मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा एकादश सत्र
जुलाई, 2016 सत्र
बुधवार, दिनांक 27 जुलाई, 2016
( 5 श्रावण, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 11 ] [अंक- 7 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 27 जुलाई, 2016
( 5 श्रावण, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय प्रश्नों की गति थोड़ा बढ़ायें ताकि 25 प्रश्न पूरे हो जायें और रिकार्ड कायम किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी सलाह स्वीकार है.
निधन का उल्लेख
श्री मोहम्मद गनी अंसारी
श्री गुलाबचंद अग्रवाल
श्री सैयद हैदर रजा
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय श्री मोहम्मद गनी अंसारी इनके साथ में मुझे काम करने का अवसर मिला है. 1990 से लेकर 1992 तक सुन्दरलाल पटवा जी के मंत्रिमण्डल में वे थे और मैंने उनके साथ में काम किया है उसके पहले वह लगातार बुंदेलखण्ड में बहुत सक्रिय रहते थे. भारतीय जनता पार्टी का काम करते थे. वे बहुत ही मिलनसार और सज्जन व्यक्ति थे. इसके अलावा वह हमेशा गरीबों की मदद करते थे. आज निश्चित रूप से उनके निधन से प्रदेश की सार्वजनिक जीवन की अपूरणीय क्षति हुई है. मैं अपनी ओर से अपने दल की ओर से उनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
श्री गुलाबचन्द जी अग्रवाल, भारतीय जनसंघ के दतिया जिले से जैसा कि आपने उल्लेख किया है दतिया नगर में दतिया नगरपालिका के तीन बार नगर अध्यक्ष रहे हैं. वहीं से वे विधायक भी रहे हैं. आपातकाल में वह जेल में भी रहे हैं और निश्चित रूप से उनके निधन से हमारी एक अपूरणीय क्षति हुई है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. उनके परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें.
श्री सैयद हैदर रजा, यह विश्व विख्यात चित्रकार जिनका जन्म मण्डला में हुआ था. इनका बाल्यकाल दमोह में बीता था. वहीं पर इन्होंने चित्रकारिता सीखना प्रारम्भ किया था. उसके पश्चात वह फ्रांस चले गये और लगातार वहीं पर रहे. वहीं पर उनका विवाह हुआ और उनके कोई पुत्र या पुत्री नहीं थे उनको कई बार हमने राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया है. उनका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता के लिए जो कंट्रीब्यूशन रहा है उसके लिए सम्मानित किया गया है. आज से 12 - 13 वर्ष पूर्व वह दिल्ली आकर सेटल हो गये थे फिर वहीं पर उनका इंतकाल हुआ है. हैदर रजा साहब के निधन से देश ने एक शीर्षस्थ और सिद्धस्त चित्रकार खो दिया है. मैं उनके चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ( श्री बाला बच्चन ) -- अध्यक्ष महोदय श्री मोहम्मद गनी अंसारी जी का जन्म 12 अगस्त 1936 को चन्दला में हुआ था. वे शासकीय सेवा में थे उसके बाद में उन्होंने शासकीय सेवा को 1972 में त्यागकर राजनीति में आये थे उसके बाद से वह राजनीति में काफी समय तक सक्रिय रहे हैं. मध्यप्रदेश की 9वीं विधान सभा में भी वे चन्दला विधान सभा से चुनकर आये थे . उसके बाद में वह राज्यमंत्री वक्फ एवं मछली पालन विभाग के बने थे. उसके बाद में उर्दू अकादमी में भी उन्होंने अपनी काफी सेवा दी हैं. मुस्लिम समाज से संबंधित सेवा में भी वे हमेशा लगे रहे हैं. आज वे हमारे बीच में नहीं रहे हैं. उनके निधन से प्रदेश के सार्वजनिक जीवन की एक अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही श्री गुलाबचन्द अग्रवाल जी जन्म 7 अप्रैल, 1934 को हुआ था और वे तीन बार दतिया नगर पालिका के अध्यक्ष रहे हैं और मध्यप्रदेश की 5वीं विधान सभा में दतिया से ही विधायक के रूप में चुने भी गए थे. आज उनके निधन से प्रदेश ने कर्मठ समाजसेवी को खो दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही श्री सैयद हैदर रजा जी का जन्म 22 फरवरी, 1922 को मण्डला जिले में हुआ था और 12 साल की उम्र से ही उन्होंने चित्रकारी का काम शुरू कर दिया था. एब्सट्रैक्ट आर्ट बनाने वाले श्री रजा अपनी बिंदु शैली के लिए दुनिया में विख्यात हुए. उनको वर्ष 1981 में पद्मश्री, वर्ष 2007 में पद्मभूषण और वर्ष 2013 में पद्म विभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया और वर्ष 2015 में फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान '' द लिजियन ऑफ ऑनर '' से भी उन्हें सम्मानित किया गया है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि भारत की चित्रकला को पूरे विश्व में उन्होंने सम्मान दिलाया, वे आज हमारे बीच में नहीं रहे, उनके निधन से हमने एक बड़े और सिद्धहस्त चित्रकार को खो दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन तीनों दिवंगत आत्माओं को मैं अपनी तरफ से तथा अपने दल की तरफ से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ तथा श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ. ईश्वर से और अल्लाहताला से मैं दुआ करता हूँ, प्रार्थना करता हूँ कि इन दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें और इनके शोक-संतप्त परिवारों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूँ. ऊँ शांति, शांति, शांति.
श्री बाबूलाल गौर (गोविंदपुरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री मोहम्मद गनी अंसारी जो पूर्व विधान सभा सदस्य रहे हैं, जब माननीय सुंदरलाल पटवा जी मुख्यमंत्री थे तब वे पहली बार मंत्री बने थे और यहां पर मैंने उनके जीवन का बहुत अच्छा ध्येय देखा. भारतीय जनता पार्टी से पहले मुस्लिम व्यक्ति जो मंत्री बने थे वे मोहम्मद गनी अंसारी थे. वे बहुत मिलनसार थे, वे रोज ही हम लोगों को दावत देते थे कि आइये हमारे यहां दावत करिए क्योंकि वे मछली पालन के भी मंत्री थे. वे इतने ईमानदार और निष्ठावान थे कि उनको देखकर यह तरस आता था कि क्या मंत्री इतना सादा भी रह सकता है, इतना शांत भी रह सकता है. मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री गुलाबचन्द अग्रवाल, जो विधान सभा के भूतपूर्व सदस्य दतिया के थे, हालांकि वे दतिया के रहने वाले थे लेकिन वे हमारे साथ 19 महीने बेगमगंज में रहे. उनके अंदर एक अलग बात थी, वहां जब हमारा मीसाबंदियों का भोजन बनता था तो वे वह भोजन नहीं करते थे, वे मुझसे कहते थे बाबूलाल गौर आओ, हम अपने हाथ से टिक्कड़ बनाएंगे और खाएंगे. उनका वहां अलग ही चूल्हा रहता था. वे बहुत ही निर्मल और स्वच्छ हृदय के व्यक्ति थे, मैं उनको भी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत के सर्वश्रेष्ठ चित्रकार सैयद हैदर रजा को भी मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूँ. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई)
अध्यक्ष महोदय -- दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(11.14 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई)
11.22 बजे विधानसभा पुनः समवेत हुई
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या- 1 (अनुपस्थित)
गुना जिले में आवंटित बजट एवं सामग्री
2. ( *क्र. 3000 ) श्रीमती ममता मीना : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) गुना जिले में गत तीन वर्षों में विधानसभा क्षेत्रवार किस-किस योजना में कितना बजट दिया गया? कितना वर्षवार खर्च किया गया? यदि समानता नहीं है तो कारण सहित बतायें। (ख) गुना जिले में हैण्डपंपों की विधानसभा क्षेत्रवार आवंटित कितनी केसिंग गत तीन वर्षों में तकनीकी अधिकारियों को दी गई? कितनी केसिंग केन्द्रीय भण्डार द्वारा दी गई? किन तकनीकी अधिकारियों पर अभी भी केसिंग बकाया है? क्या विभाग उन पर कार्यवाही करेगा? (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) में वर्णित ऐसे कितने तकनीकी अधिकारी मौजूद हैं या स्थानांतरित हो गये हैं, जिनके नाम विभाग की सामग्री बकाया है, वह वसूल की जायेगी? उनने क्यों खर्च नहीं की बतायें। (घ) प्रश्नांश (क) (ख) और (ग) में वर्णित तथ्यों की तकनीकी समूह से योजनावार जाँच करायी जावेगी कि विधानसभा क्षेत्रवार प्राप्त बजट के आवंटन में पक्षपात किया है? कौन जिम्मेदार है? क्या उन पर कार्यवाही होगी एवं कब तक?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) बजट विधानसभा क्षेत्रवार नहीं दिया जाता। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) केसिंग विधानसभा क्षेत्रवार आवंटित नहीं की जाती। केन्द्रीय भण्डार अस्तित्व में नहीं होने के कारण केसिंग नहीं दी गई है। तकनीकी अधिकारियों पर केसिंग बकाया नहीं होने से कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) किसी भी तकनीकी अधिकारी के पास विभाग की सामग्री बकाया नहीं होने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश (क) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती ममता मीना--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न (ग) में जो उत्तर आया मैं उस उत्तर से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ी मुश्किल से हम लोगों के प्रश्न लगते हैं और क्षेत्रीय समस्याओं को देखते हुए हम प्रश्न लगाते हैं उसके बाद उत्तर गलत आते हैं तो मन में बड़ी तकलीफ होती है. मैं आपका संरक्षण चाहूंगी. मैंने मंत्री जी से जानकारी चाही थी कि केसिंग केन्द्रीय भंडार द्वारा खरीदी जाती है या तकनीकी अधिकारियों के द्वारा. माननीय मंत्री जी ने कहा कि केन्द्रीय भंडार अस्तित्व में नहीं है इसलिए केसिंग नहीं दी गई. मैं यह जानना चाहती हूं कि नलकूप विभाग के द्वारा खनन किये गये या उन्हें केसिंग दी गई तो किस प्रकार दी गई है. जब केन्द्रीय भंडार अस्तित्व में नहीं है तो वहाँ से केसिंग आई नहीं और मंत्री जी कह रहे हैं कि हमारे तकनीकी अधिकारियों के द्वारा भी केसिंग नहीं दी गई है तो माननीय अध्यक्ष महोदय, किसके द्वारा नलकूप खनन किया गया, क्या बिना केसिंग के नलकूप खनन हुआ. जब तकनीकी अधिकारियों के द्वारा केसिंग मिली नहीं, केन्द्रीय भंडार से केसिंग नहीं दी गई तो क्या बिना केसिंग के नलकूप खनन हुआ क्या? इसके बाद मैंने एक और जानकारी चाही थी कि विधानसभावार जानकारी दे दें कि तीन वर्ष में कितने नलकूप खनन हुए और किन-किन उससे केसिंग उसमें लगाई गई, कितनी केसिंग लगाई गई. माननीय मंत्री जी मुझे यह जानकारी दे दें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो बजट होता है वह जिलेवार होता है, विधानसभावार नहीं होता है और जिले के अनुसार ही बजट दिया जाता है. केन्द्रीय भंडारगृह जैसी कोई चीज अब पीएचई में अस्तित्व में नहीं है. सीधे-सीधे जिलेवार सामग्री खरीदी जाती है और आवंटित की जाती है.
श्रीमती ममता मीना--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानती हूं कि जिले का बजट होता है लेकिन मैंने यह भी जानना चाहा था कि तीन वर्ष में कहाँ –कहाँ नलकूप खनन हुए और केसिंग लगी है और उपयंत्रियों के माध्यम से केसिंग यदि वितरित नहीं की गई तो फिर किसके माध्यम से केसिंग वितरण की गई? क्या डायरेक्ट ठेकेदार केसिंग लगाएगा क्या? माननीय मंत्री जी ने कहा है कि उपयंत्रियों के माध्यम से भी केसिंग वितरण नहीं की गई और केन्द्रीय भंडार अस्तित्व में नहीं है तो कहाँ से केसिंग वहाँ लगाई गई है? क्या बिना केसिंग के नलकूप खनन हुए हैं? अगर बिना केसिंग के नलकूप खनन हुए हैं तो वह जांच करा लें और केसिंग कहाँ से वितरण हुई वह जांच करा लें. मैं मंत्री जी से यह चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, केसिंग कहाँ से खरीदे गये?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय, केसिंग के बिना तो हैण्डपंप की कल्पना ही नहीं हो सकती. केसिंग लघु उद्योग निगम से खरीदी गई है. इसके अतिरिक्त सारी सरकारी सामग्री लघु उद्योग निगम से खरीदी जाती है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- अभी उत्तर पूरा नहीं आया है. मूल प्रश्नकर्ता को प्रश्न करने दीजिए.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस पक्ष के विधायकों के टीका-टिप्पणी करने पर)
श्रीमती ममता मीना- भाइयों मैं अपना सवाल पूछले के लिए खुद सक्षम हूं. मुझे आप लोगों के संरक्षण, सहयोग की आवश्यकता नहीं है. मैं अपनी बात स्वयं रख सकती हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि केसिंग लघु उद्योग निगम के माध्यम से क्रय की गई है तो मेरे प्रश्न के उत्तर में उसका उल्लेख क्यों नहीं किया गया. इसमें आपको उल्लेख करना चाहिए था. इसके अतिरिक्त मैं ये जानना चाहती हूं कि विधानसभावार कितने नलकूपों का उत्खनन कराया गया. केसिंग का आबंटन जिले में हुआ है परंतु वितरण तो विधानसभावार ही होता है. पिछले तीन वर्षों में कितने नलकूपों का उत्खनन हुआ, केसिंग का क्रय कहां से किया गया और केसिंग का वितरण किसके द्वारा हुआ, इसकी माननीय मंत्री जी जांच करा लें. इसके अलावा मुझे भी उक्त जानकारी की एक सूची उपलब्ध करायें, जिससे मैं भी वस्तुस्थिति को जान सकूं.
अध्यक्ष महोदय- मैं उनका प्रश्न स्पष्ट कर देता हूं. उनके विधानसभा क्षेत्र में उत्खनन किए गए नलकूपों की जानकारी एवं केसिंग का क्रय कहां से किया गया इसकी जानकारी वे चाहती हैं. मंत्री जी उक्त जानकारी आप उन्हें उपलब्ध करा दें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- मैं पहले ही बता चुकी हूं कि केसिंग का क्रय लघु उद्योग निगम से किया गया है. विस्तृत विवरण उनके द्वारा पूछा नहीं गया है. परंतु इसकी भी जानकारी मैं उनको प्रदान कर दूंगी. पिछले तीन वर्षों में गुना जिले में विधानसभा क्षेत्र चाचौड़ा में जो काम हुए मैं उनका उल्लेख कर देती हूं. गुना जिले में चार विधानसभा हैं. गुना, बामौरी, राघौगढ़ और चाचौड़ा.
अध्यक्ष महोदय- आप केवल चाचौड़ा का विवरण दें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- अध्यक्ष महोदय, गुना जिले में कुल 940 नलकूपों का खनन हुआ है. उसमें से 263 का खनन चाचौड़ा में किया गया है. जो कि गुना जिले में खनन हुए नलकूपों का 28 प्रतिशत है. अर्थात् चाचौड़ा में हमने सबसे ज्यादा नलकूपों का खनन किया है. बिना केसिंग के तो नलकूप हो ही नहीं सकते.
श्रीमती ममता मीना- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी गलत है. यदि इतने नलकूपों का खनन हुआ होता, तो मैं ये प्रश्न ही सदन में नहीं रखती. इतने नलकूपों का खनन नहीं हुआ है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहती हूं माननीय मंत्री जी इसकी जांच करा लें. उक्त जांच में मुझे भी शामिल करें ताकि मौके पर जाकर मैं बता सकूं कि कहां नलकूप का खनन हुआ है, कहां नहीं हुआ है, कहां केसिंग लगी है, कहां नहीं लगी है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय, बिना केसिंग के नलकूप हो ही नहीं सकते.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी आप प्रश्नकर्ता को खनन किए गए नलकूपों की सूची उपलब्ध करा दें. माननीय सदस्या, उस सूची में से आपको जहां डाउट हो कि नलकूप का खनन नहीं हुआ है, उसके बारे में आप मंत्री जी को लिखिये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारे नलकूपों का खनन हुआ है. मैं निवेदन करना चाहती हूं कि माननीय सदस्या स्वयं जाकर देख लें, जहां नलकूपों का खनन नहीं हुआ होगा, मैं उसकी जांच करा लूंगी. अन्यथा मैं किस बात की जांच करवा लूं.
चिट फण्ड कम्पनियों द्वारा धोखाधड़ी
3. ( *क्र. 3326 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भा.द.वि. की धोखाधड़ी, आपराधिक दुर्विनियोग आदि से संबंधित धाराओं तथा प्रकरण विशेष की आवश्यकतानुसार भा.द.वि. की अन्य संबंधित धाराओं के अलावा म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2000, ईनामी चिट एवं धन परिचालन योजना पाबंदी अधिनियम, 1978 एवं चिट फण्ड अधिनियम, 1982, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 आदि की संबंधित धाराओं में फर्जी, चिटफण्ड/अन्य कम्पनियों द्वारा धोखाधड़ी किए जाने पर कार्यवाही किए जाने के विधिक प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो विगत 03 वर्षों में आगर जिले में ऐसी कितनी कार्यवाही की गई। (ख) विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत कम्पनियों द्वारा धोखाधड़ी के कितने शिकायती आवेदन विगत 03 वर्षों में प्राप्त हुए? थानेवार विवरण देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार प्राप्त आवेदनों में से कितनों में एफ.आई.आर. की जाकर प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अनुसार कार्यवाही की गई? थानेवार विवरण देवें। (घ) क्या स्वप्रेरणा से कम्पनियों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ियों पर प्रभावी कार्यवाही हेतु कोई कार्ययोजना बनाई जावेगी? यदि हाँ, तो क्या व कब तक?
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जी हाँ। प्रश्नांकित अवधि में आगर जिले में भा.द.वि. की धोखाधड़ी, आपराधिक दुर्विनियोग आदि से संबंधित धाराओं के अलावा म.प्र. निक्षेपकों के हितों संरक्षण अधिनियम 2000 के अंतर्गत गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों के विरूद्ध 02 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये हैं। उपरोक्तानुसार पंजीबद्ध प्रकरणों का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांकित अवधि में विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत कम्पनियों द्वारा धोखाधड़ी करने संबंधी केवल एक शिकायत पत्र थाना नलखेड़ा में प्राप्त हुई है, जिसका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (घ) विभिन्न गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों एवं अन्य कम्पनियों द्वारा धोखाधड़ियों पर प्रभावी कार्यवाही हेतु पर्याप्त प्रावधान भारतीय दण्ड विधान एवं विविध अधिनियमों में है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऐसी कम्पनियों पर निगरानी रखी जाती है। इसके अलावा संचालनालय संस्थागत वित्त, म.प्र.शासन तथा रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज द्वारा भी इस संबंध में आपस में समन्वय स्थापित कर कार्यवाही कराई जाती है तथा समय-समय पर इस संबंध में राज्य शासन स्तर पर बैठक कर ऐसी कम्पनियों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों की समीक्षा उपरांत उचित वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाती है।
श्री मुरलीधर पाटीदार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है. मध्यप्रदेश में पिछले लगभग 15-20 सालों से कई कंपनियां अलग-अलग नामों जैसे- ट्यूलिप, एचबीएन डेयरी, सनशाईन, बीपीएन से कार्य कर रही हैं. ऐसी करीब दो दर्जन कंपनियां हैं. जो नाम बदल लेती हैं, कार्यालय बदल लेती हैं और कार्य करती रहती हैं. पूरे प्रदेश में इनके संचालक दो सौ भी नहीं होंगे. इसमें टकराहट एजेंट और ग्राहक के बीच में होती है. पुलिस सामान्यत: एजेंट पर कार्यवाही करती है. संचालक का अता-पता नहीं चल पाता है. मेरा निवेदन है कि इन कंपनी चलाने वाले लोगों पर, इनके रिश्तेदार, नातेदारों के नाम पर आने वाले समय में कोई कंपनी रजिस्टर्ड न हो. यह प्रशासन सुनिश्चित करे और मेरा दूसरा आग्रह यह है कि इन कंपनियों से रिकव्हरी कैसे हो. ये कंपनियाँ मध्यप्रदेश की जनता के और एजेंटों के करोड़ों रुपये हड़प कर भाग गई हैं. हमारे गृह मंत्री जी बहुत सक्षम हैं और मेरा उनसे विनम्र आग्रह है कि इस प्रकार की एक टीम गठित करें लोगों का कितना पैसा फँसा हुआ है, चाहें तो एक विज्ञप्ति कॉल कर लें और उन एजेंटों से हर हालत में उनकी संपत्ति कुर्क करके और समय सीमा में यह कार्यवाही करेंगे तो निश्चित रूप से जनता का भरोसा आपके विभाग पर बढ़ेगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, यह बात सही है कि पूरे देश में और प्रदेश में अनेक ऐसी कंपनियाँ हैं चाहे वो चिटफंड कंपनियाँ हों, चाहे बाकी कंपनियाँ हों, ये कंपनियाँ धोखाधड़ी करके अनेक लोगों का पैसा लेकर भाग जाती हैं. हमारे यहाँ जो इनका लायसेंसिंग सिस्टम है उसमें रिजर्व बैंक इनको लायसेंस देता है. दो तरह की कंपनियाँ होती हैं. एक लायसेंसी होती हैं और एक गैर लायसेंसी होती हैं और जो गैर लायसेंसी कंपनियाँ होती हैं उनका कोई रिकार्ड हमारे यहाँ सरकार के पास नहीं होता है इसलिए ये आकर किसी भी क्षेत्र में ये व्यवसाय करती हैं और बाद में लोगों का पैसा लेकर भाग जाती हैं. इसके लिए हम लोगों ने यह निश्चित किया है कि जो रिजर्व बैंक के अधिकारी हैं उनके साथ हम लोग एक संयुक्त रूप से बैठक करेंगे और उनसे भी इस विषय में बातचीत करेंगे कि इस तरह की जो कंपनियाँ हमारे राज्य के भीतर लोगों का पैसा लेकर भाग जाती हैं उन पर हम प्रभावी कार्यवाही कर पाएँ. इस बारे में भी चर्चा करेंगे और इसके साथ साथ समाज को भी इस बात की जानकारी हो कि हमारा जो पैसा है वह पैसा हमें किन बैंकों में रखना है. कौनसे बैंक ऐसे हैं जो रिजर्व बैंक से मान्यता प्राप्त हैं इसलिए हमने यह निश्चित किया है कि पूरे अगस्त के माह में हम पूरे प्रदेश के थाना स्तर पर एक बैठक आयोजित करेंगे. उस बैठक में उस थाना क्षेत्र के जितने भी जनप्रतिनिधि हैं जो वहाँ पर सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं, ऐसे सारे लोगों को बुलाकर उनसे भी आग्रह करेंगे कि अगर आपके क्षेत्र में कोई इस तरह की कंपनियाँ हैं जो इस तरह की गतिविधियों में संलग्न हैं तो उन कंपनियों की सूचना संबंधित थाने में आप दें तो उससे थाने के स्तर पर भी, पुलिस के स्तर पर भी, हम लोग कार्यवाही कर सकें और हमारे राज्य के भीतर इस तरह की गतिविधियों पर नियंत्रण लगे. इसके लिए दोनों स्तर पर हम कार्यवाही कर रहे हैं.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय मंत्री जी ने बहुत अच्छी एक्शन ली है कि थाने स्तर पर भी एक छानबीन करके कार्यवाही होगी. लेकिन मेरा माननीय मंत्री जी से यह आग्रह है कि वह जो पैसा उनके पास जा चुका है, वह हड़प चुकी है, उसको निकालने की एक सुनिश्चित कार्ययोजना बने और ये कंपनियाँ बैंकिंग के नाम से काम नहीं करती हैं. ये रिजर्व बैंक से लायसेंस नहीं लेती हैं, ये सेबी में चली जाती, आरओसी (रजिस्ट्रार आफ कंपनी) से रजिस्ट्रेशन कराती हैं तो रजिस्ट्रार आफ कंपनी कभी कभी कार्पोरेट एजेन्सी ले लेती है आईआरडीए से तो इन दोनों सेबी, आईआरडीए और आरओसी, इनसे भी माननीय मंत्री जी इस बारे में थोड़ी चर्चा करेंगे तो निश्चित तौर पर इसमें सकारात्मक परिणाम आएँगे और विशेष कर ग्राहक का पैसा निकालने के लिए एक ठोस नीति बने.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- जी माननीय अध्यक्ष जी, इस पर भी गंभीरता से विचार करेंगे.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- श्री शैलेन्द्र पटेल का प्रश्न हो जाए उसके बाद.
11.34 बजे
गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी.
बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों द्वारा नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में प्रवेश.
(बहुजन समाज पार्टी के सदस्यगण श्रीमती शीला त्यागी, एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार, श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया एवं श्रीमती ऊषा चौधरी का नारेबाजी करते हुए सदन में प्रवेश हुआ एवं गर्भगृह में आकर नारेबाजी करने लगे)
अध्यक्ष महोदय-- कृपा करके यहाँ नारे नहीं लगाएँगे. श्री शैलेन्द्र पटेल कृपा करके अपना प्रश्न करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि बड़ा गंभीर विषय है और विषय यह है कि इन कंपनियों ने जो लायसेंस लिया वह किसी प्रोडक्ट बेचने का लायसेंस लिया था. उस प्रोडक्ट की आड़ में इन्होंने पैसा बेचा और मेरा आपके माध्यम से माननीय गृह मंत्री से यह आग्रह है....
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बसपा और काँग्रेस मिलकर मध्यप्रदेश में और देश में लगातार एक षड्यंत्र कर रही है. (व्यवधान) अंबेडकर जी की प्रतिमाएं 40 स्थानों पर लगाकर (व्यवधान) यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है 13 सांसद यहां हैं. हमने कभी भी प्रमोशन में आरक्षण के मामले (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी—(XXX) (व्यवधान)
श्री सोहनलाल वाल्मीक--यह कैसा आरोप लगा रहे हैं इतने वरिष्ठ हैं यह विलोपित किया जाए, इतने वरिष्ठ मंत्री होने के बाद ऐसा आरोप लगा रहे हैं (व्यवधान)
श्री लाल सिंह आर्य--15 राज्यों में हमारी सरकार है (व्यवधान) इन 15 राज्यों में कभी भी..(व्यवधान) क्या बात कर रहे हो (व्यवधान) षडयंत्र केवल वोटों की राजनीति करते हो आप लोग, छह साल अटल जी की सरकार रही है 12 सांसद (व्यवधान) भारतीय जनता पार्टी ने कभी भी ऐसा कदम नहीं उठाया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठ जाएं कृपया, प्रश्नकाल चलने दें. आप लोग अपने स्थान पर जाएं. वकील साहब, माननीय सदस्य डण्डोतिया जी, सखवार जी कृपया अपने स्थान पर जाएं. बैठ जाइए आप. मंत्री जी बैठ जाइए.
श्री जितू पटवारी—(XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--मधु भगत जी, डंग जी कृपा करके बैठें. प्रश्नकाल होने दें. आपसी भी अनुरोध है कि कृपया अपनी सीट पर जाएं. प्रश्न हो जाने दें, प्रश्नकाल है.
(बहुजन समाज पार्टी के गर्भगृह में आए सदस्यगण अपने आसन पर वापस गए)
श्री लाल सिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आधा मिनट में कुछ कहना चाहता हूं. देश सन् 1947 में आजाद हुआ था 57 साल आपकी सरकार रही है 45 साल मध्यप्रदेश में रही है लेकिन उसके बावजूद भी अनुसूचित जाति का आपने भला नहीं किया. अनुसूचित जाति वहीं की वहीं है. तमाम लोग देश में गरीब हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--बैठ जाइए. माननीय मंत्रीजी बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--आरक्षण विरोधी हो आप. अगर यह बोलेंगे तो हम भी बोलेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, आप अनुशासन के नाम पर हम लोगों को बैठाते हैं और यह सरकार के मंत्री हैं. यह अनुशासन है सदन का ?
अध्यक्ष महोदय--श्री शैलेन्द्र पटेल के अलावा किसी का कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री शैलेन्द्र पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे केसेस मध्यप्रदेश के अन्दर चल रहे हैं. कुछ हाई कोर्ट में और कुछ दूसरे कोर्ट में चल रहे हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इन सारे केसेस के लिए पीएचक्यू से एक टीम बनाई जाए ताकि सारे केसेस में एक जैसा एक्शन हो और ऐसी पुनरावृत्ति न हो. इसके लिए थाने लेवल पर तो आप कदम उठा ही रहे हैं. यह कंपनियां आगे काम नहीं करे इसके लिए भी सरकार एक ठोस नीति बनाए.
श्री भूपेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी समीक्षा के लिए हम पीएचक्यू लेवल पर एक कमेटी बना देंगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल--माननीय मंत्रीजी धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--गौर साहब अब आप अपनी सलाह दे दीजिए.
श्री बाबूलाल गौर--मैं माननीय गृह मंत्री जी से अनुरोध करुंगा कि कोई भी बिजनेस होता है वह चाहे मनी लेंडिंग का हो, चाहे स्टेब्लिसमेंट का हो उसको मध्यप्रदेश के अन्दर रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. मनी लेंडिंग एण्ड लायसेंसिंग एक्ट है. क्या यह कम्पनियां एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराती हैं या नहीं यह मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ ?
अध्यक्ष महोदय--आपने तो सुझाव देने का कहा था. आप प्रश्न पूछने लगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब नियम उन पर लागू होते हैं जो कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, वेलिड हैं. जो कंपनियां ही इलीगल हैं, ही इलीगल हैं इसलिए यह सारी कार्यवाही करना पड़ती है.
डॉ. रामकिशोर दोगने--मध्यप्रदेश में अनरजिस्टर्ड कंपनियां काम कर रही हैं तो फिर सरकार उसमें क्या कर रही है.
श्री दिनेश राय--चार कंपनियां हैं जिनका अधिग्रहण करने का, संपत्ति कुर्क करने का आदेश दे दिया है. पुलिस विभाग अब तो कार्यवाही करे.
पेय-जल व्यवस्था हेतु आवंटित राशि
4. ( *क्र. 2844 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वर्ष 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में पेय-जल व्यवस्था हेतु केन्द्र सरकार ने कितनी राशि म.प्र. को दी, जिसमें कितनी खर्च हुई? राशिवार वर्षवार बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के समय अनुसार म.प्र. सरकार ने पेय-जल व्यवस्था हेतु विभाग को कितनी-कितनी राशि आवंटित की तथा कितनी-कितनी खर्च हुई? वर्षवार जानकारी बतावें।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) वर्ष 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में पेयजल व्यवस्था हेतु केन्द्र सरकार से म.प्र. को दी गई राशि एवं खर्च की गई राशि का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री ओमकार सिंह मरकाम--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि पिछली गर्मी के समय प्रदेश में जब भीषण पेयजल संकट आया तो हम लोग भी चिंतित थे कि आखिर प्रदेश सरकार...
अध्यक्ष महोदय--आप भाषण मत दीजिए, सीधे प्रश्न पर आइए और लोगों के भी प्रश्न हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा प्रश्न कर रहा हूँ. मेरे प्रश्न में माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है कि जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी डॉक्टर मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे तो मध्यप्रदेश को वर्ष 2012-13 में 53955.52 लाख रूपये दिये, 2013-14 में 47494. 91 लाख रूपये दिये, 2014-15 में 44017.96 लाख रूपये यहां पर पेयजल व्यवस्था के लिये दिये और जैसे ही केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी और डॉक्टर मनमोहन सिंह जी की जगह मोदी जी प्रधान मंत्री बने तो मात्र 19372.95 लाख रूपये दिये और वर्ष 2016-17 में और पेयजल संकट बढ़ा तो मात्र 9580.40 लाख रूपये दिये. इस तरह से केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश से भेदभाव किया. मेरा प्रश्न यह है कि क्या मंत्री महोदया मध्यप्रदेश के अन्दर पेयजल की व्यवस्था व्यवस्थित रखने के लिये जिस तरह से कांग्रेस की सरकार में राशि मिलती थी, क्या आप भारत की सरकार से इस विषय में मांग करेंगे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार की जिम्मेवारी यह है कि मध्यप्रदेश में पेयजल का संकट नहीं होने दे और इसके बावजूद तीन साल से अवर्षा की स्थिति है, हमने पेयजल का संकट नहीं होने दिया है. इसलिये अन्य जवाब देने की आवश्यकता नहीं है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम:- मेरा एक प्रश्न है कि वर्तमान में जो प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्रों में पेयजल का संकट है और आपके पास धनराशि की कमी है, आपने पेयजल की व्यवस्था ठीक करने के लिये कोशिश भी की है, परन्तु आपको केन्द्र सरकार से मध्यप्रदेश के हक का पैसा जो कांग्रेस के समय जितना मिलता था, उतनी राशि आप केन्द्र सरकार से लेगें. आपने जो मैकेनिक हैं वह संविदा में रखे हैं. हेंडपंप सुधारने वाले संविदा कर्मचारी हैं, वह काम नहीं कर रहे हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदया से जानना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश की जनता के हित में केन्द्र सरकार से हमारा जो अधिकार बनता है, जो राशि कांग्रेस की सरकार के समय में केन्द्र ने हमको दी थी, उस राशि की मांग आप केन्द्र सरकार से मांग करेंगे. इसके लिये क्या आप एक समिति बनाकर उस राशि की मांग करेंगे ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी से कोई तुलना नहीं कर रही हूं. मेरा सिर्फ यह जवाब है कि मध्यप्रदेश में हम पानी की कमी नहीं होने देंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम :-माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरी तरह से प्रदेश में पेयजल संकट है, गांव के लोग नदियों से पानी पीने के लिये मजबूर हैं, शहर के लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है. आप किसी प्रोजेक्ट को सेंक्शन नहीं कर रहे हैं. धनराशि के अभाव में डिंडोरी से केसिंग पाईप उठाकर ला रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- कृपया करके आप लोग बैठ जायें. प्रश्न क्रमांक -5 श्री कमलेश्वर पटेल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार में पंचायत ग्रामीण विकास विभाग एवं पेयजल विभाग की एक ही मिनिस्ट्री है और उस मिनिस्ट्री के द्वारा चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल हो, चाहे वह पंचायत के लिये राशि हो या ग्रामीण के लिये राशि हो. सबसे ज्यादा इस वर्ष 14 अरब रूपये की राशि ग्राम पंचायतों को दी गयी है, वह राशि इसी में समाहित है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत :- मंत्री जी, आप तो यह बताओ की जो यह राशि दी गयी है तो मनरेगा के मजदूरों की विलंबित राशि का भुगतान क्या नहीं किया. जबरदस्ती आप शेखी बघार रहे हो. मजदूरों के 200 करोड़ रूपये बकाया है. सुप्रीम कोर्ट ने आपको निर्देश दिया है, आपको हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है.
अध्यक्ष महोदय :- आप लोग बैठ जाईये. कृपा करके दूसरे सदस्यों को प्रश्न करने दें.
श्री रामनिवास रावत :- माननीय अध्यक्ष महोदय, तो क्या मंत्रियों का यह व्यवहार उचित है ? (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव :- आप उसको अलग-अलग करके देखें.
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी ने उसको सामूहिक जिम्मेदारी होती है. उसका उन्होंने क्लेरीफिकेशन किया है, इसमें क्या है.
श्री रामनिवास रावत :- सामूहिक जिम्मेदारी होती है तो हम भी विपक्ष की तरफ से आपकी अनुमति से खड़े होकर बात कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- वह खुद सक्षम हैं, वह पूछ रहे हैं. वह विषय समाप्त हो गया है.
श्री गोपाल भार्गव :- अध्यक्ष महोदय, मिनिस्ट्री एक ही है और आवंटन समेकित रूप से हुआ है और 1400 करोड़ रूपये की राशि मध्यप्रदेश को मिली है.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला-बच्चन)--अध्यक्ष महोदय, पी.एच.ई.विभाग विगत् पांच सालों में 98 करोड़ रूपये नहीं खर्च कर पाया है.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कृपया करके सब सदस्यगण बैठ जाएं और भी महत्वपूर्ण प्रश्न हैं.
श्री रामनिवास रावत--मनरेगा के मजदूरों का 200 करोड़ रूपये का भुगतान होना है वह नहीं कर पाये हैं. भारत सरकार भी इस बारे में तीन बार पत्र लिख चुकी है.
अध्यक्ष महोदय--सीनियर सदस्य अपने ही सदस्य को प्रश्न नहीं पूछने देते तो यह बड़ी ही मुश्किल बात है. कमलेश्वर पटेल पेयजल के बारे में पूछेंगे वह भी बड़े सक्षम सदस्य हैं.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, आपको हमें डांटने का अधिकार है, मंत्रियों को भी उतना ही डांटे.
अध्यक्ष महोदय--उनको भी उतना ही कहता हूं. मैंने उनसे भी प्रश्नों के उत्तर आप लोगों को दिलवायें हैं. श्री कमलेश्वर पटेल अपना प्रश्न पूछें.
श्री बाला बच्चन--लगातार सूखा पड़ता रहा और सरकार 298 करोड़ रूपये खर्च नहीं कर पायी.
अध्यक्ष महोदय--क्या है आपके विधायक का प्रश्न है. ओमकार सिंह मरकाम जो बोलेंगे उनका कुछ भी नहीं लिखा जाएगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम---(xxx)
अध्यक्ष महोदय--श्री कमलेश्वर पटेल, प्रश्न क्रमांक 6 श्री सुरेश बघेल (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय---(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कमलेश्वर पटेल पूछ ही नहीं रहे हैं इसलिये मुझे आगे बढ़ना पड़ रहा है.
श्री रामनिवास रावत--श्री ओमकार सिंह मरकाम खड़ें है.
अध्यक्ष महोदय--उनको मैंने बैठने के लिये कह दिया है.
श्री रामनिवास रावत--उनका भी सीधा जवाब आना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय--इस तरह से प्रश्नकाल को बाधित नहीं कर सकते हैं आप लोग बैठ जाईये.उनका प्रश्न बड़ा था, उनके प्रश्न का उत्तर बहुत बड़ा था वह भी दिलवा दिया है. अब श्री कमलेश्वर पटेल प्रश्न पूछेंगे.
प्रश्न संख्या--5
सिंहावल विधान सभा क्षेत्रांतर्गत संचालित नल-जल योजनाएं
5. ( *क्र. 3241 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सिंहावल विधान सभा क्षेत्र में कितनी नल-जल योजनाएं संचालित हैं तथा किन-किन कारणों से कितनी बंद हैं? (ख) जो योजनाएं बंद हैं वे कब तक शुरू हो जायेंगी? (ग) कितने हैण्डपम्प खराब हैं एवं कब तक सुधारे जायेंगे?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) 95 नल-जल प्रदाय योजनायें संचालित हैं, जिनमें से 5 योजनायें स्त्रोत असफल होने से, 2 योजनायें पंचायत द्वारा न चलाये जाने से, 6 योजनायें विद्युत अवरोध के कारण, 2 मोटरपंप जलने के कारण एवं 1 योजना पाईप लाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण बंद है। (ख) स्त्रोत असफल होने से बंद योजनाओं में विभाग द्वारा नवीन स्त्रोत विकसित करने की कार्यवाही की जा रही है, शेष अन्य कारणों से बंद योजनाओं को चालू करने का दायित्व संबंधित ग्राम पंचायतों का है। निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती। (ग) सिंहावल विधानसभा क्षेत्र में 47 हैण्डपंप सामान्य खराबी से बंद हैं, जिनका सुधार कार्य सतत् सुधार प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाता है।
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार तथा पीएचई विभाग का जो प्रश्न का जवाब आया है हम उससे पूरी तरह से असंतुष्ट हैं, उनका असत्य जवाब दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय--आप पूरक प्रश्न पूछ लीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय--(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली यूपीए सरकार के विरूद्ध खूब माननीय मुख्यमंत्री जी ने धरना आंदोलन किये हैं. राशि केन्द्र सरकार से कम आई है उसकी मांग राज्य सरकार करेगी. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप चाहते ही नहीं हैं कि प्रश्नकाल चले. आप यह बता दीजिये कि यह प्रश्न पूरे होने देंगे या नहीं.
श्री रामनिवास रावत--प्रश्न पूरे होने चाहिये, लेकिन यह हमारा अधिकार है कि केन्द्र सरकार मध्यप्रदेश राज्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय--बिना अलाऊ किये हुए किसी का अधिकार नहीं होता है. अलाऊ मैंने कमलेश्वर पटेल को किया है.
श्री रामनिवास रावत--क्या केन्द्र से राशि मांगना राज्य का अधिकार नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--व्यवधान करना आपका अधिकार नहीं है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--माननीय अध्यक्ष महोदय,कोई गलत जानकारी नहीं दे रहा है, जैसा कि माननीय मंत्री श्री गोपाल भार्गव जी बता रहे हैं कि सर्वाधिक राशि केन्द्र से आयी है.
अध्यक्ष महोदय--व्यवधान करना आपका अधिकार नहीं हैं दूसरे सदस्यों का भी प्रश्न पूछने का अधिकार है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मैं फिर से दोहरा रहा हूं कि भारत सरकार में एक ही मिनिस्ट्री है ग्रामीण विकास, पंचायत और ग्रामीण पेयजल 14 करोड़ रूपये भारत सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को दिये हैं.
श्री रामनिवास रावत--मनरेगा के मजदूरों के 200 करोड़ रूपये की राशि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी आपने नहीं दी.
श्री गोपाल भार्गव--यहां पर ग्रामीण पेयजल की बात हो रही है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--कौन सा प्रश्न चल रहा है और कौन सा सवाल कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत--- कौन सा जवाब दे रहे हैं मंत्री जी.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--पी.एच.ई. का पैसा आया है वह मंत्री जी बता रहे हैं. इन लोगों को प्रश्नकाल को बाधित करने की आदत हो गई है.
अध्यक्ष महोदय--मंत्रियों की सामूहिक जिम्मेदारी होती है. आप लोग बैठ जाएं.
श्री गोपाल भार्गव--पिछली यूपीए की सरकार से तीन गुना ज्यादा राशि दी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--यह असत्य जानकारी दे रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव--मैं इसको प्रमाणित कर सकता हूं मेरे पास में दस्तावेज हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाएं. ओमकार जी कोई आपके ऊपर एक्शन लिया जाए, यह ठीक नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल जी का प्रश्न आयेगा उसके अलावा कोई नहीं बोलेगा.
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीधा प्रश्न था तुलात्मक रूप से मरकाम जी ने प्रश्न पूछा था ।
अध्यक्ष महोदय- वह प्रश्न समाप्त हो गया ।
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह जो जबाव आया है ।
अध्यक्ष महोदय- नहीं, नहीं अब जबाव आ गया है । श्री कमलेश्वर पटेल बोलिए.
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बात सुन लीजिए । गोपाल भार्गव जी पता नहीं कहां से जानकारी ले आए कि केन्द्र सरकार में एक ही विभाग है । पेयजल की चर्चा हो रही है वह ग्रामीण विकास की बात कर रहे हैं । तुलनात्मक बात थी कि पिछले तीन साल में मनमोहन सिंह जी की सरकार ने प्रदेश सरकार को कितना पैसा दिया । उसकी तुलना में पिछले साल कम हुआ । उसके लिए चिन्ता विधायक जी ने जताई कि मध्यप्रदेश में पेयजल संकट था तो केन्द्र सरकार से क्या मुख्यमंत्री महोदय ने धरना प्रदर्शन देकर पैसा लिया ।
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, आप बैठ जाइए । आपका प्रश्न आ गया, उसका उत्तर भी उन्होंने दे दिया है । आप बैठ जाइए, क्या आपके हिसाब से उत्तर होगा । श्री कमलेश्वर पटेल प्रश्न करेंगे । मंत्री जी आप भी बैठ जाएं । माननीय मुख्यमंत्री जी कुछ कह रहे हैं ।
श्री सुन्दरलाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निेवेदन है ।
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाइए । इस तरह से निवेदन किया जाता है ? आप सदन को संचालित नहीं कर सकते । आप बैठ जाइए । माननीय मंत्री जी बैठ जाएं । मुख्यमंत्री जी खड़े हैं ।
श्री के.के.श्रीवास्तव- माननीय अध्यक्ष महोदय यह तरीका ठीक नहीं है ।
अध्यक्ष महोदय- के.के. श्रीवास्तव जी आप बैठ जाएं मुख्यमंत्री जी खड़े हैं ।
श्री आरिफ अकील- माननीय अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय- आरिफ अकील जी बैठ जाएं ।
मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी विनम्रता के साथ सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि केन्द्र में एनडीए की सरकार है । माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में काम कर रही है और यह वही सरकार है जिसने केन्द्रीय करों में राज्यों का हिस्सा केवल मध्यप्रदेश का नहीं सभी राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत किया है । अकेले इस फैसले के कारण पिछले साल 10 करोड़ रूपया ज्यादा मध्यप्रदेश को मिला है यह तथ्य है और इसलिए यह आरोप लगाना और यह कहना कि केन्द्र ने नहीं दिया केन्द्र भेदभाव कर रहा है, यह सत्य नहीं है । पर्याप्त पैसा केन्द्र सरकार से केवल मध्यप्रदेश को नहीं बिना किसी भेदभाव के सभी राज्य सरकारों को मिल रहा है । उसका लाभ मध्यप्रदेश भी उठा रहा है, केन्द्र कोई भेद भाव नहीं कर रहा है ।
श्री सुन्दरलाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय,....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- अब विषय समाप्त हो गया है ।
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय- जो आप चाहते थे, आपकी बात का सदन के नेता ने उत्तर दे दिया है । (व्यवधान) कोई अलाऊ नहीं है । आप सुनना नहीं चाहते ।
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो बात कही केन्द्र सरकार......(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- आप बैठिए अगला प्रश्न आने दीजिए । वह प्रश्न भी इससे संबंधित है । पेयजल पर प्रश्न है ।
श्री अजय सिंह- (XXX)
अध्यक्ष महोदय- यह कुछ नहीं लिखा जाएगा । अजय सिंह जी कुछ नहीं लिखा जाएगा । सिर्फ कमलेश्वर पटेल का लिखा जाएगा ।
श्री सुन्दरलाल तिवारी(XXX)
श्री रामनिवास रावत- (XXX)
श्री अजय सिंह- (XXX)
अध्यक्ष महोदय- रिकार्ड हो गया तो फिर आगे वालों को पूछने क्यों नहीं दे रहे हो । उसी विषय को क्यों चला रहे हो । रिकार्ड में आ गया तो सदन को क्यों नहीं चलने दे रहे हो । आप बैठ जाइए सब रिकार्ड है । सिर्फ कमलेश्वर पटेल का प्रश्न आएगा और कुछ भी रिकार्ड में नहीं आएगा वह इससे उद्भूत नहीं होता है. पहले आप अपना प्रश्न पढ़ लीजिये. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल – अध्यक्ष महोदय ....
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह – माननीय अध्यक्ष जी, ये कांग्रेस के लोग जान-बूझकर प्रश्नकाल नहीं होने देते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – यह उससे उद्भूत नहीं होता है. आप अपना प्रश्न पढ़ लें. उसकी बाद पूछिये.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह – ये इनका रोजमर्रा का काम है.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय ......
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न क्रमांक 5 वाला प्रश्न क्रमांक 4 नहीं पूछ सकते. आपको प्रश्न क्रमांक 5 पर ही पूछना पड़ेगा. उससे उद्भूत हुआ प्रश्न ही पूछना पड़ेगा.
श्री के.के.श्रीवास्तव – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा स्वयं का प्रश्न बाधित हो रहा है. स्वयं तो प्रश्न लगाना नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने 19 तारीख को पी.एच.ई. विभाग ......(व्यवधान)
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जवाब कुछ और दिया है. श्री मरकाम जी के प्रश्न का जवाब बिल्कुल नहीं आया है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह – आप लोग जान-बूझकर प्रश्नकाल नहीं चलने देते हैं. (व्यवधान)
श्री शंकरलाल तिवारी – आप प्रश्नोत्तर नहीं चलने देते हो. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन – मैं आपको बताना चाहता हूँ कि 2012-13 एवं 2013-14 में जो केन्द्र सरकार ने यू.पी.ए. की सरकार ने राशि दी थी, वह राशि उससे कम हो गई है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह – प्रश्नकाल खत्म हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय – आपको एलाउ नहीं किया है. प्रश्न क्रमांक 5.
श्री बाला बच्चन – माननीय मुख्यमंत्री जी ने ...... (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय ......
11.57 बजे बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, मैं शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन करता हूँ.
(श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष, के नेतृत्व में इ.ने.कां. के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)
11.58 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय – (श्री कमलेश्वर पटेल से) आप रूकिये, आपका प्रश्न है. उनको जाने दीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय पी.एच.ई. मंत्री जी एवं माननीय पंचायत मंत्री जी से, मैं यह जानना चाहता हूँ कि इसी सदन के अन्दर माननीय पी.एच.ई. मंत्री जी ने यह स्वीकार किया था कि हमने पंचायत विभाग से हैंडपम्पों के नल-जल योजनाओं के संधारण के लिये कई सौ करोड़ रूपये प्राप्त किये हैं पर वह राशि कहां गई ? एक तरफ जो जवाब आया है, उसमें अभी भी पंचायत से संधारण की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ पी.एच.ई. विभाग ने कहा था कि हम संधारण करेंगे. मेरा आपसे निवेदन है कि वही बात बार-बार हो रही है, व्यवस्था नहीं बन रही है.
अध्यक्ष महोदय – आप प्रश्न कहां पूछ रहे हैं ?
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, हम प्रश्न पूछ रहे हैं. आप पहले उनको तो व्यवस्थित कराइये.
अध्यक्ष महोदय – आपका प्रश्न क्रमांक 5 है, आप प्रश्न क्रमांक 4 के बारे में बात कर रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल – अध्यक्ष महोदय, एक जो हमारी नल-जल योजनाएं बन्द हैं. वे कब तक शुरू हो जाएंगी ? समय-सीमा बताएं. जो पंचायत को संधारण की बात कर रहे हैं और पहले पी.एच.ई. मंत्री एवं पंचायत मंत्री ने स्वीकार किया था कि पी.एच.ई. ही संधारण करेगी तो वह व्यवस्था, जो पहले निर्धारित हुई थी. क्या वह व्यवस्था बन्द हो गई ?
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह – आपका कोई प्रश्न नहीं है. आप कांग्रेस के लोग केवल व्यवधान उत्पन्न करते हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल – आप बैठ जाइये. मंत्रीमण्डल में आपका नम्बर नहीं है. अभी समय लगेगा. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – आप अपना प्रश्न पूरा करें.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, जो नल-जल योजनाएं बंद हैं, यहीं मार्च सत्र में माननीय मंत्री जी ने हैंडपम्प के संधारण की व्यवस्था व्यवस्था बनाई थी. वह व्यवस्था पी.एच.ई. और पंचायत विभाग के बीच बनी थी. क्या उनके बीच में जो संधारण के लिए अनुबन्ध हुआ था, वह खत्म हो गया है.
अध्यक्ष महोदय – आपका प्रश्न समझ में आ गया है.
श्री बाबूलाल गौर – (श्री कमलेश्वर पटेल की ओर देखते हुए) आपने वाक आऊट कर दिया था फिर कैसे प्रश्न पूछेंगे ?
अध्यक्ष महोदय – इन्होंने वाक आऊट नहीं किया था. माननीय मंत्री जी, इनका प्रश्न समझ में आ गया हो तो उत्तर दे दीजिये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, नल-जल व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है. जहां कहीं शिकायत मिलेगी तो उसमें सुधार करेंगे. पंचायत एवं पी.एच.ई. विभाग के बीच कोई विवाद नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) – अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है वह बिलकुल असत्य है.
अध्यक्ष महोदय—प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12:00 बजे बहिर्गमन
प्रश्न संख्या- 5 पर शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री कमलेश्वर पटेल का बहिर्गमन
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से असंतुष्ट हूं इसलिए बहिर्गमन कर रहा हूं.
(इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री कमलेश्वर पटेल द्वारा सिंहावल विधानसभा क्षेत्रांतर्गत संचालित नल-जल योजनाओं संबंधी प्रश्न संख्या-5 पर मंत्री जी के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
12:01 बजे नियम 267 (क) के अधीन विषय
(1) मनगवां में बंघवा से देवरिहन गांव की सड़क एवं पुलिया निर्माण
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)—माननीय अध्यक्ष महोदय, बंधवा से देवारिहन गांव को जोड़ने वाली सड़के पुल निमार्ण बाबत् मेरे विधानसभा क्षेत्र मनगवां के नईगढ़ी ब्लाक में बंधवा से देवारिहन गांव को जोड़ने वाली सड़क के नदी पर एक अस्थाई काम चलाऊ रपटा है वर्षाकाल में आवागमन अवरूद्ध हो जाता है कई महिलाओं की डिलेवरी, बीमार व्यक्तियों की मौत आदि अप्रिय घटनाएं हो जाती हैं लेकिन पुल के निर्माण हेतु कई बार मांग हुई आज तक पुल का निर्माण नहीं हुआ है जिसके कारण क्षेत्रिय लोगों में जोश एवं आक्रोश व्याप्त है इसलिए कार्य करने का कष्ट करें धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय—नियम 267- क के अधीन लंबित सूचनाओं में से आज निम्नलिखित नियम 267- क (2) को शिथिल कर आज सदन में लिये जाने की अनुज्ञा मैंने प्रदान की है यह सूचनाएं संबंधित सदस्यों द्वारा पढ़ी हुई मानी जावेंगी. इन सभी सूचनाओं को उत्त्ार के लिए संबंधित विभागों को भेजा जाएगा. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
अब मैं सूचना देने वाले सदस्यों के नाम पुकारूंगा.
12:03 बजे शून्यकाल में उल्लेख
श्री गिरीश गौतम (देवतालाब)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आधे मिनट का समय दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय—जितू पटवारी जी के बाद आपका नम्बर आएगा.
श्री गिरीश गौतम—माननीय अध्यक्ष महोदय, आधा मिनट, मेरा प्रस्ताव है.
अध्यक्ष महोदय— बोलिए.
श्री गिरीश गौतम—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है पूरे सदन से प्रतिपक्ष के तमाम सारे लोगों से प्रश्नकाल बाधित नहीं हो क्योंकि लोग बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न लगाते हैं और वाकइ में यह सदन ही है जो हम वहां अंकुश लगा सकते हैं क्षेत्र के भीतर तमाम जो गड़बड़ी करते हैं और उसमें भी बाधा पैदा होती है खासतौर पर गर्भगृह में आकर. मेरा आग्रह यह है कि सारे लोगों को बुलाइए प्रतिपक्ष के लोगों को भी बुलाइए और बैठ करके कोई इस तरह का नियम स्थापित करिए कि गर्भगृह के भीतर कम से कम प्रश्नकाल के दरमियान कोई नहीं आए ऐसा करके नियम बनाने का प्रयास करें.
अध्यक्ष महोदय—श्री गिरीश गौतम जी ने जो बात उठाई है मैं उससे सहमत हूं. और मैं सोचता हूं कि सदन भी उससे सहमत होगा इस संबंध में यदि सदस्यों की वरिष्ठ सदस्यों की उपलब्धता रहती है तो कल हम साढ़े दस बजे कक्ष में एक इस तरह की बैठक बुला सकते हैं. यदि सबकी सहमति होगी तो कल इसकी चर्चा कर लेंगे. ऐसी व्यवस्था करने का प्रयत्न करेंगे कि प्रश्नकाल बाधित न हो.
श्री जितू पटवारी (राऊ) -- अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानित सदस्यों से संरक्षण चाहता हूं एवं आवास एवं पर्यावरण मंत्री जी से भी अनुरोध करते हुए आपके संज्ञान में यह बात लाना चाहता हूं कि आज से 25 साल पहले 119 नम्बर स्कीम इन्दौर विकास प्राधिकरण ने राऊ मेरे विधान सभा क्षेत्र में लागू की थी. 20 साल तक उसमें कुछ नहीं हुआ, फिर 165 नम्बर स्कीम के नाम से फिर री-लांच की. उसमें 700 एकड़ जमीन पर स्कीम ली और उसमें से करीब 600 एकड़ के किसानों के साथ अनुबंध किये. 3 साल में अनुबंध के अनुसार 50 प्रतिशत डेव्हलप प्लाट उनको देने थे. वह अनुबंध की तारीख चली गई.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आपकी बात समाप्त हो गई.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, इसमें 119 करोड़ रुपये उन किसानों ने, जिन्होंने अनुबंध नहीं किया. कोर्ट ने मुआवजा जारी कर दिया. इन्दौर विकास प्राधिकरण ने देने से मना कर दिया. मेरा आवास एवं पर्यावरण मंत्री जी से अनुरोध है कि जब इन्दौर विकास प्राधिकरण पैसा नहीं दे पाता है, तो क्यों नहीं यह स्कीम निरस्त कर दी जाये. 25 साल में एक बच्चा जो जवान हो गया और वह स्कीम और किसान वहीं पर है. मेरा अनुरोध है कि इस स्कीम को समाप्त किया जाये.
श्री अनिल फिरोजिया (तराना) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे एक निवेदन है कि हम जो पहली बार के विधायक आये हैं, बड़ी मेहनत से प्रश्न लगाते हैं, तैयारी करके आते हैं, पर यहां पर आकर (XXX) देखते हैं. यहां के जो कांग्रेस के कुछ नेता हैं, कुछ हमारे भी नेता हैं, जो हम लोगों को बोलने के लिये ही समय नहीं देते हैं. न हम हमारा प्रश्न कर सकते हैं. क्या मतलब है ऐसी विधान सभा में आने का. मैं आज बहुत दुखी मन से कह रहा हूं कि हम विधान सभा में हमारी समस्याएं ही नहीं उठा पा रहे हैं. ये लोग हमको बोलने नहीं देते हैं. तो हम जायें तो जायें कहां. हमको तो आपका संरक्षण चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप यहीं आयें.
श्री अनिल फिरोजिया-- अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत दुखी मन से कह रहा हूं. आज भी मेरा 14 नंबर पर प्रश्न था, उस पर चर्चा नहीं हुई. ये जितू भाई, ये सब लोग यहां मैं इनका नाम तक बोल रहा हूं. ये लोग यहां आकर दूसरे के प्रश्न में हस्तक्षेप करते हैं. तो यह क्या कारण है, क्यों ये (XXX) करते हैं. हम जन प्रतिनिधि नहीं हैं क्या.
अध्यक्ष महोदय -- आपका विषय आ गया.
श्री अनिल फिरोजिया-- अध्यक्ष महोदय, हम चुनाव जीतकर नहीं आये हैं क्या. हम जनता के प्रति जवाबदार नहीं हैं क्या. ये (XXX) कर रखी है इन्होंने.
अध्यक्ष महोदय -- आपका विषय आ गया. इस पर कल चर्चा करेंगे.
श्री अनिल फिरोजिया-- जितू भाई यह बिलकुल गलत है. अध्यक्ष महोदय, आप जब देखो, तब इनको संरक्षण देते हैं, हमको क्यों नहीं संरक्षण देते हैं. हम कहां जायें.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, (XXX) शब्द को कार्यवाही से निकलवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- (XXX) शब्द कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री अनिल फिरोजिया-- अध्यक्ष महोदय, यह केवल मेरा दुख नहीं है. 107 नये विधायक जीतकर आये हैं. उन सबका दुख आपसे कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठें.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- अध्यक्ष महोदय, सिवनी गुरुकुल जैन मंदिर में आज सुबह डकैती डली, उसमें वहां के चौकीदार की हत्या कर दी गई है और वहां से पूरे जेवरात डकैत ले गये हैं. वहां पर लगातार पुलिस की अव्यवस्था होना, पुलिस का सिर्फ बंदर बांट एवं अवैध वसूली के कारण शहर की व्यवस्थाएं खराब हैं. मेरा निवेदन है कि इस पर शीघ्र कार्यवाही हो.
डॉ. मोहन यादव (उज्जैन-दक्षिण) -- अध्यक्ष महोदय, मैं दो बातें आपके सामने रखना चाहता हूं. मेरे मित्र, माननीय अनिल जी ने जिस बात को बढ़ाया है, मैं उसको दोहराना नहीं चाहता हूं, लेकिन वास्तव में उस बात का समर्थन भी करता हूं कि कुछ लोग आपकी निगाह में, आपके नजदीक आने के लिये या तो हम लोग वहां आकर खड़े होकर आपसे बात करें, ताकि आपकी निगाह में हम लोग आयें. या हम क्या करें. अल्टीमेटली यहां 230 सदस्यों के बराबर में कोई अंतर हो, तो वह आप बता दीजिये. जब समान रुप से सारे सदस्य हैं. तो मेरा आपसे एक करबद्ध निवेदन है कि आप समान रुप से उस तरफ भी ध्यान दीजिये और जो विघ्न संतोषी हैं, जिनके अपने तरीके हैं, जो खाली अपनी छपास की भूमिका के कारण से वे येन केन प्रकारेण शून्यकाल भी बाधित कर देते हैं, वह प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण भी बाधित कर देते हैं, हर जगह खाली उनकी एकमात्र भूमिका है. जो लगातार सदन को बाधित करना है..
अध्यक्ष महोदय -- हम आपसे सहमत हैं.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि आप यह बात जरुर कोड करिये कि 10 दिन का तो यह सत्र है. आज भी हमने अपने प्रश्नकाल के एक घंटे के समय में मेरे मित्र के.के.श्रीवास्तव जी काफी तैयारी करके आये. हमारा तो नम्बर ही नहीं लगा, लेकिन जो 6-7 नम्बर प्रश्न वाले सदस्य हैं, वह भी रह गये. तो यह तो अति हो गई है, इसका कोई अर्थ नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- हां यह उचित नहीं है. मैं भी इस बात से सहमत हूं. उसके लिये कल विचार करेंगे.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव और रह गया.माननीय अध्यक्ष महोदय, एक छोटा सा विषय उज्जैन के लिए रखना चाहता हूं. उज्जैन में इंदौर टैक्सटाइल्स, श्री सिन्थेटिक्स, विनोद विमल मिल ये सारे मिल के कर्मचारियों का लगभग बीस साल से बकाया राशि का मामला चल रहा है, लगभग 6000 से ज्यादा लोग इसके लिए लगातार उम्मीद में बैठे है, लगभग 2000 लोग मारे गए, उनकी अपनी किसी न किसी कारण से प्राण चले गए और परिवार वाले आश्रित आज भी उनका इंतजार कर रहे हैं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि इनका बकाया हिस्सा दिलाया जाए.
श्री वेलसिंह भूरिया – (xxx)
अध्यक्ष महोदय – वेलसिंह जी आप बिना अनुमति के बोल रहे हैं, इनका नहीं लिखा जाएगा, बैठ जाइए आप. नरसिंहगढ़ विधायक जी, उसके बाद आरिफ अकील साहब फिर समाप्त.
श्री गिरीश भंडारी (नरसिंहगढ़) – माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे कि अभी सत्ता पक्ष के साथियों ने बताया कि प्रश्नकाल बाधित होने के कारण उनको दुख होता है. हम भी पहली बार के विधायक हैं, हमको भी दुख होता है, लेकिन विपक्ष का भी अपना दायित्व है जब मंत्री लोग गलत जवाब देते हैं तो उसका फर्ज बनता है कि उसका विरोध करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय – श्री आरिफ अकील जी अपनी बात कहिए.
श्री कैलाश जाटव – माननीय अध्यक्ष जी मैं एक बात कहना चाहता हूं,
अध्यक्ष महोदय – नहीं बैठ जाइए श्री कैलाश जाटव.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर)– माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि जो यू.पी. की हवा है वह एम.पी. में चलने लगी है. मंदसौर में दो महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया असत्य इल्जाम में और बाद में जब वह पुष्टि हुई तो वह भैंस का गोश्त निकला.तो ऐसी व्यवस्था मेहरबानी करके मध्यप्रदेश में न हो, इसको देखें जो लोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही करो, लेकिन जो जबरन किसी को फंसाने की कार्यवाही कर रहे हैं, उनके खिलाफ निश्चित रूप से कार्यवाही करना चाहिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव)– माननीय अध्यक्ष, जिस तरह आज सरकार की शह पर ग्वालियर जिले में 25 गांवों में कम से कम दलितों के गावं से पुलिस वालों ने 12 बजे रात को दारू पीकर परेशान किया. माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी मांग है कि उनकी जांच कराकर उनको संस्पेंड किया जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले के रायपुरकरचुलियान में दलितों के घर जला दिए गए हैं और इसी तरह जबलपुर जिले में डबरा थाने में और कुण्डम थाने जबलपुर में भी तीन दलितों के घर जला दिए हैं, इन पर कार्यवाही होनी चाहिए. बैठ जाइए आप आ गई बात आपकी.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)- माननीय अध्यक्ष जी, उत्तरप्रदेश की कोई हवा मध्यप्रदेश में नहीं चल रही है, सम्पूर्ण देश में अगर हवा चल रही है तो नरेन्द्र मोदी जी की चल रही है. माननीय अध्यक्ष्ा जी मेरी बात समाप्त नहीं हुई है. वर्ग विशेष की दो महिलाओं में एक महिला जो लगातार एक बार नहीं, दो बार पुलिस के गिरफ्त में आई है. जावरा से अवैध मांस लेकर आती है और मंदसौर में बेचती है, उसको लेकर के आज महिलाओं ने उनकी पिटायी कर दी. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको साम्प्रदायिकता से नहीं जोड़ने चाहिए, भैंस का, पाड़े का या अन्य पशुओं का मांस परिवहन करके लाने के कारण (....व्यवधान...) श्री आरिफ अकील भैंस के गोश पर कार्यवाही करोगे (...व्यवधान..)
श्री अशोक रोहाणी (जबलपुर केन्टोनमेंट)– माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे कैंट विधानसभा के अंतर्गत आने वाले अम्बेडकर वार्ड एवं गोकलपुर क्षेत्र के निवासियों को माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा जबलपुर आगमन पर नागरिकों को पट्टा वितरण की घोषणा की गई थी, उसके बाद भी उनको नोटिस दिए जा रहे हैं, जबकि यह रहवासी लगभग 40 से 50 वर्षों की अवधि से यहां निवास कर रहे हैं. मेरे द्वारा विधानसभा में जो प्रश्न लगाया गया था, उसके उत्तर में भी यह जवाब आया कि इन वार्डों में रहने वाले लगभग दो हजार परिवार अतिक्रमणकारी नहीं है. गोकुलपुर तालाब क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों ने भी अतिक्रमण नहीं किया है यहां निवासरत लोगों को पट्टा देने की कार्यवाही की जाए.
अध्यक्ष महोदय – अब कोई नहीं, अनंतकाल तक नहीं चलेगा यह, हो गया. श्री बाला बच्चन जी.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा खाद्य विभाग से संबंधित आज एक प्रश्न था. मैंने यह पूछा था कि मध्यप्रदेश में दालों के भाव आसमान छूने लग गए और गरीबों की थाल से दाल छिन गई थी. मैंने यह पूछा था कि जो दालें स्टाक करके रखी गई है, वहां कितनी जगह छापे मारे और कितनी दाल जप्त की गई है तो 20 हजार क्विंटल दाल जप्त करना बताया गया है, लेकिन केवल 9 क्विंटल दाल को ही नीलाम किया गया, बाकी की दाल कहां गई. बाकी की दाल कहां गई है उसका कोई जबाव नहीं है . अध्यक्ष महोदय इसमें काफी हेराफेरी हुई है, काफी भ्रष्टाचार हुआ है तो मैं यह चाहता हूं कि किसी अन्य व्यवस्था के अंतर्गत इसका जवाब आ जाये.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई, कृपया बैठें.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ढाई साल हो गये हैं न तो कोई शून्यकाल आया है, न ध्यानाकर्षण आया, न कोई प्रश्न आये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपको एलाऊ कर तो दिया है. बोलें आप.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- अध्यक्ष महोदय, कल 14 नंबर पर मेरा प्रश्न आया था लेकिन कल भी हम नहीं बोल पाये, ढाई साल हो गये हैं और इसलिये नहीं बोल पा रहे हैं क्योंकि चार विधायकों में भेदभाव हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- यह अच्छी बात है .(श्री निशंक कुमार जैन के खड़े होने पर) बैठ जाईये आप. अनुमति नहीं दे रहा हूं प्लीज. निशंक जी आप बैठिये. दण्डोतिया जी आपकी बात आ गई है.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- अध्यक्ष महोदय, मैंने 2 साल पहले अपने विधायक फंड में से हैंडपंप के लिये पैसा दिया था, पीएचई मंत्री जी ने कहा है कि एमएलए के फंड में से 25 हैंडपंप बन गये है.लेकिन स्थिति यह है कि मात्र 12 हैंडपंप ही लगे हैं , अध्यक्ष जी 2 साल में 12 हैंड पंप लगे हैं.मेरे पूरे विधानसभा में आप पता कर लें. मंत्री जी असत्य कह रही हैं कि 25 बन गये हैं..
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई है. बस अब समाप्त करें.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- उसकी सुनवाई तो होगी कि नहीं होगी कि हैंड पंप कब तक लगेंगे औऱ समय सीमा बतायें.
अध्यक्ष महोदय-- सुनवाई होगी.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- अध्यक्ष महोदय, समय सीमा तो बतायें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक व्यवस्था का प्रश्न है. एक संवैधानिक बात की ओर मैं आपका ध्यानाकर्षित करना चाह रहा हूं. अभी हमारे नेता प्रतिपक्ष ने एक विषय की ओर ध्यान आकर्षित किया है. वह अच्छे विषयों की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करते हैं . अध्यक्ष महोदय, वह अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं. लेकिन मैं यह देख रहा हूं कि लोग ट्विटर और टीवी के माध्यम से इस विधानसभा में क्या उठे क्या नहीं उठे, ऐसा करके उनको हटाने की एक साजिश कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--‑यह पाईंट आफ आर्डर नहीं है .
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, विधानसभा में क्या उठेगा यह कोई पार्टी का महासचिव या लोकसभा का सदस्य तय नहीं करता है. अध्यक्ष महोदय, यह एक षड़यंत्र है चूंकि कोई दलित या अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति किसी अच्छे पद पर बैठा है तो उसको किस तरह से षड़यंत्रपूर्वक घेरा जाता है यह कांग्रेस की मानसिकता है जो दलित विरोधी है.
श्री रामनिवास रावत-- यह सदन को गुमराह कर रहे हैं.
...व्यवधान...
पंचायत एवं सामाजिक न्याय मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) अध्यक्ष महोदय, यह षड़यंत्र भी और लोकतंत्र का अपमान भी है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, विधानसभा में क्या उठेगा क्या नहीं उठेगा क्या यह ट्विटर तय करेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह संसदीय लोकतंत्र का अपमान है कि कोई यह कहे ट्विटर के माध्यम से कि फलां प्रश्न पूछो और फलां प्रश्न नहीं पूछो. क्या यह डायरेक्शन चाहे इस पार्टी का हो चाहे उस पार्टी का हो, यह कोई तीसरा आदमी देगा जो कि सदन का सदस्य नही है.
...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- यह शानदार भूमिका निभा रहे हैं तो यह एक षड़यंत्र है, सामंती मानसिकता का षड़यंत्र है. यह सदन की अवमानना है.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष महोदय, सदन को गुमराह किया जा रहा है. माननीय बाला बच्चन जी के साथ में हम सब हैं.
श्री सचिन यादव-- भार्गव जी,आप अपने नेता बाबूलाल गौर जी को सम्हालो.
... (व्यवधान) ..
अध्यक्ष महोदय-- सभी लोग बैठ जायें, माननीय मंत्रीगण भी बैठ जायें.माननीय सदस्य भी बैठ जायें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह सदन का अपमान है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- अध्यक्ष महोदय, विधानसभा किसी के डायरेक्शन से चलेगी क्या ? जो कि इस सदन का सदस्य नही है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह नेता प्रतिपक्ष का भी अपमान है.
... (व्यवधान) ..
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी बैठ जाईये. माननीय मंत्रीगण बैठ जायें, विधायकगण बैठ जायें.
श्री सचिन यादव-- आप अपने सदस्यों की चिंता करें.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी बैठ जायें, उन्होंने पाईंट आफ आर्डर उठाया है उसका निराकरण कर दूं फिर आप बोलें तो बोलें.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग(श्री लालसिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय, यह अनुसूचित जनजाति का अपमान है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष की काबिलियत पर, इनकी योग्यता पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है. इससे बड़ा अपमान और कोई हो नहीं सकता.
अध्यक्ष महोदय- प्लीज मंत्रीगण बैठ जायें, धुर्वे जी बैठ जायें, आर्य जी बैठ जायें,सभी लोग बैठ जायें. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कुछ विषय उठाया है उस पर मैं अपनी बात को रख दूं. चूंकि इधर (विपक्ष) से भी प्रश्न आया है कि यह पाईंट आफ आर्डर है कि नहीं है.
...(व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह माननीय नेता प्रतिपक्ष नहीं, पूरे सदन का अपमान है. हम लोगों की योग्यता पर, हम लोगों की काबिलियत पर, हम लोगों की जानकारी पर यह प्रश्न चिह्न है.
...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, जब माननीय शिवभानु सिंह सोलंकी बनने बाले थे तब भी यह विषय आया, जब कोई बोलने की कोशिश करता है तो यही स्थिति आती है.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय--(तेज स्वर में) माननीय मंत्रीगण कृपया अपने स्थान पर बैठ जायें, मेरा आपसे अनुरोध है....
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह पूरे सदन का अपमान है, हम लोगों की योग्यता पर, हम लोगों की काबिलियत पर, हम लोगों की जानकारी पर यह प्रश्नचिन्ह है. .... (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जब-जब कोई बोलने की कोशिश करता है तो यही स्थिति आती है. .... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्रीगण कृपया बैठ जायें अपने स्थान पर मेरा आपसे अनुरोध है.
श्री गोपाल भार्गव-- एक मिनट का समय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं प्लीज, अभी एलाऊ कर दूंगा आपको पर अभी बैठिये आप. आप भी बैठ जाइये, कोई एलाऊ नहीं रहेगा. .... (व्यवधान)....
अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय-- माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने एक प्वाइंट ऑफ आर्डर रेस किया है, उस प्वाइंट ऑफ आर्डर के विषय में मैं अपनी व्यवस्था सुरक्षित रखता हूं. पत्रों का पटल पर रखा जाना .... (व्यवधान).....
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस दलित विरोधी है, कांग्रेस ने शिवभानु सिंह सोलंकी जी को नहीं बनने दिया, दलबीर सिंह जी को नहीं बनने दिया और आज बाला बच्चन यदि नेता प्रतिपक्ष हैं तो उस पर ट्विट किया जा रहा है. यह दलित विरोधी मानसिकता है. यह आदिवासी विरोधी मानसिकता है. .... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं अब उस पर चर्चा नहीं होगी. क्योंकि उस पर अभी व्यवस्था नहीं आई है. .... (व्यवधान)....
श्री लालसिंह आर्य-- एक अनुसूचित जनजाति का आदमी नेता प्रतिपक्ष बना है और वह अपनी काबिलियत के आधार पर काम कर रहा है, .... (व्यवधान).... दिग्विजय सिंह एक आदिवासी नेता को सहन नहीं कर पा रहे हैं. यह दलित विरोध मानसिकता है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी कृपया बैठ जायें, केवल गोपाल भार्गव जी बोलेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने अभी कहा कि इसके बारे में आप व्यवस्था देंगे, इसके साथ ही मैं एक बात को जोड़ना चाहता हूं, इस सदन की अपने आप में स्वायतता है, चाहे हम लोग हों जो शासकीय पार्टी में हैं, चाहे हमारा अपोजीशन हो, चाहे निर्दलीय हो, चाहे बीएसपी का हो, चाहे कोई हो, हमारे सदन के सदस्यों के लिये कोई आउटसाइडर आदमी अपने ट्विटर या अन्य माध्यमों से क्या इस तरह से इंगित कर सकता है कि आप इस-इस तरह से प्रश्न करें.
अध्यक्ष महोदय-- उस पर व्यवस्था आना है न अभी. उसी पर तो व्यवस्था देंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- जो इस तरह से बाहर के लोग करते हैं, यह सदन के सदस्यों का अपमान है और हमारे विशेषाधिकार जो हैं, बोलने की स्वतंत्रता, सोचने की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उस पर बहुत बड़ा कुठाराघात है और इस कारण से मैं सोचता हूं कि शायद यह हमारे विशेषाधिकारों का हनन भी है इस कारण से इस पर आपको व्यवस्था देना चाहिये.
श्री रामनिवास रावत-- मेरा व्यवस्था का प्रश्न यह है माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं देख रहा हूं कि मध्यप्रदेश की विधान सभा के इतिहास में पहली बार जो न तो इस सदन का विषय है, न ऐसा विषय कोई उद्भूत हुआ, न इस तरह की कोई बात हुई और जिस तरह का व्यवस्था का प्रश्न ...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय..
श्री रामनिवास रावत-- आप सुन तो लें. मैंने आपकी बात सुनी.
अध्यक्ष महोदय-- उनको मैंने एलाऊ किया है. उनको बोलने दीजिये. आप बोलिये.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय मंत्री जी ने जो व्यवस्था का प्रश्न उठाया है, पहली बात तो यह व्यवस्था का प्रश्न उद्भूत होने की स्थिति में ही नहीं है, सदन को भ्रामक जानकारी देकर, सदन को भ्रमित करने का एक (XXX) प्रयास सदन के संसदीय मंत्री ..
अध्यक्ष महोदय-- यह शब्द कार्यवाही से निकाल दें.
श्री रामनिवास रावत-- और माननीय गोपाल भार्गव जी जो कर रहे हैं कि इस तरह की कोई बात नहीं हुई. सिंहस्थ में भ्रष्टाचार हुआ, उन्होंने इस पर ट्विट किया और इस तरह के विषय उठना चाहिये, इस तरह की बात मैं समझता हूं ट्विट मैंने नहीं पढ़ा, लेकिन न तो किसी को निर्देशित किया और न किसी के निर्देश पर जो विषय आते हैं उन्हें हम उठाते हैं और उठाते रहे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं तैयार हूं, हम तैयार हैं अध्यक्ष जी. इन्होंने पढ़ा ही नहीं है और बात कर रहे हैं .... (व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बात यह जानना चाहता हूं, मेरी यह जानने की उत्सुकता है क्या यह विषय व्यवस्था के प्रश्न के माध्यम से सदन में उठने के लायक है. .... (व्यवधान)....
(..व्यवधान..)
डॉ.नरोत्तम मिश्र - क्या उठे क्या नहीं क्या फिक्सिंग हो गई क्या नेता प्रतिपक्ष अयोग्य हैं. बाला बच्चन इतना बढ़िया नेता प्रतिपक्ष के कार्य का संचालन कर रहे हैं उनकी योग्यता पर प्रश्नचिह्न नहीं लगा रहे ?
(..व्यवधान..)
डॉ.गोविन्द सिंह - कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी है. आपके भ्रष्टाचार को उजागर करना.(..व्यवधान..) उसमें भ्रष्टाचार हुआ है. उसे लेकर हम जनता के बीच जायेंगे.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, क्या यह विषय सदन में औचित्य के प्रश्न के माध्यम से उठाने के लिये उद्भूत होता है.
अध्यक्ष महोदय - (..व्यवधान..) बैठ जाईये कृपया.श्री भनोत..आपका उत्तर देंगे पहले श्री भनोत जी की बात सुन लें फिर आपकी बात का उत्तर देंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह - (..व्यवधान..) 5 रुपये का गिलास सात सौ रुपये में नहीं बिकने देंगे. स्टेथोस्कोप सात हजार में नहीं बिकने देंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - (..व्यवधान..) कौन रोक रहा है.
अध्यक्ष महोदय - डॉ.साहब बैठ जायें.
डॉ.गोविन्द सिंह –(XXX)
अध्यक्ष महोदय - डाक्टर साहब कृपया बैठ जायें.श्री भनोत..
डॉ.गोविन्द सिंह - विपक्ष का कर्तव्य है.आपके भ्रष्टाचार को उजागर करना हमारी ड्यूटी है.
श्री रामनिवास रावत - (..व्यवधान..) इस तरह का व्यवहार है.सदन को बाधित करने का काम आप लोग कर रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - (..व्यवधान..) आप दलित विरोधी हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - जहां देखो भ्रष्टाचार है. हम काहे के लिये आये हैं. हमें जनता ने आपके विरुद्ध भेजा है कि आपके भ्रष्टाचार को उजागर करें.
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय - पहले भी भनोत जी अपनी बात कहेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह - (..व्यवधान..) आपके एल.यू.एन. का भ्रष्टाचार उजागर करेंगे. हर जगह जहां-जहां आपने प्रदेश को लूटा है.बांधों में आपने घोटाला किया है उसको भी उजागर करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - विषय नहीं बदलिये.
डॉ.गोविन्द सिंह - सच्चाई भी नहीं कहेंगे. आप चाहते हैं कि हम चुप बैठें मौन साधकर.
अध्यक्ष महोदय - सच्चाई कहिये परंतु नियम से उठाकर कहिये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, उन्होंने कहा कि उन्होंने ट्विटर नहीं पढ़ा. उन्होंने कहा कि अगर प्रमाण हो तो पटल पर रखें तो मैं रखने को तैयार हूं.
अध्यक्ष महोदय - परंतु मैंने आपको रखने को नहीं कहा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैं यह कह रहा हूं वह पार्टी के महासचिव हैं ये नेता प्रतिपक्ष हैं. यह इनकी आंतरिक फूट है कि टी.वी. और ट्विटर के माध्यम से अपने नेता प्रतिपक्ष से बात कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, क्या यह विषय सदन का है.(..व्यवधान..)यहां इतने महत्वपूर्ण विषय जनता के हित के हैं और जो विषय संसदीय कार्य मंत्री जी उठा रहे हैं क्या यह उचित है.क्या यह व्यवस्था का प्रश्न बनता है.व्यवस्था का प्रश्न कैसे उद्भूत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - पहले भनोत जी की बात सुन लें फिर आपकी बात का उत्तर देंगे. बैठ जाईये.
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया. मैं सबसे पहले आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि किसी की ट्विट करने की स्वतंत्रता को क्या यह रोक सकते हैं और ट्वीट जो किया गया वह व्यक्ति का निजी अधिकार है. कोई भी व्यक्ति कर सकता है. मैं तो सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि आप उसको आधार मानकर विधान सभा में चर्चा करना चाहते हैं तो आज के सारे समाचारपत्रों में यह लिखा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने कल केबिनेट में कहा कि बाबूलाल गौर जी को बोलने नहीं दिया जाये. क्या यह सही है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाईये. आपकी बात आ गई.
श्री तरुण भनोत - वे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, सदन के सदस्य हैं उनको कहने न दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई. इससे ज्यादा नहीं भनोत जी.आपको अलाऊ कर दिया था. डाक्टर शेजवार.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - दोनों अलग-अलग चीज हैं. ट्विटर का अकाउंट उसके नाम से चलता है.
अध्यक्ष महोदय - (..व्यवधान..) माननीय वन मंत्री जी को मैंने बुलाया है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय मुख्यमंत्री जी इस तरह से नहीं बोल सकते हैं. हमारे पास वही खबर है जो ट्विटर में है. ट्विटर का नाम से अकाउंट होता है.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाएं कृपया. माननीय वन मंत्री जी को बोलने दें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैं वह पटल पर रखने को तैयार हूं.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - सबका समाधान करेंगे. पहले चर्चा हो जाने दीजिये जिन-जिन को अलाऊ किया है.डॉक्टर शेजवार साहब.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, उस ट्विटर के माध्यम से यह भी कहा गया कि नेता प्रतिपक्ष मेनेज हो गये हैं. यह बहुत गलत बात है.
डॉ.गोविन्द सिंह - यह कहां लिखा है. कहां पढ़ा है आपने. विधान सभा में असत्य बोल रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - गोविन्द सिंह जी बैठ जाएं.
डॉ.गोविन्द सिंह - दिग्विजय सिंह जी ने कहीं नहीं कहा कि ये मेनेज हो गये हैं आप गलत आरोप लगा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - उस विषय पर चर्चा हो रही है क्या.
श्री रामनिवास रावत - बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ तो जाएं उसके बाद आप दुर्भाग्यपूर्ण बोलते हैं. मंत्री जो को अलाउ किया है मैंने.
वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने जो व्यवस्था का प्रश्न उठाया है. उस पर मैं बोलना चाहता हूं. उसमें यह कहा गया है कि कांग्रेस के महासचिव श्री दिग्विजय सिंह जी ने ट्विटर पर..
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, एक बार संसदीय कार्य मंत्री जी ने मामला उठा दिया फिर गोपाल भार्गव जी बोले फिर आप बोल रहे हो.
अध्यक्ष महोदय - आपको भी तो अलाऊ किया. भनोत जी को भी तो अलाऊ किया.
श्री रामनिवास रावत - मैं एक बात जानना चाहता हूं कि क्या यह विषय व्यवस्था के प्रश्न के माध्यम से सदन में उठाने की स्थिति में है अगर है तो व्यवस्था के प्रश्न पर तुरंत निर्णय दिया जाना चाहिये. व्यवस्था के प्रश्न पर तुरंत निर्णय दिया जाना चाहिये. व्यवस्था के प्रश्न पर फैसला सुरक्षित नहीं रखा जाता. व्यवस्था के प्रश्न पर तुरंत निर्णय आना चाहिये.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - व्यवस्था के प्रश्न पर बोल सकते हैं, यह हमारा अधिकार है. (व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत - व्यवस्था के प्रश्न पर फैसला सुरक्षित नहीं रखा जाता. व्यवस्था के प्रश्न पर तुरंत निर्णय भी आना चाहिए. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - कृपा करके पहले नियम पढ़ लें, आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं और मुख्य सचेतक हैं. अध्यक्ष को तत्काल निर्णय देने की आवश्यकता नहीं है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - क्या टि्वट साक्ष्य में लिया जा सकता है ?... (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप नियम पढ़ लें. बिल्कुल लिया जा सकता है और मैं पटल पर रखने के लिये तैयार हॅूं. (व्यवधान)....
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय दो- दो अलग अलग विषय हैं.
श्री रामनिवास रावत - आप सदन को भ्रमित करके सदन का समस्त समय जाया करने का प्रयास कर रहे हैं. प्रदेश की जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हो....... (व्यवधान)....
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, यदि मुझे बोलने नहीं दिया गया. मुझे बोलने से बाधित किया गया तो रावत जी मैं आपको कभी भी बोलने नहीं दूंगा. आप मुझे बाधित कर रहे हैं. मुझे अध्यक्ष ने समय दिया है, आप बैठ जाईये.
(व्यवधान)........
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के कुछ सदस्य अपने आसन से हटकर डॉ.गौरीशंकर शेजवार जी के विरूद्ध नारे लगाते हुए जोर-जोर से अपनी बात कहने लगे)
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विधानसभा को स्थगित कराने की संसदीय मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र की सोची समझी साजिश है. यह विधानसभा नहीं चलने देना चाहते.
अध्यक्ष महोदय - यह तरीका ठीक नहीं हैं...(व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - मैं नहीं मानता इसको, यह उचित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया अपने-अपने स्थान पर बैठ जायें .
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, गंभीर चिंताजनक महत्वपूर्ण स्थिति है प्रदेश के मंत्रीगण सदन न चलने के लिये किस तरह का षड़यंत्र कर रहे हैं, सदन में चर्चा नहीं कराना चाहते हैं. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाये, रावत जी आप बैठ जाईये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - ... (व्यवधान) .. आप अनुसूचित जनजाति के मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार) को आप बोलने नहीं दे रहे हैं. (व्यवधान) .. अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति (श्री ओमप्रकाश धुर्वे) खड़ा है आप उसको बोलने नहीं दे रहे हैं .
अध्यक्ष महोदय - मैंने डॉ. गौरीशंकर शेजवार को एलाउ किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - डॉ. गौरीशंकर शेजवार साहब अनुसूचित जाति के है कि नहीं हैं ?.. (व्यवधान) ..
अध्यक्ष महोदय - डॉ. गौरीशंकर शेजवार वन मंत्री जी को मैंने एलाउ किया है. आप बैठे कृपया.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - यह उचित नहीं हैं. मैं प्वाइंट आफ आर्डर पर बात करूंगा उससे बाहर नहीं करूंगा....(व्यवधान) (नारेबाजी जारी....)
श्री रामनिवास रावत - इसलिए तो धौंस दे रहे हैं ...
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - यह इनका अच्छा तरीका नहीं हैं, उचित नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - श्री शेजवार जी.. ... (व्यवधान) ..
अध्यक्ष महोदय - पत्रों का पटल पर रखा जाना. श्री जयंत मलैया .
12.33बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) भारत के नियंत्रक- महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन, स्थानीय निकाय, 31 मार्च 2015 को समाप्त वर्ष के लिये मध्यप्रदेश सरकार का वर्ष 2016 प्रतिवेदन संख्या - 4
(2) मध्य पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 13 वां प्रतिवेदन वर्ष 2015-2015.
अध्यक्ष महोदय - श्री जयभान सिंह पवैया..
(3) (क) महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015( 01 जुलाई, 2014 से 30 जून, 2015 तक)
(ख) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015(01 जुलाई, 2014 से 30 जून, 2015 को समाप्त वर्ष का)
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है मुझसे संबंधित मामला था, इसलिए मैं भी बात रखना चाहता हूं मुझे टाईम दिया जाय. यह मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - अब कोई नहीं.
श्री रामनिवास रावत - नियमों में भी है, जब सदन के नेता या नेता प्रतिपक्ष खड़े हों तो बोलने का अवसर दिया जाये, जिस तरह से आप नेता प्रतिपक्ष की आवाज को दबाने की बात कर रहे हो, यह उचित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - हमने कब आवाज दबायी ?
श्री रामनिवास रावत - तो बोलने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने कब टाईम मांगा ? यह पटल वाला हो जाने दीजिए. आप बैठ जाईये . श्री बाला बच्चन जी बोले पर उसके बाद मैं फिर मैं जिसको कहूं वह बोलेगा. उसके पहले श्री शेजवार जी का टाईम था.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - मैं बोलूंगा. (व्यवधान)..आप नहीं रोक सकते, आपमें दम नहीं है. . (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - आप कक्ष में आकर बोलें. श्री जयभान सिंह पवैया..
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य हमारे अनुसूचित जाति के नेता डॉ. गौरीशंकर शेजवार जी को जानबूझकर कर डराया जा रहा है, बोलने नहीं दिया जा रहा है .. (व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष जी ने निर्देश दिये हैं, बाला बच्चन जी बोलेंगे, श्री शेजवार जी बोलेंगे... ...(व्यवधान).. और संसदीय मंत्री जी कह रहे हैं कि प्रस्तुत करो. यह क्या तरीका है . सदन को स्थगित कराना चाहते हैं. ... ...(व्यवधान)..इतनी मजबूर आसंदी मैंने आज तक नहीं देखी...
अध्यक्ष महोदय - सदन की कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक के लिये स्थगित.
(12.36 बजे विधानसभा की कार्यवाही 1 बजे तक के लिये स्थगित की गई)
1.05 बजे विधानसभा पुनः समवेत हुई
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए
ध्यानाकर्षण.
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सालयों में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध न होना.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर) माननीय उपाध्यक्ष
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री रुस्तम सिंह)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने बहुत जनस्पर्शी ध्यानाकर्षण लगाया है. मैं उनको धन्यवाद देता हूं.
श्री यशपाल सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे ध्यानाकर्षण को जनस्पर्शी मानते हुए स्वीकार किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, यह योग और संयोग है कि 25 जुलाई 2016 को दो दिन पहले मेरा अतारांकित प्रश्न क्र. 192(पृष्ठ 242) पर प्रकाशित हुआ था. स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार किया कि 1 जनवरी,2013 के पश्चात प्रश्न दिनांक तक उज्जैन में 21, मंदसौर में 63, रतलाम में 26, शाजापुर में 13, नीमच में 31, आगर-मालवा में 19 तथा देवास में 00 कुल 173 काल के गाल में समाये वह किसान हैं जो खेती-किसानी का काम करते हैं जिनकी सर्पदंश से मृत्यु हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय, उसी प्रश्न में मैंने पूछा कि 1 जनवरी 2013 के पश्चात कितने इंजेक्शन क्रय किये गये. मैं उज्जैन संभाग की ही बात करुंगा. वर्ष 2012-13 में 51920, 2013-14 में 78778,2014-15 में 42051, 2015-16 में 43376 और 2016-17 में 13050 क्रय किये गये. विभाग ने चिन्ता करके इंजेक्शन क्रय तो किये हैं इसके लिए मैं स्वास्थ्य विभाग के अमले को धन्यवाद देना चाहता हूं. लेकिन मैं जिस मंदसौर जिले का प्रतिनिधित्व करता हूं उसमें 1 जनवरी 2013 के आंकड़े देखेंगे जो मेरे अतारांकित प्रश्न में उल्लेखित हुए हैं. मंदसौर जिले में 1 जनवरी 2013 से प्रश्न दिनांक तक मंदसौर जिला मुख्यालय पर सर्पदंश से मृत्यु दर वर्ष 2013 में 27.8 प्रतिशत, 2014 में 28.1 प्रतिशत, 2015 में 31.6 प्रतिशत और वर्ष 2016 में प्रश्न दिनांक तक 27.2 प्रतिशत का आंकड़ा आया है. यह गंभीर मामला है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न कर रहा हूं. थोड़ी भूमिका इसलिए जरूरी है कि यह कितना गंभीर मामला है. . माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में इस बात को स्वीकार किया है कि यह बड़ा नाजुक मसला होता है और इसका सीरम एवं इसको लगाने में बड़ा पारंगत होने की जरूरत होती है. उपाध्यक्ष महोदय, हकीकत यह है कि जहां शासकीय अस्पतालों में चिकित्सक मौजूद हैं, वे तो सर्पदंश से संबंधित इंजेक्शन का उपयोग मरीज के ऊपर कर देते हैं. लेकिन जहां पर डॉक्टर ही नहीं है. मंदसौर जिला मुख्यालय से भानपुरा की दूरी 200 कि.मी. या 150 कि.मी. दूर है, मरीज को वहां तक लाने में जहर इतना फैल जाता है कि व्यक्ति की रास्ते में ही मृत्यु हो जाती है. जहां एक ओर आपने कहा कि हर स्टेशन पर हर केन्द्र पर ..
उपाध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है? आपकी मूल ध्यानाकर्षण से बड़ी भूमिका हो गई है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदय, हमीदिया अस्पताल में 25 जुलाई, 2016 को नवदुनिया समाचार पत्र में यह प्रकाशित हुआ है, स्नेक वेनम के मरीजों को 2 से 3 घंटे बाद इंजेक्शन की उपलब्धता होती है और एक महिला की मृत्यु भी हो गई. मैं सीधे प्रश्न पर आता हूं. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान भी आकर्षित करूंगा, उनसे आग्रह करूंगा, प्रार्थना भी करूंगा कि जिस प्रकार से शासन ने निजी चिकित्सालयों में रिसर्च सेंटर पर फिर वह चाहे जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर हो या भोपाल हो, अनेक प्रकार की बीमारियों का उपचार कराने के लिए निजी अस्पतालों में एमओयू किया है. मुख्यमंत्री हृदय बाल उपचार योजना, राज्य बीमारी सहायता में 20 प्रकार की बीमारियों का उपचार कराने के लिए मरीजों को निजी चिकित्सालयों में रेफर किया जाता है. उन अस्पतालों में उनका इलाज होता है. मैं माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न करना चाहता हूं कि सर्पदंश में उत्पन्न स्थिति पर स्थानीय स्तर पर जहां उप स्वास्थ्य केन्द्र तो है, लेकिन वहां पर आपका एमबीबीएस डॉक्टर नहीं है, क्या किसी निजी चिकित्सालय से या निजी चिकित्सक को काल कर इमरजेंसी में बुलाकर उसकी सेवाएं लेकर उस इंजेक्शन का उपयोग करने की मानसिकता विभाग रखता है?
श्री रुस्तम सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, यह जो सर्पदंश की घटनाएं होती हैं और जो एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन दिया जाता है, इसका एक प्रोटोकॉल है. भारत सरकार, स्वास्थ्य विभाग के उस प्रोटोकॉल के अनुसार ही मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग भी उस प्रोटोकॉल का पालन करता है. अब यह बात कि यह हो सकता है या नहीं हो सकता है, हम उनसे अलग हटकर चल नहीं सकते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह यह है, आपके माध्यम से मैं पूरे सदन के माननीय सदस्यों को और विशेषकर प्रश्नकर्ता सदस्य को एक आग्रह करना चाहता हूं कि एवरेज 22 परसेंट डेथ होती हैं बशर्ते कि सर्पदंश किया हुआ मरीज हॉस्पिटल तक आ जाय. समस्या यह है कि इससे कई गुना अधिक लोग हॉस्पिटल तक आते ही नहीं हैं. हमको जो प्रयास करना है, मेक्सिमम सर्पदंश के मरीजों को तत्काल हॉस्पिटल लाने के लिए ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है, क्योंकि हॉस्पिटल में आ जाते हैं तो 100 में से 75 और 78 मरीज बचाए जा सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को यह भी बताना चाहता हूं कि, पीएचसी और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में यह उपलब्ध हैं, लेकिन मरीज के आते ही प्रोटोकॉल मुताबिक एक चीज देकर उसको तत्काल डॉक्टर रेफर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल करता है, इसलिए डेथ के आंकड़े जो भी मिलते हैं वह जिला चिकित्सालय से मिलते हैं बाकी जगह से नहीं मिलते हैं क्योंकि वह सीधा वहां भेज दिया जाता है. क्योंकि उसके बाद जो कॉम्प्लीकेशंस आते हैं, जिसमें एंटी स्नेक वेनम दे दिया जाता है, उसके बाद बहुत सारे कॉम्पीकेशंस मरीज में आते हैं. उसकी लिमिट है. इसलिए उससे निपटने के लिए बेहतर इलाज देने के लिए और अन्य डॉक्टर से सलाह-मशविरा करने के लिए इन डॉक्टर्स के यहां से भी सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से भी कोशिश यह की जाती है कि और बेहतर इलाज के लिए वह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल जाय. जो माननीय सदस्य का प्रश्न है तो मेरा यह कहना है कि संभव नहीं है क्योंकि जो संभावना है, अगर नुकसान और अधिक हो जाय और यदि इनके हाथ में दे दिया जाए एवं बता दिया जाए कि वहां पर कितना देना है वेट कितना है, हाईट क्या है, ऐज क्या है, काटने वाला सर्प कैसा है जिसने काटा है चार तरह के सर्प जहरीले हैं और बताया कि बिना जहरीले वाले सर्प ने काटा है और उसमें दे दिया तो उसमें बेमतलब दूसरी समस्या में उलझ जाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष जी, आपके मार्फत मेरा एक ही आग्रह है. उनका सुझाव बहुत अच्छा है, उनका सुझाव संवेदनशीलता का भी है और हृदय तक छूने वाला भी है लेकिन अभी वह परिस्थितियां नहीं हैं कि हम पंचायत स्तर पर उसको कर सकें क्योंकि हम जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकते. यह कहकर कि स्वास्थ्य विभाग ने व्यवस्था कर दी है. यह जीवन से खिलवाड़ हो जाएगा. इसीलिए व्यावहारिक नहीं है. इसीलिए मेरा माननीय सदस्य और सदन से आग्रह है कि आप गांव-गांव में यह कहें कि झाड़-फूंक बाकी देशी दवाइयां जो कुछ होता है वह करें, लेकिन तत्काल मरीज को हॉस्पिटल पहुंचाएं. इस पर हमको ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है और इस पर मैं माननीय सदस्य से भी कहना चाहूंगा, पूरी संवेदनशीलता इसी में डाल दें.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, मैं तो सुझाव दूंगा कि झाड़-फूंक के लिये न कहें.
श्री रूस्तम सिंह – माननीय उपाध्यक्ष जी, जब वह मरीज को ले जा रहे हैं उस मरीज को तुरंत ले जा रहे हैं उस बीच में मन नहीं मानता. सामने वाले का भरोसा ऐसा अटूट है कि हम यह कह रहे हैं उनकी जो भावना है वह करें लेकिन मरीज को हॉस्पिटल में तत्काल शिफ्ट करना चाहिए. झाड़-फूंक से कुछ नहीं होना है. मैं यह कह रहा हॅूं कि यह जो सदस्य हैं जो बात कर रहे हैं यह शायद गांव गए नहीं हैं. डॉक्टर साहब जानते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – अभी तो कोई बात नहीं कर रहा था, आपने सबको उकसा दिया है. (हंसी)
श्री तरूण भनोत – माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी झाड़-फूंक की बात करते हैं. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय – भनोत सिंह जी, आप बैठ जाइए.
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -– माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय भनोत जी ने कहा कि गृहमंत्री ने भूत-प्रेत की बात की. यह विधान सभा की सारी रिपोर्टिंग है इसमें आप उठाकर देख लें. (व्यवधान) आप कम से कम पूरा सुन लें.
उपाध्यक्ष महोदय – नहीं, नहीं आप लोग पूरा सुन लीजिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह – माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्य श्री शैलेन्द्र पटेल जी ने पूछा कि सिहोर जिले में विगत 3 वर्षों में कितने लोगों ने आत्महत्या की. सरकार की तरफ से जवाब आया कि 418 लोगों ने आत्महत्याएं की. आत्महत्या के कारण उन्होंने पूछे. अगर कोई भी आत्महत्या का केस होता है तो पुलिस उसमें मर्ग कायम करती है और जब पुलिस मर्ग कायम करती है तो जो मृतक परिवार है उस मृतक परिवार के बयान होते हैं और मृतक परिवार जो बयानों में कहता है पुलिस उसको लिखती है. पुलिस ने जो बयानों में लिखा.
उपाध्यक्ष महोदय – मंत्री जी, यह कार्यवाही में स्पष्ट है.
श्री भूपेन्द्र सिंह – माननीय उपाध्यक्ष जी, इसे थोड़ा सा स्पष्ट कर दूं. जो मृतक के परिवार ने कहा, वह सरकार की तरफ से लिखित में जवाब आया. सदन में पूरी रिपोर्टिंग उठाकर देख लें मैंने कहीं पर भी यह नहीं कहा कि भूत के कारण किसी की मृत्यु हुई है और आपको स्पष्ट कर दूं कि गृह विभाग जो है वह भूत उतारने का काम करता है, लगाने का काम नहीं करता है. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय – भनोत जी, ऐसा जवाब नहीं आया है जो आप कह रहे हैं कार्यवाही तो मैंने भी देखी है. वह गांव स्तर तक नहीं जा सकता. चिकित्सक को नहीं बुला सकते. प्रोटोकाल से बंधे हुए हैं. यशपाल सिंह जी, आप दूसरा प्रश्न कर लें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. अगर यह बात सामने चल करके आ रही है तो माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि फिर जिन सरकारी अस्पतालों में आपकी सोनाग्राफी मशीनें नहीं हैं, जहां सीटी स्कैन नहीं होता है वहां आप निजी चिकित्सालयों में रेफर करते हैं और वहां उनका उपचार हो जाता है, वहां उनका पेमेंट हो जाता है. माननीय मुख्यमंत्री जी की भावना यहां तक पहुंच गई है कि नि:संतान महिलाओं का उपचार भी यदि सरकारी अस्पतालों में नहीं होगा तो वे प्राइवेट या निजी अस्पतालों में कराएंगे. सरकार वहां पहुंच रही है लेकिन माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि झाड़-फूंक में विश्वास न करें. इसका मतलब सरकार यह मानती है कि प्रदेश भर में झाड़-फूंक से उपचार हो रहे हैं उन पर नियंत्रण किया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा प्रश्न यह है, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि जिन शासकीय अस्पतालों में चिकित्सक ही उपलब्ध नहीं हैं वहां एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन क्यों रखे जाते हैं उन मरीजों पर यदि आप उपयोग नहीं कर सकते हैं या नहीं कर पाते हैं तो वे इंजेक्शन आपके उन केन्द्रों पर क्यों जमा पडे़ हैं?
श्री रूस्तम सिंह --उपाध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न आया है कि उन केन्द्रों पर क्यों पड़े हुए हैं. वहां पर उन केन्द्रों पर इसलिए हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर डॉक्टरों की पदस्थापना की कभी संभावना रहती है, वह उपलब्ध रहते हैं तो हम करते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि वहां पर व्यवस्था ही नहीं करें. मेरा आग्रह यह है कि हमने अभी पीएससी से कुछ डॉक्टरों की उपलब्धता हासिल की है उसमें हम लोग कई जगह पर पोस्ट करेंगे. इसका मतलब यह नहीं है कि वहां डॉक्टर नहीं हैं तो दवा उपलब्ध न रहे.
श्री शैलेन्द्र जैन -- उपाध्यक्ष महोदय, एंटी स्नेक वेनम की खरीदी हो रही है हमारे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में वह उपलब्ध हैं और अगर हम यह सरकारी व्यवस्था नहीं कर सकते हैं कि हम प्राइवेट डॉक्टर्स के साथ में टाइअप कर लें तो क्या वह एंटी स्नेक वेनम फ्री आफ कास्ट दिया जा सकता है ताकि पेशेंट उसका उपयोग किसी प्राइवेट डॉक्टर के पास जाकर कर पाये.
उपाध्यक्ष महोदय -- बड़ा स्पष्ट जवाब दिया है मंत्री जी ने एंटी स्नेक वेनम लगाना बड़ी तकनीकी बात है. बिना किसी क्वालिफाइड डॉक्टर के वह नहीं लगाया जा सकता .है
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरी इण्डियन मेडीकल एसोसिएशन के चिकित्सकों से चर्चा हुई है, वह लोग वालेन्टरी अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं क्या शासन उनको आमंत्रित करेगा?
श्री शंकर लाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय एंटी स्नेक वेनम के बारे में पूर्व में एक व्यवस्था हुई थी कि जैसे मैं सतना से विधायक था वहां पर इस सीजन में कोटर एवं अबेर वगैरह कुछ गांव ऐसे थे कि वहां पर 5 - 10 मृत्यु हर वर्ष होती हैं. अगर पीएचसी में यह इंजेक्शन रखें, यह इंजेक्शन अभी तक जिला अस्पताल में ही रखे जाते हैं और वहीं पर प्राप्त होते हैं. पीएचसी से इंजेक्शन के आते आते कई बार मरीज के शरीर में जहर फैल जाता है. इस सीजन में सांप के काटने की दुर्घटनाएं ज्यादा होती है तो पीएचसी में इंजेक्शन रखेंगे तो कृपा होगी.
उपाध्यक्ष महोदय-- पीएचसी में रखने वाली बात तो मंत्री जी ने कही है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस जिम्मेदारी के साथ यह कहना चाहता हूं कि मेरी आईएमए के चिकित्सकों ने मुझसे कहा है कि अगर सरकार हमें अनुमति देती है तो हम वालेन्टरी सेवा देने को तैयार हैं. आन काल हम जिला चिकित्सालय में नि:शुल्क रूप से आयेंगे और अपना काम करके चले जायेंगे क्या मंत्री जी विभाग में इस पर चर्चा करेंगे ?
श्री रूस्तम सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, उनका स्वागत है जो नि:शुल्क सेवा देना चाहते हैं, बहुत अच्छी बात है इसका हम लोग आंकलन भी कर लेंगे और जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं तो आईएमए के डॉक्टरों को बुलाकर विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा करके निर्णय भी कर लेंगे.
डॉ गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय मंत्री जी ने जवाब दिया है कि पीएचसी, सीएचसी और सिविल अस्पताल में इंजेक्शन उपलब्ध हैं लेकिन वास्तव में सच्चाई यह है कि अभी वहां पर नहीं हैं क्योंकि यह एंटी स्नेक वेनम फ्रीज में रखा जाता है ज्यादा दिन इसकी लाइफ नहीं रहती है, इसलिए हमारा निवेदन है कि एक आप संचालनालय से आदेश निकाल दें कि जहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है वहां पर तो रहें वह कम से कम 15 से 25 किलोमीटर की दूरी पर हैं, तो वहां पर उपलब्ध करा दें अभी नहीं है, अभी हमारे यहां पर सीएचसी लहार में एक सर्प ने काट लिया था तो डॉक्टर से कहा था इंजेक्शन के लिए तो डॉक्टर ने कहा था कि भिण्ड से मंगाना होगा, यह वहीं पर रखे जाते हैं और पीएचसी में आपके फ्रिज भी नहीं है, लाइट इसलिए नहीं हैं इसलिए वहां पर संभव नहीं है. लेकिन जहां पर सीएचसी है तो वहां पर क्या आप तत्काल ऐसा आदेश जारी करेंगे ताकि सभी सामुदायिक केन्द्र में यह इंजेक्शन उपलब्ध हो सके.
श्री रुस्तम सिंह -- जब भी डॉ. साहब वापस लहार जाएंगे, जहां पूछेंगे और जहां पर कि फ्रीज है वहां आपको इंजेक्शन मिलेगा, यह मैं आपको आश्वस्त करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री तरूण भनोत जी, सीधे प्वाइंटेड प्रश्न करें.
श्री तरूण भनोत (जबलपुर पश्चिम) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंटेड प्रश्न यह है कि अभी माननीय मंत्री जी ने यह स्वीकार किया कि जहां पर एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन रखे गए हैं वहां पर डॉक्टर पदस्थ नहीं हैं तो उनकी खरीदी क्यों की गई, अगर वहां पर डॉक्टर ही उपस्थित नहीं हैं तो उसका उपयोग वहां पर कैसे होगा क्योंकि इंजेक्शन की एक एक्सपायरी डेट होती है. वहां पर डॉक्टर ही नहीं हैं और एंटी वेनम इंजेक्शन आपने भेज दिए जो कि बहुत महंगे आते हैं तो क्या घोटाले की बू नहीं आती है ? जहां डॉक्टर ही पदस्थ नहीं हैं वहां तो इंजेक्शन का इस्तेमाल ही नहीं होना है वहां इंजेक्शन रखा क्यों गया, वहां के लिए खरीदी क्यों की गई, क्या वहां से कोई डिमांड आई थी.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इसका जवाब पहले ही दे चुका हूँ शायद इन्होंने सुना नहीं.
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप डाइबेटिक मरीज को मिठाई खिला रहे हैं, आप उसका इलाज नहीं कर रहे हैं. डॉक्टर्स आपके पास नहीं हैं पर आपने एंटी वेनम खरीद के वहां पर रख दिया, क्यों, एक्सपायर होने के लिए, खरीदा ही क्यों आपने.
श्री रुस्तम सिंह -- मैं एक निवेदन यह करना चाहता हूँ कि क्या ये चाहते हैं कि कभी वहां डॉक्टर जाए ही न. (... व्यवधान ...) आप जब बोलते हो तब हम चुप रहते हैं और जब हम बोलते हैं तो आप उचकते हो. उपाध्यक्ष महोदय, मैं इनको यह बता दूँ कि इस इंजेक्शन की एक्सपायरी 5 साल की होती है तो यह उम्मीद करते रहें कि 5 साल तक वहां कोई डॉक्टर ही नहीं जाएगा. (... व्यवधान ...)
उपाध्यक्ष महोदय -- भनोत जी, आपका प्रश्न हाइपोथेटिकल है, काल्पनिक है. (... व्यवधान ...)
श्री सचिन यादव (कसरावद) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, दो साल से कोई एमडी नहीं है कोई गायनोकॉलजिस्ट नहीं है. (... व्यवधान ...)
उपाध्यक्ष महोदय -- सचिन जी, बैठ जाइये, बाल्मीक जी को प्रश्न पूछ लेने दीजिए. (बहुत से माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) सभी माननीय सदस्य बैठ जाएं. क्या आप लोग नहीं चाहते कि वे प्रश्न पूछें. (... व्यवधान ...) बाल्मीक जी, सीधे प्रश्न पूछें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं सीधे ही प्रश्न पूछ रहा हूँ. अभी माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन रखे हुए हैं. मैं यह कहना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में जितने भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं वहां पर कोई भी ऐसी व्यवस्था नहीं है या इनके पास जानकारी गलत है तो एक बार इसकी जांच करा लें. दूसरी बात मेरी यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एंटीबायोटिक इंजेक्शंस रखे नहीं जा सकते हैं क्योंकि वहां डॉक्टर पदस्थ नहीं हैं और डॉक्टर वहां जाते भी नहीं हैं. कई महीनों से डॉक्टर्स वहां नहीं जाते पाते हैं तो उनका उपयोग होने का सवाल ही नहीं उठता. मंत्री जी को इस बात को स्पष्ट करना चाहिए.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके मार्फत सभी माननीय सदस्यों से यह आग्रह करना चाहता हूँ कि पीएचसीज़ में ये रखे गए हैं वहां पर अगर डॉक्टर नहीं है तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से वहां डॉक्टर भेजा जाता है. वहां से सूचना मिलते ही कि ऐसा कोई मरीज आने वाला है तो तुरंत डॉक्टर भेजा जाता है और डॉक्टर भी जाते हैं और यह व्यावहारिक रूप से जितना जहां संभव है होता है. हम लोग यहां ऐसी चर्चा करने के लिए बैठे हैं, हम लोग यहां इसकी चर्चा करने नहीं बैठे हैं कि वहां क्यों है, वहां क्यों नहीं हैं, वहां क्यों इतनी देर होती है. हम यहां बैठे हैं कि जितने भी रोगी अस्पतालों में आते हैं उनका समय पर अधिक से अधिक इलाज हो जाए, वे पहुँच के अंदर आ जाएं. हम यहां इसकी बात करने के लिए बैठे हैं. (... व्यवधान ...)
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- उपाध्यक्ष जी, जो व्यवस्था खराब है उस व्यवस्था को सुधारने के लिए बात की जा रही है.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी) -- उपाध्यक्ष जी, डॉक्टर होने के नाते मैं बोलना चाहता हूँ कि ये सब बिच्छू का मंतर जानते नहीं हैं और सांप के बिल में हाथ डाल रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी के पक्ष में बोल रहा हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- कार्यसूची के पद 6 तक कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए, मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
डॉ. योगेन्द्र निर्मल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्नेक वेनम को समझना पड़ेगा. दवाओं के इंडिकेशन हैं तो कांट्राइंडिकेशंस भी हैं और आप लोग इसको ऐसा समझ रहे हैं कि जैसे यह पैरासेटामॉल की या कोई एंटी एलेर्जिक सिट्रेजीन है, यह ऐसा इंजेक्शन नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय -- डॉ. निर्मल, कोई स्पेसिफिक प्रश्न हो तो पूछें.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस पर स्पेसिफिक ही बात कर रहा हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- उपदेश नहीं देना है, आप प्रश्न पूछ लें.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं स्पेसिफिक बात कर रहा हूँ कि (बहुत से माननीय सदस्यों के अपनी-अपनी बातें कहने पर) आपकी बात सुनी आप हमारी भी तो बात सुन लो, हमारी क्यों नहीं सुन रहे हो. हमारे यहां वारासिवनी में जो अभी माननीय मंत्री जी ने कहा इसका प्रचार-प्रसार मैं अपने हर भाषण में करता हूँ, एक तो आपके जितने भी आपके कुत्ते से काटने वाले इंजेक्शंस हैं, एंटी रेबीज और इस इंजेक्शन का हमको खुद प्रचार करना पड़ेगा और स्नेक वेनम में यह है कि मेरे यहां सिविल हॉस्पिटल में पिछले साल की घटना बताता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछ लीजिये
डॉ. योगेन्द्र निर्मल—प्रश्न नहीं पूछना है मैं तो माननीय मंत्री जी के फेवर में बोल रहा हूं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- उपाध्यक्ष महोदय, उनके पक्ष में बोलने की आवश्यकता नहीं है.यह बता दें इनके क्षेत्र में कितने डॉक्टर हैं.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल--- डॉक्टर है या नहीं ये सवाल नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- निर्मल जी, आप क्या मंत्री जी के प्रवक्ता हो गये हैं.(हंसी).
डॉ. योगेन्द्र निर्मल—मंत्री जी के प्रवक्ता नहीं हैं पर स्नेक वेनम पर बात हो रही है करेंगे ही.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- कुछ भी बात कर लेंगे सदन के अंदर. विषय कौन सा है कौन से विषय की डॉक्टरी बता रहे हैं यह.
उपाध्यक्ष महोदय-- चलिये बात आ गई. सखवार जी अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक—547
मुरैना में शासकीय कर्मियों द्वारा जनप्रतिनिधि व नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाना
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार(अम्बाह)—माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
गृह मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे प्रति हुई यह गाली-गलौच, जनप्रतिनिधियों का अपमान है. उस व्यक्ति ने यह भी कहा कि मैं आपकी विधायकी खा जाऊंगा. मेरा निवेदन है कि (सदन में टेपरिकॉर्डर/कैसेट दिखाते हुए) मेरे पास उनके कहे शब्दों की कैसेट है यदि आपकी आज्ञा प्राप्त हो तो सदन में इस कैसेट को सुनवाया जाए. मैं चाहता हूं कि उस स्टेनो-टायपिस्ट को इस सदन के आदेश से निलंबित किया जाए और प्रकरण की जांच करवाई जाए. उनके कहे शब्दों से मुझे अत्यंत दुख हुआ है और मेरी प्रतिष्ठा को क्षति पहुंची है.
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रकरण में विधायक जी के भतीजे श्री अजब सिंह से प्राप्त आवेदन पर तत्काल पुलिस द्वारा संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की गई है. माननीय विधायक जी का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च है. एफआईआर होने के तुरंत बाद से वह फरार है. जब तक उन पर आरोप सिद्ध नहीं होगा (व्यवधान)................. किस आधार पर उन्हें निलंबित किया जाए ?
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि आपके माध्यम से यह कैसेट सदन में सुन लिया जाए.
श्री भूपेन्द्र सिंह- आप पूरी बात सुन लीजिये माननीय विधायक जी. मैं मानता हूं यह घटना बहुत गंभीर है और हमने इसे पूरी गंभीरता से संज्ञान में लिया है. तत्काल हमने केस रजिस्टर्ड किया है.
उपाध्यक्ष महोदय- विधायक जी, आप पहले मंत्री जी की पूरी बात सुन लें. फिर आप कहें. हम आपको पर्याप्त अवसर प्रदान करेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उनकी सेवा राजस्व विभाग की हैं. एसडीएम कार्यालय में वह स्टेनो-टायपिस्ट है. वह पुलिस विभाग का कर्मचारी नहीं है. कलेक्टर के द्वारा उसके निलंबन की कार्यवाही की जा रही है. यह बात सही है कि वह व्यक्ति आदतन है. पूर्व में भी उसने अन्य कई लोगों के खिलाफ और विशेष रूप से आपके खिलाफ वह लंबे समय से दुर्भावनापूर्ण कार्य कर रहा था इसलिए तत्काल उसके विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया और गिरफ्तारी की जाएगी.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं विधानसभा का एक सदस्य हूं और विधानसभा का सदस्य होने के नाते यह केवल मेरे लिए नहीं सभी सदस्यों के लिए गंभीर मसला है. मैं चाहता हूं कि सदन में ही इसका फैसला किया जाए और उसे निलंबित किया जाए.
श्री तरूण भनोत- मध्यप्रदेश में दलितों पर लगातार अत्याचार हो रहा है और सदन के सदस्य भी इससे अछूते नहीं रह पा रहे हैं. सम्माननीय विधायक जी के साथ ऐसा हो रहा है.
श्री सचिन यादव- यह दलित विरोधी सरकार है. (व्यवधान)..........
उपाध्यक्ष महोदय- आप सब बैठ जायें. उन्हीं को बोलने दीजिये.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार- ये सदन का मामला है, यदि सदस्यों को सदन में संरक्षण नहीं मिलेगा तो फिर कहां मिलेगा ? सदस्य गाली खाये, मैं पिछले 8-10 महीनों से लगातार अपमानित हो रहा हूं, ये तो बहुत बुरी बात है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि वे व्यवस्था दें और उसे तुरंत निलंबित करवायें.
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय उपाध्यक्ष जी, सरकार ने बहुत त्वरित कार्यवाही की है. विभाग के द्वारा भी त्वरित कार्यवाही की गई है. (व्यवधान)
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं इससे बिल्कुल संतुष्ट नहीं हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- विधायक जी आप कृपया सुनने दें कि मंत्री जी क्या कह रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह- विधायक जी मैं आपकी हर बात से सहमत हूं. मैं कहीं पर भी आपकी किसी बात से असहमत नहीं हूँ. आप यह देखिए कि सात माह पुराना कोई मामला आपने लाकर दिया. सिर्फ ऑडियो के आधार पर कि कोई ऑडियो में ऐसी बात कही, उस आधार पर हमने मुकदमा कायम कर दिया, तत्काल कार्यवाही कर दी, एससी, एसटी एक्ट लगा दिया. इससे ज्यादा और कड़ी कार्यवाही हम और क्या कर सकते हैं. जहाँ तक निलंबन का सवाल है, कलेक्टर ने ट्रांसफर भी कर दिया, अब वह उच्च न्यायालय की डबल बैंच का स्टे लेकर बैठे हुए हैं तो उसमें सरकार क्या करे?
एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार-- उपाध्यक्ष महोदय, सदन सर्वोपरि है इसलिए सदन में इसकी व्यवस्था दें. उपाध्यक्ष महोदय, मैं तब तक इस सदन से नहीं जाऊँगा जब तक कि यहाँ सदन के द्वारा.....
उपाध्यक्ष महोदय-- सखवार जी, मैं आपकी ही बात कर रहा हूँ. आप बैठ जाइये...(व्यवधान)..
श्रीमती शीला त्यागी-- वह आदतन है तो आप उसका भूत क्यों नहीं उतरवा रहे हैं?
उपाध्यक्ष महोदय-- शीला जी, एक मिनट बैठिए. माननीय मंत्री जी, डबल बैंच ने जो आदेश दिया है वह यह है कि इसके अभ्यावेदन पर सरकार निर्णय ले. अब वह अभ्यावेदन भी नहीं दे रहा है. आपने उसका ट्रांसफर किया वह वहाँ जाकर ज्वाईन भी नहीं कर रहा है और चूँकि माननीय विधायक जी के संबंध में उसने बातें कहीं, अपमानजनक बातें कहीं. आपने उसके खिलाफ केस रजिस्टर्ड कर लिया है, उसमें भारतीय दण्ड विधान एससी, एसटी एक्ट की धाराएँ लगी हैं. मेरा आप से यह कहना है कि हाई कोर्ट की डबल बैंच ने कहीं उसके निलंबन पर रोक नहीं लगाई है (मेजों की थपथपाहट) तो बेहतर यह होगा, आपने धाराएँ रजिस्टर्ड कर लीं, वह फरार है आप उसको गिरफ्तार करने की कोशिश कर रहे हैं, वह अपनी जगह है. मैं ऐसा समझता हूँ उसको निलंबित भी किया जाना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष जी, अगर मुझे निलंबित करना होता, मेरे हाथ में होता, तो मैं तो अभी तक कर चुका होता. यह चूँकि राजस्व विभाग का कर्मचारी है, हम कलेक्टर, मुरैना को कहेंगे कि इनको तत्काल निलंबित करें बिल्कुल हम आपकी इस बात से सहमत हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह एक गंभीर मसला है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आपकी बात आ गई. आपने जो मांग की माननीय मंत्री जी, सरकार, मान गई है.
एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार-- बहुत बहुत धन्यवाद मंत्री महोदय. आपने व्यवस्था दे दी है. निलंबित कर दिया. माननीय उपाध्यक्ष जी को बहुत बहुत धन्यवाद.
1.43 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति.
(1) प्राक्कलन समिति का तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन.
श्री गिरीश गौतम(सभापति)-- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं, प्राक्कलन समिति का तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
(2) पटल पर रखे गए पत्रों के परीक्षण करने संबंधी समिति का द्वितीय एवं तृतीय प्रतिवेदन.
श्रीमती रंजना बघेल(सभापति)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, पटल पर रखे गए पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति का द्वितीय एवं तृतीय प्रतिवेदन (चतुर्दश विधान सभा) प्रस्तुत करती हूँ.
1.44 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति.
उपाध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएँ प्रस्तुत की हुई मानी जावेंगी.
अध्यक्षीय घोषणा.
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल की माननीय विधायकों/सांसदों की आवासीय योजना “रचना टावर्स” (एम.पी.नगर, चेतक ब्रिज के पास) का शिलान्यास आज सायंकाल 5.30 बजे या सदन की बैठक स्थगित होने के पश्चात् माननीय मुख्यमंत्री जी श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा अन्य विशिष्ट अतिथियों की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न किया जाएगा.
सभी माननीय विधायकों को इस कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र आवास संघ की ओर से वितरित किए जा चुके हैं. माननीय सदस्यों के लिए कार्यक्रम में आने जाने हेतु यथा समय विधान सभा सचिवालय से बस सुविधा उपलब्ध रहेगी. कृपया कार्यक्रम में शामिल होने का कष्ट करें.
सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक स्थगित.
(अपराह्न 1.45 से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.17 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
वक्तव्य
(1) नेशनल ऑप्टिकल फाईबर योजना के अंतर्गत वन भूमि व्यपवर्तन के भूमिगत ऑप्टिकल फाईवर केवल लाईन के प्रकरणों को पंजीयन शुल्क एवं प्रोसेसिंग शुल्क से मुक्त रखने संबंधी
उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण (श्री सूर्यप्रकाश मीना)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अभी जो वक्तव्य दिया है. मध्यप्रदेश में यह काफी दिनों से चल रहा है कि जो वन भूमि है उसको गैर वन भूमि बताकर उद्योपतियों को उद्योग डालने के लिए दी जाती है. इस विषय के संबंध में हमारी पार्टी के कई विधायकों ने ध्यान आकर्षण लगाए हैं व अलग-अलग व्यवस्थाओं के अन्तर्गत मांग की है कि यह मुद्दा विधान सभा में उठना चाहिए. इस तरह से यह जो जमीन दी जाती है इस पर रोक लगना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जैसे ही वक्तव्य पढ़ना शुरु किया है उसी दौरान मुझे इसकी प्रति प्रदान की गई है इस कारण मैं अभी इसको ठीक से पढ़कर मैं समझ भी नहीं पाया हूँ. लेकिन हमारा कहना है कि मध्यप्रदेश की जो वन भूमि है उसको गैर वन भूमि बताकर अलग‑अलग परपज के लिए जो दी जाती है उस पर रोक लगना चाहिए और इस पर सदन में चर्चा होना चाहिए क्योंकि मैं समझता हूं कि सदन में चर्चा होगी तभी सभी चीजें स्पष्ट हो पाएंगी और यह सदन की जानकारी का मैटर है भी और यह सदन में आना भी चाहिये, सदन में इस पर चर्चा भी होना चाहिये. अभी एण्ड टाईम में हम इस पर क्या बोल पायेंगे. अगर कोई ऐसा वक्तव्य या कोई ऐसी बात है तो पहले आप जानकारी में लायें और इस तरह से मध्यप्रदेश की वन भूमि और गैर वन भूमि है और उस भूमि को, उद्योगपतियों को ऐसे ही कौड़ी के दाम में दी जाती है या मुफ्त में दी जाती है, जैसे कल निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक आया था उस पर भी हमने बोला था कि किसी-किसी विश्वविद्यालय को, जो स्थापित करना है, डालना है तो उनको पांच-पांच सौ करोड़ रूपये की जमीन मुफ्त में दी जा रही है तो मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश की जनता का और मध्यप्रदेश का नुकसान है. उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक मेरी जानकारी में है कि लाखों एकड़ मध्यप्रदेश में ऐसी जमीन है, इस पर चर्चा आनी चाहिये. माननीय मंत्री जी इस पर तो हमारा कहना है कि अभी एण्ड टाईम पर वक्तव्य लाते हैं कि सरकार की इस तरह की जो योजना है वह सदन को पता नहीं चल जाये और उठ नहीं जाये और उसके बाद आप उनको दे नहीं पाओ और रूक नहीं जाये. आप चोरी छिपे कुछ करना चाहते हो, वह ठीक नहीं है. अभी जब मंत्री जी ने चालू कर दिया तब मुझे वक्तव्य की कापी मिली है. उपाध्यक्ष महोदय, हमारा आपसे आग्रह है कि पहले से हमारी जानकारी में ला दिया करें, जिससे हम और हमारे साथी भी इन मुद्दों को उठा सकें.
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह):- कल आपको कार्यसूची मिल गयी थी, आप उसका अवलोकन कर सकते थे, वह आपको मिल गयी होगी. बच्चन जी आप जरा गहन अध्ययन किया करो.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) :- बाला बच्चन जी, यह मान्य परम्परा है, सरकार का केबिनेट विधान सभा के दिनों में कोई बात करती है, निर्णय करती है तो उसका वक्तव्य सबसे पहले विधानसभा में दिया जाता है इसी का पालन मंत्री जी ने किया है. बाला बच्चन जी मंत्री रहे हैं और सीनियर विधायक हैं, वह इस प्रक्रिया को जानते हैं. इस विषय पर जो कुछ भी निर्णय हुआ है और इसके बारे में आपको कुछ भी कहना है तो इसके विभिन्न तरीके हैं. यह वक्तव्य और इस पर आपका रिएक्शन आ गया.
उपाध्यक्ष महोदय :- बाला बच्चन जी, आप इसका अध्ययन कर लें, इसमें सिर्फ फाईबर केबल लाईन के प्रकरणों को पंजीयन शुल्क में प्रोसेसिंग शुल्क से मुक्त रखा जाये, यह किया जाना है और यह भी बी.एस.एन.एल को दिया जाना है. यह भारत सरकार की संस्था है.
श्री बाला बच्चन :- उपाध्यक्ष महोदय, होता यह है कि यहां पर जो मेटर मेटराईज्ड हो जाता है तो उसकी आड़ में बहुत सारी चीजें हो जाती हैं.
उपाध्यक्ष महोदय :- इसमें स्पेसिफिक है.
3.23 बजे
(2) मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम के संबंध में खनिज साधन मंत्री का वक्तव्य.
खनिज साधन मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) :- उपाध्यक्ष महोदय,
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो मंत्री जी ने वक्तव्य दिया उसको सुना और पढ़ा है. इसका पालन विभाग से आपको कराना है. इस विभाग का संचालन आप कर रहे हैं. कम से कम कल का जो परिदृश्य था प्रश्नोत्तर के समय का, ऐसी पुनरावृत्ति न बने, यह सबकी जानकारी में है. आज नेट, मोबाईल, कम्प्यूटर, तथा ई मेल का जमाना आज जो भी घटित होता है, यह सबकी जानकारी में आ जाता है. अभी आपने इसमें सांसद, एम.एल.ए. को भी जोड़ा है, कलेक्टर सेकेट्री के रूप में रहेंगे उसके बाद प्रभारी मंत्री सब हैं. कल इस सदन के सदस्य ने जिस तरह से बात को उठाया था बाद में जो मामला आया इस तरह की घटनाएं हमारी जानकारी में आती हैं विधायकों के द्वारा अथवा विधायक जहां से फीडबैक लेते हैं और उसके बाद में सदन तक यह बात पहुंचती हैं, विभाग के मंत्री तथा सरकार की जानकारी तक पहुंचती है उसके बाद भी कोई एक्शन न लें इतने हम मजबूर हो जाएं, ऐसा भी हम न करें तो मैं समझता हूं कि इसका सख्ती से अगर पालन कराएंगे तो कहीं अगर अवैध खनिज का कहीं कारोबार हो रहा है और यह हमारी जानकारी में तथा सरकार की जानकारी में आता है तो उसको रोकना चाहिये. कल का जो परिदृश्य था वह ठीक नहीं था. माननीय मंत्री जी आप पकड़ वाले मंत्री हैं अभी तक आपने ऊर्जा विभाग को संभाला है या इसके बाद इस विभाग में इस तरह की स्थिति कभी बनी नहीं थी, किन्तु कल का जो परिदृश्य विधान सभा में था, वह ठीक नहीं था. तो कम से कम हम यह चाहते हैं कि आपकी विभाग में कसावट हो और हम मंत्री के पहले विधायक हैं. एक विधायिका की भी और विधायकों का भी मान-सम्मान और उसकी गरिमा बनी रहे, इस बात का भी ध्यान रखा जाय यह मेरा आग्रह है. अवैध कारोबार अगर आपके खनिज विभाग में चलता है तो उस पर रोक लगायें क्योंकि यह मध्यप्रदेश की तथा उसकी जनता की प्रापर्टी है.
उपाध्यक्ष महोदय--यह जो मंत्री जी ने वक्तव्य दिया है और आप जो कह रहे हैं उसमें सामांजस्य नहीं है.
श्री बाला बच्चन--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के सामने कल की जो बात थी इसलिये मैंने कही.
उपाध्यक्ष महोदय--इस संबंध में एक कमेटी बनेगी प्रभारी मंत्री तथा कलेक्टर, उपाध्यक्ष, सांसद रहेंगे, उन्हीं की अनुशंसा के अनुसार राशि खर्च की जाएगी.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, जो कमेटी बनेगी और जिस मकसद से बनेगी हम यह चाहते हैं कि उस मकसद पर कमेटी काम करे और मैंने कल का उदाहरण इसलिये डाला कि इसकी पुनरावृत्ति न हो, जिससे कि यह मध्यप्रदेश की प्रापर्टी है और उस पर सरकार का अंकुश लगे और कहीं से भी फीडबेक मिलता है तो सरकार को उस पर रोक लगानी चाहिये यह मेरा आग्रह है. जो कमेटी बनेगी उसका मकसद पूरा हो सके और मध्यप्रदेश की प्रापर्टी सही कामों में खर्च हो. हम सदस्यगण चुनकर आते हैं अगर हमारे ऊपर भी अंदेशा लगता है, वह भी न हो इन चीजों का ध्यान रखना चाहिये, यही मेरा आग्रह है.
खनिज साधन मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कल का जो मामला था वह गोण खनिज से संबंधित था और आज का जो वक्तव्य है वह पूर्ण रूप से मुख्य खनिज से संबंधित है. इसमें विवाद इसलिये होते हैं कि जब विषय को ठीक से न समझा जाए और उसमें यहां पर कोई वक्तव्य दिया जाता है और जब वह विषय से जब परे होता है तो विवाद की स्थिति निर्मित होती है. आज यह विषय मुख्य खनिज से संबंधित है और कल वाला मामला गोण खनिज से संबंधित था.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, मैंने यह बात इसीलिये कही थी आपका विभाग था मध्यप्रदेश की विधान सभा में कल जो हुआ वह कभी नहीं हुआ और हम वह व्यवस्था सुन भी पाये इसलिये यह बात कही.
उपाध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई है.
3.28 बजे
3.29 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय विधेयक, 2016 (क्रमांक, 21 सन् 2016)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं, पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं, पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.
3:30 बजे
नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा ( क्रमश:)
हाल ही में प्रदेश के अनेक जिलों में अतिवृष्टि से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा का पुनर्ग्रहण
उपाध्यक्ष महोदय- नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा. हाल ही में प्रदेश के अनेक जिलों में अतिवृष्टि से उत्पन्न चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा ( मुंगावली)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में मात्र 10 दिनों में एक बारिश के कारण जन जीवन के साथ ही साथ फसलों को बड़े पैमाने पर पर नुकसान हुआ है । प्रारंभिक सर्वे में 3 लाख हेक्टेयर खरीफ फसल सोयाबीन, उड़द मूंग आदि प्रभावित हुई थीं. 27 जिलों में 20 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में बोई गई फसल खराब हो गई और दोबारा बोनी की स्थिति हुई । मुख्य रूप से भोपाल, रायसेन, सीहोर, विदिशा, राजगढ़, होशंगाबाद, हरदा, बैतूल, रीवा, सतना, सिंगरौली, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, सागर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया, नरसिंहपुर, जबलपुर, शाजापुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, सीधी और मण्डला इतने सारे जिले प्रभावित हुए हैं, लेकिन आपने दोबारा बोनी के लिए बीज उपलब्ध नहीं करवाया । मेरे मुंगावली क्षेत्र में कई गांव प्रभावित हुए हैं, जिनमें बीज उपलब्ध नहीं करवाया गया है । यदि अतिवृष्टि की समस्या उत्पन्न हुई है तो इसके लिए हमें पहले से तैयारी रखनी चाहिए । भोपाल में राहत कार्यों में जो शिकायतें मिली हैं, वह सबको पता है । समाचार पत्रों में भी आया है । इसका मतलब प्रशासन और आपका विभाग इसके लिए तैयार नहीं था । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो अतिक्रमण नालों और तालाबों पर और महत्वपूर्ण स्थानों पर हुआ है उसको आप रोक नहीं पाए । अतिक्रमण की समस्या भोपाल ही नहीं, भोपाल के बारे में हमने समाचार पत्रों में पढ़ा लेकिन अतिक्रमण की समस्या प्रदेश के सभी शहरों में है । हमारे मुंगावली में कस्बारेंज पंचायत है, उसके दो मकानों पर पिछले सात सालों से किराएदार के नाम से अतिक्रमण है, जबकि वह प्रधानमंत्री की योजना की पंचायत है और उसमें सांसद चयनित गांव है, खुद का पंचायत भवन नहीं है । दो भवन हैं दोनों भवनों पर 8 महीने से कब्जा है, 8 महीने से हम खाली करवाने का प्रयास कर रहे हैं । जब कलेक्टर और सभी ने उसको खाली कराने का बोल दिया तो उसके बाद राजस्व मण्डल तीन तीन महीने का दो बार स्टे दे चुका है । जितने भी अवैधानिक काम होते हैं आपका राजस्व मण्डल यही काम करता है । राजस्व मण्डल में ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारियों को रखते हैं जो वहां जाकर येनन - केन प्रकारेण मैनेज हो जाते हैं । आप पता करें कि कस्बारेंज में राजस्व मण्डल के सदस्य ने तीन तीन महीने के स्टे क्यों दिया है । इसी तरह से अशोकनगर में शहर के मध्य तालाब के पास करोड़ों रूपए की भूमि पर अतिक्रमण है जब अशोकनगर, गुना कलेक्ट्रेट में था तब गुना कलेक्टर ने उस अतिक्रमण को हटाया था लेकिन वापस कर लिया गया है । केबिएट नहीं लगाई जाती है । अधिकारी चिन्ता नहीं करते हैं । जब एक बार पुलिस ने हटा दिया तो दोबारा कैसे अतिक्रमण हो गया । इस प्रकार अतिक्रमण की समस्याओं को गंभीरता से लेना पड़ेगा । बैरागढ़ में भी जब अतिक्रमण हटा था तो मकानों के अंदर माइल स्टोन मिले थे । मेरा आपसे अनुरोध है । गौर साहब ने इसमें अच्छा काम किया था, इसलिए उनको बुलडोजर मंत्री भी बोलते थे । मेहरवानी करके आप भी बुलडोजर मंत्री बनिए लेकिन मुझे शक है कि आप बुलडोजर मंत्री बन जाएंगे क्योंकि जब आप विधायक थे और मंत्री नहीं बने थे तब आपने शिकायत की थी कि कलेक्टर मेरे 50 पत्रों का जबाव नहीं दे रहे हैं । अभी भी राजस्व से संबंधित मेरे तीन प्रश्न हैं । तीनों में आपने लिख दिया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है ।ऐसे कई प्रश्न हैं, जिनमें जानकारी एकत्रित की जा रही है. जब आप विधायक थे तब कलेक्टर आपकी नहीं सुनते थे. अब आप मंत्री हैं तो अब आप कलेक्टरों को मजबूर करो कि वे आपकी सुनें और प्रदेश में अतिक्रमण हटायें क्योंकि तालाबों पर एवं नालियों पर बहुत भारी अतिक्रमण हैं. हमारे मुंगावली क्षेत्र में नालियों पर अतिक्रमण था, इसके कारण पूरा फ्लड आ गया और आप पानी की निकासी का प्रबंध तभी कर पायेंगे जबकि आप नालियों से अतिक्रमण हटायें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में एक सांवलहेड़ा गांव है. वहां पर केथन नदी है, जब बेतवा नदी में बाढ़ आ जाती है तो वह केथन नदी के पानी को रोक देती है, हर वर्ष फ्लड के कारण पूरा गांव शिफ्ट हो जाता है और आपको उसको अलग बसाने के लिए कार्यवाही करनी चाहिए क्योंकि आप केथन और बेतवा पर कन्ट्रोल नहीं कर पायेंगे क्योंकि अतिक्रमण बहुत हो गया है, लोगों को बसाने के लिए जगह नहीं है. इसलिए आप अतिक्रमण हटाकर, लोगों को बसाने की व्यवस्था करें.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी मंदसौर से मुझे फोन आया कि वहां पर जो प्रभावित गांव हैं. उन्हें बीज उपलब्ध नहीं कराया गया, लेकिन भाऊगढ़ निमोद, नांदवेल और धंधौड़ा से खबर आई है कि लोगों को खाद नहीं मिल रही है, तो मेहरबानी करके इस बात को आप कृषि मंत्री जी से बात करके बीज एवं खाद उपलब्ध करवायें. यह बहुत जरूरी है. मेरे क्षेत्र में बहादुरपुर गांव है, वहां जैन मंदिर के पास पूरी बस्ती को खतरा पैदा हो गया है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – माननीय उपाध्यक्ष जी, आजकल महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी एक बार पुन: मंदसौर एवं नीमच जिले की तरफ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – क्या आपको इस पर आपत्ति है ?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – उपाध्यक्ष महोदय, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए माननीय श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा साहब मंदसौर को याद कर लेते हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा – मैं आपकी मदद ही कर रहा हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – मुझे तो कोई टेलीफोन नहीं आया है. मैं तो वहां का प्रतिनिधि हूँ. निमोद तो मेरा खुद का गांव है, मैं वहां का निवासी हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय – यशपाल जी, महेन्द्र सिंह जी नेता हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान – माननीय उपाध्यक्ष जी, नांदवेल श्री यशपाल जी के क्षेत्र में आता है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा – उपाध्यक्ष महोदय, श्री सुरेन्द्र सिंह, पूर्व सरपंच, नांदवेल का फोन आया था. श्रीमान् जी, खाद नहीं मिल रही है, मैं यह कहना चाहता हूँ. इसमें मेरा एक अच्छा उद्देश्य था.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – आपकी जो मंदसौर संसदीय क्षेत्र में उपस्थिति हो रही है. मैं यह कह रहा हूँ.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा – मैं वहां से 4 बार चुनाव लड़ चुका हूँ तो क्या मैं उसके बारे में चिन्ता नहीं करूँगा ? वह मेरा गृह क्षेत्र है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारा अनुभव ओला, पाला और सूखे से पीडि़त क्षेत्र में जो मुआवजा बांटने का है, वह बहुत बुरा रहा है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में मुंगावली में 3 वर्ष से लगातार अतिवृष्टि, ओला, पाला और सूखे से लोग परेशान हैं, लेकिन पटवारियों ने मनमानी कीं. हां, पिछली बार जरूर आपने सुधार किया है. आपने पिछली बार कृषि एवं अन्य विभागों के साथ टीम बनाई और थोड़ा सा सुधार किया है, लेकिन उसके पहले पटवारियों ने जबर्दस्ती मनमानी की और मेरे क्षेत्र के लोगों को मुआवजा बिल्कुल नहीं मिला. आपने सूखाग्रस्त घोषित कर दिया, लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया. मंदसौर जिले में तो हाईकोर्ट से आदेश आया तब कहीं जाकर मुआवजा बांटा, लोगों को कोर्ट में जाना पड़ा. अब तो मैं बोल सकता हूँ, आप समर्थन करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, श्री अनुपम मिश्रा जी ने तालाबों के बारे में एक किताब लिखी है. वह बहुत सुन्दर पुस्तक है. मैं मंत्री जी को कहूँगा कि पानी को बचाने के लिए लोगों में अवेयरनेस लाने के लिए इस किताब को विधायकों को बांटनी चाहिए और नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में भेजना चाहिए. भोपाल में बड़े तालाब और अन्य तालाबों पर भी अतिक्रमण है और जो अन्य तालाब हैं, उनको आप एक योजना बनाकर हटाने का कष्ट करें. यह मेरा आपसे अनुरोध है. इस अतिवृष्टि में आपका आपदा प्रबन्धन फेल हो गया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि आपदा प्रबन्धन के नियम सख्त करें और आपदा प्रबन्धन विभाग को चुस्त-दुरूस्त करें क्योंकि उत्तराखण्ड की तरह बादल भी फट सकते हैं. कोई भी केलेमिटी कभी भी आ सकती है. हमको ‘Hope for the best and be prepared for the worst’ जहां हम गंगा, यमुना और क्षिप्रा की सफाई की बातें करते हैं. वहां प्रदेश के नदी-नालों की सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि अतिवृष्टि के समय वहां जल न रूके और लोगों को सुविधाएं मिलें. जैसे जावरा विधानसभा क्षेत्र में पीलियाखाल है, उसकी सफाई और सौन्दर्यीकरण शीघ्र से शीघ्र होना चाहिए. भोपाल में 5,000 घरों में डेंगू का लार्वा पाया गया, इसी प्रकार प्रदेश के 10,000 से ज्यादा मलेरिया पीडि़त हैं तो यह अतिवृष्टि के बाद के आफ्टर इफेक्ट्स हैं, इसलिए बीमारियां फैलती हैं. इसलिए जो बीमारियां फैलती हैं सर्दी खांसी होती है, और डेंगू का खतरा होता है इसके लिए आपको विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए. हर नगर में और ग्राम पंचायत में एक सेल होना चाहिए. जो इस काम को देखे और आपको यहां से अतिवृष्टि का आंकलन मॉनीटर करना चाहिए. और उससे जो हानि हुई है उसका आंकलन बहुत ईमानदारी से होना चाहिए. अभी मेरे क्षेत्र में आंकलन करने के लिए कई गांव में लोग पहुंचे भी हैं इसलिए मैं आपको बता रहा हूं कि राजस्व अधिकारियों की एक टीम बनाकर, पटवारियों को भेजकर इसका आंकलन कराया जाए. अध्यक्ष महोदय, भोपाल में पी.डब्ल्यू.डी. ने ही नहीं सी.पी.ए. ने भी सड़कें बनाई हैं, नगर निगम ने भी बनाई हैं. यह सड़कें जितनी बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं और खराब हुई हैं इसके लिए आपको पी.डब्ल्यू.डी. मंत्री जी से बात करनी चाहिए कि सड़कों की गुणवत्ता अच्छी होना चाहिए. अतिवृष्टि में सड़कों की जो दुर्दशा हुई है इससे साबित होता है कि सड़कों के निर्माण में आपको उसके स्टेंडडर्स बदलना चाहिए. जो अभी स्टेंडर्डस हैं उनको बदलना चाहिए ताकि सड़कें ज्यादा सालों तक टिकें. हमारे यहां एक पिपरई गांव है. अशोक नगर से पिपरई और मुंगावली तक सड़क वह 6 महीने में ही खराब हो गई. और मैंने कई शिकायतें की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई. नगरीय प्रशासन विभाग को खासतौर से नगरों में बाढ़ का प्रभाव न पड़े. इसके लिए प्रयास करना चाहिए और जहां प्रभाव पड़ गया है वहा मदद करनी चाहिए. जैसे मुंगावली क्षेत्र में वार्ड नम्बर एक, दो, तीन में जबर्दस्त बाढ़ आई कम से कम आप वहां नगर पालिका को तो मदद करें. ताकि पानी की निकासी हो सके क्योंकि पानी की निकासी नहीं होगी तो यह मामला अगले साल बारिश में फिर रिपीट होगा. उनको आपको अनुदान उदारता से देना चाहिए. यही मेरा आपसे अनुरोध है. धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय ‘’म’’ से बड़ा गहरा संबंध है माननीय महेन्द्र सिंह जी का मुंगावली, मंदसौर, और मुआवजा यह सब चीजें इकट्ठा और आपने लोक निर्माण भी शामिल कर दिया.
श्री आर.डी. प्रजापति – (अनुपस्थित)
श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवारा) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हाल ही में अतिवृष्टि के कारण जो तबाही आई है या जो फसलों का नुकसान हुआ है या मकानों में पानी भरा है मैं उस विषय पर अपने विचार रखना चाहता हूं. पहले के युग में वर्षा आज से ज्यादा होती थी लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां घटती हैं. इसलिए थोड़ा सा पानी गिरने के बाद भी एक बाढ़ की स्थिति आ जाती है. अभी माननीय महेन्द्र सिंह जी ने जो बात कही कि गांवों के अंदर या शहरों के अंदर जो नाले होते थे जिनसे पानी का निकास होता था वह नाले ज्यादातर अतिक्रमण की चपेट में आ गए हैं जहां जलग्रहण क्षेत्र है हर गांव में एक, दो तालाब हुआ करते थे यदि पानी बहता भी था तो तालाबों में इकट्ठा हो जाता था या नालों में बहकर निकल जाता था लेकिन तालाब भी आज अतिक्रमण की चपेट में आ गए. लोगों ने तालाबों का नाम मिटा दिया और जो नाले हैं उनको भी चाहे शहरी क्षेत्र के नाले हों उन्हें कचरे से या अन्य चीजों से पाट दिए गए हैं और नालों में मकान बना लिए गए हैं और गांवों में तो नालों को लोगों ने खेत बना लिए हैं उनमें बंधान बना-बनाकर नालों की जगह ही खत्म कर दी. आज जो हमारा निस्तार पत्रक है या जो राजस्व रिकार्डों में पानी की जगह सीधी चिहि्नत होती है कि इतनी पानी की जगह है तो मेरा कहना है कि ऐसी स्थिति बनती है उसका एक ऐसा अभियान चलाकर जितनी राजस्व रिकार्ड में पानी की जगह है उसको सर्वे कराकर उस जगह को पूरा छुड़वाया जाए. पंचायतों में जो रोजगार गारंटी से काम होते हैं तो पहला काम तो यह है कि जो नाले हैं उन्हें रोजगार गारंटी के द्वारा खुदवा दिया जाए. जितनी जगह में वह नाले हैं तो जब भी वर्षा होगी तो बाढ़ में ऐसी स्थिति नहीं आएगी. गांव का पानी बहता है तो पानी वहीं भर जाता है पानी निकलने की कहीं जगह नहीं है. आज कई शहरों में तो यह स्थिति आती है कि अन्यत्र बसाहट हुई है उसमें कई जगह जैसे हमारे गाडरवारा शहर या नरसिंहपुर उनमें तो कुछ कॉलोनियां ऐसी बनी हैं. जिनकी कोई प्लानिंग ही नहीं है, उनमें पानी निकासी की कोई व्यवस्था ही नहीं है. पहले कालोनाइजर्स को बिना उसके पमीशन मिल गई और कहीं भी पानी की निकासी नहीं है. दसों एकड़ में कालोनियां बनकर तैयार हैं, उनका पानी कहां जाये. अभी तो कुछ प्लाट खाली पड़े हैं, उनमें पानी भराता है. नहीं तो स्थिति ऐसी बन जायेगी कि पानी जाने की स्थिति नहीं है. इसलिये वर्षा जो हुई है, लेकिन वर्षा में पानी की निकासी की व्यवस्था नही है. ऐसी व्यवस्था विभाग कराये और सबसे बड़ी स्थिति इसमें जो अतिक्रमण की है, जैसे हमारे जिले के करेली में धमना नदी है, वह अतिक्रमण की चपेट में है. नदी का एक अस्तित्व ही मिट गया है, ऐसी स्थिति है. नरसिंहपुर में एक सींगरी नदी है. जिसकी बार- बार सफाई हम लोग जनप्रतिनिधि या सामाजिक संगठन करते है, लेकिन उस सींगरी नदी में इतना अतिक्रमण है कि वह नरसिंहपुर जिला मुख्यालय के बीच में से बहती है. उसका अस्तित्व मिट गया है. शहर में पानी गिरा और एकदम से भरा जाता है, कहीं उसको निकलने की जगह नहीं बचती है. ऐसे ही गोटेगांव में बड़े पुल के पास एक यमुना नाला है. उस पर इतना अतिक्रमण है कि पानी गिरता है और पूरे शहर में भर जाता है. नाले से पानी निकलता नहीं है. ऐसे ही गाडरवारा नगर बहुत बड़ा तहसील प्लेस है, उसके बीच से एक लड़इया नाला जिसको बोलते हैं, वह बहता है. वह इतनी अतिक्रमण की चपेट में है, पानी गिरता है, तो पूरे शहर में हल्ला हो जाता है, लोग कहते हैं कि बहुत पानी गिर गया. लोग कहते हैं इस-इस मोहल्ले में पानी भर गया. पानी इसलिये भरता है कि उसको बहने की जगह नहीं है. बाढ़ की सबसे बड़ी समस्या इसलिये बनती है कि कुछ जगह तो ऐसी तरहटें हैं, जिनमें पहले पानी रुकता था, शहर का या गांव का पानी बहकर रुकता था. लेकिन उनमें इतना अतिक्रमण हो गया कि पानी रुकने की जगह नहीं है. थोड़ा पानी गिरा और ऐसी स्थिति बन जाती है. इसलिये मेरा राजस्व मंत्री जी से निवेदन है कि एक अभियान चलाकर जो अतिक्रमण की चपेट में नदी, नाले, जलग्रहण क्षेत्र हैं, उन्हें अतिक्रमण से मुक्त कराया जाये और जो राजस्व रिकार्ड में कुछ गोये होते थे, मेढ़े होती थीं या ऐसी जगह होती थीं, जिनका राजस्व रिकार्ड के निस्तार पत्रक में विवरण होता था, उनसे भी पानी बहता था. गोये से भी पानी बह जाता था, मेढ़ों से पानी बह जाता था. लेकिन वह मेढ़े या गोये सब आजकल यहां तक कि सड़कें, आज जो सड़कें प्रधान मंत्री सड़क योजना से बनी हों या पीडब्ल्यूडी से बनी हों. कोई भी सड़कें हों, तो पीडब्ल्यूडी की सड़क की आम चौड़ाई पुराने समय में 120 फीट होती थी. लेकिन आज मुश्किल से वह 20 फीट डामर रहता है और 4-5 फीट आस-पास फुटपाथ रहता है. वह सब पूरी जगह टूट गई हैं. वहां लोगों के चलने की स्थिति भी नहीं है. उन सड़कों पर और प्रधानमंत्री योजनांतर्गत जो सड़कें बनती हैं, इसलिये वह सड़कें खराब हो जाती हैं कि लोग उनको मिटा देते हैं. इसलिये इन पर भी निगरानी राजस्व विभाग की तरफ से भी रहना चाहिये कि जो भी सड़कें मिटती हैं, उन पर ध्यान दिया जाय. अभी अतिवृष्टि के कारण कहीं कहीं जो फसलें खराब हुई हैं, उनके संबंध में शासन से निवेदन है कि वहां बीज उपलब्ध करा दिया जाय, कम से कम दूसरी फसल, जैसे आज जहां सोयाबीन बोई है या जो सोयाबीन की फसल खराब हुई है. सोयाबीन के बोनी का तो समय निकल गया. लेकिन उसमें तुअर, उड़द वगैरह बोई जा सकती है. वहां उड़द,तुअर के बीज उपलब्ध करा दिये जायें, जिससे कि सिंचाई हो सके. कहीं कहीं अतिवृष्टि से सड़कें भी डेमेज हुई हैं. हम लोग चिकलोद के रास्ते से आते हैं, एक दो जगह इतना पानी था कि रोड कट गया है. तो रोड्स की मरम्मत होना चाहिये. वर्षा के पूर्व तैयारी नहीं होती है. नगर पालिकाएं या हमारी जो स्थानीय संस्थाएं हैं, वह वर्षा पूर्व तैयारी नहीं करती हैं. नालों की बीच बीच में सफाई हो और मैंने कल ही पढ़ा कि भोपाल में कहीं किसी ने पेड़ काटकर नाले में डाल दिया, इसलिये एक मोहल्ले में पानी रुक गया. तो इस तरह की एक तैयारी होनी चाहिये. नालों की साफ सफाई हो और मूल रुप से आज जो फसल या कोई किसी किस्म का नुकसान हुआ है, फसल बीमा योजना में तो व्यवस्था है ही. फसल बीमा योजना में यह व्यवस्था की गई है कि किसी भी तरह अतिवृष्टि से या फसल सड़ जाये, फसल उग न पाये, उसका भी उसमें प्रावधान है. लेकिन उसके बाद भी राजस्व विभाग से सर्वे करवाकर और सरकार वैसे इसके लिये पूरी चिंतित है और सरकार उसके लिये चिंता भी कर रही है. कहीं भी किसान का नुकसान हुआ है, तो उसकी भरपाई हो. हमेशा मध्यप्रदेश सरकार ने जब जब भी अतिवृष्टि से या ओला-पाला से नुकसान किसान का हुआ है, उसकी समय रहते भरपाई की है. सरकार ने कहीं उदासीनता नहीं बरती है. लेकिन वर्षा पूर्व हम अच्छी तैयारी करें, जिससे कि यह जो बाढ़ की स्थिति आती है, वह न आये और अब स्थिति तो यह बनी हमारे गांव के अंदर के जो मकान है, उसका इंतजार करते हैं कुछ लोग तो पानी ज्यादा गिर जाए और मकान का थोड़ा नुकसान हो जाए और हम तहसीलदार और नेता को पकड़े कि चलो मुआवजा दिलवा दो.लगभग ऐसी स्थिति है लेकिन उसके बाद उसकी भी सरकार चिन्ता करती है. मेरा निवेदन है पहले ये नाले बगैरह अतिक्रमण से मुक्त होना चाहिए और पानी की जगह जितनी जहां हैं या निस्तार पत्रक में जिस मद की जितनी जमीन है, निस्तार पत्रक में हर मद की जमीन है. हर कहीं जगह बात आती है, जनप्रतिनिधि जाते हैं मरघटा नहीं है, जबकि मरघटा की जगह भी निश्चित है, पशु चिरान की जगह भी निश्चित है हर चीज की जगह पटवारी रिकार्ड में निश्चित है तो एक बार राजस्व विभाग निस्तार पत्रक के अनुसार गांवों में जो जमीन है उसकी पूरी व्यवस्था कर दें तो बहुत सी समस्याओं का इसमें समाधान होगा. उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) – उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में पिछले तीन वर्षों से लगातार प्राकृतिक आपदा से किसान जूझ रहा है, प्रदेश के किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय है यही कारण है कि आज प्रदेश के किसानों की हालत बहुत दयनीय है. प्रदेश में आठ किसान प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं, यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. वर्ष 2014-2015 में सूखा पड़ा, फिर अनावृष्टि, ओला-पाला और 2015-16 में भारी सूखा हुआ और सूखे के कारण प्रदेश के किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. सूखे में भी सरकार ने मदद करने की बात कही, सूखे के सर्वे भी कराए, सूखे के सर्वे के बाद किसानों को मुजावजा देने की बात की गई, माननीय मुख्यमंत्री जी ने काफी घोषणाएं की, लेकिन किसानों की स्थिति जस की तस रही, किसान की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. अभी हाल ही में यह बात सही है कि पिछले तीन वर्ष से मध्यप्रदेश में बारिश कम होने से भूगर्भ जल के मामले में पूरे प्रदेश के हालात अत्यंत दयनीय हो गए थे, मेरे यहां 150 मीटर नीचे भूगर्भ जल का स्तर गिर गया था. इस बार अभी हाल ही में प्रदेश में आई बाढ़ से पूरे प्रदेश में भारी तबाही हुई है. हालांकि पानी का हम सबको इंतजार था, कुछ जिलों में अतिवृष्टि हुई है, कुछ जिलों में अभी भी पानी की कमी है और पानी की आवश्यकता है. इस अतिवृष्टि के कारण कम से कम पूरे प्रदेश में सौ से अधिक लोग काल के गाल में समा गए हैं, कुछ नदियों में डूबे, कुछ बाढ़ में बहे, कुछ बिजली गिरने से मरे, उन सौ परविारों की स्थिति ऐसी हो गई है, उन परिवारों के बच्चे बेसहारा हो गए हैं. सरकार कब कितनी सहायता किस तरह से प्रदान करती है यह सबकी जानकारी में है. मेरे विधानसभा के प्रश्न के जवाब में एक में बताया गया था कि प्रतिदिन लगभग प्रदेश में 27 लोग आत्महत्याएं कर रहे हैं. 1 जनवरी 15 से लेकर 31.1.2016 तक प्रदेश में कुल 10,664 आत्महत्याएं हुई हैं, जिसमें 829 कृषक तथा 1561 कृषक मजदूर थे. इस तरह की जानकारी मुझे सरकार ने दी है. इस प्रकार प्रतिदिन लगभग औसत 8 किसान जो कृषक और कृषक मजदूरों की आत्महत्या की स्थिति है. हम हमेशा इस सदन में आए हैं, प्रदेश की जनता हमें चुनकर भेजती है हम चाहते हैं कि प्रदेश के किसानों का हित हो, इस बाढ़ के कारण जिस तरह से प्रदेश में तबाही हुई है और इस तरह की स्थिति का वर्णन सभी सदस्यों ने किया है. अभी तक बाढ़ से जो नुकसान हुए हैं, अभी तक सरकार ने सर्वे कार्य प्रारंभ नहीं कराया है. हम चाहते हैं कि जल्दी ही सरकार सर्वे कार्य प्रारंभ करवाएं और जो नुकसानी की रिपोर्ट आती है, उसके अनुसार राहत राशि सरकार किसानों को प्रदान करें. उपाध्यक्ष महोदय, बाढ़ की स्थिति बनती क्यों है. अभी ऐसी कोई भारी बारिश नहीं हुई है जिससे कि बाढ़ की स्थिति बने, बाढ़ की स्थिति अतिक्रमण के कारण, नदी नालों के पटने के कारण बनती है. अतिक्रमण के कारण पानी के निकास के जितने भी रास्ते रोक देते हैं उनके कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है. उपाध्यक्ष महोदय, इस सदन में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कई बार घोषणा की है कि आपदा प्रबंधन आयोग का गठन करेंगे. आज आपदा प्रबंधन आयोग की क्या स्थिति है, मैं नहीं समझता कि कौन इसका चेयरमेन है और क्या कार्य कर रहा है. अभी तक क्या कार्य हुये हैं यह किसी से छुपा हुआ नहीं है.
3.56 बजे
[सभापति महोदय(डॉ. गोविंद सिंह) पीठासीन हुए]
माननीय सभापति महोदय, अगर आपदा प्रबंधन की पहले से तैयारी हो गई होती तो भोपाल में जो स्थिति बनी, प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में जो स्थिति बनी है उससे बचा जा सकता था. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश की नाक के नीचे, प्रदेश की आंखों के सामने क्या हुआ सबको जानकारी है. राजस्व मंत्री जी भोपाल से ही हैं उन्हें जानकारी होगी कि किस तरह से भोपाल की कालोनियों में पानी भरा और लोग छतों पर पहुंचे, लोगों के खाने-पीने का सारा सामान नष्ट हो गया. पीड़ितों के बीच में सरकार पहुंची, और पीड़ितों को तात्कालिक सहायता देने की बात की, तात्कालिक राहत में गेहूं देने की भी बात की लेकिन गेहूं का जो वितरण किया गया उसमें किस तरह मिट्टी मिला गेहूं दिया गया, इसकी जितनी भी निंदा की जाये वह कम है.
माननीय सभापति महोदय, मिट्टी मिले गेहूं बंटने की घटना से भी इस सरकार ने सबक नहीं लिया. आज के पेपर में मैंने पढ़ा है कि उन्हीं पीड़ितों को जो सरकार के द्वारा चावल बांटा जा रहा है. उसमें भी 100 से लेकर के 150 ग्राम तक के कंकड़-पत्थर मिले हुये हैं, यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है. क्या सरकार ने सारे ठेके बिचोलियों को दे दिये हैं ? केवल लाभ कमाने के लिये सरकार है ? केवल ठेकेदारों को लाभ देने के लिये कुछ भी करने की इस सरकार ने छूट दे दी है ? यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. हम चाहते हैं कि सरकार को इस मामले में संवेदनशील होना चाहिये. उपाध्यक्ष महोदय सरकार की तरफ से भाषण भी होगा, सरकार अपनी संवेदनशीलता का बखान भी करेगी, यह एक सामान्य प्रक्रिया है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- माननीय सभापति महोदय, माननीय सदस्य आपको बार बार उपाध्यक्ष कहकर के संबोधित कर रहे हैं. लगता है कि या तो आपको यह देख नहीं पा रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत--मैं सुधार कर लेता हूं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- हो सकता है कि डॉ.साहब आपको दिख नहीं रहे हों.मुझे भी ऐसा लग रहा था कि वहां (आसंदी) पर कोई बैठा भी है कि नहीं बैठा है (हंसी)
सभापति महोदय-- आपने सुना नहीं है. बैठ जाईये.
डॉ.मोहन यादव -- गोविंद सिंह जी आप जंच रहे हैं. बड़ी मुश्किल से नंबर लगा है इसलिये रावत जी आप उनका सम्मान कीजिये. लगता है कि रावत जी आप कोई दुश्मनी निकाल रहे हैं .आपकी उनसे कहीं कोई राजनैतिक प्रतिद्वंदिता है.
सभापति महोदय- आप बैठिये.
श्री रामनिवास रावत--इसके लिये आपकी सलाह की आवश्यकता नहीं है. मैं आसंदी का सदैव ही हृदय से सम्मान करता हूं.
माननीय सभापति महोदय, किसानो की स्थिति भयावह होती जा रही है किसान संकट में फंसता जा रहा है, किसान को संकट से कैसे निकालें इसकी चिंता न करते हुये लगातार असंवेदनशीलता की स्थिति का प्रमाण यह सरकार देती जा रही है. मैं कुछ उदाहरण सरकार के सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूं. आज के पेपर में है कि विदिशा में एक जनसुनवाई में किसान ने जहर खा लिया, यह किसान केवल नामांतरण कराना चाहता था और नामांतरण कराने के लिये वह किसान जब तहसीलदार के पास गया, तो वहां तहसीलदार ने किसान से कहा कि जाओ जहर खा लो- मुझे नामांतरण नहीं करना. किसान ने जहर खा लिया, तो इस तरह की घटनायें प्रदेश में बढ़ती जा रही है.
माननीय सभापति महोदय, मुख्यमंत्री ने माना कि भ्रष्टाचार से जनता परेशान है.जब सदन में बात कहते हैं तो बड़ी बड़ी बातें करेंगे, बड़ी बड़ी घोषणायें करेंगे . अभी भी यह सदन अतिवृष्टि पर चर्चा कर रहा है जिससे किसानों को उचित मुआवजा मिले, किसानों को उचित राहत मुहैया हो, प्रदेश की जनता के हित में सरकार के माध्यम से राहत दिलाने के लिये चर्चा उठाई है और हम चाहते हैं कि सरकार संवेदनशीलता के साथ प्रदेश की जो बाढ़ पीड़ित जनता है, उनको राहत प्रदान करेगी. ऐसी हम सरकार से अपेक्षा करते हैं. बाढ़ के कारण जो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा है उसमें राहत प्रदान करेगी, ऐसी हम संवेदनशलीता के साथ अपेक्षा करते हैं. माननीय सभापति महोदय, पिछली बार सूखे में भी बात आई थी. मैं समझता हूं आप भी आसंदी पर बैठे हैं और राजनैतिक जीवन आपका भी 35 वर्ष का है और मेरा 30-35 वर्ष का मेरा है. प्रदेश में इस सदी का सबसे बड़ा भयावह सूखा था, हमारे जीवन का सबसे बड़ा सूखा था, पहली बार मैंने देखा कि प्रदेश में राहत कार्य नहीं चले, पहली बार मैंने देखा कि आपने केन्द्र से राशि मांगी लेकिन केन्द्र ने सूखा राहत के लिये कोई राशि पहली बार प्रदेश की जनता को राहत कार्य चलाने के लिये नहीं दी. आपका यह प्रश्न है, पिछली विधान सभा में मैंने पूछा था तब आपने कहा था. मैंने पूछा था कि प्रदेश शासन द्वारा सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिये केन्द्र शासन से राशि की कब-कब मांग की गई और कितनी-कितनी राशि प्रदान की गई पत्र की कापी उपलब्ध करायें. आपने उत्तर दिया, वर्ष 2013-14, 2014-15 में कोई मांग नहीं की गई, वर्ष 2015-16 के लिये 4821.63 करोड़ रूपये की शासन द्वारा केन्द्र शासन से मांग की गई, लेकिन राशि प्राप्त हुई कि नहीं हुई यह नहीं बताया. इन्होंने बताया कि 9 दिसम्बर 2015 तक किसी भी तरह की कोई राशि इस सरकार को प्राप्त नहीं हुई. मैं यह भी जानना चाहता हूं कि पिछले सूखे की स्थिति में केन्द्र शासन से कितनी-कितनी राशि आपको प्राप्त हुई, इसका विवरण जरूर दे दें, क्योंकि यह जब-जब बात आई, जब यूपीए की सरकार थी तब आप काफी आंदोलन करते थे, धरने करते थे, हम भी चाहते थे कि प्रदेश की जनता के हितों के लिये सब मिलकर लड़ाई लड़ें, लेकिन आज केन्द्र में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, सूखा पड़ा है, अभी बाढ़ आई हम केन्द्र से राशि मांगने में भी पीछे नहीं रहें, हम अपने अधिकारों की लड़ाई के लिये केन्द्र से लड़ने के लिये पीछे नहीं रहना चाहिये, आज भी वही संवेदनशीलता, वही आप प्रदेश की जनता के प्रतिनिधि हो जिस जनता ने पहले आपको चुना था, लेकिन अंतर इतना है कि पहले केन्द्र में यूपीए की सरकार थी, आज केन्द्र में मोदी की सरकार है. पहले आप धरना देने की बात करते थे, पहले आप आंदोलन की बात करते थे, लेकिन आज आपका जमीर नहीं जाग रहा, आपने तो अपने प्रश्न के ही उत्तर में दिया है दीदी कि केन्द्र ने 3 गुना राशि आपके लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की कम कर दी, यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले)-- सभापति महोदय, 42 प्रतिशत कर का पैसा हमें मिलने लगा, जबकि 30 प्रतिशत हमें मिलता था, पैसा तो बराबर मिला न, पैसा तो बराबर ही है.
श्री रामनिवास रावत-- मैं मानता हूं, लेकिन उस प्रश्न में हमारे माननीय सदस्य के द्वारा खर्चा भी पूछा गया था, खर्चे में बढ़ोत्तरी नहीं की, उस कर का पैसा आपको मिला कि नहीं मिला.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय सभापति महोदय, आप लोगों ने इतना हल्ला मचाया कि मैं जवाब ही नहीं दे पाई.
श्री रामनिवास रावत-- हल्ला हमने नहीं किया दीदी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- ये दीदी हैं हम सबकी.
श्री रामनिवास रावत-- हां दीदी हैं, अति सम्मानीय, परम सम्मानीय, प्रणाम करता हूं मातृशक्ति को. माननीय सभापति महोदय, अभी भी पहली बार हुआ, हम चाहते थे कि प्रदेश के सूखे के क्षेत्र में किसानों को काम मिले, आप भी जानते हैं कि 2003 में सूखा पड़ा था, इतने काम चले थे कि लोग भूल गये थे, मजदूरी करने वाले मजदूरी करके यह भूल गये थे कि सूखे से भी हमें कोई कष्ट उठाना पड़ रहा है. सूखे के कारण प्रदेश में रोजगार कार्य नहीं चलने के कारण प्रदेश का 15 से लेकर 40 वर्ष का युवा 60 प्रतिशत ग्रामीण युवा आज भी बड़े-बड़े शहरों में रोजगार के लिये चला गया, वह आज भी नहीं लौटा है. श्रावण के दिन, रक्षाबंधन के समय ज्यादातर युवा लौटेंगे, यह स्थिति आपकी निष्क्रियता के कारण उत्पन्न हुई. माननीय सभापति महोदय, इसी तरह से काम की बात तो छोड़ें, भार्गव जी हैं नहीं, नहीं तो मैं बताता उन्होंने किस तरह से सुप्रीम कोर्ट की रिट पिटीशन क्रमांक 857/2015, स्वराज अभियान विरूद्ध केन्द्र, इसी तरह से रिट पिटीशन क्रमांक 4266/2015 विनायक परिहार विरूद्ध केन्द्र, माननीय न्यायालय ने मनरेगा की राशि राज्य सरकार ने 200 करोड़ विलंब के कारण जो पेनाल्टी लगी मजदूरों के लिये उन 200 करोड़ का भुगतान आज तक नहीं किया है, यह काफी भयावह स्थिति है. निश्चित रूप से हम सब चुनकर के आते हैं और हमारी आपकी संवेदनायें भी रहती हैं, हम चाहते हैं कि अच्छे से अच्छा काम हो, लेकिन हम वही कहें जो हम कर सकें, हम वहीं चेहरा प्रस्तुत करें जनता के सामने जिसके करने की क्षमता हमारी हो. माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा जब-जब प्रदेश में आपदा आई, प्रदेश में सूखा पड़ा, प्रदेश के किसानों पर संकट आया, खूब घोषणायें कीं, मैंने एक प्रश्न पूछा था मेरा 22.7.2015 का एक प्रश्न है कि कितनी-किनी घोषणायें किसानों के संबंध में कीं.
माननीय सभापति महोदय, उस समय माननीय मंत्री जी ने आदेश दिया था कि 2014-15 की किसानों की बीमित राशि 48 करोड़ 64 लाख 81 हजार 921 थी और प्रीमियम की राशि 73 लाख 72 हजार 701 थी. क्षतिपूर्ति की भुगतान राशि और लाभान्वित कृषकों की मैंने जानकारी चाही थी तो सरकार का उत्तर था कि वास्तविक उपज के आंकड़े आयुक्त भू-अभिलेख द्वारा एल.आई.सी. को उपलब्ध कराये जायेंगे तत्पश्चात् ही क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया प्रारंभ होगी और मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी के संकट के समय में की गई घोषणाओं की जानकारी चाही थी. उन्होंने घोषणाओं की जानकारी भी दी है. मुख्यमंत्री जी ने 18.3.2015 को घोषणा की थी कि ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों को आगामी फसल आने तक एक रुपये किलो के मान से गेहूं,चावल दिया जायेगा. इस अनाउंसमेंट का स्टेटस भी मैंने मांगा था. इसमें कहा गया है कि प्रक्रियाधीन है.प्रचलन में है. इसी तरह से शार्ट टर्म ऋण को मिड टर्म ऋण में परिवर्तित किया जायेगा. राशि तो दी है लेकिन यह भी प्रक्रियाधीन. 19.3.2015 को ग्राम पचोरा में घोषणा की थी कि किसानों की कर्ज वसूली स्थगित की जायेगी. फसल हेतु खाद बीज के लिये ऋण बिना ब्याज के दिया जायेगा, यह भी प्रक्रियाधीन है. मेरे एक-दो सुझाव हैं. हम चाहते हैं कि सबसे पहले सरकार इस बात की चिंता करें. हमारे मंत्री जी के पास विभाग अभी आया है. आपदा प्रबंधन आयोग का तत्काल गठन करें. जिस तरह से प्रदेश में सड़कें टूटी हैं जैसा आदरणीय महेन्द्र सिंह जी ने कहा. मेरे क्षेत्र में बाढ़ नहीं आई एक बार 5-6 घंटे लगातार पानी गिरा. मेरे यहां का बारदा बांध पूरी तरह टूट गया. इसी तरह पन्ना में भी बांध टूटे, सड़कें सारी उखड़ गईं और प्रदेश में जितना भी शासकीय संपत्तियों का नुकसान हुआ है, विशेष रूप से बांध, अगर किसान के खेत को पानी नहीं मिलेगा तो उस क्षेत्र के किसान पूरी तरह बर्बाद हो जायेगा. किसानों के खेतों में फसल नहीं होगी. उन बांधों के लिये तत्काल बजट से राशि उपलब्ध करवाकर उन बांधों को इसी वर्ष बनवाने की व्यवस्था करे जिससे आगे आने वाले वर्ष में वह बांध ठीक से भर सकें और किसानों के खेत सिंचित हो सके. जितनी भी सड़कें टूटी हैं उनको भी बजट में तत्काल व्यवस्था करके राशि उपलब्ध करवाई जाये जिससे सड़कें बनवाने का काम तत्काल किया जाये.हम चाहते हैं कि इस तरह की स्थितियां नहीं बने. पूरे प्रदेश में सर्वे कराया जाये. पहले प्रदेश के हर गांव में एक पोखर और तालाब हुआ करता था. उन पर अतिक्रमण हो गये हैं. नगरों में नदी,नालों की निकासी पर अतिक्रमण हो गये हैं. एन.जी.टी. भी इस पर ध्यान दे रही है. सभी जगह पूरे प्रदेश के नगरों,ग्रामों और मोहल्लों में सर्वे कराकर पानी निकासी के मार्गों को खोला जाये. इस तरह के अतिक्रमणों को चिह्नित करके तत्काल हटाएं. उसमें हम भी सहयोग प्रदान करेंगे कि किस तरह से पानी का जल स्तर नीचे जा रहा है. अगर हम अभी नहीं चेते तो हम पानी के लिये भटकते रहेंगे.पानी के अभाव में मरने की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. अन्न से कभी कोई नहीं मरेगा लेकिन पानी सबके लिये बहुत आवश्यक है. अभी जो बाढ़ की स्थिति के कारण जितना नुकसान हुआ है उसका सर्वे कराकर लोगों को जल्दी से जल्दी राहत राशि दिलवाएं और जितनी भी घोषणाएं करें और घोषणाएं वही करें जिनका पालन करा सकें. ऐसा नहीं हो कि उनका पालन नहीं करा पा पाएं क्योंकि ज्यादातर घोषणाओं का पालन नहीं होता है, ऐसी मेरी अपेक्षा है. माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
सभापति महोदय - श्री बाला बच्चन जी..
श्री बाला बच्चन - माननीय सभापति महोदय, और सदस्य भी बोलना चाहते हैं उनको पहले दो-दो मिनट बुलवा लें फिर मैं बोल लूंगा.
सभापति महोदय - आज सायंकाल 5.30 बजे विधायक आवासीय योजना रचना नगर के शिलान्यास का कार्यक्रम है इसमें माननीय सभी सदस्यों को शामिल करने हेतु आमंत्रित किया है अत: माननीय सदस्य संक्षेप में बोलने का कष्ट करें. 5.30 बजे कार्यक्रम में पहुंचना है. ठीक है दो-दो मिनट में बोल लें.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - पहले माननीय सदस्यों को बुलवा लें फिर नेता प्रतिपक्ष बोल लेंगे. श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा)- सभापति महोदय, एक- एक मिनट का समय सबको दे दें, सब बोल लेंगे. अपने-अपने क्षेत्र की बात को रख सकेंगे, इसके लिये सभी को मौका दिया जाये.
श्री जितू पटवारी (राऊ) - आदरणीय सभापति महोदय, जिस तरीके से अतिवर्षा को लेकर 139 में चर्चा कराने के लिये आसंदी ने सहमति दी मैं इसका धन्यवाद देता हूं. अतिवर्षा के नुकसान में किसान, गरीब और आम जनता की क्या गत हुई यह किसी से छुपी नहीं है. पूरा सदन इससे अवगत है. अभी बात हुई थी कि तालाब को लेकर अतिक्रमण होते हैं, नालों पर अतिक्रमण होते हैं. अतिवर्षा तो होती ही है, पर जब मानव और सरकार निर्मित चीजें सही नहीं होती है तो उसका उल्टा असर जनता पर पड़ने लगता है और उसी के कारण इतनी बड़ी तादाद में छति होती है, जानमाल का नुकसान होता है, जब सरकार ही अतिक्रमण करने लग जाये. व्यक्ति करे, संस्थाऐं करे, प्रायवेट सेक्टर से करे तो अपनी जगह है. एक इंदौर में तालाब पर सरकार ने अतिक्रमण किया वहां की जनता जागी, एकजुट हुई सारे राजनीतिक दल एकजुट हुए और फिर सरकार मानी. पिपलयाना तालाब का एक केस है. मुझे आज तक समझ में नहीं आया जब अतिवर्षा या किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा आती है तो सरकार के जितने भी नुमाइंदे अधिकारी कर्मचारी होते है, जैसे उनके लिये उत्सव आ जाता है. हर अतिवर्षा के बाद हम देखते हैं इतना घोटाला हो गया, चावल में कंकड़ मिल गये. अभी प्रदेश में गेहूँ का मामला पूरे देश ने और विदेश ने सब ने देखा है. जिस तरीके से करप्शन का मामला आता है तो इसकी भी क्या सरकार में कोई संज्ञान लेकर कोई जांच करके या किसी व्यक्ति को सजा देकर कभी आज तक साबित किया है ? इसके पहले गेहॅूं के मामले में तीन लोगों को सस्पेंड कर दिया. जो मूल सस्पेंड होना था वह तो हुए नहीं, छोटे छोटे लोगों को इसमें सजा मिल गई. अभी श्री रामनिवास जी कह रहे थे अतिवर्षा की बात को लेकर एक किसान कुशवाहा उसका दो साल से नामांतरण नहीं हो रहा था. वह विदिशा का किसान था, तहसीलदार के पास जा-जाकर थक गया. तहसीलदार ने कहा पैसा दो तो करूंगा. उसने कहा कि मैं अभी नहीं दे पाउंगा बाढ़ में मेरी फसल खराब हो गई है. फसल खराब हो गई तो जहर खा ले, तो उसने मंगलवार के दिन कलेक्टर के सामने जनसुनवाई के दौरान जहर खा लिया. आप ही बताओं इस तरह के हालात है.
04.13बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेंद्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने एक बार इंदौर कलेक्टर साहब से बात की हमारे नेपालपुर, मउ, सांवेर और मेरे विधानसभा क्षेत्र इंदौर के किसानों को तीन -तीन बार बोनी करनी पड़ी. इस संबंध में कलेक्टर साहब से अनुरोध किया कि क्या सरकार की ऐसी कोई योजना है कि इनको सहायता मिल सके ? इस पर उन्होंने कहा कि बीमे के अंतर्गत योजना का इनको लाभ मिल सकता है अगर एक बार ले लेंगे तो दूसरी बार नहीं मिलेगा. मेरा आपसे अनुरोध है कि पहली बार बीमें में अगर खेत खाली भी रह जाय तो भी बीमा मिलेगा और फिर एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार किसान ने बोनी की यानी उस फसल का काम खत्म हो गया उसको फिर कुछ नहीं मिलना है और जितना बीज का पैसा है, बीमें में सिर्फ उतना ही मिलेगा. इस पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है, खासकर बीमा से संबंधित जिनके पास विभाग है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अनुरोध करना चाहता है कि कृषि मंत्रालय के अंतर्गत थोड़ा गंभीर मामला है कि प्याज को लेकर रोज बात हो रही थी इस बार पानी खूब गिरा और मालवा का इंदौर जिला एक ऐसा जिला है, जिसमें खासकर मंदसौर वगैरह सब आता है. प्याज, लहसुन, और आलू की फसल होती है. अब पिछली बार प्याज में इतना ज्यादा भाव आ गया, हमने किसानों के गोदाम में छापे डलवाये और जैसे तैसे सजा देते हुए उनसे प्याज लिया. इस बार इतना हो गया कि हमने खरीदा. खरीदने में अगर हम सब्सिडी उस किसान को ही दे देते खरीदने के बजाय तो वह किसान बच्चे जैसा उस प्याज को रखता और अच्छे तरीके से रख लेता, अगर सरकार इस ओर ध्यान देती तो मैं समझता हूं कि ज्यादा अच्छा होता. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आजकल के युग में जैसे पहले ही पता चल जाता है कि कहां कितनी वर्षा होनी है. हम 1957 की बात करने की स्थिति में है, जब सब खत्म हो जाता तब हम जागते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा सरकार से, मंत्री जी से अनुरोध है कि ऐसी कोई योजना बनाई जाय कि इस युग में मोबाईल से पता चलता है कि कल,परसो, नरसो, इस जिले में उसे जिले बारिश होगी, वहां बारिश नहीं होगी, तो क्या सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि यहां पानी गिरने वाला है वहां एहतियातन पहले ही ऐसी व्यवस्था हो जाय कि लोगों को जान माल की हानि न हो.
कुंवर विजय शाह--उपाध्यक्ष महोदय, क्या जितू जी मुख्यमंत्री जी के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं कि पहली बार किसान की मदद करने के नाम पर किसान की प्याज खरीदी. क्या आप उसका विरोध कर रहे हैं?
श्री जितू पटवारी-- नहीं, मैंने नहीं किया. मैंने धन्यवाद दिया. कम बुद्धि से किया हुआ काम, अच्छे काम को भी खत्म कर देता है.
कुंवर विजय शाह-- भाई साहब ! माननीय मुख्यमंत्री जी को बुद्धि का सर्टिफिकेट लेने आपके पास आने की जरुरत नहीं पड़ेगी.
श्री जितू पटवारी-- आप ही कह रहे हो कि विरोध कर रहे हो. मैं भी इसी सदन का सम्मानित सदस्य हूं. मुझे भी वह बात करने का हक है.
कुंवर विजय शाह-- आपको तो माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिए कि जब किसी मुख्यमंत्री ने यह सोचा कि हमारा किसान प्याज की कम कीमत के कारण परेशान है, प्याज 2 रुपये किलो बिक रहा है. किसान मजबूर है तो मुख्यमंत्री जी ने मदद की. आपको धन्यवाद देना चाहिए.
श्री जितू पटवारी-- मुख्यमंत्रीजी को धन्यवाद कि उन्होंने मिट्टी मिला गेहूं बंटवाया. मुख्यमंत्री जी का कंकड़ वाला जो चावल बिक रहा है उसके लिए धन्यवाद .
कुंवर विजय शाह-- कोई गड़बड़ी करता है तो पकड़ा जाता है. यह क्रिस्टल क्लियर सरकार है.
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू जी, अच्छे काम के लिए भी धन्यवाद दे दीजिए.
श्री जितू पटवारी-- धन्यवाद कि उन्होंने प्याज खरीदी लेकिन प्याज खरीदने की नीति क्या थी? मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहता हूं कि हम लोग प्याज के किसान हैं. हम लोग कभी कभी प्याज को रखते हैं, आपने (कुंवर विजय शाह) तो कभी खेती की नहीं, आप जब से विधायक बने तब से मंत्री बने चल रहे हो तो काम चल रहा है. हम लोगों को जमीन से कैसे आना पड़ता है.
कुंवर विजय शाह--भगवान आपके जैसा किसान सबको बनाये.
श्री जितू पटवारी-- मेरा अनुरोध यह है कि प्याज के मामले में सरकार ने जो योजना बनायी कि हम 3-4 रुपये किलो में प्याज उपभोक्ता को बेचेंगे. इसका मतलब जो 10 रुपये प्याज बिक रहा है उसको भी 3 रुपये किलो लाकर कर दिया. वास्तव में हम किसान की सहायता करने की बात करते थे लेकिन उसको घाटा हो रहा है. इस पर सरकार फिर से विचार करे तो ज्यादा मेहरबानी होगी.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- उपाध्यक्ष महोदय, 2 मिनट का समय निर्धारित किया गया था.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- जितू भईया, कल सभी लोग कह रहे थे कि 2 रुपये किलो प्याज बिक रहा है. पहले 9 रुपये किलो में बिक रहा था आज 3 रुपये किलो बता रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--वह इंदौर का भाव बता रहे हैं.
श्री जितू पटवारी-- सहकारिता मंत्री जी ने कहा कि 4 रुपये किलो हम प्याज बेच रहे हैं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी --उपाध्यक्ष महोदय, इनकी मजबूरी है कि इधर आते हैं तो इधर की बात करते हैं, उधर बैठ कर, उधर की बात करने लगते हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- उपाध्यक्ष जी, दो दिन से प्याज पर चर्चा हो रही है. इस चर्चा को सुनने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि प्याज 8-9 रुपये किलो बिक रहा है इसलिए विपक्ष के लोग विरोध कर रहे हैं और पिछले साल ये ही सारे लोग इसलिए विरोध कर रहे थे कि प्याज 20 रुपये किलो बिक रहा है. प्याज के महंगे बिकने के पक्ष में है या सस्ते बिकने के पक्ष में है, पहले यह तय तो कर लें.
श्री जितू पटवारी-- मनोज जी, आपकी बात आ गई.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- किसान को सरकार के माध्यम से प्याज का अच्छा भाव मिल रहा है इसके लिए धन्यवाद दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप लोग साथ बैठते हो अलग चर्चा करते हो. जब इस पार, उस पार बैठते हो तो बात बदल जाती है. जितू जी समाप्त करें. बहुत समय हो गया है. 2 मिनट का समय दिया गया था.
श्री जितू पटवारी-- बस 2 मिनट.
उपाध्यक्ष महोदय-- 2 मिनट नहीं. दो मिनट तो आपका कुल समय था. 8 मिनट हो चुके हैं. आखरी बात कह लीजिए.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध है कि प्याज की बात नहीं लेकिन किसान का भला होना चाहिए लेकिन जो नीति है उससे भला नहीं हो रहा है. प्याज महंगा बिक रहा था तो वह उसके भाग्य से बिक रहा था, सरकार का उसमें कोई योगदान नहीं था. योगदान मिस मैनेजमेंट का था.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- महंगा बिक रहा था तो अच्छी बात थी. किसानों को फायदा हो रहा था. आप ही बता दो कि कोई व्यापारी इसका स्टॉक कर सकता है क्या?
श्री जितू पटवारी-- स्टॉक व्यापारी करता है या किसान...
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- प्याज का स्टॉक व्यापारी नहीं कर सकता मैं सदन में लिख कर दे सकता हूं.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष जी, ये बोलने दें तब तो मैं अपनी बात पूरी करुं.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें. आपको पर्याप्त समय मिला है.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, अति वर्षा के कारण किसानों के हालात ठीक नहीं है. कल इंदौर जिले में बिजली विभाग ने 4 मोटर साईकल सनावदिया गांव से कुर्क की है. मेरा अनुरोध है कि बैंकों और बिजली विभाग की कुर्की इस खराब दौर में रुकवायें तो ही आप किसान का भला कर सकेंगे. धन्यवाद.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) - उपाध्यक्ष महोदय, पिछले 3 साल से इस प्रदेश का अन्नदाता किसान कभी ओला से, कभी पाला से, कभी खर्रा से लगातार प्रकृति की मार झेल रहा है. इस प्रदेश का किसान प्रकृति की मार को तो झेल सकता है, परन्तु सरकार की मार को झलने के लायक नहीं है. एक तरफ सरकार, एक तरफ हमारी सरकार के मुखिया, इस प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री जी ऐलान करते हैं कि किसानों को मुआवजा दिलाया जाएगा, घोषणा होती है, मुआवजा मिलता है, राशि स्वीकृत होती है. उपाध्यक्ष महोदय, परन्तु बड़ी विनम्रता से मैं आपसे प्रार्थना करता हूं और सदन में बैठे राजस्व मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि कैसा मापदंड, कैसी नीति कि मेरी विधान सभा के केवलारी क्षेत्र में चाहे कोई एक एकड़ का किसान हो, चाहे 10 एकड़ का किसान हो, मेरे ऊगली, पांडिया, छपारा क्षेत्र में 2-2 हजार रुपया प्रत्येक किसान को मुआवजा की राशि मिली है, यह कौन-सा नियम है? मैं कहना नहीं चाहता था. परन्तु इतिहास में लिखी हुई है पंक्तियां कि - "अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा."
उपाध्यक्ष महोदय, नीति होना चाहिए, निर्धारण होना चाहिए. अभी मुआवजा ओलावृष्टि का मिला नहीं है. खर्रा, पाला का मुआवजा मिला नहीं है और अभी 8 दिन पहले अतिवृष्टि आ गई. आज हमारे सत्तापक्ष के विधायक साथी आदरणीय श्री गोविन्द सिंह पटेल जी बोल रहे थे कि अब धान लग गई, मक्का लग गई, जो नुकसान होने का था, वह हो गया. सोयाबीन पूरा सफाचट, समाप्त हो गया. अब हम सोयाबीन जैसी फसल को लगा भी नहीं सकते. अब हमारे खेत खाली के खाली रहेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि तत्काल इसका सर्वे कराएं ताकि किसानों को इसकी राहत मिले. ऐसी विडम्बना मेरे क्षेत्र में हुई है कि 5-5 हजार रुपए, 2-2 हजार रुपए की जहां मैं बात कर रहा हूं, वहीं मेरे ऊगली, पांडिया, छपारा क्षेत्र के 9 गांव, मोहबर्रा, ऊगली, जतर्रा, बावली, रुमाल, सकरी, सिरंडी, बिवहारी, अरंडिया, सरेखा, इन गांवों में एक कौड़ी भी नहीं मिली. एक रुपया भी नहीं मिला. जब मैंने इस बारे में अधिकारियों और कर्मचारियों से बात की तो सिर्फ मात्र और मात्र आश्वासन, मात्र और मात्र गोल-गप्पा कि जिसे खा लो तो आप जानते हैं कि सर्दी-जुकाम के अलावा और कुछ नहीं हो सकता, वही स्थिति मेरे क्षेत्र की निर्मित हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, छपारा विकासखण्ड में 15 गांव तहसीलदार महोदय के त्रुटिवश, गलत जानकारी के त्रुटिवश, गलत खाता नम्बर देने के त्रुटिवश, आज तक उन गांवों के लोगों को लगभग 8 लाख रुपए का मुआवजा नहीं मिला है. उपाध्यक्ष महोदय, बीमा की राशि के बारे में कहा गया कि बीमा हो रहा है, फसल बीमा कराओ, यह होगा, वह होगा. मेरे क्षेत्र में तो फसल बीमा का पैसा ही नहीं मिला है. फोटो खिंचवाता हूं कि भैया देख लो, इतना बढ़ गया, अब इसमें इतना यह हो गया, अब ईल्ली बैठ रही है, अब पत्ता छिन रहा है, अब मुर्झा रहा है, फोटो की इतना बड़ा अम्बार लगा है. परन्तु यह किसको बताऊं? कौन सुनने वाला है? कौन देखने वाला है? जो रखवाला है, जिसके पास गुहार करने जाता हूं, वही आगे फाईल बढ़ा देता है. वही तारीख पर तारीख दे देता है और फिर आगे की सुनवाई की तारीख के लिए फिर एक तारीख तय कर देता है. तारीख का खेल हो रहा है. केवलारी विकास खण्ड के ग्राम खापा खैररांझी के 25 किसानों को खाता नम्बर गलत होने के कारण उनको मुआवजा नहीं मिला. परासपानी पांजरा ग्राम के 25 कृषकों को मुआवजा नहीं मिला. खुरसीपार चंदनवाड़ा के किसानों को मुआवजा नहीं मिला. आमाकोला, जामुनटोला, रड़ाई, तावरी, बांटा, हिनोतिया, पुंगार में ओलावृष्टि में फसल का एक रुपए का मुआवजा भी नहीं मिला. उपाध्यक्ष महोदय, मैं विनम्र प्रार्थना आपके माध्यम से राजस्व मंत्री जी से करना चाहता हूं कि मेरी इन समस्याओं का तत्काल निराकरण करें. आधा मिनट का समय लूंगा. हमारे पड़ोसी जिले के बालाघाट के हमारे कृषि मंत्री महोदय जी आदरणीय भाऊ साहब बैठे है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पंजाब में सोयाबीन की फसल आई.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप नया विषय शुरू कर रहे हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल (देपालपुर) -- रजनीश जी, आप 200 गांव में जिनमें मिला है उनके नाम भी ले लो. सिर्फ 15 गांव के नाम लेकर आप ये बता रहे हो कि हमको मुआवजा नहीं मिला, जो डेढ़ सौ गांव हैं जिनको मिला, उनके नाम का भी उल्लेख कर दो.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- अरे मालिक मैं आ रहा हॅूं उस बात पर. मेरी बात तो सुनिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से कृषि मंत्री महोदय से एक विनम्र प्रार्थना है कि आज सोयाबीन की फसल जिससे हमारे मध्यप्रदेश के किसानों की हालत पुख्ता हुई थी, माली हालत अच्छी हुई थी, पर वह लगातार वही सोयाबीन बोने से अब सोयाबीन मध्यप्रदेश से चला-चली की बेला में हो गया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- चलिए, ठीक है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय कृषि मंत्री महोदय से मेरा आग्रह है कि आप इस पर विचार करें कि गंगा-कावेरी पायोनियर जैसे मक्का का बीज 35, 000 रूपये क्विंटल मार्केट में मिल रहा है और सरकार द्वारा 1250 रूपये क्विंटल में इस मक्का को खरीदा जा रहा है. अब आप ही बताइए. सदन में अधिकांश किसान हैं. 35,000 रूपये क्विंटल का बीज और 1250 रूपये क्विंटल में सरकार समर्थन मूल्य में करा रही है. इन निजी कंपनियों पर कमान कसनी होगी.
उपाध्यक्ष महोदय -- रजनीश जी, अब आप बैठ जाइए.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसानों को जो मुआवजा दिया गया है वह ऊंट के मुहं में जीरा के समान है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आपके मक्का में भुट्टे के लगने तक भाषण नहीं चलेगा. आप बैठ जाइए.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, मैं आपका आभारी हॅूं, धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र सिवनी विधान सभा में अतिवृष्टि से जो क्षति हुई है, उसके बारे में हमारे पड़ोसी विधायक भाई रजनीश सिंह जी ने जो बताया है वह विकराल स्थिति मेरे जिले की है, मेरे विधान सभा क्षेत्र की है. हमारे यहां किसानों ने जो मक्का बोया है उस वक्त इतनी बारिश होने पर वह सड़ा. उसके बाद अतिवृष्टि होने से दूसरे खेतों की मिट्टी, हमारे किसानों के खेतों की मिट्टी आ गई. वहां फसल कहीं देखने को नहीं मिली. उसके बाद सर्वे की बात आई. कोई भी पटवारी आज दिनांक तक किसी भी किसान के खेत में नहीं गया. पूर्व में भी हमारे यहां जो मुआवजा मिला है मैं मानता हॅूं कि सरकार ने बड़ी संवेदनशीलता से हमारे क्षेत्र में मुआवजा दिया है, उसके लिए बधाई देता हॅूं लेकिन फिर भी हमारे काफी क्षेत्र रह गए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप चाहें तो, जीतू पटवारी जी को भेज देते हैं. (हंसी)
श्री दिनेश राय -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में मुआवजा नहीं मिल पाया है. मैं कह सकता हॅूं कि कुछ जगह तो ऐसी हैं “ऊंट के मुंह में जीरा” जैसे स्थिति बनी है.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सर्वाधिक मुआवजा पिछले फसल के नुकसान का सिवनी में मिला है और जो छूटा था तो अभी 80 लाख रूपये और भेजा है.
श्री दिनेश राय -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं पूरे मन से धन्यवाद देता हॅूं. हमारे पड़ोसी भी हैं और हमारे मंत्री भी हैं और जिसके कारण आज मध्यप्रदेश ने कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त किया है. लेकिन मक्का का मुआवजा नहीं मिल रहा है. अभी मक्का का बीमा भी नहीं हो रहा है. आपको बताना चाहते हैं कि आज तक हमारा किसान भटक रहा है. मेरा आग्रह है कि उनका बीमा हो जाए. आने वाले समय में उनको नुकसानी मिल जाए. जितनी संवेदनशीलता से आपने घोषणा की है कि एक-एक पाई हम किसानों को देंगे लेकिन जमीनी स्तर पर उतनी संवेदनशीलता हो जाए, तो पटवारी या एसडीएम जब जांच करते हैं, कार्यवाही करते हैं और किसान के खाते में पैसा आता है इतना क्यों आया बोले, ऊपर वालों का आदेश था, इतना ही देना है तो जो ऊपर वाले हैं वे नीचे वालों पर जरूर दया दृष्टि रखें. किसानों पर दया दृष्टि रखें, ऐसा मेरा निवेदन है. मेरे नगर पालिका क्षेत्र, सिवनी में इतना अधिक पानी गिरा कि हमारा जो मठ मंदिर से शंकर मडि़या का क्षेत्र है, वहां मेन रोड में पूरा पानी भर गया और थोड़ा भी पानी भरता है तो कहीं भी सीवेज लाइन का काम नहीं हुआ है. पूर्व में बताया गया कि जब पानी गिरता है तब जाकर म्युनिसिपल और सरकार चेतती है. समय से पहले चेतते तो ऐसी स्थिति नहीं बनती. आज डूंडा सिवनी का क्षेत्र हो, चाहे मेरा बुधवारी तालाब यहां पर इतना पानी भरा कंटगी रोड, शमशान घाट तक डूब गया. लोग खत्म हुए तो उनको ले जाने के लिए, मिट्टी देने के लिए जगह नहीं थी.
मेरा आग्रह है कि समय से पहले अतिवृष्टि की व्यवस्था की जाए. जब आग लगती है तब पानी ढूंढने जाते हैं. पहले आप पानी लाकर रख लो, तो क्यों मकान जलेगा. मेरा आग्रह है मैं पूरी आत्मा से चाहता हॅूं कि सरकार हमारे किसानों को मुआवजा दे और जिस तरीके से टूट गया है तीन साल से हमारे यहां सूखा पड़ा है चौथे साल अतिवृष्टि हो गई है तब भी किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल ( सिहावल ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पर तो अतिवृष्टि नहीं हुई है, क्योंकि यहां पर 139 पर चर्चा हो रही है प्राकृतिक आपदा से संबंधित है. सरकार के द्वारा प्रावधान तो बहुत किये जाते हैं. आपने देखा होगा राजधानी में ही किस तरह से सरकार का रवैया रहा है, बाढ़ प्रभावितों के साथ में किस तरह का रवैया रहा है, आये दिन पीडीएस की दुकानों में भी इसी तरह की शिकायतें मिल रही हैं. इसके पहले जो भी सूखा प्रभावित जिले थे हमारे सीधी सिंगरौली जिले भी सूखा प्रभावित जिले थे. यहीं पर सदन में माननीय मुख्यमंत्री जी, राजस्व मंत्री जी और कृषि मंत्री जी ने बहुत बड़ी बड़ी घोषणाएं की थीं, लेकिन उनका सच्चाई में क्रियान्वयन नहीं हुआ है. आज यह स्थिति है कि किसानों से कर्ज वसूली के लिए डंडा चल रहा है, दूसरी तरफ बिजली के बिल की वसूली के लिए डंडा चल रहा है, हमारे विधान सभा क्षेत्र में भी लोक अदालत से 10 - 10 और 20 -20 हजार के नोटिस जारी हो गये हैं 30 तारीख को हजारों की संख्या में लोगों को बुलाया गया था.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन केवल इतना है कि तीन वर्षों से लगातार प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं, किसान परेशान है तो मेरा सरकार से आपके माध्यम से निवेदन है कि ऐसी व्यवस्था बनायें कि जहां पर इस तरह की स्थिति थी, सूखा प्रभावित जो जिले हैं, वहां पर इस तरह का वसूली अभियान बिल्कुल बंद करें मजदूर भी परेशान हैं और किसान भी इस व्यवस्था से परेशान हैं. मेरा निवेदन है कि किसानों को सिर्फ भाषण सुनाकर बड़ी बड़ी बातें करके उनको खुश नहीं करें, सरकार व्यवस्था भी करें जो बातें होती हैं, हमारे यहां भी किसान अभी भी चेक के लिए भटक रहे हैं. अब किसानों को जितना मिलना नहीं था उससे ज्यादा हजार दो हजार रूपये तो किराये में लगा दिया है. मेरा इतना ही निवेदन है कि जो बातें हों उनका क्रियान्वयन हो, किसानों के साथ या जो भी बाढ़ प्रभावित लोग हैं उनके साथ में इस तरह का मजाक सरकार न करे, मेरा निवेदन इतना ही है. धन्यवाद.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ( श्री बाला बच्चन ) -- उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेशके 15 से 20 जिलों में इस मानसून सीजन वर्षा हुई है, बाढ़ आयी है जिसके कारण से जनहानि भी हुई है, और जो बीज बोया गया है उसका नुकसान भी हुआ है, इसमें किसानों की संपत्ति का भी काफी नुकसान हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय, काफी विधायकों ने नियम 139 की जो चर्चा हो रही है उसमें हिस्सा लिया है और अपने सुझाव दिये हैं. उपाध्यक्ष महोदय यह फसल बीमा योजना के अंतर्गत नियम है कि बोनी अगर दुबारा करना पड़ती है तो बीमा की 25 प्रतिशत राशि किसानों को फिर से बोनी करने के लिए दी जाना चाहिए, लेकिन मेरी जानकारी में है कि करीब 15 - 20 जिलों की 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में जो बोनी हुई थी उसका बीज प्रभावित हुआ है और अभी तक सरकार ने जो बीमा की 25 प्रतिशत राशि देना चाहिए थी वह उपलब्ध नहीं करायी है. इसमें काफी दिन हो गये हैं और किसानों का काफी नुकसान भी हुआ है उसका अभी तक सर्वे भी नहीं कराया है. मेरा तो आपके माध्यम से सरकार से यह आग्रह है कि कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी और अन्य जो राजस्व विभाग का अमला है आप सर्वे करायें अधिकारियों को खेतों में पहुंचायें, क्योंकि वहां तक अभी यह सरकारी अमला नहीं पहुंचा है और सर्वे भी नहीं हुआ है दूसरा राहत और स्वच्छता से संबंधित जो कार्य राजस्व विभाग की तरफ से होना चाहिए वह अभी तक नहीं हुआ है. मेरा कहना है कि माननीय मंत्री जी उनसे आप इसको दिखवायें, किसानों के इस संकट की घड़ी में आप वहां पर खड़े रहें तो मैं समझता हूं कि यह ज्यादा बेहतर होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसे ही जो मकानों का नुकसान हुआ है तो प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत और मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उनके मकान बनवाए जाने चाहिए. इसके अलावा मवेशी की हानि और जो जनहानि हुई है इसके लिए भी राशि तत्काल आपको उपलब्ध करवाना चाहिए. स्वच्छता अभियान के रूप में अभियान चलाना चाहिए क्योंकि जहां पर भी बाढ़ आई है और अतिवर्षा हुई है वहां पर महामारी हो सकती है और महामारी से लोगों से बचाना चाहिए नहीं तो बीमारियां फैलेंगी और लोग बीमार होंगे. बाढ़ और अतिवर्षा को काफी समय हो गया है लेकिन अभी तक इससे संबंधित वहां पर कोई काम नहीं हो रहे हैं तो मेरा यह आग्रह है कि किसानों की इस दु:ख की घड़ी में सरकार वहां खड़ी दिखेगी तो मैं समझता हूँ कि यह बहुत अच्छा होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसे ही पिछले वर्षों में यह हुआ था कि जहां-जहां भी सूखा पड़ा था तो जिन किसानों का सूखे के कारण 50 प्रतिशत से अधिक फसल का नुकसान हुआ था उन किसानों को 5-5 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता था लेकिन उसकी समय सीमा जहां तक मेरी जानकारी है, 31 अक्टूबर, 2016 तक ही है तो इस समय सीमा को बढ़ाकर अगर 31 मार्च, 2017 तक करते हैं और 5-5 किलो खाद्यान्न केवल सूखे से प्रभावित किसानों तक ही सीमित न रखकर 15 से 20 जिलों के अतिवर्षा और बाढ़ से पीड़ित किसानों को भी दें तो बहुत अच्छा होगा. साथ ही समय सीमा 31 अक्टूबर, 2016 वाली समय की बाध्यता समाप्त करनी चाहिए और इसे 31 मार्च, 2017 करना चाहिए. इसके अलावा शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों के अलावा अन्य व्यक्तियों को भी खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाना चाहिए क्योंकि उनको भी इसकी आवश्यकता है तो यह बहुत अच्छा होगा, ऐसा मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 50 प्रतिशत फसलों के नुकसान की बाध्यता है कि 50 प्रतिशत फसलों का जिनको नुकसान हुआ होगा उन्हीं को दिया जाएगा, यह सूखे के लिए था, लेकिन अभी यह जो समय सीमा है इसको हटाकर अगर आप 5 किलोग्राम तक का खाद्यान्न उपलब्ध करवाते हैं क्योंकि अभी वहां लोगों को आवश्यकता भी है. खाद्यान्न ऐसा हो जो खाने लायक हो, नहीं तो अभी कुछ दिन पहले बाढ़ प्रभावितों के लिए सरकार ने जो गेहूँ बंटवाया था कि 50 किलो गेहूँ की थैली में 20 किलो मिट्टी निकली है तो माननीय मंत्री जी यह तो वैसा ही हो गया कि बाढ़ पीड़ितों को मरहम लगाने के बजाय नमक रगड़ने जैसा हो गया है. सरकार यदि खाद्यान्न बंटवाती है तो कम से कम अच्छी क्वालिटी का और खाने लायक होना चाहिए तो वह सबके काम में भी आ पाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसे ही किसानों की इस मुसीबत के समय खाद, दवाई और बीज आदि का नकली कारोबार जो लोग करते हैं उनको अवसर नजर आता है और उनको यह लगता है कि बहुत अच्छा अवसर आया है तो सरकार यदि नकली खाद, बीज और दवाइयों का कारोबार करने वाले कारोबारियों के ऊपर कार्यवाही करेगी तो यह किसानों के हित में और प्रदेश के हित में होगा क्योंकि नकली कारोबार करने वाले लोग ऐसे अवसरों को ढूंढते रहते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके पहले भी काफी नुकसान हुआ है उसकी तरफ भी माननीय मंत्री जी को ध्यान देना चाहिए. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि अभी तो बाढ़ और अतिवर्षा का नुकसान बहुत बड़े क्षेत्र में हुआ है, माननीय मंत्री जी, अभी-अभी आपको यह जो राजस्व विभाग मिला है आपको तत्काल दौरे करने चाहिए नहीं तो देख लीजिए कितनी बड़ी लापरवाही अधिकारी, कर्मचारी करते हैं आप और हम बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि 57-57 प्रश्नों का जवाब कलेक्टर्स नहीं देते हैं और इस बात को हमने देखा भी है कि जिस दिन आपके प्रश्नों के उत्तर देने का दिन था उस दिन जवाब में आया है कि कलेक्टर्स से जानकारी अप्राप्त है तो आप जब तक दौरा नहीं करेंगे और सरकार वहां खड़ी नहीं रहेगी तब तक मैं नहीं समझता हूँ कि इन किसानों का भला होगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर माननीय मुख्यमंत्री जी दौरा करेंगे तो और ज्यादा अच्छा होगा. दूसरी बात अभी इस अनुपूरक बजट में 815 करोड़ रुपये आपने किसानों की फसलों की नुकसानी के लिए जो राशि रखी है वह वर्ष 2013 की अभी रखी है. मेरे पास यह जानकारी है कि अभी 150 दिन में खेती-किसानी से जुड़े हुए 280 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं, 884 खेती से जुड़े मजदूरों ने आत्महत्याएं की हैं, 150 दिन में 1164 व्यक्तियों ने जो खेती-किसानी से जुड़े हुए थे इन लोगों ने आत्महत्याएं की हैं तो समय को आप पकड़ें, वर्ष 2013 में जो फसलों का नुकसान हुआ है उसके लिए आप बजट का प्रावधान अब कर रहे हैं 815 करोड़ का तो समय को पकड़ेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा और उसके परिणाम किसानों के लिए और हम सबके लिए ज्यादा अच्छे रहेंगे क्योंकि दु:ख की घड़ी में सरकार पर ही सबकी आस टिकी हुई रहती है तो माननीय मंत्री जी इसको आप दिखवाएं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसे मेरे अपने बड़वानी जिले में मार्च, 2016 में अतिवर्षा हुई थी . मेरे राजपुर विधानसभा क्षेत्र के नांगलवाड़ी और औझर बेल्ट के करीब 27 गांव थे, 66 लाख रुपये का मुआवजा राजस्व विभाग ने बनाकर यहाँ भेजा था लेकिन आज तक उनको राशि नहीं मिली है, वह राशि भी दिलवाये. यह तो मैं एक उदाहरण बतौर बता रहा हूं बाकी मध्यप्रदेश में बहुत सारी तहसीलों में और जिलों में जो राशियाँ स्वीकृत हो चुकी हैं लेकिन तीन-तीन साल की राशियाँ किसानों को नहीं मिली है तो इसको भी आप दिखवायें तो मै समझता हूं कि वह ज्यादा अच्छा होगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रीवापुरवा फॉल की बात, जो सुखेन्द्र जी ने बात उठाई थी कि उस फॉल से पांच व्यक्ति बह के मर गये हैं, उसमें दो की लाशें अभी मिली है,तीन की अभी भी मिलना बाकी है. सरकार को उनके परिवारों को राहत राशि देना चाहिए अभी तक उनको भी राहत राशि नहीं दी गई है और वहाँ कहीं कुछ ऐसा लग भी नहीं रहा है कि सरकार कुछ करने जा रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह पन्ना के बाँध नहीं टूटे हैं, सरकार के भ्रष्टाचार के यह घड़े फूटे हैं. बुंदेलखंड में पानी का लेवल पहले ही बहुत कम है और पानी कैसे रोका जाये और इसके स्टोरेज के लिए बाँध बनाने का काम किया था लेकिन पहली बाढ़ में ही बाँधों का टूटना इस बात का द्योतक है कि कितना जमकर इसमें भ्रष्टाचार हुआ है. आए दिन मेरे द्वारा और मेरी पार्टी के विधायक साथियों के द्वारा भी चाहे बैराज हो, चेक डेम हो,पानी को रोकने वाले स्टापडेम हों, बड़े-बड़े सिंचाई के जो बांध हो, जिस तरह से आदरणीय मुकेश भाई ने भी इस बात को बोला था कि उनके यहाँ कट लगाये गये लेकिन बाद में जवाब आया कि कट नहीं लगाये गये हैं. लेकिन कहीं-न-कहीं पानी ना रुके और बाँध ना टूटे और इसकी संख्या ना बढ़े, इसी कारण से वह कट लगाये गये थे तो मेरा यह आग्रह है कि दो-दो मंत्रियों का वह इलाका है, कुसुम महदेले जी यहाँ पर बैठी हुई हैं, वित्तमंत्री जी का भी वह बुंदेलखंड एरिया लगता है. पानी को जब आप रोक ही नहीं पाओगे तो कहाँ से पानी उपलब्ध करा पाओगे और उसके बाद अगर निर्माण कार्य के लिए करोड़ों रुपये की राशियों का प्रोविजन होता है और उन कामों को आप देख नहीं पाओगे और इसी तरह भ्रष्टाचार होता रहेगा तो मैं नहीं समझता हूं कि प्रदेश में कहीं और पानी का लेवल बढ़ पाएगा और प्रदेश कोई तरक्की और उन्नति इस प्वाइंट ऑफ व्यू लेकर कर रहा है, मैं समझता हूं कि कहीं-न-कहीं सवालिया निशान लगते हैं तो माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इन तमाम बिंदुओं को ध्यान देंगे तो मैं समझता हूं कि ज्यादा बैटर होगा. हमारे इधर अभी सूखे की स्थिति बन रही है. मालवा के बाद निमाड़ में जब उधर घाट उतरते हैं तो सूखे की स्थिति बन रही है तो सरकार को बिल्कुल अवेयर रहना पड़ेगा और सक्रियता दिखाना पड़ेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक-दो बात करके मैं अपनी बात समाप्त करूंगा. हमारे जो रिमोट एरिया के जो तहसील ऑफिस हैं, वहाँ के राजस्व के सब डिवीजन ऑफिस हैं, वहाँ न एसडीएम हैं, ना तहसीलदार हैं, ना पटवारी हैं. बहुत बुरी स्थितियाँ हैं तो अगर ऐसी कोई प्राकृतिक आपदायें आती हैं तो उसके सर्वे के लिए सरकारी अमला पहुंचता नहीं है और समय पर मुआवजे के लिए सर्वे नहीं हो पाता है, मुआवजा बना नहीं पाता है और अमला नहीं होने के कारण मुआवजा बंट भी नहीं पाता है. इन तमाम कारणों से हमारे यहाँ दो-तीन सालों से मिर्ची की फसल पर वायरस लग जाता है और मिर्ची खत्म हो जाती है. तमाम कारणों से किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं. मुझे याद है वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश में 2400 किसानों ने आत्महत्यायें की थी और अभी मैं आदरणीय रामनिवास रावत जी का भाषण सुन रहा था उन्होंने बताया कि एक दिन में 8 खेती किसानी से जुड़े हुए किसान और मजदूर आत्महत्यायें कर रहे हैं. माननीय मंत्री जी, आप अपने अमले को दुरुस्त करें उन पर नियंत्रण करें तो वह जो परिणाम, जिनकी हम सबको, किसानों को उम्मीद है, नहीं तो धीरे-धीरे हम सबके प्रति और सरकार के प्रति विश्वास हटता जा रहा है, कम होता जा रहा है. आप कसावट करेंगे तो इसका फायदा किसानों को और प्रदेश को मिलेगा ऐसी उम्मीद और अपेक्षा मैं करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया, हमारे बहुत सारे विधायक साथियों ने इसी खेती-किसानी से, सूखा राहत से संबंधित, फसलों की नुकसानी से संबंधित, बीमा राशि से संबंधित काफी जो मामले उठाये हैं, उन सभी की बातों का ध्यान देते हुए मैं समझता हूं कि आप इसको संज्ञान में लेंगे और आप सक्रियता दिखायेंगे तो जरूर मध्यप्रदेश के किसानों का भला होगा और रुकी हुई राशियाँ भी उनको मिलेगी और जो सरकार ध्यान नहीं दे पा रही है तो सरकार का भी ध्यान इस ओर जाएगा और किसान भी इससे लाभान्वित होंगे तो अल्टीमेटली हमारे प्रदेश का ही लाभ होगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे जो समय दिया इसके लिए आपको धन्यवाद.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास(श्री गौरीशंकर बिसेन)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नियम 139 की चर्चा पर माननीय सदस्यों द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर पूर्ण जवाब माननीय राजस्व मंत्री जी देंगे. उठाये गए बिंदुओं में से कुछ बिंदु मेरे विभाग से संबंधित है. जिन पर मैं जवाब देना चाहूंगा. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इस वर्ष खरीफ की फसल से मध्यप्रदेश में प्रारंभ हुई है. इसमें जो अधिसूचित क्षेत्र है, उसमें सामान्य तौर पर सौ हेक्टेयर प्रति पटवारी हलका नंबर वाली फसल पर ज्यादा है. अभी बोनी के समय में यदि बोई गई अधिसूचित फसल के बोये गए क्षेत्र का 75 प्रतिशत नष्ट हो जाता है, तो ऐसे किसानों को उनकी स्केल ऑफ फायनेंस के 25 प्रतिशत का मुआवजा लेने का अधिकार रहेगा. उसका दावा प्राप्त करने का अधिकार किसानों को है. इसके अतिरिक्त किसानों को दुबारा 16 अगस्त तक बीमा करने का अवसर भी है. माननीय बाला बच्चन जी ने जो शंका व्यक्त की थी, मैं उसका समाधान कर देना चाहता हूं. प्रश्न इस बात का है कि अभी यह योजना प्रारंभिक दौर में है. ऋणी किसानों का रिकॉर्ड हमें बैंकों के माध्यम से उपलब्ध हो जाता है. परंतु अऋणी किसानों की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है. उनके बीमा का क्रम जारी है. हमारे प्रदेश के किसानों के लिए यह प्रसन्नता का विषय है कि मिक्चर फर्टिलाईजर में डीएपी के रेट कम हुए हैं. हमारे इफ्को का डीएपी 90 रूपये प्रति बैग अर्थात् 180 रूपये प्रति क्विंटल की दर से इसके रेट कम हुए हैं. सरकार ये प्रयास कर रही है कि पुराने स्टॉक को भी कम रेट पर किसानों को उपलब्ध कराया जाए. एक मार्च से हम एडवांस लिफि्टंग का जो स्टोरेज करते हैं, उसमें अस्सी हजार मैट्रिक टन का स्टॉक है. आज हमारे सहकारिता मंत्री और हमने चर्चा करके यह तय किया है कि उस स्टॉक को भी कम रेट पर उपलब्ध कराया जाए. फर्टिलाइजर की अन्य कंपनियों ने भी रेट कुछ कम किए हैं. लगभग 53 रूपये उनके द्वारा कम किए गए हैं. हमारी उनसे बातचीत हो रही है कि वे भी अपने उर्वरक का 90 रूपये प्रति बैग रेट कम करें. इसके अतिरिक्त बीज के संदर्भ में मैं कहना चाहता हूं कि हमारे पास 20 तारीख की स्थिति में 55135 क्विंटल बीज उपलब्ध है. जिसमें सभी प्रकार का बीज है. जो कि धान, मक्का, उड़द, मूंग, मूंगफली, अरहर, ज्वार, बाजरा है. हमारे पास बीज के संबंध में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है. यदि किसी जिले में कमी होगी तो उसे दूसरे जिले से शिफ्ट किया जायेगा. माननीय उपाध्यक्ष जी, हमारे प्रदेश में 131 लाख हेक्टेयर में बोनी होनी है. जिसमें से 98 लाख हेक्टेयर में बोनी हो चुकी है. यह आंकड़ा 20 तारीख की स्थिति का है. वर्तमान में बोनी का क्रम जारी है. हमारा प्रयास है कि हम 100 प्रतिशत बोनी के क्षेत्र को कवर करें. प्रदेश में इस बार जो वर्षा हुई है, नि:संदेह कुछ जिलों में अतिवृष्टि से नुकसान हुआ है, परंतु जहां वर्षा नहीं हुई थी वहां लाभ हुआ है. विशेष तौर पर ग्वालियर और रीवा संभाग में वर्षा से लाभ होगा और हम अपनी बोनी के एरिया के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे. लेकिन इसके बावजूद भी कुछ प्रतिशत बोनी छूट जाएगी, क्योंकि किसी भी फसल को बोने का एक निश्चित समय होता है और उस निश्चित समय के बाद फसल बोने का कोई औचित्य ही नहीं रहता है. परंतु अभी हुई वर्षा से रबी की फसल को लाभ होगा. माननीय उपाध्यक्ष जी, प्रदेश के तीन जिलों में वर्षा औसत से कम हुई है. जिसमें बालाघाट, अनूपपुर और आगर है. बाकी 31 जिलों में औसत से ज्यादा वर्षा रिकॉर्ड की गई है एवं शेष 17 जिलों में सामान्य वर्षा हुई है. अधिक वर्षा से एक ओर हमें नुकसान हुआ है.
4.48 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
…..परंतु दूसरी ओर हमें ये लाभ हुआ है कि हमारे सारे जलाशयों का जल स्तर ऊपर उठ गया है. जिससे हम सिंचाई कर सकेंगे.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में अतिवृष्टि को लेकर जो चर्चा हुई, इसमें लगभग 27 सदस्यों ने भाग लिया. सभी सदस्यों ने अपने अनुभवों के आधार पर कुछ राजनैतिक मजबूरियों को छोड़कर काफी अच्छे सुझाव दिए हैं. इन सुझावों का अनुकरण करके हम आगे की व्यवस्थाओं को ठीक कर सकेंगे. श्री आरिफ अकील, श्री बहादुर सिंह चौहान, श्री सुंदरलाल तिवारी, श्री शंकरलाल तिवारी, श्री मुकेश नायक, श्री सूबेदार सिंह, श्री शैलेन्द्र पटेल, श्री सुखेन्द्र सिंह, श्री रजनीश सिंह, श्री मधु भगत, श्री यादवेन्द्र सिंह, श्री सोहन लाल बाल्मीक, श्री जतन सिंह उईके, श्री दिव्यराज सिंह, श्री निशंक कुमार जैन, श्री प्रेमसिंह, श्री गिरीश भण्डारी, श्री रामकिशोर दोगने, श्री ओमकार सिंह मरकाम, श्री महेन्द्र सिंह जी, श्री गोविन्द सिंह जी, श्री रामनिवास जी रावत, श्री जीतू पटवारी जी और फिर से श्री रजनीश सिंह जी ने दुबारा मौका लिया और श्री दिनेश राय मुनमुन, श्री कमलेश्वर पटेल जी और आदरणीय बाला बच्चन जी. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो इस समय की स्थिति है वह अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से बताना चाहता हूँ--
पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्षा, बाढ़ के कारण प्रदेश के विभिन्न जिलों में 66 जनहानि, 15 घायल, 6 गुमशुदा 185 पशु हानि, 36913 मकान आंशिक रुप से क्षतिग्रस्त एवं 2617 मकान पूर्णत: क्षतिग्रस्त हुए हैं. जनहानि में 41 प्रकरणों में कल तक मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है बाकी निरंतर कार्यवाही चल रही है.
अध्यक्ष महोदय, हमारी जानकारी में है और माननीय सदस्यों ने भी बताया है कि वर्षा से पन्ना जिले में दो छोटे बांध फूट गए. छतरपुर जिले में दो नहरें क्षतिग्रस्त हुई हैं. 94 करोड़ रुपए के करीब राशि जिला कलेक्टरों को उपलब्ध करा दी गई है. 17 जिलों से सर्वेक्षण पश्चात् प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है, जिसके आधार पर जिलों को उनके द्वारा चाही गई राहत राशि की मांग के अनुकूल आवंटन उपलब्ध करा दिया गया है. काफी समन्वय से काम किया है लेकिन यह अचानक आई हुई आपदा थी. बहुत से माननीय सदस्यों ने कहा कि बहुत ज्यादा बारिश नहीं हुई लेकिन एक ही स्थान पर अप्रत्याशित रुप से 10-10, 11-11 इंच बारिश एक दिन में हो जाना यह भी एक बहुत बड़ा कारण बना है. मैं भी दूसरे दिन ही सतना गया था लेकिन लोगों के सहयोग से प्रशासन ने काम किया है. एक बात हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब बाढ़ आती है तो बाढ़ में मदद करने वाला हमारा जो प्रशासनिक अमला होता है वह भी बाढ़ पीड़ित होता है लेकिन उसके बाद भी मेहनत से काम करते हैं. यदि कहीं लापरवाही होती है तो उसको भी दूर करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, निकासी के मामले में जो सुझाव दिए गए हैं, अतिक्रमण के मामले में, हमारे संबंधित विभाग के मंत्रीगण भी इस चर्चा में उपस्थित रहे हैं. मैं भी उनको अवगत कराउंगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं विश्वास दिलाता हूँ कि इस आपदा में ही नहीं लगातार इस सरकार ने माननीय शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्व में पिछले दिनों में यह सिद्ध किया है कि हर आपदा में यह सरकार किसानों और पीड़ितों के साथ खड़ी है.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, हम जानना चाहते हैं कि अभी क्या कर रहे हैं. यह तो आपने जानकारी दे दी, भाषण दे दिया. अभी क्या कर रहे हैं ? अभी तक किसानों को क्या बांटा है ?
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि जैसे ही सर्वे की रिपोर्ट आती जा रही है तत्काल हम उनको यहां से राहत राशि भेजते जा रहे हैं. किसी को उससे वंचित नहीं रहने दिया जाएगा. यह विश्वास अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से दिलाना चाहता हूं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पुरवा फाल में पांच बच्चे बह गए थे. सहायता राशि देने की बात आपने की है क्या उनको भी सहायता दी गई है, मैं यह जानना चाहता हूँ. जो बच्चे बह गए हैं उनको आपके द्वारा कोई राशि दी गई है क्या यदि दी गई हो तो कृपया बताने का कष्ट करें.
4.57 बजे अध्यक्षीय घोषणा
विधायक आवासीय योजना का शिलान्यास होने के कारण नियम 142-क की चर्चा अगले कार्य दिवस पर लिए जाने विषयक.
अध्यक्ष महोदय--विधायक आवासीय योजना का शिलान्यास माननीय मुख्यमंत्री द्वारा 5.30 बजे किया जाएगा. आप सभी माननीय सदस्यों को भी इस कार्यक्रम में जाना है. अत: नियम 142-क की चर्चा अगले कार्य दिवस पर ली जाएगी. विधान सभा की कार्यवाही दिनांक 28 जुलाई 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
सायं 4.58 बजे पर विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 28 जुलाई 2016 (श्रावण 6, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
अवधेश प्रताप सिंह
भोपाल : प्रमुख सचिव,
दिनांक : 27 जुलाई, 2016 मध्यप्रदेश विधानसभा.