मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा चतुर्दश सत्र
जुलाई, 2017 सत्र
मंगलवार, दिनांक 25 जुलाई, 2017
(3 श्रावण, शक संवत् 1939)
[खण्ड- 14 ] [अंक- 7 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 25 जुलाई, 2017
(3 श्रावण, शक संवत् 1939)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
फीडर सेपरेशन का कार्य
[ऊर्जा]
1. ( *क्र. 2749 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुलताई वि.स. क्षेत्र के विकासखण्ड प्रभात पट्टन में फीडर सेपरेशन का कार्य किस ठेकेदार द्वारा एवं किस अधिकारी के मार्गदर्शन में किया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार क्या सभी कार्य गुणवत्तापूर्ण हो रहे हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार यदि हाँ, तो ग्राम काजली के कार्य की गुणवत्ता की शिकायतें ग्रामीणों एवं जन-प्रतिनिधियों द्वारा करने के उपरांत भी कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई? (घ) प्रश्नांश (ग) के अनुसार दोषी अधिकारी एवं ठेकेदार के विरूद्ध विभाग कब तक और क्या कार्यवाही करेगा? दिनांक सहित स्पष्ट करें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड प्रभात पट्टन में फीडर विभक्तिकरण का कार्य निविदा द्वारा चयनित ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स अग्रवाल पॉवर प्रा.लि. भोपाल द्वारा किया जा रहा है। उप महाप्रबंधक (संचा./संधा.) मुलताई एवं स्वतंत्र निरीक्षण इकाई के रूप में नियुक्त प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट एजेन्सी मेसर्स एस.जी.एस. (इंडिया) प्रा.लि. भोपाल द्वारा कार्य का निरीक्षण किया जा रहा है। (ख) जी, हाँ। तथापि निरीक्षण में कार्य की गुणवत्ता में कमी/त्रुटि पाये जाने पर ठेकेदार एजेन्सी से आवश्यक सुधार कार्य करवाया जाता है।(ग) ग्राम काजली के कार्य की गुणवत्ता के संबंध में कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। कार्य के दौरान ग्राम काजली के ग्रामीणों एवं जन-प्रतिनिधियों द्वारा निम्नदाब लाईन के 3 पोल तिरछे होने की मौखिक शिकायत की गई थी, जिसके तारतम्य में पोल सीधे करने सहित आवश्यक सुधार कार्य करवा दिया गया है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में किसी अधिकारी/ठेकेदार एजेन्सी के दोषी नहीं होने से उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
श्री चन्द्रशेखर देशमुख -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मुलताई विधानसभा क्षेत्र के कितने ग्रामों में फीडर सेपरेशन का काम स्वीकृत हुआ है और कितने ग्रामों में फीडर सेपरेशन का कार्य चालू है.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फीडर सेपरेशन के 27 में से 14 कार्य पूर्ण हो गये हैं. शेष जो बचे हैं जो माननीय सदस्य ने जो कार्य पूछे हैं वह कार्य भी हम बहुत जल्दी पूरे कर देंगे.
श्री चन्द्रशेखर देशमुख-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में ठेकेदार के द्वारा जो कार्य अनियमिततापूर्वक किये जा रहे हैं, क्या उसकी जांच मेरी उपस्थिति में करवा ली जायेगी.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उप महाप्रबंधक (संचालन/संधारण) मुलताई एवं स्वतंत्र निरीक्षण इकाई के रूप में नियुक्त प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट एजेंसी रहती है एस.जी.एस.(इंडिया) प्रायवेट लिमिटेड,भोपाल वह समय समय पर कार्यों का निरीक्षण करती है. फिर भी यदि माननीय सदस्य को ऐसा लगता है तो यदि कोई पर्टिक्यूलर बात बतायेंगे तो हम उसकी जांच करवा लेंगे.
श्री चन्द्रशेखर देशमुख -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो कंसल्टेंट एजेंसी है इनके निरीक्षण के बावजूद भी कई जगहों पर कार्य अनियमिततापूर्वक हुये हैं, क्या मंत्री जी इसके लिये अलग से कोई जांच दल बनाकर के इसकी जांच करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी इसके राजी हैं, वह कह रहे हैं कि आप बता दीजिये कि कहां की कराना है.
श्री चन्द्रशेखर देशमुख - ठीक है. धन्यवाद.
आनंद उत्सव के आयोजन में व्यय राशि
[आनन्द]
2. ( *क्र. 2254 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में आनंद विभाग बनने के बाद प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि का व्यय किया गया? (ख) वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 हेतु छतरपुर जिले में कौन-कौन से कार्यों हेतु व्यय किया गया? कार्यों का विवरण दें। (ग) विभाग के जिला स्तर पर नोडल अधिकारी कौन हैं? कार्य योजना कौन-कौन सी बनाई गई, जिसमें कौन से परिणाम प्राप्त हुए?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रदेश में आनंद विभाग बनने के बाद विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक राशि रूपये 1,40,90,848/- का व्यय किया गया। (ख) वित्तीय वर्ष 2016-17 में छतरपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 14 से 21जनवरी, 2017 में आनंद उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें खेल गतिविधियां एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये, जिन पर कुल व्यय राशि रूपये 18,11,366/- हुआ। यह व्यय पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत पंचायत राज संचालनालय द्वारा उपलब्ध आवंटित राशि के विरूद्ध किया गया। वित्तीय वर्ष 2017-18 में छतरपुर जिले में कोई भी व्यय नहीं किया गया है। (ग) श्री जे.एन. चतुर्वेदी, सहायक संचालक कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, छतरपुर जिले हेतु नामांकित नोडल अधिकारी हैं। प्रदेश स्तर पर (1) आनंद उत्सव (2) आनंदम (3) अल्पविराम (4) आनंद सभा (5) आनंद क्लब कार्यक्रम संचालित हैं। परिणाम उत्साह जनक हैं।
कॅुंवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि छतरपुर जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में खेल गतिविधियां एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम किन-किन विकासखण्डों में कहां-कहां आयोजित हुए हैं ?
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो जानकारी पूछी है उसके संबंध में मैं उनको बताना चाहता हूं कि नवगांव में 15 स्थानों पर, लवकुश नगर में 18 स्थानों पर, छतरपुर में 20 स्थानों पर, राजनगर में 29 स्थानों पर, गौरीहार में 18 स्थानों पर, बिजावर में 12 स्थानों पर, बकसबाहा में 13 स्थानों पर, बड़ा मड़ेहरा में 16 स्थानों पर खेल गतिविधियां एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं. यह कार्यक्रम पंचायतवार नहीं किये गये हैं. इसमें तीन-तीन पंचायतों के समूह बनाकर इस प्रकार की खेल गतिविधियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं सम्मान की गतिविधियां आयोजित की गई हैं, जिसमें पंचायत विभाग से 15 हजार रूपये की राशि उन समूहों को दी गई थी, जिससे उनके द्वारा उपरोक्त कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं.
कॅुंवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आनंद उत्सव का आयोजन किन- किन के लोगों के माध्यम से कराया गया है और किन-किन लोगों को उसमें बुलाया गया है.
श्री लालसिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, आनंद उत्सव के कार्यक्रम में वहां के पंचायत के लोग, अधिकारी, नोडल अधिकारी, जनपद के सी.ई.ओ., सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत के सदस्य, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री जी, मंत्रीगण भी उपस्थिति रह सकते हैं. इन कार्यक्रमों में आने के लिये किसी को भी मनाही नहीं थी क्योंकि यह कार्यक्रम तीन पंचायतों को मिलाकर आयोजित होने थे. माननीय मुख्यमंत्री जी ने विशेष तौर पर मध्यप्रदेश की विधानसभा में भी सभी को कहा था कि आप सभी इस आंनदोत्सव में सम्मिलित होने के लिये आमंत्रित हैं.
कॅुंवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में शासन की 1,40,90,848/- रूपये की राशि का व्यय हुआ है, उसमें अनावश्यक खर्चे भी जोड़े गये हैं. क्या माननीय मंत्री जी इसकी जांच जिला कोषा अधिकारियों से और सी.ई.ओ. जिला पंचायतों से करवाएंगे ?
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - आपके विधानसभा में खजुराहो है आप वहीं-वहीं घूमें उससे बड़ा आनंद कहा हैं. (हंसी)
कॅुंवर विक्रम सिंह - माननीय मंत्री जी मैं आपका भी स्वागत करता हूं.
श्री लालसिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में अधिकांश पंचायतों में यह कार्यक्रम हुआ है और उसमें राशि पंचायत ने ही खर्च किए हैं, वह अधिकार किसी मंत्री और विधायक को नहीं था. लेकिन यदि आपको कोई विश्वसनीय जानकारी हो जहां यह राशि इन मानदण्डों से हटकर खर्च की गई हो तो बताएं हम उसकी भी जांच करवा लेंगे.
कॅुंवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि यह व्यय जो हुआ है, इसमें क्या वाउचर्स के आधार पर भुगतान हुआ है या सिर्फ कहने के आधार पर भुगतान हुआ है, इसका स्पष्टीकरण दे दें.
श्री लालसिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वाभाविक है जब प्रतियोगिताएं हो रही हैं तो वहां पर पुरस्कार प्रमाण पत्र भी दिये जाएंगे, इसलिए स्वाभाविक है कि कहीं न कहीं उसका वाउचर भी बना ही होगा और सामान्यत: वाउचर बनता ही है.
कॅुंवर विक्रम सिंह - माननीय मंत्री जी मैं आपसे इसी की जांच के लिये कह रहा हूं.
श्री लालसिंह आर्य - आप कई प्रश्न एक साथ कर रहे हैं. आप विशेष तौर पर यह बताएं कि किस पंचायत और किस समूह में इस प्रकार हुआ है. आप स्पेसिफिक बता दीजिए हम उसकी जांच करवा लेंगे.
कॅुंवर विक्रम सिंह - आप सागर संभाग की ही जांच करवा लें.
अध्यक्ष महोदय - संभाग वार नहीं.
कॅुंवर विक्रम सिंह - जिला छतरपुर की ही जांच करवा लें ? (व्यवधान)... श्री लाल सिंह आर्य - नातीराजा जी, यह आनन्द विभाग है, यह लोगों की जिन्दगी में खुशहाली लाने के लिए है.
श्री कुँवर विक्रम सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह तो आपने उत्तर में भी कहा है कि परिणाम उत्साह जनक हैं.
लेखापाल संवर्ग को द्वितीय समयमान का लाभ
[वित्त]
3. ( *क्र. 1050 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संचालनालय कोष एवं लेखा भोपाल का पत्र क्रमांक 560/09.11.2012, स्मरण पत्र क्रमांक 393/02.12.2013, 249/26.06.2014 एवं अर्द्ध शासकीय पत्र क्रमांक 347/01.09.2014, 498/02.12.2014 के उत्तर में अपर संचालक, कोष एवं लेखा संचालनालय भोपाल को उप सचिव, मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग, मंत्रालय भोपाल द्वारा जारी पत्र दिनांक 28.07.2015 प्रेषित किया गया है? यदि हाँ, तो संचालनालय एवं मंत्रालय के पत्रों की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) क्या उक्त पत्रों के क्रम में प्रश्नकर्ता द्वारा अपर संचालक, कोष एवं लेखा पेंशन भोपाल, अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग, भोपाल को प्रेषित किये गये पत्र क्रमश: 6921/28.05.2017, 6820/28.04.2014 में कौन-कौन सी जानकारी चाही गई वह उपलब्ध करवाई जा चुकी है, नहीं तो इसके लिए कौन दोषी है? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा आयुक्त, कोष एवं लेखा/संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा संभाग भोपाल को प्रेषित किये गये पत्र क्रमांक 6890, दिनांक 19.05.2017 का उत्तर/जानकारी भी उपलब्ध नहीं करवाई गई? इसके लिए भी कौन दोषी है? (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ग) के क्रम में यह बतावें कि लेखापाल संवर्ग को द्वितीय समयमान की पात्रता है या नहीं? यदि नहीं, तो आर्थिक हानि के लिये कौन जिम्मेदार है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) कार्यालय अभिलेख के अनुसार वर्णित पत्र क्रमांक 6921, दिनांक 28.5.2017 एवं पत्र क्रमांक 6820, दिनांक 28.4.2014 प्राप्त होना ज्ञात नहीं हो रहा है। (ग) पत्र दिनांक 19.5.2017 का परीक्षण किया जा रहा है। (घ) वित्त विभाग के परिपत्र दिनांक 16.5.2017 के द्वारा लेखापाल के ग्रेड वेतन का उन्नयन किये जाने से उन्नयित वेतन की पात्रता हो गई है। समयमान वेतनमान की अवधारणा सिविल सेवा पर आधारित होने से शासकीय सेवक जिस सेवा के सदस्य रहते हैं, उस सेवा के अनुसार समयमान की पात्रता रहती है।
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संचालनालय कोष एवं लेखा भोपाल का पत्र क्रमांक 560/9.11.2012, स्मरण पत्र क्रमांक 393/2.12.2013, 249/26.6.2014 एवं अर्द्धशासकीय पत्र क्र.347/1.9.2014, 498/2.12.2014 के उत्तर में अपर संचालक, कोष एवं लेखा संचालनालय भोपाल को उप सचिव, मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग, मंत्रालय भोपाल द्वारा जारी पत्र दिनांक 28.7.2015 प्रेषित किया गया है.
अध्यक्ष महोदय - यह तो उत्तर में लिखा हुआ है. आप इस प्रश्न पर पूरक प्रश्न पूछिये.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूँगा कि इस सरकार ने अपने ही कर्मचारियों में जो भेदभावपूर्ण नीति अपनाई है, उसकी वजह से मध्यप्रदेश के लिपिक वर्ग के साठ हजार कर्मचारियों में रोष व्याप्त है. जो कर्मचारी सहायक ग्रेड-3 हैं और जिनको समयमान वेतनमान सन् 2006 से मिलना चाहिए था, उन्हें सरकार ने सन् 2016 से दिया है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूँगा कि 20 वर्ष की सेवा अवधि के पश्चात् जो समयमान वेतनमान सभी कर्मचारियों को मिलना चाहिए था, वह उन्हें क्यों नहीं मिल रहा है ?
श्री जयंत मलैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि सहायक ग्रेड 3 के वेतनमान और समयमान, पहले उसका एक बार बढ़ता था तब वह 2400 ग्रेड पे पर पहुँचता था और दूसरी बार बढ़ता था चूँकि लेखापाल का भी, इन दोनों का वेतनमान समान था इसलिए उसको लाभ नहीं मिल पाता था. दिनांक 1.1.2016 से लेखापाल के पद का वेतन उन्नयन होने से उच्च ग्रेड वेतन प्राप्त हो रहा है अब जो सहायक ग्रेड-2 से उसको जो समयमान वेतनमान मिलता है, अब वह 2400 ग्रेड पे की जगह 2800 ग्रेड पे मिलता है.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे मूल प्रश्न की भावना यह है कि यह शासन का ही नियम है. आप कहें तो मैं तमाम सारे पत्र पटल पर रख दूँ या आप कहें तो पढ़कर बता दूँ. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि शासन ने किसी कर्मचारी को पदोन्नति दी और यदि पदोन्नति दी है और उसका प्रमोशन हुआ है तो उसको प्रमोशन के हिसाब से ग्रेड पे मिलनी चाहिए. सरकार ने कहा है कि जिसकी 20 वर्ष की सेवा अवधि हो जाएगी तो हम उसको समयमान वेतनमान का लाभ देंगे मगर उसको 20 वर्ष की अवधि के पश्चात् भी समयमान वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है और उसको पदोन्नति के भी वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है. यह विसंगति है. मध्यप्रदेश सरकार ने विधानसभा के कर्मचारियों को यह सुविधा दी है, मंत्रालय के कर्मचारियों, उच्च न्यायालय के कर्मचारियों और राजभवन के कर्मचारियों को यह सुविधा दी है तो बाकी जो कर्मचारी पूरे प्रदेश में कार्यरत् हैं, उन कर्मचारियों के लिये यह दोहरी नीति क्यों है ?
अध्यक्ष महोदय - आप भाषण मत दीजिये. आपको भाषण के लिए संरक्षण नहीं है.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक कर्मचारी को तो आप रेमण्ड का सूट सिलवा रहे हैं और दूसरे कर्मचारी को लोकल कम्पनी का सूट सिलवा रहे हैं. मैं तो कहता हूँ कि सभी कर्मचारियों को एक-सा वेतनमान होना चाहिए. इसमें बहुत विसंगति है. माननीय वित्त मंत्री जी आप कृपा करके यह घोषणा कर दें कि समयमान वेतनमान के हिसाब से या प्रमोशन के हिसाब से पूरे प्रदेश के कर्मचारियों को एक साथ-सा वेतनमान दिया जायेगा.
एक माननीय सदस्य - आपने कौन सा सूट पहन रखा है ?
श्री निशंक कुमार जैन -(XXX)
श्री बाबूलाल गौर - यह आपत्तिजनक है, आप सभी पर आरोप न लगायें.
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से हटा दें.
श्री जयंत मलैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारे विधानसभा के कर्मचारी हैं, जो वल्लभ भवन के कर्मचारी एवं राज्यपाल महोदय के यहां के कर्मचारी हैं, उनका कार्य विशिष्ट होता है इसलिए उन्हें वह दिया जाता है. बाकी हमारे यहां राज्य वेतन आयोग की अनुशंसा को प्रचार में लेते हुए मंत्री परिषद ने दिनांक 2 मई 2016 को आदेश प्राप्त किए हैं एवं तद्नुसार लेखापाल के पद के वेतनमान का उन्नयन 4500-7000, पांचवां वेतन के समकक्ष, छठवां वेतनमान में वेतनबैण्ड 5200-20200 के साथ ग्रेड वेतन 2800 किए जाने के आदेश वित्त विभाग द्वारा दिनांक 16.05.2017 को जारी किए जा चुके हैं.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी इतना कृपा कर दें कि एक सा वेतनमान सभी के लिए लागू कर दें.
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, नहीं करेंगे.
आंगनवाड़ी केन्द्रों में विद्युत व्यवस्था
[महिला एवं बाल विकास]
4. ( *क्र. 1116 ) श्री मोती कश्यप : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) राज्य में कुल आंगनवाड़ी व मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों की संख्या कितनी है तथा जिला कटनी के किन-किन विकासखण्डों में केन्द्रों की संख्या कितनी है और उनमें कितने बालक-बालिकायें प्रविष्ट हैं? (ख) प्रश्नांश (क) केन्द्रों में कितनी आयु के बालक-बालिकाओं को किस उद्देश्य से प्रवेश प्रदान किया जाता है और वर्ष के कितने दिन उनके पोषण की देख-रेख की जाती है तथा क्या ग्रीष्मकाल के माह अप्रैल से जून की भीषण गर्मी में उन्हें छुट्टियां प्रदान कर दी जाती है? (ग) क्या राज्य के आंगनवाड़ी व मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों में बालक-बालिकाओं को भीषण गर्मी से राहत प्रदान करने हेतु भवनों में विद्युत कनेक्शन एवं पंखों की व्यवस्था की गई है? (घ) क्या दिनांक 17.5.2017 को विकासखण्ड ढीमरखेड़ा के ग्राम दशरमन की आदिवासी मोहल्ला के आंगनवाड़ी केन्द्र की सहायिका श्रीमती मीराबाई पति श्री रामजी कुशवाह, उम्र 50 वर्ष को भीषण गर्मी से ब्लडप्रेशर बढ़ने से पैरालाइसिस अटैक आने पर उसे सामुदायिक स्वा.केन्द्र उमरियापान में भर्ती कराया गया है? (ड.) क्या विभाग राज्य के समस्त आंगनवाड़ी केन्द्रों में विद्युत एवं पंखे की व्यवस्था कराकर नौनिहाल बच्चों के जीवन की रक्षा हेतु विभागीय बजट में प्रावधान कर क्रियान्वित करेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) राज्य में कुल 84465 आंगनवाड़ी केन्द्र व 12670 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं। कटनी जिले में 1531 आंगनवाड़ी केन्द्र व 179 मिनी आंगनवाड़ी संचालित हैं। जिला कटनी के 06 विकासखण्डों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों की संख्या एवं उनमें प्रविष्ट बालक-बालिकाओं का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) केन्द्रों में 06वर्ष तक आयु के बालक बालिकाओं को दर्ज कर आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से निम्नानुसार सेवायें प्रदान करने के उद्देश्य से दर्ज (प्रवेश) किया जाता है :- (1) पूरक पोषण आहर, (2) स्वास्थ्य जाँच, (3) संदर्भ सेवा, (4) टीकाकरण, (5) पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा (6) स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा। आंगनवाड़ी केन्द्रों में दर्ज बच्चों को 300 दिवस पूरक पोषण आहार प्रदाय किया जाता है। ग्रीष्मकाल के अप्रैल से जून माह में छुट्टियां दिये जाने का प्रावधान नहीं किया गया है। (ग) जी नहीं। (घ) जी हाँ। (ड.) सौर ऊर्जा के माध्यम से आंगनवाड़ी केन्द्रों पर विद्युत प्रदाय किये जाने की योजना विचाराधीन है।
श्री मोती कश्यप - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि 70 साल के इतिहास में संभवत: आंगनवाड़ी केन्द्र के इस विषय में पहली बार चर्चा हो रही है. मैंने जो प्रश्न लगाए थे, उनके जवाब तो सकारात्मक मिले हैं, उस विषय में ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा. जानकारी में यह आया है कि मध्यप्रदेश में 96 हजार 135 आंगनवाड़ी केन्द्र और मिनी केन्द्र खोले गए हैं, तो स्वभाविकत: लगभग 40 से 50 हजार बच्चों का प्रवेश हुआ होगा, उनको कौन कौन सी सुविधाएं प्रदान की जा रही है यह भी उत्तर आ गया है, इसमें भी मैं कोई बहस नहीं करना चाहा रहा हूं. मामला यह उठा था कि मेरी विधान सभा क्षेत्र के ढीमरखेड़ा विकासखंड में दशरमन गांव की सहायिका को भीषण गर्मी में पैरालायसिस अटैक आया था उसी से यह विषय उद्भूत हुआ है. विचार का विषय यह बनता है कि 300 दिन तक उनको पूरक पोषण आहार प्रदाय किया जाता है और ग्रीष्मकाल में भी उनको छुटिट्यों का प्रावधान नहीं है. अब यह बड़ा संवेदनशील विषय है, जब भीषण गर्मी पड़ती है और कक्ष में 6 माह से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चे कक्ष में रहते होंगे तो कितनी गंभीर स्थिति उनकी उत्पन्न होती होगी, बच्चे बोल तो नहीं पाते हैं, केवल रो-कर ही अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करते हैं. बरसात के दिनों में उनके कक्ष में अंधकार का साम्राज्य रहता है, मैं यह कहना चाहता हूं कि बिजली का और पंखें का प्रबंध हो जाए. माननीय मंत्री जी ने कहा है कि सोलर ऊर्जा के माध्यम से हमारी योजना विचाराधीन है, पता नहीं वह कब तक विचाराधीन रहती है. यदि सोलर प्रोजेक्ट के माध्यम से या सामान्य विद्युतीकरण के माध्यम से यदि वहां विद्युतीकरण करवाना चाहती हैं तो कम से कम इसका समय सीमा सुनिश्चित कर दें.
श्रीमती अर्चना चिटनिस - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक ने बहुत ही संवेदनशील प्रश्न पूछा है और मुझे यह बताते हुए संतोष हैं कि विभाग आंगनवाडि़यों में 300 वॉट के विद्युत उत्पादन करने वाले सोलर पैनल बैटरी सहित लगाने के लिए प्रयासरत है. 20 जून 2017 को मध्यप्रदेश के नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा विभाग व संयुक्त राष्ट्र संघ के यूएन वीमन के बीच में एक करार भी हस्ताक्षरित हुआ है, निष्पादित हुआ है. यह जल्द से जल्द लागू होकर फेसवाइस मध्यप्रदेश की आंगनवाडि़यों में बिजली और पंखें की व्यवस्था करने जा रहे हैं.
श्री मोती कश्यप - माननीय मंत्री जी, क्या अगले जून तक यह व्यवस्था करवा देंगी?
श्रीमती अर्चना चिटनिस - शीघ्र अतिशीघ्र करवाने का प्रयास करेंगे, लेकिन फेसवाइज ही हो पाएगा.
श्री मोती कश्यप - मेरी विधान सभा क्षेत्र में पहले फेज में ले लीजिए.
श्रीमती अर्चना चिटनिस - फेजेज में उसको पहले ले लेंगे.
श्री मोती कश्यप - धन्यवाद -
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न मैं पूछना चाहता हूं, एक तो माननीय मंत्री जी ने मुझे श्योपुर साथ ले जाने का वायदा किया था वह वायदा खिलाफी की है, क्या उसकी पूर्ति करेंगे. जब आप विधान सभा में कहकर के उसका पालन नहीं करती, इसका मुझे दु:ख है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने इसका उत्तर बताया कि स्कूल में जो आंगनवाडि़यां हैं उनमें पूरक पोषण आहार का वितरण होता है तो क्या दूध भी पूरक पोषण आहार में शामिल है, अगर दूध भी शामिल है तो विदिशा के अंदर किसी भी आंगनवाड़ी में दूध की सप्लाई नहीं होती. मैं जानना चाहता हूं कि क्या मंत्री महोदया इसकी जांच कराएंगी.
श्रीमती अर्चना चिटनिस - अध्यक्ष महोदय, इसकी जांच करा लेंगे.
श्री कैलाश चावला--अध्यक्ष महोदय, मैं एक छोटा सा माननीय मंत्री जी सवाल करना चाहता हूं कि आप सोलर ऊर्जा के माध्यम से आंगनवाड़ी केन्द्रों पर विद्युत प्रदाय करने जा रही हैं आपके पास में बजट इतना नहीं है इसलिये फेसवाइज कर रही हैं. आप रेग्यूलर कनेक्शन क्यों नहीं ले रही हैं ताकि सबमें पहले हो जाए. जब सोलर ऊर्जा का बजट आपके पास में आयेगा उसको आप डिसकनेक्ट करवा दीजिये.
श्रीमती अर्चना चिटनिस--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय चावला जी को बताना चाहती हूं कि इसमें हमको केन्द्र सरकार से राज्य सरकार को 45 प्रतिशत सबसिडी मिलती है उसके साथ साथ 55 प्रतिशत यूएन वूमेन के अनुदान से कर रहे हैं बजट से नहीं कर रहे हैं. उक्त अनुदान सोलर ऊर्जा के लिये मिलता है इसलिये उसको कर रहे हैं.
श्री कैलाश चावला--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन इतना ही था कि आप फेसवाइज कर रही हैं तो समय लगेगा, आंगनवाड़ियों की संख्या बहुत है. इसलिये आपको उसमें रेग्यूलर इलेक्ट्रीफिकेशन करने पर विचार करना चाहिये.
सांझा चूल्हा योजना में खाद्यान्न सप्लाई
[महिला एवं बाल विकास]
5. ( *क्र. 1935 ) श्री मानवेन्द्र सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सांझा चूल्हा योजनांतर्गत छतरपुर जिले में आंगनवाड़ी केन्द्रों पर किस संस्था द्वारा खाद्यान्न सप्लाई किया जा रहा है एवं सप्लाई का रेट क्या है? (ख) क्या सप्लाईकर्ता संस्था द्वारा खण्ड स्तरीय कार्यालय तक ही खाद्यान्न भेजा जाता है? (ग) प्रश्नांश (ख) यदि हाँ, तो क्या खण्ड स्तरीय कार्यालय से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं खाद्यान्न प्राप्त कर केन्द्र तक परिवहन कर ले जाती हैं? क्या उन्हें परिवहन व्यय दिया जाता है? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) जिलान्तर्गत वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस आंगनवाड़ी केन्द्र को कितना-कितना परिवहन व्यय दिया गया? (ड.) खण्ड स्तरीय कार्यालय से आंगनवाड़ी केन्द्रों तक खाद्यान्न परिवहन का कार्य किसके द्वारा किया जाता है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) छतरपुर जिले में सांझा चूल्हा योजनान्तर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों पर खाद्यान्न सप्लाईकर्ता संस्थाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। इन संस्थाओं द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों में नाश्ता 2/- रू. प्रति हितग्राही एवं भोजन 4/- रू. प्रति हितग्राही के मान से दिया जाता है। (ख) सांझा चूल्हा कार्यक्रम अन्तर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों में 03 से 06 वर्ष तक के बच्चों के लिये मध्यान्ह भोजन प्रदायकर्ता समूहों के माध्यम से पूरक पोषण आहार नाश्ता/भोजन आंगनवाड़ी केन्द्र मुख्यालय पर उपलब्ध कराया जाता है। 06 माह से 03 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती धात्री माताओं के लिए एम.पी. एग्रो के माध्यम से पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) खण्ड स्तरीय परियोजना मुख्यालय तक उपलब्ध कराया जाता है। (ग) खण्ड स्तरीय कार्यालय से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं केन्द्र पर परिवहन कर खाद्यान्न नहीं ले जाती हैं और न ही उन्हें किसी प्रकार का परिवहन व्यय दिया जाता है। 06 माह से 03 वर्ष के बच्चों एवं गर्भवती/धात्री माताओं के लिये एम.पी. एग्रो से प्राप्त पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) का परिवहन परियोजना गोदाम से आंगनवाड़ी केन्द्र मुख्यालय तक परिवहनकर्ताओं के माध्यम से कराया जाता हैं। (घ) सांझा चूल्हा योजनान्तर्गत संस्थाओं को किसी भी प्रकार का परिवहन व्यय नहीं दिया जाता है। प्रश्नांश वर्षों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को कोई भी परिवहन व्यय नहीं दिया गया है। (ड.) खण्ड स्तरीय कार्यालय तक एम.पी. एग्रो के माध्यम से प्राप्त पूरक पोषण आहार (टेकहोम राशन) का परिवहन आंगनवाड़ी केन्द्रों तक कराया जाता है। वर्तमान में परिवहनकर्ता की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री मानवेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न (ग) में माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि जिला छतरपुर में 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चे एवं गर्भवती माताओं के लिये एम.पी.एग्रो से पूरक पोषण आहार राशन का परिवहन परियोजना गोदाम से आंगनवाड़ी केन्द्र तक और खण्ड मुख्यालय से आंगनवाड़ी केन्द्र तक करवाया जाता है, परन्तु उन कार्यकर्ताओ से परिवहन के पैसे लिये जाते हैं. माननीय मंत्री जी से मैं जानना चाहता हूं कि जब शासन इसका परिवहन करवाता है तो फिर कार्यकर्ताओं से पैसे क्यों लिये जाते हैं ?
श्रीमती अर्चना चिटनिस--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदस्य का प्रश्न बहुत अच्छी तरह से समझ नहीं पायी हूं. दरसल स्व-सहायता समूह में वहीं भोजन बनकर के मिलता है तो उसमें परिवहन का प्रश्न नहीं उठता और जो टेक होम राशन है उसका परिवहन एम.पी.एग्रो स्वयं करता है.
श्री मानवेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, टेक होम का एग्रो करता है परन्तु कार्यकर्ताओं से पैसे लिये जा रहे हैं.
श्रीमती अर्चना चिटनिस--अध्यक्ष महोदय, कायदे से पैसे बिल्कुल ही नहीं लिये जाने चाहिये. अगर ऐसी कहीं पर शिकायत है तो उसकी जांच करवा लूंगी. इसमें कार्यकर्ताओं से पैसे लेने का प्रश्न ही नहीं उठता है.
श्री मानवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, जांच करवाकर उस पर कार्यवाही का आश्वासन आप देंगी क्या ?
श्रीमती अर्चना चिटनिस--अध्यक्ष महोदय, जांच करने के पश्चात् दोषी पाये जाते हैं तो उन पर कार्यवाही करेंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक--अध्यक्ष महोदय, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से पैसे लिये जाते हैं. मंगलवार के दिन जो पोषण आहार बच्चों के लिये मिलता है अथवा गर्भवती महिलाओं को उन सबके वाहन का किराया आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ही देते हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप माननीय मंत्री जी को जानकारी दे दीजिये, उसको दिखवा लेंगी.
विद्युत तारों की सुरक्षा
[ऊर्जा]
6. ( *क्र. 2581 ) डॉ. मोहन यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विद्युतीकरण के कार्य के दौरान खुले तारों के नीचे सुरक्षा की दृष्टि से गार्डिंग लगाये जाने का प्रावधान अनिवार्य होता है? यदि हाँ, तो उज्जैन जिले में सभी जगह विद्युत लाइनों के नीचे गार्डिंग का कार्य करवाया गया है अथवा नहीं? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) विद्युत लाइनों को डालते समय सुरक्षा की दृष्टि से अनिवार्य गार्डिंग का कार्य जिन विद्युत लाइनों में नहीं हुआ है। उसके लिए जिम्मेदारों के विरूद्ध कोई कार्यवाही का प्रावधान है अथवा नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं, विद्युतीकरण के कार्य के दौरान खुले तारों के नीचे सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक विद्युत लाईन के नीचे गार्डिंग लगाये जाने का प्रावधान अनिवार्य नहीं है, किन्तु विद्युत लाईन के रोड से क्रासिंग स्थल, नदी से क्रासिंग स्थल एवं रेलवे लाईन से क्रासिंग लोकेशन पर गार्डिंग लगाये जाने का प्रावधान होता है। उज्जैन जिले में ऐसे सभी क्रासिंग स्थलों पर विद्युत लाईनों के नीचे गार्डिंग का कार्य करवाया गया है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
डॉ.मोहन यादव--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यद्यपि उज्जैन के संदर्भ में है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से पूरे प्रदेश को प्रभावित करता है. मैं समझता हूं कि जनहित के महत्व के प्रश्न को माननीय मंत्री जी के माध्यम से बात रख रहे हैं तो पूरे प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में लेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा. मैं मंत्री जी से जानना चाह रहा हूं कि विद्युतीकरण के लिये खासकर 11 के.व्ही., 33 के.व्ही. जो लाईन जा रही है उसके नीचे गार्डिंग की जो व्यवस्था होना चाहिये. गार्डिंग की व्यवस्था उज्जैन में चाही गई है, लेकिन बाकी जगहों जैसे भोपाल में भी देखें तो वहां भी नहीं है. तो इस संबंध में माननीय मंत्री जी बताना चाहेंगे कि गार्डिंग की व्यवस्था अनिवार्य है कि नहीं है, या इसकी वर्तमान स्थिति क्या है मंत्री जी बताना चाहेंगे ?
श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य जी ने जिले के बारे में पूछा है कि गार्डिंग की व्यवस्था कम्पलसरी नहीं है, लेकिन जहां जहां पर नदी है, नाले हैं, रेल्वे क्रासिंग हैं उन सब जगहों पर गार्डिंग करने की व्यवस्था सभी जगह है. जहां पर भी इस प्रकार की रेल्वे क्रासिंग है या नदी है उन सबमें यह व्यवस्था है.
डॉ.मोहन यादव--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने असत्य जानकारी दी है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि यह तो ऐसा हिसाब हो गया कि रेल्वे की पटरी खराब है, लेकिन रेल को आने दो उसके बाद क्या होगा बताने की जरूरत नहीं होगी. जिस प्रकार से उत्तर में यह बताया है, लेकिन शहर की घनी बस्ती, चौराहे पर जहां पर गार्डिंग की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है. लेकिन जहां रोड क्रास हो रहा है, वहां पर भी गार्डिंग नहीं है. ऐसे में, मैं आपको मंत्री जी उज्जैन के अंदर नाम भी बता सकता हूं, जैसे उज्जैन का तीन बत्ती चौराहा, वेद नगर है, जहां 11 केव्ही एलटी लाईन जा रही है, वहां पर गार्डिंग नहीं है. इसी प्रकार से शहर का सबसे सघन बस्ती वाला इलाका टावर चौराहा है. ऐसे घनी बस्ती वाले इलाके, जहां पर हजार-पांच सौ लोग तुरंत जो उससे प्रभावित हो सकते हैं. अभी चार दिन पहले कोठी पैलेस पर एक पेड़ की डाली गिरी और उसके कारण तार टूटकर नीचे गिरा,उससे एक आदमी मरा है. इसलिये जिन लोगों ने यह गंभीर गलती की है, उन पर भी कार्यवाही की की बात आती है. इस पर जिस प्रकार का उत्तर माननीय मंत्री जी से आना चाहिये, मैं उम्मीद करता हूं कि उस प्रकार का उत्तर आपके माध्यम से वह उत्तर आये.
श्री पारस चन्द्र जैन :- माननीय अध्यक्ष, सदस्य ने जो जगह बतायी है, हम उसको दिखवा लेंगे. वैसे अधिकतर क्रासिंग पर है, जहां पर नहीं है, उसके लिये हम आदेशित करते हैं, वहां पर लगवा देंगे.
डॉ. मोहन यादव:- माननीय मंत्री जी, मैं जानना चाहता हूं कि जिन्होंने गलती की है, हमारे पास दो विभाग हैं. एक मूल विभाग जो इस व्यवस्था को खड़ी करता है और एक इसका इंस्पेक्शन करने वाला विभाग है. इन दोनों विभागों के होने के बावजूद अगर काम नहीं हो रहा है तो हम इसको किस रूप में देखेंगे. इसमें पहले तो कार्यवाही होना चाहिये, पहले कार्यवाही होने की आवश्यकता है तो उन पर कार्यवाही क्यों नहीं हो पा रही है, वह क्यों नहीं कर पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय :- आपकी बात हो गयी है.
डॉ. मोहन यादव:- जवाबदारों पर कार्यवाही की बात होना चाहिये और समय-सीमा निर्धारित होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय :- उन्होंने बोल दिया है कि सब जगह लगवा देंगे.
डॉ. मोहन यादव:- अध्यक्ष महोदय, इसमें समय-सीमा निर्धारित होना चाहिये कि दो महीने-चार महीने में कार्यवाही कर देंगे, जिन्होंने कार्यवाही नहीं की है, उन पर कार्यवाही की बात आना चाहिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रश्न करना चाहता हूं कि इनका 132 के बाद 133 का जो फीडर निकलता है, वह उसके बाद 11 केव्ही में चेंज होता है. यह नार्म्स में है कि जहां पर घनी आबादी है, जहां पर क्रासिंग है और जहां पर बहुत ज्यादा आबादी है, वहां पर गार्डिंग लगाना ही चाहिये.
अध्यक्ष महोदय :- डॉ. मोहन यादव जी का भी यही प्रश्न है.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- अध्यक्ष महोदय, यदि नहीं भी है तो यह पूरे मध्यप्रदेश से संबंधी प्रश्न है. मैं आपके माध्यम से प्रश्न करना चाहता हूं कि यदि गार्डिंग नहीं है तो पूरी गार्डिंग की व्यवस्था करनी चाहिये, इससे कई लोगों की जानें बच जाती. इसमें कई भैंसे, गायें मर गयी हैं. इसमें मेरा एक सुझाव और है.
अध्यक्ष महोदय :- अब आप बैठ जायें, आपकी बात आ गयी है. आपके सुझाव हैं और उनका प्रश्न है. प्रश्नकाल में सुझाव नहीं दिये जा सकते हैं.
श्री पारस चन्द्र जैन :- माननीय अध्यक्ष महोदय, गार्डिंग सुधार का कार्य एक सतत् प्रक्रिया है और वह वर्ष में दो बार किया जाता है. फिर भी जो माननीय सदस्य ने बताया है उसको हम कराने के लिये तैयार हैं. क्योंकि यह जनहित का मामला है. किसी के भी साथ ऐसा नहीं होना चाहिये. यदि चौराहे पर गार्डिंग नहीं है तो हम हमारा दायित्व है हम वहां पर करने के लिये तैयार हैं. हम मना नहीं कर रहे हैं.
डॉ. मोहन यादव :- माननीय मंत्री जी मैं यह कह रहा हूं कि जिन्होंने यह काम नहीं किया है, जिन्होंने नहीं किया है, जिसके कारण यह घटना घटी है, उस पर कार्यवाही की बात है. कम से आप यह आश्वासन दे दें कि एक महीने, दो महीने या चार महीने में करवा देंगे, ऐसा आप आश्वासन तो हम आपसे चाहेंगे.
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी, आप उनका काम जल्द करवा दें.
श्री पारस चन्द्र जैन :- आपके आदेश का पालन किया जायेगा.
श्री गोपाल भार्गव :- अध्यक्ष महोदय, वैसे भी मंत्री जी और विधायक जी एक ही शहर के हैं. वहीं पर पूछ लेते.
अध्यक्ष महोदय :- डॉ. मोहन यादव जी, अब आप बैठ जायें. मंत्री जी ने कराने का बोल दिया है.
डॉ. मोहन यादव :- अध्यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि एक बार यह तो मालूम पड़ जाये कि 15 दिन या 1 महीने में जो जायेगा. समय-सीमा बता दें.
श्री पारस चन्द्र जैन :- अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी बताया है कि सुधार कार्य तो एक सतत् प्रक्रिया है. विधायक जी ने कहा है तो हम कराने के लिये कहां मना कर रहे हैं. अतिशीघ्र हम करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय :- जल्दी करवा दीजिये. डॉक्टर साहब अब आप बैठ जायें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह):- माननीय अध्यक्ष महोदय, यादव जी के प्रश्न से यह उद्भूत होता है कि माननीय मंत्री जी उनमें कुछ संबंध ठीक नहीं हैं. गोपाल भार्गव जी ने उसकी पुष्टि कर दी कि दोनों एक ही जिले के हैं. पहले ही पूछ लेते.
श्री उमाशंकर गुप्ता :- माननीय अध्यक्ष जी, संबंध ठीक नहीं होने वाली बात चलेगी तो पता नहीं कहां तक जायेगी. इसको आप रहने ही दीजिये.
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक ही शहर के विधायक एवं मंत्री हैं और सदन में प्रश्न पूछने पर भी मंत्री जी आश्वासन नहीं दे रहे हैं कि जल्दी कर देंगे.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विधायक सदन में इसलिए प्रश्न पूछते हैं ताकि पूरे सदन और राज्य के हित में बात हो. सभी लोगों को इसकी जानकारी हो. यदि विधायक, मंत्री जी के घर जाकर या उनकी गाड़ी में बैठकर प्रश्न पूछ लेते तो पूरे राज्य को कैसे पता चलता.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य कृपया बात न करें. प्रश्न काल चलने दें.
श्री अजय सिंह- अध्यक्ष महोदय, यादव जी, ने जो बात उठाई है, वह उनके शहर और जिले की समस्या है. लेकिन मूल प्रश्न बहुत ही अच्छा है. माननीय मंत्री जी पूरे प्रदेश में समयावधि बताते हुए यह सुनिश्चित करें कि जहां-जहां जरूरत है, वहां गार्डिंग की व्यवस्था करवा दें. क्योंकि विद्युत विभाग के दोनों डिपार्टमेंट में सामंजस्य की थोड़ी कमी है.
श्री पारस चन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के नेताजी और विधायक जी दोनों से ही मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं. मैं उनके घर आता-जाता रहता हूं. नेता प्रतिपक्ष ने संबंध की बात उठाई, इसलिए मैं पहले संबंध की जानकारी दे रहा हूं. विधायक जी द्वारा जो प्रश्न उठाया गया है, वह पूरे प्रदेश के हित में है. हम चाहते हैं कि प्रदेश में कोई भी दुर्घटना न घटे. जहां कहीं ऐसी व्यवस्था नहीं है, हम उसे करने का प्रयास करेंगे.
132 के.व्ही. विद्युत सब स्टेशन का निर्माण
[ऊर्जा]
7. ( *क्र. 2235 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरगी विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बेलखेड़ा में 132 के.व्ही. विद्युत सब स्टेशन के निर्माण/स्थापना की वर्तमान स्थिति क्या है? (ख) क्या उक्त 132 के.व्ही. विद्युत सब स्टेशन के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है? यदि हाँ, तो निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ होगा, ताकि इस क्षेत्र के किसानों की विद्युत आपूर्ति बेहतर ढंग से हो सके।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) बरगी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बेलखेड़ा में निर्माणाधीन 132 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र के निर्माण का कार्य ठेकेदार मेसर्स बी.एस. लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा धीमी गति से किये जाने के कारण ठेका दिनांक 22.02.2017 को निरस्त किया जा चुका है। ठेका निरस्त किये जाने तक 15 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका था। (ख) जी हाँ। मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा 132 के.व्ही. उपकेन्द्र बेलखेड़ा का निर्माण कार्य स्वीकृत कर कार्य निविदा आधार पर चयनित न्यूनतम निविदाकार मेसर्स बी.एस. लिमिटेड, हैदराबाद को दिया गया था। ठेकेदार मेसर्स बी.एस. लिमिटेड हैदराबाद द्वारा उक्त उपकेन्द्र का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था, परन्तु धीमी गति से कार्य किये जाने के कारण मेसर्स बी.एस. लिमिटेड का ठेका निरस्त कर दिया गया है। 132 के.व्ही. उपकेन्द्र बेलखेड़ा के शेष कार्यों को निविदा की शर्तों के अनुसार मेसर्स बी.एस. लिमिटेड की रिस्क एवं कास्ट के अंतर्गत पूर्ण करवाने हेतु निविदा दिनांक 28.06.2017 को जारी की जा चुकी है। निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर आदेश जारी किए जाने की कार्यवाही की जाएगी। तत्पश्चात् उपकेन्द्र का शेष निर्माण कार्य प्रारंभ किया जायेगा। अत: वर्तमान में निर्माण कार्य प्रारंभ होने की निश्चित तिथि बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती प्रतिभा सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी द्वारा बताया गया है कि ठेकेदार द्वारा धीमी गति से कार्य किए जाने के कारण ठेका 22.02.2017 को निरस्त कर दिया गया एवं शेष कार्य पुन: निविदा दिनांक 28.06.2017 को जारी किया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहती हूं कि 132 के.व्ही. बेलखेड़ा विद्युत उपकेंद्र की पुन: निविदा विधान सभा प्रश्न लगने के बाद जारी की गई है. विद्युत कंपनी के अधिकारी निविदा इसके पूर्व भी जारी कर सकते थे. जिससे 4 माह का समय बच सकता था. बेलखेड़ा क्षेत्र के किसान बिजली की समस्या से पीडि़त रहते हैं. विद्युत उपकेंद्र बनने से उन्हें सही तरीके से बिजली मिल सकेगी. मैं निवेदन करना चाहती हूं कि मंत्री जी, कृपया शीघ्र कार्य पूर्ण करने के निर्देश जारी करें और कार्य पूर्ण होने की समय-सीमा बतायें.
श्री पारस चन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, फर्म द्वारा कोर्ट में याचिका लगाये जाने के कारण निविदा जारी करने में विलंब हुआ है. वर्ष 2017 में नई निविदा जारी कर दी गई है. वैसे तो डेढ़ साल की समय-सीमा है परंतु 12 माह में इस उपकेंद्र का कार्य पूरा कर दिया जायेगा.
श्रीमती प्रतिभा सिंह- धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 8 (अनुपस्थित)
अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजना का क्रियान्वयन
[आदिम जाति कल्याण]
9. ( *क्र. 2481 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजनान्तर्गत छतरपुर जिले को वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि प्राप्त हुई? वर्षवार जानकारी प्रदाय करें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में जिले की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को वर्ष 2012-13 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि प्रदाय की गई। (ग) छतरपुर जिले में ऐसे कितने गाँव हैं, जहाँ अनुसूचित जनजाति की कुल जनसँख्या 50 प्रतिशत या उससे अधिक है तथा कम से कम अनुसूचित जनजाति के 20 परिवार निवास करते हों? विधानसभा क्षेत्र अनुसार नाम सहित जानकारी प्रदाय करें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजनान्तर्गत प्राप्त राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) विधानसभा क्षेत्रवार प्रदाय की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे एक और प्रश्न का संदर्भ है कि क्या माननीय मंत्री जी, मुझे इतनी शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करेंगे कि उनके अधीन कार्यरत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के जिला संयोजक मेरी अनुशंसा पर मेरी बिजावर विधान सभा में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के समाजिक भवनों को बनाने के लिए, सी.सी.रोड बनाने के लिए, राशि आवंटित करेंगे. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो क्या जिला संयोजक, अनुसूचित जाति एवं जनजाति जिला छतरपुर को आदेशित करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके संदर्भ में मेरा एक निवेदन है कि मेरा एक प्रश्न 18.07.2017 को तारांकित परिवर्तित के रूप में लगा था. उसमें जानकारी आई है कि 2015-16 के वित्तीय वर्ष में 9.39 लाख रूपये, 2016-17 में 7.08 लाख रूपये इस मद से आवंटित हुए हैं. मैंने वर्ष 2015-16 में 5 पत्र, वर्ष 2016-17 में 28 पत्र, 3 पत्र प्रभारी मंत्री जी की अनुशंसा के साथ और 3 पत्र माननीय सांसद महोदय की अनुशंसा के साथ दिए थे. जिनमें से एक भी काम स्वीकृत नहीं हुआ है. इसके बारे में मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य)- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं एक जानकारी माननीय विधायक जी को देना चाहता हूं कि छतरपुर की एस.टी. की आबादी 73,597 है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक- मंत्री जी, ये सभी आंकड़े हमारे पास हैं, इसकी जानकारी की जरूरत नहीं है.
श्री लाल सिंह आर्य- विधायक जी, कृपया मेरी पूरी बात सुन लें. मध्यप्रदेश के सभी जिलों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में, जिलों में राशि आवंटित की जाती है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो स्पेसिफिक प्रश्न हो उसका जवाब मिलना चाहिए क्योंकि सारा समय उसी में निकल जाता है. प्रश्न संख्या 10 से ज्यादा आगे बढ़ते ही नहीं हैं. अभी हमारा पांचवां प्रश्न आया है और ग्यारह, बारह एक भी नहीं आ पाया. प्रश्न दस से ऊपर निकल ही नहीं पाते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कल आधे घण्टे में ही दस से ऊपर प्रश्न प्रश्नकाल में शामिल हो चुके थे.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय मंत्री जी इतना बता दें पूरी हिस्ट्री क्यों बता रहे हैं. यह तो पचास बार सुन चुके हैं कि बीस साल से आबादी के हिसाब से नियम है.
अध्यक्ष महोदय-- आप जो बोल रहे हैं इसमें भी तो समय खराब हो रहा है. आप माननीय मंत्री जी को बोलने दें.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय मंत्री जी जल्दी से जो पूछा है उसका स्पेसिफिक उत्तर दे दें.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नियम 20 साल से नहीं है यह बीस साल से नियम नहीं थे. जनसंख्या के मान से अभी माननीय शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री बने हैं तब से आवंटन प्रारंभ हुआ है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक--माननीय मंत्री जी आप केवल एक बात सुन लीजिए. श्री लाल सिंह आर्य-- मैं आपको बता रहा हूं. आप सुन लीजिए.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय मुझे केवल एक लाइन का जवाब चाहिए कि वित्तीय वर्ष 2017-2018 में 60.06 लाख रुपए छतरपुर जिले के लिए आवंटित हुआ है उसमें से आज दिनांक तक एक भी राशि आवंटित नहीं हुई है. माननीय मंत्री जी क्या मुझे आश्वासन देंगे कि मेरी विधानसभा में मेरे पत्र के आधार पर मैंने जो राशि चाही है विकास के कार्यों के लिए, अनुसूचित जाति जनजाति के कल्याण के लिए, समाज भवनों के लिए, सी.सी. रोड के लिए क्या आवंटित कराएंगे?
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले एक कमेटी कलेक्टर की अध्यक्षता में होती थी. वह हमने अब केवल प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में बना दी है क्योंकि पहले शिकायत रहती थी ताकि वह ठीक ढंग से प्रारंभ हो जाए.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो केवल इतना पूछ रहा हूं कि मुझ पर कृपा बरसेगी या नहीं बरसेगी? मैं बहुत छोटी सी बात पूछ रहा हूं.
श्री लाल सिंह आर्य-- आप पूरा उत्तर तो सुन लें. एक चीज हमने और कर दी है क्योंकि जो शासन ने किया है वह बताना तो पडे़गा. पहले केवल 80 प्रतिशत राशि जाती थी 20 प्रतिशत राशि यहां से आवंटित होती थी हमने वह 20 प्रतिशत राशि भी टोटल पहुंचा दी. पहले क्वाटर्स के हिसाब से जाती थी, तीन महीने में एक बार हमने सालभर की राशि जिले में पहुंचा दी है. वहां के प्रभारी मंत्री उस कमेटी के अध्यक्ष हैं. आप उनसे अनुशंसा कराइए उस अनुशंसा के आधार पर जो राशि प्राप्त है उसमें से आप कमरे बनवाइए.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि राशि कहां अटकी है मैं इतना ही जानना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने बताया है कि आप प्रभारी मंत्री जी से बात करें तो हो जाएगा.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, हमने 38.92 लाख रुपए विद्युतीकरण के लिए भी भेजा है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी बैठ जाइए. डॉक्टर साहब आरोप लगाते हैं कि ज्यादा प्रश्न नहीं होते हैं. और आप लोग ही डिस्टर्ब करते हैं. अब कोई व्यवधान नहीं करेगा, कोई पूरक प्रश्न नहीं करेगा. डॉक्टर साहब आज पूरे 25 प्रश्न करेंगे. (व्यवधान)
श्री अरूण भीमावद-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में करें. (व्यवधान)
श्री लाल सिंह आर्य-- प्रभारी मंत्री जी की अध्यक्षता में ही पैसा आवंटित हुआ है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि इस कमेटी की बैठक प्रभारी मंत्री जी के नेतृत्व में कराई जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रभारी मंत्री करेंगे आदेश जारी हो गए हैं. अब कोई पूरक प्रश्न नहीं आएगा.
सुमावली विधानसभा क्षेत्र के मजरे, टोलों का विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
10. ( *क्र. 1880 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सुमावली विधानसभा क्षेत्र मुरैना के 636 मजरे, टोलों को 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत ठेकेदार मेसर्स बजाज इलेक्ट्रीकल्स मुम्बई को कार्य दिया गया था? कार्यादेश कब जारी किया एवं कितनी राशि बजाज कंपनी को देनी थी? (ख) सुमावली विधानसभा क्षेत्र मुरैना के कितने मजरे टोलों का कार्य जून 2017 तक पूर्ण किया जा चुका है? कार्य करने की समय-सीमा क्या थी? विद्युतीकरण हेतु क्या जनप्रतिनिधियों द्वारा विभाग को कंपनी द्वारा धीमी गति के कार्यों के बारे में पत्र लिखा गया था? (ग) क्या नियत समय में कार्य नहीं हो पाने के कारण विभाग द्वारा ठेकेदार बजाज कंपनी पर पेनल्टी लगाई जा रही है? क्या कंपनी द्वारा कार्य बंद किया जा रहा है? बचे हुए मजरे टोलों का कार्य किस कंपनी से कराया जायेगा। ग्रामीण क्षेत्र में अभी तक किस-किस कंपनी से कार्य कराया जा चुका है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत मुरैना जिले के 3101 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण कार्य हेतु टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल लिमिटेड मुम्बई को दिनांक 10.09.2014 को राशि रू. 106.09 करोड़ के कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु अवार्ड जारी किया गया था। उक्त कार्य में डी.पी.आर. अनुसार सुमावली विधानसभा क्षेत्र के 636 मजरे/टोले सम्मिलित थे, किन्तु उक्त योजना के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय उपलब्धता के आधार पर सुमावली विधानसभा क्षेत्र के 215 मजरों/टोलों को विद्युतीकरण कार्य हेतु सम्मिलित किया जा सका। (ख) सुमावली विधानसभा क्षेत्र में जून 2017 तक 213 मजरों/टोलों में विद्युतीकरण का कार्य संपादित कराया जा चुका है। ठेकेदार एजेन्सी को दिये गये अवार्ड की शर्तों के अनुसार उक्त योजना के कार्य पूर्णता की समय-सीमा 10.09.2016निर्धारित थी, जिसेम.क्षे.वि.वि.कं.लिमि. भोपाल के पत्र क्र.एम.डी./एम.के./प्रोजेक्ट/आर.जी.जी.व्ही.व्हाय./1236, दिनांक 10.11.2016 द्वारादिनांक 30.06.2017 तक बढ़ा दिया गया था। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार प्रश्नाधीन किये जा रहे कार्यों की धीमी गति के संबंध जिले के माननीय जनप्रतिनिधियों से कोई भी पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। (ग) जी हाँ, नियत समय-सीमा में कार्य नहीं किये जाने का कारण ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स बजाज इलेक्ट्रिकल लिमिटेड मुम्बई के देयकों में से अवार्ड की शर्तों के अनुसार लिक्विडेटेड डैमेज के रूप में पेनल्टी स्वरूप रू. 3.11 करोड़ की राशि काटी जा चुकी है। उक्त कंपनी द्वारा प्रश्न दिनांक तक कार्य बन्द नहीं किया तथा सुमावली विधानसभा क्षेत्र के उक्त शेष 2 मजरों/टोलों का कार्य प्रगति पर है। प्रश्नाधीन उक्त योजनांतर्गत शेष मजरों/टोलों में विद्युतीकरण कार्य वित्तीय उपलब्धता के आधार पर दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में कराया जावेगा। उक्त योजना का कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, अवार्ड जारी हो जाने के पश्चात् टर्न-की ठेकेदार के नाम से अवगत कराया जाना संभव हो सकेगा। प्रश्नाधीन ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनांतर्गत ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स केईसी इंटरनेशनल गुड़गाँव से कार्य कराया गया था, किन्तु समय-सीमा में कार्य नहीं किये जाने के कारण उक्त ठेकेदार एजेंसी का अनुबंध दिनांक 23.11.2013 को निरस्त कर बैंक ग्यारंटी की राशि राजसात कर ली गई थी।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- अध्यक्ष महोदय, बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण का कार्य कराया जाना था. मैंने आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहा था कि यह कार्य कब-कब किस- किस कंपनी को दिया गया है. जैसा कि मुझे उत्तर में बताया गया है कि वर्ष 2013 में एक के.ई.सी. इंटरनेशनल गुड़गांव की कंपनी को यह कार्य दिया गया था लेकिन उसके द्वारा कार्य समय सीमा में नहीं कराए जाने के कारण उसका टेंडर निरस्त कर दिया गया था. उसके बाद वर्ष 2014 में यह काम बजाज इलेक्ट्रिकल लिमिटेड मुम्बई के द्वारा कराया जाना था. इसमे मुरैना जिले के कुल मजरे टोले थे 3101 मेरी विधानसभा के लगभग 636 मजरे टोले इसमें सम्मिलित किए गए लेकिन उस समय बजट के अभाव के कारण 215 मजरे टोलों को सम्मिलित किया गया मेरा माननीय मंत्री महोदय से यह कहना है कि वर्ष 2013 से वर्ष 2017 तक पांच वर्ष हो गए हैं और 636 मजरे टोले थे उसमें से केवल 215 लिए गए इसी तरह धीमी गति से कार्य चलता रहा तो क्या आगे जो 421 मजरे टोले बचे हैं उनमें काम कब तक हो पाएगा, यह मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं?
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, शेष बचे सभी मजरे-टोलों का कार्य हमने दीनदयाल योजना में सम्मिलित कर लिया है. निविदा भी बुला ली है. बाकी का जो काम है वह हम बहुत जल्दी पूरा कर देंगे.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि इसकी समय सीमा क्या होगी. क्योंकि 5 वर्ष में केवल 215 मजरे-टोले लिए गए उसमें से भी 2 मजरे टोले आज दिनांक तक बाकी हैं. मेरे द्वारा विधान सभा में प्रश्न लगाने के बाद उनमें कार्य अभी प्रारंभ हुआ है. अभी 421 मजरे-टोले बाकी हैं अगर इसी धीमी गति से कार्य चलता रहा तो मुझे लगता है कि 5 साल बाद भी यह कार्य पूरे नहीं हो पाएंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य को मैं विश्वास दिलाता हूँ कि चुनाव के पहले इनके मजरे-टोलों का काम पूरा कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय--आपके पूरे कर देंगे.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--अध्यक्ष महोदय,मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--अब कोई प्रश्न नहीं होगा श्री प्रहलाद भारती अपना प्रश्न करें.
इंजीनियर प्रदीप लारिया--क्या माननीय मंत्री जी पूरे मध्यप्रदेश में चुनाव के पहले यह करवा देंगे क्या. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--प्रदीप जी बैठ जाएं.
शासकीय सेवकों के स्वत्वों के भुगतान की प्रक्रिया
[वित्त]
11. ( *क्र. 1955 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवीन अंशदायी पेंशन योजना के अंतर्गत दिनांक 01.01.2005 के पश्चात् नियुक्त शासकीय सेवकों को सेवानिवृत्ति/आकस्मिक मृत्यु होने पर किन-किन स्वत्वों का कितना-कितना भुगतान किया जाता है? स्वत्ववार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) दिनांक 01.01.2005 के पश्चात् नियुक्त शासकीय सेवकों को पेंशन अंशदान खाते में जमा राशि के अंतिम भुगतान की क्या प्रक्रिया है? सेवा अवधि में आवश्यकता होने पर पेंशन अंशदान खाते से राशि आहरण करने की क्या प्रक्रिया है? पेंशन अंशदान खाते में जमा राशि पर किस दर से कितना-कितना ब्याज दिया जाता है? (ग) दिनांक01.01.2005 के पश्चात् नियुक्त शासकीय सेवक की आकस्मिक मृत्यु होने पर उस पर आश्रित पत्नि को प्रतिमाह पेंशन पाने की पात्रता है अथवा नहीं? यदि हाँ, तो कितनी राशि की पात्रता है? पेंशन अंशदान खाते में जमा राशि के अभिलेखों का संधारण कैसे-कैसे तथा किनके द्वारा किया जाता है?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) नवीन अंशदायी पेंशन योजना के अंतर्गत दिनांक 01.1.2005 के पश्चात् नियुक्त शासकीय सेवक की सेवानिवृत्ति/आकस्मिक मृत्यु होने पर मध्य प्रदेश शासन वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश दिनांक 06.8.2014 की कंडिका-1 (अ) अनुसार कुल जमा अंशदान राशि का 60 प्रतिशत एक मुश्त भुगतान तथा 40 प्रतिशत राशि से एन्युटी खरीदनी होगी, जिससे सेवानिवृत्ति होने पर मासिक पेंशन प्राप्त होगी तथा कंडिका 1 (स) अनुसार मृत्यु होने पर कुल जमा अंशदान राशि का 100 प्रतिशत नामिनी को भुगतान किया जाता है। समूह बीमा योजना 2003 के प्रावधान अनुसार भुगतान किया जाता है। (ख) दिनांक 01.1.2005 के पश्चात् नियुक्त शासकीय सेवकों को पेंशन अंशदान खाते में जमा राशि का अंतिम भुगतान मध्य प्रदेश शासन वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश दिनांक 06.8.2014 में निर्धारित प्रक्रिया अनुसार किया जाता है। सेवा अवधि में आवश्यकता होने पर पेंशन खाते से राशि आहरण हेतु कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है। पेंशन अंशदान खाते में जमा राशि राज्य शासन द्वारा निर्धारित फण्ड मैनेजरों को आवंटित प्रतिशत के आधार पर स्टॉक मार्केट में निवेश से प्राप्त प्रतिफल पर लाभांश देय होता है। (ग) जी नहीं। पेंशन अंशदान खाते में जमा राशि संबंधी रिकार्ड्स का संधारण राज्य शासन द्वारा अधिकृत एन.एस.डी.एल. (रिकार्ड किपिंग एजेन्सी) द्वारा किया जाता है। एन.पी.एस. ट्रस्ट द्वारा अभिदाताओं की राशि पी.एम.एफ. द्वारा स्टॉक मार्केटिंग में निवेश किया जाता है।
श्री प्रहलाद भारती--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि 1 जनवरी 2005 के पश्चात् नियुक्त शासकीय सेवकों के पेंशन अंशदान खाते में जमा राशि को सेवा अवधि में आवश्यकता पड़ने पर जैसे बीमारी, बेटी की शादी, मकान का निर्माण आदि के लिए निकालने हेतु केन्द्र सरकार के नियम की तरह कब तक नियम बना लिया जाएगा. माननीय मंत्री जी घोषणा करने की कृपा करेंगे.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि राष्ट्रीय पेंशन योजना 1.1.2005 के बाद भारत सरकार के जो अभिदाता हैं, कर्मचारी हैं उनको यह सुविधाएं हैं. मैं आज यहाँ यह घोषणा करना चाहता हूँ कि इस प्रकार की सुविधाएं जिसमें संतान के लिए उच्च शिक्षा, संतान के विवाह, प्लाट या मकान क्रय हेतु, परिवार के सदस्यों की विनिर्दिष्ट गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी फेल, बायपास, हार्ट वाल्व सर्जरी, कोमा, पैरालैसिस. यह सुविधा अभिदाता संपूर्ण सेवाकाल में तीन बार, कम से कम पांच वर्ष की अवधि के अन्तराल से प्राप्त कर सकेगा. मैं आज सदन इसकी में घोषणा करता हूँ. यह हमारे राज्य सरकार के जो भी कर्मचारी हैं उनके लिये है.
श्री प्रहलाद भारती--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ.
खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत ग्रामों का विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
12. ( *क्र. 1011 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कौन-कौन से ग्रामों में विद्युतीकरण नहीं हुआ है तथा इसके क्या मुख्य कारण रहे? (ख) विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर अंतर्गत फीडर सेपरेशन तथा राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना अंतर्गत कौन-कौन से कार्य अप्रांरभ एवं अपूर्ण हैं तथा कब तक पूर्ण करा लिये जायेंगे? (ग) विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत किन-किन ग्रामों की विद्युत सप्लाई किन-किन कारणों से बंद है एवं किन-किन ग्रामों में ट्रांसफार्मर जले एवं खराब हैं? उनको कब तक बदल दिया जाएगा? ग्रामवार जानकारी उपलब्ध कराई जावे।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) वर्ष 2016-17 के पूर्व ही खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत सभी 352 राजस्व ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। (ख) खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत कार्य दिनांक 30.06.2016 को पूर्ण हो चुका है। खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र में फीडर विभक्तिकरण योजना के अंतर्गत सम्मिलित 11 के.व्ही. के 54 फीडरों एवं उनसे संबद्ध 352 ग्रामों में से 53 फीडरों एवं उनसे संबद्ध 337 ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण का कार्य दिनांक 30.06.2017 तक पूर्ण हो चुका है तथा शेष एक 11 के.व्ही. फीडर एवं उससे संबद्ध 15 ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण का कार्य प्रगति पर है,जिसे कार्य पूर्णता की निर्धारित दिनांक 22.9.2017 तक पूर्ण किया जाना संभावित है। उक्तानुसार फीडर विभक्तिकरण के शेष कार्य का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत वर्तमान में सभी ग्रामों का विद्युत प्रदाय चालू है। खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत 77 जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण बदलने हेतु शेष हैं, जिनकी ग्रामवार सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार बकाया राशि का 40 प्रतिशत अथवा कुल उपभोक्ताओं में से 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा राशि जमा किये जाने पर उक्त जले एवं खराब ट्रांसफार्मर प्राथमिकता के आधार पर बदल दिये जावेंगे।
श्री कुँवर हजारीलाल दांगी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने बताया है कि कार्य पूर्ण हो चुका है. मेरा अनुरोध है कि जब पहली कंपनी को टेंडर हुआ था तो वह कंपनी काम छोड़कर चली गई. दूसरी कंपनी जिसको टेंडर हुआ है वह अभी काम कर रही है तो अभी जब काम चालू है तो काम कैसे पूर्ण हो गया. एक निवेदन है कि इतना घटिया काम हो रहा है कि अभी जैसे ही बारिश हुई और हवा चली तो कम से कम 100 पोल से ज्यादा तो गिर ही गए हैं, तार टूट गए हैं. इतना घटिया काम हो रहा है. मेरा अनुरोध है कि मेरे यहां जो काम बाकी है वह कितने समय में पूर्ण करा देंगे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--पहले जिनका प्रश्न है उनका तो उत्तर आने दो. डॉक्टर साहब ने मना दिया है, आज सबके प्रश्न आएंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो बात कही है यदि वे हमको कोई स्पेसिफिक बता दें जहां पर गलत काम हुआ है. वैसे तो नियम बने हैं उसके तहत उस कंपनी की जांच होती रहती है, लेकिन फिर भी यदि माननीय सदस्य जानकारी देंगे तो हम उसकी जांच करवा लेंगे और जांच में माननीय सदस्य को भी रख लेंगे. हमें कोई दिक्कत नहीं है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--पहले उन्हें प्रश्न पूछने दें जिनका मूल प्रश्न है. उसके बाद डॉ. गोविन्द सिंह जी.
श्री कुँवर हजारीलाल दांगी--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और है. दूसरे प्रश्न में मंत्री जी ने जवाब दिया था कि 77 ट्रांसफार्मर जले हैं. यह 77 ट्रांसफार्मर वह हैं जो अभी ग्रामोदय से भारत उदय योजना और किसान संदेश यात्रा में जब हम गांवों में गए तो उस समय मैंने लिखकर दिए थे. लेकिन मेरा अनुरोध है कि कोई गाँव ऐसा नहीं बचा है, जिसमें ट्रांसफार्मर जले हुए नहीं हों, आज ट्रांसफार्मर जले हुए होने की वजह से किसानों को इतनी परेशानी है, सन् 2016 में ट्रांसफार्मर जले हैं और 2017 में भी बिल आ रहे हैं तो क्या माननीय मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि जो एक साल का बिल माफ करके और किसानों को जो वर्तमान में जो शेष बची राशि का बिल देकर राशि जमा कराकर, कब तक सारे गाँवों में ट्राँसफार्मर लगा देंगे?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 40 परसेंट से ज्यादा यदि बकाया पैसे होंगे और माननीय सदस्य से मेरा निवेदन है और जितने भी सदस्य बैठे हैं उनसे भी निवेदन है कि 40 परसेंट से ज्यादा यदि सब पैसा भरवा देंगे तो हम कहते हैं कि 5 दिन में पूरे मध्यप्रदेश के ट्रांसफार्मर, हमारी योजना के अंतर्गत हम बदल देंगे...(व्यवधान)..उसके साथ हमने जो अमेण्डमेंट किए हैं यदि उस 40 परसेंट के साथ 75 लोगों ने भी यदि भर दिए हैं और यदि बड़े बड़े एक दो लोगों पर बकाया है तो हम 75 ने यदि भर दिए हैं तो भी हम ट्रांसफार्मर बदल देंगे, हमारी पॉलिसी है...(व्यवधान)..हमने जो तीसरा अमेण्डमेंट किया है यदि गाँव छोड़कर चले गया और 3 साल हो गए, तो भी यदि हम उस पर लेस करके ट्रांसफार्मर, लेकिन पैसा तो भरे. पैसा भरेंगे तो ट्रांसफार्मर बदलने की हमारी जवाबदारी, हम इसके लिए बाध्य हैं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 13 डॉ.गोविन्द सिंह...
कुँवर हजारीलाल दांगी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न और है.
अध्यक्ष महोदय-- अब हल्ला-गुल्ला मचाकर आपको ये नहीं पूछने देंगे. दांगी जी, आपका समाधान हो गया. ..(व्यवधान)..
कुँवर हजारीलाल दांगी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा समाधान नहीं हुआ. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब, अब आप शांत करिए, आप हमसे कह रहे थे. अब बोलिए आप.
कुँवर हजारीलाल दांगी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि 2016 में जो ट्रांसफार्मर जले हैं, आज बदले तो क्या इसके बीच की राशि उनकी माफ करके और शेष राशि तो जमा करने के लिए लोग तैयार हैं, लेकिन बिल अतिरिक्त दे रहे हैं, वह माफ करेंगे क्या?
श्री पारस चन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, यदि कोई कनेक्शन लिया है और..(व्यवधान)..बकाया चल रहा है तो उसकी प्रक्रिया समाधान योजना में ..(व्यवधान)..ये पैसा भर देंगे, यदि उसके बीच का इन्होंने पैसा कटाया नहीं तब तो सतत् वह तो प्रक्रिया चलती रहती है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मूल प्रश्नकर्ता बैठ गए हैं, आप सब बैठ जाएँ. प्रश्न क्रमांक पर 13 डॉ गोविन्द सिंह अपना प्रश्न पूछेंगे. ..(व्यवधान)..कोई नहीं, आज इसी विभाग पर 12 प्रश्न हैं और भी चान्स मिलेगा.
लहार विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत ग्रामों का विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
13. ( *क्र. 1166 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले के लहार विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत किन-किन ग्रामों एवं नगरीय क्षेत्रों में किस-किस योजना में कौन-कौन से ग्रामों, मजरों, टोलों में पूर्ण रूप से विद्युतीकरण किया जा चुका है। (ख) वर्तमान में लहार क्षेत्र के किन-किन ग्रामों, मजरों, टोलों में विद्युतीकरण किस-किस योजना अन्तर्गत कब तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है? (ग)क्या विभिन्न योजनाओं में प्रश्न दिनांक तक लहार विधान सभा क्षेत्र में विद्युतीकृत ग्रामों के अधूरे कार्यों को विद्युत विभाग के अधिकारियों एवं एजेंसियों ने सांठ-गांठ कर पूर्ण विद्युतीकरण का कार्य किये जाने की जानकारी दी है? (घ) यदि हाँ, तो उक्त विद्युतीकृत ग्रामों का भौतिक सत्यापन कराया जाकर, सत्यापन के आधार पर अपूर्ण कार्य को पूर्ण कार्य की जानकारी देने वाले संबंधित दोषियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही करते हुए शेष कार्यों को निश्चित समय-सीमा में पूर्ण कराया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) भिण्ड जिले के लहार विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत 11वीं एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में ग्रामों के सघन विद्युतीकरण एवं मजरों/टोलों के विद्युतीकरण के कार्य पूर्ण किये गये हैं, जिनका ग्राम/मजरा/टोलावार एवं योजनावार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। भिण्ड जिले के लहार विधानसभा क्षेत्रांतर्गत नगरीय क्षेत्रों में ए.डी.बी. (स्माल टाउन) योजनांतर्गत आलमपुर एवं दबोह में प्रणाली सुदृढ़ीकरण का कार्य किया गया है। (ख) लहार विधानसभा में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत ग्रामों के सघन विद्युतीकरण एवं 100 तथा 100 से अधिक जनसंख्या वाले मजरों/टोलों में विद्युतीकरण का कार्य किया जाना प्रस्तावित है, जिसका ग्रामों/मजरों/टोलों के नाम सहित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। उक्त कार्य सहित भिण्ड जिले हेतु स्वीकृत दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, अत: कार्य पूर्णता की समय-सीमा वर्तमान में बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी नहीं, अपितु लहार विधानसभा क्षेत्र में माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा उपलब्ध कराई गई 90 ग्रामों की सूची में से सभी ग्रामों में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (11वां एवं 12वां प्लान) के प्रावधानों अनुसार कार्य पूर्ण पाए जाने तथा उक्त में से 54 ग्रामों के आबादी क्षेत्र में केबलीकरण का कार्य, जो कि उक्त योजना में सम्मिलित नहीं था, शेष होने की जानकारी दी गई थी। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में किसी के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है। तथापि उल्लेखनीय है कि लहार विधानसभा क्षेत्र सहित भिण्ड जिले में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का कार्य कर रही टर्न-की ठेकेदार एजेंसी द्वारा कार्य में विलंब किये जाने के कारण उसे जारी अवार्ड दिनांक 16.3.2017 को निरस्त कर दिया गया है तथा उत्तरांश (ग) में उल्लेखित 54 ग्रामों के केबलीकरण के कार्य सहित योजनांतर्गत शेष कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
डॉ.गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आप से विनम्र प्रार्थना है....
अध्यक्ष महोदय-- अब आपका प्रश्न भी तो कितना बड़ा है, टाइम नहीं लगेगा तो क्या होगा.
डॉ.गोविन्द सिंह-- हम ज्यादा नहीं पूछेंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं केवल आप से विनम्र प्रार्थना कर रहा हूँ, (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
डॉ.गोविन्द सिंह-- यह सच्चाई है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, इस तरह से आक्षेप नहीं लगा सकते.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरी आप से प्रार्थना है कि माननीय मंत्री जी को, जो प्रश्न के जवाब देते हैं, उनको आप निर्देशित करें कि जवाब देने के पहले वह प्रश्न पढ़ लिया करें कि हम उत्तर क्या दे रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरे पास एक यह जवाब है, इसमें 126 गाँव का तो अपूर्ण है, लहार विधान सभा क्षेत्र में 126 गाँव को पूर्ण किया गया है और एक ही प्रश्न में यह असवार है, इसको दो दो जगह लिखा दिया. इधर भी आपने लिख दिया 17 नंबर पर और आगे फिर लिख दिया, आपने दो दो बार उसका उल्लेख कर दिया, एक ही गाँव का, तो 125 रह गए. इसी प्रकार के ऐसे प्रश्न हैं कि जो दोनों, पूर्ण और अपूर्ण, कुछ हमने पूछा था कि जो शेष रह गए हैं, उनमें कब तक, तो शेष लगभग 20 गाँव ऐसे हैं, जिनमें आपने पूर्ण भी बता दिया और आगे काम प्रस्तावित बता दिया कि काम होना पूर्ण है, तो इसमें वास्तविकता क्या है? माननीय मंत्री जी जवाब देने के पहले यह तो पता कर लिया करें कि आखिर हम दोनों जगह कह क्या रहे हैं. कई गाँव ऐसे हैं जो राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना में, अध्यक्ष जी, हमारा खुद का गाँव है, उसमें आपने लिख दिया कि पूर्ण हो गया, जबकि वहाँ काम ही प्रारंभ नहीं हुआ. ऐसे कम से कम 50-55 गाँव हैं, जहाँ पर कोई काम नहीं हुआ. सुन्दरपुरा का आपने उल्लेख किया है, सुन्दरपुरा के गाँव में बाहर रोड पर तार लगे थे, सड़क के किनारे, तार चोर काट ले गए, उसके बाद वहाँ खम्भे भी नहीं पहुँचे, गाँव से 3 किलोमीटर दूर है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न क्या है?
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, हमारा गंभीर आरोप है कि विभाग के अधिकारी गलत जवाब देते हैं और इन्होंने कंपनी से मिलकर अपूर्ण कामों को पूर्ण दिखा दिया है तो क्या आप कोई विशेष टीम बना कर हमारे लहार विधान सभा के कार्यों की जाँच करा लेंगे. आप वहाँ की सच्चाई पता करा लें कि वास्तविकता क्या है.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है इसका उत्तर आप ले लें.
डॉ. गोविंद सिंह-- इसको आप कितने दिन में करा लेंगे एक तो हमारा यह प्रश्न है और दूसरा प्रश्न हम बाद में कर लेंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लहार विधान सभा में राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के प्रावधान के अनुसार कार्य पूर्ण किये गये हैं लेकिन 54 ग्रामों के आबादी क्षेत्र में केबलीकरण का कार्य शामिल नहीं था. जो कार्य पहले पूर्ण बताये थे वह कान्ट्रेक्ट में कार्य के अनुसार पूर्ण हुए हैं और केबलीकरण का कार्य नई योजना में शामिल हमने करवा लिया है और फिर भी आपको ऐसा लगता है कि यहाँ काम नहीं हुए हैं और यदि आप कहेंगे तो आपके स्तर पर, आप खुद साथ में चल कर, आपके समक्ष उसकी जाँच करवा लेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब आपने ऐसा कहा कि जाँच करवा लेंगे उसके लिए आपको धन्यवाद लेकिन जाँच जल्दी हो और आदमी मौके पर जायें. मैंने पूछा ही था कि भौतिक सत्यापन कराया जाये तो सत्यापन हुआ नहीं है और मैं सच्चाई बता रहा हूं, जब मैं खुद गाँव में रह रहा हूँ और जब वहाँ जाता हूँ तब वहाँ कोई काम हुआ ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न करें कृपया.
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह भी बता दूं कि इसमें दूसरे विधान सभा क्षेत्रों के गाँव के नाम भी हमारे क्षेत्र में जोड़ दिये हैं, वह गाँव हमारे क्षेत्र में ही नहीं है. इसलिए इनको हिदायत दे दें ताकि भविष्य में यह ख्याल रखें. इसके अलावा मेरा यह कहना है ..
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)-- गोविंद सिंह जी, बाकी लोगों के भी प्रश्न लगे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- बस मैं खत्म ही कर रहा हूँ. मैं स्पेसीफिक पूछ रहा हूं आपसे मेरा यह कहना है कि यह जो दूसरी योजना बनाई जिसके तहत जो अधूरे काम रह गये हैं उनको आप कितने समय सीमा में पूरा करा लेंगे.भिंड, मुरैना में निविदा ही नहीं बुलाई गई है जबकि पूरे मध्यप्रदेश में निविदा बुला ली गई है. कब तक निविदा बुला कर काम प्रारंभ करा देंगे?
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, शेष काम कब तक पूरा करा देंगे?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दीनदयाल योजना में उन कामों को शामिल कर लिया है और निविदा भी बुला ली है और माननीय सदस्य ने जो सत्यापन की बात की है उस बात से भी हम सहमत है, हम कहाँ मना कर रहे हैं.
प्रोटोकॉल का पालन
[सामान्य प्रशासन]
14. ( *क्र. 2107 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत शासकीय महाविद्यालय, भीकनगांव में जनभागीदारी समिति में बैठक सूचना पत्र क्रमांक/480/17, दिनांक 10.06.2017 अनुसार अनुविभागीय अधिकारी, (रा.) को समिति का उपाध्यक्ष पद का वर्णन कर उनका नाम प्रथम स्थान पर तथा विधायक को समिति का सदस्य का वर्णन कर द्वितीय स्थान पर लिख कर पत्र दिया गया था? (ख) यदि हाँ, तो क्या वारंट ऑफ प्रेसीडेंस के आधार पर विधायक का प्रोटोकॉल अनुविभागीय अधिकारी (रा.) के नीचे लिखना पद की गरिमा के अनुकूल है? नहीं तो क्या संबंधित प्राचार्य के खिलाफ कोई कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी, जिससे भविष्य में किसी भी जनप्रतिनिधि पद की गरिमा को क्षति न हो तथा शासन द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन हो।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) ऑर्डर ऑफ प्रेसीडेंस की सारणी के क्रमांक 24 पर विधायक का नाम अंकित है। प्राचार्य द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) का नाम जनभागीदारी समिति के उपाध्यक्ष होने के कारण ऊपर रखा गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती झूमा सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अन्य स्थानों में जिस हिसाब से महाविद्यालय में निर्मित जनभागीदारी समिति में विधायकों को अध्यक्ष बनाया गया है किन्तु मेरे विधान सभा भीकनगाँव में महाविद्यालय में निर्मित जनभागीदारी समिति में अध्यक्ष का पद रिक्त रख कर एसडीएम को उपाध्यक्ष बनाया गया और विधायक को समिति का सदस्य बनाया गया मैं समझती हूँ कि यह प्रोटोकाल का उल्लंघन है और विधायक को समिति के सदस्य के रूप में वहाँ उपस्थित होना, यह उसका एक तरह से अपमान है.मंत्री जी से मैं जानना चाहूंगी कि क्या भविष्य में विधायक के द्वारा अधिकृत व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जा सकता है?
सामान्य प्रशासन मंत्री(श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मूल प्रश्न तो उच्च विभाग का है लेकिन प्रोटोकाल यहाँ जुड़ गया है इसीलिए यह सामान्य प्रशासन विभाग पर आया है. इसका उत्तर तो उच्च शिक्षा विभाग ही दे सकता है.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, जवाब तो देना पड़ेगा अब आप दें या कोई और दें.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उच्च शिक्षा विभाग के माननीय मंत्री जी से बात कर लूंगा अगर ऐसा कोई प्रस्ताव होगा तो हम उनसे आग्रह कर लेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि प्रोटोकाल का विषय था इसीलिए मेरे पास आया. आप प्रोटोकाल का ही रूप बता दीजिये कि उस हिसाब से कौन रहेगा. उच्च शिक्षा विभाग का मूल प्रश्न है यह सब इधऱ-उधर मत भेजिये.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई प्रश्न ही उद्भूत नहीं हो रहा है.
श्री अजय सिंह-- उन्होंने सीधे-सीधे प्रोटोकाल की बात कही है.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, उस समिति में जब कोई नॉमिनेट होता है तो वह अध्यक्ष रहता है विधायक नॉमिनेट हो तो विधायक अध्यक्ष रहेगा.
अध्यक्ष महोदय-- इसीलिये नॉन ऑफिशियल आदमी को उसका अध्यक्ष बनाना चाहिए ताकि वह उसकी अध्यक्षता कर सके और माननीय विधायकों को यह प्रोटोकाल की प्रॉब्लम नहीं हो. यदि ऑफिशियल को बनाएंगे तो यह प्रॉब्लम आएगी, चाहे वह सरकार ही नॉमिनेट क्यों ना करे.
श्री लालसिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां नॉमिनेशन नहीं होता, वहीं केवल अधिकारी रहता है शेष जगह नॉमिनेशन जहां होता है वहां कोई न कोई अध्यक्ष प्रतिनिधि ही होता है. आपने चूंकि आसंदी से निर्देश दिए हैं मैं उस शिक्षा मंत्रालय में माननीय मंत्री जी से बात करके उस समस्या का समाधान निकलवाने की कोशिश करूंगा.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, कम से कम जवाब स्पष्ट तो कर दीजिए. आपने मेरी बात का समर्थन किया है, इसलिए मैं धन्यवाद देती हॅूं.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, विधायक को बनाते हैं. यह किस तरह से बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, सब जगह नहीं बनाते.
श्री अजय सिंह -- सब जगह नहीं बनाते लेकिन एसडीएम अध्यक्ष और विधायक सदस्य यह कौन-सा प्रोटोकॉल है ?
अध्यक्ष्ा महोदय -- वे अध्यक्ष नहीं, उपाध्यक्ष हैं.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, हम लोग किस तरह की मीटिंग्स में जाएं. यह सभी माननीयों की बात है. सारे माननीय विधायकों के साथ इस तरह से हो रहा है....(व्यवधान) .....
श्री अजय सिंह -- सभी जगह ऐसा हो रहा है. ....(व्यवधान) .....
अध्यक्ष महोदय -- आप उत्तर ले लीजिए.
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक गंभीर प्रश्न आया है. प्रोटोकॉल का मामला है. इसके बारे में शीघ्र ही विचार करके निर्णय लिया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- माननीय मंत्री जी, कब तक निर्णय लिया जाएगा, आप यह बता दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- शीघ्र निर्णय लिया जाएगा.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
नरसिंहगढ़ उपकोषालय में कार्यरत अमला
[वित्त]
15. ( *क्र. 2496 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्रमांक 2208, दिनांक 03 मार्च, 2017 के परिप्रेक्ष्य में बताएं कि दिनांक 03मार्च, 2017 से प्रश्न दिनांक तक नरसिंहगढ़ उप कोषालय में कितने अधिकारी/कर्मचारी हैं तथा ड्राईंग पॉवर किसको है? (ख) नरसिंहगढ़ उपकोषालय में दिनांक 03 मार्च, 2017 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस विभाग को कितनी-कितनी राशि का लेन-देन हुआ?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) उप कोषालय नरसिंहगढ़ में 02 (दो) अधिकारी/कर्मचारी हैं 1- उपकोषालय का प्रभारी अधिकारी तहसीलदार नरसिंहगढ़ है। 2-लिपिक वर्ग में एक कर्मचारी उपकोषालय में पदस्थ है। ड्राइंग पावर जिला कोषालय अधिकारी को है। (ख) नरसिंहगढ़ उपकोषालय में दिनांक 03 मार्च, 2017 से प्रश्न दिनांक तक माननीय विधायक, नरसिंहगढ़ को राशि रूपये 11,83,984/- मात्र एवं न्यायालय रिफण्ड एवं सिविल कोर्ट डिपॉजिट की राशि रू. 1,94,000/- का भुगतान हुआ है।
श्री गिरीश भंडारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से सिर्फ एक प्वाइंटेड प्रश्न यह है कि मेरे यहां जो ट्रेजरी है क्या वह पूर्व की भांति आज भी चालू है और क्या आगे भी चालू रहेगी ?
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नरसिंहगढ़ की ट्रेजरी आज भी चालू है और कल भी चालू रहेगी. (हंसी)
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो प्रकार के प्रश्न होने लगे और दो प्रकार के उत्तर होने लगे. प्वांइटेड प्रश्न, प्वांइटेड उत्तर, प्रश्न और उत्तर होने लगे.
श्री गिरीश भंडारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है कि आपने बताया कि वहां पर ट्रेजरी चालू है लेकिन सिर्फ कागजों में ही चालू है. वहां पर काम नहीं किया जा रहा है. वहां पर काम चालू करवाया जाए. क्योंकि पहले की भांति पुन: वहां पर वापस उसी तरीके से काम चालू हो जाए.
अध्यक्ष महोदय -- श्री भंडारी जी बैठ जाइए. आप पहले माननीय मंत्री जी से उत्तर ले लीजिए.
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उपकोषालय नरसिंहगढ़ में कार्य चालू है. आपकी जानकारी के लिए मैं बताना चाहता हॅूं कि आप ही के डीडीओ 12 देयक रूपए 11,83,984/- के प्रस्तुत हुए हैं. न्यायालय रिफण्ड एवं सिविल कोर्ट डिपॉजिट के 29 देयकों में राशि रूपए 1,94,000/- के भुगतान किए गए हैं. इसके अलावा उपकोषालय नरसिंहगढ़ के यहां पर नरसिंहगढ़ के माध्यम से रूपए 2723 चालान प्राप्त हुए हैं इसके माध्यम से कुल राशि रूपए 7,55,95,763/- का राजस्व विभिन्न मदों में प्राप्त हुआ है और जहां तक इसका सवाल है कि वहां से स्टाम्प भी राशि रूपए 14,72,360/- के विक्रय किए गए हैं.
श्री गिरीश भंडारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि यह सब कार्यवाही जिले से हुई है और इसको बता दिया गया है नरसिंहगढ़ से. कृपया आप मेरा निवेदन सुन लीजिए. यह जिले से हुआ है और इसको नरसिंहगढ़ में जोड़ दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- आप इसे दिखवा लीजिए.
श्री गिरीश भंडारी -- मेरा कहना यह है कि नरसिंहगढ़ की ट्रेजरी पूर्व की भांति चालू रहे और जो स्टॉफ था, जिसे राजगढ़ अटैच कर दिया गया है, उसको वापस नरसिंहगढ़ रख दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी ने कह दिया है.
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीमित संख्या में आहरण एवं संवितरण अधिकारी होने के कारण उनकी सहमति से ही उनको जिला कोषालय में स्थानांतरित किया गया है.
वोल्टेज समस्या ग्रस्त ग्रामों को निकटतम ग्रिड से जोड़ा जाना
[ऊर्जा]
16. ( *क्र. 1787 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के विद्युत वितरण केन्द्र मलावर के अंतर्गत जामी स्थित ग्रिड से ग्राम पाड़ली महाराजा (दूरी3 कि.मी.) को विद्युत आपूर्ति फीडर से जोड़ दिया गया है? क्या वर्तमान में ग्राम पाड़ली महाराजा को विद्युत आपूर्ति पगारी बंगला ग्रिड से की जा रही है, जिसकी लाईन अनेकों ग्रामों से होते हुये, दूरी लगभग 15 कि.मी. होकर आती है तथा इसी प्रकार सुठालिया विद्युत वितरण केन्द्र के अंतर्गत ग्राम पीपल्या पेड़ात को भी विद्युत आपूर्ति वर्तमान में सुठालिया केन्द्र से की जा रही है, जो कि लगभग 20 कि.मी. घूमती हुई लाईन आती है, जबकि एक अन्य केन्द्र कानेड़ ग्रिड की दूरी पीपल्या पेड़ात ग्राम से एक-डेढ़ कि.मी. है? (ख) यदि हाँ, तो क्या अधिक दूरी से विद्युत आपूर्ति होने से सिंचाई सीजन एवं बारहों माह आपूर्ति में बाधा एवं अल्प वोल्टेज की समस्या बनी रहती है? यदि हाँ, तो उपभोक्ताओं की मांग अनुसार समस्या निराकरण के लिये विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या उपरोक्त प्रश्नांश वर्णित ग्रामों के उपभोक्ताओं की मांग अनुसार विद्युत आपूर्ति की कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के विद्युत वितरण केन्द्र मलावर के अंतर्गत ग्राम जामी में नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य किया गया है, जिससे ग्राम पाड़ली महाराजा को विद्युत आपूर्ति हेतु जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। वर्तमान में ग्राम पाड़ली महाराजा को विद्युत आपूर्ति 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र पगारी बंगला से निर्गमित 11 के.व्ही. भगवतीपुर फीडर से की जा रही है, जिसकी लंबाई लगभग 15 कि.मी. है। ग्राम पीपल्या पेड़ात को वर्तमान में विद्युत आपूर्ति 33/11 के.व्ही. सुठालिया उपकेन्द्र से नहीं अपितु 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र कानेड़ से निर्गमित 11 के.व्ही. रायपुरिया फीडर से की जा रही है। उपरोक्त 11 के.व्ही. रायपुरिया फीडर की लंबाई लगभग 20 कि.मी. है। उपरोक्त ग्राम की कानेड़ 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र से दूरी 1.5 कि.मी. है, जिसे 11 के.व्ही. फीडर के माध्यम से कानेड़ उपकेन्द्र से जोड़ने का कार्य स्वीकृत है। (ख) प्रश्नाधीन दोनों ग्रामों में कतिपय अवसरों पर कम वोल्टेज एवं विद्युत आपूर्ति में बाधा संबंधी शिकायत प्राप्त हुई है। प्राप्त शिकायत के तकनीकी परीक्षण उपरांत तकनीकी साध्यता अनुसार उत्तरांश (क) एवं उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार ग्राम पाड़ली महाराजा का विद्युत प्रदाय 33/11के.व्ही. उपकेन्द्र जामी से जोड़ने तथा ग्राम पीपल्या पेड़ात का विद्युत प्रदाय 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र कानेड़ से जोड़ने का कार्य फीडर विभक्तिकरण योजनान्तर्गत शामिल कर प्रारंभ कर दिया गया है तथा उक्त कार्य ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स श्याम इंडस पावर सोल्युशन नई दिल्ली, द्वारा किया जा रहा है। (ग) जी हाँ। प्रश्नाधीन समस्या के निराकरण हेतु उत्तरांश (ख) में उल्लेखित कार्य दिसम्बर, 2017 तक पूर्ण होने संभावित हैं।
श्री नारायण सिंह पँवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हॅूं कि मेरे प्रश्न में दो भाग थे. दो ऐसे गॉंव जिनकी विद्युत वितरण केन्द्र से लगभग 15-20 किलोमीटर लंबी दूरी है और उनके निकटतम ग्रिड डेढ़ किलोमीटर पर स्थापित थे. मैं लंबे समय से मांग कर रहा था कि पास के ग्रिड से इनको कनेक्ट कर दिया जाए. गांव में बहुत समस्या थी. मेरे एक भाग में एक गांव का तो विद्युतीकरण का फीडर जोड़ दिया गया है, उसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं लेकिन धन्यवाद भी उस सीमा तक, कि मेरे प्रश्न लगाने के बाद ही यह काम हुआ है. एक गांव मेरा अभी भी डिस्कनेक्ट है. विभाग ने कहा है कि दिसंबर तक पूरा कर दिया जाएगा. मुझे उम्मीद है कि समय-सीमा में पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन ऐसी नौबत नहीं आनी चाहिए. समस्या आने पर विभाग के अधिकारी समय पर समाधान कर देते तो मुझे प्रश्न नहीं लगाना पड़ता. आगे ऐसी समस्या पैदा न हो, उसकी समय-सीमा बता दीजिए. अगला गावं पिपल्यापेड़ा है वहां कब तक काम पूरा कर दिया जाएगा ?
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को धन्यवाद देता हॅूं कि एक काम तो हो गया और दूसरा गांव पिपल्यापेड़ा है उसके विभक्तीकरण का कार्य है वह भी काम हम दो महीने में कर देंगे लेकिन मैं आश्वासन देता हॅूं कि मेरे अधिकारी लोग भी यहां बैठे हैं इस प्रकार के यदि कोई प्रकरण किसी भी माननीय सदस्य के आते हैं और यदि लाइट जा रही है तो उस पर तुरंत विचार किया जाएगा.
श्री नारायण सिंह पँवार -- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न काल समाप्त.
(प्रश्न काल समाप्त)
12.00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएँ सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी:-
1. श्री बलवीर सिंह डंडौतिया
2. श्री कमलेश शाह
3. श्री मानवेन्द्र सिंह
4. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय
5. श्री दिव्यराज सिंह
6. श्री जालम सिंह पटेल
7. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
8. श्री कमल मर्सकोले
9. श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे
10. श्री बहादुर सिंह चौहान
12.01 बजे शून्यकाल में उल्लेख
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट से ज्यादा कोई भी माननीय सदस्य न बोलें तो बड़ी कृपा होगी.
(1) श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने डेली, जो विधान सभा की दैनिक कार्यसूची होती है, उसमें हमने अति लोक महत्व के विषय पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया है कि सरदार सरोवर बांध में अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन जिले के 191 गाँव और 1 पूरा शहर पूरी तरह से डूब क्षेत्र में जा रहे हैं और 23 हजार परिवार डूब क्षेत्र में जा रहे हैं. मैंने और मेरे विधायक साथी श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल जी, श्री रमेश पटेल जी, श्री सचिन यादव जी ने, हम सब लोगों ने स्थगन प्रस्ताव दिया है और नियम-139 के अंतर्गत चर्चा कराने की भी मांग की है, लेकिन आज तक यह विषय चर्चा में नहीं आया, अत: हमारा यह आग्रह है कि तत्काल इस पर चर्चा कराई जाए.
अध्यक्ष महोदय -- आपका विषय आ गया.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पर आपको व्यवस्था देनी पड़ेगी, हमने 18 तारीख से स्थगन प्रस्ताव दिये हैं और इस अति लोक महत्व के विषय पर चर्चा की मांग की है.
अध्यक्ष महोदय -- स्थगन प्रस्तावों पर व्यवस्था नहीं दी जाती है. हम आपसे बात कर लेंगे.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपसे चर्चा कराने की उम्मीद करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है, कृपा करके अब दूसरे माननीय सदस्यों को समय दें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 23 हजार परिवार प्रभावित हो रहे हैं, और पूरा एक हफ्ता निकल चुका है.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है, यह प्रश्नकाल नहीं है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम यह चाहते हैं कि इस विषय पर आप चर्चा कराएं. हमें आप कुछ तो आश्वस्त कीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- इस तरह से आश्वासन नहीं दे सकते, आप बैठ जाएं. आपकी बात आ गई है और आपका आग्रह भी जोर देकर आ गया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री बाला बच्चन जी और बड़वानी, धार, खरगोन आदि क्षेत्रों के अन्य विधायकों ने बहुत महत्वपूर्ण बात रखी है, हमारा आपसे आग्रह है कि आप सिर्फ इतना आश्वस्त कर दें कि अगले दो-तीन दिन में, आज नहीं तो कल सही, किसी न किसी रूप में इस बिंदु पर चर्चा करा ली जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- जैसा कि आपने कहा है, मैं उस पर विचार कर लेता हूँ और आपको अवगत करा दूंगा.
(2) श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो सदन से केवल यह प्रार्थना करना चाहता हूँ कि आज भारत के महामहिम राष्ट्रपति 12.15 बजे शपथ लेंगे, इसलिए हम देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को, श्री अमित शाह जी को तथा एनडीए के सारे सदस्यों को मेज थपथपाकर बधाई दें. आज भारत के संविधान में जो एक ऐतिहासिक परिवर्तन हुआ है, आंबेडकर जी की भावनाओं का जो सम्मान किया गया है और आज दलित नेता के रूप में महामहिम राष्ट्रपति इस पद को सुशोभित करेंगे तथा देश का मार्ग प्रशस्त करेंगे और कांग्रेसियों से प्रार्थना है कि वे दलितों का सम्मान करें.
श्री अजय सिंह -- क्या आपने राजभवन के सामने होर्डिंग लगा दी ?
श्री रामेश्वर शर्मा -- अभी लगा देंगे, मैं अजय भाई से तो कुछ नहीं कह सकता, लेकिन बाकी सभी से प्रार्थना करता हूँ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जी तक मेसेज जरूर करें कि वे दलितों का सम्मान करें.
(3) श्री गिरीश भण्डारी ( नरसिंहगढ़ ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय , मैं आपको बताना चाहता हूं कि 20 तारीख को गुरूवार को माननीय कृषि मंत्री जी ने यह घोषणा की थी कि उड़द और मसूर के समर्थन मूल्य के केन्द्र नरसिंहगढ़ और जहां जहां पर नहीं खोले गये हैं, वहां पर खोले जायेंगे. लेकिन आज 5 दिन के बाद में भी वह समर्थन मूल्य के केन्द्र नहीं खुले हैं और 31 तारीख उसकी अंतिम तारीख बतायी जा रही है . आज 25 तारीख हो गई है, माननीय मंत्री जी ने खुद यहां पर सदन में घोषणा की थी कि शीघ्र ही वहां पर केन्द्र खोल दिये जायेंगे. आज 6वां दिन होने जा रहा है लेकिन अभी तक वहां पर केन्द्र नहीं खुला है. वहां पर किसान परेशान हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी अभी हैं नहीं मंत्री जी को अवगत करा दिया जायेगा.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री अजय सिंह ) -- मंत्री जी हैं, मंत्री महोदय साफा वाले...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके सदन में अव्यवस्था न करें. जो भी माननीय सदस्य मंत्रियों से बात करने आये हैं कृपया बैठकर बात करें. खड़े होकर बात करने में अव्यवस्था होती है...(व्यवधान)..
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, कितनी गंभीर बात है....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण कृपया अपने स्थान पर बैठें.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय यह क्या हो रहा है , व्यवस्था ही कुछ नहीं है, (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह बात विलोपित करें,
श्री अजय सिंह -- मंत्री जी ने सुना ही नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी आप बैठे रहें हैं लेकिन माननीय सदस्य ने क्या कहा है आप सुन लें.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में हूं सुन रहा हूं.
श्री अजय सिंह -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह भी कार्यवाही से निकाल दें.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत आपत्तिजनक है नेता प्रतिपक्ष मुझे डाकिया कहेंगे. घोर आपत्ति है. क्यों नहीं घूमेंगे, हम आपकी कुर्सी पर भी आयेंगे रोक सकते हैं मुझे, मैं राजेन्द्र भईया के पास आता हूं रोककर देखो, मैं अभी गोविंद भैया के पास आता हूं रोककर देखो.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी आप सदस्य की बात सुन लें.
श्री गिरीश भण्डारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय कृषि मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि 20 तारीख को माननीय मंत्री जी ने इसी सदन में घोषणा की थी कि मसूर और उड़द के जहां पर भी समर्थन मूल्य के केन्द्र नहीं खुले हैं, वहां पर तत्काल खोले जायेंगे, मेरे नरसिंहगढ़ के लिए मैंने पत्र भी लिखा है, उसके बाद में आज तक 6 दिन होने के बाद भी समर्थन मूल्य के केन्द्र नहीं खुले हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि शीघ्र ही केन्द्र खोल दिये जायें.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य और अन्य सदस्यों ने जानकारी दी है जिन जिन माननीय सदस्यों ने जानकारी दी है उनके बारे में जिलों से जानकारी प्राप्त करके संबंधित कलेक्टरों को कहा है कि आप तत्काल व्यवस्था करके किसानों से मूंग खरीदें, वहां पर किसानों के नाम पर व्यापारी बेचना चाहते हैं. जिन किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, उनके बोये हुए रकबे का जिनका रजिस्ट्रेशन था उनका मूंग का एक एक दाना खरीदा गया है, आपने पहले बताया नहीं, रजिस्ट्रेशन कराया नहीं है, हमें कैसे पता चलेगा कि वहां पर मूंग पैदा हुई है...(व्यवधान)..
(4) कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा (राजनगर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र राजनगर के अंतर्गत जुएं का व्यापक खेल चल रहा है पुलिस विभाग उसमें कुछ नहीं कर रहा है, लोग आत्महत्या करने पर मजबूर हैं, मैं इस ओर सरकार और मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. इस जुएं के खेल को मेरी विधान सभा क्षेत्र और जिला छतरपुर में रूकवाया जाय क्योंकि इससे जनता में रोष है और बहुत अव्यवस्ता फैल रही है.
(5) श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन जिले में 1 लाख 35 हजार 965 मीट्रिक टन प्याज खरीदी गई जिसमें से 72 हजार 844 मीट्रिक टन प्याज अकेले तराना में खरीदी गई. वहां के जिला पंचायत अध्यक्ष महेश परमार ने एक सप्ताह पहले ई.ओ.डब्ल्यू. में प्याज के रि-साईकिल का आरोप जब ई.ओ.डब्ल्यू. में लगाया, नामजद शिकायत की तब वहां पर भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष को छोड़कर बाकी तीन एफआईआर दर्ज की गई, कई लोगों को वहां पर झूठा आरोपी बनाया गया और श्री परमार को जानबूझकर फंसाया गया. यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि एक प्याज को तीन बार खरीदा गया और करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार कराया गया. पूरी की पूरी (XXX) के नेता वहां पर दोषी हैं.
अध्यक्ष महोदय- पार्टी का नाम इसमें से निकाल दें, इसको कार्यवाही से निकाल दें.
(6) श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच)- माननीय अध्यक्ष महोदय, नीमच मंडी में पोस्ता दाना नहीं खरीदा जा रहा है. माननीय वित्तमंत्री जी, माननीय कृषि मंत्री जी से निवेदन है कि कहीं-न-कहीं किसानों में आक्रोश है. 15 दिन से वहां पोस्ता दाना नहीं खरीदा जा रहा है. अत: जो अफीम का पोस्ता दाना होता है उसको वहां पर खरीदने की व्यवस्था की जाए. वहां पर किसानों और व्यापारियों में आक्रोष है.
(7) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल (कुक्षी)- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र के लगभग 60 हजार परिवार डूब से प्रभावित होने वाले हैं और लगभग 90 हजार पशु प्रभावित होने वाले हैं, तो आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि किसी न किसी रूप में इस पर चर्चा आप करवा दीजिए.
(8) श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि मैं सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूं कि हमारे यहां तत्कालीन एस.ई. श्री एस.एस. कलवाडि़या और ए.ई. गौरव सोनी दोनों के खिलाफ गलत चोरी का मुकदमा दर्ज करने के मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है और धारा 467, 468 में जिसमें आजीवन कारावास का प्रावधान है. लेकिन ऊर्जा विभाग ने अभी तक उनको निलंबित नहीं किया बल्कि उनका प्रमोशन कर दिया है. विद्युत विभाग ने जांच भी करा ली, दोषी भी पाये गये हैं लेकिन इसके बावजूद भी एमपीईबी उनके ऊपर कार्यवाही नहीं कर रही है. मेरा सदन में आपसे आग्रह है कि उनके विरुद्ध आप कार्यवाही कराना सुनिश्चत करें.
(9) श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) - अध्यक्ष महोदय, नीमच जिले के पुलिस थाना जीरन के अंतर्गत चरदू ग्राम के पास बाछड़ा समाज की एक महिला के ऊपर पुलिस द्वारा विगत दिनों हमला किया गया और उसको पीटा गया. उसके गर्भ में 7 महीने का बच्चा था. उसे पुलिस थाने में ले जाने के बाद वह मृत हो गया और वह महिला अभी एम.वाय. हॉस्पिटल इंदौर में भर्ती है. इसकी जांच कराई जाए कि पुलिस की मार से उसके गर्भ में 7 महीने का बच्चा मरा है और वह महिला वहां पर भर्ती है. इसकी जांच कराई जाए.
(10) श्री नारायण सिंह पवांर (ब्यावरा)- माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय कृषि मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि राजगढ़ जिले की ब्यावरा कृषि उपज मंडी सबसे बड़ी 'ए क्लास' मंडी है, वहां मसूर खरीदी केन्द्र अभी तक शुरू नहीं किया गया. बहुत बड़ी मात्रा में वहां मसूर उत्पादन होता है. मसूर खरीदी केन्द्र ब्यावरा में भी प्रारंभ किया जाए. मेरा माननीय कृषि मंत्री महोदय से निवेदन है कि मसूर खरीदी केन्द्र ब्यावरा में शुरू किया जाए.
कृषि मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुन बिसेन)- अगले वर्ष खोल देंगे.
श्री नारायण सिंह पवांर- इसी साल खोला जावे.
(11) श्री नीलेश अवस्थी (पाटन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, उड़द, मूंग की खरीदी 20 तारीख से चालू हुई है लेकिन बहुत ज्यादा अव्यवस्था फैली हुई है, किसानों को मंडी के अंदर आने को नहीं मिल पा रहा है, बारदाने की व्यवस्था नहीं है, ट्रांसपोर्टिंग नहीं हो रही है और राहर का पैसा अभी तक किसानों को नहीं मिल रहा. उड़द का पैसा भी किसानों को नहीं मिल रहा है. उनको अभी भुगतान नहीं हो रहा और जो शासन के चेक जो कभी शासन के मिले हैं वह भी बाउंस हो रहे हैं. मैं शासन और प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं.
(12) श्री आर.डी. प्रजापति (चंदला)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में बहुत बड़ी-बड़ी फसल हो गई थी पूरी की पूरी फसल रोजड़ों (नीलगाय) ने खा ली है, 80 प्रतिशत फसल पूरी की पूरी नष्ट हो गई है और पूरे किसान पलायन की ओर बाहर बड़े शहरों की ओर भाग रहे हैं. इनसे कुछ भी बचा तो जो आवारा पशु हैं, मेरे यहां लगभग 20 हजार आवारा पशु हैं इनके लिये व्यवस्था की जाए. आवारा पशुओं के लिये अभ्यारण्य बनाए जाएं और रोजड़ों को पकड़ने की व्यवस्था करवाई जाए, क्योंकि अच्छा बीज, अच्छा खाद सब चीजें आपने दे दीं लेकिन अगर आपने उनकी व्यवस्था नहीं कराई तो किसान का भला नहीं हो सकता.
(13) श्री हर्ष यादव (देवरी) - अध्यक्ष महोदय, सागर जिले के अंतर्गत देवरी और केसरी विकासखण्ड में खरीफ फसल का जो बीमा वर्ष 2015-16 का है, उसका बंटन न होने से किसानों में बहुत नाराजगी है. मेरा आपके माध्यम से कृषि मंत्री जी से निवेदन है कि वर्ष 2015-16 का कृषि फसल बीमा वह किसानों को मिले. जो उद्यानिकी का बीमा वितरण हुआ है, वह प्रीमियम से कम वितरण हुआ है. प्रीमियम 3000 रुपए काटा गया है और जो बांटा गया है वह 40 रुपए, 50 रुपए, 100 रुपए तक बांटा गया है, इसमें सुधार हो. इससे किसानों में बहुत नाराजगी है.
(14) श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में भी मामला उठाया था, जिस पर आपने व्यवस्था दी है. लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है. इन्होंने एक परंपरा बना ली है क्योंकि हर प्रश्न का जवाब यही आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. उसका मतलब अब यह निकाला जा रहा है कि वह मामला खत्म कर देते हैं, उसकी जानकारी दी नहीं जाती है. पिछले सत्र में और विगत दो तीन सत्रों में जो हमने प्रश्न लगाए हैं, जिनकी जानकारी एकत्रित करने का जवाब दिया था, लेकिन आज तक वह जानकारी नहीं मिल पाई है.
अध्यक्ष महोदय - अगले सत्र के पहले दिन रखी जाती है.
श्री आरिफ अकील - अभी तक वह जानकारी नहीं मिली है.
अध्यक्ष महोदय - मैं उसे दिखवा लूंगा, जो आपने कहा है.
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, आप दिखवाकर मेहरबानी करके ऐसे आदेश दे दें जिस पर अमल हो.
अध्यक्ष महोदय - यदि नहीं देंगे तो प्रश्न एवं संदर्भ समिति के पास भेजेंगे किन्तु सामान्यतः प्रक्रिया यही है कि पहले दिन उत्तर दे देते हैं.
श्री आरिफ अकील -अध्यक्ष महोदय, मैं अनुरोध कर रहा हूं कि पिछले सत्र का आज तक जवाब नहीं दिया है.
अध्यक्ष महोदय - जो आपने कहा है मैं उसे दिखवा लेता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, यह विषय अवश्य देख लें क्योंकि बार-बार इसी तरह की बात आती है, उस पर कोई निराकरण नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय - मैं इसको दिखवा लूंगा. मैं उसकी प्रॉपर मॉनिटरिंग करवा लेता हूं. माननीय मंत्रीगण से भी मेरा अनुरोध है कि जिनके विभागों के उत्तर में यह लिखा जाता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, अगले सत्र के पहले दिन उसको प्रश्नों के पूर्ण उत्तर के रूप में रखा जाना चाहिए, इसका कृपा करके आप ध्यान रखेंगे.
(15) इंजी. श्री प्रदीप लारिया (नरयावली) - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय कृषि मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी, हमारे विधान सभा क्षेत्र के कर्रापुर में गये थे. किसान लगातार मांग कर रहे हैं. वहां पर उप मंडी है. वे मंडी की मांग कर रहे हैं. सभी अर्हता पूरी करते हैं. सिर्फ उसमें साढे़ बारह एकड़ जमीन है, ढ़ाई एकड़ जमीन क्रय करके माननीय मंत्री जी उसको मंडी घोषित करेंगे क्या?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आप कुछ कह रहे हैं? जवाब नहीं होना है, परन्तु यदि माननीय मंत्री जी उस स्थिति का इमरजेंसी में संज्ञान ले रहे हैं तो वह कह सकते हैं.
इंजी. श्री प्रदीप लारिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी कुछ कह रहे हैं.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को मैं अवगत करा दूंगा.
इंजी. श्री प्रदीप लारिया - अध्यक्ष महोदय, घोषित करके अवगत करा दें.
(16) कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) - अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में ग्राम पंचायत पटोरी में एक शाला की पुरानी बिल्डिंग में सांप घुसने से उसने दो बच्चों को काट लिया है. किस्मत से वे बच गये हैं. माननीय मंत्री जी मैं चाह रहा हूं कि जिस तरह की हमारे क्षेत्र में पुरानी बिल्डिंग खपरेवाली हैं. बच्चों के भविष्य का सवाल है, इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा.
(17) श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में पिछले माह एक घटना घटी थी, जिसमें एक समुदाय के लोगों ने थाने का घेराव किया था उसमें उस समुदाय की कोई गलती नहीं थी. माननीय गृह मंत्री जी का मैं ध्यान दिलाना चाहता हूं कि पिछले महीने मेरे विधान सभा क्षेत्र में थाना चांदामेटा में एक समुदाय के प्रति एक घटना घटी थी और उस समुदाय ने थान घेरकर अपनी बात रखने की कोशिश की थी. वहां थानेदार ने जबरदस्ती लाठचार्ज किया और वहां पर फायरिंग की गई. मैं आपके माध्यम से चाहता हूं कि इसकी जांच हो और जांच होकर निष्कर्ष निकले.
(18) श्री अशोक रोहाणी (जबलपुर कैन्टोनमेंट)- अध्यक्ष महोदय, माननीय ऊर्जा मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा में अनाप-शनाप बिल एवरेज बिल के नाम से आते हैं. 1000 रुपए का बिल 20,000 रुपए का आता है, जिससे लोगों को बिल भरने में बहुत तकलीफ होती है. मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि मीटर वाचकों की संख्या बढ़ाएं ताकि सही बिल आएं.
(19)श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़)-- अध्यक्ष महोदय, मैं कृषि मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. माननीय प्रधान मंत्री जी ने कहा था कि जीएसटी के माध्यम से One Nation One Tax का प्रावधान पूरे देश में होगा लेकिन मध्यप्रदेश की पूरी मंडियों में मंडी टैक्स के नाम पर व्यापारियों से अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है. माननीय कृषि मंत्री जी पूरे प्रदेश में मंडी टैक्स बंद किए जाने की घोषणा करें. माननीय मंत्री जी एक स्टेटमेंट दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, यह प्रश्नकाल नहीं है. आपकी बात आ गई. मैं उनको अलाउ नहीं कर रहा हूं. कोई स्टेटमेंट नहीं दे रहे.
(20)श्री बलबीर सिंह डण्डोतिया(दिमनी )--अध्यक्ष महोदय,मैं अपने विधान सभा क्षेत्र के बारे में कह रहा हूं पिछले 2 साल में 3 बार प्रश्न लगा चुका हूं कि जिन गांवों में डीपी नहीं लगायी गई है, जहां तार नहीं खींचे गए हैं वहां के लोगों के 40-40 हजार रुपये के बिल दे रहे हैं. जबकि वहां 25 साल से बिजली नहीं है. मैं तीन बार कह चुका हूं कि मेरे सामने इसकी जांच करा लें. अगर उनके यहां बिजली है तो बिल भेजा जाये अन्यथा उनके बिल माफ किए जाएं. दूसरा, मैंने पहले भी कहा था और मैं मंत्री महोदय को देकर आया हूं.मेरे गड़ी गांव में अधिकारियों ने कहा था कि वहां के लोग कनेक्शन करा लें हम बिजली दे देंगे. मैं दो साल से कह रहा हूं. वहां ड़ीपी नहीं रख रहे हैं.
(21)श्री के पी सिंह(पिछोर )-- अध्यक्ष महोदय, मेरा विषय लोक निर्माण विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग दोनों से संबंधित है. पीआईयू लोक निर्माण विभाग का एक यूनिट है...
अध्यक्ष महोदय-- एक बार में एक विभाग.
श्री के पी सिंह-- दोनों विभागों से संबंधित है. पीआईयू सर्व शिक्षा विभाग से स्कूल भवनों का निर्माण कर रहा है. वह स्कूल भवन शिक्षा विभाग को हैंड ओवर होना है. पिछले कई सालों से भवन बने हुए पड़े हैं. शिक्षा विभाग के प्राचार्य या संबंधित विभाग अधिकारी उन भवनों को अपने अधिकार में नहीं ले रहे हैं कि भवनों की क्वालिटी खराब है. शिक्षा विभाग के प्राचार्य और संबंधित अधिकारी बार बार लोक निर्माण विभाग को चिट्ठी लिखते हैं इसको ठीक करा दें. लोक निर्माण विभाग के अधिकारी उन भवन बनाने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते. भवनों को दुरुस्त नहीं कराते इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग के जो भवन बने हैं, उनका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. मेरा दोनों विभाग के मंत्रियों से निवेदन है कि इस विषय की जिलेवार समीक्षा कर लें. वे भवन जो अनुपयोगी पड़े हैं उनका उपयोग हो सके ताकि जिस उद्देश्य से भवनों का निर्माण किया है वह पूरा हो सके. यदि भवनों का निर्माण घटिया किया है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करे और दुरुस्त कराके स्कूल शिक्षा विभाग को दे दें.
लोक निर्माण मंत्री(श्री रामपाल सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य कुछ भी कह रहे हैं, इस तरह से भाषण दे रहे हैं. आप तो 2-4 नाम बता दो हम भेजे देंगे, साथ में आप भी जाना.
श्री के पी सिंह-- मैं आपको पूरी जिलेवार जानकारी दे दूंगा.
12.24 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(1)मध्यप्रदेश वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन का 13 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं हिसाब-पत्रक वित्तीय वर्ष 2015-2016
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (कुंवर विजय शाह)--अध्यक्ष महोदय, मैं, वेअरहाउसिंग कार्पोरेशन एक्ट, 1962 (क्रमांक 58 सन् 1962) की धारा 31 की उपधारा (11) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन का 13 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं हिसाब-पत्रक वित्तीय वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हूं.
(2)विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 182 की अपेक्षानुसार ऊर्जा विभाग की निम्न अधिसूचनाएं
(क) क्रमांक 3366/एफ-5-6/2016/तेरह, दिनांक 27 मई, 2017,
(ख) क्रमांक 3367/एफ-5-6/2016/तेरह, दिनांक 27 मई, 2017, तथा
(ग) क्रमांक एफ 3-25-2017-तेरह, दिनांक 09 जून, 2017,
उर्जा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन)--अध्यक्ष महोदय, मैं विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 182 की अपेक्षानुसार ऊर्जा विभाग की निम्न अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक 3366/एफ-5-6/2016/तेरह, दिनांक 27 मई, 2017,
(ख) क्रमांक 3367/एफ-5-6/2016/तेरह, दिनांक 27 मई, 2017, तथा
(ग) क्रमांक एफ 3-25-2017-तेरह, दिनांक 09 जून, 2017,
पटल पर रखता हूं.
12.25 बजे मंत्री का वक्तव्य
राजस्व पुस्तक परिपत्र में किये गये परिवर्तन का तुलनात्मक विवरण एवं मजरे-टोलों
को राजस्व ग्राम में परिवर्तन हेतु मापदण्ड संबंधी राजस्व मंत्री का वक्तव्य
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले दिनों राजस्व विभाग के प्रश्न के समय माननीय सदस्यों ने कहा था तो उनकी अपेक्षा के अनुसार मजरे,टोले से राजस्व ग्राम में परिवर्तन करने के मापदण्ड एवं राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड छ:(4) में जो परिवर्तन हुए हैं उसका तुलनात्मक विवरण आपकी अनुमति से सूचना कार्यालय में ये दोनों सूचनायें माननीय सदस्यों के लिये मैंने रखवा दी हैं जिसका माननीय सदस्य उपयोग कर सकते हैं.
12.26 बजे कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
अध्यक्ष महोदय- कार्य मंत्रणा समिति की बैठक दिनांक 25 जुलाई,2017 को सम्पन्न हुई,जिसमें निम्नलिखित शासकीय विधेयकों पर चर्चा हेतु समय आवंटित किये जाने की सिफारिश की गई है:-
क्र. विषय निर्धारित समय
(1) मध्यप्रदेश राज्य वित्त आयोग(संशोधन)विधेयक,2017 30 मिनट
(क्रमांक 19 सन् 2017)
(2) भारतीय स्टाम्प(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2017 1 घण्टा
(क्रमांक 21 सन् 2017)
(3) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी(संशोधन)विधेयक,2017 1 घण्टा
(क्रमांक 22 सन् 2017)
(4) न्यायालय फीस(मध्यप्रदेश संशोधन)विधयेक,2017 1 घण्टा
(क्रमांक 23 सन् 2017)
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अब,इसके संबंध में श्री शरद जैन,राज्य मंत्री,संसदीय कार्य प्रस्ताव करेंगे.
संसदीय कार्य राज्य मंत्री(श्री शरद जैन) - अध्यक्ष महोदय, मैं,प्रस्ताव करता हूं कि
अभी अध्यक्ष महोदय ने शासकीय विधेयकों पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाईं,उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि-
जिन कार्यों पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाईं,उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
12.28 बजे ध्यानाकर्षण
(1) बालाघाट जिले के ग्राम खैरी स्थित पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट होने
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार), (श्री मधु भगत,श्री रामनिवास रावत) :-
अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-
7 जून 2017 को बालाघाट जिले के खैरी पंचायत में स्थित वारसी फटाखा फैक्ट्री विस्फोट काण्ड में 26 श्रमिकों की मौत और लगभग आधा दर्जन श्रमिकों के घायल होने की घटना ने समूचे तंत्र को हिलाकर रख दिया. प्रशासनिक सूचना तंत्र की लापरवारी से घटी दर्दनाक घटना इतनी भयावह थी कि फैक्ट्री में ही 25 मजदूर जिंदा जल गए जबकि एक मजदूर के इलाज के दौरान मौत हो गई. इस विस्फोट में मृतकों को सिर्फ 2-2 लाख रुपये की राशि प्रदान किए जाने हेतु आश्वासित किया गया है. सरकार द्वारा प्रदेश की जनता के साथ मुआवजा राशि वितरण करने में भेदभाव किया जा रहा है. फटाखा फैक्ट्री में 50 किलो विस्फोट का लाइसेंस था लेकिन गोदाम से 1200 किलो विस्फोटक बरामद हुआ. फैक्ट्री गोदाम में चल रही थी,किन्तु विस्फोटक बालाघाट शहर के रिहायशी इलाकों में छुपा कर रखा गया था. फैक्ट्री में पांच कमरे होने थे और 10 मजदूर होने थे,किन्तु नियमों के विपरीत फैक्ट्री में सिर्फ तीन कमरे और घटना दिनांक को 40 मजदूर काम कर हे थे. प्रशासनिक लापरवाही के चलते जिन 26 मजदूरों की मौत हुई है उसके जिम्मेदार संबंधित दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्यवाही की जाय तथा खैरी विस्फोट काण्ड में समस्त मृतकों के परिवार को 2-2 करोड़ रुपये की राशि एवं प्रत्येक परिवार के सदस्य को शासकीय सेवा प्रदान की जाए.
गृह मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह) - अध्यक्ष महोदय, दिनांक 7 जून 2017 को जिला बालाघाट के ग्राम खैरी स्थित फटाखा फैक्ट्री में अचानक विस्फोट होने पर 26 लोगों की मृत्यु हुई और 5 लोग घायल हो गए. घटना की सूचना मिलते ही थाना प्रभारी कोतवाली बालाघाट,सहयोग स्टाफ एवं एफआरवी वाहन के साथ घटना स्थल पर पहुंचे तथा आवश्यक बचाव कार्यवाही करते हुए घायलों को अस्पताल भेजा गया.
यह कहना सही नहीं है कि फटाखा फैक्ट्री में 50 किलो विस्फोट का लाइसेंस था,लेकिन गोदाम से 1200 किलो विस्फोटक बरामद हुआ. यह भी कहना सही नहीं है कि फैक्ट्री में पांच कमरे होने थे और 10 मजदूर होने थे, किन्तु नियमों के विपरीत फैक्ट्री में सिर्फ 3 कमरे और घटना दिनांक को 40 मजदूर काम कर रहे थे. वस्तुस्थिति यह है कि खैरी स्थित फटाखा फैक्ट्री के संचालक को अनुज्ञप्ति निर्धारित प्रारूप एल.ई.-1 में प्रदाय की गई थी. नियमानुसार उक्त फटाखा विनिर्माण हेतु 1 हाल तथा 2 कमरे निर्मित थे,जिनमें पृथक-पृथक फटाखा निर्माण किया जाता था.निर्धारित अनुज्ञप्ति प्रारूप एल.ई.-1 में पटाखा निर्माण हेतु कार्य करने वाले श्रमिकों की संख्या उल्लेखित नहीं है.
उक्त पटाखा निर्माण की अनुज्ञप्ति जिला दण्डाधिकारी बालाघाट के अनुमोदन उपरांत प्रभारी अधिकारी अनुज्ञप्ति शाखा बालाघाट द्वारा जारी की गई थी, जिसमें एल.ई.-1 (क) श्रेणी में क्लास 7 डिवीजन, 2 सब डिवीजन 2 केटेगिरी एक्स तीव्रता का दिया था तथा एक बार में 5 किलो बारूद से फाटाखा निर्माण कार्य फैक्ट्री में किया जा सकता था एवं भण्डारण का उस फैक्ट्री के बाजू में 50 किलो हवा में जाकर फटने वाले फटाखा एवं 400 किलो जमीन में फूटने वाले फटाखे का भंडारण किया जा सकता था. फटाखा लाइसेंस का नवीनीकरण दिनांक 01.04.2016 को किया गया एवं इसकी वैद्यता 31.03.2021 तक है.
यद्यपि फाटाखा लायसेंस जारी किया गया था परंतु लायसेंस की शर्तों के उल्लंघन के संबंध में आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर अनुसंधान में लिया गया है. घटना स्थल का निरीक्षण बीडीडीएस टीम, एफएसएल टीम तथा मुख्य विस्फोटक नियंत्रक कार्यालय भोपाल की टीम द्वारा किया गया, जिनकी रिपोर्ट आना शेष है. अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा पिछले एक वर्ष में चार बार खैरी स्थित फटाखा एवं आतिशबाजी विनिर्माण परिसर का निरीक्षण किया गया एवं इस परिसर का आखिरी बार दिनांक 25.03.2017 कोनगर पुलिस अधीक्षक, बालाघाट एवं अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा संयुक्त निरीक्षण किया गया.
उक्त घटना पर आरोपी वाहिद अली के विरूद्ध थाना कोतवाली बालाघाट में अप.क्र.241/17 धारा 286, 304 भादंवि व 4, 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम का पंजीबद्ध किया गया है. अनुसंधान में प्रकरण में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों के प्रति अपराध घटित होने से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(V) का एवं धारा 308, 337, 338 भादंवि का इजाफा किया गया है. फटाखा फैक्ट्री संचालक आरोपी वाहिद अहमद पिता सगीर अहमद उम्र 32 साल एवं वजीर अहमद पिता सगीर अहमद उम्र 42 साल दोनों निवासी बालाघाट को गिरफ्तार किया गया, जो वर्तमान में न्यायिक निरोध में हैं.
वाहिद अहमद के द्वारा फटाखों के डिब्बे बालाघाट के रामसहाय ठाकुर के मकान में किराये से लेकर रखना पाये जाने पर वाहिद अहमद एवं रामसहाय ठाकुर के विरूद्ध थाना कोतवाली बालाघाट में दिनांक 10.06.17 को अपराध क्रमांक 245/17 धारा 286 भादंवि, 5, 9 (बी) विस्फोटक अधिनियम 1884 पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है. इसी प्रकार उक्त लायसेंसी वाहिद अहमद द्वारा फटाखे बालाघाट के हरिशंकर खरे के मकान में रखना पाये जाने पर हरिशंकर खरे एवं वाहिद अहमद के विरूद्ध थाना कोतवाली बालाघाट में दिनांक 11.06.17 को अपराध क्रमांक 284/17 धारा 286 भादंवि, 5, 9 (बी) विस्फोटक अधिनियम 1884 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है.
यह कहना सही नहीं है कि सरकार द्वारा प्रदेश की जनता के साथ मुआवजा राशि वितरण करने में भेदभाव किया जा रहा है एवं प्रत्येक मृतक के परिवार को मात्र दो-दो लाख रूपये की राशि प्रदत्त करने हेतु जिला प्रशासन ने आश्वस्त किया है. वस्तु स्थिति यह है कि घटना में प्रत्येक मृतक के परिवार को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से दो लाख, आरबीसी 6-4 के अंतर्गत चार लाख, प्रधानमंत्री कार्यालय से दो लाख तथा रेडक्रास मद से बीस हजार कुल आठ लाख बीस हजार रूपये की सहायता राशि प्रत्येक मृतक के परिजन को जिला प्रशासन बालाघाट द्वारा प्रदाय की जा चुकी है.
घटना की मजिस्ट्रियल जांच सक्षम अधिकारी द्वारा आदेशित की गई है, जांच उपरांत अगर किसी अधिकारी/कर्मचारी की लापरवाही पायी जाती है तो उसके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, घटना गंभीर है. लगातार प्रदेश में पेटलावाद के बाद और प्रदेश में बालाघाट जिले में आतंकी गतिविधियों की बढ़ोत्तरी होने से सरकार ने वहां अलग से बटालियन गठित करने का निर्णय लिया है. आखिर क्या कारण है जिस प्रकार आपने मंदसौर के कलेक्टर, एसपी को दोषी मानकर सस्पेंड किया, जबकि उन्होंने आदेश नहीं दिया था, तो क्या कलेक्टर, एसपी और जिम्मेदार अधिकारी इसके लिये दोषी नहीं थे, उनके विरूद्ध आपने क्या कार्यवाही की. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही मै यह भी जानना चाहता हूं कि मामला बहुत गंभीर है 26 श्रमिकों की मौत हो चुकी है लेकिन इसकी जांच रिपोर्ट इतने समय के उपरांत भी न आने के क्या कारण हैं ? विस्फोटक नियंत्रण कार्यालय से और ग्राम पंचायत क्षेत्र होने के कारण पंचायत की एनओसी भी लगती है क्या यह एनओसी ली गई थी ? मंत्री जी इसका उत्तर दे दें फिर एक प्रश्न और करूंगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से घटना दु:खद है. माननीय वरिष्ठ सदस्य डॉ.गोविंद सिंह जी ने घटना पर अपनी चिंता भी व्यक्त की है. इस तरह की घटनायें आगे न हो सरकार भी इसके लिये पूरी तरह से गंभीर है. घटना में मजिस्ट्रेट जांच की जा रही है, शीघ्र ही इसकी रिपोर्ट आ जायेगी. जहां तक लाईसेंस की शर्तों का प्रश्न है, अभी तक जो जानकारी मिली है उसमें सभी शर्तों का पालन किया गया है. घटना स्थल से ढाई से तीन किलोमीटर तक गांव से दूरी थी, आसपास कोई भी आबादी नहीं थी. लाईसेंस की जो सामान्य शर्तें हैं उन शर्तों का भी प्रथम दृष्टया पालन होना पाया गया है. लेकिन इसके बाद भी घटना की गंभीरता को देखते हुये इसमें जो मुख्य आरोपी है उनको गिरफ्तार किया गया है, उनके ऊपर भारतीय दंड विधान की धारा 286, 304 जैसे गंभीर अपराध के मामले में प्रकऱण पंजीबद्ध किया गया है.
डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायत की एनओसी ली गई थी या नहीं इसकी जानकारी नहीं है तो मंत्री जी इसका भी परीक्षण करा लें. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के उत्तर में यह बात आई है कि 25.3.2017 को एसडीएम एवं सीएसपी ने फेक्ट्री का निरीक्षण किया था. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि इन्होंने निरीक्षण किया था, यदि समय समय पर निरीक्षण होता तो यह घटना घटित होने से बचाई जा सकती थी, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार सत्य यह है कि जब घटना घट गई तब एसडीएम ने फर्जी निरीक्षण की रिपोर्ट बना ली. अगर 25.3.2017 को यह अधिकारी निरीक्षण करने गये थे तो वहां पर कौन कौन मौजूद था, कितने व्यक्ति उपस्थित थे, पंचनामा बनाया था या नहीं पंचनामा तो बनाया गया होगा क्योंकि जब निरीक्षण किया जाता है तो क्या क्या पाया जाता है उसका पंचनामा बनाया जाता है, पंचनामा में किन किनके हस्ताक्षर हैं, यदि गृह मंत्री जी के पास में आज इसका उत्तर नहीं है तो कोई बात नहीं लेकिन वे इसका परीक्षण जरूर करवा लें. अध्यक्ष महोदय, विस्फोटक अधिनियम के तहत परिवहन की भी स्वीकृति दी जाती है, इसकी स्वीकृति के किस वाहन से विस्फोटक सामग्री को लाने एवं ले जाने तथा कहां पर रखना है, क्या इसकी स्वीकृति दी गई थी. फिर गृह मंत्री जी ने उत्तर में बताया कि निरीक्षण में सब कुछ सही पाया गया तो फिर वाहिद अली पर एक प्रकरण में अपराध बनता है कि उसने विस्फोटक को दूसरे स्थान पर रखा लेकिन दूसरी जो उस पर धारा लगाई गई 241/17 जब वह वैधानिक रूप से काम कर रहा था, इसकी पुष्टि निरीक्षण में भी हुई है तो दुर्घटना में इसको अपराधी बनाये जाने का क्या औचित्य है. अंतिम बात मैं आपकी अनुमति से यह कहना चाहता हूं कि प्रदेश के कृषि मंत्री के गृह जिले की यह घटना है, वह लोकप्रिय मंत्री भी है तथा डायमंड मंत्री भी कहे जाते हैं, उनके द्वारा वहां पर यह घोषणा की गई थी कि जो श्रमिक विस्फोट में मृत हुये हैं उनके बच्चों को शिक्षा की व्यवस्था करने तथा उनको गोद लेंगे. उनकी घोषणा का पालन करेंगे या नहीं ?
एडवोकेट शरद जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह जी से मेरा एक प्रश्न है कि अभी उन्होंने डायमंड मिनिस्टर कहा है, वह डायमंड मिनिस्टर के बारे में क्लीयर कर दें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी बैठ जाएं, इस मामले को बढ़ाए नहीं.
श्री भूपेन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय कृषि मंत्री जी से भी आग्रह करूंगा कि इसके बाद वह कुछ जोड़ना चाहे तो वह भी अपनी तरफ से जोड़ सकते हैं. अभी जैसा माननीय सदस्य ने कहा है, इसमें ग्राम पंचायत की एन.ओ.सी. है और बाकी परिवहन की सारी औपचारिकताएं भी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे मन में भी यह विषय था कि निरीक्षण वास्तव में हुआ है कि नहीं हुआ है, इसलिए मैंने इस संबंध में सभी जानकारी लेने की कोशिश की है. मुझे अधिकारियों ने निरीक्षण की सी.डी. भी दिखाई क्योंकि मुझे भी यह लग रहा था कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि निरीक्षण में लापरवाही हुई है लेकिन मैं इस संबंध में कहना चाहूंगा कि अधिकारियों ने बराबर निरीक्षण किया है. सामान्यत: निरीक्षण के नियमानुसार छ: माह में निरीक्षण होना चाहिए. निरीक्षण करने के समय जो भी लाइसेंसी होता है, वह सामान्यत: निरीक्षण के अनुसार सभी चीजें रखता है लेकिन बाद में यह होता है कि उन शर्तों का लगातार पालन नहीं हो पाता है. इसमें भी निश्चित रूप से लापरवाही हुई है और यह लापरवाही जिसकी फैक्ट्री है, जो निर्माता और मालिक है उसके द्वारा हुई है. यह संभावना है कि उसने जो शर्ते थी उन शर्तो से ज्यादा विस्फोटक रखा हुआ था. फैक्ट्री में जहां पर सुतली बम बनते हैं और उसका जो स्टॉक होता है, उससे जितना मटेरियल वह बनाते हैं उसका उसी दिन बम बनना चाहिए. इस संबंध में यह भी जानकारी में आया है कि उसके पास सुतली बम का मटेरियल नहीं था और उसने रॉ मटेरियल तैयार कर उसको इकट्ठा कर लिया था, यह भी उसकी एक लापरवाही है. इस प्रकार से प्रथमदृष्ट्या जो लापरवाही उसके द्वारा हुई है उस आधार पर प्रकरण की गंभीरता देखते हुए उसके विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया है और जो कठोर धाराएं हो सकती थी उन कठोर धाराओं में पुलिस की तरफ से इसमें अपराध पंजीबद्ध किया गया है. माननीय डॉ. गोविन्द सिंह जी ने जैसा दूसरे अपराध के बारे में कहा है, उसके बारे में कहना चाहता हूं कि दूसरा जो अपराध है वह जो फटाखे बनाते थे और उस फटाखे ले जाकर बाजार के अंदर स्थित दुकान में स्टॉक करते थे, उसकी कोई सूचना उन्होंने पुलिस को नहीं दी थी इसलिए फटाखा निर्माता के विरूद्ध भी और जिसका मकान किराए से लिया था उसके विरूद्ध भी इन धाराओं में हम लोगों ने प्रकरण पंजीबद्ध किया है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी एक मिनट सुश्री हिना लिखीराम कावरे का प्रश्न सुन लें ताकि फिर इकट्ठा उत्तर आ जाएगा. सुश्री हिना लिखीराम कावरे आप सिर्फ एक प्रश्न कर लें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बालाघाट जिले में लगातार दूसरी घटना है. 13 मई, 2015 को मेरे गृह ग्राम किरनापुर में भी फटाखा फैक्ट्री में विस्फोट होने से दो लोगों की मौत हो गई थी. वह इत्तफाक ही था कि उस दिन साप्ताहिक बाजार होने से मजदूर वहां काम नहीं कर रहे थे इसलिए केवल दो लोग ही मरे थे. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से केवल एक प्रश्न करना चाहता हूं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या शासन अधिकारियों पर जिम्मेदारी फिक्स करेगा और क्या शासन यह सुनिश्चित करेगा कि पटाखा फैक्ट्री के मामलों में या अन्य ऐसे मामलों में जहां विस्फोट रखने की अनुमति दी जाती है, वहां कलेक्टर, एस.पी., श्रम अधिकारी तथा विद्युत सुरक्षा विभाग के अधिकारी स्वयं स्थल निरीक्षण करेंगे तथा अपने किसी अधीनस्थ की रिपोर्ट के आधार पर सर्टिफिकेट जारी नहीं करेंगे. क्या शासन ऐसा प्रावधान करेगा ?
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से इस विषय से हटकर माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध करना चाहता हूं कि जो जिले नक्सल प्रभावित हैं क्या उन जिलों में पटाखा फैक्ट्री पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है या नहीं कि पटाखा फैक्ट्री को वहां पर अनुमति न दी जाए क्योंकि नक्सलवाद प्रभावित जिलों में यदि इस तरह से घटना होती है तो चोरी भी हो सकती है, इससे कल कोई दूसरी घटना भी हो सकती है. क्या इसके लिए भी आप अपने उत्तर में या किसी अन्य तरह से कोई प्रावधान कर सकते हैं ?
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य हिना जी ने बहुत अच्छा सुझाव यहां पर दिया है, मैं उनका धन्यवाद करता हूँ. इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, हमारे राज्य में आगे कोई और इस तरह की घटनायें न हों, इसलिए हम लोगों ने यह निश्चय किया है कि हम ए.सी.एस. होम की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर रहे हैं, यह समिति 5 सदस्यीय होगी. इस समिति में 2 कलेक्टर, 2 पुलिस अधीक्षक होंगे एवं एक एडीजी, पुलिस होंगे. यह समिति 3 माह में शासन को रिपोर्ट सौंपेगी. इस तरह की घटनायें आगे न हों, उसमें हिना जी के सुझाव को भी हम सम्मिलित करेंगे. वह अच्छा सुझाव है. इस तरह की घटनायें आगे न हों इसके लिये जो भी सख्त प्रावधान हम लोग कर सकते हैं, वह जरूर करेंगे. दूसरा, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो विषय रखा है कि जो हमारा नक्सल प्रभावित बालाघाट जिला है, उस जिले में इस तरह के विस्फोटक के लाइसेंस दिये जाएं कि न दिये जाएं, यह भी बहुत गंभीर प्रश्न है, इसको भी हम विचार करने के लिए उस समिति में सम्मिलित करेंगे. वह समिति इस पर भी विचार करेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा, यह जो विस्फोटक अधिनियम है एवं बाकी चीजें हैं, मैंने इसका काफी अध्ययन किया है. हमने यह भी तय किया है कि अब हम पुलिस में, अभी तक कोई सेल नहीं था तो पुलिस गृह विभाग में एक अलग से सेल बना रहे हैं, वह हमारे एडीजी के नियंत्रण में रहेगा. वह सेल भी इसकी सतत् निगरानी करेगा कि समय पर इन सब फैक्ट्रियों या जो फटाखा निर्माता हैं, उनका निरीक्षण समय पर हो, इसके लिये लगातार मॉनीटरिंग की आवश्यकता है. इसलिए हमने दो निर्णय आज इस ध्यानाकर्षण के माध्यम से लिए हैं. मुझे आपसे यह निवेदन करना था.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घटना हृदय को हिला देने वाली है. मुझे जैसे ही घटना की जानकारी मिली, मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया और हम घटनास्थल पर पहुँचे. मैंने 17 लोगों को कन्धा दिया है. अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे डॉक्टर साहब ने जो ध्यानाकर्षण में यह विषय लाये, मृतकों में से 18 महिलाएं और 8 पुरुष हैं और कुछ बेटियां ऐसी हैं, जो 0 से 21 वर्ष की हैं, वे पढ़ रही हैं और अविवाहित हैं. पुरुष भी 0 से 21 वर्ष के हैं, सभी लोग बीपीएल के गरीब मजदूर हैं. यह अति संवेदनशील विषय था. मैं इसलिए उस क्षेत्र, बालाघाट जिले के सभी लोगों का धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इतना गंभीर विषय था लेकिन सभी ने बहुत शालीनता का परिचय दिया. 5 लोग आज भी ट्रीटमेंट ले रही हैं, हमने उन सबका इलाज भिलाई सेक्टर-9 में करवाया, बालाघाट डिस्ट्रिक्ट अस्पताल में करवाया. उनको भी सहायता राशि पचास-पचास हजार रुपये मुख्यमंत्री सहायता कोष से और माननीय प्रधानमंत्री जी के कोष से उपलब्ध कराये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक परिवार तो ऐसा है कि उसके माता एवं पिता दोनों का उस ब्लास्ट में निधन हो गया है. हमारी कुछ बेटियां ऐसी हैं कि उनकी मां नहीं रही और पिता भी नहीं थे और इनमें से 12 अनुसूचित जनजाति और 12 अनुसूचित जाति के हैं. हमने माननीय प्रधानमंत्री जी से आग्रह किया है, वहां से हमें 2 लाख रुपये मिले हैं और माननीय गृह मंत्री जी ने मदद की थी. यह कहीं न कहीं मानवीय त्रुटि है. इसको हमने मानवीय त्रुटि मानते हुए आरबीसी 6-4 के अंतर्गत 4 लाख रुपये का प्रावधान करके उसकी राशि भी उनके खाते में डलवाई है और पूरे प्रशासन ने उनका ध्यान रखा है. यह घटना 3 बजकर 40 मिनट की है. मुझे देवास में 3 बजकर 42 मिनट पर घटना की जानकारी मिल गई थी, 3 बजकर 45 मिनट में हमारा प्रशासन वहां पहुंच गया था. इस घटना में हमारे प्रशासन ने, राहत दल के साथियों ने, वहां पर आसपास 4-5 गांव हैं जैसे खैरी, पाथरवाड़ा, हीरापुर, भरवेली, तेकाड़ी वहां की जनता ने भी साथ दिया है. आज भी गुरू पूर्णिमा से एक माह का अखंड रामायण चल रहा है और 1 मार्च तक 30 टीमें अखंड रामायण उनकी आत्मा की शांति के लिए करेगी. एक मुस्लिम परिवार का व्यक्ति दिवंगत हुआ, उसका चालीसवां भी सभी लोगों ने करवाया. चूंकि पूरी घटना मेरी विधान सभा क्षेत्र की है, हमने सभी उन बेटियों की पढ़ाई, उनके परिवार बसाते तक ताकि अच्छी पढ़ाई हो सके, उच्च कोटि की पढ़ाई मध्यप्रदेश शासन से हम करवाएंगे, उन बच्चों को अच्छी परवरिश मिले इसकी चिन्ता करेंगे और 1-1 लाख रूपए मैं अपनी परिवार की आय का उन बेटियों के खातें में पृथक से जमा कर रहा हूं, जिसमें से सवा पांच लाख रूपए पहली किश्त मैंने जमा भी कर दिया हूं. 8 लाख 20 हजार रूपए की राशि रेडक्रास से आई इसके अलावा मैं अपने प्रभारी मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा, उन्होंने 15-15 हजार रूपए प्रत्येक दिवंगत परिवार के लिए अपनी स्वेच्छानुदान की राशि से भी देने के लिए मुझे पत्र लिखा है और यह राशि भी उनके खाते में जाएगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी लोगों ने इसमें आगे बढ़कर हिस्सा लिया है और मैं समझता हूं कि इतनी बड़ी घटना थी, जिसको सभी लोगों ने इसको संभाला. मुझे लगता है कि मैंने भी आपसे आग्रह किया था कि 139 के रूप में या किसी भी रूप में इस चर्चा को सदन में लें, आपने डॉ गोविन्द सिंह जी के इस ध्यानाकर्षण को लेकर के नि:संदेह हम सब लोगों के मन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद के इस शताब्दी वर्ष में सेवा का हमने जो संकल्प लिया उसको इस पटल तक लाने का अवसर दिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका अभिनंदन करना चाहता हूं, आपको धन्यवाद देना चाहता हूं और गोविन्द सिंह जी जो भी आप सुझाव देंगे, हमारे अरूण यादव जी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गए थे उनसे भी मैंने टेलीफोन पर बात करने का प्रयास किया, कांग्रेस की तरफ से भी जो सुझाव आयेगा, उन सुझावों का भी हम अक्षरश: पालन करने का प्रयास करेंगे, उनके परिवार ठीक से बस जाए, वे अच्छी पढ़ाई लिखाई कर लें, शादी विवाह करके बेटियां अपना घर बसा लें, तब तक हमारा जिम्मा रहेगा, किसी तरह की कोई कमी नहीं की जाएगी. दसगातरा में नमक से लेकर के पत्तल तक का सारा प्रबंध किया था, उनको हमने यह अहसास नहीं होने दिया कि उनके माता पिता नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि बालाघाट में हमारे सामने 30 दिवसीय अखंड रामायण आज भी चल रहा है, उनकी आत्मा की शांति के लिए. अध्यक्ष महोदय, इस सदन में आपने इसको ध्यानाकर्षण के लिए उठाया मैं पुन: आपका आभार व्यक्त करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आज अत्यंत इस गंभीर विषय पर सभी सदस्यों ने गंभीरता बरती, शासन ने भी अत्यंत गंभीरता से उत्तर दिया और माननीय प्रतिपक्ष के सदस्यों ने जो सुझाव दिये उनको भी उन्होंने लेने का आश्वासन दिया. मैं सोचता हूं कि यह बहुत अच्छी परम्परा डाली जा रही है, भविष्य में भी यदि जनहित के प्रश्नों पर इसी प्रकार बातचीत होती रहेगी तो हमारे प्रदेश की अनेक समस्यायें हल हो सकेगी. (सदन में मेजें थपथपकर कर स्वागत किया ...)
(2) अनूपपुर जिले में खनिज आधारित उद्योगों को अनुमति न दिया जाना.
सर्व श्री रामलाल रौतेल(अनूपपुर) {फुन्देलाल सिंह मार्को} - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-
अनूपपुर जिले में खनिज आधारित उद्योगों की स्थिति बदतर होती जा रही है. बेरोजगारों ने ऋण लेकर उद्योग स्थापित किए हैं, किन्तु कलेक्टर अनूपपुर(सक्षम अधिकारी) द्वारा इन्हें व्यापार की अनुमति प्रदान नहीं की जा रही है, जिससे उद्यमियों को अपना उद्योग बंद करना पड़ रहा है. क्षेत्रीय आदिवासियों एवं ग्रामीण लोगों को रोजगार के अवसर समाप्त हो रहे हैं एवं दिनोंदिन पलायन की स्थिति निर्मित हो रही है. रोजी-रोटी की तलाश में वे अन्य राज्यों में जा रहे हैं. इस स्थिति से आदिवासियों एवं ग्रामीणों में असंतोष व्याप्त है.
12:54 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
खनिज साधन मंत्री(श्री राजेन्द्र शुक्ल) - यह कहना सही नहीं है कि अनूपपुर जिले में खनिज आधारित उद्योगों की स्थिति बदतर होती जा रही है. वर्तमान में जिले में खनिज आधारित क्रेशर द्वारा गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर खनिज के 63 उत्खनिपट्टे स्वीकृत/संचालित हैं. जिन उत्खनिपट्टा की अवधि समाप्त हो गई है, उनमें नियमानुसार नवीनीकरण की कार्यवाही की जा रही है. इसके अतिरिक्त जिले में खनिज व्यापार हेतु 68 खनिज व्यापारी अनुज्ञप्ति स्वीकृत है. जिले में क्रेशर द्वारा गिट्टी निर्माण हेतु विगत दो वर्षों में प्राप्त 58 आवेदन पत्रों में से 31 पर उत्खनि पट्टा हेतु स्वीकृति/सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई है. इसी प्रकार 29 खनिज व्यापारी अनुज्ञप्ति प्रदान की गई है. अत: यह कहना उचित नहीं है कि कलेक्टर अनूपपुर द्वारा कोई अनुमति प्रदान नहीं की जा रही है. जिला स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण(डिया) में निर्णय लिया गया है कि अचानकमार अमरकंटक बायोस्फियर रिजर्व के बफर जोन में आने वाले 97 ग्रामों में अब किसी प्रकार की खनन संक्रियाएं हेतु पर्यावरण स्वीकृति प्रदान नहीं की जाएगी. डिया द्वारा अमरकंटक क्षेत्र में पर्यावरणीय क्षति को रोकने एवं नर्मदा तथा अमरकंटक के संरक्षण हेतु इसे आवश्यक समझा गया है. इन कारणों से अनूपपुर जिले के मात्र 97 ग्रामों में ही अनुमति नहीं दी जा रही है. शेष अन्य ग्रामों में इस प्रकार की कोई स्थिति नहीं है. अतः यह कहना उचित नहीं है कि जिले में उद्योग बंद करना पड़ रहा है तथा क्षेत्रीय आदिवासियों एवं ग्रामीण लोगों को रोजगार के अवसर समाप्त हो रहे हैं. जिले में पलायन की स्थिति नहीं है न ही आदिवासियों एवं ग्रामीण मजदूरों में असंतोष व्याप्त है.
श्री रामलाल रौतेल--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनूपपुर जिले में ग्राणीण एवं अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग ज्यादा निवास करते हैं. वहां पर 2-3 बड़े उद्योग हैं जिन्होंने जमीन अर्जित की. जमीन अर्जित करने के पश्चात् उन लोगों को उसके आधार पर नौकरी देनी चाहिये, नहीं दी. वहां बड़ी खराब स्थिति है. जमीन अधिग्रहीत करने के बाद भी लोग नौकरी नहीं दे रहे हैं, लोग दर-दर भटक रहे हैं और परेशान हो रहे हैं. इस विषय पर आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि बहुत से ऐसे बेरोजगार हैं जिन्होंने लोन लिया है. लोन लेने के पश्चात् उनको कलेक्टर की स्वीकृति नहीं मिल रही है, लोग परेशान हैं. आपसे विनम्रता से अनुरोध करना चाहता हूं कि शासन स्तर पर इसका सरलीकरण करें और उसके आधार पर जो बेरोजगार हैं. इसके अतिरिक्त जिनकी भूमि अर्जित की गई है. कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां पर उनको नौकरी देने की व्यवस्था शासन सुनिश्चित करेगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह ध्यानाकर्षण तो खनिज आधारित उद्योगों की स्वीकृति से संबंधित था. मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि बायोस्फियर रिजर्व जो भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण को संरक्षित करने के लिये नोटिफाईड किया है इसमें 603 गांवों में से 97 गांवों में एक तरीके से नोटिफाईड कर दिया है इसमें कलेक्टर ने निर्णय लिया है कि वहां पर खनन संक्रियाओं को और ज्यादा प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा. इसलिये यदि कोई इस प्रकार की विशेष ऐसे आवेदन होंगे जो पर्यावरण में प्रतिकूल असर डाले बिना वहां पर खनन संक्रियाओं के लिये खनिज आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा. उसका परीक्षण करवाकर जैसा कि माननीय सदस्य चाहते हैं, रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य ने रोजगार के बारे में पूछा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक रोजगार का सवाल है चूंकि यह ध्यानाकर्षण से संबंधित नहीं है, लेकिन यह बात सही है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जो भी मध्यप्रदेश में उद्योग-धन्धे किसी भी जिले में स्थापित होंगे. लोकल लोगों को 50 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध कराना होगा. इसके लिये उद्योग-धन्धों की ओर से यह बात आती है कि हमारे पास उतना लोकल एरिया में स्किल्ड मेन पॉवर नहीं मिल पाता जिससे हम उन विधाओं में रोजगार देने में सफल नहीं हो पाते हैं इसलिये स्किल्ड डेवलपमेंट सेन्टर्स भी हर ब्लाक में स्थापित किये जा रहे हैं, यह मध्यप्रदेश सरकार की यह योजना है. जिसे कि हम उनकी आवश्यकतानुसार स्कलिंग वहां पर लोकल बेरोजगार नौजवानों हेतु कर सकें और उनको वहां पर रोजगार के लिये स्थान उपलब्ध करवा सकें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा ध्यानाकर्षण भी इसी से संबंधित था. अमरकंटक बायोस्फियर क्षेत्र की बात माननीय मंत्री जी ने कही है, यह पुष्पराजगढ़ से संबंधित है और जितने भी खनिज आधारित क्रेशर संचालित हैं, वह पुष्पराजगढ़ में संचालित हैं. मां नर्मदा की इस गोद में खनिज माफिया इस तरह से ताण्डव कर रहे हैं. आज समूचे देश और प्रदेश में जग-जाहिर है कि सरकार खनिज माफिया माफिया को रोकने के लिये ऐसा लाचार एवं अपने को मजबूर हो रहा है. मैं मात्र इतना कहना चाहता हूं कि यह डिया की बात मंत्री जी कर रहे हैं जिस समिति का गठन जिला अनूपपुर में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में की गई. उपाध्यक्ष महोदय, वहां पर करीब 50-57 क्रेशर संचालित हैं और वह सब बायोस्फियर क्षेत्र और रिजर्व फारेस्ट के अंतगर्त संचालित है और मुझे दुख इस बात का है कि नीति और नियत पर सबसे पहले प्रश्न चिह्न लगता है, जिसको अधिकारी और जिलाध्यक्ष चाहते हैं, उनको क्रेशर लगाने की अनुमति दे दी जाती है.
उपाध्यक्ष महोदय :- मार्को जी आप प्रश्न करें, आप भाषण दे रहे हैं.आपकी बात आ गयी है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को:- यह खनिज से संबंधित ही मामला है. बायोस्फियर और मॉं नर्मदा की उस पवित्र मेकल सुता में जो ब्लास्टिंग हो रहा है, यह उससे संबंधित है. जिससे दुलर्भ जड़ी-बूटी, पशु-पक्षी प्रभावित हो रहे हैं. हमारे जल स्त्रोत उससे प्रभावित हो रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय :- आपने भूमिका अच्छी बना दी है. अब आप प्रश्न कर लीजिये.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि खनन से क्या-क्या प्रभावित हो रहा है. एक तरफ आप यह निर्णय ले रहे हैं कि बायोस्फियर क्षेत्र में किसी भी खनिज माफिया को क्रेशर लगाने की अनुमति नहीं दी जायेगी. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि दो वर्ष के अंदर आपने कितने क्रेशरों को आपने अनुमति दी है और वहां पर अभी कितने क्रेशर संचालित हैं. वहां पर 8 करोड़ 90 लाख रूपये का अवैध उत्खनन का चार्ज लगा है.मैं यह जानना चाहता हूं कि बायो-स्फेयर में संचालित जितने क्रेशर हैं तो क्या मंत्री जी आप उनको बंद करेंगे ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो क्रेशर संचालित हैं, उनको भी बंद कर देंगे वैसे तो यह ध्यानाकर्षण खनिज आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिये लाया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय :- बंद करने के लिये नहीं है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल :- बल्कि नहीं दिया जा रहा है, इसके लिये ध्यानाकर्षण है. पहले आप अपने पहले प्रश्न का जवाब ले लीजिये.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को :- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि क्या रिजर्व फारेस्ट के अंतर्गत ऐसे जो लोग हैं जिन्होंने पूर्व में आवेदन किया है, मझगवां, दुनियां, बसही, पमरा एवं ताली इन ग्रामों में आवदेकों ने जो आवेदन किया है तो उनको क्या संवैधानिक सहमति व खनिज भंडारण की अनुमति प्रदान करेंगे. मैं यह जानना चाह रहा हूं. यदि आप बंद नहीं कर रहे हैं तो चलाने की अनुमति दे दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल :- उपाध्यक्ष महोदय, बायोस्फियर रिजर्व के अन्दर यदि कोई आवेदन लंबित है, चाहे वह भण्डारण का हो, या रिलीज का हो उसका परीक्षण करायेंगे और यदि पर्यावरण में विपरित असर उनकी स्वीकृतियों के कारण नहीं आयेगा तो जरूर उस पर विचार करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय :- अब आपकी बात का समाधान हो गया है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को :- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां कि बाक्साईड खदान चचाण्डी और गढ़ी डाडर, रिजर्व फारेस्ट में मेकल पहाड़ में संचालित हैं. मैं कई बार इस सदन के माध्यम से निवेदन किया कि वहां का पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, मॉं नर्मदा का जलस्तर घट रहा है, पूरे जल स्त्रोत नष्ट हो रहे हैं. उसको बंद कर दिया जाये या उस पर कार्यवाही की जाये. वह जंगल से लगी हुई है. वहां 50-200 मीटर अंदर खुदाई हो रही है. लेकिन आपने उस पर ध्यान नहीं दिया. उस पर सदन के निर्देशानुसार एक समिति भी बनायी गयी. उसमें मुझे भी शामिल किया गया. लेकिन उसकी आज दिनांक तक जांच नहीं हुई है. मैं विनम्रता पूर्वक मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मझगवां, दुनियां, बसही, पमरा और ताली इन ग्रामों के लोगों ने यदि आवेदन किया है और वह व्यक्ति जिन्होंने बैंकों से ऋण लिया है, उनको भण्डारण की अनुमति न मिलने से उनके क्रेशर बंद पड़े हुए हैं. वह क्रेशर स्थापित कर चुके हैं. आवेदन भी लगा चुके हैं उनको मात्र द्वेषभावना से उनको अनुमति नहीं दी है. बहुत सारे लोगों को आप एक के बजाय दो-तीन क्रेशर दे रहे हैं. लेकिन एक व्यक्ति जिसने आवेदन लगाकर, बैंक से ऋण लेकर के मात्र भण्डारण की अनुमति न मिलने से, वह लोन से दबा जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय :- आप पूछना क्या चाहते हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को :- मैं चाहता हूं कि इन ग्रामों में क्रेशर संचालित करने की अनुमति दी जाये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक तरफ तो आप चचांडी को बंद करने की बात कह रहे हैं. एक तरफ आप नयी-नयी खदान शुरू करने की बात कर रहे हैं और बायोस्फियर रिजर्व के बफर जोन में 50 से ज्यादा क्रेशर नहीं चल रहे हैं. 7 को-रिलीज वहां पर स्वीकृत हैं और जैसा आपने बताया कि कुछ यदि और भी स्वीकृति आप चाहते हैं और पर्यावरण पर यदि विपरीत असर नहीं पड़ेगा तो परीक्षण करवाकर, आप जैसा चाहते हैं, वैसा करने का प्रयास किया जायेगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को- उपाध्यक्ष महोदय, खदानों को बंद करने का प्रश्न नहीं है. बायोस्फियर क्षेत्र के 97 गांवों में क्रेशर संचालित हैं और क्रेशर लगाने की पूर्व में अनुमति प्रदान की गई है, भंडारण की अनुमति न मिलने के कारण वे क्रेशर चालू नहीं हो पा रहे हैं. लेकिन वे बफर-जो़न और बायोस्फियर क्षेत्र इन 97 गांवों में हैं. मैं चाहता हूं कि उनकी अनुमति आप प्रदान करें.
उपाध्यक्ष महोदय- मार्को जी, आपका जवाब आ गया है. मंत्री जी, ने कहा है कि पर्यावरण के संदर्भ में परीक्षण करवा लेंगे यदि अनुमति है तो दी जायेगी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को- उपाध्यक्ष महोदय, इससे यदि पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है तो 97 गांवों में जो क्रेशर संचालित हैं, उन्हें भी बंद कर दिया जाये. सरकार किसी को अनुमति प्रदान न करे. सरकार यह तय कर ले कि मां नर्मदा की तराई में, उनके क्षेत्र में कोई भी खनिज कार्य स्वीकृत नहीं होगा, कोई क्रेशर नहीं चालू होगा. इस बात का निर्णय आज सदन में लिया जाये. मेरा निवेदन है कि किसी भी तरीके से क्रेशर आधारित उत्खनन का कार्य न हो और यदि हो रहा है तो इन 97 गांवों में भी स्वीकृति दी जाये.
उपाध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, यहां 97 गांवों की बात हो रही है. इसके बारे में आप क्या कहना चाहते हैं ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल- उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2005 में बायोस्फियर नोटिफिकेशन जारी होने के पूर्व स्वीकृत खदानें और क्रेशर वहां चल रहे हैं. वर्ष 2005 की नोटिफिकेशन के बाद सैद्धांतिक रूप से यह निर्णय लिया गया है कि उन 97 गांवों और उस इलाके में खनन को और अधिक प्रोत्साहित नहीं किया जायेगा. लेकिन फिर भी चूंकि आप माननीय सदस्य हैं और आप कह रहे हैं कि और अधिक खदानें चलाने से वहां के बायोस्फियर रिज़र्व के बफर जो़न में कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा तो हम आप से प्रस्ताव लेकर उसका परीक्षण करवा लेंगे और यदि कोई रास्ता निकलेगा तो हम पूरा प्रयास करेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह विरोधाभास है. एक तरफ मंत्री जी कह रहे हैं कि बायोस्फियर रिज़र्व में आगे अनुमति नहीं दी जायेगी. वर्ष 2005 में बायोस्फियर रिज़र्व की घोषणा हुई और खदानों की स्वीकृति उसके पूर्व दी गई है
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पर्यावरण के संरक्षण के लिए यदि बायोस्फियर रिज़र्व घोषित कर दिया गया है. तो उन खदानों को बंद करना ज्यादा उचित है, न कि और अधिक खदानों की अनुमति देना. यह बहुत ही संवेदनशील मामला है. आज के अखबार में आया है कि इंडियन इंस्ट्टीयूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट के बगल में तेंदुआ ने बकरी को मारा है. मेरे घर के पास शेर है. रोज हम अखबार में पढ़ते हैं कि केरवा में शेर है. परंतु धीरे-धीरे वहां का जंगल सीमित होता जा रहा है. हमें पर्यावरण को बचाना है कि नहीं बचाना है, इस हेतु मंत्री जी कृपया हमें बतायें कि वर्ष 2005 के पहले यदि कोई नेशनल पार्क घोषित हो जाये तो बाद में वहां की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- उपाध्यक्ष महोदय, बायोस्फियर रिज़र्व की नोटिफिकेशन में दो एरिया होते हैं. एक कोर-एरिया और दूसरा बफर-एरिया. कोर-एरिया में पूर्णत: प्रतिबंध होता है कि वहां कुछ नहीं हो सकता है. लेकिन बफर-जो़न में गतिविधियां चल सकती हैं. परंतु वहां भारत सरकार के वन एवं पर्यावारण मंत्रालय द्वारा ''डिया कमेटी'' का गठन हुआ है. प्रदेश स्तर पर इसे ''सिया कमेटी'' कहते हैं और जिले में ''डिया कमेटी'' गठित होती है. जिला स्तरीय ''डिया कमेटी'' द्वारा गुण-दोष के आधार पर परीक्षण किया जायेगा. कोर-एरिया में तो माननीय नेता प्रतिपक्ष द्वारा कही गई बात पूरी तरह से लागू होती है लेकिन बफर-एरिया में माननीय सदस्य जी द्वारा कही गई बात को संज्ञान में लिया जा सकता है और गुण-दोष के आधार पर फैसला किया जा सकता है. मैं कहना चाहता हूं कि माननीय सदस्य ने सदन में ध्यानाकर्षण लगाया है तो उनकी बातों के आधार पर परीक्षण करना जरूरी है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- उपाध्यक्ष महोदय, इस बात की जांच होनी चाहिए कि अजय सिंह जी के आस-पास शेर क्यों घूम रहे हैं ?
उपाध्यक्ष महोदय- आपके यहां तो शेर आयेगा नहीं, इसलिए उनके आस-पास घूम रहा है.
श्री अजय सिंह- उपाध्यक्ष महोदय, शेर तो सिंह के आस-पास ही रहेगा. गुप्ता के आस-पास क्यों रहेगा ?
श्री उमाशंकर गुप्ता- उपाध्यक्ष महोदय, सामान्य रूप से शेर वहां घूमते हैं जहां गीदड़ रहते हैं ताकि उसे खाने को मिल जाये.
उपाध्यक्ष महोदय- गुप्ता जी, आपके पड़ोस में सवा लाख शेर है. उधर देखिये. सरताज सिंह जी बैठे हैं.
1.09 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का तैंतीसवां, चौंतीसवां, पैंतीसवां एवं छत्तीसवां प्रतिवेदन
श्री राजेन्द्र पाण्डेय, सभापति- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रतिवेदन प्रस्तुत करने से पूर्व समिति के सभी सदस्यों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूंगा. उन सभी की लगातार उपस्थिति एवं सक्रियता के कारण हमारी समिति अच्छा कार्य कर रही है और समिति लगातार सदन में प्रतिवेदन प्रस्तुत कर रही है. इसके अतिरिक्त मैं समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को भी धन्यवाद देना चाहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं, शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का तैंतीसवां, चौंतीसवां,पैंतीसवां एवं छत्तीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(2) अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछडे़ वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का प्रथम प्रतिवेदन
श्री के.डी. देशमुख, सभापति-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछडे़ वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का प्रथम प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(3) कृषि विकास समिति का तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन
श्री केदारनाथ शुक्ल, सभापति-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, कृषि विकास समिति का तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
1.11 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
1.12 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
न्यायालय फीस (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 23 सन् 2017) का पुर:स्थापन
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, न्यायालय फीस (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि न्यायालय फीस (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, न्यायालय फीस (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
1.12 बजे वर्ष 2017-2018 की प्रथम अनुपूरक अनुदान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
उपाध्यक्ष महोदय-- अब प्रथम अनुपूरक अनुदान पर चर्चा पुन: प्रारंभ होगी.
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने जो अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया है मैं उसका समर्थन करता हूं और खासकर मेरे विधानसभा क्षेत्र के लिए एक जो बहुत वर्षों पुरानी मांग थी नागरिकों की जामनेर नदी पर पुल की उसके लिए माननीय लोक निर्माण मंत्री जी को मैं धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने एक पुल स्वीकृत किया और माननीय वित्त मंत्री जी ने बजट में प्रावधान किया. नागरिकों की एक बहुत बड़ी मांग इस अनुपूरक बजट के माध्यम से पूर्ण हो सकेगी. यह बजट अपने आप में मध्यप्रदेश की उन योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए लाया गया है जिनके कारण मध्यप्रदेश की सरकार का विश्वास गरीब आदिवासी किसानों में है. इस सरकार ने सिंचाई की योजनाओं पर इस अनुपूरक बजट में प्रावधान किया है. कई आदिवासी क्षेत्रों में सिंचाई योजनाओं के लिए राशि इस बजट में स्वीकृत की गई है. बांस मिशन और जू़ अथॉरिटी के लिए, जू़ से जुड़े कार्यों के लिए भी इस बजट में राशि रखी गई है. निश्चित तौर पर वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए और प्रदेश में बांस के अन्यान्य उपयोगों के लिए, बांस मिशन को बाढ़ावा देने के लिए इस मिशन में प्रावधान किया गया है. हम लोग दिल्ली जाते हैं तो हम लोगों के लिए मध्यप्रदेश भवन उपलब्ध है, मध्यांचल भवन के लिए भी इस बजट में राशि स्वीकृत की गई है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना जो माननीय प्रधानमंत्री जी की बहुत महत्वाकांक्षी योजना है जिसके अंतर्गत गांव-गांव में प्रधानमंत्री आवास के निर्माण का कार्य चल रहा है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि गरीब का पक्के मकान में रहने का सपना सरकार साकार कर रही है और आज बहुत अच्छे मकानों का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है. हम जब उन मकानों को देखने के लिए जाते हैं तब लोग वास्तव में कहते हैं कि आज हम लोगों का मकान में रहने का सपना सरकार ने साकार किया है. मैं इसके लिए भी माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने बहुत बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री आवास योजना के कुशल संचालन के लिए इस बजट में रखा है. साथ ही प्रत्येक विधायक को जैसा कि पहले भी चर्चा में आया है प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क जिन पर पहले काम हुआ था उनको अब इस फेज़ में डामरीकृत करने का काम किया जा रहा है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी लगभग 37 सड़कें मुझे प्राप्त्ा हुई हैं. इसके लिए भी मैं माननीय वित्त मंत्री जी का और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. किसानों की चिंता इस बजट में भी की गई है इसलिए एक मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना जिसके बारे में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कही था उसके लिए 40 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है. निश्चित तौर पर किसान जो अपनी उपज का सही मूल्य चाहते हैं वह सरकार की मंशा भी है कि किसानों को फसल का लागत मूल्य मिल सके या फसल का अच्छा मूल्य मिल सके. इसलिए सरकार ने इस बार बड़ी संख्या में प्याज, मूंग और तुअर की खरीदी करने का कार्य किया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी मूंग की व्यापक पैदावार होती है. किसानों ने इस बार प्याज, मूंग और तुअर मंडियों में लाकर दिया है और जो मूल्य सरकार ने नेफेड के माध्यम से प्रदान किया है किसानों को उससे बहुत बड़ी राहत मिलने का काम हुआ है. प्याज की खरीदी भी व्यापक पैमाने पर की गई इससे जिन किसानों ने प्याज का उत्पादन किया था उनको सरकार के इस फैसले से बहुत बड़ी राहत मिली है. किसानों में आज सरकार के प्रति बहुत संतुष्टि का वातावरण है. मेरे क्षेत्र का एक बहुत महत्वपूर्ण पुल रह गया है उसकी मांग माननीय वित्त मंत्री जी से करना चाहता हूँ कि वे उस पुल को इस अनुपूरक बजट में यदि संभव हो शामिल करने का कष्ट करें. बड़दा से काकरिया मार्ग पर जामनेर नदी का पुल है इस पुल के न होने के कारण 20 से 25 गांव के लोगों का आवागमन बारिश में बाधित होता है. इस पुल की स्वीकृति इस बजट के माध्यम से प्राप्त होगी तो मेरे क्षेत्रवासियों को बहुत बड़ी राहत मिल सकेगी. इस अनुपूरक बजट के माध्यम से सरकार ने जिन विकास कार्यों को जारी रखा है उससे निश्चित तौर पर आने वाले समय में और बहुत सारे कार्य हमको देखने को मिलेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, पशुओं के टीकारकरण और गौवंश के संरक्षण के लिए भी इस सरकार ने अनुपूरक में प्रावधान किया है. उससे ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं का टीकाकरण नहीं हो पाता था. कई जगह से शिकायतें मिलती थीं लेकिन सरकार की प्रतिबद्धता गौवंश के संरक्षण के लिए और पशु मालिकों को समुचित सेवा प्रदान करने की मुझे दिखती है. माननीय वित्त मंत्री जी का मैं इसलिए भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ कि उन्होंने इस काम के लिए भी राशि स्वीकृत की है. नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना से मालवा में सिंचाई के क्षेत्र में बहुत बड़ा काम हो सकता है और सरकार ने उस महत्वाकांक्षी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए भी अनुपूरक बजट में राशि प्रदान की है. निश्चित तौर पर आने वाले समय में लगभग 200 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत हुई है इससे अन्य नदियों को जोड़ने की सरकार की जो प्रतिबद्धता है माननीय मुख्यमंत्री जी की जो प्रतिबद्धता है उसको अमलीजामा पहनाया जा सकेगा. मैं अपनी ओर से मेरे विधान सभा क्षेत्र की योजनाओं को स्वीकृत करने के लिए माननीय वित्त मंत्री जी और माननीय लोक निर्माण विभाग के मंत्री महोदय को धन्यवाद देता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. रामकिशोर दोगने (अनुपस्थित)
श्री गिरीश भंडारी (अनुपस्थित)
सुश्री हिना लिखिराम कावरे (लांजी)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट में खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग में जो बजट का प्रावधान किया गया है वह बहुत ही कम है. फूड सिक्योरिटी बिल के तहत आबादी के 75 प्रतिशत के लिए ही केन्द्र सरकार 3 रुपये किलो चावल और 2 रुपए किलो गेहूं हमको देती है. चूंकि मध्यप्रदेश की सरकार ने जो पात्रता सूची जारी की है वह 75 प्रतिशत से बहुत ज्यादा है. इसलिए 75 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को पूरी कीमत का गेहूँ, चावल और अन्य खाद्यान्न जो पात्रता सूची के लोग हैं उन्हें उपलब्ध कराना पड़ेगा. पात्रता सूची 75 प्रतिशत से ऊपर चली गई. मुझे यह बात समझ में नहीं आती कि विभाग के अधिकारियों को क्या यह चीज पहले से समझ में नहीं आ रही थी कि हमारी पात्रता सूची 75 प्रतिशत से अधिक हो गई है. अगस्त 2016 से पात्रता पर्चियां जारी नहीं की गई हैं. प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते जिन गरीब लोगों का पात्रता सूची में नाम है और हम उन लोगों को अगस्त 2016 से पर्ची उपलब्ध नहीं करवाएंगे तो यह हमारा दायित्व बनता है कि यह सरकार इस अनुपूरक बजट में उसका प्रावधान करे और पूरे मूल्य का अनाज खरीदकर उन लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध करवाए. चूंकि वित्तीय वर्ष का मामला बजट से जुड़ा होता है इसलिये मैं चाहती हूँ कि वित्त मंत्री जी सदन को स्पष्ट करें कि मध्य प्रदेश में वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से 1 मार्च का होगा या नहीं? क्योंकि प्रदेश की केबिनेट ने इसे पास कर दिया है. यदि नहीं किया है तब तो बहुत अच्छी बात है बाकी हमको, जहाँ तक मुख्यमंत्री जी का मैंने सुना था कि उन्होंने 1 जनवरी से लेकर 1 दिसंबर वित्तीय वर्ष होगा, यह उन्होंने कहा था, यदि नहीं किया तब तो कोई बात ही नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, एक बात तो मैं जरूर कहना चाहती हूँ कि जो अभी डीए वाली बात यहाँ पर आई थी, कई बार मुझे समझ में नहीं आता कि आला अधिकारियों के चलते इस तरह की गड़बड़ियाँ कैसे हो सकती हैं? चाहे वह डीए देने की बात हो, चाहे वह पात्रता सूची ज्यादा होने की बात हो. आखिर हमारे शासकीय तंत्र में यह क्या चल रहा है?
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा मुख्यालय में उत्कृष्ट विद्यालय का भवन जीर्णशीर्ण होने के कारण विधिवत रूप से डिस्मेंटल हो गया है और वहाँ नवीन भवन बनाने के लिए बजट में प्रावधान करने के लिए पूरी कार्यवाही मैंने करवाई है. जब मैंने अनुपूरक बजट की किताब खोली तो उसमें स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा, ये दोनों ही विभाग, अनुपूरक बजट में नहीं हैं और नहीं होने में कोई बुराई नहीं है, इसका मतलब तो जहाँ तक मुझे समझता है कि सरकार के पास उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा के लिए शायद वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध है इसलिए अनुपूरक में उनको किसी तरह की राशि की जरूरत नहीं पड़ी है. उपाध्यक्ष महोदय, मुझे पता है कि राज्य शिक्षा केन्द्र ने अभी प्राथमिक शाला भवन और माध्यमिक शाला भवन की मरम्मत के लिए और नवीन भवन के लिए कुछ राशि जारी की है, पर उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में हाई स्कूल, हायर सेकण्डरी स्कूल, इनकी दर्ज संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि बच्चों को बैठने में बहुत दिक्कत होती है. इसके लिए भी नवीन भवन के साथ साथ अतिरिक्त कक्ष का भी प्रोविजन इसमें होना चाहिए. यदि सरकार के पास बजट है, विभाग के पास बजट है, तो मैं चाहूँगी कि वह हाई स्कूल और हायर सेकण्डरी स्कूल की तरफ भी अपना ध्यान केन्द्रित करे और राज्य शिक्षा केन्द्र से उनके लिए भी वे राशि उपलब्ध करवाएँ और हाई स्कूल तथा हायर सेकण्डरी स्कूल के लिए यदि आपके पास राशि नहीं है तो अनुपूरक बजट में उसकी मांग करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उच्च शिक्षा के बारे में मैं कहना चाहूंगी कि उच्च शिक्षा की स्थिति, शैक्षणिक स्टाफ की स्थिति, जगजाहिर है. मुझे कुछ बोलने की जरुरत नहीं है. हम लोग आए दिन पेपर के माध्यम से, आँखों के सामने, हम लोग देखते रहते हैं. शैक्षणिक स्टाफ नहीं है. पर्याप्त बजट है. अशैक्षणिक स्टाफ की भी स्थिति वही है. कहीं न बाबू है, न कहीं चपरासी है, यदि विभाग के पास राशि की पूरी उपलब्धता है तो कम से कम बाबू या चपरासी की टैंप्ररी व्यवस्था, डेली वेजेस पर उन लोगों को रख लें, तो कम से कम वहाँ का कार्य सुचारु रूप से संपन्न हो जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और बात यह भी कहना चाहती हूँ कि नान प्लान में सरकार की सबसे ज्यादा राशि खर्च हो रही है. चाहे वह नर्मदा सेवा यात्रा हो या फिर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष, इन सब में करोड़ों करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं सरकार से निवेदन करना चाहती हूँ कि अगर हम नान प्लान में इतना पैसा खर्च करेंगे तो प्लानिंग के लिए फिर पैसा हमारे पास बचेगा कहाँ से? हम बेसिक चीजों पर पैसा नहीं खर्च कर पा रहे हैं. सरकार सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिए पैसा खर्च कर रही है और जो हमारी मूलभूत आवश्यकताएँ हैं उसके लिए सरकार के पास फण्ड नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, कल जब विधान सभा में मैं शाम तक बैठी, मुझे लगा कि शायद मेरा नंबर आएगा, जब साढ़े पाँच बज गए तो पता चल गया कि बिल्कुल बोलने का अवसर नहीं मिलेगा, लेकिन आज जब मुझे अवसर आपने दिया और मुझे लगता है कि मैंने अपनी पूरी बात कर दी है. इसके साथ साथ मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद करूँगी.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद हिना जी.
श्री आर.डी.प्रजापति--(अनुपस्थित)
श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना(मऊगंज)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लगभग 3 वर्षों से हमको बजट पर अपनी बात कहने की अवसर मिल रहा है मैं समझता हूं कि अनुपूरक बजट का यह तीसरा, चौथा वर्ष होगा, हम लोग अपने क्षेत्र की, अपने जिले की बात कहते हैं लेकिन उस बात का मतलब नहीं निकलता है. लगभग साढ़े 5 हजार करोड़ का यह अनुपूरक बजट निर्धारित हुआ है और पटल पर रखा गया है. जैसा कि मंदसौर में इतना बड़ा गोली कांड हुआ. किसान अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे थे तो निश्चित रूप से इन तमाम घटनाओं के चलते मध्यप्रदेश के किसान यह उम्मीद लगाये थे कि हो सकता है कि सरकार दबाव में आ कर के किसानों के लिए कुछ अच्छा सोचेगी पर इस बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं दिया है इसलिए मध्यप्रदेश का किसान काफी निराश है. सत्ता पक्ष के हमारे साथियों ने बहुत सारी बातें कही कि किसानों को यह लाभ मिल रहा है,वह लाभ मिल रहा है,अच्छी फसल किसानों को बेचने के लिए एक केंद्र बनाया जाएगा लेकिन जब फसल होगी तब तो केंद्र काम करेगा? अभी हमारे आर.डी प्रजापति जी नहीं बोले हैं. पहले एक संकल्प लाया गया था रोज(नीलगाय) आवारा पशु के लिए अगर किसान मेहनत मजदूरी कर के किसी तरीके से अपनी खेती करता है कि हमको इसका अच्छा लाभ मिलेगा लेकिन उसकी आधी फसल तो यह जानवर ही खा जाते हैं. सरकार को कम से कम इसके लिए एक ठोस कदम उठाना चाहिए था लेकिन 13 साल बीत गये और इतने साल बाद भी इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. जबकि किसान ने उम्मीद लगाई थी कि हमारी ऋण माफी होगी, बिजली के बिल भी माफ किये जाएंगे, मोटर पंप का बिल माफ किया जाएगा लेकिन ऐसा कुछ किसान कल्याण के लिए सरकार ने नहीं किया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षा का स्तर कैसा है, यह बात किसी से छुपी नहीं है. मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. सरकारी स्कूलें तोड़ी जा रही है और जो निजी विद्यालय हैं, निजी विश्वविद्यालय हैं इनको बढ़ावा मिल रहा है. पिछले वर्ष अकेले हमारे रीवा जिले में साढ़े 7 सौ स्कूलें तोड़ी गई थीं. सरकार की इसके पीछे क्या मंशा है? सरकार की मंशा यह है कि पूरी तरह से प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्कूलों का दोहन किया जा रहा है. साढ़े 7 सौ स्कूल तोड़ना साधारण बात नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि अगर सही में सरकार की मंशा है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा मिल सके तो उस दिशा में काम करना चाहिए. हमारे शिक्षा मंत्री सदन में बैठे हैं वह निश्चित रूप से आप इस क्षेत्र में अच्छा काम करने की कोशिश करते हैं. लेकिन साढ़े तीन वर्षों में हमारे विधान सभा क्षेत्र में एक स्कूल का भी उन्नयन तक नहीं हो पाया है. इस बार फिर से लिस्ट माँगी जा रही है तो हो सकता है कि एकाध स्कूल का उन्नयन हो जाये लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि वह भी हो पाएगा. उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षा का स्तर क्या है, यह किसी से छुपा नहीं है. अध्यापक संवर्ग भी आंदोलन कर रहा है, उनको अभी छठवां, सातवाँ कोई भी वेतनमान नहीं मिल पा रहा है कल ही उनका आंदोलन था, शायद विधान सभा का घेराव था, यह बात पेपरों में छपी है. रोडों की हालत के बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है मैं उस पर ज्यादा नहीं जाना चाहता हूं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- 2003 में रोड कैसे थे?
श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना-- 2003 की बात आप क्यों करने लगते हैं. आज क्या स्थिति है यह देखिये. आप लोग उज्जैन क्षेत्र से आते हो, महाकाल की नगरी के हो. कम से कम इस असत्य में तो आप लोग शामिल ना हुआ करिये. कम से कम इस श्रावण माह में सही बात करिये. बाकी तो आपको असत्य में ही साथ देना है. आप जितने लोग उस सीट के आसपास बैठे हो सब महाकाल की नगरी के हो.
श्री दिव्यराज सिंह-- हमहुँ यहाँ बैठे हैं हम रीवा के हैं भैया.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- इसमें असत्य नहीं, सही बात तो बोली है.
उपाध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.29 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.12 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
श्री सुखेन्द्र सिंह (बन्ना) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैं लोक निर्माण विभाग पर चर्चा कर रहा था, रीवा संभाग की सड़कें चाहे चाकघाट से रीवा हो, चाहे सतना से रीवा हो, चाहे सिंगरौली से रीवा हो, आज भी तीन सालों से जो सड़कें अधूरी पड़ी थीं, वह जस की तस बनी हुई हैं. इससे यह प्रतीत होता है कि लोक निर्माण विभाग की क्या स्थिति है. मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की एक-दो सड़कों की बात लगातार तीन-साढे़ तीन वर्षों से कर रहा हूँ लेकिन उसके लिए यह कहा जाता है कि मुख्यमंत्री जी की घोषणा की सड़कें ही नहीं हो पा रहीं हैं तो यह कैसे हो पाएगा. इसमें मेरा आपसे अनुरोध है कि मुख्यमंत्री जी तो लगातार घोषणा करते रहेंगे लेकिन इस तरह से हम लोगों के क्षेत्रों में कोई काम नहीं हो पाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने विधानसभा में एक प्रश्न लगाया था कि क्या एमडीआर में हमारी रोड घोषित होगी ? इस संबंध में माननीय मंत्री जी ने उस दिन जवाब दिया था. उस दिन आदरणीय श्री लालसिंह आर्य जी ने घोषणा की थी कि हॉं एमडीआर में आज सदन के माध्यम से घोषित करता हॅूं. लेकिन दूसरी बार उसी रोड के संबंध में जब मैंने प्रश्न लगाया कि एमडीआर घोषित हुआ, उस संबंध में उसकी जानकारी चाही तो माननीय मंत्री जी का जवाब आया कि न ही कोई एमडीआर घोषित हुआ और न ही सदन में ऐसी कोई चर्चा हुई. इस तरह से सदन में असत्य जानकारी दी जाती है. माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी द्वारा मऊगंज के सिविल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पिपराही के बारे में इसी सदन में घोषणा की गई थी लेकिन इस बार जब मैंने विधानसभा के माध्यम से उसकी जानकारी चाही तो उसका गोलमोल जवाब दिया जा रहा है कि जानकारी मंगाई जा रही है. मेरे कहने का मतलब यह है कि विधानसभा में भी जो जानकारी या घोषणाएं होती हैं उसको भी दूसरी बार यदि प्रश्न लगाकर जानकारी ली जाए तो कह दिया जाता है कि इसके बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है. यह अक्षरश: प्रमाण है तो यह स्थिति है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्मार्ट सिटी के बारे में चर्चा हो रही है. पूरे प्रदेश में कई शहरों को स्मार्ट सिटी के रुप में घोषित किया गया है. सतना को भी स्मार्ट सिटी के रूप में घोषित किया गया. हमारा रीवा जिला भले ही स्मार्ट सिटी घोषित नहीं हुआ लेकिन पिछली बार जब बाढ़ आयी थी, माननीय मुख्यमंत्री जी वहां गए थे तो उन्होंने बहुत सारी घोषणाएं की थीं. हमने मुख्यमंत्री जी से व्यक्तिगत रुप से बात की थी कि तेरह साल का विकास इस तेरह घंटे की बारिश में बह गया और वहां पर मुख्यमंत्री जी ने मुआवजे की घोषणा की थी कि 95-95 हजार रुपए लोगों को मुआवजा मिलेगा. लेकिन 5 हजार रुपये से ज्यादा 10 रुपये तक कुछ लोगों को ही मुआवजा मिला, बाकी आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला है. सारी सड़कें वहाँ की बह गई थीं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं पेपर के माध्यम से बताना चाहता हूँ कि रीवा में अभी एक सड़क 4 करोड़ रुपये की लागत से बनी, और 15 दिनों में वह सड़क बह गई, गड्ढों में तब्दील हो गई. यह स्मार्ट सिटी का पूरा नक्शा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता, लेकिन आपके माध्यम से सदन में इतना जरूर कहना चाहता हूँ कि यह जो अनुपूरक अनुमान की मांगे हैं, मैं पहले भी कह चुका हूँ कि मध्यप्रदेश में किसानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है, 6-6 किसान मारे गए हैं लेकिन जो किसानों की मांगें थीं, वे पूरी नहीं की गई हैं, किसानों की कर्ज माफी की जाए, किसानों के ऊपर लगे अपराध वापस हों, और जिन्होंने किसानों पर हमला किया, उनके ऊपर अपराध दर्ज हो, समर्थन मूल्य मिले, आपके माध्यम से यही हमारी मांग है, तब जाकर इस अनुपूरक अनुमान की सार्थकता निकलेगी, अन्यथा यह बजट किसान विरोधी है, यही मेरा आपसे अनुरोध है, धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने जो वर्ष 2017-2018 का प्रथम अनुपूरक बजट पांच हजार बावन करोड़, तिरपन लाख, सैंतालीस हजार, दो सौ रुपये का प्रस्तुत किया है, उसका मैं विरोध करता हूँ, क्योंकि इस बजट ने मध्यप्रदेश की जनता को सब तरफ से निराश ही किया है, निराशा के अलावा हमको कुछ भी नहीं मिला है. सरकार की क्या प्राथमिकताएँ होनी चाहिए, उन प्राथमिकताओं पर सरकार के द्वारा जो बजट होना चाहिए, वह नहीं है, हमने पहले भी बजट पर चर्चा की है, देखा है, जिसके लिए बजट रखा जाता है, उस पर वह खर्च नहीं होता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों की पुस्तिका को मैंने पूरी पढ़ी है, मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बताना चाहता हूँ कि पांच हजार बावन करोड़ रुपये का यह बजट है लेकिन सरकार की प्राथमिकताएं कुछ भी नहीं हैं. इस सरकार के मुख्यमंत्री जी उपवास पर बैठते हैं, गांधी जी देश में अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ उपवास पर बैठते थे, यह मुख्यमंत्री जी, अपनी सरकार, अपनी व्यवस्था, खुद के ही खिलाफ उपवास पर बैठते हैं. आप, हम और सबको यह बात याद होगी, क्योंकि उपवास समाप्ति को लंबा टाइम नहीं हुआ है, माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा उपवास समाप्ति के समय बहुत सी घोषणाएं की गई थीं, माननीय वित्त मंत्री जी इसमें वह घोषणाएं कहां हैं ? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं याद दिलाना चाहता हूँ, उस समय माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा यह भी कहा गया था कि 1 हजार करोड़ रुपये की बाजार मूल्य स्थिरीकरण निधि खेती-किसानी के लिए की जाएगी, जिन कारणों से किसान आत्महत्याएं करते हैं क्योंकि मध्यप्रदेश में 6 से 8 किसान औसतन प्रतिदिन आत्महत्याएं करते हैं, और किसानों को अपनी मांग के बदले गोली मिलती है, क्या माननीय वित्त मंत्री जी ने इस अनुपूरक अनुमान की पुस्तिका में देखा है कि इसकी मांग संख्या 13 के मद क्रमांक 14 में बाजार मूल्य स्थिरीकरण निधि हेतु 1 हजार करोड़ रुपये के अंगेस्ट मात्र 40 करोड़ रुपये है. किसान हितैषी के नाम का सिर्फ ढिंढोरा ही सरकार पीटती है कि हम किसान हितैषी हैं, अभी दो महीने पहले मुख्यमंत्री जी ने 1 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की है और मात्र 40 करोड़ इसमें रखे गए हैं, वहीं स्मार्ट सिटी के नाम पर मांग संख्या 22 के मद क्रमांक 8 में 700 करोड़ रुपये रखे गए हैं. किसी भी प्वॉइंट ऑफ व्यू से, किसी भी एंगल से यह लगता नहीं है कि आप किसानों के साथ खड़े हो, किसान जो उम्मीद करते हैं उन उम्मीदों पर सरकार खरी नहीं उतरती, उन वादों पर, उन इकरारनामों पर, उन घोषणाओं पर सरकार खरी नहीं उतरती है और किसानों के सारे सपने चकनाचूर और खत्म हो जाते हैं, ऐसी स्थिति में किसान मांग करते हैं तो हम सबको मालूम है कि उन किसानों के क्या हाल करते हैं. प्याज खरीदी के नाम पर जो उसका भण्डारण किया है उसकी तुलाई और उसकी हम्माली में, आपने 10 लाख क्विंटल प्याज खरीदा है, उसकी हम्माली और तुलाई पर 22 करोड़ रूपये लगाया है. एक क्विंटल प्याज पर 220 रूपये हम्माली और तुलाई का चार्ज लगाया है. क्या जमकर भ्रष्टाचार किया है, जबकि मंडियों में हम्माली और तुलाई का खर्चा 10 रूपये प्रति क्विंटल लगता है आदरणीय वित्त मंत्री जी, इसलिए मैंने यह बात यहां पर बोली है कि सरकार की कोई प्राथमिकताएं नहीं हैं और सरकार किस ओर जा रही है सरकार किस ओर जाना चाहती है और क्यों मध्यप्रदेश की वाट लगाने में सरकार लगी है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय बात यहीं पर समाप्त नहीं होती है. यह मैं आपको तथ्यात्मक बात बता रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह वाट कौन सा शब्द होता है.
श्री बाला बच्चन -- यह सरकार पूरी तरह से वाट लगाने में लगी है आप देखें कि जो खर्चा 10 रूपये प्रति क्विंटल लगना चाहिए वह 220 रूपये प्रति क्विंटल लग रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह पार्टी के महाराष्ट्र के प्रभारी भी हैं. यह लगता है कि मराठी शब्द है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- यह वाट शब्द एकदम से नया आया है.
श्री बाला बच्चन -- नहीं यह बहुत पुराना शब्द है, जो उपाध्यक्ष महोदय ने बोला है वह ठीक है.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह वाट्सएप शब्द शायद इसी वाट से आया है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय वित्त मंत्री जी यह जो मैं आपको आंकड़े बता रहा हूं यह मेरा प्रश्न क्रमांक 1280 है 24 जुलाई का प्रश्न है उसमे उत्तर आया है कि 22 करोड़ रूपये आपने हम्माली और तुलाई में लगाये हैं. एक क्विंटल का चार्ज 220 रूपये है जबकि मंडी में 10 रूपये प्रति क्विंटल लगता है, यह मेरे प्रश्न के जवाब में बताया गया है, यह कोई फर्जी आंकड़े नहीं है, मैं हवा में तीर नहीं मार रहा हूं वित्त मंत्री जी जब आप बोलें तो इन चीजों को स्पष्ट करें. आप तो 5 - 10 मिनट में अपना बजट का भाषण समाप्त कर लेते हैं. यह जो हमारे पास में जानकारी आयी है यह हमारी खुद की नहीं है यह तो आपने विधान सभा के माध्यम से सरकार ने यह उपलब्ध करायी है, यहां पर प्रश्नों के जो जवाब आये हैं उनको मैं स्पष्ट कर रहा हूं. आप और आपका तंत्र देखता क्या है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय यह प्याज खरीदी की बात मैंने आपको बताई है. ऐसे ही क्या किसानों को तोड़ते हैं क्या किसानों को निराश करते हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना राष्ट्रीय फसल बीमा योजना को तो आपने बंद कर दिया है. सीहोर में प्रधानमंत्री जी आते हैं और उसके बाद में घोषणा करते हैं कि अब राष्ट्रीय फसल बीमा योजना समाप्त हिन्दुस्तान में और अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हम शुरू करेंगे. उसमें प्रावधान यह है मैंने उस बात को पढ़ा है, मैंने उसको सुना भी है कि जहां पर प्राकृतिक आपदा से फसलों को नुकसान होता है तो तत्काल 25 प्रतिशत राशि देने का प्रावधान है. आपने हम किसानों से रबी और खरीफ की 2016 की जो फसलें थीं उसके लिए प्रीमियम के रूप में किसानों से 880 करोड़ रूपये जमा तो करा लिये हैं लेकिन आपने साल भर तक जो राज्यांश और केन्द्रयांश जो कि 25 - 25 प्रतिशत लगता है दोनों सरकारों का वह दोनों सरकारों ने एक एक करोड़ रूपये जमा किये हैं, तो अब जून में जाकर राशि आई है लेकिन आपने साल भर तक किसानों के 880 करोड़ रूपये की राशि बीमा क्लेम देने वाली कंपनियों के खाते में रहे हैं और 5 करोड़ रूपये उसका ब्याज आता रहा है, लेकिन किसानों से तो आपने पहले राशि ले ली, किसानों को जब जरूरत पड़ी तो किसानों को आपने दी भी नहीं, तो किसानों के साथ आप हैं यह कैसे दिखेगा, किस प्वाइंट आफ व्यू से दिखेगा, यह आप पूरी तरह से नेस्तनाबूत करने में खेती को और किसानों को लगे हैं इस पर ध्यान देना होगा.उपाध्यक्ष महोदय अब माननीय मुख्यमंत्री जी इस बात को मानने भी लग गये हैं कि खेती लाभ का धंधा नहीं है. इन कारणों से नहीं है कि सरकार की पालिसी और नीतियों के कारण से नहीं है. 880 करोड़ रूपये आपने किसानों से ले लिया है लेकिन सरकार ने वह राशि जमा नहीं करायी है, उससे कितना नुकसान हो गया है. उसके बाद में प्रधानमंत्री फसल बीमा मध्यप्रदेश के केवल एक जिले में.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी के उस ब्यान को तोड़ मरोड़कर बार बार कांग्रेस के लोग प्रस्तुत कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी ने यह कहा है कि आज जो हालत है कि खेती पर निर्भरता हमें खत्म करना होगी जिस प्रकार से परिवार बढ़ते जा रहे हैं खेत छोटे होते जा रहे हैं. इसलिए किसान के बेटों को भी बाकी धंधों में लगना चाहिए. ये संख्या अगर बढ़ती गई तो खेती को लाभ का धंधा बनाना कठिन होगा. यह बात स्पष्ट और यही छपी थी, लेकिन लगातार कुछ तो भी भ्रम फैलाना क्योंकि इसके अलावा तो कुछ है भी नहीं. इस हाऊस में भी यह बात हो चुकी है और मुख्यमंत्री जी भी इस बात को जब स्थगन पर चर्चा हो रही थी, किसानों की जो समस्या शायद बाला बच्चन जी उस समय यहां रह नहीं पाए, इन सारी बातें पर उस समय बिंदु उठे और मुख्यमंत्री जी ने सबका बिंदुवार जवाब भी दिया. वही वही रिपिटिशन हो रहा है. आप रिपिटिशन करिए आपका अधिकार है, लेकिन कम से कम आपने यह जो बातें भ्रमित करने वाली हैं इनसे तो बचने की कोशिश करिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे वरिष्ठ मंत्री आदरणीय श्री गुप्ता जी ने कहा मुख्यमंत्री महोदय ने सब उत्तर दिये. मेरे स्थगन प्रस्ताव के भाषण के चार मुख्य बिंदु थे, जिनके बारे में मुख्यमंत्री महोदय ने जिक्र तक नहीं किया, उत्तर देने की तो बात छोड़ दीजिए. तो आप हम लोगों को तो भ्रमित मत करिए. जो मुख्यमंत्री जी हैं उसमें आपके नंबर कुछ नहीं कट रहे बढ़ रहे हैं लेकिन वह उत्तर नहीं दे रहे.
श्री बाला बच्चन- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह आपकी घोषणा वाली बात. मैंने अभी आपको बोला था कि घोषणा की थी उन्होंने एक हजार करोड़ रुपये रखने का बाजार मूल्य स्थिरीकरण निधि का, तो उस पर बोलिये आप. 40 करोड़ रुपये रखकर.
श्री उमाशंकर गुप्ता- मैं इस पर बोल सकता हूं लेकिन वित्तमंत्री जी बोलेंगे.
श्री बाला बच्चन- मेरी बात सुनिये, जब आपका नंबर आएगा आप बोलिये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा मैं आपको बताना चाहता हूं माननीय मंत्री जी आप राजस्व मंत्री हैं आपके विभाग का क्या हाल है ? एक दिन में मतलब जो सत्र के समय जवाब 55-55, 56-56 प्रश्नों का एक जैसा जवाब आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, जानकारी एकत्रित की जा रही है, वहां आप क्यों नहीं कसावट कर रहे हैं ? आप मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं और मुख्यमंत्री जी की बातों को छोडि़ए.
श्री उमाशंकर गुप्ता- उपाध्यक्ष महोदय, आप बात ठीक कह रहे हैं लेकिन आप देखेंगे तो इसमें काफी कसावट हो गई है और अब आपके प्रश्नों में यह सामान्यत: ही कहीं जवाब मिलेगा कि जानकारी एकत्रित की जा रही है.
श्री बाला बच्चन- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर ऐसा किया है तो आने वाले सत्रों में पता चल जाएगा. मैं मेरी बात कर रहा था जो प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की फसलों का नुकसान होता है, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत मैं आपसे ही जानना चाहता हूं आप राजस्व मंत्री हैं मध्यप्रदेश के दतिया जिले को छोड़कर आपने अभी तक मध्यप्रदेश के किसानों को फसल बीमा क्यों नहीं दिया ? सिर्फ दतिया को दिया है और वह भी 25 प्रतिशत वाली नुकसानी की तत्काल भरपाई जो की जाना चाहिये थी वह भी केवल दतिया को दी है. क्या दतिया के अलावा मध्यप्रदेश में और दूसरे जिलों में, दूसरी तहसीलों में, दूसरे इलाकों में किसान नहीं रहते हैं ? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी कुछ दिन पहले माननीय वित्तमंत्री जी, यह बात सरकार के द्वारा की गई थी कि अब हम अनुपूरक बजट से नये वाहन नहीं खरीदेंगे, लेकिन मैंने इस बुक में पढ़ा है कि कितने स्थानों के लिये आपने इस प्रथम अनुपूरक बजट से वाहन खरीदने का प्रॉवीजन किया है. सरकार जो बोलती है वह करती नहीं है. सरकार की कथनी और करनी में इतना जमीन-आसमान का अंतर है, इसलिये मैंने शुरू में ही कहा कि सरकार की प्राथमिकताएं बजट की क्या होनी चाहिये और क्या लुटाते हैं, क्या भ्रष्टाचार कराते हैं यह चार्ज लगाओगे आप ? मैंने अभी आपको बोला जो काम 10 रुपये में होना चाहिये उस काम को दो सौ बीस- सवा दो सौ रुपये में आप कर रहे हैं ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आगे मैं बताना चाहता हूं मंदसौर गोलीकाण्ड पर आपने जांच आयोग तो बना दिया है कि हम जांच आयोग बनाते हैं और तीन महीने में जांच आयोग की रिपोर्ट सबमिट कर देंगे, लेकिन मेरा इसमें भी एक प्रश्न है, यह मैं प्रश्न का उल्लेख कर रहा हूं यह 925 नंबर का दिनांक 18.07.17 का प्रश्न है, इसमें यह बताया गया है. हमने इसमें पूछा था कि वर्ष 2009 से लेकर आज तक के 6 जांच आयोग ने सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है, सबमिट कर दी है क्या मजबूरी है माननीय वित्तमंत्री जी उसको पटल पर क्यों नहीं रखते हो ? उसको सार्वजनिक क्यों नहीं करते हो ? तो क्या यह साल भर में भी जो मंदसौर गोलीकाण्ड का जांच आयोग आपने बनाया है इसकी रिपोर्ट आ जाएगी ? इसमें समय सीमा में न्याय हो जाएगा ? और जो परिवार तबाह हुए, बर्बाद हुए उनको न्याय, हक और अधिकर मिल जाएगा ? सरकार के प्रति उनका विश्वास धीरे-धीरे समाप्त ही हो गया है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदय, यह आयोग क्या अनुपूरक का विषय है?
श्री सुखेन्द्र सिंह - किसानों की हत्या हुई है दादा.
श्री बाला बच्चन - यह किसानों का मामला है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - यह अनुपूरक का विषय ही नहीं है. (व्यवधान)..13 घंटे चर्चा हुई है.
श्री के.के. श्रीवास्तव - किसानों पर 13 घंटे चर्चा हुई है मंदसौर गोलीकांड पर स्थगन प्रस्ताव आया है. बार-बार उनके लिए घड़ियाली आंसू मत बहाओ. पाखण्ड मत दिखाओ.
कुंवर सौरभ सिंह - किसानों की हत्या हुई है, जो विषय नया आया है उसको छोड़कर (व्यवधान)..आप पाखण्ड मत करो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदय, 13 घंटे चर्चा हुई है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, किसानों की हत्या हुई है.
श्री के.के.श्रीवास्तव - सदन में 13 घंटे किसानों के विषय पर चर्चा हुई है. जब किसानों पर चर्चा करते हैं, किसानों के लिए आंसू रोने लगते हैं, घड़ियाली पाखण्ड दिखाने लगते हैं, यह क्या तरीका है?
उपाध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जायं.
श्री बाला बच्चन - माननीय सिसौदिया जी और श्रीवास्तव जी, यह विधान सभा के प्रश्न का जवाब है. मैं आपसे और सरकार से जानना चाहता हूं कि यह सरकार की प्रॉपर्टी हुई कि नहीं?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - बाला जी, आप 13 घंटे की चर्चा में तो थे ही नहीं? स्थगन पर 13 घंटे की चर्चा में आप तो मौजूद ही नहीं थे.
श्री बाला बच्चन - मैं उसका उल्लेख कर रहा हूं, वित्तमंत्री जी को कुछ नहीं कहना है, वह बाद में कहेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, इस बजट में पेंशनर्स के लिए क्या व्यवस्था की है? सातवें वेतनमान के बारे में कोई जरा-सा भी उसमें उल्लेख नहीं है. पूरी तरह से सरकार ने उनके साथ धोखा देने जैसा काम किया है. आप इस पर भी विचार करें. पेंशनर्स बडी संख्या में हैं और वे मध्यप्रदेश में बड़ा सफर कर रहे हैं और वे भी सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार हमारे साथ में खड़ी दिखे और सरकार हमें सहयोग करे.
उपाध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन की जो बात है, उसको रोकने के लिए सरकार की कोई नीति नहीं है. अभी अभी सीहोर जिला, जो मुख्यमंत्री जी का गृह जिला माना जाता है, वहां का टीआई अवैध उत्खनन करने वाले लोगों से रिश्वत लेते हुए सस्पेंड हुआ है. यह सरकार को हम लोग ध्यान नहीं दिलाएंगे तो आप लोगों को तो वही वही दिखेगा, जो अच्छा अच्छा होगा, जो आप लोगों की तारीफ करे, आप लोगों की जो प्रशंसा करे.
उपाध्यक्ष महोदय, 21 जनवरी, 2017 को बड़वानी में मुख्यमंत्री जी ने जो राज्य स्तरीय अनुसूचित जनजाति सम्मेलन किया था, उसमें मुख्यमंत्री जी ने यह घोषणा की थी कि जिस जमीन पर जो रह रहा है, जिसका आवास है, हम उनको जमीनों का पट्टा देंगे. माननीय वित्तमंत्री जी, अभी जो संशोधन विधेयक आया था, मैंने उसको देखा है. मैं उस पर बोलना भी चाह रहा था. उस संशोधन विधेयक में यह आया है कि जो कब्जेधारी हैं उनको पट्टे देने की बात आप कर रहे हैं लेकिन दसों साल से जो आवेदन दे रहे हैं, जिनके पास जमीन नहीं हैं, जिनके पास मकान नहीं हैं और वे मकान बनाना चाहते हैं, उनको पट्टे देने की बात मुख्यमंत्री जी बोल रहे थे, लेकिन वह कहां है? आप इससे संबंधित संशोधन विधेयक लाए हैं, वह किसी ओर ही दिशा में चल दिया है. इसी सम्मेलन में माननीय मुख्यमंत्री जी ने 22000 लोगों को प्रशिक्षण देने की बात की थी, यह भी मेरा प्रश्न है, उसमें जवाब आया है. मैंने पूछा था कि इस सम्मेलन में कितनी राशि खर्च हुई? तो उसमें 4 करोड़ रुपया खर्च करना बताया गया है. कितने लोगों को वह राशि दी गई तो उसमें 430 लोगों को राशि देना बताया गया है. जब 430 लोगों के बारे में पता किया गया कि यह राशि किस फर्म को किस उद्देश्य से, किस उपयोग के लिए दी गई है. कलेक्टर ने जो उत्तर में जानकारी दी है. 5 लाख रुपए बस वालों को देने की बात बोली थी, जब पता किया तो बस वाले मना कर गये. 430 में से 400 लोगों के नाम, पता और जिस कार्य के लिए वह राशि दी गई वह तक सरकार नहीं बता पा रही है? 22000 लोगों को प्रशिक्षण देने की बात की थी. मैंने 500 लोगों की सूची मांगी है, वह 500 लोगों की सूची भी सरकार नहीं दे पा रही है. इस तरह से माननीय वित्तमंत्री जी जो बजट की राशि हमसे लेते हैं. मध्यप्रदेश की विधान सभा में हमसे जो पास करवाते हो, लेकिन उसका बराबर सदुपयोग नहीं होता है. हमारा तो आपसे यह आग्रह है कि कम से कम जिस काम के लिए जो राशि लेते हैं , उसको प्राथमिकता पर हल करवाएं, उसके बाद क्या भ्रष्टाचार होता है, इसका मैंने अभी उल्लेख किया है और भी बहुत सारी बातें हैं माननीय वित्तमंत्री जी, इसको आप देखें. मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति को ठीक-ठाक और व्यवस्थित करें. इन तमाम कारणों से डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज में मध्यप्रदेश डूब चुका है, लेकिन उसके बाद भी सरकार को रहम नहीं आ रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, जो आपने समय दिया है, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री आर.डी.प्रजापति (चन्दला) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस वर्ष 2017-18 के प्रथम अनुपूरक की मांगों के समर्थन में अपनी विधान सभा की ही बात करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप रोजड़ो वाली बात मत करना, वह बात आपने बहुत कर ली है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - उपाध्यक्ष महोदय, नातीराजा के विषय पर इन्होंने अतिक्रमण कर दिया है.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - माननीय मंत्री जी, दोनों इनका ज्वाइंट है.
श्री आरडी प्रजापति-- उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है. उसका प्रस्ताव आया है. मेरे यहां ठकुर्रा में 900 हेक्टर जमीन है. सरकार को फैंसिंग का 4 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था.
श्री उमाशंकर गुप्ता--उपाध्यक्ष महोदय, जैसे ही रोझड़ों की बात आयी नातीराजा आ गए(हंसी)
कुंवर विक्रम सिंह --उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को बड़ी चिन्ता रहती है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपकी चिन्ता रहती है, रोझड़ों की नहीं रहती.(हंसी)
कुंवर विक्रम सिंह -- बड़ी कृपा रहती है.
श्री आर डी प्रजापति-- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा मंदसौर में बोमा पद्धति से पकड़ने का काम हुआ था उसी तरह से पकड़ने के लिए मुख्य वन संरक्षक ने अपने पत्र क्रमांक वन्यप्राणी/2017/1476/दिनांक 27.5.2017 से शासन को प्रस्ताव भेज कर लेख किया कि फसल से हानि प्रभावित क्षेत्रों से रोझड़ों को पकड़ कर वन क्षेत्रों में छोड़ा जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, 900 हेक्टर में जमीन खाली पड़ी है. वन विभाग ने 2 साल पहले मेरे क्षेत्र का एक प्रस्ताव शासन को भेजा था. यह पूरे क्षेत्र की समस्या है. वन विभाग भी इस समस्या से परेशान है. माननीय वित्त मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि चूंकि यह किसानों से जुड़ा मामला है. पूरे छतरपुर जिले में यह समस्या है. उपाध्यक्ष जी, लोग सोचते हैं कि बार बार वहीं कहूंगा तो बदनामी होगी लेकिन मुझे बार बार इसलिए कहना पड़ता है क्योंकि बार बार चुनाव जीतकर आना है तो यह कहना जरुरी है. अगर मैं उस बात को नहीं कहूंगा तो क्षेत्र की समस्या दूर नहीं होगी. जिसकी जो समस्या रहती है वह वही समस्या कहता है. यह बहुत बड़ी समस्या है. मैंने बार बार भी वही बात कही.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा, मेरे यहां 500 से 5000 हेक्टर जमीन है वह राजाओं के जमाने से पड़ी है. उन जमीनों का कोई लेखा-जोखा नहीं है. वह न तो राजस्व की मानी जाती है और न वन विभाग की मानी जाती है. हमारा कहना है कि वहां गौ-अभ्यारण्य बनाया जाये. उसके लिए भी कलेक्टर द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया है. हमने निवेदन किया था कि 20 हजार से ज्यादा गायें और आवारा पशु जो फालतू घूम रहे हैं तो यह जो फालतू जमीन पड़ी है जिसमें कुछ भी नहीं किया जाता है उस जमीन में यदि हमारी सरकार,मैंने मुख्यमंत्रीजी को आवेदन दिया था और वित्त मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि यह जो प्रस्ताव वन विभाग द्वारा आया है और कलेक्टर छतरपुर द्वारा आवारा पशुओं के संबंध में प्रस्ताव भेजा है उस प्रस्ताव के लिए संचित निधि से राशि दी जाये जिससे मेरे यहां के किसानों का पलायन रुक सके.
उपाध्यक्ष महोदय, बुंदेलखंड में 3 साल से लगातार सूखा पड़ रहा था. केवल पिछले साल पानी गिरा है. वहां का आदमी पलायन करता है. हम लोग जो रोजड़ें की बात करते हैं इसके कारण वहां का आदमी हमेशा पलायन करता है. दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में सर्वे कराएंगे तो फसल के कारण 50% और ठंड़ में 80% आदमी पलायन कर जाता है. यह बहुत बड़ी समस्या है. मैं मजाक में नहीं कह रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैंने आपका क्षेत्र देखा है. ठकुर्रा गांव हम गए हैं.
श्री आर डी प्रजापति-- उपाध्यक्ष महोदय, 100-100,200-200 के झुंड में पाये जाते हैं. वह फसल को खाते नहीं है जिस तरह से गधे लोटते हैं, उसी तरह से फसलों पर लोटते हैं इससे पूरी फसल चौपट हो जाती है. ठंड में आदमी रात भर नहीं सो पाता है. आप अभी भी चले जायें बरसात में, कड़कड़ाती ठंड में किसान रात भर दोनों समय खेतों में खड़े रहते हैं. ठंड में रात में आदमी सोता नहीं है. बरसात में हमारे यहां के किसान रात भर इस बरसते पानी में,कड़कड़ाती ठंड में, दिन भर खेत में खड़े रहते हैं. मेरा हमारे माननीय वित्त मंत्री जी से निवेदन है कि वे बड़े दयालु हैं. सिंचाई की सुविधा,पानी की सुविधा,खाद की सुविधा और तमाम प्रकार की सुविधाएं देते हैं. मेरा उनसे व्यक्तिगत निवेदन है कि इसके लिये जो प्रस्ताव वन विभाग द्वारा भेजे गये हैं, उन प्रस्तावों को आप इस अनुपूरक में शामिल कर लें तो मेरे विधान सभा क्षेत्र के और बुंदेलखण्ड क्षेत्र के किसानों का बहुत बड़ा भला हो जायेगा और लोगों का पलायन रुक जायेगा .जो कि शासन चाहता है. आपने अगर यह काम कर दिया तो मेरे ऊपर आपका व्यक्तिगत अहसान रहेगा. मैं बार-बार चुनाव जीतकर आऊंगा. यह मेरा व्यक्तिगत निवेदन है. इससे बड़ी मेरी कोई समस्या नहीं है बहुत-बहुत धन्यवाद. बहुत-बहुत प्रणाम. माननीय उपाध्यक्ष जी,आपने मुझे बोलने का मौका दिया क्योंकि आप पहले ही कह देते हैं बैठने के लिये और मुझे रोझड़ों वाला विधायक ही कहते हैं, तो इसमें मुझे परेशानी नहीं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - मुझे मालूम था आप बोलने वाले हो. यह ट्रांसफर का सीजन चल रहा है आप थोड़े दमोह भिजवा दीजिये.
श्री हरदीप सिंह डंग - उपाध्यक्ष जी, जो मंदसौर में रोझड़े पकड़े गये. 21 रोझड़े 50 लाख में पक ड़े गये.एक रोझड़ा करीब 2 लाख का पड़ा है तो उसके लिये आप बजट तो दें लेकिन उसके लिये कुछ स्कीम तो ब नाएं जिसमें रोझड़े समाप्त कर सकें. जो नातीराजा जी सुझाव देते हैं उसका भी पालन किया जाये तो रोझड़े खत्म हो जाएं.
उपाध्यक्ष महोदय - डंग साहब आप किसकी अनुमति से बोल रहे हैं. यह कार्यवाही से हटा दीजिये. आप जब मन में आता है बोलने लगते हैं. आपका भाषण हो चुका है.
3.43 बजे अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत से साथियों ने अपने-अपने सुझाव दिये हैं और अपनी बातें कही हैं. मैं वित्त मंत्री जो को याद दिलाना चाहता हूं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती जी ने कहा था कि कांग्रेस की सरकार ऋण लेकर घी पीती है लेकिन आज उसकी परिभाषा बदल गई. आज परिभाषा बदल गई. आज ऋण लेते हैं कहते हैं विकास के लिये. तेरह साल में मध्यप्रदेश का ऋण 6 गुना बढ़ चुका है. अनुपूरक बजट,बजट निरंतर बढ़ता जा रहा है लेकिन जितने लोगों ने चर्चा में भाग लिया. पहले तो सब तारीफ करते हैं सत्ता पक्ष के साथी लोग लेकिन तारीफ करने के बाद चाहे वह बहादुर सिंह जी हों,चाहे सिसोदिया जी हों, पहले शुरुआत होती है यशस्वी मुख्यमंत्री जी के समय में सपना पूरा हो गया लेकिन अंत में कहते हैं मेरे क्षेत्र में माननीय वित्त मंत्री जी ध्यान दें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने ऐसा पहले कभी नहीं कहा. मेरा पूरा 8-9 साल का रिकार्ड निकलवाकर देख लें. शतप्रतिशत माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणाएं जमीनी हकीकत में बदली हैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी. मैंने कभी नहीं कहा और आज भी नहीं कह रहा हूं. आपने मेरा उल्लेख किया.
श्री अजय सिंह - मैं निकलवा लेता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं. आपने अपनी बात कह दी.
श्री अजय सिंह- मैं दुखी मन से आपका नाम कह रहा था.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - मन दुखी है और होंठ मुस्करा रहे हैं.
श्री अजय सिंह - मन और होंठ में अंतर है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - जो मन में होता है वह होंठों पर प्रकट होता है.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, अनुपूरक बजट में 11 मदों में, अनुदान मांगें 5 हजार करोड़ रुपये की प्रस्तुत की गई हैं. यदि सबसे पहले देखा जाये तो 2017-18 के सहकारिता क्षेत्र में 1606 करोड़ रूपये का आवंटन था जिसके लिये आपने पहले अनुदान ले लिया और अब मांग रहे हैं 850 करोड़, 36 प्रतिशत की वृद्धि. यह 36 प्रतिशत की वृद्धि किसलिये ले रहे हैं, मैं सिर्फ आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि किस तरह से सरकार बजट लेती है, बजट का आवंटन पास होता है, देती है, पर खर्च किसमें हो रहा है. यह 58 करोड़ रूपया किसानों के लिये प्याज खरीदी के लिये है, मुख्यमंत्री के क्षेत्र में. मैं सिर्फ मुख्यमंत्री के क्षेत्र का उदाहरण देना चाहता हूं. सीहोर जिले में 2350 हेक्टेयर में प्याज की बोवनी हुई. उत्पादन 25 मैट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हुआ, प्रोडक्शन 58 हजार 790 मैट्रिक टन और प्रोक्योरमेंट 76 हजार हुआ, एक चौथाई सिर्फ एक जिले में प्याज जितनी उत्पादन नहीं है उससे ज्यादा प्रोक्योरमेंट हुआ. मेरा आरोप है कि इस प्याज खरीदी में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है. यह विपणन संघ के माध्यम से हुआ और विपणन संघ के अध्यक्ष कौन हैं, (XXX) मैं सिर्फ ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, वित्त मंत्री जी आप बहुत सरल हैं, श्रद्धालु हैं, सब कुछ हैं.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो व्यक्ति यहां उपस्थित नहीं है उस पर आरोप लगाना मैं समझता हूं उचित परंपरा नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, (XXX)...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- नाम और विधायक प्रतिनिधि वाला पोर्शन निकाल दीजिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- जो व्यक्ति यहां उपस्थित नहीं हैं आप उस पर आरोप लगा रहे हैं. .... (व्यवधान)....
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय गोपाल भार्गव मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री नहीं है, आपको कैसे मालूम कौन से (XXX) की बात कर रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- गोविंद सिंह जी, अमित तामड़े की याद आ गई होगी, सांसद प्रतिनिधि की, उनकी याद आ गई होगी.
श्री अजय सिंह-- सिसौदिया जी, विपणन संघ के अध्यक्ष (XXX) हैं, सीहोर जिले के हैं, शिवराज सिंह जी के सबसे नजदीकी हैं कि नहीं हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय आप तो नर्मदा के उस पार के हैं आपको तो जानकारी होगी.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- आदरणीय, सारे कार्यकर्ता उनके नजदीकी हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अजय भैया, आप उनके नजदीकी नहीं हैं.
श्री वेल सिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राहुल भैया भी तो माननीय सीएम साहब के नजदीकी हैं.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (श्री शरद जैन)-- छोटे भाई बड़े का रिश्ता है.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बैठ जाता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया व्यवधान न डालें.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो बजट का किस तरह से दुरूपयोग हो रहा है सिर्फ वह माननीय वित्त मंत्री जी को बताना चाहता हूं, मेरी कोई रूचि नहीं है. आप इसी तरह बजट खर्च करते चलो, इसी तरह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते चलो, मध्यप्रदेश की जनता देख रही है, लेकिन मध्यप्रदेश की जनता चिंतित है कि आप निरंतर कर्ज लेते हुये इस तरह का दुरूपयोगकर रहे हैं. जनता का पैसा है, जनता को सबसे पहले जानकारी देना चाहिये कि जो पैसा लिया है उसका सदुपयोग हो रहा है या नहीं. क्या कारण है कि पूरे मध्यप्रदेश में सीहोर जिले में ही सबसे ज्यादा प्याज पैदा होती है. जितनी जमीन जोती नहीं गई उससे ज्यादा प्याज, जितना उत्पादन नहीं हुआ उससे ज्यादा खरीदी, यह क्या है. इसी के लिये 580 करोड़ रूपये आपके अनुपूरक बजट के सबसे प्रथम बिंदु पर है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मूल बात यह है कि इस सरकार का फोकस हट गया है. इस सरकार का फोकस अब चुनिंदा लोगों के बीच में रह गया है. अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरा उदाहरण यहां पर देना चाहता हूं. हमारे विद्वान भारतीय जनता पार्टी के साथीगण ध्यान से सुन लें. एक छोटा सा विभाग है संस्कृत विभाग उस विभाग में पिछले साल के बजट में कितनी धनराशि दी गई और वह राशि कहां खर्च हुई यह मैं बताना चाहता हूं. डॉ. गोविंद सिंह जी के प्रश्न के उत्तर में इस सरकार ने स्वीकार किया है कि 37 करोड़ रूपये कुल बजट पूरे प्रदेश के लिये था मगर 37 करोड़ रूपये में से 10 करोड़ रूपये तो मात्र दो विधानसभा क्षेत्रों में ही खतम कर दिया गया. यह 10 करोड़ रूपये दतिया और बुधनी विधानसभा क्षेत्र में खर्च कर दिये गये. क्या दतिया और बुधनी ही पूरा मध्यप्रदेश है. माननीय वित्त मंत्री जी यह चिंता की विषय है, मैं दो चार बिंदू की तरफ ही आपका ध्यानाकर्षित कराऊंगा कि सरकार का फोकस क्या है. क्या सरकार का फोकस सिर्फ नरोत्तम मिश्रा का विधानसभा क्षेत्र डबरा है ,क्या सरकार का फोकस सिर्फ बुधनी विधानसभा क्षेत्र है. क्या सरकार का फोकस दमोह में नहीं हो सकता, क्या सरकार का फोकस होशंगाबाद या इटारसी नहीं हो सकता. क्या कभी चुरहट विधानसभा क्षेत्र भी सरकार का फोकस हो सकता है ? यहां पर जो भारतीय जनता पार्टी के विद्वान सदस्य बैठे हैं मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या आप अपने विधानसभा क्षेत्र में संस्कृत विभाग का कोई महोत्सव कार्यक्रम नहीं चाहते हैं ? लेकिन आप लोग बैठे बैठे कहते रहिये प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री-वाह वाही करो और बजट का आवंटन दूसरे क्षेत्र में जाये.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में दो महोत्सव मिले हैं.
श्री अजय सिंह -- के.के. श्रीवास्तव जी मैंने आपसे प्रार्थना की थी कि मैं जब तक बोलूं आप व्यवधान नहीं करेंगे.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- नेता प्रतिपक्ष को बोलने दीजिये यदि आप टोका टाकी करोगे तो फिर हम वित्त मंत्री जी के भाषण में भी टोका टाकी करेंगे.
अध्यक्ष महोदय- श्रीवास्तव जी आप बैठ जाईये.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज की प्रश्नोत्तरी में चर्चा के दौरान हमारे प्रदेश के कृषि मंत्री जी द्वारा श्री गिरीश भण्डारी, सदस्य के प्रश्न के उत्तर में कहा है कि 21 तारीख से मूंग और उड़द की दाल की खरीदी हो रही है.चर्चा खतम होते ही सदस्य श्री गिरीश भण्डारी जी जिले के कलेक्टर से पूछ आये कि खरीदी शुरू हुई या नहीं. मेरे पास जब तक यह जानकारी आती तब तक विषय बदल चुका था. कलेक्टर साहब ने उनसे कहा कि हमारे पास शासन के ऐसे कोई निर्देश नहीं आये हैं. आज 25 तारीख की बात है और 31 तारीख को खरीदी खतम हो जायेगी, इसीलिये मैं कह रहा हूं कि यहां पर बहुत सारे सदस्यों ने किसान हितैषी बातें की, यदि वास्तव में आप किसान हितैषी हों तो किसान की मूंग और उड़द की खरीदी के लिये जो मंत्रीजी बार बार यहां घोषणा करते हों और उसके अमल की जिले में क्या स्थिति है. अध्यक्ष महोदय, इसके लिये भी मै आपके ही जिले का उदाहरण सदन में देना चाहता हूं. आपके जिले में पिपरिया मंडी है, पिपरिया मंडी होशंगाबाद जिले की प्रदेश की 10 टॉप मंडियों में से एक है और तुवर की खरीदी में क्या हो रहा है, वहां किसान भाईयों ने व्यापारियों को तुवर बेची 2500-3000 हजार रूपये में जबकि इसका समर्थन मूल्य है 5200 रूपये. अध्यक्ष महोदय, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किस तरह से भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसान हितैषी हैं ? पिररिया में जितनी जमीन नहीं है उसके ज्यादा की मूंग की खरीदी हो गई. जितनी जमीन है, उससे ज्यादा उपज. कृषि विभाग का कोई सत्यापन नहीं है लेकिन सिर्फ एक मंडी में ही 100 करोड़ रूपये की हेराफेरी हुई है. प्याज की बहुत सारी बातें हुई और कल कोई विधायक साथी कह रहे थे कि अटल जी की सरकार प्याज की वजह से चली गई थी. लेकिन वह प्याज आज मध्यप्रदेश में बदबू दे रही है. प्याज के सड़ने और भ्रष्टाचार दोनों से बदबू आ रही है. पिछले साल भी यह प्याज ज्यादा पैदा हुई थी और सड़कों में फेंक दी गई थी. यदि आप उस समय सचेत होते और समय पर इस साल खरीदी कर लेते तो शायद इस 580 करोड़ रूपये को अनुपूरक बजट में देने की आवश्यकता ही नहीं होती और आपकी कम पैसे में खरीदी हो जाती लेकिन आप तो भ्रष्टाचार को किस तरह से बढ़ावा मिले उस पर ही विश्वास करते हैं, इनकी प्राथमिकता सही नहीं है. यदि इनकी प्राथमिकता सही है और किसान हितैषी है तो यह पहले से व्यवस्था करे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री बाला बच्चन जी फसल बीमा की बात कर रहे थे और अन्य बातों पर भी उन्होंने ध्यानाकर्षित किया था. यह बात सही है और उन्होंने उदाहरण दिया कि पिछले साल मुख्यमंत्री जी ने हजार करोड़ रूपये की स्थायीकरण के लिये घोषणा की थी और इस वर्ष फिर से घोषणा की है लेकिन अभी जब घोषणा हुई तो उस पर बजट में हजार करोड़ रूपये की जगह चालिस करोड़ रूपये मिला है, इससे साफ जाहिर होता है कि आप किसान हितैषी नहीं है. आपकी चिंता किसान की नहीं है, आपकी चिंता वाहवाही लूटने के लिए है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़े विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि आज मध्यप्रदेश में अलग-अलग विभागों में हालत गंभीर क्यों हैं ? क्योंकि घोषणा हो जाती है, घोषणा के बाद विज्ञापन जारी होता है लेकिन आपमें से किसी का चेहरा उस विज्ञापन में नहीं आता है, चाहे आप उस विभाग के मंत्री क्यों न हो. विज्ञापन के लिये चेहरा सिर्फ एक ही होता है. श्री शिवराज सिंह जी का चेहरा अच्छा है, उनका चेहरा सिर्फ विज्ञापन में होता है लेकिन दिक्कत यह होती है कि विज्ञापन निकलने के बाद उस योजना की कोई निगरानी नहीं होती है. इस प्रकार से फिजूलखर्ची विज्ञापन में हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो सिर्फ वित्तमंत्री को अपनी छोटी बुद्धि से राय दे रहा हूं कि यदि सरकार को चिंता है कि पैसा सही खर्च हो तो विज्ञापनों को थोड़ा बंद करो और आप जिन विभागों को पैसा दे रहे हो उनकी थोड़ी निगरानी करो. वित्त विभाग सिर्फ पैसा बांटकर भूल न जाए इसलिए उसकी निगरानी की आवश्यकता है. आप याद करें पिछले वर्ष हमारी अर्चना चिटनिस दीदी ने कुपोषण के लिये पूरे मध्यप्रदेश की आंगनबाडि़यों में मुनगा लगाने की बात की थी. इस संबंध में बड़े-बड़े विज्ञापन लग गये कि कुपोषण समाप्त हो जाएगा. मुख्यमंत्री जी के विज्ञापन आए, होर्डिंग लगी लेकिन आप आज नीमच जिले की आंगनबाडि़यों में चले जाएं वहां पर मंत्री जी के प्रभार वाले नीमच जिले में ही पता नहीं चलता कि मुनगा का पेड़ किस आंगनबाड़ी में लगा हुआ है. डॉ. गौरीशंकर शेजवार जी आपके क्षेत्र में भी मुनगा का पेड़ लगाया गया था, करोड़ों रूपये खर्च हो गये लेकिन मुनगा गायब और कुपोषण वहीं के वहीं है. आपकी प्राथमिकता क्या है ? मुख्यमंत्री 11 साल से कहते चले आ रहे हैं कि मध्यप्रदेश में किसान हमारी प्राथमिकता है, लेकिन आज किसान की बदहाली है. मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि कुपोषण से हम जंग लड़ेंगे मध्यप्रदेश का हर बच्चा हमारा भांजा या भांजी है लेकिन कुपोषण की दर बढ़ती चली जा रही है. आज हिन्दुस्तान में यदि कुपोषण किसी प्रान्त में है तो मुझे दु:ख है कि वह मध्यप्रदेश में है और वह भी सबसे ज्यादा आदिवासी जिलों में है. आपकी प्रायोरिटी क्या है ? यदि अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चे कुपोषित हैं तो मुख्यमंत्री जी कह दें कि कुपोषण उनकी प्रायोरिटी नहीं है. वह यह कह दें कि हम प्रदेश के बच्चों के मामा नहीं हैं. यदि आप किसान हितैषी होना चाहते हैं तो किसानों को राहत मिले, यह नहीं की गोली चले.
अध्यक्ष महोदय, कल जितू पटवारी अपनी नर्मदा यात्रा के बारे में कह रहे थे. माननीय वित्त मंत्री को यह याद होगा कि इस यात्रा में यह कहा गया था कि सरकारी मामला नहीं रहेगा, खर्च नहीं होगा, कोई बजट आवंटित नहीं रहेगा एवं इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है. यह बहुत अच्छी बात है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह यात्रा निकाली. मैं सिर्फ माननीय वित्त मंत्री महोदय जी से आपके माध्यम से यह पूछना चाहता हूँ कि लासएंजिल्स एयरपोर्ट पर हीथ्रो और न्यूयॉर्क एयरपोर्ट में जो लाखों रुपए के विज्ञापन के होर्डिंग्स लगाये गये थे तो किस मद से पैसा लिया गया और किस सरकार ने पैसा दिया था? मध्यप्रदेश सरकार ने दिया था या अन्य किसी सरकार ने दिया था. नर्मदा जी के संवर्द्धन एवं संरक्षण की बात हो रही है एवं होर्डिंग्स दिल्ली के बस स्टॉप्स पर तो छोड़ दीजिये. आप लोग भी दिल्ली गए हों, बम्बई गए हों, एयरपोर्ट, बस स्टॉप सब जगह होर्डिंग्स लगाएं लेकिन आपने विदेश में होर्डिंग्स लगाये हैं, उनको यह मालूम ही नहीं है कि नर्मदा जी कहां पर हैं ? और न ही वहां से कोई पैसा आ रहा है.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पर्यावरण को बचाने वाली विश्व की एकमात्र यात्रा थी. नर्मदा कहां है ? यह शायद पता नहीं होगा.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - अध्यक्ष महोदय, क्या जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. हमारे क्षेत्र में देख लीजिये, 900 पौधे लगाये थे, उसमें से केवल 9 बचे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब भ्रष्टाचार की बात शुरू होगी तो सबके मुँह बन्द हो जाएंगे. अध्यक्ष जी, एक ऐसी यात्रा निकली, जिसने विश्व रिकॉर्ड कायम किया, नदी संरक्षण के लिए विश्व में जिसका नाम हुआ है.
श्री सुखेन्द्र सिंह (बन्ना) - यह आप कहते हो कि यह विश्व रिकॉर्ड है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - आप बात सुनिये. आप हर कुछ बोलते रहोगे. यह दुनिया ने माना है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आप अपने से मापदण्ड बनाते रहोगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, यह दुनिया ने माना है. आपके नहीं मानने से क्या होता है ? यह दुनिया के विशेषज्ञों ने माना है, पर्यावरणविदों ने माना है.
....(व्यवधान).....
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आप असत्य कह रहे हो.
श्री उमाशंकर गुप्ता - यदि नदी संरक्षण का कहीं काम हुआ है तो वह मध्यप्रदेश में हुआ है. आप क्या इस बात को समझेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - आप दोनों बैठ जाएं. तिवारी जी बैठ जाएं, माननीय मंत्री जी बैठ जाएं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, यह पूरी दुनिया में एक ऐसा प्रयोग हुआ है, जिसको दुनिया ने सराहा है. इन्होंने कभी कोई इस प्रकार का काम नहीं किया है. ...(व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी - क्या यह गिनीज बुक में लिखा है, बताइये ?
अध्यक्ष महोदय - मेरी दोनों पक्षों के सदस्यों से अपील है कि नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हैं, आप लोग बैठ जाएं.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बात की पुष्टि आदरणीय गुप्ता जी ने कर दी है कि विज्ञापन वहां लगा था. मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आपने विश्व में यात्रा का बहुत बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है, लेकिन उसके होर्डिंग्स वहां लगाने की आवश्यकता नहीं थी. विश्व में जब कर लो, उसके बाद पता लगाओ. जनता अपने आप मालूम करती है. जब आपने कहा था कि पूरा जन सहयोग रहेगा तो मैं आपके माध्यम से कांग्रेस विधायक दल की तरफ से और आप सम्पूर्ण साथियों की तरफ से वित्त मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हॅूं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - आप अपने तक ही सीमित रखें.
श्री अजय सिंह - मैं अनुरोध करना चाहता हूं, इस पूरी यात्रा में अलग अलग मदों से, क्योंकि इसमें बहुत बारीक तरीके से पैसे खर्च हुआ है. कुछ पैसा जनसम्पर्क से खर्च हुआ, कुछ पैसा किसी विभाग से खर्च हुआ, कुछ पैसा पंचायत ग्रामीण विकास से खर्च हुआ. अब हिन्दुस्तान की सरकार दे रही है स्वच्छता अभियान का पैसा तो कलेक्टरों के माध्यम से मोदी जी की सभा करवा रहे हैं नर्मदा यात्रा के समापन पर. प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं स्वच्छता प्रायोरिटी में होना चाहिए, लेकिन खर्च कहां हो रहा है? 500 रूपए देकर आदमियों को अमरकंटक बुला रहे हैं इसके लिए कलेक्टरों ने चिट्ठी लिखी.
श्री लाल सिंह आर्य - क्या आप यह कहना चाहते हैं कि मध्यप्रदेश का आदमी बिकाऊ है, 500 रूपए में बिकता है क्या?
श्री अजय सिंह - मैं यह नहीं कर रहा हूं.
श्री लाल सिंह आर्य - अभी आपने कहा कि 500-500 रूपए में आदमी आ रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - कलेक्टरों ने पत्र लिखा हैं.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए, ज्यादा देर बहस न करें.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, अनेक जिलों के कलेक्टरों ने पूछा सरकार से कि किस मद से हम भेजे, बस का किराया कैसे दिया जाए तो उन्होंने कहा कि स्वच्छता मिशन से दे दो, फिर बाद में देखा जाएगा. प्रधानमंत्री जी कहते हैं स्वच्छता हमारा अभियान है और सरकार स्वच्छता के लिए अमरकंटक यात्रा करा रही है. मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मैं वित्त मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि सरकार के पैसे का उपयोग हो, सदुपयोग हो, बर्बादी न हो, जिसके लिए पैसा आवंटित हो उसके लिए खर्च हो, लेकिन मेरे ख्याल से वित्त मंत्री जी के भी हाथ बंधे हुए हैं क्या करें. कानून व्यवस्था सबसे उच्च होना चाहिए मध्यप्रदेश में, लेकिन वित्त मंत्री अपने उत्तर में बता दें कि मध्यप्रदेश के पुलिस विभाग के बजट का आवंटन क्या है, पूरे बजट का आवंटन क्या है, हम बिहार और उड़ीसा के पीछे हैं, 1.9 प्रतिशत बजट का आवंटन सिर्फ गृह विभाग में लॉ-एंड-आर्डर के लिए हैं, जहां लॉ-एंड-आर्डर सही रहता है वहां कम से कम 4 प्रतिशत बजट है, लेकिन मध्यप्रदेश के बजट में 1.9 है, तो कानून व्यवस्था कैसे सुधरेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां एक छोटा सा उदाहरण और देना चाहता हूं कि कैसे फिजूलखर्ची होती है. मध्यप्रदेश सरकार के पास तीन हेलीकाप्टर है, एक हवाई है, पायलट कितने हैं यह आप लोग जानों, 14 साल से हम लोगों ने देखा ही नहीं स्टेट हेंगर कहां है.
श्री वेल सिंह भूरिया - अब कभी देखेंगे भी नहीं, 25-30 साल तक तो देखोगे भी नहीं.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन हेलीकाप्टर, एक प्लेन, पायलट अनेक, उसके बाद भी अभी हाल में एक हवाई जहाज को चार्टर किया गया है, 2 लाख प्रति घंटा, 30 घंटे एवरेज चले या न चले महीने में खर्चा देते हैं. आज से लेकर वर्ष 2018 तक है और उस जहाज का क्या उपयोग हो रहा है, यह माननीय वित्त मंत्री जी जाने, 60 लाख रूपए कम से कम महीने में सरकार उस हवाई जहाज कंपनी चार्टर को दे रही है, जबकि उसके पास खुद जहाज है, हेलीकाप्टर है, यह फिजूलखर्ची है कि नहीं है ? किसी को भी कहीं से लाना हो तो हवाई जहाज भेजा दो. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मुख्यमंत्री जी ने तीसरी पारी शुरू की थी तो उन्होंने कहा था हम भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस रखेंगे, हम लोग भी बड़े आशान्वित हुए कि मध्यप्रदेश में जीरो टॉलरेंस करप्शन में एक नई क्रांति रहेगी. अभी सतना नगर निगम में हमने जीरो टॉलरेंस देख ही लिया. कथूरिया जी को यहीं से भेजा गया था और उसके बाद सरकार के 2013 से 2017 में जाकर मुख्यमंत्री जी ने क्या बयान दिया. 2-3 पहले कहा कि कलेक्टर काम नहीं करेंगे तो उनको उल्टा टांग देंगे. यह वह कहता है जो हताश हो चुका हो. वह बेचारा कलेक्टर अधिकारी क्या करे. उनको रोजाना कोई न कोई योजना बता देते हैं आप कहीं नर्मदा यात्रा कहीं फलानी यात्रा, कहीं यह आयोजन, कहीं वह आयोजन. मेरे जिले का महकमा लगा रहता है आप जितने विधायक साथी हैं आप कभी भी जिले के एसडीएम से पूछिये कि एसडीएम साहब कहां है तो उत्तर मिलता है कि साहब कोई जिले में यात्रा है. अब प्रदेश का मुख्यमंत्री कह रहा हो कि कलेक्टर को उल्टा टांग देंगे तो हम लोग समझ सकते हैं कि आप लोगों की हालत क्या है ? जब उन्हीं के कलेक्टर नहीं सुन रहे हैं तो डॉ.शेजवार जी की कौन सुनेगा ? हमें आप लोगों की भी पीड़ा है. आप लोग शेजवार जी को मत उकसाओ उनकी पीड़ा को कुछ समझो. माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भी संस्था के पास मान लीजिये कि कुछ पैसा दिया जाए और कहा जाए कि इसका इस तरह से उपयोग करो तो संस्था के सब लोग यदि उस काम में लग जाएं कि हमें टारगेट अचीव करना है. मान लीजिये कि मेरे पास फैक्ट्री है मेरा टारगेट इस साल का 10 करोड़ रूपये की सेल का है तो बैंक से कितना लेना है. ज्यादा न लूं, कम लूं और हमें मुनाफा कितना मिल जाए तो हमारे पूरे मुलाजिम हैं उनको टारगेट देते हैं कि भाई आपको काम इतने घंटे तक करना है, यह काम पूरा होना है, लेकिन मध्यप्रदेश की हालत दूसरी है. आपने बजट दे दिया, लेकिन अधिकारी को उस काम के लिये छोड़ा ही नहीं. वह अधिकारी लगा है दूसरी यात्रा में, कोई आयोजन में, कोई भोज में. आज हमारे बड़े विद्वान मंत्री जो पीछे बैठे हैं वह प्रश्न के उत्तर में कह रहे थे कि हमने पूरा बजट जिले में दे दिया है. 20 प्रतिशत जो यहां पर रूकता था, वह भी चला गया है, लेकिन आप अकेले में विधायक भाईयों से पांच सात जिलों का पूछ लेना अलग अलग.
वैलसिंह भूरिया-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय--इनका नहीं लिखा जाएगा. आप बैठ जाएं प्रतिपक्ष के नेता जी बोल रहे हैं आप कुछ मर्यादा रखें.
गोविन्द सिंह--मर्यादा सीखकर कहां आये हैं. (XXX)
अध्यक्ष महोदय--आप कृपया बैठ जाएं. इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री अजय सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, सुबह मंत्री महोदय अपने उत्तर में बता रहे थे कि 20 प्रतिशत अनुसूचित जाति, जनजाति का फंड है वह भी हमने कलेक्टर को भेज दिया है. मैं कुछ सुझाव अलग अलग जिलों के विधायकों से लेना चाहता हूं एक मालवा से पूछ लेना, एक निमाड़ से पूछ लेना, एक भिण्ड से, एक बुंदेलखण्ड से कि आपके यहां से बजट का जो आवंटन भेजा है उस पर खर्च शुरू हुआ है अथवा नहीं. मेरे ख्याल से वह रायसेन जिले में भी शुरू नहीं हुआ है. यह हालत इस सरकार की है. भारतीय जनता पार्टी 2003 के पहले कहती थी कि हम साढ़े चार लाख पेंशनरों को छठवां वेतनमान देंगे अभी तक उनको एरियर्स भी नहीं दे रहे हैं. हमारे सुखेन्द्र सिंह बन्ना जी अपनी बात कह रहे थे कि रीवा जिले की पीडब्ल्यूडी विभाग की बात कह रहे थे. वित्त मंत्री जी हमारे संभाग में तो शायद ही कभी गये हों. लेकिन पिछले 13 साल में जो सड़कों की हालत हमारे संभाग में है, वह पहले जैसे थी, वैसे ही आज है. सतना से रीवा जाने के लिये पहले उपाध्यक्ष महोदय और हम सब को एक घंटा लगता था, अब एक घंटा पैंतालीस मिनट लगता है. सीधी से सिंगरौलीजाने के लिये 1970 में, मैं मोटर सायकिल से ढाई घंटे में जाता था, 1990 में दो घंटे में गाड़ी से जाता था. अब छ: घंटे में गाड़ी से जाना पड़ता है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार:- (बैठे-बैठे) उम्र के हिसाब से.
श्री अजय सिंह :- उम्र के हिसाब से, बिल्कुल सही कहा आपने. ऐसी उम्र हमारी हो गयी है, शेजवार जी कि हमारी स्पीड कम हो गयी है और रामपाल सिंह जी की सड़कें भी गायब हो गयी. माननीय अध्यक्ष महोदय, देखिये किस तरह से विषयांतर करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज ही हमारे पारस जैन दादा कह रहे थे- मैं सिर्फ दो-चार उदाहरण के रूप में बता रहा हूं कि बिजली विभाग में किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा. हम लोग यह करेंगे, वह करेंगे. मैं सिर्फ उनके ही जिले महिदपुर के संबंध में बताना आज के नव दुनिया अखबार में आया है कि बोवनी के समय बकाया वसूली के लिये किसानों के ट्रेक्टर जब्त. माननीय विद्युत कंपनी की मनमानी से किसान परेशान.
श्री बहादुर सिंह चौहान :- माननीय आप बतायें कि किसका ट्रेक्टर जब्त हुआ है. नेता प्रतिपक्ष जी आपने महिदपुर का नाम लिया है. आप उसका नाम बता दें.
श्री अजय सिंह :- आप बैठें, मैं बता रहा हूं. शुक्रवार को कंपनी के अमले ने ग्राम रामनगर इटावा तथा राजू निपनिया..
श्री बहादुर सिंह चौहान :- यह रामनगर के दरबार सिंह का ट्रेक्टर जब्त नहीं हुआ था. उस पर बीस हजार रूपये बकाया था, उसने बकाया पैसे जमा कर दिये, उसका ट्रेक्टर जब्त नहीं किया. मैं आपको पुख्ता खबर दे रहा हूं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल:- यदि बहादुर सिंह जी बोल रहे हैं तो इसमें सुधार करने की आवश्यकता है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- आप लोग कृपया बैठ जायें. यादवेन्द्र सिंह जी, बैठ जायें.
श्री अजय सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पैसे जमा कर दिये, दे दिया ठीक है.
श्री बहादुर सिंह चौहान :- मैंने पैसे नहीं दिये, उसी ने दिये.
श्री अजय सिंह :- उसी ने दिये, ठीक है. इटावा में भी शिवनारायण पिता नन्दराम चौधरी पर 33 हजार रूपये बकाया होने पर उसका ट्रेक्टर जब्त किया गया. यह अभी आपके संज्ञान में नहीं आया होगा. जब्ती के समय घर का कोई नहीं था. यहीं जुझार सिंह पिता चंदर सिंह 27 हजार रूपये बकाया होने पर मोटर सायकिल जब्त कर ली.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मूल प्रश्न माननीय वित्त मंत्री जी से था कि सरकार की प्राथमिकता क्या है, फोकस एरिया क्या है. मैं उदाहरण इसलिये दे रहा था, मैं उनके जैसा बजट का ज्ञानी नहीं हूं. फोकस क्या है, किसान. आपकी किसान हितैषी सरकार है. आप किसान हितैषी होने के लिये पैसा देते हैं और आपने अनुपूरक बजट में भी आपने सिर्फ प्याज खरीदी के लिये 580 करोड़ रूपये दे दिये. लेकिन उस पैसे का सदुपयोग कैसे नहीं हो रहा है, यह मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि इसी तरह मध्यप्रदेश सरकार का पैसा, जो अनुपूरक या मुख्य बजट में देते हैं, यदि वह फिजूल खर्ची, विज्ञापन या अन्य चीजों में चला जायेगा तो उसका लाभ नहीं मिलेगा. आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद्.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017-18 के लिए विधान सभा के समक्ष प्रस्तुत वार्षिक वित्तीय विवरण अंतर्गत 1 लाख 69 हजार 954.46 करोड़ रूपये का अनुमानित व्यय तथा 1 लाख 69 हजार 502.87 करोड़ रूपये की अनुमानित प्राप्तियां उल्लेखित थीं. यह हमारा प्रथम अनुपूरक अनुमान वर्ष 2017-18 है. मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि हमारी सरकार द्वारा राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए प्रथम अनुपूरक अनुमान 2017-18 में आवश्यकतानुसार पर्याप्त प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं. संक्षेप में इसका विवरण इस प्रकार है- प्रस्ताव में निहित कुल व्यय 12 हजार 488 करोड़ रूपये, कुल अनुपूरक मांग की राशि 5 हजार 59 करोड़ रूपये, राज्य की संचित निधि पर शुद्ध अतिरिक्त भार 2 हजार 477 करोड़ रूपये, पुनर्विनियोजन द्वारा उपलब्ध राशि 7 हजार 429 करोड़ रूपये, अनुपूरक मांग के लिए स्वीकृत बजट से समर्पित होने वाली राशि 414 करोड़ रूपये, अनुपूरक मांग के लिए भारत सरकार/अन्य स्त्रोतों से उपलब्ध राशि 2 हजार 168 करोड़ रूपये है.
अध्यक्ष महोदय, नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग हेतु वर्ष 2017-18 में 11 हजार 489 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान रखा गया था. जो कि वर्ष 2016-17 के व्यय की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक है. प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत भारत सरकार से अतिरिक्त आवंटन प्राप्त होने की प्रत्याशा में पृथ्क अनुपूरक में 559 करोड़ रूपये तथा मंत्रालय विस्तार परियोजना अंतर्गत 76.91 करोड़ रूपये का प्रस्ताव रखा गया है. स्मार्ट सिटी योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रथम अनुपूरक में 700 करोड़ रूपये का प्रस्ताव रखा गया है. नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग हेतु प्रथम अनुपूरक में कुल 1 हजार 387 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. ग्रामीण विकास में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत मध्यप्रदेश में वर्तमान में 7.61 लाख परिवारों को आवास स्वीकृत होकर 7.51 लाख परिवारों को प्रथम किस्त, 5.50 लाख परिवारों को द्वितीय किस्त तथा 1.80 लाख परिवारों को तृतीय किस्त प्रदान की जा चुकी है. शेष 2 लाख परिवारों को द्वितीय किस्त एवं 5.7 लाख परिवारों को तृतीय किस्त प्रदान की जानी है. अत: ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु प्रथम अनुपूरक अनुमान में 1200 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा विभाग अंतर्गत सामान्य, अनुसूचित जनजाति उपयोजन व अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत विद्युत वितरण कंपनियों के लिए टैरिफ सब्सिडी के मद में 595 करोड़ रूपये, नि:शुल्क विद्युत प्रदाय की प्रतिपूर्ति मद में 210 करोड़ रूपये के प्रावधान प्रस्तावित हैं. राज्य शासन द्वारा वर्ष 2017-18 में योजनान्तर्गत अतिरिक्त सब्सिडी देने को निर्णय लिया गया है, जिस हेतु 805 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह- आदरणीय वित्त मंत्री जी, गरीब किसानों के लिए आपने क्या किया, कृपया यह बतायें.
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- सुखेन्द्र जी, आप बैठ जायें. यदि मंत्री जी नहीं बैठ रहे हैं तो आपको बैठना चाहिए.
....(व्यवधान)....
श्री सुन्दरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाईंट ऑफ ऑर्डर है.
अध्यक्ष महोदय- भाषण के बीच में कैसा प्वाईंट ऑफ ऑर्डर ?
....(व्यवधान)....
श्री जयंत मलैया- अध्यक्ष महोदय, मैं इन्हें नोटिस नहीं कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय- कृपया आप सभी चुपचाप बैठें और सुनें.
....(व्यवधान)....
श्री उमाशंकर गुप्ता- अध्यक्ष महोदय, यह प्वाईंट ऑफ ऑर्डर क्या है ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी- मैं नियमावली के साथ अपनी बात रख रहा हूं.
....(व्यवधान)....
श्री बहादुर सिंह चौहान- अध्यक्ष महोदय, इन सभी को बैठना चाहिए. यह ठीक नहीं है. सदन में वित्त मंत्री जी बोल रहे हैं. जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे थे तो हम सभी ने उन्हें सुना था. इसलिए अब इन्हें भी सुनना चाहिए.
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- बन्ना जी, आप बैठ जायें. आपको कोई नहीं सुन रहा है. मंत्री जी के अलावा अब किसी का नहीं लिखा जायेगा.
....(व्यवधान)....
श्री जयंत मलैया- अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में प्याज की अत्यधिक पैदावार होने एवं बाजार में मांग न होने के कारण किसानों को उनकी उपज का बहुत कम मूल्य प्राप्त होने के कारण शासन द्वारा कृषकों के हित में प्याज सहकारी विपणन संघ के माध्यम से खरीदने का निर्णय लिया गया. राज्य शासन द्वारा किसानों से प्याज खरीदने के निर्णय के क्रियान्वयन हेतु सहकारिता विभाग अंतर्गत विपणन संघ को प्याज खरीदी में हुई हानि की प्रतिपूर्ति हेतु 580 करोड़ रूपये का प्रस्ताव रखा गया है.
अध्यक्ष महोदय, कृषि विभाग अंतर्गत कृषकों के हित के लिये राज्य स्तर पर मूल्य स्थिरीकरण निधि का गठन किया जा रहा है. इस कोष का संधारण मंडी बोर्ड के द्वारा पृथक खाते में किया जावेगा. इसके लिए 40 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रथम अनुपूरक अनुमान में प्रस्तावित किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग अंतर्गत उद्योग संवर्धन नीति अनुसार खाद्य प्रसंस्करण प्रक्षेत्रों की विकास योजना हेतु 50 करोड़ रूपये का प्रस्ताव रखा गया है. पशुपालन विभाग अंतर्गत प्रदेश के समस्त गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं का एफ.एम.डी. टीकाकरण केंद्र प्रवर्तित योजना एफ.एम.डी.सी.पी. कार्यक्रम अंतर्गत टीकाद्रव्य, टीकाकरण सामग्री, सीरो किट्स एवं सैंपल हेतु रुपए 26.68 लाख का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है. नर्मदा घाटी विकास विभाग अंतर्गत नर्मदा-मालवा-गंभीर लिंक उद्वहन सिंचाई योजना अंतर्गत रुपए 200 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान प्रस्तावित किया गया है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग अंतर्गत ऑटो टेस्टिंग ट्रेक योजना के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के पालन हेतु लंबित प्रकरणों के भुगतान किये जाने हेतु राशि रुपए 150 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है. योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग अंतर्गत रुपए 99 करोड़ का प्रावधान प्रथम अनुमान में प्रस्तावित किया गया है. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
श्री जयंत मलैया-- परियोजना संचालक, परियोजना क्रियान्वयन इकाई अंतर्गत संचालनालय चिकित्सा शिक्षा के अधीन निर्माण कार्य हेतु 40 करोड़ रुपया, स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, जबलपुर की स्थापना के निर्माण हेतु 5 करोड़ रुपया, चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालय के अधीन चिकित्सालयों संस्थानों के अनुरक्षण कार्य हेतु रुपए 30 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित किये गये हैं. इसी प्रकार चिकित्सा शिक्षा विभाग अंतर्गत चिकित्सा गारंटी योजना के लिए इंडोर एंव आउटडोर रोगियों को दवाई तथा जांच हेतु रुपए 10 करोड़ चिकित्सा महाविद्यालय से संबंद्ध चिकित्सालयों हेतु सफाई, मशीनों का अनुरक्षण दवाओं का क्रय, खपने वाला सामान तथा वेतन हेतु रुपए 50.45 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित किये गये हैं. चिकित्सा शिक्षा विभाग अंतर्गत कुल रुपए 142 करोड़ का प्रावधान प्रथम अनुपूरक अनुमान में प्रस्तावित किया गया है. (व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह परिहार-- (XXX)
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
श्री जयंत मलैया-- आयुक्त, आदिवासी विकास के अंतर्गत छात्रावास एवं कन्या शिक्षा परिसर भवन निर्माण हेतु रुपए 20 करोड़ प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाएं पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से क्रियान्वयन करने हेतु रुपए 58 करोड़ का प्रस्ताव प्रथम अनुपूरक अनुमान में रखा गया है. अनुसूचित जाति, जनजाति विभाग अंतर्गत कुल रुपए 139 करोड़ का प्रावधान प्रथम अनुपूरक में प्रस्तावित किया गया है. (व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--(XXX)
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
श्री बाला बच्चन --(XXX)
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय, रामनिवास रावत जी ने, बाला बच्चन जी ने कृषि मूल्य स्थिरीकरण कोष मंत्री परिषद की कृषि क्षेत्र के मामलों की समिति द्वारा दिनांक 07 जून 2017 द्वारा निर्णय लिया गया कि मध्यप्रदेश के किसानों को कृषि का वाजिब मूल्य दिलाने के उद्देश्य से ''कृषि मूल्य स्थिरीकरण कोष'' का निर्माण किया जाएगा. रुपए एक हजार करोड़ के कोष का गठन किया गया है जिसमें राज्य विपणन विकास निधि से रुपए 500 करोड़ तथा शेष 500 करोड़ हेतु निधि में अंशदान कर राशि प्रदान किये जाने के ब्याज संदाय हेतु ऋण अनुदान रुपए 40 करोड़ का प्रावधान अनुपूरक बजट में प्रस्तावित किया गया है. शेष राशि का आवश्यकतानुसार प्रावधान प्रस्तावित किये जायेंगे. श्री सुन्दरलाल तिवारी जी ने वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था के बारे में कल बात की थी कि यह हमारा जो पैसा है यह कहां से आएगा प्रथम अनुपूरक अनुमान में, अनुपूरक अनुमान में राज्य की संचित निधि पर शुद्ध भार केवल 2 हजार 447 करोड़ रुपए का है. जो हमारा पूरा सप्लीमेंट्री बजट है वह 5 हजार 59 करोड़ का है. परंतु शुद्ध संचित आय का भार 2 हजार 447 करोड़ रुपए है और इसकी व्यवस्था उपलब्ध संसाधनों के अंतर्गत अन्य मदों में बचत के द्वारा किया जाएगा. शैलेन्द्र पटेल जी ने अनुसूचति जाति जनजाति के हितग्राहियों के कार्य बजट उपलब्धता अनुसार पूर्ण किए जा रहे हैं. ग्रामीण विद्युतिकरण के कारण निर्धारित मापदंड अनुसार कराए जा रहे हैं. लाइनों आदि के कार्य त्रुटिपूर्ण पाए जाने पर उनके सुधार की आवश्यकता होने पर नियमानुसार सुधार कार्य करवाए जाते हैं. कुंवर सौरभ सिंह जी ने चर्चा की थी. आयोग (म.प्र. वित्त नियामक आयोग) द्वारा निर्धारित दरों पर राज्य शासन द्वारा प्रदान की गई सब्सिडी विद्युत अधिनियम की धारा 65 के अनुसार विद्युत कम्पनियों को दी जा रही है एवं इसमें कोई अनियमितता नहीं हुई है. एस.सी./ एस.टी., बी.पी.एल. घरेलू (पात्रताधारी) उपभोक्तातों को 25 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली दी जा रही है. फीडर सेपरेशन का कार्य लगभग 93 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया है. शेष कार्य प्रगति पर है.
अध्यक्ष महोदय, सभी माननीय सदस्यों ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के बारे में बात की है. मूल बजट में इस मद हेतु रुपए 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान था. राज्य शासन द्वारा ग्रामीण आवास के क्षेत्र में अच्छी प्रगति के फलस्वरुप केन्द्र शासन से अतिरिक्त राशि प्राप्त होने के कारण प्रथम अनुपूरक अनुमान में रुपए 1200 करोड़ का प्रावधान रखा गया है.
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(XXX) : आदेशानुसार रिकार्ड से निकाला गया.
अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष ने अपना भाषण प्रारंभ किया था तो उन्होंने कहा था कि हमारे प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जी ने कहा था कि काँग्रेस की सरकार उधार लेकर घी पीती है. मैं दोहरा रहा हूँ कि हाँ उन्होंने सही कहा था. हम आपको तथ्यों और आंकड़ों के साथ यह बात बताना चाहते हैं. किसी भी प्रदेश पर कर्ज की राशि से नहीं बल्कि कर्ज के प्रतिशत से फर्क पड़ता है. आपके जमाने में वर्ष 2003 तक आपका ऋण जीएसडीपी का 33.74 प्रतिशत था और आज हमारे समय में कुल जीएसडीपी के कर्ज की जो तुलना है यह 19.66 प्रतिशत है. जबकि आइडियल सिचुएशन 25 प्रतिशत मानी जाती है. हमारा कर्ज क्या है इससे क्या फर्क पड़ता है. हम अधोसंरचना विकास पर खर्च कर रहे हैं, हम शिक्षा के ऊपर खर्च कर रहे हैं, स्वास्थ्य के ऊपर खर्च कर रहे हैं, बिजली के ऊपर खर्च कर रहे हैं, सिंचाई के ऊपर खर्च कर रहे हैं. हम अन्य कल्याणकारी कार्यों के ऊपर खर्च कर रहे हैं. आप यह भी उठाकर देख लें आपके समय में प्रति व्यक्ति ऋण भार और प्रति व्यक्ति आय कितनी थी. आपके समय में वर्ष 2003-04 में 8284 रुपए प्रति व्यक्ति आय थी अब यह बढ़कर 59052 रुपए हो गई है. सात गुना ज्यादा वृद्धि हुई है. यह प्रगति है, यह आंकड़े हैं. यह सीएसओ के आंकड़े हैं मेरे घर के आंकड़े नहीं हैं.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)--इसके लिए दो हजार रुपए के नोट चलाना पड़े. (हंसी)
श्री जयंत मलैया--अध्यक्ष महोदय, गृह विभाग के प्रतिशत के बारे में बात की गई. हमारा खर्च गृह विभाग पर 1.9 प्रतिशत नहीं है, हमारा कुल व्यय, मेरे पास अभी जानकारी आई है 6304 करोड़ रुपए है और जो हमारा बजट है उससे आप प्रतिशत निकाल लेंगे. यह लगभग साढ़े तीन प्रतिशत हो जाता है. यह हमारा गृह विभाग के ऊपर खर्च है. हमारे लिए कानून व्यवस्था जितनी महत्वपूर्ण है वह तो है ही. हमारा अधोसंरचना का विकास है, शिक्षा है, स्वास्थ्य है, अनुसूचित जाति, जनजाति के कल्याण की बात है, किसानों के कल्याण की बात है. इसके ऊपर हमारा फोकस है इसके लिए हमने प्रयास किए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज और कल में नेता प्रतिपक्ष सहित लगभग 19 माननीय सदस्यों ने इस चर्चा पर भाग लिया. मैं उन सभी का धन्यवाद करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि--
“ दिनांक 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 3, 4, 6, 7, 10, 11, 12, 13, 14, 17, 18, 21, 22, 23, 24, 25, 28, 29, 31, 33, 35, 37, 38, 39, 43, 45, 48, 50, 52, 53, 55, 56, 60, 64 तथा 67 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर पांच हजार बावन करोड़, तिरपन लाख, सैंतालीस हजार, दो सौ रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये.”.
अनुपूरक मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
4.35 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2017
वित्त मंत्री (श्री जयन्त मलैया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2017 का पुरःस्थापन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जयन्त मलैया-- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनाँक 26 जुलाई, 2017 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 4.37 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनाँक 26 जुलाई, (4 श्रावण,
शक् संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपालः अवधेश प्रताप सिंह
दिनाँकः 25 जुलाई, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा.