मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा एकादश सत्र
जुलाई-अगस्त, 2016 सत्र
बुधवार, दिनांक 24 अगस्त, 2016
(2 भाद्र, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 11 ] [अंक- 10]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 24 अगस्त, 2016
(2 भाद्र, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11:02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
राष्ट्रगीत
राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूह गान
अध्यक्ष महोदय-- अब, राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.
(सदन में राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूह गान किया गया.)
11:03 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्री रामचरित्र, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(2) श्री मूल सिंह, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, तथा
(3) श्री उत्तमचन्द खटीक, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
अध्यक्ष महोदय -- मुझे सदन को सूचित करते हुए अत्यन्त दुख हो रहा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के भूतपूर्व सदस्यगण, श्री रामचरित्र का 18 अगस्त, श्री मूलसिंह का 17 अगस्त एवं श्री उत्तमचन्द खटीक का 16 अगस्त, 2016 को निधन हो गया है.
श्री रामचरित्र का जन्म सन् 1945 को ग्राम ढोटी, जिला सिंगरौली में हुआ था. आप 1962 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रमुख रहे. आपने भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा रीवा संभाग के प्रभारी तथा भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चे के प्रदेश पदाधिकार के रूप में कार्य किया. आप 1977 में छठवीं, 1985 में आठवीं, 1990 में नौवीं, 1998 में ग्यारहवीं तथा 2008 में तेरहवीं विधानसभा के सदस्य रहे.
आपके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेता एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.
श्री मूलसिंह का जन्म 15 अगस्त, 1943 को ग्राम पीलाघाटा जिला गुना में हुआ था. आप 1970 से 1975 में सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, गुना के उपाध्यक्ष तथा सन् 2000 से कृषक सहकारी शक्कर कारखाना नारायणपुरा (राधौगढ़), वर्ष 2000-2005 तक जिला पंचायत गुना तथा 2005 से जिला कांग्रेस, गुना के अध्यक्ष रहे. श्री सिंह 1985 में आठवीं तथा 2008 में तेरहवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे.
आपके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेता एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.
श्री उत्तमचन्द खटीक का जन्म 01 अप्रैल, 1948 को हुआ था. श्री खटीक 1974-1975 में एन.एस.यू.आई., 1975-1976 में मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के भूमि आवंटन प्रकोष्ठ तथा अनुसूचित जाति युवक कांग्रेस के अध्यक्ष, सागर के महापौर, जिला पंचायत सदस्य और मार्केटिंग सोसाइटी के अध्यक्ष रहे. आपने प्रदेश की सातवीं विधानसभा (1980 से 1985 तक) में कांग्रेस-ई की ओर से नरयावली क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और विधायक दल के सचेतक रहे.
आपके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेता एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) – माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री रामचरित्र जी नहीं रहे. वे बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक थे और उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के माध्यम से, अपने जीवन को भारतमाता के चरणों में समर्पित किया था. वे एक कुशल संगठक थे. उन्होंने एक सामान्य गरीब परिवार में जन्म लिया था लेकिन अपनी संगठनात्मक क्षमता के बल पर वे भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के रीवा संभाग से प्रभारी रहे, प्रदेश के पदाधिकारी भी रहे. वे एक लोकप्रिय नेता थे. वे 5 बार इस सदन के सदस्य रहे हैं एवं 5 बार सदन के सदस्य रहना अपने आप में उनकी लोकप्रियता की कहानी को बयां करता है और वे बहुत जुझारू थे. विशेषकर गरीबों के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया. वे विधायक के नाते जब भी मिलते थे तो अपने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के बारे में बात करते थे और जो समाज का सबसे पिछड़ा, सबसे पीछे, सबसे नीचे का तबका है, जो विकास की दौड़ में पीछे रह गया है, उनके कल्याण की बात करते थे. उनके निधन से निश्चित तौर पर न केवल भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हुआ है बल्कि हमने एक समर्पित कार्यकर्ता एवं नेता खोया है बल्कि गरीबों का मसीहा, जो अभाव में पलकर भी लगातार उनके लिए लड़ता रहा, संघर्ष करता रहा और उनकी भलाई एवं उनके कल्याण के कार्य करते रहे. हमने ऐसे नेता को खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रीमान् मूल सिंह जी सहकारी आन्दोलन के गुना के एक बहुत महत्वपूर्ण स्तम्भ थे. उन्होंने सन् 1970 से 1975 में सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, गुना के उपाध्यक्ष के नाते काम किया और जो कृषक सहकारी शक्कर कारखाना, नारायणपुरा (राधौगढ़) में है, उसे आगे बढ़ाने एवं संचालित करने में भी इनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही. वे जमीन से जुड़े नेता थे इसलिए जिला पंचायत के माध्यम से भी उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता की सेवा की और कांग्रेस के गुना जिले में बहुत महत्वपूर्ण स्तम्भ थे. अपनी संगठनात्मक क्षमता के बल पर उन्होंने पार्टी के संगठन को विस्तार देने का काम भी किया. वे सन् 1985 और 2008 में इस सदन के लिए चुने गए. उनके निधन से हमने एक लोकप्रिय नेता एवं कुशल संगठक को खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री उत्तमचंद खटीक जी की सागर जिले में एन.एस.यू.आई. संगठन को खड़ा करने में बड़ी भूमिका थी. अपनी संगठनात्मक क्षमता के बल पर वे कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रहे और संगठन के विस्तार के लिये काम करते रहे. सहकारी आन्दोलन को सागर संभाग में बढ़ाने में उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पंचायती राज के माध्यम से उन्होंने अपनी जनता की सेवा की और सातवीं विधानसभा में नरयावली विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वे बहुत धाकड़ और जुझारू नेता थे. उनके निधन से भी हमने एक लोकप्रिय नेता और कर्मठ जन सेवी को खोया है. मैं अपनी ओर से और इस सदन की ओर से इन तीनों दिवंगत नेताओं के चरणों में अपने श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं तथा परम पिता परमात्मा से यह प्रार्थना करता हूं कि वे दिवगंत आत्माओं को शांति प्रदान करे और उनके परिजनों को, उनके अनुयायियों को यह गहन दुख सहन करने की क्षमता प्रदान करे. ओम शांति.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय, श्री रामचरित्र जी का जन्म 1945 को ग्राम ढोटी, जिला सिंगरौली में हुआ था और वे 1962 से ही राजनीति में काफी सक्रिय थे. वे न केवल अपनी विधान सभा एवं जिले के ही लोगों के लिये काम करते थे, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लोगों के लिये उन्होंने काफी काम किया है. संगठन से संबंधित भी और लोगों की तमाम प्रकार की जो दिक्कतों एवं परेशानियों में वे हमेशा लगे रहते थे. वे पांच बार इस विधान सभा के सदस्य के रुप में चुनकर आये हैं. 1977 में छठवीं, 1985 में आठवीं, 1990 में नौवीं, 1998 में ग्यारहवीं तथा 2008 में तेरहवीं विधान सभा के सदस्य के रुप में चुनकर आये हैं. ऐसे दिग्गज और बड़े नेता आज हमारे बीच में नहीं हैं और निश्चित ही उनके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेता एवं समाजसेवी को खोया है. आज हम उन्हें स्मरण भी करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही श्री मूल सिंह जी का जन्म 15 अगस्त,1943 को ग्राम पीलाघाटा, जिला गुना में हुआ था. वे 1970 से 1975 तक सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, गुना के उपाध्यक्ष रहे हैं. वर्ष 2000 में जो कृषक सहकारी शक्कर कारखाना नारायणपुरा, राघौगढ़, जिसके लिये उन्होंने काफी काम करके इस शक्कर कारखाने को स्थापित किया है और लोगों को काफी इस शक्कर कारखाने से लाभ पहुंचाया है. वर्ष 2000 से 2005 तक जिला पंचायत, गुना तथा 2005 से जिला कांग्रेस कमेटी, गुना के अध्यक्ष भी रहे हैं. वे सन् 1985 में आठवीं तथा 2008 में तेरहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे. दो बार, 10 साल तक इस विधान सभा के सदस्य रहे हैं और उन्होंने भी काफी अपने इस राजनैतिक क्षेत्र, समाजिक क्षेत्र में और वहां की विधान सभा एवं उस जिले की जनता के लिये काम किये. प्रदेश की जनता के लिये काम किये. आज हम उन्हें भी स्मरण करते हैं. आज वे हमारे बीच में नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय, श्री उत्तमचन्द खटीक जी का जन्म 01 अप्रैल,1948 को हुआ था. श्री खटीक जी 1974 से 1975 में एनएसयूआई एवं 1975-1976 में मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के भूमि आवंटन प्रकोष्ठ तथा अनुसूचित जाति युवक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं. सागर के महापौर भी रहे हैं. जिला पंचायत के सदस्य और मार्केटिंग सोसाइटी के अध्यक्ष भी रहे हैं. आप भी सातवीं विधान सभा के लिये 1980 से 1985 तक इस विधान सभा के लिये चुनकर आये थे. उन्होंने कांग्रेस-ई पार्टी की ओर से नरयावली क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था और विधायक दल के यहां विधान सभा में वे सचेतक भी रहे हैं. आज हम उन्हें भी स्मरण करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, ये तीनों दिवंगत आत्माओं को मैं अपनी ओर से तथा अपने दल की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं. ईश्वर से यह प्रार्थना करता हूं कि वे इन दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें और इनके शोक संतप्त परिवारों के प्रति हम सभी संवेदन व्यक्त करते हैं. ओम शांति.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार (अम्बाह) -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपके द्वारा निधन का उल्लेख किया जा चुका है. श्री रामचरित्र जी, श्री मूल सिंह जी एवं श्री उत्तमचन्द खटीक जी हमारे विधान सभा के सदस्य रहे हैं और निश्चित तौर पर इनके निधन से इनके परिवार जनों को, हम सभी को, जिन्होंने सामाजिक,राजनैतिक जीवन में अपना काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. निश्चित तौर पर आपके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेता एवं कर्मठ समाजसेवी को खो दिया है. मैं अपनी ओर से एवं अपने दल की ओर से इनके परिवार जनों को शोक संवेदना व्यक्त करता हूं और ईश्वर से कामना करता हूं कि इनके इस दुख में, इनके परिवार जनों को शक्ति प्रदान करे और इनको मैं हृदय से शोक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
श्री जयवर्द्धन सिंह(राघौगढ़)– माननीय अध्यक्ष महोदय, राघौगढ़ के पूर्व विधायक मूलसिंह जी अब नहीं रहे. वे दो बार सदन में विधायक चुनकर आए थे और एक बार गुना जिले से जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे. माननीय अध्यक्ष महोदय, उनका बहुत ही सरल व्यवहार था और हमेशा सीधी और स्पष्ट बात कहते थे, इसलिए पूरा क्षेत्र उनको दादा भाई के नाम से जानता था. चाहे कोई आदमी बड़ा हो या छोटा हो, किसान हो या व्यापारी हो या फिर गांव का हो या शहर का हो, सबके साथ उनका एक जैसे व्यवहार था और उनके न रहने से हम सबको एक बहुत बड़ी कमी महसूस होगी. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी दिवंगत आत्मा को शांति दें और विशेषकर राघौगढ़ विधानसभा की पूरी जनता की ओर से मैं उनको विनम्र श्रृद्धांजलि देता हूं.
अध्यक्ष महोदय – मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि दी गई)
अध्यक्ष महोदय – सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(11:16 बजे दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई)
11.25 बजे (विधानसभा पुन: समवेत हुई)
[अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुये ]
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित संविधान(एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014, लोकसभा एवं राज्यसभा कार्यवाहियां तथा उक्त संशोधन के अनुसमर्थन के लिये प्राप्त लोक सभा सचिवालय की सूचना.
विधि और विधायी कार्य मंत्री( श्री रामपाल सिंह) माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित संविधान (एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014 लोक सभा एवं राज्य सभा कार्यवाहियां तथा उक्त संशोधन के अनुसमर्थन के लिये प्राप्त लोक सभा सचिवालय की सूचना पटल पर रखता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा आपसे निवेदन है कि जीएसटी की चर्चा के बाद जैसा कि मैंने आपको पत्र दिया है कि बाढ. के कारण मध्यप्रदेश में बहुत ज्यादा लोगों का नुकसान हुआ है, किसानों का नुकसान हुआ है, उनकी खेती किसानी का भी नुकसान हुआ है. अतएव उस पर भी चर्चा कराई जाये. सिंहस्थ में हुये भ्रष्टाचार और घोटालों पर भी चर्चा कराई जाये. कांग्रेस पार्टी के कुछ सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव दिये हैं. मैंने भी इस संबंध में आपको पत्र लिखा है. प्रमुख सचिव जी को भी लिखा है...
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्य सूची में एक ही विषय है. उसके अलावा अन्य विषय नहीं आ सकता है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, यही मेरा निवेदन है कि जीएसटी पर चर्चा होने के बाद इस पर चर्चा कराई जाए, क्योंकि बाढ़ से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. अगर विधानसभा का एक दिन का समय और बढ़ा लिया जाये तो बाढ़ पर चर्चा हो सकती है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ में जो घोटाले हुये जो भ्रष्टाचार हुआ है उस पर चर्चा हो . हमने कांग्रेस पार्टी की तरफ से आपको पत्र भी लिखा है, मैंने स्वयं ने आपको पत्र लिखा है. और कुछ हमारे विधायक साथियों ने स्थगन भी दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- उससे सहमति नहीं है. आज की कार्यसूची में भी नहीं है और एक ही विषय लिया जाना है इसलिये पहले भी आप लोगों से अनुरोध कर लिया था कि इसमें किसी प्रकार की सूचना या चर्चा नहीं ली जायेगी.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, अतिसंवेदनशील स्थिति है.
11.26 बजे कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
अध्यक्ष महोदय- कार्य मंत्रणा समिति की बैठक दिनांक 24 अगस्त, 2016 को सम्पन्न हुई. जिसमें संविधान (एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014 के अनुसमर्थन संबंधी संकल्प पर चर्चा हेतु 1 घण्टे 30 मिनट का समय आवंटित किये जाने की सिफारिश की गई है. इसके अलावा कोई अन्य शासकीय तथा अशासकीय कार्य इस बैठक में नहीं लिये जायेंगे.
श्री रामनिवास रावत- अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में भीषण बाढ़ से भारी तबाही हुई है.100 से अधिक लोगों की जान चली गई है.
अध्यक्ष महोदय-- मैंने अभी पढ़ा है. आपने सुन लिया न.
श्री रामनिवास रावत- हम मानते हैं कि केवल एक सौ बाईसवें संशोधन के अनुसमर्थन के लिये विधानसभा बुलाई गई है. लेकिन मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं, बाढ़ के कारण प्रदेश मे हा-हाकार मचा हुआ है, लोगों के मकान गिर गये.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय,
कौन सी बात कब कहां कैसे कही जाती है
यह सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है.
श्री रामनिवास रावत-- बिल्कुल है. आपको सलीका नहीं है, प्रदेश की जनता की चिंता नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने आसंदी से निर्देश दिये, आपने कार्य मंत्रणा समिति की सिफारिशें पढ़कर के सुनाई हैं.
श्री रामनिवास रावत-- इस बात को भी हम मानते हैं. हम निवेदन सरकार से कर रहे हैं कि थोड़ी सी संवेदनशीलता जगाओ. प्रदेश में बाढ़ के कारण हाहाकार मचा हुआ है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- देखिये, रामनिवास जी विषयान्तर हो जायेगा. संवेदनशील मुख्यमंत्री जी हैं, गांव गांव गये हैं आपका कोई नेता नहीं गया है.
श्री रामनिवास रावत- तो फिर स्वीकार कर लो, फिर क्या बुराई है.
अध्यक्ष महोदय-- अभी कृपया प्रस्ताव आने दें. माननीय मंत्री जी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- (श्री रामनिवास रावत से) आप कहें तो प्रस्ताव पढ़ दूं. अगर आप अनुमति दें तो. (हंसी)
अभी माननीय अध्यक्ष महोदय ने अनुसमर्थन संबंधी संकल्प पर चर्चा हेतु जो सिफारिशें पढ़कर के सुनाई, उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि जिन कार्यों पर चर्चा के लिये समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिश पढ़ कर सुनाई, उसे सदन स्वीकृति देता है.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
11.28 बजे संकल्प
संविधान (एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014 के अनुसमर्थन संबंधी संकल्प.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि :-
"यह सभा अनुच्छेद 368 के खण्ड (2) के परन्तुक के खण्ड (ख) और (ग) के दायरे में आने वाले भारत के संविधान के संशोधन, जो कि संसद के दोनों सदनों द्वारा यथापारित संविधान (एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014 के द्वारा किया जाना प्रस्तावित है, का अनुसमर्थन करती है.".
अध्यक्ष महोदय-- संकल्प प्रस्तुत हुआ .
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत के संविधान के एक सौ बाईसवें संशोधन के अंतर्गत यह विधेयक लोकसभा में 6 मई, 2015 को पारित किया गया था. राज्यसभा ने कुछ संशोधनों के साथ 3 अगस्त, 2016 को इसे पारित किया है. लोकसभा ने 8 अगस्त, 2016 को राज्यसभा द्वारा किये गये संशोधनों पर अपनी सहमति दे दी है. भारत के संविधान के एक सौ बाईसवें संशोधन के द्वारा हम अपने देश में अप्रत्यक्ष कर मामले में आधुनिकतम कर प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर के रूप में लाने पर विचार कर रहे हैं.वस्तु एवं सेवा कर हमारे देश के अप्रत्यक्ष कर के मामले में राज्यों बीच कर प्रणाली तथा करों की दरों में भिन्नता को समाप्त करने के साथ साथ केन्द्र और राज्यों के बहुत से करों को समाप्त कर सरल एवं सुगम व्यवस्था को स्थापित करेगा. इस संशोधन से केन्द्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिश्नल ड्यूटी ऑफ एक्साइज एवं कस्टम तथा इन पर लगने वाले उपकर एवं अधिभार तथा राज्य सरकार के वेट, एंट्री टैक्स, केन्द्रीय विक्रय कर, विलासिता, मनोरंजन, आमोद प्रमोद तथा विज्ञापन पर लगने वाले करों आदि के स्थान पर केवल एक वस्तु एवं सेवा कर केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा पृथक-पृथक निरूपित किया जायेगा, हालांकि एल्कोहलिक व पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखे जाने से इन पर राज्य पृथक से वेट अथवा अन्य टैक्स लगा सकते हैं. संपूर्ण भारत में कर की दरों में भिन्नता समाप्त होने से संपूर्ण देश के निर्माण एवं व्यवसाय की दृष्टि से एकीकृत बाजार के रूप में एक देश एक कर सिद्धांत के अंतर्गत परिवर्तित होगा. इसमें उद्योग, व्यवसाय एवं उपभोक्ता सभी को लाभ होगा. मध्य प्रदेश वस्तुओं एवं सेवाओं के लिये प्रमुख रूप से कंज्यूमर स्टेट है. जीएसटी के अंतर्गत कर कहीं पर भी संग्रहित किया जाये, किंतु यह कर वस्तु एवं सेवाओं के कंज्यूमर स्टेट को ही अंतरित किया जाना है जो हमारे प्रदेश के लिये हितकर है.
ई-कॉमर्स से प्रदेश को हो रहे व्यवसायिक नुकसान एवं कर की कमी का समाधान भी प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था से संभव हो सकेगा. वर्तमान में केन्द्रीय विक्रय दर 2 प्रतिशत होने से तथा राज्य के भीतर कर विक्रय पर वेट की दर अधिक होने से कर अपवंचन की प्रवृत्ति में भी प्रस्तावित व्यवस्था के अंतर्गत समान कर दर के कारण प्रभावी कमी आ सकेगी जो राज्य के राजस्व के हित में है. अभी तक सेवाओं पर लगने वाला सेवा कर की राशि हमें प्राप्त नहीं होती थी, जो प्रस्तावित कर के अंतर्गत अब राज्य में सेवाओं पर भी कराधान से हमें राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी. प्रस्तावित कर प्रशासन के अंतर्गत अत्याधुनिक एवं मजबूत साफ्टवेयर नेटवर्किंग के माध्यम से पंजीकृत व्यवसायियों को समस्त सुविधा अब ऑनलाइन दी जायेगी तथा मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम हो जायेगा, जिससे न केवल पारदर्शिता बेहतर होगी वरन् व्यवसायियों को होने वाली कठिनाइयां भी बहुत कम हो जायेंगी. इन ऑनलाइन सुविधाओं यथा पंजीयन विवरण पत्र, कर राशि भुगतान तथा वापसी आदि के लिये केन्द्र राज्य शासन तथा कुछ सार्वजनिक एवं निजी वित्तीय संस्थाओं के वित्त पोषण से एक नो प्रॉफिट नो लॉस कंपनी गुड्स एण्ड सर्विस टेक्स नेटवर्क जीएसटीएन का गठन किया गया है. समस्त प्रक्रियाओं के ऑनलाइन हो जाने से कर प्रशासन में लगे हुये हमारे अधिकारियों पर कर निर्धारण रिटर्न समीक्षा रिफंड आंकलन आदि से संबंधित कार्यबोझ भी कम हो सकेगा. कर अधिकारी इसके स्थान पर डाटाबेस में उपलब्ध व्यवसायिक सूचनाओं का बिजनेस इंटेलीजेंट टूल्स के माध्यम से गहन विश्लेषण कर राजस्व हित में प्रभावी कार्यवाही यथा आडिट, स्क्रूटनी तथा कर अपवंचन रोकथाम कर सकेंगे. प्रस्तावित संविधान संशोधन के अनुसार जीएसटी काउंसिल की स्थापना की जायेगी जिसके अध्यक्ष केन्द्रीय वित्त मंत्री तथा केन्द्र के वित्त या राजस्व के भारसाधक राज्य मंत्री तथा प्रत्येक राज्य द्वारा नामित वित्त या कराधान के भारसाधक मंत्री या अन्य कोई मंत्री इस काउंसिल के सदस्य होंगे. काउंसिल के निर्णयों हेतु आधे से अधिक सदस्यों का कोरम होना अनिवार्य है. काउंसिल में केन्द्रीय शासन का अधिमान्य प्राप्त मत का एक 1/3 तथा उपस्थित समस्त राज्यों का अधिमान प्राप्त मत 2/3 होगा. काउंसिल का प्रत्येक फैसला 3/4 बहुमत के साथ किया जायेगा. काउंसिल कर की दरों, छूट सूची और अवसीमा थ्रेशोल्ड लिमिट जैसे परिमापों पर राज्य एवं केन्द्र को अपनी सिफारिशें करेगी. इस संस्था के द्वारा प्राकृतिक आपदा आदि की स्थिति में विशेष करारोपण हेतु अनुशंसा की जा सकेगी. काउंसिल पेट्रोलियम पदार्थों की जीएसटी में शामिल किये जाने की तिथि का भी प्रस्ताव करेगी. कुछ राज्यों यथा अरूणाचल प्रदेश, असम, जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के लिये काउंसिल के द्वारा विशेष प्रावधान प्रस्तावित किये जा सकेंगे. राज्य के राजस्व पर प्रस्तावित जीएसटी के प्रभाव का आकलन भी जीएसटी काउंसिल द्वारा कर योग्य वस्तुओं हेतु स्लेब एवं इन स्लेब हेतु कर दरों के निर्धारिण उपरांत ही संभव हो सकेगा.
किन्तु केन्द्र सरकार ने जीएसटी के लागू किये जाने से राज्य को होने वाले नुकसान की पांच वर्ष तक प्रतिपूर्ति का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है जिससे प्रदेश की जीएसटी के प्रति सभी प्रकार की आशंकाएं समाप्त हो जाती हैं.प्रस्तावित संशोधन के उपरांत स्थानीय निकाय मनोरंजन एवं आमोद-प्रमोद गतिविधियों पर कर लगाकर कर संग्रहण कर सकेंगे जिससे हमारी स्थानीय संस्थाएं वित्तीय रूप से ज्यादा आत्मनिर्भर हो सकेंगी और आम जनता के हित में बेहतर विकास कार्य कर सकेंगी. वर्तमान स्वरूप में लोक सभा एवं राज्य सभा द्वारा पारित संविधान संशोधन को देश एवं राज्य के हित में होने के कारण मैं इसके समर्थन का प्रस्ताव करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधि मंत्री द्वारा प्रस्तुत एक सौ बाईसवां संशोधन विधेयक,2014 का समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं. अध्यक्ष महोदय, इस सदन में पहली बार मुझे बोलने का अवसर मिला है. श्रद्धांजलियां और सत्र के अंत में जो आपस में हम एक दूसरे को धन्यवाद देते हैं और यह अच्छी परंपरा है इसके लिये सदन की प्रशंसा भी करता हूं. इसलिये मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने काफी विस्तार से जो वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम,2014 है उसके मेकेनिज्म के बारे में बताया है. कैसे यह लागू होगा, किस प्रकार का होगा, कौन उसे संग्रहित करेगा, कैसे बंटवारा होगा, जीएसटी काउंसिल के बारे में भी बताया और बहुत सारी चीजें उन्होंने यहां स्पष्ट कीं. मैं अपनी तरफ से कुछ बातें रखना चाहता हूं शायद कुछ दोहरानी भी पड़ें लेकिन मैं कोशिश करूंगा कि उनको कुछ अलग ढंग से पेश कर सकूं. यह एक क्रांतिकारी कर प्रणाली है. इसमें कोई संदेह नहीं और विश्व के लगभग 160 देशों में वस्तु और सेवा कर अधिनियम लागू है अथवा वेट लागू है दोनों मिलाकर लगभग 160-162 देशों में लागू है और हमें यह प्राय: देखने को मिला जब हम आंकड़े देखते हैं कि बहुत सारे ऐसे देश हैं जो आज विकसित हैं. तरक्की के मापदण्ड की सीढ़ी में काफी ऊपर है. वहां पर यह अधिनियम, यह कर प्रणाली चाहे जीएसटी हो, वेट हो. कहीं बीस साल पहले,कहीं पच्चीस साल पहले और कुछ देश तो ऐसे हैं जहां तीस-तीस साल से यह लागू है. आज हमारे सदन में अनुसमर्थन के लिये संकल्प के रूप में यह विधेयक आया है. इस विधेयक ने काफी लंबी यात्रा तय की है. पहली बार 2006 में तत्कालीन भारत के वित्त मंत्री पी.चिंदबरम जी ने अपने बजट भाषण में जीएसटी लाने का संकल्प जाहिर किया था और उसका वहां उल्लेख किया था. काफी चर्चाएं हुईं,काफी विचार-विमर्श हुए और उसके बाद 2011 में जब आज के महामहिम राष्ट्रपति जी श्री प्रणब मुखर्जी जी वित्त मंत्री थे. चिदंबरम जी गृह मंत्री बन गये तो 88वां संविधान संशोधन उन्होंने लोक सभा में प्रस्तुत किया लेकिन इसका काफी विरोध हुआ. हम लोगों ने भी विरोध किया,हमारे प्रदेश ने भी किया. छत्तीसगढ़ ने भी किया. गुजरात ने भी किया. सभी लोगों ने इसका विरोध किया और अंततोगत्वा वह विधेयक दिन की रोशनी नहीं देख सका और 2014 में दिल्ली के चुनाव आने पर वह लेप्स (व्यपगत) हो गया.
अध्यक्ष महोदय, हमारी कुछ परम्परा हो गई है और शायद हम अपने पौराणिक इतिहास से भी सीखते हैं. इसमें समुद्र मंथन की कथा है. देवता और दानव मंथन करने में लगे थे. उसका कालखण्ड तो हमें नहीं मालूम कि कितने वर्षों तक वह चला.
वन मंत्री (डॉ गौरीशंकर शेजवार)--देवता और दानव कौन कौन हैं, यह भी बता दें. (हंसी)
डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह-- डॉ साहब, कम से कम आपको तो मैं दानव नहीं कहूंगा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- पहले विरोध करते रहे तो दानव थे, अब देवता बनने की कोशिश कर रहे हैं. (हंसी)
श्री जयन्त मलैया-- अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि मध्यप्रदेश के साथ साथ और भी कई प्रदेशों ने तब GST का विरोध किया था. अध्यक्ष महोदय, हमारे देश में संघीय व्यवस्था है. हमारे देश के अलग अधिकार हैं, राज्यों के अपने अलग अधिकार हैं. जब केन्द्र, राज्य के अधिकारों का हनन करने लगेगा, उसके अधिकार छीनने की कोशिश करे तो सारे ऐसे राज्यों ने विरोध किया. हमने उस समय बात की थी कि आबकारी स्टेट का सब्जेक्ट है. पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को स्टेट सब्जेक्ट के रुप में रखा जाये. जब हमारी मांगे और हमारे जैसे अन्य राज्यों की मांगें पूरी हो गई और आपकी पार्टी की भी मांगें पूरी हो गई तो इसको हम लोगों ने स्वीकार कर लिया.
डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं, तर्क,वितर्क या कुतर्क में नहीं पड़ना चाहता. माननीय वित्त मंत्री जी कह रहे थे कि उस समय पेट्रोलियम और उससे जुड़े हुए पदार्थ, आबकारी इन सबको शामिल किया जा रहा था, आप उस बिल को पढ़ लें मैं समझता हूं 2011 का बड़ा मुकम्मिल बिल था.
अध्यक्ष महोदय, मैं, समुद्र मंथन की बात कर रहा था. वह मंथन बड़ा लम्बा चला लेकिन अंततोगत्वा अमृत निकला. हमारी संसद में जो मंथन होता है और हमारी विधानसभाओं में भी होता है इसमें दोनों तरफ देवता होते हैं, दानव नहीं होता लेकिन इसमें अमृत निकलने में बहुत समय लग जाता है और उस ज्यादा समय लगने के कारण हमारा विकास बाधित होता है. हमें जिस मुकाम पर पहुंच जाना चाहिए था उस मुकाम पर हम नहीं पहुंच पाये.
अध्यक्ष महोदय, मैं बात कर रहा था 2011 में जब बिल इंट्रोड्यूज़ हुआ तो उसका विरोध हुआ, व्यपगत हो गया और पुनः 2014 में नई सरकार बनने के बाद वर्तमान के वित्त मंत्री जी ने उसे GST (वस्तु और सेवा कर )विधेयक के रुप में पुनः सदन में रखा. लोक सभा में पास हो गया चूंकि यह संविधान संशोधन था इसमें ज्वाइंट सिटिंग भी नहीं बुलायी जा सकती. संविधान संशोधन के लिए संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है. अन्यथा इतना समय राज्य सभा में नहीं लगता. संयुक्त बैठक हो जाती और वह पास हो गया होता. लेकिन इसमें संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है. राज्य सभा में यह विषय गया और राज्य सभा में समय लगा.कई शंकाएं थीं, कुशंकाएं थी. जैसा कि माननीय वित्तमंत्री जी कह रहे थे, दल की अपनी अनेक सोच थी, अपनी प्राथमिकताएं थीं और उसमें समय लग गया. लेकिन आज कम से कम यह अनुसमर्थन के लिए हमारे इस सदन में है. इतनी बड़ी प्रगति हो गई है. परन्तु फिर भी मुझे कुछ शंकाएं होती हैं. मैं चाहता हूं और मेरी दिली इच्छा है कि यह जो हमारा वर्तमान सदन है, जिसका कार्यकाल वर्ष 2018 तक है. माननीय वित्तमंत्री जी उस सीमा तक यह जीएसटी विधेयक लागू हो जाय और उसका जो लाभ है, वह प्रदेश की जनता को मिलने लगे तो प्रदेश के विकास को नयी गति मिले, यह मेरी चाहत है. लेकिन कुछ शंकाएं जरूर आती हैं, इसीलिए कि हम लोग उसी मंथन की प्रक्रिया से गुजरते हैं. चूंकि अभी भी इसे लम्बा सफर तय करना है. जीएसटी काउंसिल तो बना दी है. जीएसटी काउंसिल का क्या स्वरूप है, माननीय वित्तमंत्री जी ने बताया, मैं उसे दोहराना नहीं चाहता. उसमें प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधि रहेंगे, वित्तमंत्री, नहीं तो कोई भी नामित मंत्री उसमें सदस्य भी रहेंगे. 3 चौथाई बहुमत से निर्णय होंगे. लेकिन यह जीएसटी काउंसिल जो बनी है. अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी बारीकी से पढ़ रहा था. मैंने यह पाया कि यह विभिन्न राज्यों और केन्द्र को अनुशंसाएं करेगी. अब अनुशंसाएं कोई राज्य माने या न माने? यहां कोई स्पष्टता नहीं है. ऐसा न हो कि यह जीएसटी काउंसिल, जिस पर हम लोग बहुत ज्यादा आशाएं लगाएं हैं कि सारी जो मत-भिन्नताएं हैं, उनको दूर करेगी. एक कर का जो दायरा है वह बताएगी, रेट्स बताएगी, सुझाव देगी तो कहीं यह दंतविहीन शेर जैसी न हो जाय. क्या यह उचित न होता कि इसे भी संवैधानिक दर्जा देकर और इसकी अनुशंसाएं बंधनकारी हों, ऐसी व्यवस्था कर दी जाती.
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि अगर आपने इसका संशोधन विधेयक, 2014 पढ़ा होगा तो उसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि यहां पर जीएसटी काउंसिल, अगर किसी निर्णय पर पहुंच नहीं पाएगी तो एक ऐसा तंत्र संविधान के भीतर ही विकसित किया जाएगा जो उसका निर्णय करेगा, उसको रिजॉल्व करेगा. मैं समझता हूं कि आगे आने वाली बैठकों में यह तय हो जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय - अध्यक्ष महोदय, मैं वित्तमंत्री जी की बात से सहमत हूं. लेकिन आप भली-भांति जानते है, आपको विधि का बड़ा ज्ञान है. क्या संविधान की धारा 131 के तहत जहां कहीं केन्द्र और राज्यों के बीच में मतभेद होगा या दो राज्यों या अनेक राज्यों के बीच में मतभेद होगा तो लोग सर्वोच्च न्यायालय नहीं चले जाएंगे? यह भी एक शंका है और उससे देरी उत्पन्न हो सकती है. इसका कहीं कोई समाधान इस बिल में मुझे नजर नहीं आता है. हमने बात कही, "एक कर, एक देश." लेकिन आज जैसा हम इसका अनुसमर्थन कर रहे हैं, आगे चलकर हमें भी कई विधेयक पास करने पड़ेंगे, क्योंकि हमें भी कर वसूलना है. एक होता है सेंट्रल जीएसटी, जो केन्द्र की सरकार वसूलती है.
एक हमारी स्टेट जीएसटी और एक आई जीएसटी जिसमें एक प्रतिशत कर अंतर्राज्यीय व्यापार के लिए केंद्र सरकार द्वारा वसूल कर राज्यों में बंटवारा किया जायेगा. यह जो सिस्टम है, इसे बेहतर ढंग से लागू करने के लिए हमें व्यवस्था करनी पड़ेगी. चूंकि अनेक बिल सदन में आयेंगे, अनेक विधेयक बनेंगे. देश के उन्तीस राज्यों में से कम से कम पंद्रह राज्यों द्वारा इस बिल का अनुसमर्थन अनिवार्य है ताकि यह बिल संविधान का अंग बन सके. देश के उन्तीस राज्यों में अलग-अलग उन्तीस करों का निर्धारण न हो जाये.
अध्यक्ष महोदय- महोदय, शीघ्र समाप्त करें.
उपाध्यक्ष महोदय- अध्यक्ष महोदय, मैं केवल दस मिनट और लूंगा.
अध्यक्ष महोदय- महोदय, आपके बाद 18 और सदस्यों के नाम हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में ही आपसे संरक्षण का अनुरोध किया था. मैं आज पहली बार ही बोल रहा हूं और पहली बार बोलने वाले को आसंदी और सदन से पूरा समय तथा संरक्षण प्राप्त होता है.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)- अध्यक्ष महोदय, जब उपाध्यक्ष महोदय, आसंदी पर बैठते हैं, तो हमें बोलने के लिए काफी समय देते हैं.
राज्यमंत्री सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत अच्छा बोल रहे हैं. मैं कांग्रेस पार्टी को सलाह देना चाहूंगा कि उपाध्यक्ष महोदय को हर बार बोलने का अवसर प्राप्त हो, ऐसी व्यवस्था कांग्रेस पार्टी करे.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- माननीय मंत्री जी, कांग्रेस पार्टी को आप सलाह देंगे ?
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)- माननीय सारंग जी, आप अपनी पार्टी को सलाह दें कि वह सदन में बाढ़ पर भी चर्चा करवायें, किसान और गरीब आदमी इस बाढ़ से बहुत परेशान है.
मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास (श्री गोपाल भार्गव)- अध्यक्ष महोदय, बाढ़ के लिए बढ़ के जो राहत राशि मिलेगी, जब जीएसटी बिल पास हो जाएगा तो उसी का बढ़ा हुआ हिस्सा लोगों को मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय- अध्यक्ष महोदय, जीएसटी बिल पर राज्यसभा में जो गतिरोध था. मैं उस गतिरोध के संबंध में कहना चाहता हूं कि लोग अन्यथा लेते हैं. इसका प्रचार भी होता है. राज्यसभा में कांग्रेस एवं अन्य सभी मुख्य विपक्षी दल इस बिल का इसलिए विरोध कर रहे थे क्योंकि उन्हें मुख्यत: चार मुद्दों पर शंकाएं और चिताएं थीं. पहला मुद्दा एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने का है. विधेयक में वित्त मंत्री जी ने अगले दो वर्षों तक इसे लगाने का उल्लेख किया है. दो वर्षों के पश्चात संभवत: जीएसटी काउंसिल इस पर चर्चा करके अपनी अनुशंसाएं करेगी. दूसरे बिंदु पर कांग्रेस पार्टी एवं अन्य विपक्षी दलों की मांग थी कि स्टैण्डर्ड रेट ऑफ टैक्स 18 प्रतिशत पर कैप कर दिया जाए. टैक्स 18 प्रतिशत से अधिक न लगाया जाए अर्थात् अधिकतम टैक्स की दर 18 प्रतिशत ही हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार के मुख्य वित्तीय सलाहकार श्री अरविंद सुब्रमण्यम ने सुझाव दिया था कि आर एण्ड आर को 15 से 15.5 प्रतिशत रखा जाए. आर एण्ड आर से तात्पर्य है, टैक्स की वह दर जिसमें किसी भी राज्य सरकार को वर्तमान स्थिति के परिपेक्ष्य में घाटा न हो. उतना ही राजस्व उसके पास में आयेगा. सुब्रमण्यम जी ने अधिकतम रेट के लिए, स्टेण्डर्ड रेट के लिए 17 से 17.50 प्रतिशत करने का सुझाव दिया था. यदि मैं गलत बोल रहा हूं तो वित्त मंत्री जी टोक सकते हैं.
श्री जयंत मलैया -- अरविंद सुब्रमण्यम जी ने रेवेन्यू न्यूट्रल रेट 18 प्रतिशत के आसपास रखने का सुझाव दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आंकड़े देख लें माननीय वित्तमंत्री जी. 18 स्टेण्डर्ड रेट है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- आपके सुब्रमण्यम स्वामी जी तो अरविंद सुब्रमण्यम जी को हटाना चाहते हैं बुराई कर रहे हैं उनकी.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें. बहुत समय हो गया है, अधिकतम 15 मिनट ही संकल्प में वक्ताओं के लिए दिये जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब हमें हमारी पार्टी ही कहना होगा क्योंकि यहां से बोल रहे हैं, इन्होंने हमें ज्यादा समय दिया है. अध्यक्ष महोदय 18 प्रतिशत पर केप करने के लिए कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दलों ने कहा था. इस पर मतभेद था. वित्त मंत्री जी ने इस पर कोई आश्वासन नहीं दिया था, वह सहमत दिखें लेकिन उसमें संविधान का अंग नहीं बना, और उन्होंने जीएसटी काउंसिल में ले जाने की बात कही और यह इसलिए महत्वपूर्ण है चूंकि दो तरह के टैक्स होते हैं. एक डायरेक्ट टैक्स है दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स है. डायरेक्ट टैक्स में अमीर, उच्च मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग यह प्रभावित होते हैं, सीधे रूप में यानि इनकम टैक्स और कंपनी के कार्पोरेट टैक्सेस हैं, इनडायरेक्ट टैक्स यह ही टैक्स हैं जिसमें हम जीएसटी की बात कर रहे हैं. उनके बढ़ने से गरीब लोग प्रभावित होते हैं. बड़ा मुश्किल हो रहा है आज आपसे.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी -- वक्ता को कहने में कितनी तकलीफ होती है थोड़े समय में धन्यवाद्. ( हंसी --)
उपाध्यक्ष महोदय -- इनडायरेक्ट टैक्स से गरीबों पर असर होता है, इसीलिए इसको रिग्रेसिव टैक्स भी कहते हैं. इसलिए कैपिंग करने की बात कही गई थी. वित्तमंत्री जी ने सहमति जताई है लेकिन वह अभी विधेयक का अंग नहीं बना है.
अध्यक्ष महोदय, 5 वर्ष के लिए राज्य सरकारों को जो घाटा हो उसकी भरपाई की जाय. वित्तमंत्री जी ने आश्वासन दिया है यह विधेयक में भी है लेकिन वहां पर 100 प्रतिशत भरपाई की बात हो रही थी वित्तमंत्री जी, भरपाई भर की ही बात नहीं हो रही थी लेकिन 100 प्रतिशत भरपाई की बात है, यह हर राज्यों के हित में है कि इनके टैक्सों में कमी न हो. लेकिन 100 प्रतिशत की बात उसमें नहीं रखी गई है और एक अंतिम सुझाव था विपक्ष का वह यह था कि जो आने वाले विधेयक हैं, अभी और कई विधेयक आयेंगे कानून बनने के लिए ताकि जीएसटी मुकम्मिल हो, इनको मनी बिल के रूप में नहीं फायनेंस बिल के रूप में रखा जाय, चूंकि अगर मनी बिल के रूप में रखते हैं तो उसमें पूरा अधिकार लोकसभा का रहता है, राज्य सभा में केवल चर्चा के लिए जाता है, वह उसमें कोई संशोधन नहीं कर सकते हैं, केवल सुझाव दे सकते हैं और केवल 15 दिन में नहीं लौटाया है तो यह मान लिया जाता है कि राज्य सभा ने उसे पास कर दिया है, जितने भी संशोधन होंगे और मनी बिल भी एक तरह का फायनेंस बिल है, जिस फायनेंस बिल को स्पीकर सर्टिफाई कर दे और अपने सर्टिफिकेट के साथ में राज्य सभा में भेज दे उसी को ही मनी बिल कहा जाता है. इसलिए इसे मनी बिल के रूप में न लायें फायनेंस बिल के रूप में लायें, यह जीएसटी लागू होने से कर अपवंचन रूकेगा. कर का जहां पर भी अपवंचन होगा, चाहे मैन्युफेक्चरिंग की स्टेज पर, होल सेलर की स्टेज पर, रिटेलिंग की स्टेज पर कहीं पर भी अगर एक व्यक्ति या संस्था भी गड़बड़ करेगी तो वह पकड़ में आ जायेगा. मैं समझता हूं कि यह जब देश में लागू हो जायेगा, मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि जल्दी लागू हो तो पूरे देश को आज की स्थिति में करीब 9 से 10 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त आय होगी. कर गरीबों पर कम लगेगा, विलासिता वस्तुओं पर बढ़ेगा लेकिन 9 से 10 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त आय इस कानून के बन जाने से होगी. हमारी जो ग्रोथ रेट है जो हम आज साढ़े 7 प्रतिशत कहते हैं उसमें लगभग डेढ़ प्रतिशत का क्वॉन्टम जम्प होगा और जब डेढ़ प्रतिशत, दो प्रतिशत विकास दर बढ़ेगी तो हम भी तेजी से तरक्की करेंगे. हम चीन से पीछे नहीं रह जाएंगे, चीन में यह कानून 18-20 साल पहले ही वैट के रूप में लागू हो गया था लेकिन चीन का निजाम अलग है क्योंकि वहां लोकतंत्र नहीं है. वहां की व्यवस्था आप जानते हैं और हमारी जो लोकतंत्र की गाड़ी है जिसमें जगह तो 50 लोगों की है लेकिन हम 100 लोग उसमें सवार हैं तो वह झटके ले-लेकर चलती है इसको और तेजी से हमें चलाना है. मैं समझता हूँ कि उसके लिए यह आवश्यक है. अंतिम बात, क्योंकि आपने हमें ज्यादा मौका तो नहीं दिया, जितनी भी सरकारें आई हैं, मैं किसी के ऊपर आक्षेप नहीं लगाता, सभी सरकारों ने अपनी-अपनी नीतियों के अनुसार अच्छा काम किया है. मैं समझता हूँ कि किसी के ऊपर आक्षेप लगाना स्वस्थ लोकतंत्र के हित में नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एफआरबीएम एक्ट कौन लाया.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप समाप्त करें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- कन्क्लूड कर रहे हैं अंतिम एक-दो बातें रह गई हैं, वैसे भी मैं कभी बोलता ही नहीं हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- वे मान जाएं तो ठीक है, 5 नाम दे दें.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दल की तरफ से शुरुआत की गई है और डिप्टी स्पीकर साहब बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- समय की मर्यादा तो रखनी पड़ेगी, आधा घंटा हो गया है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एफआरबीएम एक्ट कौन लाया, आप लाए, एनडीए की सरकार लाई, जिसमें फिस्कल और रेवेन्यू डेफिसिट घटाने की बात हुई, जिससे विकास के लिए ज्यादा धन उपलब्ध हुआ और खर्चों में कटौती की भी बात नहीं थी, इसे कौन लाया था, एनडीए सरकार लाई थी, उसके लिए मैं प्रशंसा करता हूँ. वैट वर्ष 2005 में यूपीए सरकार लाई, जीएसटी-2011 प्रथम बार यूपीए लाई लेकिन अब जीएसटी-2014 एनडीए लाई. सब दलों का योगदान है, सब देश और प्रदेश का विकास चाहते हैं. सब चाहते हैं कि पंक्ति में जो आखरी व्यक्ति खड़ा है वह अधिकार संपन्न बने और अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि इसी जीएसटी को लेकर एक सम्मेलन में एक बड़े राजनेता ने एक ऐसी बात कही थी जो बात नहीं कहनी चाहिए क्योंकि इसी से कटुता पैदा होती है. अध्यक्ष महोदय, बैकरूम डिप्लोमेसी आप भी करते हैं, मुख्यमंत्री जी करते हैं, प्रधानमंत्री जी ने किया, वित्त मंत्री जी ने किया, नहीं तो राज्यसभा में जल्दी अभी जीएसटी बिल पास नहीं होता. सदन में इसे लेकर कितना गतिरोध था लेकिन जब कक्ष में सब बैठे, चर्चाएं हुईं तो जीएसटी बिल पास हो गया. एक जीएसटी के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि नेहरू जी के जमाने में 1 प्रतिशत से कम विकास दर थी.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, बस अंतिम बात है, मैं किसी का नाम नहीं ले रहा हूँ, एक मिनट में मुझे दो बातें कहनी हैं, एक बात मैं कह चुका हूँ, एक बात और कह लेता हूँ. दूसरी बात उन्होंने यह कही कि वर्ष 1991 में जो आर्थिक सुधार नरसिम्हा राव और मनमोहन जी ने किए वह उनकी मजबूरी थी. मैं समझता हूँ ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं, मैं आपको एक प्रामाणिक पुस्तक जो अमृत्य सेन द्वारा लिखित है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके समाप्त करें, मैं दूसरा नाम पढ़ रहा हूँ. श्री शैलेन्द्र जैन.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात है, अमृत्य सेन को कोट कर लेने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- दिस इज टू मच, आधा घंटा हो गया, अब अमृत्य सेन को कोट मत करिए. दूसरों के लिए भी कुछ छोड़िए.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूँ. अध्यक्ष महोदय -- नहीं, ठीक है, आलोचना करने का सबको अधिकार है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं आलोचना नहीं कर सकता, यहां से मैं किसी की आलोचना नहीं कर सकता, ऐसी परम्परा नहीं रही है. अमृत सेन ने अंग्रेजों के जमाने में 1900 से 1940 तक पाइंट 9 प्रतिशत विकास दर लिखी है नेहरू जी के समय 1950 से 1960 तक 3.7 प्रतिशत विकासदर है और एनडीए और यूपीए के संयुक्त रूप से 2001 से 2011 तक 7.6 प्रतिशत विकासदर रही है.
अध्यक्ष महोदय -- श्री शैलेन्द्र जैन.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- वर्ष 1991 में जो नई आर्थिक नीति लागू हुई...
अध्यक्ष महोदय -- 3 मिनट से ज्यादा नहीं. अब लास्ट लाईन, प्लीज.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- मैं विरोध नहीं कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप समर्थन कर दीजिए.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- संशोधन बने रहते. उन्होंने हिम्मत दिखाई नई नीतियां लाये. और देश को इस मुकाम तक पहुंचाया जहां हम आगे उसको बढ़ा रहे हैं इतना ही मैं कहना चाहता हॅूं उसमें भी आपको आपत्ति है बडे़ खेद की बात है. आपने पुन: मुझे बोलने का समय दिया, जैसा भी दिया मैं आपको हृदय से धन्यवाद देता हॅूं.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय , मैं कहना चाहता हॅूं कि जाके पांव न फटे बिवाईं वो क्या जाने पीर पराई. आज उपाध्यक्ष महोदय को हम विधायकों की पीड़ा निश्चित रूप से समझ में आई होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस संविधान के 122वें संशोधन विधेयक का समर्थन करता हॅूं और अपनी बात शुरू करना चाहता हॅूं आजादी के बाद अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उन महत्वपूर्ण कार्यों में वस्तु एवं सेवा कर गुड एंड सर्विस टेक्स जो है ये सबसे महत्वपूर्ण कारक है सबसे महत्वपूर्ण घटक है इसके माध्यम से न केवल देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी बल्कि देश के अर्थव्यवस्था पटरी पर आयेगी. जो सुधारवादी कदम हैं उसको और भी सुदृढ़ करने की दिशा में हम आगे बढे़गे. ये बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है बहुत ही स्वागतयोग्य है इससे न केवल भिन्न-भिन्न राज्यों के अंदर जो मूल्यों में डिफरेंसेस हैं और एक पूरी की पूरी पेरेलल एकानॉमी इंटर स्टेट स्मगलिंग में लगी रहती है वह सारी की सारी इंटर स्टेट स्मगलिंग इसके माध्यम से रोकी जा सकती है. एक नॉन प्रोडक्ट एक्टिविटी जो देश का एक बहुत बड़ा वर्ग उसमें लगा है उससे हटकर जीएसटी के माध्यम से न केवल रोजगार के अवसर बनेंगे बल्कि मंहगाई को भी लांग टर्म बेसस पर कम किया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय उपाध्यक्ष महोदय ने कहा मैं आसंदी पर नहीं बैठूंगा, इसका तात्पर्य क्या है.
अध्यक्ष महोदय -- बैठा नहीं हॅूं ऐसा बोला उन्होंने. जो आप ऐसी बात बोल रहे हैं. कृपया समाप्त करें.
श्री गौरीशंकर शेजवार – (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- इसे विलोपित कर दें. इसे कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा समय भी आपने उपाध्यक्ष्ा महोदय को दे दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- आपने भूमिका में ही सारा समय निकाल दिया.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, शुरूआत थी. मैं इस बात का जरा हमारे माननीय पूर्व वक्ता जी ने जो बात कही मैं उसका संशोधन करना चाहता हॅूं. यह विचार सर्वप्रथम 2000 में तत्कालीन एनडीए सरकार के मुखिया माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का विचार था उस विचार को वर्ष 2006 '07 में यूपीए की सरकार ने आगे बढ़ाने का काम किया और उसी कार्य को हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री सम्मानीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक ठोस शुरूआत करके और लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराकर सारे दलों के सहयोग से जा कार्य किया है वह ऐतिहासिक है मैं माननीय नरेन्द्र मोदी जी को और अन्य दलों के नेतागणों को सभी को बधाई देना चाहता हॅूं इसके माध्यम से पूरा का पूरा देश पूरे पूरे राज्य जो हैं एकीकृत बाजार के रूप में स्थापित हो जायेंगे. विदेशी निवेश को आने में उनके निवेशकों को सुविधा होगी. यह बहुत ही महत्वपूर्ण है. मैं माननीय नरेन्द्र मोदी जी को उनकी एनडीए सरकार को यह लाइनें प्रेषित करना चाहता हॅूं. "चले चलिये कि चले चलना ही दलीले कामयाबी है जो थककर बैठ जाते हैं वो मंजिल पा नहीं पाते". माननीय अध्यक्ष महोदय आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, अति संक्षिप्त समय दिया, उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली)--- आदरणीय अध्यक्ष महोदय,बहुत विचित्र स्थिति आज पैदा हो गई है. जो वित्तमंत्री जी बोल रहे थे, वह सब बातें मैं अपनी पिछली बजट स्पीचेस में बोल चुका हूं आप चाहे तो वह देख लीजिये और यही माननीय वित्तमंत्री जी उसका बहुत ज्यादा विरोध किया करते थे. लेकिन आज क्या स्थिति बन गई है,मुख्यमंत्री जी, आप भी सुन लीजिये आपने क्या कहा था “”GST not acceptable will triple states on revenue generation system””यह आपने एक अंग्रेजी अखबार को कहा था. यहाँ जो ट्रेजेरी बेंचेस पर वित्तमंत्री बैठ चुके हैं उन्होंने क्या-क्या कहा है. जीएसटी लागू नहीं होने देंगे, हमें 2200 करोड़ रुपयों की हानि होगी. फिर कहा कि जीएसटी के चलते देश का संघीय ढांचा ध्वस्त हो जाएगा, फिर कहा कि सेवा और वस्तुओं पर टैक्स राज्यों का विषय है केन्द्र हम पर अपनी इच्छा थोप रहा है. इसी ट्रेजरी बेंचेस से आप लोगों ने यह बातें बोली हैं. आपने कहा था कि केन्द्र जल्दबाजी में मल्टीनेशनल कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहा है, जीएसटी का सर्वाधिक बुरा असर किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, वेट का अभी व्यापारी समझ ही नहीं पाये हैं और आप जीएसटी लगा रहे हैं. यह आप लोगों के उवाच हैं. इस तरह से आप लोगों ने विरोध किया था.
अध्यक्ष महोदय, यह अत्यन्त आश्चर्य की बात है कि भुवनेश्वर में जो राज्यों के वित्तमंत्रियों का सम्मेलन हुआ था,उच्चाधिकार समिति की बैठक में उसमें तत्कालीन वित्तमंत्री राघव जी ने उपरोक्त एतराज करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दी थी.इतना घोर विरोध आप लोगों ने जीएसटी का किया है आज मुझे देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि जो मैं विधानसभा में बोलता था वह भाषा अब आप और आपके वित्तमंत्री बोल रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, श्री अरविंद सुब्रहामण्यम आपके भारत सरकार के चीफ इकानामिक एडवाईजर हैं, 18 परसेंट केप की बात उन्होंने की है लेकिन श्री सुब्रहामण्यम स्वामी, उनके पीछे पड़ गये हैं आरबीआई के गवर्नर के बाद. अब आप श्री अरविंद सुब्रहामण्यम को यहाँ कोट करते हैं, हम भी चाहते हैं कि 18 परसेंट का केप जो आपके चीफ इकानामिक एडवाईजर ने किया है, उसको लागू किया जाये.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जितना खुला विरोध आपने इसका किया था, अब ये यूजर फ्रेंडली होगा. मैं कोट करना चाहता हूं कि हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की बात को कि आपने किस सीमा तक आपने जीएसटी का विरोध किया था, 2011 में मनमोहन सिंह जी ने कहा था “ The opposition particularly BJP,has taken a hostile attitute and the reasons that have been given frankly, I can not mention in public” इस लेवल पर आप लोगों ने विरोध किया था.because you have taken some decisions against a Minister in Gujrat you must reverse it. ब्लैकटेल करने की भी आपने कोशिश की थी. I dont want to add further. यह मनमोहन सिंह जी ने कहा था. ऐसे भले आदमी को यह कहना पड़ा. आपका जीएसटी विरोध देखते हुए. आप यह भी गलत कह रहे हैं कि आपकी बात नहीं मानी. श्री प्रणव मुखर्जी, जो वर्तमान में राष्ट्रपति हैं और उस समय वित्तमंत्री थी. उन्होंने आश्वस्त किया था कि जो भी नुकसान राज्यों को होगा, उसकी भरपाई हम करेंगे. लेकिन आप लोग अड़ियल रवैये पर बने रहे और आपने जीएसटी का उस समय विरोध किया. जीएसटी की शुरुआत 2010 में हुई थी यदि यह उस समय पारित हो गया होता तो हमारी विकास दर दो अंकों में होती. यह मैं आपको कहना चाहता हूं कि आपने देश को दस साल पीछे धकेला है, एक अंधा विरोध करके. यह मेरा आरोप है. लेकिन हम लोगों ने जो एडवोकेट किया था, अल्टीमेटली हमारी मांगें वही थीं जो आपकी हैं. लेकिन ऐसी बात नहीं थी कि आपकी मांगें नहीं मानी जाने वाली थी. आपके वित्त मंत्रियों की कॉन्फ्रेंस में प्रणव मुखर्जी जी ने यह एश्योर किया था कि हम राज्यों को कंपनसेट करेंगे और आपके जो भी ऐतराज होंगे दैट विल बी टेकन केअर आफ, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हम जो कहते थे वह अब आप अपनी शुरूआत की स्पीच में बोल रहे हैं और जीएसटी इसी तरह से हम लोग पारित कर रहे हैं और इससे हमारे देश की विकास दर भी बढ़ेगी. सारे फायदे आपने गिना दिए हैं. ये फायदे मैंने पिछले पाँच सालों के, जब राघव जी यहाँ वित्त मंत्री थे, तब भी मैं बहुत जबर्दस्त एडोकैसी करता था कि मेहरबानी करके जीएसटी आप पारित होने दीजिए. लेकिन आप लोगों ने घोर विरोध किया, देर आए दुरुस्त आए, मुझे खुशी है और काँग्रेस पार्टी ने भी इसमें आपको सहयोग दिया है और हम लोगों ने मिलकर इसको फायनेंस बिल या मनी बिल के चक्कर में भी नहीं डाला, हम लोगों ने इसको पारित किया और हम यह सोचते हैं कि जीएसटी के लिए, यह देश के विकास के लिए बहुत बड़ा कदम है और हम आपको इसमें सहयोग देंगे. धन्यवाद.
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक सौ बाईसवें संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करता हूँ. वास्तव में 1947 के बाद आर्थिक क्षेत्र में यह बहुत क्रांतिकारी कदम है. इसमें कई व्यवस्थाएँ हैं, जो मैंने पढ़ा है और समझ रहा हूँ, इसमें तीन प्रकार की जीएसटी लागू होना है. एक तो सेंट्रल जीएसटी, सेंट्रल गवर्नमेंट टैक्स वसूल करेगी. दूसरा एसजीएसटी मतलब स्टेट जीएसटी और तीसरा है, इंटीग्रेटेड जीएसटी मतलब केन्द्र सरकार वसूल करेगी और प्रदेशों का आधा आधा हिस्सा देगी परन्तु जब जीएसटी लागू कर रहे हैं तो इनका सबका समावेश, जब सोच था कि सभी टैक्स खत्म करके, सेल्स टैक्स, इन्कम टैक्स छोड़कर, चुंगी टैक्स, आदि जो तमाम टैक्स लग रहे हैं. स्टेट की एक्साइज ड्यूटी, मनोरंजन कर, इनको समाप्त करके एक टैक्स लगाया जाएगा. आम जनता को सहूलियत होगी, निश्चित होगी और खास कर यह पूरी सहूलियत होगी व्यापारियों को, अध्यक्ष महोदय, हमारी जहाँ तक सोच है कि इसमें करीब तीन सौ ऐसी वस्तुएँ हैं जो गरीबों के उपयोग की वस्तुएँ हैं, इन वस्तुओं पर अभी तक टैक्स नहीं लगता है, टैक्स फ्री हैं. जो आम आदमी है, मध्यम वर्ग और गरीब तबके का व्यक्ति है उस पर अभी तक यह टैक्स नहीं लगता. अब इस टैक्स का दायरा घटा कर दो सौ दस से लेकर ढाई सौ ऐसी वस्तुएँ हैं जिन पर ये टैक्स कम करने वाले हैं, उनको टैक्स से हटाकर, केवल चालीस पचास वस्तुएँ रहेंगी उन पर टैक्स लगेगा बाकी की छोड़कर सब टैक्स के दायरे में आएँगी. लेकिन इससे पूँजीपतियों को, बड़े व्यापारियों को, फायदा होने वाला है उन पर अभी टैक्स जो लगता है, वह करीब पच्चीस, तीस और पैंतीस परसेंट लगता है. वह सब हटाकर, सरकार के अनुसार, समाचार पत्रों में वित्त मंत्री और अन्य मंत्रियों के जो भाषण हैं उसके तहत यह पता चल रहा है कि इस देश में अठारह से बीस परसेंट जीएसटी लागू होने वाला है परन्तु जो पाँच परसेंट बड़े पूँजीपति हैं उनको तो लाभ मिलेगा. लेकिन करीब जो ढाई सौ, तीन सौ वस्तुएँ ऐसी थीं जिनका आम आदमी उपयोग करता था, जिन पर टैक्स नहीं लगता था, गरीब के लिए महँगाई बढ़ेगी और जीएसटी में कई ऐसी कमियाँ हैं जो गरीबी को बढ़ाने वाली होंगी. यह बात सही है कि सरकार की आमदनी बढ़ेगी. सरकार के जो वर्किंग पेपर बनाने वाले डॉ.सत्य पोद्दार ने कहा है कि अगर चालीस परसेंट भी टैक्स हिन्दुस्तान जीएसटी में लेता है तो सरकारें मालामाल हो जाएँगी. जो गवर्नमेंट ने तय किए वर्किंग पेपर उन्होंने भी इस बात को कहा है कि चालीस परसेंट बहुत है. आज लगभग समूचे विश्व में एक सौ पैंतालीस से लेकर एक सौ साठ देश ऐसे हैं जहाँ पर जीएसटी लागू है और सबसे पहले 1986 में फ्रांस ने लागू किया था. उस समय फ्रांस में करीब दस परसेंट जीएसटी किया था आज साढ़े बारह परसेंट है. आस्ट्रेलिया में आज पन्द्रह परसेंट है और मलेशिया में केवल छःपरसेंट जीएसटी लागू किया गया. न्यूजीलैण्ड में किसी को भी जीएसटी से बाहर नहीं किया समस्त गरीब, अमीर सभी को जीएसटी के दायरे में उन्होंने शामिल किया है. लेकिन उसमें गरीबों के लिए सैकड़ों ऐसी योजनाएँ दी हैं, किसानों के लिए दी हैं, उनको आर्थिक लाभ पहुँचाने के लिए उन्होंने नीति बनाई है, ऐसा कहीं इस जीएसटी में पढ़ने को नहीं मिल रहा है. पूरे जीएसटी का बिल पढ़ने में गरीबों के हित की बात इसमें हमें नजर नहीं आ रही है. इससे लग रहा है कि इसमें टैक्स बढ़ेगा. यह बात सच है कि अभी तक तमाम टैक्स लगते थे. अकेले केन्द्र शासित दिल्ली सरकार में 122 नाके हैं, चेक पाइंट हैं जहां से 20-20 हजार ट्रक प्रतिदिन निकलते हैं यह 2-2, 3-3 दिन तक खड़े रहते हैं यहां समय और पैसे की बर्बादी होती है साथ ही भ्रष्टाचार भी बढ़ता है. हर चेक पोस्ट पर वसूली की जाती है. जीएसटी लागू होने से एक जगह टैक्स लगेगा और बेरियर खत्म होंगे इससे आम जनता और व्यापारियों को लाभ होगा. हमारी इसमें यह शंका है कि गरीबों के प्रति इसमें कुछ सोचना चाहिये.
12.21 बजे स्वागत उल्लेख
संसद सदस्य राव उदय प्रताप सिंह एवं श्री अनूप मिश्रा का सदन में स्वागत
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज अध्यक्षीय दीर्घा में माननीय सांसद श्री अनूप मिश्रा जी पधारे हैं. सदन उनका स्वागत करे.
श्री विजयपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, हमारे सांसद राव उदय प्रताप सिंह जी भी अध्यक्षीय दीर्घा में पधारे हैं.
अध्यक्ष महोदय--आज अध्यक्षीय दीर्घा में माननीय सांसद राव उदय प्रताप सिंह जी और माननीय श्री अनूप मिश्रा जी आए हैं. सदन उनका स्वागत करता है.
संकल्प (क्रमश:)
डॉ. गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, कई ऐसी छोटी-मोटी वस्तुएं हैं आम जनता के हित की जैसे चाय, कपड़े यह सब महंगे हो जाएंगे. जो गाड़ी खरीदने वाले हैं, पूंजीपति हैं उनको लाभ पहुंचेगा इसलिए हमारा अनुरोध है कि इसमें स्पष्ट नीति बनाएं कि गरीबों को जो नुकसान होने वाला है उसकी पूर्ति सरकार कैसे करेगी, इस बात का उल्लेख जीएसटी में होना चाहिए. यह बात कहते हुए व बिल का समर्थन करते हुए मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश की विधान सभा द्वारा (एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014 के अनुसमर्थन पर अपना पक्ष रखने व समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, देश के आर्थिक सुधारों की 25 वीं सालगिरह पर राज्य सभा द्वारा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए (एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक पारित कर ऐतिहासिक कदम विश्व के साथ बढ़ाया है. यह बात ठीक है कि 15 राज्यों का इसे देश भर में समर्थन प्राप्त होगा उसके बाद पुन: यह विधेयक राष्ट्रपति महोदय के पास संविधान संशोधन को लागू करने हेतु हस्ताक्षर के लिए पहुंचेगा. जीएसटी को लेकर राज्य सभा में लगभग पांच घंटे लंबी बहस के बाद 202 सांसदों ने इसका समर्थन किया और 13 सांसदों ने इसका विरोध भी दर्ज कराया. जानकारों के अनुसार जीएसटी से मध्यप्रदेश को काफी लाभ होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मालवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूँ. अब तक देश में नागपुर लॉजिस्टिक हब के लिए पहली पसंद है. जानकार यह अनुमान लगा रहे हैं कि जीएसटी के लागू होने के बाद इंदौर सेन्ट्रल इंडिया का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक हब बनने की ओर अग्रसर होगा. राज्यसभा में जीएसटी के बिल पारित होने के साथ ही लॉजिस्टिक हब को लेकर इंदौर पसंदीदा जगह बन गई है. खासतौर पर ई-कॉमर्स कम्पनियों ने तो इंदौर एयरपोर्ट के आसपास बड़े-बड़े वेयर हाउस अभी से किराए पर ले लिए हैं जिसमें अमेजन व जबांग जैसी कंपनियां शामिल हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जीएसटी को लेकर पूरे देश में चर्चाएं चल रहीं थीं. आज यह हमारा सौभाग्य है कि एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर हमारा राज्य देश के उन पांच राज्यों में शुमार होने जा रहा है जो इस बिल का समर्थन करने की ओर अग्रसर हो रहा है. संशोधन विधेयक में सातवीं अनुसूची में बदलाव किया गया है. बाजार की तिहरी खुशी इसमें शामिल की गई है इसको त्रिवेणी कह सकते हैं. पहला अच्छा मानसून है, दूसरा सातवें वेतन आयोग का एकमुश्त एरियर देने की घोषणा भारत सरकार द्वारा की गई है और तीसरा जीएसटी, जिसकी अभी हम चर्चा कर रहे हैं और लोक सभा व राज्यसभा में इसको पूर्व में ही पारित कर दिया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 16 साल पहले इसकी शुरुआत कर दी गई थी. यह बात सही है आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय श्री राजेन्द्र सिंह जी इसके बारे में बता रहे थे व तत्कालीन वित्त मंत्री श्री पी.चिदम्बरम जी का उसमें उल्लेख कर रहे थे. भाई शैलेन्द्र जी ने भी इसका उल्लेख किया. माननीन अटल बिहारी वाजपेई जी ने एनडीए की सरकार में इसका जिक्र छेड़ दिया था जब जिक्र छेड़ा था. और जब जिक्र छेड़ दिया था तो तब परिस्थियां अनुकूल नहीं थी. राज्यों की स्थितियां और एन.डी.ए. सरकार अल्पमत वाली सरकार थी, उसके कारण से शायद यह पास नहीं हो पाया. लेकिन वर्ष 2009 में यू.पी.ए की सरकार ने भी इसकी कोशिश की थी, तब अधिकांश राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकार थी. सभी नुकसान की भरपाई को लेकर अड़े पड़े थे. लेकिन अभी अनूकुल परिस्थियां देश भर में बनी, जहां केन्द्र में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और अनेक राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत वाली सरकार होने के कारण से यह मामला इस ओर आगे बढ़ गया है कि जी.एस.टी को अन्ततोगत्वा लागू करने के लिये हम सब एक मत से लागू करने के लिये उपस्थित हुए हैं. भारत सरकार द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि जी.एस.टी लागू होने पर ग्रोथ रेट में लगभग दो प्रतिशत का इजाफा होगा. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ग्रोथ रेट बढ़ने से सेंसेक्स नयी ऊचाईयों पर पहुंचेगा.
अध्यक्ष महोदय, दुनियां में पांच से पच्चीस प्रतिशत जी.एस.टी है और 185 से अधिक देश इसको लागू कर चुके हैं. जहां तक टैक्सों का जाल और रेट कम होगा वहीं एक देश एक टैक्स, सभी राज्यों में एक समान लागू होगा. अलग-अलग दामों में जो वस्तुएं बिकती हैं उसमें एकरूपता आयेगी और टैक्स का कहीं न कहीं एक प्रकार से समायोजन होगा. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद् .
श्री मुकेश नायक(पवई):- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ऐतिहासिक अवसार है जब 122 वें संविधान संशोधन में 29 राज्यों को केन्द्र सरकार के बिल पर अपना स्वर मिलाना है. पर दुख होता है कि जिस तरह का गैर गंभीर वातावरण है, इतने महत्वपूर्ण विषय को लेकर और जिस तरह से सम्मानित सदस्यों को इस गंभीर विषय पर बोलने के लिये कम समय दिया गया, मुझे नहीं लगता कि अगर इस पर दिन भर का समय रखा होता और सम्मानित सदस्य इस पूरे बिल के बारे में राज्यों के जो इंटरनल क्रियेशन हैं, जो आंतरिक संरचना है, इस पर बोलने के लिये थोड़ा समय और दे देते तो मुझे लगता है कि कुछ जाता नहीं था, यह आपको करना चाहिये था, जो नहीं हुआ. मैं यह कहना चाहता हूं कि यह भारत के रिफार्म्स की शुरूआत है कि भारत पर लगातार यह आरोप लगता था कि अंग्रेजों के बनाये हुए संविधान में अभी भी 90 आर्टिकल (अनुच्छेद) ऐसे हैं जो अंग्रेजों के बनाये हुए संविधान से संबंधित हैं. आज भारत को एडमिनिस्ट्रटल रिफार्म, ज्यूडिशियल रिफार्म और रेवेन्यु रिफार्म्स की आवश्यकता है और पहले रिफार्म्स का प्रोसेस मुझे लगता है कि 2011 में शुरू हुआ था, जब तत्कालीन वित्त मंत्री माननीय प्रणव मुखर्जी ने जी.एस.टी. बिल को लोकसभा में लाया था. लेकिन उस समय गतिरोध के कारण और प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी होने के कारण यह बिल कुछ आशंकाओं के कारण पास नहीं हो पाया और अपोजिशन करने वालों की अगुवाई तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने की थी. यह पूरा देश जानता है, लेकिन मैं उन्हें भी बधाई देता हूं कि देर आये दुरूस्त आये. जी.एस.टी बिल और इस रेवेन्यु रिफार्म को बनाने के लिये उन्होंने पहल की और पूरे देश के राजनैतिक दलों ने इस पर राष्ट्रीय हित में अपनी सहमति जताई, इसके लिये वह भी बधाई के पात्र हैं. अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में राज्य का जो टैक्सेशन सिस्टम है यह ओरिजन बेस्ड है, यानि उदगम आधारित है यह रेवेन्यु सिस्टम, इसका मतलब है कि वैट सिस्टम के कारण जो टैक्स है वह उत्पादन पर लगता है, जिस स्थान पर औद्योगिक उत्पादन होता है उस स्थान पर टैक्स लगता है और अब जो टैक्स सिस्टम हो गया है यह गंतव्य तथा उपभोग पर आधारित हो गया है. यानि डेस्टिनेशन कंज्यूमर बेस्ड हो गया है यह पूरा का पूरा टैक्स सिस्टम. अब मैं यह कहना चाहता हूं और माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई भी देना चाहता हूं कि इस पूरे टैक्स सिस्टम से मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य को ज्यादा फायदा होना. क्योंकि जब इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन पर पूरा टैक्स सिस्टम पर रही ही नहीं तो मुख्यमंत्री जी और मध्यप्रदेश की सरकार जो ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि यह इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में मध्यप्रदेश भारत में बहुत (XXX) राज्य है. इसके कारण इस बदलते जी.एस.टी सिस्टम में मध्यप्रदेश को कम से कम कोई हानि नहीं होगी.
अध्यक्ष महोदय :- इसे कार्यवाही से निकाल दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता :- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को नहीं मध्यप्रदेश की जनता को फायदा होगा.
श्री मुकेश नायक :- जनता की राजनैतिक और सामाजिक इच्छाओं का प्रतिनिधित्व सरकार मुख्यमंत्री और अपोजिशन पार्टी करती है, इसलिये सदन बना है और चुनाव होते हैं.
श्री बाबूलाल गौर :- अध्यक्ष महोदय, यह शब्द बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल एरिया में (XXX) राज्य है.
अध्यक्ष महोदय :- वह कार्यवाही से निकाल दिया है.
श्री मुकेश नायक - मैं बताता हूं कैसे, जो आठ कोर इंडस्ट्रीज है, जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टील और सीमेंट इंडस्ट्रीज को छोड़कर आप बतायें कौन सी इंडस्ट्रीज में आप मध्यप्रदेश राज्य में आगे हैं. इसलिए आपको ऐसा नहीं बोलना चाहिए क्योंकि आप इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और आपने पूरे राज्य पर विहंगम दृष्टि डाली है, कम से कम आपको नहीं बोलना चाहिए.
श्री बाबूलाल गौर (गोविंदपुरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय अगर मैं कुछ कहूंगा कि जो पूर्व केंद्र की सरकार थी, उन्होंने मध्यप्रदेश को कोई बड़ा उद्योग नहीं दिया है. पचास साल में एक भी उद्योग नहीं दिया (मेजो की थपथपाहट) और इसके कारण औद्योगिक क्षेत्र के अंदर हम पीछे रहे गये हैं.
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा) - बीना रिफाईनरी देख लीजिये. (व्यवधान)
श्री बाबूलाल गौर - इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि पूर्व में प्रदेश के अंदर इनकी सरकार होते हुए, इनके मुख्यमंत्रियों की सरकार होते हुए एवं केंद्र में इनकी सरकार होते हुए भी मध्यप्रदेश को बी.एच.ई.एल. के अलावा कोई भी बड़ा उद्योग नहीं मिला है. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - (व्यवधान)श्री मुकेश नायक जी आप अपनी बात पूरें करें आप सभी बैठ जाये, डिस्कशन नहीं होगा सिर्फ श्री मुकेश नायक जी बोलेंगे. इनकी कुछ बात नहीं लिखी जाये. आप बैठ जायें(व्यवधान)
श्री के.के.श्रीवास्तव - (XXX)
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, जी.एस.टी. बिल को लेकर पूरे देश में अब जो विमर्श है, वह केवल दो बातों पर केंद्रित हो गया है. पहली चीज है लॉस ऑफ रेवेन्यू जो राज्यों को होने वाले राजस्व की हानि है और दूसरी चीज राज्यों की वित्तीय स्वायत्ता है. महाराष्ट्र जैसे राज्य को इसमें लगभग तेरह हजार करोड़ रूपये की हानि का अनुमान है और तमिलनाडू जैसे राज्य को इसमें तीन हजार आठ सौ करोड़ रूपये की हानि का अनुमान है. मैं मध्यप्रदेश के माननीय वित्तमंत्री जी से यह उम्मीद रखूंगा की अपने सभा के समापन भाषण में जब वक्तव्य दें, तो इस विषय पर जरूर वह प्रकाश डालें. मैं यह कहना चाहता हूं कि राज्यों की जो ऑटोनामस बॉडीज हैं, जो स्वायत्त संस्थाएं है, उनके टैक्सेशन सिस्टम का समावेश इसमें कैसे होगा, इस बात को जरूर बतायें क्योंकि अभी जो जी.एस.टी. बिल आने के बाद एकीकृत राजस्व का जो ढांचा बना है, उसमें सात रेवेन्यू सेक्टर हैं, उसका समायोजन जी.एस.टी. बिल में इन्होंने कर दिया है. जिसमें वेल्यू एडिट टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंट्री टैक्स, लक्जरी इंटरटेन्मेंट, कंज्यूमर और ऐड्वर्टाइज़्मन्ट टैक्स, आक्ट्राय, लॉट्री, गैंबलिंग और सर्विस टैक्स यह सात टैक्सों का समायोजन इन्होंने जी.एस.टी. बिल में कर दिया है. इस प्रकार यह सात प्रकार के टैक्स अब मध्यप्रदेश में नहीं लगेंगे. मैं यह कह देना चाहता हूं कि जी.एस.टी. बिल के कारण राज्यों के जो बड़े उत्पादन करने वाले औद्योगिक संगठनों को हानि होगी. सेंट्रल के बिल में यह कहा गया है कि पांच साल तक इसकी क्षतिपूर्ति की जायेगी. पहले यह तीन साल की अवधि रखी गई थी, कांग्रेस ने और दूसरे विपक्षीय दलों ने जब राज्यसभा और लोकसभा में अपने सुझाव दिये, तब उसके आधार पर इस समयावधि को पांच वर्ष कर दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय मैं यह कहना चाहता हूं कि चूंकि राज्यसभा में यह बिल पास हो गया है इसलिए सुझाव देने का कोई ज्यादा औचित्य नहीं रहा है. लेकिन मैं यह कह देना चाहता हूं कि जो बड़ी इंडस्ट्रीज है और जो बड़ी औद्योगिक संस्थाएं हैं, उनको पांच साल की समयावधि कम है अगर समयावधि को ज्यादा बढ़ा दिया जाता तो मुझे लगता है बीमार उद्योगों में शामिल जो इंडस्ट्रियल ग्रोथ है, उसको समाप्त किया जा सकता था.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री मुकेश नायक - अंतिम बात मैं यह कहना चाहता हूं कि टैक्सेशन को पारदर्शी बनाने के लिये इंफोसिस कंपनी को जो इन्होंने तेरह सौ अस्सी करोड़ रूपये का कांट्रेक्ट 2013 में दिया है, उसमें मध्यप्रदेश के रेवेन्यू का जो हिस्सा है उसके लॉसेस कम हो, उसकी हानि कम हो इसलिए जो इंफोसिस कंपनी के समकक्ष मध्यप्रदेश में ऐसा कोई नेटवर्क इन्हें डेव्हलप करना चाहिए जो डेटा की पूरी जानकारी को ठीक तरह से कंपाइल करे और उससे तालमेल बिठा ले, ताकि पूरे देश में मध्यप्रदेश का जी.एस.टी बिल में राजस्व का हिस्सा कितना है, इसको सुनिश्चित किया जा सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि इतने बड़े विषय पर कोई भी सदस्य पांच या दस मिनिट में अपनी बात नहीं कह सकता है और मैं यह कहते हुए अपना भाषण खत्म कर रहा हूं कि पिछले ढाई वर्षो में जो विमर्श की प्रक्रिया को, जो विचार व्यक्त करने को, सदस्यों के लोकतांत्रिक अधिकारों को जो अभूतपूर्व क्षति पहुंची है, इसके लिये मैं अपना दुख प्रकट करता हूं.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले एक दशक में जीएसटी बिल भारत की अर्थ-व्यवस्था में सबसे चर्चित विषय रहा है. जैसे मेरे पूर्व वक्ताओं ने कहा है कि जीएसटी बिल के दौरान जो अब तक अप्रत्यक्ष कर थे जैसे एक्साईड ड्यूटी और उसके साथ-साथ और भी अन्य टैक्स थे जैसे इन्ट्री टैक्स, वेट टैक्स इन सब को बंद करके एक मात्र टैक्स रहेगा और वह है जीएसटी का टैक्स इस पर हम यही कहें कि सभी निर्माण, औद्योगिक कंपनियों को लाभ मिलेगा तो यह गलत बात है. अगर हम यह कहें कि सभी उपभोक्ताओं के लिये हर वस्तु सस्ती रहेगी, यह कहना भी गलत है. सबसे पहले मैं उदाहरण देता हूं ट्रेक्टर्स,मोटर सायकिल तथा सायकिल यह ऑटोमोबाईल कंपनियां हैं इसमें वर्तमान में सभी टैक्स को मिलाकर लगभग 25 से 27 प्रतिशत टैक्स लगता है अब जीएसटी लागू होने के बाद वाकई में जो ऑटोमोबाईल इंडस्ट्रीज है जैसे ट्रेक्टर, बाय-सायकिल हैं यह और सस्ते हो जाएंगे. उसी तरह से सीमेन्ट के और प्रोडक्ट भी सस्ते होंगे. एफएमजीसी प्रोड्क्ट भी और सस्ते होंगे. उसके साथ-साथ बात आती है कृषि उत्पादन की, मैंने कहीं पर पढ़ा है कि अगर मैं कहीं गलत हूं तो वित्तमंत्री जी मुझे करेक्ट करें. अधिकतर जो कृषि उत्पादन है अब उसमें कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन जो बीज है उसमें अभी भी जीएसटी का टैक्स लगेगा तो इसका मतलब यह है कि जब किसान बीज खरीदेगा तो उसको जीएसटी का बोझ सहन करना पड़ेगा, लेकिन उत्पादन पर नहीं लगेगा, इस पर भी चर्चा होनी चाहिये, इसके लिये जीएसटी काउंसिल कोंसिल बनी है. तो अगर किसान को बीज पर जीएसटी का टैक्स देना पड़ेगा तो वह उस पर एक बोझ रहेगा. उसके साथ-साथ उसमें पशु-पालन सम्मिलित नहीं है. तो इसका मतलब है कि डेयरी प्रोड्क्ट एक्सपेंसिव हो जाएंगे, यानि कि और महंगे हो जाएंगे, इस पर भी हमें ध्यान देना चाहिये. फारेस्ट प्रोड्यूज जिस पर देश के लाखों ट्राईबल निर्भर हैं, उस पर भी जीएसटी का अभी-भी बोझ रहेगा. इसके साथ-साथ वर्तमान में मध्यप्रदेश में वेट की स्थिति है. वेट मध्यप्रदेश में चार प्रकार के हैं स्केड्युल 1-2-3 तथा स्केडयुल 4 स्केडयुल 1 में ऐसी आम वस्तुएं हैं जो आम-आदमी के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण रहती हैं जैसे कि फल हैं, सब्जी है, पशुपालन से संबंधित और भी कई वस्तुएं हैं, जिन पर अभी जीरो प्रतिशत वेट टेक्स लगता है. उसके बाद आता है स्केडयुल 2 जिसमें खाने का तेल है, मेटल है, ज्यूलरी है इस पर 1 प्रतिशत वेट टैक्स लगता है, उसके बाद स्केडयुल 3 है जिस पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है उसमें भी आम-आदमी के लिये वस्तुएं जैसे कटलरी तथा अनेक प्रकार की वस्तुएं रहती हैं और फिर स्केडयुल 4 आता है उसमें 14 प्रतिशत से ज्यादा वेट टैक्स लगता है उसमें प्लास्टिक भी सम्मिलित है और भी बहुत सारे प्रोड्क्ट हैं जिसमें 18 प्रतिशत जीएसटी का रेट रहेगा उसमें उससे भी अधिक टैक्स लगेगा. मेरे कहने का मतलब यह है कि जो स्केडयुल-1-2-3 की जो वस्तुएं हैं क्या इन पर भी जीएसटी की छूट मिलेगी, क्योंकि अगर जीएसटी इन वस्तुओं पर लागू होती है तो उसका अर्थ यह होगा कि यह वस्तुएं और महंगी हो जाएंगी. तो इसके बारे में जीएसटी काउंसिल में जब चर्चा होगी. माननीय वित्तमंत्री इस बात को स्पष्ट करें.
वित्तमंत्री (श्री जयंत मलैया)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यह सब बातें भी तय होना है. यह मोटी-मोटी बातें सामने आयी हैं ऐसे 54 आयटम हो सकते हैं अथवा उससे भी कम ज्यादा हो सकते हैं जो आम-लोगों के तथा गरीब लोगों के उपयोग में आते हैं इसकी सूची बनना है. अभी 30 तारीख को एक बैठक होने वाली है एम-पॉवर्ट कमेटी की जिसमें बिजनेस ऑर्गेनाईजेशन, इंडस्ट्रियल ऑर्गेनाईजेशन के रिफ्रेनटेटिव रहेंगे उन सबके साथ भी बैठकर के इस बारे में चर्चा होगी और जब निश्चित तौर से सभी राजनीतिक दल इसमें हैं तो सभी लोग मिलकर ऐसी कोशिश करेंगे कि जो बेहतर से बेहतर हो सके, उसको लागू करें. अभी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को निवेदन कर रहा था कि हम जब ऑस्ट्रेलिया में देखने गये थे वहां पर अन-कुक्ड फूड के ऊपर कोई टेक्स नहीं था, जो हेल्थ एवं एज्यूकेशन में जो चीजें काम में आती हैं उनमें कोई भी टैक्स नहीं होता था, परन्तु हरेक देश का अपना अलग अलग हिसाब से है तो मेरे ख्याल से जो भारत वर्ष के लिये सूट करता होगा, ऐसा सब लोग मिलकर के निर्णय लेंगे.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे पूरा विश्वास है कि जी.एस.टी. काउंसिल के माध्यम से यह जो भी सुझाव हैं वह भी पारित होंगे. माननीय मुख्य मंत्री जी से एवं माननीय वित्तमंत्री जी से भी मेरा विनम्र आग्रह है कि जी.एस.टी. काउंसिल की मीटिंग के बाद एक ऐसी समिति विधायकों की बनाई जाए जिसके माध्यम से हम इस पर चर्चा करें कि जी.एस.टी. काउंसिल में क्या चर्चा हुई है ताकि हमें भी उसकी सूचना मिले तो कम से कम दस ऐसे विधायक चुने जाएं जो प्रदेशीय काउंसिल रहेगी और इसमें हमें भी यह अधिकार मिले कि हम भी इसमें हमारा सुझाव दें. क्योंकि मैं मानता हूं कि एक बार यह बिल लागू हो जाएगा तो ऐसी जो वस्तुएं हैं जो शेड्यूल वन, टू और थ्री में हैं अगर वह और महंगी हो गईं तो आम आदमी को इससे काफी दिक्कत आएगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आखिरी बिंदु है जहां तक राज्य सरकार का सवाल है जैसा मुकेश नायक जी ने कहा कि जो मेन्यूफेक्चरिंग स्टेट है उनको भारी नुकसान होगा. लेकिन उसके साथ-साथ मध्यप्रदेश जो कंज्यूमर स्टेट है हमें इसमें शायद उतना नुकसान नहीं होगा फिर भी फायदा भी नहीं होगा तो इसका एक अनुमान हम लगाएं कि आखिर इसका जी.एस.टी. लॉस कितना होगा और उसके साथ जो पांच साल कम्पनसेशन मिलेगा उसके बाद हमारी क्या रणनीति रहेगी.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया अब समाप्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- इसमें पेट्रोल डीजल शामिल नहीं है जहां तक पेट्रोल, डीजल का सवाल है आज सबसे ज्यादा रेट मध्यप्रदेश में हैं आप चाहे उत्तरप्रदेश से तुलना कीजिए, राजस्थान से तुलना कीजिए. मेरा आग्रह है कि पेट्रोल, डीजल प्रोडक्ट भी जी.एस.टी. में आएं ताकि मध्यप्रदेश में इसके रेट कम हो जाएं. आपने मुझे बोलने बहुत- बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संविधान के (एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं अभी पू्र्व वक्ताओं ने बहुत सारी बातें रखी हैं. मुझे इस मौके पर चंद लाइनें याद आती हैं मैं आपके माध्यम से यह बात रखना चाहता हूं हमारे सीहोर जिले के पंकज सुबीर हैं यह उन्हीं की लिखी पंक्तियां हैं.
'' कल तलक सूरज को कहते थे अंधेरा आप ही,
रोशनी को एक अंधियारा घनेरा आप ही,
आज ऐसा क्या अचानक हो गया कहिए जरा,
आज कहने लगे उसको सवेरा आप ही''
निश्चित रूप से जी.एस.टी. वक्त का तकाजा है क्योंकि दुनिया तेजी से बदल रही है इकोनॉमी प्रोग्रेस पूरे विश्व में हो रही है और भारत इससे अछूता नहीं है. दुनिया में कॉमन मार्केट का उदय हो रहा है यह हम सभी जानते हैं हम यह भी जानते हैं कि हमारे विकास के लिए उद्योग की बाधाओं को दूर करना होगा और जब तक उद्योग की बाधाएं दूर नहीं होंगी तो जो देश का और प्रदेश का विकास है वह कहीं न कहीं रुकावट में आएगा हम यह भी जानते हैं कि जी.एस.टी. सबसे पहले फ्रांस में लागू हुआ था और जो अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सबसे बेहतर जी.एस.टी. किसी देश में लागू है तो न्यूजीलेंड में लागू है और न्यूजीलेंड का क्यों कहा जाता है क्योंकि वहां पर कोई भी चीज जी.एस.टी. से बाहर नहीं है. जितने भी उत्पाद हैं जी.एस.टी. के अंदर इनक्लूड किए गए हैं और वहां के नागरिकों को महंगाई से बचाने के लिए उन्होंने इन्कम टैक्स में भी रियायत दी है इसीलिए न्यूजीलेंड की जी.एस.टी. को सबसे बेहतर माना गया है. हम सभी जानते हैं सदन में इसके बारे काफी चर्चा हुई. श्री पी चिदम्बरम जी ने वर्ष 2006 में अपने बजट भाषण के दौरान जी.एस.टी. का जिक्र किया था और यह कहा था कि यह एक अप्रत्यक्ष कर 01 अप्रैल 2010 से लगाया जाएगा. जिसके तहत केन्द्र सरकार कर एकत्रित करेगी जिसे केन्द्र एवं राज्यों के बीच में बांट दिया जाएगा. इस बिल को बनाने के लिए हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने एक महती भूमिका निभाई थी लेकिन किन्हीं कारणों से और साथी दलों के असहयोग से यह बिल पास नहीं हो पाया था वर्तमान केन्द्र सरकार ने पिछले डेढ़ वर्षों से इसका प्रयास किया और जब विपक्ष का सहयोग लिया तो यह राज्यसभा और लोकसभा में पास होकर आज हमारी विधानसभा में आया है. इसके बारे में हम सभी चर्चा कर रहे हैं जो सबसे बड़ी कुशंका है. जी.एस.टी. के बिल को लेकर आम नागरिकों में मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा वेट टैक्स पेट्रोलियम पदार्थ पर है और निश्चित रूप से वह अगर जी.एस.टी. से बाहर रहेगा तो आम उपभोक्ता को लाभ नहीं मिलेगा और कहीं न कहीं जब केन्द्र ने कम्पनसेशन की बात कही है तो इस ओर हमें सोचना होगा एक तरफ हम जी.एस.टी. लागू कर नागरिकों को राहत देने की बात कर रहे हैं. वहीं पेट्रोल पर वेट टैक्स राइट नहीं देकर ट्रांसपोटेशन कॉस्ट महंगी रहेगी, ट्रांसपोटेशन कॉस्ट महंगी रहेगी तो जो नीचे का उपभोक्ता है उसको लाभ नहीं होगा ऐसी शंका कुशंका आम नागरिकों के बीच में है. मेरा माननीय वित्त मंत्री जी से, इस सदन के माध्यम से निवेदन है कि इस ओर हम सोचें कि जो वेट टैक्स, जैसे पेट्रोल पर है- हमें उसे कम करना होगा. जीएसटी लागू होने के बाद सब कुछ सस्ता हो जायेगा, यह बात भी सही नहीं है क्योंकि आम जनता से जुड़ी हुई बहुत सी चीजें महँगी होंगी, इस ओर भी हमें ध्यान देना होगा. इन सभी वस्तुओं एवं सेवाओं पर बढ़ी हुई टैक्सेशन से महँगाई रोकने हेतु राज्य सरकार को इनके उत्पादन की ओर विशेष ध्यान देना होगा कि कौन-कौन सी चीजें महँगी हो रही हैं ? उनका उत्पादन हमारे प्रदेश में कैसे हो ? इसके बारे में प्रयास प्रदेश की सरकार को करना होगा. इन सबके बीच प्रश्न यह उठता है कि व्यापार एवं उद्योग जगत को जब यह कर देना है तो उसके अंतिम स्वरूप के पहले हम उनसे भी चर्चा करें कि जैसे कि जीएसटी काउन्सिल में जाने का है कि इस टैक्सेशन से प्रदेश में क्या स्थिति बनेगी ? उनसे भी विचार विमर्श करके जीएसटी की बात रखें.
अध्यक्ष महोदय – कृपया समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल – अध्यक्ष महोदय, मैं एक और बात कहना चाहता हूँ कि आज यह अफसोसजनक बात है कि चीन का प्रोडक्ट पूरे देश और प्रदेश में बिक रहा है.
अध्यक्ष महोदय – श्री बहादुर सिंह चौहान.
श्री शैलेन्द्र पटेल – अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में अपनी बात समाप्त कर दूँगा. आज चीन के मार्केट से पूरा बाजार भरा हुआ है. हम उत्पाद के अंतिम खरीददार बनकर नहीं रह जाएं. हम उत्पादक भी बनें, इस ओर सोचना होगा. इससे ज्यादा हमारे एम.ओ.यू. कैन्सिल हो गए हैं. हम कैसे उत्पादन बढ़ायें ? इस ओर विचार करना होगा. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, 3 अगस्त को राज्यसभा द्वारा संविधान (एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014 में परिवर्तन करके इसको लागू कर दिया गया था. उन सब संशोधनों को मानते हुए, लोकसभा में 8 अगस्त को पारित कर दिया गया था और इस प्रकार वहां पर जीएसटी पास हो गया.
माननीय अध्यक्षजी, सीएसटी और एसजीएसटी मई, 2014 में 122 धाराएं थीं. उसमें 25 अध्याय और 4 अनुसूचियां हैं. जो बहुत ही जटिल था. अब यह बहुत ही सरल हो गया है. जीएसटी क्या है ? जीएसटी- केन्द्रीय जीएसटी, इन्टीग्रेटेड जीएसटी और राज्य जीएसटी. केन्द्रीय जीएसटी और इन्टीग्रेटेड जीएसटी लगाने का अधिकार केन्द्र को होगा और राज्य जीएसटी, राज्य शासन लगायेगा. इस जीएसटी के पास होने से हमारे देश की 0.9 से 1.7 प्रतिशत तक विकास दर में वृद्धि होगी. जीएसटी के लागू होने से जो आज इन्स्पेक्टर राज है, वह पूर्णत: समाप्त हो जायेगा, भ्रष्टाचार पूर्णत: समाप्त हो जायेगा. इसलिए जीएसटी अति महत्वपूर्ण बिल है, साथ में इस जीएसटी के लागू होने से आज हम मध्यप्रदेश में कोई कार खरीदते हैं तो उसका बिल अलग होता है और दिल्ली तथा अन्य राज्य से खरीदते हैं तो उसका बिल अलग होता है. इसके लागू होने से कोई भी व्यक्ति हिन्दुस्तान के किसी भी राज्य में जाकर अपना व्यापार कर सकेगा. चूँकि जब व्यापार साफ-सुथरा होगा तो प्रतिस्पर्धा होगी और प्रतिस्पर्धा होगी तो आम उपभोक्ताओं का हर वस्तुओं पर वस्तु और सेवा कर में उनको सीधा-सीधा फायदा होगा. इसको लगाने में सरकार को काफी विलम्ब हुआ है. लोकसभा में माननीय मोदी जी ने कहा था कि ‘Great step towards Transformation, Great step towards Transparency. Great step by Team India.’ जब इस बिल पर डिस्कशन हुआ था तब माननीय मोदी जी ने कहा था.
माननीय अध्यक्ष जी, इस बिल का एक ही सारांश है कि इसके लागू होते समय, मैं एक सुझाव जरूर देना चाहता हूँ कि जो बीज वाला मामला आया है, माननीय वित्त मंत्री जी, मैं किसान होने के नाते, आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि जो किसान का खेती का धंधा है, वह घाटे का धंधा था, उसे हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी फायदे में लेकर आए हैं. उसमें बीज को निश्चित रूप से शामिल करना चाहिए. चूँकि समय का अभाव है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं संसद के दोनों सदनों द्वारा यथापारित संविधान के एक सौ बाईसवां संशोधन विधेयक के समर्थन में अपनी बात रखते हुए यह सुझाव देना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी यहां पर बैठे हैं, मामला जो भी है, लेकिन किसानों के हित में निर्णय हो, यह सबसे बड़ा मुद्दा है. मेरा मानना है कि डीजल के रेट को कंट्रोल करने के लिये इसको जीएसटी में शामिल किया जाये, क्योंकि सबसे ज्यादा अगर डीजल उपयोग में आता है, तो किसान खेती करता है, ट्रेक्टर चलाता है और आज ट्रेक्टर के बिना वह खेती नहीं कर सकता है. मेरा मानना है कि डीजल को इसमें शामिल किया जाये, जिससे किसान की फसल की लागत कम से कम हो सके. दूसरा, पेट्रोल जो आम गरीब आदमी अगर मोटर साइकिल भी चलाता है, उसमें एक लीटर भी भराता है, तो उस पर सबसे ज्यादा टैक्स मध्यप्रदेश में है. मेरा निवेदन है कि पेट्रोल को जीएसटी में शामिल किया जाये, जिससे कि दोनों पर ही कंट्रोल हो सके और आम आदमी को राहत मिल सके. हमारी विधान सभा के आस पास जो राजस्थान क्षेत्र है, वहां पेट्रोल, डीजल पर रेट कम रहते हैं और मध्यप्रदेश में डीजल एवं पेट्रोल पर ज्यादा रेट रहते हैं. आज मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि पूर्व विधायक (XXX) हैं, वह ठीक मध्यप्रदेश में रहते हैं, एक किलोमीटर दूर राजस्थान की सीमा में उन्होंने पेट्रोल पम्प खोला और उनकी 50 बसें वहां से डीजल खरीदती हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से नाम निकाल दें.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक उदाहरण दे रहा हूं. तो पूरा डीजल राजस्थान से मध्यप्रदेश में आता है और टैक्स की चोरी होती है. मेरा कहना है कि अगर डीजल का रेट पूरे भारत में, मध्यप्रदेश सहित पूरे राज्यों में एक जैसा होगा, तो जीएसटी के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि होगी धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- अध्यक्ष महोदय, संसद के दोनों सदनों, लोकसभा एवं राज्यसभा ने जो एक सौ बाईसवां संविधान संशोधन विधेयक पारित किया है, आज उसके अनुसमर्थन पर विचार करने के लिये मैं खड़ी हुई हूं. मैं जीएसटी की मूल परिकल्पना के बारे में बताना चाहती हूं कि जब इसकी परिकल्पना पहली बार हुई थी, तो उसमें कम कर देना, कम कर वसूलना, लेकिन कर दाता ज्यादा हों, यह उसकी मूल परिकल्पना थी. मैं इसको एक उदाहरण से समझाना चाहती हूं कि जैसे पहले पान पराग का डिब्बा 50 रुपये में आता था. मैं उस समय की बात कर रही हूं, जब 50 रुपये की कीमत बहुत ज्यादा हुआ करती थी और सारे लोग 50 रुपये का पान पराग का डिब्बा नहीं खरीद सकते थे. लेकिन उनकी इच्छा पान पराग खाने की होती थी, पर वे उसको खरीद नहीं पाते थे. जैसे ही एक निर्णय पान पराग बनाने वाली कम्पनी ने किया कि पान पराग का जो 50 रुपये का डिब्बा आता था, उसको एक रुपये के पाउच में निकालना शुरु किया, जैसे ही कम्पनी ने यह निर्णय लिया, निश्चित रुप से उस कम्पनी का टर्न ओव्हर बहुत ज्यादा बढ़ गया. बिलकुल ऐसे ही जीएसटी की परिकल्पना है. मैं यह बात कहना चाहती हूं कि जो लोग पहले कामर्शियल टैक्स दे रहे थे और यदि वही लोग अभी जीएसटी देंगे, तो जीएसटी फैल हो जायेगा. मैं कहना चाहती हूं कि इसके लिये सबसे पहले तो हमारे पास यह व्यवस्था होना चाहिये कि अभी जीएसटी के संबंध में कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने का अभी हमारे पास कोई कार्यक्रम नहीं है. यदि हम ज्यादा से ज्यादा करदाताओं से कर वसूलना चाहते हैं, तो उसके लिये हमको हमारे कर्मचारियों को ट्रेनिंग देना पड़ेगी. दूसरी बात यह है कि पूरा जीएसटी आईटी सेवाओं के विस्तार पर निर्भर है और हम अच्छे से जानते हैं कि आज मध्यप्रदेश में आईटी सेवाओं की क्या स्थिति है. निश्चित रुप से हमको इसके विस्तार पर भी बहुत गहन चिंतन करने की आवश्यकता है. मैं यह बात कहना चाहती हूं कि वर्तमान में जो टैक्स व्यवस्था है, वह प्रोडक्शन पर आधारित है. निश्चित रुप से जीएसटी लागू होने पर यह व्यवस्था प्रोडक्शन से हटकर जो हमारे उत्पाद जहां बिकेंगे, वहां सेवाओं पर कर आधारित होगा और निश्चित रुप से एक बात मैं यहां पर जरुर कहना चाहूंगी कि जब यूपीए सरकार जीएसटी लाई थी, तब गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जीएसटी का विरोध किया था और उनका विरोध करना स्वाभाविक था, क्योंकि उनके प्रदेश को वर्तमान कर व्यवस्था में ज्यादा लाभ था, किन्तु देश के प्रधानमंत्री के रूप में, पूरे देश के परिप्रेक्ष्य में जब उन्होंने जीएसटी के फायदे देखें तो उन्होंने जीएसटी पारित करवाया, इसलिए मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय – कृपया समाप्त करें.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे – माननीय अध्यक्ष महोदय, बस एक पाइंट और कहना चाहूंगी में. मैं ज्यादा धन्यवाद इसलिए देना चाहती हूं कि विपक्ष द्वारा प्रस्तुत संशोधनों को स्वीकार करते हुए उन्होंने इसको तैयार किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जानती हूं कि समय की बहुत कमी है, लेकिन एक जो चिन्ता जीएसटी लागू होने पर, मुझे जितनी जीएसटी समझ में आती है और मुझे जो चिन्ता हो रही है, मैं जरूर सदन को अवगत कराना चाहती हूं कि जिस तरह चौदहवें वित्त आयोग में अप्रत्यक्ष केन्द्रीय कर में राज्यों की हिस्सेदारी दस प्रतिशत बढ़ाई गई. पहले राज्य का हिस्सा 32 प्रतिशत था लेकिन अब 42 प्रतिशत कर दिया गया है और इससे मध्यप्रदेश को भी लाखों करोड़ों रूपए केन्द्र की ओर से अधिक मिला. मेरे पास आंकड़े हैं 2014-15 में 3.48 लाख करोड़ पहले से ज्यादा मिला.2015-16 में भी 5.26 लाख करोड़ रूपए पहले से ज्यादा मिला, किन्तु इन पैसों का असर राज्य की प्रगति में कहीं नहीं दिखता. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिए मैं राज्य सरकार को दोषी नहीं मानती, क्योंकि राशि बढ़ाने के बाद केन्द्र में जितनी भी सेन्ट्रल स्पान्सर्ड स्कीम कहा जाता है में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ा दी गई, जैसे मिड-डे मिल, मिड-डे मिल में पहले 75-25 का रेश्यो चलता था लेकिन आज उसको 60-40 कर दिया गया है, नेशनल हेल्थ मिशन पहले 75-25 का रेश्यो चलता था लेकिन आज उसको 60-40 कर दिया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को अवगत कराना चाहती हूं, मैं यह कहना चाहती हूं कि जिस तरह से शेयर बढ़ाया गया है कहीं ऐसा न हो कि जब जीएसटी लागू हो तो पूरी की पूरी केन्द्र परिवर्तित योजनाएं है, उसको राज्य सरकार पर न थोप दिया जाए इस बात की चिन्ता से मैं सभी को अवगत कराना चाहती हूं. आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – श्री दिनेश राय, ‘मुनमुन’ .
श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी) – माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सौ बाईस वां संशोधन जीएसटी बिल का मैं समर्थन करता हूं. इस बिल के आने से हमारे मध्यप्रदेश के विकास का जो स्वर्णिम मध्यप्रदेश का एक सपना है, वह पूरा हो जा रहा है. लेकिन इसमें कुछ चीज जो छोड़ी गई है, कुछ सदस्य अभी कह रहे थे कि पेट्रोल, डीजल की बात मत करों, सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश की जनता जो दुखी है, आममानस पेट्रोल और डीजल में लगे वैट टैक्स की वजह से दुखी है. बड़ी विचित्र बात है, दूसरे प्रदेशों में सस्ता है, डीजल-पेट्रोल.
अध्यक्ष महोदय – यह बात आ चुकी है,
श्री दिनेश राय मुनमुन – मैं उदाहरण बता रहा हूं,
अध्यक्ष महोदय – उदाहरण भी आ चुके हैं, कृपया रिपिटिशन न करें.
श्री दिनेश राय ‘मुनमुन’ – उदाहरण सुनिए तो हमारे प्रदेश में शराब सस्ती है, दूसरे प्रदेशों में शराब महंगी है.
श्री बहादुर सिंह चौहान– कांग्रेसी सिर्फ डीजल, पेट्रोल, डीजल, पेट्रोल के अलावा कुछ बात ही नहीं कर रहे हैं.
श्री दिनेश राय मुनमुन - दूसरे प्रदेश में जाते हैं, वहां शराब महंगी मिलती है, हमारे प्रदेश में सस्ती मिलती है, दूसरी प्रदेश में डीजल सस्ता मिलता है, हमारे प्रदेश में महंगा मिलता है. उसमें भी आपको तकलीफ हो रही है.
श्रीमती ऊषा चौधरी– माननीय अध्यक्ष महोदय, शराब को तो बंद ही कर देना चाहिए, जैसे बिहार ने किया, मध्यप्रदेश को भी करना चाहिए.
श्री दिनेश राय मुनमुन - सबसे बड़ी बात है, आप काफी चीजों में छूट दे रहे हैं, लेकिन कृषि को फायदे का धंधा कैसे बनाएंगे जब हमारा किसान बोने के लिए जब आपसे बीज लेगा, उसमें आप टैक्स लगाएंगे. मैं माननीय वित्तमंत्री जी से आग्रह करूंगा कि विशेष तौर पर हमारे गरीब तबके का व्यक्ति और एक मध्यम वर्ग का व्यक्ति और जो बैठे हुए हैं, जो पेट्रोल, डीजल की बात मना कर रहे हैं, ऐसे लोगों को छोड़कर गरीब लोगों पर ध्यान दें, इतना ही कहना चाहूंगा और इसका समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय – कुवर सौरभ सिंह, अनुपस्थित रहे
अध्यक्ष महोदय – श्री कमलेश्वर पटेल.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल) – माननीय अध्यक्ष महोदय, जीएसटी के अनुसमर्थन में बोलने के लिए खड़े हुए हैं और सच बात तो यह है कि जब केन्द्र सरकार ने संसद और राज्यसभा में हमारी पार्टी के नेताओं ने भी समर्थन देकर पारित कर दिया है. हम समझते हैं एक औपचारिकता मात्र मध्यप्रदेश विधानसभा में चर्चा हो रही है, और पूरे देश में जो भी व्यवस्था बनेगी, मुझे लगता है कि वही मध्यप्रदेश में भी केन्द्र सरकार द्वारा बनेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत कुछ कहने का तो हमारे पास नहीं है, सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि ये जो जीएसटी बिल है, जब उस समय पारित किया जा रहा था, तो हमारे देश के जो आज प्रधानमंत्री हैं, उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने हमारे जो वर्तमान में केन्द्र में कई वरिष्ठ मंत्री हैं.वर्तमान में केन्द्र में जो वरिष्ठ मंत्रीगण है जैसे माननीय सुषमा स्वराज जी, अरूण जेटली जी, राजनाथ सिंह जी ऐसे कई वरिष्ठ नेताओं ने इस जीएसटी का भारी विरोध किया था कि जीएसटी लागू हो जाने से पता नहीं देश में कैसा भूचाल आ जायेगा. इस पार्टी और सरकार के बारे में हम सिर्फ यह कहना चाहते हैं कि यहां पर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी हैं उन्होंने टिप्पणी की थी तथा तत्कालीन वित्त मंत्री राघव जी ने भी इसका भारी विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि राज्य की स्वायत्तता छिन जायेगी. अध्यक्ष महोदय, हम आपके माध्यम से सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि क्या भारतीय जनता पार्टी, यू-टर्न लेने वाली पार्टी है, क्या समय समय पर व्यवस्थाओं के अनुरूप, सुविधाओं के अनुरूप...
राज्य मंत्री, सहकारिता(श्री विश्वास सारंग) -कमलेश्वर जी जीएसटी का मतलब बता दें क्या होता है ?
श्री कमलेश्वर पटेल - बता रहा हूं सुनें तो जीता जागता उदाहरण.
अध्यक्ष महोदय- कृपया आपस में चर्चा न करें.
श्री विश्वास सारंग - कमलेश्वर भैया जो आपकी पार्टी के वरिष्ठ लोगों ने नहीं बोला उस बात का कनिष्ठ लोग तो ध्यान रखें.उन्होंने जीएसटी का समर्थन किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- इसीलिये बोल रहे हैं. अब अगर हम बोलेंगे कि प्रदेश सरकार डीजल और पेट्रोल पर वेट टैक्स नहीं लगाये तो अध्यक्ष महोदय कहेंगे कि यह रिपीटेशन हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय- रिपीटेशन नहीं करना है.
वन मंत्री (डॉ.गौरी शंकर शेजवार) अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि :-
जो पहुंच चुके हैं मंजिल पर, वो करते नहीं है जिक्रे सफर
दो चार कदम जो चले अभी, रफ्तार की बातें करते हैं. (हंसी)
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, आपके आशीर्वाद से अभी लंबा रास्ता हमें तय करना है .
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, जो बातें छूट गई हैं उनको कहकर मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा. मेरी कुछ शंकाए हैं कि जीएसटी लागू होने से क्या स्थितियां उत्पन्न होंगी वह हम आपके माध्यम से सरकार के सामने रखना चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार ने जोर शोर से वित्तीय स्वायत्तता बचाने की बात की थी, इस कानून से भी वित्तीय स्वायत्तता पर आंच आ रही है. केवल राज्य संग्रहण करने वाले एजेंट बन जायेंगे, नवाचार की कोई जगह नहीं बचेगी, दूसरी बात हमें ऐसा लगता है कि जब जीएसटी के माध्यम से केन्द्र का ही वर्चस्व और तानाशाही रहेगी तो उसे राज्य कैसे निभा पायेंगे प्रजातंत्र की भावना को दूर फेंक दिया गया है. तीसरी बात केवल टैक्स भरने की सुविधा देने से व्यापार कैसे बढ़ेगा यह बात भी हमारी समझ से परे है. छोटे व्यापारियों की चुनौतियां और बढ़ने वाली हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि कर सुधार का असर उपभोक्ता पर पड़ने वाला है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कमलेश्वर पटेल जी को अपने नेताओं पर भरोसा है या नहीं ?
श्री कमलेश्वर पटेल -- इसीलिये तो हमने पहले समर्थन किया है. लेकिन जीएसटी पर यहां चर्चा हो रही है और यदि किसी सदस्य के मन में कोई शंका है तो समाधान करना सरकार का दायित्व है. अंतिम बात कह रहा था कि कर सुधार का भार उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला है. इस कानून की सफलता पूरी तरह से उपभोक्ताओं पर ही निर्भर करेगी. आज इन्कम टैक्स भरने की व्यवस्था है परंतु कितने लोग टैक्स भरते हैं यह चिंता का विषय है. मुझे लगता है कि सरकार इन सब बिंदुओं पर विचार करेगी और जो हमारी चिंता है जो शंका है . एक चर्चा यह भी है कि छोटी छोटी सामग्री पर कर लगने से मंहगाई और बढ़ेगी.दैनिक दिनचर्या में उपयोग आने वाली वस्तुएं हैं उस पर जीएसटी के कारण मंहगाई बढेगी. मुझे लगता है कि मेरी शंका को प्रदेश की सरकार दूर करेगी. मुझे बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष जी, सौरभ सिंह जी का आपने नाम पुकारा था वे अब आ गये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं.
श्री जितू पटवारी(राऊ)-- अध्यक्ष महोदय, आज कविता और शेरो-शायरी का दौर ज्यादा चल रहा है.
कई साल पहले प्यार का इज़हार किया तूने मुझसे,
कई साल पहले प्यार का इज़हार किया मैंने तुझसे,
तूने कहा तू खूबसूरत नहीं है, फिर मैंने तुझसे प्यार का इज़हार किया,
तूने कहा तेरा मन ठीक नहीं है.
राज्य मंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)--अध्यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि सदन की गरिमा बनी रहे. इस देश में कर के मामले में इतना बड़ा निर्णय हो रहा है. जितू भाई आप अपनी गरिमा का ध्यान न रखे लेकिन सदन की गरिमा का ध्यान जरुर रखें.
श्री जितू पटवारी-- बैठिये,रखूंगा.
अध्यक्ष महोदय--कृपा करके विषय पर आयें.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, यह विषय पर ही है. इस कविता में बहुत बड़ा सार है.
अध्यक्ष महोदय--कविता पढ़कर बाद समाप्त कर देंगे क्या?
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्षजी, (XXX)
अध्यक्ष महोदय--यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री जितू पटवारी-- यह जीएसटी बिल आपसे पूछ रहा है. अध्यक्ष महोदय, जीएसटी पर सार्थक चर्चा हो ताकि प्रदेश के हित की सुरक्षा हो.
श्री बाबूलाल गौर-- जितू भाई, ये शेरो-शायरी कुछ जमी नहीं. (हंसी)
श्री जितू पटवारी-- कोशिश की है. पहले कभी की नहीं इसलिए आपके बराबर अनुभव नहीं है.
श्री बाबूलाल गौर—(XXX).(हंसी)
अध्यक्ष महोदय--यह कार्यवाही से निकाल दीजिए. कृपया संक्षेप में कहें.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष जी, थोड़ी गंभीर बात है. शेरो-शायरी के माध्यम से मुझे इतने अच्छे से बात नहीं कहना आता लेकिन कोशिश की है.
अध्यक्ष महोदय-- लेकिन उसमें आपने 3 मिनट निकाल दिये. उससे अच्छा विषय पर बोलते.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, वित्त मंत्री जी ने इस विधेयक के बारे में बहुत सी बातें बतायीं. प्रदेश के हित की रक्षा होगी इसकी बातें भी हुई. पहले क्यों विरोध हो रहा था इस बात को भी कहा. देश में आज दो जीएसटी की बातें हो रही हैं. एक, जो सोशल मीडिया पर, मीडिया पर और सब जगह कि Government on shoulder of constable और दूसरा, GST वह भी है जिसकी पूरा देश चर्चा कर रहा है. इस पर हम एक विशेष सत्र में चर्चा कर रहे हैं, जिसका विरोध आपने किया था. मैं आप लोगों को यह बताना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से सुधारात्मक व्यवहार में रही है.
अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- आर्थिक सुधारों की बात हो, भूमि अधिग्रहण की बात हो, आधार कार्ड की बात हो, एफडीआई की बात हो, कम्प्यूटर क्रांति की बात हो आपने हमेशा इनका विरोध किया और बाद में U टर्न लेते हुए इनके साथ हुए. साथियों, मैं अध्यक्षजी के माध्यम से बताना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से देश के विचारों की पार्टी रही है और आर्थिक सुधारों की पार्टी रही है. (अध्यक्ष महोदय द्वारा श्री दुर्गालाल विजय सदस्य का नाम पुकारे जाने पर)अध्यक्ष जी, आप एक मिनट भी नहीं देंगे तो यह ठीक बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--कृपया बैठ जायें.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, गलत बात है. अध्यक्ष जी, अगर आप सुनना ही नहीं चाहते कि कांग्रेस की विचार धारा और देश की विचार धारा एक है और भारतीय जनता पार्टी उसका विरोध कर रही है, आप भी उसका समर्थन कर रहे हैं. यह तो ठीक बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- हम कुछ समर्थन नहीं कर रहे हैं. इस तरह से आरोप नहीं लगाना चाहिए.
श्री जितू पटवारी-- इतना सब कुछ होने के बाद भी देर आयद,दुरुस्त आयद इसके लिए आपको धन्यवाद.
डॉ गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, इन्होने जो कमेंट किया कि देर आयद, दुरुस्त आये इसको निकाल दें. आसंदी के लिए ऐसा बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आसंदी के लिए नहीं बोला, सरकार के लिए बोला. आप रहने दीजिए.
श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष महोदय,
हालात से सहमें हुए लोगों,
बस इतना समझ लीजिए,
हालात बदल जाते हैं,
ठहरा नहीं करते.
हमने हालात को बदल दिया है.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष जी, ऐसा लगता है कि आपके हालात बदलेंगे. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- श्री दुर्गालाल विजय जी आप तो बोलिये. दूसरा कुछ रिकार्ड नहीं होगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- (XXX)
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- गौर साहब आप आरिफ भाई की एक भी बात मत मानना, जाने कौन सा झंडा पकड़ा देते हैं, कौन से के चक्कर में... (हंसी)....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- दूध का जला हुआ छाछ भी फूंक-फूंक कर पियेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- उनको कृपया बोलने दीजिये. आप तो बोलिये, रूकिये मत किसी के लिये. मैं दूसरों को बुला लूंगा फिर. आप तो बोलिये.
श्री दुर्गालाल विजय-- यह बातचीत हो जाये.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं बातचीत का रास्ता मत देखिये आप. यह एण्डलैस हैं, आप बोलिये प्लीज.
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, संविधान के एक सौ बाइसवें संशोधन का अनुसमर्थन करने के लिये यहां विचार चल रहा है और हम जिसका अनुसमर्थन करने वाले हैं इस संविधान संशोधन के माध्यम से हमारी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक कदम हमारी भारत की सरकार ने उठाया है और यह जो बिल जिसको जीएसटी का नाम दिया गया है, इसमें जो प्रावधान किये गये हैं उन प्रावधानों के अंतर्गत हमारे देश की अर्थव्यवस्था तो सुदृढ़ होगी ही, कर का अपवंचन भी रूकेगा और लगभग 10 लाख करोड़ रूपये की आय अधिक बढ़ने की संभावना है. माननीय अध्यक्ष महोदय, संविधान के 2-3 अनुच्छेदों में विशेष प्रावधान इसमें किया गया है और अनुच्छेद 248 के बाद जो अनुच्छेद 248 क जोड़ा गया है उसमें यह व्यवस्था की गई है कि केन्द्र सरकार और राज्य की सरकारें कर और सेवा के संबंध में अपना एक नियम और विधि बना सकेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी को आगे बढ़ाते हुये उन्होंने इसके संबंध में एक व्यवस्था भी लागू की है कि जो कर का संचय होगा वह न तो भारत की संचित निधि का हिस्सा होगा और न ही राज्य की संचित निधि का हिस्सा होगा. विकास कार्यों की दृष्टि से उसको उपयोग करने के लिये उस कर का उपयोग किया जा सकने की परिस्थिति बनेगी. इसमें एक और विशेष प्रावधान किया है संशोधन करके और वह प्रावधान यह किया है कि इस जीएसटी के लागू करने में जो समय इसमें जायेगा और उस समय के कारण से जिन राज्यों को कर की हानि होगी और उनको अपनी आय प्राप्त नहीं हो सकेगी ऐसे राज्यों को 5 वर्षों तक केन्द्र सरकार धनराशि देकर के उसका उपयोग करने के लिये और एक समय-सीमा निश्चित की है. समिति के गठन करने की जो व्यवस्था बनी है उसके कारण से भी संविधान का 249 (क) का जो संशोधन है उसमें जो समिति गठित की है वह बड़ी महत्वपूर्ण है और उसके माध्यम से पूरे देश के करों की व्यवस्था बनाने का काम भारत की सरकार और राज्य की सरकारें करेंगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश की इस विधानसभा में भारत के संविधान के अनुच्छेद 368 के अंतर्गत भारत के संविधान संशोधन 122वें संविधान संशोधन विधेयक 2014 को अनुसमर्थन के लिये प्रस्तुत किया गया है. यह संविधान संशोधन विधेयक जैसा कि कई वक्ताओं ने कहा, लगभग पिछले 1 दशक से इसके संबंध में प्रयास किया जा रहा है कि हम विश्व स्तर पर आर्थिक विकास की दौड़ में अपने आर्थिक सिस्टम को सुधारने के लिये एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी कदम बताते हुये इस आर्थिक सुधारों को जीएसटी बिल के माध्यम से लाने का प्रयास किया जा रहा है. जब केन्द्र में यूपीए की सरकार थी, डॉ. केलकर की एक सदस्यीय समिति का गठन किया कि पूरे देश के समस्त टैक्सों को समाप्त करके एक ऐसा समायोजित ढांचा टैक्सेशन का तैयार किया जाये जिससे लोगों को सुविधा मिले, उद्योगों को बढ़ावा मिले और केलकर ने, एक सदस्यीय समिति ने जब रिपोर्ट प्रस्तुत की तो उस समय के तत्कालीन वित्त मंत्री ने 2006-07 में उसको केन्द्र के आम बजट में प्रस्तुत भी किया और उनकी इच्छा थी कि अप्रैल 2010 से इस जीएसटी बिल को लागू कर दिया जाये, लेकिन बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति रहती है, चाहे सत्तापक्ष में बीजेपी हो, चाहे सत्तापक्ष में कांग्रेस हो. जब कांग्रेस कोई सुधार कार्य करना चाहती है तो उसका विरोध बीजेपी धर्म समझकर करने लगती है और इसी तरह की स्थितियां बनी रहती हैं इसीलिये आज आर्थिक सुधारों की दौड़ में हमारा देश एक दशक पीछे चला गया. शायद अगर पहले यह स्थिति नहीं बनी होती, पहले अगर इसका अनुसमर्थन किया होता. तो आज हम दस साल आगे आर्थिक सुधारों की दौड़ में होते और विश्व में आर्थिक मामले में कहीं दूसरी जगह खड़े होते और आर्थिक विकास वृद्धि की दर दो अंकों से आगे बढ़ती. जैसा आदरणीय महेन्द्र सिंह जी ने कहा तत्कालीन वित्त मंत्री जी ने विरोध किया, माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसी हाऊस में अपनी डिबेट्स में अपने भाषणों में विरोध किया कि इससे हमारे राज्य की आर्थिक स्वायत्तता समाप्त होगी और जीएसटी के संविधान संशोधन विधेयक को हम किसी भी स्तर पर जाकर स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन आपने आज स्वीकार किया कि जैसा कहा कि देर आये दुरुस्त आये,बधाई के पात्र हैं हम उसका अनुसमर्थन करेंगे लेकिन दलगत राजनीति,दलगत भावना से ऊपर उठकर शायद पहले आप इसका समर्थन करते तो..
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) - विधेयक जब लोक सभा में पास हुआ उसके बाद कांग्रेस ने डिले क्यों किया ?
श्री रामनिवास रावत - डिले करने के कारण थे.
श्री उमाशंकर गुप्ता - वैसे ही हमारे भी कारण थे. उस समय जो कमियां थीं राज्य सरकार के हितों का संरक्षण नहीं हो रहा था इसीलिये उस समय हमने विरोध किया. जब वह कमियां दूर हो गईं तो उसे हमने रखा. यह बातें करते समय इन बातों का भी ध्यान रखना चाहिये कि आपने भी तो डिले किया. आपने इसलिये डिले किया कि आपकी आपत्ति थी.
श्री रामनिवास रावत - स्टैंडिंग कमेटी को भेजा. स्टैंडिंग कमेटी में आप लोग थे. उस समय आपकी आपत्ति थी. जब आपने रिपोर्ट प्रस्तुत की तो 2013 में आपने विरोध किया. अभी जो विरोध करने का कारण था जैसा हमारे माननीय उपाध्यक्ष महोदय ने विस्तार से बताया, समय कम है मैं उस पर नहीं जाना चाहता और जिन-जिन बिन्दुओं पर विरोध किया वह लगभग सारी की सारी बातें आपके द्वारा मान्य भी की गईं लेकिन हम इसका अनुसमर्थन तो करेंगे. हमें कोई आपत्ति नहीं है और इसमें जीएसटी काउंसिल का उल्लेख किया गया है कि जीएसटी काउंसिल का निर्माण किया जायेगा. यह तो अभी 122वां संविधान संशोधन अधिनियम पारित हो रहा है. टैक्सेशन की व्यवस्था क्या होगी, टैक्सेशन का स्वरूप क्या होगा, उसमें जीएसटी काउंसिल उसका निर्णय करेगी. जीएसटी काउंसिल के हाथ में सिफारिश का अधिकार है वह सिफारिश करेगी मानना, नहीं मानना केन्द्र सरकार का काम है कोई जरूरी नहीं है कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें मान्य ही होंगी. आपने कहा कि ऐसा तंत्र विकसित करेगी. मैं माननीय मंत्री जी आपसे पूछना चाहता हूं कि इस संविधान संशोधन विधेयक में आपके राज्यों के हितों को कैसे संरक्षित करोगे इसकी क्या गारंटी है. आप जीएसटी काउंसलिंग कमेटी के मेंबर होंगे. आप सिफारिश करेंगे लेकिन सिफारिश मान्य नहीं की जायेगी. उसमें केवल इतना भर कहा गया है कि भारत सरकार ऐसा तंत्र विकसित करेगी जिससे राज्य और केन्द्रों के बीच के विवादों का निपटारा किया जाये. आखिर गेंद तो केन्द्र के पाले में ही रही.आपके पास तो कुछ नहीं रहा. आप स्टैंडिंग कमेटी के मेंबर होंगे.
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, आदरणीय रावत जी ने एक शंका उठाई है. यह बात सही है कि जीएसटी काउंसिल एक रिकमंडिंग अथारिटी है परंतु हमारे देश की संसद की संप्रभुता है और हमारे विधान सभा की भी संप्रभुता है. इसके ऊपर कोई नहीं हो सकता है और इसके लिये जीएसटी काउंसिल इनकी संप्रभुता के ऊपर अतिक्रमण नहीं कर सकती.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, हमें इससे आपत्ति नहीं है. यही बात तो हम चाहते थे कि आप दस वर्ष पहले समझ लेते तो आर्थिक विकास के सुधारों की दौड़ में हम दस वर्ष पीछे नहीं होते. हम यही तो चाहते थे कि संघीय व्यवस्था पर,संघीय ढांचे पर आपको पहले भी भरोसा करना चाहिये था. मैं इतना निवेदन करूंगा कि आप राज्यों के हितों को संरक्षित करने के लिये आप मेंबर के रूप में जीएसटी काउंसिल में रहेंगे. हम चाहते हैं कि जीएसटी काउंसिल में जाने से पूर्व आप सभी दलों के सदस्यों की भी एक समिति बनाएं कि हमारे राज्यों के हितों में कौन-कौन से टेक्सेशन किस-किस ढंग से लगाये जाएं और कैसे राज्यों के टेक्सेशन का बटवारा हो और उससे हमारे राज्यों के हित और हमारी जनता के हित संरक्षित हो और इसी के साथ-साथ कई बातें हैं जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट इससे बाहर रखे गये हैं. जीएसटी बिल का जो मुख्य उद्देश्य है कि अंतरार्ज्यीय बाजार एक जैसा हो. अब पूरे देश में दिखाई दे कि सभी जगह एक जैसे मूल्य हैं, एक जैसे भाव हैं एक जैसी दरें एक जैसे टैक्स हैं लेकिन इसमें पेट्रोलियम उत्पादों को पृथक रखा गया है. आदरणीय सिसोदिया जी बैठे हैं वह कसम खाकर बता दें कि वे जब राजस्थान से वापस मध्यप्रदेश आते हैं तो पूरी गाड़ी का डीजल फुल कराकर लाते हैं इसलिये कि हमें यहां दो रुपये,चार रुपये अधिक देने होंगे.
अध्यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि जिस तरह से ऑटोमोबाइल सेक्टर में है, ऑटोमोबाइल सेक्टर में ज्यादातर गाड़ियों को असेम्बल किया जाता है, अलग-अलग प्रोडक्ट्स उत्पादित होते हैं, टायर अलग बनते हैं, व्हील अलग बनते हैं, इन सब पर अलग-अलग टैक्स लगेंगे, उसके बाद जब गाड़ी असेम्बल होगी, तब उसका टैक्स अलग लगेगा. अध्यक्ष महोदय, ये बातें ध्यान में रखने की हैं कि वह टैक्स उपभोक्ता को वापस हो. उपभोक्ता पर उसका भार न पड़े. इस तरह से उनके हितों को संरक्षित रखने की बात उसमें रखें. अभी समय बहुत कम है. अध्यक्ष महोदय, मैं अपेक्षा करता हूं, हम इस एक सौ बाईसवें संविधान संशोधन विधेयक का अनुसमर्थन करते हैं. साथ ही यह चाहते हैं कि राज्य सरकार, केन्द्र सरकार को यह अनुशंसा भी करे, प्रस्ताव भी भेजे, जिसमें पेट्रोलियम उत्पादों को भी सम्मिलित कर लिया जाय और इस कर के लागू होने के बाद राज्यों को होने वाली 100 प्रतिशत हानि की भी भरपाई केन्द्र सरकार करे. मैं इसी आशा के साथ इस संशोधन विधेयक अनुसमर्थन करता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) - अध्यक्ष महोदय, मैं इस एक सौ बाईसवें संविधान संशोधन विधेयक, 2014 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. मैं सीधे मुद्दे पर आता हूं. अध्यक्ष महोदय, as a layman, मेरा मानना है कि जीएसटी की आवश्यकता क्यों पड़ी? एक, हमारा टैक्स का स्ट्रक्चर सुदृढ़ नहीं था और दूसरा, टैक्स की चोरी हो रही थी. मेरा सीधा-सीधा कहना है कि क्रियान्वयन में कमी थी. अगर कमी क्रियान्वयन में नहीं होती तो न तो टैक्स चोरी होती और जनता को हम लाभ दे सकते.
अध्यक्ष महोदय, बहुत से ऐसे उदाहरण हैं, चाहे कांग्रेस की सरकार हो या चाहे भाजपा की सरकार हो, बड़े-बड़े प्रोग्राम सरकारें बनाती हैं, पंचवर्षीय योजनाएं बनाती हैं, लेकिन उनका जमीन पर क्रियान्वयन नहीं हो पाता है. कहीं न कहीं इनके क्रियान्वयन की कमी है. यह जीएसटी लगभग उसी तरह से है. जैसा कि एक उदाहरण है : अब्राहम लिंकन के पास एक बहुत खूबसूरत अभिनेत्री गई और उसने जाकर कहा कि मैं तुमसे शादी करना चाहती हूं. लिंकन ने कहा कि इससे क्या फायदा होगा? तो उनका कहना था कि खूबसूरती मेरी होगी और दिमाग आपका होगा. लिंकन ने उसका जवाब दिया कि कहीं इसका उलटा हो गया तो क्या होगा? मेरा जनता की तरफ से इसी बात को पूछना है कि अगर इससे कहीं उलटा हो गया तो क्या करेंगे, इसके लिए मेरे दो सुझाव हैं. पहला, प्रॉफिट मेकिंग में कोई सीलिंग नहीं है. मान लीजिए कि अगर कोई चीज 40 रुपए की है और वर्तमान में उस पर टैक्स 26 या 28 परसेंट कुछ भी है और राज्य सरकार उसको 18 परसेंट टैक्स करती है तो वह चीज बनाने वाला जो है वह क्या 40 रुपए की कीमत कम करके 18 परसेंट पर लाएगा? वह नहीं लाएगा. वह अपनी कॉस्टिंग बढ़ा देगा और उपभोक्ता को वही चीज 40 रुपए की मिलेगी. इस जगह पर कोई सीलिंग नहीं है. इस सीलिंग पर मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. लगभग 9 लाख रुपए का सर्विस टैक्स एग्जे़म्पटेड है. इस पर सर्विस टैक्स नहीं लगता है. 4 लाख रुपए तक वैट टैक्स नहीं लगता है. गांव देहात में, मेरे विधान सभा क्षेत्र में लगभग 450 गांव हैं और हर गांव में 5-6 लोग व्यापार करते हैं, जिनका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता है. परन्तु जब जीएसटी लागू हो जाएगा या तो वे कर चोरी वाले कहलाएंगे या जो जीएसटी का मिलने वाला बेनिफिट है, वह उस व्यापारी को नहीं मिलेगा. मेरा सुझाव है कि इन दो महत्वपूर्ण विषयों पर क्योंकि गांव में जितना भी व्यापार होता है, चाहे गल्ले का हो, चाहे परचून की दुकान हो, उनमें कोई टैक्सेशन नहीं होता है तो उसका लाभ जनता को भी मिले, उस व्यापारी को भी मिले जो काम कर रहा है. अध्यक्ष महोदय, आपने दोबारा बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, एक सौ बाईसवां संविधान संशोधन विधेयक, 2014 का मैं समर्थन करता हूं. अध्यक्ष महोदय, देश के सबसे बड़े कर सुधार जीएसटी की नींव वर्ष 2006-07 के केन्द्र सरकार के बजट सत्र में रखी गई थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2000 में उसकी नींव रखी गई थी, वर्ष 2000 में जब अटल जी ने समिति बनाई थी, श्री असीम दासगुप्ता, उसके अध्यक्ष बने थे, जो पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री थे.
श्री बाला बच्चन - मेरे पास जो जानकारी है वह वर्ष 2006-07 की है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - श्री नरसिंह राव जी ने आर्थिक सुधार की नींव रखी थी, उसमें जीएसटी भी शामिल था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जी हां. यही मैं कह रहा हूं.
श्री बाला बच्चन - जितने राज्यों के वित्तमंत्री थे, वह वित्तमंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति थी, जिसका काम जीएसटी बिल का खाका तैयार करना था, उन्होंने खाका तैयार किया और उसके बाद यह डिस्कशन पेपर वर्ष 2009 में तैयार हुआ, उसके बाद मार्च 2011 में यह संसद में प्रस्तुत हुआ. वित्त पर बनी एक स्थाई संसदीय समिति के पास यह बिल मार्च 2011 में भेजा गया था. उसके बाद देश में सत्ताओं का परिवर्तन हुआ और सत्ता परिवर्तन होने के कारण जीएसटी बिल पर किसी प्रकार का काम होना ही बंद हो गया. उसके बाद अब जाकर संविधान का यह 122 वॉं संशोधन राज्यसभा और लोकसभा में पारित हुआ. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस संबंध में यह कहना चाहता हूं कि उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री जी ने विभिन्न राज्य सरकारों के बीच समन्वय तथा सहयोग स्थापित किया था और राज्य सरकारों को जीएसटी के बारे में मनाया था, इस हेतु मैं तत्कालीन वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. श्रीमती सोनिया गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह की एक देश एक कर की जो सोच थी, जो सपना था, वह आज साकार होता हुआ दिख रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रीमती सोनिया गांधी जी ने इस संबंध में कहा था कि भ्रष्टाचार मुक्त देश की दिशा में उठने वाला यह एक कदम है और इसी दिशा में आज हम काम कर रहे हैं. जो राजनैतिक दल अभी तक इसका विरोध कर रहे थे, आज केंद्र में उनकी सरकार होने के कारण उसी राजनैतिक दल ने इस बिल को संसद में पास किया है. समय इसी तरह से करवट लेता है और बदलता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जीएसटी बिल के संबंध में मेरे कुछ सुझाव हैं. हम यह चाहते हैं कि प्रदेश सरकार का खजाना बढ़े, लेकिन ऐसा न हो कि प्रदेश की जनता पर इस हेतु अतिरिक्त टैक्स का भार पड़े और जनता का नुकसान हो. इस हेतु सरकार का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार इस टैक्स को 18 प्रतिशत से ज्यादा न बढ़ाये तो बेहतर रहेगा. अभी तक राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक के लंबित रहने का एक मुख्य कारण यह था कि वर्तमान सरकार टैक्स की दर को 18 प्रतिशत से अधिक करना चाहती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह आग्रह है कि आज के प्रस्ताव में यह शामिल किया जाए कि इसे 18 प्रतिशत से अधिक नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि पूरे विश्व में टैक्स की मानक दर 14.1 प्रतिशत से लेकर 16.8 प्रतिशत के बीच ही है. इसलिए 18 प्रतिशत से अधिक इस कर का दायरा नहीं होना चाहिए. मैं समझता हूं कि यह हम सभी के लिए बेहतर होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार को, माननीय वित्त मंत्री जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को यह बताना चाहता हूं कि आपने पेट्रोल और डीजल को इस कर से मुक्त रखा है, लेकिन आये दिन आपके द्वारा पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले कर को बढ़ाया जाता है. अभी कुछ दिन पहले ही आपने इसे एक रूपया बढ़ाया है. इसे भी आपको ध्यान में रखना पड़ेगा. मैं मानता हूं कि जीएसटी के घाटे को यदि मध्यप्रदेश की जनता से इस प्रकार वसूल किया जायेगा तो यह ठीक नहीं है. इससे जनता का नुकसान होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन के राजस्व घाटे की पूर्ति जीएसटी लागू होने के 5 सालों तक केंद्र सरकार द्वारा की जायेगी, लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि जो स्थानीय संस्थायें हैं, नगर निगम, नगर पालिका उनके घाटे की पूर्ति सरकार किस प्रकार करेगी ? इसे माननीय वित्त मंत्री जी स्पष्ट करेंगे तो प्रदेश की जनता के हित में होगा.
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय- संकल्प पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है. सदन के द्वारा सहमति प्रदान की गई.
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय, जीएसटी बिल के संबंध में मेरी एक शंका यह भी है कि प्रदेश में कई फर्में बिना टिन नंबर के काम कर रही हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि पिछले सत्र में 19 जुलाई 2016 को प्रश्न क्रमांक 803 सिंहस्थ में माल सप्लाई से संबंधित था. विभिन्न फर्मों द्वारा बिना टिन नंबर के सरकारी सामान सप्लाई किया गया है. क्या यह आपके और सरकार के नियंत्रण में नहीं है ? आपके द्वारा कहा गया है कि राज्य सरकार के राजस्व घाटे की क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा की जायेगी. मैं यह जानना चाहता हूं कि बिना टिन नंबर के जो फर्में कार्य कर रही हैं, उसका केलक्यूलेशन आप कैसे करेंगे, उसको कैसे एडजस्ट करेंगे . माननीय वित्त मंत्री जी जब आप अपनी बात कहें तो इस बात को जरूर स्पष्ट करें कि बिना टिन नंबरके जो फर्में मध्यप्रदेश में काम कर रही हैं, सिंहस्थ में किये गये काम के बारे में हमारे लिए जवाब आया है लेकिन आज तक यह बात क्लीयर नहीं हुई है ज्यादा संख्या में बिना टिन नंबर की फर्मो ने काम किया है और सरकार को माल सप्लाई किया है. इस पर आपको ध्यान देना होगा नहीं तो सरकारी खजाने को इस तरह की चोट की पहुंचती रहेगी, और मध्यप्रदेश की जनता की जो गाड़ी कमाई है वह भ्रष्टाचार का शिकार होती रहेगी.
दूसरा मैं यह भी जानना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी से की मध्यप्रदेश शासन की राजस्व घाटे की पूर्ति केन्द्र सरकार करेगी उसकी भी एक समय सीमा होना चाहिए, नहीं तो हमने देखा है कि केन्द्र से जो मदद मिलने वाली थी चाहे वह मनरेगा हो या अन्य योजनाओं के अंतर्गत केन्द्र से जो राशि आती थी वह महीनों और वर्षों निकलने के बाद में भी वह राशि न मिलने के कारण हमारे प्रदेश के काम काफी प्रभावित हो रहे हैं, काफी दिक्कतें हो रही हैं जिससे विकास के जो काम होना चाहिए थे वह ठप्प हो गये हैं, इस बात का भी ध्यान रखें कि वह राशि समय सीमा में प्राप्त हो जायेगी तो बेटर होगा.
माननीय वित्त मंत्री जी, आपने पिछले सत्र में आन लाइन शापिंग पर टैक्स लगाया था. उस पर मैंने यह पूछा था कि पोस्ट आफिस के माध्यम से जो गंगा जल उपलब्ध कराया जाता है उसके ऊपर भी आपने कर लगा दिया था, अभी यह जीएसटी लागू होने के बाद में भी गंगाजल कर मुक्त होगा या नहीं, जब आप अपनी स्पीच दें तो इस बात को भी स्पष्ट करें .
अध्यक्ष महोदय, मैं अंत में एक बात यह भी जानना चाहता हूं कि यह जीएसटी लागू होने के बाद में स्टेट की जो चैक पोस्ट हैं इनकी क्या स्थिति रहेगी उसको भी आप स्पष्ट करें. हमारी अपनी कांग्रेस पार्टी का पूरे देश में जीएसटी का कानून बनाने का प्रयास था. मैंने यहां पर हमारे उन नेताओं का उल्लेख भी किया है. आदरणीय प्रणव मुखर्जी साहब का, आदरणीय मनमोहन सिंह साहब का, उस समय की हमारी चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी जी का जिनकी यह देन थी आज फलीभूत होने जा रही है उनका यह सपना साकार होने जा रहा है कि एक देश एक टैक्स कि प्रणाली लागू हो. हम सब हमारे पूरे दल की तरफ से, आज यह जो जीएसटी पर संविधान के एक सौ बाइसवे संशोधन के अंतर्गत यह जो विधेयक रखा गया है, हमारा समर्थन है, आप इसे पास करें लेकिन जो सुझाव, मैंने और हमारी पार्टी के साथियों ने दिये हैं उनका भी ध्यान रखें जिससे कि मध्यप्रदेश की जनता का भी भला हो सके, प्रदेश का विकास और तीव्र गति से हो सके. हमारा स्टेट पूरे देश और दुनिया में मध्यप्रदेश का नाम आगे बढ़ा सके, इसके लिए हम सब इस जीएसटी बिल के साथ में हैं. आपने हमें और हमारे दल के साथियों को बोलने के लिए जो समय दिया है उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष जी का प्रतिपक्ष के सभी माननीय सदस्यों का, सत्तापक्ष के सदस्यों का और पूरे सदन का हृदय से आभारी हूं. एक मत से हमने यहां पर जीएसटी का समर्थन किया है. भारत एक अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है.5 हजार साल से ज्यादा का तो ज्ञात इतिहास है हमारा, जब दुनिया के कई देशों में सभ्यता के सूर्य का उदय भी नहीं हुआ था तब हमारे देश में वेदों की ऋचाएं लिखी गई थीं. सांस्कृतिक रूप से भारत आज नहीं हजारों साल पहले से एक था, लेकिन देश का राजनीतिक एकीकरण हुआ है अगर उसका किसी को श्रेय जाता है तो वह है सरदार वल्लभ भाई पटेल को जाता है. पहले भी यह एक अत्यंत मजबूत राष्ट्र के रूप में कई साम्राज्य रहे हैं लेकिन जो राजनीतिक एकीकरण की प्रक्रिया को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया गया, कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है, भोपाल हो या गुवाहटी अपना देश अपनी माटी अलग भाषा अलग देश फिर भी अपना एक देश. यह उस समय हुआ है लेकिन आज का दिन, मैं आज के दिन मतलब 8 अगस्त की बात कर रहा हूं जब लोक सभा में यह विधेयक पारित हुआ था. वह एक ऐतिहासिक दिन था और देश के आर्थिक एकीकरण की पूर्ति अगर हो रही है उस दिन जो विधेयक पारित हुआ है उसके माध्यम से आज हो रही है जिस पर हम भी अपनी तरफ से अपना योगदान दे रहे हैं. एक भारत श्रेष्ठ भारत यह हमारा सपना है.और मैं किसी एक दल की बात नहीं करूंगा. यह बात सही है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में यह काम हो रहा है. वे प्रज्ञावान हैं, वे मेन ऑफ आइडियाज हैं, उनकी भारत निर्माण की अपनी संकल्पना है, लेकिन यह बात भी सच है कि इसका प्रारंभ वर्ष 2000 में ही हो गया था. बाकी माननीय सदस्यों ने भी अपनी बात कही है, मैं बहुत विस्तार में नहीं जाऊंगा, एम्पावर्ड कमिटी (Empowered Committee) अगर सबसे पहले बनी तो माननीय अटल बिहारी वाजपेई जी जब भारत के प्रधानमंत्री थे, तब बनी थी. उस समय से विचार होना प्रारंभ हुआ था लेकिन इसमें भी दो मत नहीं हैं कि उसके बाद हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्रीमान् मनमोहन सिंह जी, तत्कालीन वित्त मंत्री श्रीमान् प्रणब मुखर्जी साहब, उसके बाद पी. चिदंबरम साहब, इन्होंने भी इस विचार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इसमें किसी एक दल का योगदान नहीं है, किसी एक व्यक्ति का योगदान नहीं है, देश में कई सालों तक लगातार गंभीर विचार-विमर्श की प्रक्रिया चली है. आपत्तियां थीं, इसमें कोई दो मत नहीं हैं, मैं श्रीमती सोनिया गांधी जी का भी आभार प्रकट करना चाहूंगा, उनको भी धन्यवाद देना चाहूंगा, वे यूपीए की चेयरपर्सन हैं, आखिर कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जो दलगत राजनीति के ऊपर होते हैं और जिनके ऊपर अगर देश विचार करता है तो राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखकर विचार करता है. इसलिए जीएसटी के संदर्भ में हम जब बात करते हैं तो देखकर यह खुशी होती है कि कुछ आम सहमति के मुद्दे ऐसे होते हैं कि जिन पर सारा देश मिलकर एक हो जाता है. प्रधानमंत्री श्रीमान् नरेन्द्र मोदी जी ने जीएसटी पर बोलते हुए जो संसद में कहा था मैं उसको उद्धृत करना चाहता हूँ, उन्होंने कहा था जीएसटी यानि Great Step By Team India, टीम इंडिया में सभी पार्टियां शामिल हैं, कोई उससे अलग नहीं है. जीएसटी का मतलब उन्होंने कहा था Great Step towards Transformation, जीएसटी का मतलब उन्होंने कहा था Great Step towards Transparency. यह बात बिल्कुल सच है कि यह विधेयक विचार की लंबी प्रक्रिया से गुजरा है. हमारे प्रतिपक्ष के मित्रों ने कई बातें कही हैं, पहले तो विरोध करते थे, पहले कहते थे पारित नहीं होने देंगे, अब यू-टर्न ले लिया है. यह बात सच है कि हमने पहले विरोध किया, लेकिन जीएसटी का विरोध नहीं किया, हमने हमेशा ही यह कहा कि जीएसटी में जिस ढंग से प्रावधान हो रहे हैं उनका असर जो राज्य पर पड़ेगा, हम उसका विरोध करते हैं और हम केन्द्र सरकार से तत्कालीन वित्त मंत्री जी से यह आग्रह करते हैं कि जो हमारी आशंकाएं हैं उन आशंकाओं को दूर किया जाए. एक बार नहीं अनेक बार बैठकें हुईं, मुख्यमंत्री के नाते मैं उन बैठकों में गया. पहला सवाल सबसे बड़ा यही था कि राज्यों को जो राजस्व की हानि होगी उसकी प्रतिपूर्ति का क्या होगा. जब उस समय मसौदा बना था, मैं आलोचना-प्रत्यालोचना के लिए नहीं कह रहा हूँ, क्योंकि विचार की प्रक्रिया थी, अनेक चीजें समय-समय पर ध्यान में आती गईं. जो चीजें ध्यान में आईं उनको ठीक करने की कोशिशें होती गईं लेकिन पहले राज्यों को राजस्व की जो हानि होती उसकी प्रतिपूर्ति का कोई स्पष्ट प्रावधान था ही नहीं. जब हम लोगों ने विरोध किया तो कहा कि पहले तो प्रावधान था ही नहीं, जब हम लोगों ने विरोध किया तो फिर यह बात आई कि जो राज्यों को राजस्व की क्षतिपूर्ति होगी, तीन साल तक 100 प्रतिशत उसकी भरपाई करेंगे, चौथे साल 75 प्रतिशत करेंगे, पांचवें साल 50 प्रतिशत करेंगे, तो फिर ये फार्मूला आया लेकिन यह एक्ट में सम्मिलित नहीं था और हम लोग चूँकि सीएसटी के मामले में जब राज्यों को क्षतिपूर्ति की बात की गई थी तो वह क्षतिपूर्ति हमारे राज्य को भी की नहीं गई थी. जब यूपीए की सरकार केन्द्र में थी क्षतिपूर्ति करने का वचन दिया था लेकिन क्षतिपूर्ति की नहीं गई थी क्योंकि दूध का जला छाछ को भी फूँक-फूँक कर पीता है इसलिए हम लोग यह आग्रह कर रहे थे कि क्षतिपूर्ति का स्पष्ट आश्वासन दिया जाना चाहिए और आज जो यह विधेयक आया है इसमें राज्यों को राजस्व की जो हानि होगी, उसकी 100 प्रतिशत तक क्षतिपूर्ति पांच साल तक की जाएगी, यह व्यवस्था एक्ट में ही की गई है. हमारी शंका समाधान हुआ. दूसरी बात जो हम लोगों ने उस समय कही थी कि अगर एक ही रेट आप रखेंगे तो गरीबों की उपयोग की जो चीजें हैं उनकी कीमतें बढ़ेंगी और जो अमीरों के उपयोग की चीजें हैं उनकी कीमतें घटेंगी. इसीलिए केन्द्रीय वित्त मंत्री जी ने कहा है कि लगभग 54 चीजें तो मुक्त रखी जाएंगी. जो गरीबों के उपयोग की चीजें हैं उन पर टैक्स कम रखा जा सकता है, उस पर अभी चर्चा होनी है, उस पर अभी बहस होनी है, जो जीएसटी काउन्सिल बनेगी, उसके अपने सुझाव आएंगे और आप सभी जानते हैं कि जीएसटी काउन्सिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री हैं, केन्द्र के वित्त मंत्री हैं इसलिए सब चीजों पर विचार होकर फैसला होगा. हम यही कह रहे थे कि जो राजस्व की हानि का सवाल था पहला 32 प्रतिशत केन्द्रीय करों में राज्यों का हिस्सा हुआ करता था वह बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया. अब अगर और ज्यादा करों की उगाही होगी तो 32 प्रतिशत से 42 प्रतिशत होने के कारण राज्यों को राजस्व की जो हानि होगी, वह बहुत कम होगी. हमको ज्यादा हिस्सा मिलेगा. अगर जीएसटी की वसूली ज्यादा हुई जैसा कि आप सब मित्रों ने कहा है जिसके कारण डेढ़ से लेकर दो प्रतिशत तक आपने कहा है जीडीपी बढे़गी, फायदा होगा, केन्द्र को फायदा होगा, राज्यों को फायदा होगा और केन्द्र जब हमको 42 प्रतिशत केन्द्रीय करों का हिस्सा देगा तो निश्चित तौर पर हमको ज्यादा राशि मिलेगी. हमने पहले जो आशंका प्रकट की थी उस पर हम लोगों ने आर एंड आर की दरों के बारे में सवाल उठाया था उसका अब समाधान कर दिया गया है. पहले यह व्यवस्था नहीं थी कि राज्यों को जो प्रभाजित राशि है वह भारत सरकार की संचित निधि का हिस्सा नहीं होगी. अब यह है. पूर्व में आईजीएसटी का मॉडल तैयार नहीं था इसमें आयात पर एसजीएसटी का हिस्सा मिल रहा है, स्पष्ट नहीं था अब है. पहले छोटे व्यवसायियों के हित के संरक्षण का प्रावधान तथा कंपोजिशन सीमा आदि नहीं थे जो प्रस्तावित विधेयक में किये गये हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी विनम्रतापूर्वक यह निवेदन करना चाहता हॅूं. केवल मध्यप्रदेश में ही नहीं, गुजरात में ही नहीं, राजस्थान में ही नहीं बाकी के कई राज्य थे जिन्होंने उस समय जीएसटी के इस स्वरूप का विरोध किया था वह विरोध जीएसटी का विरोध नहीं था उस स्वरूप का विरोध था इसलिए यू-टर्न का कोई सवाल नहीं है. विचार-विमर्श में से जो मुद्दे सामने आते गए उनका समाधान हो गया. इसलिए हम इसका समर्थन कर रहे हैं. मैं सारी चीजें . कई चीजें ऐसी हैं जो यहां आ गई हैं. अब टैक्स की दरें कम होंगी नवीन व्यवस्था में ध्यान टैक्स के बेस पर बढ़ाने पर होगा. टैक्स की दर कम होगी, बेस बढ़ेगा तो रेवेन्यू कम नहीं होगा. इसलिए बेस बढ़ाना ज्यादा इंर्पोटेंट है, ज्यादा महत्वपूर्ण है. इससे राजस्व का कोई नुकसान नहीं होगा. 5 साल तक राजस्व की भरपाई होगी. यह मैंने कहा ही है. सबसे बड़ी बात यह है कि इससे उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा. क्योंकि अभी टैक्स के ऊपर टैक्स, छुपे हुए टैक्स, राज्यों के टैक्स, केन्द्र के टैक्स, अप्रत्यक्ष टैक्स अब इसके कारण उपभोक्ताओं को पता ही नहीं चलता था कि कौन सा टैक्स चल रहा है चोरी छिपे भी हम ऐसे टैक्स लगा देते थे कि जो प्रत्यक्ष नहीं होते थे, अप्रत्यक्ष होते थे अब सारी चीजें सामने रहेगी तो उपभोक्ता को पता रहेगा कि कितना टैक्स उसके ऊपर लगता है नहीं तो कई बार ऐसी चतुराई से टैक्स लगा दिये जाते हैं कि उपभोक्ता अंधेरे में रह जाता है अब केवल जीएसटी निर्माता से उपभोक्ता तक केवल एक ही कर होगा, जिससे पारदर्शिता का लाभ आम उपभोक्ता को मिलेगा. सभी करों के एकीकरण की बात मेरे सभी विद्वान मित्रों ने कही है इसलिए मैं उसे दोहराउंगा नहीं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे देश में करदाता का एक पंजीयन और एक समान कर की दर होने पर कारोबार आसान हो जायेगा. यह मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहना चाहता हॅूं कि जब-जब भी राज्य में निवेश की बात होती थी निवेश के लिये हम दूसरे प्रदेशों में जायें या दुनिया के किसी देश में जायें एक ही सवाल पूछा जाता था कि भारत में जीएसटी पारित होगा या नहीं होगा. अगर हम दुनिया के और किसी देश में जाते थे तो हमेशा निवेशक यही सवाल करता था कि आपके यहां तो पता नहीं कौन से राज्य में कैसा टैक्स होगा, कितना टैक्स होगा. दिल्ली से निकलकर मध्यप्रदेश जायेंगे तो कितना टैक्स लगेगा. मध्यप्रदेश में सामान बनाकर यदि राजस्थान आ गए तो कितना टैक्स लगेगा. यह ऐसी कर प्रणाली थी जिसमें इतनी जटिलताएं थीं कि जिसके कारण निवेश होना दूभर जैसा हो गया था लेकिन हम आज जो कदम उठा रहे हैं उसके कारण टैक्स की एक दर होने के कारण देश में केवल, मध्यप्रदेश में ही नहीं देश में निवेश होना बहुत आसान हो जायेगा. निवेश आयेगा तो राजस्व बढे़गा, निवेश आयेगा तो रोजगार के अवसर बढे़ंगे. उसका लाभ पूरे देश को मिलेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यवसायियों को भी सुविधाएं मिलेंगी. अब उनको पता है कि एक ही कर देना है ऑनलाइन देना है. इसलिए जो बीच में आदमी बैठते थे अलग-अलग तरह के टैक्सेस की वसूली के मामले में, उसमें कर की चोरी से कर अपवंचन तक और भ्रष्टाचार तक दोनों तरह की चीजें बढ़ती थीं उसका इसमें समाधान हो गया है इसमें सारे चालान ऑनलाइन जनरेट होंगे और इसलिए करदाता व्यापारी खरीद और ब्रिकी कर का वितरण इलेक्ट्रॉनिक रूप से ऑनलाइन कर सकेंगे तो भ्रष्टाचार का जो मामला था इसमें भी मैं यह मानता हॅूं कि पूरी तरह से अंकुश लगेगा और इसलिए जो बाकी मित्रों ने बात कही है उस बात का समर्थन करते हुए मैं यह निवेदन करना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश की विधानसभा एक तरफ एक राष्ट्र के सिद्धांत को समर्थन देते हुए देश के हित में और प्रदेश के हित में फैसला कर रही है तो मैं मानता हॅूं कि यह अपने आप में ऐतिहासिक है. देश की आजादी के बाद करों के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाया जा रहा है जिसको सब मिलकर उठा रहे हैं. सारे देश के राजनैतिक दल एक हैं. क्या कांग्रेस, क्या भारतीय जनता पार्टी, क्या बसपा या बाकी दल और इसलिए हम यह सिद्ध कर रहे हैं कि जब राष्ट्रहित का मामला आता है तो तमाम विरोध होने के बावजूद भी हम राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हैं और राष्ट्रहित का जब सवाल आता है तो सारे राजनैतिक दल एक हो कर फैसला करते हैं. कुछ आशंकायें मित्रों के द्वारा प्रकट की गई हैं, जब जीएसटी काउंसिल की बैठक होगी तो माननीय वित्तमंत्री जी उन आशंकाओं के बारे में भी चर्चा करेंगे. हम अपने राज्य के हितों का भी पूरा संरक्षण करेंगे और हम सब इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अपनी जनता के ऊपर भी ज्यादा बोझ नहीं आना चाहिये. कोई भी राजनीतिक दल नहीं चाहेगा कि ज्यादा टैक्स लगाकर लोकप्रियता खोई जाये. अलोकप्रिय निर्णय लिये जायें. जो आवश्यक रेवेन्यू है, वह आ जाए लेकिन जनता पर बोझ भी न आए. इस बात का प्रयास निश्चित तौर माननीय मोदी जी के नेतृत्व में, अरुण जी के नेतृत्व में भारत सरकार भी करेगी और सभी राज्य सरकारें भी करेंगी . मैं पूरे सदन का आभारी हूं कि एकमत उन्होंने इसका समर्थन किया है. धन्यवाद.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दल के किसी भी विधायक ने इसका विरोध नहीं किया था हमारा दल यह चाहता था कि चर्चा हो.
अध्यक्ष महोदय—प्रश्न यह है कि यह सभा अनुच्छेद 368 के खण्ड(2) के परन्तुक के खण्ड (ख) और (ग) के दायरे में आने वाले भारत के संविधान के संशोधन, जो कि संसद के दोनों सदनों द्वारा यथापारित संविधान(एक सौ बाईसवां संशोधन) विधेयक, 2014 के द्वारा किया जाना प्रस्तावित है, का अनुसमर्थन करती है.
संकल्प सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, अब आगे बाढ़ पर भी चर्चा करा लें, काफी टाइम है, हाउस तो चल रहा है, टीए, डीए देना ही पड़ेगा. प्रदेश में बाढ़ आई हुई. चर्चा करा लें.
श्री बाला बच्चन—माननीय अध्यक्ष महोदय, बाढ़ औऱ सिंहस्थ पर भी चर्चा करानी चाहिए.
सत्र का समापन
अध्यक्ष महोदय-- अब यह सत्र समाप्ति की ओर है. मैं अपनी ओर से और पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की बधाई देते हुए उनकी सुख-समृद्धि की कामना करता हूं. अगले सत्र में हम सब ऐसे ही सुखद माहौल में पुनः समवेत होंगे.इस भावना के साथ आप सभी को धन्यवाद.
राष्ट्रगान “जन-गण-मन” का समूहगान
अध्यक्ष महोदय---अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन में राष्ट्रगान जन-गण-मन का समूहगान किया गया)
1.48 बजे सदन की कार्यवाही का अनिश्चितकाल के लिए स्थगन
अध्यक्ष महोदय-- विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 1.48 बजे विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल. अवधेश प्रताप सिंह,
दिनाँक- 24 अगस्त 2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा