मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा एकादश सत्र
जुलाई, 2016 सत्र
सोमवार, दिनांक 25 जुलाई, 2016
(3 श्रावण, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 11 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 25 जुलाई, 2016
(3 श्रावण, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 1, डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, एक बहुत लोक महत्व का विषय है, अध्यक्ष जी एक मिनट, बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल के बाद जो कुछ भी बोलना है.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, मैं कभी कोई चीज बाधित नहीं करता हूं, मुझे पता है प्रश्नोत्तरी का. .... (व्यवधान).....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, यह प्रश्नकाल है, यह गलत परंपरा भी पड़ती जा रही है. .... (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल के बाद तैयार हैं आपकी बात सुनने के लिये.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, इससे प्रश्नकाल बाधित होता है. .... (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं यह उचित नहीं है, प्रश्नकाल के बाद बोलें कृपया. .... (व्यवधान)..... कोई बात नहीं लिखी जायेगी. .... (व्यवधान).....
श्री जितू पटवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल में कोई जबरदस्ती नहीं होगी, आपकी बात सुनने के लिये तैयार है. एक घंटे रूक सकते हैं आप, शांति से सुनेंगे आपकी बात. यदि ध्यान से सुनाना है तो 12 बजे के बाद बात करिये आप. कृपया करके बैठ जाइये.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्नकाल से ही संबंधित एक पत्र आपके सचिवालय को सौंपा है. आज की तारीख में मेरा एक विधान सभा प्रश्न लगा था जो एनआरआई कोटे से मेडीकल एजुकेशन में भर्ती....
अध्यक्ष महोदय-- उसके बारे में कक्ष में चर्चा कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- इसके बारे में बात हो गई है. यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.
श्री रामनिवास रावत-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं आयेगा रिकार्ड में, आपने लिखकर दे दिया है उस पर जांच चल रही है. उसके पहले आप नहीं बोल सकते कुछ.
श्री रामनिवास रावत-- मुझे संतुष्ट तो कर दें. यह मेरा मौलिक अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर सुन लें. वैसे तो श्री रामनिवास रावत जी वरिष्ठ सदस्य हैं, इन्होंने चूंकि मेरे सचिवालय में भी और मुझे स्वयं भी आकर के एक पत्र दिया था इस संबंध में, चूंकि अब वह सचिवालय के पास आ गया था इस संबंध में अब कोई प्रश्न यहां नहीं उठाना था, किंतु फिर भी चूंकि उन्होंने यह विषय उठा दिया है. मैं उनको यह जानकारी देना चाहता हूं कि वह दूसरे विभाग में चला गया था इसलिये डिले हुआ, 28 तारीख को आ रहा है. कृपया कर अब आप शांत रहें. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय.
श्री रामनिवास रावत-- धन्यवाद्. लेकिन मेडीकल एजुकेशन का है, दूसरे विभाग में कैसे चला गया ?
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत स्वीकृत निर्माण कार्य
1. ( *क्र. 2585 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत रतलाम जिले में प्राथमिक विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालयों के स्कूल भवन, अतिरिक्त कक्ष, शौचालय एवं अन्यान्य अनेक निर्माण कार्य वर्ष 2008-09, 2009-10 एवं 2010-11 तक स्वीकृत हुए हैं? (ख) यदि हाँ, तो विकासखण्डवार एवं ग्राम पंचायतवार किन-किन स्थानों पर, किस-किस प्रकार के कितने कार्य स्वीकृत हुए एवं इस हेतु कार्यवार कितना बजट स्वीकृत किया गया? (ग) साथ ही क्या उपरोक्त वर्षों में स्वीकृत निर्माण कार्य अनेक स्थानों पर पूर्ण नहीं हुए हैं, जबकि निर्माण कार्यों हेतु संबंधित एजेंसियों ने पूर्ण राशि की किश्त आहरित कर प्राप्त कर ली है? (घ) यदि हाँ, तो उपरोक्त वर्षों के पूर्ण एवं अपूर्ण निर्माण कार्यों की भौतिक सत्यापन सहित जानकारी से अवगत कराते हुए स्पष्ट करें कि कितने कार्य पूर्ण हुए, कितने अपूर्ण रहे, कितनी राशि आहरित की गयी, कितनी राशि का उपयोग हुआ, कितनी शेष रही एवं अब तक तत्संबंधी क्या-क्या कार्यवाही की गयी?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हां. (ख) विकासखंडवार, ग्राम पंचायतवार, कार्य के प्रकार, कार्यवार स्वीकृत बजट राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट- "अ" पर है. से (ग) अपूर्ण कार्य एवं एजेंसी द्वारा आहरित राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट "अ" अनुसार है. (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट "अ" अनुसार है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न प्रारम्भ करने के पहले मैं शासन का और माननीय मत्री की का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में स्कूल शिक्षा विभाग ने और माननीय मंत्री जी ने अभी जो दिल्ली में बैठक हुई उसमें शिक्षकों को सम्मान देते हुए एक और नया नाम देने का प्रस्ताव किया है. अब शिक्षक जो कर्मी कहलाये जाते थे शासन ने उनका सम्मान किया और इसी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने और आगे बढ़ते हुए उनको ड्रेस कोड देते हुए शिक्षकों के नाम के आगे जो अब नाम पट्टिका लगेगी तो उसे राष्ट्र निर्माता भी कहा जायेगा. निश्चित रूप से यह बहुत स्वागत योग्य है सदन की ओर से संपूर्ण शिक्षकगणों को बहुत-बहुत बधाई.
अध्यक्ष महोदय - कृपया प्रश्न करें.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - मेरा प्रश्न भी शिक्षा से जुड़ा हुआ है. एक और हम शिक्षा की गुणवत्ता के लिये, अधोसंरचना के लिये निरंतर प्रयास कर रहे हैं किन्तु यह अत्यंत दुखद है कि शासन के द्वारा स्वीकृत कार्य और स्वीकृतियां भी, एक-दो वर्षों की नहीं, मैंने प्रश्न में जानना चाहा था 2005-06 से लेकर प्रश्न दिनांक तक की जानकारी दी जाये.मुझे जानकारी मिली कि जानकारी अधिक विस्तृत हो जायेगी..
अध्यक्ष महोदय - जानकारी आ गई है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - मुझे दी है. मैंने उसका अध्ययन किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने भी अगर देखा हो और माननीय मंत्री जी ने भी उसको देखा होगा. विगत वर्षों में जो कार्य स्वीकृत हुए, वे स्वीकृत कार्य आज पर्यन्त पूरे नहीं किये जा सके और कम समय नहीं इन कार्यों को स्वीकृत हुए दस वर्ष हो चुके हैं. दस वर्ष बाद भी शासन के द्वारा यह कहा जाये..
अध्यक्ष महोदय - आप प्वाइंटेड पूछ लीजिये. आप वरिष्ठ सदस्य हैं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - अभी नींव स्तर पर कार्य है. मैं ध्यान आकर्षित करने के लिये निवेदन कर रहा हूं कि दस वर्ष होने के बावजूद नींव स्तर पर कार्य, प्लिंथ स्तर पर कार्य..
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे पूछ लीजिये ना कि इस बारे में क्या करेंगे ?
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - प्लास्टर किया जायेगा,रंग किया जायेगा,अपूर्ण कार्य. यह कम,ज्यादा नहीं यह लगभग जो कार्य स्वीकृत हुए थे उन कार्यों की संख्या थी 1545 और उनके लिये राशि भी कम नहीं लगभग 40 करोड़ के आसपास थी.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया सीधा प्रश्न कर लें.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - उसमें से 1206 अपूर्ण कार्य हैं. तो अब कौन सी समयावधि होगी. किस समयावधि में वे कार्य पूर्ण किये जा सकेंगे ?
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी को मैं आपके माध्यम से यह बताना चाहता हूं बहुत ही अच्छे विषय की ओर उन्होंने सदन का ध्यान आकर्षित किया है. यह बात सच है कि आपके ही जिले में इतने निर्माण कार्य अभी बाकी हैं. जो निर्माण ऐजेंसियां हैं वे समय पर काम नहीं करतीं और उसके कारण लोग कोर्ट में चले जाते हैं और इसके कारण कई काम हमारे लंबित हैं. ग्राम पंचायतों को यह सोचकर काम दिया गया था कि वे अतिरिक्त निर्माण कार्य जल्दी कर लेंगे किन्तु देखने में आ रहा है कि सरपंच के पांच साल पूरे हो जाते हैं वह घर चले जाते हैं. अब उन पर हम कोर्ट में काम कर रहे हैं. जो निर्माण ऐजेंसियां काम करती हैं, अभी तक विभाग यह करता था कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इसकी समीक्षा होती थी. मेरे मंत्री बनने के बाद मैंने यह निर्णय लिया, माननीय अध्यक्ष जी,आपके माध्यम से मैं बताना चाहता हूं कि अब हर सप्ताह निर्माण कार्यों की समीक्षा वी.सी. के माध्यम से मैं स्वयं करूंगा और जो कोर्ट में प्रकरण चल रहे हैं उनको भी समय-सीमा में निपटाने के लिये हम कलेक्टरों को निर्देश दे रहे हैं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, समयावधि तो नहीं आई.मेरा प्रश्न यह है कि जो अपूर्ण कार्य हैं जिनको दस वर्ष से अधिक हो चुके हैं. अब कौन सी आगामी निश्चित समय-सीमा में वे कार्य पूर्ण किये जायेंगे ? जहां तक न्यायालय वाली बात है माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि थोड़ा देख लें कि ये न्यायालय मात्र राजस्व न्यायालय हैं,या तहसील न्यायालय हैं या एस.डी.एम. न्यायालय हैं. जो शासन के अधीन व्यवस्था के अंतर्गत आते हैं. उनका अध्ययन करेंगे तो आप पाएंगे कि एस.डी.एम. के यहां पर दस वर्ष से पेंडिंग हैं,जिला पंचायत में पांच वर्ष से पेंडिंग हैं. जांच ऐजेंसियां भी जिला पंचायत के माध्यम से की जाती हैं. मेरे पहले प्रश्न का जवाब नहीं आया माननीय अध्यक्ष जी,समयावधि तो बताएं ?
अध्यक्ष महोदय - 1042 प्रकरणों का कैसे बताएंगे.
कुँवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं, उन पर समय सीमा में बतलाना मेरे लिये संभव नहीं हैं.
डॉ. राजेंद्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, बाकी के बता दें. न्यायालय में तो बहुत से प्रकरण है.
अध्यक्ष महोदय - वह बता रहे हैं.
कुँवर विजय शाह - दूसरा जो आपने बताया है कि एस.डी.एम न्यायालय में और जो दूसरे न्यायालय में हैं वहां हमारे अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि जितना जल्दी हो सके इन कार्यों को कम्पलीट करायें. कुछ राशि की जरूरत होगी तो वह दे दी जाएगी. हमने वित्तमंत्री जी से भी निवेदन किया है कि निर्माण एजेंसी चुनने में हमें स्वतंत्रता दी जाये और अगर आवश्यकता पड़ेगी तो हम भविष्य में निर्माण एजेंसी भी चेंज करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रं- 2.
डॉ. राजेंद्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा तो पहला ही प्रश्न हुआ.
अध्यक्ष महोदय - नहीं आपके दोनों हो गये हैं.
डॉ. राजेंद्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह जो जांच हुई है या की जा रही है तो उन संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों या संबंधित एजेंसी के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी. न्यायालय में तो मात्र कुछ प्रकरण हैं, शौचालय से संबंधित हैं. अतिरिक्त कक्ष नहीं बने हैं,भवन नहीं बने हैं, उनके विरूद्ध जांच की जाये और जांच कर जिनकी लापरवाही है, उन दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाये.
अध्यक्ष महोदय - यह कोई व्यक्तिगत प्रश्न नहीं है. आपका प्रश्न आ गया है उसका निराकरण भी हो रहा है.
डॉ. राजेंद्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय थोड़ा गंभीरता से लें. रतलाम जिले में यह हालत है तो पूरे मध्यप्रदेश में क्या स्थिति बन रही होगी ?
अध्यक्ष महोदय - आपका निराकरण भी हो रहा है, जांच करेंगे.
कुँवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने बड़ी विनम्रता के साथ माननीय सदस्य को बताया है कि सारे प्रकरण न्यायालय में लंबित है.
श्री बाबूलाल गौर - समीक्षा हो रही है, समीक्षा कब तक होगी भईया...
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी उत्तर दे रहें हैं, बैठ जायें कृपया.
डॉ. राजेंद्र पाण्डेय - हमारे जिले की अलग से समीक्षा की जाये और दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाय.
अध्यक्ष महोदय - इनके जिले की अलग से समीक्षा करा लेना.
कुँवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी आपके निर्देश से मैं सबसे पहला दौरा आपके ही जिले में कराउंगा.
अध्यक्ष महोदय - कुँवर हजारीलाल दांगी .
सामु. स्वास्थ्य केन्द्र खिलचीपुर का उन्नयन
2. ( *क्र. 1041 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 26.04.2016 को ब्यावरा तहसील में आयोजित जिला योजना समिति जिला राजगढ़ की बैठक में माननीय प्रभारी मंत्री महोदया द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजगढ़ को खिलचीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को सिविल अस्पताल में उन्नयन हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित करने हेतु निर्देशित किया गया था? यदि हाँ, तो क्या उक्त संबंध में प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया जा चुका है? यदि हाँ, तो प्रति उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजगढ़ द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खिलचीपुर को सिविल अस्पताल में उन्नयन करने हेतु प्रेषित प्रस्ताव की स्वीकृति हेतु प्रश्न दिनांक तक शासन द्वारा क्या कोई कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो बतावें। यदि नहीं, तो कब तक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खिलचीपुर को सिविल अस्पताल में उन्नयन कर दिया जावेगा?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। प्रस्ताव का परीक्षण किया गया. वर्तमान 30 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खिलचीपुर की दैनिक बाह्य रोगियों की संख्या लगभग 120 एवं आंतरिक रोगियों की संख्या लगभग 20- 25 है. चूंकि वर्तमान में 30 बिस्तरीय संस्था का पूरा उपयोग नहीं हो रहा है, इस कारण इस संस्था के उन्नयन की आवश्यकता वर्तमान में प्रतीत नहीं होती. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
(ख) जी हां, प्रश्न (क) के उत्तर में उल्लेखित अनुसार. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
कुँवर हजारीलाल दांगी - मेरे प्रश्न के उत्तर में मैं आपसे अनुरोध कर दूं माननीय अध्यक्ष महोदय कि मेरी खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र में दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है और दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं, जिसमें एक भी सिविल अस्पताल वर्तमान में संचालित नहीं हैं. मैंने अनुरोध किया कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में माननीय मंत्री जी ने जो दूसरा उत्तर दिया है कि इसका परीक्षण करा लिया गया है. मैंने खुद जिला योजना समिति में भी उठाया था. जिला योजना समिति ने भी अनुशंसा की है कि वास्तव में खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र में सिविल अस्पताल की आवश्यकता है, लेकिन इसके बाद भी उत्तर में आ गया है कि वहां इसकी आवश्यकता नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप प्रश्न करें.
कुँवर हजारीलाल दांगी - मेरा अनुरोध है माननीय अध्यक्ष महोदय, कि जिला योजना समिति की सिफारिश को स्वीकार करते हुए क्या माननीय मंत्री महोदय जी मेरे खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र में सिविल अस्पताल वर्तमान सत्र के तत्काल बाद ही चालू करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.
श्री रूस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि माननीय विधायक जी को बड़ी चिंता है अपने क्षेत्र की, उसकी प्रशंसा तो की ही जानी चाहिए लेकिन मैं यह बता देना चाहता था आपके माध्यम से कि वहां पर जनसंख्या के मान से जो निर्धारित है उसके मान से भी सिविल अस्पताल के लायक जनसंख्या भी नहीं है और दूसरी चीज अभी वर्तमान में वहां तीस बिस्तर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है और आने वाले मरीजों की संख्या 20-25 भी नहीं होती है. अब 30 बिस्तर को यह 50 या 100 बिस्तर का करवाने की कह रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय हम तो यह कहना चाहते हैं कि अभी तो मध्यप्रदेश मैं वैसे ही डॉक्टर्स की बहुत कमी चल रही है, जो प्रदेश में पहले से सिविल अस्पताल है हम उनको तो डॉक्टर्स उपलब्ध करा दें. नया नया सिविल अस्पताल उपलब्ध करा तो दें और डॉक्टर्स एक ना हो तो पदस्थापना और ऐसे उन्नयन की मैं तो कोई औचित्य नहीं समझता हूं.
कुँवर हजारीलाल दांगी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा का क्षेत्र 100 किलोमीटर के अंतर्गत आता है, जनसंख्या कम नहीं है. दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है और दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जिसमें सारे विधानसभा क्षेत्रों में सिविल अस्पताल है लेकिन सिर्फ मेरी विधानसभा क्षेत्र में नहीं है. मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खिलचीपुर में सिर्फ दो डॉक्टर्स है और दो जीरापुर में है और एक- एक डॉक्टर माचलपुर और थापेड़ा में है.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्न करें उसका तो उन्होंने उत्तर दे दिया है.
कुँवर हजारीलाल दांगी - मेरा अनुरोध है कि 100 किलोमीटर के अंतराल में एक भी सिविल अस्पताल नहीं खोलेंगे क्या ? मेरी राजस्थान से लगी विधानसभा है सारे मरीज राजस्थान में इलाज कराने के लिये जाते है. इसलिए मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेरी विधानसभा क्षेत्र में भी सिविल अस्पताल खोलना आवश्यक है, जिसे प्राथमिकता पर खोला जाये.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, बैठ जाइये, अनुरोध है उनका कि प्राथमिकता पर खोला जाये.
श्री रुस्तम सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं पुनः माननीय सदस्य की सजगता की प्रशंसा करता हूं लेकिन इनके खिलचीपुर के जिला मुख्यालय से डिस्ट्रिक्ट हास्पिटल मात्र 17 किलोमीटर है.
कुंवर हजारीलाल दांगी--वह गलत जानकारी है.
श्री रुस्तम सिंह-- 100 किलोमीटर बता रहे हैं. कितना होगा 20 किलोमीटर होगा. लेकिन बहुत दूर नहीं है. इनका जिला चिकित्सालय 100 किलोमीटर दूर नहीं है. मेरा आग्रह है कि आपकी मांग बिलकुल जायज है लेकिन अभी उन्नयन लायक वहां की परिस्थितियां नहीं है. जब परिस्थितियां बनेंगी तो जरुर उस पर विचार किया जायेगा.
कुंवर हजारीलाल दांगी-- अध्यक्ष महोदय,एक प्रश्न और है. खिलचीपुर में 6 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. दो डॉक्टर हैं. लेडी डॉक्टर तो पूरी विधानसभा क्षेत्र में नहीं है. कम से कम वहां डॉक्टरों की पदस्थापना तो कर दें.
आयुष अस्पतालों का संचालन
3. ( *क्र. 2669 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या राज्यमंत्री, आयुष महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा सीहोर जिले में आयुष अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो जिले में कहाँ-कहाँ, कब अस्पताल प्रारंभ किए गए हैं? (1) अस्पतालों में पदस्थ स्टॉफ एवं स्वीकृत स्टॉफ का ब्यौरा दें। (ख) क्या जिले के अस्पतालों में नि:शुल्क दवाओं का वितरण किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कितने प्रकार की दवाएं प्रदाय की जा रही हैं? दवाओं के नाम सहित ब्यौरा दें। (ग) प्रश्न दिनांक से 2 वर्ष के दौरान सीहोर जिले के किन-किन आयुष अस्पतालों में किस-किस रोग की कितनी-कितनी दवाओं का वितरण किया गया? अस्पतालवार ब्यौरा दें। (घ) क्या आयुष अस्पतालों की संख्या में वृद्धि अपेक्षित है? यदि हाँ, तो जिले में कहाँ-कहाँ नए अस्पताल खोले जाना प्रस्तावित है?
राज्यमंत्री, आयुष ( श्री हर्ष सिंह ) : (क) जी नहीं वरन् जिले में 22 आयुर्वेद, 10 यूनानी, 1 आयुष विंग एवं 1 होम्योपैथी औषधालय एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिविल अस्पताल में 17 आयुष केन्द्र संचालित हैं। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) कुछ दवाइयां कई रोगों में दी जाती है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' व ''द'' अनुसार। (घ) जी नहीं।
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि मंत्री बनने के बाद आज पहली बार जवाब देने के लिए खड़े होंगे. मेरा प्रश्न आयुष विभाग में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के बारे में है. यह बहुत ही अच्छी पद्धति है. इसका विस्तार होना चाहिए. हमारे बहुत से माननीय सदस्य भी इसका इस्तेमाल करते हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप सीधा प्रश्न करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा प्रश्न ही कर रहा हूं. बहुत सी असाध्य बीमारियों का इलाज आयुर्वेद में संभव है इसलिए इसका विस्तार होना चाहिए. मेरा सीधा-सीधा प्रश्न यह है कि सीहोर में केन्द्र तो है लेकिन अस्पताल नहीं है. अगर अस्पताल नहीं होगा तो इलाज कहां से होगा. जो पंचकर्म की,शिरोधार्य की, नास की सुविधा है यह सब वहां पर नहीं है. क्या आप सीहोर जिले में इसे शुरु करेंगे?
श्री हर्ष सिंह--अध्यक्ष महोदय, सीहोर जिले में जो आयुष विंग है उसमें पंचकर्म की व्यवस्था की गई है. मैं माननीय सदस्य को बताना चाहूंगा कि रोगी कल्याण समिति में इसके लिए 2 लाख 8 हजार रुपये पंचकर्म के लिए जमा किया जा चुका है. वहां विधिवत यह चल रहा है. जो भी कमी होगी जैसे अगर स्टाफ कम है या दूसरी कमी है तो मैं उसके लिए माननीय सदस्य से कहूंगा कि मैं उसकी व्यवस्था शीघ्र कर दूंगा.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्न है कि सीहोर में यूनानी डॉक्टर नहीं है. मेरी विधानसभा के जामली में पूरा स्टाफ ही नहीं है. सेमली में डॉक्टर नहीं है. ऐसे बहुत से उदाहरण हैं. इन सबकी पूर्ति कब करेंगे? सीहोर जिले में आप अस्पताल की बात कर रहे हैं वह बेहतर तरीके से कब चलेगा ताकि भोपाल में जो शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल है, उसका भी भार कम होगा और यह इलाज जिला स्तर पर होने लगेगा. मंत्रीजी बतायेंगे कि डॉक्टरों की कमी की पूर्ति कब तक कर देंगे?
श्री हर्ष सिंह--अध्यक्ष महोदय, जहां तक यूनानी अस्पताल, जामली का प्रश्न है. हम वहां तत्काल ड़ॉक्टर की व्यवस्था करने का प्रयत्न कर रहे हैं. जो दूसरे अस्पताल खाली हैं उनके लिए भी युक्तियुक्तकरण से, हमारे 100 ड़ॉक्टर MD कर रहे हैं, उनके आने के बाद व्यवस्था की जायेगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्ष महोदय, एक सुझाव देना चाहता हूं. यह बहुत अच्छी पद्धति है. मैं अपने ही जिले में नहीं, माननीय वित्त मंत्री जी बैठे हैं, सारे जिले में इस विंग का विस्तार होना चाहिए ताकि लोगों को, मरीजों को इसका फायदा मिले और आयुर्वेद का लाभ उठा सकेंगे. धन्यवाद.
राज्य विमुक्त घुमक्कड़ जाति के विकास हेतु स्वीकृत राशि
4. ( *क्र. 2835 ) श्रीमती इमरती देवी ( श्री ठाकुरदास नागवंशी ) : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रदेश में राज्य विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्धघुमक्कड़ जाति विकास अभिकरण के द्वारा 01 जनवरी 2014 से आज दिनांक तक कुल किन-किन कार्यों के लिए कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में स्वीकृत की गई राशि के जिलेवार कार्य किन-किन एजेंसियों के माध्यम से कराये गये एवं मौके पर हुए कार्यों का भौतिक सत्यापन किन-किन अधिकारियों द्वारा किया गया? (ग) राज्य में जिलेवार उपलब्ध कराई गई राशि के उपयोग का सत्यापन नहीं होने से राशि के दुरूपयोग के कितने प्रकरण बनाये गये एवं संबंधितों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? क्या इन सबके लिए राशि स्वीकृत करने वाले राज्यस्तरीय अधिकारी उत्तरदायी नहीं हैं? यदि हाँ, तो संबंधित के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्रीमती ललिता यादव ) : (क) दिनांक 1 जनवरी 2014 से आज दिनांक तक किसी भी कार्य के लिये कोई भी राशि स्वीकृत नहीं की गई है। (ख) एवं (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती इमरती देवी--अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से पूछना चाहती हूं कि मैंने घुमक्कड जाति के संबंध में विधानसभा प्रश्न लगाया है, उसका मंत्रीजी ने मुझे सही जवाब नहीं दिया है. मंत्रीजी ने बताया है कि 2013 में जो योजना चालू की गई थी, वह बंद कर दी गई. मैं मंत्रीजी से जवाब चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय-- जो आप पूछ रही हैं वह कहां लिखा है?
श्रीमती इमरती देवी--लिखा है. मंत्रीजी ने जवाब दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने राशि का पूछा है.
श्रीमती इमरती देवी-- उन्होंने मना ही कर दिया कि हमने पूरे प्रदेश में 2014 से राशि देना बंद कर दी है.
अध्यक्ष महोदय-- इसमें 2013 का उल्लेख नहीं है. दिनांक 1 जनवरी, 2014 से कोई भी राशि स्वीकृत नहीं की गई. यह उत्तर है. आप क्या चाहती हैं?
श्रीमती इमरती देवी-- मैं यह चाहती हूं कि 2013 में माननीय मुख्यमंत्रीजी ने भोपाल में सारे घुमक्कड़ जातियों की महापंचायत बुलायी थी. घुमक्कड़ जाति में 51 जातियां आती हैं. मुख्यमंत्रीजी ने उस महापंचायत में बहुत बड़ी बड़ी घोषणाएं की थी.
अध्यक्ष महोदय--उसका प्रश्न तो है ही नहीं?
श्रीमती इमरती देवी-- इसी में प्रश्न आता है. 2013 में चुनाव के पहले मुख्यमंत्रीजी ने घोषणा की थी.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्न कर लें.
श्रीमती इमरती देवी - हम कर तो रहे हैं आप सुन लें. वर्ष 2013 में जब चुनाव के पहले घुम्मकड़ जातियों के लिए घोषणा की थी वह योजना वर्ष 2014 जनवरी में बंद कर दीं. क्या यह वोटों के लिए की थीं?
अध्यक्ष महोदय - योजना बंद नहीं की है.
श्रीमती इमरती देवी - जब पैसा नहीं दिया तो योजना क्यों बनाई और इसकी घोषणा मुख्यमंत्री जी ने स्वयं की थी.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने जो प्रश्न किया है वह मध्यप्रदेश राज्य विमुक्त घुम्मकड़ एवं अर्ध घुम्मकड़ जाति विकास प्राधिकरण से संबंधित है. अभिकरण द्वारा केवल स्वरोजगार पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन माननीय सदस्या का प्रश्न पूछने का अधिकार है. यदि वह कुछ पूछना चाहती हैं तो वह पूछ सकती हैं.
श्रीमती इमरती देवी -अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहती हूं, हमारी बात सुन लें, वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री जी ने योजना चालू की थी, अब वह दोबारा चालू करेंगे या फिर ऐसे ही घुम्मकड़ जाति के लिए वर्ष 2018 में चुनाव से पहले इसको लागू करेंगे?
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, कोई योजनाएं बंद नहीं हुई हैं. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आवास अनुदान योजना, बस्ती विकास योजना, विमुक्त जाति छात्रावास योजना, सारी योजनाएं चल रही हैं. लेकिन माननीय सदस्या का जो प्रश्न था वह अभिकरण से संबंधित था, इसीलिए अध्यक्ष महोदय, उसमें यह जवाब आया है.
अध्यक्ष महोदय - श्री ठाकुरदास नागवंशी..
श्रीमती इमरती देवी - अगर योजना चालू हैं तो इनकी राशि क्यों नहीं आ रही है?
अध्यक्ष महोदय - इसका उत्तर उन्होंने दे दिया है.
श्रीमती इमरती देवी - उत्तर कहां दिया है?
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने उत्तर दे दिया है.
श्रीमती इमरती देवी - उत्तर नहीं दिया है. कब से इसे चालू करेंगे, इसकी तारीख बताएं कि घुम्मकड़ जाति के लिए कब से पैसा जारी होगा?
अध्यक्ष महोदय - आपका अभिकरण से संबंधित प्रश्न है.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने वर्ष 2014 का जो प्रश्न किया है, उसकी पूरी जानकारी मेरे पास है, कितनी राशि आई है, कितनी व्यय हुई है. माननीय सदस्या मेरे पास आ जाएंगी और इसका जानकारी आप हमसे ले लेंगी क्योंकि प्रश्न में आपने यह पूछा नहीं है, इसलिए यह प्रश्न उपस्थित नहीं होता है.
श्रीमती इमरती देवी - ग्वालियर जिले में मेरी विधान सभा में कितना पैसा दिया गया है? इसमें मेरा एक सवाल और है कि जब मुख्यमंत्री जी ने सभा ने ली थी तब यह कहा था कि घुम्मकड़ जाति का अध्यक्ष बनेगा, लेकिन वर्ष 2013 से आज तक इनका अध्यक्ष घोषित नहीं किया है. वह लाल बत्ती कहां गई? उनको एक लाल बत्ती ही दे दो?
श्री ठाकुरदास नागवंशी - अध्यक्ष महोदय, मेरा इसमें नम्बर नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - आपका भी इसी प्रकार का प्रश्न था, इसलिए उसे क्लब किया है.
श्री ठाकुरदास नागवंशी - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री गोवर्धन उपाध्याय..
श्रीमती इमरती देवी -अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और हमारा है.
अध्यक्ष महोदय - अब नहीं.
श्रीमती इमरती देवी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - इनका रिकॉर्ड में कुछ नहीं लिखा जाएगा. आप अब कृपया बैठ जाइए. यह ठीक बात नहीं है. दूसरों का समय खराब हो रहा है. श्री गोवर्धन उपाध्याय..
खण्ड चिकित्सा कार्यालय में रिक्त पदों की पूर्ति
5. ( *क्र. 2893 ) श्री गोवर्धन उपाध्याय : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सिरोंज एवं लटेरी के खण्ड चिकित्सा कार्यालय में कौन-कौन से पद स्वीकृत हैं? स्वीकृत पद में से कौन-कौन से पद भरे गए हैं और कौन-कौन से पद अभी तक रिक्त हैं? रिक्त रहने का क्या कारण है? रिक्त पदों की पूर्ति कब तक की जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार विधान सभा क्षेत्र में कहाँ-कहाँ उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं? प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्र में किस-किस श्रेणी के कितने पद स्वीकृत हैं? स्वीकृत पदों के विरूद्ध कितने पद भरे गये और कितने पद अभी तक रिक्त हैं? रिक्त पद रहने के क्या कारण हैं, पदों की पूर्ति कब तक की जावेगी?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) विधान सभा क्षेत्र सिरोंज एवं लटेरी के खण्ड चिकित्सा कार्यालय में स्वीकृत, भरे एवं रिक्त पदों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। विभाग के अधीन नियमानुसार सीधी भर्ती एवं पदोन्नति के माध्यम से पद पूर्ति की कार्यवाही निरंतर जारी है। निश्चित समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब''अनुसार है। उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर क्रमशः महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता का एक-एक पद स्वीकृत है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। उत्तरांश (क) के अनुक्रम में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री गोवर्धन उपाध्याय - अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न किया था. माननीय मंत्री महोदय से जानकारी लेना थी कि सिरोंज विधान सभा क्षेत्र में ..
श्री रामनिवास रावत - मिश्रा जी, आपके क्षेत्र के लिए लड़ रही हैं, आप पैसा भिजवा दो.
श्री गोवर्धन उपाध्याय - अध्यक्ष महोदय, विधान सभा सिरोंज में कितने डॉक्टरों के पद रिक्त हैं. जवाब में माननीय मंत्री महोदय ने बताया है कि पांच में से एक पद पर पदस्थ है और बाकी के पद खाली हैं. मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि जब एक डॉक्टर रहता है और एक डॉक्टर चला जाता है, ऐसी स्थिति में अस्पताल खाली रहता है एवं मरीजों को दिक्कत और कष्ट उठाना पड़ता है. मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहूंगा कि इन पदों पर और भी डॉक्टरों को पदस्थ करें. दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि सिरोंज और लटेरी के अंदर आपने एम्बूलेंस की व्यवस्था की है. परन्तु उनके लिए न वहां पर कोई ड्राइवर पदस्थ है. अब बिना ड्रायवर के एम्बूलेंस कैसे चलेगी, यह माननीय मंत्री महोदय बताने का कष्ट करें?
श्री निशंक कुमार जैन - मेरा विदिशा जिले से जुड़ा मामला है. एक ही जिले का मामला है.
अध्यक्ष महोदय - उनका उत्तर तो आने दें. यह जिले भर का प्रश्न नहीं है, सिर्फ विधान सभा क्षेत्र का प्रश्न है.
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने सिंरोज और लटेरी दोनों स्वास्थ्य केन्द्रों के बारे में जानकारी चाही है तो जहां तक सिंरोज का सवाल है वहां प्रथम श्रेणी के पांच में से दो पद हैं और चिकित्सा अधिकारी पांच होने चाहिए थे उनके बदले में छ: हैं और मैं यह कह सकता हूँ कि मध्यप्रदेश के मान से डॉक्टर्स की स्थिति बहुत बेहतर है. 50 परसेंट डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं हैं. इनके यहां 80 परसेंट की पदस्थापना है, लेकिन लटेरी में जरूर कमी है उसकी हम जरूर पूर्ति करेंगे. लटेरी में कमी है और उसकी हम पूर्ति करेंगे.
श्री गोवर्धन उपाध्याय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं बोलना चाहता था कि एम्बुलेंस के लिए कम से कम एक ड्राइवर की व्यवस्था तो करा दें.
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय , मैं माननीय सदस्य को और आपके मार्फत पूरे सदन को बताना चाहता हूँ कि अब एम्बुलेंस तो गौण हो गए हैं. 108 की इतनी गाडि़यां हैं, जननी एक्सप्रेस की गाडि़यां हैं जहां एम्बुलेंस की जरूरत होती है यही गाडि़यां जाती हैं उसकी पूर्ति होती है.
श्री निशंक कुमार जैन -- ( xxx )
अध्यक्ष महोदय -- कुछ लिखा नहीं जाएगा.
चिकित्सालय के बायोवेस्ट का विनिष्टीकरण
6. ( क्र. 2396 ) श्री कमल मर्सकोले : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले में इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय से प्रतिदिन निकलने वाले बायोवेस्ट मटेरियल के विनिष्टीकरण का कार्य वर्ष 2015-16 में व वर्ष 2016-17 के लिये किस फर्म को दिया गया है? (ख) इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय सिवनी में बायोवेस्ट मटेरियल का उठाव समय पर नहीं हो रहा है, जिससे संक्रमण बीमारियों का खतरा बना हुआ है? विभाग द्वारा समय पर कार्य ना करने वाली इस फर्म के विरूद्ध क्या कोई कार्यवाही की गई है और विभागीय तौर पर इस लापरवाही के लिये जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही की है?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) सिवनी जिले में इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय से प्रतिदिन निकलने वाले बायोवेस्ट मटेरियल के विनिष्टीकरण का कार्य वर्ष 2015-16 में मेसर्स कृपा वेस्टेज सिवनी एवं वर्ष 2016-17 में मेसर्स एलाईट ऐजेन्सी जबलपुर को दिया गया है। (ख) जी हाँ। जी हाँ। बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण ऐजेन्सी मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मण्डल के द्वारा प्राधिकृत की जाती है। मेसर्स कृपा वेस्टेज, सिवनी को दिनांक 07/11/2015 के माध्यम से निष्पादन प्रक्रिया बन्द करने के निर्देश जारी किये गये हैं। विभागीय स्तर पर जाँच उपरान्त जाँच प्रतिवेदन के आधार पर लापरवाह अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।
श्री कमल मर्सकोले -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, सिवनी में बायोवेस्ट के मटेरियल के विनिष्टीकरण का कार्य 2016-17 के लिए जिस फर्म को दिया गया था, उस फर्म ने समय पर उठाव नहीं किया है जिसकी वजह से संक्रमण बीमारी का खतरा बना हुआ है. मैं मंत्री जी यह कहना चाहता हूँ कि उस फर्म को क्या विधिक स्टेट करेंगे ? दूसरा मेरा प्रश्न है कि माननीय मंत्री जी ने विभागीय स्तर पर जॉंच के उपरांत जांच प्रतिवेदन के आधार पर संबंधित अधिकारियों को सस्पेंड करने, उनके विरूद्ध कार्यवाही करने की बात कही है . मैं मंत्री जी से यह आग्रह करना चाहता हूँ कि कितने समय-सीमा में यह जांच करवा देंगे?
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं माननीय सदस्य को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहता हूँ कि जिस विषय बिन्दु पर सामान्यत: लोगों का ध्यान नहीं जाता, उस पर आपने ध्यान आकर्षित किया है इसके लिए बधाई के पात्र हैं और साफ-सफाई के लिए जो वेस्ट है वह प्रॉपर्ली उठे और उसका विनिष्टीकरण हो, इस पर भी माननीय सदस्य ने ध्यान आकर्षित किया है. मैं आपके माध्यम से यह बताना चाहता हूँ कि पहले मेसर्स कृपा वेस्टेज कम्पनी जो थी वह सिवनी का वेस्टेज उठाती थी, अब उसका ठेका बंद हो गया है, समाप्त हो गया है क्योंकि वह प्रॉपरली ठीक से काम नहीं कर रहे थे और दूसरा अब जो हुआ है वह मेसर्स एलाईट एजेंसी, जबलपुर को वर्ष 2016-17 के लिए कार्य दिया गया है. हमारे यहां इस कार्य में पर्यावरण विभाग और हेल्थ का ज्वाइंट काम होता है, एजेंसी तय करना पर्यावरण विभाग का काम है और काम लेना हमारे विभाग का काम है इसीलिए इस पर हम लोग नजर रखते हैं और जो बात कही है कि पहले काम ठीक से नहीं हुआ, उसमें कौन अधिकारी दोषी थे और क्या कार्यवाही की गई, उसमें हम जांच करा रहे हैं और उसमें निश्चित रूप से जो भी दोषी होगा, जिसकी गड़बड़ी होगी, उस पर कार्यवाही की जावेगी.
श्री कमल मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय मंत्री जी इसकी जांच की समय सीमा बता दें.
श्री रूस्तम सिंह -- इसकी जांच शीघ्र ही कर दी जायेगी समय नहीं लगेगा. आपको बता भी देंगे.
श्री कमल मर्सकोले -- धन्यवाद.
आयुष चिकित्सकों की रिक्त पदों पर पदस्थापना
7. ( *क्र. 470 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या राज्यमंत्री, आयुष महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला राजगढ़ अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर में किन-किन स्थानों पर आयुष अंतर्गत आयुष प्राथ.स्वा. केन्द्र संचालित हैं तथा उनमें कितने-कितने अधिकारी एवं कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं? स्वीकृत पदों के विरूद्ध कितने-कितने पद भरे हुये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार संचालित केन्द्रों पर कब से पद रिक्त हैं? रिक्त पदों की पूर्ति हेतु विभाग/शासन द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? रिक्त पदों पर कब तक आयुष चिकित्सकों की पदस्थापना की जावेगी? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार क्षेत्र में रिक्त पद होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में इलाज नहीं होने के कारण जनता को भारी असुविधा हो रही है, ऐसी स्थिति में आयुष चिकित्सकों के रिक्त पदों पर कब तक पदस्थापना की जावेगी? नहीं तो क्यों नहीं?
राज्यमंत्री, आयुष ( श्री हर्ष सिंह ) : (क) आयुष अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र संचालित नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं।
श्री कुंवरजी कोठार -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. मेरा प्रश्न शासकीय आयुर्वेदीक औषधालय से संबंधित प्रश्न है. लेकिन त्रुटिवश प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लिखा गया है. आपसे अनुमति चाहता हूं कि आयुर्वेदिक औषधालय की जानकारी माननीय मंत्री जी ने एकत्रित भी की है. यदि आपकी अनुमति हो तो मैं शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय के बारे में जानकारी पूछ लूं.
अध्यक्ष महोदय -- पूछ लीजिए.
श्री कुंवरजी कोठार -- अध्यक्ष महोदय मेरे विधान सभा क्षेत्र में 7 शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय हैं और 2 पीएचसी हैं, जिनमें एक एक पद आयुर्वेदिक चिकित्सक के हैं. एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सारंगपुर है उसमें एक आयुर्वेदिक चिकित्सक का पद रिक्त है. ऐसे कुल 10 औषधालय हैं जहां पर आयुर्वेदिक चिकित्सक के पद रिक्त हैं. मैं माननीय मंत्री जी से यह चाहता हूं कि ये रिक्त चिकित्सक के पद कब तक भर दिये जायेंगे.
श्री हर्ष सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय यह सत्य है कि 7 आयुर्वेदिक औषधालय रिक्त हैं. मैं यथाशीघ्र उपलब्धता के आधार पर कुछ न कुछ डॉक्टर निश्चित रूप से भेजने का प्रयास करूंगा. एनआरएचएम में से भी डॉक्टर का स्थानांतरण हो गया है वहां पर भी डॉक्टर नहीं है उनकी संविदा नियुक्ति होती है. उ सके लिए भी मैं प्रयास करूंगा कि उनकी नियुक्ति यथाशीघ्र हो जाय.
श्री कुंवरजी कोठार -- धन्यवाद् मंत्री जी.
प्रश्न क्रमांक 8 ( अनुपस्थित )
प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र बेहट का उन्नयन
9. ( *क्र. 1502 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 27.06.13 को ग्वालियर प्रवास के दौरान उपस्वास्थ्य केन्द्र बेहट को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन करने हेतु घोषणा की गई थी। इस संबंध में कलेक्टर द्वारा शासन को अवगत कराया गया है? (ख) यदि हाँ, तो उपस्वास्थ्य केन्द्र बेहट को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन करने हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला ग्वालियर द्वारा मूलभूत जानकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने हेतु अनुशंसा सहित शासन को भेजी गई है? (ग) यदि हाँ, तो घोषणा एवं अनुशंसा के उपरांत भी विलम्ब का क्या कारण है? (घ) उपस्वास्थ्य केन्द्र बेहट को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन कब तक किया जावेगा?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) जी हाँ। (ग) घोषणा के पालन में उप स्वास्थ्य केन्द्र बेहट का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन हेतु प्रस्ताव परियोजना परीक्षण समिति के समक्ष प्रस्तुत किये जाने हेतु कार्यवाही प्रचलन में है। (घ) निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं।
श्री भारत सिंह कुशवाह --माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा प्रश्न इस प्रकार है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र बेहट को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में उन्नयन करने के बारे में है. विभाग का जो उत्तर आया है उसमें मैं प्रश्न घ के उत्तर से असंतुष्ट हूं. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जब मुख्यमंत्री जी की घोषणा और विभाग की सहमति है तो क्या आप प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में बेहट का उन्नयन करेंगे.
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय बेहट में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हो उसकी घोषणा तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने की है जो माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है उ स पर शंका होने का प्रश्न नहीं है हम यह विश्वास दिलाते हैं कि यहां पर पीएचसी की स्थापना की जायेगी.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय घ के बारे में प्रश्न यह है कि तीन वर्ष हो गये हैं घोषणा किये हुए तो कब तक यह घोषणा पूरी हो जायेगी.
श्री रूस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय इनकी चिंता जायज है क्योंकि समय हो रहा है. लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि जब घोषणा हुई उस समय यह नहीं रहता है कि कौन कौन सा क्षेत्र आयेगा, उसके लिए जो न्यूनतम आवश्यकता हैं जनसंख्या और क्षेत्र वह वहां पर है या नहीं है, उसी के परीक्षण में कुछ समय लगा है. बेहट की वास्तव में देखें तो उतनी जनसंख्या नहीं है जितनी कि पीएचसी को खोलने के लिए चाहिए. हम इनको विश्वास दिलाते हैं कि यह हमने परीक्षण कर लिया है और दूसरे क्षेत्र के लोग इसका लाभ उठा सकते हैं उनको भी इसमें जोड़ लिया है अब यह प्रक्रिया में चालू है, समय सीमा इसमें इसलिए नहीं बता सकते हैं कि इसमें कई फार्मेल्टी होती हैं इसलिए समय सीमा की बात नहीं कर रहा हूं. मैं इतना ही कह सकता हूं कि जितनी चिंता विधायक को है कि बेहट में पीएचसी बने, तो यह मेरे पड़ोस का सवाल है, आपकी विधान सभा में मेरा गांव है तो मेरी भी चिंता है कि वहां पर जल्दी से जल्दी बने इसका मैं स्वयं प्रयास करूंगा.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- धन्यवाद मंत्री जी.
प्रभारी प्राचार्य के विरूद्ध कार्यवाही
10. ( *क्र. 2070 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तारांकित प्रश्न संख्या-6 (क्रमांक 780), दिनांक 18.07.2014 के बिन्दु (घ) की जाँच संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग रीवा से कराने का उत्तर दिया गया था, जिसके परिपालन में संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग रीवा द्वारा अपने पत्र क्रमांक/वि.स./पवास/2014/1316 रीवा दिनांक 09.10.2014 से जाँच दल गठित कर जाँच कराई है तथा जाँच में उमाकान्त द्विवेदी प्रभारी प्राचार्य शा.उ.मा.वि. पुरौना को छात्रवृत्ति भुगतान में दोषी मानते हुए निलंबित कर विभागीय जाँच संस्थापित की गई है, की जानकारी जाँच प्रतिवेदन के साथ देवें। (ख) क्या उक्त विभागीय जाँच संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा को मिली है तथा प्रस्तुतकर्ता अधिकारी डी.ई.ओ. रीवा है तथा सेवा निवृत्त दोषी प्रभारी प्राचार्य द्विवेदी को गलत लाभ देने के उद्देश्य से जारी आरोप पत्र से गलत छात्रवृत्ति भुगतान का मुख्य आरोप अंकित नहीं किया गया है? क्या उक्त नियम विरूद्ध छात्रवृत्ति भुगतान का आरोप मुख्य आरोप पत्र में सम्मिलित कराया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या उक्त सेवा निवृत्त प्रभारी प्राचार्य श्री उमाकान्त द्विवेदी तारांकित प्रश्न क्र. 3554, दिनांक 25.07.2014 के अपात्र गुरूजियों के एरियर्स भुगतान में कलेक्टर रीवा द्वारा की गई जाँच में 12 लाख रू. गलत भुगतान में दोषी है तथा उक्त राशि की वसूली के लिए आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा दिनांक 03.06.2016 को आदेश जारी किया गया है? (घ) यदि प्रश्नांक (क) से (ग) हाँ तो क्या उक्त दोनों प्रकरणों में प्रभारी प्राचार्य द्वारा नियम विरूद्ध भुगतान की गई कुल राशि वसूली योग्य है? यदि हाँ, तो सेवा निवृत्त प्रभारी प्राचार्य श्री द्विवेदी को मिलने वाले स्वत्वों से पूरी वसूली योग्य राशि वसूल कर भुगतान करायेंगे? यदि नहीं, तो क्यों?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग रीवा से प्राप्त जाँच प्रतिवेदन के आधार पर श्री उमाकांत द्विवेदी व्याख्याता एवं तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य, शासकीय उ.मा.वि. पुरौना जिला रीवा को एक अन्य आरोप में संचालनालय के आदेश क्र-स्था-2/सर्त./सी/ रीवा/22/2015/257 दिनांक 27/03/2015 द्वारा निलंबित कर उनके विरूद्ध संचालनालय के पत्र क्र-स्था-2/सर्त./सी/रीवा/22/2015/414 दिनांक 07/05/2015 द्वारा जारी किए गए पत्र में वर्णित आरोप के आधार पर विभागीय जाँच संस्थित की गई है, जाँच जारी है। (ख) जी हाँ। जी नहीं, गलत छात्रवृत्ति भुगतान करने के आरोप को भी विभागीय जाँच में सम्मिलित किए जाने हेतु आरोप पत्र जारी किया गया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। संचालनालय के पत्र दिनांक 03.06.2016 द्वारा श्री द्विवेदी को अधिक भुगतान की गई राशि की वसूली के संबंध में कारण बताओ सूचना-पत्र जारी किया गया। (घ) विभागीय जाँच प्रक्रिया पूर्ण होने एवं कारण बताओ सूचना-पत्र का प्रतिवाद उत्तर प्राप्त होने पर परीक्षणोपरांत गुण दोष के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती शीला त्यागी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को यह बताना चाहती हूँ कि मैंने पिछले सत्र में अतारांकित प्रश्न लगाया था और वह छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त प्राचार्य उमाकान्त द्विवेदी के संबंध में था और वे दोषी भी पाए गए. संयुक्त संचालक रश्मि शुक्ला जी को उसमें चेयरमेन बनाकर कमेटी गठित की गई और उनके माध्यम से आर्थिक अनियमितता का जो आरोप-पत्र था उसमें दाखिल नहीं किया गया और साथ ही साथ उनके साथ मिलकर लेनदेन की बात करके मुख्य आरोपी उमाकान्त द्विवेदी को इन्होंने इनके साथ सस्पेंड करके दो अन्य जो शिक्षक थे उनको भी निलंबित कर दिया गया है और बाद में उनके साथ आर्थिक लेनदेन करके मुख्य आरोपी लिपिक को तो आपने बहाल कर दिया, एक सेवानिवृत्त हो गए लेकिन दो जो शिक्षक हैं, शिवकुमार अहिरवार और रामेश्वर तिवारी, इन दोनों को अभी तक बहाल नहीं किया गया है और न ही उन्हें कोई आर्थिक दण्ड दिया गया, क्या माननीय मंत्री जी बताने की कृपा करेंगे कि आपने अभी तक उनको क्यों आर्थिक दण्ड नहीं दिया, सेवानिवृत्त होने के बाद भी.
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय विधायक जी को आपके माध्यम से बतलाना चाहता हूँ कि जो जांच की व्यवस्था है उसके अनुसार किसी को तत्काल निलंबित नहीं किया जा सकता. जांच जारी है और उसके बाद जो भी जांच के परिणाम आएंगे, उसके आधार पर कार्यवाही की जाएगी. विभागीय जांच भी हमने शुरू कर दी है. दो महीने के अंदर विभागीय जांच पूरी हो जाएगी. यह बात मैं मानता हूँ कि शिक्षा विभाग में छात्रवृत्ति घोटाले की शिकायतों को शासन बहुत गंभीरता से ले रहा है और भविष्य में कोई भी ऐसा काम न करे, इसके लिए तत्काल प्रभाव से मैं जे.डी. हमारे संभागीय अधिकारी, रीवा को निलंबित करता हूँ और उसकी जांच एक महीने के अंदर यहां से किसी अधिकारी को भेजकर मैं कराऊंगा.
श्रीमती शीला त्यागी -- माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
सामु. स्वा. केन्द्र के नवनिर्मित भवन में विद्युत कनेक्शन
11. ( *क्र. 2935 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुठालिया का भवन निर्माण का कार्य पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग राजगढ़ द्वारा पूर्ण किया जाकर दिनांक 16.01.16 को विभाग के अधिपत्य में सौंप दिया गया है? यदि हाँ, तो क्या बाहरी विद्युत कनेक्शन के अभाव में उक्त स्वास्थ्य केन्द्र नवीन भवन में स्थानांतरित नहीं हो पा रहा है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा इस संबंध में क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या उक्त नवीन भवन में बाहरी विद्युत कनेक्शन का प्राक्कलन स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिनांक 27.11.2015 से पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग राजगढ़ को प्रेषित डी.पी.आर. के संबंध में आवश्यक राशि स्वीकृति हेतु पुन: पी.आई.यू. लोक निर्माण राजगढ़ द्वारा स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव प्रेषित कर दिया गया है? यदि हाँ, तो कब तक बाहरी विद्युत कनेक्शन कार्य करवा दिया जावेगा? (ग) क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुठालिया के नवनिर्मित भवन से नगर सुठालिया पहुंच मार्ग के मध्य स्थित नाले पर पुलिया नहीं होने से वर्षाकाल में रोगियों व गंभीर पीड़ित व्यक्तियों का आवागमन अवरूद्ध हो जाएगा? यदि हाँ, तो क्या शासन उक्त पहुंच मार्ग पर स्थित नाले पर पुलिया निर्माण करवाएगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। स्वीकृति हेतु कार्यवाही प्रचलन में है। (ख) मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी, सुठालिया द्वारा दिनांक 27.11.2015 को बाह्य विद्युत कनेक्शन हेतु प्राक्कलन संभागीय परियोजना यंत्री पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग, राजगढ़ को प्रेषित किया गया एवं संभागीय परियोजना यंत्री पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग, राजगढ़ द्वारा उनके पत्र दिनांक 30.11.2015 द्वारा अतिरिक्त परियोजना संचालक पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग को प्रेषित किया गया, किन्तु उनके द्वारा स्वास्थ्य विभाग को कोई प्राक्कलन प्रेषित नहीं किया गया, बल्कि मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी राजगढ़ ने दिनांक 30.04.2016 को इसकी स्वीकृति हेतु प्राक्कलन संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें को प्रेषित किया गया, जिसकी स्वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है। यथाशीघ्र। (ग) जी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य केन्द्र की बाउण्ड्रीवाल के बाहर एक अतिरिक्त रास्ते के नाले पर पुलिया निर्माण किये जाने हेतु रोगी कल्याण समिति की बैठक दिनांक 15.06.2016 में मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुठालिया को पुलिया निर्माण किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। कार्य नगरपालिका सुठालिया द्वारा किया जाना है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री नारायण सिंह पंवार -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय स्वास्थ्य मंत्री का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि मेरी विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा के टप्पा केन्द्र, सुठालिया में पिछले डेढ़ वर्ष से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का भवन बनकर तैयार है लेकिन बाहरी विद्युत कनेक्शन के अभाव में वह हॉस्पिटल चालू नहीं हो पा रहा है और यह शहर के बाहर स्थित होने के कारण इसमें असामाजिक तत्वों द्वारा लगातार तोड़फोड़ की जा रही है. इसमें ट्रांसफार्मर वगैरह लगे और कनेक्शन हो इसके लिए प्रयास जारी है और अतिरिक्त परियोजना संचालक पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रस्ताव भी विभाग को भेज दिया गया है. मेरा निवेदन यह है कि तत्काल ट्रांसफार्मर लगे और माननीय मंत्री जी यह बताने का कष्ट करें कि विभाग ने अभी तक क्या कार्यवाही की है ?
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि ब्यावरा के अंतर्गत सुठालिया का नया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनकर तैयार हो गया है और लगभग 6 महीने पहले दिनांक 16.01.2016 को यह हैंडओवर भी हो गया है लेकिन उसमें बिजली फिटिंग नहीं थी, उसका एस्टीमेट बन गया है, स्वीकृति में है और बहुत जल्दी उसको बिजली प्रदाय करने की व्यवस्था कर दी जाएगी.
श्री नारायण सिंह पंवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करता हूँ कि उसकी कोई समय-सीमा तो होगी, लगातार 8 माह से हम भी संपर्क में हैं, पी.आई.यू. अधिकारियों से हम बात कर रहे हैं लेकिन माननीय मंत्री जी से मैं समय-सीमा पूछना चाहता हूँ कि कब तक यह काम हो जाएगा क्योंकि उस भवन के कांच वगैरह और खिड़कियां आदि भी लोग निकालने लग गए हैं.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की चिंता सही है और समय-सीमा के बारे में मैं बताना चाहूंगा कि हम पूरा प्रयास करेंगे कि एक महीने में यह हो जाए.
श्री नारायण सिंह पंवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिए धन्यवाद. मेरा एक प्रश्न और है कि इसी अस्पताल के रास्ते पर एक पुलिया न होने के कारण रास्ता बाधित है, हालांकि मैंने नगर पालिका को संपर्क किया है लेकिन फिर भी विभाग बनाएगा तो वह ज्यादा उत्तम होगा क्योंकि और कोई रास्ता नहीं है और नगर पंचायत बहुत छोटी है उसके पास ज्यादा साधन नहीं हैं. वहां पर रास्ता बंद है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, पुलिया के लिए कुछ कर सकेंगे.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रास्ता तो है लेकिन शॉर्टकट जो आता है पुलिया, यह बहुत अच्छे विधायक हैं मैं इनसे आग्रह करूंगा कि स्वास्थ्य विभाग के पास पुलिया बनाने के लिए पैसा नहीं रहता है, यह विधायक निधि से पैसा दे दें, विधायक निधि दो करोड़ है, यह इतनी चिंता कर रहे हैं तो माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी को पैसा दे ही देना चाहिए और आज घोषणा भी कर देनी चाहिए.
श्री नारायण सिंह पंवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अम्बेडकर मंगल भवन का निर्माण
12. ( *क्र. 138 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान सभा क्षेत्र के नगर पलेरा सहित बल्देवगढ़ एवं निवाड़ी के लिये वर्ष 2013-14 में अम्बेडकर मंगल भवन स्वीकृत हो गये थे और बल्देवगढ़ तथा निवाड़ी में बनाये जा चुके हैं, परन्तु पलेरा में शासन स्तर पर अस्वीकृत कर दिया गया था? यदि हाँ, तो कारण स्पष्ट करें। (ख) क्या भवन निर्माण भूमि के अभाव में निरस्त किया गया जबकि भवन हेतु भूमि पर्याप्त है? क्या अनु. जाति के व्यक्तियों की विशेष मांग और आम जनता की विशेष आवश्यकता को देखते हुए उसे पुन: स्वीकृत कर राशि जारी कर अम्बेडकर मंगल भवन निर्माण करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। (ग) क्या उक्त अम्बेडकर भवन को जनहित में निर्माण करने हेतु स्वीकृति प्रदान करेंगे?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जी हाँ। डॉ. अम्बेडकर मंगल भवन, बल्देवगढ़ का कार्य प्रगति पर तथा निवाड़ी में ले-आउट दिया गया है। आयुक्त, अनुसूचित जाति विकास, मध्यप्रदेश के पत्र क्रमांक 4735 दिनांक 12 सितम्बर, 2013 द्वारा सभी जिला अधिकारियों को इस आशय के निर्देश दिये गये थे कि एक ही स्थान पर दो बार अम्बेडकर भवन का निर्माण नहीं हो। चूंकि पलेरा में पूर्व से डॉ. अम्बेडकर मंगल भवन का निर्माण किया जा चुका है, इसलिये पुन: अम्बेडकर मंगल भवन का निर्माण नहीं कराया गया। (ख) जी नहीं। पलेरा में विभाग द्वारा डॉ. अम्बेडकर मंगल भवन का निर्माण पूर्व से किया जा चुका है अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि खरगापुर विधानसभा के नगर पलेरा में अंबेडकर मंगल भवन वर्ष 2013-14 में स्वीकृत हुआ था परन्तु शासन स्तर से ही इसको निरस्त कर दिया गया था. आज आम जनता की मांग और आवश्यकतानुसार क्या उसे पुनः स्वीकृत कर निर्माण कराएंगे.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, खरगापुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बल्देवगढ़ और निवाड़ी में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम से सामुदायिक भवन बनाये जाने की स्वीकृति दी गई थी चूंकि पलेरा में इसके पहले ही मंगल भवन बन चुका था इस कारण से वहाँ पर दुबारा बनाया जाना असंभव है.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर—माननीय अध्यक्ष महोदय, पलेरा में अंबेडकर मंगल भवन है ही नहीं इसीलिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि आप और आपके विभाग प्रमुख सदन में बता दें कि किस वर्ष में पलेरा में अंबेडकर भवन बनाया गया है, कितनी राशि से बनाया गया है और कहाँ पर भवन है, उस स्थान का नाम बता दे व किस रंग से पुताई की गई है वह बता दें. माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में असत्य जानकारी दी जा रही है, पलेरा में कोई अंबेडकर भवन नहीं है और असत्य जानकारी देना ठीक नहीं है.
श्री ज्ञान सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले भी माननीय सदस्या को अवगत करा चुका हूं कि निवाड़ी और बल्देवगढ़ में दोनों सामुदायिक भवन प्रगति पर हैं चूंकि पलेरा में इसके पहले मंगल भवन बन चुके हैं पलेरा में 19 लाख 16 हजार की लागत से नगरपालिका के द्वारा भवन बनाया गया है.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मार्च में यह प्रश्न लगाया था तो उस समय माननीय मंत्री जी का जवाब आया था कि बजट के अभाव के कारण यह लंबित है. आज कागजों में भवन निर्माण हो गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पुनः अनुरोध करती हूं कि पलेरा में अंबेडकर मंगल भवन नहीं है फिर भी दुबारा बनाने की बात सही नहीं है. जब मंगल भवन नहीं है तो आप अपने अधिकारियों के साथ पलेरा चलें.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी, आप इस बात की जांच करा लें, माननीय सदस्या कह रही हैं कि वहाँ भवन नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, सदस्या का आरोप है, उनके विधानसभा क्षेत्र का मामला है वह बड़े दावे के साथ कह रही है कि मंगल भवन बना ही नहीं है और मंत्री जी कह रहे हैं मंगल भवन बना है तो मेरा विनम्र अनुरोध है कि माननीय विधायक की उपस्थिति में किसी अधिकारी को भेजकर जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाएं. मंत्री जी, आप इसकी जांच करा लें.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय,यह तो सर्वविदित है कि बाबा साहब के नाम पर उनकी जन्मस्थली से लेकर के जब कभी अगर अच्छे विकास के काम हुए हैं तो वह हमारे शासनकाल में हुए हैं . मैं इसको दिखवा लूंगा.
श्री रामनिवास रावत-- सरकार ने तो काम किये हैं लेकिन आप भी तो करिये.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप इसको दिखवा लीजिये व माननीय सदस्या को अवगत भी करा दीजिये.
श्री ज्ञान सिंह—अध्यक्ष महोदय, बहुत अच्छे काम हो रहे हैं मैं आपको आश्वस्त कराना चाहूंगा कि माननीय सदस्या की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यदि नये भवन बनाये जाने की आवश्यकता पड़ेगी तो हम बाबा साहब के नाम पर ऐसे वर्ग के लोगों को सुख सुविधा उपलब्ध हो सके इसमें कतई पीछे नहीं रहेंगे. ...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- नरोत्तम जी, जरा तो देखो, क्यों सदन को मजाक बना रहे हो.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, इसकी जांच करवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- वह जांच कराएंगे...(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत-- आसंदी भी कह रही है, सदस्या भी कह रही हैं, संसदीय मंत्री जी हस्तक्षेप करें क्यों मजाक बनवा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--- माननीय मंत्री जी, आप इसकी जांच करा लें आपकी और सदस्या की बात में सीधा-सीधा डिफरेंस समझ में आ रहा है इसलिए उसकी जांच करा लें और माननीय सदस्या को अवगत करवा दें.
श्री ज्ञान सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी के आदेश का अवश्य पालन किया जाएगा, जांच करवा ली जाएगी.
नीमच जिला चिकित्सालय द्वारा रेफर किये गये मरीज
13. ( *क्र. 2253 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नीमच जिला चिकित्सालय द्वारा 1 अप्रैल 2014 से प्रश्न दिनांक तक कितने मरीजों को इलाज के अभाव में रेफर किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में ऐसे कितने मरीज हैं, जिनको रेफर किया गया और उनकी रास्ते में इलाज के अभाव से या समय पर इलाज न मिलने के कारण मृत्यु हो गई? नाम सहित बतायें। (ग) उक्त अवधि के कितने ऐसे मामले हैं, जिसमें इलाज के अभाव में मरीज की मृत्यु होने के कारण चिकित्सकों की शिकायतें प्रशासन को की गई? (घ) क्या प्रश्नांश (ग) में प्राप्त शिकायत पर प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो तत्संबंधी ब्यौरा दें।
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) नीमच जिला चिकित्सालय द्वारा 01 अप्रैल 2014 से प्रश्न दिनांक तक रेफर किये गये मरीजों की वर्षवार जानकारी निम्नानुसार है :-
वर्ष |
रेफर किये गये मरीजों की संख्या |
2013-14 |
420 |
2014-15 |
315 |
2015-16 |
565 |
|
कुल योग : 1300 |
(ख) रेफर किये गये मरीजों की रास्ते में ईलाज के अभाव में अथवा समय पर ईलाज न मिलने के कारण हुई मृत्यु की जानकारी 01.04.2014 से आज दिनांक तक की निम्नानुसार है :- (1) काली बाई (2) गजेन्द्र (3) शान्तिबाई जुना बधाना रामपुरा जिला नीमच (4) बाली बाई पति लक्ष्मीनारायण मनासा (5) चेनराम सुवाखेडी जिला नीमच (ग) इस संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई। (घ) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री दिलीप सिंह परिहार--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि नीमच जिले में जिला चिकित्सालय है, मनासा और जावद से रेफर होकर के केस नीमच में आए वह तो समझ में आता है. मगर नीमच जिला चिकित्सालय से बिना इलाज किये लोगों के रेफर करने की जो पद्धति चल रही है उसकी वजह से जनता में असंतोष है और जो मेरे प्रश्न के उत्तर में जानकारी आई है उसमें यह बात आई है कि कई लोगों को रेफर किया गया है और मैं बताना चाहता हूं कि 5 जून 2016 को जमुनाबाई पति राजू यादव उम्र 37 वर्ष की मृत्यु हुई , मैं स्वयं वहाँ था उनका इलाज नहीं किया गया, गैस की टंकी फटी थी और उसका खून बह रहा था, वहाँ पर उसका प्रॉपर इलाज नहीं किया उसको रेफर कर दिया और उसकी बीच रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई तो यह भी असत्य जानकारी दी है. मैं मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि वर्ष 2015-16 में जो केस रेफर किये गये हैं उनकी संख्या 565 हैं. इन रेफर किये गये केस का क्या कारण रहा, इसकी समीक्षा कराएंगे क्या.
श्री रूस्तम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो रेफर करने के संबंध में जो चिंता जाहिर की है, ये बात सही है कि 565 लोगों को वर्ष 2015-16 में रेफर किया गया है और बेहतर इलाज के लिए उन्हें रेफर किया गया है. लेकिन मैं माननीय सदस्य को आपके मार्फत बधाई देते हुए बताना चाहता हूं कि नीमच में ट्रामा सेंटर पूर्ण होने की ओर है. चार करोड़ इनक्याबे लाख की लागत से बन कर ट्रामा सेंटर पूरा हो रहा है और उसके उपकरणों के लिए भी छियत्तर लाख रूपये की मंजूर हो गए हैं. ये ट्रामा सेंटर नीमच को आपके प्रयास से प्राप्त हुआ है. इसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं और आने वाले समय में संभवत: ये रेफर वाला काम अब नहीं होगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार- धन्यवाद मंत्री महोदय, मैं ये चाहता हूं कि किसी से आप इसकी समीक्षा करा लें, पिछले दिनों लगभग 1300 केस रेफर किए गए हैं. लोगों का इलाज किए बिना ही उन्हें उदयपुर रेफर कर दिया जाता है. वहां मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जारी योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पाता है. नीमच से लोगों को इतनी दूर भोपाल के हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. नीमच राज्य के अंतिम छोर में है तो मध्यप्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ गरीबों को उदयपुर में प्राप्त हो. माननीय नरोत्तम मिश्रा जी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने ये घोषणा की थी कि हम उदयपुर के अस्पताल में मध्यप्रदेश की योजनाओं को लागू करेंगे. क्या आप ऐसा कर पायेंगे ?
श्री रूस्तम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य महोदय ये जानना चाहते हैं कि जिन मरीजों को रेफर किया गया क्या वे वाकई रेफर करने के लायक थे. क्या उनका जिला चिकित्सालय में इलाज संभव था ? मैं सामान्यत: ये कह सकता हूं कि उनका इलाज संभव नहीं होने के कारण ही उन्हें रेफर किया गया. यदि वे चाहते हैं कि रेफर किए गए प्रकरणों को परीक्षण कर लिया जाए, तो मैं वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम भेज कर उक्त प्रकरणों का परीक्षण करवा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय- वो उदयपुर का कह रहे हैं. क्या आप उदयपुर में मध्यप्रदेश सरकार की योजनाओं को लागू करवा पायेंगे ?
श्री रूस्तम सिंह- ये निर्णय नीतिगत है. दूसरे प्रदेश का है. इस पर हम जरूर विचार करेंगे. ताकि हमारी योजनाओं का लाभ गरीबों को उदयपुर के अस्पतालों में भी प्राप्त हो सके.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न क्रमांक 14, श्री जतन उईके (व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह परिहार- वहां जलने वालों का भी इलाज नहीं हो पा रहा है. वहां बर्निंग यूनिट होनी चाहिए. जले हुए लोगों को भी रेफर कर दिया जाता है. कम से कम जिला स्तर पर बर्निंग यूनिट हो. (xxx)
श्री राम निवास रावत- (xxx)
अध्यक्ष महोदय- कोई प्रश्न नहीं होगा अब; सिर्फ श्री जतन उईके का प्रश्न आयेगा. नहीं आपकी सारी बात आ गई है. कुछ रिकार्ड में नहीं आएगा.
संतान पालन अवकाश नीति
14. ( *क्र. 1099 ) श्री जतन उईके : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शिक्षा विभाग में महिलाओं को अपने सेवाकाल में संतान पालन हेतु (जिसके बच्चे 18 वर्ष से कम) 730 दिनों का अवकाश देने की नीति है? यदि हाँ, तो इसका पालन विभाग में न होने का क्या कारण है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में विगत एक वर्षों से प्रश्न दिनांक तक छिंदवाड़ा जिले के शासकीय स्कूलों में कार्यरत कितनी महिलाओं ने संतान पालन हेतु आवेदन दिए? कितने आवेदन को विभाग ने स्वीकृत किया? दिनांकवार, नामवार सूची उपलब्ध करायें।
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। स्कूल शिक्षा विभाग के अन्तर्गत नियमित शासकीय शिक्षक संवर्ग में कार्यरत महिलाओं को संतान देखभाल अवकाश दिया जा रहा है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) छिन्दवाड़ा जिले के अन्तर्गत शासकीय विद्यालयों में कार्यरत 09 महिलाओं को संतान पालन अवकाश स्वीकृत किया गया है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री जतन उईके- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात बड़ी विनम्रतापूर्वक आपके माध्यम से रखना चाहता हूं. मेरा प्रश्न माननीय मंत्री जी है कि शिक्षा विभाग में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कार्यरत माताओं को कितने दिन के संतान पालन अवकाश का प्रावधान है. उत्तर में कहा गया है 730 दिन. लेकिन मेरे जिले के अंतर्गत विगत वर्ष में मात्र 9 महिला शिक्षिकाओं को ये अवकाश प्रदान किया गया है. मेरे पास इसी प्रकार के 25 से 30 प्रकरण आये थे, मैंने डीईओ से संपर्क किया, उनका कहना है कि सहायक अध्यापिकाओं के लिए अवकाश का ये प्रावधान नहीं है. माननीय मंत्री जी से मेरा ये प्रश्न है कि क्या ये नियम सहायक अध्यापिकाओं के लिए लागू नहीं होता है ? कृपया बताने का कष्ट करें.
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन ने शिक्षा विभाग में जो हमारी बहनें कार्यरत हैं, उन सभी के लिए 180 दिनों के प्रसूति अवकाश का प्रावधान है. जो नियमित शिक्षिकायें हैं उनके लिए 730 दिनों के संतान पालन अवकाश का प्रावधान है. माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है, उसमें कुछ अनियमित शिक्षिकाओं एवं दूसरे संवर्ग की शिक्षिकाओं को नियमित शिक्षिकाओं की तरह अवकाश प्रदान कर दिया गया था, उसे निरस्त किया गया है. जो कुछ भी नियमों में उल्लेखित होगा, उसका पालन किया जायेगा.
श्री जतन उईके- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी आदरणीय डॉक्टर साहब का प्रश्न था, कि हिन्दुस्तान के वजीरेआजम को राष्ट्र के निर्माता खिताब से नवाजा गया. मेरा निवेदन है कि 40 हजार रूपये वेतन मिल रहा है एवं उतना ही काम करने वाले को 20 हजार रूपये वेतन मिल रहा है. तो इस तरह का भ्रम क्यों? और यह जो नियमित वालों को सात सौ तीस दिन का अवकाश प्रदान किया जा रहा है, मेरा अनुरोध है कि अध्यापकों को भी दिया जाए, उस छुट्टी का उन्हें लाभ मिले.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, जो अभी नियमों में है नहीं, आपने ध्यान दिलाया देखेंगे.
जन स्वास्थ्य रक्षकों की पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में पदस्थापना
15. ( *क्र. 2687 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्य प्रदेश के प्रशिक्षित जन स्वास्थ्य रक्षकों को ग्राम आरोग्य केन्द्र या राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में पदस्थ करने हेतु शासन द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं? (ख) यदि हाँ, तो कब तक जन स्वास्थ्य रक्षकों को ग्राम आरोग्य केन्द्र या राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में पदस्थ किया जावेगा?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री नथनशाह कवरेती-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन द्वारा जन स्वास्थ्य रक्षकों को प्रशिक्षण देकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा के लिए लगाया गया. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि ऐसे जन स्वास्थ्य रक्षकों को ग्राम आरोग्य केन्द्र या राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में कब तक पदस्थ किया जाएगा?
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने उत्तर तो दे दिया.
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये जो जन स्वास्थ्य रक्षक वाला जो सेवा का कार्य लिया गया था, 1995-96 से शुरू हुआ था, पाँच सौ रुपये देकर और वे स्वयंसेवी के रूप में कार्य करते थे. 2005-06 से वह कार्यक्रम ही, यह सब खत्म होकर, अब आशा कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं. अब कोई जन स्वास्थ्य सेवक मध्यप्रदेश में नहीं है इसलिए उनकी बाकी सब चीज के बारे में बोलने का कोई औचित्य नहीं है.
जननी वाहनों के संचालन के नियम/निर्देश
16. ( *क्र. 872 ) श्री रामपाल सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल जिले के समस्त विकासखण्डों में महिलाओं को प्रसूति हेतु लाने एवं छोड़े जाने हेतु लगाई जाने वाली जननी वाहनों के संबंध में क्या नियम-निर्देश हैं? विगत 3 वर्षों में कितने वाहन कब से किस अवधि तक, किस दर पर, किस फर्म के लगाये गये हैं? उक्त अवधि में उक्त फर्म को किये गये भुगतान एवं कार्य की पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) शहडोल जिला चिकित्सालय क्षेत्रांतर्गत समस्त विकासखण्ड में कुल कितने वाहन चालू हालत में हैं तथा कितने वाहन खराब स्थिति में हैं तथा कितने किस-किस कार्य में किसके द्वारा उपयोग में लिये जा रहे हैं? नाम, नंबर एवं वाहन चालक सहित व्यय की जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) विगत 03 वर्षों में सभी वाहनों की मरम्मत एवं ईंधन पर व्यय की जानकारी उपलब्ध करावें। (घ) क्या वर्तमान में किसी विकासखण्ड में शासकीय कार्य हेतु प्रायवेट वाहन भी अनुबंधित किये गये हैं? यदि हाँ, तो उक्त वाहनों हेतु जारी निविदा एवं आदेश की प्रति उपलब्ध करावें।
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) शहडोल जिले में महिलाओं को प्रसूति हेतु लाने एवं छोड़े जाने हेतु लगाई जाने वाली जननी वाहनों के संबंध में नियम-निर्देश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। शेष प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। (ख) शहडोल जिला चिकित्सालय क्षेत्रान्तर्गत समस्त विकासखण्ड में कुल 22 वाहन हैं, जिसमें से 17 वाहन चालू हालत में हैं तथा 05 वाहन खराब स्थिति में हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। (ग) विगत 03 वर्ष में सभी वाहनों की मरम्मत एवं ईंधन पर व्यय की जानकारी निम्नानुसार है :-
वर्ष |
पी.ओ.एल. (राशि रू. में) |
मरम्मत (राशि रू. में) |
2013-14 |
1068094.00 |
2874607.00 |
2014-15 |
776081.00 |
1914512.00 |
2015-16 |
464701.00 |
1971175.00 |
(घ) जी हाँ। वर्तमान में खण्ड चिकित्सा अधिकारियों के लिये मोबिलिटी सपोर्ट हेतु 5 वाहन तथा आर.बी.एस.के. हेतु 02 वाहन प्रति विकासखण्ड के मान से कुल 10 वाहन अनुबंधित किये गये हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''चार'' अनुसार है।
श्री रामपाल सिंह(ब्यौहारी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मैं पहला प्रश्न यह पूछना चाहूँगा कि क्या शहडोल जिले में संचालित जननी वाहनों के चालकों द्वारा हितग्राहियों के साथ रूखा व्यवहार किया जाता है एवं समय पर वाहन उपलब्ध नहीं कराई जाती है? साथ में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो पिछड़े क्षेत्र हैं, आवागमन को दृष्टिगत रखते हुए, क्या जननी वाहनों की संख्या बढ़ाई जाएगी?
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जननी वाहनों की जो संख्या है वह व्यवस्था के मान से ठीक है. लेकिन जहाँ जरुरत होती है वहाँ इसी तरह की प्रसूताओं के लिए, डिलेवरी के लिए जाने की जरुरत है, उसमें एक सौ आठ वाले जो वाहन हैं हम उसका भी उपयोग करते हैं इसलिए दोनों के उपयोग से वह पूर्ति हो जाती है और फिर भी माननीय विधायक महोदय यह हमको बताते हैं तो मैं आपके मार्फत उनको यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हमको बता दें कहाँ इस तरह की दिक्कत हो रही है. आवश्यकता होगी तो हम वह भी बढ़ा देंगे.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से दूसरा प्रश्न यह पूछना चाहता हूँ कि क्या शासन ऐसी व्यवस्था करेगा कि हितग्राहियों द्वारा लाभ प्राप्त करने के उपरांत सेवा अदायगी का प्रमाण-पत्र देने के उपरांत ही भुगतान की कार्यवाही की जाए. मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि जननी चालकों के पास कार्य प्रमाण-पत्र का प्रपत्र उपलब्ध कराया जाए एवं जननी को प्रसव केन्द्र पर पहुँचाने के बाद परिजनों से उक्त प्रमाण-पत्र हस्ताक्षर के उपरांत ही कार्य पूर्ण माना जाए. क्या ऐसी व्यवस्था आप करेंगे?
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने नीतिगत बात की है. सुझाव बहुत अच्छा है. यह केवल एक विधान सभा के लिए ही नहीं यह व्यवस्था पूरे प्रदेश के लिए करनी होगी. उस पर विचार कर लेंगे, परीक्षण कर लेंगे, औचित्य आएगा तो जरूर कर देंगे.
प्रश्न संख्या-- 17 (अनुपस्थित)
शासकीय हाई स्कूल का निर्माण
18. ( *क्र. 1032 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सिरमौर अंतर्गत ग्राम बेलवा सुरसरी सिंह में बारहवें वित्त से शासकीय हाई स्कूल का निर्माण कराने हेतु राशि सांसद निधि से प्रदाय की गई थी, किन्तु आज तक निर्माण कार्य अधूरा रहने का क्या कारण है? (ख) उक्त भवन का निर्माण कार्य कब तक पूर्ण होगा?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। निर्माण कार्य हेतु पूर्ण राशि प्राप्त न होने के कारण कार्य अधूरा है। (ख) राशि प्राप्त होने के पश्चात। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री दिव्यराज सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे सिरमौर विधान सभा में ग्राम बेलवा सुरसरी सिंह के शासकीय हाई स्कूल का एक भवन है जो कई सालों से अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है. उसके लिए अगर कुछ राशि वे प्रदान कर दें तो यह भवन पूरा कंपलीट हो सकेगा.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत सारे निर्माण कार्य जो, कहीं निर्माण एजेन्सी की लापरवाही से या कहीं वित्त के अभाव में पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग में लंबित हैं, उसकी हम गंभीरता से मॉनिटरिंग कर रहे हैं और जैसा मैंने पहले भी कहा है, हर सप्ताह हम लोग व्हीसी में इसकी समीक्षा भी करेंगे और अभी जो माननीय विधायक जी ने मामला उठाया है. 2005 का है अभी तक नहीं बना है उसकी लागत ही दोगुनी हो गई है. इसमें 8000 रुपए की राशि और चाहिए यह तत्काल दे दी जाएगी और तीन-चार महीने में भवन पूरा कर दिया जाएगा.
श्री दिव्यराज सिंह--माननीय मंत्री जी धन्यवाद.
जीर्ण-शीर्ण स्वास्थ्य केन्द्रों के भवनों का निर्माण
19. ( *क्र. 3126 ) श्री विष्णु खत्री : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बैरसिया विधानसभा की स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिये ग्राम दिल्लौद के पूर्व निर्मित जीर्ण-शीर्ण भवनों के स्थान पर नवीन भवन एवं ईटखेड़ी सड़क स्थित स्वास्थ्य केन्द्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में उन्नयित करते हुए पूर्व निर्मित जीर्ण-शीर्ण भवन के स्थान पर नये भवन का निर्माण किये जाने की आवश्यकता प्रतीत होती है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो इस संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? इन स्थानों पर नवीन भवनों के लिये कब तक बजट उपलब्ध कराया जावेगा?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ, ग्राम दिल्लौद में नवीन उपस्वास्थ्य केन्द्र भवन की स्वीकृति हेतु कार्यवाही प्रचलन में है। उप स्वास्थ्य केन्द्र ईटखेड़ी सड़क का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल से विस्तृत जानकारी मंगाकर परीक्षण उपरांत आवश्यक कार्यवाही की जावेगी। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नहीं है।
श्री विष्णु खत्री--माननीय अध्यक्ष महोदय,बैरसिया विधान सभा क्षेत्र के दिल्लौद उप स्वास्थ्य केन्द्र का भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. यह लगभग 42 वर्ष पूर्व बना था. इसी तरह से ईंटखेड़ी सड़क का उप-स्वास्थ्य केन्द्र भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है इसमें नवीन भवन की आवश्यकता है. इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि इन दोनों स्थानों पर नवीन उप-स्वास्थ्य केन्द्र, विशेष रुप से दिल्लौद में नवीन भवन और ईंटखेड़ी सड़क का जो उप स्वास्थ्य केन्द्र है, चूंकि ईंटखेड़ी बड़ा गांव है तो वहां पर उप-स्वास्थ्य केन्द्र का प्राथमिक उप-स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन करते हुए नवीन भवन देने का मेरा मंत्री जी से आग्रह है.
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्नयन के लिए परीक्षण करा लेंगे बाकी जो उप-स्वास्थ्य केन्द्र के भवन की जीर्ण-शीर्ण हालत है उसको ठीक कराने के लिए या आवश्यकता है तो नया बनाने के लिए और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन के बारे में भी वस्तुस्थिति दिखवाकर, जानकारी लेकर माननीय सदस्य की इच्छानुसार अगर स्थिति खराब है तो उस पर हम कार्यवाही करा देंगे.
श्री विष्णु खत्री--माननीय अध्यक्ष महोदय, दिल्लौद में नवीन भवन का माननीय मंत्रीजी आश्वासन दे दें. रखरखाव की बजाय नवीन भवन का आश्वासन दे दें तो अच्छा होगा.
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यही कह रहा था कि अगर वह भवन मरम्मत लायक नहीं बचा है तो जरुर नया भवन बना देंगे. जहां तक 42 वर्ष का सवाल है, भवन तो 80 साल पुराने भी हैं और चल रहे हैं और उनमें अस्पताल भी चल रहे हैं यह कोई मापदण्ड नहीं है. भवन कैसा है, यदि वह खराब है तो नया बनवा देंगे.
श्री विष्णु खत्री--माननीय मंत्रीजी धन्यवाद.
शिवपुरी जिले में विद्यालयों का उन्नयन
20. ( *क्र. 1566 ) श्री रामसिंह यादव : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा शिवपुरी जिले में वर्ष 2016 में कुछ विद्यालयों का उन्नयन किया गया है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से प्राथमिक से माध्यमिक, माध्यमिक से हाईस्कूल एवं हाईस्कूल से हायर सेकेण्डरी (10+2) विद्यालयों का उन्नयन किया गया है? उन्नयन आदेश की प्रति संलग्न कर विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी दें। (ख) क्या उक्त उन्नयन किए गए सभी विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2016-17 में कक्षाएं प्रारंभ हो जाएंगी? यदि नहीं, तो उक्त विद्यालयों में नवीन कक्षाएं कब से प्रारंभ होंगी? (ग) क्या कोलारस विधानसभा क्षेत्र के कुछ प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल उन्नयन हेतु पात्रता में आए हैं? यदि हाँ, तो कौन-कौन से स्कूल उन्नयन हेतु पात्रता की श्रेणी में आए हैं? इनके उन्नयन के आदेश कब तक जारी होंगे एवं नवीन कक्षाएं कब से प्रारंभ होंगी? (घ) क्या कोलारस विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड बदरवास के ग्राम खतौरा के हाईस्कूल को हायर सेकेण्डरी (10+2) में उन्नयन करने के आदेश जारी कर दिए हैं? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति संलग्न कर जानकारी दें। यदि नहीं, तो उन्नयन आदेश कब तक जारी कर दिए जाएंगे एवं कक्षाएं कब से प्रारंभ होंगी?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) किसी प्राथमिक विद्यालय का माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन नहीं किया गया है। माध्यमिक/हाईस्कूल/हायर सेकेण्डरी में उन्नयन संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) वर्ष 2016-17 के लिए जिलों से प्रस्ताव प्राप्त किए जा रहे है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। उन्नयन बजट प्रावधान एवं स्वीकृति पर निर्भर करेगा। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जी नहीं। उत्तरांश (ग) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री रामसिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदय से जानना चाहता हूँ कि शासन द्वारा याचिका एवं पूर्व विधान सभा सत्र में दी गई जानकारी के अनुसार हाई स्कूल खतौरा का हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन किए जाने के नियम अन्तर्गत एवं पात्रता की श्रेणी में आता है. मंत्री महोदय खतौरा में हायर सेकेण्डरी स्कूल खोले जाने के आदेश कब तक जारी करेंगे ?
कुँवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के बच्चों की शिक्षा के लिए हम कृतसंकल्पित हैं और ज्यादा से ज्यादा हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल शासन खोलना चाहता है. माननीय सदस्य ने प्रस्ताव दिया है परंतु अब शिक्षा सत्र चालू हो चुका है आप अगले साल की घोषणा कर दीजिए हम चालू करवा देंगे.
श्री रामसिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से निवेदन करना चाहता हूँ कि वे आज ही घोषणा कर दें तो बहुत अच्छी बात है, आदेश कब तक जारी करेंगे.
कुँवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि शिक्षा सत्र चालू हो गया है पुराने स्कूल हमने चालू कर दिए हैं. माननीय सदस्य के निवेदन पर मैंने यह स्वीकार किया है. आने वाले शिक्षा सत्र से हम आपके साथ मिलकर चालू करेंगे.
श्री रामसिंह यादव--बहुत बहुत धन्यवाद.
सतना जिलांतर्गत संचालित नर्सिंग कॉलेज
21. ( *क्र. 57 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में कितने नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं? शासकीय एवं प्रायवेट नर्सिंग कॉलेज की जानकारी दें। (ख) क्या नर्सिंग कॉलेजों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित मापदण्डों का पालन किया जा रहा है? सी.एम.एच.ओ. का जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। (ग) यदि नर्सिंग कॉलेज निर्धारित मापदण्डों को पूरा नहीं करते हैं तो इनकी मान्यता कब तक समाप्त कर दी जायेगी। (घ) नर्सिंग कॉलेज के फर्जी पाये जाने पर मान्यता देने वाले दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी नहीं, जिला सतना में शासकीय नर्सिंग कॉलेज संचालित नहीं है। प्रायवेट नर्सिंग कॉलेजों का संचालन एवं नियंत्रण संचालक चिकित्सा शिक्षा विभाग के द्वारा किया जाता है। (ख) से (घ) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री शंकरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न लगाया था और उस प्रश्न के उत्तर में आया है कि सतना में शासकीय नर्सिंग स्कूल है ही नहीं. जबकि सतना में शासकीय ऩर्सिंग स्कूल पिछले तीन वर्षों से संचालित है और उसके भवन का पैसा यहां से जा चुका है भवन निर्माण नहीं हो पा रहा है. मेरा निवेदन यह है कि वहां पर नर्सिंग के जो प्रायवेट स्कूल चल रहे हैं उनमें गंभीर अनियमितता हो रही है. न उनके पास भवन है न ही अन्य व्यवस्था है, एक बिल्डिंग में बोर्ड लगाकर उन्होंने कॉलेज खोल लिया है. दूसरी बात होम साइंस के बच्चों को नर्सिंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं. क्या होम साइंस की छात्राओं को नर्सिंग की ट्रेनिंग दी जा सकती है. मेरे क्षेत्र के नर्सिंग स्कूल का भवन कब तक बनेगा. उत्तर में आया है कि मेरे विभाग का नहीं है. सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा है. नर्सिंग कॉलेज नहीं बन रहा है वहां पर होम साइंस की छात्राओं को नर्सिंग पढ़ा रहे हैं अगर यह सही है तो उत्तर दिलवा दीजिए और कॉलेज की बिल्डिंग बनवा दीजिए.
श्री रूस्तम सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक छोटी सी बात थी इन्होंने लिखने में कालेज लिख दिया है. नर्सिंग स्कूल हमारा है और नर्सिंग कालेज चिकित्सा शिक्षा विभाग का है. हमारा स्कूल चल रहा है और कालेज हमारे विभाग का नहीं है. इसलिये आपकी जो कुछ मांग है उस पर विचार करेंगे और शरद जैन जी इसके मंत्री हैं, उनसे भी बात करेंगे. मैं आपको बता देना चाहता हूं कि शरद जैन जी तिवारी जी के व्यक्तिगत मित्र हैं.इसीलिये वह उनका सवाल भी हमसे पूछते हैं.
अध्यक्ष महोदय :- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
अध्यक्ष महोदय :- अभी सिर्फ इनकी बात सुनेंगे. उन्होंने मेरी बात सुनकर प्रश्नकाल बाधित नहीं किया इसलिये 21 प्रश्न भी आ गये हैं. यदि वह शुरू में नहीं बोलते तो 25 प्रश्न भी हो जाते तो अब सिर्फ उनको सुनेंगे,इसके बाद शून्यकाल की लिखित सूचनाएं, फिर आपको आधे-आधे मिनट की अनुमति देंगे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र) :- अध्यक्ष महोदय, आपने इनको विषय रखने की अनुमति दी है या भाषण देने की.
अध्यक्ष महोदय:- विषय रखने की अनुमति दी है.
श्री जितू पटवारी :- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद् आपकी कृपा बनी, आपकी कृपा से विषय ही रखूंगा और विषय से बाहर नहीं जाऊंगा. परन्तु मेरे पास इतना ज्ञान नहीं है. केवल लाईन पढ़ कर बता दूं, यह स्थिति भी नहीं बनेगी. मैं आपसे यह अनुरोध करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश शासन ने दलितों के सम्मान के लिये, उनके उत्थान के लिये कई योजनाएं बनायी और पूरे प्रदेश में यहां तक कि मुख्यमंत्री जी ने दलितों को पुराहित बनाने कि बात कही. आज का एक अखबार है डी.बी.पोस्ट में एक खबर है.
अध्यक्ष महोदय :- यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री जितू पटवारी :- (XXX)
डॉ नरोत्तम मिश्र :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भ्रम पैदा करने जैसी स्थिति है, मुख्यमंत्री जी ने कभी नहीं कहा है. यह डर्टी पोलेटिक्स है. इसके अलावा कुछ नहीं है. यह मुख्यमंत्री जी ने कब कहा कि पुरोहित बनायेंगे.
श्री मुकेश नायक :- (XXX)
(व्यवधान)
(श्री जितू पटवारी, सदस्य द्वारा सदन में अखबार दिखाने पर)
अध्यक्ष महोदय :- अखबार नहीं बता सकते.
श्री जितू पटवारी :- (XXX)
(व्यवधान)
श्री मुकेश नायक :- (XXX)
श्री रामनिवास रावत :- (XXX)
अध्यक्ष महोदय :- आप लोग बैठ जाईये. शून्यकाल की सूचनाएं, 267- क तहत ली जाती हैं. उसके तहत नियम यह है कि सुबह 9 बजे के पहले जो सूचनाएं दी जायेंगी उनको उसी दिन ले सकते हैं. अथवा उसके बाद अगले दिन के लिये समझी जायेंगी. उनमें से जो सूचनाएं ग्राह्य होती हैं. उसमें से 10 सूचनाएं यहां लेते हैं किन्तु कई विषय ऐसे होते हैं, जिनको माननीय सदस्य समय पर नहीं दे पाते हैं, किन्तु वह उसी दिन उठाने के होते हैं ऐसे माननीय सदस्यों को अनुमति दी जाती है. मेरा सदस्यों से अनुरोध है कि सिर्फ विषय पर ही बात करें. कोई विषय ऐसा है तो उसके संबंध में कोई ऐसी बात न करें न कोई भाषण दें ताकि उसका कोई राजनैतिक अर्थ न निकाला जा सके, सीधा विषय आ कर के उसके संबंध में बात शासन के सामने आ जाये तो शासन जो भी उसके बारे में कार्यवाही कर सकता है वह करेगा, संज्ञान लेगा या नहीं लेगा. किन्तु उनके संज्ञान में लाने के लिये यह बात होती है, भाषण देने के लिये नहीं होती है और अन्य विषय प्रतिपादित होने के लिये नहीं होती है. कृपा करके सदस्य इसका ध्यान रखेंगे.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल आपकी बात से सहमत हैं, लेकिन सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव, ध्यानाकर्षण दिये हैं, उन विषयों को शून्यकाल में उठाकर आपसे निवेदन तो कर सकते हैं कि उन्हें ग्राह्य कर लिया जाये जितू भाई ने स्थगन दिया है, मैंने ध्यानाकर्षण लगाया है. यह मामला मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र का मामला है तो आपसे अनुरोध है कि उसको आप ग्राह्य कर लें.
अध्यक्ष महोदय--उसको उतना लिमिटेड एवं पाईंटेड बोल देते. ॉ
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, 50 दलित परिवारों ने इच्छा मृत्यु का ज्ञापन देकर के मांग की है कि एक महिला ने आत्मघाती कदम उठाकर बच्चे के इलाज न होने के कारण आग लगाकर आत्महत्या कर ली.
अध्यक्ष महोदय--आपने इस पर लिखकर के दिया है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मैंने इस बारे में ध्यानाकर्षण दिया है.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है उस पर विचार कर लेंगे.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरी बात नहीं आयी.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई है. रामनिवास रावत जी ने यह बात कह दी है बस इतनी बात ही आना है.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है मैं नियम कायदों को पढ़कर के इस सदन में कार्यवाहियों के हिसाब से मैं कार्य करता हूं, पहले बात कह रहा था तो मंत्री जी खड़े हो गये तो अल्टीमेटिली क्या है.
अध्यक्ष महोदय--पहले मंत्री जी खड़े हो गये फिर कोई दूसरे खड़े हो गये.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, तीन घटनाएं बुदनी की ऐसी हुई हैं. एक घटना सम्मानित सदस्य जी ने अभी बताई उसमें एक घटना और है मैंने पहले भी उसको कहा था आपको उसमें राजनैतिक द्वेषभाव से नहीं देखना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय--आप भाषण मत दीजिये आप बोलिये हम सुनने के लिये तैयार हैं.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि पांच महीने के बेटे का इलाज न होने पर बुदनी से एक किलोमीटर दूर एक दलित महिला ने खुद की दाह को संस्कार कर दिया है, वह महिला जिन्दा जल गई, वहां जब गया वहां पर गांव के लोगों से बात की वहां पर कांग्रेस एवं बीजेपी लोगों ने यह कहा यह दलित महिला इसलिये जली कि उसके बच्चे का इलाज नहीं हो पाया है.
अध्यक्ष महोदय--आपने इस बारे में लिखकर के दिया है.
श्री जितू पटवारी--उसमें मैंने स्थगन प्रस्ताव दिया है.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा अनुरोध यह कि--
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई है.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरी बात पूरी नहीं आयी है इतना अन्याय उनके परिवार के साथ हुआ है कि उनके ऊपर दहेज उत्पीड़न का केस बात को दबाने के लिये लगा दिया गया है. मुख्यमंत्री जी के निर्वाचन क्षेत्र में इस तरीके का दलित उत्थान मैंने कहीं और नहीं देखा, जो कि मध्यप्रदेश में हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने जो लिखकर के दिया है उसको देख लेंगे.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, आप मेरी बात को सुन नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--जितू पटवारी द्वारा जो भी बोला जाएगा नहीं लिखा जाएगा.
श्री जितू पटवारी---(XXX)
नियम 267 क के अधीन विषय
(1) नरसिंहपुर क्षेत्र में अतिवृष्टि से फसलों एवं मकानों आदि का नष्ट होना.
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर)--अध्यक्ष महोदय,मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है.
(2) सीधी व सिंगरोली में नल-जल योजनाओं का बंद होना.
श्री कमलेश्वर पटेल--(सिंगरौली)अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है.
(3) प्रदेश के प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र/छात्राओं की प्रोत्साहन राशि न मिलना.
श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है.
4.जिला श्योपुर अंतर्गत टेंटरा-घोबनी मार्ग के पुर्ननवीनीकरण, डामरीकरण व दोहरीकरण किया जाना
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना पढ़ी हुई मानी जाए ।
अध्यक्ष महोदय- श्री रामनिवास रावत जी की शून्यकाल की सूचना पढ़ी हुई मानी गई।
5. डॉ. मोहन यादव- (अनुपस्थित)
6. श्री शैलेन्द्र जैन- (अनुपस्थित)
7.सरेखा हाईस्कूल विकासखण्ड परसवाड़ा में घटिया निर्माण कार्य
किया जाना
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
मेरी विधानसभा क्षेत्र विकासखण्ड परसवाड़ा के सरेखा हाईस्कूल में वर्ष 2015-16 में भवन निर्माण हेतु उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री से निम्न गुणवत्ता विहीन सामग्री लगाई जाकर घटिया निर्माण कार्य कराया गया है । जिसकी प्रथम दृष्टया से प्रमाणित किया जा सकता है । इस मामले की स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से और निर्माणकर्ता ठेकेदार की विभागीय अधिकारियों से सांठगांठ होने का कारण ठेकेदार से पुन: निर्माण नहीं कराया जा रहा है । घटिया निर्माण होने के कारण उपरोक्त भवन का कब्जा संबंधित संस्था ने लेने से मना कर दिया है । अत: मामले की जांच कराकर दोषियों को सजा दी जाए बल्कि हानि की राशि वसूल करने के साथ पुलिस में मामला दर्ज कराया जाए ।
8. दिनांक 8 जुलाई को भारी बारिश से दसवीं की पूरक परीक्षा में छात्र नहीं पहुंच सके. अत: पुन: परीक्षा आयोजित कराई जाना
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
दिनांक 8 जुलाई की रात में सीहोर जिले में भारी बारिश हुई पूरा सीहोर 9 जुलाई को अस्त व्यस्त हो गया शहर के अधिकतर मार्ग बंद हो गए और क्षेत्र में नदी नालों में बाढ़ आने से आवागमन बंद हो गया । दिनांक 9 जुलाई को कक्षा दसवीं की परीक्षा थी । कई विद्यार्थी आवागमन न होने से पूरक परीक्षा नहीं दे पाए। विद्यार्थियों के भविष्य के मद्देनजर दिनांक 9 जुलाई की पूरक परीक्षा पुन: दिलाई जाए ।
9.प्रदेश में शस्त्र लाइसेंस परिवार के सदस्यों के नाम स्थानान्तरण न होना.
श्री लखन पटेल (पथरिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
प्रदेश के नागरिकों को सुरक्षा हेतु शस्त्र लायसेन्स प्रदान किये गये हैं. जिन व्यक्तियों को लायसेन्स प्रदान किये गये हैं. उनके फोती एवं नामांतरण भी नहीं हो रहे हैं, जिसके कारण जिला स्तर एवं थानों में नाजरात जमा बंदूकें हैं, जिनकी संख्या हजारों में हैं तथा 20-20 वर्षों से जमा हैं, जिसके कारण शस्त्र खराब हो रहे हैं तथा बंदूकें उपयोग लायक नहीं रह गई हैं. नागरिकों की मांग है कि उनके परिवार वालों को शीघ्र लायसेन्स समय सीमा में उपलब्ध कराये जावे. ऐसी बंदूकें रिवाल्वर समय सीमा तय कर नीलाम नहीं होने से शस्त्र खराब हो रहे हैं तथा इच्छुक लोग इन शस्त्रों के उपयोग से वंचित हो रहे हैं. इस उत्पन्न स्थिति से जनता में रोष व्याप्त है.
10.शासकीय महाविद्यालयों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्यार्थियों को नि:शुल्क प्रवेश नहीं दिया जाना.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
मध्यप्रदेश में शासकीय महाविद्यालयों में अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्यार्थियों को नि:शुल्क प्रवेश दिये जाने के शासनादेश हैं. किन्तु प्रदेश के महाविद्यालयों में आज भी जनभागीदारी मद से चलने वाले विषयों में भी रू 42,000 तक की राशि अनुसूचित जाति के छात्रों से शुल्क के रूप में ली जा रही है. यदि शुल्क लेने का प्रावधान नहीं है, जो महाविद्यालयों में लिया जा रहा है, की व्यवस्था बंद कर जनभागीदारी से संचालित विषयों में नि:शुल्क प्रवेश देने के आदेश जारी किया जाना छात्रहित में उचित होगा. जिससे समूचे प्रदेश के अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग में असंतोष एवं आक्रोश व्याप्त है.
12.14 बजे
शून्यकाल में उल्लेख
गंजबसौदा में ईसीजी,सोनोग्राफी मशीन बंद होना
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, गंजबासौदा में ईसीजी मशीन 2 साल से बंद है सोनोग्राफी मशीन एक साल से बंद है । एक्स-रे मशीन एक साल से बंद है । अस्पताल में यदि एम.डी. डॉक्टर की पदस्थापना हो जाए । तीन लाख लोगों का केचमेंट एरिया है । दानदान दाता डायलिसिस मशीन देने को तैयार हैं । स्वयं सेवी संस्थाएं नो प्राफिट नो लास में विदिशा की तरह वहां पर काम करने के लिए तैयार है। पूर्व मंत्री जी भी बैठे हैं वर्तमान् मंत्री जी भी बैठे हैं। सबसे कई बार अनुरोध कर चुका हूं ।
अध्यक्ष महोदय- पूर्व नहीं हैं वह भी वर्तमान् हैं ।
श्री निशंक कुमार जैन- अध्यक्ष महोदय, वर्तमान तो हैं ही पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं ।
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, ऐसा बोलिए ।
श्री निशंक कुमार जैन-वर्ष 2018 में पूर्व होंगे अभी तो वर्तमान् हैं ।
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. नरोत्तम मिश्र)- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में भी हैं और भविष्य में भी हैं ।
श्री निशंक कुमार जैन- (XXX)
अध्यक्ष महोदय- दो विषय नहीं । आपका विषय आ गया ।
श्री निशंक कुमार जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विषय और....
अध्यक्ष महोदय- नहीं, शून्य काल में तीन चार विषय नहीं होते हैं ।
अध्यक्ष महोदय- कुछ नहीं लिखा जाएगा सिर्फ पहला विषय लिखें ।
श्री निशंक कुमार जैन- (XXX)
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, शनिवार 23 जुलाई, 2016 को रात्रि में रतलाम के मेटरनिटी वार्ड (प्रसूता वार्ड) में 83 वर्ष पुराना अस्पताल का भवन, जो सन् 1932 में रियासत काल में बना था, उसके तल मंजिल के ऊपर सन् 2009 में एक नई बिल्डिंग बना दी, जिसकी नींव कमजोर थी. वहां पर एक हृदय विदारक घटना हुई है. रतलाम के मोती नगर के 25 वर्षीय श्री नरेन्द्र छोटेलाल लश्करी का असामयिक निधन हो गया है. वे काल के गाल में समा गए हैं. होशंगाबाद की बिटिया पप्पी वहां से विवाहित होकर, रतलाम उसके ससुराल में थी, उसकी बिटिया का जन्म हुआ था. मृतक नरेन्द्र ने अपनी बिटिया का पूरी तरह से चेहरा भी नहीं देखा था. शासन की ओर से 4 लाख रूपये की तत्काल सहायता दी गई है, मैं उसके लिए आभार व्यक्त करता हूँ. लेकिन एक बिटिया जो जन्म लेते ही अनाथ हो गई है, कम से कम 10 लाख रूपये की राशि, मृतक नरेन्द्र के परिवार को दी जानी चाहिए.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राधौगढ़) – माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले कुछ दिनों से अखबारों में यह खबर आ रही थी कि मेरे परिवार के नाम गुना जिले ........
अध्यक्ष महोदय – वह बात तो आ गई है, सही खबर भी आ गई है.
श्री जयवर्द्धन सिंह – अध्यक्ष महोदय, उसमें 2 प्वाईन्ट्स हैं. शिकायत करने के बाद श्री राजेश जैन, कलेक्टर, गुना ने यह घोषणा की कि सामाजिक, आर्थिक सर्वे में चूक हुई है और उन्होंने इस चूक को ठीक करने के लिए चिट्ठी प्रमुख सचिव, नागरिक आपूर्ति विभाग को भेजी है. लेकिन कल रात्रि में एक नई खबर मिली जिसे जनसम्पर्क विभाग ने पोस्ट किया है कि राज्य शासन द्वारा यह लिखा हुआ है कि यह सूची बीपीएलस की नहीं थी, यह सूची, असल में उज्ज्वला योजना है, उसके माध्यम से बनी थी. जिसमें एक सामान्य जनगणना सूची के माध्यम से ये नाम सामने आये थे लेकिन मूल विषय यह है कि जिला प्रशासन कुछ दूसरी बात कर रहा है और राज्य शासन कुछ और बात कर रहा है. इसमें सही बात क्या है ? और जो अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिन्होंने गलती की है, क्या उन्हें सजा होगी ? यह एक विशेष मुद्दा है और जो खबर है, मैं इसे पटल पर रखना भी चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय – पटल पर नहीं रखेंगे. आपकी बात आ गई है.
श्री जयवर्द्धन सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन इस पर कार्यवाही तो हो. चूँकि यह एक विशेष मुद्दा है और मैं मानता हूँ कि यह सरकार का षड्यंत्र है, जिसमें हमारे परिवार का नाम बदनाम हुआ है जबकि ऐसी कभी कोई लिस्ट नहीं थी. इसमें कार्यवाही होनी चाहिए.
श्री मुकेश नायक (पवई) – माननीय अध्यक्ष महोदय, दमोह में पेयजल समस्या को हल करने के लिए सिंचाई विभाग और पी.एच.ई. विभाग के अन्तर्गत आने वाले लगभग 72 स्टॉप डेम, जिस पर कट लगाये गये थे ताकि स्टॉप डेम का पानी जुझारघाट परियोजना में आ सके. अभी वर्षा होने के बाद, वे 72 स्टॉप डेम जिन पर कट लगाये गये थे, बिल्कुल चकनाचूर हो गए हैं और जिससे राज्य शासन को करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ है और जो जुझारघाट परियोजना में पानी जाना चाहिए, उसमें जल भराव नहीं हो पाया. जुझारघाट परियोजना को तकनीकी दृष्टि से अनुपयोगी माना गया है. इसलिए मैं शासन से मांग करता हूँ कि इसके लिए जो भी जिम्मेदार लोग हों, उन पर कार्यवाही होना चाहिए.
श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) – अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि एक वर्ष पूर्व इसी सत्र में 1,50,000 करोड़ रूपये की धनराशि का बजट पेश किया गया था और सरकार पर 1,40,000 करोड़ रूपये का मार्केट का कर्ज भी है.
अध्यक्ष महोदय – आप वरिष्ठ सदस्य हैं. क्या यह शून्यकाल का विषय है ?
श्री बाबूलाल गौर – (हंसते हुए) यह अति तारांकित प्रश्न है और फिर सरकार से प्रार्थना करूँगा कि .....
अध्यक्ष महोदय – (श्री गौर की ओर देखते हुए) हम आपसे सीखते हैं. सब सदस्य आपसे सीखते हैं और यह सब नये सदस्य क्या विषय उठायेंगे ?
श्री बाबूलाल गौर – यह तात्कालिक आवश्यकता है. सरकार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है.
अध्यक्ष महोदय – यह शून्यकाल का विषय नहीं है. मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूँ.
श्री बाबूलाल गौर – ‘कर्ज लो और घी पियो’ सिद्धान्त को छोडि़ये.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) – अब सरकार बच नहीं पायेगी.
श्री मुकेश नायक – मंत्री सब बड़े आदमी बन गए हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) – माननीय अध्यक्ष महोदय, गौर जी हमारे बहुत वरिष्ठ नेता एवं सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं. सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. माननीय मुख्यमंत्री तथा मंत्री भी रहे हैं. आज अनुपूरक बजट पर चर्चा हो रही है, विनियोग विधेयक पर चर्चा होगी. यह अलग से बोल रहे हैं, समझ में नहीं आ रहा है.
(व्यवधान)
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, सही कह रहे हैं मैं रहूंगा नहीं उस समय मुझे दिल्ली में एक मीटिंग में जाना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – सरकार पूरी तरह सावधान है यह वह भी समझ लें और यह भी समझ लें.
श्री बाला बच्चन – आदरणीय गौर साहब का ध्यान सरकार और भारतीय जनता पार्टी पहले ही रख लेती.
श्री गोपाल भार्गव— वह हमारे वरिष्ठ हैं मैं उन्हें क्या समझा सकता हूं. आप पूरी तरह से सक्षम हैं. एक गुरु के लिए शिष्य समझाए यह तो उल्टी गंगा हो जाएगी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) —अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के अध्यापक संवर्ग आज मध्यप्रदेश विधानसभा का घेराव करने जा रहे हैं यह बड़ा दुख का विषय है कि एक अध्यापक जो दूर दराज दूरांचल में पढ़ाता है और पढ़ाने के साथ अपने हक और अधिकार को मांगने के लिए उसको विधानसभा का घेराव करना पड़ता है. दूसरी बात 25/01/2015 को माननीय मुख्यमंत्री द्वारा यह घोषणा की गई कि जनवरी 2016 से सभी को समान कार्य समान वेतन का लाभ दिया जाएगा लेकिन आज तक अध्यापकों को यह लाभ नहीं दिया गया.
अध्यक्ष महोदय—लम्बी बात मत करिए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को— शिक्षा विभाग में भी उनका संविलियन करना था शिक्षा विभाग में भी उनका संविलियन नहीं किया गया है मैं सरकार से यह चाहता हूं कि तत्काल अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए और उसका लाभ उन्हें दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय— आपकी पूरी बात आ गई है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को— पूरी बात नहीं आई है.
अध्यक्ष महोदय— आ गई है शून्यकाल में लम्बी बात नहीं करते.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को— यह सब नियमित भी नहीं हुए हैं. 1440 करोड़ रुपए उनकी मेहनत का पैसा सरकार दबा करके शासन चला रही है. मेरा आपसे निवेदन है कि उनके खातों में राशि जमा की जाए.
अध्यक्ष महोदय— आप बैठ जाइए. अब यह रिकार्ड नहीं किया जाएगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को— (XXX)
अध्यक्ष महोदय— श्री हरदीप सिंह डंग को बुलाया गया है. उसके बाद कुछ रिकार्ड नहीं किया जाएगा. आप लोग अपनी अपनी बात कह देते हैं और दूसरे सदस्यों को बोलने नहीं देते हैं. यह बात ठीक नहीं है आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) —अध्यक्ष महोदय, मैं उनकी इस बात का समर्थन करता हूं कि अध्यापकों का संविलियन किया जाए और उनको छठवां वेतनमान दिया जाए. मैं अपनी दूसरी बात रख रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय—आपने उनकी बात क्यों रखी. अब आपकी बात खत्म हो गई. अपनी- अपनी बात रखिए किसी के वकील बनने की जरूरत नहीं है. अब आप कल आइए इस तरह से समय नष्ट नहीं कर सकते हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग—अध्यक्ष महोदय, गायों के चरने की जमीन खत्म हो चुकी है. इस संबंध में मैंने ध्यानाकर्षण दिया है उसे आप स्वीकार करेंगे तो बड़ी कृपा होगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल - (XXX)
अध्यक्ष महोदय— यह बात आ गई है बार बार इसी बात को रिपीट न करें यह रिकार्ड में नहीं आएगा. इस तरह से आप समय का दुरुपयोग नहीं कर सकते हैं.
श्री दिनेश राय (सिवनी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, द्वारा दिनांक 09/07/15 को हमारे यहां कलेक्टर को पत्र लिखा गया. जिन्दल ग्रुप को भी जमीन अलॉट की गई है. इसके लिए मैंने मंत्री जी से भी बात की तो उन्होंने भी स्वीकार किया लेकिन मुझे लगातार यह जवाब दिया जा रहा है आपके यहां पी.पी.पी मोड की जो मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कॉलेज की उसके बारे में कहा जाता है कि हमारे पास जानकारी नहीं है और न वहां मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा.
अध्यक्ष महोदय— यह विषय नहीं है. प्रश्न के ऊपर से शून्यकाल नहीं उठाया जाएगा. अब नहीं बोलें अब वह विषय गया. इस तरह से छह छह विषय नहीं उठाने देंगे. आपको विषय वही उठाना था जो यहां उठाना था प्रश्न पर से आप विषय उठाते हैं यह नहीं चलेगा. कुछ नहीं लिखा जाएगा. नहीं अब किसी का समय नहीं है.
श्री दिनेश राय – (XXX)
..(व्यवधान)..
श्री राजेन्द्र पाण्डे (जावरा) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है. जावरा विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत पिपलोदा तहसील और जावरा तहसील पहले से ही सूखाग्रस्त घोषित की जाकर के वहां पर पेयजल संकट बना रहता है. फसलें खराब होती हैं. जावरा तहसील के ग्राम रोला, नेतावली, रीसागूजर, धतरावदा,गोंदीशंकर,मांडवी इत्यादि ग्रामों में बोवनी के पश्चात् फसलें दवाई छिड़कने के कारण पूरी तरह से समाप्त हो गईं. लगभग एक से दो हजार बीघा जो कृषि भूमि है. (व्यवधान)..वहां पर न कृषि अधिकारी पहुंचे, न राजस्व अधिकारी पहुंचे. इससे वहां पर कृषकों में, क्षेत्र में भारी आक्रोश व्याप्त है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- श्री बाला बच्चन. पाण्डे जी, बैठ जाइये. दिनेश राय जी, बैठ जायें. (व्यवधान).. कृपया व्यवस्था बनाने दीजिये. मैंने बाला बच्चन जी को पुकारा है, उनके अलावा कोई नहीं बोलेगा. किसी का कुछ लिखा नहीं जायेगा. श्री बाला बच्चन.
श्री दिनेश राय -- (xxx)
श्रीमती ऊषा चौधरी-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये आप दोनों. अब नहीं, कल बोलें, जिसको बोलना है.
..(व्यवधान)..
श्री राजेन्द्र पाण्डे -- अध्यक्ष महोदय, उनको बीमे की राशि प्राप्त हो जाये.
अध्यक्ष महोदय -- पाण्डे जी, कृपया बैठ जायें. श्री बाला बच्चन.
श्री दिनेश राय -- (xxx)
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- अध्यक्ष महोदय, सदन के बहुत सारे साथियों ने जो शिक्षकों की मांग है, उन मांगों को यहां पर उठाया है और उनकी मांगों को यहां पर रखा है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब कभी भी चाहे अतिथि शिक्षकों की बात हो, चाहे संविदा शिक्षकों की बात हो, वह अपनी बात को लेकर, अपनी मांगों को लेकर जब वे प्रदर्शन करते हैं, तो सरकार उनके ऊपर लाठी चार्ज करती है, उनको सरकार पीटती है...
12.27 बजे गर्भगृह में प्रवेश
श्री दिनेश राय, सदस्य का गर्भगृह में प्रवेश
(श्री दिनेश राय, निर्दलीय सदस्य अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आये.)
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई. आप जबरदस्ती थोड़ी कर सकते हैं. आप जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं. आप अपनी सीट पर जाइये. आप प्रश्नों पर से शून्यकाल उठाते हैं. आप अपनी सीट पर जाइये.
(अध्यक्ष महोदय की समझाइश पर श्री दिनेश राय अपने स्थान पर वापस चले गये.)
12.28 बजे
बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा अतिथि शिक्षक एवं संविदा शिक्षकों की सरकार द्वारा मांगें न माने जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि बहुत सारी मांगें, बहुत दिनों से उनकी पेंडिंग हैं. उनकी मांगों को नहीं माने जाने के कारण, मेरी जानकारी में एक मामला यह भी है कि शिक्षकों की सेलरी से जो राशि कटती है, पेंशन खाते में जमा कराने के लिये 18 माह से 1440 करोड़ रुपये की राशि, जिसका 10 प्रतिशत राज्य सरकार को भरा जाना चाहिये, वह नहीं जमा करती है. इन मुद्दों को लेकर अतिथि शिक्षक और संविदा शिक्षक जब वे प्रदर्शन करते हैं, तो उनके ऊपर सरकार के द्वारा लाठीचार्ज किया जाता है, उनकी मांगों को नहीं माने जाने के कारण, हमारे साथियों ने इस बात को उठाया है. सरकार उनकी बात नहीं मान रही है, इस कारण से हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा अतिथि शिक्षक एवं संविदा शिक्षकों की सरकार द्वारा मांगें न माने जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)
12.29 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) (क) मध्यप्रदेश विधान मण्डल यात्रा भत्ता नियम,1957 में संशोधन संबंधी अधिसूचना क्रमांक 1524-एफ(3) 20-10-दो-अड़तालीस, दिनांक 5 जुलाई,2016.
(ख) मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य (रेल द्वारा निशुःल्क अभिवहन) नियम,1978 में संशोधन संबंधी अधिसूचना क्रमांक 1528-फा (2)13- 2016-दो-अड़तालीस, दिनांक 5 जुलाई,2016
(ग) मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य (रेल द्वारा निःशुल्क अभिवहन) नियम,1996 में संशोधन संबंधी अधिसूचना क्रमांक 1526-फा (2) 14- 2016-दो- अड़तालीस, दिनांक 5 जुलाई,2016
(2) (क) मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड का नवम वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015.
(क) बाणसागर थर्मल पावर कंपनी लिमिटेड का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015.
(क) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्ष्ाण प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015
(ख) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्ष्ाण प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
पर्यावरण मंत्री(श्री अंतर सिंह आर्य) – अध्यक्ष महोदय मैं -
(4)मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015(दिनांक 01.04.2014 से 31.03.2015 तक)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) – अध्यक्ष महोदय मैं -
(5)(क)अवधेश प्रताप सिंह, विश्वविद्यालय रीवा -
(ख)देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर -
(6) मध्यप्रदेश शासन अल्पसंख्यक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष – 2013-2014
12.32 बजे ध्यानाकर्षण
(1)प्रदेश में खसरा खतौनी विवरण व्यवस्था विसंगतिपूर्ण होने से उत्पन्न स्थिति.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार(सुमावली) – अध्यक्ष महोदय, मेरे ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) -- मानीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय मंत्री महोदय ने अपने उत्तर में बताया कि सभी खसरों की खतौनी के लिये 30 रूपये प्रति पेज के हिसाब से अभी जो वेण्डर(निजी ठेकेदार) है, वह ले रहा है. अध्यक्ष जी, वर्तमान व्यवस्था अनुसार किसान को अगर एक खसरे नंबर की नकल चाहिये तो 30 रूपये किसान को वहन करना पड़ते हैं. जबकि पहले जो प्रणाली थी उसमें यह प्रावधान था कि 20 रूपये किसान को देना पड़ता था उसमें 5-6 खसरे नंबर आ जाते थे, लेकिन अब एक खसरा नंबर के 30 रूपये देना पड़ रहे हैं जो कि अभी किसान से ठेकेदार के द्वारा लिये जा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो मुझे जबाव दिया है उसमें उल्लेख है कि "सचिव, मध्यप्रदेश शासन, सूचना एवं प्रोद्योगिकी विभाग की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा ए-4 साईज के पृष्ठ पर खसरा, खतौनी एवं नक्शे की नकल 30 रूपये प्रति पृष्ठ के मान से किसानों से वेण्डर(निजी ठेकेदार) द्वारा एकत्रित कर राज्य शासन द्वारा गठित मध्यप्रदेश भू अभिलेख प्रबंधन समिति के खाते में जमा कराई जा रही है ". अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि जितने भी किसान जो नकल निकाल रहे हैं उनको रसीद ही नहीं दी जाती है तो फिर कैसे भू अभिलेख प्रबंधन समिति के खाते में राशि जमा कराई जा रही होगी.
अध्यक्ष महोदय- कृपया प्रश्न करें.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार -- अध्यक्ष जी, दूसरा मेरा मंत्री जी से यह अनुरोध है कि जो पुरानी व्यवस्था थी वह ज्यादा सुदृढ़ व्यवस्था थी जब 20 रूपये में किसान नकल लेता था उसमें 5-6 खसरा नंबर आ जाते थे और उसके बाद जब दूसरे पेज की किसान को नकल चाहिये होती थी तो उसको 10 रूपये वहन करने होते थे. लेकिन आज किसान को अगर 10 खसरा नंबरों की नकल चाहिये तो उसको 300 रूपये वहन करने पड़ता हैं .इसलिये मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि वे क्या इस नई व्यवस्था को बंद कर पुरानी व्यवस्था को ही हम लागू करेंगे ? क्योंकि जो एनआईएस पद्धति से लगभग 15 राज्यों में यह व्यवस्था चल रही है और जो नई व्यवस्था है उस व्यवस्था का चाहे तहसीलदार संघ हो, चाहे पटवारी संघ हो सभी ने विरोध किया है और मुझे ऐसा लगता है कि यह नई व्यवस्था ज्यादा सुदृढ़ नहीं है. दूसरा मैं माननीय मंत्री महोदय से यह पूछना चाहता हूं, आपने कहा है कि नई व्यवस्था अधिक सुदृढ़ और पारदर्शी है. ग्वालियर जिले की तहसील का एक खुरेरी गांव है वहां इस सॉफ्टवेयर के कारण लोगों ने शासकीय भूमि प्राइवेट लोगों के नाम चढ़ा दी क्योंकि यह जो व्यवस्था लागू की गई है उसमें सरकारी जमीन का रिकार्ड आ ही नहीं रहा है कि यह किसके नाम चढ़ी है, सरकारी जमीन का कोई रिकार्ड नहीं है उसमें और उसके बाद जब कलेक्टर ने जांच की.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न पूछे कृपया.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहता हूं. मैं यह जानना चाहता हूं कि खुरैरी गांव में एक शासकीय जमीन को भू-माफियाओं के नाम कर दिया गया उसके बाद कलेक्टर ने वहां जांच बिठाई और 2 महीने इस सॉफ्टवेयर को बंद रखा गया, किसी को नकल नहीं मिली और इसके बाद जब जांच हुई तो 68 ऐसे प्रकरण सामने आये जो गलत तरीके से लोगों के नाम चढ़ा दिये गये हैं, बंटवारे पुराने हैं और नाम चढ़ा दिये गये हैं. क्या माननीय मंत्री महोदय यह आश्वासन देंगे कि उच्च स्तरीय जांच करा ली जायेगी और ऐसे दोषी लोगों के खिलाफ क्या आप कार्यवाही करेंगे.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नया जो सिस्टम लागू हुआ है इसमें प्रारंभिक कुछ कठिनाईयां और विसंगतियां हैं और इसके जो सुझाव आये थे इसलिये 8 जुलाई को अभी एक बैठक हुई थी उसमें काफी अच्छे जो सुझाव हैं उन पर विचार किया गया और उनका हम परीक्षण करके बहुत जल्दी लागू करेंगे. एक समस्या जो माननीय सदस्य ने उठाई है कि एक खसरे का ही 30 रूपये लिया जा रहा है, इसके लिये मैंने अपने जवाब में कहा है कि हम इसे सुनिश्चित करेंगे कि एक पेज में जितने खसरे आ सकते हैं, कारण क्या है कंपनी को डाटा हमारे अधिकारी ही उपलब्ध कराते हैं, वे जिस प्रारूप में उपलब्ध कराते हैं वही कंपनी देती है, जहां तक गलत का सवाल है तो मैंने अपने जवाब में यह भी कहा है कि उसकी नकल पहले वेबसाइट पर देखी जा सकती है, जब किसान सुनिश्चित कर लेता है कि यह ठीक है तो फिर पैसा जमा करके अधिकृत उसकी नकल ले सकता है तो पहले उसको चेक करना है, उसका कोई पैसा नहीं लगता. यह 30 रूपये को भी हम यह कर रहे हैं कि हम 1 पेज में अधिकतम जितने सर्वे एक ही भू-स्वामि के आ सकते हैं उससे 30 रूपये सभी सर्वे के लिये जायें, यह कठिनाई है इसको हम दूर कर रहे हैं, और भी जो कठिनाई बताई है, मैंने जैसा कहा कि बहुत से सुझाव आये हैं, उनका समिति ने परीक्षण किया है और बहुत जल्दी उन निर्णय को हम लागू करेंगे और दूसरी जिस खुरैरी गांव की घटना बता रहे हैं, निश्चित ही हम उसकी उच्च स्तरीय जांच करायेंगे और कहीं भी कोई दोषी होगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेंगे.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि किसानों पर इस व्यवस्था के कारण करोड़ों रूपये का आर्थिक बोझ पड़ रहा है. वैसे ही किसान 3-4 साल से चाहे सूखा हो, चाहे ओला हो, चाहे पाला हो, चाहे अतिवृष्टि के कारण किसान परेशान है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस व्यवस्था में 30 रूपये प्रति पेज के हिसाब से मैं माननीय मंत्री महोदय को बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने कहा है कि आपको 4-5 नंबर चाहिये तो एक ही पेज पर आ जायेंगे, उसका 30 रूपये मूल्य लिया जायेगा, लेकिन माननीय मंत्री महोदय से मैं यह जानना चाहता हूं कि पहले शासन जब 20 रूपये लेता था उसके बाद ठेकेदार को 30 रूपये प्रति पेज के हिसाब से यह काम सौंप दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- इसकी समीक्षा कर रहे हैं.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि 10 पैसे इस पेज की लागत आती है और हम 30 रूपये ठेकेदार को एक पेज का ठेका दे दिया है. मैं माननीय मंत्री महोदय से यह कहना चाहता हूं कि क्या इस व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने के लिये आप इस राशि को कम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें आप, उत्तर ले लें.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जवाब में कहा कि 30 रूपये शासन के खाते में जमा होते हैं, जो टेंडर हुये थे वह जो तय हुआ है अब, कंपनी को उसमें से 13 रूपया दिया जाता है,
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें आप, हो गया आपका.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों की बात उठा रह है, यह भी तो किसानों का शोषण है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- यह उन्हीं के हित के लिये ही फंड है.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये आप, श्री सुखेन्द्र सिंह.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बस एक मिनट और चाहता हूं, माननीय मंत्री महोदय से मैं जानना चाहता हूं आपके माध्यम से आपने कहा कि हमने यह व्यवस्था को लागू करके सुदृढ़ बनाया है आज कोई मुझे यह बता दे कि किसान को 30 रूपये लेने के बाद उसकी रसीद दी जाती है तो कैसे सुनिश्चित करेंगे कि यह पैसा सरकार के खाते में जमा हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- उसकी समीक्षा कर रहे हैं. बोल रहे हैं मंत्री जी कुछ.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- मैंने आज जौरा तहसील के एक आरआई, आज अगर सदन चाहेगा तो मैं उसका नाम भी ले दूंगा मैंने उससे पूछा कि क्या इसकी नकल मिलती है तो उसने कहा भाई साहब नहीं मिलती, मैं खुद नकल लेकर आया हूं कोई रसीद नहीं कटती इसकी. आप कहेंगे तो मैं उस व्यक्ति का नाम भी लेने के लिये तैयार हूं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं मत लीजिये नाम, बैठ जाइये आप.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ज्ञापन जो मिले हैं वह किसानों की तरफ से नहीं मिले हैं इस व्यवस्था के लिये, एक बात, दूसरी बात यह है कि जब नकल मांगी जाती है तो तहसीलदार के डिजीटल साइन के लिये जाती है, तहसीलदार के जब डिजीटल साइन होते हैं तब ही वह नकल दी जाती है. इसका हिसाब कि कितनी कापी दी गईं, शासन के पास रिकार्ड रहता है.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय मंत्री महोदय, ढाई लाख किसानों के ज्ञापन लेकर आया हूं मैं, आप कह रहे हैं कि किसानों की तरफ से ज्ञापन नहीं है, मेरा ध्यानाकर्षण ढाई लाख किसानों का ज्ञापन है यह.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, हो गई बात, बैठ जाइये आप. श्री सुखेन्द्र सिंह .
(2) प्रदेश के महाविद्यालयों में आनलाईन प्रवेश से शासकीय कालेजों में प्रवेश न मिलना
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री जयभान सिंह पवैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
स्वागत उल्लेख
श्री अजीत सिंह, कौन्सुल जनरल, सिंगापुर का स्वागत उल्लेख
अध्यक्ष महोदय - सदन की दीर्घा में श्री अजीत सिंह, कौन्सुल जनरल, सिंगापुर उपस्थित हैं, सदन की ओर से उनका स्वागत है.
श्री सुखेंद्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के द्वारा जो जवाब आया है, मैं उससे सहमत नहीं हूँ यह प्रायवेट कॉलेज को लाभ पहुंचाने के लिये पूरी प्रक्रिया अपनाई जा रही है, पूरे रीवा संभाग की स्थिति मैं समझता हूं जिस तरीके से व्यापम का खेल हुआ है, उस तरीके से एडमीशन में भी अब खेल चालू हो गया है. विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. पूरे संभाग में टी.आर.एस. कॉलेज में 6302 सीटें खाली हैं. जी.डी.सी. रीवा में 932 सीटें खाली हैं, मॉडल साईंस कॉलेज में 135 सीटें खाली हैं, न्यू साईंस कॉलेज में 208 सीटें खाली हैं, पी.जी.एस. सतना में 275 सीटे खाली हैं, जी.डी.एस. सतना में 275 सीटें खाली हैं, संजय गांधी सीधी में दो सौ से अधिक सीटें खाली हैं, पंडित शंभू नाथ शुक्ला, शहडोल कॉलेज में 300 सीटें खाली हैं, जबकि वही प्रायवेट कॉलजों में पेन्टियम पाइंट रीवा में स्थिति फुल हो गई है, सतना कॉलेज में फुल हो गई है, आदिम कम्पयूटर कॉलेज में फुल स्थिति है, टाटा मेमोरियम, सीधी में फुल स्थिति है.
माननीय अध्यक्ष महोदय मेरे कहने का मतलब यह है कि प्रायवेट कॉलेजों की स्थिति फुल बताई जा रही है, पूरी सीटें भर गई है, क्या कारण हैं ? जबकि सारी शासकीय कॉलेजों की स्थिति अभी खाली है, अगर इसमें विद्यार्थियों के साथ कोई साजिश नहीं है तो फिर इसकी क्या स्थिति है. अभी रीवा में छात्र आंदोलित हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि इसकी न्यायिक जांच कराई जाये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.
श्री जयभान सिंह पवैया - माननीय सदस्य ने कुछ आंकड़े दिये हैं और उन्होंने यह कहा है कि कोई षड़यंत्र है, कोई पारदर्शिता नहीं है. मैं निवेदन करना चाहूंगा कि इस बार ऑनलाईन प्रवेश की प्रक्रिया को इस कारण ही स्वीकार किया गया है कि पिछली बार कॉलेज लेबिल कांउसलिंग जो हुई थी, उसमें बहुत शिकायतें मिली थी और महाविद्यालयों ने भी यह कहा था कि हम लोग दबाव के कारण विद्यार्थियों के साथ निष्पक्षता नहीं कर पाते, न्याय नहीं कर पाते इसलिए पहली बात अगर ऑनलाईन प्रवेश होगा तो सब विद्यार्थियों को न्याय मिलेगा. दूसरी बात यह कि विद्यार्थी को नौ कॉलेज चुनने का विकल्प दिया गया है इसमें जब नौ कॉलेज विद्यार्थी चुनता है तो विद्यार्थी के साथ अन्याय की बात ही नहीं है. ऑनलाईन प्रवेश जो होता है उसमें जो सुविधा और पारदर्शिता है उसमें पहली बात तो यह है कि उसमें मेरिट का और आरक्षण नियम दोनों का पालन होता है. छात्र को नौ विकल्प मिलते हैं और घर बैठे जानकारी मिलती है. कॉलेज लेवल कांउसलिंग में विद्यार्थियों को कॉलेज से कॉलेज भटकना पड़ता था. लेकिन अब वह ऑनलाईन के लिये आवेदन करके केवल दो बार उसको कॉलेज जाना पड़ता है एक बार सत्यापन के लिये और एक बार प्रवेश के लिये जाना पड़ता है. मुझे ऐसा लगता है कि आपने जब ध्यानाकर्षण लगाया और जो आपने आंकड़े दिये मैं आपकी जानकारी में ला दूं कि प्रवेश प्रक्रिया का थर्ड राऊंड बंद होने वाला था उसके बाद प्रवेश नहीं होने थे लेकिन विद्यार्थी हित में हमने चौथा राऊंड शुरु किया उसकी प्रक्रिया अभी जारी है. 29 जुलाई से 2 अगस्त तक प्रवेश के फार्म वहां पर अंतिम तौर पर जमा होंगे. मैं आपको यह भरोसा दिलाता हूं कि जब 28 तारीख को अलॉटमेंट की हमारी सूची जारी होगी तो हम उसके साथ पूरी प्रतीक्षा सूची भी जारी करेंगे. 2 अगस्त के बाद भी अगर विद्यार्थी बचते हैं प्रतीक्षा सूची में तो हम 3 और 4 अगस्त को उनको प्रवेश लेने के लिए अतिरिक्त समय देंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी से यह अनुरोध है कि जैसा आपने बात कही कि विद्यार्थियों ने यहां फार्म नहीं भरे, कई ऐसे विद्यार्थी हैं चाहा टीआरएस कॉलेज लेकिन उनको प्रायवेट कॉलेज दे दिया. मेरा अनुरोध है कि उनका क्या होगा?
श्री जयभान सिंह पवैया-- मैं तो आपसे यह अनुरोध करुंगा और आपने अपने ध्यानाकर्षण में लिखा भी है कि 80 प्रतिशत वाले को नहीं मिला 50 प्रतिशत वाले को मिल गया. मैंने स्पष्ट किया कि आरक्षित और अनारक्षित वर्क के कट ऑफ मार्क्स के कारण उनको ऐसे कॉलेजों में एडमिशन मिल सकता है. आप मुझे कोई उदाहरण दे दें तो मैं आपको आश्वस्ता करता हूं कि तत्काल उसकी जांच करवा लेंगे. गड़बड़ी की कोई आशंका बचने नहीं देंगे. पूरी पारदर्शिता होगी. किसी को लाभ पहुंचाने का सवाल ही नहीं उठता.
श्री सुखेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी से अनुरोध है कि इस प्रक्रिया की जांच करा ली जाये. मैं उदाहरण भी आपको दे दूंगा. मेरा निवेदन है कि एडमिशन में थोड़ा सरलीकरण किया जाये जिससे प्रदेश के युवा भटके नहीं.
अध्यक्ष महोदय--स्पेसिफिक उदाहरण बाद में दे दीजिएगा.
श्री सुन्दर लाल तिवारी(गुढ़)--अध्यक्ष महोदय,मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहता हूं. माननीय सुखेन्द्र सिंह जी ने जो समस्या रखी है वह समस्या जिले में जमीन पर है. यह एक गंभीर विषय है. छात्र भटक रहे हैं. मेरा माननीय मंत्रीजी से निवेदन है कि आज तारीख है 25 जुलाई अभी प्रवेश प्रारंभ है, प्रवेश अभी समाप्त नहीं हुए. जिस प्रक्रिया का जिक्र माननीय मंत्रीजी ने सदन में किया है इससे मुझे लगता है कि 15 अगस्त के पहले पहले एडमिशन की प्रक्रिया पूरी नहीं होगी.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न करें.
श्री सुन्दर लाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, छात्रों की यह समस्याएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं. मैं मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित कर रहा हूं. जैसा मैंने कहा कि आज 25 जुलाई हो गई है. मंत्रीजी भी समझते हैं कि एक जुलाई से कॉलेज खुले हैं और 25 जुलाई तक एडमिशन नहीं हुए. ऑन लाईन की जो बात चल रही है मैं उसको विरोध में नहीं हूं. मैं उसके पक्ष में हूं. लेकिन मैं आपसे यह कहना चाह रहा हूं कि जो वास्तविक समस्या है. 15 अगस्त तक आपके एडमिशन नहीं होंगे. सारे प्रोफेसर्स, लेक्चरर्स एडमिशन में लगे हुए हैं. कॉलेज शुरु नहीं हो रहे हैं, पढ़ाई शुरु नहीं हो रही है. बड़ी संख्या में छात्र अस्थिर हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप क्या चाहते हैं वह बताईये.
श्री सुन्दर लाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जो आपका साफ्टवेयर है, मंत्रीजी उसको थोड़ा देखें और उसमें सुधार करें. दो तरह की व्यवस्था है. हालांकि दोनों कॉलेज विश्वविद्यालय के द्वारा मान्यता (Recognised) प्राप्त है लेकिन एक निजी संस्था है और एक सरकारी संस्था(कॉलेज) है. मेरा कहना है कि जब विद्यार्थी कियोस्क सेन्टर में जाते हैं वहां ऑन लाईन आवेदन करते हैं तो वहां प्रायवेट कॉलेजेज़ के दलाल भी बैठते हैं और बैठकर बच्चों को गुमराह करते हैं और वहां पर प्रायवेट कॉलेज के नाम को क्लिक कर देते हैं. अगर शासकीय कॉलेज में नहीं हुआ तो उनका नाम प्रायवेट कॉलेज में आ जाता है और वह फीस जमा कर देते हैं. इसके बाद वे भविष्य की काऊंसलिंग के लिए इन्तजार नहीं करते. मेरा कहना है कि मंत्रीजी इसको दो भागों में विभाजित कर दें कि जो पहले शासकीय कालेज में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनको अवसर मिले कि वे पहले शासकीय कालेज में प्रवेश ले सकें क्योंकि गरीब बच्चे भी हैं, उनके जेब में इतनी फीस भी नहीं है कि जो प्राइवेट कालेज ले सकें, उसके बाद प्राइवेट कालेज की बात आए.
श्री जयभान सिंह पवैया - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि एक तो आज 25 जुलाई को शाम के बाद अद्यतन स्थिति का हमें ठीक से पता लगेगा, जिन कालेजों का उल्लेख ध्यानाकर्षण प्रस्तुत करने वाले माननीय सदस्य ने किया था, उनमें बड़ी संख्या में चौथे चरण में आवेदन प्राप्त हुए हैं और मेरिट लिस्ट की जानकारी पूरी तरह पोर्टल पर उपलब्ध है, यह भी आपसे निवेदन कर दूं. कुल मिलाकर 164033 आवेदन चतुर्थ चरण में प्राप्त हुए हैं. यह बहुत बड़ी संख्या है, इसलिए इसकी समीक्षा कल जो स्थिति पूरी पता लगेगी, उसके बाद की जा सकती है. अभी आदरणीय श्री तिवारी जी ने जो कहा है, मैंने उनके विषय को सुना है, लेकिन वह संदेह जरूर कर रहे हैं. परन्तु मैं आपको यह कह सकता हूं कि आपने जो सुझाव दिया है, उस पर विचार करेंगे. अभी कोई निर्णय मैं यहां खड़े होकर तो नहीं ले सकता हूं. आपके विषय पर विचार करेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मैंने भी ध्यानाकर्षण दिया है. मेरा निवेदन यह है कि अभी 15 दिन का ही मामला है. 15 दिन में सारे निपटारे हो जाएंगे, ऐसा नहीं है कि यह साल भर चलने वाला है. अध्यक्ष महोदय, इसीलिए मेरा निवेदन है..
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने विचार करने के लिए कह दिया है. जो विषय आपने उठाए थे, आपके दोनों विषय आ गये, दोनों के उत्तर आ गये हैं. अब उसको दीर्घकाल तक न ले जाएं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से कहना यह है कि ऑन-लाईन प्रवेश जो हो रहा है, इसमें आपने आरक्षण की बात भी कही है.
समय 1.03 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी. *
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, यही समस्या है, आप सुन तो लें.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात सुन ली है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं आरक्षण के विरोध में नहीं हूं. (XXX)
समय 1.04 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों की डिजिटल सिग्नेचर बनाई जाना
अध्यक्ष महोदय - मध्यप्रदेश विधान सभा के मानसून सत्र में 28 माननीय सदस्यों से 422 प्रश्न ऑन लाईन प्राप्त हुए हैं, जो अच्छी शुरुआत है. अब तक इस प्रक्रिया से प्रश्न प्रेषण हेतु 63 माननीय सदस्यों द्वारा प्रक्रिया की जानकारी लेकर डिजिटल सिग्नेचर बनवाये गये हैं. इस सत्र में शेष माननीय सदस्यों के लिए उक्त ऑन लाईन प्रक्रिया की जानकारी देने तथा डिजिटल सिग्नेचर बनाये जाने की व्यवस्था विधान सभा भवन स्थित एनआईसी प्रकोष्ठ, कक्ष क्रमांक-318 में की गई है, जिसकी सूचना पत्रक के माध्यम से भी माननीय सदस्यों को दी गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार उक्त प्रकोष्ठ में अपने डिजिटल सिग्नेचर बनवाने का कष्ट करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, हमें प्रश्न करने का शौक नहीं था. एक विषय ऐसा जो गंभीर है.
अध्यक्ष महोदय - आप दोनों की बात आ गई और समाधान भी आ गया है. उसको आप लंबा मत खींचिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, अगर आप उसको इरेलिवेंट कर देंगे, हम विद्ड्रा कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - इरेलिवेंट ही है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, वह इरेलिवेंट नहीं है. माननीय मंत्री जी ने जवाब में यह बात कही है. आरक्षण के संबंध में माननीय मंत्री जी ने यह बात कही है.
अध्यक्ष महोदय - श्री गोपाल भार्गव, नहीं..अनंतकाल तक यह बात नहीं रख सकते, कृपया आप बैठ जाइए, नहीं अब कुछ नहीं, बात खत्म हो गई है. अब आगे बढ़ गये हैं. श्री सुखेन्द्र सिंह जी आपकी भी सब बात गई, उनके समर्थन में मत खड़े होइए.
समय 1.05 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2016 का पुरःस्थापन (क्रमांक 16 सन् 2016)
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2016 का पुरःस्थापन करता हूं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, छात्रों के प्रवेश का सवाल है. अभी समस्या का समाधान नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई, इसीलिए तो विषय लिया. आप सब विषयों की गंभीरता खत्म कर देते हैं.
(2) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 18 सन् 2016) का पुरःस्थापन (क्रमांक 18 सन् 2016)
अध्यक्ष महोदय - श्री विश्वास सांरग..
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मैं इसी विषय पर निवेदन कर रहा हूं कि अगर इसे कल ले लें या अगली किसी तारीख में ले लें, हमारे सम्मानीत मंत्री पारिवारिक कारणों से आज भोपाल में नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है. (श्री सुन्दरलाल तिवारी, सदस्य के खड़े होकर बोलते रहने पर) आप हर विषय को अनंतकाल तक खींचते हैं. वे कर रहे हैं, क्या है आप बार-बार वही-वही बात करते हैं, आप कृपया बैठ जाइए. इस तरह से अनंतकाल तक कोई विषय नहीं चल सकता.
(3) मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 15 सन् 2016)
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाय.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वाणिज्यिक कर मंत्री महोदय द्वारा मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर संशोधन विधेयक, 2016 का समर्थन करता हूँ. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन विधेयक है यह व्यापार के हित को ध्यान में रखते हुए किया गया है. हमारे मध्यप्रदेश का जो सुदूर अंचल का क्षेत्र है छोटे व्यापारी, खुदरा व्यापारी, मझौले व्यापारी हमारे गांवों में, हमारे कस्बों में, हमारे शहरों में एक बड़ी तादाद में फैले हुए हैं और जब से ऑनलाइन ट्रेडिंग की ई-कॉमर्स की व्यवस्था हुई है इसमें हमारी मल्टी-नेशनल कंपनियों के आ जाने से यह जो हमारे छोटे व्यापारी हैं उन व्यापारियों के व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो ई-कॉमर्स के द्वारा व्यापार अभी वर्तमान में संचालित है पूरे देश में इसके वर्ष 2016 की समाप्ति तक लगभग 1 लाख करोड़ रूपये का व्यापार होने की उम्मीद है. अकेले मध्यप्रदेश में लगभग 5 हजार करोड़ रूपये का व्यापार ई-कॉमर्स के द्वारा ऑनलाइन ट्रेडिंग के द्वारा किया जा रहा है. इसे निश्चित रूप से हमारे जो छोटे व्यापारी हैं उनके व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और उन व्यापारियों का जो व्यापार है उसमें बहुत गिरावट परिलक्षित हुई है.
01:07 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, व्यापारियों के द्वारा अभी तक जो व्यापार किया जा रहा है ऐसे व्यापारियों को वेट टैक्स देना पड़ता है, ऐसे व्यापारियों को इंटर टैक्स भी देना पड़ता है लेकिन ऑनलाइन ट्रेडिंग में अभी तक किसी भी किस्म का कोई टैक्स नहीं लगता है. इससे हमारी दो व्यवस्थाएं हैं, जो इस इकानॉमी की दो पैरेलल व्यवस्थाएं हैं उन पैरेलल व्यवस्थाओं में एका नहीं है एक व्यवस्था ऐसी है जहां पर मल्टी-नेशनल कंपनियां उसे ऑपरेट कर रही हैं उसको हमने पूर्ण रूप से करमुक्त किया हुआ है. दूसरी तरफ जो व्यापारी अपना उद्योग वर्षों से यहां कर रहे हैं ऐसे व्यापारियों को वेट टैक्स और इंटर टैक्स देना पड़ रहा है. अब इसी तरह की क्षतिपूर्ति के उद्देश्य से यह देखा गया है कि अन्य राज्यों में भी चाहे वह दिल्ली हो, चाहे वह उत्तर प्रदेश हो, उत्तराखंड हो ऐसे तमाम राज्यों में इस तरह की ऑनलाइन ट्रेडिंग पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया है. उत्तराखंड में लगभग 10 प्रतिशत की राशि का इस तरह की ऑनलाइन ट्रेडिंग पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया है. गुजरात में लगभग 15 प्रतिशत, बिहार में 5 से 12 प्रतिशत तक, यूपी में 5 प्रतिशत, राजस्थान में 5.5 प्रतिशत तथा असम में 4 प्रतिशत का ऐसा प्रावधान किया गया है माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन विधेयक लाया गया है जिसमें ऑनलाइन ट्रेडिंग पर 6 प्रतिशत का कर आरोपित करने का प्रावधान किया गया है मैं उसका समर्थन करता हूँ और पूरे सदन से भी मैं यह गुजारिश करता हूँ कि छोटे व्यापारियों को, जिनकी संख्या लाखों में है अकेले मध्यप्रदेश में और देश भर में देखा जाए तो करोड़ों की संख्या में ऐसे छोटे व्यापारी हैं उनके हितों की रक्षा के लिए हमें यह काम करना होगा. हमारी सरकार एक तरफ किसान हितैषी भी है लेकिन साथ में व्यापारियों का हित भी देखने की जिम्मेदारी इस सरकार की है इस नाते से व्यापारियों के हित में इस तरह का जो संशोधन विधेयक लाया गया है वह निश्चित रूप से सराहनीय है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं उसका समर्थन करता हूँ.
श्री रामनिवास रावत ( विजयपुर ) --माननीय उपाध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन) विधेयक 2016 जो प्रस्तुत किया गया है. मंत्री जी ने उद्देश्यों और कारणों के कथन में भी स्पष्ट किया है कि बजट के 2016-17 प्रस्तुत करते समय बजट भाषण के भाग दो में अंतर्विष्ट कर इस प्रस्ताव को क्रियान्वयन करने के लिए मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर अधिनियम में समुचित संशोधन के लिए, चूंकि बजट भाषण में यह अंतर्विष्ट था कि आप इस तरह का संशोधन लायेंगे. आपका बजट अप्रैल में पारित हुआ है और आप यह संशोधन जुलाई में ला रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी द्वारा मूल अधिनियम की धारा 3 के स्थान में संशोधन किया गया है. अभी हमारे भाई शैलेन्द्र जी भी कह रहे थे कि धारा 3 के खण्ड 1 में जो व्यवस्था की गई है उसमें स्पष्ट है कि इस धारा के अंतर्गत धारा 3 की उपधारा 2 के अधीन अधिसूचित माल के संबंध में प्रवेश पर कर का संग्रहण करने उसे राज्य सरकार को चुकाने हेतु नीति विनिर्दिष्ट कर सकेगी. आप यहां पर क्या चाह रहे हैं, क्या सरकार कर वसूलने में अक्षम साबित हो रही है, क्या आपको अपने अमले पर विश्वास नहीं रहा है. आप किस एजेन्सी को इसका ठेका देना चाहते हैं, आप किसी एजेन्सी को यह काम देना चाहते हैं. इससे स्पष्ट है कि आप और बिचौलिये ला रहे हैं. आप देख लें, इसमें है कि इस अधिनियम के अंतर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा भारत में विदेशी मदिरा बीयर और धारा 3 की उपधारा 2 के अधीन अधिसूचित माल के संबंध में प्रवेश कर का संग्रहण करने और उसे राज्य सरकार को चुकाने हेतु रीति विनिर्दिष्ट कर सकेगी और ऐसे निर्बंधनों तथा शर्तों पर जो कि उनमें विनिर्दिष्ट की जाय, सक्षम प्राधिकारी माल का परिवहन करने वाले व्यक्ति को नियुक्त करेगा. आप यहां पर किस व्यक्ति को नियुक्त करना चाहते हैं.
आपके पास में पहले से ही वाणिज्यिक कर विभाग है. आपका पूरा अमला है जो कि फील्ड में पदस्थ है. आप अपने अमले पर भरोसा करें, इसे सशक्त बनायें, उस पर विश्वास करें लेकिन आप फिर एक नया बिचौलिया स्थापित करना चाहते हैं, जिससे व्यापारियों को तो परेशानी होगी, इससे माल के परिवहन में तो परेशानी होगी इसके साथ साथ मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि जब आपकी वित्तीय वर्ष की अंतिम स्थिति आये और अगले वित्त वर्ष का बजट प्रस्तुत करें तो आप बतायें कि इससे आपकी कितनी आय बढ़ी है. मेरा दावा है कि आपकी इससे आय नहीं बढ़ेगी. इससे आपको नुकसान होगा, जो प्रवेश कर मिलता है.
उपाध्यक्ष महोदय एक तरफ आप कह रहे हैं प्रवेश कर, आपका राजस्व बढ़ाने के लिए इसे ला रहे हैं, दूसरी तरफ अनुपूरक अनुमान प्रस्तुत किया है उसके पृष्ठ 4 पर वाणिज्यिक कर में 4 करोड़ 92 लाख का प्रावधान किया है. यह क्यों किया गया है कर उदग्रहण के लिए गाड़ियां खरीदने के लिए, जब आप यह व्यवस्था ही किसी दूसरे को सौंप रहे हैं तो यह 4 करोड़ 92 लाख रूपये क्यों प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा गाड़ियों में खर्च कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय इससे बिचौलियों के बढ़ने की संभावना रहेगी, इससे व्यापारी भी परेशान होंगे. दूसरी तरफ केन्द्र में भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार ने भी कहा है कि अंतर्राज्यीय व्यापार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. यह बात सही है कि अन्य राज्यों ने भी लगाया है. वहीं दूसरी तरफ जीएसटी आने वाला है.केन्द्र सरकार लोक सभा में जीएसटी बिल प्रस्तुत करने जा रही है. उसमें प्रवेश कर, वाहन कर, स्टाम्प ड्यूटी, एंट्री कर इन सभी को समाहित करने की बात की गई है. इस कारण हमारा कहना है कि इस कर को आप ठेकेदारों को मत दीजिये. आपने कर की व्यवस्था को चालू रखें. आप अपने विभाग पर, अपने विभाग के फील्ड के अधिकारियों द्वारा वसूल करायें तो मैं समझता हूं कि इससे सिस्टम ठीक रहेगा, आप अपने प्रशासकीय अमले पर भरोसा करिये. धीरे धीरे सारी चीजों को हम ठेके पर देते जा रहे हैं इसका मतलब है कि कहीं न कहीं पूरी तरह से सरकारी अमला अक्षम साबित हो रहा है, सरकार अक्षम साबित हो रही है, हम कहीं न कहीं पर कमजोर हैं. आप वाणिज्यक कर विभाग की आबकारी विभाग की स्थिति देख लें कि इस तरह के करों को आपने कितनी बार एक्जेम्पट किया है. सोम डिस्टलरी को ही करोड़ो रूपये आपने एक्जेम्पट किये हैं, क्योंकि आप वसूल नहीं कर पाये हैं, आप छोटे साबित हो जाते हैं, क्योंकि हर राजनीतिक पार्टी ऐसे ठेकेदारों से चुनावों में खर्च करने के लिए चंदा लेती है, फिर वे ठेकेदार उसका अनुचित लाभ उठाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय हमारा कहना है कि आप अपने अधिकारियों पर विश्वास करें, इस काम को बिचौलियों को न दें. इसलिए यह जो संशोधन माननीय मंत्री जी ने प्रस्तुत किया है प्रवेश कर संशोधन विधेयक 2016 मैं इसका विरोध करता हूं.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने पूरे सिस्टम में ऑनलाइन शॉपिंग के लिए जो किया है और इससे संबंधित स्थानीय क्षेत्रों में जो ऑनलाइन शॉपिंग होगी और उस पर जो टैक्स लगेगा इस हेतु आप जो संशोधन विधेयक लाए हैं, इसमें जो कमियां हैं और इसमें जो त्रुटियां हैं उनको मैं उजागर कर रहा हूँ और मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी और सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऑनलाइन शॉपिंग पर टैक्स लेना वैसा ही है जैसा कि ईमेल के जमाने में तार करना. माननीय वित्त मंत्री जी ने यह भी कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों की सीमाओं पर जो चेकपोस्ट हैं वे सब बंद कर दिए जाएंगे. मैं चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी जब बोलें तो यह स्पष्ट करें कि जब ये चेकपोस्ट बंद हो जाएंगे तो शहरों में जो कुरियर कंपनियां हैं क्या उन पर आप चेकपोस्ट लागू करेंगे ? और अगर ऐसी स्थिति आ गई है तो मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति कितनी बदहाल हो चुकी है इस बात का पता चल रहा है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी से यह भी जानना चाहता हूँ कि ऑनलाइन शॉपिंग पर आप जो टैक्स ले रहे हैं उन वस्तुओं की श्रेणी भी आपने नहीं बनाई है कि किन-किन वस्तुओं के ऊपर आप टैक्स लेंगे और किन पर नहीं लेंगे ? मैं माननीय वित्त मंत्री जी के ध्यान में यह भी लाना चाहता हूँ कि पोस्ट ऑफिसेस के माध्यम से ऑनलाइन शॉपिंग पर गंगाजल उपलब्ध कराया जाता था, आपने गंगाजल को उपलब्ध कराने पर भी टैक्स लगा दिया, यह आपके ही केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद जी का निर्णय था कि अब लोगों को पोस्ट ऑफिस के माध्यम से ऑनलाइन गंगाजल उपलब्ध करा दिया जाएगा, आपने उसको भी नहीं छोड़ा, उस पर भी आपने टैक्स लगाकर ये क्या कर दिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी और सरकार की जानकारी में यह बात भी लाना चाहता हूँ कि कुछ राज्य जैसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के विद्यार्थी अगर पढ़ते हैं और पढ़ने से संबंधित सामग्री और खेल सामग्री अगर उन राज्यों में नहीं मिलती है तो वे सामग्री ऑनलाइन बुलवाते हैं, आपने मध्यप्रदेश के इन विद्यार्थियों को भी नहीं छोड़ा, पांच हजार तक की पढ़ने वाली सामग्री या खेल-कूद की सामग्री अगर उनके राज्य में नहीं मिलती है तो ऑनलाइन बुलाई जा सकती है लेकिन आपने मध्यप्रदेश के विद्यार्थियों को भी नहीं छोड़ा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह भी जानना चाहता हूँ कि बहुत सारी वस्तुएं ऐसी हैं जो कुरियर कंपनियों के अलावा अभी भी पोस्ट ऑफिसेस के माध्यम से ही भेजी जाती हैं या बुलवाई जाती हैं तो माननीय मंत्री जी आपने कहीं भी यह अनुबंध नहीं किया है, कहीं भी यह निर्देश जारी नहीं किया है कि जो वस्तुएं ऑनलाइन के अलावा भी पोस्ट ऑफिस के माध्यम से भेजी जाएंगी या बुलाई जाएंगी तो क्या आपकी ऐसी कोई व्यवस्था है कि जिससे वे लोग इस कर से बच सकें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इतने सारे मेरे सुझाव मैंने आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी के सामने, सरकार के सामने रखे हैं और अनुपूरक के समय बाकी की चीजें हम रखेंगे, माननीय मंत्री जी से मेरा यही आग्रह है कि जिन बिंदुओं की ओर मैंने आपका ध्यान आकर्षित किया है आप उन पर पुनर्विचार करें और उसके बाद संशोधन विधेयक प्रस्तुत करें और उसके पश्चात् यदि मध्यप्रदेश में इसको लागू करवाएंगे तो मैं समझता हूँ कि सर्वहारा वर्ग का भी फायदा होगा नहीं तो सरकार को लाभ पहुँचाने के चक्कर में सभी वर्गों का जो आप नुकसान कर रहे हैं वह बहुत दु:खद होगा और वह गलत होगा, यही मेरा आग्रह है, आप जब बोलें तो मेरे सुझावों पर अपनी बात रखें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय शैलेन्द्र जैन जी ने, रामनिवास रावत जी ने और नेता प्रतिपक्ष जी ने इस संशोधन विधेयक के बारे में अपनी बातें चर्चा के माध्यम से रखी हैं. मैं रामनिवास जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि हम किसी को एजेंसी नहीं बना रहे हैं, जो टैक्स कलेक्ट किया जाएगा वह टैक्स पूरा का पूरा हमारे विभाग के द्वारा ही होगा और इसमें इस तरीके से प्रावधान हमने करके रखे हैं कि इसमें कहीं कोई बिचौलिए की जरूरत नहीं है और न ही इसमें कोई बिचौलिए रहेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- संशोधन विधेयक की धारा 3 (2) क्या कह रही है.
श्री जयंत मलैया -- यह तो आपने विधेयक देखा है इसका नोटिफिकेशन तो देख लीजिए, नोटिफिकेशन होता है, रूल्स फ्रेम होते हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अभी विधेयक पर चर्चा हो रही है, नोटिफिकेशन पर चर्चा नहीं हो रही है. विधेयक अलग प्रस्तुत कर रहे हो, नोटिफिकेशन अलग निकालोगे मतलब आपके कंसेप्शन ही क्लियर नहीं हैं.
श्री जयंत मलैया-- क्रमांक 3 में इसकी व्यवस्था है मैं यहाँ निवेदन कर दूं ई-कॉमर्स के अंतर्गत माल का परिवहन करने वाले व्यक्ति से अभिप्राय माल का परिवहनकर्ता, कोरियर एजेंसी, एजेन्ट या माल का परिवहन करने वाला कोई अन्य व्यक्ति से है जिसमें माल का स्वामी भी सम्मिलित है. यह जो हमने कर लगाया है इससे हमें यह उम्मीद है कि हमें प्रतिवर्ष 300 करोड़ रुपये की प्राप्ति होगी, जिसको हम विकास के कार्यों में लगाएंगे. मेरा सभी सदस्यों से विनम्र निवेदन है कि इसको सर्व सम्मति से पारित करने की कृपा करें.
श्री रामनिवास रावत--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मूल बजट जो प्रस्तुत किया था उस समय आपने 4 हजार दो सौ करोड़ कुछ कर(टैक्स) प्रावधानित किया था, कर से प्राप्त होने वाली राशि का अनुमान था, आप देख लें.
श्री जयंत मलैया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उस समय उतना व्यापार था, ऐसा उसमें जिक्र किया गया था और उसमें समय इसलिए लगा है कि हमने भी दूसरी जगह, जिन 6 प्रदेशों में यह टैक्स वसूला जा रहा है, ई-कॉमर्स के ऊपर उसको स्टडी करने के लिए अपने अलग-अलग दल भेजे थे उसको अब हमने बनाकर एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जो लगभग-लगभग फुल प्रूफ है.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर(संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जयंत मलैया—उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय--- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
1.24 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति
राज्यमंत्री, संसदीय कार्य (श्री शरद जैन)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि अभी जो उपाध्यक्ष महोदय ने शासकीय विधेयकों एवं अन्य कार्यों पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाई, उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
उपाध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
उपाध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि- शासकीय विधेयकों एवं अन्य कार्यों पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़ कर सुनाई, उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
उपाध्यक्ष महोदय- सदन की कार्यवाही अपरान्ह 3 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
(अपरान्ह 1.29 बजे से 3 बजे तक अंतराल)
3.08 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए}
औचित्य प्रश्न एवं व्यवस्था
अनुपूरक अनुमान एवं विनियोग विधेयक पर एक साथ चर्चा विषयक.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाईंट आफ ऑर्डर है. उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के अँतर्गत नियम 156 के अँतर्गत अनुपूरक अनुमान प्रस्तुत किया जाता है और 156 (1) के तहत अनुपूरक अनुमान प्रस्तुत करके नियम 156 (2) के तहत अनुपूरक अनुदान पर चर्चा की जाती है और मैं समझता हूँ कि मुझे यह भ्रम है कि इन दोनों में एक ही डंडा लगा हुआ है, जो कार्यसूची मिली है. आपके द्वारा ही अनुपूरक अनुमान पर ही चर्चा प्रारंभ करने की बात कही गई है, विनियोग विधेयक का कोई उल्लेख आसंदी से नहीं किया गया है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूँ कि यह दोनों की एक साथ चर्चा की जा रही है? उपाध्यक्ष महोदय, विनियोग विधेयक, नियम 158 (1) के तहत प्रस्तुत किया जाता है और 159 (1) के तहत विनियोग विधेयक पर चर्चा की जाती है. विशेष परिस्थितियों में, मैं मानता हूँ कि आसंदी विशेष परिस्थितियों में नियम को एग्जेम्पट करके दोनों की एक साथ चर्चा करा सकती है. लेकिन अभी कोई ऐसी विशेष परिस्थिति नहीं है. दो घंटे अनुपूरक अनुमान पर चर्चा करा लें. दो घंटे विनियोग विधेयक पर चर्चा करा लें. सदस्यों को भाग लेने का भी, ज्यादा बोलने का भी, मौका मिल जाएगा. पृथक्-पृथक् चर्चा कराएँ तो बड़ी कृपा होगी.
उपाध्यक्ष महोदय--दोनों पर चर्चा का अवसर मिलता है और समय भी बढ़ा हुआ मिलता है ऐसी कोई सीमा नहीं लगा रखी है.
श्री रामनिवास रावत--दोनों को एक साथ कर दिया है. दोनों को अलग-अलग कर दिया जाए. यह नियमों में भी व्यवस्था है.
उपाध्यक्ष महोदय--अतिरिक्त समय देंगे, ऐसा किया जा सकता है यह भी आप अच्छी तरह से जानते हैं.
श्री रामनिवास रावत--क्या हमेशा ही विशेष परिस्थिति रहेगी. एक तरफ कहते हैं बिजनिस नहीं है और हमेशा ही विशेष परिस्थिति रहती है.
उपाध्यक्ष महोदय--इस बार चूंकि शुरु किया जा चुका है, अगली बार से देख लेंगे. इस बार चलने दीजिए.
श्री रामनिवास रावत--इसका समय बढ़ा दें, चार घंटे कर दें जितने सदस्यों ने नाम दिए हैं उन्हें बोलने का समय दे दें.
उपाध्यक्ष महोदय--अतिरिक्त समय दे देंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्रीजी ने अभी दो माह पूर्व मार्च के अंतिम सप्ताह में वर्ष 2016-17 का बजट पेश किया था परन्तु अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक खर्च के लिए विभागों में पैसा नहीं पहुंचा था. केवल मई, जून दो महीने में ऐसी कौन सी आवश्यकता पड़ गई कि आपको 14297 करोड़, 81 लाख, 40 हजार 800 रुपये की राशि पुन: मांगनी पड़ गई. वैसे ही मध्यप्रदेश सरकार कर्ज में डूबी हुई है. हमारे अनुमान से करीब 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपए का कर्ज मध्यप्रदेश पर है लेकिन आज गौर साहब ने स्वयं सदन में कहा कि 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. हो सकता है वे ही सही हों लेकिन जितना भी कर्ज है.
श्री रामनिवास रावत--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आसंदी से एक निवेदन और करना चाहूंगा कि बजट सरकार के समस्त विभागों के लिए लिया जा रहा है. मात्र तीन या चार मंत्री बैठे हुए हैं. कम से कम माननीय वित्त मंत्री जी सभी मंत्रियों को कह दें कि जिन्हें पैसा चाहिए वह आ जाएं और जो न आएं उन्हें पैसा न दिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय--रामनिवास जी आप गिनती ठीक से नहीं कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत--मैंने एग्जेक्ट नहीं कहा है, वित्त मंत्री जी को छोड़ दें तो पांच मंत्री ही बैठे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--वरिष्ठ मंत्रीगण बैठे हुए हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले बजट में भी 1 लाख 50 हजार करोड़ से अधिक का बजट पास हुआ था. आज मध्यप्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर करीब 55 हजार का कर्ज लदा हुआ है. मध्यप्रदेश में शिक्षित और अशिक्षित दोनों प्रकार से बेरोजगारों की संख्या 1 करोड़ 10 लाख से अधिक हो गई है. उनके लिए इस अनुपूरक में कोई दिशा निर्देश नहीं हैं. सिंहस्थ के बारे में कहना चाहता हूँ कि सिंहस्थ का बहुत प्रचार हुआ. वर्ष 1992 में पटवा जी के समय भी सिंहस्थ हुआ था लेकिन पटवा जी के समय सिंहस्थ को सरकारी सिंहस्थ नहीं बनाया गया था. पटवा जी ने तत्कालीन चीफ सेक्रेट्री श्रीमती निर्मला बुच को यह निर्देश दिए थे कि कुंभ राजनीति का अखाड़ा न बने इसलिये मंत्री और अधिकारी कुंभ में ज्यादा दिखाई न दें, भाग न लें. परन्तु पटवा जी के चेले माननीय शिवराज सिंह जी ने इस कुंभ को पूरे प्रदेश और देश में आस्था के नाम पर राजनीति का अखाड़ा बना दिया और अपना प्रचार-प्रसार करने का काम किया. इससे दस गुना बड़ा कुंभ इलाहाबाद का होता है, यहां से ज्यादा लोग वहां आते हैं. कुछ माह पूर्व नासिक में कुंभ हुआ था. वहां पर भी कोई मंत्री वगैरह के फोटो नजर नहीं आए. इस आयोजन में करीब 5 हजार करोड़ रुपए का सरकारी खजाना लुटाने का काम किया गया है. आप 400 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए राशि मांग रहे हैं जो कि सिंहस्थ का बकाया है पहले ही बहुत अधिक खर्च कर दिया उसके बाद भी 400 करोड़ बकाया है. नर्मदा लिंक क्षिप्रा परियोजना के भी करीब 34 करोड़ बकाया हैं उसको भी देने का इसमें आपने प्रावधान किया है. आप करोड़ों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. फिर भी आपको और पैसा चाहिये. पंन्द्रह करोड़, पचास लाख फिर से जनसम्पर्क विभाग के लिये और चाहिये. जनसंपर्क विभाग का पूरे साल का जो बजट था वह आपने कुंभ में खर्च कर दिया. इसके बाद जगह-जगह, जहां या आप रेल में जाओ, हवाई जहाज का टिकट, बस के टिकट, बसों पर, रेलवे स्टेशन पर, दिल्ली में, मद्रास में जहां भी आप जाओ वहां पर कुंभ ही नजर आ रहा है. क्या यह कुंभ का शासकीय कार्यक्रम था, इस कुंभ को शासकीय कार्यक्रम बनाने का क्या औचित्य था ? शिवराज सिंह जी तो लगातार 12 वर्ष से अपना फोटो छपवा रहे हैं. क्या अभी तक उनकी इच्छापूर्ति प्रचार-प्रसार और ब्रांडिग करते हुए नहीं हुई ? इसलिये यह जो सिंहस्थ में करोड़ों का पैसा बर्बाद किया है, सिंहस्थ में मीडिया, टीवी में खर्च करने के बाद भी सिंहस्थ में भारी भ्रष्टाचार चरमसीमा में हुआ है. इसमें मैं आपको बताना चाहता हूं कि भ्रष्टाचार के साथ- साथ, देश विदेश से लोगों को आमंत्रित किया गया. यह एक नयी परम्परा आपने चालू कर दी है. सिंहस्थ को आपने एक वैचारिक कुंभ बना दिया. किस चीज का प्रचार, वहां पर धर्म के नाम पर बात हुई. वहां पर बेटी बचाओ, स्वच्छता अभियान, वहां पर आपने अपने प्रधानमंत्री को बुलाकर अपनी पार्टी का प्रचार करने का काम किया है. यह आपके ऊपर सिंहस्थ के नाम पर कलंक है. इस प्रकार आपने जो काम किया है, वह उचित नहीं कहा जा सकता है और वहां आपने एक और नयी परम्परा चालू कर दी है, दलित स्नान. आज तक जितने कुंभ हुए हैं जो आस्था के केन्द्र हैं वहां पर कोई पूछता है कि आप किस जाति के हो. आपने कुंभ में जात पात फैलाने का काम किया है. आपने दलित स्नान के साथ में समरसता का काम किया है. आप अपने पार्टी अध्यक्ष को लेकर आये. प्रधानमंत्री थे, वह भारत के माननीय हैं लेकिन आप पार्टी अध्यक्ष को भी यहां पर ब्रांडिग करने का काम कर रहे हैं. फिर आपने उनको चांदी के बर्तनों में भोजन कराया. एक किसान का बेटा गरीब परिवार से पलने वाला आज चांदी के बर्तनों में भोजन कर रहा है और भोजन करवा रहा है और उस पर करोड़ों रूपये खर्च करने का काम कर रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ में जो एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी थी,जो कंपनी 2004 के सिंहस्थ में बीच में काम छोड़ के भाग गयी थी जिसको ब्लैक लिस्ट किया गया था. उसको आपने बुलाकर ठेका दे दिया. 8 अगस्त, 2015 को यह 36 करोड़ रूपये का था लेकिन आपने उसको बढ़ा-बढ़ाकर 117 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया. आपने 35 हजार शौचालय बनवाये, 10 हजार के करीब मूत्रालय बनाये और बाथरूम भी करीब 15 हजार बनाये. उसमें से 40 प्रतिशत तो बने ही नही और उनका पूरा भुगतान हो गया. जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त और ई.ओ.डब्लयू में केस रजिस्टर्ड हैं उनके ऊपर मुकदमे चल रहे हैं और भ्रष्टाचार में निलम्बित भी हुए हैं उन्हीं लोगों को खरीदी का काम दिया गया. हमारी तो सरकार से मांग है कि सिंहस्थ के सभी खर्चों का श्वेत पत्र जारी करें और बिल सहित दें. कई दुकानें तो है ही नहीं उनके बिल लग लगे. आपने 5 करोड़ रूपये की स्वास्थ्य सामग्री खरीद ली और 5 करोड़ रूपये की स्वास्थ्य सामग्री के लिये जो सरकारी रेट तय था लेकिन उसका भुगतान 60 करोड़ रूपये का हुआ. अब मैं आपको बता देना चाहता हूं कि यह जो स्टेथिस्कोप है उसकी बाजार में कीमत जो सबसे अच्छी कम्पनी है- चरक उसकी बाजार कीमत 165 रूपये का आती है उसको आपने 7 हजार रूपये में खरीदा है. आपने रबर के जो हेंड ग्लब्स हैं 150 रूपये के आते थे वह आपने 1890 रूपये में खरीदे. इसी प्रकार आपने स्पंज वुडलिन फोरसेफ जो 96 रूपये की थी वह आपने 2250 रूपये में खरीदी. आपने सीरिंज इन्फ्यूजन पंप जो 24489 रूपये का आता था वह आपने 38500 रूपये का खरीदा. इसी प्रकार बहुत सारी सामग्री की लिस्ट है. आपने करोड़ों रूपये का घोटाला सिंहस्थ के नाम पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मंत्री, अधिकारियों और कर्मचारियों ने लूटा है. बाथरूम के नाम पर तमाम खरीदी कर डाली. आपने कचरा उठाने के लिये 40 करोड़ रूपये का ठेका दे दिया, कचरा चालीस करोड़ में ? किसानों के खेत थे, जिसमें वह खेती कर रहे थे, उनकी जमीन की लेवलिंग नहीं हुई है. उसमें आपने 10 करोड़ रूपये खर्च कर दिये. आपने अभी किसानों के खेत की लेवलिंग नहीं की है. किसान अभी भी घूम रहे हैं. उनके खेतों में गंदगी पड़ी हुई है. आपने वहां पर शौचालय के लिये वहां पर जो कांक्रीट के काम करवाये थे, उसके पत्थर और अन्य चीजें अभी तक वहां पर पड़े हुए हैं.
किसानों को अभी तक इसका मुआवजा भी नहीं दिया गया. पहले एक किस्त दे दी गई है, दूसरी किस्त का अभी तक भुगतान नहीं कर पाये हैं जिसके कारण किसान भटक रहे हैं अयोग्य मस्टर कर्मचारियों को आपने बड़े बड़े काम दिये. एक अपर आयुक्त श्री चौहान है वह पूरा काम करते रहे. नगर निगम में जो काम जवाहरलाल नेहरू योजना में हुए उसका डबल से भुगतान हो गया. उसका सिंहस्थ के बजट से अलग भुगतान हुआ और नगर निगम के बजट से अलग हुआ इसमें आपने करोड़ो रूपयों का भुगतान कर डाला. इस प्रकार से सिंहस्थ के नाम पर जो नौटंकी की है इसकी जांच होनी चाहिये तथा प्रदेश की जनता के सामने एक एक पाई के खर्चे का हिसाब आना चाहिये ताकि असलियत उजागर हो सके. आप लोग आस्था एवं धर्म के नाम को भी नहीं छोड़ रहे हैं उसको भी लूटने का काम कर रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, अब एक और विषय रखा है स्मार्ट सिटी इसमें 491.81 लाख रूपये की मांग की है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि प्रदेश की 70-71 प्रतिशत जनता गांवों में निवास करती है गांवों में पीने के लिये पानी नहीं है, स्कूलों के लिये बिल्डिंग नहीं है, वहां पर मास्टर नहीं हैं, 50 प्रतिशत गांवों में सीसी रोड़ बनी है, 50 प्रतिशत गांवों में अभी भी कीचड़ है वहां से निकलना मुश्किल है, उसके लिये आपके पास अलग से पैसा नहीं है. स्मार्ट सिटी में क्या बनाना चाहते हो केवल बड़े लोग मंत्री एवं तमाम अधिकारी लोग जाएं वह सब परिवार घूमें उनके नैनसुख के लिये आप स्मार्ट सिटी बना रहे हैं? इसलिये हमारा विरोध है इसमें बिल्कुल ही पैसा नहीं देना चाहिये. स्मार्ट सिटी पूरी नहीं, नाम दे दिया स्मार्ट सिटी उसमें एक मौहल्ले को ले लिया गया है, स्मार्ट मौहल्ला बनाकर के स्मार्ट सिटी का प्रचार कर रहे हैं इसको बजट में बिल्कुल ही नहीं रखना चाहिये. शिक्षा के बजट में आज संविदा शिक्षकों के लिये आपने ढाई सौ करोड़ रूपये का प्रावधान मांगा है उनके लिये जो पिछला बजट पास किया था वह पैसा कहां गया क्या वह पैसा भी सिंहस्थ में खर्च कर दिया गया उस पैसे को वैचारिक कुम्भ में लगा दिया? अब दो महीने के बाद आपको ढाई हजार करोड़ रूपये की जरूरत पड़ गई. उनका 1440 करोड़ रूपये का जो पेंशन फंड है उसको भी करीबन आपने छः माह से जमा नहीं किया है, उनके साथ भी आप अन्याय कर रहे हैं. लगातार आप पैसे मांग रहे हैं आप लोगों ने वायदा किया था 2003 की उमा भारती जी सरकार प्रदेश में बनी थी उसमें घोषणा पत्र जारी किया था उसमें साफ तौर से कहा था कि हम समान वेतन समान कार्य का देंगे और जो शिक्षाकर्मी हैं उनको शिक्षा विभाग में मर्ज करके उनको भी शासकीय शिक्षक के समान वेतन देंगे, पंचायत कर्मियों को भी वेतन देंगे. आज 12-13 वर्ष के बाद भी आपकी नींद नहीं खुल रही है वह भी सड़कों पर भटक रहे हैं, उनके साथ भी लगातार आप लोग अन्याय कर रहे हैं उनके पैसे को भी हड़पने का काम कर रहे हैं उनका1440 करोड़ रूपये कहां गये, इसका भी माननीय मंत्री जी जवाब दें. अभी आपके दो शासकीय उपक्रम हैं एक लघु उद्योग निगम यह लूट उद्योग निगम बन चुका है इसमें जो मार्केट में सामान लायेंगे 100 रूपये का वहां पर 400 रूपये का मिलता है. दूसरा है एम.पी.एग्रो इंडस्ट्रीज वहां पर भी 25 रूपये के सामान की कीमत वाला सामान 100 रूपये में मिलता है इसमें बीच की दलाली कौन खा रहा है? इसमें वही अधिकारी एम.डी. बनते हैं जो मुख्यमंत्री जी के नाक के बाल होते हैं ? आज कुपोषण की स्थिति क्या है आज कुपोषण के बारे में मध्यप्रदेश का हिन्दुस्तान में दूसरा नंबर है यहां पर 91 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. सन् 2000 में सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर हुई थी उसमें 2007 में फैसला आया कि स्व-सहायता समूह या शासकीय एजेन्सी बच्चों के पोषण हेतु खाना एवं दलिया सप्लाई करेगी, परन्तु आपने शासकीय एजेन्सी के नाम पर 30 प्रतिशत शासकीय कर दिया तथा 70 प्रतिशत लुटेरों को कर दिया जिसके कारण आज भी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बच्चों की जन्म तथा मृत्यु दर सबसे अधिक है क्या कारण है कि एक वर्ष में 22 अरब रूपये खर्च करने के बाद भी आज कुपोषण के मामले में आज भी दूसरे नंबर पर है और उनकी मृत्यु दर भारत वर्ष में सबसे अधिक है. अब अनुसूचित विभाग के बारे में मैं कहना चाहता हूं अनुसूचित जाति विभाग में कांग्रेस की तत्कालीन दिग्विजय सिंह की सरकार में, कांग्रेस की सरकार में जनप्रतिनिधियों का, आपने उसमें बजट मांगा है, 2 अरब 15 करोड़ 37 लाख 36 हजार 300 रूपए का . मैं पूछना चाहता हूं पहले जिलों में बजट जाता था । उस बजट में स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधि शामिल रहते थे जो भी स्थानीय विधायक सीनियर होता था वह वहां का अध्यक्ष बनता था कलेक्टर और सभी अधिकारी बैठकर तय करते थे । आज कलेक्टर को बजट दे दिया और कलेक्टर मनमानी तरीके से खर्च कर रहे हैं । शासन के निर्देश है कि 40 प्रतिशत से जहां अधिक अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग होंगे वहां जिले का बजट खर्च किया जाएगा या जहां पर अनुसूचित जाति की 20 बस्तियां हो वहां पर खर्च करेंगे, परन्तु जहां 5 प्रतिशत 10 प्रतिशत हैं, मेरे पास रिकार्ड है, कलेक्टर मनमाने तरीके से राशि बांट रहे हैं । कलेक्टर यहां पर 50 से 60 लाख रूपए देकर जाते हैं, चढ़ोत्री चढ़ाकर जाएंगे तो जनता को लूटने का काम नहीं करेंगे । यही कारण है कि कलेक्टर भिण्ड की सूची हमारे पास है इसमें 12 परसेंट जहां अनुसूचित जाति के लोग हैं उनको दे दिया । एक ही गांव में सीसी रोड के लिए लगातार पांच जगह पूरे जिले में जनसंख्या के अनुपात से मिलना चाहिए था । जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से सबसे ज्यादा गोहद उसके बाद लहार विधानसभा में हैं, लेकिन वहां नहीं दिया क्योंकि कोई चढ़ोत्री चढ़ाने वाले नहीं थे इसलिए बांट दिया आखिर इनकी जांच कराना चाहिए । जिन भ्रष्टाचारी कलेक्टरों ने लूटा है, उनको देखना चाहिए । जनभागीदारी का पैसा आप इसमें सुनिश्चित करें । वित्त मंत्री जी पैसे का सदुपयोग हो रहा है, आप यहां से दे रहे हैं वहां दुरूपयोग हो रहा है । अधिकारियों की मुम्बई दिल्ली में और नोएडा में कोठियां बन रही हैं । यहां से पैसा भेजते चले जाते हैं निगरानी नहीं रखते हैं । आखिर जनता के प्रतिनिधि चुने हुए हैं उन पर आपका विश्वास क्यों नहीं है । उन पर क्यों अविश्वास करते हैं । विधानसभा में पिछले सत्र में अनुसूचित जाति मंत्री जी ने आश्वासन दिया था कि जिले के जनप्रतिनिधियों को विधायकों को भी इसमें शामिल किया जाएगा । कहां काम होना है कहां काम नहीं होना है । एक और उदारहण है कि एक ही गांव में 13 काम दे दिए और उस गांव में अनुसूचित जाति का अनुपात 11.6 प्रतिशत है । इन पर कोई नियंत्रण नहीं हैं । इन पर आपकी कोई एजेंसी जांच नहीं करती । इसी प्रकार अब आयुर्वेद होम्योपैथी चिकित्सालयों की हालत है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में अभी आपने इसके लिए बजट मांगा है । होम्योपेथी और आयुर्वेद चिकित्सालय के लिए 8 करोड़ और भोपाल में जो यूनानी महाविद्यालय है उसके वेतन के लिए 2 करोड़ 45 लाख कुल मिलाकर 10 करोड़ 45 लाख राशि की आपने मांग की है । आपका दो महीने में बजट खत्म हो गया । यह बजट आपका सिंहस्थ में गया है । करोड़ों की दवाईयां खरीद लीं, वह दवाईयां बेकार पड़ी हैं । भिण्ड जिले में 47 आयुर्वेदिक औषधालय हैं, जिसमें से मात्र 2 चिकित्सक हैं, उनमें से भी एक को जिला अधिकारी का चार्ज है, एक बना हुआ है । वहां कोई है नहीं जो सफाई कर्मचारी हैं वह चूर्ण चटनी बांट देते हैं । एक एक जिले में पांच से 10 लाख की अलग से खरीदी हुई । कोई उपयोग नहीं हुआ जबरदस्ती भेज रहे हैं । बंडल के बंडल भेज रहे हैं । बांटने वाला कोई नहीं, देखने वाला कोई नहीं है । इसी प्रकार इन्होंने सामान खरीदा है. 31 मार्च के पहले जो संचालक थे उन्होंने सामान खरीदा 31 मार्च के पहले पिछली तिथि में आदेश जारी कर दिए ।
उपाध्यक्ष महोदय- गोविन्द सिंह जी कितना समय और लेंगे ।
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बस दो तीन मिनट और लूंगा इसी प्रकार इन्होंने प्लेन फोर्स एस एस खरीदा है, मार्केट में इसका रेट था 865 रूपए उन्होंने 1300 रूपए मे खरीदा, टूथ फॉर्सेस एसएस 90 रूपए की आती थी, वह 875 रूपए में, ओप्निंग सीजर प्वांइटेड 2610 रूपए सरकार ने रेट तय किया था परन्तु 7830 रूपए में खरीदी । इसी प्रकार ओप्निंग सीजर स्टेट ब्लंट जो 150 से 200 रूपए की आती थी वह 4620 रूपए में खरीदी . इस प्रकार प्रदेश को लूट रहे हैं और एक एक जिले में तत्काल उसके आर्डर दे दिए ।हमारे पास अकेले दतिया जिले का यह उदाहरण है. यह सामान 51 जिलों में गया है, करीब 10 करोड़ रूपये का सामान है. एपरेटस, सफाई कर्मचारी कौन-सा ऑपरेशन करेगा? और फिर आयुर्वेद वालों को ऑपरेशन करने का कहां प्रावधान है ? आपने जो एपरेटस वहां भेजे हैं, वहां लगे पड़े हुए हैं, वहां पर कोई खोलने वाला नहीं है. कोई यह नहीं जान रहा है कि यह क्या है ? जो चिमटी 60 रू. की है, वह आपने 630 रू. की खरीद ली है. आखिर आप जो बजट दे रहे हो, पैसा जा रहा है तो विकास क्यों नहीं दिखाई दे रहा है ? सड़कों के काम में भ्रष्टाचार हो रहा है. चौतरफा, जहां देखो कालाबाजारी है. जो गरीबों को खाद्यान्न मिलता है, वह लोग बीच में खा जाते हैं. हर बार पैसे लेते चले जाते हो. आप प्रदेश को कर्जे के गर्त में डालते चले जाते हो, पूरी साढ़े सात करोड़ जनता के ऊपर आप कर्जा लादते चले जा रहे हो. आप जनताकी गाढ़ी कमाई को इस तरह मत लूटिये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप अब तो कन्ट्रोल कीजिये. यह पैसा कहां जा रहा है? ऐसा एक भी जिला नहीं बचा है, जहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं सरस्वती शिशु मंदिर और भाजपा के कार्यालयों की सम्पत्ति 200 करोड़ रूपये की न हो. ग्वालियर में 200 करोड़ रूपये से कम की सम्पत्ति नहीं है, 50-60 प्रतिशत पैसा वहां जा रहा है. ग्वालियर में केदारधाम बना है, जिसमें 4,000 करोड़ रूपया खर्च हुआ है और एक आरोग्य धाम .....
श्री शैलेन्द्र जैन – अनावश्यक, आप प्रमाण सहित बताइये.
डॉ. गोविन्द सिंह – आप बैठ जाइये. (व्यवधान)
श्री शैलेन्द्र जैन – आप बकवास कर रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह – (श्री शैलेन्द्र जैन की ओर देखकर) तुम्हारी आंखें खोल दूँगा.
श्री शैलेन्द्र जैन – आप बदनाम करने का काम कर रहे हैं. आप प्रमाण दीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह –(XXX) चश्मा लगाकर चलो. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय – डॉ. गोविन्द सिंह जी, अब आप समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र जैन – (डॉ. गोविन्द सिंह को देखकर) आपको राष्ट्रवाद समझ में नहीं आयेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह – मैं दिखा दूँगा. मैं आपको चुनौती देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय – समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र जैन – आप चुनौती देते हैं. प्रमाण दीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह – चलो, मैं आपको कार्यालय दिखा देता हूँ. एयर कंडीशनर (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय – शैलेन्द्र जी
श्री शैलेन्द्र जैन – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राष्ट्रवादी संगठनों को ऐसे बदनाम करने का काम कर रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह – एमपीआरडीसी की करोड़ों की जमीन दे दी है. वहां विद्यार्थी परिषद् को एयर कंडीशनर दिया है. यह पैसा कहां से आया ? (XXX) यह पूरे प्रदेश का करोड़ों रूपया लूटकर .... (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह बना – शर्म करो. इतना पैसा सिंहस्थ में बर्बाद हुआ है कि पूरे विश्व में .....(व्यवधान)
श्री शैलेन्द्र जैन – यदि ऐसी बात थी तो आपको बात करनी चाहिए थी.
उपाध्यक्ष महोदय – अब आप समाप्त करें.
...................(व्यवधान).............
डॉ. गोविन्द सिंह – मैं चुनौती देता हूँ, प्रमाण दिखा दूँगा. आंखें खोलकर देख लेना.
...................(व्यवधान).............
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मेरा निवेदन यह है कि डॉ. गोविन्द सिंह ने जो आरोप सरस्वती शिशु मन्दिर पर लगाये हैं. एक तो मेरा आग्रह है कि इनको कार्यवाही से निकाल दें. दूसरा, मैं आपसे भी आग्रह करना चाहता हूँ कि आप भी सत्ता में रहे हैं. आप ऐसी संस्था पर आरोप लगा रहे हैं, जो समाज के आधार पर चलती है, समाज के माध्यम से चलती है.
डॉ. गोविन्द सिंह – (XXX)
श्री लाल सिंह आर्य – आप बताइये. हमने कहां पर लूटने का काम किया है. आप यही बात सदन के बाहर कीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह – ग्वालियर के आरोग्य धाम में कहां से पैसा आ गया ?
श्री लाल सिंह आर्य – आरोग्य धाम में समाज पैसा दे रहा है, समाज के लोग पैसा दे रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत – उसका हिसाब दे दो.
डॉ. गोविन्द सिंह – केदारधाम में 4,000 करोड़ रूपये का खर्चा कहां से आ गया? (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय – श्रीवास्तव जी, बैठ जाइये.
श्री लाल सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, संघ को कांग्रेस का प्रमाण-पत्र नहीं चाहिए. सरस्वती शिशु मंदिर को कांग्रेस का प्रमाण-पत्र नहीं चाहिये.
डॉ. गोविन्द सिंह – (XXX)
श्री लाल सिंह आर्य – आप हल्की बातों पर आ जाते हो.
डॉ. गोविन्द सिंह –(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय – आप आप बैठ जाइये. आपने बात कह दी.
श्री लाल सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, यह हल्की लोकप्रियता हासिल करने के लिए संघ पर आरोप लगाना, ऐसी संस्था ......(व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह – कारनामे तो आपके हैं. आप संघ में पहुँचा रहे हैं.
श्री लाल सिंह आर्य – हम तो करेंगे. यह राष्ट्रवादी संस्था है. जो समाज की सेवा कर रहे हैं. हम सब लोग मिलकर मदद करेंगे. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – आप कहां से मदद करोगे ? क्या भ्रष्टाचार के पैसे से मदद करोगे ?
उपाध्यक्ष महोदय—यह बहुत गलत बात है लाल सिंह जी. आसंदी पर हम यहां खड़े हुए हैं और आप से अनुरोध कर रहे हैं कि बैठ जाएं आप मेरी तरफ देख भी नहीं रहे हैं सुनने की तो बात अलग है बैठ जाएं. इस तरह से कोई ऐसा स्पेसिफिक आरोप नहीं है. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन—डॉक्टर साहब यदि बोल रहे हैं तो उनके पास पूरे प्रूफ हैं. बिना प्रूफ के वह नहीं बोलते हैं. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय – जब आपका नंबर आएगा तब आप बोल लीजिएगा अभी आप बैठ जाइए.
श्री लाल सिंह आर्य – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जितनी भी संस्थाएं चल रही हैं यह संस्थाएं किसी कांग्रेस की कृपा पर नहीं चल रहीं हैं यह देश के नागरिकों की कृपा पर चल रहीं हैं. इन्हें कोई रोक नहीं पाएगा. उन्हें कोई रोकने की हिम्मत भी नहीं रख पाएगा. वह ऐसे ही बढ़ेंगी चिन्ता मत करिए. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय – लाल सिंह जी बैठ जाइए. यह चर्चा का विषय नहीं है. इसमें अनावश्यक क्यों विवाद बना रहे हैं. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी— (XXX) (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय—आप लोग बैठ जाइए. हम खड़े हुए हैं आप लोग थोड़ा बहुत आसंदी का सम्मान कीजिए.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)– उपाध्यक्ष महोदय, प्रथम अनुपूरक बजट जो 14 हजार 297 करोड़ 21 लाख 40 हजार 800 रुपए का माननीय वित्तमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत किया गया है उसका मैं स्वागत करता हूं और माननीय वित्तमंत्री जी का दिल से आभार व्यक्त करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसलिए नहीं कि मैं सत्ता पक्ष का विधायक हूं इसलिए इसके पक्ष में ही बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. अनुपूरक बजट की जो पुस्तिका प्राप्त हुई है उसको मैंने देखा भी है, पढ़ा भी है, समझा भी है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सात करोड़ पचास लाख जनता के लिए, वह जनता जो विभिन्न विभागों से उम्मीद रखती है, अपेक्षा रखती है और अधिकार भी रखती है इस अनुपूरक बजट में उन तमाम विभागों की कहीं न कहीं उपस्थिति है, जिसकी अतिरिक्त व्यय की अपेक्षा और आवश्यकता सरकार महसूस कर रही थी. आम बजट पारित होना अनुमानित होता है और उसके बाद में जो गतिविधियां संचालित होती हैं चूंकि वर्षभर तक उन मांगों को, उन कामों को, उन बजट को सरकार के विभिन्न विभागों के माध्यम से, वित्त विभाग के माध्यम से अमली जामा पहनाना पड़ता है. विद्युत के क्षेत्र में, सहकारिता के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में, सिंचाई के क्षेत्र में, सूक्ष्म योजनाओं के क्षेत्र में यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का सपना है कि नहरों से पानी देने में ज्यादा खर्चीली व्यवस्था होती है, वाद विवाद होता है, पानी का दुरुपयोग होता है और अब मध्यप्रदेश को इस बात की आवश्यकता है कि सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के माध्यम से कुछ नई चीज नई सौगात देवें. उसका पूरा विषय परिवर्तित हो गया है जहां नहरों की तरफ हमारा ध्यान था जो ट्रेडीशनल था, पुराना था, वर्षों पुराना था लेकिन अगर प्रधानमंत्री जी का आह्वान है और यह आह्वान यदि मध्यप्रदेश की सरकार अनुपूरक बजट में सम्मिलित करती है, समाविष्ट करती है तो मैं समझता हूं कि यह आलोचना का विषय नहीं है. चूंकि इसकी शुरुआत मंदसौर जिले के गांधी सागर के गरोठ और भानपुरा क्षेत्र से प्रारम्भ हो गई है. सड़कों के क्षेत्र में पुल पुलियों के क्षेत्र में, केन्द्रीय सड़क योजनाओं के क्षेत्र में, ग्रामीण विकास सड़क के मामले में, एम.पी.आर.डी.सी. के मामले में अगर ऐसे प्रथम अनुपूरक बजट में कुछ नयापन आता है तो मैं समझता हूं कि स्वागत योग्य होना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने कृषि केबिनेट का नया नाम सुना था पांच वर्ष पहले अब पर्यटन के क्षेत्र में यदि जल पर्यटन की बात की जाए और पर्यटन विकास विभाग को भी पृथक से केबिनेट के रूप में दर्जा मिले इसकी चर्चा यदि प्रारम्भ होती है और वही प्रथम अनुपूरक बजट में यदि समाविष्ट होता है तो मैं समझता हूं कि यह नयापन होगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय कल तक हम सब नि:शक्तजनों को नि:शक्त कहते थे विकलांग कहते थे. लेकिन माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यदि नया नाम दिया है दिव्यांग, तो उन दिव्यांगों को बाधा रहित वातावरण मिले, उसके लिये अगर अनुपूरक बजट में कोई नया हेड,मद,राशि, कल्पना, उड़ान यदि प्रस्तुत की जा रही है, तो मैं समझता हूं कि वह भी स्वागत योग्य है. अनुसूचित जाति के परिवार के बच्चों के लिये पीएचडी करना बहुत बड़ा काम होता है, ऐसे अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिये यदि अनुपूरक बजट में उसका समाविष्ट होता है, तो यह अनुसूचित जाति, जनजाति के लिये और उन आदिवासी क्षेत्रों में, जहां कौशल विकास की संभावना को लेकर के, प्रशिक्षण पर आधारित प्रावधानों को लेते हुए, वन्या प्रकाशन के माध्यम से आदिवासियों के बीच में सीधा संवाद करने को लेकर के यदि प्रथम अनुपूरक बजट में कोई राशि समाविष्ट होती है, यदि उसके लिये अतिरिक्त राशि की मांग की जाती है, तो यह स्वागत योग्य कदम है.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी ने फसल बीमा योजना की परिभाषा को ही बदल दिया है. पहले किसान का, व्यक्ति का बीमा होता था. फसल का कभी बीमा नहीं होता था. हम सहकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले लोग हैं. हम जानते हैं, हम किसानी, खेती का काम करते हैं. हम व्यक्तिगत कर्ज लेते थे, तो फसल के ऊपर नहीं, व्यक्ति के कर्ज के ऊपर बीमा होता था, लेकिन समग्र रुप से यदि राष्ट्रीय फसल बीमा योजना,2013 के दावे और शेष दावे 2015 के, जिसमें खरीफ एवं रबी की फसल भी सम्मिलित है और माननीय प्रधानमंत्री जी की नई फसल बीमा योजना को प्रावधानित करते हुए यदि इस प्रथम अनुपूरक बजट में इस सदन से उसकी स्वीकृति की मांग की जाती है, तो मैं समझता हूं कि यह भी कोई गलत कार्य नहीं है, यह स्वागत योग्य है. जिस प्रकार से हम एक बार ट्रेडिशनल फसलों की तरफ जाते हैं. गेहूं, चना, रायड़ा बो दिया, इनसे हट करके हम उद्यानिकी की फसल को बढ़ावा दें, राष्ट्रीय गौवंशी पशुपालन को यदि हम बढ़ावा दें, डेयरी का विकास हम करें, ऐसे में यदि पूरे अनुपूरक बजट में इन चीजों की चर्चा हो, उसके लिये यदि काम किया जा रहा हो, तो मैं समझता हूं कि पूरे सदन को इसके ऊपर अपना स्नेह और अपनी स्वीकृति देना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय, सहकारिता के क्षेत्र में नीचे बहुत छोटी संस्था होती है, पैक्स जिसको बोलते हैं. वृताकार सोसायटी, गांव में समितियां बोलते हैं. पैक्स से लेकर के अपैक्स तक मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक अपैक्स को भी और नीचे की संस्थाएं पैक्स को भी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को भी मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा किसानों को दिये जाने वाले अनुदान की बातों को लेकर के, अनुदान की मांगों को लेकर के या यूं कहें कि जब जब जन प्रतिनिधियों, विधायकों की ओर से या किसानों की ओर से यदि ऐसी कोई मांग आती है, जो सार्वजनिक होती है और तब माननीय मुख्यमंत्री जी यदि उसकी घोषणा करते हैं, तो एक नयापन आया है और उस नयेपन के लिये यदि इस अनुपूरक बजट में मांग की जाती है, तो मैं समझता हूं कि दोनों पक्षों को उसका समर्थन करना चाहिये. पैक्स में 10 प्रतिशत या उससे अधिक 10 हजार रुपये तक की वस्तु की राशि जब किसान कर्ज के रुप में लेगा और उसकी भरपाई सरकार करेगी. अल्पकालीन ऋण को दीर्घकालीन ऋण में परिवर्तित करना, खाद और बीज पर लिये गये कर्जे की राशि यदि उसने ली है, तो उसको 10 हजार रुपये का बोनस सरकार की तरफ से किसान के खाते में चला जायेगा. ये सारी चीजें इस अनुपूरक बजट में सम्मिलित की गई है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं गोविन्द सिंह जी को बहुत ध्यान से सुन रहा था. गोविन्द सिंह जी, यह हमारे दल के लिये बहुत प्रसन्नता, गर्व और गौरवान्वित होने की बात है कि उज्जैन में जब जब भी सिंहस्थ लगा है, चाहे फिर वह संविद की सरकार हो, चाहे पटवा जी, उमा जी या शिवराज सिंह जी के नेतृत्व की सरकार हो, साधु-संतों और यात्रियों की सेवा करने का अवसर तो भारतीय जनता पार्टी को ही मिला है. यह हमारा सौभाग्य है. इस सौभाग्य में चल करके जो एक नया परिवर्तन आया है, सिंहस्थ को आप सरकार तक से न जोड़ें. सिंहस्थ को सिर्फ उज्जैन, महाकाल या मालवा तक सीमित न रखें. अब हमारा उज्जैन का सिंहस्थ महाकुम्भ है. कुम्भ तो बहुत होते हैं, यह महाकुम्भ है. इलाहाबाद,नासिक एवं हरिद्वार की स्थिति अलग है. लेकिन इन सबसे हटकर उज्जैन की स्थिति बहुत अलग है. हमें गर्व है, हम उस संभाग में निवास करते हैं. सिंहस्थ का यह कुम्भ न केवल मालवा, प्रदेश एवं देश का नहीं, बल्कि यह विश्व स्तरीय हो गया है. पहले कभी भी देश का कोई प्रधानमंत्री महाकुम्भ उज्जैन में शिरकत करने नहीं आया है. कभी कोई श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष उसमें शिरकत करने के लिये नहीं आये हैं. यह हमारा गर्व का विषय है. मैंने कहा कि राष्ट्रीय विचारधार से ऊपर उठकर यह सिंहस्थ का महाकुम्भ प्रारंभ हुआ, जिसकी बड़ी आलोचना की गई भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार. मैं गोविन्द सिंह जी से आग्रह करुंगा कि आप साधारण यात्री के रुप में ट्रेन में सफर करें, अपना परिचय न देवें. वे सार्वजनिक स्थान पर बैठें, होटल,चौराहे,चौपाल में बैठें और अपना परिचय न देवें. एक साधारण व्यक्ति के रुप में सिर्फ इतनी सी बात छेड़ दें कि उज्जैन के सिंहस्थ के बारे में जनता का क्या ओपिनियन है, जनता का क्या मत है. जनता का मत आयेगा कि न भूतो न भविष्यति. ऐसा सिंहस्थ कभी हुआ ही नहीं है. आप सदन के अन्दर आलोचना कर सकते हैं.
आप मीडिया के सामने आलोचना कर सकते हैं, आप भ्रष्टाचार के आंकड़ों को लेकर के आलोचना कर सकते हैं, लेकिन आम यात्रियों ने 118 किलोमीटर की जो पंचकोषीय यात्रा अद्वितीय यात्रा जिसके बारे में पांच देशों के विशेषज्ञ इस बात का रिसर्च कर रहे हैं कि 118 किलोमीटर मई और जून की 45 और 48 डिग्री जब तापमान था, लोगों ने कैसे इस यात्रा को अपने सिर पर पोटली रखकर के पानी की बाटल हाथ में लेकर के इस पंचकोषीय यात्रा को सफल बनाया. माननीय उपाध्यक्ष महोदय जी, न्यूज में मैंने देखा था. उसमें एक दृश्य देखकर के मैं आज भी रोमांचित हूं, जी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ मैं इसलिए उल्लेख करना चाहता हूं कि उसको मैंने देखा और उससे मुझे आंकलन हुआ कि मध्यप्रदेश पुलिस ने जो सेवाएं की है, वह अभिनंदन योग्य है, 80 वर्ष की एक महिला को प्लेटफार्म 1 की तरफ से प्लेटफार्म 6, 7 की तरफ ऐसे गोदी में उठाकर के एक पुलिस अधिकारी द्वारा उठाकर ले जाने का एक दृश्य मैंने देखा, रोम रोम मेरा पुलकित हो गया. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पुलिस प्रशासन का जो काम वहां पर हुआ यातायात में जिस प्रकार से यात्रियों को दिशा देने का काम किया एक सामान्य व्यक्तियों की तरह पुलिस ने वहां पर 24 घंटे सेवाएं दी, जिसका माननीय मुख्यमंत्री ने वहां पर अभिनंदन भी किया. (व्यवधान)
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सरकार के विज्ञापन प्रचार-प्रसार, इसको लेकर इनके मन में तकलीफ है, पीड़ा है मन में, क्योंकि हम ही दिखेंगे, पंच से लेकर पार्लियामेंट तक हम ही दिखेंगे, पार्षद से लेकर विधानसभा तक हम ही दिखेंगे, क्योंकि जनता ने जनादेश दिया है. हमारे होर्डिंग बोर्डिंग लगेंगे, प्रचार प्रसार दिखेगा, हमारे नेता के नाम और काम दोनों दिखेंगे. लेकिन मुझे इस बात का कांग्रेस के लोगों से जवाब चाहिए कि अलग अलग तिथियों पर जब कांग्रेस के चार बड़े नेता मध्यप्रदेश के उज्जैन में आए, सिंहस्थ में और उनकी गवानी को लेकर के कांग्रेस के कतिपय नेताओं ने अपने अपने नेताओं के विद्युत के पोल पर बोर्ड क्यों लगाए, उनका अभिनंदन स्वागत क्यों किया, सार्वजनिक स्थानों पर 10x10 के 20x20 के बोर्ड लगाकर के अपने नेताओं का क्यों अभिनंदन किया.
श्री सोहनलाल बाल्मीक – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये ऐसी बात कर रहे हैं, सरकारी पैसों से नहीं लगाए गए बोर्ड, आपने तो सरकार पैसे से बोर्ड लगाए हैं.(व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – सरकार ने काम किया है इसलिए सरकार प्रचार करेगी. आपके नेता शाही स्नान करने के लिए आ रहे हैं, और उसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं, दिखावा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कुछ घटनाएं नई घटी हैं, जिसके बारे में चिन्तन करना चाहिए, चूंकि सिंहस्थ को लेकर के बार कर रहे हैं, सिंहस्थ के इतिहास में आज तक कभी भी ऐसे वर्ग को समान रूप से अधिकार नहीं दिया गया है, मुझे कहते हुए प्रसन्नता है, गर्व है कि किन्नर समाज के लोगों को भी 13 वें अखाड़े के रूप में सम्मिलित करते हुए उनका भी शाही स्नान कराने का काम मध्यप्रदेश की सरकार के नेतृत्व में हुआ है. (मेजों की थपथपाहट ...)
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं गोविंद सिंह जी की तरह सिर्फ सिंहस्थ तक सिमटकर नहीं रहना चाहता हूं, क्योंकि मुझे आपने बोलने का अवसर दिया है और ये अनुपूरक बजट भी 14 हजार करोड़ रूपए का है, इसलिए मैं कोशिश करूंगा कि इसमें मेरी बातें तमाम विभागों को लेकर आपका संरक्षण चाहते हुए के मैं यहां पर सदन में प्रस्तुत करुं. जनशिकायतों का निराकरण करने को लेकर के सरकार ने जिस प्रकार से पारदर्शिता दर्शायी है ऑनलाइन व्यवस्था है, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की व्यवस्था है, परख योजना है, परख चर्चा है. इन सब मामलों के साथ साथ यदि अनुपूरक बजट में शिकायतों को निराकृत करने के लिए सरकार का संकल्प कम्प्यूटीकृत पर जोर देने को लेकर के हैं, अनुरक्षण कार्य एवं स्थायी सम्पत्ति के अनुरक्षण के लिए 10 लाख रूपए का यदि प्रावधान किया गया है तो यह अति प्रसन्नता का विषय है. पहली बार इस अनुपुरक बजट में, क्योंकि मुख्य बजट में, आम बजट में ये चीज चलकर नहीं आई थी, इसलिए अनुपूरक बजट में यह मांग की है, मध्यप्रदेश की 7 करोड़ 50 लाख जनता के लिए आनंद का अनुभव हो, आनंद संस्थापन की स्थापना हो और उसके लिए आनंद का भाव संचार के रूप में समाविष्ट करने को लेकर के नागरिकों के मन में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो इसको लेकर के दो करोड़ रूपए का इस अनुपूरक बजट में जो प्रावधान किया गया है वह नए मंत्रालय के साथ नई व्यवस्था के साथ, नई विचारधारा के साथ इस प्रदेश की जनता को एक नयी सोच नई विचार मिले.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को सरकार ताकत दे रही है, सरकार उनकी मांग पर उनकी व्यवस्था को लेकर के अब उज्जैन और सागर में भी नवीन इकाईयों को खोला जाना सरकार की पारदर्शिता का परिलक्षित करता है. इसमें 58 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है. साइबर क्राईम की मजबूती को लेकर के उपकरण आदि उपलब्ध नहीं थे उसके लिये इस अनुपूरक बजट में इस व्यय की उपलब्धता को लेकर के एक नया शीर्ष स्थापित किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पुलिसकर्मियों के कल्याण को लेकर के अनेक प्रावधान इस बजट में किये गये है. नवीन राज्य सड़क सुरक्षा नीति 2016 इसमें लागू की गई है जो पहले कभी नहीं थी और इसकी आवश्यकता को महसूस किया जा रहा था, 50 करोड़ रूपये के अतिरिक्त व्यय की इसमें मांग की गई है, मैं समझता हूं कि यह बहुत उचित निर्णय है. पुलिसकर्मियों को आवास हेतु 90 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है . पुलिसकर्मियों की आवास व्यवस्था के लिये पुरानी सरकारों ने ध्यान नहीं दिया. हमारी सरकार लगातार आवास के लिये बजट दे रही है, पुलिसकर्मियों को अच्छा वातावरण मिले क्योंकि वह काम करता है तो उसके परिवार को सकून मिलना चाहिये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्य भूमि सुधार आयोग का गठन किया गया है और इस नव गठित आयोग के लिये वर्ष 2016-17 के लिये वेतन भत्ते, संविदाकर्मी, लेखन, फर्नीचर, आदि पर 1 करोड़ 75 लाख 70 हजार रूपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के लिये 30 करोड़ रूपये का प्रावधान बजट में किया गया है . विद्युत की आपूर्ति और विद्युत की खपत, विद्युत की निर्बाध निरंतरता बनी रहे इसकी चिंता सरकार कर रही है, फिर चाहे वह मुख्य बजट हो, चाहे अनुपूरक बजट हो. यह कभी समाप्त होने वाला काम नहीं है क्योंकि विद्युत का जितना उत्पादन होता जा रहा है उतनी जिम्मेदारी भी हमारी बढ़ती जा रही है और इसी को लेकर के कंपनियों द्वारा नि:शुल्क विद्युत प्रदाय करने की क्षतिपूर्ति हेतु 440 करोड़ रूपये के व्यय की आवश्यकता जो सरकार ने महसूस की है उसको इस बजट में प्रावधानित किया गया है. टेरिफ सब्सिडी वितरण को लेकर के भी कंपनियों को 560 करोड़ रूपये की अतिरिक्त आवश्यकता इस बजट के माध्यम से कंपनियों को चाहिये और यह सरकार उसकी प्रतिपूर्ति कर रही है. मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का विद्युत नेटवर्क सुदृढ़ हो इस हेतु एशियन बैंक से प्राप्त राशि का पुस्तकीय समायोजन हेतु 21 करोड़ रूपये का प्रावधान भी इस बजट में किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसान कल्याण को लेकर के राष्ट्रीय कृषि फसल बीमा जिसका उल्लेख मैंने अपने प्रारंभिक भाषण में किया है, 1331 करोड़ रूपये का प्रावधान इसमें किया गया है और मैं वित्त मंत्री जी का धन्यवाद करना चाहता हूं कि मंदसौर जिले में अभी हाल ही में 90 करोड़ रूपये की राशि मुआवजे की आपने स्वीकृत की जिसमें से 50 करोड़ की राशि हमको प्राप्त हो गई है और मैं समझता हूं कि 40 करोड़ रूपये की ऱाशि बीमा योजना के माध्यम से शीघ्र प्राप्त हो जायेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के अंतर्गत 7 हजार हितग्राहियों तथा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 7 हजार पृथक से हितग्राहियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य सरकार ने तय किया है और इसकी अधिकतम राशि रूपये 50 हजार और अनुदान लगभग 15 हजार इसको मिलाकर के 271 करोड़ 70 लाख रूपये का प्रावधान इस प्रथम अनुपूरक बजट में किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री आवास योजना के बारे में कहना चाहूंगा कि यह योजना आज से 25 साल 30 साल पहले प्रारंभ हो जाती तो शायद अब तक हर गांव में आवासहीन व्यक्ति को आवास मिल जाते. आज लोग इंदिरा आवास को भूल गये हैं क्योंकि इंदिरा आवास योजना जिस समय से प्रारंभ हुई थी और तब तक चली उसमें एक ग्राम पंचायत को एक साल में 2 से ज्यादा इंदिरा आवास मिलते ही नहीं थे और मिलने का तरीका भी अलग था उसकी चयन सूची बनती थी जनपद पंचायत में जायेगी, जिला पंचायत में जायेगी उसका नाम गरीबी रेखा में है या नहीं है , लेकिन मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत अपने निजी पट्टे पर, निजी जमीन पर और सरकारी पट्टे पर भी आवास बन सकते हैं इसको लेकर के निरंतरता बनी हुई है और मुझे कहते हुये अत्यन्त प्रसन्नता है कि जहां कामर्शियल बैंक को इसमें जोड़ा था, व्यावसायिक बैंकों को इसमें जोड़ा था अब तो सहकारिता के क्षेत्र में सहकारी बैंकों को भी टारगेट दिये गये हैं कि ग्रामीण अंचलों में मुख्यमंत्री आवास के लिये मकान बनाने का काम करो. और उसके लिये ऋणों के पुनर्भुगतान को लेकर के , मासिक किश्तों को लेते हुये सरकार ने इस अनुपूरक बजट में 8500 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है उनका सपना है कि 2020 तक हिन्दुस्तान के हर आवासहीन व्यक्ति को आवास मिल जाये उसी दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सहकारिता के क्षेत्र में मुख्यमंत्री कृषक सहकारी ऋण सहायता योजना के अंतर्गत 118.50 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सूखे की मार किसान लगातार झेल रहा है. अतिवृष्टि, अनावृष्टि यह सब प्राकृतिक मार से लगातार पीड़ित रहता है जिसके बारे में अभी सदन में 139 में चर्चा चल रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कृषकों के अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित करने की जो माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी उस घोषणा के बाद में यदि प्रथम अवसर आयेगा इस अनुपूरक बजट को लेकर के तो इस अनुपूरक बजट में भी 138.75 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रावधानित होगा तो मैं समझता हूं ये किसानों की जो अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित करने के लिये ब्याज की भरपाई करने का जो काम सरकार को करना था उसे अनुपूरक बजट के माध्यम से किये जाने का संकल्प है. अल्पकालीन ऋणों पर ब्याज भुगतान, जो अल्पकालीन ऋण लिया था उस अल्पकालीन ऋण के ब्याज का भुगतान सरकार 603 करोड़ रूपये करने जा रही है और वह इस बजट में प्रावधानित किया गया था. अल्पकालीन ऋणों को मध्यकालीन ऋणों में परिवर्तित करने का राज्य शासन का जो अंशदान है, अकेले राज्य शासन का, वह है 55464.34 लाख रूपये. अब यह बड़े आंकड़े हैं थोड़ा समझने में समय लगेगा क्योंकि कभी किया नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय-- करोड़ों में बता दीजिये.
श्री मुकेश नायक-- मैं बहुत विनम्रतापूर्वक आपसे आग्रह करूंगा, थोड़ा इस जानकारी को आप दुरूस्त करें और कहां से यह जानकारी मिली है इसका सोर्स बतायें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- मेरे सूचना का जो केन्द्र है, सारे विधायकों का वहां पर एक पुस्तिका का वितरण होता है मुकेश जी. मैं नियमित वहां सबसे पहले जाता हूं और उसको देखता हूं सूचना के अंदर इसमें बजट के अनुदान की (माननीय माया सिंह जी की ओर इशारा करते हुये) आदरणीय मंत्री महोदया दिखा रही हैं मेरे पास अभी है नहीं क्योंकि मैं लिखकर के लेकर आता हूं इसलिये मुझे किताब की आवश्यकता नहीं है, इसमें सब कुछ है यह सारे आंकड़े उसमें है.
श्री मुकेश नायक-- अब इसमें मंत्री महोदया पढ़कर बता दें कि इसमें कहा लिखा है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय मुकेश जी आप बहुत वरिष्ठ है, आप भारत सरकार के मंत्री भी रहे हैं, आप राज्य सरकार के मंत्री भी रहे हैं.
श्री मुकेश नायक-- इसमें पढ़कर बता दें, कहां लिखा है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मुकेश जी, यह परंपरा नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- आप मुझसे क्यों मांग रहे हैं, यह किताब तो आपको भी मिली है, अगर यह हेड और यह आंकड़ा गलत होगा तो मुकेश जी.
श्री बाला बच्चन-- माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय नायक जी भारत सरकार के मंत्री कब रहे हैं..... (हंसी)...
श्री मुकेश नायक-- यह वैसी ही जानकारी है, जैसी यह जानकारी है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक भी आंकड़ा, एक भी शब्द अनुपूरक बजट में जो पुस्तिका है उससे हटकर नहीं है, मेरी आदत है मैं पढ़कर आता हूं और उस पुस्तिका को मैं रख देता हूं क्योंकि मैं पर्याप्त रूप से अध्ययन करके आता हूं. यह सारे आंकड़े माननीय मुकेश जी अगर आप सूचना केन्द्र पर दस्तखत करने हाजिरी रजिस्टर पर गये होंगे तो वहां पर एक खाना है उस खाने के अंदर साहित्य होता है उसी में प्रथम अनुपूरक बजट की कापी होती है जो अभी माननीय मंत्री महोदया ने दिखाई है वह मैं चूंकि घर रखकर आ गया, अन्यथा मैं आपको वह भी दिखा देता, उसमें लिखा है, मैं कोई चीज उससे हटकर के बात नहीं कर रहा. यह तमाम उस किताब का निचोड़ है माननीय मुकेश जी जो मैं नोट करके आया हूं. मैं किताब का सहारा सिर्फ देखने के लिये करता हूं बाकी मैं अपने हाथों से लिखकर के आता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- यशपाल जी, जिस नाम से खाना है वहां वहीं भर नहीं मिलता, बाकी किताबें, साहित्य कबूतर नहीं मिलता पिजन होल उसको कहा जाता है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय उपाध्यक्ष जी, वह शब्द मैं नहीं कहना चाह रहा था.
श्री मुकेश नायक-- हर बात में खाना, यह आदत पड़ गई है. ...(हंसी)....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस अनुपूरक बजट में पहली बार वह चीज सामने आई है जिसके बारे में कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी. समर्थन मूल्य गेहूं का होता है, समर्थन मूल्य मक्का का होता है, समर्थन मूल्य उड़द का होता है, लेकिन पहली बार माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्याज का भी समर्थन मूल्य होगा, इस बात को लेकर के इस पुस्तिका में अनुपूरक बजट में उल्लेखित किया गया है और विपणन संघ के प्याज खरीदी अग्रिम हेतु 15 करोड़ रूपये की राशि इसमें प्रावधानित की गई है, यह मेरा लिखा हुआ नहीं है, इस किताब में लिखा है. चंदेरी सूक्ष्म सिंचाई योजना, मझगांव सूक्ष्म सिंचाई योजना, खरमेर परियोजना, पारस गोहद सिंचाई परियोजना, यह माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने एक बानगी दी है, बड़ी सूची मेरे पास है उसकी फोटो कापी है यह, मुकेश जी उसी की कापी है यह. यह उसमें समावेश किया गया है और उसके लिये अनुपूरक बजट में उसकी आवश्यकता होती थी इसलिये अनुपूरक बजट में आपसे मांग की जा रही है, सदन से मांग की जा रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दिव्यांगों के लिये निशक्त विकलांगों के लिये प्रधानमंत्री ने जो नाम दिया है उसके अंतर्गत बाधारहित वातावरण मिले इन दिव्यांगों को इस हेतु 3 करोड़ 15 लाख 5 हजार 6 सौ रूपये का प्रावधान माननीय उपाध्यक्ष महोदय इसमें किया गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय जैसा मैंने पूर्व में भी कहा है पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर के जिस प्रकार से माननीय मुख्यमंत्री जी ने जल पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर के खंडवा के हनुवंतिया में एक केबिनेट की बैठक करके उदाहरण प्रस्तुत किया था, इस अनुपूरक बजट में 5 करोड़ रूपये का प्रावधान जल पर्यटन को लेकर के इस बजट में किया गया है, मैं उसका भी स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पोलिटेकनिक कालेजों में ग्रामीण छात्रों को रोजगार उपलब्ध हो इसके लिये 4.59 लाख रुपये का प्रावधान इसमें किया गया है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत 60 प्रतिशत अंशदान केन्द्र सरकार का और 40 फीसदी अंशदान राज्य सरकार द्वारा दिया जाना सुनिश्चित होना है उसको करते हुए राज्य सरकार का अपना अंशदान 997.76 लाख की आवश्यक्ता महसूस की जा रही थी उसके अंतर्गत इसको समाविष्ट किया गया है. अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के कृषकों को रियायती ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण उपलब्ध हो सके इसके लिये 3424 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान इसमें किया गया है. जहां सरकार को यह सफलता प्राप्त हुई कि नर्मदा का पानी क्षिप्रा में लाये. प्रतिपक्ष के लोगों को कल्पना करनी चाहिये कि सिंहस्थ के पर्व पर क्षिप्रा में पानी नहीं होता और नर्मदा की कार्य योजना अगर हाथ में नहीं होती, इस सरकार ने स्वीकृत नहीं की होती तो क्या चट्टान के ऊपर बैठकर लोग स्नान करते. क्या गहरे गढ्ढे में जाकर गंदे पानी में स्नान करते ? नर्मदा का पानी चलकर आया जो आज भी क्षिप्रा में प्रवाहित हो रहा है. इसी के अंतर्गत नर्मदा क्षिप्रा का मिलन हुआ. उसी प्रकार इस प्रथम अनुपूरक में अब नर्मदा का पानी क्षिप्रा से बढ़कर आगे बढ़े तो मालवा-गंभीर लिंक उद्वहन सिंचाई योजना के लिये 200 करोड़ का इसमें प्रावधान किया गया है. एक समय था जब मालवा के बारे में कहा जाता था कि "मालव धरती गहन गंभीर,डग-डग रोटी पग-पग नीर" लेकिन दोनों हमारे हाथ से चले गये हैं क्योंकि जिस तरह से भूजल स्तर नीचे चला गया. आज नर्मदा का पानी जो व्यर्थ में बहकर जा रहा है वह किस प्रकार से आगे बढ़ता जाये और किस प्रकार गांधी सागर तक चला जाये और गांधी सागर में पचास वर्षों के लंबे इतिहास के बाद पह ली बार यह तय हो जाये कि गांधी सागर के पानी का उपयोग सिर्फ रावतफाटा या कोटा राजस्थान को नहीं मिलेगा वह मध्यप्रदेश के मन्दसौर और नीमच जिले को भी मिलेगा और इसके लिये मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा जब आपके पास जल संसाधन विभाग था आपने मंदसौर के लिये दो महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई हैं. मंदसौर के एक-एक गांव के नलों से चंबल नदी का पानी मिल जाये और मंदसौर नगर पालिका में गांधी सागर का पानी मंदसौर चलकर आ जायेगा और आने वाले समय में नीमच,जावद के प्रत्येक गांव तक पानी पहुंच जायेगा यह कल्पना इस सदन के नेता यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज जी के मन-मस्तिष्क से ही उभरकर आ सकती है. मैं इस प्रथम अनूपूरक बजट का हृदय से स्वागत करता हूं और माननीय वित्त मंत्री जो को हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,कंट्रोलर आडीटर जनरल ने बिना जरूरत के लाये गये तीन अनुपूरक बजट पर सवाल उठाये थे. तीनों बेकार हुए क्योंकि सभी अनुपूरक बजट के प्रावधान अनावश्यक थे क्योंकि 35 हजार करोड़ की बचत हुई है. 2014-15 के बजट में 1 लाख 48 हजार 505 करोड़ का प्रावधान था. इसमें से सिर्फ 1 लाख 13 हजार 52 करोड़ रुपये खर्च हुए. सरकार की सभी मदों में 35453 करोड़ रुपये की बचत हुई. इसके बावजूद सरकार तीन-तीन अनुपूरक बजट लेकर आई वह भी 19504 करोड़ के. इसके पूर्व दो-तीन अनूपूरक पेश होते थे परंतु पिछली बार आपने चार अनूपूरक बजट पेश किये. स्पष्ट है कि आपका बजट प्रबंधन आपका ठीक नहीं है और इस कारण राजकोषीय घाटा पिछले वर्ष के मुकाबले 1470 करोड़ बढ़ा है. विभागों द्वारा जब राशि खर्च नहीं की गई. उसमें से 49 प्रतिशत सरेंडर की गई और उनमें से 117 मामले ऐसे हैं जिनमें 16148 करोड़ रुपये की बचत वित्त वर्ष के अंतिम दिन सरेंडर की जिसके कारण विकास कार्य नहीं हो पाये. इसको आपको रोकना चाहिये. आप रोक नहीं पाये. लेकिन भविष्य में मेहरबानी करके रोके. प्रदेश में जमीनों के खेल में 416.15 करोड़ रूपये की चपत सरकारी खजाने में लगी है, क्योंकि आप भू-माफियाओं को मदद करते हैं. 161.94 करोड़ रूपये तो ऐसे हैं, जिसमें टैक्स लगाया जा सकता था लेकिन बाबूगिरी के गठजोड़ से टैक्स नहीं लगाया गया है. इसके अलावा 180.73 करोड़ रूपये की गड़बड़ भी पकड़ में आई है.
उपाध्यक्ष महोदय, 122 नगरीय निकायों में 23,368 प्रकरण ऐसे मिले जिनमें जमीनों के राजस्व में गड़बडि़या मिली. लंबित मामलों में 34 करोड़ की हानि, 30 जून 2005 का विभिन्न मामलों में 13,134 प्रकरण ऐसे लंबित थे, जिनमें शासन का 34 करोड़ का नुकसान हुआ और सन् 2014 -15 में आपने 446.28 करोड़ रूपये का अधिक व्यय किया. भ्रष्टाचार पूरा फैला हुआ है, लोकायुक्त के अगर प्रकरण देखें तो लोकायुक्त में राजस्व विभाग के सबसे ज्यादा भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी पकड़े हैं और उसके बाद भी लोगों में डर पैदा नहीं है.
इंदौर का पेंशन का घोटाला, जिसकी रिपोर्ट आप रख नहीं रहे हैं. गरीबों को दी जाने वाली पेंशन राशि में 14 जिलों में 30 करोड़ का हिसाब नहीं मिल रहा है. जिला योजना का आपका एक भी वित्तीय प्रबंधन खराब नहीं है बल्कि जिलों में ओर भी ज्यादा खराब है जिला योजना अधिकारी और जिलाधीश अन्य एकाउंट में पैसा रखते हैं, 2015 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कोषालय संहिता का घोर उल्लंघन हुआ और विभिन्न विभागों में व्यक्तिगत खाते जिलों में खोले गये और वित्त विभाग की अनुमति भी नहीं ली गई, इसको आपको रोकना चाहिए. नियमानुसार वित्तीय वर्ष समाप्त होते ही खाते बंद हो जाने चाहिए लेकिन कई विभाग इसका पालन नहीं कर रहे है वित्तीय वर्ष के समाप्ति के बाद भी करोड़ों रूपये इन खातों में जमा पड़ रहे. मार्च 2015 की समाप्ति तक व्यक्तिगत खातों में 2704 करोड़ रूपये जमा है, इसको आप चेक करें. वित्त विभाग से मिलान न होने से इन खातों के जरिये अनियमितताओं की संभावनाएं बहुत है, जिसको आपको चेक करना चाहिए. कई विभागों के केंद्रीय अनुदान के करोड़ों रूपये व्यक्तिगत खातों में जमा हैं और उनके हिसाब किताब का मिलान नहीं होता है. भारत शासन को वापस यह पैसा जाना था लेकिन राज्य शासन के राजस्व खातों में पड़े रहने से अरबों रूपये का जनहित में उपयोग नहीं हो पाया है. जिले के लोग उपयोगिता प्रमाण पत्र भी नहीं देते, इसमें आपको सख्ती भी बरतनी चाहिए, क्योंकि विभिन्न विभागों को दी गई 27,005.73 करोड़ रूपये की अनुदान सहायता के उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं हुए है और 2015 के बाद भी 34,950 प्रकरणों में उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं है. राज्य सरकार का राज्य व्यय लगातार बढ़ रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, 31 मार्च 2015 की स्थिति में 82,373 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जो मार्च 2014 की स्थिति में 17.83 प्रतिशत अधिक थी. बजट प्रस्तुत करते हुए आपने राजकोषीय घाटे को जी.डी.पी का 3.5 रखने का आश्वासन दिया था लेकिन यह 3.9 है, इसको आपको रोकना चाहिए पृथक अनुपूरक में 14 हजार 6 सौ या 7 सौ करोड़ जो भी है, उसमें इंफास्ट्रक्चर के लिये सिर्फ चार हजार करोड़ रूपये है जबकि अधिकांश धनराशि इंफास्ट्रक्चर के लिये खर्च की जाना चाहिए. चार माह पूर्व ही 1 लाख 56 हजार करोड़ का बजट पारित हुआ था और पहला अनुपूरक 14 हजार 3 सौ करोड़ का ज्यादा है. वित्तमंत्री कहते है कि केंद्र से राशि मिलने से समायोजन के कारण यह राशि अधिक हुई है. आपने पुलिस को मांग संख्या एक जिला प्रशासन से मैं यह कहना चाहूंगा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग रहा है . लोकायुक्त कई प्रकरण पकड़ रहे हैं लेकिन लोगों में कोई डर नहीं है बिना रिश्वत कोई फाईल आगे नहीं बढ़ती है. जिलों में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार है. मांग संख्या 3-4 में पुलिस को दस करोड़ की आपने गाडि़या दी हैं, ठीक किया है क्योंकि मध्यप्रदेश में महिलाओं के विरूद्ध अपराध में नंबर वन है, रेप में नंबर वन है. इसलिए मध्यप्रदेश पुलिस को अधिक से अधिक सुविधाएं दी जानी चाहिए ताकि वह क्राइम कंट्रोल कर सके.आप FIR ऑन लाईन अलाऊ करें. क्योंकि अधिकारी FIR दर्ज नहीं करते. इसमें भ्रष्टाचार होता है.
उपाध्यक्ष महोदय,मांग संख्या-8 राजस्व. सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के प्रकरण इसमें है. पटवारी सिटीजन चार्टर के बाद भी समय सीमा में सीमांकन और नामांकन नहीं करते. इसके बाद आप एक्ट ले आये. एक्ट के बावजूद भी कई जिलों में सीमांकन, नामांकन नहीं होता है. सीमांकन जानबूझकर पैसे वालों के कहने पर गलत कर दिया जाता है. इसके कारण गरीबों को नुकसान होता है. इस पर आपको रोक लगाना चाहिए. राजस्व मण्डल भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. राजस्व मण्डल में आप रिजेक्टेड अधिकारियों को भेजते हैं. इस कारण वे लोग पैसा लेकर ऐन केन प्रकारेण ऐसे फैसले देते हैं जो शासन और जनहित के विरुद्ध होते हैं. जैसे कमिश्नरी में एडीशनल कमिश्नर होते हैं. मेरे यहां विधानसभा में छोटे छोटे सचिव लाखों के भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड हो गये वे सब लोग स्टे ले आये. आप कमिश्नरी से अतिरिक्त आयुक्त का पद खत्म कर दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या--11 उद्योग में मेरा यह कहना है कि प्रदेश की जो जीनिंग फैक्ट्रीज़ थी, उनकी सभी जमीनों पर भू-माफियाओं ने कॉलोनियां बना दी है उसको आपको रोकना चाहिए. उसकी जांच करना चाहिए और वह जो नामांतरण किया है, उसको निरस्त करके, सरकारी कब्जे में उन जीनिंग फैक्ट्रीज़ की जमीन लेना चाहिए. जावरा शुगर मिल की भूमि भी भू-माफिया हड़पने की योजना बना रहा है. इसको रोकना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, किसान कल्याण विभाग के संबंध में माननीय कृषि मंत्रीजी से अनुरोध करुंगा कि नकली खाद-बीज की भरमार है. आप कहते हैं कि ये बड़े बड़े लोग हैं और अपने आपको असहाय साबित करते हैं. अभी तीन दिन पूर्व जावरा विधानसभा क्षेत्र में रिंगनोद में नकली कीटनाशक के कारण सैकड़ों खेत बरबाद हो गये. नकली खाद सप्लाई करने वाली जो फर्म है, उस पर आपने कोई कार्रवाई नहीं की है इसके कारण जनता में बहुत ज्यादा असंतोष है. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप उस पर कार्रवाई करने का कष्ट करें. फर्म का नाम है आशीर्वाद कृषि सेवा केन्द्र, रोला. सैकड़ों किसान रो रहे हैं. इन पर आपको सख्त कार्रवाई करना चाहिए. इसी तरह से झाबुआ-पेटलावद में अमानक और घटिया बीज खूब दिये जा रहे हैं. कपास में बीज में तो ज्यादा अनियमितताएं हो रही है इसकी भी आपको जांच करना चाहिए. दो तरह के बीज MCH बीज बेचने की अनुमति लेकर, बीज माफिया उसके स्थान पर DCL बीज पैकिंग करके बेच रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, कृषि विभाग ने जितने स्टाप डेम बनाये हैं,क्योंकि जल स्तर नीचे जा रहा है. उन सबकी मिट्टी निकालवाने की कोशिश करें.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-17 सहकारिता विभाग. इसमें छतरपुर के उपायुक्त,सहकारिता पर दमोह और पन्ना में पदस्थी के दौरान के जबरजस्त आरोप हैं लेकिन उनका स्थानांतरण नहीं हो पा रहा है. गृह निर्माण समितियों में जबरजस्त भ्रष्टाचार है. उनके खिलाफ अभियान छेडना चाहिए और ऐसी सब संस्थाओं पर कार्रवाई करना चाहिए ताकि जिन्होंने मकान लिये हैं उनको सहुलियत मिल सके. अधिकांश जिला सहकारी बैंक में नामिनेटेड लोग हैं. वह भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए है. होशंगाबाद,भिंड,मंदसौर,रतलाम में अपात्रों के ऋण माफ कर दिये गये हैं, उस पर आपने कोई कार्रवाई नहीं की है.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-18 लोक स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर्स,नर्स, वॉर्ड बॉय,टेक्निशियन इन सबकी जबरदस्त कमी है और नकली और एक्सपायरी डेट की दवाओं की भरमार है. आपसे अनुरोध है कि भोपाल में जो AIIMS खुला है, उससे लोगों में बहुत नाराजगी है क्योंकि उसका काम तेजी से नहीं हो रहा है. वहां स्टाफ नहीं है, दवाईयां नहीं है. खाली बिल्डिंग बनाना ठीक नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-20 पीएचई. प्रदेश के अधिकांश गांवों में हैंडपंप खराब थे, उनको सुधारा नहीं गया. भू-जल स्तर नीचे चले जाने से गहरे नलकूप खनन की आपको योजना बनाना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- महेन्द्र सिंह जी कितना समय लेंगे?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- उपाध्यक्ष महोदय, थोड़ा सा समय और लूंगा. गांवों में शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है. आपको उसकी व्यवस्था करना चाहिए. पिपलोदा, जावरा और मंदसौर में जल स्तर सबसे नीचे चला गया है. वहां विशेष योजनाएं बनाना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-24 अतिवृष्टि के कारण लोक निर्माण विभाग की अधिकांश सड़कें बह गई हैं. इसलिए आपको लोक निर्माण विभाग से क्वालिटी सुधार करवाना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-25 खनिज विभाग के संबंध में कहना चाहता हूं कि खनिज माफिया बहुत हावी है. अशोक नगर में लालबत्ती लगाकर खनिज माफिया को पकड़ा गया और जब उनके वाहन जप्त करके ले जा रहे थे, तब पुलिस प्रशासन पर खनिज माफिया ने हमला किया और वाहन छुड़ा लिये. दोबारा पुलिस गई और उन सब वाहनों को लेकर आई है. लेकिन उसमें अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई.
मांग संख्या - 27 स्कूल शिक्षा में अधिकांश स्कूलों में हैंडपंप नहीं हैं और लगभग 1 लाख स्कूलों में बिजली नहीं हैं. अध्यापकों का आज आन्दोलन हुआ है. अध्यापकों की मांगें आपको माननी चाहिए. समान वेतन, समान काम की बात स्वीकार करनी चाहिए और उनको अन्य ड्यूटीज़ नहीं देनी चाहिए.
मांग संख्या - 28 विधि और विधायी कार्य विभाग में अधिकांश प्रकरणों में सरकार जवाब नहीं दे रही है, इसलिए सैंकड़ों प्रकरण न्यायालयों में पेंडिंग पड़े हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आप बाध्य करिए कि सरकार इसके जवाब दे. विधि और विधायी कार्य विभाग के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि वर्ष 2010 में जो खाद्य के मामले में करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार राशन दुकानों में गुना और अशोकनगर में हुआ, वह प्रदेश के किसी जिले में नहीं हुआ है. उसमें हाईकोर्ट ग्वालियर ने एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये थे. छोटे-छोटे कर्मचारी जाकर हाईकोर्ट से स्टे ले आए और आज 5 साल हो गये, वह स्टे वेकेट नहीं हो रहे हैं. आप देखिए कि यह कौन-सा जज है, जिसने यह सब स्टे दिये हैं और उनके विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए और वह स्टे वेकेट कराना चाहिए.
मांग संख्या - 32 में करोड़ों रुपए आपने विज्ञापन में खर्च किये हैं. यह अनुचित है. अगर पिछले सालों का आप रिकॉर्ड देखें तो करोड़ों रुपए न केवल सिंहस्थ में बल्कि हर जगह विज्ञापनों में खर्च कर रहे हैं.
मांग संख्या - 34 में कहना चाहता हूं कि वृद्ध, निःशक्तजनों और विधवा, विकलांग पेंशन लोगों को नहीं मिल रही है. मांग संख्या - 35 में सैंकड़ों पर्यटन स्थानों का विकास नहीं हुआ है, उनका प्रचार नहीं हो रहा है. पचमढ़ी का प्रचार तो है लेकिन मढ़ई का प्रचार नहीं है. खाद्य विभाग में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार अशोकनगर और मुंगावली में हुआ है. भाजपा के विधायक ने भी मामला उठाया था. जबकि मैं यह लगातार मामला उठा रहा हूं. लेकिन एक भी दोषी को इसमें सजा नहीं मिली है. यह बहुत दुख की बात है. उद्यानिकी विभाग में ड्रिप सिंचाई में इंदौर और उज्जैन में खूब घपला हुआ है. खासतौर से पिपलौदा ब्लाक, जावरा जिले में हुआ. महिला एवं बाल विकास विभाग में हर साल 22 अरब रुपए खर्च हो रहे हैं, उसके बाद भी कुपोषण की समस्या बनी हुई है. बच्चों और माताओं की मृत्यु दर बढ़ रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, अंत में, मैं पंचायती राज के बारे में बताना चाहूंगा कि जो सचिव, सरपंचों को सहयोग नहीं करते हैं. मेरे अशोकनगर जिले में कई 8-10 सचिवों की शिकायत हैं. लेकिन उनका स्थानांतरण नहीं हो रहा है क्योंकि वे मैनेज कर लेते हैं. एक सचिव तो ऐसा है जो कि बोर्ड ऑफ रेवेन्यू से या अतिरिक्त आयुक्त से स्टे ले आया. सरपंच बेचारा परेशान है. हमारे यहां शौचालय और पशु शेड में बहुत भ्रष्टाचार हुआ है. हमारे यहां एक पंचायत है कस्बा रेंज. कस्बा रेंज पंचायत, प्रधानमंत्री की सांसद योजना की पंचायत है. उसके 2 भवन किराएदारी के नाम पर भू-माफिया के कब्जे में हैं. मैं पिछले 5 साल से कोशिश कर रहा हूं. वे दोनों भवन मंत्री जी की जानकारी में हैं कि उसमें भू-माफिया कौन हैं. दोनों भवनों में एक तो बंगला है और 7 साल से किराएदारी के नाम पर भू-माफिया ने कब्जे में कर रखा है. वे लोग वहां पर असामाजिक गतिविधियां करते हैं. आपके सीईओ ने आदेश भी कर दिया है कि यह गलत है, किराएदारी में उसको नहीं दे सकते हैं. फिर भी वह खाली नहीं कर रहे हैं, मेहरबानी करके आप इन दोनों भवनों पर ताला लगाइए. धन्यवाद, जय हिन्द.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ अपने क्षेत्र के बारे में ही माननीय मंत्री जी से समक्ष अपनी बात रखूंगा. मध्यप्रदेश की सरकार में जिस तरीके से विकास के कामों को बढ़ाया गया है और 14000 करोड़ रुपए के लगभग जो आज अनुपूरक बजट आया है, मैं उसके समर्थन में बोल रहा हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपको जैसे जानकारी है कि विगत 12 वर्षों में सरकार ने सभी विभागों में जिस द्रुत गति से कार्य किया है, वह पूरी मध्यप्रदेश की जनता को मालूम है. लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस के बंधुओं के द्वारा सिंहस्थ और सिंहस्थ की आड़ में संघ परिवार एवं उसकी सामूहिक संस्थाओं के ऊपर जो ऊंगली उठाई जा रही है, मैं उसके बिल्कुल खिलाफ हूं. अगर तथ्य है तो माननीय गोविन्द जी उस बारे में बोल सकते हैं. चूंकि आपने उस समय मुझे मना किया था कि मैं न बोलूं, जब मेरा बात करने का विषय आया है तो मैंने आपके सामने यह बात रखी है. माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि जो सामाजिक संगठन हैं जो समाज के लिए काम करते हैं उनके विषय में जब तक हमारे पास तर्कसंगत बातें न हों, जानकारी अच्छे से उपलब्ध न हों, तो सदन को गुमराह नहीं करना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे यह अनुरोध है कि मेरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कई विभाग ऐसे हैं जिनके बैठने की व्यवस्था भी नहीं है तो मैंने अपनी तरफ से माननीय मंत्री जी से निवेदन किया था कि वहां पर स्वामी विवेकानंद परिसर बना दिया जाए, जिसमें सभी विभाग वहां पर एकत्रित होकर अपना काम कर सकें और समाज की सेवा कर सकें. मेरे क्षेत्र में उमरिया से नेगुंवा से मुंगवानी तक 25 किलोमीटर की रोड है उसको भी इसमें शामिल किया जाएगा, तो मैं समझता हॅूं कि यह बहुत बढि़या होगा. गोटेगांव खेड़ा से बरोदा से सहजपुरा बगासपुर 6 किलोमीटर की रोड है. मगरधा से घाटपिण्डरई 7 किलोमीटर की रोड है. कटकुई से सिलवानी 6 किलोमीटर है. सांकल से राखी से भैंसा होते हुए ब्रम्हकुण्ड तक 7 किलोमीटर रोड है. झौंत से भामा से पहाड़ीखेड़ा से खुर्शीपार 14 किलोमीटर है. उमरिया से गुर्रा से भामा से 6 किलोमीटर है. कनेरा नदी पर भौंती के पास पुल निर्माण एवं नगरीय प्रशासन में एक ऑडिटोरियम की मैंने एक मांग रखी थी, यह भी बजट में अगर आ जाए, तो बड़ी कृपा होगी. नगर पालिका परिषद, गोटेगांव से स्टेशन के पास बडे़ पुल के पास बेलाई बाजार में सुलभ काम्प्लेक्स का निर्माण है. गणेश ताल का सौन्दर्यीकरण, बकतला तालाब का सौन्दर्यीकरण, भगतराम चौराहा और फुवारा चौक, पेट्रोल पम्प, बेलाई बाजार ठाकुर बाबा, पथरिया कुंआ, रिपटा मस्जिद तिराहा, नर्मदा मंदिर के पास हाईस्कूल की हाई मास्क लाईट लगाने के लिए मैंने निवेदन किया है. नगर पालिका में स्वच्छता शाखा में राशि का आवंटन बहुत जरूरी है. अनुविभागीय अधिकारी, एसडीओपी की सदन में यह बात आई थी, यह भी अगर इसमें आ जाए तो बहुत बढि़या होगा. अनुविभागीय अधिकारी राजस्व का पुनर्गठन कार्यालय गोटेगांव में बहुत अनिवार्य है. राजस्व विभाग में चांद मुनारे ठीक करने का मैंने निवेदन किया था, जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है. उमर नदी का इसमें एक कटाव का विषय भी मैंने दिया था, इससे हमारे क्षेत्र के करीब चार गांव एक आखीवाड़ा, सिमरीबडी, खमरिया और अकोला प्रभावित हो रहे हैं. इसमें अभी ध्यान नहीं दिया गया तो बहुत जल्दी गांव नदी के कटाव से बह जाएंगे. नर्मदा तट में हमने 4 जगहों पर घाटों के सौन्दर्यीकरण के लिए भी निवेदन किया है. बकतला तालाब और गणेश तालाब का भी किया है. पंचायत ग्रामीण विभाग में आदिवासी नवीन जनपद पंचायत, मुगवानी का सृजन करने के लिए भी माननीय मंत्री महोदय से निवेदन किया है. मुख्यमंत्री ग्राम स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 17 सड़कों का और पंचायत भवन में मेरी विधानसभा में 50 का निर्माण अभी बाकी है उसके संबंध में भी निवेदन किया है और विद्युत विभाग की तरफ से नवीन वितरण केन्द्र, उपकेन्द्र एवं संभाग कार्यालय का सृजन गोटेगांव विधानसभा के अंतर्गत अगर करेंगे तो बड़ी कृपा होगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, कैलाश जी.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -– माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, प्रदेश को चलाने के लिए सरकार द्वारा बजट की मांग करना और बजट विधानसभा से पारित कराना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन सरकार उस बजट को किस तरह से खर्च करती है यह भी देखना चाहिए. जैसा कि आदरणीय महेन्द्र सिंह जी ने बताया कि किस तरह से वर्ष के अंतिम वर्षों में, अंतिम महीनों में, अंतिम वित्तीय माह में आपने कितने विभागों का बजट सरेंडर किया है, इस पर भी ध्यान देना चाहिए. आपके बजट का वित्तीय प्रबंधन बिल्कुल बेकार है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदरणीय तिवारी जी ने भी उस समय बात उठाई थी कि किस तरह से राजकोषीय घाटे से अधिक सीमा से अधिक आप कर्ज लेते जा रहे हैं. आज मध्यप्रदेश पूरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ है. 1 लाख 55 हजार करोड़ रूपये का कर्ज है और लगभग प्रत्येक किसान पर, प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर 40 हजार रूपये का कर्ज है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा रूपये 14 हजार 367 करोड़ 54 लाख 24 हजार 9 सौ का अनुपूरक अनुमान और विनियोग विधेयक प्रस्तुत किया गया है. अनुपूरक अनुमान के संबंध में माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं देखना चाहूंगा कि उन्होंने विशेष रूप से जो प्रोवीजन किए हैं लोकसेवा आयोग में पृष्ठ से शुरू करूंगा. लोक सेवा आयोग में अभिभाषक शुल्क के लिये 14 लाख रूपये. आखिर लोक सेवा आयोग में इस तरह की लिटिगेशन क्यों पैदा होती है. कहीं न कहीं आपकी कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है और वहीं आगे के पृष्ठ पर मद क्रमांक 10 और 11 में भाई सिसोदिया जी बैठे हैं. एक प्रदेश के नागरिकों के जीवन में खुशियां और जीवन को आनंद देने के लिये आनंद मंत्रालय का स्थापना की है. आप बताएं कि किस तरह से प्रदेश के लोगों को आप आनंदित करना चाहेंगे. क्या विजन है आपका, आपकी क्या सोच है, किस तरह से लोगों को आनंद देना चाहते हैं. आनंद एक स्वस्फूर्त, स्वमेव उत्पन्न एक ऐसी प्रक्रिया है कि व्यक्ति मन से और हृदय से जब आह्लादित होता है तब ही वह आनंदित होता है. आज प्रदेश में लगभग 27 लोग रोज आत्महत्या कर रहे हैं. प्रदेश में रोज 8 किसान आत्महत्या कर रहे हैं, 2 छात्र रोज आत्महत्या कर रहे हैं, किस तरह से आप आनंदित करेंगे, किस तरह से आप आनंद दिलायेंगे अगर आपके प्रदेश के किसानों को आनंद देना है, प्रदेश के किसानों के चेहरे पर खुशहाली देखना है तो प्रदेश के किसानों का एक बार कर्ज माफ करिये और प्रदेश के किसानों को उऩके पैरों पर खड़ा करने का काम करिये. यह पहला अवसर है आदरणीय वित्तमंत्री जी आपने भी देखा होगा, आपके राजनीतिक जीवनकाल में मैं समझता हूं कि मेरे जीवनकाल का सबसे बड़ा भयावह सूखा और त्रासदी किसानों ने झेली है. लेकिन इस वर्ष इस त्रासदी में किसानों के लिए एक नई पाई का सूखा राहत कार्य, एक नई पाई का काम प्रदेश की किसी भी पंचायत में नहीं चलाये गये हैं और प्रदेश के आज भी 15 वर्ष से लेकर 40 वर्ष तक के युवा ग्रामीण क्षेत्र के 70 प्रतिशत युवा बड़े बड़े शहरों में काम करने के लिए चले गये हैं, उन्होंने रोजगार के अभाव में, रोजगार की तलाश में पलायन किया है. लेकिन आपने यह नहीं देखा है कि किस तरह से हम इनका पलायन रोक सकें और प्रदेश में सूखा राहत के काम चला सकें, जिससे प्रदेश की जनता खुशहाल हो सके.
आप यहां पर आनंद मंत्रालत की बात करते हैं तो प्रदेश में कुपोषण की स्थिति को देखें सभी ने इसके बारे में जिक्र किया है. आज 5 वर्ष तक के 60 बच्चे रोज काल के गाल में समा रहे हैं, वे रोज मौत के मुंह में जा रहे हैं. आप उनको बचाने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं. उनको बचाने केलिए बजट में प्रावधान करते तो निश्चित रूप से आपकी आनंद की बात समझ में आती लेकिन इस तरह से आनंद मंत्रालय की कल्पना, मैं नहीं समझता कि आप किस तरह से प्रदेश की जनता को आनंदित करना चाहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, कई तरह के प्रावधान इस अनुपूरक में किये गये हैं मॉडल करियर सेण्टर की स्थापना. इन्होंने अपनी काफी तारीफ की है निवेश प्रोत्साहन के लिए 15 करोड़ रूपये की व्यवस्था की जा रही है. विद्युत वितरण कंपनियों को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय की प्रतिपूर्ति के रूप में 440 करोड़ रूपये का प्रावधान किया जा रहा है. आप बतायें कि प्रदेशमें किसे नि:शुल्क विद्युत प्रदाय कर रहे हैं, किसे नि:शुल्क विद्युत दे रहे हैं, किसे विद्युत प्रवाह उपलब्ध करा रहे हैं. यहां पर बात को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए, आप जो सब्सिडी दे रहे हैं तो मुझे लगता है कि यह प्रावधान उसके लिए होगा. विद्युत प्रवाह नि:शुल्क नहीं दिया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय निर्मल भारत के क्रियान्वयन में भी यह व्यवस्था की गई है, रोजगार गारण्टी योजना के लिए भी प्रावधान किया है कि इसके तहत 640 करोड़ रूपये की अनुपूरक अनुमान की आवश्यकता है. माननीय भार्गव जी भी बैठे हैं. यह माननीय भार्गव जी को पता है . माननीय भार्गव जी की पीड़ा को आप समझने की कोशिश करें. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं हाई कोर्ट के भी निर्देश हैं केन्द्र सरकार ने भी कई बार पत्र लिख दिया है रोजगार गारण्टी के विलंबित भुगतान का लगभग 200 करोड़ रूपया मजदूरों का आज भी बकाया है जिसका भुगतान आप नहीं कर पा रहे हैं. केन्द्र सरकार ने कई बार आपको पत्र लिखा है लेकिन आप इसकी व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय राष्ट्रीय फसल बीमा योजना, एक नई योजना आपने लागू कर दी है. पिछली फसल बीमा योजनाओं का पैसा किसानों को नहीं मिला है. आपने प्रावधान किया है लेकिन आज तक 2013-14 का पैसा नहीं मिला है, 2014-15 का पैसा नहीं मिला है और उस पर से आपने नई योजना लागू कर दी है. यह प्रदेश में पहला अवसर था कि केन्द्र सरकार से प्राकृतिक आपदा के मामले में एक भी राशि राज्य सरकार को नहीं मिली है, अगर मिली है तो बतायें आपने मांग की है 4355 करोड़ रूपये की लेकिन आपको वह राशि नहीं मिली है. आप प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना करने जा रहे हैं. इस बीमा योजना के साथ साथ शायद केन्द्र ने यह भी निर्देश दिये हैं कि अब राज्यों को राहत राशि नहीं प्रदाय की जायेगी. मैं समझता हू कि यह देश के किसानों के साथ में सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात होगी. इसके साथ साथ जो बीमा राशि है. पहले बीमा किसान के खेत का किया जाता था अब जो बीमा राशि है किसान के जितने भी खाते की जमीन है वह जितनी भी खेती करे उसकी पूरी लिमिट पर बीमे की राशि ली जायेगी, ऋण के साथ ही ली जायेगी चाहे वह कितनी ही राशि का ऋण ले, उसको वह क्या भाव पड़ेगा, आपने 25 प्रतिशत बोवनी के समय पर अगर बोवनी नष्ट होती है तो देने का प्रावधान किया गया है तो उसे कैसे लागू करेंगे. अभी भी काफी बोवनी नष्ट हो गई है लेकिन इसकी व्यवस्था आप नहीं कर पा रहे हैं. इसी के साथ साथ आपने जब जब जो घोषणायें की हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी के साथ साथ आपने जब जब जो घोषणाएं की हैं, उन घोषणाओं की क्या स्थिति है, वह छुपी नहीं है । बजट आता है, अनुपूरक अनुमान आता है लेकिन आज तक कभी मुझे यह देखने को नहीं मिला कि मेरी विधानसभा क्षेत्र की किन्हीं योजनाओं के बारे में न इनका जिक्र है या मुझे कोई राशि उपलब्ध कराई गई है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने बताया सिंहस्थ की भी बात आई कई ऐसी बातें हैं । आज राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं । व्यावसायिक परीक्षा मण्डल में भ्रष्टाचार की बात सभी जगह उजागर है । सीबीआई जांच कर रही है, आपने 58 प्रकरण आज भी नहीं दिए हैं । कई आवेदन आज भी लंबित हैं लेकिन आप उनकी जांच नहीं कराना चाहते हैं इसी तरह से लोक सेवा अयोग में भी आयुर्वेदिक चिकित्सा परीक्षा का पेपर आऊट हुआ वह परीक्षा आपने निरस्त कर दी । राज्य सेवा परीक्षा प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के पेपर आऊट हुए वह आपने नहीं देखा आप साक्षात्कार कराते जा रहे हैं अभी बात चल रही थी मुख्यमंत्री जी के विधानसभा क्षेत्र बुधनी जिसमें एक अनुसूचित जाति की महिला जिसके बच्चे के ह्रदय में बाल्व में छेद था बाल्व डलना था वह गुहार लगाती रही उसकी व्यवस्था नहीं हो पाई और उसने तड़प तड़प के खुद बच्चे के सहित आग लगाकर आत्म हत्या कर ली इससे बड़ा दुर्भाग्य प्रदेश का क्या हो सकता है । बुधनी क्षेत्र में दलित परिवार की ....
अध्यक्षीय घोषणा
अनुपूरक मांगों पर चर्चा पश्चात् विनियोग विधेयक का पारण होना
उपाध्यक्ष महोदय- सदन का समय 5:30 बजे तक होने प्रक्रिया नियमावली के अनुसार अनुपूरक मांगों पर चर्चा उपरान्त विनियोग विधेयक अपरान्ह 04:30 बजे पुर:स्थापित किया जाना है । चर्चा के प्रारंभ में माननीय सदस्यों के अनुरोध अनुसार आसंदी से चर्चा हेतु नियम समय में वृद्वि की गई है । अत: तद्नुसार अनुपूरक मांगों पर चर्चा उपरान्त विनियोग विधेयक पुर:स्थापित एवं पारित किया जाएगा । मैं समझता हूं, सदन इससे सहमत है ।
सदन से सहमति प्रदान की.
श्री कैलाश जाटव- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उन्होंने हरिजन शब्द बोला है उसको वापस लें ।
श्री रामनिवास रावत- ठीक है वापस लेता हूं । दलित व्यक्ति कहा है दलित परिवार कहा है ।
उपाध्यक्ष महोदय- परिवर्तित कर दिया गया है, उसको अनुसूचित जाति कर दें ।
श्री रामनिवास रावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति के 50 परिवारों ने ज्ञापन देकर मांग की है कि हमें इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए । इसलिए कि वह भूमिहीन हैं ।
पंचायत मंत्री( श्री गोपाल भार्गव)- उपाध्यक्ष महोदय, आज प्रश्नकाल से ही यह चर्चा हो रही है कि मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र में एक महिला ने इसलिए आत्म हत्या कर ली क्योंकि उसके बच्चे का उपचार नहीं हो सका । उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री बाल ह्रदय उपचार योजना मध्यप्रदेश में प्रचलित है योजना के अंतर्गत अभी तक हजारों बच्चों के ह्रदय का आपरेशन हो चुका है । यदि जानकारी के अभाव में एक हुआ है तो वहां की दूसरी पार्टी वालों के और भी जो जनप्रतिनिधि हैं उनका उत्तरदायित्व था आप उस बात को स्वीकार नहीं करते क्या दूसरी पार्टियां वहां पर राजनीति नहीं करतीं, नेतागिरी नहीं करतीं उन लोगों की क्या जिम्मेदारी नहीं है कि जब योजना प्रचलित है तो उनको देखना चाहिए ।
श्री रामनिवास रावत- यह बात तो सही है कि संवेदनशीलता की कमी है चारों ओर संवेदनशीलता की कमी है । चाहे इधर हो चाहे उधर हो ।
उपाध्यक्ष महोदय- वह कह रहे हैं कि सबकी जिम्मेदारी है ।
श्री रामनिवास रावत- इसलिए मैं कह रहा हूं कि चारों तरफ संवेदनशीलता की कमी है । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से 50 परिवारों ने ज्ञापन देकर इच्छा मृत्यु की मांग की है । मैं समझता हूं कि यह बहुत बड़ी बात है इस पर शासन का वक्तव्य भी आना चाहिए । अगर उन्हें पट्टे मिले हैं तो उन्हें जमीन का कब्जा भी मिलना चाहिए ।
उपाध्यक्ष महोदय, उज्जैन के सिंहस्थ के बारे में कहना चाहता हूं आपने कुंभ लगाया, कुंभ लगता है, हमारा धार्मिक पर्व है, इसमें किसी को मनाही नहीं है । मैंने एक प्रश्न किया था उसमें मैंने जानकारी मांगी थी ।
उपाध्यक्ष महोदय- गोविन्द सिंह जी ने विस्तार से बात कह दी है आप पुनरावृत्ति न करें ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय उपाध्क्ष महोदय, मैं कुछ ही बिन्दु पर जानकारी चाहता हूं मैंने जानकारी चाही थी कि वर्ष 2010-11 से लेकर 2016-17 तक कितना प्रावधान किया तो आपने बताया कि 2771 करोड़, अभी तक खर्च कितना किया तो आपने बताया दो हजार करोड़ 93 लाख रूपए. लेकिन मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं साढ़े पांच हजार करोड़ रूपए सिंहस्थ पर व्यय हुआ । वह साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये कहां से व्यय हुए, कैसे हुए, कहां गए, यही बता दें, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. दूसरी बात आप कहते हैं कि सिंहस्थ में कुछ नहीं हुआ, जबकि सिंहस्थ के संबंध में ईओडब्ल्यू में अभी तक दो प्रकरण कायम हो चुके हैं. एक जो पंचकोशीपरिक्रमा की बात आई थी, पंचकोशीपरिक्रमा में जितने भी टॉयलेट बनाए, मैं गोपाल भार्गव जी के लिए कहूंगा कि अगर शायद टॉयलेट बनाने का काम इनको सौंप दिया जाता तो ये प्रदेश में सबसे ज्यादा बेहतर ढंग से करते, क्यों करते कि इन्होंने टॉयलेट की राशि 11 हजार रुपये निर्धारित की है और गांव-गांव में बनवा रहे हैं और उस पंचकोशीपरिक्रमा में टॉयलेट किराए से लिए, 20 करोड़ रुपये के किराए से लिए, 1 टॉयलेट 31 हजार रुपये का, 25 हजार रुपये का, 21 हजार रुपये का, मैं समझता हूँ उस समय शायद सरकार को हमारे गोपाल भार्गव जी का ध्यान नहीं आया, अगर इनका ध्यान आ जाता तो ये 11 हजार रुपये में अच्छे टॉयलेट भी बनवा देते और राशि भी बचाते. वे टॉयलेट केवल किराए के थे खरीदे नहीं गए थे और उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू में प्रकरण भी कायम हो गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से मैंने पूरे कार्यों की जानकारी चाही थी कि कार्य किसके द्वारा स्वीकृत किए गए. सभी विभागों में सक्षम समिति के द्वारा कार्य स्वीकृत किए गए, कार्यों का कोई उल्लेख नहीं है. समिति किसने बनाई, समिति को वित्तीय अधिकार किसने दिए, समिति की कार्य अवधि क्या है. कुछ चीजें मैं बताना चाहूंगा कि आयुक्त, नगर निगम कौन हैं, जरा दिखवा लें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से कुंभ के सिंहस्थ में 800 रुपये का एक मटका खरीदा गया है और 20 हजार मटके 16 करोड़ रुपये में खरीदे गए हैं. हमें कुंभ में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन आस्था की आड़ में जो भ्रष्टाचार हुआ है, हम उस पर अपनी बात कह रहे हैं, कुछ-कुछ कामों का भुगतान तो यहां से हुआ है. जो डिवाइडर पर घास लगाया गया है वह घास नगर निगम द्वारा 800 रुपये वर्गफुट में खरीदा गया है जबकि 80 रुपये वर्गफुट में आता है और यह 150 करोड़ रुपये का खरीदा गया है. इस तरह की कई बातें हैं, और मटके ऑटो पार्ट्स की दुकान से खरीदे गए हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वह राशि तो मैंने केवल पंचकोशीपरिक्रमा की बताई, नगर निगम, उज्जैन ने भी 80 करोड़ रुपये के टॉयलेट किराए पर लिए. पंचकोशीवाले अलग हैं और नगर निगम वाले अलग हैं. नगर निगम ने भोजन पर 65 लाख रुपये व्यय किए, आप तो आस्थावान व्यक्ति हैं आप वहां भोजन करने जा रहे थे कि स्नान करने जा रहे थे.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं तो गया ही नहीं वहां.
श्री रामनिवास रावत -- आप नहीं गए. आपको प्रभारी बनाना चाहिए था.
श्री गोपाल भार्गव -- न पहले गया था न अभी गया. हमने ऐसा कुछ किया ही नहीं कि वहां जाने की जरूरत पड़े. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विभिन्न अखाड़ों में आपने 100 करोड़ रुपये दिए, अभी और कितने दिए जाने हैं इसका कोई पता ही नहीं है. इस तरह की स्थिति है, अगर 100 करोड़ रुपये देने हैं तो आप अपनी जेब से देते, आप व्यवस्थाएं बनाते, इसके लिए हमें कोई आपत्ति नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अप्रैल में कुंभ लगना था और हार्टीकल्चरविभाग द्वारा मार्च के लास्ट में मिर्ची और टमाटर की पौध खरीदी गईं क्योंकि हम साधु-संतों को अच्छे टमाटर और मिर्ची दे सकें और वह भी करोड़ों रुपयों की, 4 करोड़ रुपये की हार्टीकल्चरविभाग ने खरीदी की.
उपाध्यक्ष महोदय -- 16-17 मिनट आपको बोलते हुए हो गए हैं अब आप समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमें कोई आपत्ति नहीं है, सरकार जो काम कराए, कराए लेकिन सरकार का पैसा प्रदेश के किसानों की गाढ़ी कमाई का पैसा है, सरकार का अपना पैसा नहीं होता .मंत्रियों का अपना पैसा नहीं होता हमारे कुछ भाई कह रहे थे कि हमारा पैसा, हम चाहे जैसा करेंगे,चाहे जैसा करने के लिए नहीं है. जनता बहुत जल्दी नीचे उतार देती है, इस गफलत में भी मत रहना कि आप हमेशा के लिए बने हो. तीन नगरीय निकायों के चुनावों में जनता ने बता दिया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लगभग 200 करोड़ रुपये के अस्थाई कार्य किये गये हैं, इसी तरह से कई कार्य हैं. मेरे पास पूरा पुलिंदा है लेकिन टाइम की पाबन्दी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज प्रदेश में आपने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों पर जोर लगाया, शिक्षकों को कसा है, उनकी हाजिरी आपने ई-अटेंडेंस से कर दी है, इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन आप ध्यान भी रखे कि हम उनकी क्या व्यवस्था कर रहे हैं, उनको क्या सुविधा मुहैया करा रहे हैं. शिक्षकों की जो आपने पेंशन योजना लागू की है, आज ही का मेरा प्रश्न था, 668 करोड़ रुपये सरकार ने जमा ही नहीं किये. आप बताओ, आपका क्या विजन है. इतना तो ब्याज का नुकसान हो गया, समय से आप राशि जमा नहीं कर पा रहे हैं तो जिस कंपनी के माध्यम से योजना का संचालन करना चाहते हैं, उस योजना में किस तरह से आप उनको पैसा दिलाओगे, किस तरह से आप उनकी पेंशन पूरी दिलाओगे. जो गांव-गांव जाता है, वहाँ स्कूल लगाता है उन शिक्षकों का भी ध्यान रखना चाहिए. यदि आप उनके लिए बजट में मांग करते तो हम समर्थन करते. आपने वेतन की तो मांग की है. लेकिन उनके लिए भी आप बजट में पैसा मांगते, उस राशि को जमा करने के लिए तो हम निश्चित रूप से आपके बजट का समर्थन करते. आप छठवें वेतनमान को जस का तस लागू करते तो हम आपका पूरी तरह से समर्थन करते. प्रदेश के जितने संविदाकर्मी हैं, जिन विभागों में भी हैं, उनको आप नियमित करिये हम आपका साथ देने तैयार है, ध्वनिमत से बजट पारित कराने के लिए हम तैयार हैं लेकिन आप अपने ऐशो-आराम के लिए पैसा खर्च कर रहे हैं. आपका कोई विजन नहीं है. कई बातें आ गई हैं. आप प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए पैसा ले लें. आपने झाबुआ के अलीराजपुर की स्वास्थ्य सेवायें एनजीओ को दे दी और वह एनजीओ कहाँ का, गुजरात का. ना तो आपने टेंडर बुलाये, ना आपने एक्सपर्टाईजेशन देखा. एक गुजरात की कंपनी आई, मोदी जी का डंडा था कि इसको काम दो.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप तो समाप्त करने की लय में आ गये थे फिर यह नई-नई बात कहाँ शुरु कर रहे हैं. अब आप समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत--- आपने गुजरात के एनजीओ को, दीपक फाउंडेशन को अलीराजपुर का हॉस्पिटल सौंप दिया, सिविल संस्था सौंप दी और उसका जो अनुबंध है, उसमें जो वेतन स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दे रहे हैं,दो-तीन स्पेशलिस्ट रखने का उसमें निर्णय लिया है. एनीस्थीसिया का, शिशु रोग विशेषज्ञ का, उनको आप कितनी राशि दोगे, कितना पे करोगे. उनको आप केंद्र सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से पे करोगे. अर्थात् स्पेशलिस्ट को आप 1 लाख रुपये दोगे, डिप्लोमा होल्डर को आप 80 हजार रुपये दोगे. मैं तो यह कहता हूं कि राज्य सरकार आज यही निर्णय ले लें, हम ध्वनिमत से आपका अनुपूरक अनुमान पारित कराने तैयार हैं कि मध्यप्रदेश में जितने भी डॉक्टर्स हैं, उनको हम गांव में रखेंगे, 1 लाख रुपये की नौकरी देकर, 85 हजार की नौकरी देकर तो हमें बड़ी खुशी होगी. आपके स्वास्थ्य विभाग में सुधार होगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज पूरे प्रदेश का आपने बंटाधार कर दिया, प्रदेश में किसान तड़प रहा है, मर रहा है. रोज 8 किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं, 2 छात्र आत्महत्या कर रहे हैं. महिलायें सुरक्षित नहीं हैं, 13 महिलाओं के साथ रोज बलात्कार हो रहे हैं, 3 महिलाओं के साथ रोज सामूहिक बलात्कार हो रहे हैं, दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं इसलिए मैं इस अनुपूरक अनुमान का विरोध करता हूं. आपने मुझे समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत(नागदा-खाचरौद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अनुपूरक का स्वागत भी करता हूं,अभिनंदन भी करता हूं और समर्थन भी करता हूं कि पूर्ण सोचा हुआ यह अनुपूरक बजट है, जिसमें चाहे ऊर्जा हो, चाहे पर्यटन हो, चाहे गृह हो, चाहे सामान्य प्रशासन हो, चाहे नगरीय प्रशासन हो, चाहे किसानों से जुड़ी हुई कोई राहत देने वाली बात हो, हर विषय पर गंभीरता से विचार किया है और उसके बाद में 14 हजार करोड़ से ज्यादा का अनुपूरक बजट यहाँ पर रखा है. मेरे पूर्व वक्ताओं ने कहा कि स्मार्ट सिटी पर आपने क्यों बजट का आबंटन किया एवं बजट की मांग की. उन्होंने ये भी कहा कि ग्रामों का विकास होना चाहिए. मैं माननीय मित्र को बताना चाहूंगा कि इस सरकार के पहले गांवों की हालत क्या थी. अगर पंच परमेश्वर योजना न होती तो शायद गांवों का विकास भी नहीं होता और हम तो ये चाहते हैं कि सबका साथ, सबका विकास. हर क्षेत्र का विकास हो. शहरों और गांवों दोनों का विकास हो. हम ये चाहते हैं कि शिक्षा का स्तर बढ़े. अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हो. मैं बहुत विनम्रता के साथ कहना चाहूंगा कि आदरणीय गोविंद सिंह जी एक घटना का उल्लेख कर रहे थे कि उन्हें चड्डी से बहुत डर लगता है. मैंने कहा चड्डी आपने भी पहन रखी है, चड्डी से इतना क्यों डरते हैं आप ? इस प्रकार की भाषा का प्रयोग सदन के अंदर इतने वरिष्ठ सदस्य के द्वारा होना उचित नहीं है. सन् 1925 से संघ का निर्माण हुआ है. माननीय गोविंद सिंह जैसे वरिष्ठ सदस्य यदि कहेंगे कि पिछले 10-12 सालों में इस सरकार के दौरान भवन बनेगा तो ये उनकी गलतफहमी है. संघ एक निरंतर चलने वाली नदी की धारा है, वह रूकेगी नहीं आपके कहने से. यदि लोकतंत्र के मंदिर में बातें इतनी अगंभीरता से होंगी तो ये उचित नहीं है. माननीय गोविंद सिंह जी सिंहस्थ पर उद्घाटन भाषण दे रहे थे, मैंने उनका भाषण बहुत गौर से सुना. पूरा अनुपूरक बजट केवल सिंहस्थ पर हुआ, यदि सिंहस्थ को आपने नजदीक से देखा होता, यदि आप स्वयं वहां गए होते, यदि आम जन-मानस की बातों को आपने सुना होता, तो बेहतर होता. हिन्दुस्तान के किसी भी कोने से सिंहस्थ में आये धर्म-प्रेमी ने मध्यप्रदेश की सरकार को धन्यवाद दिया है और कहा है- न भूतो, न भविष्यतो. ऐसा सिंहस्थ हुआ है. इसलिए आपको तारीफ करनी चाहिए. छोटी-मोटी बातें होती हैं. ऐसे पवित्र मंदिर में ऐसी बातें होने से हम जैसे प्रथम बार के विधायक को लगता है कि यदि ऐसे वरिष्ठ मंत्री भी ऐसी बातें करेंगे तो कहीं न कहीं परिपक्वता में कमी है. एक बात और आई कि अनुसूचित जाति के लोगों के साथ आपने स्नान का पर्व रख दिया. आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष आये. माननीय राहुल गांधी जी भी गए हैं भोजन करने के लिए.
श्री रामनिवास रावत- गांधी जी मिटा गए इसको तो, अभी भी आप वही मानसिकता लिए बैठे हैं.
श्री दिलीप सिंह शेखावत- यदि अनुसूचित जाति के मेरे भाइयों के साथ कोई स्नान करता है तो किसी को क्या तकलीफ है. किसी को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए. इस प्रकार की बातें अनुपूरक बजट में नहीं आनी चाहिए. अनुपूरक बजट में सुधरी हुई स्वास्थ्य व्यवस्थाओं, सड़कों पर चर्चा होनी चाहिए. आदरणीय यशपाल सिंह जी ने कहा कि मुकेश नायक जी राज्य और केंद्र में मंत्री रहे हैं. तो तुरंत नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बताइए वे केंद्र में कब मंत्री रहे हैं ? यदि आपका कोई भाई भविष्य में या कल्पना में आपको कहीं ले जाये, तो क्या ये सही नहीं है क्या ? इसी प्रकार की कई और बातें आई हैं. मैं धन्यवाद देना चाहूंगा वित्त मंत्री जी को. उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना में 32.80 लाख रूपये का प्रावधान किया; ये स्वागत योग्य है. आदिवासी क्षेत्रों के अंतर्गत 50 करोड़ रूपये का प्रावधान आपने स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार हेतु किया है; ये भी स्वागत योग्य है. अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं हेतु अनुपूरक अनुमान में किया गया 30 करोड़ रूपये का प्रावधान वास्तव में स्वागत योग्य है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने नर्मदा का पानी क्षिप्रा में लाने की एक बहुत बड़ी योजना लाई है. इसी के साथ नर्मदा का पानी गंभीर में लाने का साहसिक निर्णय लेने एवं इसके लिए बजट में किए गए प्रावधान हेतु मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं एक निवेदन आपसे करना चाहूंगा जब नर्मदा गंभीर योजना पूर्णता की ओर हो और उस वक्त उन्हेल के पास से अगर उसको चंबल में आप मिला देंगे तो मैं समझता हूं कि लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर का क्षेत्र आपका होगा. ऐसी विनती मैं आप सबसे करता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, उच्च शिक्षा में भी अगर आपने पीएचडी के अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए सोलह हजार प्रति माह के मान से 1.32 करोड़ का प्रावधान किया है तो निश्चित रूप से यह भी स्वागत योग्य है. शासकीय महाविद्यालयों में अगर भवन निर्माण के लिए और मैंने एक बार शिक्षा मंत्री जी से यह निवेदन भी किया था कि अगर किसी भी विद्यालय का उन्नयन होता है तो उन्नयन के पूर्व अगर भवन का प्रावधान हो तो निश्चित रूप से यह सरकार का एक बहुत बड़ा निर्णय होगा और उसमें भी अगर आपने भवनों के लिए 3.84 करोड़ का प्रावधान किया है तो यह भी एक स्वागत योग्य आपका निर्णय है और ऐसे कई निर्णय इस बजट में मैंने देखे कि जो संपूर्ण बजट आपका है कि आपने हर क्षेत्र के अन्दर और जैसा आदरणीय यशपाल सिंह जी ने कहा था कि गाँधीसागर में, पहले हनुमंतिया और फिर गाँधीसागर में एक जो नई सोच के साथ में सरकार आई है कि गाँधीसागर को, उस गाँधीसागर डेम को आप एक अच्छा डेवलप करना चाहते हैं और यह एक नई सोच, एक नई चीज, आपने जो इस मध्यप्रदेश को दी है, निश्चित रूप से स्वागत योग्य है इसलिए इस पूरे अनुपूरक बजट का मैं स्वागत भी करता हूँ अभिनंदन भी करता हूँ और निश्चित रूप से यह जो बजट है यह एक समग्र बजट है उसके लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद दिलीप सिंह जी.
श्री मुकेश नायक(पवई)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 14 हजार करोड़ से ज्यादा का यह अनुपूरक बजट, जिस पर हम लोग चर्चा कर रहे हैं. माननीय महेन्द्र सिंह जी ने, जो वरिष्ठ विधायक हैं, उन्होंने बताया, हमने भी पढ़ा कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में एक वित्तीय वर्ष में चार अनुपूरक बजट लाने के औचित्य पर प्रश्न खड़ा किया है और उसको अनुपयोगी बताया है. मैं खानदानी रईस माननीय वित्त मंत्री जी से ऐसी उम्मीद नहीं करता था कि वित्तीय प्रबंध में कहाँ उनसे चूक हुई. चूँकि यह अनुपूरक बजट है विस्तार से बात करने का इसमें स्कोप कम है, बहुत कम समय में मुझे अपनी बात कहनी है.
राज्य मंत्री, संसदीय कार्य (श्री शरद जैन)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये खानदानी रईस का जिक्र कर रहे हैं तो वे अपने बारे में भी सोच लें कि क्या है?
श्री मुकेश नायक-- उन्होंने कहा था.
श्री शरद जैन-- उन्होंने कहा था तो आप क्यों रिपीट कर रहे है?
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- माननीय वित्त मंत्री जी ने कहा था उनकी बात के जवाब में कि मैं तो खानदानी....
श्री शरद जैन-- नायक जी, आपकी भी हिस्ट्री और जीऑग्राफी सबके पास है. ..(व्यवधान).. आप कहो तो व्यक्त कर दें. जीऑग्राफी भी हिस्ट्री भी.
श्री मुकेश नायक-- आदमी की भी जीऑग्राफी होती है. जिसकी हिस्ट्री होती है वह तो ठीक है. पर जिसकी जीऑग्राफी होती है वह बोलने की हिम्मत नहीं कर पाते. समझ गए? और जितनी भी जीऑग्राफी है चुनौती देता हूँ आपको, आप मंत्रिमंडल के सदस्य हैं. पूरी हिस्ट्री और जीऑग्राफी मेरी रख कर बता दो तो मैं जानूँ. मैं मंत्रिमंडल का भी सदस्य रहा हूँ. अनेक बार विधायक रहा हूँ. कार्पोरेशंस का चेअरमेन भी रहा हूँ.
श्री शरद जैन-- मेरा आप से करबद्ध निवेदन है चुनौती जैसे शब्द का उपयोग न करें.
श्री मुकेश नायक-- उपाध्यक्ष महोदय, यह जो समय मेरा जा रहा है....
उपाध्यक्ष महोदय-- शरद जी, वाद विवाद में न पड़ें.
श्री मुकेश नायक-- चुनौती मैं नहीं दे रहा हूँ और शरद जी, चर्चा कर लेंगे, हिसाब-किताब कर लेंगे चिंता नहीं करो. मुझे आता है. बात करना भी आता है, मेरे पास जानकारी भी होती है और मेरे पास इसके लिए नेटवर्क भी है. ऐसा मत करो यह परंपरा नहीं है और इस तरह से एक व्यंग्यात्मक शैली होती है बातचीत करने की और एक चुटकी काटने का सदन में तरीका होता है. जो भारत के इतिहास में संसदीय परंपराओं में रहा है. मैं उसका उपयोग कर रहा हूँ. इसमें इतनी ज्यादा मिर्च नहीं है भाई. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बजट सत्र जब आएगा तो इस पर हम विस्तार से बातचीत करेंगे. मैं दमोह की पेयजल समस्या की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. हमारे वित्त मंत्री दमोह से जनप्रतिनिधि भी हैं अनेक बार वहां की जनता ने उन पर भरोसा किया है और भरोसा किया है तो वे इस लायक हैं तभी वे चुनाव जीते हैं. मैं इस पर कोई प्रश्न चिह्न खड़ा नहीं करता लेकिन जब कोई नागरिक किसी पर इतना विश्वास करता है तो उस विश्वास का संरक्षण करना, उसकी रक्षा करना किसी भी सदस्य की अस्मिता का एक बहुत गरिमामय हिस्सा होता है. दमोह की पेयजल समस्या पर जब वित्त मंत्री जी अपना भाषण दें तो कितने पैसे जुझार घाट परियोजना पर खर्च किए हैं दमोह तक पानी लाने के लिए वे जरुर बताएं. जो मेरे पास जानकारी है उसके अनुसार 40 करोड़ रुपए से ज्यादा 40 किलोमीटर दूर से दमोह तक पानी लाने के लिए वहां की पेयजल स्कीम पर खर्च किए गए. माननीय मंत्रीजी स्वयं स्पाट पर गए, निरीक्षण किया फिर उन्होंने फायनल किया कि यह स्थान जहां पर पर्याप्त जल स्त्रोत है यहां पर उपकरण लगाने से दमोह में पानी की समस्या हल हो जाएगी और वहां पर बड़ी विपुल धनराशि खर्च की गई.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मार्च आते आते जल स्त्रोत खत्म हो गया. रात-रात भर दमोह के लोग, महिलाएं, बहनें, पुरुष साइकिलों में बर्तन बांधकर पानी भरते थे. इसमें कोई बात असत्य नहीं है माननीय मंत्री महोदय इस बात को जानते हैं. यह बात मेरी समझ के परे है कि इतना पैसा खर्च कर देने के बाद क्या कारण है कि जो साइट सिलेक्शन हुआ वह गलत हो गया. अनुमान बिगड़ गया उसका एंटिसिपेशन बिगड़ गया, इसलिए बिगड़ गया कि वहां के जो अधिकारी और स्थानीय लोग थे वे जल्दी से उस राशि को खर्च करना चाहते थे और लोग जल्दी राशि क्यों खर्च करना चाहते हैं यह बात समझी जा सकती है कि उसका कारण क्या हो सकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जुझार घाट से यहां तक आते आते मार्च में पूरा जल स्त्रोत खत्म हो गया और बूंद-बूंद पानी के लिए दमोह की जनता को परेशान होना पड़ा. जब देखा कि जल स्त्रोत खत्म हो रहा है तो 50-60 किलोमीटर दूर तक जो स्टाप डेम ब्यारमा नदी पर बने हुए थे उनमें कट लगाए गए और कट इसलिये लगाए गए कि जो जल स्त्रोत खत्म हो रहा है उसमें पानी आ जाए. भावना गलत नहीं थी क्योंकि पीने का पानी मिले यह सर्वोच्च प्राथमिकता होती है. पीएचई विभाग के जो स्टाप डेम हैं, सिंचाई विभाग के जो स्टाप डेम हैं उसमें कट लगाए गए ताकि जो जल स्त्रोत खत्म हो गया है वह री-चार्ज हो सके और दमोह में पानी आ सके. लेकिन दो साल के प्राकृतिक संकट के कारण वहां पर भी इतनी विपुल जल राशि नहीं थी कि पानी का स्त्रोत पूरा हो सके और दमोह में पानी आ सके. सारे स्टाप डेम में कट लगाए गए.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी जब बाढ़ आई, मुझे बड़े दुख के साथ विधान सभा में कहना पड़ रहा है कि सारे के सारे स्टाप डेम पीएचई और सिंचाई विभाग के चकनाचूर हो गए वे कट लगने के कारण पानी का प्रवाह सहन नहीं कर पाए. मुझे एग्जेक्ट पता नहीं है कि इसमें कितना पैसा खर्च हुआ है, 40 करोड़ के आसपास खर्च हुआ है अगर वित्त मंत्री जी मेरी जानकारी गलत हो तो उसको आप करेक्ट करिएगा और जब आप इन्फर्मेशन को करेक्ट करेंगे तो कम से कम यह तो पता लग जाएगा कि कितना पैसा खर्च हुआ है. पूरे के पूरे स्टाप डेम चकानचूर हो गए और करोड़ों रुपए की धनराशि.
राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा (श्री शरद जैन )--उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय चाहता हूं. यहां जो चर्चा चल रही है वह पूरे प्रदेश के अनुपूरक पर चल रही है या दमोह के अनुपूरक पर चल रही है. जितने भी वक्ता हैं वह सारे सिर्फ दमोह की बात कर रहे हैं.
श्री मुकेश नायक--दमोह कोई उत्तर प्रदेश में थोड़ी है.
उपाध्यक्ष महोदय--दमोह भी मध्यप्रदेश में है.
श्री शरद जैन--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि हम यहां अनुपूरक पर चर्चा कर रहे हैं और यहां पर जो बजट पेश किया गया है.....
श्री मुकेश नायक--आगे की चर्चा अभी और है आप सुनो तो, जबलपुर की भी चर्चा है.
श्री शरद जैन--हमें प्रदेश की चर्चा करना चाहिए हम देख रहे हैं जब से शुरु हुआ है दमोह तक सीमित है. भाई थोड़ा दमोह के बाहर भी निकलें.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल :- बाला भैया, आप निश्चित रहें मुकेश जी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नहीं रहेंगे. यह सिर्फ दमोह तक ही सिमट कर रह जायेंगे.
श्री मुकेश नायक :- आप बहुत अच्छी कल्पना कर रहे हैं. अगर ऐसा हो गया तो आप संभल कर रहना.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पिछले समय अतिवृष्टि की जो प्रतिक्रिया हुई थी उस पर तो विस्तार से चर्चा की थी. मुझे माननीय वित्त मंत्री जी का भाषण सुनकर दुख हुआ. उन्हें लगा कि मैं उनके ऊपर व्यक्तिगत आरोप लगा रहा हूं. मैं एक बात समझ नहीं पा रहा हूं कि अगर किसी विभाग में इस स्तर की अराजकता फैले कि सी.ए.जी रिपोर्ट में इतनी गंभीर टिप्पणियां हैं, समय कम है मैं बजट सत्र में बजट भाषण में उसको विस्तार से कहूंगा, लेकिन केवल इतना संकेत कर रहा हूं कि किसी विभाग में अगर कुप्रबंध होगा, अराजकता होगी, इस गरीब राज्य में अगर अरबों रूपये बेकार चले जायेंगे तो क्या उस विभाग का मंत्री उसका उत्तरदायित्व नहीं लेगा ? क्या उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती, अब जिम्मेदारी किसकी बनती है. ई.एन.सी. की जिम्मेदारी बनती है, एक्ज्यूकिटिव इंजीनियर की जिम्मेदारी बनती है, एस.ई. की जिम्मेदारी और प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी बनती है. अब जिनकी जिम्मेदारी बनती है उनकी अलग राम कहानी है. उपाध्यक्ष महोदय, ई.एन.सी. महोदय को पांच बार एक्स्टेंशन देने का क्या कारण है.
उपाध्यक्ष महोदय :- उस दिन अतिवृष्टि की चर्चा पर आप यह राम कहानी बता चुके हैं.
श्री मुकेश नायक :- मैंने उस दिन यह नहीं बताया है.
उपाध्यक्ष महोदय :- नहीं, आप बता चुके हैं.
श्री मुकेश नायक :- ई.एन.सी महोदय को पांच बार, इतने अधिकारी हैं और उनके सपने हैं कि वह भी प्रमुख पद पर जायें, वह मेहनत करते हैं, अच्छे-अच्छे अधिकारी हैं, लेकिन एक अधिकारी को पांच बार एक्स्टेंशन वह भी सेवानिवृत हो जाने के बाद. इसका औचित्य मुझे समझ में नहीं आया. मैं उम्मीद करता हूं कि वित्त मंत्री जी इस सदन को अपने भाषण में बताने की कृपा करेंगे. एक दैनिक भोगी कर्मचारी के हाथ में 26 हजार करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट ? यह बात समझ के परे है. आपके विभाग के सचिव उनका 420 के केस में गिरफ्तारी वांरट है, छत्तीसगढ़ के एक न्यायालय से. उनके ऊपर 147 कंटेम्पट आफ कोर्ट के मामले चल रहे हैं. एक मामले में 10 हजार रूपये का न्यायालय ने उनके ऊपर जुर्माना किया है. अगर इस तरह की टीम लेकर के सिंचाई मंत्री जी काम करेंगे तो इस तरह के परिणाम आयेंगे और इस दायित्व से वह बच नहीं सकते हैं. इसको वह व्यक्तिगत आरोप क्यों मानते हो. हम प्रतिपक्ष के विधायक हैं तो क्या हम कहें कि आपके बांध 300 करोड़ के फूट गये, आपने 13 बांधों पर कट लगा दिये. एक बांध पर कट लगाने का मतलब है कि तीन-तीन कट, एक बांध में. पचास-पचास करोड़ के बांध उनके सर्विस वाल खोल दिये, उनमें तीन-तीन कट लगा दिये. तीन कट लगाने का मतलब है बांध को खत्म कर देना और सिंचाई क्षमता के प्रयोग को शून्य कर देना. दूसरी बात यह कि जो नहरे बनी हैं उनकी लाईनिंग हुई है. नहरों की लाईनिंग चकनाचूर हो गयी है. अब आप मुझे बताईये की ऐसी नहरों का आप क्या करेंगे, जिनमें दरारें पड़ गयी,जिनकी लाईनिंग खराब हो गयी आप उन नहरों का क्या करेंगे, उनका क्या उपयोग है ? इतने गरीब राज्य में जिन किसानों की जमीनों का आपने अधिग्रहण कर लिया, जो डूब में जमीनें आ गयी, जिनको आपने मुआवजे दे दिये, जिन किसानों के हाथ से जमीनें चली गयी और बाकी किसान रास्ता देख रहें हैं कि हमारे खेत में पानी आयेगा और हमारी फसलें अच्छी होंगी. उन किसानों के सपनों और उनकी उम्मीद को आपने तोड़ा है. पिछले समय मध्यप्रदेश में सूखा पड़ा, मुख्यमंत्री जब भाषण देते हैं तो ऐसा लगता है कि अमृत की वर्षा कर देंगे. उनका भाषण चाहे स्पेस टेक्नानाजी पर हो उनका भाषण वही रहता है. दस साल से उनका भाषण ही नहीं बदलता है. उन्होंने मध्यप्रदेश की विधान सभा में यह कहा कि जितने किसान सूखे से प्रभावित हैं उन सारे के सारे किसानों को बी.पी.एल कार्ड धारियों की सुविधा मिलेगी और अनाज मुफ्त में मिलेगा. वित्त मंत्री जी आप अपने उत्तर में बतायें कि इन गरीबों को अनाज क्यों नहीं मिला. गांव के लोगों की अभी तक पर्चियां जनरेट नहीं की. प्रश्न लगाओ तो उसके गलत उत्तर आते हैं आपको हंसी आयेगी अब 2 दिन बाद विधान सभा में देखना कि कलेक्टर ने मुझे क्या पत्र लिखा है, राज्य-शासन को क्या पत्र लिखा है और उसका विधान सभा में क्या जवाब अधिकारियों ने विधान सभा में भेजा है ? मध्यप्रदेश की विधान सभा को मजाक बना दिया है, विधान सभा को अधिकारीगण इतना हल्के में लेने लगे हैं, यह चिन्ता का विषय है कि संसदीय प्रजातंत्र में विधायिका की शक्ति इतनी तेजी के साथ घट रही है और इतनी तेजी के साथ विधान सभा की गरिमा और उसकी शक्ति कमजोर हो रही है जो विधायक इंस्टीट्यूशन है, विधायक संस्था कमजोर हो रही है. इस तरह के जवाब विधान सभा में आते हैं. मेरे क्षेत्र में रहपुरा तहसील है वहां पर जितने भी अनुसूचित जाति और जनजाति के किसान हैं, वहां पर एक भी किसान को मुआवजा नहीं दिया गया इसका मेरा विधान सभा में भी प्रश्न लगा हुआ है, उसका उत्तर आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. विधान सभा के पहले सत्र में जो मेरे प्रश्न लगे हैं उसमें उत्तर आये हैं कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. मध्यप्रदेश की विधान सभा के चार बजट आ चुके हैं अभी तक उसकी जानकारी नहीं आयी है, यह मध्यप्रदेश की विधान सभा को मजाक बना दिया गया है और यह इसलिये हुआ कि सत्तापक्ष के लोग लगातार जीतने के कारण बोरा गये हैं उन्हें सत्ता का मद चढ़ गया है उनको अभिमान आ गया है और उन्हें लगने लगा है कि वह अजेय हैं अब उन्हें हरा नहीं सकता है. मैं विनम्रतापूर्वक आपसे कहना चाहता हूं कि आप बहुत ज्यादा गलतफहमी में हैं. मध्यप्रदेश की जनता के बीच में जो घुटन-बैचेनी हम साथ-साथ देख रहे हैं, यह बिल्कुल परिवर्तन के संकेत हैं और आप संभलेंगे नहीं आपमें परिवर्तन, सुधार नहीं आयेगा, क्योंकि जिस तरह से सत्ता का मद आपके ऊपर चढ़ा हुआ है तो जनता उनको माफ नहीं करती है. मध्यप्रदेश में लोग कहने लगे हैं 15 साल हो गये हैं इनमें कोई परिवर्तन-सुधार नहीं आ रहा है इन लोगों को कुछ भी कह लो उसका असर ही नहीं हो रहा है.
श्री मनोज निर्भयसिंह पटेल--मुकेश भैया आप तीन बार से यही बात बोले जा रहे हैं, फिर जनता ज्यादा बहुमत देकर के भेज रही हैं. इस बार तो लगता है और ज्यादा बहुमत मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाएं मनोज जी.
श्री मुकेश नायक--आप पहली बार चुनकर आये हैं मैं आपका शुभचिन्तक हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--मुकेश जी यह गलत बात है आप उधर संवाद मत करिये, आप तो कई बार चुने गये हैं. अब आप समाप्त करेंगे.
श्री मुकेश नायक--उपाध्यक्ष महोदय, अंत में एक विषय उठाकर अपनी बात को समाप्त करता हूं कि मध्यप्रदेश में जो सहकारी आंदोलन है वह चिन्ता का विषय है सहकारी को-आपरेटिव मूवमेन्ट की इतनी खराब हालत है आप विश्वास नहीं करेंगे. सहकारी बैंकों के पास में भुगतान करने के लिये पैसा नहीं है सूखा राहत प्रभावित किसानों की तीन तीन महीने तक राशि खातों में नहीं डाली. रोज मुझे किसान भाई फोन करते हैं कि बैंक में जाते हैं तो बोलते हैं कि कल आना, उनका तीन-तीन महीने तक कल नहीं आता. एक बोरा एक जिले में मध्यप्रदेश में प्रोक्योरमेन्ट हुआ है, कई जिलों में तो एक एक करोड़ क्विंटल अनाज का प्रोक्योरमेंट हुआ है एक बोरे की सिलाई का तथा उसके रख-रखाव का 18-19 तथा 24 रूपये तक खर्च है. होशंगाबाद सहकारी बैंक में एक बोरे की सिलाई का 24 रूपये खर्च है अगर मैं जानकारी गलत देता हूं तो बता दें.
उपाध्यक्ष महोदय--यह बातें आप बजट में बोलियेगा अब आप समाप्त कर दीजिये.
श्री मुकेश नायक--उपाध्यक्ष महोदय, अंत में कहना चाहता हूं कि इतनी अराजकता, कुप्रबंध और ऐसे भ्रष्टाचार के बीच में मुख्यमंत्री जी ने आनन्द मंत्रालय बनाया है. आनन्द कई प्रकार का होता है, किसी को ज्ञान का आनन्द, किसी को बल का आनन्द तथा किसी को धन का आनन्द, यह मुख्यमंत्री जी का मूर्खता का आनन्द है, इतने कहते हुए मैं अपनी बात को समाप्त करता हूं.
श्री लालसिंह आर्य‑उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी मूर्खता का आनन्द इसको विलोपित करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदय--इसको विलोपित करें.
श्री मुकेश नायक – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्यों को बंटवा दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदय – श्री सुन्दरलाल तिवारी जी, मेरा एक यह अनुरोध है कि बजट पर चर्चा करने के लिए 2 घण्टे का समय था. उसमें 28 मिनट कांग्रेस पार्टी के लिये दल की संख्या के अनुसार आवंटित थे और भाजपा के लिये 1 घण्टे 26 मिनट थे एवं 2 मिनट निर्दलीय श्री दिनेश राय मुनमुन जी के लिए हैं, इनके बाद वे बोलेंगे. भाजपा के तीन लोग बोलने वाले थे, वे बोल चुके हैं. उन्होंने बहुत कम समय एक घण्टे से भी कम समय लिया है. कांग्रेस का सवा घण्टा हो चुका है, 28 मिनट के अगेन्स्ट तो अब थोड़ा सीमित रखियेगा, ज्यादा समय नहीं है.
श्रीमती शीला त्यागी – माननीय उपाध्यक्ष महोदय...
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कार्य मंत्रणा की बैठक में यह चर्चा हुई है कि एमएलए जिस इश्यू पर बोलना चाहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – शीला जी, आपकी पर्ची मेरे पास अभी आई है.
श्रीमती शीला त्यागी – मैंने पहले दी थी, सुबह दी थी.
श्री बाला बच्चन – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह चर्चा हुई है कि अगर संबंधित विधायक के पास, उस इश्यू पर बोलने के लिए रिलीवेंट मेटर है तो बोलने दें.
उपाध्यक्ष महोदय – यह बताइये. वही चीजें रिपीट हो रही हैं.
श्री बाला बच्चन – इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि स्पीकर के द्वारा रिपीटेशन न हो बाकी बोलने दें, अपने-अपने क्षेत्रों की बात भी होती है.
उपाध्यक्ष महोदय – बाला जी, वह तो अपनी जगह सही है लेकिन मेरे पास समय की पाबन्दी तो है और दुगने से ज्यादा समय कांग्रेस पार्टी के द्वारा लिया जा चुका है और बोलने वाले बहुत सारे हैं. तिवारी जी आप सीमित रखियेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से कुछ बातें कहने का अनुरोध करूँगा. सबसे पहले, माननीय उपाध्यक्ष जी ने समय के बारे में कहा है कि समय की एक निर्धारित सीमा है. मैंने कई बार सुना है कि जब आसन्दी पर माननीय अध्यक्ष महोदय भी रहते हैं तो वजनी एवं कड़े शब्दों का प्रयोग करके, हम लोगों को बिठा देते हैं एवं बोलने नहीं देते हैं. हम उनका निर्देश मानने के लिए बाध्य हैं, हमें बैठना पड़ता है. माननीय संसदीय मंत्री जी कई बार बोलते हैं कि विपक्ष गंभीर मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहता है.
उपाध्यक्ष महोदय – आपका भाषण शुरू हो गया न.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – जी हां. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि मैंने 2 वर्षों में कभी भी आसन्दी से यह नहीं सुना.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री नरोत्तम मिश्र) – उपाध्यक्ष महोदय, ये कितने गंभीर हैं कि आपको पूछना पड़ा कि भाषण शुरू हुआ या नहीं ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी – उपाध्यक्ष महोदय, यह मेरी पीड़ा है कि अध्यक्ष महोदय ने कभी भी यह नहीं कहा कि सदन का समय सरकार बर्बाद न करे. मैं कहना चाहता हूँ कि हिन्दुस्तान में, मध्यप्रदेश के अन्दर बनी सरकारों में, यह मध्यप्रदेश की पहली सरकार होगी, जिसने तीन महीने के अन्दर अनुपूरक बजट लाकर रख दिया. संविधान में सरकार को पर्याप्त अधिकार हैं, विधानसभा के नियमों में भी अधिकार हैं और ये अधिकार इसीलिए दिये गये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं ऐसा मानता हूँ कि वित्त मंत्रालय एक महत्वपूर्ण मंत्रालय है. वित्त मंत्रालय महत्वपूर्ण होने की वजह से आप एक बार नहीं, सौ बार सदन में सप्लीमेन्ट्री बजट ला सकते हैं. लेकिन मेरा यह कहना है कि तीन महीने के अन्दर नया बजट कैसे आ गया ? अगर आप कोई नई सर्विसेस स्टार्ट करते. जैसे अभी एक मंत्रालय की बात आई कि मुख्यमंत्री जी ने आनन्द मंत्रालय घोषित कर दिया है. चलिये, बहुत अच्छी बात है. आप उसके लिए सप्लीमेन्ट्री लेकर आते. आपने उन्हीं के लिए अधिकतम राशि, उन हेड्स में मांगी है, जिनमें आपने जनरल बजट में राशि का प्रावधान किया था, आपने उसी में बढ़-चढ़कर मांगा है. जहां तक मुझे जानकारी है. 76 हेड्स हैं और उसमें 50 या 54 हेड्स में आपने आज सदन के अंदर अनुपूरक बजट पेश किया है, 54 हेड्स में आपने पैसा मांगा है. मेरा कहना है कि जो जनरल बजट आया जनरल बजट में हमने यह एलीगेशन लगाया था कि यह बजट अच्छी तरह से निर्मित नहीं किया गया है. इसमें वित्तीय प्रबंधन जो किये गए हैं वे सब दिखावटी हैं फेक हैं, असत्य हैं, गलत हैं. उस समय माननीय वित्तमंत्री जी ने इस बात को स्वीकार नहीं किया था और वित्तमंत्री जी ने कह दिया था कि डेफीसिट वाले मामले में, 3.5 वाले मामले में टेलीफोन से परमीशन ले लिया है अब आज मुझे नहीं मालूम है कि टेलीफोन वाली बात कागज में हो गई कि नहीं हो गई. वित्तमंत्री जी ने उस समय कहा था कि हमने टेलिफोन से यह परमीशन हमने केन्द्र सरकार से ले ली है, फायनेंस डिपार्टमेंट से हमने बात कर ली है. मेरा यह कहना है कि इस बात पर आसंदी को ध्यान देना चाहिए कि सरकार कब कब समय बर्बाद करती है और सदन का ज्यादा समय सरकार बर्बाद करती है कि विपक्ष बर्बाद करता है और अगर इस पर एक कमेटी बैठाई जाए और कमेटी में अगर निष्पक्ष लोग बैठेंगे तो यह साफ जाहिर हो जाएगा कि इतना ज्यादा समय जिन प्रावधानों के लाने की अवाश्यकता सदन में नहीं है, जिस बजट को लाने की आवश्यकता सदन में नहीं है. जबरदस्ती, लापरवाही बिना ध्यान देने की वजह से इस तरह के अनुपूरक बजट आते हैं, मेरा यह कहना है. यह केवल मेरा ही कहना नहीं है यह ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट है जो पैसा बजट में रखा जाता है वह बजट आज तक, अगर गत वर्षों के बजट पर हम नजर डालें तो वह पैसा कभी खत्म नहीं हुआ. आज तक कभी खत्म नहीं होता. बजट में हम लंबी लंबी रकम बहुत रख लेते हैं क्योंकि रकम लिखने में कोई प्रतिबंध नहीं है. माननीय वित्तमंत्री चाहे जहां एक हजार करोड़ रूपए लिखा है वहां 100 करोड़ रुपया रख दें, कौन रोक सकता है वित्तमंत्री जी को तो आंकडे लिख दिए जाते हैं लेकिन आप देखें हमारे वरिष्ठ विधायक माननीय कालूखेड़ा जी ने इस दिशा में बात कही है कि किस तरह की आपत्ति यहां लगाई है. वर्ष 2014-2015 के दौरान कुछ प्रकरणों में पूरक अनुदान/विनियोग राशि इतने कुल व्यय करोड़ का 17.25 प्रतिशत अनावश्यक सिद्ध हुआ जबकि मूल आवंटन के विरूद्ध वर्ष के अंत में महत्वपूर्ण बचतें हुईं. कुछ उदाहरण नीचे दिये गए हैं बार बार इस तरह की टिप्पणियां आ रही हैं जो राशि जनरल बजट में रखी जाती है वह राशि कभी खत्म नहीं होती हैं वह पूरी तरह से विभाग या सरकार खर्च नहीं कर पाती है. इसके बाद भी अनुपूरक बजट सदन के अंदर लेकर आती है यह आपत्तियां है अगर यह आपत्तियां हैं तो क्या माननीय वित्तमंत्री जी इसमें माफी मांगेंगे. क्या यह अच्छा प्रबंधन कहा जाएगा, क्या यह बेहतर प्रबंधन कहा जाएगा कि पैसे खर्च न करो और अनुपूरक बजट में रखते चले जाओ क्योंकि संविधान ने और नियमों ने आपको इस बात की ताकत दी है कि आप चाहे कई बार अनुपूरक बजट लाएं लेकिन वह स्पेशल प्रोविजन है हमारे संविधान में कि बार बार उसका उपयोग न किया जाए किसी विशेष परिस्थिति में उपयोग किया जाए लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार हमारी इस तरह से काम कर रही है लेकिन इसमें जो बजट मांगा गया है 14367 करोड़ रुपए की अनुपूरक मांग है पिछले वर्ष 2015 -2016 में 8591 करोड़ रुपए वर्ष में मांगा था. 2016-17 में इन्होंने 14367 मांग किया है अब पिछले बार जो अनुपूरक बजट जो पेश किया था. उसमें 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी करके और यह अनुपूरक बजट फिर से मांगा है. 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी है, यह वित्त मंत्री जी का मेनेजमेंट है. मेरा यह कहना है कि जब हमारे पुराने अनुभव यह कह रहे हैं कि जो बजट की राशि जब हम खर्च नहीं कर पाते हैं, तो बार-बार हम अनुपूरक बजट पर क्यों सदन का समय बर्बाद करते हैं. क्यों बार-बार हम ले आते हैं, जहां आवश्यकता नहीं है. पहले हम उन पैसों को खर्च कर लें, जो हमारे पास हैं, उसके बाद हम सदन में आयें. अब इसमें देखा जाये. राजस्व खर्चा 10993 करोड़ के लगभग है. 10993 करोड़, मोटे तौर पर 10 हजार करोड़ मान लीजिये और केपिटल एक्सपेंडीचर आपका लगभग 3 हजार करोड़ है. मतलब 76 प्रतिशत के लगभग अन प्रोडक्टिव्ह बजट आपका है, इसमें किसी को कुछ मिलना नहीं है. न कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर बनना है. केवल आप 10 हजार करोड़ रुपये में से कहीं आनन्द विभाग को दे देंगे, कहीं मोटर खरीदने के लिये दे देंगे, कहीं बड़ी बड़ी गाड़ियां खरीदने के लिये आपने प्रावधान कर लिया है. कहीं बंगलों में पेंट लगाने के लिये पैसा मांग लिया है, लेकिन इससे राज्य की जनता का क्या हित होना है. इसमें राज्य की जनता का कोई हित होने वाला नहीं है. मेरा यह कहना है कि जो यह बजट लाया गया है, इस बजट में दूर दृष्टि या दृष्टि है ही नहीं. कुछ जगह को छोड़ करके, जहां आपने कुछ नई सर्विसेस शुरु की हैं, उनके बारे में मेरा कुछ कहना नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आपका भाषण सुनकर जितू पटवारी जी दूसरे पक्ष में जाकर बैठ गये हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, वे हमारे नेता हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपके नेता ऐसा करते रहते हैं. ..(हंसी)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, तो मेरा इसमें इतना ही कहना है कि सरकार का जो असेसमेंट है, एंटीसिपेशन है, वह हमेशा, हर साल गलत रहता है. वित्त मंत्री जी, थोड़ा वित्तीय प्रबंधन के बारे में ध्यान दें और अपने अधिकारियों को जरा चाबी लगायें कि आप कैसा बजट बनाकर लाते हैं, जो बार-बार यह हम खर्च नहीं कर पाते हैं, यह रखा रहता है.
दूसरा, मेरा यह कहना है कि आपने जनरल बजट में डेफिसिट घाटे की सीमा 3.49 रखी है. 3.49 तक आपने पहुंचा दिया है. केवल .01 की गुंजाइश आपने छोड़ी है. अब उसमें अगर यह 14 हजार करोड़ का जोड़ देंगे, तो क्या वह सीमा 3.5 की जो आपकी है, वह आप पार नहीं कर जायेंगे. जब 3.5 की सीमा को आप पार कर जायेंगे, इसका मतलब है कि आपकी स्टेट का फायनेंशियल डिसिप्लेन अच्छा नहीं है, यह स्पष्ट है. यह हमारे सेंट्रल फायनेंस डिपार्टमेंट का कहना है, केंद्रीय वित्त मंत्री का भी कहना है, केंद्र सरकार का भी कहना है. तो आपने इन आंकड़ों के साथ यह नहीं बताया कि हमारा यह 3.5 से ऊपर जा रहा है कि नहीं जा रहा है, इस बात की जानकारी आपने नहीं दी. अगर आप यह जानकारी देते तो हम आपके बजट में कुछ नहीं बोलते. हम आपके बजट का स्वागत करते.
5.24 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, अगर आपने कंटिनजेंसी फंड मांगा होता कि हमने इस कंटिनजेंसी फंड को कहीं खर्च कर दिया या डिफरेंट हेड्स के पैसे को, जो पैसा आपको लगता है कि हम खर्च नहीं कर पायेंगे, उसको एक हैंड से दूसरे हेड में परिवर्तित करने के लिये अगर आप यह अनुपूरक बजट लाये होते, तो निश्चित रुप से हम लोग भी उसका स्वागत करते. तो मेरा यह कहना है कि इसमें भविष्य के लिये सावधानी बरती जाये और अच्छी तरह से बजट का निर्माण हो, अभी वह प्रस्तुत हो गया है, जिससे बार बार यह..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, यह हमारे लिये तो तकिया कलाम हो गया है. ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- आपको 12 मिनट हो गये हैं. मेरा अनुरोध है कि इसको समाप्त करें और विनियोग प्रस्तुत होने दे ऐसा मेरा आपने अनुरोध है. मंत्री जी जवाब देंगे वही वहीं बातें आ रही है. तिवारी जी अब समाप्त करें
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, बस मैं समाप्त कर रहा हूं मैं यही कह रहा हूं अभी तो आप की बात का निवेदन कर रहा हूं कि हम लोगों को तो आप बैठा देते हैं, कडे़ शब्द कह देते हैं, वजनी शब्द कहकर डांटकर यहां बैठा देते हैं और सरकार जो सदन का समय बर्बाद करती है, आपने सरकार को आज तक एक शब्द नहीं कहा कभी कि तुम बार बार इस तरह का अनुपूरक बजट लाते हैं, जो वेस्टेज आफ टाइम है विधानसभा का और मैंने विस्तृत रूप से यहां चर्चा की कि इस तरह का अनुपूरक बजट न लाएं.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री नरोत्तम मिश्र) – अध्यक्ष जी विधानसभा का वेस्टेज आफ टाइम क्या होता है, इनसे अच्छा कोई नहीं जानता.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – यह एक लंबा चौड़ा बजट मांगा गया है. ये प्रचार और प्रसार के लिए जनसम्पर्क विभाग के लिए. कई सौ करोड़ रूपए आपने मांगा है, 15 करोड़ नहीं कई हेड्स में कई बार मांगा, उसका पूरा डिटेल हमने जोड़कर नहीं रखा है. मेरा यह कहना है कि देश के किसी दूसरे राज्यों में जनसम्पर्क में और मुख्यमंत्री और मंत्री जी की फोटो दिखाने के लिए इतना ज्यादा पैसा कहीं खर्च नहीं किया जाता. ये मध्यप्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, जिसमें इतना ज्यादा खर्च किया जाता है और मैं एक बात और कहूंगा, माननीय गृहमंत्री जी पीछे बैठे है, अभी सिंहस्थ के बारे में सभी साथियों ने, उस पक्ष के साथियों ने बड़ी प्रभावशाली बात कही है, हम कह सकते हैं, लेकिन वह सब बातें बनावटी थी. अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है, एक साधू, एक संत, एक महान इस देश के व्यक्तित्व की फोटो अगर कहीं लगी हो सिंहस्थ में मुख्यमंत्री के सिवाए तो उसका नाम बता दीजिए. (xxx)(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- इनका अब नहीं लिखा जाएगा.
अध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 7 में अंकित कार्यपूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए, मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़) – माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2016-17 के प्रथम अनुपूरक अनुमान में इस बार मांग संख्या एक मुख्य शीर्ष 2052 मद क्रमांक 10 और 11 में प्रदेश में पहली बार राज्य आनंद संस्थान का उल्लेख है, जिसमें इस साल दो करोड़ की राशि आवंटित हुई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन देशों में अभी ये आनंद संस्थान स्थापित हुई है, जैसे भूटान है, यूरोप में है वहां पर विकास का स्तर काफी आगे है. सबसे पास वाले भुटान का उदाहरण हम दे, अध्यक्ष महोदय, सबसे पास वाले देश भूटान का यदि हम उदाहरण दें तो भूटान की कुल जनसंख्या है 7 लाख, और हमारी 7 करोड़ है, भूटान में ह्यूमन डेवलेपमेंट इंडेक्स 0.6 है मध्यप्रदेश का 0.3 और 0.4 के बीच मे. जिस प्रदेश में गर्भवती महिला की मृत्यु का दर 221 है इसका अर्थ है कि 1 लाख गर्भवती महिला में से 4,000 से अधिक गर्भवति महिला की मृत्यु होती है. जिस प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 52 और 56 के बीच में है इसका अर्थ यह है कि 1000 बच्चों में से लगभग 50 बच्चों की मृत्यु होती है . ऐसे प्रदेश में क्या खुशी मनायेंगे ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ दिन पहले जब बाढ़ पीड़ित लोगों को गेहूं के साथ में मिट्टी मिला हुआ गेहूं वितरित किया गया था, यह बात सिर्फ भोपाल की नहीं है, आज तक भोपाल के साथ साथ ऐसा उदाहरण हमको जबलपुर, सीहोर, कटनी, और उमरिया में भी देखने को मिला है और अब हजारों क्विंटल की तादात में ऐसा गेहूं पाया गया है जिसमें कि मिट्टी मिली हुई थी. दुर्भाग्य की बात यह है कि जो नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष है हितेष वाजपेई जी, जो कि भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता भी हैं वे क्या कहते हैं कि कुल 25 लाख मेट्रिक टन का गेहूं का आवंटन होता है उसमें से यदि कुछ हजार क्विंटल गेहूं खराब मिलता है तो उसमें क्या बुरी बात है. अध्यक्ष महोदय, क्या यह बुरी बात नहीं है ? अध्यक्ष जी, मैं तो इसको बुरी बात मानता हूं कि अगर एक व्यक्ति को भी ऐसा मिट्टी वाला गेहूं मिलता है तो यह पूरे प्रदेश की गरीब जनता का अपमान है. इसलिये मैं चाहता हूं कि जो नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष हैं हितेष वाजपेई जी इनको तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिये. इसी के साथ में मैं कहना चाहता हूं कि इस मामले में अभी तक जो भोपाल के अधिकारी हैं उन पर ही कार्यवाही हुई है.लेकिन इसके साथ साथ में जो प्रदेश स्तर पर बड़े अधिकारी इसमे शामिल हैं उन पर भी सरकार को कार्यवाही करनी चाहिये.अध्यक्ष महोदय, इसके साथ में, मैं कहना चाहता हूं कि वेयरहाउस कार्पोरेशन में भी बहुत सारी अनियमिततायें सामने आई हैं, वहां पदस्थ अधिकारियों पर भी सरकार को कार्यवाही करनी चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राशन वितरण के संबंध में भी अनियमिततायें होने की बात सामने आई हैं. एक नया सिस्टम सरकार के द्वारा चालू किया गया है जहां पर पीडीएस आपरेटिंग मशीन हर कन्ट्रोल की दुकान में रखी गई है. इससे कन्ट्रोल में बहुत समस्या आ रही है . अनेकों मशीनें खराब हो चुकी हैं और सुनने में आया है कि ऐसी 28 हजार मशीनें 24 हजार रूपये साल के रेंट पर ली गई थीं. 1200 रूपये रेंट पर सरकार ने लिया है, हर साल की रेंट लगभग 70 करोड़ रूपये के आसपास आती है और अधिकतर मशीनें खराब भी पड़ी हुई हैं. तो मेरी आपके माध्यम से सरकार से मांग है कि इस प्रकरण में भी उच्च स्तरीय जांच होना चाहिये. इसी के साथ साथ मैं कहना चाहता हूं कि कुछ दिन पहले महिला एवं बाल विकास के अंतर्गत जो आयकर विभाग की रेड हुई थी एमपी एग्रो न्यूट्री फूड की, एमपी एग्रो फूड इन्ड्रस्टीज की, एमपी एग्रोटानिक लिमिटेड की, मैं मानता हूं कि पूरे प्रदेश के लिये यह बहुत अपमान की बात है क्योंकि यह वही संस्थायें हैं जो आंगनवाड़ी में रेडी टू इट फूड देती हैं , बच्चों को, गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार देती हैं, अगर इतना बड़ा घोटाला इसी विभाग में हुआ है और अभी तक शासन के बारे में इसकी कोई सूचना नहीं मिली है कि यह रेड क्यों हुई...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 3-4 और पाईंट मेरे हैं. इसके बारे में कार्यवाही सरकार को करनी चाहिये. अध्यक्ष महोदय, कुछ साल पहले जब यह संस्था बनी थी उसमें 51% शेयर सरकार का था 49% शेयर प्रायवेट संस्था का था अब सरकार का शेयर 30% रह गया है और 70% शेयर निजी लोगों का है, इसमें मैं मानता हूं कि निजी लोगों के साथ साथ जो बड़े अधिकारी हैं एमपी एग्रो के उन पर भी इसमें कार्यवाही होनी चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एमपी एग्रो ऐसी संस्था है जिसमे जो सरकारी रेट है वह मार्केट रेट से अधिक होती है . एक उदाहरण देना चाहता हूं कि जो 90 एमएम के आरपीवीसी पाईप हैं उसे 100 की क्वांटिटी में लें तो उसका यूनिट प्राईज और टोटल वेल्यू आती है 65 हजार इसी को अगर मार्केट में लें तो उसकी वेल्यू आती है 50 हजार . तो ऐसा क्यों है कि सरकारी संस्थाओं से जो खरीदी होती है वह ज्यादा कीमत की होती है , ज्यादा एक्सपेंसिव होती है. अध्यक्ष महोदय, दो बिंदू पर मैं और बात करना चाहूंगा, किसानों से संबंधित मामला है. वर्ष 2015 का जो खरीफ की फसल का बीमा है वह अभी तक किसानों को नहीं मिल पाया है . उसके साथ साथ फर्जी बीज और कीटनाशक दवाएं किसानों को वितरित किये जाने की बहुत खबर आ रही है इसमें अब जाकर के सरकार के द्वारा उसके सेम्पल टेस्टिंग के लिये भेजे गये हैं जब तक आलरेडी सोयाबीन की फसल इन फर्जी बीज और कीटनाशक दवाईयों के कारण खराब हो चुकी है. इन फर्जी बीज और कीटनाशक दवाओं के कारण स्थिति खराब हो चुकी है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने 2 प्वाइंट का बोला था 2 प्वाइंट हो गये.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमेशा कहता हूं किसानों को प्रोत्साहित करने के लिये जो ध्यान पशुपालन पर देना चाहिये, वह यह सरकार नहीं दे पा रही है, माननीय अध्यक्ष महोदय, दो और प्वाइंट हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपने 2 का बोला था 4 बोल दिये. कुंवर सौरभ सिंह.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लास्ट पाइंट. कुछ दिन पहले यशपाल सिंह जी जो भाजपा के विधायक हैं उन्होंने बहुत सही मुद्दा उठाया था जहां पर 1 लाख इंजीनियरिंग स्टूडेंट में से 80 प्रतिशत ऐसे विद्यार्थी अब भी बेरोजगार हैं, मैं मानता हूं यह बहुत ही चिंताजनक विषय है और इसमें विशेषकर हमको इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि ये जो बड़े प्रोजेक्ट सोलर के हो रहे हैं, बड़े प्रोजेक्ट उद्योग के हो रहे हैं, पीएसयू जो खुल रहे हैं, जैसे मेरे खुद के विधानसभा क्षेत्र में राघोगढ़ में यूरेका प्लांट एनएफएल का और एलपीजी प्लांट गेल का है वहां पर सब भर्तियां बाहर के लोगों की हो रही हैं, जबकि माननीय अध्यक्ष महोदय ...
अध्यक्ष महोदय-- अब आप बैठ जाइये, 7-8 मिनट हो गये. अब आ गये सारे विषय.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- एक मिनट और अध्यक्ष महोदय, युवाओं का विषय है. बस लास्ट प्वाइंट.
अध्यक्ष महोदय-- लास्ट प्वाइंट कितनी बार होता है. लास्ट प्वाइंट आधा मिनट में.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुंदरलाल जी ने कहा था कि जनसंपर्क की जो राशि है वह 15 करोड़ है, उसमें हर बार शिवराज सिंह जी की फोटो ही छपती है. एक उदाहरण है माननीय अध्यक्ष महोदय केरला, का जहां पर ड्रग्स की समस्या है, स्मेक टिकट, एल्कोहल की, क्योंकि जो बेरोजगार युवा है वह ड्रग्स, एल्कोहल से प्रभावित हो जाते हैं और आज हमारे जो जिले हैं चाहे गुना हो, राजगढ़ हो, मंदसौर, नीमच हो वहां पर ड्रग्स की भारी समस्या है.
अध्यक्ष महोदय-- कुं. सौरभ सिंह.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिये मेरे सुझाव तो सुनिये.
अध्यक्ष महोदय-- आप रीजनेबल हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- जो युवा ड्रग्स से पीडि़त हैं, जो युवा अल्कोहल से पीडि़त हैं, केरल सरकार ने सचिन तेंदुलकर को केरल सरकार का मेसकोट बनाकर युवाओं को प्रोत्साहित किया है.
अध्यक्ष महोदय-- कुं. सौरभ सिंह, नहीं अब सिर्फ कुंवर सौरभ सिंह जी का लिखा जायेगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं लिखा जायेगा कुछ. कुंवर सौरभ सिंह जी बोलेंगे अब.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं अब बैठ जायें, आस पास वालों का असर ज्यादा हो गया आपको, बैठ जाइये आप.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं अब हो गई बात. कुछ भी बोलेंगे रिकार्ड में नहीं आयेगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- (XXX)
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट के विरोध में मैं खड़ा हूं. अभी मार्च-अप्रैल में यह बजट पास हुआ था, एकाएक हम लोगों को इस बजट की दोबारा आवश्यकता पड़ गई. आपके बहुत से विभागों ने पैसे वापस किये हैं और खर्च नहीं किये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 1, सामान्य प्रशासन मद क्रमांक 4 में आपने 41 लाख रूपये मांगे हैं. विगत 5 वर्षों में आपने कोई भरती नहीं की है. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग कोई काम नहीं कर रहा है, जबकि संघ लोक सेवा आयोग प्रतिवर्ष भरती कर रहा है. मांग संख्या 19, स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सकों के पद रिक्त हैं, पैरामेडीकल स्टॉफ को भी आप नहीं भर पा रहे हैं. 3266 विशेषज्ञ के पद स्वीकृत हैं और सिर्फ 1245 पदस्थ हैं. इसी तरह 1896 सर्जरी विशेषज्ञ की भरती की आवश्यकता है, 5 सालों से कोई भरती नहीं की है. मांग संख्या 44 उच्च शिक्षा, आपने प्रोविजन ही नहीं किया है जो लक्ष्य है, 2008 से प्राचार्यों के पद रिक्त हैं कोई पदोन्नति नहीं हुई है, 440 पद है आपके प्रश्नों में जबकि इसमें 100 की भरती की है इसी तरह से प्रोफेसरों के 50 प्रतिशत पद खाली हैं. मांग संख्या 1, हर 6 माह में डीपीसी करने के निर्देश हैं, हर विभाग को पता है कि कितने लोग इस साल रिटायर हो रहे हैं, फिर भी अपने पास कोई बजटिंग नहीं, कोई व्यवस्था नहीं कि उनकी प्रतिपूर्ति कैसे की जायेगी. अगर राजस्व का उदाहरण ले लें तो जब ओला पाला होता है या सूखा होता है हमारे यहां आरआई, भू-अभिलेख अधिकारी नहीं रहते. 50 प्रतिशत पद अपने को प्रमोशन से भरना है, जब डीपीसी नहीं होगी तो वह पद रिक्त हो जायेंगे, यहां विधानसभा में हंगामा होता है और नीचे कोई काम नहीं होता और हम लोग बजट की आशा करते हैं. मांग संख्या 12, निशुल्क विद्युत प्रदाय करने के लिये आप 440 करोड रूपये मांग रहे हैं, ट्रांसफार्मर जले हुये हैं, बड़ी-बड़ी फेक्ट्रियों पर बहुत बकाया है उनसे न लेकर हम गरीबों से वसूल रहे हैं. फीडर सेपरेशन का काम विभाग की लापरवाही के चलते नहीं हो पाया और ठेकेदारों को उपकृत किया जा रहा है. मांग संख्या 13, फसल बीमा का प्रकरण,मेरे क्षेत्र में ले लें अभी किसानों से बीमा की राशि ली गई और किसी की त्रुटिवश राशि बैंकों में नहीं गई और किसान वंचित रह गये. सदन में प्रश्न आने से अब किसानों को राशि मिली. प्रदेश में नकली खाद,बीज की त्राहि-त्राहि मची हुई है. ब्लेक लिस्टेड फर्म ही आपके संरक्षण से नये नामों से सप्लाई कर रहे हैं और किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं. मांग संख्या-23 जल संसाधन विभाग, जलाशयों की मरम्मत नहीं हो रही है. नये जलाशय नहीं बन रहे हैं. मेरे क्षेत्र में धरमपुरा,बिरौली,भेड़ा,नयाखेड़ा,उजियारपुरा,सिवढ़ी जलाशय,केथाटोला,सगौढ़ी,बरही,बसेढ़ी,कलहाई आज दिनांक तक पेंडिंग हैं. मांग संख्या-29 लोक निर्माण विभाग,कटनी जिले को एक भी रोड नहीं दी गई है. आपके पास कोई लैब नहीं है. कोई क्वालीफाई स्टाफ नहीं है. एक आदेश क्रमांक एफ-58/5/2012/19/यो/3567, दिनांक 27.6.16 के द्वारा आपने बाहर की लैबों में जो जांच हो रही थी उसको भी बंद कर दिया है. बचईया से ध्योतरी,तिवरी से बिछुआ,रीठी से बरेहटा,नेगवां से सिवढ़ी,नेगंवा से कुमरवारा. हमारे यहां रोडों की मांग है पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. माईनिंग की बात कर लें तो रेत और अन्य खनिजों का अवैध उत्खनन हो रहा है. आप माईनर मिनरल की पालिसी बना रहे हैं. सेंटर की तरह हम भी सेंग्शन की जगह आक्शन कर रहे हैं इससे बड़े लोगों को फायदा होगा और छोटे लोग बाहर हो जायेंगे. मिनरल का बिजनेस पूरे प्रदेश में बैठा जा रहा है. कहां पूरे देश से लोग यहां व्यापार करने जा रहे थे और आज यहां की इंडस्ट्रीज बंद हो रही हैं. जब रेट बढ़ाये जाते हैं राजस्व निकालने के लिये तो हम रायल्टी बढ़ा देते हैं. रायल्टी बढ़ाने से सौ रुपये की जगह एक हजार रुपये अपने पास आ जाते हैं परंतु हजार रुपये का खर्चा भी जनता देती है, व्यापारी नहीं देता. टैक्स वह रायल्टी में जोड़ लेता है. मेरा निवेदन यह है कि अगर रायल्टी बढ़ाना है, आपका हर विभाग का मैनेजमेंट खराब है. आप वहां न वसूल कर जनता से वसूल कर रहे हैं यह अनुचित है. हमें रेत के लिये नयी पालिसी बनानी चाहिये. नर्मदा नदी से रेत नहीं निकालनी चाहिये. जिस तरह दिल्ली में बदरपुर में पत्थर को क्रश करके आर्टीफीशियल रेत बनने लगी है.इस पर विचार होना चाहिये. मांग संख्या 39 आपने 140 करोड़ रुपये का खाद्यान्न में हानि बताई है. इसका कारण यह है कि जब किसान बारदाने का पैसा दे रहा है ट्रांसपोर्ट का पैसा दे रहा है तो हानि कैसे ? इसका मतलब यह कि खरीद में गड़बड़ी हुई. इसी तरह गेहूं में 110 करोड़ मांगे गये हैं मैं इसका विरोध करता हूं. इसकी निचले स्तर पर कमी है. शिक्षकों की कमी है हर जगह शिक्षकों के पद खाली हैं. अंग्रेजों ने तो ह मारे यहां पढ़ाकर बाबू पैदा किये थे परंतु शायद जो हमारी शिक्षा प्रणाली चल रही है तो हम बाबू नहीं चपरासी पैदा करेंगे बिना पढ़ाये मध्याह्न भोजन बच्चों को खिलाकर सिर्फ चपरासी पैदा कर रहे हैं. मार्केटिंग में तो इस सरकार ने डाक्टर साहनी के जो स्टेशन के बगल में देखते हैं उसको भी फेल कर दिया है. मेरा निवेदन यह है कि सिंहस्थ आस्था का मामला है आपने उसकी भी मार्केटिंग कर डाली. अभी यशपाल सिंह सिसोदिया जी ने कहा था तो मैं यह कहूंगा कि अगर हकीकत अपने को जानना है तो जो प्रश्नकाल होता है उसको एक घंटे की जगह चार घंटे कर दीजिये तो आपको मालूम पड़ जायेगा कि जनता की हकीकत क्या है. मेरा निवेदन है कि अगर बजट कम पड़ रहा है तो हमारे यहां जो बाबू और चपरासियों के यहां छापे पड़ते हैं उन्हीं से पैसे ले लें उसी से मालूम पड़ जायेगा कि आपका प्रबंधन क्या है. आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अनुपूरक बजट का फिर से प्रावधान किया. समझ में नहीं आता कि प्रावधान बार-बार किये जाते हैं. मैं सिर्फ मूल बात करूंगा. मैं सिर्फ मांग संख्या की बात करूंगा. मैं यह मांग करूंगा कि सरकार यह बताए हम अभी दो-तीन महीने की बात कर रहे हैं. अभी मेन बजट आया था उससे पहले सूखा राहत पर एक दिन विशेष सत्र बुलाया गया था. विशेष सत्र बुलाकर बहुत बड़ी-बड़ी बातें माननीय मुख्यमंत्री जी से लेकर सरकार के मंत्री,सत्ता पक्ष के विधायक और हम लोग भी अपने यहां का रोना रोये थे परंतु वर्तमान में स्थिति यह है कि धान और सोयाबीन की पिछली फसल तो खराब हुई थी इस बार भी जो गेहूं की फसल थी वह हमारे विन्ध्य क्षेत्र के साथःसाथ पूरे मध्यप्रदेश में खऱाब हुई और उसमें कहीं से भी सरकार की तरफ से पहल नहीं की गई थी. हम लोगों ने आवाज भी उठाई थी. अतिवृष्टि,ओलावृष्टि से भी नुकसान हुआ था.
पर सरकार की तरफ से सिर्फ गरीबों के साथ किसानों के साथ मजाक उड़ाया जा रहा है. जो-जो बातें सदन में की गई थी. मांग संख्या की बात हम नहीं कर रहे हैं, हम प्रेक्टिकल बात कर रहे हैं. आपने बहुत सारे प्रावधान किये माननीय वित्तमंत्री जी जरूर बतायेंगे कि केंद्र सरकार से भी आपने बात की थी कि बहुत सारी राहत राशि मिलने वाली है. कहीं पता ही नहीं कि कितनी राशि आई केंद्र सरकार से सूखा प्रभावितों के लिये, प्राकृतिक आपदा के लिये . पहले तो जब केंद्र में यूपीए की गर्वमेंट थी तो यहीं से धरना, प्रदर्शन, आंदोलन से लेकर सारी बातें होती थी. आज आप यह भी बताने के लिये तैयार नहीं है कि आपने बजट में जो लोन ले रखा है, वह किस संस्था से , कौन सी एजेंसी से, कहां से कितना लोन ले रखा है, यह हम लोगों को भी जानने का अधिकार है. आप फिर से लोन ले रहे हैं, फिर से आपने अनुपूरक बजट का प्रावधान किया है 14 हजार करोड़ रूपये का पर आपने बुंदेलखंड के लिये प्रावधान किया है. इसके पहले बुंदेलखंड का जो पैकेज आया था उस राशि का क्या हुआ. आपने सिंहस्थ में करोड़ो रूपये बहा दिये और यहां के अमेरिका में जो लोग रह रहे हैं उनके यहां भी विज्ञापन में इतना पैसा खर्च कर दिया जितने अप्रवासी लोग नहीं है. क्या तमाशा बनाया है. पहले भी सिंहस्थ हुआ है, पहले भी कुंभ हुए है और (XXX).
अध्यक्ष महोदय - इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री कमलेश्वर पटेल - करोड़ो रूपये गरीब.. क्षमा कीजिऐगा (XXX).
अध्यक्ष महोदय - इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री वेलसिंह भूरिया- (XXX)
अध्यक्ष महोदय - दोनों शब्द कार्यवाही से निकाल दें. कृपया समाप्त करें.
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप अभी बाढ़ राहत की बात करते हैं जिस तरह से बाढ़ राहत के लोगों के साथ जैसे अभी हमारे जयवर्धन सिंह ने चर्चा की, किस तरह से मजाक हुआ. क्या यह मजाक नहीं है. अगर किसान गेहूं बेचने जाता है थोड़ा भी अगर उसका गेहूं गड़बड़ है तो कितना हंगामा करते हैं सोसायटी में लेते नहीं है. फसल बीमा के नाम पर हमने कितना किसानों से वसूली कर ली पर पैसा गया कहां . आज किसान बिजली के लिये परेशान है ट्रांसफार्मर जल गये हैं तो बदलने का नाम नहीं हो रहा है. तूफान से अगर खंभे टूट गये, तार टूट गये तो बदलने के लिये कोई तैयार नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय किस तरह की स्थिति है. ग्राम उदय से भारत उदय में तो गरीबों का लाखों की संख्या में मध्यप्रदेश से नाम काट दिये गये. माननीय अध्यक्ष महोदय बजट में आनंद मंत्रालय का जिक्र है. आनंद तो जब सब बैठे हुए साथियों को आये, पक्ष विपक्ष को दोनों को आये, आम जनता को आये, तब आनंद मंत्रालय का मतलब है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय बहुत कम शब्दों में अपनी बात रखता हूं. जिस तरह से हम शिक्षा विभाग की बात करते हैं हमारे जिले में 48 स्कूल हैं. प्राथमिक, माध्यमिक स्कूल बंद करने के निर्देश जारी हो गये हैं.इसी तरह से पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में स्कूल बंद करने की बात हो गई....आनंद मंत्रालय का क्या औचित्य है ?
अध्यक्ष महोदय - अब कृपया समाप्त करें. श्री सुखेंद्र सिंह.
श्री कमलेश्वर पटेल - इसी तरह से पूरे प्रदेश में परामर्शदात्री के लिये लोगों से बाहर से हायर कर रहे हैं. क्या हमारे अधिकारी कर्मचारी इतने निकम्मे हो गये ,इतने असक्षम हो गये कि हमने करोड़ों रूपये उनको देने के लिये प्रावधान किये.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाय कृपया आप.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय आपसे निवेदन है कि आप दो मिनट और बोलने के लिये दें.
अध्यक्ष महोदय - नहीं समय कम है. श्री सुखेंद्र सिंह.
श्री कमलेश्वर पटेल - सरकार ने जिस तरह से प्रावधान किया है, हम उसका विरोध करते हैं.
श्री सुखेंद्र सिंह (मउगंज) - माननीय अध्यक्ष महोदय 2016-2017 के प्रथम अनुपूरक बजट में बोलने का अवसर मिला. लगभग ढाई वर्ष हो गये हैं हम लोग पहली बार के विधायक है. निश्चित रूप से बजट से ही सरकार, प्रदेश, देश चलता है, लेकिन हम लोग ढाई साल से बजट पर ही चर्चा कर रहे है लेकिन हम लोगों को आज तक पता नहीं चला कि बजट जाता कहां है. अभी सिंहस्थ पर हमारे बहुत सारे सत्ता पक्ष के विपक्ष के साथियों ने चर्चा की. मैं भी इस आस्था के पर्व में जाने का मौका मिला और मैं गया भी था. पुलिस की बड़ी तारीफ हुई और निश्चित रूप से पुलिस ने बहुत अच्छा काम किया है. मुझे कहने में कतई संकोच नहीं है लेकिन वहां 90 प्रतिशत लोग मैं समझता हूं जहां उनको स्नान करना था वहां तो पुलिस की वजह से पहुंच ही नहीं पाये.पुलिस ने इतनी बेहतर व्यवस्था की थी कि वह श्रद्धालुओं को 10 किलोमीटर पहले से ही पैदल कर देती थी कि स्नान घाट बस नजदीक ही है और वहीं से नहा-धोकर सब लोग लौट आते थे. मेरा कहना यह है कि मध्यप्रदेश की पुलिस ने इतना बेहतर इंतजाम किया कि 90 प्रतिशत लोगों को जहां स्नान करना चाहिए था, वहां कर ही नहीं पाये.
श्री सुदर्शन गुप्ता--अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य मिथ्या कथन करके सदन को गुमराह कर रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- हम गुमराह नहीं कर रहे हैं.
श्री सुदर्शन गुप्ता-- 90 प्रतिशत लोग बिना नहाये ही चल गए. यह असत्य बात है. सरासर गलत बोल रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- जो होर्डिंग लगाये गये थे वह माननीय मुख्यमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी के थे...
अध्यक्ष महोदय--बार बार वही बात आ रही है.रिपीटेशन बहुत हो रहा है.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- और भगवान भोलेनाथ की छोटी फोटो थी. मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता. वैसे भी हम लोग बहुत कम बोलते हैं. मांग संख्या-19 लोक स्वास्थ्य विभाग के संबंध में हमने पहले भी यह बात रखी थी कि जो बीमारी सहायता मिलती है वह पेरालिसिस के लिए भी मिलना चाहिए. यह बीमारी कभी कभी बहुत कम उम्र के लोगों को मार देती है, उसके लिए कोई बजट नहीं है. जिनका गरीबी की रेखा की सूची में नाम भी नहीं रहता लेकिन पेरालिसिस बीमारी का निदान नहीं हो पाता. सदन में सदन के नेता भी बैठें हैं मैं उनसे विशेष रुप से अनुरोध करना चाहता हूं कि पेरालिसिस से जो लोग ग्रसित रहते हैं उनका विशेष ख्याल रखा जाये. यह मेरा व्यक्तिगत अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र मऊगंज जो कि इंटीरियर में है वहां पर बाण सागर से सिंचाई की बात हो, चाहे सड़कों की बात हो, पिछले ढ़ाई सालों में हमने कई बार मांग रखी लेकिन उसके लिए बजट नहीं रखा गया. एक बड़ा आंदोलन वहां की जनता ने किया था. बाण सागर का पानी जो उत्तर प्रदेश जा रहा है, अगर उसके लिए भी बजट दिया जायेगा. माननीय मुख्यमंत्रीजी हमारे बीच बैठे हैं, तो निश्चित रुप से हमारे क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर)--अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2016-17 के प्रथम अनुपूरक अनुमान बजट के विरोध में मैं बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने 14 हजार 297 करोड़ 21 लाख 24 हजार 8 सौ रुपये के अनुपूरक राशि की मांग रखी है. जो कि मुख्य बजट का लगभग 12 प्रतिशत है. अध्यक्षजी, यह विषय उद्भूत होता है कि जो राशि विभाग को अलॉट होती है,क्या वह उसी विभाग में खर्च हो रही है? कितनी राशि लेप्स हो जाती है. लेप्स क्यों होती है? लेप्स करने वाले विभागीय अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है इससे भी सदन को अवगत कराना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, सरकार के पास सरकार चलाने के लिए राशि नहीं है. अभी हाल ही में कुछ जगह इन्कम टैक्स के छापे पड़े तो अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने कहा है कि एक सप्ताह में 300 करोड़ रुपये की आवश्यकता है इसलिए इन्कम टैक्स के छापे पड़ रहे हैं. आप अपना वित्तीय प्रबंधन ठीक करें.
अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या-13 जो कि कृषि विभाग से संबंधित है उसके बारे में चर्चा करना चाहता हूं कि सदन में और इस सदन के बाहर भी बीमा राशि के क्लेम मई माह तक देने की बात कही गई थी लेकिन वह राशि किसानों के खाते में आज तक नहीं पहुंची है.
समय 5.53 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.
मेरे ध्यानाकर्षण के उत्तर में कृषि मंत्री जी ने जवाब दिया है कि हम अनुपूरक बजट के बाद में वह राशि जमा कराएंगे. मैं आपके माध्यम से- माननीय वित्त मंत्री जी, कृषि मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी बैठे हैं-उनसे यह अनुरोध करता हूं कि शीघ्र ही राशि किसानों के खाते में पहुंच जाये ताकि किसानों की जो मंदी हालत चल रही है उसमें कुछ सुधार हो जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-8 राजस्व विभाग से संबंधित है. मुख्य बजट का लगभग आधा बजट अनुपूरक बजट में मांगा है. अभी तक बहुत से किसानों को मुआवजे की राशि छूट गई है, नहीं मिली है उन्हें भी शीघ्र दी जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, राज्य भूमि सुधार आयोग के गठन पर सरकार को मैं बधाई देता हूं कि यह एक नई पहल है कि राज्य भूमि सुधार आयोग का गठन किया गया है क्योंकि किसानों की जमीन बंट रही है. खाते लगातार बढ़ रहे हैं इसलिए रिकार्ड्स में सुधार की बहुत आवश्यकता है. किसान तहसीलों के चक्कर लगाते हैं, परेशान होते हैं. पहले कहावत थी कि तहसील के चक्कर लगाते लगाते, जूते घिस जाते हैं. अब तो घिस घिस कर जूते बदल जाते हैं. कोई काम समय पर नहीं हो पाता. पटवारियों की कमी है. सबसे पहले पटवारियों की,तहसीलदारों कमी को दूर किया जाये ताकि किसानों की रोजमर्रा की आवश्यकता है, वह पूरी हो सके.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-46 मद क्रमांक-2 में शासन ने इंदौर विकास प्राधिकरण को 46 करोड़ 47 लाख 61 हजार 600 रुपये देने की बात कही है. विषय यह है कि जो जमीन है, जो आईडीए ने टीसीएस और इनोफोसिस को रियायती दर पर दी थी, उसकी क्षतिपूर्ति के लिए दी जा रही है. यह जमीन लगभग 5-6 साल पहले दी गई थी. कंपनियों के चालू होने की जो आखिरी तारीख थी वह वर्ष 2013-14 में थी. लेकिन आज 3 साल बाद भी ये कंपनियां चालू नहीं हो पाई है. अगर ये कंपनियां समय पर चालू हो जातीं तो इससे प्रदेश की कुछ बेरोजगारी दूर होती. माननीय वित्तमंत्री जी से मेरा आग्रह है कि आप इस ओर भी ध्यान दें. जो राशि आप आवंटित करते हैं, उससे सही समय पर सही काम हों ताकि उसका फायदा हो सके. आनंद मंत्रालय की बात करूंगा. मांग संख्या 10, 11 में कहना चाहूंगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी की परिकल्पना है आनंद मंत्रालय. वह यह मान रहे हैं कि प्रदेश में तनाव है. तनाव को दूर करने के लिए आनंद मंत्रालय की आवश्यकता है. मैं उनको यह बधाई देता हूं कि उन्होंने यह स्वीकार तो किया.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आप आनंद मंत्रालय की बात कर रहे हो तो थोड़ा खुश होकर बोलें. चहरे पर हंसी लाते हुए बोलें.
श्री शैलेन्द्र पटेल - आप नाराजगी का कारण भी समझ में आ जाएगा. आप पहले सुन लें.
श्री सुदर्शन गुप्ता - जब तक आप प्रतिपक्ष में रहोगे, आप टेंशन में रहोगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल - आप उस बात की चिंता न करें.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - प्रदेश में आपको तनाव कहां दिखाई दे रहा है?
श्री शैलेन्द्र पटेल - तनाव नहीं है तो फिर आनंद मंत्रालय क्यों खोल रहे हैं?
उपाध्यक्ष महोदय - जसवंत सिंह जी, लगता है सदन में आज पहली बार बोले हैं?
श्री कमलेश्वर पटेल - ये सब मंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए यह सब बोल रहे हैं, मुख्यमंत्री जी आ गये हैं, कम से कम चैयरमेन वगैरह बनने में ध्यान रखें.
उपाध्यक्ष महोदय - आपको तो नहीं बनना है?
श्री शैलेन्द्र पटेल - आनंद मंत्रालय इसलिए खोला जा रहा है कि तनाव कम हो. क्या इस बारे में विचार किया गया कि यह तनाव क्यों बढ़ रहा है, क्योंकि प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है. लोगों की जेब में पैसा नहीं है.
कुंवर विजय शाह - इच्छा हो तो विचार कर लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - आप आफर देने के लिए अधिकृत हैं?
श्री शैलेन्द्र पटेल - किसानों की हालत गंभीर होती जा रही है. मंत्री जी इस ओर विचार करें. जो प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है, उसको दूर करने का प्रयास करें, उपाध्यक्ष महोदय, यह मेरा आपके माध्यम से निवेदन है. जितनी बेरोजगारी और पैसे की तंगी है, उसके कारण प्रदेश में आत्महत्या के प्रकरण भी हो रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, धार्मिक न्यास को एक विभाग मिला उसके लिए भी धन्यवाद, नहीं तो वह बिना अधिकारियों का विभाग था. सहकारिता विभाग को करोड़ों रुपए दिये गये हैं. लेकिन आज भी एक बात समझ में नहीं आती है कि सिंगल सुपर फास्फेट की जो बोरी है, वह सेवा सहकारी सोसाइटियों में मंहगी बेची जा रही है और बाजार में सस्ती है. डीएपी की भी बोरी सेवा सहकारी सोसाइटियों में मंहगी दी जा रही है और बाजार में सस्ती मिल रही है. प्याज खरीदी के एक महीने बाद भी अभी भी बहुत से किसानों की राशि उनके खातों में नहीं पहुंची है, यह राशि शीघ्र उनके खातों में पहुंचाई जाय. माननीय पंचायत मंत्री जी यहां पर बैठे हुए हैं. पंचायत सचिवों की जो ट्रांसफर नीति है उसे लागू करें. उन्होंने मिच्युअल करवा लिया, लेकिन हाल वैसे के वैसे ही हैं जैसे पहले थे. इस ओर भी आप ध्यान दें. स्कूल शिक्षा मंत्री जी से मेरी एक मांग है कि आरटीई के अनुरूप जहां जहां स्कूलों की आवश्यकता है, सबसे पहले उन्हें चिह्नित कर लें, वहां पर स्कूल खोलने का प्रयास करें.
उपाध्यक्ष महोदय, अंत में, मैं एक बात के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में भोजनगर से बिलकिसगंज का एक मार्ग स्वीकृत हुआ है. पूरे अनुपूरक बजट में मैंने देखा तो यह एक ही चीज थी, इसके लिए मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) - उपाध्यक्ष महोदय, प्रथम अनुपूरक बजट की सभी मांगों का मैं समर्थन करता हूं. साथ ही अपने विधान सभा क्षेत्र की कुछ मांगें रखना चाहता हूं. कुछ कार्यों में राशि मिली है. लेकिन वह काफी कम है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्तमंत्री जी से आग्रह करूंगा कि हमारे क्षेत्र के लिए ऐसा कुछ कीजिए क्योंकि हमारे जिले को ऐसा लगता है कि पूरे जिले के साथ भेदभाव हो रहा है. अभी तक जिले में ऐसा कोई चमत्कार नहीं हुआ. जो मूलभूत छोटी सुविधाएं प्रदेश स्तर पर सभी को दी जाती है, सिर्फ वही हमारे जिले में उपलब्ध हो पा रही हैं. इसके अलावा ऐसा कुछ दिया नहीं गया है कि हम गर्व से कह सकें कि हम ढाई साल से विधायक हैं और मध्यप्रदेश सरकार ने हमारे जिले के लिए विशेष कुछ दिया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज का बोला. मुझे प्रश्न के उत्तर में कहा जा रहा है कि आज तक कोई आवेदन नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से मिला, उनको बताया. उन्होंने भी स्वीकार किया कि आवेदन आए. लेकिन कुछ विभागीय परेशानी के कारण नहीं हो पा रहा है. लेकिन उसके बाद भी जवाब हमको आता है.
कम से कम इस बार के बजट में उसको आप पूर्ण कर लें, ऐसा मेरा विनम्र आग्रह है. इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि महाविद्यालय के लिये मैं आपसे निवेदन करता हूँ. मेरे यहां विशेष पुलिस बल की मैं मांग करता हॅूं. पुलिस बल पर्याप्त न होने के कारण हमारे यहां आए दिन लड़ाई-झगड़े, विवाद और सामाजिक-राजनीतिक दंगे प्राय:-प्राय: हो रहे हैं . मध्यप्रदेश में पुलिस काफी कम हैं उनसे आप 24-24 घंटे ड्यूटी लेते हैं अगर उन कर्मचारियों को एक समय-सीमा बांध देंगे तो वास्तव में वे ईमानदारी से भी काम करेंगे और हमारे यहां क्राइम भी कम होंगे और जो आप आनंद मंत्रालय ला रहे हैं तो पुलिस वालों को भी आनंद आ जाएगा और जब भी मैं देखता हॅूं बडे़ अधिकारी बड़ी तनख्वाह पाने वाले अधिकारी छोटे कर्मचारियों के ऊपर पेनाल्टी और उन्हीं के ऊपर सभी प्रकार की गलतियॉं थोपते हैं. मैं कहता हूँ एसपी से लेकर ऊपर तक के अधिकारी के ऊपर कोई कार्यवाही आज तक क्यों नहीं होती ? सिर्फ विवेचक या हमारे सिपाही छोटे स्तर के कर्मचारी के ऊपर कार्यवाही होती है क्योंकि वे भी वही तनख्वाह लेते हैं. बड़े जवाबदार भी यहां बैठे हैं. अगर हमारे यहां किसी प्रकार का दंगा होता है या एसपी, डीआईजी, आईजी लेवल के अधिकारी दोषी नहीं पाए जाते ? क्या वहां बैठा हुआ एक सिपाही दोषी पाया जाता है ? मेरा विनम्र आग्रह है भरिया और भारिया समाज, जनजाति हमारे आदिवासी भाई हैं उनको भी आप उसमें सम्मिलित करें.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक और आग्रह है हमारे नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अभी वर्तमान में घरों में सर्वे हो रहा है. उससे हमारी जनता बहुत भयभीत हो चुकी है कि जो यह सर्वे हो रहा है वह कहीं न कहीं इस समय पोर्टल या कम्प्यूटर का जमाना आ गया है. डायरेक्ट मध्यप्रदेश से हमारे यहां सबके ऊपर टैक्स लग जाएंगे.
ऐसी स्थिति में जनता नगरीय निकाय के लोगों को, जनप्रतिनिधियों को दोषी मान रही है और जहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाए हैं वह गांव से जुड़ा हुआ क्षेत्र, जिले से जुड़ा हुआ क्षेत्र है वह कैसे इतना टैक्स दे सकेगा ? उसको लागू ना किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, डॉक्टरों की बहुत कमी है, नर्सों की बहुत कमी है, आबकारी कर्मचारियों का अमला बहुत कम है. जिला के एक आयुष अधिकारी, जिन्होंने करोड़ों रूपये खाए. वे 1984 से पदस्थ हैं उनके ऊपर आपके मंत्रालय द्वारा जांच करने पर पाया गया किन्तु आज भी है और दो साल रिटायरमेंट का समय बचा है कम से कम अभी वसूल लें. पेंच व्यपवर्तन योजना में राशि मुझे कम मिली है. माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है गोपालगंज के लालमाटी क्षेत्र के लिए भी राशि दे दें. सामूहिक नल-जल योजना 232 करोड़ की माननीय मुख्यमंत्री जी ने उसको पास की है जिसमें मात्र 100 करोड़ रूपये ही मिल रहे हैं इसकी भी पूरी राशि दे दें. युवाओं के लिए रोजगार नहीं है. रोजगार नहीं होने से हमारे यहां गरीबी का स्तर काफी नीचे है. क्रिकेट का ग्राउण्ड नहीं है. हॉकी स्टेडियम बहुत दिनों से अधूरा है. जो ग्राउण्ड बना है उसमें भी बंदरबांट हुआ है. सिवनी नगरपालिका में ऑडिटोरियम है जैसा कि पूर्व में कहा गया पद्दीकोना, कन्हार पिपरिया में एक बड़ा पुल बनना है. गोरखपुर से गोरपानी, जो छिंदवाड़ा जिले को जोड़ता है दो किलोमीटर, कम से कम 10 बार मैंने विधानसभा में बात रखी है. दो किलोमीटर आप जोड़ दीजिए दूसरे जिले में अच्छी रोड़ है छिंदवाड़ा जिले में लेकिन हमारे जिले में रोड़ खराब है आपसे आग्रह है इसको ले लें. चाहे बीसाबाड़ी हो, चाहे सलई बल्हारपुर, भाटीवाड़ा, जाम, कुण्डा इनके मार्ग बनाने के लिए मैं आग्रह करता हॅूं आंगनवाड़ी केन्द्र पर्याप्त है वहां पर बिल्डिंग बना दी जाए. स्कूलों में बाउन्ड्रीवॉल नहीं है. कॉलेज में पढ़ने वाली बच्चियां, स्कूल में तो आप उनको देते भी हैं पेंशन, लेकिन मेरा निवेदन है कि समय पर दें और दूसरा उन बच्चियों को पढ़ने के लिए सरकार राशि दे, जिससे हमारी बच्चियां बारहवीं तक तो पढ़ लेती हैं लेकिन कॉलेज में जाकर उनके पास आर्थिक तंगी की वजह से वह बच्चियां पढ़ नहीं पाती हैं. मेरा एक आग्रह है आनंद मेला में कोई नहीं मिल रहा है तो मैं हूँ. आनंद मंत्रालय में निर्दलीय को भी शामिल कर लिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है हमारे यहां बल्लारपुर से एक पुलिया निर्माण होना है छतरपुर में, भैकी में हिबरा मार्ग टोला से पिपरिया मार्ग, कोठिया से गाडरवाड़ा, गोड़ी सागर से बखारी मार्ग टिकारी से बोनाखेड़ा पुलिया निर्माण खापा से खेरी मार्ग, बल्लारपुर से भाटीवारा और खिलकरी से खमरिया में पुलिया निर्माण कर दें, आपने मौका दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और मैं उम्मीद करता हॅूं कि वित्तमंत्री जी मेरे जिले के लिए ऐसा कुछ देंगे जिससे वास्तव में वह आनंद मंत्रालय का फायदा मेरे जिले को भी मिलेगा.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगंवा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट में माननीय वित्त मंत्री जी ने 14 हजार 297 करोड़ 21 लाख 24 हजार 8 सौ रूपये की मांग की है जिसका मैं विरोध करती हॅूं और मांग संख्या 17, 20 और 24 में मैं हमारी मनगंवा विधानसभा के लिए अनुपूरक बजट में प्रावधान की भी मांग करती हॅूं. मैं मांग संख्या 17 सहकारिता विभाग के पक्ष में कहना चाहती हॅूं कि माननीय मंत्री जी सहकारिता विभाग का मुख्य कार्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछडे़ और दलित, शोषित कमजोर वर्गों के सर्वांगीण विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना है. यह उद्देश्य सहकारिता विभाग का है.परंतु मनगवां विधान सभा के गंगेव ब्लाक में सहकारिता विभाग के द्वारा बहुत बड़ी राशि जो विभिन्न योजनाओं के लिए स्वीकृत की गई थी उसका आपस में बंदरबांट कर लिया गया है, जैसे कि किसान क्रेडिट कार्ड, खाद ऋण कार्ड, बीज के तहत जो अनुदान दिया गया था जैसे मनगवां, गंगेव, लालगांव, देवास, गढ़ की यूबीआई की जो बैंक शाखा हैं उ समें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है. आपसे निवेदन करती हूं कि इस भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास किया जाय, दोषियों को दण्ड दिया जाय और गोदाम की व्यवस्था की जाना चाहिए. प्रत्येक सहकारी उचित मूल्य वालों की अपनी स्वयं की दुकान होना चाहिए, यह भी प्रावधान किया गया था लेकिन उसकी आज तक व्यवस्था नहीं की गई है जिससे चोरी नहीं होगी और कालाबाजारी पर रोकथाम होगी. साथ ही साथ मनगवां विधान सभा में सूरा जुडोरी जैसे कई गांव ऐसे हैं जहां परउनके भवन नहीं हैं और भी गांव हैं जैसे कि लालगांव जुडोरी और सूरा यहां की सहकारी समितियां डिफाल्टर हो चुकी हैं लेकिन अभी तक इन समितियों के भ्रष्टाचार की जांच नहीं हो सकी है.
उपाध्यक्ष महोदय मैं शिक्षा विभाग की मांग संख्या 27 के बारे में कहना चाहती हूं कि शिक्षा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा मनुष्य के व्यक्तिव के विकास के लिए अति आवश्यक है. सरकार की भी मंशा यह ही है कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधरे जिससे कि प्रदेश की जनता का सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके लेकिन 2016-17 में 300 करोड़ का प्रावधान किया गया था और 2016-17 में ही 9 लाख 50 हजार बच्चों का प्रवेश का जो लक्ष्य रखा गया था उस लक्ष्य की पूर्ति अभी तक नहीं हो पायी है.
हमारी मनगवां विधान सभा में बहुत सारे ऐसे स्कूल हैं जिनकी छत टपक रही हैं उनके भवन की हालत जर्जर हो गई है वहां पर लेट बाथ नहीं है बाउण्ड्रीवाल नहीं है. इसके लिए मैंने याचिका भी लगाई थी और पिछले बजट में उसको शामिल करने के लिए भी कहा था लेकिन उसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है. मैं यहां पर माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि इस बजट में हमारे विधान सभा क्षेत्र का ध्यान रखें. मेरी विधान सभा रिजर्व सीट है मैं बहुजन समाज पार्टी से विधायक हूं. लेकिन मेरी विधान सभा के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है. जो भी सड़कें वहां पर बनी हुई है वह गुणवत्ता विहीन हैं और साथ ही साथ जिन गावों का मैंने नाम लिया है वहां पर छात्र और छात्राओं को अपने गांव से कई किलोमीटर दूर जाना होता है. मैंने अपने यहां के स्कूलों के उन्नयन के लिए भी विभाग को लिखा है उ सके लिए याचिका भी लगाई है लेकिन वह भी स्वीकृत नहीं हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय यहां पर प्रदेश के भांजे भांजियों के मामा जी बैठे हुए हैं. मैं आदरणीय जी से कहना चाहती हूं कि आपके भांजे भांजी स्कूल नहीं जा पाते हैं. मेरी विधान सभा में कम से कम 10 ऐसी सड़कें हैं जो कि जर्जर हैं कीचड़ युक्त हैं, वहां पर बच्चे 15 - 15 दिन स्कूल नहीं जा पाते हैं इसकी वजह से आपकी जो मंशा है कि आपके भांजे और भांजी पढ़े और उनका विकास हो वे अपने व्यक्तिव का निर्माण करें. मैं कुछ स्कूलों के नाम बता रही हूं और कुछ सड़क मार्ग हैं वह बता रही हूं. जैसे देवास से गंगेव व्हाया पहरखा गांव यह 10 किलोमीटर है अगर आपको यकीन न हो तो आप इस भरी बरसात में भी साथ चलकर देख सकते हैं कि कमर तक वहां पर कीचड़ है बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. बसेड़ा से मनगवां 5 किलोमीटर है, उदरीबाय से हीरूडीप 4.5 किलोमीटर है, हिनौती से कैथा 3.5 किलोमीटर है, देवास से रऊरा व्हाया पौड़ी 4.5 किलोमीटर, पिपरा से पनगवां 3.5 किलोमीटर है, देवरिया गांव से सिगरवा 3.5 किलोमीटर, बिल्हा से कंचनपुर 3.5 किलोमीटर, बंधवा से खांच पहुंच मार्ग 3 किलोमीटर, गोपी से कटहा पहुंच मार्ग 3 किलोमीटर, सलैया से बेलवापुर यह भी लगभग 4.5 किलोमीटर है. उपाध्यक्ष महोदय अगर यह सड़कें बन जायेंगी तो हमारी मनगवां विधान सभा के जो बच्चे है वह स्कूल जा पायेंगे और जोजनता है उनकी दैनिक दिनचर्या है वह भी प्रभावित नहीं होगी. आपने बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष का अनुपूरक बजट समुद्र मंथन की तरह है, जिस तरीके से समुद्र मंथन में कई रत्न भी आ गए और उसके साथ विष भी निकला था तो आज की जो अनुपूरक बजट पर चर्चा है यह ऐसी ही है. यहां पर खासकर के माननीय सदस्यों ने सिंहस्थ के बारे में बहुत सी चर्चा की हैं मैं उनको दोहराना नहीं चाहूंगा परंतु जिस तरीके से इस पूरे आयोजन में जो परिदृश्य सामने आया वह निश्चित ही चिंताजनक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछली बार विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर इस मध्यप्रदेश के किसानों को जो कि सूखे से जूझ रहे थे उनके कल्याणार्थ, उनके सहयोगार्थ और उनके हित के लिए माननीय सदस्यों ने इस सदन में चर्चा की और बजट भी पास किया गया. मेरे पुष्पराजगढ़ विधान सभा में कम से कम 29 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए. इस 29 करोड़ में जिस तरीके से प्रशासन ने बंदरबांट की, जिसकी मैं हमेशा इस सदन में चर्चा करता रहा हूँ कि अधिया खेती में आज भी ट्रायबल क्षेत्रों में वसूली की जा रही है. प्रशासन द्वारा अधिया किसानों के खातों में डालकर वसूली की जा रही है. हम यह जो बजट पास करते हैं क्या यह इसके लिए करते हैं कि अधिया वसूल किया जाए और आदिवासी किसानों को लाभ न मिले. पिछले बजट में भी हमने इस विषय पर बात की थी आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए वहां के जो विद्यालय हैं, वहां की जो शिक्षण व्यवस्था है, आश्रम शालाएं हैं वहां पर जो रहने की व्यवस्था है उसे सुधारनी चाहिए. जिस तरीके से ट्राइबल के मद के संबंध में आज ट्राइबल डिपार्टमेंट और माननीय मंत्री जी उदासीनता दिखा रहे हैं मैं उसका एक नमूना बताना चाहता हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज भी छात्रावासों में और आश्रमों में इस गीले में टाटपट्टी में बैठकर हमारे बच्चे भोजन करते हैं. टपकते हुए पानी में बैठकर भोजन करते हैं, एक-एक बिस्तर में 5-5 बच्चे शयन करते हैं, मैं इस बात को आज ही नहीं पहले भी कई बार इस सदन में कह चुका हूँ और आज फिर वही 100 करोड़ का बजट हम ट्राइबल के उत्थान के लिए पास कर रहे हैं क्या इससे व्यवस्था सुधरेगी.
उपाध्यक्ष महोदय -- फुंदेलाल सिंह जी, बस एक मिनट में समाप्त करें.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय उपाध्यक्ष जी, इसलिए मैंने पहले ही कहा है कि यह अनुपूरक बजट समुद्र मंथन है और इस समुद्र मंथन में विष भी निकला है. विष में जो विषपान करे वह महादेव कहलाता है. हम यहां केवल सरकार का महिमामंडन करने के लिए नहीं बैठे हैं. हम अंतिम छोर में बैठे व्यक्ति के लिए बजट पास करते हैं, बजट बनाते हैं यह इसके लिए नहीं है कि आज भी गांवों में छात्रावासों में मच्छर मारने की व्यवस्था न हो, वहां शिक्षकों की पूर्ति न हो. मेरा क्षेत्र 90 प्रतिशत ट्राइबल क्षेत्र है. वहां के निवासियों को कोई सुख-सुविधा नहीं मिलती है. हमने इसी सदन में कहा था कि मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्री जी, एक बात सुनिए कि मेरे पुष्पराजगढ़ विधान सभा क्षेत्र में मात्र एक महाविद्यालय है जहां 800 आदिवासी बच्चे अध्ययनरत हैं, 500 बच्चे बीएससी में वहां अशासकीय तौर पर 15 और 20 हजार रुपये देकर विद्या अध्ययन करते हैं. माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी ने इसी सदन में घोषणा की थी कि फुंदेलाल सिंह जी हम व्यवस्था करवा देंगे जिसे सभी माननीय सदस्यों ने सुना था क्या उसका आर्डर हुआ ?
उपाध्यक्ष महोदय -- फुंदेलाल सिंह जी, अब आप समाप्त करें.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- उपाध्यक्ष महोदय, आप कहें तो मैं कुछ भी न बोलूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, समय का बंधन है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय उपाध्यक्ष जी, यह मेरी पीड़ा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- जनरल बजट पर बोल लीजिएगा.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- जनरल बजट पर बोल चुका हूँ. उसमें मैं अपनी सारी बातें रख चुका हूँ कि जिनके लिए हम बजट पास करते हैं उन लोगों को कोई सुख-सुविधा नहीं मिलती है. वहां स्वास्थ्य सेवाएं नहीं हैं. हमने उन्नयन के लिए बात की, हमने भवन के लिए बात की, हाई स्कूल, हायर सेकण्डरी स्कूल के उन्नयन के लिए बात की, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अपने क्षेत्र की और ट्राइबल से संबंधित बातें कह रहे हैं. कभी कभी बोलते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- फिर उसी पर सीमित रहना था . कांग्रेस पक्ष से 2 घंटे से ज्यादा लिये जा चुके हैं और वह अक्सर बोलते हैं. झूमा जी अपनी बात शुरु करें.
श्री बाला बच्चन-- ट्राइबल एरिया की बात कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय—बहुत ज्यादा समय हो रहा है, अभी मंत्री जी का भी जवाब आना है.
श्री बाला बच्चन--- वह अभी दो ही मिनट बोले हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- उनको छह मिनट हो चुके हैं, अब आप समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा आसंदी अनुमति दे लेकिन मैं माननीय सदन को निश्चित रूप से बताना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--- यह सातवां मिनट है, आप समाप्त करें, आप वाक्य पूरा कर लीजिये और बात को समाप्त करिये.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को—उपाध्यक्ष महोदय, अमरकंटक माई नर्मदा जी का भी उद्गम क्षेत्र है...
उपाध्यक्ष महोदय-- बाला जी, अब अगली बार जब भाषण हो तो फुन्देलाल जी का भाषण एक या दो नंबर पर रखिये आप उनका नाम पीछे क्यों धकेल देते हैं.
श्री बाला बच्चन-- उपाध्यक्ष महोदय, आपकी बात का पालन किया जायेगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--- उपाध्यक्ष महोदय, यदि आप अनुमति दे तो दो मिनट में अपनी बात कह लेता हूं क्योंकि माई नर्मदा की बात मैं कहना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--- आप बहुत अच्छा बोल रहे हैं लेकिन समय की सीमा है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- यदि बहुत अच्छा बोल रहा हूं तो मेरे निवेदन को सुन तो लें.(हंसी) एक मिनट में बोल देता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अमरकंटक क्षेत्र माई नर्मदा जी का उद्गम स्थल है और उनकी शुद्धता और पवित्रता बनाये रखना हम सबका कर्तव्य है. जिस तरीके गंगा जी के शुद्ध जल की पवित्रता के लिए हम चिंतित हैं इसी तरीके से माँ नर्मदा की शुद्धता और पवित्रता के लिए भी चिंता होनी चाहिए. मैं इतना कहना चाहूंगा कि जैसे सिंहस्थ में आपने भव्य आयोजन पूरे देश के सामने किया है, इसी तरीके से माँ नर्मदा की जब भी जयंती होती है, जब भी महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाता है उसके लिए भी एक बजट प्रावधान इसमें कर दिया जाना चाहिए.यह मैं वित्तमंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा और हमारे पीएचई मंत्री से विनम्र निवेदन करना चाहूंगा कि मेरा क्षेत्र सूखा से प्रभावित था वहाँ 32 गांवों को पानी परिवहन करके ढोया गया, मैं इतना चाहता हूं कि जो हमारी नल जल योजनाओं की 232.63 लाख की परियोजना है, उनको स्वीकृति देने की कृपा करेंगे, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी(भीकनगांव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2016-17 के अनुपूरक बजट में अपनी बात रखने के लिए मैं खड़ी हूं और तीन मिनट में अपनी बात खत्म करूंगी. मैं सीधे अपने विधानसभा भीकनगांव की बात करना चाहती हूं. मेरे क्षेत्र में यह तीसरा वर्ष है कि भारी वर्षा की कमी इस वर्ष भी रही. चूंकि सदन में अतिवर्षा के ऊपर चर्चा हुई किन्तु मैं कहना चाहती हूं कि मेरे क्षेत्र में सामान्य बारिश भी नहीं हुई है. लगातार तीसरे वर्ष क्षेत्र में सूखा है पर इस वर्ष हम लोग प्रार्थना कर रहे हैं और बारिश का अभी समय बाकी है, वर्षा जरूर हो . सूखे की वजह से हमारे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और सूखे को देखते हुए इंदिरा सागर की मुख्य नहर चूंकि पास से गुजरी है, छिरवा टैंक से तीन किलोमीटर दूर से मेरा विधानसभा क्षेत्र शुरु होता है और इस इंदिरा सागर परियोजना की नहर सिंचाई की अलग से एक परियोजना का निर्माण करवाकर हमारे क्षेत्र के किसानों को पानी दिया जा सकता है. उसी तरह से जल संसाधन विभाग के द्वारा भी पिछली बार हमारे मंत्री जी ने मुझे आश्वासन दिया था कि आपके साध्यता प्राप्त चार तालाबों का सर्वे कर दिया जाएगा और निर्माण भी शुरु होगा किन्तु वह आज तक नहीं हुआ है. मैं फिर आग्रह करता हूं, निवेदन करती हूं कि सतसुई टैंक, केवटी टैंक,तीरथपानी टैंक, डसलगांव टैंक का जल्दी-से-जल्दी सर्वे शुरु हो जाए. और सर्वे के लिए राशि का भी प्रावधान करें, ताकि उसका निर्माण जल्दी शुरू हो सके और पानी की व्यवस्था हो सके. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अपरवदा डेम चूंकि एक ही डेम है जिससे 10 से 15 गांवों को पानी मिलता है. उस पर पेयजल की व्यवस्था के लिए एक योजना बना दें क्योंकि हम लोग करोड़ों रूपये हैण्डपंप पर खर्च करते है. किंतु जमीन में पानी का स्तर बहुत नीचे होने से ये हमारा पैसा बेकार जाता है. यदि उक्त डेम से पेयजल की व्यवस्था कर दी जाए तो आस-पास के 4 से 5 हजार की जनसंख्या के बड़े गांवों में पानी सुलभता से मिल सकेगा. मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक ही शासकीय महाविद्यालय है. भीकनगांव में स्ववित्तीय पाठ्यक्रम के अंतर्गत बीएससी, बीकॉम, बीए, कम्प्टूर आदि का संचालन सन् 2010-11 से संचालित हैं. चूंकि इस महाविद्यालय में अनुसूचित जाति, जनजाति के अलावा ग्रामीण किसानों के निर्धन छात्र ज्यादा प्रवेश लेते हैं क्योंकि वे इंदौर या किसी अन्य बड़ी जगह नहीं जा पाते हैं. जनभागीदारी से यह कॉलेज संचालित है और उसकी फीस अधिक है. ये फीस गरीब छात्र नहीं भर पाते हैं. यदि इस बजट में ये प्रावधान किया जाए कि उस कॉलेज को पूर्णत: शासकीय बना दें ताकि वहां फीस कम हो सके. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा के दोनों विकासखंडों के मजरे टोलों में आज भी विद्युतीकरण नहीं हुआ है. हर बार बजट में प्रावधान जरूर होता है. किंतु पता नहीं वह राशि कहां सीमित हो जाती है यह समझ में नहीं आता है. बिजली की व्यवस्था होनी चाहिए. शिक्षकों की भारी कमी है. अतिथि शिक्षक हैं जरूर, किंतु उनका मानदेय इतना कम है कि वहां पर अतिथि शिक्षक मिलना भी मुश्किल है. अस्पताल 30 बेड वाला है उसे 100 बेड का करने की घोषणा हुए 5 वर्ष से अधिक समय हो गया है; किंतु उसका काम आज भी शुरू नहीं हुआ है. पटवारियों के पद खाली हैं. एक- एक पटवारी के पास कम से कम 15 से 20 हलके हैं. इन पटवारियों के पद भरे जायें. सिकलसेल एनीमिया की बीमारी जो ज्यादातर हमारे आदिवासियों जिलों में होती है; इसे राज्य बीमारी सहायता में शामिल किया जाए क्योंकि गरीब परिवार इसके इलाज की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं. इसकी व्यवस्था होनी चाहिए. पंचायतों में 2014-15 में मनरेगा के हुए कामों की मजदूरी आज भी मजदूरों को नहीं मिली है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया; इसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- बहुत- बहुत धन्यवाद. श्री हरदीप सिंह डंग; तीन चार मिनट में आप अपनी बात समाप्त करेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सीधे अपनी विधानसभा की ही बात करूंगा. हमारी सुवासरा विधानसभा और गरौठ विधानसभा जो आपस में लगी हुई विधानसभायें हैं. हमारा सौभाग्य है कि हमारे यहां चंबल डेम जो बना हुआ है. जैसा कि यशपाल जी ने बताया उस डेम का पूरा फायदा राजस्थान को मिलता है. चाहे वो कृषि क्षेत्र हो, उद्योग हो. जो पानी हमारी विधानसभा में रूकता है, उसे हम सिर्फ देख सकते हैं. आदरणीय वित्त मंत्री जी और जल संसाधन मंत्री जी माननीय नरोत्तम मिश्र जी हमारे यहां जो पानी कई वर्षों से नदी में भरा है, उसका आपने एक डीपीआर तैयार करवाया है. 40 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित की डीपीआर आपके विभाग में पड़ी है. मेरा निवेदन है कि आप उसे इसी बजट में स्वीकृत करें. जिससे किसानों को पानी मिल सके क्योंकि वर्षों से वे सपना देख रहे हैं कि ये पानी हमारे खेतों में कब आयेगा. मुझे विश्वास है कि आप इस बजट में इस योजना को लेंगे. माइक्रो इरिगेशन, सूक्ष्म सिंचाई योजना को मंजूरी देंगे. हमारे किसानों के लिए बहुत बड़ी सौगात रहेगी. वहां पर हमारे कई किसान, कई बार, कई सालों से डेम की मांग करते आ रहे हैं. उसमें बंजारी, भटूनी, प्रतापपुरा, झांगरिया, अजयपुर, कांकड़सेमली, भाटखेड़ी, विशनीया, सेदरा करनाली, केशरपुरा अगर यहां डेम बनते हैं तो सिंचाई के साधन और बढ़ेंगे, सिंचाई और बढ़ेगी और किसान खुशहाल होंगे. मेरा एक और निवेदन है कि मंदसौर जिला मुआवजे से वंचित रह गया था. यहां पूरे दिन धरना दिया गया था, बड़े संघर्ष के बाद हमें मुआवजे के राशि 90 करोड़ रूपये स्वीकृत की गई. 50 करोड़ हमें मिल चुकी है और हमें विश्वास है कि एक दो दिन में चालीस करोड़ रुपये और किसानों के खाते में पहुँच जाएँगे जिससे किसानों को पूरा का पूरा मुआवजा मिल सके और अब मुआवजा मिलने के बाद बीमे की राशि, जो उनका अधिकार है, जो बीमे की राशि किसान अपने खाते से जमा करते हैं, अपनी जेब से जमा करते हैं, बीमे की राशि इसी बजट में स्वीकृत करके दो चार दिन में इसको भी स्वीकृत करें और उनको बाँटी जाए. मेरा एक और निवेदन है कि स्वास्थ्य मंत्री जी यहाँ पर बैठे हैं और जो उनके पास विभाग आया तो उनको भी उत्सुकता है कि इसमें अच्छे काम हों. मेरा एक निवेदन है कि दो साल से सोनोग्राफी की मशीन एक डॉक्टर के कारण केवल इसलिए पड़ी है, केवल उसका फोटो खिंचा रहा है, एक डॉक्टर आप या तो ट्रेनिंग के लिए भेज दें तीन महीने की ट्रेनिंग होती है तो सोनोग्राफी मशीन वहाँ पर काम आ सकती है. एक शामगढ़ की प्रॉपर की डॉक्टरनी जो अभी मंदसौर में अभी नई नई लगी हैं. मेरा मानना है कि आप शामगढ़ में अगर उनको पदस्थ कर देंगे तो एक लेडी डॉक्टरनी, क्योंकि गाँव में आने को कोई तैयार नहीं होता है. उन्होंने अपना स्वीकृति पत्र, मैंने आपको पेश किया है. मुझे विश्वास है कि उनको शामगढ़ में आप पदस्थ कर देंगे और सोनोग्राफी मशीन भी शायद उनके कारण चालू हो जाए.
उपाध्यक्ष महोदय-- हरदीप सिंह जी, यह डॉक्टरनी शब्द क्या है?
श्री हरदीप सिंह डंग-- लेडी डॉक्टर, सॉरी. उपाध्यक्ष महोदय, एक और मेरा निवेदन है, चर्चा भी हो चुकी है, इसको गंभीरता से लें कि जिन किसानों ने, उपभोक्ताओं ने, बिल जमा कर दिए हैं उनकी लाइट चालू रखी जाए, उनकी लाइट बंद नहीं की जाएँ और यह पचास परसेंट का जो नियम है कि पचास परसेंट जमा होगा तो ही हम चालू करेंगे. आप पचास परसेंट नहीं हंड्रेड परसेंट लें पर जिन उपभोक्ताओं का बिल जमा है उनको आप लाइट दें, उनकी लाइट बंद न करें. उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ पर कंजरों की जो समस्या है. वह पूरा कंजर बेल्ट है. पिछला जो विधान सभा सत्र था उस समय जब यहाँ से एक डेढ़ बजे निकला तब मेरे को खुद हंड्रेड की गाड़ी और टीआई जब वहाँ पर काँच तोड़फोड़ हो रहे थे और सुरक्षा के साथ मेरे को अपने क्षेत्र में अन्दर जाना पड़ा. पूरे टारगेट में वहाँ की जनता रहती है. मेरा निवेदन है कि पूरे कंजर क्षेत्र में हमें पुलिस चौकी की आवश्यकता है. मैं पाँच पुलिस चौकी की मांग करता हूँ. मेरे को गृहमंत्री जी ने भी आश्वासन दिया है कि हम कम से कम दो खोलेंगे. मुझे विश्वास है कि इसी क्षेत्र में हमें कंजरों को रोकने के लिए पुलिस चौकी की स्वीकृति मिलेगी. उपाध्यक्ष महोदय, स्कूल भवनों की बात करें तो 2002 में एक हायर सेकंडरी और हाई स्कूल, एक मिडिल स्कूल में चंदवासा में लग रहा है और उसकी बिल्डिंग कभी भी बच्चों के ऊपर गिर सकती है. मेरा निवेदन है कि अगर वह हादसा हुआ तो सरकार की बदनामी होगी. मुझे विश्वास है कि उन बच्चों की जान बचाने के लिए आप चंदवासा में जो बिल्डिंग कभी भी बच्चों के ऊपर गिर सकती है. उसके लिए जरूर कुछ व्यवस्था करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण विभाग पर आ रहा हूँ. दो तीन सड़कें हैं बोलिया, लसूड़िया, शेरगढ़, दीपाखेड़ा, बाजखेड़ी, आंबा, हरीपुरा, माकड़ी और बनी, इन सड़कों की अनुमति दें. पर्यटन क्षेत्र में हमें धर्मराजेश्वर जो बहुत ऐतिहासिक मंदिर है, अगर वहाँ पर जीर्णोद्धार होगा तो क्षेत्र में बहुत बड़ी सौगात होगी और एक पुल बसई की नदी पर आवरा से आवरी, यह भी बनाया जाए. यह भी एक बहुत बड़ी मांग है और एक और सबसे बड़ी बात है जो टेंकर एमपी एग्रो से दिए जा रहे हैं उसकी जाँच हो...
उपाध्यक्ष महोदय-- अब समाप्त करें. बहुत हो गया.
श्री हरदीप सिंह डंग-- उसमें जो सत्तर, पिचहत्तर हजार का टेंकर है वह एक लाख छिंयालीस हजार, सैंतालीस हजार का दिया जा रहा है, उसकी जाँच होना चाहिए. जो भी टैंकर दे रहा है और जितने भी ये....
उपाध्यक्ष महोदय-- हरदीप सिंह जी, अब आप समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी(राऊ)-- आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. किसी भी सरकार में अनुपूरक बजट वित्त व्यवस्था का एक आवश्यक अंग है. लेकिन जिस मद में खर्च अनुपूरक में दिखाए जाते हैं वह वार्षिक बजट की कमियाँ होती हैं. जिस तरीके से तीन माह में लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का एक अनुपूरक बजट वित्त मंत्री जी लेकर आए हैं और करीब 5 हजार करोड़ रुपये की पूर्व निर्धारित बचत में से ही व्यवस्था बनाई गई है. ऐसे यह लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट इसको माने भी तो ठीक होगा. जिस तरीके से वित्त मंत्री जी यह साफ दर्शाता है कि गोलमाल इतना भयंकर है कि 5 हजार करोड़ रुपये की जो मद हमने वार्षिक बजट में ली थी.वह खर्च नहीं किया उसको जिस भी परिस्थिति में वापिस एडजस्ट कर रहे हैं यह भी एक भ्रष्टाचार का ही रूप होता है. इस सब बातों को देखते हुए सारे सदन ने इस बात की चिंता जाहिर की है. सिंहस्थ का इतना बड़ा आयोजन हुआ सरकार ने भी अच्छी नीयत से, अच्छे भाव से सिंहस्थ पूर्ण भी किया. भगवान भोलेनाथ की कृपा भी बनी और जिस तरीके से सिंहस्थ में एक तो हिन्दू धर्म की भावना वह चाहे उज्जैन में हो, प्रदेश में हो, देश में हो या समस्त विश्व में हो उसके अनुरुप बात हुई. मैं आप लोगों से बात करता हूँ कि सकारात्मकता में सरकार की नीयत ठीक हो सकती है कि अच्छा आयोजन है पर वास्तविकता में सिंहस्थ में जिस तरीके से, जैसे पहले भी किसी ने कह दिया था कि घोटालों का सिंहस्थ हुआ तो आप लोग नाराज हो गए थे. सरकार ने जो उत्तर दिया है उसके आधार पर मैं कुछ बातें कहूंगा और तथ्यों के साथ कहूंगा. भोलेनाथ की आराधना में हम सब लोगों ने एक महीना व्यतीत किया. वर्ष 2012 से सरकार इस काम में लगी थी.
उपाध्यक्ष महोदय--जितू जी सिंहस्थ पर बहुत से माननीय सदस्यों ने अपने भाषण दिए हैं.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, दो घंटे के सत्र में यदि कई माननीय सदस्यों ने बोल लिया और फिर भी बात हो तो इसका मतलब है कि आवश्यकता है. मेरा आपसे अनुरोध है. यदि आप मुझे मेरी बात कहने देंगे तो कृपा होगी.
उपाध्यक्ष महोदय--नहीं, मैं ऐसा नहीं समझता हूं. समय-सीमा आपकी पांच मिनट है, छह मिनट हम कर देते हैं लेकिन उसमें आपको सीमित रहना है.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे और बाला भाई से भी अनुरोध है कि मेरा संरक्षण करें.
उपाध्यक्ष महोदय--फिर बाला बच्चन जी न बोलें.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, आपने उन्हें पांच मिनट का समय दिया है पहले पांच मिनट तो बोल लेने दें.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि सिंहस्थ में करीब 5000 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट में प्रावधान किया था और 400 करोड़ रुपए फिर मांगे गए हैं. आप देखेंगे कि 5000 करोड़ रुपए में 15 करोड़ रुपए की दो विभागों ने आयुष और स्वास्थ्य विभाग ने दवाइयां खरीदीं. मुख्यमंत्री जी तो देश विदेश में प्रचार करने में लगे हुए थे. बैंगलोर में भी माननीय मुख्यमंत्री जी का फोटो दिखता था अच्छा लगता था कि मेरे प्रदेश के मुख्यमंत्री का फोटो यहां पर भी लगा हुआ है. मंत्री जी विदेश गए थे तो वहां पर भी उनका फोटो लगा था. मुख्यमंत्री जी का मुस्कुराता हुआ और हाथ जोड़ता हुआ तो लगा वह तो भोले भाले आदमी हैं फोटो लगाने में ही रह गए. बाकी नीचे कितना गोलमाल हुआ.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा--उपाध्यक्ष महोदय, यह बजट का हिस्सा है क्या ? मुख्यमंत्री जी देश विदेश जा रहे हैं यह क्या बजट का विषय है. इधर-उधर की कहानी सुनाते हैं सीधी-सीधी बात करो न.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्ष महोदय, बाकी नीचे कितना गोलमाल हुआ. जो गोलमाल हुआ मैं उसकी बानगी पेश करता हूँ. मेरा अनुरोध यह है कि जितनी देर यह बोलेंगे उसका दुगुना समय मुझे चाहिए. यह सारे वह उत्तर हैं जो सरकार ने दिए हैं (कागजों की फाइल दिखाते हुए). पिछली बार शेजवार जी ने कह दिया था कि कागज लहराते हो तो मैं ओरिजिनल लाया हूँ. मेरा आपसे अनुरोध है शांति से सुनें, यह सच्चाई है. आप लोगों को कुछ नहीं मिला अधिकारियों ने सब, समझो जरा बात को, मैं आपके साथ हूं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--जितू भैय्या यह सारे कागज मेरे पास हैं (कागजों की फाइल दिखाते हुए) इनमें सारे सबूत हैं कि सरकार ने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया है. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--आयुर्वेदिक औषधालय में 72 लाख रुपए की दवाइयां खरीदीं. तीन गुना ज्यादा सामान खरीदा. स्टेशनरी में एक करोड़ 94 लाख रुपये की..(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--आप लोग अभी एक घंटे से साथ ही में बैठे हुए थे, अब क्या हो गया है. बैठ जाइये.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्ष महोदय, अब थोड़ा दूसरे विभागों पर आते हैं. पर्यटन विभाग के अन्तर्गत जो चीजें आई हैं. पर्यटन विभाग ने वहां पर एक मीडिया सेंटर बनाया था.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा--उपाध्यक्ष महोदय, इन्हें सौभाग्य नहीं मिला कि यह सिंहस्थ करा सकें यही इनकी तड़पन है कि फोटो खिचाते रहे, देश विदेश जाते रहे. बेल पत्र तो बेल पत्र इनको भोलेनाथ ने कभी धतूरा तक चढ़ाने का मौका नहीं दिया. उपाध्यक्ष महोदय--आप उत्तेजित क्यों रहे हैं, बैठ जाइए. आपस में विवाद न करें.
श्री जितू पटवारी--कृपा करो. मीडिया सेंटर बनाया 7 करोड़ रुपए का और उसका प्रचार हुआ 2 करोड़ रुपए में, यह उत्तर से बात कर रहा हूं. अस्थायी टेंट 7 करोड़ 12 लाख रुपए का. होटल निर्माण के 6 करोड़ 50 लाख रुपए और एक होटल के रिपेयरिंग में 6 करोड़ 60 लाख रुपए और दोनों के कमरों की संख्या एक है. मंत्री जी इसकी जांच करवाएं. यह आपके उत्तर से लिया है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल:-जितू जी आप बहुत अच्छा बोल रहे हैं. आपमें प्रदेश अध्यक्ष बनने के पूरे गुण हैं.
श्री सुदर्शन गुप्ता :- उपाध्यक्ष महोदय, यह गलत मिथ्या कथन कर कर हैं, असत्य बोल रहे हैं. आज सोमवार का दिन यह कथन कर रहे हैं. बिल्कुल असत्य बोल रहे हैं.
श्री जितू पटवारी :- कम्प्यूटर खरीदी थोक में हुई है. एक कम्प्यूटर की कीमत 38766 रूपये जबकि इसका ओरिजनल भाव 13000 रूपये है उसी कम्प्यूटर का यदि वह डायरेक्ट खरीदी करते हैं तो. इसका मेरे पास बिल है. एक लेपटॉप जो सरकार ने हमको दिया है, 52500 रूपये में खरीदा है अगर वह लेपटाप थोक में खरीदे खरीदा जाये तो 12000 रूपये की खरीद आती है. नाश्ते की प्लेट, उसमें नाश्ता नहीं है सिर्फ प्लेट है यह कितने की होगी उसकी कीमत 1625 रूपये, यहां पर इतने सदस्य बैठें हैं, यहां पर जो जो सुन रहा है यह केवल खाली प्लेट 1625 रूपये की तो बताओ नाश्ता कितने रूपये का होगा. आप यह देखो कि थर्मस जिससे हम चाय पिलाते हैं, एक थर्मस 14000 हजार रूपये का, 14000 रूपये किसी के भी घर में नहीं होगा. एक बड़ी बात थी कि मटका-मटका, मैं झाड़ू की बात कर देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय :- जितू जी आपके 7 मिनट हो गये हैं.
श्री जितू पटवारी :- उपाध्यक्ष जी फिर अन्याय हो जायेगा, क्या कोई गलत बात कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय :- नहीं ऐसा नहीं है, यह न्याय अन्याय की बात नहीं है.
श्री जितू पटवारी :- मेरा अनुरोध है कि झाडू 130 रूपये में खरीदी , इस प्रदेश के बजट पर झाड़ू लग रही है और आप मुझे बोलने भी नहीं देंगे. बहुत सी बातें है, मुझे लग रहा है कि आप मुझे बोलने नहीं दोगे. मेरा एक सुझाव है कि कृषि विभाग के अंतर्गत प्याज की खरीदी हुई.सब जगह बहुत विरोध हुआ कि प्याज खराब हो रही है, फेंक रहे हैं, मुख्यमंत्री जी ने बहुत संजीदगी से उसको लिया और सरकार ने कदम उठाया कि हम प्याज खरीदेंगे. मेरे किसान भाईयों को तकलीफ नहीं होनी चाहिये, हम सब लोग किसान परिवार से ज्यादातर आते हैं. करीब 300 करोड़ रूपये प्याज खरीदी पर खर्च किये गये हैं और अभी 15 करोड़ रूपये और मांगे गये हैं. अभी प्याज सड़ रहा है, वित्त मंत्री जी मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि सरकार उन प्याज के किसानों को अगर सीधे मुआवजा दे देती या सीधे मदद कर देती तो सरकार भी तकलीफ में नहीं आती और प्याज भी नहीं फिकता, अभी भी आपने 3 रूपये किलो प्याज बेचने का निर्णय ले लिया, आपने 6 रूपये लिया और 3 रूपये में बेचना चालू कर दिया. किसानों ने हजारों टन प्याज रख रखा है, उनको 3 रूपये किलो का प्याज कर दिया तो जो फायदा करने की बात तो दूर, आप उनको इतने गर्त में ले गये तो जो ओरिजिनल किसान हैं, वह आपको माफ नहीं करेंगे.आप प्याज फ्री में बांट देते कि सरकार ने फ्री में खिलाया या सीधा मुआवजा दे देते, वह चलता परन्तु आप यह जो गलती कर रहे हैं, उसको सुधारना चाहिये, उसको सुधारना चाहिये.
श्री जसवंत सिंह हाडा :- उपाध्यक्ष महोदय, आप इनसे पूछिये कि यह ओरिजिनल और नकली किसान क्या होता है कि ओरिजिनल किसानों का नुकसान किया ?
श्री जितू पटवारी :- आप नंबर लेकर बात करो, फिर आप जवाब देना. यह बीच बीच में बोलने की बीमारी से कुछ नहीं होगा, आप सीनियर आदमी हैं. आप शांति से बैठ जाईये. कांग्रेस के दो-दो लड़ते हैं इसलिये आप जीत जाते हो. आप चिन्ता मत करो, अगली बार दो नहीं लड़ने दूंगा, आप चिन्ता नहीं करो, आप बैठो.
उपाध्यक्ष महोदय :- जितू जी आप इस विवाद में न पड़ें. आप बात को समाप्त करिये. अब आप समाप्त करेंगे.
श्री जितू पटवारी :- उपाध्यक्ष जी, एक ओर तो मुख्यमंत्री जी यह कहते हैं कि किसान मेरा भगवान है और दूसरी ओर 815 करोड़ रूपये का वर्ष 2013-14 के मुआवजे के लिये अब आपने इस अनुपूरक बजट प्रावधान में किया है. कैसा भगवान है, आप इतना लेट चढ़ावा चढ़ाते हो, यह बात ठीक बात नहीं है. मेरा आपसे अनुरोध है कि बहुत सारी बात हैं मुझे पता है कि कड़वीं बातें अच्छी नहीं लगती हैं. परन्तु मैंने जो बोला है वह तथ्यों के आधार पर सच बोला है. आप लोगों से अनुरोध है कि अनुपूरक बजट इस सरकार में जितनी बार आया है वह पहले कभी नहीं आया है. इसका मतलब यह है कि आप अव्यवस्थाओं में बजट लाते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप अपना गोलमाल का बजट कम करें. व्यावहारिक रूप से जिसमें जनता की मदद हो और आपके किये हुए वादे पूरे हो, ऐसा यदि आप करेंगे तो मैं आपको बधाई भी दूंगा. एक आनंद मंत्रालय की बात और करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय :- नहीं अब आप समाप्त करिये, आपको बोलते हुए 11 मिनट हो गये हैं. आप जिद करके 10 मिनट ले चुके हैं. यह गलत है अब आप समाप्त करिये. श्री बाला बच्चन, जी आप अपनी बात प्रारंभ करें.
डॉ.रामकिशोर दोगने ---माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे दो मिनट बोलने के लिये मौका दीजिये.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, इनका पार्टी की तरफ से नाम दिया गया था. कृपया इनको बोलने का मौका दिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय--चलिये आप दो मिनट बोलिये.
डॉ.रामकिशोर दोगने (हरदा)---माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अनुपूरक बजट के विरोध में बोलना चाह रहा है इसमें ज्यादा न बोलते हुए सरकार दूसरे माननीय सदस्यों के द्वारा बहुत ज्यादा खिंचाई कर दी गई है इसलिये ज्यादा मैं नहीं कहना चाहता हूं. मैं दो तीन बातों की तरफ आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं जैसे कि खाद्य विभाग में नागरिक आपूर्ति निगम के लिये 1.40 करोड़ किया है उपार्जन में प्रतिपूर्ति में इतना घाटा हो गया है कि 1.40 करोड़ रूपये का जो प्रावधान किया गया है. मध्यप्रदेश सहकारी विपणन संघ के लिये 110 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है यह इतना कम कैसे हो जाता है खरीदी में. एक व्यापारी भी खरीदी करता है पर उसके पास में घाटा कम नहीं होता है. पर यहां पर ढाई सौ करोड़ रूपये सरकार को देना पड़ रहा है तो ऐसे बैंकों अथवा निगमों को चलाने से सरकार को क्या फायदा है, तो इस पर ध्यान देना पड़ेगा. इसके साथ ही मैं बताना चाहता हूं कि मेरे यहां पर हरदा में भी 14 हजार क्विंटल की शार्टेज दिखाई है आपूर्ति निगम ने और 25 रूपये क्विंटल के हिसाब से उसका खर्चा बताया है, जब कि मुझे ठेका दे देते तो मैं लेने के लिये तैयार हूं कि 12 रूपये में पूरा खर्चा निकल जाता है मैं उसकी शार्टेज बिल्कुल ही नहीं दिखाऊंगा. आप 14 हजार की शार्टेज दिखा रहे हैं और किसानों से ढाई-सौ ग्राम एक एक बोरे के साथ एक एक क्विंटल पर लिया है इसके बाद कैसे शार्टेज सरकार दिखा रही है ?
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--आप सरकारी ठेका वगैरह मत लेना आफिस प्राफिट में आ जायेगा इसका आप ध्यान रखना.
डॉ.रामकिशोर दोगने ---माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मैं इसमें प्राफिट तो लाना चाह रहा हूं मंत्री जी.
उपाध्यक्ष महोदय--आप व्यक्तिगत रूप से कह रहे हैं आप ठेका मत लेना आफिस प्राफिट में आ जाएगा.
डॉ.रामकिशोर दोगने ---माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि ऐसे निगम मण्डलों को चलाने से क्या फायदा?
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि प्राफिट आफिस, ऑफ प्राफिट में अंतर है, यह भी बता दें, ऐसे बोलेंगे तो आपकी सदस्यता चली जाएगी.
डॉ.रामकिशोर दोगने ---माननीय उपाध्यक्ष महोदय,वह वाला रिस्क नहीं लूंगा जो दूसरे सदस्यों ने लिया है और उनको बीच में इस्तीफा भी देना पड़ा था. मेरा आपसे अनुरोध है कि इन निगम-मण्डलों को चलाने का क्या फायदा. इसके साथ ही मैं आपको बताना चाहता हूं कि लघु एवं लघुतम सिंचाई योजनाओं के अंतर्गत 72 योजनाएं क्रियान्वित की जाना प्रस्तावित है. इन 72 योजनाओं में से हमारे वित्तमंत्री जी के क्षेत्र दमोह, राजगढ़ जिले में 16-16 योजनाएं हैं. 32 योजनाएं मध्यप्रदेश के दो जिलों में हैं, 40 योजनाओं में पूरा मध्यप्रदेश है और 49 जिले हैं तो ऐसा भेदभाव नहीं होना चाहिये हर जिले के लिये योजनाएं देना चाहिये मेरे जिले में भी स्टॉफ डेम और तालाबों की आवश्यकता है तो मेरे यहां भी थोड़ी बहुत योजनाएं दे देते तो आपकी बड़ी कृपा होगी. मैं पिछले दो साल से एक चीज की मांग कर रहा हूं हमारे यहां पर आदिवासी बालिकाओं के छात्रावास की आवश्यकता है. छात्रावास न होने से आज ढाई सौ बच्चियां बाहर रह रही हैं या तो वह आठवीं के बाद सीधे अपने गांव की ओर चली जाती हैं, वह पढ़ाई लिखाई नहीं करती हैं. आप यहां पर शिक्षा की बात करते हैं तो शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहिये, क्योंकि जब देश आजाद हुआ था तो उसमें रोटी-कपड़ा-मकान की बात चली थी आज हम स्वास्थ्य-शिक्षा एवं रोजगार की बातें करते हैं अगर स्वस्थ रहेंगे तो अच्छे से रोजगार मिलेगा. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस पर ध्यान दें और इसके साथ ही मेरे यहां पर विश्राम गृह 2 करोड़ 89 लाख रूपये का आपने प्रस्तावित किया है, इसके लिये धन्यवाद. आप इतने ही पैसे आदिवासी बालिकाओं के लिये देंगे तो उनका कल्याण होगा. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन(राजपुर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 2016-17 के प्रथम अनुपूरक अनुमान पर लगभग साढ़े तीन घंटे की अच्छी चर्चा हुई है, उसमें सत्तापक्ष के विपक्ष के सभी साथियों ने बढ़-चढ़कर के रूचि के साथ में हिस्सा लिया है और उसमें आसंदी द्वारा उनको बोलने के लिये अच्छा अवसर दिया है, इसके लिये आपको और आसंदी को धन्यवाद करता हूं. इस अनुपूरक बजट का नाम शहडोल अनुपूरक बजट होना चाहिये था.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 14,300 करोड़ रूपये का यह बजट, जिसमें माननीय वित्त मंत्री जी का यह कहना है कि जो केन्द्र से राशियां प्राप्त हुई हैं, उसके समायोजन के कारण बड़ा आंकड़ा बना है. बाकी बजट अनुमान 7,400 करोड़ का है और मैंने शहडोल अनुपूरक बजट का नाम क्यों लिया है कि यह होना चाहिए. 7,400 करोड़ रूपये वाला यह बजट, जिसमें से 630 करोड़ रूपये शहडोल संसदीय क्षेत्र पर खर्च होने जा रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – आप उस बजट का विरोध कर रहे हैं. शहडोल के विकास का विरोध कर रहे हैं, आदिवासी क्षेत्र के विकास का विरोध कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन – माननीय मंत्री जी, मैं अपनी बात रख रहा हूँ. उस पर मैं आ रहा हूँ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – आप बोलिये कि क्या आप विकास का विरोध करते हैं ?
श्री बाला बच्चन – मैं उस पर आता हूँ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – आप आप शहडोल के विकास का विरोध कर रहे हैं ?
श्री बाला बच्चन – मैं उस पर आऊँगा.
श्री बाला बच्चन – अभी तक आपको आदिवासी अंचल और आदिवासी लोगों की तथा उस संसदीय क्षेत्र के लोगों की याद क्यों नहीं आई ?
श्री मुकेश नायक – उपाध्यक्ष महोदय, क्या आप वहां के लोगों को खरीदने की कोशिश कर रहे हैं ?
श्री बाला बच्चन – अभी तक आपको वहां की याद क्यों नहीं आई ?
श्री जितू पटवारी – जैसे मोदी जी ने बिहार में पैकेज दिया था न, यह वैसा ही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – आ जाना जितू भैया और जीतकर बताना. हम बतायेंगे कि शहडोल में हम कैसे हारते हैं ? मैं आपको अभी बोल रहा हूँ, आ जाना. चुनाव के पहले ही कह रहे हैं कि जीतकर बताते भी हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – श्री मुकेश जी और माननीय मंत्री जी, बैठिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – (श्री मुकेश नायक की ओर देखकर) आप चुनाव के पहले जीतने का कहते हो और बाद में हारते हो.
श्री मुकेश नायक – क्या आप पेटियां बदल देंगे? क्या आप आदमी को खरीद लोगे?
उपाध्यक्ष महोदय – मुकेश जी, चुनाव आने तो दीजिये. चुनाव अभी क्यों लड़ रहे हैं ?
श्री मुकेश नायक – आप क्या करेंगे ? क्या गुण्डागर्दी करेंगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र – आप जो काम करते हैं. वे कोई काम हम नहीं करेंगे और जवाब देने में बाला भाई सक्षम हैं. उन्होंने आपको वकील थोड़े ही अधिकृत किया है.
उपाध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी. मुकेश जी यह क्या है ? यह प्रश्नोत्तर नहीं हो रहा है.
श्री मुकेश नायक – आप 3 विधानसभा क्षेत्रों में हारे हैं. आप इस बार चुनाव हारेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय – बैठ जाइये.
श्री बाला बच्चन – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 7,400 करोड़ रूपये वाले इस बजट अनुमान में, आपने 630 करोड़ रूपये शहडोल संसदीय क्षेत्र के लिए रखे हैं. जो इस बजट का लगभग 9 प्रतिशत हिस्सा है एवं किस-किस अनुदान मांग और किस-किस मद के अंतर्गत रखा है. मैं उसको यहां रखना चाहता हूँ मांग संख्या 20 मद क्रमांक-1 में 316.30 करोड़ रूपये, मांग संख्या 41 मद क्रमांक-57 में 215.50 करोड़ रूपये, मांग संख्या 41 मद क्रमांक-58 में 8.50 करोड़ रूपये, मांग संख्या 42 मद क्रमांक-1 में 14.30 करोड़ रूपये, मांग संख्या 42 मद क्रमांक-3 में 16.16 करोड़ रूपये, मांग संख्या 45 मद क्रमांक-3 में 33.50 करोड़ रूपये, मांग संख्या 45 मद क्रमांक-4 में 5.00 करोड़ रूपये, मांग संख्या 41 मद क्रमांक-51 में 30.00 करोड़ रूपये इसके अलावा भी, आदिवासी उपयोजनाओं की अधिकतम राशि आपने लगाई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी मेरे सामने वाले विधायकगण और आदरणीय मंत्री जी खड़े होकर बोल रहे थे कि आप विरोध कर रहे हैं. मैं विरोध नहीं कर रहा हूँ. मैं, मंत्री जी आपको और आपकी सरकार को याद दिलाना चाह रहा हूँ कि अभी तक उस संसदीय क्षेत्र के लोगों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया था ? और बात इतनी ही नहीं है, अभी कुछ दिन पहले सरकार ने तहसीलदारों के ट्रांसफर की लिस्ट निकाली है. पूरे मध्यप्रदेश में 22 तहसीलदारों के ट्रांसफर किए गए थे और 22 तहसीलदारों में से 20 तहसीलदारों को शहडोल संसदीय क्षेत्र में पदस्थ किया गया है और बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि वहां से उस संसदीय क्षेत्र से एक भी तहसीलदार को अन्यत्र पदस्थ नहीं किया गया. मैं यह जानना चाहता हूँ कि वहां 20 तहसीलदारों का ट्रांसफर किया गया है. क्या अभी तक वहां के पद खाली थे ? या अभी तक वहां तहसीलदारों के पद खाली थे या प्रभारी तहसीलदारों से काम लिया जा रहा था. अभी तक माननीय मंत्री जी और आप लोगों को शहडोल संसदीय क्षेत्र के सभी मतदाताओं और वहां केवल आदिवासी अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग ही नहीं रहते हैं, मैं सभी की बात कर रहा हूँ कि अभी तक सरकार ने शहडोल संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का ध्यान क्यों नहीं रखा था ? क्या चुनाव आ रहा है, सिर्फ इस कारण से. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से यह भी जानना चाहता हूँ.
श्री गोपाल भार्गव – माननीय मंत्री जी ने कहा है कि जो कुपोषित बच्चा है. उसको ही मां सबसे ज्यादा दूध पिलाती है और यदि कुपोषित बच्चे हैं तो उसको दूध पिला दिया तो क्यों कष्ट हो रहा है ?
श्री बाला बच्चन—उपाध्यक्ष महोदय, आप कुपोषण की बात कर रहे हैं. तेरह साल से तो सरकार में आप ही हो. कुपोषण का प्रतिशत बढ़ाया है तो किसने बढ़ाया है, आप ही ने बढ़ाया है. आपकी सरकार ने, आपके विभाग ने बढ़ाया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि शहडोल संसदीय क्षेत्र की जनता के लिए यह छलावा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है लेकिन ध्यान रखिए मुझे और इस सदन के सदस्यों को और जो मेरी बात को सुन रहे हैं उन सबको याद है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने पिछला जो उप चुनाव रतलाम झाबुआ का हुआ था झाबुआ, रतलाम और अलीराजपुर में जितनी घोषणाएं सैकड़ों घोषणाएं की थीं वहां बजट प्रोविजन क्यों नहीं किया है. वहां राशि क्यों नहीं दी गई है. मात्र चुनाव को ध्यान में रखते हुए चुनाव को टार्गेट में रखते हुए बजट का प्रोविजन करते हैं .
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन जी ने जो बात कही है.
उपाध्यक्ष महोदय—एक एक करके बोलिए यशपाल जी भी बोल रहे हैं आप भी बोल रहे हैं.
डॉ. नरोत्त्म मिश्र-- चुनाव हारने के बार भी झाबुआ अलीराजपुर से भेदभाव नहीं किया.
श्री यशपाल सिहं सिसोदिया – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यही बात कह रहा था. झाबुआ और रतलाम में घोषणा के बाद, चुनाव पराजय होने के बाद भी अनुपूरक बजट में प्रावधान किया गया और माननीय मुख्यमंत्री जी ने जितनी भी घोषणा की थी वह सब पिछले अनुपूरक बजट में आ चुकी है.
उपाध्यक्ष महोदय— ठीक है.
श्री बाला बच्चन—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पढ़ा है जितनी घोषणाएं की हैं वह बिलकुल नहीं हुआ है. मैं फिर झाबुआ से रिलिवेंट बात कर रहा हूं. माननीय सिसोदिया जी पेटलावद कांड जांच आयोग, सक्सेना जांच आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है उसको पटलित क्यों नहीं किया गया. अभी तक 6 महीने हो गए अगर आप झाबुआ और पेटलावद, अलीराजपुर और रतलाम की जो बात करना चाह रहे हैं उसको 6 महीने हो चुके हैं दूसरा अलीराजपुर और झाबुआ की मैं बात कर रहा हूं कि यह जो मध्यप्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं 27 जिलों की जो अभी रावत जी बोल रहे थे गुजरात का दीपक फाउंडेशन है जो एक एन.जी.ओ. चला रहा है उसको सौंपी जा रही है. यह चुनाव के पहले नहीं उसके बाद का निर्णय है यह क्यों किया जा रहा है. मैं आगे बताना चाहता हूं कि सिंहस्थ के घोटालों से भी सरकार का पेट नहीं भरा है फिर इस बजट में 403 करोड़ रुपए का बजट प्रोविजन कर दिया गया है और हम यह चाहते हैं कि जिस तरह से हजारों करोड़ रुपए की जो राशि डकारी गई यह राशि फिर न डकारी जाए. इस पर माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सरकार ध्यान देगी मैं समझता हूं कि ज्यादा अच्छा होगा. 19 जुलाई 2016 के मेरे प्रश्न के जवाब में आया है कि अभी 6 दिन पहले आया, आप उसे सुनें. मैंने यह पूछा था कि मटके कहां से खरीदे. मेरे प्रश्न के जवाब में सरकार द्वारा बताया गया कि एम.ए. ऑटो पार्टस फर्म है उज्जैन की, वहां से पांच हजार मटके 47 करोड़ रुपए के खरीदे गए हैं. ऑटो पार्टस फर्म पर मटके कब से बिकने लग गए हैं. 04 मार्च 2016 की बात है जिस समय सिंहस्थ चल रहा था यह कौन सी बात हुई माननीय मंत्री जी 04 मार्च 2016 को जब सिंहस्थ चल रहा था उस समय आर.ई.एस. के एक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने उज्जैन सी.ई.ओ. को यह रिपोर्ट दी है कि जो पंचकोशी यात्रा चल रही है वहां पर शौचालय बनाए गए हैं जितना बनाना बताया गया उतने बने नहीं हैं उस क्वालिटी के बने नहीं हैं. उसके बाद वहां एफ.आई.आर हुई है और दो अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हुई है और ई.ओ.डब्ल्यू. जांच शुरु हुई है. मुझसे पूर्व भी हमारे वक्ताओं ने विधायक साथियों ने सिंहस्थ पर काफी बातें कही हैं मैं इतनी बात कहना चाहता हूं कि अब इस तरह का और भ्रष्टाचार वहां पर न हो चाहे वह शौचालय बनाने की बात हो, चाहे वहां पर बाथरुम बनाने की बात हो इसके अलावा माननीय उपाध्यक्ष महोदय अस्थाई पाइप लाईन जो डाली गई थी उसके तीन गुना ज्यादा रेट लगाए गए और 17 करोड़ की निविदा के 34 करोड़ की निविदा को 117 करोड़ रुपए लगाकर राशियां निकाल ली गई है तो बडे़ लेबिल पर भ्रष्टाचार हुआ है . सिंहस्थ में हम यह आग्रह करना चाहते हैं कि उसकी जांच होना चाहिए जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. फसल बीमा की हम बात करते हैं चाहे मध्यप्रदेश के दो तीन वर्ष में सूखा पड़ा हो अतिवर्षा हुई हो, ओलावृष्टि हुई हो या फिर अभी जो बाढ़ आई है और इस बाढ़ और इस अतिवर्षा से किसानों का जो नुकसान हुआ है उनकी फसलों का जो बीमा उनको मिलना चाहिए या उनको राहत राशि जो मिलना चाहिए. अभी तक नहीं मिली है, यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है. अभी तक 2013 में जिन किसानों की फसलों का जो नुकसान हुआ है, अब जाकर उनके लिये 815 करोड़ रुपये का बजट में प्रोविजन अब किया गया है. मंत्री जी, 3 साल में मध्यप्रदेश के कितने किसानों ने आत्महत्या की है, खेती से जुड़े हुए कितने मजदूरों ने आत्महत्या की है, उसको मैं उजागर करना चाहता हूं. यह मांग संख्या 64 मद क्रमांक 30 में 1 फरवरी,16 से 30 जून,16 तक 280 किसानों ने आत्महत्या की है और 884 खेती से जुड़े हु मजदूरों ने आत्महत्या की है और 1164 इस तरह से पिछले 5 माह में खेती किसानी और खेती किसानी से जुड़े हुए किसान,कृषक और मजदूरों ने आत्महत्या की है. यानि लगभग 8 लोग प्रति दिन आत्महत्या कर रहे हैं. लेकिन सरकार आनन्द मंत्रालय बनाने में लगी है. 1164 व्यक्तियों की मौत केवल 150 दिन में, 5 माह में हुई है और सरकार आनन्द मंत्रालय बना रही है. यह सरप्राइज्ड है और सरकार को इस पर चिंतन और मनन प्रदेश के किसानों, मजदूरों एवं सर्वहारा वर्ग के लिये करना पड़ेगा. फसल बीमा योजना के प्रावधान में यह उल्लेख है कि अगर किसानों को बोनी दो बार या तीन बार करना पड़ती है, तो 25 प्रतिशत बीमा की राशि तत्काल दी जाना चाहिये. अभी-अभी 15 से 20 जिले प्रभावित हुए हैं और लगभग 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की जमीन प्रभावित हुई है. इतने क्षेत्र में बोनी फिर से करना पड़ रही है, लेकिन सरकार ने वहां पर कोई 25 प्रतिशत की राशि उपलब्ध नहीं कराई है. जो खाद और बीज का नकली कारोबार करते हैं, नकली कारोबारियों को अवसर नजर आ रहा है, इस पर भी आपको ध्यान देना पड़ेगा और सरकार को इस पर विचार करना पड़ेगा, जिससे कि किसानों की अभी जो माली हालत है, उससे वे बच सकें.
उपाध्यक्ष महोदय, मार्च,2016 में मेरी विधान सभा राजपुर के ओझर और नागलवाड़ी के 27 गांव के किसानों का 66 लाख का मुआवजा राजस्व विभाग ने स्वीकृत करके रखा था, लेकिन आज तक राशि उनको दी नहीं गई है. तो इस बात का भी आप ध्यान रखें. यह केवल एक उदाहरण के बतौर मेरी विधान सभा और मेरे जिले का मैं उल्लेख कर रहा हूं. यह पूरे बड़वानी जिले में, निमाड़, मालवा और पूरे मध्यप्रदेश में है. कुछ ही चुनिंदा स्थानों पर और तहसीलों में यह मुआवजा मिल रहा है. मंत्री जी, आप हमारी बात पर ध्यान दें. किसानों के संरक्षक बनें, किसानों की हितैषी होने की बात सरकार करती है, भाषण देती है, लेकिन होता कुछ भी नहीं है, उस दिशा में आप काम करें.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी 3 दिन पहले राजस्व विभाग के जवाब देने की तारीख थी. 57 प्रश्नों में एक जैसा जवाब आया था कि संबंधित जिलों के कलेक्टरों से रिपोर्ट अप्राप्त. 57 प्रश्नों का मेरे हिसाब से, जहां तक मैंने जो समझा है, उस दिन की जो प्रश्नोंत्तरी है और मैंने जो देखा है, मैं भी देख करके सरप्राइज्ड रह गया हूं. यह सरकार के लिये और हम सब के लिये, यह मध्यप्रदेश की विधान सभा में चौंकाने वाली बात है और पहली बार मध्यप्रदेश की विधान सभा में ऐसा हुआ है कि एक ही दिन में, एक ही विभाग के 57 प्रश्नों में संबंधित जिलों के कलेक्टरों से जवाब अप्राप्त है, यह बहुत गलत बात है. मैं समझता हूं, जहां तक मैंने समझा है कि क्या कलेक्टर सरकार से ऊपर हो गये हैं या कलेक्टर विधान सभा से ऊपर हो गये हैं. मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी, आप लोगों को यह कसावट लानी पड़ेगी. मैं कुछ पूर्व वक्ताओं को सुन रहा था कि धीरे धीरे विधायकों का भी इंट्रेस्ट और मोह भंग होता जा रहा है और उसके बाद विधायिका का भी यह अपमान है. मंत्री जी, आप इन बातों की ओर आप ध्यान दें.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं 2013 की फसल बीमा योजना के लिये 815 करोड़ रुपये की बात बोल चुका हूं. 28 जून,2016 से अभी तक लोकायुक्त का पद खाली है. हाईकोर्ट के दबाव के बाद, दो साल बाद उप लोकायुक्त को पदस्थ किया गया. लेकिन लोकायुक्त का पद अभी भी खाली है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि हजारों प्रकरण पेंडिंग हैं. बड़ी पेंडेंसी है. वह पेंडेंसी कैसे निपट पायेगी. सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना पड़ेगा. हाईकोर्ट में लोकायुक्त की तरफ से जो प्रकरण जाते हैं, बहुत सारी सीडी खाली निकलती है. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. मध्यप्रदेश को मैंने जितना समझा है, एक मजाक के रुप में यह सरकार ले रही है. वित्त मंत्री जी, इस ओर भी आपको ध्यान देना पड़ेगा और इस तरह से जो सरकार भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है, इस पर आप रोक लगायें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खेल विभाग को आपने इस बजट प्रोविजन में एक भी रूपया नहीं दिया है, और आपने मांग संख्या 58 के तहत नवनिर्मित राहत भवन के टायलेट के लिए पांच लाख रूपए अलाट कर रहे हैं, लेकिन अभी जो ओलंपिक होने जा रहे है ओलंपिक में हमारे सात खिलाडि़यों का चयन भी हुआ है, उनको मैं मेरी तरफ से और मेरे दल की तरफ से बधाई और शुभकामनाएं भी देता हूं, रियो ओलंपिक के लिए हमारे खिलाड़ी जा रहे हैं, लेकिन मैं समझता हूं कि यह खेल विभाग के साथ इस सरकार का सौतेला व्यवहार है, आप इस पर ध्यान दें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बदहाल है, इंदौर का जो एमवाय अस्पताल है, एमवाय जैसे अस्पताल में पिछले 6 माह में 80 नवजात शिशओं की मौत हुई हैं और सतना में अप्रैल 15 से नवंबर 2015 तक 356 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई है, सरकार इस ओर बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रही हैं. गलत पाइप लाइन डल जाने से दो बच्चों की मौत इंदौर एमवाय में हुई है, उसके बाद एक बच्ची को चीटियां खा रही थीं, इसको भी मीडिया ने हाइलाइट किया है. माननीय रूस्तम सिंह जी यहां पर हैं, स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हो रही है, आप उस पर ध्यान दें. मेडीकल एजुकेशन वाला आपका जो कालेज है, इंदौर का जिसकी मैं बात कर रहा हूं, 6 माह में 80 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई है और पूर्व मंत्री जी आपके साथ बैठे हुए हैं. 108 एंबुलेंस के हाल दमोह कलेक्टर से अच्छा कोई और जान नहीं सकता, दमोह कलेक्टर की मां को समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण, अच्छी एंबुलेंस नहीं होने के कारण उनकी मां की मृत्यु हुई है, सबने इस बात को अखबारों में पढ़ा है और वहां के कलेक्टर ने भी इस बात को स्वीकार है समय पर एंबुलेंस तैयार नहीं रहती है, डीजल नहीं मिलता है, ड्रायवर नहीं होते हैं, कलेक्टर की मां नहीं बचती है तो हम स्वास्थ्य सेवाओं का अंदाज लगा सकते हैं. माननीय मंत्री जी दतिया आपका इलाका लगता है, 16 फर्जी नियुक्तियां भी कर दी गई है और उनके ट्रांसफर भी कर दिए गए हैं, आप दिखवाएं जरा. अभी जो मंत्री जी बने हैं, वह बोलते हैं कि कांग्रेस ने पिछले दस सालों में जो डाक्टरों की भर्तियां नहीं की थी, इस कारण से हम डाक्टर नहीं दे पा रहे हैं. मैं बताना चाहता हूं कि व्यापम के कारण जो एक हजार एमबीबीएस सीट रिक्त हुई हैं, उसके बारे में भी कभी आप विचार करना, उसके बारे में आप आगे ध्यान देना और इसका खामियाजा प्रदेश की जनता को न भुगतना पड़े यह ध्यान रखें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इंफोसिस और टीसीएस की जमीन का पचास करोड़ का हर्जाना सरकार को देना पड़ रहा है. ऐसी ऐसी बड़ी बड़ी कंपनियां है, जिनकी लाभ की सीट बनी है, इनकम टैक्स वाली सीट बनी हुई है, तीन तीन हजार करोड़ रूपए की उनके लिए भी सरकार पांच पांच सौ करोड़ रूपए की मुफ्त में जमीन दे रहे हैं, माननीय मंत्री जी आप इस पर विचार करे, इसको रोके और जिस तरह से चलन में आ गया है कि वन भूमि मध्यप्रदेश की लाखों एकड़ जमीन गैर वनभूमि की बताकर यह जो उद्योगपतियों को और अलग अलग कामों के लिए और अलग अलग उद्देश्य के लिए दी जाती है, मेरी इस बात को ध्यान दें. हमारे कुछ साथियों ने इस पर ध्यानाकर्षण और स्थगन भी लगाया गया है. इसी में उद्योगों को जमीन आवंटन कराने के लिए हजारों करोड़ रूपए का घोटाला किया गया है, इसकी भी जांच होनी चाहिए. जनसम्पर्क विभाग ने 15 करोड़ मांगे है, 12 करोड़ इलेक्ट्रानिक्स मीडिया के लिए रखे गए हैं, समय समय पर सदन के विधायक साथियों के द्वारा यह बात आती है कि 80 प्रतिशत विज्ञापन बोगस संस्थाओं को दे दिए जाते हैं, इस पर ध्यान रखा जाए, बोगस संस्थाओं को न दें और जो सही पत्रकारिता से जुड़े हैं, जो सही सोचता है, जो हमारे प्रदेश के लिए हम सबके लिए काम करते हैं, वह उन्हीं पत्रकारों को और उन्हीं संस्थाओं को दिया जाए, जिससे कि एक प्रकार का जो प्रश्नचिन्ह लग गया है कि 80 प्रतिशत राशि जो बोगस संस्थाओं को दी दी जाती है, उस पर आप रोक लगाए हमारा प्रश्न भी था पहले. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, और भी बहुत सारी बाते हैं, लगभग चार घंटे हो गए है, प्रथम अनुपूरक अनुमान बजट के ऊपर चर्चा का. हमारे विधायक साथियों ने बढ़कर हिस्सा लिया गया है, जमकर सरकार को घेरा है, उसके बाद सरकार की तरफ से भी कुछ बातें आई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं तो इस बात की उम्मीद करता हूं सरकार से कि जो पब्लिक मेन्डेट सरकार को मिला है, तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में बनकर आई है वह अपने पब्लिक मेन्डेट पर गुरूर न करते हुये जिस मकसद और उद्देश्य के साथ चुनकर आये हैं, जीतकर आये हैं कृपा करके काम करें साथियों, नहीं तो अभी मैं आप लोगों को सुन रहा था कि शहडोल की जब बात आ रही थी तो अलग-अलग अनुमान लगाये जा रहे थे. अभी अभी की बात है हमने मैहर नगर पालिका भी जीती हैं, ईसागढ़ नगर पंचायत भी जीती है और मंडीदीप नगर पालिका भी जीती है वह किनका राजनैतिक क्षेत्र है, हम सब बहुत अच्छे से जानते हैं, वैसे वह दिन दूर नहीं है कि रतलाम, झाबुआ और अलीराजपुर जैसे चुनाव परिणाम शहडोल के भी आ सकते हैं कि लोगों ने अब मन बना लिया है और सरकार से लोगों का विश्वास हट चुका है. आप सबसे मेरा यह आग्रह है कि हमारे पक्ष के साथियों ने जिन-जिन बातों को उठाया, जिनका उल्लेख किया है, चाहे सुझावों के रूप में या किसी भी अपनी बातों के माध्यम से जो बातें रखी हैं आप उन पर ध्यान दें. आये दिन हमारे प्रश्न होते हैं, ध्यानाकर्षण होते हैं, स्थगन होते हैं आप उन तमाम बातों को और मुद्दों को लेंगे तो जिस तरह से आप लोग अपनी-अपनी विधानसभा क्षेत्र की जनता से चुनकर आये हैं, वैसे ही हम लोग भी हमारी विधान सभाओं से चुनकर के आये हैं. सबका मकसद और उद्देश्य एक ही है, पब्लिक मेंडेड का गुरूर न करें नहीं तो वह दिन दूर नहीं, अच्छे दिन के नाम पर बहुत कुछ होगा, लेकिन अब बहुत जल्दी इंतजार करें कि भारतीय जनता पार्टी के दिन बहुत जल्दी, बहुत बुरे आने वाले हैं. धन्यवाद माननीय उपाध्यक्ष महोदय.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)-- आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन जी समेत प्रतिपक्ष के 18 माननीय सदस्यों ने भाग लिया और सत्ता पक्ष के 3 विधायकों ने इसमें भाग लिया, मैं सभी 21 लोगों का हृदय से आभारी हूं कि उन्होंने इन मांगों के ऊपर चर्चा में अपने विचार व्यक्त किये. उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार द्वारा राज्य के विकास के लिये प्रथम अनुपूरक अनुमान 2016-17 में अधोसंरचना हेतु 3301 करोड़ रूपये प्रस्तावित हैं जिसमें सिंचाई की निर्माणाधीन वृहद सिंचाई परियोजनाओं में कार्यों की प्रगति एवं आवश्यकता के आधार पर रूपये 500 करोड़ की अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई जाना प्रस्तावित है. इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लगभग 3 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी, इसके अतिरक्ति वृहद व मध्यम सिंचाई तथा 99 नवीन लघु सिंचाई परियोजनाओं को नवीन मद के रूप में सम्मिलित किया जाना प्रस्तावित है. सिंचाई की नवीन प्रस्तावित परियोजनाओं की अनुमानित लागत रूपये 2447 करोड़ है तथा परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लगभग 87819 हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई सुविधा निर्मित होगी. नर्मदा घाटी विकास विभाग के अंतर्गत निर्माणाधीन इंदिरा सागर परियोजना की मुख्य नहर से छगांव माखन एवं विस्टान उद्वहन सिंचाई योजनायें, माइक्रो एरीगेशन प्रणाली से प्रस्तावित सिंचाई परियोजनाओं की अनुमानित लागत रूपये 1263 करोड़ है तथा परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लगभग 57 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा तथा रूपये 10661 करोड़ की कालीसिंध लिंक परियोजना के पूर्ण होने पर लगभग 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा विस्तारित होगी. नर्मदा मालवा गंभीर लिंक उद्वहन लिंक सिंचाई परियोजना के पूर्ण होने पर 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा की उपलब्धता होगी. इस परियोजना के कार्यों के लिये रूपये 200 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान भी प्रस्तावित किया गया है. इसके अतिरिक्त लोक निर्माण के लिये रूपये 150 करोड़, उद्योग के लिये रूपये 965 करोड़, नगरीय विकास एवं पर्यावरण के लिये रूपये 952 करोड़ तथा मध्य प्रदेश विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र विकास के लिये रूपये 316 करोड़ रूपये का प्रावधान सम्मिलित है. कृषि एवं किसान कल्याण, नवीन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रावधान करने हेतु प्रथम अनुपूरक अनुमान में रूपया 2145 करोड़ के प्रावधान सहित प्रथम अनुपूरक अनुमान में कृषि विभाग के कुल रूपये 2262 करोड़ के प्रस्ताव प्रस्तावित हैं. प्रदेश में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन फसल ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध कराया जा रहा है.इस योजना हेतु ब्याज अनुदान हेतु प्रथम अनुपूरक अनुमान में रुपये 669 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित हैं. मुख्यमंत्री कृषक ऋण सहायता योजना हेतु कृषकों के लिये दिये गये अल्पकालिक फसल ऋण में खाद एवं बीज के लिये दिये गये वस्तु ऋण के 10 प्रतिशत अधिकतम रुपया दस हजार प्रति कृषक सहायता अनुदान दिये जाने का प्रावधान है इसके अलावा अल्पकालिक ऋणों को मध्यकालीन ऋणों में परिवर्तित करने हेतु राज्य शासन के अंशदान हेतु रुपये 555 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान सहित विभाग हेतु प्रथम अनुपूरक अनुमान में रुपये 1618 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित हैं. ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में प्रदेश के लगभग 64.11 लाख विद्यार्थियों को लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है. स्वच्छ भारत मिशन,ग्रामीण, के अंतर्गत मध्यप्रदेश में वर्ष 2016-17 में 18 लाख 54 हजार व्यक्तिगत,पारिवारिक शौचालयों का निर्माण,9390 ग्राम पंचायतों एवं 21141 ग्रामों को खुले मैं शौच से मुक्त कराने, 228 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण तथा 3 हजार ग्राम पंचायतों में ठोस अपशिष्ट तरल पदार्थ के प्रबंधन का लक्ष्य रखा गया है. लक्ष्यों की पूर्ति हेतु प्रथम अनुपूरक अनुमान में रुपये 2050 करोड़ का प्रावधान है. इसके अतिरिक्त खाद्य विभाग द्वारा रुपया 273 करोड़,उद्यानिकी हेतु रुपये 152 करोड़ तथा पशुपालन,मछली पालन एवं ग्रामोद्योग हेतु रुपये 57 करोड़ के पृथक प्रावधान प्रथम अनुपूरक में रखे गये हैं. शिक्षा,स्वास्थ्य एवं सामाजिक क्षेत्र हेतु रुपये 948 करोड़,गृह विभाग हेतु रुपये 253 करोड़ के प्रस्ताव सम्मिलित हैं. इसके अतिरिक्त अन्य प्रमुख आयोजनेत्तर मदों यथा राष्ट्रीय आपदा मोशन निधि हेतु रुपये 1883 करोड़,बिजली विभाग अंतर्गत टेरिफ अनुदान हेतु रुपये 560 करोड़, कृषि पम्प एक बत्ती कनेक्शन हेतु रुपये 440 करोड़, वितरण प्रणाली मजबूतीकरण हेतु रुपये 21 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. इसके साथ ही पंचायत हेतु रुपये 368 करोड़ के प्रस्ताव भी सम्मिलित किये गये हैं. सामाजिक समरसता के लिये अनुपूरक अनुमानों के प्रस्तावों में आदिवासी क्षेत्र उपयोजना में रुपये 1596 करोड़ एवं अनुसूचित जाति उपयोजना के रूप में 1123 करोड़ के प्रस्ताव सम्मिलित किये गये हैं. इस प्रकार प्रथम अनुपूरक अनुमान 2016-17 में कुल रुपये 18810 करोड़ रुपये के प्रस्ताव निहित हैं. उपरोक्त में से रुपये 4442 करोड़ की राशि पुनविर्नियोजन द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी. इस प्रकार शेष अनुपूरक मांग की राशि रुपये 14368 करोड़ रुपये होगी. इसके अतिरिक्त अनुपूरक मांग के लिये स्वीकृत बजट से राशि 2280 करोड़ रुपये समर्पित होने एवं भारत शासन तथा अन्य स्त्रोतों से उपलब्ध हुई राशि रुपये 4488 करोड़ के फलस्वरूप प्रथम अनुपूरक अनुमान 2016 में राज्य की संचित निधि पर शुद्ध अतिरिक्त भार लगभग 7600 करोड़ रुपये आयेगा. उपाध्यक्ष महोदय, हमारे कुछ मित्रों ने बार-बार बात कही है कि यह अनुपूरक अनुमान क्यों लाया गया ? हमने जो प्रोविजन्स किये हैं यह आकस्मिकता निधि से स्वीकृत किये ये अग्रिमों की प्रतिपूर्ति के प्रावधानों के लिये है. कतिपय अप्रत्याशित अनिवार्य और प्रतिबद्ध स्वरूप के व्यय के प्रावधान के लिये शासन की प्राथमिकता वाली नयी योजनाएं व नये मदों पर व्यय का प्रावधान जो केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के लिये राज्य शासन का अंशदान और ऐसी कुछ मदें जिस पर व्यय के लिये पुनविर्नियोजन द्वारा राशि उपलब्ध कराई जा सकेगी. ऐसी मदों के लिये केवल प्रतीकात्मक प्रावधान किये जाने के कारण प्रथम अनुपूरक अनुमान 2016-17 की अनुपूरक मांगें रखी गई हैं. हमारे वरिष्ठ सदस्य आदरणीय महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने वर्ष 2015-16 के बजट अनुमान के बारे में बात कही थी. मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि 2015-16 का जो बजट अनुमान था वह लगभग 1 लाख 31 हजार करोड़ का था और इसके बाद 2015-16 का जो हमारा पुनरीक्षित बजट था वह भी लगभग 1 लाख 32 हजार करोड़ के आसपास था. यह बजट अनुमान के समतुल्य ही था.
इस तरीके से आप देखेंगे की अनुपूरक अनुमान समतुल्य ही था इस तरीके से आप देखेंगे कि अनुपूरक अनुमान लाने के बावजूद भी बजट मदों में बचत से ही हमने व्यय किया है और यह अगर हमने किया है तो निश्चित रूप से यह माना जायेगा कि वित्तीय प्रबंधन बेहतर है. माननीय मुकेश नायक जी ने दो बातें कहीं एक तो माननीय मुख्यमंत्री जी की अन्नपूर्णा योजना के बारे में बात कही कि उन्होंने घोषणा की जो गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग हैं उनके लिये जिनका नुकसान 50प्रतिशत से अधिक है उन्हें अन्नूपर्णा योजना के तहत राहत दी जायेगी ऐसे सभी पात्र परिवारों के लिये राहत दी जा रही है. दूसरी बात जो उन्होंने कही वह मेरे दमोह विधानसभा क्षेत्र के जुझार घाट की है मैं इसके बारे में निवेदन करना चाहूंगा कि इस बार तो पानी की कमी नहीं आई पिछले वर्ष शुरू हो गया था. यह बात जरूर है कि प्रतिदिन पानी नहीं मिल रहा है . हमारे बुदेंलखंड में इस बार जबर्दस्त सूखा पड़ा और सूखा पड़ने के कारण हमें समनापुर के जो हमारा स्टाप डेम था वहां से पानी छोड़ना पड़ा और वह समनापुर हमारे यहां से काफी दूर है सब जगहों से आता हुआ पानी सभी को पानी उपलब्ध होता रहा उसको हम जुझार घाट तक लाये. जुझार घाट में जो हमने इंटेक बेल का सिलेक्शन किया वह मेरा सिलेक्शन किया हुआ नहीं है यह विषय विशेषज्ञ हैं अलग अलग विषयों के टेक्नीकल एक्सपर्टस हैं उन्होंने इसका सिलेक्शन किया है और इसके ऊपर जहां तक राशि व्यय करने का सवाल है अभी तक लगभग चालिस करोड़ रूपये की राशि खर्च हुई है और थोड़ा सा काम इसमें शेष है बाकी सारा का सारा काम पूरा हो चुका है, मोटरें वगैरह आ चुकी हैं फिट हो चुकी हैं. सेट हो चुकी हैं, इसके साथ साथ नया हमारा ट्रीटमेंट प्लांट हमारा तैयार हो गया है जहां तक स्टाप डेम में कट लगाने वाली बात हैं समनापुर से जो जुझार घाट में पानी आया है यह गेट खोलने से आया है . मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे जन संसाधन विभाग ने एक भी प्रदेश में कहीं भी कट नहीं लगा है और कहीं भी उससे क्षति नहीं हुई है. पन्ना की दो बातें हमने स्वीकार की है.धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि दिनांक 31 मार्च 2017 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1,2,3,4,6, 7,8,11, 12,13, 15,16, 17, 18,19,20,21,22,23,24,25,26,27,28,29,32,34,37,38,39, 40,41, 42, 44,45,46,47,48,50,51,52,54,55,56,57,58,60,61,64,66,67,69,71, 73, 74 तथा 75 के लिये राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर चौदह हजार दो सौ सतानवे करोड़, इक्यासी लाख, चालीस हजार, आठ सौ रूपये की अनुपूरक राशि दी जाय.
अनुपूरक मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
07:13 मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक 2016.
श्री जयंत मलैया - उपाध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक 2016 का पुर:स्थापन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - कुछ बोलना चाहेंगे.
श्री जयंत मलैया - मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक 2016 पर विचार किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक 2016 पर विचार किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक 2016 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
उपाध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खंड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खंड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि खंड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खंड 1 इस विधेयक का अंग बना.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बना.
श्री जयंत मलैया - मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक 2016 पारित किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक 2016 पारित किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक 2016 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार दिनांक 26 जुलाई 2016 को प्रात: 11 बजे तक के लिये स्थगित.
रात्रि 7:21 बजे विधानसभा की कार्यवाही, मंगलवार, दिनांक 26 जुलाई, 2016 (श्रावण 4, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल: अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 25 जुलाई, 2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा,