मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
गुरुवार, दिनांक 25 फरवरी, 2016
(6 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 3 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 25 फरवरी, 2016
(6 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 10.32 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
स्वीमिंग पुल निर्माण हेतु राशि की स्वीकृति
1. ( *क्र. 945 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा नगरीय क्षेत्र में विकास हेतु किस नाम से किन-किन कार्य के लिये राशि स्वीकृत की जाती है? (ख) नगरीय क्षेत्रों में युवाओं की तैराकी हेतु स्वीमिंग पुल निर्माण के लिए राशि स्वीकृत की जाती है या नहीं? अगर की जाती है, तो कौन-कौन से मद से की जाती है? (ग) नगरीय क्षेत्रों में शामगढ़, सीतामऊ, सुवासरा हेतु विगत दो वर्षों 2014-15 एवं 2015-16 में शासन द्वारा कौन सी राशि स्वीकृत की गई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' पर है। (ख) नगरीय क्षेत्रों में युवाओं की तैराकी हेतु स्वीमिंग पुल के निर्माण हेतु कोई योजना प्रचलित नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' पर है।
श्री हरदीप सिंह डंग--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा वर्ष 2014-15 और 2015-16 दो वर्ष की जानकारी चाही गई थी उसमें 2015-16 की डबल कॉपी लगाकर दे दी गई है और 2014-15 की जो जानकारी उपलब्ध होनी थी , वह नहीं हो पाई है. दूसरी बात यह है कि मध्यप्रदेश का युवा पूरे हिंदुस्तान और पूरी दुनिया में तैराकी में अपना नाम कर रहा है हमारे यहाँ चंबल नदी पूरी विधानसभा में बहती है और वहाँ के ग्रामीण औऱ नगरीय क्षेत्र के युवा लड़के उस चंबल नदी में तैरना सीखकर तैराकी में बहुत नाम कर चुके हैं. एक बार एक हादसा हुआ था, वहाँ 13 व्यक्तियों से भरी नाव डूबी थी तब वहाँ के लड़कों ने 100 फीट अंदर उतरकर गोताखोरी करके उन 13 व्यक्तियों को निकाला था . यदि वहाँ स्वीमिंग पूल की सौगात मिल जाती है तो वहाँ के तैराकों को बहुत अच्छी सुविधा मिल जाएगी. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए नगर पंचायत क्षेत्र में शामगढ़, सीतामऊ और सुवासरा में स्वीमिंग पूल की सौगातें मिल जाती हैं तो वहाँ का युवा वर्ग बहुत नाम कर सकता है.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग, श्री लाल सिंह आर्य--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य से एक आग्रह कर रहा हूं कि आपने यह कहा है कि वर्ष 2014-15 की जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई है जबकि वह परिशिष्ट संलग्न है , उसमें दो पृष्ठ हैं, वह डबल लग गया होगा. लेकिन 2014-15 की भी जानकारी उसमें लगी हुई है. आप कहे तो पढ़कर सुना देता हूं.
श्री हरदीप सिंह डंग--- मेरे पास 2015-16 के दो परिशिष्ट हैं, डबल दे दिये हैं.
श्री लाल सिंह आर्य--- हो सकता है कि आपसे निकल गया होगा, मैं अभी थोड़ी देर में आपको जानकारी भिजवा देता हूं. दूसरी बात स्वीमिंग पूल का जहाँ तक मामला है तो इसकी स्वीकृति का बजट में कोई प्रावधान हमारे यहाँ नहीं है. जहाँ तक आपकी जो भावना है उसका मैं आदर करता हूं लेकिन आपकी जो नगरीय इकाईयां हैं, वह स्वशासी संस्था हैं, वह चाहे तो उसका प्रस्ताव उसमें डालकर उसको कर सकते हैं. उसमें शासन की कोई मनाही नहीं है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- मंत्री जी, मेरा निवेदन है कि जब आप विशेष निधि नगर पंचायतों में 50-50 लाख, 1-1 करोड़ रुपये दे देते हैं अगर यह राशि स्वीमिंग पूल के लिए दे दी जाये तो मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले का युवा पूरी दुनिया में नाम कर सकता है. मेरा निवेदन है कि तीन नगर पंचायतों में से एक के लिए स्वीमिंग पूल हेतु राशि की घोषणा कर दें.
अध्यक्ष महोदय--- आपकी बात आ गई है. उत्तर भी आ गया है.
श्री हरदीप सिंह डंग--- अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण है, वहाँ के तैराक बहुत अच्छे हैं. उनको सुविधा मिल जाएगी और ट्रेनिंग मिल जाएगी. आप वहाँ एक पंचायत के लिए तो घोषणा करा दीजिये.मंत्री जी, इसका उत्तर तो दे दें, कुछ आश्वासन तो दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात रिकार्ड में आ गई है, आप बैठ जाइए.दूसरों को पूछने दें.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- सरदार जी, आप अकेले हैं सदन में, मैं आग्रह कर रहा हूँ कि आपकी जो संस्था है, नगरीय निकाय है, वह अपना कुछ प्रस्ताव तो डाले, हमारे यहाँ बजट में कोई प्रावधान, प्रस्ताव डाले तो फिर उसमें देखेंगे, विचार करेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- धन्यवाद आपको.
प्रश्न संख्या-- 2
मा. मुख्यमंत्री जी की घोषणा का क्रियान्वयन
2. ( *क्र. 1300 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनाँक 19 जनवरी 2013 को माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा ग्राम मोर्चाखेड़ी एवं खजूरिया की जनता के लिये सिंचाई योजना बनाये जाने की घोषणा की गई थी? यदि हाँ, तो क्या उक्त ग्रामों की जनता के लिये सिंचाई योजना कुशलपुरा परियोजना से बनाया जाना तकनीकी रूप से साध्य नहीं है? (ख) यदि हाँ, तो क्या माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा को मूर्त रूप देने हेतु उक्त ग्रामों की जनता के लिये सिंचाई योजना बनाये जाने हेतु अन्य कोई व्यवस्था बनाने हेतु प्रश्न दिनाँक तक कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो क्या? (ग) उपरोक्तानुसार क्या शासन अन्य किसी माध्यम से सिंचाई योजना बनाने हेतु कोई कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो क्या?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) एवं (ग) उक्त ग्रामों में उपयुक्त परियोजना स्थल उपलब्ध नहीं होने के कारण नवीन योजना बनाई जाना संभव नहीं पाया गया है। प्रश्नाधीन ग्रामों में सिंचाई जल की व्यवस्था पार्वती-रिन्सी वृहद परियोजना की स्वीकृति पर निर्भर है।
श्री नारायण सिंह पँवार-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय सिंचाई मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में सिंचाई की कुशलपुरा परियोजना बड़ी परियोजना है और उसमें माननीय मुख्यमंत्री जी लोकार्पण करने के लिए पधारे थे, उस समय आश्वस्त किया था कि निकट के जो एरिया हैं, उनके 2-4 गाँव, काफी बड़ी आबादी के गाँव हैं, उनमें इन क्षेत्रों को सिंचाई परियोजना का लाभ मिल सकेगा, इसके लिए हम कार्यवाही प्रारंभ करेंगे. माननीय मंत्री जी ने इसमें जवाब दिया है कि वह इसके लिए साध्य नहीं है. मेरा आग्रह है कि उसका फिर से परीक्षण कराया जावे क्योंकि उसमें काफी डेड स्टॉक पानी रहता है और किसी भी प्रकार से उस पानी का सदुपयोग कर सकें तो किसानों को लाभ होगा. इसमें मैं मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहूँगा कि इसके ऊपर हमें कुछ मार्गदर्शन करें, कैसे उनको लाभ मिल सकता है?
श्री जयन्त मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मोर्चाखेड़ी और खजूरिया में कृषि भूमि, कुशलपुरा परियोजना के नहर तल से ऊँची है इसलिए यह संभव नहीं है. दूसरी बात यह है कि कुशलपुरा परियोजना में जितना भी स्वच्छ जल है वह कमाण्ड एरिया के लिए ही पर्याप्त है. चूँकि यह कमाण्ड एरिया में नहीं आता है इसलिए यह संभव नहीं है. हमने और भी विकल्प देखे हैं, उन विकल्पों के ऊपर बात करते हुए अब यह तय किया है कि पार्वती-रिन्सी परियोजना, जो पहले साध्य नहीं थी, अब उसको फिर से हमने साध्य बनाने के लिए प्रमुख अभियन्ता और मुख्य अभियन्ता को स्थल निरीक्षण करने के लिए दिया है और इससे उस क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी.
श्री नारायण सिंह पँवार-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि उन्होंने दूसरा विकल्प जो पार्वती-रिन्सी परियोजना का दिया है उसके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूँ, बधाई देता हूँ कि वह क्षेत्र की बहुत बड़ी परियोजना पिछले 50 वर्षों से अटकी हुई है और उसका परीक्षण कर जितना भी वृहद् उसका उपयोग किया जा सकता है करना चाहिए. इससे हमारा नरसिंहगढ़ और ब्यावरा विधान सभा पूरी समेटने में आ जाएगी. लेकिन मेरा आग्रह यह है कि फिर से कुशलपुरा का निवेदन कर रहा हूँ कि उसमें 12 महीने इतना पर्याप्त पानी रहता है, सिंचाई सीजन के बाद भी और आजकल तकनीक बहुत सारी डेवलप हो गई है, उस तकनीक का इस्तेमाल करके पानी को ऊपर लिफ्ट करके पाइप लाइन से पानी दिया जा सकता है. मेरा अनुरोध यही है इसका फिर से परीक्षण कराएँ और थोड़ी चिन्ता करें क्योंकि कमाण्ड एरिया बिल्कुल पास ही है, कुशलपुरा से एक किलोमीटर के ऊपर जमीन सूखी पड़ी है. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 3 श्री शांतिलाल बिलवाल...
प्रश्न संख्या-- 3 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या-- 4
अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाना
4. ( *क्र. 1540 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इंदौर नगर पालिका निगम क्षेत्र में अवैध कॉलोनियां हैं? यदि हाँ, तो विधानसभा क्षेत्रवार कॉलोनी के नाम उपलब्ध करावें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार प्रशासन द्वारा अवैध कॉलोनियों को वैध किये जाने की शासन द्वारा कार्यवाही की जा रही है? यदि हाँ, तो कब तक कार्यवाही कर ली जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ‘‘ब’’ अनुसार है। (ख) जी हाँ। अवैध कॉलोनी को वैध करने हेतु नगरीय निकाय को कॉलोनी के रहवासियों के सहयोग की आवश्यकता होती है, जिससे समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री सुदर्शन गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि आपने उत्तर दिया है कि अवैध कॉलोनी को वैध करने हेतु नगरीय निकाय को कॉलोनी के रहवासियों के सहयोग की आवश्यकता होती है तो सहयोग से आपका क्या तात्पर्य है, आर्थिक, मानसिक या शारीरिक? या कॉलोनी या वहाँ के रहवासी असहयोग कर रहे हैं? मेरी विधान सभा में सैकड़ों अवैध कॉलोनियाँ हैं वह अभी तक वैध नहीं हुई हैं. उसी के साथ साथ आज भी पूरे प्रदेश में और मेरी विधान सभा में अवैध कॉलोनियाँ कट रही हैं. क्या उन कॉलोनाइजर के ऊपर सरकार सख्ती के साथ कार्यवाही करेगी?
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है कि रहवासी क्या मदद करें. अध्यक्ष महोदय, जो मापदंड हैं उनके अनुसार शासन अगर वैध करने का निर्णय करता है तो रहवासियों को कहीं न कहीं निर्धारित शुल्क जमा करना पड़ता है. एक सहयोग तो यही है. अध्यक्ष महोदय, यह नहीं कहा जा सकता कि वहाँ अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्यवाही नहीं की गई है. आपने यह भी पूछा है कि जो अवैध कॉलोनियाँ और बन रही हैं उस पर क्या कार्यवाही की जाएगी? स्वाभाविक है शासन उस पर कार्यवाही करता ही है और ऐसा कोई संज्ञान में आप लाएँगे कि अवैध कॉलोनियाँ नई निर्मित हो रही हैं तो हम उस पर कार्यवाही करेंगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता--मेरी विधान सभा क्षेत्र के शिवपुर क्षेत्र में अनेक कॉलोनियां काटी जा रही हैं गरीब लोगों को उसमें प्लाट दिये जा रहे हैं यह कॉलोनियां सरकारी जमीन पर काटी जा रही हैं. मैं मंत्रीजी से निवेदन करना चाहूंगा कि वे उस पर सख्ती से कार्यवाही करें.
श्री लाल सिंह आर्य-- आप लिखकर दें मैं तुरन्त आदेशित करुंगा और शासकीय जमीन पर अगर कोई अवैधानिक तरीके से कॉलोनियां निर्मित कर रहा होगा तो उसके विरुद्ध कार्यवाही करेंगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता--मंत्रीजी धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से आपके माध्यम से पूछना चाहता हूँ कि इंदौर में करीब चार हजार के आसपास अवैध कॉलोनियां हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय--अध्यक्ष महोदय, यह कॉमन मेटर है इसके माध्यम से पूरे प्रदेश के लिए कोई नीति निर्धारित हो जाए लगभग सभी जगह पर अवैध कॉलोनियों की कठिनाई है अगर शासन विभाग के द्वारा पूरे प्रदेश के बारे में विचार करे तो ज्यादा उचित होगा.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, इसमें थोड़ी भावनात्मक बात है. जैसा अभी माननीय सदस्य ने शारीरिक और मानसिक शब्द का जिक्र किया वह वास्तव में सत्य है यह सकारात्मक बात है इसलिए मैं चाहता हूँ कि पूरा सुन लें. पुराने इंदौर को छोड़कर इंदौर के आसपास जो नई आबादी बनी है उसमें 30 प्रतिशत कॉलोनियां अवैध हैं. जैसा मंत्रीजी ने कहा वैसी कार्यवाही होती भी है पर मैं डाक्यूमेंट के साथ यह बात पेश कर सकता हूँ कि कार्यवाही होती है और फिर लेनदेन करके उसको समाप्त कर दिया जाता है. मेरा अनुरोध है कि मुख्यमंत्रीजी ने कई बार यह घोषणा की कि अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा पर आज तक शासन की ओर से, नगर निगम के स्थानीय स्तर पर या जिला प्रशासन द्वारा एक कदम भी इस ओर नहीं बढ़ाया गया है. पिछले दो-तीन चुनावों से इस बात की घोषणा की जा रही है. क्या इस प्रकार की कार्यवाही करने के लिए शासन ने कोई प्रक्रिया तय की है ?
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि आरोप लगाया गया है इसलिये मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि कुल 506 कॉलोनियां अवैध थीं जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की 29 पंचायतों की 73 कॉलोनियां भी सम्मिलित थीं. इसमें प्रथम चरण में 132 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्यवाही विज्ञापन व सूचना के द्वारा की गई इसमें कुछ आपत्तियां नजूल, राजस्व और तहसीलदार से आयी हैं इनको छोड़कर हमने शेष 25 अवैध कालोनियों को वैध कर दिया है 5 कॉलोनियों की प्रक्रिया प्रचलित है. राजेन्द्र पाण्डेय जी ने और आपने कहा था तो मैं आपको स्पष्ट करना चाहता हूँ कि माननीय मुख्यमंत्रीजी की मंशा के अनुसार ही पूरे मध्यप्रदेश में नये नियम बनाकर सरलीकरण करने का निर्णय सरकार करने वाली है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव--अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्रीजी से जानना चाहूंगा कि यह जो विसंगति है इसमें जो बात आ रही है इसमें एक बात छूट रही है कि अवैध बस्ती में नगर निगम के बजट से 25 प्रतिशत राशि खर्च की जानी चाहिए दूसरा 25 प्रतिशत राशि जिस स्थान पर भी खर्च होना है उसकी सूची भी नगर निगम अपडेट नहीं करती है न वह बनाकर रखती है इसके अभाव में अवैध कॉलोनियों में जो राशि खर्च होना चाहिए वह खर्च नहीं हो पाती है.
अध्यक्ष महोदय--यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता है. वह बात अलग है और आपकी यह बात अलग है.
श्री रामेश्वर शर्मा--अध्यक्ष महोदय, मैं आग्रह करना चाहता हूँ कि भोपाल शहर के आसपास जो ग्राम पंचायतें हैं, मैं अवैध कॉलोनियों के जन्म के बारे में बताना चाहता हूँ कि इन अवैध कॉलोनियों को बनने से रोकना पड़ेगा. धारा 16 आजकल बेन कर रखी है. गांव में 600 स्क्वायर फिट जमीन की रजिस्ट्री करा रहे हैं तो 600 स्क्वायर फिट में कौन सी खेती होगी इससे अवैध कॉलोनी का जन्म होगा. इस पर शासन और टी एंड सी पी विचार करे और इस पर प्रतिबंध लगाये.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई.
छावनी परिषद (कैन्टोमेंट) मुरार में भवन निर्माण की अनुमति
5. ( *क्र. 20 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छावनी क्षेत्र परिषद (कैन्टोमेंट) मुरार के 7 वार्डों की कुल जनसंख्या कितनी है, जिनमें से कितने बी.पी.एल. कार्डधारी हितग्राही हैं? वार्डवार जानकारी उपलब्ध कराई जाये? (ख) छावनी क्षेत्र मुरार के 7 वार्डों में निवासरत व्यक्तियों को शासन की कौन-कौन सी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है? (ग) छावनी क्षेत्र मुरार के निवासियों को कौन-कौन सी योजनाओं का लाभ दिया जाना शेष है, जिनका लाभ निवासियों को नहीं प्राप्त हो रहा है? (घ) छावनी क्षेत्र मुरार के 7 वार्डों में नवीन भवन निर्माण की अनुमति दिये जाने का क्या प्रावधान है तथा किसके द्वारा दी जाती है? यदि नहीं, दी जाती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) छावनी क्षेत्र परिषद मुरार के वार्डों की जनसंख्या एवं बी.पी.एल. कार्डधारियों की जानकारी निम्नानुसार है :-
स.क्र. |
वार्ड क्रमांक |
जनसंख्या |
बी.पी.एल. कार्डधारी हितग्राहियों की संख्या |
1 |
2 |
3 |
4 |
2 |
1 |
7064 |
312 |
3 |
2 |
5563 |
363 |
4 |
3 |
5814 |
245 |
5 |
4 |
3602 |
269 |
6 |
5 |
3779 |
99 |
7 |
6 |
7528 |
66 |
8 |
7 |
4268 |
231 |
योग |
37618 |
1585 |
(ख) नगर निगम ग्वालियर द्वारा मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, पेयजल, जन्म मृत्यु एवं विवाह पंजीयन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, सामाजिक न्याय विभाग की विभिन्न योजनाएं एवं श्रम कल्याण से संबंधित विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के संबंध में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) छावनी क्षेत्र में भवन निर्माण की अनुमति केंटोमेंट बोर्ड द्वारा छावनी अधिनियम 2006 एवं बिल्डिंग बायलाज के अनुसार दी जाती है।
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को और माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि आजादी के बाद केन्ट मेंट क्षेत्र में सीवेज डालने के लिये 2 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध करायी और कार्य प्रगति पर है. साथ ही मैं माननीय मंत्री जी से यह भी पूछना चाहूंगा कि छावनी क्षेत्र के निवासियों को शासन द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ कब तक दिया जायेगा, यह भी बतायें.
श्री लाल सिंह आर्य(सामान्य प्रशासन विभाग):- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है, इस संबंध में प्रश्न के उत्तर में सम्पूर्ण जानकारी मैंने दी है, इसको सदस्य पढ़ लें या मैं बता देता हूं कि अभी तक बीपीएल कार्ड धारी हैं उनको जन्म मित्र, सामाजिक पेंशन और आर्थिक कल्याण की जितनी भी योजनाएं हैं उनमें से लगभग 450 छावनी क्षेत्र के लोगों को विभिन्न योअनाओं में लाभ इन योजनाओं का दिया है. यह योजनाएं हमारी बन्द नहीं हो रही हैं. बल्कि गरीब लोगों के लिये यह योजनाएं सतत लागू रहेगी और आने वाले समय में भी अगर कोई इन योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं तो सरकार उन योजनाओं का लाभ देगी.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उसमें केवल 9 योजनाओं का संचालन नगर निगम से संचालित बताया है, जबकि हितग्राही मूलक शासन की कई योजनाएं हैं. मेरा प्रश्न यह है कि जो शेष योजनाएं हैं, उनका लाभ केंट मेंट एरिया के लोगों को नहीं मिल रहा है, उन योजनाओं का लाभ कब तक केंट मेंट निवासियों को मिलेगा ?
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न के उत्तर में लिखा है कि सभी योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें केवल 9 योजनाओं का जिक्र किया गया है. जबकि शासन की कई हितग्राही मूलक योजनाएं संचालित हैं और भी नगरीय निकायों में संचालित हैं, चाहे वह नगर पंचायत हों, चाहे वह नगर पालिका हो या वह नगर निगम हो. मेरा प्रश्न सिर्फ यह है कि 9 योजनाओं के अलावा जो शेष योजनाएं हैं उसमें जो पात्र हितग्राही हैं उनको उन योजनाओं का लाभ कब तक दिया जायेगा ?
अध्यक्ष महोदय:- उनका कहना है कि यदि कोई शेष योजनाएं बचती है तो उनका लाभ कब तक दिया जायेगा.
श्री लाल सिंह आर्य :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास पूरी जानकारी है यदि माननीय सदस्य चाहेंगे तो उनको उपलब्ध करवा दूंगा. जितनी भी नगरीय क्षेत्र में हितग्राही मूलक योजनाएं चल रही हैं. उन योजनाओं का लाभ दे रहे हैं. अगर कोई एथेंटिक जानकारी वह चाह रहे हैं तो मैं बता दूंगा.
अध्यक्ष महोदय:- आपके प्रश्न का उत्तर आ गया है अब आप बैठ जाइये.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपका संरक्षण चाहिये. इसी से लगा हुआ मेरा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- आप मंत्री जी से जानकारी ले लीजिये.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- मेरा सिर्फ एक प्रश्न है कि नगर निगम के द्वारा योजनाओं का संचालन किया जाता है और उन योजनाओं की नगर निगम द्वारा कभी समीक्षा नहीं की जाती है तो क्या मंत्री जी उन संचाचित योजनाओं की समीक्षा नगर निगम से करायेंगे या कोई विशेष शिविर लगाये जायेंगे, जिससे वहां के स्थानीय लोगों को शेष योजनाओं का लाभ मिल सके.
श्री लाल सिंह आर्य :- मैं माननीय सदस्य के संज्ञान में लाना चाहता हूं कि केवल नगर निगम सीमा में ही इन हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाता. मेरे पास सूची है कि ग्वालियर केंट मेंट क्षेत्र में भी हमने इंदिरा गांधी वृद्धा अवस्था पेंशन योजना में 19 लोगों को लाभ दिया है, इंदिरा गांधी विधवा पेंशन योजना में 27 लोगों को लाभ दिया है, इंदिरा गांधी निशक्त पेंशन योजना में 4 लोगों को लाभ दिया है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन में 65 लोगों को लाभ दिया है. मंदबुद्धि पेंशन में हमने 12 लोगों को लाभ दिया है. कन्या अभिभाषक में 1 को लाभ दिया है. मुख्यमंत्री आवास कल्याण में 52 लोगों को लाभ दिया है. मुख्यमंत्री रोजगार योजना में 5 लोगों को लाभ दिया है. पथ विक्रेता योजना में हमने 1 को लाभ दिया है. कौशल प्रशिक्षण में 55 लोगों को लाभ दिया है. स्वसहायता समूह में 10 को लाभ दिया है. कुल मिलाकर केंटोनमेंट एरिया में भी हो रहा है और जहां तक समीक्षा की बात है यह लाभ कहीं न कहीं मिला है उसके पीछे सरकार की समीक्षा होती है है और भविष्य में भी हम करेंगे.
इंजी.प्रदीप लारिया - अध्यक्ष महोदय, यह पूरे प्रदेश के केंट क्षेत्र से जु़ड़ा हुआ मामला है. मेरा आपसे आग्रह है. मैं मंत्री जी से आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि एक बार समीक्षा करा लें. राज्य शासन की बहुत सारी योजनाओं का लाभ केंट क्षेत्र के निवासियों को नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाएं.
मुख्य नहर हेतु भूमि अधिग्रहण
6. ( *क्र. 1312 ) श्री ठाकुरदास नागवंशी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र पिपरिया अंतर्गत डोकरीखेड़ा लघु सिंचाई बांध की मुख्य नहर, उप नहर एवं माईनर हेतु किन-किन की भूमि अधिग्रहण की गई एवं किन-किन से भूमि दान में प्राप्त हुई? (ख) क्या जिनकी भूमि का अर्जन किया गया एवं जिनकी भूमि दान में प्राप्त हुई, का राजस्व रिकार्ड में विभाग के नाम दर्ज है? यदि दर्ज नहीं है तो क्यों? (ग) राजस्व विभाग द्वारा जिन भूमि स्वामियों की भूमि का अर्जन किया गया, उसकी राशि किन-किन किसानों को बांटी गई?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) डोकरीखेड़ा मध्यम सिंचाई परियोजना की नहर प्रणाली के लिए अर्जित की गई भूमि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। राजस्व अभिलेखों में समस्त भूमि शासकीय अभिलिखित है। परियोजना का निर्माण वर्ष 1953 से 1956 में पूर्ण होना प्रतिवेदित है। भूमि के अर्जन के संबंध में विवरण उपलब्ध अभिलेखों में नहीं है।
श्री ठाकुरदास नागवंशी - अध्यक्ष महोदय, भूमि अर्जन के संबंध में विवरण अभिलेख में नहीं है. मैं मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि उत्तराधिकारी का निर्धारण कैसे करेंगे ?
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय 17 गांवों की 97.68 हेक्टेयर भूमि आई है. जो नहर विभाग के नाम से राजस्व विभाग में दर्ज है. इसका 1956 में निर्माण हुआ. आज से लगभग 60 वर्ष पहले. अब इसमें भूमि अर्जन के प्रकार का अभिलेख उपलब्ध नहीं है.
श्री ठाकुरदास नागवंशी - माननीय मंत्री जी, राजस्व रिकार्ड में उसका जिक्र ही कहीं नहीं है. जैसे क में मैंने पूछा है. जैसे कृषक यह मांग करने लगें कि हमें भूमि अर्जन की राशि का भुगतान किया जाये तो उसका निर्धारण हम कैसे करेंगे ?
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, 1953 से यह निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ और 1956 में यह निर्माण का कार्य पूर्ण हुआ. अगर किसी को भूमि अर्जन का मुआवजा लेना होता तो 60 वर्ष हो गये हैं तो कोई 60 वर्ष तक इंतजार नहीं करता. जहां तक नाम दर्ज की बात है. यह नहर विभाग के नाम से राजस्व रिकार्ड में दर्ज है.
श्री ठाकुरदास नागवंशी - माननीय मंत्री जी वहां पर किसानों ने 30 से 50 परसेंट जमीन को बखर दिया है. चूंकि वह रिकार्ड में नहीं है और बखरा भी गई हैं तो आने वाले समय में जो हम पानी छोड़ते हैं तो जो अगले किसान हैं उनको लाभ नहीं मिल पाता है क्या उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की जायेगी ?
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय,माननीय विधायक अपनी समस्या बताएं उसका निराकरण किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -समस्या उनकी यह है कि शासकीय रिकार्ड में जमीन दर्ज नहीं है. कल को वह निजी जमीन क्लेम करेंगे तो शासकीय रिकार्ड में दर्ज हो जाये तो वह क्लेम नहीं करेंगे.
श्री ठाकुरदास नागवंशी - शासकीय रिकार्ड में दर्ज नहीं है.
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय,जैसा मैंने पहले निवेदन किया कि शासकीय राजस्व रिकार्ड में वह नहर विभाग के नाम से लिखित में है.
अध्यक्ष महोदय - दर्ज है माननीय विधायक जी.
श्री ठाकुरदास नागवंशी - दर्ज नहीं है माननीय अध्यक्ष जी. मेरे मोबाईल में मैं फोटो खींचकर लाया हूं. आप चाहें तो देख लें. 50 परसेंट किसानों ने बखर दी है और उसका राजस्व रिकार्ड भी नहीं है. उससे आगे पानी जा ही नहीं पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप जानकारी दे देंगे. तो दर्ज करा देंगे.
श्री जयंत मलैया - जी अध्यक्ष महोदय,
श्री ठाकुरदास नागवंशी - धन्यवाद मंत्री जी.
अवैध गौण खनिज उत्खनन पर कार्यवाही
7. ( *क्र. 466 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला राजगढ़ की विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर अंतर्गत वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में प्रश्न दिनाँक तक लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग) एवं पंचायत ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत कौन-कौन से निर्माण कार्य किस-किस ठेकेदार/एजेंसी द्वारा किये जा रहे हैं? उनके कार्यादेश की दिनाँक तथा अनुबंध की राशि से अवगत करावें। (ख) उक्त निर्माण एजेंसियों द्वारा निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही गौण खनिज सामग्री जैसे रेत, मुरम आदि उत्खनन हेतु अस्थाई अनुज्ञा की अनुमति हेतु किस-किस एजेंसी/ठेकेदार द्वारा किस-किस दिनाँक को आवेदन खनिज विभाग को प्रस्तुत किये गये हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार उपरोक्तानुसार निर्माण एजेंसियों के द्वारा गौण खनिज उत्खनन हेतु अस्थाई अनुज्ञा हेतु आवेदन नहीं किये गये तो निर्माण एजेंसियों के द्वारा किन-किन स्वीकृत खदानों/ठेकेदारों से गौण खनिज प्राप्त कर कार्य किया गया? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार यदि निर्माण एजेंसियों के द्वारा उक्त गौण खनिज की अस्थाई अनुमति नहीं ली गई, तो उनके विरूद्ध सक्षम अधिकारी द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्या दोषी अधिकारी के विरूद्ध शासन कठोर कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'क' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ख' अनुसार है। (ग) अस्थाई अनुज्ञा प्राप्त कर इसके माध्यम से गौण खनिज का उत्खनन कर निर्माण कार्य किया जाना एक मात्र विकल्प नहीं है। निर्माण एजेंसियां निर्माण कार्य में उपयोग करने के लिए विधिवत संचालित स्वीकृत लीजों/खदानों से गौण खनिज क्रय कर सकती हैं। निर्माण विभाग द्वारा निर्माण एजेंसी से अनुबंध की शर्तों के अधीन विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त कर उपयोग किये गये गौण खनिज की मात्रा को एम.बी. रजिस्टर में इन्द्राज किया जाता है। एम.बी. रजिस्टर के आधार पर ही निर्माण एजेंसी को देयकों का भुगतान किया जाता है। अंतिम देयकों का भुगतान संबंधित निर्माण एजेंसी द्वारा नो माइनिंग ड्यूज प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर किया जाता है। उक्त समय पर ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि संबंधित निर्माण एजेंसी द्वारा किन स्वीकृत खदानों/ठेकेदारों से गौण खनिज प्राप्त कर कार्य किया गया है। (घ) प्रश्नांश 'ग' में दिये गये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री कुंवरजी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा जो जानकारी दी गई है. मैंने चार विभागों की जानकारी चाही थी जिसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री सड़क योजना के कार्यों की जानकारी नहीं दी है और लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत पी.आई.यू. के कार्यों की जानकारी नहीं दी गई है. यह जानकारी अधूरी है. यह जानकारी संशोधित करके पूर्ण दें. मेरा एक प्रश्न यह है कि जो खनिज विभाग द्वारा अस्थाई अनुज्ञा प्रदाय करते हैं तो उसकी समय-सीमा निर्धारित है कि कितने दिनों में उसकी अनुमति दी जाये. दूसरा प्रश्न यह है कि यदि समय-सीमा तय है तो 26.5.14, 27.12.14, 13.2.15 के आवेदनों के परिपालन में आज तक उन्हें अनुमति प्रदान नहीं की गई है. यह खनिज विभाग का परिशिष्ट ख है उसके अनुरूप अभी तक अनुमति प्राप्त नहीं है जिससे ठेकेदार अप्रत्यक्ष रूप से लाभ उठा रहे हैं.
ऊर्जामंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल)--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पहला प्रश्न माननीय सदस्य का है, यह समय सीमा से संबंधित है उसमें यदि क्षेत्र की उपलब्धता है जिस क्षेत्र में उस ठेकेदार ने टेम्प्रेरी परमिट के लिये अपलाई किया है, उसमें यदि एनओसी वगैरह की कोई अड़चन नहीं है तो जितनी जल्दी हो सकता है उसमें टेम्प्रेरी परमिट देने का काम किया जा सकता है.
श्री कुंवर जी कोठार--माननीय अध्यक्ष महोदय, काम पूर्ण हो जाते हैं तब तक उनको अनुमति नहीं मिलती है उसमें अप्रत्यक्ष रूप से कहीं पास से सामान लाता है उस सामान में क्वालिटी नहीं रहती है उसमें जो निर्धारित दूरी है से सामान नहीं लाता है तो अप्रत्यक्ष रूप से ठेकेदार अथवा निर्माण एजेन्सी उसका लाभ लेती है, जिस पर रोक लगायी जा सके.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें जहां तक समय सीमा का सवाल है उसमें अतिशीघ्र तत्काल टेम्प्रेरी परमिट देने की व्यवस्था है और दी भी जाती है. जहां तक निर्माण एजेन्सी के द्वारा शासकीय निर्माणों का सवाल है सिर्फ टेम्प्रेरी परमिट के आधार पर ही खनिज उनको मिल सकता है, ऐसा नहीं है, बहुत ही स्वीकृत खदानें एरिया में होती हैं. स्वीकृत खदानों से भी खनिज प्राप्त करके निर्माण कार्यों को पूरा करते हैं. जो भी खनिज उन शासकीय कार्यों में उपयोग करता है उसका विधिवत् एम.बी.में चढ़ाया जाता है बाद में बिना रायल्टी क्लिरेन्स से अंतिम भुगतान उस ठेकेदार को नहीं किया जा सकता है, इसलिये अवैध उत्खनन या टेम्प्रेरी परमिट नहीं मिला तो वह काम किसी भी तरीके से हो नहीं सकता है, ऐसा नहीं है.
श्री मुरलीधर पाटीदार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह यह है कि हमारी गवर्नमेंट एजेन्सी ठेकेदार के माध्यम से कहीं काम करती है तो उसमें खनिज अधिकारी जाकर के वहां पर दबोचता है या पुलिस वाले उसको दबोचते हैं मेरा निवेदन है कि यहां से स्पष्ट निर्देश जारी हो जाये कि शासन की रायल्टी भुगतान एजेन्सी काट ही लेती है भुगतान करते समय तो उसको बेवजय से परेशान नहीं किया जाये. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि इसमें स्पष्ट निर्देश जारी हो जाए कि गवर्नमेन्ट एजेंसी को रायल्टी की रसीद का भुगतान करना है या नहीं करना है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें भुगतान न करने का तो सवाल ही नहीं है, लेकिन जहां कहीं से भी वह उस खनिज को लेकर के उसका परिवहन कर रहे हैं उसमें अथेंटिक ट्रांजिट पास होना चाहिये, यदि उसमें किसी ने चेक भी किया और उसमें टीपी यदि है तो कार्यवाही करने का सवाल नहीं है.
प्रश्न संख्या 8
सरदार सरोवर बांध की डूब से प्रभावित भूमि
8. ( *क्र. 2317 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कुक्षी विधानसभा के ग्राम करोंदिया, गेंहलगांव, चिखल्दा, कड़माल, निसरपुर, बाजड़ीखेड़ा, खापरखेड़ा, कोठड़ा के किसानों की कृषि भूमि सरदार सरोवर बांध की डूब से प्रभावित हो रही है? यदि हाँ, तो कितनी जमीन डूब से प्रभावित हो रही है तथा कितनी नहीं? जानकारी हेक्टेयर में ग्रामवार देवें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में दर्शित ग्रामों की जो कृषि भूमि डूब से प्रभावित नहीं हो रही है, उसमें से अधिकतर जमीन बांध के जल भराव के बाद टापू में परिवर्तित हो जायेगी? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में टापू बनने वाली कृषि भूमि पर किसानों के पहुंचने हेतु शासन स्तर पर कोई कार्य योजना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें? (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में यदि नहीं, तो जो किसान कृषि भूमि के स्वामी होने के उपरांत भी कृषि कार्य नहीं कर पायेंगे, उनके जीवन यापन एवं रोजगार हेतु शासन क्या विचार कर रहा है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के प्रश्नांकित ग्रामों की कृषि भूमि सरदार सरोवर बांध डूब से प्रभावित हो रही है। प्रभावित भूमि के ग्रामवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। (ग) एवं (घ) उपरोक्त प्रश्नांश ''ख'' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल--माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा प्रश्न किसानों के जीवन-यापन से जुड़ा हुआ है जो कि डूब प्रभावित क्षेत्र से हैं मैं तीन प्रश्न माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से करना चाहूंगा क्या मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि ग्राम करोंदिया से कोठार जो निसरपुर ब्लाक में है. ग्राम कड़माल से खापरखेड़ा में बनी हुई पुलिया और उसमें गुजरने वाले नाले में बेग वॉटर्स है उससे आवागमन प्रभावित होता है या नहीं.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)--माननीय अध्यक्ष महोदय, करोंदिया, खड़माल एवं खेड़ा का जो उल्लेख किया है पहले तो यह कि जानकारी अभी तक हमसे चाही थी वह टापू के बारे में थी, लेकिन अभी तक जो वहां पर वॉटर लेवल हमारे बांध का है 121.92 उसमें 2006 से 10 वर्ष हो गये हैं अभी तक किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आयी है जिससे कोई टापू बन गया हो या पुलिया डूब गई हो. जहां तक मामला बेग वॉटर का है वह मेनरोड़ से जुड़ा है उसमें ऐसी कोई समस्या यदि बाद में आती है या इसमें किसान को दिक्कत आयेगी तो दूर कर दी जाएगी.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल- माननीय अध्यक्ष महोदय,2004,2013,2014 में ग्राम पंचायत करोंदिया में लोगों को आने-जाने के लिए शासन द्वारा वोट की व्यवस्था की गई थी अथवा नहीं, इसका जबाव दीजिए ।
अध्यक्ष महोदय- इसमें यह प्रश्न कहां उद्भुत हो रहा है ।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल- आवागमन की व्यवस्था जमाने के लिए वोट की व्यवस्था की ।
श्री लालसिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कोई बांध बनेगा और उसमें पानी आएगा तो उसमें गांव भी डूबते हैं,सड़कें भी डूबती हैं और अन्य चीजें भी डूबती हैं, सुन लीजिए पटवारी जी, लेकिन उन क्षेत्रों को कहीं न कहीं दूसरी जगह विस्थापित किया जाता है, दूसरी जगह ले जाया जाता है ।
वन मंत्री(डॉं गौरीशंकर शेजवार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, डूब क्षेत्र की बात चल रही है, इसमें पटवारी कहां से आ गए, पटवारी तो राजस्व विभाग के हैं और ये एन.व्ही.डी.ए. के हैं, पटवारी से आपका क्या आशय है ।
श्री लालसिंह आर्य- अशासकीय पटवारी अलग बात है, यह शासकीय नहीं हैं ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, डूब क्षेत्र में कोई भी भाग आया हो, शासन ने उसकी व्यवस्था की है, उनको मुआवजा दिया गया है । आप जो प्रश्न कर रहे हैं कि रोड डूब क्षेत्र में आई हैं तो वह रोड तो डूब में आई हैं, उसमें हम कहां अस्वीकार कर रहे हैं । वह शासन की संपत्ति थीं लेकिन अशासकीय संपत्ति भी कोई डूब में आई है तो शासन ने उसका मुआवजा दिया है ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीधा सा प्रश्न है कि जो सरदार सरोबर बांध बना है, इसका जल भराव का डिजाइन किया हुआ जो क्षेत्र है, वे डूब में आ गए उनको तो मुआवजा दिया गया लेकिन जो डूब में नहीं आए और जल भराव के कारण चारों तरफ से प्रदेश के सभी कनेक्शन कट गए, आपने न तो उनको मुआवजा दिया न उनको विस्थापित किया और न ही उनको जोड़ने हेतु ब्रिज बनाने की व्यवस्था की । माननीय अध्यक्ष महोदय, उनकी स्थिति तो डूब क्षेत्र में आने वाले लोगों से ज्यादा बुरी हो जाएगी, वे तो बीच में बनकर रह जाएंगे । जल भराव क्षेत्र का जितना भी डिजाइन है उससे डूब में कितने गांव आएंगे यह बता दें ।
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाएं यही प्रश्न उनका भी है, उन्होंने भी यही बात पूछी है ।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल- मेरा प्रश्न यह है कि आपने वोट की व्यवस्था की,प्रशासनिक अमला मेरे साथ में गया, जिसमें एस.डी.एम. भी थे, इनके विभाग के कार्यपालन यंत्री, अनुविभागीय अधिकारी भी थे, उन्होंने नाव की व्यवस्था जमाई कि वहां पर बेक वॉटर से किसान प्रभावित होंगे । जब बांध बनेगा, ऐसी व्यवस्था होगी तो जब बांध बन जाएगा, पानी आ जाएगा तब तो रोड नहीं बना पाएंगे । मैं चाहता हूँ कि प्रदेश स्तर पर एक अधिकारियों का दल वहां पर भेज दें जो जमीनी स्तर पर किसानों से चर्चा कर ले और सर्वे करके शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत कर दे अगर आवश्यकता होती है तो आवागमन की व्यवस्था जमा दें ।
श्री लालसिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि बांध में अभी जो जल भराव 121.92 है, इसके बाद डूब क्षेत्र में ऐसी कोई जगह नहीं आ रही है, 138.68 मीटर भी भराव हो जाएगा तब भी ऐसा कोई क्षेत्र डूब क्षेत्र में नहीं आने वाला है । जहां तक बरसात में जब बाढ़ आती है, जब अस्थाई रूप से कोई चीज आती है तो यह बात तो नगरीय क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र दोनों में होती है । लेकिन जहां तक किसानों का मामला है सरकार संवदेनशील है किसी भी कीमत पर किसी भी किसान को परेशान होने नहीं दिया जाएगा । माननीय मुख्यमंत्री जी और शासन की यही मंशा है ।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल – अध्यक्ष महोदय, मंशा तो स्पष्ट हो ही नहीं रही है. मंत्री जी एक जांच दल पहुँचा दीजिये. यह व्यवस्था नहीं है. सरदार सरोवर बांध वहां बनने वाला है, उससे लोग प्रभावित होंगे. जब पूरा बांध बन जायेगा और पानी भर जाएगा तो लोग कैसे आ पाएंगे ? माननीय आपका संरक्षण चाहेंगे. यह गोलमोल जवाब है. उत्तर नहीं आया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – यह स्पष्ट जवाब है. इसमें व्यवस्था करने का कहाँ है ? आपको बहुत समय दिया गया है. आपकी सारी बात आ गई है एवं उसका उत्तर भी आ गया है. श्री सुरेन्द्र सिंह जी बैठ जाइये, कृपया सहयोग करें. यह बात ठीक नहीं है, यह रिकॉर्ड में नहीं आयेगा.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल - (XXX)
प्रश्न संख्या-9.
9. ( *क्र. 2464 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महिदपुर वि.स. क्षेत्र के दिनेश पिता मांगीलाल के विरूद्ध चल रहे प्रकरण की अद्यतन स्थिति से अवगत करावें? (ख) इन पर आरोपित पेनाल्टी राशि कब तक वसूल कर ली जावेगी? (ग) व्यापारिक खदानों हेतु संविदा अनुबंध की शर्त 5 (I/9) के तहत कितनी संविदा राशि इनसे जमा करवाई गई? यदि नहीं, तो कब तक जमा करवाई जा सकती है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) श्री दिनेश पिता श्री मांगीलाल जैन के विरूद्ध अवैध उत्खनन के प्रकरण में पेशी हेतु दिनाँक 19-02-2016 को अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) महिदपुर, उज्जैन के न्यायालय में नियत है। (ख) प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने से वर्तमान में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) श्री दिनेश पिता श्री मांगीलाल को गिट्टी पत्थर का उत्खनिपट्टा स्वीकृत है। उत्खनिपट्टा पर व्यापारिक खदान के प्रावधान लागू नहीं होते है। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
(XXX) आदेशानुसार रिकॉर्ड नहीं किया गया.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि यह मध्यप्रदेश का बहुत बड़ा मामला है. जब कोई ट्राली मुरम की पुलिस द्वारा पकड़ी जाती है, उसको कोर्ट से छुड़वाना पड़ता है, तब तक पुलिस छोड़ती नहीं है. यह 30,29,25,610/- रू. का मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मामला है. यह प्रमाणित हो चुका है और आर.सी. जारी हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मैं सिर्फ आपके माध्यम से सीधे-सीधे माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या माननीय मंत्री जी, श्री दिनेश पिता आत्मज श्री मांगीलाल, जिनके खिलाफ 30,29,25,610/- रू. की रिकवरी के आदेश जारी हो गए हैं. उनके खिलाफ आज ही पुलिस प्रकरण दर्ज कराएंगे क्योंकि नहीं तो वह कोर्ट से स्टे लेकर आ जायेगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन के प्रति सरकार कितनी सक्रिय है, यह इस बात का प्रमाण है कि प्रकरण बनाकर एस.डी.एम. न्यायालय में भेजा गया था और एस.डी.एम. ने अर्थदण्ड उनके ऊपर अधिरोपित कर दिया है. अब जहां तक आपने पुलिस प्रकरण को दर्ज करने की बात कही है तो नियम में क्या व्यवस्था है कि यदि एक अपराध में दो प्रकार के दण्ड देने का प्रावधान हैं ? तो उसका हम परीक्षण करवाकर आवश्यक निर्देश जारी कर देंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, परीक्षण करने की आवश्यकता इसलिए नहीं है कि उसका सीधा-सीधा प्रूफ है. जब इतना बड़ा प्रकरण है, राजस्व विभाग और खनिज विभाग की नजर में इतना बड़ा तो अवैध खनन हुआ है, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. इसलिए हम चाहते हैं कि माननीय मंत्री जी नियमानुसार पुलिस कार्यवाही करने का आश्वासन दें.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, आश्वासन तो दे रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उन्होंने परीक्षण करवाने का कहा है, 420 कायम करवायें.
अध्यक्ष महोदय - उसका परीक्षण तो करना पड़ेगा. मंत्री जी एक बार और आश्वासन दे दीजिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - जैसा माननीय सदस्य की अपेक्षा है. हम निश्चित रूप से नियमों में क्या प्रावधान हैं, उसके आधार पर उनकी मंशा के अनुसार कार्यवाही करेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान - धन्यवाद.
श्री सुन्दर लाल तिवारी - (XXX).
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. रिकॉर्ड में नहीं आयेगा.
(XXX) आदेशानुसार रिकॉर्ड नहीं किया गया.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा अनियमितता
10. ( *क्र. 1157 ) श्री शंकरलाल तिवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना जिले में म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित है? क्या यहां पदस्थ क्षेत्रीय अधिकारी, वैज्ञानिक एवं अन्य अमला लम्बे समय से यहीं पदस्थ है? अधिकारी/कर्मचारी की पदस्थापना की दिनाँकवार सूची दें। (ख) क्या भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा अधिसूचना क्रमांक 519 दिनाँक 21.08.1989 द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों को उनके कार्यक्षेत्र में आने वाले उल्लंघनकर्ता उद्योग/संस्थान के विरूद्ध न्यायालयीन वाद दायर करने की शक्तियां प्रदत्त की गई है? (ग) यदि प्रश्नांश (क) एवं (ख) सही है तो औद्योगिक जिले सतना में पदस्थ क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम एवं उसके अंतर्गत जारी नियमों का उल्लंघन करने वाले किन-किन उद्योगों/संस्थानों के विरूद्ध कब-कब स्वयं के स्तर पर न्यायालयीन वाद दायर किया गया है? (घ) सतना जिले में सीमेंट उद्योगों की उत्सर्जित जहरीली गैसों से हजारों लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं? क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ समस्त अधिकारियों को कब तक हटा दिया जावेगा? उद्योगों के विरूद्ध कब तक वाद दायर किये जायेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ’’ अनुसार है। (ख) भारत सरकार की अधिसूचना एस.ओ. 394 (ई) भारत के राजपत्र में प्रकाशन क्रमांक 185 दिनांक 16/04/1987 के द्वारा राज्य जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण बोर्ड के ऐसे क्षेत्रीय अधिकारी जिन्हें जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 20, 21 और 23 के अधीन शक्तियाँ प्रत्यायोजित की गई हैं, को राज्य बोर्ड द्वारा यथा अधिकथित क्षेत्र में कार्यवाही हेतु प्राधिकृत किया गया है। (ग) न्यायालयीन प्रकरणों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब’’ अनुसार है। (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, आज मेरी रक्षा की जाय, मदद की जाय. ..(हंसी).. मैं विनतीपूर्वक कह रहा हूं, ये हंस रहे हैं और मैं पीड़ा बता रहा हूं. मुख्यमंत्री जी की कृपा से सरकार की जो इनवेस्टर मीट है और अन्यान्य प्रयास हैं, उससे विन्ध्य क्षेत्र में पहली बार पिछले 12 वर्षों में औद्योगीकरण का वातावरण बना है. मैं धन्यवाद करता हूं कि मेरे सतना और रीवा जिले को सीमेंट लैण्ड के रुप में एकदम स्वरुप प्राप्त हो गया है. दनादन फैक्ट्रियां खुली हैं. स्थानीय कितने लोगों को रोजगार मिला, यह शेख चिल्ली के सपने हैं. पर इन फैक्ट्रियों से हमें कोई एतराज नहीं है, इनसे हमारे यहां कारोबार, ब्यापार बढ़ा. इनसे होने वाले प्रदूषण से अगर सरकार ने चिंता नहीं की, तो हम सब मर जायेंगे. हमारे यहां, जहां फैक्ट्री खुली है 10 किलोमीटर के एरिये में जमीनें पत्थरीली हो रही हैं. फसलें नहीं हो रही हैं. ट्यूबर क्लोसिस और लंग्स इनफेक्शन के मरीजों की संख्या निरन्तर बढ़ी है. सरकार स्वास्थ्य विभाग से इस बात के डाटा इकट्ठा कर ले कि वहां टीबी के मरीज बढ़े हैं. लंग्स इनफेक्शन के मरीज बढ़े हैं. मैंने एक प्रश्न लगाया था कि सतना के पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण विभाग में कब से कर्मचारी तैनात हैं. सूची आई है 1997, 2003 और 2007 से तैनात हैं. पर कोई जरुरत नहीं है, उनको वहीं रहना चाहिये. यह उत्तर है. मेरे द्वारा पूछा गया कि इन कारखानों पर क्या कोई नियम कानून
के अंतर्गत कार्यवाही करने के लिये उनको कोई अधिकार मिला है, ताकि वे प्रदूषण को नियंत्रित करें. मैंने यह भी पूछा था कि कोई प्रकरण कभी बनाये हैं, अगर कानून है, तो उसमें जवाब आया है कि 2008 में एक ही मैहर सीमेंट फैक्ट्री के खिलाफ 2-4 बार नोटिस दिया गया है. इसके अलावा जो अन्य फैक्ट्रियां वहां चल रही हैं, वहां पर उनके खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही तो दूर है, यानि जांच भी ढंग से नहीं की गई. मैं विनतीपूर्वक कह रहा हूं, भाषण नहीं कर रहा हूं...
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना प्रश्न करें.
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न स्पष्ट है कि यह जो उत्तर आया है, यह उत्तर उसी ढंग का है, जिस ढंग का सतना में प्रदूषण कार्यालय चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप वरिष्ठ सदस्य हैं, कृपया सीधा प्रश्न करें.
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न लगाने के बाद, यह जवाब में सूची देने के बाद कि 1997 से, 2008 से वहां पर पिछले लम्बे समय से तैनात जो वेज्ञानिक अधिकारी हैं, उनको क्या हटायेंगे. क्या अन्यान्य फैक्ट्रियों पर, जो प्रदूषण फैला रही हैं, उनसे हमारा जन जीवन बचाने के लिये मंत्री जी की ही अध्यक्षता में कोई उच्च स्तरीय समिति बनायेंगे, ताकि वहां के प्रदूषण से लोगों की जान बचाई जा सके.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो कहा है कि उनकी जांच नहीं होती है या वहां स्वास्थ्य की दृष्टि से कुछ प्रभाव पड़ रहा है. हमारी एजेंसी सतत् निगाह रखती है चाहे वायू प्रदूषण हो, चाहे जल प्रदूषण हो..
डॉ. गोविन्द सिंह - मंत्री जी, आप सीधा सीधा जवाब दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप उत्तर आने दें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी घंटा भर भाषण करते हैं. अभी और भी प्रश्न हैं. ऐसे तो और प्रश्न नहीं आयेंगे क्या. उन्होंने स्पेसीफिक प्रश्न पूछा है, आप स्पेसीफिक उत्तर दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- आयेंगे, आयेंगे. 16 नम्बर प्रश्न आ जायेगा. आप चिन्ता मत कीजिये. जल्दी जल्दी करते हैं.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से स्वास्थ्य के मामले में माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि हमारे सीएमएचओ, जिला सतना के माध्यम से 9.2.2016 को वहां इस बात की जांच करवाई गई कि जहरीली गैसों से कोई गंभीर बीमारी से शिकार हो रहा है. उसमें जानकारी आई है कि इस प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ा है. नंबर दो- वहां पर जो औद्योगिक इकाईयां हैं उनकी हमारी एजेंसी जांच करती है, जांच में मानक के खिलाफ अगर कोई चीज आती है तो वाद दायर किया जाता है. प्रदूषण विभाग ने वहां पर 6 इकाईयों के खिलाफ वाद दायर किया है और न्यायालय ने 4 मामलों में प्रत्येक के खिलाफ 50 हजार रूपये का अर्थदंड भी लगाया है. जहां तक अधिकारियों की पदस्थापना का सवाल है तो स्वाभाविक है पूरे प्रदेश के विभिन्न विभाग में आवश्यकता और उनकी कार्यक्षमता के अनुसार उनको रखा जाता है. माननीय सदस्य का कहना है कि मंत्री की अध्यक्षता में मानीटरिंग हो तो मैं माननीय सदस्य को संतुष्ट करना चाहता हूं कि इसके बाद भी कोई दिक्कत है तो मैं इसकी जांच कराऊंगा और मैं खुद मानीटरिंग करूंगा.
श्री शंकर लाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, कृषि की जो 10 किलोमीटर के डायमीटर की जमीन है उसकी अलग से जांच करवाईये, उस जमीन में फसलें नहीं हो रही हैं, वह जमीन पथरीली हो गईं हैं, उस जमीन पर पेड़ नहीं लग रहे हैं. अध्यक्ष जी ,मंत्री जी ने मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दिया कि जो अधिकारी वहां पर 10-15 सालों से पदस्थ हैं उनको हटायेंगे. इसका उत्तर आ जाये.
अध्यक्ष महोदय-- सारे विषय उसमें आ गये हैं. वो(मंत्रीजी) विस्तृत जांच के लिये तैयार हैं.
श्री शंकर लाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, एक असत्य बात भी कही गई है. इसमें कहा गया है कि 6 इकाईयों के विरूद्ध कार्यवाही हुई है. इसमें मेरा निवेदन है कि सीएमएचओ की जांच रिपोर्ट की जांच कराई जाये. सीएमएचओ की रिपोर्ट जेल भेजने लायक है. फर्जीबाड़ा है, वहां धूल उड़ रही है, लोगों को टीवी हो रही है, इसमें एक कृपा करवाईये कि इसकी उच्च स्तरीय जांच तो करवाईये सीएमएचओ की रिपोर्ट और वहां के प्रदूषण की.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने बोल तो दिया है. आपकी बात सबसे पहले उन्होंने स्वीकार की.
श्री शंकर लाल तिवारी-- एक बार और कह दें.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, एक बार और कह दीजिये.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देशानुसार मैंने पहले भी माननीय सदस्य को संतुष्ट करने का प्रयास किया है और मैं कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार के लिये आम जनजीवन की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है, यदि माननीय सदस्य को लग रहा है कि ऐसा है तो हम उसकी जांच करायेंगे और हम मानीटरिंग करेंगे. और किसी के जनजीवन को प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा, उनकी रक्षा करने की हम कोशिश करेंगे.
बांध विस्थापितों का पुनर्वास एवं मुआवजा
11. ( *क्र. 593 ) श्री विष्णु खत्री : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बिरहा श्यामखेड़ी एवं हलाली बांध से विस्थापित कितने परिवारों का पुनर्बसाहट पूर्ण कर दिया गया है एवं कितनों का शेष है? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में जो परिवार पुनर्बसाहट से छूटे हुये हैं, उन्हें कब तक पुनर्वासित कर दिया जावेगा? (ग) बिरहा श्यामखेड़ी एवं हलाली बांध से प्रभावित कितने व्यक्तियों को मुआवजा दिया जाना था? इनमें से कितने व्यक्तियों को मुआवजा दिया जा चुका है? (घ) प्रश्नांश (ग) में छूटे हुये व्यक्तियों की मुआवजा राशि अभी तक क्यों नहीं वितरित हो सकी है? इन्हें कब तक मुआवजा की राशि वितरित कर दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) बिरहई श्यामखेड़ी परियोजना से कोई व्यक्ति विस्थापित नहीं हुआ है। सम्राट अशोक सागर (हलाली) परियोजना से विस्थापित व्यक्तियों का पुनर्वास किया जा चुका है। (ग) एवं (घ) बिरहई श्यामखेड़ी एवं सम्राट अशोक सागर परियोजना के डूब क्षेत्र में अर्जित की गई भूमि में से क्रमश: 66 एवं 28 कृषकों को भू-अर्जन मुआवजा नहीं दिया गया है, क्योंकि भू-अर्जन, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के प्रावधान के तहत भूमि के बदले भूमि देने के निर्देश कलेक्टर को दिए गए हैं।
श्री विष्णु खत्री -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में मैंने मेरे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बिरहा श्यामखेडी एवं हलाली डेम के कृषकों की जो भूमि शासन ने भू-अर्जन की है उसमें मुआवजा वितरण संबंधी प्रश्न है. इसमें मंत्री जी से मेरी चर्चा हो गई है और माननीय मंत्री जी ने मुझे आश्वस्त किया है कि शीघ्र ही जो कृषक मुआवजे से वंचित रह गये हैं उनको, उनकी सहमति के आधार पर मुआवजा वितरित कर दिया जायेगा. इसमें इतना निवेदन है कि यह मुआवजा वितरण एक निश्चित समय सीमा में हो जाये तो उचित होगा. इसी से संबंधित मेरे दो प्रश्न हैं. हलाली डेम में एक कृषक प्रेमनारायण लोधी की 10.28 एकड़ जमीन का भू-अर्जन पश्चात मुआवजे का अवार्ड पारित हुआ किंतु उन्हें केवल 8.28 एकड़ का ही मुआवजा मिला शेष 2 एकड़ जमीन का उनको आज दिनांक तक मुआवजा नहीं मिला है. इस संबंध में मेरे द्वारा विधानसभा में याचिका भी लगाई गई है. मैं चाहता हूं कि मंत्री जी मुझे आश्वस्त करें कि शीघ्र ही प्रेमनारायण लोधी जिनको 2 एकड़ का मुआवजा नहीं मिला है वह दिलायें. एक प्रश्न इसी से जुड़ा हुआ और निवेदन करना चाहता हूं कि हलाली डेम का जो लेवल है उसमें डेम के 1508 लेवल का मुआवजा किसानों को दिया गया है, सामान्यत जब जल भराव होता है उस डेम का लेवल 1510 या 1511 के आसपास में रहता है जिसके कारण क्षेत्र की हजारों एकड़ जमीन जल भराव क्षेत्र अंतर्गत आ जाती है और किसान लगातार परेशान होता है , मूल कारण इसका यह है कि हलाली डेम में कोई गेट नहीं है, चूंकि बहुत पुराना डेम है इसमें जल निकासी का साधन नहीं है तो विभाग इसका कोई समाधान खोजे ताकि जो जल भराव होता है उसकी समस्या से किसान बच सके.
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी इस संबंध में दो दिन पहले माननीय सदस्य से बात हुई थी और उनसे बात करने के बाद यह तय किया गया कि हलाली बांध के भू-अर्जन का प्रकरण जो कि समय बाधित होने के कारण लेप्स हो गया है, और तो वृहाई परियोजना के लिये भू-अर्जन अवार्ड दिनांक 20.04.2015 को पारित हुआ इसमें वृहाई परियोजना के संबंध में भू-अर्जन अवार्ड पारित हो जाने से मुआवजा भुगतान करा देंगे और हलाली परियोजना के लिये भूमि के बदले भूमि संबंधित किसानों की सहमति से दे दी जायेगी. इसके संबंध में मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि मैं माननीय विधायक जी के साथ बैठकर इस काम का 3 माह में निराकरण कर दूंगा, जहां तक मुआवजा देने की बात है, जो पूर्ण जल स्तर तक मुआवजा दिया गया है और जो अतिशय जल उसमें रहता है उसकी निकासी के लिये स्प्रिंगवेल की व्यवस्था की गई है जहां से उसकी निकासी होती है, परंतु जैसा कि माननीय विधायक जी ने वहां पर गेट लगाने के बारे में बताया इसके बारे में परीक्षण करा लिया जायेगा.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है, मंत्री महोदय जी से आग्रह है कि अगर उसके निकासी के गेट के लिये कोई रास्ता नहीं मिल रहा हो तो डोब, सूखी सेवनिया और इमलिया यह तीन गांव हैं, उधर गेट निकासी बना दी जाये और उस क्षेत्र को पानी दे दिया जाये तो वहां भी पानी मिलेगा और विष्णु खत्री जी का क्षेत्र बच जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- विष्णु खत्री जी और आप मंत्री जी के साथ बैठ जायें.
कॉलोनाईजरों से शुल्क की वसूली
12. ( *क्र. 2035 ) श्री जितू पटवारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर जिले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा दिनाँक 01.01.2013 से प्रश्न दिनाँक तक कितने कॉलोनाईजरों को भूमि विकास (कॉलोनी डेव्हलपमेंट) की अनुमति प्रदान की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में क्या उपरोक्तानुसार कॉलोनाईजरों द्वारा इन विलेखों के पंजीकृत कराने का शुल्क जमा किया गया है? (ग) जिन कॉलोनाईजरों द्वारा उपरोक्त शुल्क जमा नहीं किया गया है, तो उनसे वसूली कब तक कर ली जावेगी एवं क्या इन कॉलोनाईजरों के प्रकरण मुद्रांक संग्राहक को भेजे गये हैं? यदि हाँ, तो कितने प्रकरण भेजे गये हैं? (घ) मुद्रांक संग्राहक द्वारा इन प्रकरणों पर क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, की गई है तो कब तक की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) 76 कॉलोनाइजर को विकास अनुज्ञा प्रदान की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 3 कॉलोनाइजर सार्थक रिजय बिल्डर तर्फे अश्वनी चंद्रशेखर मेहता, राजाराम पिता नारायण तर्फे, अंकित पिता श्री शरद श्रीवास्तव, आरे क्लॉशिक, पालिवाले सिटी इंदौर, सार्थक रियल बिन्ट तर्फे, सरदार सिंह अन्य एम. झेड 6 रिफेल टॉवर पलासिया इंदौर द्वारा मुद्रांक शुल्क जमा नहीं किया गया है। (ग) शुल्क जमा कराने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। प्रकरण मुद्रांक संग्राहक को नहीं भेजे गये हैं। (घ) उत्तरांश ''ग'' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से केवल आग्रह करना चाहता हूं कि आपने मेरे द्वारा पूछे गये प्रश्न के उत्तर में कुछ नाम भी दिये हैं. मेरा आपसे इसमें सुझाव है, कोई प्रश्न नहीं है कि यह शुल्क जमा करने की कोई समय-सीमा तय क्यों नहीं है और दूसरा जब हम कालोनियों की विकास अनुमतियां देते हैं तब उसके साथ ही यह शुल्क कम्पलीट क्यों नहीं करवाते हैं, इसके डॉक्यूमेंट्स क्यों नहीं मांगते हैं, इसके क्या कारण हैं.
राज्य मंत्री, नगरीय विकास एवं पर्यावरण (श्री लालसिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है, स्वाभाविक है कि यह जो आपने प्रश्न किया है, यह सारे के सारे 76 जो कालोनाइजरों को अनुमतियां मिलीं हैं, यह हमारे नगर निगम द्वारा नहीं मिली हैं, यह एसडीएम राजस्व द्वारा पंचायती राज अधिनियम के तहत दी गई हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, शेष कार्यवाही भी उन्हीं को करना है.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, अब तो प्रश्न और उलझ गया है. मेरा अनुरोध यह है, मैंने तो सुझाव दिया था मंत्री जी. अध्यक्ष जी इसमें होता क्या है कि 29 गांव अभी नगर निगम सीमा में जुड़े हैं, इससे पहले वह ग्राम पंचायत में आते थे और जिन कॉलोनियों को लेकर मैंने यह बात चालू की उसके कारण है कि वहां पर मंत्री जी विकास की अनुमति के पहले इतने अधूरे काम हैं कि लोग जो वहां पर आ गये हैं वह परेशान होते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है किसी भी एजेंसी को यह कार्यवाही करना चाहिये, क्या जो भी एजेंसी उनको विकास अनुमति देती है उनके साथ यह शुल्क जमा क्यों नहीं कराया जाता है और इसकी कोई समय-सीमा है क्या. यह प्रश्न है, इसका उत्तर चाहिये.
श्री लालसिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर माननीय सदस्य जी से आग्रह करना चाहता हूं कि मुद्रांक शुल्क का जहां तक मामला है, यह जिला रजिस्ट्रार कराते हैं और उसकी कार्यवाहियां राजस्व विभाग के एसडीएम कर रहे हैं और इसलिये हमारा कोई विषय ही नहीं बनता है.
सड़क विस्तारीकरण के दौरान बिजली के पोल की शिफ्टिंग
13. ( *क्र. 1880 ) श्री रामेश्वर शर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल जिले में ऐसे कितने स्थान हैं, जहां पर सड़क विस्तारीकरण के चलते बिजली के पोल हटाने पड़े हैं? पिछले 5 वर्षों में हुए इस तरह के कार्यों की संख्या उपलब्ध करवाने का कष्ट करें? (ख) जिन स्थानों पर बिजली के पोल सड़क विस्तारीकरण के लिए सरकाए गए हैं, क्या पोल हटाने के पहले या बाद में यह जाँच की गई है कि पोल लगाते समय वहां भविष्य में सड़क विस्तारीकरण की योजना थी या नहीं? (ग) यदि ऐसे स्थानों पर पोल लगाने के पूर्व से ही सड़क का विस्तारीकरण नियत था, तब वहां बिना योजना समझे पोल लगाकर राजस्व की क्षति करने वाले जिम्मेदारों की पहचान एवं कार्यवाही की जाएगी? इस तरह की जाँच एवं कार्यवाही हेतु समय-सीमा निर्धारित करेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के क्षेत्रान्तर्गत जिला भोपाल में सड़क विस्तारीकरण के कारण 41 स्थानों पर पिछले 5 वर्षों में पोल हटाने की कार्यवाही की गई है। (ख) उत्तरांश ''क'' अनुसार सड़क विस्तारीकरण के कारण हटाये गये पोलों के लिए म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के संबंधित अधिकारी द्वारा आवेदक विभाग के प्रतिनिधियों के साथ कार्य प्रारंभ होने के पहले संयुक्त निरीक्षण की कार्यवाही करने के उपरान्त ही उपरोक्त कार्य किये गये हैं। (ग) उत्तरांश ''ख'' में दर्शाए अनुसार संयुक्त निरीक्षण के उपरान्त ही सड़क विस्तारीकरण के कारण पोल शिफ्टिंग का कार्य किया गया है। सड़क विस्तारीकरण के लिए जिन पूर्व से विद्यमान पोल एवं लाईनों को शिफ्ट किया गया है, वे पुरानी हैं एवं कई प्रकरणों में लगभग 20 से 25 साल से विद्यमान हैं। तात्कालिक समय में भविष्य में होने वाली सड़क विस्तारीकरण योजना की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी। अत: इस हेतु किसी जाँच या कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो मेरे प्रश्न का उत्तर आ गया है, फिर भी मैंने माननीय मंत्री महोदय से आग्रह किया है, प्रश्न के माध्यम से करना चाहता हूं कि जो नवीन सड़कें प्रस्तावित हैं या पुरानी सड़कें जिनका जब भी चौड़ीकरण होता है तो वहां से एमपीईबी के पोल हटाने पड़ते हैं और कभी-कभी यह भी देखने को मिलता है कि सड़क हम दो महीने बाद बनाने जा रहे हैं, दो महीने पहले वहां एमपीईबी का पोल गड़ जाता है और फिर उसे हटाना पड़ता है तो इसमें समय और शासन का पैसा दोनों लगता है, तो मेरा माननीय मंत्री महोदय से केवल आग्रह है कि वहां सड़क जिस विभाग की भी हो उस विभाग से एनओसी ली जानी चाहिये और उस विभाग से यह पूछा जाना चाहिये कि कितने साल तक, 25 साल तक, आपकी सड़क का कितना विस्तार इसमें होगा जिससे हमें बार-बार वहां के पोल न हटाने पड़ें, यह मेरा खासकर आग्रह है, क्योंकि बहुत नुकसान होता है और समय भी लगता है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का यह बहुत ही अच्छा सुझाव है. हालांकि 41 पोल भोपाल की सड़कों के विस्तारीकरण के कारण शिफ्ट किये गये. उसमें से 95 प्रतिशत पोल 20 से 25 वर्ष पुराने थे लेकिन भविष्य में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम संबंधित विभागों से एनओसी ले लेंगे कि सड़क के विस्तारीकरण की क्या योजना है, उसके बाद नये पोल खड़े करने का काम करेंगे.
आरक्षित वर्ग के उपभोक्ताओं को बिजली का नि:शुल्क प्रदाय
14. ( *क्र. 1757 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले अ.जा./अ.ज.जाति वर्ग के हितग्राहियों को घरेलू उपयोग हेतु प्रतिमाह 25 यूनिट तक की विद्युत नि:शुल्क प्रदाय की जाती है? (ख) यदि हाँ, तो क्या रायसेन जिले में प्रश्नांश (क) के प्रत्येक हितग्राही के घर में विद्युत मीटर लगे हुए हैं? यदि नहीं, तो विद्युत देयक किस आधार पर दिये जाते हैं तथा विद्युत यूनिट की गणना कौन कैसे करता है? (ग) क्या अ.जा./अ.ज.जाति वर्ग के एक हेक्टेयर से कम भूमि वाले 5 हॉर्स पावर तक के कृषि पम्पों के उपभोक्ताओं को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय की जाती है? यदि हाँ, तो रायसेन जिले में कितने व्यक्तियों को लाभ दिया जा रहा है? (घ) क्या रायसेन जिले में उक्त वर्ग तथा श्रेणी के किसानों से भी बिजली बिल वसूल किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। मीटर युक्त उपभोक्ताओं को वास्तविक खपत के आधार पर एवं मीटर स्थापित नहीं होने की स्थिति में म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्तमान में लागू दर आदेश में दिये गये प्रावधानों के अनुसार बिल जारी किये जा रहे हैं। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2015-16 के लिये जारी दर आदेश के अनुसार बिना मीटर वाले घरेलू उपभोक्ताओं को ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिमाह 75 यूनिट एवं शहरी क्षेत्र में प्रतिमाह 100 यूनिट खपत के बिल जारी करने का प्रावधान है। उक्तानुसार जारी किये गये बिलों में नियमानुसार 25 यूनिट नि:शुल्क मासिक खपत समायोजित कर दी जाती है। (ग) जी हाँ। जिला रायसेन में दिसम्बर 2015 की स्थिति में प्रश्नाधीन उल्लेखित श्रेणी के कुल 1749 उपभोक्ताओं को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय का लाभ दिया गया है। (घ) जी नहीं।
श्री वीर सिंह पंवार-- अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्रीजी से जो प्रश्न था, उसका उत्तर आ गया है. इसके लिए मंत्रीजी को धन्यवाद देता हूं. मंत्रीजी से निवेदन है कि जो सिंगल बत्ती के उपभोक्ता हैं, उनके कुछ बकाया बिल रह गये हैं, उन पर सरचार्ज ज्यादा लगाया गया है, क्या वह सरचार्ज माफ करेंगे?
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माफ करेंगे.
श्री वीर सिंह पंवार-- धन्यवाद.
बरझा बाईपास निर्माण हेतु भूमि का अधिग्रहण
15. ( *क्र. 2423 ) श्रीमती नंदनी मरावी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के अता. प्रश्न संख्या 24 (क्रमांक 1325) दिनाँक 30.07.15 के उत्तर में अवगत कराया गया था कि सिहोरा से खितौला को मिलाने वाली बरझा बाईपास मार्ग की आई.डी.एस.एस.एम.टी. योजना के अंतर्गत राज्य स्तरीय स्वीकृति दिनाँक 10.01.2002 को दी गई थी? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार सड़क निर्माण की योजना भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही उपरांत किये जाने का लेख किया गया था, तो भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही किस स्तर पर है। किन-किन किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, किस दर से मुआवजा भुगतान किया गया/किया जाना है? कब तक अधिग्रहण की कार्यवाही पूर्ण कर ली जावेगी तथा मार्ग निर्माण की अवधि क्या निर्धारित की गई है।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) नगर पालिका परिषद सिहोरा द्वारा परिषद संकल्प क्र. 68 दिनाँक 23.12.2015 के अनुसार खितौला से सिहोरा को जोड़ने वाली बरझा लिंक रोड में पड़ने वाली विभिन्न भूमियों के भूमि स्वामियों एवं खसरा नंबर आदि की जानकारी संकलित की जा रही है। भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही प्रारंभ नहीं हुई है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती नंदनी मरावी-- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जो जवाब आया है, उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से पूछना चाहती हूं कि सिहोरा का बरझा बायपास रोड़ है, उसका 13.09.2001 में 14.97 लाख रुपये की TS प्राप्त हुई थी और 5.3.2002 को इसका टेंडर भी लगा था और ठेकेदार अतुल जैन थे, लेकिन आज तक उस रोड का काम प्रारंभ क्यों नहीं हुआ? मंत्रीजी से यह जानना चाहूंगा कि इस रोड़ का कार्य कब तक प्रारंभ कराया जायेगा? जो जवाब आया है, उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आपने भूमि अधिग्रहण के बारे में पूछा है.
श्रीमती नंदनी मरावी-- अध्यक्षजी,इसमें टेंडर तभी लगता है, जब भू अधिग्रहण हो जाता है और जब राशि की स्वीकृति प्राप्त हो गई. भू-अर्जन हो गया तभी तो इसका टेंडर लगा !
अध्यक्ष महोदय-- आपका पूरा प्रश्न तो भू अर्जन का है.
श्रीमती नंदनी मरावी-- अध्यक्षजी, उसका भू-अर्जन हो चुका है. उसका टेंडर भी लगा. उसकी राशि 10.45 लाख रुपये की भी विकास प्राधिकरण संघ के द्वारा हमको 2001 में स्वीकृति मिली.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता. आपने सड़क निर्माण के बारे में कुछ पूछा ही नहीं है.
श्रीमती नंदनी मरावी-- मैंने इसमें बरझा बायपास निर्माण हेतु भू अधिग्रहण के बारे में पूछा है. मेरा कहना यह है कि भू अधिग्रहण के पश्चात इसमें टेंडर लगाया जाता है. मेरी जो जानकारी है वह यह कि इसकी TS भी प्राप्त हुई थी. इसका टेंडर भी लग चुका है. जब भू अधिग्रहण नहीं होता तो टेंडर कैसे लगता?
अध्यक्ष महोदय-- मंत्रीजी, इसका कोई उत्तर है आपके पास?
श्री लालसिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की भावना से मैं सहमत हूं.
अध्यक्ष महोदय-- कौन सा विभाग बनायेगा?
श्री लालसिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, उनका कहना सही है कि 5.3.2002 को कार्यादेश जारी हुए थे. पाईप लाईन बिछाना थी, रोड़ का मामला नहीं था. वहां काली मिट्टी थी इसलिए बार बार दिक्कतें आ रही थी. इसलिए 20.12.2005 को यह निरस्त की गई. वहां के सीएमओ, उपयंत्री की रिपोर्ट आयी और वहां के जो अध्यक्ष थे, उनकी सहमति के आधार पर किया. माननीय सदस्य ने पिछले सत्र में प्रश्न लगाया था, उस प्रश्न के माध्यम से फिर यह प्रश्न पूछा गया तब शासन ने उसकी डीपीआर तैयार कराने का आदेश दिया. लगभग 1 करोड़ रुपये की पाईप लाईन डलेगी. यह सब कार्यवाहियां होगी. हमने डीपीआर बनाने के लिए बोला है. हम कोशिश करेगे कि आवश्यकतानुसार जरुरत होगी तो हम उसकी समीक्षा करके आगे की कार्रवाई करेंगे.
श्रीमती नंदनी मरावी-- अध्यक्षजी, यह बहुत पुरानी लंबित मांग है और महत्वपूर्ण सड़क है. इसमें मंत्रीजी साल-6 महीने कुछ भी समय सीमा बताने की कृपा करें. उत्तर तो दिलवायें.
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर आ गया.
16 आवासीय भूखण्ड का व्यावसायिक उपयोग
16. ( *क्र. 445 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक 71 सी शेष सेक्टर सी के प्लाट क्रमांक ए.एक्स. 7 का भूखण्ड किसके नाम किस प्रयोजन के लिए कब तथा किन-किन शर्तों पर आवंटित किया गया? (ख) क्या लीज़ डीड की शर्तों के अनुसार ही उक्त भू-खण्ड का उपयोग किया जा रहा है? यदि नहीं, तो शर्तों का उल्लंघन कर भू-खण्ड का उपयोग किए जाने पर भू-खण्ड आवंटन निरस्त करने की कार्यवाही नहीं करने के लिए कौन उत्तरदायी है? (ग) क्या उक्त भू-खण्ड की लीज़ शर्तों में परिवर्तन किए बिना ही दिनाँक 25.02.2000 को प्राधिकरण द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी किया गया था? यदि हाँ, तो किस अधिकारी ने किस आधार पर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया? क्या यह प्रमाण पत्र वैध है? यदि नहीं, तो संबंधित दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी एवं आवासीय क्षेत्र में लीज़ डीड शर्त का उल्लघंन कर पेट्रोल पंप का संचालन किए जाने पर भू-खण्ड का आवंटन निरस्त किया जाएगा? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या प्राधिकरण द्वारा पत्र क्र. 8342 दिनाँक 02.10.2011 को जारी पत्र में उक्त भूखण्ड को फ्री होल्ड करने के निवेदन को अस्वीकार किया गया था? यदि हाँ, तो कारण सहित ब्यौंरा दें?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक 71 सेक्टर सी के प्लाट क्र. ए.एक्स. 7 का भूखण्ड श्री शरद कुमार पिता श्री धर्मचंद्र गंगवार को लीज़ डीड की शर्तों अनुसार आवासीय उपयोग हेतु पत्र क्रमांक 6584 दिनाँक 16.06.1993 को आवंटित किया है। लीज़ डीड पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। उक्त भूखण्ड को पेट्रोल पम्प के उपयोग हेतु इंदौर विकास प्राधिकरण, इंदौर द्वारा अनापत्ति जारी की गई थी, जिसके अनुसार भूखण्ड का उपयोग अनापत्ति के अनुसार पेट्रोल पंप के लिये किया जा रहा है। प्राधिकरण के संज्ञान में आने पर भूखण्ड का उपयोग शर्तों के अनुसार न होने पर नोटिस जारी किए गए हैं। प्रश्नाधीन प्रकरण में लीज़ डीड पर कार्यवाही करने हेतु प्राधिकारी बोर्ड के समक्ष प्रकरण को रखने की कार्यवाही की जा रही है। (ग) जी हाँ। प्राधिकारी के तत्समय विधि अधिकारी ने सक्षम स्वीकृति लेकर जिला दंडाधिकारी इंदौर को अनापत्ति दी है। यद्यपि प्रमाण पत्र प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया है, तथापि लीज़ की शर्तों तथा दी गई अनापत्ति के संबंध में प्राधिकारी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अपर जिला दंडाधिकारी, इंदौर तथा संयुक्त संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश जिला कार्यालय इंदौर की कमेटी बनाकर 15 दिवस में रिपोर्ट प्राप्त की जावेगी तथा उक्त रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्यवाही की जायेगी। (घ) जी हाँ। फ्रीहोल्ड करने का आवेदन आवासीय प्रयोजन के भूखण्ड का उपयोग पेट्रोल पंप के लिए किये जाने के कारण अस्वीकार किया गया।
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से पूछना चाहता हूं कि आवासीय प्लाट का व्यावसायिक उपयोग किया गया है और दिनांक 23.9.2003 को इंदौर विकास प्राधिकरण के बोर्ड द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि 35 लाख 90 हजार रुपए का उस पर जुर्माना किया तो पुनः उसका परीक्षण कराने का क्या औचित्य है? जब बोर्ड ने पहले ही तय कर दिया है तो जो भूमि आवंटन का जो गलत उपयोग हुआ है, उसको निरस्त करेंगे और शर्त का उल्लंघन किया और व्यावसायिक उसका उपयोग किया, पेट्रोल पंप लगा लिया तो जो जुर्माना 10 साल पहले हो चुका है, उसको कब तक वसूल करेंगे? उसमें यह भी शर्त लगाई थी कि एक महीने में जमा नहीं करेंगे तो वह आवंटन निरस्त कर देंगे, इसके बारे में कृपया बताने का कष्ट करें?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, पहले उनका जवाब दे दें, माननीय सदस्या समय-सीमा पूछ रही थीं.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, यथाशीघ्र, उनकी भावना के अनुरूप.
अध्यक्ष महोदय - अब इनका उत्तर आप दे दीजिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, यह तो बहुत बड़ा अन्याय है. आप लगातार भाषण दिलवा रहे हो, हमारा प्रश्न आता है तो..
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न आ गया है, जबकि समय हो गया है, फिर भी आपका प्रश्न लिया है.
डॉ. गोविन्द सिंह - ..क्यों, यह कोई तरीका है साहब? हम पूछते हैं तो आप समय नहीं देंगे?
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न था इसलिए लिया नहीं तो 11.30 बज गये हैं, आप घड़ी देखिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - हमें मौका ही नहीं मिलता.
अध्यक्ष महोदय - 15-20 सेकण्ड थे, फिर भी ले लिया.
डॉ. गोविन्द सिंह - आधा-आधा घंटे तक मंत्री भाषण दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - उनसे आपका उत्तर मांग रहे हैं, आप बैठ तो जाएं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - गोविन्द सिंह जी का यह तरीका अच्छा नहीं है, यह आपका व्यवहार निंदनीय है. आप जो अध्यक्ष महोदय के साथ व्यवहार कर रहे हैं. यह निंदनीय है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप बैठ जाइए.
अध्यक्ष महोदय - आप भी कृपया बैठ जाएं.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - मेरे साथ तो ठीक है आप कर सकते हैं, जो कर रहे हैं वह ठीक है. यह भी कोई बहुत अच्छा नहीं है. देखिए, मेरा इसमें कोई अपमान नहीं हो रहा. लेकिन आप जिस तरीके से व्यवहार कर रहे हैं, यह पूरा सदन देख रहा है और आपकी प्रतिष्ठा कितनी कम हुई है. आप इस पर घर जाकर विचार करना.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके सहृदय के लिए धन्यवाद देता हूं कि समय के बाद भी आपने उत्तर देने के लिए बोला है. अध्यक्ष महोदय, इसमें एक प्रक्रिया है कि अगर कहीं कोई गलती हुई है तो उसका बोर्ड बना हुआ है. बोर्ड में ....
डॉ. गोविन्द सिंह - ..आप इसको दोबारा बोर्ड में क्यो भेज रहे हैं? जो निर्णय है उसका आप पालन करवा दो.
श्री लाल सिंह आर्य - आप लड़ रहे हैं कि प्रश्न पूछ रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त.)
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल की सूचनाएं.डॉ. गोविन्द सिंह..
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत बड़ा अन्याय है. मैं लगातार देख रहा हूं कि आधा-आधा घंटे तक विधान सभा के प्रश्नों को जहां (XXX) पकड़ी जाती हैं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया अपने शून्यकाल की सूचना पढ़ें. प्रश्नकाल समाप्त हो गया है.
डॉ. गोविन्द सिंह -सूचना क्या पढ़े, पहले हमारा तो जवाब आ जाने दो.
श्री आरिफ अकील - हमारी पढ़ी हुई सूचना मान लें.
डॉ. गोविन्द सिंह -हां, पढ़ी हुई मान लो साहब. आपकी इच्छा है तो मत बोलने दो.
अध्यक्ष महोदय - श्री आरिफ अकील.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपको न्याय करना पड़ेगा.
श्री आरिफ अकील - मेरी भी सूचना पढ़ी हुई मान लो.
अध्यक्ष महोदय - आपके प्रश्न का उत्तर आ रहा था. आप बीच में व्यवधान करने लगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, आप 15-15 मिनट भाषण देते हैं. मंत्री जी (XXX)..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - इस तरह से आप बात नहीं कर सकते.
डॉ. गोविन्द सिंह -..कोई तरीका नहीं है. आप तरीका तय नहीं करेंगे?
श्री आरिफ अकील - मैं गोविन्द सिंह जी के साथ में हूं. आप दोनों की सूचनाएं पढ़ी हुई मान लो.
अध्यक्ष महोदय - आपकी सूचनाएं पढ़ी हुई मानी गई.
(3) इंदौर के थानों में लावारिस गाड़ियों का निराकरण न होना.
श्री सुदर्शन गुप्ता (इंदौर -1 ) - अध्यक्ष महोदय,
श्री आशीष शर्मा - (अनुपस्थित)
(5) मुरैना के ग्राम सुमावली की नहर में एक व्यक्ति की डूबने से मृत्यु होना.
श्री नीटू सत्यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली) - अध्यक्ष महोदय,
खाचरोद बड़नगर तहसील में ऊर्जा विभाग द्वारा किसानों की भूमि पर नियम विरूद्ध रास्ते का निर्माण किया जाना.
श्री रामकिशोर दोगने ( हरदा ) -- अध्यक्ष महोदय मेरी शन्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है. शासन द्वारा पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने की विभिन्न शर्तों पर खाचरौद बड़नगर तहसील में मैसर्स रिन्यू विंड एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड गुडगांव को अनुमति प्रदान की थी परंतु कम्पनी द्वारा नियमों का पालन नहीं करते हुए मनमानी की जा रही है. बगैर सक्षम अधिकारियों के गौचर भूमि तथा अन्य शासककीय भूमियों का बगैर नोयत परिवर्तन किए नये रास्ते बनाने तथा अन्य शर्तों का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है. यहां तक की प्रायवेट खरीदी गई भूमि का बगैर डायवर्सन की कार्यवाही की गई है. कंपनी द्वारा उत्पादित बिजली की सप्लाई ग्रीड तक पहुंचाने हेतु किसानों की निजी भूमि पर सप्लाई लाईन के पोल व डीपी लगाने हेतु बगैर मुआवजा दिए गए किसानों को डरा धमकाकर पुलिस अधिकारियों से सांठ गांठ कर अपनी निजी भूमि पर पोल व डीपी लगाने का विरोध करने वाले किसानों को खाचरौद फाटपचलाना पुलिस द्वारा थाने पर बिठा लिया जाता है उनके साथ मारपीट की जाती है और झूठे प्रकरण बनाए जा रहे हैं. शासन द्वारा भी किसानों की जमीनों पर डीपी व पोल लगाने हेतु कोई मापदण्ड स्थापित नहीं किया गया है जिसके कारण कम्पनी अपनी मनमर्जी और अपनी पहुंच के बल पर किसानों के साथ अत्याचार कर रही है शासन को शिकायत होने पर भी अधिकारी अपने ट्रांसफर के डर से इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं जिसके कारण क्षेत्र के किसानों में शासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है.
इंदौर उज्जैन संभाग में सुरक्षा कंपनियों द्वारा सुरक्षा कर्मियों का शोषण किया जाना.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया ( मंदसौर ) -- अध्यक्ष महोदय मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है. इंदौर उज्जैन संभाग में निजी कंपनियों में सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्य कर रहे किसी सुरक्षाकर्मी काक लगातार शोषण बढ़ता जा रहा है. सुरक्षा के नाम पर मंडी, पवन ऊर्जा बैंक एवं अन्य स्थलों एवं विभागों में निजी सुरक्षा कंपनियों लाखों रूपये में ठेके लेती हैं वे कर्मचारियों को शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन, पीएफ आदि सुविधाएं भी नहीं देती हैं. संभाग में ऐसी कई कंपनियां हैं जो इस कार्य के लिए रजिस्टर्ड भी नहीं हैं ये कंपनियां सुरक्षा गार्डों को मात्र 3 से 4 हजार रूपये तक वेतन देती हैं, जबकि इसके ए वज में 8 घंटे के स्थान पर 10 से 12 घंटे उनसे कार्य लेती हैं. इसको लेकर निजी सुरक्षाकर्मियों एवं उनके परिवारजनों ने कई बार रजिला कलेक्टर, श्रम विभाग एवं अन्य संबंधित विभाग को ज्ञापन दिया है लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते इन्हें न्याय नहीं मिल पाता . इसको लेकर सुरक्षाकर्मियों एवं उनके परिवारजनों में भारी आक्रोश है. सुरक्षाकर्मियों को शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन, पीएफ आदि सुविधाएं प्रदान की जाएं.
प्रदेश शासन द्वारा हितग्राहियों को दी जा रही पेंशन राशि में बढोतरी किया जाना.
श्री दिलीप सिंह शेखावत ( नागदा खाचरोद ) -- अध्यक्ष महोदय मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है. माननीय मध्यप्रदेश शासन द्वारा गरीब निराश्रित वीपीएल परिवारों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन, राष्ट्रीय इंदिरा गांधी विधवा, विकलांग, वृद्धवस्था, मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक पेंशन प्रतिमाह 150, 275, 300 एवं 500 रूपये प्रतिमाह भुगतान करती है. उक्त राशियां भिन्न भिन्न होने से इन हितग्राहियों में भ्रम एवं असंतोष व्याप्त रहता है कई वर्षों से इनकी पेंशन में बढोतरी नहीं होने से इनका गुजारा नहीं हो पाता है इसलिए प्रतिमाह न्यूनतम 1000 रूपये प्रतिमाह की जाय. माननीय यदि इनकी पेंशन में बढोतरी नहीं की जाती है तो भविष्य में शासन केक प्रति आक्रोश व्याप्त होगा.
बैरसिया स्थित ठाकुरलाल सिंह हायर सेकेण्डरी स्कूल में अव्यवस्था.
श्री विष्णु खत्री ( बैरसिया ) -- अध्यक्ष महोदय मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है. मेरे विधान सभा क्षेत्र क्रमांक 149 बैरसिया अंतर्गत बैरसिया में स्थित ठाकुर लाल सिंह हायर सेकेण्डरी स्कूल क्षेत्र का सबसे बड़ा और पुलाना बालक हायर सेकेण्डरी स्कूल है जो उत्कृष्ट विद्यालय भी है. इस स्कूल में बड़ी संख्या में 700 के आस पासक्षेत्र के विद्यार्थी अध्यनरत हैं. इसी के साथ विद्यालय के नाम से लगभग 30 एकड़ कृषि भूमि का रकबा भी है. इस विद्यालय के 15 - 20 किमी के दायरे में कोई भी शासकीय बालक हायर सेकेण्डरी संचालित नहीं है. विद्यालय का परिसर भी बड़ा है लेकिन वर्तमान में यह विद्यालय अव्यवस्थाओं का शिकार है . कक्षों के कबेलू लकड़ी दरवाजे खिड़की आदि टूटे हुए हैं. बरसात होने पर कक्षों में पानी भर जाता है और परिसर में कीड़े मकोड़े जहरीले जन्तु भी निकलने लगते हैं. इस विद्यालय में वर्तमान में पदस्थ प्राचार्य द्वारा किसी प्रकार की कोई सांस्कृतिक एवं रचनात्मक गतिविधियों का संचालन नहीं किया जाता है. इसी तरह शासन द्वारा समय समय पर दिये गये कार्यक्रमों जैसे विवेकानंद जयंती पर सूर्य नमस्कार, 26 जनवरी, 15 अगस्त, 2 अक्टूबर जैसे राष्ट्रीय पर्वो पर भी कार्यक्रमों का आयोजन उत्कृष्ट विद्यालय के अनुरूप नहीं किये जाते हैं. इ स विद्यालय की वर्तमान दुरावस्था से क्षेत्रीयजनों और विद्यार्थियों के पालकों में अत्यंत रोष व्याप्त है.
(9) छतरपुर जिले के चंदला क्षेत्र में सूखे क कारण लोगों का पलायन
श्री आर.डी. प्रजापति (चन्दला) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
जिला छतरपुर के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र 49 चंदला में भयानक सूखे की स्थिति के कारण फसलों की पैदावार समाप्त हो चुकी है. इस कारण क्षेत्रीय जनता में काफी आक्रोष है तथा भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है इसलिए गांव के गांव खाली हो रहे हैं तथा किसानों का पलायन जारी है. कई किसान मौत के कगार पर पहुँच गए हैं. यदि शीघ्र ही शासन द्वारा कोई योजना प्रारंभ करके रोजगार मूलक कार्य प्रारंभ नहीं किए जाते हैं तो क्षेत्र में स्थिति बिगड़ सकती है. चूँकि मनरेगा के कार्य बंद हैं, मजदूरी हेतु रोजगार के कोई भी साधन उपलब्ध नहीं हैं इससे शासन की क्षवि खराब हो रही है. सूखे की स्थिति से जो मुआवजा बांटा जाना था वह भी अभी तक पूरी तरह नहीं बंट पाया है तथा इतनी कम राशि स्वीकृत की गई है कि लागत बीज की राशि भी वापस नहीं मिल सकेगी.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- अध्यक्ष महोदय, 21 फरवरी को ग्वालियर के बाल भवन में आंबेडकर विचार मंच द्वारा एक गोष्ठी का आयोजन किया गया था उसमें असामाजिक तत्वों ने उन पर हमला किया. दिल्ली जेएनयू के प्रोफेसर आए थे उनको पीटा गया, इससे अनुसूचित जाति, जनजातियों में बड़ा आक्रोष है, हम शासन से यह अपेक्षा करते हैं कि शासन इसमें असामाजिक तत्वों पर जिनमें विद्यार्थी परिषद् और बजरंग दल के लोग शामिल हैं, उन पर कार्यवाही करे.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
11.41 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश वित्त निगम का 60वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015
(2) मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के वार्षिक लेखे वित्त वर्ष 1997-1998 से 2012-2013
(3) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 46वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014
(4) मध्यप्रदेश स्टेट माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 51वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014
(5) एन.एच.डी.सी. लिमिटेड की 15वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2014-2015
11.42 बजे दिसंबर, 2015 सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर खण्ड 6 का संकलन पटल पर रखा जाना
11.43 बजे नियम 267-क के अधीन दिसंबर, 2015 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना
11.44 बजे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
11.45 बजे ध्यान आकर्षण
(1) अशोक नगर जिले के अनेक ग्रामों में भू-जल स्तर गिरने से उत्पन्न स्थिति
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--- अध्यक्ष महोदय, सब आनंद है, कोई असंतोष नहीं है. मैं उस क्षेत्र का प्रतिनिधि हूं, मुझे कितने फोन आते हैं, मैं बता नहीं सकता हूं आपको. एक नेशनल लेवल हैल्थ सर्वे में 80 परसेंट पापुलेशन स्टेट की एनेमिक है और प्रदेश के 18 जिलों में भू-जल पीने व सिंचाई के योग्य नहीं है , 93 विकासखंडों और 1300 से ज्यादा बसाहटों के भू-जल स्त्रोतों में एक से अधिक घुलनशील घातक तत्व फ्लोराइड नाइट्रेट, लौह तत्व , लवणीयता, खारापन है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस क्षेत्र का ध्यानाकर्षण लगाया है मैंने उसका जवाब दिया है. जब आप पूरे प्रदेश का ध्यानाकर्षण लगाएंगे तब मैं पूरे प्रदेश का जवाब अवश्य दूंगी.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--- मैं भूमिका बना रहा हूं, पूरे प्रदेश के विषय में मैंने स्थगन दिया है लेकिन वह मंजूर नहीं हुआ है. अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल के अभिभाषण में पेज 22 पर उनसे यह कहलवाया गया है कि 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन जल प्रदाय का मानदंड निर्धारित किया गया है.
अध्यक्ष महोदय--- आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, अभी अभिभाषण पर चर्चा नहीं हो रही है. आप काल अटेंशन के विषय में पूछिये.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- मैं मेरे क्षेत्र का ही पूछ रहा हूं कि 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन जलप्रदाय आप उपलब्ध करायेंगे, जल यानि शुद्ध जल. फ्लोराइड और आर्सेनिक विषक्तता से विमुक्त जल. मेरे विधानसभा क्षेत्र में आप कितने गांवों और बसाहटों में राज्यपाल जी ने जो कहा है उसके हिसाब से 55 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन शुद्ध पानी उपलब्ध करा रहे हैं यह बताइए.चूंकि बहुत सारी बसाहटें बाकी हैं, जिनमें यह नहीं हो पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आप स्पेसीफिक प्रश्न पूछिये, आप इतने वरिष्ठ सदस्य हैं.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले--- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब राज्यपाल जी के भाषण का जवाब देने की बात आएगी, तब उसके जवाब में मैं यह बताऊँगी .
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- तो कितने गांवों में, बसाहटों में आप 55 लीटर पानी प्रतिव्यक्ति दे रहे हैं.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले--- अभी जो प्रश्न आप कर रहे हैं वह इससे उद्भूत नहीं होता है. आपने जो अपने क्षेत्र की बात पूछी है वह मैंने आपको बता दी है. रही अशुद्ध पेयजल की समस्या की बात, आप उसको चिन्हित करेंगे हम उसको ठीक करा देंगे.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--- मेरे विधानसभा क्षेत्र में कितने गांवों में आप 55 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन पानी शुद्ध जल उपलब्ध करा रहे हैं यह बता दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--- यह भी ध्यानाकर्षण में नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- आपको मैंने लिखित में जवाब दे दिया है आप उसको पढ़ लीजिये.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- अध्यक्ष महोदय, 55 लीटर दे रहे हैं, इसका जवाब उसमें नहीं है. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि मेरे क्षेत्र में मल्हारगढ़ , अचलगढ़ आदि सहित 50 से ऊपर पेयजल योजनायें आपके विभाग की इसलिए खराब पड़ी है कि पीएचई वालों ने ठेकेदारों ने खराब पाइप लगाये हैं और घटिया काम किया है . इस कारण कोई योजना चालू नहीं है तो क्या आप इस बात पर विचार करेंगे कि अब आप पांच साल या दस के लिए ठेकेदार को जिम्मेदारी देंगे कि वह पीएचई की जो पेयजल योजना गांव में है उसको मेन्टेन करेगा उसका संधारण करेगा. तब ही यह सफल हो सकती हैं, अदरवाईज आपकी सब पेयजल योजनायें फेल हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले—माननीय अध्यक्ष महोदय, जो नल जल योजनायें हमने अभी पंचायत ग्रामीण विकास विभाग को नहीं सौंपी हैं, उनको सुधारने की जिम्मेदारी हमारी है और जो हमने सौंप दी हैं मय बजट के वह पंचायत ग्रामीण विकास की जिम्मेदारी है, वह उनको सुधारेंगे और माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा हो चुकी है और इस बात पर सहमति हो चुकी है कि ग्रामीण विकास की योजनायें पीएचई को सौंप दी जाए और जब वह सौंप दी जाएंगी हम उनको सुधार देंगे.माननीय सदस्य ने एक बहुत अच्छी बात की है मैं उनकी तारीफ करती हूं . हमने अपने विभाग में यह भी व्यवस्था की है कि आगे से जो हम नल जल योजनायें बनाएंगे तो निश्चित रूप से ठेकेदार की यह जिम्मेदारी होगी कि वही ठेकेदार नलकूप का खनन करेगा, वही पाइप डालेगा, वही, पाइपलाइन बिछाएगा और वही टंकी बनाएगा और लगातार दस वर्षों तक उसका संधारण करेगा. आपको इस सुझाव के लिये मैं धन्यवाद देती हूं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- मंत्री जी, आपको धन्यवाद. एक और निवेदन है कि मंदसौर, जावरा, नीमच से लेकर भिंड , मुरैना तक जो ग्रे-एरिया डिक्लेयर्ड हो गये हैं, जहाँ भूजल अत्यन्त नीचे चला गया है वहाँ हैंडपंप खोदना आप बंद करे और किसी और सोर्स से पानी लेकर सामूहिक योजनायें बनाने का कष्ट करें. वहाँ हैंडपंप खोदना बेकार है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार को आपको धन्यवाद देना चाहिए .सतही स्त्रोत योजनाओं के बारे में मैं आपको बताना चाहती हूं कि प्रदेश के पेयजल संकट प्रभावित क्षेत्रों में पांच दर्जन योजनायें बनाई गई हैं. इन योजनाओं की लागत 20 हजार करोड़ रुपये हैं और इनकी वित्तीय व्यवस्था हेतु विश्व बैंक, जायका ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक , एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक, नाबार्ड ,हुडको से चर्चा चल रही है और आपकी मंशा के अनुसार हमारा विभाग, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी इस काम को पूरा करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- श्री कैलाश चावला, श्री जगदीश देवड़ा.....
श्री कैलाश चावला-- (अनुपस्थित)
श्री जगदीश देवड़ा-- (अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय-- अनुपस्थिति की अनुज्ञा....
श्री हरदीप सिंह डंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह महत्वपूर्ण विषय है. यह सूखे का है, यह मुआवजे का मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- उस पर नहीं. आपने पहले दिया नहीं.
श्री हरदीप सिंह डंग-- एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय-- आप बाद में दे दीजिए. आपका नाम नहीं है. आप बाद में दे दीजिए. आप एक मिनट सुन लीजिए. आप बाद में दे दीजिए. इसको फिर कंसीडर कर लेंगे पर आज वह नियमों में नहीं आता है क्योंकि आपका नाम नहीं है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों विधायकों ने जो आज ध्यानाकर्षण दिया था वह किसानों को मुआवजे की राशि नहीं मिलने संबंधी है. इनको गायब किया गया है. इसकी जाँच होना चाहिए.
11.56 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा.
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 9- अटेर से निर्वाचित सदस्य, श्री सत्यदेव कटारे एवं निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 216- उज्जैन-उत्तर से निर्वाचित सदस्य, श्री पारस चन्द्र जैन को विधान सभा फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा.
12.57 बजे निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 190 (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्य श्री रमेश
पटेल की न्यायिक निरोध में केन्द्रीय जेल बड़वानी में दाखिल होने संबंधी सूचना.
12.58 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति एवं स्वीकृति.
याचिका समिति का अठारहवाँ से उनतीसवाँ प्रतिवेदन.
2. प्रत्यायुक्त विधान समिति का षष्टम् प्रतिवेदन
श्री शंकरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रत्यायुक्त विधान समिति का षष्टम् प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
12.00 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत हुई मानी जायेंगी.
12.01 बजे
जल संसाधन मंत्री का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय--अब, श्री जयंत मलैया, जल संसाधन मंत्री दिनांक 15 दिसंबर, 2015 के पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 1 (क्रमांक 2268) के उत्तर के परिशिष्ट में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
जल संसाधन मंत्री (श्री जयंत मलैया )-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 15 दिसंबर, 2015 की प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित पृष्ठ 1 में तारांकित प्रश्न संख्या 1 (क्रमांक 2268) में मैं निम्नानुसार संशोधन चाहता हूँ. प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित परिशिष्ट एक के स्थान पर कृपया निम्नानुसार संशोधित परिशिष्ट पढ़ा जाये. इसे मैं पटल पर रखता हूं.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न 15 दिसंबर को नंबर वन पर था. मैंने अभी प्रमुख सचिव को आवेदन दिया है कि इस प्रश्न पर नियम 52 के तहत आधे घंटे की चर्चा करायी जाये. यह बहुत बड़ा करप्शन है प्रदेश में जो बैराज बने हैं उस समय उसमें बड़े लेवल पर करप्शन हुआ है. मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपके ही प्रोटेक्शन पर माननीय मंत्रीजी ने उस समय जवाब दिया था नहीं तो जवाब भी नहीं मिल रहा था इस पर आधे घंटे की चर्चा दी जाये यह मेरा आपसे आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय--उस पर विचार कर लेंगे.
12.03 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधन पर चर्चा.
अध्यक्ष महोदय-- अब, श्री शंकरलाल तिवारी, सदस्य कृतज्ञता प्रस्ताव के संबंध में अपना भाषण प्रारंभ करेंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय महामहिम राज्यपाल महोदय जी के द्वारा प्रस्तुत अभिभाषण वर्तमान सरकार का दृष्टिपत्र है. किये गये व किये जाने वाले विकास व जनकल्याण कार्य व कार्यक्रमों का ऐतिहासिक दस्तावेज है. मैं माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन पर अपनी बात रखने हेतु खड़ा हूँ.
माननीय राज्यपालजी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करने का जो अवसर मुझे दिया गया है यह मेरे लिए गौरव की बात है. प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री गरीबों के हमदर्द, गरीबों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं, दलितों व वनवासियों की हितैषी योजनाओं के जनक, लोकनायक श्री शिवराज सिंह जी की इस घोषणा का स्वागत करता हूँ, साधुवाद देता हूं जिसमें माननीय शिवराज सिंह जी ने कहा है कि अन्त्योदय के प्रणेता, एकात्म मानववाद का शंखनाद करने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी एवं संविधान निर्माता, दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125 वीं जयंती के उपलक्ष में प्रदेश सरकार इस वर्ष को "गरीब कल्याण वर्ष" के रुप में मना रही है. यह माननीय शिवराज सिंह जी की ही संवेदनाएं हैं उनका ही संकल्प है कि प्रदेश के गरीबों की आर्थिक स्थिति, उनकी उन्नति, उनकी शिक्षा और उनका स्वास्थ्य जिसकी चिन्ता उन्होंने निरन्तर की और पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय जो सच में अन्त्योदय की विचारधारा के जनक, पंक्ति के अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति का उत्थान और डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की 125 वीं जयंती पर शिवराज सिंह जी ने जो घोषणा की है कि यह वर्ष हम "गरीब कल्याण वर्ष" के रुप में मनायेंगे इसके लिए मैं उनकी सराहना करता हूँ, उनको धन्यवाद करता हूँ, उनकी प्रशंसा करता हूँ. इस वर्ष उन्होंने सच में गरीब कल्याण वर्ष के रुप में भूमिहीन लोगों को आवासीय पट्टे देने एवं अन्य शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने हेतु प्रभावी अभियान चलाया है. मैं सौभाग्यशाली रहा हूं कि माननीय मुख्यमंत्रीजी ने गरीब कल्याण वर्ष की ऐतिहासिक शुरुआत इसका श्रीगणेश पिछले माह सतना जाकर किया. मैं सतना में एक कार्यक्रम से निकल रहा था कुछ पता नहीं था कोई बात नहीं थी माननीय मुख्यमंत्रीजी का फोन आया और उन्होंने कहा कि मैं सतना आ रहा हूं. मैंने कहा आइये आपका स्वागत है और उन्होंने कहा कि मुझे सतना की नई बस्ती में जाना है और यह बस्ती करीब 25 हजार लोगों की नई बस्ती है, जहां पर स्लम एरिया है , झुग्गी- छोपड़ी है,मजदूर लोग रहते हैं, फूटपाथ व्यापारी रहते हैं और लघु उद्यमी रहते हैं ऐसी नई बस्ती माननीय मुख्यमंत्री के दिमाग में थी उनके जहन में थी, उन्होंने मुझे फोन पर कहा कि मुझे नई बस्ती में चलना है और मैं सच में हृदय से इस पुण्य के लिये उन्हें प्रणाम करता हूं, धन्यवाद करता हूं और आभार करता हूं कि सतना की उस नई बस्ती में जाकर के चुनाव के पहले उन्होंने आमसभा की थी और कहा था कि 15-20 साल से जो लोग घर बनाकर के जहां पर रह रहे हैं उनको आवासीय पट्टे वहां पर दिये जायेंगे. उन्होंने यह घोषणा चुनाव के पहले दी थी, पर मैं सहृदयी माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद करूंगा कि उन्हें वह घोषणा याद रही और उन्होंने अपने आप मुझसे फोन करके कहा, जब उनके मन में गरीब कल्याण वर्ष बनाने की याद आयी तो उन्होंने कहा कि मैं नई बस्ती आ रहा हूं और उस बस्ती में 25 हजार लोग जो गरीब, मजलूम, आवासहीन जो उस सरकारी जमीन में 15-20 साल से रह रहे हैं जो भूमिहीन हैं जिनका आसमान और जमीन के अलावा कुछ नहीं हैं, ऐसे 25 हजार से अधिक गरीब, मजलूम, महिलाएं और बहनें और मजदूरों के बीच में माननीय मुख्यमंत्री जी ने गरीब कल्याण वर्ष का जो तोहफा था, वह पहला तोहफा सतना को दिया, इसके लिये मैं उनको धन्यवाद् करता हूं, जिसकी उन्होंने वहां पर घोषणा की कि जो जहां पर रह रहा है वह वहीं पर रहेगा. उनको पट्टे दिये जायेंगे और सिर्फ पट्टे ही नहीं पट्टे के साथ में वहां पर मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा कि मकान बनाने के लिये भी राशि का कहीं न कहीं से जो आवासीय योजनाएं हैं उनसे इन्तेज़ाम किया जायेगा. सतना की उस नई बस्ती की धरती में माननीय मुख्यमंत्री जी ने गरीब कल्याण वर्ष का श्रीगणेश करते हुए पूरे प्रदेश को यह तोहफा दिया और पूरे प्रदेश के उन तमाम गरीबों को जिनके पास छत नहीं थी, जो वहां पर रह रहे थे सरकारी नोटिसों, सरकारी कार्यवाहियों का शिकार होते रहे हैं उनको मकान का मालिक बनाने की बात ही नहीं करी और आगे जाकर के प्रदेश के अन्दर मध्यम परिवार के लोगों के लिये, सामान्य लोगों के लिये जो एक बड़ी समस्या पिछले 8-10 वर्षों से जो अवैध कालोनियों की समस्या रही है, उन अवैध कालोनियों को वैध करने की बात भी उस सतना की नई बस्ती में माननीय मुख्यमंत्री ने करी और अवैध कालोनी को वैध करने से इन तमाम कालोनियों में जो मध्यम परिवार के लोग जो शहर के बाहरी क्षेत्र में आकर के प्लाट खरीदकर अपने पैसों से मकान बनायें थे जिसमें नगरीय निकाय, नगर निगम और नगर पलिकाएं विकास के कार्य करने में सक्षम नहीं थी, उन अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा से उन तमाम कालोनियों और बस्ती को पानी, सड़क और बिजली की सुविधा प्राप्त होने लगेगी. इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पट्टे की कार्यवाही शुरू हो चुकी है इतना ही नहीं उसी नई बस्ती के मंच से तमाम जन कल्याणकारी योजनाएं गरीब ठेलावाला, गरीब कामकाजी महिलाएं, गरीब रिक्शावाला,भवन निर्माण के लोग, गरीब मजदूर उन सब लोगों की योजनाओं के लिये भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस गरीब कल्याण वर्ष में जो तय किया है कि इस वर्ष में जो जन कल्याणकारी योजनाएं हैं वह गरीब लोगों तक पहुंची या नहीं पहुंची उसका सारा हिसाब किताब करना है. इस हिसाब-किताब करने के फलस्वरूप मुख्यमंत्री जी ने उसी सभा मंच से वहां के कलेक्टर और कमिश्नर को निर्देशित किया कि इन तमाम कल्याणकारी योजनाओं के कैम्प कब लगाओगे, उसकी तारीख निर्धारित हुई और नियत तारीख में सतना में कैम्प लगा, जिसमें हजारों-हजार लोग आये और वहां पर गरीबी रेखा के कार्ड जो रिक्शा चालक है उसको रिक्शे का मालिक बनाने का काम, जो ठेला मालिक है उसको ठेला मालिक बनाने का काम और विधवा, नि:शक्त और तमाम वृद्धा अवस्था पेंशन योजना से जो लोग वंचित थे उनके फार्म भराने का काम किया और जन कल्याणकारी योजनाओं को वहां पर लाभांवित करने का काम वहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश से हुआ.
(12.10 बजे) {उपाध्यक्ष महोदय {डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह} पीठासीन हुए}
श्री शंकरलाल तिवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पिछले दिनों राजस्व कानून में एक संशोधन करके यह तय किया गया कि वक्फ बोर्ड की जमीनें जहां लोग काफी लंबे अरसे से बसे हैं. दुकानें कर रहे हैं. रह रहे हैं. किसी तरह शरणार्थी बनकर आये. जो शरणार्थी नहीं थे वह सिंधी समाज जिसको आज तक पट्टे की समस्या है उस संशोधन के बाद सरकार की मंशा के अनुरूप वक्फ बोर्ड की जमीन और शरणार्थी के रूप में हिन्दुस्तान पाकिस्तान के बटवारे के समय वह सिंधी समाज के तमाम कर्मठ लोग इस देश की आजादी के लिये और आजादी के बाद इस देश के निर्माण के लिये सब कुछ समर्पित करने वाले लोगों के लिये पट्टे देने का रास्ता खुला है. मैं अभिभाषण के दौरान माननीय मुख्यमंत्री जी से कहूंगा कि जहां प्रदेश के अंदर सतना,मैहर,कटनी,भोपाल या अन्य जगह जहां भी सिंधी समाज के विस्थापित लोग हैं उनको पट्टे दिये जायेंगे. इसकी कार्यवाही शुरू की जाये. विगत वर्ष एक प्राकृतिक विपत्ति का वर्ष था. प्राकृतिक आपदा के कारण फसलों की बेइंतहा बरबादी हुई. प्रदेश के किसान थरथरा उठे. समूचा प्रदेश हिल गया. प्रदेश के किसानों को भयक्रांत देखकर मुख्यमंत्री जी ने आपदा की भयावह विडंबनापूर्ण स्थिति में जब किसान पूर्णत: असहाय हो चुका था. प्रकृति ने सूखे का तूफान खड़ा कर दिया था. तब मुख्यमंत्री जी ने उदारता एवं साहस से संवेदनशीलता के साथ मन में ठाना मैं कहना चाहता हूं कि जिस तरह से प्रदेश में सूखे का तूफान कहर बनकर बरपा था. जिस तरह से प्रदेश का किसान मिट्टी में मिलने पर आ गया था. फसलों की बरबादी हो गई थी. उस समय एक हुंकार लेकर प्रदेश के मुखिया ने जब प्रदेश की समूची आबादी,प्रदेश का किसान सिर पकड़कर बैठा हुआ था. तब मुख्यमंत्री जी ने कदम आगे बढ़ाए कि प्रकृति ने सूखे का तूफान दिया है. " ए नाखुदा तू मेरे लंगर को खोल दे, आज मेरी जिद है इस तूफान से टकराने की " और उस सूखे के तूफान से किसान की असहाय स्थिति के दौरान जब उसके आगे पीछे अंधेरे के सिवाय कुछ नहीं बचा था जब मुख्यमंत्री जी ने एक हुंकार के साथ उस तूफान से लड़ाई लड़ी. मान्यवर मुख्यमंत्री जी ने खुद अखबारी बयानबाजी नहीं की. खुद गांव-गांव गये. अकेले मुआवजा देना,राशि बांटना एक काम नहीं था. उस अवसर पर जब किसान के सीने में आग और फफोले थे उस समय गांव-गांव जाकर मुख्यमंत्री जी ने खेत-खलिहान में जाकर किसान को ढाढस बंधाया. मुआवजे की प्राथमिक पूंजी दी. अपना आकलन किया और अपना आकलन करने के साथ-साथ मुख्यमंत्री जी ने उस तूफान से लड़ने के लिये जो तूफानी निर्देश दिये तो प्रदेश के मंत्रिमंडल के एक-एक माननीय मंत्री किसानों के खेत-खलिहानों में घूमने लगे. वल्लभ भवन के आला अधिकारियों से लेकर जिले के कर्मचारी भी चौबीस घंटे एक ही काम किसानों की वास्तविक स्थिति का आकलन कररहे थे और इतनी तेजी के साथ सर्वे कार्य हुआ मैं प्रदेश के तमाम शासकीय अमले को भी इसके लिये धन्यवाद करूंगा. सरकार ने जिस ढंग से किसानों के लिये कलेक्टर्स ने,तहसीलदारों ने,समूचे अमने ने खेत-खलिहानों में जाकर सर्वे रिपोर्ट सरकार के सामने रखी. सर्वे रिपोर्ट आई और दूसरे हाथ से प्रदेश सरकार के खजाने से 4 हजार 6 सौ करोड़ रुपये की राशि यहां से सीधे जिलों में और किसानों के खाते में भेजने की बात कही. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने पूरी तन्मयता के साथ प्राकृतिक विपत्ति के तूफान को जबर्दस्त टक्कर दी है. मुख्यमंत्री जी गांव-गांव खेत-खलियान गये वहां किसानों को ढाढस तो बंधाया ही, साथ ही 46 करोड़ रूपये की राशि मुआवजे के रूप में दी यह शायद पूर्व में कभी किसी सरकार ने सपने में भी नहीं सोची होगी, यह किसानों को प्राप्त हुई है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि इतना ही नहीं जैसे ही सूखे की स्थिति आयी माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्थिति को भांपकर के मध्यप्रदेश विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया और यह विशेष सत्र पूरी तरह से किसानों के लिये समर्पित रहा. प्रदेश के किसानों की खुशहाली के लिये हम क्या त्वरित इंतजाम कर सकते हैं, किया है यह मुख्यमंत्री जी किसानों के प्रति सदभावना है कि हम किसी हद तक भी चले जाएंगे, हम कुछ भी करेंगे पर प्रदेश के किसानों को जब वह पूरी तरह से प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त हैं तथा किसान मिट्टी में मिलने की कगार पर हैं उसे उठाकर के खड़ा करने का काम उस सत्र के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इतना ही नहीं चालीस सौ करोड़ रूपये का मुआवजा यह सारे काम कर्जे के साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि जिन किसानों की 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है उन किसानों के जो अल्पकालीन-कर्जों को मध्यकालीन में बदलने का काम उन्होंने किया है और उसकी जो भरपाई है वह सरकार के खजाने से करने की बात कही. अल्पकालीन ऋणों की वसूली को स्थगित करने की भी बात मुख्यमंत्री जी ने कही इससे त्वरित रूप से राहत किसानों को पहुंची. मान्यवर इतना ही नहीं बिजली के बिलों की वसूली को भी उन्होंने रोका उसकी भी जो वित्तीय जवाबदारी है उसको भी सरकार के खजाने से पूरी करने की बात कही. इन सब कार्यों में करोड़ो रूपयों का जो वित्तीय भार है सरकार ने उस समय किसानों की भलाई के लिये किया और यह साबित कर दिया नहीं तो इस सूखे की स्थिति ने किसानों को हिलाकर के रख दिया था आज उसका फल है कि प्रदेश में खाद की कमी नहीं है, सिंचाई का रकबा बढ़ा है, बिजली की उपलब्धता है, सूखे की स्थिति में मुख्यमंत्री जी ने लोगों की पीठ ही नहीं सहलाई, उनका सीना फफोलों से जल गया था उसमें मुआवजा देकर के, बिजली के बिल स्थगित करके, जो मरहम उन्होंने लगाया उससे आज रिकार्डतोड़ बोवाई रबी के मौसम में हुई है. आज खेतों की स्थिति पूर्व अनुसार अभी जो वर्तमान स्थिति है, वह बेहतर है. यह सिर्फ इसलिये हो पाया मुख्यमंत्री जी ने उस संकट के दौरान किसानों को राहत दी.
मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, अभी पिछले दिनों आप सबने देखा कि देश के प्रधानमंत्री जी भोपाल के समीप सीहोर में पधारे उसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा तथा उनका एक ही संकल्प था कि किसानी को फायदे का धन्धा बनाएंगे उस पर लोग हंसते थे कि खेती कभी फायदे का धन्धा कैसे हो सकती है. मैं निरंतर देख रहा हूं माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मध्यप्रदेश को तथा यहां के किसानों को तथा मध्यप्रदेश की सरकार को भी सम्मान दिया. मध्यप्रदेश को किसानों की बदौलत चौथी बार कृषि कर्मण पुरूस्कार माननीय मुख्यमंत्री जी को समर्पित किया है, यह किसानों की मेहनत का फल है.
श्री शंकरलाल तिवारी(सतना)- मान्यवर, हम सोचते नहीं थे और सोचते भी थे तो लगता नहीं था कि कोई सरकार इस ढंग से भी इस देश के किसानों के मामले में, किसानी के मामले में सोचेगी । मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषणा फसल बीमा योजना की घोषणा की गई । आप सबने उसे देखा होगा, जिन मित्रों ने नहीं देखा, उसे देखें । उसके क्रियान्वयन पर शंका तो तमाम लोग उठाने लगे, यह उनका धर्म है ।
मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने निजी अनुभव के आधार पर कहता हूँ कई मित्रों से चर्चा भी हुई है, उनके आधार पर भी कह रहा हूँ कि जो किसानी घाटे का धंधा थी, किसानी निरन्तर आसमानी धंधा थी, किसानी जो सिर्फ भगवान भरोसे थी, उस किसानी में घाटे के अलावा कुछ नहीं था, लोग हंसते थे, व्यंग करते थे कि कैसी बातें कर रहे हो, किसानी को फायदे का धंधा बनाने की ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे विनती पूर्वक कहना चाहता हूँ फसल बीमा योजना ने किसानी को फायदे का धंधा बनाने की ओर एक बड़ा कदम उठाया है, फसल बीमा योजना किसानी को फायदे का धंधा बनाने में मील का पत्थर साबित होगी,यह बात मैं आपसे इस विधानसभा में कह रहा हॅूं, इतना ही नहीं फसल बीमा योजना आने के बाद अब किसान को किसानी में घाटा लगने का तो कोई प्रश्न ही नहीं बचा है और अब किसानी फायदे का धंधा बनेगी ।
मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण में यह भी है कि 4600 करोड़ तो किसानों को दिए गए पर फसल बीमा योजना के 4300 करोड़ भी किसानों को मिलेंगे, वह भी मिलने जा रहे हैं, इसके लिए भी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और कृषि मंत्री जी को ह्रदय से धन्यवाद कहता हूँ और बधाई देता हूँ । मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी संकल्पित हैं, सबको शिक्षा, सबका स्वास्थ्य, हर हाथ को काम, हर खेत को पानी, दलितों, वनवासियों,महिलाओं को सम्मान तथा स्वाभिमान के साथ आगे बढ़ने का समान अवसर, आर्थिक उन्नति, सबका साथ सबका विकास, उद्योग व व्यापार के क्षेत्र में नए आयाम, नई प्रगति के साथ युवकों को नौकररियॉं, गरीबों को आवास, अधोसंरचना विकास,बिजली, पानी पेयजल,की सुनिश्चित उपलब्धता से प्रदेश को समृद्वशाली बनाने हेतु बहुत तेजी से इस सरकार ने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है । मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ ।
उपाध्यक्ष महोदय- शंकर लाल जी कितना समय और लेंगे ।
श्री शंकरलाल तिवारी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी तो शुरू ही किया है ,प्रथम वक्ता हूँ मुझे तो बोलने दीजिए ।
श्री मुकेश नायक- बोल लेने दीजिए हो सकता है मंत्रिमण्डल में जगह मिल जाए ।
श्री शंकरलाल तिवारी- मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, भागवत वाचन बंद कराया जाए और मुझे बोलने दिया जाए, गरीब किसान की बात कर रहा था ।
उपाध्यक्ष महोदय- एक तरफ पुराण और एक तरफ भागवत है ।
श्री शंकरलाल तिवारी- मान्वयर उपाध्यक्ष महोदय, वह मुझसे श्रेष्ठ हैं मैं उनको प्रणाम करता हूँ । मैं यह कहना चाहता हूँ कि सरकार ने तय किया था कि 2018 तक हम सिंचाई क्षमता हासिल करेंगे, सरकार ने 2018 के पूर्व ही सिंचाई क्षमता हासिल कर ली है । सरकार के विजन में था कि हम 40 लाख हेक्टेयर की सिंचाई 2018 तक करेंगे, यह प्रसन्नता की बात है । मैं सिंचाई मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कि 40 लाख हेक्टेयर सिंचाई का आंकड़ा 2018 में प्राप्त करना था, सरकार ने 2016 में ही प्राप्त कर लिया है और सरकार का लक्ष्य है कि आगे आने वाले 10 वर्षों में 60 हजार हेक्टेयर तक सिंचाई की सुविधा होगी । मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, 33 लाख हेक्टेयर की सिंचाई अकेले नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं से हो रही है, 7 लाख हेक्टेयर की सिंचाई जल संसाधन और कृषि विभाग के माध्यम से हो रही है । मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, कृषि कर्मण पुरस्कार पर भी कई लोग इधर उधर की बात करते हैं । यह ऐसे ही नहीं मिला है । जब सरकार बनी थी. उस समय सिंचाई का रकबा, मैं उसकी चर्चा नहीं करना चाहता हूँ, नहीं तो कुछ लोग कहेंगे कि गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं. कोई जरूरत नहीं है मुर्दों की बात करने की. मुर्दों पर तो रहम खाइये और इसलिए अब कहने की जरूरत नहीं है. अब जो किया है, उसे जनता ने जान और देख लिया है.
मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, किसान हितैषी कार्यों की, यदि मैं सच में बात करना चाहूँ तो मुझमें उतनी योग्यता नहीं है. किसी भी प्रदेश की सरकार ने यह हिम्मत नहीं जताई कि शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्जा दिया. पूरे देश के अखबार, सारे मुख्यमंत्री पढ़ रहे हैं, सभी दलों के पढ़ रहे हैं. सब किसानों का भला चाहते हैं पर कलेजा तो शिवराज सिंह का है. जिसने शून्य प्रतिशत पर और शून्य नहीं हद कर दी. जहां तक जाना होगा, जाएंगे. किसानी को फायदे का धंधा बनायेंगे. इस नारे को साकार करने के लिये शून्य के बाद भी 90,000/- दो और 1,00,000/- ले जाओ. मैं सोचता हूँ कि यह उद्भूत है और संकल्प यह चमत्कारिक स्थिति है. जिसको मान्यवर, इस सरकार ने माननीय मुख्यमंत्री जी की कृपा से किसानों तक पहुँचाई.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री शंकरलाल तिवारी जी आप कितना समय और लेंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी - आपका जितना आदेश होगा.
उपाध्यक्ष महोदय - आप जारी रखिये.
श्री शंकरलाल तिवारी - मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, इस वर्ष किसानों को अनुदान के रूप में सीधे उनके बैंक खातों में कोई निगम को नहीं, कोई दलाल, डिस्ट्रीब्यूटर को नहीं सीधे उनके खातों में कृषि कार्यों के लिये 27,000 करोड़ रू. के अनुदान इस वर्ष बांटे गए.
एक बड़ी बात, मुख्यमंत्री जी तो पहले शुरू कर चुके थे, स्वायल हेल्थ कार्ड पर अभी यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने भी उस दिन शेरपुर की सभा में जहां फसल बीमा योजना की घोषणा की. 2017 तक सभी के स्वायल हेल्थ कार्ड, किसानों की जमीन प्रयोगशाला के माध्यम से उसकी उत्पन्न क्षमता, उसकी उत्पादक क्षमता की जांच करके स्वाइल हेल्थ्ा कार्ड निशुल्क एक-एक किसान को देने का संकल्प लिया है. मैं इसके लिये उन्हें बधाई देता हूँ. बिना बिजली के किसानी संभव नहीं है और बिजली के मामले में माननीय मुख्यमंत्री जी ने पिछले वर्ष ही 1200 रू. हॉर्स पावर, एक बड़ी बात यह है कि बिजली को लेकर सरकार गई थी और बिजली-सड़क बनाकर ही सरकार एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन-तीन बार आई. बिजली के मामले में प्रदेश की सरकार भाजपा की सरकार ने जो कार्य किये हैं. हम आत्मनिर्भर हुए हैं. हम 16,000 यूनिट का उत्पादन कर रहे हैं. आज मुख्यमंत्री जी 1200 रू. प्रति हॉर्स पावर को बिना मीटर लगाये, बिना बिल बनाये जे.एस. पावर का पम्प है. 1200 में गुणा कर लो, पैसा वर्ष में दो बार जमा करिये. खेती करो, किसानी को फायदे का धंधा बनाओ. इस 1200 रू. प्रति हॉर्स पावर के मामले में, पिछले वर्ष 7,405 करोड़ रूपये का जो टैरिफ है, वह प्रदेश सरकार ने माननीय शिवराज सिंह ने खजाने से किसानों को दिया है और इस कारण 1200 रू. प्रति हॉर्स पावर पर जो 7,000 करोड़ रूपये सरकार ने दिया. हम किसानों को कम दर पर बिजली उपलब्ध करायें. इसलिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है. यह कोई किसी यू.डी.सी. या किसी एन.जी.ओ. का बनाया पुरस्कार नहीं, यह भारत सरकार का पुरस्कार है. जिसमें एक-एक बात को गम्भीरता से लिया जाता है, एक नहीं बल्कि चार बार लिया है. आपसे कहना चाहता हूँ कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने सड़कों को बनाने में कीर्तिमान बनाया है. सड़कों के बनाने में एक कीर्तिमान बनाया है. भाजपा की सरकार को जिस ढंग की परिस्थितियां मिली थीं, उस पर मैं नहीं जाना चाहता. और निरन्तर सड़कों के लिये उदारता से बजट में राशि दी है और उदारता से सड़कों को बनवाने का काम किया है. इसी वर्ष अभी तक 2500 किलोमीटर सड़क बनाई गई है. सरकार का निर्णय है कि मुख्य जिला मार्गों को अब जब नया निर्माण होगा, तो सीमेंट कांक्रीट से बनाया जायेगा. इसके लिये भी मैं धन्यवाद करता हूं कि जिले के मुख्य मार्ग सीमेंट कांक्रीट से बनेंगे,तो वह एक मजबूत बात होगी और वह लम्बे समय तक चलेंगे. इसके लिये मैं यह भी कहना चाहता हूं कि भवनों के निर्माण में भी प्रदेश की सरकार ने प्रगति की है. राज्यपाल जी के अभिभाषण में बताया गया है कि 4 हजार करोड़ रुपये के 2839 भवन प्रदेश की सरकार ने इस वर्ष पूर्ण किये हैं. ग्राम की सड़कों की भी बात करना जरुरी है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, जो माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा दी गई इस देश की अभिनव योजना थी, उसमें इस वर्ष 2244 किलो मीटर लम्बी सड़क बनाई गई, 669 सड़कों का निर्माण किया गया और जिसके माध्यम से 810 सम्पर्क विहीन गांव लाभान्वित हुए. मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क के माध्यम से भी 13540 किलोमीटर लम्बाई की 6107 सड़कें, 22974 पुल पुलियों का निर्माण किया गया, इससे 6500 गांव लाभान्वित हुए. मुख्यमंत्री जी एक अभिनव योजना आवास मिशन में अभी तक 5 लाख 61 हजार ग्रामीण परिवारों को आवास बनाकर के दिये जा चुके हैं.
12.32 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.
अध्यक्ष महोदय, शहरों में एक हजार करोड़ की लागत से 50 हजार आवास निर्माण शहरों के अन्दर स्वीकृत हुए हैं. 38 हजार आवास शहरों के अन्दर आवास विहीन गरीबों को दिये जा चुके हैं. दिसम्बर,2015 तक 50 लाख घरों में शौचालय की सुविधा स्वच्छता भारत मिशन अभियान के अंतर्गत कराई जा चुकी है. स्मार्ट सिटी प्रदेश को तीन मिल चुकी हैं. मैं उसके लिये मुख्यमंत्री जी को प्रदेश की जनता की ओर से और उन शहरों की जनता की ओर से बधाई देता हूं. मुख्यमंत्री जी की ही कृपा रही और उनका ही प्रयास रहा कि मेरे सतना को भी स्मार्ट सिटी में जोड़ा गया. जो पूरे देश के शहरों के नाम थे, उसमें सतना का भी नाम है. जबलपुर, भोपाल और इन्दौर की बधाई मैं मुख्यमंत्री जी को हृदय से प्रदेश की जनता की ओर से देना चाहता हूं और विनती करना चाहता हूं कि ये तीन स्मार्ट सिटी बन चुकीं, अगले चरण में आपने पहले भी कृपा की है और यह कृपा निश्चित हम पर करेंगे. सतना भी स्मार्ट सिटी में शामिल होगी, यह मुझे पूरा विश्वास है. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मुख्यमंत्री जी ने सच में जो किया है, वह अद्भुत है. भूतो न भविष्यति. स्वास्थ्य के मामले में सभी जिलों में डायलेसिस मशीनें दी हैं. अभी पिछली 26 जनवरी को मेरे यहां 4 डायलेसिस मशीनें पहुंचीं. हालांकि मैं दो साल पहले से अपनी अस्पताल में डायलेसिस शुरु कर चुका हूं. एक मशीन मेरे पास थी, उससे डायलेसिस मेरे अस्पताल में होती थी. खुद ही नहीं कर रहे थे, जबलपुर भेजे थे, वहां अपने डॉक्टर्स, सिस्टर्स को ट्रेनिंग दिलवाई और एक मशीन से डायलेसिस दो वर्ष पहले शुरु की थी. नम्बर अधिक थे. हम यह नो प्रॉफिट नो लॉस पर कर रहे थे. स्वास्थ्य मंत्री जी ने 4 मशीनें सतना को भेजीं, पूरे प्रदेश को भेजी हैं, उसके लिये मैं आपको हृदय से धन्यवाद करता हूं. शिक्षा के क्षेत्र में वर्ष 2015-16 में 100 माध्यमिक को हायस्कूल और 100 हायस्कूल को हायर सेकेण्ड्री में उन्नयन हुआ है. यह उन्नयन प्रति वर्ष हुए हैं. जितने हायर स्कूल और हायर सेकेण्ड्री स्कूल इस भाजपा सरकार ने बनाये हैं और जिस ढंग से उनमें प्रवेश दर बढ़ी है, जिस ढंग से शासकील स्कूलों के बारे में जो बदनामी हो गई थी कि शासकीय स्कूल में यदि कोई गरीब मां बाप का बेटा अपने बच्चे को भर्ती कराये, तो उसकी पड़ोसन ताना मारती थी कि दलिया खाने को भेजते हो. वहां तो मास्टर ही नहीं है. वहां तो भवन ही नहीं है. दलिया खाने भेजते हो और अस्पतालों की हालत (XXX) की हो गई थी.
अध्यक्ष महोदय-- (XXX) विलोपित
श्री शंकर लाल तिवारी- आज इन दोनों संस्थाओं के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है. सरकार ने यहां पर राशि दी है नतीजा यह है कि हायर सेकेन्डरी और हाई स्कूलों का उन्नयन ही नहीं इन स्कूलों के बारे में मुख्यमंत्री जी ने बार बार कहा है कि स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा शाला की गुणवत्ता को हम बढ़ायेंगे. इसी कारण से सतना में महारानी लक्ष्मीबाई हायर सेकेन्डरी स्कूल का रिजल्ट माध्यमिक शिक्षा मंडल का 92% , कन्या धवारी हाई स्कूल का रिजल्ट 96%, वेंकट हायर सेकेन्डरी स्कूल का रिजल्ट 98% है यह सरकारी स्कूलों का रिजल्ट है. इसी तरह से अन्य स्कूलों की भी गुणवत्ता बढ़ी है. आज प्रदेश के आम आवाम का सरकारी स्कूल के प्रति आकर्षण बढ़ा है. शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ी है, अस्पताल की भी सेवाओं में भी गुणवत्ता बढ़ी है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री शंकर लाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, में अंत में आपसे कहना चाहता हूं कि सिंहस्थ मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश की पहचान इस दुनियां में बनाने जा रहा है. सिंहस्थ तो पहले भी हुए हैं और आगे भी होते रहेंगे परंतु माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो सतरंगी रंग और विशेषकर आध्यात्मिकता का, देश के भविष्य का चिंतन ऋषि-महात्मा-विद्वानों से देश की सामाजिक परिस्थिति का चिंतन, देश को कुंभ के माध्यम से सामाजिक निर्देश, सरकार को भी सरोकारी निर्देश देने की जो भूमिका बनाई है, वह सराहनीय है. इस कुंभ को अकेले स्नान और दर्शन से ले जाकर के मानव के जीवन दर्शन से जोड़ने का काम संत, महात्मा के वर्चस्व को प्रतिपादित करके उनकी नीतियों से देश को निर्देश दिलाने का काम कुंभ करेगा, इसकी मैं हृदय से सराहना करता हूं- भूरि भूरि प्रशंसा करता हूं. करोड़ो-करोड़ रूपये लगाकर मंत्रि मंडल के मंत्री आदरणीय मेरे साथी, मुख्यमंत्री जी और समूचा प्रदेश का अमला जिस तरह से सिंहस्थ की तैयारी में जुटा है वह अभिनंदनीय है, वंदनीय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन के कुंभ की पारंपरिक स्थिति रही है कि वहां पर लाखों लाख लोग उपस्थित होने वाले हैं , प्रदेश की सरकार की ओर से हम सब भी प्रदेश की सरकार के इस यशस्वी प्रयासों की सराहना करते हैं और मुझे यह लग रहा है इसलिये मैं कह रहा हूं कि यह सिंहस्थ अकेले कुंभ नहीं होगा, स्नान नहीं होगा कलियुग के परिवर्तन का शंखनाद इस कुंभ से होगा. ऐसी रचना मुख्यमंत्री जी ने साधु समाज के अकेले स्नान दर्शन के बजाए आध्यात्मिक और देश के सामाजिक सरोकार के चिंतन की जो रची है ,इस कलयुगी वातावरण से यह कुंभ निश्चित रूप से कुछ अमृत की बूंदे समाज में पहुंचायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विनतीपूर्वक आपसे कहना चाहता हूं कि सरकार ने जो राज्यपाल का अभिभाषण प्रस्तुत किया है यह सरकार का दृष्टिपत्र है. यह इस प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनने में, विकासशील प्रदेश बनने के लिये जो तेजी से कदम बढ़ रहे हैं उसका ऐतिहासिक दस्तावेज है. मैं इसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं और ईश्वर को धन्यवाद देता हूं , ईश्वर की कृपा है कि हम सबको और प्रदेश की साढ़े सात करोड़ की जनता को, इसमें मेरे मित्रों की भी सहमति है कि शिवराज सिंह जी जैसा नेतृत्व मिला है जिसके मन में करूणा, सेवा, गरीब के प्रति दया का सागर भरा है,इतना ही कहना चाहता हूं और मैं राज्यपाल जी के अभिभाषण पर हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं . आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्पाल जी के अभिभाषण का समर्थन करने का मुझे अवसर मिला, मैं धन्य हूं इस बात को लेकर के कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में यह प्रदेश विकास की दौड़ में अग्रिम पंक्ति में खड़ा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 23 फरवरी को सुबह महामहिम जी ने अभिभाषण की प्रस्तुति दी, 23 तारीख को ही शाम को भोपाल में जी एम.पी.,सी.जी. (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़) न्यूज चेनल की ओर से शहीदों की स्मृति में सम्मान समारोह का आयोजन किया, अनन्य सम्मान समारोह. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में यदि कुछ छूट गया था या सरकार की कोई योजना प्रकट में नहीं आई, जी चैनल के हेड द्वारा उस कार्यक्रम के आयोजन में माननीय मुख्यमंत्री जी से एक मांग रखी, मांग यह थी कि जब आतंकवाद अलगाववाद की घटना में जब कोई हमारा सैनिक शहीद हो जाता है तो माननीय मुख्यमंत्री जी न केवल उसको कांधा देने जाते हैं बल्कि 10 लाख रूपये की नगद राशि, उसके परिवार के लिये एक नौकरी और उस परिवार को एक भूखंड या भवन की भी राहत देने का काम करते हैं तो उनके बच्चों को उनकी इच्छानुसार जहां वे चाहे, निजी स्कूल में, चाहे प्राइवेट स्कूल में उनको अध्ययन करने का मौका दिया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने फिर संवेदनाओं से सरोकार रखा, उस कार्यक्रम में मैंने भी शिरकत की थी, मुझे भी निमंत्रण था, अनेक मंत्रिमंडल के सदस्य थे, अनेक विधायक थे, अनेक लोगों की आंखों में आंसू भी थे, जो वह दृश्य देख रहे थे, उसी समय तत्काल माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी सहृदयता का परिचय देते हुये यह घोषणा की कि कल तक शहीदों के प्रति सरकार जो कुछ कर रही थी और एक न्यूज चैनल जी-एमपी/छत्तीसगढ़ ने जो मांग रखी है, उसको माननीय मुख्यमंत्री जी ने तत्काल स्वीकृति देते हुये कहा कि प्रभावित परिवार का कोई भी बच्चा मध्यप्रदेश के किसी भी शासकीय या अशासकीय निजी स्कूल में पढ़ना चाहे, पूरा का पूरा खर्चा सरकार के द्वारा वहन किया जायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सी चीजें ऐसी हैं जो महामहिम के अभिभाषण में आती होंगी, नहीं आती होंगी, आकर के रह जाती होंगी, आगे बढ़ती होगी, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी की जो दिनचर्या है वह निरंतरता लिये हुये है, भाषण पर चर्चा आज करना प्रारंभ की लेकिन कल ही की बात है जब शबरी कुंभ में वनवासियों के बीच में मुख्यमंत्री जी थे और आज तक वहां पर अनेक प्रकार की व्यवस्थायें, सुविधायें जो अपेक्षित हैं उस वर्ग को, अनुसूचित जाति वर्ग को, उसको देने का पुन: माननीय ........
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- अध्यक्ष महोदय, न तो यहां मुख्य सचिव उपस्थित हैं, न एक भी प्रमुख सचिव उपस्थित हैं यह मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सदन का अपमान है, जबकि अधिकारियों की गैलरी भरी होना चाहिये, कोई भी नहीं है उनको बुलवाइयें यहां, विधायक जो सुझाव दे रहे हैं उनको वह नोट करें और कार्यवाही करें.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय सदस्य ने जो बात कही है निश्चित रूप से संवेदनाओं से भरा हुआ विषय है और यह विषय अभिभाषण में नहीं है, मैं प्रस्ताव करता हूं कि इसको भी अभिभाषण में जोड़ दिया जाये, अभिभाषण की चर्चा समाप्त होने के बाद.
अध्यक्ष महोदय-- अभी समय नहीं है उसका, बैठ जायें आप. आप जारी रखें अपना. उनके बोलने पर तो आपत्ति नहीं है न कोई.
श्री रामनिवास रावत-- बोलने में आपत्ति नहीं है, मैं तो प्रस्ताव कर रहा हूं कि इसे अभिभाषण में भी जोड़ दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- आपने अपनी बात कह दी, अब उनको कहने दीजिये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व में भी बात सामने आई थी और इस बात को मैं आज पुन: दोहराउंगा कि मध्य प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, देश में कहीं भी शहीदों के लिये शौर्य स्मारक नहीं है. मध्य प्रदेश के मुख्यालय पर भोपाल में शौर्य स्मारक की जो कल्पना माननीय मुख्यमंत्री जी ने की थी वह लगभग पूर्ण होने जा रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो कर्मठ होते हैं उन्हीं को कर्मण पुरस्कार दिये जाने को लेकर के प्रयास आगे बढ़ते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी की कर्मठता, उनका सक्रिय प्रयास, विशेषकर के किसानों को लेकर के जो उनकी निरंतर चिंता रहती है. प्राकृतिक आपदायें माननीय अध्यक्ष महोदय किसी के ......
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, महेन्द्र सिंह जी ने जो बात कही. महत्वपूर्ण चर्चा है, एक भी अधिकारी उपस्थित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- ऐसी परम्परा नहीं है. आप भी वरिष्ठ सदस्य हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- माननीय मुख्यमंत्रीजी यहां पर उपस्थित हैं.
श्री रामनिवास रावत-- सब आप ही नोट कर रहे हैं. आदेश तो अधिकारियों से ही जारी करायेंगे. अधिकारियों को यहां पर रहना चाहिए. क्या अधिकारी आपसे ऊपर हो गये हैं?
अध्यक्ष महोदय-- इसकी चर्चा नहीं की जाती, यह आपको भी मालूम है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, बजट के समय, अभिभाषण के समय समस्त अधिकारियों को उपस्थित रहना चाहिए. कम से कम प्रमुख सचिवों को तो उपस्थित रहना चाहिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- सभी विभागों के प्रमुख हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अभिभाषण कौन बनाता है. अभिभाषण आपका नीति पत्र है. उसका क्रियान्वयन किससे कराओगे.
अध्यक्ष महोदय-- यह विषय कभी नहीं लिया जाता और न इसकी कोई परम्परा है और न इसको उठाना चाहिए. आपने एक बार कह दिया, वह ठीक है लेकिन उसको आप प्रेस मत करिये. ऐसी परम्पराएं नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- अध्यक्ष महोदय, प्राकृतिक आपदायें जब आती हैं तो उसका कहर किसानों पर ढ़हरता है. माननीय मुख्यमंत्रीजी ने कभी किसानों को निराश नहीं किया. माननीय मुख्यमंत्रीजी का हाथ किसानों की पीठ पर है. शायद उसी कारण से, चाहे यूपीए की सरकार हो, चाहे एनडीए की सरकार हो, लगातार चौथी बार कर्मण पुरस्कार से म.प्र. का सम्मान किसानों की मेहनत से बढ़ा है. किसानों की लगातार सुध लेने के कारण से आज पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ते हुए, गेहूं के उत्पादन में हमारा प्रदेश, देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है.
अध्यक्ष महोदय, किसानों के लिए स्वाईल हेल्थ कार्ड का जो लक्ष्य तय किया गया है. 2017 तक प्रदेश के तमाम किसानों को सॉईल हेल्थ कार्ड का बंटन हो जायेगा और इसकी शुरुआत 18.2.2016 को ख्यातनाम, मूर्धन्य प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने सीहोर के शेरपुर से की है.
अध्यक्ष महोदय, किसानों के साथ अक्सर जोड़ा जाता है कि क्या करते हो तो किसान कहता है-खेती बाड़ी करते हैं. लेकिन वह खेती ज्यादा करता है, बाड़ी की तरफ कम ध्यान देता है. शायद मुख्यमंत्रीजी ने इसीलिए उद्यानिकी,वानिकी फसलों, फल-फूल की फसलों को लेकर,सब्जियों को और तमाम प्रकार की व्यवस्थाएं चाहे वह दुग्ध से संबंधित हो, चाहे मुर्गी पालन से संबंधित हो, गाय-बकरी पालन को लेकर हो, तमाम व्यवस्थाओं में मुख्यमंत्रीजी ने किसानों को जोड़ने की न केवल सलाह दी, बल्कि उनको आयोजन करके, उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहने की एक प्रक्रिया प्रारंभ की है.
अध्यक्ष महोदय, खरीफ फसल 2015 में बीमा राशि का भुगतान 4300 करोड़ रुपये अनुमानित है, वह दिये जाने की प्रक्रिया चल रही है. किसानों के लिए सिंचाई सबसे बड़ा साधन होती है. सूक्ष्म सिंचाई योजना प्रारंभ की गई है. मुझे बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि जिस जिले का मैं प्रतिनिधित्व करता हूं उसके गरोठ और भानपुरा का क्षेत्र अब गांधी सागर के चम्बल के पानी से जुड़ने की ओर अग्रसर है. अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्रीजी ने सुक्ष्म सिंचाई योजना अंतर्गत गांधी सागर को भी सम्मिलित कर लिया है. गांधी सागर एशिया की पहली मानव निर्मित झील है, जिसका पानी का लाभ अधिकतम आज तक के इतिहास में पिछले 50 वर्षों में राजस्थान के कोटा और रावतभाटा उठाता था लेकिन अब इसकी शुरुआत मंदसौर जिले में होना प्रारंभ हो गई है. तत्कालीन कांग्रेस के कार्यकाल में 7 लाख हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई होती जो आज 40 लाख हेक्टर तक पहुंच गई है. मुख्यमंत्रीजी का संकल्प है कि आने वाले 10 वर्षों में 60 लाख हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई पहुंचायेंगे.
अध्यक्ष महोदय, उर्जा के क्षेत्र में जो पारम्परिक स्रोत खोजे गये हैं. चाहे सौर उर्जा हो, पवन उर्जा हो इसको बढ़ावा देने के लिए विद्युत की उपलब्धता 24x7 (24 घंटे 7 दिन) ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में हुई है. किसानों को सिंचाई पंप के लिए लगातार 8 से 10 घंटे पानी दिये जाने का संकल्प मुख्यमंत्रीजी का था, वह पूरा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- अध्यक्ष महोदय, 2018 तक गावॉट विद्युत क्षमता करने का लक्ष्य मुख्यमंत्रीजी के नेतृत्व में तय किया गया. पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जी देश के पूर्व प्रधानमंत्रीजी का स्मरण करुंगा क्योंकि माननीय बाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की संरचना की थी, उसकी शुरुआत की थी. माननीय मुख्यमंत्रीजी सदन में बैठे हैं. उन सड़कों को जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बन चुकी थी, बन रही थी, योजना के अंतर्गत थी, उसको आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में 500 से कम आबादी की सड़कों को लिये जाने का काम किया है. अब माननीय मुख्यमंत्री जी ने आगे और बात बढ़ाई है कि खेत और खलिहान तक जाने के लिए जिन किसानों को पंगडंडियों के सहारे, ट्रेक्टर ट्राली के सहारे, बैलगाड़ी के सहारे, अपने उपकरण, अपनी फसल को लाने ले जाने के लिए, जिस प्रकार से तंग सड़कों से निकलना पड़ता था, उसको खेत तीर्थदर्शन के माध्यम से आगे बढ़ाने का काम किया है. मुख्यमंत्री खेत, खलिहान सड़क योजना को बढ़ाने का काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय में किसान क्रेडिट कॉर्ड की शुरुआत हुई थी. वह व्यावसायिक बैंकों तक सीमित थी. लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसको आगे बढ़ाते हुए सहकारिता को मजबूती देते हुए टैक्स के माध्यम से जीरो प्रतिशत पर कर्ज देने का काम किया है. 12218 करोड़ रुपए का अल्पकालीन ऋण खाद और बीज के लिए किसानों को देने का काम किया है. आज उसके कारण से 83 लाख किसान मध्यप्रदेश में किसान क्रेडिट कॉर्ड के माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं. वर्ष 2017-18 तक 5 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कॉर्ड से जीरो प्रतिशत की ब्याज दर पर कर्ज दिये जाने की सुविधा उपलब्ध होगी. यहां तक भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने चिंता की है कि सहकारिता के क्षेत्र में जो मछुवारे हैं, उनकी मत्स्य समितियां हैं जो सहकारिता से जुड़ी हुई है. उनको भी नाव लेने के लिए, जाली लेने के लिए, अन्यान्य संसाधन लेने के लिए मछुवारों की सोसाइटियों को भी जीरो प्रतिशत पर न केवल ब्याज दिया है, बल्कि उनके किसान क्रेडिट कॉर्ड भी बनाए हैं और उसका लाभ 46840 मछुवारों को इस नीति के अंतर्गत मिला है.
अध्यक्ष महोदय, आदरणीय श्री शंकरलाल तिवारी जी ने सिंहस्थ की बात की है. मैं भी उसी संभाग से हूं. मैं इसको निश्चित रूप से उठाने की कोशिश करूंगा. अध्यक्ष महोदय, अनेक वर्षों से सिंहस्थ के आयोजन हो रहे हैं, लेकिन पहली बार नर्मदा का पानी, क्षिप्रा में आएगा, जहां पर लाखों दर्शनार्थी क्षिप्रा और नर्मदा के संगम का लाभ उठाएंगे. अध्यक्ष महोदय, यह वही योजना थी, जिसको कांग्रेस के कार्यकाल के समय में यह कहकर मना कर दिया जाता है, नॉट फिजिबल, तकनीकी रूप से यह साध्य नहीं होगी. लेकिन उसी कार्ययोजना को माननीय मुख्यमंत्री जी ने न केवल साध्यता की ओर किया है, बल्कि उसको आगे बढ़ाने का भी काम किया है. 3000 करोड़ रुपए सिंहस्थ में बजट में खर्च किये जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, यह भी प्रसन्नता की बात है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक बार नहीं, दो बार नहीं, अनेक बार जब भी माननीय प्रधानमंत्री जी से दिल्ली में मुलाकात की, उनको आमंत्रित किया है कि आप आइएगा, पधारिएगा और दर्शन में सिंहस्थ का लाभ लीजिएगा. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सिंहस्थ में उज्जैन में आने का आमंत्रण भी स्वीकार किया है. मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि सिंहस्थ के साथ ओंकारेश्वर, महेश्वर और जिस नगर का मैं प्रतिनिधित्व करता हूं मंदसौर को भी अधोसंरचना के विकास के क्षेत्र में सिंहस्थ के बजट के साथ-साथ इसका लाभ मिला है. मालवा क्षेत्र का हम प्रतिनिधित्व करते हैं. मालवा की एक कहावत हुआ करती थी, "मालव धरती गहन गंभीर, डग-डग रोटी, पग-पग नीर." लेकिन आज वह कहावत कोसों दूर चली गई है क्योंकि आज पानी का जल स्तर नीचे चला गया है. परन्तु माननीय मुख्यमंत्री जी ने जहां एक ओर नर्मदा नदी को क्षिप्रा नदी में लाने का काम किया है. उसी प्रकार से क्षिप्रा को आगे बढ़ाते हुए नर्मदा, क्षिप्रा के बाद नर्मदा मालवा गंभीर लिंक योजना को मूर्तरूप देने का काम किया है. इस वर्ष के राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में उसको उल्लेखित किया गया है. 2187 करोड़ रुपए की कार्ययोजना इंदौर और उज्जैन संभाग के लिए तय की गई है, उसके अंतर्गत 50 हजार हैक्टेयर भूमि क्षेत्र में सिंचाई का लाभ किसानों को मिल पाएगा. आगे माननीय मुख्यमंत्री जी की दृढ़-संकल्प शक्ति है कि गंभीर नदी, श्यामला नदी और चंबल नदी, गांधी सागर तक इसको लाकर इसका पानी मंदसौर और नीमच जिले तक खेती करने वाले किसानों को मिले. ऐसा करके माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति का परिचय दिया है. सुगम और सरल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से लोगों को राशन मिले, उसके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया गया था. तत्कालीन कांग्रेस की सरकार के समय में 8 से 10 किमी दूर तक लोगों को खाद्यान्न की सामग्री लेने के लिए जाना पड़ता था. लेकिन आज इसको नगरीय क्षेत्र में 800 के पात्र परिवार तक कर दिया है. प्रत्येक पंचायत स्तर पर इसकी सुविधा कर दी गई है और 'अपनी सुविधा, अपना राशन' के नाम से भोपाल, इंदौर और खण्डवा में भी इस योजना को प्रारंभ किया है. भोपाल, इंदौर और खण्डवा का कोई भी हितग्राही किसी भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान से अपना खाद्यान्न की सामग्री को प्राप्त कर सकता है. एक समय इंदिरा आवास की बातें चला करती थीं. एक साल में एक ग्राम पंचायत को केवल दो इंदिरा आवास मिलते थे लेकिन आज माननीय मुख्यममंत्री जी के सतत् प्रयत्नों के कारण से उनकी इच्छा शक्ति के कारण से मुख्यमंत्री आवास योजना के चलते एक एक गांव में 15 - 20 से लेकर 50 तक मुख्यमंत्री आवास योजना पूर्णता की ओर आगे बढ़ रहा है, माननीय मुख्यमंत्री जी 8 लाख 16 हजार भवनों के निर्माण करने का लक्ष्य तय किया है, इसे भी इसमें शामिल किया गया है.
अध्यक्ष महोदय पहली बार निकाय की स्थिति को मजबूत करने के लिए, क्योंकि मैं नगरपालिका का पार्षद और अध्यक्ष भी रहा हूं, स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए उसका राजस्व बढे तो उसके लिए सेटेलाइट नक्शे के द्वारा घर घर का सर्वे होगा और उसके लिए 44 निकायों का काम पूरा हो गया है और 79 कार्य प्रगति पर हैं इससे वसूली में 60 प्रतिशत लाभ स्थानीय निकायों को मिलेगा. अमृत सिटी के अंतर्गत मंदसौर शहर को भी शामिल होने का अवसर मिला है. इसके अंतर्गत गांधी सागर का पानी मंदसौर शहर के पेयजल के लिए लाने के लिए टेण्डर आमंत्रित किये गये हैं. अध्यक्ष महोदय खेल को बढ़ावा देने के लिए जितने भी यहां पर विधायक बैठे हैं सभी को निमंत्रण दिया गया है कि विधायक कप के माध्यम से आप अपने अपने क्षेत्र में कबड्डी, फुटबाल, वालीबाल और क्रिकेट करायें और उसको लेकर श्रंखलाबद्ध रूप से खेल करायें. अध्यक्ष महोदय आज प्रदेश में खेलों के लिए एक अच्छा वातावरण बना है. उसके लिए मैं खेल मंत्री जी का भी आभार व्यक्त करता हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, एक अंतिम मेरी बात है, जिस तरह से माननीय मुख्यमंत्री जी ने कृषि कैबिनेट को विभिन्न विभागों से जोड़कर एक पृथक से विभाग का गठन करते हुए कृषि को महत्व दिया गया है उसी प्रकार से पर्टयक नीति के अंतर्गत पर्यटन कैबिनेट गठन करने का भी संकल्प लिया है. उसके लिए भी माननीय मुख्यमंत्री जी बधाई के पात्र हैं. आपने बोलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद्.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय जिन्होंने संशोधन दिये हैं और वे यहां पर उपस्थित नहीं है, क्या आप उनको प्रताड़ित भी करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं करेंगे.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- लेकिन ऐसा गैर जिम्मेदारी का काम नहीं होना चाहिए और बाद में खड़े होकर जिद्द करेंगे कि बोलने का समय दिया जाय.
श्री राम निवास रावत -- आपके पक्ष की तरह तब भी नहीं करते कि आपका ध्यानाकर्षण था आपने सदस्यों को भगा दिया. क्या उनको प्रताड़ित नहीं किया जायेगा.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय सबसे पहले प्रताड़ना की बात आती है तो सबसे पहले रामनिवास जी खड़े होते हैं ( श्री रामनिवास रावत जी को श्रीनिवास जी के नाम से पुकारने पर -- रामनिवास रावत जी द्वारा अपने नाम पर ध्यान दिलाने पर ) मैं यहां पर क्षमा चाहता हूं मैंने इनका प्रमोशन कर दिया था लेकिन आप वहीं पर रहना चाहते हैं रामनिवास ही ठीक है आपके लिए और प्रताड़ना भी मिलना चाहिए इनको.
श्री रामनिवास रावत -- क्या आपने राम को छोड़ दिया है कोई दूसरा पकड़ रहे हैं आप.
अध्यक्ष महोदय -- कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा जारी रहेगी. सदन की कार्यवाही अपराह्न 02.30 बजे तक के लिए स्थगित.
( 12.58 बजे से 02.30 तक के लिए अंतराल )
2.38 बजे विधानसभा पुन: समवेत हुई.
{सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए}
श्री महेन्द्रसिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) -- सभापति महोदय, मैं राज्यपाल के अभिभाषण पर जो कटौती प्रस्ताव दिए गए हैं, उनके समर्थन के लिए खड़ा हुआ हूँ. राज्यपाल महोदय ने पेज-2 के पैरा-6 में कहा है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी है, उन्होंने प्रशंसा की है और उसके बाद 2-3 पैरा में आपने विवरण दिया है, मुझे इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना है, बजट पर चर्चा के दौरान हमारे साथी बोलेंगे लेकिन सिर्फ आप श्री राघव जी, जो कि पूर्व वित्त मंत्री हैं, उनका स्टेटमेंट पढ़ लीजिए कि वित्तीय स्थिति कैसी है ? कितना कर्ज आप ले रहे हैं ? 20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था कांग्रेस के जमाने में, अब आप डेढ़ लाख करोड़ रुपये पर पहुँच गए हैं और 2 लाख करोड़ रुपये पर पहुँचने वाले हैं फिर भी आप कहते हैं कि वित्तीय स्थिति अच्छी है. अगर वित्तीय स्थिति अच्छी होती तो प्रदेश में जो जल संकट आ रहा है, पीने के पानी का संकट आ रहा है उसमें पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव दोनों आपस में विवाद कर रहे हैं. पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव कह रहे हैं कि आप हमें पैसा नहीं दे रहे हैं. इतने महत्वपूर्ण काम के लिए आपके पास पैसे नहीं हैं. मनुष्यों और पशुओं को पीने के पानी की समस्या हो गई है, प्यासे मरने की समस्या हो गई है, वहां भी आपके पास धनराशि नहीं है और अब देंगे क्या आप ? अभी ऐसी स्थिति है तो आप सोचिए कि मई में कैसी स्थिति रहेगी ? ये वित्तीय स्थिति की बात मैं बता रहा हूँ. महिला एवं बाल विकास विभाग के पास पैसे नहीं हैं, जावरा में एक एन.जी.ओ. है पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष के नाम से - कुंदन वेलफेयर सोसाइटी, यह सौ अनाथ बच्चों का पिछले एक साल से अपने जेब से पैसे खर्च करके लालन-पालन कर रही है और आप उनको अवार्ड दे रहे हैं लेकिन आप उनको अनुदान नहीं दे रहे हैं. यह दर्शाता है कि आपकी वित्तीय स्थिति कैसी है ? सभापति महोदय, मोदी सरकार ने आपके पैसों की सारी कटौती कर दी. अगर मैं सही फिगर्स नहीं दे रहा हूँ तो आप मुझे बाद में करेक्ट कर दीजिएगा. 16 हजार करोड़ रुपये आपके रोके. केन्द्रीय करों के हिस्से के 27 हजार करोड़ रुपये मिले थे, 17 हजार करोड़ रुपये ही दिये. केन्द्रीय सहायता के रुप में चलने वाली योजनाओं के लिए 20063 करोड़ रुपया मिलना था, लेकिन 17 हजार करोड़ ही मिले. इसके पूर्व के वर्ष में 47733 करोड़ मिलना था, 16170 करोड़ मिले.आपकी जेएनएनयूआरम, यूआईडीएसएसएम और मनरेगा सारी की सारी जनकल्याणकारी समस्याओं के लिए पैसा नहीं है, कांग्रेस सरकार में जब पैसा नहीं होता था तो धरने पर बैठते थे, प्रदेश सरकार को कोसते थे, केन्द्र सरकार को कोसते थे तो अब आपने मोदी जी को बुला के इतना बड़ा भारी स्वागत किस बात के लिए किया? उन्होंने आपके पैसों की कटौती कर ली इसलिए उनका स्वागत किया.आपको वहां धरने पर बैठना था. आपको उनसे मांग करनी थी. आपने अपने भाषण में यह नहीं बोला कि मोदी जी आपने इतने हमारे पैसे काट दिये तो मेरा यह आपसे अनुरोध है कि यह सब प्रदेश की आर्थिक स्थिति है और आप चुपचाप बैठे हैं. आप बीमा योजना को सेलीब्रेट कर रहे हैं. होता क्या है कि जब संतान पैदा होती है तो पति पत्नी और रिश्तेदार सब खुशी मनाते हैं, उसे सेलीब्रेट करते हैं लेकिन कभी प्रेगनेंसी सेलीब्रेट की जाती है क्या? अभी मोदी जी की बीमा योजना लागू नहीं हुई है और इसका हश्र भी वही होगा जैसे नामांतरण और अन्य योजनाओं में पटवारियों सहित बिना पैसा लिए कोई काम नहीं करता. मुख्यमंत्री आवास योजना में भी बिना पैसा लिए कोई काम नहीं करता तो इस योजना का भी हश्र कहीं वही न हो. क्यों लोग प्रेगनेंसी को सेलीब्रेट नहीं करते हैं? इसलिए कि कहीं एबार्शन या मिसकेरिज हो जाए और बच्चा नहीं होगा तो लोग हंसेंगे.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया-- गोदभराई रस्म होती है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- बहुत अच्छा है कि आपने सेलीब्रेट कर लिया पर अब एबार्शन न हो, मिसकेरिज न हो और योजना एग्जीक्यूट हो जाए तो मैं आपको खुद बधाई दूंगा.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया-- जच्चा बच्चा दोनों ही स्वस्थ्य रहेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- हां तो ठीक है. अगर आपने इसको अच्छी तरह से एग्जीक्यूट किया तो मैं आपको स्वयं बधाई दूंगा.
श्री बाला बच्चन-- सिसोदिया जी, सीहोर में गोद भराई हुई है.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया-- सीहोर का जो आयोजन था उसको लेकर के आप परेशान और विचलित क्यों हो रहे हैं. उसमें मध्यप्रदेश के 10 लाख किसान थे.
श्री महेन्द्रसिंह कालूखेड़ा-- कितना करोड़ों का खर्चा किया. सारी बसें आपने अधिगृहीत कर लीं. स्कूल के बच्चों को स्कूल नहीं जाने दिया. ऐसी आपने भीड़ इकट्ठी की. पहली बार सारी शासकीय मशीनरी का आपने दुरुपयोग किया.
श्री लाखन सिंह यादव-- 10 लाख लोग बुलाये थे तो सारे कर्मचारी तो लगे थे उनको लाने के लिए.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया-- 10 लाख किसान थे.
सभापति महोदय-- आप अपने विषय पर आयें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- सभापति महोदय, ऐसा दुरुपयोग प्रशासकीय मशीनरी का कभी नहीं हुआ. आज ही एक प्रश्न था,अफसर बेलगाम हो रहे हैं, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आश्वासनों की पूर्ति नहीं हो रही है. इधर असंतोष फैल रहा है, नि:शक्तजन आंदोलन कर रहे हैं, मनरेगा के रोजगार सहायक आंदोलन कर रहे हैं, पंचायत प्रतिनिधि आंदोलन कर रहे हैं, संविदा शिक्षक, अतिथि शिक्षक सब अप्रसन्न हैं. आप उनकी वाजिब मांगों को मानिये, मैं नहीं कह रहा हूँ कि आप सब मांगों को मान लीजिए, वह आप क्यों नहीं मान रहे हैं? दूसरा राज्यपाल के अभिभाषण में आपकी विल पॉवर नहीं लगती है कि भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए, या कम किया जाए प्रदेश में, आपने उसमें कोई जिक्र नहीं किया. आपने सुशासन का जिक्र नहीं किया. मैं जस्टिस नावलेकर जी की प्रशंसा करुंगा कि उन्होंने इतने कर्मचारियों को पकड़ा लेकिन सवाल यह है कि आप जिस कर्मचारी पर हाथ डालते हो उसके पास एक, दो, पांच करोड़ रुपया मिलता है. इसका क्या मतलब है, भ्रष्टाचार कितना जबर्दस्त फैला हुआ है और मुख्यमंत्री जी आपसे यह अनुरोध है कि आप जस्टिस नावलेकर की दो तीन चीजों पर ध्यान दे दीजिए. उन्होंने कहा कि अभियोजन की स्वीकृति की रफतार सरकार बढ़ाये. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा है कि रसूखदारों के खिलाफ जांच क्यों लंबित है. फिर नावलेकर साहब बोलते हैं, आपने भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने की सुप्रशासन की, स्वच्छ प्रशासन की कोई मंशा नहीं जताई, उनके कहने के बाद भी. भूमाफिया पर, जो अतिक्रमण कर रहा है उसके बारे में आपने राज्यपाल के अभिभाषण में कोई जिक्र नहीं किया है जब कि वह यहां बहुत बड़ी समस्या है.
सभापति महोदय, व्यापमं में एसटीएफ के कितने लोगों ने अभियुक्तों को छूट दी और मदद की उसके खिलाफ आप कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं और इसी कारण सीबीआई में केस को देना पड़ा. मेरा आपसे अनुरोध है कि एसटीएफ के दोषी लोगों पर कार्यवाही करें जिन्होंने अभियुक्तों को बचाने की कोशिश की है. मध्यप्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में आप नंबर एक हैं. बलात्कार में कई वर्षों से नंबर एक हैं. अखबार लिखते हैं, शेम मध्यप्रदेश रिटर्न्स रेप केपिटल टैग. यह सब आ रहा है. जो 2014 की एनसीबीसी ,क्राईम ब्यूरो की रिपोर्ट है उसमें 13 दिन में 1 रेप केस हो रहा है. कुल 5076 केस हुए हैं. उसमें से 2358 माइनर के हैं . जेल से भागे कैदियों में भी मध्यप्रदेश नंबर वन है. कुल तीन वर्ष में 435 कैदी भागे हैं. पूरे प्रदेशों का फिगर आया है उसमें आप नंबर एक हैं. मिलावट में एफएसएसएआई देश की सार्वजनिक खाद्य सुरक्षा लेबोरेटरी टीम में खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच में राजस्थान और यूपी के बाद मध्यप्रदेश तीसरे नंबर पर है. यूरिया मिला दूध आप लोगों को पिला रहे हो और भोपाल दुग्ध संघ के दूध के टैंकरों में पानी जा रहा है यह करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार पिछले कई वर्षों से चल रहा है.
श्री गोपाल परमार--- आप भी तो दुग्ध संघ के अध्यक्ष थे. उस समय आप लोगों ने आदत बिगाड़ी थी यह आपके टाइम के ही टैंक हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- मेरे टाइम पर ऐसा नहीं था.
श्री सचिन यादव--- पहले टैंकर में दूध जाता था , आज पानी जा रहा है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा—सभापति महोदय, जो देश की एफएसएसएआई(फूड सेफ्टी एंड स्टेडर्ड्स अथारिटी ऑफ इंडिया) की लैब टेस्टिंग के आधार पर रिपोर्ट आई है उसमें देश की सार्वजनिक खाद्य सुरक्षा लेबोरेटरी में हर पांच नमूनों में से एक में मिलावट पाई गई है . मार्का नकली उत्पाद में यूपी और पंजाब के बाद तीसरे नंबर पर मध्यप्रदेश है . आप मिलावट रोकने के लिए कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. शर्मनाक कुपोषण प्रदेश में है. बच्चे एनीमिया और खून की कमी से पीड़ित हैं . 70 प्रतिशत ग्रामीण बच्चे खून की कमी से पीड़ित हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा नाबालिग अपराध है, हर दिन 17 अपराध हैं. 2012 में 5677 , 2013 में 6703 , 2014 में 6512 यह नाबालिग अपराधी पकड़े जा रहे हैं. एमपी रिकार्डस मोस्ट चाइल्ड सुसाईड केसेस इन मध्यप्रदेश, नंबर वन हैं आप. 2013 में मध्यप्रदेश में 349 सुसाइड केस बच्चों के हुए हैं .बाद में तामिलनाडु,बंगाल , उड़ीसा का नंबर आता है. स्वच्छ भारत अभियान में 54 परसेंट ने कहा कि यह बेअसर है, आपके टायलेट्स जो बन रहे हैं, वह घटिया सामान से बन रहे हैं और उसमें खूब भ्रष्टाचार हो रहा है. को-आपरेटिव मूवमेंट को आपने खत्म कर दिया है. को-आपरेटिव मूवमेंट में एलडीबी के सब किसानों की जमीनें बड़े -बड़े रसूखदार लोगों को बेच दी है और अधिकांश टेक्स घाटे में हैं क्योंकि आप जीरो परसेंट पर ब्याज ले रहे हो लेकिन आप क्षतिपूर्ति प्राथमिक सोसायटीज को नहीं कर रहे हैं, आपने उनको कंगाल कर दिया है. उनको आपको ब्याज समेत पैसा देना चाहिए अगर विलंब होता है तो. मैं आपसे यह भी बताना चाहूंगा कि दुग्ध संघ चुनावों में आपने उन लोगों को पात्र बना दिया जो निर्धारित दिनों में निर्धारित मात्रा का दूध देने पर ही दुग्ध संघ का संचालक बन सकता है या वोट दे सकता है लेकिन आपने सबको एलाऊ कर दिया अब नकली मिल्क प्रोड्यूसर्स की भीड़ वहाँ हो गई है.
सभापति महोदय, अमूल पैटर्न में मुझे डा. कुरियन के बाद नेशनल डेरी कोपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया का अध्यक्ष रहने का तीन साल तक मौका मिला है और मुझे यह बात कहते हुए दुख होता है कि मिल्क कोपरेटिव्स को जो स्वच्छंदता और स्वायत्ता देना चाहिए आप वह नहीं दे रहे हैं. किसान का मिल्क का प्राईज बढ़ेगा तो भोपाल से ऑर्डर होगा. इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव नहीं कर सकता है. रीजनल यूनियन्स के सारे अधिकार आपने छीन लिये हैं. इसे आपको ठीक करना चाहिए. सभापति महोदय, मैं यह भी बताना चाहता हूं कि प्रशासन नाम की कोई चीज इसलिए नहीं रही है कि माननीय मुख्यमंत्री जी, मुझे कई विधायकों ने बताया उनके बच्चों की शादी होती है तो उनको बधाई के पत्र भी नहीं देते हैं, कोई दिक्कत नहीं है यह तो प्राइवेट मामला है. लेकिन मैंने स्वयं चिट्ठियाँ लिखी हैं...(व्यवधान)..आपने उत्तर नहीं दिए हैं.
राज्य मंत्री, संसदीय कार्य(श्री शरद जैन)-- आपकी जानकारी अधूरी है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- आपके मंत्री कोई उत्तर नहीं देते. हमने तो मंत्रियों को चिट्ठियाँ लिखना ही छोड़ दिया. मैं बताना चाहता हूँ कि जब मैं मंत्री था तब एक एक विधायक के पत्र का उत्तर देता था.
श्री शरद जैन-- आपकी जानकारी अधूरी है. माननीय मुख्यमंत्री जी शादी में जाते हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- जाते होंगे पर उत्तर तो दो, बधाई तो दो.
श्री शरद जैन-- क्यों गलत जानकारी दे रहे हों?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- बिल्कुल नहीं जाते, गलत बात है. सभापति महोदय, मैं आप से यह अनुरोध करूँगा कि जब हमारे उमाशंकर गुप्ता जो गृहमंत्री थे, तब उन्होंने मेरे पत्रों का उत्तर नहीं दिया. सिर्फ 3-4 मंत्री उत्तर देते हैं. गोपाल भार्गव, माननीय पंचायत मंत्री, उद्योग मंत्री जी, लाल सिंह जी आर्य और महिला बाल विकास मंत्री. विधायकों के पत्रों का उत्तर नहीं देंगे तो कैसे प्रशासन ठीक चलेगा? हमने तो अधिकारियों को, प्रमुख सचिवों को, पत्र लिखना शुरू कर दिया है. उमाशंकर जी गुप्ता जब विधायक थे, मंत्री बनने के पूर्व, तो यहाँ से उन्होंने कहा था कि कलेक्टर मेरे सौ पत्रों का जवाब नहीं देता, सौ पत्र लिखे थे.
राज्य मंत्री, संस्कृति एवं पर्यटन (श्री सुरेन्द्र पटवा)-- महेन्द्र सिंह जी, क्या आपने बाकी मंत्रियों को चिट्ठी लिखी?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- जिनको मैंने नहीं लिखी उनके लिए नहीं बोल रहा हूँ.
श्री सुरेन्द्र पटवा-- लिखेंगे तभी तो जवाब आएगा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- जिनको नहीं लिखी उनके लिए नहीं बोल रहा हूँ. लेकिन जिनको लिखी है उनको उत्तर देना चाहिए क्योंकि जब मैं मंत्री था तो उत्तर देता था.
श्री शरद जैन-- तो हम लोगों को भी चिट्ठी लिख कर देखें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- हमने तो अब मंत्रियों को चिट्ठी लिखना छोड़ दिया.
श्री शरद जैन-- एक बार बाकी मंत्रियों को भी चिट्ठी लिख कर देख लें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- सभापति महोदय, राज्यपाल महोदय से आप ने पेज दो पर कहलवाया है कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के निवासरत एस सी, एस टी, भूमिहीन परिवारों को आवासीय पट्टे व अन्य योजनाएँ आप चलाएँगे. मेरा आप से अनुरोध है कि अभी जो योजनाएँ चल रही हैं उसमें छोटे-छोटे कर्मचारी रिश्वत मांग रहे हैं, उसको तो बंद कराइये, उसको ठीक कराइये. मेरे क्षेत्र में आपकी मुख्यमंत्री आवास योजना में लोग रिश्वत मांग रहे हैं, शिकायत आ रही है. इधर वन विभाग ने राजस्व की भूमि में बने मकानों को तोड़ दिया. काँग्रेस शासन में एस सी, एस टी, के लोगों को जो जमीनें दी हैं उन पर सब रसूखदारों ने कब्जा कर लिया है, कम से कम उनको वह पहले दिला दीजिए. मुख्यमंत्री जी, मेरे मुंगावली में सैकड़ों एकड़ भूमि पर रसूखदारों के कब्जे हैं और एस सी, एस टी, के लोगों के कब्जे हैं. आपने शिवपुरी में 18.7.2010 को एक भाषण दिया था कि भू-माफिया मुझे हटाना चाहता है. हमने जब आपको कहा कि भू-माफिया का नाम बताइये, आप डरते हैं क्या उससे, तो आपने कहा कि मैं किसी माई के लाल से नहीं डरता. मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि मैं आपको 2-3 उदाहरण देता हूँ भू-माफिया का, आप जरा उनका कब्जा हटाकर दिखाइये. पहली बात तो आपने 23 पेज पर यह लिखा है कि ग्राम पंचायतों पर कब्जे आप हटाएँगे अतिक्रमण जिन्होंने किया. मेरे क्षेत्र में मैं डेढ़ साल से प्रयास कर रहा हूँ. ग्राम मदऊखेड़ी लिख लीजिए, ग्राम नगेसी और ग्राम पंचायत कस्बा रेंज जो कि प्रधानमंत्री की सांसद योजना में शामिल है. उसके पास पंचायत भवन नहीं है लेकिन उसके डिपो भवन पर और दूसरे भवन पर किराएदारी के नाम से कब्जा कर रखा है. आप दो दिन में अगर हटा दें तो मैं मान जाऊँगा कि आपने कुछ किया है. मदऊखेड़ी और नगेसी में पूर्व सरपंच का कब्जा है. सामुदायिक भवन पर भी है और पंचायत भवन पर भी है और जारोली बुजुर्ग और मैं डेढ़ साल से प्रयास कर रहा हूँ. आप मंगवा लीजिए मैंने कितनी चिट्ठियाँ लिखी हैं. यह मामूली काम अधिकारी नहीं कर सकते तो आपकी बदनामी होगी, आपके शासन की बदनामी होगी. मेरा तो कुछ नहीं होगा मुझे तो अगली बार और ज्यादा वोट मिलेंगे, भू-माफियाओं को अगर आप नहीं करेंगे तो. सभापति महोदय, मैं अशोक नगर का थोड़ा विवरण दूँगा. अशोक नगर शहर के मध्य भोंसले का बाड़ा नामक....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- अगली बार भी वहीं से चुनाव लड़ेंगे?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- देखिए, यशपाल सिंह जी, मैं अपनी जीती हुई सीट छोड़कर बी जे पी की बीस हजार से जीती हुई सीट पर गया था क्योंकि भू-माफिया के कारण मुझे जीत मिली है. सभापति महोदय, अशोक नगर शहर के मध्य करोड़ों की भूमि पर भू-माफिया का कब्जा है, एक ही भू-माफिया है ज्यादा नहीं है. वह भू-माफिया ही नहीं है, वह रेत माफिया भी है और (XXX), और राशन माफिया भी वही है क्योंकि....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- सभापति जी, यह "(XXX)" विलोपित होना चाहिए.
सभापति महोदय-- इसे विलोपित कर दें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- उसने आपको एक चिट्ठी लिखी है. राशन के बारे में बी जे पी के भूतपूर्व विधायक राजकुमार सिंह यादव ने एक ध्यानाकर्षण लाए थे कि करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार अशोक नगर जिले में हो रहा है और राशन ब्लेक हो रहा है. मैं उसको लेकर पीछे पड़ा हूँ, पिछले दस साल हो गए, 2010 का ध्यानाकर्षण है. अभी आपको दूसरे मुंगावली के पूर्व विधायक ने एक चिट्ठी लिखी है कि यह महेन्द्र सिंह जी भाजपा कार्यकर्ताओं के पीछे पड़े हुए हैं और यह राशन का ब्लेक करने वाले सब मेरे लोग हैं तो सभापति महोदय, इसमें आप सुधार कर दीजिये. गुना कलेक्टर थीं श्रीमती नीलम राव, उस समय अशोक नगर अलग जिला नहीं था उन्होंने पुलिस के बल से उस अतिक्रमण को हटा दिया था लेकिन जैसे ही अशोक नगर अलग जिला बना भू-माफियाओं ने फिर से कब्जा कर लिया. आपके एसडीओ, तहसीलदार उसे तारीखें दे रहे हैं और हाई कोर्ट में जाने का मौका दे रहे हैं और आप हटा नहीं रहे हैं आप उन लोगों को दंडित क्यों नहीं कर सकते हैं, उसने पुन: कब्जा कर लिया है एक बार कलेक्टर ने हटा दिया था इससे बड़ी प्रशासन की और सरकार की बेइज्जती क्या होगी. एक ग्राम अथाईखेड़ा है वहां भवन निर्माण में तहसीलदार और एसडीओ ने रोक लगा दी क्योंकि अतिक्रमण था लेकिन उसके बाद भी वह कब्जा नहीं हट रहा है न सिविल जेल भेज रहे हैं. एक ही भू-माफिया है अशोक नगर में अथाईखेड़ा में, पीपरई में भी बिल्डिंग बना ली तान ली. मेरे प्रश्नों में आपके उत्तर आ गये हैं कि इन्होंने सब किया है लेकिन आप उस पर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं और प्रधानमंत्री सांसद चयनित गांव कस्बा रेंज उसके ऊपर भी भू-माफिया का कब्जा है और आजकल मुरम का काम भी वही भू-माफिया कर रहा है, राशन माफिया भी वही है, भू-माफिया भी वही है और मुरम माफिया भी वही है कोई उसकी गाड़ी नहीं रोकता है सभापति महोदय--कृपया समाप्त करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--सभापति महोदय, वे अभी शिवपुरी, गुना से बाहर ही नहीं आ पाये हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--मैं चंद उदाहरण दे रहा हूँ पूरे प्रदेश में यह स्थिति है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--भू-माफियाओं की बात कर रहे हैं सब जानते हैं कि शिवपुरी में भू-माफिया कौन है.
श्री रामनिवास रावत-- आप भी तो डबरा से होते हुए दतिया पहुंचे धीरे-धीरे इधर आ रहे हो ऐसे ही यह कर रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--मंत्री जी आपको मैं चंद उदाहरण दे रहा हूँ प्रदेश के अन्य जिलों में भी यही हाल है. जितनी भी जिनिंग फेक्ट्री की जमीनें हैं उन पर कॉलोनियां काट दी गई हैं. येन केन प्रकारेण उन्होंने नामांतरण करवाकर कॉलोनियां काट दी हैं उसको भी आप नहीं रोक पा रहे हैं.
सभापति महोदय, आपको कृषि कर्मण पुरस्कार कई वर्षों से मिल रहा है बहुत-बहुत बधाई लेकिन उसके बावजूद भी किसान आत्महत्याएं क्यों कर रहे हैं. नकली खाद, नकली कीटनाशक, नकली बीज क्यों मिल रहा है. संचालक, कृषि के पास करोड़ों रुपये क्यों बरामद हो रहे हैं वह कहां से आ रहा है. हार्टिकल्चर में, डिप इरीगेशन में विजयवर्गीय जी जब मंत्री थे तब खूब घोटाला हुआ, अभी जावरा में हुआ. सूचना के अधिकार में जानकारी मांगते हैं कि किस बेनीफिशरी को आपने पैसा दिया है तो जवाब ही नहीं देते हैं इसलिये नहीं देते हैं क्योंकि सब नकली लोगों को पैसा दिया है.
सभापति महोदय, बहुत बुरी हालत है. मैं आप पर आरोप लगाता हूँ कि आज मंदसौर के दो माननीय विधायकों ने देवड़ा जी और कैलाश चावला जी ने बहुत अच्छा ध्यानाकर्षण मेरे बाद दिया था पेयजल के बाद सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों के पास मुआवजे और बीमे का पैसा नहीं पहुंच रहा है इसका ध्यानाकर्षण दिया था. (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय सभापति जी यह गलत है हम सामने बैठे हैं और यह कह रहे हैं कि हमने कह दिया.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- (XXX)
सभापति महोदय--इस तरह का आरोप लगाना उचित नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय सभापति जी, इसको विलोपित करा दें.
सभापति महोदय--इसको विलोपित कर दें.
श्री रामनिवास रावत--एक ध्यानाकर्षण लगवाने के लिए एक ध्यानाकर्षण चर्चा में लाने के लिए सदस्य कितनी मेहनत करते हैं, तो सदस्यों को यह भी निर्देशित कर दें कि ऐसे ध्यानाकर्षण न लिए जायें क्यों लगाते हैं या तो आपने कहा है या फिर अपनी मर्जी से गये हैं.
सभापति महोदय--अनुमान पर आधारित बातें नहीं होना चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--मैं आपके ध्यान में यह बात लाना चाहता हूँ रामनिवास जी कि कितनी मेहनत करते हैं यह हमें मालूम है क्योंकि हम भी विपक्ष में रहे हैं दूसरी बात कहना चाहता हूँ कि अब विपक्ष की भूमिका कोई बची नहीं है हमारी पार्टी के सदस्य ही विपक्ष की भूमिका को निभा रहे हैं आप लोग तो कोई भूमिका निभाना नहीं चाहते हो.
श्री रामनिवास रावत--आवाज दबाने वाली बात क्यों करते हो, अपने ही लोगों की आवाज दबाने का काम कर रहे हो.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--उनको गायब करने का काम क्यों करते हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--दबाने वाली बात नहीं है, मैं फिर कह रहा हूँ इस तरह की बात नहीं है वे एक वरिष्ठ व्यक्ति हैं लंबे समय से विधायक हैं उनके ऊपर इस तरह का आक्षेप लगा रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--वे पांच मिनट पहले यहां थे.
श्री रामनिवास रावत--आक्षेप उन पर नहीं है आक्षेप आप पर है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--वन मंत्री जी ने अभी जब यह कहा कि राज्यपाल जी के अभिभाषण पर जिन विधायकों ने संशोधन दिए हैं और वे उपस्थित नहीं हैं उनकी प्रताड़ना की जाये तो क्या वे इन दोनों माननीय विधायकों की प्रताड़ना करेंगे वे यहीं थे 10 मिनट पहले.
सभापति महोदय, कृषि में यह हालत है कि लोगों को मुआवजा नहीं मिल रहा है आप बोल रहे हैं कि हमने करोड़ों रुपया बांट दिया है आप कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं दे रहे हैं. अशोक नगर में तो तीन साल से फसलें खराब हो रही हैं . आपके पटवारी अनाप-शनाप पैसे लेते हैं. पैसे लेने के बाद में उनका आंकलन भेजते हैं. हालांकि मैं तारीफ करूंगा कि आपने रोक लगायी है कि इन्कमटेक्स अधिकारी या बड़े बड़े अधिकारियों को मुआवजा नहीं मिलना चाहिये, पहले इन लोगों को भी मुआवजा मिलता था. लेकिन मेहरबारी करके इसमें सुधार करिये पटवारी और मंत्री बेलगाम हैं, वह आपको फूल से तोलते हैं इसलिये आप उनके प्रति नरम हैं. अध्यक्ष महोदय, एक बृजेन्द्र यादव नाम के पटवारी हैं उन्होंने दौलत भाई और उनके बच्चे को कहा कि अगले वर्ष जब ओले पड़ेगे तब सर्वे करूंगा.
सभापति महोदय:- आप थ्री नॉट थ्री की गोली से खरगोश मत मारिये. आप सीधे बात रखिये.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा :- सभापति महोदय, उनका टेप कलेक्टर को सुना दिया जिसमें है कि आपने पांच सौ रूपये दिये हैं, इतने में आंकलन नहीं होता है और उसके ऊपर कलेक्टर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं, तो क्या उनका नाम नहीं लूंगा.एक रवि बालियां हैं जो मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र के हैं, वह रोब मारते हैं, उन्होंने पांच सौ रूपये लेकर आंकलन किया, उसका हमारे पास टेप है लेकिन आप कार्यवाही नहीं करते हैं.
माननीय मुख्यमंत्री जी का नाम लेकर विदिशा और रायसेन जिले में पता नहीं कितना रेत का खनन हो रहा है, मिट्टी का खनन हो रहा है और रेत माफिया और खनन माफिया हो गया है. मैं माननीय बहादुर सिंह चौहान जी को बधाई देता हूं . आज उन्होंने विधान सभा में जो प्रश्न किया उसमें जो खनन माफिया का जिक्र किया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान :- दिनेश प्रताप मांगीलाल कांग्रेस का है उसके खिलाफ कार्यवाही हुई है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा :- ठीक हैएक कांग्रेस का पकड़ा है तो एक बीजेपी का भी पकड़ लीजिये. आप उसको छोडि़ये मत. माननीय सभापति महोदय सतपाल सिंह रघुवंशी हैं उन्होंने हाईकोर्ट में जाकर कंपनसेशन के लिये मुकदमा किया, कोर्ट ने आर्डर किया लेकिन आप कोर्ट के आर्डर की अवहेलना कर रहे हैं.यह विदिशा की बात है. आप कोर्ट का आर्डर मंगवा लीजिये.
3.02 बजे {डॉ. राजेन्द्र सिंह (उपाध्यक्ष महोदय) पीठासीन हुए.}
किसानों की हालत यह है कि आप अफीम के किसानों को किसान ही नहीं मानते हैं.अफीम की फसल में बीमारी हो गया है, पूरी अफीम की फसल नष्ट हो गयी है. अफीम की फसल का मुआवजा न केन्द्र सरकार दे रही है, न ही राज्य सरकार दे रही है. उनका नुकसान हुआ है तो मेरा यह अनुरोध है कि अन्य फसलों की तरह उसमें अफीम की फसल भी रखें, जिससे किसानों को मुआवजा दिया जाये. दूसरा रोज घोड़े जिनको आप नील गाय बोलते हैं, वह नील गाय नहीं है, यह हिरण की प्रजाति का पशु है. यह गाय की प्रजाति का नहीं है. नील गाय बोलने से लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ जाती है. सैकड़ो की संख्या में नील गाय दिन दुनी रात चौगनी बढ़ रही है. भिण्ड, मुरैना से लेकर मंदसौर तक झुंड के झुंड हो गयें हैं. इसमें आपको अधिकार भी है कि आप इनको शूट कर सकते हैं, लेकिन इसकी अनुमति एसडीओ से अनुमति लेकर कर सकते हैं. दो साल से मेरे खेत के सारे आम और संतरे खा जाती है और वहीं आराम करती है. दो साल से मैंने एसडीओ को आवेदन दे रखा है कि उनको मारने की अनुमति दी जाये. लेकिन अनुमति नहीं मिली है. मेरा आपसे अनुरोध है कि वास्तव में यह बहुत गंभीर समस्या है, लोग नील गाय से बहुत परेशान हैं, इनको नील गाय बोलिये ही मत आप इनको रोज घोड़े बोलिये. रोज घोड़े से किसानों को बचाइये, अगर आप किसानों का भला चाहते हैं तो. आपसे मेरा अनुरोध है कि आप पुर्नविचार करें और अफीम की फसल हो भी बाकी फसलों के समान सूची में डालिये, जिससे किसानों को अफीम की फसल का मुआवजा मिल सके. आपने किसानों से बीमें का कितना प्रीमियम लिया है. बीमा कंपनियां कितना प्रीमियम ले रही है और कितना मुआवजा दे रही है, हांलाकि मुझे पता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी इस पर विचार करना शुरू किया है और जो प्रधानमंत्री जी की नई स्कीम आयी है इसमें आप इसका प्रावधान कर रहे हैं कि किसानों को बकायदा बीमा मिले पर मुझे शक है आपका पिछले 10 सालों का ट्रेक रिकार्ड देखते हुए कि जिस प्रकार आपकी अच्छी खासी योजनाओं को शासकीय कर्मचारी, भ्रष्ट कर्मचारी इस पर पलीता लगा रहे हैं, इसको भी पलीता लगायेंगे. इस पर प्रीकाशन लेने की जरूरत है, इसके बिना नहीं होगी और नुकसान का आंकलन का प्रोसेस तो ठीक करिये. हुआ यह कि इस बार वर्षा एकदम हो गयी, वर्षा शुरू में खूब हो गयी और बाद में बिल्कुल बारिश नहीं हुई. आपके रिकार्ड में यह आ गया कि इतने इंच वर्षा हो गयी, उसके आधार पर आपने मुआवजा तय किया . पर आपको पता नहीं कंटिन्युअस रेंज चाहिये फसल के लिये. मेरे यहां उड़द की फसल नष्ट हो गई. सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई. अन्य फसलें नष्ट हो गईं तीन साल से लगातार परंतु आप लोगों ने मुआवजा नहीं दिया और जो मुआवजा दिया है तो पटवारियों ने जिसका आकलन ठीक करके दे दिया उसको दे दिया कुछ को दे दिया कुछ को नहीं दिया सूखा घोषित कर दिया. सूखा घोषित कर दिया है तो मेहरबानी करके कुछ धनराशि जिनका वास्तव में नुकसान हुआ है एस.सी.,एस.टी. को प्राथमिकता दे दीजिये. जो नुकसान बर्दाश्त कर सकते हैं उनके लिये मुझे कुछ नहीं कहना लेकिन जो बीपीएल के लोग हैं एससी,एसटी हैं उनको तो आप मुआवजा इंश्योर कर दीजिये. वह भी आप नहीं कर रहे हैं. इसमें आप मेहरबानी करके सुधार करने की कृपा करें. अब मैं आपको राशन माफिया के बारे में बताना चाहता हूं. इसके बारे में मेरे पास काफी डिटेल हैं. मुझे लगता है खाद्य विभाग की जब मांगें आएंगी तभी मैं बोलूंगा क्योंकि उपाध्यक्ष महोदय, ने रोक लगा दी है. मुझे कुछ और जरूरी बातें कहना थीं लेकिन मैं कोशिश करूंगा कि बजट की डिमांड्स पर मुझे मौका मिले तब मैं कहूं. धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए अपनी बात रखना चाहता हूं. मैं इस सदन में 2003 में भी विधायक बनकर आया था. उस समय मध्यप्रदेश की जितनी राजस्व प्राप्तियां थीं. उसमें से 22.44 प्रतिशत तत्कालीन सरकार ब्याज पर देती थी. इन 12 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी की शिवराज जी की सरकार ने समस्त राजस्व प्राप्तियों में घटाकर 7.98 प्रतिशत कर दिया है. लगभग 14 से 15 प्रतिशत ब्याज कम हुआ. यह ब्याज आज सरकार को नहीं देना पड़ रहा है. 2003 में मध्यप्रदेश में बिजली की उपलब्धता 3 हजार मेगावाट थी. आज मध्यप्रदेश में बिजली की उपलब्धता 16 हजार मेगावाट है. 13 हजार मेगावाट अधिक है. उस समय सिंचाई का रकबा 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर था. आज मध्यप्रदेश का सिंचाई का रकबा 40 लाख हेक्टेयर है. महेन्द्र सिंह जी कह रहे थे कि बार-बार कृषि कर्मण अवार्ड मिले. जब मध्यप्रदेश में बिजली नहीं थी जब मध्यप्रदेश में सिंचाई नहीं होती थी तो कहां से गेहूं उत्पादन होगा. इनसे 5 गुना अधिक बिजली और सिंचाई का कार्य हमारी सरकार ने किया है. मैं महेन्द्र सिंह जी को कहना चाहूंगा कि एक बार नहीं दो बार नहीं तीन बार नहीं चार बार हिन्दुस्तान के जितने भी 29 राज्य हैं उनमें से यह अवार्ड मध्यप्रदेश सरकार को मिला है. इन राज्यों में गेहूं की पैदावार में मध्यप्रदेश का आज दूसरा नंबर है. यह एक रिकार्ड है. हम किसान हैं. मैं खुद खेतों में काम करना जानता हूं. जिस तरह से आपके संतरे और आम जो खराब हो गये हैं उस दिशा में नीलगाय की जो बात है उस विषय में सरकार निश्चित रूप से ध्यान देगी. मेरे मन की जो पीड़ा है कि आपकी सरकार के समय इस मध्यप्रदेश के किसानों को 2003 के पहले तो नकली बीज किसानों को मिलता था नकली खाद मिलता था और नकली दवाईयां मिलती थीं. जो आज किसानों ने तरक्की है तो असली बीज,असली दवाईयां और असली खाद मध्यप्रदेश के किसानों को मिल रहा है. 2004 में मुझे पता है कि खाद लेने के लिये चक्का जाम करना पड़ता था. हाईवे पर चक्का जाम लगते थे. उस समय थाना प्रभारी,एसडीएम,एसडीओ का एक ही काम होता था कि किसानों को कैसे खाद दिलवाई जाए. थाने में ट्रक खड़ी करके खाद बांटा जाता था. आज एडवांस खाद सोसायटियों में बांटा जा रहा है. कभी भी जाकर किसान अपनी खाद ले सकता है. उन सोसायटियों में आपकी सरकार के समय में 16 प्रतिशत,12 प्रतिशत किसानों से ब्याज लिया जाता था. इस ब्याज को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने घटाकर पहले 7 प्रतिशत किया, फिर 5 प्रतिशत किया, फिर 3 प्रतिशत किया फिर 0 प्रतिशत किया. 0 प्रतिशत के बाद आज स्थिति यह है कि किसान एक लाख रुपये का लोन लेगा तो वह नब्बे हजार जमा करेगा. 10 प्रतिशत जो राशि है वह सरकार उस किसान के खाते में जमा करती है.10 प्रतिशत राशि किसानों के खाते में जमा करती है. जहां तक फसल की बात है आज प्राकृतिक आपदा से पूरे मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि, अल्पवर्षा होने से सोयाबीन की खड़ी फसल खराब हुई है और मध्यप्रदेश के इतिहास में पहला ऐसा दिन है जब 5 नवम्बर, 2015 को एक दिन का विशेष सत्र माननीय मुख्यमंत्री जी की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बुलाया उस दिन किसानों के लिये 4 हजार 6 सौ करोड़ो रूपये की राहत राशि की घोषणा इस सदन में की गई, जो कि आज तक कभी भी किसी भी सरकार ने यह काम नहीं किया है. यह राशि किसानों के खातों में जमा की जा रही है, यह ऐतिहासिक कदम शिवराज सिंह जी की सरकार ने उठाया है. किसानों को बीमे की तथा राहत की राशि भी मिल रही है. पिछले समय में बिजली की हालत अच्छी नहीं थी तार पकड़ते तो बिजली का करंट नहीं आता था. आज ऊर्जा के क्षेत्र में जहां पर 132,220,33 नये बनाने चाहिये, तार बदलने चाहिये, पोल बदलने चाहिये, हमारी सरकार के द्वारा उत्पादन के साथ-साथ ट्रांसमीशन, वितरण प्रणाली में भी काम किया, वितरण प्रणाली को भी सुदृढ़ बनाने का कार्य किया है, उसका उत्पादन भी किया है, ट्रांसमीशन में काम भी काम किया, तीनों ही क्षेत्रों में काम करने के कारण आज मध्यप्रदेश में 16 हजार मेगावाट की उपलब्धता का एक रिकार्ड है. मैं कहना चाहता हूं कि सिंहस्थ 1968, 1980, 1992, 2004, के बाद 2016 में आया है, उसके बाद सिंहस्थ 2028 में 12 साल बाद होगा उसमें भी महाकाल की कृपा से भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही रहने वाली है. मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं, न ही मैं पंचांग देखना जानता हूं और न ही मैं कोई ब्राह्मण हूं. आज मध्यप्रदेश में जो कांग्रेस की स्थिति है तो निश्चित रूप से 2018 में भी भूतभावी महाकाल की कृपा से भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही बनने वाली है. आज उज्जैन सिंहस्थ में 3 हजार करोड़ रूपये के स्थायी कार्य किये जा रहे है उसमें टूलेन, बड़े बड़े पुल, पूर्व में सिंहस्थ को लेकर स्थायी कार्य नहीं हुआ करते थे आज माननीय मुख्यमंत्री जी मॉनिटरिंग में लगातार 3 हजार करोड़ रूपये के नये नये कार्य किये जा रहे हैं. महाकाल की नगरी उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई के बीच में सिंहस्थ महाकुंभ लगने वाला है मैं आपसे आग्रह करता हूं कि मोक्षदायिनी क्षिप्रा में पधारकर स्नान आकर करिये और महाकाल बाबा जी के आशीर्वाद आप सब लेने के लिये आईये उसमें बहुत सारी तैयारियां माननीय शिवराज सिंह जी सरकार ने की हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि सिंहस्थ को लेकर के क्षिप्रा नदी है वह उज्जैन से मेतूर तक बहती है एक बार सिंहस्थ महापर्व मेतूर में लगा था, यह क्षिप्रा नदी में नर्मदा का पानी है वह लाना संभव था क्या, यह विचार करें ? जब कांग्रेस की सरकार थी तब दिग्विजय सिंह कहा करते थे, यह संभव ही नहीं है उस नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना को यदि किसी ने साकार किया है यह हमारे शिवराज सिंह जी की सरकार ने किया है. यहां तक कि नर्मदा मालवा, गंभीर लिंक परियोजना की भी प्रशासकीय स्वीकृति हो गई है उसमें 2187 करोड़ रूपये स्वीकृत कर दिये गये हैं. उस योजना के बनने से उज्जैन, इन्दौर जिले के कई गांवों में 50 हजार हैक्टेयर में सिंचाई की सुविधा के साथ साथ पीने के पानी तथा उद्योगों के लिये पानी की सुविधा हो जाएगी. मुझे अच्छी तरह से पता है कि 2003-04 में जब विधायक बनकर के आये थे तब प्राथमिक विद्यालय के जो बच्चे थे वह गांव के बड़े वृक्ष के नीचे बैठकर के पढ़ते थे, तब कोई स्कूल बिल्डिंग नहीं हुआ करती थी तथा कोई भी माध्यमिक स्कूल नहीं हुआ करते थे, यह सत्य है आप रिकार्ड उठाकर के देख लीजिये आज हर जिलों में हर तीन किलोमीटर पर प्राथमिक, हर सात किलोमीटर माध्यमिक तथा हाईस्कूल की शालाएं भी खोली गई हैं. हाई स्कूल से हायर सेकेण्ड्री स्कूलों का उन्नयन भी किया गया है ।
श्री यादवेन्द्र सिंह - सर्व शिक्षा अभियान में भवन बने थे, क्या प्रदेश सरकार ने पैसा दिया था, (XXX).
श्री बहादुर सिंह चौहान- अब केन्द्र में आपकी सरकार तो नहीं है, 2003 से पहले जब हम कहते थे तो यह कहा जाता था कि यह पैसा तो केन्द्र का है ।
श्री सचिन यादव- केन्द्र में आपकी सरकार है, मनरेगा के पैसे तो लेकर आओ ।
श्री बहादुर सिंह चौहान- मनरेगा में भी कार्य चल रहे हैं । मध्यप्रदेश में खेत सड़क योजना के कार्य चल रहे हैं, पूरे कार्य आप जाकर देख लीजिएगा । अच्छी तरह से काम चल रहे हैं, मनरेगा के पैसे भी समय पर मिल रहे हैं, प्रधान मंत्री सड़क योजना के काम भी चल रहे हैं, मुख्यमंत्री सड़क योजना के भी कार्य चल रहे हैं । इस वर्ष 25 हजार किलोमीटर सड़क का निर्माण हमारी सरकार के द्वारा किया गया है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद ।
श्री जयवर्धन सिंह(राधौगढ़)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल अभिभाषण के कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलूंगा । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे याद है पिछले साल के अभिभाषण में शैक्षिक गुणवत्ता वर्ष माना गया था और इस साल गरीब कल्याण वर्ष माना गया है । पिछले साल 2015-16 में शैक्षिक गुणवत्ता के लिए प्रदेश सरकार ने ऐसी क्या बात की, क्योंकि अगर हम एक ही विषय पर समर्पित रहकर उसका वर्ष मानते हैं तो स्वाभाविक है कि कुछ न कुछ तो ऐसा काम करना चाहिए जिसके माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर हमारे प्रदेश को माना जाए । शैक्षिक विषय पर जब हम बात करें तो ऐसा क्या मुद्दा था, जिसके ऊपर पूरे भारत में मध्यप्रदेश की बात हुई और वो है व्यापम । हम यह बात मानते हैं कि व्यापम की पूरी जांच सी.बी.आई. को सौंपी जा चुकी है,सी.बी.आई. जांच कर भी रही है मगर हमको अभी एक माह पहले ही खबर मिली कि जो फारेस्ट गार्ड की भर्ती हुई है, वहां पर भी बहुत अनियमितताएं आई हैं । एक दिन जो लोग एडमिट हो गए थे, अगले दिन उनका निरस्त हो गया तो अब भी मैं मानता हूँ कि जो पिछले साल का वायदा था, चाहे स्कूल शिक्षा हो, उच्च शिक्षा हो या फिर युवाओं के लिए अन्य कोई व्यवस्था हो जो हमने वायदा किया था, प्रदेश सरकार ने जो वायदा किया था कि उनको अच्छी सुविधाएं मिलेंगी, वह सुविधाएं अभी तक नहीं मिल पाई हैं उसके साथ साथ पूरे प्रदेश में युवाओं का मनोबल टूट चुका है । अगर हम 2015-16 में देखें अनेक ऐसे कर्मचारी थे, जो आंदोलित थे, कुछ माह पहले पटवारी संघ आंदोलन कर रहा था, अब भी रोजगार सहायक, पंचायत सचिव, आंदोलित हैं, आज जब मेरा भाषण चल रहा है जो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं, वह आंदोलन कर रहे हैं, हाईकोर्ट ने भी आदेश दे दिया है कि जो 20-25 साल से दैनिक वेतन भोगी काम कर रहे हैं उनको नियमित किया जाए, मगर उनकी भी मांग पूरी नहीं हो पा रही है ।
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - कांग्रेस के समय में एक झटके में ही सारे कर्मचारियों को निकाल दिया गया था ।
श्री जयवर्धन सिंह- सदन में हमें हमेशा भविष्य के बारे में बात करना चाहिए, विधायक होने के नाते कांग्रेस के बारे में बात करने की आप लोगों की आदत है ।
...... ( व्यवधान).....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- हमारी सरकार ने जीवन दान दिया है ।
श्री सचिन यादव- 12 साल हो गए हैं, लोग आपको माफ करने वाले नहीं हैं ।
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- आपकी सरकार ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को एक झटके में ही बाहर कर दिया था, हमारी सरकार ने जीवन दान दिया है । ...... ( व्यवधान).....
उपाध्यक्ष महोदय - आसंदी के माध्यम से संबोधन करें, आप जारी रखें । ( व्यवधान).....
श्री जयवर्धन सिह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, छोटी सी बात है, इतने भावुक क्यों हो रहे हैं,विधायक चाहे सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का हो । (व्यवधान)
श्री अमर सिंह यादव - 12 साल पहले की बात है, 500 रूपए में शिक्षा कर्मी किसने बनाए थे ।
श्री जयवर्धन सिंह - हां हम जानते हैं, ऐसी सरकार चलाई कि आज भी उनको याद करते हैं ।
उपाध्यक्ष महोदय - श्री जयवर्द्धन सिंह जी, आप अपना भाषण जारी रखिये. यह प्रश्नकाल नहीं है (व्यवधान). आप लोग बैठ जाएं. उनको बोलने दें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम तो बिल्कुल भावुक नहीं हो रहे हैं. वह तो, वे ही लोग भावुक हो रहे हैं.
पिछले वर्ष जब सूखा हुआ था और इसके बारे में विशेष सत्र भी बुलवाया गया था और अभिभाषण में भी इस बात का उल्लेख है कि 4600 करोड़ रूपये बांटे गए हैं. मगर हम वास्तविकता देखें तो लगभग आधी ही राशि किसानों के खातों में पहुँची है. उसके साथ-साथ सूखे की जो तहसीलें हैं, मुआवजे के समय उनको और क्या-क्या सुविधाएं मिली हैं ? मेरा एक प्रश्न है. जो मुझे लगता है और पता भी किया है, एस.डी.एम. और कलेक्टर के साथ, जो वायदे किये गये थे. जैसे बिजली के बिल स्थगित किये जायेंगे. जब कुछ महीने पहले और अभी भी जब डी.पी. के द्वारा जो सिंचाई के उपयोग के लिये, उनको बिजली की आवश्यकता थी. उस समय भी, अनेक बिजली विभाग के कर्मचारी हैं, वे अभी भी किसान की डी.पी. उठाकर ले जा रहे थे क्योंकि उनके बिल के पेमेन्ट पूरे नहीं हुए थे.
जब विषय बिजली का आता है तो हर वर्ष हमको अभिभाषण में दिखता है कि इतने मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन हो रहा है. मगर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सिर्फ मेगावाट में वृद्धि हो, किसान को उसकी चिन्ता नहीं है क्योंकि आखिर ट्रॉसमिशन एण्ड डिस्ट्रिब्यूशन के माध्यम से किसान को बिजली मिलती है, ऐसी कई मेगावाट बिजली जनरेट होती है जो प्रदेश से बाहर भी जाती है. मगर किसान को इस बात की चिन्ता होती है कि जो बिजली जनरेट होती है, वह जब ट्रॉसमीटर में डिस्ट्रिब्यूट होती है तो क्या वह किसान के पास पहुँच रही है. हर बार की तरह इस वर्ष भी अभिभाषण में लिखा है कि 24 घण्टे गॉव में बिजली आ रही है? ऐसा कहां, कौन-से गॉव में हो रहा है ? 24 घण्टे गॉव में कहीं बिजली नहीं आ रही है और इसलिए नहीं हो रहा है. आपके संरक्षण की आवश्यकता है. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - आप लोग कृपया बैठ जाइये.
श्री जयवर्द्धन सिंह - कोई बात नहीं.
डॉ. गोविन्द सिंह - गांव में जाकर तो देखो.
उपाध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये, बैठ जाइये. इन्हें डिस्टर्ब मत कीजिये. बैठिये.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिंहावल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहेंगे. जब श्री शंकरलाल तिवारी जी पूरे राज्यपाल जी के अभिभाषण का गुण-गान कर रहे थे तो आपने देखा होगा कि विपक्ष के एक भी साथी ने किसी भी प्रकार का कमेन्ट्स नहीं किया. आपसे यह संरक्षण चाहेंगे कि जो भी बातें हैं, इस तरह से टीका-टिप्पणी अगर करेंगे तो हम लोग भी वही शुरू कर देंगे. वही होगा जो हमेशा होता आया है. आपसे निवेदन है कि सदन को व्यवस्थित ढंग से चलायें. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - बैठ जाऍं. आपके अभिभाषण के दौरान किसी ने व्यवधान नहीं किया. आप बहुत अच्छा बोले.
श्री शंकरलाल तिवारी - मेरे कक्का साहब से कहें कि मुझे जबरन न घसीटें. अब जबरन भाषण सुनो, इस तरह की बात नहीं होगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह - बाबूजी आप बैठ जाइये, महाराज बैठ जाइये. आपके चरणों में प्रणाम. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, महाराज हैं, बड़े हैं, ब्राम्हण हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) - यह आप असत्य क्यों बोलते हैं. मैं आपको मेरी विधानसभा क्षेत्र का बता रहा हूँ कि रोज किसानों के फोन आ रहे हैं कि बिजली नहीं हैं, हमारी फसल सूख रही है.
श्री शंकरलाल तिवारी -- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप बैठ जायें, यह गलत बात है. शंकरलाल तिवारी जी, जो बोल रहे हैं, वह लिखा नहीं जायेगा. तिवारी जी, आप जो बोल रहे हैं, वह लिखा नहीं जा रहा है,
श्री बाला बच्चन -- उपाध्यक्ष महोदय, यह चरणों वाले शब्द जो बोले हैं, उनको विलोपित करा दें.
उपाध्यक्ष महोदय -- निकाल दें. ठीक है, हम सहमत हैं. हमने व्यवस्था दे दी है.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, 24 घण्टे बिजली इसलिये नहीं आ रही है, क्योंकि अनेक ऐसे फीडर हैं, जहां पर फीडर सेप्रेशन नहीं हुआ है और मैं मानता हूं कि 50 प्रतिशत से अधिक फीडर ऐसे हैं, क्योंकि जब तक फीडर सेप्रेशन नहीं होगा, तब तक 24 घण्टे गांव में लाइट नहीं आ पायेगी. साथ में ऐसी योजना जो एनडीए ने शुरु की थी, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय प्रधानमंत्री सड़क योजना, जब यूपीए सरकार आई थी, हमने उसमें और भी राशि दी थी. मगर अब जब से मोदी जी आये हैं, पिछले 2 साल से हमारे पूरे जिले में प्रधान मंत्री सड़क योजना के अंतर्गत एक भी रोड नहीं बनी है. यह इतनी महत्वपूर्ण योजना है, जिसके माध्यम से लाखों करोड़ों ग्रामवासियों को फायदा मिला था, मगर पिछले दो साल से एक भी नई रोड इसमें नहीं बनी है. साथ में अभी कुछ महीने पहले जो एक टेंडर लगा था मुख्यमंत्री सड़क योजना का, उसमें भी जो टेंडर लगे हैं, वह बहुत ही लो रेट पर लगे हैं और उसमें जो गुणवत्ता होनी चाहिये रोड की, वह नहीं हो पायेगी. अभी हमारे मंत्री जी,कुंवर विजय शाह जी भी विराजे हैं. पिछले साल भी वादा हुआ था कि उचित मूल्य की दुकान हर पंचायत में विकसित होगी. मगर अब भी ऐसी स्थिति है कि पांच पंचायतों की दुकान एक जगह लगती है और मैं मानता हूं कि अगर वापस एक बार फिर दूसरे साल वही घोषणा की है, तो हमें उम्मीद है कि शायद इस बार कम से कम हमारे क्षेत्र में तो वह पूरी हो जाये, आपकी जो भी घोषणा है.
(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री (कुंवर विजय शाह) -- उपाध्यक्ष महोदय, यह हम जल्दी कर देंगे. मामला कोर्ट में चला गया था, इसलिये हम लोग नहीं कर पाये.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं आखिरी बिन्दु पर अपनी बात कह रहा हूं और मैं मानता हूं कि इस साल पूरे प्रदेश में यदि कोई सबसे गंभीर विषय है, तो वह है जल संकट. अभी होली भी नहीं आई है और अभी से हैंडपम्प, ट्यूबवैल पूरी तरह फेल हो चुके हैं. यह बहुत गंभीर समस्या है. ऐसे अनेक सब डिवीजन हैं, जहां पर पीएचई का ऑफिस भी नहीं है. वह जिले में बैठते हैं और फिर आते हैं दूसरे सब डिवीजन में काम करने के लिये. लोग इसलिये भ्रमित हो रहे हैं कि कहीं कहीं आदेश दिये गये हैं कि सरपंच इसकी पूरी देख रेख का काम करे और कहीं कहीं पीएचई देख रही है. तो इसके कारण सब लोग भ्रमित हो रहे हैं कि वास्तव में काम कौन करेगा. इसमें मेंटेनेंस का काम होता है, उसका दायित्व किसके पास है. तो मैं मानता हूं कि इस पर भी कुछ स्पष्टीकरण होना चाहिये. यह बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि 70 से 80 प्रतिशत जो नल जल योजनायाएं हैं, पूरी तरह फेल पड़ी हैं. मैं आखिरी में यही कहूंगा कि अगर एक विपक्ष के विधायक के भाषण में सत्ता पक्ष के विधायक उचकते हैं, तो मैं मानता हूं कि हमने अच्छी ही बात की है. बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.
(श्री के.के.श्रीवास्तव के खड़े होने पर)
श्री लाखन सिंह यादव -- उपाध्यक्ष महोदय, यह श्रीवास्तव जी को कोई बीमारी हो गई है. ये जब देखो खड़े हो जाते हैं. क्या आपको कोई बीमारी है.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- बीमारी आप लोगों को है, जो आप लोग उचकते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, यह जो उचकना शब्द बोला है, यह विलोपित करवाइये.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्रीवास्तव जी, आप अनावश्यक इंट्रप्ट करते हैं.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- यह बीमारी तो आप लोगों को है.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, हमने जो बात कही थी, उसको उन्होंने और साबित कर दिया है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक(बिजावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुये सरकार के द्वारा जो दृष्टिकोण दिया गया है उसके विषय में, मैं अपनी बात करना चाहता हूं. सरकार ने आधारभूत जरूरतें जैसे सड़क, पानी, बिजली की पूर्ति हेतु जो काम किये हैं निश्चित रूप से उनकी सराहना की जाना चाहिये. मूलभूत सुविधाओं की दृष्टि से भी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जो प्रमुख घटक हैं इस दिशा में भी सरकार की योजनायें ठीक दिशा में जा रही हैं और जो काम किये जा रहे हैं उनकी मैं सराहना करता हूं. मध्यप्रदेश की अर्थ व्यवस्था में और खुशहाली में खेती का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है . इस दिशा में सरकार ने जो काम किये हैं उनकी ओर सबसे पहले मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. बुंदेलखंड में एक कहावत प्रचलित है " उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ठ चाकरी भीख निदान" " जीवन जीने के जो चार चरण बताये गये हैं, चार साधन बताये गये हैं उसमें भीख मांगना सबसे अंतिम है, जो जीवन जीने का सबसे कठिन साधन माना गया है. चाकरी को भी निकृष्ठ माना गया है और बानकी को मध्यम माना गया है. खेती को उत्तर माना गया है. लेकिन पिछले सालों में लगातार ऐसी स्थिति बनती गई चाहे वह प्रकृति की मार रही हो या रसायनिक खेती करने की वजह से खेती की उर्वरा क्षमता कम होने की वजह रही हो, अनेकानेक कारणों से लोगों का ध्यान खेती की तरफ खतम हुआ है, कम हुआ है, खेती की ओर आकर्षण भी कम हुआ है. इस दिशा में यदि सरकार ने प्रयास करके खेती को फिर से अच्छा व्यवसाय बनाने की दिशा में जो पहल की है वह निश्चित रूप से सराहनीय है. मैं विशेष रूप से इस बात को लेकर के आग्रह करना चाहता हूं कि किसान की जो स्थिति रही है उसके हाथ में साल में केवल दो बार पैसे आते हैं, इस दृष्टिकोण से यदि देखें तो भारत वर्ष के इतिहास में किसान क्रेडिट कार्ड की योजना मील का पत्थर साबित हुई है जिसने किसान के हाथ में 12 महीने पैसे रखने की व्यवस्था बनाई. इस दिशा में 83 लाख किसान क्रेडिट कार्ड सरकार ने बनाये हैं, यह सरकार के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है इसके लिये मैं सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. वास्तव में किसान के हाथ में साल भर में दो बार पैसे आते हैं लेकिन जरूरत उसको कई बार पड़ती है, कहीं नाते-रिश्तेदारी में जाना हो, कभी कोई बीमारी आ जाए, तो पैसे की जरूरत पड़ती थी तो किसान यहां-वहां से उठाता था, इस कारण से उसको साल भर कहीं न कहीं कर्ज में दबा रहना पड़ता था. इस दिशा में किसान क्रेडिट कार्ड ने जो उपलब्धि हासिल की है उसकी वजह से निश्चित रूप से किसान बहुत खुशहाल हुआ है और 2017-18 में 5 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बनाने का जो सरकार ने लक्ष्य रखा है उसके लिये मैं सरकार की बहुत बहुत सराहना करता हूं. एक विशेष दिक्कत अनपढ़ किसानों के बीच में आया करती है कि बिजली के बिल की गूढ़ता से वे अनभिज्ञ रहते हैं. कई बार जो महीने में बिल देना पड़ता है उसके किसानों को बड़ी दिक्कत आती थी और यह जो काम सरकार ने किया है कि फ्लेट रेट लगाकर 1200 रूपये प्रतिमाह मेगावॉट बिजली देने की जो व्यवस्था बनाई है और साल में दो बार बिजली के बिल का पैसा देने की व्यवस्था की है इससे किसानों को बहुत राहत मिलेगी और किसानों का संबल बढ़ाने में यह बहुत मजबूत व्यवस्था है इसके लिये मैं सरकार का बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कई बार हमने अखबारों में यह पढ़ा है कि किसान अपने फल-सब्जी लेकर के बाजार में गये, किसानों को उचित फल-सब्जी का रेट न मिलने के कारण पूरी की पूरी टेक्टर की ट्राली उन्होंने वहीं पलट दी जो पशुओं को खिलाने के काम में आ गई और उन्होने उसको बेचा नहीं क्योंकि बेचने में उन्हें पैसे मिलने वाले नहीं थे. इस बात को लेकर के शायद सरकार ने चिंता की है और यह निश्चित रूप से बहुत ही संवेदनशील विषय है कि वेजिटेवल रूट और फ्रूट्स रूट बनाने की जो व्यवस्था सरकार ने की है यह कृषि विभाग द्वारा किया गया बहुत ही महत्वपूर्ण काम है निश्चित रूप से सरकार के इस प्रयास से किसानों को जो फल और सब्जी का उत्पादन करेंगे उनको निश्चित रूप से लाभ होने वाला है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मूलभूत सुविधाओं की यदि हम बात करें तो सड़क, पानी और बिजली जो हमारी मुख्य जरूरतें हैं, उनमें सड़क की दिशा में जो काम हुये हैं उनमें उल्लेखनीय काम जो आने वाले दिनों में होने वाले हैं, जैसा कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में परिलक्षित हो रहा है कि जिले की सड़कों को सीमेंट-क्रांक्रीट मार्ग से बनाने वाले हैं, इससे 1 सड़क मुझे भी मेरे विधानसभा क्षेत्र में मिल रही है. इसलिये मैं सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. और राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में इस बात का उल्लेख आने के प्रति मैं उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना से 2244 किलोमीटर की सड़कों के निर्माण से 669 मार्ग जो बने हैं उससे 810 बस्तियों में से मेरी विधानसभा क्षेत्र की कुछ बस्तियां आती हैं इसलिये मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से 13540 किलोमीटर की सड़कें बनी हैं. 22974 पुल पुलियों के निर्माण से 6500 गांव जो जुडे़ हैं उनमें एक ऐसा दुर्गम गांव हमारी विधानसभा का जुड़ा है, जहां पहुंचने के लिये 8 पुलियों की जरूरत पड़ती थी और वह 8 पुलियां जो इसमें आंकड़ा आया है उसमें जुड़ी हैं इसलिये निश्चित रूप से यह बहुत बड़ी बधाई का विषय है मेरे लिये, मैं सभी को इसके लिये बधाई देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, पानी की जहां तक बात है व्यक्ति की अधिकतम आवश्यकता का ध्यान रखकर पेयजल आपूर्ति को सुनिश्चित करना यह मानवीयता का स्पर्श है. इस दिशा में 7785 बसाहटों को पेयजल पहुंचाने की बात कही गई है, 2062 गांवों में नलजल योजना की बात कही गई है और 2129 ग्रामीण शालाओं में पेयजल की उपलब्धता की बात कही गई है, यह निश्चित रूप से बहुत ही मानवीयता भरा पहलू है, इसके लिये मैं सरकार के प्रति आभार प्रकट करता हूं. 24 घंटे जो बिजली देने की बात है निश्तिच रूप से कहीं-कहीं तो यह स्थिति है जहां फीडर सेपरेशन नहीं हुआ है वहां घरेलू बिजली के साथ-साथ किसानों को भी 24 घंटे बिजली मिल रही है. वर्तमान वित्त वर्ष में 926 मेगावाट बिजली उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण विषय है. 2018 तक 18 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है, यह निश्चित रूप से सरकार की आगे बढ़ती हुई नीति को दर्शाता है मैं इसके लिये उसका बहुत-बहुत धन्यवाद व्यक्त करता हूं. नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विभाग ने कई उल्लेखनीय कदम उठाये हैं और बिजावर विधानसभा क्षेत्र में भी इसकी संभावना तलाशी जा रही है, इसके लिये भी मैं ऊर्जा विभाग को, मुख्यमंत्री महोदय को और पूरी सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. अभी मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ जो और महत्वपूर्ण विषय है शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा इस दिशा में भी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं. 10+2 के जो स्कूल उन्नयन हुये हैं, हाईस्कूल जो उन्नयन हुये हैं, 100-100 पूरे मध्यप्रदेश में हुये हैं, उनमें से मेरी विधानसभा भी लाभांवित हुई है, इसके लिये मैं सरकार के प्रति और शिक्षा विभाग के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं.
विमुक्त और घुमक्कड़ जनजाति के बच्चों के लिये छात्रावास हुये हैं इनमें मुझे भी लाभ हुआ है, दो छात्रावास मेरे विधानसभा क्षेत्र में आये हैं. मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम एक बहुत अद्भुत कार्यक्रम सरकार ने अभी शुरू किया है, इसके एक प्रशिक्षण वर्ग में मुझे जाने का अवसर मिला, मैंने देखा कि 12वीं पास करने वाले जो छात्र हैं कितनी तन्मयता से कितने विविध विषयों के माध्यम से उनके स्वभाव में नेतृत्व विकास की सुविधा बड़ रही है. छात्र-छात्राओं को 1 करोड़ 13 लाख जाति प्रमाण-पत्र जो दिये गये हैं, निश्चित रूप से स्कूल के बच्चों को मैंने खुद जाकर बांटे हैं, बच्चों को अभी नहीं मालूम कि उनके लिये कितने उपयोगी होने वाले हैं और जितनी आसानी से उनको वह उपलब्ध हैं, आने वाले दिनों में उनके मां-बाप और वह बच्चे स्वयं इस बात को महसूस करके सरकार के प्रति अपना आभार व्यक्त निश्चित रूप से करेंगे. स्वास्थ्य के मामले में 17 अगस्त से 17 अक्टूबर तक 2 महीने में 24 लाख महिलाओं के परीक्षण हुये हैं, निश्चित रूप से यह जागृति का विषय है. जननी एक्सप्रेस से 11 लाख प्रसूताओं को जो लाभ हुआ है, 13314 पुनर्वास केन्द्रों में 54412 कुपोषित बच्चों को जो पोषण मिला है, निश्चित रूप से वह महत्वपूर्ण विषय है.
उपाध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य विभाग के लिये एक जरूर जानकारी है कि कई बार यह होता है कि कुपोषण केन्द्र जो बच्चों को पोषण आहार देने की व्यवस्था करते हैं, त्यौहार आने की वजह से बच्चे और उनके माता-पिता छोड़-छाड़ कर भाग जाते हैं, उनकी कुछ ऐसी व्यवस्था रहे कि वह लगातार वहां जो उनके लिये पुनर्वास केन्द्र बने हैं उनमें बने रहें.
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरे 2 साल में मैंने कभी एक सेकेंड का भी इनट्रप्सन नहीं किया कोई डिस्टर्बेंस नहीं किया, कुछ तो मुझे बोनस मिलना चाहिये. (हंसी)......
उपाध्यक्ष महोदय-- चलिये एक मिनट का बोनस आपको दे देते हैं.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- सुरक्षा के क्षेत्र में डायल 100 एक बहुत ही अभूतपूर्व योजना आई है इसके माध्यम से जिस समय चमचमाती गाडि़यां लाल-नीली बत्तियों के साथ निकलती हैं तो निश्चित रूप से चोर उचक्के अपने आप दुबक जाते होंगे कहीं पर और इससे निश्चित रूप से नियंत्रण भी मैंने देखा है, यह मैं खुद महसूस करता हूं. नक्सलवाद पर सरकार ने नियंत्रण प्राप्त किया है यह अपने आप में एक उल्लेखनीय बात है. हालांकि यह बात सही है कि पिछले 30-40 वर्षों में धीरे-धीरे कोई सिलो पॉयजन की वजह से समाज में जहर व्याप्त हुआ है उससे त्यौहार जो हमारे हर्ष और उल्लास का विषय हुआ करते थे उनको शांतिपूर्वक मनाया जाना भी एक उपलब्धि है और सरकार ने यदि इस दिशा में उपलब्धि प्राप्त की है तो यह भी एक उल्लेखनीय विषय है. निजी शस्त्र लाइसेंस देने में सरकार को और ज्यादा ध्यान देना चाहिये, आवेदकों के जहां भी आवेदन लंबित हों निश्चित रूप से लाइसेंस बढ़ेंगे तो इससे बहुत ज्यादा फायदा होने वाला है. एक और बात जिसका अभी अभिभाषण में उल्लेख नहीं हुआ है, पूरे मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा जो इस वक्त चर्चित विषय रहा वह था विधायक कप, विधायक कम के माध्यम से खेलकूद की जो गतिविधियां बढ़ीं हैं और जन-जन तक जो इसकी व्यापकता हुई उसका निश्चित रूप से नीचे तक बहुत लाभ हुआ है और मेरा ख्याल है कोई भी विधायक ऐसा नहीं होगा जिसने इस योजना का लाभ उठाकर अपने क्षेत्र के लोगों के बीच में पहुंचने का प्रयास नहीं किया हो. माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
आपने समय दिया, बोनस दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर)-- उपाध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद कि आपने बोलने का मौका दिया. मैं महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, आपके संरक्षण में इन पंक्तियों से अपनी बात की शुरुआत करना चाहता हूं नज़र नवाज़ नज़ारा बदल न जाय कहीं,
बहुत सी बातें हैं, मुंह से निकलेगी सही,
वह देखते हैं तो लगता है नींव हिलती है,
मेरे बयां को बंदिशें निगल न जाय कहीं.
उपाध्यक्ष महोदय, जो प्रदेश सरकार की बातें थी. खासतौर से खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात कही गई थी. किसानों की निरन्तर आत्महत्या उस पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है. आज जो खोखले वादे किये गये हैं उसकी हकीकत सबके सामने आ रही है. मैं बिंदुवार कंडिकावार अपनी बात रखना चाहता हूं, जो राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में कही है.
उपाध्यक्ष महोदय, कंडिका 2 में पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव के बारे में बात कही गई है. लेकिन विषय यह है कि धीरे धीरे पंचायत राज के जो अधिकार थे, वह उनसे छीन लिये गये हैं. जिस मकसद से पंचायती राज लागू हुआ था, वह धरातल पर उतर नहीं पाया. उनको पंगु बना दिया गया है. जब उन्होंने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किये तो उनको अधिकार तो नहीं मिले बल्कि राजधानी से लाठी खाकर वापस जाना पड़ा.
उपाध्यक्ष महोदय, हम कहीं न कहीं ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं. विकास की जो राशि पंचायत स्तर पर पहुंचती है वह मात्र पंच परमेश्वर की राशि पहुंच रही है जो 4-5 लाख रुपये से ज्यादा किसी पंचायत के लिए नहीं होती. जहां एक ओर हम स्वच्छता अभियान की बात करते हैं कि हमारे गांव स्वच्छ हों और गांव की स्वच्छता के लिए, नाली निर्माण के लिए सीसी रोड़ निर्माण के लिए 5 लाख रुपये सालाना मिलना बहुत कम है. क्योंकि एक एक पंचायत में 3-3,4-4 गांव होते हैं. बहुत ज्यादा क्षेत्रफल होता है. जब तक यह राशि नहीं बढ़ेंगी तब तक गांव में स्वच्छता और सीसी रोड़ और नाली निर्माण नहीं हो पायेगा. यह कहीं न कहीं मुंह दिखाने की बात हो जायेगी. बातें स्वच्छता की होगी लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में साफ-सफाई नहीं हो पायेगी.
उपाध्यक्ष महोदय, कंडिका 5 में राहत राशि वितरण की बात कही गई है. अभी भी बहुत से किसानों को राहत राशि पहुंच नहीं पायी है. इसके लिए विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था, क्योंकि अनुपूरक बजट लाना था और उनको राहत राशि का प्रावधान करना था लेकिन हकीकत यह है कि जिस किसानों के खाते बड़े थे, मध्यम किसान थे, उनको पांच सौ-छःसौ-सात सौ रुपये एकड़ से ज्यादा का फायदा नहीं मिला है. मैंने सारा रिकार्ड इकट्टा किया है. जहां तक सोयाबीन की लागत में 40 किलो एकड़ का सोयाबीन लगता है, जिसकी कीमत 4 हजार रुपये क्विंटल होती है, अगर उस किसान को 600 या 800 रुपये का मुआवजा मिलता है तो उसके साथ एक भद्दे मजाक जैसा होता है. अगर नहीं दे पाये तो इतनी बड़ी-बड़ी बातें नहीं होना चाहिए. ठीक है, कम दे पा रहे हैं. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है कोई बात नहीं. क्योंकि सरकार जनता की ही होती है और जनता के बीच वही बात की जाये जिसको अमलीजामा पहनाया जा सके.
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- उपाध्यक्ष महोदय, जिस किसान के पास 25 डिसीमल जमीन भी है उसको भी 2 हजार रुपये से कम मुआवजा नहीं मिला है.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- श्री गुणवान जी जो आपने बात कही, वही बात राजस्व मंत्रीजी ने पिछली बार कहा था कि किसी किसान को हम 2 हजार रुपये कम नहीं देंगे. उपाध्यक्षजी, गुणवान जी जानते हैं मेरे खेत कहां है और मैं कैसी खेती करता हूं. मेरे नजदीक क्षेत्र के विधायक हैं. यह निश्चित रुप से सही बात है कि किसी भी किसान को इस वर्ष 2 हजार रुपये से कम का मुआवजा नहीं मिला चाहे उसके पास आधा एकड़ हो या एक एकड़ हो. लेकिन जो 5 और 6 एकड़ के किसान हैं. आपके आष्टा में 20 करोड़ रुपया ही मिला है. किसानों को 5-6 सौ रुपये प्रति एकड़ से ज्यादा का मुआवजा नहीं मिला. यह आप भी जानते हैं और मैं भी भली-भांति जानता हूं. उपाध्यक्षजी, यह वह मंच है जिसमें हम हकीकत बयां कर सकें, जिससे आगे उसके रास्ते निकले. उसका निदान हो सके. अगर यहां पर भी यह बात नहीं कहेंगे तो आखिर बात कहां पर कहेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात को बढ़ाते हुए कहना चाहता हूं कि जो स्थिति किसानों की है उस संबंध में हमारे पास के जिले के एक साहित्यकार पंकज सुधीर हैं, उन्होंने बड़ी अच्छी किताब लिखी थी अकाल में उत्सव. उसमें पूरा वर्णन है. अगर कहीं से पढ़ने को मिल जाये तो निश्चित रुप से समझ में आयेगा कि एक तरफ अकाल पड़ा और किस तरह उत्सवों की बात हो जाती है.
उपाध्यक्ष महोदय, कंडिका 6 में वित्तीय स्थिति को संतोष जनक बताया गया है. उसके बारे में बजट सत्र में बात करेंगे. अभी ज्यादा न कहते हुए इतना कहना चाहता हूं कि सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान गृहमंत्री हैं, उन्होंने एक स्मार्ट सिटी वाले कार्यक्रम में कहा था कि घर में नहीं दाने और अम्मा चली भुनाने. यह हमारी बात नहीं है. सत्तापक्ष के मंत्री ने कहा है. ऑन रिकॉर्ड बात है, टेलीविजन में यह आया था. उससे समझ में आ सकता है कि सरकार की वित्तीय स्थिति क्या है? कंडिका क्रमांक 9 में बिजली की स्थिति के बारे में उल्लेख किया गया है. निश्चित रूप से फीडर सेपरेशन का काम जो चल रहा है, वह बहुत धीमी गति से चल रहा है. मेरे जिले और विधान सभा में अभी भी आधे से ज्यादा गांवों में फीडर सेपरेशन का काम नहीं हुआ है. जो काम हो रहा है, वह भी घटिया क्वालिटी का हो रहा है. खम्भे गड़ तो बाद में रहे हैं, लेकिन पहले उनके उखड़ने का डर लगता है. बार-बार मीटिंग में हमने कहा है, राजस्व मंत्री जी मीटिंग में आते हैं, इसका उल्लेख किया है कि वह कार्य ठीक तरीके से हो. जब यह करोड़ों अरबों रुपयों का यह काम है, अगर यह ठीक तरीके से नहीं होगा तो गांवों में आगे चलकर जो बिजली मिलना है, वह काम ठीक से नहीं हो पाएगा. जो बात कही जाती है किसानों को 10 घंटे बिजली की और 24 घंटे बिजली देने की, यह बात तभी सार्थक होगी, जब यह फीडर सेपरेशन का काम पूरी तन्मयता से और समय पर वह हो सके. अन्यथा 24 घंटे बिजली देने की बात झूठी और बेमानी है.
उपाध्यक्ष महोदय, कंडिका क्रमांक 33 और 34 में सिंचाई के साधनों को बढ़ाने की बात कही है. मैं और कहीं की बात तो नहीं करता. लेकिन पिछले वर्षों में मेरी विधान सभा में एक इंच की नहर भी नहीं बनी है. मेरी विधान सभा का तो यह सौभाग्य है कि हमारे यहां का पानी भोपाल आता है चाहे वह कोलांस और उलझावन के माध्यम से बड़े तालाब में, चाहे कोलार में वीरपुर डेम के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था हो. लेकिन अभी भी हमारी विधानसभा का कंठ सूखा है. वहां पर सिंचाई की योजनाएं बहुत कम हैं. वह पूरा खेती किसानी का क्षेत्र है. वहां पर जैसा माननीय मुख्यमंत्री ने पूर्व में नर्मदा गंभीर नदी घोषणा की है. वैसे ही नर्मदा पार्वती को जोड़कर और नहरों के माध्यम से जब तक सिंचाई नहीं होगी, तब तक वह क्षेत्र मजबूत नहीं होगा. माननीय प्रधान मंत्री जी अभी शेरपुर आए थे, हमारा विधान सभा क्षेत्र था. मैंने भी ज्ञापन सौंपकर उनसे यह बात कही है कि आप नर्मदा पार्वती लिंक परियोजना को मंजूरी दें ताकि नहरों के माध्यम से इस क्षेत्र में विकास हो, क्योंकि वहां का शरबती गेहूं पूरे देश में प्रसिद्ध है.
उपाध्यक्ष महोदय, जब हम स्कूल की बात करते हैं. कंडिका क्रमांक 79 में स्कूल शिक्षा की बात कही है तो स्कूल शिक्षा की स्थिति भी बहुत संतोषजनक नहीं है क्योंकि वर्ष 2015 में एमएचआरडी और यूनिसेफ की जो चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है, उसमें बालिका शिक्षा में मध्यप्रदेश को फिसड्डी करार दिया गया है. यह कोई पहली रिपोर्ट नहीं है और अन्य रिपोर्ट्स के मामले में हम जब देखेंगे कि शिक्षा मुहैया कराने का तो हम वायदा करते हैं. लेकिन 5295 सरकारी विद्यालय ऐसे हैं जहां पर कोई शिक्षक नहीं है और तो और 95868 शिक्षकों की पूरे प्रदेश में इस समय कमी है. वहीं 17972 विद्यालय ऐसे हैं जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. 65946 स्कूलों में महिला शिक्षक नहीं हैं. यह आंकड़ें मेरे नहीं हैं. यह आंकड़ें यूनिसेफ में एमएचआरडी के माध्यम से दिये गये हैं. स्कूलों का उन्नयन तो हो गया. लेकिन उनको भवन नहीं मिले. मेरी विधान सभा में चाहे मोगरा राम का स्कूल हो, चाहे उलझावन का स्कूल हो, चाहे वह खैरी का स्कूल हो, ऐसे अन्य स्कूल, हायर सेकण्ड्री तो बन गये. लेकिन आज हायर सेकण्ड्री स्कूल बनने के बाद भी वहां पर भवन नहीं है. जो हायर सेकण्ड्री स्कूल, राईट टू एजुकेशन अधिनियम के अंतर्गत बनने चाहिए, वे स्कूल भी नहीं बने हैं, चाहे वह मुसकुरा का हो, चाहे वह बलोंडिया का हो, चाहे जताखेड़ा का हो, ये स्कूल भी अभी तक नहीं बन पाए हैं. कंडिका 109 में स्वास्थ्य सेवाओं की बात की है. हमारे मध्यप्रदेश में 8000 अस्पतला हैं, लेकिन उनमें 4000 डॉक्टरों की कमी है. खुद स्वास्थ्य मंत्री जी ने 2500 डॉक्टरों की कमी की बात कही है. बहुत सी ऐसी जगह हैं जहां पर पीएचसी खुलना बाकी है. उनकी वहां पर जरूरत है. स्टॉफ नर्सों की बहुत कमी है. इन्हें शीघ्र पूरा किया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हो सके.
उपाध्यक्ष महोदय, कंडिका 42 में सड़क निर्माण की बात की है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में चाहे वह इछावर से लेकर इंदौर भोपाल हाईवे व्हाया राम नगर हो, चाहे भऊंखेड़ी अम्लाह मार्ग हो, चाहे वह बृजेशनगर बोरदी होते हुए बिलकीसगंज मार्ग हो, ऐसे मार्गों का उन्नयन कर जब तक उनको जिला मुख्य मार्ग में नहीं जोड़ेंगे, तब उस क्षेत्र का विकास नहीं होगा. कंडिका 45 में स्वरोजगार की बात की है. हजारों केस बैंकों के पास आज पेडिंग पड़े हैं. उनमें अभी तक काम नहीं हुआ है. कंडिका 48 में उद्योगों के विकास का उल्लेख किया गया है. बेहतर माहौल का तो दावा किया जाता है लेकिन उद्योग खुल नहीं रहे हैं. एक उदाहरण मेरी विधान सभा के शेरपुर का है, जहां पर अभी प्रधानमंत्री का कार्यक्रम था, 4 साल पहले वहां पर भूमि पूजन हुआ. लेकिन आज तक एक ईंट भी उस जगह नहीं लगी है. एमओयू तो साईन हो रहे हैं लेकिन उद्योग उस तरीके से नहीं लग पाए हैं. अंत में अपनी बात समाप्त करने के पहले सिंहस्थ की एक बात कहना चाहता हूं. पिछले वर्ष मैंने उसका ध्यानाकर्षण भी लगाया था कि जो उज्जैन से देवास का मार्ग है उसे फोर लाइन करना था जहां पर आप 3 हजार करोड़ रूपये खर्च करने की बात कर रहे हैं, तो अगर यह काम भी हो जाता तो वहां पर आने जाने की सुविधा श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मिल जाती, उपाध्यक्ष महोदय यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी बात को रखें ताकि सत्तापक्ष इस पर ध्यान रखकर जनता के जो मुद्दे हैं उनको पूरा करने का प्रयास करे और प्रदेश में खेती वास्तव में लाभ का धंधा बने, पेयजल की समस्य़ा का हल हो गरीब निर्धनों को उनके अधिकार प्राप्त हों. अंत में मैं दो पंक्ति कहकर अपनी बात को समाप्त करता हूं. हमारी जुबां हमसे सी नहीं जाती,
जिंदगी है कि जी नहीं जाती. धन्यवाद् .
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के द्वारा प्रस्तुत अभिभाषण के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर अपनी बात को कहना चाहता हूं. मेरे पूर्व के साथियों ने विस्तार से बात रखी है. मैं दो तीन बातें सदन के सामने रखना चाहता हूं पहली बात तो यह है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने पिछले 11 वर्षों में जितना कुशल वित्तीय प्रबंधन किया है, जिसके कारण प्रदेश के अंदर विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का जिनको मुख्यमंत्री जी ने प्राथमिकता के आधार पर बनाकर नीचे तक पहुंचाने का प्रयास किया है उन सबका क्रियान्वयन कुशल वित्तीय प्रबंधन के कारण संभव हो पाया है. कुशल वित्तीय प्रबंधन इस कारण से भी कि जो 11 - 12 वर्षों में जो बजट प्रस्तुत हुए हैं वह आधिक्य के बजट प्रस्तुत हुए हैं. आधिक्य के बजट प्रस्तुत होना सरकार के कार्य की अच्छी और कुशलतापूर्वक वित्तीय प्रबंधन की ओर ध्यान आकृष्ट करता है. उपाध्यक्ष महोदय 2002-03 में सकल घरेलू उत्पाद एक लाख करोड़ के आसपास होता था आज वह बढ़कर के 5 लाख 8 हजार करोड़ तक पहुंचा है यह सरकार की वित्तीय प्रबंधन की कुशलता है. हमारी जो सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर है वह 10.19 प्रतिशत से ऊपर जा रही है यह दर हमारे देश में सबसे श्रेष्ठ है, ऊपर है, इसके कारण से भी हमारे इस प्रदेश का कुशल वित्तीय प्रबंधन स्पष्ट रूप से झलकता है. मैं यहां पर निवेदन करना चाहता हूं कि कृषि के क्षेत्र में माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जो क्रांति आयी है उसमें दो बातों ने बहुत प्रमुखता से बढ़ावा देने का काम किया है. पहली बात तो यह है कि जो बिजली का प्रबंध हुआ है, मैं यहां पर पिछली बातों को नहीं कहना चाहता हूं उसमें केवल समय की बर्बादी होगी लेकिन यह जरूर कहना चाहता हूं कि 2002-03 में जो बिजली की व्यवस्था थी उसमें 3 - 4 बातों में लगातार परिवर्तन हुआ है. नंबर एक यह कि माननीय मुख्यमंत्री जी का सबसे श्रेष्ठ किया जाने वाला काम था उसमें उन्होंने हमारे प्रदेश के अंदर बिजली की उत्पादकता को बढ़ाने का काम किया है और आज जो यह बात कही जा रही है कि 15 और 16 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हमारे प्रदेश में हो रहा है जिसके कारण हमारे प्रदेश में किसानों को ठीक से बिजली मिल पाने का काम हो रहाहै. 2003 में पौने चार लाख मेगावाट बिजली का उत्पादन था लेकिन आज बिजली का उत्पादन पौने चार लाख मेगावाट से बढ़ाकर 16 हजार मेगावाट हुआ है उससे हमारे किसानों को और घरेलू उपभोक्ताओं को बड़ा भारी लाभ प्राप्त हुआ है. केवल इतना ही नहीं इसमें प्रदेश सरकार ने बहुत राहत किसानों को देने का भी काम कियाहै. इसमें किसानों को बहुत सारी राहत देने का कार्य भी प्रदेश की सरकार ने किया है. प्रदेश की सरकार ने किसानों को बिजली के बिलों में लगातार सब्सिडी देने का काम किया, बिजली के नए कनेक्शन में सब्सिडी देने का काम किया और इन सब सब्सिडीज के कारण पिछले 3 वर्षों के अंदर लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की राशि मध्यप्रदेश के सरकारी खजाने से माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के किसानों को देने का कार्य किया है जिससे किसानों को बहुत बड़ी राहत प्राप्त हुई और उन्हें अपनी खेती-किसानी को बढ़ावा देने का बहुत अच्छा मौका मिला.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल इतना ही नहीं, परमानेंट कनेक्शन के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो निर्देश दिए, ऊर्जा मंत्री जी ने जो निर्देश दिए, उसके कारण से हमारे प्रदेश के अंदर इसी वर्ष 11 हजार लोगों को कनेक्शन प्रदान हुए हैं और उसमें 900 करोड़ रुपये 90 हजार किसानों को देने का काम भी मध्यप्रदेश की सरकार ने किया और इसके साथ-साथ छोटे सब स्टेशन बनाने का काम भी इस सरकार ने किया है जिससे पर्याप्त वोल्टेज के साथ लोगों को बिजली मिल सके. बड़े सब स्टेशन भी बहुत तेजी से बनाए गए हैं जिससे छोटे सब स्टेशनों को ठीक से बिजली सप्लाई हो सके. मेरे श्योपुर विधान सभा क्षेत्र के अंदर 24 सब स्टेशनों की स्थापना सरकार ने पिछले 10-11 वर्षों में की है. 56 वर्षों से 5 सब स्टेशनों पर चलने वाले श्योपुर को आज तेज गति से बिजली प्राप्त हो रही है. यह सब माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय ऊर्जा मंत्री जी ने प्रदान किया है, मैं आज इस अवसर पर उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सिंचाई के क्षेत्र में भी जिस तेजी से वृद्धि हुई है, मैं इसके लिए भी आज सदन में बहुत मन से और दिल से माननीय मुख्यमंत्री जी की प्रशंसा करना चाहता हूँ कि उन्होंने सिंचाई के क्षेत्र को बढ़ावा देकर पूरे प्रदेश के अंदर एक नई क्रांति ला दी. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि जब सरकार सत्ता में आई थी उसके पहले केवल 7 लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होती थी लेकिन आज 40 लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होना निश्चित रूप से किसानों के लिए बहुत अच्छी बात है और साथ ही साथ पूरे प्रदेश के लिए, हम सबके लिए बड़े गौरव की बात है कि लगातार सिंचाई का रकबा बढ़ने के कारण हमारा कृषि का क्षेत्र बढ़ रहा है. कृषि का क्षेत्र बढ़ने से पूरे हिंदुस्तान में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में श्रेष्ठ राज्य के रूप में माना जा रहा है. इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को लगातार 4 बार कृषि कर्मण पुरस्कार केन्द्र की सरकार के द्वारा दिया गया है. उसमें बिजली के कारण और सिंचाई के स्रोत बढ़ाये जाने के कारण किसानों ने भरपूर परिश्रम किया, इसलिए यह परिस्थिति निर्मित हुई कि हमारे देश के अंदर मध्यप्रदेश को सबसे आगे का स्थान और अव्वल नंबर का स्थान प्राप्त हुआ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह वर्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की 125वीं जयंति का वर्ष है और पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंति का शताब्दी वर्ष है. इन दोनों ही महामनिषियों के जयंति वर्ष के अवसर पर हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने पूरे प्रदेश में गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया. इसमें जो सरकार के द्वारा निर्णय लिए गए उन निर्णयों के कारण गरीबों को बहुत बड़ा लाभ प्राप्त होने की परिस्थिति बनी है. जो लोग वर्षों से आवास के लिए पट्टा चाहते थे उनको इस गरीब कल्याण वर्ष के अंदर पट्टा देने का काम सरकार कर रही है. जो लोग आवास के लिए बहुत वर्षों से इंतजार कर रहे थे, घर बनाने की तमन्ना हर व्यक्ति के जीवन में होती है चाहे वह बहुत बड़ा आदमी हो, चाहे गरीब व्यक्ति हो, स्वयं का आवास किसी का बन जाए, इससे बड़ी कोई चीज उसके जीवन में नहीं हो सकती और इसके कारण प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी लगातार प्रयत्न कर रहे हैं और यह कोशिश हो रही है कि इस गरीब कल्याण वर्ष के अंतर्गत आवास के पट्टे दिये जाकर गरीबों के आवास बनाये जाएं और इस क्षेत्र में बहुत तेज गति के साथ काम चल रहा है. केवल इतना ही नहीं भारत सरकार का जो भारत स्वच्छता मिशन है, इस भारत स्वच्छता मिशन के अंतर्गत कार्य करने की दृष्टि से मध्यप्रदेश ने बहुत तेजी के साथ काम किया है. आज ग्रामीण अंचल के अंदर लगभग 50 लाख शौचालय का निर्माण पूरा हो चुका है. 73 लाख आवास और निर्मित किये जाने वाले हैं. यह बहुत सारे ऐसे काम हैं जो गरीबों के कल्याण की दृष्टि से हमारे प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने हाथ में लिये हैं और सबसे बड़ा काम जो पिछले वर्षों से चल रहा है अन्त्योदय योजना के अंतर्गत, क्योंकि पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय अन्त्योदय के प्रणेता थे और उनका चूंकि शताब्दी वर्ष है और ऐसे अवसर पर एक रुपये किलो गेहूं, एक रुपये किलो चावल देने का जो पहले से फैसला है उसको निरंतर आगे जारी रखा गया है और इसमें यह व्यवस्था की गयी है कि अब शहरी क्षेत्र के अंदर किसी भी व्यक्ति को राशन की किसी भी दुकान पर राशन लेने का अधिकार देने का फैसला सरकार की ओर से किया गया है, यह बहुत बड़ी बात है और अच्छा कार्य है और इसके कारण से स्थान-स्थान पर लोगों को भटकने की आवश्यकता नहीं रहेगी, जिस स्थान पर चाहेंगे उस स्थान से अपना राशन प्राप्त करेंगे और प्रत्येक पंचायत पर इस प्रकार की दुकान लगाने का फैसला भी सरकार की ओर से किया है और विशेषकर के यह कि एक चौथाई दुकानें महिलाओं को हाथ में होंगी, महिलाएँ उसको संचालित करेंगी, यह भी प्रदेश की सरकार ने बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.माननीय सभापति महोदय, समय की कमी है,आपकी आज्ञा को मैं मानते हुए अपनी बात को समाप्त करना चाहता हूँ और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इस प्रदेश के गरीब लोगों के लिए, इस प्रदेश के किसानों के लिए जितनी जबर्दस्त योजनाएँ आपके द्वारा चलायी गयी हैं और नीचे तक क्रियान्वित हो रही हैं इसके कारण से प्रदेश के विभिन्न वर्गों को बहुत अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है. धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कटौती प्रस्तावों के सर्मथन में बोल रहा हूँ. जैसा कि यहां पर सभी ने बताया है कि मध्यप्रदेश में जो विगत दिनों कम वर्षा, अल्प वर्षा के कारण जो सूखा घोषित किया गया था और मध्यप्रदेश शासन ने बजट में अपने 4600 करोड़ किसानों के लिए राहत की राशि बतायी है, मुझे बड़े दु:ख के साथ कहना पड़ रहा है कि कलेक्टर का प्रतिवेदन जब यहां पर आया और उन्होंने पूरे मंदसौर जिले के चारों तहसील सुवासरा, सीतामऊ, गरौठ और मल्हारगढ़ जब इनको सूखाग्रस्त घोषित किया गया उसके बाद आज बड़े दु:ख से यह कहना पड़ रहा है कि वहां पर एक रुपया भी राहत के नाम से राशि नहीं मिली है. बीमें की राशि का इन्तजार तो बाद में हो रहा है पर जो सभी यहां पर विधायकगण अपने अपने क्षेत्र की बात रख रहे हैं, कोई कह रहा है कि मुआवजा कम मिला, किसी को ज्यादा मिला और बड़े दु:ख से मुझे बोलना पड़ रहा है कि मंदसौर जिला ही एक ऐसा है जो सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद भी वहां पर एक रुपया अगर राहत राशि नहीं मिली तो उसका कारण क्या है? उसका कारण अगर यह लगता है कि वहां पर अगर शासन और प्रशासन ने मांग नहीं की तो उसके क्या कारण रहें, क्या मजबूरी थी? हम कलेक्टर के पास जाते हैं और जब मंत्रियों से मिलते हैं तो इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है कि आखिर में वहां मुआवजा क्यों नहीं मिल रहा है. यह वहां की जनता और किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है और मैं यहां इस सदन में कहना चाहता हूँ, मुख्यमंत्री जी यहां पर बैठे है, अगर मंदसौर जिले में मुआवजा राहत राशि नहीं दी गयी तो सोमवार या मंगलवार को विधानसभा के गेट पर मैं भूख हड़ताल पर बैठूंगा, यह मेरी इस सदन में घोषणा है. सिंचाई के मामले में जो यहां पर बातें की गयी हैं,मैं मानता हूँ कि मंदसौर जिले में सुवासरा विधानसभा के अंदर 50 किलोमीटर की चम्बल की नदी बहती है. उसके दोनों तरफ किसान खेती किसानी करते हैं और पानी होने के बाद भी पांच किलोमीटर, दो किलोमीटर के क्षेत्र तक भी वह पानी उन खेतों तक नहीं पहुंच पाता है. नदी से पांच किलोमीटर दूर खेत वाला किसान भी प्यासा मर रहा है और खेती नहीं कर पा रहा है तो मुझे नहीं लगता कि जो सरकारी योजनायें बजट में दिखाई गई हैं वह सफल हो रही हैं. एक बात और कही जाती है सड़कों के निर्माण की कि एक दिन में इतने किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया. मैं बताना चाहूंगा कि सुवासरा में धतूरिया, बाकली, शेरगढ़,नाथूखेड़ी, खेताखेड़ी यह मात्र एक-एक , डेढ़-डेढ़ किलोमीटर मेन रोड से दूर हैं और वहाँ की एक से डेढ़ हजार जनसंख्या है . आप इन रोडों को प्रधानमंत्री सड़क योजना में लेना चाहो तो ले सकते हो या मुख्यमंत्री सड़क योजना में लेना चाहो तो ले सकते हो, लेकिन इनको न तो प्रधानमंत्री सड़क योजना में लिया है न मुख्यमंत्री सड़क योजना में लिया गया है. यहाँ पर जो विकास की बातें हो रही, उससे दुख होता है कि आखिर में ऐसा सौतेलापन क्यों है.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ पर विंड और ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत काम हुए हैं, वहाँ पर विंड कंपनियों द्वारा ,सौर ऊर्जा द्वारा जो काम किया जा रहा है , वहाँ पर उन कंपनियों ने , बड़े अधिकारी जो दबाव महसूस कर रहे हैं, मैं मानता हूं कि बहुत बड़े नेताओं का उन पर हाथ है, बहुत बड़े अधिकारियों का हाथ उन पर है क्योंकि वहाँ पर जितने भी खेल मैदान थे, तालाब थे, सरकारी गोचर की जमीन थी,वह उन कंपनियों ने बर्बाद कर दी है और गोचर के लिए जो दो परसेंट जमीन रखे जाने का जो प्रावधान है यदि उसका भौतिक सत्यापन कराया जाये तो वहाँ पर गोचर के लिए आधा इंच भी जमीन नहीं बची है. पूरी जमीन सौर ऊर्जा के नाम पर ले ली गई है. और जो अनुसूचित जनजाति वर्ग के जो पट्टेधारी थे, उनकी पांच पांच बीघा जमीन 75 हजार , 80 हजार रुपये देकर के ले ली गई है. विंड कंपनी के जो दलाल है उन्होंने ढाई लाख , पांच लाख के हिसाब से रुपये रखे हैं और उनसे बिना कहे कोरे कागज पर साइन कराकर उनसे जमीनें ले ली गई हैं और चारों तरफ विंड कंपनी की दादागिरी है. रोड पर कंपनी के बड़े बड़े ट्रक निकल रहे हैं उससे पीडब्ल्यूडी की निर्माणाधीन सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जो पोल गड़े हुए हैं, उनको भी क्षति पहुंचाई गई है.
उपाध्यक्ष महोदय, नवीन ऊर्जा के बारे में आप बड़ा उल्लेख कर रहे थे , उससे हमारे क्षेत्र में जनता से बहुत धोखा हो रहा है . स्वास्थ्य विभाग के बारे में यहाँ पर बोला गया है,मंदसौर जिले का सबसे बड़ा शामगढ़ शहर है , वहाँ पर विगत दो महीने से सोनोग्राफी मशीन बंद पड़ी है, उसका उपयोग नहीं हो रहा है, मैंने कई बार लिखित में दिया है पर आज तक वहाँ पर कोई ट्रेंड व्यक्ति या नर्स नहीं दिया गया है, इस कारण वहाँ पर सोनोग्राफी मशीन चालू नहीं हो पा रही है. हमारे सीतामऊ और सुवासरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जो डिजिटल एक्सरे आने वाले थे वह आश्वासन दो साल से दिया जा रहा है वह आज तक नहीं आ पाये हैं .
उपाध्यक्ष महोदय, मैं यहाँ पर मनरेगा की बात जरूर करना चाहूंगा. मनरेगा में जो काम चल रहे हैं उसमें जो मजदूरों को मजदूरी मिलना चाहिए वह नहीं मिल रही है. वहाँ पर जेसीबी,ट्रेक्टर और मशीनों द्वारा कार्य किया जा रहा है. मजदूरों को जो मजदूरी 100 दिन 150 दिन की मिलना है उसकी जगह पांच पांच दिन में कार्य पूरे होकर ,भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हैं. और तो और जो मस्टर भरे जा रहे हैं उनका पेमेंट आप कहते हैं कि डायरेक्ट खाते में जा रहा है. लेकिन वहाँ पर एक और नई स्कीम चालू कर दी गई है, पेमेंट खाते में डायरेक्ट तो जाता है पर मजदूरों के एटीएम कार्ड बना लिये गये हैं और पंचायत का एक कर्मचारी नियुक्त कर दिया है जो पंचायत के सारे मजदूरों के एटीएम कार्ड इकट्ठे कर लेता है और मजदूरों के रुपये इकट्ठे निकालकर मजदूरों को सौ, पचास और दो सौ रुपये देता है और उसमें भारी भ्रष्टाचार हो रहा है.मैं सबूत के साथ कह सकता हूं पोस्ट आफिस में जहाँ से मजदूरों का पेमेंट निकलता है वहाँ पर बाबू को पांच सौ और हजार रुपये देकर पूरे मस्टरों का पेमेंट ले लिया जाता है तो मनरेगा में मजदूरों के साथ जो भ्रष्टाचार हो रहा है यह भी एक जांच का विषय है. खाली भाषण से हम सोचते हैं कि निचले स्तर पर काम हो रहा है तो ऐसा नहीं है. सभी विधायक जानते हैं कि यह कह दिया जाता है कि मजदूर नहीं मिल रहे हैं लेकिन जहाँ मजदूर नहीं मिल रहे हैं वह बात अलग है. लेकिन जहाँ पर मजदूर मजदूरी करने के लिए तरस रहे वहाँ पर तो इस बात का ध्यान दिया जाना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, शौचालय निर्माण के विषय में मैं निवेदन करना चाहूंगा . यहाँ मंत्री जी और मुख्यमंत्रीजी बैठे हैं .शौचालय निर्माण हेतु 12 हजार रुपये दिये जा रहे हैं . पर वह कब दे रहे हैं, जब वह आधा बना कर खुद तैयार करे, उसके बाद उसको किश्त मिलेगी. फिर पूरा बनने के बाद दूसरी किश्त मिलेगी. गरीब वर्ग के पास छः हजार रुपये खर्च करने के लिए नहीं हैं. मेरा निवेदन है कि उनको अगर कुछ राशि पहले दी जाए तब वह शौचालय का निर्माण हो सकता है और जहाँ पर शौचालय का निर्माण हो रहा है वह सरपंच खुद व्यक्तिगत राशि लगाकर पहले वह शौचालय बना रहे हैं उसके बाद वह पेमेंट ले रहे हैं. अगर गरीबों के शौचालय बनाने हैं तो गरीबों को पहले बनाने के लिए कुछ या तो राशि दी जाए या पंचायत की तरफ से बनाकर दिया जाए. तब आपका शौचालय का काम होगा. पहले चालीस परसेंट पर विकलांग पेंशन दी जाती थी और विकलांग पेंशन चालीस परसेंट में मिल जाया करती थी. नये नियम आने के बाद उसको अस्सी परसेंट...
उपाध्यक्ष महोदय-- एक मिनट में समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- जी हाँ. मैं बिल्कुल ग्राउण्ड की बात कर रहा हूँ...
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं, यह बोनस के साथ है एक मिनट.
श्री हरदीप सिंह डंग-- जो अस्सी परसेंट कर दिया गया है इसमें विकलांगों के लिए कहीं न कहीं उनके साथ गलत हुआ है क्योंकि अस्सी परसेंट और चालीस परसेंट, चालीस परसेंट विकलांग अगर होगा तो वह कमाई नहीं कर सकता है तो मेरा निवेदन है कि पेंशन में अगर चालीस परसेंट पुनः कर दिया जाए और बी पी एल का कार्ड अनिवार्य किया गया है और बी पी एल के कूपन के बारे में मैं बोलना चाहता हूँ, सभी जानते हैं, जिनके ट्रेक्टर जे सी बी मशीन और बिल्डिंगें हैं उनके यहाँ बी पी एल कूपन है. जिनकी फटी धोती है, चप्पलें पहन रखी हैं, उनके बी पी एल के कूपन नहीं हैं और उनकी पेंशन चालू नहीं हो पा रही है. मेरा एक और निवेदन है कि बी पी एल कूपन वालों का नाम अगर दीवार पर अंकित कर दिया जाता है तो अच्छे-अच्छे लखपति अपना नाम कटवा लेंगे क्योंकि अगर दीवार पर लिखा रहेगा कि मैं गरीब हूँ और इस क्रमांक पर मेरा नाम अंकित है तो वह कूपन यदि अमीर व्यक्ति का होगा तो वह अपना नाम भी कटा सकता है. उपाध्यक्ष महोदय, गौशाला के बारे में भी मैं बोलना चाहता हूँ...
उपाध्यक्ष महोदय-- अब कृपया समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- बस दो मिनट में कर रहा हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, गौशाला के बारे में मेरा निवेदन है कि जगह-जगह गौ माता घूमती रहती है. अगर प्रत्येक पंचायत में गौ शाला को खोलने की अनिवार्यता कर दी जाए कि एक पंचायत में एक गौ शाला होना चाहिए, उसकी अनिवार्यता करेंगे तो गौ माता की भी पूजा हो सकेगी और इस पर राजनीति भी बन्द हो जाएगी (मेजों की थपथपाहट) और जहाँ तक युवाओं के लोन की बात है तो युवाओं को लोन, जो सक्षम व्यक्ति हैं, उनको हर प्रकार से लोन मिलता जा रहा है पर जो गरीब युवा हैं उनको बैंक के द्वारा लोन नहीं दिया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें. डंग जी, कुछ चीजें, बजट पर चर्चा होगी उसमें भी कहिएगा.
श्री हरदीप सिंह डंग-- उपाध्यक्ष महोदय, उद्योगों की बात का जहाँ तक सवाल है तो शामगढ़ शहर बहुत बड़ा शहर है. वहाँ पर अगर कोई उद्योग डलता है तो बहुत बड़ी बात होगी. उपाध्यक्ष महोदय, 2012-13 में जो इंदिरा आवास के भवन बने थे, 2012-13 के बाद सेकण्ड किश्त आज तक जारी नहीं की गई है. वह भी जल्दी से जल्दी से जारी करवाएँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- बस, अब इसी पर अपनी बात समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- उपाध्यक्ष महोदय, लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री जी बैठे हैं इसलिए अच्छा रहेगा...
उपाध्यक्ष महोदय-- इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपना भाषण जारी रखेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- उपाध्यक्ष महोदय, आपकी जो लाड़ली लक्ष्मी योजना है अगर उसमें थोड़ी शर्तें और चेंज कर दी जाए, ग्रामीण क्षेत्र में जो लाड़ली लक्ष्मी योजना है उसका कम से कम पचास से साठ परसेंट उन बालिकाओं को लाभ नहीं मिल पाएगा क्योंकि जो इसमें शर्तें हैं इन शर्तों को आप थोड़ा सा चेंज करेंगे तो हो सकता है कि ग्रामीण क्षेत्र में भी इसका लाभ मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब समाप्त करिए. आपने बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठा दिया है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- ये आठ-दस और रह गए हैं यह बाद में? ठीक है बाद में देखना. धन्यवाद.
श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य)(इन्दौर-1)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ और समर्थन करता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, जब से मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है. मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्व में यह सरकार पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय के बताए गए मार्ग पर चल रही है. पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय ने हमें एकात्म मानववाद और अंत्योदय का चिंतन दिया था और बताया कि समाज के अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति का उत्थान करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए और हमारी यह सरकार उसी दिशा में तेजी के साथ कार्य कर रही है. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश सरकार एक ओर अनेक कल्याणकारी योजनाएँ लागू कर रही हैं जिससे गरीब, पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों, महिलाओं, लड़कियों और युवाओं के उत्थान के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार चौमुखी विकास कार्य कर रही है. एक समय था जब मध्यप्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी में आता था. किन्तु अब मध्यप्रदेश विकासशील प्रदेशों की श्रेणी में आता है यह उपलब्धि यदि किसी ने हासिल की है तो उसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश की सरकार को जाता है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को जाता है. मध्यप्रदेश की सरकार मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्युपरंत तक उसके सम्पूर्ण संसाधनों को उपलब्ध करा रही है. सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधा-सीधा जनता को मिल रहा है सरकार ने जो योजना लागू की है उसमें प्रमुख योजना है जननी सुरक्षा योजना. एक समय था जब बच्चियों का या बहनों का प्रसव गांव में, झुग्गी झोपड़ियों में हो जाता था उनके लिए कोई साधन नहीं होता था किन्तु जननी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत सरकारी अस्पतालों में सारी व्यवस्थाएं प्रदान की गई हैं और उनको वहां पर डिलेवरी कराने पर 1250 रुपये दिये जाते हैं और सारी सुविधाएं सरकार द्वारा वहां पर उपलब्ध कराई जाती हैं. एक समय था जब जन्म देने वाली माताओं को गांव वाले चादर में लिटाकर, कंधे पर या लकड़ी में लटकाकर अस्पतालों में ले जाया करते थे किन्तु सरकार ने जननी सुरक्षा एक्सप्रेस के माध्यम से घर तक एम्बूलेंस पहुंचाना आरंभ किया है जिसके माध्यम से माता-बहनों को हास्पीटल में ले जाते हैं और डिलेवरी कराते हैं और जब वह स्वस्थ हो जाती है तो बच्चा और जच्चा को उसके घर तक सुरक्षित पहुंचाया जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय, लाड़ली लक्ष्मी योजना जो कि हमारे मुख्यमंत्रीजी की सबसे पसंदीदा योजना है एक समय था जब घर में लड़की जन्म लेती थी तो उसको एक अभिशाप के रुप में माना जाता था कि इसका पालन पोषण कैसे किया जायेगा, इसको पढ़ाया लिखाया कैसे जायेगा, इसकी शादी कैसे की जायेगी इसके दहेज की व्यवस्था कैसे की जायेगी किन्तु लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से आंगनवाड़ी में जो बच्ची जन्म लेती है उसका यदि रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो उसके खाते में हर वर्ष 6000 रुपये सरकार के द्वारा जमा किये जाते हैं और 18 वर्ष के बाद 1 लाख 18 हजार रुपये से अधिक की राशि उसके खाते में जमा हो जाती है और जब वह अपने ससुराल जाती है तो वहां पर उसके सास-ससुर उसको गर्म रोटी खिलाते हैं, घी की रोटी खिलाते हैं और कहते हैं कि मेरी बहु लखपति बहु है उसके खाते में 1 लाख से अधिक रुपये जमा हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह कन्यादान योजना सरकार द्वारा लागू की गई.गरीब व्यक्ति को अपनी बेटी की शादी करने के लिये काफी संकट का सामना करना पड़ता था, कर्ज लेना पड़ता था. आज सरकार के द्वारा कन्यादान योजना के अन्तर्गत मुख्यमंत्रीजी के मार्गदर्शन में लाखों गरीब बच्चियों का विवाह किया गया उनके हाथ पीले किये गये साथ ही साथ सरकार द्वारा उनके खाते में 25000 रुपये जमा किये जाते हैं.
इसी प्रकार सरकार के द्वारा मजदूर सुरक्षा योजना लागू की गई. असंगठित कामगार मजदूर सुरक्षा योजना लागू की गई घरेलू कामकाजी महिला योजना लागू की गई, हाथ ठेला, फेरी वाले योजना लागू की गई. गरीबों के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना लागू की गई, युवाओं के लिए मुख्यमंत्री रोजगार योजना लागू की गई. गरीबों को एक रुपये किलो गेहूं, एक रुपये किलो चावल और एक रुपये किलो नमक सरकार के द्वारा दिया जा रहा है इसी प्रकार से किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जा रहा है. पानी, खाद, कीटनाशक आदि सरकार किसानों को उपलब्ध करा रही है एक समय था कि किसानों को इसके लिए आन्दोलन करना पड़ता था, चक्का जाम करना पड़ता था न बिजली थी न पानी था न सड़क थी. आज माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार में हर किसान को यह सुविधायें आसानी से उपलब्ध हो रही हैं. प्राकृतिक विपदाओं में फसलों में होने वाले नुकसान पर करोड़ों रुपये का मुआवजा सरकार द्वारा किसानों को दिया गया है. पिछले समय विशेष सत्र बुलाकर किसानों को हुई हानि के लिए सरकार ने 4600 करोड़ रुपये की राशि विधान सभा सत्र बुलाकर स्वीकृत की थी और किसानों के खाते में वह राशि जमा की गई. प्रदेश सरकार कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए कृतसंकल्पित है, किसानों को सस्ते दामों पर बिजली, पानी, खाद बीज आदि उपलब्ध कराया जा रहा है. एक समय था जब कृषि के धंधे से किसान पलायन कर रहा था किन्तु अब किसान खुशी से कृषि कर रहा है, कृषि उत्पादन तेजी के साथ बढ़ा है अब तो यह स्थिति हो गई है कि शहर के लोग भी गांव में जमीन खरीदकर कृषि की तरफ ध्यान दे रहे हैं और नई पीढ़ी को कृषि के कार्य में लगा रहे हैं. कृषि कर्मण पुरस्कार चौथी बार मुख्यमंत्रीजी को मिला है जिसमें से दो बार श्री मनमोहन सिंह जी की सरकार ने दिया और दो बार माननीय मोदी जी की सरकार ने दिया है. यह प्रदेश सरकार के लिये बहुत बड़ी बात है और प्रदेश को गर्व करने के लिये. प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया गया है जबकि एक समय था जब हम देखते थे और छोटे थे उस समय कांग्रेस की सरकार थी तब पूरे प्रदेश में सड़कों में पूरे गढ्ढे थे यह भी मालूम नहीं पड़ता कि सड़क थी या गढ्ढे में सड़क थी यह मालूम ही नहीं पड़ता था. जब अन्य प्रदेशों से वाहन आते थे और उन्हें और कहीं जाना होता था तो अन्य प्रदेशों से जाना पड़ता था, वह मध्यप्रदेश में आना पसंद नहीं करते थे. अब सड़कों की यह स्थिति हो गयी है कि जो अन्य प्रदेशों के लिये वाहन जाते हैं, वह यह प्रयास करते हैं कि मध्यप्रदेश से हम गुजरें कि हमको कोई दिक्कत न हो. आज हम वाहन से गुजरते हैं तो पेट का पानी नहीं हिलता है. आदमी एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से चला जाता है. क्योंकि पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछ गया है. प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर है. कानून व्यवस्था से हर समुदाय वर्ग के लोग शांति से अपना कार्य कर रहे हैं, भाई चारे के साथ कार्य कर रहे हैं. हमारे मुख्यमंत्री जी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि प्रदेश से डाकुओं का सफाया हो गया है और प्रदेश में पूरी तरह शांति व्यवस्था कायम है. प्रदेश में बिजली का उत्पादन बढ़ा है, प्रदेश में बिजली का संकट समाप्त हो गया है. हमने एक समय वह भी देखा है कि जब चौबीस घंटे में 1-2 घंटे बिजली आती थी और एक दूसरे से पूछते थे कि बिजली आयी या कब आयेगी तो इस तरह की बातें गांव और शहरों में चलती थी. किन्तु आज चौबीस घंटे बिजली शहरों और गांवों में बिजली उपलब्ध है और किसानों को कहीं दस घंटे और बारह घंटे बिजली कृषि के लिये मिल रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि सिंहस्थ 22 अप्रैल, 2016 से प्रारंभ होने जा रहा है. यह सौभाग्य की बात है कि यह सौभाग्य हमेशा भारतीय जनता पार्टी को ही मिलता है. उपाध्यक्ष महोदय, जब भी सिंहस्थ का आयोजन होता है तब तब भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार रहती है. आप शुरू से आज तक देखें सेवा करने का सौभाग्य भारतीय जनता पार्टी को ही मिला है और भारतीय जनता पार्टी को ही मिलता है और उसके मुख्यमंत्री को ही मिलता है. सिंहस्थ के कार्य की देखरेख स्वयं माननीय मुख्यमंत्री ही कर रहे हैं. आने वाले समय में सिंहस्थ शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न होगा. हमारे मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा जी के नेतृत्व में प्रदेश में पर्यटन को महत्व दिया जा रहा है. नये पर्यटन स्थलों का विकास किया गया है और इसी तरह हनुमंतिया को पर्यटन का नया स्थान बनाया है. स्किल डेव्हलपमेंट हो या स्वच्छ भारत हो इन सभी की तरफ सरकार तेजी से कार्य कर रही है. पूरे देश की निगाहें मध्यप्रदेश की योजनाओं और कार्यक्रम की तरफ है और इसी की नकल अन्य प्रदेशों के लोग कर रहे हैं. यह अगर किसी की उपलब्धि है तो हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की है और भारतीय जनता पार्टी की सरकार की उपलब्धि है. आपने बोलने का अवसर दिया धन्यवाद् . भारत माता की जय.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगंवा) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल जी के कृतज्ञता भाषण पर अपनी बात रखने के लिये समय दिया इसके लिये धन्यवाद्. सरकार की मंशा अनुसार इस वर्ष सरकार गरीब कल्याण वर्ष मना रही है लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदय सरकार ने आज तक जो भी कल्याणकारी योजनाएं क्रियांवित की है वह सरकार ने सही तरह से फील्ड में कियांवित नहीं हो पा रही है. साथ ही साथ सरकार की जो मंशा थी की जो भी गरीब साठ वर्षों से या उससे पहले से पीढ़ी दर पीढ़ी रह रहे हैं तो शहर के विकास और सौंदर्यीकरण के लिये नाम पर उनकी झुग्गी झोपड़ी उजाड़ दी गयी उनको अन्यत्र बसाने के लिये कई प्रयास किये गये लेकिन आज तक एक नदी तालाब से जाकर के दूसरे नदी तालाब में जाकर अपनी झुग्गी झोपड़ी बसाते हैं और शहर के सौंदर्यीकरण के नाम पर उनके घरौंदो को उजाड़ दिया जाता हैइसलिये सरकार की कथनी और करनी में बहुत बड़ा अन्तर नजर आता है. इसके साथ ही साथ प्रदेश के किसानों ने जो कष्ट और प्राकृतिक प्रकोप झेला है वह किसी से छुपा नहीं है, उनको सुविधाएं मिलनी चाहिये थी जो उनको नहीं मिली है. करोड़ों रूपये का वित्तीय प्रबंधन किया गया लेकिन किसानों की जो दुर्दशा है उसमें कोई भी अंतर नहीं आया है. मुझे ऐसा लगता है कि आने वाले समय में पुन: ऐसा प्राकृतिक प्रकोप किसानों के ऊपर न आ जाये उनकी कमर पहले से ही टूटी हुई है इसलिये विशेष रूप से मैं उपाध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि जो भी योजनाएं उनके नाम पर या जो भी वित्तीय प्रबंधन है, सही रूप से उनको अमली जामा जरूर पहनाया जाये. साथ ही साथ यह खुशी की बात है कि हमारे प्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार अवार्ड चार बार से मिल रहा है. बड़े गर्व की बात है लेकिन जो दयनीय स्थिति है वह वास्तव में चिंतनीय है. यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि किसानों की सुविधाओं का ध्यान रखा जाये. पानी,बिजली की समस्या को दूर किया जाये. मध्यप्रदेश में सड़कों का जाल बिछा हुआ है लेकिन मेरे मनगंवा विधान सभा क्षेत्र की कई सड़कें हैं जो पूरी तरह से जर्जर है जैसे कटेरी से लेकर बेलवाकांत तक. मैं सही नहीं कह रही हूं तो आप खुद चलकर देख सकते हैं. आज तक वहां पर सड़कें नहीं हैं. कई ऐसे गांव है जैसे रामपुर से पिपरवार को जोड़ने वाली जो कर्णियान नदी है उसके लिये मैने कई बार पत्राचार किया बजट पर भी मैंने अपनी बात रखी थी अभी तक उसको बजट में नहीं लिया गया. मैं गुजारिश करती हूं कि हमारी मनगंवा विधान सभा क्षेत्र के जो पुल हैं, सड़कें हैं उनको अतिशीघ्र बजट में जोड़ने का प्रयास किया जाये. रही बात बिजली विभाग की तो उसकी स्थिति अत्यंत दयनीय है. राजस्व तो बिजली विभाग से सरकार को खूब मिल रहा है लेकिन फिर भी हमारे बहुत सारे किसान भाई हैं जिनका आज तक बिजली बिल माफ नहीं किया गया और फर्जी बिल तो दिये ही जा रहे हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस सरकार के जो माननीय मंत्री राजेन्द्र शुक्ल जी हैं. रीवा जिले में कई ऐसी बस्तियां हैं जहां आज तक बिजली के खम्भे नहीं गड़े हैं. अगर खंबे हैं तो तार नहीं हैं. तार हैं तो खम्भे नहीं हैं. और राजीव गांधी विद्युतीकरण के तहत वहां पर एक के बाद एक ठेकेदार बदलते जा रहे हैं लेकिन बिजली विभाग के द्वारा सही काम नहीं किया गया है. यह तो यही बात हुई कि माननीय मंत्री जी हमारे जिले के हैं तो दीपक तले अंधेरा है. पूरे प्रदेश में वह बिजली विभाग की जिम्मेदारी बड़े अच्छे से संभाले हुए हैं. लेकिन अपने जिले की बहुत सारी ऐसी बस्तियां हैं खासकर मनगंवा विधान सभा की जहां आज तक एस.सी.,एस.टी. की बस्तियों में बिजली नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, साथ ही साथ मैं यह कहना चाहती हूं कि स्वरोजगार मूलक जो भी योजनाएं सरकार के द्वारा लागू हैं. हमारा विधान सभा क्षेत्र चूंकि बहुत ड्राई एरिया है. बहुत सारे जो शिक्षित बेरोजगार युवा हैं. देश की अन्य स्टेटों में जाते हैं और वहां जाकर अपना जीवन यापन करने के लिये प्रयासरत् हैं लेकिन आज तक रोजगार मूलक योजनाएं हमारे विधान सभा क्षेत्र के लिये बजट में शामिल नहीं की गईं.
उपाध्यक्ष महोदय - शीला जी अभी बजट नहीं आया है. यह राज्यपाल का अभिभाषण पर चर्चा हो रही है. आप दो मिनट में समाप्त करें.
श्रीमती शीला त्यागी - मैं अभिभाषण पर ही अपनी बात कह रही हूं. जो बैंक से लोन दिया जाता है सरकार की मंशा है कि लोगों का बहुमुखी विकास हो लेकिन बैंकों से लोन लेने की जो प्रक्रिया है वह बहुत कठिन है. जब कोई व्यक्ति बेरोजगार है गरीब है उसके पास जमीन नहीं है तो गारंटर कहां से लाएगा. यहां पर महामहिम राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में कहा है कि इतने लोगों को रोजगार मिला और बहुत अच्छी संतोषजनक स्थिति है. मैं इससे संतुष्ट नहीं हूं. हमारे यहां कोई रोजगार मूलक प्रबंध नहीं किया गया और मैं आपसे गुजारिश करती हूं कि जो बैंक की जटिल प्रक्रिया है उसको सरल बनाने के लिये आपके माध्यम से सरकार से गुजारिश करती हूं.साथ ही साथ जो विशेष भर्ती अभियान में राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में यह कहा गया कि 2016 तक उसकी उम्र 30 वर्ष बढ़ाई गई है. मैं कहना चाहती हूं कि इसको 35 वर्ष किया जाये क्योंकि शिक्षित बेरोजगारी हमारे प्रदेश में बहुत ज्यादा है तो जो यह शिक्षित बेरोजगारी है बहुत ज्यादा है और वह रोजगार की चाह में अपनी उम्र को पार कर रहे हैं लेकिन उनको रोजगार नहीं मिल रहा है. विभागों में हमारे एससी,एसटी,ओबीसी के बहुत सारे पद खाली पड़े हुए हैं. पोस्ट के विरुद्ध भर्ती कर ली गई है आपसे गुजारिश है कि सरकार की मंशा है कि अधिक से अधिक वंचित, लाचार, मजलूम लोगों को नौकरी मिले जिससे कि वे अपने मान सम्मान की जिंदगी जी सकें तो विशेष भर्ती अभियान के जो भी पद खाली हैं उनको अतिशीघ्र भरा जाये. साथ ही साथ एक बात और कहना चाहती हूं स्वास्थ्य विभाग के संबंध में तो सरकारी अस्पतालों की जो बदतर स्थिति है आप वहां जाकर देखेंगे तो कीड़े मकोडों की तरह मरीजों के साथ व्यवहार किया जाता है साथ ही साथ महिलाओं के साथ और वहां पर जब डिलेवरी का समय आता है तो एक तो हमारे देश की जनसंख्या वृद्धि बहुत ज्यादा हो रही है इसकी वजह से जो भी योजनाएं हैं उनका सही क्रियान्वयन होने में बड़ी तकलीफ हो रही है. बड़ा संकट हो रहा है. फिर भी मैं आपसे गुजारिश करती हूं उपाध्यक्ष महोदय और आपके माध्यम से सरकार से यही कहना चाहती हूं कि हमारी मनगवां विधान सभा में बड़ा सिविल अस्पताल नहीं है उसके लिये आपसे तथा सरकार से कई बार गुजारिश की है मनगवां अस्पताल को ही सिविल अस्पताल के रूप में विकसित किया जाए दो बजट सत्र आ चुके हैं तीसरा भी बजट सत्र आने वाला है, लेकिन उसको अभी तक शामिल नहीं किया गया है. आपने मुझे बात रखने का मौका दिया इसके लिये धन्यवाद.
श्री दिनेश राय(सिवनी)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं, साथ ही इस राज्यपाल जी के अभिभाषण में मेरे क्षेत्र की कुछ समस्याएं थीं, उनको नहीं लिया गया है उसके बारे में भी आपको अवगत कराना चाहता हूं. अभी पक्ष एवं विपक्ष दोनों ने अपना अपना हनुमान चालीसा पढ़ा. मैं निष्पक्ष मध्यप्रदेश सरकार की स्थिति के बारे में बताऊंगा. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी सिवनी विधान सभा में आते हैं वहां पर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज की घोषणा करते हैं, लेकिन आज जब राज्यपाल जी का अभिभाषण पढ़ा उसमें यह नहीं आने के कारण मुझे बड़ा दुःख हुआ. ऐसा लगता है कि क्या मध्यप्रदेश में सिवनी है सिवनी महाराष्ट्र में है या सिवनी छत्तीसगढ़ में है अगर उन्हीं राज्यों में हो जाए, तो सिवनी को कुछ विकसित हो जाए, क्या सिवनी को अलग कर दिया गया है, क्योंकि उसको संभाग बनना था मैं देख रहा हूं माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण में हमारे जिले को कुछ भी नहीं मिला उसमें एक भी कोई लाईन नहीं है जिसमें मैं सरकार की कुछ बढ़ाई कर सकूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि हमारे यहां पर पानी के स्रोतों की समस्याएं हैं, जमीन में पानी नहीं है हमारे यहां पर सामूहिक नल-जल योजना बनी रखी है उसको भी अभिभाषण में कहीं पर भी सम्मिलित नहीं किया गया है गांवों में पानी नहीं मिल रहा है. वहां पर पानी की ढुलाई के लिये कहा जाता है तो अधिकारीगण बोलते हैं कि हम ढुलाई के लिये किसी भी प्रकार का प्रस्ताव नहीं दे सकते हैं, इससे सरकार की किरकिरी होगी. सरकार की किरकिरी तो होगी ही, जनता तो पानी के अभाव में मर जाएगी. वहां पर पानी नहीं है, वहां की नदियां सूख रही हैं. आपने कहा कि हमने सिंचाई के लिये रकबा बढ़ाया है. हमारे क्षेत्र में अधिकांश वह रकबा बढ़ाया है जो कि कहीं न कहीं नल जल योजना, या बोरों से या कहीं कुओं से या कुछ नदियों से सिंचाई होती है. जो क्षेत्र ड्राई एरिया है आप क्षेत्र का रकबा बढ़ाते तो आपको मानते कि आपने क्षेत्र की सिंचाई को सिंचित आपने किया है. मेरा निवेदन है कि सिंचाई की व्यवस्था के साथ हमारी जो पुरानी नहरे बनी हुई हैं सब टूटी-फूटी हैं उन नहरों के लिये भी इसमें ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है कि इन नहरों को सुधारा जाएगा या समस्त क्षेत्रों में पानी दिया जायेगा.
4.33 बजे {माननीय सभापति (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए.
माननीय सभापति महोदय अभी आप देख रहे हैं कि संविदा शिक्षक हों, कोटवार हों, या दैनिक वेतन भोगी हों, चाहे हमारे यहां के आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हों, साहिकाएं हों, सचिव हैं, हमारे मनरेगा के जो कर्मचारी हैं, सबकी तमाम सारी समस्याएं हैं वहां पर उन लोगों को चार-चार पांच पांच महीने से वेतन नहीं मिल रहा है, संविदा शिक्षकों को भी वेतन नहीं मिल रहा है. हमारे मनरेगा के कुछ कर्मचारी हैं उनको भी कोई उम्मीद नहीं हैं उनको हटाने का काम चल रहा है, वह जाएंगे कहां मेरा आपसे निवेदन है कि कहीं न कहीं इस अभिभाषण में इनको छोड़ा है. हमारे पुलिस विभाग में कर्मचारियों की बड़ी कमी है, हमारे शिक्षा विभाग में शिक्षक नहीं हैं, डॉक्टरों की भी कमी है. नगर पालिकाओं में कर्मचारी तथा अधिकारी नहीं हैं. जैसे ही आप मूलभूत सुविधाएं देंगे. एक सबसे बड़ी बात हमारे यहां पर बड़े अधिकारी अथवा सैनिक रह सकते हैं. ए.एस.आई., एस.आई इनकी नियुक्ति जिले में नहीं सकते हैं. आप कहते हैं कि सबको 8-10 घन्टे ड्यूटी करना है पुलिस ही ऐसा विभाग है जहां पर 24 घंटे उनको आप ड्यूटी के लिये रखते हैं मेरा निवेदन है आपके माध्यम से कि कहीं न कहीं यहां कमियां हैं आप पुलिस विभाग में भी ड्यूटी के लिये एक लिमिट करिये अगर वह 10 घंटे ड्यूटी करेंगे तो वह पूरी ईमानदारी के साथ ड्यूटी करेंगे तथा वह अपने परिवार के साथ रह सकेंगे. आपके पास में कर्मचारियों की कमी है, सरकार स्ट्रक्चर की बात कर रही है आप कहीं न कहीं मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर रहे हैं. अधिकारी एवं कर्मचारियों की भर्ती करिये तब मैं मानूंगा कि हमारा प्रदेश स्वर्णिम प्रदेश बनने की ओर है. हमारे यहां पर प्रधानमंत्री रोड़ों के टेण्डर उनके 10-10 बार टेण्डर निरस्त हो रहे हैं एक एक ठेकेदार 15-15 सड़कों को ले लिया है उनमें से एक भी रोड़ का काम चालू नहीं किया उसमें एक साल निकल गया उनका अगला टेन्डर फिर निरस्त हो गया, उनका फिर से टेन्डर लग गया, ऐसा करके पांच साल से वहां पर प्रधानमंत्री सड़क योजना का काम ही शुरू नहीं हो पाया है. अभी ओला-पाला अथवा सूखे की मुआवजा की बात है हमारे क्षेत्र में अभी भी ज्यों की त्यों स्थिति है वहां पर कई गांवों को छोड़ दिया गया है. आज भी कई गांवों में मुआवजे की राशि नहीं दी गई है. आप पंजीयन की रजिस्ट्री की बात कर रहे हैं.
श्री दिनेश राय - पंजीयन रजिस्ट्री की बात कर रहे हैं कि उससे इतने लाख की आय हुई है, आप वास्तविकता पता करें, कितने लोगों की रजिस्ट्री रूकी हुई है,कितने लोगों की राशि रूक गई है । स्टाम्प वेंडर काम करते थे, उनके रोजगार छिन गए हैं । मेरा निवेदन है कि इस व्यवस्था को चलने दीजिए इसके साथ- साथ वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में जो पुरानी पद्वति थी उसको भी चालू रखें जिसमें एक दिन में, एक समय में व्यक्ति अपनी रजिस्ट्री करा सके ।
माननीय सभापति महोदय, युवा उद्यमी स्वरोजगार योजना और मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना में सही व्यक्तियों को लोन नहीं मिल पा रहा है । बैंकों में दलालों की भरमार है, दलाल चाहेगा तभी व्यक्ति को लोन मिलेगा, व्यक्तिगत कितनी भी मेहनत कर ले उसको लोन नहीं मिल सकता । मेरी विधानसभा में,मेरे जिले में विशेषकर अवैध शराब, जुआं, सट्टा और अवैध साहूकारी का धंधा फल-फूल रहा है, प्रशासनिक स्तर पर कंट्रोल नहीं हो रहा है । मेरा निवेदन है कि इसमें भी लगाम लगाने के लिए कोई विशेष योजना चलाएं । स्कूलों में मध्यान्ह भोजन देख लीजिए वहां स्थिति यह है कि मध्यान्ह भोजन का जो दाना सरकार के द्वारा दिया जा रहा है, कनकी में कहीं-कहीं कीड़े-मकोड़े मिल रहे हैं, किसानों से जो दाना लेते हैं वह अच्छी गुणवत्ता का लेते हैं लेकिन जब वह सोसायटी के माध्यम से लौटकर हमारे स्कूलों में पहुंचता है, उनकी गुणवत्ता बहुत खराब है । जबसे मैं विधायक बना हूँ मेरी विधानसभा क्षेत्र में चाहे हाईस्कूल हो या हायर सेकेण्ड्री स्कूल हो एक भी स्कूलों का उन्नयन नहीं किया गया है । पुल-पुलिया तो बहुत दूर की बात है । आप विद्युत की बात कर रहे हैं कि विद्युत आपको 24 घण्टे मिल रही है लेकिन वोल्टेज भी तो दीजिए ।
सभापति महोदय- दो मिनिट में अपनी बात समाप्त कीजिए ।
श्री दिनेश राय- माननीय सभापति महोदय, अभी खड़ा हुआ हूँ दो मिनिट में खत्म कर दूँगा । विद्युत बिल बहुत जोर से करंट मार रहे हैं, जिनके घरों में तार नहीं हैं,जिनके घरों में कनेक्शन नहीं हैं,उसके बाद भी उनके पास बिजली के बिल आ रहे हैं, गरीब परिवारों को आवास देने का आपने लक्ष्य रखा है, माननीय सभापति महोदय मेरा आपके माध्यम से सरकार से निवदेन है कि इनका लक्ष्य बढ़ाया जाए बहुत कम लक्ष्य रखा गया है, बहुत सारे गरीब लोग आज झुग्गी बस्तियों में रह रहे हैं,उनको वास्तव में भवन की स्वीकृति मिले । सिवनी नगरीय क्षेत्र,नगर पालिका का विकास आज अवरूद्व पड़ा हुआ है, वहां पर कर्मचारी नहीं हैं, स्मार्ट सिटी की बात हो रही हैं, हमारे यहां पर मूल-भूत सुविधाएं ही नहीं हैं । नाली समय पर साफ नहीं होती हैं, तालाबों में सफाई होती नहीं है, अभी एलम ब्लीचिंग( फिटकरी ब्लीचिंग) का मैंने बताया था, आज तक उन अधिकारियों पर क्या कार्यवाही हो रही है, वह जानकारी तक प्राप्त नहीं हो पा रही है । पेंशन कई महीनों से नहीं मिल रही है । सिवनी को संवदेनशील बोलते हैं, एक बटालियन मिली है ,वहां पर आए दिन दंगे हो रहे हैं, मुख्यमंत्री जी ने दो बटालियन की भरपाई करने का कहा था । मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि उनकी भरपाई भी की जाए । अनाज वितरण सभी ग्राम पंचायतों में किया गया है, लेकिन ऐसी स्थिति नहीं बनी है । बसोड जाति के जो लोग काम करते हैं, जो कि उनका पैत्रृक काम है बांस न मिलने से उनका काम छिन गया है, 80 प्रतिशत नि:शक्तजन को ही हम पेंशन देंगे इसके पहले 150 रूपया मिलता था, आज वह भी छिन गया है । बेरोजगार युवाओं को कहा गया था कि 2 साल तक बेरोजगार भत्ता देंगे, वह योजना कहां गई ।
सभापति महोदय- आप अपनी बात बजट की डिमाण्ड पर कह लेना, कृपया सहयोग करें, समाप्त करें।
श्री दिनेश राय- माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से एक और निवेदन है रेल्वे भूमि में 50 साल से जो लोग निवास कर रहे थे । हमारे क्षेत्र में रेल्वे लाईन चौड़ी हो रही है, वह लोग हटने को तैयार हैं, माननीय मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि जो लोग जहां रह रहे हैं वहां पर पट्टा देंगे, वहां पट्टा दे नहीं सकते क्योंकि वहां रेल्वे का विस्तार हो रहा है । उनको कहीं अन्य स्थान पर पट्टा मिले ऐसा मेरा निवेदन है । माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद ।
श्री गोपाल परमार(आगर)- माननीय सभापति महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए अपनी बात रखता हूँ । सभापति महोदय मैं बहुत देर से पक्ष और विपक्ष की बात सुन रहा था । मैं वर्ष 1993 में विधायक रहा हूँ और उस समय दिग्विजय सिंह जी की सरकार हुआ करती थी, उस समय हम विपक्ष में बैठते थे, उस समय आप भी सदस्य थे । जिस प्रकार से यह सब बात कर रहे थे या तो यह अपने कर्त्तव्य से मुड़े हुए हैं या अपने कर्त्तव्य का पालन नहीं कर रहे हैं, बार-बार शिकायत कर रहे थे, मुख्यमंत्री जी को दोषी ठहरा रहे थे लेकिन मैं एक बात बताना चाहता हूँ कि 12 साल में, जबसे श्री शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री बने हैं तब से आप विकास का रेशो देखें और उसके पहले का समय उठाकर देखें । मैं इसलिए बताना चाह रहा हूँ क्योंकि हमारे जयवर्धन सिंह जी नाराज न हो जाएं और कहें कि पुरानी बातें मत कहो लेकिन कभी कभी पुरानी बातें याद करके नई अच्छी बातें करना चाहिए, सोच नया होना चाहिए । मुख्यमंत्री जी ने आगर जिले को जिला बनाया और सबसे बड़ी बात जो किसानों के लिए थी, हमारे यहां सबसे ज्यादा अतिवृष्टि हुई ।
अतिवृष्टि के कारण हमारे किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है. जो एक बीघा के हिसाब से 5 क्विंटल सोयाबीन होना था, मुश्किल से 40-50 किलो हुआ है तो उस बात को भी उन्होंने ध्यान में रखा है. हमारे आगर जिले को 127.30 लाख रूपये मुआवजा वितरण किया. आप भी प्रयास करते शायद आपको भी मिल जाता. अभी कल दो विकेट डाऊन मैंने देखे हैं एक तो अभी कांग्रेस पूरे प्रदेश भर में एक आन्दोलन कर रही थी कि झण्डा आर.एस.एस. के कार्यालय में फहरायेंगे क्योंकि उनकी बौखलाहट दिख रही है. कल सुश्री मायावती जी को हमारी स्मृति ईरानी जी ने जो झटका दिया, उससे शायद वह भी तिलमिला गये.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य महोदय अभिभाषण पर आ जायें.
श्रीमती शीला त्यागी - चरणों पर रख देंगे अपना सिर. उन्होंने कोई झटका नहीं दिया है, अपना सिर रख दिया है माननीय बहिन जी के सामने.
सभापति महोदय - जो सदन के सदस्य नहीं हैं, उनके बारे में चर्चा न की जाये.
श्री गोपाल परमार - माननीय सभापति महोदय, वह समझने की बात है. यह समझ-समझ की बात है. उनने तो तारीफ भी की है. लेकिन मेरा यह कहना है कि यह जितनी भी कमियां दिखा रहे थे कि ये भ्रष्टाचार हो रहा है, दलाली हो रही है, इसके लिये हर व्यक्ति अपने क्षेत्र में जवाबदार नहीं है. क्या हर कार्य के लिये सरकार ही दोषी है ? सरकार सब काम बढि़या कर रही है. आप देखें कि जिस प्रकार से हम मंदिरों में जाते हैं, शिव मंदिर गये, शिव की आराधना करते हैं और जो वहां से वरदान लेकर हम समाज में सेवा करते हैं. इसी प्रकार से शिवराज के रूप में हमको एक मसीहा मिला है.
माननीय सभापति महोदय, मैं 127 करोड़ रूपये की कल्पना बता रहा हूँ. मेरी विधानसभा के प्रत्येक गांव में, मैं घूमा हूँ. जब मैंने किसान से पूछा कि मुआवजा कैसा मिलयो ? सब जो मुरझाये हुए चेहरे थे, हमारे किसानों के तो वे खिलखिला दिये, बोले मजा आ गया भईया, फिर से शिवराज आयेगा, फिर से शिवराज आयेगा. आप आश्चर्य करेंगे कि यह यथार्थ है, सत्य है. मैंने वह दृश्य इसलिए बयान किया है कि सन् 1993 में था और वर्तमान में भी था. इसलिए सोचने की बात आपके लिए है. मैं हमारे यहां पर विकास के कार्य में हमारे यहां जो पहले सड़कें हुआ करती थीं. 1993 में, हमारे विपक्ष के नेता श्री विक्रम वर्मा जी वहां पर आए तो जब वह उज्जैन से चलकर आगर आ रहे थे तो उस गांव तनोडियां में एक कार्यक्रम था. उनसे पूछा कि भाईसाहब सड़क कैसी है ? उन्होंने कहा कि यह तनोडियां नहीं यह तन तोडि़या हो गया है. वह शब्द मुझे आज भी याद है.
आप देखिये कि सारी सड़कें जब राजस्थान की सीमा से लगा मेरा क्षेत्र उसमें देखें कि आगर से सीधे जावरा का रास्ता देखिये. ऐसा टॉप रोड़ हो गया है. आप हर सेक्टर में देखिये. आप ऊधर से जहां भी जायेंगे, सड़कों का जिस प्रकार से जाल बिछा है. इसके पहले तो कभी चिन्ता नहीं थी. पहले राजस्थान की सड़कें ठीक हुआ करती थीं. अभी वर्तमान में देखें कि सड़कों की हालत क्या बढि़या हो गई है. बिजली की बात करता हूँ. मेरा क्षेत्र सबसे पिछड़ा इलाका है. मैं अनुसूचित जाति का विधायक हूँ. मेरे क्षेत्र में जितने भी अनुसूचित जाति के भाई हैं, उनके कनेक्शन के लिये, मैंने जिनको भी पत्र लिखे हैं. आप यकीन नहीं मानेंगे कि उन सब जनों के कनेक्शन फ्री में कर दिये. उन सबको मुआवजा खूब मिला. हमको पूरा संतोष है. मैं वास्तविक बता रहा हूँ. आप भले ही हाथ हिलाये तो हिला सकती हैं. जो सत्य है, वह सत्य है.
आप, अभी गायों की बात कर रहे थे. हमारे यहां माननीय मुख्यमंत्री जी ने आगर जिले में सालरिया में एक गौ अभ्यारण्य का निर्माण करवाया है. उसमें कम से कम 5,000 गायें रहेंगी. आपके इधर गायें भटक रही हों तो उन्हें भी भेज देना. वास्तव में पण्डित दीनदयाल जी के सपनों को, जो साकार किसी ने किया है और उन्होंने जमीन पर लाकर किसी ने दिखा दिया है तो वे हैं हमारे यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी हैं. उन्होंने जिस प्रकार से सेवायें की हैं, हर फील्ड में, क्षेत्र में कोई चैलेन्ज नहीं कर सकता. एक ऐसा मसीहा, जो हमारे क्षेत्र का, हमारे मध्यप्रदेश का विकास करने के लिये यहां पर उपस्थित है. हम उनकी तारीफ करने के बजाय आलोचना करते हैं. आप सोचिये कि आपके क्षेत्र में उस समय कितना भ्रष्टाचार हुआ. सन् 1993 का हाल बताऊँ. केवल चिट्ठियों पर ही नियुक्तियां हो गई थी. आप व्यापम का ढोंग करते हैं. यह हमारे सभापति महोदय को सब पता है. यह यथार्थ है.
अभी हर क्षेत्र में, हमारे घुमक्कड़ लोग, जो बंजारा समाज के लोग हैं उनको 60- 60,000/- मकान बनाने के लिए अनुदान की राशि मिली है. मैं समझता हूँ कि मेरी विधानसभा में जो हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद, जो काम हुए हैं. आप यकीन नहीं मानेंगे अभी एक तनोडि़या से मदकोटा की एक सड़क थी, उस सड़क के लिए 24 करोड़ रूपये स्वीकृत कर दिये. काम खूब चल रहा है. अब हमारे नगर में देखिये 21 करोड़ रूपये का फोर लेन रोड मंजूर कर दिया, ऐसा काम चल रहा है कि मत पूछिये. इसके अलावा भी हर एक मंदिर में काम चल रहा है. हर जगह खूब काम चल रहा है.
श्री गोपाल परमार -- (श्रीमती शीला त्यागी के खड़े होने पर) ऐसा कुछ नहीं है. बहन जी को मायावती का नाम लेना बुरा लगा होगा. लेकिन माफ करना, ऐसा कुछ नहीं है. मेरे भाव गलत नहीं थे...
श्रीमती शीला त्यागी -- गोपाल जी, माननीय बहन जी का कोई सानी नहीं है.
श्री गोपाल परमार -- ..क्योंकि इसमें जो उनका भाषण था कि हमारे युवाओं को भटकाने का काम कर रहे हैं और वह अभी जो झण्डा फहराने का काम हुआ, वह अद्भुत हो गया है. उसमें मुंह की खानी पड़ी है. इसलिये वह बौखलाहट जाहिर कर रहे हैं कि कहीं न कहीं इस मंच पर कुछ न कुछ ऐसा बोल दें, तो हम उत्तेजित हो जायें. ऐसा नहीं है.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- गोपाल जी, कम से कम आप तो न बोलें. वह तो आयरन लेडी हैं.
श्री गोपाल परमार -- सभापति महोदय, वन क्षेत्रों में हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो काम किया है, आप यकीन नहीं मानेंगे कि जो घास उगती है, वह घास हमारे जितने भी गांव के किसान हैं, जो आस पास की पंचायतें हैं, उनको निशुल्क काट करके ले जाने के लिये अनुमति है. यह अभी जो नील गाय की समस्या थी, उसके समाधान के लिये भी हमारे उन क्षेत्रों में, जो वन क्षेत्र घोषित किये गये हैं, उनमें उनको व्यवस्थित उस परिसर में सीमित कर दिया है. वहां पर उनके चारे की व्यवस्था भी फ्री हो गई और यह व्यवस्था भी हो गई, लेकिन किसी समस्या का समाधान तो हमको ही ढूंढना पड़ेगा और हम ढूंढ रहे हैं. सभापति महोदय, सरकार ने हमारे यहां बहुत सारे डेम बनाये हैं. मेरी एक और विनती है कि दो चार डेम बनना शेष रह गये हैं. जिसमें एक हड़ई है. कुछ गांव और हैं, हालांकि उनके बारे में मैं बजट पर चर्चा के समय कहूंगा. लेकिन ऐसा नहीं है, काम हो रहा है. मेरे उप चुनाव में जीतने के बाद के काम मैं आपको बता रहा हूं. कुछ न कुछ नये काम तो निकलते ही हैं. ये सारे काम अतिशीघ्र होंगे, मुझे ऐसी उम्मीद है. मैं आज मुख्यमंत्री जी से मिला था, उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है. यह जो हड़ई है ..(व्यवधान).. स्वाभाविक है, यह इसलिये दुखी हैं, चूंकि हमारी सरकार है. हम जो कहते हैं, वह काम होते हैं. मैंने दिग्विजय सिंह जी की सरकार के समय एक पुलिया बनाने के लिये कहा था. उस समय एक पुलिया नहीं बनी. आप आश्चर्य करेंगे.
सभापति महोदय -- परमार जी, आप इधर मुखातिब होकर के बात करें.
श्री गोपाल परमार -- सभापति महोदय, मैं इसलिये आपसे कह रहा हूं कि हमारी बहन जी नाराज हो रही हैं . लेकिन हमने वह समय भी देखा है.
सभापति महोदय -- अब आप अपनी बात समाप्त करें.
श्री गोपाल परमार -- सभापति महोदय, ठीक है. आपने जो समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री मुकेश नायक -- सभापति महोदय, जिस तरह से यहां पर वृदावली का वाचन हो रहा है. मैं तो यह कहना चाहता हूं कि शिवराज सिंह जी के शासन में खेतों में गेहूं की जगह हीरा, मोती और पन्ना उगने लगे हैं. नर्मदा नदी में पानी की जगह दूध बहने लगा है. मध्यप्रदेश में गाय और भैंस 24 घण्टे दूध देने लगी हैं. गाय और भैंस तो छोड़ो. (XXX)
..(हंसी)..
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) -- सभापति महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में प्रस्तुत कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मेरे से पूर्व के सदस्यों की ओर से जैसे बातें आ रही हैं और वे जो बातें कर रहे हैं. इससे ऐसा लग रहा है और मुकेश नायक जी ने बिलकुल सही बोला है कि नर्मदा नदी में दूध बहने लगा है. पर दूध तो नहीं पानी भी खत्म हो गया है.(XXX). अगर हम खनिज के मामले में देखेंगे..
श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- सभापति जी, अगर नदी में पानी नहीं है, अब मुकेश जी को अगर (XXX), तो कहां से आयेगा पानी बताओ.
श्री रामकिशोर दोगने -- यह तो सरकार बतायेगी. चूंकि 12 साल से सरकार आप लोग चला रहे हैं.
श्री मुकेश सिंह चौधरी -- सभापति महोदय, क्या असत्य बोलने की प्रतियोगिता हो रही है.
कुंवर विजय शाह -- सभापति जी, आदरणीय मुकेश नायक जी ने जो कहा है कि (XXX), इसको कृपया विलोपित करवायें.
..(हंसी)..
सभापति महोदय -- इसको विलोपित कर दें.
श्री मुकेश नायक -- विजय शाह जी, हमने बोला है, वह तो विलोपित होगा, लेकिन आपने जो बोला है, वह कैसे विलोपित होगा. आप चाहते हैं कि वह रिकार्ड में रहे.
सभापति महोदय -- रामकिशोर जी अपनी बात शुरू करें.
डॉ.रामकिशोर दोगने -- माननीय सभापति महोदय, हम देख रहे हैं हमारे प्रदेश की स्थिति. देश 1947 में आजाद हुआ, आजादी के बाद हमारे देश में रोटी, कपड़ा और मकान की बात निकली कि हमें रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता है और उसकी पूर्ति सरकार को करना चाहिये, उसी उद्देश्य से सरकार बनाई गई. परंतु वर्तमान में रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या तो पूरी नहीं हुई उल्टे पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा की बात करने लगे. आज हम देश की वर्तमान परिस्थितियों को देखें .हम यहां पर टाई-कोट, कुर्ता पायजामा पहनकर के बैठे हैं, पर आदिवासी भाई जंगलों-पहाड़ों पर ठंड के दिनों में लंगोटी लगाकर के ठंडे पत्थरों पर बैठा हुआ है. यही सच है और हम इनकी सुख सुविधाओं की बात करते हैं और संविधान का मजाक उड़ाते हैं. सभापति जी मेरा अनुरोध है कि वर्तमान की समस्या और स्थिति पर बात करें. देश में जो समस्या है उस पर चर्चा करें और गरीबों की समस्या के बारे में बात करें और उसका हल निकालें. हम देखते हैं कि हर गांव में हरिजन बस्तियां हैं वहां पर सड़क नहीं है, पानी की समस्या है, बोरिंग नहीं है, यह समस्या वर्तमान में चल रही है. उनको दूर से पानी लाना पड़ता है, खेतों से पानी लाना पड़ता है. हमारे क्षेत्र में जल संकट चल रहा है. वर्तमान में नर्मदा नदी से पानी लाने के लिये जल आवर्धन योजना बनी पर जल आवर्धन में देखने में आता है कि 10-10 साल हो गये हैं लेकिन जल आवर्धन योजना पूरी नहीं हुई है, मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि यह योजनायें इतने साल तक पूर्ण क्यों नहीं होती है, समय सीमा में अगर यह योजनायें पूर्ण होती तो लागत नहीं बढ़ती और समय पर समस्या का समाधान भी होता. इसलिये जल आवर्धन योजनायें जो मेरे क्षेत्र में लंबित हैं उनको समय सीमा में पूरा करायें. हरदा और खिरकिया दोनों में जल आवर्धन योजनायें अधूरी हैं, 10 साल लगभग हो गये हैं. इस पर ध्यान दें, समय सीमा में पूर्ण करायें. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा बोरिंग करवाने के संबंध में मैंने अधिकारियों से बात की तो उनका जबाव था कि साल भर में 75 बोरिंग करेंगे. पूरे जिले में अगर इतने कम बोरिंग होंगे तो समस्या का समाधान कैसे होगा. आंकड़े तो दे दिये जाते हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. हमारे क्षेत्र में अधिक से अधिक बोरिंग की जाये जिससे कि आने वाले गर्मी के समय में क्षेत्र की समस्या को पीने के पानी की कठिनाई न हो.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से आग्रह करना चाहता हूं, बिजली के बारे में बात करना चाहता हूं. हमारे सत्ता पक्ष के कई साथियों ने अभी अपने संबोधन में यह कहा है कि हमें 24 घंटे बिजली मिल रही है. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि वे अपने दिल पर हाथ रखकर के यह बात बोलें( एक साथ कई भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के यह बोलने पर कि हमारे क्षेत्र में तो मिल रही है) किसान परेशान है, आंदोलन कर रहा है और ऐसे हाथ हिलाने से काम नहीं चलेगा, दिल पर हाथ रखकर के बात करें और अपने क्षेत्र में जाकर के लोगों से बात करें तब पता चलेगा कि बिजली समय पर मिल रही है या नहीं मिल रही है. किसान परेशान है. किसानों को समय पर बिजली नहीं मिल रही है, किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल रहा है, किसानों को समय पर बीमा नहीं मिल रहा है, इसके बाद भी आप कहते हैं कि हमारे यहां सब समय पर मिल रहा है. यह दुर्भाग्य की बात है. बिजली के बिल गरीबों के 10-10 हजार के आ रहे हैं. 50-50 हजार के बिजली के बिल आ रहे हैं. इसके बाद बिजली विभाग के अधिकारियों को यह अधिकार भी दिये हैं कि वो बिजली के बिल कम भी कर दें, यह न्याय की कौन सी परिभाषा है. एक आदमी को प्रताड़ित करने के बाद उसका बिजली का बिल कम कर दिया जाता है. सिस्टम बनाये, नियम बनाये और उसके तहत कार्य करें. ताकि प्रापर बिल जाये और मानसिक प्रताड़ना का शिकार न हो. गरीब-किसान 15-15 दिन तक बिजली के बिल को लेकर के घूमता रहता है, कभी अधिकारी, कभी कलेक्टर, कभी एसडीएम, कभी तहसीलदार, कभी विधायक, कभी पार्षद के पास जा रहा है इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं होता, कभी कभी दबाव बनता है तो समस्या का समाधान करते हैं इसलिये ऐसे नियम बनाये जिससे किसी को परेशानी न हो. वह अपना काम करे, रोजगार करे, इन चीजों पर सरकार को ध्यान देना चाहिये.
[4.54 बजे अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए]
माननीय अध्यक्ष महोदय ,बिजली कंपनी पूरा पैसा यूनिट के हिसाब से उपभोक्ताओं से लेती है, फिर किसान क्यों डीपी लेना जाता है, किसान क्यों परेशान होता है, उसको बिजली समय पर क्यों नहीं सरकार दे पाती है. इसके ऊपर हमें निर्णय करना पड़ेगा कि अगर बिजली कंपनी प्रति यूनिट के हिसाब से उपभोक्ताओं से किसानों से बिजली का पैसा ले रही है तो वह उसको बिजली क्यों उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. हम एक दुकानदार के पास में सामग्री खरीदने जाते हैं पूरा पैसा देते हैं तो पूरी तौल के साथ में वह आपको सामग्री देता है . बिजली कंपनी अगर पूरा पैसा लेती है तो बिजली पूरी क्यों नहीं देती है इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिये. 10 घंटे बिजली देने की बात की जाती है लेकिन 6 घंटे ही बिजली मिलती है. इस बीच में यदि किसान की डीपी खराब हो जाये तो वह खुद परेशान हो, अधिकारी को ऊपर से पैदा दे और खुद डीपी ले जाकर के लगाये, लाईनमेन परेशान करते हैं, उसकी बिजली काट दी जाती है. यह कौन सा कानून है. इन सब समस्याओं को देखते हुये सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिये अधिकारी भी समय पर बिजली उपलब्ध करायें, समय पर पानी मिले तो निश्चित रूप से किसान खुशहाल होगा तो प्रदेश आगे बढेगा और देश आगे बढ़ेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी दूसरी मांग सिंचाई की है, हमारे क्षेत्र में सोयाबीन की फसल नहीं हो रही, पूरे मध्यप्रदेश की स्थिति वही है. हरदा जिला भी सूखाग्रस्त घोषित हुआ है पर आज तक सूखे के नाम पर कोई भी लाभ किसी को नहीं मिला है, तो वह लाभ दिया जाये. सूखे के संबंध में जो प्लानिंग की हो, सरकार ने जो योजना बनाई हो उसका लाभ मिलना चाहिये, सूखा घोषित जो जिले हुये हैं उनको दिये जाये और उसके साथ ही साथ मैं मांग करता हूं कि हमारे यहां जो तबा डेम है जिससे हरदा जिला होशंगाबाद जिला और जो आसपास के क्षेत्र सिंचित हैं, उसमें अभी गर्मी में मूंग के लिये पानी दिया जाये जिससे पिछली फसल खराब हुई है उसकी भरपाई अगली फसल में कर सकें.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री रामकिशोर दोगने-- अभी चालू किया है अध्यक्ष जी ज्यादा टाइम नहीं हुआ है. सिंचाई के लिये नहरों में पानी छोड़ा जाये, क्योंकि लाइनिंग के नाम से पानी रोका जा रहा है. लाइनिंग का जितना बजट नहीं है उससे ज्यादा की वहां से फसल निकलती है, मूंग की फसल निकल सकती है, तो लाइनिंग के नाम से न रोका जाये और पानी दिया जाये जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और उस क्षेत्र का विकास भी होगा मेरा यह निवेदन है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन यह है कि हमारा हरदा जिला नया जिला बना है पर काफी समय हो गया जिसके बाद भी मूलभूत जिले की सुविधायें वहां नहीं हैं, वहां आफिस नहीं हैं, कई विभागों के आफिस वहां पर नहीं हैं, इस कारण से बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिये वहां सभी आफिस खोले जायें, उनके कार्यालय बनाये जायें, उनको जमीन दी जाये. छात्रावास नहीं हैं, हरिजन आदिवासी भाईयों के लिये वह बनाये जायें. एस.सी. एस.टी के छात्रों के लिये छात्रावास नहीं हैं वह बनाये जायें और जो सुविधाओं की जरूरत है वह दी जाये. पुलिस बल नहीं है, पुलिस की स्थिति हरदा जिले में बहुत खराब है. आपने अभी कुछ दिन पहले एक केसेट सुना होगा, टी.वी. पर चला, पूरे समाचारों में चला. एक गुंडे ने एस.पी को धमकाया कि मैं दंगा करा दूंगा, जो पिछला दंगा कराया उसकी पुनरावृत्ति कर दूंगा. इसके बाद भी वह गुंडा भारत में आज तक पकड़ा नहीं जा रहा, कहां घूम रहा है, बड़ी दयनीय स्थिति है. यह सोचने की स्थिति है कि एक गुंडा एसपी को धमका रह है इसके बाद भी वह पकड़ा नहीं जा रहा है, तो इसके लिये पुलिस की व्यवस्था भी सुधारना चाहिये और पुलिस की जो कमी है हमारे हरदा जिले में पुलिस की बहुत ज्यादा कमी है तो पुलिस की व्यवस्था सुधारना चाहिये, अधिकारियों, कर्मचारियों की वहां नियुक्ति करें और जिले लेबिल के पदाधिकारी वहां नियुक्त करेंगें तो निश्चित ही वहां व्यवस्था सुधरेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार, तहसीलदार नहीं हैं आधे ही पोस्टेट हैं तो उन पर भी नियुक्ति करें तो निश्चित ही सुधार होगा. स्वास्थ्य विभाग का भी मैं बताना चाहता हूं कि ट्रामा सेंटर और स्वास्थ्य विभाग के लिये अस्पताल तो बन गये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब खत्म करें, अब सब विभाग हो गये.
श्री रामकिशोर दोगने-- दो मिनट और माननीय अध्यक्ष महोदय, पर अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं, डॉक्टरों की कमी है, डॉक्टरों की कमी की पूर्ति करेंगे तो निश्चित ही हमारे जिले में उन्नति होगी और आगे बढ़ेगा. और मेरी एक मूल समस्या जो मैं बार-बार उठा रहा हूँ वह एक ओवरब्रिज की है. हमारे यहां ओवरब्रिज के कारण पूरा ट्राफिक रूका रहता है, नेशनल हाईवे बीच शहर से गुजरता है और एक ही रेलवे फाटक है उससे ही गुजरना पड़ता है तो वहां ओवरब्रिज बनाय जाये. पिछली बार भी मुझे आश्वासन मिला था कि हम जल्द ही टेंडर करा देंगे पर आज तक टेंडर नहीं हुये तो मेरा मुख्यमंत्री महोदय से निवेदन है कि ओवरब्रिज के लिये टेंडर करायें तो निश्चित ही वहां की समस्या का समाधान होगा और हमारा जिला आगे बढ़ेगा मेरा आपसे यही निवेदन है और इसके साथ ही बहुत सारी बाते थीं, पर्यटन के क्षेत्र में हमारा हंडिया क्षेत्र बहुत खूबसूरत क्षेत्र है और इस क्षेत्र में पर्यटन के लिये काम करना बहुत जरूरी है, आपने पर्यटन के संबंध में बहुत सारी बातें बताई हैं राज्यपाल जी के अभिभाषण में उल्लेखित की हैं पर हरदा जिले का नाम नहीं आया है, हंडिया क्षेत्र का नाम नहीं आया है जबकि सबसे पवित्र जगह हंडिया है, नाभिकुंड है वह नर्मदा जी का मध्य है और हमारे यहां की पावन सलिला नदी नर्मदा है, अपने मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नदी है उसका सेंटर है तो वह एक तरह से तीर्थस्थल है और तीर्थस्थल को अगर पर्यटन में लेंगे तो निश्चित ही वहां विकास होगा क्योंकि वहां एक जगह का किला है, पुनासा डेम का वेकवाटर भी है अगर वहां पर्यटन के संदर्भ में काम होगा तो निश्चित ही विकास होगा, हरदा जिले का विकास होगा तो उसमें सबके लिये अच्छा रहेगा और पर्यटन के क्षेत्र में काफी डेबलपमेंट होगा.
अध्यक्ष महोदय-- अब कृपया समाप्त करें.
श्री रामकिशोर दोगने-- बस दो मिनट.
अध्यक्ष महोदय-- दो-दो मिनट करके तो 12 मिनट हो गये.
श्री रामकिशोर दोगने-- सहकारिता में बहुत बड़ा घोटाला हरदा जिले में चल रहा है. सहकारी सोसायटी में किसान नहीं है उसके नाम से लोन निकल गया, दो-दो सौ, ढाई-ढाई सौ एक-एक गांव में लोन निकल गया, एक-एक समितियों में, 52 समितियां हैं 52 समितियों के ऊपर अपराध पंजीबद्ध है, वहां काम करने वालों के ऊपर अपराध पंजीबद्ध हैं और कोई कार्यवाही नहीं हो रही और अभी भी वही काम कर रहे हैं और वैसा ही काम चल रहा है, इसमें सुधार किया जाना अति आवश्यक है, इन सब चीजों को जोड़ना बहुत जरूरी है. मेरा मुख्यमंत्री जी से करबद्ध निवेदन है कि मूंग के लिये पानी छोड़ दें तो निश्चित ही हमारे जिले की उन्नति होगी और विकास होगा. हमारे समर्थन में विजय शाह जी भी वहीं के मंत्री जी हैं उनसे भी मैं निवेदन करना चाहूंगा वह भी निवेदन करें और अध्यक्ष जी से भी निवेदन है. धन्यवाद, जय हिंद, जय भारत.
अध्यक्ष महोदय-- महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा जारी रहेगी. विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनांक 26 फरवरी 2016 को प्रात: 10.30 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 5.00 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 26 फरवरी 2016 ( 7 फाल्गुन, शक संवत् 1937 ) के पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : भगवानदेव ईसरानी
दिनांक- 25 फरवरी 2016 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा