मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

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पंचदश विधान सभा                                                                                     अष्टम सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2021 सत्र

 

गुरूवारदिनांक 25 फरवरी, 2021

 

( 6 फाल्गुनशक संवत्‌ 1942 )

 

 

[खण्ड- 8 ]                                                                                                             [अंक-4]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

गुरूवारदिनांक 25 फरवरी, 2021

 

( 6 फाल्गुनशक संवत्‌ 1942 )

  

विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.

 

{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

 

अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 1..

श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय.

अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न है क्या?

श्री कमलेश्वर पटेल - नहीं, प्रश्न तो नहीं है. अध्यक्ष महोदय, एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है जिसके बारे में कई दिन से आपसे निवेदन कर रहे हैं, उसका स्थगन प्रस्ताव लगा हुआ है.

अध्यक्ष महोदय - पहले प्रश्न तो आने दीजिए, प्रश्नकाल को बाधित मत करिए.

प्रश्न संख्या 1 - (अनुपस्थित)

भितरवार विधानसभा क्षेत्र में रेत का अवैध उत्‍खनन

[खनिज साधन]

2. ( *क्र. 991 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भितरवार विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत लोहारी से रेत माफियाओं द्वारा किये जा रहे अवैध रेत उत्‍खनन के संबंध में कलेक्‍टर ग्‍वालियर को प्रश्‍नकर्ता विधायक द्वारा (1) पत्र क्र. 180, दिनांक 05.01.2021 (2) पत्र क्र. 193, दिनांक 11.01.2021 (3) पत्र क्र. 202, दिनांक 18.01.2021 द्वारा व्‍यक्तिगत उपस्थित होकर उक्‍त पत्रों के माध्‍यम से शिकायत की गई थी? यदि हाँ, तो उक्‍त पत्रों की छायाप्रति प्रस्‍तुत करें? उक्‍त पत्रों पर कोई कार्यवाही प्रश्‍न दिनांक तक न करने का क्‍या कारण है? क्‍या रेत माफियाओं को अवैध उत्‍खनन की खुली छूट दे दी गई है? यदि नहीं, तो फिर कैसे अवैध उत्‍खनन किया जा रहा है? (ख) ग्‍वालियर जिले में खनिज विभाग द्वारा 30 जनवरी, 2021 की स्थिति में                     किन-किन प्रकार के खनिज को किस-किस ग्राम पंचायतों से किस-किस खसरा नं. से कितने रकवा में कितनी राशि में किस दिनांक वर्ष से किस दिनांक वर्ष तक उत्‍खनन की स्‍वीकृति (ठेका) दिया है?                       (ग) दिनांक 1 अप्रैल, 2021 से प्रश्‍न दिनांक तक ग्‍वालियर जिले में अवैध उत्‍खनन की किस-किस व्‍यक्तियों द्वारा शिकायतें की गई है? उनका नाम, पता दें। उन शिकायतों पर क्‍या कार्यवाही की गई है?

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। प्रश्‍न अनुसार पत्र की छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। पत्रों पर कार्यवाही की गई, कार्यवाही की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। जिले में अवैध उत्‍खनन एवं परिवहन के प्रकरण प्रकाश में आने पर कार्यवाही की जाती है। जी नहीं। (ख) जानकारी पुस्‍तकालय में परिशिष्ट के प्रपत्र-स पर दर्शित है।                                  (ग) प्रश्‍नांकित तिथि से जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।

श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर जिले भितरवार विधान सभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत लोहारी से रेत माफियाओं द्वारा लगातार अवैध उत्खनन किये जाने के संबंध में पिछले 3 माह से कलेक्टर ग्वालियर से मेरी दूरभाष पर, सेलफोन पर कई बार 12 से 14 बार चर्चा हुई. मैंने उनको हर बार अवगत कराया कि यह लोहारी से अवैध उत्खनन हो रहा है, जो कि स्वीकृत क्षेत्र नहीं है और उन्होंने मुझे हर बार यह आश्वासन दिया कि 2-4 दिन का आप समय दें, मैं इसको बंद करा दूंगा, लेकिन फिर भी 2 महीने से लगातार अवैध उत्खनन बड़े पैमाने पर होता रहा और 200 से 250 वाहन जिसमें डम्फर, हाइवा ट्रक और ट्रेक्टरों से अवैध उत्खनन होता रहा, उसके बाद जब टेलीफोन पर नहीं सुना तो मैंने दिनांक 5.1.21 को एक आवेदन कलेक्टर को दिया  दिनांक 11.1.21 को आवेदन दिया और फिर  दिनांक 18.1.21 को आवेदन दिया उनके समक्ष उपस्थित होकर, लेकिन आज दिनांक तक वह अवैध उत्खनन की कार्यवाही रुकी नहीं है. लगातार अवैध उत्खनन हो रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि क्या ऐसी खुली छूट दे रखी है, जो खदान स्वीकृत नहीं हैं, जिसका एरिया स्वीकृत नहीं है. जो खदान स्वीकृत हैं क्या वहां से आप खनन करवाएंगे कि जहां अवैध उत्खनन हो रहा है उसको आप लगातार जारी रखेंगे?

श्री सुरेश राजे - अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र डबरा में लगातार अवैध उत्खनन हो रहा है.

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य ने प्रश्न उठाया है, काफी वरिष्ठ सदस्य हैं, उन्होंने यह बात रखी है कि हमने 3 आवेदन दिये थे और तीनों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि जब आपकी शिकायत मिली थी  उसके बाद दिनांक 1.2.21 को आपकी अनिता मोदी जो जनपद अध्यक्ष हैं, उनके साथ हमारा पूरा खनिज अमला गया था. उन्होंने एक विधिवत् जांच भी उसकी की थी. हमने अभी बाद में भी उसका परीक्षण कराया है. लगातार हम उन चीजों की जांच कर रहे हैं  और इसमें हमने प्रकरण भी बनाये हैं. ऐसा नहीं है कि हमने उसके बाद प्रकरण नहीं बनाये हैं. दिनांक 27.10.20 को एक पोकलेन जप्त हुई है, दिनांक 6.1.21 को डम्फर जप्त किया है उसके बाद ट्रेक्टर की जप्ती की है, इस तरह से 8 प्रकरण हमने बनाये हैं, जिसमें 4 पोकलेन मशीन जप्त की, इसमें लगभग राशि 6 लाख 81 हजार 8 सौ रुपये वसूल की है तो यह कहना असत्य है कि हमारा विभाग कार्यवाही नहीं कर रहा है, उसमें लगातार हम कार्यवाही कर रहे हैं, जो आपने आवेदन दिये क्योंकि आप सम्माननीय हैं, मैंने उसमें एक्शन लिया है.

 

          श्री लाखन सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय अभी आपने जिस अनिता मोदी सिंह रावत की बात की है वह भीतरवार की जनपद अध्यक्ष है और आपकी ही पार्टी की हैं. जब वह वहां पर गई तो आपने जो ठेकेदार हैं, उनकी दम पर उस महिला के खिलाफ  एफआईआर करवाई है,  उसके पति के खिलाफ एफआईआर करवाई है, आपने उसका लायसेंस निरस्त करवाया है और आप कार्यवाही की बात कर रहे हैं . मेरा यहां पर आपसे दूसरा निवेदन है कि आप यह बतायें कि यह जो लोहारी की खदान स्वीकृत है या नहीं है. मेरा यह कहना है कि लोहारी की खदान स्वीकृत नहीं है, वास्तव में बसई की खदान स्वीकृत है जिसकी दूरी वहां से 10-12 किलोमीटर है. उत्खनन लोहारी से हो रहा है. जो खदान आपकी स्वीकृत है वहां से तो एक डंपर भी रेत नहीं निकलेगी. मेरा आपसे यह निवेदन है कि आप कृपा करके जहां पर स्वीकृत खदान है वहीं से उत्खनन करायें, बाकी जो अवैध उत्खनन हो रहा हैं वहां से रोज 200 - 250 डंपर रेत आप निकलवा रहे हैं. उनको बंद करायेंगे और जिन अधिकारियों के संरक्षण में यह अवैध उत्खनन हो रहा है उनके खिलाफ में कार्यवाही करेंगे.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय 10 खदानें वहां पर मंजूर हुई हैं जिसमें से 6 संचालित हैं जिसमें से दो माननीय सदस्य के यहां पर संचालित हैं. उसमें जहां तक जांच कराने की बात है तो इसी तरह के जो आपके आवेदन आये थे उनका हमने परीक्षण भी कराया है, स्पाट पर हमने भेजा भी है, इसके पहले भी हमने जांच करवाई हैं. इसमें कोई विसंगति नहीं मिली है. यदि व्यक्तिगत रूप से कोई बात है तो माननीय सदस्य हमें बता देंगे तो मैं  उसकी जांच करा लूंगा.

          श्री लाखन सिंह यादव -- आप तो मुझे यह बता दें कि जो बसई खदान है उसमें रेत है क्या. जब वह सेंक्सन है तो फिर आप लोहारी से क्यों उत्खनन करा रहे हैं.  उसकी वहां से दूरी 10 किलो मीटर है. अध्यक्ष  महोदय हकीकत बात यह है कि जहां पर खदान सेंक्शन की गई है वहां पर रेत नहीं है. उसके नाम पर दूसरी जगह से पूरा अवैध उत्खनन हो रहा है. यह रोज बड़े पैमाने पर हो रहा है.( X X X ) कृपा करके आप इसमें जांच करवायेंगे और  अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे क्या.

          श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय हमारा कहना है कि यह विलोपित कराया जाय.

          अध्यक्ष महोदय -- यह रिकार्ड नहीं किया जाय.

            डॉ. नरोत्तम मिश्र -- इसे तो रिकार्ड में रहने दें कोई विलोपित नहीं करवाना है.( X X X ) जहां तक उस जनपद अध्यक्ष की बात की है तो उसके दो वीडियो वायरल हुए हैं. मुझे तो पता भी नहीं है जब मैं वहां का विधायक था आज से 12 साल पहले तब वहां पर ऐसा कुछ नहीं होता था. यह इन्होंने ही वहां पर संचालित किया है, अकारण ही मेरा नाम छपने के लिए ले रहे होंगे. मैं पिछले 14 साल से उस इलाके में नहीं गया. इनको अपने ऊपर संकट लगे और यह मेरा नाम लें तो मुझे नहीं पता है.

          श्री लाखन सिंह यादव -- ( X X X )

            श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय यह भी विलोपित करवायें.

          अध्यक्ष महोदय -- यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय मेरा जिससे कोई लेना देना नहीं है, मैं किसी माइनिंग वाले को आज तक नहीं जानता हूं,...(व्यवधान ). इनकी वसूली नहीं आ रही है इसलिए इन्होंने प्रश्न लगाया है....(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- मैं खड़ा हूं सभी माननीय सदस्य बैठ जायें. मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि ऐसे शब्दों का प्रयोग न करें कि हमें ज्यादा से ज्यादा विलोपित करना पड़े. दोनों तरफ से मर्यादित होकर बात करें तो अच्छा है.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- जहां तक लोहारी की बात है लोहारी में कोई खदान सेंक्शन नहीं है और जो आपने बसई की बात कही है तो वहां पर खदान सेंक्शन है. इसलिए हमने 22 तारीख को वहां पर परीक्षण कराया था वहां हमें ऐसी कोई चीज नहीं मिली है यदि आपको ऐसा लगता है कि वहां पर भी कोई अवैध उत्खनन है तो  आप मुझे बता दें उसका परीक्षण मैं फिर से करा लूंगा.

          श्री लाखन सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय रात 10.30 बजे के वीडियो हैं  मैं यह कह रहा हूं कि यदि वहां पर अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है तो  एक समिति गठित कर दें और उसमें क्षेत्रीय विधायक को रख दें तो पता चल जायेगा दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा. समिति गठित करने में क्या दिक्कत है.

                                                                                   


 

          अध्‍यक्ष महोदय -- उन्‍होंने कहा है आप बता दीजिये, स्‍पेशियली जांच करवा लेंगे.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, हमको विश्‍वास है आप बोलेंगे तो मैं परीक्षण करा लूंगा. समिति की बात क्‍या कर रहे हैं ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक 3, श्री राजेश कुमार प्रजापति.

          श्री लाखन सिंह यादव -- अध्‍यक्ष महोदय, यहां से किसी अधिकारी के साथ समिति गठित कर दें, तो पता लग जाएगा कि अवैध उत्‍खनन हो रहा है कि नहीं हो रहा है.

          श्री सुरेश राजे -- ( XXX )

          अध्‍यक्ष महोदय -- इनका नहीं लिखा जाएगा. प्रश्‍न क्रमांक 3.

विधान सभा क्षेत्र चंदला में संचालित पत्थर खदानें/क्रेशर

[खनिज साधन]

3. ( *क्र. 1128 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन के नियम-निर्देश के अनुसार पहाड़ों से गिट्टी पत्थर निकालने की अनुमति के पूर्व पर्यावरण एवं वन विभाग से अनुमति लेने का निर्देश है? क्या शासन के नियम-निर्देश के अनुसार 500 मीटर से कम दूरी पर गिट्टी पत्थर खदाने संचालित की जाने की अनुमति प्रदेश शासन या प्रशासन द्वारा नहीं दी जा सकती है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार छतरपुर जिले में कितनी खदानें 500 मीटर या कम की दूरी पर संचालित हैं तथा अनुमति जारी किये जाने वाले अधिकारी का नाम, पदनाम सहित सत्यापित जानकारी उपलब्ध करायी जाये। (ग) जिला छतरपुर की विधानसभा क्षेत्र चंदला अंतर्गत वर्ष 2018 से किन-किन व्यक्तियों को पहाड़ों से गिट्टी बनाने हेतु पत्थर निकालने की स्वीकृति आदेश जारी किए गए थे? (घ) जिला छतरपुर की विधानसभा क्षेत्र चंदला अंतर्गत पत्थर से गिट्टी बनाने के लिए कितनी क्रेशरें संचालित हैं? सूची उपलब्ध करायें। क्या उक्त क्रेशरों का संचालन शासन के नियम-निर्देश अनुसार सक्षम अधिकारी के आदेश से संचालित है? यदि नहीं, तो क्यों कारण स्पष्ट करें।

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। पहाड़ों के संबंध में पृथक से कोई प्रावधान नहीं है। म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में 500 मीटर से कम दूरी पर गिट्टी पत्‍थर खदानों की अनुमति दिये जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। (ख) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ग) विभाग द्वारा इस प्रकार की जानकारी पृथक से संधारित करके नहीं रखी जाती है। (घ) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है तथा उक्‍त क्रेशरों का संचालन शासन के नियम निर्देश अनुसार सक्षम अधिकारी के आदेश से संचालित है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

 

            श्री राजेश कुमार प्रजापति -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से खनिज मंत्री जी का ध्‍यान इस ओर आकर्षित कराना चाहूंगा कि मेरा विधान सभा क्षेत्र उत्‍तरप्रदेश से लगा हुआ है. और मेरे क्षेत्र में खजिन संसाधन ज्‍यादातर हैं. उसमें पत्‍थर, गिट्टी, गौण खनिज हैं. यहां पर ग्राम बदौराकला, प्रकाश बमौरी, घटहरी और मुड़हरा यह लगे हुये गांव हैं, जहां पर 500-500 मीटर में कई खदानें चलती हैं उन खदानों से जो परिवहन उत्‍तरप्रदेश के लिये जाता है उसके कारण धूल मिट्टी बहुत सारी उड़ती है जिससे किसानों की फसल भी नष्‍ट होती है और वहां पर कई लोग टीबी के मरीज भी होते जा रहे हैं जिससे मैं माननीय मंत्री जी से यह चाहूंगा कि वहां पर प्रॉपर प्रतिदिन पानी डलवाया जाए, जिससे धूल न उड़े और बीमारी कम हो सके. मेरा एक और प्रश्‍न है कि उस रोड में इतने बड़े गड्ढे हो गये हैं कि जनमानस को चलने में भी परेशानी होती है, तो गौण खनिज या किसी भी संसाधन से वहां की वेटेज़ रोड बनवाई जाए जिससे वहां का गौण खनिज निकल सके.

            श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, ठीक है, माननीय सदस्‍य जो कह रहे हैं हम दिखवा लेंगे.

            अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, आपका काम तो हो गया अब धन्‍यवाद तो कर दीजिये.

            श्री राजेश कुमार प्रजापति -- अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. एक और प्रश्‍न था, आपका संरक्षण चाहिये. गौण खनिज जो मेरे यहां से निकलता है उसमें मध्‍यप्रदेश के लोगों को प्राथमिकता दी जाय क्‍योंकि वहां के लोग गरीब हैं और किसानी पर डिपेंड करते हैं और मध्‍यप्रदेश के लोगों को दिया जाय, उत्‍तरप्रदेश के लोग वहां पर आते हैं और कई तरह से अवैधानिक कार्य भी होते हैं.

            श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, यह नियम भी है कि माइनिंग इफेक्‍टेड एरिया और माइनिंग इफेक्‍टेड पर्सन के लिये वह राशि खर्च की जाती है जो भी हमें डीएमएफ के माध्‍यम से मिलती है, हम निश्चित रूप से जैसा सदस्‍य कह रहे हैं उसका हम पालन करेंगे.

            श्री राजेश कुमार प्रजापति -- अध्‍यक्ष महोदय, वहां पर प्राथमिकता दी जाय. माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

शास. तुलाई केन्द्रों के माध्यम से गेहूँ एवं चने का उपार्जन

[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण]

4. ( *क्र. 271 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिला अंतर्गत विगत वर्ष रबी की फसल हेतु शासकीय तुलाई केन्द्रों के माध्यम से कितने टन गेहूँ एवं चने का उपार्जन किया गया? उपार्जन केन्द्रवार जानकारी उपलब्ध करायें।                                        (ख) प्रश्नांश (क) क्रम में उपार्जन किय गये गेहूँ एवं चने की खरीदी उपरांत कितना गेहूँ और चना गोदामों में परिवहन किया गया एवं कितना गेहूँ एवं चना परिवहन नहीं होने से खुले में पड़े होने के कारण वर्षा के पानी से खराब हुआ? खराब हुए अनाज की मात्रा सहित जानकारी दें एवं अनाज खराब होने के लिए कौन दोषी है एवं दोषी व्यक्ति अथवा अधिकारी के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई, के संबंध में जानकारी दें? (ग) क्या शासन ने किसानों से खरीदी गई फसल को तुलाई केन्द्रों पर सुरक्षित रखे जाने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही हेतु दिशा-निर्देश जारी किए हैं? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों? कृषि उपज मण्डी विदिशा के नवनिर्मित परिसर में प्लाटों की दर तय कर कब तक नवीन मण्डी परिसर में कृषि उपज तुलाई कार्य प्रारंभ किया जायेगा?

खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) विदिशा जिले में रबी उपार्जन वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्‍य पर गेहूँ-723709.9 एवं चना-57865.4 मे.टन का उपार्जन किया गया है। उपार्जन केन्‍द्रवार जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में उपार्जित मात्रा में से गेहूँ-723596.1 एवं चना-57860.8 मे.टन का परिवहन किया गया है। उपार्जन केन्‍द्र पर परिवहन हेतु कोई मात्रा शेष नहीं है। गेहूँ-113.89 एवं चना-4.60 मे.टन उपार्जन केन्‍द्र स्‍तर की कमी है। जिले में खरीदी के दौरान असामयिक वर्षा होने के कारण 4987.80 मे.टन गेहूँ पानी से प्रभावित/अमानक हुआ है। उपार्जन के दौरान असामयिक वर्षा से गेहूँ प्रभावित/अमानक होने के कारण कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। समर्थन मूल्‍य पर गेहूँ उपार्जन हेतु जारी नीति, उपार्जन एजेंसी तथा उपार्जन समिति के मध्‍य हुए अनुबंध तथा समय-समय पर जारी निर्देशों में उपार्जन केन्‍द्र पर खरीदी गई फसल को सुरक्षित रखने हेतु उपार्जन केन्‍द्र पर तिरपाल, कवर, अग्निशमन यंत्र एवं रेत की बाल्टियां रखे जाने का प्रावधान किया गया है। कृषि उपज मण्‍डी, विदिशा के नवीन मण्‍डी प्रांगण मिर्जापुर में अनुज्ञप्तिधारी व्‍यापारियों हेतु भू-खण्ड आवंटन नियम, 2009 में विहित प्रावधानों के अंतर्गत 4 बार नीलामी का आयोजन किया गया, किन्‍तु व्‍यापारियों द्वारा नीलामी में भाग नहीं लेने से भू-खण्‍ड आवंटित नहीं हो सके हैं। वर्तमान में नवीन मण्‍डी प्रांगण में सम्‍पूर्ण कृषि उपज का नीलामी कार्य एवं उपज का आंशिक तौल कार्य किया जा रहा है।

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, विदिशा जिला अंतर्गत विगत वर्ष रबी की फसल हेतु शासकीय तुलाई केन्‍द्रों के माध्‍यम से कितने टन गेहूं एवं चने का उपार्जन किया गया ? उपार्जन केन्‍द्रवार जानकारी उपलब्‍ध करायें. क्रम में उपार्जन किये गये गेहूं एवं चने की खरीदी उपरांत कितना गेहूं और चना गोदामों में परिवहन किया गया ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह तो लिखा हुआ है. इसका उत्‍तर आ गया. अब आप प्रश्‍न पूछें.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न का उत्‍तर आया है और उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने कहा है कि जो 4000 टन गेहूं खराब हुआ है उसके लिये कोई अधिकारी जिम्‍मेदार नहीं है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जिस समय खरीदी हो रही थी उस समय माननीय मुख्‍यमंत्री जी, खाद्य मंत्री जी को, पीएस फूड सबको मैंने पत्र लिखे कि किसानों को मैसेज़ आना क्‍यों बंद हो गये हैं, तो पीएस फूड कहते हैं कि हमारे यहां से नहीं हुये, कलेक्‍टर साहब कहते हैं कि हमारे यहां से नहीं हुये ऊपर से बंद हुये हैं, यह भ्रम की स्थिति पैदा करके हमारे सैकड़ों किसानों की गेहूं और चने की खरीदी नहीं हुई. उसके लिये जिम्‍मेदार कौन है ? और बीच में बारदाने की कमी आई, तो भी उन्‍होंने कहा हमने कह दिया है कि जूट के बारदाने में खरीदी कर लो, लेकिन नीचे स्‍तर पर अमल नहीं हुआ जिसकी वजह से किसानों का गेहूं भी घर में रखा रहा और यह चार हजार-साढ़े चार हजार टन गेहूं भीगने के लिये मजबूर होना पड़ा. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि इसमें कौन-कौन से अधिकारी शामिल थे जिनकी लापरवाही की वजह से किसानों का गेहूं भी नहीं खरीदा गया और शासन को भी नुकसान हुआ इसकी भरपाई कौन करेगा ?

          श्री बिसाहूलाल सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे सदन को यह बताते हुए हार्दिक प्रसन्‍नता है कि इस बार पूरे भारतवर्ष में मध्‍यप्रदेश...(व्‍यवधान)..

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय मंत्री जी, यह बात सब जानते हैं. सदन को जानकारी है कि आपने गेहूँ ज्‍यादा खरीदा है.. ..(व्‍यवधान)..

          श्री बिसाहूलाल सिंह -- मैं वही बता रहा हूँ... ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- जवाब तो आने दीजिए.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह पूछ रहा हूँ कि कौन अधिकारी उसमें दोषी है ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- जवाब आने दीजिए, फिर पूछ लीजिएगा. माननीय सदस्‍य, आप बैठ जाएं. मंत्री जी उत्‍तर दे रहे हैं.

            श्री बिसाहूलाल सिंह -- देखिए, किसान लोग अपना गेहूँ, चना उपार्जन केन्‍द्रों पर ले जाते हैं. कभी-कभी वर्षा के कारण गेहूँ भी भीग जाता है, चना भी भीग जाता है. यह खरीदी समिति स्‍तर पर होती है, तो जब ये भीग गया, तो इसमें कौन अधिकारी दोषी है. वह तो किसानों का गेहूँ, चना भीगा, जिसके चलते खरीदी नहीं हो पाई और जितनी खरीदी विदिशा जिले में हुई है, उपार्जन, सबको हम लोगों ने ट्रांसपोर्ट कर लिया है. कोई वहां पर बकाया नहीं है.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- ट्रांसपोर्ट गीला गेहूँ हुआ है और गीले गेहूँ को उठाने की व्‍यवस्‍था बारिश से पहले की जा सकती थी, डेट खत्‍म हो गई थी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से वहां पर माल पड़ा रहा और हमारे जिन किसानों की खरीदी नहीं हुई, माननीय मंत्री जी, उनके बारे में जवाब चाहिए.

          श्री बिसाहूलाल सिंह -- देखिए, ये गेहूँ और चना, जब किसान उपार्जन केन्‍द्रों पर ले जाता रहा, तब वह भीगा. उपार्जन केन्‍द्रों पर किसानों ने बेचा तो जितना गेहूँ, चना भीगा, उसको हमने समिति के ऊपर छोड़ दिया है, उनसे हम वसूली भी कर रहे हैं, क्‍योंकि जितना अच्‍छा गेहूँ था, हमने खरीद लिया और उसका ट्रांसपोर्ट भी कर दिया. किसानों का वहां पर कोई बकाया नहीं है.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय मंत्री जी, मेसेज की दिक्‍कत आने की वजह से सैकड़ों किसान जो रह गए, उनके बारे में आपने कोई जवाब नहीं दिया.

          श्री बिसाहूलाल सिंह -- गेहूँ खरीदी या चना खरीदी के पहले जितने किसान हैं, सबको हम लोग मेसेज देते हैं, उनका पंजीयन होता है, इसके बाद खरीदी होती है.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय मंत्री जी, मेसेज आने के बाद भी खरीदी नहीं की गई.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक 5, श्री यशपाल सिंह सिसौदिया.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है आपसे, इसमें एक पूरक प्रश्‍न और है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- उसी प्रश्‍न को बार-बार आप पूछ रहे हैं, जवाब दे दिया, अब हो गया. प्रश्‍न क्रमांक 5.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक प्रश्‍न मंडी का इसमें लगा हुआ है कि कृषि उपज मण्‍डी, विदिशा के नवनिर्मित परिसर में प्‍लाटों की दर तय कर कब तक नवीन मण्‍डी परिसर में कृषि उपज तुलाई कार्य प्रारंभ किया जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री यशपाल सिंह सिसौदिया, अपना प्रश्‍न पूछें. 

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ..(व्‍यवधान)..

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा पूरा प्रश्‍न तो हो जाए. पूरे प्रश्‍न का जवाब नहीं आएगा तो फिर प्रश्‍न पूछने का मतलब ही नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जवाब तो वे दे रहे हैं. जवाब आप लेते नहीं हैं, दूसरी तरफ बात करते हैं. जवाब तो दिया उन्‍होंने.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कृषि मण्‍डी का जो प्रश्‍न लगा है, उसका तो जवाब नहीं दिया गया है. मेरा प्रश्‍न इसमें यह है कि कृषि उपज मण्‍डी, विदिशा के नवनिर्मित परिसर में प्‍लाटों की दर कब तय की जाएगी और कब इन्‍हें नीलाम किया जाएगा. नवीन मण्‍डी को बने हुए तीन साल हो गए, लेकिन आज तक वहां पर तुलाई नहीं हो रही है, इसका कारण यह है कि वहां पर ऑफसेट प्राइज़ जो कलेक्‍टर रेट है, वह अत्‍यधिक होने की वजह से व्‍यापारी नहीं खरीद रहे हैं और उसके लिए हमने कई बार यह प्रयास किया कि वहां के रेट कम किए जाएं, ऑफसेट वेल्‍यु के हिसाब से और जो पुरानी लीज जो पुरानी मण्‍डी में है, उसका कम्‍पनसेशन दिया जाए, लेकिन सरकार की तरफ से आज तक कोई जवाब नहीं आया है.

          श्री बिसाहूलाल सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये जो दूसरी मण्‍डी की बात कर रहे हैं, जहां पर खरीदी केन्‍द्र खोला जाए, ये प्रस्‍ताव शासन स्‍तर पर विचाराधीन है, हो जाएगा तो तत्‍काल खोल दिया जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है. प्रश्‍न क्रमांक 5, श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी.

 

          खाद घोटाले में ट्रांसपोर्टर पर FIR दर्ज की जाना

[सहकारिता]

5. ( *क्र. 24 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 02 दिसंबर, 2020 को मंदसौर नीमच जिलों में ट्रांसपोर्टर व्यवसाई द्वारा गेहूँ उपार्जन तथा खाद को सोसाइटी तक पहुंचाने में हेराफेरी का प्रकरण विभाग के प्रकाश में आया है? इसमें क्या अनियमितता हुई है? (ख) क्या सोसाइटियों को ठेकेदार द्वारा खाद परिवहन जो की RO के माध्यम से जिला विपणन विभाग से जारी हुआ बताकर स्टेट वेयर हाऊसिंग मंदसौर से खाद सोसाइटियों तक पहुँचाना था, वह पहुंचा ही नहीं, जिससे ट्रांसपोर्टर द्वारा 3 करोड़ 50 लाख का घोटाला प्रकाश में आया? क्या ठेकेदार के पिता वेयर हॉउस में चौकीदार पद पर कार्यरत हैं, जिससे दोनों की मिलीभगत से खाद की चोरी हुई? यदि हाँ, तो इतने बड़े घोटाले में पुलिस F.I.R. क्यों दर्ज नहीं कराई गयी और कार्यवाही के नाम पर मात्र कुछ सोसाइटियों के प्रबंधकों को निलंबित कर खानापूर्ति की गयी? (ग) क्या घोटाला मीडिया में उजागर होने के पश्चात परिवहन ठेकेदार ने शपथ पत्र दिनांक 07 दिसंबर, 2020 को देते हुए लिखा कि‍ घोटाले की 3 करोड़ 50 लाख की राशि मेरे परिवहन के बिलों के भुगतान में समायोजित कर ली जाये? क्या यह शपथ पत्र विधि सम्मत है? यदि नहीं, तो ठेकेदार के खिलाफ FIR कब तक दर्ज करा दी जायेगी?

सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) मंदसौर एवं नीमच जिले में परिवहनकर्ता द्वारा खाद को सोसायटी तक पहुंचाने में हेराफेरी का प्रकरण प्रकाश में आया है एवं गेहूँ उपार्जन की कोई हेरा-फेरी प्रकाश में नहीं आई है। विपणन संघ द्वारा म.प्र. स्‍टेट वेयर हाउसिंग एण्‍ड लाजिस्टिक्‍स कार्पोरेशन पिपल्‍या मण्‍डी में भंडारित किये गये उर्वरक की अफरा-तफरी वेयर हाउस के कर्मचारी श्री ठाकुर प्रसाद तिवारी एवं परिवहनकर्ता श्री कमल तिवारी द्वारा समितियों में उर्वरक के आर.ओ. का दुरूपयोग कर की गई है। (ख) जी हाँ, सोसायटियों के लिये बैंक द्वारा जारी आर.ओ. एवं चेक की प्रति विपणन संघ के द्वारा म.प्र. स्‍टेट वेयर हाउसिंग एण्‍ड लॉजिस्टिक्‍स कॉर्पोरेशन पिपल्‍या मण्‍डी के गोदाम में भण्‍डारित स्‍कंध सोसायटियों को प्रदाय नहीं करते हुए ट्रांसपोर्टर द्वारा गोदाम के चौकीदार से मिलकर अनुमानित राशि रू. 4,63,79,443/- (अनुदान सहित) की हेरा-फेरी किया जाना पाया गया है। जी हाँ, विपणन संघ द्वारा प्रकरण में विधिक अभिमत प्राप्‍त किया जा रहा है, प्राप्‍त विधिक अभिमत अनुसार विपणन संघ के स्‍तर से कार्रवाई की जावेगी। प्रकरण में उप आयुक्‍त सहकारिता द्वारा कराई गई जाँच प्रतिवेदन के अनुक्रम में दोषियों के विरूद्ध प्राथमिकी एवं अन्‍य कार्रवाई हेतु विपणन संघ को पत्र दिनांक 15.02.2021 प्रेषित किया गया है। (ग) जी हाँ, परिवहनकर्ता द्वारा खाद की गबन की राशि का समायोजन उपार्जन के परिवहन देयकों से करने हेतु शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है। शपथ पत्र नोटरी के समक्ष शपथ लेकर प्रस्‍तुत किया गया है, शपथ पत्र के परिप्रेक्ष्‍य में विपणन संघ द्वारा राशि रू. 3,32,52,285.17 का समायोजन आज दिनांक तक कर लिया गया है, विपणन संघ द्वारा शेष वसूली योग्‍य राशि प्राप्ति हेतु विधिक अभिमत उपरांत विधिक कार्रवाई की जावेगी। प्रकरण में उप आयुक्‍त सहकारिता द्वारा कराई गई जाँच प्रतिवेदन के अनुक्रम में दोषियों के विरूद्ध प्राथमिकी एवं अन्‍य कार्रवाई हेतु विपणन संघ को लिखा गया है।

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तारांकित प्रश्‍नोत्‍तरी में मेरा प्रश्‍न है और मेरे प्रश्‍न का जवाब माननीय मंत्री जी की तरफ से आ चुका है. मैं उसके विस्‍तार में नहीं जाऊंगा. आपका सरंक्षण चाहते हुए माननीय मंत्री से मैं सीधे-सीधे प्रश्‍न करूंगा. मैं यह भी जानता हूँ कि माननीय सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद भदौरिया जी बहुत निष्‍पक्ष और बहुत कर्मठ मंत्री हैं और मुझे उनसे पूरी उम्‍मीद है. अध्‍यक्ष महोदय, मंदसौर जिले में 2 दिसंबर, 2020 को यूरिया, डीएपी, एनपीके-12:32:16 तथा एमओपी, अध्‍यक्ष महोदय, वह खाद जो नीमच और रतलाम के रेकप्‍वॉइंट से निकला और उस खाद को सोसाइटियों तक जाना था और सोसाइटियों के माध्‍यम से किसानों तक जाना था. इसमें तीन विभागों की कहीं न कहीं साझेदारी और जिम्‍मेदारी बनती है. यह बात भी सही है कि विभाग ने अपनी तरफ से परिश्रम करके करीब 4 करोड़ के उस गबन में, उस घोटाले में, उस हेराफेरी में, आश्‍चर्य इस बात का भी है कि जो ठेकेदार है, उसका पिता चौकीदार भी है. ठेकेदार और पिता चौकीदार, दोनों ने मिलकर के आरओ बनवा लिया और सोसाइटियों के माध्‍यम से खाद किसानों तक पहुँचने के बजाय बीच में हेराफेरी हो गई.

             माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 19 फरवरी 2021 को सुश्री जेनिफर ने एफआईआर दर्ज की, जोकि जिला विपणन अधिकारी महोदया हैं उन्‍होंने पिपलिया मंडी के थाना क्षेत्र में पिता-पुत्र दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवा दिया है. एक शपथ पत्र में भी ठेकेदार ने इस बात की स्‍वीकारोक्ति प्रदान की है कि मुझे शासन से बिलों का जो भुगतान होना है उसमें से जो हेरा-फेरी की है, जो मैंने गबन किया है, चोरी-चकारी की है, उस राशि को समायोजित कर लिया जाए. अभी भी करीब डेढ़ करोड़ रुपए की राशि ठेकेदार को उन बिलों के अगेंस्‍ट लेना बाकी है. मैं माननीय मंत्री जी से सीधा-सीधा यह जानना चाहूंगा, यह उम्‍मीद करुंगा कि क्‍या ठेकेदार की शेष डेढ़ करोड़ रुपए की राशि कैसे प्राप्‍त होगी, क्‍या उसकी सम्‍पत्ति को राजसात किया जाएगा और यह वैधानिक भी है, विधिसम्‍मत भी है.

          मैं माननीय मंत्री जी से यह भी जानना चाहूंगा कि जो ठेकेदार है, उस ठेकेदार ने क्‍या पिछले 5-10 वर्षों से कोई अनुबंध करके इतना बड़ा काम हाथ में लिया है. मुझे जानकारी मिली है कि न तो ठेकेदार को कार्यादेश मिला है और न उनका कोई अनुबंध निष्‍पादित है. ऐसी स्थिति में यदि वह बिना अनुबंध के कोर्ट जाएगा, तो मुझे लगता है कि यह राशि भी वसूल नहीं हो पाएगी और जो राशि वसूल कर ली गई है वह भी शायद उसको शासन को लौटाना पड़ जाएगा. इसमें एक अनुबंध की कमी है. मैं मंत्री जी यह जानना चाहता हॅूं कि अनुबंध की क्‍या प्रक्रिया हुई, उसका वर्कऑर्डर हुआ या नहीं ? शेष राशि, सम्‍पत्ति उसकी किस प्रकार से राजसात होगी ? तीसरा जिला सहकारी केन्‍द्रीय बैंक के जो महाप्रबंधक हैं उनका और उन सोसायटियों के संबंध में हमें यह भी जानकारी मिली थी कि कुछ प्रबंधकों को निलंबित कर दिया गया, मैंने इस संबंध में प्रश्‍न भी पूछा था. कुछ सोसायटियों के प्रबंधकों को निलंबित कर दिया गया है. केवल खानापूर्ति की गई. मेरा यही कहना है कि क्‍या उन सोसायटियों के प्रबंधकों को निलंबित कर दिया गया था ?

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सिसौदिया जी जो बोल रहे हैं आशय यह है कि XXX है.    

     अध्‍यक्ष महोदय -- इसको रिकार्ड न करें. आप प्रश्‍न करिए.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- यह आपके ही कालखंड का है. मुझे कहलवाइए मत. दिसम्‍बर में आपकी सरकार थी. दिसम्‍बर 2020 की घटना है. 2 दिसम्‍बर को घोटाला हुआ है. आपके ही संरक्षण में हुआ होगा. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि जिला सहकारी केन्‍द्रीय बैंक के प्रबंधक विपणन संद्य और स्‍टेट वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन इन सबकी क्‍या..(व्‍यवधान)...

          श्री कुणाल चौधरी -- यह आपने बताया कि 5 साल, 10 साल का मामला इकट्ठा हुआ तब आपकी सरकार थी.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनकी क्‍या जिम्‍मेदारी है और क्‍या एक उच्‍चस्‍तरीय समिति भोपाल स्‍तर पर बनाने से पहले, क्‍योंकि इसमें ऑडिट का भी सवाल आएगा, मैं चाहता हॅूं कि इसकी बहुत निष्‍पक्ष जांच हो.

          श्री बापूसिंह तंवर -- मंत्री जी बदल गए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.

          डॉ.अरविंद सिंह भदौरिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं एक सेकेंड में आपका भी धन्‍यवाद देता हॅूं. मंत्री बनने के बाद पहली बार प्रश्‍न कर रहे हैं माननीय सिसौदिया जी बडे़ विद्वान व्‍यक्ति हैं. बडे़ चिन्‍तक, विचारक हैं बडे़ नॉलेजिबल व्‍यक्ति हैं, उनका भी धन्‍यवाद देता हॅूं कि आप मुझसे प्रश्‍न कर रहे हैं.  माननीय मुख्‍यमंत्री जी और सदन का भी धन्‍यवाद देता हॅूं जो माननीय सिसौदिया जी ने जो विषय उठाए हैं वह महत्‍वपूर्ण हैं पिछली सरकार के समय, चाहे सरकार कोई भी हो, हमारी हो या आपकी हो किसी की भी हो उस समय जो आपने कहा और अनियमितता जो हुई है उससे 3 करोड़ 58 लाख रुपए की जो भी अनियमितता उस समय हुई थी इसके अतिरिक्‍त खाद्य सब्सिडी 1 करोड़ 37 लाख रुपए थी जो कुल मिलाकर 4 करोड़ 95 लाख रुपए की राशि होती है. इसमें से अभी तक 3 करोड़ 32 लाख रुपए उनसे वसूल कर लिया गया है लेकिन जो सब्सिडी की राशि है वह 1 करोड़ 63 लाख रुपए वसूली की कार्यवाही जारी है. अब आपने मुझे जो प्रश्‍न किया है ट्रांसपोर्टर के खिलाफ एफआईआर हो गई, उनके पिताजी के खिलाफ एफआईआर हो गई है तो जो इसमें सहकारी समितियों के प्रबंधक थे उनके खिलाफ भी एफआईआर कर दिया है जो बाकी बचा हुआ पैसा है वह भी उनसे वसूली कर रहे हैं. एक आपने प्रश्‍न किया है कि क्या उनकी संपत्ति को राजसात किया जाएगा? तो सहकारी अधिनियम में संपत्ति को राजसात करने, कुर्की तथा नीलामी का प्रावधान है. इसके अन्तर्गत कार्यवाही जरूर कराएंगे, आप निश्चिन्त होकर रहिए. आवश्यकता पड़ने पर सहकारी अधिनियम के अलावा भी अन्य एजेन्सियों के द्वारा भी इस पर कुर्की की, राजसात करने की, कार्यवाही कराएंगे, हंड्रेड परसेंट. दूसरा आपका एक प्रश्न है कि इसमें वहाँ के महाप्रबंधक और भी लोग, आपको डाउट है, ऐसे तीन विभागों का इसमें इन्वॉल्वमेंट था और तीनों विभागों के लिए, आपने मांग नहीं की है, मैं घोषणा करना चाहता हूँ कि उच्च स्तरीय एक कमेटी बनाकर तीनों विभागों के संबंधित जो भी अधिकारी, कर्मचारी, होंगे उनको छोड़ा नहीं जाएगा, उन पर एफ आई आर कराई जाएगी, जो भी दोषी होगा उस पर कार्यवाही की जाएगी, तो यह भी हम एक जाँच दल गठित कर देते हैं. इस पर और कुछ आपका प्रश्न हो?

            श्री सज्जन सिंह वर्मा--  कमेटी में विधायक जी को रखोगे कि नहीं?

            श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  नहीं मेरी जरुरत नहीं है, मुझे विश्वास है.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  आपने तो कहा कि मुझे रखो.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  वह लाखन जी ने बोला था.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  (XXX)

            अध्यक्ष महोदय--  यह रिकार्ड न करें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  लाखन जी ने बोला था, मैंने नहीं बोला था.

          अध्यक्ष महोदय--  उन्होंने खुद मना किया है.

          डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया--  चौकीदारी उस समय आपके नेता माननीय जी कर रहे थे. जो अभी सदन में नहीं हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय मंत्री जी......

          श्री तरुण भनोत--  माननीय मंत्री जी वक्तव्य दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री जी चौकीदारी कर रहे थे, तत्कालीन....

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं, ऐसा नही.

          श्री तरुण भनोत--  उन्होंने कहा है...

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, यह नहीं कहा.

          श्री तरुण भनोत--  उन्होंने कहा है...

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, यह नहीं कहा, गलत.

          श्री तरुण भनोत--  तो क्या मुख्यमंत्री चौकीदारी करते हैं?

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं.

          श्री तरुण भनोत--  (XXX)

अध्यक्ष महोदय--  गलत अर्थ मत लगाइये.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  तरुण भाई, मेरा प्रश्न तो आ जाने दो.

          एक माननीय सदस्य--  आपको क्यों लग रहा है तरुण भाई, उन्होंने तो एक बार भी नहीं बोला कि आपके (XXX) थे.

          श्री तरुण भनोत--  हमने तो सुना था, मुख्यमंत्री नहीं, अभी तक तो चौकीदार प्रधानमंत्री सुने थे. ..(व्यवधान)...

          राजस्व मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत)--  चौकीदार होना गर्व की बात है.

          श्री तरुण भनोत--  आप तो मत बोलो.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--  हम बार बार कह रहे हैं....(व्यवधान)...

          श्री तरुण भनोत--  आप तो बैंगलूरू में चौकीदारी कर रहे थे.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--  सुनो, सारे लोगों...(व्यवधान)..

          श्री तरुण भनोत--  आपकी बात तो सुनेंगे ही नहीं. ...(व्यवधान)..

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--  जो यहाँ उपस्थित नहीं है.... ...(व्यवधान)..

          श्री तरुण भनोत--  माननीय, आपके पुराने भाषण भी हैं. ...(व्यवधान).. आपके युवक काँग्रेस के अध्यक्ष के रूप से लेकर आपके सारे भाषण हैं. आप भूल जाते हैं आप कहाँ हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  अरे सुनिए तो. आप बैठ तो जाइये.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--  अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ कि तरुण जी और तरुण जी के नेता सच सुन रहे होते तो यह दुर्दशा नहीं होती, जो आज तुम्हारी हो रही है.

          श्री तरुण भनोत--  आपको गलतफहमी है कि हमारी दुर्दशा हुई. यह तो आप अपने अन्दर झांक कर देखिए कि दुर्दशा किसकी हुई, कैसे थे और कैसे हो गए. ...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  तरुण जी, बैठ जाइये.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय अध्यक्ष जी, मेरा सिर्फ यह निवेदन है....

          अध्यक्ष महोदय--  आपके पक्ष में सब कह दिया, जो आप चाहते थे, सब कर दिया.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  अध्यक्ष जी, क्या इन अधिकारियों के रहते हुए जाँच संभव हो पाएगी?

          डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया--  माननीय यशपाल जी, हमारे मित्र, आपकी मंशा से भी मैं सहमत हूँ, आप बड़े सजग विधायक भी हैं, आवश्यकता पड़ेगी तो जो वहाँ महाप्रबंधक हैं, अभी प्रथमदृष्टया वह जाँच में नहीं आए, जो हमने जाँच कराई उसमें, आवश्यकता पड़ेगी, जो कमेटी मैंने घोषित की है उसमें कहीं थोड़ा सा भी ध्यान आएगा तो उनको भी हटाकर भी जाँच करवा लेंगे. दूसरा, आगे भी कभी इस प्रकार की गड़बड़ियाँ न हों, क्योंकि हमारे नेता संजीदे हैं, तो इसके लिए भी बड़ा ट्रांसपरेंट सिस्टम अभी हमने खड़ा किया है. इसके समिति स्तर पर बैंक ब्रांच को डिमांड का आर ओ एवं चेक जारी करना तथा गोदाम द्वारा समिति को उर्वरक स्थानांतरण और आपूर्ति की प्रक्रिया ऑन लाइन कर दी गई है. इसी तरह समिति द्वारा उर्वरक प्राप्ति की पावती भी अब ऑन लाइन कर दी गई है. भविष्य में समिति स्तर पर एवं गोदाम स्तर पर उपलब्ध स्टॉक को नागरिकों द्वारा ऑन लाइन देखा जा सकेगा. इस प्रकार पूरी प्रक्रिया बहुत पारदर्शी बनाई गई, आपके प्रश्न के बाद, उसके पहले भी उसका प्लान किया है इसलिए आप निश्चिंत होकर रहिए. आपको और भी कुछ लगता है तो लिखित में दीजिए बिल्कुल हंड्रेड परसेंट पारदर्शिता रहेगी.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय मंत्री जी, आपको बहुत बहुत धन्यवाद. जांच दल कब तक गठित कर देंगे.

          डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया -- कल ही घोषित कर देंगे. आगे का प्रश्न भी करिए कि कितने समय में जांच करा लेंगे.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- कितने समय में जाँच करवा लेंगे.

          डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया -- 4 महीने में हम इसकी जाँच करवा लेंगे और कम में यदि कराना है तो 3 महीने में भी करा लेंगे.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- धन्यवाद मंत्री महोदय, तीन महीने में जाँच करवा लें.

          हरपुरा सिंचाई परियोजना फेस-2 का कार्य प्रारंभ किया जाना

[जल संसाधन]

6. ( *क्र. 1230 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या प्रश्‍नकर्ता द्वारा हरपुरा सिंचाई परियोजना फेस-2 का बंद कार्य पुन: चालू कराने एवं पराई नदी पर परेवा बांध बनाये जाने बाबत् विधानसभा में तारांकित/अतारांकित प्रश्‍न किये जा रहे हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर बतायें कि जामिनी नदी पर हरपुरा सिंचाई परियोजना बनाने के पूर्व क्‍या उत्‍तर प्रदेश की सीमा पर भैराट बांध बनाया जा रहा था? अगर हाँ तो उस समय पानी की साध्‍यता फिर क्‍यों दी गई थी और बाद में फेस-2 के कार्य हेतु क्‍यों साध्‍यता निरस्‍त कर दी गई है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर बतायें कि जब फेस-1 का काम पूरा कराया गया तो विभाग को बम्‍हौरी बराना तालाब में भी फेस-2 का नहर द्वारा पानी भरने का कार्य भी पूरा किया जाना चाहिये था? ऐसा क्‍यों नहीं किया गया? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर बतायें कि फेस-2 हेतु जो साध्‍यता निरस्‍त कर दी गई है, उसकी पुन: गणना करवाकर साध्‍यता दी जावेगी तो कब तक? विभाग ऐसा आदेश जारी करेगा तो कब तक और नहीं तो क्‍यों? प्रश्‍न दिनांक तक पराई नदी पर परेवा बांध बनाये जाने एवं उसकी वित्‍तीय एवं प्रशासकीय स्‍वीकृति शासन से प्राप्‍त कराने हेतु विभाग ने क्‍या-क्‍या कार्यवाही पूर्ण कर ली है? निश्चित समय-सीमा सहित बतायें कि कब तक परेवा बांध के टेण्‍डर हो जावेंगे?

जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं, तत्‍समय उत्‍तर प्रदेश द्वारा बांध बनाने संबंधी प्रक्रिया प्रचलन में नहीं थी। वर्तमान में जामनी नदी पर भैराट बांध निर्माणाधीन होना प्रतिवेदित है। (ग) फेस-1 में हरपुरा नहर की अधिकतम क्षमता 7 क्यूमेक पानी चलाने की रूपांकित होकर नहर का निर्माण कराया गया है। जामनी नदी पर उत्‍तरप्रदेश द्वारा भैराट बांध के निर्माण किए जाने सेहरपुरा नहर में पानी की उपलब्धता केवल 10 तालाबों को ही भरने की रह गई है। अत: अतिरिक्‍त तालाबों को भरने हेतु पानी की उपलब्धता न होने से हरपुरा विस्तार नहर फेस-2 तकनीकी रूप से असाध्‍य हो गई। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।                                      (घ) हरपुरा सिंचाई परियोजना फेस-2 तकनीकी रूप से असाध्य होने से वर्तमान में पुनः गणना करके योजना बनाने संबंधी कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। पराई नदी पर परेवा बांध का डी.पी.आर. तैयार किया जाना प्रतिवेदित है। डी.पी.आर. मैदानी स्‍तर पर परीक्षणाधीन होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता हैं।

          श्री हरिशंकर खटीक --  माननीय अध्यक्ष महोदय, यह टीकमगढ़ जिले से जुड़े हुए किसानों से संबंधित बहुत गंभीर मामला है. हमारे विनम्र अनुरोध के आधार पर मुख्यमंत्री महोदय ने वर्ष 2013 में नदी-तालाब जोड़ो योजना बनाई थी. इसके तहत टीमकगढ़ जिले की जामनी नदी से फेस-1 और फेस-2 के माध्यम से तालाबों में पानी भेजने का प्रस्ताव किया गया था. फेस-1 में दस तालाबों में पानी भरने की कार्यवाही प्रारंभ की गई. माननीय मलैया जी मंत्री थे उस समय मैं भी मंत्री था उसका भूमि पूजन भी किया गया था. जामनी नदी से फेस-1 और फेस-2 की हमने स्वीकृति दिलाई. फेस-2 से मेरे विधान सभा क्षेत्र में तालाब में पानी भेजने का मामला था उसके लिए पहले प्रशासनिक स्वीकृति जारी की गई. इसके  बाद फेस-1 से भी 10 तालाबों में पानी भेजने की स्वीकृति दी गई. फेस-1 का काम तो पूरा हो गया है. मेरे विधान सभा जतारा में बम्हौरी बराना तालाब में पानी पहुंचाने के लिए नहर का काम भी शुरु हुआ था परन्तु यह काम असाध्य घोषित कर दिया गया.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, सिलावट जी बहुत अच्छे मंत्री हैं मुझे विश्वास है कि किसानों के हित में हमें न्याय मिलेगा. मंत्री जी से विनम्र प्रार्थना है कि जब बम्हौरी बराना तालाब के लिए पहले स्वीकृति जारी हुई थी तो उसका काम पहले प्रारंभ क्यों नहीं कराया गया.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने बहुत गंभीर बात की है. फेस-1 से 10 जलाशयों को भरना था. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से अनुरोध करना चाहूँगा. उस नदी से जो 10 जलाशय भरने की बात कही है उसमें से मात्र 5 भरते हैं. वर्ष 2017-18 में 5 तालाब भरे गये. वर्ष 2020-21 में भी 5 तालाब भरे गए उसके बाद भी 5 तालाब खाली हैं. फेस-2 जो माननीय सदस्य के विधान सभा क्षेत्र में आता है, मैं मानता हूँ कि इसकी प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 12.2.2013 में प्राप्त हुई थी. यह परियोजना 33 करोड़ 18 लाख रुपए लागत की थी. जिसके अन्तर्गत हरपुरा फेस-1 से नहर निर्माण बम्हौरी, बराना, देवगोंडा जलाशयों में पानी भरा जाना प्रस्तावित था.   हरपुरा फेस-2 परियोजना के लिए दिनांक 10.2.2013 को निविदा आमंत्रित की गई थी किन्तु किसी भी एजेंसी द्वारा निविदा में भाग नहीं लिया गया. किसी भी एजेंसी के द्वारा निविदा में भाग न लेने के बावजूद भी माननीय सदस्य की किसान के प्रति रुचि को देखते हुए विभाग द्वारा नहर की खुदाई का काम प्रारंभ किया गया था, किन्तु ग्रामीणों के विरोध के कारण कार्य रोक दिया गया था. तीसरा कारण उल्लेखनीय है कि देवगोंडा जलाशय में नहर द्वारा पानी भरा जाना था परन्तु ऊंचाई नहर के लेवल से अधिक थी. यह तीन कारण थे जिसके कारण फेस-2 हम पूरा नहीं कर सके.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानीय सदस्य को यह आश्वस्त करता हूँ कि उनकी सुविधा के अनुसार हमारे विभाग के अधिकारियों की एक टीम बनाकर सिंचाई योजना की क्या वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है इसका पूरी परीक्षण किया जाएगा और तद्नुसार निर्णय लिया जाएगा.

          श्री हरिशंकर खटीक --  माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने बताया कि दिनांक 10.2.2013 को फेस-2 के टेंडर बुलाए गए थे परन्तु टेंडर नहीं आए तो टेंडर दोबारा भी बुलाए जा सकते थे. दूसरी बात मंत्री जी ने बताई कि स्थानीय लोगों द्वारा आपत्तियाँ की गईं. मैं बताना चाहता हूँ कि एक परिवार के सात लोगों के द्वारा कलेक्टर के पास आपत्ति लगाई गई कि इससे हमारी जमीन डूब क्षेत्र में जा रही है, इस पर रोक लगाई जाए. इसके संबंध में मैं 8-10 बार विधान सभा प्रश्न लगा चुका हूँ जिसके उत्तर की प्रति मेरे पास उपलब्ध है. क्या एक परिवार के कारण 40 गांव के लोगों का नुकसान किया जा सकता है. दूसरी बात जो आपने कही कि देवगोंडा की ऊंचाई वहां से अधिक हो रही थी तो बम्‍हौरी बराना के तालाब के लिए रूट चेंज करके भी उसकी योजना बनाई जा सकती थी. अभी एक बात और आपके सामने आएगी कि उत्‍तर प्रदेश में बैराज बांध बन रहा है जामिनी नदी उत्‍तर प्रदेश की सीमा से निकलकर आई हुई है उस डेम का काम आज भी चल रहा है. उत्‍तर प्रदेश में बैराज डेम के कारण उसकी साध्‍यता निरस्‍त कर दी गई.

          अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी यह बताएं कि‍ बैराज डेम पहले से बन रहा है या बाद में बन रहा था? और यह भी  बताएं कि जब बैराज डेम बन रहा है तो क्‍या उस डेम का काम अधूरा है और यदि काम अधूरा है तो क्‍या अधूरे काम में बैराज डेम में जामिनी नदी का पानी नहर के द्वारा पहुंचाया जा सकता है? यदि कागजों के माध्‍यम से पहुंचाया जा सकता है तो यह बताएं कि जो पानी उसमें गया है उसके आधार पर क्‍या साध्‍यता निरस्‍त कर दी है और साध्‍यता निरस्‍त की है तो क्‍यों निरस्‍त की है?

          श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह स्‍पष्‍ट कर चुका हूं कि मुख्‍य तीन कारण थे. सम्‍माननीय विधायक जी ने कहा कि हम कलेक्‍टर से कई बार मिले एक ही परिवार थे, 29 लोगों के कारण यह योजना निरस्‍त की गई. हमारे सम्‍माननीय विधायक जी इतने सजग हैं, इतने जागरुक हैं मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि आप उनसे सम्‍पर्क कर लीजिए मैं भी उनसे सम्‍पर्क कर लूंगा और यह जो       उत्‍तर प्रदेश सीमा पर बांध की बात की है वह आपको पता है कि फेस-2 के बाद हुआ और आपने जामिनी नदी में जो पानी की कमी की बात कही है अध्‍यक्ष महोदय, मेरे सम्‍माननीय सदस्‍य को मेरे से ज्‍यादा बेहतर पता है कि पानी की कमी है. मैं आपको आश्‍वस्‍त कर रहा हूं कि आपके कहने पर तकनीकी रूप से मैं पुन: परीक्षण करवाकर प्रयास करूंगा कि आपकी जो इच्‍छा है, जो मंशा है कि आपके क्ष्‍ेात्र में सिंचाई का काम प्रारंभ हो मैं इसका पूरा भरोसा दिलाता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय--खटीक जी, मंत्री जी को धन्‍यवाद तो कह दीजिए.

          श्री हरिशंकर खटीक-- अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद दे देंगे और मंत्री जी बहुत अच्‍छा जवाब भी दे रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- खटीक जी आपका प्रश्‍न पूरा हो चुका है.

          श्री हरिशंकर खटीक-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा इसमें एक और अनुरोध है कि बराना बमौरी के तालाब में जामिनी नदी का बारिश का पानी पहुंच जाएगा तो इससे चालीस गांवो के किसानों को इसका लाभ मिलेगा. मेरा अनुरोध है कि बामौरी बराना के तालाब के लिए आप यह कहें कि जो इसकी साध्‍यता निरस्‍त कर दी गई है आप उसे पुन: बहाल कराएंगे और बहाल कराने के बाद उसका काम करांएगे क्‍योंकि उसके लिए 33 करोड़ 19 लाख रुपए आज भी प्रशासन से स्‍वीकृत है. इसकी प्रशासकीय स्‍वीकृति आज भी है. हम कोई नए काम की स्‍वीकृति नहीं चाहते हैं. आप यह बोलिए कि आप इसको कराएंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपको कह दिया है कि आपसे पूछकर करेंगे.

          श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसका परीक्षण करवा लू्ंगा.

          श्री हरिशंकर खटीक-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक प्रश्‍न और पूछना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- हरिशंकर जी आपका प्रश्‍न पूरा हो गया है. आप तीन प्रश्‍न से ज्‍यादा पूछ चुके हैं. आप पांच, छ: प्रश्‍न आप पूछ चुके हैं. इसमें बृजेन्‍द्र सिंह जी आपकी मदद करेंगे. मैं बृजेन्‍द्र सिंह जी को अनुमति दे रहा हूं. कृपया कर आप बैठ जाइए. आपका प्रश्‍न हो गया है.

          श्री हरिशंकर खटीक--  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है. यह इसी से संबंधित है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने उत्‍तर दे दिया है और मैंने बृजेन्‍द्र जी का नाम भी ले लिया है.

          श्री हरिशंकर खटीक--  मंत्री महोदय इसमें शासकीय स्‍वीकृति कब तक जारी कर दी जाएगी?

          श्री तुलसीराम सिलावट-- मैं सम्‍माननीय सदस्‍य को यह आश्‍वस्‍त करता हूं कि अतिशीघ्र कर दिया जाएगा.

          श्री हरिशंकर खटीक-- धन्‍यवाद माननीय मंत्री जी.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी माननीय विधायक जो बात रख रहे थे निश्चित रूप से वह जिले की सिंचाई के लिए बहुत ही आवश्‍यक है क्‍योंकि टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले ऐसे हैं कि वहां हर दूसरे साल सूखा पड़ जाता है और जब तक हम नदियों से तालाबों को नहीं जोड़ेंगे तब तक वहां की समस्‍या हल नहीं होगी. अभी माननीय मंत्री जी ने उत्‍तर दिया कि फेस-। में दस तालाबों को जोड़ना था केवल पांच भरे जा सके हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपको मैंने सलाह देने के लिए समय दिया है. इसमें क्‍या हो सकता है आप यह बताइए.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्‍वाइंटेड ही पूछ रहा हूं.यह जो पांच तालाब भरे गए आप यह क्‍यों स्‍वीकार नहीं कर रहे हैं कि कहीं न कहीं आपकी जो टेक्निकल विंग थी उनकी कमी रही है जिसकी वजह से यह पूरे कि पूरे तालाब नहीं भरे गए हैं. क्‍या अभी उसमें पैसा बचा है जिससे कि बकाया शेष 5 तालाब भरेंगे. आज भी वे 5 तालाब खाली हैं.

          श्री तुलसीराम सिलावट-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे सम्‍माननीय सदस्‍य बहुत वरिष्‍ठ हैं. मैंने कहा कि जो 5 तालाब नहीं भरे हैं, वे पानी की कमी की वजह से नहीं भरे हैं. मैं इनके संज्ञान के लिए बता रहा हूं.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर-  मंत्री जी, आप तो वह बता रहे हैं, जो आपको लिखकर दिया गया है. मेरी मंशा केवल विरोध करना नहीं है.

          श्री तुलसीराम सिलावटमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इनकी भावना से अवगत हूं. यदि और कहीं का भी इनके संज्ञान में है क्‍योंकि यह सिंचाई का मामला है, किसानों का मामला है, यदि ये मुझे बता देंगे तो मैं कोशिश करूंगा.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत ही गंभीर मामला है. यदि आपने योजना बनाई और नदी के अंदर आज भी भरपूर पानी है. 10 नहीं 50 तालाब भरे जा सकते हैं और जब 10 तालाब भरने की योजना आपने बनाई तो कुछ सोच-समझकर ही बनाई होगी. पानी की पर्याप्‍त उपलब्‍धता के आधार पर बनाई गई होगी. जैसा कि हमारे साथी कह रहे थे कि उन्‍होंने योजना मंजूर करवाई थी और उसमें बहुत पैसा खर्च हुआ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हकीकत यह है कि यदि आज भी इसकी उच्‍च स्‍तरीय जांच होगी तो पता चलेगा कि वह पैसा भ्रष्‍टाचार की बलि चढ़ गया. नहरों की जो वास्‍तविक गहराई होनी चाहिए थी, वह नहीं की गई. हमने जिला योजना समिति में भी इस बात को उठाया था. इसलिए हम चाहते हैं कि इसकी एक उच्‍च स्‍तरीय जांच हो, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. आज भी पानी की कमी नदी में नहीं है. फेस-2 भी पूरा हो सकता है और फेस-1 तो पूरा हो ही जाना चाहिए था.

          श्री तुलसीराम सिलावटमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह किसानों का मामला है. गंभीर मामला है. मुझे इसमें कोई शंका-कुशंका नहीं है. मैं इसकी पूरी जांच करवा लूंगा.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यदि आपकी अनुमति हो तो मेरा क्षेत्र भी इससे जुड़ा हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आपका क्षेत्र वहां से बहुत दूर है. आप इन लोगों के साथ अपना क्षेत्र मत जोडि़ये, हमारे साथ रहिये.

 

 

 

 

बाणसागर एवं गुलाबसागर की नहरों के कार्यों की जांच

[जल संसाधन]

7. ( *क्र. 1247 ) श्री शरदेन्दु तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले में चुरहट विधान सभा के अंतर्गत गुलाब सागर बांध की मुख्‍य नहर एवं माइनर के काम में भारी अनियमितता हुई है, जिस कारण जगह-जगह सीपेज एवं नहरों के फूट जाने की समस्‍या बनी रहती है? अब तक इस हेतु क्‍या कार्यवाही की गयी है? यदि जाँच हुई है तो उसकी रिपोर्ट देवें? यदि नहीं, तो कब तक गुलाब सागर के घटिया कार्यों की जाँच हो जायेगी? (ख) अब तक गुलाब सागर परियोजना में नहरों हेतु कितनी धनराशि खर्च की गयी है? किन-किन संविदाकारों ने नहरों के काम किए हैं? इनकी ऑडिट रिपोर्ट क्‍या है? पृथक-पृथक संविदाकार, नहरों पर खर्च हुयी धनराशि‍ की वर्षवार जानकारी देवें। (ग) बाणसागर बांध से चुरहट क्षेत्र के वंचित गांवों में सिंचाई हेतु लिफ्ट एरीगेशन की क्‍या योजना है?

जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) सीधी जिले में चुरहट विधानसभा के अंतर्गत गुलाब सागर बांध की मुख्‍य एवं माइनर नहरों के काम में कोई अनियमितता नहीं हुई है। कार्य गुणवत्‍ता पूर्ण निर्धारित मापदण्‍डों के अनुसार संपादित कराया गया है। मुख्‍य नहर एवं माइनर नहरों में सीपेज एवं नहर फूटने की समस्‍या नहीं है। अत: किसी कार्यवाही एवं जाँच का प्रश्‍न  उपस्थित नहीं होता। (ख) गुलाब सागर परियोजना के नहरों के निर्माण में रू. 214.88 करोड़ व्‍यय किया जाना प्रतिवेदित है। संविदाकार एवं कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। निर्माण कार्यों का विभागीय अधिकारियों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किया गया है। किसी भी अधिकारी द्वारा कोई प्रतिकूल टीप नहीं दिया जाना प्रतिवेदित है। (ग) लिफ्ट इरीगेशन की कोई योजना प्रस्‍तावित नहीं है।

परिशिष्ट - "एक"

 

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न माननीय मंत्री जी से गुलाब सागर बांध को लेकर था. मेरी विधान सभा क्षेत्र के लगभग 35 गांव से होकर गुलाब सागर बांध से निकलने वाली नहरें जाती हैं और उनका काम निम्‍न गुणवत्‍तापूर्ण था. मुझे प्राप्‍त जवाब में आया है कि उनका काम बहुत उच्‍च कोटि का था. इस संबंध में, मैं आपके सामने कुछ उदाहरण देना चाहता हूं. अभी फरवरी और अक्‍टूबर में मुख्‍य नहर का जो ईको डक्‍ट (ECO DUCT) है, वहां से दो बार नहर टूट चुकी है. माइनर नहर नंबर 4 और 10 अक्‍सर टूटती रहती है. जिसके कारण वहां भारी क्षति हुई है. 50 प्रतिशत लाइनिंग का काम नहीं हुआ है. भारी सीपेज के कारण किसानों का बहुत नुकसान हो रहा है. यद्यपि उत्‍तर में बहुत सारी जगहों का काम पूर्ण बताया गया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लेकिन मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि माइनर नहर नंबर 4, 5 और 6 का कार्य अभी-भी अपूर्ण है. मौके पर जा कर देखा जा सकता है. यहां त‍क कि नक्‍शे के हिसाब से जो 14 नंबर की माइनर नहर बननी थी, जो स्‍वीकृत नक्‍शा था, उसके आधार पर 14 नंबर की माइनर नहर नहीं बनी है. उसका एलाइ6नमेंट बदल दिया गया है. 15 नंबर की नहर में टेल तक पानी जाना चाहिए था. पानी वहां कभी पहुंचता ही नहीं है. जब फसल कटने को तैयार हो जाती है, तब जाकर वहां पानी पहुंचता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने वर्ष 2003 के बाद से अभी त‍क जो वहां नहरों को कार्य हुआ है, बहुत सारे लगभग 17 ठेकेदारों ने वहां कार्य किया है, उसमें कुछ ऑडिट हुआ होगा, तकनीकी ऑडिट और फाइनेंशियल ऑडिट दोनों की ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी, जो कि मुझे प्राप्‍त नहीं हुई है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्‍न बाण सागर बांध से संबंधित है. बाण सागर बांध का पानी चुरहट विधान सभा के शेष भाग से होकर जाता है और वहां काफी गांव ऐसे हैं जहां ऊंचाई होने के कारण वहां पानी नहीं पहुंच रहा है. उसके लिए मैं लिफ्ट एरीगेशन की योजना चाहता था. मैंने मंत्री महोदय से आग्रह किया था कि क्‍या ऐसी कोई योजना है तो जवाब प्राप्‍त हुआ है कि ऐसी कोई योजना नहीं है. इसलिए मैं यह जानना चाहता हूं कि ऐसी योजना कब तक बना ली जायेगी और गुलाब सागर बांध से संबंधित अनियमितता की जांच के बारे में मंत्री जी  क्‍या कहना चाहेंगे ?

          श्री तुलसीराम सिलावटमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे साथी की विधान सभा चुरहट में मुख्‍य एवं माइनर नहरों का निर्माण वर्ष 2003 में प्रारंभ होकर वर्ष 2010 में पूर्ण हो चुका है. वर्ष 2012-13 में ये नहरें प्रारंभ हो चुकी है और जिस प्रकार से माननीय सदस्‍य ने सीपेज की बात की, कि पिछले 5 वर्षों से मुख्‍य नहर को कांक्रीट से पक्‍का बना दिया गया है. जो हमारे सम्‍माननीय सदस्‍य तिवारी जी माइनर नहरों की बात की, मैं उसकी पूरी जांच करा लूंगा आपके संज्ञान में सम्‍माननीय अध्‍यक्ष महोदय के द्वारा लाना चाहता हूं कि उसकी तुरन्‍त मरम्‍मत करा दी जायेगी और इसमें यदि कोई अनियमितता होगी तो उसकी जांच भी करा लूंगा.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बार-बार पूर्णता की बात की जा रही है. मैं कह रहा हूं कि मौके पर कार्य अपूर्ण है और मंत्री महोदय से मैं यह भी चाहूंगा कि जो भी जांच यहां से हो, उस जांच में भी में शामिल रहूं साथ में, मैं जाकर उनको बता दूं कि कहां-कहां है. कांक्रीट का काम जो गुणवत्‍तापूर्ण कहा गया है वह बहुत ही निम्‍न गुणवत्‍तापूर्ण है, मंत्री महोदय, मैं आपके संज्ञान में यह बात लाना चाहता हूं.

          श्री तुलसीराम सिलावट:- अध्‍यक्ष महोदय, जो हम अधिकारियों की जांच टीम भेजेंगे उसमें आपको भी सम्मिलित कर लेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- मंत्री जी को धन्‍यवाद ज्ञापित कर दीजिये.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी:- धन्‍यवाद मंत्री महोदय. मेरा दूसरा प्रश्‍न था कि बाण सागर बांध से लिफ्ट इरीगेशन के बारे में क्‍या योजना है, मैं चाहूंगा कि उस विषय पर योजना बनायी जाये, क्‍योंकि हमारे यहां अभी तक बहुत सारे गांव सिंचित नहीं हो पाये हैं.

          श्री तुलसीराम सिलावट:- अध्‍यक्ष महोदय, अभी ऐसी कोई भी योजना प्रस्‍तावित नहीं है. अभी सम्‍माननीय सदस्‍य जी ने कहा है तो उस संबंध में प्रयास करेंगे.

          धरमपुरी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत स्‍वीकृत रेत खदानें

[खनिज साधन]

8. ( *क्र. 1272 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले के धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नर्मदा नदी की रेत खदानें किस-किस को कब-कब, कितने-कितने क्षेत्रफल की स्‍वीकृत की गई हैं? (ख) क्‍या नर्मदा नदी की स्‍वीकृत रेत खदान क्षेत्र से बाहर जाकर रेत माफिया द्वारा अवैध उत्‍खनन किया जाकर सैकड़ों डंपर रेत निकाली जा रही है, जिसमें पुलिस एवं खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रहती है? इतना नहीं नर्मदा तट के खेतों में से भी अवैध रूप से रेत मशीनों के माध्‍यम से निकाली जा रही है तथा बड़े गड्ढे किये जाने से किसान खेती करने से वंचित हो गये हैं? यदि नहीं, तो क्‍या इन तथ्‍यों की प्रश्‍नकर्ता के समक्ष उच्‍च कमेटी बनाकर जाँच कराई जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों? (ग) क्‍या उपरोक्‍त संबंध में प्रश्‍नकर्ता द्वारा एवं स्‍थानीय नागरिकों द्वारा जिला कलेक्‍टर धार तहसीलदार एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्‍व) एवं खनिज अधिकारी को माह नवम्‍बर-दिसम्‍बर 2020 में शिकायतें की थी? यदि हाँ, तो उक्‍त शिकायतों पर क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई? (घ) क्‍या स्‍वीकृत खदानों का सीमांकन कराकर उन्‍हें चिन्हित करने की कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) धार जिले के धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नर्मदा नदी में स्वीकृत रेत खदानों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर दर्शित है। ये खदानें श्री वीरेन्द्र सिँह जादौन ई-7/एम 708, अरेरा कॉलोनी, भोपाल म.प्र. को दिनाँक 30.06.2023 तक आवंटित की गई हैं। (ख) यह कहना सही नहीं है कि नर्मदा नदी की स्वीकृत रेत खदान क्षेत्र से बाहर जाकर रेत माफिया द्वारा अवैध उत्खनन किया जा रहा है, जिले में रेत माफिया जैसी कोई स्थिति नहीं है। यह कहना भी निराधार है कि पुलिस एवं खनिज विभाग के अधिकारी की मिली भगत रहती है, जिले में ऐसी स्थिति भी नहीं है। यह कहना भी गलत तथा निराधार है कि नर्मदा तट के खेतों में से अवैध रूप से रेत मशीनों के माध्यम से निकाली जा रही तथा यह कहना निराधार है कि बड़े-बड़े गड्ढे किये जाने से किसान खेती करने से वंचित हो गये हैं, अतः ऊपर वर्णित स्थिति नहीं होने से प्रश्‍नकर्ता के समक्ष उच्च कमेटी बनाकर जाँच कराने का कोई औचित्य नहीं है। (ग) उपरोक्त संबंध में प्रश्‍नकर्ता एवं अन्य स्थानीय नागरिकों द्वारा जिला कलेक्टर धार, तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी (रा.) एवं खनि अधिकारी को माह नवम्बर-दिसम्बर 2020 में शिकायत नहीं की गई थी। अतः कार्यवाही का प्रश्‍न नहीं उठता है। (घ) खदान की खनन योजना बनाने के पूर्व खदानों का सीमांकन तथा चिन्हांकन करके ही खदान नियमानुसार स्वीकृत की जाती है।

परिशिष्ट - "दो"

 

 

          श्री पांचीलाल मेड़ा:- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं मां नर्मदा जी का बेटा, मां नर्मदा जी के पावन तट पर बसे ऋषि जिन्‍होंने अपने हड्डियों से से अस्‍त्र-शस्‍त्र बना करके दानवों का विनाश किया ऐसे महर्षि दधिचि ऋषि की समाधि स्‍थल के किनारे रहने वाले धरमपुरी का विधायक पांचीलाल मेड़ा आपसे संरक्षण चाहता है कि मां नर्मदा जी की कोख एवं शरीर को छलनी किया जा रहा है. मैं उससे अत्‍यंत दु:खी हूं, क्‍योंकि इसमें मेरी आस्‍था है. मेरी ही नहीं इस सदन के समस्‍त सदस्‍यों की भी मां नर्मदा में आस्‍था है, पूरे देश और प्रदेश की आस्‍था है. ऐसी मां  नर्मदा जी के संरक्षण के लिये उसकी सुरक्षा के लिये, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि क्‍या मंत्री महोदय बताने का कष्‍ट करेंगे कि धरमपुरी विधान सभा में आपके द्वारा दिये गये उत्‍तर में कार्यवाही से अवगत कराया गया है, क्‍या आप आगे भी अगर अवैध उत्‍खनन होता है तो क्‍या कार्यवाही करेंगे?

            श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्‍य ने बोला है और हम सभी लोग मां नर्मदा के लिये समर्पित हैं, वह हमारी आराध्‍य हैं हमारी पूज्‍जनीय हैं इसलिये जहां तक इनके वहां पर छलनी वाली बात कही गयी है, तो इनकी जो धरमपुरी विधान सभा है वहां पर इनकी टोटल 21 खदानें सेंक्‍शन हैं और जहां तक खोदूभरू खदानें हैं, क्‍योंकि नर्मदा जी में तो खदान का उत्‍खनन करना भी अलाउ नहीं है. इसलिये जो खोदूभरू खदानें हैं वह अभी संचालित नहीं हैं, बाकि अभी हमारी 7 अन्‍य खदानें संचालित हैं और इसलिये अभी वहां पर अवैध उत्‍खनन के मामले में ऐसी कोई शिकायत प्राप्‍त नहीं है. हमने कल वहां निरीक्षण भी कराया है और वहां तट पर जाकर फोटोग्राफी और विडियोग्राफी भी करायी है, जहां तक आगे संरक्षण की बात कही है तो निश्चित रूप से माननीय सदस्‍य जब भी आप आयेंगे और जो भी हमसे मदद मांगेंगे उनके बचाव के लिये, तो मैं निश्चित रूप से आपके साथ हूं और करने के लिये तैयार हूं.

          श्री पांचीलाल मेड़ा:- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि मेरे क्षेत्र में निजी भूमि है मां नर्मदा जी के तट को छोड़कर के, वहां पर भी रेत पायी जाती है तो मंत्री जी यह बताने का कष्‍ट करेंगे की निजी भूमि धारकों को भी रेत उत्‍खनन की अनुमति दी जायेगी तथा क्‍या नियमों में ऐसा प्रावधान है ? अगर नहीं है तो नियमों में प्रावधान करें जिससे मेरे क्षेत्र में तथा अन्‍य स्‍थानों पर गरीब किसानों को रोजगार मिलेगा.

                                                                                                           

            अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी आप तो खनन की बात कर रहे हैं.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--‑माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे रेत नियम 2019 की धारा 17 के उप नियम 3 में यह प्रावधान है कि हम प्रायवेट जमीन को वहां पर किसी भी प्रायवेट ठेकेदार की जमीन है उस ठेकेदार से एग्रीमेंट करके उसको जमीन दे सकते हैं. इन्होंने अन्य खनिजों की बात की है उसमें भी हमने अधिनियमों में संशोधन किया है. ऐसे हमको जो भी प्रकरण बताएंगे उसकी कलेक्टर स्तर पर उसकी स्वीकृति होगी उसमें ऐसी जो भी बातें आयेंगी उसके लिये हम तैयार हैं.

          श्री पांचीलाल मेड़ा--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि डी..एम.एफ.पर गिट्टी, मुरम तथा रेत निकालने का प्रावधान है. अगर प्रावधान नहीं है तो क्या इसमें प्रावधान किये जायेंगे इससे राजस्व में भी वृद्धि कारगर रूप से होगी तथा गरीब लोगों को भी रोजगार मिलेगा तथा किसानों को भी इससे फायदा होगा.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--‑माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 22.1.2021 को एक नया संशोधन आया है उसमें इसका अमेन्टमेंट हो गया है उसमें जो भी खनिज की बात माननीय सदस्य जी कह रहे हैं उसको हमने सम्मिलित कर लिया गया है. उसमें रायल्टी का 10 प्रतिशत है वह डी.एम.एफ फंड में जायेगा और जहां पर भी वह सार्वजनिक विकास की चीजें हैं हमारी जो कमेटी है उससे सेंक्शन लेकर करेंगे. जो माननीय सदस्य जी कह रहे हैं उसमें सम्मिलित हैं.

          डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, धरमपुरी से लगा हुआ मेरा विधान सभा क्षेत्र महेश्वर भी है. आधा क्षेत्र नर्मदा नदी के किनारे है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि आपने अभी अपने प्रश्न के उत्तर में कहा कि नर्मदा नदी में खनन नहीं हो रहा है खोदूभरू को परमीशन दी जा रही है. तो मैं आपके कथन को असत्य नहीं कहूंगी, लेकिन आप इसकी जानकारी ले लें कि मां नर्मदा में उत्खनन हो रहा है. पोकलेन लगाई जा रही है. वहां जे.सी.बी.मशीन से खोदा जा रहा है. डम्पर भी भरे जा रहे हैं और कहीं कहीं तो ट्रेक्टरों के माध्यम से काम हो रहा है. आपके जो ठेकेदारों को चिन्हित एरिया दिया है उसमें रेत नहीं है. जो अवैध उत्खनन अलग हटकर जो रकबा है उसमें अवैध उत्खनन हो रहा है, क्योंकि मेरा विधान सभा क्षेत्र आधा नर्मदा नदी के किनारे हैं और इसके साथ साथ ठेकेदारों द्वारा सरकार को भी चूना लगाया जा रहा है. वहां रायल्टी की रसीदें न देकर टोकन दिये जा रहे हैं. टोकन मेरे ख्याल से अथेंटिक नहीं है और उस टोकन के माध्यम से वहां पर अवैध उत्खनन किया जा रहा है जैसे मेरे महेश्वर से लेकर छिन्दवाड़ा सिवनी बहुत दूर है. वहां एक ही डम्पर को एक ही दिन में रायल्टी की रसीद दी जा रही है. क्या वह डम्पर छिन्दवाड़ा, सिवनी से बालाघाट होकर वापस आ सकता है और उसी गाड़ी नम्बर को और उसी ड्राईवर को जो वहां पर चलाने वाला है उसी के नाम से क्या सेम डे में रायल्टी काटी जा सकती है, यह संभव है, यह मैं आपसे जानना चाहती हूं.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--‑माननीय अध्यक्ष महोदय,जहां तक माननीय सदस्या ने यह बात कही है तो ऐसी कहीं पर्टीक्यूलर जगह है जहां पर हमें लगता है कि यहां पर अवैध उत्खनन हो रहा है तो हम निश्चित रूप से उसका परीक्षण करवा लेंगे दूसरी बात जो लगातार एक नम्बर से गाड़ियां जा रही हैं इसके लिये अभी माननीय मुख्यमंत्री जी के माध्यम से हम लोगों का एक जांच दल एक कमेटी और उसमें चौकियां बनाई गई हैं जिसमें हमारे राजस्व के अधिकारी भी हैं, माईनिंग के भी हैं, वहां के गृह विभाग के भी लोग हैं उसमें हम लोगों ने काफी प्रतिबंध किया है.

          हमारी रायल्‍टी उस हिसाब से बढ़ी है. मंथली हमारी जो इनकम थी वह रायल्‍टी अब बढ़ गई है, इसलिए उन चीजों पर हम कंट्रोल कर रहे हैं और भविष्‍य में भी हम एप और जीपीएस सिस्‍टम के माध्‍यम से वह सब चीजें हम ला रहे हैं और बहुत जल्‍दी हम इस अवैध चीजों को कंट्रोल करेंगे और माननीय सदस्‍य ने जो बात कही है, हम उसका परीक्षण करवा लेंगे.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ - मैंने स्‍वयं ने जाकर वह टोकन पकड़े हैं और कलेक्‍टर खरगौन के संज्ञान में लाई हूं और कलेक्‍टर खरगौन को वह टोकन दी हूं और कलेकटर खरगौन ने भी वह मान्‍य किया है कि यह अथेंटिक नहीं है. मैंने स्‍वयं ने जाकर दिया हूं, क्‍या आप इस पर कार्यवाही करेंगे?

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह - वह आप हमें उपलब्‍ध करवा दें. हम परीक्षण करवा देंगे.

          श्री संजय यादव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर मुद्दा है.     अध्‍यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए, मैंने शर्मा जी को समय दिया हूं.

          श्री पी.सी. शर्मा - आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि कमल नाथ जी की सरकार के समय नर्मदा जी में मशीनों से उत्‍खनन नहीं होगा, यह निर्णय लिया गया था, तो क्‍या मशीनों से उत्‍खनन बरकरार है या बंद हो गया.

          श्री प्रणय प्रभात पाण्‍डे - माननीय अध्‍यक्ष जी, मेरा भी प्रश्‍न लगा है.

          श्री पी.सी. शर्मा - मशीनों से जेसीबी से पोकलन से उत्‍खनन हो रहा है. (...व्‍यवधान) अभी करोना बढ़ रहा है, इसका मामला नहीं है यह. (...व्‍यवधान)

          श्री कुणाल चौधरी - कमल पटेल जी ने बता दिया है, कमल पटेल जी के लेटर में बता दिया है.

          श्री सीतासरन शर्मा - आप कहे तो मैं बता देता हूं.

          श्री कुणाल चौधरी - कमल पटेल जी ने बता दिया है, कमल पटेल जी के लेटर में सब बता दिया है कहां उत्‍खनन चल रहा है, उनके लेटर का जवाब दे दो, माफिया का जो मामला है कमल पटेल जी का है.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय सदस्‍य बैठ जाइए. (...व्‍यवधान)

          श्री कुणाल चौधरी - माननीय मंत्री कह रहे हैं कि मंत्री राज हावी है, कमल पटेल जी को बुलाकर पूछ लो कौन माफियागिरी कर रहा है?

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह - आपने जो नियमावली बनाई है, आपके द्वारा आपके समय की बनाई हुई है, उसी को फॉलो कर रहे हैं और नर्मदा में कोई भी अवैध उत्‍खनन नहीं होगा, न ही उसमें मशीन डाली जाएगी.

          धरमपुरा जलाशय का निर्माण

[जल संसाधन]

9. ( *क्र. 480 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पूर्व रीठी तहसील अंतर्गत धरमपुरा जलाशय के निर्माण हेतु डूब क्षेत्र की भूमि अधिग्रहीत कर निविदा आमंत्रित की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो इस जलाशय का निर्माण प्रारंभ न होने के क्या कारण हैं एवं इस जलाशय के निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई थी? (ग) क्या उल्लेखित धरमपुरा जलाशय का आकार छोटा कर कम लागत से एक लघु जलाशय का निर्माण किया जा सकता है? यदि हाँ, तो इसके निर्माण में कुल कितनी लागत अधिग्रहीत डूब क्षेत्र की भूमि की लागत छोड़कर आयेगी? नवीन प्राक्कलन की छायाप्रति देवें। (घ) क्या शासन नवीन प्राक्कलन अनुसार धरमपुरा जलाशय का निर्माण करायेगा? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?

          जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। (ख) जलग्रहण क्षेत्र में कमी होने के कारण जलाशय का निर्माण प्रारंभ नहीं होना प्रतिवेदित है। परियोजना की प्रशासकीय स्‍वीकृति दिनांक 28.02.2013 को रू. 646.80 लाख की 301 हेक्‍टर हेतु प्रदान की गई। (ग) जलग्रहण क्षेत्र में कमी होने के कारण विस्‍तृत सर्वेक्षण उपरांत जलाशय के निर्माण के संबंध में गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाना संभव होगा। प्रस्‍ताव मैदानी कार्यालय में परीक्षणाधीन होने के कारण परियोजना की जानकारी वर्तमान में दिया जाना संभव नहीं है। (घ) उत्‍तरांश (ग) अनुसार। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।

          श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पिछला क्‍या हुआ मैं उसमें नहीं जाना चाहता, चूंकि मेरे यहां सिंचाई का बहुत गंभीर मामला था, चूंकि मैं जिस क्षेत्र से आता हूं, वहां पानी का बहुत अभाव है, उसमें माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया, मैं उन्‍हें बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूं. मैं पूछना चाहता हूं कि क्‍या उस बांध को छोटा करके बनाया जाएगा.

           श्री तुलसीराम सिलावट - पहले यह योजना 301 हेक्‍टयेर की थी अब हमारे माननीय सदस्‍य की मंशा है कि इसको छोटा करके हम 136 हेक्‍टेयर की सिंचाई की सुविधा प्रदान करके लाभ पहुंचाएंगे, आप निश्चिंत रहो.

          श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय - माननीय मंत्री जी इसके लिए आपका धन्‍यवाद करता हूं. आपने हमे 4 बांधों की और स्‍वीकृति दी है, इसके लिए भी धन्‍यवाद करता हूं कि.

          विधान सभा क्षेत्र पनागर अंतर्गत शासकीय तालाबों का निजीकरण

[राजस्व]

10. ( *क्र. 833 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र पनागर के शासकीय तालाबों का निजीकरण किया जा रहा है? (ख) क्या बिझुआ, जैतना, कालाडूमर, अमखेरा, झिरमिली, पुरैना तालाब पूर्व में शासकीय मद में थे? (ग) यदि हाँ, तो वर्तमान स्थिति में प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित तालाब निजी व्यक्तियों के नाम पर कैसे दर्ज हो गये? (घ) क्या इन तालाबों का रिकॉर्ड दुरूस्त कर कब्जा मुक्त कराया जायेगा?

          राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। (ग) एवं (घ) प्रश्‍नांश (ख) के उत्‍तर के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्न उदभूत नहीं।

          श्री सुशील कुमार तिवारी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के लिए जानकारी देना चाहता हूं कि शासकीय और निजी दोनों तालाबों का संरक्षण समय समय पर होना चाहिए. आज माफिया उस पर कब्‍जा कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - उत्‍तर चाहिए तो जल्‍दी प्रश्‍न कीजिए, सामने घड़ी देखकर.

          श्री सुशील कुमार तिवारी - अध्‍यक्ष महोदय, मैंने एक प्रश्‍न लगाया था जिसमें 6 तालाब बिझुआ, जैतना, कालाडूमर, अमखेरा, झिरमिली, पुरैना तालाब शासकीय मद में है. मेरा निवेदन है कि शासन के द्वारा जो हमें उत्‍तर दिया गया है, वह पर्याप्‍त नहीं है, उसकी जांच करवाई जाए और शासकीय तालाब हो या निजी तालाब हो, दोनों का संरक्षण जरूरी है. मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि क्‍या यह एसडीएम स्‍तर के अधिकारी से जांच करवाएंगे.

          राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) - माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय सदस्‍य जिन तालाबों की बात कर रहे हैं, वह तालाब निजी है लेकिन सदस्‍य चाहते हैं तो कि एसडीएम स्‍तर की जांच करवा देंगे और माननीय सदस्‍य भी उसमें शामिल रहेंगे.

          प्रश्‍न क्रमांक 11 - श्री जुगुल किशोर बागरी - अनुपस्थित.

 

भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रांतर्गत मत्स्य पालन

[मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास]

        12. ( *क्र. 1000 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत अपरवेदा डेम, नवलपुरा तालाब एवं उटखेड़ा तालाब अन्तर्गत मछली पालन कौन कर रहा है? क्या इनकी मत्स्य विभाग में समि‍‍ति‍ बनाकर पट्टे प्रदाय किये गये हैं? यदि हाँ, तो यह पट्टे कब जारी किये गये हैं तथा इसकी क्या समयावधि है? मत्स्य पालन हेतु पट्टे किसे प्रदाय किया जाना है? इसके क्या नियम हैं? (ख) शासन द्वारा निर्धारि‍त नियमावली की प्रतिलि‍पि‍ प्रदाय करें। क्या मत्स्य पालन हेतु निर्मित समीति‍यों में डूब प्रभावित परिवार के अधिकतम सदस्य होना अनिवार्य है? (ग) यदि हाँ, तो क्या नवलपुरा उटखेड़ा एवं अपरवेदा डेम की वर्तमान पट्टे प्राप्त समितियों में सभी सदस्य डूब प्रभावित हैं? यदि हाँ, तो कितने सदस्य हैं? तीनों तालाबों की समि‍तियों में डूब प्रभावित सदस्यों के नाम सहित सूची उपलब्ध करावें, नहीं तो उन्हें पट्टा किस आधार पर जारी किया गया है? (घ) क्या उपरोक्त वर्णित तीनों तालाबों में अवैध समि‍ति‍यां बनाकर मछली पालन करने की शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो उस क्या कार्यवाही की गई है? (ड.) क्या डूब प्रभावित व्यक्तियों की अन्य समि‍ति‍यों ने मछली पालन पट्टे हेतु मांग की है? यदि हाँ, तो वह समि‍ति‍यां कौन-कौन सी हैं तथा कौन से तालाब के लिये हैं?

        जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) प्रश्‍न में उल्‍लेखित तालाब को पट्टे पर दिये जाने, इनकी समयावधि तथा नियम संबंधी जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) मध्‍य प्रदेश मत्‍स्‍य पालन की नीति एवं त्रि-स्‍तरीय पंचायतों को मत्‍स्‍योद्योग के अधिकार/कार्यक्रम 2008 की प्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। नीति में पंजीकृत समितियों में डूब प्रभावित सदस्‍यों को प्राथमिकता दी गई है। (ग) तीनों तालाबों के पट्टे धारक समितियों में सभी सदस्‍य डूब प्रभावित नहीं है। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (घ) एवं (ड.) जी नहीं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी - अध्‍यक्ष जी, धन्‍यवाद. समय भी समाप्‍त हो रहा है और मेरा प्रश्‍न आ गया है. माननीय मंत्री जी, बहुत वरिष्‍ठ और अनुभवी हैं. अध्‍यक्ष जी, आप मुझे सुन लें. मैं सीधा प्रश्‍न पूछ रही हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप किसी दूसरी तरह से प्रश्‍न उठाइयेगा.

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी सुन लें.

          अध्‍यक्ष महोदय - अब आपका कुछ नहीं लिखा जायेगा. प्रश्‍नकाल समाप्‍त

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी - (XXX)

 

 

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 

 

 

 

 

12.01 बजे                              शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख

(1. सीधी जिले में नहर में बस डूबने से हुई मौतों के संबंध में स्‍थगन विषयक्)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह (लहार) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सीधी जिले में नहर में बस डूबने से कई मौतें हो गई हैं. उसके मामले में हमारे आदरणीय पटेल साहब ने, मैंने, प्रजापति जी  और हमारे कई साथियों ने स्‍थगन प्रस्‍ताव लगाया है. हमारा आपसे विनम्र अनुरोध है कि सीधी जैसी गंभीर घटना में स्‍थगन .....

          अध्‍यक्ष महोदय - बैठकर बातचीत कर लेंगे.

          श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) - अध्‍यक्ष महोदय, हत्‍याएं हुई हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - बात कर लेंगे.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, यह सरकार का विषय है. सरकार भी करीब-करीब सहमत है तो कृपा करके माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी बैठे हुए हैं. अगर आप हमारा निवेदन स्‍वीकार करें तो कृपया कर आप समय कभी भी तय कर लें.

          श्री कुणाल चौधरी - अध्‍यक्ष महोदय, बड़ा गंभीर विषय है.

          डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - अध्‍यक्ष महोदय, आप हमारी तरफ भी देख लीजिये.

          श्री कुणाल चौधरी - शर्मा जी, अब आप मार्गदर्शक मंडल में हैं, अब कोई आपकी नहीं सुनेगा.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्‍यक्ष महोदय, इधर देख लीजिये. आप बैठ जायें (श्री कुणाल चौधरी को देखकर). मेरी बात सुनी जायेगी. 

          अध्‍यक्ष महोदय - श्री सीतासरन शर्मा जी.

 

(2. तत्‍कालीन एसडीएम श्री हरेन्‍द्र नारायण के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्‍ताव)

          डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्‍यक्ष महोदय, मैंने तत्‍कालीन एसडीएम श्री हरेन्‍द्र नारायण के खिलाफ विशेषाधिकार प्रिविलेज मोशन दिया है, बहुत दिनों से पैंडिंग है, आपसे अनुरोध है कि कृपा करके उसको स्‍वीकार करें और विशेषाधिकार समिति को भेजें अथवा मुझे यहां पर वक्‍तव्‍य देने की अनुमति दें.

          श्री जितू पटवारी - अध्‍यक्ष जी, सीधी में 54 लोगों की हत्‍याएं हो गईं, तो वह कौन सी बात है ?   

          डॉ. सीतासरन शर्मा - वह भी आ रहा है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा (सोनकच्‍छ)  - (डॉ. सीतासरन शर्मा जी को देखकर) आप सरकार को जवाब नहीं देने दे रहे हैं. सरकार जवाब दे रही है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - माननीय शर्मा जी, विधान सभा के पूर्व अध्‍यक्ष रहे हैं. सरकार के बदले जवाब दे रहे हैं, आप बीच में ही खड़े होकर नई बात कर रहे हैं.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - डॉ. साहब, मैंने अध्‍यक्ष जी से अनुमति ले ली थी कि मुझे बोलने दीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, गोविन्‍द सिंह जी ने कुछ कहा है. आप उसका जवाब दीजिये.

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - अध्‍यक्ष जी, निश्चित रूप से घटना बहुत दु:खद एवं लोमहर्षक थी, वह बहुत पीड़ादायक प्रसंग था. जैसा माननीय सदस्‍य कह रहे हैं कि सरकार गंभीर नहीं थी, हमारे दोनों मंत्री तत्‍काल मौके पर गए थे, माननीय सिलावट जी और पटेल जी. उसके बाद मुख्‍यमंत्री जी मौके पर खुद गए थे. उनको राहत राशि तत्‍काल दी गई, जो सुविधाएं थीं, वह दी गईं. इसके बाद भी अगर विपक्ष के सम्‍मानित सदस्‍यों को लगता है तो आप जिस माध्‍यम से लेना चाहें. अगर अभिभाषण के बाद 5 बजे लेना चाहें तो 5 बजे ले लें, आप 4 बजे लेना चाहें तो 4 बजे ले लें. अध्‍यक्ष जी, यह आपके ऊपर है. सम्‍मानित सदस्‍यों के भी कई प्रकरण हैं. सरकार कहीं भी चर्चा से नहीं भाग रही है, चर्चा करने को तैयार हैं. जब चाहें तब तैयार हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - समय बता देंगे.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - जी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.03 बजे                        नियम 267-क के अधीन विषय

          अध्‍यक्ष महोदय - आज निम्‍नलिखित माननीय सदस्‍यों की शून्‍यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.

1.       श्री बहादुर सिंह चौहान

2.       श्री विजय रेवनाथ चौरे

3.       इंजी. प्रदीप लारिया

4.       श्री विजेन्‍द्र सिंह राठौर

5.       श्री देवेन्‍द्र पटेल

6.       श्री प्रियव्रत सिंह

7.       श्री कमलेश्‍वर पटेल

8.       श्री संजय शर्मा

9.       श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी

10.     श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को

 

           

12.05 बजे               शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख क्रमश:

3. माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा सदन के चलते सदन के बाहर लोकहित/जनहित के विषय पर उल्‍लेख करने विषयक.

 

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.),(गोटेगांव) --  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी माननीय पूर्व अध्‍यक्ष जी ने विशेषाधिकार के संबंध में बात कही है, ऐसी ही एक बात मैं मर्यादा और शिष्‍टता के बारे में इस सदन कहना चाहता हूं. कॉल शकधर में विशेषाधिकार के बारे में कहा गया है, दिनांक-10.06.1967 को कांग्रेस सदस्‍यों की बैठक में माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय से आदरणीय श्री कैलाशचन्द्र जोशी जी  ने तब कहा था कि आपने इस वर्ष के बजट में कुछ करों को राहत देने की घोषणा की है, इस समय विधानसभा का सत्र चल रहा है और ऐसे समय पर शासन द्वारा की गई कोई भी घोषणा सर्वप्रथम सभा भवन में होना चाहिये. मेरा आपसे अनुरोध है कि यह हमारी परंपरा रही है. अभी कल ही माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने एक लोकहित का विषय सभा चलते में कह दिया है जो आज समाचार पत्रों में छपा है, प्रदेश में मिले 344 मरीज लॉकडाउन और नाईट कर्फ्यू अभी नहीं, यह लोक महत्‍व का विषय है तो मेरा आपसे अनुरोध है कि जब सदन चलता रहे तो यह जो हमारी परंपरा है, यह फिर से सुचारू रूप से चालू रहे ताकि सदन की मर्यादा और शिष्‍टता बनी रहे.

संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत ही गंभीर विषय की ओर ध्‍यान आकर्षण किया गया है. मेरा यह कहना है कि इस विषय की गंभीरता अगर बनी रहे, अगर अच्‍छा हो कि सिर्फ उसे अखबार का आधार न बनाकर कोई प्रमाण का आधार हो. सिर्फ अखबार को आधार बनाकर सनसनी फैलाना मैं इसको अच्‍छा नहीं मानता हूं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने और वित्‍तमंत्री जी ने विधायक दल की बैठक में ऐसे कोई भी प्रसंग का उल्‍लेख नहीं किया है.यह सर्वथा अनुचित और मिथ्‍या प्रसंग है, जो माननीय पूर्व विधानसभा अध्‍यक्ष ने उठाया है.(श्री एन.पी.प्रजापति सदस्‍य के अपने आसन से बैठे-बैठे कुछ कहने पर) आप भी बोलें अध्‍यक्ष अनुमति आपको भी देंगे.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- मैंने वर्ष 1967 का उद्धरण दिया है, आप गलत ले गये हैं.

अध्‍यक्ष महोदय -- अभी मैंने उनको अनुमति दी है, प्रजापति जी आप बैठ जायें.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- अध्‍यक्ष महोदय, आप मेहरबानी करके सुन तो लीजिये, मैंने वर्ष 1967 का कहा है.

अध्‍यक्ष महोदय --  प्रजापति जी आप थोड़ा सा बैठ जायें, आपके कहने के बाद ही मैंने उनको अनुमति दी है.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अभी मेरे कान ठीक है. (हंसी)(व्‍यवधान..) आप इलाज करा दो. (श्री सज्‍जन सिंह वर्मा,सदस्‍य द्वारा अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) श्री एन.पी.प्रजापति जी को छोड़कर (हंसी) हां डॉक्‍टर वर्मा कर सकते हैं, यह अगला आदमी कह रहा है कि मैं बुड्ढा होउंगा ही नहीं, मैं देव आनंद बनकर ही मरूंगा( हंसी...)

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जी दूसरा विषय मेरा यह है जो नाईट का लॉकडाउन और उसके संबंध में विषय है, सीधा सम्‍मानित मुख्‍यमंत्री जी का उल्‍लेख किया है, यह जनता के स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ा हुआ मामला है, जनहित का मामला है और इस संबंध में तात्‍कालिक ही निर्णय लिये जायेंगे न कि प्रतीक्षा में लिये जायेंगे.

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री नागेन्‍द्र सिंह जी आप बोलें.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय..

अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया है, आपका जवाब आ गया है.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- नहीं, मैंने क्‍या कहा उसको घुमा फिराकर संसदीय मंत्री जी ने...

अध्‍यक्ष महोदय -- जो आपने कहा उसी का उन्‍होंने जवाब दिया है.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)  -- मैंने वर्ष 1967 के वित्‍तमंत्री की बात की थी, अभी की नहीं की थी, आपने गलत सुन लिया है.

अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया है, कृपया आप बैठ जायें.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)  -- मैं कॉल शकधर के पेज 406 का यहां पर उल्‍लेख करूंगा, जो शर्मा जी ने विशेषाधिकार की बात की है.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- वर्ष 1967 आज कहां से आ गया है.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)  -- इसलिये आ गया, यह जो परंपरा परिपाटी इस सदन में है, उसका उद्धहरण मैं दे रहा हूं.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -

- उसका पालन होगा.

अध्‍यक्ष महोदय -- बस हो गया, हां पालन हो गया.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- उसका पालन होगा न चलिये, धन्‍यवाद.

लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय प्रजापति जी को मैं स्‍मरण कराना चाहूंगा कि पिछला बजट सत्र जिसमें आपकी सरकार थी, नोटिफाईड हो गया था, तारीखें आ गई थीं, बजट कब पेश होगा, यह भी तारीख आ गई थी, माननीय वित्‍तमंत्री जी आपको स्‍मरण होगा, डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाने की आपने उसके ऐन पहले घोषणा कर दी थी, जबकि बजट सत्र सामने था, यह कौन सी वर्ष 1967 की परंपरा की बात कर रहे हैं, आपने स्‍वयं परंपरायें ऐसी स्‍थापित की हैं कि आपको कहने का कोई अधिकार ही नहीं है.

अध्‍यक्ष महोदय -- नागेन्‍द्र सिंह जी आप बोलें.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)  -- अध्‍यक्ष महोदय, मुझे पूरा अधिकार इसलिये हैं क्‍योंकि आपको उस समय आपत्ति उठानी थी, आपने आपत्ति नहीं उठाई, मैंने उठाई है.

श्री गोपाल भार्गव -- मैंने आपत्ति उठाई थी लेकिन उसके लिये ओवर रूल कर दिया गया था. मैं सिर्फ यह स्‍मरण कराना चाहूंगा कि जैसी परंपरायें आप बनायेंगे वैसी परंपरायें अब प्रचलन में आ जायेंगी.

अध्‍यक्ष महोदय -- इसको अब यहीं पर रोक दीजिये.

श्री तरूण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे वरिष्‍ठ सदस्‍य, इस विधानसभा के वरिष्‍ठतम सदस्‍य हैं और हम सबके आदरणीय भी हैं और तत्‍कालीन नेता प्रतिपक्ष भी थे. माननीय मैं सिर्फ कहना चाहता हूं और आपकी किसी बात को काटना नहीं चाहता हूं कि मैं वित्‍तमंत्री था, कामर्शियल टैक्‍स विभाग मेरे पास नहीं था, मेरे पास उसको बढ़ाने का और घटाने का अधिकार ही नहीं था. आप कहीं न कहीं न उसको दुरूस्‍त कर लें और मेरे बाजू में बैठे हैं, इनकी व्‍यवस्‍था करें (हंसी..)

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- ये बाजू वाले हमेशा ऐसे ही रहे हैं (हंसी.) ऐसा नहीं यह आज ऐसे हैं, यह हमेशा से ऐसे ही हैं. (हंसी..)

श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर(प्रथ्‍वीपुर) -- यह वो ही बात हो रही है कि पूरी की पूरी फिल्‍म देखने के बाद पूछ रहे हैं कि हीरो हीरोइन कौन था, पहले कहां सो रहे थे सब लोग (हंसी..) (व्‍यवधान..)

अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें, श्री नागेन्‍द्र सिंह जी आप बोलें. (व्‍यवधान..)

                                                                                     

            श्री हरिशंकर खटीक-- अध्‍यक्ष महोदय, इनके पास तो अंग्रेजी और देशी विभाग था इसलिये इनको ....(व्‍यवधान)...

          श्री नागेन्‍द्र सिंह 'नागौद'--  यह विषय पॉलिसी मेटर से संबंधित नहीं है, यह प्रशासनिक आर्डर है और कोई भी मंत्री प्रशासनिक आर्डर्स सदन चलते हुये दे सकता है और केवल पॉलिसी मेटर नहीं दिया जा सकता है यह गलत रिफ्रेंस देकर कहा जा रहा है.

          श्री पी.सी. शर्मा--  मेरा निवेदन यह है कि जितेन्‍द्र डागा इस सदन के सदस्‍य रहे हैं, पहले वह भारतीय जनता पार्टी में थे और अब वह कांग्रेस पार्टी में आ गये हैं. अवैद्य तरीके से उनका निर्माण कल तोड़ दिया गया है, यह केवल पार्टी पॉलिटिक्‍स के आधार पर किया गया है. मैंने उनका एक सवाल पूछा था, मुख्‍यमंत्री जी ने जवाब दिया है कि जो जमीन अवैध बताई गई है इसमें मुख्‍यमंत्री जी का जवाब है कि उसके बदले में जो जगह वहां पर उनको दी गई और यह उनकी जमीन है उनके पास उसके पूरे कागजात हैं उसके बाद तोड़ा गया, यह कार्यवाही अगर पूर्व विधायकों के साथ की जायेगी केवल इस बात पर कि उस पार्टी में थे और आज इसमें नहीं हैं तो यह बिलकुल गलत है और यह बहुत गलत परंपरा है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--  जब हमारे संजय पाठक जी का तोड़ा गया था तब आप कहां थे. ....(व्‍यवधान)...

          श्री पी.सी. शर्मा--  यह गलत परंपरा है ....(व्‍यवधान)... इसमे मुख्‍यमंत्री जी का जवाब है, इसके बाद यह तोड़ा गया है. ....(व्‍यवधान)....

 

12.12 बजे                         पत्रों का पटल पर रखा जाना

 

 (1)    (क)मध्‍यप्रदेश भवन एवं अन्‍य संनिर्माण कर्मकार कल्‍याण मण्‍डल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष         2018-2019 एवं 2019-2020, तथा

(ख) मध्‍यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्‍ठान नियम, 2016 के नियम 18 (3) की अपेक्षानुसार

            (i) जिला उमरिया का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, 2018-2019 एवं 2019-2020,

            (ii) जिला कटनी का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, तथा

               (iii) जिला छतरपुर, अलीराजपुर, बैतूल एवं धार के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020

                         पटल पर रखेंगे.

 

(2)     (क) अधिसूचना क्रमांक1661/मप्रविनिआ/2019, दिनांक 25 नवम्‍बर2019, एवं                 

          (ख) अधिसूचना क्रमांक मप्रविनिआ-अ.एवं.वि-2020-1040, दिनांक 7 सितम्‍बर,                   2020 पटल पर रखेंगे.

 

 

 

    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(3)        (क)मध्‍यप्रदेश राज्‍य पशुधन एवं कुक्‍कुट विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,                तथा

            (ख) मध्‍यप्रदेश पशु चिकित्‍सा विज्ञान विश्‍वविद्यालय अधिनियम, 2009 की धारा 38 की                         उपधारा (3) की अपेक्षानुसार नानाजी देशमुख पशु चिकित्‍सा विज्ञान विश्‍वविद्यालय,                जबलपुर का वार्षिक लेखा वर्ष 2019-2020 पटल पर रखेंगे.

 

 

 

(4)     मध्‍यप्रदेश लघु उद्योग निगम मर्यादित, भोपाल का 56 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष                     2017-2018  पटल पर रखेंगे.

 

 

(5)   (क) मध्‍यप्रदेश राज्‍य लघु वनोपज (व्‍यापार एवं विकास) सहकारी संघ                    मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्‍तीय पत्रक वर्ष 2017-2018,

       (ख) म.प्र.राज्‍य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्‍तीय                     पत्रक वर्ष 2018-2019,

       (ग) मध्‍यप्रदेश राज्‍य सहकारी बैंक मर्यादित का संपरीक्षित वित्‍तीय पत्रक वर्ष                        2019-2020

 

सहकारिता मंत्री( डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया) -  अध्यक्ष महोदय, मैं,मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 58  की उपधारा (1) के खण्‍ड(घ) की अपेक्षानुसार-

      (क) मध्‍यप्रदेश राज्‍य लघु वनोपज (व्‍यापार एवं विकास) सहकारी संघ                          मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्‍तीय पत्रक वर्ष 2017-2018,

       (ख) म.प्र.राज्‍य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्‍तीय                               पत्रक वर्ष 2018-2019, तथा

       (ग) मध्‍यप्रदेश राज्‍य सहकारी बैंक मर्यादित का संपरीक्षित वित्‍तीय पत्रक वर्ष                 2019-20 पटल पर रखता हूं.

 

(6)        (क) मध्‍यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष                                2018- 2019,     

          (ख)मध्‍यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,

 

 

पर्यावरण मंत्री( श्री हरदीप सिंह डंग) - अध्यक्ष महोदय, मैं,

(क) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 40 की उपधारा (7) एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम,       1981 की धारा 36 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश प्रदूषण             नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,     

 (ख) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 39 की उपधारा (2) एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 35 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,

                पटल पर रखता हूं.

 

 

(7) कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार                         एन.एच.डी.सी. लिमिटेड का 19 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 एवं 20 वां     वार्षिक प्रतिवेदन  वर्ष 2019-2020

 

नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री ( श्री भारत सिंह कुशवाह ) - अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार -एन.एच.डी.सी. लिमिटेड का 19 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 एवं 20 वां वार्षिक प्रतिवेदन  वर्ष 2019-2020

पटल पर रखता हूं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.17 बजे                             ध्यान आकर्षण

 

 

   (1)    ग्वालियर में सहकारी सोसाइटी के माध्यम से चिटफंड का अवैध कारोबार होने

 

 

डॉ.गोविन्द सिंह (लहार) -      अध्यक्ष महोदय,

 


 

                        सहकारिता मंत्री (डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया) -- अध्यक्ष महोदय,

                   डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय,  मैंने मंत्री जी का जवाब विस्तार से सुना. मैं  कहना चाहता हूं कि  यह स्थिति अकेले  ग्वालियर ही नहीं समूचे  प्रदेश में  चिटफण्ड  कम्पनियां अधिक  ब्याज देकर  10 से 15  प्रतिशत ब्याज, कोई  कोई संस्था तो 20 प्रतिशत  जो क्रेडिट सोसाइटी  सहकारिता क्षेत्र के अंतर्गत  मल्टी परपज को-आपरेटिव्ह सोसाइटी के  तहत  रजिस्टर्ड हैं अन्य प्रांतों में, वह हमारे लहार में ही एक सोसाइटी  है  जीवन सुलभ. वह  करीब 53  लाख लेकर उत्तर प्रदेश   में बनी, उसका अध्यक्ष था, वह लूटकर चले गये और  लोग आज तक भटक रहे हैं.  एक सोसाइटी है,  वह 3 करोड़ रुपये खा गई. हर साल  संस्था अपना नाम बदलकर  नई पास बुक से, नाम  बदल बदल कर  एक ही संस्था है, वह  पैसा क्रेडिट, जमा करती है, साल में नाम बदल देती है और  वह बोर्ड   के डॉयरेक्टर बदल देती है.  गृह मंत्री जी के डबरा क्षेत्र में ही  एक एजेण्ट श्री भूपेन्द्र  जैन   कम्पनी का, रजिस्टर्ड  सोसाइटी  का एजेंट  बना, वह  पैसा  लेकर  उसमें जमा  करता था. 21 फरवरी को डबरा में भूपेन्द्र जैन ने जो सुसाइड नोट दिया है उसमें लिखा है कि इतना कर्जा है, कंपनी भाग गई है इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं. माननीय मंत्री जी से केवल इतना जानना चाहते हैं कि यह जनहित का मामला है. वास्तव में किसान गरीब लोग, जो दैनिक रोजी रोट कमाते हैं उनको 20 प्रतिशत ब्याज का लालच देकर 3 साल बाद यदि 1 लाख रुपये जमा किये तो 20 हजार रुपये देंगे, इतना ब्याज वे कहां से दे सकते हैं? यह राशि लेकर भागते हैं. यह स्थिति कई जिलों में आ रही है. हमारा आपसे हाल फिलहाल निवेदन है कि यह है तो पूरे प्रदेश का मामला, केवल ग्वालियर, चंबल संभाग में जो सोसाइटियां काम कर रही हैं, भिण्ड, ग्वालियर में कर रही हैं, इन पर आप एक उच्चस्तरीय कमेटी बना दें और गंभीरता से उसकी पूरी सच्चाई पता करें. एक बोर्ड डायरेक्टर है वह 3-3 सोसाइटियों में है जबकि नियम है कि एक सदस्य एक ही सोसाइटी में बन सकता है. ये क्रेडिट सोसाइटियां 3-3 चला रहे हैं इसलिए हमारा निवेदन है कि उसकी उच्चस्तरीय जांच करा लें और जांच कराने के बाद जो एक और गंभीर मामला है, कई सोसाइटियों की एफआईआर हो गई. सोसाइटियों के विरुद्ध  काफी प्रयास के बाद एफआईआर होती है लेकिन उसके बाद पुलिस वाले कार्यवाही नहीं करते हैं. इसके लिए एक सेल बनाया है एडिशनल डी.जी. के नेतृत्व में,  को-आपरेटिव फ्रॉड जांच करने के लिए सेल बनाया गया है तो उसको हम देख रहे हैं कि उसका कोई काम ही नहीं है.

हमारा निवेदन है कि पहले अपने विभाग से जांच कराएं, जांच के बाद जो दोषी पाए जाएं तो उसमें को-आपरेटिव सेल से फाइनल करवाकर और आर्थिक अपराध ब्यूरो को यह दिया जाय ताकि कुछ कार्यवाही हो सकती है क्योंकि 118 करोड़ का रुपये का घोटाला भोपाल में हमने पकड़ा था और ईओडब्ल्यू में एफआईआर करवाई थी, उसमें 2-3 लोग गिरफ्तार हुए फिर आगे कार्यवाही नहीं बढ़ी. हमें एक ही प्रश्न का जवाब चाहिए कि एक तो आप उच्चस्तरीय जांच कराएं, जांच के बाद जो दोषी हों उन पर आर्थिक अपराध ब्यूरो में कार्यवाही करें, जो सोसाइटियों पर एफआईआर प्रदेश में हुई हैं, जो एडिशनल डी.जी. को-आपरेटिव के बैठे हैं वह कोई कार्यवाही नहीं करते हैं, अभी तक 3-3, 4-4 साल हो गये हैं गिरफ्तारियां नहीं हुई हैं, उनकी गिरफ्तारी कराएं.

डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया - अध्यक्ष महोदय, हमारे बड़े भाई विधायक डॉ. गोविन्द सिंह जी बड़े संवेदनशील व्यक्ति हैं. हमेशा जनहितैषी मुद्दों को उठाते रहे हैं. जो आपने कहा है इसमें एक उच्चस्तरीय जांच दल हम गठित कर देते हैं और जहां जहां का डॉक्टर साहब ने बताया है, मेरा कहना है कि भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, ऐसे 4 जिलों का आप बोल रहे हैं, मैं कह रहा हूं कि गुना, शिवपुरी, अशोक नगर ऐसे पूरे ग्वालियर चंबल संभाग में जितनी भी इस प्रकार की सोसाइटियां हैं  उन सभी की एक हाई अथॉरिटी से जांच करा लेते हैं और जो भी इसमें इनवाल्व होगा, उन सबको भी कोई बख्शा नहीं जाएगा. आपने जो हमको ध्यान दिलाया है. जैसे आपने कहा कि उस समय जब आप सहकारिता मंत्री थे, ऐसे भोपाल बैंक का एक मामला था, उसका चालान वगैरह ईओडब्ल्यू में हम लोगों ने भेज भी दिया है. जो जांच होने के बाद, एफआईआर होने के बाद आपका जो कहना है उसको ईओडब्ल्यू के सुपुर्द करके टाइम बाउंड, कई बार क्या होता है, एक विषय हमको भी संज्ञान में आया है. आज से मतलब जब श्री दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी, उस समय का कोई एक विषय ईओडब्ल्यू में चल रहा है तो मैंने अभी उनको पूछा, ऐसे 22 साल से वह विषय पूरा ही नहीं हुआ. आपकी सरकार आई, हमारी सरकार आई, ऐसे करके चलते रहे तो उसको टाइम बाउंड करके भी इस पर हम लोग निर्णय करेंगे. कई बार एक दिक्त आती है आदरणीय डॉक्टर साहब, मल्टी स्टेट सोसाइटियों पर कार्यवाही कई बार हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं रहती है वह केन्द्र सरकार का अधिकार रहता है लेकिन गड़बड़ियां जो भी कहीं पर होंगी, पूरे ग्वालियर चंबल संभाग में  इसकी टाइम बाउंड जांच कराकर  उन पर कार्यवाही करेंगे.

डॉ. गोविन्द सिंह - ठीक है, धन्यवाद मंत्री जी को, कम से कम आपने बहादुरी  दिखाई तो श्री पी. सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि भोपाल को भी इसमें शामिल कर लें.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे ( लांजी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय यह सोसायटी के माध्यम से अवैध चिटफण्ड वाला अवैध कारोबार है मेरी विधान सभा क्षेत्र में ग्राम बोलेगाव है जो कि हमारे पूर्व मंत्री स्व. श्री दिलीप भटेरे जी का गांव है . वहां पर एक व्यक्ति 10 प्रतिशत हर माह के ब्याज पर लोगों को राशि दे रहा है और आज के समय में उसके पास न केवल क्षेत्र के बल्कि दूसरे प्रदेशों के लोग भी पैसे जमा करने आ रहे हैं. इ स तरह का काम काफी दिनों से चल रहा है और काफी बड़ा एमाउण्ट हो गया है. वह हर तीन माह में  लोगों को पैसे वापस करता है पैसे उनके पास में आते हैं चैक उनको वह देते हैं, चैक देने के बाद में जब उस चैक की डेट आती है तो वह उनको बुलाकर चैक वापस ले लेते हैं और पैसे दे देते हैं. मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि मैंने कलेक्टर और एसपी की जानकारी में भी यह बात लायी है लेकिन अभी तक कोई ऐसा कानून नहीं है जो कि इस तरह का काम करने से रोक सके लेकिन कोई कार्यवाही उस पर नही हुई है. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है  गृह मंत्री जी यहां पर बैठे हैं तो इसके लिए कोई कानून बनाया जाय कि अपराध घटित होने के बाद हम कार्यवाही करें इससे पहले अगर हम कोई ऐसा उपाय करें या कोई कानून बनायें जिससे इनको रोका जा सके.

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया -- अध्यक्ष महोदय हमारी बहन हिना कावरे जी ने एक विषय तो उठाया है. सबसे पहले मैं उनसे प्रार्थना करना चाहता हूं कि जो कलेक्टर को आपने पत्र लिखा है या जिसको भी पत्र लिखा है उसके एक कापी हमें भी दे दें. वहां पर हम हायर अथारिटी से उच्च स्तरीय जांच उस पर भी करा लेंगे. आप निश्चिंत रहें कितना बड़ा भी आदमी हो कोई भी हो उसके खिलाफ में कार्यवाही करेंगे. दूसरा आपने बहुत अच्छा विषय यहां उठाया है उसमें एक गाइड लाइन हम बनाने वाले हैं. ऐसी सभी संस्थाओं की जानकारी एवं उनका पंजीयन अनेक सदस्यों की जानकारी उनके द्वारा की जा रही व्यावसायिक जानकारी विभागीय पोर्टल पर दर्ज करायेंगे. इ ससे हमें पूरा दिखता रहेगा क्योंकि किसी भी विषय को दुरूस्त करने के लिए एक ट्रांसपरेंट प्रक्रिया को विकसित करना जरूरी है. आप निश्चिंत रहें आप हमें शिकायत दें हम आपको सूचना भी देंगे और कार्यवाही भी करेंगे.

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया -- अभी इस ध्यानाकर्षण में पट्टा जी का नाम नहीं है लेकिन आप आदेश करेंगे आप बतायें कि क्या पूछना चाहते हैं.

          श्री पी सी शर्मा -- क्या भोपाल को भी इसमें शामिल करेंगे.आपने अभी जांच करने की बात की है. तो क्या भोपाल को भी जांच के दायरे में लेंगे.

          श्री अरविंद  सिंह भदौरिया -- आप हमें लिखित में हमें दे दें. अगर गड़बड़ होगी तो अवश्य उसकी जांच करा देंगे. सरकार की मंशा ठीक है सरकार का भाव ठीक है.

          श्री आरिफ मसूद -- इस प्रकार का भोपाल का भी एक मामला है.

          अध्यक्ष महोदय -- भोपाल के बारे में अभी शर्मा जी ने कहा है, वह मामला उठाया है. फिर बाद में यह कहेंगे आपने नहीं कहा इसलिए नहीं लेंगे तो मेरे पास में भी भोपाल की कुछ जानकारियां हैं वह मैं आपको दूंगा उस पर भी कार्यवाही करा देना.

          श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) -- अध्यक्ष महोदय मण्डला आदिवासी जिला है अनेक चिटफण्ड कंपनियां अपना पैर पसार कर उनको लूटने का काम कर रही हैं. अ भी हाल ही में एक एचबीएन नाम की कंपनी जो लोगों से लाखों करोड़ो रूपया लेकर के लौटाने के नाम पर फरार हो चुकी है. मंत्री जी से निवेदन है कि इ स कंपनी के खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्यवाही करें.

          श्री विनय सक्सेना -- मेरा कहना है कि जब पूरे मध्यप्रदेश में ही चिटफण्ड का चल रहा है..

          अध्यक्ष महोदय -- अभी मंत्री जी ने कहा है कि जिनकी सूचना होगी उनकी जांच करा लेंगे.

          श्री विनय सक्सेना -- हम लोगों के तो ध्यानाकर्षण लगेंगे नहीं हमें तो आपका संरक्षण चाहिए.                 

            अध्‍यक्ष महोदय -- मंत्री जी ने खुद कहा है कि जो इस तरह की शिकायतें प्रचलन में आएंगी उन पर कार्यवाही करेंगे.

          श्री विनय सक्‍सेना -- अध्‍यक्ष महोदय, जबलपुर में 15 दिन पहले 10 हजार बच्‍चे पूरी रात बैठे रहे और करोड़ों रुपये लेकर कंपनी भाग गई. माननीय मंत्री जी, एक निवेदन कर रहा हूं पूरे मध्‍यप्रदेश में एक आदेश कर दें, क्‍योंकि जो मालिक है वह पकड़ा ही नहीं जाता और कर्मचारी जेल में रहते हैं.

          श्री आरिफ मसूद -- अध्‍यक्ष महोदय, एक बार मंत्री जी से कहलवा दीजिये.

          श्री विनय सक्‍सेना -- अध्‍यक्ष महोदय, यह पूरे मध्‍यप्रदेश का मामला है. चिटफंड कंपनियों में पूरे प्रदेश में गड़बिड़यां हैं. आपका संरक्षण हम लोगों को नहीं मिलेगा तो किसे मिलेगा. कम से कम एक ऐसा आदेश करें कि बगैर मालिक के कोई कंपनी काम नहीं कर पाए.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के लिये एक आदेश करवा दीजिये.

          श्री विनय सक्‍सेना -- अध्‍यक्ष महोदय, जबलपुर में तो कर्मचारी 15 दिन से जेल में है मालिक का पता ही नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब आपकी बात हो गई बैठ जाइये. माननीय मंत्री जी, सबकी शंका, कुशंका सबका निवारण करते हुये अपनी बात कहें.

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें दो विषय हैं, एक जो हमारे डॉ. गोविंद सिंह जी ने विषय उठाया था कि सहकारी सोसायटियों का काम नहीं है, वह करके और कई प्रकार के भ्रम फैलाकर कई जगह किया गया है, उसके बारे में मैंने बोला है. फिर भी हमारे माननीय सदस्‍यगण ने जिन्‍होंने बोला, हमारे आरिफ मसूद साहब, श्री विनय सक्‍सेना जी और जो भी हैं एक पेपर दे देंगे, सरकार की मंशा बिलकुल स्‍पष्‍ट है, कोई भी हो, कितना भी बड़ा आदमी हो छोड़ा नहीं जाएगा. साहूकारी अधिनियम भी आरबीआई बैंक के द्वारा रजिस्‍टर्ड हो चुका है, आप निश्चिंत होकर मुझे लिखित में दे देंगे तो मैं योग्‍य एजेंसी से जहां से होगा, कार्यवाही करेंगे. मेरी एवं मेरी सरकार की नीति एवं नीयत में कोई अंतर नहीं, 100 परसेंट करेंगे.

 

12.38 बजे      (2) प्रदेश के दिव्‍यांग बच्‍चों को कृत्रिम अंग निश्चित समय सीमा में प्रदाय न किये

                                                जाने से उत्‍पन्‍न स्थिति        

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)  -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है- सामाजिक न्‍याय विभाग द्वारा दिव्‍यांग बच्‍चों को नामांकित कर उन्‍हें विभिन्‍न प्रकार के कृत्रिम अंग प्रदान किये जाते हैं. इन कृत्रिम अंगों का नाप लेकर भारत सरकार द्वारा अधिकृत एलेम्‍पो कंपनी द्वारा उन्‍हें कृत्रिम अंग प्रदान किये जाते हैं, किंतु गत वर्षों में देखा गया कि परीक्षण के 2-3 वर्ष उपरांत भी कृत्रिम अंगों का आवंटन नहीं होता, नतीजतन जिन दिव्‍यांगों के हाथ और पैरों के लिये नाप लिये जाते हैं वह बढ़ती उम्र के साथ उनके नाप में परिवर्तन आ जाता है. अर्थात जब परीक्षण एवं नाप लिया जाता है तब से कृत्रिम अंगों को दिये जाने वाले वितरण में विलंब के कारण नाप में परिवर्तन हो जाता है जिससे वह कृत्रिम अंग अनुपयोगी सिद्ध हो जाते हैं. गत दिनों ऐसी समस्‍या प्रदेश के 80 प्रतिशत जिलों में देखने को मिली है जिससे दिव्‍यांग बच्‍चों के अभिभावक एवं दिव्‍यांगों में भारी आक्रोश है.

 

          राज्‍य मंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्‍करण (स्‍वतंत्र प्रभार), श्री भारत सिंह कुशवाह---

 

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में जो बताया कि सूचीबद्ध होता है, अध्‍यक्ष महोदय, सूचीबद्ध होता है, मैं इससे इंकार नहीं करता. मंत्री जी का जवाब बिल्‍कुल ठीक है. हम यह भी कह रहे हैं कि शिविर लगते हैं, लेकिन समय पर उन उपकरणों का आवंटन नहीं होता. कंपनी ब्‍लॉक स्‍तर पर शिविर लगा देती है, जिसमें तीन हजार, चार हजार, पांच हजार दिव्‍यांग आते हैं. आपका संरक्षण चाहते हुए मैं यह कहना चाहता हूँ और पूरा सदन इस बात को जानता है कि दिव्‍यांगों के प्रति सबकी सहानुभूति होती है. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने तो इसकी परिभाषा  बदल दी. कभी उनको लूले, लंगड़े से संबोधित किया जाता था, फिर नि:शक्‍त शब्‍द आया. अभी उनका नाम परिवर्तित कर दिव्‍यांग किया गया है, उनको सम्‍मान दिया गया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक तो जो एलिमको कंपनी है, इस कंपनी का आधिपत्‍य हो गया है, उसके कारण से जो उसका आवंटन है, मैं फिर दोहरा रहा हूँ कि नाप लेने के समय और उपकरण बनने में विलंब और उसके बाद वितरण में भी देरी, इन सबके कारण से जो दिव्‍यांग बच्‍चा है, जिसका एक पांव तो डेडेड हो गया, लेकिन दूसरा पांव या दूसरा हाथ, जिस प्रकार से ब्‍लड सर्कुलेशन में है, और तब जब साल, डेढ़ साल का विलंब होता है, यह बहुत कष्‍टकारी होता है. माननीय मंत्री जी ने जो उल्‍लेख किया है, मैं लॉकडाऊन के समय की बात ही नहीं कर रहा हूँ. मैं तो उन पिछले 2-3-4 सालों की बात कर रहा हूँ, जब कंपनी ने ब्‍लॉक स्‍तर पर शिविर लगाए और अभिभावकों को इस बात की चिंता है कि अब जब उनके उपकरण बनकर आएंगे तो दिव्‍यांग बच्‍चे के शरीर पर कैसे फिट होंगे, क्‍योंकि बच्‍चों की ग्रोथ तो हुई है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कई अभिभावकों की शिकायत है और मुझे तो उन अभिभावकों ने आकर ज्ञापन भी सौंपे हैं. कई स्‍थानों पर तो माननीय मंत्री जी जांच करवा लें तो वे उपकरण ब्‍लॉक स्‍तर पर जाने के बाद कंपनी ने अगर दिए हैं, विलंब से दिए हैं, बंटने में भी, आवंटन होने में भी, इस तरह से वहां पर पड़े हुए हैं. एक तरह से अटालाखाना में हो गया. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि एक तो पिछले 2-3 वर्षों में जहां-जहां भी शिविर हुए हैं, उन शिविरों की तारीख के साथ, उसका आवंटन, उसका परीक्षण और उपकरण देने में जो विलंब हुआ है, उसकी आप जांच करवा लें. माननीय मंत्री महोदय, प्रत्‍येक ब्‍लॉक स्‍तर पर इस प्रकार की शिकायतें आई हैं और इसको लेकर एक समय-सीमा भी आप सुनिश्‍चित कर दें कि निकट भविष्‍य में एलिमको कंपनी जब भी शिविर लगाए, शिविर की तारीख से एक महीने के अंदर, दो महीने के अंदर, तीन महीने के अंदर उपकरण बंट जाने चाहिए. आखिर बच्‍चे की जो ग्रोथ बढ़ रही है, उसके कारण अगर वह उपकरण आ भी जाएगा, तो उसके काम का इसलिए नहीं होगा, क्‍योंकि उसके शरीर पर वह फिट नहीं होगा, क्‍योंकि उसकी आयु बढ़ रही है तो उसका जो दूसरा पांव है, जो वर्किंग है, या दूसरा हाथ है, जो वर्किंग है, उसमें वह फिट नहीं होगा. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि एक तो इसमें आप विलंब को दिखवा लीजिए, उसकी जांच करवा लीजिए. दूसरी बात यह है कि निकट भविष्‍य में कंपनी की एक समय-सीमा सुनिश्‍चित करवा दें तो मैं समझता हूँ कि पूरे मध्‍यप्रदेश के दिव्‍यांगों के ऊपर आपकी सहानुभूति होगी और आपकी कृपा भी होगी.

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य काफी वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं और निश्‍चित रूप से दिव्‍यांगों के बारे में जो विभाग का रोडमैप है, जो विभाग का नियम है, यदि नियम का पालन एलिमको संस्‍था द्वारा नहीं किया जा रहा है या कृत्रिम अंग दिव्‍यांगों को समय पर नहीं पहुंचाए जा रहे हैं तो इसकी हम विस्‍तृत जांच कराएंगे. यदि शिविरों में भी कहीं देरी हुई है और उन बच्‍चों को दिव्‍यांग होने के कारण जो कृत्रिम अंग समय पर उपलब्‍ध होने चाहिए थे, वह उपलब्‍ध नहीं हुए तो हम दोनों कारणों की विस्‍तृत जांच करा लेंगे.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. आपने दोनों कारणों की जांच का आश्‍वासन दिया, उसके लिए आपका आभार.

 

 

 

 

12.46 बजे                         याचिकाओं की प्रस्‍तुति

          अध्‍यक्ष महोदय -- आज प्रस्‍तुत सभी याचिकाएं पढ़ी हुईं मानी जाएंगी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.47 बजे                    शासकीय विधि विषयक कार्य

(1)            मध्‍यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2021

                           (क्रमांक 8 सन् 2021) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

(2)            डॉ.बी.आर.अम्‍बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक,                    2021 (क्रमांक 9 सन् 2021) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

(3)            पंडित एस.एन.शुक्‍ला विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021

                          (क्रमांक 10 सन् 2021) का पुर:स्‍थापन

 

 

(4)            मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक,                     2021 (क्रमांक 11 सन् 2021) का पुर:स्‍थापन

 

 

(5)            मध्‍यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी (संशोधन) विधेयक, 2021                                  (क्रमांक 12 सन् 2021) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

(6)            मध्‍यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (संशोधन) विधेयक,                          2021 (क्रमांक 13 सन् 2021) का पुर:स्‍थापन

 

 

                                          

 

         

12.51 बजे

मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 14 सन् 2020) का पुरःस्थापन.

        विधि और विधायी कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--  माननीय अध्यक्ष महोदय,

 मैं,मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2021 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2021 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.

                                                                                      अनुमति प्रदान की गई.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2021 का पुरःस्थापन करता हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--  अब राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा. श्रीमती झूमा सोलंकी, सदस्य, अपना भाषण पूर्ण करेंगी.

12.53 बजे

राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ.सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा दिनाँक 22 फरवरी, 2021 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण.

 

        श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी(भीकनगाँव)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी कल जो अधूरी बात रह गई थी, मैं आज अपनी बात रख रही हूँ. अध्यक्ष जी, सरकार के सुशासन का संकल्प, इसके ऊपर मैं कह रही हूँ कि भू-माफियाओं का अतिक्रमण हटाना, चूँकि हमारी सरकार ने भी शुरू किया था, शुद्ध के लिए युद्ध, किन्तु यह वास्तव में राजस्व के अमले द्वारा मनमानी करके उन दुकानों को तोड़ा जा रहा है, जिनकी रोजी-रोटी ही उन दुकानों से लगी है और ऐसे गरीब लोग जो नगर पालिकाओं में और पंचायतों में अपनी बाकायदा राशि भरते हैं और निरन्तर भर रहे हैं, उनकी तोड़ी गईं, तो किस तरह का यह सुशासन है, अध्यक्ष जी, यह मैं आप से कहना चाह रही हूँ.

अध्यक्ष जी, इसी तरह से महिलाओं पर अत्याचार, मैं पहले भी कह चुकी हूँ कि पूरे मध्यप्रदेश में जिस हिसाब से अत्याचार बढ़ें हैं वास्तव में बहुत सोचनीय और निन्दनीय है और इसी तारतम्य में हमारी सम्माननीय विधायक कलावती भूरिया जी का, जो मेरा शून्यकाल में भी लगा हुआ था, वे अपनी बात पूरी दबंगता से करती हैं और काम भी कर रही हैं, किन्तु खुले रूप से उनके ऊपर 10 फरवरी को पत्रकार वार्ता लेकर, पूर्व विधायक के द्वारा चेतावनी दी गई है, धमकियां दी गई हैं, आज तक उनकी कोई कार्यवाही नहीं की गई है. (शेम शेम की आवाज) अध्यक्ष जी, बहुत दुख की बात है यदि हमारी विधायक ही सुरक्षित नहीं है, जो महिला है, जिसको विशेषाधिकार है, वह सुरक्षित नहीं है तो आम जन की सुरक्षा की बात हम लोग कैसे कहेंगे. इसमें कार्यवाही होना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) और इसी तरह से बहुत बड़ी बात है कि उनको सुरक्षा देने के बजाय जो उनके खिलाफ धमकियाँ दे रहे हैं उनको प्रोटेक्शन दिया जा रहा है और आज पता चला कि पूर्व विधायक के लिए दो गार्ड की व्यवस्था की गई है, तो यह सरकार किनको सुरक्षा देना चाह रही है इस ओर सरकार को थोड़ा सा ध्यान देना चाहिए.

अध्यक्ष जी, हमारी महामहिम के द्वारा बिजली के बिलों की बात कही गई कि गरीबों को छूट दी जा रही है. माननीय कमलनाथ जी ने सौ यूनिट पर सौ रुपया, इस हिसाब से गरीबों के बिल आना शुरू हुए थे, किन्तु आज की तारीख में वह बिल उल्टे हो गए हैं, हजारों में बिल आ रहे हैं और गरीब लोग इससे त्रस्त हैं और नलजल योजना के, जिनसे हमारी पंचायतों में नल जल योजनाएँ चलती थीं, उनके सारे काटे जा रहे हैं और उनसे भरने के लिए कहा गया है और उनके जो बिल आ रहे हैं, और पहले जो व्यवस्था थी, वही रहे, जिससे पंचायतें आसानी से उनको संचालित कर सकती हैं.

माननीय अध्यक्ष जी, गरीबों को जो अनाज दिया जा रहा है, जो 28 सौ की सूची, जिसमें सभी अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य जो गरीब हैं, जिनको अनाज देते आए हैं, उनमें गरीबों को अनाज देने के बजाय इस बार बाजरे की व्यवस्था की गई है. यह कहाँ का न्याय है? जब हमारा पूरा मध्यप्रदेश गेहूँ उत्पादन में 6 बार से शायद अवार्ड ले रहा है, सबसे अधिक उत्पादन करने में और हमारे गरीबों को बाजरा खिलाएंगे हम? यह कहाँ का न्याय है गरीबों के साथ? तो अध्यक्ष जी, जो हमारे गरीब किसान हैं या मजदूर हैं वे अनाज खाते हैं, मक्का खाए, ज्वार खाए, किन्तु जो बाजरे की व्यवस्था की गई है यह बिल्कुल गलत है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहाँ बैठे हैं इसमें बिल्कुल बदलाव आना चाहिए. बाजरा, हमारे अनुसूचित जनजाति के लोग कभी खाते नहीं हैं.

माननीय अध्यक्ष जी, इसी तरह से ओलावृष्टि, अभी काफी कुछ हुआ, चूँकि जब बजट आएगा उसमें भी मैं अपनी बात रखूँगी. हमारे यहाँ आंधी-तूफान के साथ ओलावृष्टि भी हुई, इसमें बहुत नुकसान हुआ है. अतः अध्यक्ष जी, अतिशीघ्रता के साथ सर्वे के लिए यहाँ से आदेश मिलें ताकि उनका सर्वे हो और उन्हें मुआवजा दिया जाए. माननीय अध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का वक्त दिया इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद करती हूँ.

 

 

 

 

12.55 बजे

सुश्री कलावती भूरिया, सदस्य द्वारा जान से मारने की धमकी दिए जाने के कारण सुरक्षा की मांग की जाना.

 

            सुश्री कलावती भूरिया (जोबट)-- माननीय मुख्यमंत्री जी, आप प्रदेश की बहन और बेटियों को सुरक्षा प्रदान करते हैं. मैंने लगातार आपको पत्र भेजे हैं मुझे कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है और सामने वाले को दो-दो गार्ड प्रदान कर दिए गए हैं. हारे हुए विधायक की सुरक्षा करना है या जीते हुए विधायक की सुरक्षा करना है. मुझे लगातार धमकियां दी जा रही हैं. कल भी प्रोग्राम किया गया, कल का वीडियो भी मैं दे सकती हूँ. आपको सीडी भी मैंने दी है. आईजी, डीजीपी सभी से मैंने गुहार लगाई है. मुझे सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है. मेरी जान को खतरा है वहां पर लोग बंदूक लेकर घूम रहे हैं. क्या पूर्व विधायक को सरकार का संरक्षण है मिला हुआ है. खुले आम मेरे हाथ और मेरी नाक काटने की धमकी दी जा रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि रोड पर उड़ा देंगे. मुझे वे कभी भी जान से मार सकते हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है.

          सुश्री कलावती भूरिया -- कोई कार्यवाही उन पर नहीं की गई है...(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है, सदन के नेता बोल रहे हैं. अब आप बैठ जाइए. माननीय मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं,सुन तो लीजिए.

          मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित विधायक चाहे वे भाई हों, बहन हों, चाहे पूर्व विधायक हों सरकार हर एक की सुरक्षा की गारंटी देती है. सुरक्षा के लिए जो भी आवश्यक उपाय होंगे वे किए जाएंगे.

          डॉ. विजयलक्ष्मी साधो -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने जो कहा है कि विधायक हो या भूतपूर्व विधायक हो, विधायक इस सदन का सदस्य है. आप सदन के पितामह हैं. सदस्य के साथ जिस तरह का बर्ताव हुआ है प्रेस कांफ्रेस लेकर हाथ पैर काटने की धमकी दी गई है. पूर्व विधायक पर तत्काल व्यवस्था देना चाहिए, गिरफ्तारी होना चाहिए. पूर्व विधायक को तो आपने गार्ड की व्यवस्था कर दी है लेकिन जो विधायक इस संस्था की सदस्य है, आप पितामह हैं. जो वर्तमान सदस्य है उसको अगर सुरक्षा प्रदान नहीं की जाएगी,  वह महिला विधायक है तो फिर हम लोग कहां जाएंगे. मेरा आपसे अनुरोध है. (व्यवधान)

          डॉ. विजय शाह -- माननीय मुख्यमंत्री जी ने आश्वस्त किया है कि कोई भी व्यवस्था कराना होगी कराएंगे, सुरक्षा गार्ड देना होगा तो कराएंगे. (व्यवधान)

          डॉ. विजयलक्ष्मी साधो -- माननीय मेरी बात पूरी हो जाने दें. महिला विधायक, ऊपर से आदिवासी. तत्काल गिरफ्तारी होना चाहिए. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए थोड़ा सुन लीजिए. हम क्या कहने वाले हैं वह सुन तो लीजिए. आपकी बात सुन ली गई है. (व्यवधान)

          डॉ. विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी के आश्वासन के बाद यह विषय खत्म हो जाता है. (व्यवधान)

          श्री कांतिलाल भूरिया -- मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि विधायक के हाथ पैर काटने की बात हो रही है, कहा जा रहा है कि नाक काट देना चाहिए.... (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- मैं सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध करता हूँ कि बैठ जाइए. भूरिया जी बैठ जाइए. (व्यवधान)

          डॉ. विजय शाह -- अरे भूरिया जी आपने झाबुआ में आतंक मचाया है.. (व्यवधान)

          श्री कांतिलाल भूरिया -- गुण्डों की वकालत मत करो, आप मंत्री हैं.. (व्यवधान).

          अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए, आपकी आवाज आ रही है, लिखा गया है. बैठ जाइए. मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करता हूँ कि बैठ जाइए.. (व्यवधान)

          श्री बाला बच्चन -- गिरफ्तार नहीं किया गया तो कभी भी घटना घट सकती है. मुख्यमंत्री जी आप इसको गंभीरता से लीजिए. विधान सभा की दूसरी बार की आदिवासी विधायक हैं. आपको इस पर गंभीरता से ध्यान देना पड़ेगा.. (व्यवधान)

          डॉ. विजयलक्ष्मी साधो -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए, महिला सदन की सदस्य होने के साथ साथ आदिवासी हैं.. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- आप लोग शांत हो जाइए, सुन लीजिए. मैं आसंदी से खड़ा हुआ हूँ. आप बैठ तो जाइए. बहन जी बैठ जाइए. माननीय विधायक जी बैठ जाइए. जीतू जी बैठ जाइए, मेरी बात सुन लीजिए. मैं सभी सदस्‍यों से अनुरोध करना चाहता हूं कि इसको किसी तरीके से जातीय नजरिए से आदिवासी और सामान्‍य के हिसाब से नहीं देखना है. इस विधान सभा के अंदर जो हमारा माननीय सदस्‍य है, वह सदस्‍य है और उसका इस तरह से वर्गीकरण मत कीजिए. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने आश्‍वासन दिया है और मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आप निश्चिंत रहिए. (व्‍यवधान) ...         

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमें आपका संरक्षण चाहिए, आश्‍वासन से काम नहीं चलेगा. उस व्‍यक्ति के ऊपर क्‍या कार्यवाही हुई है,
 
उस व्‍यक्ति की गिरफ्तारी होना चाहिए? यह एक महिला सदस्‍या का मामला है. (व्‍यवधान) ...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने सुरक्षा की गारंटी दी है, परंतु उस अपराधी को पकड़ने की कोई बात नहीं की है, जिसने खुले आम धमकी दी है. उसको गिरफ्तार होना चाहिए. हम यह आश्‍वासन चाहते हैं. (व्‍यवधान) ...

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आश्‍वासन नहीं चलेगा हम कार्यवाही चाहते हैं. (व्‍यवधान) ...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक जनजाति की बात है और जिसकी बात कर रहे हैं हमारे नागर सिंह जी वह भी जनजाति से ही हैं. भूरिया जी आप मशीन लगाकर आते नहीं हैं, आप सुनते ही नहीं हैं आप सुना भी तो करिए. (व्‍यवधान) ...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- यह ट्वीस्‍ट हो रहा है, गृह मंत्री जी, आप सब्‍जेक्‍ट को ट्वीस्‍ट कर रहे हैं. हमारी मांग यह है कि एक विधायक को जो खुलेआम धमकी दे रहा है उसे गिरफ्तार करिए. मंत्री जी गिरफ्तारी का आश्‍वासन क्‍यों नहीं दे रहे हैं. (व्‍यवधान) ...

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप उन्‍हें बोलने तो दीजिए. वह बोलेंगे तभी तो समझ में आएगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या कोई कायमी है? नागर सिंह चौहान पूर्व विधायक हैं, आदिवासी समाज से आते हैं नागर सिंह जी की गिरफ्तारी कैसे कर लेंगे? पॉलिटिकल किसी ने प्रेस में कहा और प्रेस की बात का जवाब इन्‍होनें प्रेस से दे दिया. क्‍या इनकी बात का भी जवाब देंगे? इन्‍होंने भी वैसा ही जवाब दिया है. राजनैतिक रूप से आरोप प्रत्‍यारोप हैं वह लोकल की राजनीति है.

           अध्‍यक्ष महोदय, जो बात मूल रूप से सदन की थी उसमें आपने आश्‍वासन दिया, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने आश्‍वासन दिया कि माननीय सदस्‍या की सुरक्षा की पूरी गारंटी सरकार की है, मुख्‍यमंत्री जी की और आसंदी की है दोनों बातें आप कह चुके हैं उसके बाद भी अकारण इस विषय को तूल दे रहे हैं. (व्‍यवधान) ...

          श्री कुणाल चौधरी-- माननीय मंत्री जी, गाड़ देने की, टांग देने की बात हुई थी और जो खुलेआम विधायक को धमकी दे रहे हैं उनको गाड़ेंगे, टांगेंगे नहीं और गरीब आदमी को गाड़ेंगे, टांगेंगे. (व्‍यवधान) ...

          अध्‍यक्ष महोदय-- दोनों बातें आ गई हैं. माननीय सदस्‍य जी, अब तो संसदीय कार्य मंत्री जी ने भी कह दिया है जिनका आप नाम ले रहे हैं उनको भी बता दिया है तो बात तो वही हो गई है इसीलिए मैंने कहा है कि उस नजरिए से मत देखिए. आगे बात बढ़ने दीजिए. जालम सिंह पटेल जी आप बोलिए. (व्‍यवधान) ...

          श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्‍यक्ष महोदय, हम माननीय मुख्‍यमंत्री जी से पूछना चाहते हैं कि आप सुरक्षा के लिए क्‍या प्रोटेक्‍शन कर रहे हैं. (व्‍यवधान) ...

          श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता व्‍यक्‍त करता हूं. देश के प्रधानमंत्री सम्‍माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी.

          श्री जितु पटवारी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय..

          अध्‍यक्ष महोदय-- जितु जी आप अपनी बात बाद में कह लीजिएगा. जालम सिंह जी ने बोलना शुरू कर दिया है.

          श्री जितु पटवारी-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं खुद गया था कोई बड़ी घटना हो जाएगी उसमें मध्‍यप्रदेश का मुंह काला होगा. पक्ष, विपक्ष, राजनैतिक, दलगत  विचार के ऊपर उठकर इस पर कोई संज्ञान लेना चाहिए अन्‍यथा एक दिन ऐसा आएगा कि सदन में चर्चा होती रहेगी और कोई बड़ी घटना होगी तब हम सारे शर्मसार होंगे. इसको उस नजरिए से लेना ही नहीं चाहिए कि यह कांगेस और बीजेपी है. एक सदस्‍य को उन्‍होंने कहा कि नाक काट दूंगा, हाथ काट दूंगा अलग-अलग धमकियां दी जा रही हैं.

          श्री जालम सिंह पटेल-- अध्‍यक्ष महोदय, इनका वीडियो भी ऐसा ही चल रहा है. इनके वीडियों में भी इन्‍होंने ऊटपटांग बोला है. हमने आपका वीडियो भी देखा है.

          श्री जितु पटवारी-- इसको तो संरक्षित करना पडे़गा. यह वीडियो की बात नहीं है. इस बात को आप नकारात्‍मक मत लो इसे आप सकारात्‍मक रूप से लीजिए. इसमें आप पक्ष और विपक्ष पर मत आइए. माननीय मुख्‍यमंत्री जी आप इस बात को संज्ञान में लेकर इस पर निर्णय लें अन्‍यथा बड़ी घटना घट सकती है. दोनों तरफ से घट सकती है.यह बात हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं. ऐसा नहीं है आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र है, बाद में यह बातें याद आएंगी कि हमने कहा था. (व्‍यवधान) ...

          अध्‍यक्ष महोदय-- जालम सिंह जी, आप अपनी बात कहिए.      

          श्री जालम सिंह पटेल-- अध्‍यक्ष महोदय, देश और प्रदेश में अनेक विचार धाराओं के आधार पर सरकारें काम कर रही हैं और मैं ऐसा मानता हूं कि चाहे सामंतवाद हो, पूंजीवाद हो, समाजवाद हो, साम्‍यवाद हो, नक्‍सलवाद हो, माओवाद हो, आतंकवाद हो, परिवारवाद हो चलते आए हैं, जिनको जनता ने धूल चटाने का काम किया है और मानववाद को स्‍वीकार किया है, अंत्‍योदय को स्‍वीकार किया है और मैं ऐसा मानता हूं कि अंत्‍योदय के आधार पर आज चाहे हमारी प्रदेश की सरकार हो. चाहे केंद्र की सर‍कार हो लगातार काम कर रही है. एक तरफ मैं कह सकता हूं कि यह देश किसानों का देश है, गांवों का देश है और जब पूर्व प्रधानमंत्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री बने, तब गांव-गांव सड़क बनी. लंबे समय तक कांग्रेस की सरकार रही, मगर किसी गांव की तरफ सड़क का रूख नहीं रहा. इसी प्रकार से वर्तमान परिवेश में, मैं कह सकता हूं कि चाहे प्रधानमंत्री आवास हो, चाहे शौचालय हो, गैस के कनेक्‍शन हो या हमारी संबल योजना अथवा जितनी भी अन्‍य प्रकार की हमारी योजनायें चल रही हैं, आजादी के 70-72 वर्षों में धरातल पर यदि काम हुआ तो जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, हमारी सरकार है, मध्‍यप्रदेश में 15 वर्षों से हमारी सरकार है, सिर्फ उसी के आधार पर काम हुए है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक जनप्रतिनिधियों की मैं बात करता हूं तो अंत्‍योदय के विचार के कारण ही आज देश का प्रधानमंत्री, एक गरीब व्‍यक्ति, श्री नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं. इस प्रदेश का मुख्‍यमंत्री है तो एक किसान का बेटा मुख्‍यमंत्री बना है. यदि अंत्‍योदय का विचार नहीं होता तो प्रदेश के मुख्‍यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी नहीं बनते अपितु कोई राजा-महाराजा होता या कोई उद्योगपति होता. हम कांग्रेस की सरकारों में देख सकते हैं कि किस प्रकार से उन्‍होंने अपने मुखिया बनाये हैं. इसी प्रकार से मैं कह सकता हूं कि जितने भी इस विचारधारा से जुड़े हम लोग हैं, हम लगातार ऐसा वर्ग जो शोषित है, पीडि़त है, कमजोर है, जिसकी कभी कोई चिंता नहीं हुई, उस क्षेत्र में लगातार हमारे प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी काम कर रहे हैं. प्रदेश के किसानों की बात यहां की जा रही है. किसानों को क्रेडिट देने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार और अटल बिहारी वाजपेयी जी जब प्रधानमंत्री बने तब किसान की क्रेडिट बनी. उसके पहले किसान को सिर्फ कर्जीला बनाने का काम किया जाता था. हम लोग मूलत: किसान हैं. हमारे यहां कोई टैक्‍ट्रर लिया जाता या कुंआ खोदा जाता था तो उसमें कम से कम 25 एकड़ की जमीन लगती थी और फिर उसमें कर्ज मिलता था और उस पर भी लगभग 18 प्रतिशत का ब्‍याज लगता था. आज 1 प्रतिशत और बिना ब्‍याज के किसानों को कर्ज मिल रहा है. मैं कह सकता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है  इसलिए किसानों को यह लाभ मिल रहा है.

 

 

 

1.07 बजे

{सभापति महोदया (श्रीमती झूमा डॉ.ध्‍यानसिंह सोलंकी) पीठासीन हुई.}

 

          माननीय सभापति महोदया, मैं आप सभी को जानकारी देना चाहता हूं कि कांग्रेस के बंधु लगातार केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि सुधार के कानूनों को बिना जाने-समझे उनका विरोध कर रहे हैं और आज उनके विश्‍वास का भी संकट है. इसलिए कांग्रेस के बंधु लगातार किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने का प्रयास कर रहे हैं.

          माननीय सभापति महोदया, मैं आप सभी को, इस सदन को और विशेषकर कांग्रेस के बंधुओं को बताना चाहता हूं कि पंजाब में आपकी सरकार है, वहां कांग्रेस की सरकार ने 16 अप्रैल, 2013 को कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग एक्‍ट बनाया है, जिसकी कंडिका 25 के अनुसार यदि किसान अधिनियम का उल्‍लंघन करता है या उससे मुक्‍त हो जाता है तो कारावास के साथ 5 लाख रुपये तक का जुर्माना है. इसके अलावा प्रतिदिन जुर्माना भी किया जा सकता है. कंडिका 26 के अनुसार किसी न्‍यायालय में इसकी सुनवाई भी नहीं की जा सकती है. धिक्‍कार है कांग्रेस को.

          माननीय सभापति महोदया, मैं आप सभी से कहना चाहता हूं कि यहां सब बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, मैं पंजाब राज्‍य में जो कानून पास हुआ है, उसकी बात कर रहा हूं लेकिन दिल्‍ली के नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने उसमें सुधार किया और उसमें किसानों के ऊपर कोई बंधन नहीं है. कल लगातार हमारे प्रतिपक्ष के नेताजी इस बारे में बात कर रहे थे और ये घडि़याली आंसू बहाना उनको बंद करना चाहिए. इसी प्रकार से कल यह भी बात हो रही थी कि हमारी जो सड़कें प्रस्‍तावित हैं, हम उस पर वाह-वाही लूट रहे हैं. हमारे अभिभाषण में कुछ जानकारी है कि वर्ष 2020-21 में 3 हजार 243 करोड़ रुपये के खर्च से 1 हजार 796 किलोमीटर की लंबाई की सड़क का उन्‍नयन और निर्माण हुआ है. इसी प्रकार से सड़कों के नवीनीकरण का काम 1 हजार 856 किलोमीटर में किया गया है. 275 करोड़ रुपये की लागत से बड़े पुल और आरओबी बनाये गये हैं. इस वर्ष प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत 2 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है. 208 वृह्द पुलों का निर्माण किया गया है. वर्ष 2021-22 में जिसकी बात कल, माननीय कमल नाथ जी ने की थी, 5 हजार 200 किलोमीटर लंबाई की सड़कों का निर्माण किया जायेगा.

 

          सभापति महोदया:- जालम सिंह जी, आपको पांच मिनट का समय है और वह हो चुका है, आप अपनी बात जल्‍दी खत्‍म करें.

          श्री जालम सिंह पटेल:- इस प्रकार से लगभग हमारे मध्‍यप्रदेश में 14652 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो चुका है. हमको जानकारी होना चाहिये, मैंने पहले भी कहा है और अब भी कह रहा हूं कि अगर गांव तक सड़कें बनीं हैं तो तो प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी ने मुख्‍यमंत्री सड़क योजना के माध्‍यम से और उससे नीचे जाकर के किसानों के खेतों तक खेत- किसान सड़क मैं ऐसा मानता हूं कि अभी तक लगातार बन रही है. इसके अलावा भी चाहे नर्मदा वे हो उसके लिये प्रसाद योजना के माध्‍यम से अमरकण्‍डी जी का विकास किया जा रहा है. लगभग 1000 गौ-शाला का निर्माण हो गया है, उसी प्रकार से अभी 1000 गौ-शाला अभी और बनना है, लगातार शिफ्ट में काम किया जा रहा है. आपने बोलने के लिये समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री जि‍तु पटवारी(राऊ):- सभापति महोदया, आसंदी से मेरा अनुरोध है कि राज्‍यपाल जी का अभिभाषण कोरोना की इस महामारी में जब लोगों ने एक दूसरे से बोलना बंद कर दिया, पिता की अंत्‍येष्टि में बेटे ने आग लगाने से डरना चालू कर दिया. हजारों किलोमीटर भूखे-प्‍यासे मजदूर, जगह-जगह हमने नये-नये दृश्‍य देखे. इंसानियत और मानवता के गिरते और चढ़ते कई उदाहरण इस पूरे एक साल में हम लोगों ने आत्‍मसात किये. इसमें प्रधान मंत्री जी ने जो कहा कि आपदा को अवसर समझो, हमने कोशिश की कि इस महामारी से निजाद में पूरी इंसानियत, मानवता एक साथ हो. मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी ने भी कई नारे दिये एक दिया समृद्ध मध्‍यप्रदेश का,  दूसरा दिया स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश का और अब दिया है आत्‍म निर्भर मध्‍यप्रदेश का. ईश्‍वर करे दो पहले के नारे तो समृद्ध और स्‍वर्णिम तो वह बना नहीं पाये पर आत्‍म निर्भर मध्‍यप्रदेश बने, इसके लिये उनको साधुवाद, धन्‍यवाद.

          एक महामारी जिसकी चर्चा लगातार 17 अध्‍याय में हुई है. कोविड को लेकर इस सरकार ने जो व्‍यवस्‍थाएं की वह इसमें बताया गया है. दूसरी एक महामारी और मध्‍यप्रदेश ने नयी देखी, कुछ नया हुआ, नया यह हुआ कि लोकतांत्रिक महामारी. लोक तंत्र मध्‍यप्रदेश ने नया देखा, नया लोकतंत्र कैसे देखा यह जग-जाहिर है सर्वविदित है, इसमें लोगों के मत को खरीदने और बेचने का एक नया मध्‍यप्रदेश ने अनुभव किया. इसमें मध्‍यप्रदेश की जनता ने जो सदन आहूत हो रहा था उसमें 35 कर्मचारियों को कोरोना पॉजिटिव बताया और सदन आहूत नहीं होने दिया और उनके विशेषाधिकारों की रोकथाम की, यह देखा. एक राजेन्‍द्र जी, जावरा के विधायक जी का फोटो हम बार-बार देख रहे हैं उनका बयान आया, यह पहली बार देखा उन्‍होंने कहा कि मुझे अधिकारियों ने जानबूझकर कोविड का मरीज बना दिया, क्‍योंकि मैं सदन में उपस्थित नहीं हो सकूं, यह देखा. मैं मानता हूं कि यह भी पहली बार देखा कि एक सौम्‍य मुख्‍यमंत्री, सरल मुख्‍यमंत्री, किसान का बेटा मुख्‍यमंत्री और किसान को भगवान और उनका भक्‍त बताने वाला मुख्‍यमंत्री बताने वाला मुख्‍यमंत्री बयान देने लगा की टांग तोड़ दूंगा, गाड़ दूंगा मध्‍यप्रदेश से भाग जाओ रे, मामा अलग फार्म में है, मामा अलग मूड में है इनके बयान आने लगे. आदरणीय शिवराज जी राज्‍यपाल जी का अभिभाषण 15-16 साल के आपके शासन का जीता-जागता फेल्‍युअर का प्रमाण है, जीता-जागता यह अभिभाषण विफलता और अराजगता आपने 16 साल में कितनी की, इसी में आपने बताया है. मुख्‍यमंत्री जी, इसी में जो बातें हैं उन्‍हीं पर मैं आपसे आसंदी के माध्‍यम से चर्चा करूंगा. हम रोज एक फोटो अखबार में देखते हैं, मुख्‍यमंत्री जी एक पौधा रोज लगायेंगे, अच्‍छी बात है. पर्यावरण का संरक्षण का हम सबको करना है, परन्‍तु मुख्‍यमंत्री जी आपके वह 6 करोड़ 67 लाख के रिकार्ड का क्‍या हुआ. जो नर्मदा के आसपास लगाये थे उन पर आप चर्चा क्यों नहीं करते हैं ? एक पौधा रोज लगाओ यह जरूरी है उसमें वन विभाग क्या करेगा, वन मंत्री क्या करेंगे ? विद्या बालन की डिनर पर चर्चा अखबारों में आयी थी, तो वन मंत्री जी के कर्तव्यों का निर्वहन कौन करेगा ? यह आपको और हमको बताना है. कोविड को लेकर पिछले 16 सालों में मुख्यमंत्री जी ने कहा कि चिरायु हॉस्पीटल में भर्ती हुए अभिभाषण के पैरा 14 में मुख्यमंत्री जी केवल कोविड में थे. हमने यह प्रयास किया, इतने वेंटीलेटर लगाये इतना यह किया, इतना वह किया. 16 साल में आपने क्या किया ? आपने कहा कि 16 साल में जिले में कुछ नहीं कर सका. एक भी जिले के किसी भी हॉस्पीटल में एक वेंटीलेटर नहीं था, यह आपने बताया है. यह 16 साल की आपकी अकर्मण्यता आपकी है. इस पर आपको विचार करने की आवश्यकता है. आपने इस अभिभाषण में कहा कि साढ़े पांच करोड़ के प्रदेश में मैंने 5 करोड़ 25 लाख लोगों को, हमारे परिवार वालों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राशन वितरित कराया यह 16 साल का आपकी विफलताओं का प्रमाण है. आपने कहा कि मैंने 1 करोड़ मजदूरों को 30 लाख करोड़ दिवस रोजगार उपलब्ध कराया. 1 करोड़ मजदूरों का प्रदेश बनाया यह 16 सालों में आपने किया है. यह प्रमाण दिया है कि 16 साल में मैं चुनकर जब तीन बार लोकप्रिय मुख्यमंत्री बना, लोगों की भावनाओं से मुख्यमंत्री बना.लोगों की जन भावनाओं पर खरा नहीं उतरा, यह आपने बताया है. हमारी बेटियों को लेकर मुख्यमंत्री जी बहुत चिन्तित हैं रोज पैर धोकर, पूजा पाठ करके कोई कार्यक्रम का आयोजन होगा तो उसमें जारी कर दिया फरमान पर वह नहीं बता पाये कि 9 हजार 600 बच्चियों को 11 महीने में अपहरण से हमने छुड़वाया, यह इसी अभिभाषण में आपने बताया है. 16 सालों में आपने साढ़े नौ हजार बच्चियों का अपहरण हुआ होगा इसका क्या प्रमाण है? यह अपने आप में बताता है कि वह विफल मुख्यमंत्री थे. आप भूल गये कि प्रदेश की राजधानी भोपाल में जघन्य बलात्कार हुए हैं. शहडोल में मंडल अध्यक्ष ने जिस तरीके से नशे के इंजेक्शन देकर के चार दिन तक बलात्कार किया है. आप भूल जाते हैं कि जावरा का युवा मोर्चा का मंडल अध्यक्ष उसने क्या किया ? आप भूल जाते हैं गुना की घटना को, आप भूल जाते हैं इन्दौर के काण्ड को, आप भूल जाते हैं कि 11 महीने में बच्चियों के साथ बलात्कार, 17 साल में बेटियों के साथ गेंग रेप, 17 साल में गर्भवती महिलाओं की मौतें, नवजात शिशु मृत्यु दर में देश में हम सबमें नम्बर 1 हैं. महिला सुरक्षा की पोल तो जब खुल गई जब एक साल में 4 हजार 600 बलात्कार के केसों के आंकड़े आये मध्यप्रदेश में एक साल में 49 हजार बेटियों पर किसी न किसी रूप में अपराध हुआ है मुख्यमंत्री जी.  मध्यप्रदेश में यह आपका पाठ पूजन का असली चेहरा है आप कहते हैं कि सुशासन चलाना सुशासन चलाना 90 प्रतिशत विधायक उसमें सत्तापक्ष के हों अथवा विपक्ष के हों उनके प्रश्नों का एक उत्तर है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. हमने पूछा आप कहते हैं कि 17 साल में मध्यप्रदेश को स्वर्णिम बनाया. मेरे प्रश्न के उत्तर की बात हो रही है कि 11 महीने में शिवराज सिंह जी द्वारा कितने स्थानांतरण किये गये उसको तीन बार पूछा उसमें कहा कि जानकारी एकत्रित की जा रही है.यह कहना कि कमलनाथ जी ने वल्लभ-भवन को दलालों का अड्डा बना दिया. यही अधिकारी हमारे पास थे और यही अधिकारी आपके पास में हैं, यह लोग यहां पर बैठे हैं इनको रोज क्यों आप लोग चोर कहते हो. आप क्‍यों कहते हो कि ये गलत लोग हैं, इनसे ही लोकतंत्र चलता है. मैं आपको चुनौती देता हूं अगर कमल नाथ के 15 महीने में और आपके 11 महीने के कार्यकाल से तीन गुना ट्रांसफर नहीं हुए हो, सीधे डबल नहीं हुए हो तो मैं आपकी सारी बातें सर-माथे पर रखूंगा. जिस तरीके से आपके वक्‍तव्‍य आते थे, वह शिवराज सिंह चौहान नहीं था, जिसको हमारे जैसे नए लोग चुनकर आये, जब देखा कि एक गरीब का बेटा जो मुख्‍यमंत्री बन सकता है. आप तो नफरत, घृणा, जाओ रे काट दूंगा रे. माफिया दो तरह के हैं, एक (XXX) जो स्‍वच्‍छ है, बीजेपी की वॉशिंग मशीन में धुल-धाल कर आ रहे हैं और एक माफिया जिसमें कार्यवाही करके मैं रोज हेडलाइन बनाता हूं. सभापति महोदय, इस तरह का आचार विचार एक मुख्‍यमंत्री को शोभा नहीं देता.

          मैंने प्रश्‍न पूछा कि किसान कर्ज माफी चालू रखोगे कि बंद करोगे कि वापस लोगे, वसूली करोगे, निरंतर जानकारी एकत्रित की जा रही है. मतलब दोगे भी नहीं लोगे भी, चुप बैठोगे. श्री कमल पटेल कहते हैं कि किसानों का कर्ज माफ करना पाप था (XXX) मैं मानता हूं कि ऐसी परिस्थिति में पिछले 10 वर्षों में.

          श्री कमल पटेल – (XXX) इसलिए विपक्ष में आए हो.

          श्री जितु पटवारी - यह कमल पटेल की चिट्ठी माफियाओं के विरूद्ध है वह कमिश्‍नर को कहती है कि कलेक्‍टर खुद माफिया है. यही कमल पटेल की चिट्ठी आप इसी मंत्री मंडल में हो, कैसी सरकार है ये, (XXX) यह प्रश्‍न है आज प्रदेश के सामने.

          सभापति महोदया - जितू जी समाप्‍त करें.       

          श्री जितु पटवारी - सभापति महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि पिछले 10-15 साल पहले मुख्‍यमंत्री जी ने एक नारा दिया, देश के प्रधानमंत्री ने भी उसको एक्‍सेप्‍ट किया. उन्‍होंने कहा कि मैं किसानों की आय दोगुनी करूंगा. मुख्‍यमंत्री जी ने कहा किसानों की आय दोगुनी करूंगा.

          श्रीमती कृष्‍णा गौर (गोविन्‍दपुरा)- माननीय सभापति महोदया, मैं आपका बहुत धन्‍यवाद करती हूं कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. इस सदन में पहली बार मुझे बोलने का मौका मिला है मुझे आपका संरक्षण चाहिए, चूंकि आप एक महिला है. (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - भाभी रोक-टोक से कुछ नहीं होगा. बात पूरी कहनी पड़ती है. (...व्‍यवधान)

          सभापति महोदया - जितू जी खत्‍म करें, आपका समय हो गया है.

          श्री जितु पटवारी - सभापति महोदया, पूरी बात कहेंगे, कांग्रेस पक्ष के दो लोग कम बोल लेंगे, मैं पूरा बोलूंगा, अनुरोध है. हमारे दो सदस्‍य कम हो जाएंगे, हमें जितने समय मिला है हम पूरा बोलेंगे.

          सभापति महोदया - ठीक है आधा मिनट में पूर्ण कीजिए. (...व्‍यवधान)

          श्रीमती कृष्‍णा गौर - इस सदन में पहली बार मुझे बोलने का मौका मिला है मुझे आपका संरक्षण चाहिए.

           राज्‍यमंत्री उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्‍करण(श्री भारत सिंह कुशवाह) - सदन में अमर्यादित भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए. (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - बात तो सुनो, क्‍यों घबरा रहे हो, सच्‍ची और अच्‍छी बातें है, सुनो भैया सुनो.

          सभापति महोदया - जितू जी अपनी बात समाप्‍त करें.

          श्रीमती कृष्‍णा गौर - आपका समय समाप्‍त हो गया है, मेरा समय प्रारंभ हो गया है.

          श्री जितु पटवारी - आपका कैसे वक्‍त आ गया है, आप तय करेंगी या आसंदी तय करेंगी.

          श्रीमती कृष्‍णा गौर - माननीय सभापति महोदया ने मेरा नाम पुकारा है.(...व्‍यवधान)

          श्री भारत सिंह कुशवाह - जिस तरीके से बात होनी चाहिए, उस तरीके से करिए, उन्‍होंने नाम बोल दिया (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - हमारे दो सदस्‍य कम बोलेंगे. हम हमारी बात पूरी करेंगे (...व्‍यवधान) ये कौन सी बात हुई.

          सभापति महोदया - कृष्‍णा जी एक मिनट, उनको अपनी बात आधा मिनट में खत्‍म करने दीजिए ठीक है, उन्‍होंने कहा है कि दो सदस्‍य कम कर दिए जाएं.(...व्‍यवधान)

          श्रीमती कृष्‍णा गौर - सभापति महोदया आपने नाम पुकारा, महिलाओं की बात नहीं सुनेंगे.

          श्री जितु पटवारी - दो सदस्‍य हमारे कम हो जाएंगे.

          सभापति महोदया - कृष्‍णा जी आप बैठ जाइए, दो मिनट में बात पूरी खत्‍म करेंगे और फिर आपकी समय सीमा शुरू हो जाएगी.

          श्री जितु पटवारी - हमारा जो समय हमें मिला है, उस समय में हमारे सदस्‍य आपस में तालमेल कर लेंगे आपको बता देंगे और दो सदस्‍य कम कर लेंगे, आपसे अनुरोध है, आपकी भावनाओं के अनुरूप ही काम कर रहे हैं.

          सभापति महोदया - ठीक है.

          श्री जितु पटवारी - आदरणीय सभापति जी, आदरणीय शिवराज सिंह जी ने कहा कि राजनीति मेरा धर्म है और मैं ईमानदारी से सेवा करता हूं, सदस्‍यों के प्रश्‍नों के उत्‍तर नहीं देता हूं, (...व्‍यवधान)

          श्री भारत सिंह कुशवाह - ईमानदारी से सेवा की है, इसलिए चौथी बार मुख्‍यमंत्री हैं, आप सवा साल नहीं टिक पाए. ईमानदारी से सेवा की है, (XXX) इसलिए जल्‍दी वहां पहुंचे हो. (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - उन्‍होंने कहा किसानों की आय दोगुनी करेंगे, मैंने पूछा सर आपने 15 साल पहले कहा था कि किसानों की आय दोगुनी करूंगा, कहां तक पहुंचे, दोगुनी हुई डेढ़ी हुई, सवाई हुई, पर यह सरकार नहीं बता पाई कि क्‍या हुआ, कहा जानकारी एकत्रित की जा रही है. (...व्‍यवधान) फिर मैंने पूछा शिवराज सिंह जी प्रदेश में उपचुनाव में कितनी घोषणाएं किस किस विधान सभाओं में 28 में की वे नहीं बता पाएं, मैंने पूछा कितनी घोषणाएं की वे नहीं बता पाएं, घोषणाओं की जानकारी एकत्रित की जा रही है. मैं मानता हूँ कि शिवराज सिंह जी ने जिस तरीके का शासन चलाया.

          श्री हरिशंकर खटीक - आप लोग तो कुछ नहीं कर पाये.

          श्री जितु पटवारी - सुनो भाई, सुनो. आप शांति से सुनो. यह सरकार आएगी और चली जायेगी.

          किसान कल्‍याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल) - माननीय सभापति महोदया. आप मेरी बात सुनें. 

          श्री जितु पटवारी - सभापति महोदया, आप व्‍यवस्‍था बनाएं. मैं मानता हूँ कि कमल पटेल की चिट्ठी का .....(श्री तुलसीराम सिलावट के आसन पर खड़े होकर कुछ बोलने पर) आप तो बैठ जाओ. (XXX)

          सभापति महोदया - आप सभी शांति से बैठे. इनकी बात सुन लें.

          श्री जितु पटवारी - आप तो बिक कर गए हो, आप तो बैठो.

(..व्‍यवधान...)

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - तुम्‍हारे प्रमाण की जरूरत नहीं है.

          श्री जितु पटवारी - (खीजकर बोलते हुए) (XXX)

          श्री तुलसीराम सिलावट - सभापति महोदया......

(..व्‍यवधान...)

          श्री कमल पटेल -  आपको किसानों की बददुआ लगी है.

          सभापति महोदया - आप सभी लोग बैठ जाएं.

(..व्‍यवधान...)

          वन मंत्री (कुंवर विजय शाह) - सभापति महोदया, मेरा प्‍वाइंट ऑफ ऑर्डर है.

          सभापति महोदया - आप लोग शांति से सुनें. दोनों ही पक्ष अपनी बात रख रहे हैं. शांति से सुनें.

          श्री तुलसीराम सिलावट - सभापति महोदया, यह व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है.

          श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) - माननीय मंत्री जी, विद्याबालन यहां पर डिनर के लिए नहीं हैं. आप आप रहने दीजिये, बात करने दीजिये, डिनर की चर्चा वहां करना.

          कुंवर विजय शाह - सभापति महोदया, यह चौराहे का भाषण नहीं है. यह विधान सभा का भाषण है.

          श्री कुणाल चौधरी - आपने चौराहे पर दिया होगा.

(..व्‍यवधान...)

1.26 बजे                  {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

          श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिस प्रकार से सम्‍मानित सदस्‍य ने जिस भाषा का उपयोग किया है, उसको विलोपित किया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय - श्रीमती कृष्‍णा गौर जी, आप अपना भाषण शुरू करें.

          श्री तुलसीराम सिलावट - यह बिकाऊ और टिकाऊ मैंने इनको दे दिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय - श्रीमती कृष्‍णा गौर जी अपनी बात शुरू करें. श्रीमती कृष्‍णा गौर के अलावा कोई भी बोलेगा तो उसका नहीं लिखा जायेगा.

          श्री जितु पटवारी - (XXX)

            श्री तुलसीराम सिलावट - (XXX)

          श्री जितु पटवारी - (XXX)

          श्रीमती कृष्‍णा गौर - धन्‍यवाद, अध्‍यक्ष महोदय.

            श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष महोदय, हमारा कहना यह है कि हमारे 2 सदस्‍य कम हो जाएंगे. आप जो कहेंगे, पर आप हमारी बात पूरी हो जाने दीजिये. मुझे आप पर भरोसा है. मुझे सदन पर भरोसा है. (अपनी पार्टी के सदस्‍यों की तरफ देखते हुए) आप अध्‍यक्ष जी का स्‍वागत करो. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय - जितु जी, आप यह निर्णय लीजिये. आप सुन लीजिये. आप सदस्‍यों की संख्‍या कम कर रहे हैं. समय सबको अलॉट है, आप उसके हिसाब से कम करके बताइये.

          श्री जितु पटवारी - आप दो सदस्‍य कम कर दीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय - यह आपको बताना है.

          श्री जितु पटवारी - मैं बता दूँगा, पहले मेरा भाषण हो जाये. मैं पहले बताऊँ या बाद में बताऊँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - यह आपको पहले बताना पड़ेगा, तब ही तो भाषण कराएंगे. अभी तो श्रीमती कृष्‍णा गौर जी को बोलने दीजिये.

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, पहले व्‍यवस्‍था दे दें.

          अध्‍यक्ष महोदय - पहले गौर जी को बोलने दीजिये.

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, यह तो आपकी हम पर कृपा नहीं है. आप मेरी पूरी बात हो जाने दीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय - श्रीमती कृष्‍णा गौर जी आप बैठ जाएं.

          श्रीमती कृष्‍णा गौर - जी, अध्‍यक्ष जी.

          अध्‍यक्ष महोदय - (श्री पी.सी.शर्मा के खड़े होने पर) शर्मा जी, आप बैठ जाइये. श्री तुलसीराम सिलावट जी आप बैठ जाइये.

(..व्‍यवधान...)

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, ऐसा कैसे चलेगा ? 5 मिनिट या 7 मिनिट.

          अध्‍यक्ष महोदय - अच्‍छा, ठीक बात है.

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, मैं पहला वक्‍ता हूँ. मुझे आपकी कृपा चाहिए, आपका संरक्षण चाहिए. आपकी ईमानदारी के चर्चे सब जगह हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपको दो मिनिट दे रहा हूँ. आप विषय से मत हटियेगा.

          श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्‍यक्ष जी, मुख्‍यमंत्री जी ने कहा कि अवैध माफिया, रेत माफियाओं के खिलाफ अभियान चालू रहेगा. श्री कमल पटेल जी मंत्री हैं, उन्‍होंने चिट्टी लिखी है. धौलपुर के एसपी ने यहां के एसपी को चिट्ठी लिखी है कि मध्‍यप्रदेश से अवैध खनन राजस्‍थान में जा रहा है. बीजेपी के नेता श्री एदल सिंह कंसाना के बेटे की कल ही खबर आई है अवैध खनन के संबंध में. यह मुख्‍यमंत्री जी का सुशासन है. सामाजिक कल्‍याण की रिपोर्ट यह कहती है कि सामाजिक न्‍याय विभाग की जितनी योजनाएं हैं, उसमें मध्‍यप्रदेश पीछे स्‍थान पर है, वह 9 वें स्‍थान से 16 वें स्‍थान पर चला गया है. एक एनसीआरपी की रिपोर्ट कहती है कि भ्रष्‍टाचार में मध्‍यप्रदेश दूसरे नम्‍बर पर है. आप लोगों को नरेन्‍द्र मोदी ने तमगा दिया है. यह रिपोर्ट है, आप कहो तो पटल पर रख दूँ. मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि शराब माफिया, जिनके खिलाफ मध्‍यप्रदेश में श्री शिवराज सिंह जी की रोज हेडलाइन आती है. उसमें 22 मरे, 14 मरे, 4 मरे, कोई किसी माफिया को किसी प्रकार की किसी व्‍यवस्‍था में, कोई एफआईआर नहीं हुई. मैं मानता हूँ कि ऐसी स्थिति में सीधी का कांड अपने आपमें बताता है कि सरकार का फैल्‍योर क्‍या   है ? जिस मंत्री को वहां पहले दिन जाना था. वह भोजन-भण्‍डारे और हंसी-मजाक में व्‍यस्‍त था.

          कुंवर विजय शाह – (XXX)

श्री जितु पटवारी - जिस मंत्री को जाना था.....(..व्‍यवधान...) उसने प्रायश्चित किया कि (व्‍यवधान..) अब मैं एक साल तक सार्वजानिक भोजन नहीं करूंगा. 54 मौतों की सजा, प्रायश्चित, एक साल तक बाहर मिठाई नहीं खाऊंगा, घर के अंदर खाउंगा, आप ऐसी सरकार चला रहे हो (मेजों की थपथपाहट). मैं मानता हूं कि सियासत मुख्‍यमंत्री जी आपके लिये है.

अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय जितु जी, आप समय देखिये. अभी मैंने समय में वृद्धि भी नहीं की है. आप कंप्‍लीट करिये, क्‍योंकि मैंने समय बढ़ाया नहीं है. (व्‍यवधान..)

श्री जितु पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं जल्‍दी समाप्‍त कर रहा हूं. सियासत आपकी इस कदर हावी है, सियासत इस कदर आवाम पर एहसान करती है, पहले छीन लेती हैं आंखें, फिर चश्‍में दान करती है. मुख्‍यमंत्री जी आपने कहा मैंने पांच लाख रूपये मुआवजा दे दिया है....

अध्‍यक्ष महोदय -- अगला वक्‍ता, श्रीमती कृष्‍णा गौर जी हैं, सदन तीन बजे तक स्‍थगित होने के बाद पहला नाम श्रीमती कृष्‍णा गौर जी का है. 

           सदन की कार्यवाही 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.  

 

                                          (1.31 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)

 

 

           

                                                                            

 

 

 

 

 

 

 

 

                           

           

                                                                            

03.05 बजे                   विधान सभा पुन: समवेत हुई

   अध्‍यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुये

 

          श्री जितु पटवारी--  हमने 5 लोगों के नाम कम कर दिये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप जरा सुन लीजिये. श्री जितु पटवारी जी लगभग 20 मिनट बोल चुके हैं. अभी विपक्ष के 15, सत्‍तापक्ष के 9 एवं बसपा के 1 माननीय सदस्‍य को चर्चा में भाग लेना है, चूंकि चर्चा को आज ही समाप्‍त किया जाना है. अत: माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि 5 मिनट में अपनी बात समाप्‍त करने का कष्‍ट करेंगे. श्रीमती कृष्‍णा गौर. ...(व्‍यवधान)...

          श्री जितु पटवारी--  आपने 2 का कहा था हमने 5 नाम कम कर दिये. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  जितु जी, अभी तो बजट भी आना है, बजट में आपको ज्‍यादा समय दे देंगे.

          श्री जितु पटवारी--  बजट की बात बजट में करेंगे. अभी मेरा अधूरा है, मैं मुख्‍यमंत्री के संज्ञान में कुछ बातें लाना चाहता हूं ...(व्‍यवधान)... मुझे कुछ बातें संज्ञान में लाना जरूरी है अध्‍यक्ष जी, प्‍लीज.  ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप स्‍थगन में बोल लीजिये. ...(व्‍यवधान)...

          श्री जितु पटवारी--  आज की ओपनिंग मैंने की और मैं 10 मिनट भी नहीं बोल पाया. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप 20 मिनट बोले हैं.

          श्री जितु पटवारी--  20 मिनट में 10 मिनट का तो व्‍यवधान था. ...(व्‍यवधान)... अध्‍यक्ष जी, यह तो गलत बात है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री कुणाल चौधरी--  अध्‍यक्ष जी, आपने संरक्षण का वादा किया है. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  कृष्‍णा गौर जी आप शुरू करें. ...(व्‍यवधान)...

          श्रीमती कृष्‍णा गौर (गोविंदपुरा)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदन में पहली बार बोलने का अवसर मिला है इसलिये आपका आशीर्वाद भी चाहती हूं और संरक्षण भी चाहती हूं. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  जितु जी, आप सुनिये कल यह तय हुआ था कि जब माननीय मुख्‍यमंत्री जी उसका जवाब देंगे तो हमारे प्रतिपक्ष के नेता मौजूद रहेंगे, उन्‍होंने 12 बजे का समय दिया था, उनको स्‍वयं को निकलना था इसलिये आज ही इसको खत्‍म करना है, इसलिये जिद न करें, अगली बार हम 5 मिनट की भरपाई करेंगे. ...(व्‍यवधान)...

          श्रीमती कृष्‍णा गौर--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन हेतु समर्थन में अपने विचार व्‍यक्‍त करने के लिये खड़ी हुई हूं ...(व्‍यवधान)... और मुझे बहुत गर्व है यह कहते हुये कि मध्‍यप्रदेश में हमारी सरकार ने, हमारे लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के कुशल नेतृत्‍व में कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी की प्रतिकूलता में भी प्रदेश वासियों को सुरक्षा, हौसला और अनुकूलता का अहसास कराया था. ...(व्‍यवधान)...  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरा प्रदेश जानता है कि जिस समय माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने इस प्रदेश की चौथी बार बागडोर संभाली, ...(व्‍यवधान)... कोरोना हमारे प्रदेश में दस्‍तक दे चुका था. एक बहुत बड़ी चुनौती हमारी सरकार के सामने थी. मुझे गर्व होता है यह कहते हुये. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  एक मिनट फिर रूक जाइये. आपकी तरफ से अभी 16 नाम हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री जितु पटवारी--  चलो दो और कम कर दो ...(व्‍यवधान)...  ऐसे थोड़ी चलेगा. ...(व्‍यवधान)... गलत बात, ऐसा नहीं हो सकता. ...(व्‍यवधान)...

          श्रीमती कृष्‍णा गौर--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय... ...(व्‍यवधान)...

          श्री जितु पटवारी--  भावी जी, एक मिनट, मैं नहीं बोलूंगा, अब अध्‍यक्ष जी बोलेंगे तो भी नहीं बोलूंगा.

          श्रीमती कृष्‍णा गौर--  लेकिन आपको समय मिलेगा न.

          श्री जितु पटवारी--  अब मैं भाषण नहीं देना चा‍हता. आसंदी से मेरा अनुरोध है, हम आपका सहयोग करना चाहते हैं और मैं व्‍यक्तिगत रूप से वचन देता हूं कि कभी आपकी आज्ञा की अवहेलना नहीं करूंगा, लेकिन मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं, आपने कहा समय की एक मर्यादा है. हमने 5 लोगों के नाम कम किये, 5-5 मिनट हम बोलते तो हमें एक घंटा लगता, हमने कम किये आपके अनुरूप किया. अब आपका सम्‍मान पहले है, आप चाहते हैं कि मैं नहीं बोलूं तो धन्‍यवाद आपका.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप सुन लीजिये, इसमें 16 नाम हैं, कुछ और कम कर लीजिये, बोल लीजिये, 2 मिनट और बोल लीजिये, मैं देता हूं आपको टाइम, पर इमसें से कुछ नाम आप हटाइयेगा. 2 मिनट बोल लीजिये.

          श्री जितु पटवारी--  अध्‍यक्ष जी, आपको धन्‍यवाद. चूंकि मुख्‍यमंत्री जी सदन में हैं, अभी तक मेरी जो भाषा थी वह तल्‍ख थी और वह तल्‍ख जरूरी भी थी क्‍योंकि मध्‍यप्रदेश में इस तरह का वातावरण है.         मैं अनुरोध कर रहा था कि यह सभी सम्मानित विधायकों के अधिकारों का प्रश्न है. 50 परसेंट से ज्यादा विधायकों के उत्तरों में जानकारी एकत्र की जा रही है. लिखा आ रहा है. तो फिर इस सदन का मतलब क्या है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा प्रश्नों में, तीन-तीन बार, एक-एक प्रश्न लगा, उसकी भी जानकारी एकत्र की जा रही है. ये अपने आप में बताता है कि सरकार छिपाना चाहती है. जानकारी देना नहीं चाहती है. ये तो गलत बात है. दूसरी बात, ये सीधी का जो कांड हुआ इसमें मुख्यमंत्री जी गये. उनकी गंभीरता दिखी. रात में वहां रुके. उन्होंने तत्काल जितनी भी व्यवस्था कर सकते थे सब किया. पूरा अमला गया. पर क्या.

          श्री शरदेन्दु तिवारी - अध्यक्ष महोदय, ये कांड बोल रहे हैं. इनकी संवेदनशीलता कितनी नीची चली गई है. कांड बोला जा रहा है.

          अध्यक्ष महोदय - इनको पूरा करने दीजिये.

          श्री जितु पटवारी - ये कांड नहीं है. बच्चों सहित 54 लोग मर गये. ये कांड नहीं है. ये कांड ही है. ये कौन सी बात है. मुख्यमंत्री जी वहां गये. 4 लाख रुपये सामान्यत: कोई भी मृत्यु होती है तो शासन देता है.  एक लाख रुपये उन्होंने बढ़ाये. 2 लाख रुपये प्रधानमंत्री जी की तरफ से घोषणा हुई. जब किसानों की गोली से हत्या होने पर एक करोड़ रुपये दिये जा सकते हैं तो इनको 25-50 लाख रुपये नहीं दिये जा सकते. मेरी मांग है. कांग्रेस पार्टी की मांग है कि उनको कम से कम एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा दें.इसमें भी आपको आपत्ति हो सकती है विधायक जी. मेरा अनुरोध है मुख्यमंत्री जी आपने लगातार खजाने में कोई कमी नहीं है. भाषण रोज आते हैं. कमलनाथ जी कहते थे कि खजाना खाली है. खजाना भरा है. आपने 35 हजार करोड़ रुपये 11 महीने में ऋण लिया. आप कैसे घी उधार लेकर पीते हो. इसका अंत कैसे होगा आने वाली पीढ़ी पर. दो लाख पैंतीस हजार करोड़ रुपये के कर्जे में मध्यप्रदेश को 16 साल में लाए हो मुख्यमंत्री जी आप. आप कितने  भी भाषण दो. आने वाली पीढ़ी आपसे पूछेगी कि उधार का घी ले-लेकर आप पीते गये. विधायकों को आप किस तरीके से बदलते रहे मैं नकारात्मकता पर नहीं जाना चाहता हूं. अपनी दरियादली को  व्यक्ति यूं भुनाता है, एक रोटी बांटता है और दस फोटो खिंचवाता है. मुख्यमंत्री जी, आपने 100 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च कर दिये, ओपन मार्केट से ले-लेकर. ऐसा मुख्यमंत्री जो हम लोगों का संरक्षक है मध्यप्रदेश का.

          श्री अनिरूद्ध(माधव) मारू -  एक मुख्यमंत्री निवास की दीमक हटाने में पंद्रह महीने में कमलनाथ जी ने करोड़ों रुपये खर्च किये थे.

          (..व्यवधान..)

          श्री जितु पटवारी -      xxx

            अध्यक्ष महोदय - इधर संबोधित करें आप. यह नहीं लिखा जायेगा.

          श्री जितु पटवारी - मेरा अनुरोध है आप बचपन से एक नारा लगाते रहे है. एक देश एक विधान, एक देश एक संविधान एक देश एक निशान, एक देश एक चुनाव, एक देश एक टैक्स,  तो फिर एक देश दो मंडी क्यों. दो मंडी क्यों भाई. यह समझ से परे है. एक देश दो मंडी, बाकी सब एक देश एक निशान. मुख्यमंत्री जी, तुलसी भैया और सब हमारे ही परिवार के थे चालीस-चालीस साल तक विरासत में हमारे साथ में ही रहे हैं. इनके बयान आते थे कि कांग्रेस हमारी मां है.

          अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जायेगा.

          श्री जितू पटवारी - मेरा अनुरोध इतना है मुख्यमंत्री जी कि सरकार इस बार नहीं गिरनी चाहिये. 5 साल के लिये मेनडेट मिला था. अनुरोध है अब सरकार नहीं गिरनी चाहिये. ये लोग जो हमारे नहीं हुए. ये आपके कैसे होंगे.(..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - हो गया. कृष्णा गौर जी.

..(व्यवधान)..

                        श्री जितु पटवारी --  (xxx)

                   श्री तुलसीराम सिलावट -- (xxx)

                        अध्यक्ष महोदय -- यह कुछ नहीं लिखा जायेगा.  केवल श्रीमती कृष्णा गौर के अलावा  किसी का नही लिखा जायेगा.

                   श्रीमती कृष्णा गौर (गोविन्दपुरा) -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. अन्ततः मुझे बोलने का मौका मिल रहा है.

                   श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय,  सरकार कितनी गंभीर है,  इतने महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो रही है और पूरे मंत्रियों की लाइन  खाली पड़ी  हुई है. थोड़ा सा  उन्हें आदेशित किया जाये, वे सदन में   अंदर आयें, बैठें.

                   अध्यक्ष महोदय --  जब मुख्यमंत्री जी सदन में बैठे हैं, तो   आप क्यों चिंता कर रहे हैं.  वे पूरा सुन रहे हैं.  मुख्यमंत्री जी बैठे हैं और कई मंत्री भी बैठे हुए हैं.

                   श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय, प्रतिपक्ष के नेता भी आज कहां चले गये.

                   श्रीमती कृष्णा गौर -- अध्यक्ष महोदय, अगर इतनी गंभीर चर्चा है, तो  नेता प्रतिपक्ष जी को भी सामने उपस्थित होना था.

                   डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, उधर भी सीटें पूरी खाली पड़ी हुई हैं, देखें आप.

                   श्रीमती कृष्णा गौर -- अध्यक्ष महोदय, मैं  माननीय राज्यपाल जी के  अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर  समर्थन व्यक्त करने के लिये खड़ी हुई हूं  और मुझे कहते हुए यह गर्व है कि  मध्यप्रदेश में हमारी सरकार ने   हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के  कुशल नेतृत्व में कोविड,19 जैसी  वैश्विक महामारी  की प्रतिकूलता में भी  प्रदेशवासियों को  सुरक्षा,  हौसला और अनुकूलता का अहसास कराया. पूरा प्रदेश जानता है कि  जिस समय हमारे मुखयमंत्री जी ने  चौथी बार प्रदेश की बागडोर  संभाली,  तब कोरोना ने  हमारे प्रदेश में दस्तक दे दी थी.  एक बहुत बड़ी चुनौती हमारे सामने थी.  मुझे यह कहते हुए गर्व है कि  मुख्यमंत्री जी ने अपने  धैर्य, संयम, साहस और पराक्रम से  जिस कुशलता और संवेदनशीलता  के  साथ  अपने कर्मठ प्रयास किये, उससे बहुत हद तक कोरोना  मध्यप्रदेश में नियंत्रित रहा. यह  बात सच है कि  वैश्विक    महामारी कोरोना  ने हम सबके सामने एक विकट समस्या  उत्पन्न कर दी थी.  एक सभ्य समाज के सामने  उसकी आजीविका,  उसके स्वास्थ्य का संकट  पैदा हो गया था.  परिस्थितियां असाधारण थीं,  चूंकि शत्रु छुपा हुआ था, हेडन एनीमी था, अनोन एनीमी था, इसलिये स्वास्थ्य का कोई आधारभूत ढांचा हमारे पास नहीं था.  पीपीई किट की व्यवस्था करना, ऑक्सीजन सिलेण्डर, वेंटीलेटर, टेस्टिंग किट्स, बेड्स  जैसी सुविधाएं, व्यवस्थाएं करना  हमारी सरकार के सामने एक चुनौती  भरा कार्य था. लेकिन यह हमारे मुख्यमंत्री जी की  कर्मठता और प्रतिबद्धता ही थी कि  उन्होंने देश के प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी और  गृह मंत्री, श्री अमित शाह जी के साथ तालमेल बिठाकर  जिस प्रकार से प्रदेश में कोरोना  की लड़ाई में व्यवस्थाएं जुटाईं,  एक बहुत बड़े संकट से हमारे प्रदेश को उबारने का काम किया. वैश्विक महामारी कोविड,19 से  बचने, निपटने के लिये जो व्यवस्थाएं,  सुविधायें हमारी सरकार ने जुटाईं,  वह सारी विस्तार से अभिभाषण  में उल्लेखित  हैं, मैं उसको दोहराऊंगी नहीं.  लेकिन मैं आज यह जरुर कहना चाहूंगी कि  एक कुशल नेतृत्व की  असली परीक्षा कठिन समय में, संकट काल में  ही होती है.  यह हमारा और हमारे प्रदेश का सौभाग्य  रहा कि हमें  माननीय शिवराज सिंह जी का कुशल एवं सक्षम  नेतृत्व मिला.  मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही  वे अपने घर नहीं गये, वे स्वागत सत्कार में नहीं जुटे, बल्कि सीधे सचिवालय में पहुंचकर  अधिकारियों के साथ  उच्च स्तरीय  बैठक करके देर रात तक कोरोनना से बचने के लिये  प्रदेश की जनता को बचाने का काम  करते रहे.  (पक्ष की तरफ से मेजों की थपथपाहट) एक कर्मयोगी  की तरह  अहर्निश सेवा में वे लगे रहे  और इसलिये आज मैं मुख्यमंत्री जी के  सम्मान में कहना चाहूंगी कि- कर्मवीरे  के आगे पथ  का हर पत्थर  साधक  बनता है,  दीवारें भी दिशाएं बताती हैं,  जब वह आगे बढ़ता है.  अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी द्वारा  दिया गया  अभिभाषण मात्र पन्नों पर उकेरे गये शब्द भर नहीं हैं.

 

 3.20 बजे      {सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए.}

 

बल्कि वह हमारे प्रदेश की दशा, दिशा और जन-आकांक्षाओं को पूरा करने वाला एक दस्तावेज है. सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने प्रेरणा-पुरुष परम श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से मूर्त रूप देने का काम कर रही है. अन्त्योदय और एकात्म मानव दर्शन वह मंत्र है, जिसे आत्मसात् करने से हमारे राजनीतिक और सामाजिक व्यक्तित्व को पूर्णता मिलती है. समाज के अंतिम पंक्ति में बैठा हुआ व्यक्ति जो गरीब, पीड़ित, शोषित, उपेक्षित है, अनुसूचित जाति का है, जनजाति का है, उसके जीवन में रंग भरना, उसके जीवन में खुशहाली लाना, उसे विकास की मुख्यधारा से जोड़ना, यह हमारी सरकार का संकल्प है. इस संकल्प को पूरा करने के लिए लगातार हमारी सरकार काम कर रही है.

          सभापति महोदय, हमारी सरकार का ध्येय राज्य में एक सुदृढ़ अधोसंरचना, एक उत्कृष्ट सुशासन और उसके साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं, मजबूत अर्थव्यवस्था और हरेक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध कराना है. हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया तो हमारी सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह निर्णय लिया कि आत्मनिर्भर भारत का आह्वान, आत्मनिर्भर भारत का संकल्प तभी पूरा होगा, जब आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाया जाएगा और हमें यह कहते हुए गर्व होना चाहिए कि पूरे देश के राज्यों में अगर आत्मनिर्भर राज्य बनाने के विकास का रोड मैप किसी राज्य में बना है तो सबसे पहले वह हमारे मध्यप्रदेश में बना. (मेजों की थपथपाहट).. यह हमारे मुख्यमंत्री जी, हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है.

          सभापति महोदय, नारी जाति का प्रतिनिधित्व करती हूं, इसलिए बहुत गर्व के साथ यह कह सकती हूं कि मध्यप्रदेश में हमारी सरकार, हमारे मुख्यमंत्री जी, महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए संकल्प के साथ काम कर रहे हैं. महिलाएं समाज के विकास की मुख्यधारा से जुड़े, महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हो, इस दृष्टि से हमारी सरकार ने लगातार प्रयास किये. स्व सहायता समूहों की शक्ति को पहचानकर उन्हें जनआन्दोलन का रूप दिया जा रहा है और वर्ष 2020-21 में लगभग 33000 महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से 379000 परिवारों को जोड़ा गया है. इस वर्ष समूहों को 1400 करोड़ रुपयों का बैंक ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया, जिसके विरुद्ध अब तक 1113 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया जा चुका है. हम समझते हैं कि वास्तव में आर्थिक रूप से सशक्त नारी ही घर, परिवार, समाज और राष्ट्र की सेवा सच्ची निष्ठा से करती है. इस संकल्प को यदि पूरा करने का निर्णय किसी सरकार ने लिया है तो वह हमारी सरकार और हमारे मुख्यमंत्री जी ने लिया है.

          सभापति महोदय, मैं बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री जी को कि विश्व की सबसे बड़ी गैस त्रासदी, भोपाल गैस त्रासदी में मृतकों की स्मृति में एक स्मारक का निर्माण करने का निर्णय हमारी सरकार ने लिया है. निश्चित रूप से गैस रिसाव के कारण असमय काल-कवलित हुए नागरिकों के प्रति श्रद्धांजलि के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन एवं संरक्षण हेतु निरंतर सजग रहने का संदेश भी यह होगा ताकि भविष्य में कभी कोई शहर ऐसी त्रासदी का सामना न कर सके.

सभापति महोदय, एक आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में सुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. प्रदेश के नागरिकों के काम सुगमतापूर्वक समय पर संपन्न हो, यह सुशासन का केन्द्र बिन्दु होता है. लेकिन यह बात भी सच है कि सुशासन की परिकल्पना भी तभी सही अर्थों में साकार की जा सकती है, जब प्रदेश असामाजिक तत्वों और माफियाओं से मुक्त हो और इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर हमारी सरकार द्वारा शराब माफिया, ड्रग माफिया, भू-माफिया, अतिक्रमण माफिया, साइबर माफिया, रेत माफिया, राशन माफिया, चिटफंड माफिया, हिस्ट्री-शीटरों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही का प्रदेशव्यापी अभियान प्रारंभ किया गया है. सभापति महोदय, प्रदेश में सुरक्षित जीवन, निर्भय जीवन, भयमुक्त जीवन देने का संकल्प हमारी सरकार का है क्योंकि प्रदेश में कानून का शासन होना चाहिए. 15 महीने के कांग्रेस के कुशासन में हमने देखा कि ऐसा हमें वातावरण देखने को नहीं मिला, लेकिन हमारी सरकार में यह दिखाई दे रहा है.

          श्री कुणाल चौधरी - भोपाल में बलात्कार कांड जो हुआ उसके ऊपर भी चर्चा कर लेंगे.

          श्रीमती कृष्णा गौर - माफिया और तस्कर त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, मामा की हूंकार से अपराधी भयभीत हैं, हमारी सरकार का इकबाल बुलंद है. सरकार इकबाल से चलती है और वह चल रही है और ऐसी ही सरकार आगे सालों साल तक चलती रहेगी. सभापति महोदय, मैं माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण का पूर्ण रूप से समर्थन करती हूं, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, आपका बहुत बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)..                                                                 श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ( पृथ्वीपुर ) -- माननीय सभापति महोदय महामहिम के अभिभाषण को क्रमांक 1 से 114 तक मैंने सुना और माननीय सीतासरन शर्मा जी जो हमारे वरिष्ठ विधायक है अध्यक्ष भी रहे हैं हमारे साथी भी हैं उनको भी मैंने सुना है. मैं बड़ी उम्मीद करता था कि हमारे विद्वान मित्र एक अच्छी शुरूआत करेंगे और नई परंपरा और नई जानकारी देंगे. लेकिन दुख के साथ में इस बात को कहना पड़ता है कि उन्होंने (XXX) से शुरूआत करके अपने पूरे भाषण का (XXX) कर दिया.

          सभापति महोदय बहुत सारी पक्ष विपक्ष की बातें हो रही हैं. कोविड की चर्चा हुई. कल नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ जी ने कोविड के बारे व्यंग्यातमक रूप से कुछ कहा था सामने कुछ लोगों को समझ में आया होगा, हो सकता है कुछ लोगों के ऊपर से निकल गया होगा. लेकिन एक समझदार के लिए इशारा बहुत काफी था. उन्होंने संक्षेप में इशारे में ही बता दिया था कि कोविड का जनक कौन है.  अगर मध्यप्रदेश में हम सचेत रहते तो शायद यह परिस्थिति निर्मित नहीं होती और हमें आपको कोविड पर भाषण देने की आवश्यकता नहीं होती लेकिन जिस तकलीफ को हमने देखा है जिस तकलीफ को कोरोना से प्रभावित होने के बाद में हमारे लोगों ने भोगा है. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि इतनी भारी महिमामंडित होने की बातें हो रही हैं. आखिरकार 15 वर्ष तक सरकार किसकी थी और सरकार थी तो दुर्भाग्य की बात यह है कि हमारे पास में आक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी, अस्पताल में डॉक्टर नहीं थे, डॉक्टर थे तो दवा नहीं थी, दवा थी तो उपकरण नहीं थे और उनका उपयोग करने वाला कर्मचारी नहीं था. आखिर इन सब बातों के लिए कौन जवाबदार था.

          सभापति महोदय यहां पर माफिया के बारे में बहुत सारी बातें हो रही हैं और बड़ा श्रेय लेने की बात हो रही है. भाई जितू पटवारी जी ने जोश भरे अंदाज में बहुत सारी बातें बोल दी उनको यहां पर दोहराने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन मैं यहां पर आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि क्या यह माफिया 15 दिन में पनप गया है. 15 वर्ष तक आपका राज्य था माननीय मुख्यमंत्री जी और इन 15 वर्ष तक यह माफिया पनपता रहा है. इसके पीछे कौन है मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता हूं. 16वे वर्ष में जब सरकार बदली है तब एक सुशासन की शुरूआत हुई और माननीय कमलनाथ जी ने उस माफिया को तोड़ना प्रारम्भ किया. हमारे मित्र सामने बैठे हैं यह भी उसमें सहयोगी थे और उस माफिया के खिलाफ में हम लोगों ने युद्ध स्तर पर काम किया है. चाहे वह शराब माफिया हौ या

          श्री तुलसी सिलावट -- सभापति महोदय उसकी शुरूआत मैंने ही की थी.

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- स्वाभाविक है कि अगर हमारे सज्जन भाई लोक निर्माण मंत्री थे तो फाइल भी शुरू वहीं से होती है. मैं भी जिस विभाग का मंत्री था मैं करता था लेकिन श्रेय तो नेता को ही जाता है हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी को भी आप श्रेय देते हैं. स्वाभाविक रूप से जो नेता होता है उसके खाते में श्रेय जाता है इसलिए मैंने आपका भी नाम लिया है. वह अलग बात है कि क्या से क्या हो गये  उस पर मैं नहीं जाना चाहता हूं.

          सभापति महोदय तो यह जो माफिया के खिलाफ में लड़ाई उस वक्त शुरू हुई है मैं धन्यवाद करना चाहता हूं कि कम से कम 15 वर्ष के बाद  मुख्यमंत्री जी को याद आई लेकिन आपने उसको अनवरत करने की शुरूआत की है. लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि इतनी सख्ती के बाद में भी मुरैना जैसी जगह में जो आपका गोद लिया हुआ गांव है वहां पर 27 लोगों की मौत हो जाती है और उस पर कलेक्टर और एसपी के तबादले से मैं समझता हूं कि समस्या हल नहीं हो जायेगी. बहुत गंभीरता से विचार करने की बात है पक्ष विपक्ष का सवाल नहीं है. जो भी माफिया है उसके खिलाफ में कार्यवाही होना चाहिए लेकिन जब एक चश्मे के साथ में हम उस माफिया को देखना शुरू करते हैं तो फिर उसकी मंशा कमजोर हो जाती है जैसे कि हमारे साथी शर्मा जी ने बात उठाई थी मुझे नहीं पता है कि भोपाल के कागजों में क्या है लेकिन जैसा कि मुझे बताया गया कि पूर्व विधायक डागा जी जो कि आपकी पार्टी के ही विधायक हुआ करते थे. पूर्व विधायक डागा जी जो आपकी ही पार्टी के सदस्‍य हुआ करते थे और आपके विधायक भी थे बाद में वह इधर आये, केवल इसलिये उनके खिलाफ कार्यवाही हो गई, अगर ऐसा है तो मैं समझता हूं कि इसमें हम कमजोर पड़ जाएंगे. माननीय मुख्‍यमंत्री जी, आज महंगाई के हालात हमें समझना पड़ेंगे. आज डीज़ल हो, पेट्रोल हो, रसोई गैस हो, किराने की बात हो, आम आदमी इससे त्रस्‍त है और हमें गंभीरता से इसको समझना पड़ेगा, विचार करना पड़ेगा. चाहे हम केन्‍द्र सरकार से निवेदन करें, चाहे राज्‍य सरकार के स्‍तर पर हम जो भी कर सकते हों, बहुत से पैसे को कर चोरी से बचाया जा सकता है. अगर हम वैट में कमी करेंगे तो जो बॉर्डर के ऊपर पेट्रोल और डीज़ल में 8-8, 10-10 रुपये का अंतर है वहां हमारे प्रदेश की बिक्री बढ़ेगी और उसको हम बचा सकते हैं. अगर हम अपनी फिजूलखर्ची को रोकने का काम करेंगे तो हम उन पैसों को बचा सकते हैं और गरीब जनता के हक में उन पैसों को खर्च कर सकते हैं, लेकिन तकलीफ इस बात की है कि इसके ऊपर गौर नहीं हो पा रहा है.

          सभापति महोदय -- अभी कितना समय और लगेगा ?

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, अभी तो शुरू किया है. आप तो जानते हैं कि हम तो वैसे भी मर्यादाओं में रहते हैं.

          सभापति महोदय -- आप तो सारगर्भित बोलते हैं, बहुत अच्‍छा बोलते हैं.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, हमारा जोशीला भाई तो लंबा बोल लिया.

          सभापति महोदय -- नहीं वह तो आज उनका गुस्‍सा फूटा है.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, नहीं, हम कोई ऐसी बात नहीं करेंगे. हमारे मित्र शर्मा जी ने कहा कि संबल योजना इतनी अच्‍छी योजना थी और इस योजना को बंद करके पाप करने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया है, तो माननीय शर्मा जी, मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि इस संबल योजना के खिलाफ अगर रिपोर्ट दी थी, तो तत्‍कालीन ग्रामीण विकास मंत्री जो वर्तमान में आपके पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री हैं उनकी ही रिपोर्ट के ऊपर यह संबल योजना बंद की गई थी और वर्तमान के जो मंत्री हैं उन्‍होंने लिखा था कि नया सवेरा योजना में गरीबों को तो हक नहीं दिया गया लेकिन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का नाम जोड़ा गया, उसको हम लोगों ने काटकर नया सवेरा योजना नाम रखा और उससे अच्‍छी योजना बनाई थी ताकि उस गरीब के हक को मारा न जाय और कांग्रेस की सरकार में उस गरीब का हक मिले, यह हम लोगों ने सुनिश्चित किया था. आपने कल कहा, मैं सुन रहा था कि 15 साल में बर्बाद कर दिया कांग्रेस ने, अगर गरीब निराश्रित पेंशन को दुगुना करने का काम हमने किया 300 से 600 किया, अगर इसको आप बर्बादी समझते हैं तो हां हमने बर्बाद किया. अगर बच्चियों की शादी के लिये 51,000 रुपये देने का निर्णय हमने किया और यह आपकी नज़र में बर्बादी है तो हां हमने बर्बाद किया. सबको दिया. ..(व्‍यवधान)..

          श्री कुणाल चौधरी -- अरे सब जगह मिले. 1,000 शादियां मेरे क्षेत्र में हुई हैं. सब जगह मिले और यह सारी चीजों में पैसा भी मिला है. यह जो विकलांग अनुग्रह का पैसा है यह आपसे ज्‍यादा दिया है.

          श्री हरिशंकर खटीक -- आप तो अंग्रेजी और देशी में लगे रहे बाकी इसके अलावा कुछ नहीं.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- हरिशंकर जी, आप तो ऐसे न थे. सुन लो दो मिनट.

          सभापति महोदय -- माननीय सदस्‍य, इधर बात करें.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, यह जो कह रहे हैं कि पैसा नहीं दिया, अगर आप कहें तो मैं सदन के पटल पर इस आंकड़े को रख सकता हूं. हमने उनको सबको पैसा दिया है.

          भारत सिंह कुशवाह -- बिलकुल नहीं मिले आप अंदाजे से कह रहे हैं.

          श्री कुणाल चौधरी -- आप हमारे यहां आइये 1,000 शादी हुई हैं. आपको मैं चुनौती देता हूं.

          भारत सिंह कुशवाह -- मेरी विधान सभा क्षेत्र में मैंने खुद ऐसे 300 जोड़ों की शादी करवाई है. ...(व्‍यवधान)..

          श्री कुणाल चौधरी -- हमने भाजपा सरकार से ज्‍यादा पैसे दिये हैं अनुग्रह और दूसरी राशियों के पैसे दिये हैं.

          श्री हरिशंकर खटीक -- इनकी सरकार थी 15 महीने तो एक भी सड़क हमारे क्षेत्र में नहीं बनी. ..(व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय -- सब लोग बैठ जाइये. बृजेन्‍द्र सिंह जी, आपको कुणाल चौधरी जी बोलने नहीं दे रहे हैं. आप अपनी बात समाप्‍त कीजिये.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे हरिशंकर जी ने बहुत मेहनत की है अब उनको बार-बार बोलने के लिये क्‍यों खड़ा कराते हो ? मंत्री बना दो साहब, हम भी समर्थन कर देंगे.

          श्री हरिशंकर खटीक -- मैंने मांग की थी दो सड़कों की, एक 8 किलोमीटर की, एक 7 किलोमीटर की जब आप मंत्री थे, लेकिन वह काम नहीं हुआ. आपसे मेडिकल कॉलेज मांगा था.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, हम लोगों ने धर्म के नाम पर कुछ नहीं मांगा. गौ माता के नाम से हमने कुछ नहीं मांगा, लेकिन आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूं कि राम राजा सरकार की नगरी में 15 वर्षों में जो काम नहीं हुआ हम लोगों ने 15 महीने में काम किया था. अयोध्‍या उत्‍तरप्रदेश का हिस्‍सा है, अयोध्‍या में काम हो सकता है तो माननीय मुख्‍यमंत्री जी, जरा नज़रें इनायत करिये, ओरछा में भी राजा राम के रूप में हैं, जिनको आप और हम सब मानते हैं. गौशाला, एक हजार गौशाला खोलने का काम माननीय कमल नाथ जी की सरकार ने किया और गौ माताओं के पैसे हमने बढ़ाये. आज तकलीफ के साथ कहना पड़ता है कि वह गौ माताएं भूखीं हैं गौ शालाओं में. ...(व्‍यवधान)..   

          श्री हरिशंकर खटीक -- इन्‍हें राम राजा सरकार की बद्दुआ लगी है.

          श्री कुणाल चौधरी -- 15 साल तो आपने बंद ही कर दी थी, हजारों गौशालाएं हमने खोली हैं.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- गौ माता के नाम पर तो सुन लो. ...(व्‍यवधान)...

..(व्‍यवधान)..

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- अगर गौमाता के विरोधी हों तो बोलें, वरना बैठ जाएं. .(व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय -- माननीय सदस्‍य कृपया अपना वक्‍तव्‍य समाप्‍त करें. ..(व्‍यवधान)..

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, बस एक मिनट. गौमाता को जो दाना देते थे, उस राशि को कम करने का काम हुआ और दो महीने से गौमाता के लिए अभी राशि नहीं उपलब्‍ध कराई जा रही है. ..(व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय -- कृपया समाप्‍त करें, श्री दिलीप सिंह परिहार अपना वक्‍तव्‍य शुरू करें. ..(व्‍यवधान)..

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, चलिए, मैं और भाषण छोड़ देता हूँ. अंतिम बात बोल देता हूँ. हमारे विधान सभा क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्र जो है, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि निवाड़ी और टीकमगढ़ जिला और बुंदेलखण्‍ड का हिस्‍सा सबसे ज्‍यादा सूखे की मार झेलता है. यहां पर सबसे ज्‍यादा मजदूरों का पलायन होता है. उन मजदूरों का दर्द पूरे देश ने और आपने भी देखा है कि क्‍या उनकी दुर्गति हुई, लेकिन आज मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ, मैंने कल व्‍यक्‍तिगत भी कहा था और आज मैं सार्वजनिक रूप से निवेदन कर रहा हूँ कि वहां पर हमारे पास भरपूर नदियां हैं और जो आज बात हो रही थी, नदियों में पानी की कमी नहीं है, चंदेली तालाब और साढ़े चार सौ तालाब अकेले टीकमगढ़ और निवाड़ी के अंदर हैं. अगर इन नदियों से तालाबों को जोड़ने का हम काम करेंगे और गुणवत्‍ता का ध्‍यान रखेंगे, जैसा कि आज जांच में आपने कहा है तो यह समस्‍या हमेशा के लिए हल हो जाएगी और पर्यटन की दृष्‍टि से वहां पर हम बढ़ावा देंगे तो बुंदेलखण्‍ड में पलायन रूकेगा और बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा. माननीय सभापति महोदय, धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय सभापति महोदय, माननीय राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण पर बोलने के लिए मैं खड़ा हुआ हूँ. मैं कृतज्ञता व्‍यक्‍त करता हूँ और मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान साहब, जो चौथी बार मध्‍यप्रदेश में मुख्‍यमंत्री बने हैं, उसका कारण मुझे यह नजर आता है कि गरीबों के जो लोककल्‍याणकारी काम चल रहे थे, गरीबों को जो अनाज देने का, उनकी बेटियों का विवाह करने का, बेटियों को लेपटॉप देने का काम चल रहा था, इन सारी लोककल्‍याणकारी योजनाओं को कमलनाथ जी के समय में बंद कर दिया गया था. कांग्रेस उस समय इतनी निरंकुश हो गई थी कि वह गरीब जो छोटे-छोटे थे जैसे पानवाले, नाई, उनकी दुकानें हटाने में लग गई थी. रेत माफिया बन गए थे, ट्रांसफर माफिया बन गए थे, उनकी बद्दुआओं की वजह से उनकी सरकार जाती हुई नजर आई है.

          सभापति महोदय, आज मध्‍यप्रदेश में शिवराज सिंह जी चौहान साहब पानीदार मुख्‍यमंत्री हैं. अभी ग्रीष्‍म ऋतु आने वाली है. उन्‍होंने जलाभिषेक का कार्यक्रम नीमच से प्रारंभ किया था, मैं उन्‍हें धन्‍यवाद देता हूँ. उन्‍होंने अभी गांधीसागर बांध का पानी मंदसौर में पहुँचाया है, अगले समय में नीमच में भी पहुँचेगा. हम सभी जानते हैं कि आज जो शहरों में पानी की स्‍थिति है, उस स्‍थिति को सुधारने के लिए मुख्‍यमंत्री जी ने शहरी पेयजल योजना जो 118 नगरीय निकायों में प्रारंभ की है, 37 नगर निकायों में योजना प्रारंभ की है, जल मिशन के अंतर्गत मुख्‍यमंत्री जी वर्ष 2023 तक एक करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों के लिए नल-जल योजना प्रारंभ कर रहे हैं, मैं इसके लिए उन्‍हें बधाई देता हूँ. हमारी माताएं-बहनें सिर पर घड़ा रखकर पानी लाती थीं, हैंडपंप चलाया करती थीं, आज माननीय मुख्‍यमंत्री जी की मेहरबानी से पानी ही पानी सब तरफ हो रहा है. नर्मदा का पानी क्षिप्रा में गया है. मैं इसके लिए उन्‍हें धन्‍यवाद देता हूँ.

          सभापति महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री के नेतृत्‍व में नीमच जिला, जो कि भोपाल से अंतिम छोर में है, हमारे दीनदयाल जी कहते थे ''चलो जलाएं दीप वहां, जहां अभी भी अंधेरा है''. हमारे यहां स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं नहीं हुआ करती थीं. जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार वर्ष 2003 से बनी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने नीमच के जिला चिकित्‍सालय की दशा और दिशा सुधारने का काम किया. खुमान सिंह शिवाजी के नाम से ट्रामा सेंटर बनाया, जिला चिकित्‍सालय स्‍वर्गीय राजमाताजी के नाम से हमने नामकरण किया है. मुख्‍यमंत्री जी ने मेडिकल कॉलेज स्‍वीकृत किया है, मैं इसके लिए उन्‍हें नीमच की लाखों जनता की ओर से हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूँ. आपका अभिनंदन करता हूँ. यह जो मेडिकल कॉलेज  आपने स्‍वीकृत किया है, उसमें श्‍योपुर, मण्‍डला, नीमच, मंदसौर, सिंगरौली, राजगढ़, इनमें लगभग हमारे 900 डॉक्‍टर बनकर तैयार होंगे और वे गरीबों की सेवा करने का काम करेंगे. उसके लिए आपने 300 करोड़ रुपये की सैद्धांतिक स्‍वीकृति दी है. मैं चाहता हूँ कि नीमच कलेक्‍ट्रेट के पास में जो भूमि हम सब लोगों ने तय की है, आप उस भूमि पर आएं, भूमि-पूजन करें. लोग पलक-पावने बिछाकर आपका अभिनंदन करने के लिए वहां तैयार बैठे हुए हैं. मेडिकल कॉलेज एक अच्‍छी उपलब्‍धि है, वह नीमच जिले की जनता के लिए बहुत ही अभिनवकारी होगा. हम देखते हैं कि उस मेडिकल कॉलेज के लिए भी राजनीति चल रही है, कोई जावद की तरफ ले जाना चाहता है, नीमच में जिला स्‍थान पर ही वह मेडिकल कॉलेज बने, क्‍योंकि कुछ भू-माफिया सक्रिय हो जाते हैं.

 

            डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय परिहार जी, बोलने के लिए थोड़ा-सा समय मुझे भी दे दीजिए.

          सभापति महोदय -- आपको किसने अनुमति दी, आप किसकी अनुमति से बोल रही हैं? आप बैठिए.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय सभापति महोदय, हमारे प्रधानमंत्री जी को श्रेय देंगे, सांसद जी को श्रेय देंगे. भाई विश्‍वास जी को हम श्रेय देंगे जिन्‍होंने हमें इतनी बड़ी सौगात दी है और निश्चित ही वहां मुख्‍यमंत्री जी आएंगे और नीमच जिले की जनता, पत्रकार सारे लोग उनका अभिनंदन करने के लिए तत्‍पर हैं. आपने आयुष्‍मान जैसी योजना चलाई, दीनदयाल उपचार योजना चलाई. गरीब तो हमेशा दुआ ही देता है और मैं अक्‍सर बात करता हॅूं कि "क्‍या मार सकेगी मौत उसे, औरों के लिये जो जीता है, मिलता है जहां का प्‍यार उसे, जो गरीब के आसूं पीता है" (मेजों की थपथपाहट) हमारे मुख्‍यमंत्री जी तो गरीबों के आसूं पीने वाले मुख्‍यमंत्री हैं उनका मैं अभिनंदन करता हॅूं, स्‍वागत करता हॅूं. निश्चित ही आज आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश बन रहा है और इस आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश को बनाने में आपका बहुत बड़ा योगदान है. 11 महीने के कार्यकाल में मुझे याद है आपने राजभवन में  शपथ ली. शपथ लेते ही सीधे गये और अधिकारियों/कर्मचारियों की बैठक ली और मध्‍यप्रदेश की जो साढ़े सात करोड़ जनता है उसको कोरोना महामारी से कैसे बचाया जाये, यह सोचा. हमारा नीमच जिला पहले ग्रीन जोन में था. धीरे-धीरे वहां कोरोना के मरीज बढ़ने लगे, लेकिन आज भी हम वहां देखते हैं आपकी कृपा से वहां स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं पर्याप्‍त हैं. मैं आपको धन्‍यवाद देता हॅूं और कोरोना जैसे काल में आपने गरीब को भोजन कराया. जो नंगे पांव नया गांव से मध्‍यप्रदेश में प्रवेश कर रहे थे उनको ठंडा पानी, उनके पांवों में चप्‍पल, भोजन देने का काम आपने किया है. आप जो काम करते हैं उनकी वजह से भगवान भी आपको बार-बार आशीर्वाद देता है कि आप बार-बार मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री बनें. मैं कांग्रेस के कार्यकाल की बात नहीं करना चाहता हॅूं. मुझे याद है जब मैं नीमच में विधायक था. तीन बार का विधायक हॅूं. माननीय कराड़ा जी भूमिपूजन करने आते हैं वह विधायक को नहीं बुलाते हैं और जब मैं उनसे कहता हॅूं तो वह क‍हते हैं आइए, मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान का एक लिफाफा आप भी दे दो. मैंने वह लिफाफा दिया उस बेटी की डिलीवरी होने वाली थी उसको पैसे नहीं मिले, वह रोज मेरे घर चक्‍कर लगाती थी तो यह मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना के पैसे बढ़ाने वालों, गिरेबां में झांककर देखो कि आपने गरीब को क्‍या दिया. बहनों को लैपटॉप मिलता था उस लैपटॉप योजना को आप बंद कर रहे हैं, स्‍कूटी देने वाले थे उस योजना को आपने बंद कर दिया. जो मुसलमान अजमेर शरीफ जाता था, जो हिन्‍दू रामेश्‍वरम् जाता था उस मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा को आपने रोकने का काम किया है. 15 महीने में आपने तो वह पाप किए हैं जो कभी भुलाए नहीं जा सकते हैं. आपने ही हमें उन पदचिन्‍हों पर चलना सिखाया है.

          श्री पी.सी.शर्मा -- XXX

          सभापति महोदय -- इनका रिकॉर्ड न किया जाए.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री आवास बनते हैं तो मध्‍यप्रदेश नंबर वन आता है ओडीएफ होता है नीमच नंबर वन आता है तो मित्रों वह काम हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. ..(व्‍यवधान).. आपने जो काम किए हैं. जब जीतू भाई हमारे यहां आए थे गंजे हो गए थे. गंजे होने के बाद मध्‍यप्रदेश में किसानों के आंदोलन करवाने का काम कर रहे थे. नीमच और मंदसौर की जनता ने सातों की सातों सीटें जिताकर भारतीय जनता पार्टी की झोली में डाल दिया.   

          सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय सभापति जी, बोलने के लिये बहुत कुछ है थोड़ा और बोलने दीजिए, आप तो मेरे पड़ोसी हैं. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को पुन: हृदय की गहराईयों से नीमच जिले की जनता की ओर से आपको निमंत्रण देता हॅूं आप मार्च में जरुर पधारें. भूमिपूजन करें, लोगों की दुआएं लें. हम चाहते हैं कि आप और आगें और ऊंचे जाएं. आपने बोलने का अवसर दिया, इन्‍हीं शब्‍दों के साथ आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय -- दिलीप सिंह जी, साथ में मंदसौर मेडीकल कॉलेज का भी कह दीजिए.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- सभापति जी, मैंने बोला है. सुबह मंदसौर में और शाम को नीमच में भूमिपूजन हो. नगर पालिका, नगर पंचायत सारा कमल खिलाओ. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय -- (श्री बाला बच्‍चन के खडे़ होने पर) देखिए बाला बच्‍चन जी. 16 नाम आपकी तरफ से हैं 10 नाम भारतीय जनता पार्टी की तरफ से हैं.  

          श्री बाला बच्‍चन (राजपुर) -- माननीय सभापति महोदय, राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर जो चर्चा चल रही है उसके कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव का मैं विरोध करता हॅूं.  राज्‍यपाल जी के अभिभाषण का मैं विरोध करता हॅूं और यह इसलिए विरोध करता हॅूं कि मैंने पूरे अभिभाषण को पढ़ा है जिसमें लगभग 114 कंडिका और 39 पेज का अभिभाषण है. मैंने मध्‍यप्रदेश की जनता के जो ज्‍वलंत मुद्दे हैं जो विषय हैं जो इश्‍यू हैं मैंने पूरे अभिभाषण को प्रारंभ से अंत तक पढ़ा है और पूरे अभिभाषण में पूरा गोलमाल है और मुझे इससे यह याद आता है कि रोहित शेट्टी की फिल्‍म गोलमाल 4 चल रही है जैसे ही श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने चौथी बार जो शपथ ली है. मुख्यमंत्री की, वैसा ही गोलमाल 4 के रूप में उन्होंने प्रारंभ किया, अपने कार्यकाल की जो शुरुआत की है, मध्यप्रदेश के खजाने को और मध्यप्रदेश की योजनाओं को पूरी तरह से गोलमाल किया है. कैसा किया है माननीय सभापति महोदय, मैं उसका उल्लेख करना चाहता हूँ और मैं जो भी बोलूंगा वह अथेंटिक और मध्यप्रदेश की विधान सभा में जो हमने प्रश्न लगाए थे, उन प्रश्नों के शासन ने जो उत्तर दिए, उन्हीं को कोट करते हुए मैं अपनी बात को शुरू करता हूँ.

          माननीय सभापति महोदय, कोविड महामारी से इस अभिभाषण की जो शुरुआत हुई है और मैं समझता हूँ कि कोविड महामारी के बारे में बहुत कुछ इस अभिभाषण में उल्लेख है. सभापति महोदय, मैंने एक प्रश्न लगाया था 23.9.2020 में, 710 नंबर का मेरा प्रश्न था, उस प्रश्न में जानकारी दी गई है, मैंने यह पूछा था कि कोविड महामारी से निपटने के लिए या उपाय के लिए जो सामग्री या जो भी लगने वाली चीजें ली थीं, उसके बारे में मैंने जानकारी चाही थी. माननीय मुख्यमंत्री जी के ही पास उस समय आयुष विभाग था. आयुष विभाग से संबंधित काढ़ा के बारे में जो उल्लेख किया गया था कि त्रिकुटा काढ़ा कितने पैकेट खरीदा गया है तो लगभग 43 लाख पैकेट का उल्लेख किया गया था. लेकिन जब उसको बाँटने की बात आई तो 51 जिलों में 59 लाख पैकेट बाँट दिए गए. कहाँ 43 लाख खरीदे और बाँटे 59 लाख, यह केवल आपकी सरकार ही कर सकती है और लगभग 30 करोड़ 64 लाख रुपये का यह काढ़ा था और सभापति महोदय, कहीं पर भी इसका इस अभिभाषण में उल्लेख तक नहीं है, तो मैंने गोलमाल से जो अपनी बात शुरू की है, गोलमाल का यह पहला उदाहरण है और इसमें जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है.

          सभापति महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण की कंडिका 8 में प्रवासी मजदूरों के बारे में उल्लेख किया गया है. मैंने वह भी प्रश्न लगाया था. प्रश्न क्रमांक है 530, उसमें मैंने पूछा है 23.9.2020 का ही मेरा प्रश्न है. प्रवासी मजदूरों को राशि देने के बारे में माननीय सभापति महोदय, लगभग 29 हजार बसों से 10 लाख प्रवासी मजदूरों को लाने ले जाने की बात का उल्लेख किया गया है. लेकिन जब मैंने पूछा है ग्वालियर और सागर के बारे में, तो ग्वालियर और सागर के बारे में जो मजदूर बाहर थे, अन्य राज्यों में थे उनको लाने के बारे में उत्तर आया है कि कोई मजदूरों को बसों से या अन्य साधनों से लाना ले जाना नहीं कराया गया है. जहाँ ग्वालियर में और सागर में मिलाकर 4-4 मंत्री हैं, सागर में 3-3 मंत्री हैं, वहाँ बसों का और मजदूरों को लाने ले जाने का इंतजाम नहीं किया गया है. सभापति महोदय, मैं इस सरकार से यह जानना चाहता हूँ कि आपने विज्ञापन जो दिया है 29 हजार बसें 10 लाख श्रमिकों को लाने ले जाने के लिए, लेकिन आपने इस अभिभाषण में उसका भी कहीं भी उल्लेख नहीं किया है, तो किस तरह से इस सरकार ने कोविड महामारी के नाम पर भी जनता को लूटा है और फर्जीवाड़ा किया है. यह गोलमाल का दूसरा उदाहरण है. सभापति महोदय, तीसरा उदाहरण, मैंने सरकार से प्रश्न के माध्यम से यह भी पूछा था, 719 नंबर का मेरा प्रश्न था. मैंने इस सरकार से कोविड से संबंधित ही पूछा 23.9.2020 में, यह सरकार ये बताए कि मजदूरों को लाने ले जाने के लिए जो आपने वाहन लगाए तो एक वाहन का इन्होंने जो नंबर दिया है, एम पी 09 सी आर 1999, जब इस कार का मैंने नंबर आर टी ओ की वेबसाइट से चेक किया तो यह  ईसीएस इंडिका का नंबर निकला है. मैं इस सदन से जानना चाहता हूँ कि इंडिगो में 36-36 मजदूरों को लाना ले जाना कराया जा सकता है क्या? लेकिन मैं समझता हूँ कि इस सरकार में इस तरह के सब काम संभव हैं या हो सकता है कि वह इंडिगो स्पेशली सरकार ने बनाई होगी जो 36-36 मजदूरों को लाना ले जाना कर सकती है. यह मध्यप्रदेश की विधान सभा के प्रश्नों का मैं उल्लेख कर रहा हूँ. 719 नंबर का मेरा प्रश्न था और उसमें इस सरकार ने जवाब दिया है. ऐसे ही सभापति महोदय, कोरोना से संबंधित ही मैं अपनी बात आगे बढ़ा रहा हूँ क्योंकि आपने मुझे बहुत शॉर्ट टाइम के लिए कर दिया है. धार से सिंगरौली का किराया एक बार 66 हजार 360 रुपये और दूसरी बार मजदूरों को छोड़ने के लिए 85 हजार 320 रुपये दिया गया है. इसी तरह से धार से सतना जो मजदूरों को छोड़ा गया है. पहली बार में 48 हजार 790 रुपये दूसरी बार में किराया लगाया गया 62 हजार 730 रुपये, एक तरफ कोरोना काल की स्थिति बताकर विकास कार्य रोके गए  हैं, तो दूसरी तरफ जम कर सरकार ने सरकारी खजाने को लुटाया है. सभापति महोदय, मेरा आज भी प्रश्न था नमामि देवी नर्मदे नर्मदा सेवा यात्रा का, मैं 2017 से लगाकर अभी तक मैं प्रश्न लगाता आया हूँ. आज भी मेरा प्रश्न था और उस प्रश्न का जवाब यह आया है कि उस समय जो बसें लगी हैं, उस समय की बसों का भाड़ा और उस समय की बसों की जो जानकारी आज तक भी सरकार ने नहीं दी है. तो यह कोविड महामारी में 29 हजार बसें 10 लाख श्रमिकों को लाने ले जाने के लिए जो लगाई गईं थीं मुझे शंका है कि अभी तक 2017 की बसों का जवाब नहीं दिया है, हो सकता है अभी भी यह सरकार जवाब नहीं देगी. यह सरकार जवाबों से मुकरती है और प्रश्न लगते हैं तो यह बताया जाता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. इसी तरह से राज्यपाल महोदय के अभिभाषण की कंडिका 6 में कोविड टेस्टिंग किट के बारे में बताया गया है. इससे संबंधित मेरा प्रश्न क्रमांक 539 था जो कि मैंने दिनांक 22.2.2020 को पूछा था. इसमें भी फर्जी जवाब आया है. जवाब आया है कि अगस्त 2020 तक दतिया और शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में टेस्टिंग शुरु ही नहीं हुई थी. यह माननीय गृह मंत्री जी का इलाका है. इसका उल्लेख भी मेरे प्रश्न के उत्तर में है.

          सभापति महोदय, इस पूरे अभिभाषण में किसानों के संबंध में कुछ नहीं कहा गया है. हम लोगों ने 27 लाख किसानों का साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर दिया था. दूसरे चरण की कर्ज माफी चल ही रही थी और हमारी सरकार चली गई थी. किसानों के बचे हुए कर्ज की माफी के बारे में भी मैंने और मेरे साथियों ने प्रश्न लगाए हैं लेकिन किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं आया है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि किसानों का बचा हुआ कर्ज कब तक माफ कर दिया जाएगा.

          सभापति महोदय, डीजल, पेट्रोल और गैस सिलेंडर के दाम बढ़ रहे हैं. 53 दिनों में 22 बार दाम बढ़ाए गए हैं. मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति खराब है, खजाना खाली है. मात्र फरवरी माह में 11 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है. मेरा कल प्रश्न था जिस पर मंत्री जी ने ठीक से जवाब नहीं दिया है. मैंने पूछा था कि जब से आपकी सरकार बनी है तब से पिछले 11 महीनों में आपने कितना-कितना कर्ज कहां-कहां से लिया है. मंत्री जी द्वारा जो 23 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से लिया गया है केवल उसका उल्लेख किया है. वित्तीय संस्थाओं से व अन्य जगहों से जो कर्ज लिया है उसका उल्लेख नहीं किया गया है. मेरी जानकारी के अनुसार 31 हजार रुपए का कर्ज लिया गया है. वित्तीय स्थिति चौपट हो चुकी है. अभिभाषण में प्रदेश के कर्मचारियों की स्थिति को बेहतर करने के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है. पहली से आठवीं तक पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षक जो कि साल भर से बेरोजगार हो गए हैं उनको एक रुपया मानदेय भी इस सरकार द्वारा नहीं दिया गया है. उनके बारे में भी सरकार को सोचना पड़ेगा.

          सभापति महोदय,  कोरोना महामारी में सीबीएसई परीक्षा केन्द्र बढ़ा रही है और मध्यप्रदेश बोर्ड परीक्षा केन्द्र कम कर रहा है. इस निर्णय को भी वापिस लेना पड़ेगा.

          सभापति महोदय, भूमि विकास बैंक को बंद हुए वर्षों हो चुके हैं लेकिन उनके कर्मचारियों को ग्रेच्युटी या अन्य सुविधाएं मिलना चाहिए वह बिलकुल नहीं दी जा रही हैं. आदिम जाति कल्याण विभाग के कार्यों को इस सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग में विलय करने का  निर्णय ले लिया है. मुख्यमंत्री महोदय ने कमेटी बनाई है. आदिम जाति कल्याण विभाग की जो शैक्षणिक संस्थाएं हैं, मेरी जानकारी के अनुसार पांच हजार स्कूल जो आदिम जाति कल्याण विभाग के अन्तर्गत चल रहे हैं उनको आप बन्द करने जा रहे हैं. मुख्यमंत्री जी यदि आप ऐसा निर्णय करेंगे तो मध्यप्रदेश में हाहाकार मच जाएगा.

          सभापति महोदय, पांचवी और छटवी अनुसूची के बारे में कल हिरालाल अलावा जी ने भी बात की थी मैं उनकी बात से सहमत हूँ. मुख्यमंत्री जी आपको इस पर ध्यान देना पड़ेगा. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की बात आई थी उस पर मैं कहना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश के 80 हजार युवाओं को अलग-अलग योजनाओं से सबसीडी मिलती थी उनकी सबसीडी बन्द करने से उनको बैंकों द्वारा ऋण नहीं दिया जा रहा है. इससे 80 हजार युवाओं का भविष्य तो खत्म हो ही रहा है अन्य जो युवा आ रहे हैं उनको भी सबसीडी का लाभ नहीं मिल पा रहा है. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना है, कृषि उद्यमी योजना है. माननीय मुख्यमंत्री जी आपको इस ओर ध्यान देना पड़ेगा.

          सभापति महोदय, संविदा वर्ग एक व दो के चयनित लगभग 30 हजार प्रतिभागी अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं लेकिन आज तक उनको ऑर्डर नहीं दिया है कृपया जल्दी से आप उनको नियुक्ति का ऑर्डर दें.

          सभापति महोदय, मैं आशा करता हूँ कि मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों को सरकार गंभीरता से लेगी. माननीय मुख्यमंत्री जी अपने जवाब में इनका उल्लेख करेंगे. आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.                                                                                    

            श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा (खातेगांव) -- माननीय सभापति महोदय, मैं राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण का समर्थन करता हूं. निश्चित ही मध्‍यप्रदेश में एक ऐसी सरकार फिर से काबिज हुई है जिसने इस मध्‍यप्रदेश को बीमारू राज्‍य से उन्‍नत राज्‍य बनाने की दिशा में सकारात्‍मक काम किया है. विपक्ष का काम आरोप लगाना है और इस प्रदेश की जनता उन आरोपों की सच्‍चाई से भलिभांति परिचित है. हम सबने और पूरे विश्‍व ने कोरोना जैसी महामारी का कठिन दौर देखा है. शासक और सरकार वही होती है जो जनता को कठिन से कठिन दौर में भी सम्‍बल की तरह मदद करते हुए उसके विश्‍वास को जीते. निश्चित ही राज्‍यपाल महोदया का जो अभिभाषण था जिसमें प्रदेश के पिछले समय की तस्‍वीर को स्‍पष्‍ट किया गया और आने वाले समय में सरकार का क्‍या विजन हो सकता है उसको बताया गया. मध्‍यप्रदेश में पिछले डेढ़ वर्ष पहले लोगों ने एक ऐसी सरकार देखी थी जिसने जनता से जो वायदे किए थे वह सरकार उन वादों पर खरा उतरने में कामयाब नहीं रही थी.

          सभापति महोदय, विपक्ष के लोग आरोप लगाते हैं कि खरीद फरोख्‍त करके कोई सरकार इस मध्‍यप्रदेश में काबिज हुई है यह जनादेश का अपमान है. जनता जब किसी को चुनती है और जनता के चुने हुए प्रतिनिधि जिन वादों के लिए जनता के बीच काम करते हैं उन वादों को पूरा होने पर उन्‍हें अधिकार है कि वह सरकार के साथ को छोड़ दें. जिस सरकार के जरिए वह जनता के विकास के लिए, प्रदेश के विकास के लिए काम कर पाएं. आज मध्‍यप्रदेश में निश्चित ही कोरोना के संकट के कारण बहुत सारी वित्‍तीय सीमाएं हमको ध्‍यान में रखना पड़ी लेकिन हम उस दौर को हम नहीं भूल सकते जब हमारे प्रदेश के मुखिया ने और प्रदेश की सरकार ने न सिर्फ जनता की हौसला अफजाई की बल्कि उनके भोजन, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य तक की चिंता की. इस कोराना में मध्‍यप्रदेश की एक अच्‍छी तस्‍वीर हमने पूरे भारत में प्रस्‍तुत की है. जब सरकार से जुड़े हुए लोग, प्रभावी लोग जनता से किसी काम के लिए अपील करते हैं तो जनता उसे हृदय से अंगीकार करके उस दिशा में काम करती है. संकट बहुत बड़ा था लेकिन सरकार ने राशन भिजवाकर, छात्रवृत्ति भिजवाकर बाहर रहने वाले मजदूरों के खातों में पैसा डलवाकर निश्चित ही बहुत सराहनीय कार्य किया है जिसके कारण इस संकट के दौर में भी इस सरकार के प्रति जनता का विश्‍वास बढ़ा है. हम भूल नहीं सकते हैं नरेगा की मजदूरी की बात कर रहे थे इस कोरोना के संकट के दौरान लाखों मजदूरों को रोजगार देने का काम हमने किया है और इसलिए आत्‍मनिर्भर भारत की दिशा में हमारा देश और प्रदेश दोनों बढ़ चले हैं, क्‍योंकि विश्‍व के कई सारे देशों की अर्थव्‍यवस्‍था इस कोरोना की महामारी के कारण चरमरा गई, लेकिन हम लोग अपने पैरों पर इसीलिए खड़े रह पाए कि हमने जनता की समयानुकूल मदद करने का काम किया है. स्‍व-सहायता समूह की महिलाओं ने व्‍यापक पैमाने पर मास्‍क का निर्माण किया, सेनेटाइजर का निर्माण किया जिसके कारण हम गांव-गांव तक मास्‍क और सेनेटाइजर पहुंचा पाए. कहने के लिए बहुत सारी चीजें हैं लेकिन यह सरकार जिसने इन पंद्रह वर्षों में इस मध्‍यप्रदेश का समुचित विकास किया है. यह सरकार आने वाले समय में इस मध्‍यप्रदेश को स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश बनाने की दिशा में तेजी से काम करेगी. हमारे कुछ भाई लोग कह रहे थे कि मध्‍याह्न भोजन ठीक से नहीं मिल रहा है यह पहली सरकार है जिसने उन बेटे, बेटियों को जो कि प्राइमरी और मिडिल स्‍कूल में पढ़ते हैं उनके घरों तक तुअर की दाल और मीठा तेल भिजवाने का काम किया है इसलिए आप हमारे संकल्‍प और हमारे सकारात्‍मक विचारों पर उंगलियां नहीं उठा सकते हैं. आज का मध्‍यप्रदेश आने वाले समय में इस संकट से भी पार पाएगा. कुछ विपक्षी भाई लोग यह मामला उठा रहे थे कि मध्‍यप्रदेश में कई जगहों पर कोरोना पीडि़तों को इलाज नहीं मिला. मैं स्‍वयं इस बात का गवाह हूं कि हमने भी अपने क्षेत्र में कई कोरोना पीडि़तों को इंदौर और देवास के अस्‍पतालों में न सिर्फ इलाज दिलवाया बल्कि उनकी जान बचाने का भी काम किया है. निश्चित ही यह संकट बहुत बड़ा था. कोरोना का टीकाकरण अब सरकार ने शुरू कर दिया है लेकिन इस महामारी में हमको राजनैतिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए जहां कमी है उसका ध्‍यान सरकार को दिलाना चाहिए लेकिन अगर हम इस महामारी के संकट के दौर में भी राजनीति करेंगे, सवाल उठाएंगे कि कहीं पर सिटी स्‍केन नहीं पहुंचा, कहीं पर सोनोग्राफी की व्‍यवस्‍था नहीं हुई तो यह ठीक नहीं है. इस सरकार ने पहले से बेहतर व्‍यवस्‍था मध्‍यप्रदेश में प्रदान की है. कोरोना के संकट के दौरान जब एक हम्‍माल मंडी में खड़े होने में संकोच कर रहा था उसे डर लग रहा था उस समय सरकार ने गेहूं, मक्‍का, बाजरा, चना इसकी खरीदी कराई. कई सारे कर्मचारी, अधिकारी उस समय जो इस खरीदी के काम में लगे थे वह संक्रमण से ग्रस्‍त हुए. इंदौर के हमारे कई जवान, पुलिस के अधिकारी कोरोना के संक्रमण की जद में आए और प्राणों से हाथ धो बैठे लेकिन उस संकट के समय हमारी सरकार और हमारे मुखिया उन पीडि़त परिवारों तक पहुंचे और उनका संबल बनकर आगे आये. माननीय गृह मंत्री जी स्‍वयं कई अस्‍पतालों में पहुंचे. इंदौर के अरविंदो मेडिकल कॉलेज में, जहां एक आम आदमी जाने में संकोच कर रहा था, हमारे मंत्री जी उन मरीजों के बीच पहुंचे और उनका हौसला बढ़ाया.

          माननीय सभापति महोदय, यही सरकार की जिम्‍मेदारी होती है और यही सरकार का कर्त्‍तव्‍य होता है, जब तकलीफमंद व्‍यक्ति के बीच कोई बड़ा प्रभावशाली व्‍यक्ति पहुंचता है तो उस व्‍यक्ति के मन में हिम्‍मत का भाव जागता है और यह लगता है कि सरकार इस संकट के समय हमारे साथ खड़ी है.

          माननीय सभापति महोदय, पुरानी सरकार ने किसानों को फसल बीमा देने के लिए कोई उल्‍लेखनीय कार्य नहीं किया. किसानों की रबी और खरीफ की फसलें जो वर्ष 2019 में खराब हो गई थीं, उनके खातों तक वन-क्लिक के माध्‍यम से बीमा और मुआवज़े की राशि को पहुंचाने का कार्य शिवराज सिंह जी की सरकार ने किया है. इसके लिए मैं सरकार को धन्‍यवाद देना चाहता हूं.

          माननीय सभापति महोदय, यहां किसान सम्‍मान निधि की बात हो रही है. मुझे पता है कि जब कमल नाथ जी की सरकार मध्‍यप्रदेश में थी, तब स्‍पष्‍ट निर्देश दिए गए थे कि किसान सम्‍मान निधि का कार्य हमें नहीं करना है. किसानों के खातों की जानकारी को अपलोड नहीं करना है. इस कारण किसान सम्‍मान निधि जो समय से हमारे प्रदेश में बांटी जानी चाहिए थी, उसकी राशि किसानों तक नहीं पहुंची. हमें तो गर्व होना चाहिए कि किसानों को 6000 रुपये प्रधानमंत्री दे रहे हैं और 4000 रुपये मध्‍यप्रदेश की सरकार दे रही है. हम सभी को इस पर गर्व होना चाहिए कि हमारे मध्‍यप्रदेश के किसानों को इतनी राशि मिल रही है. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय सभापति महोदय, खाद के वितरण की बात की जा रही है. किसान कर्ज माफी के कारण सोसायटियों के पास इतना पैसा तक नहीं बचा था कि वे खाद खरीदकर किसानों को वितरित कर सकें. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी और कृषि मंत्री जी को धन्‍यवाद करता हूं कि उन्‍होंने सोसायटियों के पास वित्‍त का प्रबंध करवाया और किसानों को यूरिया एवं उर्वरक सही समय पर पहुंचाया, जिसके कारण किसान अपनी रबी और खरीफ की फसलों को ले पाया.

          माननीय सभापति महोदय, मध्‍यप्रदेश में कई गरीब 2-3-4 वर्षों से बार-बार अनुसूचित जाति- जनजाति के हमारे भाई-बहन कहा करते थे कि हमारी खाद्य पर्ची नहीं निकल रही है. पोर्टल बंद पड़ा है. कांग्रेस की सरकार में पूरा पोर्टल बंद कर दिया गया था, लेकिन सरकार ने लाखों खाद्य पर्चियां बांटकर उन घरों तक राशन पहुंचाने का कार्य किया है.

          माननीय सभापति महोदय, सबसे बड़ी बात यह है कि ''संबल योजना'' जिसे कमल नाथ जी की सरकार द्वारा स्‍थगित किया गया था. संबल वास्‍तव में गरीब के दर्द को समझकर बनाई गई योजना है. हम सभी विधायक यहां बैठे हैं, सभी अपने सीने पर हाथ रखकर कहिये कि यदि किसी के परिवार में दुर्घटना या सामान्‍य अवस्‍था में परिवार के मु‍खिया की मृत्‍यु हो जाती है, तो जो पान वाला, चाय वाला, हम्‍माली करने वाला हो और यदि उसके परिवार को 2-4 लाख रुपये मिल जाते हैं तो उसका परिवार आपको दुआ देता है और आपके प्रति आभार व्‍‍यक्‍त करता है कि ऐसे संकट के समय जब रिश्‍तेदार साथ छोड़ जाते हैं, तब सरकार हमारे लिए इतनी व्‍य‍वस्‍था करती है. मैं राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के प्रति बहुत-बहुत धन्‍यवाद व्‍यक्‍त करता हूं. अंत में केवल एक बात कांग्रेसी मित्रों से कहना चाहता हूं कि

आप हर बात पर झूठे सवाल करते हैं,

ये आजकल तुम कैसे-कैसे सवाल करते हो.

 

          आपको सवाल करने का अधिकार है लेकिन झूठ और भ्रम का वातावरण यदि आप लोग समाज में निर्मित करेंगे तो कहीं न कहीं आपकी और आपकी पार्टी की विश्‍वसनीयता समाज में कम होगी. धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय-  श्री तरूण भनोत. कृपया समय का थोड़ा ध्‍यान रखें.

          श्री तरूण भनोत (जबलपुर-पश्चिम)-  माननीय सभापति महोदय, आप वहां बैठे हैं तो मैं सोच रहा हूं कि कम से कम मेरे लिए समय की कोई रोक नहीं होगी.

          माननीय सभापति महोदय, जब इस सदन में माननीय राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण पर चर्चा शुरू हुई तो इस सदन के वरिष्‍ठ सदस्‍यों में से एक विद्वान पंडित जी ने उसकी शुरूआत सत्‍ता पक्ष की ओर से की. उन्‍होंने और पूर्व के वक्‍ताओं ने भी कहा कि यह एक बड़ा विचित्र संयोग है कि जो अभिभाषण आया है, सत्र पहली बार लग रहा है, इसमें दो सरकारों के काम का समायोजन था, पहली बार जब से मध्‍यप्रदेश का गठन हुआ है, ऐसा इस विधान सभा के कार्यकाल में हुआ होगा कि दो सरकारों का अभिभाषण इकट्ठा आया होगा.

          माननीय शर्मा जी ने बहुत अच्‍छी ओर हम सभी का ध्‍यान आकर्षित किया. बिल्‍कुल सही बात है. मैंने पूरे अभिभाषण को आपके वक्‍तव्‍य के बाद पलटा-पलटाकर पढ़ा. आपका भाषण भी सदन के अंदर सुना था. मुझे 15 माह की कमल नाथ जी की सरकार के विरोध में एक भी लाईन उसमें पढ़ने में नहीं आई.

          डॉ. सीतासरन शर्मा-  माननीय सभापति महोदय, मैंने ऐसा नहीं कहा था, मैंने कहा था कि दोनों सरकारों की तुलना हो जायेगी.

          श्री तरूण भनोत-  माननीय सभापति महोदय, तुलना राज्‍यपाल महोदया जी ने नहीं की. संवैधानिक पद है, मैं किसी प्रकार का आरोप-आक्षेप लगाने में विश्‍वास नहीं रखता हूं. न ही मैंने कभी ऐसा प्रयास किया है कि अपने सार्वजनिक जीवन में मैं, इस प्रकार का काम करूं. हमारे शर्मा जी लाइनें बहुत सुनाते हैं इसलिए आज मुझे भी दो लाइनें याद आ गई हैं.

जो हमारे विद्वान, हमारे बहुत वरिष्‍ठ थे उनके वक्‍तव्‍य जब सुनें तो मुझे यह अहसास हुआ कि - ''महत्‍वपूर्ण यह नहीं कि आपकी उम्र क्‍या है,

               महत्‍वपूर्ण यह है कि आपकी किस उम्र की सोच है.

          जरूरी नहीं है कि अनुभव बहुत बड़ी चीज होती है, ऐसा हम सुनते थे. पर मेरा ऐसा मानना है कि अनुभव सुनकर की दूसरे के बाल सफेद हैं, नहीं लेना चाहिये गलती भी बहुत बड़ी हो जाती है. हम गलत रास्‍ते पर भी चल सकते हैं. ( माननीय गृह मंत्री जी द्वारा कांग्रेस पक्ष के सदस्‍यों के साथ बैठे-बैठे कुछ टिप्‍पणी करने पर) माननीय मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन है कि गृह मंत्रीजी को अपने स्‍थान पर बुला लें, यह सदन में व्‍यवधान कर रहे हैं, यह वहां रहेंगे तो ठीक रहेंगे.

          मुख्‍यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान):- लेकिन गृह मंत्री के साथ कितने लोग मिले हुए थे, यह भी तो देख लो आप.

          श्री तरूण भनोत:- इस बात का तो आपको ध्‍यान रखना चाहिये.

          गृह मंत्री( डॉ. नरोत्‍तम मिश्र):- आपने नहीं रखा तो यहां आ गये तरूण जी.

          सभापति महोदय:- माननीय सदस्‍य देखिये आपके भाषण के मध्‍य व्‍यवधान खड़ा करने के लिये चार लोगों ने मिलकर पांचवें को बुला लिया.

          श्री शिवराज सिंह चौहान:- तरूण जी, आपके भाषण की धार बोथरीकरण का पूरा प्रयास किया जा रहा है.

          श्री तरूण भनोत:- सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री को आश्‍वस्‍त करता हूं कि मैं भाषण दूंगा ही नहीं, मैं तो सुझाव दूंगा. भाषण देने के मंच तो विधान सभा के बाहर हैं, जब हम चुनाव लड़ेंगे तो वहां खूब भाषण देंगे, कोई दिक्‍कत नहीं है अपना झण्‍डा और अपना डण्‍डा लेकर. यहां मैं प्रयास करूंगा कि कुछ सकारात्‍मक सुझाव दूं, मुझे पता है कि सदन का समय कितना महत्‍वपूर्ण है.

          सभापति महोदय, कोविड की बात होती है, यह बड़ा संवेदनशील विषय है. आज भी हम इससे जूझ रहे हैं और आज भी पूरी मानवता के ऊपर खतास था और है, और इसकी कोई तैयारी नहीं थी कोविड के पहले तथा किसी ने यह नाम ही नहीं सुना था कि इस प्रकार की कोई बीमारी भी होती है. सरकार कोई भी वह कभी नहीं चाहती कि उसके प्रदेश के, उसके देश के लोग किसी महामारी से जूझे, हम व्‍यवस्‍था ना करें और उनको संकट का सामना करना पड़े, पर शासन पक्ष जितना महत्‍वपूर्ण है, मैं ऐसा मानता हूं कि इस लोकतंत्र में विपक्ष की भी उतनी ही महत्‍वपूर्ण भूमिका है कि अगर शासन से अगर कहीं गलती होती है या कोई कमी रह जाती है तो उसकी ओर हम आपका ध्‍यान आकर्षित कर सकें. इसलिये हमको हमारे क्षेत्र की जनता ने यहां इस सदन में चुनकर भेजा भी है.

          सभापति महोदय, कोविड आया लोगों को एहसास नहीं हुआ कि क्‍या हुआ. मैं इस बात पर इसलिये चर्चा कर रहा हूं कि मुझे 9 दिन के लिये स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की जिम्‍मेदारी भी मिली, वित्‍त विभाग के साथ देखने के लिये और वह मौका क्‍यों मिला मैं उसके ऊपर नहीं जाना चाहता हूं, वह सबको पता है, मैं उसके ऊपर नहीं जाना चाहता हूं. मैं भी तैयार नहीं था और सही बात है किसी सरकार को पता नहीं था कि ऐसा होने वाला है , पर माननीय बार-बार यह कहा जाता है कि कांग्रेस की तत्‍कालीन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाये. इस बारे में, मैं अपना पक्ष रखना चाहता हूं.

          माननीय सभापति महोदय, दिनांक 7.3.2020 को जब सबसे पहले मध्‍यप्रदेश में कोविड की बात उठी, मध्‍यप्रदेश में इसकी चर्चा हुई तो हमने तत्‍कालीन अधिकारियों की एक उच्‍चस्‍तरीय बैठक बुलायी और उसमें वित्‍त विभाग के एसीएस और पीएस के साथ-साथ में हमारे तत्‍कालीन पीएस स्‍वास्‍थ्‍य विभाग भी थे, हमने उनसे कहा कि आपको क्‍या व्‍यवस्‍थाएं चाहिये, क्‍या बजट चाहिये और इस संबंध में सरकार को क्‍या दिशा-निर्देश जारी करने चाहिये आप हमें इस बारे में हमें बतायें हम तत्‍काल उसके ऊपर निर्णय लेंगे और दो घंटे चली बैठक में यह निर्णय भी हुआ और तत्‍काल वित्‍त विभाग को आदेश दिये गये कि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के लिये 187 करोड़ रूपये की राशि जारी कर दी जाये और हमारे जिला स्‍तर के जितने भी स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारी हैं, हमारे जितने कलेक्‍टर महोदय बैठे हैं सबको सरकार की ओर से यह शक्तियां प्रदत्‍त कर दी जायें कि कोविड की रोकथाम के लिये जो भी व्‍यवस्‍था वह कर सकते हैं, वह करें और सरकार उसमें किसी भी प्रकार की पैसे की कमी नहीं आने दी जायेगी, हुआ भी.  पिछले वर्ष 20 तारीख को बजट आना था, 20 तारीख को हमारी सरकार का बहुमत गया, 23 तारीख को माननीय शिवराज सिंह जी ने दोबारा मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली. मैं नहीं कहना चाहता कि क्‍या कारण थे कि मंत्रिमण्‍डल के गठन में समय लगा. इन विषयों पर हमें सोचना चाहिये, समय लगा माननीय मुख्‍यमंत्री मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उन्‍होंने प्रयास नहीं किया कोविड की रोकथाम के लिये. पर मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि इस सदन के अंदर बैठे 230 सदस्‍य हममें से कौन ऐसा नहीं था, जिसने अपने स्‍तर पर अपने क्षेत्र में जाकर कोविड की रोकथाम के लिये जो हमसे बन सकता था, प्रयास न किये हों, चाहे वह सत्‍ता पक्ष के सदस्‍य हों, चाहे विपक्ष के सदस्‍य हों. मैं इस सदन के माध्‍यम से धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि ऐसी हमारी बहुत सारी संस्‍थाएं थीं रेडक्रास और अन्‍य संस्‍थाएं, बहुत सारी सामाजिक और धार्मिक संगठन सबने सड़कों के ऊपर आकर जो बन सकता था किया और वह भी सरकार का सहयोग था.इसलिये यह कह देना कि जो सरकार थी उसने कोविड की कोई रोकथाम नहीं की. इससे मैं पूर्णतः सहमत नहीं हूं और इस बात की चर्चा आगे होना भी नहीं चाहिये. और भी बहुत सारी बातों का उल्लेख किया गया है. हम बार बार बात करते हैं आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की.

          श्री प्रभुराम चौधरी--आप बाला भाई को थोड़ा और समझा देंगे तो ज्यादा बेहतर होगा. अभी बोल रहे थे कि सरकार ने पूरा खजाना लुटा दिया है.

          श्री तरूण भनोत--आपने तुलसी भाई  को क्यों नहीं समझाया ? मैं इन बातों में पड़ना ही नहीं चाहता.

          श्री बाला बच्चन--मैंने सरकार के जवाबों को कोड किया है.

          श्री तरूण भनोत--सभापति महोदय, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश कौन नहीं चाहता है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बने. वह कोई भी व्यक्ति जो मध्यप्रदेश के प्रति अपनी सद्भावना रखता है जो जनप्रतिनिधि है या नहीं भी है, जिसको मौका नहीं भी मिला है वह क्यों नहीं चाहेगा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बने, बिल्कुल बनना चाहिये. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश कब बनेगा जब नौजवान बेरोजगार को काम मिलेगा, जब किसानों की समस्याओं का हल होगा, जब हमारी गृहणियों की समस्याओं का हल होगा, जब हर वर्ग की समस्याओं का हल होगा, जब हमारा उद्योग जगत मजबूत होगा, तब ही आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनेगा. आप सरकार में हैं आपका यह दायित्व है कि आप आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिये ताकत के साथ काम करिये तथा जो सकारात्मक सुझाव विपक्ष आपको देता है उसका समायोजन करिये.

          श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया--सभापति महोदय, माननीय सदस्य जी ने कहा बेरोजगारी के बारे में जो 4000 रूपये बेरोजगारी भत्ता था उसका क्या हुआ ?

          श्री तरूण भनोत--सभापति महोदय, मैं श्रेय तुलसी भाई जी को देता हूं, गोविन्द भाई को देता हूं. आपने बेरोजगारी भत्ता 300 रूपये से बढ़ाकर 600 रूपये कर दिया. आप ले लें इसका श्रेय हां आपकी सरकार ने किया आप इन बातों में न पड़े. अगर यह इस तरह का भाषण देंगे तो इनको भी छः घंटे कम पड़ेंगे तथा मुझे भी कम पड़ेंगे. मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं हमारे विपक्ष के नेता ने बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही जो मेरे दिमाग में बैठी उन्होंने बड़ी ही सकारात्मक रूप से अपनी बात रखी और माननीय मुख्यमंत्री जी को कहा कि राज्यपाल महोदय जी का अभिभाषण आया है यह आपका एक साल का रोड़ मेप है, इसके ऊपर हम चर्चा अगले साल करेंगे, यह एक बहुत ही सकारात्मक बात थी. मुझे भी इस बात को प्रभावित किया. हर बात में आपकी आलोचना करें, वह मैं नहीं करना चाहता हूं. मैं एक बात का निवेदन माननीय मुख्यमंत्री जी से करना चाहता हूं कि हम सब वर्गों की बात करते हैं और करना भी चाहिये. सबका प्रदेश है, सबका देश है और सबके विकास की बात होना चाहिये. पर कहीं न कहीं हम सब लोवर एवं मिडिल क्लास को भूल जाते हैं कोविड से बहुत बड़ी मार इस क्लास को पड़ी है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं और सारे सदस्यों ने देखा होगा कि अगर आज सबसे ज्यादा कोई पीड़ित वर्ग है तो वह वर्ग इसलिये पीड़ित है वह लोवर व मिडिल क्लास का कि वह अपने बच्चों की स्कूल की फीस नहीं भर पा रहे हैं. खास तौर पर जो प्रायवेट स्कूल हैं मुख्यमंत्री जी मैं सदन के माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि 11 महीने तक स्कूल बंद रहे जब परीक्षा का समय आया स्कूल चालू हो गये, अच्छी बात है स्कूल चालू होना चाहिये, बच्चों को स्कूल जाना चाहिये. पर प्रायवेट स्कूल वालों को मौका मिल गया बच्चों के अभिभावकों की गर्दन दबाकर पैसा वसूलने का और यहां पर सारे माननीय सदस्य अपने अपने क्षेत्रों में महसूस कर रहे होंगे. हमारे पास सबसे ज्यादा अगर शिकायत आती है इस बात की आती है कि स्कूल वाले दिक्कत दे रहे हैं, ब्लेकमेल कर रहे हैं फीस हमको भरनी पड़ रही है. मेरा आपसे आग्रह है कि आप ऐसा निर्देश जारी करें किसी भी स्कूल के बच्चे को कोई अभिभावक उस बच्चे की फीस भर पाये हों अथवा नहीं भर पाये हों उनको परीक्षा से वंचित नहीं किया जाये. आप सभी कलेक्टरों को यह निर्देशित कीजिये. अगर यह निर्देश लागू होंगे तो इससे सबका लाभ होगा, उस वर्ग को भी लगेगा कि हमारे बारे में भी कोई सोचता है. आपका धन्यवाद.                                         

          श्री धर्मेन्‍द्र सिंह लोधी(जबेरा) - माननीय सभापति जी, मैं राज्‍यपाल के अभिभाषण के पक्ष में, सरकार के पक्ष में विचार रखने के लिए आप सभी के बीच में खड़ा हुआ हूं. पहली बार का विधायक हूं और बोलने का प्रयास कर रहा हूं. हो सकता है, कुछ त्रुटियां हो जाएं. आप सभी बड़ें हैं, वरिष्‍ठ हैं उन त्रुटियों को आप लोग क्षमा करेंगे.

          क्‍योंकि कहा गया है कि - ''क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्‍पात.''

          माननीय सभापति जी, मैंने विपक्ष के सदस्‍यों और सत्‍ता पक्ष के सदस्‍यों की सारी बातें सुनी. विपक्ष का जो नकारात्‍मक रुख है, वह वास्‍तव में मेरे अनुसार सकारात्‍मक होना चाहिए. माननीय शिवराज जी के नेतृत्‍व में मध्‍यप्रदेश निरंतर विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है. माननीय शिवराज जी निरंतर मध्‍यप्रदेश और मध्‍यप्रदेश की जनता की चिन्‍ता कर रहे हैं और माननीय शिवराज जी जैसा मुख्‍यमंत्री, मुझे नहीं लगता कि मध्‍यप्रदेश में कोई दूसरा मुख्‍यमंत्री इतना अच्‍छा और सच्‍चा मध्‍यप्रदेश को मिलने वाला है, लेकिन विपक्ष के लोगों को केवल कमियां ढूंढना है, तो मैं विपक्ष के लोगों से कहना चाहता हूं. मुझे गालिब का एक शेर याद आता है कि :

                   ''तमाम उम्र गालिब, यही भूल करता रहा.

                   धूल चेहरे पर थी और आइना साफ करता रहा.'' (...मेजों की थपथपाहट)

          सभापति महोदय, यह हमारे विपक्ष के लोगों का चाल और चरित्र हैं, जब वे सत्‍ता में आते हैं तो उनको किसान याद आते हैं. मैं उनसे यह कहना चाहता हूं कि जब मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, दिग्विजय सिंह की सरकार थी तो यही कांग्रेस की सरकार जो आज किसानों की सबसे बड़ी हितैषी बन रही है, किसानों को 18 प्रतिशत ब्‍याज दर पर कर्जा दिया करती थी. एक किसान का बेटा मुख्‍यमंत्री बना, माननीय शिवराज जी मुख्‍यमंत्री बने उन्‍होंने किसान की चिन्‍ता शुरू की. खेती को फायदे का धंधा बनाने का काम शुरू किया. 18 प्रतिशत ब्‍याज दर को घटाकर किया 9 प्रतिशत, 9 से किया 5 प्रतिशत, 5 से किया 3 प्रतिशत, 3 से किया 1 प्रतिशत. फिर माननीय शिवराज जी ने सोचा कि किसानों का कर्जदार तो सारा हिन्‍दुस्‍तान है, इनसे क्‍या ब्‍याज लेना, बिना ब्‍याज के ही कर्ज दे दो, तो जीरो प्रतिशत ब्‍याज दर पर अगर मध्‍यप्रदेश की धरती पर किसानों को कर्ज देना शुरू किया तो हमारे मुख्‍यमंत्री माननीय शिवराज जी ने किया. (...मेजों की थपथपाहट)  फिर आगे कहा कि अब जीरो प्रतिशत ब्‍याज दर पर कर्ज नहीं देंगे, खाद और बीज के लिए एक लाख रूपए ले जाओ और वापस दे जाओ 90 हजार रूपए. ये चमत्‍कार मध्‍यप्रदेश की धरती पर अगर किसी ने करके दिखाया है तो हमारे माननीय शिवराज सिंह जी ने करके दिखाया है. जब कांग्रेस का शासनकाल था तो मध्‍यप्रदेश की विकास दर मायनस में हुआ करती थी. खेती में दो तीन प्रतिशत विकास दर हो जाया करती थी तो ये लोग अपनी पीठ थपथपा लिया करते थे.

          माननीय सभापति जी, लेकिन शिवराज सिंह जी इस प्रदेश के मुखिया बने, उन्‍होंने प्रदेश की दिशा और दशा को सुधारने का काम शुरू किया, प्रदेश को विकास की पटरी पर दौड़ाने का काम शुरू किया और मध्‍यप्रदेश की विकास दर 10 प्रतिशत से ऊपर चली गई. खेती के मामले में, कृषि के मामले में मध्‍यप्रदेश की विकास दर 20 प्रतिशत से ऊपर लगातार मध्‍यप्रदेश की धरती पर रही है. यह चमत्‍कार अगर किसी ने करके दिखाया है तो हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने करके दिखाया है. (मेजों की थपथपाहट) आज मध्‍यप्रदेश अगर विकास के रास्‍ते पर दौड़ रहा है, उन्‍नति के रास्‍ते पर दौड़ रहा है, अगर प्रगति के रास्‍ते पर दौड़ रहा है तो कहीं न कहीं हमारे किसान के बेटे माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की अथक मेहनत का यह परिणाम है. इस बात को विपक्ष के लोगों को समझना पड़ेगा क्‍योंकि आप केवल बुराई देखते हैं और कहा गया है कि 'बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,  जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय'. यह चिन्‍तन और मं‍थन करने की आज विपक्ष के लोगों को आवश्‍यकता है. कांग्रेस को लोग छोड़कर जा रहे हैं, कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है, जिसमें कोई सवारी नहीं करना चाहता है (मेजों की थपथपाहट) कांग्रेस में काम करने वालों का भविष्‍य अंधकामय है क्‍योंकि यह कभी देश, समाज और राष्‍ट्र की चिंता करने वाली पार्टी नहीं रही. देश, समाज और राष्‍ट्र की चिंता करने वाली अगर कोई पार्टी है, गरीबों की चिंता करने वाली कोई पार्टी है तो वह भारतीय जनता पार्टी है, जो अन्‍त्‍योदय की बात करती है. हमारे पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी ने कहा है कि जो सबसे पीछे है, जो सबसे नीचे है, जो सबसे दीन है, जो सबसे दु:खी है, वह हमारा नारायण है. और इस सपने को साकार करने का काम अगर मध्‍यप्रदेश की धरती पर किसी ने करके दिखाया है तो हमारे प्रदेश के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने करके दिखाया है. मैं उनको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूँ और विपक्ष के लोगों को कहना चाहता हूँ कि सकारात्‍मक सोच के साथ आगे बढि़ये, सकारात्‍मक सोच रखिये, अच्‍छी सोच रखिये और प्रदेश के हित में जो योजनाएं बनाई जा रही हैं, निरन्‍तर गरीबों के हित में जो योजनाएं बनाई जा रही हैं, उनको आगे बढ़ाने के लिए आप भी कन्‍धे से कन्‍धा मिलाकर काम कीजिये.    

          सभापति महोदय - माननीय सदस्‍य, आप अभी कितना समय लेंगे ? केवल 2 मिनट में समाप्‍त करें. आपकी भावना में मेरी भावना समाहित है. आप बिना देखे बोल रहे हैं, बहुत अच्‍छा बोल रहे हैं.

          श्री धर्मेन्‍द्र सिंह लोधी - माननीय सभापति महोदय, मैं जल्‍दी से जल्‍दी अपनी बात समाप्‍त करने जा रहा हूँ. माननीय शिवराज जी के लिए मैं कहना चाहता हूँ हमारा मुखिया, मध्‍यप्रदेश का सबसे अच्‍छा मुखिया है और मुख्‍यमंत्री जी,  निरन्‍तर देश, समाज और राष्‍ट्र की चिंता करते हैं. मैं यह बात कहकर अपनी वाणी को विराम दूँगा क्‍योंकि मुझे मालूम है कि समय महत्‍वपूर्ण है. माननीय शिवराज जी के लिए मैं इन पंक्तियों को उद्धृत करना चाहता हूँ कि 

          कदम निरन्‍तर चलते जिनके, श्रम जिनका अविराम है ।

          विजय सुनिश्चित होती उनकी, घोषित यह परिणाम है।।

          काल चक्र के माथे पर जो पौरुष की भाषा लिखते

          उनकी हार कभी नहीं होती, वह केवल करते दिखते।।

          आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद. 

          सभापति महोदय - श्री कमलेश्‍वर जी पटेल, समय का ध्‍यान रखते हुए बोलें.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल (सिहावल) - माननीय सभापति महोदय, अगर आपका निर्देश हो तो बोलें ही नहीं. (हंसी) माननीय राज्‍यपाल महोदया जी का जो अभिभाषण प्रस्‍तुत हुआ, उनकी प्रस्‍तुति के बाद फिर हमारे पूर्व विधान सभा अध्‍यक्ष, वर्तमान विधायक हम सबके वरिष्‍ठ मार्गदर्शक ने जिस तरह से सरकार का महिमामंडन किया, सरकार का गुणगान किया, बड़ा अतिश्‍योक्तिपूर्ण था. जिससे प्रदेश की जनता विचलित हो गई क्‍योंकि सच बात तो यह है कि जितना गुणगान किया गया.

          सभापति महोदय - कमलेश्‍वर जी, आपकी मूल बात नहीं आ पायेगी. आपका एक मिनट हो गया है.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - सभापति महोदय, मैं मूल बात पर ही आ रहा हूँ. जब उधर से बोलते हैं तो उनको समय मिलता है. सभापति जी, आप तो निष्‍पक्ष भावना रखिये. आप मंत्री तो बन नहीं पाये तो कम से कम निष्‍पक्षता से हमको सुनिये तो. (श्री रामेश्‍वर शर्मा जी को देखते हुए) अब तो आप प्रोटेम स्‍पीकर पद से भी चले गए हैं. माननीय अब तो आप प्रोटेम स्‍पीकर से भी चले गये हो (हंसी.)

श्री रामेश्‍वर शर्मा -- वह ठीक है दादा, तुम भी पूर्व मंत्री हो (हंसी.) कुछ तो समझो, वह सभापति है, सभापति किसी पक्ष, विपक्ष का नहीं होता है, सदन का सभापति होता है.

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय सभापति महोदय, यह नहीं बोलने देंगे, इनकी आदत खराब है (हंसी..)

सभापति महोदय -- आप इधर-उधर की बात करेंगे तो विषय से भटक जायेंगे.

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय सभापति महोदय, देखिये आपको मालूम है कि किस तरह से सरकार का गठन हुआ, फिर किस तरह से मुख्‍यमंत्री जी ने महीनों अकेले चलाया, फिर पांच महीनों बाद पांच जन बने, फिर महीनों बाद संभागीय प्रभारी बने, फिर मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो लगभग तीन चार महीने तो इसी में चला गया. इस प्रकार से हम यह कह सकते हैं कि जिन कार्यों का इस अभिभाषण में विश्‍लेषण किया गया है, वह ज्‍यादातर कार्य कांग्रेस सरकार ने किये थे, चाहे वह सड़के के हों, चाहे बिजली के हों, चाहे पानी के हों. अभिभाषण में जिन भी बातों का उल्‍लेख किया गया है, स्‍व-सहायता समूह का हो, यहां तक आपके गौ-शाला बनाने का, जिसका कई वर्षों तक नारे तो लगाते रहे पर सच बात तो यह है कि माननीय कमलनाथ जी ने मनरेगा जैसी योजना से इतना बड़ा काम किया और एक हजार नवीन गौ-शाला प्रथम चरण में और द्वितीय चरण में चार हजार गौ-शाला बनाने की स्‍वीकृति दी थी और आज हम कह सकते हैं कि अगर इसका संचालन वर्तमान सरकार अच्‍छे से कर ले तो हमारी बहुत बड़ी समस्‍या दूर हो सकती है.

माननीय सभापति महोदय, अभिभाषण के बिंदु क्रमांक-113 में सरकार ने संकल्‍प लिया है कि प्रदेश को देश का सबसे अग्रणी, सबसे समृद्ध और सबसे विकसित राज्‍य बनाना है. माननीय सभापति महोदय, हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी और उनकी सरकार पिछले पंद्रह वर्षों से इस बात का नारा लगा रहे हैं कि सबसे विकसित राज्‍य बनाना हैं, पर अब तो सोलह वर्ष होने वाले हैं और उसके बाद भी विकसित नहीं हो पाये हैं, यह समझ में नहीं आ रहा है और तो और हम लगातार लोगों को भ्रम में डालने की कोशिश करते हैं, असत्‍य आंकड़े पेश करते हैं और इसी असत्‍य और भ्रष्‍टाचार से तंग आकर लोगों ने सत्‍ता से बाहर कर दिया था. सरकार आपकी नहीं बनी थी, जोर जबरदस्‍ती करके बनाई, कैसे बनी सब जानते हैं, लेकिन सत्‍ता के लिये किस हद तक गये, यह पूरा देश जानता है.

 माननीय सभापति महोदय. अभिभाषण में कई ऐसी बातें है जिनका सरकार के काम काज से ही लेना देना नहीं है. जैसे बिंदु क्रमांक -106 पर लिखा है तेंदुआ गणना में प्रदेश, देश में प्रथम स्‍थान पर है. क्‍या पिछले छ: महीनों तेंदुओं की संख्‍या बढ़ी है? यह जवाब सरकार के पास नहीं है, पर ऐसे आंकड़े नहीं देना चाहिये, जिससे कोई मतलब नहीं है.

माननीय सभापति महोदय, इसी प्रकार बिंदु क्रमांक - 107 में लघु वनोपज को महिमा मंडित किया है. हम जानना चाहते हैं कि क्‍या लघु वनोपज पिछले छ: महीनों में बढ़ी है ? इसका सटीक जवाब सरकार के पास नहीं है. कितने जनजाति परिवारों को पिछले छ:सात महीनों में फायदा हुआ है और कितना हुआ है? सभापति महोदय. जो काम पिछले सरकार के चले आ रहे थे, उन्‍हें अपनी सरकार के गिनाना भी सबसे बड़ा असत्‍य है,

माननीय सभापति महोदय,इसी तरह से बिंदु क्रमांक-97 में मृगनयनी खादी ब्राण्‍ड कबीरा और, विन्‍ध्‍या वैली और प्राकृत ब्राण्‍ड का जिक्र है, इन्‍हें क्‍या पिछले छ: महीनों में विकसित किया गया या ई-कामर्स से जोड़ा गया है? यदि हां तो ब्राण्‍ड तो पुराने हो गये हैं, अब तक सरकार क्‍या कर रही थी ? जाहिर है यह सरकार की गलत बयानी है.

माननीय सभापति महोदय, इसी तरह से बिंदु क्रमांक-88 पर ग्‍लोबल स्किल पार्क का उल्‍लेख है, न जाने कितनी बार इस ग्‍लोबल स्किल पार्क का उल्‍लेख हो चुका है. पहले भी इस तरह का उल्‍लेख हुआ है, इस तरह से सदन को गुमराह करने का काम नहीं करना चाहिये.

माननीय सभापति महोदय, इसी तरह से बिंदु क्रमांक-84 में लिखा है कि स्‍व-सहायता समूहों को जन आंदोलन का रूप दे दिया है, क्‍या यह सिर्फ छ: महीने में संभव हुआ है ? और आजकल तो स्‍व-सहायता समूह सिर्फ चुनाव लड़ाने का एक माध्‍यम हो गया है और अभी तो वहां आजीविका मिशन में जो सी.ओ. बनाकर रखा है, ओ.एस.डी. बनाकर रखा है, विभागीय मंत्री भी बैठे हैं, बिना किसी एडवर्टाइजमेंट के जबकि एक प्रक्रिया होती है, बिना किसी एडवर्टाइजमेंट के सीधे ओ.एस.डी. बनाकर सी.ओ.का प्रभार दे दिया है, जबकि सीनियर आई.ए.एस. का पद है या आई.एफ.एस. सीनियर पहले वह रहे हैं, क्‍या उनके बिना वह नहीं चलता है? पहले भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे हैं लोकायुक्‍त में प्रकरण चल रहा है. ऐसे व्‍यक्ति को क्‍यों जिम्‍मेदारी दी गई, जिसके ऊपर आलरेडी भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे हैं. आज जो बच्‍चों को ड्रेस वितरित किये जा रहे हैं, कई जगह से लगातार शिकायत आ रही हैं और उसमें भारी भ्रष्‍टाचार हो रहा है, जैसे रायसेन के अलावा ऐसे कई जिलों में इस तरह की शिकायतें आ रही हैं. माननीय सभापति महोदय, जैसे आपका बिंदू 75 में जिन किसान उत्‍पादक संगठनों का गठन प्रस्‍तावित है उनकी चर्चा करने की बजाय यह बताना चाहिये कि कितने कर दिये, सदन को सही जानकारी देने के बजाय बिलकुल असत्‍य जानकारी देते हैं. इसी तरह गौशाला क्‍या 6 महीने में बन गई, जो गौशाला बनी है वह कांग्रेस सरकार ने बनाई थीं, बिंदू क्रमांक 77 में उल्‍लेख है. इसी तरह बिंदू क्रमांक 65 में कहा गया है उच्‍च शिक्षा में सुविधाओं के विस्‍तार और गुणात्‍मक विकास के लिये कृ‍त संकल्पित हैं, क्‍या यह पिछले 6 महीनों में लिया गया संकल्‍प है या पिछले 15 सालों में इसे भुला दिया गया था और 6 महीने में याद आया, ऐसा कहने की बजाय कुछ झूठे आंकड़े ही दे देते. माननीय सभापति महोदय, बहुत सारी ऐसी बातें हैं जैसे हमारे सिंगरौली में नवीन हवाई पट्टी का, यह माननीय कमल नाथ जी ने स्‍वीकृत किया था उस समय ही सारी फार्मल्‍टी हो गई थी, बल्कि सरकार बदलने के बाद काम डिले हुआ, टेण्‍डर डिले हुआ, यह कांग्रेस सरकार की उपलब्धि है. इसी तरह सिंगरौली में मेडीकल कॉलेज की स्‍वीकृति भी जब कमल नाथ जी थे उस समय राज्‍यांश की व्‍यवस्‍था कराई थी.

          माननीय सभापति महोदय, प्राकृति आपदा में चाहे कोई पानी में डूब जाये या कोई भी एक्‍सीडेंट, प्राकृतिक आपदा में जो राशि का प्रॉवीजन होना चाहिये वह समय पर नहीं मिलता है, जो भी पीडि़त परिवार है उनको सही समय पर प्राकृतिक आपदा की राशि जिलों में जाना चाहिये. सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी 2-2, 3-3 महीने बाद जाती है. भले दूसरी चीजों में कटौती करना पड़े, क्‍योंकि इसमें गरीब और वृद्ध, विकलांग, विधवा सभी ऐसे लोग शामिल होते हैं, तो सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी अगर 300 से 600 रूपये करने का कांग्रेस सरकार ने काम किया था तो उसका सही समय पर वितरण होना चाहिये और बिजली के बिल का, कोरोना के टाइम में माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कहा था कि हम बिजली का बिल नहीं वसूलेंगे, हम 3 महीने का माफ करेंगे पर ऐसा किया नहीं. बिजल का बिल इतना बढ़कर आ रहा है कि लोग परेशान हैं. मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि इसमें समीक्षा करनी चाहिये और सरकार जो कहती है उसका इम्‍प्‍लीमेंट होना चाहिये, ऐसे भाषण नहीं देना चाहिये कि हमने भाषण दे दिया और भूल गये. यह भाषण देने की बीमारी जो माननीय मुख्‍यमंत्री जी को है, वह बहुत बढि़या बोलते हैं, बोलते बहुत बढि़या हैं, इतना अच्‍छा बोलते हैं कि लगता है बिलकुल घी टपक रहा है, पर बोलने के बाद इम्‍प्‍लीमेंट नहीं होता है, वह होना चाहिये. ऐसे ही अभी हमारे एक साथी विधायक जी बात कर रहे थे, कूपन जितने जनरेट हो रहे हैं उससे ज्‍यादा कट रहे हैं, राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र लोग आज भी कूपन से वंचित हैं, खाद्यान्‍न नहीं मिल रहा है. 35 किलो अनाज जो अति गरीब व्‍यक्ति को मिलता था उनको भी 5 किलो प्रति व्‍यक्ति कर दिया है, यह जो विसंगति है इसको दूर करना चाहिये.

          श्री अशीष गोविंद शर्मा--  आपकी सरकार ने तो बीपीएल के नाम कटवाना शुरू कर दिये थे. राशन की पर्चियां बंद कर दी थीं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री कमलेश्‍वर पटेल--  कोई नाम नहीं कटे थे, राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम कांग्रेस सरकार ने लागू किया. ...(व्‍यवधान)... माननीय सभापति महोदय, एक बात और कहना चाहूंगा, मनरेगा योजना जो सबसे सार्थक साबित हुई, कोरोना काल में राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और मनरेगा योजना ही ऐसी रही जिसमें भूरि-भूरि प्रशंसा मोदी जी ने भी की और यह कांग्रेस सरकार यूपीए सरकार ने लागू की थी. अब यह श्रम सिद्धि योजना कहां से आ गई, इसमें कोई राशि का प्रावधान नहीं है. मनरेगा योजना का नाम बदलकर श्रम सिद्धी योजना कर दिया. इस तरह से नाम बदलने का काम बंद करना चाहिये और सार्थक प्रयास करना चाहिये. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

            श्री पुरुषोत्तमलाल तंतुवाय (हटा) - माननीय सभापति महोदय, मैं पहली बार बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं इसीलिये सभापति महोदय का संरक्षण चाहता हूं और उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं. कांग्रेस सरकार 15 महीने रही हमारे प्रदेश में. हमारे क्षेत्र में कैसा हाहाकार मचा. ये सभी ने देखा. जनता ने देखा. हाहाकार को शांत करने के लिये, उसके निराकरण के लिये हमारी पार्टी के शिवराज जी सामने आये जिन्होंने अपने नाम के अनुरूप उस अव्यवस्था का, उस कुशासन का हलाहल अपने कंठ में धारण किया और प्रदेश की जनता की रक्षा की, सुरक्षा की, क्योंकि कांग्रेस सरकार, जिस तरह से झूठे आश्वासन जनता को दिये गये. प्रदेश को झूठे प्रलोभन दिये गये उसके आधार पर बनी थी. जिसका दंश आज भी प्रदेश वासी विशेषकर किसान भोग रहे हैं. उसकी एक बानगी है, किसान ऋण माफी का आश्वासन. हमारे किसान भाई, उसी आश्वासन में, उसी प्रलोभन में आये और आज भी वित्तीय संस्थाओं से डिफाल्टर हैं. समितियों से भी खाद,पानी नहीं ले पा रहे हैं. दूसरा प्रलोभन भावांतर में खरीफ 2018 में खरीदी का है. किसानों से उड़द, सोयाबीन की खरीदी 5600 रुपये क्विंटल पर की गई. आज भी हमारे दमोह जिले के किसान इंतजार में हैं क्योंकि उनको धोखा दिया गया क्योंकि उनको सिर्फ 3100,3200,3300 रुपये क्विंटल का भुगतान किया गया. शेष राशि के भुगतान के लिये वे आज भी इंतजार में हैं. यह कांग्रेस सरकार की बानगी है प्रदेश की जनता को और प्रदेश के किसानों को धोखा देने की, प्रलोभन देने की. कांग्रेस सरकार ने पंद्रह महीने के दौरान जो जनहितैषी योजनाओं को बंद किया उसकी काफी चर्चा इस सदन में हो चुकी है. मैं प्रमुख रूप से एक-दो योजनाओं का नाम लूंगा जो विशेषकर किसान हितैषी हैं और जैसे कि हमारे कांग्रेस भाई अपने को किसान हितैषी होने का ढिंढोरा पीटते हैं और उन्हीं किसानों की योजनाओं पर  उन्होंने कुठाराघात किया. जिसमें प्रमुख हैं किसान विद्युतीकरण योजना, जिसमें हमारे किसान भाई 24-25 हजार रुपये जमा करके अपने खेत में डी.पी.लगवा लेते थे और आराम से सिंचाई करते थे. जो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी की देन थी इसको कांग्रेस सरकार आने के बाद बंद कर दिया गया. दूसरी योजना है बलराम तालाब जिसमें कांग्रेस सरकार ने किसानों के हितों पर कुठाराघात कर बंद की. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज प्रदेश में, देश में, विश्व में जल एक सबसे बड़ी समस्या है. इसी समस्या के निराकरण के लिये हमारे माननीय मुख्यमंत्री द्वारा बलराम तालाब योजना चालू की गई थी, किसानों के जल संरक्षण के लिये. उसको कांग्रेस सरकार द्वारा बंद कर किसानों के हितों पर आघात किया गया. हमारे श्रद्धेय प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी की योजनाएं किसान क्रेडिट कार्ड, ग्रामीण सड़क योजना, जिससे आज भी किसान फलफूल रहे हैं और उनका लाभ ले रहे हैं.             (xxx)

          श्री लक्ष्मण सिंह - इसको विलोपित किया जाये.

          सभापति महोदय - इसको रिकार्ड न किया जाये. कृपया अब आप समाप्त करें.

          श्री पुरुषोत्तमलाल तंतुवाय - धन्यवाद सभापति महोदय.

            श्री संजीव सिंह (भिण्ड)-- सभापति महोदय,  मैं आज  माननीय राज्यपाल महोदया  के  अभिभाषण के  समर्थन  में अपनी बात  इस  सदन में रखने जा रहा हूं. (सत्ता पक्ष की तरफ से मेजों की थपथपाहट)  वैसे तो  अब  परेशानी यह है कि ये  अपने  लोगों की  बात नहीं मानते हैं.  हमसे काफी सीनियर हैं तरुण भाई जी.  उन्होंने एक बात बहुत अच्छी कही कि कोरोना काल के बाद यह  राज्यपाल जी का अभिभाषण है,  इस पर चर्चा हम एक  साल बाद करेंगे.  अभी तक इस पर चर्चा का कोई औचित्य नहीं है.  तो मैं भी यह सोचकर आया था कि  मैं विपक्ष के सभी मित्रों से भी यह  निवेदन करुंगा कि  कोरोना काल के बाद इतनी  बड़ी वैश्विक महामारी से  पूरा  विश्व,  हमारा देश, हमारा प्रदेश इस  सबसे जूझने के बाद   और इस सब पर विजय  प्राप्त करने के बाद जो राज्यपाल जी का अभिभाषण आया है, तो वह सर्वसम्मति  से पारित होना चाहिये था.  यह एक साल का विजन डाक्यूमेंट है, रोड  मेप ऑफ डेव्हलपमेंट है कि हम एक साल में प्रदेश को  कहां ले जाने वाले हैं.  सभापति महोदय,  कोरोना पर सबने बात की और हमारे जो  कांग्रेसी मित्र हैं, बार बार यह बात आई कि   कोई व्यवस्था नहीं थी, आईसीयू की कोई व्यवस्था नहीं थी.  अस्पतालों में वेंटीलेटर नहीं थे, लेकिन मैं  इनका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि  हमारे  माननीय प्रधानमंत्री जी, हमारे मुख्यमंत्री जी के बेहतर  प्रबंधन एवं  जनता के दृढ़ संकल्प  एवं कठोर अनुशासन की वह से हम कोरोना जैसी महामारी  पर विजय  प्राप्त करने में काम्याब भी हुए.  यह हम सबके लिये गौरव की भी बात है.  जहां एक ओर हम लगातार अखबारों के माध्यम से पढ़ रहे हैं कि जहां कई देश स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में, जो अन्य सुविधाओं के मामले में हमसे  कहीं बहुत आगे थे.  उनकी स्थिति क्या हुई,  यह हमको बताने की आवश्यकता नहीं है  और हमने वैक्सीन भी  तैयार की,  युद्ध स्तर पर वैक्सीन लगाने का कार्य भी कर रहे हैं और अनेक देश हमसे वैक्सीन लेने के लिये लाइन में लगे हुए हैं, हम उनको  भी  वैक्सीन देने का कार्य कर रहे हैं.  हमको इस पर गर्व करने की जरुरत है. हमको इस पर भी गर्व करने की जरुरत है कि हमारे  मध्यप्रदेश में रिकवरी रेट सबसे अच्छी रही,केजुअल्टी सबसे कम  हुईं. हमको इस पर भी बहुत ज्यादा गर्व करने की  आवश्यकता है.  मैं इस पर नहीं जाना चाहता, सभी सदस्यों ने इस पर बोला है कि हमने  उन सुविधाओं में  क्या क्या बढ़ोतरी  की है, लेकिन  हमेशा बात आती है 15 साल  की, कभी  60 साल की बात नहीं आई. आई क्या,  नहीं आई.  अब बात आती है कि  लॉक डॉउन के दौरान हमारे जो  प्रवासी भाई, उनकी बात करते हैं,  लेकिन  आप उस लॉक डॉउन  के दौरान  मैं  हमारे मुख्यमंत्री जी सदन में आ गये हैं,  मैंने उस दौरान कई बार मुख्यमंत्री  जी से बात की. हमारे क्षेत्र के, चम्बल के, ग्वालियर के  कई हमारे मजदूर भाई बहन,  जो बाहर  काम करहते हैं, गुजरात, वेस्ट बंगाल  में काम करते हैं. राजस्थान में काम करते थे तो मेरे आग्रह पर हजारों बसें झाबुआ बार्डर पर लगाई गईं, धौलपुर बार्डर पर लगाई गईं और जहां से वह आ सकते थे, उन बार्डर पर लगाई गईं, खाने की व्यवस्था की गई, पानी की व्यवस्था की गईं, उनकी चप्पलों की व्यवस्था की गई. हमने भी जो हमारे टीकमगढ़ क्षेत्र के लोग, जो हमारे छतरपुर क्षेत्र के लोग वहां पर मजदूरी करने आते थे और किसी कारण से हमारे क्षेत्र में फंस गये थे, उनको भी घर भेजने का काम हमने वहां प्रशासन के माध्यम से कराया है तो यह कहना गलत है कि प्रवासी मजदूरों के लिए कोई कार्य नहीं किया गया. माननीय मुख्यमंत्री जी से मैंने निवेदन किया उस समय जब मैं भोपाल आया कि माननीय मुख्यमंत्री जी कई ऐसे लोग हैं, जिनकी पात्रता पर्ची कई वर्षों से नहीं लगी है. बहुत गंभीरता से बहुत संवेदनशीलता से माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारी बात को सुना और अगले दिन ही ऐसी 25 श्रेणियों को विभाजित कर दिया और उनको पात्रता पर्ची दिलाने का कार्य माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया. (मेजों की थपथपाहट)...

          सभापति महोदय, माफिया की एक बात आती है. हमारे कई मित्रों ने बात की, कोई कह रहा है कि 15 साल में माफिया पनपे, कोई कह रहा है कि 15 महीने में माफिया पनपे, लेकिन 60 साल का जिक्र किसी ने नहीं किया. आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं चाहे माफिया किसी भी तरीके का हो, चाहे वह रेत माफिया हो, चाहे वह मिलावटी माफिया हो, चाहे जमीन का माफिया हो, चाहे वह शराब माफिया हो, माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि कोई भी माफिया बच नहीं पाएगा. आप बात करते हैं मुख्यमंत्री जी की भाषा शैली की. आप कहते हैं कि मुख्यमंत्री जी ने ऐसा कहा, अगर माफियाओं को काबू में करना है तो हमको ऊंगली टेढ़ी भी करनी पड़ेगी. (मेजों की थपथपाहट)...मैं तारीफ करता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी की. माफियाओं के अंदर डर पैदा होना चाहिए. माफियाओं के अंदर भय खौफ पैदा होना चाहिए, अगर वह गलत कार्य मध्यप्रदेश की धरती पर करेंगे तो मध्यप्रदेश में रह नहीं पाएंगे, उनको बाहर जाना ही पड़ेगा, (मेजों की थपथपाहट)... इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने कोई भी गलत बात नहीं की.

          माननीय मुख्यमंत्री जी मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं, आप तो माफिया भगाने का काम निश्चित तौर पर कर रहे हैं लेकिन कुछ अधिकारी आपके इस कार्य को पलीता लगाने का काम भी कर रहे हैं. हमारे यहां भिण्ड में एस.पी. आफिस  के पीछे समानांतर एस.पी. आफिस की एक बिल्डिंग खड़ी हो गई है. कुछ पता नहीं है कि वह किस मद से वह बिल्डिंग बनाई गई है. किस योजना के तहत वह बिल्डिंग बनाई गई है. निश्चित तौर पर कहीं न कहीं किन्हीं माफियाओं का संरक्षण प्राप्त है उस बिल्डिंग को बनाने में. आपसे मैं आग्रह करूंगा कि इसकी जांच कराने का कष्ट करें.

          आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की अगर बात करते हैं तो क्या गलत बात की? भौतिक अधोसंरचना की अगर बात की. हमारे कई साथी कह रहे थे, मैं सुन रहा था नया पार्लियामेंट भवन बन रहा है, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की प्रगति में किसी भी देश के विकास में अगर कोई महती भूमिका निभाता है, अगर रोजगार प्रदान करने में तो उस देश की भौतिक अधोसंरचना निभाती है और भौतिक अधोसंरचना के क्षेत्र में चूंकि लॉक डाउन के बाद, कोरोना के बाद हमारे कई साथी बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, महामारी से जूझ रहे हैं तो उनको इस दिशा में सरकार को कदम उठाने चाहिए, जो कि सरकार उठा भी रही है. इस पर हम गर्व कर सकते हैं. संबल योजना की बात करते हैं सभी लोग, मैंने भी कई बार इस पर बात की है. मैं स्वीकार करूंगा और इसकी जो विसंगतियां थी उसके बारे में मैंने उस समय भी बताया था, आज भी बता रहा हूं. अगर कोई विसंगति है तो निश्चित तौर पर सरकार इस पर ध्यान देगी. लेकिन अगर इसकी अच्छी बात है इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है क्या? उसकी तारीफ हम लोग नहीं कर सकते? कोई गरीब घर का चिराग अगर बुझ जाता है तो 2, 4 लाख रुपये की उसको सहायता मिलती है, उस परिवार से जाकर पूछिए कि उसको कितना संबल प्राप्त होता है. कितने लोगों के बिल माफ हुए, कितने लोगों को इससे फायदा हुआ, हम यहां पर आते हैं कहते हैं कि हमारे यहां तो नहीं मिला, हमारे उस व्यक्ति को नहीं मिला लेकिन कितने लाखों करोड़ों लोगों को उससे फायदा हुआ हमको इस पर गर्व करने की जरूरत है और हमें माननीय मुख्यमंत्री जी पर गर्व करने की जरूरत है. एक हमारे मित्र बोल रहे थे कि अभिभाषण में कई कार्य प्रस्तावित हैं, लगातार प्रस्तावित, प्रस्तावित, प्रस्तावित, तो जब हम योजनाएं बनाएंगे ही नहीं तो जनता की भलाई कैसे करेंगे? अरे भई, नये योजनाएं बनाना, जनता का कल्याण कैसे हो, अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति को सम्मान कैसे मिले, प्रदेश कैसे प्रगतिपथ पर आगे बढ़े, माताओं, बहनों, युवाओं का कल्याण कैसे हो, इन सबके लिए योजनाएं बनाना, योजनाओं का क्रियान्वयन करना, यह कार्य सिर्फ और सिर्फ इस प्रदेश की जनता को भगवान मानने वाला, इस प्रदेश को मंदिर मानने वाला और स्वयं को उस मंदिर का पुजारी मानने वाला सर्वमान्य लोकप्रिय मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान ही कर सकते हैं और कोई नहीं कर सकता है. (मेजों की थपथपाहट)...

          श्री कमलेश्वर पटेल -- अभी यह भांडगिरी कर रहे हैं.

          सभापति महोदय -- कमलेश्वर जी बिल्कुल गलत है.

          श्री संजीव सिंह -- सभापति महोदय अभी हमारे कई मित्रों ने कहा कि जमाना बदल रहा है, निश्चित तौर पर जमाना बदल रहा है. आपने कहा कि पैट्रोल डीजल की कीमतों पर किसी ने चर्चा नहीं की. आपने कहा कि रसोई गैस की कीमतों पर किसी ने चर्चा नहीं की, आप तो कर रहे हैं यहां पर बैठकर लेकिन आपके चर्चा करने से कुछ नहीं होगा. आप कोई भी आरोप सततापक्ष पर लगायें या किसी पर भी लगायें उन आरोपों की उन आरोपों की परमाणिकता जो उन आरोपों की  दालत है वह जनता है. जनता की दालत ने फैसला दे दिया है. आप देखियें हमारे युवाओं को  पैट्रोल डीजल की कीमतें तो दिखती ही नहीं हैं, निशचित तौर पर नहीं दिखती हैं कयोंकि उनको तब गर्व होता है जब वे हिनदुसतान के आसमां में राफेल को उड़ते हुए देखते हैं. उनको पने मुखयमंत्री पर गर्व होता है जब उनके खाते में मुखयमंत्री सममान निधि के 6 हजार रूपये आते हैं, उनको तब भी गर्व होता है जब माताओं और बहनों को एक करोड़ घरेलू कनेकशन मुफत में वितरित किये जाते हैं, उनको तब भी गर्व होता है जब हमारे छात्र छात्राओं को लेप टाप वितरित किये जाते हैं, उनको 25 हजार रूपये की सहायता दी जाती है, उनको उस समय गर्व होता है और यह नया भारत है हम तो समझ रहे हैं आ पको भी समझने की जरूरत है शायद आप समझ नहीं पा रहे हैं...(व्यवधान) --

          श्री कुणाल चौधरी -- मंत्री बनने का हक तो है आपको..(व्यवधान)..

          सभापति महोदय -- कृपया व्यवधान न करें..(व्यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- होशंगबाद कलेक्टर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं.

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- उनकी तारीफ पर पूरी कांग्रेस खड़ी कर दी अकेले ने.

          श्री संजीव सिंह -- सभापति महोदय हमारा जो बेसहारा गौवंश है  उसके लिए  1 हजार नई गौशाला खोलने का निर्णय लिया गया है..(व्यवधान) --

          श्री संजय यादव -- ( X X X )

            सभापति महोदय -- संजीव जी के अलावा जो भी बोल रहे हैं उनका रिकार्ड में नहीं आयेगा.

          श्री संजीव सिंह -- सभापति महोदय इसमें जो विसंगति है उससे मैं मुख्यमंत्री जी को पूर्व में अवगत करा चुका हूं. बिजली की व्यवस्था गौशालाओं में नहीं हो पा रही है. अमूमन गौशालाएं गांव से दूर बनायी जाती हैं. जो बिजली के लिए प्राक्कलन बनता है उसका जो सिस्टम है वह 2.5 लाख से ज्यादा को नहीं लेता है. मेरे निवेदन है कि इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करके इ सको बढ़ाया जाय. अ ब बात आती है कि मैं इ सका समर्थन क्यों करता हूं. तरूण जी आपको ध्यान होगा अनुपूरक पर मैंने बात की थी उस समय भी मैंने कहा था कि मैं बाय डिफाल्ट आपका समर्थन कर रहा हूं. मेरी इच्छा नहीं थी समर्थन करने की क्योंकि उसमें भिण्ड और चंबल के लिए कुछ नहीं था.

          श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदय मेरा नाम लिया गया है इसलिए मैं खड़ा हो रहा हूं.

          सभापति महोदय -- आप मेरी ओर देखकर बात करें.

          श्री तरूण भनोत -- सम्मानित सदस्य कह रहे है कि भिण्ड के लिए कुछ नहीं किया था सदस्य दिल पर हाथ रखकर बोल दें कि, इन्होंने खुद मुझे कहा था अगर खुद मुख्यमंत्री जी चाहते तो वह मेरे लिए इतना नहीं करते जितना आपने भिण्ड के लिए किया है.

          श्री संजीव सिंह -- आपने भिण्ड के लिए किया था. जो पहले चंबल एक्सप्रेस वे था उसका नाम बदलकर अ टल चंबल प्रोग्रेसवे हो गया है. भिण्ड का जो हिस्सा जुड़ा हुआ था वह कट गया था मुरैना तक उसको रोक दिया गया था. जब भाजपा की सरकार बनी हमने माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया उन्होंने उस हिस्से को जोड़ा और भिण्ड तक उस प्रोग्रेसवे को ले जाने का काम किया, इतनी खराब स्थिति में भी कोरोना की इतनी खराब स्थिति में भी भिण्‍ड शहर को ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिये 140 करोड़ की रिंग रोड बजट में स्‍वीकृत कराई. उसके लिये 25 करोड़ का प्रावधान माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने भिण्‍ड के लिये किया.

          सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद. समाप्‍त करिये.

          श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- सभापति महोदय, बहुत महत्‍वपूर्ण बात है. भोपाल में शौर्य स्‍मारक बन रहा है. अभिभाषण में इसकी चर्चा भी है. भिण्‍ड में भी एक शौर्य स्‍मारक की घोषणा मुख्‍यमंत्री जी के द्वारा की गई थी. उसके लिये 1 करोड़ रुपया भेजा गया था लेकिन तत्‍कालीन कलेक्‍टर की लापरवाही की वजह से वह लैप्‍स हो गया. मैं आपके माध्‍यम से मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उस राशि को पुन: भेज दें. एक बात और, भिण्‍ड को हमेशा से डकैतों से जोड़कर बदनाम करने का प्रयास किया गया है और हमेशा से प्रयास किया जाता रहा है. यह प्रयास आज भी जारी है. भिण्‍ड में प्रशासन के द्वारा, पुलिस के द्वारा एक डकैत संग्रहालय बनाया जा रहा है. जहां एक ओर 10,000 से ज्‍यादा नौजवान इस देश की सीमा पर देश की सेवा कर रहे हैं और उस जिले में डकैतों का संग्रहालय बनाने का काम किया जा रहा है.

4.56 बजे             {अध्‍यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

          अध्‍यक्ष महोदय, डकैतों का महिमामंडन करने का काम किया जा रहा है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी, आपने डकैतों का सफाया करने का काम किया है, जो काम यह लोग कर रहे हैं इनको सख्‍त से सख्‍त सजा मिलनी चाहिये. माननीय मुख्‍यमंत्री जी, 5 मेडिकल कॉलेज होते थे जब आपने इस प्रदेश की सत्‍ता संभाली थी और 18 मेडिकल कॉलेज आपने अपने कार्यकाल में मंजूर करवाये और कई मेडिकल कॉलेज अगले कुछ वर्षों में बनकर तैयार होंगे,  आपसे निवेदन करना चाहता हूं, आपको जानकारी भी है कि भिण्‍ड में मेडिकल कॉलेज की मांग बहुत वर्षों से होती आई है, तो एक मेडिकल कॉलेज भिण्‍ड में भी स्‍वीकृत कराने का कष्‍ट करें. आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिये मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को (पुष्‍पराजगढ़) -- अध्‍यक्ष महोदय, कोविड 19 महामारी के समय में शहडोल और उमरिया जिले के 16 आदिवासी मजदूरों की महाराष्‍ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी की चपेट में आकर मृत्‍यु हो गई. सभी 16 मजदूरों को मैं अपनी ओर से श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं. हमने महामहिम राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के बिन्‍दु 1 से लेकर 114 का अध्‍ययन किया है. कोरोनाकाल से लेकर इस प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनसंख्‍या वाले इस प्रदेश के सर्वांगीण विकास की दिशा में आपने अभिभाषण का वाचन कराया गया है. मैं निवेदन करना चाहूंगा कि जैसे इस प्रदेश और देश में कोरोना आया और प्रदेश में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में हमारे डॉक्‍टर्स और स्‍वास्‍थ कर्मियों को भी काम में लगाया गया था, माननीय मुख्‍यमंत्री जी भी बैठे हैं, दु:ख इस बात का है कि बच्‍चे उनके पीछे-पीछे जहां भी प्रदेश में दौरा करते हैं, आवेदन, निवेदन लेकर खड़े हो जाते हैं कि हमने महामारी के समय में काम किया है, आपके आदेश और निर्देश पर काम किया है, इस प्रदेश की जनता की हमने सुरक्षा की है हमको आप काम में रखिये. मैं इस सदन के माध्‍यम से मानवीय आधार पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन करता हूं कि ज्‍यादा संख्‍या उनकी नहीं है, साढ़े तीन हजार थे, साढ़े तीन हजार में से तीन हजार काम कर रहे हैं बाकी को आपने काम से बाहर कर दिया है. ऐसे कोरोना काल में उन्‍होंने अपनी जान को ताक पर रखकर काम किया है तो मैं चाहता हूं कि उनको भी अवसर दें और पुन: काम पर रखेंगे तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा, ऐसा मैं सदन के माध्‍यम से आपसे निवेदन करता हूं.

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने एक ध्‍यानाकर्षण लगाया था, लगभग 11 हजार लाख रुपये की राशि कृषि विभाग ने आदिम जाति कल्‍याण विभाग को दी थी. वह राशि 20 जिलों के 89 विकासखण्‍डों के लिए आदिवासी बैगा, सहरिया, भारिया जनजाति जो कोदों, कुटकी, ज्‍वार, बाजरा का उत्‍पादन करती है, सरकार की मंशा थी कि ये जो आदिवासी समाज के लोग हैं, जंगल और पहाड़ों में निवास कर रहे हैं, छोटी-छोटी पैदावार कर रहे हैं, इनको हम मुख्‍य धारा से कैसे जोड़ें. सरकार की नियत उनके उत्‍थान की थी कि 89 विकासखण्‍डों में कोदों, कुटकी, ज्‍वार, बाजरा का उत्‍पादन होता, उन कृषकों के द्वारा जो उत्‍पादन किया जाए, उसकी पैकेजिंग, मार्केटिंग करनी थी और जिले का ब्रांड नाम देना था. ब्रांड नाम देकर उनके उत्‍पादन को मुख्‍य बाजार में लाने का उद्देश्‍य था. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं दु:ख के साथ इस बात को कहना चाह रहा हूँ कि सरकार की मंशा और अधिकारियों द्वारा जिस तरीके से भ्रष्‍टाचार इस राशि के साथ किया गया. आसंदी के द्वारा व्‍यवस्‍था दी गई थी और एक समिति बनाई गई थी, लेकिन अधिकारियों ने आज तक जांच नहीं कराई. आज मैं पुन: इस सदन से अपेक्षा करता हूँ कि जो भी उसमें दोषी हैं, दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूँ कि आप 5,760 शासकीय विद्यालयों को बंद कर रहे हैं, ये विद्यालय 20 जिलों के 89 विकासखण्‍डों के हैं. ये विद्यालय आदिवासी क्षेत्रों के हैं. एक तरफ आप शिक्षा का प्रचार-प्रसार करते हैं, अनिवार्य शिक्षा की बात करते हैं, क्‍या आप नहीं चाहते कि वे आदिवासी लोग जो जंगल में रह रहे हैं, क्‍या वे शिक्षित बनें, क्‍या उनका शिक्षा का अधिकार नहीं है. ये पूरे के पूरे जो 5,760 विद्यालय बंद किए जा रहे हैं, ये आदिवासी क्षेत्रों में हैं. इससे सिद्ध होता है कि जनजाति समाज के लोगों का आप उत्‍थान नहीं चाहते. शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है. जब शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है तो ये विद्यालय बंद क्‍यों किए जा रहे हैं. इससे यह सिद्ध होता है और आपकी मंशा जाहिर होती है. सरकार की मंशा स्‍पष्‍ट हो गई है कि जो जंगल में हैं, वे जंगल में रहें और नरकीय जीवन जीएं. क्‍या इसके लिए आप छोड़ना चाहते हैं. एक भी विद्यालय इसमें आपने शहर का क्‍यों नहीं बंद किया, इस पर मैं नहीं जाना चाहता हूँ, लेकिन मुझे इस बात पर पीड़ा होती है कि जब इस महत्‍वपूर्ण सदन में जिस जनजाति की संख्‍या इस प्रदेश में साढ़े 22 प्रतिशत है, उस साढ़े 22 प्रतिशत जनसंख्‍या के इस समाज के 5,760 स्‍कूलों को आप बंद कर रहे हैं. मुझे खुशी होती इस सदन से और इस सरकार से कि सरकार चाहती कि जहां-जहां शिक्षा नहीं है, वहां-वहां शिक्षा पहुँचाई जाए. माननीय दिग्‍विजय सिंह जी की सरकार में हमने राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत प्रत्‍येक मजरे, टोले में ईजीएस विद्यालय खोले.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, समाप्‍त करें.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं समाप्‍त कर दूंगा. आप जब उस आसंदी पर विराजमान होते हैं तो पूरे विंध्‍य का चेहरा सामने आ जाता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- समाप्‍त इसलिए करें कि सभी ने तय किया है कि 5 मिनट बोलना है.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐसा लग रहा है कि हमारा विंध्‍य विराजमान है, इसलिए मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. आप कहेंगे तो मैं बैठ जाऊंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, अपनी बात कह लीजिए, पर समय का भी ध्‍यान रखें.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि इन विद्यालयों को बंद न किया जाए. इन विद्यालयों को आप संचालित करें ताकि समाज का कल्‍याण हो. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हॅूं कि प्रदेश में 70 हजार अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं जिनकी ओवरएज हो रही है. सरकार अभी तक नीति नहीं बना पायी है कि क्‍या वह 70 हजार बेरोजगार ही रहेंगे या फिर कहां जाएंगे. कांग्रेस की सरकार ने जब गुरुजी की नियुक्ति की, उस समय 500 रुपए गुरुजी को वेतन दिया जाता था. उस समय माननीय दिग्विजय सिंह जी की खिल्‍ली उड़ाई जाती थी कि 500 रुपए में गुरुजी बना दिया. मैं जो चाहता हॅूं उतने में आप बना दीजिए. आज वह गुरुजी 30 हजार रुपए वेतन प्राप्‍त कर रहे हैं. 50 हजार रुपए वेतन प्राप्‍त कर रहे हैं. उनकी कोई लाइन तो आप दें. मैं चाहता हॅूं कि आप उनके नियमितीकरण और संविदा का रास्‍ता निकालने की कृपा करेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात सिंचाई की बात हुई, मैं ज्‍यादा नहीं कहूंगा. मेरे क्षेत्र में एक लपती बांध है उसका स्‍लूस गेट खराब हो गया है. सदन के समाप्‍त होने की जो 22 तारीख है, यदि विभाग वह गेट सुधरवा दे, तो माननीय मुख्‍यमंत्री जी और विभाग के मंत्री जी को मैं खडे़ होकर धन्‍यवाद दूंगा. अंत में मैं और ज्‍यादा न कहूंगा और न कहना चाहूंगा. माननीय मुख्‍यमंत्री का मैं बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करुंगा कि लगभग 50 करोड़ रुपए का भूमिपूजन माता नर्मदा के सर्वांगीण विकास, स्‍वच्‍छता और वहां के सौंदर्यीकरण के लिये आपने जो प्रसाद योजनांतर्गत दिया है, इसके लिये मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हॅूं और साथ ही चूंकि यह पूरा बजट एक साल का है जैसा कि माननीय सदस्‍यों ने कहा.

          माननीय अध्‍यक्ष जी, हमारे प्रदेश में 30 लाख बेरोजगार हैं उन 30 लाख बेरोजगारों के लिये हम क्‍या सोच रहे हैं जो रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत हैं हमको उधर भी दृष्टि डालने की आवश्‍यकता है. इस देश में बढ़ती महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी है. उस समय जब हमारी सरकार आयी थी तो यह गाना गाया जाता था कि महंगाई डायन खाय जात है. महंगाई आज आप लोगों की मौसी बन गई है (हंसी) मुझे तो ऐसा लग रहा है. आज अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में करीब 64 रुपए बैरल कच्‍चा तेल है. जब हमारे अन्‍तर्राष्‍ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम है तो अपने मध्‍यप्रदेश में 100 रुपए पेट्रोल, 100 रुपए डीज़ल इतना महंगा क्‍यों है? यह महंगाई की ओर इंगित करता है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिये मैं आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हॅूं. जयहिन्‍द.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि अभी हमारे कई माननीय सदस्‍य बाकी हैं. इसमें 10 मिनट, 15 मिनट का समय लगेगा, तो हमें लगता है कि बहुत समय हो जाएगा और समय आज बढ़ना नहीं है, 5.30 बजे ही समाप्‍त करना है. इसलिए सभी सदस्‍यों से आग्रह है कि संक्षेप में दो मिनट, ढाई मिनट में अपनी बात कहें. मुझे उम्‍मीद है कि आप हमारी मदद करेंगे. श्री प्रहलाद लोधी जी.

          श्री प्रहलाद लोधी (पवई) -- आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, आज दो वर्ष में पहली बार हमें आपके आशीर्वाद से बोलने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ है. हमारे आदरणीय मुख्‍यमंत्री महोदय जी, आदरणीय मंत्रीगण, आदरणीय सभी विधायकगण और विधायक बहनों मैं आप सबको हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ और आशीर्वाद चाहता हॅूं. बार-बार खरीद-फरोख्‍त की बात चलती है. हमारे विधायक साथियों को हर बार कहा जाता है, हमारी पार्टी को हर बार कहा जाता है कि इन लोगों को खरीदा गया है. अरे भईया, पहले तो आप लोगों ने ही मुझ जैसे विधायक को गिराया था. मेरी सदस्‍यता समाप्‍त की थी, इसका पाप आपको भोगना पड़ा है. मेरे भाईयो, मैं भी आप लोगों के बीच में गिड़गिड़ाता रहा. आपने भी मुझे खरीदने की कोशिश की थी. तब भी आपने कहा था कि आप विधायक नहीं हैं आप मेरी पार्टी में आ जाइए तो मैंने कहा कि मैं विधायक रहूं या न रहूं, मुझे पार्टी ने जीरो से हीरो बनाया है. मैं सदा भारतीय जनता पार्टी के झंडे के नीचे रहूंगा.(मेजों की थपथपाहट) मेरा भी अन्‍त्‍योदय कार्ड है. गांव का एक बीपीएल कार्डधारी हॅूं. गाँव में एक कहावत है कि, हमारी भारतीय जनता पार्टी की तो आपने एक फोड़ी थी, मतलब हमारी तो एक फूटी थी, लेकिन आपकी तो पूरी की पूरी आँखें फूट गईं, आपकी सरकार गिर गई और आपको उस तरफ बैठना पड़ा.

          माननीय अध्यक्ष जी, ये गरीबों की बात करते हैं, मैं उस क्षेत्र से हूँ जो मध्यप्रदेश में 2003 से पहले पन्ना सबसे पिछड़ा हुआ जिला था और पन्ना में सबसे पिछड़ी हुई थी पवई विधान सभा, मैं उस क्षेत्र से आया हूँ जहाँ पर मैं पैंट टांग कर 15-15 किलोमीटर पैदल चलता था, घुटनों से गपते हुए जाता था. जब से हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी हुई है तब से वहाँ पर चारों तरफ सड़कों के जाल बिछ गए हैं.  कहीं किसी प्रकार की किसी को मुसीबत पड़ी नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय--  माननीय सदस्य संक्षिप्त में करें.

          श्री प्रहलाद लोधी--  जी.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--   प्रहलाद जी, आप तो ठेठ बुन्देलखण्डी में दो जरा.

          अध्यक्ष महोदय--  समय की सीमा है गोपाल जी.

          श्री प्रहलाद लोधी--  माननीय अध्यक्ष जी, हम तो सीधे गाँव से ही बात करते हैं, हमें पता है कि हमारे गाँव में सिंचाई के साधन नहीं होते थे. 2003 के बाद हमारी भारतीय जनता पार्टी बनी. हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी ने गरीबी रेखा के अन्तर्गत फ्री कुँए खुदवाए और डीजल पम्प और मोटर पम्प बाँटे. (मेजों की थपथपाहट) जिससे हमारे यहाँ सिंचाई के साधन बढ़े और किसानों की आय दुगनी हुई. आज हमारे प्रदेश में गरीब हमारा भूखा नहीं सोता. 2003 के पहले, हम तो देहात के थे तो हमें तो पता ही नहीं था, लोग जाते थे कि गैस कनेक्शन मिल रहे हैं, तो सांसद महोदय जी की,  विधायक जी की या मंत्रीगण की सिफारिश लगती थी. हमारी भारतीय जनता पार्टी ने लोगों को फ्री गैस बाँटी है. जिससे हमारी माताओं बहनों की आज आँखें फूटना बन्द हो गई हैं. आदरणीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं कहना चाहता हूँ कि 2003 के पहले मेरे गाँव में दो मोटर सायकल नहीं थी और भारतीय जनता पार्टी ने विकास किया है तो आज सौ मोटर सायकल है और सात ट्रैक्टर्स हैं. यह भारतीय जनता पार्टी का विकास ही तो है. (मेजों की थपथपाहट) आदरणीय अध्यक्ष महोदय जी, आपने हमें बोलने का मौका दिया इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री सुखदेव पांसे(मुलताई)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम के अभिभाषण में जो संशोधन दिया है उसका समर्थन करता हूँ और मैं अभिभाषण का विरोध करता हूँ...(व्यवधान)..संशोधन का तो समर्थन करूँगा ना. अध्यक्ष महोदय, मैं 2003 से यहाँ सदस्य हूँ और मैंने देखा है कि 2003 में भारतीय जनता पार्टी ने पंच-ज लाया. फिर उसके बाद स्वर्णिम मध्यप्रदेश लाया और अब आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना की है और हमारे पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जी ने उस दिन बोला कि इस साल जो अभिभाषण हो रहा है उसको मूर्तरूप कितना मिलता है, यह देखने की जरुरत है. शुरुआत मोदी जी की केन्द्र की सरकार की बातों से हुई और समापन भी उसी से हुआ है क्योंकि एक साल इस सरकार ने केवल अनैतिक तरीके से सरकार बचाने के लिए पूरा प्रयास किया. जनता जनार्दन के हित का कोई ख्याल नहीं रखा केवल अपनी सरकार को बचाने के लिए पूरा साल भर लगा दिया.

5.14 बजे

{सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह)पीठासीन हुए}

        सभापति महोदय, कोरोना पर बहुत सारी बातें हमारी माननीय सदस्यों ने की है लेकिन जो इस देश का अन्नदाता है, जो इस देश का किसान है, उसके लिए इस अभिभाषण में महामहिम महोदया ने बोला है कि खेती को लाभ का धन्धा बनाया जाएगा. मैं 2003 से अभिभाषण देख रहा हूँ, भारतीय जनता पार्टी के द्वारा महामहिम महोदय के द्वारा कहलवाए जाते हैं कि खेती को लाभ का धन्धा बनाया जाएगा. लेकिन आज तक 15 सालों में भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के कारण खेती घाटे का सौदा बन कर रह गई है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने किसानों के लिए ऐसी नीतियाँ लाईं कि पेट्रोल,डीजल और खाद महँगा, मजदूरी महँगी, बिजली के प्रति यूनिट रेट बढ़ा दिए. खेती की लागत बढ़ गई और किसान का माल मरे के भाव में खरीदा गया और इसलिए किसान की फसल को सही मूल्य नहीं मिल पाया और इसीलिए इस देश में, मध्यप्रदेश में, हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा किसान कर्जे में आया है तो वह मध्यप्रदेश में आया है भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के कारण इसीलिए हिन्दुस्तान में किसानों की आत्म हत्या करने का सबसे ज्यादा आंकड़ा कहीं दिखता है तो वह मध्यप्रदेश में दिखता है. अभी भारतीय जनता पार्टी के एक साल के कोरोना काल में सबसे ज्यादा आत्म हत्या की घटनाएं इनकी नीतियों के कारण हुई हैं.

          सभापति महोदय, किसान के पास खेती के साथ साथ दूध का अतिरिक्त व्यवसाय था उसको भी भारतीय जनता पार्टी ने चौपट कर दिया. खली-चुनी के रेट बढ़ा दिए, फैट के रेट गिरा दिए. इस प्रकार दूध का व्यवसाय भी खत्म कर दिया और किसानों को कर्जे में लाकर खड़ा कर दिया.

          सभापति महोदय, कमल नाथ जी ने किसानों का दर्द पहचाना था और किसानों के कर्ज माफी की शुरुआत की थी. पहले चरण में चालू खाते के 50,000 रुपए वालों का कर्ज माफ हुआ था. दूसरे चरण में 1 लाख रुपए तक वालों का कर्ज माफ हुआ और जो डिफाल्टर खाता था उनका 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया गया ताकि किसान की स्थिति सुधरे. बिजली के बिल को आधा करने का काम किया गया. जो पेंशन 300 रुपए मिलती थी उसको 600 रुपए करने का काम किया. 100 रुपए 100 यूनिट के हिसाब से सबसे सस्ती बिजली इस देश में देने का काम किया. हमारे पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय कमल नाथ जी ने हर जाति हर वर्ग को यह सस्ती बिजली देने का काम किया था. सभापति महोदय, बिजली की व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है.

          लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (डॉ. प्रभुराम चौधरी) -- माननीय सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि माननीय सुखदेव जी हमारे यहां सांची में प्रभारी बनकर आए थे. साँची की जनता ने...

          सभापति महोदय -- माननीय सदस्य आपके बोलने पर आपत्ति कर रहे हैं. यदि वे परमिट करें तो आप बोलें.

          श्री सुखदेव पांसे -- अरे चुनाव आप हारे भी हैं, जीते भी हैं यह सब तो चलता रहता है. मैं भी लोक सभा का चुनाव लड़ चुका हूँ, तीन बार विधान सभा चुनाव लड़ चुका हूँ. ज्यादा घमंड मत पालिए, यह मत बताइए कि साँची के प्रभारी थे. उप चुनाव तो सत्ता के होते हैं, मैंने यह खूब भोगा है.

          सभापति महोदय -- पांसे जी अपना संबोधन जारी रखें.

          श्री सुखदेव पांसे -- उन्होंने बात की इसलिए मैंने जवाब दिया.

          सभापति महोदय -- भूल जाइए, आप चेयर की तरफ देखिए.

          श्री सुखदेव पांसे -- माननीय सभापति महोदय, खेती की बिजली की व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है. स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी ने राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना इस देश के किसानों को दी थी. जिसके कारण फीडर विभक्तीकरण हुआ. जिसके माध्यम से खेती की बिजली और गांव की बिजली अलग हुई. उस योजना के माध्यम से जो काम हुआ उसमें भारतीय जनता पार्टी की 15 साल की सरकार ने करोड़ों अरबों रुपया भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा दिया जिसके कारण पूरे पोल गिर गए, लाइन गिर गई. जब बोवनी का समय आया तो काले खेत रह गए. जब सिंचाई का समय आया तो ट्रांसफार्मर खराब हो गए.  ट्रांसफार्मर 15-15 दिन तक नहीं बदले गए.  समय पर बिजली की व्यवस्था नहीं की गई जिसके कारण किसान की जो लागत लगी थी वह बेकार हो गई और फसल पूरी तरह से सूख गई. किसान का जैसा खून सूखता है वैसे ही उसकी फसल सूख गई. इतना बड़ा दर्द अभी किसानों ने देखा है.

          सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि अभिभाषण के माध्यम से बहुत बड़ी-बड़ी बातें की गई हैं. आपने जो पुरानी घोषणाएं की हैं उन पर भी अमल हो. माननीय मुख्यमंत्री जी विधान सभा चुनाव के पूर्व जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान 11 सितम्बर, 2018 दिन मंगलवार को पाथाखेड़ा, सारणी गए थे. वहां पर पाथाखेड़ा स्टेडियम में माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि सारणी को उजड़ने नहीं दूंगा, सारणी मेरे दिल के करीब है और 660 मेगावाट की एक यूनिट बनाए जाने की घोषणा आपने सारणी की जनता जनार्दन के सामने की थी. उसी समय आपने दो कोयला खदानों की भी घोषणा की थी. लेकिन उन घोषणाओं पर आप अमल नहीं करते हैं और राज्‍यपाल महोदय का अभिभाषण पढ़वाकर इतिश्री करने का प्रयास करते हैं. सभापति महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने 13 सितंबर वर्ष 2019 को विदिशा में घंटानाद आंदोलन के जरिए बोला था कि बिजली का बिल मत भरिए बिजली कनेक्‍शन कटा तो मैं जोड़ने आऊंगा. अभी किसानों को बिजली बिलों को लेकर तीन हार्स पॉवर को पांच हार्स पॉवर का नोटिस दे दिया जाता है, पांच हार्स पॉवर को सात हार्स पॉवर का नोटिस दे दिया जाता है, सात हार्स पॉवर को दस हार्स पॉवर का नोटिस दे दिया जाता है बिजली बिलों के नाम पर किसानों की कुर्की की जा रही  है. किसी की टी.वी. उठाकर ले जा रहे हैं किसी की मोटरसाइकिल उठाकर ले जा रहे हैं. बिजली विभाग वाले किसानों को चौराहे पर अपमानित कर रहे हैं, बेइज्‍ज्‍त कर रहे हैं.

          सभापति महोदय-- सारी बातों के लिए धन्‍यवाद. श्री महेन्‍द्र हार्डिया जी आप बोलें.

          श्री सुखदेव पांसे-- माननीय सभापति महोदय, मैं केवल मेरे क्षेत्र की एक बात करूंगा उसके बाद मैं अपनी बात समाप्‍त कर दू्ंगा. आप समय ही नहीं दे रहे हैं. मुझे बहुत लंबा बोलना था.

          सभापति महोदय--जो आसंदी का आदेश है उसके हिसाब से चलेंगे.

          श्री सुखदेव पांसे-- सभापति महोदय मैं केवल मेरे क्षेत्र की एक बात करूंगा.

          सभापति महोदय-- अब कुछ भी रिकार्ड में नहीं जाएगा.

          श्री सुखदेव पांसे-- (XXX)

          सभापति महोदय-- हार्डिया जी का नाम पुकारा जा चुका है. कृपया कर आप बैठ जाइए. आप मंत्री रहे हैं कृपया बैठ जाइए.

          श्री सुखदेव पांसे-- (XXX)

          सभापति महोदय--  पांसे जी, इस बात को मानिए. यह रिकार्ड में नहीं जाएगा

आप बैठ जाइए. मुख्‍यमंत्री जी ने नोट कर लिया है. हार्डिया जी आप अपना भाषण शुरू कर दीजिए.

          श्री सुखदेव पांसे-- (XXX)     

          सभापति महोदय-- अब कुछ भी रिकार्ड में नहीं जाएगा. माइक बंद करिए.

          श्री महेन्‍द्र हार्डिया (इन्‍दौर-5)-- सभापति महोदय, मैं माननीय राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के धन्‍यवाद प्रस्‍ताव के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.

          सभापति महोदय-- हार्डिया जी आपका भाषण 5 बजकर बाइस मिनट पर शुरू हुआ है. आपको बोलने के लिए पांच मिनट मिलेंगे.

 

          श्री महेन्‍द्र हार्डिया-- सभापति महोदय, पूरे सदन के सदस्‍यों ने कोविड के विषय के ऊपर अपने विचार रखे हैं, किंतु मैं उस मानवीय क्षण का प्रत्‍यक्षदर्शी हूं जब लाखों की संख्‍या में इंदौर बायपास पर महाराष्‍ट्र से आने वाले बिना खाना खाए, प्‍यासे लोग पैदल जा रहे थे जिनके पैरों में चप्‍पल भी नहीं थी. इंदौर की समाजसेवी संस्‍थाओं ने इंदौर की भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनकी जो मदद करना थी की किंतु जब यह सारी स्थिति हमारे संवेदनशील मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को बताई तो उनका एक ही शब्‍द था कि मध्‍यप्रदेश की धरती से कोई भी पैदल नहीं जाएगा. आप लोग उनके भोजन का इंतजाम कीजिए मैं यहां भोपाल से उनके लिए बस का इंतजाम कर रहा हूं. उन्‍होंने सभी कलेक्‍टरों को निर्देश दिए कि एक भी आदमी पैदल नहीं जाएगा. उनको मध्‍यप्रदेश की सीमा तक छोड़कर आएंगे. यह हमारे संवेदनशील मुख्‍यमंत्री हैं. जितु पटवारी जी यहां से चले गए हैं मैं उनकी बात का जवाब दूंगा.

          सभापति महोदय, जब 23 मार्च को हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने शपथ ली तो सीधे कोविड का काम चालू किया. जब माननीय कमल नाथ जी ने शपथ ली तो सीधे दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया जो कि आज तक माफ नहीं हुआ. हमारे आने के पहले की सरकार इंदौर में आईफा अवॉर्ड में उलझी थी. कोरोना की बढ़ोत्‍तरी पर कोई भी ध्‍यान नहीं दिया गया, उसकी रोकथाम पर कोई ध्‍यान नहीं दिया गया किंतु मुख्‍यमंत्री जी ने शपथ लेते ही सबसे पहला काम मध्‍यप्रदेश के प्रत्‍येक जिले के कलेक्‍टर से बात करके कोरोना की रोकथाम के और उसको रोकने के इंतजाम की जानकारी ली और उसकी चर्चा की. माननीय राज्‍यपाल महोदया ने भी अपने अभिभाषण में यह बात कही है. गरीब परिवारों को सूखा राशन देना और हमारी जैसी समाजसेवी संस्‍थाएं रोज पकी हुई पूड़ी सब्‍जी गरीबों में वितरित करती थीं. यह हमारे प्रदेश अध्‍यक्ष जी का, मुख्‍यमंत्री जी का हमारे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से निवेदन था.  लाखों लोगों के लिए एक-डेढ़ महीने तक राशन की व्‍यवस्‍था मुख्‍यमंत्री जी द्वारा की गई है. ऐसे हमारे संवेदनशील मुख्‍यमंत्री है.

          सभापति महोदय, माननीय राज्‍यपाल महोदया जी ने अपने अभिभाषण में एक और बात का जिक्र किया है भू-माफिया. माफिया शब्‍द आया है चाहे वह रेत माफिया हो, भू माफिया हो, खनिज माफिया हो, चाहे कोई भी हो. मुख्‍यमंत्री जी 6 जनवरी को इंदौर में आये थे. मेरी विधान सभा के अंदर ऐसे 15 हजार पीडि़त परिवार हैं, जो 35 सालों से संघर्ष कर रहे हैं कि उन्‍हें, उनका भू-खण्‍ड मिले. मैंने विधान सभा में ध्‍यानाकर्षण के माध्‍यम से, इसके अलावा वहां के तत्‍कालीन जिलाधीश को इस संबंध में सारी जानकारी दी, किंतु आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई लेकिन जब मैंने मुख्‍यमंत्री जी के सामने इसका पूरा चित्रण किया तो मुख्‍यमंत्री ने जब पिपलिया हाना ब्रिज का लोकार्पण किया तो उन्‍होंने घोषणा की कि एक भी भू-माफिया बचेगा नहीं. (मेजों की थपथपाहट)

          सभापति महोदय, मुख्‍यमंत्री जी ने कहा कि जितने भी पीडि़त हैं, यहां महत्‍वपूर्ण बात यह है कि जितने भी पीडि़त हैं, सारे पीडि़तों को शिवराज सिंह जी की सरकार भू-खण्‍ड देगी. इन्‍होंने ने भी कार्यवाही की थी किंतु कार्यवाही की, भू-माफिया को बंद किया और मामला आया-गया हो गया लेकिन हमारी सरकार ने इसको अंजाम तक पहुंचाने का कार्य किया है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-  महोदय, वह आज भी जेल में ही है.

          श्री महेन्‍द्र हार्डिया-  सभापति महोदय, मैं एक-एक क्षेत्र के पीडि़‍तों की संख्‍या बता सकता हूं. अयोध्‍यापुरी सभी जानते हैं कि इसके अंदर कौन है, वहां 350 परिवार पीडि़त हैं. पुष्‍पविहार कॉलोनी 1300 परिवार.

          सभापति महोदय, इनको वहां प्‍लॉट देने का कार्य प्रारंभ हो गया है. वे अपना कब्‍जा ले रहे हैं, प्रशासन वहां उनको कब्‍जा दे रहा है. इसी प्रकार श्री महालक्ष्‍मी नगर 1800 प्‍लॉट, न्‍याय नगर 5000 प्‍लॉट, राजगृही 1800 प्‍लॉट, कालिंदीकुंज 350 प्‍लॉट, बृजेश्‍वरी कॉलोनी 90 प्‍लॉट. इनकी कार्यवाही पिछले 35 वर्षों से अटकी हुई थी. इनमें से कई लोग तो मर गये.

          सभापति महोदय, एक महिला मेरे पास आई और कहा कि मैंने अपनी बच्‍ची के लिए प्‍लॉट लिया था, आज उस बच्‍ची का बेटा 17 साल का हो गया है किंतु मुझे मेरा प्‍लॉट आज तक नहीं मिला है. एक महिला जो कि कैंसर पीडि़त थी, उसने कहा कि उसके पति का देहांत हो गया है. क्‍या उसे कभी अपना प्‍लॉट मिल पायेगा ? क्‍या वह अपने जीवन में अपना घर बना पायेगी ? वह किराये के घर में रह रही है. ऐसे लोगों की दुआयें मुख्‍यमंत्री जी को इंदौर में मिल रही है. (मेजों की थपथपाहट)

          सभापति महोदय, केवल एक और तुलसी नगर का उदाहरण सुन लीजिये.

          सभापति महोदय-  हार्डिया जी, आपको छ: मिनट हो गए है. संभवत: आपको इंदौर की भाषा में ही कहना पड़ेगा क्‍योंकि मैं भी इंदौर का ही पढ़ा हुआ हूं. ''भइया हो गया बहुत, बैठ जाओ.''

          श्री महेन्‍द्र हार्डिया-  सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया धन्‍यवाद.

          श्री पी.सी.शर्मा-  सभापति महोदय, इंदौर की भाषा में बड़ा दम है.    

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट)-  सभापति महोदय, मैं महा‍महिम राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. इस अभिभाषण को पढ़ने के बाद 3 मंत्रों की बात आती है- Reform, Perform और Platform.

          सभापति महोदय, सुनने में तो ये बहुत अच्‍छे स्‍लोगन लगते हैं लेकिन वास्‍तव में क्‍या हो रहा है, मैं यह सदन के सामने रखना चाहूंगा. Reform के नाम पर सरकारी संपत्तियों को, सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने का काम यह सरकार कर रही है.

          Perform जनता से मनमानी, बेरोजगारी, मंहगाई, डीज़ल-पेट्रोल और अन्‍य चीजों में करके यह सरकार कर रही है.

           Platform एक ऐसा प्‍लेटफॉर्म, जो आपकी लोकतांत्रिक सरकारों द्वारा किया जा रहा है, वह यह है कि जो पूंजीवाद है, उसको लोकतंत्र की सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है और प्राइवेट सेक्‍टर को बढ़ावा दिया जा है, जिससे बेरोजगारी निरंतर बढ़ रही है.

          डॉ. सीतासरन शर्मा- सभापति महोदय, Reform, Perform और Transformहै. Platform नहीं है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-  Transfer तो नहीं है ?

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी- सभापति महोदय, जो भी कानून बनाये जा रहे हैं, वे पूंजीपतियों के हिसाब से बनाये जा रहे हैं. न श्रमिकों के हिसाब से बनाये जा रहे हैं,  न किसानों के हिसाब से बनाये जा रहे हैं, न युवाओं के हिसाब से बनाये जा रहे हैं, ऐसे कानून बनाये जा रहे हैं, इस सरकार की मंशा साफ है. इस अभिभाषण से साफ है कि सरकार किसान को गुलाम बनाना चाहती है, नौजवान को गुलाम बनाना चाहती है और हिन्‍दुस्‍तान को गुलाम बनाना चाहती है, यह सरकार की मंशा है. कोरोनाकाल की बात करें, कोरोना का जो काल था उस समय जो परिस्थिति थी, हमारे क्षेत्र से भी बहुत सारे लोग तेलंगाना, हैदराबाद और दमन से पैदल चलकर चित्रकूट आये हैं. लगातार फोन आते थे, आज भी मेरे फोन पर उनकी रिकार्डिंग सेफ है कि भईया दो दिन से खाना नहीं खाया है, कुछ खाने की व्‍यवस्‍था कर दो. हमने और हमारी टीम ने यह तय किया कि हम इनके खाते में डायरेक्‍ट पैसे डालने शुरू करेंगे और हमने अपने क्षेत्र के 2500 लोगों में से 1800 लोगों के खाते में से व्‍यक्तिगत तौर पर मिलकर पैसे डाले और हमने उनसे कहा कि हमारी क्षमता ट्रेन चलाने की तो नहीं है, लेकिन हम आपके लिये रोटी की व्‍यवस्‍था करते रहेंगे.

अध्‍यक्षीय घोषणा

5.31 बजे                           सदन के समय में वृद्धि विषयक

          सभापति महोदय:- शेष माननीय सदस्‍यों का भाषण पूरा होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.      

                                                          सदन द्वारा सहमति प्रदान की गयी.

5.32 बजे

राज्‍यपाल के अभिभाषण पर डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्‍य द्वारा दिनांक 22 फरवरी, 2021 को प्रस्‍तुत प्रस्‍ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण.(क्रमश:)

 

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी:- हम लोगों ने यह तय किया कि हम उन लोगों के खातों में व्‍यक्तिगत धनराशि उपलब्‍ध करायेंगे, ताकि उनकी रोटी की व्‍यवस्‍था बन जाये. तब जाकर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने योजना चलायी कि जो भी बाहर लोग हैं उनके खातों में 1000 रूपये डाले जायेंगे, लेकिन आपके माध्‍यम से 1000 रूपये पहुंचते-पहुंचते महीने लग गये और वह रोटी के लिये तरस गये. हमारे सदस्‍य मार्को जी शहडोल की घटना बता रहे थे कि श्रमिक रेल की पटरी के सहारे अपने गांव आ रहे थे, उनको यह पता था कि पूरे देश में ट्रेन नहीं चल रही है इसलिये वह बेचारे ट्रेन की पटरी पर सो गये और रात में उनकी ट्रेन से कटकर मृत्‍यु हो गयी. दुर्भाग्‍यपूर्ण बात यह है कि बाद में उनकी लाश को शहडोल पहुंचाने के लिये व्‍यवस्‍था की गयी, लेकिन उनके जिन्‍दा रह‍ते उनको शहडोल पहुंचाने की व्‍यवस्‍था की गयी होती तो वह हादसा हमारे बीच में नहीं होता.

          सभापति महोदय, लोकल से वोकल की बात की जाती है कि अगर कोई लोकल रोजगार है तो लोकल लोगों को ही रोजगार दिया जायेगा. अगर लोकल लोगों को ही रोजगार दिया जायेगा तो सतना जिले में, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि सिर्फ चित्रकूट क्षेत्र से ही 7-8 हजार लोग बाहर थे. अगर प्रवासी मजदूर बाहर हैं तो लोकल फैक्ट्रियों की, सीमेंट फैक्ट्रियों की क्‍या आवश्‍यकता है, जब वह लोकल लोगों को रोजगार नहीं दे पा रही है. कोई केरल, तमिलनाडु का मजदूर मध्‍यप्रदेश में नहीं आ रहा है, सिर्फ हमारे मध्‍यप्रदेश का मजदूर, हमारे जिले का मजदूर ही बाहर जा रहा है. हमारे मुख्‍यमंत्री कमल नाथजी ने जो योजना बनायी थी उसमें 70 प्रतिशत लोकल के लोगों को रोजगार देने की बात कही गयी थी, वह बात भी इसमें कहीं नहीं आयी है.

          सभापति महोदय, मेरा अनुरोध है कि पूरे अभिभाषण में कोविड की बात की गयी की वैक्‍सीन बना दी गयी, हमने यह सारी चीज कर दी, लेकिन मेरा आपसे अनुरोध है कि इस पूरे अभिभाषण में एक बार भी यह नहीं आया कि ताली बजाने से और थाली बजाने से कितने कोविड मरीज ठीक हुए, यह बात नहीं आयी, यह बहुत गंभीर बात है. पूरे देश को भ्रम में रखा गया कि ताली, थाली और दिये जलाने से कोविड जैसी महामारी खत्‍म हो जायेगी, वह महामारी खत्‍म नहीं हो पायी. मेरा सभापति महोदय से यही अनुरोध है. सभापति महोदय, हम महिला सुरक्षा की बात करते हैं लेकिन महिलाओं से तरह-तरह के रोज क्राईम सामने आ रहे हैं, महिलाओं की सुरक्षा करने में हम निश्चित तौर पर असफल हुए हैं और मध्‍यप्रदेश को नंबर-एक पर लाने का काम किया है. माफिया की बात करें तो कमल नाथ जी हमारे मुख्‍यमंत्री थे तो उन्‍होंने माफिया के खिलाफ आंदोलन छेड़ा और एक तरफ से माफियाओं के अंदर भय व्‍याप्‍त हुआ. लेकिन गाय की बात करें तो लगातार गौ-शालाएं बनीं लेकिन चित्रकूट में, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि चित्रकूट की गोचर की 35 एकड़ जमीन माफियाओं के नाम चढ़ गयी है, यह मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं. चित्रकूट में ही फर्जी वसीयत के माध्‍यम से उनका मुआवजा निकल आया, कम्‍पन्‍सेशन निकल आया, यह भी मैं आपको बताना चाहूंगा, क्‍योंकि उन लोगों ने भारतीय जनता पार्टी का चौला औढ़ रखा है और भारतीय जनता पार्टी का चौला औढ़ने के बाद संत बन जाते हैं और किसी संत के खिलाफ बोला जाता है तो राष्‍ट्रवाद का आरोप लग जाता है, मैं आपके माध्‍यम से मुख्‍यमंत्री जी को यह बताना चाहूंगा. आपने बोलने का समय दिया धन्‍यवाद.

          श्री विनय सक्‍सेना(जबलपुर-उत्‍तर):- माननीय सभापति महोदय, आपको धन्‍यवाद और आपका संरक्षण भी चाहता हूं. मैं उन विधायकों में से हूं, जब 20 मार्च को माननीय कमल नाथ जी की सरकार गिरी और उसी दिन जो कोरोना के पेशेंट आये, वह सबसे पहले जबलपुर में आये, लेकिन मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी का ध्‍यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि पूरे मध्‍यप्रदेश में ऐसा लगा कि सिर्फ मध्‍यप्रदेश में भोपाल और इंदौर में ही जो मरीज हैं उनको ही निशुल्‍क इलाज मिलना चाहिये, पूरे मध्‍यप्रदेश में नहीं मिलना  चाहिये. चिरायु, अमलतास, इंडस, इन्दौर आर.डी.गार्गी इसके अलावा जबलपुर में हम लोग मांग करते रह गये, लेकिन जबलपुर के मरीज को इलाज के लिये सीटी स्केन का 5 हजार रूपये देना पड़ा और रेमेसीडर इंजेक्शन के लिये 5500 के हिसाब से 35 हजार से 40 हजार रूपये खर्च करना पड़ा. माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी वहां के अस्पतालों ने 3 लाख रूपये प्रति व्यक्ति इलाज का वसूला, लेकिन सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर सकी. हमारे माननीय विश्वास सारंग जी तथा प्रमुख सचिव भी उस समय पधारे थे जबलपुर में पधारे थे उन्होंने भी कहा कि हम दो दिन के अंदर सब व्यवस्थाएं ठीक कर लेंगे. लेकिन दुख की बात है कि जबलपुर में कोई भी इलाज नहीं हुआ. जब मैंने खुला पत्र माननीय मुख्यमंत्री जी को लिखा वह लोग सुशासन की बात करते हैं. हमारे बड़े बुजुर्ग सीतासरन शर्मा जी बोल रहे थे कि मध्यप्रदेश में सुशासन चल रहा है. कभी किसी विधायक के पत्रों का कोई जवाब आता है, क्या यह सुशासन कहलाता है कि मध्यप्रदेश के किसी विपक्ष के विधायक के पत्र का जवाब न आये. मैं आपसे पूछना चाहता हूं आप विधान सभा के बुजुर्ग विधायक हैं आपने कहा कि (XXX) को किनारे कर दिया. मैंने देखा कि सुशासन कैसा हुआ. इन्दौर में जो बुजुर्ग आपकी उम्र के हैं उनको (XXX) के डिब्बों में गाड़ियों में ले जाकर इन्दौर से बाहर फेंक दिया गया, यह मध्यप्रदेश का सुशासन है. मैं एक बात की ओर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि नर्मदा मां को जीवित इकाई का दर्जा माननीय मुख्यमंत्री जी ने दिया था और कहा था कि जो भी अवैध उत्खनन करेगा तथा उसको छेड़खानी करेगा तथा उसको नुकसान पहुंचायेगा उसके खिलाफ 307, 302 रजिस्टर्ड किया जायेगा. मैं पूछना चाहता हूं कि जीवित इकाई के मामले में मध्यप्रदेश सरकार ने नर्मदा जी के साथ अभी तक कौन से नियम का पालन कराया है. मैं यह भी पूछना चाहता हूं कि हमारा जो अभिभाषण है मुझे लगता है कि उसमें आंकड़ों की बाजीगरी के अलावा कुछ भी नहीं है. हर जगह प्रस्तावना प्रस्तावित और प्रावधान किये गये हैं. यह कितने वर्षों की योजना है, यह पंचवर्षीय योजना है, दस वर्षीय योजना है इसका भी उल्लेख इसमें होना चाहिये था. ऐसा लगा कि जो भाषण हुआ हमारी राज्यपाल महोदया जी का उसमें लग ही नहीं रहा था कि वह मध्यप्रदेश के विधान सभा का है ऐसा लग रहा था कि बिल्डिंग बनाने वाली हैं लग रहा था कि दिल्ली लोक सभा में पढ़ा जा रहा है, जिसमें माननीय प्रधानमंत्री जी के अलावा कोई उल्लेख नहीं है. मुझे लगता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की चर्चा कहीं पर भी नहीं की गई है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी की एक बात से सहमत हूं कि जब हम कहते हैं कि वह घोषणाएं बहुत करते हैं. पिछले कार्यकाल में 22 हजार घोषणाएं कीं. उनका हृदय बहुत विशाल है वह जहां पर भी जाते हैं मैं जबलपुर में जब नेता प्रतिपक्ष था एक बार आये पधारे एवं जब हम मिलने के लिये गये तो मैंने कहा कि हमें 300 करोड़ रूपये का एक प्रोजेक्ट दे दीजिये गले में हाथ डालकर कहा कि विनय जी बस 300 करोड़ रूपये तुमको 500 करोड़ रूपये का प्रोजेक्ट मिलेगा. वह 5 साल निकल गये मुख्यमंत्री अधोसंरचना का पैसा अभी तक 30 करोड़ रूपये का मैं उनकी इस बात से सहमत हूं कि हृदय बड़ा होना चाहिये, सपने बड़े बड़े पालने चाहिये. जिस शहर में जाते हैं वहां पर कहते हैं कि मेरा यह सपनों का शहर है. चाहे सिंगरौली जायें या सारिणी जायें. लेकिन हृदय विशाल तो होना चाहिये. मुझे लगता है कि केन्द्र सरकार उनके साथ पक्षपात कर रही है. जब दिल्ली में जीएसटी का पैसा लेने जाते हैं तो वहां कहा जाता है कि 15 साल का लोन ले लो ब्याज के रूप में उस पर ब्याज दे दो. मुझे लगता है कि उनका दोष नहीं है वह तो हर व्यक्ति से कहना चाहते हैं और देना चाहते हैं. लेकिन केन्द्र सरकार के लोगों से मिलने के बाद जब वापस लोटते हैं तो मैं देखता हूं कि वह भारी गुस्से में रहते हैं फोरन उनका बयान देखता हूं तो वह क्या कहते हैं आजकल मैं बदले हुए मूड में हूं अब तो मैं गाढ़ दूंगा, बूंध दूंगा इस तरह की भाषा चालू हो जाती है. तो मुझे लगता है कि कहीं न कहीं हम सबको सायकिल चलाकर अगर माननीय मुख्यमंत्री जी चाहें तो पूरा कांग्रेस दल आपके साथ सायकिल चलाते हुए दिल्ली चलने के लिये तैयार है. मुझे लगता है कि पूरा सदन इससे सहमत होगा.

          श्री रामपाल सिंह--आप गले में हाथ डालने का सबूत दे दो तो हम आपको इनाम देंगे.

          श्री विनय सक्सेना--सभापति जी अगर मुख्यमंत्री जी मना कर दें तो सबूत देने की जरूरत नहीं है. मैं अपनी गलती को मान लूंगा आप उनसे बुलवा दीजिये. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इस समय 33 लाख रोजगार के लिये लोग कतार में हैं. प्रदेश में 90 हजार पद खाली हैं. चाहे शिक्षा के हों, कौशल विकास के हों, चाहे पुलिस विभाग के हों, चाहे स्वास्थ्य विभाग के क्या बेरोजगारों को 1 लाख रोजगार देने के लिये एक प्रायवेट एजेंसी को 2018 में हायर किया उसको 19 करोड़ रूपये का भुगतान कर रहे हैं. लेकिन सरकार को बताना चाहिये कि उसने कितने लोगों को रोजगार दिया गया. मैं यह भी पूछना चाहता हूं कि युवा वर्ग को 188 करोड़ की राशि की सबसिडी जो इन्होंने वापस ले ली मैं मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम से बेरोजगारों को हमने लोन दिया हुआ है तो हमारी सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उनकी सबसिडी उनके खातों में डालें. नहीं तो 188 करोड़ रूपये का कर्जा उनके ऊपर है और वह डिफाल्टर होते चले जा रहे हैं. वही हाल होगा तो किसानों के जैसे वह भी आत्महत्या करेंगे. इस प्रदेश में आप कहते हैं कि हमारी भांजी एवं बहिने हैं आपके भांजे भी हैं इस प्रदेश में. मुझे कहना चाहिये के आपके भाषण में जो आपकी घोषणाएं होती हैं उसमें भांजियों के साथ साथ भांजों का भी उल्लेख होना चाहिये और वह 188 करोड़ रूपए अगर आप उनके खाते में डलवा देंगे तो मुझे लगता है कि आने वाले समय में युवा आत्‍महत्‍या करने से बच सकेंगे. माननीय सभापति महोदय कुछ और बातें करना चाहता हूं, जिसके लिए आधा मिनट और चाहता हूं. भारतीय जनता पार्टी के सत्‍ता में आने के पहले एक स्‍लोगन आया था. ''बहुत हुई महंगाई की मार, अब की बार भाजपा सरकार''. खूब ढोल मजीरे बजे, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश में बाजू वाले प्रदेश से लोग डीजल और पेट्रोल खरीद रहे, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि 15 साल में आत्‍मनिर्भर बनाने से मुख्‍यमंत्री जी आपको किसने रोका था. हम लोग बार बार एक बात कहते हैं कि कोई भी मुख्‍यमंत्री बन जाए, बिना शराब के, बिना पेटोल और डीजल के दाम बढ़ाए हुए सरकार चल ही नहीं सकती. मैं पूछना चाहता हूं कि क्‍या हमारे मध्‍यप्रदेश में इन 15-16 सालों में कोई साधन और संसाधन हम नहीं तैयार कर पाए. मुख्‍यमंत्री जी, मैं इस बात पर विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए कहना चाहता हूं कि क्‍या सब लोग मिलकर हम मध्‍यप्रदेश में और कोई कमाई के संसाधन तैयार नहीं कर सकते, जिससे हमारी शराब के ऊपर जो उम्‍मीद है, सिर्फ शराब के भरोसे आप सरकार चलाते हों. पेटोल- डीजल के भरोसे सरकार चलाते हों. आपके माध्‍यम से एक मांग और प्रधानमंत्री जी से करना चाहता हूं उन्‍होंने कहा था कि ''एक देश और एक टैक्‍स'', तो फिर एक देश और एक टैक्‍स तो फिर शराब पेट्रोल और डीजल उससे बाहर क्‍यों है. हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि पूरे देश में एक टैक्‍स लगेगा, क्‍या हम उससे बाहर नहीं ला सकते. सभापति जी आपके संरक्षण के लिए धन्‍यवाद.

          संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - माननीय सभापति जी, माननीय सभापति जी, माननीय सभापति जी. (...हंसी)

          सभापति महोदय - जी.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - नजरें इधर हो जाएं. (...हंसी)

          सभापति महोदय - मैं पहले जरा इधर ध्‍यान दे रहा था. आपकी तरफ हमेशा पूरा ध्‍यान रहता है.

           डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अभी विनय जी ने एक बात कही, उसको थोड़ा दोहराना चाहता हूं. गोविन्‍द सिंह जी बैठे हैं, उनसे आग्रह करूंगा, क्‍योंकि नेता प्रतिपक्ष तो सदन में कम रह पाएंगे. सदस्‍य ने कहा कि कांग्रेस के विधायक दिल्‍ली तक सायकल चलाकर जा सकते हैं, कल विधान सभा में आए तो सायकल ऊपर चढ़ाने में हांफ रहे, सभी हांफ गए वहां पर(..हंसी) यदि आपकी पार्टी ऐसा कोई निर्णय करें तो डाक्‍टरी परीक्षण करवा लेना हमें सदन के सदस्‍यों की चिन्‍ता हैं. (..हंसी)

          श्री पी.सी. शर्मा - हम लोगों की हम निपट लेंगे, जनता की सांस फूल रही है, महंगाई से, पेट्रोल-डीजल से, उस पर ध्‍यान दीजिए.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - मुझे आपकी सांस की चिन्‍ता है. (..हंसी) आप मेरे बड़े भाई हो.

          सभापति महोदय - नरोत्‍तम जी, आपके नवजवान सदस्‍य बोल रहे हैं, उनको बोलने दीजिए, प्रजापति जी बोलिए.         

          श्री राजेश कुमार प्रजापति(चंदला) - माननीय सभापति जी, मैं यहां पर राज्‍यपाल के अभिभाषण का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं और पहली बार इस सदन में भाषण के लिए खड़े होने का मुझे अवसर मिला है. माननीय राज्‍यपाल ने जो अभिभाषण दिया है, जिसमें हमारी सरकार और सरकार के मुखिया श्री शिवराज सिंह जी की सरकार जो करना चाहती है, उन सभी क्षेत्रों के कार्यों का वर्णन किया है. मैं आपको बता दूं कि 23 मार्च 2020 को जब हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में सरकार बनी और शिवराज सिंह जी जब मुखिया बने तो एक कहावत है कि :

          ''राम काज किन्‍हें बिनु, मोहि कहां विश्राम.

          उस तर्ज पर उन्‍होंने तत्‍काल रात में ही वल्‍लभ भवन जाकर कार्य करना प्रारंभ किया, जब कोरोना का संकट था, हमारे प्रदेश और देश के ऊपर. माननीय सभापति जी, मुझे याद है, जब कोरोनाकाल का संकट था और मेरा विधान सभा क्षेत्र चंदला, जो उत्‍तरप्रदेश से लगा हुआ है. वहां के लोग कई जगह काम करने के लिए, मजदूरी करने के लिए गए हुए थे, जम्‍मू काश्‍मीर, महाराष्‍ट्र, अहमदाबाद यानि कई जगह गए हुए थे, उनको लाने के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने जो संवेदनशीलता दिखाई, मंत्रालय के अधिकारियों को कह दिया था कि आपके पास किसी का भी फोन मदद के लिए आए तो लिस्‍ट मंगवा लें, जिस-जिस क्षेत्र से वह प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं.

          सभापति महोदय, इतनी संवेदनशीलता मैंने कभी नहीं देखी और मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहूँगा कि उन्‍होंने मेरे क्षेत्र का जो व्‍यक्ति अंतिम छोर पर रहता है, जो उत्‍तरप्रदेश से लगा हुआ है, जो किन्‍हीं कारणों से, इस महामारी में वहां पर फंसा हुआ था, उसको बाहर निकालने में मदद की. हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी उसको जब घर पहुँचाते हैं, तो उसकी खुशी और आनन्‍द बहुत ही अकल्‍पनीय है. मैं आपको अवगत करा दूँ कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने अभी मेरे क्षेत्र में ऐसी 12 रोड बनाई हैं, जहां पर धूल उड़ती थी क्‍योंकि मेरा क्षेत्र खनिज संसाधनों से भरा हुआ है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उन सड़कों का डामरीकरण करवाया. उसके लिए मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूँ कि उन्‍होंने सम्‍बल योजना फिर से चालू की क्‍योंकि कोरोनाकाल की विपत्ति में मेरे क्षेत्र के कुछ लोगों का एक्‍सीडेंट मथुरा में हो गया था और जिसमें मेरे क्षेत्र में 5-6 लोगों की मृत्‍यु हो गई थी. 6 लोगों को 4-4 लाख रुपये जब चैक से मिले तो उन्‍होंने अपनी सरकार को बहुत आशीर्वाद दिया.

          सभापति महोदय, मैंने ऐसे भावुक दृश्‍य देखे हैं. जहां पर केन नदी में 4 बच्‍चे डूबकर खत्‍म हो गए थे, उन बच्‍चों के परिवार वालों को जब  4-4 लाख रुपये मिले तो उन्‍होंने इस प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान जी को बहुत आशीर्वाद दिया, ऐसी योजना जो किन्‍हीं कारणों से बन्‍द पड़ी थी, चालू हो गई. हम जब कभी क्षेत्र में जाते हैं तो जब कांग्रेस की सरकार थी तो तब के लोगों के, जो व्‍यक्ति खत्‍म हुए थे, उनको पैसा नहीं मिला तो वे हमसे अपेक्षा करते हैं कि हम लोगों के खाते में कब पैसा आएगा ? कन्‍यादान के 51,000 रुपये कब आएंगे ? जब भी मैं अपने क्षेत्र में पहुँचता हूँ तो प्रदेश के मुखिया का दायित्‍व और कर्तव्‍य दिखाई देता है. हमने वह भी देखा है कि जब कांग्रेस की सरकार थी और तब उस समय के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री हमेशा कहते थे कि हमारे पास बजट नहीं है, पैसा नहीं है तब यह याद आता है कि उस समय के मुखिया ने कहा था कि हमारे पास पैसा नहीं है. लेकिन अब के मुखिया माननीय मुख्‍यमंत्री जी कहते हैं कि हमारे पास पैसे की कमी नहीं है. उन्‍होंने तुरन्‍त 4-4 हजार रुपये किसानों की सम्‍मान निधि खातों में डाले हैं. मैं उनको धन्‍यवाद देता हूँ और हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने बुन्‍देलखंड की धरती में और छतरपुर जिले में एक और मेडिकल कॉलेज जो दिया है, मैं उसके लिए उन्‍हें बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूँ कि ऐसा क्षेत्र जहां पर छतरपुर से लगे हुए, पन्‍ना, दमोह और टीकमगढ़ हैं, हमारे यहां उन्‍होंने मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन भी किया है. सभापति जी, आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद.            

श्री नारायण सिंह पट्टा( बिछिया) -- माननीय सभापति महोदय, राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में और जो मैंने अपने क्षेत्र का कटौती प्रस्‍ताव दिया है उसके समर्थन में मैं बोलने के लिये खड़ा हुआ हैं. राज्‍यपाल महोदय जी, ने जो अभिभाषण दिया है, उसे पढ़कर सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा तैयार की गई स्क्रिप्‍ट का आभाष हुआ, जिस तरह से हकीकत को नजरअंदाज करते हुए भाषण पढ़ा गया, उससे सरकार की असफलता को ढंकने का प्रयास ही मात्र दिखाई देता है.

माननीय सभापति महोदय, कोविड 19 का बहुत जिक्र हुआ, सरकार ने अभिभाषण में यह भी बताया है कि 15 करोड़ रूपये डाले गये, लेकिन क्‍या सरकार ने अपनी उस असफलता को नहीं बताया, जब प्रदेश के लाखों श्रमिक अपने घर वापस आने के लिये सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे थे, जब उन्‍हें पैसों और मदद की जरूरत थी, तब राज्‍य सरकार ने अपने हाथ खींच लिये थे, सबसे ज्‍यादा तो हमारे आदिवासी बाहुल्‍य जिलों के मजदूर जो अपनी जीविकोपार्जन के लिये, पेट की खातिर अन्‍य प्रांतों में गये हुए थे, उन्‍होंने सैकड़ों किलोमीटर पैदल तय करके, वह अपने परिवार गांव वापस लौटने पर मजबूर हुए. उस समय किसी से छिपा नहीं कि उनके साथ किस तरह की यातनाएं, किस तरह की घटनाएं हुई हैं, तब उस समय सरकार को यह सब एहसास नहीं हुआ. अभी हमारे आदरणीय साथियों ने इसका जिक्र किया था कि दक्षिण भारत में जब लॉकडाउन के दौरान, ट्रेन से कटकर प्रदेश के 16 मजदूरों की जान गई थी, उस समय सरकार ने किसी प्रकार से वेदना प्रकट नहीं की, यह किसी से छिपा नहीं है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हमारे सत्‍ता पक्ष के साथियों ने अभी जिक्र किया था कि लॉकडाउन के समय में जब हॉस्‍टल और स्‍कूल जो बंद हुए तो बच्‍चों को सूखा खाद्यान घर-घर जाकर बांटा गया, बांटा गया होगा लेकिन मैं तो यह बताना चाहता हूं और आज माननीय मुख्‍यमंत्री जी भी यहां बैठे हुए हैं, कल के ही अखबार में एक खपर छपी है कि 15 लाख बच्‍चों को यह राशन नहीं मिल पाया. मैं पूछना चाहता हूं सरकार  से कि आखिरकर 15 लाख 61 हजार विद्यार्थियों को राशन नहीं मिला, यह सब आदिवासी जिले हैं और ग्रामीण क्षेत्रों की यह दशा है. हम कोविड 19 का बखान कर रहे हैं,पिछले समय को अगर हम देखतें हैं तो कुष्‍ठ, हैजा जैसी महामारियां आईं, इनसे निपटने के लिये पूर्ववर्ती सरकारों ने जो व्‍यवस्‍था की और जिसके चलते इस तरह की स्थिति निर्मित नहीं हुई.

माननीय सभापति महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी की खूब सारी प्रशंसा की गई, मैं बिंदु क्रं-17 की ओर उनका ध्‍यानाकर्षित कराना चाहता हूं, अगर भू-माफिया अभियान की सफलता के कसीदे पढ़े गये तो यह अभियान हमारे कमलनाथ जी के नेतृत्‍व में ही सरकार ने शुरू किया था, जिसमें उस दौरान जो कार्यवाहियां हुईं, वह पूरे देश ने देखी और उसका असर कानून-व्‍यवस्‍था पर भी देखने को मिला.  माननीय नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ जी ने जब ओपनिंग किये थे और अपनी बात रख रहे थे तो माफियाओं का जिक्र हुआ था, उस समय हमारे मंत्री आदरणीय कमल पटेल जी ने कहा था कि आप नाम बतायें. आदरणीय मुख्‍यमंत्री महोदय को मैं संज्ञान में लाना चाहता हूं.

सभापति महोदय -- आपके पांच मिनट पूरे हो गये हैं. आप आधा मिनट में समाप्‍त कर दीजिये.

श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय सभापति महोदय, सिर्फ दो तीन बिंदु हैं.

सभापति महोदय -- ठीक है आप आधा मिनट में समाप्‍त करें.                                                 

श्री नारायण सिंह पट्टा-- माननीय कृषि मंत्री महोदय नर्मदा यात्रा के दरमियान मेरी विधान सभा क्षेत्र बिछिया के अंतर्गत जब गुजर रहे थे तो उस समय उनका स्‍वागत जो 379, 109/34 जैसी धाराओं के अपराधी, अपराधी ही नहीं बल्‍की अपराध में फरारी काट रहे व्‍यक्ति उनका मालाओं से स्‍वागत करते हैं जिनकी हाईकोर्ट से भी जमानत निरस्‍त हो चुकी और वह जनपद पंचायत का उपाध्‍यक्ष और भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता है. मैं यह बात इसलिये संज्ञान में लाना चाहता हूं कि इस तरह से बेखौफ भू‍-माफिया घूम रहे हैं और जिनका संरक्षण कहीं न कहीं सरकार कर रही है.

          सभापति महोदय--  चलिये आप खत्‍म करिये. श्री उमाकांत शर्मा.

          श्री नारायण सिंह पट्टा--  माननीय सभापति महोदय, मैं सिर्फ अपने क्षेत्र के बिंदुओं पर बात कर रहा हूं. प्‍लीज आपसे निवेदन है.

          सभापति महोदय--  आप लिखकर दे दीजियेगा, रिकार्ड में आ जायेगा.

           श्री नारायण सिंह पट्टा--  माननीय सभापति महोदय, मैं आदिवासी जिले के अंतर्गत आता हूं और मैं माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय कमल नाथ जी की सरकार के समय में हलोन परियोजना अंतर्गत 611 करोड़ रूपये की 446 गांव की नल जल योजना स्‍वीकृत हुई थी, जिसका टेण्‍डर भी हो चुका है. माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी का ध्‍यान आकर्षित कराना चाहता हूं. स्‍वरोजगार योजना के तहत जो आप बंद कर दिये हैं जिसकी वजह से हमारे लाखों, हजारों युवा बेरोजगार साथी प्रतीक्षारत हैं, आप उस योजना को पुन: प्रारंभ कराइये.... (व्‍यवधान)... सभापति महोदय सिर्फ आधा मिनट और दे दीजिये. 

          सभापति महोदय--  नहीं, बिलकुल नहीं, माइक ऑफ कर दीजिये. 

          श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज)-- माननीय सभापति महोदय, मैं राज्‍यपाल महोदया के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. जो अभिभाषण माननीय राज्‍यपाल महोदया ने मध्‍यप्रदेश सरकार के आगामी कार्य व्‍यवहार के संबंध में प्रदेश की जनता का भावी भविष्‍य कैसा होगा इसके संबंध में जो अभिभाषण दिया है वह सराहनीय है. मैं पुन: कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. कोरोना काल में प्रदेश एवं देश में चारों ओर हा-हाकार मचा हुआ था. सारा संसार संकट से गुजर रहा था. मैंने अभी कांग्रेसी बंधुओं के भाषण सुने हैं, मुझे उनके अंदर सत्‍ता से हटने की छटपटाहट दिखाई देती है. उनके अंदर ऐसा लगता है कि बहुत बड़ी मायूसी प्रवेश कर गई है और उनका जीवन केवल सत्‍ता के लिये बना है, ऐसा समझ में आता है इस कारण अनर्गल प्रलाप, चाहे कुछ बोले जा रहे हैं. माननीय सीतासरन जी हमारे विद्वान, मार्गदर्शक ने जो धन्‍यवाद प्रस्‍ताव रखा था उसके संबंध में कम से कम कांग्रेसी बंधुओं ने, यहां के सदस्‍य बंधुओं ने 19, 20 लोगों ने टोका-टाकी की, क्‍या यह शोभायमान लगता है.

          सभापति महोदय--  कृपया अभिभाषण पर बोले, विषय पर बोले.

          श्री उमाकांत शर्मा--  माननीय सभापति महोदय, उनके लिये टोका गया है यह तो सबके सामने बोलना ही पड़ेगा. माननीय सभापति महोदय, कल (XXX) जी का नाम इस सदन में कांग्रेसी बंधुओं द्वारा लिया गया.

          सभापति महोदय--  राहुल गांधी जी इस सदन के सदस्‍य नहीं हैं, उनका नाम रिकार्ड में नहीं आयेगा. आप अभिभाषण पर बात करें.

          श्री उमाकांत शर्मा--  माननीय सभापति महोदय, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि जब उनका नेता फरवरी के महीने में कोरोना की चेतावनी दे रहा था और माननीय मोदी जी नहीं सुन रहे थे तो आपके नेता कमल नाथ जी क्‍या कर रहे थे, उन्‍होंने कार्यवाही क्‍यों नहीं की. हां इतना जरूर किया (XXX).

          सभापति महोदय--  कृपया विषय पर पहुंचिये. आपके 2 मिनट निकल गये.

          श्री उमाकांत शर्मा--  माननीय सभापति महोदय, मैं इसी के साथ कहना चाहता हूं, बार-बार यह कहा जा रहा है, (XXX)

          श्री बाला बच्‍चन--  माननीय शर्मा जी, आपने यह देखा है. किसी के ऊपर अनर्गल आरोप लगाना यह कहां तक उचित है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री विजय शाह-- अरे ब्राह्मण बोल रहा है, ब्रह्मण की वाणी में ईश्‍वर होता है. ...(व्‍यवधान)...               

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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.

 

 

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय सभापति महोदय, इसको विलोपित करवाएं.

          सभापति महोदय - उमाकांत जी विषय पर बोलिये. महत्वपूर्ण विषय है.

          श्री उमाकांत शर्मा - मैं कोरोना की तैयारी की बात कर रहा हूं.

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय सभापति महोदय, इसको विलोपित करवाएं.

          सभापति महोदय - अभी विषय पर बोलिये.

          (.व्यवधान..)

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - सभापति महोदय, मैं आपको बोलना चाहता हूं कि इसको विलोपित कराओ.

          (..व्यवधान..)

          श्री रामपाल सिंह - सभापति महोदय, प्रजापति जी का परीक्षण कराएं क्या हो गया एकदम से.

          श्री उमाकांत शर्मा - प्रजापति जी, क्यों इतना उत्तेजित हो रहे हैं.

          सभापति महोदय - श्री उमाकांत जी, आप विषय पर बोलिये. ये बातें हम सिरोंज में भी कर लेंगे. पब्लिक मीटिंग में कर लेंगे.

          (..व्यवधान..)

          श्री उमाकांत शर्मा -कोरोना की तैयारी में कांग्रेस ने लापरवाही की.

          सभापति महोदय - कृपया अपना संबोधन विषय तक सीमित रखें.

          (..व्यवधान..)

          डॉ.गोविन्द सिंह - सभापति महोदय, कमलनाथ जी जैसे वरिष्ठ नेता, मुख्यमंत्री रहे. वर्षों के सांसद हैं. जनप्रतिनिधि हैं. उनके संबंध में कहे गये शब्द संसदीय नहीं है. इसको विलोपित कर दें.

          सभापति महोदय - बिल्कुल ठीक. इसको विलोपित कर दें.

          श्री उमाकांत शर्मा - माननीय सभापति महोदय, माननीय शिवराज जी ने जिस प्रकार से कोरोना का प्रबंधन किया. जनता को स्वास्थ्य की सुविधाएं दीं उसके लिये आज हजारों माताओं, बहनों के हाथ आशीर्वाद के रूप में शिवराज जी के लिये उठ रहे हैं. मोदी जी के लिये उठ रहे हैं और जिन चिकित्सालयों के नाम हमारे बंधुओं ने लिये हैं उनमें मैं स्वयं और कांग्रेस के अनेक सदस्यों ने स्वास्थ्य लाभ लिया है यह भी प्रमाण है और इसलिये माननीय सभापति महोदय ने सदस्य के रूप में उस अस्पताल की प्रशंसा भी की है. मैं आज सुन रहा था. सदस्य कह रहे थे कि गौशाला बना रहे हैं. हमने बनायी हैं. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मुख्यमंत्री महोदय जो उस समय विपक्ष में बैठे थे. प्रोटेम स्पीकर श्री रामेश्वर शर्मा जी को जब गौवध प्रतिषेध अधिनियम लाया गया तो गौरक्षकों के लिये तो लिंचिंग के नाम पर आपने कानून बना दिया और गौतस्करों को सुरक्षा प्रदान की आपके कानून के माध्यम से. शर्म की बात है उस तत्कालीन कांग्रेस की सरकार के लिये. मैं पुन: महामहिम राज्यपाल महोदय को धन्यवाद देना चाहता हूं कि 9जनवरी,2021 से धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक माननीय गृह मंत्री, माननीय मुख्यमंत्री जी लाये हैं जिसके कारण से कांग्रेस के पेट में दर्द हो रहा है.  यह माताओं, बहनों को सुरक्षा देगा, उसके लिये मुख्यमंत्री जी अभिनंदन के पात्र हैं. मैं अभिभाषण का समर्थन करता हूं.

          श्री आरिफ मसूद ( भोपाल मध्य ) - माननीय सभापति महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का विरोध करता हूं और क्यों न करूं. सभापति महोदय, कोरोना को लेकर बार-बार जिक्र हुआ. सभी लोग कोरोना पीड़ितों के साथ भी रहे. बार-बार उनको धन्यवाद की बात भी आयी है. अभी इन्दौर से हमारे सदस्य ने भी कहा लेकिन अगर काश, इसके अंदर सभी स्वयंसेवी संस्थाओं के नाम होते, उनका भी धन्यवाद सदन की तरफ से और सरकार की तरफ से होता तो बेहतर होता. दूसरा, अगर इतना कोरोना पर सरकार का ध्यान था तो हमारे यहां 900 रुपये में टेस्टिंग हो रही थी. 125 करोड़ दूसरे राज्यों को हमने टेस्टिंग के दिये. मध्यप्रदेश में सरकार इतनी सतर्क थी और टेस्टिंग की व्यवस्था नहीं कर पा रही थी तभी तो आपने 125 करोड़ दूसरे राज्यों को देकर टेस्टिंग करायी. यह दुर्भाग्य है मध्यप्रदेश का.  तीसरा एक  बहुत अति महत्वपूर्ण  बिन्दु हमने  कहा कि सबका  साथ सबका विकास. लेकिन उसके अंदर कहीं भी मैंने अल्पसंख्यक संस्थाओं का जिक्र  देखा नहीं.   माननीय मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान साहब बैठे हैं.  मेरा आग्रह है कि  हमारे  यहां की बहुत सारी ऐसी अल्पसंख्यक संस्थाएं हैं, जो  इसमें छूट गई हैं. राज्य हज कमेटी का पैसा,  वहां के कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं,  उनको  पैसा नहीं बंटा. मदरसा बोर्ड का पैसा, वह नहीं बंटा.  ऐसी अनेक अल्पसंख्यक संस्थाएं हैं,  जिनको पैसा नहीं बंटा. तीसरा इसके अन्दर एक बिन्दु है, जिस बिन्दु में  धार्मिक स्थलों के लिये हमने बजट  की व्यवस्था की है. उसमें  अभी यह स्पष्ट उल्लेख नहीं हुआ कि  हमने कौन  से  धार्मिक स्थल उसमें लिये हैं.  मैं समझूं अगर मध्यप्रदेश के अन्दर   20 हजार लगभग सभी समाजों के धार्मिक  स्थल होंगे,  तो जो आपने बजट रखा है  2 करोड़  राशि, तो   अगर इसको  बांट  दिया जाये 20 हजार में तो  एक हजार रुपये आयेगा  एक  संस्था को. तो क्या यह मजाक नहीं है,  क्योंकि इसमें कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि हमने कौन से धार्मिक स्थल लिये हैं. तो मैं चाहूंगा कि इसको नोट किया जाये. इसमें  भोपाल में गैस पीड़ितों  के लिये  घोषणा की गई है स्मारक  बनाने की.  मैं धन्यवाद देता हूं, मैं खुद गैस पीड़ित हूं, आपकी सरकार ने गैस  पीड़ितों के लिये स्मारक बनाने के लिये कहा है. लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि  क्या  मुख्यमंत्री जी यह बतायेंगे कि आपने  गैस पीड़ित विधवा महिलाओं को  पेंशन देने की भी एक घोषणा  की थी,  उसका  इसमें उल्लेख नहीं है.  तो क्या यह गैस पीड़ितों के साथ मजाक  नहीं है.  मैं ऐसे बहुत सारे, अनेक मुद्दे  बार बार कोरोना को लेकर  यह  बात कही जा रही है कि सरकार ने बहुत काम किया.  सच्चाई यह है कि अगर वह काम किया, तो जो पीड़ित आये थे और प्रदेश में आये थे.  उनके अखबारों में फोटो भी छपे थे. टेंकरों के अन्दर भी  हमने मजदूरों को छुपते  हुए देखा है.  सभापति महोदय, कोरोना किसी जाति,  किसी धर्म,  किसी संस्था, किसी पार्टी से रिलेटेड नहीं था.  यह मालिक की एक आपदा थी, मैंने पूर्व में भी जब माननीय  नरोत्तम  मिश्र जी ने एक  बैठक  रखी थी. मैं धन्यवाद दूंगा कि कम से कम नरोत्तम मिश्र जी ने   सर्वदलीय बैठक भी उस समय  रखी थी.  बाकी उसके बाद तो मैंने अनेक पत्र  मुख्यमंत्री जी को लिखे हैं. लेकिन एक पत्र का भी जवाब  कभी हमको नहीं मिला.  मैंने लिखा था कि देखिये यह अनाज  खराब बिक रहा है, यह देखिये  कंट्रोल की दुकानों पर सड़ा गेहूं  पीड़ितों को दिया जा रहा है.  लेकिन  क्या सदस्य को जवाब  देना  भी सरकार उचित नहीं समझती.  अनेकों  पत्र हमने लिखे हैं,  इस पर भी, क्योंकि मैं तो पहली बार का विधायक हूं,  सीनियर  बहुत सारे सदस्य यहां पर बैठे हुए हैं. इस पर जरुर संज्ञान लेंगे, मुझे उम्मीद है कि इस पर भी कुछ न कुछ तो  होना चाहिये कि एक सदस्य बार बार पत्र लिखता है,  तो उसको जवाब मिलना चाहिये.  मैं आपसे आग्रह करता हूं कि  कोरोना पीड़ितों के साथ  हम किसानों को भी न भूलें.  किसानों को भी हमने भूला,  उनको भी श्रद्धांजलि नहीं दी.  मैं इसलिये इसका विरोध करता हूं, धन्यवाद.

श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) -- सभापति महोदय, मैं माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण का  विरोध करते हुए अपनी बात रख रहा हूं.  मैं  अभिभाषण के शुरुआत  के पन्ने से ही बात  प्रारंभ करुंगा, सब बिन्दु पर बात नहीं करुंगा  और  कुछ अपनी बात कहकर  समाप्त करुंगा.  शुरु के ही पन्ने में  राज्यपाल जी के अभिभाषण में यह बात आई है कि - मुझे अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि देश की आजादी का अमृत महोत्सव प्रारंभ  हो चुका है.  मैं समझता हूं कि 2014 में भारतीय  जनता पार्टी की सरकार   जब इस देश के अन्दर आई, तो जिस  तरीके का जहरीला माहौल  बना  इस देश के अन्दर में,  जो विभाजन की स्थिति बनी,  जो जात और  पात को बांट कर,  धर्म को बांट कर,  अभिव्यक्ति की आजादी को  समाप्त करने का जो प्रयास किया गया, तो निश्चित रुप से यह अमृत महोत्सव  नहीं किया जा सकता, मैं ऐसा समझता हूं.  साथ ही मैं अपनी तरफ से एक बात यह भी कहना चाहता हूं कि  इसी पन्ने के अंदर में  प्रधानमंत्री जी ने  आत्म निर्भरता की बात करते हुए  कि संसद भवन की नींव रखी.  मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह संसद भवन की नींव का आत्म निर्भरता से क्या संबंध रखता है. यदि आत्म निर्भरता पर  सही मायने में नींव रखना  था, तो  जो उनके वादे थे कि  इस देश के अंदर  में हमारे  बेरोजगारों को, 2 करोड़ लोगों को रोजगार देंगे.  शायद उस समय वह करते  तो निश्चित रुप से  आत्म निर्भरता का  सार्थक स्वरुप  सबके सामने आता.  साथ ही साथ  मैं यह भी कहना चाहूंगा कि जो कोरोना वरियर्स के अंदर  में,  जितने भी हमारे मध्यप्रदेश के  अन्दर  कोरोना योद्धाओं ने  आगे आकर अपना जो काम किया है,  उन सबको में  बहुत सारी बधाइयां और शुभकामनाएं देता हूं और इसी बीच में कई ऐसे कोरोना योद्धा थे,  जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी और जो आज अपने परिवार के साथ में नहीं है. आपने इसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया कि कोरोना में जो काम कर रहे थे, जो योद्धा थे, उनकी नौकरी के दौरान शहादत हो गई, उस शहादत में 26 लोगों का उल्लेख किया गया कि 13 करोड़ रुपये उनको शासन की तरफ से मिले. मैं आपका सभापति जी, माननीय मुख्यमंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं ऐसे बहुत सारे परिवार हैं, कोरोना में अपनी ड्यूटी करते हुए जिनकी शहादत हुई है. आज भी वह उनका परिवार 50 लाख रुपये की राशि के लिए दर-दर भटक रहा है और बहुत बुरी स्थिति में है. मैं 4 दिन पहले ही एक इलेक्ट्रानिक चैनल न्यूज 24 पर देख रहा था कि मध्यप्रदेश के अंदर उनका सर्वेक्षण हुआ था, मध्यप्रदेश में ऐसे 10 लोगों के नाम इन्होंने गिनाए थे कि जिनकी मृत्यु कोरोना वायरस के कारण खत्म हुई नौकरी के दौरान हुई थी और आज भी उनके परिवार को 50 लाख रुपये नहीं मिले.

सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र परासिया का ही उदाहरण है, एक स्टाफ नर्स थी जिसका नाम शहनाज था, उसकी भी कोरोना के दौरान मृत्यु हुई और कोरोना कोविड-19 के तहत ही उसका दाह-संस्कार किया गया और  मैंने कलेक्टर से तीन बार कांटेक्ट किया, मैंने उनको पत्र लिखा कि इसको अभी तक 50 लाख रुपये नहीं मिल पा रहे हैं, परन्तु अभी तक उसका कोई जवाब नहीं मिल पाया है. यह हम लोगों के लिए एक बहुत दुख का विषय है.

साथ ही साथ इस अभिभाषण में बिन्दु क्रमांक-12 में आत्मनिर्भरता की बात आई है. मैं समझता हूं कि माननीय सभापति जी, आत्मनिर्भरता एक स्लोगन बनकर रह गया है. जिस तरीके से माननीय मुख्यमंत्री जी ने कुछ वर्ष पहले खेती किसानी को लाभ का व्यवसाय बनाने की बात कही थी, इस देश के प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी, आज तक हमको उसमें सकारात्मक कुछ नजर नहीं आया है कि आखिर यह खेती किसान का लाभ का व्यवसाय कैसे बनेगा, यह दोगुनी आय कब तक होगी? यह सिर्फ स्लोगन बनकर रह गया है. आत्मनिर्भरता भी इसी तरह से स्लोगन बनकर रह गया है.

सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से कहना चाहूंगा कि हमारा प्रदेश आत्मनिर्भर तब होगा कि जो आप 1 रुपये और 2 रुपये किलो चावल, गेहूं बांट रहे हैं, उनको इतना सक्षम बना दें कि उनको 1 रुपये और 2 रुपये किलो चावल लेने की उनको नौबत न आये और जो मार्केट में 30 रुपये किलो गेहूं मिलता है, जो 40 रुपये किलो चावल मिलता है वह चावल, गेहूं अपनी आत्मनिर्भरता के आधार पर, अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करके वह खरीद सके. ऐसी योजना हमारी बननी चाहिए. तब आत्मनिर्भरता का सार्थक रूप बनेगा कि 1 रुपये, 2 रुपये किलो चावल जो न ले और जो मार्केट का भाव है उससे चावल और गेहूं ले लें, तब आत्मनिर्भरता की बात बनेगी.

साथ ही साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जो महिलाओं का जिक्र किया गया है, जो बेटियों का जिक्र किया गया है. बिन्दु क्रमांक-17 में जो महिलाओं, बेटियों के बारे में लिखा है जो पॉक्सो कानून बना, अभी इसके दर्द देखे कि पिछले 11 महीने में हमारे यही वक्ताओं ने बहुत सारे आंकड़े दिये कि किस तरीके से बेटियों का अपहरण किया गया, अत्याचार किया गया, उनके साथ में दुर्व्यवहार किया गया. सबसे बड़ी बात जो सोचने और समझने की है कि हम बड़ी बड़ी बात करते हैं,योजनाओं की बात करते हैं. हमारी बहन कलावती जो विधायक है आज उसके साथ में इस तरीके की खुले आम चुनौती दी जाती है, उनको मारने की धमकी दी जाती है, हाथ काटने की धमकी दी जाती है, उसके बाद भी सरकार कार्यवाही नहीं करती है, सरकार कार्यवाही नहीं करेगी तो माननीय सभापति महोदय यह कैसे चलेगा और कैसे कानून की बात करेंगे? निश्चित रूप से इस पर हम सबको विचार करने की जरूरत है. साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगा कि बिन्दु क्रमांक-20 में हमारी पिछली सरकार, माननीय कमलनाथ जी के माध्यम से जो मिलावट के बारे में, शुद्ध को लेकर युद्ध की जो बात हुई थी तो निश्चित रूप से एक बहुत अच्छी  शुरुआत हुई थी और सरकार उसको लेकर चले, मैं तो आज यह बताना चाहता हूं कि इस पूरी दुनिया में ऐसे बहुत सारे देश हैं जो इस मामले में किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं करते हैं. बहुत सारे कड़े कड़े कानून बनाए हैं. वह कभी समझौता नहीं करते कि किसी खाद्य पदार्थ पर किसी प्रकार की भ्रष्टाचारी, मिलावट हो, हम लोगों को भी उससे सबक लेने की जरूरत है. यदि ऐसा लगता है कि वहां कोई एक्सपर्ट जाय और वह सब चीजों की जांच करे या कमेटी बनकर जाय और उसमें कोई कार्यवाही हो क्योंकि यह बहुत बड़ा इश्यु है, सीधे जनता से जुड़ा हुआ मामला है.

सभापति महोदय, एक बात और बिन्दु क्रमांक-21 की मैं बात कर रहा हूं इसमें मध्यप्रदेश में 9 जनवरी, 2021 से धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश, 2020 प्रभावशाली हो गया. मध्यप्रदेश में 9 जनवरी, 2021 से धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश, 2020 प्रभावशाली हो गया. मैं यह कहना चाह रहा हूं कि आपने जो यहां नाम दिया धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश, 2020 यह पुस्तक में दिख रहा है, मगर माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्री जी जब लव जिहाद का नाम देते थे तो आखिर लव जिहाद का नाम इसके अंदर क्यों नहीं आया? आप जनता के बीच में लह जिहाद का नाम दोगे, सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने के लिए? यहां पर आप दूसरा नाम दोगे? तो इस तरीके की जो राजनीति की जा रही है, भारतीय जनता पार्टी के द्वारा लोगों को बांटकर, लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़  करके यह कहीं न कहीं गंभीर मामला है, यह बात प्रदेश की जनता को समझने की आवश्यकता है.

साथ ही अंत में एक बात और कह दूं कि मेरे क्षेत्र की बात है, सिंचाई से संबंधित है. माननीय कमलनाथ थी जब मुख्यमंत्री थे, मेरे जिले में, मेरे क्षेत्र में लगभग साढ़े चार हजार करोड़ रुपये की कन्हान काम्प्लेक्स के नाम से सिंचाई योजना आई थी और जैसे ही हमारी सरकार गिरी तो मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि वह साढ़े चार हजार करोड़ रुपये की जो सिंचाई योजना थी, उस पर क्यों रोक लगा दी गई? उसका काम क्यों चालू नहीं किया जा रहा है? निश्चित रूप से यह कहीं न कहीं दो तरीके की बात हो रही है, द्वेष भावना के साथ में राजनीति की जा रही है. 42000 हैक्टेयर भूमि हमारे ब्लॉक की सिंचित होती है, आज वह रुक गई है तो आपसे निवेदन है कि उस पर भी ध्यान दिया जाय. धन्यवाद.

            श्री बापू सिंह तंवर ( राजगढ़ ) -- माननीय सभापति महोदय मैं यहां पर महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के बारे में अनुरोध करना चाहूंगा. यहां पर कोरोना का जिक्र बार बार आ रहा है. वास्तव में यह वैश्विक महामारी के कारण हमने हमारे साथी को खोया है. ब्यावरा विधान सभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक गोवर्धन दांगी जी मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सरकार की लापरवाही को उजागर करना चाहता हूं कि सरकार की जो लापरवाही रही है जब उनके परिवार में सभी पाजिटिव पाये गये थे उनकी पत्नी उनके बच्चे आखिर उनके टेस्टिंग की बात चल रही थी तो उनका टेस्ट क्यों नहीं किया, कहीं न कहीं इस सिस्टम में कमी रही है कि उनका टेस्ट नहीं किया और वह पाजिटिव होकर लंबे समय तक घूमते रहेक्योंकि जो लोग पलायन करके जो लोग बाहर से मजदूर पलायन करके पैदल पैदल संघर्ष करते हुए अपने गंतव्य स्थान उत्तर प्रदेश झारखंड बिहार की ओर पैदल पैदल जा रहे थे उनको भोजन कराना उनकी सेवा करना उसमें दिन रात लगे हुए थे, निश्चित रूप से उसी समय वह कहीं न कहीं कोरोना पाजिटिव हुए और उसके कारण ही उनका निधन हुआ. कोरोना काल में कहीं न कहीं इसका दुरूपयोग भी किया है. राजगढ़ जिला चिकित्सालय में एक आईसीयू वार्ड तैयार किया वह उस भवन में तैयार किया जो कि एकदम से जीर्ण शीर्ण था  वह स्टेट के समय का बना हुआ था. उ स भवन में दो करोड़ रूपये की राशि से उ सको सुसज्जित कर दिया और बाद में वह फिर से गिरने लगा है तो कहीं न कहीं यह सरकार की राशि का दुरूपयोग किया गया है.

 

          सभापति महोदय मैं मुख्यमंत्री जी को बताना चाहूंगा कि इ सकों संज्ञान में लें क्योंकि वह ही स्वास्थ्य विभाग देख रहे थे इसकी जांच कराये क्योंकि वहां पर और भी भवन बने हुए थे. वहां पर ट्रामा सेण्टर है और अच्छे भवन थे लेकिन वहां पर काम न करते हुए जीर्ण शीर्ण भवन में वह पैसा लगाया गया.

 

          सभापति महोदय मोहनपुरा सिंचाई परियोजना एक वृहद परियोजना है . इ ससे ड्रिप एरिगेशन के माध्यम से सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है जिसका काम 2021 में पूर्ण होना था लेकिन अभी 25 हजार हेक्टेयर में ही पानी दे पाये है, एक लाख पचहत्तर हेक्टेयर में पानी देना बाकी है. लेकिन उसमें विसंगति आ रही है कि एक ड्रिप एरीगेशन है और यह एक समय सीमा में ही चलेगा लेकिन गर्मी के समय में पानी का स्टोर नहीं रहेगा तो हमारे मवेशी और पेयजल के लिए समस्या आयेगी. इसलिए छोटे छोटे जो तालाब डब्ल्यू आर डी के माध्यम से बनाये जा रहे थे उनको रोक दिया गया क्योंकि मेरे विधान सभा क्षेत्र के 27 तालाबों की साध्यता प्राप्त है लेकिन उऩके जो टेण्डर हो गये थे वह भी होल्ड़ कर दिये गये हैं. उन टेण्‍डरों की रोक हटाई जाय और वह तालाब बनाये जाएं. वह बहु उपयोगी है. जो पानी ड्रिप के माध्‍यम से सिंचाई होगा और वह रीचार्ज होगा, उन तालाबों में रुक सकेगा. जब तत्‍कालीन सरकार में माननीय कमल नाथ जी मुख्‍यमंत्री थे, लोक निर्माण विभाग में उस समय हमारी जो सड़कें मंजूर हुई थीं, उन सड़कों में बजट का प्रावधान नहीं किया गया, बजट में पास तो हो गईं, उनका काम हो गया, लेकिन उनका अभी तक भुगतान नहीं हो रहा है. साथ ही जो हमारी पुरानी सड़कें लोक निर्माण विभाग की बनी हुई हैं, उनके गड्ढे भरने तक के पैसे नहीं दिये गये, तो उसमें बजट का प्रावधान किया जाय. उनको दो साल से अभी तक एक रुपया नहीं मिला है. उनकी हालत दयनीय हो गई है. चलना दूभर हो रहा है, क्षेत्र के लोग बहुत परेशान हैं, मैं मांग करूंगा कि इसमें प्रावधान करके उन जीर्ण-शीर्ण सड़कों को दुरुस्‍त कराया जाय.

          सभापति महोदय, साथ ही जो शहर के अंदर नेशनल हाइवे निकला है और शहर के अंदर आप सबने सुना होगा कि भीषण दुर्घटना आये दिन होती है, एक तो स्‍कॉर्पियो सीधे पुल के अंदर गिर गई, एक ट्राला गिर गया, उसकी चपेट में कई लोग आ चुके हैं और मौत के घाट उतर गये, तो मेरा सरकार से अनुरोध है और मैं बार-बार प्रयास कर रहा हूं तथा माननीय मुख्‍यमंत्री जी से भी मैंने अनुरोध किया है कि शहर या जिला मुख्‍यालय में सारे सरकारी ऑफिस, स्‍कूल सब इसी रास्‍ते में आते हैं, इसलिये बायपास होना अति आवश्‍यक है और माननीय केन्‍द्रीय मंत्री, नितिन गडकरी जी का पत्र भी यहां पर आ चुका है कि इसकी डीपीआर बनाकर भारत सरकार को भेजें, तो निश्चित रूप से वह तत्‍काल इसकी स्‍वीकृति प्रदान करेंगे, तो मैं सरकार से और माननीय मुख्‍यमंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि उसकी डीपीआर बनाकर केन्‍द्र सरकार को भेजी जाय. 

 

          सभापति महोदय -- बापू सिंह जी, एक मिनट में समाप्‍त करिये.

 

          श्री बापू सिंह तंवर -- सभापति महोदय, हमारे राजगढ़ जिले के अंदर जो ग्रिड स्‍वीकृत थे और उन ग्रिड्स का निर्माण कार्य शुरू होना था, उनका भूमि पूजन हो चुका था लेकिन उनको होल्‍ड कर दिया गया है, उससे हमारे किसानों को बहुत तकलीफ हुई. साथ ही मैं ज्‍यादा समय नहीं लूंगा, मैंने अनुरोध किया था कि मेरे जिले में लोग चावल नहीं खाते हैं, उसकी जगह गेहूं दिया जाय. मैंने पत्र भी लिखा था, लेकिन उस चावल की पूरी ब्‍लैक मार्केटिंग हो रही है. आये दिन अखबरों में खबर आती थी कि इस व्‍यापारी के गोदाम में 500 क्विंटल चावल मिले, किसी के यहां ट्रक जा रहा है, उनको चावल दिये ही नहीं जाते, चावल वह खाते ही नहीं इसलिये उनको 4 किलो गेहूं दिया जाता है. यह जांच का विषय बनता है एवं उनको चावल के स्‍थान पर गेहूं उपलब्‍ध करवाया जाय. साथ ही मैं हमारे तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्री कमल नाथ जी का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं क्‍योंकि जब वह राजगढ़ पधारे थे तब मैंने उनसे मांग की थी कि राजगढ़ जिला राजस्‍थान सीमा से लगा हुआ है, बहुत गरीब और बहुत ही पिछड़ा जिला है इसलिये यहां पर मेडिकल कॉलेज होना बहुत आवश्‍यक है. उन्‍होंने कहा था कि मैं निराश नहीं करूंगा और निश्चित रूप से उन्‍होंने हमें मेडिकल कॉलेज दिया और मैं अभी मुख्‍यमंत्री जी आदरणीय शिवराज सिंह जी को भी धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि उनसे मैंने अनुरोध किया कि हमारा यह जिला बहुत पिछड़ा है और मेडिकल कॉलेज स्‍वीकृत हो गया है आप इसमें हमको बजट का प्रावधान करें, उन्‍होंने हमको इसमें बजट दिया और मैं चाहूंगा, उनसे अनुरोध करूंगा कि वह जल्‍द राजगढ़ पधारें और इसका भूमि पूजन करें.

 

          सभापति महोदय, साथ ही मैं एक और अनुरोध करूंगा कि जो भूमाफियाओं के लिये अनुरोध किया था कि मेरे जिले में हजारों बीघा जमीन भूमाफियाओं ने एक फैक्‍ट्री डालने के नाम पर, लोगों को रोजगार देने के लिये कि हर घर में हम रोजगार देंगे और उनकी जमीनों की रजिस्‍ट्री करा ली. साथ ही एक प्रकरण आपको भी मालूम होगा, मैंने आपको भी अवगत कराया है...     

 

          सभापति महोदय -- चलिये हो गया. भूमाफिया के खिलाफ कार्यवाही चल रही है. धन्‍यवाद, बापू सिंह जी, समाप्‍त करिये. 

 

          श्री बापू सिंह तंवर -- सभापति महोदय, मैंने उनके खिलाफ लिखा था कि उन पर कार्यवाही होना चाहिये और जब मैंने विधान सभा प्रश्‍न लगाया तब कार्यवाही हुई है. उसके पहले उसे बचाया जा रहा था. यह भूमाफिया को सरकार संरक्षण देना बंद करे. साथ ही एक और अनुरोध आपसे करूंगा कि वहां के पूर्व विधायक सरे आम खनिज का अवैध खनन कर रहे थे और मैंने उसकी वीडियोग्राफी, सीडी सहित सरकार को अवगत कराया है, लेकिन उन पर कार्यवाही नहीं करके उन लोगों पर कार्यवाही की है जो सरकारी डिपार्टमेंट है, मोहनपुरा परियोजना का काम कर रहे हैं, उन पर 27 लाख रुपये का जुर्माना ठोंका गया और अन्‍य लोगों को बचाया गया. ऐसा नहीं हो कि जो अवैध खनन करे, भूमाफिया हो उनको संरक्षण दें और जो निर्दोष हों उसको दोषी बनाया जाय. ऐसा अनुरोध मैं करता हूं. धन्‍यवाद सभापति जी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

6.25 बजे                                   अध्‍यक्षीय घोषणा

राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण पर माननीय मुख्‍यमंत्री का जवाब

अगले दिन लिये जाने विषयक

 

          सभापति महोदय -- राज्‍यपाल के अभिभाषण पर प्रस्‍तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव पर चर्चा हेतु दो दिन नियत किये गये थे, इस दौरान काफी अधिक संख्‍या में सभी पक्ष के सदस्‍यों द्वारा चर्चा में भाग लिया गया, परंतु अभी तक समय वृद्धि के उपरांत भी चर्चा का समापन नहीं हो सका है. अत: कल दिनांक 26 फरवरी, 2021 को माननीय मुख्‍यमंत्री जी पूर्वाह्न में ध्‍यानाकर्षण के लिये जाने के पूर्व चर्चा का उत्‍तर देंगे. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.                                                                    

                                                                                         (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

          सभापति महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 26 फरवरी,  2021 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित.

          अपराह्न 6.26 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 26 फरवरी, 2021 (7 फाल्‍गुन, शक संवत् 1942) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.

 

भोपाल,                                                                 ए.पी. सिंह

दिनांक : 25 फरवरी, 2021                                                     प्रमुख सचिव,

                                                                                मध्‍यप्रदेश विधान सभा