मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा अष्टम सत्र
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 26 फरवरी, 2021
(7 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
[ खण्ड- 8 ] [अंक - 5]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 26 फरवरी, 2021
(7 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
हास-परिहास
डॉक्टरी और राजनीति
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष जी, मैं कई बार कह चुका, ये कांग्रेस की प्रथम पंक्ति क्या बहिष्कार करती है? क्या है, समझ नहीं आता...(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- बहुत चिंता रहती है आपको, हमारे लोगों की, क्या बात है. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैंने चिंता की आपकी, तभी तो आप वहां हैं. ..(व्यवधान).. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात मैं आज तक समझ नहीं पाया कि नेता प्रतिपक्ष की सुख-सुविधाएं तो नेता प्रतिपक्ष पर रहेंगी और बेगार पूरी हमारे डॉ. गोविन्द सिंह पर लगा दी है. अगर ये तब इतना पढ़े होते तो प्रेक्टिशनर डॉक्टर होते अभी तक, अच्छी भली डॉक्टरी चल रही होती, कहीं बैठकर कोविड का इलाज कर रहे होते. ..(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- पार्टी ने हमारा महत्व समझा है, पूरी जिम्मेदारी पार्टी ने मुझे दी है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी, इस सदन में कई डॉक्टर हैं, जो लिखते हैं, आप उनका परीक्षण कराइये कि कैसे लिखते हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- पहले वे खुद का कराएं. ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैंने सबके लिए कहा है. ..(व्यवधान)..
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- नरोत्तम जी, यहां की खाली लाइन देखी, जरा बाजू में झांको.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- बैठा हूँ.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- नहीं आप नहीं, बाजू में झांको. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र (अपनी तरफ हाथ से इशारा करते हुए) -- इधर देखो.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- नहीं नहीं, आप मुझे देखो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपको मैं कैसे देखूंगा, आप उधर चले गए, बिरादरी बदल के, इतना आपके साथ में, शुरू से, प्रजापति जी, मुझे पीड़ा है, मेरे मित्र हो आप, जब मंत्री बनना था, तब मंत्री नहीं बनाया इन्होंने आपको, आप जानते हैं कितनी पीड़ा हुई मुझे.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- मुझे भी पीड़ा है, जब मुख्यमंत्री बनना था, आपको मुख्यमंत्री नहीं बनाया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नहीं, नहीं, मुझे तो बनना ही नहीं था, लेकिन दौड़ में हूँ.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- नहीं नहीं, हमको भी पीड़ा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपको कहीं का भी नहीं छोड़ा इन्होंने.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- नहीं, नहीं, 15 साल में आपको इस लायक नहीं छोड़ा उन्होंने.
11.04 बजे शौर्य दिवस का उल्लेख
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज स्वतंत्रतावीर विनायक दामोदर सावरकर जी की पुण्यतिथि है, यह सदन उनको स्मरण करें. ऐसा मैं आग्रह करता हूँ.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष जी, आज हमारे सैनिकों के शौर्य का दिवस भी है, पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी हमारी सेना ने, उनकी शौर्य और वीरता का भी दिवस है, उनको भी नमन है (मेजों की थपथपाहट).
11.05 बजे तारांकित प्रश्नोत्तर के मौखिक उत्तर
परासिया
में कन्या
महाविद्यालय
की स्वीकृति
[उच्च शिक्षा]
1. ( *क्र. 1157 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर परासिया में कन्या महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा माननीय मंत्री महोदय, उच्च शिक्षा विभाग, भोपाल को पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/2021/48, दिनांक 14.01.2021 को प्रेषित पत्र पर कन्या महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने की स्वीकृति प्रदान किए जाने के संबंध में अभी तक क्या कार्यवाही की गई है? (ख) नगर परासिया में कन्या महाविद्यालय (गर्ल्स कॉलेज) को प्रारंभ किये जाने के संबंध में कब तक विभाग द्वारा कार्यवाही करते हुए, स्वीकृति प्रदान कर दी जायेगी?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) प्रकरण पर की गई कार्यालयीन कार्यवाही के परीक्षणोपरांत पाया गया कि परासिया में एक शासकीय महाविद्यालय एवं दो अशासकीय महाविद्यालय संचालित हैं, जहाँ पर छात्रायें अध्ययन कर सकती हैं। वर्तमान में सीमित संसाधनों की कमी के कारण परासिया में कन्या महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने में कठिनाई है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी विधानसभा में मात्र एक शासकीय महाविद्यालय है और उस शासकीय महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत अधिक हो गई है और कन्याओं की संख्या भी बहुत अधिक लगभग 1200 से अधिक संख्या है. मैंने पिछले 2013 से माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया माननीय शिक्षा मंत्री जी से भी निवेदन किया उच्च शिक्षा मंत्री जी से भी निवेदन किया. मेरा उसमें यह कहना है कि महाविद्यालय का जो नया भवन बना है वह काफी दूरी पर शहर से बाहर बना हुआ है और प्रतिदिन जो छात्राएं पढ़ने जाती हैं और उनको किराया बहुत अधिक लगता है. ऐसी परिस्थिति में किराया देने में छात्राएं असमर्थ रहती हैं. हमारे पास महाविद्यालय का एक पुराना भवन है उस महाविद्यालय में सारी चीजें अपडेट हैं. यदि माननीय सरकार चाहे तो वहां पर कन्या महाविद्यालय का प्रारम्भ किया जा सकता है. मेरा प्रश्न यही था कि कन्या महाविद्यालय खोला जाए परन्तु मुझे जो जवाब मिला है कि अभी कन्या महाविद्यालय नहीं खोला जा सकता तो मैं जानना चाहता हॅूं कि आखिर क्या परिस्थितियां हैं क्यों कन्या महाविद्यालय नहीं खोला जा सकता जबकि वहां पर आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी हालांकि उत्तर में आया है.
डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय हमारे विद्वान विधायक माननीय सोहनलाल बाल्मीक जी ने एक प्रश्न किया है जवाब में ही वह सारी बातें स्पष्ट भी हैं जिस जगह से वह बनाया गया था आपकी जानकारी में है चूंकि आपकी विधानसभा का क्षेत्र है उस पर न्यायालयीन विवाद चल रहा है और लोअर कोर्ट में वह जीते हैं जहां हमको जगह मिली वहां हमने भवन बनाकर दे दिया है अब जगह दूसरी हो तो बात अलग होती है एक बात] दूसरी बात यह है कि आज के इस युग में छात्र-छात्राओं के लिये अलग से कालेज खुलें अब समय बदल गया है बेहतर है अब छात्र-छात्राओं के बजाय आप और भी कुछ चीज मांगें आपको देने के लिये जरुर तैयार रहेंगे क्योंकि यह बात सही है कि अगर जगह होती लेकिन एक और बात से मैं सहमत जरुर हॅूं कि अगर 1700 की संख्या है उसमें 1200 छात्राएं हैं अगर आप जगह कहीं और उपलब्ध करा देंते, तो बात जम सकती थी लेकिन अब वैसे मूलत: मैंने मेरी अपनी भावना व्यक्त कर दी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा उसमें यह कहना है कि युग बदल गया, समय बदल गया बात अलग है लेकिन जो परिस्थितियां, स्थितियॉं हैं वहां पर दिन-प्रतिदिन कन्याओं को आने-जाने में जो आर्थिक बोझ आ रहा है वह एक बहुत बड़ा कारण है और वहां पर जहां बच्चियां पढ़ने जाती हैं वह असुरक्षित जगह भी है और काफी दूर है ऐसी स्थिति नहीं है कि वहां पर रोज जाकर पढ़ाई करें. मेरा इसलिए निवेदन है कि एक बार फिर से विचार करें और विचार करने के बाद में यह स्थिति बने जैसा कि माननीय मंत्री महोदय जी ने कहा है कि यदि और भी कोई चीजें मांगना चाहते हैं तो मेरा उनसे निवेदन है कि कन्या महाविद्यालय में ऐसे बहुत सारे विषय हैं जो आज की कमी के दौर में हैं तो मैं चाहता हॅूं कि जो मेरा शासकीय महाविद्यालय है जो कला संकाय है उसमें अंग्रेजी और भूगोल और इसी तरह से विज्ञान संकाय है जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और भौतिक विज्ञान इन विषयों की स्वीकृति दे दें, तो बहुत ज्यादा कृपा होगी.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, बाल्मीक जी ने जो बात कही, मैं उससे पूर्णत: सहमत हॅूं. आपने जो कोर्स मांगें, वह एक भी प्रोफेशनल नहीं हैं. आप तो इसके अलावा भी, बाकी माननीय विधायकों से भी मेरा निवेदन है कि आप सब होमवर्क करिए, अगले सत्र से जो-जो, जिस भी कॉलेज में सेल्फ फायनेंस के माध्यम से रोजगारपरक विषय लेना चाहते हैं विभाग सबके लिए देने के लिए तैयार है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय मंत्री जी, मैं कह रहा था कि जैसे कि आप स्वीकृति दे देंगे तो कब तक दे देंगे, यह बता दें और साथ में इसमें जो अध्यापक के पद है....(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष जी मैंने मंत्री जी को कॉमर्स और साइंस खोलने के लिये पत्र दिया है. माननीय मंत्री जी आप घोषणा कर दें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष जी मैंने जो कहा है..
डॉ.मोहन यादव -- मैंने आपके माध्यम से ही बोला है. दो बातें आपने कहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य बहुत डिटेल में जवाब आया है. प्रश्न क्रमांक 2 संजय सत्येन्द्र पाठक.
डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने आपको पूरा पावर दे दिया है. आपके लिए जो सब्जेक्ट इसके अलावा भी अभी सत्र खुलने में तीन महीने का समय है आप अपने विद्वान जो उच्च शिक्षा से जुडे़ हुए लोग हैं आप उनको बिठा लेंa जो-जो कोर्स की आपके यहां सेल्फ फायनेंस में आवश्यकता होगी वह सारे कोर्स देने के लिए तैयार हैं. एक और निवेदन सुन लें.
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी विधानसभा में तो एक भी कॉलेज नहीं है. कम से कम एक कॉलेज तो दे दीजिए, विषय की बात तो दूसरी है..(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
श्री संजय यादव-- मेरा आप से विनम्र निवेदन है कि कॉलेज ही दे दें, बजट में पारित हुआ था.
अध्यक्ष महोदय-- वे दूसरी विधान सभा का पूछ रहे हैं.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि पिछले बजट में प्रावधान किया गया था कि बरगी विधान सभा में महाविद्यालय खुलेगा. उसके लिए राशि उपलब्ध करा दें.
डॉ.मोहन यादव-- भनोत जी, मेरा यह कहना है कि आप ही के साथी हैं उनका विषय तो पूरा हो जाने दें फिर बाद में ले लेना. बाल्मीकी जी की बात तो पूरी आ जाए, वे क्या कहना चाह रहे हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष जी, इसमें जब आप यदि यह विषय देंगे तो विषय के बाद सहायक प्राध्यापक की जरुरत पड़ेगी तो क्या उसकी पूर्ति कर देंगे?
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, जब हमने आप से कहा कि सेल्फ फायनेंस में हम अगर आपको सब्जेक्ट खोलने की अनुमति देंगे तो इसका मतलब ही है कि हम सारी व्यवस्था करवाएँगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- ठीक है, धन्यवाद मंत्री जी. ..(व्यवधान)..
नवीन पदों का सृजन
[उच्च शिक्षा]
2. ( *क्र. 624 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता का पत्र क्रमांक 753, दिनांक 19.11.2019 को माननीय उच्च शिक्षा मंत्री मध्य प्रदेश शासन को प्रेषित किया गया था? (ख) क्या प्रश्नाधीन पत्र के जवाब में माननीय मंत्री जी द्वारा प्रश्नकर्ता को पत्र क्रमांक 757, दिनांक 12.11.2020 के माध्यम से सूचित किया गया था कि प्रश्नाधीन पत्र के संबंध में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग को शीघ्र कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) यदि हाँ, तो प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थी हित में प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई है? सम्पूर्ण ब्यौरा दें।
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) जी नहीं। माननीय मंत्री जी, उच्च शिक्षा द्वारा प्रश्नकर्ता के प्रेषित पत्र क्रमांक 757, दिनांक 12.11.2020 के परिप्रेक्ष्य में माननीय मंत्री जी, उच्च शिक्षा द्वारा विभाग को प्रेषित पत्र क्रमांक 756, दिनांक 12.11.2020 के साथ प्रश्नकर्ता का पत्र क्रमांक 410, दिनांक 08.10.2020 प्राप्त हुआ है। (ख) जी हाँ। (ग) नवीन पद सृजन के संबंध में विभागीय मापदण्डों के आधार पर परीक्षण किया जा रहा है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह सत्य है कि प्रश्नकर्ता का पत्र क्रमांक 753, दिनाँक 19.11.2019 को माननीय उच्च शिक्षा मंत्री मध्य प्रदेश शासन को प्रेषित किया गया था. क्या यह भी सत्य है कि प्रश्नाधीन पत्र के जवाब में माननीय मंत्री जी द्वारा प्रश्नकर्ता को पत्र क्रमांक 757, दिनाँक 12.11.2020 के माध्यम से सूचित किया गया था कि प्रश्नाधीन पत्र क्रमांक 753 के संबंध में प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा विभाग को शीघ्र कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है. ग, क, ख यदि हाँ तो प्रमुख सचिव, उच्च विभाग द्वारा विद्यार्थियों के हित में प्रश्न दिनाँक तक क्या क्या कार्यवाही की? कृपया संपूर्ण ब्यौरा दें और यदि कार्यवाही नहीं की तो वह क्यों नहीं की?
डॉ.मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो बात रखी है पहला पत्र उन्होंने जो दिया वह तो मेरी जानकारी में नहीं है, लेकिन मैं उसका भी कोई बुरा नहीं मानता. दूसरा जो पत्र आपने मुझे दिया है, मैंने आपको भी जवाब दिया है और विभाग को भी उसकी चिट्ठी दी है. तीसरी महत्व की बात आपने कही कि जो हमारे प्राध्यापक हैं, जो यू जी अगर खोलते हैं, पी जी खोलते हैं तो उसके प्राध्यापकों के पद होने चाहिए. मैं स्वीकार करता हूँ इस बात के लिए कि पी जी अगर हमने खोली है तो हमको तत्समय ही उसके पद दे देने चाहिए थे. लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि पिछली समीक्षा बैठक में हमने निर्णय किया है कि सबसे पहले, जहाँ जहाँ भी हमने नये कोर्स खोले हैं, उनके संबंधित सभी विषयों के प्राध्यापकों को हम देने का प्रयास करेंगे, अगले सत्र से आपको किसी भी हालत में पी जी के शिक्षक मिल जाएँगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने उत्तर में लिखा है कि परीक्षण कराया जा रहा है कि कितने पद हैं, कितने सृजित हैं और उसके विरुद्ध कितने लोग कार्यरत हैं, कितने खाली बचे हैं, तो मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि वे अपने विभाग से यह पता करें कि यह परीक्षण क्या होता है, किस टाइप की चीज का नाम है, जो डेढ़ वर्ष में पूरा नहीं हो पाया.
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी मंत्री भी रह चुके हैं उनको मालूम है कि परीक्षण क्या होता है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक-- जिस काम को नहीं करना होता है, लिंगर ऑन करना होता है वह परीक्षण होता है. खैर, मैं मंत्री जी से यह आग्रह करना चाहता हूँ कि..(व्यवधान)..कोई मतलब नहीं, वह परीक्षण तो ठीक है.....
अध्यक्ष महोदय-- दोनों एक साथ खड़े हैं प्रश्नकर्ता भी और मंत्री भी खड़े हैं.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक-- अध्यक्ष महोदय, परीक्षण की पराकाष्ठा, खैर, मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि पद के विरुद्ध, जितने सृजित पद हैं, कितने दिनों के अन्दर प्राध्यापकों की नियुक्ति कर दी जाएगी? और क्या जब तक नियुक्ति नहीं होगी तब तक अतिथि विद्वानों के माध्यम से क्या वहाँ पर तत्काल व्यवस्था करने हेतु निर्देशित करेंगे?
डॉ.मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो बात कही है, हमारे पास में यह बहुत सीधा सीधा फार्मूला है कि जहाँ हमारे रेग्युलर पद नहीं हैं, हम अतिथि विद्वान या जन भागीदारी के माध्यम से वहाँ पढ़ाई की व्यवस्था करा रहे हैं, तो आपकी दृष्टि से जो आपने पहले बात कही, मैं दुबारा दोहरा रहा हूँ, आपने तो कहा कि रेग्युलर भी लाइये तो हमारे पास हम अपने विभाग में युक्तियुक्तकरण के माध्यम से जहाँ जहाँ हमारे एक्सेस प्रध्यापक हैं उनका हम निश्चित रूप से अगले सत्र में आपको रेग्युलर पद दे देंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक-- माननीय, इसका उत्तर नहीं आया कि जब तक रेग्युलर टीचर्स नहीं आएँगे तब तक अतिथि विद्वान से करा लें या नहीं? इसके निर्देश देंगे आप?
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष जी, विधायक जी की जानकारी के लिए मैं बताना चाहता हूँ कि जहाँ भी कोर्स चल रहा है वहाँ बगैर अतिथि विद्वान के चल नहीं रहा है और बल्कि इससे आगे हम बता रहे हैं कि हर सोमवार जहाँ भी जगह है वहाँ हम अतिथि विद्वानों के लिए च्वाईस फिलिंग मंगवा रहे हैं और उनको वहाँ भर्ती करते जा रहे हैं. अभी भी हमने बन्द नहीं किया है. यह लगभग 3 महीने से चल रहा है. आज की स्थिति में 4276 अतिथियों के पद हमारे पास हैं उसमें लगभग 3800 से ज्यादा लोगों को हम काम पर लगा चुके हैं. लगभग 150 जगह खाली है, लोग आ नहीं रहे हैं लेकिन उसके बावजूद भी हम, हर जगह जहाँ जरुरत होती है वहाँ भिजवाने की व्यवस्था कर रहे हैं.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी के साथ एक प्रश्न और है कि बरी महाविद्यालय में 500 विद्यार्थियों के बैठने की व्यवस्था है जबकि उसमें 2000 विद्यार्थी अध्ययनरत् हैं. मंत्री जी बताने की कृपा करें कि वहां पर नए भवन की व्यवस्था कब तक कर दी जाएगी, कितने जल्दी कर दी जाएगी.
डॉ. मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे स्थान जहां पर नए भवन देना है, ऐसे करीब 200 कॉलेज हमने च्वाइस फिलिंग में निकाले हैं. इसके आधार पर हम उनकी प्राथमिकता का क्रम तैयार कर रहे हैं. उसमें माननीय सदस्य का महाविद्यालय भी शामिल है. माननीय विधायक जी ने जहां कहा है वहां पर हम भवन देने का प्रयास करेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपा करके माननीय मंत्री जी प्रयास के स्थान पर यह कह दें कि प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति प्रदान करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी ने सब कुछ बोल दिया, अब आप आगे बढ़ने दें.
डॉ. मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संजय जी के यहां अगले सत्र में हम प्रयास करेंगे कि भवन मिल जाए.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अगला सत्र मतलब 2023 से 2028 या 2022 वाला सत्र.
रायसेन जिलांतर्गत अपूर्ण तथा अप्रारंभ कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
3. ( *क्र. 92 ) श्री रामपाल सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) फरवरी 2021 की स्थिति में रायसेन जिले की नगर पालिका तथा नगर परिषदों में किस-किस योजना में स्वीकृत कौन-कौन से कार्य अपूर्ण तथा अप्रारंभ हैं तथा क्यों? कार्यवार कारण बतायें। उक्त कार्य कब तक पूर्ण होंगे? (ख) फरवरी 2021 की स्थिति में उक्त निकायों के पास किस-किस मद एवं योजना की कितनी-कितनी राशि किन-किन खातों में जमा है? उक्त राशि व्यय करने की क्या योजना है? उक्त राशि कब तक व्यय होगी? (ग) उक्त निकायों में किन-किन स्थानों पर कौन-कौन से नोईयत की भूमि पर कौन-कौन व्यक्ति कब से कच्चे मकान बनाकर रह रहे हैं? उनके नाम, पिता का नाम, पता सहित सूची दें। उनको भूमि का पट्टा एवं प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास क्यों नहीं दिया जा रहा है? (घ) उक्त व्यक्तियों को कब तक भूमि का पट्टा एवं प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में आवास दिया जायेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता के प्रावधान अनुसार वन पुरातत्व की भूमि अन्य विभागों की शासकीय नजूल भूमि पर निर्मित कच्चे भवन पर पट्टा प्रदान नहीं किया जा सकता है, केवल राजस्व विभाग की आबादी मद की भूमि पर पट्टा प्रदाय किया जा सकता है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का लाभ राजस्व विभाग की आबादी मद की भूमि पर वर्ष 2014 से निवासरत होने वाले हितग्राहियों को दिया जा सकता है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैंने माननीय मंत्री जी से रायसेन जिले के निर्माण विकास कार्यों व आवासहीनों के पट्टों के बारे में प्रश्न पूछा था. मैंने मंत्री जी से जो जानकारी चाही थी वह मुझे प्राप्त हो गई है. मैंने पत्र भी लिखे थे, फोन भी किए थे उस पर माननीय मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी ने काम किए हैं. एक नगर पालिका में जरुर अनियमितता हुई है उसकी जाँच माननीय मंत्री जी करवा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत बड़ा प्रश्न था. इसमें साँची, रायसेन, गैतरगंज, बैगमगंज और मण्डीदीप शामिल थे. काम करने से हमको फायदा मिला है साँची में डॉ. प्रभुराम चौधरी जी 64000 मतों से जीते हैं जो देश में सबसे ज्यादा है. यह कामों का ही परिणाम है. मैं विपक्ष के साथियों से कहना चाहूँगा कि यह आप सुनिए, काम बोलता है. यह काम किए गए हैं लेकिन कुछ कमियां भी हैं उनको दूर करने का मैं माननीय मंत्री जी को सुझाव दूंगा. दूसरा प्रश्न मेरा आवासीय पट्टों के संबंध में था. आजादी के बाद देश में प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी गरीबों को आवास दे रहे हैं. अभी सीधी में बस दुर्घटना नहीं होती तो लाखों लोगों का गृह प्रवेश होने वाला था. दीपावली मनाने वाले थे. रोटी, कपड़ा, मकान के नारे थे लेकिन रोटी से लेकर जनहित के सारे काम सरकार कर रही है.
श्री तरुण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि माननीय सदस्य का काम हो गया है तो मंत्री जी को धन्यवाद करें और हम लोगों के प्रश्न आने दें.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी मैंने शुरु किया है.
श्री तरुण भनोत -- क्या शुरु किया है, भाषण. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोगों को आपका संरक्षण चाहिए. आपका काम हुआ है उसके लिए मंत्री जी को धन्यवाद करें.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, काम शुरु हुआ है, बताएंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- एक ही काम का कितनी बार गृह प्रवेश करेंगे, जो गृह प्रवेश हो चुका है उसका ही बार-बार गृह प्रवेश कर रहे हैं.
श्री रामपाल सिंह -- गरीबों के आवास बनते हैं तो आपको कष्ट होता है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- गरीबों के आवास तो बन ही नहीं रहे हैं, सबसे बड़ा कष्ट तो यही है. किश्त जारी नहीं हो रही है, सरकार के पास पैसा नहीं है.(व्यवधान)
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- रामपाल जी आप प्रश्न पूछें. (व्यवधान)
श्री रामपाल सिंह -- गरीबों के मकान बनते हैं तो आपको कष्ट होता है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- रामपाल जी आप प्रश्न पूछें. (व्यवधान)
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह महत्वपूर्ण विषय है. मेरा निवेदन है कि यह प्रधानमंत्री आवास योजना वरदान साबित हो रही है.
श्री तरुण भनोत -- यह जानबूझकर अवसर दिया जा रहा है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- रामपाल जी केवल प्रश्न पूछें. (व्यवधान)
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रायसेन जिले के अन्दर अच्छे आवास बन गए, अच्छे आवास दिए गए उसके लिए धन्यवाद. लेकिन कुछ विसंगतियां हैं पन्नी के नीचे लोग रह रहे हैं मुझे अभी पूरे जिले की जो जानकारी दी गई है, मुझे सूची दी गई है. रायसेन में अभी 1153 लोग आवास से वंचित हैं. किसी का खलिहान लिखा है, किसी का लिखा है कि इनके पट्टे नहीं बन पा रहे हैं. बेगमगंज में 233 हैं, उदयपुरा में मंत्री जी ने 25 बताएं हैं. उदयपुरा से मैं 4 बार विधायक रहा हूँ, मुख्यमंत्री जी सांसद रहे हैं वहां की यह संख्या कम बताई गई है. 50 लोग सड़क पर पड़े हुए हैं इसकी जानकारी मंत्री जी आप बुलवा लीजिए. जिन्होंने गलत जानकारी दी है उन्हें निलंबित भी करिए यह मेरा आपसे आग्रह है. सिलवानी में 108, मण्डीदीप, औबेदुल्लागंज, गैरतगंज का भी बताया गया है, यह संख्या कम बताई गई है. आपने राजस्व विभाग से जो नियम जारी किया है. नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमि में धारकों को धारणा अधिकार के संबंध में इसमें भूभाटक और गरीब दस प्रतिशत कहां से देगा. इस नियम को शिथिल करके आप गरीबों के लिए नियम बनाएं. आप पूरे रायसेन जिले के, प्रदेश के मंत्री और सरकार है आप कलेक्टरों को निर्देश दें कि इस नियम को शिथिल करें, नोईयत परिवर्तन करें यही मेरा आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय-- रामपाल जी, आपने प्रश्न तो पूछा ही नहीं.
श्री रामपाल सिंह- अध्यक्ष महोदय, इसमें प्रश्न और उत्तर दोनों ही हैं. यह तो सुझाव है यदि माननीय मंत्री जी सुझाव को ही प्रश्न मान लें तो वह उत्तर दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी आप बैठ जाइए. रामपाल जी, ने अभी प्रश्न पूछा ही नहीं है तो जबाव की भी आवश्यकता नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह तो ऐसे हुआ कि
''हम जानी कि तुम जानी
सुन ले भैय्या रामजानी''
श्री पारस चन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि कलेक्टर को आदेशित करेंगे कि जो पट्टे हैं वह वितरित कर दिए जाए जिससे लोगो को प्रधानमंत्री आवास मिल जाए.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, आप पारस जी बात का उत्तर दे दीजिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य, रामपाल जी और माननीय सदस्य, पारस जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, रामपाल जी का प्रश्न लॉटरी में फंस गया था इसीलिए उन्होंने सुझाव दे दिया उन्हें प्रश्न तो करना ही नहीं था.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार का, माननीय मुख्यमंत्री जी का यह संकल्प है कि हमारी सरकार में प्रदेश में जितने भी गरीब हैं जो आवासहीन हैं, जिनके पास पट्टे नहीं हैं उन सभी को हमारी सरकार पट्टे देने का काम करेगी. जहां पर भी नोईयत परिवर्तन करना होगा नोईयत परिवर्तन करेंगे और हमारी सरकार में एक भी गरीब को नहीं हटाया जाएगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, इसमें आपने कहा है कि वर्ष 2014 के पहले की आबादी भूमि पर हैं उनको पट्टे प्रदान कर दिए जाएंगे उनको प्रधानमंत्री आवास दे दिए जाएंगे. इसमें मेरा अनुरोध यह है कि इसकी समय सीमा तय कर दी जाए कि यह कितने माह में दे देंगे क्योंकि यह मामला हमेशा लटका रहता है. माननीय पारस जैन जी का भी यही प्रश्न था और मेरा भी यही प्रश्न है. यह बहुत ही स्पेसिफिक प्रश्न है क्योंकि आपने यह स्वीकार किया. है आप इसकी समय सीमा बता दीजिए कि आप इसे कितने समय में कर देंगे?
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आवास आवंटन की प्रक्रिया है उस प्रक्रिया में आपके पास पट्टा होना चाहिए. आपकी आय सालाना तीन लाख रुपए से कम होना चाहिए. उसकी जो भी शर्तें और नियम हैं उनकी जो पूर्ति करते हैं वह जैसे ही हमारे पास आएंगे हम उन्हें तत्काल आवास स्वीकृत करेंगे.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, जो गांव पहले ग्राम पंचायत में थे अब वह गांव शहर में आ गए हैं और उनके मकान तीस, चालीस साल पहले वहां बने थे. गांव की आबादी के कोई पट्टे नहीं होते थे. आप और हम सब इससे परिचित हैं. शहर में अब न तो उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल रहा है और न ही उनको पट्टे मिल रहे हैं इसीलिए मेरा माननीय मंत्री महोदय से आग्रह है कि ऐसी आबादियों को जो वहां वर्षों से रह रही है उसको चिह्नित करके चाहे वह ग्राम पंचायत से शहर में सम्मिलित कर दिए गए हों उन्हें पट्टे दिए जाएं तो इससे वह गरीब भी अपना पक्का बना सके या प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से वह लोन ले सके.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रावधान है कि जो भी हमारे ग्राम नगर निगम सीमा के विस्तार में आए हैं नगर पंचायत में आए हैं तो वह अब शहरी क्षेत्र में आ गए हैं और इसीलिए उन्हें भी बीएलसी और एएचपी की पात्रता है हम उन्हें भी बीएलसी और एएचपी देंगे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि विदिशा में 423 पट्टे बने रखे हैं, जिसमें से मात्र 200 पट्टों का वितरण हुआ और आचार संहिता लगने की वजह से उन्हें नहीं बांटा गया. आपसे आग्रह है कि कलेक्टर महोदय को आदेशित करें कि जो पट्टे बने हुए रखे हैं, उन्हें बांट दिया जाये.
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, विदिशा का प्रश्न मूल प्रश्न में नहीं है परंतु पट्टे का मामला है और शशांक जी ने कहा है तो मैं आज ही निर्देश जारी करूंगा कि यदि कोई पट्टे रह गए हैं तो हम उन्हें तत्काल देंगे.
अध्यक्ष महोदय- शशांक जी, कम से कम धन्यवाद तो दे दीजिये, आपकी बात आ गई.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री मनोज चावला- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आलोट विधान सभा के ताल, आलोट, बडोदा नगर पंचायत में सैकडों आवास अधूरे पड़े हैं. अभी तक उनका पैसा नहीं मिला है. आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि गरीब लोग परेशान हैं.
श्री बापू सिंह तंवर- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में गरीबों को केवल एक-एक किश्तें मिली और उसके बाद वे पलायन करके चले गए थे लेकिन जब वे लौटे तो उनकी किश्तें निरस्त कर दी गई थीं. कृपया इसकी जांच करवाई जाये.
प्रश्न संख्या- 4 श्री रामलाल मालवीय (अनुपस्थित)
बिजली बिलों का विसंगतिपूर्ण वितरण
[ऊर्जा]
5. ( *क्र. 701 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. वि.वि.कं.लि. होशंगाबाद के अन्तर्गत बाबई, सोहागपुर, केसला, होशंगाबाद (ग्रामीण) वितरण केन्द्रों में वर्ष 2018-19 से प्रश्न दिनांक तक कृषि पंप हेतु कितने किसानों को कितने-कितने एच.पी. के स्थायी कनेक्शन प्रदान किये गये? वितरण केन्द्रवार, संख्यात्मक जानकारी देवें। (ख) क्या प्रश्नांश अवधि में जो किसान 2 एच.पी. कनेक्शनधारी हैं, उन्हें 5 एच.पी., 5 एच.पी. कनेक्शनधारी वालों को 8 एच.पी. तथा 8 एच.पी. कनेक्शनधारी को 13 एच.पी. कनेक्शन का विसंगतिपूर्ण बिल दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार हैं? कनेक्शन नियमों की प्रति देते हुए बतायें। जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी?(ग) प्रश्नांश (ख) में दिये गये विसंगतिपूर्ण बिलों को कब तक दुरूस्त कर सही बिल प्रदान किये जायेंगे एवं जिन किसानों द्वारा विसंगतिपूर्ण बिलों का भुगतान कर दिया गया है, उनकी राशि को कब तक समायोजित कर दिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) होशंगाबाद जिला क्षेत्रान्तर्गत विद्युत वितरण केन्द्र बाबई, सोहागपुर (शहर), सोहागपुर (ग्रामीण), केसला एवं होशंगाबाद (ग्रामीण) में प्रश्नाधीन अवधि में कृषि पंप हेतु प्रदाय किये विद्युत कनेक्शनों की वितरण केन्द्रवार चाही गई जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। प्रश्नाधीन क्षेत्र में प्रश्नांश अवधि में कृषकों को विद्युत पंप कनेक्शनों के संबद्ध भार के अनुरूप नियमानुसार बिल जारी किये गये हैं, तथापि म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता, 2013 की कंडिका 7.26 के अनुसार उपभोक्ता को स्वीकृत तथा संयोजित भार से अधिक विद्युत की खपत करते पाए जाने पर ऐसे उपभोक्ता से टैरिफ आदेश में दर्शाई गई विस्तृत प्रक्रिया के अनुसार बिलिंग कर वसूली करने का प्रावधान है। अत: किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने का प्रश्न नहीं उठता। सिंचाई पंप कनेक्शन दिये जाने संबंधी नियम की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन क्षेत्र में कृषकों को विद्युत पंप कनेक्शनों के संबद्ध भार के अनुरूप ही नियमानुसार बिल जारी किये गये हैं। अत: शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता।
श्री विजयपाल सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा क्योंकि मेरा प्रश्न किसानों से जुड़ा हुआ है. मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि मैंने उनसे अपने प्रश्न के माध्यम से कुछ बातें पूछी थीं और उनसे कहा था कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में कितने कनेक्शन हैं और कितने-कितने हॉर्स पावर के कनेक्शन हैं ? तो उस पर गोल-मोल उत्तर आया है. उत्तर में कहा गया है कि करीब 27-28 हजार किसानों के कनेक्शन है लेकिन उसमें यह नहीं दर्शाया गया है कि कितने-कितने हॉर्स पावर के, कितने-कितने कनेक्श्ान हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह था कि किसान अपने खेत में, कुंए पर, ट्यूबवेल पर मोटर लगाता है. किसान द्वारा सामान्यत: 3, 5 या 8 हॉर्स पावर की मोटर लगाई जाती है, जिसका कंपनी द्वारा बिल भी दिया जाता है लेकिन पता नहीं क्यों जब विभाग के लोग मौके पर जांच करने जाते हैं, इसमें विजलेंस, बिजली विभाग के लोग जांच हेतु अचानक मौके पर जाते हैं और जांच करते हैं तो जांच में जो मोटर 2 हॉर्स पावर की है, उसे 5, 10, 12 हॉर्स पावर की बताया जाता है. जो मोटर 5 हॉर्स पावर की होती है उसे 8, 10 हॉर्स पावर की मोटर बताया जाता है. इन विसंगतियों के कारण किसान परेशान होता है. जिससे किसानों के बिजली बिल अधिक आते हैं. मैं मंत्री जी से केवल एक अनुरोध करना चाहूंगा कि किसानों द्वारा कंपनी से जो मोटर खरीदी जाती हैं, उनके पास उसका बिल है तो फिर अधिक हॉर्स पावर दिखाकर उनसे अधिक बिल क्यों लिया जाता है ? और जो अधिक बिल लिया जा रहा है तो क्या उसमें संशोधन करके उनके बिल कम करेंगे ?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को यह बताना चाहता हूं कि हमारे ऊर्जा विभाग की कंपनी का, उपभोक्ता पर भार-वृद्धि का मामला है, उसमें कई बार भार-वृद्धि उपभोक्ता के कहने पर भी की जाती है. जिसका हमने पूरा उत्तर दिया है और हम कई बार मौके पर जांच भी करते हैं. हम टोंग टेस्टर के माध्यम से जांच करते हैं, तब वहां पंच होते हैं अर्थात् 4-5 लोग होते हैं और उसका पंचनामा भी बनता है. माननीय सदस्य, ने जो चिंता जताई है कि जो कंपनी से मोटर आई है और उसमें भार 5 हॉर्स पावर की जगह यदि 6 हॉर्स पावर का है तो यदि वे ऐसी शिकायत बतायेंगे, तो उन कंपनियों के बारे में हम अपनी टीम के साथ जांच करवायेंगे कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं ? और उसको ठीक करवाने की कोशिश करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त यह होता है कि जब मोटर फूंक जाती और फिर जब भरकर आती है तो 5 हॉर्स पावर की मोटर 5 हॉर्स पावर के स्थान पर 6 या 7 हॉर्स पावर की हो जाती है. इसलिए मौके पर टेस्ट करवाने के बाद भार-वृद्धि की जाती है.
श्री विजयपाल सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो कहा है कि हम जांच करवाते हैं, तो ऐसा होता है. मैं बताना चाहूंगा कि विभाग के लोग जांच करने गए तो जो मोटर 5 हॉर्स पावर की थी उसको 13 हॉर्स पावर का बताया. हमने पुन: निवेदन किया कि यह मोटर 13 हॉर्स पावर की कैसे हो गई, यह तो 5 हॉर्स पावर की है. फिर हमने अलग से उसकी जांच करवाई तो वह मोटर 5 हॉर्स पावर की ही निकली. ऐसी विसंगतियां हो रही हैं. एक किसान जागरूक था, उसने इस संबंध में बात की. ऐसे अनेक प्रकरण हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में कम से कम 5 हजार जांचें हुई हैं. एक तो इतनी बड़ी मात्रा में जांच ? और जहां बिजली चोरी होती है, वहां तो जांच नहीं की जाती, उनको नहीं पकड़ा जाता, उन पर कार्यवाही नहीं होती लेकिन जो किसान ईमानदारी से अपने कनेक्शन लेकर अपना कार्य कर रहा है, उसकी मोटर जांच करने जाते हैं. आप कह रहे हैं कि पंचनामा बनाया जाता है. एक भी पंचनामा नहीं बनाया जाता है. किसान को पता भी नहीं होता है और उसके खेत में जांच के लिए विभाग का दल पहुंच जाता है. ऐसी विसंगतियों को दूर किया जाये और जिन किसानों के बिल बढ़े हुए आये हैं उन बिलों को कम करने का काम करें, ऐसा मेरा आपसे आग्रह है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने कहा है कि मोटर पहले 13 एचपी की बतायी है और बाद में वह 5 एचपी की निकली है तो ऐसी कोई स्पेसिफिक शिकायत बतायेंगे तो हम उसकी जांच उनकी उपस्थिति में करा लेंगे. दूसरी, माननीय सदस्य ने जो चिंता जतायी है, मैं इनके क्षेत्र की बात कर रहा हूं कि....
लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव):- प्रद्युम्न जी हो भी सकता है, जब आप कांग्रेस में थे तो आपका पांच हार्स पावर था, यहां आकर आपका 13 हार्स पावर हो गया है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- 5 विद्युत वितरण केन्द्रों में14441 कृषि उपभोक्ता हैं यह तीन वर्षों का आंकड़ा बता रहा हूं, इनमें से तीन वर्षों में हमने 9447 उपभोक्ताओं की जांच की गयी, जिसमें से 3910 पम्पों में भार वृद्धि की गयी है. इसके अतिरिक्त 1953 कृषकों ने अपनी स्वेच्छा से भारवृद्धि करायी है. माननीय हमारी शिवराज सिंह जी की सरकार जो किसानों के हित की सरकार है उसने जिन लोगों ने आवेदन दिया है कि हमारी भारवृद्धि कम की जाये तो हमने उन्हीं पांचों में 163 कृषकों के आवेदनों पर जांच उपरान्त उनके पम्पों में भार में कमी भी की है.
श्री विजयपाल सिंह:- माननीय मंत्री जी ने यह स्वीकार किया है हमने 155-156 किसानों की भारवृद्धि कम की है. अब वह किसान जागरूक था उसने आवेदन दिया और उसके आवेदन के आधार पर उसकी जांच हो गयी, अब किसान मारा-मारा जब ऑफिस में जाता है तो वहां आफिस में कोई मिलता नहीं है, आफिस में बैठता नहीं है फोन लगाते हैं तो कोई सुनता नहीं है, लेकिन किसान जब जाता है तो आफिस में आवेदन भी नहीं लिया जाता है और उसके बाद बिल आ जाता है और जब बिल जमा नहीं होता है तो उसके ऊपर कुर्की कर दी जाती है और कुर्की करने के बाद उसकी कहीं मोटर सायकिल, कहीं कुछ उठा लिया जाता है. मेरा अनुरोध यह है कि पहले इसमें जांच कर लें यदि जांच में सही पाया जाता है तो उसके ऊपर कार्यवाही करें, जब सही नहीं पाया जाता उसकी मोटर और उसको बिल उतना ही दिया जाता है, बार-बार किसान निवेदन करता है कि मेरी मोटर इतने हार्स पावर की नहीं है, इतने की है, मैंने कम्पनी से जांच करायी है, उसके बाद भी उसके बिल में संशोधन नहीं होता है, तो कम से कम उसके बिल में संशोधन तो किया जाये और किसान के सामने जांच हो.
अध्यक्ष महोदय:- विधायक जी आप बैठ जायें, मंत्री जी से जवाब ले लें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो बात कही है कि आफिस में अधिकारी नहीं हैं, यह नहीं हैं तो माननीय सदस्य की आम-जन के प्रति, किसानों के प्रति सोच अच्छी है. यदि ऐसी कोई कमी होगी तो तुरन्त ठीक होगी, यह विश्वास मैं सदन को देता हूं. दूसरा, मेरा आग्रह यह है कि हमारी सरकार में हम बिजली माफियाओं के खिलाफ काम करते हैं, हम सायकिल उठाने का काम नहीं करते हैं.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि आप लोग बैठ जाइये, आप लोग बैठ जाइये. मुझे आसंदी से कुछ निर्देश करने दीजिये. (व्यवधान) आसंदी का कुछ निर्देश तो सुन लीजिये.
माननीय मंत्री जी, यहां संसदीय कार्य मंत्री जी भी हैं, एक बात को आप देख लीजिये क्योंकि मैं भी भुक्त भोगी हूं. बिजली विभाग में जो यह दो का तीन आता है, मोटर रिवाईंडिंग होकर आते हैं तो चलेगा क्योंकि उसमें एम्पीयर बढ़ा दिया, सब कर दिया. नया ब्रांड मोटर वह खरीद कर लाते हैं उसका भी टेस्ट कराओ तो दो का चार आता है तो उसमें किसान नहीं मरें, वह कम्पनी जिसने मोटर बेचा है ब्रांड करके, रसीद करके बेचा है यदि उसकी शिकायत है तो आप उसकी जांच करायें. (व्यवधान) अब निर्देश कर तो दिया.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र):- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत जागरूक ऊर्जा मंत्री हैं, स्वयं जाते हैं और स्वयं हर विषय को देख भी रहे हैं, किसान के साथ कोई अन्याय नहीं होगा, यह देखा जायेगा. आसंदी ने निर्देश दिया है उसका अक्षरश: पालन किया जायेगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- माननीय अध्यक्ष जी, आपके आदेशों का पूरा पालन होगा.
श्री महेश परमार:-माननीय अध्यक्ष जी, उज्जैन में नोटिस दिये जा रहे हैं, मोटर सायकिलें उठायी जा रही हैं और किसान परेशान हैं और विद्युत मण्डल की पुलिस को तत्काल रोका जाये.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायतों की जो नल जल योजनाएं हैं उसमें ग्रामीण क्षेत्रों में जल कर 50 प्रतिशत तक नहीं वसूल पाते हैं ग्राम पंचायत के सरपंचगण ऐसी स्थिति में नल जल योजनाओं के विद्युत कनेक्शन काट दिये गये हैं उनके बिल बकाया होने के कारण मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि जो ग्राम पंचायत की नल जल योजनाएं हैं उसमें किश्त बांध दी जाये और उनको चालू करा दिया जाये.
श्री प्रद्युम्नसिंह तोमर--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी की भावनाओं का हम सम्मान करते हैं, परन्तु जहां पर किश्ते बांधने की बात है तो हम निश्चित रूप से जनहित में एक किश्त दो किश्त आप जो भी कहेंगे, हम कर देंगे.
श्री विजय पाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--इस बारे में चर्चा हो गई है. इसी विषय पर आसंदी से निर्देश आ गये अब कम से कम उस विषय को मत उठाईये.
नगर पालिका परिषद पचोर में आवंटित राशि
[नगरीय विकास एवं आवास]
6. ( *क्र. 600 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की सारंगपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत नगरपालिका परिषद् सारंगपुर एवं नगर पंचायत परिषद् पचोर में वर्ष 2018-19 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से कितनी-कितनी राशि के मुख्यमंत्री अधोसंरचना एवं स्थानीय निकाय निधि के निर्माण कार्य प्रगति पर हैं? प्रगतिरत कार्यों का नाम, ठेकेदार का नाम, निविदा राशि, अनुबंधित राशि, कार्य पूर्ण करने की अनुबंधित दिनांक, कार्य पूर्ण करने की वास्तविक दिनांक, कार्य की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति की जानकारी से अवगत करावें। (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित निर्माण कार्यों में हो रहे विलंब के लिए दोषी एजेन्सी/विभागीय अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) एवं (ख) निकायवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री कुंवर जी कोठार--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय से मेरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत नगर पालिका परिषद् सारंगपुर एवं नगर पंचायत परिषद् पचोर में जो निर्माण कार्य चल रहे हैं उनसे संबंधित जानकारी से मेरा प्रश्न है इसमें जो प्रगतिरत् कार्य हैं और जिनके टेण्डर हो चुके हैं उनकी विभाग ने दो भागों में जानकारी दी है जिसमें पृष्ठ क्रमांक 1 से 8 तक है उसमें टेण्डर हो चुके हैं और कार्य प्रगति पर है, उसकी जानकारी है. दूसरा भाग है पृष्ठ क्रमांक 1 से 24 तक उसमें अनुबंध तो कर लिया है, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुआ है. तो मैं पहले भाग के बारे में बात कर रहा हूं कि वर्ष 2016-17 के काम हैं मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना के नगर पालिका सारंगपुर के अंतर्गत उनमें अनुबंधित कार्य पूर्ण करने की तारीख 13.10.2018 थी लेकिन जब मैंने अभी प्रश्न लगाया तो उसमें तारीख बढ़ाकर 30 अप्रैल 2021 बतायी गई है. मैं यहां तक जानता हूं कि जो काम अभी चार साल में पूर्ण नहीं हुआ है वह 2 महीने में कैसे पूर्ण होगा तो उसके उत्तर में विभाग ने जानकारी दी है कि समयावधि में कार्य पूर्ण न करने पर संबंधित के विरूद्ध ठेका निरस्ती की कार्यवाही नियमानुसार की जायेगी. ऐसे पृष्ठ क्रमांक 1 से 8 तक नगर पालिका सारंगपुर और नगर पंचायत पचोर के सभी कामों में जो लगभग 22 कामों की जानकारी दी है. तो मैं माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न करता हूं कि क्या इन दो महीनों में काम पूरा नहीं हुआ तो ठेकेदार के विरूद्ध अनुबंध के क्लॉज के अंतर्गत कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी, मुझे आप आश्वस्त करें.
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, सारंगपुर एवं पचोर दोनों जगहों पर जो बजट था उससे अधिक के टेण्डर कर लिये गये हैं और इस कारण से अनेक कार्य प्रारंभ नहीं हो पाये और अनेक कार्य अपूर्ण हैं. बीच में सदन जानता है कि कोविडकाल के कारण वित्तीय कठिनाई की वजह से काम प्रभावित हुए हैं और जैसा माननीय सदस्य जी चाहते हैं उसमें हमारी कोशिश होगी इसमें जो आवश्यक राशि है वह मुख्यमंत्री अधोसंरचना मद के अंतर्गत वहां पर देंगे और हमारी कोशिश होगी जैसा कि माननीय सदस्य जी चाहते हैं कि कार्य शीघ्र पूर्ण हो. वह हमारा प्रयास होगा इसमें अगर कहीं पर किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही होगी तो हम कार्यवाही करेंगे.
श्री कुंवर जी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरे भाग के बारे में प्रश्न है कि माननीय मंत्री जी ने अभी बताया है कि बजट के अभाव में टेण्डर बुला लिए गए थे और राशि न होने के कारण कार्य प्रारंभ नहीं किए गए, लेकिन जो टेण्डर अधिक बुला लिए गए थे, जो जानकारी विभाग ने दी है पृष्ठ क्रमांक 1 से 24 तक, उसमें सारंगपुर नगरपालिका में ढाई करोड़ के लगभग 47 काम के टेण्डर बुला लिए गए. इसी प्रकार नगर परिषद पचोर में पृष्ठ क्रमांक 6 से 24 तक में 60 कार्य बताए गए हैं, उसके अतंर्गत लगभग साढ़े 16 करोड़ रूपए के कार्य की निविदा बुलाई गई है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जब विभाग के पास बजट नहीं था, नगर पालिका के पास बजट नहीं था तो इतनी अधिक राशि के कार्य किस आधार पर बुलाए गए हैं और जो कार्य बुलाए गए हैं, जैसे सारंगपुर में भी, संजय विजय वर्गीय सारंगपुर एजेंसी है उसको 9 कार्य दे दिए गए हैं, दूसरा पंकज कुमार जैन ठेकेदार उसको 9 कार्य दे दिए गए हैं. श्रीराम वाले को 5 कार्य दिए हैं, अंकित जयसवाल को 7 कार्य दिए हैं, आरआरव्हील सारंगपुर को 6 कार्य दिए हैं तो एक ही एजेंसी को इतने अधिक कार्य देने का क्या औचित्य था और इसी तरीके से पचोर में 60 कार्य के विरूद्ध आयुष्मान डेवलपर्स के भारत सिंह नागर है, उनको 24 कार्य आवंटित किए हैं. बद्रीप्रसाद नागर को 30 कार्य आवंटित किए हैं तो और सभी कार्यों में 10 प्रतिशत से अधिक दर डाली गई हैं और इसमें ठेकेदारों की रिंग बनाकर जो नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं, उनके चहेते ठेकेदारों को यह कार्य दिए गए हैं. माननीय मेंत्री जी से निवेदन करता हूं कि क्या यह बजट के अभाव में टेण्डर निकाले गए हैं और इन टेण्डरों को किस आधार पर एक एक एजेंसी को इतने कार्य दिए गए हैं, क्या इनकी जांच करवाकर इनको निरस्त किये जाएंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने कहा है कि कुछ लोगों को अधिक टेण्डर दिए गए हैं, इसकी जांच हम करवा लेंगे कि टेण्डर नियम से दिए गए हैं या नहीं. .इसके साथ ही मैंने पूर्व में भी कहा कि बजट से अधिक इन्होंने टेण्डर बुला लिया, इसलिए विभाग के द्वारा जो निकाय हैं, इनमें बजट से अधिक के कार्यों के लिए टेण्डर लगाने के नियंत्रण हेतु वर्ष 2018 में लेखा नियम हम लोगों ने लागू किए हैं और इसमें बजट से अधिक के टेण्डर संबंधित नगरीय निकाय नहीं लगा सकते.
श्री कुंवरजी कोठार - माननीय मंत्री जी, क्या इन पर कार्यवाही की जाएगी.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि अगर टेण्डरों में कोई अनियमितता हुई है तो हम इसकी जांच करवा लेंगे.
श्री कुंवरजी कोठार - धन्यवाद मंत्री महोदय.
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, इसी पर मुझे एक सवाल पूछना था. वैसे मंत्री जी को मैं धन्यवाद दूंगा कि आपने फोन किया और अधिकारी ने बात की लेकिन वह अभी तक भुगतान नहीं हुए हैं, जिन कामों के वर्क आर्डर है, वह कार्य पूरे नहीं हो पा रहे. दूसरा, भोपाल की अधिकतम स्ट्रीट लाइट बंद है, क्योंकि एमपीईबी को पेमेंट नहीं हुआ है. या तो एमपीईबी से कह दे कि वह स्ट्रीट लाइट के बारे में, लाइट बंद होने से अपराध भी होते हैं और असुरक्षा भी होती है, नगर निगम पेमेंट कर दे तो स्ट्रीट लाइट चालू हो जाए और जो वर्क आर्डर जिनके पास है, उनको अगर भुगतान हो जाए तो काम शुरू हो जाएंगे, मैंने आपसे निवेदन किया था, आपने उस पर रिस्पांस दिया, उसके लिए धन्यवाद, लेकिन मैं चाहता हूं कि इस पर सदन में आपकी बात आ जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 7 श्री देवेन्द्र सिंह जी पटेल, मैं इनका नाम पुकार रहा हूं लेकिन आप सभी से आग्रह है कि ये पहली बार के विधायक हैं, न सहायता की जरूरत है, न किसी तरह से टोकाटाकी की आवश्यकता है. सीधे विधायक जी को प्रश्न पूछने दीजिए और मंत्री जी को जवाब देने दीजिए. मेरा पूरा संरक्षण इनके साथ है.
आवासहीनों को भूमि का आवंटन
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( *क्र. 337 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिले के किन-किन नगरीय निकाय द्वारा किन-किन कार्यों एवं योजनाओं हेतु शासन तथा कलेक्टर से 01 जनवरी, 2018 से प्रश्न दिनांक तक कब-कब भूमि आवंटन की मांग की किन-किन नगरीय निकायों को कब-कब भूमि आवंटित की तथा किन-किन के प्रकरण किस स्तर पर कब से लंबित हैं, उनका कब तक निराकरण होगा। (ख) फरवरी 2021 की स्थिति में किन-किन नगरीय निकायों को किन-किन कार्यों, योजनाओं हेतु भूमि की आवश्यकता है, उक्त कार्यों के लिए भूमि आवंटित हो इस हेतु जिला प्रशासन द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत ऐसे हितग्राही जिनके कच्चे मकान, झुग्गी अथवा अतिक्रमणकारी हैं, ऐसी भूमि पर रहते हैं, जहां पर आवासी इकाई का निर्माण किया जाना प्रतिबंधित है, उनको नगरीय निकाय द्वारा अन्य शासकीय भूमि प्राप्त कर उसमें भूखण्ड विकसित कर उन्हें प्लाट आवंटित कर राशि दिये जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो रायसेन जिले में क्या-क्या कार्यवाही की गई? (घ) प्रश्नांश (ग) के हितग्राहियों को रायसेन जिले के नगरीय निकायों में कब तक भूमि आवंटित कर उनको आवास उपलब्ध करा दिये जायेंगे?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) जी हां, प्रधानमंत्री आवास योजना(शहरी) हेतु भूमि आवंटन हेतु मात्र नगर परिषद औबेदुल्लागंज द्वारा कलेक्टर को सादा आवेदन दिया गया है, कलेक्टर रायसेन द्वारा निर्धारित प्रारूप में आवेदन प्रस्तुत करने हेतु मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देशित किया गया है. निर्धारित प्रारूप में आवेदन प्राप्त होने पर नियमानुसार भूमि आवंटन की कार्यवाही की जाएगी. निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे उदयपुरा विधान सभा में दो नगर पंचायत क्षेत्र हैं, नगरीय निकाय हैं, उसमें अभी तक हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा, इसलिए नहीं मिल रहा क्योंकि भूमि आवंटित नहीं हुई है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि भूमि आवंटन जो की कलेक्टर द्वारा लिस्ट पहुंचाए जाने पर भी अभी तक भूमि आवंटित नहीं हो रही है, उससे प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा है. दूसरा इसी से संबधित मेरा आपसे निवेदन है कि हमारे नगर पंचायत बरेली में चूँकि नर्मदा नदी का जल हमारे नगरीय क्षेत्र में लाया जा रहा है, तकरीबन 4 वर्ष हो गए हैं, लेकिन अभी तक वह क्यों रुका हुआ है, टंकी का कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है, टंकी अधूरी पड़ी हुई है. मैं माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि इसकी तुरन्त जांच कराई जाये, यह कई करोड़ों की योजना है लेकिन अभी तक वह टंकी और वह योजना, जिससे 10 किलोमीटर दूर नर्मदा जी से नगर बरेली पानी लाया जा सके, जिससे लोग लाभान्वित हो सकें. तीसरा, मेरा निवेदन यह है कि हमारे यहां बायपास होने से, मैं माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि बायपास बरेली होने से हमारे जो नगरीय क्षेत्र की जो सड़कें हैं, वह पूर्णत: क्षतिग्रस्त हुई हैं, करीबन उसमें एक-एक, दो-दो फीट गहरे गड्डे हो गए हैं और बहुत खराब स्थिति में है. इस तरफ अस्पताल है, उस तरफ पूरी मेडिकल की दुकानें हैं. मैं माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि अन्दर की सड़क के लिए फण्ड आवंटित किया जाये और हमारी जल प्रदाय योजना और पट्टों के संबंध में, उससे प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा नहीं हो पा रहा है. कलेक्टर से वह सूची स्वीकृत की जाये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय मुख्यमत्री जी और हमारी सरकार का संकल्प है कि जैसा मैंने पूर्व में भी कहा है कि हमारे प्रदेश में कोई भी ऐसा गरीब परिवार नहीं होगा, जिसके लिये पट्टा नहीं मिलेगा. हर गरीब परिवार को पट्टा मिले, उसके निर्देश माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा दिए गए हैं. आपके यहां पर जो भूमि की बात है, वह अलग-अलग नौइयत की भूमि है और इसलिए हमने कलेक्टर को कहा है, उसके नौइयत परिवर्तन की कार्यवाही करें और नौइयत परिवर्तन की कार्यवाही करके, जो पहले से वहां पर रह रहे हैं, उन सबको हमारी सरकार पट्टा देने का कार्य करेगी (मेजों की थपथपाहट). दूसरा, माननीय अध्यक्ष महोदय, जो वाटर सप्लाई स्कीम के बारे मे आपने कहा है, इसकर पिछले दिनों हमने समीक्षा की है और आप आश्वस्त रहिये, इस काम को हम जल्दी कराएंगे. तीसरा, सड़क के बारे में आपने कहा है, सड़क के बारे में जैसी बजट की स्थिति होगी, उस पर हम विचार करेंगे.
श्री मनोज चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय जी, पट्टे कब तक मिल जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय - मैंने पहले ही आग्रह कर लिया था. वे नये सदस्य हैं, उनको सीधे ही प्रश्न करने दीजिये. किसी के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. यह गलत बात है, किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री मनोज चावला - (XXX)
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल - मंत्री जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मैंने पहले ही कहा था कि नये सदस्य को बिना बाधा के बोलने दीजिये.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे सिर्फ यह निवेदन करना चाहता हूँ कि पट्टों की समय-सीमा हो क्योंकि अगर पट्टों की समय-सीमा होगी तो अच्छा होगा. इससे आदिवासियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग को फायदा होगा और जो भटक रहे हैं, उनको फायदा होगा. कृपया समय-सीमा देने का कष्ट करें. मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि यह आपका भी क्षेत्र है, आपका जिला है, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि जो बरेली से लेकर धामनौद तक जो सड़क बायपास होने के बाद बहुत खराब हो चुकी है, इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी से मेरा व्यक्तिगत विशेष निवेदन है कि उस सड़क के बारे में जरूर पैसा आवंटन किया जाये और जल प्रदाय योजना बहुत खाली पड़ी हुई है, 4 वर्ष हो गए हैं. लेकिन उसमें अभी तक पानी नहीं आया है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने पूर्व में भी कहा है कि वहां पट्टे इसलिए नहीं मिल पाये कि वहां जो जगह है, वे लोग जहां पर रह रहे हैं, वह अलग-अलग नौइयत की जगह हैं. हमने तो इसमें व्यवस्था की है, जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश हैं कि हम लोगों को सबको पट्टे देना हैं और इसलिए यह व्यवस्था कर रहे हैं कि उसकी नौइयत परिवर्तन की कार्यवाही कलेक्टर के माध्यम से करके और जल्दी जिनको आप चाहते हो, उनको हम लोग पट्टे दे सकें. यह मैंने पूर्व में भी कहा है.
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पूर्व में मैं कर चुका हूँ. यह मेरा मूल प्रश्न था. मंत्री जी, बताएंगे, इसमें कार्यवाही जल्दी करें.
कृषि विहार कॉलोनी इन्दौर में स्थापित मोबाईल टॉवर
[नगरीय विकास एवं आवास]
8. ( *क्र. 173 ) श्री महेन्द्र हार्डिया (इंदौर-5): क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर शहर की कृषि विहार कॉलोनी में कैंसर के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है? (ख) यदि हाँ, तो किन कारणों से बढ़ रही है? क्या उस कॉलोनी में अत्यधिक रेडिएशन है? वहां पर लगे अत्यधिक मात्रा में मोबाईल टॉवर में से कितनों के पास अनुमति है? पर्यावरण विभाग द्वारा रोकथाम हेतु क्या कार्यवाही की जा रही है? मोबाईल टॉवर वहां से कब हटाए जावेंगे?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) एवं (ख) इस प्रकार का कोई अध्ययन नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा नहीं कराया गया है। नगर निगम द्वारा कराये गये स्थल निरीक्षण में इंदौर शहर की कृषि विहार कॉलोनी में कोई मोबाईल टॉवर स्थापित न होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री महेन्द्र हार्डिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने बताया है कि कृषि विहार कॉलोनी के अंदर कोई भी मोबाईल टॉवर नहीं है. मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि म.नं. 136 के ऊपर आज भी वहां पर मोबाईल टॉवर लगा हुआ है, उस क्षेत्र में कृषि कॉलोनी के अंदर हर एक दो घर छोड़कर कैंसर के मरीज हैं, स्किन डिसीज के मरीज हैं, वास्तव में नगर निगम का काम भी नहीं है कि वह चैक करे कि कौन कैंसर का मरीज है, वो तो हमारे पास सहायता मांगने के लिये लोग आते हैं और हम उनको माननीय मुख्यमंत्री जी के पास भेजते हैं, उनको वहां से सहायता मिलती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मेरा एक प्रश्न और लगा है महालक्ष्मी सेक्टर-4 और न्यू पलासिया यहां के नागरिकों ने भी मुझसे शिकायत की है कि यहां पर अवैध टॉवर लगा है तो माननीय मंत्री जी मेरी उपस्थिति में किसी डिप्टी कमिश्नर को भेजकर भेज दें ताकि मैं उनको दिखा सकूं कि टॉवर यहां पर लगा है, क्या आ उस टॉवर को हटवायेंगे ? मैं इतना आश्वासन चाहता हूं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो कहा है, उसमें माननीय अध्यक्ष जी उनकी बात भी अपनी जगह सही है और उत्तर भी अपनी जगह सही है. यह जिस कॉलोनी की बात माननीय सदस्य ने की है, उस कॉलोनी से लगे हुए 9 टॉवर हैं. अब कॉलोनी में सड़क आमने-सामने होती है तो इतना ध्यान में नहीं रहता है कि यह उसमें आता है कि इसमें आता है. पर यह बात सही है कि वहां पर 9 टॉवर उस कॉलोनी से लगे हुए हैं और जैसा माननीय सदस्य ने कहा है कि हम इसकी जांच करा लेंगे. यदि कोई टॉवर अगर अवैध रूप से लगाये गये हैं, गलत तरीके से लगाये गये हैं तो हम इंदौर नगर निगम से हमारे उपायुक्त को भेजकर इसकी जांच करा लेंगे और अगर कोई गलत टॉवर लगा होगा तो उसको हटाने की कार्यवाही करेंगे.
श्री महेन्द्र हार्डिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें न्यू पलासिया और महालक्ष्मी नगर सेक्टर -4 को भी जोड़ लें, इसको जोड़कर जांच करा लें. मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. कृपया यह घोषणा कर दीजिये कि यह दोनों टॉवर भी दिखवा लेंगे.
श्री कुणाल चौधरी(कालापीपल) -- यह हम दो हमारे दो के हैं किसी के नहीं हटेंगे भईया.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय सदस्य इसके अलावा भी आप जो जांचकर्ता अधिकारी हैं उनको बता देंगे तो वहां की भी जांच करा लेंगे और अगर वह नियम विरूद्ध होंगे तो उनको भी हटा लेंगे.
बुरहानुपर जिले के ग्रामों में मीटर रीडिंग से विद्युत बिल लिया जाना
[ऊर्जा]
9. ( *क्र. 157 ) श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह (बुरहानपुर) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बुरहानपुर जिले के ग्राम हमीदपुरा एवं बाडाबुजुर्ग में कृषकों को म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण प्रा.लि. कंपनी बुरहानपुर (ग्रामीण) द्वारा सिंचाई विद्युत कनेक्शन उपभोक्ताओं से फ्लैट रेट हॉर्स पावर पद्धति से विद्युत बिल लिये जाते थे, परंतु विगत लगभग एक वर्ष से मीटर रीडिंग से विद्युत बिल लिये जा रहे हैं? इसके कारणों से अवगत करावें। (ख) उक्त ग्राम के कृषकों का क्या दोष है, जिन्हें फ्लैट रेट न देकर रीडिंग बिल दिये जा रहे हैं? उक्त डीपियों से कॉलोनी वासियों को लाभ पहुँचाने के लिये विद्युत कनेक्शन दिये गये, जिस कारण इन कृषकों का नुकसान हो रहा है, इस संबंध में फीडर सेप्रेशन की कार्यवाही क्यों नहीं की गई? संबंधित दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जा रही है? (ग) उक्त ग्राम के कृषकों को कब तक फ्लैट रेट के विद्युत बिल मिल जायेंगे? (घ) उक्त ग्राम हमीदपुरा एवं बाडाबुजुर्ग के कृषकों को पूर्ण वोल्टेज नहीं मिल रहा है? वोल्टेज समस्या का कब तक निराकरण किया जायेगा? वोल्टेज की समस्या किन कारणों से आ रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। प्रश्नाधीन ग्रामों का क्षेत्र बुरहानपुर शहर से लगा हुआ है तथा इन ग्रामों को 11 के.व्ही. शहरी फीडरों के माध्यम से 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। इस प्रकार प्रश्नाधीन ग्रामों के 17 कृषि पम्प कनेक्शन (ग्राम बाडाबुजुर्ग के 10 एवं ग्राम हमीदपुरा के 7) 24 घंटे विद्युत प्रदाय करने वाले फीडर से संयोजित होने के कारण इन्हें मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टेरिफ आदेश की श्रेणी एल.वी. 5.4 जिसकी प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है, के अनुरूप इन कनेक्शनों पर नियमानुसार माह फरवरी-2020 से विद्युत मीटर स्थापित कर उन्हें वास्तविक विद्युत खपत के अनुसार मीटर रीडिंग के बिल दिये जा रहे हैं। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन ग्रामों के कृषि उपभोक्ताओं को नियमानुसार ही विद्युत बिल दिये जा रहे हैं। प्रश्नाधीन दोनों ग्रामों के कृषकों के सिंचाई विद्युत कनेक्शन 11 के.व्ही. शहरी फीडरों पर संयोजित हैं एवं इन्हीं फीडरों से शहर की रहवासी बस्तियों/कॉलोनियों में विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। शहरी क्षेत्र होने के कारण वृहद विद्युत अधोसंरचना विद्यमान होने से तकनीकी रुप से पृथक से सिंचाई हेतु विद्युत लाईन डाला जाना साध्य नहीं है। अत: किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन कृषि पम्प कनेक्शन फ्लैट रेट की श्रेणी में नहीं आते अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) ग्राम बाडाबुजुर्ग के कृषि उपभोक्ताओं को विद्युत प्रदाय कर रहे 11 के.व्ही. हमीदपुरा-2 फीडर पर वोल्टेज रेग्यूलेशन 2.33 प्रतिशत एवं ग्राम हमीदपुरा के कृषि उपभोक्ताओं को विद्युत प्रदाय कर रहे 11 के.व्ही. सिंधी बस्ती फीडर पर वोल्टेज रेग्यूलेशन 6.94 प्रतिशत है जो कि निर्धारित मानकों के अनुरूप है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ओर से सबसे पहले मैं आपको शुभकामनायें देना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय का जो जवाब मुझे मेरे प्रश्न पर मिला है, उससे मैं बिल्कुल सहमत नहीं हूं क्योंकि हमीदपुरा और बाडाबुजुर्ग जो क्षेत्र है, वहां किसानों को पहले फ्लैट रेट पर बिलिंग होती थी, उसके बाद वहां के लोगों ने उस फीडर से कॉलोनियों को लाईन दे दी है, उसके कारण वहां के कृषकगण बहुत परेशान हैं, क्योंकि अब उनको मीटर रीडिंग से पेमेंट करना पड़ता है. इस प्रकार यह दो तरह की व्यवस्थाएं हो गई हैं और उसके कारण किसानों को नुकसान हो रहा है और जिन अधिकारियों ने वहां पर इन कॉलोनियों को बिजली का कनेक्शन दिया है, मैं माननीय मंत्री महोदय से आपके द्वारा यह पूछना चाहता हूं कि क्या आप उन कार्यवाही करेंगे ? और उनको फीडर सेपरेशन करना बहुत जरूरी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे किसान भाई हम जानते हैं कि यह जो सरकार है, माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की किसानों की सरकार है और इसमें किसान को तकलीफ न हो, हम यह देखना चाहते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्री महोदय इसको विशेष ध्यान दें कि कोई भी किसान को तकलीफ न हों, क्योंकि हम लोग जानते हैं कि यह जो हमारी सरकार है, यह किसानों की सरकार है. मुख्यमंत्री महोदय खुद बोलते हैं कि मैं किसान का बेटा हूं और हम लोग सब ज्यादातर किसान क्षेत्र से आये हुए हैं. मैं मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा कि इसका फीडर सेपरेशन करके किसान को फ्लैट रेट से बिल दिया जाये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले तो माननीय सदस्य का बहुत आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने यह स्वीकार किया कि यह सरकार माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में किसानों की सरकार है, मैं उनको धन्यवाद करता हूं(मेजों की थपथपाहट) दूसरा सम्माननीय सदस्य ने जो बात कही है.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा)-- ज्यादा तारीफ न करो महाराज नाराज हो जायेंगे(हंसी)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- यह भारतीय जनता पार्टी की माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार है, यहां कोई ग्रुपिंग नहीं है, वहां सामने पूछो.
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह-- माननीय मंत्री महोदय, आप तो मेरे किसान के हित का जवाब दें तो आज अच्छा लगेगा और हमारे माननीय अध्यक्ष महोदय ने बोला है कि पहली बार आये हुये विधायकों को पूरा संरक्षण अध्यक्ष महोदय का मिलेगा, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि आप तो मेरे प्रश्न का अच्छा जवाब दें जिससे मैं मेरे किसान भाईयों से जाकर बात कर सकूं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, उनको संतुष्ट कर दीजिये, उन्होंने आपकी तारीफ की है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष जी, यह फीडर पहले से ही शहर में आता है जो हमारे माननीय सदस्य ने चिंता जताई है, इसमें 17 किसानों के कनेक्शन हैं और बाकी 4343 घरेलू उपभोक्ता हैं. यह फीडर पहले से ही शहर में है. हमारे नियामक आयोग का एक आदेश है कि शहरी क्षेत्र में जो कृषक हैं उनके मीटर लगाये जायें. अगर मीटर नहीं लगे हैं तो हम उनको फ्लेट रेट पर बिल देते थे, अब वहां मीटर लग चुके हैं तो उनको हम मीटर के आधार पर विद्युत सप्लाई कर रहे हैं, पर माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार किसानों के हित में अभी भी वहां पर जो 5 एच.पी. का एक उदाहरण दे रहा हूं अगर 5 एच.पी. का कृषक का कनेक्शन है तो उस पर 1291 यूनिट बिजली खर्च हुई है, उसका बिल 7660 रूपये का बना है, उसमें से कृषक को मात्र 1370 रूपये देना है और 6290 रूपये मध्यप्रदेश की सरकार सब्सिडी देगी, यह मैं आपको बताना चाहता हूं.
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इससे असहमत हूं. मेरा एक निवेदन है...
अध्यक्ष महोदय-- पहले उनकी पूरी बात तो आ जाने दीजिये, फिर असहमति व्यक्त कीजिये, मैं आपको समय दूंगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह शहरी क्षेत्र में जो मैं सदस्य को पहले ही बता चुका हूं, पूर्व से ही है. नये कनेक्शन का जो यह कह रहे हैं वहां पर अब ग्रामीण विद्युत सेपरेशन शहरी क्षेत्र में अलग से संभव नहीं है. वह शहर में है और वहां पर नियामक आयोग का आर्डर है, कोई भी अनियमितता नहीं है, कोई भी गैर कानूनी नहीं है, मैं सदस्य से कहना चाहता हूं किसानों को सब्सिडी मिल रही है. इसमें कोई शिकायत हो तो बतायें, उसे हम ठीक करेंगे.
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो मैं माननीय मंत्री महोदय से यह निवेदन करना चाह रहा हूं कि यह जो बिजली का बिल रीडिंग से आता है वह एक साल से आने लगा है उसके पहले तो फ्लेट रेट पर ही किसान को पेमेंट करना पड़ता था. यह बात आपके संज्ञान में है कि नहीं, मेहरबानी करके अपने अधिकारियों से पता कर लें. एक साल से आप इसको मीटर रीडिंग से दे रहे हैं, यह उचित नहीं है. दूसरी बात यह है कि पहले यह जो क्षेत्र है हमीदपुरा और बाड़ाबुजुर्ग यहां पर किसानों का ही कनेक्शन था उसके बाद जब शहर बढ़ता गया तो उस गांव के अंदर भी कॉलोनी कट गई है जिसके कारण किसानों को नुकसान हो रहा है. मेरा मंत्री महोदय से निवेदन है कि इसकी फिर से जांच करायें. मैं आपके जवाब से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हूं, इस मामले में मुझे माफ करिये.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, उन्होंने स्पेशिफिक पूछा है कि जांच करायेंगे क्या ?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो जानना चाहा, पहले जब मीटर नहीं लगे थे तब वह शहरी क्षेत्र में था तो हम इनको फ्लेट रेट पर बिल देते थे, यह नियामक आयोग का आर्डर है, अब उसमें नियामक आयोग का यह आर्डर है कि शहरी क्षेत्र में मीटरिंग की जाये, तो उनकी मीटरिंग की गई. मीटरिंग के बाद बिल दिये जा रहे हैं.
श्री जितु पटवारी-- अरे आप तो कह दो कि हम संतुष्ट हैं.
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह-- हम संतुष्ट कहां से हैं, हम संतुष्ट नहीं हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- आप कह दो सरकार किसान विरोधी है. ...(व्यवधान)..
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह-- यह तो ठीक नहीं है पहले एक साल पहले फ्लेट रेट से रीडिंग होती थी, बिल पेमेंट होता था. अब मीटर रीडिंग से कर रहे हैं, इसको तो आप ठीक करिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं एक निवेदन करना चाहता हूं कि जिस तरीके से .....(व्यवधान)....
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह-- माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार ने एलान किया कि किसानों से फ्लेट रेट से ही पेमेंट लिया जायेगा, उसके लिये भले ही फीडर रीडिंग करना पड़े.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - आज निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी :-
1. डॉ.हीरालाल अलावा
2. डॉ.सतीश सिंह सिकरवार
3. श्री आलोक चतुर्वेदी
4. श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी
5. कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा
6. श्री अशोक रोहाणी
7. श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा
8. डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय
9. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
10. श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
12.01 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मैग्नीज ओर इंडिया लिमिटेड का 57 वां एवं 58 वां वार्षिक विवरण क्रमश: वर्ष 2018-2019 एवं 2019-2020, तथा
(i) जिला खनिज प्रतिष्ठान, पन्ना का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,
(ii) जिला खनिज प्रतिष्ठान, नरसिंहपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,
(iii)जिला खनिज प्रतिष्ठान, दमोह का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,
(iv)जिला खनिज प्रतिष्ठान, सागर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, तथा
(v) जिला खनिज प्रतिष्ठान, बैतूल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
खनिज साधन मंत्री( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) - अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मैग्नीज ओर इंडिया लिमिटेड का 57 वां एवं 58 वां वार्षिक विवरण क्रमश: वर्ष 2018- 2019 एवं 2019-2020, तथा
(ख) मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18 (3) की अपेक्षानुसार –
(i) जिला खनिज प्रतिष्ठान, पन्ना का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,
(ii) जिला खनिज प्रतिष्ठान, नरसिंहपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,
(iii)जिला खनिज प्रतिष्ठान, दमोह का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,
(iv)जिला खनिज प्रतिष्ठान, सागर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, तथा
(v) जिला खनिज प्रतिष्ठान, बैतूल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
पटल पर रखता हूं.
(2) आयुक्त, नि:शक्तजन, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री(श्री प्रेम सिंह पटेल)- अध्यक्ष महोदय, मैं,
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (क्रमांक 49 सन् 2016) की धारा 83 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार आयुक्त, नि:शक्तजन, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 पटल पर रखता हूं.
(3) मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्लपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 35 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री(श्री ओमप्रकाश सखलेचा) - अध्यक्ष महोदय, मैं,
कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्लपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 35 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 पटल पर रखता हूं.
(4) औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ- 13-18-2020-बी-ग्यारह, दिनांक 03 नवम्बर, 2020
सहकारिता मंत्री ( डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया ) - अध्यक्ष महोदय, मैं,
मध्यप्रदेश सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 (क्रमांक 44 सन् 1973) की धारा 43 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-13-18-2020-बी-ग्यारह, दिनांक 03 नवम्बर, 2020 पटल पर रखता हूं.
(5) मध्यप्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
श्री रामखेलावन पटेल, राज्यमंत्री पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण,राज्य मंत्री( श्री रामखेलावन पटेल) - अध्यक्ष महोदय, मैं,
म.प्र.राज्य अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1996 की धारा 13 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 पटल पर रखता हूं.
12.04 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 22 फरवरी, 2021 को प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा का समापन
अध्यक्ष महोदय- अब 24 एवं 25 फरवरी,2021 को राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा का उत्तर माननीय मुख्यमंत्री जी देंगे.
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) - धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन आज सबसे पहले मैं हृदय से आपको बधाई देना चाहता हूं कि आप जिस कुशलता के साथ सदन का संचालन कर रहे हैं. यह लगता ही नहीं है कि आप अभी-अभी अध्यक्ष बने हैं. आपको बधाई. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, नेता प्रतिपक्ष माननीय कमलनाथ जी को भी बधाई देना चाहता हूं. आज उनकी व्यस्तता थी लेकिन मैं हमेशा कहता रहा कि यह सदन केवल ईंट और गारे का भवन नहीं है, लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है. इसमें हम चर्चा, संवाद, विचार, चिंतन और मंथन करते हैं और उसी चर्चा, चिंतन एवं मंथन से कई बार अमृत निकलता है, जो जनता के बीच पहुंचाने का हम प्रयास करते हैं. सदन में सार्थक चर्चा हो और जब चर्चा हो तो चर्चा करने वाले भी मौजूद रहें. आपने अपनी उपस्थिति यहां दर्ज कराई है, हमने कहा था कि हम जब उत्तर दें तो हमें भी सुनना. मैं आपको धन्यवाद देता हूं. मैं सदन के सम्मानित सभी सदस्यों को, जिन्होंने इस चर्चा में भाग लिया, आदरणीय सीतासरन शर्मा जी, हमारे बहुत वरिष्ठ विधायक हैं, उन्होंने इस चर्चा का प्रारंभ किया और चर्चा बड़ी सार्थक हुई है. सर्वश्री बहादुर सिंह जी, लक्ष्मण सिंह जी, देवेन्द्र वर्मा जी, यशपाल सिंह जी, अशोक मर्सकोले जी, हिरालाल जी, शैलेन्द्र जैन जी, प्रियव्रत सिंह जी, सूबेदार सिंह जी, पी.सी. शर्मा जी,श्रीमती मालिनी गौड़ जी, श्रीमती झूमा सोलंकी जी, श्रीमती कृष्णा गौर जी, बृजेन्द्र सिंह राठौर जी, दिलीप सिंह परिहार जी, जालम सिंह पटेल जी, जितु पटवारी जी, बाला बच्चन जी, आशीष गोविन्द शर्मा जी, तरुण भनोत जी, फुन्देलाल सिंह मार्को जी, धर्मेन्द्र लोधी जी, कमलेश्वर पटेल जी, संजीव सिंह जी, प्रहलाद लोधी जी, सुखदेव पांसे जी, महेन्द्र हार्डिया जी, नीलांशु चतुर्वेदी जी, विनय सक्सेना जी, राजेश कुमार प्रजापति जी, नारायण सिंह पट्टा जी, उमाकांत शर्मा जी, आरिफ मसूद जी, पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय जी, सोहनलाल बाल्मीक जी, बापू सिंह तंवर जी, आप सबने चर्चा में भाग लिया और चर्चा सच में बहुत सार्थक हुई है. कमलनाथ जी ने निश्चित तौर पर भाग लिया है, मैं सबसे पहले उन्हीं को धन्यवाद दिया है. लेकिन सदन का वरिष्ठ सदस्य होने के नाते भी और नेता होने के नाते भी जिस गंभीरता से विशेषकर नये सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया है, मैं उनको बहुत बधाई देना चाहता हूं. कई सदस्यों ने तो बहुत सारगर्भित अपने उद्बोधन दिये हैं. अध्यक्ष महोदय, यह सदन का कार्यकाल ऐसा रहा है कि जिसमें साल, सवा साल हम लोग चर्चा में भाग नहीं ले पाये. आज मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि चाहे वह पक्ष के हमारे साथी हों, चाहे हमारे प्रतिपक्ष के साथी हों, सब काहू का लीजिये, साचा असद निहार। पछपात ना कीजिये कहै कबीर विचार।। आपने जो जो कहा है चाहे पक्ष के मित्रों ने कहा हो, चाहे प्रतिपक्ष के मित्रों ने कहा हो, सकारात्मक सुझाव आपने दिये हैं. सदन का नेता और मुख्यमंत्री होने के नाते मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि गंभीरता से विचार करके जो क्रियान्वित किये जा सकते हैं, उसको क्रियान्वित करने की भरपूर कोशिश करेंगे. हम केवल इसमें नहीं पड़ेंगे कि मैं अच्छा और तू बुरा. आखिर सार्थक चर्चा से जनता के हित के कुछ फैसले होने चाहिये और चर्चा को मैं इसी रुप में लूंगा. कुछ आलोचनाएं भी हुई हैं, होती हैं लोकतंत्र में जरुरी है यह. निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय. सकारात्मक आलोचनाओं का स्वागत है और वह सत्ता पक्ष को और जिम्मेदार बनाती है. वह जो सकारात्मक आलोचना हुई है, उसको भी हम सकारात्मक भाव से ही लेंगे. दो चीजे माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने बड़े जोर देकर कहीं. एक उन्होंने कहा कि प्रस्तावित है, प्रस्तावित है. जब हम पहले योजना बनाते हैं तो प्रस्तावित ही करते हैं और अकेले हमने ही प्रस्तावित ही नहीं की, मैंने फिर आपकी सरकार का, पिछली बार का राज्यपाल महोदय का अभिभाषण पढ़ा, तो आपने भी दो बार प्रस्तावित है. 3 बार करना है और 6 बार किया जाएगा तो आपने प्रस्तावित किया, हमने भी प्रस्तावित कर दिया, इसमें क्या आपत्ति है? (मेजों की थपथपाहट).. बोलिए, बोलिए.
श्री कमलनाथ - आपको हमारा समय बहुत याद आ रहा है, कोई चिंता की बात नहीं है. परन्तु मैंने उस संदर्भ में कहा था कि प्रस्तावित मैं कहना चाहता था. यह बात मैंने कही थी कि अगले साल भी, आप भी वहां बैठे होंगे और जो चीजें इस दफे कही हैं और जो राज्यपाल महोदया ने प्रस्तावित है, इस पर विचार किया जा रहा है, इसका हिसाब आप इस सदन को जरूर दीजिएगा कि हमने यह कहा था. मैं जानता हूं कि प्रस्तावित का क्या मतलब होता है, थोड़ा बहुत ज्ञान मुझे भी है. आपके जितना नहीं होगा, परन्तु यह शैली का ज्ञान मुझे नहीं है, जो आपकी शैली है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अब यह प्रस्तावित है तो इसीलिए कि यह किया जाएगा. आप अगली बार हिसाब लो और हम भी हिसाब लेंगे, हमको पूरा वचन पत्र भी याद है अभी.
श्री कमलनाथ - पूरे साल का भी तो आप हिसाब दे दीजिए, वह भी तो कोई न कोई समय आएगा, कोई बात नहीं, परन्तु मैं तो इसी साल की बात कर रहा हूं, 15 साल का तो जवाब मिल गया था वर्ष 2018 में, मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप सदन को यह आश्वासन दे दीजिए कि जो हमने कहा है उसका हम हिसाब अगले साल इसी समय इसी सदन में देंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, हिसाब-किताब हम लेंगे भी और हम देंगे भी, कोई चिंता की बात नहीं है लेकिन अध्यक्ष महोदय, एक बात का और बहुत उल्लेख किया, "मोदी जी का नाम क्यों लिया." लिया तो बार-बार क्यों लिया. अध्यक्ष महोदय, मोदी नाम ही ऐसा है कि बार-बार लेने को जी करता है. (मेजों की थपथपाहट)..
आज केवल हम नाम नहीं ले रहे. (श्री सज्जन सिंह, सदस्य के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) सज्जन जी, इंदौर में अगर घुस गया तो दिक्कत हो जाएगी. अध्यक्ष महोदय, मोदी जी की चर्चा तो पूरी दुनिया में है. वह भारत की करोड़ों करोड़ जनता के हृदय के हार हैं, उनकी की एक आवाज़ पर पूरा देश उठकर खड़ा हो जाता है. मोदी जी ने कहा, जनता कर्फ्यू तो जनता कर्फ्यू. मोदी जी ने कहा, ताली और थाली तो पूरा देश ताली और थाली बजा रहा था. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री कमलनाथ - किसानों का भी आप बता दीजिए, किसानों ने तो उनकी बात नहीं सुनी जो दिल्ली के बार्डर पर हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - लेकिन पूरे देश का किसान साथ में है.
श्री उमंग सिंघार - उनको श्रद्धांजलि भी नहीं दी, यह भी ध्यान रखें. किसानों के बेटे की बात होती है, आप कहते हो अपने आप को बेटा.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, एक वैभवशाली भारत, एक गौरवशाली भारत, एक संपन्न भारत, एक समृद्ध भारत और एक सशक्त भारत के निर्माण का सपना नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज पूरा हो रहा है. (मेजों की थपथपाहट).. अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत विस्तार में नहीं जाना चाहता हूं, जिस ढंग से कोरोना की लड़ाई लड़ी गई, वैक्सीनेशन का काम जैसे हो रहा है, केवल यही नहीं, दुनिया के बाकी देशों को भी वैक्सीन देने का गौरव अगर आज किसी को प्राप्त हुआ है तो वह हमारा देश है भारत. (मेजों की थपथपाहट)..और दूसरे राष्ट्रों के प्रमुख कह रहे हैं. संजीवनी बूटी का उदाहरण दे रहे हैं. जैसे हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए थे, वैसे हमारे देश को भी मोदी जी ने संजीवन बूटी भेज दी है. (मेजों की थपथपाहट)..वह देश के प्रधानमंत्री हैं, उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाएगा, उनका मार्गदर्शन और नेतृत्व हमें मिल रहा है और इसका हमें गर्व है, इसलिए बार-बार मोदी जी का नाम लेंगे. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री कमलनाथ -मैंने कभी नहीं कहा कि उनका नाम सम्मान से नहीं लिया जाय, लेना चाहिए प्रधानमंत्री हैं अपने देश के और जब भी नाम लें सम्मान से लें. मैंने एक बात और कही थी कि क्या आवश्यकता मोदी जी को सदन में प्रचार करने की है? यह भी बात मैंने कही थी. अध्यक्ष महोदय हमने वह दौर भी देखा है, मैं यहां पर नाम नहीं लेना चाहता हूं विषयांतर हो जायेगा, इस बात को छोड़ते हैं. वह देश के प्रधानमंत्री हैं और देश का कुशल नेतृत्व कर रहे हैं. मैं यहां पर एक बात और आपको याद दिलाना चाहता हूं. हमने सदैव मानवीय गरिमा का स्वागत किया है. एक बार मैं अमेरिका गया था उस समय मैं मुख्यमंत्री था. आदरणीय मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे. मुझसे वहां पर एक सवाल किया गया. भारत के प्रधानमंत्री क्या अण्डर अचीवर हैं . मैंने कहा कि भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है और मनमोहन सिंह जी कांग्रेस के नहीं पूरे हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री हैं वह अण्डर अचीवर कैसे हो सकते हैं. हम किसी भी दल में रहें लेकिन एक दूसरे का सम्मान और विशेषकर ऐसे मुद्दे आयें और इतना बड़ा नाम आये तो हमें करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय मैं चौथी बार मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना. मैं यह दंभ और अहंकार से नहीं कह रहा हूं लेकिन उसके बाद मैं शायद पहली बार सदन में नीति विषयक मामले पर बोल रहा हूं. मैं अपने इस भाव का प्रगटीकरण करना चाहता हूं, पूरी निष्ठा से, पूरी प्रमाणिकता से, अस्तित्व की पूरी क्षमता से दिन और रात जनता की सेवा में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. मैं फिर एक बार हृदय से दोहराना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश मेरा मंदिर है, उसमें रहने वाली जनता मेरी भगवान है और उस जनता का पुजारी शिवराज सिंह चौहान है. हम परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे, हम प्रयत्नों की परिसीमा करेंगे , मध्यप्रदेश के और बेहतर निर्माण के लिए अपने आपको समर्पित करेंगे और उसमें मैं चाहे इधर रहूं और चाहे उधर आप रहें आप सबका सहयोग चाहता हूं, सकारात्मक सहयोग चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, बात कचरे से शुरू हुई थी. अब कचरे की गहराई में मैं नहीं जाना चाहता हूं. लेकिन माननीय नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2018 में जनता ने कचरा हटा दिया तो मैं उस कचरे की गहराई में जाना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय 2018 के चुनाव परिणाम एक तरफा नहीं थे. वोट हमें आपसे ज्यादा मिले थे , सीटों की गिनती में हम कम रह गये थे,लेकिन एक बात और मैं आज यहां पर कहना चाहता हूं कि रात के 11 - 12 बजे तक जिस दिन चुनाव परिणाम आ रहे थे 111 और 112 चल रहा था. लेकिन जैसे ही हमने देखा कि दमोह से जयंत मलैया जी, ग्वालियर से नारायण कुशवाह और शरद जैन जबलपुर उन सीटों पर पीछे हुए तो मैंने रात में ही तय कर लिया था कि मैं सुबह सीएम हाऊस खाली करना प्रारम्भ कर दूंगा, एक क्षण भी मेरे मन में नहीं आया कि हमें दोबारा सरकार बनाने की कोशिश करना चाहिए. उस चुनाव में आपको 41 प्रतिशत वोट मिले थे हमें 41.1 प्रतिशत वोट मिले थे. उस समय भी हम चाहते तो जोड़ तोड़ की कोशिश कर सकते थे लेकिन मैं रात को 2 और 2.30 बजे सोया तो यह सोचकर सोया कि सुबह, हम भी सोच सकते थे, और आज मैं यहां सदन को बताना चाहता हूं कि कई ऐसे मित्र थे जो कांग्रेस के नहीं थे लेकिन हमारे साथ आना चाहते थे. लेकिन मैं सीधे प्रेस के पास गया और मैंने तय किया कि मैं इस्तीफा दूंगा और उसके बाद में मैंने आपको फोन करके बधाई दी . राजभवन गया त्यागपत्र दिया क्योंकि आपकी 114 सीट थी हमारी 109 सीट थीं हमने कहा कि अब सरकार बनाने का अधिकार आपका है.
अध्यक्ष महोदय जब मैं वहां से बाहर निकलकर आया तो पत्रकारों ने मुझसे प्रतिक्रिया पूछी तो मैंने एक ही बात कही कि नॉऊ आई एम फ्री , अब यह जिम्मेदारी कांग्रेस संभाले. आपने सरकार बनाई और उस समय भी मैंने कहा था कि सकारात्मक सहयोग और रचनात्मक विरोध करेंगे. हम तो तब से झोला टांगकर निकल गये थे जहां पर गड़बड़ होती थी हम विरोध करते थे आंदोलन धरना प्रदर्शन वह लोकतत्र में अधिकार होता है. उसका हम इस्तेमाल करते थे लेकिन अध्यक्ष महोदय उम्मीदें बहुत थी कि 15 साल के बाद में सरकार आयी है प्रदेश की प्रगति और विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगे. कल बात हो रही थी, परसों भी चर्चा हुई, इस पक्ष में जो हमारे साथी आये हैं उन पर कटाक्ष किये जा रहे थे, लेकिन सरकार गिरी क्यों ? वादे पूरे नहीं किये गये, वचन नही निभाये गये. मेरे पास वचन पत्र की कॉपी है, मैं बहुत विस्तार में नहीं जाना चाहता.
श्री कमल नाथ -- यह कितने साल का वचन पत्र था ? क्या 15 महीने का था ? यह बात भी सदन को याद रखनी चाहिये जब यह हमारे 15 महीनों की आलोचना करें. मेरा निवेदन है कि इन 15 महीनों में ढाई महीने गये ...
कुँवर विजय शाह -- आपके नेता ने तो कहा था 1, 2, 3 दस दिन में सीएम चेंज.
श्री कमल नाथ -- हमारे नेता की चिंता मत करिये आप. इन 15 महीनों में दो-ढाई महीने लोक सभा के चुनावों में आचार संहिता में गये, जब आप जानते हैं कि कोई काम ऐसा नहीं हो सकता. एक महीना गया आप जानते हैं किसमें, तो अब कितने महीने बचे ? और आप यह कह रहे हैं कि यह जो वचन पत्र था, आपको 11 महीने में पूरा कर देना चाहिये था. यह क्या संभव था ?
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, केवल एक बात जो देश के सम्मानित नेता ने सभाओं में कई बार कहा था और गिन-गिन के 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, दस दिन में कर्जा माफ नहीं तो 11 वें दिन मुख्यमंत्री बदल देंगे और मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि वर्ष 2018 में अगर इतने वोट आपको मिले तो मैं इसमें कर्जा माफी की घोषणा को एक बड़ा कारण मानता हूं. हमने यह घोषणा नहीं की. लोगों ने हमसे कहा कि वह कर रहे हैं तुम भी करो.
श्री सुखदेव पांसे -- आपने 50 हजार रुपये की घोषणा की थी. वर्ष 2008 में आपने 50 हजार कर्जा माफी की घोषणा की थी. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि पहले से यह तय हो गया था कि जब माननीय सदन के नेता बोलेंगे तो कोई आपत्ति नहीं करेगा, कोई खड़ा नहीं होगा.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जानते हैं इन्होंने बहुत साल सरकार चलाई है. जो हमारे नेता ने कहा था उसका पालन किया गया. पहले दिन, पहले घंटे में हमने आदेश दिये और आप क्या चाहते हैं अगर आप सोचते हैं कि इतने साल के अनुभव के बाद कि 10 दिन में कर्ज का सबके बैंकों में पैसा चला जाता, सबकी जानकारी होती, सब कार्यवाही पूरी हो जाती, सब चेकिंग हो जाती, तो क्या आप सोचते हैं यह संभव था ? परंतु एक आखिरी बात, आपने खुद इस सदन में यह आंकड़े पेश किये हैं कि 26 लाख, कुछ हजार किसानों का कर्जा माफ हुआ है. यह तो आपने कहा है. आप तो कहते गये कि कोई कर्जा माफ नहीं हुआ, परंतु अंत में इस सदन में जो आंकड़े आपने पेश किये मेरे ख्याल में तीन महीने पहले, जहां आपने कहा लगभग 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, जब पूरा हो नहीं सकता था तो कहा क्यों ? यह कोई ..
श्री कमल नाथ -- हमारी दूसरी किश्त चल रही थी.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, और कितना माफ हुआ ? 60 हजार करोड़ का होना था ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- 15 लाख का तो कुछ पता नहीं पड़ा, 2 करोड़ रोजगार का पता नहीं पड़ा, पेट्रोल, डीजल पर आप साइकिल चलाते थे साहब. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य बैठ जाएं. बैठ जाइये.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, आपने व्यवस्था दी थी कि यहां से कोई खड़ा नहीं होगा जब नेता प्रतिपक्ष जी बोलें.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य बैठ जाइये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ ऑर्डर है. मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. जब सम्मानित नेता प्रतिपक्ष बोले थे हमारे पक्ष का एक भी व्यक्ति नहीं बोला था, जिसने व्यवधान किया हो. मैंने उस दिन भी निवेदन किया था कि यह परम्परा कायम रखें. नेता प्रतिपक्ष जी बोलें उनको बोलने का अधिकार है, परंतु सम्मानित सदस्य न उठें. ऐसा न बोलें, सच बोलें, वे भी असत्य बोले थे ..(व्यवधान)..पर मेरा यह कहना है कि नेता प्रतिपक्ष बोलें..(व्यवधान)..आप अगर ऐसा करेंगे, अध्यक्ष जी, ये यदि ऐसा करेंगे, हम नहीं बोलने देंगे, बहुत दिक्कत आएगी. ..(व्यवधान).. इस पर आपकी व्यवस्था आनी चाहिए.
12.26 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
सदन के नेता के भाषण के बीच टोका-टाकी करना उचित नहीं
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, बैठ जाएं. मैं व्यवस्था दे रहा हूँ. जब उस दिन नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे थे, किसी ने टोका-टाकी नहीं की और तय यही हुआ था और इसीलिए शायद नेता प्रतिपक्ष जी इतनी व्यस्तताओं के बाद भी सदन के भीतर हैं. तय यह हुआ था कि जब सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी बोलेंगे, नेता प्रतिपक्ष यहां उपस्थित रहेंगे और बिना किसी टोका-टाकी के माननीय सदन के नेता की बात को सुना जाएगा. बीच में बोलना ठीक नहीं है. आपके नेता हैं वे, सक्षम हैं, वे बीच-बीच में बोल रहे हैं, सभी लोग क्यों बोलने लगते हैं. इसलिए कोई नहीं बोले. अब माननीय मुख्यमंत्री जी बोलें.
12.27 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 22 फरवरी, 2021 को प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा का समापन (क्रमश:)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब किसी ने साइकिल, डीजल, पेट्रोल की बात उठा ही दी है तो मैं आपको बताना चाहता हूँ. वर्ष 2017 के अक्टूबर में हमारी सरकार ने डीजल पर वेट की दर 27 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत किया था. पेट्रोल पर वेट की दर 31 प्रतिशत से घटाकर 28 प्रतिशत किया था. अक्टूबर, 2018 में भी हमारी सरकार ने डीजल पर वेट 22 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत किया था और पेट्रोल पर अतिरिक्त वेट की दर को 4 रुपये प्रति लीटर से घटाकर डेढ़ रुपये प्रति लीटर कर दिया था. लेकिन जब आपकी सरकार आई तो आपने जुलाई, 2019 में पहले तो डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त वेट लगा दिया, फिर सितंबर, 2019 में 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 23 प्रतिशत कर दिया. इसी प्रकार आपकी सरकार ने जुलाई, 2019 में पेट्रोल पर अतिरिक्त वेट 2 रुपये से बढ़ाकर साढ़े तीन रुपये किया और फिर सितंबर, 2019 में वेट की दर 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया. माननीय अध्यक्ष जी, मैं इस पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं कर रहा हूँ, लेकिन तब आपको साइकिल याद नहीं आई. जब हम आ जाएं तब साइकिल याद आ जाती है.
श्री कमलनाथ -- नहीं, मैं इसको यहीं समाप्त करता हूँ माननीय मुख्यमंत्री जी, आप इस सदन के माध्यम से मध्यप्रदेश की जनता को संदेश दे रहे हैं कि अभी पिछले साल भर में पेट्रोल डीजल का भाव नहीं बढ़ा. ये संदेश आप पूरे प्रदेश को इस सदन के माध्यम से दे दीजिए और मेरा एक और निवेदन है कि जो आपकी साइकिल थी, कम से कम वह मुझे तो भिजवा दीजिए (हंसी).
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- जिन्होंने चलाई थी, वे हाफ गए थे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- आपको मैं साइकिल किसी भी कीमत पर नहीं भिजवाऊंगा, उम्र का भी लिहाज करना है मुझे (हंसी).
श्री जितु पटवारी -- मैं चला लूंगा, भेज दो आप तो.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नहीं, अनेक वचन नहीं निभाए, इसके कारण जनता में नाराजगी पैदा हुई. मैं सचमुच में आपको बता रहा हूँ. मैं जब मुख्यमंत्री नहीं था, सरकार नहीं रही, उसके बाद भी मैं जनता के बीच में जाता रहा और जनता का स्नेह और प्यार मुझे तब भी लगातार मिलता रहा. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ सरकार चलाने का अपना तरीका होता है, काम करने का अपना ढंग होता है. लोगों के काम करने के तरीकों में भी अंतर होता है. लेकिन आपकी प्राथमिकताएं क्या थीं, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्वस्थ आलोचना कर रहा हूँ, व्यक्तिगत राग-द्वेष का सवाल ही पैदा नहीं होता. मैं आपका सम्मान करता हूँ. अगर कहीं प्राकृतिक आपदा आई, मैं दौड़कर जाता था, पहले भी मुख्यमंत्री था, तब भी जाता था. कहीं ओले पड़ गए और मैं जाता था तो कई बार मुझे कहा जाता था कि ओला पर्यटन कर रहे हैं. क्या संकट के समय जनता के बीच में नहीं जाना चाहिए. बाढ़ आ जाए, प्राकृतिक आपदा आ जाए, जनता संकट और मुसीबत में रहे और तब ये कहें कि नहीं, हम तो वल्लभ भवन में ही बैठकर काम चलाएंगे.
श्री कमलनाथ -- जब भी अतिवृष्टि हुई, मैं वहां गया, ये आपके पीछे एक सदस्य बैठे हैं. उनके ही क्षेत्र में गया और मैं केवल जाता ही नहीं था, मैं वहां निगरानी भी रखता था कि सही मुआवजा मिल जाए. केवल घूमने-फिरने से नहीं होता. ऑफिस में बैठकर काम करने से भी कुछ काम बनता है. ..(व्यवधान)..
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- माननीय मुख्यमंत्री जी, एक निवेदन है. ..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान -- नहीं, सब मत बोलो. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सही मुआवजे का सवाल उठ ही गया है तो मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ इस सदन में कह रहा हूँ, प्राकृतिक आपदा में जो नुकसान हुआ, आपने उसका मुआवजा तक नहीं दिया, 25 प्रतिशत दिया और बाकी पैसा आपने दिया ही नहीं. यह सच्चाई है.सही मुआवजा देने का काम आपने नहीं किया और आप कर्जा माफी की बात करते हों. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सही मुआवजा देने की बात करते हों, पिछले साल प्राकृतिक आपदा, जब आप मुख्यमंत्री थे शायद 4700 करोड़ रुपये के आसपास किसानों को बाँटा जाना था. केवल एक किश्त दी गई थी. उसके बाद जिक्र तक नहीं किया गया और मैंने कर्ज माफी का जो जिक्र किया था, अध्यक्ष महोदय, आपने 7-8 हजार करोड़ के किए और आज मैं आप से कहना चाहता हूँ, आप सही मुआवजे की बात कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, फसल बीमा योजना 2200 करोड़ रुपये प्रीमियम के जमा करने थे, आपने प्रीमियम के जमा नहीं किए और इसके कारण किसानों के 3100 करोड़ नहीं मिले. अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री बनने के बाद कोरोना से निपटने के साथ-साथ पहला काम मैंने यह किया 2200 करोड़ रुपये किसानों के प्रीमियम के हमने जमा किए. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कमल नाथ-- अध्यक्ष महोदय, 2017-18 का प्रीमियम आपने जमा नहीं किया था. मैं कह रहा हूँ मुझे ताज्जुब हुआ कि 2017-18 का प्रीमियम जमा नहीं हुआ था, यह बात मैं बड़ी जिम्मेदारी से कह रहा हूँ.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूँ हमने हमेशा फसल बीमा योजना का पैसा दिया, हमारे मित्र नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ जी जब मुख्यमंत्री थे 2200 करोड़ रुपया उन्होंने नहीं दिया, हमने दिया और उसके कारण 3100 करोड़ रुपये फसल बीमा योजना के किसानों को मिले और 2019 और 2020 की फसल बीमा योजना का भी प्रीमियम जमा करके केवल एक साल में 8800 करोड़ रुपये किसानों के खाते में डाला तो इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने डाला. (मेजों की थपथपाहट) आपकी पूरी कर्जा माफी 8000 करोड़ की और हमने 8800 करोड़ रुपये केवल फसल बीमा योजना की राशि में दे दिया. अध्यक्ष महोदय, उद्यानिकी फसलों की बीमा की राशि हमने 100 करोड़ रुपये अलग से डाली. अध्यक्ष महोदय, सहकारी बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए 800 करोड़ रुपये हमने अलग से खाते में डाल दिया.....
श्री कमलेश्वर पटेल-- खाते में नहीं गया. सिर्फ बटन तक सीमित है आपकी राशि.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं केवल एक बानगी प्रस्तुत कर रहा हूँ उधर कर्जा माफी और इधर देख लो कोरोना काल में किसानों के खाते में हमने कितने पैसे डाले हैं. अब हिसाब किताब पूरा ही हो जाए. अध्यक्ष महोदय, सहकारी बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए 800 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ आपने किसानों की पूरी सूची नहीं भेजी जिसके कारण हरेक किसान के खाते में 6000 रुपये आना था वह नहीं आ पाया. (शेम शेम की आवाज) आपने आधी अधूरी सूची भेजी. हमने पूरी सूची बनाई 78 लाख किसानों की और 78 लाख किसानों के खाते में 5474 करोड़ रुपये आए तो इस सरकार के आने के बाद आए. (मेजों की थपथपाहट) और केवल इतना ही नहीं किया हमने यह भी तय किया कि छः हजार प्रधानमंत्री भेज रहे हैं तो दिल ने कहा शिवराज तू भी तो चौथी बार बना है, डाल चार हजार और (मेजों की थपथपाहट) तो हमने तय किया कि छःहजार वहाँ से आएँगे तो चार हजार हम भी डालेंगे..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- जीतू पटवारी जी, बैठिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- बोलो भैय्या कौन रोक रहा है आपको लेकिन “साफ हम तुमसे आज कहते हैं, सब आपको बद मिजाज कहते हैं.” लेकिन पूरा हिसाब तो हो जाने दें मेरा. खूब बोलेंगे, चिन्ता की बात नहीं है. अब ये मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना, इसके चार हजार रुपये और जा रहे हैं, 750 करोड़ रुपये डाल चुके हैं. कल 400 करोड़ और डालेंगे. मार्च में फिर 400 करोड़ डालेंगे. सालाना लगभग 3200 करोड़ रुपये ये जाएँगे किसान के खाते में..(व्यवधान)..अरे कर्जा लेकर अगर किसान के खाते में डाल रहे हैं तो आपको तकलीफ क्यों हो रही है. अभी पूरा हिसाब देख लो. खरीफ 2020 की फसलों के नुकसान और कीट व्याधि के 1550 करोड़ डाल चुका हूँ और 1550 करोड़ मार्च के महीने में फिर डालूंगा, किसानों के खाते में. (मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, फसल खरीदी का मामला कोरोना काल में 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा तो इस सरकार ने खरीदा, एक-एक दाना खरीदा. धान खरीदी 37 लाख मीट्रिक टन. जब आप मुख्यमंत्री थे दमोह, कटनी, सतना दौरे पर गए तो मंडियों में धान के ढेर लगे थे. किसान रो रहा था कि खरीद ली पर्ची भी दे दी पर उठा ही नहीं रहे हैं, वे आन्दोलन करते घूम रहे थे. हमने धान का एक-एक दाना खरीदा, 37 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी. हमने ज्वार-बाजरा खरीदा, चना खरीदा, सरसों खरीदी. चने में केवल एक जिले में एक हेक्टयर में 19 क्विंटल खरीदने का फैसला हुआ लेकिन बाकी जिले में नहीं, लेकिन हमने सभी जिलों में 20 क्विंटल प्रति हेक्टयर खरीदने का काम किया. सरसों को हमने 1320 किया. 36 हजार करोड़ रुपए फसल खरीदे के किसान के खाते में डाले तो इस सरकार ने डाले. किसानों की खेती के लिए बिजली कनेक्शन में अनुदान 14,804 करोड़ रुपए, शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसान को ऋण 12 हजार करोड़ रुपए, मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना में 6 हजार से अधिक किसानों को अनुदान 65 करोड़ रुपए. एक हेक्टयर भूमि तक के और गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति के 8 लाख किसानों को नि:शुल्क बिजली 4200 करोड़ रुपए. कोरोना काल के 10-11 महीने में 86,493 करोड़ रुपए किसानों के खाते में इस सरकार ने डाले हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोग नाराज क्यों हुए एक तो यह कारण है, दूसरा मैं बताना चाहता हूँ. आप बुरा मत मानिएगा, आपके पास अपने विधायकों से मिलने के लिए टाइम नहीं था. मुझे तो जो उधर से इधर आए हैं उन्होंने बताया है कि कहते थे चलो, चलो. 24 घंटे हैं, 26 घंटे नहीं हैं मेरे पास, ऐसा कहते थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, ठेकेदारों से मिलने के लिए पर्याप्त समय था लेकिन विधायक और मंत्रियों से मिलने के लिए समय नहीं था और हमसे कह रहे हैं कि उधर ले गए, हम क्या करें आ गए तो.
श्री कमल नाथ -- यह मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ अगर कोई विधायक कहे कि मैं मिलना चाहता हूँ तो मैं उनसे जरुर कहता था कि मैं समय पर मिलूंगा. यह नहीं कि मैं टेलीविजन देखता रहता था. मैंने तो आज तक कोई सीरियल नहीं देखा. जिस प्रकार, जिस हालत में आपने सरकार छोड़ी थी, 15 साल बाद उसको सुधारने के लिए, उस वातावरण को सुधारने के लिए, उस सोच को सुधारने के लिए, उस व्यवस्था को सुधारने के लिए मेरे पास भी दिन में 24 घंटे हैं 25 घंटे नहीं हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- लोगों ने आपको ही सुधार दिया. (हंसी)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और देख लीजिए जब भी उधर के सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री खड़े होते थे तो कहते थे कि पैसा ही नहीं है, मामा खा गया, पैसा ही नहीं है, मामा ले गया. क्या कोई औरंगजेब का खजाना था जो मैं ले गया और मेरे पास कहां से आ गया. हमने भी व्यवस्था की. यह तो किसानों के 86 हजार करोड़ रुपए हैं, मैं तो किसानों की पूरी सूची दे दूंगा आपको पढ़ने के लिए क्योंकि पढ़ने में देर लगेगी. इन सभी को कोरोना काल में प्रधानमंत्री आवास योजना, श्रम सिद्धी अभियान, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, शहरी के साथ ग्रामीण, बिजली के बिलों में राहत, स्व-सहायता समूहों का पैसा, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना यह पूरी सूची है. 1 लाख 18 हजार 455 करोड़ रुपया जनता के खाते में डाला है. अध्यक्ष महोदय, मैं कभी नहीं रोया कि खजाना खाली है, पैसा ही नहीं है, अरे नहीं है तो मुख्यमंत्री काहे के और हो तो पैसे की जुगाड़ करो, लेकर आओ और जनता के काम करो.
श्री कमल नाथ -- आप जरुर जुगाड़ कीजिएगा. माननीय मुख्यमंत्री जी यह आंकड़ों का खेल आप भी समझते हैं, मैं भी समझता हूँ. आप जो कहना चाह रहे हैं कि यह मैंने किया यह तो चल ही रहा था. क्या यह सब पिछले साल के बजट में जब हमारी सरकार थी क्या सिफर था. यह भी आप बता दीजिए कि आपके बजट में आपने कितना प्रावधान किया इस पर लंबी चर्चा करना पड़ेगी. मैं यह कहना चाहता हूँ कि इसका निचोड़ यही है कि आपसे आंकड़ों के खेल में जीतना बड़ा मुश्किल है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- दूसरे खेल में भी जीतना मुश्किल है. (हंसी)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल यह निवेदन कर रहा हूं कि गलतियां कहां- कहां हुई हैं. मैं नहीं कहता था उधर मंत्री रहते हुए भी कहते थे कि कौन क्या-क्या करता था. आपने तो संग ही ऐसा बना लिया कि वर्ष 2003 में भी बंटाढार और वर्ष 2020 में भी बंटाढार हम क्या करें? समझे ही नहीं, सुधरे ही नहीं जो आपके सहयोगी थे उनसे प्रेम से मिलना आपने उचित नहीं समझा मैं राजनैतिक प्रतिद्वंदिता की बात ही नहीं कर रहा हूं. हमें तो आपने कह दिया हमारे लोगों पर आरोप लगा दिए लेकिन वह क्यों आए आप उसकी गहराई में नहीं गए. शुरुआत किसने की आप यहां बैठे थे हम वहां बैठे थे और बाद में यह प्रचारित हुआ कि मुख्यमंत्री मेनेजमेंट गुरू हैं वह विधायक ले गए. आप करो तो पुण्य है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष था मैंने उस समय कोई डिवीजन नहीं मांगा था. आपने यही बताने के लिए कि मैं मेनेजमेंट गुरू हूं मेरे दो साथियों को प्रभावित करने की कोशिश की क्या यह नैतिक रूप से उचित था? मैं बार-बार कह रहा था कि मैं डिवीजन नहीं मांग रहा हूं लेकिन आपने इस बात की कोशिश की और तब यह बात आई कि खेल आपने शुरू किया है इसको खत्म हम करेंगे और वह खेल खत्म हुआ.
श्री कमल नाथ-- गोपाल भार्गव जी, आपसे यह बात सुन ली इससे बड़ा कष्ट होता है परंतु कोई बात नहीं यह शुरुआत हमने नहीं की थी, शुरुआत आपने की थी. जब आपने अध्यक्ष के चुनाव में केंडीडेट लगाया. शिवराज जी, मैं तो कहता हूं कि अध्यक्ष के चुनाव में जो यह परम्परा थी यह परम्परा आपने ही तोड़ी और हम साबित करना चाहते थे इसीलिए डिवीजन हुआ. आपको क्यों परेशानी थी आप अपना केंडीडेट वापस कर लेते. मैंने बहुत निवेदन किया था कि यह परम्परा मत तोडि़ए कि अध्यक्ष सरकार का हो और उपाध्यक्ष आपके पक्ष का होना चाहिए लेकिन आपने यह परम्परा तोड़ी. यह बात आपने पहले दिन से शुरू की थी.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी तकलीफ के साथ यह कहता हूं कि हम तो सत्ता छोड़कर चले गए थे. हम तो पांच साल विरोध की राजनीति करना चाहते थे लेकिन आज मुझे आपसे कहना चाहिए आप आगे के लिए भी समझ लें. आपने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को कुचलना शुरू कर दिया. एक जगह नहीं कई जगह यहां हमारे बरसों पुराने कार्यकर्ता नेता मीणा साहब उनकी दुकानें तोड़ दो, ग्वालियर के डॉक्टर भल्ला, कुकरेजा, संजय सत्येन्द्र पाठक क्या स्वर्गीय सत्येन्द्र पाठक जी को आप नहीं जानते थे. राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के वशीभूत तोड़ दो भूपेन्द्र सिंह जी की होटल नपवा दो. मध्यप्रदेश में यह बदले की राजनीति कभी नहीं हुई थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुचलने की कोशिश की गई. हमने तय किया कि कुचलने वाली मानसिकता को हम कुचलेंगे और आज पूरी जिम्मेदारी के साथ में मैं यह कहना चाहता हूं कि मन में बिलकुल यह इच्छा नहीं थी कि जल्द ही कोई सत्ता में लौटे लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन गईं, वातावरण ऐसा बन गया. लोग कुचले जाने लगे, वादे पूरे नहीं हुए, चारो तरफ त्राही-त्राही हुई और यहां तक हुआ कि अधिकारी स्तर पर उच्च पदों की भी (XXX) लगीं और कई जगह चारो तरफ दलाल घूमने लगे. यह परिस्थितियां बनीं.
श्री कमल नाथ-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी, यह जो आप कह रहे हैं बड़ी गंभीर बात कह रहे हैं कि उच्च अधिकारियों की (XXX) लगती थी. मैं यह पूछना चाहता हूं भले ही आप यहां सदन में न बताएं मुझे अलग से बता दें कि कौन सा ऐसा उच्च अधिकारी था जिसकी पोस्टिंग [XX] से हुई. दूसरी बात मैं कुचलने की राजनीति की कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- यह शब्द कार्यवाही से हटा दें.
श्री कमल नाथ-- यहां यह सब आपके सदस्य बैठे हैं अगर इन्होंने कभी भी मेरा ध्यान आकर्षित किया कि ऐसा हो रहा है या मेरे अनजाने में ऐसा हो रहा है तो मैं इसे तुरंत रुकवाता था अगर लोकल लेवल पर होता तो मैं उसे तुरंत रुकवाता था. क्योंकि ऐसी राजनीति का साथ मैंने कभी नहीं दिया और आपके बहुत सारे साथी यहां पर बैठे हैं, मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता हूं, जो इसके गवाह हैं, आप जो ऐसे ही चलते-फिरते इस प्रकार का आरोप लगा रहे हैं, यह बात आपको शोभा नहीं देती है.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझ पर केस लगाया गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरा स्टाफ गिरफ्तार हो गया. 18 लोग जेल में चले गए और ये कह रहे हैं कि किसी एक को भी कुछ नहीं किया.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्यों से निवेदन है कि यह प्रश्न काल नहीं है. प्रश्न करके उत्तर नहीं लेना है. मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं, थोड़ा सुनिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि परिस्थितियां ऐसी बनीं और मुझे आज आश्चर्य होता है कि वर्ष 2018 में कचरे को जनता ने साफ किया, यह आपने कहा लेकिन जिन मेरे साथियों ने, जो आपको छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आये, उन पर आरोप लगाये गये. आखिर वे अपना कैरियर दांव पर लगा कर आये थे, इस्तीफा देकर आये थे और फिर चुनाव के मैदान में गए. मुझे तो इन पर गर्व होता है कि श्री तुलसीराम सिलावट जी, सांवेर विधान सभा में दो-ढाई हजार वोटों से अधिक से न कभी कांग्रेस जीती, न कभी भारतीय जनता पार्टी जीती लेकिन श्री तुलसीराम सिलावट जी 57 हजार वोटों से, वहां से जीत कर आये, आज तक के सारे रिकॉर्ड उन्होंने ध्वस्त कर दिये. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. प्रभुराम चौधरी जी बैठे हैं. सांची में कभी दो-तीन हजार वोटों से ज्यादा की जीत नहीं होती थी. ये सांची से 63800 रिकॉर्ड वोटों से जीत कर आये हैं. ये श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, दादा श्री बिसाहूलाल सिंह, श्री गोविंद सिंह राजपूत, श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया बैठे हैं. ये लोग 53-53 हजार वोटों से जीत कर आये हैं. ये डंग साहब, सवा लाख से एक लड़ाऊं. ये सरदार डटा रहा, बेंगलुरू में भी डटा रहा कि चाहे कुछ हो जाये. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ.गोविन्द सिंह- मुख्यमंत्री जी, ये सब मशीनों का खेल है. जो आप यहां गिना रहे हो.
श्री शिवराज सिंह चौहान- यह तो बिल्कुल फेयर नहीं है.
श्री कमल नाथ- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे पता नहीं है कि किस मजबूरी में आपको यह सब बोलना पड़ रहा है. यह भी तो एक मजबूरी होती है क्योंकि आपको भी आगे सरकार चलानी है परंतु सावधान रहियेगा, इन्होंने तो पहले दिन से यह खेल शुरू कर दिया था इसलिए मैं आपको सावधान कर रहा हूं, मैं आपका हितैषी हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- ''नफरतों के तीर खाकर, दोस्तों के शहर में,
तुमको किस-किस ने है मारा, ये कहानी फिर कभी.''
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दिल से सचमुच में कह रहा हूं कि आपने इन हीरों की पहचान नहीं की. मैं इनके साथ काम कर रहा हूं.
(मेजों की थपथपाहट)
श्री कमल नाथ- आपने 8 महीनों में पहचान कर ली ? बहुत खुशी की बात है.
श्री शिवराज सिंह चौहान- मैं तो काम के आधार पर कह रहा हूं. दिन और रात हमारी टीम मिलकर काम में लगी हुई है.
श्री कमल नाथ- हम तो 30 साल से पहचान रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- नीलम का हीरा आपके बगल में है. नीलम से ज़रा संभल कर रहियेगा. यह बहुत जल्दी असर करता है. फायदा भी करता है और एक ही झटके में नुकसान भी करता है. खर्चा किसी का हुआ और फायदा किसी और ने ले लिया.
श्री शिवराज सिंह चौहान- यह हीरा भी बड़ा अनमोल है. आज आपने पूछ लिया तो मैं बताता हूं कि यह हीरा मेरे साथ आज से नहीं है, यह हीरा मेरे साथ 1990 से है और हर कदम पर हम लोग साथ मिलकर चले हैं. आप गलतफ़हमी में मत रहियेगा क्योंकि यह गलतफ़हमी में डालने में भी माहिर है.
श्री कमल नाथ- चलिये, हमें खुशी है कि आपने सर्टिफिकेट तो दे दिया.
श्री पी.सी.शर्मा- हीरों का कोई भरोसा नहीं होता है.
श्री शिवराज सिंह चौहान- यह हीरा भी है और हीरो भी है. दिखने में भी, हीरो से कोई कम है क्या ?
श्री गोपाल भार्गव- ''यह नए मिजा़ज का शहर है, ज़रा फासले से मिला करो, कोई हाथ भी न मिलायेगा, जो मिलोगे तपाक से.''
श्री शिवराज सिंह चौहान- यह भी जबर्दस्त हीरा है. हमारे पास हीरों की कमी है क्या ? माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय नेता प्रतिपक्ष यह कह रहे थे कि वर्ष 2018 का भी कुछ बता दो. 15 साल आपने सरकार चलाई, उसकी कुछ कहानी बता दो. यहां बहुत लोगों ने बहुत ही जिम्मेदारी के साथ अपनी बात कही है लेकिन कुछ मित्रों ने कहा कि 15 साल में क्या हुआ ? समृद्ध मध्यप्रदेश, विकसित मध्यप्रदेश, स्वर्णिम मध्यप्रदेश, अब मैं आपको बताना चाहता हूं कि हां हमने समृद्ध बनाया कैसे, जब 2003 में कांग्रेस सरकार छोड़ कर गयी थी तो गड्डों में सड़क थी कि सड़क में गड्डा था कि गड्मगड्डा था, पता ही नहीं चलता था. हमने 2 लाख किलोमीटर शानदाद सड़कें बनाकर मध्यप्रदेश को दी. आप जानते हैं कि शानदार सड़कों का जाल बिछाया, क्या मध्यप्रदेश की समृद्धि की प्रतीक नहीं बनी.
श्री लक्ष्मण सिंह(चाचौड़ा) :- सभापति महोदय, 2003-2003 बंटाढार सुनते-सुनते सबके कान पक गये हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- नहीं पूछा मुझसे.
श्री लक्ष्मण सिंह :- आज तक दिग्विजय सिंह जी ने जो योजनाएं शुरू की थीं, जल संग्रहण मिशन यह सब आपने आज तक चालू क्यों रखी हैं, बंद कर दीजिये. उनकी योजनाएं जो हैं, गरीब वर्ग को उठाने के लिये, पंचायत राज को मजबूत करने के लिये जो योजनाएं थीं उनको आपने तहस-नहस कर दिया है, पंचायतों में क्या हाल है वह आप भी जानते हैं, हम भी जानते हैं. एक दिन चर्चा मांग कर उस पर पूरी चर्चा कर लेते हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- जरूर-जरूर चर्चा कर करेंगे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव:- इसीलिये माननीय लक्ष्मण सिंह जी 2004 में भाजपा में आये थे. भारतीय जनता पार्टी से मेरे क्षेत्र से चुनाव लड़े थे.
श्री कुणाल चौधरी:- यह अमेरिका से ही अच्छी सड़कों पर सीधी के अन्दर 54 मौतें हुई हैं, यह अमेरिका से अच्छी सड़कें थीं. यह उसी का नतीजा है. (व्यवधान).
श्री रामेश्वर शर्मा:- कभी तो देश का सम्मान कर लिया करो. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- रामेश्वर जी बैठ जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- मैं यह तो केवल निवेदन कर रहा था, क्योंकि मुझसे पूछा गया कि आपने क्या किया. पहले बिजली चार-चार घण्टे मिलती थी यह सारा सदन जानता है. लेकिन हमने मध्यप्रदेश की जनता को 24 घण्टे बिजली देने का घरों में चमत्कार किया. मैं उसके विस्तार में नहीं जा रहा हूं.
श्री उमंग सिंघार(गंधवानी):- (xxx) कि 24 घण्टे बिजली मिल रही है. आप लोग बोलते क्यों नहीं है( कांग्रेस पक्ष के सदस्यों की ओर इंगित होते हुए) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- यह शब्द हटा दीजिये. (व्यवधान)
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र):- अध्यक्ष जी, फिर यह (XXX) आ जायेगी, फिर बहुत (XXX) आ जायेगी. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये, आप सब लोग बैठ जाइये.(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष जी, आप आसंदी पर विराजमान हो, फिर (XXX) आयेगी. (व्यवधान) अध्यक्ष जी, यह धमकाने का तरीका नहीं होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्य आप बैठ जाइये.(व्यवधान)
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- देखिये, यह धमकाने का तरीका नही होना चाहिये, यह सुनने का साहस करें. .(व्यवधान)
श्री जितु पटवारी:- यह दिक्कत कैसी आयेगी, इसका मतलब क्या है.(व्यवधान) (XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष जी, यह सुनने का साहस पैदा करें. नेता प्रतिपक्ष जी, आप देखिये यह गलत तरीका है. हमने आपको सुना है हम आपको बोलने नहीं देंगे. (व्यवधान) हम फिर ऐसे किसी को भी बोलने नहीं देंगे. (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष( श्री कमल नाथ):- मेरा मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि वह बीती हुई बातों को छोड़ें और आगे की बातें आप सदन को बतायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से कहना चाहता हूं कि आप आत्म निर्भर ले आये और समृद्ध का क्या हुआ तो मैं उसी का हिसाब दे रहा था. सिंचाई साढ़े सात लाख हेक्टेयर से बढ़कर 41 लाख हेक्टेयर हो गयी, अब मुझे यह बताना पड़ेगा. आप अच्छी तरह जानते हैं की जब नर्मदा और क्षिप्रा को जब उस काल में जोड़ने की बात आयी थी तो उस समय 2003 के पहले की सरकार थी, तब यह कहा गया था कि यह असंभव है, नहीं हो सकता है. हमने नर्मदा जी, क्षिप्रा जी जोड़ी, हमने नर्मदा जी गंभीर जोड़ी और कालीसिंध जोड़ने पर काम चल रहा है. उस काम को आपने भी जारी रखा. पार्वती नदी को भी जोड़ने की कोशिश की, हमने सिंचाई की अप्रत्याशित व्यवस्थाएं की, आप जानते हैं. मैं कृषि के क्षेत्र में बहुत विस्तार में नहीं जाऊंगा नहीं तो आप कहेंगे कि पुरानी बातें करने लगे, कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में चमत्कार हुआ, मैं पूरे आंकड़े बता सकता हूं लेकिन मैं आंकड़ों में नहीं जाऊंगा कि कितने गुना उत्पादन बढ़ा है. मध्यप्रदेश में पहले कितनी सिंचाई थीं, अब कितनी सिंचाई है, पहले कितना गेहूं पैदा होता था अब कितना गेहूं पैदा होता है, बाकि फसलें कितनी पैदा होती हैं. मैं आपको एक-एक आंकड़ा बता सकता हूं लेकिन कृषि के क्षेत्र का सवाल हो, महिलाओं के मामले में, मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहना चाहूंगा और मुझे कहते हुए गर्व है कि लाडली लक्ष्मी योजना से लेकर अब पहली बार मध्यप्रदेश में हमारी बहिनों एवं बेटियों को 50 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय निकाय के चुनावों में किसी ने दिया है, वह मध्यप्रदेश है. यह हमने तय किया है कि शासकीय भर्तियों में 33 प्रतिशत भर्ती होगी तो बेटियों की होगी. उस समय पुलिस में भी इसका बहुत विरोध हुआ था. अगर पुलिस में भी भर्ती होगी तो बेटियों की 30 प्रतिशत बेटियों की भर्ती होगी, यह भी हमने तय किया कि बेटी पैदा हो तो लाड़ली लक्ष्मी, स्कूल जाये तो किताबें, दूसरे गांव जाये तो सायकिल. बारहवीं में प्रथम श्रेणी में पास हो जाये तो गांव की बेटी कहलाये. कालेज की पढ़ाई के लिये हर साल पांच हजार रूपये और पाये. हमने विवाह की योजना बनायी मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता. एक नहीं अनेकों कदम जन्म लेने से लेकर अंतिम सांस तक बहिन बेटियों और मां के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. हमने गरीबों के लिये संबल जैसी योजना बनायी मैं उसके विस्तार में भी नहीं जा रहा हूं. संबल योजना आपने बंद करवा दी फिर कहने लगे कि हम तो नया सवेरा ले आये. संबल के बने बनाये कार्ड थे उसमें मेरा फोटो था, क्योंकि तब मैं मुख्यमंत्री था उन्होंने कहा कि इसको पटक दो इसमें तो इनका फोटो है. मेरे फोटो के कार्ड हटवा सकते हैं जनता के दिलों से शिवराज सिंह चौहान को कभी नहीं निकाल सकते हैं. फोटो का मलाल नहीं है, फोटो तो आते जाते रहते हैं लेकिन संबल में से कई नाम कटवा दिये और कह दिया कि हम नया सवेरा लायेंगे मेरे पास पूरी सूची है जो योजना आपने बंद की थी.
श्री बाला बच्चन--माननीय मुख्यमंत्री जी जो बैंगलोर वाले उधर बैठे हैं सबसे ज्यादा फोटो का विरोध वही कर रहे थे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी के पास श्रम मंत्रालय के लिये समय ही नहीं था.
श्री प्रियव्रत सिंह--सिसोदिया जी असत्य तो मत कहो (xx) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--यह शब्द विलोपित.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, संबल योजना में थोड़ी विसंगति थी उसको हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने उसको दूर किया उस योजना को बंद नहीं किया लेकिन आपने उस योजना को बंद किया.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने ग्रामीण विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी. पंच परमेश्मर योजना बनायी माननीय गोपाल भार्गव जी बैठे हैं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी आप भविष्य में थोड़ा ध्यान रखना बहुत जल्द जैसा इधर किया है उधर भी करने वाले हैं. तैयारी शुरू हो चुकी है. 1857 की क्रांति को कोई भूले नहीं हैं. 164 साल के बाद भी बोल रहे हैं कि खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.
अध्यक्ष महोदय--बाला बच्चन जी आप माननीय मुख्यमंत्री जी को पूरा करने दीजिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना बंद हो गई हमने शुरू की थी गरीबों के लिये मेघावी विद्यार्थियों को पढ़ने के लिये संबल के अंतर्गत भी हमने प्रावधान किया था उसमें मेघावी बच्चों को लेपटॉप देते थे. अब इतनी गरीब सरकार नहीं थी कि लेपटॉप मामा के भांजों को बंद कर दिया.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शायद आपको इसमें जानकारी न हो जब मैंने सूची देखी कि किन किन को लेपटॉप मिला उसको मैंने चेक किया कि कागज में तो लिखा है कि लेपटॉप मिला जब बच्चों से चेक किया कि आपको लेपटॉप मिला तो उन्होंने कहा कि कोई लेपटॉप नहीं मिला. मैंने कहा कि यह तो लेपटॉप देने की योजना नहीं थी लेपटॉप खरीदने की योजना थी.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लेपटॉप के लिये बच्चों के खाते में 25 हजार रूपये डालते थे ताकि बच्चे अपनी मनपसंद का लेपटॉप ले सकें लेपटॉप की खरीदी के चक्कर में कौन पड़े सरकार को नहीं पड़ना चाहिये इसका हमने सोचा था उसमें डीवीटी करें इसलिये पहले सायकिल के पैसे भी उनके खाते में डालना शुरू किये थे और बाद में उनके लेपटॉप के पैसे बच्चों के खातों में डालना हमने शुरू कर दिया ताकि वह लेपटॉप खरीदें. अच्छा वह तो बंद कर दी कोई बात नहीं. मामा के कारण भांजों से नाराज हो गये होंगे आप, लेकिन एक आहार अनुदान योजना थी जो बैगा, भारिया तथा स.हरिया बहिनों को दी जाती थी हमने यह योजना गरीबों के लिये आदिवासी भाईयों तथा बेटे बेटियों के लिये चालू की थी. आपने आहार अनुदान योजना भी बंद कर दी.
श्री महेन्द्र सिंह ससौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, हर बार मैंने केबीनेट में मैंने मुख्यमंत्री जी को कहा कि गरीब सहरिया, मोगिया परिवारों को पोषण आहार का एक हजार रूपए मिलना चाहिए, 10 महीने तक कोई सुनवाई नहीं हुई और वहीं माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने बैठते ही उसको पूरा किया.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा था कि हमने ग्रामीण विकास के लिए..
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय मुख्यमंत्री जी आप बहनों की बात बार बार कर रहे हैं तो आज के समय में रोज एक दिन ऐसा नहीं जाता, बहनें तो छोड़ो छोटी छोटी भांजियों के ऊपर जो अत्याचार हो रहे हैं(...व्यवधान) उसकी भी तो चर्चा किया करें कि सरकार उस पर क्या करने जा रही है. (...व्यवधान) एक दिन ऐसा नहीं जा रहा जब बहनों को छोड़कर छोटी छोटी बच्चियों पर अत्याचार हो रहे हैं. (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय बहुत संवेदनशील है इसको इधर की और उधर की सरकारों से न जोड़ा जाए. हम जानते हैं. अगर एक भी बेटी के साथ अन्याय होता है तो वह सारी सरकार और समाज के लिए शर्मनाक है और आप इधर और उधर में बांटकर देखते हैं. जब आप मुख्यमंत्री थे इसी भोपाल की मनुआभान टेकरी पर बेटी के साथ रेप हुआ और कुचल-कुचलकर हत्या कर दी गई. झुग्गी झोपड़ी में रेप हुआ कुचलकर हत्या कर दी गई. इसको इधर और उधर के नजरिए से न देखें. (...व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं सरकार की बात नहीं कर रही हूं. मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि आप मुख्यमंत्री हैं एक दिन ऐसा नहीं जाता जब महिलाओं को छोड़ों, बच्चियों के साथ जब घटनाएं नहीं हो रही हो, अभी तत्कालीन घटना भोपाल के अंदर एक बच्ची के साथ घटना हुई, शहडोल के अंदर घटना हुई, उसके ऊपर भी तो ध्यान दीजिए. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - (विपक्ष के सदस्यों द्वारा टोकाटाकी करने पर)माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, कल जो तय हुआ था, उसी के हिसाब से सदन चलने दीजिए. कल ये तय हुआ था कि टोकाटाकी नहीं होगी. कृपया निर्देशित करें कि टोकाटाकी नहीं करें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - मैं भी निवेदन कर लूं. मैं अपनी बात पूरी कर लूं, लोकतंत्र में स्वस्थ बहस होती है, इसमें बुरा लगने का सवाल नहीं है, आपको लगता है कोई बात है तो बाद में उत्तर दे दीजिए. लेकिन बीच बीच में रोका टोकी में, मैं समझता हूं मेरा आधे से ज्यादा समय तो इसी में चला जाएगा. अब बीच में कोई बात आती है तो मैं उसका जवाब देने लगता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यही सरकार थी जिसने तय किया था कि मासूम बिटियों के साथ यदि दुराचार होगा तो सीधे फांसी की सजा होगी(...मेजों की थपथपाहट) और बहन जी ने पूछा इसलिए बताना चाहता हूं कि 74 प्रकरणों में न्यायालय ने मृत्युदंड की सजा दी है और 24 प्रकरण माननीय उच्चतम न्यायालय में अपील स्तर पर लंबित है. सरकार इधर की हो या उधर की हो इस तरह की घटनांए दुर्भाग्यपूर्ण है, शर्मनाक है, उनको रोकने के लिए पूरी तत्परता के साथ कार्यवाही होनी चाहिए और हम भी कोई कसर नहीं छोडेंगे. कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं सारी सतर्कता के बाद भी होती है, हम जानते हैं. आप भी दिल पर हाथ रखकर सोचेंगे तो इस तरह की घटनाओं को पूरी तरह रोकना कई बार संभव नहीं होता, चाहकर भी संभव नहीं होता, लेकिन इस मामले में हम पूरी तरह से गंभीर है. मैं कोई 2018 की विस्तार से बात नहीं करना चाहता हूं, लेकिन मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि हमने मध्यप्रदेश को जहां था, 15 साल में हम काफी आगे मध्यप्रदेश को ले गए, चाहे बिजली, पानी, सड़क का मामला हो, ग्रामीण विकास का मामला हो, शहरी विकास का मामला हो. अगर शहरी विकास के मामले देखें तो कस्बा जैसे हमारे शहर हुआ करते थे, वहां सड़कों का निर्माण, पार्कों का निर्माण, यहां तक कि पहली बार हमने योजना बनाई शहरों में मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना, नहीं तो छोटे छोटे शहर पीने के पाने के लिए तरसते थे, उन पर हमने तेजी से काम किया. मैं बहुत विस्तार में उसके नहीं जा रहा हूं. आपने कहा था कि इन्वेस्टमेंट का क्या हुआ? इन्वेस्टमेंट हुआ था, लगभग 2 लाख करोड़ रूपए का इन्वेस्टमेंट हमारे समय में आया. यह बात सही है कि हम प्रयास बहुत करते हैं कई बार उसका आउटपुट कम निकलता है और इन्वेस्ट जैसे मामले में माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से मैं कहना चाहता हूं, माननीय अध्यक्ष जी हमने कभी राजनीति नहीं की. जब आप मुख्यमंत्री थे इंदौर में आपने समिट किया था, मेरे पास उस समय भी पत्रकार पूछने आए थे कि समिट हो रही इससे क्या फायदा होगा. मैंने साफ कहा था कि मैं समिट का स्वागत करता हूं, मध्यप्रदेश में अगर कोई बाहर का इन्वेस्टर आ रहा है तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस नहीं होगी, पूरा मध्यप्रदेश को स्वागत करना चाहिए, इसलिए इन्वेस्टमेंट समिट का स्वागत है. जब भी ऐसे मामले आए, प्रदेश के हित के हमने कभी राजनीति नहीं की. हमने कोशिश की है कि मध्यप्रदेश का उसमें फायदा हो, मध्यप्रदेश का लाभ हो, अब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम मध्यप्रदेश को समृद्ध और विकसित बनाने के रास्ते पर ले गये. अब सवाल यह खड़ा हुआ कि इसमें आत्मनिर्भर कहां से आ गया ? लक्ष्मण सिंह जी बहुत विद्वान और गंभीर सदस्य हैं और वे सदन का संचालन भी बहुत कुशलता के साथ करते हैं. हमारे किसी और मित्र ने भी यह कहा था कि यह आत्मनिर्भर, समृद्ध प्रदेश कैसे आया ? मेरे भाई यह विकास की यात्रा कभी रुकने वाली नहीं है. हम कल आगे बढ़ेंगे तो और आगे की यात्रा हमको करनी पड़ेगी, उससे आगे बढ़कर अब मैंने कहा है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की यात्रा. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने बार-बार कहा कि आगे क्या ? मैं आगे बताना चाहता हूँ और पूरी जिम्मेदारी के साथ बताना चाहता हूँ और केवल बताना ही नहीं चाहता हूँ. मैं अपने आपको सदन में बताकर बांधना भी चाहता हूँ कि कल आप सवाल पूछें. मैं नहीं कहता कि मैं जो कह रहा हूँ, वह सब कर दूँगा. हम कोशिश करें, प्रयास करेंगे. हम प्रयास किस दिशा में करेंगे, वह आज मैं निवेदन करना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मनुष्य जीवन में आखिर क्या चाहता है ? एक इच्छा सभी की होती है कि वह सुखी जिये, पर यहां अलग-अलग विचारधाराओं का उद्भव हुआ है तो वह इसलिए हुआ है कि मनुष्य को हम कैसे सुखी कर सकते हैं, जनता को हम कैसे सुखी कर सकते हैं. जितनी भी राजनीतिक विचारधाराओं का उदय हुआ है कि मनुष्य सुखी कैसे रहे ? अनेक तरह की विचारधारा पश्चिम की देन है. किसी ने यह कहा है कि मनुष्य साढ़े 3 हाथ का हाड़-मांस का पुतला है. इसको भोजन दे दो, घर दे दो, कपड़ा, मकान, रोटी यदि यह सब मिल जाये तो मनुष्य सुखी हो जायेगा. हमारे यहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने भी कहा कि मनुष्य शरीर है, शरीर का सुख चाहिए, 'शरीर माध्यम, खलु धर्म साधनम'. जो बुनियादी आवश्यकता है, वह पूरी होनी चाहिए. जो आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप हमने तैयार किया है, उसमें सबसे पहला अगर कोई हमारा बिन्दु है तो यही है कि मनुष्य की आम आदमी की और विशेषकर गरीब की बुनियादी आवश्यकताओं को हम पूरा करने का काम करें. यह बुनियादी आवश्यकताएं क्या हैं ? रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई, लिखाई, दवाई और रोजगार का इन्तजाम. अब रोटी के लिए आप भी उस योजना को चलाते रहे. एक रुपये किलो गेहूँ अगर देने का काम किया, क्या हमारे किसी मित्र ने सवाल उठाया ? इतने लोगों को एक रुपये किलो गेहूँ दे रहे हो. हां, हम दे रहे हैं. हां, 5 करोड़ कुछ लाख लोग हैं. जिनको दिया जा रहा है और जो छूटे थे, बिसाहूलाल सिंह जी यहां बैठे हैं. आपने इनकी भी सही कद्र नहीं की. बिसाहूलाल जी हमारे खाद्य मंत्री हैं. हमने तय किया है कि 37 लाख वे गरीब लोग जिनके नाम एक रुपये की सूची में नहीं थे, पात्रतापर्चियां बनाकर उनको पात्रता पर्ची दी और उनको हमने अनाज देना प्रारंभ किया. गरीबों को ....
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष महोदय, आपसे माफी चाहता हूँ. नरोत्तम जी, बिसाहूलाल जी की तो आपने क्या गत की है ? ये जानें, मैं जानूँ, बिसाहूलाल जी जानें. आप इनकी कद्र की बात तो छोड़ ही दो.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - वे मेरे बड़े भाई हैं, कोई गत नहीं की. हम दोनों साथ-साथ आए थे, साथ-साथ गए. आप लोग आए थे.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, यह सवाल बार-बार उठता है कि फिर इतने गरीब हैं क्या. देखिये, हम लोग कोशिश यह करते हैं कि गरीब की पूरी ऊर्जा मेहनत और मजदूरी केवल एक दिन की रोटी में कम न हो जाये और इसलिए उसको सस्ता राशन देंगे. एक दिन की मजदूरी में महीने भर का राशन आ जाये तो 29 दिन की मजदूरी में वह अपना बाकी काम कर पायेगा. वह कपड़े खरीदेगा, बर्तन खरीदेगा एवं दूसरी चीजें करेगा और इसलिए रोटी की व्यवस्था होनी चाहिए. मकान में मामले में, मैं फिर निवेदन करना चाहता हूँ हम लोगों का संकल्प है- आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश. हमारी कोशिश होगी कि कोई गरीब बिना छत के न रहे, सबको मकान मिले, आपके समय भी प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान आते थे लेकिन हम जानते हैं कि उसमें 2 लाख आपने उसमें कम कर किये थे, 8 लाख आये थे, 6 लाख मकान बने लेकिन मकान बनाने का यह सिलसिला चाहे शहरी गरीब हों, चाहे ग्रामीण गरीब हों, उसके लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में लगातार जारी रहेगा और हम तब तक करते रहेंगे, जब तक हर गरीब को छत न मिल जाये. सन् 2011 का मामला आया था, आपमें से किसी मेरे साथी ने यह उठाया था. अब 2011 के अलावा भी फिर से सर्वे हो रहा है, उस सर्वे के हिसाब से जिनकी पात्रता आयेगी.
श्री रामचंद्र दांगी - शहरी आवास में ढाई लाख रुपया और गांव में डेढ़ लाख रुपया.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, जैसी पात्रता होगी, उसको मकान देने का प्रयास किया जायेगा और मकान केवल मकान नहीं हैं. मकान के साथ शौचालय भी हो और मकान में प्रधानमंत्री जी की कृपा से उज्जवला रसोई गैस का कनेक्शन भी हो, गांव में कनेक्टिविटी भी बेहतर हो, उसकी हम लगातार कोशिश करेंगे. गांव की कनेक्टिविटी के बारे में कल शायद श्री हीरालाल जी ने कहा था कि कई आदिवासी टोले-मजरे जुड़े हुए नहीं हैं. अरे जितने भी जुड़े हैं चाहे धार जिले में देख लो, झाबुआ जिले में देख लो, वह हमने ही जोड़े थे, और बाकी भी जो बचे हैं तो उनको जोड़ने का काम यही भारतीय जनता पार्टी की सरकार करेगी (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, तीसरी बहुत महत्वपूर्ण चीज होती है, बच्चों की पढ़ाई. मैं बहुत विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि बच्चों की पढ़ाई के लिये जो शिक्षा की व्यवस्था है, उसमें बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है. अभी जो भारत सरकार की नई शिक्षा नीति आई है, उस शिक्षा नीति में छठवीं क्लास से व्यावसायिक शिक्षा की बात कही गई है. मैं यह नहीं कहता हूं कि सब बच्चों को हम वह छठवीं क्लास से दे ही देंगे, लेकिन उस दिशा में हम गंभीर कदम उठायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी हमारी प्रतिबद्धता है, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और बाकी प्रतिपक्ष के मित्रों के साथ-साथ मैं अपने मित्रों को कहना चाहता हूं, मित्र तो आप भी हैं, मैं अपने पक्ष के साथियों को कहना चाहता हूं कि हमारी कोशिश यह रहेगी कि धन के अभाव में किसी गरीब का बेटा-बेटी बिना पढ़े लिखे न रहे, संबल उसका सही अर्थों में संबल बनेगी, यह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में हम करने का पूरा प्रयास करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सी.एम.राइज स्कूल की बात आई. देखिये हमको एक नई कल्पना करना पड़ेगी. एक गलती ओर हुई, मैं तीखी आलोचना नहीं करूंगा लेकिन एक गलती हुई थी, जब वर्ष 2003 के पहले की सरकार थी, तब उसने शिक्षा की पूरी व्यवस्था को चौपट कर दिया था, शिक्षाकर्मी, गुरूजी, अलग-अलग इतने कैडर बन गये. गांव के ही कोई देख लो, उसी गांव में कोई पढ़ा-लिखा, सचमुच में उसे नुकसान हुआ..
(..व्यवधान..)
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय मुख्यमंत्री जी एक आग्रह है, पूरा प्रदेश का युवा देख रहा है, भविष्य का क्या होगा ? भविष्य और भूत में हो गया, वर्तमान में क्या होगा ? रोजगार का क्या होगा ? युवा मंहगाई पर क्या होगा ? इस पर चर्चा चाहता है. एक भी न तो उस पर लब्बोलुबाब आ रहा है, पूरी चर्चा के अंदर माननीय मुख्यमंत्री जी बेरोजगार का क्या होगा?(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- (व्यवधान..) माननीय सदस्य आप बैठ जायें,(एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने अपने आसन से कुछ कहने पर) आप सभी बैठ जायें, माननीय सदस्य आप बैठ जायें. (व्यवधान..)आप सभी बैठ जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने एक कल्पना की है, जिसको हम साकार रूप देंगे और वह है सी.एम.राइज स्कूल की कल्पना. कई बार हमारे अनुसूचित जनजाति के मित्रों ने कहा कि आप फलाने स्कूल बंद कर रहे हो, आप डिमका स्कूल बंद कर रहे हो. आज जिम्मेदारी के साथ मैं इस सदन में कह रहा हूं कि यह भ्रम फैलाने का काम मत कीजिये, न तो अनुसूचित जनजाति विभाग के जो स्कूल थे, वह बंद किये जा रहे हैं और न ही कोई ओर स्कूल बंद किया जा रहा है. (मेजों की थपथपाहट) यह देखिये भ्रम फैलाने का काम मत कीजिये. आपने पहले आरक्षण के मामले में भ्रम फैलाया. उसके बाद दूसरा यह भारतीय जनता पार्टी वाले स्कूल बंद कर देंगे, इसका कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मुख्यमंत्री जी, इसमें आदिमजाति कल्याण विभाग ने पत्र जारी कर दिया है. मैंने कल कोड किया है, पांच हजार स्कूल आदिम जाति कल्याण क्षेत्र के हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी यह आपकी जानकारी में है और आदेश भी जारी हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय -- वह इसका जवाब दे रहे हैं, आप बैठ जायें. यह प्रश्नकाल नहीं है श्री बाला बच्चन जी आप बैठ जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कई तरह के विचार विमर्श होते हैं, लेकिन सदन के नेता के नाते मैं आश्वस्त कर रहा हूं कि कोई भी स्कूल अभी बंद नहीं किया जायेगा. (मेजों की थपथपाहट) एक मिनट बात पूरी सुन लीजिये,(श्री सज्जन सिंह वर्मा, सदस्य द्वारा अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) आप मेरी पूरी बात सुने लें महाराज, आप सज्जन जी बहुत सज्जन हो यार. हमने कल्पना की है, हमने कल्पना यह की है कि हम 20-25 किलोमीटर के दायरे में एक बहुत उत्कृष्ट स्कूल खोलें, वहां दस हजार बच्चे पढ़ें, वहां आठ हजार बच्चे पढ़ें, वहां स्कूल का भवन हो, वहां लैब हो, वहां लाइब्रेरी हो, वहां प्ले ग्राउंड हो, वहां शिक्षकों की पूरी व्यवस्था हो, बिना कोई स्कूल बंद किये हम कोशिश करेंगे कि उस स्कूल में बच्चे आयें और उन्हें लाने के लिये हम बसों की व्यवस्था करेंगे, परिवहन की व्यवस्था करेंगे. देखो अच्छी शिक्षा की चाह में प्रायवेट स्कूलों में कहां-कहां से बच्चों को लेकर माता पिता स्कूल में भेजते हैं. हम सरकारी स्कूल ऐसे बनायेंगे और जब उन स्कूलों में बच्चे पढ़ेंगे, तब उसके बाद अगर कहीं यह लगेगा कि कहीं किसी स्कूल के दो किलोमीटर दूर प्रायमेरी स्कूल की जरूरत नहीं है, तब विचार करेंगे लेकिन कोई स्कूल न तो आदिमजाति कल्याण का, न ही कोई जनरल स्कूल, कोई स्कूल बंद नहीं किया जायेगा. यह प्रयोग हम कर रहे हैं. अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो हम बेहतर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जहां विज्ञान के टीचर भी हों, जहां गणित के टीचर भी हों, जहां अग्रेंजी के टीचर भी हों और मैं यह कहना चाहता हूं कि मात्र भाषा में अपनी शिक्षा होना चाहिये लेकिन अग्रेंजी के ज्ञान से भी अब मध्यप्रदेश के बच्चे वंचित नहीं रहना चाहिये क्योंकि कैरियर में कई बार यह अग्रेंजी ही बाधा बन जाती है और इसलिये शिक्षा की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है. मैं नहीं कह रहा कि एक दिन में हम खोल देंगे. अभी हमने 9 हजार 200 की 3 साल की योजना बनाई है. धीरे-धीरे हम उस दिशा में बढ़ने का काम करेंगे ताकि बच्चों को हम ठीक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कोशिश कर सकें और इसमें मैं आपका सहयोग चाहूंगा, आपका साथ भी चाहूंगा, आखिर हमारे बच्चे हैं. हम सब लोग मिलकर काम करने का प्रयास करेंगे. शिक्षा के साथ-साथ एक है इलाज का मामला, स्वास्थ के क्षेत्र में, मैं मानता हूं. हृदय से मानता हूं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्वाइंट आफ आर्डर है.
अध्यक्ष महोदय-- कोई प्वाइंट ऑफ आर्डर नहीं. आप बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ के क्षेत्र में अभी काम करने की बहुत आवश्यकता है. कल हमारे मित्रों ने कहा मैं दोहराना नहीं चाहता, कितने नये मेडीकल कॉलेज हमने खोले हैं, यह मेडीकल कॉलेज नये खुलेंगे, इनके अलावा भी, अरे हम ऐसे नहीं हैं, हमने यह देखा था कि हमने छतरपुर में भूमि पूजन किया, हमारा मेडीकल कॉलेज गायब हो गया. हमने सिवनी में भूमिपूजन किया, सिवनी का मेडीकल कॉलेज हमारा गायब हो गया. मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा, लेकिन हमारा भूमिपूजन किया गया धरा रहा, पता नहीं पैसा कहां चला गया, मैं नहीं कहूंगा कि छिंदवाड़ा में गया, वहां भी विकास का काम होना चाहिये छिंदवाड़ा भी तो अपना है, वहां भी विकास का काम होना चाहिये. ...(व्यवधान)...
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगी, मेरा महेश्वर क्यों काट दिया. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- नहीं, हमने कहीं नहीं काटा. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- विजय लक्ष्मी जी, बैठ जाइये, तरूण जी आप भी बैठ जाइये. ...(व्यवधान)... जब सदन के नेता खड़े हों तो बैठ जाना चाहिये, फिर कोई बात कहनी हो तो हमारी तरफ से आदेश लीजिये न, कोई दिक्कत नहीं.
एक माननीय सदस्य-- आप समय देते कहां हैं.
अध्यक्ष महोदय-- इसमें तय हो गया है, इसमें किसी तरह का समय देने का औचित्य ही नहीं है क्योंकि आप सब ने ही तय किया है न, आप सबने मिलकर के तय किया कि नेता प्रतिपक्ष को बिना टोकाटाकी के बोलने का अवसर दिया जायेगा, वह दिया गया, ...(व्यवधान)... उससे ज्यादा आपने 10 बार टोक लिया. तरूण जी बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- तरूण जी, अलग से मिल लेना.
श्री तरूण भनोत-- एक आर्डर जारी हो जाये कि जो हमारे मिडिल क्लास के बच्चे हैं उनके बारे में भी सोचें कि उनके स्कूल की फीस अगर वह नहीं भर पा रहे हैं तो उन्हें परीक्षा से वंचित न किया जाये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने शिक्षा की बात की है, कोरोना काल में प्राइवेट स्कूल भी बंद रहे, समस्यायें दोनों तरह की आईं, एक प्राइवेट स्कूल की तरफ से यह बात आती थी कि हम तनख्वाह कैसे बांटे, हमने आदेश जारी कर दिया था कि केवल ट्यूशन फीस ले पायेंगे. अब मुझे यह शिकायतें मिलीं कि कई जगह बच्चों से परीक्षा के समय पूरी फीस वसूल करने की बात हो रही है. मैं इस बात की पुख्ता व्यवस्था करूंगा कि इस कारण कोई भी बच्चा परीक्षा देने से वंचित न रह जाये, यह हमारी ड्यूटी है. हमारे शिक्षा मंत्री और हमारे बाकी मित्र मिलकर इस व्यवस्था कों करेंगे, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय मैं स्वास्थ की सेवाओं की बात कर रहा था. हम लोगों ने तय किया है, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की बात करें तो... ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कमलेश्वर जी आप बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं इन्ट्रप्ट करने की .... ...(व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ)-- मैं इस पक्ष के सभी साथियों से निवेदन करता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी.....
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी से परमीशन चाहती हूं, मुझे एक सेकेण्ड का मौका दीजिये, प्लीज.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये, नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं, आपको कल मौका लेना था, आपने नहीं लिया. ...(व्यवधान)... आप बैठ जाइये.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह-- क्या हम लोगों को कभी मौका मिलेगा ही नही. ...(व्यवधान)... एक मिनट मैं शिक्षा के मेटर में बोलना चाह रही हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप मौका मांगिये, हम देंगे, अभी आप बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष ( श्री कमलनाथ ) - मैं इस पक्ष के सभी साथियों से निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी को अपनी बात खत्म करने दें, अगर कोई बात पर टिप्पणी करना हो, मैं कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - हां ठीक बात है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में तय किया है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी मेडिकल कालेज से जो जुड़े अस्पताल हैं, हमारे चिकित्सा शिक्षा मंत्री बैठे हैं, उनको बेहतर हम बनाएंगे. जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं हम ठीक करेंगे और जहां आवश्यकता है ट्रामा सेंटर और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की, उस दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ने का काम करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और, ईलाज गरीबों का, कैसे बिना किसी कठिनाई से हो जाये इसीलिये प्रधानमंत्री जी ने आयुष्मान भारत योजना बनाई और हमने युद्ध स्तर पर प्रयास किये और 2 करोड़ आयुष्मान कार्ड जनता के बनवाए हैं ताकि 5 लाख रुपये तक का साल में ईलाज चिह्नित प्रायवेट अस्पतालों में भी हो सके. हम पीपीई मोड में भी जो अस्पताल आएंगे उनको भी टाईअप करने का प्रयास करेंगे ताकि शिक्षा की व्यवस्था को हम ठीक कर सकें. सबसे बड़ा सवाल रोजगार का है. रोजगार आज बहुत ज्वलंत मुद्दा है और उसका समाधान कोई बहुत आसान नहीं है. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि हमने एक नहीं कई तरह की योजनाएं बनाईं. हमने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप बनाया. उसमें एक चीज,रोजगार के अवसर कैसे जुटाएंगे ? सरकारी क्षेत्रों में हम सब जानते हैं कि रोजगार की संभावनाएं सीमित हैं. कोई भी सरकार असीमित नौकरियां नहीं दे सकती. तो शासकीय क्षेत्र में नौकरियां निकल रही हैं. हम लोग भर्तियां जारी रखेंगे लेकिन इसके साथ-साथ प्रायवेट सेक्टर और प्रायवेट सेक्टर में भी कैसे इन्वेस्टमेंट आए उसमें मैं सभी का सहयोग चाहूंगा. उसमें हम कसर नहीं छोड़ेंगे. हमारी जो इन्वेस्टमेंट पालिसी है उसको हमने और बेहतर बनाया है सिंगल विंडो के नाम पर जो दिक्कतें होती हैं उसका समाधान करने का हम पूरा प्रयास कर रहे हैं. हमने एक और योजना बनाई है. Start your business in thirty days . तीस दिन में सारे क्लियरेंस हम उद्योग को करके दे दें. ताकि वे अपना उद्योग लगाने का काम चालू कर सकें. केवल बड़े उद्योग न हीं एमएसएमई को भी हमने काफी सशक्त करने का काम किया है. अलग-अलग क्लस्टर्स हम डेव्लहप करने की कोशिश कर रहे हैं. कहीं फर्नीचर, कहीं नमकीन, अलग-अलग मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता. वहां भी छोटे-छोटे उद्योग लगें. लघु और कुटीर उद्योगों का जाल फैले, इसका भी हम प्रयास कर रहे हैं. एक बात की ओर मैं नेता प्रतिपक्ष का ध्यान चाहूंगा. एक जिला एक उत्पाद. उस योजना को भी हम बढ़ावा दे रहे हैं. जैसे हमारे मंदसौर और नीमच का लहसुन. एक कली का लहसुन, पूरी दुनियां मे प्रसिद्ध है. हम उस लहसुन की मार्केटिंग कर रहे हैं, ब्रांडिंग कर रहे हैं कि उसको अलग-अलग प्रोसेसिंग के काम करके कैसे देश और दुनियां में भेज पाएं. हमारा आगर का, शाजापुर का, बैतूल,छिन्दवाड़ा का संतरा, हमारे बुरहानपुर का केला, हमारे निमाड़ की मिर्ची. मैं एक नहीं कई ऐसी चीजें गिना सकता हूं. तो हमने तय किया है कि एक जिला, एक उत्पाद, और उसके लिये हमने तय किया है कि कैसे हम उसकी गुणवत्ता इतनी बढ़ायें कि उसको हम विदेशों में भी निर्यात कर सकें. एक्सपोर्ट के लिये भी हमने काउंसिल बनाने का हमने फैसला किया है ताकि हम अपने उत्पाद को एक्सपोर्ट कर सकें. हम महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप को बहुत मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं. मुझे बताते हुए खुशी है. मैं नेता प्रतिपक्ष जी से भी कहना चाहता हूं कि इस साल हम लगभग 1150 करोड़ रुपये महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप के खाते में, बैंकों के सहयोग से डाल चुके हैं और तेजी से हमारे महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप काम कर रहे हैं. लोकल को वोकल बनाने की बात माननीय प्रधानमंत्री जी ने कही थी. हम लोकल उत्पादों को कैसे लोग बेहतर बना सकें उसके लिये उनको ट्रेनिंग देने का भी काम कर रहे हैं और मुझे कहते हुए गर्व है कि कोरोना काल में भी जब हमें मास्क की जरूरत पड़ी, पीपीई किट की जरूरत पड़ी, सेनेटाईजर की जरूरत पड़ी तो महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप ने चमत्कार करके दिखाया. 2 करोड़ मास्क बनाकर दे दिये. एक नहीं अनेकों तरह के उत्पाद हमारी बहनें बना रही हैं. हम तेजी से उनको आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि एक बहन की आय अगर घर के कामकाज के साथ-साथ 8-10 हजार हो जाती है तो उसकी जिंदगी बदल जाती है. मैं आपसे निवेदन करना चाहती हू्ं. पी.एम. स्ट्रीट वेंडर योजना, शहरों में,फुटपाथ पर काम करने वाले हमारे भाई और बहन कोई जूता पालिश करने का काम कर रहा है, कोई कचोरी,समोसा बेचने का काम कर रहा है, कोई पान का ठेला लगाने का, कोई सब्जी-भाजी बेचने का, फल बेचने का, बाल काटने का, किराने की दुकान का, एक नहीं अनेकों काम, मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता. मध्यप्रदेश ने सबसे पहले इनीशियेटिव लिया और उसके क्रियान्वयन में हम देश में पहले स्थान पर रहे. माननीय अध्यक्ष महोदय, सी.एम.स्वनिधि योजना में लगभग 2 लाख से ज्यादा स्ट्रीट वेंडर्स को हम 10-10 हजार रुपये बिना ब्याज का दिला चुके हैं उसके बाद मेरे ध्यान में आया कि केवल शहरों में नहीं, ग्रामीण कस्बों में फुटपाथ पर सामान बेचने वाले हमारे गरीब भाई,बहन होते हैं जिनका काम धंधा पूरी तरह से कोरोना काल में छिन गया और अगर ये ब्याज पर पैसा लेकर काम करेंगे तो ऊंची ब्याज की दरों पर इनको पैसा लेना पड़ेगा और जितना कमाएंगे नहीं उससे ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा. इसीलिये मुख्यमंत्री ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर की योजना हमने बनाई.115 करोड़ रुपये उनके खाते में हम लोग डाल चुके हैं. लगभग सवा लाख से ज्यादा ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर के लगातार हमारे यह प्रयास चालू रहेंगे, तो रोजगार के लिये एक नहीं बहुकोणीय योजना हमने बनाई है और हम हर महीने रोजगार मेले भी लगा रहे हैं, जिससे भी 1 लाख 44 हजार लोगों, बच्चों को रोजगार मिला है. तो रोजगार देने के जितने प्रयास हो सकते हैं, पूरी शिद्दत और गंभीरता के साथ करेंगे. शरीर के साथ.. (श्री कमल नाथ के खड़े होने पर) आप कुछ कहना चाहते हैं.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने अभी सहयोग की बात की. इसमें कोई शक नहीं है कि आज हमारे प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है रोजगार की. हमारी आगे आने वाली पीढ़ी है, हमारे नौजवान हैं, इसमें जो सहयोग हमारा हो सकता है, मैं आपको यकीन दिलाना चाहता हूं कि हमारी तरफ से और मेरी व्यक्तिगत ओर से पूरा सहयोग मिलेगा कि इनवेस्टमेंट आये. आप प्रयास करिये, आप प्रयास कर रहे हैं. हमने भी प्रयास किया था, पर इसमें निवेश तब आता है, जब लोगों को विश्वास होता है इस प्रदेश पर और यह विश्वास की बहुत बड़ी आवश्यकता है. मैंने एक बात कही थी, जब मैं बोल रहा था कि मध्यप्रदेश 5 राज्यों से घिरा हुआ है. यह एक मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है. एक कारखाना लगता है तो इसके साथ जो संबंधित रोजगार के मौके बनते हैं, कोई गाड़ी चला लेता है, कोई ढाबा खोल लेता है, कोई मरम्मत का काम कर लेता है. तो किस तरह हमारा सहयोग आप चाहते हैं, मुझे बड़े खुले रुप से और मैं इन्वेस्टमेंट हो, इम्पलायमेंट हो, पूरा सहयोग हमारा रहेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- आपको बहुत बहुत धन्यवाद और मैं यह बताना चाहता हूं कि कोरोना काल में भी 17 उद्योग लगने का काम प्रारम्भ हो चुका है और रोज अनेकों उद्योगपति सम्पर्क कर रहे हैं. बड़े भी, छोटे भी और मैंने कहा कि लघु और कुटीर भी. ऐसे मामलों में हम मिलकर काम करेंगे, कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि यह प्रदेश के हित का सवाल है. सरकारें आती जाती रहती हैं, लेकिन विकास की दिशा निरंतर जारी रहनी चाहिये, यह मेरा भी सोच है. हम लोग उस दिशा में मिलकर काम करें. अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन और करना चाहता हूं कि मेरा जो आत्म निर्भर मध्यप्रदेश. एक तो यह सवाल रोजी रोटी पर है, लेकिन दूसरा शरीर के साथ साथ व्यक्ति का मन भी है. उसको मन का सुख भी चाहिये. केवल रोटी से व्यक्ति पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होता, तो हमने आगे सोचा है कि मन के सुख का भी कई बार यह होता है कि मन का सुख क्या होता है. मैं केवल एक उदाहरण आपको छोटा सा देना चाहूंगा, जो शरीर के सुख से भिन्न होता है. अगर दो मित्र बहुत दिनों के बाद मिलें, तो एक दूसरे को गले लगा लेते हैं. गले लगाकर जो सुख मिलता है, उसको हम मन का सुख कहते हैं. मैं एक छोटी सी घटना सुनाना चाहता हूं. मैं युवा मोर्चा का कार्यकर्ता था, मध्यप्रदेश का महामंत्री था, तब छत्तीसगढ़ एक था. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़. बिलासपुर में एक वर्ग था भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं का. उस वर्ग में मैं भी गया था. पहले हम लोग ट्रेन से जाते थे, वर्ग दोपहर में खत्म हो गया, ट्रेन शाम को थी. हम लोग ट्रेन के इंतजार तक धर्मशाला में लेटे हुए थे कि ट्रेन आयेगी एक कमरे में. तो तभी कुछ नौजवान एक बुजुर्ग सज्जन को लेकर के मेरे पास आये और उन्होंने कहा कि यह आपके उद्बोधन से प्रभावित हुए हैं. ये आपसे कुछ बात कहना चाहते हैं. तो मैं उठकर खड़ा हो गया, क्योंकि वे बुजुर्ग थे. उनको बिठाया, बातचीत की. मैंने कहा कि बताइये, तो उन्होंने कहा कि देश की हालत बहुत खराब है. मैंने कहा कि हां बात तो सही है, बोले उस खराब हालत को देखकर मैं बहुत व्यथित हूं. मैंने कहा कि हां तकलीफ तो हमें भी होती है. बोले उस व्यथा से व्यथित होकर मैंने कुछ पंक्तियां लिखी हैं, वह आपको सुनाना चाहता हूं. मैंने कहा कि मर गये, ये तो कवि हैं. कविता सुनने का मेरा मूड नहीं था. तो मैंने मेरे अध्यक्ष उस समय हुआ करते थे बृजेन्द्र सिंह जी, उनसे कहा कि जरा इनको सुनाओ, यह ज्यादा समझते हैं. तो वे लेटे लेटे ही बोले कि शिवराज ज्यादा कद्र दान है. अब मेरी मजबूरी थी कि वह कविता सुनाने लगे, मैं भी बैठ गया. अब वह पंक्तियां सुनाये तो बीच में कहना पड़ता है कि वाह क्या शब्द,भाव है. तो मैं भी कह रहा था कि वाह क्या शब्द है. अब कविता और लम्बी हो गई, खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी. मुझे कहना पड़ रहा था कि वाह क्या शब्द है. अब ये कहते कहते मेरे हाथ में पानी का ग्लास वहीं रखा था, वह आ गया, प्यास लगी थी, तो मैंने एक घूंट पानी पिया और मैंने उसके पहले कहा कि वाह क्या शब्द है, तो बृजेन्द्र सिंह जी मुझे देख कर हंस रहे थे. तो मेरे मुंह का पूरा पानी मुझे भी हंसी आई और कवि जी के मुंह पर चला गया. मुझे ठसका लगा खांसी हुई और नाक एवं आंख में पानी आ गया. थोड़ी देर के बाद मैं सामान्य हुआ, तो मैंने यह कहा कि यह क्या कहेगा कि बड़ा बदतमीज है, कैसा युवा मोर्चा वाला है. तो मैंने सोचा कि करुं क्या और कुछ समझ में नहीं आया तो मैं दोनों घुटने टेक करके उनके सामने बैठ गया और उनसे हाथ जोड़कर कहा कि मुझे माफ करें, मुझसे बड़ी गलती हो गई, तो वे बोले कि बेटा कोई बात नहीं है, तुम तो अगली पंक्तियां सुनो. ..(हंसी).. यह जो अगली पंक्ति सुनाने का सुख है, इसको कहते हैं मन का सुख. तो रोटी के अलावा भी कुछ चाहिये. इसलिये मेरे आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में हमने तय किया है, चाहे वह सांस्कृतिक कार्यक्रम हो. हमारी लोक कला हो, हमारे खेलकूद हों, जितनी तरह की गतिविधियां हैं.
1.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय - माननीय मुख्यमंत्री जी का उत्तर पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
1.31 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा
दिनांक 22 फरवरी, 2021 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण.(क्रमश:)
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, हमने यह सोचा है कि इस तरह की गतिविधियां राज्य शासन की जवाबदारी और जिम्मेदारी होती है कि वह चालू करे, इसलिए खेल भी मन को और शरीर को दोनों को सुख देता है. हमने तय किया है खेलमंत्री यहां बैठी हुई हैं कि हम कम से कम हर पंचायत में कई जगह, जगह नहीं होगी तो अतिक्रमण हटाकर भी एक खेल का मैदान तो अपने बच्चों के लिए बना दें ताकि वह ढंग से खेल सकें. (मेजों की थपथपाहट)..मन के सुख को भी प्राप्त कर सकें. हमारे यहां अलग अलग अनेकों उत्सव होते हैं, अब मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता, अभी खजुराहो उत्सव चल रहा है, भूरी बाई हमारी एक ऐसी कलाकार है जो जनजाति कलाकार है और उनको भी पदम श्री से सम्मानित किया गया, भारत भवन में काम करती थीं. हमको गर्व होता है. ऐसी गतिविधियां बढ़ाने की भी आवश्यकता है .मैं विस्तार में नहीं जा रहा तो मेरे आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में मन का सुख भी लोगों को मिले, इस बात की हम कोशिश करेंगे.
हमारे आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में फिर बुद्धि भी चाहिए, बुद्धि का सुख भी चाहिए और अनेकों तरह की जिज्ञासाएं बच्चों के मन में रहती हैं बहुत टैलेंट रहता है, वह कुछ करना चाहते हैं, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनती है कि वह कर नहीं पाते. अब जिनका दिमाग चलता है अन्वेषण में, अनुसंधान में, सोच में.
अब आप जानते हैं कि न्यूटन एक दिन पेड़ के नीचे बैठे थे, अचानक पेड़ हिला हवा चली, फल टूटा और जमीन पर गिर पड़ा. अब न्यूटन सोचने लगे कि यह फल टूटकर जमीन पर क्यों गिरा, यह आसमान में क्यों नहीं गया, यह बीच में क्यों नहीं अटका, उत्तर मिल नहीं रहा था तो रास्ते में जितने लोग आ जा रहे थे, उनको बुलाकर उन्होंने पूछना शुरू किया कि भई, यह हवा चली, पेड़ हिला, फल टूटा, यह जमीन पर ही क्यों गिरा तो लोगों ने कहा कि जमीन पर नहीं गिरता तो कहां जाता तो न्यूटन बोले बीच में क्यों नहीं अटका, आसमान में क्यों नहीं गया तो लोगों ने कहा कि यह तो गया, यह पागल हो गया है, गया काम से. बरसों से देखते चले आ रहे हैं, फल टूटता है तो जमीन पर ही तो गिरता है, लेकिन न्यूटन नहीं माने और खोजते रहे, अंततः उन्होंने खोजकर निकाल लिया कि पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण की शक्ति होती है, इसलिए हर चीज को पृथ्वी अपनी तरफ खींचती है, आकर्षित करती है और इस गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को खोजकर जो सुख न्यूटन को मिला, उसको कहते हैं, बुद्धि का सुख.
हमारे बच्चों में बहुत जिज्ञासाएं होती हैं, हमको ऐसी व्यवस्थाएं खड़ी करनी पड़ेगी कि जिससे उनके टैलेंट का प्रकटीकरण होता रहे और इसलिए स्टार्ट अप जैसी योजनाएं, वह ठीक से बनाकर हम अपने बच्चों के टैलेंट को प्रकट भी होने देंगे, उससे हमारे प्रदेश को समृद्ध और विकसित करने का प्रयास करेंगे.
एक और अंतिम सुख होता है अध्यक्ष महोदय, उसको कहते हैं आत्म का सुख. वह मिलता है दूसरों की सेवा करने से, दूसरों की भलाई करने से. इस कोरोना काल की गाथा मैंने आपके सामने नहीं कही क्योंकि कई मित्र कह चुके थे. लेकिन यह मध्यप्रदेश की जनता है. कहते हुए गर्व होता है कि एक तरफ जब मजदूर अपने सिर पर अपना सामान लेकर दूर दूर के प्रदेशों से अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में आ रहे थे, मध्यप्रदेश सरकार ने विनम्र कोशिश की. बसें लगाई, हमने बसों से बार्डर तक छुड़वाने का इंतजाम किया, लेकिन मध्यप्रदेश की जनता ने चाय, नाश्ता, भोजन और पांव में जूते और चप्पल पहनाने तक का काम, आप में से हरेक ने किया. अपने अपने क्षेत्र में कोई वंचित नहीं रहा. पक्ष के लोगों ने भी किया, प्रतिपक्ष के लोगों ने भी किया. अब इसको कहते हैं आत्मा का सुख. जिस गरीब की, जरूरतमंद की आम इंसान की आप जरूरत पर मदद कर दें तो उसको मदद करने के बाद जो उसके चहरे की चमक है, मैं एक दिन माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, कैबिनेट का दिन था तेजी से मैं अपने मुख्यमंत्री निवास से निकलकर वल्लभ भवन की तरफ आ रहा था तो मेरे सहयोगियों ने कहा कि एक सज्जन हैं वह मान नहीं रहे, मंगलवार को मैं कोशिश करता हूं कि लोगों से न मिलना पड़े क्योंकि कैबिनेट की ब्रीफिंग होती है तो मैंने कहा कि नहीं, आज तो टाइम नहीं है. उन्होंने कहा कि वह तो कह रहा है, रो रहा है कि मैं मिलूंगा. अब जब वह मिलने आया तो मैंने कहा कि जल्दी काम बताओ तो मुझे कहा एक माला निकालकर कि यह माला मैं आपके गले में पहनाना चाहता हूं तो मुझे थोड़ा गुस्सा आया कि यह माला पहनाना भी कोई काम है, उसने कहा कि आपने पहचाना नहीं. मैंने कहा कि अभी तो नहीं पहचाना, बोले आप गये थे, मैं लाइन में खड़ा था, मेरा हाथ नहीं था. आपने कलेक्टर को बुलाकर कहा था कि इसको हाथ लगवा दो, मेरा वह हाथ लग गया है मैं उस हाथ से आपके गले में यह माला पहनाना चाहता हूं. मेरी आंखों में आंसू आ गये और यह हरेक महसूस करता होगा. अगर किसी की बाईपास सर्जरी आपने करवा दी, वह ठीक होकर आपके सामने आ गया, मन गद्-गद् और प्रसन्न हो जाता है और इसलिए मध्यप्रदेश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण जिसमें हम दूसरों की सेवा करने का अवसर भी चाहे व्यक्ति हो, चाहे स्वयं सेवी संस्थाएं हों, उनको दे सकें और सरकार तथा समाज भी मिलकर यह काम कर सकें. मेरे हिसाब से यह आत्मा का सुख होगा तो आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में हम इस तरह की व्यवस्था को भी खड़ा करना चाहते हैं. समाज के जितने कमजोर वर्ग हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय अनुसूच