मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

           __________________________________________________________

 

पंचदश विधान सभा                                                                        तृतीय सत्र

 

 

जुलाई, 2019 सत्र

 

बुधवार, दिनांक 24 जुलाई, 2019

 

(2 श्रावण, शक संवत्‌ 1941 )

 

 

[खण्ड-  3 ]                                                                                                       [अंक-  13 ]

        

            __________________________________________________________

 

 

 

 

 

 

मध्यप्रदेश विधान सभा

 

बुधवार, दिनांक 24 जुलाई, 2019

 

(2 श्रावण, शक संवत्‌ 1941)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.04 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

          लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) - इधर भी देखकर मुस्‍कुरा दीजिए. (...हंसी)

          अध्‍यक्ष महोदय - पूरा मुस्‍कुरा रहा हूं, आपको देखकर तो कालेज से मुस्‍कुरा रहा हूं. (...हंसी)

          श्री अजय विश्‍नोई - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने यहां देखा और उनकी तरफ देखकर मुस्‍कुराया, हम लोगों को नजरअंदाज कर दिया. वहां देखकर मुस्‍कुराने लायक उनके पास है क्‍या (..हंसी)

          श्री तुलसीराम सिलावट - कोरम पूरा होता नहीं है, अमिताभ जी हमारे.

          लोक निर्माण मंत्री(श्री सज्‍जन सिंह वर्मा) - आपके पास तो नरोत्‍तम जी हैं, मुस्‍कुराने के लिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - नरोत्‍तम जी, हम क्‍या करें, आपकी सूरत और सीरत ही ऐसी है कि आजू-बाजू देखने का मन ही नहीं करता है. (..हंसी)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, दरअसल क्‍या है कि आज आपकी आंख गुलाबी, होंठ गुलाबी, कुर्ता गुलाबी, हर चीज गुलाबी रंग में ढली हुई है, इसलिए ढंग बदल गए.

          अध्‍यक्ष महोदय - कुछ नहीं परसो आप गुलाबी बंडी पहनकर आए थे, तब से मेरी नजर लगी है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - हुजूर वह बंडी थी, आपने पूरा पहना है.

          अध्‍यक्ष महोदय - धन्‍यवाद, धन्‍यवाद.             

          श्री अजय विश्‍नोई - इतना प्रेम है कि परसो तक की ड्रेस याद है. आपकी आंखें गुलाबी है, यह तो ठीक है, आज रंगत और दिल भी तो कहीं गुलाबी नहीं है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - दुनिया जब जलती है, तो हाय रे बड़ा मजा आता है. (..हंसी)

          अध्‍यक्ष महोदय - देखो भाई, जब व्‍यक्ति खुद से प्रेम करता है, तभी उसके बाद प्‍यार शुरू होता है, जब खुद से प्रेम करें. इरशाद के.पी जी, इरशाद.

          श्री के.पी. सिंह - ''ये बेवफा से वफा की उम्‍मीद आप कैसे कर रहे हैं. बेवफा से वफा की उम्‍मीद, किस जमाने के आदमी तुम हो''. भूल गया, याददाश्‍त स्लिप हो जाती है. (..हंसी)

          अध्‍यक्ष महोदय - ऐसा है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - इसका जवाब सिर्फ इतना सा है कि ''हम बावफा थे, इसलिए नजरों से गिर गए, शायद इन्‍हें तलाश किसी बेवफा की थी.''

          अध्‍यक्ष महोदय - वाह....

          श्री के.पी. सिंह - ये तो जिनके साथ गुजरी है, वही जान सकते हैं. (..हंसी)

 

11:06 बजे                                         निधन उल्‍लेख

          श्रीमती सुषमा सिंह, भूतपूर्व सदस्‍य विधानसभा

        अध्‍यक्ष महोदय - मुझे सदन को यह सूचित करते हुए अत्‍यंत दुख हो रहा है कि मध्‍यप्रदेश विधानसभा की भूतपूर्व सदस्‍य, श्रीमती सुषमा सिंह का दिनांक 22 जुलाई, 2019 को निधन हो गया है.

          श्रीमती सुषमा सिंह का जन्‍म 28 अगस्‍त, 1932 को हुआ था. आप ए.एम.आई. शिशु मंदिर की प्राचार्य, बुन्‍देलखंड परिषद् की संयुक्‍त सचिव तथा जनता पार्टी की प्रदेश उपाध्‍यक्ष रहीं, श्रीमती सिंह ने प्रदेश की छटवीं विधानसभा में जनता पार्टी को ओर से करेरा क्षेत्र का प्रतिनिधित्‍व किया था.

          आपके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेत्री एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.

          मुख्‍यमंत्री (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं सुषमा सिंह को जानता तो नहीं था, पर उनके बारे में जरूर सुना था, वे समाज सेविका थीं और इस सदन की सदस्‍य रहीं, उन्‍होंने अपना जीवन समाजसेवा में समर्पित किया. मैं अपनी ओर से, अपनी पार्टी की ओर से ओर सदन की ओर उन्‍हें श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, श्रद्धेय सुषमा सिंह जी, करेरा विधानसभा, जो मेरी पूर्व की विधानसभा डबरा थी, उससे लगी हुई थीं, वहां से विधायक रहीं थीं और लोग उन्‍हें मौसी जी के नाम से जानते थे. श्रद्धेय राजमाता जी की बहन के रूप में उनका परिचय था, उनका व्‍यापक कार्यक्षेत्र भी था, सामाजिक क्षेत्रों में जुड़ी रहीं. सरस्‍वती शिशु मंदिर के माध्‍यम से भी और अन्‍य जो सामाजिक संगठन थे, उनके अंदर उनका काफी आना जाना था और काफी लोकप्रिय भी थीं, उनके समय कई चीजें थी, जैसे उस समय करेरा में एक शुगर फैक्‍ट्री का उन्‍होंने योगदान देकर किसानों के कल्‍याण के लिए भी उस दरमियान काफी काम किया. ग्‍वालियर में राजमाता साहब की वजह से उनका ज्‍यादा कार्यक्षेत्र भी रहता था. वे आज हमारे बीच में नहीं हैं, निश्चित रूप से यह दु:खद क्षण है. मैं परमपिता परमात्‍मा से प्रार्थना करता हूं कि वह उनकी आत्‍मा को शांति दें और उन्‍हें अपने चरणों में स्‍थान दें, ओम शांति.

          श्री अजय विश्‍नोई - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज सुषमा जी की देहावसान की खबर सुनकर मैं भी दु:खी हूं. इस अवसर पर उनके द्वारा एक वार्तालाप जो कि बहुत प्रेरक प्रसंग के रूप में याद करता हूं, उसका उल्‍लेख यहां पर करना चाहता हूं कि ग्‍वालियर में सिंधिया गर्ल्‍स स्‍कूल का संचालन भी उन्‍होंने एक लंबे समय तक किया, और उस समय जब मेरी उनसे वार्तालाप हो रही थी, तो मैंने उनसे पूछा कि मौसी जी आपके ऊपर तो काफी दवाब आते होंगे, राजनीतिक लोगों से आप जुड़ीं हुईं हैं, बच्‍चों को स्‍कूल में भर्ती कराने के लिए या मास्‍टरों को भर्ती कराने के लिए तो आप उन्‍हें कैसे बर्दाश्‍त करती हों, तो उन्‍होंने बहुत अच्‍छा जवाब दिया था, उन्‍होंने कहा कि किसी बच्‍चे को जो 19-20 है भर्ती कराने के लिए दबाव आए तो मैं स्‍वीकार कर लेती हूं, पर यदि कोई मास्‍टर 19 भी है तो मैं उसको भर्ती करने के लिए कोई दबाव बर्दाश्‍त नहीं करती, क्‍योंकि वह आएगा तो हर साल एक पूरी की पूरी एक पीढ़ी को खराब करके जाएगा. आज वह प्रेरक प्रसंग अचानक उनकी खबर सुनकर याद आ गया. इस अवसर पर हम सब दु:खी है, प्रभु उनकी मृत आत्‍मा को शांति दे, यही प्रार्थना है.

          अध्‍यक्ष महोदय - मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं, अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.

        (सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)

अध्यक्ष महोदय - दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.

 

 

 11.11 बजे             (सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)

 

       

 

 

 

11.17 बजे                         विधानसभा पुन: समवेत हुई.

        (अध्‍यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.)

 

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

शिवपुरी शहर में समूहों द्वारा पौष्टिक आहार का वितरण

[महिला एवं बाल विकास]

        1. ( *क्र. 3236 ) श्री के.पी. सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) समेकित बाल विकास परियोजना आई.सी.डी.एस. अंतर्गत शिवपुरी शहर में वर्तमान में कुल कितने समूह पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम कर रहे हैं? केन्‍द्रवार समूहों की जानकारी दें (ख) शहरी परियोजना में पके हुए पौष्टिक आहार वितरण हेतु समूहों के चयन संबंधी विभाग के क्‍या नियम हैं? उपलब्ध करावें वर्तमान में कार्यरत समूहों का चयन किस प्रक्रिया अंतर्गत किया गया है तथा एक समूह को अधिकतम कितने आंगनवाड़ी केन्‍द्रों पर पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम दिये जाने का प्रावधान है? (ग) क्‍या कार्यरत समूहों का किसी प्रकार का ऑडिट किया गया है? यदि हाँ, तो कितने समूहों की ऑडिट रिपोर्ट विभाग के पास उपलब्‍ध है? क्‍या विभाग के पर्यवेक्षण में सभी समूहों का काम ठीक पाया गया है? (घ) पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण करने वाले समूहों के संचालनकर्ताओं के समूहवार नाम तथा विगत 2 वर्षों में इन समूहों को कुल भुगतान की गई राशि की जानकारी दें क्‍या शिवपुरी जिले में विभाग के कार्यरत अधिकारियों/‍ कर्मचारियों के परिजनों द्वारा समूहों का संचालन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो ब्‍यौरा दें

        महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) समेकित बाल विकास परियोजना आई.सी.डी.एस. अन्तर्गत शिवपुरी शहर में वर्तमान में कुल 05 समूह एवं 08 महिला मण्डल पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम कर रहे हैं। केन्द्रवार समूहों एवं महिला मण्डलों की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) शहरी परियोजना में पके हुए पौष्टिक आहार वितरण हेतु समूहों के चयन संबंधी विभाग के निर्देश पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। वर्तमान में कार्यरत समूहों का चयन जिला स्तर से विभाग के उक्त निर्देशों के अनुसार किया गया है। शहरी क्षेत्र में महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल/महिला स्व-सहायता के परिसंघों को उनकी कार्यक्षमता, आर्थिक स्थिति के मूल्यांकन के आधार को दृष्टिगत रखते हुये एक स्थानीय संस्था को कम से कम 50 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम दिये जाने का प्रावधान है। (ग) जी नहीं। महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल/महिला स्व-सहायता के परिसंघों द्वारा शहरी क्षेत्रों में प्रदाय पूरक पोषण आहार के ऑडिट का प्रावधान नहीं है। शिवपुरी जिले के शहरी क्षेत्रों में पूरक पोषण आहार के कार्य में संलग्न महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल का कार्य विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी/परियोजना अधिकारी/पर्यवेक्षक के आंगनवाड़ी केन्द्रों पर भ्रमण में ठीक पाया गया है। (घ) शिवपुरी जिले के शहरी क्षेत्र में पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण करने वाले समूहों के संचालनकर्ताओं के समूहवार नाम पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' पर तथा विगत 02 वर्षों में इन समूहों को कुल भुगतान की गई राशि की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

          श्री के. पी. सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, शिवपुरी जिले में एक प्रशिक्ष्‍ाण केन्‍द्र दतिया और श्‍योपुर, हालांकि नरोत्‍तम मिश्र ने अब इसको मार्च के बाद दतिया करा लिया है. लेकिन तीन जिलों का एक केन्‍द्र चलता है, जिसको लेकर मेरा प्रश्‍न है. मै मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि विभिन्‍न योजनाएं, जो आपके विभाग की ट्रेनिंग की होती हैं, इसमें सखी संवाद, राष्‍ट्रीय पोषण मिशन, स्‍तनपान अभियान, समेकित बाल संरक्षण योजना, बेटी बचाओ, शाला पूर्व अनौपचारिक प्रशिक्षण जैसी ही बहुत सारी योजनाएं हैं, जो केन्‍द्र सरकार और राज्‍य सरकार मिलकर चलाती हैं. पिछले 3 वर्षों में शिवपुरी के प्रशिक्षण सेन्‍टर पर कितना आवंटन दिया गया है ? माननीय मंत्री जी, कृपया बता दें.

          श्रीमती इमरती देवी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सदन में पहली बार जवाब दे रही हूँ और आपका संरक्षण चाहती हूँ. जब जवाब देने को खड़ी हुई हूँ तो माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पाला घर में पड़ा है, परिवार में ही पड़ा है, पार्टी से पड़ा है. जो माननीय सम्‍माननीय विधायक जी ने पूछा है कि 3 वर्षों में कितना खर्च हुआ है ? तो मैं सम्‍माननीय विधायक महोदय को शिवपुरी जिले का बताना चाहती हूँ कि 2 करोड़     12 लाख रुपये, 2 वर्ष में शिवपुरी जिले में खर्च हुए हैं. माननीय से कहना चाहती हूँ कि जो आपने दतिया और श्‍योपुर का भी पूछा है तो मैं माननीय से बात करके और पूरा हिसाब उनके यहां भेज दूँगी.

          अध्‍यक्ष महोदय - विधायक जी, बहुत उदारतापूर्वक आपको संतुष्‍ट किया जा रहा है.

          लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्‍यक्ष महोदय, इनकी बात तो माननी पड़ेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय - ठीक है. 

           श्री के.पी.सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो पैसा खर्च हुआ है, उसमें मंत्री जी स्‍वयं करोड़ों रूपये की राशि स्‍वीकार कर रही हैं. चूंकि तीनों जिलों का ब्‍यौरा उनके  पास नहीं है और इसमें न तो कोई नियम है, न ही कोई टेंडर प्रक्रिया निर्धारित है कि किसको देना है, कौन काम करेगा, कौन उसको खर्च करेगा ? इसका भी कोई हिसाब-किताब या नियम नहीं है. मैं मंत्री से चाहूंगा कि इसके लिये कोई प्रक्रिया बनायें और पिछले तीन सालों में जितना पैसा टोटल खर्च हुआ है, उसकी किसी वरिष्‍ठ आई.ए.एस. अधिकारी या कमिश्‍नर स्‍तर के अधिकारी, या ग्‍वालियर कमिश्‍नर से जांच करवाना चाहें, तो उनसे जांच करवा लें या किसी वरिष्‍ठ अधिकारी से इसकी जांच करा लें क्‍योंकि यह जांच इसलिये जरूरी है कि इस प्रकार से पूरे मध्‍यप्रदेश में हुआ है. यह अकेले शिवपुरी जिले में नहीं हुआ है, मैंने केवल शिवपुरी जिले के उदाहरण के रूप में प्रश्‍न लगाया है, लेकिन यह स्थिति पूरे मध्‍यप्रदेश के ट्रेनिंग सेंटरों की है, ट्रेनिंग के नाम पर करोड़ों रूपये डकारे गये हैं. एक जिले में एवरेज चार हजार से पांच हजार कार्यकताओं और सहायिकाओं की ट्रेनिंग होती हैं. मैंने एक जगह एक रिपोर्ट पढ़ी है कि जहां कोई बैठने के लिये हॉल तक नहीं हैं, वहां 250 लोगों की ट्रेनिंग करा दी गई है. मैंने कार्यकताओं से पूछा कि ट्रेनिंग का क्‍या हुआ तो उनका कहना है कि हमें तो बुलाया ही नहीं गया है और केवल दस्‍तखत करवा लिये गये हैं. इस प्रकार से अगर हम पूरे मध्‍यप्रदेश में जोड़ेंगे तो मेरी समझ से यह राशि डेढ़ सौ करोड़ रूपये के आसपास पहुंचेगी, जो ट्रेनिंग के नाम पर खर्च की गई है. माननीय मंत्री जी आप पूरे मध्‍यप्रदेश में इन सारे ट्रेनिंग सेंटरों का ठीक से हर जिले का ऑडिट करायें और शिवपुरी जिले का चूंकि मेरा प्रश्‍न है, वहां  पर तीन जिलों को मिलाकर एक ट्रेनिंग सेंटर है, इसकी भी कमिश्‍नर स्‍तर के किसी भी अधिकारी से जांच करा लें कि यह पैसा वास्‍तव में सही खर्च हुआ है? क्‍या इसमें फर्जीवाड़ा   है ? यही मैं इतना मंत्री जी से चाहता हूं.

          श्रीमती इमरती देवी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी से कहना चाहती हूं कि उनकी भावना से मैं भी परिचित हूं. मैं भी जब जिसे जिले में जाकर पूछती हूं तो हर  जिले से इसी प्रकार की बात आ रही है कि पैसा खर्च नहीं हुआ है, जो तीन, चार साल में हुआ है या पंद्रह साल में हुआ है सारा पैसा भ्रष्‍टाचारी में गया है. माननीय विधायक महोदय ने कहा है तो मैं उनकी भावना से परिचित होते हुये कह रही हूं कि वास्‍तव में जो आपने कहा है उसकी मैं जिस अधिकारी से आप चाहेंगे वह चाहे ग्‍वालियर के हों, चाहे दतिया के हों, चाहे आपके शिवपुरी के हों, चाहे भोपाल स्‍तर के अधिकारी हों, जिस भी अधिकारी से आप जांच करवाना चाहते हैं, मैं उस अधिकारी से इसकी जांच करवा दूंगी. जांच इसलिये भी की जायेगी क्‍योंकि सिर्फ शिवपुरी जिले में ही नहीं वास्‍तव में पूरे मध्‍यप्रदेश में ऐसा हुआ है और हर जगह से यह खबर आ रही है कि जो पोषण आहार है उसका पैसा पंद्रह साल में पूरा भ्रष्‍टाचारी के भेंट चढ़ा है, इसलिये महिला विकास बहुत कमजोर हो गया है. मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहती हूं कि मैं जब से इस विभाग की मंत्री बनी हूं, मैं हर आंगनबाड़ी और हर केंद्र पर जा रही हूं और मेरे अधिकारी भी जा रहे हैं. मैं सभी अधिकारी और माननीय मुख्‍यमंत्री से भी सहयोग चाहूंगी कि वह सिर्फ मेरी मदद कर दे तो इन भ्रष्‍टाचारियों की जांच जल्‍दी से जल्‍दी दो-तीन माह में करवा दूंगी.

          श्री के.पी.सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

          नगर पालिका इटारसी को सब्‍जी मंडी के लिए आवंटित भूमि

[राजस्व]

2. ( *क्र. 3497 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिका इटारसी जिला होशंगाबाद को सब्‍जी मंडी के लिये कब तथा कितनी नजूल भूमि आवंटित की गई थी? संबंधित आवंटन पत्र/लीज डीड की प्रति उपलब्‍ध करावें। (ख) उक्‍त आवंटन राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र के किस प्रावधान के अंतर्गत किया गया था? तत्‍समय प्रभावी राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र से संबंधित प्रावधान की प्रति उपलब्‍ध करावें। (ग) वर्तमान में नगर पालिका को सब्‍जी मंडी के लिये नजूल भूमि का आवंटन राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र के किस प्रावधान के अंतर्गत किया जाता है? (घ) वर्तमान में राजस्‍व अभिलेख में नगर पालिका के नाम पर सब्‍जी मंडी के लिये कितनी भूमि अभिलिखित है?

          राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) नगर पालिका इटारसी जिला होशंगाबाद को सब्‍जी बाजार के निर्माण हेतु दिनांक 25.05.1973 को कुल 50085 वर्गफीट भूमि निहित करने की स्‍वीकृति प्रदान की गई है। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) उक्‍त आवंटन राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र 4 (1) के अनुसार किया गया है। राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र के प्रावधान पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ग) वर्तमान में नगर पालिका को सब्‍जी मंडी के लिये नजूल भूमि का आवंटन राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र 4 (1) की कंडिका 26 के अनुसार किया जाता है। (घ) वर्तमान राजस्‍व अभिलेख में नगर पालिका इटारसी के नाम पर सब्‍जी मंडी हेतु 50081 वर्गफीट भूमि अभिलिखित है।

          डॉ.सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वैसे तो माननीय मंत्री जी  ने समाधानकारक उत्‍तर दिया है, मैं इसके लिये उनको धन्‍यवाद देना चाहता हूं किंतु मैं यह प्रश्‍न पूछना चाहता हूं कि यह सब्‍जी मंडी की जमीन वर्ष 1971 में दी थी, यह प्रपत्र आपने ही दिये हैं. उस वक्‍त जो कंडीशन थी, उसको आपने उत्‍तर में भी लिखा है कि तत्‍समय में यह राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र 4(1) की कंडिका 26 के अनुसार दी गई थी. एक तो हमारी इटारसी को ट्रेनिंग सेंटर बना दिया गया है और जो नये अधिकारी आते हैं, जो आई.ए.एस. की परीक्षा पास करके आते हैं, उन्‍हें नियम कानून प्रक्रिया कुछ पता नहीं रहती हैं. अब यह हो रहा है कि जो एस.डी.एम आते हैं, वह एक नोटिस दे देते हैं कि लाओ इसका इतना करोड़ रूपये जमा करा दो. जब वहां सब्‍जी मार्केट के लिये ही, सब्‍जी बाजार के लिये ही पैसा दिया गया था, इस संबंध में आपका 1971 का प्रपत्र भी है तो इसके बाद मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्‍या हर वर्ष जब भी कोई एस.डी.एम आयेगा तो नगर पालिका सरकार के खाते में हर वर्ष उस जमीन का पैसा जमा करेगी ? और नहीं करेगी तो हमारे एस.डी.एम. ने जो गोपनीय रिपोर्ट कमिश्‍नर को भेजी है और दुर्भाग्‍य यह है कि कमिश्‍नर ने भी तत्‍कालीन उसको स्‍वीकार कर लिया है, क्‍या आप उस रिपोर्ट को निरस्‍त करेंगे ?                

                   श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत--  अध्‍यक्ष महोदय, इटारसी नगर पालिका को जो जगह दी गई थी, यह सच है कि वह वर्ष 1973 में 50 हजार 85 वर्गफीट जगह 4.1 के प्रावधान के अनुसार दी गई थी. जहां तक जांच की बात माननीय सदस्‍य ने की है, एक एस.डी.एम. के नोटिस की बात आपने कही है या बार-बार नोटिस की बात कही है तो यह शिकायत जो है, शायद माननीय वरिष्‍ठ सदस्‍य की जानकारी में होगी. वर्ष 2016 में पूर्व पार्षद रामकिशोर रावत ने कमिश्‍नर को शिकायत की थी और कमिश्‍नर ने वह शिकायत एस.डी.एम. को सौंपी, एस.डी.एम. ने शिकायत की जानकारी हेतु सीएमओ नगर पालिका को सौंपी और जब उस पर जांच के बिंदु भी आप कहो तो हम पढ़ दें, आपको जानकारी में होंगे. जब वह सीएमओ के द्वारा जांच का प्रतिवेदन नहीं आया तब एस.डी.एम. ने दोबारा जवाब दिनांक 16.05.19 को मांगा, पुन: जवाब मांगा. मैं समझता हूं एस.डी.एम. द्वारा बार-बार सीएमओ को या मंडी के लिये कोई अनावश्‍यक परेशान नहीं किया जा रहा है. जगह राज्‍य सरकार ने दी, भू-भाटक आपने उस समय दिया ही था, बल्कि भू-भाटक के लिये करीक 30 साल हो चुके हैं, माननीय सदस्‍य बहुत बुद्धिजीवी हैं यह उनकी जानकारी में होगा. इसमें प्रश्‍न कोई उद्भूत नहीं होता. अगर अध्‍यक्ष महोदय, आप चाहें जिस प्रकार की जांच आप चाहे या जिस प्रकार का आप कहें मैं वह कराने को तैयार हूं.

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  धन्‍यवाद माननीय मंत्री जी क्‍योंकि आपने सारी बात कह दी कि आप जो जांच चाहें, तो मेरा अनुरोध सिर्फ यह था कि अब दोबारा जो पुराना आर्डर है उसके तहत जो पैसा अगर कोई ड्यू होगा तो वह नगर पालिका भरेगी, किंतु अब नये सिरे से नगर पालिका से पैसा मांगना नजूल ने नगर पालिका को जमीन दे दी और 48 वर्ष हो गये तो अब नये सिरे से पैसा मांगकर के परेशान करना यह उचित नहीं है. इसी संबंध में मेरा आपसे अनुरोध है कि भविष्‍य में, दूसरी बात एक और है माननीय अध्‍यक्ष जी कि नगर पालिका अधिनियम में एस.डी.एम. को जांच करने का पावर नहीं है. इसके बाद भी एस.डी.एम. जांच करने चला जाता है, अब वह दूसरे माननीय मंत्री जी का विषय है, किंतु सामूहिक जिम्‍मेदारी भी है. मेरा यह भी अनुरोध है कि अधिकारी कानून के अनुसार और नियम के अनुसार काम करे, खासकर के चूंकि आप राजस्‍व मंत्री हैं, राजस्‍व विभाग के अधिकारी, यह मेरा आपसे अनुरोध है. बाकी यदि इसमें कोई बात होगी तो मैं लिखकर के आपको भेज दूंगा ताकि भविष्‍य में इसकी कोई और जांच की आवश्‍यकता हो तो वह हो सके.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एस.डी.एम. जो होता है, एस.डी.एम. कमिश्‍नर के आदेश पर कहीं भी जांच करा सकता है. यह बात तो पूर्व अध्‍यक्ष महोदय समझते हैं. कमिश्‍नर के आदेश पर एस.डी.एम. ने सीएमओ से जानकारी मांगी, वह कमिश्‍नर ने पार्षद की शिकायत पर आदेश दिये कि सिर्फ एस.डी.एम. अनावश्‍यक हस्‍तक्षेप नहीं कर रहा है वह वरिष्‍ठ अधिकारियों के आदेश पर ही उसने नोटिस नहीं भेजा, मैं नोटिस नहीं कहूंगा, उसने जांच का प्रतिवेदन मांगा है और अभी तक आज दिनांक तक सीएमओ द्वारा जांच प्रतिवेदन भी प्राप्‍त नहीं हुआ है. जांच प्रतिवेदन आने के बाद में माननीय सदस्‍य जो कहेंगे उस पर मैं जांच की कार्यवाही कर दूंगा.

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  ठीक है.

 

 

नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में अनियमितता

[चिकित्सा शिक्षा]

3. ( *क्र. 3092 ) श्री विनय सक्सेना : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2018 में प्रदेश में 350 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति प्रदान की गयी है? वर्ष 2018-19 में जबलपुर जिले के समस्त नर्सिंग कॉलेजों द्वारा प्रस्तुत मान्यता आवेदनों की प्रति देवें (ख) क्या नर्सिंग कॉलेज स्थापना के न्यूनतम मापदंड लैब, लायब्रेरी, क्लासरूम सहित निर्धारित संख्या में बिस्तर युक्त अस्पताल इत्यादि अर्हताओं को पूर्ण न करने वाले कॉलेजों को भी अनुमति प्रदान की गयी है? यदि हाँ, तो विवरण देवें (ग) क्या बिना स्थल निरीक्षण तथा सत्यापन किये कुछ नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गयी है? यदि हाँ, तो क्‍यों? (घ) विगत 2 वर्षों में मान्यता प्रदाय में अनियमितता संबंधी कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं तथा उन पर क्या-क्या कार्यवाही की गयी? क्या ई.ओ.डब्ल्यू./लोकायुक्त इस मामले में कोई जाँच कर रहा है? यदि हाँ, तो विवरण देवें

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। जबलपुर जिले में संचालित नर्सिंग कॉलेजों की मान्‍यता आवेदनों की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) मध्‍यप्रदेश नर्सिंग शिक्षण संस्‍था मान्‍यता नियम 2018 के उप बिन्‍दु 1 अनुसार कार्यवाही की गयी है। जिसकी जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। शेष का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (घ) आलोच्‍य अवधि में 12 शिकायतें प्राप्‍त हुईं हैं, जिसकी जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''3'' एवं ''4'' अनुसार है। जी हाँ। ई.ओ.डब्‍ल्‍यू./लोकायुक्‍त द्वारा की जा रही जाँच/कार्यवाही की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''3'' एवं ''4'' के कॉलम सरल-6 पर अंकित है।

 

          श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में नर्सिंग कालेजों का मामला मैंने संज्ञान में लाया है. नर्सिंग कालेजों की हालत यह है कि 2018 के आसपास 350 नर्सिंग कालेजों की अनुमति दी गई. बड़ा गंभीर मामला है और माननीय मंत्री जी बड़ी संवेदनशील हैं. मैं उनसे आग्रह करना चाहता हूं कि 20 हजार स्क्वायर फीट की बिल्डिंग, सात लैब, एक आडीटोरियम, ये सब शर्तें होनी चाहिये लेकिन दुर्भाग्य है कि मध्यप्रदेश में जो कालेजों  की अनुमति दी गई, जिसकी बोली अनुमति की एक-एक करोड़ रुपये में लगी और हालत यह है कि मध्यप्रदेश में भवन में नीचे अस्पताल चल रहे हैं और ऊपर छत पर नर्सिंग कालेज चल रहे हैं. मैं एक और  बात संज्ञान में लाना चाहता हूं कि हिमाचल प्रदेश ने एक पत्र के द्वारा मध्यप्रदेश सरकार से एक जांच मांगी है. ढाई हजार बच्चे जो यहां से नर्सिंग में पढ़कर गये हैं, उनका जो नर्सिंग का ज्ञान है उसके कारण वहां कई मौतें हो गईं. यह हमारे प्रदेश के नाम पर एक और धब्बा है, जो पिछली सरकार के कार्यकाल के चलते हुआ. एक और बात मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि  पिछले दोनों मंत्रियों के द्वारा ऐसे कालेजों को अनुमति दी गई, एक को तो मैंने ही चुनाव में परास्त किया. साढ़े तीन सौ कालेजों के लोग भोपाल में आकर बैठे रहे, होटलें पूरी बुक थीं और उस समय के मुख्यमंत्री जी चूंकि वे अकेले बड़ी मछली पकड़ रहे थे और अकेले-अकेले काम कर रहे थे इसीलिये राधेश्याम जुलानिया जी को अधिकार दिया कि इनकी अनुमति इनके हाथ से रोक दी जाये. उनके पिछले जो मंत्री थे जिनकी आप अक्सर चर्चा करते हैं, उनके द्वारा भी ऐेसे लोगों को बहुत उपकृत किया गया. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि एक तरफ ग्वालियर में 127 कालेजों की मान्यता समाप्त की गई है. मेरे पास जबलपुर के कई उदाहरण हैं. अमर ज्योति नर्सिंग कालेज की मान्यता जारी भी की गई है और एक और लिस्ट में उसकी मान्यता जारी नहीं भी की गई है. यह कालेज वहां पर ड्यूप्लेक्स में चल रहा है. जबलपुर में कई कालेज ऐसे हैं जो छतों पर चल रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी एक समिति बना दें. मैं अभी जो कुछ कह रहा हूं बिल्कुल सत्यता के आधार पर कह रहा हूं. इसके पहले कई बार जब-जब यह प्रश्न विधान सभा में लगा तो इसी तरह का  जानकारी का बंडल भेजा गया जैसा आज मुझे सुबह-सुबह उपलब्ध कराया गया है, जिससे कि मैं उसकी तैयारी न कर पाऊं. मेरा माननीय मंत्री जी से,  चूंकि वे बहुत संवेदनशील हैं, महिला भी हैं और वे हमेशा बड़ी तल्खी के साथ बात रखती हैं और माननीय कमलनाथ जी ने भी सरकार बनने के पहले कहा भी था कि व्यापम सहित जो बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं, उनमें हम लोग जांच कराएंगे. मेरा आपसे निवेदन है कि जो 350 कालेजों को मान्यता दी ग,ई जिसके मेरे पास प्रमाण हैं. इसमें 127 से ज्यादा कालेज ऐसे हैं, जो छतों पर लग रहे हैं, 2-2 कमरों में लग रहे हैं.

            अध्यक्ष महोदय - आपके पास जानकारी है ?

          श्री विनय सक्सेना - मेरे पास जानकारी कागजों में है और पूरा रिकार्ड मेरे पास है. मैं चाहता हूं कि इसको संज्ञान में लेकर इसकी जांच कराई जाये. उन अधिकारियों की भी जांच कराई जाए ?

            डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद करती हूं सक्सेना जी को, कि उन्होंने एक गंभीर विषय पर सदन का ध्यान आकर्षित किया है. मैं आपके माध्यम से सदन को  बताना चाहती हूं कि कुल आनलाईन जो आवेदन हुए थे वे करीब-करीब 529 प्रायवेट नर्सिंग कालेजों के थे और शासकीय नर्सिंग संस्थाओं के करीब-करीब 30 आवेदन थे. जो मान्यता दी गई प्रायवेट को 353 को और 30 शासकीय नर्सिंग कालेजों को और बाकी की मान्यता रद्द कर दी गई. पहले यह नियम थे कि नर्सिंग काउंसिल जो इंडिया की थी उसके माध्यम से नर्सिंग कालेजों को मान्यता दी जाती थी लेकिन 2017 को माननीय उच्चतम् न्यायालय के निर्देश अनुसार मध्यप्रदेश की काउंसिल इसको परमीशन देने लगी और इसमें 2018 में जो नियम बनाये गये, उसमें मध्यप्रदेश नर्सिंग टीचिंग इंस्टीट्यूशन को recognition किया गया और यह नियम 2018 में बने, चूंकि आचार संहिता लगी थी इसके कारण 1 दिसम्बर,2018 को 2018-19 के लिये यह नियम लागू किये गये उसके अंतर्गत जो नयी संस्थाएं हैं, उनसे आवेदन मांगे गये, स्वमोटो उन्होंने आनलाईन आवेदन किये और जो नियम बने थे, कितना रेश्यो होना चाहिये टीचिंग स्टाफ का, स्टूडेंट का और बेड्स का रेश्यो कितना होना चाहिये, रूम्स कितने बड़े होने चाहिये, क्या लैब होनी चाहिये ? जो  भी नियम थे उसके आधार पर इन संस्थाओं ने आवेदन किया, उन्हें अनुमति दी गई. नियम यह भी कहता है कि जब शिकायतें होंगी, तो समय-समय पर उसका संज्ञान लेते हुए संस्थाओं की जांच की जायेगी. माननीय सदस्य ने जो यहां मामला उठाया, मैं आश्वस्त करती हूं सदन में, मेरे संज्ञान में ला दी जायें, मैं जांच करवा लूंगी.

श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, इसमें इंडियन नर्सिंग काउंसिल भी दिल्ली से इनवॉल्व्ड है, जिसमें मध्यप्रदेश के 1-2 सांसद भी सदस्य हैं उनके द्वारा भी कई ऐसी अनुमति कराई गई हैं जिनकी लिस्ट मेरे पास में है. मेरा तो आपसे आग्रह है, माननीय मंत्री जी से भी आग्रह है चूंकि इसमें दिल्ली की नर्सिंग काउंसिल भी जुड़ी हुई है. इसकी तो जांच सीबीआई से कराई जाना चाहिए. खुद उन्होंने स्वीकारा है 353 नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति दी गई और 353 में से आधों की हालत यह है कि जिनके पास 20000 तो छोड़िए, 200 स्क.फीट की जगह भी नहीं है. इसके बाद सिर्फ पैसों के लेन-देन के चलते इनको अनुमतियां दे दी गईं.जो एक गंभीर प्रश्न है. दूसरा गंभीर प्रश्न यह है कि हिमाचल प्रदेश का मैंने उल्लेख किया है जिसको संज्ञान में नहीं लिया जा रहा है क्या हिमाचल प्रदेश ने ढ़ाई हजार ऐसे बच्चों को अयोग्य पाया जो मध्यप्रदेश से नर्सिंग से पास होकर गये? यह मध्यप्रदेश के नाम पर कलंक नहीं है? क्या ऐसे नर्सिंग कॉलेज हम तैयार कर रहे हैं जो कि दो-दो कमरे में लगते हैं, जहां पर पढ़ाई न होकर नकल से पास कराया जा रहा है, यह संज्ञान में लेना चाहिए, यह अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह है?

डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में ही अपने उत्तर में बताया कि पहले आईएमसी द्वारा यह मान्यता दी जाती थी, लेकिन वर्ष 2017 में उच्चतम न्यायालय के निर्णय हुए हैं कि इन्होंने प्रदेश को यह अधिकार दिये हैं कि आपको किस-किस संस्था को मान्यता देनी चाहिए या न देनी चाहिए और उन्होंने गुणवत्ता परीक्षण के आधार पर यह अधिकार मध्यप्रदेश को अनुमति देने के दिये हैं. जैसा कि माननीय सदस्य जो हिमाचल प्रदेश का यहां पर बात कर रहे हैं. मेरे संज्ञान में अभी लाए हैं. प्रश्न में यहां उन्होंने उल्लेख नहीं किया था तो उसकी मैं पृथक से जांच करवाकर माननीय सदस्य को जानकारी उपलब्ध करवा दूंगी.

श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, मेरा आखिरी प्रश्न यही है कि माननीय मंत्री जी ईओडब्ल्यू में 12 प्रकरण तो अभी दर्ज हो चुके हैं. लेकिन इस पूरे प्रकरण को यदि तत्काल ईओडब्ल्यू को दे दिया जाय तो प्रदेश में एक नयी शुरुआत होगी जो हमारी सरकार बनने के पहले वायदा था कि हम बड़े बड़े घोटाले जिसमें बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता है, हम उनकी जांच कराएंगे. मेरा माननीय मंत्री महोदया आपसे हाथ जोड़कर आग्रह है कि कम से कम ईओडब्ल्यू को ये पूरे प्रकरण की जांच देना चाहिए. पूरे मध्यप्रदेश में एसटीएफ जैसी एक नयी टीम गठित करके इन कॉलेजों की जांच होनी चाहिए जो दो-दो कमरों में और छतों पर चल रहे हैं, यह मेरा आपसे आग्रह है?

डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही बता चुकी हूं कि उच्चस्तरीय इसकी जांच करवा ली जाएगी.

नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न बहुत जायज है और मैं इसको मानता हूं कि इस प्रकार के नर्सिंग कॉलेजेस नहीं खुलना चाहिए क्योंकि लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी हुआ और एक बहुत ही महत्वपूर्ण सेवा से जुड़ी हुआ यह विषय है, यह नौकरी है. अध्यक्ष महोदय, नर्सिंग कॉलेजों में सिर्फ डिग्री या डिप्लोमा देने का काम होगा तो बेहतर नर्सिंग के काम राज्य में नहीं हो सकते. सिर्फ स्वास्थ्य के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी मैंने देखा है कि बीएड, डीएड कालेज ऐसे सैंकड़ों खुल गये हैं और एक दिन के लिए चले जाओ वे डिग्री, डिप्लोमा दे देंगे और आपको एलिजिबल बना देंगे, किसके लिए? संविदा शिक्षा की पात्रता के लिए. इसी तरह से कम्प्यूटर के डिप्लोमा भी बाजार में बिक रहे हैं कि कम्प्यूटर का कोर्स कर लिया जबकि माऊस पर हाथ नहीं रख सकते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं तो कहता हूं कि समग्र रूप से एजूकेशन के भी, हैल्थ के भी, कम्प्यूटर डिप्लोमा के भी जो यह खोमचे खुल गये हैं इन सबके लिए आप समग्र रूप से जांच करवाएं, इसमें राज्य की बड़ी सेवा होगी?

डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने बहुत सही यहां बात उठाई. वाकई गलियों में जिस तरह से मशरूम जैसी ग्रोथ हो रही है. चाहे वह शिक्षा जगत के क्षेत्र में हो, नर्सिंग भी उसी के अंतर्गत शिक्षा से संबंधित है लेकिन नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्सेस यह जीवन से जुड़े हुए ये संकाय हैं और यहां अगर इनमें गड़बड़ियां होती हैं तो सीधे-सीधे जनता से जुड़ा हुआ यह मामला होता है और जनता परेशान होती है. मैंने पूर्व में भी आपसे निवेदन किया था कि मेरे विभाग से संबंधित चाहे वह नर्सिंग कॉलेज हो, चाहे पैरामेडिकल के कोर्सेस हों, उसकी उच्चस्तरीय जांच हम करवा लेंगे.

श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जिन लोगों को यह नर्सिंग के डिप्लोमा मिल गये हैं, यह मैं मानकर चलता हूं कि एक बार उनकी क्वालिटी का और वास्तव में इनकी जो पात्रता है उसके लायक वे है कि नहीं, इसका कहीं आप परीक्षण तो करवाएं उसकी परीक्षा या जो कोई भी टेस्ट आप करवाएं ताकि कम से कम वे गरीब लोगों के प्राण तो नहीं लें?

                                                                                                           

          डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय यह मान्यता इसी आधार पर  दी जाती है कि अच्छी क्वालिटी के प्राइवेट हों या सरकार के नर्सिंग कालेज खुलें यहां पर गुणवत्ता में हम कोई भी समझौता नहीं करेंगे. माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में यह सरकार इस ओर बहुत ध्यान दे रही है कि गुणवत्ता सही होना चाहिए, अच्छी होना चाहिए जनता को पूरा लाभ मिल सके.

          श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय विनय जी को धन्यवाद कि उन्होंने एक बहुत अच्छा प्रश्न उठाया, आपको  धन्यवाद कि आपने उसमें संरक्षण दिया, नेता प्रतिपक्ष जी को धन्यवाद कि उन्होंने सबका ध्यान दिलाया. एक छोटे से बिन्दु के माध्यम से मैं भी आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. मेडीकल और नर्सिंग दोनों कालेज आपके ही अधीन हैं. शासकीय मेडीकल कालेज में नर्सिंग कालेज को संबद्धता दी जाती है वहां कि नर्सेस को ट्रेनिंग दिये जाने के लिए, लेकिन उसमें होता यह है कि वह संबद्धता का  प्रमाण पत्र लेकर अपना कालेज शुरू कर देते हैं. वह मेडीकल कालेज में ट्रेनिंग के लिए बच्चों को नहीं भेजते हैं. क्या आप मेडीकल कालेजों से यह जानकारी एकत्रित कर लेंगी कि किस कालेज के बच्चे संबद्धता के बावजूद भी ट्रेनिंग लेने के लिए नहीं आये हैं और ऐसी अनियमितता करने वाले कालेजों की संबद्धता समाप्त करेंगे.

          डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय जबलपुर में मेडीकल यूनिवर्सिटी भी बनी हुई है. उसमें आन लाइन परीक्षा प्रणाली तैयार की जा रही है, जिसमें हम पूरी गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगे. माननीय विश्नोई जी ने जो प्रश्न यहां पर उद्भुत किया है वास्तव में इस तरह की अगर कोई प्राइवेट संस्थाएं हैं जिसमें सही तरकी से मापदण्ड के आधार पर उनकी शिक्षा नहीं हो रही है तो 2018 में हमारे नियम बने हैं जिसमें समय समय पर उसका परीक्षण किया जाता है, अगर वह संस्था गुण दोष के आधार पर खराब निकलती है तो  उसकी मान्यता रद्द करने के प्रयास करेंगे, दूसरी बात जो कि प्रशिक्षु नर्सो के बारे में मेरे संज्ञान में लाये हैं वहां पर बायोमेट्रिक् अटेंडेन्टस के माध्यम से उन अस्पतालों की उपस्थिति को सुनिश्चित करेंगे.

          श्री अजय विश्नोई -- धन्यवाद् मंत्री जी और धन्यवाद् अध्यक्ष जी. लेकिन पुराने समय के लिए डीन से या वहां के सुपरिन्टेनडेंट से पूछ सकते हैं कि यहां के बच्चे आते हैं या नहीं आते हैं उसकी हाजिरी का कोई सिस्टम पहले था या नहीं. उसके आधार पर भी आप कार्यवाही कर सकते हैं. धन्यवाद्.

          डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- विश्नोई जी पहले की बात तो आप ही बता सकते हैं, मै नहीं बता सकती हूं. लेकिन आपके संज्ञान में लाने के लिए मैं डीन से पूछ लूंगी कि पहले क्या व्यवस्थाएं थीं, लेकिन मेरे आने के बाद में आदरणीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में व्यवस्थाएं हम लोग धीरे धीरे सुधार रहे हैं, अच्छी व्यवस्थाएं देंगे और गुणवत्ता  के स्टूडेंट देंगे चाहे वह नर्सिंग कालेज के हों या पैरामेडीकल के हों या एमबीबीएस में हों या आयुष में हों, अच्छे डॉक्टर अच्छे नर्सिंग स्टाफ और अच्छे पैरामेडीकल स्टाफ देने की हम पूरी पूरी कोशिश करेंगे ताकि प्रदेश की जनता को लाभ मिल सके.

          श्री विनय सक्सेना -- अध्यक्ष महोदय मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मंत्री जी को और विपक्ष को भी जिस तरह से उन्होंने संवेदनशीलता दिखायी हैं मैं हाथ जोड़कर उनको भी धन्यवाद देता हूं.

          अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी जो आपकी उच्चस्तरीय समिति है. उसका कुछ ऐसा अच्छा गठन करिये कि वास्तविक रूप में हर जिले में दिखे कि आपने कड़ाई की है. अन्यथा देखा यह जाता है जो अच्छे चल रहे हैं उनको ज्यादा दिक्कत दी जाती है और जो नहीं चल रहे है उनको पुरूस्कृत किया जाता है. इस बात का जरूर ध्यान रखना.

          डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय आसंदी से जो निर्देश मिले हैं उसका पूरा पालन किया जायेगा.

          नेता प्रतिपक्ष ( श्री गोपाल भार्गव ) -- मेरा आपसे निवेदन है  यह तो एक स्वास्थ्य विभाग से संबंधित चर्चा है. शिक्षा में भी यह फर्जी डिप्लोला, वीएड और डीएड यह ,सब करते हैं तो मेरा कहना है कि सभी विभागों की एक ऐसी समिति बना दें जो यह देखे कि पारदर्शिता कितनी है, सब स्टेण्डर्ड को अनुमति न दें.

          मुख्यमंत्री ( श्री कमलनाथ ) -- माननीय अध्यक्ष जी मैं इससे पूरी तरह से सहमत हूं क्योंकि मध्यप्रदेश में हर विभाग चाहे शिक्षा विभाग लें, स्वास्थ्य विभाग लें अभी नर्सिंग कालेज की बात हो रही थी. मेरा जो पिछले कुछ वर्षों का अनुभव है जो मैंने प्रयास किया है. कोई इंजीनियर बनकर गया तो उनका रोजगार उनको मिलना चाहिए, कई कंपनियों से मैंने व्यक्तिगत बात की थी. जब मैं उनसे बात करता था तो वह आश्वासन देते थे कि हम रखेंगे 18-20 या 19-20 का फर्क होता था तो वह रख लेते थे लेकिन 19-20, 18-20  का फर्क  हुआ, रख लेते थे.  एक दिन जब कई कम्पनियों ने नहीं रखा, तो मैंने  उन्हें बुलाया और  पूछा कि  ये इंजीनियरिंग की हुई है.  आपने  तो  इसे रखा नहीं है, तो  क्या  कारण है.  वह  बोले कि वह मेरे पास आया  और उनसे  इन्टरव्यू में पहला  प्रश्न था कि  आप अपना  रिज्यूमे लिखिये.  इंजीनियर था, वह अपना  रिज्यूमे नहीं लिख पाया.  तो यह किस चीज के लायक है.   तब एक  बड़ी कार की कम्पनी  में, जिसमें  इंजीनियरिंग की है, मैं नाम नहीं लेना चाहता.  गुड़गांव में है, आप सब समझ जायेंगे.  उनसे मैं जब चर्चा करता था कि आप रखिये. जब वे इन्टरव्यू  के लिये जाते हैं,  वह कहते हैं कि न तो यह मजदूर  बनने लायक हैं, न तो यह इंजीनियर है. तो है क्या ये. तो यह बहुत गंभीर विषय है.  इससे मैं सहमत हूं,पूरे सदन के साथ कि हमें  कोई उपाय  निकालना पड़ेगा, एक समिति बनाकर  कि जो हमारे स्टैण्डर्ड्स हैं,  क्योंकि हम बच्चों को  धोखा दे रहे हैं. बच्चा गांव से जाता है कॉलेज, इंजीनियर बनेगा, बी.ई., आई.टी  लिखता है,  बी.ई.इंजीनियरिंग  लिखता है. वह न गांव का रहता है, न शहर का रहता है.  उसकी पीड़ा समझिये. गांव में उसका मजाक उड़ता है कि  आप तो बड़े पढ़ने गये थे,  आज तो  आप ऐसे घूम  रहे हैं, हम तो खेत में काम कर रहे हैं,  आपसे ज्यादा तो हम ही लायक हैं.  तो इस पर हम बड़ी गंभीरता से विचार करके एक समिति बनायेंगे और  मैं स्वागत करुंगा  कि आपके  जो सुझाव हों इसमें,  हम जरुर  उन सुझावों पर विचार करेंगे.

                   अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.

 अनु. जनजाति के व्‍यक्तियों की भूमि विक्रय के नियम

[राजस्व]

4. ( *क्र. 3700 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                          (क) क्‍या म.प्र. के आदिवासी की भूमि को गैर आदिवासी व्‍यक्ति के नाम से खरीदी कर उपयोग कर सकता है और आर्थिक लाभ भी कमा सकता है? यदि हाँ, तो प्रावधानों के बिंदुओं को स्‍पष्‍ट करें। (ख) यदि नहीं, तो ऐसे आपरा‍धिक कृत्‍य के दोषियों के लिये दंड का क्‍या प्रावधान है? (ग) क्‍या कभी अनाधिकृत कब्‍जा व अनाधिकृत भूमि खरीदी ब्रिकी से संबंधित सर्वे कार्य आदिवासी क्षेत्रों में कराये जाने का प्रावधान शासन के निर्देशों में है? (घ) क्‍या आदिवासियों की जमीन सुरक्षित रखी जा सके, इसके लिये कोई कठोर प्रावधान शासन स्‍तर पर है?

राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। मध्‍यप्रदेश भू-राजस्‍व संहिता -1959 की धारा 165 (6) में अनुसूचित/गैर अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति के व्‍यक्ति द्वारा विक्रय या अन्‍यथा या उधार संबंधी किसी संव्‍यवहार के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। जिसके अनुसार गैर अधिसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के किसी व्‍यक्ति की भूमि कलेक्‍टर से अनिम्‍न श्रेणी के पदाधिकारी की अनुमति के बिना गैर अनुसूचित जनजाति के व्‍यक्ति को अंतरित नहीं की जा सकेगी तथा अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के किसी व्‍यक्ति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति के व्‍यक्ति को अंतरित नहीं की जा सकती। (ख) म.प्र. भू-राजस्‍व संहिता की धारा 170 में धारा 165 (6) के उल्‍लंघन में किए गए कब्‍जे को वापस अनुसूचित जनजाति के व्‍यक्ति को दिलाए जाने का प्रावधान है। (ग) जी नहीं। प्रावधानों का उल्‍लंघन होने पर विधि अनुसार कार्यवाही की जाती है। (घ) जी हाँ।

                   डॉ. अशोक मर्सकोले --  अध्यक्ष महोदय,  मेरा  यह जो प्रश्न है, एक  बहुत ही सेंसेटिव्ह इशू पर है, जिसमें  आदिवासियों की जमीन किसी भी तरीके से गैर आदिवासी  या तो खरीद रहे हैं, जिसमें अनुसूचित क्षेत्र  और गैर अनुसूचित क्षेत्र  का मामला है,  जिसमें मैंने मंत्री जी से यह पूछा है, जिसके उत्तर में उन्होंने यह है कि  भू राजस्व संहिता,1959 की धारा  165 (6)  के अनुसार यह जमीन खरीदी जा सकती है.  परन्तु इसमें  स्पष्ट रुप से कहा है, जिसमें  कलेक्टर को  यह पॉवर दिये गये हैं कि  उनके माध्यम से यह जमीन बेची  जा सकती है.  लेकिन मुझे लगता है कि इसमें   बहुत बड़े व्यापक तौर पर  एक  भ्रष्टाचार का मामला है,  जिसमें  पैसे का लेन-देन करके   जमीनों को खरीदा जा रहा है और   उसमें स्पष्ट रुप से कहा है कि  अगर  165(6) के अनुसार  भी  यह होता है,  तो  इसके पूर्व जो धारा   162 (6) (ग) है, उसके हिसाब से अगर  इन आदेश  उपबंधों का    ध्यान नहीं रखा गया,  लेकिन मुझे लगता है कि  इन पूरे नियमों को दर किनार करके यह जमीन  की खरीदी  बिक्री का मामला चल रहा है. तो   मेरा यह निवेदन है कि  इस पर जांच हो.

                   श्री गोविन्द सिंह राजपूत--  अध्यक्ष महोदय,  मध्यप्रदेश में अधिसूचित क्षेत्र में  आदिवासी की भूमि को सामान्य  व्यक्ति नहीं खरीद सकता, किन्तु गैर  आदिवासी क्षेत्र  में  कलेक्टर की सहमति  से जमीन  खरीदी जा सकती है.  गैर अधिसूचित क्षेत्र में  एम.पी.एल.आर.सी.की धारा  165 (6) में  सामन्य व्यक्ति आदिवासी की जमीन कलेक्टर  की अनुमति से खरीद   सकता है. अगर  जैसा कि सदस्य महोदय ने कहा  है कि  कहीं-कहीं  विसंगतियां हैं   या इनकी जानकारी में हैं,  तो मैं  उसको दिखवा लूंगा.  वैसे   आदिवासी की जमीन का कब्जा   धारा 170 में  वापस भी लिया जा सकता है, यह भी प्रावधान है. अध्यक्ष महोदय,  आदिवासी की जमीन के  अवैध कब्जे के संबंध में  यह बात मैं कह रहा हूं.

                   डॉ. अशोक मर्सकोले --  अध्यक्ष महोदय,  इसमें  कलेक्टर महोदय  को  या कलेक्टर के अनुसार  यह   जमीन खरीदी एवं बैची जा सकती है, उनके आदेश के अनुसार. लेकिन इसमें बहुत सारे ऐसे मामले  हैं कि  इसमें  पैसे का लेन-देन करके   उनके माध्यम से यह  खरीदी-बिक्री, जिसमें दलालों  का बहुत बड़ा एक रोल है,  जिसमें नॉन ट्राइबल  एरिया में एक बहुत बड़े लेवल पर जो मौके की जमीन है, उनकी खरीदी-बिक्री हो रही है. मेरे पास एक रिकॉर्ड है, केवलारी का, जिसमें पहले बेटे के नाम से जमीन खरीदी, फिर उसी की जमीन उसने अपने पिताजी के नाम से भी खरीदी है. इन नियमों में ऐसा है कि कम से कम उसके पास में, पहले तो कृषि भूमि का इसमें जिक्र नहीं है कि कृषि भूमि नहीं बेच सकते, लेकिन उसके बाद भी अगर कोई प्रावधान है तो कम से कम 5 एकड़ उसके पास सिंचित जमीन हो, या फिर 10 एकड़ उसकी असिंचित जमीन हो. लेकिन इन नियमों का किसी भी आधार पर पालन नहीं हो रहा है. बहुत सारे उदाहरण हैं, जैसे मण्‍डला की बात करूँ तो कान्‍हा में, इसके अलावा पेंच में, केवलारी में, हमारे पड़ोस के जबलपुर में कुण्‍डम क्षेत्र में लोगों की पूरी की पूरी जमीन, इसमें बहुत सी ऐसी जमीन भी है जो मौके की है, उसकी खरीदी-बिक्री हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय, कलेक्‍टर गाइड-लाइन की बात कह रहे हैं. कलेक्‍टर गाइड-लाइन में स्‍पष्‍ट रूप से है, लेकिन उसमें 162, 6 (ग) के नियम के अनुसार बिल्‍कुल काम नहीं हुआ है. इसमें पूरी तरह से एक दलाली प्रथा ने काम किया है, जिसमें कलेक्‍टर ने भी पैसे लेकर जमीनों को बेचने की परमीशन दी है. मैं इसकी जांच चाहता हूँ.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें धारा 250 '' '' में एफ.आई.आर. के प्रावधान भी हैं. माननीय सदस्‍य किसी पर्टिकुलर जगह के नाम अगर मुझे देना चाहते हैं और जांच चाहते हैं तो मैं उसकी जांच करा लूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मर्सकोले जी, आपको जहां-जहां की जानकारी है, नाम सहित, खसरा-नक्‍शा सहित माननीय मंत्री जी को उपलब्‍ध करा दीजिए. आप जैसी चाह रहे हैं, मंत्री जी वैसी जांच करवाएंगे.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, सदन के सामने मैं अपनी बात रख रहा हूँ, ये बहुत ही सेन्‍सेटिव मामला है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- घड़ी तेजी से घूमती जा रही है, प्रश्‍न करिए.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, यही मैं चाह रहा हूँ कि जांच हो जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बोल तो दिया मंत्री जी ने कि जांच कराएंगे.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें एक और मैं बोलना चाह रहा था, इसमें कई ऐसे क्षेत्र हैं, जैसे अनूपपुर में...

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, पर्टिकुलर उस जगह की बात करिए.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं अनूपपुर की बात कर रहा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, जो प्रश्‍न से संबंधित दायरा है..   

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, आदिवासियों की जमीन के बारे में बात कर रहा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- भाई, मेहरबानी करके आप पहले अखाड़े के दायरे को देख लीजिएगा. उसके पहले पैर मत उतारिएगा...(हंसी)..   

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- मेरा बस यह कहना है कि किसी भी क्षेत्र में, खासकर क्‍या होता है कि कंपनीयों के लाइजनिंग ऑफिसर्स...

          अध्‍यक्ष महोदय -- रूक जाइये, अभी नए पहलवान खड़े हो गए हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- जहां प्रतियोगिता चल रही है, उसी ...

          अध्‍यक्ष महोदय -- बस वहीं तक सीमित रहें.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- मैं आदिवासियों की जमीनों के बारे में बात कर रहा हूँ...

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, क्‍यों गोल-गोल घूम रहे हो. गोल-गोल रानी मत करो.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, बस ये था कि लाइजनिंग ऑफिसर्स को डायरेक्‍ट...

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपका अगर इस पर प्रश्‍न है तो धन्‍यवाद है. प्रश्‍न क्रमांक 5, श्री पारस चन्‍द्र जैन.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाह रहा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- गाड़ी आगे निकल गई पट्टा जी. आप बैठ जाइये कृपापूर्वक, गाड़ी आगे निकल गई है. श्री पारस चन्‍द्र जैन जी.

 

          दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्‍थायीकर्मी में विनियमित किया जाना

[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण]

5. ( *क्र. 3656 ) श्री पारस चन्‍द्र जैन : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                 (क) क्या म.प्र. वेयरहाउसिंग एवं लॉजि.कार्पों. में शासन आदेश की कंडिका 1.8 के पैरा-2 में उल्लेखित 16 मई, 2007 के पश्‍चात के दै.वे.भो. कर्मी को स्‍थायीकर्मी किया गया है? (हाँ या नहीं) यदि नहीं, तो क्यों नहीं किया गया है? (ख) क्या विभाग ने शासकीय आदेश की क. 1.8 के पैरा-2 के विरूद्ध आदेश क्रमांक 7320 दि. 28.02.17 निकाला है? यदि हाँ, तो क्यों? (ग) क्या विभाग में शासन के आदेश लागू नहीं होते हैं? यदि हाँ, तो शासन के आदेश के परिपालन में शासन आदेश के विरूद्ध आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 में उल्‍लेख है कि 16.5.07 के पश्चात के दै.वे.भो. कर्मी इस योजना के पात्र नहीं होंगे को कब तक निरस्त किया जावेगा और 16.5.07 के पश्चात के सक्षम स्वीकृति/सक्षम अधिकारी द्वारा नियुक्त दै.वे.भो. कर्मियों को स्थायीकर्मी कब तक किया जावेगा? (घ) क्या विभाग में शासन के उक्त आदेश को यथावत निगम के बोर्ड द्वारा आदेश क्र. 4674 दि. 5.11.16 को यथावत लागू किया, किन्तु आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 में निगम बोर्ड का हवाला देकर शासन व निगम के बोर्ड के यथावत आदेश के विरूद्ध एक आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 को निकाला है? यदि हाँ, तो उक्त आदेश कब तक निरस्त किया जावेगा? पात्र दै.वे.भो. कर्मियों को कब तक स्थायीकर्मी किया जावेगा और शासन व निगम बोर्ड के विपरीत आदेश निकालने वाले अधिकारी पर शासन द्वारा कार्यवाही कब तक की जावेगी?

खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) जी नहीं, शासन के निर्देश अनुसार कार्यवाही की गई है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) शासन के आदेश नियमानुसार लागू होते हैं। निगम आदेश क्रमांक 7320 दिनांक 28.02.2017 शासन आदेश के विपरित नहीं है। बल्कि शासन आदेश अनुसार दिनांक 16.05.2007 की दिनांक को स्‍पष्‍ट करने हेतु जारी किया गया स्‍पष्‍टीकरण है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। वर्तमान में ऐसा कोई प्रकरण लंबित नहीं है। (घ) निगम संचालक मंडल की स्‍वीकृति उपरांत शासन आदेश यथावत लागू किए जाने हेतु आदेश क्रमांक 4674 दिनांक 05.11.2016 जारी किया गया है। शासन के निर्देशानुसार कार्यवाही की गई है, इसलिए शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री पारस चन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश वेयरहाउसिंग के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का मामला है. सामान्‍य प्रशासन विभाग ने 7 अक्‍टूबर, 2016 को एक आदेश निकाला था कि ऐसे दैनिक वेतनभोगी, जो दिनांक 16 मई, 2007 को कार्यरत थे व दिनांक 1 सितंबर, 2016 को भी कार्यरत हैं, वे इस वेतन एवं अन्‍य लाभों के लिए पात्र होंगे. दिनांक 16 मई, 2007 के पश्‍चात् शासन की अनुमति अनुमोदन उपरांत सक्षम अधिकारी द्वारा दैनिक वेतनभोगी के पद पर नियुक्‍ति किए गए जो कर्मचारी हैं, उन्‍हें भी योजना की पात्रता होगी. सामान्‍य प्रशासन विभाग का जो आदेश है, उसका पालन नहीं हुआ है, क्‍या मंत्री जी उसका पालन कराएंगे ?

            श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष जी, जो हमारे सम्‍माननीय सदस्‍य ने पूछा है, वैसे सरकार आपकी थी, जिस समय यह प्रक्रिया पूरी हुई, उस समय मंत्री भी आप थे, तो मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस प्रश्‍न का वैसे औचित्‍य नहीं है, पर जो सरकार का आदेश था, उस आदेश का पूरा पालन अक्षरश: किया गया है, शेष प्रश्‍न उपस्‍थित नहीं होता है.

          श्री पारस चन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं कहना चाहता हूँ कि मंत्री जी इस पूरे केस का परीक्षण करवा लें, मेरे पास पूरे कागज मौजूद हैं. यदि परीक्षण करा लेंगे तो दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा. उनको पात्रता मिल जाएगी.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं कह रहा हूं, यह सवाल ही नहीं है. माननीय जी उस समय खुद थे. अगर यह कहें, तो मैं इनके पूरे कार्यकाल की जांच करा सकता हूं.

          श्री पारस चंद्र जैन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरी जांच करा लें. 15 साल पुरानी बात, वर्तमान तो यह है, इनको जवाब देना है, लेकिन उन दैनिक वेतन कर्मचारियों का हक न मरे इसलिये मैं इस प्रश्‍न को उठा रहा हूं. मैं चाहता हूं कि इसका पूरा परीक्षण करवा लें, तो उनका हक मिल जायेगा. अध्‍यक्ष महोदय, आप ऐसा आदेशित करें.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष जी, जो शासन के उस समय के निर्देश थे,  वह स्‍वयं उन्‍होंने पालन किया है और उन नियमों का पालन मैं अक्षरश: करूंगा. यह भरोसा मैं इस सदन में देता हूं

सांईखेड़ा विकासखण्‍ड सागर में कैप का निर्माण

[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण]

 

6. ( *क्र. 3814 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                (क) क्‍या मध्‍यप्रदेश वेयरहाउसिंग द्वारा सागर जिले में सांईखेड़ा विकासखण्‍ड सागर में कैप निर्माण कार्य स्‍वीकृत है? स्‍वीकृति दिनांक/कार्य एजेंसी का नाम/कार्य अवधि/लागत सहित जानकारी देवें।                (ख) कार्य एजेंसी द्वारा क्‍या कार्य प्रारंभ कर दिया गया है? यदि हाँ, तो वर्तमान में क्‍या-क्‍या कार्य किया गया है? किस-किस कार्य में कार्य एजेंसी को भुगतान किया गया है? (ग) यदि मुरम फिलिंग का भुगतान किया गया है, तो किस दर पर किया गया है एवं मुरम की खुदाई वहीं से की गई है एवं वहीं से पूर्ति (भराई) की गई है, तो कितनी मात्रा में एवं कितनी कीमत का भुगतान किया गया है? (घ) क्‍या कैप निर्माण कार्य में फ्लाई ऐश ईंटों का प्रयोग नहीं किया गया है, तो क्‍यों? फ्लोर में क्‍या प्रावधान है तथा उसकी ऊंचाई एवं मोटाई का क्‍या प्रावधान है? यदि पुराने निर्माण में भी सी.सी. की पक्‍की जगह थी, तो शासन को कैप निर्माण कार्य करने की जरूरत क्‍यों पड़ी?

खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। कैप निर्माण की टेंडर स्‍वीकृति दिनांक 20.03.2019 है। एजेंसी का नाम एवं पता मेसर्स अजय बिल्‍डकॉन, सागर है। कैप निर्माण की कार्यावधि 45 दिवस तथा लागत रुपये 2,99,03,597 है। (ख) जी हाँ। स्‍थल पर 54300 मैट्रिक टन की क्षमता के कैप का निर्माण पूरा कर लिया गया है। भंडारित स्‍कंध की सुरक्षा हेतु फेंसिंग का कार्य, पहुँच मार्ग का निर्माण-कार्य एवं चौकीदार/कार्यालय हट का कार्य किया गया है। उक्‍त संपादित कार्यों का भुगतान मे. अजय बिल्‍डकॉन, सागर को रनिंग देयकों के आधार पर किया गया है। (ग) अनुबंधित आयटम अनुसार मुरम फिलिंग का कार्य संपादित किया गया है। मुरम का भुगतान रुपये 230 प्रति घनमीटर की दर से किया गया है। पी.डब्‍ल्‍यू.डी. के एस.ओ.आर. से 24.24 प्रतिशत कम दर से भुगतान किया गया है। वहीं की खुदाई से प्राप्‍त अच्‍छी मिट्टी की 2021 घनमीटर मात्रा का उपयोग भी भराई में किया गया है। इस मद में ठेकेदार को अब तक 631.71 घनमीटर जिसकी कीमत 31,012.00 रूपये है, का भुगतान किया गया है। (घ) जी नहीं। स्‍वीकृत कार्य में फ्लाई ऐश ईंटों का प्रावधान नहीं है। इसके फ्लोर में M-10 CC का प्रावधान 10 सेंटीमीटर मोटाई में किया गया है। निगम के पुराने परिसर में सी.सी. की पक्‍की जगह पार्किंग एवं ट्रकों के आवागमन हेतु है तथा यह 60,000 मैट्रिक टन क्षमता के खाद्य भंडारण हेतु पर्याप्‍त नहीं है। रोड को सीधे कैप के रूप में भंडारण हेतु उपयोग में नहीं किया जा सकता है। कैप का निर्माण सड़क से 30 से 45 सेंटीमीटर ऊंचा प्‍लेटफार्म बनाकर किया जाना होता है। साथ ही सागर जिले में अनुमानित उपार्जन के विरूद्ध पर्याप्‍त कवर भंडारण क्षमता भी उपलब्‍ध नहीं थी, अत: पृथक स्‍थान पर कैप निर्माण कराने की आवश्‍यकता पड़ी।

          इंजी. प्रदीप लारिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि इस वर्ष उपार्जन कितना अनुमानित था और शासन के पास भण्‍डारण के कितने साधन थे ?

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - अध्‍यक्ष महोदय, सदन में आप सागर जिले के बारे में पूछ रहे हैं ?

          इंजी. प्रदीप लारिया - जी हां, आप सागर जिला एवं सागर विकासखंड के बारे में बता दें.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - अध्‍यक्ष महोदय, उस समय सागर जिले में कितना उपार्जन अनुमानित था और कितना उपार्जन हुआ है, एक तो मैं यह बता देता हूं कि सागर जिले में अनुमानित उपार्जन जो हमने रखा था, अंदाज लगाते हैं, 5 लाख मीट्रिक टन और हमने सागर जिले में वास्‍तविक उपार्जन किया है 3,63,580 मीट्रिक टन. सागर जिले में इतना हमने उपार्जन की व्‍यवस्‍था की थी और जितना हमने खरीद की है, उसके भण्‍डारण की व्‍यवस्‍था सुनिश्चित की है.

          इंजी. प्रदीप लारिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न सांईखेड़ा वेयर हाऊस से था. इसकी क्षमता बता दें और आपने वहां पर जो कैप का निर्माण किया है, उसकी क्षमता बता दें और उसमें कितना भण्‍डारण हुआ है ? उसकी क्षमता बता दें.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष जी, इन्‍होंने जो बात की है, सांईखेड़ा के संबंध में मैं बताना चाहता हूं कि सागर जिले में 1,99,800 मीट्रिक टन की क्षमता है. स्‍वनिर्मित गोदाम हैं. अन्‍य प्रायवेट, गवर्मेंट, कैप, कवर्ड सहित क्षमता 3,53,000 है. हमने इस वर्ष इसमें 3,59,826 मीट्रिक टन अनाज भण्‍डारण किया है. यह मैंने सागर जिले के बारे में बात कही. अब आप पूछना चाहते हैं सांईखेड़ा के बारे में, तो वहां पर 54,300 मीट्रिक टन की क्षमता है और यह हमने वहां पर कैप बनाया है, जो उसकी आवश्‍यकता थी, वहां पर जो अनुमान लगाया गया था, उसके आधार पर हमने कैप निर्माण की मंजूरी दी.

          इंजी. प्रदीप लारिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्‍न यह है कि जो कैप का निर्माण हुआ है, लगभग 55,000 मीट्रिक टन के लिये हुआ है और आप यह बता नहीं पाये कि उसमें कितना भण्‍डारण हुआ है. 20,000 से ज्‍यादा उसमें शेष रह गया. आपने 40,000 मीट्रिक टन के गोडाउन लिये हैं. मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन इतना ही है कि जब आपके पास उसमें भण्‍डारण की क्षमता थी, तो आपने किराये के गोडाउन क्‍यों    लिये ? और लगभग 12 लाख रुपये प्रतिमाह आप किराया दे रहे हैं ? और दूसरा, जो आपने कैप का निर्माण किया है, आनन-फानन में किया है. 25 मार्च से आपकी खरीदी हो गई और 20 मार्च को आपने 45 दिन के अंदर कैप निर्माण की अनुमति दे दी. अब वह अच्‍छी गुणवत्‍ता के साथ बना कि नहीं बना ? यह भी प्रश्‍नचिह्न है. तो मेरा माननीय अध्‍यक्ष जी, मंत्री जी से यह आग्रह है कि जब उसमें 20,000 शेष था, तो आप किराये की गोडाउन क्‍यों लिये हैं ? और जबर्दस्‍ती सरकार का पैसा क्‍यों दे रहे हैं ? और वह जो कैप आपने आनन-फानन में निर्माण किया है उसकी गुणवत्‍ता पर भी प्रश्‍नचिह्न है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष जी, मेरे जो सम्‍मानित सदस्‍य ने प्रश्‍न उठाया है, मैं उनको बताना चाहता हूं कि जो हमारे भण्‍डारण के लिये जो हमारे अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि जो रजिस्ट्रेशन हुए, संख्या के आधार पर अनुमान लगाया जाता है. अगर हम उस अनुमान के अनुरूप व्यवस्था नहीं करते और उतनी खरीदी हो गई होती, उसके जवाबदेह क्या विधायक जी होते? उस समय आप ही प्रश्न उठा रहे होते कि वह गल्ला भीग रहा है. हमने पूरा किसानों के हित का ध्यान रखा है और विधायक जी,  आज यही कारण है कि प्रदेश में गेहूँ नहीं भीग रहा है और हमारा निर्माण...

          इंजी.प्रदीप लारिया-  माननीय अध्यक्ष जी, जब अनुमान लगाया था, किसान आप पर अविश्वास किया....

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्नकाल समाप्त. लारिया जी, आपका प्रश्न बिल्कुल अच्छा था. मंत्री जी, प्रश्नकाल जरूर समाप्त हो गया है, इस संबंध में लारिया जी आप मंत्री जी के साथ बैठ लें, चर्चा कर लें.

(प्रश्नकाल समाप्त)

 

 

12.01 बजे.

नियम 267-क के अंतर्गत विषय.

 

12.03 बजे

बधाई.

एथलीट हेमा दास को विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त होने पर सदन द्वारा बधाई.

अध्यक्ष महोदय--  (माननीय मंत्री गण एवं अधिकारी दीर्घा के अधिकारियों से आपस में बात करने पर) माननीय मंत्री गण, कृपया ध्यान दें, अधिकारीगण भी कृपया अपनी कुर्सियों पर चले जाएँ.  हमारे देश की 19 वर्षीय एथलीट हेमा दास ने मात्र 18 दिनों में पाँच स्वर्ण पदक जीत कर देश का मान-सम्मान और गौरव बढ़ाया है. (मेजों की थपथपाहट) इस नई उड़न परी ने विदेश में विभिन्न विश्व प्रतियोगिता में श्रेष्ठतम प्रदर्शन कर युवा वर्ग को विशेष कर महिलाओं को नई पहचान, खेल क्षेत्र में नई संभावनाएँ और नई ऊर्जा का सन्देश दिया है. उनकी इस उपलब्धि के लिए यह सदन उन्हें बहुत बहुत बधाई देता हूँ.

(मेजों की थपथपाहट)

          श्रीमती नीना विक्रम वर्मा(धार)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि उसे कुछ सम्मान राशि भी अपने प्रदेश से दी जाए तो बेहतर रहेगा.

          अध्यक्ष महोदय--  श्रीमती नीना विक्रम वर्मा, बोलिए.

          श्रीमती नीना विक्रम वर्मा--  धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यदि हम अपने प्रदेश से उसको कुछ सम्मान निधि दें तो मुझे ऐसा लगेगा कि, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और साथ में बेटियों को खिलाओताकि हमारे देश का नाम विदेशों मे रोशन कर सकें तो मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि उसके लिए कुछ सम्मान निधि की अभी घोषणा करें तो बेहतर होगा.

          अध्यक्ष महोदय--  धन्यवाद. श्री संजय यादव, बोलिए.

          श्री संजय यादव(बरगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें इसे प्रोत्साहन देने के लिए और खास कर महिला तथा बच्ची वर्ग के लिए आपको मध्यप्रदेश की तरफ से सम्मान निधि देना चाहिए ताकि प्रदेश में हमारा एक सन्देश जा सके कि प्रदेश की महिलाओं के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है.

          मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मान निधि तो अवश्य देना चाहिए. इसमें कोई शक नहीं है, महिला है और अपने प्रदेश को गौरवान्वित किया, तो इस पर कार्यवाही हम करेंगे.

          अध्यक्ष महोदय--  धन्यवाद.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय अध्यक्ष जी.....

अध्यक्ष महोदय--  अरे भाई, एकदम इतने उतावले तो न हों, जरा धीरज तो रखिए. मैं अकेला हूँ.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  मुझे शून्यकाल में एक मामला उठाना था.

          एक माननीय सदस्य--  अध्यक्ष महोदय, मेरे यहाँ की एक बेटी ने भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में पदक जीता है.

          अध्यक्ष महोदय--  धन्यवाद.

12.04 बजे

शून्यकाल में मौखिक उल्लेख.

 

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस प्रशासन का एक और चेहरा सामने आया, एक अमानवीय कृत्य सामने आया है.  अध्यक्ष महोदय, कल बीना में एक नाबालिग छात्र के साथ अमानवीय कृत्य करते हुए इतना पीटा कि उस छात्र को सागर रेफर किया गया. माननीय मुख्यमंत्री जी यहाँ विराजित हैं, गृह मंत्री जी विराजित हैं. अगर वास्तव में पुलिस प्रशासन ने इस प्रकार से कोई कृत्य किया है और एक नाबालिग छात्र की दर्दनाक पिटाई की गई है कि उसको रेफर करना पड़ा. मैं आपसे अनुरोध करुंगा कि इस पर कार्यवाही करने का कष्ट करें.

 

          श्री प्रणय पाण्डे (अनुपस्थित)

 

          श्री विजयपाल सिंह (सोहागपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन था कि मैंने भी ध्यानाकर्षण की सूचना दी थी. 52 सूचनाएं आपने ली हैं एक और ले लेते तो 53 हो जातीं तो बहुत अच्छा होता. उसको लिया नहीं गया है. मेरा बहुत गंभीर मामला था.

          अध्यक्ष महोदय-- ले लेंगे, विराजिए.

          श्री विजयपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

          श्री सुनील सराफ (कोतमा)--    माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि मेरा एक ध्यानाकर्षण था, बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा था. मेरा निवेदन है उसे भी ले लीजिए.

          अध्यक्ष महोदय--बीच में टोका-टाकी मत करिए, बैठिए.

 

 

 

12.06 बजे                           ध्यान आकर्षण

 

 

(1) शासन द्वारा निजी विमान एवं हेलीकाप्‍टर किराये से लिये जाने में अनियमितता की जाना

          सर्वश्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव(बदनावर) (कुणाल चौधरी, विनय सक्सेना)--माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

         

            विमानन मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय विधायक जी का जो ध्यानाकर्षण है उसके जवाब में मैं कहना चाहता हूँ कि

 

                                                                                               

 

            श्री राजवर्धन प्रेमसिंह ''दत्‍तीगांव''-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्‍यम से सदन को बताना चाहता हूं कि यह एक बड़ा विमान घोटाला है. इसके जवाब में मंत्री जी ने जो कहा है, उन्‍होंने एक अवधि बताई है कि वह अवधि तकरीबन वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2018 तक बताई है कि उस अवधि के दौरान किराए के चार्टर्ड पर 42.08 करोड़ रुपया व्‍यय हुआ और इसी अ‍वधि के दौरान हमारे पास जो इन्‍होंने एयरक्राफ्ट बताए हैं, हेलीकॉप्‍टर बताए हैं उस पर इन्‍होंने जो अलग-अलग व्‍यय किया है वह  बी-200 पर तकरीबन तीन करोड़ अड़तालीस लाख. इन्‍होंने दूसरे हेलीकॉप्‍टर सिंगल इंजन पर व्‍यय किया है चार करोड़ दस लाख अंठानवे हजार और जो मल्टीइंजन है उस पर मात्र पचास हजार खर्च किया है. इन्‍होंने इनके जवाब में यह भी कहा है कि क्‍योंकि एक हेलीकॉप्‍टर ग्राउंडेड था.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से तीन अलग-अलग प्रश्‍न पूछूंगा. एक तो यह कि य‍ह ग्राउन्‍डेड क्‍यों था. मेरे संज्ञान में आया है कि डी.जी. से गाइडलाइन में यह कहा गया था कि जो व्‍ही.आई.पी. होते हैं उनको सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्‍टर में उड़ान लेने से मना करते हैं तो इन्‍होंने कहा है कि मुख्‍यमंत्री उड़े ही नहीं तो क्‍या सिर्फ मुख्‍यमंत्री ही व्‍ही.आई.पी. की परिधि में आते हैं. मेरे ख्‍याल से व्‍ही.आई.पी. की परिभाषा है. Cabinets Ministers of central government also Cabinets Ministers of the state government. तो जब आपने एक तरफ जो हमारे डायरेक्‍टर बताए गए हैं इन्‍होंने सेठी जी जो वर्ष 2016 से बेमतलब वेतन ले रहे हैं, फिट भी नहीं हैं. उन्‍होंने इमीजियेटली उस वक्‍त यह डिसअलाऊ क्‍यों नहीं किया कि जो व्‍ही.आई.पी. की परिभाषा है उसमें सभी आते हैं. क्‍या मुख्‍यमंत्री की जान बाकी मंत्रियों से सुषमा स्‍वराज जी से, रामपाल सिंह जी से अन्‍य मंत्रियों से ज्‍यादा कीमती थी? क्‍या उनकी जान जान नहीं थी? यह जो ग्राउंड हुआ आप देखिए मैं यह इसलिए कह रहा हूं कि 42.2 करोड़ और उस वक्‍त इसकी कीमत क्‍या थी हमने कब कितनी वेल्‍यू में खरीदा था. मेरे संज्ञान में है कि जब यह हेलीकॉप्‍टर खरीदा गया था तो करीब 20.3 करोड़ रुपए इसकी कीमत हुई थी. जब इंस्ट्रक्‍शन आ गए कि यह व्‍ही.आई.पीज़. के लिए फिट नहीं हैं उस वक्‍त बाजार का मूल्‍य मैं गलत हूं तो आप मुझे करेक्‍ट कर दें इसका मूल्‍य तकरीबन 11 करोड़ रुपए आंका गया था. उस वक्‍त जब इनको पता लग गया था कि यह उपयोग में नहीं आएगा उसी वक्‍त यदि यह नया एयरक्राफ्ट खरीद लेते तो उसकी कीमत करीब पचास करोड़ आती. आज हम नया एयरक्राफ्ट खरीदने जा रहे हैं तो उसकी लागत करीब 100 करोड़ रुपए आ रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप प्रश्‍न पूछिए.

          श्री राजवर्धन प्रेमसिंह ''दत्‍तीगांव''-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रश्‍न पूछ रहा हूं परंतु  यह जानकारी देना भी आवश्‍यक है तो अगर सी.ए.जी वगैरह कोई रिपोर्ट देता तो इसमें हमें 11 करोड़ रुपया मिलता, 42 करोड़ रुपया हमने खर्च कर दिया. इतने में तो हमारा नया एयरक्राफ्ट आ जाता और आज हमें 100 करोड़ रुपए में एयरक्राफ्ट खरीदना पडे़गा. इनकी अदूरदर्शिता से, अनिर्णय से राज्‍य सरकार को करीब 60 करोड़ का नुकसान हुआ है. मेरा प्रश्‍न मंत्री जी से यह है कि यह एयरक्राफ्ट उस वक्‍त क्‍यों नहीं बेचा गया जब बेचा जाना था और क्‍यों डी.जी.सी.ए. की गाइडलाइन के बावजूद आपने बाकी लोगों को उसमें फ्लाइंग का अलाऊ किया. इतने समय तक जो आपने यह 42.8 करोड़ का वेस्‍टफुल एक्‍सपेंडेचर किया है इसका जवाबदेह कौन है? इसका उत्‍तरदायित्‍व किस पर जाता है? यह मेरा पहला प्रश्‍न है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मानता हूं कि यह प्रश्‍न ऐसे व्‍यक्तियों और ऐसे विभाग से जुड़ा हुआ है जिसके बारे में हम बहुत ज्‍यादा चर्चा इसलिए नहीं कर रहे हैं क्‍योंकि यह VIP व्‍यक्तियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है. हमारे सामने आंध्रप्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री राजशेखर रेड्डी जी का उदाहरण है. बहुत पहले के यदि हम उदाहरण देखें तो संजय गांधी जी से लेकर और भी इसी प्रकार के कई उदाहरण हैं. इसलिए इस विषय को यहां बहुत ज्‍यादा चर्चित न बनाया जाये क्‍योंकि यदि हम छोटी-छोटी खामियां निकालेंगे तो ठीक नहीं होगा. एयरक्राफ्ट खरीदी या किराये से लेने में महीनों लग जाते हैं, वर्षों लग जाते हैं और इस कारण से VIP व्‍यक्तियों की सुरक्षा में जो लापरवाही होती है तो फिर बाद में बड़ी दुखदायी स्थिति हो जाती है. इसलिए मैं मानकर चलता हूं कि इस विषय को बहुत ज्‍यादा न फैलाया जाए.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शायद नेता प्रतिपक्ष जी इस विषय को समझ नहीं पाये है. इसमें बड़ा स्‍पष्‍ट है कि आपने एक हेलीकॉप्‍टर खड़ा रखा, आपने दूसरा हेलीकॉप्‍टर एक्‍सीडेंटल होने के बाद भी नहीं बेचा. आपने एक एयरक्राफ्ट जो आज 21 साल का हो गया है, एक हेलीकॉप्‍टर जिसकी 20 साल बाद स्‍क्रैप वैल्‍यू है, वह पड़ा रहा. क्‍या शासन की राशि इन्‍हें खरीदने में नहीं लगी ? आपने बेमतलब में किराये पर लगभग 42 करोड़ बर्बाद कर दिए. क्‍या शासन-प्रशासन का यह उत्‍तरदायित्‍व नहीं है कि वह जनता को बताये कि आपकी अक्षमता की वजह से हमारे प्रदेश की जनता का पैसा बर्बाद गया, जनता इसे क्‍यों भरे ? आप एक ऐसे डायरेक्‍टर को तनख्‍वाह देते रहे, जो अयोग्‍य है, फिट नहीं है फ्लाय नहीं कर सकता, पद के योग्‍य ही नहीं है.

          डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या यह प्रश्‍न अविलंबनीय लोक महत्‍व का विषय है ? तीन सत्र इसके पहले निकल चुके हैं और अब माननीय सदस्‍य को यह अविलंबनीय लोक महत्‍व का विषय लग रहा है.

          श्री पी.सीशर्मा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि अभी विधायक जी ने पूछा, निश्चित तौर पर दिनांक 21.3.2009, 14.02.2018 एवं 12.10.2018 को अति‍विशिष्‍ट व्‍यक्तियों की उड़ान हेतु और सुरक्षा के दृष्टिकोण से सिंगल ईंजन के हेलीकॉप्‍टर के उपयोग पर भारत शासन के गृह मंत्रालय द्वारा आदेशित कर प्रतिबंध लगाया गया था. बेल-407 हेलीकॉप्‍टर उसी केटेगरी में आता है. इसलिए इसे विक्रय करने की प्रक्रिया अभी प्रारंभ की गई है. इसमें हमें कुछ ऑफर भी आये हैं और यह प्रक्रिया चल रही है. जैसा कि सदस्‍य ने कहा कि अतिविशिष्‍ट में सभी लोग आते हैं तो निश्चित तौर पर श्रीमती सुषमा स्‍वराज जी ने वर्ष 2016 में इस हेलीकॉप्‍टर में 4 बार यात्रा की, मैं समझता हूं कि निश्चित तौर पर उन्‍हें उस हेलीकॉप्‍टर में यात्रा नहीं करनी चाहिए थी.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न का जवाब मंत्री जी ने अभी तक पूरी तरह से नहीं दिया. मैंने मंत्री जी से बड़े स्‍पष्‍ट रूप से पूछा था. मैंने तीनों एयरक्राफ्टस् के बारे में कहा था. मैंने मंत्री जी के जवाब को पढ़कर बताया. मैंने यह कहा कि जिस समय आपका वह एयरक्राफ्ट ग्राउण्‍ड हुआ, उस वक्‍त उसका बाजार मूल्‍य लगभग 11 करोड़ था. आज हम एयरक्राफ्ट खरीदने जा रहे हैं तो उसकी कीमत 100 करोड़ है. उस वक्‍त हमने दो गलतियां की. एक तो यह कि जब वह हेलीकॉप्‍टर  VIP व्‍यक्तियों के लिए अनुपयोगी हो गया था तो उसे तत्‍काल क्‍यों नहीं बेचा और दूसरा यह किया उस हेलीकॉप्‍टर को ग्राउण्‍ड कर, हमने किराये पर करीब 42 करोड़ रुपया खर्च किया. यह करीब 50 करोड़ रुपया हो जाता जिसमें हमारा नया एयरक्राफ्ट आ जाता. इसका उत्‍तरदायित्‍व किस पर है ? मंत्री जी पहले इसका जवाब दे दें फिर मैं अगला प्रश्‍न करूं.

          श्री पी.सीशर्मा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विधायक जी जो कह रहे हैं वह सही कह रहे हैं और निश्चित तौर पर शासन को इससे नुकसान हुआ है. वर्ष 2016-17 में इसे बेचने का प्रयास किया गया था लेकिन इस हेतु निविदायें नहीं आयीं. निश्चित तौर पर विधायक जी का कहना सही है कि इन 50-60 करोड़ रुपयों में उस समय यदि प्रयत्‍न किया जाता तो हेलीकॉप्‍टर क्‍या नया प्‍लेन भी आ सकता था और उस हेलीकॉप्‍टर को यदि बेच दिया जाता तो दूसरा हेलीकॉप्‍टर भी लिया जा सकता था. मैं यह समझता हूं कि एक हेलीकॉप्‍टर ईसी 155 बी-1 जो वर्तमान में राज्‍य शासन के पास है, किसी वजह से उसे विक्रय करने का प्रयास ठीक से नहीं हुआ, यह होना था लेकिन नहीं हुआ.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अभी भी मंत्री जी के जवाब से संतुष्‍ट नहीं हूं क्‍योंकि इन्‍होंने इस विषय में किसी की जवाबदेही नहीं बताई है लेकिन फिर भी मैं दूसरा प्रश्‍न कर रहा हूं.

          डॉ. सीतासरन शर्मा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह क्‍या है ? आप कितने प्रश्‍न लेंगे ? क्‍या इस तरह से विधान सभा चलेगी ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  शर्मा जी, प्रश्‍न-उत्‍तर चल रहा है.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-  शर्मा जी, आप शायद विषय नहीं समझ पाये हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या मैं अपना दूसरा प्रश्‍न कर लूं क्‍योंकि इसमें शर्मा जी का तो नाम भी नहीं है.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदस्‍य के प्रश्‍न का जवाब नहीं मिल पा रहा है और शर्मा जी उन्‍हें बीच में रोक रहे हैं.   

            डॉ. सीतासरन शर्मा:- अध्‍यक्ष जी, एक ही सदस्‍य को कितना मौका दिया जायेगा.

            श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्‍तीगांव:- मेरे तीन सवाल तो पूछूंगा कि नहीं पूछूंगा.

             कुणाल चौधरी:- अध्‍यक्ष जी, मेरा भी सवाल है, मेरा भी इस पर ध्‍यानाकर्षण लगा है. मुझे भी सवाल करना है.(व्‍यवधान)   

            अध्‍यक्ष महोदय:- आप लोग बैठिये. व्‍यवस्‍था मैं दे रहा हूं. इसमें मेरे पास ध्‍यानाकर्षण की चार सूचनाएं आयी थीं. यह आपको जानकारी दे रहा हूं, आपका आखिरी प्रश्‍न करिये. इसके बाद दूसरे वि‍धायकों को प्रश्‍न करने का मौका दूंगा.

            श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्‍तीगांव:- अध्‍यक्ष्‍ा जी, मैं फिर एक ही प्रश्‍न में सारी बातें कह देता हूं कि मंत्री जी सम्‍पूर्ण जवाब सदन को देने की कृपा करें. मंत्री जी ने अपने जवाब में बताया है और इसमें एक अनन्‍त सेठी नाम के व्‍यक्ति का जिक्र किया है, जो मेरे संज्ञान में डायरेक्‍टर कम चीफ पॉयलेट, जो अनफिट हैं. दूसरा इन्‍होंने कहा है कि हमने केबिनेट में एक डिसीज़न लिया था कि उस एयर क्राफ्ट को बेचकर जेट क्राफ्ट लेने का प्रयास किया. एक तो हमारे पास नाईट लेंडिंग की सुविधा नहीं है. एक हमारे पास एयर-स्ट्रिप्‍स ही नहीं हैं, उस जेट को लेंडिग कराने के लिये. दूसरा एक ऐसा अक्षम व्‍यक्ति उस पद पर बैठा रहा, जो उसका पात्र नहीं है. एक तो मैं चाहता हूं आप उसको तत्‍काल उठायें और उसकी जवाबदारी तय करें. क्‍योंकि वही डायरेक्‍टर था. डेफिनेटली उसकी एकाउंटिबिलिटी होती है, उन सभी चीजों के प्रति. मैं आपके माध्‍यम से यह भी जानना चाहूंगा कि जो हमारे वर्तमान मुख्‍यमंत्री जी हैं. जब से इनका कार्यकाल प्रारंभ हुआ है तो इन्‍होंने कितनी फ्लाईट्स ली और उन फ्लाईट्स पर कितना खर्चा हुआ ? उनमें से कितना इन्‍होंने निजी वहन किया और कितना सरकार ने खर्चा वहन किया, मैं इनका कम्‍पेरिज़न चाहता हूं.

            श्री पी.सी.शर्मा:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,..

            श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- अध्‍यक्ष जी, इसमें चाय-कॉफी का भी हिसाब ले लें, कि इसमें चाय-काफी कितनी लगी. यह क्‍या है, यह सदन चल रहा है. अब कार पर चर्चा होगी. कार में कितनी बार गये..(व्‍यवधान)  कितनी बार टॉयलेट गये. (व्‍यवधान)

            अध्‍यक्ष महोदय:- मंत्री जी, अपना जवाब दें. (व्‍यवधान)

            श्री संजय शर्मा:-पूरा जवाब जाना चाहिये और सदन को जानकारी मिलना चाहिये. (व्‍यवधान)

            श्री विश्‍वास सारंग:- अध्‍यक्ष महोदय, इस पूरे ध्‍यानाकर्षण में विषय-वस्‍तु....

            श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्‍तीगांव:- वह सेठी जो र्फ्लाइंग के लिये अनफिट है... (व्‍यवधान) 50 करोड़ रूपये नुकसान किया है, पिछली सरकार ने. आप उसको तनख्वाह दे रहे हैं.

            श्री पी.सी. शर्मा:- अध्‍यक्ष महोदय, सदस्‍य ने एक तो सवाल पूछा है कि वर्तमान मुख्‍यमंत्री जी ने 6-7 महीने में कितनी यात्राएं की हैं तो मैं बताना चाहता हूं कि जो हेलिकॉप्‍टर हायर किये गये, उसमें हवाई यात्राएं और हेलिकॉप्‍टर यात्राएं की हैं उस पर 45 लाख रूपये का भुगतान सरकार ने किया गया है और 50 लाख रूपये का भुगतान पेंडिंग है. (व्‍यवधान)

            श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- आप यह भी बताओ कि कितनी चाय-कॉफी पी, नियम में थी या नहीं. क्‍या यह सदन में चॉय कॉफी पर चर्चा होगी ?

            श्री पी.सी. शर्मा:- भूपेन्‍द्र सिंह जी, आप मेरी पूरी बात सुन लो.

             श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्‍तीगांव:- अभी आप समझ जायेंगे कि मेरे प्रश्‍न करने का क्‍या कारण था. (व्‍यवधान)

            अध्‍यक्ष महोदय:- मंत्री जी, आप अपना जवाब दो ना. 

            श्री पी.सी. शर्मा:- अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि आपने जो बाकी पूछा है, इसमें जो भी गड़बड़ हुई है, इसकी पूरी जांच करायी जायेगी.

            अध्‍यक्ष महोदय:-  बस चलिये. कुणाल चौधरी प्रश्‍न करिये.

            श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्‍तीगांव:- अध्‍यक्ष मेरा प्रश्‍न इसलिये है कि एक तो उन्‍होंने सेठी जी को हटाने को नहीं कहा है. उनको हटाया जाना चाहिये.

            श्री पी.सी. शर्मा:- उनको हटाया जायेगा, माननीय विधायक जी.

            श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्‍तीगांव:- मैं इस सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि हमारे मुख्‍यमंत्री ने अपने खुद के अपने एयर क्राफ्ट से, खुद के निजी व्‍यय पर यात्रा की है और जो शासकीय थी, जबकि वह पात्र थे. (व्‍यवधान) जबकि इन लोगों ने 42 करोड़ रूपये का भुगतान किया. उस सेठी को रखा जो अपात्र था. (व्‍यवधान)

            अध्‍यक्ष महोदय:- अब आप बैठ जाइये, कुणाल चौधरी जी अपना प्रश्‍न करें.

            श्री कुणाल चौधरी:- अध्‍यक्ष जी, ...

            नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--यह किसी गरीब और किसान पुत्र मुख्यमंत्री जी पूर्व मुख्यमंत्री रहे और एक उद्योगपति के बीच में    जो मजाक उड़ाया जा रहा है, यह जो विषय बनाया जा रहा है. (व्यवधान) किसी किसान के बेटे का ऐसा मजाक उड़ाया जायेगा. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सभी अपना स्थान ग्रहण करें. (व्यवधान)

          श्री गोपाल भार्गव--एक मध्यमवर्गीय परिवार से आये व्यक्ति यदि वह अफोर्ड नहीं कर सकते तथा उनकी क्षमता नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी पूंजीपति हैं तो हम इसमें क्या कर सकते हैं ?(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--सदन के नेता खड़े हैं. नेता प्रतिपक्ष जी मैं आपको पुकार रहा हूं. जो कोई भी बोलेगे नहीं लिखा जायेगा. यह एक परम्परा है कि जब नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं तो आप सब लोग खड़े हो जाते हैं, यह आपको ही पालन करना है. अगर सदन का नेता खड़ा होता है. तो हम सबको बैठ जाना चाहिये. जब मैं खड़ा होता हैं तब भी सबको बैठ जाना चाहिये. चलिये नेता जी.

          मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--माननीय अध्यक्ष जी, विस्तार से बोलने का इस सदन में मुझे मौका नहीं मिला, क्योंकि मैं जब इस सदन में पहली दफे आया तब मैं इस सदन का सदस्य नहीं था. मैं यह मानता था कि मुझे बोलने का अधिकार तभी होगा जब मैं इस सदन का सदस्य चुना जाऊंगा. जब मैं इस सदन का सदस्य चुना गया. मैंने सोचा कि जब शपथग्रहण करेंगे उस दिन भी मैं कुछ बातें रखूंगा, पर क्योंकि कार्यवाही ऐसी थी कि मुझे शपथ आपके कार्यालय में ही लेनी पड़ी, वह मौका भी नहीं मिला. अभी मैं यह बात सुन रहा था, ऐसा मौका नहीं चाहता था, क्योंकि दुःख और वेदना के साथ मुझे खड़ा होना पड़ा. मेरे 45 साल के राजनैतिक जीवन में मेरे ऊपर कोई उंगली नहीं उठा सका. आप सब बैठे हैं. 15 साल भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही. कांग्रेस की भी सरकार रही. किसी ने मुझ पर कोई उंगली नहीं उठाई और इन 45 सालों में मैं पर्यावरण मंत्री रहा, विभिन्न विभागों का मंत्री रहा. मैं लगभग 40 साल संसद का सदस्य रहा. एक स्वच्छ राजनीति कर एक उदाहरण बनने का मैंने प्रयास किया. मैं जब पर्यावरण मंत्री था तब मुझे चिन्ता थी अपने प्रदेश की आज आप भोपाल की लेक देखते हैं 1991 में 1992 में मैंने अपने मंत्रालय से पैसे भेजे कि लेक साफ की जाए, तब लेक सुधरी, यह सड़क बनायी जाये. यह तो रिकार्ड की बात है. जब मैं वाणिज्य मंत्री बना. मैंने मध्यप्रदेश के किसानों के लिये व्यापार संगठन में डब्ल्यू. टी.ओ. में लड़ाई की, मुझे शैतान बुलाया गया कि यह शैतान मंत्री हैं, क्योंकि मैंने डब्ल्यू.टी.ओ. का समझौता नहीं होने दिया कि मेरे सामने उस किसान का चेहरा था, हमारे मध्यप्रदेश के किसान का चेहरा था. मैंने अमेरिका को कहा था और मैं यह रिकार्ड में कहना चाहता हूं कि मैं यहां अपने देश का नेतृत्व करता हूं, पर सबसे पहले अपने देश के किसानों का नेतृत्व करता हूं. जब मैं परिवहन मंत्री बना. माननीय शिवराज जी बैठे हैं. यह गवाह हैं कि इन्होंने तो खुद पब्लिकली मुझे धन्यवाद दिया. सबसे ज्यादा जो पैसा हो सकता था, मैंने नियम बदला कि मध्यप्रदेश को सबसे ज्यादा पैसा मिले और मध्यप्रदॆश को सबसे ज्यादा पैसा मिला. मैं आभारी हूं कि माननीय शिवराज सिंह जी ने ही जहां तक मुझे जानकारी है कि सदन में भी यह बात कही. यह मेरा कर्तव्य था, मैं कोई एहसान नहीं कर रहा था, यह मेरी सोच थी कि जितनी हम मध्यप्रदेश की मदद कर सकते हैं मुझे करनी चाहिये केन्द्र में बैठकर. उसके बाद जब मैं शहरी विकास मंत्री बना तब सबसे ज्यादा पैसा यह रिकार्ड की बात है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी क्षमा करें कि यह ध्यानाकर्षण में कहां से आ गया.

          श्री कमलनाथ--अध्यक्ष महोदय, गोपाल भार्गव जी मैं इसी ध्यानाकर्षण पर आ रहा हूं. आपको परेशानी नहीं होनी चाहिये मुझे यह कहते हुए. मैं सोच रहा था कि यह कहना आवश्यक है. जब मैं शहरी विकास मंत्री बना, उस समय भी सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश को पैसा मिला. यह मेट्रो की बात चली माननीय बाबूलाल जी गौर आते थे, माननीय शिवराज जी से भी चर्चा होती थी, कितनी दफे चर्चा हुई, हम कितनी दफे मांग करते थे और कहते थे कि हमें यह करना है और हम इसमें सहमति बनाते थे. जो हो सकता था किया. किसी ने मुझ पर कोई उंगली मेरे राजनीतिक जीवन में नहीं उठाई. कल सुबह मेरे ध्‍यान में एक ध्‍यान आकर्षण लाया गया, जिसमें सीधे आरोप मुझ पर लगाया है, किस विषय पर, जिस विषय पर यह ध्‍यान आकर्षण है. जिसमें यह कहा गया है कि राज्‍य सरकार प्‍लेन और हैलीकाप्‍टर बेचना चाह रही है, क्‍योंकि कमलनाथ की, यह नहीं कहा कि कमलनाथ की है, उनने कंपनी का नाम दिया है, स्‍वीकार करता हूं यह कंपनी मेरे परिवार की है, उनसे किराए पर लेती है. मैं तो सदन को बताना चाहता हूं, आज तक, आज तक शिवराज सिंह जी आपके मंत्री मंडल के बहुत सारे पूर्व सदस्‍य यहां बैठे हैं. आज तक मेरी कोई कंपनी ने किराए पर कोई राशि मध्‍यप्रदेश सरकार से नहीं ली है, इन 15 सालों में (...मेजों की थपथपाहट) मुझसे अधिकारी मांगते थे, जब शिवराज सिंह जी मुख्‍यमंत्री थे, जब इनको जहाज नहीं मिलता था, कि अपना जहाज किराए पर दे दों, मैं इंकार कर देता था कि नहीं, किसी न किसी दिन यह आरोप लगेगा कि कोई भी सरकार हो, यह किराए पर लिया गया. आज तक ये एक पैसा मध्‍यप्रदेश सरकार ने मेरी कोई मेरी कंपनी को नहीं दिया. यह ध्‍यान आकर्षण क्‍या कहता है? कि यह कंपनी है स्‍पेन और मुख्‍यमंत्री आदेश दिया है कि हैलीकाप्‍टर और प्‍लेन बेच दो, प्‍लेन बेचने का फैसला तो पिछली सरकार ने केबीनेट में किया था. मैंने नहीं किया था, सही किया था, फैसला इनका बिलकुल सही था पर यह आरोप जो लगा रहे हैं, कि बेचने का क्‍योंकि किराए पर उस कंपनी से शेयर लिया जाएगा, यह आरोप लगा रहे हैं. इस संदर्भ में, ये इससे मुझे बहुत दु:ख हुआ कि ऐसी बात करना जिसका न सिर न पैर, ये ध्‍यान आकर्षण मेरे सामने और मैं इसको आप चाहे मैं पढ़ना चाहता हूं, मैं पढूंगा नहीं. पर मोटी बात है कि हैलीकाप्‍टर बेच रहे हैं, क्‍योंकि यह है स्‍पेन कमलनाथ की कंपनी, मुख्‍यमंत्री बेचना चाह रहे हैं, उन्‍होंने यह नहीं कहा, पर सीधा इशारा तो मुझ पर है. मैं तो एक बात और स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं, 15 साल आज के विपक्ष की सरकार रहीं. एक मंत्री को मैंने कभी निजी काम के लिए, किसी ठेकेदार के लिए, किसी की सहायता के लिए कभी नहीं कहा, कभी फोन नहीं किया, कभी चर्चा नहीं की, जितने भी मंत्री बैठे हैं, ये गवाह हैं. कितनी दफे मैं बात करता था, मंत्रियों से पर मैंने आज तक न फोन पर न, मिलकर कभी बात करी, न कोई निवेदन किया. हां निवेदन किया मैंने छिन्‍वाड़ा के लिए किया, छिन्‍दवाड़ा के विकास के लिए निवेदन किया, पर मैंने कभी किसी निजी काम के लिए, किसी के लिए, किसी ठेकेदार के लिए, किसी ट्रांसफर के लिए, किसी पोस्टिंग के लिए मैंने कभी बात नहीं की, इन 15 सालों में (...मेजों की थपथपाहट) और इसीलिए मुझे इस बात का कल दु:ख हुआ कि ये इस प्रकार का आरोप आज यह ध्‍यान आकर्षण के मामले में ये ला रहे हैं, तो चलिए मैदान में आना है, मैं भी तैयार हूं (...मेजों की थपथपाहट) और शुरू से यह सरकार जा रही है, ये सरकार जाने वाली है. कल ही मैं अखबार में पढ़ रहा था, कुछ दिनों की सरकार है. मैं स्‍पष्‍ट कर दूं, किसी प्रकार का भी प्रलोभन, जो यहां बैठे हैं, ये बिकाऊ नहीं है. (...मेजों की थपथपाहट) और हमारी सरकार केवल 5 साल ही नहीं चलेगी, बड़े दम से चलेगी, मध्‍यप्रदेश का एक नया विकास बनाकर रहेगी. (...मेजों की थपथपाहट)

            श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से एक निवेदन करना चाहता हूं. इस ध्‍यान आकर्षण में जो यह बात की गई, मुख्‍यमंत्री जी की अपनी तकलीफ हैं, उन्‍होंने अपनी व्‍यथा व्‍यथित होकर बताई,लेकिन मैं भी यह कहना चाहता हूँ कि हर चीज को विषय बनाना  कि किसने, कितने घण्‍टे हवाई यात्रा की, कार्यप्रणाली में अन्‍तर हो सकता है. अब अगर कहीं ओले गिर जाएं, कहीं प्राकृतिक आपदा आ जाए, कहीं कोई कष्‍ट और तकलीफ हो जाए. माननीय मुख्‍यमंत्री जी की अपनी स्‍टाइल है, वे नहीं जाते हैं. लेकिन मैं दौड़ता था, जाता था. अब मैं जाऊँगा तो हेलीकॉप्‍टर की जरूरत पड़ेगी. (मेजों की थपथपाहट) लेकिन मुख्‍यमंत्री जी को हमने बहुत आदर के साथ (...व्‍यवधान...) यह ठीक नहीं है.

(...व्‍यवधान...)

          लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्‍जन सिंह वर्मा) - अध्‍यक्ष महोदय, कमलनाथ जी के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद कहीं ओले नहीं पड़े.

          खेल और युवा कल्‍याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - अध्‍यक्ष महोदय, आप कहते हो कि मैं अच्‍छा (...व्‍यवधान...) 

          अध्‍यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाएं.

          एक माननीय महोदय - बीजेपी के समय ही ओले पड़ते थे.

          अध्‍यक्ष महोदय - मैं किसी को परमिट नहीं कर रहा हूँ. मैं सिर्फ शिवराज जी को परमिट कर रहा हूँ. आप लोग बैठ जाइये. (...व्‍यवधान...)

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्‍यक्ष महोदय, आप लोगों ने मुख्‍यमंत्री जी की बात गौर से सुनी एवं किसी भी सदस्‍य ने कोई हस्‍तक्षेप नहीं किया एवं हमने मुख्‍यमंत्री जी की प्रत्‍येक बात को गौर से सुना. अब अध्‍यक्ष महोदय (...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय - मैं केवल शिवराज जी को परमिट कर रहा हूँ. आप लोग बैठ जाइये.

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, बिल्‍कुल सही है. शिवराज जी आपकी जो भाषा थी, शैली थी, उसका भाव सही नहीं था.

          विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - अध्‍यक्ष महोदय, यह स्‍टाइल शब्‍द को विलोपित किया जाये.

          लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आरोप पहले उधर से लगा है. आरोप उधर से लगता है और जब उनकी बात की कलई खुल ही जाती है तो वे तिलमिला जाते हैं. (...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये.

          श्री सुखदेव पांसे - तो हमारे मुख्‍यमंत्री पर कुछ भी आरोप लगाते हैं. (...व्‍यवधान...)

          श्री जितु पटवारी - हमारे वरिष्‍ठ विधायक हैं. ये उन पर आरोप लगा रहे हैं. (...व्‍यवधान...)

          अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.

(12.37 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्‍थगित की गई.)

 

           

                      

 

 

 

 

 

 

 

 

           12.45 बजे

विधान सभा पुन: समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

            अध्‍यक्ष महोदय -- अगर आप सभी मेरी बात सुनेंगे तो मैं बोलूं. 

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है.   

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरी बात अगर आप सभी सुनें तो, मैं बोलूं.कृपया आप सभी बैठ जायें. माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी आप बोलें.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक मिनट मेरा एक व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न सुन लें.    मैं बहुत विनयपूर्वक आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि एक ऐसी परंपरा जो अभी शून्‍यकाल में मुख्‍यमंत्री जी ने पढ़ी है. अध्‍यक्ष महोदय, हम लोगों के आग्रह पर  आज आपने चर्चा के लिये छ: ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍ताव लिये हैं और हम पहले ध्‍यानाकर्षण पर ही चल रहे हैं और मुख्‍यमंत्री जी ने अपना उत्‍तर दे दिया है. मैं सिर्फ आपसे एक व्‍यवस्‍था चाहता हूं कि मुख्‍यमंत्री जी ने किसी एक ध्‍यानाकर्षण के बारे में जो एजेंडे में नहीं है, जो आपके सचिवालय ने स्‍वीकृत नहीं किया है. आपके सचिवालय ने उसको स्‍वीकृत नहीं किया है और आज की कार्यसूची में वह नहीं है. मैं सिर्फ इतना ही जानना चाहता हूं और आपसे व्‍यवस्‍था चाहता हूं कि एक्‍स एजेंडा विषय पर जो कभी दिया गया हो, किसी सदस्‍य के द्वारा दिया गया हो, क्‍या इस प्रकार की चर्चा हो सकती है ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं उस पर चर्चा नहीं हो रही है, आप बैठ जायें.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री जी ने जो बातें कहीं हैं, मैं उस संबंध में इतना ही कहना चाह रहा हूं कि जहां तक सरकारे आने जाने का सवाल है तो यह तो आती जाती रहती हैं, लेकिन मुख्‍यमंत्री जी मैं आपसे इतना निवेदन करना चाहता हूं कि मैंने इस बारे में अभी कोई प्रयास नहीं किया है और न ही मैं इस प्रकार उस पर विश्‍वास करता हूं, लेकिन मैं आपसे ऐसा भी नहीं कहना चाहता हूं मैं तो आपसे फिर कहना चाहता हूं कि यदि हमारे ऊपर से नंबर वन और नंबर टू का आदेश हुआ तो एक दिन भी, 24 घण्‍टा भी नहीं लगेगा आपकी सरकार......(व्‍यवधान)...

          खेल एवं युवा कल्‍याण एवं उच्‍च शिक्षा मंत्री ( श्री जितू पटवारी) -- (जोर-जोर से) आप तो आदेश ले लीजिये, आप आदेश ले लो. ......(व्‍यवधान)...

          मुख्‍यमंत्री (श्री कमलनाथ) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लगता है कि इनके नंबर वन और नंबर टू ज्‍यादा समझदार हैं, वह यहां की हकीकत जानते हैं (मेजों की थपथपाहट) और अगर इसमें इन्‍हें कोई शक हो तो मैं तो चाहूंगा कि यह आज ही अविश्‍वास प्रस्‍ताव मूव कर लें, हम राजी हैं. (मेजों की थपथपाहट)......(व्‍यवधान)...

          वित्‍तमंत्री( श्री तरूण भनोत) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह नंबर वन और नंबर टू कौन हैं ? ...(व्‍यवधान)...

            अध्‍यक्ष महोदय -- (कई माननीय सदस्‍यों के एक साथ अपने आसन पर खड़े होने पर) अब आप सभी बैठ जायें. (श्री तरूण भनोत जी की ओर देखकर) लक्ष्‍मी नारायण जी बैठ जायें. (श्री प्रियव्रत सिंह की ओर देखकर) बिजली बैठ जायें. ....(व्‍यवधान)...

          लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी (श्री सुखदेव पांसे) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक नंबर और दो नंबर कौन है, उसका उल्‍लेख किया जाये ?....(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें. (श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल की ओर देखकर) यहां पर कोई खनन न करें. (श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल की ओर देखकर) यहां पर एनवीडीए न बहायें. ....(व्‍यवधान)...मेरे बिना कहे अगर कोई खड़ा होता है तो मुझे अच्‍छा नहीं लगता है, क्‍योंकि यहां की खबरें बाहर जाती हैं. मंत्रीगण जरा आप लोग ध्‍यान रखें कि कब टोकना चाहिये, कब नहीं टोकना चाहिये ? (श्री सचिन सुभाष चन्‍द्र यादव की ओर देखकर) आप लोग कैसा कर रहे हैं. देखिये नेताजी को जो बोलना था उन्‍होने बोल दिया है. आप सभी सदन को अच्‍छे से चलने दीजिये. श्री शिवराज सिंह चौहान जी आप बोलें. (पुन: कई माननीय सदस्‍यों के एक साथ अपने-अपने आसन पर खड़े होने पर) अरे भाई आप सभी बैठ जायें, यह आपका तरीका ठीक नहीं है. ....(व्‍यवधान).. नहीं मैं आपको परमिट नहीं कर सकता हूं, आप बैठ जायें. ....(व्‍यवधान)...

          श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह कहते हैं कि हम खरोद-फरोख्‍त करेंगे, इन्‍होंने यह बात सीधे सदन में कही है, इस प्रकार जब खरीद पर बिकने की बात सदन में हुई है तो यह प्रश्‍न उठता है, यह प्रश्‍न क्‍यों नहीं उठेगा, आप बतायें ? ....(व्‍यवधान)...

          विधि एंव विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) -- यहां सरेआम खरीद फरोख्‍त की बात हो रही है. ....(व्‍यवधान)...

          किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास मंत्री( श्री सचिन सुभाष चन्‍द्र यादव ) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह कौन सा तरीका है ....(व्‍यवधान)...

          संस्‍कृति एवं चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री(डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह एक नंबर और दो नंबर क्‍या है ?....(व्‍यवधान)...

          ऊर्जा मंत्री(श्री प्रियव्रत सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष में अगर ताकत हो तो खुलासा करें... ....(व्‍यवधान)...                                                                  

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सरकार गिराने के सपने देख रहे हैं. इसमें तो रामबाई का स्‍टेटमेंट आना चाहिये. ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय--  मुझे एक चीज समझ में नहीं आ रही,...(व्‍यवधान)...अब प्रभु मैं क्‍या करूं.

          श्रीमती रामबाई गोविन्‍द सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  विपक्ष बोल रहा है कि अगर हमारे ऊपर का आदेश आ जाये तो दो मिनट में गिरा दें, तो मैं कहना चाहती हूं कि यह कमलनाथ जी की सरकार अंगद के पांव की तरह है...(मेजों की थपथपाहट)... चाहे आपका ऊपर का आदेश आये और चाहे उससे ऊपर का आदेश आये, कमलनाथ की सरकार न गिरने वाली है और न गिरेगी. ...(मेजों की थपथपाहट)... और ...(XXX)......(व्‍यवधान)...

          एक माननीय सदस्‍य--  अध्‍यक्ष महोदय, यह तो निकालो. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय-- यह रिकार्ड से निकाल दें.

          श्री हरिशंकर खटीक--  अध्‍यक्ष महोदय, अभी सज्‍जन सिंह मंत्री जी माननीय विधायक रामबाई जी के पास गये थे, उन्‍होंने कहा होगा कि ऐसा कहो. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप लोगों को अगर चर्चा करनी है, मैं अपने कमरे में चला जाता हूं. भाई यह तरीका ठीक नहीं, अब जब कोई स्थिति आप लोग समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, मैं खड़ा हूं, लेकिन इस तरफ ध्‍यान न देकर जिसको जो गेंदबाजी करनी है वह करे जा रहे हैं. मैं देख रहा हूं कि कौन स्पिन कर रहा है, कौन ऑफ स्पिन कर रहा है, कौन पटकी हुई गेंद कर रहा है. मैं झुक-झुक के बचने की कोशिश कर रहा हूं, कोई बम्‍पर भी फेंक रहा है. भाई इतने अच्‍छे से सब चीजें चल रही हैं, सब लोग विद्वान हैं, समझदार हैं. आप ही लोगों ने मिलकर मुझे यहां बिठाया है कि आप बैठिये, हम सब लोग विद्वान, बुद्धिमान नियमों का पालन करते हुये सुचारू रूप से हर चीज चलने देंगे और मैं वह कोशिश कर रहा हूं. जब मैंने शिवराज जी को पुकारा तो फिर किसी को नहीं उठना चाहिये था. जरा हम परिपाटियों को, मैं पुरानी परिपाटियों को लाना चाह रहा हूं कि उस समय अगर अर्जुन सिंह जी खड़े हो गये तो पटवा जी बैठ जाते थे, पटवा जी खड़े हो गये तो अर्जुन सिंह जी बैठ जाते थे. मैं वह परिपाटी लाने की कोशिश कर रहा हूं. हम उन पुरानी परम्‍पराओं पर तो आयें, ऐसा मेरा विचार है. जब सदन के नेता खड़े हों, जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हों हमको कुछ भाव भंगिता पर ध्‍यान देना चाहिये. अरे आप क्‍या कटीली बात करोगे जो तीखी बात पटवा जी करते थे, हां और जिसके ऊपर किताबें खुल जाती थीं, हमने वह समय भी देखा है, हम पहली-पहली बार चुनकर आये थे. शिवराज जी बोलिये.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मर्या‍दाओं का पालन करने वाला सदस्‍य हूं और इसलिये जब आप खड़े हुये मैंने सदैव कोशिश की कि मैं नीचे बैठ जाऊं. आज एक विषय उठा, सरकारें आती रहती हैं, जाती रहती हैं, आयेंगी, जायेंगी. लेकिन अगर ऐसे सवाल उठे कि कौन मुख्‍यमंत्री कितने घंटे हेलीकाप्‍टर में गया, कितनी हवाई यात्रायें कीं. मैं कह रहा था कि काम करने का अपना-अपना तरीका होता है. मेरा काम करने का तरीका था, कहीं मुझको लगता था कि कोई प्राकृतिक आपदा है, कोई कष्‍ट है, कोई परेशानी है तो माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे लगता था कि मुझे दौड़ना चाहिये, मुझे जाना चाहिये, दुख बंटाना चाहिये, तकलीफें कम करना चाहिये और मेरी अपनी मान्‍यता थी कि आंखों देखी अलग होती है और कानों सुनी रिपोर्ट लेते हैं तो वह अलग होती है, यह अपने-अपने काम करने के तरीके होते हैं, मुझे उसमें ऐतराज नहीं है, किसको कौन सा तरीका अच्‍छा लगता है. अब हेलीकाप्‍टर राउंड होना चाहिये कि नहीं होना चाहिये. अब रेड्डी जी की, आपके भी मित्र थे माननीय मुख्‍यमंत्री जी, एक हेलीकाप्‍टर दुर्घटना में उनकी दुखद मृत्‍यु हो गई, स्‍वर्गवास हो गया. उसके बाद यह व्‍यवस्‍था दी गई कि सिंगल इंजिन हेलीकाप्‍टर में मुख्‍यमंत्री नहीं जायेंगे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तब भी मैंने काफी कोशिश की कि कोई हेलीकाप्‍टर है तो मर थोड़ी जायेंगे. लेकिन इसके बाद अनुमति नहीं मिली.       उसको ग्राउण्डेड करना पड़ा. जब कोई हेलिकाप्टर खराब होता था नहीं मिलता था तो किराये पर लेने की जरूरत भी पड़ती थी. मेरा निवेदन यह है कि आप जांच खूब कराएं, मुझे दिक्कत नहीं है लेकिन ऐसी-ऐसी चीजें निकालेंगे कि कौन कितने घंटे गया, कौन कितने घंटे में वहां पहुंचा, कितनी हेलिकाप्टर में चाय पी ? तो यह चर्चा के साथ अन्याय होगा. सरकार आपकी है. आप हर चीज की जांच कराईये. मुझे बिल्कुल इन्कार नहीं है लेकिन ऐसे ध्यानाकर्षण जो अविलंबनीय लोक महत्व के विषय नहीं होते, वे उठना और उस पर ऐेसे चर्चा होना, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि जब दौरों की जरूरत पड़ती थी तो दौरे किये जाते थे. यह मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर करेगा. आप जांच कराएं. कोई आपत्ति नहीं है लेकिन सदन में एक-एक मिनट क्या किया ? यह परंपरा उचित नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी, आप मुख्यमंत्री हैं प्रदेश के, आरोप लगेंगे. मैंने क्या झेला है मुख्यमंत्री रहते हुए, मैं जानता हूं. जिन चीजों से लेना देना नहीं था उन चीजों में मुझे और मेरे परिवार को कठघरे में खड़ा किया लेकिन हम भी सुनते रहे. बड़ा दिल तो करना पड़ेगा मुख्यमंत्री को. आरोप लगते हैं. इतने व्यथित कृपया करके मत होईये. दिल बड़ा कीजिये. जब इस पद पर हैं तो आरोप-प्रत्यारोप लगते रहेंगे और जहां तक आपने नैतिक बात कही, माननीय अध्यक्ष महोदय, रात में 2 बजे यह तय हुआ कि 114 कांग्रेस की और 109 बी.जे.पी. की हैं. रात में ही मैंने तय कर लिया था कोई दावा नहीं करना, कोई क्लेम नहीं करना. कांग्रेस को ज्यादा सीट मिली है सरकार बनाने का अधिकार उनका है. हम जब भी जोड़ा-तोड़ी की कोशिश कर सकते थे लेकिन सीधे मैं गया, मीडिया से बोला और इस्तीफा देकर वापस आ गया. अब यह सलाह देने वाले भी थे कि गिव-अप मत करो लेकिन मुझे लगा कि जिस पार्टी को ज्यादा नंबर मिला है वह अपनी सरकार चलाये लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी व्यथित मत होईये. सरकार अल्प मत की है तो यह तो कहा जाता रहेगा कि कब तक चलेगी, कब तक नहीं चलेगी. इस पर परेशान होने की जरूरत क्या है और इसलिये देखिये, किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं है तो यह सवाल उठते रहेंगे इस पर चिंता क्या करना. अपनी व्यवस्था मजबूत रखो. निश्चिंतता से सरकार चलाओ और नहीं है तो गिर जायेगी तो उसकी तैयारी रखो उसमें कौन सी परेशानी है. रोज बाहें  चढ़ाकर कि गिरा लो, बचा लो, हम गिरा देंगे. मेरा यह कहना है कि आप खुद मन से मजबूत बनिये. अपनी सरकार चलाईये. नहीं चलेगी तो नहीं चलेगी इसमें  कौन सी बड़ी बात है. यह व्यथित होने का विषय नहीं है और जहां तक राजनीतिक दांवपेंच का सवाल है यह आज से थोड़े ही मुख्यमंत्री जी चल रहा है. यह तो सतयुग, त्रेतायुग से चले आ रहे हैं और इसीलिये उसकी चिंता मत कीजिये. मुस्कुराते रहिये. प्रसन्न रहिये और अच्छा करने की कोशिश कीजिये. जरा-जरा सी बातों पर व्यथित होंगे और एक ध्यानाकर्षण पर दूसरा ध्यानाकर्षण लगवाएंगे तो हमेशा दुखी, परेशान रहेंगे. हमेशा तनाव में रहेंगे. मैं चाहता हूं कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री तनाव में नहीं रहे. मस्ती के साथ सरकार चले. जब तक चलेगी, चलेगी नहीं चलेगी तो नहीं चलेगी. उसमें कौन सी बड़ी बात है.

          मुख्यमंत्री ( श्री कमलनाथ ) - माननीय अध्यक्ष जी, शिवराज सिंह जी को बहुत अनुभव है. किस चीज का अनुभव है मैं जाना नहीं चाहता. किस आरोप का अनुभव है. मेरे पास इतना अनुभव नहीं है. मैंने तो पहले कहा कि मेरे ऊपर तो किसी ने उंगली नही उठाई, अगर इनका अनुभव मेरे से ज्यादा है, मैं धन्यवाद देता हूं इन्हें, कि जो सुझाव इन्होंने मुझे दिये हैं, जरूर मैं इन्हें अपने मन में रखूगा. दूसरी चीज, जो इन्होंने कही है कि अल्प मत की सरकार है, पर जब आप रोज यह ढोलकी बजाते रहेंगे कि अल्प मत की सरकार है, अल्प मत की सरकार है तो एक दफा हो जाये ना. यह तय हो जाये कि यह अल्प मत की सरकार है या बहुमत की सरकार है. मैं तो कहता हूं कि इसे आज ही किनारे करें. न मैंने कहीं एप्लीकेशन दी थी, न मैं इच्छुक था कि इस पद पर मैं आऊं. जब मुझे अध्यक्ष बनाया गया, न मैंने एप्लीकेशन दी थी, न मैं इच्छुक था. मेरी पार्टी ने कहा, मैंने स्वीकार कर लिया तो यह आपका सुझाव हो कि मुझे सब कुछ सहना पड़ेगा. कई बातें सह सकते हैं,  परन्तु मेरी जो अपने राजनीतिक जीवन में  सहने की क्षमता नहीं थी, यह सहने की क्षमता अगर इसकी आप प्रैक्टिस शुरू करना चाहते हैं, जैसे कल शुरू हुई है कि ऐसा आरोप लग जाए. मैंने इस बात को कहते हुए शुरू किया कि मुझे दुःख है, वेदना है कि इस प्रकार का आरोप! मैंने तो बाईचांस यह देख लिया, बाईचांस देख लिया, मैंने कहा कि यह आरोप मुझ पर लगा रहे हैं बिना सिर पैरे के? इस पर मुझे एतराज था, सही बात तो यह है. जो मेरे राजनीतिक जीवन में नहीं हुआ और दूसरी जो आपने बात कही कि मैं जाता था जहां कोई प्राकृतिक आपदा हो जाती थी. सबका अपना अलग-अलग स्टाइल होता है. मैं टेलीविजन और मीडिया की राजनीति नहीं करता. मैं नहीं चाहता कि मेरे फोटो छपें. (मेजों की थपथपाहट)..मैं नहीं चाहता कि यह फोटो छपे. रोज मेरा चेहरा टेलीविजन पर आए.

अध्यक्ष महोदय, मैंने तो शुरू में कहा था जब मैं मुख्यमंत्री बना कि यह सब फोटो, मीडिया इस पर मैं विश्वास नहीं करता. मैं तो चाहता हूं कि अगर कोई आपदा हो, कोई प्राकृतिक आपदा हो, कोई समस्या हो तो उसका मैं बैठकर हल निकालूं और वही सबसे बड़ी संवेदना होगी. (मेजों की थपथपाहट).. वही सबसे बड़ी चीज होगी, जब मैं उनको राहत पहुंचा सकूं. यह मेरा स्टाइल है, आपका अपना स्टाइल है. दोनों का स्टाइल ठीक है. इसमें क्या खराबी है? तो आपने सुझाव दिये, धन्यवाद. समय-समय पर अपने सुझाव, 15 साल के अनुभव के सुझाव मुझे देते रहिएगा. मेरे लिये बहुत काम आएंगे.

अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद. श्री गोपाल जी, अब पटाक्षेप हो गया.

नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - इस ध्यानाकर्षण के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी मुख्यमंत्री जी, यह ध्यानाकर्षण के बारे में न मुझे जानकारी थी, न किसी को जानकारी थी..

अध्यक्ष महोदय - श्री गोपाल जी, अब जिसका पटाक्षेप हो गया, उसको अब रहने दीजिए. श्री अजय विश्नोई..

श्री गोपाल भार्गव - एक अंतिम बात मुख्यमंत्री जी से कि अब सरकार जब गिरने पड़ने की बात आती है तो हम लोगों से कोई पूछेगा तो हम क्या यह कहेंगे कि 100 साल चलेगी सरकार? आप बताएं यह कॉमनसेंस की बात है.

श्री कमलनाथ - आप भी अनुभवी हैं, 100 साल न कहिए, 5-10 साल तो कह दीजिए.

 

 

 

(2) प्रदेश में गरीबी रेखा अंतर्गत खाद्यान्न पर्ची जारी न किया जाना

 

 

श्री अजय विश्नोई (पाटन), श्री कमल पटेल, श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय,


            खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) --

माननीय अध्यक्ष महोदय,

                                                                                   

                        श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय, मैं  आपके माध्यम से  मंत्री जी   को पहले तो यह अवगत कराना चाहता हूं कि  मैं उनकी बात से सहमत हूं.   प्रदेश का एक  कोटा निर्धारित है, हालांकि वह 2011 की जनसंख्या के आधार है कि  इससे ज्यादा  लोगों को राशन नहीं  दिया जा सकता है. परंतु एक प्रक्रिया है, जिसके तहत गरीब  लोग बीपीएल से ऊपर आते रहते हैं और  उनके नाम काटे जाने  की प्रक्रिया चलती रहती है.  सरकार जितनी सतर्क रहेगी, जितनी गंभीरता  से इस प्रक्रिया को   चलायेगी, उतनी  गंभीरता से नीचे  से   जो गरीबी की  रेखा  में जुड़ने वाले नये लोग  हैं,  उनको राशन मिलता रहेगा.  मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि  वर्ष 1917-18 के बीच में  जब माननीय  शिवराज  सिंह जी, मुख्यमंत्री थे,  30 से 35  लाख  नई   पर्चियां जारी की गई थीं.  जबकि मंत्री जी ने अपने जवाब में  बताया है कि   मार्च,2018 से   मार्च,2019 तक  मात्र 47 हजार  नई  पर्चियां जारी हुई हैं. इसका मतलब है कि सरकार कहीं न कहीं इस  विषय पर  धीमी गति से काम कर रही है.  यदि यह धीमी गति तेज हो जाये,  तो   जो गरीब वाकई  में इंतजार में है,   हमारे जबलपुर  जिले में अकेले  5 जार लोग इंतजार में हैं.  यह पूरे प्रदेश से जुड़ा हुआ मामला है.  मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि  क्या   अपात्रों को  सूची से  अलग करने की प्रक्रिया   को  तीव्रता देंगे और  बड़ी तादाद में पर्चियां जारी करें,  ताकि  वाकई में जो सुपात्र  लोग  हैं,  उनको राशन मिल सके.

                   श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय,  पूर्व मंत्री जी ने  बड़ा अच्छा प्रश्न उठाया है.  इसकी चिंता अगर इन्होंने  6 महीने  पूर्व की होती, तो  मुझे बहुत अच्छा लगता,पर आज आपने की, उसके लिये भी धन्यवाद.  मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पहले  इन अपात्र  परिवारों को  जोड़ा किसने. हमने सिर्फ अपनी सत्ता  बचाने के लिये 6  महीने  पहले सम्बल योजना लागू की  और आपने अपात्र लोगों को उस  सम्बल योजना में जोड़ दिया.   आज  देखिये कि वे लोग  बिजली के बिलों को लेकर घूम रहे हैं और  ये पात्रता  पर्ची के लिये घूम रहे हैं.  यह किया किसने है. तो मेरा सबसे पहले कहना यह है कि  आप चाहते हैं, तो मैं  इन  सारे  जो  अपात्र लोग हैं, उनकी   मैं जांच  जबलपुर, सागर सब में करा लूंगा.   अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे संरक्षण चाहते हुए   सदन से, पक्ष  और विपक्ष दोनों से ..

                   अध्यक्ष महोदय -- मैं सुन रहा हूं.

                   श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर --.. निवेदन कर रहा हूं कि  अगर हम गरीबों  के लिये,  पात्र लोगों   के लिये वास्तव में हम चाहते हैं कि  उन्हें पात्रता पर्ची जारी हो,  तो 2011 की जनगणना   पर हमारे उस समय के माननीय राहुल गांधी जी, माननीय सोनिया गांधी जी,  यूपीए सरकार ने चिंता की कि कोई भूखा न सोये. वे खाद्य सुरक्षा अधिनियम लाये.  उसमें यह तय हुआ कि   2011 की  जनगणना  में जितने पात्र लोग हैं,  75 प्रतिशत लोगों को लाभ दिया जायेगा.   उस  समय मध्यप्रदेश की  आबादी  जो थी,  आज 2019 में  वह आबादी बढ़ गयी है.  उसके अनुपात में   66  प्रतिशत लोगों को   खाद्यान्न मिल रहा है.  तो यह जो  9  प्रतिशत का गेप है.  उस गेप के लिये भारत  सरकार को  लिखा है कि  उन गरीबों को अन्न मिल सके.  इसकी सीमा बढ़ाई  जाये. दूसरा,  मैं यह बताना चाहता हूं कि   हमारी सरकार ने, अभी आप कह रहे थे, तो  हमने सागर जिले में  इस वर्ष 4500  अपात्र परिवारों को बाहर किया है और 2654 को हमने जोड़ा है.  यह हमारी कमलनाथ सरकार का काम है और आप विश्वास रखें,  आप गरीबों के लिये  जितने चिंतित हैं, आप बहुत अच्छे व्यक्ति हैं,  मैं आपकी भावना का सम्मान करुंगा और जो अपात्र लोग हैं, वे इस सूची से जल्दी बाहर होंगे  और पात्रों को राशन  मिलेगा.  यह मैं भी जानता हूं कि  जो गरीब  अपने सामने नौनिहाल  को भूखा रोते हुए देखता है,  उस पर क्या बीतती है, मैं उस क्षेत्र से चुनकर आया हूं.  इसलिये मैं सदन से आग्रह करता हूं कि  हम  चलें प्रधानमंत्री जी के पास  और इस बजट में  बढ़ोतरी करायें.

          श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय,  मैं मंत्री जी की भावनाओं से  अपने आपको सहमत पा रहा हूं,  परन्तु   मैंने जो आग्रह किया कि आज भी  हजारों लोग  पात्रता पर्ची लेकर घूम रहे हैं.  आपका आरोप है कि हमने  उसको गलत तरीके से   शामिल  करा दिया.  आप फिर जांच  करा लें. 10-15 दिन, एक महीने में जांच करा लें और उस गरीब को जो  वाकई में  सुपात्र है, उसको राशन देने  की  शुरुआत करें. उसके लिये  कुपात्रों को बाहर करें.  हम कुपात्रों को बाहर करने से नहीं रोक रहे हैं  और सुपात्रों को अन्दर  करने का आग्रह कर रहे हैं. जहां तक  एक आपने कहा कि  हमारी  सरकार ने चुनाव के ठीक पहले  इस चीज को लेकर पर्चियां जोड़ दीं.   जरा  आपने जो  अपने जवाब में  पढ़ा है,  उसको भी पढ़ लीजिये कि  2013 में   आप यह अधिनियम लेकर आये थे,  उस समय  भी जो दिल्ली में कांग्रस  की सरकार थी. वह तुरंत चुनाव के मैदान में जाने वाली थी, शायद चुनाव के उद्देश्‍य को लेकर ही इसको  लाए थे. इस पर बहस नहीं है, बहस इस विषय पर है कि गरीब को राशन मिलना चाहिए. सुपात्रों को राशन मिलना चाहिए, आप कृपया उसकी चिंता करें, ये मेरा विनम्र आग्रह है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम तो पहले दिन से ही, मैं आज फिर कह रहा हूँ. सदन को बताना इसलिए जरूरी है कि गरीबों की चिंता की किसने..

          अध्‍यक्ष महोदय -- भाई, मेरी बात सुन लें...

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष जी, आप मेरी बात तो सुन लें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं क्‍यों सुनूँ.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- इन्‍होंने जो कहा है उसका जवाब मुझे.. ..(व्‍यवधान)..

          श्री अजय विश्‍नोई -- गरीबों की चिंता तो संबल योजना में, प्रधानमंत्री आवास योजना में, उज्‍जवला योजना में जिसने की है, वह दुनिया जान रही है... ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक मिनट, मंत्री जी. ..(व्‍यवधान)..

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- आप यह देखें, संबल में देने से नहीं, विधवाओं की पेंशन किसने 600 रुपये की, लाडली के हाथ पीले करने के लिए 51 हजार रुपये किसने किए....(व्‍यवधान)..ये हमारी सरकार ने किया है.. ....(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- सुनिए आप लोग, आप अपना प्रश्‍न का समय बिला वजह जाया कर रहे हैं....(व्‍यवधान)..अरे भाई, मूल प्रश्‍नकर्ता का उत्‍तर आने दीजिए. ....(व्‍यवधान)..

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- 6 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है. ....(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- मूल प्रश्‍नकर्ता का उत्‍तर आने दीजिए.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- जिनकी शादियां हुई हैं... ....(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- मूल प्रश्‍नकर्ता का उत्‍तर आने दीजिए. ये तरीका गलत है. मूल प्रश्‍नकर्ता अपना उत्‍तर पूछना चाह रहा है. (इंजी. प्रदीप लारिया के खड़े होने पर) लारिया जी, हाथ जोड़कर विनती है, व्‍यवस्‍था में सहयोग करिए. मूल प्रश्‍नकर्ता प्रश्‍न कर रहा है. मंत्री जी, आप मुझे व्‍यवस्‍था देने वाले कोई नहीं होते, पहले एक बात सुन लीजिए. आपने लहजे में जो बोल दिया, मैं इसको बर्दाश्‍त नहीं करूंगा, एक चीज ध्‍यान रख लीजएगा.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- जी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- फिर जो प्रश्‍न प्‍वॉइंटेड पूछा जा रहा है, इतिहास पर मत जाइयेगा, प्‍वॉइंटेड जवाब दीजिए.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- जी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं तो आपके विभाग के अधिकारी आपको इतना नचा रहे हैं, वह भी मैं जानता हूँ. प्‍वॉइंटेड प्रश्‍न का जवाब दीजिए.  (श्री तुलसीराम सिलावट के खड़े होने पर) आप बैठ जाइये सिलावट जी. बैठ जाइये. नहीं, ऐसे नहीं चलेगा हाऊस.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं आपकी भावनाओं का सम्‍मान करता हूँ. माननीय सदस्‍य ने जो कहा है, वह प्रक्रिया हमने शुरू से ही, आपने कहा कि अपात्रों को हटाओ, तो मैंने आपको पहले ही कहा माननीय अध्‍यक्ष जी कि हमने सागर में 4500 अपात्रों को हटा दिया है और जोड़ भी दिया है. यह प्रक्रिया निरंतर जारी है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- पर्ची कब जारी करेंगे, यह बताओ ?

            श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- पर्ची इसलिए जारी, जब अपात्र लोग हटेंगे, तब नई पात्रता सूची जारी हो जाएगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कुछ नहीं, ऐसा नहीं. मंत्री जी, मेरी बात सुन लीजिए, यह प्रक्रिया तो चलती रहेगी. गरीब बेचारा अपनी झोपड़ी में भूखा बैठा रहेगा. यह तरीका मुझे बिलकुल अच्‍छा नहीं लगता, इसलिए मैंने आपके विभाग के अधिकारियों पर टिप्‍पणी की है. वे सहिष्‍णु और मानवीयता के ओत-प्रोत नहीं हैं.

          श्री अजय विश्‍नोई -- अध्‍यक्ष महोदय...

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक मिनट, मुझे बात कर लेने दीजिए. आप लोग क्‍या करते हैं ? क्‍या करते हैं आप लोग ? क्‍यों मेरी लिंक बिगाड़ते हैं आप लोग..

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं निवेदन कर लूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, मेरी बात पूरी हो जाने दीजिए. मंत्री जी, आप एक महीने के अंदर पूरा करिए. विश्‍नोई जी, आप, शिवराज जी, आप, नेता प्रतिपक्ष जी, आप, जाइये मंत्री जी, दिल्‍ली, और जो गाड़ी वहां पर अटकी है, आप लोग सब मिलकर उस गाड़ी को आगे बढ़ाइये. श्री कमल पटेल जी, बोलिए.

          श्री कमल पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री से पूछना चाह रहा हूँ कि हरदा जिले में, जो आदिवासी बहुल जिला है, अनुसूचित जाति बहुल जिला है, उसमें पर्चियां दे दी गईं, लेकिन उनको राशन नहीं मिल रहा है. भूखों मरने की स्‍थिति आ रही है. आपने मात्र 226 परिवारों को जोड़ा है, जबकि हजारों परिवारों को पर्चियां दे दी गई हैं और हजारों परिवार ऐसे हैं जो अनुसूचित जाति, जनजाति के हैं, जिनके पास खेती के लिए एक इंच जमीन नहीं है. उनके पास कमाने का कोई साधन नहीं है. उनको कब तक जोड़ेंगे, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका धन्‍यवाद करता हूँ कि आपने माननीय मंत्री जी को निर्देश दिए हैं कि एक माह के अंदर जो पात्र लोग हैं, वे जुड़ जाएं, अपात्र लोग बाहर हो जाएं और जिनको पर्चियां दी गई हैं, इन्‍होंने उत्‍तर में दिया है कि जिनको हमने पर्चियां दी हैं, पहले उनको राशन..         

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न करिए. मेरे पास समय नहीं है.

          श्री कमल पटेल -- क्‍या माननीय मंत्री महोदय, आपने जो उत्‍तर में दिया है कि पर्ची तभी जारी की जाती है, जब उनको हम राशन की दुकान से राशन उपलब्‍ध करा सकते हैं, लेकिन मेरा आरोप है कि पर्ची ...

          अध्‍यक्ष महोदय -- कमल जी, प्रश्‍न करें, नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊंगा.

          श्री कमल पटेल -- प्रश्‍न है कि पर्चियां जारी कर दीं, लेकिन उनको राशन नहीं मिल रहा है. कब तक उनको राशन दिलाएंगे ? और बाकी जो लोग हैं, अनुसूचित जाति, जनजाति के, उनको कब तक...

          अध्‍यक्ष महोदय -- उसी के लिए तो केन्‍द्र जाना पड़ेगा. वही तो मैंने बोल दिया है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को बताना चाहता हूं कि जो अपात्र परिवार हैं, उनको हमने हटाया है और हरदा में हमने 226 लोगों को जोड़ा है, लेकिन जब अन्‍न नहीं होगा, राशन नहीं होगा, पात्रता पर्ची जारी करने का काम, सत्‍यापन करना यह नगर पालिका, नगर पंचायत इनके माध्‍यम से होता है. हमारे पास जब राशन है नहीं, तो हम कहां से दे देंगे ? आप बता दीजिये. इसीलिये मैंने कहा है आपसे कि चलो मोदी जी के पास, बात करो न. 

          श्री कमल पटेल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि पर्चियां दे दी गईं, लेकिन राशन नहीं मिल रहा है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - आप मेरे संज्ञान में ले आना, मैं आपकी भावनाओं का सम्‍मान करूंगा और ऐसी कोई त्रुटि होगी, तो उसे मैं ठीक करूंगा.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविंद सिंह) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह वास्‍तव में विसंगतियां हैं. पर्ची आज जारी नहीं हुई, पर्ची लगातार 3-4 वर्षों से जारी हो रही हैं, लेकिन राशन की कई बार डिमाण्‍ड करने के बाद भी केन्‍द्र सरकार ने नहीं बढ़ाया है. अब आपका निर्देश है कि एक महीने में करें, तो हमें लगता है कि शासन इसमें सक्षम नहीं हो पायेगा, क्‍योंकि जो पर्चियां आप लोगों ने बढ़ाईं, अगर आप कह रहे हैं कि फर्जी काटो, तो इसका मतलब आपने कितने फर्जी किये ? हम कटवा देंगे. आप बता दो.

          श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू -      (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय - क्‍या है यह ? बिना पूछे कैसे खड़े हो गये ? जो भी बिना पूछे खड़े हों, न लिखा जाये. अनिरुद्ध जी यह गलत बात है.

          डॉ. गोविंद सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, जितनी मात्रा में पर्ची जारी की गई हैं उनमें बहुत कम फर्जी हो सकती हैं, लेकिन जितने पैमाने में जारी हुईं, उस पैमाने पर फर्जी नहीं हटेंगे, तो दिक्‍कत तो आयेगी. अध्‍यक्ष महोदय, हमारा  आपसे  निवेदन है कि जैसा कि  आपने निर्देश दिया है, तब तक के लिये जब तक केन्‍द्र सरकार नहीं बढ़ा दे, तब तक मध्‍यप्रदेश सरकार राशन देने में राशन देने में अक्षम है.

          अध्‍यक्ष महोदय - ठीक बात है. मैंने इसलिये कहा है, डॉ. साहब मेरी बात भी सुन लीजिये कि मंत्री जी आप, यहां से जो वरिष्‍ठ हैं, माननीय विश्‍नोई जी का भी यही कहना था और मैंने भी कहा कि विश्‍नोई जी, शिवराज जी, नेता प्रतिपक्ष जी, आप लोग साथ में जाइये, ऊपर इस बात को रखियेगा, ताकि कोटा बढ़े, ताकि जिनको लाभान्वित होना है, मेरे क्षेत्र में भी यही स्थिति है, मैं इसलिये बात कह रहा हूं. मैं समग्र रूप से पूरे हाऊस की जो चिंता है..

          श्री हरिशंकर खटीक - अध्‍यक्ष महोदय...

          अध्‍यक्ष महोदय - बैठ जाइये प्रभु. ज्ञानवान, धनवान बैठ जाइये. मेरा सिर्फ यही अनुरोध है. आप सबकी चिंता में समाहित करते हुये दिशा निर्देश और वही चिंता संसदीय मंत्री जी की भी है. जो माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा उनकी भी वही चिंता है. हम सब क्‍यों न मिलकर जब एक ही चीज के लिये चिंतित हैं, समग्र रूप से दिल्‍ली चलकर प्रयास करें ताकि इसका निकाल हो सके.

          श्री अजय विश्‍नोई - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, संसदीय मंत्री जी ने जो कहा और जो आपकी मंशा है, वह दोनों अलग-अलग हैं. क्षमा करें, जो मैं समझ पाया.

          अध्‍यक्ष महोदय - मेरी जो हो गई, हो गई.

          श्री अजय विश्‍नोई - उनका कहना यह है कि हम फर्जी को इतनी जल्‍दी नहीं काट सकते. हम भी कह रहे हैं कि इस कार्य की गति को तीव्र कीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय - वह छोडि़ये. अरे, मैंने समय दे दिया भाई, आप सुना भी तो करें.

          श्री अजय विश्‍नोई - पर वह तो कह रहे हैं कि एक महीने में संभव नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं संभव होगा, तो जब हाऊस लगेगा मैं फिर..

          श्री अजय विश्‍नोई - अध्‍यक्ष महोदय, न फर्जी यह जोड़ते हैं, न हम जोड़ते हैं, फर्जी जोड़ते हैं अधिकारी. उसको कटवाने की जवाबदारी जो सरकार में बैठा है उसकी है और हम आपके साथ हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - अरे भाई, सुनिये. विश्‍नोई जी, एक मिनट रुक जाइये. आपने बहुत अच्‍छी बात उठा दी. जो व्‍यवस्‍था दी जा रही है, जिस समय की दी जा रही है. यह ध्‍यान रखें. संसदीय मंत्री जी, यह विभिन्‍न विभागों को पहुंचा दीजिये कि जो व्‍यवस्‍था दी जा रही है, जो समय दिया जा रहा है, नहीं करोगे, तो अगला सत्र फिर लगेगा. उसके ऊपर फिर मैं क्‍या व्‍यवस्‍था दूंगा फिर आप लोग मत कहना कि मैंने क्‍या व्‍यवस्‍था दे दी. यह बिलकुल ध्‍यान रख लीजियेगा.

          डॉ. गोविंद सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, भारत सरकार नहीं देगी, तो हम कहां से दे देंगे ? यह कृपा करके आपसे निवेदन है, आपने तो निर्देश दे दिया, पता नहीं यह जा रहे हैं कि नहीं जा रहे.

          अध्‍यक्ष महोदय - डॉक्‍टर साहब की बात से मैं सहमत हूं. चलिये के.पी. जी बोलिये.

          श्री के.पी. सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, हितग्राही को भारत सरकार और राज्‍य सरकार से क्‍या लेना देना ? भई, आप तो व्‍यवस्‍था करो. भारत सरकार से आपको क्‍या मतलब है ?

          अध्‍यक्ष महोदय - मतलब है. चलिये विराजिये.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - यह साफ कहें न कि नहीं दे सकते. हम देते थे कि नहीं देते थे ? आप बोलिये कि नहीं दे सकते. 

          अध्‍यक्ष महोदय - देखिये, मैंने 6 ध्‍यानाकर्षण लिये.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - साफ-साफ बोलिये कि नहीं दे सकते. आप आरोप मत लगाइये..(व्‍यवधान)...

          श्री शैलेन्‍द्र जैन - मेरा नाम भी इसमें है.

          इंजी. प्रदीप लारिया - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि अभी मंत्री जी ने जवाब दिया कि 4,500 अपात्र काटे हैं...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय - शर्मा जी, लारिया जी, मैंने जब 6 ध्‍यानाकर्षण...(व्‍यवधान)..

मैं बाहर चला जाऊंगा अभी फिर. नहीं, यह तरीका गलत है.

         

          इंजी. प्रदीप लारिया - 2400 कब तक जोड़ देंगे, माननीय मंत्री जी बता दें.

          अध्‍यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थिगित.

(1.25 बजे विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्‍थगित की गई)


 

विधान सभा 1.28 बजे पुनः समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)पीठासीन हुए}

          श्री शैलेन्द्र जैन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम ध्यानाकर्षण...

          अध्यक्ष महोदय--  जरा आप शांति से बैठ जाइये.

          श्री शैलेन्द्र जैन--  मेरा नाम है ध्यानाकर्षण में....

          अध्यक्ष महोदय--  मैं खड़ा हूँ. परंपराओं पर ध्यान दीजिए. हाउस चलाने में सहयोग करिए.

          अब मैं फिर से पढ़कर बता दे रहा हूँ कि मैंने आज ध्यानाकर्षण सूचनाएँ 6 क्यों लीं. अगर ऐसी टोकाटाकी होगी तो मैं 2 पर प्रतिबंध कर दूँगा. आगे की 4 नहीं पढ़ूँगा. मैं फिर पढ़ रहा हूँ कि मैंने क्यों ली हैं. कृपया मेरी भाषा समझने का कष्ट करें. नियम प्रक्रियाओं को समझने का कष्ट करें. (माननीय सदस्य श्री जालम सिंह पटेल के खड़े होने पर) अब रुक तो जाइये. एक तो बड़ी गलत आदत हो गई है, (माननीय मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खड़े होने पर ) अब आप भी बोल लीजिए प्रभु.

          खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, अच्छा है कि आसंदी के प्रति हमारा सम्मान होना चाहिए. आसन्दी की व्यवस्था से हम, यह बड़ी अच्छी बात है....

          अध्यक्ष महोदय--  आप भी सम्मान देते रहिए, बड़ी कृपा करिए आप.

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--  ये प्रश्न क्यों कर रहे हैं. इन्हें अधिकार क्या है कि आसंदी पर ही पूछने लगें कुछ भी.

          अध्यक्ष महोदय--  बीच में खड़े होने का आपको क्या अधिकार है?

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--  मैं बैठ जाता हूँ. (हँसी)

          अध्यक्ष महोदय--  विराजिए.

          एक मिनिट सुन लीजिए, आज की कार्य सूची में 52 ध्यानाकर्षण सूचनाएँ, उनके विषय की गंभीरता को महत्व देते हुए सम्मिलित की गई हैं. जो बीच बीच में खड़े होते हैं. मैं जानबूझकर दुबारा पढ़ रहा हूँ. कृपया इस बात को अपने मन पटल पर अंकित करते हुए फिर खड़े होने या प्रश्न करने के बारे में विचार करें, सोचें भी नहीं विचार करें अन्यथा न करें. आप तो शांत रहिए न, मेरे दिशा निर्देश तो सुन लीजिए शैलेन्द्र जैन जी. (शैलेन्द्र जैन जी के खड़े होने पर). आप ही लोगों के कारण तो यह दिक्कत हो रही है कि जिन तीन सदस्यों के नाम है उन मूल प्रश्नकर्ताओं को मैं प्रश्न नहीं पूछने दे पा रहा हूँ और जिनका ध्यानाकर्षण नहीं है वे इतने जिज्ञासु, जागरुक, ज्ञानी, ध्यानी, बुद्धिमान, ओतप्रोत पता नहीं क्या-क्या हो गए हैं. इसलिए मैंने यह छह ध्यानाकर्षण लिए हैं जिनके ध्यानाकर्षण हैं मैं उन्हीं को परमिट करुंगा. इसलिए मैं शिथिल करते हुए पूछ रहा हूँ. मैं बराबर हर सदस्य को मौका देने की कोशिश कर रहा हूँ कि उनकी बात आ जाए, लेकिन आप ही के बीच के लोग आप ही को टोक देते हैं, आप ही को रोक देते हैं. आपका प्रश्न पूरा न हो पाए उसके पीछे से खड़े होकर नया प्रश्न दाग देते हैं, कैसे चलेगा ? यह नियम है ? ठीक है न. अब अंतिम प्रश्न शैलेन्द्र जैन जी आपका बचा है इस विषय पर, सहयोग प्रदान करें.

 

 

1.31 बजे                                    अध्यक्षीय घोषणा

                                        सदन के समय में वृद्धि संबंधी.

 

          अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची के पदक्रम 4 "याचिकाओं की प्रस्तुति" तक सदन के समय में वृद्धि की जाए.

          मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.

                                                          सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.

 

 

 

 

1.32 बजे                           ध्यान आकर्षण (क्रमश:)

         

          श्री शैलेन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में यह बताया है कि संबल योजना के अन्तर्गत पंजीकृत हितग्राहियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अन्तर्गत प्राथमिकता परिवार श्रेणी के अन्तर्गत शामिल नहीं किया गया है. मैं प्रेसाशली यह पूछना चाहता हूँ कि क्या संबल योजना के अन्तर्गत जो हितग्राही हैं उनको उस योजना से बाहर कर दिया गया है. मंत्री जी ने अपने उत्तर में बताया है कि सागर जिले में लगभग 4000 परिवारों को अपात्र माना है, तो इन 4000 लोगों के एवज में नए 4000 लोगों को आपको शामिल करना चाहिए लेकिन उसके स्थान पर महज 2000 लोगों को सम्मिलत किया है. मंत्री जी क्या इस विसंगति को दूर करेंगे ?

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी आप दूसरे प्रश्न का उत्तर दे दीजिए क्योंकि पहले प्रश्न का आपने लिखित में उत्तर दे दिया है. माननीय प्रश्नकर्ता जब माननीय मंत्री जी उत्तर दें तो कृपया ध्यानपूर्वक सुना करें.

          श्री शैलेन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, वह तो योजना ही पूरी फेल हो गई है.

          अध्यक्ष महोदय--उसके प्रश्न पर मत जाइए, आपने उत्तर सुना था क्या ? जब मंत्री जी पढ़कर सुना रहे थे. मंत्री जी दूसरे प्रश्न का उत्तर दे दीजिए.

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो चिंता जताई है, यह प्रक्रिया है हमने 4000 लोगों के नाम हटाए इसके बाद नए नाम जोड़ना है तो हमने 2000 से ज्यादा नाम जोड़ दिए हैं, यह प्रक्रिया है. पात्रता पर्ची जो जारी होंगी तो उन परिवारों को शनै: शनै: जोड़ते जाएंगे. इसमें विभाग की कोई ढिलाई नहीं है हम तुरंत करेंगे.

          श्री शैलेन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

 

 

 

(3) शिवपुरी स्थित चिकित्‍सा म‍हाविद्यालय में शैक्षणिक पदों, पैरामेडिकल स्टाफ एवं अन्य पदों पर की गई भर्ती की जांच न की जाना.

 

          श्री के.पी. सिंह (पिछोर)--माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

                                                                                               

          चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ)-- अध्‍यक्ष महोदय,

 

          श्री के.पी. सिंह ''कक्‍काजू''--अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के वक्‍तव्‍य अनुसार पहली बैठक में कुछ भी नहीं हुआ और यह कहकर इस जांच को टालने की कोशिश की गई कि सिर्फ एक व्‍यक्ति के बारे में जांच होना है, इस संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया की जांच नहीं होना है. सिर्फ बैठक करके इतिश्री कर दी गई. दूसरी बैठक हुई तो  दूसरी बैठक में जो मेंबर थे वह मेंबर आए ही  नहीं और जब उनसे न आने का कारण पूछा गया तो उनकी तरफ से जवाब आता है कि हमें दूसरी भर्ती में काम करना पड़ रहा है इसलिए इस बैठक में नहीं आ सकते. उसके बाद फिर तीसरी बैठक की तारीख निर्धारित हुई तीसरी बैठक में कमिशनर के प्रतिनिधि और जो डीन इसकी मेंबर थीं वह फिर बैठक में नहीं आईं. यह फरवरी में चल रहे सत्र का मसला था. मार्च में बैठक निर्धारित की गई, अप्रैल में निर्धारित की गई, मई में बैठक हुई और जून में फिर संबंधित डीन इस बैठक में नहीं आईं और आप कह रहे हैं कि जांच बहुत तेजी से चल रही है. सिर्फ बैठक की तारीख तय हो जाए और बैठक में कुछ भी न हो इसका अर्थ क्‍या दर्शाता है? इ‍सका सीध-सीधा अर्थ यह समझ में आता है कि किसी तहर से यह जांच न हो पाए और यदि कल को इस जांच में विलंब हो जाता है तो स्‍वाभाविक रूप से जो गैर संवैधानिक नियुक्ति हुई हैं उनका एक वर्ष के बाद एक पक्ष बन जाएगा कि उन्‍होंने इतने दिन काम किया है और उनको न्‍यायालय में जाकर अपनी बात कहने का अवसर प्राप्‍त हो जाएगा. अब क्‍या शासन उनको हटा पाएगा? जिस प्रक्रिया में गलती हुई है उसके सारे प्रमाण मैंने दिए हैं, पूरे बिंदु उसमें लिखकर दिए थे. यहां मैंने एक उदाहरण भी प्रस्‍तुत किया था. मंत्री जी आज फिर एक उदारहण दे रहा हूं एक टेक्‍नीशियन की उसमें नियुक्ति हुई है. शुभम पाठक, पुत्र गोविंद पाठक उसकी उम्र 28 वर्ष है और उनको जो अनुभव की मार्किंग दी गई है वह 21 नंबर है. जिसकी उम्र 28 साल है और प्रक्रिया में एक साल का एक नंबर निर्धारित किया गया था तो उनको 21 साल के अनुभव के 21 नंबर दे दिए हैं. उसने डिग्री वर्ष 2014 में प्राप्‍त की है क्‍योंकि सरकारी अस्‍पताल में काम करने के लिए जब तक आपके पास बी.फार्मा की डिग्री नहीं है तो आप काम नहीं कर सकते हैं. जब कोई बच्‍चा वर्ष 2014 में डिग्री ले रहा है और वर्ष 2018 में भर्ती हुई है तो इस हिसाब से 4 साल हुए लेकिन उसे 4 साल के लिए 21 नंबर अनुभव के दिए गए हैं. यह स्‍वप्रमाणित तथ्‍य है कि भर्तियों में जानबूझकर भ्रष्‍टाचार किया गया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि जांच के नाम पर केवल औपचारिक प्रक्रिया न की जाये. शिवपुरी में मीटिंग होनी है, ग्‍वालियर से डीन को आना है. डीन ने कह दिया कि मैं व्‍यस्‍त हूं नहीं आ सकती. ऐसा दो बार हो चुका है. भोपाल से इसमें डिप्‍टी सेक्रेटरी सदस्‍य थे, उनका ट्रांसफर हो गया है. अभी तक नए सदस्‍य की नियुक्ति ही नहीं की गई है. चार-पांच महीने तो इसी में गुजर गए कि वहां कमेटी के पूरे लोग ही नहीं पहुंच पाये तो फिर जांच कहां से होगी ? सारे प्रमाण देने के बावजूद भी जांच नहीं हुई. अब जो शेष लोग घूम रहे हैं जिनकी आपत्ति दर्ज नहीं हो पाई थी, वे किसके पास जायें, इनमें से एक व्‍यक्ति जिसका मैं जिक्र कर रहा हूं वह डीन के पास पहुंचा था तो डीन ने कह दिया कि हम इसकी जांच करवा लेंगे. 28 वर्ष जिसकी उम्र है, उसका 21 साल का अनुभव कहां से हो गया ? डिग्री न होने कारण सरकारी अस्‍पताल में वह काम नहीं कर सकता था और प्राइवेट अस्‍पताल के अनुभव का तात्‍पर्य यह हुआ कि वह 7 साल की उम्र से काम कर रहा था. क्‍या 7 साल का बच्‍चा किसी प्राइवेट अस्‍पताल में काम कर सकता है ?

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से केवल इतना सवाल है कि इस प्रक्रिया में, फिर कहीं न कहीं छींटे हम पर भी पड़ते हैं यह हमारे समय का मामला नहीं है लेकिन यदि हम जांच में कोताही बरत रहे हैं और यदि 6 माह के अंदर इसकी पूरी जांच नहीं की जाती है तो फिर ऐसा भी कहीं-कहीं दिखाई देता है कि हमारी सरकार भी इसमें कहीं-कुछ घाल-मेल कर रही है. अध्‍यक्ष महोदय, मेरी आपके माध्‍यम से मंत्री जी से प्रार्थना है, आग्रह है कि इसे समय-सीमा में बांध दीजिये क्‍योंकि इसमें करोड़ों का भ्रष्‍टाचार है और जो लोग इसमें शामिल हैं, वे इस जांच प्रक्रिया को पूरा ही नहीं होने देंगे. मेरा प्रतिनिधि वहां जाता है तो अकेले लौटकर चला आता है, क्‍या करे, किससे कहे ? अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से पुन: मंत्री जी से आग्रह है कि इसे समय-सीमा में बांध दें और एक समय-सीमा निर्धारित कर दें. मंत्री जी इसे कर दें तो अच्‍छी बात है अन्‍यथा माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि आप आसंदी से एक समय-सीमा का आदेश दे दें, जिससे जिनके साथ अन्‍याय हुआ है उनके साथ न्‍याय हो जाए.

          डॉविजयलक्ष्मी साधौ-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍मानीय विधायक महोदय हमारे बड़े भाई हैं. हमने अपने बड़े भाई को इस जांच में रखा था कि विधायक जी की उपस्थिति में यह जांच की जायेगी. मैं बड़ी विनम्रता से माफी चाहते हुए यह निवेदन करती हूं कि उन बैठकों में माननीय विधायक जी की उपस्थिति ज्‍यादा जरूरी थी और मैं समझती हूं कि यदि आपकी उपस्थिति वहां होती तो उसे गंभीरता से लिया जाता तो आज चीजें कुछ और होती. आपने अपने प्रतिनिधि को भेजा, डिप्‍टी सेक्रेटरी का ट्रांसफर हुआ ,कमिश्‍नर का ट्रांसफर हुआ, एक आया एक नहीं आया, स्‍थानांतरण तो एक प्रक्रिया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस वजह से बैठकों में उपस्थिति किसी की रही किसी की नहीं रही, यह होता रहा. जब फरवरी 2019 विधान सत्र के दौरान सदन में मेरे द्वारा यह आश्‍वासन दिया गया था तो जिस तरह से आज विधायक जी ने यहां एक उदाहरण प्रस्‍तुत किया, वैसा ही एक उदाहरण दिया था और मेरा आश्‍वासन था कि जो आपने प्‍वाईंट आउट किया है उसके ऊपर हम जांच करवा लेंगे. प्‍वाईंट आउट से मतलब यह था कि जिस एक व्‍यक्ति के बारे में आपने सदन में उदाहरण प्रस्‍तुत किया, उसकी जांच की गई, उसके कारण विलंब हुआ. फिर जब आपका प्रतिनिधि दिनांक 16.5.2019 की बैठक में पहुंचा तो उसमें आपके प्रतिनिधि ने यह कहा कि पूर्ण भर्ती प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए. दिनांक 16.5.2019 को विधायक जी के प्रतिनिधि द्वारा कहे जाने के बाद, पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच प्रारंभ हुई. इसके संबंध में सारे कागज़ात बुलाये गए और 11.4.2019 को इस बैठक में इनके प्रतिनिधि आये क्‍योंकि जांच का दायरा बढ़ गया अब इसमें डॉक्‍टर, पैरामेडिकल स्‍टाफ एवं नर्सिंग स्‍टाफ भी शामिल हैं इसलिए जांच का दायरा विस्‍तृत हो गया है. दायरा विस्‍तृत होने से सारे दस्‍तावेज बुलाकर उसकी जांच हो रही है और मैं माननीय विधायक जी को आश्‍वस्‍त करती हूं और उनसे निवेदन करती हूं कि आप उस बैठक में उपस्थित रहें ताकि उस बैठक की गंभीरता बढ़े और जांच प्रक्रिया न्‍याय की तरफ जाये. और मैं चाहती हूं, माननीय मुख्‍यमंत्री जी चाहते हैं कि जो गड़बडि़यां हुई हैं. क्‍योंकि मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए, चाहे वह पैरामेडिकल के कोर्सेस हों, चाहे वह डॉक्‍टरी पेशा हो, हमें क्‍वॉलिटी चाहिये. यह माननीय मुख्‍यमंत्री जी, हर समय मुझे निर्देशित करते हैं कि जितने भी रिक्रूटमेंट हो रहे हैं, हमारे सुपर-स्‍पेशलिस्‍ट के कोर्सेस आ रहे हैं, हमारी एमबीबीएस की सीटें बढ़ रही हैं, हमारी यूजी और पीजी की सीट्स बढ़ रही हैं, हमारे हॉयर एजुकेशन के डीएम और एमसीएच के कोर्सेस आ रहे हैं. उसमें जितनी भी नियुक्तियां हो रही है, वह अच्‍छी क्‍वॉलिटी की नियुक्तियां हों, जिससे मध्‍यप्रदेश में मेडिकल एजुकेशन का जो स्‍थान है, वह प्रदेश में बढ़े यह हम चाहते हैं. मैं आपको सदन के माध्‍यम से आश्‍वस्‍त करती हूं कि इसकी जांच में हम बहुत शीघ्रता लायेंगे. मैं स्‍वयं इसको देखूंगी और सम्‍मानित माननीय सदस्‍य से भी निवेदन है कि वह भी इसमें उपस्थित रहें.

          अध्‍यक्ष महोदय:- इसमें माननीय सदस्‍य ने समय-सीमा पूछी है ?

           डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ:- अध्‍यक्ष महोदय, जल्‍दी ही कर देंगे.

          श्री के.पी.सिंह :- अध्‍यक्ष महोदय, चूंकि आरोप मुझ पर ही उल्‍टा लगा है कि मैं मीटिंगों में नहीं जा रहा हूं.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ:- नो,नो...अध्‍यक्ष महोदय, मैंने कोई आरोप नहीं लगाया है. आपकी उपस्थिति से गंभीरता ज्‍यादा आ जायेगी.

          श्री के.पी.सिंह :- इसका आशय यही है. आप मेरी बात सुन लें. मैं वहां पर अकेला बैठकर क्‍या करूंगा,जब लोग ही मीटिंग में नहीं आते हैं ? उससे क्‍या गंभीरता हो जायेगी. आपकी डीन कह रही है कि मैं दूसरे काम में व्‍यस्‍त हूं. मैं वहां अकेला जाकर बैठ जाऊं. इससे क्‍या गंभीरता आ जायेगी. मतलब, आपको विभाग वाले जो पट्टी पढ़ा रहे हैं..      

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ:- अध्‍यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है कि विजय लक्ष्‍मी पट्टी पढ़ने वालों में से मंत्री नहीं है. वह अपन स्‍वयं के विवेक से काम करती है.

          श्री के.पी.सिंह :- अध्‍यक्ष महोदय, अब इसमें सीधा-सीधा आरोप मुझ पर है कि मैं मीटिंग में नहीं गया. जबकि विषय मेरे ध्‍यानाकर्षण में संपूर्ण जांच का था. पहले तो यह कहा गया कि एक ही की जांच होगी. मैंने एक उदाहरण आज यहां पर दिया है. यह एक उदाहरण इसलिये दिया था, एक उदाहरण प्रमाण सहित दिया था. इसी तरह आज एक दे रहा हूं कि पूरी की पूरी भर्तियों में बेइमानी हुई है. इसके लिये एक उदाहरण मैंने प्रस्‍तुत किया, यहां मैं सारे उदाहरण थोड़े ही प्रस्‍तुत कर सकता था उसमें यह कहा गया कि एक ही की जांच होना है.

           डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ:- आपके निवेदन पर सम्‍पूर्ण प्रक्रिया की, सम्‍पूर्ण भर्तियों की जांच कर ली जायेगी.

          श्री के.पी.सिंह :- कोई दिक्‍कत नहीं है. अब मीटिंग आयोजित की जाये तो भोपाल से अधिकारी नहीं जायें, ग्‍वालियर से डीन नहीं आये तो मैं अकेला जाकर क्‍या करूंगा ? इसलिये मैंने अर्ज किया.

          अध्‍यक्ष महोदय:- मैं बताऊं, आप विराजो, मेरी बात तो सुन लें. मैं मामले को सुलझा रहा हूं. क्‍योंकि आप भी प्रश्‍न कर रहे हैं और मंत्री जी भी प्रश्‍न कर रही हैं और दोनों उत्‍तर नहीं दे रहे हैं. प्रश्‍न यह पैदा हो रहा है. आप भी प्रश्‍न कर रहे हैं, मंत्री जी भी प्रश्‍न कर रही हैं, प्रश्‍न यहां पैदा हो रहा है. अब मेरा प्रश्‍न नहीं, उत्‍तर है. एक महीने में आप मीटिंग आपकी कहां-कहां बोल रहे हैं, वहां कहीं नहीं होगी. मंत्री जी आप, विधायक जी आप और आपके अधिकारी जो विद्वान हैं, जिन्‍होंने बड़ी-बड़ी सीमाएं, यह मेडिकल में बांध कर रखी हैं, बहुत बड़े बुद्धिजीवी हैं. बड़े ध्‍यान-व्‍यान, गुणवान और नियमों के बारे में ज्ञाता, जो मेरे को भी कभी-कभी पढ़ाते हैं. विधान सभा के किसी कक्ष में आपकी बैठक आयोजित होगी. (मेजों की थपथपाहट) आप पूरे के पूरे दस्‍तावेज यहां बुला लीजिये, एक महीने के अंदर. विधायक जी, आप जब सदन की कार्यवाही पूरी हो जाये,  आप और मंत्री जी तारीख तय कर लें.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- अध्‍यक्ष जी, एक बात जरूर इसमें ध्‍यान रखें, मुख्‍यमंत्री जी ने अभी जो प्रश्‍नकाल में भी ऐसा ही विषय आया था. उनका जो उद्देश्‍य था, उस उद्देश्‍य को जरूर ध्‍यान में रखें.

          अध्‍यक्ष महोदय:- उसी की पूर्ति कर रहा हूं. आपका भी जो प्रश्‍न आता है, उसी की पूर्ति कर रहा हूं. मैं तो आप लोगों के प्रश्‍न सुन-सुन कर उनकी पूर्ति कर रहा हूं.

          श्री गोपाल भार्गव:- अध्‍यक्ष महोदय, कुछ प्रश्‍न ऐसे होते हैं कि आते ही नहीं हैं. लेकिन चर्चा हो जाती है. ध्‍यानाकर्षण भी ऐसे होते हैं, जो आते ही नहीं हैं और चर्चा हो जाती है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- कभी-कभी अदृश्‍य हो जाते हैं, त्रिशंकु बनकर लटक जाते हैं, हो जाता है.

 

 

 

4. रतलाम एवं कटनी सहित प्रदेश में वैध कालोनियों को अवैध घोषित किया जाना

         

          श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप(रतलाम-सिटी):-

 

                                                                            


 

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह)--अध्यक्ष महोदय,

·               श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा कि रतलाम व कटनी में 50 कालोनियों के रतलाम नगर के अंदर 21 करोड़ के व कटनी के अंदर 5 से 6 करोड़ रूपये के कामों के वर्क आर्डर जारी हो चुके हैं. रतलाम की 5 कालोनियों में ठेकेदारों ने खुदाई के काम कर दिये हैं, सड़क जो उनकी अपनी बनी थीं, उनको खोद दिया. मानसून के पहले उन सड़कों को भरा भी नहीं गया है. वहां अनिश्चितता का माहोल है उसके कारण से ठेकेदार आगे के काम नहीं कर रहे हैं. जनता के अंदर उनके घर से निकलने में तकलीफ है. आपको जो भी जानकारी दी गई है, वह उचित नहीं है. आप उसका बराबर अध्ययन करें, क्योंकि यह अवैध कालोनियों का मसला है. यह मध्यप्रदेश में सन् 1980 एवं  1985 से चल रहा है इसमें 6-7 हजार अवैध कालोनियां बनी हैं. यह सारी अवैध कालोनियां, कई अधिकारियों के संरक्षण, राजनैतिक संरक्षण या और कई तरह के संरक्षण के माध्‍यम से ही अस्तित्‍व में आई हैं. इन पर अंकुश लगाना भी आवश्‍यक है, परन्‍तु यह अवैध है, हमारे गरीब व मध्‍यमवर्गीय परिवारों की वैध कमाई के पैसे से रजिस्‍ट्री करके प्‍लाट खरीदे गए हैं, वह कोई उनका अवैध प्‍लाट नहीं है. कालोनी आपके नियमों से अवैध हुई है, उसके जब नियम बने हाईकोर्ट के अंदर तो आपका पक्ष नहीं रखा गया. नगर पालिका एक्‍ट के 4(33) के अनुसार राज्‍य सरकार को उसके नियम बनाने का अधिकार था, अभी भी आपने जो उल्‍लेख किया है कि हम लोग इसमें कार्यवाही कर रहे हैं, न तो आपने समय सीमा दी है, आप सुप्रीम कोर्ट में कर रहे हैं, या नया कोई संशोधन ला रहे हैं, या जो पहले से आपके जो वर्कऑर्डर जारी है, उनके बारे में कोई स्‍पष्‍टता नहीं है.

अध्‍यक्ष महोदय - काश्‍यप जी प्रश्‍न करिए.

श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप - प्रश्‍न यह है कि इसमें कोई समय सीमा नहीं दी गई है और क्‍या कार्यवाही की जा रही है, या तो नियम बना रहे हैं, या सुप्रीम कोर्ट में जा रहे हैं वह विषय बिलकुल स्‍पष्‍ट नहीं है और जिन कालोनियों में खड्डे खुद चुके हैं, उनके बारे में आपका क्‍या प्रावधान है?

श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्‍यक्ष जी, यह गंभीर मुद्दा है और हमारी सरकार इस मुद्दे पर अतिसंवेदनशील है. इसमें एक तरफ तो ठेकेदार की समस्‍या है, वह भी महत्‍वपूर्ण है, लेकिन ठेकेदार से ज्‍यादा जो आम उपभेक्‍ता है जिन्‍होंने कहीं न कहीं कर्जें के माध्‍यम से या सेविंग के माध्‍यम से वहां पर प्‍लाट लिया हो या मकान बनाया है, उनका संरक्षण करना बहुत जरूरी है. इसमें जैसे माननीय विधायक जी पूछ रहे हैं कि सरकार इसमें क्‍या कदम उठा रही है. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि हमारे पास दो विकल्‍प है, या तो हम वर्तमान में जो अधिनियम है, उसमें संशोधन लाए, लेकिन उसमें यह दिक्‍कत आएगी माननीय विधायक जी कि फिर वह वापस चैलेंज हो सकता है, इसलिए माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम यह विचार कर रहे हैं कि एक नया अधिनियम स्‍थापित करेंगे, हमने इस पर रिसर्च की है और अन्‍य राज्‍य भी उन्‍होंने भी यही किया है कि एक नया अधिनियम लाकर जिसमें भविष्‍य में कोई दिक्‍कत न हो, हमारी यही प्‍लानिंग है, यह फाइल केबिनेट में जाएगी. वर्तमान में इसमें टाइम इसलिए लगा क्‍योंकि आगे इसमें कोई दिक्‍कत न आए. यह हमारा कर्तव्‍य है. हम इस फाइल को लाएंगे, विधि विभाग से स्‍वीकृत होगी, केबिनेट में जाएगी और फिर अधिनियम पारित होगा, यह हमारी जिम्‍मेदारी है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक और पाइंट यह बात अभी विधायक जी ने कही और यह बात ध्‍यानाकर्षण में भी है कि इस सरकार ने इस पर ध्‍यान नहीं दिया और उत्‍तर सही नहीं दिया. मैं विधायक जी को जानकारी देता हूं कि इस पिटीशन का रिस्‍पांस, सरकार हमारी नहीं थी, पूर्व भाजपा की सरकार थी, जिसने दिनांक 30.07.2018 को उत्‍तर दिया था, तो पूर्व सरकार के द्वारा जो उत्‍तर दिया गया था, उसके आधार पर यह हाईकोर्ट का आदेश आया है और जैसे मैं कह रहा हूं कि आपका विषय गंभीर है और कमलनाथ जी की सरकार इस विषय पर अति संवेदनशील है, नया अधिनियम लाया जाएगा, जिसके द्वारा जो भी ऐसी कालोनियां हैं, जो प्रावधान में आती है, नियम में आती है, उनको वैध किया जाएगा.

श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप - अध्‍यक्ष महोदय, फिर वही, जो काम आज रुका हुआ है, जिनके घर के सामने खड्डे खुदे हुए हैं, उनका क्‍या होगा.

अध्‍यक्ष महोदय - उसका ही तो निचोड़ बताया गया है.

श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप - यह जो जवाब दिया गया है, हाईकोर्ट की तिथियां अगर आप देखेंगे तो दिसम्‍बर के अंदर ऑर्डर के लिए जब विरोध हुआ था, तब अंतिम बहस के लिए अधिवक्‍ता ने समय मांगा था वह पूरी प्रोसीडिंग पढ़ी जाए तो उससे बड़ी स्‍पष्‍टता आएगी और निश्‍चित तौर पर यह जो काम है, मेरा मूल प्रश्‍न है कि जिनके घर पर काम के लिए खड्डे खुद चुके हैं, उनका क्‍या होगा और अगली व्‍यवस्‍था भी इस पर आवश्‍यक है.

श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्‍यक्ष जी, क्‍योंकि उच्‍च न्‍यायालय का आदेश है, उसका हमको पालन करना होगा, लेकिन जैसा मैंने कहा है कि हम तत्‍काल नया अधिनियम लाएंगे और जल्‍द से जल्‍द जैसे वह पारित होगा, तो जो भी ऐसी कॉलोनियां हैं, जिनका काम रुका हुआ है, उसके बाद वह पूरा हो सकेगा.

श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं कुछ प्रश्‍न और सुझाव दोनों एक साथ करना चाहता हूं.

अध्‍यक्ष महोदय - लंबा मत करिए.

            श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - लंबा नहीं करूंगा, बिलकुल संक्षेप में है. अवैध कालोनियों के मुद्दे एक तो दो बातें उठती हैं कि क्‍या आप माननीय उच्‍च न्‍यायालय के निर्णय से सहमत हैं या आप इस पर ऊपर अपील करना चाहते हैं. दूसरी बात, आप अवैध कॉलोनियों में अन्‍दर जाकर स्थितियां देखिये, जो पुरानी सड़कें हैं, उस पर मुरम डला हुआ है, लोगों का रोड पर निकलना दूभर है. 50 प्रतिशत आबादी अवैध कॉलोनियों में निवास कर रही है. अवैध कॉलोनियों के बनने से पहले यह जगह खेत थी, एक तो हमारे शहर अब चारों तरफ ओर 50 से 60 किलोमीटर तक, 100-100 किलोमीटर तक बायपास से घिरे हैं, हम कटोरे जैसी स्थिति में आ गए हैं. जो बारिश का पानी पहले खेतों के माध्‍यम से निकल जाता था, अवैध कॉलानी में मकान निर्मित होने से पानी नहीं निकल पा रहा है. 

          अध्‍यक्ष महोदय - आप प्रश्‍न कीजिये.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न के साथ ही, उसमें मेरा सुझाव भी है. भूतल पर एक छोटे निर्माण कार्य को छोड़कर, बाकी भूतल के निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाये, जिससे वाटर हार्वेस्टिंग भी हो, बरसात का पानी भी निकल सके और कॉलोनियों में जो पानी बह रहा है, जैसे 9 फीट की सड़क है, उस पर गाड़ी खड़ी है और उसके पास 40 लाख का बंगला बना हुआ है. इसमें रजिस्‍ट्री में 15 फीट तक मध्‍य से निर्माण कार्य न करें और जब तक हाईकोर्ट के निर्णय पर आप जो आगामी कार्यवाहियां कर रहे हैं, वह तो आप वैध करने के लिए करेंगे ही, लेकिन तब तक आप सर्वे तो कम्‍प्‍लीट करें कि कितनी अवैध कॉलोनियां हैं और उनमें क्‍या काम होने हैं ? कटनी में दो दुकानों को कॉलोनी बनाकर वैध बनाने की कार्यवाही कर दी गई है, दुकानें गजानन टॉकीज के पास की हैं. उन्‍होंने कहा कि दुकानें लिखकर उसको कॉलोनी बनाकर वैध कर रहे हैं. उसकी जांच करवा लें और जो प्‍लॉट खाली पड़े हुए हैं, उनमें गड्डों में पानी भरने से बीमारियां उत्‍पन्‍न हो रही हैं, प्‍लॉट मालिक को प्‍लॉट को सड़क लेवल से ऊपर करने के निर्देश दें. लोग कॉलोनी में प्रवेश करते हैं, आप सीवर लाइन का काम तो करवा लेते हैं, अवैध कॉलोनियों में सीवर लाइन का काम में जो अत्‍यंत आवश्‍यक कार्य है, वह तो छोड़ दें कि वहां पर नगर निगम काम करवा सके.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के दो या तीन विशेष मुद्दे हैं. पहला यह है कि क्‍या हम इसको चैलेन्‍ज करेंगे ? हमको लीगल ओपिनियन मिला है कि चैलेन्‍ज करना सही नहीं रहेगा क्‍योंकि जो हमारा जो एक नियम है, एक रूल है. जबकि अधिनियम 292-ड यह कहता है कि अगर कॉलोनी अवैध है तो उसको आयुक्‍त या सरकार उसको ले सकती है, लेकिन क्‍योंकि अधिकतर हम देखते हैं कि जो भी नगर-निगम हो, नगर पालिका हो, वह अधिकतर इसको स्‍वीकार नहीं करते हैं क्‍योंकि इसमें अतिरक्‍त खर्च और बोझ बढ़ता है और एक प्रकार से उसके द्वारा भविष्‍य के लिए, हम एक प्रकार से अवैध कॉलानी को एंकरेज करेंगे इसलिए हम यह नहीं कर रहे हैं. इसीलिए हम एक नया अधिनियम ला रहे हैं, जो शेष ऐसी पूर्व की कॉलोनियां हैं, उनको भी कहीं न कहीं वैध किया जायेगा. दूसरा मुद्दा जो कटनी का है, जिसमें मैं आदेश दूँगा नगर निगम आयुक्‍त को, जो भी आपके मुद्दे हैं, चाहे वह दुकानों के हों, चाहे ऐसे कॉलोनी जिनका निर्माण चल रहा है, लेकिन जहां पर रोड का काम नहीं हो पाया है और अन्‍य समस्‍याएं हैं, उसका एक पत्र दे दें तो उस पर कार्यवाही करवा देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - ठीक है. (कुछ माननीय सदस्‍यों के एक साथ खड़े होने पर) यह क्‍या हो गया ? मैंने 6 ध्‍यानाकर्षण इसलिए नहीं लिए हैं. (श्री संदीप श्रीप्रसाद को देखकर) आपका हो गया. मैंने जितने प्रश्‍न पूछने थे, बैठ जाइये. आपने एक बार में चार प्रश्‍न किए हैं और एक बार में चारों का उत्‍तर मिल गया. आप विराजिए.

          श्री विश्‍वास सारंग - माननीय अध्‍यक्ष जी, यह बहुत महत्‍वपूर्ण बात है.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं. मैं परमिट नहीं कर रहा हूँ. यह इनकी कार्यकुशलता होनी चाहिए कि पहले कौन-सा प्रश्‍न करना है और बाद में कौन-सा ?

          विश्‍वास सारंग - मंत्री जी, आगे ऐसी स्थिति न बने, ऐसा मैकेनिज्‍म डेवलप करें.

          अध्‍यक्ष महोदय - हमारा मंत्री होनहार है, पहली बार कंधों पर बोझ आया है. आप लोग क्‍या एक साथ काम करवाना चाहते हो ? अभी 4 महीने हुए हैं. आप लोग बैठ जाइये. आपको प्रश्‍न एलाऊ किया. (श्री संदीप श्रीप्रसाद को देखकर) बड़ी मुश्किल से किया है, बहू तक को बुलाकर किया है. आप शान्‍त बैठिये.

          श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप - अध्‍यक्ष महोदय, एक छोटा सा सुझाव देना चाहूँगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - यह बीच में खड़े होना बहुत गलत बात है. काश्‍यप जी, क्‍या यह आपको शोभा दे रहा है ?

          अध्‍यक्ष महोदय - (श्री संदीप श्रीप्रसाद को देखकर) मैंने बोल दिया है कि लिखकर दे दें. (श्री राजेन्‍द्र पाण्‍डेय जी के खड़े होने पर) आप भी लिखकर दे दो.    

               

           (5) व्‍यापम घोटाले की जांच को निष्पक्ष न करना.

 

          सर्व श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर), मुन्‍नालाल गोयल, सदस्य -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 


          गृहमंत्री (श्री बाला बच्‍चन) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

           

            अध्‍यक्ष महोदय -- विधायक जी आप सिर्फ प्रश्‍न पूछियेगा, आप भूमिका मत बनाईयेगा.

          श्री प्रताप ग्रेवाल --      माननीय अध्‍यक्ष महोदय, व्‍यापमं घोटाले में जो पूर्व सरकार थी....

          अध्‍यक्ष महोदय -- भाई आप प्रश्‍न करें.

          श्री प्रताप ग्रेवाल --      माननीय अध्‍यक्ष महोदय, व्‍यापमं घोटाले में पूर्व सरकार गंभीर नहीं थी. 24 नंवबर 2014 को एस.टी.एफ ने एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया था, उसमें कुल तैरह सौ सत्‍तावन आवेदन आये थे, उसमें से एक हजार चालीस शिकायतें लंबित थीं, पांच सौ दस गुमनाम शिकायतें थीं, पांच सौ तीस प्रकरणों को चवालीस थानों पर सीधे भेज दिया गया था और तीन सौ तैरह आवेदन नस्‍तीबद्ध कर दिये गये थे और एक सौ सनत्‍यान्‍वे शिकायतें लंबित हैं और शासन के स्‍थायी अधिवक्‍ता......

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह उत्‍तर दे रहे हैं कि प्रश्‍न कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें.

          श्री प्रताप ग्रेवाल -- माननीय अध्‍यक्ष्‍ा महोदय, मैं आपको आंकड़ों की जानकारी दे रहा हूं. मेरा आपसे यह अनुरोध है कि 02 जुलाई, 2014 में सदन में पूर्व मुख्‍यमंत्री....

          अध्‍यक्ष महोदय--  प्रश्‍न करें भाई, यह जितना आप पढ़ रहे हो, सब इसमें आ गया है. आप प्रश्‍न करो, क्‍या चाह रहे हो.

          श्री प्रताप ग्रेवाल-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि 510 गुमनाम पत्रों को जिनको नस्तिबद्ध कर दिया, क्‍या मैं आपके माध्‍यम से माननीय गृह मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि उन नस्तिबद्ध किये गये प्रकरणों की जांच करवायेंगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय--  ऐसा सीधी-सीधा पूछो न भाई.

          श्र&#