मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
बुधवार, दिनांक 24 जुलाई, 2019
(2 श्रावण, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 3 ] [अंक- 13 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 24 जुलाई, 2019
(2 श्रावण, शक संवत् 1941)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.04 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) - इधर भी देखकर मुस्कुरा दीजिए. (...हंसी)
अध्यक्ष महोदय - पूरा मुस्कुरा रहा हूं, आपको देखकर तो कालेज से मुस्कुरा रहा हूं. (...हंसी)
श्री अजय विश्नोई - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने यहां देखा और उनकी तरफ देखकर मुस्कुराया, हम लोगों को नजरअंदाज कर दिया. वहां देखकर मुस्कुराने लायक उनके पास है क्या (..हंसी)
श्री तुलसीराम सिलावट - कोरम पूरा होता नहीं है, अमिताभ जी हमारे.
लोक निर्माण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा) - आपके पास तो नरोत्तम जी हैं, मुस्कुराने के लिए.
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, हम क्या करें, आपकी सूरत और सीरत ही ऐसी है कि आजू-बाजू देखने का मन ही नहीं करता है. (..हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, दरअसल क्या है कि आज आपकी आंख गुलाबी, होंठ गुलाबी, कुर्ता गुलाबी, हर चीज गुलाबी रंग में ढली हुई है, इसलिए ढंग बदल गए.
अध्यक्ष महोदय - कुछ नहीं परसो आप गुलाबी बंडी पहनकर आए थे, तब से मेरी नजर लगी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हुजूर वह बंडी थी, आपने पूरा पहना है.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद, धन्यवाद.
श्री अजय विश्नोई - इतना प्रेम है कि परसो तक की ड्रेस याद है. आपकी आंखें गुलाबी है, यह तो ठीक है, आज रंगत और दिल भी तो कहीं गुलाबी नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - दुनिया जब जलती है, तो हाय रे बड़ा मजा आता है. (..हंसी)
अध्यक्ष महोदय - देखो भाई, जब व्यक्ति खुद से प्रेम करता है, तभी उसके बाद प्यार शुरू होता है, जब खुद से प्रेम करें. इरशाद के.पी जी, इरशाद.
श्री के.पी. सिंह - ''ये बेवफा से वफा की उम्मीद आप कैसे कर रहे हैं. बेवफा से वफा की उम्मीद, किस जमाने के आदमी तुम हो''. भूल गया, याददाश्त स्लिप हो जाती है. (..हंसी)
अध्यक्ष महोदय - ऐसा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - इसका जवाब सिर्फ इतना सा है कि ''हम बावफा थे, इसलिए नजरों से गिर गए, शायद इन्हें तलाश किसी बेवफा की थी.''
अध्यक्ष महोदय - वाह....
श्री के.पी. सिंह - ये तो जिनके साथ गुजरी है, वही जान सकते हैं. (..हंसी)
11:06 बजे निधन उल्लेख
श्रीमती सुषमा सिंह, भूतपूर्व सदस्य विधानसभा
अध्यक्ष महोदय - मुझे सदन को यह सूचित करते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा की भूतपूर्व सदस्य, श्रीमती सुषमा सिंह का दिनांक 22 जुलाई, 2019 को निधन हो गया है.
श्रीमती सुषमा सिंह का जन्म 28 अगस्त, 1932 को हुआ था. आप ए.एम.आई. शिशु मंदिर की प्राचार्य, बुन्देलखंड परिषद् की संयुक्त सचिव तथा जनता पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष रहीं, श्रीमती सिंह ने प्रदेश की छटवीं विधानसभा में जनता पार्टी को ओर से करेरा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
आपके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेत्री एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं सुषमा सिंह को जानता तो नहीं था, पर उनके बारे में जरूर सुना था, वे समाज सेविका थीं और इस सदन की सदस्य रहीं, उन्होंने अपना जीवन समाजसेवा में समर्पित किया. मैं अपनी ओर से, अपनी पार्टी की ओर से ओर सदन की ओर उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रद्धेय सुषमा सिंह जी, करेरा विधानसभा, जो मेरी पूर्व की विधानसभा डबरा थी, उससे लगी हुई थीं, वहां से विधायक रहीं थीं और लोग उन्हें मौसी जी के नाम से जानते थे. श्रद्धेय राजमाता जी की बहन के रूप में उनका परिचय था, उनका व्यापक कार्यक्षेत्र भी था, सामाजिक क्षेत्रों में जुड़ी रहीं. सरस्वती शिशु मंदिर के माध्यम से भी और अन्य जो सामाजिक संगठन थे, उनके अंदर उनका काफी आना जाना था और काफी लोकप्रिय भी थीं, उनके समय कई चीजें थी, जैसे उस समय करेरा में एक शुगर फैक्ट्री का उन्होंने योगदान देकर किसानों के कल्याण के लिए भी उस दरमियान काफी काम किया. ग्वालियर में राजमाता साहब की वजह से उनका ज्यादा कार्यक्षेत्र भी रहता था. वे आज हमारे बीच में नहीं हैं, निश्चित रूप से यह दु:खद क्षण है. मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि वह उनकी आत्मा को शांति दें और उन्हें अपने चरणों में स्थान दें, ओम शांति.
श्री अजय विश्नोई - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज सुषमा जी की देहावसान की खबर सुनकर मैं भी दु:खी हूं. इस अवसर पर उनके द्वारा एक वार्तालाप जो कि बहुत प्रेरक प्रसंग के रूप में याद करता हूं, उसका उल्लेख यहां पर करना चाहता हूं कि ग्वालियर में सिंधिया गर्ल्स स्कूल का संचालन भी उन्होंने एक लंबे समय तक किया, और उस समय जब मेरी उनसे वार्तालाप हो रही थी, तो मैंने उनसे पूछा कि मौसी जी आपके ऊपर तो काफी दवाब आते होंगे, राजनीतिक लोगों से आप जुड़ीं हुईं हैं, बच्चों को स्कूल में भर्ती कराने के लिए या मास्टरों को भर्ती कराने के लिए तो आप उन्हें कैसे बर्दाश्त करती हों, तो उन्होंने बहुत अच्छा जवाब दिया था, उन्होंने कहा कि किसी बच्चे को जो 19-20 है भर्ती कराने के लिए दबाव आए तो मैं स्वीकार कर लेती हूं, पर यदि कोई मास्टर 19 भी है तो मैं उसको भर्ती करने के लिए कोई दबाव बर्दाश्त नहीं करती, क्योंकि वह आएगा तो हर साल एक पूरी की पूरी एक पीढ़ी को खराब करके जाएगा. आज वह प्रेरक प्रसंग अचानक उनकी खबर सुनकर याद आ गया. इस अवसर पर हम सब दु:खी है, प्रभु उनकी मृत आत्मा को शांति दे, यही प्रार्थना है.
अध्यक्ष महोदय - मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं, अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
अध्यक्ष महोदय - दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
11.11 बजे (सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.17 बजे विधानसभा पुन: समवेत हुई.
(अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.)
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
शिवपुरी शहर में समूहों द्वारा पौष्टिक आहार का वितरण
[महिला एवं बाल विकास]
1. ( *क्र. 3236 ) श्री के.पी. सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) समेकित बाल विकास परियोजना आई.सी.डी.एस. अंतर्गत शिवपुरी शहर में वर्तमान में कुल कितने समूह पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम कर रहे हैं? केन्द्रवार समूहों की जानकारी दें। (ख) शहरी परियोजना में पके हुए पौष्टिक आहार वितरण हेतु समूहों के चयन संबंधी विभाग के क्या नियम हैं? उपलब्ध करावें। वर्तमान में कार्यरत समूहों का चयन किस प्रक्रिया अंतर्गत किया गया है तथा एक समूह को अधिकतम कितने आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम दिये जाने का प्रावधान है? (ग) क्या कार्यरत समूहों का किसी प्रकार का ऑडिट किया गया है? यदि हाँ, तो कितने समूहों की ऑडिट रिपोर्ट विभाग के पास उपलब्ध है? क्या विभाग के पर्यवेक्षण में सभी समूहों का काम ठीक पाया गया है? (घ) पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण करने वाले समूहों के संचालनकर्ताओं के समूहवार नाम तथा विगत 2 वर्षों में इन समूहों को कुल भुगतान की गई राशि की जानकारी दें। क्या शिवपुरी जिले में विभाग के कार्यरत अधिकारियों/ कर्मचारियों के परिजनों द्वारा समूहों का संचालन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो ब्यौरा दें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती इमरती देवी ) : (क) समेकित बाल विकास परियोजना आई.सी.डी.एस. अन्तर्गत शिवपुरी शहर में वर्तमान में कुल 05 समूह एवं 08 महिला मण्डल पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम कर रहे हैं। केन्द्रवार समूहों एवं महिला मण्डलों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) शहरी परियोजना में पके हुए पौष्टिक आहार वितरण हेतु समूहों के चयन संबंधी विभाग के निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। वर्तमान में कार्यरत समूहों का चयन जिला स्तर से विभाग के उक्त निर्देशों के अनुसार किया गया है। शहरी क्षेत्र में महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल/महिला स्व-सहायता के परिसंघों को उनकी कार्यक्षमता, आर्थिक स्थिति के मूल्यांकन के आधार को दृष्टिगत रखते हुये एक स्थानीय संस्था को कम से कम 50 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण का काम दिये जाने का प्रावधान है। (ग) जी नहीं। महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल/महिला स्व-सहायता के परिसंघों द्वारा शहरी क्षेत्रों में प्रदाय पूरक पोषण आहार के ऑडिट का प्रावधान नहीं है। शिवपुरी जिले के शहरी क्षेत्रों में पूरक पोषण आहार के कार्य में संलग्न महिला स्व-सहायता समूह/महिला मण्डल का कार्य विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी/परियोजना अधिकारी/पर्यवेक्षक के आंगनवाड़ी केन्द्रों पर भ्रमण में ठीक पाया गया है। (घ) शिवपुरी जिले के शहरी क्षेत्र में पका हुआ पौष्टिक आहार वितरण करने वाले समूहों के संचालनकर्ताओं के समूहवार नाम पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' पर तथा विगत 02 वर्षों में इन समूहों को कुल भुगतान की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री के. पी. सिंह - अध्यक्ष महोदय, शिवपुरी जिले में एक प्रशिक्ष्ाण केन्द्र दतिया और श्योपुर, हालांकि नरोत्तम मिश्र ने अब इसको मार्च के बाद दतिया करा लिया है. लेकिन तीन जिलों का एक केन्द्र चलता है, जिसको लेकर मेरा प्रश्न है. मै मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि विभिन्न योजनाएं, जो आपके विभाग की ट्रेनिंग की होती हैं, इसमें सखी संवाद, राष्ट्रीय पोषण मिशन, स्तनपान अभियान, समेकित बाल संरक्षण योजना, बेटी बचाओ, शाला पूर्व अनौपचारिक प्रशिक्षण जैसी ही बहुत सारी योजनाएं हैं, जो केन्द्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर चलाती हैं. पिछले 3 वर्षों में शिवपुरी के प्रशिक्षण सेन्टर पर कितना आवंटन दिया गया है ? माननीय मंत्री जी, कृपया बता दें.
श्रीमती इमरती देवी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में पहली बार जवाब दे रही हूँ और आपका संरक्षण चाहती हूँ. जब जवाब देने को खड़ी हुई हूँ तो माननीय अध्यक्ष महोदय, पाला घर में पड़ा है, परिवार में ही पड़ा है, पार्टी से पड़ा है. जो माननीय सम्माननीय विधायक जी ने पूछा है कि 3 वर्षों में कितना खर्च हुआ है ? तो मैं सम्माननीय विधायक महोदय को शिवपुरी जिले का बताना चाहती हूँ कि 2 करोड़ 12 लाख रुपये, 2 वर्ष में शिवपुरी जिले में खर्च हुए हैं. माननीय से कहना चाहती हूँ कि जो आपने दतिया और श्योपुर का भी पूछा है तो मैं माननीय से बात करके और पूरा हिसाब उनके यहां भेज दूँगी.
अध्यक्ष महोदय - विधायक जी, बहुत उदारतापूर्वक आपको संतुष्ट किया जा रहा है.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्यक्ष महोदय, इनकी बात तो माननी पड़ेगी.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
श्री के.पी.सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो पैसा खर्च हुआ है, उसमें मंत्री जी स्वयं करोड़ों रूपये की राशि स्वीकार कर रही हैं. चूंकि तीनों जिलों का ब्यौरा उनके पास नहीं है और इसमें न तो कोई नियम है, न ही कोई टेंडर प्रक्रिया निर्धारित है कि किसको देना है, कौन काम करेगा, कौन उसको खर्च करेगा ? इसका भी कोई हिसाब-किताब या नियम नहीं है. मैं मंत्री से चाहूंगा कि इसके लिये कोई प्रक्रिया बनायें और पिछले तीन सालों में जितना पैसा टोटल खर्च हुआ है, उसकी किसी वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी या कमिश्नर स्तर के अधिकारी, या ग्वालियर कमिश्नर से जांच करवाना चाहें, तो उनसे जांच करवा लें या किसी वरिष्ठ अधिकारी से इसकी जांच करा लें क्योंकि यह जांच इसलिये जरूरी है कि इस प्रकार से पूरे मध्यप्रदेश में हुआ है. यह अकेले शिवपुरी जिले में नहीं हुआ है, मैंने केवल शिवपुरी जिले के उदाहरण के रूप में प्रश्न लगाया है, लेकिन यह स्थिति पूरे मध्यप्रदेश के ट्रेनिंग सेंटरों की है, ट्रेनिंग के नाम पर करोड़ों रूपये डकारे गये हैं. एक जिले में एवरेज चार हजार से पांच हजार कार्यकताओं और सहायिकाओं की ट्रेनिंग होती हैं. मैंने एक जगह एक रिपोर्ट पढ़ी है कि जहां कोई बैठने के लिये हॉल तक नहीं हैं, वहां 250 लोगों की ट्रेनिंग करा दी गई है. मैंने कार्यकताओं से पूछा कि ट्रेनिंग का क्या हुआ तो उनका कहना है कि हमें तो बुलाया ही नहीं गया है और केवल दस्तखत करवा लिये गये हैं. इस प्रकार से अगर हम पूरे मध्यप्रदेश में जोड़ेंगे तो मेरी समझ से यह राशि डेढ़ सौ करोड़ रूपये के आसपास पहुंचेगी, जो ट्रेनिंग के नाम पर खर्च की गई है. माननीय मंत्री जी आप पूरे मध्यप्रदेश में इन सारे ट्रेनिंग सेंटरों का ठीक से हर जिले का ऑडिट करायें और शिवपुरी जिले का चूंकि मेरा प्रश्न है, वहां पर तीन जिलों को मिलाकर एक ट्रेनिंग सेंटर है, इसकी भी कमिश्नर स्तर के किसी भी अधिकारी से जांच करा लें कि यह पैसा वास्तव में सही खर्च हुआ है? क्या इसमें फर्जीवाड़ा है ? यही मैं इतना मंत्री जी से चाहता हूं.
श्रीमती इमरती देवी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी से कहना चाहती हूं कि उनकी भावना से मैं भी परिचित हूं. मैं भी जब जिसे जिले में जाकर पूछती हूं तो हर जिले से इसी प्रकार की बात आ रही है कि पैसा खर्च नहीं हुआ है, जो तीन, चार साल में हुआ है या पंद्रह साल में हुआ है सारा पैसा भ्रष्टाचारी में गया है. माननीय विधायक महोदय ने कहा है तो मैं उनकी भावना से परिचित होते हुये कह रही हूं कि वास्तव में जो आपने कहा है उसकी मैं जिस अधिकारी से आप चाहेंगे वह चाहे ग्वालियर के हों, चाहे दतिया के हों, चाहे आपके शिवपुरी के हों, चाहे भोपाल स्तर के अधिकारी हों, जिस भी अधिकारी से आप जांच करवाना चाहते हैं, मैं उस अधिकारी से इसकी जांच करवा दूंगी. जांच इसलिये भी की जायेगी क्योंकि सिर्फ शिवपुरी जिले में ही नहीं वास्तव में पूरे मध्यप्रदेश में ऐसा हुआ है और हर जगह से यह खबर आ रही है कि जो पोषण आहार है उसका पैसा पंद्रह साल में पूरा भ्रष्टाचारी के भेंट चढ़ा है, इसलिये महिला विकास बहुत कमजोर हो गया है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि मैं जब से इस विभाग की मंत्री बनी हूं, मैं हर आंगनबाड़ी और हर केंद्र पर जा रही हूं और मेरे अधिकारी भी जा रहे हैं. मैं सभी अधिकारी और माननीय मुख्यमंत्री से भी सहयोग चाहूंगी कि वह सिर्फ मेरी मदद कर दे तो इन भ्रष्टाचारियों की जांच जल्दी से जल्दी दो-तीन माह में करवा दूंगी.
श्री के.पी.सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
नगर पालिका इटारसी को सब्जी मंडी के लिए आवंटित भूमि
[राजस्व]
2. ( *क्र. 3497 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिका इटारसी जिला होशंगाबाद को सब्जी मंडी के लिये कब तथा कितनी नजूल भूमि आवंटित की गई थी? संबंधित आवंटन पत्र/लीज डीड की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) उक्त आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र के किस प्रावधान के अंतर्गत किया गया था? तत्समय प्रभावी राजस्व पुस्तक परिपत्र से संबंधित प्रावधान की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) वर्तमान में नगर पालिका को सब्जी मंडी के लिये नजूल भूमि का आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र के किस प्रावधान के अंतर्गत किया जाता है? (घ) वर्तमान में राजस्व अभिलेख में नगर पालिका के नाम पर सब्जी मंडी के लिये कितनी भूमि अभिलिखित है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) नगर पालिका इटारसी जिला होशंगाबाद को सब्जी बाजार के निर्माण हेतु दिनांक 25.05.1973 को कुल 50085 वर्गफीट भूमि निहित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) उक्त आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र 4 (1) के अनुसार किया गया है। राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधान पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ग) वर्तमान में नगर पालिका को सब्जी मंडी के लिये नजूल भूमि का आवंटन राजस्व पुस्तक परिपत्र 4 (1) की कंडिका 26 के अनुसार किया जाता है। (घ) वर्तमान राजस्व अभिलेख में नगर पालिका इटारसी के नाम पर सब्जी मंडी हेतु 50081 वर्गफीट भूमि अभिलिखित है।
डॉ.सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो माननीय मंत्री जी ने समाधानकारक उत्तर दिया है, मैं इसके लिये उनको धन्यवाद देना चाहता हूं किंतु मैं यह प्रश्न पूछना चाहता हूं कि यह सब्जी मंडी की जमीन वर्ष 1971 में दी थी, यह प्रपत्र आपने ही दिये हैं. उस वक्त जो कंडीशन थी, उसको आपने उत्तर में भी लिखा है कि तत्समय में यह राजस्व पुस्तक परिपत्र 4(1) की कंडिका 26 के अनुसार दी गई थी. एक तो हमारी इटारसी को ट्रेनिंग सेंटर बना दिया गया है और जो नये अधिकारी आते हैं, जो आई.ए.एस. की परीक्षा पास करके आते हैं, उन्हें नियम कानून प्रक्रिया कुछ पता नहीं रहती हैं. अब यह हो रहा है कि जो एस.डी.एम आते हैं, वह एक नोटिस दे देते हैं कि लाओ इसका इतना करोड़ रूपये जमा करा दो. जब वहां सब्जी मार्केट के लिये ही, सब्जी बाजार के लिये ही पैसा दिया गया था, इस संबंध में आपका 1971 का प्रपत्र भी है तो इसके बाद मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या हर वर्ष जब भी कोई एस.डी.एम आयेगा तो नगर पालिका सरकार के खाते में हर वर्ष उस जमीन का पैसा जमा करेगी ? और नहीं करेगी तो हमारे एस.डी.एम. ने जो गोपनीय रिपोर्ट कमिश्नर को भेजी है और दुर्भाग्य यह है कि कमिश्नर ने भी तत्कालीन उसको स्वीकार कर लिया है, क्या आप उस रिपोर्ट को निरस्त करेंगे ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, इटारसी नगर पालिका को जो जगह दी गई थी, यह सच है कि वह वर्ष 1973 में 50 हजार 85 वर्गफीट जगह 4.1 के प्रावधान के अनुसार दी गई थी. जहां तक जांच की बात माननीय सदस्य ने की है, एक एस.डी.एम. के नोटिस की बात आपने कही है या बार-बार नोटिस की बात कही है तो यह शिकायत जो है, शायद माननीय वरिष्ठ सदस्य की जानकारी में होगी. वर्ष 2016 में पूर्व पार्षद रामकिशोर रावत ने कमिश्नर को शिकायत की थी और कमिश्नर ने वह शिकायत एस.डी.एम. को सौंपी, एस.डी.एम. ने शिकायत की जानकारी हेतु सीएमओ नगर पालिका को सौंपी और जब उस पर जांच के बिंदु भी आप कहो तो हम पढ़ दें, आपको जानकारी में होंगे. जब वह सीएमओ के द्वारा जांच का प्रतिवेदन नहीं आया तब एस.डी.एम. ने दोबारा जवाब दिनांक 16.05.19 को मांगा, पुन: जवाब मांगा. मैं समझता हूं एस.डी.एम. द्वारा बार-बार सीएमओ को या मंडी के लिये कोई अनावश्यक परेशान नहीं किया जा रहा है. जगह राज्य सरकार ने दी, भू-भाटक आपने उस समय दिया ही था, बल्कि भू-भाटक के लिये करीक 30 साल हो चुके हैं, माननीय सदस्य बहुत बुद्धिजीवी हैं यह उनकी जानकारी में होगा. इसमें प्रश्न कोई उद्भूत नहीं होता. अगर अध्यक्ष महोदय, आप चाहें जिस प्रकार की जांच आप चाहे या जिस प्रकार का आप कहें मैं वह कराने को तैयार हूं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- धन्यवाद माननीय मंत्री जी क्योंकि आपने सारी बात कह दी कि आप जो जांच चाहें, तो मेरा अनुरोध सिर्फ यह था कि अब दोबारा जो पुराना आर्डर है उसके तहत जो पैसा अगर कोई ड्यू होगा तो वह नगर पालिका भरेगी, किंतु अब नये सिरे से नगर पालिका से पैसा मांगना नजूल ने नगर पालिका को जमीन दे दी और 48 वर्ष हो गये तो अब नये सिरे से पैसा मांगकर के परेशान करना यह उचित नहीं है. इसी संबंध में मेरा आपसे अनुरोध है कि भविष्य में, दूसरी बात एक और है माननीय अध्यक्ष जी कि नगर पालिका अधिनियम में एस.डी.एम. को जांच करने का पावर नहीं है. इसके बाद भी एस.डी.एम. जांच करने चला जाता है, अब वह दूसरे माननीय मंत्री जी का विषय है, किंतु सामूहिक जिम्मेदारी भी है. मेरा यह भी अनुरोध है कि अधिकारी कानून के अनुसार और नियम के अनुसार काम करे, खासकर के चूंकि आप राजस्व मंत्री हैं, राजस्व विभाग के अधिकारी, यह मेरा आपसे अनुरोध है. बाकी यदि इसमें कोई बात होगी तो मैं लिखकर के आपको भेज दूंगा ताकि भविष्य में इसकी कोई और जांच की आवश्यकता हो तो वह हो सके.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एस.डी.एम. जो होता है, एस.डी.एम. कमिश्नर के आदेश पर कहीं भी जांच करा सकता है. यह बात तो पूर्व अध्यक्ष महोदय समझते हैं. कमिश्नर के आदेश पर एस.डी.एम. ने सीएमओ से जानकारी मांगी, वह कमिश्नर ने पार्षद की शिकायत पर आदेश दिये कि सिर्फ एस.डी.एम. अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं कर रहा है वह वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर ही उसने नोटिस नहीं भेजा, मैं नोटिस नहीं कहूंगा, उसने जांच का प्रतिवेदन मांगा है और अभी तक आज दिनांक तक सीएमओ द्वारा जांच प्रतिवेदन भी प्राप्त नहीं हुआ है. जांच प्रतिवेदन आने के बाद में माननीय सदस्य जो कहेंगे उस पर मैं जांच की कार्यवाही कर दूंगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- ठीक है.
नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में अनियमितता
[चिकित्सा शिक्षा]
3. ( *क्र. 3092 ) श्री विनय सक्सेना : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2018 में प्रदेश में 350 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति प्रदान की गयी है? वर्ष 2018-19 में जबलपुर जिले के समस्त नर्सिंग कॉलेजों द्वारा प्रस्तुत मान्यता आवेदनों की प्रति देवें। (ख) क्या नर्सिंग कॉलेज स्थापना के न्यूनतम मापदंड लैब, लायब्रेरी, क्लासरूम सहित निर्धारित संख्या में बिस्तर युक्त अस्पताल इत्यादि अर्हताओं को पूर्ण न करने वाले कॉलेजों को भी अनुमति प्रदान की गयी है? यदि हाँ, तो विवरण देवें। (ग) क्या बिना स्थल निरीक्षण तथा सत्यापन किये कुछ नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गयी है? यदि हाँ, तो क्यों? (घ) विगत 2 वर्षों में मान्यता प्रदाय में अनियमितता संबंधी कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं तथा उन पर क्या-क्या कार्यवाही की गयी? क्या ई.ओ.डब्ल्यू./लोकायुक्त इस मामले में कोई जाँच कर रहा है? यदि हाँ, तो विवरण देवें।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। जबलपुर जिले में संचालित नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता आवेदनों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) मध्यप्रदेश नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम 2018 के उप बिन्दु 1 अनुसार कार्यवाही की गयी है। जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) आलोच्य अवधि में 12 शिकायतें प्राप्त हुईं हैं, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''3'' एवं ''4'' अनुसार है। जी हाँ। ई.ओ.डब्ल्यू./लोकायुक्त द्वारा की जा रही जाँच/कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''3'' एवं ''4'' के कॉलम सरल-6 पर अंकित है।
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में नर्सिंग कालेजों का मामला मैंने संज्ञान में लाया है. नर्सिंग कालेजों की हालत यह है कि 2018 के आसपास 350 नर्सिंग कालेजों की अनुमति दी गई. बड़ा गंभीर मामला है और माननीय मंत्री जी बड़ी संवेदनशील हैं. मैं उनसे आग्रह करना चाहता हूं कि 20 हजार स्क्वायर फीट की बिल्डिंग, सात लैब, एक आडीटोरियम, ये सब शर्तें होनी चाहिये लेकिन दुर्भाग्य है कि मध्यप्रदेश में जो कालेजों की अनुमति दी गई, जिसकी बोली अनुमति की एक-एक करोड़ रुपये में लगी और हालत यह है कि मध्यप्रदेश में भवन में नीचे अस्पताल चल रहे हैं और ऊपर छत पर नर्सिंग कालेज चल रहे हैं. मैं एक और बात संज्ञान में लाना चाहता हूं कि हिमाचल प्रदेश ने एक पत्र के द्वारा मध्यप्रदेश सरकार से एक जांच मांगी है. ढाई हजार बच्चे जो यहां से नर्सिंग में पढ़कर गये हैं, उनका जो नर्सिंग का ज्ञान है उसके कारण वहां कई मौतें हो गईं. यह हमारे प्रदेश के नाम पर एक और धब्बा है, जो पिछली सरकार के कार्यकाल के चलते हुआ. एक और बात मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि पिछले दोनों मंत्रियों के द्वारा ऐसे कालेजों को अनुमति दी गई, एक को तो मैंने ही चुनाव में परास्त किया. साढ़े तीन सौ कालेजों के लोग भोपाल में आकर बैठे रहे, होटलें पूरी बुक थीं और उस समय के मुख्यमंत्री जी चूंकि वे अकेले बड़ी मछली पकड़ रहे थे और अकेले-अकेले काम कर रहे थे इसीलिये राधेश्याम जुलानिया जी को अधिकार दिया कि इनकी अनुमति इनके हाथ से रोक दी जाये. उनके पिछले जो मंत्री थे जिनकी आप अक्सर चर्चा करते हैं, उनके द्वारा भी ऐेसे लोगों को बहुत उपकृत किया गया. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि एक तरफ ग्वालियर में 127 कालेजों की मान्यता समाप्त की गई है. मेरे पास जबलपुर के कई उदाहरण हैं. अमर ज्योति नर्सिंग कालेज की मान्यता जारी भी की गई है और एक और लिस्ट में उसकी मान्यता जारी नहीं भी की गई है. यह कालेज वहां पर ड्यूप्लेक्स में चल रहा है. जबलपुर में कई कालेज ऐसे हैं जो छतों पर चल रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी एक समिति बना दें. मैं अभी जो कुछ कह रहा हूं बिल्कुल सत्यता के आधार पर कह रहा हूं. इसके पहले कई बार जब-जब यह प्रश्न विधान सभा में लगा तो इसी तरह का जानकारी का बंडल भेजा गया जैसा आज मुझे सुबह-सुबह उपलब्ध कराया गया है, जिससे कि मैं उसकी तैयारी न कर पाऊं. मेरा माननीय मंत्री जी से, चूंकि वे बहुत संवेदनशील हैं, महिला भी हैं और वे हमेशा बड़ी तल्खी के साथ बात रखती हैं और माननीय कमलनाथ जी ने भी सरकार बनने के पहले कहा भी था कि व्यापम सहित जो बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं, उनमें हम लोग जांच कराएंगे. मेरा आपसे निवेदन है कि जो 350 कालेजों को मान्यता दी ग,ई जिसके मेरे पास प्रमाण हैं. इसमें 127 से ज्यादा कालेज ऐसे हैं, जो छतों पर लग रहे हैं, 2-2 कमरों में लग रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपके पास जानकारी है ?
श्री विनय सक्सेना - मेरे पास जानकारी कागजों में है और पूरा रिकार्ड मेरे पास है. मैं चाहता हूं कि इसको संज्ञान में लेकर इसकी जांच कराई जाये. उन अधिकारियों की भी जांच कराई जाए ?
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद करती हूं सक्सेना जी को, कि उन्होंने एक गंभीर विषय पर सदन का ध्यान आकर्षित किया है. मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहती हूं कि कुल आनलाईन जो आवेदन हुए थे वे करीब-करीब 529 प्रायवेट नर्सिंग कालेजों के थे और शासकीय नर्सिंग संस्थाओं के करीब-करीब 30 आवेदन थे. जो मान्यता दी गई प्रायवेट को 353 को और 30 शासकीय नर्सिंग कालेजों को और बाकी की मान्यता रद्द कर दी गई. पहले यह नियम थे कि नर्सिंग काउंसिल जो इंडिया की थी उसके माध्यम से नर्सिंग कालेजों को मान्यता दी जाती थी लेकिन 2017 को माननीय उच्चतम् न्यायालय के निर्देश अनुसार मध्यप्रदेश की काउंसिल इसको परमीशन देने लगी और इसमें 2018 में जो नियम बनाये गये, उसमें मध्यप्रदेश नर्सिंग टीचिंग इंस्टीट्यूशन को recognition किया गया और यह नियम 2018 में बने, चूंकि आचार संहिता लगी थी इसके कारण 1 दिसम्बर,2018 को 2018-19 के लिये यह नियम लागू किये गये उसके अंतर्गत जो नयी संस्थाएं हैं, उनसे आवेदन मांगे गये, स्वमोटो उन्होंने आनलाईन आवेदन किये और जो नियम बने थे, कितना रेश्यो होना चाहिये टीचिंग स्टाफ का, स्टूडेंट का और बेड्स का रेश्यो कितना होना चाहिये, रूम्स कितने बड़े होने चाहिये, क्या लैब होनी चाहिये ? जो भी नियम थे उसके आधार पर इन संस्थाओं ने आवेदन किया, उन्हें अनुमति दी गई. नियम यह भी कहता है कि जब शिकायतें होंगी, तो समय-समय पर उसका संज्ञान लेते हुए संस्थाओं की जांच की जायेगी. माननीय सदस्य ने जो यहां मामला उठाया, मैं आश्वस्त करती हूं सदन में, मेरे संज्ञान में ला दी जायें, मैं जांच करवा लूंगी.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, इसमें इंडियन नर्सिंग काउंसिल भी दिल्ली से इनवॉल्व्ड है, जिसमें मध्यप्रदेश के 1-2 सांसद भी सदस्य हैं उनके द्वारा भी कई ऐसी अनुमति कराई गई हैं जिनकी लिस्ट मेरे पास में है. मेरा तो आपसे आग्रह है, माननीय मंत्री जी से भी आग्रह है चूंकि इसमें दिल्ली की नर्सिंग काउंसिल भी जुड़ी हुई है. इसकी तो जांच सीबीआई से कराई जाना चाहिए. खुद उन्होंने स्वीकारा है 353 नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति दी गई और 353 में से आधों की हालत यह है कि जिनके पास 20000 तो छोड़िए, 200 स्क.फीट की जगह भी नहीं है. इसके बाद सिर्फ पैसों के लेन-देन के चलते इनको अनुमतियां दे दी गईं.जो एक गंभीर प्रश्न है. दूसरा गंभीर प्रश्न यह है कि हिमाचल प्रदेश का मैंने उल्लेख किया है जिसको संज्ञान में नहीं लिया जा रहा है क्या हिमाचल प्रदेश ने ढ़ाई हजार ऐसे बच्चों को अयोग्य पाया जो मध्यप्रदेश से नर्सिंग से पास होकर गये? यह मध्यप्रदेश के नाम पर कलंक नहीं है? क्या ऐसे नर्सिंग कॉलेज हम तैयार कर रहे हैं जो कि दो-दो कमरे में लगते हैं, जहां पर पढ़ाई न होकर नकल से पास कराया जा रहा है, यह संज्ञान में लेना चाहिए, यह अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह है?
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में ही अपने उत्तर में बताया कि पहले आईएमसी द्वारा यह मान्यता दी जाती थी, लेकिन वर्ष 2017 में उच्चतम न्यायालय के निर्णय हुए हैं कि इन्होंने प्रदेश को यह अधिकार दिये हैं कि आपको किस-किस संस्था को मान्यता देनी चाहिए या न देनी चाहिए और उन्होंने गुणवत्ता परीक्षण के आधार पर यह अधिकार मध्यप्रदेश को अनुमति देने के दिये हैं. जैसा कि माननीय सदस्य जो हिमाचल प्रदेश का यहां पर बात कर रहे हैं. मेरे संज्ञान में अभी लाए हैं. प्रश्न में यहां उन्होंने उल्लेख नहीं किया था तो उसकी मैं पृथक से जांच करवाकर माननीय सदस्य को जानकारी उपलब्ध करवा दूंगी.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, मेरा आखिरी प्रश्न यही है कि माननीय मंत्री जी ईओडब्ल्यू में 12 प्रकरण तो अभी दर्ज हो चुके हैं. लेकिन इस पूरे प्रकरण को यदि तत्काल ईओडब्ल्यू को दे दिया जाय तो प्रदेश में एक नयी शुरुआत होगी जो हमारी सरकार बनने के पहले वायदा था कि हम बड़े बड़े घोटाले जिसमें बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता है, हम उनकी जांच कराएंगे. मेरा माननीय मंत्री महोदया आपसे हाथ जोड़कर आग्रह है कि कम से कम ईओडब्ल्यू को ये पूरे प्रकरण की जांच देना चाहिए. पूरे मध्यप्रदेश में एसटीएफ जैसी एक नयी टीम गठित करके इन कॉलेजों की जांच होनी चाहिए जो दो-दो कमरों में और छतों पर चल रहे हैं, यह मेरा आपसे आग्रह है?
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही बता चुकी हूं कि उच्चस्तरीय इसकी जांच करवा ली जाएगी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न बहुत जायज है और मैं इसको मानता हूं कि इस प्रकार के नर्सिंग कॉलेजेस नहीं खुलना चाहिए क्योंकि लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी हुआ और एक बहुत ही महत्वपूर्ण सेवा से जुड़ी हुआ यह विषय है, यह नौकरी है. अध्यक्ष महोदय, नर्सिंग कॉलेजों में सिर्फ डिग्री या डिप्लोमा देने का काम होगा तो बेहतर नर्सिंग के काम राज्य में नहीं हो सकते. सिर्फ स्वास्थ्य के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी मैंने देखा है कि बीएड, डीएड कालेज ऐसे सैंकड़ों खुल गये हैं और एक दिन के लिए चले जाओ वे डिग्री, डिप्लोमा दे देंगे और आपको एलिजिबल बना देंगे, किसके लिए? संविदा शिक्षा की पात्रता के लिए. इसी तरह से कम्प्यूटर के डिप्लोमा भी बाजार में बिक रहे हैं कि कम्प्यूटर का कोर्स कर लिया जबकि माऊस पर हाथ नहीं रख सकते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं तो कहता हूं कि समग्र रूप से एजूकेशन के भी, हैल्थ के भी, कम्प्यूटर डिप्लोमा के भी जो यह खोमचे खुल गये हैं इन सबके लिए आप समग्र रूप से जांच करवाएं, इसमें राज्य की बड़ी सेवा होगी?
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने बहुत सही यहां बात उठाई. वाकई गलियों में जिस तरह से मशरूम जैसी ग्रोथ हो रही है. चाहे वह शिक्षा जगत के क्षेत्र में हो, नर्सिंग भी उसी के अंतर्गत शिक्षा से संबंधित है लेकिन नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्सेस यह जीवन से जुड़े हुए ये संकाय हैं और यहां अगर इनमें गड़बड़ियां होती हैं तो सीधे-सीधे जनता से जुड़ा हुआ यह मामला होता है और जनता परेशान होती है. मैंने पूर्व में भी आपसे निवेदन किया था कि मेरे विभाग से संबंधित चाहे वह नर्सिंग कॉलेज हो, चाहे पैरामेडिकल के कोर्सेस हों, उसकी उच्चस्तरीय जांच हम करवा लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जिन लोगों को यह नर्सिंग के डिप्लोमा मिल गये हैं, यह मैं मानकर चलता हूं कि एक बार उनकी क्वालिटी का और वास्तव में इनकी जो पात्रता है उसके लायक वे है कि नहीं, इसका कहीं आप परीक्षण तो करवाएं उसकी परीक्षा या जो कोई भी टेस्ट आप करवाएं ताकि कम से कम वे गरीब लोगों के प्राण तो नहीं लें?
डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय यह मान्यता इसी आधार पर दी जाती है कि अच्छी क्वालिटी के प्राइवेट हों या सरकार के नर्सिंग कालेज खुलें यहां पर गुणवत्ता में हम कोई भी समझौता नहीं करेंगे. माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में यह सरकार इस ओर बहुत ध्यान दे रही है कि गुणवत्ता सही होना चाहिए, अच्छी होना चाहिए जनता को पूरा लाभ मिल सके.
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय विनय जी को धन्यवाद कि उन्होंने एक बहुत अच्छा प्रश्न उठाया, आपको धन्यवाद कि आपने उसमें संरक्षण दिया, नेता प्रतिपक्ष जी को धन्यवाद कि उन्होंने सबका ध्यान दिलाया. एक छोटे से बिन्दु के माध्यम से मैं भी आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. मेडीकल और नर्सिंग दोनों कालेज आपके ही अधीन हैं. शासकीय मेडीकल कालेज में नर्सिंग कालेज को संबद्धता दी जाती है वहां कि नर्सेस को ट्रेनिंग दिये जाने के लिए, लेकिन उसमें होता यह है कि वह संबद्धता का प्रमाण पत्र लेकर अपना कालेज शुरू कर देते हैं. वह मेडीकल कालेज में ट्रेनिंग के लिए बच्चों को नहीं भेजते हैं. क्या आप मेडीकल कालेजों से यह जानकारी एकत्रित कर लेंगी कि किस कालेज के बच्चे संबद्धता के बावजूद भी ट्रेनिंग लेने के लिए नहीं आये हैं और ऐसी अनियमितता करने वाले कालेजों की संबद्धता समाप्त करेंगे.
डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय जबलपुर में मेडीकल यूनिवर्सिटी भी बनी हुई है. उसमें आन लाइन परीक्षा प्रणाली तैयार की जा रही है, जिसमें हम पूरी गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगे. माननीय विश्नोई जी ने जो प्रश्न यहां पर उद्भुत किया है वास्तव में इस तरह की अगर कोई प्राइवेट संस्थाएं हैं जिसमें सही तरकी से मापदण्ड के आधार पर उनकी शिक्षा नहीं हो रही है तो 2018 में हमारे नियम बने हैं जिसमें समय समय पर उसका परीक्षण किया जाता है, अगर वह संस्था गुण दोष के आधार पर खराब निकलती है तो उसकी मान्यता रद्द करने के प्रयास करेंगे, दूसरी बात जो कि प्रशिक्षु नर्सो के बारे में मेरे संज्ञान में लाये हैं वहां पर बायोमेट्रिक् अटेंडेन्टस के माध्यम से उन अस्पतालों की उपस्थिति को सुनिश्चित करेंगे.
श्री अजय विश्नोई -- धन्यवाद् मंत्री जी और धन्यवाद् अध्यक्ष जी. लेकिन पुराने समय के लिए डीन से या वहां के सुपरिन्टेनडेंट से पूछ सकते हैं कि यहां के बच्चे आते हैं या नहीं आते हैं उसकी हाजिरी का कोई सिस्टम पहले था या नहीं. उसके आधार पर भी आप कार्यवाही कर सकते हैं. धन्यवाद्.
डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- विश्नोई जी पहले की बात तो आप ही बता सकते हैं, मै नहीं बता सकती हूं. लेकिन आपके संज्ञान में लाने के लिए मैं डीन से पूछ लूंगी कि पहले क्या व्यवस्थाएं थीं, लेकिन मेरे आने के बाद में आदरणीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में व्यवस्थाएं हम लोग धीरे धीरे सुधार रहे हैं, अच्छी व्यवस्थाएं देंगे और गुणवत्ता के स्टूडेंट देंगे चाहे वह नर्सिंग कालेज के हों या पैरामेडीकल के हों या एमबीबीएस में हों या आयुष में हों, अच्छे डॉक्टर अच्छे नर्सिंग स्टाफ और अच्छे पैरामेडीकल स्टाफ देने की हम पूरी पूरी कोशिश करेंगे ताकि प्रदेश की जनता को लाभ मिल सके.
श्री विनय सक्सेना -- अध्यक्ष महोदय मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मंत्री जी को और विपक्ष को भी जिस तरह से उन्होंने संवेदनशीलता दिखायी हैं मैं हाथ जोड़कर उनको भी धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी जो आपकी उच्चस्तरीय समिति है. उसका कुछ ऐसा अच्छा गठन करिये कि वास्तविक रूप में हर जिले में दिखे कि आपने कड़ाई की है. अन्यथा देखा यह जाता है जो अच्छे चल रहे हैं उनको ज्यादा दिक्कत दी जाती है और जो नहीं चल रहे है उनको पुरूस्कृत किया जाता है. इस बात का जरूर ध्यान रखना.
डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय आसंदी से जो निर्देश मिले हैं उसका पूरा पालन किया जायेगा.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री गोपाल भार्गव ) -- मेरा आपसे निवेदन है यह तो एक स्वास्थ्य विभाग से संबंधित चर्चा है. शिक्षा में भी यह फर्जी डिप्लोला, वीएड और डीएड यह ,सब करते हैं तो मेरा कहना है कि सभी विभागों की एक ऐसी समिति बना दें जो यह देखे कि पारदर्शिता कितनी है, सब स्टेण्डर्ड को अनुमति न दें.
मुख्यमंत्री ( श्री कमलनाथ ) -- माननीय अध्यक्ष जी मैं इससे पूरी तरह से सहमत हूं क्योंकि मध्यप्रदेश में हर विभाग चाहे शिक्षा विभाग लें, स्वास्थ्य विभाग लें अभी नर्सिंग कालेज की बात हो रही थी. मेरा जो पिछले कुछ वर्षों का अनुभव है जो मैंने प्रयास किया है. कोई इंजीनियर बनकर गया तो उनका रोजगार उनको मिलना चाहिए, कई कंपनियों से मैंने व्यक्तिगत बात की थी. जब मैं उनसे बात करता था तो वह आश्वासन देते थे कि हम रखेंगे 18-20 या 19-20 का फर्क होता था तो वह रख लेते थे लेकिन 19-20, 18-20 का फर्क हुआ, रख लेते थे. एक दिन जब कई कम्पनियों ने नहीं रखा, तो मैंने उन्हें बुलाया और पूछा कि ये इंजीनियरिंग की हुई है. आपने तो इसे रखा नहीं है, तो क्या कारण है. वह बोले कि वह मेरे पास आया और उनसे इन्टरव्यू में पहला प्रश्न था कि आप अपना रिज्यूमे लिखिये. इंजीनियर था, वह अपना रिज्यूमे नहीं लिख पाया. तो यह किस चीज के लायक है. तब एक बड़ी कार की कम्पनी में, जिसमें इंजीनियरिंग की है, मैं नाम नहीं लेना चाहता. गुड़गांव में है, आप सब समझ जायेंगे. उनसे मैं जब चर्चा करता था कि आप रखिये. जब वे इन्टरव्यू के लिये जाते हैं, वह कहते हैं कि न तो यह मजदूर बनने लायक हैं, न तो यह इंजीनियर है. तो है क्या ये. तो यह बहुत गंभीर विषय है. इससे मैं सहमत हूं,पूरे सदन के साथ कि हमें कोई उपाय निकालना पड़ेगा, एक समिति बनाकर कि जो हमारे स्टैण्डर्ड्स हैं, क्योंकि हम बच्चों को धोखा दे रहे हैं. बच्चा गांव से जाता है कॉलेज, इंजीनियर बनेगा, बी.ई., आई.टी लिखता है, बी.ई.इंजीनियरिंग लिखता है. वह न गांव का रहता है, न शहर का रहता है. उसकी पीड़ा समझिये. गांव में उसका मजाक उड़ता है कि आप तो बड़े पढ़ने गये थे, आज तो आप ऐसे घूम रहे हैं, हम तो खेत में काम कर रहे हैं, आपसे ज्यादा तो हम ही लायक हैं. तो इस पर हम बड़ी गंभीरता से विचार करके एक समिति बनायेंगे और मैं स्वागत करुंगा कि आपके जो सुझाव हों इसमें, हम जरुर उन सुझावों पर विचार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
अनु. जनजाति के व्यक्तियों की भूमि विक्रय के नियम
[राजस्व]
4. ( *क्र. 3700 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. के आदिवासी की भूमि को गैर आदिवासी व्यक्ति के नाम से खरीदी कर उपयोग कर सकता है और आर्थिक लाभ भी कमा सकता है? यदि हाँ, तो प्रावधानों के बिंदुओं को स्पष्ट करें। (ख) यदि नहीं, तो ऐसे आपराधिक कृत्य के दोषियों के लिये दंड का क्या प्रावधान है? (ग) क्या कभी अनाधिकृत कब्जा व अनाधिकृत भूमि खरीदी ब्रिकी से संबंधित सर्वे कार्य आदिवासी क्षेत्रों में कराये जाने का प्रावधान शासन के निर्देशों में है? (घ) क्या आदिवासियों की जमीन सुरक्षित रखी जा सके, इसके लिये कोई कठोर प्रावधान शासन स्तर पर है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता -1959 की धारा 165 (6) में अनुसूचित/गैर अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति द्वारा विक्रय या अन्यथा या उधार संबंधी किसी संव्यवहार के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। जिसके अनुसार गैर अधिसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति की भूमि कलेक्टर से अनिम्न श्रेणी के पदाधिकारी की अनुमति के बिना गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को अंतरित नहीं की जा सकेगी तथा अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को अंतरित नहीं की जा सकती। (ख) म.प्र. भू-राजस्व संहिता की धारा 170 में धारा 165 (6) के उल्लंघन में किए गए कब्जे को वापस अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को दिलाए जाने का प्रावधान है। (ग) जी नहीं। प्रावधानों का उल्लंघन होने पर विधि अनुसार कार्यवाही की जाती है। (घ) जी हाँ।
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह जो प्रश्न है, एक बहुत ही सेंसेटिव्ह इशू पर है, जिसमें आदिवासियों की जमीन किसी भी तरीके से गैर आदिवासी या तो खरीद रहे हैं, जिसमें अनुसूचित क्षेत्र और गैर अनुसूचित क्षेत्र का मामला है, जिसमें मैंने मंत्री जी से यह पूछा है, जिसके उत्तर में उन्होंने यह है कि भू राजस्व संहिता,1959 की धारा 165 (6) के अनुसार यह जमीन खरीदी जा सकती है. परन्तु इसमें स्पष्ट रुप से कहा है, जिसमें कलेक्टर को यह पॉवर दिये गये हैं कि उनके माध्यम से यह जमीन बेची जा सकती है. लेकिन मुझे लगता है कि इसमें बहुत बड़े व्यापक तौर पर एक भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें पैसे का लेन-देन करके जमीनों को खरीदा जा रहा है और उसमें स्पष्ट रुप से कहा है कि अगर 165(6) के अनुसार भी यह होता है, तो इसके पूर्व जो धारा 162 (6) (ग) है, उसके हिसाब से अगर इन आदेश उपबंधों का ध्यान नहीं रखा गया, लेकिन मुझे लगता है कि इन पूरे नियमों को दर किनार करके यह जमीन की खरीदी बिक्री का मामला चल रहा है. तो मेरा यह निवेदन है कि इस पर जांच हो.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में अधिसूचित क्षेत्र में आदिवासी की भूमि को सामान्य व्यक्ति नहीं खरीद सकता, किन्तु गैर आदिवासी क्षेत्र में कलेक्टर की सहमति से जमीन खरीदी जा सकती है. गैर अधिसूचित क्षेत्र में एम.पी.एल.आर.सी.की धारा 165 (6) में सामन्य व्यक्ति आदिवासी की जमीन कलेक्टर की अनुमति से खरीद सकता है. अगर जैसा कि सदस्य महोदय ने कहा है कि कहीं-कहीं विसंगतियां हैं या इनकी जानकारी में हैं, तो मैं उसको दिखवा लूंगा. वैसे आदिवासी की जमीन का कब्जा धारा 170 में वापस भी लिया जा सकता है, यह भी प्रावधान है. अध्यक्ष महोदय, आदिवासी की जमीन के अवैध कब्जे के संबंध में यह बात मैं कह रहा हूं.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, इसमें कलेक्टर महोदय को या कलेक्टर के अनुसार यह जमीन खरीदी एवं बैची जा सकती है, उनके आदेश के अनुसार. लेकिन इसमें बहुत सारे ऐसे मामले हैं कि इसमें पैसे का लेन-देन करके उनके माध्यम से यह खरीदी-बिक्री, जिसमें दलालों का बहुत बड़ा एक रोल है, जिसमें नॉन ट्राइबल एरिया में एक बहुत बड़े लेवल पर जो मौके की जमीन है, उनकी खरीदी-बिक्री हो रही है. मेरे पास एक रिकॉर्ड है, केवलारी का, जिसमें पहले बेटे के नाम से जमीन खरीदी, फिर उसी की जमीन उसने अपने पिताजी के नाम से भी खरीदी है. इन नियमों में ऐसा है कि कम से कम उसके पास में, पहले तो कृषि भूमि का इसमें जिक्र नहीं है कि कृषि भूमि नहीं बेच सकते, लेकिन उसके बाद भी अगर कोई प्रावधान है तो कम से कम 5 एकड़ उसके पास सिंचित जमीन हो, या फिर 10 एकड़ उसकी असिंचित जमीन हो. लेकिन इन नियमों का किसी भी आधार पर पालन नहीं हो रहा है. बहुत सारे उदाहरण हैं, जैसे मण्डला की बात करूँ तो कान्हा में, इसके अलावा पेंच में, केवलारी में, हमारे पड़ोस के जबलपुर में कुण्डम क्षेत्र में लोगों की पूरी की पूरी जमीन, इसमें बहुत सी ऐसी जमीन भी है जो मौके की है, उसकी खरीदी-बिक्री हुई है.
अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर गाइड-लाइन की बात कह रहे हैं. कलेक्टर गाइड-लाइन में स्पष्ट रूप से है, लेकिन उसमें 162, 6 (ग) के नियम के अनुसार बिल्कुल काम नहीं हुआ है. इसमें पूरी तरह से एक दलाली प्रथा ने काम किया है, जिसमें कलेक्टर ने भी पैसे लेकर जमीनों को बेचने की परमीशन दी है. मैं इसकी जांच चाहता हूँ.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें धारा 250 'क' 'ख' में एफ.आई.आर. के प्रावधान भी हैं. माननीय सदस्य किसी पर्टिकुलर जगह के नाम अगर मुझे देना चाहते हैं और जांच चाहते हैं तो मैं उसकी जांच करा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- मर्सकोले जी, आपको जहां-जहां की जानकारी है, नाम सहित, खसरा-नक्शा सहित माननीय मंत्री जी को उपलब्ध करा दीजिए. आप जैसी चाह रहे हैं, मंत्री जी वैसी जांच करवाएंगे.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, सदन के सामने मैं अपनी बात रख रहा हूँ, ये बहुत ही सेन्सेटिव मामला है.
अध्यक्ष महोदय -- घड़ी तेजी से घूमती जा रही है, प्रश्न करिए.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, यही मैं चाह रहा हूँ कि जांच हो जाए.
अध्यक्ष महोदय -- बोल तो दिया मंत्री जी ने कि जांच कराएंगे.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री दिव्यराज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें एक और मैं बोलना चाह रहा था, इसमें कई ऐसे क्षेत्र हैं, जैसे अनूपपुर में...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, पर्टिकुलर उस जगह की बात करिए.
श्री दिव्यराज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं अनूपपुर की बात कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, जो प्रश्न से संबंधित दायरा है..
श्री दिव्यराज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों की जमीन के बारे में बात कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- भाई, मेहरबानी करके आप पहले अखाड़े के दायरे को देख लीजिएगा. उसके पहले पैर मत उतारिएगा...(हंसी)..
श्री दिव्यराज सिंह -- मेरा बस यह कहना है कि किसी भी क्षेत्र में, खासकर क्या होता है कि कंपनीयों के लाइजनिंग ऑफिसर्स...
अध्यक्ष महोदय -- रूक जाइये, अभी नए पहलवान खड़े हो गए हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- जहां प्रतियोगिता चल रही है, उसी ...
अध्यक्ष महोदय -- बस वहीं तक सीमित रहें.
श्री दिव्यराज सिंह -- मैं आदिवासियों की जमीनों के बारे में बात कर रहा हूँ...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, क्यों गोल-गोल घूम रहे हो. गोल-गोल रानी मत करो.
श्री दिव्यराज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, बस ये था कि लाइजनिंग ऑफिसर्स को डायरेक्ट...
अध्यक्ष महोदय -- आपका अगर इस पर प्रश्न है तो धन्यवाद है. प्रश्न क्रमांक 5, श्री पारस चन्द्र जैन.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाह रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- गाड़ी आगे निकल गई पट्टा जी. आप बैठ जाइये कृपापूर्वक, गाड़ी आगे निकल गई है. श्री पारस चन्द्र जैन जी.
दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थायीकर्मी में विनियमित किया जाना
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
5. ( *क्र. 3656 ) श्री पारस चन्द्र जैन : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. वेयरहाउसिंग एवं लॉजि.कार्पों. में शासन आदेश की कंडिका 1.8 के पैरा-2 में उल्लेखित 16 मई, 2007 के पश्चात के दै.वे.भो. कर्मी को स्थायीकर्मी किया गया है? (हाँ या नहीं) यदि नहीं, तो क्यों नहीं किया गया है? (ख) क्या विभाग ने शासकीय आदेश की क. 1.8 के पैरा-2 के विरूद्ध आदेश क्रमांक 7320 दि. 28.02.17 निकाला है? यदि हाँ, तो क्यों? (ग) क्या विभाग में शासन के आदेश लागू नहीं होते हैं? यदि हाँ, तो शासन के आदेश के परिपालन में शासन आदेश के विरूद्ध आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 में उल्लेख है कि 16.5.07 के पश्चात के दै.वे.भो. कर्मी इस योजना के पात्र नहीं होंगे को कब तक निरस्त किया जावेगा और 16.5.07 के पश्चात के सक्षम स्वीकृति/सक्षम अधिकारी द्वारा नियुक्त दै.वे.भो. कर्मियों को स्थायीकर्मी कब तक किया जावेगा? (घ) क्या विभाग में शासन के उक्त आदेश को यथावत निगम के बोर्ड द्वारा आदेश क्र. 4674 दि. 5.11.16 को यथावत लागू किया, किन्तु आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 में निगम बोर्ड का हवाला देकर शासन व निगम के बोर्ड के यथावत आदेश के विरूद्ध एक आदेश क्र. 7320 दि. 28.2.17 को निकाला है? यदि हाँ, तो उक्त आदेश कब तक निरस्त किया जावेगा? पात्र दै.वे.भो. कर्मियों को कब तक स्थायीकर्मी किया जावेगा और शासन व निगम बोर्ड के विपरीत आदेश निकालने वाले अधिकारी पर शासन द्वारा कार्यवाही कब तक की जावेगी?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी नहीं, शासन के निर्देश अनुसार कार्यवाही की गई है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) शासन के आदेश नियमानुसार लागू होते हैं। निगम आदेश क्रमांक 7320 दिनांक 28.02.2017 शासन आदेश के विपरित नहीं है। बल्कि शासन आदेश अनुसार दिनांक 16.05.2007 की दिनांक को स्पष्ट करने हेतु जारी किया गया स्पष्टीकरण है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। वर्तमान में ऐसा कोई प्रकरण लंबित नहीं है। (घ) निगम संचालक मंडल की स्वीकृति उपरांत शासन आदेश यथावत लागू किए जाने हेतु आदेश क्रमांक 4674 दिनांक 05.11.2016 जारी किया गया है। शासन के निर्देशानुसार कार्यवाही की गई है, इसलिए शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का मामला है. सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर, 2016 को एक आदेश निकाला था कि ऐसे दैनिक वेतनभोगी, जो दिनांक 16 मई, 2007 को कार्यरत थे व दिनांक 1 सितंबर, 2016 को भी कार्यरत हैं, वे इस वेतन एवं अन्य लाभों के लिए पात्र होंगे. दिनांक 16 मई, 2007 के पश्चात् शासन की अनुमति अनुमोदन उपरांत सक्षम अधिकारी द्वारा दैनिक वेतनभोगी के पद पर नियुक्ति किए गए जो कर्मचारी हैं, उन्हें भी योजना की पात्रता होगी. सामान्य प्रशासन विभाग का जो आदेश है, उसका पालन नहीं हुआ है, क्या मंत्री जी उसका पालन कराएंगे ?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, जो हमारे सम्माननीय सदस्य ने पूछा है, वैसे सरकार आपकी थी, जिस समय यह प्रक्रिया पूरी हुई, उस समय मंत्री भी आप थे, तो मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस प्रश्न का वैसे औचित्य नहीं है, पर जो सरकार का आदेश था, उस आदेश का पूरा पालन अक्षरश: किया गया है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं कहना चाहता हूँ कि मंत्री जी इस पूरे केस का परीक्षण करवा लें, मेरे पास पूरे कागज मौजूद हैं. यदि परीक्षण करा लेंगे तो दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा. उनको पात्रता मिल जाएगी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा हूं, यह सवाल ही नहीं है. माननीय जी उस समय खुद थे. अगर यह कहें, तो मैं इनके पूरे कार्यकाल की जांच करा सकता हूं.
श्री पारस चंद्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरी जांच करा लें. 15 साल पुरानी बात, वर्तमान तो यह है, इनको जवाब देना है, लेकिन उन दैनिक वेतन कर्मचारियों का हक न मरे इसलिये मैं इस प्रश्न को उठा रहा हूं. मैं चाहता हूं कि इसका पूरा परीक्षण करवा लें, तो उनका हक मिल जायेगा. अध्यक्ष महोदय, आप ऐसा आदेशित करें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष जी, जो शासन के उस समय के निर्देश थे, वह स्वयं उन्होंने पालन किया है और उन नियमों का पालन मैं अक्षरश: करूंगा. यह भरोसा मैं इस सदन में देता हूं
सांईखेड़ा विकासखण्ड सागर में कैप का निर्माण
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
6. ( *क्र. 3814 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग द्वारा सागर जिले में सांईखेड़ा विकासखण्ड सागर में कैप निर्माण कार्य स्वीकृत है? स्वीकृति दिनांक/कार्य एजेंसी का नाम/कार्य अवधि/लागत सहित जानकारी देवें। (ख) कार्य एजेंसी द्वारा क्या कार्य प्रारंभ कर दिया गया है? यदि हाँ, तो वर्तमान में क्या-क्या कार्य किया गया है? किस-किस कार्य में कार्य एजेंसी को भुगतान किया गया है? (ग) यदि मुरम फिलिंग का भुगतान किया गया है, तो किस दर पर किया गया है एवं मुरम की खुदाई वहीं से की गई है एवं वहीं से पूर्ति (भराई) की गई है, तो कितनी मात्रा में एवं कितनी कीमत का भुगतान किया गया है? (घ) क्या कैप निर्माण कार्य में फ्लाई ऐश ईंटों का प्रयोग नहीं किया गया है, तो क्यों? फ्लोर में क्या प्रावधान है तथा उसकी ऊंचाई एवं मोटाई का क्या प्रावधान है? यदि पुराने निर्माण में भी सी.सी. की पक्की जगह थी, तो शासन को कैप निर्माण कार्य करने की जरूरत क्यों पड़ी?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। कैप निर्माण की टेंडर स्वीकृति दिनांक 20.03.2019 है। एजेंसी का नाम एवं पता मेसर्स अजय बिल्डकॉन, सागर है। कैप निर्माण की कार्यावधि 45 दिवस तथा लागत रुपये 2,99,03,597 है। (ख) जी हाँ। स्थल पर 54300 मैट्रिक टन की क्षमता के कैप का निर्माण पूरा कर लिया गया है। भंडारित स्कंध की सुरक्षा हेतु फेंसिंग का कार्य, पहुँच मार्ग का निर्माण-कार्य एवं चौकीदार/कार्यालय हट का कार्य किया गया है। उक्त संपादित कार्यों का भुगतान मे. अजय बिल्डकॉन, सागर को रनिंग देयकों के आधार पर किया गया है। (ग) अनुबंधित आयटम अनुसार मुरम फिलिंग का कार्य संपादित किया गया है। मुरम का भुगतान रुपये 230 प्रति घनमीटर की दर से किया गया है। पी.डब्ल्यू.डी. के एस.ओ.आर. से 24.24 प्रतिशत कम दर से भुगतान किया गया है। वहीं की खुदाई से प्राप्त अच्छी मिट्टी की 2021 घनमीटर मात्रा का उपयोग भी भराई में किया गया है। इस मद में ठेकेदार को अब तक 631.71 घनमीटर जिसकी कीमत 31,012.00 रूपये है, का भुगतान किया गया है। (घ) जी नहीं। स्वीकृत कार्य में फ्लाई ऐश ईंटों का प्रावधान नहीं है। इसके फ्लोर में M-10 CC का प्रावधान 10 सेंटीमीटर मोटाई में किया गया है। निगम के पुराने परिसर में सी.सी. की पक्की जगह पार्किंग एवं ट्रकों के आवागमन हेतु है तथा यह 60,000 मैट्रिक टन क्षमता के खाद्य भंडारण हेतु पर्याप्त नहीं है। रोड को सीधे कैप के रूप में भंडारण हेतु उपयोग में नहीं किया जा सकता है। कैप का निर्माण सड़क से 30 से 45 सेंटीमीटर ऊंचा प्लेटफार्म बनाकर किया जाना होता है। साथ ही सागर जिले में अनुमानित उपार्जन के विरूद्ध पर्याप्त कवर भंडारण क्षमता भी उपलब्ध नहीं थी, अत: पृथक स्थान पर कैप निर्माण कराने की आवश्यकता पड़ी।
इंजी. प्रदीप लारिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि इस वर्ष उपार्जन कितना अनुमानित था और शासन के पास भण्डारण के कितने साधन थे ?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, सदन में आप सागर जिले के बारे में पूछ रहे हैं ?
इंजी. प्रदीप लारिया - जी हां, आप सागर जिला एवं सागर विकासखंड के बारे में बता दें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, उस समय सागर जिले में कितना उपार्जन अनुमानित था और कितना उपार्जन हुआ है, एक तो मैं यह बता देता हूं कि सागर जिले में अनुमानित उपार्जन जो हमने रखा था, अंदाज लगाते हैं, 5 लाख मीट्रिक टन और हमने सागर जिले में वास्तविक उपार्जन किया है 3,63,580 मीट्रिक टन. सागर जिले में इतना हमने उपार्जन की व्यवस्था की थी और जितना हमने खरीद की है, उसके भण्डारण की व्यवस्था सुनिश्चित की है.
इंजी. प्रदीप लारिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सांईखेड़ा वेयर हाऊस से था. इसकी क्षमता बता दें और आपने वहां पर जो कैप का निर्माण किया है, उसकी क्षमता बता दें और उसमें कितना भण्डारण हुआ है ? उसकी क्षमता बता दें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष जी, इन्होंने जो बात की है, सांईखेड़ा के संबंध में मैं बताना चाहता हूं कि सागर जिले में 1,99,800 मीट्रिक टन की क्षमता है. स्वनिर्मित गोदाम हैं. अन्य प्रायवेट, गवर्मेंट, कैप, कवर्ड सहित क्षमता 3,53,000 है. हमने इस वर्ष इसमें 3,59,826 मीट्रिक टन अनाज भण्डारण किया है. यह मैंने सागर जिले के बारे में बात कही. अब आप पूछना चाहते हैं सांईखेड़ा के बारे में, तो वहां पर 54,300 मीट्रिक टन की क्षमता है और यह हमने वहां पर कैप बनाया है, जो उसकी आवश्यकता थी, वहां पर जो अनुमान लगाया गया था, उसके आधार पर हमने कैप निर्माण की मंजूरी दी.
इंजी. प्रदीप लारिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्न यह है कि जो कैप का निर्माण हुआ है, लगभग 55,000 मीट्रिक टन के लिये हुआ है और आप यह बता नहीं पाये कि उसमें कितना भण्डारण हुआ है. 20,000 से ज्यादा उसमें शेष रह गया. आपने 40,000 मीट्रिक टन के गोडाउन लिये हैं. मेरा आपके माध्यम से निवेदन इतना ही है कि जब आपके पास उसमें भण्डारण की क्षमता थी, तो आपने किराये के गोडाउन क्यों लिये ? और लगभग 12 लाख रुपये प्रतिमाह आप किराया दे रहे हैं ? और दूसरा, जो आपने कैप का निर्माण किया है, आनन-फानन में किया है. 25 मार्च से आपकी खरीदी हो गई और 20 मार्च को आपने 45 दिन के अंदर कैप निर्माण की अनुमति दे दी. अब वह अच्छी गुणवत्ता के साथ बना कि नहीं बना ? यह भी प्रश्नचिह्न है. तो मेरा माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री जी से यह आग्रह है कि जब उसमें 20,000 शेष था, तो आप किराये की गोडाउन क्यों लिये हैं ? और जबर्दस्ती सरकार का पैसा क्यों दे रहे हैं ? और वह जो कैप आपने आनन-फानन में निर्माण किया है उसकी गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष जी, मेरे जो सम्मानित सदस्य ने प्रश्न उठाया है, मैं उनको बताना चाहता हूं कि जो हमारे भण्डारण के लिये जो हमारे अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि जो रजिस्ट्रेशन हुए, संख्या के आधार पर अनुमान लगाया जाता है. अगर हम उस अनुमान के अनुरूप व्यवस्था नहीं करते और उतनी खरीदी हो गई होती, उसके जवाबदेह क्या विधायक जी होते? उस समय आप ही प्रश्न उठा रहे होते कि वह गल्ला भीग रहा है. हमने पूरा किसानों के हित का ध्यान रखा है और विधायक जी, आज यही कारण है कि प्रदेश में गेहूँ नहीं भीग रहा है और हमारा निर्माण...
इंजी.प्रदीप लारिया- माननीय अध्यक्ष जी, जब अनुमान लगाया था, किसान आप पर अविश्वास किया....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त. लारिया जी, आपका प्रश्न बिल्कुल अच्छा था. मंत्री जी, प्रश्नकाल जरूर समाप्त हो गया है, इस संबंध में लारिया जी आप मंत्री जी के साथ बैठ लें, चर्चा कर लें.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे.
नियम 267-क के अंतर्गत विषय.
12.03 बजे
बधाई.
एथलीट हेमा दास को विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त होने पर सदन द्वारा बधाई.
अध्यक्ष महोदय-- (माननीय मंत्री गण एवं अधिकारी दीर्घा के अधिकारियों से आपस में बात करने पर) माननीय मंत्री गण, कृपया ध्यान दें, अधिकारीगण भी कृपया अपनी कुर्सियों पर चले जाएँ. हमारे देश की 19 वर्षीय एथलीट हेमा दास ने मात्र 18 दिनों में पाँच स्वर्ण पदक जीत कर देश का मान-सम्मान और गौरव बढ़ाया है. (मेजों की थपथपाहट) इस नई “उड़न परी” ने विदेश में विभिन्न विश्व प्रतियोगिता में श्रेष्ठतम प्रदर्शन कर युवा वर्ग को विशेष कर महिलाओं को नई पहचान, खेल क्षेत्र में नई संभावनाएँ और नई ऊर्जा का सन्देश दिया है. उनकी इस उपलब्धि के लिए यह सदन उन्हें बहुत बहुत बधाई देता हूँ.
(मेजों की थपथपाहट)
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा(धार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि उसे कुछ सम्मान राशि भी अपने प्रदेश से दी जाए तो बेहतर रहेगा.
अध्यक्ष महोदय-- श्रीमती नीना विक्रम वर्मा, बोलिए.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यदि हम अपने प्रदेश से उसको कुछ सम्मान निधि दें तो मुझे ऐसा लगेगा कि, “ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और साथ में बेटियों को खिलाओ” ताकि हमारे देश का नाम विदेशों मे रोशन कर सकें तो मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि उसके लिए कुछ सम्मान निधि की अभी घोषणा करें तो बेहतर होगा.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. श्री संजय यादव, बोलिए.
श्री संजय यादव(बरगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें इसे प्रोत्साहन देने के लिए और खास कर महिला तथा बच्ची वर्ग के लिए आपको मध्यप्रदेश की तरफ से सम्मान निधि देना चाहिए ताकि प्रदेश में हमारा एक सन्देश जा सके कि प्रदेश की महिलाओं के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मान निधि तो अवश्य देना चाहिए. इसमें कोई शक नहीं है, महिला है और अपने प्रदेश को गौरवान्वित किया, तो इस पर कार्यवाही हम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष जी.....
अध्यक्ष महोदय-- अरे भाई, एकदम इतने उतावले तो न हों, जरा धीरज तो रखिए. मैं अकेला हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- मुझे शून्यकाल में एक मामला उठाना था.
एक माननीय सदस्य-- अध्यक्ष महोदय, मेरे यहाँ की एक बेटी ने भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में पदक जीता है.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
12.04 बजे
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस प्रशासन का एक और चेहरा सामने आया, एक अमानवीय कृत्य सामने आया है. अध्यक्ष महोदय, कल बीना में एक नाबालिग छात्र के साथ अमानवीय कृत्य करते हुए इतना पीटा कि उस छात्र को सागर रेफर किया गया. माननीय मुख्यमंत्री जी यहाँ विराजित हैं, गृह मंत्री जी विराजित हैं. अगर वास्तव में पुलिस प्रशासन ने इस प्रकार से कोई कृत्य किया है और एक नाबालिग छात्र की दर्दनाक पिटाई की गई है कि उसको रेफर करना पड़ा. मैं आपसे अनुरोध करुंगा कि इस पर कार्यवाही करने का कष्ट करें.
श्री प्रणय पाण्डे (अनुपस्थित)
श्री विजयपाल सिंह (सोहागपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन था कि मैंने भी ध्यानाकर्षण की सूचना दी थी. 52 सूचनाएं आपने ली हैं एक और ले लेते तो 53 हो जातीं तो बहुत अच्छा होता. उसको लिया नहीं गया है. मेरा बहुत गंभीर मामला था.
अध्यक्ष महोदय-- ले लेंगे, विराजिए.
श्री विजयपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री सुनील सराफ (कोतमा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि मेरा एक ध्यानाकर्षण था, बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा था. मेरा निवेदन है उसे भी ले लीजिए.
अध्यक्ष महोदय--बीच में टोका-टाकी मत करिए, बैठिए.
12.06 बजे ध्यान आकर्षण
(1) शासन द्वारा निजी विमान एवं हेलीकाप्टर किराये से लिये जाने में अनियमितता की जाना
सर्वश्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव(बदनावर) (कुणाल चौधरी, विनय सक्सेना)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
विमानन मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय विधायक जी का जो ध्यानाकर्षण है उसके जवाब में मैं कहना चाहता हूँ कि
श्री राजवर्धन प्रेमसिंह ''दत्तीगांव''-- अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूं कि यह एक बड़ा विमान घोटाला है. इसके जवाब में मंत्री जी ने जो कहा है, उन्होंने एक अवधि बताई है कि वह अवधि तकरीबन वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2018 तक बताई है कि उस अवधि के दौरान किराए के चार्टर्ड पर 42.08 करोड़ रुपया व्यय हुआ और इसी अवधि के दौरान हमारे पास जो इन्होंने एयरक्राफ्ट बताए हैं, हेलीकॉप्टर बताए हैं उस पर इन्होंने जो अलग-अलग व्यय किया है वह बी-200 पर तकरीबन तीन करोड़ अड़तालीस लाख. इन्होंने दूसरे हेलीकॉप्टर सिंगल इंजन पर व्यय किया है चार करोड़ दस लाख अंठानवे हजार और जो मल्टीइंजन है उस पर मात्र पचास हजार खर्च किया है. इन्होंने इनके जवाब में यह भी कहा है कि क्योंकि एक हेलीकॉप्टर ग्राउंडेड था.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से तीन अलग-अलग प्रश्न पूछूंगा. एक तो यह कि यह ग्राउन्डेड क्यों था. मेरे संज्ञान में आया है कि डी.जी. से गाइडलाइन में यह कहा गया था कि जो व्ही.आई.पी. होते हैं उनको सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्टर में उड़ान लेने से मना करते हैं तो इन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री उड़े ही नहीं तो क्या सिर्फ मुख्यमंत्री ही व्ही.आई.पी. की परिधि में आते हैं. मेरे ख्याल से व्ही.आई.पी. की परिभाषा है. Cabinets Ministers of central government also Cabinets Ministers of the state government. तो जब आपने एक तरफ जो हमारे डायरेक्टर बताए गए हैं इन्होंने सेठी जी जो वर्ष 2016 से बेमतलब वेतन ले रहे हैं, फिट भी नहीं हैं. उन्होंने इमीजियेटली उस वक्त यह डिसअलाऊ क्यों नहीं किया कि जो व्ही.आई.पी. की परिभाषा है उसमें सभी आते हैं. क्या मुख्यमंत्री की जान बाकी मंत्रियों से सुषमा स्वराज जी से, रामपाल सिंह जी से अन्य मंत्रियों से ज्यादा कीमती थी? क्या उनकी जान जान नहीं थी? यह जो ग्राउंड हुआ आप देखिए मैं यह इसलिए कह रहा हूं कि 42.2 करोड़ और उस वक्त इसकी कीमत क्या थी हमने कब कितनी वेल्यू में खरीदा था. मेरे संज्ञान में है कि जब यह हेलीकॉप्टर खरीदा गया था तो करीब 20.3 करोड़ रुपए इसकी कीमत हुई थी. जब इंस्ट्रक्शन आ गए कि यह व्ही.आई.पीज़. के लिए फिट नहीं हैं उस वक्त बाजार का मूल्य मैं गलत हूं तो आप मुझे करेक्ट कर दें इसका मूल्य तकरीबन 11 करोड़ रुपए आंका गया था. उस वक्त जब इनको पता लग गया था कि यह उपयोग में नहीं आएगा उसी वक्त यदि यह नया एयरक्राफ्ट खरीद लेते तो उसकी कीमत करीब पचास करोड़ आती. आज हम नया एयरक्राफ्ट खरीदने जा रहे हैं तो उसकी लागत करीब 100 करोड़ रुपए आ रही है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछिए.
श्री राजवर्धन प्रेमसिंह ''दत्तीगांव''-- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रश्न पूछ रहा हूं परंतु यह जानकारी देना भी आवश्यक है तो अगर सी.ए.जी वगैरह कोई रिपोर्ट देता तो इसमें हमें 11 करोड़ रुपया मिलता, 42 करोड़ रुपया हमने खर्च कर दिया. इतने में तो हमारा नया एयरक्राफ्ट आ जाता और आज हमें 100 करोड़ रुपए में एयरक्राफ्ट खरीदना पडे़गा. इनकी अदूरदर्शिता से, अनिर्णय से राज्य सरकार को करीब 60 करोड़ का नुकसान हुआ है. मेरा प्रश्न मंत्री जी से यह है कि यह एयरक्राफ्ट उस वक्त क्यों नहीं बेचा गया जब बेचा जाना था और क्यों डी.जी.सी.ए. की गाइडलाइन के बावजूद आपने बाकी लोगों को उसमें फ्लाइंग का अलाऊ किया. इतने समय तक जो आपने यह 42.8 करोड़ का वेस्टफुल एक्सपेंडेचर किया है इसका जवाबदेह कौन है? इसका उत्तरदायित्व किस पर जाता है? यह मेरा पहला प्रश्न है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूं कि यह प्रश्न ऐसे व्यक्तियों और ऐसे विभाग से जुड़ा हुआ है जिसके बारे में हम बहुत ज्यादा चर्चा इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि यह VIP व्यक्तियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है. हमारे सामने आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री राजशेखर रेड्डी जी का उदाहरण है. बहुत पहले के यदि हम उदाहरण देखें तो संजय गांधी जी से लेकर और भी इसी प्रकार के कई उदाहरण हैं. इसलिए इस विषय को यहां बहुत ज्यादा चर्चित न बनाया जाये क्योंकि यदि हम छोटी-छोटी खामियां निकालेंगे तो ठीक नहीं होगा. एयरक्राफ्ट खरीदी या किराये से लेने में महीनों लग जाते हैं, वर्षों लग जाते हैं और इस कारण से VIP व्यक्तियों की सुरक्षा में जो लापरवाही होती है तो फिर बाद में बड़ी दुखदायी स्थिति हो जाती है. इसलिए मैं मानकर चलता हूं कि इस विषय को बहुत ज्यादा न फैलाया जाए.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय अध्यक्ष महोदय, शायद नेता प्रतिपक्ष जी इस विषय को समझ नहीं पाये है. इसमें बड़ा स्पष्ट है कि आपने एक हेलीकॉप्टर खड़ा रखा, आपने दूसरा हेलीकॉप्टर एक्सीडेंटल होने के बाद भी नहीं बेचा. आपने एक एयरक्राफ्ट जो आज 21 साल का हो गया है, एक हेलीकॉप्टर जिसकी 20 साल बाद स्क्रैप वैल्यू है, वह पड़ा रहा. क्या शासन की राशि इन्हें खरीदने में नहीं लगी ? आपने बेमतलब में किराये पर लगभग 42 करोड़ बर्बाद कर दिए. क्या शासन-प्रशासन का यह उत्तरदायित्व नहीं है कि वह जनता को बताये कि आपकी अक्षमता की वजह से हमारे प्रदेश की जनता का पैसा बर्बाद गया, जनता इसे क्यों भरे ? आप एक ऐसे डायरेक्टर को तनख्वाह देते रहे, जो अयोग्य है, फिट नहीं है फ्लाय नहीं कर सकता, पद के योग्य ही नहीं है.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह प्रश्न अविलंबनीय लोक महत्व का विषय है ? तीन सत्र इसके पहले निकल चुके हैं और अब माननीय सदस्य को यह अविलंबनीय लोक महत्व का विषय लग रहा है.
श्री पी.सी. शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि अभी विधायक जी ने पूछा, निश्चित तौर पर दिनांक 21.3.2009, 14.02.2018 एवं 12.10.2018 को अतिविशिष्ट व्यक्तियों की उड़ान हेतु और सुरक्षा के दृष्टिकोण से सिंगल ईंजन के हेलीकॉप्टर के उपयोग पर भारत शासन के गृह मंत्रालय द्वारा आदेशित कर प्रतिबंध लगाया गया था. बेल-407 हेलीकॉप्टर उसी केटेगरी में आता है. इसलिए इसे विक्रय करने की प्रक्रिया अभी प्रारंभ की गई है. इसमें हमें कुछ ऑफर भी आये हैं और यह प्रक्रिया चल रही है. जैसा कि सदस्य ने कहा कि अतिविशिष्ट में सभी लोग आते हैं तो निश्चित तौर पर श्रीमती सुषमा स्वराज जी ने वर्ष 2016 में इस हेलीकॉप्टर में 4 बार यात्रा की, मैं समझता हूं कि निश्चित तौर पर उन्हें उस हेलीकॉप्टर में यात्रा नहीं करनी चाहिए थी.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जवाब मंत्री जी ने अभी तक पूरी तरह से नहीं दिया. मैंने मंत्री जी से बड़े स्पष्ट रूप से पूछा था. मैंने तीनों एयरक्राफ्टस् के बारे में कहा था. मैंने मंत्री जी के जवाब को पढ़कर बताया. मैंने यह कहा कि जिस समय आपका वह एयरक्राफ्ट ग्राउण्ड हुआ, उस वक्त उसका बाजार मूल्य लगभग 11 करोड़ था. आज हम एयरक्राफ्ट खरीदने जा रहे हैं तो उसकी कीमत 100 करोड़ है. उस वक्त हमने दो गलतियां की. एक तो यह कि जब वह हेलीकॉप्टर VIP व्यक्तियों के लिए अनुपयोगी हो गया था तो उसे तत्काल क्यों नहीं बेचा और दूसरा यह किया उस हेलीकॉप्टर को ग्राउण्ड कर, हमने किराये पर करीब 42 करोड़ रुपया खर्च किया. यह करीब 50 करोड़ रुपया हो जाता जिसमें हमारा नया एयरक्राफ्ट आ जाता. इसका उत्तरदायित्व किस पर है ? मंत्री जी पहले इसका जवाब दे दें फिर मैं अगला प्रश्न करूं.
श्री पी.सी. शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी जो कह रहे हैं वह सही कह रहे हैं और निश्चित तौर पर शासन को इससे नुकसान हुआ है. वर्ष 2016-17 में इसे बेचने का प्रयास किया गया था लेकिन इस हेतु निविदायें नहीं आयीं. निश्चित तौर पर विधायक जी का कहना सही है कि इन 50-60 करोड़ रुपयों में उस समय यदि प्रयत्न किया जाता तो हेलीकॉप्टर क्या नया प्लेन भी आ सकता था और उस हेलीकॉप्टर को यदि बेच दिया जाता तो दूसरा हेलीकॉप्टर भी लिया जा सकता था. मैं यह समझता हूं कि एक हेलीकॉप्टर ईसी 155 बी-1 जो वर्तमान में राज्य शासन के पास है, किसी वजह से उसे विक्रय करने का प्रयास ठीक से नहीं हुआ, यह होना था लेकिन नहीं हुआ.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अभी भी मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि इन्होंने इस विषय में किसी की जवाबदेही नहीं बताई है लेकिन फिर भी मैं दूसरा प्रश्न कर रहा हूं.
डॉ. सीतासरन शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह क्या है ? आप कितने प्रश्न लेंगे ? क्या इस तरह से विधान सभा चलेगी ?
अध्यक्ष महोदय- शर्मा जी, प्रश्न-उत्तर चल रहा है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- शर्मा जी, आप शायद विषय नहीं समझ पाये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या मैं अपना दूसरा प्रश्न कर लूं क्योंकि इसमें शर्मा जी का तो नाम भी नहीं है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य के प्रश्न का जवाब नहीं मिल पा रहा है और शर्मा जी उन्हें बीच में रोक रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा:- अध्यक्ष जी, एक ही सदस्य को कितना मौका दिया जायेगा.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव:- मेरे तीन सवाल तो पूछूंगा कि नहीं पूछूंगा.
कुणाल चौधरी:- अध्यक्ष जी, मेरा भी सवाल है, मेरा भी इस पर ध्यानाकर्षण लगा है. मुझे भी सवाल करना है.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठिये. व्यवस्था मैं दे रहा हूं. इसमें मेरे पास ध्यानाकर्षण की चार सूचनाएं आयी थीं. यह आपको जानकारी दे रहा हूं, आपका आखिरी प्रश्न करिये. इसके बाद दूसरे विधायकों को प्रश्न करने का मौका दूंगा.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव:- अध्यक्ष्ा जी, मैं फिर एक ही प्रश्न में सारी बातें कह देता हूं कि मंत्री जी सम्पूर्ण जवाब सदन को देने की कृपा करें. मंत्री जी ने अपने जवाब में बताया है और इसमें एक अनन्त सेठी नाम के व्यक्ति का जिक्र किया है, जो मेरे संज्ञान में डायरेक्टर कम चीफ पॉयलेट, जो अनफिट हैं. दूसरा इन्होंने कहा है कि हमने केबिनेट में एक डिसीज़न लिया था कि उस एयर क्राफ्ट को बेचकर जेट क्राफ्ट लेने का प्रयास किया. एक तो हमारे पास नाईट लेंडिंग की सुविधा नहीं है. एक हमारे पास एयर-स्ट्रिप्स ही नहीं हैं, उस जेट को लेंडिग कराने के लिये. दूसरा एक ऐसा अक्षम व्यक्ति उस पद पर बैठा रहा, जो उसका पात्र नहीं है. एक तो मैं चाहता हूं आप उसको तत्काल उठायें और उसकी जवाबदारी तय करें. क्योंकि वही डायरेक्टर था. डेफिनेटली उसकी एकाउंटिबिलिटी होती है, उन सभी चीजों के प्रति. मैं आपके माध्यम से यह भी जानना चाहूंगा कि जो हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री जी हैं. जब से इनका कार्यकाल प्रारंभ हुआ है तो इन्होंने कितनी फ्लाईट्स ली और उन फ्लाईट्स पर कितना खर्चा हुआ ? उनमें से कितना इन्होंने निजी वहन किया और कितना सरकार ने खर्चा वहन किया, मैं इनका कम्पेरिज़न चाहता हूं.
श्री पी.सी.शर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय,..
श्री भूपेन्द्र सिंह:- अध्यक्ष जी, इसमें चाय-कॉफी का भी हिसाब ले लें, कि इसमें चाय-काफी कितनी लगी. यह क्या है, यह सदन चल रहा है. अब कार पर चर्चा होगी. कार में कितनी बार गये..(व्यवधान) कितनी बार टॉयलेट गये. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, अपना जवाब दें. (व्यवधान)
श्री संजय शर्मा:-पूरा जवाब जाना चाहिये और सदन को जानकारी मिलना चाहिये. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष महोदय, इस पूरे ध्यानाकर्षण में विषय-वस्तु....
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव:- वह सेठी जो र्फ्लाइंग के लिये अनफिट है... (व्यवधान) 50 करोड़ रूपये नुकसान किया है, पिछली सरकार ने. आप उसको तनख्वाह दे रहे हैं.
श्री पी.सी. शर्मा:- अध्यक्ष महोदय, सदस्य ने एक तो सवाल पूछा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री जी ने 6-7 महीने में कितनी यात्राएं की हैं तो मैं बताना चाहता हूं कि जो हेलिकॉप्टर हायर किये गये, उसमें हवाई यात्राएं और हेलिकॉप्टर यात्राएं की हैं उस पर 45 लाख रूपये का भुगतान सरकार ने किया गया है और 50 लाख रूपये का भुगतान पेंडिंग है. (व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह:- आप यह भी बताओ कि कितनी चाय-कॉफी पी, नियम में थी या नहीं. क्या यह सदन में चॉय कॉफी पर चर्चा होगी ?
श्री पी.सी. शर्मा:- भूपेन्द्र सिंह जी, आप मेरी पूरी बात सुन लो.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव:- अभी आप समझ जायेंगे कि मेरे प्रश्न करने का क्या कारण था. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, आप अपना जवाब दो ना.
श्री पी.सी. शर्मा:- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि आपने जो बाकी पूछा है, इसमें जो भी गड़बड़ हुई है, इसकी पूरी जांच करायी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय:- बस चलिये. कुणाल चौधरी प्रश्न करिये.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव:- अध्यक्ष मेरा प्रश्न इसलिये है कि एक तो उन्होंने सेठी जी को हटाने को नहीं कहा है. उनको हटाया जाना चाहिये.
श्री पी.सी. शर्मा:- उनको हटाया जायेगा, माननीय विधायक जी.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव:- मैं इस सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि हमारे मुख्यमंत्री ने अपने खुद के अपने एयर क्राफ्ट से, खुद के निजी व्यय पर यात्रा की है और जो शासकीय थी, जबकि वह पात्र थे. (व्यवधान) जबकि इन लोगों ने 42 करोड़ रूपये का भुगतान किया. उस सेठी को रखा जो अपात्र था. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- अब आप बैठ जाइये, कुणाल चौधरी जी अपना प्रश्न करें.
श्री कुणाल चौधरी:- अध्यक्ष जी, ...
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--यह किसी गरीब और किसान पुत्र मुख्यमंत्री जी पूर्व मुख्यमंत्री रहे और एक उद्योगपति के बीच में जो मजाक उड़ाया जा रहा है, यह जो विषय बनाया जा रहा है. (व्यवधान) किसी किसान के बेटे का ऐसा मजाक उड़ाया जायेगा. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सभी अपना स्थान ग्रहण करें. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--एक मध्यमवर्गीय परिवार से आये व्यक्ति यदि वह अफोर्ड नहीं कर सकते तथा उनकी क्षमता नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी पूंजीपति हैं तो हम इसमें क्या कर सकते हैं ?(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सदन के नेता खड़े हैं. नेता प्रतिपक्ष जी मैं आपको पुकार रहा हूं. जो कोई भी बोलेगे नहीं लिखा जायेगा. यह एक परम्परा है कि जब नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं तो आप सब लोग खड़े हो जाते हैं, यह आपको ही पालन करना है. अगर सदन का नेता खड़ा होता है. तो हम सबको बैठ जाना चाहिये. जब मैं खड़ा होता हैं तब भी सबको बैठ जाना चाहिये. चलिये नेता जी.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--माननीय अध्यक्ष जी, विस्तार से बोलने का इस सदन में मुझे मौका नहीं मिला, क्योंकि मैं जब इस सदन में पहली दफे आया तब मैं इस सदन का सदस्य नहीं था. मैं यह मानता था कि मुझे बोलने का अधिकार तभी होगा जब मैं इस सदन का सदस्य चुना जाऊंगा. जब मैं इस सदन का सदस्य चुना गया. मैंने सोचा कि जब शपथग्रहण करेंगे उस दिन भी मैं कुछ बातें रखूंगा, पर क्योंकि कार्यवाही ऐसी थी कि मुझे शपथ आपके कार्यालय में ही लेनी पड़ी, वह मौका भी नहीं मिला. अभी मैं यह बात सुन रहा था, ऐसा मौका नहीं चाहता था, क्योंकि दुःख और वेदना के साथ मुझे खड़ा होना पड़ा. मेरे 45 साल के राजनैतिक जीवन में मेरे ऊपर कोई उंगली नहीं उठा सका. आप सब बैठे हैं. 15 साल भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही. कांग्रेस की भी सरकार रही. किसी ने मुझ पर कोई उंगली नहीं उठाई और इन 45 सालों में मैं पर्यावरण मंत्री रहा, विभिन्न विभागों का मंत्री रहा. मैं लगभग 40 साल संसद का सदस्य रहा. एक स्वच्छ राजनीति कर एक उदाहरण बनने का मैंने प्रयास किया. मैं जब पर्यावरण मंत्री था तब मुझे चिन्ता थी अपने प्रदेश की आज आप भोपाल की लेक देखते हैं 1991 में 1992 में मैंने अपने मंत्रालय से पैसे भेजे कि लेक साफ की जाए, तब लेक सुधरी, यह सड़क बनायी जाये. यह तो रिकार्ड की बात है. जब मैं वाणिज्य मंत्री बना. मैंने मध्यप्रदेश के किसानों के लिये व्यापार संगठन में डब्ल्यू. टी.ओ. में लड़ाई की, मुझे शैतान बुलाया गया कि यह शैतान मंत्री हैं, क्योंकि मैंने डब्ल्यू.टी.ओ. का समझौता नहीं होने दिया कि मेरे सामने उस किसान का चेहरा था, हमारे मध्यप्रदेश के किसान का चेहरा था. मैंने अमेरिका को कहा था और मैं यह रिकार्ड में कहना चाहता हूं कि मैं यहां अपने देश का नेतृत्व करता हूं, पर सबसे पहले अपने देश के किसानों का नेतृत्व करता हूं. जब मैं परिवहन मंत्री बना. माननीय शिवराज जी बैठे हैं. यह गवाह हैं कि इन्होंने तो खुद पब्लिकली मुझे धन्यवाद दिया. सबसे ज्यादा जो पैसा हो सकता था, मैंने नियम बदला कि मध्यप्रदेश को सबसे ज्यादा पैसा मिले और मध्यप्रदॆश को सबसे ज्यादा पैसा मिला. मैं आभारी हूं कि माननीय शिवराज सिंह जी ने ही जहां तक मुझे जानकारी है कि सदन में भी यह बात कही. यह मेरा कर्तव्य था, मैं कोई एहसान नहीं कर रहा था, यह मेरी सोच थी कि जितनी हम मध्यप्रदेश की मदद कर सकते हैं मुझे करनी चाहिये केन्द्र में बैठकर. उसके बाद जब मैं शहरी विकास मंत्री बना तब सबसे ज्यादा पैसा यह रिकार्ड की बात है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी क्षमा करें कि यह ध्यानाकर्षण में कहां से आ गया.
श्री कमलनाथ--अध्यक्ष महोदय, गोपाल भार्गव जी मैं इसी ध्यानाकर्षण पर आ रहा हूं. आपको परेशानी नहीं होनी चाहिये मुझे यह कहते हुए. मैं सोच रहा था कि यह कहना आवश्यक है. जब मैं शहरी विकास मंत्री बना, उस समय भी सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश को पैसा मिला. यह मेट्रो की बात चली माननीय बाबूलाल जी गौर आते थे, माननीय शिवराज जी से भी चर्चा होती थी, कितनी दफे चर्चा हुई, हम कितनी दफे मांग करते थे और कहते थे कि हमें यह करना है और हम इसमें सहमति बनाते थे. जो हो सकता था किया. किसी ने मुझ पर कोई उंगली मेरे राजनीतिक जीवन में नहीं उठाई. कल सुबह मेरे ध्यान में एक ध्यान आकर्षण लाया गया, जिसमें सीधे आरोप मुझ पर लगाया है, किस विषय पर, जिस विषय पर यह ध्यान आकर्षण है. जिसमें यह कहा गया है कि राज्य सरकार प्लेन और हैलीकाप्टर बेचना चाह रही है, क्योंकि कमलनाथ की, यह नहीं कहा कि कमलनाथ की है, उनने कंपनी का नाम दिया है, स्वीकार करता हूं यह कंपनी मेरे परिवार की है, उनसे किराए पर लेती है. मैं तो सदन को बताना चाहता हूं, आज तक, आज तक शिवराज सिंह जी आपके मंत्री मंडल के बहुत सारे पूर्व सदस्य यहां बैठे हैं. आज तक मेरी कोई कंपनी ने किराए पर कोई राशि मध्यप्रदेश सरकार से नहीं ली है, इन 15 सालों में (...मेजों की थपथपाहट) मुझसे अधिकारी मांगते थे, जब शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री थे, जब इनको जहाज नहीं मिलता था, कि अपना जहाज किराए पर दे दों, मैं इंकार कर देता था कि नहीं, किसी न किसी दिन यह आरोप लगेगा कि कोई भी सरकार हो, यह किराए पर लिया गया. आज तक ये एक पैसा मध्यप्रदेश सरकार ने मेरी कोई मेरी कंपनी को नहीं दिया. यह ध्यान आकर्षण क्या कहता है? कि यह कंपनी है स्पेन और मुख्यमंत्री आदेश दिया है कि हैलीकाप्टर और प्लेन बेच दो, प्लेन बेचने का फैसला तो पिछली सरकार ने केबीनेट में किया था. मैंने नहीं किया था, सही किया था, फैसला इनका बिलकुल सही था पर यह आरोप जो लगा रहे हैं, कि बेचने का क्योंकि किराए पर उस कंपनी से शेयर लिया जाएगा, यह आरोप लगा रहे हैं. इस संदर्भ में, ये इससे मुझे बहुत दु:ख हुआ कि ऐसी बात करना जिसका न सिर न पैर, ये ध्यान आकर्षण मेरे सामने और मैं इसको आप चाहे मैं पढ़ना चाहता हूं, मैं पढूंगा नहीं. पर मोटी बात है कि हैलीकाप्टर बेच रहे हैं, क्योंकि यह है स्पेन कमलनाथ की कंपनी, मुख्यमंत्री बेचना चाह रहे हैं, उन्होंने यह नहीं कहा, पर सीधा इशारा तो मुझ पर है. मैं तो एक बात और स्पष्ट करना चाहता हूं, 15 साल आज के विपक्ष की सरकार रहीं. एक मंत्री को मैंने कभी निजी काम के लिए, किसी ठेकेदार के लिए, किसी की सहायता के लिए कभी नहीं कहा, कभी फोन नहीं किया, कभी चर्चा नहीं की, जितने भी मंत्री बैठे हैं, ये गवाह हैं. कितनी दफे मैं बात करता था, मंत्रियों से पर मैंने आज तक न फोन पर न, मिलकर कभी बात करी, न कोई निवेदन किया. हां निवेदन किया मैंने छिन्वाड़ा के लिए किया, छिन्दवाड़ा के विकास के लिए निवेदन किया, पर मैंने कभी किसी निजी काम के लिए, किसी के लिए, किसी ठेकेदार के लिए, किसी ट्रांसफर के लिए, किसी पोस्टिंग के लिए मैंने कभी बात नहीं की, इन 15 सालों में (...मेजों की थपथपाहट) और इसीलिए मुझे इस बात का कल दु:ख हुआ कि ये इस प्रकार का आरोप आज यह ध्यान आकर्षण के मामले में ये ला रहे हैं, तो चलिए मैदान में आना है, मैं भी तैयार हूं (...मेजों की थपथपाहट) और शुरू से यह सरकार जा रही है, ये सरकार जाने वाली है. कल ही मैं अखबार में पढ़ रहा था, कुछ दिनों की सरकार है. मैं स्पष्ट कर दूं, किसी प्रकार का भी प्रलोभन, जो यहां बैठे हैं, ये बिकाऊ नहीं है. (...मेजों की थपथपाहट) और हमारी सरकार केवल 5 साल ही नहीं चलेगी, बड़े दम से चलेगी, मध्यप्रदेश का एक नया विकास बनाकर रहेगी. (...मेजों की थपथपाहट)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक निवेदन करना चाहता हूं. इस ध्यान आकर्षण में जो यह बात की गई, मुख्यमंत्री जी की अपनी तकलीफ हैं, उन्होंने अपनी व्यथा व्यथित होकर बताई,लेकिन मैं भी यह कहना चाहता हूँ कि हर चीज को विषय बनाना कि किसने, कितने घण्टे हवाई यात्रा की, कार्यप्रणाली में अन्तर हो सकता है. अब अगर कहीं ओले गिर जाएं, कहीं प्राकृतिक आपदा आ जाए, कहीं कोई कष्ट और तकलीफ हो जाए. माननीय मुख्यमंत्री जी की अपनी स्टाइल है, वे नहीं जाते हैं. लेकिन मैं दौड़ता था, जाता था. अब मैं जाऊँगा तो हेलीकॉप्टर की जरूरत पड़ेगी. (मेजों की थपथपाहट) लेकिन मुख्यमंत्री जी को हमने बहुत आदर के साथ (...व्यवधान...) यह ठीक नहीं है.
(...व्यवधान...)
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - अध्यक्ष महोदय, कमलनाथ जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद कहीं ओले नहीं पड़े.
खेल और युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - अध्यक्ष महोदय, आप कहते हो कि मैं अच्छा (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाएं.
एक माननीय महोदय - बीजेपी के समय ही ओले पड़ते थे.
अध्यक्ष महोदय - मैं किसी को परमिट नहीं कर रहा हूँ. मैं सिर्फ शिवराज जी को परमिट कर रहा हूँ. आप लोग बैठ जाइये. (...व्यवधान...)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, आप लोगों ने मुख्यमंत्री जी की बात गौर से सुनी एवं किसी भी सदस्य ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया एवं हमने मुख्यमंत्री जी की प्रत्येक बात को गौर से सुना. अब अध्यक्ष महोदय (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - मैं केवल शिवराज जी को परमिट कर रहा हूँ. आप लोग बैठ जाइये.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष जी, बिल्कुल सही है. शिवराज जी आपकी जो भाषा थी, शैली थी, उसका भाव सही नहीं था.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - अध्यक्ष महोदय, यह स्टाइल शब्द को विलोपित किया जाये.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आरोप पहले उधर से लगा है. आरोप उधर से लगता है और जब उनकी बात की कलई खुल ही जाती है तो वे तिलमिला जाते हैं. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये.
श्री सुखदेव पांसे - तो हमारे मुख्यमंत्री पर कुछ भी आरोप लगाते हैं. (...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी - हमारे वरिष्ठ विधायक हैं. ये उन पर आरोप लगा रहे हैं. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(12.37 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
12.45 बजे
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय -- अगर आप सभी मेरी बात सुनेंगे तो मैं बोलूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- मेरी बात अगर आप सभी सुनें तो, मैं बोलूं.कृपया आप सभी बैठ जायें. माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी आप बोलें.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट मेरा एक व्यवस्था का प्रश्न सुन लें. मैं बहुत विनयपूर्वक आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि एक ऐसी परंपरा जो अभी शून्यकाल में मुख्यमंत्री जी ने पढ़ी है. अध्यक्ष महोदय, हम लोगों के आग्रह पर आज आपने चर्चा के लिये छ: ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लिये हैं और हम पहले ध्यानाकर्षण पर ही चल रहे हैं और मुख्यमंत्री जी ने अपना उत्तर दे दिया है. मैं सिर्फ आपसे एक व्यवस्था चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी ने किसी एक ध्यानाकर्षण के बारे में जो एजेंडे में नहीं है, जो आपके सचिवालय ने स्वीकृत नहीं किया है. आपके सचिवालय ने उसको स्वीकृत नहीं किया है और आज की कार्यसूची में वह नहीं है. मैं सिर्फ इतना ही जानना चाहता हूं और आपसे व्यवस्था चाहता हूं कि एक्स एजेंडा विषय पर जो कभी दिया गया हो, किसी सदस्य के द्वारा दिया गया हो, क्या इस प्रकार की चर्चा हो सकती है ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं उस पर चर्चा नहीं हो रही है, आप बैठ जायें.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने जो बातें कहीं हैं, मैं उस संबंध में इतना ही कहना चाह रहा हूं कि जहां तक सरकारे आने जाने का सवाल है तो यह तो आती जाती रहती हैं, लेकिन मुख्यमंत्री जी मैं आपसे इतना निवेदन करना चाहता हूं कि मैंने इस बारे में अभी कोई प्रयास नहीं किया है और न ही मैं इस प्रकार उस पर विश्वास करता हूं, लेकिन मैं आपसे ऐसा भी नहीं कहना चाहता हूं मैं तो आपसे फिर कहना चाहता हूं कि यदि हमारे ऊपर से नंबर वन और नंबर टू का आदेश हुआ तो एक दिन भी, 24 घण्टा भी नहीं लगेगा आपकी सरकार......(व्यवधान)...
खेल एवं युवा कल्याण एवं उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जितू पटवारी) -- (जोर-जोर से) आप तो आदेश ले लीजिये, आप आदेश ले लो. ......(व्यवधान)...
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लगता है कि इनके नंबर वन और नंबर टू ज्यादा समझदार हैं, वह यहां की हकीकत जानते हैं (मेजों की थपथपाहट) और अगर इसमें इन्हें कोई शक हो तो मैं तो चाहूंगा कि यह आज ही अविश्वास प्रस्ताव मूव कर लें, हम राजी हैं. (मेजों की थपथपाहट)......(व्यवधान)...
वित्तमंत्री( श्री तरूण भनोत) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नंबर वन और नंबर टू कौन हैं ? ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- (कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने आसन पर खड़े होने पर) अब आप सभी बैठ जायें. (श्री तरूण भनोत जी की ओर देखकर) लक्ष्मी नारायण जी बैठ जायें. (श्री प्रियव्रत सिंह की ओर देखकर) बिजली बैठ जायें. ....(व्यवधान)...
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (श्री सुखदेव पांसे) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नंबर और दो नंबर कौन है, उसका उल्लेख किया जाये ?....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें. (श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल की ओर देखकर) यहां पर कोई खनन न करें. (श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल की ओर देखकर) यहां पर एनवीडीए न बहायें. ....(व्यवधान)...मेरे बिना कहे अगर कोई खड़ा होता है तो मुझे अच्छा नहीं लगता है, क्योंकि यहां की खबरें बाहर जाती हैं. मंत्रीगण जरा आप लोग ध्यान रखें कि कब टोकना चाहिये, कब नहीं टोकना चाहिये ? (श्री सचिन सुभाष चन्द्र यादव की ओर देखकर) आप लोग कैसा कर रहे हैं. देखिये नेताजी को जो बोलना था उन्होने बोल दिया है. आप सभी सदन को अच्छे से चलने दीजिये. श्री शिवराज सिंह चौहान जी आप बोलें. (पुन: कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने-अपने आसन पर खड़े होने पर) अरे भाई आप सभी बैठ जायें, यह आपका तरीका ठीक नहीं है. ....(व्यवधान).. नहीं मैं आपको परमिट नहीं कर सकता हूं, आप बैठ जायें. ....(व्यवधान)...
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहते हैं कि हम खरोद-फरोख्त करेंगे, इन्होंने यह बात सीधे सदन में कही है, इस प्रकार जब खरीद पर बिकने की बात सदन में हुई है तो यह प्रश्न उठता है, यह प्रश्न क्यों नहीं उठेगा, आप बतायें ? ....(व्यवधान)...
विधि एंव विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) -- यहां सरेआम खरीद फरोख्त की बात हो रही है. ....(व्यवधान)...
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री( श्री सचिन सुभाष चन्द्र यादव ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कौन सा तरीका है ....(व्यवधान)...
संस्कृति एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री(डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक नंबर और दो नंबर क्या है ?....(व्यवधान)...
ऊर्जा मंत्री(श्री प्रियव्रत सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष में अगर ताकत हो तो खुलासा करें... ....(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार गिराने के सपने देख रहे हैं. इसमें तो रामबाई का स्टेटमेंट आना चाहिये. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मुझे एक चीज समझ में नहीं आ रही,...(व्यवधान)...अब प्रभु मैं क्या करूं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विपक्ष बोल रहा है कि अगर हमारे ऊपर का आदेश आ जाये तो दो मिनट में गिरा दें, तो मैं कहना चाहती हूं कि यह कमलनाथ जी की सरकार अंगद के पांव की तरह है...(मेजों की थपथपाहट)... चाहे आपका ऊपर का आदेश आये और चाहे उससे ऊपर का आदेश आये, कमलनाथ की सरकार न गिरने वाली है और न गिरेगी. ...(मेजों की थपथपाहट)... और ...(XXX)......(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य-- अध्यक्ष महोदय, यह तो निकालो. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- यह रिकार्ड से निकाल दें.
श्री हरिशंकर खटीक-- अध्यक्ष महोदय, अभी सज्जन सिंह मंत्री जी माननीय विधायक रामबाई जी के पास गये थे, उन्होंने कहा होगा कि ऐसा कहो. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप लोगों को अगर चर्चा करनी है, मैं अपने कमरे में चला जाता हूं. भाई यह तरीका ठीक नहीं, अब जब कोई स्थिति आप लोग समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, मैं खड़ा हूं, लेकिन इस तरफ ध्यान न देकर जिसको जो गेंदबाजी करनी है वह करे जा रहे हैं. मैं देख रहा हूं कि कौन स्पिन कर रहा है, कौन ऑफ स्पिन कर रहा है, कौन पटकी हुई गेंद कर रहा है. मैं झुक-झुक के बचने की कोशिश कर रहा हूं, कोई बम्पर भी फेंक रहा है. भाई इतने अच्छे से सब चीजें चल रही हैं, सब लोग विद्वान हैं, समझदार हैं. आप ही लोगों ने मिलकर मुझे यहां बिठाया है कि आप बैठिये, हम सब लोग विद्वान, बुद्धिमान नियमों का पालन करते हुये सुचारू रूप से हर चीज चलने देंगे और मैं वह कोशिश कर रहा हूं. जब मैंने शिवराज जी को पुकारा तो फिर किसी को नहीं उठना चाहिये था. जरा हम परिपाटियों को, मैं पुरानी परिपाटियों को लाना चाह रहा हूं कि उस समय अगर अर्जुन सिंह जी खड़े हो गये तो पटवा जी बैठ जाते थे, पटवा जी खड़े हो गये तो अर्जुन सिंह जी बैठ जाते थे. मैं वह परिपाटी लाने की कोशिश कर रहा हूं. हम उन पुरानी परम्पराओं पर तो आयें, ऐसा मेरा विचार है. जब सदन के नेता खड़े हों, जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हों हमको कुछ भाव भंगिता पर ध्यान देना चाहिये. अरे आप क्या कटीली बात करोगे जो तीखी बात पटवा जी करते थे, हां और जिसके ऊपर किताबें खुल जाती थीं, हमने वह समय भी देखा है, हम पहली-पहली बार चुनकर आये थे. शिवराज जी बोलिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मर्यादाओं का पालन करने वाला सदस्य हूं और इसलिये जब आप खड़े हुये मैंने सदैव कोशिश की कि मैं नीचे बैठ जाऊं. आज एक विषय उठा, सरकारें आती रहती हैं, जाती रहती हैं, आयेंगी, जायेंगी. लेकिन अगर ऐसे सवाल उठे कि कौन मुख्यमंत्री कितने घंटे हेलीकाप्टर में गया, कितनी हवाई यात्रायें कीं. मैं कह रहा था कि काम करने का अपना-अपना तरीका होता है. मेरा काम करने का तरीका था, कहीं मुझको लगता था कि कोई प्राकृतिक आपदा है, कोई कष्ट है, कोई परेशानी है तो माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता था कि मुझे दौड़ना चाहिये, मुझे जाना चाहिये, दुख बंटाना चाहिये, तकलीफें कम करना चाहिये और मेरी अपनी मान्यता थी कि आंखों देखी अलग होती है और कानों सुनी रिपोर्ट लेते हैं तो वह अलग होती है, यह अपने-अपने काम करने के तरीके होते हैं, मुझे उसमें ऐतराज नहीं है, किसको कौन सा तरीका अच्छा लगता है. अब हेलीकाप्टर राउंड होना चाहिये कि नहीं होना चाहिये. अब रेड्डी जी की, आपके भी मित्र थे माननीय मुख्यमंत्री जी, एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में उनकी दुखद मृत्यु हो गई, स्वर्गवास हो गया. उसके बाद यह व्यवस्था दी गई कि सिंगल इंजिन हेलीकाप्टर में मुख्यमंत्री नहीं जायेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, तब भी मैंने काफी कोशिश की कि कोई हेलीकाप्टर है तो मर थोड़ी जायेंगे. लेकिन इसके बाद अनुमति नहीं मिली. उसको ग्राउण्डेड करना पड़ा. जब कोई हेलिकाप्टर खराब होता था नहीं मिलता था तो किराये पर लेने की जरूरत भी पड़ती थी. मेरा निवेदन यह है कि आप जांच खूब कराएं, मुझे दिक्कत नहीं है लेकिन ऐसी-ऐसी चीजें निकालेंगे कि कौन कितने घंटे गया, कौन कितने घंटे में वहां पहुंचा, कितनी हेलिकाप्टर में चाय पी ? तो यह चर्चा के साथ अन्याय होगा. सरकार आपकी है. आप हर चीज की जांच कराईये. मुझे बिल्कुल इन्कार नहीं है लेकिन ऐसे ध्यानाकर्षण जो अविलंबनीय लोक महत्व के विषय नहीं होते, वे उठना और उस पर ऐेसे चर्चा होना, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि जब दौरों की जरूरत पड़ती थी तो दौरे किये जाते थे. यह मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर करेगा. आप जांच कराएं. कोई आपत्ति नहीं है लेकिन सदन में एक-एक मिनट क्या किया ? यह परंपरा उचित नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी, आप मुख्यमंत्री हैं प्रदेश के, आरोप लगेंगे. मैंने क्या झेला है मुख्यमंत्री रहते हुए, मैं जानता हूं. जिन चीजों से लेना देना नहीं था उन चीजों में मुझे और मेरे परिवार को कठघरे में खड़ा किया लेकिन हम भी सुनते रहे. बड़ा दिल तो करना पड़ेगा मुख्यमंत्री को. आरोप लगते हैं. इतने व्यथित कृपया करके मत होईये. दिल बड़ा कीजिये. जब इस पद पर हैं तो आरोप-प्रत्यारोप लगते रहेंगे और जहां तक आपने नैतिक बात कही, माननीय अध्यक्ष महोदय, रात में 2 बजे यह तय हुआ कि 114 कांग्रेस की और 109 बी.जे.पी. की हैं. रात में ही मैंने तय कर लिया था कोई दावा नहीं करना, कोई क्लेम नहीं करना. कांग्रेस को ज्यादा सीट मिली है सरकार बनाने का अधिकार उनका है. हम जब भी जोड़ा-तोड़ी की कोशिश कर सकते थे लेकिन सीधे मैं गया, मीडिया से बोला और इस्तीफा देकर वापस आ गया. अब यह सलाह देने वाले भी थे कि गिव-अप मत करो लेकिन मुझे लगा कि जिस पार्टी को ज्यादा नंबर मिला है वह अपनी सरकार चलाये लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी व्यथित मत होईये. सरकार अल्प मत की है तो यह तो कहा जाता रहेगा कि कब तक चलेगी, कब तक नहीं चलेगी. इस पर परेशान होने की जरूरत क्या है और इसलिये देखिये, किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं है तो यह सवाल उठते रहेंगे इस पर चिंता क्या करना. अपनी व्यवस्था मजबूत रखो. निश्चिंतता से सरकार चलाओ और नहीं है तो गिर जायेगी तो उसकी तैयारी रखो उसमें कौन सी परेशानी है. रोज बाहें चढ़ाकर कि गिरा लो, बचा लो, हम गिरा देंगे. मेरा यह कहना है कि आप खुद मन से मजबूत बनिये. अपनी सरकार चलाईये. नहीं चलेगी तो नहीं चलेगी इसमें कौन सी बड़ी बात है. यह व्यथित होने का विषय नहीं है और जहां तक राजनीतिक दांवपेंच का सवाल है यह आज से थोड़े ही मुख्यमंत्री जी चल रहा है. यह तो सतयुग, त्रेतायुग से चले आ रहे हैं और इसीलिये उसकी चिंता मत कीजिये. मुस्कुराते रहिये. प्रसन्न रहिये और अच्छा करने की कोशिश कीजिये. जरा-जरा सी बातों पर व्यथित होंगे और एक ध्यानाकर्षण पर दूसरा ध्यानाकर्षण लगवाएंगे तो हमेशा दुखी, परेशान रहेंगे. हमेशा तनाव में रहेंगे. मैं चाहता हूं कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री तनाव में नहीं रहे. मस्ती के साथ सरकार चले. जब तक चलेगी, चलेगी नहीं चलेगी तो नहीं चलेगी. उसमें कौन सी बड़ी बात है.
मुख्यमंत्री ( श्री कमलनाथ ) - माननीय अध्यक्ष जी, शिवराज सिंह जी को बहुत अनुभव है. किस चीज का अनुभव है मैं जाना नहीं चाहता. किस आरोप का अनुभव है. मेरे पास इतना अनुभव नहीं है. मैंने तो पहले कहा कि मेरे ऊपर तो किसी ने उंगली नही उठाई, अगर इनका अनुभव मेरे से ज्यादा है, मैं धन्यवाद देता हूं इन्हें, कि जो सुझाव इन्होंने मुझे दिये हैं, जरूर मैं इन्हें अपने मन में रखूगा. दूसरी चीज, जो इन्होंने कही है कि अल्प मत की सरकार है, पर जब आप रोज यह ढोलकी बजाते रहेंगे कि अल्प मत की सरकार है, अल्प मत की सरकार है तो एक दफा हो जाये ना. यह तय हो जाये कि यह अल्प मत की सरकार है या बहुमत की सरकार है. मैं तो कहता हूं कि इसे आज ही किनारे करें. न मैंने कहीं एप्लीकेशन दी थी, न मैं इच्छुक था कि इस पद पर मैं आऊं. जब मुझे अध्यक्ष बनाया गया, न मैंने एप्लीकेशन दी थी, न मैं इच्छुक था. मेरी पार्टी ने कहा, मैंने स्वीकार कर लिया तो यह आपका सुझाव हो कि मुझे सब कुछ सहना पड़ेगा. कई बातें सह सकते हैं, परन्तु मेरी जो अपने राजनीतिक जीवन में सहने की क्षमता नहीं थी, यह सहने की क्षमता अगर इसकी आप प्रैक्टिस शुरू करना चाहते हैं, जैसे कल शुरू हुई है कि ऐसा आरोप लग जाए. मैंने इस बात को कहते हुए शुरू किया कि मुझे दुःख है, वेदना है कि इस प्रकार का आरोप! मैंने तो बाईचांस यह देख लिया, बाईचांस देख लिया, मैंने कहा कि यह आरोप मुझ पर लगा रहे हैं बिना सिर पैरे के? इस पर मुझे एतराज था, सही बात तो यह है. जो मेरे राजनीतिक जीवन में नहीं हुआ और दूसरी जो आपने बात कही कि मैं जाता था जहां कोई प्राकृतिक आपदा हो जाती थी. सबका अपना अलग-अलग स्टाइल होता है. मैं टेलीविजन और मीडिया की राजनीति नहीं करता. मैं नहीं चाहता कि मेरे फोटो छपें. (मेजों की थपथपाहट)..मैं नहीं चाहता कि यह फोटो छपे. रोज मेरा चेहरा टेलीविजन पर आए.
अध्यक्ष महोदय, मैंने तो शुरू में कहा था जब मैं मुख्यमंत्री बना कि यह सब फोटो, मीडिया इस पर मैं विश्वास नहीं करता. मैं तो चाहता हूं कि अगर कोई आपदा हो, कोई प्राकृतिक आपदा हो, कोई समस्या हो तो उसका मैं बैठकर हल निकालूं और वही सबसे बड़ी संवेदना होगी. (मेजों की थपथपाहट).. वही सबसे बड़ी चीज होगी, जब मैं उनको राहत पहुंचा सकूं. यह मेरा स्टाइल है, आपका अपना स्टाइल है. दोनों का स्टाइल ठीक है. इसमें क्या खराबी है? तो आपने सुझाव दिये, धन्यवाद. समय-समय पर अपने सुझाव, 15 साल के अनुभव के सुझाव मुझे देते रहिएगा. मेरे लिये बहुत काम आएंगे.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद. श्री गोपाल जी, अब पटाक्षेप हो गया.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - इस ध्यानाकर्षण के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी मुख्यमंत्री जी, यह ध्यानाकर्षण के बारे में न मुझे जानकारी थी, न किसी को जानकारी थी..
अध्यक्ष महोदय - श्री गोपाल जी, अब जिसका पटाक्षेप हो गया, उसको अब रहने दीजिए. श्री अजय विश्नोई..
श्री गोपाल भार्गव - एक अंतिम बात मुख्यमंत्री जी से कि अब सरकार जब गिरने पड़ने की बात आती है तो हम लोगों से कोई पूछेगा तो हम क्या यह कहेंगे कि 100 साल चलेगी सरकार? आप बताएं यह कॉमनसेंस की बात है.
श्री कमलनाथ - आप भी अनुभवी हैं, 100 साल न कहिए, 5-10 साल तो कह दीजिए.
(2) प्रदेश में गरीबी रेखा अंतर्गत खाद्यान्न पर्ची जारी न किया जाना
श्री अजय विश्नोई (पाटन), श्री कमल पटेल, श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय,
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) --
माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को पहले तो यह अवगत कराना चाहता हूं कि मैं उनकी बात से सहमत हूं. प्रदेश का एक कोटा निर्धारित है, हालांकि वह 2011 की जनसंख्या के आधार है कि इससे ज्यादा लोगों को राशन नहीं दिया जा सकता है. परंतु एक प्रक्रिया है, जिसके तहत गरीब लोग बीपीएल से ऊपर आते रहते हैं और उनके नाम काटे जाने की प्रक्रिया चलती रहती है. सरकार जितनी सतर्क रहेगी, जितनी गंभीरता से इस प्रक्रिया को चलायेगी, उतनी गंभीरता से नीचे से जो गरीबी की रेखा में जुड़ने वाले नये लोग हैं, उनको राशन मिलता रहेगा. मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि वर्ष 1917-18 के बीच में जब माननीय शिवराज सिंह जी, मुख्यमंत्री थे, 30 से 35 लाख नई पर्चियां जारी की गई थीं. जबकि मंत्री जी ने अपने जवाब में बताया है कि मार्च,2018 से मार्च,2019 तक मात्र 47 हजार नई पर्चियां जारी हुई हैं. इसका मतलब है कि सरकार कहीं न कहीं इस विषय पर धीमी गति से काम कर रही है. यदि यह धीमी गति तेज हो जाये, तो जो गरीब वाकई में इंतजार में है, हमारे जबलपुर जिले में अकेले 5 जार लोग इंतजार में हैं. यह पूरे प्रदेश से जुड़ा हुआ मामला है. मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि क्या अपात्रों को सूची से अलग करने की प्रक्रिया को तीव्रता देंगे और बड़ी तादाद में पर्चियां जारी करें, ताकि वाकई में जो सुपात्र लोग हैं, उनको राशन मिल सके.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, पूर्व मंत्री जी ने बड़ा अच्छा प्रश्न उठाया है. इसकी चिंता अगर इन्होंने 6 महीने पूर्व की होती, तो मुझे बहुत अच्छा लगता,पर आज आपने की, उसके लिये भी धन्यवाद. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पहले इन अपात्र परिवारों को जोड़ा किसने. हमने सिर्फ अपनी सत्ता बचाने के लिये 6 महीने पहले सम्बल योजना लागू की और आपने अपात्र लोगों को उस सम्बल योजना में जोड़ दिया. आज देखिये कि वे लोग बिजली के बिलों को लेकर घूम रहे हैं और ये पात्रता पर्ची के लिये घूम रहे हैं. यह किया किसने है. तो मेरा सबसे पहले कहना यह है कि आप चाहते हैं, तो मैं इन सारे जो अपात्र लोग हैं, उनकी मैं जांच जबलपुर, सागर सब में करा लूंगा. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे संरक्षण चाहते हुए सदन से, पक्ष और विपक्ष दोनों से ..
अध्यक्ष महोदय -- मैं सुन रहा हूं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर --.. निवेदन कर रहा हूं कि अगर हम गरीबों के लिये, पात्र लोगों के लिये वास्तव में हम चाहते हैं कि उन्हें पात्रता पर्ची जारी हो, तो 2011 की जनगणना पर हमारे उस समय के माननीय राहुल गांधी जी, माननीय सोनिया गांधी जी, यूपीए सरकार ने चिंता की कि कोई भूखा न सोये. वे खाद्य सुरक्षा अधिनियम लाये. उसमें यह तय हुआ कि 2011 की जनगणना में जितने पात्र लोग हैं, 75 प्रतिशत लोगों को लाभ दिया जायेगा. उस समय मध्यप्रदेश की आबादी जो थी, आज 2019 में वह आबादी बढ़ गयी है. उसके अनुपात में 66 प्रतिशत लोगों को खाद्यान्न मिल रहा है. तो यह जो 9 प्रतिशत का गेप है. उस गेप के लिये भारत सरकार को लिखा है कि उन गरीबों को अन्न मिल सके. इसकी सीमा बढ़ाई जाये. दूसरा, मैं यह बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने, अभी आप कह रहे थे, तो हमने सागर जिले में इस वर्ष 4500 अपात्र परिवारों को बाहर किया है और 2654 को हमने जोड़ा है. यह हमारी कमलनाथ सरकार का काम है और आप विश्वास रखें, आप गरीबों के लिये जितने चिंतित हैं, आप बहुत अच्छे व्यक्ति हैं, मैं आपकी भावना का सम्मान करुंगा और जो अपात्र लोग हैं, वे इस सूची से जल्दी बाहर होंगे और पात्रों को राशन मिलेगा. यह मैं भी जानता हूं कि जो गरीब अपने सामने नौनिहाल को भूखा रोते हुए देखता है, उस पर क्या बीतती है, मैं उस क्षेत्र से चुनकर आया हूं. इसलिये मैं सदन से आग्रह करता हूं कि हम चलें प्रधानमंत्री जी के पास और इस बजट में बढ़ोतरी करायें.
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी की भावनाओं से अपने आपको सहमत पा रहा हूं, परन्तु मैंने जो आग्रह किया कि आज भी हजारों लोग पात्रता पर्ची लेकर घूम रहे हैं. आपका आरोप है कि हमने उसको गलत तरीके से शामिल करा दिया. आप फिर जांच करा लें. 10-15 दिन, एक महीने में जांच करा लें और उस गरीब को जो वाकई में सुपात्र है, उसको राशन देने की शुरुआत करें. उसके लिये कुपात्रों को बाहर करें. हम कुपात्रों को बाहर करने से नहीं रोक रहे हैं और सुपात्रों को अन्दर करने का आग्रह कर रहे हैं. जहां तक एक आपने कहा कि हमारी सरकार ने चुनाव के ठीक पहले इस चीज को लेकर पर्चियां जोड़ दीं. जरा आपने जो अपने जवाब में पढ़ा है, उसको भी पढ़ लीजिये कि 2013 में आप यह अधिनियम लेकर आये थे, उस समय भी जो दिल्ली में कांग्रस की सरकार थी. वह तुरंत चुनाव के मैदान में जाने वाली थी, शायद चुनाव के उद्देश्य को लेकर ही इसको लाए थे. इस पर बहस नहीं है, बहस इस विषय पर है कि गरीब को राशन मिलना चाहिए. सुपात्रों को राशन मिलना चाहिए, आप कृपया उसकी चिंता करें, ये मेरा विनम्र आग्रह है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम तो पहले दिन से ही, मैं आज फिर कह रहा हूँ. सदन को बताना इसलिए जरूरी है कि गरीबों की चिंता की किसने..
अध्यक्ष महोदय -- भाई, मेरी बात सुन लें...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, आप मेरी बात तो सुन लें.
अध्यक्ष महोदय -- मैं क्यों सुनूँ.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- इन्होंने जो कहा है उसका जवाब मुझे.. ..(व्यवधान)..
श्री अजय विश्नोई -- गरीबों की चिंता तो संबल योजना में, प्रधानमंत्री आवास योजना में, उज्जवला योजना में जिसने की है, वह दुनिया जान रही है... ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट, मंत्री जी. ..(व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- आप यह देखें, संबल में देने से नहीं, विधवाओं की पेंशन किसने 600 रुपये की, लाडली के हाथ पीले करने के लिए 51 हजार रुपये किसने किए....(व्यवधान)..ये हमारी सरकार ने किया है.. ....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सुनिए आप लोग, आप अपना प्रश्न का समय बिला वजह जाया कर रहे हैं....(व्यवधान)..अरे भाई, मूल प्रश्नकर्ता का उत्तर आने दीजिए. ....(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- 6 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है. ....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मूल प्रश्नकर्ता का उत्तर आने दीजिए.
श्री रामेश्वर शर्मा -- जिनकी शादियां हुई हैं... ....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मूल प्रश्नकर्ता का उत्तर आने दीजिए. ये तरीका गलत है. मूल प्रश्नकर्ता अपना उत्तर पूछना चाह रहा है. (इंजी. प्रदीप लारिया के खड़े होने पर) लारिया जी, हाथ जोड़कर विनती है, व्यवस्था में सहयोग करिए. मूल प्रश्नकर्ता प्रश्न कर रहा है. मंत्री जी, आप मुझे व्यवस्था देने वाले कोई नहीं होते, पहले एक बात सुन लीजिए. आपने लहजे में जो बोल दिया, मैं इसको बर्दाश्त नहीं करूंगा, एक चीज ध्यान रख लीजएगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- जी.
अध्यक्ष महोदय -- फिर जो प्रश्न प्वॉइंटेड पूछा जा रहा है, इतिहास पर मत जाइयेगा, प्वॉइंटेड जवाब दीजिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- जी.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं तो आपके विभाग के अधिकारी आपको इतना नचा रहे हैं, वह भी मैं जानता हूँ. प्वॉइंटेड प्रश्न का जवाब दीजिए. (श्री तुलसीराम सिलावट के खड़े होने पर) आप बैठ जाइये सिलावट जी. बैठ जाइये. नहीं, ऐसे नहीं चलेगा हाऊस.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ. माननीय सदस्य ने जो कहा है, वह प्रक्रिया हमने शुरू से ही, आपने कहा कि अपात्रों को हटाओ, तो मैंने आपको पहले ही कहा माननीय अध्यक्ष जी कि हमने सागर में 4500 अपात्रों को हटा दिया है और जोड़ भी दिया है. यह प्रक्रिया निरंतर जारी है.
अध्यक्ष महोदय -- पर्ची कब जारी करेंगे, यह बताओ ?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- पर्ची इसलिए जारी, जब अपात्र लोग हटेंगे, तब नई पात्रता सूची जारी हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- कुछ नहीं, ऐसा नहीं. मंत्री जी, मेरी बात सुन लीजिए, यह प्रक्रिया तो चलती रहेगी. गरीब बेचारा अपनी झोपड़ी में भूखा बैठा रहेगा. यह तरीका मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता, इसलिए मैंने आपके विभाग के अधिकारियों पर टिप्पणी की है. वे सहिष्णु और मानवीयता के ओत-प्रोत नहीं हैं.
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट, मुझे बात कर लेने दीजिए. आप लोग क्या करते हैं ? क्या करते हैं आप लोग ? क्यों मेरी लिंक बिगाड़ते हैं आप लोग..
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं निवेदन कर लूँ.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, मेरी बात पूरी हो जाने दीजिए. मंत्री जी, आप एक महीने के अंदर पूरा करिए. विश्नोई जी, आप, शिवराज जी, आप, नेता प्रतिपक्ष जी, आप, जाइये मंत्री जी, दिल्ली, और जो गाड़ी वहां पर अटकी है, आप लोग सब मिलकर उस गाड़ी को आगे बढ़ाइये. श्री कमल पटेल जी, बोलिए.
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री से पूछना चाह रहा हूँ कि हरदा जिले में, जो आदिवासी बहुल जिला है, अनुसूचित जाति बहुल जिला है, उसमें पर्चियां दे दी गईं, लेकिन उनको राशन नहीं मिल रहा है. भूखों मरने की स्थिति आ रही है. आपने मात्र 226 परिवारों को जोड़ा है, जबकि हजारों परिवारों को पर्चियां दे दी गई हैं और हजारों परिवार ऐसे हैं जो अनुसूचित जाति, जनजाति के हैं, जिनके पास खेती के लिए एक इंच जमीन नहीं है. उनके पास कमाने का कोई साधन नहीं है. उनको कब तक जोड़ेंगे, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने माननीय मंत्री जी को निर्देश दिए हैं कि एक माह के अंदर जो पात्र लोग हैं, वे जुड़ जाएं, अपात्र लोग बाहर हो जाएं और जिनको पर्चियां दी गई हैं, इन्होंने उत्तर में दिया है कि जिनको हमने पर्चियां दी हैं, पहले उनको राशन..
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न करिए. मेरे पास समय नहीं है.
श्री कमल पटेल -- क्या माननीय मंत्री महोदय, आपने जो उत्तर में दिया है कि पर्ची तभी जारी की जाती है, जब उनको हम राशन की दुकान से राशन उपलब्ध करा सकते हैं, लेकिन मेरा आरोप है कि पर्ची ...
अध्यक्ष महोदय -- कमल जी, प्रश्न करें, नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊंगा.
श्री कमल पटेल -- प्रश्न है कि पर्चियां जारी कर दीं, लेकिन उनको राशन नहीं मिल रहा है. कब तक उनको राशन दिलाएंगे ? और बाकी जो लोग हैं, अनुसूचित जाति, जनजाति के, उनको कब तक...
अध्यक्ष महोदय -- उसी के लिए तो केन्द्र जाना पड़ेगा. वही तो मैंने बोल दिया है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि जो अपात्र परिवार हैं, उनको हमने हटाया है और हरदा में हमने 226 लोगों को जोड़ा है, लेकिन जब अन्न नहीं होगा, राशन नहीं होगा, पात्रता पर्ची जारी करने का काम, सत्यापन करना यह नगर पालिका, नगर पंचायत इनके माध्यम से होता है. हमारे पास जब राशन है नहीं, तो हम कहां से दे देंगे ? आप बता दीजिये. इसीलिये मैंने कहा है आपसे कि चलो मोदी जी के पास, बात करो न.
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि पर्चियां दे दी गईं, लेकिन राशन नहीं मिल रहा है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - आप मेरे संज्ञान में ले आना, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करूंगा और ऐसी कोई त्रुटि होगी, तो उसे मैं ठीक करूंगा.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविंद सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वास्तव में विसंगतियां हैं. पर्ची आज जारी नहीं हुई, पर्ची लगातार 3-4 वर्षों से जारी हो रही हैं, लेकिन राशन की कई बार डिमाण्ड करने के बाद भी केन्द्र सरकार ने नहीं बढ़ाया है. अब आपका निर्देश है कि एक महीने में करें, तो हमें लगता है कि शासन इसमें सक्षम नहीं हो पायेगा, क्योंकि जो पर्चियां आप लोगों ने बढ़ाईं, अगर आप कह रहे हैं कि फर्जी काटो, तो इसका मतलब आपने कितने फर्जी किये ? हम कटवा देंगे. आप बता दो.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - क्या है यह ? बिना पूछे कैसे खड़े हो गये ? जो भी बिना पूछे खड़े हों, न लिखा जाये. अनिरुद्ध जी यह गलत बात है.
डॉ. गोविंद सिंह - अध्यक्ष महोदय, जितनी मात्रा में पर्ची जारी की गई हैं उनमें बहुत कम फर्जी हो सकती हैं, लेकिन जितने पैमाने में जारी हुईं, उस पैमाने पर फर्जी नहीं हटेंगे, तो दिक्कत तो आयेगी. अध्यक्ष महोदय, हमारा आपसे निवेदन है कि जैसा कि आपने निर्देश दिया है, तब तक के लिये जब तक केन्द्र सरकार नहीं बढ़ा दे, तब तक मध्यप्रदेश सरकार राशन देने में राशन देने में अक्षम है.
अध्यक्ष महोदय - ठीक बात है. मैंने इसलिये कहा है, डॉ. साहब मेरी बात भी सुन लीजिये कि मंत्री जी आप, यहां से जो वरिष्ठ हैं, माननीय विश्नोई जी का भी यही कहना था और मैंने भी कहा कि विश्नोई जी, शिवराज जी, नेता प्रतिपक्ष जी, आप लोग साथ में जाइये, ऊपर इस बात को रखियेगा, ताकि कोटा बढ़े, ताकि जिनको लाभान्वित होना है, मेरे क्षेत्र में भी यही स्थिति है, मैं इसलिये बात कह रहा हूं. मैं समग्र रूप से पूरे हाऊस की जो चिंता है..
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइये प्रभु. ज्ञानवान, धनवान बैठ जाइये. मेरा सिर्फ यही अनुरोध है. आप सबकी चिंता में समाहित करते हुये दिशा निर्देश और वही चिंता संसदीय मंत्री जी की भी है. जो माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा उनकी भी वही चिंता है. हम सब क्यों न मिलकर जब एक ही चीज के लिये चिंतित हैं, समग्र रूप से दिल्ली चलकर प्रयास करें ताकि इसका निकाल हो सके.
श्री अजय विश्नोई - माननीय अध्यक्ष महोदय, संसदीय मंत्री जी ने जो कहा और जो आपकी मंशा है, वह दोनों अलग-अलग हैं. क्षमा करें, जो मैं समझ पाया.
अध्यक्ष महोदय - मेरी जो हो गई, हो गई.
श्री अजय विश्नोई - उनका कहना यह है कि हम फर्जी को इतनी जल्दी नहीं काट सकते. हम भी कह रहे हैं कि इस कार्य की गति को तीव्र कीजिये.
अध्यक्ष महोदय - वह छोडि़ये. अरे, मैंने समय दे दिया भाई, आप सुना भी तो करें.
श्री अजय विश्नोई - पर वह तो कह रहे हैं कि एक महीने में संभव नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं संभव होगा, तो जब हाऊस लगेगा मैं फिर..
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, न फर्जी यह जोड़ते हैं, न हम जोड़ते हैं, फर्जी जोड़ते हैं अधिकारी. उसको कटवाने की जवाबदारी जो सरकार में बैठा है उसकी है और हम आपके साथ हैं.
अध्यक्ष महोदय - अरे भाई, सुनिये. विश्नोई जी, एक मिनट रुक जाइये. आपने बहुत अच्छी बात उठा दी. जो व्यवस्था दी जा रही है, जिस समय की दी जा रही है. यह ध्यान रखें. संसदीय मंत्री जी, यह विभिन्न विभागों को पहुंचा दीजिये कि जो व्यवस्था दी जा रही है, जो समय दिया जा रहा है, नहीं करोगे, तो अगला सत्र फिर लगेगा. उसके ऊपर फिर मैं क्या व्यवस्था दूंगा फिर आप लोग मत कहना कि मैंने क्या व्यवस्था दे दी. यह बिलकुल ध्यान रख लीजियेगा.
डॉ. गोविंद सिंह - अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार नहीं देगी, तो हम कहां से दे देंगे ? यह कृपा करके आपसे निवेदन है, आपने तो निर्देश दे दिया, पता नहीं यह जा रहे हैं कि नहीं जा रहे.
अध्यक्ष महोदय - डॉक्टर साहब की बात से मैं सहमत हूं. चलिये के.पी. जी बोलिये.
श्री के.पी. सिंह - अध्यक्ष महोदय, हितग्राही को भारत सरकार और राज्य सरकार से क्या लेना देना ? भई, आप तो व्यवस्था करो. भारत सरकार से आपको क्या मतलब है ?
अध्यक्ष महोदय - मतलब है. चलिये विराजिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा - यह साफ कहें न कि नहीं दे सकते. हम देते थे कि नहीं देते थे ? आप बोलिये कि नहीं दे सकते.
अध्यक्ष महोदय - देखिये, मैंने 6 ध्यानाकर्षण लिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा - साफ-साफ बोलिये कि नहीं दे सकते. आप आरोप मत लगाइये..(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन - मेरा नाम भी इसमें है.
इंजी. प्रदीप लारिया - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि अभी मंत्री जी ने जवाब दिया कि 4,500 अपात्र काटे हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - शर्मा जी, लारिया जी, मैंने जब 6 ध्यानाकर्षण...(व्यवधान)..
मैं बाहर चला जाऊंगा अभी फिर. नहीं, यह तरीका गलत है.
इंजी. प्रदीप लारिया - 2400 कब तक जोड़ देंगे, माननीय मंत्री जी बता दें.
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थिगित.
(1.25 बजे विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित की गई)
विधान सभा 1.28 बजे पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)पीठासीन हुए}
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम ध्यानाकर्षण...
अध्यक्ष महोदय-- जरा आप शांति से बैठ जाइये.
श्री शैलेन्द्र जैन-- मेरा नाम है ध्यानाकर्षण में....
अध्यक्ष महोदय-- मैं खड़ा हूँ. परंपराओं पर ध्यान दीजिए. हाउस चलाने में सहयोग करिए.
अब मैं फिर से पढ़कर बता दे रहा हूँ कि मैंने आज ध्यानाकर्षण सूचनाएँ 6 क्यों लीं. अगर ऐसी टोकाटाकी होगी तो मैं 2 पर प्रतिबंध कर दूँगा. आगे की 4 नहीं पढ़ूँगा. मैं फिर पढ़ रहा हूँ कि मैंने क्यों ली हैं. कृपया मेरी भाषा समझने का कष्ट करें. नियम प्रक्रियाओं को समझने का कष्ट करें. (माननीय सदस्य श्री जालम सिंह पटेल के खड़े होने पर) अब रुक तो जाइये. एक तो बड़ी गलत आदत हो गई है, (माननीय मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खड़े होने पर ) अब आप भी बोल लीजिए प्रभु.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अच्छा है कि आसंदी के प्रति हमारा सम्मान होना चाहिए. आसन्दी की व्यवस्था से हम, यह बड़ी अच्छी बात है....
अध्यक्ष महोदय-- आप भी सम्मान देते रहिए, बड़ी कृपा करिए आप.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- ये प्रश्न क्यों कर रहे हैं. इन्हें अधिकार क्या है कि आसंदी पर ही पूछने लगें कुछ भी.
अध्यक्ष महोदय-- बीच में खड़े होने का आपको क्या अधिकार है?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- मैं बैठ जाता हूँ. (हँसी)
अध्यक्ष महोदय-- विराजिए.
एक मिनिट सुन लीजिए, आज की कार्य सूची में 52 ध्यानाकर्षण सूचनाएँ, उनके विषय की गंभीरता को महत्व देते हुए सम्मिलित की गई हैं. जो बीच बीच में खड़े होते हैं. मैं जानबूझकर दुबारा पढ़ रहा हूँ. कृपया इस बात को अपने मन पटल पर अंकित करते हुए फिर खड़े होने या प्रश्न करने के बारे में विचार करें, सोचें भी नहीं विचार करें अन्यथा न करें. आप तो शांत रहिए न, मेरे दिशा निर्देश तो सुन लीजिए शैलेन्द्र जैन जी. (शैलेन्द्र जैन जी के खड़े होने पर). आप ही लोगों के कारण तो यह दिक्कत हो रही है कि जिन तीन सदस्यों के नाम है उन मूल प्रश्नकर्ताओं को मैं प्रश्न नहीं पूछने दे पा रहा हूँ और जिनका ध्यानाकर्षण नहीं है वे इतने जिज्ञासु, जागरुक, ज्ञानी, ध्यानी, बुद्धिमान, ओतप्रोत पता नहीं क्या-क्या हो गए हैं. इसलिए मैंने यह छह ध्यानाकर्षण लिए हैं जिनके ध्यानाकर्षण हैं मैं उन्हीं को परमिट करुंगा. इसलिए मैं शिथिल करते हुए पूछ रहा हूँ. मैं बराबर हर सदस्य को मौका देने की कोशिश कर रहा हूँ कि उनकी बात आ जाए, लेकिन आप ही के बीच के लोग आप ही को टोक देते हैं, आप ही को रोक देते हैं. आपका प्रश्न पूरा न हो पाए उसके पीछे से खड़े होकर नया प्रश्न दाग देते हैं, कैसे चलेगा ? यह नियम है ? ठीक है न. अब अंतिम प्रश्न शैलेन्द्र जैन जी आपका बचा है इस विषय पर, सहयोग प्रदान करें.
1.31 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि संबंधी.
अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची के पदक्रम 4 "याचिकाओं की प्रस्तुति" तक सदन के समय में वृद्धि की जाए.
मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
1.32 बजे ध्यान आकर्षण (क्रमश:)
श्री शैलेन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में यह बताया है कि संबल योजना के अन्तर्गत पंजीकृत हितग्राहियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अन्तर्गत प्राथमिकता परिवार श्रेणी के अन्तर्गत शामिल नहीं किया गया है. मैं प्रेसाशली यह पूछना चाहता हूँ कि क्या संबल योजना के अन्तर्गत जो हितग्राही हैं उनको उस योजना से बाहर कर दिया गया है. मंत्री जी ने अपने उत्तर में बताया है कि सागर जिले में लगभग 4000 परिवारों को अपात्र माना है, तो इन 4000 लोगों के एवज में नए 4000 लोगों को आपको शामिल करना चाहिए लेकिन उसके स्थान पर महज 2000 लोगों को सम्मिलत किया है. मंत्री जी क्या इस विसंगति को दूर करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी आप दूसरे प्रश्न का उत्तर दे दीजिए क्योंकि पहले प्रश्न का आपने लिखित में उत्तर दे दिया है. माननीय प्रश्नकर्ता जब माननीय मंत्री जी उत्तर दें तो कृपया ध्यानपूर्वक सुना करें.
श्री शैलेन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, वह तो योजना ही पूरी फेल हो गई है.
अध्यक्ष महोदय--उसके प्रश्न पर मत जाइए, आपने उत्तर सुना था क्या ? जब मंत्री जी पढ़कर सुना रहे थे. मंत्री जी दूसरे प्रश्न का उत्तर दे दीजिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो चिंता जताई है, यह प्रक्रिया है हमने 4000 लोगों के नाम हटाए इसके बाद नए नाम जोड़ना है तो हमने 2000 से ज्यादा नाम जोड़ दिए हैं, यह प्रक्रिया है. पात्रता पर्ची जो जारी होंगी तो उन परिवारों को शनै: शनै: जोड़ते जाएंगे. इसमें विभाग की कोई ढिलाई नहीं है हम तुरंत करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
(3) शिवपुरी स्थित चिकित्सा महाविद्यालय में शैक्षणिक पदों, पैरामेडिकल स्टाफ एवं अन्य पदों पर की गई भर्ती की जांच न की जाना.
श्री के.पी. सिंह (पिछोर)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ)-- अध्यक्ष महोदय,
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू''--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के वक्तव्य अनुसार पहली बैठक में कुछ भी नहीं हुआ और यह कहकर इस जांच को टालने की कोशिश की गई कि सिर्फ एक व्यक्ति के बारे में जांच होना है, इस संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया की जांच नहीं होना है. सिर्फ बैठक करके इतिश्री कर दी गई. दूसरी बैठक हुई तो दूसरी बैठक में जो मेंबर थे वह मेंबर आए ही नहीं और जब उनसे न आने का कारण पूछा गया तो उनकी तरफ से जवाब आता है कि हमें दूसरी भर्ती में काम करना पड़ रहा है इसलिए इस बैठक में नहीं आ सकते. उसके बाद फिर तीसरी बैठक की तारीख निर्धारित हुई तीसरी बैठक में कमिशनर के प्रतिनिधि और जो डीन इसकी मेंबर थीं वह फिर बैठक में नहीं आईं. यह फरवरी में चल रहे सत्र का मसला था. मार्च में बैठक निर्धारित की गई, अप्रैल में निर्धारित की गई, मई में बैठक हुई और जून में फिर संबंधित डीन इस बैठक में नहीं आईं और आप कह रहे हैं कि जांच बहुत तेजी से चल रही है. सिर्फ बैठक की तारीख तय हो जाए और बैठक में कुछ भी न हो इसका अर्थ क्या दर्शाता है? इसका सीध-सीधा अर्थ यह समझ में आता है कि किसी तहर से यह जांच न हो पाए और यदि कल को इस जांच में विलंब हो जाता है तो स्वाभाविक रूप से जो गैर संवैधानिक नियुक्ति हुई हैं उनका एक वर्ष के बाद एक पक्ष बन जाएगा कि उन्होंने इतने दिन काम किया है और उनको न्यायालय में जाकर अपनी बात कहने का अवसर प्राप्त हो जाएगा. अब क्या शासन उनको हटा पाएगा? जिस प्रक्रिया में गलती हुई है उसके सारे प्रमाण मैंने दिए हैं, पूरे बिंदु उसमें लिखकर दिए थे. यहां मैंने एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया था. मंत्री जी आज फिर एक उदारहण दे रहा हूं एक टेक्नीशियन की उसमें नियुक्ति हुई है. शुभम पाठक, पुत्र गोविंद पाठक उसकी उम्र 28 वर्ष है और उनको जो अनुभव की मार्किंग दी गई है वह 21 नंबर है. जिसकी उम्र 28 साल है और प्रक्रिया में एक साल का एक नंबर निर्धारित किया गया था तो उनको 21 साल के अनुभव के 21 नंबर दे दिए हैं. उसने डिग्री वर्ष 2014 में प्राप्त की है क्योंकि सरकारी अस्पताल में काम करने के लिए जब तक आपके पास बी.फार्मा की डिग्री नहीं है तो आप काम नहीं कर सकते हैं. जब कोई बच्चा वर्ष 2014 में डिग्री ले रहा है और वर्ष 2018 में भर्ती हुई है तो इस हिसाब से 4 साल हुए लेकिन उसे 4 साल के लिए 21 नंबर अनुभव के दिए गए हैं. यह स्वप्रमाणित तथ्य है कि भर्तियों में जानबूझकर भ्रष्टाचार किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि जांच के नाम पर केवल औपचारिक प्रक्रिया न की जाये. शिवपुरी में मीटिंग होनी है, ग्वालियर से डीन को आना है. डीन ने कह दिया कि मैं व्यस्त हूं नहीं आ सकती. ऐसा दो बार हो चुका है. भोपाल से इसमें डिप्टी सेक्रेटरी सदस्य थे, उनका ट्रांसफर हो गया है. अभी तक नए सदस्य की नियुक्ति ही नहीं की गई है. चार-पांच महीने तो इसी में गुजर गए कि वहां कमेटी के पूरे लोग ही नहीं पहुंच पाये तो फिर जांच कहां से होगी ? सारे प्रमाण देने के बावजूद भी जांच नहीं हुई. अब जो शेष लोग घूम रहे हैं जिनकी आपत्ति दर्ज नहीं हो पाई थी, वे किसके पास जायें, इनमें से एक व्यक्ति जिसका मैं जिक्र कर रहा हूं वह डीन के पास पहुंचा था तो डीन ने कह दिया कि हम इसकी जांच करवा लेंगे. 28 वर्ष जिसकी उम्र है, उसका 21 साल का अनुभव कहां से हो गया ? डिग्री न होने कारण सरकारी अस्पताल में वह काम नहीं कर सकता था और प्राइवेट अस्पताल के अनुभव का तात्पर्य यह हुआ कि वह 7 साल की उम्र से काम कर रहा था. क्या 7 साल का बच्चा किसी प्राइवेट अस्पताल में काम कर सकता है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से केवल इतना सवाल है कि इस प्रक्रिया में, फिर कहीं न कहीं छींटे हम पर भी पड़ते हैं यह हमारे समय का मामला नहीं है लेकिन यदि हम जांच में कोताही बरत रहे हैं और यदि 6 माह के अंदर इसकी पूरी जांच नहीं की जाती है तो फिर ऐसा भी कहीं-कहीं दिखाई देता है कि हमारी सरकार भी इसमें कहीं-कुछ घाल-मेल कर रही है. अध्यक्ष महोदय, मेरी आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रार्थना है, आग्रह है कि इसे समय-सीमा में बांध दीजिये क्योंकि इसमें करोड़ों का भ्रष्टाचार है और जो लोग इसमें शामिल हैं, वे इस जांच प्रक्रिया को पूरा ही नहीं होने देंगे. मेरा प्रतिनिधि वहां जाता है तो अकेले लौटकर चला आता है, क्या करे, किससे कहे ? अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से पुन: मंत्री जी से आग्रह है कि इसे समय-सीमा में बांध दें और एक समय-सीमा निर्धारित कर दें. मंत्री जी इसे कर दें तो अच्छी बात है अन्यथा माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि आप आसंदी से एक समय-सीमा का आदेश दे दें, जिससे जिनके साथ अन्याय हुआ है उनके साथ न्याय हो जाए.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय विधायक महोदय हमारे बड़े भाई हैं. हमने अपने बड़े भाई को इस जांच में रखा था कि विधायक जी की उपस्थिति में यह जांच की जायेगी. मैं बड़ी विनम्रता से माफी चाहते हुए यह निवेदन करती हूं कि उन बैठकों में माननीय विधायक जी की उपस्थिति ज्यादा जरूरी थी और मैं समझती हूं कि यदि आपकी उपस्थिति वहां होती तो उसे गंभीरता से लिया जाता तो आज चीजें कुछ और होती. आपने अपने प्रतिनिधि को भेजा, डिप्टी सेक्रेटरी का ट्रांसफर हुआ ,कमिश्नर का ट्रांसफर हुआ, एक आया एक नहीं आया, स्थानांतरण तो एक प्रक्रिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस वजह से बैठकों में उपस्थिति किसी की रही किसी की नहीं रही, यह होता रहा. जब फरवरी 2019 विधान सत्र के दौरान सदन में मेरे द्वारा यह आश्वासन दिया गया था तो जिस तरह से आज विधायक जी ने यहां एक उदाहरण प्रस्तुत किया, वैसा ही एक उदाहरण दिया था और मेरा आश्वासन था कि जो आपने प्वाईंट आउट किया है उसके ऊपर हम जांच करवा लेंगे. प्वाईंट आउट से मतलब यह था कि जिस एक व्यक्ति के बारे में आपने सदन में उदाहरण प्रस्तुत किया, उसकी जांच की गई, उसके कारण विलंब हुआ. फिर जब आपका प्रतिनिधि दिनांक 16.5.2019 की बैठक में पहुंचा तो उसमें आपके प्रतिनिधि ने यह कहा कि पूर्ण भर्ती प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए. दिनांक 16.5.2019 को विधायक जी के प्रतिनिधि द्वारा कहे जाने के बाद, पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच प्रारंभ हुई. इसके संबंध में सारे कागज़ात बुलाये गए और 11.4.2019 को इस बैठक में इनके प्रतिनिधि आये क्योंकि जांच का दायरा बढ़ गया अब इसमें डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ एवं नर्सिंग स्टाफ भी शामिल हैं इसलिए जांच का दायरा विस्तृत हो गया है. दायरा विस्तृत होने से सारे दस्तावेज बुलाकर उसकी जांच हो रही है और मैं माननीय विधायक जी को आश्वस्त करती हूं और उनसे निवेदन करती हूं कि आप उस बैठक में उपस्थित रहें ताकि उस बैठक की गंभीरता बढ़े और जांच प्रक्रिया न्याय की तरफ जाये. और मैं चाहती हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी चाहते हैं कि जो गड़बडि़यां हुई हैं. क्योंकि मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए, चाहे वह पैरामेडिकल के कोर्सेस हों, चाहे वह डॉक्टरी पेशा हो, हमें क्वॉलिटी चाहिये. यह माननीय मुख्यमंत्री जी, हर समय मुझे निर्देशित करते हैं कि जितने भी रिक्रूटमेंट हो रहे हैं, हमारे सुपर-स्पेशलिस्ट के कोर्सेस आ रहे हैं, हमारी एमबीबीएस की सीटें बढ़ रही हैं, हमारी यूजी और पीजी की सीट्स बढ़ रही हैं, हमारे हॉयर एजुकेशन के डीएम और एमसीएच के कोर्सेस आ रहे हैं. उसमें जितनी भी नियुक्तियां हो रही है, वह अच्छी क्वॉलिटी की नियुक्तियां हों, जिससे मध्यप्रदेश में मेडिकल एजुकेशन का जो स्थान है, वह प्रदेश में बढ़े यह हम चाहते हैं. मैं आपको सदन के माध्यम से आश्वस्त करती हूं कि इसकी जांच में हम बहुत शीघ्रता लायेंगे. मैं स्वयं इसको देखूंगी और सम्मानित माननीय सदस्य से भी निवेदन है कि वह भी इसमें उपस्थित रहें.
अध्यक्ष महोदय:- इसमें माननीय सदस्य ने समय-सीमा पूछी है ?
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ:- अध्यक्ष महोदय, जल्दी ही कर देंगे.
श्री के.पी.सिंह :- अध्यक्ष महोदय, चूंकि आरोप मुझ पर ही उल्टा लगा है कि मैं मीटिंगों में नहीं जा रहा हूं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ:- नो,नो...अध्यक्ष महोदय, मैंने कोई आरोप नहीं लगाया है. आपकी उपस्थिति से गंभीरता ज्यादा आ जायेगी.
श्री के.पी.सिंह :- इसका आशय यही है. आप मेरी बात सुन लें. मैं वहां पर अकेला बैठकर क्या करूंगा,जब लोग ही मीटिंग में नहीं आते हैं ? उससे क्या गंभीरता हो जायेगी. आपकी डीन कह रही है कि मैं दूसरे काम में व्यस्त हूं. मैं वहां अकेला जाकर बैठ जाऊं. इससे क्या गंभीरता आ जायेगी. मतलब, आपको विभाग वाले जो पट्टी पढ़ा रहे हैं..
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ:- अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है कि विजय लक्ष्मी पट्टी पढ़ने वालों में से मंत्री नहीं है. वह अपन स्वयं के विवेक से काम करती है.
श्री के.पी.सिंह :- अध्यक्ष महोदय, अब इसमें सीधा-सीधा आरोप मुझ पर है कि मैं मीटिंग में नहीं गया. जबकि विषय मेरे ध्यानाकर्षण में संपूर्ण जांच का था. पहले तो यह कहा गया कि एक ही की जांच होगी. मैंने एक उदाहरण आज यहां पर दिया है. यह एक उदाहरण इसलिये दिया था, एक उदाहरण प्रमाण सहित दिया था. इसी तरह आज एक दे रहा हूं कि पूरी की पूरी भर्तियों में बेइमानी हुई है. इसके लिये एक उदाहरण मैंने प्रस्तुत किया, यहां मैं सारे उदाहरण थोड़े ही प्रस्तुत कर सकता था उसमें यह कहा गया कि एक ही की जांच होना है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ:- आपके निवेदन पर सम्पूर्ण प्रक्रिया की, सम्पूर्ण भर्तियों की जांच कर ली जायेगी.
श्री के.पी.सिंह :- कोई दिक्कत नहीं है. अब मीटिंग आयोजित की जाये तो भोपाल से अधिकारी नहीं जायें, ग्वालियर से डीन नहीं आये तो मैं अकेला जाकर क्या करूंगा ? इसलिये मैंने अर्ज किया.
अध्यक्ष महोदय:- मैं बताऊं, आप विराजो, मेरी बात तो सुन लें. मैं मामले को सुलझा रहा हूं. क्योंकि आप भी प्रश्न कर रहे हैं और मंत्री जी भी प्रश्न कर रही हैं और दोनों उत्तर नहीं दे रहे हैं. प्रश्न यह पैदा हो रहा है. आप भी प्रश्न कर रहे हैं, मंत्री जी भी प्रश्न कर रही हैं, प्रश्न यहां पैदा हो रहा है. अब मेरा प्रश्न नहीं, उत्तर है. एक महीने में आप मीटिंग आपकी कहां-कहां बोल रहे हैं, वहां कहीं नहीं होगी. मंत्री जी आप, विधायक जी आप और आपके अधिकारी जो विद्वान हैं, जिन्होंने बड़ी-बड़ी सीमाएं, यह मेडिकल में बांध कर रखी हैं, बहुत बड़े बुद्धिजीवी हैं. बड़े ध्यान-व्यान, गुणवान और नियमों के बारे में ज्ञाता, जो मेरे को भी कभी-कभी पढ़ाते हैं. विधान सभा के किसी कक्ष में आपकी बैठक आयोजित होगी. (मेजों की थपथपाहट) आप पूरे के पूरे दस्तावेज यहां बुला लीजिये, एक महीने के अंदर. विधायक जी, आप जब सदन की कार्यवाही पूरी हो जाये, आप और मंत्री जी तारीख तय कर लें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- अध्यक्ष जी, एक बात जरूर इसमें ध्यान रखें, मुख्यमंत्री जी ने अभी जो प्रश्नकाल में भी ऐसा ही विषय आया था. उनका जो उद्देश्य था, उस उद्देश्य को जरूर ध्यान में रखें.
अध्यक्ष महोदय:- उसी की पूर्ति कर रहा हूं. आपका भी जो प्रश्न आता है, उसी की पूर्ति कर रहा हूं. मैं तो आप लोगों के प्रश्न सुन-सुन कर उनकी पूर्ति कर रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं कि आते ही नहीं हैं. लेकिन चर्चा हो जाती है. ध्यानाकर्षण भी ऐसे होते हैं, जो आते ही नहीं हैं और चर्चा हो जाती है.
अध्यक्ष महोदय:- कभी-कभी अदृश्य हो जाते हैं, त्रिशंकु बनकर लटक जाते हैं, हो जाता है.
4. रतलाम एवं कटनी सहित प्रदेश में वैध कालोनियों को अवैध घोषित किया जाना
श्री चेतन्य कुमार काश्यप(रतलाम-सिटी):-
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह)--अध्यक्ष महोदय,
· श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा कि रतलाम व कटनी में 50 कालोनियों के रतलाम नगर के अंदर 21 करोड़ के व कटनी के अंदर 5 से 6 करोड़ रूपये के कामों के वर्क आर्डर जारी हो चुके हैं. रतलाम की 5 कालोनियों में ठेकेदारों ने खुदाई के काम कर दिये हैं, सड़क जो उनकी अपनी बनी थीं, उनको खोद दिया. मानसून के पहले उन सड़कों को भरा भी नहीं गया है. वहां अनिश्चितता का माहोल है उसके कारण से ठेकेदार आगे के काम नहीं कर रहे हैं. जनता के अंदर उनके घर से निकलने में तकलीफ है. आपको जो भी जानकारी दी गई है, वह उचित नहीं है. आप उसका बराबर अध्ययन करें, क्योंकि यह अवैध कालोनियों का मसला है. यह मध्यप्रदेश में सन् 1980 एवं 1985 से चल रहा है इसमें 6-7 हजार अवैध कालोनियां बनी हैं. यह सारी अवैध कालोनियां, कई अधिकारियों के संरक्षण, राजनैतिक संरक्षण या और कई तरह के संरक्षण के माध्यम से ही अस्तित्व में आई हैं. इन पर अंकुश लगाना भी आवश्यक है, परन्तु यह अवैध है, हमारे गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों की वैध कमाई के पैसे से रजिस्ट्री करके प्लाट खरीदे गए हैं, वह कोई उनका अवैध प्लाट नहीं है. कालोनी आपके नियमों से अवैध हुई है, उसके जब नियम बने हाईकोर्ट के अंदर तो आपका पक्ष नहीं रखा गया. नगर पालिका एक्ट के 4(33) के अनुसार राज्य सरकार को उसके नियम बनाने का अधिकार था, अभी भी आपने जो उल्लेख किया है कि हम लोग इसमें कार्यवाही कर रहे हैं, न तो आपने समय सीमा दी है, आप सुप्रीम कोर्ट में कर रहे हैं, या नया कोई संशोधन ला रहे हैं, या जो पहले से आपके जो वर्कऑर्डर जारी है, उनके बारे में कोई स्पष्टता नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - काश्यप जी प्रश्न करिए.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप - प्रश्न यह है कि इसमें कोई समय सीमा नहीं दी गई है और क्या कार्यवाही की जा रही है, या तो नियम बना रहे हैं, या सुप्रीम कोर्ट में जा रहे हैं वह विषय बिलकुल स्पष्ट नहीं है और जिन कालोनियों में खड्डे खुद चुके हैं, उनके बारे में आपका क्या प्रावधान है?
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, यह गंभीर मुद्दा है और हमारी सरकार इस मुद्दे पर अतिसंवेदनशील है. इसमें एक तरफ तो ठेकेदार की समस्या है, वह भी महत्वपूर्ण है, लेकिन ठेकेदार से ज्यादा जो आम उपभेक्ता है जिन्होंने कहीं न कहीं कर्जें के माध्यम से या सेविंग के माध्यम से वहां पर प्लाट लिया हो या मकान बनाया है, उनका संरक्षण करना बहुत जरूरी है. इसमें जैसे माननीय विधायक जी पूछ रहे हैं कि सरकार इसमें क्या कदम उठा रही है. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि हमारे पास दो विकल्प है, या तो हम वर्तमान में जो अधिनियम है, उसमें संशोधन लाए, लेकिन उसमें यह दिक्कत आएगी माननीय विधायक जी कि फिर वह वापस चैलेंज हो सकता है, इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, हम यह विचार कर रहे हैं कि एक नया अधिनियम स्थापित करेंगे, हमने इस पर रिसर्च की है और अन्य राज्य भी उन्होंने भी यही किया है कि एक नया अधिनियम लाकर जिसमें भविष्य में कोई दिक्कत न हो, हमारी यही प्लानिंग है, यह फाइल केबिनेट में जाएगी. वर्तमान में इसमें टाइम इसलिए लगा क्योंकि आगे इसमें कोई दिक्कत न आए. यह हमारा कर्तव्य है. हम इस फाइल को लाएंगे, विधि विभाग से स्वीकृत होगी, केबिनेट में जाएगी और फिर अधिनियम पारित होगा, यह हमारी जिम्मेदारी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और पाइंट यह बात अभी विधायक जी ने कही और यह बात ध्यानाकर्षण में भी है कि इस सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और उत्तर सही नहीं दिया. मैं विधायक जी को जानकारी देता हूं कि इस पिटीशन का रिस्पांस, सरकार हमारी नहीं थी, पूर्व भाजपा की सरकार थी, जिसने दिनांक 30.07.2018 को उत्तर दिया था, तो पूर्व सरकार के द्वारा जो उत्तर दिया गया था, उसके आधार पर यह हाईकोर्ट का आदेश आया है और जैसे मैं कह रहा हूं कि आपका विषय गंभीर है और कमलनाथ जी की सरकार इस विषय पर अति संवेदनशील है, नया अधिनियम लाया जाएगा, जिसके द्वारा जो भी ऐसी कालोनियां हैं, जो प्रावधान में आती है, नियम में आती है, उनको वैध किया जाएगा.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप - अध्यक्ष महोदय, फिर वही, जो काम आज रुका हुआ है, जिनके घर के सामने खड्डे खुदे हुए हैं, उनका क्या होगा.
अध्यक्ष महोदय - उसका ही तो निचोड़ बताया गया है.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप - यह जो जवाब दिया गया है, हाईकोर्ट की तिथियां अगर आप देखेंगे तो दिसम्बर के अंदर ऑर्डर के लिए जब विरोध हुआ था, तब अंतिम बहस के लिए अधिवक्ता ने समय मांगा था वह पूरी प्रोसीडिंग पढ़ी जाए तो उससे बड़ी स्पष्टता आएगी और निश्चित तौर पर यह जो काम है, मेरा मूल प्रश्न है कि जिनके घर पर काम के लिए खड्डे खुद चुके हैं, उनका क्या होगा और अगली व्यवस्था भी इस पर आवश्यक है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, क्योंकि उच्च न्यायालय का आदेश है, उसका हमको पालन करना होगा, लेकिन जैसा मैंने कहा है कि हम तत्काल नया अधिनियम लाएंगे और जल्द से जल्द जैसे वह पारित होगा, तो जो भी ऐसी कॉलोनियां हैं, जिनका काम रुका हुआ है, उसके बाद वह पूरा हो सकेगा.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ प्रश्न और सुझाव दोनों एक साथ करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - लंबा मत करिए.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - लंबा नहीं करूंगा, बिलकुल संक्षेप में है. अवैध कालोनियों के मुद्दे एक तो दो बातें उठती हैं कि क्या आप माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय से सहमत हैं या आप इस पर ऊपर अपील करना चाहते हैं. दूसरी बात, आप अवैध कॉलोनियों में अन्दर जाकर स्थितियां देखिये, जो पुरानी सड़कें हैं, उस पर मुरम डला हुआ है, लोगों का रोड पर निकलना दूभर है. 50 प्रतिशत आबादी अवैध कॉलोनियों में निवास कर रही है. अवैध कॉलोनियों के बनने से पहले यह जगह खेत थी, एक तो हमारे शहर अब चारों तरफ ओर 50 से 60 किलोमीटर तक, 100-100 किलोमीटर तक बायपास से घिरे हैं, हम कटोरे जैसी स्थिति में आ गए हैं. जो बारिश का पानी पहले खेतों के माध्यम से निकल जाता था, अवैध कॉलानी में मकान निर्मित होने से पानी नहीं निकल पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न कीजिये.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के साथ ही, उसमें मेरा सुझाव भी है. भूतल पर एक छोटे निर्माण कार्य को छोड़कर, बाकी भूतल के निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाये, जिससे वाटर हार्वेस्टिंग भी हो, बरसात का पानी भी निकल सके और कॉलोनियों में जो पानी बह रहा है, जैसे 9 फीट की सड़क है, उस पर गाड़ी खड़ी है और उसके पास 40 लाख का बंगला बना हुआ है. इसमें रजिस्ट्री में 15 फीट तक मध्य से निर्माण कार्य न करें और जब तक हाईकोर्ट के निर्णय पर आप जो आगामी कार्यवाहियां कर रहे हैं, वह तो आप वैध करने के लिए करेंगे ही, लेकिन तब तक आप सर्वे तो कम्प्लीट करें कि कितनी अवैध कॉलोनियां हैं और उनमें क्या काम होने हैं ? कटनी में दो दुकानों को कॉलोनी बनाकर वैध बनाने की कार्यवाही कर दी गई है, दुकानें गजानन टॉकीज के पास की हैं. उन्होंने कहा कि दुकानें लिखकर उसको कॉलोनी बनाकर वैध कर रहे हैं. उसकी जांच करवा लें और जो प्लॉट खाली पड़े हुए हैं, उनमें गड्डों में पानी भरने से बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं, प्लॉट मालिक को प्लॉट को सड़क लेवल से ऊपर करने के निर्देश दें. लोग कॉलोनी में प्रवेश करते हैं, आप सीवर लाइन का काम तो करवा लेते हैं, अवैध कॉलोनियों में सीवर लाइन का काम में जो अत्यंत आवश्यक कार्य है, वह तो छोड़ दें कि वहां पर नगर निगम काम करवा सके.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के दो या तीन विशेष मुद्दे हैं. पहला यह है कि क्या हम इसको चैलेन्ज करेंगे ? हमको लीगल ओपिनियन मिला है कि चैलेन्ज करना सही नहीं रहेगा क्योंकि जो हमारा जो एक नियम है, एक रूल है. जबकि अधिनियम 292-ड यह कहता है कि अगर कॉलोनी अवैध है तो उसको आयुक्त या सरकार उसको ले सकती है, लेकिन क्योंकि अधिकतर हम देखते हैं कि जो भी नगर-निगम हो, नगर पालिका हो, वह अधिकतर इसको स्वीकार नहीं करते हैं क्योंकि इसमें अतिरक्त खर्च और बोझ बढ़ता है और एक प्रकार से उसके द्वारा भविष्य के लिए, हम एक प्रकार से अवैध कॉलानी को एंकरेज करेंगे इसलिए हम यह नहीं कर रहे हैं. इसीलिए हम एक नया अधिनियम ला रहे हैं, जो शेष ऐसी पूर्व की कॉलोनियां हैं, उनको भी कहीं न कहीं वैध किया जायेगा. दूसरा मुद्दा जो कटनी का है, जिसमें मैं आदेश दूँगा नगर निगम आयुक्त को, जो भी आपके मुद्दे हैं, चाहे वह दुकानों के हों, चाहे ऐसे कॉलोनी जिनका निर्माण चल रहा है, लेकिन जहां पर रोड का काम नहीं हो पाया है और अन्य समस्याएं हैं, उसका एक पत्र दे दें तो उस पर कार्यवाही करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है. (कुछ माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर) यह क्या हो गया ? मैंने 6 ध्यानाकर्षण इसलिए नहीं लिए हैं. (श्री संदीप श्रीप्रसाद को देखकर) आपका हो गया. मैंने जितने प्रश्न पूछने थे, बैठ जाइये. आपने एक बार में चार प्रश्न किए हैं और एक बार में चारों का उत्तर मिल गया. आप विराजिए.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष जी, यह बहुत महत्वपूर्ण बात है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं. मैं परमिट नहीं कर रहा हूँ. यह इनकी कार्यकुशलता होनी चाहिए कि पहले कौन-सा प्रश्न करना है और बाद में कौन-सा ?
विश्वास सारंग - मंत्री जी, आगे ऐसी स्थिति न बने, ऐसा मैकेनिज्म डेवलप करें.
अध्यक्ष महोदय - हमारा मंत्री होनहार है, पहली बार कंधों पर बोझ आया है. आप लोग क्या एक साथ काम करवाना चाहते हो ? अभी 4 महीने हुए हैं. आप लोग बैठ जाइये. आपको प्रश्न एलाऊ किया. (श्री संदीप श्रीप्रसाद को देखकर) बड़ी मुश्किल से किया है, बहू तक को बुलाकर किया है. आप शान्त बैठिये.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप - अध्यक्ष महोदय, एक छोटा सा सुझाव देना चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय - यह बीच में खड़े होना बहुत गलत बात है. काश्यप जी, क्या यह आपको शोभा दे रहा है ?
अध्यक्ष महोदय - (श्री संदीप श्रीप्रसाद को देखकर) मैंने बोल दिया है कि लिखकर दे दें. (श्री राजेन्द्र पाण्डेय जी के खड़े होने पर) आप भी लिखकर दे दो.
(5) व्यापम घोटाले की जांच को निष्पक्ष न करना.
सर्व श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर), मुन्नालाल गोयल, सदस्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
गृहमंत्री (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- विधायक जी आप सिर्फ प्रश्न पूछियेगा, आप भूमिका मत बनाईयेगा.
श्री प्रताप ग्रेवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यापमं घोटाले में जो पूर्व सरकार थी....
अध्यक्ष महोदय -- भाई आप प्रश्न करें.
श्री प्रताप ग्रेवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यापमं घोटाले में पूर्व सरकार गंभीर नहीं थी. 24 नंवबर 2014 को एस.टी.एफ ने एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया था, उसमें कुल तैरह सौ सत्तावन आवेदन आये थे, उसमें से एक हजार चालीस शिकायतें लंबित थीं, पांच सौ दस गुमनाम शिकायतें थीं, पांच सौ तीस प्रकरणों को चवालीस थानों पर सीधे भेज दिया गया था और तीन सौ तैरह आवेदन नस्तीबद्ध कर दिये गये थे और एक सौ सनत्यान्वे शिकायतें लंबित हैं और शासन के स्थायी अधिवक्ता......
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उत्तर दे रहे हैं कि प्रश्न कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें.
श्री प्रताप ग्रेवाल -- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, मैं आपको आंकड़ों की जानकारी दे रहा हूं. मेरा आपसे यह अनुरोध है कि 02 जुलाई, 2014 में सदन में पूर्व मुख्यमंत्री....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न करें भाई, यह जितना आप पढ़ रहे हो, सब इसमें आ गया है. आप प्रश्न करो, क्या चाह रहे हो.
श्री प्रताप ग्रेवाल-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि 510 गुमनाम पत्रों को जिनको नस्तिबद्ध कर दिया, क्या मैं आपके माध्यम से माननीय गृह मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि उन नस्तिबद्ध किये गये प्रकरणों की जांच करवायेंगे ?
अध्यक्ष महोदय-- ऐसा सीधी-सीधा पूछो न भाई.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो व्यापम से संबंधित जानकारी चाही है, उन्होंने अपने प्रश्न में भी इस बात का उल्लेख किया है कि जो 212 प्रकरण सीबीआई को सौंपे गये थे उसके बाद 1049 शिकायतें थीं उसमें से 530 शिकायतें थानों को भेजी थीं और 510 जो शिकायतें थीं यह जिलों में भेजी थीं और 510 शिकायतों में से 313 शिकायतों का निराकरण कर लिया था, 197 शिकायतें और बची हैं उनका भी निराकरण किया जा रहा है और उनसे संबंधित विवेचना जारी है.
श्री प्रताप ग्रेवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो 197 शिकायत वर्तमान में लंबित हैं, वह कितनी समयावधि में पूरी करा लेंगे ?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, समयावधि पूछ रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत जल्दी हम उन शिकायतों का भी निराकरण करेंगे.
श्री प्रताप ग्रेवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और प्रश्न हैं, एसटीएफ की जवाबदारी थी हाईकोर्ट के निर्देश पर उन प्रकरणों की जांच करने की. मेरा 22 तारीख को एक प्रश्न था उसमें गुमनाम पत्र की पूर्व मुख्यमंत्री की जांच उनके वक्तव्य के ऊपर उस गुमनाम पत्र की जांच करा दी जाती है, लेकिन यह जो 510 आवेदन पत्र नस्तिबद्ध किये गये हैं उनकी जांच क्यों नहीं कराई गई ?
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी की बात से सहमत हूं कि पूर्व की सरकार और उनके तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने यहां जब हम लोग विपक्ष में थे, स्थगन प्रस्ताव लाये थे, उस स्थगन प्रस्ताव के जवाब में तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने 2 जुलाई 2014 को यह बात कहीं थी कि दिनांक 20.06.2003 को इंदौर की गुप्तचर शाखा में कोई गुमनाम पत्र मिलता है और उसमें दो षड़यंत्रकारी व्यापम वालों के उसमें नाम हैं. यह प्रश्न जो माननीय विधायक जी पूछ रहे हैं, ऐसा कोई पत्र आज तक हमको नहीं मिला है. चूंकि उस समय मैं भी विपक्ष का विधायक था तो मैंने उस समय की तत्कालीन सरकार के गृहमंत्री जी से यह प्रश्न पूछा था और मेरे उस प्रश्न के जवाब में माननीय बाबूलाल गौर जी ने भी यह जवाब दिया था कि दिनांक 13.03.2015 को कि कोई ऐसा पत्र नहीं मिला. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज भी वही जवाब है जो उस सरकार का जवाब था, क्योंकि पूर्व की सरकार का व्यापम है, पूर्व की सरकार के ही द्वारा वह जवाब नहीं दिया गया.
अध्यक्ष महोदय-- बाकी 500 का क्या करोगे ?
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन की जानकारी में ला देना चाहता हूं कि ऐसा कोई गुमनाम पत्र जिसका जो पूर्व मुख्यमंत्री जी ने उल्लेख किया था वह है ही नहीं, वह लिखा ही नहीं गया, कैसे यहां हाउस में बोला गया.
अध्यक्ष महोदय-- विधायक का अगला प्रश्न 500 है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 530 और 510 और उसके बाद हम 313 शिकायतों का निराकरण कर चुके हैं. 197 के बारे में मैंने जो बोला है कि विवेचनाधीन है और हम बहुत जल्द इनका निराकरण कर देंगे.
श्री प्रताप ग्रेवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो 510 नस्तिबद्ध किया गया. इस पर जवाब चाहता हूं ?
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, वह नस्तिबद्ध की बात कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह नस्तिबद्ध इसलिये किया गया है कि उनमें जो आवेदक है, किसी में आवेदक के नाम का पता ही नहीं है, उस नाम का कोई आवेदक ही नहीं है, इस कारण से वह नस्तिबद्ध किये गये.
श्री प्रताप ग्रेवाल -- गृह मंत्री जी आप पूर्व सरकार के पापों को क्यों छिपा रहे हो. मैं तो आपसे यह पूछना चाहता हूं कि जो 2 जुलाई को मुख्यमंत्री जी ने जो वक्तव्य दिया था, जो गुमनाम पत्र का जिक्र किया था, उस गुमनाम पत्र की आप जांच करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- श्री रामखेलावन पटेल. बैठ जाइये ग्रेवाल जी,
श्री प्रताप ग्रेवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गृह मंत्री जी से मेरा....
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाईये, इनका कुछ नहीं लिखा जायेगा. विराजिये, विराजिये.
श्री प्रताप ग्रेवाल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- जब पत्र ही नहीं तो जांच कहां से हो जायेगी.
श्री प्रताप ग्रेवाल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आप विराजिये, भाई जब पत्र नहीं था तो जवाब कहां से दे दिया.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने पूछा तो जवाब यह है कि पत्र है ही नहीं.
अध्यक्ष महोदय - अच्छा यह है.
श्री प्रताप ग्रेवाल - XXX
अध्यक्ष महोदय - विधायक जी, प्रश्न करते हो तो उत्तर सुनने का भी श्रवण किया करो. सिर्फ उसी पर मत अड़ा करो, प्रश्न किया है तो उत्तर सुनने की भी क्षमता रखा करो. उन्होंने जवाब दे दिया. आप सुन ही नहीं रहे. उसी पर अड़े हुए हो.
श्री मुन्नालाल गोयल - अध्यक्ष महोदय, व्यापम के संबंध में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की सूचना इस प्रकार है :-
अध्यक्ष महोदय - सिर्फ प्रश्न करिये.
श्री मुन्नालाल गोयल - अध्यक्ष महोदय, व्यापम घोटाले में लैण्ड और भ्रष्टाचार के आँकड़े के संबंध में कई संस्थाओं द्वारा जारी आंकड़े घोटाले में बताये गये हैं, उसकी राशि करीब 10 हजार करोड़ है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.
श्री मुन्नालाल गोयल - अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी बात कर लूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं कह रहा हूं एक प्रश्न करिये.
श्री मुन्नालाल गोयल - अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से ही मैं अपनी बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं भूमिका नहीं बनाने दूंगा गोयल जी. आप प्रश्न करिये.
श्री मुन्नालाल गोयल - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि पूर्व भा.ज.पा. सरकार के कार्यकाल में जो एस.टी.एफ. की जांच कराई गई थी. बहुत गंभीर मामला है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा व्यापम घोटाले की जांच एस.टी.एफ. द्वारा कराई गई जिसमें डी.एस.पी.बिरला सिंह बघेल बरसों तक भोपाल में एस.आई.,टी.आई. और डी.एस.पी. रहे और डी.एस.पी. होकर एस.टी.एफ. में चले गये. इन्होंने व्यापम घोटाले की जांच की और इस जांच में
..................................................................................................................................
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
चिरायु मेडिकल के डाक्टर गोयनका गिरफ्तार हुए. वर्तमान में जमानत पर हैं दूसरी और एस.टी.एफ. में व्यापम घोटाले की जांच करने वाले डी.एस.पी. रिटायर होने के बाद व्यापम के आरोपी गोयनका के यहां नौकरी कर रहे हैं. इसी प्रकार रिटायर सी.एस.पी. मोहम्मद सलीम, जो तलैया क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. चिरायु मेडिकल कालेज इसी थाने में आता है वह भी व्यापम के आरोपी गोयनका के यहां नौकरी कर रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि एस.टी.एफ. की जांच के जो अधिकारी थे, वे सब, जिनको पूर्व भा.ज.पा. सरकार ने डेप्यूट किया और उनके अनुसार उन्होंने सारा काम किया. जो व्यापम के आरोपी हैं, उनके यहां नौकरी कर रहे हैं यह गंभीर मामला है.
अध्यक्ष महोदय - रामखेलावन पटेल अपनी ध्यानाकर्षण सूचना पढ़ें.
श्री मुन्नालाल गोयल - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - नहीं. मैंने एक बार बोला. आप प्रश्न नहीं कर रहे हैं.
श्री मुन्नालाल गोयल - अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरी तीन-चार मांगें व्यापम के संबंध में हैं.
(..व्यवधान..)
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - आप क्यों बोल रहे हो. मैं बार-बार बोल रहा हूं कि प्रश्न करिये. वे प्रश्न ही नहीं कर रहे और आप लोग पैरवी कर रहे हैं. क्या मैं जो व्यवस्था दे रहा हूं उसका आप खड़े होकर विरोध कर रहे हैं.मैं बोल रहा हूं प्रश्न करिये. आप उनकी पैरवी कर रहे हैं तो इसका मतलब है आप मेरी बुराई कर रहे हैं. आप ध्यान रखिये. आप क्या कर रहे हैं आप लोग. मैं आपसे चार बार बोल चुका प्रश्न करिये.
सामान्य प्रशासन मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, उन्होंने प्रश्न ही किया है. जिन्होंने जांच की है तो वे उन्हीं के यहां नौकरी कर रहे हैं तो क्या इसकी जांच होगी यह सवाल है.
अध्यक्ष महोदय - तो ऐसा प्रश्न करिये.
श्री मुन्नालाल गोयल - अध्यक्ष महोदय, जो अधिकारी भा.ज.पा. काल में एस.टी.एफ. में डेप्यूट थे वे अधिकारी व्यापम के आरोपी के यहां नौकरी कर रहे हैं. क्या यह मानें कि व्यापम की जो जांच भा.ज.पा. सरकार में हुई क्या वह ठीक थी ?
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व की सरकार की बात नहीं कर रहा हूं. अब हमारी सरकार है. अब पूरी साफ सुथरी जांच होगी और जो भी दोषी है वह बिल्कुल नहीं बच पाएंगे और जो निर्दोष हैं वे बिल्कुल नहीं फंस पाएंगे.
(6) सतना जिले के न्यूरामनगर के प्रभारी सी.एम.ओ. द्वारा अनियमितता व मारपीट किया जाना
श्री रामखेलावन पटेल (अमरपाटन), श्री शरदेन्दु तिवारी - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - इसमें पूरा विषय आ गया है, जब मैं आपको प्रश्न के लिए अलाऊ करूंगा, तब आप कृपया भूमिका मत बनाना, आप प्रश्न बनाकर तैयार रखें.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन ) - अध्यक्ष महोदय,
श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय 28 जून 2019 को नगर परिषद न्यू रामनगर में परिषद की बैठक थी जैसे कि जानकारी मिली है. नगर परिषद अध्यक्ष और सीएमओ के बीच में किसी बात को लेकर विवाद हुआ है और यहां तक की झगड़ा भी हुआ है दोनों पक्षों को चोटें भी आयी हैं. राम सुशील के सिर में टांके लगे हैं तथा उनको गंभीर चोटें आयी हैं, लेकिन एक पक्षीय एफआईआर कर दी गई है. अध्यक्ष राम सुशील पटेल एवं अन्य के विरूद्ध एफआईआर कर ली गई परंतु प्रभारी सीएमओ देवरत्नम सोनी एवं उसके गुण्डों व सहयोगियों के ऊपर एफआईआर नहीं की गई है. संज्ञेय अपराध है घटना के तुरंत बाद प्रभारी सीएमओ देवरत्नम सोनी के ऊपर भी एफआईआर होना था.एफआईआर क्यों नहीं की गई कब तक देवरत्नम सोनी सीएमओ के ऊपर हो जायेगी, मंत्री जी बताने का कष्ट करें. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि 28 जून को परिषद की बैठक थी. प्रभारी सीएमओ भी लोक सेवक है और अध्यक्ष राम सुशील भी लोक सेवक है, राम सुशील पटेल के ऊपर एफआईआर हो गई है उनके ऊपर 332,353 एवं 327 धाराएं लगी हैं तो क्या मंत्री जी इन धाराओं को तत्काल हटवाए जाने का कष्ट करेंगे.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने पहले ही अपने उत्तर में यह बात कही है कि नगर परिषद न्यू रामनगर है उस मीटिंग के दौरान नगर परिषद के कैम्पस में अपने साथियों सहित जिन आरोपियों के नाम मैंने बताये हैं यह पहुंचते हैं लट्ठ और सरियों से पीटते हैं. वह सब फेक्ट हैं उन सबकी जांच करा ली है, पूरा प्रकरण वहां के थाने में विवेचनाधीन है पूरी कार्यवाही विधिसम्मत की गई है.
श्री शरदेन्दु तिवारी --अध्यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी ने इस विषय पर जवाब दिया है. जवाब में आपने कहा है कि सीसी टीवी कैमरे के फुटेज नहीं देखे गये हैं. जांच हो गई है सीसी टीवी कैमरे के फुटेज आपने एक माह से नहीं देखे हैं. आपने जवाब में यह भी लिखा है कि जो राम सुशील पटेल हैं उनके सिर में चोटें हैं और उसकी जांच हमने बाद में करवाई है जेल विभाग ने करवाई है और पुलिस विभाग ने करवाई है. क्या वह चोटें आसमान से लग गई हैं. जब मार पीट हुई है तो दोनों पक्षों पर कर्यवाही होना चाहिए.. यह विषय है इस पर आप जांच करवाएं, आपके अधिकारियों ने पुलिस विभाग के लोगों ने वहां पर गड़बड़ी की है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय विधायक जी ने जो सीसी टीवी कैमरे के फुटेज की बात की है यह हमने डीवीआर एवं वीडियो रिकार्डिंग एफएसएल जांच हेतु भेजी हुई है, बाकी उन्होंने मार पीट जो की है उसका उत्तर मैंने माननीय विधायकगणों को दिया है वह आरोपी इसलिए उनको बनाया गया है कि उन्होंने अपराथ किया है.
अध्यक्ष महोदय -- कार्य सूची के पद 3 के उप पद 7 से 52 तक उल्लेखित माननीय सदस्यो की ध्यानाकर्षण सूचनाएं पढ़ी हुई तथा संबंधित मंत्रियों द्वारा वकतव्य भी पढ़ा हुआ माना जायेगा.
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी 56 याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
सदन की कार्यवाही अपरान्ह 03.30 बजे तक के लिए स्थगित.
( 2.28 बजे से 3.30 बजे तक अंतराल )
3.36 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के प्रबंध मण्डल के लिये 3 सदस्यों का निर्वाचन
3.37 बजे मध्यप्रदेश विधान सभा के सदस्यों एवं पूर्व सदस्यों के वेतन/भत्तों/पेंशन आदि के पुनरीक्षण एवं अनुषांगिक विषयों का परीक्षण कर अनुशंसायें करने के लिये समिति का गठन.
3.38 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक,2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) {चर्चा का पुनर्ग्रहण}
अब, विधेयक पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद ) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ ऑर्डर है. कल प्रवर समिति गठित कर दी गई थी और इसके बाद में 4 विधेयक पास हो गये. इसके बाद में एक संशोधन का बहाना लेकर के प्रवर समिति को निरस्त कर देना मैं सोचता हूं कि उचित नहीं हैं और यह नियमों के विपरीत है.
श्री विश्वास सारंग (नरेला) -- अध्यक्ष महोदय, जैसा सीतासरन शर्मा जी ने कहा कि इस विधेयक पर चर्चा हुई और प्रवर समिति का यहां गठन हो गया, उसकी भी सूचना आ गई और उसके बाद 4 विधेयक प्रस्तुत हो गये, उसके बाद इस विधेयक पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होना मुझे नहीं लगता है, बहुत जरुरी है और शायद यह नियम के विरुद्ध भी है. अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, चर्चा का पुनर्ग्रहण तब होता है, जब चर्चा जारी होती है और चर्चा तो जारी थी नहीं, दूसरे विधेयक आ गये थे, चर्चा ही जारी नहीं थी,तो चर्चा का पुनर्ग्रहण कहां से हो जायेगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- जैसा कि कल कहा था, 30 वर्षों में पहली बार एक अच्छा और स्वस्थ उदाहरण देखने के लिए मिला था. लेकिन मैं दु:ख के साथ कहना चाहता हूँ कि उस एक अच्छी परम्परा को खत्म करने की कोशिश हो रही है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आप लोगों की भावना की हमेशा कद्र करता हूँ. उसी के तहत मैंने ये निर्णय लिया था, तदुपरांत जिस विषय पर हमने प्रश्न-चिह्न लगाया था, उस प्रश्न-चिह्न का उत्तर आ गया. उसको समावेश कर लिया गया, तब मैंने सोचा कि जिस चीज की मैंने घोषणा सम्वेत सदस्यों के सामने की थी, तो उन्हीं सम्वेत सदस्यों को ध्यान में रखते हुए मैं पुन: इस बात को आपके संज्ञान में ला रहा हूँ. वहां तो चार सदस्यों की बात थी, यहां तो पूरे सम्वेत सदस्य हैं, उन्हीं के सामने मैं पुनर्ग्रहण करने की बात कर रहा हूँ. इसलिए इसको अनुमति दें और हम कार्यवाही आगे बढ़ाएं, ऐसा मेरा आप सभी से अनुरोध है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आपका निर्णय शिरोधार्य है, यह बात ठीक है कि एक विषय पर ये बात वहां रुक गई थी, किंतु यदि प्रवर समिति बनती तो और भी विषय उस विधेयक के संबंध में चर्चा के लिए आ सकते थे और उनके लिए कोई निषेध भी नहीं था. इसलिए उसका एक विस्तृत क्षेत्र हो जाता, किंतु आपका निर्णय तो सर्वोपरि होता है, मुझे मालूम है, किंतु मैं ऐसा सोचता हूँ कि आप यदि अभी ये कर भी रहे हैं तो भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो, कृपा करके इसका ध्यान रखें.
अध्यक्ष महोदय -- ऐसा विराम मत लगवाइये डॉक्टर साहब, नहीं तो मैं पुनरावृत्ति सोच कर फिर किसी को प्रवर में नहीं जाने दूंगा. आपके ध्यानाकर्षण के लिए धन्यवाद.
कल मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान मैंने इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने के संबंध में व्यवस्था दी थी. बाद में कार्यवाही के अवलोकन में मैंने पाया कि इस संबंध में जो विधिवत ''संशोधन प्रस्ताव'' नियमावली के नियम 67(2)(क) और 68(क) के तहत, मय प्रवर समिति के सदस्यों नाम सहित आना चाहिए था. वह नहीं आया. इस प्रकार वह प्रक्रिया पूर्ण न हो पाने से वह संशोधन प्रस्ताव पारित मानना नियमानुकूल न होगा. अत: मैं अपनी व्यवस्था को संशोधित करता हूँ और भारसाधक मंत्री से अनुरोध करता हूँ कि वे विधेयक पर चर्चा और उसके पारण की प्रक्रिया करें और माननीय सदस्यों की भावनाओं के अनुसार जो संशोधन वे विधेयक में करना चाहें, उसके लिए अग्रसर हों.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मैं कहना चाहता हूँ कि नेता प्रतिपक्ष जी ने जो कल कहा था, वही हमने कर दिया, फिर भी आपको आपत्ति है. आपने जो मुद्दा उठाया था, उसको शामिल कर लिया है और माननीय अध्यक्ष जी ने कल ही बोल दिया था कि अगर संशोधन लाएं..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- पूरी बातें नहीं आई हैं.
श्री विश्वास सारंग -- हमारी पूरी बातें नहीं आई हैं, स्पीकर, लोकसभा और राज्यसभा के स्पीकर के अधिकार जो छीने जा रहे हैं, उस पर हमारा विरोध है.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए ठीक है, आप तीनों का धन्यवाद है.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
खण्ड - 2, इस खण्ड में एक संशोधन है.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि खण्ड - 2 में इस प्रकार का संशोधन किया जाए :-
उपखण्ड - 7 के विद्यमान खण्ड - 29 के पश्चात् निम्नानुसार खण्ड - 30 स्थापित किया जाए अर्थात् 30 - मध्यप्रदेश विधान सभा का एक सदस्य जो विधान सभा के अध्यक्ष द्वारा नाम निर्देशित किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि खण्ड - 2 में इस प्रकार संशोधन किया जाए, उपखण्ड - 7 के विद्यमान खण्ड - 29 के पश्चात् निम्नानुसार खण्ड-30 स्थापित किया जाए अर्थात् 30 - मध्यप्रदेश विधान सभा का एक सदस्य जो विधान सभा के अध्यक्ष द्वारा नाम निर्देशित किया जाएगा.
संशोधन स्वीकृत हुआ.
प्रश्न यह है कि यथासंशोधित खण्ड - 2 इस विधेयक का अंग बने.
यथासंशोधित खण्ड - 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड - 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड - 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक के अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक के अंग बने.
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(2) मध्यप्रदेश गौ-भैंस वंश प्रजनन विनियमन विधेयक, 2019
पशुपालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश गौ-भैंस वंश प्रजनन विनियमन विधेयक, 2019 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश गौ-भैंस वंश प्रजनन विनियमन विधेयक, 2019 पर विचार किया जाये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष जी, मेरा एक सुझाव है. यह जो विधेयकों के संशोधन हम लोगों को मिलते हैं, इनका मूल विधेयक हम लोगों के लिये, अब जैसे 17 विधेयक हैं, तो इनका मूल विधेयक जिसमें संशोधन ला रहे हैं ''अ में, ब में, ख'' में, यदि इसकी भी एक प्रति मिल जाया करे, तो हमें समझने में आसानी होगी कि वास्तव में संशोधन किसका और कैसा हो रहा है. उद्देश्यों और कारणों का विवरण तो इसमें रहता है, लेकिन मूल विधेयक क्या है, यह नई व्यवस्था है, अगर संभव है, तो हमें विधेयक मिल जाये. क्योंकि हमको लाइब्रेरी में जाकर मूल विधेयक को देखना पड़ता है. 17 विधेयक देखें, तो काफी टाइम लग जाता है.
अध्यक्ष महोदय - उपबंध बताते हैं न उसमें. उपबंध की जानकारी होती है.
श्री गोपाल भार्गव - उपबंध का अर्थ तो अध्यक्ष जी, वही है, जो भी आप इसमें डाल रहे हैं कि संक्षिप्त नाम, धारा 2 का संशोधन. अब धारा 2 में क्या उल्लिखित है और क्या प्रावधानित है, यह हम लोगों को जानकारी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - हम यह मानते हैं कि विद्वान सदस्य ही विधेयकों के ऊपर चर्चा करते हैं, तो मानकर चलते हैं कि उन्हें मालूम होगा.
श्री गोपाल भार्गव - 17 विधेयकों के लिये एक दिन में अध्ययन करना मैं मानकर चलता हूं कि जैसे ही आपने यह उपलब्ध करवाई है वैसे ही विधेयक के 2-4 पन्ने हमको उपलब्ध हो जायें तो ठीक होगा.
अध्यक्ष महोदय - जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं विद्वान नहीं हूं.
अध्यक्ष महोदय - किसने कहा ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैंने कहा.
अध्यक्ष महोदय - आपने सोचा होगा. हमने नहीं बोला न.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - लेकिन मैं विधेयक पर इतर थोड़ा सा विषय से हटकर बोलना चाह रहा था. चूंकि विभाग की जिस दिन चर्चा हुई उस दिन मैं था नहीं या एकसाथ आपने जो निकाले, उसमें निकल गये होंगे. स्पीड पर शताब्दी जब चली थी आपकी. सबको रौंदती हुई गई थी, उसमें विभाग चला गया होगा. मैं पशुपालन मंत्री जी से छोटी सी विनम्र प्रार्थना करना चाहता हूं और अपना भाव व्यक्त करना चाहता हूं. अलग-अलग जगह पर अलग-अलग समय पर भी कर चुका हूं कि यह जो गाय सड़क पर आ जाती है और भैंस कभी दिखाई नहीं देती, बकरी कभी दिखाई नहीं देती, उसके पीछे कारण क्या है, चोरी भैंस की होती है, बकरी की होती है, गाय की कभी नहीं होती. उसके पीछे छोटा सा कारण है कि गाय घर में पालना घाटे का सौदा हो गई है. दूध उसका बहुत कम हुआ है. धीरे-धीरे उसकी नस्ल बिगड़ती चली गई और नस्ल की जगह अब यह है कि सांड तो दिखाई नहीं देते, मंत्री जी, आप ग्वालियर के हैं, मैं भी वहां का हूं, तो वह नटिया टाईप की हो गई हैं और दूध का है नहीं. शहरों में भी गाय एक दो किलो दूध देती है और शाम को ले जाते हैं और दूध निकालकर फिर छोड़ देते हैं. सड़क पर चली जाती है और इसी कारण वह कत्लखाने में जाती हैं, और वगैरह-वगैरह में जाती हैं. अभी आपके विभाग ने यह एक्स और वाई सीमन जो विधेयक है आपका, इसमें मेरी सिर्फ इतनी सी प्रार्थना है कि यह जो विधेयक आज आप लाये हैं, कहीं अगर यह आ सकता हो या आया हो, या आप लाये होंगे कि भले सरकार को सब्सिडी देना पड़े, अभी बछड़े का वीर्य आप पशु चिकित्सालय में जायें, तो सस्ता आपने किया है और गाय का वीर्य महंगा कर दिया है. मेरा कहना है कि गाय वाले को नि:शुल्क कर दें, अच्छी नस्ल का तथा बछड़े का बंद कर दें. बछड़ा जो आपकी शासकीय डेयरी हैं या उन्नत किस्म के जो बछड़े हैं, वह आयें और गाय के लिये ही करें, क्योंकि अगर धीरे-धीरे गाय फायदे का सौदा भैंस की तरह ही हो गई, तो कोई भी गाय को अपने घर से छोड़ेगा ही नहीं और गाय की यह सड़कों की समस्या भी खत्म हो जायेगी और कत्लखाने की, मॉब लिचिंग की, यह सारी समस्याओं का समाधान शायद हो जाये. ऐसा मैं पशुपालन मंत्री जी का ध्यान आपकी कृपा से आकर्षित कर रहा हूं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गाय को क्या लाभ के या नुकसान के सौदे के प्वाईंट आफ व्यू से देखना चाहिए?
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, मैं लाभ और घाटे के सौदे से नहीं देख रहा हूँ. मैं सिर्फ जो सड़क पर आवारा पशुओं में गाय दिखती है, भैस नहीं दिखती...(व्यवधान)..वह पालतू है मालूम है, पर जो सड़कों पर दिखती है...(व्यवधान)..उसको ऐसे मत जोड़ो ट्विस्ट हम भी कर लेंगे. मेरा सिर्फ यह कहना है कि उसको आप जिस रूप में भी मानते हैं उस रूप में हम देख लें.
पशुपालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा जी ने जो बात कही है सच्चाई तो यह है माननीय मिश्रा जी कि यह गाय आज से 15-17 साल पहले रोड पर नहीं दिखती थी. जब से आप आए, आप हमेशा गाय का नारा देते थे, गऊ हमारी माता है, लेकिन 15 साल के अपने शासन में इस गऊ माता.....
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, विषयांतर हो जाएगा...
श्री लाखन सिंह यादव-- एक मिनिट मेरी पूरी बात तो हो जाने दें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मैंने सुझाव दिया है, आपको पसन्द आए तो मानो नहीं पसन्द आए तो मत मानो. कितनी सरल सी बात है.
श्री लाखन सिंह यादव-- मेरी पूरी बात तो हो जाने दें. आपने अपनी बात रख दी, मैं भी तो अपनी बात रखूँ.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- पिछले 15-17 साल का कहोगे तो मुझे मालूम है कि आप इन 7 महीनों में एक गौशाला नहीं खोल पाए और....
श्री लाखन सिंह यादव-- गायों के सड़क पर रहने की वजह क्या है?
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- खोल भी नहीं सकते क्योंकि आपने बजट में प्रावधान ऐसे किए हैं कि पंचायत अपनी तरफ से पैसा ट्रांसफर करेगी, पंचायत ट्रांसफर करेगी नहीं, यही कारण है कि 7 महीने की आप एक कोई उपलब्धि नहीं बता सकते.
श्री लाखन सिंह यादव-- यह गलत है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- आप तो 7 महीने की एक उपलब्धि बता दो. एक उपलब्धि बता दो तो मान जाएँगे, इतना बड़ा मंत्रिमंडल बैठा है..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक हजार गौशालाओं की घोषणा की थी. आप मेरी बात पूरी सुन तो लें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मैं एक शायरी अर्ज कर रहा हूँ...
अध्यक्ष महोदय-- हाँ, इरशाद.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- शायरी इस प्रकार है--
“कभी सूरत बदल गई, कभी सीरत बदल गई और खुदगर्ज जब हुए तो फितरत बदल गई और अपना कसूर दूसरों के सर पर डालकर कुछ लोग समझते हैं हकीकत बदल गई” (मेजों की थपथपाहट) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- परमार जी, बोलिए...(व्यवधान)..
श्री इन्दर सिंह परमार(शुजालपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सामने सब खड़े हैं. मैं निवेदन करता हूँ, बैठ जाएँगे तो अच्छा रहेगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग बैठ जाइये.
श्री फून्देलाल सिंह मार्को-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक शेर मैंने भी याद किया था, यदि आप कहें तो सुना दूँ.
अध्यक्ष महोदय-- किसको सुना रहे हैं?
श्री फून्देलाल सिंह मार्को-- वैसे मैं लोक गीत वाला हूँ पंडित जी को मैं सुना दूँ, मैंने भी 2-3 दिन से याद किया है. अध्यक्ष महोदय, शेर इस प्रकार है--
“आहें उचकुले डूबे, आहें उचकुले डूबे, लहरें मुचकुले डूबे. आ जाता तूफान तो
अच्छा रहा मेरे यार, मेरे भाई मध्यप्रदेश को ले डूबे” (मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन-- दोनों (डॉ.नरोत्तम मिश्र एवं श्री फुन्देलाल सिंह मार्को) ने टीके लगा रखे हैं. आपका भी टीका है, उधर भी टीका लगा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- चलो भाई टीका टिप्पणी...
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में पशु गणना 2012 के आँकडों के अनुसार कुल गौवंश की संख्या 01 करोड़ 96 लाख, देश में सर्वाधिक है और जिसमें से भारतीय नस्ल का जो गौवंश है उसकी संख्या 1 करोड़ 87 लाख है परन्तु अधिकांश गौवंश किसी वर्णिक नस्ल का नहीं है. पंजाब, हरियाणा, जैसे राज्यों में प्रति गौवंश दूध का उत्पादन 5 लीटर प्रति दिवस प्रति गौ है, तो मध्यप्रदेश का जो दुग्ध का उत्पादन है. दो से ढाई लीटर प्रति दिवस प्रति गौवंश का आता है. कुल दूध उत्पादकता कम होने के कारण से गौवंश की जो हमारी संख्या है, जिसके कारण निराश्रित गौवंश की समस्या हम सबके सामने आ रही है. लेकिन गौवंश की अधिक संख्या हमारे लिए एक वरदान भी है और एक मौका भी है. 2012 के आँकड़ों में माता गौवंश की संख्या 65 लाख है. यदि इस गौवंश से प्रति आधा लीटर प्रति दिवस के मान से हम दूध का उत्पादन अधिक करा सकते हैं, ले सकते हैं, तो 30-32 लाख लीटर दूध हमको प्रतिदिन अतिरिक्त मिल सकता है.
अध्यक्ष महोदय, अंग्रेजों के शासनकाल में हमारे देश में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम सर्वप्रथम प्रारंभ हुआ. अंग्रेजों ने अपनी सेना को दूध की आपूर्ति करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान प्रारंभ कराया. भारत में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम लगातार जारी रहा और इस कारण हम विदेशी नस्लों के बढ़ावा देते रहे. पता ही नहीं चला भारतीय नस्ल को हम कब भूल गए. वह तो जब विदेशी वैज्ञानिकों ने बताया कि A2 प्रोटीन भारतीय नस्ल के गौवंश के दूध में उच्च गुणवत्ता में है तब जाकर हम लोगों को भारतीय नस्ल की गौवंश का महत्व समझ आया. हमारे प्रदेश में भैंस की नस्ल भदावरी, गौवंशी नस्लें केनकता, निमाड़ी, मालवी हैं. विदेशी नस्लों के फेर में इनकी तरफ हमारा दुर्लक्ष्य हुआ. आज इनकी संख्या कुछ हजारों तक सीमित रह गई है. आज भी देश के कई भागों से गौवंशी साँडों को पशुपालन विभाग द्वारा खरीदा जाता है और मध्यप्रदेश के पशुपालकों को प्रदान किया जाता है. क्या कारण है कि आज तक हम अपने प्रदेश में अच्छी नस्ल के साँड तैयार नहीं कर पाए हैं. दूसरी ओर गौवंश का व्यापार करने वाले अन्य राज्यों से व्यापार करते हैं उसमें भी कोई व्यवस्था न होने के कारण कई बार पशुपालक ठगे जाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खुशी की बात यह है कि भारत सरकार ने पहल करके सभी राज्यों को गाइडलाइन प्रदान की और राज्यों से अपेक्षा की कि वे कानून बनाएं. आज मध्यप्रदेश गौ-भैंस वंश प्रजनन विनियमन विधेयक, 2019 सदन में लाया गया है. उद्देश्य सराहनीय है, मैं इसका स्वागत करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अधिनियम के आने से प्रदेश में गौ-भैंस वंशी पशुओं के वीर्य के उत्पादन, प्रसंस्करण, भण्डारण, विक्रय तथा विपणन का विनियमन कर सकेंगे जिससे उचित एवं उन्नत गुणवत्ता अनुवंश प्रदेश में स्थापित हो सकेगा. इस अधिनियम में कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया गया है. शासकीय व अशासकीय संस्थाएं अधिनियम के दायरे में आएंगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे कुछ सुझाव है मैं उस पर मंत्री जी का ध्यान चाहूंगा. आज ब्राजील, अमेरिका एवं अन्य विकसित देश भारतीय नस्ल के गौवंश का आयात कर उससे 30-40 लीटर दूध प्रतिदिन, प्रतिवंश ले रहे हैं. आज भारतीय नस्ल के दूध में A2 प्रोटीन की उपयोगिता से सब परिचित हैं किन्तु इस विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो यह इंगित करता हो कि हम अपनी मूल भारतीय नस्ल को प्राथमिकता देंगे. इसी प्रकार से जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि मध्य प्रदेश की भैंस की नस्ल भदावरी, गौवंशी नस्लें केनकता, निमाड़ी, मालवी हैं जो कि कुछ हजारों तक सीमित हो गई हैं. इस अधिनियम में यह स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए कि हम किसी भी अन्य नस्ल के सीमन स्टेशन, वीर्य के भण्डारण केन्द्र, विपणन केन्द्र एवं कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं इन नस्लों के मूल भौगोलिक स्थानों पर संचालित किए जाने की स्वीकृति किसी भी स्थिति में प्रदाय नहीं करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और सुझाव है हमारे प्रदेश में दो डेयरी टेक्नालॉजी कॉलेज प्रस्तावित किए गए हैं. मैं चाहता हूँ कि इन डेयरी टेक्नालॉजी कॉलेजों में भारतीय नस्ल के गाय के दूध, गौमूत्र और गोबर पर रिसर्च की व्यवस्था होना चाहिए जिससे गाय और गौवंश की रक्षा भी हो सकेगी. गाय के प्रति धार्मिक आस्था है, लोग इसे गौमाता कहते हैं लेकिन बहुत बड़ा तबका इसे उपयोगी न मानते हुए निराश्रित कर देता है, छोड़ देता है. जब गौवंश की उपयोगिता का वैज्ञानिक आधार पर परीक्षण होगा, रिसर्च होगा कि गाय के दूध का उपयोग क्या-क्या है, गोबर का उपयोग क्या-क्या है, गौमूत्र का उपयोग क्या-क्या है. जो वास्तव में हमारे दैनिक जीवन में सभी के लिए उपयोगी हो सकेगा. उन कॉलेजों में इस पर रिसर्च होगा तो बहुत अच्छा होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर)-- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं माननीय कमलनाथ जी को धन्यवाद देता हूं कि जिन्होंने गौरक्षा के संरक्षण और संवर्धन के ऊपर प्रकाश डाला. पिछले 15 वर्षों में क्या हुआ मैं इस पर नहीं जाना चाहता हूं. कमलनाथ जी ने एक बहुत अच्छा प्रयास किया है. जगह-जगह गौशाला खोलने की बात की है. हम यह मानते हैं कि हमारे देश में देसी गौवंश का विघटन होते जा रहा है. मेरा और हमारे आदरणीय सदस्यों का भी यह मानना है कि आने वाले समय में देसी गाय के संवर्धन और संरक्षण पर काम होना चाहिए. ए.वन. मिल्क की बात करे, ए.टू. मिल्क की बात करें हमारे देश में अंग्रेजों के आने के बाद यहां पर बेतहाशा जर्सी और एच.एफ. जैसी गायों का संवर्धन शुरू हुआ उसके चलते बहुत सारी विसंगतियां आईं. उसके दूध में जो अवगुण पाए गए उसके चलते हमारे देश की सरकारों ने इस ओर फिर ध्यान दिया और ए.टू. मिल्क के बारे में जो हमारी सरकारों ने, वैज्ञानिकों ने ध्यान दिया कि देसी गाय के दूध में, गोबर में और गौ मूत्र में जो तत्व पाए जाते हैं वह मानव शरीर के लिए उपयोगी होते हैं. मैं माननीय मंत्री जी और माननीय कमलनाथ जी को धन्यवाद देता हूं कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में अच्छा कार्य होगा और राजनीतिक पार्टियों के लिए भले ही ओर देती हो लेकिन हम सबके लिए गाय दूध, गोबर और गौमूत्र देती है. मैं अधिक न कहते हुए इतना कहना चाहता हूं कि आने वाले समय में देसी गाय के संरक्षण और संवर्धन पर काम होना चाहिए.
श्री सुनील उईके (अनपस्थित)
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)-- अध्यक्ष महोदय, जो कहा सो किया इस कहावत को चरितार्थ करते हुए कहने वाला यह जो गौ-भैंस वंश प्रजनन विधेयक है, मैं इसको जो कहा सौ किया वाले रूप में देखता हूं. मैं इसका स्वागत करता हूं, समर्थन करता हूं कि जिस प्रकार से एक क्रांतिकारी विधेयक जिसकी घोषणा माननीय वित्तमंत्री जी ने उनके भाषण में की थी और उसे चरितार्थ करते हुए मंत्री जी इस विधेयक को लेकर आए. इस विधेयक के क्रियाकलापों से जहां गायों तथा भैंस की संख्या में वृद्धि होगी. हम लोगों को यह देखना पडे़गा कि पिछले उन पांच सालों के अंदर, दस सालों के अंदर जिस प्रकार से लगातार गिरावट आई है और उसके साथ ही इससे उनके स्वास्थ्य के प्रति भी जागरुकता होगी, उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा और दुग्ध उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धि होगी. क्रांतिकारी वृद्धि की बहुत जरूरत है. पूर्व में भी कई वक्ताओें ने कहा कि गौमाता के दो तरह के भक्त हैं एक हैं कमलनाथ जी जैसे जो असली भक्त हैं जो कहते हैं वह करने का काम करते हैं उसी के माध्यम से इस विधेयक को लाया गया है. एक दूसरे तरीके के भक्त हैं जिनके लिए एक शेर याद आता है कि
''जब भी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग''
अध्यक्ष महोदय, गौवंश प्रजनन की प्रक्रिया को वैज्ञानिक बनाने का जो काम इस विधेयक से होगा, मेरा मंत्री जी को सुझाव है कि इस प्राधिकरण के जो पदाधिकारी रखें उसमें एक उन्नत कृषक तथा दूसरा जो उन्नत गौशाला का संचालन भी करता हो इस तरह के व्यक्तिव को अगर आप उसमे सम्मिलित करेंगे तो कहीं न कहीं हम इसे बेहतर रूप से कर पाएंगे. सीमन स्टेशन स्थापित करने की जो आपकी योजना है वह प्रशंसनीय है लेकिन इसका जो भी परिसर बने वह अत्याधुनिक बने, सुविधाओं से लेस हो जिससे गुणवत्ता के आधार पर हम बेहतर तरीके से उसको कर पाएं. सबसे ज्यादा जो बात कही गई कि एक सामान्य किसान का दूध 20-25 रुपये प्रति लीटर में बिकता है और जब हम बाहर देखते हैं तो उसी दूध की कीमत 65-70 रुपया प्रति लीटर हो जाती है. मैंने कई स्थानों पर सुना है कि ''दूध से धुला दूध''. यदि हम भी इस प्रकार के उन्नत दूध की व्यवस्था कर सकें जो 65-70 रुपये लीटर में बिके तो बेहतर होगा. इसके माध्यम से हम किसानों के लिए बेहतर तरीके से व्यवस्था कर सकते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा इसमें एक सुझाव है कि हमारे द्वारा जो कर्मचारी रखे जाते हैं जो इन चीजों का ख्याल रखते हैं, इसका संचालन कुक्कुट निगम द्वारा किया जाता है. इसमें निरीक्षण और जांच अधिकारी यदि किसी अन्य विभाग से रखें तो बेहतर तरीके से जांच और संचालन की व्यवस्था हो पायेगी. इसमें यदि हम कृषि, उद्यानिकी, पशु वैज्ञानिकों एवं पशु चिकित्सकों को भी शामिल करेंगे तो हम बेहतर रूप से इस विधेयक को रख पायेंगे और इससे हमें गौ-माता, गाय और भैंस की बेहतर स्थिति, जो हम चाहते हैं वह मिल पायेगी. मैं इस विधेयक के लिए माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी एवं मंत्री जी का धन्यवाद एवं अभिनंदन करना चाहता हूं और सभी से आग्रह करता हूं कि एक बेहतर भविष्य के लिए हमें इसका साथ देना चाहिए. एक नई श्वेत क्रांति के लिए, एक नई इबारत के लिए इस विधेयक के माध्यम से एक नया रास्ता निकलेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि आप सिर्फ घर में गौ-माता, दिल में गौ-प्रेम और सेवा का संकल्प अपने अंदर रखिये और गौ-माता की सेवा करते चलिये. जिस प्रकार से आपने 1000 गौ-शालाओं का निर्माण करने का बीड़ा उठाया है और पूरे प्रदेश के अंदर चाहे कोई कुछ कहे, जो कहते रहते हैं और असत्य बातें कहते हैं, आप उनकी बात छोडि़ये. आप जिस बेहतर तरीके से काम कर रहें है और जिस प्रकार से प्रदेश में गौ-माता पर, आज तक केवल राजनीति हुई, वोट की राजनीति हुई परंतु पहली बार गौ-माता के संरक्षण का काम, उनके लिए ध्यान देना का काम हमारी सरकार ने किया गया. मैं पिछली बार की गौ-शालाओं की संख्या भी बताना चाहूंगा क्योंकि यह एक चुनौती के रूप में आपके सामने है. पिछली बार 1298 पंजीकृत गौ-शालायें थीं जिनमें से सिर्फ 622 क्रियाशील थीं और शेष अक्रियाशील थीं. उन सभी गौ-शालाओं को कैसे क्रियाशील किया जाए और कैसे इस विधेयक का साथ देते हुए, गौ-माता के लिए जैसा कि हमने अपने वचन-पत्र में कहा है और गाय सचमुच हमारी आस्था और विश्वास का केंद्र है. इनके लिए वह राजनीति का केंद्र होगी लेकिन हमारे लिए आस्था और विश्वास की बात है इसलिए मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूं और इस पर आप सभी का साथ चाहता हूं जिससे इस विधेयक का बेहतर तरीके से समर्थन हो सके और हमारे भविष्य के लिए हम अपनी गौ-माता के साथ खड़े हो सकें. धन्यवाद, जय-हिन्द, जय-भारत.
श्री तरबर सिंह (बण्डा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, पशुपालन मंत्री जी के द्वारा मध्यप्रदेश गौ-भैंस वंश प्रजनन विनियमन विधेयक, 2019 प्रस्तुत किया गया है. मैं इसका समर्थन करता हूं. विधेयक में गौ-भैंस वंशीय प्रजनन कार्यकलाप जिनमें उत्पादन के लिए प्रजनन साण्डों का उपयोग किया जायेगा और गौ-भैंस वंशीय वीर्य का प्रसंस्करण, भण्डारण, विक्रय तथा वितरण एवं कृत्रिम गर्भाधान और मध्यप्रदेश राज्य में गौ-भैंस वंश में का कोई अन्य प्रजनन क्रियाकलाप सम्मिलित है, को विनियमित करके गौ-भैंस वंश के आनुवांशिक सुधार के उपबंध करता है. इससे जो नस्ल उत्पन्न होगी जैसा कि विदेशों में गौ-भैंस वंश द्वारा दूध का अधिक से अधिक भण्डारण किया जाता है वैसा ही हमारे देश में, इस उत्पन्न नस्ल के द्वारा अधिक से अधिक दूध का भण्डारण हो सकेगा, जिससे हमें इस क्षेत्र में बहुत लाभ मिलेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि आप आदेश करें तो इस विधेयक के जरिये मैं अपने सागर जिले का एक संदर्भ यहां लाना चाहता हूं. सागर दुग्ध संघ में कार्यरत 18 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वर्ष 1999 में दुग्ध संघ जो कि सिंरोजा में स्थित था, के परिसमापन होने के कारण उन्हें हटा दिया गया था.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधेयक पर चर्चा के साथ-साथ अधिकारियों-कर्मचारियों की बातें यहां आ रही हैं. पिछले वक्ता ने भी यही कहा. हम यदि विधेयक के आस-पास रहेंगे तो ज्यादा ठीक रहेगा. कहीं परिसमापन आ रहा है, कहीं कर्मचारियों के वेतन की बात आ रही है.
श्री तरबर सिंह:- अध्यक्ष महोदय, 18 लोगों के हित की बात कह रहा हूं कि इस दुग्ध संघ के परिसमापन होने कारण, इस आश्वासन के साथ इन 18 वेतन-भोगियों को अलग दिया गया था कि यदि भविष्य में इस दुग्ध संघ का प्रारंभ होता है तो आप लोगों को रख लिया जायेगा. लेकिन सागर में सिरोंजा स्थित दुग्ध संघ का प्रारंभ हो चुका है और इन लोगों ने अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन अधिकारियों ने मना कर दिया.
अध्यक्ष महोदय:- आप समाप्त करें, अब आप विषय से बाहर जा रहे हैं.
श्री तरबर सिंह:- अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
पशुपालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव):- माननीय अध्यक्ष महोदय, गौ-भैंस वंश प्रजनन विनियमन विधेयक पर हमारे चार सम्माननीय सदस्यों ने अपने विचार रखे. सर्वप्रथम इन्दर सिंह परमान जी ने जो विचार रखे, उनको मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने अच्छा सुझाव दिया है और आपने यह कहा कि हम लोग दो विद्यालय जबलपुर और ग्वालियर में खोलने जा रहे हैं. निश्चित तौर पर आपने जो प्रस्ताव रखा है और आपको मैं यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आपने गौ-मूत्र और गोबर की बात की है कि इस पर रिसर्च की जाये, वैसे यह पूर्व से संचालित है. लेकिन हम आपकी बात को ध्यान में रखते हुए इसको गंभीरता से लेंगे. आदरणीय विजय रेवनाथ चौरे जी, कुणाल चौधरी जी और तरबर भाई ने भी अपनी बात और विचार यहां पर रखे. मैं आपको सभी को बताना चाहता हूं कि आपके विचारों को भी हम गंभीरता से लेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्यों को अवगत कराना चाहूंगा कि गाय और भैंसो की नस्ल हेतु प्रजनन गतिनिधियों को नियंत्रित करने के लिये वर्तमान में प्रदेश तथा देश में कोई भी अधिनियम नहीं है. इसलिये भारत सरकार ने सभी राज्यों में गौ और भैंस वंश प्रजनन विनियमन अधिनियम बनाने के लिये अनुरोध किया था. उसको लेकर अभी तक मात्र पंजाब, जम्मू-काश्मीर, हरियाणा और उत्तराखंड में यह अधिनियम लागू किया गया है. मध्यप्रदेश में जैसा अभी दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में रोज-रोज पढ़ने को आ रहा है कि बड़ा भारी नकली दूध पैदा हो रहा है. यह मुझे लगता कि पिछले कुछ समय से हो रहा है, अभी मुरैना में नकली दूध का जो कारोबार पकड़ा गया है, वह हमने ही पकड़वाया है. आपको शायद ज्ञान नहीं है, वह आपके समय से फल-फूल रहा था.
अध्यक्ष महोदय, इसीलिये मध्यप्रदेश गौ-भैंस वंश प्रजनन विनियमन विधेयक, 2019 हम सदन में लेकर आये हैं. भारत सरकार के द्वारा सभी सीमन उत्पादन संस्थानों एवं सीमन बैंकों को सीमन उत्पादन प्रसंस्करण विपणन, वितरण प्रदाय आदि के संबंध में न्यूनतम मानक मापदण्ड एमएसपी निर्धारित कर जारी किये गये हैं. इसी प्रकार से कृत्रिम गर्भाधान गतिविधियों हेतु एसओपी का निर्धारण कर जारी किये गये हैं. इस प्रकार से वर्तमान में सीमन उत्पादन व कृत्रिम गर्भाधान आदि का कार्य प्रजनन गतिविधियों को नियंत्रित करने हेतु, अधिनियम न होने के कारण दिशा-निर्देशों से ही इसे चलाया जा रहा था. सदन को जानकारी देना चाहता हूं कि नस्ल सुधार हेतु जिस गुणवत्ता के सीमन का उत्पादन होना चाहिये था, उसे भी उच्च-अनुवांशिकता के उन्नत नस्ल के सांडों से प्राप्त होना चाहिये. कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को मानक स्तर का पालन करना चाहिये. वर्तमान में इन्हें लागू करने हेतु मात्र शासकीय आदेश या निर्देश जारी किये जाते हैं, जो कि निजी सीमन उत्पादन संस्थानों में प्रजनन कर्ताओं पर बंधनकारी नहीं होते है. इस विधेयक के पारित हो जाने पर राज्य शासन को ऐसी व्यवस्थाएं लागू करने की आवश्यकता, शक्तियां प्राप्त हो सकेंगी. मध्यप्रदेश गौ-भैंस वंश प्रजनन विनियमन विधेयक, 2019 को पारित कर वीर्य उत्पादन संस्थान, सीमन बैंक का पंजीयन, वीर्य उत्पादन हेतु गौ-भैंस वंशीय सांडों का प्रमाणीकरण तथा कृत्रिम गर्भाधन कार्यकर्ताओं का प्रमाणीकरण तथा सीमन वीर्य के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं वितरण केन्द्र में उपयोग किया जा सकेगा.
अध्यक्ष महोदय, डॉ. विश्नोई जी तथा ओम प्रकाश सखलेचा जी, अभी यहां पर उपस्थित नहीं हैं, जब इस विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा हो रही थी तो कहा था कि मध्यप्रदेश में गौ एवं भैंस वंश की नस्ल सुधार हेतु गतिविधियों को गति प्रदान करने हेतु नवीन तकनीकी जैसे भ्रूण उत्पादन एवं प्रत्यारोपण तकनीकी एम्ब्रियो ट्रांसफर टेक्नालॉजी का उपयोग करें. मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि यह दोनों तकनीकी हम पूर्व से ही संचालित कर रहे हैं. विधेयक की धारा 14 में वीर्य एवं भ्रूण से भंडारण एवं विक्रय में विनिमय का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक के प्रावधानों में क्रियान्वयन हेतु गौ-भैंस वंशीय प्रजनन प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है, जिसके अध्यक्ष विभाग के सचिव होंगे. इसी प्रकार से विधेयक में यह भी ध्यान रखा गया है कि इस प्राधिकरण के द्वारा की गई कार्यवाही के विरूद्ध अपील सुनने एवं निराकरण के लिये विभाग के भारसाधक मंत्री होंगे. अतः इस विधेयक के पारित होने से प्रदेश में गाय एवं भैंस में नस्ल सुधार के कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी तरीके से क्रियान्वित किया जा सकेगा, जिसके फलस्वरूप पशुपालकों को अच्छी नस्ल के पशु उपलब्ध हो सकें. तथा पालक उत्पादक दुग्ध उत्पादन के माध्यम से अधिक लाभ अर्जित हो सके. अतः आपके माध्यम से सदन से निवेदन करना चाहता हूं कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाये.
(3) मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध प्रजनन विनियमन विधेयक, 2019 (क्रमांक 17 सन् 2019
श्री भूपेन्द्र सिंह(खुरई)--अध्यक्ष महोदय, यह जो विधेयक माननीय मंत्री जी लेकर आये हैं हम लोगों को लगता था कि जिस तरह से पूरे देश में और मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से मॉबलिंचिंग की घटनाएं हुई हैं. उन घटनाओं को ध्यान में रखकर सरकार कोई विधेयक लेकर विधान सभा में आ रही है, परन्तु जब इस विधेयक को देखा तो इस विधेयक में मॉब लिंचिंग तो माननीय अध्यक्ष जी है ही नहीं, मॉब लिंचिंग कई प्रकार से होती है. बच्चे चोरी हो जाए तो भी मॉब लिंचिंग होती है, कहीं कोई जघन्य रेप का केस हो जाए तब भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं होती हैं, कोई मोबाइल की चोरी में पकड़ा जाए, अन्य चोरी में पकड़ा जाए, तब भी मॉब लिंचिंग होती है. परन्तु माननीय अध्यक्ष महोदय, इन सारी मॉब लिंचिंग के संबंध में सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव इसमें नहीं आया. मेरे पास सुप्रीम कोर्ट में जो रिट पिटीशन हुई थी, उसकी पूरी कॉपी मेरे पास है. इसमें रिट पिटीशन सिविल नंबर 754/2016 का रिट पिटीशन है, इसमें सुप्रीम कोर्ट ने जो डायरेक्शन दिये हैं, इसमें बहुत स्पष्ट है, उन्होंने कहा है Separate Offence of Lynching सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि भारत सरकार को और राज्य सरकार को जो लिंचिंग के अपराध देश में हो रहे हैं, इसको लेकर के एक सेप्रेट कानून बनाना चाहिए. पर इस विधेयक को पढ़ने के बाद, इस विधेयक से यह लगता है कि यह जो विधेयक है, यह विधेयक सरकार जो लोग गौकशी का काम करते हैं, उनको संरक्षण देने के लिए यह विधेयक सरकार के द्वारा लाया गया है. इसलिए मैं इसमें सेक्शन बाइस स्पष्ट करने की कोशिश करूंगा. माननीय अध्यक्ष जी इसमें सेक्शन 6(ग)(घ) और धारा 9 और 10 का संशोधन है. मेरे पास इसका मूल अधिनियम 2004 भी है और इसकी जो सेक्शन 4,5,6 है, इसको पढ़ेंगे तो समय लगेगा. पर इसमें आप देखें सरकार के द्वारा जो सेक्शन 6 में सेक्शन (छ)(घ) इसमें यदि कोई व्यक्ति जिसमें परिवाहक भी सम्मिलित है. मध्यप्रदेश राज्य में अन्य राज्य से किसी गौवंश का परिवहन करना चाहता है तो वे गंतव्य स्थान के सक्षम प्राधिकारी से ऐसी रीति में जैसी की विहित की जाए, अभिवहन अनुज्ञा पत्र प्राप्त करना अपेक्षित होगा. अब इसमें जो मूल अधिनियम की धारा 6 थी, इसमें स्पष्ट लिखा है कि अनुज्ञा पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा. इसमें आप देखें, तो जो संशोधन आया, अनुज्ञा पत्र प्राप्त करना अपेक्षित होगा, यानि यह कम्पलसरी नहीं होगा, आप चाहो तो अनुज्ञा पत्र लो, आप चाहो तो न लो. अगर कोई व्यक्ति बिना अनुज्ञा पत्र के ये अपेक्षित होगा, कम्पलसरी नहीं होगा, मतलब आपके पास अनुज्ञा पत्र नहीं भी होगा, तब भी आप गौवंश परिवहन एक राज्य से दूसरे राज्य में कर सकते हैं. दूसरा, इसमें अगर आप देखें कि जो धारा 6(ग) है, इसमें तो आपने सजा का प्रावधान किया है, पर जो धारा 6(ख) है, इसमें कोई भी बिना अनुज्ञा पत्र में कोई परिवहन करता है तो अध्यक्ष जी इस एक्ट में कहीं पर भी सजा का कोई प्रावधान नहीं है. यानि सीधे-सीधे तौर पर आपको अवैध रूप से गौवंश परिवहन की अनुमति इस विधेयक के माध्यम से सरकार देने की लिए जा रही है. मैंने बड़ा स्पष्ट कहा, मंत्री जी से भी आग्रह है कि जो धाराएं मैंने कोट की है, इसमें आपका बड़ा स्पष्ट उत्तर आना चाहिए. आप यह बताइये कि धारा 6 (घ) में अगर कोई बिना अनुज्ञा पत्र के एक राज्य से दूसरे राज्य में गौवंश का परिवहन करता है तो इसमें सजा के क्या प्रावधान हैं ? और आपने जो इसकी मूल धारा थी, जिसमें अनुज्ञा पत्र प्राप्त करना अनिवार्य था, उसको आपने अपेक्षित क्यों कर दिया ? अपेक्षित का मतलब क्या होता है ? यह समझाने का कृपा करें. अपेक्षित का अर्थ स्पष्ट है कि आप चाहें तो परमीशन लें, चाहें तो परमीशन न लें. इसका दूसरा सेक्शन 6 (ग) है, इसमें आप देखेंगे कि जो धारा 4, 5 और 6 का उल्लंघन करेगा, उसको आपने सजा का प्रावधान बढ़ा दिया है, यानि अगर कोई अवैध गौवंश परिवहन करेगा, उसको कोई रोकेगा तो रोकने वाले को तो सजा बढ़ा दी है. इसका मतलब यह है कि आप उसे रोको मत, अगर रोकेगे तो आपको 5 वर्ष की सजा हो जायेगी. अगर आपको ले जाना है, कोई नहीं रोकेगा तो कोई सजा का प्रावधान नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे प्रदेश में गोकशी बढ़ेगी. सरकार को यह प्रयास करना चाहिए था कि इस कारण से हमारे राज्य में गोकशी न हो, परन्तु इस विधेयक के माध्यम से राज्य के अन्दर गोकशी बढ़ेगी, गोकशी बढ़ने के साथ-साथ जो राज्य का सामाजिक सद्भाव बिगड़ेगा और इसलिए यह जो विधेयक लाया गया है, यह विधेयक स्पष्ट तौर पर जो लोग गौवध का काम करते हैं, उनको संरक्षण देने के लिए सीधे तौर पर सरकार की तरफ से लाया गया है, इसलिए इस विधेयक का किसी भी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी समर्थन नहीं करेगी. हम इस विधेयक का पूरी ताकत के साथ, पुरजोर तरीके से विरोध करते हैं और मंत्री जी से आग्रह करते हैं कि मैंने एक-एक सेक्शन को कोड किया है, आपके मूल अधिनियम से भी किया है और आप जो अधिनियम लेकर आए हैं, उसको भी कोड किया है इसलिए जब आपका उत्तर आए तो आप उसमें इन सब चीजों को स्पष्ट करेंगे, यही मेरा मंत्री जी से कहना है.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, भूपेन्द्र जी ने इस विधेयक में संशोधन के संबंध में तथ्य सहित अपनी बात प्रस्तुत की है. मैं लम्बी बात नहीं करूँगा. मेरा निवेदन यह है कि एक तरफ सरकार गौवंश सुरक्षित रहें, इसलिए गौशालाएं खोलने की बात कर रही है, दूसरी तरफ, हम ऐसा संशोधन ला रहे हैं, जिससे गौ-तस्कर बिना किसी बाधा के, निर्बाध रूप से गौवंश को परिवहन करके, यांत्रिक कत्लखानों तक ले जाएंगे, इससे गौवंश के वध को प्रोत्साहन मिलेगा और बाद में गौशालाएं खोलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. जब गाय बचेंगी ही नहीं तो गौशाला फिर क्यों और किसके लिए खोलेंगे ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए मैं निवेदन करता हूँ. माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहां बैठे हुए हैं, इसको जल्दबाजी में पारित न करें. मॉब लिंचिंग के मामले में अगर आपको चिन्ता है तो मॉब लिंचिंग का एक मामला नहीं है, जैसा बताया गया है. बच्चा चोरी के बारे में मॉब लिंचिंग हो रही है, मोर मर गया मॉब लिंचिंग हो गई, टाइम बताकर मॉब लिंचिंग हो गई. मॉब लिंचिंग के खिलाफ अगर कोई कानून बनाना चाहते हैं तो केवल गौरक्षकों को टारगेट न करें. आप सम्पूर्ण एक विधेयक लेकर आएं, जिसमें हर तरह की मॉब लिंचिंग को सम्मिलित किया जाये और आज आई.पी.सी. की धाराओं के अंतर्गत, इस तरह की मॉब लिंचिंग की घटना यदि कोई करता है तो उसको सजा देने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता हैं. इसलिए मेरी विनम्र प्रार्थना है कि आपसे, आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी से, सरकार से, इसको जल्दबाजी में न लाएं. हर तरह से, हर दृष्टि से देखकर, इसको प्रवर समिति में सौंप दें और उसके बाद पूरा विचार-विमर्श करके इस विधेयक को प्रस्तुत करें. (मेजों की थपथपाहट)
श्री विजयनाथ चौरे (सौंसर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे प्रसन्नता है कि हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी ने पंद्रह सालों में जो काम नहीं हुये, वह एक नई उपलब्धि, एक अनोखी उपलब्धि कमलनाथ जी के माध्यम से पूरे प्रदेश में होने जा रही है. हमारे नेताजी ने जगह-जगह गौ-शाला खोलने का जो निर्णय लिया है, वह वास्तव में सराहनीय है (मेजों की थपथपाहट).
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस अवसर पर मैं यह कहना चाहता हूं कि पंद्रह सालों में क्या हुआ है और क्या नहीं हुआ है इस पर हमें नहीं जाना है. पर मैं इतना जानता हूं कि अगर पिछली सरकारों ने गौ रक्षा और गौ माता के संरक्षण पर ध्यान दिया होता तो शायद आज जो जगह-जगह हमारी गौ-माताएं पालीथिन खा रही हैं, दुर्घटना का शिकार हो रही हैं, वह नहीं हुई होती. मेरा यह मानना है कि आने वाले समय में गौ रक्षा और गौ संवर्धन के ऊपर काम होना चाहिये. आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी ने जो बात कही है, मैं उस संबंध में कहना चाहता हूं और मैं जानता हूं कि पिछली सरकारों में जो ध्यान दूसरी चीजों पर दिया गया है, उतना गौ-माता पर नहीं दिया गया है, गौ-माता का उपयोग राजनीतिक वोट के लिये किया गया है. हम लोग जानते हैं कि पिछले समय में राजनीतिक दलों ने गौ-माता का उपयोग केवल वोट के लिये किया है, लेकिन हमारी कांग्रेस की सरकार गौ-माता के रक्षा और संवर्धन पर काम कर रही है. मेरा यह मानना है कि आने वाले समय में इसके बहुत अच्छे परिणाम दिखेंगे और इस पशुपालन और दुग्ध शाला के क्षेत्र में, जब हम गौ-माता की बात करते हैं, तो इसमें बहुत सारे रोजगार के आयाम हैं. हम जानते हैं कि गोबर, गौ-मूत्र और दूध के माध्यम से बहुत सारे इसमें रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे. मैं यही कहता हूं, आने वाले समय में यह जो विधेयक आया है, यह बहुत अच्छा सराहनीय और महत्वपूर्ण विधेयक है, हम इसका पुरजोर तरीके से समर्थन करते हैं, धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो शंका माननीय भूपेन्द्र सिंह जी और माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने व्यक्त की है, मुझे लगता है कि सभी सदस्य और स्वयं मुख्यमंत्री जी यहां पर सदन में बैठे हैं और संसदीय कार्यमंत्री और विधिमंत्री भी यहां बैठे हैं, मैं चाहूंगा कि वह तीनों यह बातें सोचें, क्योंकि मैं इस संबंध में शासन का ही परिपत्र पढ़ना चाहूंगा, एक तरफ शासन जिन घटनाओं को लेकर यह विधेयक लाना चाहती है और दूसरी तरफ उसमें यह लिखा है कि कोई भी व्यक्ति विधि विरूद्ध रूप में किसी व्यक्ति या संपत्ति को इस कारण से किसी व्यक्ति ने धारा 4, 5 और 6 के अधीन कोई अपराध या हिंसा की है, क्षति की है या उपकृत किया है या उपकृत करेगा उनके खिलाफ यह कानून है. अब मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे यह जानना चाहता हूं और पूरा सदन भी जानना चाहता है, माननीय कमलनाथ जी यहां बैठे हैं, पूरा सदन गौ-शाला, गौ-शाला,गौ-शाला लगातार बोल रहा है. विधि मंत्री जी यहां पर बैठे हैं आप देखिये इसमें सबसे मजे की बात यह है कि यह कानून किसके लिये लाया जा रहा है यह कानून गौ-रक्षकों के लिये जाया जा रहा है, या आदि गुरू शंकराचार्य या पूज्य शंकराचार्य स्वरूपानंद के मार्गदर्शन में हम देश, विदेश में भारत की पंरपरा और गौ-संवर्धन को बढ़ाने के लिये लाया जा रहा है, नहीं माननीय अध्यक्ष महोदय. यहां 230 लोग बैठे हैं और मध्यप्रदेश और देश का कोई नागरिक अगर कोई ट्रक भरकर जाता है और अगर वह ट्रक वाले से यह पूछते हैं कि भैय्या मेरी गाय खो गई है, तेरे ट्रक में पचास गाय है, तू बता इसमें मेरी गाय है क्या ? तो साहब वह बताने के लिये बाध्य नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर उसने यह कह दिया कि इस व्यक्ति ने मुझे गाली दी है तो उस पर सजा का सात साल का प्रावधान है. यह कितनी खतरनाक धारा है, केवल पूछने पर, गाली गलौच पर और अगर मारपीट हो गई तो भी उस पर धारा है. अगर गाड़ी के ट्रक को पंचर कर दिया या हवा निकाल दी, तो भी उस पर धारा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कमलनाथ जी, विधिमंत्री जी, संसदीय कार्यमंत्री जी यह बतायें कि हम गौ-शाला खोलना चाहते हैं, तो मध्यप्रदेश में ट्रक भरकर कहां से पचास गायें जा रही हैं, यह पूछने का अधिकार किसी नागरिक को नहीं है. अगर उसके पास अनुज्ञा है तो वह बतायेगा कि फलानी जगह से मैंने यह गायें खरीदी हैं, यह गाय मैं यहां से लेकर जा रहा हूं, फलानी गौ-शाला में छोडूंगा या मेरी निजी डेयरी है, फलानी खेत पर, फलाने रकबे पर, इतने एकड़ में मैं डेयरी खोल रहा हूं और यह मेरे पास अनुज्ञा है. यह वह बता सकता है लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, उसको इन धाराओं से मुक्त किया गया है. अपराधी कौन है, यह पूछने वाला व्यक्ति अपराधी और ढोने वाला या गौ-कशी के लिये गाय ले जाने वाला अपराधी नहीं है, धन्य है गौ-माता की गौ-शाला.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जिसकी बात हम यहां पर कर रहे हैं, माननीय सदस्यों ने उठाई है. मैं आपको बता देना चाहता हूं धारा 6(ग) के अंतर्गत अगर हम कार्यवाही करें तो मध्यप्रदेश में और देश के कानून में भारतीय दण्ड संहिता के तहत साधारण क्षति पर धारा 323, धारदार हथियार से क्षति 324, गंभीर क्षति पर 325, धारदार हथियार गंभीर क्षति करने पर 326 या हत्या के प्रयास करने पर 307 ये धारायें मध्यप्रदेश नहीं देश के आईपीसी में भारतीय दण्ड संहिता में यह विद्यमान हैं, तो हमें अलग से धारा लाने की क्या जरूरत है. हमें अलग से इसका कानून बनाने की क्या जरूरत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कानून आपने, हमने नहीं बनाया, 1860 का जो कानून है जिसके तहत भारत की आईपीसी चलती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने में जिसको रिस्ती कहते हैं, करने पर भारतीय दण्ड संहिता 425, 426, 427, 428, 429, 430, 431, 432, 433, 434, 435, 436, 437, 438, 439, और 440 इतनी धाराओं के तहत इन कानूनों में प्रावधान है. हां यह बात हम भी स्वीकार करते हैं, कोई भी व्यक्ति अगर निर्दोष को सतायेगा, उसको सजा मिलनी चाहिये, हम भी आपके साथ हैं. लेकिन क्या हिन्दुस्तान में हम गौभक्त होने का, गौ माता की सेवा का, हां ये एक हजार गौशालायें खोल रहे हैं, एक हजार गौशालायें जब खोलेंगे, अच्छा एक और इसी धाराओं के तहत यह कानून पूरे हिन्दुस्तान में है. यही कानून पंजाब में चल रहा है, यही कानून राजस्थान में चल रहा है, यही कानून वर्तमान में मध्यप्रदेश में विद्यमान हैं. हम इसको बदलना चाहते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर हम इस कानून को बदलेंगे तो क्या गौमाता की सुरक्षा हो पायेगी, क्या उस अपराधी को सजा नहीं मिलना चाहिये जो बिना अनुज्ञा के 50 गाय, बछड़ा लेकर जा रहा है.
श्री कुणाल चौधरी-- कोई भी अपराधी हमारे यहां बचेगा नहीं, गौशाला इसीलिये खोल रहे हैं भैया.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया हस्तक्षेप न करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी ओर मैं इसमें एक बात की और प्रार्थना करना चाहता हूं, इसमें सबसे मजे की बात यह है, एक और 18वें नंबर पर विधेयक आ रहा है, माननीय पी.सी. शर्मा जी ला रहे हैं और पी.सी. शर्मा जी अपने विधेयक में एक बात कर रहे हैं कि हमारे यहां जिला सत्र न्यायालयों की कमी है और उसका वह गजट नोटिफिकेशन जारी कर रहे हैं. उस कानून को ला रहे हैं उसमें जिला सत्र न्यायालय की कमी बता रहे हैं और सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात है कि ट्रक को रोककर पूछने वाले व्यक्ति को कहां सुना जायेगा, मजिस्ट्रेट नहीं सुनेगा साहब, जिला सत्र न्यायालय उसकी सुनवाई करेगा, जहां 302, एनएसए आतंकवादी गतिविधियों की जहां सुनवाई होती है वहां इस व्यक्ति की सुनवाई होगी. क्या यह कानून, हमको छोड़ दीजिये, बीजेपी को छोड़ दीजिये, एक साधारण गौभक्त होने के नाते, माननीय मुख्यमंत्री जी मैं आप पर कोई आरोप नहीं लगा रहा, केवल प्रार्थना यह है, इस कानून को पढ़ा नहीं. हम सुरक्षा दें, हर वर्ग को सुरक्षा दें, लेकिन किसी एक को सुरक्षा देने के नाते दूसरों को पीडि़त न करें. अगर इसकी जिला सत्र न्यायालय में सुनवाई होगी और ....
अध्यक्ष महोदय-- बैठिये रामेश्वर जी.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)-- माननीय अध्यक्ष जी, अभी कुछ देर से मैं सुन रहा था माननीय सदस्यों की भावना और इसमें कोई शक नहीं है कि हमारी सरकार का क्या लक्ष्य है. गौशाला की जो हमारी नीति है, हमने अपनी भावनाओं से बनाई है, कोई राजनीतिक दृष्टि से नहीं बनाई. हमने गौवंश पर राजनीति नहीं की. यह हमारा इरादा नहीं था, यह हमारी भावनाएं थीं पर जब मैं सुन रहा था अभी कुछ सदस्यों की बात, ये जो शक और संकोच है, मैंने यह तय किया है कि इस बिल को हम प्रवर समिति को भेज दें.
श्री रामेश्वर शर्मा - ठीक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, और मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से एक और आग्रह करूंगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान ‑ माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि जिस गंभीरता से जिस विषय को रखा गया उस पर चिंता करके उन्होंने प्रवर समिति में भेजने का फैसला किया. मैं धन्यवाद देता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - धन्यवाद मुख्यमंत्री जी, आपने सदन की भावनाओं का सम्मान रखा.
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि इसको आप जरूर स्वयं पढ़ें और देखें. इसमें बहुत खामियां हैं.
4.42 बजे अध्यक्षीय घोषणा
मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 17 सन् 2019) को
प्रवर समिति को सौंपा जाना
अध्यक्ष महोदय - शासन के प्रस्ताव अनुसार विधेयक प्रवर समिति को सौंपा जाता है. समिति के गठन की घोषणा शीघ्र की जायेगी. मैं भी समूचे सदन को इस गंभीर विषय को नेता जी जिस ओर ले गये हैं निश्चित रूप से समूचा सदन आपको साधुवाद देता हूं और मैं तो यह भी चाहूंगा कि रामेश्वर शर्मा जी आप बोल रहे थे कि यह विधेयक जब नये तरीके से तैयार हो जाये तो शंकराचार्य जी को भी जरूर दिखाया जाये क्योंकि जो आदेश करते हैं गऊ माता की जय हो, उनको भी दिखाया जाये ताकि एक अच्छा विधेयक बनकर इस सदन में आये और एक मील का पत्थर साबित गौवंश के लिये हो.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, शंकराचार्य जी के साथ और भी धर्मगुरु हों तो उनको भी ले लिया जाये सिर्फ कम्प्यूटर बाबा और मिर्ची वाले बाबा को छोड़कर.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - भार्गव जी, आप धर्मगुरुओं को भी बांटने लगे. धर्मगुरुओं को तो छोड़ो आप लोग तो उनको भी बांटने लगे.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) - भार्गव जी, आप तो गुरु महाराज हो आप ही को देख लें.
4.43 बजे (4) दण्ड विधि(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2019(क्रमांक 14 सन् 2019)
विधि और विधायी कार्य मंत्री ( श्री पी.सी. शर्मा ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि दण्ड विधि(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि दण्ड विधि(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
श्री केदारनाथ शुक्ल (सीधी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 में संशोधन के प्रस्ताव आये हैं. धारा 126 में जो संशोधन है, उसका तो केवल स्थान का विस्तार है कि कहां उनका निवास होना चाहिये, इसमें कुछ विशेष बात नहीं है. धारा 273 में भी विचारण या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य के लिये जाने में इलेक्ट्रानिक उपकरणों के इस्तेमाल करने की बात है. उसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी क्योंकि जमाना बहुत तेजी से आगे बढ़ा है और इन उपकरणों के प्रयोग से काम तेजी से बढ़ेगा. धारा 278 में भी वही है, धारा 281 में भी वही है, धारा 291 में भी वही है, धारा 305 में भी वही है. धारा 317 में जरूर ऐसा संशोधन किया गया है जिसकी आवश्यकता लंबे समय से प्रतीत हो रही थी मैं इसका भी विरोध नहीं करता हूं क्योंकि इसकी लंबे समय से लोगों को अपेक्षा थी और लोग इसकी मांग कर रहे थे और आपने धारा 147, 294 में जो समझौते की बात कही, धारा 506 में जो समझौते की बात कही बहुत ही अच्छा था. क्योंकि हमारे यहां बघेली में एक कहावत है "मारव नींद,ऊबाऊ नहीं नींद" मतलब मार देना तो ठीक है. मार देने में समझौता हो जाता था. 323, 324, 325 में समझौता हो जाता था पर अगर मारने के लिये अगर आप किसी को कह दें तो समझौता नहीं होता था. यह विशेष बात थी और आप किसी को दस-पांच झापड़ मार दें तो समझौता हो जायेगा. अगर आपने धमका दिया तो समझौता होगा ही नहीं. यह बहुत दिनों से यह अपेक्षा थी, आपने इस अपेक्षा के अनुरूप संशोधन लाकर समाज की बहुत पुरानी मांग को पूरा किया है. अंग्रेजों के जमाने में अंग्रेज गाली को कुछ ज्यादा बुरा मानते थे और उन्होंने इस कानून को उस समय में बनाया था तब से लेकर ये धाराएं ज्यों की त्यों पड़ी हुई थीं, आपने इनको छुआ और इन पर समझौता कराने की पहल की, मैं आपको साधुवाद देता हूं.
एक बात और है कि धारा 498 बड़े लम्बे समय से समाज में एक अभिशप्त धारा हो गई थी. धारा 498 क में आपने समझौते का प्रावधान करके बहुत सारे परिवारों को टूटने से बचा लिया है और इससे परिवार टूटने से बचेंगे. पति और पत्नी के बीच में आपसी समझौते हो जाएंगे. अगर किसी वजह से गुस्से में पत्नी ने कोई बात कह भी दी. रिपोर्ट कर दी फिर उसके बाद समझौता होता ही नहीं था. अब सीधे सजा है या पत्नी अपना बयान बदले, बयान बदले तो पहले सही लिखाया था कि अब सही बोल रही हो, इसमें जो आपने समझौते का प्रावधान कर दिया है, यह भी आपने अच्छा किया है.
अध्यक्ष महोदय, धारा 506 भाग दो में भी जो आपने किया है, बहुत ही अच्छा किया है बाकी धाराओं में जो न्यायालय के अधिकार में तब्दीली की है, उसमें कोई आपत्ति नहीं और लोगों की सहज मांग थी. धारा 151 और धारा 457 में आपने बीमा के कवर को बढ़ाया है, उससे होगा क्या कि जो लोग वाहन ले जा रहे हैं और वाहन का बीमा नहीं है उनको आपने बीमा के क्षेत्र में कवर किया है, रिस्क को कवर करने की बात है. बहुत सारे वाहन ऐसे होते थे, किसी का एक्सीडेंट हो गया और उनका बीमा ही नहीं है, जिसका एक्सीडेंट हुआ वह क्लेम पा ही नहीं रहा है. यह एक बड़ी समस्या थी. लोगों के वाहन जप्त हो जाते थे. बीमा के कागज नहीं होते थे, उनके लिए भी आपने धारा 451 और 457 का जो प्रावधान किया है, यह बहुत अच्छी बात है. अभी हमारे यहां एक ट्रक था, उसका बीमा नहीं था, कहीं उसने एक्सीडेंट किया और वहां से भगा, उसको मालूम था कि उसकी गाड़ी का बीमा नहीं है, उसने अपने ट्रक को सोन नदी में पुल के नीचे गिरा दिया. 4 साल, 5 साल तक वह पड़ा रहा होगा या बाढ़ में निकल गया हो या और लोग ले गये हों, उसका कारण केवल यही था कि मालिक के अंदर बीमा न होने का भय. आपने उसको शुरू में ही कवर कर दिया. यह बड़ी अच्छी बात है और खण्ड पन्द्रह में न्यायालय का स्थान बदला है. इसमें जो भी संशोधन किये गये हैं वह व्यावहारिक हैं और इनका समर्थन करना चाहिए. मैं समझता हूं कि कानून को जानने वाले, कानून को समझने वाले प्रत्येक व्यक्ति इसका समर्थन करेंगे. मैं माननीय सदस्यों से आग्रह करूता हूं कि इसका समर्थन करें क्योंकि यह समय की मांग थी. आपने समय की मांग को पूरा किया है. धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, हम लोगों ने समर्थन कर दिया है, इस कारण से इसे सर्वसम्मति से पास किया जाय. नियम 139 की चर्चा शुरु कर दें. सर्वसम्मति से इसे पारित कर दें. एक अच्छा विधेयक है बढ़िया है, ठीक है.
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, विधायक श्री केदारनाथ शुक्ल जी ने जो बातें यह पर रखी हैं कि इसमें सभी बातें अच्छी हैं.
श्री संजीव सिंह संजू (भिण्ड) - अध्यक्ष महोदय, यह जो विधेयक माननीय श्री पी.सी. शर्मा जी द्वारा पेश किया गया है, निश्चित तौर पर इसमें कई बातें अच्छी हैं लेकिन अभी मुझे लगता है कि इसमें कुछ और भी संशोधन करने की आवश्यकता है तो नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा कि इसे सर्वसम्मति से पारित कर लें. मैं इस पक्ष में नहीं हूं, मैं इसमें डिवीजन मांगता हूं. डिवीजन.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि हम लोग विधेयक के समर्थन में हैं, इसका औचित्य भी समझ में नहीं आता है क्योंकि डेढ़-दो घंटे खराब होंगे. नियम 139 की चर्चा होना है किसानों की चर्चा होना है. हमारे पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान महत्वपूर्ण चर्चा उठाएंगे, उस चर्चा को टालने के लिए यह सब हो रहा है. मैं सोचता हूं कि यह सब निरर्थक है और इसका कोई अर्थ नहीं है.
श्री संजीव सिंह संजू - अध्यक्ष महोदय, 12 बजे तक हम सदन में बैठे हैं. इस पर एक बार डिवीजन हो जाय, उसके बाद चर्चा भी कर लेंगे.
श्री केदारनाथ शुक्ला -- डिवीजन किस बात का है कोई विरोध हो तब तो..(व्यवधान)..
श्री कमल पटेल -- तुम्हारे वोट ही नहीं है, दो वोट वाले डिवीजन मांग रहे हैं, विधान सभा का मजाक बना रहे हैं.
श्री केदारनाथ शुक्ला -- जिस विधेयक के पक्ष में हम लोग हैं, अध्यक्ष महोदय विधेयक सरकार का है और हम लोग सराहना कर रहे हैं, विधेयक की मूल भावना से सभी परिचित हैं....(व्यवधान)..
डॉ सीतासरन शर्मा -- दो सदस्य कह रहे हैं कि यह बात क्या है. दो सदस्य कह रहे हैं कि डिवीजन करा दो...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय लोकतंत्र में यदि किसी दल का एक भी सदस्य डिवीजन की मांग करता है तो उसकी मांग मानी जाना चाहिए, लोकतंत्र की हत्या इस मंदिर में नहीं होगी..(व्यवधान)..
श्री पीसी शर्मा -- अध्यक्ष महोदय अगर माननीय सदस्य डिवीजन चाहते हैं तो डिवीजन करायें..(व्यवधान)--
श्री राजवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष महोदय सभी संशोधन सामयिक हैं, यथार्थ को दृष्टिगत रखते हुए किये गये हैं, पूरा सदन उससे सहमत है इसलिए डिवीजन की आवश्यकता नहीं समझता हूं..(व्यवधान)...
डॉ गोविन्द सिंह -- अध्य़क्ष महोदय मेरा कहना है कि सदन नियम और प्रक्रियाओं से चलता है, यदि किसी सदस्य की सहमति है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है अगर डिवीजन कराना चाहते हैं तो करायें...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- हम तो आपके साथ में हैं किस बात का डिवीजन,उनको अकेले जाना है तो चले जायें...(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय इस बात से तो लगता है कि बहुजन समाज पार्टी के सदस्य सरकार के साथ में नहीं है., मतलब उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया है....(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय हर विषय ऐसा नहीं होता कि जहां पर समर्थन हो, अगर एक सदस्य भी हो और लोकतंत्र में, सत्ता के मंदिर में अपने विचार रखने की पूरी स्वतंत्रता है...(व्यवधान )..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय क्या इन्होंने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि दण्ड विधि( मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2019 पर विचार किया जाय...(व्यवधान)..
अब खंडों पर विचार होगा.
श्री संजीव सिंह -- डिवीजन, डिवीजन..(व्यवधान)..
श्री पी सी शर्मा -- अध्यक्ष महोदय हमारा कहना है कि अगर यह डिवीजन कराना चाहते हैं तो सरकार तैयार है हमें कोई समस्या नहीं है..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- आपने खण्डों पर विचार करने के लिए बोल दिया है..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अभी नहीं आये हैं..(व्यवधान) ..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष जी आपने बोला है...(व्यवधान)..
डॉ सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय दो लोगों की पार्टी है,वह डिवीजन मांग रही है, और 222 विधायक कह रहे हैं कि विधेयक ठीक है, और सरकार कह रही है कि करा लो डिवीजन, इतिहास बन जायेगा...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 17 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 17 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री पी. सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय मैं प्रस्ताव करता हूं कि दण्ड विधि ( मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाय.
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें डिवीजन मांगता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाय.
जो प्रस्ताव के पक्ष में हों, वे कृपया "हां" कहें ..
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें डिवीजन चाहता हूं. डिवीजन. ..(व्यवधान).. (प्रतिपक्ष के सदस्यों की ओर देखते हुए) वह तो पता चल जायेगा. डिवीजन तो होने दो. ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह विधान सभा का मजाक बनाया जा रहा है. ..(व्यवधान).. हम तो इस विषय पर समर्थन में हैं.
अध्यक्ष महोदय -- क्या माननीय सदस्य डिवीजन की मांग वापस ले रहे हैं?
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, नहीं नहीं, मैं डिवीजन मांग रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, किसानों के महत्वपूर्ण मामले पर नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा होनी थी और यह सरकार चर्चा नहीं कर रही है.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी) -- हम चर्चा के लिये तैयार हैं.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- इसके बाद चर्चा हो जायेगी.
(डिवीजन के लिये घंटी बजाई गई. कुछ देर के पश्चात् डिवीजन की घंटी रुकने पर.)
अध्यक्ष महोदय -- मैं पुनः एक बार मत ले रहा हूं. प्रश्न यह है कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2019 पारित किया जाय.
जो प्रस्ताव के पक्ष में हों, वे कृपया "हां" कहें..
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, डिवीजन -डिवीजन.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, पहले हां, ना तो करवाइये. (श्री संजीव सिंह "संजू" की ओर देखते हुए) फिर आप डिवीजन मांगना.
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, इस मामले में डिवीजन चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- जो माननीय सदस्य इस प्रस्ताव के पक्ष में हों, वे कृपया मेरी दाहिनी ओर की लॉबी में जाकर मतदान करेंगे.
जो माननीय सदस्य इस प्रस्ताव के विपक्ष में हों, वे कृपया मेरी बायीं ओर की लॉबी में जाकर मतदान करेंगे.
''हां पक्ष''
1. श्री बाबू जन्डेल
2. श्री बैजनाथ कुशवाह
3. श्री बनवारी लाल शर्मा
4. श्री एदल सिंह कंषाना
5. श्री रघुराज सिंह कंषाना
6. श्री गिर्राज डण्डौतिया
7. श्री कमलेश जाटव
8. श्री संजीव सिंह ''संजू''
9. डॉ. गोविंद सिंह
10. श्री ओ.पी.एस. भदौरिया
11. श्री रणवीर जाटव
12. श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर
13. श्री मुनालाल गोयल (मुन्ना भैया)
14. श्री प्रवीण पाठक
15. श्री लाखन सिंह यादव
16. श्रीमती इमरती देवी
17. श्री घनश्याम सिंह
18. श्रीमती रक्षा संतराम सरौनिया
19. श्री जसमंत जाटव छितरी
20. श्री सुरेश धाकड़ (राठखेड़ा)
21. श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू''
22. श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया)
23. श्री लक्ष्मण सिंह
24. श्री जयवर्द्धन सिंह
25. श्री जजपाल सिंह ''जज्जी''
26. श्री गोपाल सिंह चौहान (डग्गी राजा)
27. श्री बृजेन्द्र सिंह यादव
28. श्री गोविंद सिंह राजपूत
29. श्री हर्ष यादव
30. श्री तरबर सिंह (बन्टू भैया)
31. श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर
32. श्री नीरज विनोद दीक्षित
33. कुँवर विक्रम सिंह (नाती राजा)
34. श्री आलोक चतुर्वेदी (पज्जन भैया)
35. श्री राजेश शुक्ला (बब्लू भैया)
36. कुँवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मुन्ना भैया)
37. श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह
38. श्री राहुल सिंह (दमोह)
39. श्री शिवदयाल बागरी
40. श्री नीलांशु चतुर्वेदी
41. श्री डब्बू सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा
42. श्री नारायण त्रिपाठी
43. श्री कमलेश्वर इन्द्रजीत कुमार
44. श्री शरद जुगलाल कोल
45. श्री सुनील सराफ
46. श्री बिसाहूलाल सिंह
47. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
48. श्री विजयराघवेन्द्र सिंह(बसंत सिंह)
49. श्री संजय यादव
50. श्री लखन घनघोरिया
51. श्री विनय सक्सेना
52. श्री तरुण भनोत
53. श्री भूपेन्द्र मरावी (बबलू)
54. श्री ओमकार सिंह मरकाम
55. श्री नारायण सिंह पट्टा
56. डॉ.अशोक मर्सकोले
57. श्री संजय उइके
58. सुश्री हिना लिखीराम कावरे
59. श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल (गुड्डा)
60. श्री टामलाल रघुजी सहारे
61. श्री अर्जुन सिंह
62. श्री योगेन्द्र सिंह “बाबा”
63. श्री संजय शर्मा “संजू भैया”
64. श्रीमती सुनीता पटैल
65. श्री सुनील उईके
66. श्री कमलेश प्रताप शाह
67. चौधरी सुजीत मेर सिंह
68. विजय रेवनाथ चौरे
69. श्री कमल नाथ
70. श्री सोहनलाल बाल्मीक
71. श्री निलेश पुसाराम उईके
72. श्री सुखदेव पांसे
73. श्री निलय विनोद डागा
74. श्री ब्रह्मा भलावी
75. श्री धरमूसिंह सिरसाम
76. श्री देवेन्द्र सिंह पटेल
77. डॉ.प्रभुराम चौधरी
78. श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव
79. श्री आरिफ अकील
80. श्री पी.सी.शर्मा
81. श्री आरिफ मसूद
82. श्री गोवर्धन दांगी
83. श्री बापूसिंह तंवर
84. श्री प्रियव्रत सिंह
85. श्री विक्रम सिंह राणा (गुड्डू भैया)
86. श्री हुकुम सिंह कराड़ा
87. श्री कुणाल चौधरी
88. श्री सज्जन सिंह वर्मा
89. श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी
90. श्री नारायण पटेल
91. श्रीमती सुमित्रा देवी कास्डेकर
92. ठाकुर सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह "शेरा भैया"
93. श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी
94. श्री सचिन बिरला
95. डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ
96. श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव
97. श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी
98. श्री केदार चिड़ाभाई डावर
99. श्री ग्यारसी लाल रावत
100. श्री बाला बच्चन
101. सुश्री चन्द्रभागा किराडे़
102 श्री मुकेश रावत (पटेल)
103. सुश्री कलावती भूरिया
104. श्री वीरसिंह भूरिया
105. श्री वालसिंह मैड़ा
106. श्री प्रताप ग्रेवाल
107. श्री उमंग सिंघार
108. श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल
109. डॉ. हिरालाल अलावा
110. श्री पांचीलाल मेड़ा
111. श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्तीगांव"
112. श्री विशाल जगदीश पटेल
113. श्री संजय शुक्ला
114. श्री जितू पटवारी
115. श्री तुलसी राम सिलावट
116. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
117. श्री महेश परमार
118. श्री रामलाल मालवीय
119. श्री मुरली मोरवाल
120. श्री हर्ष विजय गेहलोत "गुड्डू"
121. श्री मनोज चावला
122. श्री हरदीप सिंह डंग
"ना पक्ष"
(निरंक)
अध्यक्ष महोदय -- मतदान एवं गणना की प्रक्रिया संपन्न होने के पश्चात् प्रस्ताव के पक्ष में 122 मत (मेजों की थपथपाहट), प्रस्ताव के विपक्ष में शून्य मत.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को बताना चाहता हूँ कि आज भारतीय जनता पार्टी के माननीय दो विधायकों ने हमारा साथ दिया है. श्री नारायण त्रिपाठी एवं शरद जुगलाल कोल , मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष जी, जब से देश आजाद हुआ है, संविधान बना है, भारत के लोकतांत्रिक देश की पहली घटना है..(व्यवधान) ...
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, आप जो कर्नाटक में कर रहे हो, ये उसका जवाब है.(मेजों की थपथपाहट) ..(व्यवधान) ...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आपने कर्नाटक में क्या किया. ..(व्यवधान) ...
श्री गोपाल भार्गव -- जब पूरा प्रतिपक्ष विधेयक में इनके साथ है.. ..(व्यवधान) .. अध्यक्ष महोदय, हमें इस बात की जानकारी मिली है कि कुछ लोगों ने दो-दो जगह हस्ताक्षर किए हैं. ..(व्यवधान) ..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- आपकी बात पर कोई विश्वास नहीं करेगा. ..(व्यवधान) ..
5.17 बजे विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किये
जाने का प्रस्ताव
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि विधान सभा के वर्तमान जुलाई, 2019 सत्र के लिए निर्धारित समस्त शासकीय, वित्तीय एवं आवश्यक कार्य पूर्ण हो चुके हैं. अत: मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 12-ख के द्वितीय परंतुक के अंतर्गत, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि ''सदन की कार्यवाही का समापन किया जाये एवं तदुपरांत बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाए.''
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित की जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, यह वैसा ही हुआ कि अकेले दौडे़ और अव्वल आए. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हस्ताक्षरों का वेरीफिकेशन करवाएं और गवर्नर साहिबा के सामने करवाएं, मैं दावे से कह रहा हूं 12 सदस्यों के हस्ताक्षर फर्जी हुए हैं. (व्यवधान)...
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) --अध्यक्ष महोदय, अभी जो आरोप लगा कि दो-दो जगह हस्ताक्षर हुए हैं. मैं चाहता हूं कि इसका इंतजार क्यों किया जाए, आप इसको अभी वेरीफाई कर लीजिए. अभी वेरीफाय करें. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अभी करो. (व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह- अध्यक्ष महोदय, हमारा प्रस्ताव है सदन की कार्यवाही कृपया अनिश्चित काल के लिए स्थगित की जाए. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- ले लिया है. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अभी परेड करवा लीजिए. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, कर्नाटक में गिनती हुई, यहां भी गिन लें. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, कर्नाटक के बादल यहां तक आ गए हैं. (व्यवधान)...
श्री कमलनाथ-- यह वेरीफाई करने में कोई समय नहीं लगने वाला है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, इतनी भयभीत सरकार नहीं देखी, इतनी डरी हुई सरकार नहीं देखी. विधिवत डिवीजन करवाएं. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मिश्र जी, इतिहास दोहराया जाता है. इतना ध्यान रखो. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र --आज मध्यप्रदेश की विधानसभा में कर्नाटक की दहशत, कर्नाटक का भय देखने को मिल रहा है. (व्यवधान)...
5.25 बजे
राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान
अध्यक्ष महोदय- अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान किया गया.)
5.26 बजे
सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना
अध्यक्ष महोदय- विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 5.26 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 24 जुलाई, 2019 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा