मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा पंचदश सत्र
नवम्बर-दिसम्बर, 2017 सत्र
सोमवार, दिनांक 27 नवम्बर, 2017
( 6 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 15 ] [अंक- 1 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 27 नवम्बर, 2017
(6 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
राष्ट्रगीत
राष्ट्रगीत'' वन्दे मातरम्'' का समूहगान.
अध्यक्ष महोदय:- अब, राष्ट्रगीत '' वन्दे मातरम्'' होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.
(सदन में राष्ट्रगीत '' वन्दे मातरम्'' का समूहगान किया गया.)
11.03 बजे शपथ
उप चुनाव में, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक- 61 चित्रकूट से निर्वाचित सदस्य, श्री नीलांशु चतुर्वेदी द्वारा शपथ ग्रहण.
अध्यक्ष महोदय:- उप चुनाव में, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 61- चित्रकूट से निर्वाचित सदस्य, श्री नीलांशु चतुर्वेदी शपथ लेंगे, सदस्यों की नामावली में हस्ताक्षर करेंगे और सभा में अपना स्थान ग्रहण करेंगे
श्री नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट):- (शपथ)
(इंडियन नेशनल कांग्रेस पक्ष के सदस्यों ने '' जय जय श्री राम'' के नारे लगाये.)
11.05 बजे
निधन का उल्लेख
(1) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा, सदस्य विधान सभा,
(2) श्री राम सिंह यादव, सदस्य विधान सभा,
(3) श्री प्रभुदयाल गेहलोत, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(4) श्री शालिगराम श्रीवास्तव, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(5) श्री राम रतन चतुर्वेदी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(6) श्री रामखेलावन, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(7) श्री धनसुखलाल भाचावत, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(8) श्री विजय नारायण राय, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(9) श्री रतनसिंह भाबर, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(10) श्री पुरूषोत्तम लाल कौशिक, पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(11) श्री संतोष मोहन देव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(12) श्री प्रियरंजन दासमुंशी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(13) श्री माखनलाल फोतेदार, पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(14) श्री सुल्तान अहमद, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री,
(15) प्रो. सांवर लाल जाट, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री,
(16) श्री तसलीम उद्दीन, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, तथा
(17) श्री अर्जन सिंह, भारतीय वायु सेना के पूर्व एयर चीफ मार्शल.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की वर्तमान विधान सभा के सदस्य श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा और श्री राम सिंह यादव के साथ-साथ अन्य जिन महानुभावों के निधन का आपने उल्लेख किया है. उनका निधन वास्तव में समाज, प्रदेश और देश के लिए क्षति है.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय जी श्री कालूखेड़ा जी इस सदन के वरिष्ठ सदस्य थे. उन्होंने छ: बार विधान सभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वे मेरे एक अच्छे मित्र थे. उन्होंने प्रदेश के विभिन्न निगम, मण्डलों में अपने कार्यकाल के दौरान एक सुदृढ़ प्रशासनिक दृष्टिकोण के साथ अनेक लोक हितकारी निर्णय लिए. मिलनसार व्यक्ति होने के साथ-साथ जनसामान्य के कल्याण के लिए भी वे सदैव मुखर रहे. श्री कालूखेड़ा अनेक खेल संघों, सामाजिक संगठनों से भी संबद्ध रहे. यह भी कहा जा सकता है कि वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. विधान सभा में अनेक समितियों में अपने सभापतित्वकाल में उन्होंने अत्यंत परिश्रम से कार्य करते हुए अपनी एक अमिट छाप छोड़ी थी. यहां तक की जब उन्हें हृदयाघात हुआ तब वे लोक लेखा समिति की बैठक में भोपाल आए हुए थे. ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री कालूखेड़ा जी के निधन से निश्चित रुप से एक शून्य पैदा हुआ है. मैं स्वयं के साथ-साथ अपने दल और सदन की और से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, श्री राम सिंह यादव जी का जन्म शिवपुरी जिले के ग्राम तरावली में हुआ था. श्री यादव ग्राम पंचायत,जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत की विभिन्न समयावधियों में अध्यक्ष रहे एवं वर्तमान चौदहवीं विधान सभा में प्रथम बार कोलारस विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे. श्री यादव एक धीर-गंभीर व्यक्तित्व के स्वामी थे तथा ग्रामीण क्षेत्रों विशेषकर खेती किसानी संबंधी विषयों पर अपनी गहरी पकड़ रखते थे. इनके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय जनसेवक खो दिया है.
अध्यक्ष महोदय, श्री प्रभुदयाल जी गेहलोत ने लगातार अपने क्षेत्र का सात बार प्रतिनिधित्व किया. वे सरकार में राज्यमंत्री भी रहे और उपमंत्री भी रहे. दोनों में उन्होंने अपनी प्रशासनिक सूझबूझ का प्रदर्शन किया.
अध्यक्ष महोदय, श्री शालिगराम श्रीवास्तव भूमि विकास बैंक सीहोर के उपाध्यक्ष रहे. आप मीसा के अन्तर्गत जेल में निरुद्ध भी रहे. आपने तीन बार बुधनी और भोजपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. श्री श्रीवास्तव कर्मठ व्यक्तित्व के धनी होने के साथ-साथ एक कुशल संगठक भी थे.
अध्यक्ष महोदय, श्री रामरतन चतुर्वेदी जी ने सातवीं एवं आठवीं विधान सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर वे अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. आपने मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ तथा मध्यप्रदेश भूमि विकास बैंक के संचालक के पदों के दायित्व का भी निर्वहन किया था.
अध्यक्ष महोदय, श्री रामखिलावन जी एक जुझारू व्यक्ति थे उन्होंने अनेक संगठनों के माध्यम से समाज की सेवा की. आपने पांचवीं और सातवीं विधान सभा में अपने क्षेत्र का सतत् प्रतिनिधित्व किया.
अध्यक्ष महोदय, श्री धनसुखलाल भाचावत एक वयोवृद्ध राजनेता थे. श्री भाचावत अनेक शैक्षणिक एवं सामाजिक संगठनों से जुड़े थे. इनके अनुभव का लाभ मालवा क्षेत्र के अनेक संगठनों को समय-समय पर मिलता रहा है. श्री भाचावत ने प्रदेश की पाचवीं विधान सभा में कांग्रेस की ओर से सीतामऊ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
अध्यक्ष महोदय, श्री विजय नारायण जी राय ने मैहर विधान सभा क्षेत्र का कांग्रेस की ओर से प्रतिनिधित्व किया. आप प्रदेश के कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, श्री रतन सिंह भाबर ग्यारहवीं विधान सभा के सदस्य रहे हैं. इन्होंने थांदला क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
अध्यक्ष महोदय, श्री पुरषोत्तमलाल कौशिक का जन्म अविभाजित मध्यप्रदेश के महासमुंद में हुआ. श्री कौशिक प्रदेश की पांचवीं विधान सभा, छठवीं और नौंवी लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. आप केन्द्र सरकार में पर्यटन, नागरिक उड्डयन तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, श्री संतोष मोहन देव एक वरिष्ठ नेता रहे. इन्होंने सात बार अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. आप भारत सरकार में मंत्री भी रहे.
अध्यक्ष महोदय, श्री प्रियरंजन दासमुंशी का जन्म 13 नवम्बर 1945 को चिरिबंदर जिला दीनाजपुर जो अब पूर्व बंगलादेश में है हुआ था. आप पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तथा भारतीय युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. श्री दासमुंशी पांचवीं, आठवीं, ग्यारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. तथा इस अवधि में अनेक विभागों के मंत्री रहे. श्री दासमुंशी विगत काफी अर्से से अस्वस्थ थे.
अध्यक्ष महोदय, श्री माखनलाल फोतेदार का जन्म कश्मीर में हुआ. इन्होंने 1967 से 1977 तक जम्मू और कश्मीर विधान सभा के सदस्य तथा 1985 से 1990 में राज्य सभा के सदस्य के रुप में अपने दायित्व का निर्वहन किया. इस अवधि में आप जम्मू-कश्मीर के और बाद में भारत सरकार में अनेक विभागों में मंत्री रहे. श्री सुल्तान अहमद दो बार पश्चिम बंगाल विधान सभा के सदस्य रहे तथा पंद्रहवीं एवं वर्तमान सोलहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. वर्ष 2009 से 2012 में आप केंद्र सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री रहे हैं. प्रोफेसर सांवर लाल जाट का जन्म अजमेर,राजस्थान में हुआ. श्री जाट 1990 से ग्रामीण अनुसंधान तथा विकास परिषद्, राजस्थान के अध्यक्ष तथा 5 बार राजस्थान विधान सभा के सदस्य रहे और राजस्थान सरकार में मंत्री रहे. श्री जाट वर्तमान में सोलहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा वर्ष 2014 से 2016 तक केंद्र सरकार में राज्यमंत्री, जल संसाधन नदी विकास तथा गंगा संरक्षण रहे. श्री जाट कृषकों के बीच काफी लोकप्रिय थे. श्री तसलीम उद्दीन 8 बार बिहार विधान सभा के सदस्य रहे. वह नौवीं, ग्याहरवीं, बारहवीं, चौदहवीं तथा वर्तमान सोलहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. आपने बिहार सरकार में संसदीय सचिव, गृह निर्माण मंत्री तथा केंद्र सरकार में अनेक विभागों के मंत्री पद के दायित्वों का निर्वहन किया.
अध्यक्ष महोदय, श्री अर्जन सिंह,जिनका कि जन्म 15 अप्रैल 1919 को हुआ. श्री सिंह 1964 से 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टॉफ रहे. जैसा कि आपने भाषण में उल्लेख किया है कि वह स्विटरजरलैंड और वेटिकन में भारत के राजदूत रहे. केन्या में उच्चायुक्त तथा दिल्ली के उप राज्यपाल रहे, आपने चीन तथा पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत सरकार ने आपको पदम विभूषण से अलंकृत किया था. वर्ष 2002 में आपको मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स के सम्मान से सम्मानित किया था. श्री अर्जन सिंह जी वास्तविक अर्थ में अपने समूचे जीवन में अनुशासित व्यक्ति होने के साथ-साथ एक कर्मठ फौजी की तरह ही रहे हैं उनका जीवन-वृत्त भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणास्पद रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैंने जिन विभूतियों का ऊपर उल्लेख किया है उनके रिक्त स्थान की पूर्ति तो नहीं की जा सकती है किन्तु उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके बताये हुए मार्ग पर चल कर समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए ह्दय से अनुकरण करें. मैं अपनी, अपने दल तथा समूचे सदन की ओर से दिवगंतों के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उनके परिजनों को यह गहन दुख सहन करने की शक्ति दे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी, जो हर सत्र में यहीं पर उपस्थित रहते थे, आज उनके ना रहने पर कांग्रेस पार्टी और प्रदेश के तमाम किसान जो दूध उत्पादन से जुड़े थे उनके बीच में, उनके ना रहने पर अति क्षति हुई है. महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी कांग्रेस विधायक दल के एक प्रथम विधायक थे और उनका योगदान समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए रहता था और वह निरंतर किसानों की भलाई के लिए अपनी बात सदन के अंदर और सदन के बाहर रखते थे बहुत ही कम उम्र में वह आज हमारे बीच में नहीं हैं. मैं सदन की तरफ से और कांग्रेस विधायक दल की तरफ से उनके ना रहने पर जो क्षति हुई है, उस पर संवेदना व्यक्त करता हूँ. माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री राम सिंह यादव का जन्म 1 जनवरी 1943 में शिवपुरी में हुआ वह भी हमारे कांग्रेस विधायक दल के वर्तमान सदस्य थे. एक सरपंच के पद से उन्होंने राजनीति की शुरुआत की थी फिर विधान सभा के सदस्य के रूप में वह यहाँ उपस्थित हुए और चौदहवीं विधान सभा में हमारी पार्टी के ही विधायक थे वह भी आज हमारे बीच में नहीं हैं उनकी कमी हम सबको महसूस हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री प्रभुदयाल गेहलोत जी का जन्म सन् 1934 में रतलाम में हुआ था और वे सात बार विधानसभा के सदस्य रहे. श्री गेहलोत जी एक अत्यंत विनम्र, सज्जन व्यक्ति थे और हरदम आदिवासियों के हित की चिन्ता करते थे. श्री गेहलोत जी रतलाम जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष और मंत्री रहे. उन्हें जब-जब जो भी दायित्व मिला, बहुत खूबसूरती से उन्होंने उसका पालन किया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री शालिगराम श्रीवास्तव जी का जन्म सन् 1933 में हुआ था. शायद ही कोई ऐसा दूसरा व्यक्ति होगा जो तीन बार विधायक रहा हो और तीनों बार अलग-अलग पार्टियों से हो. लेकिन श्री शालिगराम श्रीवास्तव जी ऐसे व्यक्ति थे जो तीनों बार विधानसभा के सदस्य रहे. कहने में यह भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जो आज सदन के नेता हैं शायद उनके भी गुरु कहलाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री रामरतन चतुर्वेदी जी का जन्म सन् 1938 में टीकमगढ़ जिले में हुआ था. श्री चतुर्वेदी जी सातवीं और आठवीं विधानसभा के कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रुप में निर्वाचित हुए. सदन में सीढ़ी चढ़ते समय ही पूरे सदन को पता चल जाता था कि श्री रामरतन चतुर्वेदी जी सदन के अंदर आ गए हैं. उनकी आवाज बुलन्द थी, उनकी हंसी हरदम बुलन्द रही है और वे हरदम गरीब तबके के उत्थान के लिए अपनी बात रखते थे. उनके निधन से प्रदेश के सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री रामखेलावन नीरज जी रीवा जिले के विधायक रहे हैं. वे प्रदेश की पांचवीं, सातवीं विधानसभा में समाजवादी और कांग्रेस पार्टी से सदस्य निर्वाचित हुए. वे बहुत ही विनम्र स्वभाव के थे और हरदम गरीबों के लिए लड़ाई लड़ते रहे, चाहे वे विधानसभा के सदस्य रहे हों या ना रहे हों, जब भी कोई मिले तो हरदम बात केवल उतनी ही होती थी कि गरीबों के साथ अन्याय हो रहा है उसमें हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री धनसुखलाल भाचावत जी का जन्म सन् 1940 में राजस्थान में हुआ था. वे जिला कांग्रेस कमेटी, मंदसौर के अध्यक्ष रहे. उन्होंने प्रदेश की पांचवीं विधानसभा में कांग्रेस की ओर से सीतामऊ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी कांग्रेस पार्टी ने मंदसौर का एक बहुत बड़ा स्तम्भ खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री विजय नारायण राय जी का जन्म सन् 1941 में हुआ था. वे कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे और बहुत ही मृदुभाषी थे और हर सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यों से जुडे़ रहते थे. वे सातवीं विधानसभा में कांग्रेस पार्टी से मैहर क्षेत्र के विधायक निर्वाचित हुए थे. मैहर के मंदिर के लिए हरदम उनकी चिन्ता रहती थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री रतनसिंह भाबर जी का जन्म सन् 31 जुलाई 1949 को खजूरीगांव जिला झाबुआ में हुआ था. श्री भाबर जी थांदला से विधायक रहे और जिला सहकारी भूमि विकास बैंक में संचालक रहे तथा हरदम आदिवासी भाइयों के लिए लड़ाई लड़ने के लिए वे अपनी आवाज उठाया करते थे. उनके निधन से भी कांग्रेस पार्टी को और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री पुरुषोत्तम लाल कौशिक जी वर्तमान छत्तीसगढ़ के पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के विधायक और सांसद थे. वे केन्द्रीय पर्यटन मंत्री भी रहे हैं. उनके निधन से भी प्रदेश को बहुत बड़ी क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री संतोष मोहन देव जी कांग्रेस पार्टी के एक बहुत ही वरिष्ठ नेता, सांसद और मंत्री थे. हर स्तर पर उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है और असम की तरफ से कांग्रेस पार्टी के लिए एक बहुत बड़ी क्षति हुई है जो नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस पार्टी के एक स्तम्भ के रूप में थे.
अध्यक्ष महोदय, श्री प्रियरंजन दासमुंशी का जन्म 13 नवंबर, 1945 को बांग्लादेश के एक गांव में हुआ था. वे पश्चिम बंगाल की कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे तथा भारतीय युवा कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे. उन्होंने खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए हरदम अपनी भूमिका निभाई. वे फुटबाल संघ के अध्यक्ष रहे और अनेक बार बंगाल की टीमों के लिए उन्होंने अपना योगदान दिया.
अध्यक्ष महोदय, श्री माखनलाल फोतेदार जी का जन्म 5 मार्च, 1932 को कश्मीर में हुआ था. वे दो बार जम्मू और कश्मीर विधान सभा के सदस्य रहे, राज्य मंत्री रहे और राज्यसभा के सदस्य रहे. फोतेदार जी और हमारे पिताजी की दोस्ती जगजाहिर है. कांग्रेस वर्किंग कमेटी में यदि फोतेदार जी दिखाई दे जाएं तो पिताजी भी रहे और पिताजी हों तो वे रहते थे, दोनों की अलग एक जोड़ी थी, उनके निधन से भी कांग्रेस पार्टी को अपूरणीय क्षति हुई है.
अध्यक्ष महोदय, श्री सुल्तान अहमद, प्रोफेसर सांवर लाल जाट, श्री तसलीम उद्दीन जी, इन सबके निधन से भी देश को अपूरणीय क्षति हुई है.
अध्यक्ष महोदय, श्री अर्जन सिंह जी प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जो पांच सितारा रैंक तक पहुँचे और अलग-अलग भूमिका उन्होंने निभाई. उन्होंने युद्ध में भूमिका निभाई, राजदूत रहे और वे दिल्ली के उपराज्यपाल भी रहे.
अध्यक्ष महोदय, इन सब महानुभावों के निधन से देश को बहुत क्षति हुई है, मैं कांग्रेस विधायक दल की तरफ से इन सभी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए और शोकाकुल परिवारों के लिए संवेदना व्यक्त करता हूँ.
श्री सत्यप्रकाश सखवार ''एडवोकेट'' (अम्बाह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके द्वारा, माननीय मंत्री जी के द्वारा और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी के द्वारा जो निधन उल्लेख किया गया है, उसी श्रृंखला में निधन का उल्लेख करने के लिए मैं खड़ा हुआ हूँ.
अध्यक्ष महोदय, श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी, सदस्य विधान सभा, श्री राम सिंह यादव, सदस्य विधान सभा, श्री प्रभुदयाल गेहलोत, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, श्री शालिगराम श्रीवास्तव, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, श्री राम रतन चतुर्वेदी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, श्री रामखेलावन, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, श्री धनसुखलाल भाचावत, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, श्री विजय नारायण राय, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, श्री रतनसिंह भाबर, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, श्री पुरुषोत्तम लाल कौशिक, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, श्री संतोष मोहन देव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, श्री प्रियरंजन दासमुंशी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, श्री माखनलाल फोतेदार, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, श्री सुल्तान अहमद, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, प्रोफेसर सांवल लाल जाट, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, श्री तसलीम उद्दीन, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री तथा श्री अर्जन सिंह, भारतीय वायु सेना के पूर्व एचर चीफ मार्शल, इन महान विभूतियों के चले जाने के कारण इनके परिवारजनों को बहुत गहरा दु:ख हुआ है, हम सबको भी बहुत गहरा दु:ख हुआ है. यह प्रकृति का नियम है कि इस परिवर्तनशील संसार में जो भी आया है उसे जाना पड़ता है. इस संसार में कोई भी अजर-अमर नहीं है. संयोग कितना भी लंबा क्यों न हो, एक दिन वियोग में बदलता है और वियोग दु:ख का कारण है. इसलिए इन विभूतियों के हमारे बीच से चले जाने से उनके परिवारजनों को, हम सभी को बहुत दु:ख हुआ है. इन्होंने अपने सामाजिक जीवन में, राजनीतिक जीवन में बहुत गहरी छाप छोड़ी थी और अपने कर्तव्य के बल पर उन्होंने इतिहास के पन्नों पर नाम लिखाया है जो हमेशा याद किए जाते रहेंगे. इस मौके पर मैं उनके सम्मान में उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ तथा श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मैं श्री महेन्द्र सिंह जी कालूखेड़ा, श्री राम सिंह जी यादव, श्री प्रभुदयाल गेहलोत, श्री शालिगराम जी श्रीवास्तव, श्री राम रतन चतुर्वेदी, श्री रामखेलावन , श्री धनसुखलाल भाचावत, श्री विजय नारायण राय, श्री रतनसिंह भाबर, श्री पुरुषोत्तम लाल कौशिक, श्री संतोष मोहन देव, श्री प्रियरंजन दासमुंशी, श्री माखनलाल जी फोतेदार, श्री सुल्तान अहमद, प्रो. सांवर लाल जाट, श्री तसलीम उद्दीन एवं पूर्व एयर चीफ मार्शल, श्री अर्जन सिंह जी की दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देता हूं और आपकी भावनाओं से, माननीय वित्त मंत्री जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष तथा सखवार जी की भावनाओं से अपनी भावनाओं को भी जोड़ता हूं.
अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री जी कह रहे थे कि महेन्द्र सिंह जी कालूखेड़ा बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी थे. यह अक्षरशः उन पर बात लागू होती है. अगर देखा जाये, तो यह भी एक संयोग है कि उनका जन्म गुजरात में हुआ, शिक्षा उनकी राजस्थान में हुई और उनकी कर्म भूमि मध्यप्रदेश रही और इससे भी ज्यादा मुंगावली जिला शिवपुरी है, इसके बाद जावरा रतलाम जिला है. इन दोनों जगहों से वे विधायक रहे और गुना से सांसद रहे. आज मैं समझता हूं कि बहुत कम लोग इतनी अलग अलग जगहों से चुनकर आ सकते हों. निश्चित ही उनमें कुछ ऐसी काबिलियत तो जरुर थी. मेरा उनका बड़ा पुराना परिचय था और यदि मैं कहूं कि वे एक बहुत ही कुशल संसद विद् थे और बड़े प्रभावी ढंग से अपनी बात यहां रखा करते थे. बड़ी तैयारी के साथ आते थे. वे बिना तैयारी के कभी नहीं बोलते थे. उनके घर में भी मुझे कई बार जाने का मौका मिला. तो मैंने यह देखा कि आधे पलंग पर वे खुद सोते थे और आधे पलंग पर उनकी किताबें और कागज ये रखी रहती थीं. तो इतनी तैयारी उनकी होती थी और जब वे बोलते थे, तो बड़ी सटीक बात कहते थे. वे ऐसी कोई बात नहीं करते थे, जिससे किसी को चोट पहुंचे और विरोधाभासी बात या कटाक्ष वाली बात नहीं करते थे. बड़ा उनका सधा हुआ भाषण होता था. सबसे बड़ी बात एक और है कि लोक लेखा समिति के सभापति के नाते लगातार दो, तीन बार वे सभापति रहे. एक तरह से कार्य संस्कृति उनमें इतनी रची बसी थी, वर्क कल्चर जिसे कहते हैं कि पिछले 6-7 सालों का जो बैकलॉग था, महेन्द्र सिंह जी और उस समिति ने, इसके लिये समिति के सभी सदस्य भी बधाई के पात्र हैं, पूरा क्लीयर कर दिया. इतना वे काम करते थे और सदन में इतनी क्षमता रखते थे, इतना उनको ज्ञान था कि हर विषय पर बोलते थे. अध्यक्ष महोदय, विधेयकों पर बोलना तो आप जानते हैं कि कठिन होता है, बहुत कम लोग विधेयकों पर बोलने में भागीदारी निभाते हैं, लेकिन महेन्द्र सिंह जी विधेयकों पर भी अपनी राय देते थे. तो ऐसे एक कुशल व्यक्ति को हमने खोया है. वे अत्यन्त लोकप्रिय थे, खेल संघों से जुड़े थे. सहकारिता आंदोलन से जुड़े थे और जब इतने लोकप्रिय थे अपने क्षेत्र में, मैंने तब जाना, जब मैं उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुआ. उनकी अंतिम यात्रा उनके घर से निकली, जहां दाह संस्कार होना था. घरों के दोनों तरफ तमाम महिलाएं, बच्चे उनके आसूं गिरते हुए, बिलखते हुए फूल छोड़ रहे थे. मुझे लगा कि कितने लोकप्रिय व्यक्ति हैं. मुझे कबीरदास जी की वह पंक्ति याद आ गईं कि -
"कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसे हम रोए
ऐसी करनी कर चलो कि हम हंसे और जग रोए."
इस तरह का वातावरण वहां पर मैंने देखा. मैं बड़ा प्रभावित हुआ. एक अच्छे सांसदविद् को, एक अच्छे इंसान को हमने खोया है और मैं यदि कहूं कि -
"बड़े गौर से सुन रहा था जमाना
तुम ही सो गए दास्तां कहते-कहते."
तो श्री महेन्द्र सिंह जी के जाने से सदन में एक बड़ी रिक्तता आई है. वह क्षति पूरी नहीं की जा सकती है. खैर, जो आया है वह जाएगा. यह तो प्रकृति का नियम है. ईश्वर का नियम है.
अध्यक्ष महोदय, श्री राम सिंह जी यादव, कोलारस से विधायक थे. वे अत्यंत लोकप्रिय व्यक्ति थे. उन्होंने विधान सभा का सफर इस सदन के सदस्य बनने के पहले पंचायती राज संस्थाओं के सारे जो स्तर हैं सरपंच से लेकर जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, सभी पदों पर वह रहे. इससे मालूम होता है कि वे ग्रामीण परिवेश में या किसानी पृष्ठभूमि में कितने रचे-बसे हुए व्यक्ति थे. वे बड़े सरल स्वभाव के थे. मृदुभाषी थे और शायद यही उनकी लोकप्रियता का राज भी था.
अध्यक्ष महोदय, एक संयोग है कि 2 वर्तमान विधायक और 7 पूर्व विधायक, जिनका आज सदन में श्रद्धांजलि के लिए उल्लेख हुआ है, उनमें से 7 लोगों के साथ मैं सदस्य रहा हूं. सिर्फ श्री धनसुखलाल भाचावत और श्री रतनसिंह जी भाबर, इनको छोड़कर सबके साथ मुझे काम करने का मौका मिला. ऐसी विभूतियां जो यहां चुनकर आती हैं, वे बड़े संघर्ष से आती हैं. विधान सभा में पहुंचना, लोक सभा में पहुंचना सरल नहीं है. बहुत कुछ खोना पड़ता है तो सबने बड़ा संघर्ष किया. मैं श्री राम सिंह यादव जी के प्रति, उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं देता हूं. श्री प्रभुदयाल जी गेहलोत, श्री शालिगराम जी श्रीवास्तव, इन सबके साथ मैं सदस्य रहा.
अध्यक्ष महोदय, श्री विजय नारायण राय जी का मैं उल्लेख करना चाहूंगा. चूंकि राय साहब हमारे जिले सतना, जहां के हम हैं वहां से वह आते थे. राय साहब का जन्म बनारस में हुआ था. उन्होंने काशी विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की और वहां से उन्होंने एम.ए. किया था तो शादी करने के लिए मैहर आए और शादी के बाद से वहीं के घर जवाई बनकर रह गये और मैहर को ही अपनी राजनीतिक कर्म भूमि बनाया. खेल संघों से जुड़े रहे और कुश्ती फेडरेशन के प्रदेश के अध्यक्ष भी थे. बाबा अलाउद्दीन समारोह जो मैहर में होता है, उसमें उनकी गहरी रुचि होती थी. समारोह शुरू होने की तारीखों के लगभग एक महीने पहले से उनकी तैयारियां शुरू हो जाती थीं. सब को फोन करना शुरू हो जाता था, सरकार के मंत्रियों को खटखटाने लगते थे, इतनी रुचि राय साहब में थी. राय साहब बड़े सरल स्वभाव के थे. आज हमारे बीच में राय साहब नहीं हैं. यह बहुत बड़ी कमी है.
अध्यक्ष महोदय, श्री माखनलाल जी फोतेदार, हम लोगों के वरिष्ठ नेता थे और मार्गदर्शक थे. एक बड़े बुद्धिजीवी थे और बड़े नपे-तुले शब्दों में बात किया करते थे और आदरणीय इंदिरा जी, राजीव गांधी जी के नजदीकियों में से थे. हम लोगों को भी उनसे यदा-कदा बात करने का अवसर मिलता था तो उनकी भी कमी आज खल रही है.
अध्यक्ष महोदय, तसलीम उद्दीन साहब का तो रिकॉर्ड देखें 8 बार विधायक और 5 बार सांसद, ऐसा रिकॉर्ड तो बहुत कम देखने को मिलता है. मुझे अध्ययन करना पड़ेगा है कि कहीं इतने बार कोई और भी रहा है, आठ और पांच, तेरह बार वे रहे हैं. निश्चित ही वे लोकप्रिय रहे होंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं एयर चीफ मार्शल श्री अर्जन सिंह जी के बारे में कहना चाहूंगा. यह पांच सितारा मार्शल हैं. भारत के इतिहास में आजादी के बाद 70 सालों में सिर्फ फौज में दो लोगों को जनरल श्री करियप्पा को और जनरल श्री मानेक शॉ को पांच सितारा रेंक मिली है और वायु सेना में सिर्फ एयर चीफ मार्शल श्री अर्जन सिंह जी को यह अलंकार मिला है. यह बहुत बड़ा सम्मान है. चूंकि पांच सितारा जनरल का पद होता नहीं है. विशेष प्रकार से यह पद इन महानुभावों के लिए सृजित किया गया. चूंकि इनके काम ऐसे थे, इन्होंने इस तरह से त्याग किया और वर्ष 1962 की चीन की लड़ाई में सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, वर्ष 1965 की लड़ाई में नेतृत्व किया तो श्री अर्जन सिंह जी, बाद में कई जगह एम्बेसडर्स भी थे तो उनकी कमी भी खलेगी. अध्यक्ष महोदय, इन सभी दिवंगत आत्माओं के प्रति मैं अपनी तरफ से श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं.
श्री कैलाश चावला(मनासा)-- अध्यक्ष महोदय, सदन के लिए आज बड़े दुखद क्षण हैं. पिछले सत्र तक इस सदन में उपस्थित रहकर हम सबके बीच चर्चा में भाग लेने वाले स्वर्गीय महेन्द्र सिंह जी और रामसिंह जी यादव दो वर्तमान सदस्यों को आज सदन श्रद्धांजलि दे रहा है.
अध्यक्ष महोदय, महेन्द्र सिंह जी कालूखेड़ा के बारे में जैसा पूर्व वक्ताओं ने भी कहा है, वे एक बहुत सक्रिय,संवेदनशील और अध्ययनशील राजनेता थे. वे लगातार जन समस्याओं को हल करने की दिशा में सक्रिय रहे. विधायक के रुप में, मंत्री के रुप में, सांसद के रुप में और दुग्ध संघ के अध्यक्ष के रुप में उन्होंने इस प्रदेश की और प्रदेश की जनता की बहुत सेवाएं की है. उनको इस रुप में हमेशा याद किया जाता रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, मुझे उनके साथ लोक लेखा समिति के सदस्य के रुप में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ. हमने जब इस कमेटी का कार्यकाल इस विधान सभा में शुरु किया तो लगभग 5-7 साल के ऑडिट पैराज़ थे, वह लंबित थे. हर बार जवाब भी ठीक समय पर नहीं आते थे. महेन्द्र सिंह जी ने लगातार समिति की बैठकें बुलाकर समिति को इस स्थिति में लेकर आये कि आज पिछले 1-2 साल के ही ऑडिट पैराज़ बचे हैं. समिति के प्रतिवेदनों को लगातार प्रयास करके विधान सभा पटल पर रखा है. उन्होंने लोक लेखा समिति को और प्रभावी बनाने की दिशा में कदम उठाये थे. इस रुप में भी वे निश्चित रुप से याद किए जाएंगे कि समिति को प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने बहुत अच्छा कार्य किया. मैं इस अवसर पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, धनसुख लाल भाचावत जो सीतामऊ से पूर्व विधायक थे. मैं जब पहली बार सीतामऊ से चुनाव लड़ा और जीता उसके पहले श्री भाचावत ही विधायक थे. मेरे ही क्षेत्र के रहने वाले थे. कॉलेज के समय से ही मेरा उनका परिचय था. एक बहुत अच्छे राजनैतिक कार्यकर्ता के रुप में क्षेत्र में विख्यात थे. उन दिनों जब कांग्रेस का प्रादुर्भाव हुआ था तो जिला कांग्रेस के अध्यक्ष के रुप में कांग्रेस में प्राण फूंकने में उनका बड़ा योगदान रहा था. बाद में भी वह धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों से जुड़े रहे. उनको भी मैं अपनी ओर से श्रद्धांजलि देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, आपने और जिन महानुभावों के निधन का उल्लेख किया है, उन सबको मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
श्री के पी सिंह( पिछोर )-- अध्यक्ष महोदय, माननीय महेन्द्र सिंह जी और आदरणीय रामसिंह जी यादव दोनों वर्तमान विधान सभा के सदस्य रहे,उनको तथा इस सूची में उल्लेखित समस्त दिवंगतों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
मैं
माननीय
महेन्द्र
सिंह का जिक्र
इस परिपेक्ष्य
में करना
चाहूंगा कि जब
मैंने सक्रिय
राजनीति में
प्रवेश किया तो
सबसे पहले किसी
राजनीतिक
व्यक्ति के
समीप रहने का
यदि अवसर मिला
तो वह
महेन्द्र
सिंह जी थे.
महेन्द्र सिंह
जी उज्जैन में
विद्यार्थी
राजनीति जीवन
से जुड़े रहे.
वे सर्वप्रथम
उज्जैन विश्व
विद्यालय में
जनरल
सेक्रेटरी के
रुप में
निर्वाचित
हुए थे. ग्वालियर
से उनका बड़ा
करीबी नाता
रहा. मैं उस
समय उनके
संपर्क में
आया. मैं
हमेशा उनसे यह
सवाल पूछता
रहा कि हम
जैसे लोग जो
राजनीति में
अपनी-
अपनी
महत्वाकांक्षा
पालते हैं,
उनकी क्या
वर्तमान
राजनीति में
कोई जगह हो
सकती है. तो
उनका यह जवाब
हमेशा होता था
कि देखो भाई,
भविष्य कोई तय
नहीं कर सकता.
मेहनत
करो,सद्भाव रखो
और ईमानदारी
से लोगों की
सेवा करने का
कोई मौका मत
जाने दो. हम
लोग जब यूथ
कांग्रेस में
काम करते थे,
उनसे काफी मदद
हमको मिली. आज
जो मैं इस सदन
में आपसे
सामने सदस्य
के रूप में
खड़ा हुआ हूं,
उनका बहुत
बड़ा योगदान मुझको
इस सदन तक
पहुंचाने में
रहा. वह गुना
से सांसद के
रूप में चुने
गये और हम
सबको उनके साथ
रहने का अवसर
मिला. भले वह
उज्जैन संभाग
के रहने वाले
थे लेकिन
जितना लगाव
उनका उज्जैन
के प्रति रहा,
उससे कम लगाव
ग्वालियर
संभाग के
प्रति नहीं
रहा. शिवपुरी
जिले के प्रभारी
मंत्री के रूप
में जब मैं
पहली बार विधायक
बना तो उनके
काम करने का
तरीका, उनका
समर्थन, कैसे
अपने आप को
स्थापित करना
है, कैसे लोगों
की सेवा करना
है बहुत कुछ
उनसे सीखने का
मौका मिला.
उनकी बहुत
सारी
स्मृतियां मुझसे
जुड़ी हुई
हैं. कभी भी
उन्होंने
लाग-लपेट की
बात नहीं की.
एकदम स्पष्ट
बात की. किसी
को भ्रम में
रखने की कोशिश
नहीं की. आज
हमारे बड़े भाई,
हमारे बीच में
नहीं हैं,
हमें उनके
प्रति अपने
विचार प्रगट
करने का अवसर
विधान सभा में
मिला मैं पूरी
तरह से तो
अपनी बात नहीं
कह सकता लेकिन
मैं उनके
प्रति
हार्दिक
संवेदना व्यक्त
करता हूं.
हमारे एक और साथी,हमारे जिले के राम सिंह यादव जी, वह भी महेन्द्र सिंह जी के सानिध्य से इस विधान सभा के सदस्य बने. मुझे एक वाकया उनसे जुड़ा हुआ याद आता है. आदरणीय अर्जुन सिंह जी, प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. यह वर्ष,1983 की बात है. मैं पिछोर में जनपद अध्यक्ष था,जहां से मैं वर्तमान में विधायक हूं. राम सिंह जी बदरवास से जनपद अध्यक्ष थे. हम दोनों जिला पंचायत अध्यक्ष के पद के प्रत्याशी थे. हम दोनों के मन में था कि हम दोनों में से कोई अध्यक्ष बन जाये. वहां कांग्रेस का बहुमत था. दोनों अपनी-अपनी तरह से अपना-अपना दावा पेश कर रहे थे और आखिर में जब पार्टी का निर्णय हुआ तो तीसरे व्यक्ति को जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी बना दिया. राम सिंह जी और मेरे बीच बात हुई. चूंकि वह जमीनी स्तर से आये थे. पंच,सरपंच रहे. सरपंच के बाद जिला पंचायत सदस्य,जनपद अध्यक्ष रहे. मैंने भी उनसे कहा और उन्होंने भी मुझसे कहा कि अगर हम दोनों अपनी महत्वाकांक्षा जाहिर नहीं करते तो हम दोनों में से ही कोई अध्यक्ष होता, लेकिन हम दोनों ने अपनी-अपनी बात अपने-अपने तरीके से रखी, परिणाम यह निकला कि एक ऐसा व्यक्ति जिसके साथ कोई व्यक्ति नहीं था उसको अध्यक्ष बना दिया गया. उस दिन से हम दोनों ने संकल्प लिया कि किसी भी पद के लिये अपनी दावेदारी प्रस्तुत नहीं करेंगे. जो मिलेगा उसी को मुकद्दर मान लेंगे. अभी राम सिंह दादा के भाई का कुछ दिन पहले निधन हुआ. तीन-चार दिन पहले की बात है. मैं उनके भाई के निधन के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करने उनके घर पहुंचा. चूंकि रामपाल सिंह जी की बायपास हो चुकी थी. मैंने उनसे कहा दादा, बेटा उनका सामने बैठा था मैंने कहा कि अब इसका तिलक कर देना चाहिये, अब आपका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है तो वह हंसने लगे नहीं, बोले जिसके मुकद्दर में होगा उसी को मिलेगा, मैं किसी को तिलक नहीं कर सकता. मैंने बात तो मजाक में कही थी लेकिन 3 दिन बाद मुझे पता लगता है कि रामसिंह दादा जी का देहांत हो गया और आज मुझे वह समय अचानक याद आ जाता है कि कभी-कभी चाही अनचाही मजाक में कही गई बातें भी सत्य हो जाती हैं और उस समय हम सोच नहीं पाते कि यह बात हम मजाक में कह रहे हैं या इस बात में कुछ गंभीरता भी हो सकती है.
अध्यक्ष महोदय, आदरणीय महेन्द्र सिंह जी एवं रामसिंह जी के साथ मैंने काफी लंबा समय राजनीति में गुजारा, किसी न किसी रूप में साथ चलते-चलते, कहानी सुनते सुनाते आपस में हम यहां तक पहुंचे, लेकिन मैं अपना दुर्भाग्य मानता हूं कि वह हमारे बीच में नहीं हैं. साथ ही बड़ा अटपटा लगता है जबसे इस विधान सभा में आये हैं और विशेषकर इस सत्र में 4 साल हो गये हैं 5वीं साल हमारी स्टार्ट होगी, इन 4 सालों में शायद संख्या कहीं मैं भूल न कर रहा हूं तो 9 विधायक हम खो चुके हैं. पता नहीं प्रकृति क्या चाहती है और क्या इसकी नीयत है. विधान सभा के वर्तमान सदन को लेकर भी कई तरह की बाहर चर्चायें होती हैं, अब वह क्या है, क्या नहीं है आप भी उन सब चीजों में भरोसा रखते हैं. मेरी आपसे प्रार्थना है, हम लोग उस संस्कृति और उस परंपरा के लोग हैं जो बहुत सारी उन चीजों में भरोसा करते हैं जो विज्ञान के अलावा है, तो क्या है, क्या नहीं हैं उस संबंध में मेरी आपसे प्रार्थना है कि उसका थोड़ा सा आध्यात्मिक रूप से अध्ययन कराया जाये और कुछ कर्मकाण्ड जो हमारे पुराणों में या परंपरा अनुसार हैं उसको करा लिया जाये तो शायद यह दिन हमें देखने को न मिलें. मुकेश नायक जी कह रहे हैं कि शायद वास्तु दोष है, इनको ज्यादा ज्ञान है, ज्योतिष का भी ज्ञान है और विद्वान भी हैं. नरोत्तम जी आप संसदीय मंत्री हैं आपसे भी मेरी प्रार्थना है कि क्या वास्तुदोष है उसे दूर कराने का प्रयास हमारे द्वारा होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय, वर्णसूची में एक नाम प्रियरंजन दास मुंशी जी का है. इतना सरल व्यक्ति जीवन में होना बड़ा मुश्किल है. एक वाक्या मुझे वर्ष 2006 का याद आता है, मैं थोड़ा खेल-कूद गतिविधियों से जुड़ा रहा और देखने का मुझे आजकल विशेष शौक है. वर्ष 2006 में प्रियरंजन दास मुंशी जी अखिल भारतीय फुटवाल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे. जब फुटबाल वर्ल्डकप के टिकिट नहीं मिल रहे थे तो मैं उनके पास गया. उनसे मेरा कोई बहुत ज्यादा परिचय नहीं था, कांग्रेस के जमाने में थोड़ी बहुत मुलाकात थी. बंगले पर पहुंचा और मैंने कहा दादा जर्मनी में वर्ल्डकप है और मैं वहां मेच देखने जाना चाहता हूं, मुझे टिकिट चाहिये. पहले तो बोले क्या करोगे जर्मनी तक जाओगे, यहीं टी.व्ही. पर देख लेना. मैंने कहा नहीं दादा आप चूंकि अध्यक्ष हैं आप व्यवस्था करा सकते हैं तो करा दीजिये. तीन दिन बाद मेरे पास फोन आया कि आओ और टिकिट ले जाओ. अध्यक्ष महोदय, पश्चिम बंगाल से मेरा कोई ज्यादा जुड़ाव नहीं रहा लेकिन उस व्यक्ति की सरलता और स्नेह ने मेरे शौक और हाबी को देखते हुये सहज रूप से वह टिकिट जो मुझे कहीं से हासिल नहीं हो पा रहे थी उस समय उन्होंने व्यवस्था करा दी. मैं उनको अपनी विनम्र श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं. हालांकि बहुत लंबा समय उन्होंने कोमा की स्थिति में गुजारा लेकिन प्रकृति के आगे सब कमजोर हैं, नत-मस्तक हैं.
अध्यक्ष महोदय, अन्य दिवंगत जिनकी चर्चा आपने, उपाध्यक्ष महोदय और सदन के अन्य साथियों ने की है उनके प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं, उनकी संवेदना में अपने आपको सम्मलित करता हूं और अंत में अपनी विनम्र श्रृद्धांजलि उनके चरणों में समर्पित करते हुये ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर इन सब दिवंगतों की आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिजनों को इस गहन दु:ख को सहन करने की क्षमता प्रदान करें. ओम शांति, शांति, शांति.
अध्यक्ष महोदय-- मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रृद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रृद्धांजलि अर्पित की गई )
अध्यक्ष महोदय -- दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्य़वाही मंगलवार, दिनांक 28 नवम्बर, 2017 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 12.02 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाँक 28 नवम्बर, 2017 (अग्रहायण, 7 शक संवत् 1939) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 27 नवम्बर, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा