि बिना पूछे माननीय शेजवार जी खड़े हो जाते हैं तो उनके प्रश्न का उत्तर देना भी आवश्यक है. मैं माननीय मंत्री जी से पुन: पूछना चाहता हॅूं कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इन सब कॉलोनियों का और शरीर की बीमारियों का परीक्षण किया गया. उसकी रिपोर्ट मानव अधिकार आयोग द्वारा की गई है. मानव अधिकार आयोग के आदेश से 9 जून से 21 जून तक भानपुर खंती के आस-पास आयोजित स्वास्थ्य शिविर में रहवासियों की जाँच की रिपोर्ट में यह पाया गया है कि इस-इस क्षेत्र के अंदर जो-जो लोग बीमार हैं उसमें 93 प्रतिशत लोग बीमार हैं. 10-12 लाख की आबादी है, 6-7 वार्ड उससे प्रभावित हो रहे हैं और 93 प्रतिशत लोग बीमार हैं और फिर सरकार को आयोग ने यह भी विशेष निर्देश देते हुए आदेशित किया है कि अशोका गॉर्डन डिस्पेंसरी, आनंद विहार डिस्पेंसरी के डॉक्टर्स भानपुर क्षेत्र के मरीजों का इलाज करें, इन सबके लिए करोंद में एक 30 बिस्तर का हॉस्पिटल शुरू कर रहे हैं ताकि मरीजों का इलाज किया जाए. इतना गंभीर मामला है और राजधानी में स्मार्ट सिटी बना रहे हैं. यहां पर एक विवेक अग्रवाल साहब इस विभाग के आयुक्त हैं. वह किसी की सुनते नहीं हैं, वह अधिकारी किसी की नहीं सुनता है. अगर फोन करें तो बात भी नहीं करते हैं. यह स्थिति हमारे प्रदेश के अंदर है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि अधिकारी चिंता ही नहीं करते हैं. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि क्या आप मेरे साथ में चलकर उस क्षेत्र का निरीक्षण करेंगी. 30 वर्ष से यह परेशानी हो रही है.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं हमारे बाबूलाल गौर जी का बहुत सम्मान करती हूं. उन्होंने जो सवाल वहां के स्वास्थ्य शिविर के बारे में उठाया है उसके संबंध में कहना चाहती हूं कि वहां पर नगर निगम के द्वारा बहुत सारे काम किये गये हैं. नगर निगम के द्वारा वहां पर जल स्त्रोतों का परीक्षण कराया गया उसमें निर्धारित मापदण्डों से अधिक मानक प्राप्त हुआ था, जिस कारण तुरंत ही क्षेत्र के नलकूप बंद करा दिये गये थे, साथ ही साथ नगर निगम के द्वारा आसपास के रहवासियों को नर्मदा परियोजना के अंतर्गत शुद्ध पेयजल कराया जा रहा है. साथ ही साथ वहां पर जो कचरा है उससे वायू प्रदूषण न हो इसके लिए नगर निगम के द्वारा दवाइयों का छिड़काव भी वहां पर किया जाता है. इस समस्या के स्थायी निराकरण के लिए भी नगर निगम गंभीरता से प्रयास कर रहा है.
मैं यहां पर गौर जी से भी कहना चाहती हूं कि आपने साथ चलकर निरीक्षण का सुझाव दिया है तो मैं जरूर आपके साथ उस स्थान का निरीक्षण करूंगी, वहां पर प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन इसके अलावा जो कहेंगे, वहां पर देखेंगे और उन लोगों के हित में,उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से वहां पर हर संभव प्रयास करेंगे.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री अजय सिंह ) -- अध्यक्ष महोदय, हमारे पूर्व सदन के नेता, सबसे वरिष्ठ विधायक, पूर्व मुख्यमंत्री ने ऐसा आरोप लगाया है उस पर माननीय मंत्री महोदया द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है. गौर साहब का कहना है कि फोन करते हैं और कोई अधिकारी सुनता नहीं है. यदि पूर्व मुख्यमंत्री की हालत यह है तो और विधायकों की क्या हालत होगी.
अध्यक्ष महोदय -- उनका प्रश्न समाप्त हो गया है.
श्री अजय सिंह -- सरकार किस तरह से चल रही है, पूर्व मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब कुछ नहीं. वह विषय समाप्त हो गया है.
श्री अजय सिंह -- इसीलिए आप चाहें तो पचमढ़ी में कैंप करायें, वहां पर आप सिखायें लेकिन आप अधिकांश सत्तापक्ष के विधायकों से पूछ लें, पूरे सत्तापक्ष के विधायकों से आप अकेले में पूछ लीजिए, उनकी भी हालत यही है.
श्री बाबूलाल गौर -- धन्यवाद्, मैं मंत्री जी का सम्मान करता हूं. वह जब वहां पर निरीक्षण के लिए चलें तो अधिकारियों को भी साथ में रखें ताकि वह भी देख सकें कि किस तरह से वहां पर प्रदूषण हो रहा है.
पी.एच.डी. उपाधि की जाँच
[उच्च शिक्षा]
6. ( *क्र. 2886 ) श्री हर्ष यादव : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नियोक्ता विभाग (आदि जाति कल्याण) से छुट्टी लिये बिना जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के सामाजिक विज्ञान फैकल्टी अंतर्गत विश्वविद्यालय नोटिफिकेशन क्रमांक एफ/पी.एच.डी./ सी.ओ.एन.एफ./एग्जाम-2/2011/85, दिनांक 25 दिसम्बर 2011 द्वारा भूगोल विषय में फर्जी पी.एच.डी. उपाधि लेने वाले शोधार्थी का नाम और उसका एनरोलमेन्ट नंबर बतावें। गाइड/निदेशक/मार्गदर्शक का नाम और वर्तमान पदस्थापना भी बतावें। (ख) नियोक्ता आदिम जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक डी-4353/2538/07/1-25, दिनांक 26 दिसम्बर 2007 के बिंदु क्रमांक-2 पर छुट्टी नहीं देने की शर्त के बावजूद विश्वविद्यालय ने पी.एच.डी. किस आधार पर अवार्ड की? इस मामले में अब तक प्राप्त शिकायतों का ब्यौरा दें। एफ.आई.आर. कब तक कराई जायेगी? (ग) शोधार्थी की अनुपस्थिति में गाइड के अधीन और शोध केन्द्र पर किस फर्जी व्यक्ति ने उपस्थित होकर कोर्स वर्क पूरा किया? जिन अभिलेखों और फर्जी दस्तावेजों को संलग्न कर पी.एच.डी. आवेदन पत्र पेश किया गया था, उस आवेदन सहित सभी की प्रतियां उपलब्ध करावें। (घ) फर्जी शोधार्थी द्वारा पी.एच.डी. प्रवेश के पूर्व जीवाजी विश्वविद्यालय में पेश माईग्रेशन सर्टिफिकेट अथवा शिक्षा में अंतराल के प्रमाण-पत्र की प्रति उपलब्ध करावें।
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना फर्जी नहीं है। उक्त अधिसूचना के द्वारा तीन शोधार्थियों को उपाधि प्रदाय की गई। उसमें आदिम जाति कल्याण विभाग के सुरेन्द्र सिंह भण्डारी को भी शोध उपाधि प्रदाय हेतु अधिसूचित किया गया है। उनका इनरोलमेन्ट नम्बर ए-14-782 है तथा मार्गदर्शक श्री के.एस. सैंगर, प्राचार्य, शासकीय एस.एल.पी. कॉलेज मुरार, ग्वालियर में पदस्थ हैं। (ख) शोधार्थी को पी.एच.डी. अवार्ड होने के संबंध में श्री ए.पी.एस. परिहार, निवासी थाटीपुर, मुरार म.प्र. का शिकायती पत्र दिनांक 04.02.2017, श्री विकास शर्मा 23, यूनिवर्सिटी कैम्पस, ग्वालियर दिनांक 11.02.2017 एवं श्री राजीव बिंदल, के-29, गाँधी नगर ग्वालियर दिनांक 02.02.2017 द्वारा प्राप्त हुए हैं, की जाँच कराकर गुण दोष के आधार पर कार्यवाही की जाएगी। (ग) पुराने पी.एच.डी. आर्डिनेंस में कोर्स वर्क की व्यवस्था नहीं थी, अतः प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। शोध उपाधि हेतु सुरेन्द्र सिंह भण्डारी के आवेदन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (घ) संबंधित का माइग्रेशन प्रमाण-पत्र पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है।
श्री हर्ष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि जिस तरह से सरकार ने सदन को गुमराह किया है, वह गुमराह करने की प्रवृत्ति से मुक्त हों. मेरा मूल प्रश्न यह है कि एक शोध उपाधि से जुड़ा हुआ बड़ा संवेदनशील मामला है. जिस नियोक्ता विभाग में शोधार्थी काम करता है. वहां से 200 दिन की अनुमति शोध के लिए नहीं मिली है, जबकि पीएचडी आर्डिनेंस 11 में स्पष्ट उल्लेख है कि शोधार्थी को 200 दिन की उपस्थिति आवश्यक है, जो कि नहीं की गई है. गाइड श्योपुर का रहने वाला है. शोध केन्द्र मुरैना का है. शोधार्थी भोपाल का वरिष्ठ अधिकारी है. यह शोध कार्य कैसे हो गया यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है. पहले भी इस सदन में कई विधायकों के द्वारा तरूण भनोत और मुकेश चतुर्वेदी जी के द्वारा उठाया गया है लेकिन हर बार विभाग के द्वारा सदन को गुमराह किया जाता है. मैं यह चाहता हूं कि इसकी निष्पक्ष जांच हो, संबंधित अधिकारी के खिलाफ में कार्यवाही हो, उसकी जांच प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के द्वारा होना चाहिए.
श्री जयभान सिंह पवैया - मान्यवर अध्यक्ष महोदय, जीवाजी विश्वविद्यालय से पीएचडी के बारे में यह प्रश्न किया गया है. माननीय सदस्य ने माइग्रेशन सर्टिफिकेट, उपस्थिति के बारे में जानना चाहा है और विभाग से अनुमति के बारे में जानना चाहा है. उन्हें सभी जानकारियां उपलब्ध करा दी हैं. दूसरी बात उन्होंने यह भी जानना चाहा है कि इसकी शिकायत कब हुई है तो माननीय सदस्य का प्रश्न है 6 फरवरी, 2017 का, जो शिकायतें आई है दिनांक 2 फरवरी, 2017 को, दिनांक 4 फरवरी, 2017 को और दिनांक 11 फरवरी, 2017 को आई हैं. अगर जानकारी से माननीय सदस्य संतुष्ट नहीं हैं और उनको कोई संदेह है तो माननीय सदस्य की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार इसकी उच्च स्तर से पूरे प्रकरण की जांच करा लेगी और गुण-दोष के आधार पर उस पर कार्यवाही की जाएगी.
श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि जो जांच करवाई जाय, वह प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा से करवाई जाय और सभी तथ्यों की जांच की जाय. चूंकि यह बहुत संवेदनशील मामला है. वरिष्ठ अधिकारी से जुड़ा हुआ मामला है. वह भोपाल में प्रभावशाली अधिकारी है. जो जांच समिति बने उसमें एक सदस्य के रूप में मुझे भी शामिल किया जाय, यह मेरा निवेदन है.
श्री जयभान सिंह पवैया - मान्यवर अध्यक्ष महोदय, प्रमुख सचिव जांच के निष्कर्षों का परीक्षण करने और कार्यवाही करने वाली अथॉरिटी होती है, इसलिए प्रमुख सचिव से जांच कराना युक्तिसंगत नहीं होगा. लेकिन प्रशासनिक सेवा के एडिशनल डायरेक्टर, उच्च शिक्षा से यह हम जांच करा लेंगे. माननीय सदस्य और भी तथ्य अगर जांच अधिकारी को देना चाहेंगे तो अपनी ओर से तथ्य दे सकते हैं.
श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि सदस्य के रूप में मुझे शामिल किया जाय. जो भी मेरे पास तथ्य होंगे वह मैं प्रस्तुत करूंगा.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है. वह कह रहे हैं आप उन्हें तथ्य दे दें.
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अपूर्ण कार्य
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
7. ( *क्र. 204 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास जिले के कन्नौद एवं बागली विकास खण्ड में वर्ष 2013-14 से प्रश्नांकित दिनांक तक कुल कितने-कितने मार्ग स्वीकृत किये गये थे, योजनान्तर्गत मार्ग निर्माण हेतु कितनी-कितनी राशि, किन-किन कार्यों की स्वीकृति दी गई? कार्यवार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में कितने कार्य प्रारंभ किये गये, कितने पूर्ण हो गये? कितने कार्य अप्रारंभ हैं, कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है? मार्गवार बतायें। (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के संबंध में कितने मार्गों की अमानक एवं गुणवत्ताविहीन कार्यों की शिकायतें की गई थी, विभाग में कब-कब कार्यों का भौतिक सत्यापन किया, समिति (जाँच दल) ने कार्य स्थल पर क्या पाया? जाँच दल में सम्मिलित अधिकारी, कर्मचारी के पद नाम व उनका प्रतिवेदन बतावें। (घ) क्या वर्तमान में अधिकांश कार्य अपूर्ण हैं? जो बनाये गये थे, वे मार्ग जर्जर हो चुके हैं? अगर हाँ तो विभाग कब तक पूर्ण करेगा व दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कब तक होगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। सभी निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार है। (ग) विभाग को कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अतः प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (घ) निर्माण कार्य प्रगतिरत होने से उनके जर्जर होने की स्थिति नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री चम्पालाल देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की अपूर्ण सड़कों के संबंध में था. मेरे प्रश्न के उत्तर में विभाग ने जो जानकारी दी है, वह असत्य जानकारी है. विभाग ने सबसे पहले जो जानकारी मुझे उपलब्ध कराई है, उस जानकारी में यह है कि किसी प्रकार की सड़कों की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. जबकि मेरे द्वारा भी यह शिकायत की गई है और शिकायत के आधार पर जांच दल भी गठित हुआ था. जांच दल के फोटो भी मेरे पास उपलब्ध हैं और अखबारों की कटिंग भी है. साथ ही मौके पर जो पंचनामा बना था, उसके प्रमाण भी मेरे पास में हैं. सबसे पहले तो आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह निवेदन करना चाहूंगा कि विभाग के जिन अधिकारियों ने असत्य जानकारी दी है, क्या पहले उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे, फिर मैं दूसरा प्रश्न पूछूंगा?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने इन सड़कों के बारे में अपने समक्ष जांच की इच्छा व्यक्त की थी, उसमें माननीय सदस्य उपस्थित नहीं रहे थे. लेकिन उनके 5 प्रतिनिधि 5 अलग-अलग स्थानों पर इन सड़कों के निरीक्षण के समय उपस्थित थे. सड़क की जो भौतिक स्थिति और जो भौतिक सत्यापन हुआ, उसके बारे में पंचनामा पर उनके हस्ताक्षर हैं. तब भी मान लें कि माननीय सदस्य के लिए संतुष्टि नहीं है तो अध्यक्ष महोदय, हम इसकी पुनः जांच करवा लेंगे और जिस अधिकारी से वे चाहें, उस अधिकारी से हम जांच करवा लेंगे और यदि गड़बड़ी पाई गई, गुणवत्ता में कमी पाई गई तो कार्यवाही करेंगे. श्री चम्पालाल देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी की इस बात से सहमत हूं लेकिन मेरा निवेदन है कि जो सड़कें आपने लोगों को बतायी और मुझे भी जानकारी में बतायी कि बहुत सारी सड़कें बागली और कन्नौद विकासखंड की हैं, उन सड़कों को तो पूर्ण बता दिया जबकि वहां मौके पर सड़कें अधूरी पड़ी हैं. सड़क के साथ साथ जो पुल-पुलिया और रपटें हैं, वह पुल-पुलिया रपटें भी ठीक से नहीं बने हैं और सीमेंट-क्रांकीट फैलाकर चले गए. वहां पर पानी की तराई तक भी नहीं हुई है और जैसा प्राक्कलन बना है, उस हिसाब से एक भी पुल-पुलिया और रपटें नहीं बने हैं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि वहां सड़क भी ठीक से नहीं बनी है.
श्री गोपाल भार्गव-- इस विधानसभा क्षेत्र में 2013-14 और 2014-15 में कोई सड़क स्वीकृत नहीं हुई थी, 2015-16 में स्वीकृत हुई है. सारी सड़कें अपूर्ण हैं. कई सड़कों में काम ही शुरु नहीं हुआ है. अगर काम हुआ भी है तो 5% काम हुआ है. हमने अपने अधिकारियों से कहा है कि बारिश के पूर्व जल्दी से जल्दी इन सड़कों को पूर्ण करवायें और जो ठेकेदार काम नहीं कर रहे हैं, उन ठेकेदारों का काम टर्मिनेट करके जो पेनॉल्टी होती, वह उन पर लगायें.
श्री चम्पालाल देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से एक प्रश्न और करना चाहता हूं. मेरा यह निवेदन जैसा माननीय मंत्री जी कह रहे हैं इसकी जांच करा लेंगे. पिछली बार भी मंत्री जी ने मेरे प्रश्न का बहुत अच्छे से उत्तर दिया था. उस समय भी सड़कों के संबंध में ही मेरा प्रश्न था. लेकिन उस समय जब भोपाल से जांच दल गया और उसमें कुछ अधिकारी इंदौर से और कुछ अधिकारी उज्जैन, देवास से भी शामिल हुए थे. लेकिन जब ये अधिकारी वहां बागली पहुंच गए तब मुझे जानकारी दे रहे हैं कि आपके यहां जिन सड़कों का मामला था और उसमें माननीय मंत्री जी ने जांच दल गठित करके भेजा है. अध्यक्षजी आप अंदाज लगा सकते हैं कि मैं एक घंटे में भोपाल से बागली कैसे पहुंच सकता हूं? और कैसे साथ में सड़कों का निरीक्षण कर सकता हूं. मेरा निवेदन है कि दो-चार दिन पहले मुझे अवगत कराएंगे कि आपकी सड़क का फलां दिन जांच करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गयी. आप उत्तर ले लें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, जैसा माननीय सदस्य ने इच्छा व्यक्त की है कि दो दिन पहले उनको सूचना मिल जाये तो मैं अधिकारियों को निर्देशित करता हूं कि जिस दिन भी अधिकारी जाएंगे वह दो दिन पहले माननीय सदस्य को सूचना दे देंगे और समन्वय बैठा कर सारे लोग संयुक्त रुप से जाएंगे, सड़कों का भौतिक सत्यापन करेंगे और देखेंगे. जहां जो भी गड़बड़ी होगी उसके लिए हम कार्रवाई करेंगे.
श्री चम्पालाल देवड़ा-- अध्यक्ष जी, जो जानकारी गलत दी है, उसके लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आपके तीन-चार प्रश्न हो गए. अब नहीं.
श्री चम्पालाल देवड़ा-- गलत जानकारी दी गई है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्षजी, माननीय सदस्य जाएंगे तो और भी अतिरिक्त जो जानकारी आएगी उसके आधार पर कार्रवाई करेंगे.
श्री चम्पालाल देवड़ा-- धन्यवाद.
8 ग्राम पंचायत खोडेरा में पंचायत कर्मी की नियुक्ति की जाँच
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
8. ( *क्र. 1073 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम पंचायत खोडेरा में पंचायत सचिव (पंचायत कर्मी) की नियुक्ति किये जाने हेतु शासन के नियमानुसार पंचायतकर्मी योजना 1995 में ग्राम पंचायत ही सक्षम थी और उसमें यह भी प्रावधान था कि पंचायत कर्मी यथा संभव स्थानीय ही हो? (ख) क्या खोडेरा में नियुक्ति पाने वाले स्थानीय आवेदक की नियुक्ति नहीं करते हुये ग्राम देवीनगर के आवेदक की नियुक्ति नियमों के विरूद्ध कर दी गई और तहसीलदार बल्देवगढ़ ने भी आवेदक को देवीनगर ग्राम का निवासी बताया तथा कलेक्टर टीकमगढ़ ने भी आदेश दिनांक 26.04.12 को आदेश पारित किया था कि यह नियुक्ति नियम विरूद्ध है। (ग) क्या राज्यमंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भोपाल द्वारा दिनांक 16.07.12 को कलेक्टर का आदेश निरस्त कर दिया गया, यह कार्यवाही किस नियम तथा किन दस्तावेजों का आधार मानते हुये की तथा खोडेरा ग्राम पंचायत में देवीनगर ग्राम पंचायत के निवासी की नियुक्ति कैसे कर दी गई। प्रकरण की जानकारी निवास प्रमाण-पत्र एवं चल-अचल सम्पति सहित प्रमाणित सत्य प्रतिलिपियां उपलब्ध करायें। (घ) क्या उक्त पंचायत सचिव की तैनाती वर्तमान में वृषभानपुरा ग्राम पंचायत विकासखण्ड बल्देवगढ़ में है? क्या इसकी जाँच करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं तो कारण बतायें। (ड.) जाँच उपरांत दोषी पाये जाने वाले सचिव पंचायतकर्मी के विरूद्ध कार्यवाही कर पद से हटाकर शासन से प्राप्त की गई राशि की वसूली करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। (ख) से (ड.) म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 91 के तहत तथ्यों का विश्लेषण करते हुए तथ्यों के संबंध में निष्कर्ष पर पहुंच कर गुण-दोष पर सक्षम अधिकारी मान. राज्यमंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने श्रीमती किरण यादव की सचिव, ग्राम पंचायत, खोडेरा में नियुक्ति को विधि सम्मत पाया है। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। गुण-दोष पर आदेश पारित होने से शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि ग्राम खोडेरा में पंचायत कर्मी की नियुक्ति ग्राम देवीनगर के आवेदक की कर दी गई है और कलेक्टर टीकमगढ़ ने 26.4.2012 को आदेश पारित किया था कि इस पंचायत कर्मी की नियुक्ति शासन के नियमों के विरुद्ध है. लेकिन तत्कालीन राज्यमंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा उक्त नियुक्ति सही मानते हुए किन-किन दस्तावेजों को आधार मानकर पंचायत कर्मी की नियुक्ति सही व वैध मानी गई?
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रकरण विभाग से फैसला होने के बाद हाईकोर्ट में गया था. हाईकोर्ट ने उस पंचायत कर्मी की नियुक्ति को वैध माना था. इस कारण से इस मामले में विभाग कुछ कार्रवाई नहीं कर सकता.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर--अध्यक्ष महोदय, खोडेरा पंचायत कर्मी ने अपना आवेदन पत्र दिनांक 17.8.2007 में जमा किया और शपथ में यह भी लिखा है कि मैं ग्राम खोडेरा की निवासी हूं. मेरी चल-अचल संपत्ति खोडेरा में है जबकि 25.7.2008 में एक शपथ पत्र एक वर्ष बाद दिया है कि हम खोडेरा में किराये से उप सरपंच के मकान में रहते हैं और जिला रोजगार कार्यालय टीकमगढ़ में पंजीयन क्र. 1436 दि. 17.8.2007 में ग्राम देवीनगर की मूल निवासी होकर पंजीयन कराया गया तथा 21.1.2002 में तहसीलदार बलदेवगढ़ ने निवास प्रमाण पत्र देवीनगर के निवासी होने का जारी किया गया. वर्तमान में भी उक्त पंचायतकर्मी देवीनगर में निवास करती है एवं चल-अचल संपत्ति क्या राज्यमंत्री द्वारा किए गए गलत आदेश की पुनःजांच कराएंगे? अध्यक्ष महोदय, भार्गव जी हमारे वरिष्ठ मंत्री हैं इसलिए मैं बार बार पुनः जांच कराने हेतु आग्रह कर रही हूं कि इस पूरे प्रकरण दुबारा जांच कब तक कराएंगे, समय सीमा बतायें?
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर ले लें. उसमें हाईकोर्ट का ऑर्डर है. बैठ जाएं.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने माननीय सदस्या को अवगत कराया है. हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक साईटेशन दी है जयप्रकाश बाथम विरुद्ध स्टेट के प्रकरण में, उसका उद्धरण है कि " मैं पंचायत कर्मी की नियुक्ति हेतु स्थानीय निवासी होने की आवश्यक्ता को असंवैधानिक करार देता हूं. " इस कारण से यह मामला यहीं समाप्त हो जाता है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी जांच करा लें. मैं बार-बार अनुरोध कर रही हूं. यह बिल्कुल गलत तरीके से हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - उसमें हाईकोर्ट का आर्डर है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर - कलेक्टर,टीकमगढ़ लिख रहे हैं, बलदेवगढ़ तहसीलदार लिख रहा है कि मूल निवासी आज भी देवीनगर में निवास कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं.
प्रश्न क्रमांक 9 ( अनुपस्थित )
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सड़कों का निर्माण एवं मरम्मत
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
10. ( *क्र. 1270 ) श्री संजय उइके : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले की बैहर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत विषयांकित योजना प्रारम्भ से प्रश्न दिनांक तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में किन-किन सड़कों का कब-कब निर्माण कार्य पूरा किया गया? लागत सहित जानकारी देवें। (ख) योजनान्तर्गत निर्मित सड़कों का अनुबन्धानुसार किस-किस दिनांक तक मेंटेनेन्स (रख-रखाव) की समयावधि थी? समयावधि में किन-किन सड़कों की मरम्मत/मेंटेनेन्स कार्य किया गया? (ग) समयावधि में मरम्मत/मेंटेनेन्स उपरान्त कब-कब, किन-किन सड़कों के रिनिवल के कितनी-कितनी लागत के प्रस्ताव शासन को भेजे गये? कौन-कौन सी सड़कों के प्रस्ताव स्वीकृत हुये एवं कब-कब कार्य पूर्ण किये गये या शेष हैं? (घ) सड़क निर्माण कार्य करने वाले किन-किन ठेकेदारों की कितनी-कितनी राशि मेंटेनेन्स/मरम्मत कार्य हेतु रोकी गई थी? किन-किन ठेकेदारों के मेंटेनेन्स कार्य नहीं कर सकने के कारण कितनी-कितनी राशि की कटौती की गई एवं समयावधि उपरान्त किन-किन ठेकेदारों की कब-कब, कितनी-कितनी राशि वापस की गई?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहती हूं कि पांच साल की जो सड़कों की गारंटी दी जाती है उसका मतलब क्या है. मुझे जहां तक समझ में आता है कि पांच साल की जो रोड की गारंटी दी जाती है वह इसलिये दी जाती है कि रोड गुणवत्तापूर्ण एवं मजबूत बने और पांच साल तक वह रोड खराब न हो, लेकिन फील्ड में जो रोड बनती है और उखड़ना शुरू हो जाती है. जब हम अधिकारियों से कहते हैं कि आपकी रोड अभी-अभी बनी है और खराब हो रही है तो अधिकारियों द्वारा हमको यह जवाब दिया जाता है कि यह रोड गारंटी पीरियेड में है. हम ठेकेदार को बोलकर इसे ठीक करवा देंगे. एक तो मंत्री जी यह बता दें कि इस गारंटी का मतलब क्या है क्योंकि अधिकारी हमको यह जवाब देते हैं कि यह ठेकेदार का काम है और रोड गारंटी पीरियेड में है. आप इस गारंटी का मतलब सदन को तो बताएं ही, साथ ही साथ आपके विभाग के अधिकारी भी दीर्घा में बैठे होंगे उनको भी यह बताएं कि गारंटी का मतलब वास्तव में क्या होता है ? जो अधिकारी गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखते,क्योंकि बिल उन्हीं के साईन से पास होते हैं तो ऐसे अधिकारियों पर आप क्या कार्यवाही करेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जो सड़कें बनती हैं जैसा माननीय सदस्या ने स्वयं कहा है पांच वर्षों की इसकी गारंटी होती है. जैसे आज 28 फरवरी 2017 तारीख है तो आज कोई सड़क बनती है तो 28 फरवरी,2022 को यह गारंटी मानी जायेगी. माननीय सदस्या ने कहा है कि पांच साल की सड़क के मेंटेनेस कि पूरी प्रक्रिया बताएं, तो मैं वह बता रहा हूं. पांच साल की गारंटी का अर्थ यह होता है कि जो ठेकेदार ने काम करवाया है तो उस सड़क में पांच साल तक जो भी गढ्ढे होंगे,खामियां आयेंगी,वह उसे ठीक करेगा और जब पांच साल पूर्ण होंगे तो अधिकारी वहां जायेंगे और देखेंगे कि सड़क उसी स्थिति में है कि नहीं जैसी बनने के समय थी. यदि रोड उस गुणवत्ता की नहीं होती है तो उसकी जो जमा राशि होती है उस राशि में से सड़क की मरम्मत का काम करवाया जाता है. पांच साल होने के बाद सड़क फिर धीरे-धीरे जर्जर होने लगती हैं तो हमने उनके लिये पांच साल के लिये फिर टेंडर करने का काम शुरू कर दिया है तो फिर पांच साल के लिये सड़क बनाने का काम होता है. दस साल पूर्ण होने के पहले यदि वह सड़क खराब होती है तो जो पांच साल के रिनूवल का ठेका ठेकेदार लेता है उसकी उसे सुधारने की जिम्मेदारी होती है. इस बीच में हमारे जो नेशनल क्वालिटी मानीटर्स होते हैं और स्टेट क्वालिटी मानीटर्स होते हैं उसके अनुसार सड़कों की गुणवत्ता की समय-समय पर जांच होती रहती है वे दिल्ली से अधिकारी आते हैं और राज्य सरकार के भी अधिकारी होते हैं वह यह पाते हैं कि सड़कों की गुणवत्ता ठीक नहीं है तो विधिवत कार्यवाही करते हैं पेनाल्टी भी इम्पोज की जाती है और अन्य शास्तियां भी लगाई जाती हैं यह पूरी प्रक्रिया है.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, पांच साल पूर्ण होने के बाद की बात नहीं है. रोड बनते ही जब रोड उखड़ती है तो उनका कहना होता है कि यह ठेकेदार की गारंटी पीरियेड में है और हम ठेकेदार को बोलकर रोड का काम करवा देंगे. अधिकारियों की वास्तव में जवाबदारी क्या है यदि रोड का काम घटिया हो रहा है और आप उनके बिल सेंक्शन होते जा रहे हैं तो उसमें अधिकारियों की जवाबदारी आप बताईये ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, पांच वर्षों तक बनाने से लेकर उसके अनुरक्षण का काम ठेकेदार का है. यदि खराब भी होगी तब भी ठेकेदार की जमा राशि से पैसा निकालकर विभाग के अधिकारी काम करवा सकते हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें ठेकेदारों की जवाबदारी तो फिक्स है लेकिन इसमें क्या आप अधिकारियों की जवाबदारी फिक्स करेंगे ? अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगी.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय सदस्य लिखकर दे दें कि कौन सी सड़क ऐसी हैं जिनके निर्माण के साथ ही उनकी गुणवत्ता पर प्रश्न चिह्न लग रहा है, तो हम जांच करा लेंगे और उसके विरूद्ध हम कार्यवाही भी करेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह प्रश्न मैं अपने साथी विधायक का अटेंड कर रही हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आपके 3 प्रश्न हो गये. अब आप लिखकर दे दीजिये.
सुश्री हिना कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक प्रश्न मेरा है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब कोई प्रश्न नहीं, बहुत हो गये.
कूनो-पालपुर अभयारण्य श्योपुर में गुजरात के एशियाई शेरों को बसाया जाना
[वन]
11. ( *क्र. 280 ) श्री रामनिवास रावत : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कूनो-पालपुर अभयारण्य श्योपुर में गुजरात के एशियाई शेरों को बसाने हेतु मान. उच्चतम न्यायालय के निर्देश में गठित समिति द्वारा माह दिसम्बर 2016 में दौरा कर मीटिंग की गई थी? यदि हाँ, तो उक्त समिति द्वारा क्या-क्या अनुशंसायें की हैं? (ख) क्या समिति द्वारा उक्त अभयारण्य में एशियाई शेरों को बसाने के लिए उपयुक्त वातावरण एवं पर्याप्त संसाधन पाए जाने की अनुशंसा की है? यदि हाँ, तो कब तक कूनो अभयारण्य में एशियाई शेरों को बसा दिया जावेगा? (ग) कूनो-पालपुर अभयारण्य में गुजरात के एशियाई शेरों को बसाने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा क्या-क्या पत्राचार एवं कार्यवाही की है?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) जी हाँ। बैठक की कार्यवाही विवरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। बैठक की कार्यवाही विवरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। समय-सीमा का निर्धारण नहीं किया गया है। (ग) मध्य प्रदेश द्वारा कूनो-पालपुर अभयारण्य में गुजरात से एशियाई सिंहों के पुनर्स्थापन के लिये भारत सरकार द्वारा गठित समिति की बैठक कूनो-पालपुर अभयारण्य में कराने की पहल की गई, जिससे समिति के सदस्य कूनो-पालपुर में हुए रहवास सुधार से अवगत हुए। सिंहों के कूनो-पालपुर में पुनर्स्थापन हेतु समिति का गठन किया गया है।
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वन मंत्री से जानना चाहता हूं कि कूनो-पालपुर अभ्यारण्य में गुजरात से शेर आना थे, बब्बर शेर.
श्री तरूण भनोत-- शेर नहीं .....(XXX)..... आ रहे हैं माननीय अध्यक्ष महोदय.
डॉ. गोविन्द सिंह-- उसके बाद भी लगातार 20-22 वर्ष हो गये. माननीय अध्यक्ष महोदय कम से कम सवा सौ के करीब गांव उजड़ गये, आदिवासी लोग बेघर हो गये, वह खुले में पटों और पटियों के नीचे मकान में बहुत बुरी स्थिति में रह रहे हैं और उनकी खेती बाड़ी भी चली गई, लेकिन अभी तक जिस योजना के लिये मध्यप्रदेश सरकार, भारत सरकार ने मंजूरी दी थी, जगह चली गई, फिर उसके बाद 700 एकड़ मांगी गई वह भी आपने मंजूर कर दी, फिर ऐसे कौन से कारण हैं जो अभी तक मीटिंग पर मीटिंग हो रही हैं, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि अभी तक कूनो पालपुर अभ्यारण्य में शेर शिफ्ट न होने का क्या कारण है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जो निर्देश दिये थे उन निर्देशों के पालन में मध्यप्रदेश शासन ने, वन विभाग ने और डॉ. शेजवार जी आपने क्या कार्य किया है .
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, गुजरात से सिंहों को कूनो पालपुर लाना यह पूर्ण रूप से केन्द्र सरकार का काम है और विषय सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है और सुप्रीम कोर्ट में जैसा कि प्रश्न में पूछा गया है इसके लिये कमेटी भी बनाई है, कमेटी का निरीक्षण भी हो गया है, आप प्रश्न पढ़ते तो उसमें सब कुछ आ जाता और प्रदेश सरकार इसमें कहीं बाधा नहीं है. दूसरी बात एक आपने बताई है कि कितने ही गांवों को वहां तकलीफें हो गईं, विस्थापित कर दिया गया, निर्धारित नहीं के बराबर गांवों को विस्थापित किया गया है. जिनको विस्थापित किया गया है उनको पूरे नियमों का पालन करके और प्रापर्ली उनके री-सेटलमेंट के लिये सरकार ने व्यवस्था की है और जो विकल्प हैं उनका बराबर पालन किया है, रहा सवाल इस बात का कि शेर कब आयेंगे, ये केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की जो बनाई हुई कमेटी है उसको निर्णय करना है, बाकी मध्यप्रदेश इसमें सीधा-सीधा गुजरात से कहीं इस विषय में जुड़ा हुआ नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत कमेटी बन गई, कमेटी की बैठकें भी हो चुकी हैं और जो बैठक में औपचारिकतायें थीं वह भी पूरी हो गईं, इसके बाद आपका केवल अनुबंध साइन होना है. अनुबंध भी आपको भारत सरकार के लॉ डिपार्टमेंट से कराना है, तो इसमें इतनी देरी क्यों हो रही है, आप लॉ डिपार्टमेंट से अनुबंध क्लीयर करायें और माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी से निवेदन करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- ऐसे ही कह देते कि गुजरात के शेर से निवेदन करें.
डॉ. गोविंद सिंह-- उन्होंने खुद ही कह दिया .....(XXX)..... उन्होंने तो खुद स्वीकार कर लिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उन्होंने जो भी कह दिया लेकिन हिसाब बराबर कर दिया आपका, पूरे देश में महाराष्ट्र से लेकर वहां तक.
श्री बाबूलाल गौर-- यह शब्द निकालें जायें माननीय अध्यक्ष जी.
डॉ. गोविंद सिंह-- उन्होंने खुद स्वीकार कर लिया कि .....(XXX)..... श्री बाबूलाल गौर-- गोविंद सिंह जी आपको यह नहीं कहना चाहिये था. .....(XXX)..... यह नहीं कहना चाहिये था.
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दें.
डॉ. गोविंद सिंह-- मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं. अच्छा मोदी जी ने नहीं कहा.....(XXX).....)
अध्यक्ष महोदय-- यह बहस का विषय नहीं है, माननीय मंत्री जी उत्तर दे दें. वह पूछ रहे हैं कि जो राज्य सरकार का पार्ट है एमओयू का उसके बारे में क्या कर रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- क्या वनमंत्री जी आप स्वयं अपने अधिकारियों के साथ माननीय प्रधानमंत्री से निवेदन करके इस प्रक्रिया को जल्दी कराकर शेर लाने का प्रयास करेंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब इसमें प्रधानमंत्री प्रत्यक्ष रूप से तो कहीं शामिल नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट का मामला है और सुप्रीम कोर्ट की कमेटी है और सुप्रीम कोर्ट की कमेटी मध्यप्रदेश सरकार के वन विभाग को जो निर्देशित कर रही है उसका हम नियमानुसार बराबर पालन कर रहे हैं. हमारी तरफ से कहीं कोई कमी नहीं है. अब सिंह आपस में लड़ें उनके लिये बैठने की जगह अलग हो यह सब पूरी हमने व्यवस्था कर दी है. ऐसी कहीं कोई स्थिति नहीं आयेगी कि कोई सिंह यह कहे कि मैं यहां बैठूंगा और मैं वहां बैठूंगा. (हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह-- मेरा मंत्री जी से यह कहना है कि अनुबंध हो जाये, यह अनुबंध आप कितने समय में पूरा कर लेंगे ताकि प्रक्रिया आगे बढ़े. वन मंत्री जी अगर अनुबंध आप नहीं कर पा रहे हैं, देर लगायेंगे तो फिर प्रक्रिया आगे कैसे बढे़गी.
मंत्री, पंयायत एवं ग्रामीण विकास(श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहों की लड़ाई में तीन दिन से सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा है.अभी तक सिंहो की लड़ाई जंगल में होती थी अब हाउस के अंदर में होने लगी है.
अध्यक्ष महोदय-- वन मंत्री जी अनुबंध के बारे में सदस्य पूछ रहे हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, अनुबंध वाली बात नहीं है. हमने उत्तर में जो परिशिष्ट लगाया है यदि आप उसको पढ़ लेते परिशिष्ट क्रमांक एक के 6 नंबर पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि भारतीय वन्य जीव संस्थान भारत को त्रिपक्षीय अनुबंध का प्रारूप प्रस्ताव के लिये जानकारी प्रेषित करनी है जिसके आधार पर भारत सरकार के द्वारा प्रारूप अनुबंध बनाकर दोनों राज्य सरकार एवं समिति सदस्यों को प्रस्तुत करना था, जिसके बाद इसका अनुमोदन विधि मंत्रालय, भारत सरकार से कराया जाना है. अभी राज्य सरकार को भारत सरकार से अनुबंध प्रारूप प्राप्त होना शेष है. तो केन्द्र सरकार जो भी हमें निर्देशित करेगी और अनुबंध का प्रारूप प्रस्तुत हो जायेगा तो हम बराबर करेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से माननीय वन मंत्री जी से दो-तीन बातें पूछना चाहता हूं कि पहली बात तो यह है कि प्रारूप तैयार करने की बात है यह प्रारूप तो मध्यप्रदेश की सरकार के माध्यम से प्रयत्न करके उसको प्राप्त किया जा सकता है. प्रारूप तैयार करने की बात है तो जो समिति श्योपुर में आई थी उन्होंने ऐसा बताया था कि यह प्रारूप तैयार है. दूसरी बात यह है कि वहां पर बहुत सारा पैसा सरकार ने खर्च किया है और श्योपुर जिले का भी बहुत बड़ा विकास होने वाला है. जिसके माध्यम से लोगों को बहुत सारे रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे . अब विषय सुप्रीम कोर्ट का तो नहीं बचा है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है और उस फैसले के मुताबिक अब इस कार्य को तेजी के साथ गति देने के लिये माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि कुछ प्रयत्न मध्यप्रदेश की ओर से भी वहां पर सक्रियता के साथ में किये जायेंगे तो जल्दी इसका समाधान हो सकता है. क्या मंत्री जी मध्य प्रदेश सरकार की ओर से इस तरह के प्रयास करेंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, हम तो बराबर इस पक्ष में हैं और प्रयास कर रहे हैं लेकिन कमेटी सुप्रीम कोर्ट की है उससे चर्चा या बहुत ज्यादा सलाह दे सकते हैं...
डॉ.गोविन्द सिंह -- मंत्री जी आप अनुबंध क्लीयर करायें, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का मामला तो अब बचा ही नहीं है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अनुबंध आ जायेगा तो हम अनुबंध के लिये तैयार हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह -- अरे क्या आ जायेगा. अनुबंध तो मध्यप्रदेश सरकार और गुजरात सरकार को मिलकर के भारत सरकार के विधि मंत्रालय में जाकर के क्लीयर कराना है. अब क्लीयर करें आप और गुजरात सरकार दोनों मिलकर के जायेंगे तब हो पायेगा.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - आप इतनी मेहनत करते तो यह सीटों का झगड़ा जल्दी सुलझ जाता.(हंसी) जितनी मेहनत आप मुझे यहां डांटने में कर रहे हैं.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, यहां सिंह की चर्चा चल रही है यह सिंह और सीट का क्या संबंध है. इसका उत्तर बतायें (हंसी)
डा. गौरीशंकर शेजवार - गौर साहब पूछ रहे हैं कि सीटों का सिंहों से क्या संबंध है. सीटें सिंहों के लिए तो है ये भी सिंह और वे भी सिंह.
ग्राम पंचायत जोड़ौरी के कार्यों की जाँच
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
12. ( *क्र. 2925 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला रीवा जनपद पंचायत गंगेव, ग्राम पंचायत जोड़ौरी की निलम्बित सचिव श्रीमती रानी चौधरी एवं वर्तमान सरपंच अनुसूचित जाति के हैं? यदि हाँ, तो क्या सरपंच के कोटवार जाति प्रमाण-पत्र की जाँच की शिकायत प्राप्त हुई है? शिकायत एवं संलग्न जाति प्रमाण-पत्र की प्रति देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में निलंबित सचिव श्रीमती रानी चौधरी की पदस्थापना ग्राम पंचायत जोड़ौरी में कब हुई है? आदेश की प्रति देवें। (ग) ग्राम पंचायत जोड़ौरी में विकास कार्य हाट बाजार, पंच परमेश्वर, पी.सी.सी. रोड एवं अन्य कार्यों की सूची जिसके भुगतान हेतु राशि आहरण रूपये 2878853.00 के व्यय, प्रशासनिक स्वीकृति एवं सी.सी. की प्रतियां उपलब्ध करायें तथा 2013 से प्रश्न दिनांक तक ग्राम पंचायत जोड़ौरी में हुए कार्यों की सूची योजनावार, मदवार एवं वर्षवार देवें। (घ) श्रीमती रानी चौधरी के निलंबन हेतु मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गंगेव के पत्र क्रमांक 2159/पंचायत/2015/दिनांक 19/11/2015 के प्रस्ताव की प्रति देवें तथा सी.ई.ओ. गंगेव के निलंबन प्रस्ताव के पूर्व वित्तीय अनियमितता की जाँच एवं रोक के लिए की गयी प्रशासनिक कार्यवाही की जानकारी देवें तथा समुचित कार्यवाही समय पर नियमानुसार न करने वाले दोषी अधिकारी के विरूद्ध कौन सी दण्डात्मक कार्यवाही कब तक की जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। जाति प्रमाण-पत्र जाँच संबंधी शिकायत संज्ञान में नहीं आई है, जाति प्रमाण-पत्र की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 एवं 2 अनुसार है। (ख) आदेश क्रमांक 4580/पंचा.-1 स्था./जि.प./2013, दिनांक 14.09.2013 द्वारा श्रीमती रानी चौधरी को ग्राम पंचायत जोड़ौरी का सचिव अधिसूचित किया गया है। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 एवं 5 अनुसार है। (घ) प्रश्न में चाही गई प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-6 अनुसार है। शिकायत की जाँच, निलंबन एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही समय पर होने से किसी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय अध्यक्ष महोदय, जबरा मारे रोने न दें, बड़ी मछली छोटी मछली को खाले, सिपाही शहीद और थानेदार मेडल ले ले.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्न पूछिए, पहेली मत बुझाइए.
श्रीमती शीला त्यागी - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न के संबंध में ही कहना चाह रही हूं, पंचायती राज व्यवस्था में सारा काम सचिव करता है और भ्रष्टाचार का सरगना सीईओ रहे, लेकिन जनप्रतिनधि या विधायक इस बात की शिकायत करें या जानकारी दें तो सजा बेचारे सचिव को मिले. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न रीवा जिले की मनगवां विधानसभा के ग्राम पंचायत जोड़ौरी के निलंबित सचिव रानी चौधरी के संबंध में था. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि जिन कार्यों की सूची प्रदान की गई है, इनकी जांच हेतु उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाकर मौके पर भौतिक सत्यापन करायेंगे तथा क्या कमेटी में स्थानीय विधायक को भी सम्मिलित करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि मेरे रहते हुए छोटी मछली को बड़ी मछली नहीं खा सकती. (मेजों की थपथपाहट) किसी बकरी को कोई शेर नहीं खा सकता न खाने देंगे, राज्य के अंदर. अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्या ने कहा, इतना मैं कहना चाहता हूं कि आप जिस अधिकारी और जिस कमेटी से चाहे उसकी जांच करवा देंगे, सदस्य की उपस्थिति में. यदि कहीं कोई गड़बड़ी हुई होगी तो जिम्मेदारों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न और है जनपद पंचायत गंगेव में हुए भ्रष्टाचार के जो प्रमुख अभियुक्त हैं, जो सीईओ और सब इंजीनियर एवं आरटीजीएस व कई योजनाओं के प्रभारी, बाबू आदि को तत्काल निलंबित करें, क्योंकि इसके पूर्व में भी मैंने चालू सत्र में एक प्रश्न ग्राम पंचायत भास के संबंध में लगाया था का उसमें भी अभी तक कार्यवाही नहीं हुई है. रानी चौधरी जो बेगुनाह सचिव है, उसको तत्काल बहाल करने का माननीय मंत्री जी से निवेदन है, क्योंकि हमारे पास सामान्य प्रशासन विभाग के श्री के.एस. शर्मा, मुख्य सचिव महोदय का पत्र है, जिसमें लिखा है कि किसी एससी, एसटी के कर्मचारी की नई भर्ती हुई है और उससे कोई गलती हुई है तो पहले उसको पहले हिदायत दी जाए, उसको समझाया जाए फिर उसके बाद निलंबित किया जाए, लेकिन सब इंजीनियर एवं सीईओ ने भ्रष्टाचार किया और सचिव को सजा मिली, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि सचिव को बहाल किया जाए.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, सचिव की हस्ताक्षर से राशि का आहरण हुआ है, इस कारण वह प्रथम दृष्टा आरोपी तो है ही, लेकिन इसके पीछे अगर सब इंजीनियर या जनपद पंचायत सीईओ ने या किसी ने उसके लिए उत्प्रेरित किया होगा या कुछ हिस्सा लिया होगा तो मैं कह रहा हूं कि वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर इसकी जांच करवा लेंगे.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय अध्यक्ष महोदय, सिस्टम का पालन नहीं हुआ है इसलिए सचिव ने सजा भुगती है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, दस दिन में जांच रिपोर्ट बुलवाकर आपके समक्ष कार्यवाही करवा देंगे.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
कसरावद विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत पुल-पुलियों/सड़कों का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
13. ( *क्र. 2006 ) श्री सचिन यादव : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी, 2014 से प्रश्नांकित दिनांक तक कसरावद विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत मुख्यमंत्री ग्राम सड़क/प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनान्तर्गत कौन-कौन से सड़क मार्गों/पुल-पुलियों के निर्माण कार्य हेतु प्रस्ताव शासन एवं विभागीय स्तर पर कब-कब भेजे गए? माह जनवरी 2017 की स्थिति में कौन-कौन से प्रस्ताव कब-कब स्वीकृत किये गये? पुलों एवं सड़कों के नाम एवं लंबाई, स्वीकृति की राशि, निर्माण एजेंसी के नाम सहित बतावें। कौन-कौन से निर्माण स्वीकृति के पश्चात् अभी तक किस कारण से अप्रारंभ, कौन-कौन से लंबित हैं एवं क्यों तत्संबंधी ब्यौरा दें। (ख) उक्त क्षेत्रान्तर्गत ऐसी कितनी सड़क मार्गों/पुल-पुलियों के निर्माण कार्य जनहित में किया जाना अति आवश्यक है जिन पर प्रश्न दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है और क्यों? जवाबदेही सुनिश्चित कर तत्संबंधी ब्यौरा दें। (ग) प्रश्नांकित (क) की अवधि में प्रश्नकर्ता द्वारा प्रमुख सचिव एवं उचित माध्यम से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को पुल-पुलियों, सड़कों एवं पहुँच मार्गों के निर्माण हेतु भेजे गये पत्रों पर की गयी कार्यवाही से अवगत न कराये जाने के क्या कारण हैं? कौन-कौन से प्रस्ताव जनवरी 2017 की स्थिति में स्वीकृत हैं एवं प्रक्रियाधीन हैं? विलंब के क्या कारण हैं?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण एवं प्रमुख अभियंता, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा को कसरावद विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत निर्माण संबंधी प्रस्तावों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। प्रश्न में प्रस्तावों के प्रेषक का उल्लेख नहीं होने से प्रस्ताव भेजने की तिथि बताया जाना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत उपलब्ध वित्तीय संसाधन पूर्व से स्वीकृत कार्यों के लिए आबद्ध होने से वर्तमान में स्वीकृति दी जाना संभव नहीं है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) अनुसार।
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मेरी आपत्ति है कि जो सदस्य ने जानकारी चाही थी, जो प्रश्न पूछा था, विभाग ने बिलकुल असत्य जानकारी दी है और सदन को गुमराह करने की कोशिश की है.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे इससे उद्भूत प्रश्न पूछिए भाषण नहीं देना है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में यह पूछा गया था कि मेरे द्वारा कब कब पत्राचार किया गया और उस पत्राचार पर क्या कार्यवाही की गई है, जिसके बारे में सही जानकारी नहीं दी गई है. सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जिन सड़कों को बनवाने हेतु माननीय सदस्य ने बात की थी, जिसमें पहला है ग्राम मगरखेड़ी, बामंदी मुख्य मार्ग से नीमबेड़ी लंबाई लगभग 1.5 किलोमीटर, दूसरा है कसरावद खरगौन मुख्य मार्ग से नवलपुर लंबाई लगभग 3 किलोमीटर, तीसरा है सिप्टान से महलबेड़ी लंबाई लगभग 3 किलोमीटर, चौथा है उदावद से खालीकराए लंबाई लगभग 4 किलोमीटर, पांचवा है, बिटनेरा गोगांव मार्ग से बढि़यासहजिला लंबाई लगभग तीन किलोमीटर. मेरा आपके माध्यम से यही निवेदन है कि जो माननीय सदस्य ने प्रश्न किया था इन मार्गों को दुरूस्त करने के लिए जो मांग की गई थी यह मार्ग कब तक दुरूस्त कर लिया जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, शीध्रातिशीघ्र.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि वे समय सीमा बता दें.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ये एवज में पूछ रहे हैं. ये स्टेप्नी लगा-लगाकर कब तक काम चलायेंगे. अब यह तो परम्परा बढ़ती जायेगी. ऐसे तो सदन में माननीय सदस्यों की उपस्थिति और कम होती जायेगी.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह तो नियम है. प्रश्न संख्या 14.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह परम्परा रही है, पहले भी इस तरह से अगर किसी के यहां कोई घटना घट जाती है, तो उनके द्वारा लिखित में किसी माननीय सदस्य को अधिकृत करने पर आपकी अनुमति से दूसरे सदस्य प्रश्न कर सकते हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, एकाध प्रश्न को आप एलाऊ कर देते.. आज तो तीन- तीन हो गये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 14. इन्जी प्रदीप लारिया.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि वे समय सीमा बता दें.
अध्यक्ष महोदय -- अब आपका प्रश्न हो गया. आपने प्रश्न आधे घण्टे में भी तो पूछा.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, हमने एक ही प्रश्न में सारा पूछ लिया. मेरा ऐसा आपसे निवेदन है कि जनहित का मामला है, किसानों से जुड़ा हुआ मामला है. आप समय सीमा निर्धारित करवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- अब हम आगे बढ़ गये है. आपका उत्तर आ गया है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 14. इन्जी. प्रदीप लारिया. आप प्रश्न पूछिये.
मुख्य नगर पालिका अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही
[नगरीय विकास एवं आवास]
14. ( *क्र. 457 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या नगर पालिका मकरोनिया बुजुर्ग जिला सागर में पदस्थ मुख्य नगर पालिका अधिकारी के विरूद्ध पार्षदों एवं आमजन द्वारा कोई आपराधिक प्रकरण पंजीकृत किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी के विरूद्ध पार्षदों एवं आमजन द्वारा आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने का क्या कारण रहा? (ग) यदि निर्वाचित पार्षदों एवं आमजन द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कराया गया है एवं विभागीय स्तर पर शिकायतें की गई हैं, तो विभाग द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। नगर पालिका परिषद, मकरोनिया में पदस्थ मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्री सी.पी. राय के विरूद्ध वार्ड क्र. 08 की पार्षद श्रीमती कौशल्या अहिरवार के पति श्री मिहिलाल अहिरवार द्वारा धारा-3 (1-10) एस.सी.एस.टी. एक्ट एवं धारा-294, 506, 323 (भा.द.वि.) के अंतर्गत दिनांक 15.12.2016 को थाना-पदमाकर नगर में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया है। प्रकरण माननीय विशेष सत्र न्यायाधीश जिला न्यायालय, सागर के न्यायालय में प्रचलित है। प्रकरण न्यायालयीन प्रक्रिया के अंतर्गत होने से, कारण बताया जाना संभव नहीं है। (ग) विभाग स्तर पर शिकायत प्राप्त हुई थी, शिकायत की जाँच की जा रही है। प्रकरण में गुण-दोषों के आधार पर पूर्ण जाँच उपरांत न्यायालय निर्णय के प्रकाश में विधिसम्मत निराकरण किया जायेगा।
इन्जी. प्रदीप लारिया -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी बड़ी संवेदनशील हैं और पूरे विषय को जानती हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न (ख) एवं (ग) का उत्तर नहीं आया है. मेरा इसमें यह कहना था कि जिस सीएमओ के खिलाफ एस.सी.,एस.टी. एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज हुआ है,लेकिन उसके विरुद्ध विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है. उस सीएमओ के खिलाफ भ्रष्टाचार, अनियमितताएं और कार्य के प्रति उदासीनता, जन प्रतिनिधियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं, ये सब चार्जेस हैं. लगभग 100 से ज्यादा शिकायतें हैं. भ्रष्टाचार की भी शिकायत है, मेरा आपसे निवेदन है कि क्या उनको हटाकर यह सारी जांच करायेंगी.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न उठाया है, यह सच है कि मुख्य नगरपालिका अधिकारी की कार्य प्रणाली को लेकर आपत्ति उठाई गई है. उनके खिलाफ विभागीय स्तर पर जांच भी प्रचलित है. आपराधिक प्रकरण भी दर्ज है. इसलिये मैं उनको आश्वस्त करना चाहती हूं कि इस मुख्य नगर पालिका अधिकारी, श्री सी.पी. राय को हम तत्काल प्रभाव से वहां से हटा देंगे, स्थानांतरित कर देंगे.
इन्जी. प्रदीप लारिया -- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उनको हटा दिया, उसके लिये मैं उनको धन्यवाद देता हूं. लेकिन दो साल में उन पर जो भ्रष्टाचार, अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, क्या इसकी भी आप जांच करायेंगी.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसकी जांच करायेंगे, उन पर प्रकरण दर्ज है, न्यायालय में भी प्रकरण दर्ज है. तो यह जांच बंद नहीं हुई है, उनको सिर्फ उस स्थान से हटाया गया है. जांच के आधार पर उन पर जो दोष सिद्ध होंगे, उसके आधार पर उन पर कार्यवाही की जायेगी.
इन्जी. प्रदीप लारिया -- मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
मुख्य मंत्री ग्राम सड़क योजानांतर्गत सड़कों का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
15. ( *क्र. 1 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्य मंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत छूटे हुए ग्रामों को जोड़ने हेतु वर्ष 2015 में आलोट विधानसभा क्षेत्र की चार सड़कें स्वीकृत होकर उनके निर्माण अनुबंध का ब्यौरा क्या है? (ख) क्या निर्माण अनुबंधानुसार उक्त सड़कें निर्मित हुईं? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं तो क्यों एवं अनुबंधकर्ता ठेकेदार पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) भोजखेड़ी-बोरखेड़ी, माल्या-बेटीखेड़ी, ताल-सनखेड़ी, नागदा-मिनावदा, शेरपुर बुजुर्ग सड़कों का निर्माण कब तक पूर्ण होगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत वर्ष 2015 में आलोट विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत स्वीकृत चार सड़कों का अनुबंध पैकेज क्र. 1722 अंतर्गत किया जाकर कार्यादेश दिनांक 14/12/2015 को दिया गया। कार्य पूर्ण करने हेतु 12 माह का वर्षाकाल सहित ठेकेदार को समय दिया गया है। (ख) जी नहीं। तीन सड़कों में क्रमशः भूमि विवाद, रेखांकन में परिवर्तन होने, निजी स्थल की भूमि होने के कारण अनुबंध समयावधि दिनांक 13/03/2017 तक बढ़ाई गई है। एक सड़क में निर्माण में विलंब के लिए ठेकेदार जिम्मेदार होने के कारण अनुबंध के तहत नोटिस दिया गया है। (ग) जून, 2017 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
श्री जितेन्द्र गेहलोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि मैंने 18 रोड्स स्वीकृत करने के लिये निवेदन किया था, उसमें से 4 स्वीकृत हुई हैं. उसको आज एक वर्ष हो गया है. अभी तक वहां पर कार्य चालू नहीं हुआ है और मंत्री जी ने उत्तर में कहा है कि जून,2017 तक हम कम्पलीट करा देंगे. उसके बाद में जो 2 रोड्स मिनावदा-नागदा और शेरपुर बुजुर्ग हैं, वहां पर अभी कार्य योजना चालू ही नहीं हुई है. उसके संबंध में मंत्री जी क्या आश्वस्त करेंगे और वहां की ग्रामीण क्षेत्र की जो जनता है, उसको लाभ देने का काम करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जनहित का बहुत अच्छा प्रश्न उठाया है. जो समय सीमा दी है जून,2017 की, मैं कोशिश करुंगा कि इसमें जो अभी ऑन गोइंग हैं या पाइप लाइन में हैं, उनका जल्दी से जल्दी काम हो जाये और जिनकी प्रक्रिया शुरु नहीं हुई है, उनके लिये भी मैं कोशिश करुंगा कि यदि बारिश के पहले हो सकेगा, तो तब और यदि नहीं हो सकेगा, तो हम ठण्ड तक उसको पूरा करवा देंगे.
श्री जितेन्द्र गेहलोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि कई ठेकेदारों ने ऐसी अनियमितताएं की हैं कि जहां पुल बनना चाहिये, वहां रपटा भी नहीं बनाया है और सीधी सड़क का निर्माण कर रहे हैं, तो उसमें जहां पुलिया चाहिये, वहां पुलिया की अनुमति प्रदान करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जैसे उसकी डी.पी.आर.बनी होगी. जो भी एस्टीमेट बना होगा, मैं देख लूँगा. उसमें कहीं कोई त्रुटि होगी तो उसके लिए एडीशनल वर्क सैंक्शन कर देंगे.
श्री जितेन्द्र गहलोत - इसमें ऐसा लगता है कि अधिकारी और ठेकेदार की सांठ-गांठ है. आप उसकी भी जांच करवा लें.
अध्यक्ष महोदय - बस रहने दीजिये. समय हो गया है.
डॉ. रामकिशोर दोगने - अभी डेढ़ सेकेण्ड बचा था.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, ऐसा नहीं है. हम तो खुद समय देते हैं. यदि दो सेकेण्ड भी होते तो हम बुलाते. प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
(1) जिला अनूपपुर में जैतहरी के ग्राम धनपुरी से चटुआ मार्ग के
डामरीकरण किया जाना
श्री रामलाल रौतेल (अनूपपुर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
जिला अनूपपुर अंतर्गत ज.प. जैतहरी के ग्राम धनपुरी से ग्राम चटुआ तक मार्ग डामरीकृत न होने के कारण वर्षाकाल में आवागमन प्रभावित होता है. इस मार्ग से कई ग्राम प्रभावित हैं, यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. स्थानीय निवासियों द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से उक्त मार्ग को डामरीकृत किये जाने हेतु विगत कई वर्षों से मांग की जा रही है. मार्ग के डामरीकृत न होने से स्थानीय निवासियों में आक्रोश है.
(2) मकरोनियां में नगर निगम सागर वार्ड-11 कोरेगांव में पेयजल
पाइप लाईन का विस्तार न किया जाना
इंजी. प्रदीप लारिया (नरयावली) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
श्रीमती नीलम अभय मिश्रा :- (अनुपस्थित)
(3) जिला राजगढ़ की माचलपुर तहसील में स्थित ऐतिहासिक बाबड़ी
का पुनर्निमाण व देख-रेख न होना
श्री गोवर्धन उपाध्याय (सिरोंज) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
श्री केदारनाथ शुक्ल :- (अनुपस्थित)
(4) पोहरी विधानसभा क्षेत्र के अनेक ग्रामों, मजरों व टोलों में हैण्डपम्प व
नलकूपों के सूख जाने से पेयजल संकट उत्पन्न होना
श्री प्रहलाद भारती (पोहरी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
विधानसभा क्षेत्र पोहरी में अनेक ग्रामों में मजरों व टोलों में भू-जल स्तर अभी से ही काफी नीचे चला गया है, जिससे कई हैण्डपम्प व नलकूप सूख गए हैं. क्षेत्र में संचालित कई नल-जल योजनाएं, नलकूप सूख जाने के कारण बंद हो गयी हैं, जिससे क्षेत्र में गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है.
अत: विधानसभा क्षेत्र पोहरी में पेयजल समस्या के समाधान हेतु नवीन कार्य योजना बनाकर, आवश्यकतानुसार पाईप बढ़ाकर, सिंगलफेस या थ्री फेस मोटर डालकर, परिवहन द्वारा आम जनता को पेयजल उपलब्ध कराया जाये.
(5) धार जिले की नगर पंचायत राजगढ़ में भ्रष्टाचार होना
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
वर्तमान में धार जिले की नगर पंचायत राजगढ़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, सभी कार्य नियम विरूद्ध किये जा रहे हैं, जिसे देखने वाला कोई नहीं है. सभी तरह के कामों की पुरानी तिथि में स्वीकृति दी जाकर पुरानी तिथि में ही पूरा किया जा रहा है. यह सब काम वर्तमान प्रभारी सीएमओ राजगढ़ नगर पंचायत, धार द्वारा किये जा रहे हैं. नवनियुक्त सीएमओ ज्वाइन करने के बाद में अवकाश पर चले गये हैं, जिसके कारण नगर पंचायत राजगढ़ की जनता बहुत परेशान हो रही है, जनसुविधा के सभी तरह के काम नहीं हो रहे हैं. वर्तमान प्रभारी सीएमओ पूर्व में भी प्रभारी रहे हैं. वे उस समय के अपने अधूरे और गलत कामों को आज पुरानी तिथि में पूरा कर रहे हैं, जिसके कारण नगर पंचायत राजगढ़ की जनता आक्रोशित है, किसी भी समय आन्दोलन कर सकती है, पूरे नगर पंचायत क्षेत्र में स्थिति विस्फोटक है.
(6) विधानसभा नरसिंहपुर में हरेरी नहर का आवश्यकतानुसार फुटवेयर व पुलिया निर्माण संबंधी
श्री जालमसिंह पटेल (नरसिंहपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है..
(7) सिंगरौली जिले के चितरंगी विधानसभा क्षेत्र के बगदरा हायर सेकेण्ड्री विद्यालय के परीक्षा केन्द्र संबंधी
श्रीमती सरस्वती सिंह (चितरंगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है सिंगरौली जिले के चितरंगी विधान सभा क्षेत्र के बगदरा,नैकहवा में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं का परीक्षा केन्द्र बगदरा हायरे केकेण्ड्री विद्यालय में बताया गया है जबकि उसी विद्यालयों में से 50 प्रायवेट छात्र-छात्राओं का परीक्षा केन्द्र 120 दूर कचनी (बैढन) बनाया गया है. यहां के गरीब आदिवासी छात्र-छात्राएं 120 किलो मीटर दूर परीक्षा देने के लिये नहीं जा सकते हैं और न ही रूकने के लिये कोई साधन है. इसके संबंध में छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों तथा उनके प्रतिनिधियों द्वारा कई बार परीक्षा केन्द्र में संशोधन हेतु आवेदन दिये जाने के बावजूद परीक्षा केन्द्र कचनी (बैढन) से परीक्षा केन्द्र बगदरा हायर सेकेण्ड्री स्कूल में नहीं होने को लेकर आम जनता में शासन के प्रति आक्रोष व्याप्त है.
(8) मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी का विखण्डन कर जबलपुर, इंदौर और भोपाल तीन रीजनल सेंटर बनाये जाने संबंधी
श्री तरूण भनोत (जबलपुर पश्चिम)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है..
शून्यकाल में उल्लेख
(1) श्रीमती नीलम मिश्रा भाजपा की माननीय सदस्या को प्रताड़ित करने विषयक.
डॉ.गोविन्द सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय,महिला वर्ष 2016 में हमारे इस सदन की सदस्या माननीय नीलम मिश्रा के साथ अन्याय, अत्याचार किया गया है वहां पर अधिकारियों के द्वारा जलील किया जा रहा है. 20 लाख रूपये अवैध जुर्माना करने के बाद भी उनको लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है. सरकार से मेरा अनुरोध है कि माननीय मुख्यमंत्री जी इसमें हस्तक्षेप करें. सदन की सदस्य नीलम मिश्रा को न्याय दें जो अवैधानिक रूप से कार्य करने वाले लोग जो परेशान कर रहे हैं उनके विरूद्ध भी कार्यवाही की जाए. इसकी निष्पक्ष जांच करायी जाए. यह हमारा माननीय सरकार से अनुरोध है. माननीय राजेन्द्र शुक्ला जी बैठे हैं इनसे भी हमारा निवेदन है कि आप सभ्य मंत्री हैं आप रीवा की विधायक के साथ न्याय करवाईये उनको जलील किया जा रहा है. आप उनको संरक्षण देने का काम करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय गोविन्द सिंह जी ने जो मसला उठाया है कि भारतीय जनता पार्टी की सदस्या के बारे में है उनको जबरदस्ती महिला वर्ष के दिन 19 लाख 85 हजार का जुर्माना लगाया गया है. वह भी जमा हो गया है उसके बाद भी सरकार जलील कर रही है.
अध्यक्ष महोदय--यह कोई विषय नहीं है.
श्री अजय सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने इस बारे में स्थगन भी दिया है.
अध्यक्ष महोदय--उसको देख लेंगे. वह यह विषय भी नहीं है.
श्री अजय सिंह--उसको ध्यानाकर्षण में परिवर्तित करवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--उसको देख लेंगे, यह सदन का विषय नहीं है.
श्री अजय सिंह - श्री राजेन्द्र शुक्ल जी मेहरबानी कर दो उनके ऊपर.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा) - हम तो मेहरबानी कर ही रहे हैं, हम आपके साथ में ही हैं.
श्री अजय सिंह - मेरे साथ मेहरबानी नहीं करे, श्रीमती नीलम अभय मिश्रा के साथ मेहरबानी कर दो.
(2) गेहूँ उपार्जन का काम प्रारंभ करने विषयक.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, गेहूँ खरीदी के उपार्जन को लेकर मध्यप्रदेश सरकार ने 28 मार्च से गेहूँ उपार्जन का काम प्रारंभ करने का आदेश निकाला है. मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि मध्यप्रदेश के जो मालवा क्षेत्र हैं, उसमें एक माह पहले गेहॅूं आ जाता है. कल ही मैंने मण्डी की रिपोर्ट ली है, आठ हजार क्विटंल गेहॅूं आया है. मेरा आपसे निवेदन है कि इसका जो दिनांक है वह दस मार्च किया जाय और माननीय अध्यक्ष जी हम विधायक लोगों ने आपको ध्यानाकर्षण की सूचना भी दी है, मैं चाहता हूं कि आप उसको ग्राह्य करें.
अध्यक्ष महोदय - हम उसको चर्चा के लिये ले रहे हैं.
(3) श्री मानसिंह टेकाम, डी.एस.पी., पी.एच.क्यू.,भोपाल, के लापता होने विषयक.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को ( पुष्पराजगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ के ग्राम चंदनिया निवासी, मानसिंह टेकाम, डी.एस.पी., पी.एच.क्यू. भोपाल, 2 फरवरी, 2015 से, मतलब दो वर्ष से लापता है. इस संबंध में इसके पूर्व हमने सदन में ध्यानाकर्षण भी लगाया और स्वयं डी.जी.पी. से मिलकर भी श्री मानसिंह टेकाम के लापता होने के बारे में निवेदन किया कि आखिर वह व्यक्ति कहां हैं और एक डी.एस.पी. रेंक का व्यक्ति आज दो साल से लापता है और उसका पता नहीं है, उसके पूरे परिजन परेशान है. मैं माननीय गृहमंत्री महोदय से निवेदन करना चाहूंगा कि तत्काल डी.एस.पी. मानसिंह टेकाम का पता लगाया जाये कि वास्तव में वह कहां कार्यरत हैं, किस स्थिति में है ? इसका पता लगाया जाय ताकि उसके परिजन को सुख शांति मिल सके, धन्यवाद.
(4) जल अभावग्रस्त क्षेत्रों में परिवहन की व्यवस्था विषयक.
श्री दिनेश राय ( सिवनी ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी सिवनी विधानसभा को अभी वर्तमान में ही जिला कलेक्टर द्वारा जल अभाव ग्रस्त घोषित कर दिया गया है. चाहे नगरीय क्षेत्र हो, चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो, वहां दो-दो, तीन- तीन दिन में पानी की व्यवस्था हो पा रही है, सरकार ने कहा है कि हम परिवहन के लिये भी राशि देते हैं किंतु पिछली बार भी नहीं दी है और वर्तमान में भी नहीं दी है. अभी बोरों की समस्या है, मैं चाहूंगा सरकार उस क्षेत्र के लिये राशि तत्काल उपलब्ध कराये, बोरिंग हो और जल अभाव क्षेत्रों में परिवहन की व्यवस्था सरकार कराये.
12.13 बजे ध्यान आकर्षण
1. प्रदेश के अनेक जिलों में ओला-पाला से फसलों की क्षति होने से उत्पन्न स्थिति .
डॉ. गोविंद सिंह (लहार), (श्री शैलेन्द्र पटेल, श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार) - माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है.
गृह मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) :-माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. गोविन्द सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने भिण्ड जिले में 145 गांवों में फसलों को क्षति हुई है, यह बताया है. सवाल यह है कि आपने 36 करोड़ रूपये से अधिक स्वीकृत किये हैं. वह पैसा भिण्ड जिले में कब पहुंचा ? क्योंकि अभी तक मुआवजा राशि नहीं पहुंची है और न ही अभी वितरण का कार्य शुरू हुआ है. जबकि अभी एक महीने से अधिक हो गया है. आप भिण्ड के जिला कलेक्टर को कब तक राशि उपलब्ध करा देंगे, आप इसकी समय-सीमा बता दें ? दूसरा आपने बताया है राम सिंह नहीं मिल रहा है, उसके वारिस हैं, अगर उसके वारिस जल्दी से जाकर जांच करा लें और उनके परिवार वालों को सहायता दें. दूसरा आप यह बताने का कष्ट करें कि 145 क्षतिग्रस्त गांवों में से लहार और रौन तहसील के कितने गांव जोड़े हैं, यह बता दें ?
श्री उमाशंकर गुप्ता :- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे आजकल हमने ग्लोबल बजट की व्यवस्था कर दी है] लेकिन अप्राकृतिक आपदा के लिये यहां से सेंक्शन जारी हो गयी है. मैं यह सुनिश्चित करा लूंगा कि तत्काल वितरण शुरू हो जाये. तहसील के हिसाब से मेरे पास गांव यहां पर नहीं है, मैं आपको उपलब्ध करा दूंगा.
डॉ. गोविन्द सिंह :- मैं इसलिये तो पता कर रहे थे कि अगर छूटे हों तो आप जोड़ दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता :- अगर बतायेंगे कि अगर कहीं छूटे हुए हैं और उसका प्रमाण है तो हम जोड़ेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह :- आपने अभी बताया कि ग्लोबल बजट में पैसा है तो आप कब तक दे देंगे ?
श्री उमाशंकर गुप्ता :- पैसा तो बजट में है ही आजकल व्यवस्था हो गयी है, सेंक्शन यहां से जाना थी, वह जा चुकी है. वितरण का मैं पता कर लूंगा, बहुत जल्दी करा देंगे. 4 तारीख का मैं भिण्ड आ ही रहा हूं. आपसे मिलकर कोई दिक्कत होगी तो ठीक कर देंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह:- ठीक है.
अध्यक्ष महोदय :- इसमें माननीय 6 और सदस्यों के नाम हैं, मेरा उनसे अनुरोध है कि वह एक-एक प्रश्न पूछें और भाषण नहीं दें. आप सीधे अपने क्षेत्र का प्रश्न पूछ लें तो समय भी बचेगा और आपका समाधान भी होगा.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूं कि कुछ गांवों में ओले गिरे हैं और मैंने उनका उल्लेख भी किया है. चूंकि मेरे इलाके में सिंचाई नहीं होती है और वहां ठंड से फसलों को ज्यादा नुकसान होता है. सबसे अधिक नुकसान असिंचित फसलों में हुआ है. सीहोर जिले के पूरे क्षेत्र विशेषकर इछावर विधान सभा में चने और मसूर की फसल का औसत लगभग 1 से 1.5 क्विंटल ही आ रहा है. मैं जानना चाहता हूं कि इस हेतु सरकार क्या निर्णय ले रही है. क्योंकि फसल कट रही है, निकल रही है, गुहाई और थ्रेसिंग का काम भी चल रहा है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि सरकार मुआवजा देने के लिए क्या प्रक्रिया अपनायेगी और सरकार द्वारा किन-किन गांवों को चिन्हित किया गया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने जवाब में पूर्व में ही स्पष्ट किया है कि राजस्व परिपत्र के हिसाब से जहां-जहां 25 प्रतिशत से अधिक क्षति आयेगी, वहां ही मुआवजे का वितरण किया जायेगा. हमने सभी जगह सर्वे करवा लिया है. सर्वे किसी एक अकेले व्यक्ति द्वारा नहीं किया गया है. तीन विभागों के अधिकारी-कर्मचारी सर्वे में शामिल होते हैं. इसके अतिरिक्त पंचनामा बनाते समय गांव के जनप्रतिनिधि उपस्थित थे. सर्वे सभी के सामने करके ही पंचनामा बनाया जाता है. यदि माननीय सदस्य को इसमें कोई गड़बड़ी लगती है तो बतायें, हम उसकी जांच करवा लेंगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि मैं माननीय मंत्री जी की मंशा पर कोई शंका नहीं कर रहा हूं परंतु वास्तव में यह हो रहा है कि सर्वे के लिए गांवों में गए अधिकारी-कर्मचारी एक-दो जगह देखकर ही लौट आते हैं. मंत्री जी यह सुनिश्चित करें कि संबंधित विभागीय लोग सभी जगहों पर जायें.
अध्यक्ष महोदय- श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली), श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली)- अनुपस्थित.
श्री लाखन सिंह यादव (भितरवार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले समय ग्वालियर के आस-पास जो ओला वृष्टि हुई थी, उसके मुआवजे का वितरण आज दिनांक तक नहीं किया गया है. मैं पूर्व में भी इस विषय को सदन में उठा चुका हूं. खासतौर पर मैं एक बात और सदन में रखना चाहता हूं कि ग्वालियर के जिस गांव में माननीय मुख्यमंत्री जी का हैलिकॉप्टर उतरा था और उनका मंच लगाया गया था, उस किसान को भी आज तक मुआवजे का वितरण नहीं हुआ है. मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि जिस किसान के खेत का उपयोग प्रदेश के मुख्यमंत्री ने किया है, उस किसान को आज डेढ़-दो साल बाद भी मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ है. कृपा करके आप उसे मुआवजा दिलवाने की व्यवस्था करें.
अध्यक्ष महोदय- यह विषय पुराना है. मंत्री जी आप देख लें, यदि आपके पास कोई जानकारी हो तो इसका समाधान कर दें.
श्री लाखन सिंह यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस विषय को सदन में तीन-चार बार उठा चुका हूं. लेकिन आज तक मुआवजा नहीं मिल पाया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- आप किसान का नाम बता दें, मैं इस प्रकरण को दिखवा लूंगा.
श्री लाखन सिंह यादव- उस किसान का नाम जवाहर सिंह गुर्जर है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसे दिखवा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय- श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिंडोरी), श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)- अनुपस्थित.
(2) नीमच क्षेत्र में जिला सहकारी बैंक द्वारा कृषकों से फसल बीमा की प्रीमियम राशि निर्धारित दर से अधिक वसूल किये जाने विषयक
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
दिलीप सिंह परिहार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि नीमच जिले के बारे में अधिकारियों द्वारा जो जानकारी दी गई है वह निर्धारित मापदण्ड के हिसाब से गलत है क्योंकि इसमें न तो कभी किसानों को बुलाया जाता है और इसमें यह भी कहा गया है कि कोई सूचना भी नहीं दी गई है जबकि वहां के किसानों ने मुझे क्षेत्र का विधायक होने के नाते सूचना दी, वहां के जिलाधीश महोदय को पत्र दिया, वहां बैंक के अधिकारियों को, एम.डी. को पत्र दिया है. उसमें यह दर्शाया है जिसमें लिखा है कि फसल बीमा के अंतर्गत जिला सहकारी बैंक मंदसौर, नीमच द्वारा रबी फसल गेहूं, चना अधिसूचना सहकारी बैंक संस्था कोटरी, इस्तुमुरार मैं मैने गेहूं बीज 20 किलो बोने हेतु लिया जिसकी कीमत 3000 रुपए है. मेरी कृषि भूमि 5 हेक्टेयर है जिसकी रबी में ऋण सीमा 2 लाख 70,000 है. मैंने 3,000 हजार रुपए का बीज लिया जिला सहकारी बैंक द्वारा ऋण सीमा 2 लाख 70,000 1/2 प्रतिशत के मान से 4800 प्रीमियम दिया गया है. जबकि एक हेक्टेयर गेहूं में केवल 54 हजार ऋण सीमा ही होती है. 4 हेक्टेयर दूसरी फसल होने की वजह से बीमे के नाम पर खुला शोषण किया जा रहा है. जैसे 1 हेक्टेयर में ही उसने फसल बोई और 5 हजार की राशि ली गई है, इसमें खुला शोषण हो रहा है. अधिकारियों ने ऐसा बताया है कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है यह गलत बात है. "सोने से गढ़ावन महँगी पड़ रही है". किसान फसल का बीमा कराता है और प्रीमियम देता है और उसको उसकी लागत नहीं मिलती है. माननीय प्रधानमंत्री जी और प्रदेश के मुख्यमंत्री जी यह चाहते हैं कि किसानों की जो बोई गई फसल है उसका बीमा किया जाए और उसका ही लाभ दिया जाए. फसल बीमे के लिए हमारे क्षेत्र के किसानों ने लिखकर भी दिया है. मेरा निवेदन है कि मसाला, सब्जी, फल, और औषधि का जो बीमा नहीं किया गया है केवल गेहूँ का ही बीमा किया गया है. जितना गेहूँ बोया गया है क्या उतनी ही प्रीमियम लेंगे ?
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस जिले में जो फसल अधिसूचित होती है उसी का बीमा होता है. जहां पर भी जो फसल अधिसूचित है उसका बीमा कराया गया है. जहां तक माननीय विधायक जी का कहना है कि उत्तर में यह आया है कि कोई शिकायत नहीं आई है, तो हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई है माननीय विधायक जी यह किस बेस पर बोल रहे हैं मुझे इसकी जानकारी नहीं है. हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है. बीमा योजना के अन्तर्गत प्रावधान है यदि किसी किसान ने जो पहले डिक्लेयर किया था और उसके अलावा बुवाई की है तो प्रीमियम राशि की भुगतान की जो तिथि है उसके 30 दिन पहले यदि वह हमें जानकारी देगा तो उसका प्रीमियम बदला जा सकता है परन्तु ऐसी कोई जानकारी किसी किसान द्वारा नहीं दी गई है.
श्री दिलीप सिंह परिहार--माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री प्रेम सिंह, किसान (कोटरी इस्तमुरार) हैं, श्री रामचन्द्र, किसान नेता (नागदा) हैं. इन्होंने स्वयं कलेक्टर महोदय और इनके एम.डी. को सूचना दी है. यह कहना असत्य है कि सूचना नहीं दी गई है. जबकि ज्यादा प्रीमियम ली गई है. मुख्यमंत्री जी चाहते हैं कि किसान को ज्यादा फायदा मिले.
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि विधायक जी किन्हीं किसानों का नाम ले रहे हैं तो वे मुझे उसकी जानकारी दे दें हम उसकी जाँच करा लेंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार--ठीक है आप जाँच करा देना. यह किसान के खाते में मढ़ दिया जाता है. फसल बीमा न होकर इसके माध्यम से किसानों का शोषण हो रहा है.
श्री कैलाश चावला (मनासा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो ध्यानाकर्षण उठाया है उसके पीछे मूल भावना यह है कि एक किसान जिसके पास 5 हेक्टेयर भूमि है और वह 1 हेक्टेयर में अधिसूचित फसल बो रहा है परन्तु 5 हेक्टेयर का ही उससे प्रीमियम लिया जा रहा है जो कि गलत है. यदि 1 हेक्टेयर अधिसूचित फसल वह बोता है तो 1 हेक्टेयर का ही उससे बीमे का प्रीमियम लेना चाहिए. जो नाम वे बता रहे हैं उन किसानों के साथ ऐसा ही हुआ है. क्या मंत्री जी इस बात की जाँच कराएंगे कि जो प्रीमियम वसूल किया जा रहा है वह जितनी अधिसूचित भूमि पर फसल बोई जा रही है उस पर ही लिया जा रहा है या उसके पास जितनी भूमि है उसका प्रीमियम लिया जा रहा है.
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से पहले भी विधायक जी से निवेदन किया है कि यदि ऐसी कोई शिकायत किसी किसान की पर्टिकुलर नाम से होगी तो हम उसकी जाँच कराएंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी रसीद भी दे दें और एक शिविर लगाकर किसानों के इस बात की जानकारी भी दे दें.
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सुनिश्चित है कि जितने हेक्टेयर में किसान अधिसूचित फसल लगाता है उसी का प्रीमियम लिया जाता है. एनसीएल अधिसूचना, यह एक पूरी प्रक्रिया है जिसका पूरी तरह से पालन होता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य दिलीप सिंह जी ने मंदसौर और नीमच जिले की बात उठाई है. मैं दिलीप सिंह जी को बधाई देना चाहता हूँ कि बहुत तकनीकी मामला उन्होंने ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया है और चावला जी ने भी इस बारे में कहा है. मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ कि जो ऋण मान तय किया जाता है, जो प्रीमियम की राशि वसूल की जाती है, भू-अधिकार पत्र के माध्यम से जो रकबा प्रस्तुत किया जाता है. माननीय मंत्री जी यह बताने का कष्ट करें कि उन ऋणी कृषकों के खेतों पर कितने पटवारी जाकर अधिसूचित फसल कितने हेक्टेयर में से कितने हेक्टेयर में हो रही है यह देखने का काम करते हैं, कितने बैंक के अधिकारी जाकर यह देखने का काम करते हैं.यह देखने का काम करते हैं. कितने बैंक के अधिकारी जाकर के उसको देखने का काम करते हैं और कितने बीमे के अधिकारी जाकर उसको देखने का काम करते हैं?
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रक्रिया अनुसार किसान को इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए, जब एनसीएल बनता है और साख सीमा पत्रक है, उसमें किसान के हस्ताक्षर होते हैं. किसान की स्वयं की जानकारी के अनुसार यह पूरी प्रक्रिया होती है. यह बात विधायक जी ने ठीक बोली है कि राजस्व के अधिकारियों को जाकर फिजीकल व्हैरीफिकेशन करना चाहिए पर हमें यह बात भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हम किसी किसान पर इस तरह का शक नहीं कर सकते. यदि किसान ने कोई साख सीमा पत्रक में जो जानकारी दी है उसको हम अथेंटिक मानते हैं और इस हिसाब से ही प्रीमियम की राशि उससे ली जाती है.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान का बीमा किया जाता है तो उसको रसीद भी नहीं दी जाती है तो मंत्री जी से यह भी सुनिश्चित करा दें कि किसानों को रसीद तो दी जाए.
अध्यक्ष महोदय-- रसीद देना चाहिए.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जवाब में पहले ही बताया है कि अधिकांश रसीदें दी गई हैं. किसी में यदि कोई तकनीकी दिक्कत आई है, वे रसीदें रोकी गई हैं और उसमें भी हमने निर्देश दिया है..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- अब बैठ जाएँ, बहुत हो गई.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- अध्यक्ष महोदय, सोसायटी के माध्यम से जागृति शिविर लगाकर किसानों को जानकारी दे दें.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को यह अवगत जरूर कराऊँगा कि हमारे विभाग ने यह निर्णय लिया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत पहले हमने एक बुकलेट छपवाई थी, जो किसानों में वितरित हुई थी पर अब हम समग्र रूप से जन जागरण अभियान चलाकर यदि कोई कन्फ्यूजन है तो उसको भी खतम कर देंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- धन्यवाद मंत्री जी.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा(जावद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 60 प्रतिशत किसानों से संबंध रखता है. पिछली बार जब कोऑपरेटिव बैंक के शिविर लगे थे उसमें अध्यक्ष और एमडी दोनों की उपस्थिति में कई बार निवेदन करने के बाद एक भी किसान को रसीद देने का कोई कष्ट नहीं करता है. उन पर आरोप लगाए वे बताने को तैयार नहीं हैं. दूसरा, उनसे जब यह पूछा गया कि उन किसानों की आप जब साख सीमा तय करते हैं तब यह मैनेजर की भी जिम्मेदारी है कि वह व्हैरीफाय करे कि वास्तव में वह फसल है, नहीं है, उसको एक महीने बाद पता चलता है या दो महीने बाद, जब बीमा का समय आता है, तो क्या यह सुनिश्चित करेंगे कि जिनको अथार्टी दी है उनकी एकाउंटेबिलिटी के बारे में कोई उत्तर देना चाहेंगे? कि उन मैनेजरों की क्या एकाउंटेबिलिटी है? एक, दूसरा....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब हो गया.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा-- अध्यक्ष महोदय, दो तीन बहुत पूरी विधान सभा में सभी के प्रश्न की बात है.
अध्यक्ष महोदय-- यह महत्वपूर्ण था इसलिए नियम को रिलीज करके किया है. उसमें बहुत से पूरक नहीं होंगे.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा-- एक और छोटा सा निवेदन है. रिसीट, उसकी रेस्पांसबिलिटी, एकाउंटेबिलिटी और अगर कोई गलत हो गया तो क्या आगे से इन तीनों की महीने में एक बार कंबाइंड बैठक करके उसका व्हैरीफिकेशन कर लें. तीन तरीके हैं.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, जैसा बताया कि रसीदें नहीं दी गईं तो मैं एक आँकड़ा बताना चाहता हूँ. टोटल चालीस हजार किसानों को यह रसीद दी जानी थी उसमें से लगभग अड़तीस हजार किसानों को दे दी गई हैं और जो बाकी बची हैं उनको भी हम रसीद दे रहे हैं क्योंकि उसमें कहीं न कहीं वही व्हैरीफिकेशन और इसकी दिक्कत है.....
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा-- रसीद कब दी?
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट पूरा तो हो जाने दें. ध्यान आकर्षण पर इतने प्रश्न होते नहीं हैं.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, जहाँ तक माननीय विधायक जी ने कहा है, मैंने पहले ही यशपाल जी के प्रश्न पर यह उत्तर दिया था कि यह जो साख सीमा पत्रक बनता है. इसमें किसान के हस्ताक्षर से ही वह माना जाता है. पर जिस प्रकार से यह कहा जा रहा है कि हर खेत में जाकर फिजिकल व्हैरीफिकेशन हो. हमने यह निर्णय लेने की कोशिश की थी पर इतना अमला नहीं है कि इसको हम सुनिश्चित कर सकें. मुद्दा यह है कि इसमें जन जागरण करने की जरूर आवश्यकता है और उसकी हम व्यवस्था करेंगे...(व्यवधान)..
12.38 बजे
स्वागत उल्लेख
श्री बोध सिंह भगत सांसद का स्वागत उल्लेख.
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में माननीय सांसद श्री बोध सिंह भगत उपस्थित हैं, सदन की ओर से उनका स्वागत है.
अब कोई प्रश्न नहीं होगा. इस पर बहुत लंबी चर्चा हो गई है. (श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा, माननीय सदस्य के खड़े होने पर) अब आपको जो कुछ कहना है माननीय मंत्री जी ने विस्तार से बताया है आप उसकी और चर्चा कर सकते हैं या कोई अन्य नियम से ले सकते हैं.
12.39 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति.
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएँ प्रस्तुत की हुई मानी जाएँगी.
12.40 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा(क्रमशः)
श्री के.पी.सिंह (पिछोर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल का अभिभाषण सरकार का भविष्य का दृष्टिकोण प्रदर्शित करता है और बिंदु क्रमांक-3 में साफ लिखा भी है कि "सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कल्पनाशील नेतृत्व में देश के विकास में योगदान देने के लिये तेजी से काम कर रही है".मैं जानना चाहता हूं कि सरकार क्या सिर्फ केंद्र से जो नीतियाँ बनें और उनमें जो आवंटन मिले, उसके आधार पर ही चलती है. क्या हमारी मध्यप्रदेश की सरकार की कोई जवाबदारी नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं दो-तीन उदाहरण बताना चाहता हूं. स्वच्छता मिशन के तहत स्वच्छ भारत अभियान हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी का बड़ा महती अभियान है और उसमें गांवों में शौचालय बनाने हेतु 12 हजार रुपये एक हितग्राही को मिलते हैं. 12 हजार रुपये में शौचालय का निर्माण तो हो जाता है लेकिन उसके बाद शौचालय ठीक से चले, उसके लिए जो पानी की आवश्यकता होती है, उस पानी की व्यवस्था क्या राज्य सरकार को नहीं करनी चाहिए थी? अगर राज्य सरकार मात्र पानी की व्यवस्था हितग्राही के लिए कर देती तो प्रधानमंत्री जी की स्वच्छता मिशन के माध्यम से शौचालय निर्माण की जो महती योजना है, उसकी उपयोगिता धरातल पर सिद्ध हो जाती. हकीकत यह है कि आज गांवों में जाओ तो शौचालय तो बना हुआ मिल जाता है लेकिन उस शौचालय में कंडे,लकड़ी या और अनुपयोगी सामान हितग्राही जमा कर देता है उससे जब पूछते हैं कि भई, इसका उपयोग क्यों नहीं करते तो वह कहता है कि साहब, पानी कहाँ से लाएं,गांव में पानी की व्यवस्था ही नहीं है. अध्यक्ष महोदय, यह राज्य सरकार की जवाबदारी बनती है कि अगर केंद्र सरकार से पोषित योजनाएं हैं और उनमें कहीं कोई छोटी-मोटी रह गई हैं तो उनकी व्यवस्था भी राज्य सरकार को करना चाहिए, जिसका इस अभिभाषण में कहीं कोई जिक्र नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध है कि इस बारे में थोड़ा-सा विचार करें यदि हम अपनी भागीदारी इसमें सुनिश्चित कर लेंगे और पानी की व्यवस्था हितग्राहियों के लिए कर देंगे तो यह शौचालय की व्यवस्था ठीक से संचालित हो सकेगी.मैं सरकार को इस मामले में आगाह करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से हाईस्कूल तो 1040 खोल दिये लेकिन जहाँ हायर सेकेंडरी की बात आई तो 134 पर आप सिमट गये.हाईस्कूल के बारे में जो केंद्र शासन की योजना थी उसमें हमारी संख्या 1040 पहुंच जाती है. हम दूर-दराज इलाकों में स्कूल खोल देते हैं. लेकिन जब हायर सेकेंडरी की जवाबदारी की बात आती है तो हमारी संख्या 134 पर सीमित हो जाती है. अब 134 की संख्या से पूरे मध्यप्रदेश के दूर-दराज के इलाकों में क्या व्यवस्था बनेगी यह सरकार के लिए सोचनीय विषय है.
11.42 बजे { सभापति महोदय (श्री कैलाश चावला) पीठासीन हुए }
सभापति महोदय, कम-से-कम केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी इसमें अपना योगदान करना चाहिए और उन व्यवस्थाओं की तरफ ध्यान देना चाहिए जिनमें हम व्यवस्था कर सकते हैं जो मात्र हमारी ही जवाबदारी बनती है. तीसरा उदाहरण मैं बताना चाहूंगा भाषाई शिक्षकों का. भाषाई शिक्षकों की योजना मध्यप्रदेश में संचालित थी. जिसमें अपनी सहज,सरल भाषा में पढ़ाने हेतु स्थानीय अनुसूचित जनजाति के शिक्षक नियुक्त होते थे. वह अपनी स्थानीय बोली में आदिवासी को शिक्षित कर सकें इसके लिए केंद्र शासन ने व्यवस्था की थी. लेकिन जब से केंद्र शासन ने इस योजना में फंड देना बंद कर दिया तो इन भाषाई शिक्षकों को काम से ही हटा दिया गया है. यह बेचारे 5-10 तक काम कर चुके थे अब यह कहाँ जाएं. कई विकासखंडों में नियुक्ति हो गई और कई विकासखंडों में आज भी वह इधर-उधर भटक रहे हैं कि उनका क्या होगा. 10-10 साल जिन बच्चों ने काम कर लिया उनका भविष्य आज क्या है. मैंने इस विषय में कई बार तत्कालीन मंत्री ज्ञानसिंह जी से भी कहा कि अब इसको चलाने की जवाबदारी किसकी है. उन्होंने कहा था कि मैं इसको चलवाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन मंत्री जी सांसद बनकर यहाँ से रवाना हो गये. आज की तारीख में शायद इसका चार्ज श्री लालसिंह आर्य जी पर है, मुझे इसकी पूरी जानकारी नहीं है कि इसका चार्ज किस पर है. अगर आप पर चार्ज है तो वह भाषाई शिक्षक कहाँ जाएं. इधर तो आप कह रहे हैं कि हम नई भर्तियाँ कर रहे हैं,उधर जो लगे हुए लोग थे, जो गरीब तबके से आते थे. अपने समाज को पढ़ाते-लिखाते थे, उनको आपने निकालकर बाहर कर दिया है. सभापति महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि सरकार को इस पर विचार करने की आवश्यकता है. उन भाषाई शिक्षकों के भविष्य का सवाल है. आज वह ओवरएज हो गये हैं और उनको दूसरी जगह नौकरी भी नहीं मिल सकती है और वह उस समाज से आते हैं जो कि सबसे कमजोर वर्ग है.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय सभापति महोदय, हमने श्योपुर में 36 बच्चों को वापस ले लिया है.
श्री के.पी.सिंह -- क्या आपकी जवाबदारी केवल श्योपुर की ही थी ? आप पूरे प्रदेश के मंत्री हैं.
श्री लाल सिंह आर्य -- आपने कहा कि आपने वहां लगाया नहीं, इसलिए मैंने वहां समीक्षा की.
श्री के.पी.सिंह -- वही मैं आपसे कहना चाह रहा था कि यह जो हुआ है, श्योपुर में हो गया, शिवपुरी में नहीं हुआ. शिवपुरी वालों का क्या अपराध है ? ऐसे अन्य जिले भी हैं. सभापति जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि सरकार इस बारे में गंभीरता से निर्णय करे और जो ओवरएज होने वाले बच्चे हैं वे कहां जाएं ? माननीय मंत्री जी, आपने श्योपुर में किया, उसके लिए धन्यवाद. आप अकेले श्योपुर जिले के प्रभारी हो सकते हैं लेकिन मंत्री पूरे प्रदेश के हैं, मेहरबानी करके यह निर्देश सारे जिलों में चले जाएं जिससे जो बच्चे इधर-उधर घूम रहे हैं उनको कम से कम रोजगार उपलब्ध हो जाए और सरकार उनका पोषण करे. जब श्योपुर में हो सकता है तो पूरे मध्यप्रदेश में क्यों नहीं हो सकता ? इसी तरह से कई बार जिक्र आया है कि हम डॉक्टरों के रिक्त पदों की व्यवस्था कर रहे हैं. यूनानी, आयुर्वेदिक डॉक्टरों की हम पोस्टिंग करेंगे लेकिन मध्यप्रदेश में जितने स्थान खाली पडे़ हैं उन स्थानों पर कोई यूनानी डॉक्टर आज तक पदस्थ नहीं हुआ, आयुर्वेदिक डॉक्टर कोई पदस्थ नहीं हुआ. बार-बार अभिभाषण में ऐसा क्यों लिखते हैं, इसका क्या औचित्य है ? जब आप डॉक्टरों को पदस्थ नहीं कर रहे हैं, रिक्त पदों को नहीं भर रहे हैं तो बार-बार इसका जिक्र क्यों होता है? कई बार इसका जिक्र अभिभाषण और तमाम् दस्तावेजों में देख चुका हॅूं. इस तरफ भी सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. इधर सरकार चर्चा कर रही है कि हमने कर्मी कल्चर को समाप्त कर दिया है. ठीक है उधर आपने कर्मी कल्चर को समाप्त कर दिया, धन्यवाद आपका, लेकिन इधर आपने एक नई व्यवस्था चालू कर दी. सारे महाविद्यालय, सारे स्कूल अतिथि शिक्षक और अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रहे हैं. मेरे विधानसभा क्षेत्र का एक महाविद्यालय है उसमें मात्र तीन परमानेंट स्टॉफ हैं, एक प्रिंसीपल और दो शिक्षक हैं, बाकी सारे अतिथि विद्वान हैं. वह महाविद्यालय उन अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रहा है. खनियाधाना में एक महाविद्यालय है उसमें मात्र प्रिंसीपल इंचार्ज हैं वे भी शिवपुरी से आते हैं और वहां कोई प्रोफेसर नहीं है, लेक्चरर नहीं है. सब अतिथि विद्वानों के भरोसे आपके महाविद्यालय चल रहे हैं. इसी तरह से आपके जो स्कूल चल रहे हैं वे भी अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं. आखिर आपकी परेशानी क्या है ? या तो उसमें साफ-साफ जाहिर करें कि हम भर्ती नहीं कर सकते. माननीय मंत्री जी, यह हकीकत है या नहीं ? अतिथि शिक्षक और अतिथि विद्वानों के भरोसे कालेज, स्कूल चल रहे हैं. अब उन स्कूलों की व्यवस्था कैसी चल रही होगी, यह हम और आप अच्छी तरह समझ सकते हैं तो इस तरफ भी सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. मात्र केन्द्र सरकार के भरोसे हम बैठे रहें और हमारी व्यवस्था चौपट होती रहे, क्या सरकार के लिए यह अच्छी बात है ? इसमें एक और योजना का जिक्र आया है कि 240 मिलियन डॉलर से जो आई.टी.आई. इंस्टीट्यूट संभागीय स्तर पर हैं, इनको उत्कृष्ट संस्थाओं में हम तब्दील कर रहे हैं. ये आई.टी.आई. के केन्द्र हैं, वे ब्लॉक स्तर तक हैं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में दो आई.टी.आई हैं और मैं समझता हॅूं कि ऐसी कोई विधानसभा नहीं होगी जहां आई.टी.आई. का प्रशिक्षण केन्द्र न हो. अब संभागीय स्तर पर आप 240 मिलियन डॉलर की योजना बना रहे हैं अब गांव का व्यक्ति, जो पढ़ रहा है जो वहां पर प्रशिक्षण ले रहा है क्या वह संभागीय स्तर पर आएगा ? क्या उतनी सीटें आपके पास हैं ? जब आई.टी.आई. की व्यवस्था, उनकी बिल्डिंगों की व्यवस्था हो गई चूंकि केन्द्र सरकार ने यह व्यवस्था कर दी तो भवन आपका बन गया. लेकिन वहां पर जो ट्रेनर हैं वह ट्रेनर आज भी कहीं एक हैं कहीं दो हैं और कहीं बिल्कुल ही नहीं हैं तो इस व्यवस्था को जो हमारी राज्य सरकार की व्यवस्था है, केन्द्र सरकार से पैसा मिल गया तो भवन बन गया. आज भवन में कोई ट्रेनर नहीं है तो कौन व्यवस्था करेगा. संभागीय स्तर पर अगर आप मजबूत कर रहे हैं तो यही 240 मिलियन डॉलर की जो योजना आपने बनाई है अगर इसी को आप पूरे ब्लॉक स्तर पर ले जाते तो इसका फायदा मिलता. आपने संभाग में यह योजना केन्द्रित कर दी और संभाग में सीटें आपको बढ़ाना नहीं है तो बच्चे जाएं तो जाएं कहां ? कहां से ट्रेनिंग लें ? आई.टी.आई. की व्यवस्था को आपको अपने जिम्मे लेना चाहिए. पूरे दस्तावेज में आपने इसका कहीं जिक्र नहीं किया है. इसी तरह से नल-जल योजनाओं का हमारे यहां कार्य चल रहा है. नल-जल योजनाओं को कभी सरकार पंचायत को दे देती है तो कभी विभाग को दे देती है. जब गर्मी आती है तो यह योजना विभाग को मिल जाती है और बाकी साल भर पंचायतों के पास रहती है. इसमें भी आपकी कोई सीधी-सादी पॉलिसी नहीं है. आप एक की जवाबदारी करिए या तो आप विभाग को दें ताकि वह वर्ष भर चले. वर्ष भर तो नल-जल योजनाएं चलेंगी नहीं, जैसे ही गर्मियों में संकट का समय आएगा, उस समय आनन-फानन में आदेश जारी होगा कि अब योजनाओं का संधारण विभाग करेगा. अब विभाग के पास दो महीने, तीन महीने संधारण का समय रहता है तो वे योजनाएं चल जाती हैं बाकी अभी 7-8 महीने की जो हालत है ज्यादातर योजनाएं बंद पड़ जाती हैं. कहीं बिजली कनेक्शन नहीं हैं, कहीं बिजली के बिल जमा नहीं हो रहे हैं, कहीं लाइनें ठीक नहीं हैं. ये आनन-फानन की जो व्यवस्था है इसके लिए आप दूरगामी नीति क्यों नहीं बनाते हैं. ये बार-बार इसी तरह से तमाशे चलते रहते हैं.
माननीय सभापति महोदय, एक जिक्र मैं और करना चाहूँगा कि इस मध्यप्रदेश में पिछले साल से विधायक कप और मुख्यमंत्री कप की शुरुआत हुई है. मुख्यमंत्री कप के लिए तो पर्याप्त धनराशि उपलब्ध रहती है, खूब अच्छा आयोजन हो जाता है जो भोपाल के स्टेडियम में होता है लेकिन हम विधायकों के विधायक कप के आयोजन के लिए व्यवस्था अच्छी नहीं है. पिछले समय तो शायद 25 हजार रुपये का प्रावधान था जो अभी 55 हजार रुपये कर दिया गया है. अब किसी भी प्रतियोगिता के आयोजन के लिए क्या 55 हजार रुपये काफी हैं ? 10-15 हजार रुपये तो टेंट वाले ले लेते हैं. एक विधान सभा क्षेत्र में दो विकासखंड होते हैं, अब यदि स्थानीय स्तर पर प्रतियोगिता कराएं तो दो आयोजन होने हैं और यदि पूरी विधान सभा के लिए एक आयोजन कराएं तो संख्या बहुत ज्यादा इकट्ठा हो जाती है. आपने एक गेम की व्यवस्था की है, तो मात्र एक खेल के लिए जितनी टीमें आती हैं उन टीमों के खिलाड़ियों के खाने-पीने तक की व्यवस्था नहीं हो पाती. सक्षम लोग तो अपनी जेब से कर देते हैं कि खाने की व्यवस्था हम करेंगे, तो या तो इसमें आप ऐसी व्यवस्था करें कि वास्तव में जो विधायक कप हो रहा है उसका जो स्वरूप है वह सम्मानजनक हो, क्योंकि एक विधायक की अपने क्षेत्र में अपनी हैसियत होती है तो विधायक के नाम से अगर आयोजन हो रहा है तो कम से कम वहां पर्याप्त पैसा तो दे दीजिए. यदि नहीं दे सकते तो विधायकों को यह छूट दे दीजिए कि वे अपनी विधायक निधि से खर्च कर सकें या स्वेच्छानुदान से दे सकें. विधायक कप के आयोजन का एक अच्छा वातावरण बने और जो खिलाड़ी हम लोगों से उम्मीद करते हैं कि विधायक जी आयोजन करवा रहे हैं तो बहुत बड़ा पारितोषिक मिलेगा तो यह भी नहीं हो पाता है. आयोजन की व्यवस्था भी करनी है पारितोषिक भी देना है या तो सारा पैसा व्यवस्था में लगा दें या अच्छा पारितोषिक दें, जो टीम जीते या हारे, उनको देने के लिए कुछ पैसे ही नहीं होते.
सभापति महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री के.पी. सिंह -- सभापति महोदय, बस मैं समाप्त कर रहा हूँ, आपने समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरी आखरी बात यह है कि चूँकि माननीय मंत्री जी श्री लालसिंह आर्य जी और पटवा जी यहाँ बैठे हुए हैं, मेहदेले जी बैठी हुई हैं तो मैं निवेदन करूंगा कि अगर कहीं आप लोगों को लगे कि मेरी बात जायज है तो कृपया इस पर कैबिनेट में विचार करें और कुछ संशोधन हो जाए तो मैं समझता हूँ कि इस प्रदेश का बहुत भला होगा. धन्यवाद, जय हिंद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) -- माननीय सभापति महोदय जी, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण के समर्थन में जो संकल्प प्रस्तुत किया गया है उसका समर्थन करता हूँ. मध्यप्रदेश में पिछले 12 वर्षों से लगातार विकास हो रहा है, बल्कि 13 वर्ष भी पूर्ण हो गए. सरकार ने मध्यप्रदेश में जो कार्य करना प्रारंभ किया उसके बाद हमारे प्रदेश की परिस्थितियों में जो बदलाव आया, जिस तेजी के साथ हमारे प्रदेश में विकास की धारा बह रही है, बहुत लंबे समय से प्रदेश की जनता इसकी अपेक्षा करती थी. पिछले समय में जो भी हालात, कारण, परिस्थिति रही हो, लेकिन अब पिछले 13 वर्षों में और खासकर ग्रामीण अंचलों में, मैं ग्रामीण अंचल से आता हूँ और ऐसे क्षेत्र से आता हूँ जहाँ पर खेती-किसानी का कारोबार उस क्षेत्र के लोग करते हैं और उसी पर अपना जीविकोपार्जन करना, अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य, अपनी समृद्धि करने का काम जिस माध्यम से होता है उनके लिए वह केवल कृषि है. इस कृषि के क्षेत्र में जिस तेजी के साथ मध्यप्रदेश की सरकार ने माननीय मुख्यमंत्री जी ने काम किए, उसके कारण किसानों में एक अद्भुत समृद्धि का अहसास हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, हमारे क्षेत्र के अंदर किसानों को दो प्रकार से सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता होती थी, आज भी वही है, या तो चंबल नहर के माध्यम से अथवा बिजली के माध्यम से. बिजली के माध्यम से सरकार ने किसानों को तरक्की करने के लिए दिशा और दशा प्रदान की, उसके कारण से दशा और दिशा प्रदान की है उसके कारण किसानों को अपना कृषि उत्पादन बढ़ाने में बहुत बड़ा सहयोग मिला है. किसानों को लगातार 10 घंटे खेती कार्य के लिए बिजली की उपलब्धता और इसी के साथ एक और मौका ग्रामवासियों को मिला कि उनको 24 घंटे बिजली मिल पाने के कारण किसानों के बेटे बेटियों को रोजगार करने का अवसर भी मिल सका है.
सभापति महोदय, यह जो बिजली में लगातार वृद्धि मध्यप्रदेश की सरकार ने की है 3.5 हजार मेगावाट से 17 हजार मेगावाट तक पहुंचाने का काम हुआ है. उसके कारण किसानों में समृद्धि लाने का, किसानों में खुशहाली लाने का बहुत बेहतर कार्य संपन्न हो सका है. इसी कारण से मध्यप्रदेश सरकार को कृषि के क्षेत्र में कृषि विकास दर में वृद्धि होने के कारण और निरंतर कृषि उत्पादन बढ़ने के कारण 4 बार कृषि कर्मण पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है और जो कृषि की दर में वृद्धि हुई है वास्तव में वह ऐतिहासिक है, पूरे मध्यप्रदेश में नहीं हिन्दुस्तान में अव्वल नंबर पर हमारा मध्यप्रदेश आया है. यह बहुत ही प्रशंसनीय और ऐतिहासिक बात है. इसके कारण पूरे प्रदेश के किसानों को अपने आपको गौरवान्वित करने का मौका प्राप्त हुआ है, यह बात सच है कि इसमें किसानों ने भी पूरे प्रदेश के अंदर बेहतर मेहनत की है और कठोर परिश्रम किया है. लेकिन सभापति महोदय, हम और आप सभी जानते हैं कि कठोर मेहनत और परिश्रम से काम नहीं चलता है जब तक कि संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती तब तक वह पूरा परिश्रम और मेहनत बेकार चली जाती है मध्यप्रदेश की सरकार ने वह सब संसाधन उपलब्ध कराये हैं इस कारण से पूरे प्रदेश में खुशहाली आयी है, जिससे किसानों का सम्मान बढ़ा है, प्रदेश को चार चार बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हुए हैं.
माननीय सभापति महोदय, सिंचाई के क्षेत्र में भी प्रदेश के अंदर जिस प्रकार की अपेक्षा एक लंबे समय से थी कि हमको सिंचाई के स्त्रोत मिलें, नहरों से अच्छा पानी मिले, नये नये स्त्रोत बनाये जायें, बड़े बड़े तालाब बनें, लेकिन यह बात कागजों तक सीमित होकर रह गई थी 2003 के पहले तक इस पर बहुत तेजी के साथ कोई काम नहीं किया जा सका लेकिन आज तो हम गौरव के साथ में कह सकते हैं और हम सब लोग इस बात के साक्षी हैं कि 7.5 हजार हेक्टेयर से आज 40 हजार हेक्टेयर तक पहुंचने का सिंचाई के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की सरकार के बेहतर कार्यों के कारण से संभव हो पाया है इस कारण से सभापति आज बहुत सारे क्षेत्रों को ठीक तरह से सिंचित होने का अवसर मिला है.
मेरे क्षेत्र में भी लंबे समय से चंबल नहर में जब पानी आता था तो वह टूट जाया करती थी जिसके कारण बार बार किसान परेशान हुआ करते थे लेकिन अब नहरों का लाइनिंग का काम करके नहर को पक्का और उसका सुदृढीकरण करने से आज नहरों के टूटने का कोई अवसर नहीं आता है और लगातार उसमें किसान अच्छे तरीके से अपनी खेती कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, यहां पर हमारे डॉ नरोत्तम मिश्र जल संसाधन मंत्री जी बैठे हुए हैं. बहुत ही सक्रिय और बहुत ही अच्छी तरह से अपने विभागों के कार्यों को संपादित करते हैं लेकिन श्योपुर में लगातार एक कठिनाई चल रही है जिसके लिए पूरे क्षेत्र के किसान बार बार मांग करते हैं. गुजरी डेम का एक प्रोजेक्ट, वह सरकार के लिए बहुत छोटा है, इसके लिए काम करने की आवश्यकता थी लेकिन उसके बारे में तकनीकी कारणों से कहा यह जाता है कि मापदण्डों से अधिक खर्च आ रहा है उसके कारण 10 हजार हेक्टेयर में क्षेत्र में सिंचाई न होने से वहां के वनवासी और आदिवासी वंचित हैं. सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से जल संसाधन मंत्री जी से यह निवेदन करूंगा कि उसे स्वीकृति प्रदान करा देंगे तो उससे 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी और लगभग एक लाख के आसपास उससे लाभांवित होने वाले छोटे छोटे किसान परिवार हैं जिनके पास में 2- 2 या 3 - 3 बीघा जमीन है उससे बहुत बड़ा लाभ उनको प्राप्त हो सकेगा. सभापति महोदय, मैं निवेदन कर रहा था कि बिजली के क्षेत्र में तरक्की की, सिंचाई के क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य करने का काम सरकार ने किया. एक और जो आवश्यक कार्य होता है, जिसके लिए लोगों में बार-बार कठिनाई रहती है, रासायनिक खादों की अनुपलब्धता के कारण से किसान को बार-बार झटका लगता था, परेशानी होती थी. लेकिन अभी पिछले वर्षों में ऐसा बंदोबस्त कर दिया गया है, ऐसी व्यवस्था कर दी गई है, जिसके कारण से रासायनिक खादों की व्यवस्था समय पर हो जाने के कारण से लोगों को किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई महसूस नहीं हो रही है, कोई कठिनाई अहसास नहीं हो रही है.
सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में पशुपालन का व्यवसाय बहुत अच्छा है. वह भी चूंकि खेती किसानी से संबंधित है. उसमें भी हमारे किसानों को ठीक तरीके से पशुपालन करने के लिए, दुग्ध उत्पादन को बेहतर बनाने की दृष्टि से सरकार ने बहुत सारे काम किये हैं. इसके कारण दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश में 12 प्रतिशत से अधिक दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है. मुझे यह कहते हुए बड़ा गर्व है कि मेरा श्योपुर जिला पूरा मध्यप्रदेश में अव्वल नम्बर पर है. मध्यप्रदेश में जितना दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में जो काम किया जाता है, पूरे श्योपुर की जनसंख्या 7 लाख के लगभग है, लेकिन पशुधन साढ़े 7 लाख से अधिक है. एक-एक गांव में 10000 गाय हैं और वहां पर दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से बहुत बेहतर तरीके से वहां के पशुपालक काम करते हैं. लेकिन अभी तक श्योपुर में उस दुग्ध उत्पादन को ठीक तरीके से विक्रय करने की दृष्टि से कोई बड़ा प्लांट सरकार की तरफ से नहीं लगाया गया है, जिससे किसान उस दुग्ध को यद्यपि श्योपुर जिला पहले नम्बर पर है, लेकिन उसका कोई ठीक तरीके से प्रबंध न हो पाने के कारण से जो पशुपालक हैं, वे इधर से उधर दूध बेचते हैं. कई लोग उनसे पैसे भी खा जाते हैं. वह दूध राजस्थान में जयपुर में जाता है, कभी झांसी जाता है अथवा कोटा में ले जाते हैं, उनको बहुत सारी कठिनाइयां हैं. इसके कारण सभापति महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से और सरकार से निवेदन है कि इस संबंध में भी बेहतर तरीके से विचार करके और श्योपुर के पशुपालकों को लाभान्वित किये जाने की दृष्टि से इस काम को भी किये जाने की आवश्यकता है.
सभापति महोदय, दो तीन बातें कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा. एक विषय तो यहां पर एक प्रश्न के माध्यम से आया था. सरकार ने लगभग 100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया है. कूनो-पालपुर सेंचुरी को बनाने का काम पूरा हो गया है. वहां पर बहुत बेहतर तरीके से पर्यटन की दृष्टि से पूरे प्रदेश में वह अव्वल स्थान हो सकता है. एशिया की सबसे बड़ी सेंचुरी बनने का गौरव उसने हासिल किया है. लेकिन वहां शेरों के न आ पाने के कारण से वहां पर कठिनाई है. इस सदन के माध्यम से मैं निवेदन करना चाहता हूं कि श्योपुर के लोगों को रोजगार प्राप्त हो सके, ठीक तरीके से हमारा जिला उन्नति और तरक्की कर सके, इसके लिए इस कार्य को किये जाने की आवश्यकता है. इसके साथ ही साथ हमारे श्योपुर में लिफ्ट इरीगेशन की एक योजना पिछले 8-9 वर्षों से पूरी तरह से तैयार होकर विचाराधीन है. वह पार्वती लिफ्ट इरीगेशन योजना को मंजूरी मिलना चाहिए, उसमें भी लगभग 8000 से अधिक सिंचाई होने की पूरी पूरी संभावना है. बहुत अच्छा वह क्षेत्र विकसित होगा और ठीक तरीके से वहां काम किया जाएगा.
सभापति महोदय, कानून व्यवस्था की दृष्टि से सरकार बहुत सारे काम कर रही है और उन कामों में उन्होंने कई प्रकार के प्रयोग किये हैं, जैसे यह डायल 100 का अभिनव प्रयोग है, इसके कारण से अपराधियों को पकड़ने में तुरन्त सफलता मिलती है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यह अभी 25-26 फरवरी, 2017 की दरम्यानी रात्रि को श्योपुर जिले के कराल कस्बे के अंदर रात को डकैतों ने एक केदारीलाल के घर में घूसकर 7-8 लाख रुपए नगदी और कुछ जेवर चुराकर मारपीट भी की. वे डकैती कर भाग गये. उसके कारण से पूरा कस्बा उद्वेलित है. आसपास के इलाके में दहशत का वातावरण है. उनको पकड़े जाने और माल बरामद किये जाने की आपसे प्रार्थना है. चूंकि शून्यकाल में भी मैं यह कहना चाहता था. लेकिन वह संभव नहीं हो पाया.
सभापति महोदय, भाषण समाप्त करने के पहले निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने और हमारे प्रदेश की सरकार ने सिंचाई के , बिजली के ,शिक्षा के, चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने का काम किया है.
सभापति महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि चिकित्सा के क्षेत्र में श्योपुर जिले में बड़ा जिला चिकित्सालय बना है. भवन भी अच्छा बनाया है. वहां पर व्यवस्थाएं ठीक हैं लेकिन 100 बिस्तर का अस्पताल है, उसको 200 बिस्तर किए जाने की मेरी प्रार्थना है. माननीय मंत्रीजी भी यहां पर आ चुके हैं. ग्राम भानपुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने की बहुत आवश्यकता है. मंत्रीजी ने पूरा आश्वासन दिया है. इस काम को यदि जल्दी कर दिया जाएगा तो निश्चित रुप से श्योपुर के लोगों को स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभ होगा. धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़)-- माननीय सभापति महोदय, महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण के माध्यम से सरकार की जो तस्वीर सदन में और प्रदेश में पेश की गई है. यह असत्य का पुलींदा है.
सभापति महोदय, मैं तीन-चार सवाल आपके सामने रखूंगा. जमीनी हकीकत कुछ और है और कागज में,भाषणों में चाहे हमारे मुख्यमंत्री जी हों, या मंत्रिगण हों जो यह बात कहते हैं वास्तविकता में पूर्णतः गलत और असत्य रहती हैं.
सभापति महोदय, पहला सवाल है कि हिंदुस्तान में किसानों ने सबसे ज्यादा आत्महत्या किस राज्य में की और देश में इसमें नंबर एक राज्य कौन सा है? आंकड़े उठा लिए जाएं. मैं आंकड़े भी पेश करता लेकिन ज्यादा समय नहीं है, एक नंबर से तीन नंबर के बीच हमारा मध्यप्रदेश है. आप सिंचाई कर रहे थे, बिजली दे रहे थे और खुशहाली की बात कर रहे थे. हमारे प्रदेश में किसानों की आत्महत्या की दरें क्यों सबसे अधिक है, यह एक सोचनीय विषय है. इसको रोकने की जरुरत है. सभापति महोदय, दूसरा हमारा कहना है कि यह जमीनी हकीकत है. यह आंकड़े केन्द्र में जहां आपकी सरकार है, उसने दिए हैं, वह मैं पेश कर रहा हूं.
सभापति जी, दूसरा सवाल कि कितने नौजवानों ने बड़ी संख्या में प्रदेश में आत्महत्या की है. इस पर भी विचार करिए. इसका भी उल्लेख करिए और इससे कैसे आप निपटेंगे इस दिशा में भी हमको विचार करना चाहिए.
सभापति जी, सुप्रीम कोर्ट ने अभी अभी फैसला दिया है. 634 लोग जिसमें कुछ ट्रेनर्स ट्रेनिंग में थे और कुछ डॉक्टर बन गए थे, उनको सीधे निकाल देने का आदेश जारी कर दिया है. 634 लोगों में से हम 34 लोगों की संख्या को छोड़ देते हैं शेष 600 X 4= 2400 यानी इस राज्य के 2400 लोग आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं और बिलकुल किनारे खड़े हुए हैं. अगर राज्य सरकार उनके साथ कोई सायकोलॉजी ट्रीटमेंट नहीं करती है तो 5--5, 7-7 साल बर्बाद हो चुके हैं, उन की मनःस्थिति राज्य में क्या होगी इस दिशा में पर विचार करने की आवश्यकता है. मैंने 4 का गुणा क्यों किया? सभापति जी, उनके माता-पिता लुट गए. पैसा चला गया. लोग खा गए होंगे. सभापति महोदय, 5 साल ट्रेनिंग किया होगा. लड़का डॉक्टर हो रहा है. जल्दी जल्दी शादी भी हो गई होगी कि अच्छा लड़का है. डॉक्टरी पढ़ रहा है. शादी भी हो गई. दहेज भी ले गए. सभापति जी, माता-पिता, पति-पत्नी सिर्फ चार लोगों का ही सीमित आंकड़ा ले रहा हूं और 34 छोड़े दे रहा हूं. केवल 600 ही ले रहा हूं यानी 600 X 4 =2400 इसमें मेरा यह कहना है कि इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं इस पर सरकार क्या सोच रही है? हम इसको कैसे मीटआउट करेंगे इसका प्रश्न है. इसको कैसे मीटआउट करेंगे यह इसमें नहीं है. मैं सरकार का ध्यान दिलाना चाहूंगा कि कुपोषण में इस देश के अंदर हमारा राज्य अच्छा खासा स्थान प्राप्त किये हुए है. कुपोषण में भी हम टाप थ्री राज्यों में हैं. आप कहते हो कि समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. किसान हमारा खुशहाल है. हम बिजली दे रहे हैं, पानी दे रहे हैं तब कुपोषण की सबसे ज्यादा मौतों की दर मध्यप्रदेश की क्यों है ? यह दाग मध्यप्रदेश के माथे पर क्यों है ? इस पर भी सरकार कुछ कहने को तैयार नहीं है. मध्यप्रदेश कब्रिस्तान बनने जा रहा है और आप कब्रिस्तान बना रहे हो और बात विकास की कर रहे हो. अभी सत्ता पक्ष के सदस्य कह रहे थे कि मध्यप्रदेश को जैसे स्वर्ग बना रहे हैं लेकिन आप मध्यप्रदेश को कब्रिस्तान बना रहे हो. कुपोषण में आप नंबर एक पर हैं. जो बच्चे जन्म लेते हैं वह अपनी जवानी ही नहीं देख पा रहे हैं इस पर हमें विचार करने की जरूरत है. भ्रष्टाचार में मध्यप्रदेश नंबर एक है. व्यापम जैसा मामला इस प्रदेश में हुआ. मैं नहीं समझता कि दुनिया में ऐसा शायद ही कोई अपराध घटा होगा जिसमें छह हजार से ज्यादा अपराधी हों. एक झटके में 634 डाक्टर निकाल दिये गये. यह तो केवल मेडिकल की बात है अभी डेंटल का मामला चल रहा है. विभिन्न विभाग के अधिकारी,कर्मचारी व्यापम के माध्यम से भर्ती किये गये हैं. बहुत जगहों का बस्ता बंद है उसमें तो हाथ ही नहीं डाला जा रहा है. आर.टी.ओ. में जो भर्ती हुई है. उन 40 आदमियों को न सी.बी.आई. ढूंढ पा रही है, न मध्यप्रदेश की सरकार ढूंढ पा रही है. यह हालत है मध्यप्रदेश के लॉ एण्ड आर्डर की, तो भ्रष्टाचार में भी हम नंबर एक पर हैं. रोजगार की जहां तक बात है तो यह एक गंभीर विषय पूरे देश का है लेकिन साथ-साथ इस प्रदेश का भी है. आपका कहना है कि हम इनफार्मेशन,टेक्नालाजी के माध्यम से हम आगे बढ़ रहे हैं. ए.टी.एम. के माध्यम से पैसे बांट रहे हैं. मशीनीकरण का युग आ गया है. एक जे.सी.बी. मशीन छह घंटे में चार हजार मजदूरों का काम कर रही है. एक ए.टी.एम. मशीन से चार से पांच सौ लोग पैसा निकाल रहे हैं. उस पैसे को निकालने के लिये पहले चार सौ,पांच सौ लोगों को तीन से चार बाबुओं की जरूरत पड़ती थी. जो मशीनीकरण के बढ़ने से बेरोजगारी जो हमारे समाज में बढ़ रहा है उस दिशा में भी हमको ध्यान देने की आवश्यक्ता है. यह नौजवानों में आत्महत्या के लिये बहुत जिम्मेदार है. उनमें आत्महत्या का प्रतिशत बड़ी तेजी से बढ़ा है. महिला सशक्तिकरण की मैं बात करूं उससे पहले मेरा पी.एच.ई. मिनिस्टर से अनुरोध है यहां जो अधिकारी बैठे हैं वे बिसलरी के पानी का निरंतर उपयोग करते हैं लेकिन पूरे प्रदेश में लोग जहरीला पानी पीने के लिये बाध्य हैं. कल ही मुझे एक पत्र पी.एच.ई. विभाग से माननीय मंत्री जी के दस्तखत से मिला है कि 5 लाख रूपये पीएचई विभाग करेगा, 2 लाख रूपये पंचायत करेगा, एक भी नल जल योजना जो हमारे क्षेत्र में संचालित हैं वह नहीं चल रही हैं, वर्किंग आर्डर में नहीं हैं. सब बंद हैं, टंकियां खड़ी हैं और कई वर्षों से खड़ी हैं.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले-- जिस व्यवस्था की आप आज आलोचना कर रहे हैं वह सन् 1995 में लागू हुई थी, हम धीरे-धीरे उसको सुधार रहे हैं, पटरी पर ला रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- सभापति जी, मैं अंतिम बात कह रहा हूं क्योंकि मेडम ने कह दिया 1995 की बात है, हमने भाषणों में सुना है, मंत्रीगण, मुख्यमंत्री जी उस पक्ष के लोग बोलते हैं 40 साल बनाम 13 साल. सभापति जी हम लोग छोटे-छोटे थे रीवा से एक एमपीएसआरटीसी की बस चला करती थी. प्यून एक आफिस से डाक लेकर उस बस में शाम 6 बजे बैठता था और सुबह 10 बजे वह यहां आता था. 10 बजे अगर वह थका-हारा है तो उस दिन जाने लायक नहीं रहता था, बस में बैठे-बैठे 14 घंटे या 16 घंटे में परेशान हो जाता था तो अगले दिन उस कार्यालय में डाक लेकर जाता था. उस कार्यालय के लोग उस चपरासी को रोक लेते थे कि रूके रहो 2 दिन, क्योंकि यहां से भी डाक लेकर आपको जाना है तो चौथे और पांचवे दिन लौटकर वह रीवा पहुंचता था. सभापति जी आज फैक्स की मशीनें आ गई हैं, एक सेकेंड नहीं लगता आपने उस कागज को रीवा में डाला और 5 सेकेंड के अंदर वह कागज भोपाल में आ जाता है. 40 साल की तुलना आप 13 से कर रहे हैं. फैक्स मशीन थी क्या उस जमाने में. मैं आपसे कहना चाहता हूं हर हाथ में मोबाइल है, पूरी दुनिया में आज 80 प्रतिशत लोगों के हाथ में मोबाइल है.
श्री वेलसिंह भूरिया-- तिवारी जी हमारी सरकार में तो देश तरक्की कर रहा है आपकी सरकार में क्या था.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- बता रहे हैं, बैठ जाओ हम निवेदन करते हैं आपसे.
1.17 बजे (माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. सीतासरन शर्मा पीठासीन हुये)
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है इन 40 वर्षों में हमने लाकर, कुछ कहना चाहते हैं अध्यक्ष महोदय आप.
अध्यक्ष महोदय-- समाप्त करें कृपया आप.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- मैं यही सोच ही रहा था, आपकी आहट देखी तो मैं डर गया कि अध्यक्ष जी आये हैं तो अब हमको बैठना ही पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय-- 15 मिनट हो गये आपको.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा था कि 40 साल और 13 साल की तुलना इस तरह न करें.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय तो बहुत सहज और सरल हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हमारे लिये नहीं, आप लोगों के लिये हैं, हमारे अकेले के लिये बहुत डरावने हैं, वह आते हैं हम डर जाते हैं, वह बैठायेंगे, बोलने नहीं देंगे. मेरा निवेदन है कि यह जो असत्य का पुलिंदा है यह जो सरकार की सही तस्वीर है, अगर कोई विद्यालय में आपने 5 सीट बढ़ा दीं, यह कोई काम नहीं है. पुराने समय में हमने कॉलेज बनवाये हैं.
श्री शंकर लाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके ऊपर आरोप आया कम से कम उसे विलोपित करवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- क्या आरोप लगाया.
श्री शंकर लाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय को देखकर डर जाते हैं और फिर ताबीज बांधते हैं तंत्र-मंत्र करते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैंने यह कहा कि आप आये मैं डर गया कि अब मैं बोल नहीं पाऊंगा, आप बैठा ही देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप दो मिनट में अपनी बात समाप्त कर दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- जी. अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि तुलना की भी जाये तो तार्किक तरीके से की जाये.
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं सुन्दरलाल जी से कहूंगा कि वह कांग्रेस के कुपोषण की भी चर्चा करें. कांग्रेस में भी बहुत कुपोषित रह गये.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया उनको व्यवधान न डालें, बोलने दें ताकि वह समाप्त कर सकें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे कहा है कि मैंने जो आंकड़े दिये हैं वह आंकड़े अगर असत्य हैं मृत्यु के बारे में, अगर आप मेरी बात को गलत कर देंगे तो मैं विधान सभा में इस्तीफा देकर चला जाऊंगा तिवारी जी आपके कहने पर. आप देश के आंकड़े उठाकर देख लीजिये. जिस प्रतिशत में आज किसान मर रहा है, जिस प्रतिशत में आज कुपोषण है प्रदेश के अंदर, जिस प्रतिशत में नौजवानों ने इस प्रदेश के अंदर आत्महत्यायें की हैं, यह आंकड़े पर आधारित है, समय नहीं है नहीं तो मैं आकड़े भी पेश कर देता. लेकिन मैं आंकड़े के साथ भी आऊंगा बजट में मुझे समय मिलेगा, मैं मोटी-मोटी बात कह रहा हूं. मैंने भ्रष्टाचार की बात कही है, कौन सा ऐसा राज्य है इस देश के अंदर जहां 634 लोगों को एक झटके में नौकरी से निकाल दिया गया हो.बता दीजिये वह राज्य इस देश के अंदर हो, हमारा राज्य नंबर एक पर है 634 डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एक झटके में निकाल दिया गया. 6-6 हजार व्यापम में मुलजिम हैं.यह तो एक ही मामला है. भ्रष्टाचार के मामले में हमने इसी सदन में एक प्रश्न उठाया था माननीय मंत्री जी बैठे हैं, 99 लाख रूपये डकार ले गये, मंत्री जी ने कह दिया कि 99 लाख रूपया अधिकारियों ने जमा कर लिया है इसलिये उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी. इसी सदन में माननीय मंत्री जी ने कहा मतलब पैसा खा लो और जब पकड़ जाओ तो वापस कर दो, लाकर के जमा कर दो और इसके बाद उसको कोई पनिशमेंट नहीं उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी. मेरा कहना है कि सरकार ने जो तस्वीर पेश की है वह बनावटी है, असत्य है, गलत है और सही तस्वीर पेश करिये जिससे इस प्रदेश की जनता सही मूल्यांकन कर सके. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
पं.रमेश दुबे (चौरई ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिये मैं खड़ा हुआ हूं. अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय का यह अभिभाषण जो इस सदन में उन्होंने प्रस्तुत किया है, मध्यप्रदेश सरकार का वास्तविक रूप से आईना है. यह दर्पण के रूप में है और उस दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश की सरकार ने अपने शासनकाल में जिस प्रकार के अपने विकास के विकासात्मक दृष्टिकोण से काम किया, जनमुखी और जनकल्याण के दृष्टिकोण से जो काम किया है, मैं ऐसा मानता हूं कि उन सबका उल्लेख आज मध्यप्रदेश के इस सदन में राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के माध्यम से व्यक्त किया गया है. हमारे अपने सदन के अपने साथी ने महामहिम राज्यपाल महोदय के इस भाषण को असत्य का पुलिंदा जैसा शब्द कहकर इसका उपहास करने का भी काम किया है. मेरे दृष्टिकोण से मैं इस बात का उल्लेख करना चाहता हूं कि :-
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोतिकिम्
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पण: किं करिश्यति.
अर्थात जिस प्रकार से अंधे व्यक्ति के लिये दर्पण कुछ नहीं कर सकता उसी प्रकार से मुझे लगता है कि एक विवेकहीन व्यक्ति के लिये शास्त्र भी कुछ नहीं कर सकते. अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल जी का यह अभिभाषण इसी सदन में लगभग 1 घंटे और 20 मिनट का रहा है और इस अभिभाषण में मध्यप्रदेश विकास व्यवस्था के दृष्टिकोण का उन्होंने पूरा समावेश किया है. मैं सदन का ध्यान उस ओर आकर्षित करना चाहता हूं जहां 2003 के पहले राजनैतिक दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश की जनता के साथ में हमारी जो अपनी प्रतिबद्धता थी जिसको लेकर मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जनता से बात की थी कि सत्ता आप बदलें. व्यवस्था बदलने का काम भारतीय जनता पार्टी का होगा और मध्यप्रदेश की जनता ने सत्ता परिवर्तन के पश्चात व्यवस्था का दायित्व मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी को प्रदान किया और मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बनाया. इससे मैं इस बात को कह सकता हूं कि इन 13 वर्षों में मध्यप्रदेश में 2003 के पहले का आपका और हमारा मध्यप्रदेश था जिसको आम बोलचाल की भाषा में लोग बीमारू मध्यप्रदेश बोलने लगे थे, एक पिछड़े मध्यप्रदेश की संज्ञा हमारे अपने पड़ोसी प्रदेश के लोग देने लगे थे, वास्तविक रूप से इस मध्यप्रदेश के विकास और व्यवस्था के दृष्टिकोण से इन 13 वर्षों में अमूलचूल परिवर्तन मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है .मैं इस बात को मानता हूं कि जिस प्रकार की स्थिति थी और जिसको आधार बनाकर के मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार, हमारे अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने काम किया है वह आपका और हमारा अपना आधार है. सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार, प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की सरकार ने इन प्राथमिकताओं के आधार पर, जिस आधार पर कार्य किया है, उसी आधार पर हम चर्चा और बातचीत कर रहे हैं. 2003 के पहले के मध्यप्रदेश की दिशा और दशा के विषय में लोगों ने बहुत उल्लेख किया है. महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण में इन सड़कों की दृष्टकोण से जिन बिन्दुओं का उल्लेख है, उस उल्लेख के माध्यम से हमने मध्यप्रदेश में सड़के बनाई है. वास्तविक रूप से उस बात को मैं कह सकता हूं कि हमारा मध्यप्रदेश विकास की दृष्टकोण से आगे बढ़ रहा है, मध्यप्रदेश गांवों में निवास करने वाला प्रदेश है, वनांचलों में बसने वाला प्रदेश है. मध्यप्रदेश में वास्तविक रूप से विकास का कार्य हुआ है तो वह सड़कों के माध्यम से हुआ है. अपने देश के आपके युगदृष्टा माननीय अटलबिहारी बाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की अधोसंरचना रखी आज उसी का परिणाम है, जब केन्द्र में अटल जी की सरकार थी तब हमारी पार्टी की सरकान ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का प्रारंभ किया था, लेकिन मध्यप्रदेश में विपरीत विचारधारा की सरकार होने के कारण जिस प्रकार से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को गति मिलनी चाहिए थी, मैं ऐसा मानता हूं कि उस प्रकार की गति प्रदान नहीं हुई, लेकिन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से 2003 के पहले हमारे मध्यप्रदेश में मात्र 15 हजार किलोमीटर सड़कें बनी हुई थीं, वह भी गड्ढों में तब्दील हो गई थी, लेकिन परिवर्तन के पश्चात माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में वह 15 हजार किलोमीटर सड़कें जो गड्ढों में तब्दील हो गई थी, उनको भी हमने ठीक कर दिया है. आज की स्थिति में 13 सालों में मध्यप्रदेश सरकार ने 1 लाख 20 हजार किलोमीटर सड़कें बनाकर देने का काम किया है. यह मध्यप्रदेश के विकास में यह मील का पत्थर साबित हुआ है. यह अलग बात है कि हमारे साथियों ने इस विकास को तुलनात्मक दृष्टकोण से देखने का प्रयास नहीं किया है. लेकिन हमारे प्रदेश की सरकार ने विकासात्मक दृष्टकोण से कार्य करके जो बीमारू मध्यप्रदेश था, उसको विकसित बनाने की दिशा में कार्य किया है. अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात का निवेदन करना चाहता हूं कि महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण में जो उल्लेख है, उसमें सड़क, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य अति महत्वपूर्ण है. मैं इस बात का निवेदन करना चाहता हूं कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में छिन्दवाड़ा की पेंच परियोजना का उल्लेख हुआ है, पेंच परियोजना के समय हम मध्यप्रदेश के सदन में विधायक नहीं थे, वह वास्तविक रूप से छिन्दवाड़ा जिले की भाग्य रेखा थी, पेंच परियोजना का वर्ष 1994 में भूमिपूजन हुआ है, जिस प्रकार भारत सरकार के योजना आयोग से उसकी स्वीकृति प्राप्त करनी चाहिए थी, लगातार प्रतिपक्ष के सदस्यों की सरकार रहने के पश्चात भी स्वीकृति प्राप्त नहीं कर सके. लेकिन मैं गर्व और गौरव के साथ इस बात को कह सकता हूं कि पेंच परियोजना में जब 2006 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, जब सिंचाई डा. मंत्री नरोत्तम मिश्र थे, मैं इस बात को कह सकता हूं कि हमारे मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में पेंच परियोजना की योजना आयोग से स्वीकृति प्राप्त की और 24 सितम्बर 2008 को भूमि पूजन हुआ.
अध्यक्षीय घोषणा
1.29 बजे सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य का भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
पंडित रमेश दुबे -- अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात का उल्लेख करना चाहता हूं कि पेंच परियोजना का अभिभाषण में उल्लेख है. 24 सितम्बर,2008 को हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने इस वृहद परियोजना की स्वीकृत लेकर भूमि पूजन किया और इस परियोजना के माध्यम से इस वर्ष हमने नाला क्लोजर का काम करके लगभग इस क्षेत्र को 50 हजार हेक्टेयर को सिंचित करने का काम किया है. यह जो पेंच परियोजना है, इसके माध्यम से हम 1 लाख 14 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने का काम करना चाहते हैं. वास्तविक रुप से मध्यप्रदेश की यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों की हितैषी सरकार है. हमारी सरकार का यदि कोई आधार है, तो किसान है, क्योंकि मध्यप्रदेश की 72 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है. कृषि के दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश की सरकार ने और कृषि में वास्तविक रुप से किसान उत्पादन कर सके, उसका सबसे बड़ा कोई आधार है, तो वह पानी है और पानी के दृष्टिकोण से मैं कह सकता हूं कि जहां आपने अपने शासन काल में कोई ध्यान नहीं दिया, इन 13 वर्षों में 40 लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई करने का काम मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. मैं अंत में इतना ही कहना चाहता हूं कि जिन बिन्दुओं का मैंने उल्लेख किया है, उन बिन्दुओं के माध्यम से हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने विकास का काम किया और जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से भी लोगों के यथार्थ के दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश की सरकार ने काम किया है. चाहे वह मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का विषय हो, चाहे मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का विषय हो. सामाजिक सरोकार का जो विषय रहा है, सामाजिक सरोकार के माध्यम से भी हमारी सरकार ने काम किया है. मैं एक बात का उल्लेख करके अपनी बात को समाप्त करुंगा. मैं इस सदन का साक्षी और गवाह हूं कि जब 2007 में मध्यप्रदेश की सरकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का प्रस्ताव मध्यप्रदेश के सदन में लेकर आई. तो हमारे प्रतिपक्ष के सदस्यों ने खड़े होकर इस बात का उल्लेख किया था कि यह सरकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का जो प्रस्ताव सदन के अन्दर लेकर आई है, क्या अब लोगों के बेटा और बेटियों की शादी करने का काम भी सरकार का होगा. तब हमारे मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि प्रदेश के लोगों का सरकार बनाने का दायित्व है और आवश्यकता होगी, तो सरकार उनके बेटा, बेटियों की शादी करने का काम भी करेगी. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
1.32 बजे अध्यक्षीय घोषणा (क्रमशः)
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोलने वाले सदस्यों के भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
1.33 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा (क्रमशः)
अध्यक्ष महोदय -- श्री बाला बच्चन.
(श्री के.पी. सिंह, सदस्य द्वारा बैठे बैठे कहने पर कि नरोत्तम जी, आपने बाला बच्चन जी को धोखा दे दिया.)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- के.पी. सिंह जी, बाला जी को आपके नेता ने धोखा दिया. आप नाम हमारा ले रहे हैं. आपके साथ यह बहुत दिक्कत है. आप असत्य क्यों बोलते हैं.
श्री के.पी. सिंह -- आप सहानुभूति की बात कर रहे हैं और रिपीट भी कर रहे हैं. हम असत्य नहीं सही बोलते हैं. पहले कह दिया कि लंच होगा. अब इसके बाद कह दिया कि नहीं साहब, अभी सदन के समय में वृद्धि करते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिये. आपकी प्रवृत्ति ठीक नहीं है. यह हमेशा नहीं चलेगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- बाला बच्चन जी को आपके नेता ने धोखा दिया या नहीं, हां या ना में बोलिये.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. इस अभिभाषण में खनिज विभाग पूरी तरह से गायब है और यह बहुत बड़ी चौकाने वाली बात है. मेरे पास राज्यपाल जी का अभिभाषण है, मैंने इसको देखा और पढ़ा है. लगभग 53 पेज का अभिभाषण है और इसमें करीब 143 पैराज हैं. इसमें खनिज विभाग को शामिल न करना, बहुत बड़ी चौकाने वाली बात है. इसमें खनिज विभाग की बात क्यों नहीं आई है, यह समझ से परे है. दूसरा, क्या सरकार ने खनिज विभाग को अवैध खनन करने के लिये पूरी तरह से छोड़ दिया है. यह चौकाने वाली बात है. मैं आपकी जानकारी में यह लाना चाहता हूँ कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने बुधनी से लेकर बड़वानी तक जो अवैध उत्ख्ानन का काम जोरों पर चलवा रखा है और अब माननीय मुख्यमंत्री जी और सरकार ने खेती के बजाय रेत को लाभ का धन्धा बनाना शुरू कर दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात किसी से छिपी हुई बात नहीं है कि अभी कुछ दिन पहले एक सप्ताह में माननीय मुख्यमंत्री जी के भतीजे के डम्पर ओवरलोडिंग रेत में पकड़ाते हैं, वे रेत का अवैध उत्खनन करते हैं, इससे संबंधित एक सप्ताह में दो बार मुख्यमंत्री जी के भतीजे के डम्पर पकड़ाये हैं. मैं समझता हूँ कि यह ठीक नहीं है और इस पर माननीय मुख्यमंत्री जी को कार्यवाही करनी चाहिए. यह 18-19 फरवरी की बात है, इसी मामले में ओवरलोड, अवैध रेत एवं अन्य खनिज ले जाते हुए 102 डम्पर पकडाते हैं, उनमें से 34 डम्पर रातों-रात गायब हो जाते हैं, मात्र 68 डम्पर बचते हैं. यदि डम्पर पकड़े जाते हैं तो डम्पर चालक सीधे मुख्यमंत्री के बंगले में बात कराने की बात करते हैं तो बड़े जोरों पर अवैध उत्खनन का कारोबार चल रहा है. इसमें मुख्यमंत्री जी को कार्यवाही करनी चाहिए और इसको रोकना चाहिए. मैं समझता हूँ कि मध्यप्रदेश की जनता का यह बड़ा दुर्भाग्य है और इस पर कार्यवाही नहीं की जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी ग्वालियर की बात है. ग्वालियर में 30 गिट्टी क्रेशर अवैध रूप से संचालित किये जा रहे थे और यह सब पूरे के पूरे सरकार से जुड़े हुए लोगों की क्रेशर मशीनें और डम्पर जो चल रहे हैं, उनका कारोबार है. इसमें सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी को ध्यान देना चाहिए. यह बात यहीं समाप्त नहीं होती है, कटनी हवाला काण्ड भी इसी से जुड़ा हुआ है. इसमें जो अरबों रुपए का लेन-देन हवाला करोबार के रूप में हुआ है, इसमें अवैध खनन के रूप में पैसा कमाया गया और उसके बाद गरीबों के खातों में राशि डालकर उस राशि को गायब करने का काम किया था. उस हवाला काण्ड का पर्दाफाश करने का पूरा काम वहां के तत्कालीन एस.पी. श्री गौरव तिवारी ने किया था. मैं समझता हूँ कि जो लोग इसमें शामिल थे, उन लोगों की कॉलरों तक श्री गौरव तिवारी जी का हाथ पहुँच ही चुका था, वे उन लोगों को गिरफ्तार करने ही वाले थे और उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी ने उनको वहां से हटाया. यह अच्छी बात नहीं है, इस पर कार्यवाही होनी चाहिए.(XXX). मैं समझता हूँ कि सरकार (XXX), उन्हें बचाने का काम कर रही है. अभी हरिद्वार में श्री संतोष गर्ग की मृत्यु हुई है, हम सबको खबर के माध्यम से और पुलिस तक इसकी जो सूचना मिली है, इसमें वैसा ही संदेह है, जैसा व्यापम के बाद मौतों का सिलसिला शुरू हुआ था, वैसे ही यह भी मामला है. मैं इसमें चाहूँगा कि इसमें माननीय मंत्री जी को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए और इस पर जांच की मांग मंत्री जी की तरफ से आना चाहिए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये.
राज्यमंत्री, उच्च शिक्षा (श्री संजय पाठक) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सख्त आपत्ति लेता हूँ. बाला बच्चन ने जो बोला है कि मानवेन्द्र मिस्त्री से मेरे किसी भी प्रकार के कोई संबंध हैं. पहली बात, आपको बिल्कुल नाम नहीं लेना चाहिए. यह मानवेन्द्र मिस्त्री कौन है, कहां रहता है, कहां का रहने वाला है, क्या करता है एवं इसकी शक्ल-सूरत कैसी है ? मैंने 46 वर्ष की उम्र में उसे नहीं देखा.
श्री बाला बच्चन - मैं तो जांच की मांग कर रहा हूँ कि इस पर जांच होनी चाहिए. जिससे की पर्दाफाश हो सके और सारी चीचें दूध की दूध और पानी की पानी हो सकें.
श्री संजय पाठक - बाला भैया, आपको नाम नहीं लेना चाहिए. आप किस तथ्य के आधार पर नाम ले रहे हैं कि मेरा उससे संबंध है. आप कृपया करके नाम बताएं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य से मेरा अनुरोध है कि यदि नाम लगाकर किसी माननीय सदस्य पर या माननीय मंत्री पर आरोप लगाते हैं तो उसके पहले पूर्व सूचना प्रमाण सहित देना चाहिए. यही हमारे यहां की परम्परा है. इसलिए नाम लेकर आरोप लगाना उचित नहीं है.
श्री संजय पाठक - अध्यक्ष महोदय, जो उन्होंने बोला है, वह विलोपित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय - विलोपित कर दें.
……………………………………………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, बात यहीं समाप्त नहीं होती है. पूरे प्रदेश और भोपाल में फर्जी टेलीफोन एक्सचेन्ज चलाकर, प्रदेश और देश की गुप्त एवं खूफिया जानकारियां पाकिस्तान को देने का काम आईएसआई के एजेन्ट के रूप में काम करने वाले जो साथी पकड़े जाते हैं, मैं समझता हूँ कि और उनका ताल्लुकात मैं समझता हूं कि जैसे ध्रुव सक्सेना जो आईटी सेल भोपाल के अध्यक्ष हैं उनके साथी पकड़ाते हैं, यह बहुत ही निन्दनीय है और इससे बड़ी शर्म की बात नहीं हो सकती है. सरकार के नाक के नीचे यह सब होता रहा और सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की. ऐसी जो निजी टेलीकॉम कम्पनियां हैं उन कम्पनियों के खिलाफ तथा उनके अधिकारियों के खिलाफ भी कोई कार्यवाही नहीं की है. मैं समझता हूं कि इससे बड़ी शर्म की बात और दुःख की बात प्रदेश में हो नहीं सकती है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्रा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा चल रही है. बाला भाई अभी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वह नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं वह सारे विषय उठा रहे हैं जो महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण में हैं ही नहीं 1-2-3 लगातार वही विषय उठा रहे हैं मैं तो आपकी व्यवस्था चाहता था कि किस विषय पर बोल रहे हैं यह बता तो दें ?
अध्यक्ष महोदय--आप कृपया अपना भाषण जल्दी समाप्त कर दें.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, यह सरकार की सोच है इससे सरकार की नीयत का पता चलता है, क्यों नहीं पैरा डाला इसमें पैरा डालना चाहिये था. मैं माननीय मंत्री आपसे जानना चाहता हूं कि जो खनिज विभाग को पूरा आपने छोड़ा शायद आपकी और आपकी सरकार का सोच यह होगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, बाला भईया आप कहीं का गुस्सा कहीं पर निकाल रहे हैं. आप नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का पूरा भाषण दे रहे हैं जिससे उनका भाषण ठीक नहीं हो पाये.
श्री सुखेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, हमारे उप नेता हैं, यह वह भी जानते हैं तथा हमारा सारा सदन भी जानता है. इस तरीके की बात करना मैं समझता हूं कि यह गलत बात है.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, मेरा तो यह कहना है कि आईएसआई का नेटवर्क इतना फेल जाना और उसके बाद मध्यप्रदेश एक शांति का टापू माना जाता था. सरकार ने मध्यप्रदेश को बारूद के ढेर पर लाकर के खड़ा कर दिया है, इस पर विचार होना चाहिये. यह जो गतिविधियां चला रहे थे इनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिये तथा इस पर बंदिश लगना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय, किसानों की फसलों का जो नुकसान होता है और उनको जो फसल बीमा मिलना चाहिये वह नहीं मिल पा रहा है. मेरे बड़वानी जिले की बात आप लोगों को बताना चाहता हूं कि जिन किसानों ने प्रीमियम के रूप में हजारों रूपये की राशि जमा करायी है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं की वजह से उनकी फसलों का नुकसान हुआ है उनको 30-40 रूपये का मुआवजा मिला है. माननीय झूमा सोलंकी जी कांग्रेस पार्टी की सदस्या हैं उनको केवल 253 रूपये का बीमा मिला है और जहां तक मेरी जानकारी में है यह बड़वानी की नहीं पूरे मध्यप्रदेश में किसानों को बहुत कम राशि फसल बीमा के रूप में मिली है, सरकार इस पर ध्यान दे, क्योंकि पहले ही किसान परेशान एवं तंग हैं और आये दिन आत्महत्याएं खेती-किसानी से जुड़े मजदूर लोगों के द्वारा तथा किसान के द्वारा होती रही हैं. मेरे पास इन आत्म-हत्याओं के आंकड़े हैं. वर्ष 2015 में लगभग 24 सौ किसानों ने खेती से जुड़े किसानों और मजदूरों ने आत्म-हत्याएं की थीं और फरवरी-मार्च-अप्रैल 2016 में करीब 561 किसानों ने आत्महत्याएं की थीं तो माननीय मंत्री जी सरकार को इस पर विचार करना चाहिये. इसी पर रामेश्वर शर्मा जी का एक बयान आता है कि यह किसान जो आत्म हत्याएं करते हैं और उनसे जो जुड़े हुए मामले हैं, यह किसान सब्सिडी चाटने के लिये ऐसा करते हैं मैं इसकी निन्दा करता हूं. ऐसा बयान किसी जन-प्रतिनिधि के द्वारा नहीं आना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी ही हम एक्सप्रेस स्वास्थ्य सेवाओं की बात कर लें, वहां बहुत ही बदहाल स्थिति है और इस पर सरकार निजी हाथों में स्वास्थ्य सेवाओं का देने का सरकार निर्णय करती है अभी महामहिम राज्यपाल जी ने अभिभाषण की कंडिका 67 में पढ़ा है कि 108 एम्बूलेंस एवं जननी एक्सप्रेस सेवा एक ही कर दी है इससे और हालात खराब होंगे, क्योंकि जननी एक्सप्रेस समय पर पहुंचती ही नहीं है जिसके कारण महिलाओं की मौत हो जाती है और इसके अलावा पैरा 72 में व्यापम का असर इस अभिभाषण में देखने को मिला है कि आयुर्वेद एवं यूनानी डॉक्टर अब एलोपैथी डॉक्टर की जगह लेंगे अब उनकी जगहों पर उनको पदस्थ किया जाएगा मैं समझता हूं कि बिना एमसीआई की अनुमति के यह कार्य नहीं करना चाहिये नहीं. मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश के करोड़ करोड़ जनता जो स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी है, उस पर यह असर पड़ेगा और ऐसा नहीं होना चाहिये. यह पिछली बार इससे संबंधित विधेयक आया था, उस पर भी मैंने अपनी राय रखी थी और इस पर भी मेरा कहना है कि सरकार डॉक्टरों की कमी के कारण जो निर्णय करने जा रही है, माननीय अध्यक्ष महोदय, आप खुद एम.बी.बी.एस. डॉक्टर हैं और मैं समझता हूं आप मेरी बात पर मुस्कुराकर सहमति भी दे रहे हैं, एलोपैथी डॉक्टरों की जगह, आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टरों को पदस्थ करें, दूसरे एम.बी.बी.एस. डॉक्टर साहब हमारे सामने श्री गौरीशंकर शैजवार जी बैठे हैं, मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश का स्वास्थ्य खराब करने वाला ऐसा बड़ा और चौंकाने वाला यह निर्णय होगा, इस पर भी सरकार को ध्यान देना पड़ेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी की जानकारी में आप लोगों के माध्यम से लाना चाहता हूं कि मैंने 25 जुलाई 2014 को एक प्रश्न लगाया था, उसमें मैंने यह पूछा था कि ऐसे कितने कर्मचारी और अधिकारी हैं जिन पर ई.ओ.डब्ल्यू और लोकायुक्त की जांचें लंबित हैं तो उसका जवाब अभी मुझे 23 फरवरी 2017 को मिला है. यह जवाब तीन साल बाद आ रहा है, इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी की सरकार इसमें कसावट लाये और समय पर कार्यवाही करे, जिससे जो अनियमितताएं, गबन और भ्रष्टाचार होते हैं, उन पर रोक लग सके. मेरे प्रश्न का जो जवाब आया है, मैं उस जवाब को देखकर दंग रह गया हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण की कंडिका क्रमांक-30 में वर्णित नर्मदा, छिप्रा सिंहस्थ लिंक योजना के सफल होने की बात कही गई है और वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्री मोहन यादव जी ने इस पर सवालिया निशान उठाया है और उन्होंने सवाल खड़े किये हैं, जबकि सरकार कंडिका क्रमांक-30 में इसको सफल योजना बताती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही इंदौर, भोपाल मेट्रो रेल परियोजना के बारे में मैं कहना चाहता हूं कि एक लाईन में अभी तक जो चल रहा था कि मध्यप्रदेश में मेट्रो रेल आने वाली है और उससे संबंधित परियोजना पर जो राशि खर्च करना बताया गया है, पिछले आदिमजाति कल्याण विभाग के सौ करोड़ रूपये खर्च करना बताया गया है और तीस करोड़ रूपये भोपाल के डी.पी.आर. पर खर्च करना बताया गया है. लेकिन इस अभिभाषण में एक लाईन में पूरा समाप्त कर दिया है और कहीं पर भी दोनों जगह मेट्रो रेल लाईन से संबंधित और इस परियोजना से संबंधित कोई काम नहीं हो रहा है और ऐसे ही मध्यप्रदेश की जनता की गाड़ी कमाई की राशि का दुरूपयोग हो रहा है, सरकार इस पर ध्यान दे. हम भी इस बात के पक्षधर हैं कि अगर मेट्रो रेल लाईन आती है तो हम लोगों को इसका लाभ मिलेगा, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि सरकार की इच्छाशक्त्िा खत्म हो चुकी है,
माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ में भ्रष्टाचार अभी भी हो रहा है, हमारे एक प्रश्न के जवाब में हमने जब पूछा था कि अभी तक नाश्ते पर कितना व्यय हुआ है तो उस पर सरकार ने प्रश्न क्रमांक-1014, दिनांक 8 दिसंबर,2016 के प्रश्न के जवाब में नाश्ते पर 28 लाख 50 हजार रूपये खर्च करना बताया था, लेकिन इसी प्रश्न का अब दूसरा जवाब आता है और इस पर अब 116 लाख 49 हजार रूपये खर्च करना बताया जा रहा है. मैं समझता हूं कि नाश्ते पर चार गुना खर्च करना बताया गया है इस प्रकार सिंहस्थ में जो लगभग डेढ़ हजार करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार हुआ है, मैंने स्वयं उसकी रिपोर्ट आपको सौंपी थी, इस पर जांच होना चाहिए और जो भ्रष्टाचारी हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी गेहॅूं की खरीदी 28 मार्च से शुरू कर रहे हैं, मैं किसानों की तरफ से आप लोगों से कहना चाहता हूं कि इसे 28 मार्च के बजाय अभी मार्च शुरू होते ही कर दें. मैं समझता हूं कि कुछ किसानों का गेहॅूं और चना आना शुरू हो गया है, उसको अगर पांच मार्च या दस मार्च से करते हैं तो ज्यादा अच्छा होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुपोषण से संबंधित माननीय मुख्यंत्री जी ने यह कहा था कि बहुत जल्दी श्वेत पत्र जारी किया जायेगा. तीन से चार माह हो गये हैं कोई श्वेत पत्र जारी नहीं किया है और न ही इस पर कोई कार्यवाही हुई है, मृत्यु लगातार होती जा रही है, इस पर भी कार्यवाही करें, जिससे कि कुपोषण से हमारा प्रदेश मुक्त हो सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे और भी बहुत सारे मुद्दे हैं लेकिन अनुदान मांगों पर और आने वाली विधानसभा की ओर जो कार्यवाही होंगी, उसमें भाग लेकर बाकी के मुद्दे हम उठायेंगे. आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये धन्यवाद. श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के कृतज्ञता ज्ञापन के विरोध में बोलने के लिये खड़ी हुई हूं.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में महिला सुरक्षा के लिये राज्यपाल के अभिभाषण में बताया गया है, लेकिन गरीब और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिये इन वर्गों के भविष्य के लिये सरकार के द्वारा कोई भी प्रयास नहीं किया गया है. अध्यक्ष महोदय, 12 जून 2016 को भोपाल के दशहरा मैदान में माननीय मुख्यमंत्री ने 2.50 लाख लोगों की सभा को संबोधित किया था और उन्होंने कहा था कि पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने वाला कोई माईका लाल पैदा नहीं हुआ है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार द्वारा सदन में घोषणा की गई थी कि पदोन्नति में आरक्षण समाप्त नहीं होगा, आज प्रदेश में आईएएस, आईपीएस और अन्य प्रदेश के कर्मचारियों ने पदोन्नति में आरक्षण समाप्त न किये जाने हेतु न्यायालय में याचिका लगायी है उसमें प्रदेश सरकार ने न्यायालय में ठोस कदम नहीं उठाया है, अपना कोई पक्ष नहीं रखा है. माननीय मुख्यमंत्री जी भाषण तो बहुत अच्छा देते हैं. जिस तरह से पूरे प्रदेश में महिला सुरक्षा की बात की जा रही है, लेकिन आये दिन महिलाओं के साथ ज्यादती की घटनाएं हो रही है. इस वर्ष 1 फरवरी, 2016 से अब तक 4500 से ज्यादा महिलाएं ज्यादती की शिकार हुई हैं. यह गृह मंत्री अपने जवाब में बतायें और माननीय मुख्यमंत्री जी ने जिस तरह सदन में कहा था कि बहनों एवं भाइयों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है. लेकिन कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है, अन्याय और अत्याचार चरम-सीमा पर है. मैं आपको बताना चाहती हूं कि मेरे रैगांव विधान सभा क्षेत्र में डेढ़ महीना पहले भरजना गांव में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गयी, लेकिन आज तक अपराधी भी नहीं पकड़े गये हैं, लड़की का कंकाल मिला है. वहां पर छोटी-छोटी बच्चियां और टीचर भरजना स्कूल में जाने के लिये डरती है उससे उनकी शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है. क्योंकि वह इतनी बड़ी घटना थी और लोगों में भय है और हमारे मुख्यमंत्री जी बहनों और बेटियों की सुरक्षा की बहुत बड़ी-बड़ी बात करते हैं, लेकिन राज्यपाल जी के भाषण में कानून व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोग कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में प्रस्तावित संशोधन देते हैं, लेकिन इनमें से कोई भी प्रस्ताव सरकार के द्वारा संचालित नहीं किये जाते हैं. मैं अनुरोध करती हूं कि जो संशोधन हमारे द्वारा दिये जाते हैं ,वह अतिआवश्यक होते हैं, वह बजट सत्र में सम्मिलित नहीं किये जाते हैं. मैं तीन सालों से कई बार अपने क्षेत्र में कामों के लिये हमेशा अभिभाषण और कटौती प्रस्ताव पर बोलती हूं, लेकिन आज तक सरकार ने जो भी निर्णय लिया है वह हमारे क्षेत्र के लिये या मध्यप्रदेश के हित में नहीं है. सरकार ने राज्यपाल के अभिभाषण में कहा है कि सरकार रोटी, कपड़ा और रोजगार देगी, वह सत्य नहीं है.
अघ्यक्ष महोदय, मेरे पास राज्य शिक्षा केन्द्र में लेखापाल की भर्ती में हुए घोटाले का पुथल्ला है. लेखापाल के 2208 पदों के लिये 4 अप्रैल, 2015 को परीक्षा ली गई, परीक्षा परिणाम की चयनित सूची राज्य शिक्षा केन्द्र को 7 जुलाई, 2015 को सौंपी गई. 595 लेखापाल के पदों के काऊसिंलिग के लिए विज्ञापन जारी किया गया. इसी तरह से न्यायालय ने भी आदेश दिया इनकी भर्ती के लिये कि 3 महीने के अन्दर इनकी नियुक्ति की जाये. लेकिन आज तक सरकार ने नहीं की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, जनजाति के छात्रों के लिए बैकलॉग भर्ती में अपनाई गई किसी प्रक्रिया का उल्लेख राज्यपाल महोदय, के अभिभाषण में नहीं किया गया है. व्यापम घोटाले के बाद भी मध्यप्रदेश में ऐसी कोई नीति नहीं बनाई गई है जिससे शिक्षित बेरोजगारों एवं नौजवानों को रोजगार दिया जा सके. माननीय अध्यक्ष महोदय, बिजली के विषय में अभी हमारे विधायक साथी माननीय श्री दुर्गालाल विजय जी कह रहे थे कि मध्यप्रदेश में 24 घंटे बिजली दी जाती है. यह बात सत्य नहीं है. किसानों को 24 घंटे तो दूर 12 घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है. बच्चों को पढ़ाई के लिए भी बिजली नहीं मिल पा रही है. डेढ़-डेढ़ महीने तक ट्रांसफार्मर जले हुए रहते हैं. ट्रांसफार्मरों को सुधारने के लिए अधिकारियों को कितने भी फोन किए जायें, पत्र लिखे जायें लेकिन उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में कहा गया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कमजोर किसानों को मुफ्त बिजली प्रदान की जायेगी. मैं सदन को बताना चाहती हूं कि मुफ्त बिजली तो दूर की बात है, जिन कमजोर किसानों के पास एक-एक बीघा, दो-दो एकड़ जमीन है और उन्होंने पैसे देकर ट्रांसफार्मर लगवाये हैं, वे ट्रांसफार्मर भी जल गए हैं. किसानों द्वारा बिजली का बिल भुगतान करने पर भी उन्हें बिजली नहीं मिल पा रही है.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे दल से मैं एक ही विधायक सदन में बोल रही हूं. कृपया मुझे कुछ और समय दिया जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिम जाति कल्याण विभाग को वैसे भी बहुत ही कम बजट दिया जाता है और इस बार विभाग द्वारा इन वर्गों के लिए कोई नई योजना नहीं लाई गई है. मेरे सतना जिले में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा संत शिरोमणी रविदास आश्रम हेतु दो करोड़ रूपये देने की घोषणा की गई थी. वे दो करोड़ रूपये भी अनुसूचित जाति विभाग से हमारे बच्चों के पेट काटकर स्वीकृत किए गए हैं. एक ओर आप सिंहस्थ मेले के लिए हजारों करोड़ रूपये स्वीकृत करते हैं और दूसरी ओर जब संत रविदास जी के आश्रम की बात आती है तो आदिम जाति कल्याण विभाग से आश्रम हेतु पैसा दिया जाता है. जबकि आश्रम हेतु आपको अलग से बजट में प्रावधान करना चाहिए था.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें. आपने एक-एक मिनट करके पांच मिनट का समय ले लिया है.
श्रीमती ऊषा चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में राष्ट्रीय राजमार्ग का जिक्र किया गया है. मेरे सतना जिले में सतना से रीवा जाने वाला मार्ग पिछले 5 वर्षों से निर्माणाधीन है. मार्ग अवरूद्ध होने के कारण वहां आये दिन दुर्घटनायें होती रहती हैं परंतु आज तक वह मार्ग पूर्ण नहीं हो पाया है. माननीय प्रधानमंत्री जी ने जिस तरह से स्वच्छता अभियान चलाया है, उनके द्वारा हमेशा रेडियो पर ''मन की बात'' की जाती है लेकिन वे जनता के मन की बात नहीं सुनते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण की बात की जाती है परंतु जिन गरीब परिवारों के पास अपनी जमीन ही नहीं है वहां शौचालय का निर्माण किस प्रकार से होगा, इसका भी कोई जिक्र अभिभाषण में नहीं किया गया है. नगरीय क्षेत्रों में अति गरीबों को 5 रूपये में स्वादिष्ट भोजन देने की बात राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में की गई है, मैं कहना चाहती हूं कि 5 रूपये में गरीबों को भोजन देने के स्थान पर यदि उन्हें रोजगार देने की बात की जाती तो ज्यादा अच्छा होता. सरकार की इस योजना से उसकी मानसिकता समझ में आती है कि वह गरीबों को रोजगार देने के स्थान पर 5 रूपये में भोजन देकर प्रदेश के गरीबों को निकम्मा और भिखारी बनाना चाहती है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इस हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- विधानसभा की कार्यवाही बुधवार दिनाँक 1 मार्च, 2017 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 1.59 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनाँक 1 मार्च, 2017 ( 10 फाल्गुन, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह,
दिनांक : 28 फरवरी 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा