मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
सोमवार, दिनांक 27 फरवरी, 2017
(8 फाल्गुन, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 13 ] [अंक- 4 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 27 फरवरी, 2017
(8 फाल्गुन, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यवस्था का प्रश्न है. मैं आपसे एक मिनट का समय लेना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल में कोई व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता है.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न प्रश्नकाल से संबंधित ही है.
अध्यक्ष महोदय-- व्यवस्था का प्रश्न, प्रश्नकाल से संबंधित नहीं होता है.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी, मैंने एक तारांकित प्रश्न पूछा था.
अध्यक्ष महोदय-- यह मान्य नहीं है.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी, यह तरीका ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- यह अमान्य है.
श्री जितू पटवारी-- मेरे द्वारा पूछा गया तारांकित प्रश्न अतारांकित कैसे हो गया.
अध्यक्ष महोदय-- हो जाता है, आप नियम पढ़ लीजिए.
श्री जितू पटवारी-- कैसे हो गया यही तो समझ में आने वाली बात है.
संसदीय कार्य मंत्री, (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- इस विषय को शून्यकाल में उठा लेना. आज से ही शुरुआत कर रहे हो.
अध्यक्ष महोदय-- आप नियम पढ़ लीजिए.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है मेहरबानी करके इस पर थोड़ी बात होनी चाहिए. यह तरीका गलत है. अध्यक्ष जी, मैं आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध करना चाहता हूं कि कटनी का जो हवाला कांड है इसको लेकर तारांकित प्रश्न पूछा था. इसे अतारांकित क्यों किया.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप नियम पढ़ लें.
11.04 बजे अध्यक्षीय घोषणा
मुख्य प्रतिपक्षी दल के नेता को मान्यता प्रदान करने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- मैं, मध्यप्रदेश विधान सभा में मुख्य प्रतिपक्षी दल, इंडियन नेशनल कांग्रेस विधायक दल के नेता श्री सत्यदेव कटारे के निधन के फलस्वरूप रिक्त स्थान पर इंडियन नेशनल कांग्रेस विधायक दल के द्वारा चयनित किए गए नवीन नेता श्री अजय सिंह, सदस्य को स्थायी आदेश क्रमांक 92 (3) की अपेक्षानुसार विधिवत् नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता प्रदान करता हूं. माननीय नेता प्रतिपक्ष को मैं अपनी एवं सदन की ओर से बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं.
संसदीय कार्य मंत्री, (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने घोषणा की, मैं अपने दल की ओर से नेता प्रतिपक्ष माननीय अजय सिंह जी को बहुत शुभकामना और बधाई देता हूं. अध्यक्ष महोदय, हमारे सदन की काफी गौरवशाली मान्य परमपराएं इस देश के अंदर रही. हमारे सदन के उद्धरण, इस सदन की रूलिंग मैं समझता हूं हिन्दुस्तान की सभी विधान सभा में पढ़कर सुनाई जाती हैं. निश्चित रूप से श्री अजय सिंह जी बहुत सीनियर विधायक हैं उनका अपना, मंत्री का, नेता प्रतिपक्ष का, विधान सभा के सम्मानित सदस्य में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का ही उनका अपना अलग अनुभव है. सदन के माध्यम से मैं आशा करता हूँ कि प्रदेश की जनता को इसका काफी लाभ मिलेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह लोकतंत्र का मंदिर है और इस मंदिर में हम सबको जनहित के मुद्दों को उठाने के लिए यह फ्लोर दिया गया है. अभी यह जिम्मेदारी आदरणीय बाला बच्चन जी निभा रहे थे मैं उनका भी आभार व्यक्त करुंगा कि उन्होंने भी निश्चित रुप से सार्थक चर्चा को बढ़ाने में काफी योगदान दिया है. यही उम्मीद मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से भी करुंगा. यह फ्लोर चर्चा का है इसमें चर्चा के घंटे कितने ज्यादा बढ़ सकते हैं, कैसे और बढ़ सकते हैं. सार्थक, सारगर्भित और जनहितैषी चर्चा और कैसे बढ़े जिससे की जनता को लाभ मिल सके. आपका बहुत-बहुत आभार. एक बार पुन: आपकी बात से सहमति देते हुए माननीय नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जी को अपनी व दल ओर से बधाई देता हूँ.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी जी, उपाध्यक्ष श्री राहुल गाँधी जी ने मुझे पुन: नेता प्रतिपक्ष का दायित्व सौंपा है. मैं निष्ठापूर्वक इस दायित्व का निर्वहन करुंगा.
अध्यक्ष महोदय, आपने जो बधाई दी, आदरणीय नरोत्तम मिश्र जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि लोकतंत्र का मंदिर है और इस मंदिर में जनहित के मुद्दे हम दोनों के रखने का अवसर मिलता है. मध्यप्रदेश विधान सभा का गौरवशाली इतिहास रहा है. कांग्रेस विधायक दल की तरफ से मैं आपको आश्वस्त कराना चाहता हूँ कि हम सब उस इतिहास को बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन जहां तक विपक्षी विधायकों के यदि किसी अधिकार का हनन होगा उसके लिए भी हम आपसे उम्मीद करेंगे. अध्यक्ष न सत्तापक्ष के हैं न विपक्ष के हैं उनकी एक अलग मर्यादा है, आप आने वाले समय में विशेष प्रेम हम लोगों के लिए रखेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
11:08 बजे
स्वागत उल्लेख
श्री अरुण यादव, पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री का सदन में स्वागत उल्लेख
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में माननीय पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री श्री अरुण यादव उपस्थिति हैं, सदन की ओर से उनका स्वागत है.
11:09 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, जो परम्मपराएं हैं, आपका अधिकार है, मैं इस बात को समझता हूँ परन्तु मेरा प्रश्न तारांकित से अतारांकित कर दिया गया इसमें किसी का षड्यंत्र तो नहीं है. यह जो प्रश्न था हवाला का जो अभी 1 हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला बैंकों में हुआ है, उसमें मेरा प्रश्न क्यों बदला गया.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष जी आपत्तिजनक इसलिए नहीं है कि अधिकार है हमारा, प्रजातंत्र के मंदिर में ऐसे मुद्दे आते हैं उन मुद्दों को हमेशा दबाया जा रहा है. प्रजातंत्र के मंदिर में (XXX) (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--ऐसी क्या बात थी. यह एकदम बहुत सरल प्रश्न था, इसको अतारांकित करने का क्या मतलब था, इसका क्या कारण है, इसके पीछे लॉजिक क्या है. यह पूछने का मेरा अधिकार है (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, इस विषय में स्थगन प्रस्ताव भी मेरे द्वारा दिया गया है (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--नहीं कोई षड्यंत्र नहीं है. प्रश्नकाल हो जाने दें तब तक जब तक प्रश्नकाल पूरा होता है आप प्रश्न से संबंधित नियमावली पढ़ लें उसके बाद शून्यकाल में आपको जो कहना है वह सुन लेंगे.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष जी मेरा यह कहना है मैं आपकी बात से सहमत हूँ.
श्रीमती ममता मीना--जितू भैय्या मेरा प्रश्न हो जाने दें.
मकसूदनगढ़ तहसील में लिंक न्यायालय की घोषणा
[राजस्व]
1. ( *क्र. 1523 ) श्रीमती ममता मीना : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या गुना जिले के मकसूदनगढ़ कस्बे में तहसील स्थापित है? उक्त तहसील का परगना क्या चाचौड़ा विधानसभा छोड़कर अन्य विधानसभा राघौगढ़ में एस.डी.ओ. राजस्व न्यायालय लगता है? (ख) यदि हाँ, तो क्या राघौगढ़ से मकसूदनगढ़ की दूरी 50 कि.मी. से अधिक है? क्या मकसूदनगढ़ में एस.डी.ओ. राजस्व न्यायालय के लिए दो दिवसीय लिंक न्यायालय बनाई जा सकती है। (ग) यदि प्रश्नांश (क), (ख) के तथ्य सत्य हैं तो कब तक परगना राघौगढ़ के एस.डी.ओ. राजस्व न्यायालय को सप्ताह में दो दिवस के लिए लिंक न्यायालय घोषित करायेंगे।
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। उक्त तहसील परगना राघौगढ़ अंतर्गत आती है जिसका विधानसभा क्षेत्र चाचौड़ा है। इसका एस.डी.ओ. न्यायालय राघौगढ़ में लगता है। (ख) जी हाँ। लिंक न्यायालय बनाई जा सकती है। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती ममता मीना--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मकसूदनगढ़ में लिंक न्यायालय बनाने के संबंध में है. माननीय मंत्री जी ने भी माना है कि मकसूदनगढ़ तहसील में राघौगढ़ ब्लाक लगता है और राघौगढ़ मकसूदनगढ़ से 50-60 किलोमीटर दूर है और जो आखिरी छोर पर गांव है वहां से तो 70-80 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है. किसानों को आने-जाने में परेशानी आती है.
अध्यक्ष महोदय--आप सीधा प्रश्न करिए.
श्रीमती ममता मीना--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं थोड़ी सी भूमिका बना रही थी. माननीय मंत्री जी ने यह स्वीकार कर लिया है.
अध्यक्ष महोदय-- आधी बात तो उन्होंने स्वीकार कर ही ली है.
श्रीमती ममता मीना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने स्वीकार कर लिया. बस मैं यह चाहती हूँ कि माननीय मंत्री जी यह घोषणा कर दें कि वहाँ पर लिंक न्यायालय बनाई जाए, यह तो उन्होंने मान ही लिया, लेकिन कब तक बनाई जाएगी, ऐसी घोषणा कर दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी वहाँ सप्ताह में एक दिन लिंक न्यायालय लग रहा है. माननीय सदस्या ने शायद दो दिन के लिए आग्रह किया है. हम दो दिन कर देंगे.
श्रीमती ममता मीना-- अध्यक्ष महोदय, उसमें एक दिन भी विधिवत नहीं लग रहा. माननीय मंत्री जी, आपने घोषणा कर दी उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूँ. पर माननीय मंत्री जी, दो दिन की घोषणा कर दें कि एक महीने में या दो महीने में ऐसा हो जाएगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, मार्च महीने में हो जाएगा.
श्रीमती ममता मीना-- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
शासकीय/गैर खातेदार भूमि का आबादी भूमि में परिवर्तन
[राजस्व]
2. ( *क्र. 1312 ) श्री राजकुमार मेव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भू-राजस्व संहिता के अंतर्गत शासकीय भूमि/गैर खातेदार भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तन किये जाने के क्या नियम हैं एवं इसकी क्या प्रक्रिया है? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में वर्तमान में इंदौर संभाग की तहसीलवार कितनी भूमि शासकीय/गैर खातेदार भूमि दर्ज है? कितनी भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तन किया गया है एवं वर्तमान में कितनी शेष है? (ग) वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक खरगोन जिले में तहसीलवार कितने आवेदकों एवं ग्राम पंचायतों द्वारा शासकीय भूमि/गैर खातेदार भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तन करने हेतु आवेदन/प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये? प्राप्त प्रस्तावों में क्या कार्यवाही की गई? आवेदन एवं प्रस्ताववार जानकारी से अवगत करावें। (घ) क्या विधान सभा क्षेत्र महेश्वर की तहसील महेश्वर एवं तहसील बड़वाह क्षेत्रान्तर्गत शासकीय/गैर खातेदार भूमि पर ग्रामवासी मकान बनाकर निवास कर रहे हैं? यदि हाँ, तो उन्हें कब तक उक्त भूमि को परिवर्तन कर आबादी भूमि में आवासीय पट्टे स्वीकृत कर पट्टे आवंटित किये जावेंगे?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) :
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न किया था, उसमें केवल दो ही बातें रह गईं, मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि प्रस्ताव जो भेजे गए थे, उन पर निर्णय लिया जाना शेष है, तो वह निर्णय कब तक ले लिया जाएगा और जिन अधिकारियों ने उसमें देरी की है, उन पर अभी क्या कार्यवाही की, या कब तक कार्यवाही कर देंगे?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 6 प्रकरण पर कार्यवाही शेष थी जो पूरी कर दी गई है.
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, जिन अधिकारियों ने देरी की, अब इस पर निर्णय होना चाहिए परन्तु अभी तक निर्णय नहीं हुआ था. प्रश्न लगाने के बाद में अधिकारियों के कानों पर जूँ रेंगी है तो उन अधिकारियों पर कब तक कार्यवाही कर देंगे?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, यही तो अधिकार है इस सदन का, कि बात आई और कार्यवाही हो गई और सभी पूरी कर दी गई है. फिर भी हम दिखवा लेंगे कि अगर कहीं जानबूझकर लापरवाही हुई है तो कार्यवाही करेंगे.
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी-- धन्यवाद.
मेला मैदान की भूमि पर अवैध निर्माण
[राजस्व]
3. ( *क्र. 2151 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या धार जिले के राजगढ़ नगर पंचायत द्वारा मेला मैदान की राजस्व भूमि पर अवैध रूप से दुकानें आदि निर्मित कर धनाढ्य व्यक्तियों को बेच कर अनियमितता की है? (ख) यदि हाँ, तो क्या शासन उक्त अवैध निर्माणों एवं दुकानों को तोड़कर मेला मैदान को समतल कर पुराने स्वरूप में स्थापित करेगा? यदि हाँ, तो कब तक, नहीं तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में अवैध निर्माण करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) :
श्री वेल सिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न कर लेता हूँ. माननीय मंत्री जी, आपके द्वारा दिए गए जवाब अनुसार 16.5.2015 के बाद प्रश्न दिनाँक तक नगर परिषद् द्वारा अन्य किसी दुकान की नीलामी नहीं की गई है क्या? यदि हाँ तो जवाब अपूर्ण क्यों दिया गया है? यदि नहीं तो नगर परिषद् राजगढ़ द्वारा मेला मैदान स्थित शासकीय राजस्व की भूमि सर्वे क्रमांक 548/2 पर किस आधार पर दुकानें निर्मित की गईं?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जवाब में स्पष्ट कहा है कि दुकान का पूजन 16.5.2015 को हुआ है और माननीय विधायक भी उसमें उपस्थित थे. नीलामी के बाद जैसा नगरीय निकाय एक्ट है, उसके हिसाब से उसको बेचने के लिए, परमीशन के लिए, नगरीय प्रशासन संचालनालय को प्रकरण भेजा गया है.
श्री वेल सिंह भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं पूछना चाहता हूँ कि यह बात जो है, मेरे जवाब में जो आई है, वह माननीय मंत्री जी को गुमराह करते हुए, अधिकारियों, कर्मचारियों ने दी है. मेरा कहना यह है कि 16.5.2015 को इन दुकानों का, हमारे द्वारा न कोई भूमि पूजन किया गया, न लोकार्पण किया गया. हमने एक साल पहले लोकार्पण किया था उसकी फोटो भेजकर सदन को गुमराह किया गया है. मेरा आखरी प्रश्न यह है कि राजस्व की भूमि सर्वे क्रमांक 548/2 पर जो अवैध निर्माण किया गया है. क्या माननीय मंत्री जी उसकी जाँच कराकर हटवाने की कृपा करेंगे?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, एसडीओ ने, यह विधायक जी के द्वारा मामला उठाने पर, प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है, कारण बताओ नोटिस जारी किया है, पूरी जाँच करवा लेंगे.
श्री वेल सिंह भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, कब तक करा लेंगे? समय सीमा निर्धारित की जाए क्योंकि बहुत गंभीर मामला है. इसमें समाज और जनता में मेला मैदान को लेकर बहुत आक्रोश व्याप्त है. यह अतिक्रमण कर, जबर्दस्ती, दादागिरी के बल पर, फर्जी दुकानें बनाई गई हैं. उसको जल्दी से 4-8 दिन में हटाने की कृपा करें. माननीय मंत्री जी, मैं आप से बहुत खुश हूँ. आप इसमें समय सीमा बता दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ आपस का ही मामला है, उसको निपटवा लेंगे वैसे वर्ष 1959 के रिकार्ड में वह जमीन म्युनिसपल के नाम ही थी लेकिन हम प्रकरण की पूरी जाँच शीघ्र ही करा लेंगे.
श्री वेलसिंह भूरिया-- मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
धरमपुरी विधान सभा क्षेत्र में पदस्थ कर्मचारी
[पशुपालन]
4. ( *क्र. 1906 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले में व धरमपुरी विधान सभा क्षेत्र में पशु चिकित्सा विभाग अंतर्गत कितने कर्मचारी कार्यरत हैं तथा कार्यरत कर्मचारी कब से पदस्थ हैं? (ख) क्या शासन नियमानुसार प्रत्येक शासकीय कर्मचारी को एक स्थान पर कार्य करते हुए तीन वर्ष अथवा अधिकतम पाँच वर्ष की अवधि पूर्ण कर लेने पर उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित किये जाने के नियम हैं? (ग) यदि हाँ, तो विभाग द्वारा विगत 5 वर्ष में उक्त नियमों का कितना पालन किया गया है व किन-किन संस्थाओं से कितने कर्मचारियों का उक्त नियम के तहत स्थानांतरण किया गया है? यदि नहीं, तो उसका कारण बतावें?
पशुपालन मंत्री ( श्री अंतर सिंह आर्य ) : (क) धार जिले में कुल 262 अधिकारी/कर्मचारी एवं धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 35 अधिकारी/कर्मचारी कार्यरत हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री कालुसिंह ठाकुर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का करीब-करीब जवाब आ गया है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी अनुरोध करूंगा कि जो कर्मचारियों की जानकारी आई है, वह स्पष्ट नहीं आई है और जो भी कर्मचारी 10-15 वर्षों से पदस्थ हैं, उनको हटाने की घोषणा करेंगे क्या ?
श्री अंतर सिंह राव जी आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोद, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है कि 15 वर्ष से अधिक जो कर्मचारी पदस्थ हैं, उनको हटाएंगे क्या. मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से अनुरोध करूंगा कि आप जो नाम दे देंगे उसको हम हटा देंगे.
श्री कालुसिंह ठाकुर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जो को बहुत बहुत धन्यवाद मैं उनको उन कर्मचारियों के नाम दे दूंगा जो भी 15 वर्ष से पदस्थ हैं.
सागर जिले में डायवर्सन के लंबित प्रकरण
[राजस्व]
5. (*क्र. 2220 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले में वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक डायवर्सन के कितने प्रकरण लंबित हैं? तहसीलवार बतायें। (ख) एक वर्ष से अधिक समय तक डायवर्सन के कितने प्रकरण लंबित हैं तथा लंबित होने के क्या कारण हैं? तहसीलवार बतायें। (ग) क्या डायवर्सन के प्रकरण अधिक समय तक लंबित रखने के कारण शासन को राजस्व की हानि होती है तथा आवेदकों को अनावश्यक परेशानी होती है? यदि हाँ, तो लोगों की परेशानी दूर करने के लिये शासन क्या कार्यवाही कब तक करेगा? (घ) एक वर्ष से अधिक समय वाले लंबित डायवर्सन के प्रकरणों का निराकरण कब तक कर दिया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) :
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय ने मेरे प्रश्न के जवाब में एक संशोधित जवाब अभी दिया है, जो मुझे अभी प्राप्त हुआ है. मुझे खुशी है कि डायवर्सन की जो लंबित प्रकरणों की संख्या पूर्व में उन्होंने 596 बताई थी वह घटकर अब 538 हो गई है. प्रश्न लगाने के दो-चार दिन के अंदर वह संख्या इतनी घट गई है, मैं मंत्री जी को इसके लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि उनके संशोधित जवाब में उन्होंने कहा है कि तीन माह की अवधि में डायवर्सन का आवेदन लगाने के बाद अगर प्रकरण का निराकरण नहीं होता है तो सक्षम अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है और संपर्क करने के उपरांत यदि एक माह तक कोई कार्यवाही नहीं होती है तो वह डायवर्सन स्वमेव् स्वीकृत मान लिया जाएगा तो मैं पूछना चाहता हूं कि मेरे प्रश्न दिनाँक से आज तक की तारीख में इतने -कितने प्रकरण हैं, जिसमें स्वमेव् इस तरह के डायवर्सन की स्वीकृति मिली हुई है ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जैसा कहा और मेरे जवाब में भी है कि मध्यप्रदेश भू-अधिनियम में यह धारा है कि अगर डायवर्सन के लिए किसी ने आवेदन दिया है और सक्षम अधिकारी तीन माह में कोई रिप्लाय यस या नो नहीं करता है तो उस अधिकारी को आवेदक यह जानकारी देगा और एक महीने तक भी कोई कार्यवाही नहीं होती है तो वह डीम्ड परमीशन मान ली जाएगी और ऐसा आवेदन अभी तक हमारे रिकार्ड में किसी का नहीं है.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर इस तरह के कोई मामले हुए होते तो आज तक 596 प्रकरण या 538 प्रकरण वर्ष 2012-13 से अभी तक क्यों लंबित होते, बहुत सोचनीय विषय है और इसके डायवर्सन के मामले को लेकर पूरे प्रदेश में इस तरह की बातें आती हैं आर्थिक भ्रष्टाचार के विषय भी उठाये जाते हैं यह बहुत गंभीर विषय है और लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है लोग मकान बनाने के लिए दो-दो, तीन-तीन साल डायवर्सन का इंतजार कर रहे हैं और उनको डायवर्सन की अनुमति नहीं मिल पा रही है तो क्या ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की जाएगी जो प्रकरणों को अधिक समय तक लंबित रखते हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में विधायक जी ने जो प्रश्न किया है, बड़ा गंभीर है. अभी पिछले दिनों वीडियो-कांफ्रेसिंग में माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी इस संबंध में कलेक्टर को निर्देशित किया है. इनके अभियान चलाने के लिए कहा है और यह डायवर्सन के मामले जल्दी-से निपटें इसके लिए विभाग भी क्रियाशील है. वास्तव में जब विधायक जी ने यह प्रश्न उठाया उसके बाद सागर जिले के सारे मामले लाइनअप हुए हैं इसे भी मैं स्वीकार करता हूं और जल्दी-से-जल्दी इनका निराकरण हो यह निर्देश भी हम दे रहे हैं, अभियान भी चला रहे हैं और इसी के साथ मेरा आग्रह है यह जो व्यक्ति का अधिकार है कि अगर तीन महीने में उसका मामला नहीं निपटा है तो वह सूचना देकर एक महीने के बाद डीम्ड मान सकता है, इस बात को भी हम प्रचारित करेंगे और ऐसे जो मामले हैं जिनमें कहीं लापरवाही हुई है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अंतिम प्रश्न करना चाहता हॅूं. यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें टाउन एंड कन्ट्री प्लानिंग से एनओसी लेनी होती है. जब तक बटांकन नहीं होता है तब तक कार्यवाही नहीं हो सकती. आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं. बटांकन न हो पाने की वजह से सागर जिले में हजारों की तादाद में प्रकरण लंबित हैं और बटांकन न करके सह-खातेदार के रूप में उनका नाम दर्ज कर दिया जाता है और उनको डायवर्जन नहीं मिल पा रहा है क्योंकि बटांकन नहीं होगा, तब तक डायवर्सन का काम हो नहीं पा रहा है तो क्या इस पूरे के पूरे नियम में इसको लोक सेवा गारंटी के अधीन लाकर और समय-सीमा में डायवर्जन के नामांतरण, बटांकन के प्रकरण निपटाने की दिशा में माननीय मंत्री महोदय कुछ प्रयास करेंगे ?
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, टाउन एंड कन्ट्री प्लानिंग और इस परमीशन के लिए आवेदक को नहीं जाना पड़ता. यह विभाग लिखता है और यह बात ठीक है कि बटांक के मामले हैं उसके लिए 31 मार्च 2017 तक माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी कलेक्टर, कमिश्नर कान्फ्रेंस जब हुई थी इस विषय पर भी उन्होंने संज्ञान में लिया था कि यह समस्या है और बंटवारा तक्सीम हों, इसके भी अभियान जिले-जिले में चल रहे हैं और इन सारी प्रक्रियाओं को हम दुरस्त कर रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक सेवा गारंटी के अधीन यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है. एक तो तमाम् योजनाओं को शासन ने किया है .
अध्यक्ष महोदय -- आपका विस्तृत उत्तर आ गया है. सिर्फ एक लोक सेवा गारंटी वाला रह गया है, बाकी सारी बातें आ गई हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- लोक सेवा गारंटी में लेना बहुत आवश्यक है. बहुत महत्वपूर्ण विषय है. यदि यह घोषणा हो जाएगी तो बहुत अच्छा हो जाएगा. पूरे प्रदेश भर के लोगों को बड़ी सुविधा हो जाएगी.
श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से एक निवेदन है कि कृषि क्षेत्र के अंदर स्टॉफ की बहुत कमी है. चाहे पटवारी हों, चाहे गिरदावर हों, चाहे अन्य अधिकारी हों लोक क्षेत्र के अंदर भी ग्रामीण क्षेत्र आते हैं. डायवर्जन की बहुत शिकायतें आती हैं. क्या स्टॉफ की कमी के कारण यह परेशानी हो रही है ? क्या माननीय मंत्री बताएंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्टॉफ की कमी है इसे मैं स्वीकार करता हॅूं. पटवारी के करीब 9200 पद हम भर भी रहे हैं और केबिनेट से भी स्वीकृति हो गई है. इस साल हमें वे पद ट्रेनिंग के बाद मिल जाएंगे, लेकिन काम इसलिए प्रभावित नहीं हो रहा है कि हम एडिशनल चार्ज देकर वह काम करा रहे हैं.
कालाबाजारी में लिप्त दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही
[गृह]
6. ( *क्र. 522 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा प्रश्नोत्तरी दिनांक 07 दिसम्बर, 2016 के प्रश्न क्र. 1434 के उत्तर (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है, उत्तर दिया गया है? क्या संबंधित जानकारी एकत्रित कर ली गई? जानकारी अनुसार किन-किन को दोषी मानकर उनके ऊपर किस-किस तरह की कार्यवाही प्रस्तावित की गई? कार्यवाही की प्रति देवें। (ख) यदि कार्यवाही समय पर पूर्ण नहीं की गई तो इसके लिए दोषियों की पहचान कर क्या कार्यवाही प्रस्तावित की गई? उसकी प्रति देवें। अगर कार्यवाही किसी भी स्तर से नहीं की गई तो इसके लिए कौन-कौन दोषी हैं, इन दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे? अगर नहीं तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में 05 अक्टूबर, 2016 को कालाबाजारी हेतु ले जाया जा रहा जो खाद्यान्न पकड़ा गया, वह खाद्यान्न जिस वाहन में लोड किया गया था, उस वाहन मालिक का नाम वाहन क्रमांक के साथ बतावें? क्या उक्त वाहन मालिक के संबंध रीवा जिले में पदस्थ खाद्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से हैं, जिसकी मिलीभगत से खाद्यान्न/शक्कर एवं तेल की कालाबाजारी जिले भर में आये दिन हो रही है? संबंधित जिम्मेदार अधिकारी के साथ अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों के विरूद्ध खाद्यान्न की कालाबाजारी में संलिप्त होने के प्रकरण पुलिस थानों में पंजीबद्ध करायेंगे? हाँ, तो कब तक, अगर नहीं तो क्यों?
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जी हाँ, जी नहीं। प्रकरण में मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन के कर्मचारियों एवं अन्य संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध अभियोजन की कार्यवाही की गई है। जिसका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन के कर्मचारियों पर की गई विभागीय कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर में की गई कार्यवाही के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में 05 अक्टूबर, 2016 को कालाबाजारी हेतु ले जाया जा रहा खाद्यान्न पकड़ा गया, वह खाद्यान्न ट्रक क्र. एम.पी. 17 एच.एच. 2529 जिसके मालिक श्री कृष्णमुरारी यादव निवासी मिर्जापुर उत्तरप्रदेश तथा ट्रक क्र. एम.पी. 17 एच.एच. 2465 के ट्रक मालिक एवं चालक श्री जय सिंह साकेत निवासी ग्राम महेवा पोस्ट नई बाजार जिला सोनभद्र उत्तर प्रदेश है। इस कालाबाजारी प्रकरण में प्रथम दृष्टया मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन के कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन की कार्यवाही हेतु अपराध क्रमांक 266/16 दिनांक 07.10.2016 पुलिस थाना हनुमना में दर्ज होकर विवेचनाधीन है।
अध्यक्ष महोदय -- अन्य माननीय सदस्यों के जो प्रश्न हैं कृपया उसका ध्यान रखें. आप इस बात को गंभीरता से लें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, खडे़ होने के पहले ही मेरे मन में आया था कि अध्यक्ष महोदय जरूर कुछ बोलेंगे और वही हुआ जो मेरे मन में आया था.
श्री बाबूलाल गौर -- काफी समझदार हो गए हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस देश की सबसे महत्वपूर्ण योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 यूपीए सरकार ने पूरे देश में गरीबों और कुपोषित बच्चों के लिए लागू किया. उसकी हालत क्या है. उसकी एक तस्वीर इस सदन में भी रखना चाहूंगा कि यह अनाज माह-अक्टूबर में रीवा जिले में एक थाना हनुमना है वहां से काला बाजारी करने के लिए दो ट्रक लदे हुए उत्तरप्रदेश में बेचने के लिए जा रहे थे. पुलिस ने उन ट्रकों को पकड़ा और पकड़ने के बाद मामला कायम किया. पीड़ा यहां यह है कि आज तक चार महीने हो गए लेकिन इस प्रकरण में क्या अभियोजन की स्वीकृति दी गई है जो अधिकारी इसमें शामिल हैं ? दूसरी बात, आज तक इसमें चालान क्यों पेश नहीं हुआ ? अभी तक आपने जो जवाब में दिया है कि इन्वेस्टीगेशन इज़ गोविंग ऑन? इसमें मेरा माननीय मंत्री जी निवेदन है कि जानकारी दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य चाहते हैं हम इसका शीघ्र चालान प्रस्तुत करा देंगे और जो अभियोजन की स्वीकृति के संबंध में कहा है उसकी प्रक्रिया प्रचलन में है और वह भी शीघ्र हो जाएगी.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा कि जैसा मैं चाहता हॅूं, मैं नहीं चाहता, यह कानून चाहता है कि ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार करें, उनके खिलाफ कार्यवाही करें. मैं दूसरा प्रश्न करना चाहता हॅूं कि कुछ दिन पहले हमने एक प्रश्न लगाया था. उसका जवाब मिला और एक प्रश्न का जवाब आज तक नहीं मिला. यह प्रश्न में ही उल्लेख है कि दिनांक 07 दिसम्बर, 2016 का प्रश्न क्र. 1434, जो जितू जी कह रहे थे कि हम लोग प्रश्न लगा देते हैं, इसके बाद वह प्रश्न लंबित रहता है और इस सूचना के साथ कि कार्यवाही की जा रही है, संकलन किया जा रहा है और सालों उस बात का जवाब नहीं आता है तो इस ओर अध्यक्ष महोदय मैं आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि निश्चित रूप से इन प्रश्नों पर माननीय अध्यक्ष महोदय की अगर दृष्टि पड़ेगी तो सरकार भी उनको जल्दी सदन के सामने प्रस्तुत करेगी. इसमें हमारा एक प्रश्न यह है कि हमारे रीवा जिले में जो खाद्यान्न जाता है इसमें कम से कम सैकड़ों थानों में रिपोर्ट दर्ज करा दी जाती है सेल्समेन या उस पंचायत में जो राशन वितरण के जिम्मेदार लोग हैं उनके द्वारा कि हमारा अनाज चोरी चला गया. वे एक आवेदन-पत्र थाने में दे देते हैं और उसकी रिसीविंग लेकर अपने रिकॉर्ड में रख लेते हैं, न पुलिस वाले केस रजिस्टर करते हैं और कभी केस रजिस्टर किया भी तो ....
अध्यक्ष महोदय -- कृपया प्रश्न पूछें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, ये जो शिकायतें होती हैं इन शिकायतों में आज तक किसी भी प्रकरण में न तो कोई चोर पकड़ा गया, चोर तो कोई इसमें हैं ही नहीं, चोर तो वही हैं जो शिकायत करते हैं तो ये प्रकरण पुलिस में इसलिए पंजीबद्ध नहीं होते कि...
अध्यक्ष महोदय -- आप तो सीधा प्रश्न पूछें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- मेरा कहना यह है कि प्रश्न का उत्तर आयेगा लेकिन प्रदेश के लोग संतुष्ट नहीं होंगे, जिले के लोग संतुष्ट नहीं होंगे और हमारी समस्या का निदान नहीं होगा. हमारा कहना है कि चोरी का मामला काग्नीजेबल अफेंस होता है तो सीधे जब चोरी का प्रकरण पंजीबद्ध होता है तो उसमें धारा-379 के अंतर्गत थाने में केस रजिस्टर क्यों नहीं किया जाता है. दूसरा प्रश्न यह है कि अगर ये पंजीबद्ध हो जाएं तब तफ्तीश होगी और पता लगेगा कि कोई चोर है कि रिपोर्टकर्ता ही चोर है और आज तक इन चोरियों में एक किलो अनाज जब्त नहीं हुआ. अगर कोई कार्यवाही की हो तो बताएं ? कोई चोर पकड़ा गया हो तो बताएं कि इतनी रिपोर्ट हुई, इस बारे में मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- इससे उद्भूत नहीं होता.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उद्भूत है. हमारा पहले का प्रश्न लंबित है. इसी प्रश्न में उसका उल्लेख है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न बहुत स्पष्ट नहीं हो पा रहा है, फिर भी मैं कोशिश करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- एड है प्रश्न, यह बात सही है, इसलिए मैंने भी कहा कि उद्भूत नहीं होता.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में स्पष्ट कर देता हूँ. जब प्रश्न ही स्पष्ट नहीं है तो जवाब भी अस्पष्ट आएगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- मुझे सुन लें.
अध्यक्ष महोदय -- आप तो उत्तर सुन लीजिए फिर अगला प्रश्न पुकारूंगा.
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, स्पष्ट करने में बहुत देर लग जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- अब स्पष्ट नहीं करवाना है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और है.
अध्यक्ष महोदय -- आपके चार प्रश्न हो गए हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, 3 प्रश्न का हमारा अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय -- आप उत्तर तो सुन लीजिए, हो सकता है कि आप इस उत्तर से संतुष्ट हो जाएं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न मूलत: खाद्य विभाग का है, फिर भी गृह विभाग में आया, माननीय सदस्य की जो चिंता है मैं बिल्कुल उस चिंता से सहमत हूँ. यह जो पी.डी.एस. का अनाज है इसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो, यह हम सबकी जिम्मेदारी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पी.डी.एस. का जो दो ट्रक गेहूँ है उसे रीवा से उत्तर प्रदेश में बेचने के लिए लोग ले जा रहे थे, पुलिस को सूचना मिली, पुलिस ने तत्काल दोनों ट्रकों को जब्त किया, जब्त करके इसकी सूचना खाद्य विभाग को दी. जिन-जिन लोगों के नाम इसमें संलिप्त पाए उन सब पर पुलिस ने एफ.आई.आर. की और एफ.आई.आर. करने के बाद इसमें जो 17 आरोपी थे, 17 आरोपी में से 11 आरोपियों की पुलिस ने गिरफ्तारी की, शेष जो 6 आरोपी हैं उनकी भी गिरफ्तारी की प्रक्रिया चल रही है. हम शीघ्र उनको गिरफ्तार करेंगे और गिरफ्तारी करके शीघ्र चालान भी इसमें पेश करेंगे. पुलिस के स्तर पर यह कोशिश होगी कि इसमें जितनी भी सख्त से सख्त कार्यवाही पुलिस के माध्यम से कर सकते हैं वह हम करेंगे और आरोपियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी --अध्यक्ष महोदय एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है. इसी से संबंधित है जो गृहमंत्री जी ने जवाब दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका उत्तर आ गया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय हमने एक तारांकित प्रश्न क्रमांक 4908 लगाया था इसमें देखें कि थाने में रिपोर्ट के बारे में आया है कि दो मामले में लिखा है कि विवेचना जारी है, बाकी सभी में अभियुक्त अज्ञात, खात्मा लगाया गया, यह मेरे प्रश्न में जवाब आया है, एक मुल्जिम है, हजारों ट्रक अनाज चोरी चला गया है. इसमें एक भी मुल्जिम नहीं मिला है. यह मेरे पास में उत्तर है. अध्यक्ष महोदय यह आपने ही उत्तर दिया है, हमने उसका प्रश्न क्रमांक भी आपको बताया है. मेरा यह कहना है कि पूरे प्रदेश में जो कुपोषण फैला है इसका केवल यही कारण है कि सारा अनाज कालाबाजारी के माध्यम से चला जाता है तो जिन प्रकरणों में खात्मा लगा है इनको पुन: खोलकर फिर से विधिवत जांच करायेंगे क्या ? इनमें खात्मा पुलिस वालों ने आनन फानन में, पैसा लेकर लगा दिया है तो, इसकी क्या जांच करायेंगे यह मेरा मंत्री जी से निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- यह इससे उद्भूत नहीं होता है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- चोरी का मामला है उसी से संबंधित है. मेरा निवेदन है कि जो वहां के स्थानीय पुलिस वालों ने मिलकर गलत तरीके से खात्मा लगा दिया है इनकी जांच करेंगे क्या. यह पूरे प्रदेश का मामला है.
अध्यक्ष महोदय -- आप उत्तर दे दीजिये अगर वह संतुष्ट हो जायें तो.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय इनको संतुष्ट तो दिल्ली दरबार कर सकता था उन्होंने किया नहीं.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय अगर माननीय सदस्य का कोई विशेष प्रकरण है और उसमें वह फिर से जांच कराना चाहते हैं तो हम तैयार हैं, आप जो कहेंगे वह जांच हम कराने के लिए तैयार हैं
तहसील कार्यालय के भवन का निर्माण
[राजस्व]
7. ( *क्र. 2004 ) श्री सचिन यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कसरावद विधान सभा क्षेत्र की तहसील कसरावद का कार्यालय पूर्ण रूप से जर्जर एवं आवागमन की अव्यवस्था के कारण भी अन्य प्रस्तावित स्थान पर भवन निर्माण क्यों नहीं किया जा रहा है? (ख) उक्त कार्यालय में जनहित के कार्यों से संबंधित स्थानीय लोगों को आये दिन हो रही परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए उक्त भवन का निर्माण कार्य प्रस्तावित स्थान पर कब तक कर दिया जायेगा? (ग) उक्त कार्य में लापरवाही क्यों की जा रही है? क्या संबंधित उच्चाधिकारी इस मामले पर संज्ञान लेगें? यदि हाँ, तो किस प्रकार? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) भवन की ड्राइंग, डिजाइन तैयार करने पर, प्राक्कलन स्वीकृत राशि से अधिक होने के कारण निर्माण प्रारंभ नहीं किया जा सका। (ख) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में कोई लापरवाही नहीं की जा रही है। जी हाँ अधिक प्राक्कलन का परीक्षण कर।
श्री सचिन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रश्न करना चाहता हूं कि कसरावद तहसील कार्यालय के भवन निर्माण की स्वीकृति दिनांक क्या थी पहले यह बता दें उसके बाद में अगला प्रश्न करेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय जो स्वीकृति दी गई थी वह 2013 में दी गई थी.
श्री सचिन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं क्योंकि यह तहसील भवन निर्माण का एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और हमारी तहसील की जो स्थिति है, वर्तमान में जो भवन है उसकी स्थिति बहुत जर्जर है, किसी भी दिन वहां पर कोई बहुत बड़ी घटना घट सकती है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि 2013 में उसकी स्वीकृति हुई थी लेकिन आज दिनांक तक न तो सरकार की तरफ से कोई ध्यान दिया जा रहा है और न ही इसके निर्माण की दिशा में कोई काम किया जा रहा है. कब तक इस भवन निर्माण का काम पूर्ण कर लिया जायेगा या शुरूआत कर दी जायेगी.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बाद में जिला प्रशासन यह चाहता था कि तहसील के साथ में बाकी के कुछ और भी कार्यालय जैसे ट्रेजरी भवन और एसडीओ कार्यालय भी बन जाय तो उन्होंने रिवाइज एस्टीमेट भेजा था उसकी सेंक्शन अभी तक नहीं हो पायी थी, लेकिन अब हमने निर्देशित कर दिया है कि ड्राइंग तो जो बनाई है वह ही हम मंजूर करेंगे लेकिन अभी हमने जो एक करोड़ अट्ठावन लाख रूपये स्वीकृत किये हैं उसके टेण्डर लगा दिये हैं, 17 मार्च को टेण्डर खुल जायेंगे, और यह तहसील भवन का काम शुरू हो जायेगा.
किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान
[राजस्व]
8. ( *क्र. 1136 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील में विगत 8-10 दिन पूर्व शीतलहर के कारण तुअर की फसल पाला पड़ने से नष्ट हो गई है? (ख) क्या शासन पाला पड़ने के कारण हुए नुकसान का सर्वे कराकर राहत राशि देने का विचार करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) पाला पड़ने से कितने ग्राम तथा कितने हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है तथा इस हेतु हेक्टेयरवार कितना मुआवजा राष्ट्रीय फसल योजना के लिए किसानों को दिया जाएगा? (घ) क्या राष्ट्रीय फसल बीमा योजना में किसानों के हुए नुकसान के आंकलन अनुसार विभाग मुआवजा राशि प्रदान करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) -
श्री गोविंद सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय अभी मेरे पास में संशोधित उत्तर आया है इसमें मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं मैंने तुअर की फसल में पाला के मामले में पूछा है कि तुअर की फसल में कौन कौन सी किस्म की प्राकृतिक आपदाओं में बीमा दावा राशि देने का प्रावधान है मंत्री जी यह बताने का कष्ट करें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय मूल प्रश्न माननीय सदस्य का है कि अभी जो नुकसान हुआ है उसमें क्षतिपूर्ति के बारे में है. हमने सभी 347 गावों में संयुक्त दल से सर्वे करा लिया है और जनप्रतिनिधि भी उस सर्वे में उपस्थित रहे हैं. वह नुकसान 5 से 20 प्रतिशत के अंतर्गत रहा है जो कि आरबीसी की धारा में नहीं आता है इसलिए वहां पर क्षतिपूर्ति नहीं दी जा सकी.
श्री गोविन्द सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाहता हूं कि तुअर की फसल में कौन-कौन सी प्राकृतिक आपदाओं में बीमा दावा राशि का भुगतान किया जाता है?
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, क्षतिपूर्ति की राशि अलग है, बीमा दावा राशि अलग है. आपका प्रश्न क्षतिपूर्ति का है. बीमा दावा राशि में फसल कटाई प्रयोग के बाद जिन्होंने बीमा कराया है और उसमें अगर बीमा में वे आपदाएं आती हैं तो फिर बीमा कंपनियां उसका मुआवजा देती हैं.
श्री गोविन्द सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि तुअर की फसल में मूल रूप से दो प्राकृतिक आपदाएं आती हैं एक तो इल्ली होती है और दूसरा तुषार होता है. इल्ली का उपाय है कि किसान उसमें कीटनाशक डाल सकता है, लेकिन तुषार और पाला ऐसा है जिसमें कोई उपाय नहीं है. मेरी जानकारी में ऐसा आया है कि तुषार शायद बीमा में प्राकृतिक आपदाओं में अधिसूचित नहीं है. मेरा मंत्री महोदय से कहना है कि ज्यादातर तुषार का ही नुकसान होता है. हमारा जिला दलहन के लिए प्रसिद्ध है और हमारे गाडरवारा की तुअर की दाल तो पूरे देश में प्रसिद्ध है तो तुअर की फसल में ज्यादातर नुकसान तुषार से, पाले से ही होता है, पाला अभी अधिसूचित नहीं है, क्या उसको बीमा दावा राशि में अधिसूचित किया जाएगा?
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, यह विषय राजस्व का नहीं है, कृषि विभाग फसल बीमा का सारा मामला देखता है. मैं माननीय सदस्य का सुझाव उनको भेज दूंगा.
श्री गोविन्द सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि यह एक बड़ा महत्वपूर्ण विषय है. मैं अभी नहीं कह रहा हूं कि अभी जवाब दे दें, क्योंकि हर साल यह समस्या होती है, पाला हर साल पड़ता है और लाखों एकड़ की फसल में तुअर का नुकसान होता है. अभी यह जो 5 से 20 प्रतिशत का आंकलन आया है. जबकि यह आंकलन 25 प्रतिशत से ऊपर है. 25 प्रतिशत का नुकसान अगर होता है तो उसको 50 प्रतिशत मान लिया जाता है तो वह भी 50 प्रतिशत में आना था. लेकिन भविष्य के लिए जो पाला है वह बीमा दावा की राशि में जुड़ जाय, इसके लिए आप कृषि विभाग से मिलकर प्रयास करेंगे, यह मैं आश्वासन चाहता हूं?
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने आश्वस्त कर दिया है कि कृषि विभाग को वह बोलेंगे.
श्री गोविन्द सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, अभी जो नुकसान हुआ है, उसका कम से कम पुनः सर्वे टाइप कराएं क्योंकि किसानों का तुअर का बहुत नुकसान हुआ है, उनको उसका फायदा मिल जाय, वैसे ही इसका मूल्य कम हो गया है.
श्री लखन पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि बहुत सारी फसलें ऐसी हैं जो अधिसूचित नहीं हैं..
अध्यक्ष महोदय - फिर विषय वही आ जाएगा कि यह उनके विभाग का नहीं है.
श्री लखन पटेल - अध्यक्ष महोदय, लेकिन मेरा अनुरोध है राजस्व और कृषि विभाग दोनों मिलकर यह करते हैं तो जितनी ये फसलें हैं वे अधिसूचित हो जाएं तो फसल बीमा का किसानों को सही लाभ मिल सकेगा, यह मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय - यह विषय आ चुका है, माननीय सदस्य ने यही प्रश्न किया था.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, तुअर दाल, तुअर और मक्का की फसल है. यह घोड़ारोजा का टारगेट ये दो फसलें ही रहती हैं. आप पूरे प्रदेश में अगर जानकारी लेंगे तो घोड़ारोजा की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और वे दो ही फसलों को टारगेट करते हैं, वह क्या क्षतिपूर्ति में सम्मलिति की जाएगी?
अध्यक्ष महोदय - परन्तु यह राजस्व का विषय नहीं है, इसका वही उत्तर आएगा. आप इसे चर्चा में बोलिए.
भंडारण नियमों का उल्लंघन
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
9. ( *क्र. 2643 ) श्री रजनीश सिंह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले में वर्ष 2015-16 में रबी एवं खरीफ उपार्जन सीजन में कृषकों से क्रय की गई कृषि उपज में क्या समस्त पंजीकृत कृषकों को एस.एम.एस. द्वारा खाद्यान्न केन्द्र में लाने की सूचना दी गई है तथा क्या समस्त खरीदी एस.एम.एस. शेडयूलिंग के अनुसार ही की गई है? अगर ऐसा नहीं है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? (ख) क्या उपार्जन के परिवहन हेतु जिला स्तर पर वाहनों का मूवमेंट मेपिंग प्लान तैयार किया गया है? यदि हाँ, तो क्या मूवमेंट का पालन किया गया है? अगर ऐसा नहीं है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? (ग) क्या सिवनी जिले में उपार्जन केन्द्र के पास के गोदाम में खाद्यान्न का परिवहन न कर क्रॉस (cross) मूवमेंट से दूर के गोदाम में परिवहन कर मूवमेंट प्लान का उल्लंघन किया गया है? यदि हाँ, तो इसका जिम्मेवार कौन है? (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में क्या विभाग दोषियों पर कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो क्या और कब तक?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) :
(ख) जी हाँ। मूवमेंट मेपिंग प्लान का पालन किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) भंडारण की नीति अनुसार परिवहन कर भंडारण कराया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री रजनीश सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरे जिले के अन्नदाता किसानों की वेदना का मेरा प्रश्न था और आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से जो जानकारी चाह रहा था, वह मुझे नहीं मिल पाई कि वर्ष 2015-16 में गेहूं का 54432 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया, जिसमें 44575 किसानों को सूचना मिली, 9857 किसानों को कोई सूचना नहीं मिली. उसके बाद धान का 57539 किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ, 37348 किसानों को सूचना मिली, 20191 किसानों को सूचना नहीं मिली. फिर मक्का में 20552 किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ, 9894 किसानों को सूचना मिली, 10658 किसानों को सूचना नहीं मिली. इस प्रकार सिवनी जिले के गेहूं, धान और मक्का में 149319 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया, 91817 किसानों को सूचना मिली और 57502 किसानों को सूचना नहीं मिली.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है?
श्री रजनीश सिंह-- प्रश्न यह है कि 57 हजार किसान वंचित रह गए. उन्होंने कम दामों पर व्यापारियों को अपना माल बेचा. और जो उत्तर दिया है...
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न क्या है? यह तो सूचना है.
श्री रजनीश सिंह--प्रश्न यही है कि ऐसा क्यों हुआ? उत्तर आया कि उपार्जन केन्द्र ऑफलाईन हो गए. अगर उपार्जन केन्द्र ऑफलाईन हो गए तो उसकी कोई दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था कराना थी. दूसरा इसमें उत्तर आया कि मोबाइल नंबर सही नहीं हैं. अध्यक्ष महोदय, 57 हजार किसानों के मोबाइल नंबर बदल गए?
अध्यक्ष महोदय--आप सीधा प्रश्न करिए. आप क्या चाहते हैं?
श्री रजनीश सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं इस प्रश्न के उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं. माननीय मंत्री महोदय को जिले से गलत जानकारी भेजी गई है. इसी प्रश्न पर मेरा दूसरा प्रश्न बनता है कि मूवमेंट प्लान ठीक नहीं बना. क्रास मूवमेंट हुआ.सरकार की नीति है कि जहां खरीदी केन्द्र हैं और पास में गोदाम है, पहले उनका भण्डारण होना चाहिए. 0 से 25 किमी के टेण्डर जिले में हो रहे हैं और परिवहन 25 से 100 किमी का हो रहा है.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो पहला प्रश्न किया है, उसका उत्तर तो आ गया है.
अध्यक्ष महोदय--उनका कहना है कि बहुत से लोगों के नहीं हुए.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- हमने कारण बताया है.
श्री रजनीश सिंह--अध्यक्ष महोदय, 57 हजार किसानों को सूचना नहीं मिल रही है. क्या 57 हजार मोबाइल बंद हो गए? आप उत्तर दे रहे हैं कि उपार्जन केन्द्र ऑफलाइन हो गए. अगर उपार्जन केन्द्र ऑफलाइन हो रहे हैं तो इसकी जवाबदारी किसकी है?
अध्यक्ष महोदय--उत्तर सुन लीजिए.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--अध्यक्षजी, मोबाइल नंबर डेटा बेस में मैच नहीं करने के कारण हम कुछ लोगों को SMS नहीं कर पाए, गलत नंबर निकले.दूसरा, कहीं-कहीं नेटवर्क ठीक न होने के कारण भी नहीं कर पाए. तीसरा, कुछ किसान SMS करने से पूर्व ही खरीदी केन्द्रों में अपनी उपज का विक्रय कर दिया. ये तीनों कारण हमने बता दिए.
श्री रजनीश सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं इस प्रश्न के उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं. मेरा दूसरा प्रश्न कि क्या मूवमेंट प्लान तैयार किया गया? सरकार की नीति है कि 0 से 25 किमी के अंदर ही गोडाउन है तो भण्डारण होना चाहिए. अब जिस जिले में 0 से 25 किमी के टेण्डर नहीं हैं, और 25 से 50 किमी पर भण्डारण हो रहा है. फिर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले 14 वेयरहाउस की लिस्ट है. एक मिनट लूंगा.
अध्यक्ष महोदय--भाषण मत दीजिए. बहुत सारे प्रश्न हैं.
श्री रजनीश सिंह-- अध्यक्षजी, 7 अधिकारी हैं. जिला खाद्य अधिकारी, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी, जिला प्रबंधक, केन्द्र प्रभारी और नोडल जिला शाखा प्रबंधक, संबंधित शाखा प्रबंधक...
अध्यक्ष महोदय-- आप मूवमेंट प्लान का उत्तर ले लीजिए. अपना भाषण मत दीजिए.
बैठ जाइए.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- अध्यक्ष महोदय, मूवमेंट के बारे में मैं जांच करा लूंगा, वैसे हुआ नहीं है. आप कहते हैं तो पुनः जांच करा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय--जांच करा लेंगे. आप लिखकर दे दीजिए.
श्री रजनीश सिंह--अध्यक्ष महोदय, साक्ष्य है. ये सात अधिकारियों के दस्तखत हैं. मेरी प्रार्थना सुन लीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइए. मंत्रीजी कह रहे हैं कि आप लिखकर दे दीजिए. वह जांच कराएंगे.
श्री रजनीश सिंह--अध्यक्ष महोदय, जांच समिति बनवा दें. (व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, मैं, अकेला पीड़ित नहीं हूं. पूरे प्रदेश का प्रश्न है. आप जांच समिति बनवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्रीजी जांच के लिए तैयार हैं. (व्यवधान) जांच कराने का कह रहे हैं.(व्यवधान) श्री शैलेन्द्र पटेल के अलावा किसी का नहीं लिखा जाएगा. (व्यवधान)
श्री रजनीश सिंह-- XXX
श्री दिनेश राय मुनमुन-- XXX
श्री रजनीश सिंह-- XXX
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाएं. सबके प्रश्न महत्वपूर्ण हैं.
श्री जितू पटवारी - XXX
श्री रजनीश सिंह - XXX
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - सबके प्रश्न महत्वपूर्ण हैं. बैठ जाएं.
श्री रजनीश सिंह - XXX
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी 1 घंटा पहले ही चर्चा हुई थी. माननीय मंत्री महोदय ने कहा था मध्यप्रदेश की विधान सभा का गौरवशाली इतिहास है. इतने सारे विधायक एक मुद्दे पर जांच के लिये चिंतित और उत्तेजित हैं. अध्यक्ष महोदय, आप अपना विशेषाधिकार निभाते हुए माननीय मंत्री महोदय से कहें यदि उनके उत्तर में कोई हेरफेर या गल्ती नहीं है तो फिर जांच कराने में क्या दिक्कत है ? विधायक को उस जांच में रखें या न रखें जांच तो हो जाए.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री महोदय ने कहा था शायद उन्होंने सुना नहीं कि वे जांच करा लेंगे. मंत्री जी एक बार और बोल दीजिये.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे - अध्यक्ष महोदय, 2015-16 में क्रास मूवमेंट नहीं हुआ है. इसके बावजूद भी माननीय सदस्य अगर कहते हैं तो मैं जांच कराने के लिये तैयार हूं.
भोपाल सेंट्रल जेल का निरीक्षण
[जेल]
10. ( *क्र. 2085 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शासन द्वारा जिला जेलों के निरीक्षण के लिए पूर्व से कोई नियम बनाये हैं? यदि हाँ, तो पूर्ण ब्यौरा दें? क्या उक्त नियमों में हाल ही में कोई संशोधन किया गया है? यदि हाँ, तो ब्यौरा दें? (ख) भोपाल कलेक्टर अथवा उनके प्रतिनिधि द्वारा प्रश्न दिनांक से दो वर्ष पूर्व दिनांक तक सेंट्रल जेल भोपाल का किन-किन दिनांकों में निरीक्षण किया? ब्यौरा दें। यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या सेन्ट्रल जेल का नियमित निरीक्षण नहीं होने से जेल ब्रेक की घटना घटित हुई? यदि हाँ, तो क्या इसके लिए कलेक्टर अथवा नामित प्रतिनिधि को जिम्मेदार बनाया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या भोपाल कलेक्टर को जेल ब्रेक मामले में क्लीन चिट दी गई है? यदि हाँ, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। जी नहीं। उक्त नियमों में कोई संशोधन नहीं किया गया है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) जी नहीं। जेल ब्रेक मामले की न्यायिक जाँच आयोग द्वारा की जा रही है। रिपोर्ट प्राप्त होने पर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। (घ) जी नहीं। जेल ब्रेक मामले की न्यायिक जाँच आयोग द्वारा की जा रही है। रिपोर्ट प्राप्त होने पर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा सा प्रश्न भोपाल जेल ब्रेक से संबंधित था. जो मुझे उसका उत्तर प्राप्त हुआ है और प्रपत्र में मैंने पढ़ा और पढ़कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि भोपाल जेल ब्रेक की घटना 31 अक्टूबर 2016 को हुई थी और उसके पहले जो नियमों में बताया गया है कि जिला कलेक्टर या उसके अधीनस्थ कर्मचारी को प्रत्येक माह में जिला जेल का निरीक्षण करना चाहिये. संभव न हो तो कम से कम तीन महीने में जिला कलेक्टर या अधीनस्थ कर्मचारी जिला जेल का निरीक्षण करेंगे लेकिन पिछले दो वर्षों में जेल ब्रेक से पहले एक बार भी जिला कलेक्टर या ए.डी.एम. ने जेल का निरीक्षण नहीं किया यह उत्तर में दिया गया है. मैं यह जानना चाहता हूं कि ऐसा क्यों हुआ और आदरणीय मंत्री जी क्या कर रही थीं कि कलेक्टर जेल का निरीक्षण तीन महिने में भी नहीं कर रहे थे तो किस कारण से उन्होंने जेल का निरीक्षण नहीं किया ?
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो कह रहे हैं उससे मैं सहमत नहीं हूं. 7 दिसम्बर को श्री रत्नाकर झा और श्रीमती माया अवस्थी ने निरीक्षण किया था.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को करेक्ट करना चाहता हूं. बहुत सीनियर मंत्री हैं. यह जेल ब्रेक की घटना हुई थी 31 अक्टूबर,2016 को, उसके बाद ये दोनों अधिकारी गये. उसके पहले एक भी अधिकारी नहीं गया था. यह बड़ा गंभीर विषय है. एक भी अधिकारी ने पिछले दो वर्षों में भोपाल जेल का निरीक्षण नहीं किया और उसी के कारण इतनी बड़ी घटना हुई और उसके बाद ये अधिकारी निरीक्षण के लिये गये. दूसरा मेरा एक और प्वाइंट है जो इन्होंने प्रपत्र "'अ" के अनुसार जानकारी दी है कि नियम- 816-1(क)(4) के अंतर्गत जिला योजना समिति के तहत् जिला जेल उप समिति रहती है और उनका जेल के निरीक्षण का काम है और नियम-815 के अंतर्गत non official visitors powers of state government to appoint के अंतर्गत केन्द्रीय जेल में 6 और जिला जेल में 3 और उप जेल में 2 लोगों को एप्वाइंट कर सकते हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि यह दोनों समितियां मध्यप्रदेश में कहां-कहां काम कररही हैं ?
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में सभी जिलों में ये समितियां काम कर रही हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल - अध्यक्ष महोदय,मैं भी जिला योजना समिति का सदस्य हूं और बड़ी गंभीरता से कह रहा हूं पूरे विधायकगण यहां बैठे हुए हैं. कहीं पर भी ये समितियां काम नहीं कर रही हैं और सरकार का ध्यान इस ओर बिल्कुल भी नहीं है और इसके कारण प्रदेश में ऐसी गंभीर घटनाएं हो रही हैं. मेरा प्रश्न है कि जिला जेल ब्रेक के पहले डी.आई.जी.(जेल) या हमारी जेल मंत्री जी कितनी बार जेल के निरीक्षण के लिये पहुंचीं क्योंकि वह भी मेनुअल में दिया है कि जो डी.आई.जी.(जेल) हैं उनको भी जेल का निरीक्षण करना चाहिये और 15 अगस्त और 26 जनवरी को छोड़कर मंत्री जी कितनी बार जिला जेल के निरीक्षण के लिये पहुंचीं ?
सुश्री कुसुमसिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने स्वयं सेंट्रल जेल का निरीक्षण किया है और हमारे एडीजी साहब और अन्य अधिकारियों ने भी समय-समय पर निरीक्षण किया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- तारीख बतायेंगे, क्योंकि स्पष्ट नहीं हो रहा है. क्या जिला जेल ब्रेक के बाद गये ? जिला जेल ब्रेक के पहले कितनी बार गये, क्योंकि डीआईजी जेल को भी प्रति 3 माह में पहुंचना चाहिये, वह भी नहीं पहुंचे, यह गंभीर लापरवाही है, अनियमितता है, उसी के कारण जेल ब्रेक जैसी घटनायें मध्यप्रदेश में हो रही हैं.
अध्यक्ष महोदय-- (माननीय मंत्री की ओर इशारा करते हुये) कृपया सुनिश्चित करें कि रेग्यूलर अधिकारियों के निरीक्षण हों जिनको एसाइन किया गया है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहना बिलकुल असत्य है, ब्रेक के पहले भी मैं निरीक्षण के लिये गई हूं और ब्रेक के बाद भी मैं निरीक्षण के लिये गई हूं. .... (व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उत्तर दिया हुआ है, एक भी मेनशन नहीं है, क्या आपने जो उत्तर दिया है वह गलत है. .... (व्यवधान)...
श्री जितू पटवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, तारीख बतायें कब निरीक्षण किया गया..... (व्यवधान)...
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, तारीखों के बारे में प्रश्न ही नहीं किया है, लेकिन मैं यह स्पष्ट रूप से कहती हूं कि ब्रेक के पहले भी मैंने निरीक्षण किया है और ब्रेक के बाद भी एडीजी ने निरीक्षण किया.
श्री जितू पटवारी-- कौन सी तारीख को किया है. .... (व्यवधान)...
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- तारीख के बारे में पूछा नहीं है, मैं बाद में दे दूंगी. .... (व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा पाइंटेड प्रश्न था डीआईजी और कौन से अधिकारी जेल ब्रेक भोपाल में जहां सिमी वालों ने जेल ब्रेक की, उसके पहले कौन सी तारीख को किस अधिकारी ने निरीक्षण किया, माननीय मंत्री महोदय उस समय हाथ उधर दिखा रहीं थीं कि कुछ जानकारी मिल जाये, इतने में कहने लगीं कि जो पूछ रहे हैं वह असत्य है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- तारीखों के बारे में पूछा ही नहीं है, तारीखों के बारे में पूछते तो हम निश्चित जवाब देते, लेकिन यह कहना बिलकुल असत्य है, जेल का बराबर निरीक्षण हुआ है .... (व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न काफी लंबा हो गया है बैठ जायें शैलेन्द्र पटेल जी.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय से यह सुनिश्चित करा दें कि जो जेल मेन्युअल का प्रावधान है, जेल मेन्युअल के प्रावधान के अनुसार आप मध्यप्रदेश की जेलों का निरीक्षण सुनिश्चित करायेंगी या नहीं ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- निश्चित अध्यक्ष महोदय, आपका आग्रह है तो .... (व्यवधान)... अध्यक्ष महोदय, प्रत्येक दूसरे महीने में जेल का निरीक्षण होता है .... (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप बैठ जायें.
11.53 बजे बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बार-बार गलत जानकारी दे रहीं हैं, इसलिये हम सदन से बहिर्गमन करते हैं .... (व्यवधान)....
(श्री अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
दान-पत्र द्वारा भूमि का नामान्तरण
[राजस्व]
11. ( *क्र. 1400 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला तहसील मुरैना के वृत्त-2 मृगपुरा के प्रकरण क्रमांक/2/2015-16/अ 6 में पिता द्वारा पुत्र को भूमि का दान-पत्र के आधार पर किस सर्वे नम्बरों की भूमि का नामान्तरण किया गया है। (ख) आदेश पारित दिनांक 23.05.2016 में दान-पत्र का क्या प्रयोजन था? क्या राजस्व कानून में पालकों को दान-पत्र के द्वारा सम्पत्ति हस्तांतरण करने का प्रावधान सार्वजनिक उपयोग के अलावा संतानों को भूमि नामान्तरण के प्रावधान हैं? (ग) मुरैना तहसील में पिछले पाँच वर्षों में पिता द्वारा अपने पुत्रों को भूमि दान पत्रों के माध्यम से कितने प्रकरणों में भूमि नामान्तरण किया गया है? समय, संख्या, नाम सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (घ) क्या यह पिता की एक से अधिक संतानों का भूमि, सम्पत्ति से स्वामित्व (हक) समाप्त करने का अनुचित प्रयोग तो नहीं है, तथ्यों सहित किन परिस्थति में उक्त प्रकरण में आदेश किया गया? पूर्ण जानकारी दी जावे।
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) :
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने 'ख' में, जो माननीय मंत्री महोदय से प्रश्न किया था मैंने उनसे पूछा था आदेश पारित दिनांक 23.5.16 में दान पत्र का क्या प्रयोजन था. क्या राजस्व कानून में पालकों को दान-पत्र के द्वारा सम्पत्ति हस्तांतरण करने का प्रावधान सार्वजनिक उपयोग के अलावा संतानों को भूमि नामांतरण के प्रावधान हैं. मुझे जो जवाब मिला है उसमें माननीय मंत्री महोदय ने कहा है कि जी हां, प्रावधान हैं. आदेश पारित दिनांक 23.05.2016 में दान पत्र का प्रयोजन दान है. मैं इसमें माननीय मंत्री महोदय से बहुत लंबा प्रश्न नहीं करूंगा. मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि भूमि का हस्तांतरण विक्रय पत्र के आधार पर, वसीयत के आधार पर और दान पत्र के आधार पर यह भूमि हस्तांतरण की तीन-चार प्रक्रियायें हैं, लेकिन दान पत्र का प्रयोजन यदि सार्वजनिक है तो मुझे लगता है ठीक है, लेकिन दान पत्र का प्रयोजन अगर पिता अपने पुत्र को दान पत्र के माध्यम से भूमि हस्तांतरण करता है तो मुझे लगता है यह किसी प्रकार से ठीक नहीं है. अगर ऐसे प्रावधान हैं, क्या ऐसे प्रावधानों में आप संशोधन करेंगे, क्योंकि इसका कहीं न कहीं दुरूपयोग होता है, दूसरी जो संतान है उनके हक पर कहीं न कहीं कुठाराघात होता है. माननीय मंत्री महोदय से मेरा यह प्रश्न है कि क्या इस नियम में संशोधन करेंगे, अगर ऐसा नियम है तो ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें, जिसने दान पत्र लिखा है उसके तीन बेटे हैं, एक के पक्ष में किया है और दोनों की सहमति लगी है.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय मंत्री महोदय से मेरा प्रश्न यह है कि अन्य जगह दान पत्र के माध्यम से अगर पिता कर देता है और दूसरे पुत्रों की सहमति नहीं है तो क्या ऐसे प्रकरणों को आप निरस्त करेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अगर कोई आपत्ति लगायेगा तो विचार करेंगे.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
राजस्व ग्राम घोषित किया जाना
[राजस्व]
12. ( *क्र. 2394 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कितने मजरे टोले हैं जो राजस्व ग्राम नहीं हैं? क्या इन्हें राजस्व ग्राम घोषित किए जाने हेतु कार्यवाही प्रचलित है? यदि हाँ, तो कब तक इन मजरे टोलों को राजस्व ग्राम घोषित कर दिया जावेगा? इसके क्या नियम हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के सम्बन्ध में क्या सैलाना विधानसभा क्षेत्र के मजरों को राजस्व ग्राम घोषित किए जाने हेतु क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा जिला स्तर पर पत्राचार किया गया? यदि हाँ, तो शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) उपरोक्त मजरों के समय पर राजस्व ग्राम घोषित नहीं होने से यहाँ के लोगों को मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया, इसके लिए कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी दोषी हैं।
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) सैलाना विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत कुल 75 मजरे टोले हैं, जो राजस्व ग्राम नहीं हैं। उक्त मजरे टोलों में से 02 मजरे धावड़िया एवं सोहनगढ़ तहसील सैलाना को राजस्व ग्राम बनाने की कार्यवाही अन्तर्गत राजस्व ग्राम घोषणा संबंधी आदेश जारी हो चुके हैं। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जन प्रतिनिधियों के पत्राचार के परिप्रेक्ष्य में उत्तरांश (क) अनुसार कार्यवाही की गयी। (ग) मजरे पृथक राजस्व घोषित किये गये हैं। अधिकार अभिलेख बनाये जाने की कार्यवाही प्रचलित है। यह कार्य वृहद स्वरूप होने एवं अमले की कमी होने से अधिकार अभिलेख बनाया जाना शेष है। मजरे टोलों को राजस्व ग्राम की भांति मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं।
श्रीमती संगीता चारेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न 'क' के अनुसार 75 गांव में से जो दो गांव शामिल किये गये हैं मैं उनसे संतुष्ट नहीं हूं, चूंकि जो पूरे 73 गांव छूटे हैं उनमें मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है. मेरा माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि इन गांवों को कब तक शामिल किया जायेगा ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन सब पर विचार कर रहे हैं औऱ बहुत जल्दी करेंगे, यह केवल एक विधानसभा क्षेत्र की समस्या नहीं है. मजरे टोले को राजस्व ग्राम घोषित करना पूरे प्रदेश की समस्या है. इसके कुछ नार्म्स बने हुये हैं उनकी जो पूर्ति करते हैं उनको राजस्व ग्राम घोषित कर देते हैं. यह 73 जो प्रकरण हैं इनका परीक्षण किया जा रहा है और जो राजस्व ग्राम घोषित करने की पात्रता रखते हैं उनको बहुत जल्दी राजस्व ग्राम घोषित कर देंगे.
श्रीमती संगीता चारेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि यह आदिवासी क्षेत्र है, और आदिवासी क्षेत्र के अनुसार वहां पर जो मूलभूत सुविधायें, जैसे सड़क है उसमें परेशानी आती है इसलिये मेरा निवेदन है कि मंत्री जी जल्दी से जल्दी राजस्व ग्राम घोषित करने की कृपा करें.
श्री उमाशंकर गुप्ता --माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे मूलभूत सुविधाओं से यह गांव वंचित नहीं होते हैं. मजरे टोले में भी कहीं रोक नहीं है. मूलभूत सुविधायें यहां भी मिलती हैं लेकिन यदि कहीं कोई कमी होगी माननीय सदस्य बतायेंगी तो..
वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार) -- (नेता प्रतिपक्ष के अपनी पूर्व आवंटित सीट पर बैठने पर )माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष को कौन सी ताकत रोक रही है कि वे अपनी सीट तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल हो जाने दें फिर इसका उत्तर आयेगा.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार- अरे नहीं साहब. यह तो महत्वपूर्ण है, बाधायें क्या हैं. तकलीफ क्या है और घोषणा होने के बाद भी कौन रोक रहा है आपको.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- तकलीफ हमें नहीं आपको है जो कि आप वहां (मुख्यमंत्री की कुर्सी की तरफ ईशारा करते हुये) नहीं पहुंच पा रहे हैं.
मंत्री, संसदीय कार्य (डॉ.नरोत्तम मिश्र) --यह तकलीफ बिल्कुल भी यहां नहीं है. यहां पर तो सर्वमान्य नेता है उनका (डॉ.शेजवार का) और हमारा भी.
श्री अजय सिंह -- डॉक्टर शेजवार जी को बहुत पुरानी तकलीफ है. आप नहीं जानते हैं, जब आप यहां नहीं थे तब से इनको तकलीफ है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- मै तो इसमें से बाहर गया ही नहीं हूं.(हंसी)
डॉ.गौरी शंकर शेजवार-- मैं तो आपकी (नेता प्रतिपक्ष की) तरफ से बोल रहा था कि आखिर बाधा है क्या, मतलब घोषणा होने के बाद भी कौन सी वह शक्ति है जो आपको वहां पहुंचने में रोक रही है और लगातार वर्षों तक व्यवधान पहुंचाये उसने, विचार करो भाई.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष जी, डॉ. साहब की कौन सी पीड़ा है मुझे समझ में नहीं आ रही है. (हंसी)
श्री यशपालसिंह सिसौदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अनुमति दी उसके लिये धन्यवाद. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा आपका संरक्षण भी चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश का मामला है राजस्व ग्राम की संख्या में इजाफा करने को लेकर. एक विसंगति इन दिनों चल रही है उस पर मैं मंत्री जी का ध्यानाकर्षित कराना चाहूंगा कि प्रदेश में आफ लाईन व्यवस्था राजस्व ग्रामों से जुड़ी होती थी विशेषकर के स्कूलों में बेटे-बेटियों को सायकिल देने की, जब से यह आन लाईन हुई है तब से राजस्व ग्राम में निवास करने वाले बेटे बेटियों को सायकिलें उपलब्ध नहीं हो रही हैं. धंधोड़ा ग्राम पंचायत के स्पेसिफिक गांव का नाम बता रहा हूं पालचोड़ा, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मूलभूत सुविधाओं के साथ साथ राजस्व ग्राम जो घोषित नहीं है वहां के बेटे बेटियों को शासन से मिलने वाली प्रदत्त सुविधाओं से वे वंचित हो रहे हैं. मैंने उदाहरण के लिये आपको गांव का नाम भी बता दिया है वहां बच्चों को सायकिलें भी नहीं मिल रही हैं.
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, आपकी बात आ गई है.माननीय मंत्री जी.
श्री यशपालसिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें व्यवस्था है.पहले मिलती थी.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, प्रश्न उनका यह है कि मजरा टोला मुख्य गांव से दूर हैं. और वह उसी गांव में शामिल है, वह बच्चे दूर से आते हैं उसी गांव के स्कूल में तो उनको वह सुविधायें नहीं मिलती हैं. चूंकि वह राजस्व गांव घोषित नहीं है और उसी गांव में स्कूल है अब वह दूर से बच्चे आते हैं इसलिये उनको सुविधायें नहीं मिलती हैं कि आपके गांव में स्कूल है . यह सिसौदिया जी का कहना है. अब इसका समाधान आप कैसे करेंगे इस पर विचार कर लीजिये परंतु उनका प्रश्न सही है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह समस्या पूरे प्रदेश में है इस कारण सायकिल के अलावा आवास भी नहीं मिल पा रहे हैं. मंत्री जी आप सर्वे करा लें, पता करा लें जो शासन की सुविधाये हैं वह मजरे टोलों को नहीं मिल पा रही हैं.
अध्यक्ष महोदय- यह समस्या ठीक है. लेकिन अभी वे उसका समाधानकारक उत्तर नहीं दे सकते हैं.
वन ग्रामों का राजस्व ग्रामों में परिवर्तन
[राजस्व]
13. ( *क्र. 156 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन जिले में बड़वाह/सनावद तहसील में कितने राजस्व ग्राम हैं, कितने वन ग्राम हैं एवं कितने वीरान ग्राम हैं? इसकी पृथक-पृथक जानकारी दी जावे। (ख) तहसील/बड़वाहा/सनावद के वन ग्रामों में निवासरत परिवारों को शासन के द्वारा किन योजनाओं का लाभ प्राप्त होता है? क्या इन ग्रामों में किसी भी प्रकार का निर्माण या योजनाएं जो राजस्व ग्राम में तो हैं, किन्तु वन ग्राम में स्वीकृत नहीं की जा सकती है? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा प्रश्नांश (क) में उल्लेखित वनग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तन करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये हैं? यदि हाँ, तो प्राप्त प्रस्ताव पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? क्या विभाग वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तन हेतु कोई कार्यवाही कर रहा है? यदि हाँ, तो वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई है? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई तो कब तक की जावेगी? (घ) क्या वन भूमि के आवंटित पट्टे को भूमि स्वामी की मृत्यु उपरांत उनके वैध वारिसों के नामांतरण हो रहे हैं? यदि हाँ, तो विगत 5 वर्षों में कितने नामांतरण हो चुके हैं और कितने नामांतरण होना शेष हैं? शेष कब तक हो जावेंगे?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) खरगौन जिले के बड़वाह तहसील में 181 राजस्व ग्राम 09 वन ग्राम एवं 55 वीरान ग्राम एवं सनावद तहसील में 129 राजस्व ग्राम 27 वीरान ग्राम हैं तथा वन ग्राम नहीं हैं। (ख) वन मंडल तहसील के बड़वाह के वनग्रामों में निवासरत परिवारों को शासन योजनाओं की मूलभूत सुविधाओं का लाभ प्राप्त होता है तथा वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत सभी वनग्रामों में निर्माण या योजनाएं स्वीकृत की जाती हैं। (ग) जी हाँ। वन विभाग से मार्गदर्शन चाहा गया है। मार्गदर्शन अपेक्षित है। (घ) जी हाँ। विगत 5 वर्षों में कोई भी आवेदन नामांतरण हेतु प्राप्त नहीं हुआ है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जो वन ग्राम हैं उनको राजस्व ग्राम में कब तक शामिल करेंगे. आक्या, ओखला, मेंहदीखेडा, कुड्यातराना, बड़ेल इस प्रकार के 14 ग्रामों को माननीय मंत्री जी ने माना है कि यह राजस्व ग्राम में शामिल नहीं किये गये हैं. राजस्व ग्राम में शामिल नहीं होने के कारण यहां के लोगों को मूलभूत सुविधायें नहीं मिल पाती हैं . इस संबंध में मंत्री जी वन विभाग के साथ में कोई पत्र व्यवहार किया है ? नहीं किया है तो कब तक कर लेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे मेरे प्रश्न के जवाब में भी यह बात कही गई है कि जब तक वन विभाग अनुमति नहीं देता है तब तक हम वन ग्राम को राजस्व ग्राम बनाने की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते हैं. वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने विधि विभाग से इस संबंध में ओपीनियन मांगी है और दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश में अभी तक कोई भी वन ग्राम राजस्व ग्राम घोषित नहीं हो पाया है. हम इसके लिये वन विभाग के साथ में चर्चा करेंगे और इस समस्या को कैसे हल कर सकते है इस पर विचार करेंगे.
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, जो लोग शांत हो गए गए थे, क्या उन लोगों का नामांतरण उनके परिवार के नाम से हो जाए तो यह कर सकते हैं. राजस्व ग्राम में यह मामला काफी समय से लंबित पड़ा है, कई आवेदन इस तरह के आए हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित मेरा एक छोटा सा प्रश्न है कि हम वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में तब्दील करें यह अच्छी बात है लेकिन वहां आंगनवाड़ी तक नहीं बनने दे रहे हैं, आंगनवाड़ी के लिए कितनी जगह चाहिए लगभग 400 स्क्वायर फीट वहां बच्चों को सुविधा भी नहीं मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी एक साथ इन प्रश्नों के उत्तर दे दीजिए.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, वन ग्राम में वन विभाग ही सारे रिकार्ड रखता है, वन विभाग जमीन का वहां पर नामांतरण आदि करता है, मेरे पास इनके क्षेत्र के कुछ उदाहरण है, लेकिन बाकी जो समस्या है, उसके लिए मैंने कहा है, समस्या तो कुछ आती है, इसलिए वन विभाग आदरणीय हमारे मंत्री जी के साथ बैठकर कैसे इसका निपटारा हो सकता है, इसको जरूर करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12:02 बजे शून्यकाल में उल्लेख
(1)माननीय नेता प्रतिपक्ष को उनके आसन पर बैठाए जाने विषयक.
श्री बाबूलाल गौर (गोविंदपुरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट आफ आर्डर सुन ले, अध्यक्ष महोदय के द्वारा हमारी मध्यप्रदेश की विधानसभा में हर माननीय का स्थान नियत किया जाता है. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय से अनुरोध करूंगा कि हर सदस्य का निश्चित स्थान और निश्चित आसन होता है, तो क्यों नहीं नेता प्रतिपक्ष का जो आसन निर्धारित है, वह उस पर विराजमान क्यों नहीं होते, यह मेरा पाइंट आफ आर्डर है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात ठीक है, आज ही घोषणा हुई है, इसलिए अभी वह वहां पर बैठे हैं, उसका भी निराकरण कर देंगे.
(2) प्रश्नों के उत्तर समय पर आने विषयक.
श्री जितू पटवारी (राऊ)- अध्यक्ष जी यह इस सदन के सम्मानित सभी सदस्यों की चिन्ता है, यह कोई पक्ष और विपक्ष का विषय नहीं है. आज यह किताब आई है, जिसमें प्रश्नोत्तरी है, जिसके आधे उत्तरों में यह कहा गया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. मेरा प्रश्न यह है कि सदन इसलिए होता है कि सरकार की गतिविधियों को हम जनता तक ले जाए, इसमें सत्तापक्ष के भी हैं और विपक्ष के भी हैं, मेरा एक प्रश्न है, जैसा आपका अधिकार है उसको आपने तारांकित से अतारांकित कर दिया. पर यह अधिकार भी हमारा है कि प्रश्न आज पूछा जाता है और साल भर बाद उत्तर आता है, सरकार इस पर मौन रहती है, हर सत्र में इस पर बात होती है और निर्णय इस पर कुछ नहीं होता है. इसको लेकर मेरा आपसे अनुरोध है कि इसका संरक्षण तो आप ही करेंगे और कौन करेगा. मैं हाथ जोड़कर सभी सदस्यों के लिए आपसे प्रार्थना करता हूं, आपके पैर छूता हूं कि इस तरह से अधिकारों का हनन न होने दें, यह कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय - जिन प्रश्नों की जानकारी एकत्रित की जा रही है, उनका नियम है कि अगले सत्र के पहले दिन वह रख दिए जाते हैं, साल भर इंतजार नहीं करना पड़ता. उसके बाद भी यदि कोई प्रश्न के जबाव नहीं आते हैं तो वह प्रश्न, प्रश्न और संदर्भ समिति को प्रेषित कर दिए जाते हैं, प्रश्न और संदर्भ समिति माननीय विधायकों की होती है, इसमें सभी दलों के विधायक होते हैं, वह उसकी जांच करती है, उसका निराकरण करती है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरे एक प्रश्न का उत्तर, एक साल बाद कल रात को आया, उस प्रश्न की प्रासंगिकता ही खत्म हो गई, तब जाकर उसका उत्तर आया, इसलिए मेरा अनुरोध है आप हमारा संरक्षण करें.
अध्यक्ष महोदय - मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि जो समय सीमा प्रश्नों के लिए निर्धारित है, उसी समय सीमा के भीतर प्रश्नों के उत्तर आएं. संसदीय कार्यमंत्री जी से भी मेरा अनुरोध हैं कि इस विषय को गंभीरता से लें कि जो प्रश्न आते हैं, उनके उत्तर भी आना चाहिए.
संसदीय कार्य मंत्री (डा. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, आसंदी के निर्देश का गंभीरता से पालन किया जाएगा.
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, कई मर्तबा यह व्यवस्था हो चुकी है, लेकिन यह लोग आपके आदेश का पालन नहीं करते .
श्री जितू पटवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देशों की अव्हेलना करना इस सरकार की आदत हो गई है, यह हमारा आरोप है.
(3) माननीय सदस्यों द्वारा दी गई सभी ध्यानाकर्षण की सूचनाओं को जबाव हेतु विभागों को भेजे जाने विषयक.
डा. गोविंद सिंह (लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सदन के हम लोगों के संरक्षक है, लेकिन मैं लगातार देख रहा हूं कि विधान सभा की कई परम्पराएं बदली जा रही हैं. ध्यानाकर्षण, स्थगन, लोक महत्व अतिआवश्यक होते हैं, और बिना किसी प्रयास के सदन में आते रहे हैं. 27 वर्ष मुझे इस सदन में हो गए, मैंने कभी नहीं कहा, लेकिन अब यह परम्परा है, आपने ऐसे नियम बना दिए, आपको अधिकार है. एक पक्ष है, एक विपक्ष है.सत्ता पक्ष को तो वैसे ही पूरा संरक्षण रहता है. विपक्ष के विधायकों को आपका संरक्षण अति आवश्यक है और मिलना भी चाहिये. अतः हमारा आपसे अनुरोध है कि जो सदस्य मान लें एप्रोच करते हैं, आपसे मिलते हैं, उनका तो आ जाता है, बाकी यह नहीं देखा जाता कि कौन से अति महत्व, जनहित के मुद्दे हैं. यह पहले परम्परा थी. दूसरा, पहले क्या है कि जो ध्यान आकर्षण लगते थे, विभाग को जाते थे. अब आपके सचिवालय से जो ध्यानाकर्षण हैं, वह यहीं समाप्त कर देते हैं. विभाग को भेजे नहीं जाते हैं. तो हमारा निवेदन यह है कि जवाब आने दें. अगर आप उचित समझें, तो चर्चा करायें, अगर उचित नहीं है, तो आपको अधिकार है. लेकिन इस प्रकार की परम्परा जो है, वह उचित नहीं लगती.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी जानकारी के हिसाब से जो भी माननीय सदस्य यहां विधान सभा में अपने ध्यानाकर्षण देते हैं,तो स्वीकृति के पूर्व ही वह विभाग को चले जाते हैं...
डॉ. गोविन्द सिंह -- नहीं जा रहे हैं, इसलिये तो हम कह रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मेरे विभाग में आते हैं और अभी तक जितने आये हैं..
डॉ. गोविन्द सिंह -- शेजवार साहब, आप न तो संसदीय मंत्री हैं, न माननीय अध्यक्ष हैं और न ही मुख्यमंत्री हैं. आप बीच में क्यों उठ जाते हैं. आपसे हमने सवाल नहीं किया है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विभाग की बता रहा हूं. मेरे विभाग में आते हैं. हम जितने भी अभी तक ध्यानाकर्षण स्वीकृत नहीं हुए हैं, उनके उत्तर बनाकर विधान सभा में भेज चुके हैं. मेरा यह कहना है कि आप अपनी जानकारी को थोड़ा सा दुरुस्त कर लें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप जंगल विभाग के मंत्री हैं. हमारे यहां जंगलों से संबंधित कोई काम नहीं है.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- अध्यक्ष महोदय, हमारे विभाग में भी ध्यानाकर्षण आते हैं, हम जानकारी भेजते हैं.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, यह बहस का विषय नहीं है कि आते हैं या नहीं आते हैं. आप अपने सचिवालय को आदेश कर दें कि जो हम लोग ध्यान आकर्षण लगायें, वह जवाब वहां से मंगवायें, उसके बाद आपको भेज दें. आप चाहे ग्राह्य करें, आप चाहे अग्राह्य करें, लेकिन कृपा करके जवाब तो मंगवाइये.
अध्यक्ष महोदय -- वैसे तो डॉ. गोविन्द सिंह जी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. यह विषय यहां का नहीं था, किन्तु फिर भी आप इसको यहां लाये हैं. तो ध्यानाकर्षण की सूचनाएं लगभग सभी विभागों में जाती हैं. जो ध्यानाकर्षण बिलकुल अव्यावहारिक होते हैं, उनको छोड़कर के, फिर ऐसी संख्या नगण्य है, सभी विभागों में जाते हैं और विभागों को यह मालूम नहीं रहता कि उनका यह कॉल अटेंशन आने वाला है या नहीं. आज के भी कॉल अटेंशन आप देख लें, बिना सिफारिश के आये हैं. डॉक्टर साहब के जो कॉल अटेंशंस हैं, वह भी अक्सर बिना सिफारिश के ही आते हैं और हर सत्र में एक-दो आते हैं. तो आपका यह आरोप उचित नहीं है. यह बात ठीक है कि माननीय सदस्य आते हैं और अपने विषय की गंभीरता को बताते हैं. यदि उचित लगता है तो लेते हैं और नहीं तो उनको भी मना कर देते हैं, यह भी बहुत से माननीय सदस्य जानते हैं. तो कृपा करके ऐसे आरोप नहीं लगायें, फिर भी यदि कोई आपको ऐसी असुविधा होती है, तो हम उसका निराकरण करने के लिये तत्पर हैं. शून्यकाल की सूचना. श्री सुदर्शन गुप्ता.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हमारा आरोप थोड़ी था. हमने तो आपसे निवेदन किया था.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं अब हो गया. लिखे हुए शून्यकाल हो जायें, उसके बाद सिर्फ आपको अवसर देंगे.
12.09 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
(1) इन्दौर व प्रदेश के समस्त चिड़िया घरों में लापरवाही होना.
श्री सुदर्शन (आर्य) गुप्ता (इन्दौर-1) -- अध्यक्ष महोदय,
(3) इछावर क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र में सड़कों का निर्माण किया जाना
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
इछावर विधानसभा क्षेत्र के सीहोर ब्लाक अंतर्गत आने वाले ग्राम चंदेरी, महोडि़या एवं कोनाझिर तथा इछावर ब्लाक के ग्राम मोलगा और लावाखाड़ी का संपर्क मुख्य मार्ग से जुड़ा हुआ नहीं है. इन ग्रामों में किसी योजना से अभी तक सड़क नहीं बनाई गई है. बरसात के दिनों में यहां रहने वाले ग्रामीणों को नारकीय जीवन भुगतना पड़ता है, वहीं बच्चों के स्कूल आवागमन में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सड़क व्यवस्था नहीं होने से स्थानीय ग्रामीणों में रोष का वातावरण निर्मित है.
(4) सिवनी जिले के ग्राम-केकड़ा में खाद-बीज भण्डार दुकान प्रारंभ करने संबंधी
श्री दिनेश राय (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
(5) बैहर विधानसभा के ग्राम गढ़ी एवं उकवा में महाविद्यालय की स्थापना
श्री संजय उइके (बैहर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
(6) उज्जैन संभाग में नापतौल विभाग के अधिकारियों की लापरवाही
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
(7) कृषि विषय के व्याख्याता का पद रिक्त होने संबंधी
श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल का विषय इस प्रकार है-
इंजी. प्रदीप लारिया - (अनुपस्थित)
श्रीमती नीलम अभय मिश्रा - (अनुपस्थित)
श्री गोवर्धन उपाध्याय - (अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बोलिये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) - अध्यक्ष महोदय, देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री मोदी जी बड़ी गंभीरता के साथ ................
अध्यक्ष महोदय - भाषण नहीं देना है. शून्यकाल में केवल विषय उठाये जाते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - यह विषय ही है. पूरे देश का विषय है.
अध्यक्ष महोदय - लोक महत्व के विषय होते हैं, आप भाषण नहीं दे सकते.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, काले पैसे को सफेद करने में रोक लगाने की बात कही है.
अध्यक्ष महोदय - यह कोई विषय नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, हमने इसमें स्थगन दिया है, यह स्थगन का विषय है.
अध्यक्ष महोदय - यह यहां का विषय नहीं है. आप इस बारे में कक्ष में बात कीजिये. आप बैठ जाइये. श्री महेन्द्र हार्डिया अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
12.15 बजे
ध्यान आकर्षण
(1) इन्दौर के निपानिया एवं पिपलिया कुमार ग्राम स्थित तुलसी नगर कालोनी को वैध न किये जाने से उत्पन्न स्थिति.
श्री महेन्द्र हार्डिया (इन्दौर-5)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री महेन्द्र हार्डिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बहुत वरिष्ठ नेता है. मैं उनका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि जो तुलसी नगर कॉलोनी कटी है, उसमें कॉलोनाईजर द्वारा बकायदा इस कॉलोनी की संस्था का रजिस्ट्रेशन कराया है और कॉलोनी विकसित करने हेतु धारा 10, 4 व 19, 20 की अनुमति शासन से प्राप्त की गई. इसके साथ ही टॉउन एंड कंट्री प्लानिंग से इसके नक्शे पास कराये, डायवर्सन धारा 172 में हुआ है, कॉलोनी के विकास की पूर्णता की अनुमति प्राप्त हुई है, रजिस्ट्री हुई है, कार्यालय कलेक्टर द्वारा नामांतरण हुए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब इतने सारे शासकीय विभागों द्वारा अनुमति प्राप्त कर ली गई है, बेचारे लोगों ने अपने प्लॉट लिये, उन्होंने नक्शा देखा. ग्रामीण नगर निवेश से वह नक्शा स्वीकृत था, डायवर्सन था, उन्होंने बैंक में एप्लाई किया, बैंक ने उन्हें लोन दे दिया और बीस-बीस साल से लोग बैंक की किश्त भर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे ख्याल से ऐसे में एक वैध कॉलोनी को अवैध करना न्याय संगत नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जो अवैध कॉलोनी के नाम से वहां पर विकास के काम बंद कर दिये गये हैं, वह शुरू हो जायें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोगों के घर में ड्रेनेज का पानी घुस रहा है, लाईट नहीं है, चोरियां होती हैं, सड़क नाम की कोई चीज नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना और आश्वासन चाहता हूं कि उस कॉलोनी के अंदर जिसमें लगभग हजार के करीब प्लॉट हैं, पहली बात यह कि क्या आप वहां विकास के कार्य प्रारंभ करायेंगी? दूसरी बात वहां पर रजिस्ट्री रूकी हुई है, क्या वहां शासन पुन: आदेश देगा कि वहां रजिस्ट्री का काम चालू हो ? और तीसरा उस कॉलोनी को कब तक माननीय मंत्री जी वैध कर देंगे ? इन तीन प्रश्नों का उत्तर मैं माननीय मंत्री जी से चाहता हूं.
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार मैं माननीय विधायक जी को कहना चाहती हूं और उनकी जो भावनाएं हैं, उन भावनाओं को मैं समझती हूं और मैं कहना चाहती हूं कि मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार प्रदेश में अवैध कॉलोनियों को नियमानुसार वैध करने के लिये शासन स्तर पर बहुत ही गंभीरता से नियमों में संशोधन का कार्य किया गया है और उस संबंध में मेरा प्रशासनिक अनुमोदन भी हो चुका है और इसे शीघ्र ही हम विधि विभाग को भेज रहे हैं, उसके बाद इस कॉलोनी के नियमतीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ करेंगे. मैं समझती हूं निश्चित रूप से जब नियमों के बाद नोटिफिकेशन्स हो जायेंगे तो अवैध कॉलोनियों में रहने वाले निवासियों को राहत मिलेगी और तुरंत ही जैसे ही नोटिफिकेशन होंगे हम विकास कार्य की शुरूआत कर देंगे.
श्री महेन्द्र हार्डिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी चिंता यह है कि इसमें देर लग सकती है. वहां पर बीमारी फैलने का डर है, वहां पर ड्रेनेज का पानी सड़कों पर बह रहा है, वहां पर बिजली नहीं है, वहां पर चोरियां हो रही हैं. महिलाओं को रात में आने जाने में दिक्कत हो रही है, इसलिए मुझे माननीय मंत्री जी कम से कम सिर्फ इतना आश्वासन दे दें क्योंकि यह उनके विभाग का मामला है कि यह जो ड्रेनेज और सड़क का काम है, वह पूरा हो जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, अवैध कॉलोनियों में सरकार सड़क बनाती है. यह कॉलोनी तो वैध से भी वैध है लोगों ने पैसों से प्लॉट खरीदें हैं, नक्शा पास कराया है, सारे कागज उन्होंने देखे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से इतना आश्वासन चाहता हूं कि कृपया वहां पर विकास करने के लिये इंदौर नगर निगम को निर्देशित करें.
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्माननीय विधायक जी को कहना चाहती हूं और मैंने अपने इस उत्तर में पढ़ा भी है कि वहां शासकीय भूमि पर पार्कों में नालों के ऊपर अतिक्रमण करके वहां लोगों ने प्लॉट काटकर कब्जे किये हैं और नियमानुसार हम कार्यवाही कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी अत्यंत संवेदनशील हैं, उन्होंने अभी तुरंत 8 फरवरी को जो नगर उदय अभियान के तहत हितग्राही सम्मेलन हुए थे, उन्होंने हमें निर्देश दिये हैं उन निर्देशों के अनुसार, मैं सम्माननीय विधायक जी से कहना चाहती हूं इतने अल्प समय में, अभी मात्र 17-18 दिन ही हुए हैं, उसमें हमारे विभाग ने यह सारे के सारे कानूनी प्रक्रिया के मार्गदर्शी सिद्धांत तैयार कर लिये हैं, इनका प्रशासकीय अनुमोदन भी हो चुका है और हम शीघ्र ही विधि विभाग के पास भेज रहे हैं और जैसे ही वहां से इसका अनुमोदन हमारे पास आता है और नोटिफिशन हो जाता है तो हम उसके नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करेंगे और फिर वहां पर विकास कार्य नहीं रूकेंगे, हम वहां पर विकार्स कार्य भी करेंगे.
श्री महेन्द्र हार्डिया :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं वहां पर कम से कम एक हजार परिवार निवास करते हैं. वहां पर मैंने अपनी विधायक निधि से भी काफी काम कराया है, वहां पर ट्यूबवेल भी लगाया है. मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना आश्वासन चाहता हूं कि वहां के जो ड्रेनेज के काम हैं, मैं माननीय मंत्री जी की मंशा और मुख्यमंत्री जी की मंशा से वाकिफ हूं और मेरी माननीय मंख्यमंत्री जी से, मंत्री जी से भी इस संबंध में चर्चा हो चुकी है कि हम मध्यप्रदेश की सारी अवैध कालोनियों को वैध करने की कार्यवाही कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अलग विषय है यह कालोनी वैध थी, वहां लोगों ने टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग का नक्शा देखकर और डायवर्सन देखकर ही प्लाट लिये हैं, वह कालोनी खेल के मैदान पर है या स्कूल के मैदान पर है, यह लोगों को नहीं मालूम था. उन्होंने नक्शा देखकर लोगों ने प्लाट लिये थे. इसलिये माननीय मंत्री जी इंदौर नगर निगम को आप निर्देशित करें कि वहां पर जो जो छोटे-मोटे काम हैं जब तक इसकी स्वीकृति नहीं होती, जिससे लोगों को जो दिक्कतें आ रही है उसको पूरा करवाने का कष्ट करें.
श्रीमती माया सिंह :- माननीय अध्यक्ष जी, मैंने माननीय विधायक जी से आग्रह किया है कि जैसे वह कह रहे हैं कि यह कालोनी वैध थी. मैं कहना चाहती हूं कि नगर निगम सीमा में ग्राम निपानिया एवं पिपलिया कुमार की लगभग 77 एकड़ जमीन पर यह कालोनी काटी है तो उसमें सारे काम नियमों से अलग हटकर किये गये हैं, यह मैंने अपने उत्तर में भी बताया है. मेरा कहना है कि मुश्किल से महीने भर बाद वहां पर विकार्स कार्य होना शुरू हो जायेंगे, जब नियमितीकरण की प्रक्रिया चालू होगी, नहीं तो पूरे प्रदेश में जो अवैध कालोनियां हैं उसमें सभी लोग इस तरह से अवैध काम करने का दबाव डालेंगे. मैं आपसे आग्रह करना चाहती हूं और मैं समझती हूं हम वहां पर विधायक निधि से और सांसद निधि से काम करवाते हैं,ज्यादा से ज्यादा मैं विधायक जी कि जो पीड़ा है उस पीड़ा को मैं समझती हूं और उस पीड़ा में मैं अपने को भी शामिल करती हूं, लेकिन नियमों को बायपास करते हुए नहीं. जिस तरह से माननीय विधायक जी कह रहे हैं मैं अपनी विधायक निधि से राशि देने को तैयार हूं, जिस तरह से विधायक जी कर रहे हैं उसमें से राशि देने को तैयार हूं, लेकिन नियमों को तोड़कर यह काम शुरू करने की इजाजत नहीं देंगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता :- माननीय अध्यक्ष महोदय, इंदौर का मामला है, इसलिये मेरे को बोलने का मौका दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय :- वैसे इस पर काफी चर्चा हो गयी है और माननीय मंत्री जी ने भी बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है और लगभग समय सीमा भी दे दी है जल्दी ही उसकी प्रक्रिया पूरी करेंगे, इसलिये मैं नहीं समझता कि इस पर और कोई चर्चा हो.
श्री महेन्द्र हार्डिया :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.
डॉ गोविन्द सिंह :- विधायक निधि से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र के लिये पैसा नहीं दिया जा सकता है. माननीय मंत्री जी जो उनकी स्वेच्छा निधि है उससे पैसा दे सकती हैं.
अध्यक्ष महोदय :- थोड़ी राशि दी जा सकती है.
श्री यशपाल सिंह सिसौसिया :- अध्यक्ष महोदय, पांच लाख रूपये दिये जा सकते हैं.
श्रीमती माया सिंह :- माननीय अध्यक्ष जी, जितनी पीड़ा माननीय विधायक जी को है उतनी ही पीड़ा माननीय मुख्यमंत्री जी को भी है और उनका हमारे ऊपर इतना दबाव है उन्होंने हमको बहुत कम समय दिया है हम जल्दी से जल्दी अवैध कालोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया को शुरू करना चाहते हैं.
श्री सुदर्शन गुप्ता :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी ध्यान आकर्षित करवाना चाहूंगा कि आज भी इंदौर की शासकीय जमीन पर अवैध कालोनॉइजर द्वारा कालोनी काटी जा रही है और खेती की जमीन पर कालोनियां काटा जा रही है. इसलिये भविष्य में फिर इस बात की पुनरावृत्ति होगी और लोग परेशान होंगे. शासन इस संबंध में कोई कदम उठायेगा ?
अध्यक्ष महोदय :- यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता है, आप इस संबंध में अलग से बात उठाइये. मंत्री जी आप इस संबंध में कुछ कहेंगी.
श्री सुदर्शन गुप्ता:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरे मध्यप्रदेश का मामला है, अवैध कालोनियां कट रही हैं. सरकारी जमीन पर प्लाट कर रहे हैं. इसलिये यह पुनरावृत्ति फिर होगी. श्रीमती माया सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि भविष्य में तुलसी नगर जैसी अवैध कॉलोनियों का निर्माण हो, इस बाबत् शासन प्रशासन को पैनी निगाह रखनी होगी और मैं आश्वस्त करती हूं कि यदि अवैध कॉलोनियों के निर्माण की जानकारी प्राप्त होती है तो उससे संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी.
श्री महेन्द्र हार्डिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. उन्होंने विधान सभा के भीतर ध्यानाकर्षण की सूचना पर बहुत ही उचित जवाब दिया और विधान सभा के बाहर भी जब मेरी इस विषय पर उनसे चर्चा हुई तो उन्होंने इस बात को माना कि कॉलोनी में विकास कार्य होने चाहिए और कुछ कानूनी अड़चनों को दूर करने हेतु मंत्री जी ने 30 दिनों का समय मांगा है. उन्होंने मेरी और तुलसी नगर, इंदौर के लोगों की पीड़ा को ध्यान में रखते हुए उनकी बात सुनी और उन्हें संतुष्ट किया. मैं एक बार पुन: उन्हें धन्यवाद देता हूं.
(2) सिंगरौली जिले के गोरबी कॉलरी के पास कोयला लोडिंग से प्रदूषण फैलने से उत्पन्न स्थिति
श्रीमती सरस्वती सिंह (चितरंगी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
पर्यावरण मंत्री (श्री अंतर सिंह आर्य)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्रीमती सरस्वती सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी अपने जवाब में एक तरफ तो स्वीकार कर रहे हैं कि कोयले की लोडिंग के धुंए से पर्यावरण प्रदूषित होता है एवं लोगों को बीमारियां होती हैं और दूसरी तरफ वे इसे नकार भी रहे हैं. मैं चाहती हूं कि मंत्री जी स्वयं समिति गठित कर उस क्षेत्र की जांच करवा लें. मैं अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं से भली-भांति परिचित हूं. यदि वहां लोग सुबह कपड़े धो कर धूप में सुखाने को रखते हैं तो शाम को उन कपड़ों पर कोयले की कालिख की परत जम जाती है. मेरे क्षेत्र में चना भाजी की खेती होती है. चने की भाजी कहा जाता है धोया नहीं जाता है और उसको खा भी नहीं सकते हैं. माननीय मंत्री जी मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं वहां से बीना, खाडि़या, जयंत तथा बाहर से हजारों क्विंटल कोयला वहां रखा जाता है फिर उसको लोड किया जाता है. आप वहां जाकर या अपने अधिकारियों को भेजकर जांच करा लीजिए. अगर मेरी बात असत्य है तो आप जो चाहें मैं वह करने के लिए तैयार हूं आप उसे वहां से हटवा दीजिए जहां चाहे वहां ले जाएं.
श्री अंतर सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्या ने पर्यावरण की चिंता की है. हम हमारे विभाग के अधिकारियों से इसकी जांच करा लेंगे.
श्रीमती सरस्वती सिंह-- जांच समिति में मुझे भी रखा जाए.
श्री अंतर सिंह आर्य-- जी आपको भी रखा जाएगा.
श्रमती सरस्वती सिंह-- ठीक है, धन्यवाद.
12.36 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्म्िलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
12.36 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा
(क्रमश:)
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय का जो अभिभाषण है वह पूरी तरह से सदन को गुमराह करने वाला है. विकास के संबंध में भ्रम पैदा करने वाले आंकड़े यहां पर प्रस्तुत किए गए है. इस अभिभाषण में ज्यादातर वही बातें और आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं जो पिछले अभिभाषण में माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा प्रस्तुत किए गए थे. सरकार अपनी बात को असत्य ठहरा देती है जैसे- ''आगे पाठ पीछे सपाट'' अब तो बेशर्मी से सदन में असत्य बोला जा रहा है. राज्यपाल महोदय से असत्य आंकड़े पढ़वाए जा रहे हैं. सरकार भोली-भाली जनता को गुमराह कर सकती है लेकिन जागरुक मीडिया की नजरों से नहीं बच सकती. आखिर गलत बयानी सामने आ ही गई. मैं आपको बिन्दु सहित गिना सकता हूं कि कैसे सरकार असत्य बोल रही है, कैसे सदन के सम्माननीय सदस्यों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है. पिछले वर्ष के अभिभाषण के बिंदु क्रमांक 4 में कहा गया था कि डॉक्टर अम्बेडकर और पंडित दीनदयाल जी के जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में गरीब वर्ष मनाया जा रहा है. इस वर्ष भी सरकार गरीब कल्याण वर्ष मना रही है. एक तरफ ग्रामोदय से भारत उदय में लाखों की संख्या में पूरे मध्यप्रदेश से गरीबों के नाम गरीबी रेखा से हटा दिए जिसकी वजह से विधवा पेंशन, विकलांगता, निराश्रित और उनको खाद्यान मिलना बंद हो गया और दूसरी ओर गरीब कल्याण वर्ष मनाया जा रहा है. पिछले वर्ष भी मना रहे थे इस वर्ष भी अभिभाषण में रिपिटेशन है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले अभिभाषण में कहा गया था कि कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा के जैसी संस्था बनाएंगे. अभी तक इसका दूर-दूर तक कोई जिक्र नहीं है. पिछले अभिभाषण में कहा गया था कृषि वानिकी नीति बनाई जाएगी इसका भी कोई पता नहीं है. पिछले अभिभाषण का बिंदु क्रमांक 33 प्रस्तुत अभिभाषण के बिंदु क्रमांक 24 में एक ही बात लिखी है जो पिछले अभिभाषण में लिखी थी. वही फिर से जिक्र किया गया है. नर्मदा घाटी सिंचाई परियोजनाओं से सिंचित रकबे के आंकड़ों में जमीन आसमान का अंतर है. पिछले अभिभाषण के बिंदु क्रमांक 35 में कहा गया है कि सिंचाई पर 5,372 करोड़ रुपए निवेश हुआ है जबकि इस साल के अभिभाषण के बिंदु क्रमांक 25 में इसी आंकड़े का खंडन कर इसे 6,607 करोड़ तक बढ़ा हुआ बताया गया है. अभिभाषण के बिंदु क्रमांक 57 में 1040 मिडिल स्कूल का हाई स्कूल में उन्न्ायन बताया गया है जबकि बिंदु क्रमांक 74 में इसी आंकड़े को 1014 बताया गया है. ठीक इसी प्रकार 134 हाई स्कूल का हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन बताया गया है जबकि यही आंकड़ा बिंदु क्रमांक 74 में 100 दिखाया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार का असत्य सबके सामने है. इसी प्रकार बिंदु क्रमांक 58 में 2 लाख 38 हजार 381 वन अधिकार के पट्टे बांटने का अब तक का आंकड़ा दिया गया है जबकि इसी साल का होना चाहिए. एक समय वह भी था जब भाजपा इसका घोर विरोध करती थी. बिंदु क्रमांक 30 में इसका उल्लेख नहीं है कि क्षिप्रा नदी में नर्मदा का जल कितनी मात्रा में छोड़ा गया और कितने हेक्टेयर में क्षिप्रा नदी से किसान के खेतों को पानी मिला और कितनी बसाहटों को पीने का पानी मिला. इसी प्रकार बिंदु क्रमांक 32 में जीरो प्रतिशत ब्याज पर कितने किसानों को कर्ज मिला इसका भी उल्लेख नहीं है. इस साल कितने किसानों को मिलेगा यह भी स्पष्ट नहीं है. बिंदु क्रमांक 33 में जिक्र है कि सरकार ने किसानों के हित में प्याज खरीदी और बेची भी है. किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए यह सरकार खुद ही बिचौलिया बन गई. यह तय करना चाहिए कि जब ऐसा संकट हो तो सरकार की कोई स्पष्ट नीति क्यों नहीं है. बिंदु क्रमांक 35 में सहकारिता के माध्यम से कितने रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे यह स्पष्ट नहीं है. बिंदु क्रमांक 39 में पंचायतों के विकास और उनके सुदृढ़ीकरण की भी कोई चर्चा नहीं है. पंचायतों को सशक्त बनाए बिना ग्रामीण विकास कैसे होगा. ग्रामीण अधोसंरचना विकास के काम में पंचायतों की मुख्य भूमिका होनी चाहिए. पंचायती राज सिस्टम पूरी तरह से कोलेप्स हो गया है. जो सरपंचों का अधिकार था, जो जनप्रतिनिधियों का अधिकार था वह पूरी तरह से छीन लिया गया है. यह चिंता का विषय है. बिंदु क्रमांक 41 में सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि प्रदेश में कितने परिवार आवासहीन हैं तभी तो लक्ष्य के विरुद्ध प्रगति बता पाएंगे. बिंदु क्रमांक 43 में दीनदयाल अन्त्योदय योजना, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के 33 जिलों में कार्यरत् होने की बात है. 19.45 लाख गरीब परिवारों को स्व-सहायता समूह से जोड़ने का भी जिक्र है, लेकिन यह जानकारी मिशन के प्रारंभ से अब तक की है न कि पिछले एक साल की. बिंदु क्रमांक 50 में 12 लाख हितग्राहियों को लाभ देने का जिक्र है.
12.43 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ) पीठासीन हुए }
उपाध्यक्ष महोदय, क्या अभियान चलाने के पहले लोगों को लाभ नहीं मिल रहा था इस संदेह को भी दूर करना चाहिए. बिंदु क्रमांक 72 में उल्लेख है कि आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक डाक्टर्स की ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थापना कर सरकार भेज रही है. इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि जब ग्रामीण क्षेत्रों में ऐलोपैथिक चिकित्सक की पदस्थापनाएं होंगी तो क्या आयुर्वेद और होम्योपैथी चिकित्सकों को वापस बुला लिया जाएगा. किस तरह से व्यवस्था बनाएंगे इसका भी जिक्र नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, बिंदु क्रमांक 76 में "मिल बांचें मध्यप्रदेश" कार्यक्रम का उल्लेख है. यह दिखावा मात्र है. शिक्षा में गुणवत्ता, शिक्षकों के प्रशिक्षण और उनसे केवल शिक्षण कार्य करवाने और स्कूलों में अधोसंरचना ठीक करने से होगी ऐसे ढोंग करने से शिक्षण व्यवस्था ठीक नहीं होने वाली है. हर स्कूल में शिक्षक-पालक संघ बना है उसको क्रियाशील करने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देने की बात सरकार ने की है लेकिन प्रदेश में नोटबंदी के कारण प्रदेश की बैंक शाखाओं में किन अमीर लोगों ने गरीबों के खाते में पैसा जमा कराया, सरकार को इसकी भी जानकारी होना चाहिए. आखिर कटनी में इतना बड़ा हवाला काण्ड हो गया, सरकार में किसी को पता ही नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछले अभिभाषण के बिंदु क्रमांक 148 में कहा गया था कि 63 स्मारकों का संरक्षण "वर्ल्ड मोन्युमेंट फण्ड" से करवाया जा रहा है. प्रस्तुत अभिभाषण में स्मारकों की संख्या घटकर 54 हो गई है. सही आंकड़ा कौन-सा है जो पिछले अभिभाषण में बताया गया था या अभी वाले अभिभाषण में प्रस्तुत किया गया है. सदन को स्पष्ट मालूम होना चाहिए. इस तरह से गुमराह करने वाले आंकड़े सदन में प्रस्तुत नहीं करना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछले अभिभाषण में "लाडो अभियान" में अठहत्तर हजार बाल विवाह रोकने का उल्लेख है और माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस बार जो प्रस्तुत अभिभाषण है. उसमें बयांसी हजार बाल विवाह रोकने का उल्लेख है. उपाध्यक्ष महोदय, बाल विवाह की संख्या बढ़ती जा रही है. यह तो अभियान की असफलता का संदेश है. सरकार बाल विवाह रोकने में असफल रही है, इससे खुद जो राज्यपाल जी का अभिभाषण है पिछला और वर्तमान, इससे अंदाजा लगा कर कहा जा सकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले अभिभाषण के बिन्दु 89 में संभागीय मुख्यालय पर ज्ञानोदय विद्यालय खोलने की बात कही गई थी. इस बार के अभिभाषण के बिन्दु 54 में यही बात दोहराई गई है. पिछले अभिभाषण के बिन्दु 74 में कहा गया था कि जबलपुर ग्वालियर मेट्रो रेल की डीपीआर तैयार की जा रही है. प्रस्तुत अभिभाषण के बिन्दु 49 में कह रहे हैं कि फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. अब भगवान ही जाने सच क्या है. इसी तरह पिछले अभिभाषण के बिन्दु क्रमांक 153 में कहा गया था कि महिला अपराध रोकने के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट की स्थापना की गई है और इस बार भी बिन्दु 138 में यही बात दोहराई गई है. उपाध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल का अभिभाषण एक तरह से सरकार का आईना होता है और जिस तरह से पूरे सदन को, माननीय सत्ता पक्ष, विपक्ष के, सदस्यों को, पूरे सदन को, गुमराह करने का, अभिभाषण के माध्यम से सरकार ने जो काम किया है यह घोर निंदनीय है और हम समझते हैं कि जिन भी अधिकारी, कर्मचारियों ने, यह अभिभाषण बनाया होगा, हम समझते हैं सरकार को भी गफलत में रख कर बनाया है. सरकार को चिंता करनी चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री जी को इस बात की चिंता करनी चाहिए कि हमारे आँकड़े गलत कैसे सदन में प्रस्तुत हो रहे. इसी तरह जो विधान सभा में प्रश्न माननीय विधायक साथी पूछते हैं, ज्यादातर जानकारियाँ, गलत तरीके से प्रस्तुत की जाती हैं, यह चिंता का विषय है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से, सरकार के माननीय मंत्रीगण से यह निवेदन करूँगा कि जब इस तरह का अभिभाषण, सरकार का आईना, जब यहाँ पर प्रस्तुत किया जाए, उसमें सच्चाई होना चाहिए. ऐसा नहीं है कि हम पिछली बार के अभिभाषण में जो जिक्र किया है वही फिर से जिक्र हो जाए और पिछला आँकड़ा कुछ और, तथा अभी का आँकड़ा कुछ और, इस तरह का नहीं होना चाहिए इसीलिए उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा निवेदन है कि जिस तरह के मध्यप्रदेश में वर्तमान में हालात हैं, अभी वर्तमान में अगर आप देखेंगे तो बिजली की जिस तरह से गाँव-गाँव में असंगठित तरीके से, मनमानी वसूली चल रही है, जिस तरह से कोई गिरोह वसूली करता है, उस तरह से बिजली विभाग अभियान चलाकर, लोक अदालत की नोटिस भेज कर, समाधान योजना में जो लोग राशि जमा करते हैं, वह फिर से जु़ड़कर आ जाती है. सारे किसान, गरीब, हर आदमी परेशान है. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत सारे लोग तो जेल की यात्रा भी करके आ गए हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन का मामला पूरे मध्यप्रदेश में हर जिले में, गिने-चुने कुछ लोग, चुनिंदे लोग, कुछ पार्टी से समर्थित लोग, आए दिन, और यहाँ तक कि अधिकारी, कर्मचारी भी सहमे से महसूस करते हैं कि अगर हमने इनके ऊपर कार्यवाही की तो हमारा ट्रांसफर हो जाएगा या हमारे साथ मारपीट हो जाएगी. इस तरह की कानून व्यवस्था पूरे मध्यप्रदेश में है.
उपाध्यक्ष महोदय, एक तरफ माननीय मुख्यमंत्री जी "नमामि नर्मदे यात्रा" चला रहे हैं पूरे नर्मदा मैय्या के घाट के किनारे और दूसरी तरफ इतना ज्यादा अवैध उत्खनन पूरी नर्मदा मैय्या में हुआ है, अगर आप होशंगाबाद की तरफ कभी जाएँ तो नर्मदा मैय्या को छलनी कर दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय, भाजपा की सरकार 13 साल से है. अभी 14 वाँ साल चल रहा है तो क्या जिस तरह की कार्यवाही करने का अभी माननीय मुख्यमंत्री जी दृढ़ संकल्प दिखा रहे हैं, यह पहले क्यों नहीं दिखाया? जब पूरी तरह से, जो हमारी आय के जरिए हैं, जिस तरह से अवैध उत्खनन से नर्मदा मैय्या जी में बहुत सारा पर्यावरण का माहौल खराब हुआ है, आज प्रदूषित हो गई है, दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार का कोई भी कदम क्यों नहीं उठाया गया, कौन लोग हैं, जो सरकार से इतने बड़े हैं? आए दिन, पन्ना में, छतरपुर में, कभी भिण्ड, कभी मुरैना, में अधिकारियों के साथ मार-पिटाई हो रही है. यह चिन्ता का विषय है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज खाद्यान्न वितरण प्रणाली में हमारे सीधी जिले की हम बात करें, सिंगरौली जिले की बात करें, कभी मक्का मिल रहा है तो कभी गेहूँ मिल रहा है, जो 35 किलो अनाज अति गरीब व्यक्तियों को मिलना चाहिए वह बराबर नहीं मिल रहा है.केरोसिन की काला बाजारी हो रही है, शक्कर नहीं मिल रही है,यह कहाँ चला जाता है और मिलावटी खाद्यान्न भी मिल रहा है. जब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू हुआ था तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने खूब सीना ठोंक-ठोंक कर बोला था कि हमने खाद्य सुरक्षा बिल लागू कर दिया लोगों को सस्ते दर पर अनाज देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिस तरह के हालात हैं खासकर गरीबों को लेकर, एक तरफ गरीब कल्याण वर्ष मनाने की बात सरकार करती है. क्या इतने वर्षों से अमीर वर्ष मना रही थी? यह चिंता का विषय है पिछले 13 वर्षों से क्या सरकार अमीर वर्ष मना रही थी, अमीरों के कल्याण के लिए काम कर रही थी. पिछले वर्ष भी गरीब कल्याण वर्ष मनाया लाखों की संख्या में गरीबी रेखा से नाम कट गये.अभी भी वही काम हो रहा है. "ग्रामोदय से भारत उदय" में लोगों को न्याय मिलने के बजाय जो सुविधायें सरकार की तरफ से मिल रही थी वह सारी छीन ली गई हैं. यह आए दिन इवेंट मैनेजमेंट का जो काम चल रहा है, सरकार द्वारा कभी "आओ बनाए अपना मध्यप्रदेश", तो कभी "मिल बाँचो कार्यक्रम", कभी "अटल ज्योति." उपाध्यक्ष महोदय, आज आपको बता दूं कि हमारे जिले में बिजली कटौती का भी दौर शुरु हो गया है,बिजली कटौती हो रही है. अभी बच्चों की दसवीं,बारहवीं की बोर्ड परीक्षायें चालू होने वाली हैं, बच्चे फोन करते हैं कि विधायक जी हमारे यहाँ में रात में बारह बजे से चार बजे तक लाइट नहीं रहती है और दिन में भी कटौती हो जाती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि एक तरफ तो सरकार शिक्षकों की व्यवस्था नहीं बना पा रही है और दूसरी तरफ बच्चे अपने आप पढ़कर बोर्ड की परीक्षाओं में जाना चाहते हैं तो सरकार के जो मंत्रीगण हैं, मुख्यमंत्री हैं इनको चिंता करनी चाहिए सिर्फ बातों से काम नहीं चलेगा. कुछ करके बताना होगा. मुझे उम्मीद है कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में जो हमने अपनी बात रखी है, सुझाव दिये हैं. इस पर सरकार चिंता करेगी और न्याय दिलाने का काम करेगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक(बिजावर)--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता स्वरूप मैं अपना मंतव्य प्रकट करने के लिए उपस्थित हूं. जैसा कि विदित है चौदहवीं विधानसभा का चौथा बजट सत्र है. जिसमें हमें राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के माध्यम से सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं और विकासोन्मुखी कार्यों की जानकारी मिली है. राज्यपाल महोदय ने 143 बिंदुओं के माध्यम से सरकार के विकास कार्यों की रूपरेखा सदन में प्रस्तुत की थी, मैं उस पर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए 10 बिंदुओं पर अपना मंतव्य प्रकट कर रहा हूं. भारतवर्ष में खासकर के मध्यप्रदेश में खेती सबसे ज्यादा उत्पादन और लाभ लेने का जीवन का आधार है लेकिन जब तक फसल का एक-एक दाना घर ना पहुंच जाये किसान को चैन नहीं मिलता है. इधर सरकार ने खेती में आने वाली सारी विपदाओं, ओला हो, पाला हो, सूखा,अनावृष्टि, अतिवृष्टि हो. इन सब में राहत देकर अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया है. इससे भी आगे बढ़कर मुख्यमंत्री जी ने अनेकों बार मौके पर पहुंचकर जो किसानों को ढांढस बंधाया है और ढांढस बंधाने के दृष्टिकोण से वे लगातार संपर्क में रहते हैं. यह उनका अद्भुत प्रयास है जिससे किसानों को संबल मिलता है. पूरे मध्यप्रदेश में फसल में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इस वृद्धि से दलहन और तिलहन की फसलों का उत्पादन बढ़ा है. बुंदेलखंड में विशेष रूप से चना और मसूर का उत्पादन बढ़ा है,यह बुंदेलखंड के लिए बड़ी महत्वपूर्ण बात है और इसके लिए मैं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. बिंदु क्रमांक 16 में सरकार ने बुंदेलखंड सहकारी दुग्ध संघ,सागर का गठन किया जाना बताया है, इसके लिए मैं कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए सदन को आपके माध्यम से अवगत कराना चाहता हूं कि इसका लाभ मेरी विधानसभा क्षेत्र के बिजावर में जो पुराना एक दुग्ध शीत केंद्र हुआ करता था, उसको लाभ मिलने वाला है. वर्षों से यह दुग्ध शीत केन्द्र बंद था और सहकारी दुग्ध संघ, सागर के गठन होने से फिर से एक बार यह दुग्ध शीत केन्द्र चालू होगा और इसके लिए पशुपालन विभाग, सहकारिता विभाग दोनों के प्रति मैं अपना आभार व्यक्त करता हॅूं. बिन्दु क्रमांक-37 में सरकार ने 1529 किलोमीटर के मुख्य जिला मार्गों को विकसित करने की मंशा जाहिर की है, इसका लाभ भी हमें मिलने वाला है. बिजावर से छतरपुर का जो पहुंच मार्ग है उसमें 20 किलोमीटर का टुकड़ा बिजावर से मातगुआं का ऐसा है जो एनएच-86 से बाद में जाकर जुडे़गा और इसमें यह मार्ग भी सम्मिलित किया गया है कि इससे निश्चित रूप से बिजावर विधानसभा को लाभ होने वाला है. मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के इस बिंदु पर सरकार के प्रति और राज्यपाल महोदय के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हॅूं.
बिन्दु क्रमांक-38 में सरकार ने उच्च गुणवत्ता की सी.सी.रोड बनाने का फैसला लिया है. इसका बहुत-बहुत स्वागत है. जैसा कि उल्लेख है कि 5500 किलोमीटर सड़कें बनाने की स्वीकृति मिली है. इन सड़कों में से एक सड़क ईशानगर से पराचौकी का मार्ग भी निर्माणाधीन है और यह बिजावर विधानसभा के लिए उपलब्धि है. इसमें 37 करोड़ रूपये की लागत से काम होना है. इसके लिए मैं सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हॅूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बिन्दु क्रमांक-40 में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से 8389 ग्रामों को 18365 किलोमीटर लंबाई की सड़कों से लाभ देने की बात हुई है. बिजावर को इससे निश्चित रूप से लाभ होने वाला है. जब मैं विधायक का चुनाव लड़ रहा था और उस क्षेत्र में जाता था. अनेकों मार्ग ऐसे थे जहां न तो पुलिया थीं, न सड़कें थीं. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से 70 से ज्यादा गांवों को अनेकानेक पुलियों के माध्यम से जोड़ने का प्रयास हो रहा है. इसी बिन्दु में यह बताया गया कि अगले वर्ष इन ग्रेवल सड़कों के डामरीकरण करने का कार्य प्रारम्भ होना है. राज्यपाल महोदय की इस घोषणा से मुझे निश्चित रूप से जो लाभ हुआ है इसके लिए मैं कृतज्ञता ज्ञापित करता हॅूं क्योंकि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के 43 मार्ग ऐसे हैं जिनको बिजावर विधानसभा में डामरीकृत होना है. प्रदेश में तीन चरणों में नगर उदय अभियान हुआ. इसमें लगातार मुझे व्यक्तिगत रूप से जाने का अवसर मिला है. नगर के अलग-अलग वार्डों में भी जाने का अवसर मिला है. विधानसभा क्षेत्र के दोनों नगरीय क्षेत्रों में मेरा जाना हुआ है और जैसा कि इसमें बताया गया है कि 12 लाख हितग्राही 8 फरवरी को लाभान्वित हुए हैं. बिजावर नगरपालिका क्षेत्र में 410 हितग्राहियों को और सटई नगरपरिषद् क्षेत्र में 700 से ज्यादा हितग्राहियों को लाभान्वित करने का अवसर मुझे स्वयं मिला है. इसके लिए मैं सरकार के प्रति आभार व्यक्त करता हॅूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सरकार ने वर्ष 2016-17 में 1040 मिडिल स्कूलों से हाई स्कूलों का उन्नयन किया है और 134 हाई स्कूल से हायर सेकेण्डरी स्कूल का उन्नयन किया है. बिजावर विधान सभा क्षेत्र के दृष्टिकोण से हम देंखे तो इसका निश्चित रूप से हमें जो लाभ हुआ है उससे आठवीं से दसवीं के जो स्कूल हैं उनमें तीनों विकासखंड राजनगर, छतरपुर और बिजावर में से मिडिल स्कूल भैरा, बोंड़ा, शाहगढ़, गुलाट, नयाताल और भारतपुरा का उन्नयन होकर यह दसवीं तक के हाईस्कूल बन गए हैं. इसी प्रकार बारहवीं तक के स्कूल जो 134 पूरे मध्यप्रदेश में हुए हैं उनमें से दो हायर सेकेण्डरी स्कूल लखनगवां और रगौली बिजावर विधानसभा को मिले हैं, उसके लिए मैं सरकार के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हॅूं और राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में बिन्दु क्रमांक-57 में इसका जिक्र आया है इसके प्रति मैं अपना आभार व्यक्त करता हॅूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, घुमक्कड़ और अर्द्धघुमक्कड़ जातियों के कल्याण के लिए लगातार प्रयास हुए हैं. इन प्रयासों का लाभ यह हुआ है कि हमें तो उम्मीद भी नहीं थी लेकिन बिजावर विधानसभा क्षेत्र में दो छात्रावास सरकार ने दिए हैं इसके लिए मैं सरकार का आभार व्यक्त करता हॅूं. बिन्दु क्रमांक-76 में "मिल बांचें मध्यप्रदेश" का जिक्र हुआ है और यह सरकार का बहुत ही अद्भुत और अनूठा प्रयोग रहा है. मुझे इस आयोजन में तीन स्कूलों में जाने का अवसर मिला है. एक जगह बाल सभा का आयोजन हुआ. बच्चों ने भी गीत सुनाए. मैंने भी बच्चों के बीच में गीत सुनाए और बच्चों से जो प्रेम का तारतम्य स्थापित हुआ और बच्चों ने खुलकर जो अपनी बातें बताईं, इसका लाभ मुझे लगता है कि विद्यालय के उत्तरोत्तर विकास के लिए बड़ा लाभकारी होने वाला है. एक स्कूल में आठवीं कक्षा के बच्चों के बीच में बैठना हुआ और हिन्दी विषय की चर्चा जब बच्चों से की तो केवल उसकी एक लाइन पर जो बच्चों से कविता के साथ बातचीत हुई तो जब बच्चों ने उम्मीद से ज्यादा परिपक्वतापूर्ण बातचीत की और प्रश्न किए तो मुझे लगा कि मुख्यमंत्री महोदय ने जो यह ''मिल बांचे मध्यप्रदेश'' का आयोजन किया है इससे बच्चों और शिक्षकों के बीच में और जनप्रतिनिधियों की बीच में मशीनी रिश्ते से कहीं ज्यादा मानवीय मूल्यों का विकास होगा और जीवंत संपर्क होने के साथ-साथ बच्चे जब अपनी बात बताएंगे तो उसका लाभ विद्यालय परिवार को होगा, बच्चे और उनके अभिभावकों को भी होगा और इसमें सबसे ज्यादा ज्ञान तो मुझे खुद प्राप्त हुआ जब बच्चों ने ऐसी-ऐसी बातें कीं, कई बच्चों के सवाल ऐसे-ऐसे थे कि मैं भी अनुत्तरित रह गया. मुझे लगता है कि जनप्रतिनिधियों के लिए भी उनके उत्तरोत्तर विकास में काम आने वाली योजना है इसका अनावश्यक रूप से यदि आलोचनात्मक ढंग से विवरण कहीं दिया जा रहा है तो मैं उनको सद्भावनापूर्वक यह निवेदन करूंगा कि वे बच्चों के बीच में जाएं और सकारात्मक ढंग से इस प्रकार के प्रयास करें कि जो कुछ भी ''मिल बांचे मध्यप्रदेश'' के नाम पर हम करेंगे, बच्चों के बीच में जाएंगे तो विद्यालय परिवार को और हमें उसका लाभ होगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- पाठक जी, वह ''मिल बांचे'' था कि ''मिल बांटे'' ?
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- ''मिल बांचे''.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अब आपको तो ''मिल बांटे'' ही समझ में आएगा, ''मिल बांचे'' समझ में आ ही नहीं सकता, 52-55 वर्षों तक ''मिल बांटे'' ही था तो आपको तो वही याद आएगा.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ''मिल बांचे मध्यप्रदेश'' के माध्यम से विद्यालयों के स्तर में गुणात्मक सुधार होगा, ऐसी मुझे आशा है और माननीय राज्यपाल महोदय ने सरकार के मंतव्यों को जो प्रकट किया है उससे मैं बहुत अभिभूत हूँ और मैं सदन में आए कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी (राऊ) -- धन्यवाद उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी अभिभाषण के संदर्भ में आज मुझे आपने बोलने का अवसर दिया. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के बारे में जैसा कि अभी कमलेश्वर पटेल जी ने बताया कि वही आंकड़े हर वर्ष बताए जाते हैं. नए राज्यपाल आते हैं नई बातें करते हैं, इधर के नंबर बदलते हैं और वही की वही बातें हमारे मध्यप्रदेश के सामने वापस खड़ी हो जाती हैं.
कहाँ तो तय था खुशी का चिराग, हर एक घर के लिए,
यहां तो हो गई विनाश की जंगल की आग, पूरे शहर के लिए,
मैं समझता हूँ कि राज्यपाल जी के अभिभाषण का एक-एक प्वॉइंट, जो उन्होंने 143 प्वॉइंट दिए हैं, ऐसे ही हैं. लाखों परिवारों का जहर घोलने वाले व्यापमं की भ्रष्टाचार की आग जंगल की आग जैसी ही थी. महिलाओं पर बलात्कार जितने अधिक इस मध्यप्रदेश में हुए हैं, वह भी इसी आग की तरह ही हैं. किसानों की, अन्नदाताओं की, धरती पुत्रों की आत्महत्या की जो पूरी एक परंपरा, जब से इनकी सरकार बनी है तब से चल रही है, वह भी इस आग की लपटों जैसी ही है. मैं समझता हूँ कि नोटबंदी में तबाह हुआ लघु उद्योग, लघु व्यापारी, छोटा व्यापारी भी इसी आग के तहत ही आया है.
श्री कैलाश चावला -- महाराष्ट्र में बंबई में क्या हुआ, नोटबंदी के रिजल्ट आए कि नहीं.
श्री जितू पटवारी -- वे अवैध खनन के माफिया, माँ नर्मदा के सीने को चीरने वाले, वे भी इसी आग की चिंगारी में हैं. चावला जी, सिंहस्थ का भ्रष्टाचार आप तक नहीं आया है, बैठ जाओ, धर्म के नाम का भ्रष्टाचार उसी आग की लपटों जैसा है चावला जी, मैं माननीय उपाध्यक्ष महोदय को कहना चाहता हूँ कि दो हजार करोड़ रुपये की वह आग उद्योगों की बेशकीमती जमीन सरकार ने औने-पौने दामों पर उद्योगपतियों को दे दी और एक भी विधायक को पता ही नहीं चला, यह भी भ्रष्टाचार उसी आग का एक नमूना है. जिस तरीके से पिछले 30-30 साल से जिन गरीबों को पट्टे दिए गए और प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना का एक पैरा इसमें है, उन गरीब परिवारों को उजाड़ा गया, उन गरीब परिवारों के घर तोड़े गए, 30 साल में 10 लाख रुपये, 5 लाख रुपये, 2 लाख रुपये में गरीब ने जैसे-तैसे करके उस पट्टे पर अपना घर बनाया और वहीं पर इनकी योजना के तहत उनको ध्वस्त करने के लिए 2.5 लाख की सब्सिडी के साथ में उनको तोहफा दिया जा रहा है. राज्यपाल जी के इस अभिभाषण में इस तरह के वक्तव्य हैं. शिव के नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, चावला जी आपके लिए है यह सीधे साधे, सज्जन, सरल, सुशील और संस्कारवान विधायकों के लिए है.
श्री सुदर्शन गुप्ता -- राजीव गांधी जी और सोनिया गांधी जी ने जो किया है उसी की सजा है यह जो (XXX) हो गया है.
श्री जितू पटवारी -- शिव के नाम की लूट है लूट सके तो लूट, सब लगे हैं लूट में तू न जाय छूट,
श्री सुदर्शन गुप्ता -- पूरे देश में आपका (XXX) हो रहा है...(व्यवधान)..उसके बाद में भी अक्ल नहीं आ रही है.
श्री जितू पटवारी – (XXX)..
श्री वैल सिंह भूरिया -- जितू भईया अगली बार आप भी नहीं आओगे मेरी पक्की ग्यारंटी है.
श्री जितू पटवारी - मैं तो कैसे भी आ जाऊंगा, आपकी मैं ग्यारंटी नहीं ले रहा हूं लेकिन अपने मन में व्यवहार और विचार बना लो.
उपाध्यक्ष महोदय -- जितू जी आपस में चर्चा न करें, व्यक्तिगत आरोप न करें.
श्री जितू पटवारी --आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, किसानों को लेकर बहुत सारी बातें कही गई हैं. मैं यहां पर केवल इतना ही अनुरोध करना चाहता हूं कि अभी पिछले साल प्याज का ज्यादा उत्पादन होने के कारण सरकार ने खरीदी और सरकार ने किस दर पर खरीदी है उसमें कितना घाटा आया है उसका हिसाब सरकार के पास है, कृषि को लाभ का धंधा बनाने वाली यह सरकार, जिसके बारे में अभी कालूखेड़ा जी ने जिक्र किया है कि प्रदेश में कितने किसान आत्महत्या करते हैं. किस तरह से किसान आज रो रहे हैं आज आलू पैदा करने वाले किसान इतना बंपर उत्पादन होने के बाद में भी सरकार का उस पर ध्यान नहीं है, लागत तो अपनी जगह पर है मंडी तक ले जाने के लिए उसका खर्चा बढ़ गया है,
श्री आशीष शर्मा -- जितू भैया दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी तब भी लोग आलू सड़क पर फेंक कर जाते थे
श्री जितू पटवारी -- मैं यहां अनुरोध करना चाहता हूं कि टमाटर मंदसौर, झाबूआ और होशंगाबाद में फेंकने पड़े, बटला हमारे जबलपुर और नरसिंहपुर की तरफ फेंकना पड़ा है, आलू इंदौर और उससे लगे हुए क्षेत्र में फेकना पड़ा है. इस सरकार के द्वारा कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए जिस तरह से कार्यक्रम बनाया है, राज्यपाल जी ने अपने अभिभाषण में सारी बातें कही हैं कि दाल किसान बेचता है तो 3 हजार से 5 हजार क्विंटल और जब ग्राहक खरीदता है तो 150 से 200 रूपये किलो के बीच में मिलती है, क्या मैनेजमेंट है साहब आपकी तो जितनी तारीफ की जाय उतना कम है. मुंबई में आये हैं आप और कहीं पर भी आ सकते हैं. लेकिन किसान इस बात को नहीं भूल सकता है कि बिजली के बिलों के लिए यहां पर खड़े होकर मुख्यमंत्री जी द्वारा यह कहा कि मैं किसान का भक्त हूं एक भी व्यक्ति की कुर्की नहीं होगी, लेकिन उज्जैन में 500 मोटर सायकिलें कुर्क की गई हैं. यह बात अखबार की हेड लाइन बनी है. क्या ऐसी सरकार मध्यप्रदेश के लोगों ने इतने भारी बहुमत से चुनी थी कि एक तरफ मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं और दूसरी तरफ इस तरह से काम हो रहा है. उप-चुनाव और चुनाव की बात तो अपनी जगह है. आपने जिस तरह से मध्यप्रदेश में किसानों की बदतर हालत की है इसका हिसाब आप लोगों को देना होगा. मैं समझता हूं कि राज्यपाल जी के अभिभाषण में इस बात की भी कमी दिखी है.
उपाध्यक्ष महोदय इस सरकार ने बिजली के 5500 करोड़ रूपये बिना बिजली खरीदे दे दिये, ऐसा आपका मैनेजमेंट है और आपके बिजली मंत्री ने कहा सारे करार तोड़ दो लेकिन यह बात मुख्यमंत्री जी की समझ में नहीं आती है, क्यों नहीं आती है उसके कई कारण हैं, क्योंकि मैं पहले ही कह चुका हूं कि शिव नाम की लूट है लूट सके तो लूट, मैं समझता हूं यह सब बातें आप लोगों को और हम लोगों के लिए सोचने का विषय है.
मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है. हर व्यक्ति पर, पैदा होने वाले बच्चे से लेकर मरने वाले बुजुर्ग तक पर 18 हजार रूपये का लगभग ऋण है. इस तरह का मैनेजमेंट आपने किया है और फिर भी आप सीना ठोंक कर कहते हैं कि हमारी सरकार से अच्छी तो कोई सरकार हो नहीं सकती.
मैं समझता हूं कि सहकारिता के बारे में बात करना इस अवसर पर उचित होगा. सहकारिता को लेकर जिस तरह से अभिभाषण में राज्यपाल महोदय ने चर्चा की है, उन्होंने उसमें यह नहीं बताया कि बैरागढ़ में जो स्थिति बनी 100 करोड़ रूपये हमारे एक भाजपा के नेता की बैंक में निकले हैं उसका हिसाब किस तरह से होगा, इस बात का अभिभाषण में जिक्र नहीं था, इंदौर की एक सहकारी बैंक में भी लिमिट से ज्यादा पैसा जमा हो गया तो उसका भी कोई जिक्र नहीं था उसमें इस बात का भी जिक्र नहीं था कि नोट बंदी के बाद में जिस तरह से सहकारी बैंकों में दो दिन में 1200 करोड़ रूपये जमा हुआ तो उसके बारे में सम्मानित विधायकों ने प्रश्न लगाये हैं वह किसके पैसे थे, क्या थे, वह उत्तर मांगते हैं तो कहते हैं कि प्रक्रिया अभी जारी है, उत्तर अभी आया नहीं है सभी प्रश्नों में एक जैसा उत्तर है, यह जवाब आ रहा है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. यह हिसाब प्रदेश की जनता चाहती है साथियों बोलो, भैया जिस तरीके से इस मध्यप्रदेश में कटनी का कांड हुआ. उपाध्यक्ष महोदय, 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला हुआ. उसमें जो व्यक्ति गिरफ्तार हुए, उसके बाद ईओडब्ल्यू में केस गया, उसके बाद क्या हुआ, मध्यप्रदेश की सरकार को यह पता नहीं है और जनता तो उसमें अनभिज्ञ है ही. क्या राज्यपाल जी के अभिभाषण में यह सरकार का दायित्व नहीं बनता था कि इस देश के प्रधानमंत्री ने जिस तरीके से नोटबंदी की, देश के अच्छे के लिए की, ईमानदार व्यक्तियों के लाभ के लिए की, देश का विकास इसके बाद होगा, इसके लिए की, लेकिन इतना बड़ा भ्रष्टाचार मध्यप्रदेश में हो गया, यहां राज्यपाल के अभिभाषण में उसका जिक्र नहीं था, यह किस तरह की सरकार है? मैं समझता हूं कि आप सब इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि मैंने पहले ही कहा कि शिव के राज की लूट है, लूट सके तो लूट. जिस तरीके से मुख्यमंत्री जी ने उनके विधायकों के प्रशिक्षण शिविर में कहा कि संपन्न बनो, मेरा आशीर्वाद है. परन्तु दिखो मत, दुकान मत लो, मकान मत लो, गाड़ी मत लो. (XXX) . उन्होंने यह कहा.
श्री आशीष शर्मा - जितू भाई गलतबयानी मत करो. (व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी - उन्होंने यह कहा कि (XXX)
डॉ. कैलाश जाटव - उपाध्यक्ष महोदय, मेरी इस विषय पर आपत्ति है.
उपाध्यक्ष महोदय - कैलाश जी, आपका नाम बोलने वालो की सूची में है. आपका जब नम्बर आएगा तो आप बोल लीजिएगा.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, व्यापम का इतना बड़ा कांड जिससे मध्यप्रदेश का मुहं काला हो गया, 634 विद्यार्थियों का दाखिला निरस्त हो गया और इस राज्यपाल के अभिभाषण में उसका जिक्र तक नहीं हुआ, क्या मध्यप्रदेश की सरकार को इसका आभास नहीं था कि राज्यपाल का अभिभाषण आए तो 634 विद्यार्थी जो डॉक्टर बन गये थे, इन व्यापम के भ्रष्टाचारियों के कारण उनका भविष्य अधर में चला गया, इसका जिक्र आना था कि नहीं? यह सब बातें आपके सामने आने की हैं. मैं इस अवसर इन सबको यह बताना अत्यंत आवश्यक समझता हूं कि इसके पहले वाले राज्यपाल के अभिभाषण के बाद मुख्यमंत्री जी ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा था कि मध्यप्रदेश नम्बर वन किस-किस चीज में है. मैं समझता हूं कि वह यह बताना भूल गये कि शिशु मृत्यु दर में मध्यप्रदेश नम्बर वन पर है, कुपोषण की मौतों में मध्यप्रदेश नम्बर वन पर है. मातृ मृत्यु दर में मध्यप्रदेश नम्बर वन पर है. महिलाओं के विरुद्ध अपराध, भ्रष्टाचार और दुष्कर्म तीनों में अलग-अलग अपराधों में मध्यप्रदेश नम्बर वन है. शिशुओं की हत्या में मध्यपदेश नम्बर वन है. संघीय अपराध, मिलकर मारने में आप लोग सबसे आगे हैं. महिलाओं पर शील भंग का जिस तरीके से हमला होता है..
श्री आशीष शर्मा - जितू भैया, यह सर्वे क्या आपने करवाया है?
श्री जितू पटवारी - यौन अपराध में मध्यप्रदेश नम्बर वन है. भ्रष्टाचार में मध्यप्रदेश नम्बर दो है. आगजनी अपराध में मध्यप्रदेश नम्बर वन है. बच्चों के साथ दुष्कर्म में नम्बर वन है. भुखमरी की मौतों में मध्यप्रदेश नम्बर वन है. इतना ही नहीं, मैं आप सबसे यह भी अनुरोध करना चाहता हूं कि नर्मदा नमामी यात्रा, मुख्यमंत्री यहां खड़े हुए थे और उन्होंने कहा था कि नर्मदा नमामि यात्रा, किसी दल की नहीं है. सबको मिलकर मां नर्मदा को साफ और स्वच्छ रखना है क्योंकि मां नर्मदा जन्मदायिनी है इस मध्यप्रदेश की रीढ़ की हड्डी है. इसके लिए राजनीति नहीं होनी चाहिए, हम सबको यह मिलकर करना है. मैंने थोड़े दिन पहले एक लिस्ट जारी की थी. उसमें उन लोगों के नाम दिये थे जो मुख्यमंत्री के सानिध्य में उनका कहना टाल ही नहीं सकते. मैं यह आरोप दुर्भावना से नहीं लगाए. मां नर्मदा को आपको स्वच्छ करना है. मां नर्मदा को आपको साफ करना है. सालों युगों-युगों तक नर्मदा कल-कल करके बहती रहे तो मुख्यमंत्री जी, आपको लोगों के, आपके विधायकों के, आपके रिश्तेदारों के, आपके अपने लोगों के लिस्ट में नाम है, जो मैंने अलग-अलग जिलों से निकाली है, वह आप चाहें तो मैं पटल पर रख देता हूं. यह मैं लेकर आया हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, यह लिस्ट मैंने प्रेस में दी है और मैं सीधा-सीधा आरोप लगता हूं. वह लिस्ट मैंने प्रेस को दी है, सिग्नेचर करके दी है. अगर किसी को किसी प्रकार की कोई भी उसमें त्रुटि दिखे तो मुझ पर मानहानि का दावा करो, बाकि चीजें मैं लड़ूंगा..
उपाध्यक्ष महोदय - जितू जी अब समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी - और मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि नर्मदा बचाने की जो आपकी पहल है, वह (XXX) दिखती है, जब तक आपके नेता, आपके पार्टी के वर्कर, आपके पार्टी के सांसद, विधायक, वे मां नर्मदा को चीरते रहेंगे, (XXX), अवैध उत्खनन करते रहेंगे, 22000 करोड़ रुपए का पिछले 14 सालों में अवैध उत्खनन कराया है.(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार - उपाध्यक्ष महोदय, कुछ तो भी बोल रहे हैं. (व्यवधान)..वह पवित्र नदी है उसके लिए ऐसी बात कर रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - क्या आपका धर्म नहीं बनता कि 22000 करोड़ रुपए का जो आपने अवैध उत्खनन कराया और उसके बाद आप मां नर्मदा की यात्रा निकालते हो...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय - ये कार्यवाही से निकाल दें.
श्री आशीष शर्मा - उपाध्यक्ष महोदय, मेरी घोर आपत्ति है. इन्होंने मां नर्मदा के प्रति इस तरह का शब्द का इस्तेमाल किया है. मेरी बहुत गंभीर आपत्ति है. (व्यवधान)..उन्होंने इस तरह के शब्द का इस्तेमाल किया है. (व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य - उपाध्यक्ष जी, इस तरह का कुछ भी बोलते जाएंगे क्या?(व्यवधान)..असंसदीय शब्द बोल रहे हैं, यह गलत है. सदन से माफी मांगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार - उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा आप बोल सकते हैं क्या, यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री आशीष शर्मा - (व्यवधान)..उपाध्यक्ष जी, मां नर्मदा जो करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है उन्होंने उनके प्रति इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है.
उपाध्यक्ष महोदय - मैंने वह कार्यवाही से निकाल दिया है. वह कार्यवाही से निकालना है.
श्री आशीष शर्मा - उपाध्यक्ष महोदय, सदन से उनको माफी मांगना चाहिए. यह पूरे मध्यप्रदेश, गुजरात और पूरे भारत की करोड़ों जनता की आस्था का प्रश्न है. मां नर्मदा हमारी आराध्य है और इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल उन्होंने किया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब, आप समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी--आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, दो मिनट लूंगा. अभी तो कुछ हुआ ही नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू जी आपको 14 मिनट से ज्यादा हो गए हैं.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्षजी, आपकी कृपा बनी रहे. दो मिनट दे दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- एक मिनट में आप समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष जी, मैंने किसी भी प्रकार के अपशब्दों को प्रयोग और उपयोग नहीं किया है. जो सच है वह बोला है और सीना ठोककर बोला है. कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की भाषा बोले यह चोर की दाढ़ी में तिनका जैसा है. आपको इतनी परेशानी क्यों हो रही है? क्या आप नर्मदा को खुदवाना चाहते हैं, अवैध खनन करवाना चाहते हैं? आपके नेता और आप मिल कर मां नर्मदा के अवैध खनन के साथ क्या (XXX) नहीं हो रहा है? आप कौन सी बात कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--अब, आप समाप्त करें. आपकी बात आ गई है.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से बताने की कोशिश कर रहा हूं. (व्यवधान) दो मिनट लूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं, दो मिनट बीत चुके हैं.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्ष जी, व्यवधान रहेगा तो कैसे बोल पाऊंगा?
उपाध्यक्ष महोदय-- मैंने इसमें व्यवधान को भी कंसीडर कर लिया है. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष जी, कृपा करके दो मिनट दे दें.
उपाध्यक्ष महोदय--आपके दो मिनट कब से खत्म हो चुके हैं. अब, आप समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- मेरा आखिर में अनुरोध यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जी अभी उत्तरप्रदेश गए थे. उत्तरप्रदेश में उन्होंने यह कहा कि हम हजार रुपये पेंशन दिलवाएंगे. उन्होंने उत्तरप्रदेश की जनता से वादा किया कि हमारी सरकार बनेगी तो हजार रुपये देंगे.यहां के गरीबों का वह 150 रुपये में मन क्यों बहला रहे हैं? उन्होंने उत्तरप्रदेश में यह कहा कि हम 1200 रुपये में आपको सालभर बिजली देते हैं. हम मध्यप्रदेश में देते हैं. यह असत्य वह क्यों बोले?
उन्होंने यह भी कहा कि हम किसानों का कर्जा माफ करेंगे. यह बात उत्तरप्रदेश के भाषणों में कही. उपाध्यक्षजी, मध्यप्रदेश के किसानों ने उनका इतना मान-सम्मान किया, उनका ही कर्जा माफ कर दें. कृषि को लाभ का धन्धा बनाने के लिए किसानों का यहीं पर भला कर दें. यह सब बातें इस बात का द्योतक है कि राज्यपाल के अभिभाषण में जिस प्रकार स्तुति की गई वह प्रदेश को अंधकार में ले जाने वाली है. मैं इसके खिलाफ हूं. धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार(सुसनेर)--उपाध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल जी का अभिभाषण वास्तव में हमारे मुख्यमंत्रीजी की जो संवेदनशीलता है, उसका प्रतिबिंब है. हमने तीसरे चुनाव में देखा कि हमने सीटों में वृद्धि की है. इसी से पता चलता है कि जनता की सोच माननीय मुख्यमंत्री जी और भारतीय जनता पार्टी के साथ है और यही बात हमारे राज्यपाल जी के अभिभाषण में है.
उपाध्यक्ष महोदय, यदि हम केवल कृषि की बात करें. हमारा प्रदेश मुख्यतः कृषि प्रधान है. आप अंदाज लगा लीजिए कृषि का आधार वह सिंचाई है. हम इसी साल की बात करें तो 9313 करोड़ रुपये सिंचाई के लिए स्टाप डेम आदि में खर्च किए जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की बात करता हूं. लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का कुंडालिया प्रोजेक्ट जो 1960 से बहुप्रतीक्षित था, अब उसका निर्माण होने जा रहा है. इस साल हम 40% पानी उसमें रोक देंगे. उद्हन के लिए भी सर्वे चल रहा है. निश्चित रुप से यह बहुत बड़ा खासकर राजगढ़ जिले की जीरापुर और खिलचीपुर तहसील में इससे काफी लाभ मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में लखुंधर और भासण नदी पर स्टाप डेम श्रंखला का निर्माण भी किया जा रहा है. इसके साथ 5 डेम- लटुरी,गुजर, करकरिया,लोहारिया,सेमडिगल्डा और निशानिया में बनने जा रहे हैं जिसकी साध्यता की स्वीकृति मिल चुकी है. अगर हमारे प्रदेश में उत्पादन बढ़ा है तो उसका मुख्य आधार सिंचाई ही था और मुख्यमंत्रीजी ने सबसे ज्यादा जोर सिंचाई पर दिया है इस कारण कृषकों की आय बढ़ी है और आने वाले पांच सालों में उसको दुगुना करने का लक्ष्य है. जिस तरह की मुख्यमंत्री जी की सोच है तो फसलों से दुगुने की जगह पांच गुना कृषकों की आय बढ़ेगी. हमारे मुख्यमंत्री जी का मुख्य लक्ष्य दलहन,तिलहन,सिंचाई,मसूर,सोयाबीन,चना,लहसन की फसलों का क्षेत्र बढ़ाना है. इसमें मध्यप्रदेश उत्पादन में देश में सबसे ज्यादा है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि विगत् चार सालों से कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश को मिल रहा है. यह आने वाले समय में निश्चित रूप से मिलेगा क्योंकि हमारे स्वप्नदृष्टा मुख्यमंत्री जी के इरादे भी उतने ही मजबूत हैं. उद्यानिकी के मामले में हमने सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं. इसका उत्पादन 5 लाख टन से बढ़ाकर हमने 14 लाख टन तक पहुंचा दिया है. हार्टीकल्चर के मामले में हम देश में आगे हैं. मैं मेरे विधान सभा क्षेत्र आगर जिले की बात करूं तो अकेले सुसनेर विधान सभा क्षेत्र में 45 हजार हेक्टेयर में मात्र संतरे का उत्पादन हो रहा है. नागपुर वगैरह बहुत पीछे छूट चुके हैं और वहां मुख्यमंत्री जी का फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाने का प्लान है. लोक निर्माण विभाग की मैं बात कहूं तो एक समय ऐसा था जब सड़कें नहीं थीं. सड़क में गड्ढा और गड्ढे में सड़क थी. एक वाकया मैं सुनाना चाहता हूं. एक बार में आगर से उज्जैन जा रहा था तो रोडवेज की बस का डीजल टैंक गिर गया. थोड़ी देर बाद बस खड़ी हो गई तो ड्रायवर ने कंडक्टर से पूछा कि बस क्यों बंद हो गई. कंडक्टर ने जब नीचे उतरकर देखा तो बोला कि बस में डीजल टैंक ही नहीं है. सामान अगर बस से गिरता है तो ड्रायवर को मालुम पड़ जाता है लेकिन डीजल टैंक गिरने की आवाज इसलिये नहीं आई क्योंकि उससे ज्यादा आवाज रोडवेज की बस पहले से ही कर रही थी. तो आज प्रदेश में अच्छी सड़कें बन चुकी हैं. आप जहां चाहो वहां जा सकते हो. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी 3 जिला मार्ग घोषित हो चुके हैं. खासकर सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है बड़ागांव से आगर का,जिसका निर्माण शीघ्र ही शुरू होने वाला है. 2 छोटे रोड बन चुके हैं. हमारे यहां प्रधानमंत्री सड़क योजना का द्वितीय चरण भी शुरू होने वाला है इसके लिये भी मैं महामहिम राज्यपाल महोदय एवं राज्य सरकार का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. नगरीय प्रशासन विभाग के बारे में मैं बताना चाहता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 4 नगर पंचायतें हैं. वहां मुख्यमंत्री जी ने करोड़ों रुपये की पेयजल योजनाएं स्वीकृत की हैं. एक पंचायत के लिये 14 करोड़, एक पंचायत के लिये 10 करोड़, एक पंचायत के लिये 6 करोड़ और एक पंचायत के लिये 12 करोड़ रुपये की मुख्यमंत्री पेयजल योजना स्वीकृत हो चुकी है. उसके टेंडर हो चुके हैं. जिस प्रकार से आज गरीब लोगों का सपना होता है कि मिनरल वाटर क्या होता है, उनको इन योजनाओं से इतना ही साफ पानी मिलेगा. इसके लिये मैं राज्य सरकार को धन्यवाद देता हूं. स्कूल शिक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. हम अपने प्रदेश को स्थाई रूप से ऊपर ले जाना चाहते हैं तो उसके लिये स्कूल शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिये. वही हमारी प्रदेश सरकार की महती योजना है. जिसके तहत् 1014 मिडिल स्कूल,134 हाईस्कूल स्वीकृत हुए हैं. सबसे ज्यादा हायर सेकेण्डरी स्कूल की मांग गांवों से आती है. खासकर लड़कियों के लिये माता पिता मांग करते हैं कहते हैं कि हमारी लड़कियां बाहर नहीं जा सकती हैं. इसलिये 1014 मिडिल स्कूलों का उन्नयन हाईस्कूल में किया जा रहा है. यह महत्वपूर्ण सौगात प्रदेश सरकार की है. मेरे यहां भी 4 हाईस्कूल पिछले साल खोले गये हैं और 3 हायर सेकेण्डरी स्कूल खोले गये हैं. एक और सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है किसी सदस्य का ध्यान उस तरफ नहीं गया,एन.सी.आर.टी. का सिलेबस मध्यप्रदेश की सरकार आने वाले साल में हमारे स्कूलों में लागू करने जा रही है. यह स्कूल शिक्षा के लिये आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा. इसके लिये मैं महामहिम राज्यपाल महोदय एवं राज्य सरकार को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं. उच्च शिक्षा की बात करें तो मेरे यहां अरुण भीमावद जी के शाजापुर विधान सभा क्षेत्र और सुसनेर विधान सभा क्षेत्रों के बीच बड़ोदिया में एक डिग्री कालेज खोल दिया गया है. सोयत में भी जिसके आसपास बहुत सारे गांव हैं वहां भी एक डिग्री कालेज खोलने की तैयारी चल रही है और जो भर्ती 1992 के बाद पीएससी के माध्यम से कालेजों में भर्ती नहीं हुई है वह भी पद भरे जायेंगे वह भी एक मील का पत्थर साबित होगा इसके लिये आगर जिले की जनता की ओर से मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, साथ ही माननीय अध्यक्ष महोदय, आगर नया जिला बना है और स्वास्थ्य विभाग के मामले में जिला चिकित्सालय की बिल्डिंग तैयार हो चुकी है, शीघ्र ही उसका उदघाटन होने जा रहा है और वहां सारे पद, सारा सेटअप, बजट सब कुछ स्वीकृत हो चुका है, मैं उसके लिये भी माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रदेश सरकार का और माननीय राज्यपाल महोदय का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. मेरे सुसनेर विधान सभा में भी सुसनेर और नलखेड़ा को सिविल अस्पताल का दर्जा देने की पूरी तैयारी हो चुकी है. यह वास्तव में मेरे विधान सभा क्षेत्र के लिये बहुत महत्वपूर्ण सौगात है. उद्योग विभाग निश्चित तौर पर स्थाई रूप से अगर हम देखें चूंकि हमारा एक सीमित दायरा है, हम चाहते हैं कि प्रदेश तरक्की के रास्ते पर स्थाई रूप से आगे जाये, यहां के युवा साथियों का पलायन अन्य प्रदेश में न हो तो उसके लिये उद्योग सबसे महत्वपूर्ण है और उद्योग के लिये हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी हर जगह समिट कर रहे हैं, कभी भी इतनी तीव्र गति से बढ़ोत्तरी नहीं हुई जो इस समय हो रही है. हमारे लालूखेड़ी में उद्योग के लिये जमीन आवंटित हो चुकी है और वहां शीघ्र ही एकेव्हीएन को वह जमीन विकसित करने के लिये बजट स्वीकृत किया है, इसके लिये भी मैं बहुत-बहुत कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अंतर्गत वास्तव में स्वच्छ पानी पीने के लिये लोगों को मिले, खासकर ग्रामीण क्षेत्र में, मैं बताना चाहता हूं कि आगर जिले में 610 करोड़ रूपये का बजट इसके लिये आवंटित कर दिया गया है और जल निगम के माध्यम से आगर जिले के 100 प्रतिशत गांवों में एक ग्रुप नल जल के माध्यम से स्वच्छ पानी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी मिले इसकी व्यवस्था के लिये मैं माननीय पीएचई मंत्री, माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि 24 घंटे गांव में बिजली मिलेगी. इसके बारे में कई सदस्यों ने बोला है, चूंकि विषय ही इतना महत्वपूर्ण है कि मैं इसको रिपीट कर रहा हूं. 10 घंटे सिंचाई के लिये पर्याप्त लाइट, थ्री फेज कभी लाइट शटडाउन नहीं होती है और 24 घंटे गांव का हर व्यक्ति अगर कहीं गांव में थोड़ी-बहुत देर लाइट चली जाये तो रात के 11 बजे फोन लगा देता है कि लाइट गई. यह वास्तव में इतनी अच्छी बात है कि आदमी अपना अधिकार समझने लगा है कि 24 घंटे बिजली मिलना उसका अधिकार है और यह अधिकार हमारे लोकप्रिय माननीय मुख्यमंत्री जी ने उसको दिया है और वह खुद भी अपने अधिकारों के बारे में सचेत हुआ है इसके लिये मैं प्रदेश सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे महत्वपूर्ण बात, कहने के लिये बहुत कुछ है लेकिन अंत में मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा. हमारे आनंद विभाग का गठन, इससे अच्छी सोच और स्वप्नदृष्टा कोई हो ही नहीं सकता है कि व्यक्ति आनंद के लिये जिंदगीभर तरसता है और प्रदेश सरकार ने इसकी पहल ही नहीं की बल्कि उस पर कदम भी बढ़ाये और स्कूलों में जब हम बच्चों को देखने जाते थे तो शानदार क्या हंसते खेलते हमें दिखाई दिये, वह बच्चे तो खुश थे ही लेकिन उस समय हमारे भी आनंद का ठिकाना नहीं रहा. जो मिल बांचे कार्यक्रम माननीय मुख्यमंत्री जी ने चलाया है वह मिल बांचे कार्यक्रम की हम वर्षों से मांग करते आये थे कि हमारे जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के सारे बच्चे स्कूलों में पढ़ें वह तो नहीं लेकिन यह सारे जनप्रतिनिधि और अधिकारी आज स्कूलों में गये हैं तो निश्चित तौर पर उन बच्चों के साथ उनकी कनेक्टिविटी स्थापित हुई है और बच्चों की समस्यायें भी हमारे संज्ञान में आई हैं और बच्चों को भी बड़ा अच्छा लगा कि कोई न कोई जिम्मेदार व्यक्ति हमारे बीच में आया. निश्चित तौर पर जो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है और राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में भी है कि अगले साल से हम 2 बार इसको करेंगे. मैं तो कहता हूं कि हर तीन महीने में यह हो तो बहुत अच्छी बात है, इससे अच्छा कोई कार्यक्रम हो ही नहीं सकता है. नर्मदा मैया के बारे में हमारे मुख्यमंत्री जी ने वह सोचा, प्रदेश सरकार ने वह सोचा कि मां नर्मदा और नदियों को बचाना है तो जन-जन के मन में चेतना और उसके प्रति अवेयरनेस जागृत करना पड़ेगी और उन्होंने स्वयं ने और प्रदेश सरकार ने और जनता ने इतना साथ दिया कि वहां जाति धर्म सब अलग रह गये, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सारे उसमें भाग ले रहे हैं और मेरा तो आग्रह है कि विधान सभा के सारे सदस्य भी एक-एक दिन जाकर उस नजारे को देखें और इस प्रकार के जो हमारे पूर्व वक्ता ने आरोप लगाये हैं, मैं चाहता हूं कि सदन से उनको माफी मांगना चाहिये. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(1.30 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.13 बजे {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुये}
डॉ. गोविन्द सिंह(लहार) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रथम पेज पर लिखा है कि "रोटी, मकान, पढ़ाई, दवाई और रोजगार के साधन प्रदेश के प्रत्येक गरीब परिवार को मिले, यह मेरी सरकार की प्राथमिकता होगी."उपाध्यक्ष महोदय, पहले में रोजी रोटी की बात करूंगा. मध्यप्रदेश में जितने भी रोजी रोटी कमाने वाले गरीब लोग थे और प्रदेश में बीपीएल कार्डधारियों की संख्या लगभग 80 लाख के आसपास थी, किंतु सरकार ने ऐसे कड़े नियम बना दिये हैं कि गरीबों को बांटने तक की योजना चल रही है और अभी तक लगभग 35-36 लाख लोगों के जो गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले लोग थे, बीपीएल कार्डधारी थे, उनको सूची गरीबी की रेखा के नीचे की सूची में से हटा दिया है, उनको योजना के लाभ से वंचित कर दिया है. इनको गरीबी की रेखा के नीचे से हटाने का सरकार ने क्या कारण दिया है वह भी बता देता हूं कि जिसके घर में टीवी लगी है वह अमीर हो गया, जिसके यहां पर मोबाईल फोन आ गया वह अमीर हो गया, जिसके पास में दो बीघा बीहड़ की जमीन है वह भी अमीर हो गया. इस प्रकार जो पूर्व सरकार ने गरीबों को लाभ दिया था उस लाभ से गरीबों को वंचित कर दिया है, उनकी रोजी रोटी छीन ली है और अभी तक लगभग प्रत्येक जनपद पंचायत के क्षेत्र में, प्रदेश में शायद ही ऐसा कोई ब्लाक हो जहां पर वृद्धावस्था पेंशन, विकलांग पेंशन, निराश्रित पेंशन जो पेंशन पहले नियमित रूप से मिल रही थी, वह पेंशन बंद हो गई. पेंशन बंद होने का कारण है भोपाल से कोटा आएगा तब मिलेगा, जहां भी जाते हैं, पहले पोस्ट आफिस बैंक के एक डेढ़ साल से चक्कर लगाते हैं, गरीब, अपाहिज, महिलाएं रोजी रोटी से वंचित हुई, महीनों से जनपद पंचायत और कलेक्टर के द्वारा पत्र आते हैं, लेकिन उनको नहीं लिखा जाता, इस प्रकार उनको जो रोजी रोटी मिल रही थी वह भी सरकार ने छीन ली. अब मकान की बात है, मकान की वाहवाही बहुत है, पहले जो इंदिरा गांधी आवास योजना थी, अब उसका नाम बदल दिया, प्रधानमंत्री आवास योजना हो गई, मुख्यमंत्री आवास योजना हो गई. रेत पहले तीन से चार हजार रूपए ट्राली मिलती थी, वह रेत इतनी महंगी कर दी है यह ठेकेदारों से कमाने के लिए कर दी गई है, पूरे प्रदेश में 98 प्रतिशत ठेकेदार भारतीय जनता पार्टी के लोग हैं, मंत्री, उनके रिश्तेदार, परिवार और भारतीय जनता पार्टी के जो पदाधिकारी हैं, उनके लोगों को रेत का ठेका दे दिया और पूरी तरह से गरीब जो मकान बना सकता था, उससे वंचित हो गया, रोटी से वंचित, मकान से वंचित हो गया.
उपाध्यक्ष महोदय, अब रही पढ़ाई तो पढ़ाई का जहां तक सवाल है, आओ बांचे पढ़े क्या पढ़ा रहे हैं, मोहन भागवत कौन है, मोहन भागवत कहां पैदा हुए, बिसेन साहब पूछ रहे हैं भारतीय जनता पार्टी का घोषणा पत्र बताईए, भारतीय जनता पार्टी की नीति बताइये, यह पढ़ाओगे प्रदेश में. यदि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चलाना है, तो आप चित्रकूट में चलाईए यहां क्या जरूरत है, आप बच्चों को बर्बाद करने के लिए पढ़ा रहे हों. इसी तरह से स्कूलों में 1 लाख 56 हजार अध्यापकों के पद खाली पड़े हुए हैं, इसी तरह से डिग्री कालेज में साढ़े चार हजार पद खाली पड़े हैं. लहार में हमारा डिग्री कालेज है, साइंस और आर्ट में 403 लड़के हैं, वहां पर एक असिस्टेंट प्रोफेसर है, दो भृत्य है और एक क्लर्क ये चार लोग 400 लड़कों को पढ़ा रहे हैं, डेढ़ वर्ष से केवल नाम के लिए कालेज चला रहे हैं, शिक्षा बिलकुल गुणवत्ताहीन कर दी है.
संसदीय कार्य मंत्री(डा. नरोत्तम मिश्र) - गोविंद सिंह जी वहां पर डाक्टर लोग भी नहीं जा रहे हैं वहां पर डाक्टरों की भी कमी है, वहां पर मास्टरों की भी कमी हैं , गोविंद सिंह के भय के कारण लोग वहां नहीं जा रहे हैं. (हंसी..)
डॉ. गोविंद सिंह - पूरे प्रदेश में यही स्थिति है.
डा. नरोत्तम मिश्र - नहीं लहार में.
डॉ. गोविंद सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, यह तो हो गया पढ़ाई का हाल. अब दवाई और रोजगार की बात आती है. पटवारियों के 9 हजार पद खाली हैं, 1 लाख 56 हजार प्राथमिक और मिडिल स्कूल के अध्यापकों के पद खाली हैं, साढ़े सात हजार पद डाक्टरों के खाली हैं, नायब तहसीलदार, तहसीलदार पूरे मिलाकर के लगभग ढाई से पौने तीन लाख पद मध्यप्रदेश सरकार में जो स्वीकृत हैं वह पद खाली है, ताकि पैसा बचा रहे हैं, पैसा बचाकर बिल्डिंगें बनवा रहे हैं, भवन बनवाने का काम किया जा रहा है जिससे कमीशन खाया जा सके. पढा़ई भी बर्बाद, अब दवाई पर आ जाए दवाई का क्या कर रहे हैं, उपाध्यक्ष महोदय दवाई में भी राज्यपाल के अभिभाषण में बताया है कि प्रत्येक जिले में कैंसर के लिए जिला स्तर पर कीमियोथेरेपी की व्यवस्था की गई है, डायलिसिस की व्यवस्था की गई है. यह योजना कौन से जिले में चल रही है, महानगरों को छोड़कर.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मेरे यहां डायलिसिस की चार यूनिट्स चल रही है.
श्री के.के. श्रीवास्तव - उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां ट्रामा सेंटर चल रहा है, डायलिसिस हो रहा है, सिटी स्कैन हो रही है, बहुत शानदार चल रहा है. असत्य का ही पुलिन्दा पढ़ना हो तो फिर दूसरी बात है.
श्री सोहन लाल बाल्मीक - कीमियोथेरेपी किस जिले में हो रही है.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- मेरे जिले में हो रही है.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- आप कीमोथैरेपी की बात करें.
..(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, अच्छा, इनके सबके यहां हो रही है, भिण्ड, मुरैना और श्योपुर में नहीं हो रही है.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- उपाध्यक्ष महोदय, छिंदवाड़ा जिले में भी कीमोथैरेपी नहीं हो रही है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप जो असत्य कह रहे हैं, वह हमने मान लिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- गोविन्द सिंह जी, आप कभी असत्य नहीं बोलते. आप धर्म,ईमान से बोलना कि पहले से भिण्ड का अस्तपाल अच्छा हो गया है कि नहीं. सही सही बोलना.
डॉ. गोविन्द सिंह -- वह हमने बनवाया है. हमने 5 लाख रुपये दिये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप लोगों की इस बातचीत से लोग भ्रमित हो जाते हैं. वह यह नहीं जानते कि यह तो प्रेम वाली अदावत है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण में यह उल्लेख है कि 2 लाख रुपये गरीबों को कैंसर के इलाज के लिये दिये. यह आपने कैंसर के इलाज के लिये नहीं दिया. यह भारत सरकार की बरसों से योजना चल रही है. गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के लिये 2 लाख रुपये कैंसर के इलाज के लिये भारत सरकार देती है, जिनके पास बीपीएल का कार्ड है. आपने तो लिख दिया है. आपने क्या किया. पूरे भारत में मध्यप्रदेश दूसरा राज्य है,जहां सबसे ज्यादा कैंसर से मौतें हो रही हैं. यहां पर प्रति दिन 84 लोग कैंसर से मर रहे हैं और 191 नये मरीज प्रति दिन आ रहे हैं. मतलब 50 प्रतिशत मरीज कैंसर की बीमारी से पीड़ित होने के कारण मर रहे हैं. भारत सरकार ने कैंसर, किडनी और मधुमेह रोग के इलाज के लिये आपको पिछले 2-3 वर्षों में 48 करोड़ 37 लाख रुपये दिये थे, परन्तु आपने पूरे खर्च नहीं किये. इधर लोग मर रहे हैं, आपने केवल 3 वर्ष में 10 करोड़ 80 लाख रुपये जो भारत सरकार ने आपको कैंसर,मधुमेह और हृदय रोगियों के लिये दिये थे, वह केवल आपने 10 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. बाकी के आप खर्च नहीं कर पाये हैं. पिछले वर्ष कैंसर के कारण मध्यप्रदेश में 1,17,639 मौतें हुई थीं और पिछले 4 वर्षों में 2 लाख 67 हजार में से आधी मौतें हुई हैं. लगातार कैंसर के मरीज हर गांव में, शायद ही कोई गांव मिलता हो, जिसमें एक-दो मरीज नहीं मिल रहे हों. कैंसर की महाबीमारी सब जगह बहुत तेजी से फेल रही है. उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा क्या है कि सब अस्पतालों में मिलावटखोरी चल रही है. दवाइयों में मिलावट, नकली दवाइयां, खाद्यान्न में मिलावट. अभी सरकार ने एक नई योजना चलाई है कि पतंजलि से खरीदेंगे. वह रामदेव बाबा है, उसको डेढ़ सौ एकड़ जमीन दे दी, वह पतंजलि में उपयोग करेगा. मध्यप्रदेश के इन्दौर में उसकी कम्पनी पर छापा लगाया गया है. पतंजलि के दो बिस्किट्स हैं. एक किसी में 10 ग्राम की जगह 8 ग्राम निकले और किसी में 7 ग्राम निकले. मध्यप्रदेश सरकार के नापतौल विभाग ने 2 लाख 60 हजार रुपये उस पर जुर्माना लगाया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- गोविन्द सिंह जी, वह लंगोटी वाला बाबा है, पूरी कांग्रेस दो साल से अनुलोम-विलोम कर रही है.
उपाध्यक्ष महोदय -- बाबा तो कहते हैं कि वे किसी गुट में नहीं हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि पतंजलि में क्या हुआ था. सरसों के तेल में मिलावट पाई गई.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय, वह बाबा कांग्रेस की सरकार हटाने के लिये निकले थे. जब से पूरी कांग्रेस अनुलोम -विलोम कर रही है, उससे ये पंगा ले रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- वह तो ड्रामेबाज बाबा है. नकली है. उपाध्यक्ष महोदय, वह देहरादून में भी पकड़े गये थे. देहरादून में 6 मामलों में ऐसे ही पकड़े गये हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- उपाध्यक्ष महोदय, इनकी साधू, संतों से कम ही पटरी बैठती है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- तो क्या हम सच्चाई नहीं बोलेंगे. मुरैना में पतंजलि में सरसों का तेल मिला था, उसमें पॉम ऑयल मिला हुआ था.
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह) -- गोविन्द सिंह जी, आप रावतपुरा सरकार जी की तो जय करते हैं ना.
डॉ. गोविन्द सिंह -- ये मीडियेटर बैठे हैं, इनसे आप पूछें.
उपाध्यक्ष महोदय -- डॉक्टर साहब समाजवादी सोच के हैं. बाबाओं से ज्यादा सम्पर्क में नहीं रहते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मिश्र जी से पूछिये कि क्या हुआ है, इनको पूरी कथा मालूम है. उपाध्यक्ष महोदय, कैंसर रोग से प्रति दिन 84 मौतें हो रही हैं. पतंजलि शहद कहां से आया. उसकी शहद में शुद्धिकरण नहीं है. मिलावट वाला शहद है और इस समाचार पत्र में भी छपा है और कई जगह जानकारियां हासिल हुई हैं कि जो 84 व्यक्ति प्रति दिन मध्यप्रदेश में कैंसर से मर रहे हैं, उसमें से 4 व्यक्ति प्रति दिन बाबा रामदेव के पतंजलि की शहद खाने से मर रहे हैं.
..(हंसी)..
उपाध्यक्ष महोदय -- (हंसते हुए) डॉक्टर साहब, यह आंकड़े आप कहां से लाये हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- यह आंकड़े हमारे पास हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- लहार के लोगों की टीम गई थी सर्वे करने. ..(हंसी)..
डॉ. गोविन्द सिंह - हम नहीं गए थे. आप ही देख लीजिये. इस समाचार-पत्र में लिखा है तथा यह दिनांक 20.12.2016 का है. (हंसी) आप सच्चाई भी स्वीकार नहीं करेंगे तो ऐसे बाबा को यहां से भगाओ. आप उनको जगह दे रहे हैं, वे मिलावट कर रहे हैं.
श्री सुदर्शन गुप्ता - अब आप उनको नहीं भगा पाओगे. बाबा ने सबको भगा दिया है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - गोविन्द सिंह जी, मैं यह तो कहना नहीं चाहता हूँ कि बाबा को भगाओ और कांग्रेस को बचाओ. (हंसी)
श्री सुदर्शन गुप्ता - बाबा ने ठिकाने लगा दिया है.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वित्तीय स्थिति पैरा-7 में आपने लिखा है कि मेरी सरकार राज्य की वित्तीय स्थिति का बेहतर प्रबन्धन करने में सफल रही है. मैं बता देना चाहता हूँ कि यह सी.ए.जी. की रिपोर्ट दिसम्बर, 2016 के प्रथम सप्ताह की है, इसमें बताया गया है कि मध्यप्रदेश सरकार पर आज 1 लाख 78 हजार 888 करोड़ 78 लाख रूपये के कर्ज का उल्लेख है. आजादी के बाद सन् 1956 से लेकर सन् 2003 तक 47 वर्षों में मध्यप्रदेश सरकार पर 23 हजार करोड़ रूपये का कर्जा था. आज आपने सन् 2013 में 80 हजार करोड़ रूपये से अधिक कर दिया है. सन् 2015 में मध्यप्रदेश में जो प्रति व्यक्ति कर्जा था, वह 13,853 रूपये और वर्तमान में इस समय जो आगामी बजट 2017-18 पेश होगा, उसमें जितना भी कर्जा मध्यप्रदेश सरकार पर होगा, उतना ही सम्पूर्ण मध्यप्रदेश सरकार का बजट होगा. आप बताइये, कर्जा और बजट बराबर की स्थिति में पहुँचाने का काम कर रहे हैं. आप यह किन स्थितियों में कर रहे हैं ? आप पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं. उधार मांगकर घी पीने की एक कहावत है लेकिन ये उधार के सिन्दूर से दूसरे की मांग भरने का काम कर रहे हैं. आपने तेंदूपत्ता का 28 फरवरी, 2016 में महासम्मेलन किया, उसमें करीब 2.5 करोड़ रूपये सम्मेलन में खर्च किए हैं. आपने 10 वां विश्व हिन्दी सम्मेलन किया है, इसमें केवल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा के लोगों को बुलाया था और उनके व्याख्यान कराये थे एवं उसमें करीब 13 करोड़ रूपये खर्च किए थे. आपने किसान सम्मेलन, सीहोर में किया था तथा अपनी महिमा मण्डित करने के लिए, नेताओं को बुलाकर 7.50 करोड़ रूपए खर्च किए थे तथा 'ग्रामोदय से भारत उदय', महू में 14 अप्रैल को कार्यक्रम किया था, इसमें आपने 43 करोड़ 44 लाख रूपये खर्च किए थे. आपने अन्तर्राष्ट्रीय महा कुम्भ किया, उसमें 16 करोड़ 85 लाख रूपये खर्च किए थे.
श्री सुदर्शन गुप्ता - 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव जी अम्बेडकर की जयन्ती है, आपको उसमें भी आपत्ति हो रही है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने चन्द्रशेखर आजाद की जयन्ती पर कार्यक्रम किया था, जिसमें 5 करोड़ 96 लाख रूपये खर्च किए थे, ग्लोबल वार्मिंग के कार्यक्रम में 2 करोड़ 35 लाख रूपये खर्च किए. आपने विश्व आयुर्वेद सम्मेलन किया, उसमें 3 करोड़ रूपये खर्च बताए गए जबकि आयुर्वेद की सब संस्थाओं से, जितने प्रैक्टिशनर हैं, उनसे पैसा मंगवाया था और उसमें उन्हें कोई लाभ नहीं मिला. आपने विश्व हिन्दी सम्मेलन किया था, लेकिन आज तमाम् शासकीय कार्य में अंग्रेजी का प्रयोग हो रहा है. न्यायालयों में क्यों इंग्लिश चल रही है, क्यों अंग्रेजी में बहस हो रही है, क्यों अंग्रेजी में बहस और फैसले हो रहे हैं. सरकार के तमाम कार्यक्रम हैं, जहां अंग्रेजी के कोटेशन लिखे जाते हैं. जब आप विश्व हिन्दी सम्मेलन करते हैं एवं करोड़ों रूपये खर्च करने का काम करते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अभी सुदर्शन गुप्ता जी ने कहा कि आप 14 अप्रैल यानि बाबा साहेब के जन्म दिन पर आपत्ति कर रहे हैं ? यह आपत्तिजनक है.
डॉ. गोविन्द सिंह - हम बाबाजी पर आपत्ति नहीं कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - इससे कांग्रेस का दलित विरोधी चेहरा उजागर होता है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपके द्वारा प्रदेश के खजाने को लूटने पर आपत्ति ले रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदय, सरकार इतना बड़ा काम कर रही है. माननीय प्रधानमंत्री जी आ रहे हैं, इतना बड़ा आयोजन हो रहा है लेकिन कांग्रेस का कोई प्रधानमंत्री नहीं आया.
डॉ. गोविन्द सिंह - यह आप अपने घर से कर रहे हैं या चन्दे से कर रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयन्ती पर कोई प्रधानमंत्री नहीं आया, एकमात्र प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आए हैं. इसमें भी आपत्ति है.
डॉ. गोविन्द सिंह - यह आप लोगों का क्या कोई तरीका है.
श्री ओमप्रकाश ध्रुवे - डॉक्टर साहब आप बाबा साहेब विरोधी मानसिकता के हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - सेठजी, आप बैठ जाइये. मैं अम्बेडकर की नहीं कह रहा हूँ. आपने जो पैसा अम्बेडकर के नाम पर, इसके नाम पर, उसके नाम पर खर्च डाला है. आपने आधे से ज्यादा उस पैसे की डकैती की है, उस पैसे को भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में जमा किया है. इसका विरोध कर रहे हैं.
श्री वैलसिंह भूरिया--उपाध्यक्ष महोदय, शहीदों की शहादत को नमन करना अपराध एवं नियम विरूद्ध है क्या ?
उपाध्यक्ष महोदय--आपका इसमें नाम है बाद में बोल दीजियेगा.
डॉ.गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, आपने ज्यादा पैसा खर्च करके प्रदेश को गर्त में डाल दिया है. कृषि महोत्सव में 54 करोड़ रूपये खर्च किये मध्यप्रदेश भवन में तीन वर्ष 30-32 करोड़ रूपये सुधार करने के लिये रिनोवेशन में खर्च किये थे आज पुनः मध्यप्रदेश भवन को तोड़कर फिर से भवन को बनाया जा रहा है, जबकि वहां पर कमरे बहुत ही खूबसूरत हैं तथा भवन भी अच्छा बना हुआ है, उसको तोड़कर करोड़ो रूपये खर्च करेंगे उसमें 20 प्रतिशत कमीशन खाएंगे. यहां पर एयर कंडीशन ऑलीशान भवन बन रहे हैं. आप बटन दबाओ, आपकी गाड़ी आपके सिर के ऊपर पहुंच जाएगी, यह कार्यक्रम आप चला रहे हैं जनता के पैसे का यह दुरूपयोग कर रहे हैं तथा जनता को कर्ज में डाल रहे हैं. ईओडब्ल्यू में एयर कंडीशन, वहां पर तीन-तीन, चार-चार भवन पीएचई विभाग के बने हुए थे आपने वहां पर करोड़ो रूपये के नये भवन बना दिये हैं. आपने इसके साथ ईएनसी के भी नये भवन बना दिये. क्यों बनाये आपने? जबकि पर्याप्त बिल्डिंग्स थीं. उपाध्यक्ष महोदय, इसीलिये मेरा कहना है कि पैसे का दुरूपयोग हो रहा है, यह लोग 20 प्रतिशत कमीशन खाकर अपनी गरीबी दूर करने में लगे हुए हैं. दतिया तथा भिण्ड में कलेक्टर भवन बना हुआ है 20 एवं 30 साल पुराना.
उपाध्यक्ष महोदय--यह 20 प्रतिशत का आंकड़ा डॉ.साहिब कहां से लाये ?
डॉ.गोविन्द सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, मुझे ठेकेदारों ने बताया है कि हम इनको पैसे दे रहे हैं. यह लोग पैसे का पूरी तरह से दुरूपयोग करने में लगे हुए हैं. इन्होंने दतिया में खूबसूरत कलेक्टर भवन करोड़ो रूपयों का बना हुआ था उसमें करीब 50-60 करोड़ रूपये खर्च कर डाले, उसमें भी कमीशन खा गये. यह काम कर रहे हैं दतिया में? जब वहां इतना खूबसूरत कलेक्टर भवन बना था तो इसकी क्या जरूरत थी ? भिंड से 10 साल बाद बना था उसमें क्या आप भैंसे बांधेंगे?
उपाध्यक्ष महोदय--दो मिनट में आप समाप्त करें.
डॉ.गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय दो मिनट और अपनी बात कहकर भाषण को समाप्त करूंगा. आप लोगों ने मेडिकल कालेज बना दिया इसके लिये आपका धन्यवाद. अब मैं कृषि के बारे में बताना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--डॉ.साहिब गुब्बारे में हवा भरते हैं फिर निकाल देते हैं (हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह--मेडिकल कालेज में ठीक काम हो रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--उपाध्यक्ष महोदय, यह हमारे बड़े भाई हैं. (हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह--किसानों की जमीनें दो दो और तीन-तीन लाख रूपये में खरीदी गईं आसपास के लोगों के द्वारा खरीदी गईं. हम किसी का नाम नहीं ले रहे हैं, वह जमीन तीन लाख रूपये की थी उसमें मेडिकल कालेज हो गया. अब वह जमीन 60 लाख रूपये बीघा हो गई है. आखिर यह किनकी जमीनें हैं इसकी जांच कराओ. जांच कराने की इनमें हिम्मत नहीं है. आप कह रहे हैं कि कृषि को लाभ का धन्धा कैसे बनाएंगे ? आप लगातार डीजल के रेट बढ़ाते चले जा रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, इस बार गेहूं की बंपर फसल आने वाली है उसमें भारत सरकार ने जब दिल्ली में दिसम्बर सत्र था उस समय गेहूं में जो आयात शुल्क था 10 प्रतिशत उस आयात शुल्क को हटा दिया है उस आयात शुल्क हटाने से बाहर से गेहूं बड़ा ही सस्ता आ रहा है अब जो किसानों का गेहूं आने वाला है उसके भी भाव गिरेंगे समर्थन मूल्य के अलावा जो ज्यादा गेहूं आयेगा वह नहीं खरीदा जाएगा, जहां तक समर्थन मूल्य का सवाल है वह भी किसानों को नहीं मिल पायेगा जिसमें सरकार पेमेन्ट करेगी. जैसे और भी जिन्स हैं सरसो आ गई है. वह भी पांच हजार से साढ़े पांच हजार रूपये क्विंटल थी. इस साल सरसों की भी फसल बहुत ही अच्छी है.य फसल के पहले ही उसके भाव 31 सौ रूपये क्विंटल हो गये हैं जब अप्रैल तक सरसों की फसल आ जाएगी तो सरसों 27 से 28 सौ रूपये क्विंटल बिकेगी तो आप कैसे कृषि को लाभ का धन्धा बनायेंगे. आपने सरकारी खरीद के लिये मार्केटिंग व्यवस्था नहीं की है कैसे समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद कर रहे हैं इसी प्रकार आप सरसों खरीदी, टमाटर खरीदी में ऐसा ही हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने घर पर जहां खुद रहता हूं वहां दो बीघा खेत है, मैंने वहां पर बैंगन और टमाटर एक-एक बीघा में बोये थे और दोनों की लागत बैंगलोर में जो बीज बेचते हैं पंद्रह सौ रूपये का बीज आया था, उसमें दो थैलियां आईं थी और पूरी लागत, मेहनत, मजदूरी, खाद, बीज, पानी दवाईयां, सब डालने के बाद करीब 14 हजार रूपये लागत आई थी. जब बाजार में हमारा साझेदार कुशवाहा उसे बेचने गया तो पूरे साल टमाटर और बैंगन दोनों एक रूपये किलो, दो रूपये किलो में बिके और उसको सिर्फ साढ़े ग्यारह हजार रूपये मिले, स्वयं उसके तीन हजार के करीब उसके घर से चले गये, क्या आप इस प्रकार कृषि को लाभ का धंधा बनाओगे ? बस आप लगात बढ़ाते चले जा रहे हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भिंड जिले में बीमा की जो किश्तें थीं जबरदस्ती जिन किसानों ने कर्जा लिया है, उन पर लाद दी है और 24 लाख रूपये बीमा की प्रीमियम जमा करवाई और उसके बाद जब भिंड में बीमा बंटा तो 4 लाख 30 हजार रूपये का बीमा किसानों को मिला है. आपके एक किसान घनश्याम दास को 13 रूपये और किसी किसान को 18 रूपये मिले हैं. इस प्रकार आपके जो माननीय प्रभारी मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन जी, जो आज नहीं आये हैं, ग्वालियर में जब पत्रकार लोगों ने उनसे पूछा कि बीमा में इतना पैसा क्यों मिला तो मंत्री जी का जवाब था मैं क्या करूं यह बीमा की ऐसी योजना आई है कि मैं ही इसको नहीं समझ पाया तो हम किसानों को क्या समझाएं. यह उनका बयान छपा है, जब आपके कृषि मंत्री जी ही नहीं समझ पा रहे हैं तो किसानों को आप क्यों लुटवा रहे हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपसे यही कहना चाहता हूं कि आप फसलों के संबंध किसानों के लिये नीति बनायें. गेहूं, सरसों और जो नये जींस आने वाले हैं इनकी खरीदी शासकीय स्तर पर करें. कृषि बीमा योजना में जितना लिया जाता है उससे लाभ की योजना बनायें और भारत की जो एल.सी.आर.वी की रिपोर्ट है जिसमें किसानों के मौतों के बारे में लिखा है कि मध्यप्रदेश में प्रतिदिन चार किसान आत्महत्या कर रहे हैं. रोज आप कोई भी समाचार पत्र पढ़ो एक, दो नौजवान जिसमें 13, 14 साल से लेकर 30-35 साल के दो, चार बालक बालिकाएं बेरोजगारी के कारण आत्महत्याएं कर रहे हैं. कहीं उनको रोजगार और धंधे नहीं मिल रहे हैं. हमारा सरकार से अनुरोध है कि अगर आपने राज्यपाल के अभिभाषण में जो असत्य भाषण किये हैं, आपकी आदत है करते रहोगे. लेकिन कम से कम 50 प्रतिशत इस पर पालन करो, यह हमारा अनुरोध है. आपने उपाध्यक्ष जी बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - आपके बटाईदार को बीमा राशि मिली की नहीं मिली ?
डॉ. गोविंद सिंह - बीमा कराया था, कर्जा लिया नहीं था.
उपाध्यक्ष महोदय - अब तो बिना कर्जे के भी बीमा हो जाता है.
डॉ. गोविंद सिंह - जब इनके कृषिमंत्री जी बीमा की योजना नहीं समझ पा रहे हैं तो हम कहां से समझ सकते हैं.
डॉ. कैलाश जाटव - उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार द्वारा माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण पर मुझे आज बोलने का जो मौका दिया है, उसके लिये मैं धन्यवाद देता हूं. आज बड़ा अफसोस लग रहा था जब माननीय डॉ. गोविंद सिंह जी बोल रहे थे, किसानों के बारे में चर्चा कर रहे थे और उन्हीं के साथ के एक नेता जब राज्यपाल के अभिभाषण पर बोल रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि सदन में चर्चा हो रही है या चौराहे पर चर्चा हो रही है. सदा सदन की गरिमा बनी रहे यह सदस्यों को चिंता करना चाहिए. राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो, लेकिन उनके भाषणों में ऐसा लग रहा था किसी व्यक्ति के ऊपर अंगुली उठाई जा रही है.
डॉ. गोविंद सिंह - अब गरिमा कॉलेज खुलवा रहे हैं, उस पर आपके भाषण करवायेंगे.
डॉ. कैलाश जाटव - देखिये माननीय डॉक्टर गोविंद साहब मैं आपके भाषण के बीच में नहीं बोला हूं. आप भी डॉक्टर हैं, मैं भी डॉक्टर हूं.
डॉ. गोविंद सिंह - आपकी इसमें कौन सी गरिमा खत्म हो गई है.
डॉ. कैलाश जाटव - डॉक्टर गोविंद साहब मैं आपकी बात नहीं कर रहा हूं आपके पीछे वालों की बात कर रहा हूं. हमारी सरकार इस वर्ष गरीब कल्याण वर्ष मना रही है. अगले वर्ष भी हमारी सरकार ने घोषणा की थी, मेरा सौभाग्य है कि जिन वर्षों में गरीब कल्याण वर्ष की योजना मनाई जा रही है, उस समय मैं इस विधानसभा का सदस्य हूं. मुझे गर्व है क्योंकि हम उन परिवारों से आते हैं, जिन परिवारों को आजादी से लेकर आज तक कुछ नहीं मिला है. आज जब हमारी सरकार गरीब कल्याण वर्ष की घोषणा करती है, उसमें भी हमारे कांग्रेस के साथियों को आपत्ति होती है, पता नहीं क्यों इस शब्द से उनको परेशानी है. उन्होंने अपने वरिष्ठों के साथ में एक नारा दिया था ''कांग्रेस का हाथ गरीबों के साथ'' लेकिन वह गरीबों का गला घोंटते चले गये और इस देश को इस स्थिति में पहुंचा दिया कि आज हमारी सरकार को गरीबों के लिये काम करना पड़ रहा है. जिन्होंने 60-70 वर्ष इस देश में राज किया वह यहां हमको बता रहे हैं कि गरीब कल्याण वर्ष नहीं मनाना चाहिये. वह हमें बता रहे हैं कि 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती पर खर्चा नहीं होना चाहिये. ऐसे सदस्यों का हम यहां पर भाषण सुनेंगे तो हम लोगों को लगता है कि कहीं न कहीं हमको विचार करना पड़ेगा कि किस सदन में बैठे हुए हैं. माननीय राज्यपाल जी के भाषण में किसी के लिये विश्व की सबसे बढ़ती विकास दर अगर है तो वह मध्यप्रदेश की 20 प्रतिशत विकास दर है. हमारे सदन के साथियों को गर्व होना चाहिये कि हम जिस सदन में बैठे है उस प्रदेश की विकास दर विश्व में ही नहीं, देश में नहीं सबसे ज्यादा हमारे यहां पर है. दलहन, तिलहन, मसूर , चना, सोयाबीन और लहसून में मध्यप्रदेश सबसे अव्वल है. अभी डॉक्टर साहब बोल रहे थे कि हमारे टमाटर सड़ गये. हम किसानी को लाभ का धंधा बना रहे हैं, किसानों के लिये लाभ की पैदावारी करना चाहते हैं इसलिये बाबा रामदेव जैसे लोगों को हम यहां पर संरक्षण दे रहे हैं. उन किसानों के 2 रूपये नहीं 10 रूपये किलो टमाटर बिकेंगे. अगली बार आप टमाटर बाबा रामदेव जी को बेचियेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारा प्रदेश चार बार कृषि कर्मण अवार्ड लाया है. ऐसे प्रदेश के किसानों को भारतीय जनता पार्टी की सरकार सलाम करती है. जिनकी बजह से हम चार बार कृषि कर्मण अवार्ड ला पाये हैं. राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में खरीफ में 2015 में बीस लाख सैंतालीस हजार किसानों को देश के इतिहास में सबसे ज्यादा चार हजार चार सौ सोलह करोड़ रूपये अगर किसी सरकार ने देने का काम किया है तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, मैं इसका स्वागत करता हूं. पिछले वर्ष किसानों को अट्ठारह हजार चार सौ चवालीस करोड़ की राशि किसानों को आपात की स्थिति में दी गयी. यह सब बातें दर्शाती है कि हम किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं, आपदा के समय भी हम किसानों साथ खड़े हुए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में फसल का रकबा 14 लाख हेक्टेयर हो गया है. हम किसानों को 10 घण्टे बिजली दे रहे हैं. घरेलू बिजली 24 घण्टे दे रहे हैं. जिस समय भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी थी, उस समय तो बिजली का पता ही नहीं चलता था कि कब बिजली आती है और कब बिजली जाती है. अगर आज मेंटेनेंस के बिजली जाती है तो उसमें भी हमारे कांग्रेस के साथियों को आपत्ति होती है. किसानों को पिछले वर्ष छ: हजार सात सौ सतरह करोड़ रूपये की सबसिडी सरकार के द्वारा दी गयी. सिंचाई परियोजना के निर्माण में छ: हजार छ: सौ सात करोड़ रूपये का निवेश किया गया है और इस वर्ष नौ हजार तीन सौ तेरह करोड़ रूपये का निवेश करने की योजना है. वर्तमान में 18 वृह्द, 36 मध्यम और 407 लघु सिंचाई परियोजनाएं विभिन्न चरणों में निर्माणाधीन हैं. सिंचाई के क्षेत्र में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने काम किया है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने देखा होगा कि हमारी सरकार ने लघु, वृह्द और मध्यम योजनाओं से प्रदेश के सिंचाई रकबे को बढ़ाया है और कहीं न कहीं यह सिंचाई किसानों के हित में हो रही है. जिसकी वजह से हमको कृषि कर्मण अवार्ड लगातार चौथे वर्ष मिल रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री सड़क योजना- कांग्रेस के शासनकाल में भी प्रधानमंत्री हुआ करते थे उस पर भी कांग्रेस के साथियों को भी आपत्ति है. हमारे उन गरीब, सुदुर ग्रामों में जहां पर लोग रहते थे, वहां पर कोई चीजें नहीं जा पाती थी, उसको अगर पहुंचाने का काम किया है तो भारतीय जनता पार्टी की माननीय अटल बिहारी बाजपेयी और माननीय मोदी जी की सरकार ने किया है और माननीय शिवराज सिंह चौहान ने उसको पहुंचाने का काम किया है. उसके लिये माननीय विपक्ष के साथियों को धन्यवाद् देना चाहिये, उनके यहां पर भी कहीं न कहीं इस योजना का लाभ मिला है. लेकिन वह भी हास्यास्पद स्थिति बनाते हैं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना इस देश के लिये क्रांतिकारी योजना है. मैं समझता हूं कि आने वाले समय में यह एक इतिहास का काम करेगी. हर ग्राम सड़क से जुडे़गा जो आजादी के बाद आज तक सड़क से नहीं जुड़ा. मुझे मेरी सरकार पर और राज्यपाल के अभिभाषण पर गर्व है कि उन्होंने इस योजना का अपने अभिभाषण में उल्लेख किया है.
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य प्रधानमंत्री सड़क योजना का बोल रहे हैं. मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि एनडीए की सरकार में अभी दोबारा कितनी राशि प्रतिवर्ष प्रधानमंत्री सड़क योजना के लिये दी गयी और यूपीए-1 और यूपीए-2 के समय में जितनी राशि मध्यप्रदेश को दी गयी उसकी तुलना में जब केन्द्र में आपकी सरकार है तो 20 प्रतिशत की कटौती उस राशि में की गयी. आप किस राज्यपाल के अभिभाषण की बात कर रहे हैं.
डॉ कैलाश जाटव :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ अपने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा कर रहा हूं. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में प्रदेश को 18365 किलोमीटर की सड़के मिली हैं. ये सड़के प्रदेश के लोगों एवं विशेषकर किसानों के लिए जीवनदायिनी हैं. इस बजट में 10 हजार किलोमीटर की सड़कों को मुख्यमंत्री सड़क योजना में शामिल करने का कार्य किया गया है. यह सरकार का बहुत ही सराहनीय कार्य है. हमारी सरकार के माध्यम से राज्यपाल के अभिभाषण में उल्लेख किया गया है कि 15 लाख निकाय क्षेत्रों में और 5 लाख शहरी क्षेत्रों में मकान देने का कार्य हम करने वाले हैं. आजीविका मिशन के अंतर्गत 33 जिलों में 19 लाख 45 हजार परिवारों को इसका लाभ प्राप्त हुआ है. इसके अतिरिक्त 14 वें वित्त वर्ष में ग्राम पंचायतों को 2292 करोड़ 46 लाख की राशि का आवंटन किया गया है. पंच परमेश्वर योजना में सरकार द्वारा 30 प्रतिशत तक राशि बढ़ाई गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिन गांवों में कभी सड़कें नहीं बन पाती थीं, उन गांवों में पंच परमेश्वर योजना की मद से आज सी.सी. सड़कों का निर्माण हो रहा है. इस बात के लिए मुझे अपनी सरकार पर गर्व है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोक परिवहन हेतु 20 जिलों में 391 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई है. सदन में लोक महत्व की योजनाओं हेतु मंजूर रकम बताना मेरा आशय नहीं है अपितु मैं चाहता हूं कि सरकार द्वारा किए गए कार्यों को विपक्ष को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए. मुख्यत: लोक परिवहन में हमारे समाज के छोटे तबके के लोग ही परिवहन करते हैं. वे इसका प्रयोग स्कूल, कॉलेज और अपने काम-धंधों पर आने जाने के लिए करते हैं. लोक परिवहन हेतु मंजूर की गई यह बड़ी राशि हमारी सरकार की सर्वजन हिताय मंशा को सिद्ध करती है. हमारी सरकार की ओर से एक और बहुत ही अच्छी योजना इस वर्ष लागू होने वाली है. हमारे खाद्यान्न मंत्री सदन में मौजूद हैं, मैं इस योजना को प्रारंभ करने के लिए उन्हें बधाई देना चाहता हूं. हमारी सरकार 5 रूपये में गरीब लोगों को गुणवत्ता युक्त एवं स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराने जा रही है, यह हमारी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 6111 युवकों को 135 करोड़ रूपये के त्रण आवंटित किए गए हैं. हमारी सरकार द्वारा विशेष रूप से उन बेरोजगार युवकों को मदद पहुंचाई गई है, जो अपना रोजगार प्रारंभ करना चाहते थे. हमारे साथी डॉ. गोविंद सिंह जी अभी सरकार द्वारा दी गई नौकरियों के विषय में सदन में बोल रहे थे. मैं आंकड़ों के साथ उन्हें बताना चाहता हूं कि विगत वर्षों में अनुसूचित जाति वर्ग में 16 हजार 3 नौकरियां, अनुसूचित जनजाति वर्ग में 27 हजार 966 नौकरियां एवं पिछड़े वर्ग में 11 हजार 54 नौकरियां दी गई हैं. कुल मिलाकर 55 हजार 23 पदों की पूर्ति की जा चुकी है. यह मेरी सरकार की उपलब्धि है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जिन्होंने अपने परिवारों को छोड़कर आजादी की लड़ाई के आंदोलनों में भाग लिया, ऐसे परिवारों को हमारी सरकार ने अब 15000 रूपये के स्थान पर 25000 रूपये पेंशन देने का प्रावधान किया है. ''आनंद विभाग'', आनंद विभाग के बारे में मैं सदन को बताना चाहूंगा कि आज हमें गर्व होना चाहिए कि हम एक ऐसे प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां आनंद विभाग जैसा कोई विभाग है. वे वस्तुएं जो हमारे काम की नहीं हैं, उन वस्तुओं को हम आनंद विभाग के माध्यम से गरीब जनता, जिन्हें उन वस्तुओं की आवश्यकता है, बिना किसी मोल के पहुंचा सकते हैं. ''मिल बांचें'', इस शब्द को मेरे विपक्ष के साथियों ने ''मिल बांटें'' के रूप में सदन में बहुत उछाला है. जिन लोगों ने अपने समूचे राजनैतिक जीवन में मिल बांटकर खाने का काम किया है, वे हमें ''मिल बांचें'' का अर्थ आज समझा रहे हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस मिल बांचें योजना के तहत हम उन बच्चों तक पहुंच पाये, जिन्होंने कभी किसी विधायक, मंत्री और शासन के अधिकारी के विषय में जाना तक नहीं था. आज शासन के विभिन्न अधिकारी, कर्मचारी, विधायक और मंत्री स्वयं जाकर उन बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. बच्चों की जिज्ञासाओं को दूर करने का कार्य हम कर रहे हैं. इसमें भी विपक्ष के साथियों को आपत्ति है. मैं अपने विपक्ष के साथियों से भी विनम्र निवेदन करूंगा कि वे इस ''मिल बांचें'' योजना के तहत जाकर बच्चों को पढ़ायें और देखें कि हमारी सरकार बच्चों को क्या पढ़ा और सीखा रही है. मेरे विपक्ष के साथी जाकर बच्चों की परेशानियों को जानें और माननीय मुख्यमंत्री जी से उन परेशानियों को साझा करें ताकि हम उन दिक्कतों को दूर कर सकें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अंत में मैं ''नमामि देवी नर्मदे'' योजना के बारे में कहना चाहूंगा. हमारे प्रदेश में कई सरकारें बनी हैं लेकिन आज चारों ओर जो खुशहाली है, किसानों की सिंचाई योजनायें फलीभूत हुई हैं, यह सब कुछ कहीं न कहीं मां नर्मदा की कृपा से ही हुआ है. आज क्षिप्रा और नर्मदा का जो मिलन हुआ है, वह मां नर्मदा के जल के कारण ही हुआ है. आज हमारे मुख्यमंत्री जी मां नर्मदा के जल के संरक्षण की बात करते हैं तो वह भी विपक्ष को हास्यास्पद लगता है. हम जानते हैं कि पुराने समय में क्या-क्या नहीं हुआ लेकिन हम उस विषय को उठाना नहीं चाहते. ''जब जागे तभी सवेरा'' इस उद्देश्य से जब काम करने के लिए सरकार आगे निकलती है.
डॉ. राम किशोर दोगने -- डॉक्टर साहब रेत निकालने की बात भी कर दो तो ठीक रहेगा.
डॉ. कैलाश जाटव -- अभी उस विषय पर आएंगे. अभी हम सभी सदन में रहने वाले हैं. अभी रेत पर भी आएंगे सब पर आएंगे.
श्री निशंक कुमार जैन- यह मत बोल देना कि नर्मदा माता का उद्गम ही भारतीय जनता पार्टी ने कराया है.
डॉ. कैलाश जाटव-- आप चिंता मत करो.
श्री निशंक कुमार जैन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि नर्मदा सेवा यात्रा है या सर्वे यात्रा है.
डॉ. कैलाश जाटव-- जैन साहब आप बैठिए, मैं आपको बताता हूं.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- ''जा की रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी.
डॉ. कैलाश जाटव-- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि कांग्रेस के साथी बोल रहे हैं हमारे जबलपुर में कौन रेत ढोता था, कौन नहीं ढोता था उनको सब मालूम है इसलिए मैं उस विषय को लेना नहीं चाहूंगा.
श्री सोहन लाल बाल्मीक-- फिर डम्पर किसके पकड़ाए हैं?
डॉ. कैलाश जाटव-- अभी डम्पर आपके पकड़ाए हैं. मैं वह विषय नहीं लाना चाहता हूं.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- वह विषय इसलिए नहीं लाना चाहते हैं क्योंकि वह विषय मुख्यमंत्री जी से संबंधित है.
उपाध्यक्ष महोदय-- उनको समाप्त करने दें.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- जा को दारूल दुख दई ता कि मति पहले हर लई.
डॉ. कैलाश जाटव-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने विपक्ष के साथियों से निवेदन करूंगा कि वह जमीन में से मुर्दे न निकालें क्योंकि उसमें उन्हीं के शव निकलेंगे. इसीलिए मेरा निवेदन है कि वह शांत रहें. मैं एक मिनट का समय और लूंगा. नमामि देवी नर्मदे के माध्यम से हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया हुआ है कि नर्मदा जी के तटों के दोनों तरफ उत्तर और दक्षिण तट पर हम एक-एक किलोमीटर में वृक्षारोपण करेंगे. हम जल का संग्रहण करेंगे. मां नर्मदा का उद्गम कोई ग्लेशियर से नहीं होता जो स्त्रोत हमारे पेड़ों और जलों के संग्रहण करने वाले पौधे होते हैं उनसे हमारी मां नर्मदा का जल बहता है. हम उसको बचाने का काम कर रहे हैं. हम ऐसे वृक्षों का वृक्षारोपण कर रहे हैं जिसमें मां नर्मदा का जल अविरल बहता रहे और हमने वहां पर प्रयास किया है और उसमें हम लोगों को सफलता भी मिली है. साक्षरता के लिए, साफ सफाई अभियान के लिए हमने मां नर्मदा को प्रदूषणमुक्त किया है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी)--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण में मैं अपने क्षेत्र की कुछ समस्याओं को लेकर चर्चा करना चाहता हूं और जहां तक मुझे जानकारी है कि सिवनी जिला और मेरी विधानसभा मध्यप्रदेश में है. मुझे राज्यपाल जी के अभिभाषण में कहीं भी अपना सिवनी जिला दिखा नहीं तो मुझे लगा कि कहीं सिवनी जिला दूसरे प्रदेश में तो नहीं है यह एक शंका मन में आ गई. फिर मैंने जानकारी ली कि सिवनी जिला विधानसभा मध्यप्रदेश में आता है. मेरा सरकार से एक आग्रह है कि आपने काफी योजनाएं चलाईं. मेरा विनम्र आग्रह है कि आप एक रुपए किलो चावल दे रहे हैं. शासन की जो राशि है वह जनता का पैसा है कोई मध्यप्रदेश सरकार अपनी जेब से नहीं दे रही है या केन्द्र सरकार अपनी जेब से नहीं दे रही है. बहुत लोग अपनी छाती ठोंककर बोलते हैं कि हमारी सरकार, हमारी सरकार आपको बनाया गया है. सरकार में आप अपनी योजनाओं को ला सकते हैं आप उन गरीबों के लिए वह काम क्यों नहीं करना चाहते है जहां सड़क नहीं है, जहां स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर नहीं है, स्कूल में पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है, हमारी सुरक्षा के लिए पुलिस नहीं है, बेरोजगारों के लिए रोजगार नहीं है. कब तक आप यह लुभावने वादे करेंगे कब तब लोगों को छूट देते रहेंगे, फ्री देते रहेंगे. कहीं न कहीं आपको ठोस कदम उठाने पड़ेंगे. गांव में बड़े-बड़े पुल पुलिया बनाने पड़ेंगे. बड़े हॉस्पिटल लाने पड़ेंगे, बड़े रोजगार देने होंगे, साधन संपन्न कराना पड़ेगा तभी जाकर मध्यप्रदेश का विकास होगा. 24 घंटे लाइट आप दें. मैं मानता हूं कि पर्याप्त डॉक्टर होने चाहिए. साथ में आप शिक्षा की व्यवस्था करें. गांव में शिक्षक नहीं हैं, स्कूल नहीं हैं तो आप कैसे उम्मीद करते हैं कि हमारे बच्चे पढ़ लिख लेंगे. उन बच्चों को संपन्न बनाने के लिए आप काम करें. अभी मेडिकल कॉलेज के लिए हमारे क्षेत्र में चाहे इंजीनियरिंग कॉलेज हो, चाहे कृषि महाविद्यालय हों, और जगह हम लोग देखते हैं हमारा सिवनी देखता है कि साहब वहां पर खुल रहा है, आज केबिनेट में यह फैसला हुआ है सिवनी का नाम क्यों नहीं आता है. सिवनी से क्या दिक्कत है. सिवनी से क्या भारतीय जनता पार्टी का सांसद नहीं है, क्या और विधायक नहीं हैं. क्या नगर पालिका तीन वर्ष से वहां पर राज कर रही है. क्या एक विधायक निर्दलीय जीत जाना गुनाह है, क्या वहां की जनता एक निर्दलीय विधायक को जिता देगी तो आप क्या पूरे क्षेत्र का विकास रोक देंगे? कब तक आप उस क्षेत्र का अनादर करेंगे? कहीं न कहीं सरकार की अनदेखी है. जानबूझकर उस क्षेत्र के विकास में इनका ध्यान नहीं है. आने वाला समय आएगा ऐसा न हो कि ऐसा न हो कि सभी जनप्रतिनिधि निर्दलीय हो जाएं, जनता को वहां ऐसा निर्णय लेने की मजबूरी होगी. मेरा एक आग्रह है कि पेंच व्यपवर्तन योजना के लिए वित्त मंत्री जी ने काफी राशि दी है लेकिन उसमें कुछ ऐसे क्षेत्र अभी भी छूटे हैं जिनकी पूर्व में स्वीकृति नक्शे में थी. माननीय मंत्री जी ने गोपालगंज क्षेत्र का सर्वे कराने का आश्वासन भी दिया था किन्तु आज एक साल होने जा रहा है. आज तक तक वहां सर्वे नहीं हुआ है. चाहे बखारी क्षेत्र हो, परासिया क्षेत्र हो, विजयपानी, उड़ेपानी, करकोटी, पातरपोड़ी क्षेत्र और चीचबंद बांध. मेरा आग्रह है कि यह मुझे राज्यपाल जी के अभिभाषण में कहीं देखने को नहीं मिला. स्कूलों का उन्नयन मैंने देखा कि कई जगह हुआ है लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र में सिर्फ दो स्कूलों का उन्नयन किया गया. दूसरी जगह 18-18 स्कूलों का कर रहे हैं. सिवनी में क्या बच्चे बढ़ नहीं रहे हैं लेकिन चुनाव में हम देखते हैं जनसंख्या तो बहुत बढ़ रही है. वोटर भी बढ़ रहे हैं लेकिन स्कूल क्यों नहीं बढ़ रहे यह बात मेरी समझ से बाहर है. दसवीं कक्षा तक बच्चों को उत्तीर्ण करने के आदेश कर दिए उसके बाद बच्चे आगे फेल हो जाते हैं. सरकार की मंशा है कि हम बच्चों को साक्षर बना रहे हैं. जब बच्चा दसवीं के बाद फेल होता है तो घर लौटकर जाता है. गरीब और अमीर सभी के बच्चे फेल हो रहे हैं. जब तक आप प्रतिवर्ष उन बच्चों की परीक्षा नहीं लेंगे तो हमारे पालकों को पता नहीं चलेगा कि शिक्षक क्या पढ़ा रहा है और बच्चा स्कूल में जाकर क्या करता है.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी नगरीय क्षेत्रों में वर्ष 2013-14 के पट्टे दिए हैं. कहने के लिए हम तत्काल में प्रधानमंत्री योजना के तहत पट्टा वितरण कर रहे हैं. वर्ष 2013-14 के पट्टे आप आज दे रहे हैं जबकि अभी वर्ष 2016-17 चल रहा है इसके सर्वे का पट्टा कब देंगे. हजारों लोग अभी पट्टाविहीन हैं. मेरा आग्रह है आप इसको कहीं-न-कहीं जोड़ें. नगर पालिका सिवनी में 16 करोड़ रुपए की ऑडिट आपत्ति आई है. इसमें आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. मैं एलम ब्लीचिंग पाउडर पकड़कर लाया था, यहां पर सदन में रखा था. मुझे जवाब दिया गया था कि तत्काल कार्रवाई होगी परन्तु दो साल हो गए हैं कोई कार्यवाही नहीं हुई. अभी भी अमानक तरीके से एलम ब्लीचिंग का काम हो रहा है. पूरा शहर गंदा पानी पी रहा है. सदन में बोलने के बाद भी कोई सुनने, समझने वाला नहीं है. किस स्तर पर जाएगा हमारा जिला और मध्यप्रदेश ? वहां पर नगर पालिका में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लोग मिलकर ठेकेदारी करते हैं. कोई बोलने वाला नहीं है दोनों एक हो गए हैं और बांटकर काम करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--निर्दलीय लोग नहीं करते हैं क्या.
श्री दिनेश राय--नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय--अब आप समाप्त करें.
श्री दिनेश राय--थोड़ा सा है अब मैं अपने पाइंट पर आ जाता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--अच्छा अभी पाइंट पर नहीं बोल रहे थे.
श्री दिनेश राय--जी. मैं सबका सुन रहा था तो मुझे लगा मैं भी कुछ योजनाओं से हटकर बात कर लूं. मेरा निवेदन है कि लाइट, रोड, पानी की व्यवस्था करें. हमारा शहर उद्योगविहीन है उसके लिए निवेदन है कि शासन इसके लिए कुछ-न-कुछ करे. नगर पालिका के डीज़ल की भी सुरक्षा करें हमारे यहां के नेता नगर पालिका से डीज़ल लेकर भ्रमण पर जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, आज गोदामों का एक मुद्दा आया था. पास की गोदामों में माल न रखकर 100-100 किलोमीटर दूर ट्रांसपोर्टिंग कराई गई. बिहार और उत्तर प्रदेश की धान हमारे यहां के गोदामों में भरी हुई है. हमारे यहां के किसानों से माल न लेकर बाहर के किसानों से माल लिया गया है. प्रधानमंत्री सड़क की अभी बात चल रही थी. हमारे यहां काम आधा-अधूरा छोड़कर ठेकेदार चला गया. एक ठेकेदार ने 30-30 सड़कों का ठेका ले लिया. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक ठेकेदार ने 27 सड़कों का ठेका ले लिया, ग्वालियर तरफ का है पता नहीं किसका कितना लाड़ला होगा. 2 सड़कें बनाई हैं उसके बाद गायब है. दो-तीन बार विभाग ने टर्मिनेट भी कर दिया उसके बाद भी वह है.
उपाध्यक्ष महोदय, सामूहिक नलजल योजना हमारे यहां ही सफल होगी क्योंकि जमीन में पानी नहीं है. जब तक सामूहिक नलजल योजना के लिए आप राशि नहीं देंगे उस क्षेत्र में पानी नहीं आएगा. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका कार्यकर्ता हों वे लगातार हड़ताल कर रहे हैं. उनका वेतन बढ़ाइए वे बच्चों को पढ़ाते हैं. संविदा शिक्षक हों या कोई भी कर्मचारी हों. पीएचई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, एमपीईबी इनमें आपने संविदा कर्मचारी रखे हैं. यदि इसमें किसी की उम्र 40 वर्ष की हो गई है उसके बाद उसे नौकरी से पृथक कर देंगे तो वह कहां रोजगार पाएगा. संविदा में आप उन्हें रखे हैं उन्हें नियमित करें. कई कर्मचारियों की इस नौकरी में रहते हुए शादियां हो गई हैं उन्हें दहेज में कार-जीपें मिल गईं यह सोचकर कि वह नौकरी में नियमित कर्मचारी होगा. सरकार उन्हें नियमित नहीं कर रही है.
उपाध्यक्ष महोदय-- कन्क्लुड करें.
श्री दिनेश राय-- ठीक है. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे यहाँ ओला, पाला, सूखा और अतिवृष्टि का, अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. गाँवों में पेयजल की व्यवस्था के लिए मैं कहना चाहता हूँ कि इसके लिए केन्द्र से राशि इस वर्ष काफी कम आई है. लोन वाले परेशान हैं, बैंकों में जाओ, बिना गारंटी के नहीं होता, मुख्यमंत्री जी भले ही बोलते हैं कि मैं गारंटर हूँ, वहाँ पर दलाल घूम रहे हैं. मेरा आग्रह है कहीं न कहीं बैंक गारंटी में आप कुछ करें.
उपाध्यक्ष महोदय, विद्युत विभाग ने, जो कंपनियाँ हैं, उनको एक लूट क्लब बना दिया है, उनको लायसेंस दे दिया है. हम गलती करें, हमारा बिल, अगर किसी कारण से आता है तो एमपीईबी हमारे ऊपर पेनाल्टी ठोकती है. हमारा जब बिल आता है तो कहते हैं कि आप अपना सुधरवाएँ, अगर वह बिल कंपनी गलत देती है तो एमपीईबी विभाग के डीई, एई,जेई और लाइनमेन के ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं होती? सरकार से आग्रह है कि आप उपभोक्ता को.....
उपाध्यक्ष महोदय-- श्री वैल सिंह भूरिया अपनी बात कहें.
श्री दिनेश राय-- उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया इसके लिए धन्यवाद. मेरी बात अधूरी रह गई है तो बजट में बोल लूँगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- हाँ बजट में बोल लीजिएगा. हो सकता है कि आपके क्षेत्र के काम भी बजट में दिखें.
श्री वैल सिंह भूरिया(सरदारपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार के द्वारा जो योजना बनाई गई और माननीय राज्यपाल महोदय के द्वारा जो अभिभाषण दिया गया है, उसके लिए मैं माननीय राज्यपाल महोदय को बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई देता हूँ और हमारी सरकार के माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विपक्ष के चिल्लाने से क्या होता है? उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक शेर बोलकर अपनी बात को शुरू करता हूँ--
चलती है गाड़ी, उडती है धूल,
अरे जलती है काँग्रेस, खिलते हैं फूल.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब से माननीय शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बने हैं तब से लगा कर अभी तक वाकई में अनुसूचित जनजाति के भाइयों का, किसान भाइयों का, दीन-दुखी दरिद्रों का, सर्व समाज का, सर्व धर्म समभाव के साथ में, सभी समाज का हित हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि इस देश के, इस प्रदेश के, किसानों का और अनुसूचित जनजाति के भाइयों का चेहरा वाकई में कमल के फूल की तरह खिल रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, गेलरी में और विधान सभा के बाहर काँग्रेसी, मेरे मित्र विधायक लोग, भी माननीय शिवराज जी की तारीफ करते हैं. एक विधायक जी अभी कह रहे थे, "विधायक जी, भूरिया जी, बताइये, माननीय शिवराज जी अब आगे कहाँ तक जाएँगे?" मैंने कहा भारत का प्रधानमंत्री भी माननीय शिवराज जी बनेंगे, चिंता न करें और मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि काँग्रेस के लोग तो घबरा-घबरा गए. मैं कह रहा हूँ कि ये जो 5-7 दिख रहे हैं 2018 के चुनाव में इसमें भी कम दिखने लगेंगे. मैं पूरे दावे के साथ में कह रहा हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, मेरी भविष्यवाणी कभी भी खाली नहीं गई है. हमेशा मैंने भविष्यवाणी की है काँग्रेस की, जब-जब मैंने भविष्यवाणी की है, काँग्रेस साफ हो गई.
डॉ.रामकिशोर दोगने-- तभी वहाँ से लोकसभा में कांतिलाल जी भूरिया जीत कर आ गए हैं.
श्री वैल सिंह भूरिया-- कांतिलाल जी भूरिया की बात अलग है.
उपाध्यक्ष महोदय-- वैल सिंह जी, अगर आप भविष्यवाणी करते हैं तो क्या कभी अपने बारे में भी की है?
श्री वैल सिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे बारे में भविष्यवाणी की तभी तो मैं विधान सभा में आया हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- अगली बार पचास हजार से जीतेंगे.
श्री वैल सिंह भूरिया-- जी उपाध्यक्ष महोदय. हमारी सरकार प्रदेश के सर्वांगीण विकास और समाज के विकास के लिए कृत संकल्पित है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने हर वर्ग को सीधे लाभ पहुँचाने की योजना और कार्यक्रम संचालित किए हैं. वर्ष 2017 पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शती का वर्ष, हमारी सरकार इसे गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मना रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पहले हमारे अनुसूचित जनजाति के भाई लोग गुजरात जाते थे, इन्दौर जाते थे, कोटा जाते थे, भूख के कारण अनुसूचित जनजाति के मजदूर लोग मर जाया करते थे. लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के राज में ऐसा नहीं होता. चाहे हमारे धार जिले, झाबुआ जिले का गरीब मजदूर भोपाल में आकर धाड़की-मजदूरी करता है और पाँच रुपये लेकर सोसायटी में चले जाता है पाँच किलो अनाज ले जाकर दो वक्त की रोटी खाता है भूखा नहीं सोता है.आज कोई भी मजदूर गरीबी से मरा ऐसा पूरे मध्यप्रदेश में आज तक हमको सुनने को नहीं मिला. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस का काम है चिल्लाना, विपक्ष का काम यह है कि खिसियानी बिल्ली, खंभे को बार-बार खींचती है, उसमें माननीय शिवराज जी की,हमारी सरकार की क्या गलती है. हमारी सरकार का मुखिया बहुत अच्छा काम कर रहा है. अंतिम पंक्ति में जो गरीब आदिवासी भाई बैठा है,किसी भी समाज का गरीब व्यक्ति बैठा है, उसके विकास की योजना हमारी सरकार ने बनाई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल महोदय जी के इस अभिभाषण का मैं बहुत-बहुत स्वागत करता हूं. इस वर्ष समाज के अंतिम पंक्ति के, अंतिम व्यक्ति की तरक्की और खुशहाली के प्रयासों को और बढ़ाया जाएगा. रोटी, मकान, पढ़ाई, दवाई,रोजगार के साधन प्रदेश के प्रत्येक गरीब परिवार को मिले, यह उन गरीबों के लिए हमारी सरकार की प्राथमिकता है. देश आजाद होकर 67 साल हो गये हैं, लेकिन उन आदिवासी जिलों धार,झाबुआ, अलीराजपुर, खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर,शहडोल, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी के आदिवासियों का मकान नहीं बना था झोपड़ी में रहते थे हमारे हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने और मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने एक योजना बनाई कि हर गरीब के घर को बनाया जाये, हर गरीब को अपना घर मिले, हर गरीब को मकान का पट्टा मिले और हर गरीब को रोटी पकाने के लिए गैस का कनेक्शन मिले. यह हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.हमारे प्रदेश और देश की सरकार समाज और जनता के प्रति, गरीबों के प्रति बहुत संवेदनशील है.
राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का मैं स्वागत करना जा रहा हूं कि मेरे धार,झाबुआ, अलीराजपुर, शहडोल, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी आदिवासी जिलों में सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री आवास योजना में कुटीरें स्वीकृत की गई हैं, सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री आवास के पट्टे हमारी सरकार द्वारा दिये गये हैं, नगरीय क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पट्टे दिये गये हैं. गरीब भाईयों को मकान बनाने के लिए डेढ़ लाख रुपये से अधिक राशि दी गई है. कांग्रेस के राज में इंदिरा आवास योजना में 20-25 हजार रुपये मिलते थे और उसमें से 10-12 हजार रुपये तो पंचायत सचिव और सरपंच की भेंट चढ़ जाते थे, कुछ रुपये कांग्रेस के नेताओं की भेंट चढ़ जाता था. गरीब को 5 या 10 हजार रुपये ही मिल पाते थे. बेचारा गरीब मारा-मारा तहसील और एसडीएम के चक्कर लगाता था लेकिन कोई भी सुनने वाला नहीं था. लेकिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज जी के राज में ऐसा नहीं होता है. आज मुख्यमंत्री हेल्प लाईन पर शिकायत कर दो, रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत शिकायत कर दो या तो मंगलवार के दिन एक एप्लीकेशन कलेक्टर के यहाँ जाकर दे दो तो तत्काल कार्यवाही हमारी सरकार में होती है, गरीबों की सुनवाई होती है, गरीबों को न्याय भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मिलता है. गरीबों को अधिकार हमारी सरकार में, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने दिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, देश को आजाद होकर 67 वर्ष हो गये हैं लेकिन 67 वर्षों में से 50 वर्ष तो कांग्रेस ने इस देश और प्रदेश पर राज किया. हमारे मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के 11 वर्षों का काम तराजू के एक पलड़े के ऊपर तौला जाये और दिग्विजय सिंह और अर्जुन सिंह के कार्यकाल का काम तराजू के दूसरे पलड़े में तौला जाये तो दिग्विजय सिंह और अर्जुन सिंह जी का पलड़ा हवा में उड़ेगा और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज जी का पलड़ा भारी रहेगा. यह हमारी सरकार गरीबों के लिए काम करती है, दीन-दुखी, दरिद्रों के लिए काम करती है इसलिए मैं माननीय राज्यपाल महोदय के इस अभिभाषण का बहुत-बहुत स्वागत करता हूं अभिनंदन करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के राज में क्या होता था. देश की सेवा करने वाले सैनिक हमारी रात-दिन सेवा करते हैं. आंधी में, तूफान में देश की रक्षा करते हैं. सैनिक अगर शांत हो जाता है तो हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री उनके गृह क्षेत्र में उनके शव को ले जाकर सैल्यूट करते हैं और मुआवजा राशि देते हैं. शहीदों की शहादत के ऊपर हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी शहीदों की शहादत को नमन करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस को क्यों तकलीफ होती है. अलीराजपुर में भारत के प्रधानमंत्री ने शहीदों की शहादत को नमन किया. मैं हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री जी को आदिवासी नेता होने के नाते बहुत-बहुत बधाई देता हॅूं कि एक आदिवासी इलाके में शहीदों की शहादत को नमन किया और देश को आजाद कराने वाले महाराणा प्रताप, चंद्रशेखर आजाद और महाराणा बख्तावर सिंह जी की शहादत को नमन किया.
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया अब समाप्त करें, बहुत अच्छा भाषण था.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कुछ बातें और बता देता हॅूं. बहुत दिनों के बाद बोलने का मौका मिला है. लगभग साल भर होने जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप साल भर में पहली बार बोल रहे हैं ?
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भाभीजी दीर्घा में बैठी हुई हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- भूरिया जी, आपका भाषण बहुत जोशीला है लेकिन आप एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार द्वारा किसानों को 5 हॉर्सपॉवर तक के 1 हेक्टेयर तक भूमि वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को स्थाई कृषि, पम्प उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली दी जा रही है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप अपनी बातों को चरम पर ले गए, फिर नीचे ला रहे हैं. अब अपनी बात समाप्त करें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में 816 मजरे-टोले हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने, हमारी सरकार ने 164 करोड़ रूपये से अधिक रूपये मेरी सरदारपुर विधानसभा को दिया और 816 मजरे-टोलों में 24 घंटे बिजली लगाने का काम चालू है. सभी किसानों के खेतों पर ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम, ट्रांसफॉर्मर बदलने का काम चालू है. इसलिए राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का मैं स्वागत करता हॅूं, कृतज्ञता ज्ञापित करता हॅूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- भूरिया जी, आपको दो-तीन मिनट श्रीमती भूरिया जी के कारण मिल गए हैं.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल एक मिनट.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप यह किसके कोटे में ले रहे हैं. अब समाप्त करें. आपने बहुत अच्छा बोला.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी, हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी इस देश में बढि़या काम कर रहे हैं. इतिहास गवाह है कि आजादी के बाद हिन्दुस्तान को ऐसा प्रधानमंत्री कभी नहीं मिला.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आजादी के बाद 67 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी का ऐसा मुख्यमंत्री इस देश को कभी नहीं मिला. यदि पहले मिल जाता तो मध्यप्रदेश दुनिया में पहले नंबर पर होता और यह देश भी दुनिया में पहले नंबर पर होता. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (किरनापुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर जो पाइंट-68 है उसमें महिला सशक्तिकरण के काम देश में मिसाल बने हैं. मैं आज विपक्ष की विधायक होने के बावजूद इस महिला सशक्तिकरण के मामले में सरकार के साथ खड़ी हॅूं. (मेजों की थपथपाहट) मैं सरकार के साथ क्यों खड़ी हॅूं यह भी कारण बता देना चाहती हॅूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक महिला और महिला ही नहीं, एक आदिवासी महिला सुश्री अनिता उइके जी, जो कि सहकारी संस्था, छिंदवाड़ा में उप-पंजीयक के पद पर हैं. इन्होंने महिला सशक्तिकरण का परिचय दिया है. हमारे प्रदेश के केबिनेट मंत्री, कृषि मंत्री, जो कि छिंदवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. उनके द्वारा उप पंजीयक के ऊपर यह दबाव डाला गया और दबाव भी क्या, मामला यह था कि वृहत्ताकार सेवा सहकारी समिति मर्यादित, कटंगी, जो इसके अध्यक्ष थे, उनके ऊपर दो लाख रुपये का धान खरीदी में जो घोटाला किया गया था, उसको लेकर उनको पद से हटा दिया गया और इनका मामला जब उप पंजीयक के पास छिंदवाड़ा में गया तो इनके पक्ष में निर्णय देने के लिए कैबिनेट मंत्री आदरणीय गौरीशंकर बिसेन जी ने दबाव डाला और उस बात का जिक्र उस आदिवासी महिला ने अपनी ऑर्डर शीट में किया. मैं उस महिला को बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ और मैं सदन के सामने उस बात का उल्लेख करना चाहती हूँ कि जिस तरीके से उस महिला के ऊपर दबाव डाला गया, उस महिला ने अपनी ऑर्डर शीट में कहा कि दिनांक 28.01.2017 को मोबाइल नंबर-9425139726 से अधोहस्ताक्षरकर्ता के मोबाइल पर निर्देशित किया गया माननीय कृषि मंत्री जी एवं प्रभारी मंत्री जी के द्वारा कि मैं आपको निर्देशित करता हूँ कि आप वादी के पक्ष में निर्णय दें जिससे यह तथ्य प्रमाणित होता है कि वादी अपने संबंधों से प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से अनुचित दबाव डलवाकर कार्य करने का आदी है. यह सशक्तिकरण का जीता-जागता प्रमाण है. एक आदिवासी महिला, जिसने बिना डरे एक मंत्री के दबाव को अपने ऑर्डर शीट में चेलैंज किया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी आज इस सदन में नहीं हैं लेकिन मैं जानती हूँ कि जब भी माननीय मुख्यमंत्री जी भाषण देते हैं तो भ्रष्टाचार के बारे में वे जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं. यदि वह अधिकारियों की और मंत्रियों की बैठक लेते हैं तो जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं. जब ये प्रकरण हुआ तो मुझे ऐसा विश्वास था कि जीरो टॉलरेंस केवल माननीय मुख्यमंत्री जी के भाषण में ही नहीं, उनके निर्णयों में भी हमको दिखाई देगा, और एक (XXX) जो एक भ्रष्ट व्यक्ति को बचाने के लिए अधिकारियों पर दबाव डालते हैं, अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- भ्रष्ट मंत्री हटा दें.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वैसे राज्यपाल के अभिभाषण में यह विषय आता नहीं है, और भी दूसरे फोरम हैं जिसमें यह विषय उठाया जा सकता है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब दिक्कत यह है कि पहले तो आपने मेज थपथपाई. हिना जी, और भी चीजें बोलने के लिए हैं विषयांतर करें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- जी, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जितना मुझे ये डिस्टर्ब करेंगे, मैं उतना ही समय आपसे चाहूंगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अभी भी नर्वस नहीं हूँ. इस बात से जरा भी, बिल्कुल भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि मैं यह बात बताना चाहती हॅूं कि जब बड़े-बड़े न्यूज पेपर में यह बात आई कि हमारे यहां के आई.ए.एस. अधिकारियों के ऊपर आयकर विभाग ने नोटिस जारी किया है. यह हमने समाचार-पत्रों में पढ़ा, न्यूज चैनल्स पर देखा, उसके बाद जब मैंने विधान सभा में माननीय मुख्यमंत्री जी से प्रश्न किया तो उसमें जवाब आया कि इस तरह की कोई भी जानकारी उनके विभाग के पास नहीं है. उस समय तो मुझे बहुत गुस्सा आया था लेकिन आज मुझे उस बात से राहत मिली है कि हो सकता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत व्यस्त रहते हैं, उनको समय नहीं मिलता होगा लेकिन आज जब यह बात सदन में एक महिला के पक्ष में एक महिला विधायक इस बात का जिक्र कर रही है तो आज तो सदन की बात निश्चित रूप से उन तक जाएगी और वे ऐसे मंत्रियों को अपनी सरकार से हटाकर जीरो टॉलरेंस पर, जिसकी बात वे कहते हैं, उसमें अपने निर्णयों में भी इसे शामिल करेंगे, इतना विश्वास मुझे आज इस सदन के माध्यम से है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और बात कहना चाहती हूँ कि राज्यपाल के अभिभाषण में जब बालाघाट का जिक्र हुआ तो मैं बहुत खुश थी. सीधी-सी बात है कि अपने जिले का जिक्र जब राज्यपाल के अभिभाषण में होगा तो हर व्यक्ति गर्व महसूस करता है. राज्यपाल जी के अभिभाषण में बिंदु क्रमांक-26 में है कि बालाघाट जिले की वर्ष 2014 में निर्मित वैनगंगा वृहद् परियोजना के सौ वर्ष पूरे होने पर नहरों की लाइनिंग कार्य शुरू कर 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका है. यह जब मैंने अभिभाषण में सुना तो विधान सभा की जब अभी छुट्टी थी तो मैं बालाघाट गई थी तो मैंने देखा, क्योंकि वैनगंगा वाला पोर्शन मेरे किरनापुर क्षेत्र में भी आता है तो मुझे ऐसा लगा कि यह टेल पोर्शन है, सबसे आखिरी वाला क्षेत्र है तो 100 प्रतिशत में से 10 प्रतिशत जो छूटा हुआ है तो वह शायद मेरे ही विधान सभा का होगा. मैंने वैन गंगा संभाग के ईई को फोन किया कि मुझसे ऐसी क्या दुश्मनी है कि आपने बाकी सभी जगह पर लाइनिंग का काम कर दिया है लेकिन मेरे यहां पर छोड़ दिया है तो वह बोले कि मैडम आपको यह गलतफहमी किसने बता दी. अभी तो हमारे यहां पर लाइनिंग का इतना काम ही नहीं हुआ है जितना आप बता रही हैं. मैंने कहा कि आपकी जानकारी में नहीं होगा लेकिन मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के बाद में आपसे बात कर रही हूं. उन्होंने मुझे बताया कि लाइनिंग में आरबीसी और एलबीसी में काम हो रहा है जिसमें आरबीसी में 90 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है लेकिन एलबीसी वाला पोरशन आज भी पूरा का पूरा छूटा हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन में कहना चाहती हूं कि यह 90 प्रतिशत काम कैसे हुआ है दो केनाल निकलती हैं आरबीसी और एलबीसी, आरबीसी में काम हुआ है और एलबीसी में काम अभी शुरू ही नहीं हुआ है तो फिर यह काम 90 प्रतिशत कैसे पूरा हो गया है. मैं जानती हूं कि अभिभाषण में यह बात लिखी गई है लेकिन अब इसको बदल तो नहीं सकते हैं पर इतनी अपेक्षा सरकार से जरूर करती हूं कि जब अगली बार शासन इस मामले में अपना जवाब दे तो वह 90 प्रतिशत नहीं 100 प्रतिशत करे और जो पोरशन एलबीसी वाला छूट गया है उसमें भी लाइनिंग का काम आने वाले समय में जल्दी से जल्दी करवा दें, यह अपेक्षा मैं करती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में 18 नंबर पर 10 घंटे बिजली कृषि उपभोक्ताओं को देने की बात कही गई है. मैं ज्यादा दूसरे जिलों का तो नहीं बता सकती लेकिन मेरे अपने जिले में जब जिला योजना समिति की बैठक आदरणीय प्रभारी मंत्री जी की अध्यक्षता में हुई तो मुझे अच्छे से याद है कि उस बैठक में, मैं तो कांग्रेस की विधायक हूं, मेरी छोड़िये भारतीय जनता पार्टी के विधायक जो कि 10 घंटे बिजली तो बहुत दूर की बात है 6 घंटे बिजली के लिए अधिकारियों से जद्दोजहद करना पड़ रही थी . यह सच्चाई है यदि भाजपा के विधायकों को जद्दोजहद करना पड़ती है तो जमीं पर क्या सच्चाई होगी यह मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है. अभी जब लंच हुआ था तो मैं घर गई मुझे फोन आया कि घर में बहुत सारे लोग आये हुए हैं और उनका कहना है कि धान में, रबी के मौसम में पानी नहीं देने से फसल खराब हो रही है, वहां पर अभी भी बिजली की कटौती की जा रही है. यदि 10 घंटे सरकार ने बिजली देने की घोषणा की है तो निश्चित रूप से सरकार को 10 घंटे बिजली देना चाहिए. लेकिन यह बिजली नहीं मिल रही है और इससे आगे आने वाली स्थिति बहुत ही भयानक होने वाली है.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी सभी लोग प्रदेश को नंबर वन बता रहे थे. भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट में यह आया है कि मध्यप्रदेश में एक तो यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफारमेशन फार एजुकेशन सिस्टम ने जो आंकड़े किये हैं उसके अनुसार मध्यप्रदेश शिक्षकविहिन विद्यालयों की श्रेणी में सबसे नंबर वन पर है और यह आंकड़े केवल इस बार के नहीं है, यह आंकड़े हैं 2012-13 में 3788, 2013-14 में 4772 , 2014 में यही आंकड़ा 4232 था, और 2015-16 पिछला वर्ष यह आंकड़ा 4837 को पार कर चुका है.उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षकविहिन विद्यालय हैं लेकिन यह पिछले एक दो माह के आंकड़े नहीं हैं. यदि यह सरकार प्रयास करती कि हम प्रतिवर्ष एक एक या दो दो या एक साथ 100 - 200 शिक्षकों की भर्ती करवा देते तो शायद यह आंकड़े धीरे धीरे कम होते लेकिन यह आंकड़े दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं. यह बहुत ही चिंता का विषय है. हमारे सदस्य अभी यहां पर बहुत ताली बजा रहे थे, बहुत बड़ी बड़ी बातें सरकार के लिए कर रहे थे. आपने हाईस्कूल को हायर सेकेण्डरी में कंवर्ट कर दिया है बहुत अच्छी बात है, आपने नये हाई स्कूल खोलने की बात की है बहुत अच्छी बात है लेकिन बिना शिक्षकों के यह स्कूल किस काम के हैं. इसलिए पहले तो सरकार स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था करे उसके बाद में वह अपनी वाहवाही लूटे हमें इसमें कोई हर्ज नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय -- हिना जी, आपके दो मिनट समाप्त हो गये हैं आप समाप्त करें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक पॉइंट है. जो राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना है, मैं उस पर बोलना चाहती हूं. मैं आपसे समय चाहती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - उपाध्यक्ष महोदय, आप जानते हैं कि आप बोलेंगे और मैं बैठ जाऊंगी, इसलिए मैं आपसे निवेदन करती हूं कि आपका संरक्षण मुझे चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय - 4-5 लाइन में खत्म कीजिए.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - उपाध्यक्ष महोदय, जी हां. सबसे पहले तो मैं बहुत खुश हूं कि इस राज्यपाल जी के अभिभाषण में बिन्दु क्रमांक 10 पर राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में 20 लाख 47 हजार किसानों को देश के इतिहास में सबसे ज्यादा 4416 करोड़ रुपए की फसल बीमा दावा राशि वितरित करने की बात इसमें शामिल है. मैं यह बताना चाहती हूं कि इसी सदन की बात है, जब यह फसल बीमा की राशि वितरण की बात आई थी तो माननीय मुख्यमंत्री ने इस बात को ऐसे प्रचारित किया कि ...
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें. श्री के.के. श्रीवास्तव..
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - उपाध्यक्ष महोदय, मेरी बात पूरी हो ही रही है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस बात को ऐसे प्रचारित किया था कि जैसे यह प्रधानमंत्री फसल बीमा की योजना की राशि होगी. लेकिन यह वास्तव में राष्ट्रीय फसल बीमा की राशि थी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने के लिए समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर अपनी ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए उपस्थित हुआ हूं. वर्ष 2003 हम बार-बार दोहराना नहीं चाहते हैं. वर्ष 2003 के पहले आजादी के बाद कितने वर्षों तक किस पार्टी ने राज किया? एक ही परिवार की सत्ता; देश, प्रदेश, ग्राम पंचायत से लेकर विधान सभा, लोक सभा, कौन-कौन सी सभाएं थीं, उसमें वे ही बैठ रहे. लेकिन कुछ हुआ नहीं. वर्ष 2003 तक मध्यप्रदेश की क्या स्थिति थी? वह हाल अभी भी लोगों के नहीं सुधर रहे हैं. उस गलती का जो खामियाजा भुगता है, उसके बाद भी ये नहीं सुधर रहे हैं.
जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी।
सो नृप अवसि नरक अधिकारी ॥
वर्ष 2003 तक इनकी स्थिति यह थी. सो नरक के अधिकारी बन गये. अब अच्छी योजना लेकर हमारी सरकार आई. अच्छा अभिभाषण दिया तो उसका भी विरोध कर रहे हैं तो अब रोरव नरक में भी जगह नहीं मिलेगी.
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया ।
इस अवधारणा को लेकर मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार, माननीय श्री शिवराज जी के नेतृत्व में काम कर रही है. गरीब, असहाय, पीड़ित, दलित, वर्षों से उपेक्षित, इन सब वर्गों के लिए हमारी सरकार काम में लगी है.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी प्रतिपक्ष के वरिष्ठ सदस्य कह रहे थे कि बीपीएल कार्ड से नाम काटे जा रहे हैं. मैं आपके माध्यम से उनको यह कहना चाहता हूं कि एक समय था जब जिनके घर के दरवाजे पर ट्रेक्टर हुआ करते थे, 2-3 मंजिला मकान हुआ करते थे, गरीबी की रेखा के कार्ड में उनके ही नाम जुड़े हुए थे. अब वे नाम कट रहे हैं तो पेट में दर्द क्यों हो रहा है? अब वे चले गये.
उपाध्यक्ष महोदय, यह गरीब कल्याण वर्ष है. पंडित दीन दयाल उपाध्याय जो एकात्म मानव के दर्शन के प्रणेता हैं, उनके संस्कारों को लेकर, उनके मार्गदर्शन में हमारी सरकार काम कर रही है. यह वर्ष उनकी जन्मशती का वर्ष है, इसलिए वर्ष को हम गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मना रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के कल्पनाशील नेतृत्व में श्री शिवराज जी काम कर रहे हैं. चाहे वह जन धन योजना हो, मेक इन इंडिया हो, स्टार्ट अप इंडिया हो, स्किल डेवलपमेंट, किसानों की आय को दोगुना करने की बात हो, वन ड्रॉप मोर क्रॉप, सिंचाई का अधिकतम लाभ किसानों को कैसे मिल सके, इस दिशा में हमारी सरकार काम कर रही है, योजनाएं बना रही है. हम योजनाओं पर आगे बढ़ रहे हैं. मैं फिर वही कहना चाहता हूं कि साठ वर्षों तक जो काम जिनको करना चाहिए था, वह उन्होंने वह काम नहीं किया. हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं. हम मेक इन इंडिया की बात कर रहे हैं. आज हम कम्प्यूटर युग में जी रहे हैं. हम चन्द्रमा और मंगल यान तक पहुंच रहे हैं. लेकिन जिन्होंने वर्षों तक सत्ता में राज किया है. वह इस देश के लोगों को शौच तक कराने की स्थिति में नहीं थे कि लोगों को शौच कैसे करना चाहिए, यह तक नहीं सीखा पाए, हम वह भी सिखाने का काम कर रहे हैं और कैशलेस भुगतान की दिशा में भी कर रहे हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने - उपाध्यक्ष महोदय, डिब्बा लेकर जाते थे.
श्री के के श्रीवास्तव-- माननीय उपाध्यक्ष जी यह नहीं सिखा पाये. इनकी तो सोच ही खराब है. हम कैशलेस भुगतान भी सिखा रहे हैं और शौच से मुक्त करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं. जो आपको करना था, वह हम कर रहे हैं.
डॉ रामकिशोर दोगने-- श्रीवास्तव जी, आपकी सरकार ने आपको जेल में डाला था.
श्री के के श्रीवास्तव-- ये जो (XXX) बोल रहे हैं...सॉरी दोगने जी.
उपाध्यक्ष महोदय-- यह शब्द हटा दीजिएगा.
श्री के के श्रीवास्तव-- दोगने जी मेरे मित्र हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--आपने जानबूझकर कहा कि जबान फिसल गई. (हंसी)
डॉ रामकिशोर दोगने-- वे खुद ही गलती स्वीकार कर रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- जेल में गए तो क्या हुआ.
श्री के के श्रीवास्तव--उपाध्यक्ष महोदय, मैं तो कृष्ण कुमार हूं. कृष्ण का जन्म ही जेल में हुआ था. इसमें कोई दिक्कत नहीं है. नेल्सन मंडेला 27 साल जेल में रहे. अच्छे काम के लिए अगर हम जेल जाएं तो कोई दिक्कत नहीं होती. अन्याय बर्दाश्त नहीं करते.
उपाध्यक्ष महोदय, कृषि के बारे में कहना है. मध्यप्रदेश सरकार को चार बार कृषि कर्मण अवॉर्ड मिला. यूपीए सरकार में भी मिला और हमारी सरकार में भी मिला. अब, आप कहेंगे कि शिवराज सिंह ने या कृषि मंत्री ने हल-बख्खर तो चलाये नहीं. सही बात है. हल-बख्खर हमने नहीं चलाया हमने उनको सुविधाएं दीं. हमने उनको सिंचाई के साधन दिए. हमने उनको बिजली दी. हमने उनको समय पर खाद और बीज उपलब्ध कराया. हमने उनको उर्वरक के साथ-साथ कृषि उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई. हमारे नेता अनुदान नहीं खा गए. वह अनुदान किसान तक पहुंचाने का काम हमारी सरकार ने किया है. उसके दम पर किसान ने मेहनत की और तब लहलहाती फसलें आयीं. इसके कारण हमें कृषि कर्मण अवॉर्ड मिला. उसका श्रेय हमें मिला. उनका समर्पण. उनकी मेहनत. उनका परिश्रम और हमारे द्वारा उनको दी गई बेहतर सुविधाओं का यह परिणाम है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं. कृषि के क्षेत्र में हमारा प्रदेश प्रथम स्थान पर है. सिंचाई के साधन बढ़ गए. 2003 तक लगभग 7-8 लाख हेक्टर कृषि भूमि सिंचित थी. आज हम 40 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गए हैं. पूरे बुंदेलखंड में केन-बेतवा लिंक योजना के माध्यम से लगभग साढ़े पांच लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होने वाली है. यह प्रोजेक्ट भी जल्दी शुरु होने वाला है.
…………………………………………………….
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
उपाध्यक्ष महोदय, बिजली की बात हो रही थी. दो एकड़ का खेत सींचने के लिए किसान का पूरा परिवार लगा रहता था. चूल से कलेऊ बांध कर खेत पर बैठा रहता था. खेत सींचता नहीं था. एक आदमी स्टार्टर पर ऊंगली लगाये खड़ा है. एक फावड़ा लेकर खड़ा है. एक आदमी पाइप मे पाइप लगाने के लिए खड़ा है कि कब बिजली का बल्ब जले, स्टार्टर दबाये, लाइट आये, पंप चला, पानी बाहर निकला,पाइप में फिट किया, खेत की क्यारी में पहुंचा और इतने में लाइट चली गई. उस समय यह हालत थी. फिर जैसे जैसे दिन भर हो गया. एक क्यारी नहीं सींची तो फिर वह बेचारा बैठ गया. घर वाली बोली कि खाना तो खा लो. खाना खाने के लिए जैसे ही वह निवाला मुंह तक ले जाता है कि फिर लाइट जल गई.वह फिर खेत की तरफ दौड़ा. स्टार्टर पर ऊंगली दबाई कि फिर लाइट चली गई. यह हालत मप्र की थी. उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार 24 घंटे बिजली देने का काम कर रही है. 10 घंटे किसानों को दे रहे हैं. मैं कहता हूं कि अगर घंटे-दो घंटे चली भी गई तो कांग्रेसी मित्र कहते हैं कि - क्या हुआ भैया 24 घंटे बिजली देने का ? कानी अपना टेट नहीं देख रही, हमारी फुली देख रही. (हंसी) यह हालत है.
उपाध्यक्ष महोदय-- कितना समय लेंगे?
श्री के के श्रीवास्तव--अभी तो शुरु हुआ हूं. अब सेकंड, थर्ड, फोर्थ और फिर लास्ट गियर डलेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- उपाध्यक्ष जी, अच्छा बोल रहे हैं, कृपया समय दे दें.
श्री के के श्रीवास्तव-- हमने राम राज्य सुना था. भरत के राज्य में सीधी पेली से दो उल्टी पेली से ले जाओ. यह मध्यप्रदेश की पहली अनूठी सरकार है. आप खाद-बीज के लिए एक लाख रुपये लो उसमें से भी 10 हजार मत चुकाओ केवल 90 हजार वापस दो. यह राम राज्य है. कभी कल्पना की है. जरा आईने में जाकर चेहरा देखें. जिन पर कालिखें पुती हैं. यह सरकार किसानों की,दलितों,गरीबों की हितैषी है. सबके हित में काम कर रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में अभी चर्चा हो रही थी. चालीस सालों में एक भी नवीन मेडिकल कालेज मध्यप्रदेश की धरती पर अवतरित नहीं हुआ इसका क्या कारण है ? अब 7 नये मेडिकल कालेज खुल चुके हैं और 28 कालेजों की अभी मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया से स्वीकृति प्राप्त हुई है. मध्यप्रदेश की सरकार उसके लिये प्रस्ताव भेजेगी. 28 और मेडिकल कालेज खुल रहे हैं, गजब हो गया, जैसे प्राईमरी स्कूल खुल रहे हों. वाह,यह केन्द्र सरकार और मध्यप्रदेश की सरकार मिलकर कायाकल्प करेगी पूरे मध्यप्रदेश का, यह मुझे भरोसा है. अभी मिल बांचे कार्यक्रम की बात हो रही थी. मोहन भागवत की बात हो रही थी,आर.एस.एस.,संघ की बात हो रही थी. पतंजलि की,रामदेव की बात हो रही थी. इन सबको कहीं न कहीं आर.एस.एस. दिखाई देता है जैसे दाल में हाथ डालें तो उसमें भी आर.एस.एस. दिख जाता है. इतनी घबराहट है,इतनी हताशा है, इतनी कुंठा है. इनकी हताशा,इनकी अकर्मण्यता परिलक्षित और प्रदर्शित हो रही है. मिल बांचे मध्यप्रदेश कार्यक्रम के तहत् हम जब अपने स्कूल में गये, प्राईमरी स्कूल में, जहां हम कभी चंगा,अष्टा खेला करते थे, जहां कभी हम छिपा,छिपाई खेला करते थे, जहां कभी हम इंटरवल में आईस,पाईस खेला करते थे. जब हम उस स्कूल में गये, वह कमरे देखे,वह स्थान देखा, वह प्रार्थना स्थल देखा,उन बच्चों के साथ अपने अनुभव शेयर किये और उसका जो आनंद लिया, वह आनंद उन बच्चों को भी हुआ. जरूरी नहीं है कि उस स्कूल में अच्छे टीचर हों हम आगे बढ़ सकते हैं मिशन अगर हमने तय कर लिया तो यही सब उन बच्चों को दिखाना हमारा उद्देश्य था कि हम इसी विद्यालय के पढ़े हुए विद्यार्थी हैं. आगे बढ़ सकते हैं. कहीं कोई कलेक्टर,आई.ए.एस. बन गया. हम कुत्सित और दूषित मानसिकता से काम नहीं करते. हम आप सबसे कहते हैं, दोगने जी से कहते हैं, विक्रम सिंह जी बैठे हैं और जितने हमारे प्रतिपक्ष कांग्रेस के सदस्य बैठे हैं मैं उन सबसे कहना चाहता हूं. हमारी बहन शीला त्यागी जी बैठी हैं कि हम दूषित और कुत्सित मानसिकता से ऊपर उठकर आगे बढ़ें, काम करें.
" वही शोषित वही कुत्सित,वही अभियान,
खोद न जड़ दूसरों की,भस्म परउत्थान,
क्या शील से सुलझा न सकते आपसी व्यवहार,
दौड़ कर रह-रहकर न उठा उन्माद की तलवार,
दौड़ कर रह-रह न उठा उन्माद की तलवार.
माननीय उपाध्यक्ष जी, इन्हीं पंक्तियों के साथ जो हमें प्रेरणा देती हैं हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी(मनगंवा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में पूरी तरह सरकार का यशगान है क्योंकि सरकार का जो लक्ष्य है कि 2017 को हम गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाएंगे और समाज के अंतिम व्यक्ति को तरक्की और खुशहाली के लिये काम करेंगे परन्तु गरीबों का कल्याण तब होगा जब उनको रोजगार मिले. सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से हो. आज भी हमारे रीवा जिले में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है और हमारी मनगंवा विधान सभा क्षेत्र में बेरोजगार मजदूर एवं युवा आज भी रोजगार की तलाश में देश के बड़े-बड़े शहरों जैसे दिल्ली,कलकत्ता,मुम्बई,गुजरात रोजगार और मजदूरी की तलाश में पलायन कर रहे हैं. भटक रहे हैं. गरीबों का कल्याण कैसे होगा,कैसे बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा. सरकार जो कहती है वह करती नहीं है. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की प्रक्रिया इतनी पेचीदा है कि साधारण और गरीब व्यक्ति इसका लाभ इसलिये नहीं ले पाता क्योंकि उसके पास बैंक के लोन के लिये गारंटर नहीं है और न ही उसके पास चार से पांच लाख रुपये बैंक गारंटी के लिये होते हैं. वह कैसे स्वयं के लिये रोजगार स्थापित कर पाएगा. रही बात गरीबों की पढ़ाई,दवाई,मकान,रोटी यह प्रत्येक गरीब परिवार को मिले. ऐसा महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में विहित है लेकिन कैसे होगी सुव्यवस्थित पढ़ाई ? हमारे रीवा जिले के जो सरकारी स्कूल हैं उनके भवन जर्जर हैं, स्कूलों में फर्नीचर नहीं है,शिक्षकों की कमी है,पेयजल की समस्या है, स्कूलों में शौचालय नहीं हैं, यहां तक कि कुछ हायर सेकेण्डरी स्कूलों में बाउंड्रीवाल तक नहीं हैं.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यशपाल जी अपनी सीट छोड़कर वहां बैठे हैं, कितना अच्छा बोल रही हैं त्यागी बहन जी. इतनी गंभीर चर्चा माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण पर हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय-- यशपाल जी, जो मुझे कहना चाहिये वह जसवंत सिंह जी कह रहे हैं.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- मैंने केवल आपका ध्यान आकर्षण करने के लिये कहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय उपाध्यक्ष जी, ऐसा नहीं है मेरे बैठने से उनको प्रसन्नता या अप्रसन्नता नहीं हो रही है, अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये वह बोल गये. ...(हंसी)..
श्रीमती शीला त्यागी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद माननीय सदस्य जी का जिन्होंने मेरा उत्साहवर्द्धन किया. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैं कह रही थी कि हमारे रीवा जिले में जो सरकारी स्कूल हैं वह सुविधाविहीन हैं, आज भी स्कूलों के भवन जर्जर हैं, प्रयोगशालायें नहीं हैं और शिक्षकों की भारी कमी है और यहां तक कि आपको बता दूं कि रीवा जिले के शहर के जो सरकारी स्कूल हैं वहां 20-20 साल से एक ही शिक्षक पदस्थ है, उनको ग्रामीण स्कूलों में पदस्थ किया जाये, यह आपके माध्यम से सरकार को मेरा प्रस्ताव है. साथ ही साथ शिक्षकों की भी बहुत कमी है और रही बात दवाई की कि गरीबों के लिये दवाई की व्यवस्था होगी और यह गरीब कल्याण वर्ष है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे मनगंवा विधान सभा क्षेत्र में जो भी अस्पताल संचालित है चाहे मनगंवा का हो, गंगेऊ का हो, गढ़ का हो, नई गढ़ी का हो यहां पर चिकित्सक ही नहीं हैं और दवाईयां भी सही समय पर नहीं दी जातीं. आपको एक वाक्या बताती हूं, हमारे विधान सभा में एक गांव है वहां पर हमारे एक कार्यकर्ता को कुत्ते ने काट लिया, जब मैंने गंगेऊ में सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र फोन किया तो यह कह दिया गया कि यहां इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कैसे होगा गरीबों का कल्याण ? सरकार कल्याण के लिये योजनायें तो बना रही है, लेकिन क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं होगा तो गरीबों का कल्याण कैसे होगा. अगर समय रहते दवाईयां नहीं दी जायेंगी तो कैसे लोगों का भला होगा. सरकार की प्राथमिकता है कि सबको आवास मिले, लेकिन मैं आपको बता दूं रीवा जिले में जो प्रधानमंत्री आवास योजना है वह आवास देने की योजना नहीं है, पैसा कमाने की योजना बन रही है और आपको बता दूं वर्ष 2012-13 में पता नहीं कौन सा आर्थिक सर्वेक्षण हुआ और उसके तहत ऐसे मास्टरों को सर्वेक्षण में लगाया गया कि गांव के गांव उन लोगों ने सर्वे में नहीं दिया. बाप का भी नाम सर्वे में है, बेटे का भी है, नाती का भी है, लेकिन जो गरीब है उसका नाम उस सर्वे सूची में नहीं है और जब गरीबी रेखा में उसका नाम नहीं है तो उसको आवास नहीं मिल रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार को कहना चाहती हूं कि गरीबी रेखा का यह जो बाण्ड है उसको हटा दिया जाये, वाकई में जो एससी, एसटी, ओबीसी के लोग हैं और अन्य समाज के जो वंचित लोग हैं, जो गरीब हैं उनको भी आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाये, नहीं तो यह प्रधानमंत्री आवास योजना पैसा कमाने की योजना है. सरकारी कर्मचारी, अधिकारी गरीबों को इस योजना के नाम से लूट रहे हैं और यही हाल मुख्यमंत्री आवास योजना का है. जिनके पक्के मकान हैं उनको 40 हजार रूपये का चेक दिया जाता है, जो सक्षम हैं उनको दिया जाता है. एक और गंभीर समस्या है, हमारी मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने यह कहा था कि जो मजदूर गरीब लोग जहां पर बसे हैं उनको पट्टे दिये जायेंगे, लेकिन बहुत दुख की बात मैं आपको बता देना चाहती हूं कि जो हमारे एससी, एसटी के लोग थे, जो गांव के संभ्रांत लोग थे उन्होंने अपने पछीत में, अगीत में, पोखर में, तालाब में जहां पर उनको बसाया था आज उनके बच्चे उनको वहां से भगा रहे हैं और उनको पट्टे नहीं दिये जा रहे हैं. बताइये पीढ़ी-दर-पीढ़ी जिस परिवार ने गांव के संभ्रांत लोगों की सेवा की हो और उनकी नई पीढ़ी उनको लात मानकर गांव से निकलने के लिये कहे तो उनकी क्या स्थिति होगी यह मैं महसूस कर सकती हूं और सुनने वाले भी कर सकते हैं, इसलिये मैं आपसे कहना चाहती हूं कि सरकार कहती कुछ और है और करती कुछ और है, वादे बहुत करते हैं, सब्जबाग दिखाते हैं, लेकिन गरीबों का कल्याण इस अभिभाषण में हो सकता है, यथार्थ में नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे यही गुजारिश है जो अपात्र लोग हैं उनके नाम काटे जायें, जो पात्र लोग हैं उनको आवास दिया जाये, उनका गरीबी रेखा में नाम जुडे़ और वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन और भी जो सामाजिक सुरक्षा से संबंधित सुविधायें दी जाती हैं उनको जरूर दिलायी जायें तभी यह वर्ष 2017 गरीबों के कल्याण के लिये होगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैं कह रही थी कि हमारे मनगंवा विधान सभा में, किसानों के लिये भी इस अभिभाषण में कि चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मिल चुका है, लेकिन आपको बता दूं कि हमारी मनगंवा विधानसभा में, उपाध्यक्ष महोदय, मनगवां विधानसभा क्षेत्र में लालगांव और रामपुर आरआई सर्किल आज भी नहरों से वंचित हैं वहां पर आज भी नहरें नहीं है. मैं आपके माध्यम से सरकार से मांग करती हूं कि वहां पर नहरें बनवाई जायें और बाणसागर परियोजना का पानी हमारे लालगांव और रामपुर एरिया में पहुंचाया जाये जिससे हमारे क्षेत्र की पेयजल की समस्या दूर हो और सिंचाई की सुविधाओं का वहां पर विस्तार हो.उपाध्यक्ष महोदय, रही बात बिजली विभाग की तो बड़े दु:ख के साथ मुझे यहां पर बोलने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है. प्रदेश के बिजली विभाग का जो हाल है उसे देखकर के लगता है कि गरीबों का कल्याण तो स्वयं भवगान ही कर सकता है. बिजली विभाग का हाल यह है कि जिन गरीब किसानों के पास में एकबत्ती कनेक्शन हैं उन्हें जबरिया 500 रूपये का बिल बिजली विभाग के द्वारा थमा दिया जाता है. कई गांव तो ऐसे हैं जहां पर 6-6 महीने से बिजली के ट्रांसफार्मर जले हुये हैं लेकिन आज भी वहां पर बिजली विभाग से नियमित रूप से बिजली के बिल दिया जा रहा है.हमारे क्षेत्र के ग्राम हिनोता- देवार्थ, टिकुरी बत्तीस, इत्यादि इत्यादि गांव है. कुल 550 गांव हमारे विधानसभा क्षेत्र में हैं. 100-150 गांव तो ऐसे हैं जहां पर 6-6 माह से ट्रांसफार्मर जले हुये हैं, उनको बदला नहीं जा रहा है और गरीबों के पास में बराबर बिजली के बिल आ रहे हैं. बिजली विभाग के अधिकारी गरीबों को परेशान कर रहे हैं, बिल न भरने पर उन्हें जेल में भेज रहे हैं. इसलिये मैं आपके माध्यम से निवेदन करती हूं कि बिजली विभाग को निर्देशित किया जाये कि किसानों के बिजली के बिल माफ किये जायें और जले हुये ट्रांसफार्मर तत्काल बदले जायें ताकि वहां के लोग बिजली की सुविधा का लाभ ले सकें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रात को 12 बजे एक 10वीं क्लास की छात्रा का मेरे पास में फोन आया कि हमारे गांव में लाइट नहीं है कल हमारा पेपर है. अब आप बतायें कि हमारे क्षेत्र में मिट्टी का तेल भी खतम हो गया है कैसे मैं कल पेपर दूंगी. इतना सुनते ही मेरी आंखों में आंसू आ गये और फिर मैंने उससे कहा कि चिंता मत करो बेटा भगवान के यहां देर है पर अंधेर नहीं है. आने वाले समय में इस सरकार को जनता जरूर सबक सिखायेगी. उस गांव में आज तक बिजली नहीं है, बच्चे चिमनी जलाकर के पढ़ते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,माननीय खाद्य मंत्री, सदन में बैठे हुये हैं, मैं उनसे गुजारिश करती हूं कि सहकारिता विभाग में और खाद्य विभाग में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है और आपकी सरकार गरीबों के कल्याण की बात करती है, गरीबों को न मिट्टी का तेल मिल रहा है, न सही समय पर उन्हें खाद्यान मिल रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, बायोमेट्रिक मशीन का सरकार ने अभियान चला रखा है, जो गरीब, मजदूर दिन रात सीमेन्ट, चूना और पत्थर का काम करते हैं, गिट्टी फोड़ते हैं उनके हाथ की रेखा घिस गई हैं. मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है. और थंब इम्प्रेशन मशीन में उनके हाथ की रेखायें प्रापर आ नहीं पाती हैं जिसके कारण उनको खाद्यान नहीं मिल रहा है. इसलिये ऐसा कोई कारगर उपाय सरकार को करना चाहिये कि जो 60 साल के बूढ़े हैं जिनकी हाथ की रेखा घिस गई हैं उसके लिये थंब इम्प्रेशन मशीन के स्थान पर कोई दूसरा उपाय सरकार को करना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय- मंत्री जी यह वास्तव में बड़ी समस्या है कि लोगों के फिंगर प्रिंट मेच नहीं करते हैं इसके लिये सरकार कोई बीच का रास्ता निकाले.
श्री ओमप्रकाश ध्रुर्वे ( खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैन्यूअल देने का आदेश हो गये हैं. जो ग्रामीण क्षेत्र हैं वे कलेक्टर से परमीशन लेकर के जहां पर थंब इम्प्रेशन नहीं आ रहा है तो मैन्यूअल से दिये जाने के आदेश शासन ने दे दिये हैं. और एक नया उपाय हम लोग कर रहे हैं .उपाध्यक्ष महोदय,दो चीजें हैं यदि थंब इम्प्रेशन नहीं आ रहा है तो आई इम्प्रेशन आये उसके लिये भी हम स्वीकृति दे रहे हैं. कोई न कोई इम्प्रेशन आयेगा. ताकि आने वाले समय में उनको परेशानी न हो. सरकार इस दिशा में चिंतित है.
श्रीमती शीला त्यागी -- माननीय मंत्री जी मेरा आपसे निवेदन है कि मान लीजिये कोई अंधा व्यक्ति है उसका आई इम्प्रेशन कैसे आयेगा.
श्री ओमप्रकाश ध्रुर्वे-- उसका थंब तो आयेगा. कुछ न कुछ तो आयेगा.
श्रीमती शीला त्यागी- ठीक है लेकिन सरकार को कोई न कोई ऐसा सरल उपाय करना चाहिये जिससे लोगों का भला हो सके.
श्री ओमप्रकाश ध्रुर्वे-- बहन जी बोगस लोगों को रोकने का क्या उपाय है वह भी बता दें. आप तो प्रश्न कर देती हैं. हम सरकार चला रहा हैं हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि जो वास्तविक लोग हैं उनको उनका हक मिलना चाहिये. कहीं न कहीं खामियां रह जाती हैं तो यहां पर आपकी तरफ से कुछ सुझाव भी आना चाहिये. क्योंकि मैं ईश्वर तो हूं नहीं.
श्रीमती शीला त्यागी--वही तो कह रही हूं कि जिस गति से सुधार करना चाहिये उस गति से नहीं हो रहा है. जो पात्र लोग हैं उनको खाद्यान नहीं मिल रहा है.
श्री ओमप्रकाश ध्रुर्वे--बिल्कुल कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्रुत गति से इस दिशा में काम कर रही है.
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.शीला जी बजट पर बोल लीजियेगा. काफी समय आपको दे दिया है.
श्रीमती शीला त्यागी-- उपाध्यक्ष महोदय, दो मिनिट का समय और दे दीजिये क्योंकि हमारे दल की तरफ से चारों विधायक नहीं है, इसलिये उनका भी समय मुझे दे दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदय--सबका समय अलग अलग होता है. आप एक मिनिट में अपनी बात कह करके समाप्त करें.
श्रीमती शीला त्यागी- ठीक है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय पीएचई विभाग के बारे में कहना चाहती हूं कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में यह कहा गया है कि लाखों बसाहटों में हमने पेयजल की व्यवस्था की है. मैं आपको बताना चाहती हूं कि हमारा मनगवां विधानसभा क्षेत्र ड्राय एरिया है, बहुत जल्दी सूखा हो जाता है जिसके कारण हमारे क्षेत्र का जो नया नईगढ़ी बेल्ट है, रामपुर आरआई सर्किल वहां 400-500 फिट गहराई में भी पानी नहीं मिलता है. जो नये हैंडपंप खोदे गये हैं वह अभी से बंद हो गये हैं. पीएचई विभाग के द्वारा जो हैण्डपम्पों की खुदाई की जाती है वह पर्याप्त नहीं है, वहां पर पेयजल की बहुत गंभीर समस्या है, जिसके कारण गरीब 3-4 किलोमीटर तक पानी के लिये भटकता रहता है.सुबह से शाम तक पानी की तलाश में रहता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पीएचई विभाग में पहले कांग्रेस की जब सरकार थी तब रीवा जिले को 4000 से 5,000 तक की संख्या में हैण्ड पंप दिये जाते थे लेकिन वर्तमान में पीएचई विभाग की तरफ से, जब अब भाजपा की सरकार है, तब वैसा नहीं दिया जाता है, ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार जो कहती है वह करती नहीं है. मैं आपको बता दूं हमारा उत्तरप्रदेश पड़ौसी राज्य है, बहन कुमारी मायावती जब सरकार में थी, तो उन्होंने हर क्षेत्र की समस्या में काम किया है चाहे बिजली की समस्या हो चाहे पानी की समस्या हो, सभी के लिए काम किया है. आवास योजना के तहत हमारे पड़ौसी जिले में नई नई कालोनियां बसायी, पेयजल की व्यवस्था की और भाईचारा को बढ़ाया दिया.
उपाध्यक्ष महोदय - शीला जी उत्तरप्रदेश का जिक्र क्यों कर रही हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - यह मध्यप्रदेश है, मध्यप्रदेश की ही बात करें.
श्रीमती शीला त्यागी - हमारी सरकार न केन्द्र में है न मध्यप्रदेश मे है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आपकी सरकार कहीं आएगी भी नहीं.
श्रीमती शीला त्यागी - हमारी बहन मायावती जी ने वहां सर्वांगीण विकास किया है. हमारी सरकार आएगी 11 मार्च तक इंतजार कर लीजिए. हमारी सरकार बन रही है बहन मायावती जी पांचवीं बार मुख्यमंत्री बन रही है. उपाध्यक्ष महोदय बहुत बहुत धन्यवाद आपने मुझे बोलने का मौका दिया.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है, उस पर बोलने का मौका दिया इसके लिए धन्यवाद. मैं बताना चाहता हूं, जिस तरह से बातें हो रही है, दलों की बातें हो रही है, व्यक्तिगत बातें हो रही है, आपस में चर्चा हो रही है, लेकिन इससे स्पष्ट है कि जो हमारे विपक्ष दल के सदस्य जो बता रहे हैं, विकास की बात कर रहे हैं, जिस विधान सभा में बैठे हैं वह कांग्रेस के काल में ही बनी है और उसी में बैठकर चर्चा कर रहे हैं, जिस रोड पर चल रहे हैं वह रोड कांग्रेस के काल में ही बनी हुई है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - कौन से रोड, कांग्रेस के समय में रोड में गड्ढे थे.
डॉ. रामकिशोर दोगने - पूरी बात तो सुन लीजिए, आज जो बात कर कर रहे हैं, देश की आजादी की लड़ाई कांग्रेस ने लड़ी थी, देश को आजाद कांग्रेस ने कराया था, महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डा. भीमराव अम्बेडकर, सरदार पटेल यह सब कांग्रेस के थे.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- आप इसमें वीर सावरकर का भी नाम लो.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री (श्री ओमप्रकाश धुर्वे) - आप इसीलिए बाबा साहब का विरोध कर रहे हों.
उपाध्यक्ष महोदय - दोगने जी आप जारी रखें.
डॉ. रामकिशोर दोगने - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम देख रहे हैं, देश बढ़ता है, धीरे धीरे बढ़ता है. कांग्रेस ने 60 साल राज किया है, जितनी सिंचाई और डेम है यह कांग्रेस की डेम है. यह भारतीय जनता पार्टी ने नहीं कराई, मोदी जी ढाई साल में कोई जादू की छड़ी लेकर नहीं आए कि यहां पर विधान सभा बना गए.
श्री लखन पटेल - उस समय सिंचाई मात्र 7 लाख हेक्टेयर थी जो आज 45 लाख हेक्टेयर है.
डॉ. रामकिशोर दोगने - पहले तो सिंचाई जीरो थी, जब देश आजाद हुआ था. रोटी कपड़ा और मकान तक की व्यवस्था नहीं थी.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - दोगने जी सिंचाई जीरो कभी नहीं रही, कुछ तो भी बोल रहे हैं, किसान पहले भी खेती करते थे.
डॉ. रामकिशोर दोगने - मनोज जी आपके पिताजी मंत्री रहे, इसलिए इतनी बातें कर रहे हैं, सुविधाओं का दोहन किया है, आप गरीबों को जाकर देखो.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आप गरीबों के ऊपर बात करो न, कांग्रेस के ऊपर बात कर रहे हो, गरीब के ऊपर बात ही नहीं कर रहे हों.
उपाध्यक्ष महोदय - मनोज जी व्यक्तिगत चर्चा नहीं होगी, इस तरह से चर्चा करना गलत है.
डॉ. रामकिशोर दोगने - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज हम बात कर रहे हैं मेट्रो टेन की, सरकार बात कर रही है मेट्रो टेन की, इंदौर और भोपाल में डीपीआर बन गई है. जबलपुर में और ग्वालियर में बनना है, सर्वे चल रहा है. आप मुझे बताइए उपाध्यक्ष महोदय, हमारे आदिवासी भाई जंगल में रहते हैं, उसने ट्रेन नहीं देखी है और यहां मेट्रो ट्रेन की व्यवस्था बनाई जा रही है, उस गरीब आदिवासी भाई के लिए व्यवस्था की जाए तो समझ में आता है कि देश के विकास की बात करते हों, प्रदेश के विकास की बात करते हों. गरीबों के लिए स्कूल नहीं है, शिक्षक नहीं है, उनके लिए व्यवस्था नहीं की जा रही है और यहां मेट्रो ट्रेन की बात की जा रही है, जो फाइव स्टार लाइफ जी रहा है उसको स्मार्ट सिटी में रखने की बात की जा रही है. हमारे आदिवासी भाई जंगलों में रह रहे हैं, उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है, उनके लिए कोई व्यवस्था की जाए तो विकास की बात होती है. अच्छे काम करें, अच्छे विचार रखें और अच्छे विचारों को सुनने की क्षमता भी रखें तो अच्छा होगा. मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे यहां हरदा में नर्मदा नदी में बाढ़ आती है, वन विभाग की जमीन है, वहां बोरिंग नहीं करने देते, लोगों को बोरिंग से शुद्ध पानी मिल सकता था, लेकिन नर्मदा नदी का पानी पीना पड़ता है मजबूरी में. वन विभाग परमिशन नहीं देता है, पट्टे नहीं देता है, गरीबों को रहने के लिए सुविधा नहीं दी जा रही है. गरीब जीवन भर गरीब रह रहा है. क्योंकि वह शिक्षित नहीं थे. इसलिये उन्होंने पट्टे का आवेदन नहीं किया या अपने रहने की व्यवस्था नहीं की, इसलिये उनको आज परमीशन नहीं मिल रही है. जो समझदार थे, उन्होंने आवेदन किया, उनको पट्टे मिल गये और सभी सुविधायें मिल रही हैं, पर उनके लिये नहीं सोचेंगे. आज वन अधिकार पट्टे या लोगों को रहने के लिये पट्टे नहीं मिल रहे हैं, अगर वह व्यवस्था करेंगे तो सरकार के लिये अच्छा होगा और सरकार आगे बढ़ेगी, ऐसा मेरा आपसे अनुरोध है. और भी बहुत सारी बातें हैं. हम किसान की बात करते हैं. भारतीय जनता पार्टी किसान के लागत मूल्य की कब से बात करती आ रही है. हमेशा एजेंडा में किसान के लागत मूल्य का मुद्दा लिया है, पर इस विधान सभा में किसी ने आज तक किसान के लागत मूल्य पर बात की है . लोक सभा में किसी ने किसान के लागत मूल्य की बात की है. किसान के लागत मूल्य पर कोई बात करने को तैयार नहीं है. किसान की समस्या की बात नहीं करेंगे. कांग्रेस के समय में सोयाबीन का 4 हजार रुपये रेट मिलता था, आज 2200-2400 रुपये रेट मिल रहा है. उसकी बात नहीं करेंगे, उसके लिये काम नहीं करेंगे. किसान के बच्चे परेशान हो रहे हैं, उनकी बात नहीं करेंगे. वह रात भर वहां खेत में बैठे रहते हैं. बिजली 10 घंटे देने की बात कर रहे हैं, पर 6 घंटे बिजली मिल रही है. रात भर आदमी खेत में बैठा रहता है, पर उसकी बात नहीं करेंगे. कहते हैं कि हमने इतनी बिजली पैदा कर दी. इतनी बिजली पैदा की तो आप पूरी 10 घंटे बिजली दीजिये. टाइम सेट कीजिये, टाइम से दीजिये, तो वह टाइम से रहेगा, तो उसकी व्यवस्था होगी, पर वह बात नहीं करेंगे. हम 24 घण्टे, 10 घण्टे बिजली दे रहे हैं. 24 घण्टे कहां मिल रही है. आज मजरे-टोले में जो गरीब लोग रह रहे हैं, जिनका विकास होना चाहिये, जिनके विकास के बारे में काम करना चाहिये, पर उनको बिजली नहीं देंगे. उनको आज भी बिजली नहीं मिल रही है. जैसे शीला जी ने बताया, बिलकुल सही है कि बच्चों की परीक्षा है, बिजली नहीं रहती है. कई टोले-मजरों में आज तक बिजली नहीं है, पर उसकी व्यवस्था नहीं करेंगे. मैं बैतूल क्षेत्र में चुनाव में गया तो वहां देखा कि 18 पंचायतों में बिजली के खम्भे तक नहीं हैं. तो यह प्रदेश की स्थिति है. विकास के बाकी सर्वे तो करें, केवल शहर-शहर में यहां अच्छे भोपाल, अच्छे जबलपुर, अच्छे इन्दौर और अच्छे ग्वालियर को बना लेने से विकास नहीं हो जाता. उन गरीबों, आम आदमी और मजबूर के लिये सोचना पड़ेगा, तब विकास होगा. मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे यहां भी बहुत सारी समस्याएं हैं. इंदिरा सागर बांध हमारे यहां हैं. अब बांध के आस-पास जो बस्तियां हैं, मैं मकान को विस्थापित करने के लिये बारबार सरकार से निवेदन और बात कर रहा हूं कि खण्डवा और हरदा जिले के और मेरी विधान सभा के 29 गांव डूबे हैं. अब गांव के आस पास पानी भर जाता है. आपने जमीन तो एक्वॉयर कर ली, आपने उनको मुआवजा नहीं दिया. किसी को मुआवजा मिला, किसी को नहीं मिला. मुआवजा के साथ साथ जमीनें एक्वायर कर लीं और आजू-बाजू पूरा पानी भरा है और बीच में गांव है. सिर्फ उसको जाने के लिये रास्ता है. वहां कीड़े-मकोड़े और मच्छर लोगों को खा रहे हैं. लोग बीमार हो रहे हैं, पर उनकी व्यवस्था नहीं करना, उनका व्यवस्थापन नहीं करना, उसके लिये हम बारबार मांग कर रहे हैं, तो उसका कोई उल्लेख इसमें नहीं है. वहां आप देखेंगे, तो शिक्षा नहीं है. कई गांवों को पेपर में विस्थापित कर दिया, उनको अनुदान नहीं दिया, इसके कारण वे लोग वहां से निकल नहीं पा रहे हैं. तो ऐसे लोगों के लिये व्यवस्था करनी पड़ेगी, तो हमारा काम चलेगा और प्रदेश का विकास होगा. यह सिर्फ मौखिक बात करने से नहीं होगा. मैंने बार बार मंत्री जी से निवेदन किया और प्रश्न भी लगाये कि हमारे विस्थापितों के लिये व्यवस्था की जाये. पर उनके लिये अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है. उसकी व्यवस्था करेंगे, तो ज्यादा उचित होगा, क्योंकि इन डेम्स से बिजली पैदा करके आज हम अगर देखें तो यहां 3 करोड़ रुपये की परडे बिजली पैदा कर रहे हैं. एक गांव को बसाने में मुश्किल से 3 करोड़ रुपये लगेंगे, पर उनको बसाने की बात नहीं करेंगे. एक दिन की इनकम देने के लिये तैयार नहीं हैं. पूरी इनकम सरकार अपने पास रखने के लिये तैयार है. तो उन गरीबों को, जिनका नुकसान हुआ है, आज जिनका जीवन खत्म हो गया, विस्थापित जो होते हैं, वह अगर कहीं एक जगह से दूसरी जगह जायेंगे, तो उसका पूरा जीवन खत्म हो जाता है. दूसरी जगह स्थापित होने में पूरा समय खराब हो जाता है. तो उनके लिये नहीं सोचेंगे. सरकार से मेरा निवेदन है कि विस्थापितों के लिये बहुत अच्छी योजना बनायें, क्योंकि उन्होंने हमारे पूरे प्रदेश को, यह कृषि कर्मण अवार्ड ले रहे हैं, तो उन्हीं विस्थापितों के कारण ले रहे हैं, क्योंकि उनकी जमीनें गईं, वह डूबे हैं, वह डेम से पानी लेकर ही ले रहे हैं. तो उनकी व्यवस्था करें, तो अच्छा रहेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही इसमें वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन की बात आती है. तो वृद्धा और विधवा पेंशन अभी गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दे रहे हैं. और वृद्ध नहीं हैं क्या. और दे क्या रहे हैं. डेढ़ सौ रुपये में क्या होता है. तो वृद्धा पेंशन सबको जो मिल रही थी, वह लागू होना चाहिये, सबको मिलना चाहिये. यहां पर शिक्षा की बात कर रहे हैं. शिक्षा से विकास आता है. शिक्षा रुपी चाबी सभी तालों में लगती है. चाहे प्रशासनिक सेवा में जाना हो, चाहे व्यवसाय करना हो, चाहे खेती करना हो या किसी भी क्षेत्र में जाना हो, पर शिक्षा के ऊपर बिलकुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हमारे यहां खिरकिया में, वह तहसील प्लेस है, ब्लाक है, आज तक वहां सरकार का कालेज नहीं है. बच्चों को 20-20 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिये जाना पड़ता है. तो वह व्यवस्था होगी, तो ज्यादा अच्छा रहेगा. हरदा में कन्या महाविद्यालय नहीं है. वह व्यवस्था होगी, तो ज्यादा अच्छा होगा. तो इस तरह से बहुत सारी बातें हैं. अभी अतिथि शिक्षक हड़ताल पर हैं. 17-18 दिन हो गये, उनसे कोई बात तक करने नहीं जा रहा है. अगर उनसे बात करेंगे, तो हल निकल सकता है. तो उनकी बात, समस्या तो सुनें. क्योंकि शिक्षा को तीन रुपों में बांट दिया गया है. एक को परमानेंट शिक्षक कर दिया, उसको 50 हजार रुपये तनख्वाह मिल रही है. एक को संविदा शिक्षक कर दिया, उसको 8-10 हजार तनख्वाह मिल रही है और एक को अतिथि विद्वान कर दिया, उसको 2-3 हजार रुपये महीने का मिल रहा है. वह कैसे जीवन-यापन करेगा. वह कैसी व्यवस्था करेगा ? पर उसके लिए सोचने की बात नहीं है क्योंकि शिक्षा सबको काम देगी और विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है. हम विकसित देशों की परिभाषा देखें, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका के बारे में बात करें तो वहां की शिक्षा पद्धति अच्छी है, वे इसलिए आगे हैं. हमारे यहां शिक्षा पर कोई काम नहीं हो रहा है. शिक्षा पर काम होगा तो विकास होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, सरकार से कहना चाहता हूँ कि अगर रोड़ नहीं बनेंगे तो चल जायेगा, बिल्डिंगें नहीं बनेंगी तो चल जायेगा, बड़े मकान नहीं बनेंगे तो चल जायेगा, उद्योग-धन्धे नहीं खुलेंगे तो चल जायेगा पर शिक्षा पर मध्यप्रदेश का एक साल का पूरा बजट लगा दिया जाये और अच्छी बिल्डिंग बना दी जाये, अच्छे शिक्षक नियुक्त कर दिये जाएं, अच्छे ट्रेनिंग सेन्टर बना दिये जायें और अच्छी शिक्षा देंगे तो निश्चित ही मध्यप्रदेश का विकास हो जायेगा. उस तरफ काम करने की जरूरत है तो मेरा यह अनुरोध है कि शिक्षा के क्षेत्र में काम करें और इसके साथ ही, आप देखें कि बहुत सारी छोटी-छोटी समस्याएं हर गांव में हैं. आज हम देखते हैं कि गरीब लोगों के मोहल्लों में रोड़ नहीं हैं, गरीब को रहने के लिए मकान नहीं हैं, उनकी व्यवस्था करें, उनको रास्ता दें, उनको आगे बढ़ायें. सड़कें अच्छी होनी चाहिए, अच्छा पानी मिलना चाहिए. आज हम शौचालय की बात कर रहे हैं कि शौचालय बना दिए हैं पर शौचालय को उपयोग करने का माहौल बनायें. उसको उपयोग करने का माहौल नहीं है. उस गरीब को पैसे नहीं लि रहे हैं, उसको 12,500 रूपये देने का कह दिया है कि रूपये दे देंगे और गरीब को एक किश्त दी और एक किश्त आपके अधिकारी खा गए हैं, आपका उन पर कन्ट्रोल नहीं है. जैसे अभी मंत्री जी कह रहे थे कि हम लोग सरकार चलाते हैं एवं हमें मालूम है कि कैसी योजना लानी चाहिए ? कैसे खाद्य बांटना चाहिए ? आपके अधिकारी एवं आपकी सरकार है, आप उन पर कन्ट्रोल नहीं कर सकते हैं. गरीब का थम्ब इम्प्रेशन नहीं मिल रहा है तो उसको राशन नहीं देंगे, आपके अधिकारी क्या कर रहे हैं ? वे जांच करें कि वह आदमी सही है या नहीं. उसके हाथ की रेखाएं चली गईं तो वह क्या करेगा ? उसके आंखों की रोशनी चली गई है तो वह क्या करेगा ? चैक करने का पैमाना है, आपके पास अधिकारी हैं, बांटने वाले सभी हैं, वह उसके नाम से भ्रष्टाचार कर रहे हैं. हमने समिति में जो अनाज दिया हुआ है, वे बेच रहे हैं, खा रहे हैं. अभी यह बात आई थी कि दो ट्रक पकड़ाए हैं, शायद भिण्ड में या कहीं पकड़ाया था. इन चीजों पर कन्ट्रोल करेंगे, अधिकारियों पर कन्ट्रोल करेंगे तो बात बनेगी. ऐसा कहने से नहीं चलेगा क्योंकि जो परिस्थितियां हैं, जो उसकी रेखाएं हैं, आपका दोष नहीं है, ईश्वर का दोष नहीं है और न ही हमारा किसी का कोई दोष है पर यदि रेखाएं नहीं मिल रही हैं तो आप उसे वेरीफाई कीजिये, उसकी व्यवस्था कीजिये. गरीबों को अनाज नहीं मिल रहा है, यदि उसकी व्यवस्था प्रॉपर होगी तो अच्छा होगा. इसके साथ ही, हम दूसरे शहरों की व्यवस्थाएं देखें कि शहरों में गरीब बस्तियों में व्यवस्था नहीं हैं, नाली नहीं है एवं पानी नहीं है तो उनकी व्यवस्था करें. मेरे पास बहुत सारी बातें कहने के लिए हैं. इसलिए मैं चाहता हूँ कि कम समय में, मैं अपनी बात रखकर खत्म करूँ.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से, सरकार से अनुरोध है कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में काम करे. गरीबों के लिए काम करे, हमारे आदिवासी भाई, जो पहाड़ों पर रहते हैं, उनके लिए काम करेंगे तो निश्चित रूप से विकास होगा. यदि एक आदमी को ऊपर पहुँचा दिया और एक आदमी को धरातल में पहुँचा दिया तो उससे विकास नहीं होगा, दोनों को समतल लाना पड़ेगा और समानता लाना पड़ेगी तब ही विकास होगा. मेरा आपसे अनुरोध है कि हमारे यहां हाईस्कूल बहुत कम हैं इसलिए हाईस्कूल दें. पूरे जिले में सिर्फ 6 हाईस्कूल दिए हैं, इससे कैसे काम चलेगा ? हायर सेकेण्डरी स्कूलों की मांग की है, वे नहीं दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप बजट में उल्लेख कर दीजिएगा.
डॉ. रामकिशोर दोगने - ये सब चीजों की जब तक व्यवस्था नहीं करेंगे, ऐसे भाषण पढ़ने से कुछ नहीं होगा. भाषण को इम्प्लीमेन्ट करना होगा तभी विकास होगा. आपने समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) (इन्दौर-1) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. जबसे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है और माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान बने हैं तब से सरकार पण्डित दीन दयाल जी उपाध्याय के मार्ग पर चलकर समाज के अंतिम छोर में खड़े, अंतिम पंक्ति के उत्थान को लेकर काम कर रही है और सौभाग्य की बात है कि वर्ष 2017 पण्डित दीन दयाल जी उपाध्याय की जन्म शताब्दी वर्ष है और सरकार इसे गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मना रही है. एक ओर जहां सरकार प्रदेश का चहुँमुखी विकास कर रही है, वहीं दूसरी ओर 200 से अधिक कल्याणकारी योजनाएं लागू करके सरकार गरीब वर्ग के उत्थान के लिए काम कर रही है, उसके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए कार्य कर रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक समय था. जब मध्यप्रदेश एक बीमारू राज्य के रूप में जाना जाता था और यहां पर न सड़क, पानी एवं बिजली थी और 18-20 घण्टे लाईट नहीं रहती थी, उसके कारण उद्योगपति, किसान एवं व्यापारी दुखी था और अब मध्यप्रदेश एक प्रगतिशील राज्य की श्रेणी में आ गया है. देश की सर्वोच्च गिनती में मध्यप्रदेश आ गया है. यह देन भारतीय जनता पार्टी की है. एक समय था जब कांग्रेस की सरकार थी सड़क, पानी, बिजली कुछ नहीं था बड़े बड़े गड्डे सड़कों में मध्यप्रदेश में थे. यहां पर सड़क में गड्डा या गड्डे में सड़क थी तब हम चलते थे तो यह गाना गाते थे कि मेरा मन डोले, मेरा तन डोले, मेरे मन का गया करार रे, अब कौन बजाये बांसुरी वह हालत होती थी. जब प्रदेश में अन्य राज्यों से लोग आते थे तो जैसे ही मध्यप्रदेश आता था उनको बड़े ही धचके लगते थे तो वह समझ जाते थे कि मध्यप्रदेश आ गया है. अब उल्टी स्थिति हो गई है जब मध्यप्रदेश से बाहर आदमी जाता है तो उसको धचके लगते हैं तो वह समझ जाता है कि मध्यप्रदेश की सीमा समाप्त हो गई है. पूरे प्रदेश में सरकार ने सड़कों का जाल बिछाया है तथा बिजली का उत्पादन भी किया है, पानी की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है और उसी का यह परिणाम है कि आज पूरे मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व है. सरकार के द्वारा 24 घंटे बिजली गैर कृषि कार्यों के लिये, 10 घंटे बिजली कृषि कार्यों के लिये दी जा रही है और यही कारण है कि बिजली भरपूर मिलने से किसानों को भरपूर पानी मिल रहा है तो उत्पादन तेजी के साथ हो रहा है यही कारण है कि चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश की सरकार को मिला है कुछ कांग्रेस के बंधु कह रहे थे कि सेटिंग करके कृषि कर्मण पुरूस्कार लिया है. दो बार तो माननीय मनमोहन सिंह जी की सरकार के द्वारा यह अवार्ड दिया है तथा 2 बार माननीय नरेन्द्र मोदी जी की सरकार के द्वारा दिया गया है तो यही कारण है कि मध्यप्रदेश की सरकार तेजी के साथ बढ़ता हुआ विकासशील प्रदेश बनता जा रहा है. सरकार कृषकों की आय को दुगना करने के लिये प्रयासरत् है कृषि को लाभ का धन्धा बनाने के लिये तेजी के साथ कार्य कर रही है. जहां जहां पर किसानों को विपत्ति एवं आपत्ति आयी है सरकार उसके साथ चट्टान के रूप में खड़ी रही है. ओला-पाला गिरा या प्राकृतिक विपदा आयी हमारे मुख्यमंत्री जी ने सवेरे ही उनके खेतों को देखा तथा किसानों की समस्याओं को सुना तथा उनकी समस्याओं को हल भी किया. यह मध्यप्रदेश की पहली सरकार है जो किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दे रही है. पहले कांग्रेस की सरकार थी जब 16-18 प्रतिशत से किसानों को ऋण देकर के वसूल किया जाता था, किन्तु आज हमारी सरकार के द्वारा 1 लाख रूपये लोन के रूप में लो उसके 90 हजार रूपये चुकाओ, यह हमारी सरकार ने काम किया.
उपाध्यक्ष महोदय, नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ की सफलता के लिये देश में मध्यप्रदेश की पहचान बनायी है. माननीय पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का एक सपना था कि एक नदी से दूसरी नदी को जोड़ा जाए इससे जहां पर भी नदियां सूख जाती हैं और कहीं पर बाढ़ आती है तो पानी का समुचित उपयोग हो. यह सारे कार्य हमारी सरकार ने करके दिखाया है तथा इसका लाभ भी मिल रहा है. अन्य कल्याणकारी योजनाएं भी सरकार के द्वारा चलायी जा रही है उसमें से सबसे प्रथम जननी सुरक्षा योजना है. एक समय था जब हम छोटे थे तो समाचार पत्रों में फोटो छपते हुए देखे थे गांव से लोग किसी बहिन की डिलेवरी होती थी तो उसको खाट पर लेटाकर 10-20 किलोमीटर दूर तक उनकी डिलेवरी कराने के लिये हास्पीटलों में ले जाते थे आज जननी सुरक्षा एक्सप्रेस की सरकार ने व्यवस्था की है. अब तो एक फोन लगाओ उसके घर पर जननी एक्सप्रेस आ जाती है और वहां से उस बहन को ले जाकर उसकी डिलेवरी करायी जाती है उसमें सारी निःशुल्क व्यवस्थाएं सरकार के द्वारा की जाती हैं सरकार के द्वारा उसको 1250 रूपये का चेक भी दिया जाता है, यह हमारी सरकार की देन है. एक समय था जब मध्यप्रदेश में और पूरे देश में बच्ची को एक अभिशाप माना जाता था लोग सोचते थे कि अब उसको पढ़ायेंगे-लिखाएंगे कैसे तथा इसका पालन-पोषण कैसे करेंगे, इसके हाथ पीले कैसे करायेंगे? इसमें हमारी लाड़ली लक्ष्मी योजना हमारी सरकार के द्वारा लागू की गई है. उसमें प्रत्येक बच्ची का जब आंगनवाड़ी में रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो हर साल उसके खाते में 6 हजार रूपये जमा होंगे और जब वह 18 साल की होगी तो उसके 1 लाख 18 हजार रूपये लेकर के ससुराल जाएगी तो सास-ससुर भी उसको गर्म रोटी और घी की रोटी खिलाएंगे. और कहेंगे कि मेरी लखपति बहू 1 लाख 18 हजार रूपये लेकर आई है. यह देन अगर किसी की है तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार की है. बच्चों को पढ़ाने के लिये सरकार के द्वारा सारी व्यवस्था की जा रही है. उनके गणवेश की व्यवस्था की जा रही है, उनकी पुस्तकों की व्यवस्था की जा रही है, उनके लिये साईकिल की व्यवस्था की जा रही है. यह सारी व्यवस्थाएं इस मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा की जा रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पहले हम लोग जब गांव में जाते थे, तो कोई भी बच्चियां पढ़ने के लिये जाती हुई नहीं दिखती थी, लेकिन आज आप कहीं पर भी चले जाओ चाहे झाबुआ चले जाओ, चाहे धार चले जाओ, सुबह से शाम तक बच्चियां ड्रेस पहनकर साईकिल पर स्कूल जाती और आती हुई नजर आ जायेंगी और यही कारण रहा है कि आज बच्चियों को शिक्षित करने की तरफ उनके पालक ध्यान दे रहे हैं क्योंकि सरकार उनको सारी सुविधाएं दे रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,कन्यादान योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा जो माता पिता अपनी बच्चियों के हाथ पीले करने में कठिनाई महसूस करते थे, उन बच्चियों के हाथ पीले किये जा रहे हैं. हमने कई बार समाचार पत्रों में पढ़ा था कि जिसके परिवार में दो बच्चियां थीं, तीन बच्चियां थीं, चार बच्चियां थीं, उन बच्चियों का विवाह कैसे करेंगे, उन बच्चियों के हाथ पीले कैसे करेंगे, यह सोचकर उस परिवार के माता पिता जहर खाकर के सो जाते थे और आज उन बच्चियों का विवाह करने की सारी व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा की गई है. चाहे वह बच्चियां किसी भी धर्म की हों, चाहे हिंदू हों, चाहे मुस्लमान हों, सिक्ख हों उनकी सारी व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है और उसके साथ-साथ उसके दहेज की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जा रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कई ऐसे गरीब बुजुर्ग थे जो यह चाहते थे कि हम किसी तरह तीर्थ दर्शन कर लें तो हमारा यह लोक भी सुधर जायेगा और हमारा ऊपर वाला लोक भी सुधर जायेगा लेकिन उनको उनके बच्चों ने तीर्थ नहीं कराये किंतु शिवराज राज सिंह चौहान ने उन लोगों को तीर्थ करायें. इस प्रकार 60 साल ऊपर उम्र के जो वृद्ध हैं, उनको तीर्थ कराने की व्यवस्था अगर किसी ने की है तो वह माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने पहले कई बार देखा है कि जब हम सरकारी अस्पतालों में जाते थे तो डॉक्टर दवा लिख देता था कि जाओ यह दवा लिख लो और आठ, दस दिन की दवा खा लेना, तो वह दवा कहां से आती थी वह प्रायवेट से लेकर आना पड़ता था. अब यह मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसने वल्लभ भाई पटेल नि: शुल्क चिकित्सा व्यवस्था के अंतर्गत सारी जांचे वहीं करा रही है और सारी चार सौ तरह की दवाएं सरकार वहां उपलब्ध करा रही हैं गरीब को बाहर से दवाएं लाने की जरूरत नहीं है और न ही उसको बाहर जांच कराने की जरूरत है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत जो शिक्षित युवक हैं उनको सरकार द्वारा दो करोड़ रूपये तक का लोन स्वयं की गारंटी पर दिया जा रहा है. कोई माता-पिता अपने लड़के को अपने मकान की गारंटी यह सोचकर नहीं देता था कि कल से अगर उसका काम धंधा नहीं चला कभी उसका व्यापार नहीं चला और कभी धंधा घाटे में चला गया तो उनका मकान बिक जायेगा और वह अपने मकान की गारंटी अपने बच्चे को नहीं देते थे, मगर उसके मकान की गारंटी और उसके व्यापार के लिये गारंटी अगर किसी ने दी है तो वह माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी की मध्यप्रदेश की सरकार ने दी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा एक रूपये किलो गेहूं, एक रूपये किलो चावल और एक रूपये किलो नमक उन गरीबों को दिया जा रहा है ताकि कम से कम रात में वह भूखे पेट न सोयें, सरकार के द्वारा ऐसी व्यवस्था की गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सरकार ने 'नमामि देवे नर्मदे' योजना प्रारंभ की है. नर्मदा हमारे प्रदेश की जीवन रेखा है. कुछ बंधु हमारे उसकी हंसी मजाक उड़ा रहे थे. नर्मदा मां हमारी इस प्रदेश की जीवन रेखा है और सरकार द्वारा उसके संरक्षण के लिये वह निरंतर प्रवाहवान रहे इसके लिये सरकार द्वारा व्यवस्था की गई है और दोनों घाटों पर घाट बनाये जा रहे हैं. वहां पर चेंजिंग रूम बनाये जा रहे हैं, सरकार द्वारा वहां पर वृक्षारोपण किया जा रहा है. वहां पर लोग कचड़ा न फेंके इसलिए वहां पर कुंड की व्यवस्था की जा रही है. वहां पर सरकार द्वारा घाट की व्यवस्था की जा रही है. वहां पर लोगों के द्वारा कचड़ा न फेंका जाये इसकी व्यवस्था की जा रही है, इसके साथ ही सरकार द्वारा वहां पर शराब बंदी की व्यवस्था की गई है ताकि उन क्षेत्रों में जहां पर भी मां नर्मदा बहती है वहां पर शराब बंदी की जा सके और वहां पर शराब की बिक्री न हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार सरकार ने आनंद विभाग का गठन किया है, इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई दूंगा की इस ओर देश में किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया है जो ध्यान हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने और माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने ध्यान दिया है. यहां विभिन्न प्रकार के खेल, विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन किये जा रहे हैं और जो अनावश्यक वस्तु आदमी या उसके परिवार के पास में हो वह वस्तु वहां रख जाये और जो आवश्यक वस्तु है वह ले जाये, इस प्रकार की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पर्यटन कैबिनेट का गठन किया और पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिले इस ओर सरकार द्वारा तेजी के साथ काम किया जा रहा है.
{5.15 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए }
श्री सुदर्शन गुप्ता आर्य (जारी...) - अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी के द्वारा जो स्मार्ट सिटी योजना लागू की गयी और हमारी मध्यप्रदेश की सरकार और भारतीय जनता पार्टी के महापौरों ने जो मेहनत की उसका यह प्रभाव रहा कि सबसे पहले भोपाल, इंदौर और ग्वालियर स्मार्ट सिटी में चयनित हुए और उसके बाद जलबपुर और उज्जैन को भी उसमें शामिल किया गया और वहां पर तेजी से काम किया जा रहा है. स्वच्छ भारत अभियान में जो माननीय प्रधान मंत्री जी ने आव्हान किया, उस काम को हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने तुरंत पकड़ा और स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर से कचड़ा उठाने का काम मध्यप्रदेश की सरकार और नगरीय निकायों के द्वारा किया जा रहा है, उसके लिये जो-जो साधन और सुविधाएं चाहिये उनको सरकार के द्वारा उपलब्ध करवाया जा रहा है. आज आप छोट-छोटे तहसील में चले जाओ, गांवों में चले जाओ वहां पर भी साफ सफाई दिखती है और स्वच्छ भारत का अलग दृश्य दिखता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना तथा मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवासहीन परिवारों को पक्के मकान देने की सरकार की योजना है 2021 तक सरकार का लक्ष्य है कि प्रत्येक ऐसे आवासहीन परिवारों को मकान दिये जाये, सरकार उनके लिये तेजी से काम कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 108 एम्बुलेंस पूरे प्रदेश में तेजी के साथ दौड़ रही है. पहले यदि कहीं कोई दुर्घटना हो जाती थी तो वाहन की व्यवस्था करना और एम्बुलेंस की व्यवस्था करके पीडि़त को अस्पताल के जाते थे तो तब तक पीडि़त का दम घुट जाता था. अब 108 पर फोन करें तो तुरंत एम्बुलेंस वहां पर आती है और उस दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को वहां पर ले जाकर तुरंत उसका इलाज किया जाता है. अगर यह किसी ने किया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार की देन है.
हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान ने मिल बांचे मध्यप्रदेश अभियान प्रारंभ किया है, इसके अंतर्गत जनप्रतिनिधि और स्वयंसेवी संस्थाओं को इसका भागीदार बनाया है. मैं भी इस अभियान के अंतर्गत शारदा कन्या विद्यालय, इंदौर में गया था और हमने वहां पर बच्चों के साथ एक घंटे का समय दिया उनसे बातचीत की, उन्हें पढ़ाया तो उन्हें भी लगा कि वास्तव में सरकार ने कोई अच्छा कदम उठाया है. सरकार के द्वारा बोर्ड की परीक्षा में 85 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले विद्याथिर्यों को लेपटॉप की व्यवस्था सरकार के द्वारा की जा रही है. यह निश्चित ही एक बहुत ही प्रशंसनीय कार्य है. इसके लिये में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान को दूंगा.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में युवा कौशल विकास के लिये प्रदेश की प्राथमिकता है और प्रतिवर्ष 7.50 लाख युवकों का कौशल विकास किया जायेगा और वह कौशल हो जाते हैं तो उसको रोजगार में कहीं किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी. इसी प्रकार प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर है और लगातार उसको बेहतर बनाने के लिये प्रदेश सरकार काम कर रही है. नक्सली समस्या पर सरकार ने पूर्णत: नियंत्रण पा लिया गया है. सिमी की गतिविधियों में सख्ती के साथ सरकार के द्वारा कार्य किया गया है और आज ही मैंने समाचार पत्र में पढ़ा है कि 11 सिमी आतंकवादियों को उम्र कैद की सजा हुई है, यह सब सरकार के अथक् प्रयासों से हुआ है, इस प्रकार की सब गतिविधियों पर तेजी से काम हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार जनता की हर कसौटी पर खरी उतरी है, उसका यह परिणाम है कि जितने भी चुनाव हुए हैं वह उपचुनाव विधान सभा के हों या नगरीय निकाय के हों उसमें भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार भारी बहुमत से जीते हैं और हर जगह भारतीय जनता पार्टी का परचम फहराया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे कांग्रेस के बंधु नर्मदा माँ की हंसी उड़ा रहे थे, उसमें भी उनको घोटाला नजर आ रहा है, जो नर्मदा नदी हमारी जीवन रेखा है, उस मां की भी वह कदर नहीं समझ रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, एशियाई देशों के स्पीकरों का सम्मेलन हुआ था उसमें आप भी इंदौर पधारे थे गत दिनों हमारी लोकसभा स्पीकर श्रीमती सुमित्रा जी महाजन के नेतृत्व में इंदौर में एशियाई देशों के स्पीकरों का सम्मेलन हुआ और प्रदेश सरकार की ओर से आये हुए अतिथियों को भोजन कराया गया और यहां के विकास का वृत्तचित्र दिखाया गया तो उन्होंने मुंह में उंगलियां दबा ली कि इस तरह तेजी से विकास कार्य चल रहा है. इतनी तेजी से विकास कार्य चल रहा है, कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं और वह अतिथि वृत्तचित्र की सीडीयां भी साथ में लेकर के गये हैं. उनका कहना था कि हम अपने यहां पर इस प्रकार की योजनाएं लागू करेंगे. आपने बोलने के लिये जो समय दिया, उसके लिये धन्यवाद् और मैं माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- ''त्वदिय पाद पंकजम्, नमामि देवी नर्मदे, नमामि देवी नर्मदे'', माननीय अध्यक्ष महोदय, मां नर्मदा से मैं प्रार्थना करता हूं कि मेरे सत्ता पक्ष के साथियों ने जाने या अनजाने में माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का जो महिमामंडन किया है, इसके लिए उन्हें क्षमा करें और सद्बुद्धि प्रदान करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरीके से रोटी, कपड़ा, मकान, दवा और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है, सरकार ने जिम्मेदारी ली है कि समाज की अंतिम पंक्ति में खडे़ व्यक्ति के लिए वह कार्य करेगी. सरकार ने राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में 1 से लेकर 143 बिंदु तक अपने कार्यों का बखान किया है लेकिन जब हम सरकार की कथनी और करनी में अंतर देखते हुए वास्तविक धरातल पर जाते हैं और विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग जहां निवास करते हैं, उन क्षेत्रों में हम पाते हैं कि आज भी वे लोग मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं. हम अपनी आत्म-शांति और आत्म-संतुष्टि के लिए इस सदन में बैठकर इस बात की चर्चा कर सकते हैं कि सरकार जन-हितार्थ, जनकल्याणार्थ और उस व्यक्ति के लिए काम कर रही है, जिसे वास्तव में सरकार के सहयोग की जरूरत है. आज हम सदन में बिजली, पानी, दवाई और पढ़ाई-लिखाई की चर्चा करते हैं जबकि हमारे प्रदेश में दूरांचलों में ऐसे विद्यालय संचालित हैं जहां शिक्षक ही नहीं हैं. भवन विहीन विद्यालय हैं, उन भवन विहीन विद्यालयों में भी छात्र-छात्रायें विद्या अध्ययन करते हैं. ऐसी स्थिति में उन छात्रों के सर्वांगीण विकास के बारे में हम कैसे सोच सकते हैं. आज हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि गांवों में शिक्षक विहीन विद्यालय हैं, वहां वैकल्पिक शिक्षकों की व्यवस्था की जाती है और उनके माध्यम से विद्यालयों में पढ़ाई होती है. उस वैकल्पिक शिक्षक की भी अपनी स्वेच्छा होती है. यदि वह चाहे तो विद्यालय में आये अथवा न आये. इसी कारण आज प्रदेश में ऐसे बहुत से विद्यालय हैं, जहां ताला लटका रहता है. मैं सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि दूरांचल में शिक्षक विहीन विद्यालयों में शिक्षकों की उचित व्यवस्था के संबंध में कोई उल्लेख राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में नहीं किया गया है. मैं सरकार से अपेक्षा करता हूं कि वह इस दिशा में उचित सुधार करेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा बिंदु यह है कि सरकार द्वारा रोजगार के विषय में कहा गया है. महोदय, आज बढ़ते मशीनीकरण के कारण हम अपने प्रदेश की श्रम-शक्ति को कार्य का अवसर प्रदान नहीं कर पा रहे हैं. मैं मानता हूं कि सभी बेरोजगारों को नौकरी दे पाना सरकार के लिए संभव भी नहीं है. परंतु एक ओर हम शिक्षा पर जोर डाल रहे हैं लेकिन उस शिक्षित श्रम-शक्ति का सदुपयोग हम कैसे करेंगे, इस विषय का भी सरकार द्वारा राज्यपाल के अभिभाषण में कोई उल्लेख नहीं किया गया है. आने वाले समय में हम अपने बेरोजगार युवकों, जो काम की तलाश में इधर-उधर भटक रहें है. मशीनीकरण के कारण मजदूर वर्ग, नौकरी पेशा और स्वरोजगार से जुड़े लोगों के विषय में भी राज्यपाल के अभिभाषण में किसी प्रकार का उल्लेख नहीं है. आज हमारी गुणात्मक रूप से बढ़ती हुई जनसंख्या की स्थिति में हम अपनी बेरोजगार श्रम-शक्ति का उपयोग कैसे करेंगे, इसका यहां कोई उल्लेख नहीं किया गया है. हमारे प्रदेश में लोग बेरोजगार हैं. हमारी जो श्रमशक्ति है वह बेकाम होती जा रही है, दिशा भ्रमित हो रही है, पथ विचलित हो रही है उस पर भी हमारे सदन को सोचना चाहिए और सरकार को इस दिशा में काम करने की जरूरत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम दवाइयों की बात करते हैं चलित चिकित्सालय की व्यवस्था की गई थी, बाजारों में जाकर जो तात्कालिक बीमारियां पैदा होती थीं उसका वहां इलाज किया जाता था. सरकार द्वारा उसे बंद कर दिया गया. क्यों बंद कर दिया गया ? क्या कारण था ? इतने करोड़ों-अरबों रुपए खर्च करने के बाद इस व्यवस्था को आपने बंद कर दिया ? क्या वहां दूसरा विकल्प आपने दिया. वहां कौन सा उपचार आपने दिया, कौन सी व्यवस्था आपने दी कि उस व्यवस्था को आपने बंद कर दिया. एक व्यवस्था आप बनाते हैं और बाद में साल दो साल चलाने के बाद उसे बंद कर देते हैं. यह प्रयोगशाला आपने बनाकर रखी है. मैं सरकार को कहना चाहता हूं कि खास करके चिकित्सा, शिक्षा के स्तर पर जो प्रयोग किए जा रहे हैं, दिन प्रतिदिन इसको बंद करना चाहिए ताकि एक अच्छा परिणाम प्रदेश में आएं. हमारे संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 में समानता का अधिकार दिया गया है. समानता के अधिकार के तहत शासकीय सेवाओं एवं शैक्षणिक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व का प्रावधान है. अनुच्छेद 16 (4) में नियुक्तियां, पदोन्नति में प्रतिनिधित्व का प्रावधान है. यह सभी संविधान के मूल अधिकार हैं. संविधान की जान एवं रीढ़ की हड्डी हैं यदि इसका पालन नहीं किया जाता है तो असमानता बढ़ेगी और जो अमीर है वह और अमीर होगा और जो गरीब है वह गरीब होता जाएगा. इस प्रदेश में सन् 1956 से लेकर के फरवरी 2017 लगभग 60 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने के बाद एक तिहाई पद 1 लाख 3 हजार 478 आज भी खाली हैं. इसमें पदोन्नति के लगभग 46 हजार 451 पद रिक्त हैं और उच्च पदों में प्रतिनिधित्व लगभग नगण्य है. इससे यह सबित होता है कि जो हमारा समानता का अधिकार है उस पर कहीं न कहीं परिघात हुआ है. जो अभी पदोन्नति के मामले में प्रदेश में कर्मचारी परेशान हैं इस विषय पर प्रदेश के इस अभिभाषण में कही भी जिक्र नहीं किया गया है कि आने वाले समय में ऐसा कोई नियम सरकार बनाएगी या कोई आरक्षण से संबंधित संविधान में संशोधन लाएगी. इसका भी कोई उल्लेख नहीं किया गया है जिससे हमारे बहुत सारे कर्मचारी जो आरक्षित वर्ग के है जिनको आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. उनकी उम्र हो जाने के साथ ही बहुत जल्दी सेवानिवृत्त होने की स्थिति में आ रहे हैं. इस पर भी सरकार को सोचना चाहिए ताकि आरक्षित वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिले और यह समानता का अधिकार जो संविधान में उल्लेखित है उनको भी उसका लाभ मिल सके. अध्यक्ष महोदय, सिंचाई लघु परियोजनाओं के माध्यम से बहुत सारी जमीनों का अधिग्रहण किया जाता है किसानों की, गरीबों की जमीनों को विभिन्न परियोजनाओं में उपयोग करने के लिए अधिग्रहण किया जाता है. अधिग्रहण करने के साथ माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी बहुत सारी आम सभाओं में अपनी बातों में यह कहते हैं कि 5 लाख से नीचे प्रति एकड़ हम आपको मुआवजा नहीं देंगे लेकिन जब उनके हाथ में मुआवजा बनाया जाता है तो जिले के....
अध्यक्ष महोदय-- आप कितने मिनट और लेंगे.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- दो मिनट और लूंगा आप कहें तो बैठ जाउंगा अध्यक्ष महोदय मैं आपके आदेश का पालन करने वाला सदस्य हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप दो तीन मिनट में समाप्त कर दें.
5.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य श्री फुन्देलाल सिंह मार्को का भाषण समाप्त होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, अब मुझे पर्याप्त समय मिल गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार से मैं यह चाहता हूँ कि जब भी कोई जमीन का अधिग्रहण किया जाता है तो जिले की गाइड लाइन के आधार पर मुआवजा बनाया गया है, यह बताया जाता है. उस गाइड लाइन के अनुसार न्यूनतम रजिस्ट्री के आधार पर मुआवजा बनाया जाता है. सदन के माध्यम से मैं सरकार से चाहता हूँ कि जब भी किसी जमीन का अधिग्रहण किया जाता है तो कम से कम न्यूनतम मूल्य 1 लाख, 2 लाख, 3 लाख तय कर दिया जाए कि इससे कम भुगतान न किया जाए. मेरे क्षेत्र में बहुत सारे बांध बनाए गए और उनके निर्माण के साथ लाख, डेढ़ लाख, अस्सी हजार रुपए एकड़ तक भुगतान किया जा रहा है. एक निश्चित न्यूनतम राशि तय करना चाहिए जिससे कम का भुगतान प्रति एकड़ न किया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहूंगा कि क्रमांक 107 में पेयजल का उल्लेख किया गया है. हमारे प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पेयजल की जटिल समस्या है. गर्मी के दिन आने वाले हैं. रिकार्ड में बहुत सारी नल जल योजनाएं संचालित भी की जाती हैं परन्तु वास्तव में बिजली न होने के कारण वे नल जल योजनाएं संचालित नहीं हो पा रही हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ की बहुत सारी नलजल योजनाएं बिजली न मिलने के कारण बंद पड़ी हैं. उन्हें तत्काल प्रारंभ किया जाए ताकि जो पहाड़ी इलाकों में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग हैं जो कि नाले का पानी पीते हैं उनको शुद्ध पेयजल मिल सके.
अध्यक्ष महोदय, "मिल बांचें मध्यप्रदेश" इसके तहत मुझे क्योंटार माध्यमिक शाला में जाने का मौका मिला. यह पुष्पराजगढ़ का दूरांचल क्षेत्र है जो कि झुइला नदी से लगा हुआ है. मैं दु:ख के साथ बताना चाहता हूँ कि उस माध्यमिक शाला का वर्ष 2003 में माध्यमिक शाला में उन्नयन हुआ है. वर्ष 2003 से 2017 तक और आज दिनांक तक वहां एक ही टीचर कार्यरत् है. कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यालय में जहां 150 बच्चे अध्ययनरत् हैं एक ही शिक्षिका वहां कार्यरत् है और वहां पर कोई दूसरा विकल्प नहीं है. मैं सरकार के माध्यम से निवेदन करना चाहूँगा कि ऐसे चिह्नित विद्यालय जहां शिक्षक नहीं हैं, भवन नहीं हैं उनकी तत्काल व्यवस्था करें ताकि आने वाले शैक्षणिक सत्र में एक अच्छी व्यवस्था हो सके, पढ़ाई हो सके. बच्चों का भविष्य अच्छा बनाया जा सके. इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देते हुए आदरणीय अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद देता हूँ. जय हिन्द, जय भारत, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 28 फरवरी 2017 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 5.33 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 28 फरवरी, 2017 ( 9 फाल्गुन1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 27 फरवरी, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा