मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 24 मार्च 2025
(3 चैत्र, शक संवत् 1947 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
1. निधन का उल्लेख
डॉ. देबेन्द्र प्रधान, पूर्व मंत्री भारत सरकार
अध्यक्ष महोदय -- मुझे सदन को यह सूचित करते हुए अत्यन्त दुख हो रहा है कि पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, डॉ. देबेन्द्र प्रधान का दिनांक 17 मार्च, 2025 को निधन हो गया है.
डॉ. देबेन्द्र प्रधान का जन्म 16 जुलाई, 1941 को नालम, जिला-अंगुल (उड़ीसा) में हुआ था. डॉ. प्रधान भाजपा की ओडिशा इकाई के तीन बार अध्यक्ष रहे. आप वर्ष 1998 में बारहवीं तथा वर्ष 1999 में तेरहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा केन्द्र सरकार में जल-भूतल परिवहन एवं कृषि राज्यमंत्री रहे.
आपके निधन से देश ने एक वरिष्ठ नेता तथा कुशल प्रशासक खो दिया है.
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने उल्लेख किया है केन्द्रीय मंत्री डॉ. देबेन्द्र प्रधान जी मेरे विद्यार्थी परिषद के समय के साथी रहे हैं. हम दोनों एक महीने लगातार सील में भी साथ थे. उनके पिताजी की खास बात यह थी वे पिताजी मूलत: चिकित्सक थे उनकी बहुत अच्छी प्रेक्टिस थी और स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे जी से सम्पर्क में आने के बाद केवल राष्ट्र कार्य के लिए वे सब कुछ छोड़कर पूरे प्रदेश में पार्टी के काम को आगे बढ़ाने की दृष्टि से राजनीति के माध्यम से सेवा का जो सच्चा व्यक्तित्व होना चाहिए उस नाते से उन्होंने अपना लंबा जीवन जिया. जब भी वह दिल्ली में सांसद बनकर गये तो अपने स्वयं के आवास पर तीन कमरे जनता के लिए खोलकर उन्होंने उनके खाने, पीने, ठहरने की सारी व्यवस्था की और वह जब तक जिये, इसी भाव से जीते रहे. मैं स्वयं भी उस परिवार से व्यक्तिगत जुड़ा हूं. आज दुख की इस घड़ी में परमात्मा इस पुण्यात्मा को मोक्ष प्रदान करे. मध्यप्रदेश सरकार की ओर से भी मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, समर्पित नेता डॉ. देबेन्द्र प्रधान जी के असामयिक निधन पर मैं शोक व्यक्त करता हूं. निश्चित तौर से वे भारतीय जनता पार्टी के एक आधार थे. उड़ीसा इकाई के रूप में उन्होंने काफी काम किया है. जल, भूतल, परिवहन, और कृषि राज्यमंत्री के रूप में कई नीतिगत निर्णय लिये. मैं अपनी पार्टी और समक्ष विपक्ष की ओर से शोकाकुल परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. मैं प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उन्हें कठिन समय में संबल प्रदान करे.
अध्यक्ष महोदय-- मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं अब सदन कुछ समय मौन रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
अध्यक्ष महोदय--ओम शांति, शांति, शांति. दिवंगत के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की जाती है.
(सदन की कार्यवाही प्रात: 11:07 बजे 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.15 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, चिंतामणि जी, जो कि भारतीय जनता पार्टी के हैं, उन्होंने इस सदन में किसानों की ज़मीन को लेकर आवाज उठाई थी, भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उन्हें नोटिस दिया गया है, इस तरीके से लोकतंत्र में कार्य कैसे चलेगा ?
अध्यक्ष महोदय- अभी प्रश्न काल चल रहा है, अभी कृपया बैठिये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इस पर चर्चा जरूर की जाये.
अध्यक्ष महोदय- मुकेश मल्होत्रा जी.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
शिवपुरी-श्योपुर हाईवे किनारे शबरी आश्रम निर्माण
[संस्कृति]
1. ( *क्र. 1442 ) श्री मुकेश मल्होत्रा : क्या राज्य मंत्री, संस्कृति महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तत्कालीन मुख्यमंत्री महोदय श्री शिवराज सिंह चौहान ने दिनांक 25 नवम्बर, 2017 को शिवपुरी जिले के ग्राम सेसई में जिला श्योपुर के आदिवासी विकास खण्ड कराहल, ग्वालियर के घाटीगांव और अशोक नगर के करीला धाम के पास और कराहल, शिवपुरी गुना में और आदिवासी विकास खण्ड कराहल में 7.50-7.50 करोड़ की लागत से माता शबरी आश्रमों के निर्माण की घोषणा की थी? (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर यदि हाँ, तो क्या आज दिनांक तक उक्त स्थानों में आश्रम निर्माण हेतु भूमि आवंटन, प्रशासकीय स्वीकृति, धनराशि आवंटन कर दिया गया है? यदि हाँ, तो दस्तावेज सहित जानकारी प्रदाय करें। यदि कार्य आरंभ नहीं हुआ है तो क्यों तथा विलंब का कारण बतावें तथा विलंब के दोषियों पर क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) क्या विभाग कराहल व अन्य प्रस्तावित स्थानों पर माता शबरी आश्रमों का निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ करेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतावें। यदि नहीं, तो क्यों?
राज्य मंत्री, संस्कृति ( श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी ) : (क) जी हाँ। (ख) उक्त कार्य हेतु भूमि आवंटन की कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) उत्तरांश 'ख' अनुसार।
श्री मुकेश मल्होत्रा- प्रश्न क्रमांक 1442.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- अध्यक्ष महोदय, उत्तर सदन के पदल पर प्रस्तुत है.
श्री मुकेश मल्होत्रा- अध्यक्ष महोदय, मुझे मां शबरी के विषय पर बोलने का, आपने अवसर दिया, उसके लिए धन्यवाद. मेरे द्वारा पूछे गए इतने महत्वपूर्ण प्रश्न, जिसमें आदिवासी संस्कृति और संरक्षण एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की घोषणा का क्रियान्वयन है, उसका विभाग द्वारा जिस प्रकार का उत्तर दिया गया है, वह न केवल आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के प्रति विभाग की उदासीनता को दर्शता है बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री जी की घोषणा के क्रियान्वयन के प्रति भी उदासीनता को बताता है.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि दिनांक 25 नवंबर, 2017 को मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा माता शबरी के आश्रम निर्माण की घोषणा की गई थी. आपके माध्यम से मैं, सदस्य को बताना चाहता हूं कि पूर्व मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुक्रम में विभाग द्वारा कार्यवाही प्रारंभ की गई थी. शिवपुरी जिले में शबरी माता के नाम से सांस्कृतिक केंद्र एवं कम्युनिटी सेंटर बनाये जाने के लिए 2 हेक्टेयर शासकीय भूमि उसी समय आवंटित कर दी गई थी. विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार कर आदिम जाति कल्याण विभाग को भेजा गया, किंतु आदिम जाति कल्याण विभाग से राशि उपलब्ध नहीं हो पाई थी, इसके पश्चात् इस हेतु पुन: विभाग द्वारा अनुपूरक मांग प्रस्ताव वित्त विभाग को प्रेषित किये गए, किंतु बजट में प्रावधान नहीं हो सका.
अध्यक्ष महोदय, मैं, यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बन गई और फिर इस घोषणा पर कोई कार्य नहीं हुआ. उसके बाद कोरोनाकाल आ गया, इसके कारण मुझे लगता है कि इस विषयक में विलंब हुआ है और मैं आपको अवगत करना चाहता हूं कि जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत शबरी माता मंदिर के विकास हेतु 55 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी किंतु शबरी माता का मंदिर वन भूमि में आने के कारण, वन विभाग से कार्य की अनुमति प्राप्त नहीं हुई, इस कारण से कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया और राशि वापस कर दी गई.
अध्यक्ष महोदय- दूसरा पूरक प्रश्न करें.
श्री मुकेश मल्होत्रा- अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय द्वारा आधी-अधूरी जानकारी दी जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने दिनांक 25 नवंबर, 2017 को शिवपुरी जिले के ग्राम सेसई में घोषणा की थी कि आदिवासी विकासखण्ड कराहल एवं ग्वालियर के आदिवासी विकासखण्ड घाटीगांव और अशोक नगर के करीला धाम में 7.50-7.50 करोड़ रुपये की लागत से शबरी आश्रमों का निर्माण किया जायेगा. और माननीय अध्यक्ष महोदय, कराहल में तो भूमि भी चिन्ह्ति की गई है, वहां कोई वन विभाग की भूमि नहीं है, तहसील की भूमि है, जिस पर भू-माफियाओं का कब्जा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि जिस शबरी माता ने भगवान राम का वर्षों तक इन्तजार किया कि प्रभु राम जी मेरी झोपड़ी में आएंगे, श्री राम जी के लिए माता शबरी जी जंगल से बेर तोड़कर लाई थीं और भगवान श्री राम जी को बेर चख-चखकर बेर खिलाए थे कि कोई खट्टा बेर भगवान जी के पास नहीं पहुँच जाये, तो आराध्य देवी माता शबरी के आश्रम के साथ भी सरकार द्वारा इतना भेदभाव किया जा रहा है, जो ठीक नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि घोषणा के लगभग 7-8 वर्ष बाद भी भूमि का आवंटन क्यों नहीं किया जा रहा है ? उक्त स्थानों पर मां शबरी आश्रमों के निर्माण कार्य हेतु कितनी-कितनी राशि आवंटित की गई है एवं प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है. मुझे अद्यतन स्थिति की जानकारी दें कि कब तक उक्त स्थानों पर आश्रमों का निर्माण करा लिया जायेगा ?
अध्यक्ष महोदय - मुकेश जी, आपका प्रश्न आ गया है.
श्री मुकेश मल्होत्रा - बहुत-बहुत धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूँ कि शबरी माता के प्रति सरकार की बड़ी आस्था है और इस पर काम भी शुरू हुआ है. मैं आपके माध्यम से सदस्य को बताना चाहता हूँ कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जी की घोषणा के पश्चात् अशोक नगर में तीन काम 7.38 करोड़ रुपये के स्वीकृत किए गए हैं. एक करीला माता मंदिर में 5.7 करोड़ रुपये की राशि से जो काम स्वीकृत हुआ था, वह काम पूरा हो गया है. अचलगढ़, अशोक नगर में एक करोड़ नौ लाख रुपये का काम स्वीकृत हुआ था, यह काम पूरा हो गया है, केवल शबरी माता मंदिर का जो काम है, मैंने कहा कि वह 2 हेक्टेयर भूमि स्वीकृत भी हो गई है, लेकिन वन भूमि के कारण इसमें काम नहीं हो पाया है.
मैं माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आपके माध्यम से सदस्य को बताना चाहता हूँ कि संस्कृति विभाग, तत्कालीन मुख्यमंत्री जी के द्वारा की गई घोषणा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करता है और माता शबरी से संबंधित सांस्कृतिक केन्द्र के निर्माण हेतु वित्तीय विभाग से प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त करने के लिए संस्कृति विभाग शीघ्र ही कार्यवाही करेगा और जल्दी ही इसका अच्छा परिणाम देखने को मिलेगा. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, मैं समझता हूँ कि यह कराहल जो ब्लॉक है, यह एकदम आदिवासी ब्लॉक है और मुख्यमंत्री जी की घोषणा को भी काफी समय हो गया है, इसमें थोड़ा प्रारंभ हो जाये. इस मामले में शीघ्रता करनी चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)
प्रदेश में नवजात शिशु, शिशु बाल मृत्यु दर
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
2. ( *क्र. 2830 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश की लोक स्वास्थ्य अधोसंरचना एवं स्वास्थ्य सेवा पर कैग 2024 का प्रतिवेदन संख्या 6 में उल्लेखित टिप्पणियों से शासन क्या यह मानता है कि क्या प्रदेश की स्वास्थ्य अधोसंरचना एवं सेवा संतोषजनक है? यदि हाँ, तो ऐसे मानने के आधार बिन्दु क्या है? (ख) क्या कैग ने प्रतिवेदन में 8 विषयों पर तथ्य परक निरीक्षण में यह पाया कि स्वास्थ्य अधोसंरचना एवं सेवा निम्न गुणवत्ता की है तथा इस कारण प्रदेश नवजात शिशु, शिशु बाल मृत्यु दर में देश में प्रथम तथा गर्भवती महिला मृत्यु दर में देश में तीसरे स्थान पर है? (ग) कैग ने प्रतिवेदन में 9 अध्याय में 2016 बिन्दुओं पर प्रदेश की स्वास्थ्य अधोसंरचना एवं सेवा में गंभीर कमियां पाई हैं, इन्हें दूर करने के लिये कैग प्रतिवेदन के बाद क्या-क्या प्रयास किये गये? विस्तृत जानकारी दें। (घ) विभिन्न केटेगरी के चिकित्सालयों में जनवरी 2025 में शासकीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक आई.पी.एच.एस. अनुसार राज्य शासन द्वारा स्वीकृत, कार्यरत आई.पी.एच.एस. से कम संख्या और उनका प्रतिशत स्वीकृत पद से कम संख्या और उनका प्रतिशत, की सूची विशेषज्ञ, चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ तथा पैरामेडिकल स्टाफ अनुसार बतावें। (ड.) कैग के प्रतिवेदन के पैरा 4.8.5 में उल्लेखित 192 मामले की विस्तृत सूची आपूर्तिकर्ता के नाम, दवा का नाम, डी.डी.ओ. का नाम, दिनांक तथा स्थानीय दर सहित देवें तथा बतावें कि अनु सेल्स, अन्य मेडिकल द्वारा वर्ष 2016-17 से 2024-25 तक आपूर्ति की गई दवा के नाम, दर, डी.डी.ओ. का नाम, दिनांक, कुल मात्रा, कुल राशि, भुगतान की राशि सहित देवें।
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री राजेन्द्र शुक्ल) :
श्री प्रताप ग्रेवाल - मेरा तारांकित प्रश्न क्रमांक 2830 है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उत्तर पटल पर रख दिया है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य पूरक प्रश्न करें.
श्री प्रताप ग्रेवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न है, वह प्रदेश की जनता से सीधा जुड़ा हुआ प्रश्न है, साथ ही नवजात शिशु और बाल शिशु, गर्भवती महिलाओं की जिन्दगी-मौत से जुड़ा हुआ प्रश्न है. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के जवाब में बताया गया है कि एन.एफ.एच.एस. 4 एवं एन.एफ.एच.एस. 5 के तुलनात्मक अध्ययन में संतोषजनक सुधार हुआ है
जबकि प्रदेश में विशेषज्ञों के पद जो स्वीकृत हैं वह 5043 पद हैं. उसमें से 3600 पद रिक्त हैं जो कि लगभग 70 प्रतिशत हैं. इनकी पद पूर्ति में कितने वर्ष लगेंगे.इसी तरह मेरे प्रश्न क्रमांक 1269,दिनांक 13.3.2025 के अनुसार धार जिले में स्त्री रोग विशेषज्ञ के 15-17 पद थे उसमें से सिर्फ 2 पद ही भरे हैं अर्थात 90 प्रतिशत पद खाली है और मेरे विधान सभा क्षेत्र में स्त्री रोग विशेषज्ञ का अभी तक कई वर्षों से पद ही नहीं है. मेरा कहना है कि जो विशेषज्ञों के पद रिक्त हैं इन्हें कब तक भर दिया जायेगा ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय,जबसे हमारी सरकार ने आई.पी.एच.एस.नार्म्स को एप्रूव किया है. 3900 डाक्टरों की भर्ती पीएससी में प्रक्रियाधीन है और हमारी कोशिश है कि कोई वैधानिक अड़चन नहीं आयेगी तो अक्टूबर के महिने तक हमें पर्याप्त डाक्टर मिल जायेंगे और आपके यहां हमें डाक्टरों की पदस्थापना करना आसान हो जायेगा.
श्री प्रताप ग्रेवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक दूसरा पूरक प्रश्न है कि प्रश्न क के उत्तर में जांचों का उल्लेख है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार 8 विषयों पर तथ्य के निरीक्षण में स्वास्थ्य अधोसंरचना निम्न गुणवत्ता की है. इस कारण मुझे नवजात शिशु मृत्यु दर,बाल शिशु मृत्यु दर,गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में देश में हमारा प्रदेश किस स्थान पर है मैं अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से उत्तर चाहता हूं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य का यह सवाल बहुत ही प्रासंगिक है.हमने सुधार तो काफी किया है लेकिन हमें अभी भी काफी सुधार करने की आवश्यकता है इसके लिये जैसा आपने कहा कि पदों की स्वीकृति,सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को एफ.आर.यू. बनाना,फर्स्ट रेफरल यूनिट के अनुरूप उसको स्थापित करना,उसमें पदों की प्रतिपूर्ति करना,अधोसंरचना बनाना तो अधोसंरचना में पूरे प्रदेश में 9 हजार करोड़ से ज्यादा के काम चल रहे हैं. 3900 से ज्यादा डाक्टर हम भर्ती कर रहे हैं. 2003 में एमएमआर 493 था वह अब 173 हो गया है और आईएमआर जो 83 था वह 43 हो गया है तो सुधार तो काफी हुआ है लेकिन अभी देश में हमारी स्थिति में काफी सुधार और करने की आवश्यकता है जिसमें हम लगे हुए हैं.
श्री प्रताप ग्रेवाल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आसंदी से संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रताप जी, दोनों पूरक प्रश्न हो गये हैं और मंत्री जी ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद निश्चित रूप से वह करेंगे.
श्री प्रताप ग्रेवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, अस्पतालों में डाक्टर नहीं हैं,दवाई नहीं हैं.मेरे धार जिले के अंदर एंबुलेंस तो है ड्राईवर नहीं है तो मैं तो इतना चाहता हूं कि नवजात शिशु,बाल मृत्यु दर,गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में देश में हमारे प्रदेश का क्या स्थान है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अत्यंत गंभीर मामला है और माननीय मंत्री जी की जवाब भी मैं देख रहा था तो प्रश्न यह है कि नवजात शिशु,बाल मृत्यु और गर्भवती महिलाओं के मामले में हमारी हालत बहुत खराब है और सीएजी ने भी अध्याय 9 में 2016 बिन्दुओं पर स्वास्थ्य अधोसंरचना एवं सेवा में गंभीर अनियमितताएं पाईं हैं. मैं जानना चाहूंगा मंत्री जी से कि, यह जो कैग की रिपोर्ट है इस पर क्या कार्यवाही सरकार कर रही है ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय,जैसा मैंने बताया कि कैग की रिपोर्ट के आधार पर जो उन्होंने विषय अधोसंरचना और डाक्टरों की कमी और जो भी विषय उन्होंने उठाए उसको बहुत गंभीरता से शासन ने लिया है.आईपीएचएस का एप्रूवल उसी का एक अंग है जिसमें हमने पूरा सर्वे कराकर हमने देखा कि ह्यूमन रिसोर्स की कितनी कमी है और जितनी कमी है उसकी स्वीकृति कर दी और उसकी प्रतिपूर्ती की कार्यवाही बहुत तेजी के साथ चल रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर में जो कमी है 10 हजार करोड़ रुपये के काम चल रहे हैं तो कुल मिलाकर कैग के जो भी आब्जर्वेशन है उसका जो बेहतर से बेहतर रिस्पांस हो सकता है वह हमारी सरकार कर रही है.
श्री प्रताप ग्रेवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय,जो मैंने कहा उसका उत्तर मंत्री जी से दिलवाया जाए.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - मंत्री जी, इसकी समय-सीमा भी तो बता दें. कब तक कार्यवाही कर देंगे ?
अध्यक्ष महोदय - अभी कैग की रिपोर्ट लोक लेखा समिति के समक्ष विचाराधीन होगी. वह रिपोर्ट जब आ जायेगी तो निश्चित रूप से सरकार उस पर क्रियान्वयन करे और करती है सामान्य तौर पर.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 3, श्री बृजबिहारी पटैरिया (अनुपस्थित)
जिला चिकित्सालय सीधी में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
4. ( *क्र. 2871 ) श्रीमती रीती पाठक : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला चिकित्सालय सीधी में विशेषज्ञों के 37 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 12 पदों पर विशेषज्ञ कार्यरत हैं और 25 पद रिक्त हैं एवं चिकित्सा अधिकारियों के 26 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 20 पदों पर चिकित्सक कार्यरत हैं और 6 पद रिक्त हैं? इन रिक्त पदों पर नियुक्ति कब तक कर दी जायेगी? (ख) सीधी जिले एवं ऐसे अन्य जिलों में जहाँ चिकित्सक नियुक्ति के बाद भी कार्य करने में असहमति प्रकट करते हैं, वहाँ पर चिकित्सकों को भेजने हेतु वेतनमान में अतिरिक्त वृद्धि या विशेष पैकेज की व्यवस्था क्या सरकार द्वारा की जा सकती है? (ग) जिला चिकित्सालय सीधी में आए दिन लापरवाही व अव्यवस्था के कारण बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं, जिससे जिले के आमजन मानस के बीच प्रमुखता से यह विषय दृष्टिगोचर होता है एवं समाचारों में ये खबरें अपनी जगह बनाती हैं, इन घटनाओं की रोकथाम के लिये सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं? (घ) सीधी में सरकार द्वारा चिकित्सा महाविद्यालय स्वीकृत किया गया है, जिसके संचालन हेतु इच्छुक संस्थाओं को आवंटन की निविदा आमंत्रित की गई थी, किन्तु कई बार समयवृद्धि के बाद भी कोई संस्था प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं हुई, अतएव चिकित्सा महाविद्यालय स्थापना प्रक्रिया पूर्ववत लंबित है? क्या सरकार इसमें हस्तक्षेप करते हुए जल्द चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना हेतु कोई निर्णय लेगी?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) पदपूर्ति एक निरंतर प्रक्रिया है। अतः समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) जनजाति बाहुल्य विकास खण्डों में चिकित्सकों के पदस्थ होने पर उन्हें सुषेण भत्ता अतिरिक्त रूप से दिये जाने का प्रावधान है। (ग) शिकायत प्राप्त होने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। (घ) पी.पी.पी. आधार पर मेडिकल कॉलेज स्थापना हेतु जारी प्रथम चरण की निविदा में किसी भी निविदाकार द्वारा कोई बिड प्राप्त नहीं हुई है। पुनः निविदा आमंत्रण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
श्रीमती रीती पाठक-- धन्यवाद करती हूं अध्यक्ष महोदय, आपके संरक्षण में मुझे बेहद संवेदनशील विभाग के विषय की जिसकी मेरे जिले में बहुत आवश्यकता है, इसकी बात रखने का अवसर मिला है. अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत धन्यवाद ज्ञापित करना चाहती हूं कि प्रदेश के सभी विधायकों को उन्होंने विशेष राशि आवंटित की है, जिसके माध्यम से वह अपने क्षेत्र का विकास कर सकें. ...(व्यवधान)... अध्यक्ष महोदय इसमें एक छोटी सी सहभागिता मेरी भी ज्ञापित हो सकी है उसमें और अपने विधान सभा के...
श्री पंकज उपाध्याय-- बहन जी, सुधार कर लो न इसमें, केवल बीजेपी वालों को दी है, ऐसा बोलो न थोड़ा.
श्रीमती रीती पाठक-- मेरी बात पूरी हो जाने दो पहले ...(व्यवधान)... अध्यक्ष महोदय, मैं यह बात कहना चाहती हूं कि मैंने भी इसी के माध्यम से अपने जिले की स्वास्थ सुविधा को ठीक करने के लिये ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट रीती जी, अजय सिंह जी कुछ कह रहे हैं.
श्री अजय अर्जुन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये कैसी जानकारी दे रही हैं, इन्होंने कह दिया कि सभी विधायकों को मुख्यमंत्री जी ने राशि दी है. ...(व्यवधान)... हम लोग चिल्ला-चिल्लाकर थक गये कि 15 करोड़ आपको दिया तो कम से कम 5 तो दे दो, वह भी नहीं दे रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके लिये नहीं मिली तो उसके लिये मैं क्या करूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो चर्चायें बाहर चलती हैं उसमें कोई तथ्य नहीं है. नोडल विभाग में अगर मुख्यमंत्री अधोसंरचना के कोई कार्य आते हैं तो ग्रामीण विकास मंत्रालय में आते हैं, इस बार प्रावधान हुआ है तो उसके बाद में, उनके कहने में कोई असत्यता नहीं है, लेकिन 15 करोड़ और 5 करोड़ यह अखबार बाजी ही है बाकी कुछ नहीं. ...(व्यवधान)...
श्री अजय अर्जुन सिंह-- अधोसंरचना के लिये तो आप कर देंगे. ...(व्यवधान)... माननीय मंत्री महोदय, यह बताने का कष्ट करेंगे कि अधोसंरचना मद के लिये हम लोग आपको लिखकर दें तो आप कर देंगे. ...(व्यवधान)...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- जो-जो सदस्य की क्षेत्रीय आवश्यकतायें हैं, क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार उन्होंने मंत्रियों को अपने प्रस्ताव दिये हैं जैसा सारे सदस्य देते हैं, कोई अलग से 15 करोड़ की राशि नहीं दी गई है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि रीति पाठक जी का प्रश्न है, वह महिला सदस्य हैं, उनको अपना पूरक प्रश्न करने दीजिये.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रहलाद जी कह रहे हैं कि यह जुमला है. माननीय सुरेन्द्र सिंह जी आपके दल के विधायक हैं, वरिष्ठ विधायक हैं, उन्होंने बजट भाषण में अपने या किसी अन्य भाषण में माननीय मोहन यादव जी की सरकार को धन्यवाद दिया है कि 15 करोड़ रूपये हमको मिल गये हैं. आप कार्यवाही उठाकर देख लीजिये. उन्होंने यहां पर स्वीकार किया है कि 15 करोड़ रूपये हमें मिल गये हैं और धन्यवाद भी दे दिया है आपको, आप कार्यवाही देख लीजिये.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मुझे लगता है कि समापन का दिन है तो आज राजेन्द्र सिंह जी अच्छे मूंड में हैं, मुझे लगता है कि आप चाय पर बुलायेंगे तब ऐसी बातें हो सकती हैं, अभी प्रश्नकाल क्यों खराब करना है.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- प्रश्नकाल खराब नहीं हो रहा आदरणीय प्रहलाद जी, बहन जी कह रही हैं कि हमको 15 करोड़ मिल गये, राजेन्द्र जी कह रहे हैं कि हमको नहीं मिले, आप कह रहे हैं कि जुमला है, अरे जनता को बता तो दो कि क्या है. 15 करोड़ दिये हैं कि नहीं दिये हैं ...(व्यवधान)... अच्छा एक बात बताईये, बीजेपी वाले जिन-जिन को मिल गये हैं वह हाथ खड़ा कर दें. ...(व्यवधान)... क्या तमाशा बना दिया है, अध्यक्ष महोदय, यह लोकतंत्र का मंदिर है. ...(व्यवधान)...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय जिन्होंने प्रस्ताव दिये हैं जिनके प्रस्ताव स्वीकृति के योग्य होंगे ...(व्यवधान)... जिनके नहीं होंगे, उनके नहीं होंगे. ...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- आप भी विकास के लिये संवेदनशील ...(व्यवधान)...
श्रीमती रीती पाठक-- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी पूरी बात रखना चाहती हूं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- भंवर सिंह जी रीति पाठक जी को अपना पूरक प्रश्न करने दीजिये. अब समय काफी चला गया, संक्षिप्त में प्रश्न करें.
श्रीमती रीती पाठक-- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मैं तो धन्यवाद देने के लिये खड़ी हुई थी, चूंकि क्षेत्र में मिले हैं और उसमें मेरी सहभागिता हुई है और एक बड़ा विषय है और आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने संवेदनशील स्थल के लिये संवेदनशील भावनाओं के साथ एक संवेदनशील व्यक्ति का चुनाव किया है और उनसे हमारी उम्मीद इतनी हो जाती है कि मुझे लगता है कि जो सामान्य उम्मीद है उससे कई गुना ज्यादा बढ़कर होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय उपमुख्यमंत्री जी की बात कर रही हूं, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग का अमला भी है. अब मैं अपनी विशेष बात पर आ जाती हूं, उससे पहले जरूर यह कहना चाहती हूं कि रीवा के लिये जिस तरह से आपने चिंता की है, मुझे पूरी उम्मीद है कि आपके माध्यम से सीधी के साथ पूरे मध्यप्रदेश की चिंता स्वास्थ्य विभाग के विषय में होना है, चूंकि अभी उत्तर मैंने देखा है और यह पहले सवाल को मैं आपके जवाब से पढ़ना चाहती हूं, इसमें लिखा है कि पदपूर्ति एक निरंतर प्रक्रिया है, समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है, तो निरंतर, अनवरत और सतत् प्रक्रिया का अध्यक्ष महोदय, हमें भी ज्ञान है.
अध्यक्ष महोदय, मैं बड़े ही विनम्रता से आदरणीय उपमुख्यमंत्री जी को यह निवेदन करना चाहती हूं कि सम्माननीय उपमुख्यमंत्री जी जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं. मैं आपको बताना चाहूती हूं और चूंकि आपको तो पता ही होगा कि हमारे सीधी जिले में सीधी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा हाईलाईटेड रहती हैं, अभी परसों की बात है और उसके एक दिन पहले की भी बात है. हम गंभीरता से इस विषय पर व्यक्तिगत रूप से चर्चा करेंगे अगर आप अनुमति देंगे तो, पर अनुमति नहीं मिल पाती है. मैं यह कहना चाहती हूं कि इसमें 36 पद स्वीकृत हैं. हमारे जिला चिकित्सालय में जब हम विशेषज्ञों की बात करें तो 36 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 12 पदों पर विशेषज्ञ कार्यरत हैं, सिर्फ 12 पद ही खाली हैं और इसमें जो रिक्त पद हैं, उनकी संख्या 24 है, तो हमारा अस्पताल कैसे चलेगा? और चिकित्सा अधिकारी की अगर मैं यहां पर बात रखूं तो इसमें 21 पद स्वीकृत हैं, इसमें 17 पदों पर चिकित्सक कार्य कर रहे हैं, जिसमें संविदा और रेगुलर इन दोनों को मिलाकर में मैं बात कर रही हूं. चूंकि उत्तर तो मैंने पहली ही पढ़ दिया है, अब आप उसी चीज को कहेंगे, लेकिन आपके संरक्षण में पहले प्रश्न में मेरा यह कहना है कि इसमें क्या सरकार के माध्यम से कोई विशेष निर्देश हैं कि जिनकी पदास्थापना हमारे डॉक्टरों की हमारी सीधी जिले में होती है, लेकिन वह तुरंत एक दिन, दो दिन के बाद दूसरे जिले में, तीसरे जिले में चले जाते हैं, तो कम से कम ऐसे निर्देश दिये जायें कि तीन साल के लिये वह हमारे पिछड़े जिले में भी आकर काम करें. हमारा आदिवासी बाहुल्य जिला है और वहां पर बड़ी आवश्यकता है, यदि इतने हाईलाईटेड हम लोग सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था की अव्यवस्था में होंगे तो कैसे काम चलेगा? मुझे आपका संरक्ष्ाण चाहिए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पदों की रिक्तता के बारे में तो मेरा जवाब जैसा प्रताप ग्रेवाल जी का सवाल था, वैसा ही है कि हमारी कोशिश रहेगी यदि कोई वैधानिक अड़चन नहीं आयेगी तो अक्टूबर के महीने तक भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी और जो डॉक्टरों की कमी है, उसकी प्रतिपूर्ति हो जायेगी और जब तक नियमित डॉक्टरों के पद खाली हैं, तो एन.एच.एम. के माध्यम से भी हमारी कोशिश रहती है कि विशेषज्ञ और चिकित्सा अधिकारी हम एन.एच.एम. से संविदा पर लेकर और उसकी प्रतिपूर्ति करते हैं, तो आपको कुछ ओर इंतजार करना पड़ेगा. आपकी संवेदनशीलता को मैं समझ रहा हूं.
श्रीमती रीती पाठक-- अध्यक्ष महोदय, कोई समय सीमा?
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, हमने बताया है कि अक्टूबर के महीने तक हमारी पूरी कोशिश है, क्योंकि इंटरव्यू हो गया, आवेदन आयेंगे, पी.एस.सी. में पांच बोर्ड बैठते हैं, उसमें कई गुना ज्यादा अभ्यर्थीं आ जाते हैं, तो उनके इंटरव्यू में थोड़ा समय लगता है, लेकिन आपके लिये बड़े संतोष की बात है कि डॉक्टर मोहन यादव जी की सरकार ने आई.पी.एच.एस. नार्म्स को जो एप्रूवल किया है, उससे मानव संसाधन की कमी की एक बहुत बड़ी परेशानी दूर हुई है, तो आने वाले समय में आपकी यह कमी दूर हो जायेगी, बाकी जो आपने स्वास्थ्य सेवा और ट्रांसफर की बात कही है, तो इस समय वैसे भी ट्रांसफर पर बेन लगा हुआ है. आम तौर पर तो किसी का ट्रांसफर किसी जिले से दूसरे जिले में हो नहीं सकता है, बहुत विशेष परिस्थितियों में ही होता है, परंतु यदि इसके बावजूद कुछ हुआ है तो मैं देख लूंगा और आप तो कभी भी मिल सकती हैं, बात कर सकती हैं और आपका सारा काम हो सकता है.
श्रीमती रीती पाठक -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका विशेष संरक्षण चाहती हूं. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने और हमारी तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने मिलकर मेडीकल कॉलेज हमारी सीधी जिले में स्वीकृत कराया था और जिसकी प्रक्रिया निरंतर चल रही है. जिला प्रशासन के माध्यम से मिलकर भूमि को आवंटित कर लिया है, लेकिन उसमें भी यह लगातार लगा हुआ है कि यह इधर चेंज हो जाये, उधर चेंज हो जाये, परंतु मुझे उससे मतलब नहीं है, पर आपके संरक्षण में यह कहना चाहती हूं कि अध्यक्ष महोदय, इसमें जो लगातार मैं चिंता करती हूं, पूछती हूं तो इसमें यह उत्तर आया है कि पी.पी.पी. आधार पर मेडीकल कॉलेज की स्थापना हेतु जारी प्रथम चरण की निविदा में किसी भी निविदाकार द्वारा कोई बिड प्राप्त नहीं हुई है और होगी भी नहीं अध्यक्ष महोदय, मैं यह बात आपको बहुत कांफिडेंस के साथ कह रही हूं कि नहीं होगी, क्योंकि सीधी इस स्तर का जिला ही नहीं है. आप समझ रहे हैं, यहां पर लगातार अगर हम कुछ अच्छा करने का प्रयास करेंगे तो बहुत सारे लोग हैं, जो पूरी ताकत के साथ उसको बिगाड़ने का प्रयास करते हैं. मेरा कहने का मतलब यह है कि पीपीपी मोड से तो इसको हटा दें, सरकार इसको अपने संरक्षण में लें. आप जैसे संवेदनशील जनप्रतिनधि, जो स्वास्थ्य मंत्री हैं, इसको अपने संरक्षण में लें सरकार के संरक्षण में हमारे यहां का मेडिकल कॉलेज हो और आदिवासी बाहुल्य जिला है. हमारे यहां लोग आर्थिक रूप से बहुत कमजोर भी है, इंडस्ट्रीयल एरिया भी नहीं है. अभी तक हमारे यहां ट्रेन भी नहीं पहुंच पाई है और बगल के जिले में तो आप जैसे आदरणीय जनप्रतिनिधि ने तो वायुयान सेवा शुरू कर दिया है और हम लोग तो वैसे ही बेचारे बनकर बैठे हैं, इसलिए अध्यक्ष महोदय आपकी विशेष दृष्टि की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय – रीती जी आपका प्रश्न आ गया है, बहुत ज्यादा लंबा करेंगे तो दूसरे लोगों के समय का नुकसान होगा.
श्रीमती रीती पाठक – अध्यक्ष जी, मैं चाहती हूं कि इसको सरकार अपने संरक्षण में लें. पीपीपी मॉडल इसमें खत्म कर दें और इसमें शीघ्र कार्यवाही हो.
श्री राजेन्द्र शुक्ल – केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की उड्डयन की जो नीति है, उसमें 200 किलोमीटर पर ही एयरपोर्ट बन सकता है, तो संभागीय मुख्यालय में एअरपोर्ट अगर बना है, तो वह सिर्फ हमारे लिए ही नहीं बना है, आपके लिए भी बना है. आप उसका पूरा उपयोग करिए और राजेन्द्र सिंह जी भी उसका पूरा उपयोग करें. माननीय राजेन्द्र सिंह जी दो दो प्लेन चल रहे हैं, भोपाल से रीवा और तीसरा रीवा से इंदौर चलने वाला है 72 सीटर वाला. यह सब आप ही लोगों के लिए किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय – एक बार इनको बैठाकर ले जाइए. (..हंसी)
श्री राजेन्द्र शुक्ल – परसो हमें जाना है, परसों आपका टिकट करवा लेते हैं(..हंसी) जहां तक पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज शुरू करने की माननीय रीती जी ने बात उठाई है, तो यह नीतिगत फैसला हुआ है, क्योंकि आज कल निजी निवेश को भी प्रोत्साहन करने का केन्द्र सरकार भी बहुत जोर दे रही है. डॉ. मोहन यादव जी की सरकार भी इसको बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ा रही है और निजी पूंजी निवेश में भी जो मेडिकल कॉलेज खुलते हैं, उसमें भी एडमिशन तो 80 से 90 प्रतिशत बच्चों की फीस तो सरकार ही जमा करती है. तो बच्चों को कोई परेशानी होनी नहीं है और उनके जो अस्पताल खुलते हैं उसमें भी आयुष्मान कार्ड योजना से 80 से 90 प्रतिशत का इलाज उसी प्रकार होता है, जैसे सरकारी अस्पताल में होता है, इसलिए कोई भी निवेश आए, किसी भी मॉडल से कोई भी मेडिकल कॉलेज बन जाए, इसका हम लोग प्रयास कर रहे हैं, एक बार टेण्डर किया था कोई आया नहीं. 12 जिलों में ये पीपीपी मोड पर मेडिकल कालेज खुल रहे हैं तो 12 जिलों के जितने भी जनप्रतिनधि हैं उनके लिए भी यह जवाब है. आपने ऐसा सवाल पूछा है जिसका जवाब कई लोगों को मिल रहा है. 30 मार्च तक दूसरी बार जब ऑफर आ जाएगा तो उसमें यह क्लेरिटी आ जाएगी कि कौन से जिले में निवेश करने के लिए लोग रुचि ले रहे हैं और उसके बाद फिर आगे निर्णय करेंगे.
श्रीमती रीती पाठक – अध्यक्ष महोदय, चूंकि मैं ऐसा मानती हूं कि पीपीपी मॉडल सीधी जैसे जिलों के लिए उचित नहीं है, यहां पर कोई भी बड़ा इंडस्ट्रीयल, बड़े व्यक्ति यहां पर इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहते हैं. मेरा निवेदन फिर से यही है कि इसको सरकार अपने संरक्षण में लें और सीधी जिले का उद्धार करें आदिवासी एरिया है. .
अध्यक्ष महोदय – आपका निवेदन मंत्री जी को समझ में आ गया है, कृपया आप बैठ जाएं.
श्रीमती रीती पाठक – पिछड़ा जिला है, आयुष्मान कार्ड में हर विषय सम्मलित नहीं रहता, हर चीज के लिए उनको फीस पेड करनी पड़ती है.
अध्यक्ष महोदय – अब अजय सिंह जी अपना प्रश्न कर लें, वे भी सीधी जिले के हैं.
श्री अजय अर्जुन सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहन रीती पाठक जी की बातों का समर्थन करता हूं. सीधी जिला एक आदिवासी जिला है, पिछड़ा जिला है. माननीय उप मुख्यमंत्री महोदय पड़ोस के जिले के हैं वहां सब सुविधायुक्त है स्वास्थ्य में. हमारे जिले के ये जो पीपीपी मॉडल है, कृपया करके उसको स्थगित कर दें, क्योंकि उसमें हम लोगों को कोई लाभ नहीं होने वाला, एकाध व्यक्ति जिसको आप चाहते होंगे उसका लाभ होगा. माननीय मोहन यादव जी की सरकार चाहती होगी उस व्यक्ति को, आम जनता का सुधार नहीं होने वाला. अध्यक्ष जी आपसे अनुरोध है जो रीती पाठक जी ने बात कही है, कम से कम ये जो गरीब आदिवासी जिले हैं, आपने 12 जिलों की बात कही है, हम नहीं जानते कौन कौन से जिले हैं लेकिन जो आदिवासी जिले हैं, वहां पर पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना न हो, क्योंकि सरकार ने 200-400 करोड़ रुपए खर्च कर दिए सीधी जिले में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर, अब हाथों-हाथ किसी और को दे देंगे, यह उचित नहीं है. हमारी व्यवस्था सुधरवा दीजिए बस इतना ही कहना है.
डॉ हिरालाल अलावा – इसकी हमको जरुरत नहीं है, क्योंकि अगर पीपीपी मोड पर आदिवासी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे तो यह बात निश्चित है कि सरकार की जो मंशा है कि गरीब को, अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्तियों को लाभ मिलेगा वहां पर गरीबों को लाभ नहीं मिलेगा, पीपीपी मोड पर. मैं भी इसका विरोध करता हूं.
अध्यक्ष महोदय – ठीक है बैठिए हिरालाल जी.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, जो अजय सिंह जी ने कहा कि मैं जिसको चाहूंगा उसको काम मिल जायेगा. इतना लंबा अनुभव होने के बाद इतनी सतही बात आप कर रहे हैं, मुझे तो बड़ा आश्चर्य हो रहा है. क्योंकि पारदर्शी तरीके से आज ई टेण्डरिंग में देश और दुनिया में बैठा हुआ कोई भी आदमी कहीं भी टेण्डर डालता है, किसको मिलता है, तो इसलिये यह बात बिल्कुल भी आपत्तिजनक है, जो आपने बात कही. दूसरी जहां तक है.
श्री अजय सिंह –आपको टेण्डर घोटाला याद है कि नहीं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके एक भी घोटाले साबित हुए हैं.
श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, साबित होने से पहले ही हमारी सरकार का आप लोगों ने इंतजाम कर दिया, हमारी सरकार ही चली गई.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय,आपकी तैयारी इतनी कमजोर रहती है.
श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय,हमारी 15 महीने की सरकार गिरायी,क्योंकि घोटाले उजागर न हो जायें, किसी को जेल न जाना पड़े.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन—यह सरकार का उस समय हिस्सा नहीं थे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी सरकार किसी ने नहीं गिरायी आप अपने बोझ से गिर गये थे. 15 महीने में आपने जो काम किया उससे अराजकता का ऐसा वातावरण बन गया था कि इनके विधायक ही इनसे अलग हो गये. हमारे साथ में आ गये हम लोगों को भी प्रदेश की सेवा करनी है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत—जिस समय सरकार गिरी उस समय राहुल भैय्या नहीं थे, इसलिये गिर गई. आप रहते तो शायद नहीं गिरती.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, चुनाव के पहले जो जो घोटाले के मुद्दे उठाते थे 15 महीने तक उस पर चर्चा ही नहीं की इन्होंने. रीवा इतना तेजी से आगे बढ़ा. आप लोगों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाये 15 महीने में लोगों ने आपको इतना कहा कि भाई जो आप मुद्दे उठा रहे थे उसकी आप जांच कराओ. आपने जांच भी नहीं करायी. फिर आपकी सरकार चली गई. हमारी सरकार आयी तो फिर वही मुद्दे उठाने लगे. जब आप निष्पक्ष रूप से बात करते हैं तो आप कहते हैं कि रीवा में तो विकास की गंगा बह गई है. यहां पर आपने कई जगहों पर कहा रीवा में अच्छा विकास हुआ है.
श्रीमती रीती पाठक—कांग्रेस सरकार में सीधी में घोटालों में अव्वल रहा है.
अध्यक्ष महोदय—शुक्ला जी आप प्रश्न का उत्तर दे दीजिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, अजय सिंह जी पिछले दिनों रीवा के कई कार्यक्रमों में आते थे तो पत्रकारों से कहते थे कि मैं यह मानता हूं कि रीवा में बहुत विकास हुआ है. जब आप इस बात को मानते हैं.
अध्यक्ष महोदय—आज भी मान रहे हैं. मना कहां कर रहे हैं ?
श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मान रहा हूं आपने विकास किया है, लेकिन थोड़ा विकास पड़ोसी सीधी जिले आदिवासी अंचल में भी कर दो.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हमें विकास करने नहीं दे रहे हैं. जब हम कर रहे हैं.
श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, लीजिये आप करने नहीं दे रहे हैं ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, आप बताईये कि ट्रेन बगवार पहुंच गई कि नहीं ? श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, पटरी पहुंची है, सिर्फ ट्रायल हुआ है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, ट्रेन पटरी पर पहुंची है, तभी तो ट्रायल हुआ है. अभी आप देखियेगा छः महीने के अंदर हम सीधी में भी ट्रेन पहुंचा देंगे, तीन में हम
ट्रेन को सिंगरौली पहुंचा देंगे.
श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, आज 21 साल हो गये हैं सीधी से सिंगरौली तक सड़क नहीं बन पायी. 21 साल में तीन ठेकेदारों को ठेका दिया गया. आप सदन में बता दें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—इस प्रश्न में यह प्रश्न उद्भूत हो रहा है क्या ?
प्रश्न स्वास्थ्य विभाग का है, यहां पर सड़क और रेल पर आ गये हैं अध्यक्ष महोदय, बाकी लोगों के भी प्रश्न हैं. स्वास्थ्य विभाग में ट्रेन आ गई, स्वास्थ्य विभाग में सड़क आ गई, तो हम क्या यहां पर झांग-मंजीरे बजायें अध्यक्ष महोदय. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय—बीच में हवाई जहाज भी आ गया था. (हंसी)
श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम ट्रेन में आयेंगे तो सड़क पर भी आयेंगे.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी आप कुछ कहना चाहते हैं. पूरक प्रश्न के उत्तर को आप पूरा करिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, जो नीतिगत फैसला है. आने वाले समय में उस नीति पर कोई पुनर्विचार करना होगा आप तो हमारी बहुत वरिष्ठ सदस्या हैं. आपके साथ बैठकर माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ बैठेंगे जो जरूरी नीतिगत निर्णय करने होंगे अथवा उसमें कोई बदलाव करना होगा तो हम लोग मिलकर के चर्चा कर लेंगे.
खाद्यान्न में मिलावटखोरी रोकी जाना
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
5. ( *क्र. 2311 ) डॉ. अभिलाष पाण्डेय : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा खाद्यान्न में मिलावट के विरुद्ध कोई विशेष अभियान चलाकर मिलावट करने वालों पर कार्रवाई की जा रही है? यदि हाँ, तो गत 6 माह में की गई जिलेवार कार्रवाई की जानकारी दें। (ख) वर्तमान में प्रदेश में फास्ट फूड का चलन अत्यंत तेजी से बढ़ा है, जिसके फलस्वरूप बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं। क्या विभाग द्वारा फास्ट फूड बनाए जाने के संबंध में कोई गाईडलाइन जारी की गई है, जिनमें हानिकारक खाद्यान्न सामग्री जैसे अजीनोमोटो, फ्लेवर इंग्रीडिएंट्स, प्रिजर्वेटिव्स का मिश्रण अत्यंत कम किया जा सके? यदि हाँ, तो गाईडलाइन की जानकारी दें। यदि नहीं, तो क्या विभाग गाईडलाइन जारी कर समय-समय पर दुकानों पर जांच अभियान चला कर कार्रवाई करेगा? (ग) क्या गत 6 माह में प्रदेश में संचालित समस्त हॉकर्स कॉर्नर्स पर विभाग द्वारा कब-कब अभियान चलाकर वहां पर बनने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता जांच और रसोई में सफाई की जांच की गई? जिलेवार जानकारी दें।
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) FOOD SAFETY AND STANDARDS AUTHORITY OF INDIA (FSSAI), भारत सरकार द्वारा गाईडलाइन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब''अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
डॉ.अभिलाष पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक-5 (2311)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
डॉ.अभिलाष पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता से जुड़ा हुआ प्रश्न है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि इस समय वर्तमान में जिस तरह से खाद्यान्न में मिलावट ध्यान में आ रही है और जिस तरह से छोटे-छोटे स्ट्रीट वेंडर्स कई स्थानों अपनी दुकानें खोल रहे हैं और उनके द्वारा जिस तरह की अनियमितताएं पूरे सिस्टम के अंदर देखी जा रही हैं, तो मैं माननीय मंत्री जी से यही आग्रह करता हॅूं कि इस महत्वपूर्ण विषय में जो हर घर, हर परिवार से और यहां सदन के अंदर जितने भी लोग हैं, सबके परिवारों से जुड़ा हुआ मुद्दा है. इसमें सरकार क्या कदम उठा रही है. स्ट्रीट वेंडर्स और जो अन्य प्रकार की खाद्य सामग्री में मिलावट हो रही है उसको लेकर सरकार क्या कदम उठा रही है, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हॅूं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मिलावट से मुक्ति अभियान पर निरंतर काम हो रहा है. पिछले एक वर्ष में 13 हजार 923 लीगल नमूनों की जांच की गई थी. जांच उपरांत 705 नमूने अमानक स्तर के पाए गए थे. अमानक पाए गए खाद्य पदार्थों के 1199 खाद्य विक्रेताओं के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में प्रकरण दर्ज कर 9 करोड़ रूपए का अर्थदंड अधिरोपित भी किया गया था, तो इस प्रकार से जो हमारा प्रतिबंधात्मक नियम है उसके अंतर्गत समय-समय पर हर जिले में हमारे जो फूड सेफ्टी ऑफिसर्स हैं बल्कि इनके पद भी हमने बढ़ाएं हैं और हम और ज्यादा अमला बढ़ाने के लिए भी आगे बढ़ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- डॉ.साहब, दूसरा प्रश्न करिए.
डॉ.अभिलाष पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा बड़ा विनम्रतापूर्वक माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि जिस तरह से अमानक पाए गए नमूनों की जो जांच हो रही है, मेरे जबलपुर शहर के अंतर्गत ही जबलपुर जिले में मात्र 17 नमूनों की जांच की गई है. मैं उत्तर-मध्य विधानसभा में से आता हॅूं, वहीं पर कम से कम डेढ़ से दो हजार स्ट्रीट वेंडर्स हैं. यदि 17 नमूनों की पूरे जिले के अंदर जांच की जा रही है तो मुझे लगता है कि इसकी कार्यवाही को और गति देने की आवश्यकता है और जो भी इसमें इन्वाल्व है क्योंकि यह आने वाले समय में भविष्य की दृष्टि से जिस तरह से जो एक्स्ट्रा फैट और बच्चों के अंदर जिस प्रकार की विसंगतियां दिख रही हैं वह ऐसे ही फूड्स के कारण हो रही हैं, तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इस पर और कड़ी कार्यवाही करते हुए इसमें कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का बहुत ही संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा हुआ प्रश्न है. निश्चित रूप से आपके साथ बैठकर इस पर और बेहतर हम क्या कर सकते हैं विभाग के अधिकारियों के साथ, इस पर जरूर कार्यवाही करेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं कि पिछले दिनों मैंने इंदौर के प्रमुख डॉक्टर्स की बैठक बुलायी थी कि बहुत कम उम्र में हार्ट अटैक आ रहा है, कैंसर हो रहा है तो इस पर जंकफूड के बारे में उन्होंने कहा कि जंकफूड से बचना चाहिए. कुछ ऐसे जंकफूड हैं जिनमें सॉल्ट, विनेगर्स वगैरह डाले जाते हैं जो कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं खाए जाते हैं. मेरा एक निवेदन है कि उसकी जरा जांच करवा लें और जंकफूड में वे चीजें, जो अन्य देशों में, विकसित देशों में नहीं खाई जातीं हैं वह हमारे यहां बच्चों को एडिक्ट करने के लिए खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए डाला जा रहा है. मेरा ख्याल है कि उसको आप गंभीरता से लेकर उस पर सूचना जारी करवा दें कि यह जो भी करेगा उसको हम पनिश करेंगे, तो मेरा ख्याल है कि ज्यादा अच्छा होगा.
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय, शायद अजीनोमोटो डालते हैं वह बहुत घातक होता है. उस पर रोक लगनी चाहिए. मैं सहमत हॅूं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, लोगों की यह भी धारणा है कि कोरोना का जो वैक्सीनेशन हुआ है, उसके कारण से भी हुआ है. यह पहले नहीं होता था. अब ज्यादा संख्या बढ़ गई है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल नहीं. यह गलत है. भ्रम है यह.
अध्यक्ष महोदय -- मुझे लगता है कि हमें विषयान्तर नहीं होना चाहिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत रिसर्च हो गई है. बिल्कुल आप जैसे जवाबदार माननीय सदस्य को तो यह बोलना ही नहीं चाहिए.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं कहना चाहिए. ऐसे में तो सारी व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह पर प्रश्न लग जाएगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, समाज को भ्रमित नहीं करना चाहिए. इसमें बहुत रिसर्च हो गई है और मैंने खुद ने इंटरनेट पर जाकर अमेरिका, रसिया, जर्मनी सबके रिसर्च पेपर्स पढे़ हैं. कहीं पर भी इसके कारण मौत नहीं हो रही है. यह वैक्सीन सब सुरक्षित है और इसकी चर्चा कम से कम आप जैसे जनप्रतिनिधियों को बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- अभिलाष जी, कुछ और कहना चाहते हैं. प्रश्न ही कर लीजिए आप.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहूंगा यह लंदन कोर्ट में फाइजर कंपनी ने एक एफिडेविट दायर किया है, जो यह दवा बनाती है. कई कंपनियां हैं उसमें फाइजर भी है. चूंकि वहां पर किसी की मृत्यु हो गई थी, उसने वहां पर क्लेम किया था तो कंपनी ने एफिडेविट में यह माना कि जब हमने यह वैक्सीन निकाली, उसके पूर्व जितना हमें टेस्ट करना चाहिए था और सारी चीजें होती आई हैं, वह हमने नहीं की थीं. यह कंपनी ने स्वयं माना और इस पर संदेह है. इंग्लैंड में संदेह है, सब जगह संदेह है.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से एक निवेदन है कि जिस तरह से जो हानिकारक पदार्थ हैं, जिसका अभी सदन में जिक्र हो रहा है यह ऐसे अजीनोमोट, फ्लेवर इंग्रीडिएंट्स, प्रिजर्वेटिव्स और इन सारी चीजों को मिलाकर जिस तरह की खाद्य सामग्री बनाई जाती है, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मन की बात में बहुत गंभीरता से इस विषय को लिया है और यह विषय वर्तमान के साथ साथ आने वाले भविष्य की पीढ़ियों का भी है. मैं इसलिए मंत्री जी से यह निवेदन करता हूं कि इसमें गंभीर कानून बनाने की आवश्यकता है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, कानून पहले से ही है, उसका इंप्लिमेंटेशन, एग्जिक्युशन बहुत कड़ाई से करने की आवश्यकता है तो इसलिए जो बात आपने कही है, जंक फूड और फॉस्ट फूड की आदरणीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने भी इस बात को यहां पर कहा है, वास्तव में मामला बहुत गंभीर है और इसमें हमको बहुत गहराई से काम करने की आवश्यकता है, जिससे कि आने वाली पीढ़ी इस प्रकार के खाद्य पदार्थों से बच सके तो निश्चित रूप से इसके लिए बैठकर और जो भी जरूरी कार्ययोजना है उसको हम जरूर बनाएंगे. जहां तक श्री बाला बच्चन जी ने जो कोविड वैक्सीन की बात कही है तो मेरा मानना है कि हाफ नॉलेज इज़ वेरी डेंजरस. आधी अधूरी जानकारी के आधार पर हमें कोई बात नहीं करनी चाहिए. इसके लिए इतने विशेषज्ञ, इतने साइंटिस्ट अभी विदेश के एक विद्वान, उन्होंने कहा कि वैक्सीन के मामले में भारत ने जो काम किया है, अमेरिका भी उस काम को नहीं कर पाया है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह तो असत्य है. अमेरिकन वैक्सीन रेमडेसिविर एक एक लाख रुपये में हिन्दुस्तान में बिक रही थी, जिसकी एमआरपी 680 रुपये है. यह अमेरिकन वैक्सीन है और माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि किसी देश ने ऐसा काम नहीं किया है. यह गुमराह करने वाली बातें हैं.
अध्यक्ष महोदय - मैं समझता हूं कि प्रश्न पूर्ण हो गया है.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मैं यह इस सदन का विषय नहीं है, परन्तु मैं इतना गारंटी से कहता हूं, जवाबदारी से कहता हूं. मुझे भी पहले भ्रम था. परन्तु इसके बारे में मैंने विशेषज्ञों से चर्चा की और सारे रिसर्च पेपर मैंने खुद ने पढ़े हैं. जो रिसर्च रशिया में हुए, जर्मनी में हुए, यूएस में हुए, वह सारे रिसर्च को मैंने पढ़ा है कि किसी भी वैक्सीन से इस प्रकार की कोई बीमारी या किसी प्रकार की कोई मानव हानि नहीं है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष महोदय, इनका रिसर्च पब्लिश करवाकर इनको डॉक्टरेट तो दिलवा दीजिए. रिसर्च पेपर को पब्लिश कर दें.
अध्यक्ष महोदय - डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी, कृपया बैठिए. मैं सिर्फ जानकारी के लिए इतना बताना चाहता हूं कि सामान्य तौर पर किसी भी वैक्सीन को उपयोग में लाये जाने के लिए लगभग 3 साल का मिनिमम समय लगता है, जिस समय कोविड था, पूरी दुनिया में हाहाकार था और मैं समझता हूं कि हिन्दुस्तान के वैज्ञानिकों को हमें धन्यवाद देना चाहिए कि हमने 90 दिन में उस वैक्सीन को बनाने के बाद लगभग 100 से अधिक देशों ने हिन्दुस्तान की वैक्सीन को उपयोग किया है. यह मैं समझता हूं कि वैज्ञानिक इसके लिए बधाई के पात्र हैं. (मेजों की थपथपाहट).
प्रश्न संख्या 6 श्री प्रीतम लोधी - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या 7 श्रीमती ललिता यादव - (अनुपस्थित)
अवैध कॉलोनियों पर कार्यवाही
[राजस्व]
8. ( *क्र. 2607 ) श्री कालु सिंह ठाकुर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले की धरमपुरी विधानसभा में कौन-कौन सी अवैध कॉलोनियाँ हैं? इन अवैध कॉलोनियों के ऊपर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? (ख) किन-किन कॉलोनाइजरों द्वारा विकास की अनुमति ली है और किन-किन के द्वारा विकास की अनुमति नहीं ली गई है? साथ ही यह भी बतावें कि किन-किन के द्वारा अनुमति के बाद भी समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किया गया है? (ग) क्या ऐसी भूमियाँ जो आदिवासी से गैर आदिवासी को विक्रय कर 165 (6) (क) की अनुमति ली गई थी? यदि हाँ, तो किन-किन के द्वारा ली गई थी और यदि नहीं, ली गई तो किस कारण? (घ) क्या धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आदिवासी की रिकॉर्डेड भूमि स्वामी जनजातीय की भूमि पर गैर आदिवासी का कब्जा है अथवा रहा है, के संबंध में प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 (6) के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्ति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति को विक्रय पर प्रतिबंध होने से धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र में धारा 165 (क) अंतर्गत अनुमति प्रदान नहीं की गई है। (घ) प्रश्नांश ''क'' एवं ''ख'' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में कोई प्रकरण पंजीबद्ध नहीं हुआ है।
श्री कालु सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, आज तो प्रश्न पूछने के लिए साफा बांधकर आए हो!
श्री कालु सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 2607 है.
श्री करण सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, प्रश्न का उत्तर पटल पर रखा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - क्यों भाई कालु फिर से दूल्हा तो नहीं बन गया? अध्यक्ष महोदय, दो तीन बार बन चुका है.
श्री कालु सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जो जवाब आया है, उससे मैं पूर्णतः संतुष्ट हूं. उन्होंने पूरी जानकारी भी उपलब्ध कराई है. परन्तु मेरा इतना सा आग्रह है कि मेरा प्रश्न अवैध कालोनियों के संबंध में था, उसमें पहले भी हमारी सरकार ने अवैध कालोनियों के संबंध में इतनी कार्यवाही की है और आज भी उसमें लोग जेल में हैं और कुछ फरार हैं. जो अवैध कालोनी 18 हैं उन पर कुछ कार्यवाही की जाय. माननीय मंत्री जी आश्वासन दे दें.
अध्यक्ष महोदय - श्री कालु सिंह जी आपको धन्यवाद. आप सहमत हैं. प्रश्नकाल समाप्त हो गया है.
(प्रश्नकाल समाप्त)
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय- -नियम 267-क के अधीन लंबित सूचनाओं में से 21 सूचनाएं 267- क- (2) को शिथिल कर आज सदन में लिये जाने की अनुज्ञा मैंने प्रदान की है. सरल क्रमांक 1 से 10 तक की सूचनाएं संबंधित सदस्यों द्वारा पढ़ी जायेंगी. इन सभी सूचनाओं के उत्तर के लिये संबंधित विभागों को भेजा जायेगा.
मैं, समझता हूं कि सदन इससे सहमत है. अब मैं सूचना देने वाले सदस्य का नाम पुकारूंगा.
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
1. सिवनी जिले में भी प्रतियोगी परीक्षाओं का मुख्यालय बनाया जाना.
श्री दिनेश राय ''मुनमुन'' - माननीय अध्यक्ष, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
2. प्रदेश की ग्राम पंचायतों को केवल नेटवर्क कपरियों द्वारा इंटरनेट से जोड़ने हेतु शुल्क न लिया जाना.
श्री महेश परमार- माननीय अध्यक्ष, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
3. इंजी. प्रदीप लारिया- अनुपस्थित.
4.महात्मा गांधी स्कृति चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर में प्राध्यापकों की नियुक्ति में अनियमितता.
4. डॉ. हिरालाल अलावा- माननीय अध्यक्ष मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
5. प्रदेश में सी.एम.राई स्कूलों के भवन निर्माण में सुविधाओं की कमी होना.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय- माननीय अध्यक्ष मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
(5) प्रदेश सरकार द्वारा वनों का निजीकरण किया जाना.
श्री
प्रताप
ग्रेवाल
(सरदारपुर) –
अध्यक्ष
महोदय,
(6) विधान सभा क्षेत्र पोहरी के ग्रामों में सड़क निर्माण में भारी अनियमितता की जाना.
श्री
कैलाश कुशवाह
(पोहरी) –
अध्यक्ष
महोदय,
(7) बालाघाट जिले में उपभोक्ताओं को अत्याधिक राशि के विद्युत बिल प्रदाय किया जाना.
श्री
मधु भगत
(परसवाड़ा)—अध्यक्ष
महोदय,
(10) म.प्र.में जन्म लेने वाले शिक्षा ग्रहण करने हेतु अनुसूचित जाति
के लोगों से सन 1950 के स्थान पर 5 वर्षों के रिकार्ड के आधार पर
जाति प्रमाण पत्र बनाया जाना
श्री फूल सिंह बरैया(भाण्डेर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
अध्यक्ष महोदय- अब सरल क्रमांक 11 से 21 तक की सूचनायें संबंधित सदस्यों द्वारा पढ़ी हुई मानी जायेंगी, इन सभी सूचनाओं को उत्तर के लिये संबंधित विभागों को भेजा जायेगा.
1. श्री अभय मिश्रा
2. डॉ.रामकिशोर दोगने
3. श्री सोहन बाल्मीक
4. श्री प्रदीप अग्रवाल
5. श्री भैरोसिंह बापू
6. श्रीमती चंद सुरेन्द्र सिंह गौर
7. श्री राजेन्द्र भारती
8. श्री लखन घनघोरिया
9. श्री दिनेश गुर्जर
10. श्री हेमन्य सत्यदेव कटारे
11. श्री राजन मण्डलोई
12.
समय 12.13 बजे
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
बालाघाट के रेंजल कालेज के रख रखाव के लिये राज्य सरकार द्वारा बजट का आवंटन किया जाना.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है . मुझे एक मिनट का समय दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय- मधु भाई आपसे बात हो गई है न. आपकी शून्यकाल की सूचना पढ़ी गई है न.
श्री मधु भगत--अध्यक्ष महोदय, यह विस्थापन का मुद्दा है. रेंजर कालेज का है जिसको विस्थापित किया जा रहा है इसको 1 मिनट में अगर संवेदनशीलता से सुन लें तो बहुत बड़ा मुद्दा 1907 का है.
अध्यक्ष महोदय- 1 मिनट में बोल दीजिये.
श्री मधु भगत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 1907 में इसे अंग्रेजो ने ट्रेनिंग सेन्टर फारेस्ट स्कूल के तौर पर शुरू किया था.1979 में इसे फारेस्ट स्कूल-रेंजर स्कूल का दर्जा मिला क्योंकि वन संपदा वल्ड लाइफ के लिये बालाघाट जिला पूरे प्रदेश में अव्वल दर्जे का स्थान रखता था जो आज भी बरकरार है. 1990 में रेंजर कालेज का सेन्ट्रल गवर्मेंट ने स्टेट गवर्मेंट को ट्रांसवर किया, इसके बाद भी यहां पर रेंजर्स की ट्रेनिंग होती रही. अंतिम बार 2014 में रेंजर्स के बेचेस को ट्रेनिंग दी गई, इसके बाद अब तर रेंजर्स की ट्रेनिंग नहीं हुई सिर्फ फारेस्ट और फारेस्ट गार्ड की ट्रेनिंग हो रही है. रेंजर कालेज का पूरा इलाका मिश्रित वनों से धिरा है, यह ट्रेनिंग के लिये ब्रिट्रिश शासन में बने भवन अब भी मजबूत स्थिति में हैं लेकिन राज्य की सरकार ने इसके संरक्षण के लिये कोई प्रयास आज तक नहीं किये हैं ऐसे में ट्रेनिंग के लिये जरूरी वातावरण को बनाये रखने और कालेज के विस्थापन को रोकने के लिये सरकार को उचित कदम उठाना चाहिये. अन्यथा आम जन इसके बचाव में तीव्र विरोध कर सकते हैं . इस कालेज का परिसर बालाघाट के लोगों की दिनचर्या से जुड़ा है, इनकी भावनात्मक पर्यावरणीय संबंध यह ब्रिट्रिश धरोहर आज राज्य के अधीन होते हुये कई संकटोंसे घिर गई है . अध्यक्ष महोदय यहां खेल मैदान इन्डोर गैम्स, हाल जीर्ण अवस्था में है, यहां एक म्यूजियम भी है जिसके संरक्षण को लेकर के कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. अतएव मेरी बालाघाट की जनता की ओर से आपसे और सरकार से अपील है कि रेंजर कालेज का विस्थापन रोका जाये संरक्षण के लिये बजट दिया जाये. अध्यक्ष महोदय, बालाघाट के रेंजर कालेज को विस्थापन होने से रोका जाये, और स्थापित रहने दिया जाये. आपने मुझे अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्य़वाद.
समय 12.14 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल का
वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-34
12.15 बजे अध्यक्षीय घोषणा
12.17 बजे ध्यानाकर्षण
जबलपुर नगर निगम द्वारा लीज फ्री होल्ड में संपरिवर्तन की प्रक्रिया
मनमाने ढंग से किया जाना
डॉ.
अभिलाष पाण्डेय
(जबलपुर-उत्तर)
-- अध्यक्ष
महोदय,
नगरीय
विकास एवं
आवास मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय) -
अध्यक्ष
महोदय,
डॉ. अभिलाष पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से विन्रमतापूर्वक आग्रह है. मंत्री जी चूंकि बहुत ही संवेदनशील व्यक्तित्व हैं. यह जो समस्या है यह मेरे विधान सभा क्षेत्र के सुभद्रा कुमारी चौहान वार्ड, भवानी प्रसाद वार्ड, दयानन्द सरस्वती वार्ड और राम मनोहर लोहिया वार्ड ऐसे लगभग 4 वार्डों की बड़ी व्यापक समस्या है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूँ कि जो प्रकरणों की संख्या है, चूंकि प्रक्रिया इतनी जटिल है इस कारण और जो संबंधित अधिकारी हैं वे व्यक्तियों को घुमाने का काम करते हैं, जो लोग भी संपत्ति कर देकर फ्री होल्ड कराना चाहते हैं. वे इस स्थान तक इसलिए भी नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगातार कार्यालयों के चक्कर कटवाए जा रहे हैं. मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि इससे नगर निगम को भी आय होने वाली है और जिस तरह से आवासीय और व्यावसायिक दोनों विषयों को अलग-अलग तरीके से फ्री होल्ड कराने के लिए लोग लगे हुए हैं. मैं निवेदन करता हूँ कि प्रक्रिया के सरलीकरण के साथ साथ क्या माननीय मंत्री जी यह निर्देश कर पाएंगे कि हम एक कैम्प लगाकर, लोगों को जागरुक करके अलग-अलग स्थानों पर लोगों को लाभ पहुंचाएं. जिससे नगर निगम को कर की वसूली हो और जो संबंधित अधिकारी हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो ताकि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने बताया है कि सिर्फ 272 मूल लीज के प्रकरण लंबित हैं बाकी सभी में हस्तांतरण हो चुका है. यह कब से लंबित हैं यह मैं दिखवा लूंगा. ज्यादा समय से लंबित होंगे तो हम उस अधिकारी से पूछ भी लेंगे कि क्यों लंबित हैं. माननीय सदस्य क्या चाहते हैं वह मुझे बता दें तो उस दिशा में हम कार्यवाही भी कर देंगे. हम चाहते हैं कि जनता का हित हो, जनता को किसी प्रकार की परेशानी न हो. आपको ऐसा महसूस होता है कि आपके क्षेत्र की जनता की कोई परेशानी है तो आप बता दीजिए क्या करना है हम उस परेशानी को दूर करेंगे.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करता हूँ कि इस जमीन के फ्री होल्ड वाले विषय को लेकर इन चारों वार्डों में जो व्यापक समस्या है. जनता हम लोगों के पास भी आती है. मैं चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी एक कमेटी बना दें जिसमें कमिश्नर भी रहें और हम लोगों का इनवाल्वमेंट भी उसमें रहे और हम जनता के बीच में जाकर इस बात की जागरुकता भी कर पाएं. जनता को सरलीकरण के माध्यम से ऐसे हजारों केस हैं जो फ्री होल्ड कराना चाहते हैं वे वर्तमान परिदृश्य में राशि भी जमा करना चाहते हैं. मैं निवेदन करता हूँ कि एक समिति बनाकर इस समस्या का समाधान करके हमारे इन चारों वार्डों में रहने वाले हजारों नागरिकों को इस समस्या के समाधान के लिए आपसे मंत्री जी मेरा निवेदन है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो विषय बताया है उस विषय में सभी दूर से शिकायत आई हैं. एक तो मैं सभी माननीय कमिशनर को एक स्पष्ट निर्देश जारी कर दूंगा कि जितने भी इस प्रकार के प्रकरण है उस संबंध में अतिशीघ्र निर्णय लें और निर्णय नहीं ले सकते हैं तो क्यों नहीं ले रहे हैं यह बताएं.
दूसरा जैसा कि मैंने अपने उत्तर में ही बताया कि नगर पालिका, नगर निगम यदि उसमें कुछ राशि बढ़ाना चाहें तो अधिकार उनको दिये हुए हैं. हम सभी महापौर को यह भी कह देंगे कि यदि आप इसमें नगर निगम की आय बढ़ाने के लिए पैसा बढ़ाना चाहते हैं तो आप उसके ऊपर भी तत्काल निर्णय लें. क्योंकि इसमें यह बात सही है कि नगर निगमों में निर्णय नहीं हो पा रहे हैं इस बात की शिकायत मुझे नगर निगमों से भी मिली है. इस संबंध में हम समग्र नगर निगमों को यह निर्देश जारी कर देंगे और मुझे उम्मीद है कि उसके बाद अतिशीघ्र कार्यवाही हो जाएगी. उसके बाद भी यदि कुछ तकलीफ आएगी तो अभिलाष जी आप मुझे बताइएगा कि मैं सात दिन के अंदर यह निर्देश पूरे प्रदेश की नगर निगमों में पहुंचा दूंगा.
डॉ अभिलाष पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से इतना निवेदन कर रहा था कि मंत्री जी एक बार कमिशनर को यह निर्देश कर दें कि जो कार्यवाही की जाएगी और जो जागरुकता अभियान है इसमें हम लोगों को इनवॉल्व करें. दूसरा निवेदन यह है कि इतने वर्षों से जो लोग जनता को परेशान कर रहे हैं और जनता परेशान हो रही है क्या सरकार इसके खिलाफ कोई तटस्थ निर्णय करेगी कि इनके खिलाफ कोई कार्यवाही होना चाहिए, ऐसे अधिकारियों को दंडित करना चाहिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जिस अधिकारी के बारे में बताया है मिस्टर श्री पी.एन. संखरे उनको हटाने के निर्देश जारी कर दूंगा.
डॉ अभिलाष पाण्डेय-- धन्यवाद.
12.28 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
श्री कमलेश्वर डोडियार, सदस्य द्वारा धरने पर बैठने संबंधी
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य श्री कमलेश्वर डोडियार जी का पत्र प्राप्त हुआ है. उस पत्र पर किसी चिकित्सा अधिकारी द्वारा अपमान अवमानना का उल्लेख किया गया है. माननीय सदस्य के धरने पर बैठने का भी उल्लेख किया है. यह अपने अधिकारों का हनन होने पर विधान सभा की विभिन्न समितियां हैं वहां सूचना देकर कार्यवाही के लिए आग्रह कर सकते हैं. जहां तक मुझे ध्यान है इस संबंध में विगत सत्र में शून्यकाल में लिया गया था जिसका उत्तर माननीय सदस्य को उपलब्ध हो चुका है.
(2) निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर में स्टेडियम का निर्माण का कार्य पूर्ण न होना
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (श्री विश्वास सारंग)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2021 से स्वीकृति होने के उपरांत आज दिनांक तक काम न होना, कहीं न कहीं सरकार की लेत-लतीफी का जीता-जागता उदाहरण है और इसका उदाहरण भी है कि सरकार बुंदेलखण्ड के विकास कार्यों में रूचि नहीं ले रही है.
अध्यक्ष महोदय, बुंदेलखण्ड के युवाओं में काफी प्रतिभा है लेकिन उसे मंच और मैदान चाहिए. अभी हमारे जिला निवाड़ी के युवा नीलेश राय का IPL में राजस्थान रॉयल्स की टीम में चयन हुआ है, यह वहां की प्रतिभा का एक नमूना है. सरकार यदि बुंदेलखण्ड के युवाओं को मैदान और मंच देती है तो हमारे यहां के होनहार युवा बुंदेलखण्ड सहित समूचे प्रदेश का गौरव बढ़ायेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी से विनम्रता से केवल इतना पूछना चाहता हूं कि आप केवल इतना बताने का कष्ट करें कि किस तारीख को आप इंडोर स्टेडियम और ऑडिटोरिम का लोकार्पण करने पृथ्वीपुर आयेंगे, हम भी आपका स्वागत करने के लिए तैयार रहेंगे.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने यह विषय सदन में उठाया, परंतु यह कहना उचित नहीं है कि सरकार की मंशा नहीं है और क्षेत्र विशेष की बात यहां की जाये. जैसा मैंने पूर्व में बताया कि 70 लाख रुपये के काम में से लगभग 45 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है, इसका मतलब वहां 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है. परंतु वहां परिस्थितियां ऐसी बनीं कि ठेकेदार का आकस्मिक दु:खद निधन हो गया और निधन होने के कारण सरकार ने मानवीय आधार पर, उसके बिल का तत्काल भुगतान किया, जिससे अगले कार्य की निविदा बुलाई जा सके और जल्द से जल्द कार्य पूरा हो सका. सरकार कटिबद्ध है, हम जल्द से जल्द इस कार्य को पूर्ण करायेंगे, नगर परिषद में इसका प्रस्ताव आने वाला है, उसकी प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है और मुझे लगता है विधायक जी तैयारी करें स्वागत की, हम सभी वहां आयेंगे.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर- आप जल्दी वहां आयें, इसके लिए हम इंतजार करेंगे.
नगरीय विकास एवं आवास विभाग (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि यह विषय हमारे विभाग का है चूंकि ठेकेदार की मौत हो गई इसलिए काम रूका. मुझे लगता है इसमें एक समस्या आयेगी कि यह वर्ष 2021 का टेण्डर है इसलिए अब इसमें रेट अधिक होने की दिक्कत आयेगी और फिर से रूकावट आ सकती है.
अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहूंगा कि यदि इसमें और अतिरिक्त राशि की आवश्यकता पड़ेगी तो हम दे देंगे. मैं 3 माह का समय, नगर पालिका को देता हूं कि वे टेण्डर बुलाकर काम प्रारंभ करें. अतिरिक्त राशि की आवश्यकता पड़ेगी तो वह भी हम दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय- बहुत अच्छा. मैं, समझता हूं नितेन्द्र जी आपका विषय पूरा हो गया.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर- धन्यवाद.
12.35 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएँगी.
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची के पद 6 के उपपद (1) में उल्लिखित मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 4 सन् 2025) पर चर्चा के लिए मेरे द्वारा 1 घण्टे का समय आवंटित किया गया है.
मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति व्यक्त की गई.)
12.36 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 4 सन् 2025)
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास कैलाश सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री भंवर सिंह शेखावत (बाबुजी) (बदनावर) - माननीय अध्यक्ष जी, आज एक बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय सहकारिता पर संशोधन लाया गया है. हम सब जानते हैं कि चूंकि हमारा देश ग्रामीण परिवेश का है, किसानी कारोबार पर आधारित है और सहकारिता और सोसाइटी उसकी जान हैं. अभी दो दिन पहले, जब अनुदान मांगों पर बजट पर बहस हो रही थी, मैंने उस दिन भी उल्लेख किया था कि यह बजट तो आप मांग रहे हैं, लेकिन लगातार हर बजट के बाद में ऐसा लग रहा है कि सहकारी समितियों का भाव-प्रभाव कम हो रहा है जन भागीदारी इसमें खत्म हो रही है, न्यायालय और संविधान के अन्दर बार-बार संशोधन किये जा रहे हैं और न्यायालय के बार-बार आदेश के बाद संस्थाओं का चुनाव नहीं हो रहा है. सारी सोसाइटियां 20-20 वर्ष, 15-15 वर्ष, 18-18 वर्ष से प्रशासकों के भरोसे चल रही हैं और इसलिए यह बजट का भी हमने इसीलिए विरोध किया था कि आप फिर से इसका दुरुपयोग करेंगे और यह आज जो संशोधन आया है, यह तो और उससे एक कदम आगे खतरनाक स्थिति में ले जा रहा है. आज का यह संशोधन, मेरी मान्यता है कि सहकारिता के आन्दोलन की आज अंत्येष्ठि हो जायेगी, अगर इस संशोधन को इस सदन ने पास कर दिया तो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर विषय है. आज जो आप संशोधन लाये हैं, इसकी कुछ धाराओं का हम उल्लेख करते हुए इसका विरोध कर रहे हैं. मध्यप्रदेश का सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2025 के जो विरुद्ध में है, संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध है और सहकारिता के आचरण के विरुद्ध भी है. जिन धाराओं को आप संशोधित कर रहे हैं, उनमें सारी धाराओं में से धारा 24 जो है, इस धारा का संशोधन, इस आन्दोलन की मूल भावना के खिलाफ है. इस संशोधन में वर्तमान में कोई भी सदस्य 20,000 रुपये से ज्यादा की अंशपूजी अपने सदस्यों की रख सकता है और आज आप जो संशोधन लाये हैं, आपने इसके अन्दर प्रायवेट पार्टी के भी जाने का रास्ता खोल दिया है, तो अब तो यह लगता है कि अगर मान लिया जाये कि प्रायवेट लोगों ने अपने शेयर्स खरीदना शुरू कर दिये तो यह तो अडानी, अंबानी का कब्जा पूरी को-ऑपरेटिव पर हो जायेगा और सहकारिता से सारे किसान बाहर हो जाएंगे. अब सहकारी समिति के अन्दर आपने दरवाजे-खिड़की खोले दिए हैं, कि कोई भी आकर कितने भी शेयर्स खरीद ले. अगर अब सारे शेयर्स बाहर के लोग खरीद लेंगे. आदरणीय कैलाश जी, आप भी गंभीरता से सुनिये, आपका भी कन्सर्न का विषय है कि ..
12.40 बजे सभापति महोदय(डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.
श्री भंवर सिंह शेखावत - इसके अंदर जो प्रायवेट लोगों को आपने इनवाईट किया है वह जब चाहे जितने चाहे शेयर खरीद सकते हैं कोई बाध्यता नहीं और हमारे सदस्यों की बाध्यता है कि वे 20 हजार से ऊपर के शेयर नहीं खरीद सकते.अब ऐसी परिस्थिति के अंदर सारी सोसायटी और जितनी कापरेटिव्ह बैंक हैं इनके ऊपर तो प्रायवेट लोगों का कब्जा हो जायेगा और ऐसी स्थिति के अंदर कापरेटिव्ह का जो पूरा मूवमेंट है यही समाप्त हो जायेगा बचेगा कहीं अगर यह प्रावधान आज पास कर दिये गये और आप पास करवा लोगे.आपका बहुमत है. आप बहुमत से हां हां की जीत हो ही जायेगा लेकिन इसके बाद आप आदरणीय कैलाश जी,आदरणीय विश्वास सारंग साहब कि जब प्रायवेट सारे के सारे घुसकर सोसायटी पर कब्जा कर लेंगे तब यह सहकारी आंदोलन कहां जायेगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अगर ऐसा होता तो बिल्कुल गलत है परंतु ऐसी हो ही नहीं रहा है.आपने उसको पढ़ा नहीं है. उसको पढ़िये अगर ऐसा होता तो मैं ही विरोध करता.
श्री भंवर सिंह शेखावत - नहीं हो रहा है तो अच्छी बात है. मेरी बात आप सुनिये कि नीचे क्या-क्या हो रहा है यह आपको पता ही नहीं है. कागजों के अंदर जो लिखकर आ रहा है आधा,अधिकारी लिखकर दे रहे हैं किसी को होश ही नहीं है. आपने क्या लिखा है प्रावधान में देखिये, 20 हजार से ज्यादा की राशि की अंशधारिता जनता के हाथ में नहीं है और प्रायवेट पर कोई प्रतिबंध लगाया आपने. यह कुल मिलाकर सहकारी आंदोलन नहीं सरकारी आंदोलन बन जायेगा. यह सहकारी संस्थाओं पर कब्जा करने का पीछे के दरवाजे से एक बहुत बड़ा षड़यंत्र है जिसके अंदर बड़े-बड़े अधिकारी शामिल हो सकते हैं इसलिये इस पर गंभीरता से विचार किया जाय. यह मूवमेंट बहुत खतरनाक दिशा की तरफ मुड़ रहा है. यहां मैं यह भी उल्लेख करना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी ने ही 2007 के अंदर वैद्यनाथन कमेटी की सारी सिफारिशों को स्वीकार करते हुए और इसमें सरकारी अमानत को निकालने का प्रावधान किया था. यह आपके ही टाईम का है इसका आप अध्ययन कर लीजिये. इसके अंदर एमओयू किया हुआ है वैद्यनाथन कमेटी से, धारा-49 का भी मैं विरोध करता हूं. धारा-49 जो है, इसके ( 7-क,ख,ग) में जो प्रावधान दिये गये हैं उसके अनुसार सहकारी समितियों के निर्वाचन को एक वर्ष की अवधि तक बढ़ाये जाने का,कुल मिलाकर दो वर्ष से ज्याद उसको नहीं बढ़ा सकते. आप बताईये, सेंट्रल में जो एक्ट है माननीय प्रधानमंत्री जी ने तो इस विभाग को जिंदा करने के लिये सहकारिता विभाग रिलीम बनाया. माननीय गृह मंत्री जी जो इस विभाग के मंत्री हैं. वे बार-बार निवेदन कर रहे हैं कि हमारी पैक सोसायटियों को मजबूत करना है उनको मोडिफाई करना है इनसे व्यापार बढ़ाना है. अब दो साल तक का प्रावधान आप पहले चुनाव का कर चुके हो. सेंट्रल एक्ट में है कि 6 महिने से ज्यादा कोई सोसायटी बिना चुनाव के नहीं रह सकते. आप आप जो प्रावधान लाए हैं आदरणीय विश्वास जी,आदरणीय कैलाश जी के संज्ञान में भी मैं लाना चाहता हूं. इसमें प्रशासक की कार्य अवधि को बढ़ाने का और अनंतकाल तक बढ़ाने का प्रावधान आप कर रहे हैं. अरे,दो साल से ज्यादा तो पहले ही कहा आपने कि 2 साल में चुनाव करा लेंगे. आज चुनाव कब से नहीं हुए हैं. 18 साल 22 साल,प्राथमिक सोसायटियों के चुनाव नहीं हुए. बैंकें बिना निर्वाचन के बैठी हुई हैं. पैक से लेकर अपेक्स तक, सब में अधिकारी बैठे हुए हैं. 15 साल,20 साल और हाई कोर्ट से कितनी बार निर्देश आ गये. हाई कोर्ट ने कह दिया सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि चुनाव कराईये चुनाव कराईये जनता का आंदोलन मर रहा है.आप बस हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं आनंद से,क्या आनंद महसूस कर रहे हैं पता नहीं. क्या हो रहा है कापरेटिव्ह के अंदर,आप जो प्रावधान लाये हैं इसके मुताबिक तो श्रीमान आज आखिरी दिन है अगर आज यह पास हो गया तो मैं सभी सदस्यों से निवेदन करना चाहता हूं कि इसके बाद जो प्रावधान किया जा रहा है कि प्रशासक को अनिश्चितकाल के लिये बढ़ाने का, प्रशासन बैठ सकता है 10 साल,15 साल,20 साल,जितनी मर्जी ये चाहें 50 साल भी चुनाव नहीं होंगे और यह सोसायटियां धीरे-धीरे मर जायेंगे. आप न केंद्र को मान रहे हैं न आपने हमारे आदरणीय अमित शाह जी का सम्मान किया. हाई कोर्ट ने आपको 3 बार निर्देश दे दिये हैं चुनाव कराईये. आपने एफीडेविट दिया है मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के अंदर,आपने निर्वाचन का कार्यक्रम जारी किया है और उसके बाद न निर्वाचन आपने किया और न निर्वाचन करने के आदेश आपने हाई कोर्ट के माने.आदरणीय सभापति महोदय, बिना किसी प्रावधान के 20 वर्ष से अधिक के प्रशासन सहकारी समितियों में बैठे हैं. यह प्रावधान कहां है कौन से एक्ट में है. मध्यप्रदेश के एक्ट की कौन सी धारा में है. 20 साल तक कोई प्रशासक किसी सोसायटी में बैठ सकता है. 25-30 सोसायटियों में एक प्रशासक, एक हेड साहब के जिम्मे 20 थाने कर दिये जाएं जहां न टी.आई. हो न सी.एस.पी. उन थानों का क्या होगा. जनता को क्या न्याय मिलेगा. एक-एक प्रशासक 25 सोसाइटियां लेकर बैठा हुआ है. आज इनके पैसे आप लिये जा रहे हो और जनता का निर्वाचन से कोई लेना देना नहीं है. मैं समझता हूं कि यह बहुत गंभीर मामला है. माननीय विश्वास जी, आप लाये हैं 53(एक) उपधारा (एक) में भी (ग) में भी एक नया संशोधन आप ला रहे हो. अब इसमें नया प्रावधान किया जा रहा है कि वर्तमान में धारा 53(एक) उपधारा (एक) खंड (ग) में जो प्रावधान है उसके अनुसार सहकारी समितियों के प्रशासक के कार्य की अवधि 1 साल से बढ़ाकर आपने 2 साल कर दी होगी कुल मिलाकर, लेकिन इसके बाद भी 6 माह से ज्यादा का प्रावधान नहीं है, इस एक्ट में 6 महीने में सोसायटी के चुनाव हो जाने चाहिये. 6 महीने में सोसायटी जनता के प्रतिनिधियों को सौंपी जाना चाहिये. इस प्रावधान की आप लगातार अनदेखी कर रहे हैं और आज जो आप प्रावधान लाये हैं इसमें प्रशासक के अतिरिक्त कार्यकाल करने का प्रस्ताव आपने जो दिया है वह बहुत अवैध है, असंवैधानिक है और सहकारिता के मूवमेंट की मंशा के खिलाफ है, प्रजातंत्र के खिलाफ है और यह घोर निंदनीय है. अगर इस प्रस्ताव को आज पास किया गया, मैं माननीय उमंग सिंघार जी आपको भी निवेदन करना चाहता हूं, सारे दलों को मैं निवेदन करना चाहता हूं, यह प्रावधान किया गया तो सहकारिता का मूवमेंट मध्यप्रदेश से टोटल समाप्त हो जायेगा, आज उसकी अंत्येष्टि हो जायेगी, क्योंकि 20 साल पहले से ही चुनाव नहीं हो रहे और आज आप प्रस्ताव कर रहे हो कि अगले हम कई समय तक प्रशासक को बिठाने का अधिकार चाहते हैं विधान सभा से, यह बिलकुल गलत है. आप धारा 53 में जो दो उपधारा 12 में आप संशोधन लाये हैं इसमें भी आप सुन लीजिये. यह पूर्णत: अवैध है क्योंकि वर्तमान में धारा 53(2) धारा 12 में जो प्रावधान है उसके अनुसार सहकारी समितियों में 2 वर्ष की अवधि में चुनाव कराने का जो वर्तमान प्रावधान है वह भी गलत है क्योंकि वह संविधान की इच्छा के विपरीत है उसके बाद भी आपने केन्द्र को भी नहीं माना और यह जो प्रस्ताव आप ला रहे हो इसका मैं विरोध करता हूं. धारा 70 उपधारा 3 इसमें परिसमापन की अवधि के पंजीयकों का कार्यकाल भी बढ़ाने का काम भी आपने किया है. किसी भी समिति का परिसीमन होने पर यदि परिसीमन के विरूद्ध धारा 48 के तहत अपील किये जाने के कारण परिसीमन का आदेश स्वमेव समाप्त होने का जो प्रावधान था उसको पुनर्जीवित किया जाये वापस. अगर कोई चीज कोई सोसाइटी किसी परिसमापन में आ गई है और उसका समय समाप्त हो रहा है तो उसके अंदर भी उसको आगे बढ़ाने का प्रावधान होना चाहिये, इस पर भी आप पुनर्विचार कीजियेगा. धारा 77(1) उपधारा 2 इसमें अध्यक्ष व सदस्य को राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जायेगा, यह प्राधिकरण का है. प्राधिकरण के अंदर पहले एक विभाग का रिटायर्ड सीनियर व्यक्ति होता था, दो मेम्बर होते थे और दूसरा मेम्बर जो था वह अध्यक्ष और सदस्य को राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता था, अब आज आप यह प्रावधान कर रहे हैं, जबकि इसमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आपको किस प्रकार उसकी नियुक्ति करना है. एक तो रिटायर्ड डिपार्टमेंट का सीनियर ज्वाइंट रजिस्ट्रार या रजिस्ट्रार लेबल का व्यक्ति होगा और दूसरा जो सदस्य है उसको निर्वाचित करने के लिये या लगाने के लिये आपको पब्लिक सर्विस कमीश्न और हाईकोर्ट इन दोनों की सहमति से ही किसी व्यक्ति को आप वहां पर क्योंकि यह Quasi judiciary का मामला है. यह जो प्राधिकरण बन रहा है इसमें जज लेबल का काम होता है, संविधान का इसमें परीक्षण होता है, सोसाइटियों के संविधान का परीक्षण होता है और जज की उसमें नियुक्ति होती है और उसमें आदेश होता है वह Quasi judiciary का मामला है. अब आज आप प्रावधान क्या लाये हैं कि कल श्री विश्वास सारंग जी के घर पर जो चपरासी बैठा है उसको भी अगर आप कहें कि यह प्रकांड पंडित है सहकारिता का और पुराना है और इसकी हम नियुक्ति करेंगे तो यह अधिकार आप अपने हाथ में रहे हैं. यानी वगैर पीएससी के और हाईकोर्ट के निर्देश दोनों को टालते हुये आप यह संशोधन ला रहे हैं कि जो सेकेण्ड मेम्बर रहेगा प्राधिकरण का वह हम कहीं से भी उठाकर बिठा सकते हैं. इसके बाद कहां बचेगा न्यायालय, न्याय का क्या होगा और हमें मालूम है इन सब बातों का आप जवाब दे देंगे और लास्ट में यह होगा कि हां की जीत हुई और यह पास भी हो जायेगा, लेकिन आप बताइये जिस दिन प्राधिकरण के अंदर इस तरह के लोग बैठना शुरू कर देंगे ज्यूडिशिरी की पोस्ट पर इस तरह के लोग बैठना शुरू कर देंगे जिनको पता नहीं सहकारिता के बारे में तो क्या न्याय प्राप्त होगा सोसाइटियों का कैसे न्याय चलेगा ये और इसलिये हम इसका भी विरोध करते हैं कि आप यह जो प्रावधान ला रहे हैं यह गलत ला रहे हैं, इसको भी आप बदलिये.
इसमें हमने सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी लगाया है जिसके अंदर सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया है, हाईकोर्ट ने भी आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले की धारा के अंदर आप सीधा उल्लेख देख लीजिये, मैं आपको बता देता हूं. Thus for appointment of the Chairman and Members of the Tribunal, the selection to these posts should preferably be made by the public service commission in consultation with the High court यह सीधा आदेश है, पर हम पढ़ना नहीं चाहते हैं, लॉ सेक्रेटरी ने भी इसको पारित कर दिया है, अरे आप सुप्रीमकोर्ट का आदेश तो पढि़ये, आप अमेंडमेंट ला रहे हैं, That is deadly against out of the supreme court हम उसकी भी चिंता नहीं कर रहे हैं, आपको दादागिरी करना है, तो उसका कोई इलाज ही नहीं है. आजकल तो जो कुछ चल रहा है, सब दादागिरी से ही चल रहा है कि जो मर्जी आये, हम करेंगे हमारा बहुमत है. बहुमत जनता देती है, यह मत भूलिये, जनता बहुमत जरूर देती है, लेकिन अगर जनता की इच्छाओं पर कुठाराघात करते हुए बुलडोजर चलाने का काम करोगे, तो जो जनता बहुमत देती है, वह बहुमत पर पुर्नविचार भी कर सकती है, यह आप ध्यान रखिये, सभापति महोदय, आज जो मैंने आपको दोनों तीनें बातें बताई हैं, इन पर आप ध्यान दीजिये, इस अमेंडमेंट का तो हम विरोध करते ही हैं. सभापति महोदय अभी भी मेरा तो आपसे निवेदन है कि पार्लियामेंट में तो यह व्यवस्था है कि अगर मान लीजिये किसी विधेयक पर जनता के लोग, जनता के जो प्रतिनिधि हैं, उनकी अगर उसमें सहमति नहीं है, तो वह उस टाईप का विधेयक प्रवर समिति को भेज दिया जाता है. यहां तो विधानसभा में इस बात का प्रावधान ही नहीं है, आदरणीय संसदीय कार्यमंत्री श्री कैलाश जी यहां पर बैठे हैं, भाई ऐसी कोई प्रवर समिति की व्यवस्था यहां पर नहीं है कि इसको उस समिति के पास भेज दिया जाये और इसके तकनीकी पहलुओं की जांच करने के बाद में फिर विधानसभा में आये, ऐसा प्रावधान यहां पर नहीं है. संसदीय कार्य मंत्री आदरणीय कैलाश जी अगर आप यह प्रथा मध्यप्रदेश में जारी कर सकें, तो यह भी आपकी उपलब्धि होगी. आप यहां ऐसी कोई कमेटी का प्रावधान इस संसदीय व्यवस्था में विधानसभा के अंदर कीजिये कि जिसमें अगर किसी विषय पर सदस्यों की असहमति हो, तो वह कम से कम उस समिति को भेजा जाये, फिर उसका अध्ययन होकर अगर वह वापस विधानसभा में आयेगा तो इसका लाभ जनता को मिलेगा, लेकिन यहां चूंकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और अभी थोड़ी देर बाद में इसका प्रावधान रखेंगे और हां की जीत, हां की जीत हो जायेगी और फिर सारे हम लोगों की आंखों के सामने ही पूरी सहकारिता का यह जंजाल यहां आज अग्निशमक में डाल दिया जायेगा. ये यूनियन कार्बाइड का कचरा तो आदरणीय विश्वास जी धार में जल रहा है और आज आप को-ऑपरेटिव को कचरा बनाकर विधानसभा में जलाना चाहते हैं, मैं इसका सख्त विरोध करता हूं, को-ऑपरेटिव का मूवमेंट तो पहले ही आपने मार दिया है, जिन संस्थाओं के बीस-बीस साल चुनाव न हो, जनता के प्रतिनिधि चुनकर जाये न तो सहकारिता का मतलब क्या है? सहकारिता तो सहकार से चलती है न की सरकार चलाती है, अगर गर्वनमेंट को ही चलाना है, प्रायवेट लोग ही इसमें आकर अडानी, अंबानी सरीके लोग ही को-ऑपरेटिव चलायेंगे तो फिर जनता और किसान जायेगा कहां? मैं इसका घोर विरोध करता हूं और मेरी बातों का संज्ञान लिया जाये तो को-ऑपरेटिव के हित में होगा, सभापति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव (कसरावद) -- माननीय सभापति महोदय, आज इस सदन में जो संशोधन विधेयक लाया जा रहा है, मैं इसका घोर विरोध करता हूं और जो को-ऑपरेटिव है, जो सहकारिता है, उसकी जो मूल भावना है, उस मूल भावना के ठीक विपरीत माननीय सभापति महोदय, यह सारे संशोधन विधेयक लाये जा रहे हैं, इन संशोधनों के माध्यम से कहीं न कहीं, जो हमने पूरे संशोधन पढ़े हैं, उसमें एक बात मूल रूप से सामने आ रही है कि यह जो पूरी हमारी सहकारिता है, इस सहकारिता को पूरा का पूरा प्रायवेट लोगों के हाथों में सौंपने का एक षड़यंत्र रचने का काम आज किया जा रहा है. बहुत सारी बातें माननीय श्री भंवर सिंह शेखावत जी ने कही हैं, मैं उनको दोहराना नहीं चाहूंगा लेकिन निश्चित रूप से यह चिंता मैं जरूर आज व्यक्त करना चाहूंगा कि जिस सहकारिता आंदोलन को बड़े मुश्किल से खड़ा करने का काम किया गया है और जिस प्रकार से इन विगत बीस वर्षों में उस सहकारिता आंदोलन को जो कुचलने का काम किया गया है, उसकी जो मूल अवधारणा थी, उसकी जो आत्मा थी, उसकी आत्मा को खत्म करने काम काम इन बीस इक्कीस सालों में हुआ है, जिस प्रकार से जो हमारी प्राथमिक सहकारी सोसाइटियां हैं, उनके निर्वाचन न होना, हमारे बैंकों के निर्वाचन न होना, हमारी जो शीर्ष संस्थाएं हैं, अपेक्स बैंक है, उनके चुनाव न होना, हमारी जो अन्य को-ऑपरेटिव संस्थाएं हैं,उनके चुनाव न होना, यह अपने आप में एक सवाल खड़ा कर रही है और जिस प्रकार से माननीय उच्च न्यायालय ने लगातार सरकार को चुनाव कराने के निर्देश देने का काम किया है , लेकिन उसके बावजूद भी माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का लगातार अव्हेलना करने का काम सरकार के द्वारा किया जा रहा है. जिस प्रकार से धारा-2 (ग) 5, धारा 2 की ग, धारा 16 (सी), धारा 24, धारा 49, 7(ए), धारा 53, धारा 53 की उपधारा 13, धारा 77, ये जो सभी धाराएं हैं, इन सभी में कहीं न कहीं सरकार की जो मंशा है, वह स्पष्ट रूप से सामने आ रही है और ये सरकार इस संशोधन के माध्यम से, पहले भी हमने जो संशय व्यक्त किया था कि ये अडानी और अंबानी जैसे लोगों को जो हमारी साढ़े चार हजार प्राथमिक सहकारी सोसायटियां और लगभग 38 जिला सहकारी बैंक हैं, इनको पूरी तरह से निजी हाथों में सौंपने का षडयंत्र किया जा रहा है. ये सिर्फ विपक्ष की बात नहीं है, सत्ता पक्ष में बैठे हुए लोगों से भी अनुरोध करना चाहता हूं कि यह कोई पक्ष या विपक्ष का विषय नहीं है, ये जो संस्थाएं हैं, ये हमारे खेती किसानी से जुड़े हुए कृषकों की संस्थाएं हैं और इनकी संस्थाओं को इस प्रकार से इन संशोधनों के माध्यम से अगर हम निजी हाथों में देने का काम करेंगे तो निश्चित रूप से हमारे प्रदेश की जनता हम सभी साथी जो आज यहां पर बैठे हुए हैं, अगर यह संशोधन आज यहां पर पारित होता है तो हमें प्रदेश की जनता माफ करने का काम नहीं करने वाली है. हमारे जो अन्नदाता है, वह हमें कभी माफ नहीं करेगा. जैसा कि माननीय शेखावत जी ने कहा कि ये संशोधन अगर पारित होता है तो यह हमारे सहकारिता आंदोलन की अंत्येष्टि और हमारे सहकारिता आंदोलन को जलाकर के खाक करने वाला यह संशोधन होने वाला है. आज अगर यह संशोधन पारित होता है तो हमारे इस प्रदेश में, सहकारिता के आंदोलन में, एक काला अध्याय के रूप में यह संशोधन देखा जाएगा. मैं और हमारे समस्त साथी इसका घोर विरोध करते हैं और सत्ता पक्ष के साथियों से भी अनुरोध करना चाहूंगा कि जिस प्रकार से इन संशोधनों के माध्यम से पिछले दरवाजे से बड़े बड़े उद्योगपति और धन्ना सेठों को इस पूरे सहकारिता आंदोलन को सौंपने का काम किया जा रहा है किसानों की जो संस्था है, जो आज दिनांक तक हमारे किसानों की और आम लोगों की सहभागिता के माध्यम से इतना फला फूला है, उसको कहीं न कहीं नष्ट करने का, धवस्त करने का काम किया जा रहा है. मैं मंत्री जी से भी अनुरोधा करना चाहूंगा कि मंत्री जी इसमें आप जल्दबाजी न करें, इसमें आप पुन: विचार करें, हमारे सभी साथियों को इसके अंदर लेकर के बैठे और जो भी सहकारिता के हित में अच्छे से अच्छा हो सकता है, हम सभी साथी मिलकर के उसको करने का प्रयास करें. यही मेरा अनुरोध है. माननीय सभापति जी मैं इस पूरे संशोधन विधेयक का विरोध करता हूं, धन्यवाद.
सभापति महोदय – बहुत बहुत धन्यवाद सचिन जी.
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव) – माननीय सभापति महोदय, मप्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक, 2025 में जो संशोधन किये जा रहे हैं, उसका मैं समर्थन करता हूं. केन्द्रीय सहकारिता मंत्री मान्यवर अमित शाह जी की मंशा अनुरूप मप्र में सहकारिता के क्षेत्र में निरंतर उल्लेखनीय कार्य हो रहे हैं और शासन के द्वारा संधारित या शासन के द्वारा पोषित ऐसी संस्थाएं, जिन्हें समय समय पर नियमों में परिवर्तन की आवश्यकता हो, समय समय पर जिनकी वित्तीय स्थितियों को मजबूत करने के लिए सहायता की आवश्यकता हो, ऐसे नियम बनना ही चाहिए और सरकार होती ही इसलिए है कि संस्थाओं के कुशल संचालन के लिए उनके नियमों में समयानुकूल परिवर्तन करती रहे. मैं माननीय सहकारिता मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि आज वे जो संशोधन विधेयक लेकर आए हैं, निश्चित ही इससे सहकारिता आंदोलन और मजबूत होगा. सरकार चाहती है कि जो सहकारी समितियां हैं, मध्यप्रदेश में लगभग 53 हजार से अधिक संस्थाएं पंजीकृत हैं और इनके माध्यम से तेंदूपत्ता बोनस वितरण से लेकर विभिन्न काम, ये समितियां कर रही हैं. हमारे क्षेत्र में प्रदेश में कई स्थानों पर महिला समूहों के द्वारा भी उपार्जन का काम किया जा रहा है. महिलाएं बहुत व्यवस्थित तरीके से उपार्जन करती हैं उससे समूह को लाभ भी होता है. आज वर्तमान संशोधन में जिन धाराओं में संशोधन किया जा रहा है मैं उसका समर्थन करता हूं इसमें यह बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में जो ग्लोबल इनवेस्टर समिट जो 24-25 फरवरी को हुई थी उसमें विभिन्न निवेशकों के द्वारा यह भावना व्यक्त की गई कि सहकारी समितियों के माध्यम से चूंकि सहकारी समितियां ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं. जंगलों के आसपास निवास करने वाला हमारा जो समाज है उनकी जो समितियां हैं, वह वनौषद्धियों को एकत्रित कर सकती हैं उनसे जुड़े हुए व्यापार में निजी सेक्टर के साथ आ सकती हैं. आज समय इस बात का है कि पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप सीपी-3 जिसे नाम दिया गया है, उसकी दिशा में सरकार आगे बढ़े. गांव में चाहे सब्जियों का उत्पादन हो, दूध का उत्पादन हो, दूध के क्षेत्र में पहले ही समितियां काम कर रही हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत—सांची का क्या हुआ ? यह तो बताईये ?
श्री आशीष गोविन्द शर्मा—सांची मध्यप्रदेश में अच्छा चल रहा है, बहुत बढ़िया नाम है सांची का मध्यप्रदेश में.
सभापति महोदय—शेखावत जी आप बैठे बैठे ना बोलें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा—सभापति महोदय, माननीय शेखावत जी के समस्त प्रश्नों का उत्तर माननीय मंत्री जी देंगे. अभी चार दिन पहले भी आपने सहकारिता पर बहुत कुछ बोला उसका समाधान माननीय मंत्री जी ने कर दिया है.
श्री महेश परमार—सांची को अमूल के पास बेचने का प्लान बना लिया है.
श्री भंवर सिंह शेखावत—सांची कहां चला गया, यह तो बताओ ? सांची को गुजरात की एक कम्पनी के साथ एग्रीमेंट कर दिया गया है. आपने बीज निगम को भी खत्म कर दिया.
सभापति महोदय—भंवर सिंह जी तथा परमार जी कृपया बैठें आशीष जी आप अपना भाषण जारी रखें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा—सभापति महोदय, सहकारी समितियों ने काम करने का विश्वास व्यक्त किया है. प्रदेश में अन्य किसी सहकारी संस्थाएं जो स्वतंत्रता के पूर्व से पंजीकृत हैं और कार्यशील हैं. लंबे समय से सहकारिता के क्षेत्र में अपने सदस्यों के हित में काम कर रही है, लाभ में भी हैं. बदली हुई परिस्थितियों में सहकारी संस्थाओं की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है. इसलिये सहकारी सार्वजनिक निजी भागीदारी की अवधारण को क्रियान्वित करने का फैसला हमारी सरकार ने किया है. सबसे बड़ी बात है कि लगभग 2300 एमओयू सहकारी संस्थाओं के साथ इस जीआईएस में निष्पादित किये गये हैं, यह अपने आप में बहुत बड़ा कदम है. इससे न केवल सहकारी संस्थाओं की आय में वृद्धि होगी, बल्कि जो ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध कच्चा माल है, जैसे पत्तल-दोने का निर्माण भी हो सकता है, अगरबत्ती का निर्माण भी हो सकता है, मिट्टी के बर्तनों का निर्माण भी हो सकता है, पत्थरों के सिलबटे का निर्माण भी हो सकता है, मूर्तियों का निर्माण भी हो सकता है, झाड़ू, चट्टाई, इस तरह की जितनी भी सामग्री, रा-मटेरियल ग्रामीण क्षेत्रों में मिलता है. यह सहकारी समितियां निजी क्षेत्र से अनुबंध करके, जंगलों में आंवला-बहेड़ा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. बेर पाया जाता है. यह सब वन औषद्धियां हैं. अभी भी लघु वनोपज की कई हमारी समितियां इस दिशा में काम कर रही हैं. लेकिन आने वाले समय में इनका एमओयू होने से साधारण सभा में अपने प्रस्ताव करेंगी. साधारण सभा में प्रस्ताव करने के बाद पंजीयक के पास उनका यह प्रस्ताव पहुंचेगा. प्रस्ताव पूरी तरह से नियमानुकूल होने पर ही उसको स्वीकृत किया जायेगा. निजी भागीदारी और समितियों के माध्यम से व्यापार का एक नया अध्याय शुरू हो सकेगा, जिससे समितियों की न सिर्फ आय बढ़ेगी. ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार भी मिलेगा. कई सारे मानव श्रम के अवसर निर्मित होंगे. इसलिये में इस सुधार को अच्छा मानता हूं. सहकारी संस्थाओं की भागीदारी, निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिये जो 16 सी में प्रावधान किया जा रहा है, इसका हम समर्थन करते हैं. माननीय मंत्री जी का यह कदम निश्चित तौर पर प्रदेश के सहकारी आंदोलनों को एक नये मुकाम तक लेकर जाएगा. जब आर्गेनिक खेती, औषद्धीय पौधे और जंगलों में होने वाली वनस्पतियां आयुर्वेदिक दवाएं बनानी वाली कम्पनियों से इनका सामंजस्य बनेगा इनके बीच एमओयू होगा, तब ग्रामीण क्षेत्र के व्यापार को भी नई दिशा मिलेगी. साथ ही साथ हमारे प्रधानमंत्री जी इनके कामों को प्रोत्साहन दे रहे हैं. आज के समय में मिलेट्स लोगों के खाने का एक आवश्यक हिस्सा बनते जा रहा है क्योंकि उससे स्वास्थ्य को कई लाभ होते हैं. हमारी सरकार मिलेट्स उत्पादन करने वाले किसानों को अनुदान भी दे रही है. जब समितियां और निजी क्षेत्र की भागीदारी मिलेट्स के उत्पादन में बढे़गी, तो उससे जुडे़ व्यवसाय भी चलेंगे.
सभापति महोदय, मैं एक धारा-2 पर बोलना चाहता हॅूं कि गृह निर्माण सोसायटियां कई जगहों पर बनी हुई हैं, लोगों ने इन समितियों के माध्यम से प्लॉट लिए थे, मकान बनाए थे लेकिन कई बार मूलभूत सुविधाओं का वहां बजट के कारण अभाव हो जाता था. कहीं सड़कें नहीं बन पाती थीं, कहीं ड्रेनेज चोक हो जाता था, तो मुबंई, पुणे, बंगलुरू जैसे बडे़-बडे़ महानगर हैं, तो धारा-2 के तहत संशोधन करने से गृह निर्माण संस्थाओं को जो वित्त पोषण की आवश्यकता होगी, वह भी उपलब्ध कराया जा सकेगा. इससे गृह निर्माण की जो इकाईयां हैं वह और मजबूत हो सकेंगी. लोगों के अच्छे आवास और अच्छे वातावरण में रहने की सुविधा का विस्तार हो सकेगा लेकिन जो सहकारी संस्थाएं बनती हैं, मध्यप्रदेश में लगभग 5 से 6 हजार ऐसी सहकारी संस्थाएं हैं जिनका परिसमापन होना है. लेकिन निर्धारित समयावधि नहीं होने के कारण वर्षों से उनके परिसमापन की कार्यवाही लंबित है या तो उनका उद्देश्य पूर्ण हो गया है या उद्देश्य को पूरा करने में वह विफल हुई हैं या सदस्यों में कोई दिक्कत आ गई है. इस कारण से एक वर्ष की समयावधि सरकार ने तय की है. कि एक वर्ष में इनके परिसमापन की कार्यवाही करना आवश्यक होगा.
सभापति महोदय, दूसरा धारा-24 में 20 हजार रूपए तक का अंश लेने संबंधी प्रावधान को समाप्त किया जा रहा है. इन समितियों के पास वित्तीय प्रबंधन बहुत अच्छा हो, इसके लिए इनके पास आर्थिक पक्ष मजबूत होना ही चाहिए और वर्तमान संशोधन में इसकी सीमा को भी समाप्त किया जा रहा है, तो मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हॅूं कि आपके यह समस्त संशोधन सहकारिता आंदोलन के हित में हैं. मध्यप्रदेश की सहकारी समितियों को पुनर्जीवन देने के हित में हैं और सरकार लोकतंत्र का सामना करने से कभी परहेज नहीं करती. इन संस्थाओं में चुनाव होना ही चाहिए, यह हम सबकी मंशा है और सरकार कहीं से इंकार भी नहीं कर रही है लेकिन इनकी वित्तीय स्थिति अच्छी रहेगी, तो ही सहकारी आंदोलन मध्यप्रदेश में टिक पायेगा और मैं मानता हॅूं कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने सहकारिता को गति देने के लिए बहुत से अभिनव काम किए हैं. मान्यवर सभापति महोदय, इन संशोधनों को स्वीकार किया जाये, ऐसा मैं सदन से अनुरोध करता हॅूं. धन्यवाद.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद आशीष जी.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- सभापति महोदय, पढ़कर बोलने वाले व्यक्ति इतना अच्छा बोलते हैं. जो पढ़ता है, वही इतना अच्छा बोलता है. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय -- हां, अच्छा बोलते हैं. प्रशसंनीय है. आशीष जी हमेशा तैयारी से भी आते हैं. श्री यादवेन्द्र सिंह जी.
श्री यादवेन्द्र सिंह (टीकमगढ़) -- आदरणीय सभापति महोदय, जो सहकारिता संशोधन बिल आया है, हम उसका विरोध कर रहे हैं. संविधान में प्रावधान है कि किसी भी संस्था का, चाहे वह विधानसभा हो, लोक सभा हो, उसके चुनाव 5 साल के अंदर होंगे और मैं समझता हॅूं कि संविधान में जो प्रावधान हैं उसके अतिरिक्त और कोई नया प्रावधान नहीं कर सकते लेकिन सहकारिता मंत्री जी उसके खिलाफ प्रस्ताव ला रहे हैं. मैं संस्थाओं की लिस्ट पढ़ कर बता रहा हॅूं. मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक अपेक्स बैंक के 10 साल से चुनाव नहीं हुए. वर्ष 2015 में चुनाव हुए थे. मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ के 7 सालों से चुनाव नहीं हुए. मध्यप्रदेश सहकारी आवास संघ के 23 साल से चुनाव नहीं हुए हैं. मध्यप्रदेश उपभोक्ता संघ के 13 सालों से चुनाव नहीं हुए हैं. मध्यप्रदेश मत्स्य संघ के 21 सालों से चुनाव नहीं हुए हैं. मध्यप्रदेश सिल्क फेडरेशन का रजिस्ट्रेशन किया, फिर इसके चुनाव नहीं हुए. मध्यप्रदेश सहकारी बीज उत्पादक संघ के भी रजिस्ट्रेशन के बाद चुनाव नहीं हुए. मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम, इसके भी रजिस्ट्रेशन के बाद चुनाव नहीं हुए. अब जब इन शीर्ष संस्थाओं के आप चुनाव नहीं करा पाए तो हम आपसे क्या अपेक्षा रखें कि यह अधिकार हम आपको दे देते हैं तो आप पेक्स जैसी समितियों के चुनाव कराएंगे? आप कहते तो यह हैं कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी है, फिर आप चुनाव कराने से डरते क्यों है, आप चुनाव कराइए. आप चुनाव कराने से डर रहे हैं. आपने अभी एक चुनाव कराया, बुरहानपुर शक्कर कारखाने के, उसमें आपके सब हार गये. अब आप चलते चुनाव को बीच में रोक रहे हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के यह निर्देश हैं कि चलते चुनाव को बीच में आप रोक नहीं सकते हैं, लेकिन आप चुनाव रोक रहे हैं. उनको आगे की कार्यवाही नहीं करने दे रहे हैं. इसके बावजूद भी कैसे लॉ सेकट्री ने आपको इसमें अनुमति दे दी? जो प्रमुख सचिवों की कमेटी है, उसने मना किया है कि आप इस तरीके के कानून नहीं ला सकते हैं, उस कमेटी को आपने इग्नोर कर दिया है और लॉ सेकट्री कैसे हाईकोर्ट के खिलाफ और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ डिसीजन दे सकते हैं कि आप जो यह विधेयक ला रहे हैं, यह ठीक है.
सभापति महोदय, पूरी तरह सरकारी बैंक हैं, इनके ऊपर प्रशासक नियुक्त किये हैं और अगर आपको यह अधिकार दे दिये तो आप तो जो है प्रशासक का कार्यकाल बढ़ाते चलते जाएंगे, फिर 6 महीने बढ़ाएंगे, फिर 6 महीने बढ़ाएंगे. जबकि को-ऑपरेटिव एक्ट में यह उल्लेख है कि एक बार 6 महीने और 6 महीने और इसके अलावा आप कार्यकाल बढ़ा नहीं सकते हैं. इसके बावजूद भी कार्यकाल बढ़ाने की हिमाकत कर रहे हैं तो मैं समझता हूं कि यह अधिकार आपको नहीं देना चाहिए.
सभापति महोदय, अनुच्छेद 243 ZH में 243 ZE में प्रावधान है और इन सबका मंत्री जी को इस विधेयक को लाने के पहले इसका अध्ययन कर लेना था. इसमें कहीं आपको अधिकार नहीं है, इन चीजों को बढ़ाने का, इसमें और भी धाराएं हैं, 243 ZL है. 6 माह से अधिक तक का आपको कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार नहीं है. इन सबको इग्नोर करके आप विधान सभा की सहमति चाहते हैं ताकि आप चुनावी प्रक्रिया के ऊपर हावी रह सकें. मैं समझता हूं कि आदरणीय श्री भंवर सिंह जी ने बड़े विस्तार से इस बात की चर्चा की है और हमारी समझ में जो आया, मैंने आपको बताने की कोशिश की है. आपको तत्काल प्रभाव से इस विधेयक को रोकना चाहिए. आप अंतिम दिन यह विधेयक लाए हैं. अंतिम दिन इस विधेयक को लाने से सबको इस विधेयक का अध्ययन करने का भी मौका नहीं मिला है, इसलिए आप इसको प्रवर समिति को सौंप दें और इसमें कोई बहुत बड़ा घाटा नहीं हो जाएगा. 2-3 महीने के बाद जब नयी विधान सभा आएगी, उस समय भी आप यह ला सकते हैं ताकि आप इस पर सेकट्रियों की राय भी जान लें. लॉ सेकट्री का फिर अभिमत जान लें और भी एक्सपर्ट से पूछ लें. आपके जो आका हैं श्री अमित शाह जी, उनकी भी राय जान लें. वह अभी दिल्ली में कह रहे थे कि हम हर 6 महीने में चुनाव कराने के लिए बाध्य हैं और कराएंगे, लेकिन आप उसके विपरीत प्रस्ताव ला रहे हैं तो मैं समझता हूं कि इस तरह के विधेयकों को आपको लाना नहीं चाहिए. इसके ऊपर रोक लगाना चाहिए.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन (सागर) - सभापति महोदय, यह सहकारिता के क्षेत्र में जो माननीय मंत्री महोदय ने और हमारी सरकार ने जो नवाचार किये हैं और इन नवाचारों के बड़े सुखद परिणाम भी हमें देखने को मिले हैं. हमारे साथी श्री आशीष जी ने जैसे उल्लेख किया कि जीआईएस, ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में मेरे ख्याल से सहकारिता आन्दोलन के इतिहास में यह पहली बार हुआ होगा कि इतने बड़ी राशि के लगभग 2300 करोड़ रुपये के एमओयू सहकारिता के माध्यम से हुए हैं. हम चाहते हैं कि इन बिचौलियों से सहकारी संस्थाओं को मुक्ती मिलना चाहिए और सहकारी आन्दोलन को आगे बढ़ाने का काम हम सब मिलकर करना चाहते हैं. हमारी सरकार भी करना चाहती है.
सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय को और माननीय मंख्य मंत्री महोदय को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं. अभी जैसे वन समितियों का यहां पर उल्लेख किया था. हम जानते हैं कि जो वन समितियां हैं, इन वन समितियों के माध्यम से हम बहुत नवाचार करने की स्थिति में हैं. मध्यप्रदेश के अंदर पूरे के पूरे हिन्दुस्तान का, पूरे के पूरे भारत वर्ष का, अगर सबसे ज्यादा वन क्षेत्र है तो वह मध्यप्रदेश में है और मध्यप्रदेश में जो औषधीय पौधे मध्यप्रदेश के जंगलों में. उनसे जो औषधियाएं निकलती है- जैसे हरड़, बेहड़ा, आवंला, सतावर, अश्वगंधा और सफेद मूसली, इनका कहां-कहां इस्तेमाल हो रहा है. यह जो बड़ी-बड़ी दवा कंपनियां हैं, यह बिचौलियों के माध्यम से इस तरह के उर्पाजन का काम करती हैं और जब यह कंपनियां स्वत: बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ एम.ओ.यू साइन करके उनके उपार्जन का काम करेंगे तो निश्चित रूप से वन समितियों की आय में इजाफा होगा. वन समितियों की वित्तीय स्थिति अच्छी होगी और निश्चित रूप से वन समितियां ज्यादा ठीक ढंग से काम कर पायेंगी.
माननीय सभापति महोदय, आप जानते हैं कि धार की हमारी बाघ प्रिंट पूरी दुनिया में फेमस है. हमारी चंदेरी की साडि़यां पूरी दुनिया में फेमस है. महेश्वर की महेश्वरी प्रिंट, यह तमाम चीजें सहकारी आंदोलन को मजबूत करने की दिशा में अगर हम इनको ठीक ढंग से प्रमोट करेंगे, जैसे बुधनी के खिलौने, ऐेसे हमारी सरकार ने, माननीय मंख्य मंत्री महोदय ने एक बड़ा नवाचार किया है. हर जिले का उत्पाद निश्चित हुआ है. ऐसे जो विशिष्ट उत्पाद हैं उन उत्पादों के माध्यम से और बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ हम एम.ओ.यू. साइन करके, जैसे अगरबत्ती है या और कोई अन्य चीजें हैं, हथकरघा की चीजें हैं.
1.37 बजे { माननीय अध्यक्ष महोदय( श्री नरेन्द सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुटीर उद्योगों को बढ़ाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम हो सकता है. कुटीर उद्योग जो हमारी कॉटन इंडस्ट्री, महात्मा गांधी जी बड़ी स्पष्ट विचारधारा थी कि जो कुटीर उद्योग हैं वह हमारे देश की आत्मा है और कुटीर उद्योग के माध्यम से हम इस देश की अर्थव्यवस्था को एक बहुत मजबूत स्थिति में ले जा सकते हैं. कालान्तर में कुटीर उद्यो्ग धीमे-धीमे समाप्ति की और हैं. लेकिन हम इस नवाचार के माध्यम से, हम कुटीर उद्योग के माध्यम से इस देश की अर्थव्यवस्था में चार चांद लगा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय को बहुत बधाई देना चाहता हूं कि इनके माध्यम से निश्चित रूप से, तो यह कॉपरेटिव के ट्रिपल पी, ट्रिपल पी और कॉपरेटिव्स जो हमारी समितियां हैं. यह समितियां मिलकर कितने सारे नवाचार कर सकती हैं, कितने सारे लोगों को रोजगार मिल सकता है, रोजगार देने की और बेरोजगारी समाप्ति का एक बहुत बड़ा आंदोलन बन सकता है. मैं इस बात के लिये मंत्री महोदय को निश्चित रूप से बधाई देना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, यह जो व्यवस्था थी कि 20 लोग किसी संस्था को, किसी स्थानीय समिति के पंजीयन के लिये आवश्यक होते थे तो 20 लोगों के नाम होते थे और दस्तखत 10 लोगों के होते थे तो उसको और भी पारदर्शी बनाने का काम इस संशोधन के माध्यम से हुआ है, धारा -7 के अंतर्गत. मैं समझता हूं कि इसमें भंवर सिंह जी, चूंकि आप सहकारिता के पुरोधा हैं, हम सबका भी मार्गदर्शन लंबे समय तक आपने किया है. आपके नेतृत्व में हम सब लोगों ने काम किया है. आप बताइयेगा कि इसमें हम कहां गलत हैं. यहां कौन सी चीज है, अगर ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी व्यवस्था बनाने की सरकार की मंशा है तो मैं समझता हूं कि किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये..
श्री भंवर सिंह शेखावत- हमने इसका विरोध किया ही नहीं है, आप जिस बात का उल्लेख कर रहे हैं, उस धारा का हमने उल्लेख नहीं किया है. आपसे ज्यादा नवाचार कौन करेगा.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन—अध्यक्ष महोदय, यहां मैं यह कहना चाहता हूं कि लगभग 54 हजार समितियां हमारी प्रदेश के अन्दर हैं, उसमें 6 से 6500 समितियां ऐसी हैं, जो लिक्विडेशन के प्रोसेस में हैं. लेकिन लिक्विडेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही हैं. यह वह समितियां हैं, जो अपने उद्देश्य को प्राप्त कर लिया हैं या वह हैं, जो निरुद्देश्य हो गई हैं. जिस उद्देश्य के लिये वह समितियां गठित की गई हैं, वह उद्देश्य को प्राप्ति करने में असफल रही हैं. तो ऐसी डिफंक्ट कमेटियों की एक साल के अन्दर इनकी लिक्विडेशन की प्रक्रिया होनी चाहिये. तो इस दिशा में निश्चित रुप से यह संशोधन के माध्यम से इनको लिक्विडेट करने में हमें सफलता मिलेगी. अभी हमारे विपक्ष के साथियों ने चुनाव संबंधी प्रक्रिया है और चुनाव संबंधी प्रक्रिया में जो शासन को अवधि बढ़ाने के अधिकार देने का विषय आपने रखा है. तो आपने कहा कि इससे वह उसकी अर्थी, मैयत निकल जायेगी. सहकारी आंदोलन समाप्त हो जायेगा. राजस्थान में संशोधन हुआ है, तो राजस्थान में सहकारी आंदोलन समाप्त हो गया क्या. यह आपका भ्रम है.
श्री भंवर सिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, राजस्थान की सभी सोसाइटियों के चुनाव पिछले दो साल में हो चुके हैं और माननीय सदस्य को शायद पता नहीं है कि हम किस चीज का विरोध कर रहे हैं. हम सब धाराओं का विरोध नहीं कर रहे हैं. हम तो सिर्फ चुनाव की बात कर रहे हैं कि चुनाव तो कराइये. 22 साल से आपने चुनाव नहीं कराये हैं.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन—अध्यक्ष महोदय, आप बाकी धाराओं के समर्थन की बात भी तो कीजिये. आप बोलिये, तो इस पर हम लोग भी कभी पुनर्विचार करने की बात आयेगी, इस पर भी हम लोग बात करेंगे. लेकिन आप बात ही नहीं कर रहे हैं. जो कुछ करना चाह रहे हैं, आप उसका विरोध करना चाह रहे हैं. यह समितियों को नवाचार के माध्यम से वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने की दिशा का एक इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है. 2300 करोड़ रुपये के एमओयू, आज कमाल का काम कर रही हैं समितियां. ये नवाचार है, अब ये सिर्फ दूध बेचने का काम नहीं करेंगी. जो काम, जो भी कोऑप्रेटिव्ह सेक्टर में हो सकता है या जो काम कार्पोरेट सेक्टर में हो सकता है, वह तमाम काम हमारी सोसाइटियां करेंगी, हमारी समितियां करेंगी. इससे निश्चित रुप से उनकी आय में भी वृद्धि होगी, स्वावलम्बन की दिशा में हम जायेंगे, रोजगार में वृद्धि होगी. मैं इस संशोधन विधेयक का समर्थन करता हूं और मंत्री जी को, मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देता हूं कि हमारा जो सहकारिता का आंदोलन है, उस आंदोलन को मजबूत करने की दिशा में यह संशोधन निश्चित रुप से बहुत महत्वपूर्ण होंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलना का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2025 प्रदेश के जनहित में नहीं है और मैं समझता हूं कि यह प्रदेश की सहकारिता का गला घोंटने का एक संशोधन विधेयक है. एक तरफ आपके अमित शाह जी कहते हैं कि 6 महीने में चुनाव होना है और प्रदेश में 2011 से चुनाव नहीं हुए. हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा, रिट पिटीशन 2926580,2019. कि they shall conduct and declare the results of the newly constituted PACCS on or before 30th April,2024 को. माननीय अध्यक्ष महोदय, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रदेश में .चुनाव नहीं करवा रहे हैं और आज माननीय उच्च न्यायालय में चर्चा चल रही है कि सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को माना नहीं, उसकी अवमानना को लेकर के आज हाईकोर्ट में चर्चा चल रही है. यह सरकार उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रही है. हाईकोर्ट ने कहा है कि आपने चुनाव क्यों नहीं कराये, 1 साल हो गया है. अभी माननीय कैलाश जी भी सहकारिता को लेकर के बोल रहे थे, लेकिन मैं दोनों पक्ष से कहना चाहता हूं कि आपके यहां भी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां हैं, उससे हर किसान जुड़ा है, यह कांग्रेस और बीजेपी की बात नहीं है, इस प्रदेश के सहकारिता के आंदोलन की बात है जिन्होंने इसको खड़ा किया है, उन किसानों की बात है जिन किसानों को सस्ती दर पर लोन मिलता है, उन किसानों की बात है जिनको खाद मिलती है सहकारिता से. आप बीज की बात करें तो किसानों को सहकारिता के माध्यम से ही बीज सस्ती दर पर मिलता है, आपने इसमें प्रावधान किया है कि 20 हजार से ज्यादा का अंशदान नहीं ले सकते लेकिन आपने प्रायवेट व्यक्ति के लिये कहा है कि 20 हजार से ज्यादा का अंशदान ले सकते हैं.मतलब सीधे सीधे कोई भी प्रायवेट व्यक्ति , प्रायवेट कंपनी किसी भी सहकारी समिति में आकर के सीधे उसको टेकओवर कर लेगी, अंश लेकर के यह क्या मजाक है, वह अपना कपड़ा बेचेगी , खाद बेचेगी, अपनी बीज बेचेगी उनके भाव से लेकिन सहकारिता को लेकर , समिति को लेकर के कोई बात नहीं है इसलिये हम इस संशोधन का विरोध करना चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे पूर्व वक्ताओं ने कहा कि बड़े बड़े ब्यापारी अडानी हो, उद्योगपति हों किसान तक इस सहकारिता के माध्यम से सीधे पहुंचना चाह रहे हैं. मैं इस पीपी मॉडल को विरोध करना चाहता हूं और निश्चित तौर पर मैं कहना चाहता हूं कि वैजनाथ कमेटी की सिफारिशें लागू हुई थीं उस समय आपकी पार्टी की सरकार 2007 में थी, उस सरकार ने यह एमओयू हस्ताक्षरित किया था जिसमें स्पष्ट था कि हम सरकार की जो अंशपूंजी हो उसको वापस करेंगे, इसका मतलब यह है कि निष्पक्ष रूप से वह को-आपरेटिव्ह चले और लोकतंत्र की बहाली हो, लेकिन यह आपका संशोधन वैजनाथ कमेटी की सिफारिश और आपका उस समय किया गया जो एग्रीमेंट है उसके खिलाफ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सुप्रीम कोर्ट ने एक बात ओर कही है. प्राधिकरण की धारा जो 77 है उसमें आपने कहा है कि कोई भी व्यक्ति चेयरमेन के रूप में सहकारिता का रिटायर्ड अधिकारी-आदमी इसमें नियुक्त हो सकता है. अध्यक्ष महोदय जी सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्टकहा है कि यह एक निष्पक्ष बॉडी है इस पर सरकार का कन्ट्रोल नहीं होना चाहिये. यह स्पेशल लीव पिटिशन थी, क्रमांक 33644 वर्ष 2011. इसमें स्पष्ट लिखा है कि Appointment of the chairman member of the tribunal the selection of this post should be preferably made of the Public Service Commission in consultation with the high court. जब सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि आपको पीएचसी और हाईकोर्ट के इसमें आपको करना है फिर भी आप इसमें संशोधन ला रहे हैं. आप अपनी मर्जी से इसमें ऐसे रिटायर व्यक्ति को बैठाना चाहते हैं जो अपने हिसाब से चलाये, यह सीधे सीधे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को अवहेलना है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि हमारे मंत्री जी को सलाह कौन दे रहा है. अमित शाह जी की राय याद नहीं आ रही, हाई कोर्ट के डायरेक्शन इनको याद नहीं आ रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन याद नहीं आ रहे हैं.
समय 1.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि का प्रस्ताव
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मलित विषय पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं सदन सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
1.30 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, इसमें धारा 49 उपधारा 7(ए) खण्ड (ग) के स्थान पर नया खण्ड स्थापित कर रहे हैं. विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार लिखित में कारणों को अभिलिखित करते हुये किसी सोसायटी में निर्वाचन कराये जाने की अवधि को आगे बढ़ा सकेगी. 5 साल में चुनाव होना था यह स्पष्ट है, लेकिन आप धारा 53 में परंतु को जोड़ रहे हैं. परंतु का मतलब क्या. जब स्पष्ट चुनाव कराना है और आपने अभी तक माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार चुनाव नहीं कराया. अब आप बोल देंगे कि चुनाव करा रहे हैं लेकिन चुनाव की तारीख नहीं बताएंगे क्योंकि वर्ष 2011 से अभी तक कृषि समितियों, पैक्स को तारीख नहीं बताई जा रही है. अभी मंत्री जी बोलेंगे कि हम चुनाव कराएंगे. चुनाव कब कराएंगे ? अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा, सत्ता पक्ष के विधायकों से अनुरोध करना चाहूंगा, माननीय कैलाश जी, मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा कि यह कृषि साख समिति का मामला है इसमें आम किसानों की क्या भावना है, आम विधायकों की क्या भावना है, इस पर बात होनी चाहिये, न कि इसमें कांग्रेस, बीजेपी की बात होनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य वन समिति की बात कर रहे थे. वन समिति का जो पैसा इकट्ठा होता है, जो हर्रा, बहेड़ा, चिरौंजी, तेंदू पत्ता से वह पैसे से जब सरकार को उनके लाभ में काम करना है तो उनके घर परिवार की बात नहीं करती, उनके मेडिकल की बात नहीं करती, उनके घर कैसे बनाएं उसकी बात नहीं करती, उसके बदले उनको जूते, चप्पल और पानी की बॉटल दी जाती है. यह आपके वन समिति के अधिकार हैं. वन समिति को आप अधिकार क्यों नहीं देते ? मैं यह कहना चाहता हूं कि लैम्प्स समितियां एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण उसके अंदर खत्म हो गया, उनको रिजर्वेशन नहीं मिल पा रहा है. एससी, एसटी, ओबीसी के लिये अध्यक्ष महोदय, मैंने अशासकीय संकल्प भी आपको दिया था. आपसे बात हुई थी. इस पर भी मैं चाहूंगा कि वापस यहां से केन्द्र सरकार का मामला है उस पर भी विचार होना चाहिये कि एससी, एसटी, ओबीसी के लोगों को कैसे आरक्षण मिले. निश्चित तौर से माननीय अध्यक्ष महोदय, इतने साल हो गये, हमारे यादवेन्द्र सिंह जी ने भी सब समितियों के इलेक्शन गिनाये हैं. हम यह चाहते हैं कि यह सहकारिता आंदोलन चुनाव समय पर हो लेकिन चुनाव तय हो स्पष्ट हो और कब हो. अगर यह संशोधन आएगा तो इसका मतलब यह है कि इस प्रदेश के अंदर सहकारिता के चुनाव नहीं होंगे, उस किसान की बात नहीं सुनी जाएगी. मेरा आपसे अनुरोध है कि विधान सभा की प्रवर समिति को इसका संशोधन जाना चाहिये ताकि इस पर विचार हो. उसके बाद इस पर चर्चा होना चाहिये यह मैं आपसे कहना चाहता हूं. धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
श्री विश्वास कैलाश सारंग (सहकारिता मंत्री) -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी संशोधन का जो विधेयक हम आज विधान सभा में लाये हैं उस पर विस्तृत रूप से चर्चा हुई. मैं अपना वक्तव्य शुरू करूं उससे पहले सदन को यह पूरी दृढ़ता के साथ कहना चाहता हूं कि चाहे वह सत्ता पक्ष के विधायक हों या विपक्ष के विधायक हों और इस सदन के माध्यम से हमारे सहकारी आंदोलन से जुड़े हुये हमारे जो भी किसान हैं उन तक भी मैं यह पूरे विश्वास के साथ संदेश पहुंचाना चाहता हूं कि हमारी सरकार पूरी तरह कटिबद्ध है सहकारिता क्षेत्र के चुनाव कराने के लिये. (मेजों की थपथपाहट) यह संशोधन कहीं भी किसी भी दृष्टि से चुनाव टालने के लिये लाया हुआ शॉर्टकट नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैंने उस दिन बोला था कि मेरे चाचा हैं. चाचा जी, भंवर सिंह जी ने बहुत सारी बातें यहां कहीं. तब मुझे लगता था कि वह कुछ पढ़कर आएंगे. एक्ट के बारे में, धाराओं में जो परिवर्तन होने वाला है उसके बारे में कुछ ज्ञान लेकर आएंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय (संसदीय कार्य मंत्री) -- अध्यक्ष महोदय, गलती आपकी है. आप चाचा जी के घर गये क्यों नहीं. आपने उनको समझाया नहीं. अब उनको तो बोलना था तो बोल लिया. उन्होंने पढ़ा नहीं लिखा नहीं उन्होंने बोल दिया कि अंबानी शेयर ले लेगा. अरे भाई ! वह है ही नहीं इसमें ऐसा (हंसी) कुछ भी नहीं है भैया. जरा देखो तो सही. श्री भंवर सिंह शेखावत -- कैलाश जी यह इश्यू आपको समझ में नहीं आएगा यह सीधा-सीधा पीछे के दरवाजे से घुसने का रास्ता खोल दिया है. आप और हम जब बैठेंगे तब इस मामले में बात करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- अब भतीजे को बोलने दिया जाए.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक एक धारा जिसमें संशोधन हो रहा है उसका क्या जस्टिफिकेशन है इसके बारे में बात करुंगा. परसों नरसों भी जब बजट पर इस विषय में चर्चा हो रही थी भंवरसिंह जी और यादवेन्द्र सिंह जी ने जो बातें कहीं थीं उसका कहीं सिर पैर नहीं था. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर कहना चाहता हूँ हम यह पूरे संशोधन सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए और Ease of doing business का जो हमारा कमिटमेंट है उसको पूरा करने के लिए ला रहे हैं. पारदर्शिता के लिए लेकर आ रहे हैं. मैं बहुत पुरानी बात नहीं करुंगा. परन्तु यदि चुनाव की बात हो रही है तो मैंने कहा है कि हम चुनाव करवाएंगे. चुनाव को लेकर कहीं कोई गफलत नहीं है. भंवरसिंह जी ने अडानी, अंबानी का नाम लिया. मुझे आश्चर्य होता है यह सहकारी आंदोलन के इतने बड़े नेता हैं, शेयर केपिटल को लेकर इस तरह की बातें कर रहे हैं, सदन में इस तरह से गुमराह किया जा रहा है. कोई भी सोसायटी में अंशपूंजी वही लेता है जो व्यक्ति सोसायटी का मेंबर होगा. बाहर वाले कैसे ले लेंगे.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- विश्वास जी आप तारीख तो बता दीजिए कि चुनाव कब करवा रहे हैं. आप तारीख बता दीजिए बस.
श्री विश्वास सारंग -- अब आपकी सब बातें खुलेंगी तो आप इस तरह की बातें करेंगे.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- खोल दो यार.
श्री विश्वास सारंग -- यादवेन्द्र सिंह जी सुन लीजिए न, सुनने का माद्दा रखिए. सदन को इतने हल्के में मत लीजिए. हम यहां पर एक्ट पर विचार कर रहे हैं. कानून बना रहे हैं. यह विधान पालिका का सबसे बड़ा काम है. हम हंसकर हंसी ठिठौली में काम न निकालें. आप एक्ट पर बात कर रहे हैं, मैं सीरियस बात कर रहा हूँ आप भी सीरियस बात करिए.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी विषय पर आइए.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भंवरसिंह जी ने कहा कि अडानी, अंबानी जी को शेयर बेच देंगे. पीछे के दरवाजे से आ जाएंगे. आप सहकारी आंदोलन को जानते हो, आपने एक्ट पढ़ा है. आप एक शीर्ष संस्था के अध्यक्ष रहे हैं. क्या शेयर हर किसी को बेचा जा सकता है. हम बोलने से पहले कुछ विचार तो करें. शेयर उसी को दिया जाएगा जो उसका सदस्य होगा.
श्री भंवरसिंह शेखावत -- पीपीपी क्या है.
श्री विश्वास सारंग -- वह भी बता रहा हूँ.
श्री भंवरसिंह शेखावत -- बताइए.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी का जवाब पूरा आ जाने दीजिए.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस धारा के तहत यह कहा गया कि हम को आपरेटिव आंदोलन को बड़े-बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों के हवाले कर देंगे. धारा 77, धारा 24 में माननीय अभी तक प्रावधान था कि कोई भी सोसायटी उसका जो अंशधारी मेंबर है जिसको अंश दिया जाता है. उसको उसकी जो केपिटल होगी उसका 1/5 या 20 हजार रुपए इन दोनों में जो भी कम होगा वह दिया जाएगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को मैं साधुवाद और धन्यवाद देता हूँ. जिस कमिटमेंट के साथ इस देश की अर्थव्यवस्था को आगे आने वाले समय में दुनिया की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य जो केन्द्र सरकार ने लिया है उसमें सहकार से समृद्धि एक बड़ा वर्टिकल है. इसी बात को लेकर माननीय प्रधानमंत्री जी ने अलग से सहकारिता विभाग बनाया है. अमित शाह जी को उसका मंत्री बनाया है. यदि हमें सहकारी आंदोलन को मजबूत करना है तो हमारी जो प्राथमिक सोसायटी है, सबसे नीचे का जो मूल है, जो हमारी जड़ है हमें उसको मजबूत करना पड़ेगा. यदि पैक्स को मल्टी यूटिलिटी पैक्स में परिवर्तित करेंगे तब ही किसानों का हित होगा. जब हम मल्टी यूटिलिटी पैक्स की बात करते हैं तो निश्चित रुप से इसमें व्यापार बढ़ेगा. व्यापार बढ़ेगा तो उसकी केपिटल बढ़ेगी. केपिटल बढ़ेगी तो फिर हम 20 हजार रुपए तक यदि रायडर लगाएंगे तो उस संस्था का फायदा नहीं होगा. इसमें 1/ 5 को हमने वैसे ही रखा है. यदि किसी सोसायटी की शेयर केपिटल 10 करोड़ रुपए हो जाएगी तो उसका 1/ 5 हिस्सा ही उस सोसायटी का मेंबर लेगा. अडानी जी, अंबानी जी नहीं लेंगे. उसके बाद एक बात मैं और स्पष्ट करना चाहता हूँ. कोई कितना भी अंशपूंजी लगा दे वोट देने का अधिकार एक ही रहेगा उसमें कहीं कोई परिवर्तन नहीं आएगा. हम लोकतांत्रिक व्यवस्था को परिवर्तित नहीं कर रहे हैं. हम Ease of doing business को प्रमोट करने कि लिए यह परिवर्तन ला रहे हैं. अभी भंवरसिंह जी ने कहा था कि हम बहुत सारी धाराओं का समर्थन करते हैं लेकिन इन्होंने एक भी धारा का समर्थन नहीं किया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 2 हमारे कोऑपरेटिव एक्ट में है जिसमें विभिन्न परिभाषाओं का उल्लेख किया गया है. किस विषय में क्या परिभाषा स्थापित होगी उसमें हम दो परिवर्तन करना चाहते हैं, दो संशोधन करना चाहते हैं और उसमें एक नया प्रावधान जोड़ना चाहते हैं. धारा 2 के तहत प्रशासक की परिभाषा में अभी तक यह निश्चित था कि जिस भी संस्था का कार्यकाल पूर्ण हो जाएगा उसमें प्रशासक या तो शासकीय व्यक्ति रहेगा या बाहर का व्यक्ति जो कि उसका डायरेक्टर बनने की आहर्ता रखता हो वह प्रशासक बनता है. अभी भंवर सिंह जी ने जो बात बोली, यादवेन्द्र सिंह जी ने भी बोली कि एक-एक व्यक्ति के पास 20-20, 25-25 सोसायटियां हैं. इन्होंने स्वयं बोला और हम उसी समस्या का हल करने के लिए प्रशासक की परिभाषा को थोड़ा और वाइड करना चाहते हैं. इसलिए अभी तक केवल शासकीय कर्मचारी ही प्रशासक बनता था अब जो अंशदायी बैंक है उसका कर्मचारी भी प्रशासक बनेगा. जिसमें कि हमारी ज्यादा संख्या हो जाएगी तो एक व्यक्ति के पास कम सोसायटी होंगी, व्यवस्थाएं ठीक हो सकेंगी.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- पीछे का रास्ता ही तो है. चाहे जिसको प्रशासक बना दोगे, कहीं से भी किसी को भी लाकर बिठा दोगे, प्राईवेट आदमी को भी बिठा दोगे.
श्री विश्वास सारंग-- भंवर सिंह जी आप सुनना ही नहीं चाह रहे हैं. कोई और व्यक्ति नहीं जो बैंक का कर्मचारी है उसको बनाने की बात हो रही है. आप सुनना, समझना ही नहीं चाह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, यह हर दो मिनट में बोलेंगे तो मुझे तो बोलना ही पड़ेगा. गृह निर्माण सोसायटी में हम एक बहुत ही प्रगतिशील निर्णय ले रहे हैं. सोसायटी में प्लॉट से संबंधित कार्य पूर्ण हो गया है. मध्यप्रदेश के अर्बन डेव्हलपमेंट विभाग ने 2000 में एक प्रकोष्ठ अधिनियमन के तहत उसकी रहवासी समितियों के लिए प्रावधान किया है. अभी तक बहुत सारी रहवासी समितियां कोऑपरेटिव एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होती थीं. अब हमने यह प्रावधान किया है कि वह प्रकोष्ठ के तहत ही होंगी जिसके कारण एकरूपता आ जाए. हर तरह की सोसायटी एक जैसी हो जाए और वेलफेयर में काम हो सके. C PPP मुझे लगा कि बहुत लोग पूरे मन के साथ इसका स्वागत करेंगे. यह C PPP क्या है? कहीं भी किसी भी तरह से कोऑपरेटिव आंदोलन में किसी प्राईवेट व्यक्ति को अंदर घुसाने की प्रक्रिया नहीं है कोऑपरेटिव आंदोलन में नये बिजनेस सृजन करने का यह मध्यप्रदेश सरकार का अभिनव प्रयोग है और यह पूरे देश के कोऑपरेटिव मूवमेंट को नई दिशा देगा. कोऑपरेटिव, पब्लिक प्राईवेट, पार्टनरशिप (C PPP). मैंने उस दिन अपने वक्तव्य में भी कहा था कि यदि कोई एक बड़ा प्राईवेट प्लेयर मध्यप्रदेश में कोई ऐसी इंडस्ट्री डालता है जिसका रॉ मटेरियल एग्री बेस्ट है जैसे शक्कर कारखाने की बात करते हैं बाकी ऐसे कारखाने की बात करते हैं जिसमें कि किसानों से जुड़े हुए रॉ-मटेरियल की जरूरत होती है, अभी तक वह प्राईवेट पार्टी डायरेक्ट किसान से बात-चीत करके लेती थी उसमें किसानों को सही समय पर दाम नहीं मिल पाता था. बहुत सारे किसान चक्कर लगाते रहते थे और प्राईवेट प्लेयर को भी सही समय से रॉ-मटेरियल नहीं मिल पाता था. इसमें हमने यह प्रावधान किया है कि किसान और प्राईवेट प्लेयर के बीच में अब हमारी संस्था पैक्स भी जुड़ जाएगी, जिससे कि समय पर किसानों को उसका पैसा मिलेगा, समय से किसानों को रॉ मटेरियल सप्लाई करने की पूरी चैन डेव्हलप होगी और इसके माध्यम से तो पैक्स को फायदा होगा. आपने ही कहा था कि पैक्स मर रहा है. हम तो पैक्स में नया धंधा लेकर आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, इसके माध्यम से हम पैक्स में नये व्यापार सृजित करेंगे ओर किसानों को नया फायदा होगा. यह फायदे का काम है या नुकसान का काम है. मुझे लगा कि समझ ही नहीं रहे और हम इस तरह से बोल रहे हैं. धारा 7 इसमें जैसा हमारे माननीय सदस्य शैलेन्द्र जी ने बताया कि जो सोसायटी बनती है वह 20 सदस्यों से बनती है परंतु अभी तक प्रावधान था कि केवल दस सदस्यों के हस्ताक्षर होंगे तो ही मान्य होगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, जो एथेनॉल प्लांट डाला है क्या उसमें पीवीएक्स की जरूरत नहीं पड़गी.
श्री विश्वास सारंग-- अभी तक केवल 10 हस्ताक्षर से ही काम होता था परंतु उसके कारण बहुत शिकायतें आती थीं तो हमने यह प्रावधान जोड़ा है कि यदि 20 सदस्य हैं तो इसमें 20 के 20 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए, इससे पारर्शिता आयेगी.
अध्यक्ष महोदय हमने "Ease of Doing Business" की बात की है. मैं, सोच रहा था कि जब यहां उमंग भाई और बाकी लोग बोलेंगे तो इन धाराओं की तारीफ करेंगे. हमारी सरकार का जनता के प्रति जो उत्तरदायित्व है हम उसका एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं. अभी तक प्रावधान था कि यदि किसी सोसायटी का रजिस्ट्रेशन होता था तो उसमें 90 दिन लगते थे और उसके बाद भी अपील में जाने से लगभग 3-4 महीने लग जाते थे. हमने एक्ट में परिवर्तन कर इन 90 दिनों को 30 दिनों में परिवर्तित किया है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, अब 30 दिन में रजिस्ट्रेशन देना होगा, जैसे ही रजिस्ट्रेशन होगा, प्रमाण-पत्र भी देना होगा. यदि प्रमाण-पत्र नहीं देता है तो डीम्ड प्रमाण-पत्र 15 दिन में देना होगा. हम चाहते हैं कि लोगों को चक्कर न काटने पड़ें.
अध्यक्ष महोदय, उपविधियों में परिवर्तन होना है. उसकी भी समय-सीमा 30 दिन की गई है, इसके लिए लोग पहले चक्कर काटते थे.
अध्यक्ष महोदय, अभी यहां बहुत बातें परिसमापन की हुईं. इस बात को लेकर जब हम भंवरसिंह जी के साथ बैठते थे, तब मैं सहकारिता मंत्री था और भंवरसिंह जी अपैक्स बैंक में थे. तब बात होती थी कि परिसमापन के बाद बड़े संशय की स्थिति रहती है, परिसमापन जिस संस्था का हो रहा है, उस संस्था के कर्मचारियों को हक नहीं मिलता था, उसकी संपत्तियों को लेकर बहुत बातें होती थीं. पहली बार हमने प्रावधान किया है यदि परिसमापन होगा तो 1 वर्ष के भीतर उसका पूरा निष्पादन करना होगा. जिससे कर्मचारी जो इधर-उधर होते थे, यदि उन्हें कहीं शिफ्ट करना है, कुछ राशि देनी है तो उसका 1 वर्ष के भीतर पूरा पालन किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय, यहां ट्रिब्यूनल की बात हुई, मुझे आश्चर्य हुआ कि यहां सुप्रीम कोर्ट की कुछ गाइड लाईन भी यहां पढ़कर बता दी गईं, उसे पढ़ने के स्थान पर आप इस विधेयक में क्या परिवर्तन हो रहा है, उसे पढ़ लेते. आपको कुछ करना ही नहीं पड़ता. हम चेयरमैन को लेकर किसी भी प्रकार के परिवर्तन की कोई बात नहीं कर रहे हैं. चेयरमैन जिस प्रक्रिया से बनता है, जिस प्रोसेस से बनता है, जिस अर्हता का बनता है, वहीं बनेगा. प्रावधान यह है कि ट्रिब्यूनल का चेयरमैन या तो रिटायर्ड हाईकोर्ट का जज या फिर जिस व्यक्ति की 5 वर्ष की डिस्ट्रिक्ट जज की सेवायें होंगी, वह बन सकता है, वह अभी भी है, इसमें जो प्रक्रिया है, हाईकोर्ट से नाम आते हैं, जो प्रक्रिया है, उसका पालन किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय, भंवरसिंह जी ने अभी कहा कि रिटायर्ड आदमी सदस्य होता है, नहीं माननीय, अभी तक रिटायर्ड आदमी सदस्य नहीं रहता था, हमने वही प्रावधान अब किया है.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)- विश्वास जी, आप चुनाव आयोग के अधिकारी की बात कर रहे हैं, मैं उसमें नहीं जा रहा हूं. मैं ट्रिब्यूनल की बात कर रहा हूं.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, हाईकोर्ट जज ट्रिब्यूनल में ही रहता है, चुनाव प्राधिकरण में नहीं रहता है. ट्रिब्यूनल की ही बात हो रही है, आपने जल्दबाज़ी में पढ़ा नहीं है या तो आपको किसी ने गलत समझा दिया है.
चूंकि सहकारिता विभाग में अधिकारियों की कमी है और अभी तक यह होता है कि उसमें जो सदस्य है, वह सदस्य हमारे सर्विस कर रहे अधिकारियों में से एक होता है और हम अपने अधिकारी को भेजते थे तो हमें दिक्कत होती थी इसलिए अब रिटायर्ड आदमी भी उसमें, एक सदस्य के रूप में आ सकता है, यह हमने किया है.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)- अध्यक्ष महोदय, रिटायर्ड आदमी की क्वालिफिकेशन क्या है ? आप किसी भी रिटायर्ड आदमी को बिठा देंगे ? इसमें दो सदस्य हैं, एक सदस्य जो विभाग का होगा और दूसरा सदस्य जिसमें आप संशोधन ला रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग- भंवरसिंह जी, रिटायर्ड आदमी जो JR है या JR से ऊपर है, आप पढि़ये तो सही. विभाग का ही व्यक्ति जो JR है या JR से ऊपर के पद से रिटायर्ड हुआ हो.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- भंवर सिंह जी, मुझे लगता है कि मंत्री जी की बात आ जाये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- अध्यक्ष महोदय, मैं, सिर्फ मंत्री जी से इतना कहना चाहता हूं कि इन्होंने अपने संशोधन में लिखा है- "दूसरा सदस्य ऐसा कोई अशासकीय व्यक्ति होगा, जिसका सहकारी आंदोलन से घनिष्ठता का संबंध होगा या कोई ऐसा अधिवक्ता या लीडर होगा, जिसका सहकारी आंदोलन के क्षेत्र में कम से कम 15 वर्ष का न्यायिक व्यवहार होगा." आप इसकी परिभाषा तो बतायें.
श्री विश्वास सारंग- मैंने बता दी है, आप सुनिये.
(...व्यवधान...)
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- अध्यक्ष महोदय, अशासकीय व्यक्ति होगा जिसका सहकारी आंदोलन से घनिष्ठता का संबंध होगा, इस घनिष्ठता का क्या मतलब है ? हम यह जानना चाहते हैं, मंत्री महोदय यह बतायें.
अध्यक्ष महोदय- सचिन जी, आप बैठिये. मंत्री जी बताईये.
(...व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग - उस दिन भी चुनाव को लेकर बातें हुईं. उस दिन भी उधर बहुत बातें हो रही थीं. ये इधर-उधर की बातें कर रहे हैं. यह कर रहे हैं, वह कर रहे हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, पहले सचिन जी ने जो पूछा था, उसका उत्तर दे दें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका जवाब तो दें.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चुनाव को लेकर स्पष्ट करना चाहता हूँ. हमारी सरकार 100 प्रतिशत चुनाव के लिए तैयार है, कोई कन्फ्यूजन नहीं नहीं है. हम पूरी ताकत के साथ कराएंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - आप चुनाव की बात बाद में कर लेना, पहले सचिन जी की बात का उत्तर दे दीजिये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - आप इसका जवाब देंगे कि नहीं देंगे, माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, इसका विश्लेषण तो करें. इसका तो बताएं. अशासकीय व्यक्ति का क्या होगा. आपने 15 वर्ष का लिखा हुआ है, इसका क्या है ? बताएं.
अध्यक्ष महोदय - सचिन जी. आप सुनिये.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष जी, इसमें पहले भी यह प्रावधान था, सचिन भाई, आप पढ़ नहीं रहे हैं. आप बिल्कुल पढ़कर नहीं आए हैं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं पढ़कर आया हूँ. आप भी वही पढ़ रहे हैं, जो आपके अधिकारियों ने आपको लिखकर दिया है. आप अपनी अकल नहीं लगा रहे हो. जो आपको दिया गया है, आप वही पढ़ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - सचिन जी, आपने एक्ट पर पूरा भाषण दिया है.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां पर चुनाव को लेकर जो बात हुई है.
श्री गोपाल भार्गव - सचिन जी को इनके पिताजी की विरासत मिली है, बहुत लंबी विरासत है, को ऑपरेटिव की.
श्री बाला बच्चन - और मंत्री जी को किनकी विरासत मिली है ?
श्री गोपाल भार्गव - वह भी पिताजी की विरासत मिली है. दोनों विरासत वाले लोग हैं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पिताजी ने अपना पूरा जीवन सहकारी आन्दोलन में लगा दिया था और इसलिए नहीं की, जो शक्तियां कृषकों को मिली हैं, किसानों को मिली हैं. वह शक्तियां उठाकर किसी और को सौंप दी जायें. सहकारी आन्दोलन में उन्होंने अपना जीवन न्यौछावर किया था.
अध्यक्ष महोदय - विश्वास जी, आप पूरा कीजिये.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं तो ताकत से कहता हूँ कि मुझे जो विरासत में मिली है, मैं उस पर अपने आपको गर्व महसूस करता हूँ. आप नहीं करते हैं क्या? अगर मिली है, तो बोलो न कि मिली है. मैं तो ताकत के साथ कहता हूँ कि जो विरासत परिवार की मिली है, उसके कारण मैं आ गया हूँ. यह मेरे लिए फख्र की बात है, गर्व की बात है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, बार-बार आपके सदस्य विरासत वाली बात क्यों उठाते रहते हैं ?
श्री विश्वास सारंग - सचिन भाई, आपको मिर्ची क्यों लगती है ?
अध्यक्ष महोदय - सचिन जी, प्लीज आप बैठ जाइये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - अध्यक्ष महोदय, मेरे पिताजी ने अपने जीवन के 25 वर्ष दिए हैं, इसको सींचा है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. विश्वास जी, आप पूरा करें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, ये दोनों विरासत वाले माननीय मंत्री जी और सदस्य, यह सियासत आज कर रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, चुनाव को लेकर, जो यहां पर बात-चीत हुई है. मैं फिर स्पष्ट करना चाहता हूँ कि सरकार की कहीं भी मंशा, किसी तरह के चुनाव को टालने की नहीं है. अगर आप पढ़ लेते तो शायद यह बात नहीं उठाते. जिस धारा के तहत आज हम परिवर्तन कर रहे हैं, उसमें चुनाव कार्यकाल को लेकर हम कहीं कोई भी परिवर्तन नहीं कर रहे हैं. पहले भी यह लिखा था कि कार्यकाल पूर्ण होने के बाद जो पैक्स सोसायटी हैं, उसका 6 महीने के अन्दर चुनाव होगा, कहीं परिवर्तन नहीं है भंवर सिंह जी. आप लोग सुनो. अन्य सोसाइटी उनको एक वर्ष के अन्दर करना था, कहीं परिवर्तन नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मगर विशेष परिस्थिति में, सामान्य परिस्थिति की बात ही नहीं हो रही है. सामान्य परिस्थिति में तो 6 माह, एक वर्ष होना है, होगा और यह कहते हुए हमें कोई संकोच नहीं है, चुनाव लेट हुआ है. मैं मान रहा हूँ. मैंने फिर कहा है कि हम चुनाव करायेंगे. आप फिक्र मत करो, बुराहनपुर कारखाने के संबंध में आप जो बातें कर रहे हो न, यही तो दिक्कत है कि हमारे जीत गए, आपके जीत गए. सहकारी आन्दोलन में हमारा और तुम्हारा कुछ नहीं होता है. यादवेन्द्र सिंह जी. हमने चुनाव कराए हैं, तो उसका धन्यवाद तो दे दो. बुरहानपुर शक्कर कारखाने में और कहीं कुछ नहीं रुक रहा. 6 महीने और एक वर्ष उसी नियत कार्यक्रम के हिसाब से चुनाव होंगे और विशेष परिस्थिति में, जैसा माननीय अध्यक्ष महोदय कोविड हमारे हाथ में नहीं था.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - अध्यक्ष महोदय, यह 10 वर्ष, 15 वर्ष, 20 वर्ष तक यह चलता रहेगा क्या.
श्री सुरेश राजे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, वर्ष 2011 से क्या कोविड ही चल रहा है अभी तक.
श्री भंवर सिंह शेखावत - मंत्री जी, यह विशेष परिस्थिति का उल्लेख माननीय अध्यक्ष जी के सामने कर दीजिये कि विशेष परिस्थिति, 5 वर्ष, 8 वर्ष, 9 वर्ष, 10 वर्ष, 11 वर्ष एवं 20 वर्ष तक रहेगी. विशेष परिस्थिति कौन सी है ? आप प्रदेश की जनता को बताइये.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं बोलूँ. मैं इसको पॉलिटिकल रंग नहीं दे रहा हूँ. यह ऐसी बातें करेंगे तो मध्यप्रदेश का जो पैक्स का चुनाव हुआ था और उसका कार्यकाल माननीय अध्यक्ष महोदय मार्च, 2018 को समाप्त हो गया था और कांग्रेस की सरकार मार्च, 2019 में बनी थी. आपकी सरकार 15 महीने रही, आपने चुनाव कराया क्या. आपने क्यों नहीं कराया. अब आप इसका जवाब दो.
श्री सुरेश राजे - आप 15 वर्ष में नहीं करा पाये और हमसे 15 महीने का कह रहे हो.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने हर तरह के चुनाव कराए हैं. पैक्स के चुनाव में दो बातें हैं. जैसा मैंने पहले कहा कि मल्टी यूटिलिटी पैक्स की अवधारणा आई है और उसके कारण पैक्स का पुनर्गठन होना है. मत्स्य आंदोलन और जो हमारा मिल्क का आंदोलन है उसे मिलाकर हम पैक्स को बहुत मजबूत करना चाहते हैं और माननीय अमित शाह जी का जो मन्तव्य है कि हर पंचायत स्तर पर एक पैक्स हो जो मल्टीयूटिलिटी काम करे. वह क्रेडिट का भी काम करे.दूध का भी काम करे.यदि मस्त्य का वहां प्रावधान है तो उसका भी काम करे तो इस पूरी व्यवस्था को लेकर हम पैक्स पुनर्गटन पर जा रहे हैं. यह चुनाव जो पिछले एक साल डेढ़ साल से जो टल रहे हैं उसके पीछे का मन्तव्य चुनाव टालने का नहीं है हम पैक्स को मजबूत करके उसको परिसीमन करना चाहते हैं और वह लगभग हमारा फाईनल स्टेज में है. मैं आज बताना चाहता हूं लगभग 650-700 हम नई पैक्स बनाने वाले हैं क्योंकि माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम नई पैक्स बनाएंगे तो चुनाव कार्यक्रम या उसका जो पूरा कैशमेंट है वह पूरा उस हिसाब से होगा. हमारा कोई मन्तव्य नहीं है चुनाव टालने का और इस प्रावधान में हम चुनाव को टालने या करने की अवधि में भी कोई परिवर्तन नहीं कर रहे केवल विशेष परिस्थिति में यदि ऐसा कुछ होगा तो सरकार के पास यह अधिकार होगा कि उसको बढ़ा सके. 6 महिने,एक साल वही रहेगा. अध्यक्ष महोदय, यह पूरे परिवर्तन चाहे धारा-2 के हों,चाहे धारा-7,9,11,24,49,53,70 और धारा 77 के हों यह सब प्रावधान सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के हैं. देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का सपना है. अमित शाह जी जो सपना है और डॉ.मोहन यादव जी का सपना है हम सहकारिता के माध्यम से इस देश की जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था है उसको मजबूत करेंगे. कहीं कोई सहकारी आंदोलन की अंत्येष्टि नहीं निकलने वाली. इस तरह का मन मतर खिये. सहकारी आंदोलन मध्यप्रदेश में फलेगा,फूलेगा और किसान मध्यप्रदेश का समृद्ध होगा यह मैं पूरा विश्वास दिलाता हूं और सदन से अनुरोध करता हूं कि इन संशोधनों को पारित करे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री उमंग सिंघार,नेता प्रतिपक्ष - माननीय अध्यक्ष महोदय, विश्वास जी ने जो सुप्रीम कोर्ट की बात कही तो उन्होंने कहा कि सिर्फ चेयरमेन की बात है,मेंबर्स की भी, मैं फिर से इनको एक बार सुप्रीम कोर्ट के आर्डर की लाईन सुना देता हूं. " Those for appointment of the chairman and members of the tribunal, the selection of this post should preferable be made by the Public Service Commission in consultation with the high court. दोनों आ गये इसके अंदर चेयरमेन भी आ गया और मेंबर भी आ गया. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि
श्री विश्वास कैलाश सारंग - कौन से ट्रिब्युनल की बात कर रहे हैं उमंग भैया.
श्री उमंग सिंघार - आपके कापरेटिव्ह की बात हो रही है.आप देख लो.
श्री विश्वास कैलाश सारंग - आप पूरा पढ़ो ना.
श्री उमंग सिंघार - आप पढ़ो.
श्री विश्वास कैलाश सारंग - अरे,पूरा पढ़ो ना.बड़े कागज लिये हुए हैं. पढ़ो कि कौन सा ट्रिब्युनल है.
श्री उमंग सिंघार - यह आर्डर है. स्पेशल लीव पिटीशन पूरी पढ़कर बताऊं क्या.पूरा जजमेंट पढ़कर बता दूंगा और चाहिये तो माननीय अध्यक्ष महोदय, पटल पर रख देता हूं.
श्री विश्वास कैलाश सारंग - ट्रिब्युनल का जो भी आर्डर है वह एज पर ला है और एज पर ला ही रहेगा.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति हो तो पटल पर मैं रख देता हूं.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन - आप मंत्री जी को कापी दे दीजिये
(..व्यवधान..)
श्री भंवर सिंह शेखावत - हमें मालुम है कि बहुमत के आधार पर इसे पास करा लिया जायेगा.हम इस कापरेटिव्ह की अंत्येष्टि में शामिल नहीं होना चाहते.
श्री सचिन यादव - अध्यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि इसको प्रवर समिति को सौंपा जाए.
अध्यक्ष महोदय - मैं अभी संशोधन पर आ रहा हूं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, हमेशा हां की जीत होती है किसानों की जीत कब होगी.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी(संशोधन) विधेयक,2025 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
खण्ड 9,इस खण्ड में एक संशोधन है.श्री उमंग सिंघार जी.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि खण्ड 9 में मूल अधिनियम की धारा 49 में उपधारा (7-ए) में प्रस्तावित संशोधन निरस्त कर अधिनियम के वर्तमान प्रावधान को यथावत् रखा जाए.
अध्यक्ष महोदय - आप कुछ और बोलना चाहते हैं इसके समर्थन में.
श्री उमंग सिंघार - जी नहीं.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ
प्रश्न यह है कि खण्ड 9 में इस प्रकार संशोधन किया जाए.
खण्ड 9 में मूल अधिनियम की धारा 49 में उपधारा (7-ए) में प्रस्तावित संशोधन निरस्त कर अधिनियम के वर्तमान प्रावधान को यथावत् रखा जाए.
संशोधन अस्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - खण्ड 10,इस खण्ड में एक संशोधन है.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि खण्ड 10 में मूल अधिनियम की धारा 53 की उपधारा (1) तथा उपधारा (12) में विद्यमान परंतुक के स्थान पर प्रस्तावित संशोधन निरस्त कर अधिनियम के वर्तमान प्रावधान को यथावत् रखा जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. प्रश्न यह है कि खण्ड 10 में मूल अधिनियम की धारा 53 की उपधारा (1) तथा उपधारा (12) में विद्यमान परंतुक के स्थान पर प्रस्तावितत संशोधन निरस्त कर अधिनियम के वर्तमान प्रावधान को यथावत् रखा जाए.
संशोधन अस्वीकृत हुआ.
श्री बाला बच्चन-- (सत्ता पक्ष की ओर देखते हुये) हमने संशोधन दिया है, आपको ''न'' कहना है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आप फिर से पढि़ये, क्या बोला है. मूल प्रस्ताव संशोधन का आपने पहले ही मना किया है उसमें.
अध्यक्ष महोदय-- दो हैं, यह दूसरी धारा का है, कैलाश जी.
प्रश्न यह है कि खंड 2 से 12 इस विधेयक का अंग बने.
खंड 2 से 12 विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खंड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियम सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खंड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक के अंग बने.
2.02 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2025 प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग को लेकर बहिर्गमन.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस संशोधन विधेयक का हम विरोध करते हैं. प्रवर समिति को देने की हमारी बात थी कि इस पर पूरा विचार किया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इसका विरोध करते हैं और सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व मे इंडियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2025 प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास कैलाश सारंग)-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाये.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
2.03 बजे (2) मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2025
(क्रमांक 3 सन् 2025) पर विचार.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हं कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. इस प्रस्ताव के संबंध में एक संशोधन है.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेदश (संशोधन) विधेयक, 2025 जो सदन में रखा है, मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 को और संशोधित करने हेतु विधेयक. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी धारा 50, धारा 64, धारा 66, धारा 68 का उल्लेख इस संशोधन में किया गया है और धारा 66 की जगह धारा 66(क) करना है, एक संशोधन किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने खुद ने इसके उद्देश्य और कारणों को पढ़ा है और पढ़ने के बाद में जो समझ आया है उसका मैं यहां उल्लेख करना चाहता हूं कि सरकार इस संशोधन विधेयक को क्यों लेकर आई है. इस संशोधन विधेयक के पीछे सरकार की मंशा क्या है. धारा 66(क) का अंतर स्थापन करने का उल्लेख किया गया है और धारा 66(क) के अंतर्गत सरकार जो है मध्यप्रदेश के किसानों की भूस्वामियों की जमीनों को हड़पना चाहती है. इसके पीछे यह संशोधन विधेयक का उद्देश्य है, सरकार की मंशा स्पष्ट हो रही है कि पूरी सरकार की नजर किसानों की जमीन के ऊपर लगी हुई है और यह लगभग मैं आपको बताना चाहता हूं कि धारा 66(क) में कहीं पर भी इस बात का, जिसका यह जो संशोधन करना चाहते हैं, धारा 66 से धारा 66(क) करना चाहते हैं, उसमें किसानों के, भूमि-स्वामियों के हितों की रक्षा का उल्लेख कहीं पर भी आपने नहीं किया है, इससे यह स्पष्ट होता है कि आपकी नियत खराब है. आपने यह षड्यंत्र रचा है, आपकी मंशा किसानों की जमीनों के प्रति और भू-स्वामियों की जमीनों के प्रति आपकी मंशा ठीक नहीं है, इसको मैं आगे स्पष्ट करना चाहता हूं और इसका उल्लेख करना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इंदौर से लगाकर सिंगरौली तक की जो जमीनें हैं सबसे पहले तो माननीय मंत्री जी जहां से आते हैं और जो संशोधन विधेयक लेकर आये हैं, मैं उनके इंदौर का ही बताना चाहता हूं, इंदौर के पूर्वी और पश्चिमी मिलाकर के लगभग 88 गांव, विलेज ऐसे हैं, जहां के किसानों की जमीनों को यह संशोधन विधेयक असर करेगा और वहां की जमीनों को हड़पने का काम करेगा तो चाहे इंदौर के 88 गांव के किसानों की बात हो, या फिर देवास के 32 गांव के किसानों की बात हो, पीथमपुर के किसानों की बात हो या फिर जहां सिंहस्थ लगता है, वहां उज्जैन के किसानों के जमीनों की बात हो, बात यही पर समाप्त नहीं होती है, सिंगरौली में तो यह एक पूरे शहर को ही अन्यत्र शिफ्ट करना चाह रहे हैं, तो इस कारण से यह संशोधन हो रहा है, इस मकसद और उद्देश्य के कारण से यह संशोधन विेधेयक लेकर आये हैं, हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारी जो आशंकाएं हैं, उन आंशकाओं को सरकार को इस सदन में स्पष्ट करना पड़ेगा, अन्यथा हम इसका पुरजोर विरोध सदन से लेकर सड़क तक करेंगे. हमारे सदन के दो विधायक साथियों ने बजट पर और बजट की अनुदान मांगों पर इस बात का उल्लेख किया था कि चाहे वह महेश परमार जी की बात हो, जो उज्जैन जिले से ही आते हैं, उन्होंने जो सिंहस्थ की जमीनों के बारे में और उनके किसानों के हितों के बारे में बात कही थी ओर उसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के ही एक विधायक साथी चिंतामणि जी ने इस बात की बात कही थी. चिंतामणि जी को तो आज नोटिस भी मिल गया है, तो आजकल सच कहना भी मैं समझता हूं कि सही नहीं रहा है, इस संबंध में मैंने कहीं मुंशी प्रेमचंद जी को पढ़ा है, उन्होंने कहीं पर लिखा है कि ''क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बातों को नहीं कहोगे'' और वह अगर चिंतामणि जी ने कही है, भले ही वह उस दल के हैं, भारतीय जनता पार्टी के हैं, आज उनको नोटिस मिल गया है.
अध्यक्ष महोदय, जिस मकसद और उद्देश्य को लेकर हम इस सदन में आते हैं, किसानों के साथ में अगर अहित होगा और उनकी जमीनें हड़पने का काम करेंगे तो हम उसका पुरजोर विरोध करेंगे. आप भी संसद के सदस्य रहे हैं, आप कृषि मंत्री रहे हैं, आप हम सब इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 जो मनमोहन सिंह जी की सरकार ने जो कानून बनाया था, जिसके अंतर्गत भू-अर्जन दिया जाता है, तो सबसे पहले अगर जहां की भी जमीन आप हड़पना चाहते हो, जिस भी पर्पस के लिये आप यह संशोधन विधेयक लाये हैं, इसमें आपने अधोसंरचना का उल्लेख किया है, अधोसंरचना के कारण आप यह किसानों की जमीन हड़पना चाहते हो, उसके पहले मैं माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी जानना चाहता हूं कि जो यह आप संशोधन विधेयक लेकर आये हैं, क्या यह भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार भू-अर्जन जब तक किसानों की रजामंदी नहीं होती, किसान नहीं छोड़ना चाहते हैं, जब तक किसानों की स्वीकृति नहीं होती है, तब तक सरकार उनकी जमीनों को ले नहीं सकती है, लेकिन मैंने अभी जहां-जहां कि जिन जिन गांव के किसानों की जमीनों का जो उल्लेख किया है, वहां के किसान भी मेरे पास एक ज्ञापन लेकर आये थे और पीथमपुर के किसानों ने भी मुझे ज्ञापन दिया था, इस कारण से मैं यह बात बताना चाहता हूं कि देश की संसद में जो कानून बना है और उसके अंतर्गत किसानों की जमीनों का भू-अर्जन और जो मुआवजा तय किया जाता है, तो आप यह धारा 66(क) करके उनके जमीनों के मुआवजा देने में डण्डई कर रहे हैं, आप उनसे अपने मनमाने तरीके से जमीनें छीनेंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा इस संबंध में कहना है कि जब तक किसान अगर वह जमीनें अपनी मर्जी से नहीं देना चाहते हैं, तो सरकार को नहीं लेना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, आगे इसी में उल्लेख किया गया है कि जो वर्तमान आपकी गाईडलाईन है, उससे चार गुना अधिक उनको मुआवजा दिया जाना चाहिए, अगर गांव के किसान हैं, ग्राम पंचायत के किसान हैं तो क्या उसका पालन आप करेंगे या शहर के किसान हैं तो उन्हें लगभग दोगुना अधिक मुआवजा देना चाहिए?
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से संसदीय कार्य मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि जिस इंदौर से आप आते हैं, वह आउटर रिंग रोड जिसे कि लगभग चौदह साल हो गये हैं और आउटर रिंग रोड के लिये जमीनें जो ली गई हैं. जो वर्तमान आपकी गाइडलाइन है] उससे चार गुना अधिक उनको मुआवजा दिया जाना चाहिए_ अगर गांव के या ग्राम पंचायत के किसान है तो क्या उसका पालन आप करेंगे या शहर के किसान है तो उन्हें लगभग दो गुना अधिक मुआवजा देना चाहिए. मैं संसदीय कार्यमंत्री जी को बताना चाहता हूं. आप इंदौर से आते हैं, आउटर रिंग रोड जो कि 14 साल हो गए हैं, इसके लिए जो जमीनें ली गई हैं, उनकी आज तक गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा तय नहीं किया गया है और जो आशंकाएं हैं, लगभग 37 लाख हेक्टेयर जमीन जो वन क्षेत्र की है, वह सरकार लेना चाहती है और ऐसा सरकार ने प्रस्ताव बनाया है, क्या वह जमीन भी इसके अंतर्गत आएगी और हम जो पेसा एक्ट के जो हम लोगों का ट्रायबल ऐरिया है, वहां पर पेसा एक्ट लागू है, क्या वह पेसा एक्ट लागू क्षेत्र वाली जमीन भी इसके अंतर्गत आएगी, माननीय मंत्री जी जब बोले तो इस बात का स्पष्ट उल्लेख करें. अंधोसंरचना की आड़ में क्या आप मॉल बनाएंगे, सुपर बाजार बनाएंगे, मल्टी स्टोरी बनाएंगे, मल्टीप्लेक्स बनाएंगे और क्या उसकी आवयकता जहां के किसानों की जमीन लेंगे, उन किसानों को आवश्यकता है भी और आपने आगे कहा है धारा 66(क) में कि जमीन सुधारकर उन्हें भी आधी जमीन देंगे. आप वहां जो भी प्रोजेक्ट लाएंगे तो क्या उनको शेयर होल्डर में शामिल करेंगे, शेयर होल्डिंग के लिए उनकी भी मदद करेंगे या जिस जमीन पर आप प्रोजेक्ट लगाओगे, क्या वह उन्हीं किसानों और उनके बच्चों को मजदूरी करने के लिए आप मजबूर करोगे. तमाम पाइंट आफ व्यू से यह मैं समझता हूं यह बिल्कुल ठीक नहीं है, प्रदेश के किसानों और भू स्वामियों के हित में नहीं है, इसलिए जब तक हम लोगों की आशंका है किसानों की तरफ से, वह आशंकाएं समाप्त नहीं होती, तब तक सरकार को इसको लागू नहीं करना चाहिए. यह मेरा संसदीय कार्यमंत्री जी से आग्रह है. एकाध बिन्दु और है यह जो अधोसंरचना की बात की गई है. बजट की ओपनिंग स्पीच मैंने किया था कि आपका पूंजीगत व्यय तो धीरे धीरे कम होता जा रहा है और जो ऑलरेडी आपके पास अंधोसंरचना है, उसका आप कहां मेंटेनेंस कर रहे हों, कहां देखरेख कर रहे हो और जो बड़े बड़े बांध बने हुए हैं, इंदिरा सागर बांध, सरदार सरोवर बांध या हमारे यहां के बांध की बात कर लें, जो लोग अभी तक डूब में गए हैं, उनको मुआवजा नहीं और अभी तक उनके पुनर्स्थल का ठीक ढंग से डेवलपमेंट नहीं हुआ है, तो वहां के अंधोसंरचना की बात क्यों नहीं कर रहे हैं. किसानों की जमीन को हड़पकर ये प्रोजेक्ट खड़े करना और किसानों के साथ कुठाराघात करना, मैं समझता हूं यह बिल्कुल ठीक नहीं है. हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे, सरकार को अपनी नीयत, जो छिपा हुआ जो एजेंडा है, उसको स्पष्ट करना पड़ेगा और किसानों के साथ धोखा करोगे तो पूरी कांग्रेस पार्टी पूरे देश में राहुल गांधी जी, आदरणीय खड़गे जी और मध्यप्रदेश के आदरणीय जितु पटवारी जी और विधान सभा के उमंग सिंघार जी और कांग्रेस पार्टी के विधायकों के नेतृत्व में हम ये पूरी लड़ाई लडेंगे और किसानों के हितों की रक्षा करेंगे. अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी इसको स्पष्ट करें यह मेरा आग्रह है, नहीं तो हमारा पुरजोर विरोध है और यह जब तक स्पष्ट नहीं कर लेते, तब तक के लिए यह संशोधन विधेयक आप वापस लें. माननीय अध्यक्ष जी आप कृपया करके यह व्यवस्था दें. आपने मुझे समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन(सागर) – माननीय अध्यक्ष जी, मैं सबसे पहले तो इस इस संशोधन के लिए मुख्यमंत्री महोदय, नगरीय प्रशासन मंत्री महोदय को बहुत बहुत साधुवाद और धन्यवाद देना चाहता हूं. हम सभी इस पीड़ा से गुजर चुके हैं. हमें अनेक स्थानों पर बांध और सड़क बनाने की आवश्यकता है. जनहित में अनेक कार्य ऐसे होते हैं जो सिर्फ हम इस वजह से नहीं कर पाते हैं कि भूमि अधिग्रहण करने की जो कॉस्ट है, वह इतनी ज्यादा होती है कि पूरा प्रोजेक्ट असाध्य हो जाता है. मंत्री महोदय के यहां से लिखकर आ जाता है कि यह प्रोजेक्ट असाध्य हो गया. वर्तमान में यह प्रचलन में है, जितने भी हमारे विकास प्राधिकरण है, आप देखिएगा इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल, विकास प्राधिकरण का विषय है, सारी जगह अभी वह प्रावधान है, इनमें कोई नया प्रावधान नहीं है. आलरेडी वह प्रावधान उनके लिए हैं और जो विशेष क्षेत्र के जो साडा है, उनको भी यही पावर है. यदि यही पावर हम शासन को देना चाहते हैं, तो शासन को देने में क्या समस्या है. शासन भी वही काम करेगा जो विशेष क्षेत्र में साडा कर रही है, या विकास प्राधिकरण कर रहे हैं. मैं ये जानता हूं कि जहां जहां इस तरह के प्रोजेक्ट हुए हैं, जिन भूमि स्वामियों की जमीन ली है उनकी जमीनों की कीमतों में दस दस गुना का इजाफा हुआ है. ये तो भिन्न भिन्न स्थिति है दो पार्टी की, ये किसी के अहित करने के लिए नहीं है या किसानों की जमीनें हड़पने का षड़यंत्र नहीं है. मैं यह मानता हूं कि उस क्षेत्र में इस तरह का कोई भी काम होता है जनहित में अधोसंरचनाएं बनती हैं तो निश्चित रूप से उस क्षेत्र के जमीनों की कीमतें बढ़ती हैं, उस क्षेत्र का विकास होता है. उसकी ही नहीं आसपास के क्षेत्रों की जमीनों की कीमतों में इजाफा होता है. वहां पर इस तरह के जनहित के हमारे इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित होते हैं न केवल उस क्षेत्र का वरन् आसपास के क्षेत्र के लोगों को रोजगार के साधन मिलते हैं.
श्री बाला बच्चन—अध्यक्ष महोदय, आप सड़क बनाओ, पुल-पुलिया बनाओ, आप बस स्टेण्ड बनाओ, हमें कोई आपत्ति नहीं है.
अध्यक्ष महोदय—आप मंत्री जी ने पूछना. आप माननीय सदस्य जी से क्यों पूछ रहे हैं ? श्री शैलेन्द्र जैन जी आप अपना भाषण जारी रखें.
श्री शैलेन्द्र जैन—अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 66 (क) अंतःस्थापन है. 66 (क) के माध्यम का मैं समर्थन करता हूं. उससे निश्चित रूप से नगरीय निकाय को कोई काम करना है या अन्य शासन की किसी एजेंसी के माध्यम से कोई काम करना है तो जमीन अधिग्रहण सबसे कठिन कार्य है. जमीन अधिग्रहण के चलते हुए उसकी कीमत को देखते हुए कितने प्रोजेक्ट हमारे जो असाध्य हो जाते थे उनको साध्य करने के लिये यह हमारा जो संशोधन है, यह बहुत ही कारगर होगा मैं उसके लिये माननीय मंत्री जी को न केवल धन्यवाद देता हूं वरन् मैं चाहता हूं कि इस तरह के नवाचार होने चाहिये. अगर हम चाहते हैं कि हमारा मध्यप्रदेश प्रगति के पथ पर आगे बढ़े. किसी भी संस्थान का, किसी भी राज्य का, किसी भी देश के संसाधन सीमित होते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं हमारे यहां पर 24X7 वॉटर सप्लाई की राजघाट की परियोजना है. वहां पर फेस टू में 2 मीटर की हाईट बढ़ाई जानी है. उसमें जो जमीन अधिग्रहण की जानी है यह 200 करोड़ रूपये का टोटल प्रोजेक्ट है उसमें से 165 करोड़ रूपये सिर्फ जमीनों के लिये मुआवजे के रूप में दिया जाना है. मुश्किल से 25 करोड़ रूपये की राशि का वास्तविक खर्चा आना है. तो इस तरह का प्रोजेक्ट हमारे यहां पर विगत् छः साल से अटका हुआ है. इस तरह के प्रोजेक्ट के अटकने से हमारे क्षेत्र की प्रगति रूकती है, लोगों को रोजमर्रा की चीजें जैसे पीने के पानी मुहैया कराने में हमें कठिनाइयां हो रही हैं. गर्मी के दिनों में एक एक दिन, दो दो दिन, तीन-तीन दिन छोड़कर हमें पानी देकर के काम चलाना पड़ रहा है. मैं चाहता हूं कि इस तरह का जो संशोधन होगा उससे निश्चित रूप से हमारे जो असाध्य प्रोजेक्ट हैं, वह भी साध्य होंगे. निश्चित रूप से जनहित के कामों को आगे बढ़ाने में यह संशोधन जो है बहुत कारगर होगा. मैं मंत्री महोदय और शासन को बहुत बहुत बधाई देता हूं और इसका समर्थन करता हूं. आपने बोलने का समय दिया है. बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश संशोधन विधयेक, 2025 पर बोलने का मौका दिया, मैं आपका धन्यवाद करता हॅूं. मैं कहना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश सरकार मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश संशोधन विधेयक, 2025 लेकर आयी है और इस संशोधन के माध्यम से जैसा कि सरकार की मंशा यही है कि विकसित मध्यप्रदेश और विकसित भारत बनाना. लेकिन विकसित मध्यप्रदेश बनाने के पीछे और विकसित भारत बनाने के पीछे किसानों की, आदिवासियों की, जंगलों में रहने वाले अन्य परंपरागत वन्यवासियों की जमीन को दादागिरी से लेना. प्रदेश में अधोसंरचना के नाम पर जैसा कि इस अधिनियम में धारा-66 जोड़ी गई है, इसके उल्लेख में मैं थोड़ा पढ़कर बताना चाहता हॅूं कि प्रदेश की जनता को भी इसके बारे में जानना जरूरी है कि इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी राज्य सरकार लोकहित में यह आवश्यक समझती है तो अधिसूचना जारी कर किसी बडे़ अधोसंरचना विकास परियोजना क्षेत्र में अपने प्रभाव क्षेत्र सहित जैसा कि विनिर्दिष्ट किया जाये, विशेष क्षेत्र के रूप में विकसित किये जाने हेतु अंकित कर सकेगी. मूल बात यही है कि अधोसंरचना के नाम पर विशेष क्षेत्र घोषित करना. मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हॅूं कि इस अधिनियम में दो प्रकार के क्षेत्रों का जिक्र होना चाहिए था, खासकर एक सामान्य क्षेत्र और शेड्यूल एरिया. अध्यक्ष महोदय, आपका सरंक्षण चाहते हुए मैं इसमें शेड्यूल एरिया की बात इसलिए रखना चाहता हॅूं कि यह गंभीर मुद्दा है. आज मध्यप्रदेश की 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाके की है और 25 प्रतिशत शहरी आबादी है और हम गांवों से आते हैं तो हमारा उद्देश्य रहता है कि गांवों के पक्ष में बात रखें. गांवों की जमीनों को बचाने के लिए हम अपनी बात करें. इस अधिनियम में जो शेड्यूल एरिया है, इसमें शेड्यूल एरिये का कोई जिक्र नहीं किया गया. शेड्यूल एरिये के अधीन आने वाले जो विशेष अधिनियम संसद और राज्य सरकार द्वारा बनाएं गए हैं, जो पेसा अधिनियम 1996 बनाया गया है जिसका उद्देश्य आदिवासियों की जमीन बचाना है, उसका इस अधिनियम में कहीं से कहीं तक कोई जिक्र नहीं किया गया है. पेसा अधिनियम का उद्देश्य भी यही था कि आदिवासियों की जमीनों को बचाना. उसका कोई जिक्र नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय, भू-राजस्व संहिता अधिनियम 1959 की धारा-237 के प्रावधानों का कहीं जिक्र नहीं किया गया. संविधान की पांचवीं अनुसूची का कहीं जिक्र नहीं किया गया. वन अधिकारी अधिनियम 2006, जो वर्ष 2008 में लागू किया गया, उसका कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया और भू-अर्जन अधिनियम पुनर्वास 2013 का भी कोई जिक्र नहीं किया गया. एक तरह से सरकार बिना अधिनियमों को माने अधोसंरचना के नाम पर, चाहे वह किसानों की जमीन हो, चाहे आदिवासियों की जमीन हो जबरदस्ती लेगी. क्या यह आदवासी इलाको में होम सेंटर बनाने का जो सपना मध्यप्रदेश सरकार दिखा रही है, क्या यह इकोटूरिज्म के नाम पर हमारे आदिवासी भाइयों की जमीनें लेगी.
अध्यक्ष महोदय, एक महत्वपूर्ण बिन्दु है, जो मैं आपके समक्ष रखना चाहता हॅूं. मैं चाहता हॅूं कि आपके माध्यम से गांवों को न्याय मिलना चाहिए. सरकार जमीन अधिकृत करती है लेकिन कुछ ऐसे हमारे गांव हैं जिनके पास रिकार्ड नहीं होता है. किसानों के पास जमीन का रिकार्ड नहीं है. मैं कुछ गांवों के नामों का जिक्र करना चाहता हॅूं. छतरपुर और पन्ना जिले के ऐसे कई गांव हैं जो केन-बेतवा लिंक परियोजना के नाम पर विस्थापित तो हो रहे हैं लेकिन उनको मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. गांवों के नाम इस प्रकार है. भरकुआ, ढोडन, कुपी, मेनारी, पलकोह, शहपुरा, सकुवाहा, पाठापुर, गोगुवा, डुंगरिया, कपवारा, धुंधरी और बसुधा. इसी प्रकार पन्ना जिले के गांव हैं- गहदरा, कटहरी, बिलदहा, मझौली, कोनी, गोंडी, रूकमी, कूड़न, मरहा, ललार, रमपुरा, सरधोबा और कांडकहा. इन गांवों के लोगों के पास राजस्व रिकार्ड में इनकी जमीनों का नाम दर्ज नहीं है, तो सरकार इनको केन-बेतवा लिंक परियोजना के नाम पर मुआवजा नहीं दे रही है, तो मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि इन गांवों का सर्वे किया जाये और इन गांवों के किसानों की जमीनों की जो राशि है, वह मिलनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, एक मेरा सुझाव है कि अभी जो पेसा नियम बने हैं उसमें पेसा समन्वयक की फर्जी तरीके से भर्ती की जा रही है. साथ में जो ग्राम सर्वेयर हैं उनको भी बिना मानेदय के काम कराया जा रहा है, तो इनके साथ न्याय होना चाहिए. यह पेसा से जुड़ा हुआ, जमीन से जुड़ा हुआ मामला है. मैं आपसे उम्मीद करता हूँ कि अगर यह अधिनियम की धारा-237 जुड़ती है तो किसानों को, आदिवासियों को न्याय मिलेगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद. आभार.
श्री अजय विश्नोई (पाटन) - अध्यक्ष महोदय, देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बहुत तेजी से विकास हो रहा है. चहूमुखी विकास हो रहा है. इनफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ रहा है और आम आदमी की सहूलियतें भी बढ़ रही हैं, उसके जन-जीवन का स्तर भी ऊंचा हो रहा है तो माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी की देश के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रदेश की सरकार डॉ. मोहन यादव जी की सरकार भी तेज गति से साथ में चलने का प्रयास कर रही है. उसी तेजी को लाने के लिए यह एक प्रावधान लेकर आए हैं.
अध्यक्ष महोदय, हम सब अच्छी तरीके से जानते हैं कि जब भी विकास की कोई योजना बनती है खासतौर से बड़ी योजनाओं की चर्चा हो रही है, यहां भी जिन योजनाओं की बात हो रही है, उसमें माननीय सदस्यों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कहा गया है कि 40 हैक्टेयर से योजना कम नहीं होगी और 500 करोड़ रुपये से उसकी लागत कम नहीं होगी तो यह बड़ी योजना लेकर आना है तो जब बड़ी योजना लेकर आने लगते हैं तो हमारे पास एक प्रावधान पहले से है कि वहां साडा बना सकते हैं. परन्तु साडा बनाना है तो साडा बनाने की घोषणा करने के लिए पूरा सरकारी उस तरीके से निकलना पड़ता है फिर उसमें आप अधिकारियों की नियुक्ति करिए, कर्मचारियों की नियुक्ति कीजिए. इनफ्रास्ट्रक्चर बनाइए, उसमें सब पैसा खर्च कीजिए और समय जो लगता है वह अपने में अलग लगता है, जबकि प्रोजेक्ट हमारे सामने आज की तारीख में एक नहीं, अनेकों सरकार के सामने तैयार खड़े हैं. हम तेज गति के साथ जल्दी से जल्दी उनको क्रियान्वित करना चाहते हैं ताकि लोगों को रोजगार मिल सकें और देश का विकास हो सके. प्रदेश का विकास हो सके, उस क्षेत्र का विकास हो सके, उसके लिए सरकार ने एक नया प्रावधान इसमें 66 क के रूप में जोड़ने का प्रयास किया है. जो कि न सिर्फ स्वागतयोग्य है, अभिनंदनीय और निश्चित रूप से समर्थन करने योग्य है. उन्होंने उस प्रावधान में इतना भर कहा है कि हमारे पास पहले से बहुत सी एजेंसियां सरकार के पास हैं जो कार्यरत् हैं. चाहे वह डेवलपमेंट कार्पोरेशन के रूप में हो या हमारे पास में जो अन्य योजनाएं करने के लिए हैं, उसमें से किसी भी इकाई को इस बात के लिए अधिकृत किया जा सकता है, इस योजना के जुड़ जाने के बाद सरकार के पास यह अधिकार हो जाएगा कि उस विकास को करने के लिए वह किसी भी ऐसी इकाई को अधिकृत कर सकती है तो हमारा वह समय वहां पर बच जाएगा. अब जब विकास करने के लिए जा रहे हैं और 500 करोड़ रुपये से कोई बड़ी योजना वहां पर लेकर आ रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से 40 हैक्टेयर की बात हुई है तो जमीनों के अधिग्रहण की जरूरत पड़ेगी. हम सब बहुत अच्छे तरीके से जानते हैं कि जब कभी भी ऐसी विकास की योजनाएं इस देश में प्रदेश में बनी हैं तो अधिकरण एक अपने आप में बड़ा मुद्दा बनता है. प्रतिपक्ष के हमारे सदस्यों ने भी जो चिंता व्यक्त की है तो "जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी." उन्होंने शायद जमीनें हड़पी हैं, इसलिए वह हड़पने की बातचीत करते हैं.
श्री पंकज उपाध्याय - अकेले प्रतिपक्ष के बारे में मत बोलो, चिंता आपके ही विधायक हैं, डॉ. चिंतामणि मालवीय जी. उन्होंने इस समस्या को बताया था कि आप उज्जैन में जमीन अधिग्रहण कर रहे हैं. वह पक्ष के विधायक हैं.
अध्यक्ष महोदय - श्री पंकज जी कृपया बैठें.
श्री अजय विश्नोई - कृपया विषय तक बात रहने दें. अध्यक्ष महोदय, जब हमको जमीनों का अधिग्रहण करना है तो स्वाभाविक रूप से किसान की चिंता करना होगी, जितना हमारे विपक्ष के साथी चिंता कर रहे हैं उससे ज्यादा चिंता डॉ. मोहन यादव की सरकार कर रही है. (मेजों की थपथपाहट) और माननीय श्री कैलाश जी ने जो प्रस्ताव लेकर आए हैं वह उस बात की बहुत अच्छे तरीके से चिंता करके लेकर आ रहे हैं. किसान की चिंता यह रहती है कि वह बेरोजगार हो जाएगा, उसकी खेती-बाड़ी का क्या होगा, उसका भविष्य क्या होगा, उसकी जमीन ओने-पौने भाव में चली जाएगी, कम भाव में चली जाएगी. बाजार भाव कुछ और होता है और रिकार्ड में भाव कुछ और होता है. पैसा उसको वह मिलता है जो रिकार्ड के भाव का है. बाजार भाव से नहीं मिलता है. वह अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता है, लुटा हुआ महसूस करता है. सरकार ने यहां उसकी चिंता का पूरी तरीके से ध्यान रखा है, उसको यह कहा है कि तुम्हें तुम्हारी जमीन का आधा हिस्सा उसी स्थान पर दे दिया जाएगा. जैसे इस बात का प्रावधान उसको मिलता है तो उसकी जमीन वहां पर जिस तरीके से जमीन के भाव बढ़े हैं, उस तरीके से उसकी आधी जमीन का भाव भी उसकी मूल जमीन से शायद 4 गुना ज्यादा बढ़ जाएगा, एक बात. दूसरा, विकास की जो योजना वहां पर आई है उस विकास की योजना के क्रम में वह भी अपने आपको जोड़ सकता है उसी विकास की योजना का कोई उपक्रम वह स्वयं वहां पर चालू कर सकता है. अपने और अपने परिवार के लिए एक नया उद्यम, एक नया रास्ता उसमें खड़ा कर सकता है. इस तरीके से उसको एक अवसर उपलब्ध कराने के लिए इस प्रकार की योजना बनाई गई है तो वह किसान ठगा हुआ महसूस नहीं करेगा, किसान अपने आपको उपकृत हुआ महसूस करेगा. हम अच्छे तरीके से यह भी जानते हैं कि जब हम अधिग्रहण करने जाते हैं तो कोर्ट कचहरियों का कई बार मामला सामने आ जाता है, उसके कारण भी विलंब होते हैं. अब चूंकि यहां पर किसान को लाभ हो रहा है और सीधा सीधा लाभ दिख रहा है, भविष्य उसका उसके साथ में जुड़ा हुआ दिख रहा है तो कोई कोर्ट कचहरी भी नहीं होगी. इस तरीके से न तो हमको अधिकरण में पैसा खर्च करना होगा, न अधिकरण के लिए कोई कोर्ट कचहरी का सामना करना पड़ेगा, न अधिकरण में हमको विलंब होगा. न साडा बनाने में हमको विलंब होगा. हमारी योजना को हम बहुत जल्दी सीधे रूप में मूर्त रूप में कर पाएंगे और विकास कर पाएंगे. इस प्रकार का यह जो प्रावधान यहां पर लेकर आए हैं इसके लिए मैं माननीय मंत्री श्री कैलाश जी को बहुत बहुत साधुवाद और बधाई देना चाहता हूं. इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. धन्यवाद.
श्री महेश परमार(तराना)- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण मध्यप्रदेश के किसानों का मामला है और मैं आपकी अनुमति से मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश संशोधन विधेयक, 2025 पर बोल रहा हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी और सरकार से पूछना चाहता हूं कि धारा 66-क, लैंड पुलिंग इसमें नयी धारा जोड़ी गयी है. मैं उज्जैन से आता हूं और सिंहस्थ भूमि और क्या उस सिंहस्थ भूमि को लैंड पुलिंग के माध्यम से लगभग 1800 किसान और 5000 हजार हैक्टेयर भूमि, जैसा कि आपने इस संशोधन बिल में कहा है और अभी माननीय वरिष्ठ सदस्य कह रहे थे कि जो सिंहस्थ भूमि अधिसूचित है, जहां माननीय सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकार के हर उस नियम में है कि वहां पर पक्का निर्माण नहीं हो सकता है. लैंड पुलिंग के माध्यम से सिंहस्थ की भूमि जो आप ले रहे हैं उस आधी जमीन पर क्या किसानों को वह विकास के लिये देंगे. आप जब ले रहे हैं बड़े-बड़े उद्योपतियों को उस जमीन को देने के लिये.
अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह मध्यप्रदेश की विधान सभा का सबसे काला दिन है. यह इस महत्वपूर्ण मामले को समझ नहीं रहे हैं. यहां पर हम जो 230 लोग बैठें, लगभग वह सभी लोग यहां पर किसानों के आर्शीवाद से पहुंचे हैं. हमारी सुबह होती है तो बिना किसान के नहीं होती है. उस किसान के लिये यह काला दिन है. वह आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी. क्या हम बड़े-बड़े पक्के निर्माण करके ..
श्री कैलाश विजयवर्गीय- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय वस्तु नहीं है. सिंहस्थ से इसका कोई लेना देना नहीं है. सिंहस्थ एक्ट अलग है. वह उसी के अंतर्गत आता है और और सारे अधिकार कलेक्टर कलेक्टर के अधीन हैं.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, 66-क लैंड पुलिंग, उज्जैन में सिंहस्थ भूमि, वहां बड़े-बड़े भूमाफियाओं की हजारों बीघा जमीन है तो क्या उनकी जमीन भी लैंड पुलिंग के माध्यम से ली जायेगी ?
अध्यक्ष महोदय- महेश जी, कोई भी कानून बनता है तो वह दूरे प्रदेश को ध्यान में रखकर बनता है. प्रदेश के विकास की दृष्टि से बनता है तो हम लोग विषय के इर्दगिर्द ना जायें.
श्री महेश परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप देश के स्वयं कृषि मंत्री रहे हैं. यह देश किसानों से चलता है, इस देश की अर्थव्यवस्था किसानों से चलती है. मैं किसानों के विषय में बोल रहा हूं. उज्जैन में सिंहस्थ क्षेत्र के किसानों की यह स्थिति है, उनकी बुजुर्ग माताएं आठ आठ दिन से भोजन नहीं कर रही है, उनके बच्चे भूखे मर रहे हैं. वह आत्म हत्या करने के लिये मजबूर हैं. मध्य प्रदेश में फिर मंदसौर जैसा कोई बड़ा कांड ना हो जाये, यहां चर्चा नहीं हो रही है. मैं इस विषय पर निवेदन करना चाहता हूं..
अध्यक्ष महोदय- इसमें सिंहस्थ का विषय नहीं है.
श्री महेश परमार- सिंहस्थ का विषय नहीं है तो वह भूमि लैंड पुलिंग के माध्यम से ली जा रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- महेश जी, आप समझो तो.
श्री महेश परमार- यह धारा 66-क, यह संशोधन विधेयक...
अध्यक्ष महोदय- यह सिंहस्थ का विषय नहीं है. सिंहस्थ की जब बात आये तो आप बोलियेगा.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, मेरा विशेष निवेदन है और प्रार्थना है कि यह मामला माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी बहुत वरिष्ठ मंत्री हैं और बहुत ईमानदार हैं. मैं उनकी प्रशंसा करता हूं, लेकिन यह संशोधन बिल सिर्फ उज्जैन के किसानों की जमीन हड़पने के लिये, उनकी जमीन जबरदस्ती हथियाने के लिये किया जा रहा है. यह पाप उनसे इसलिये कराया जा रहा है कि वहां के भू-माफियाओं को और वहां बड़े-बड़े उद्योगपतियों को, इसमें मेरी विशेष प्रार्थना है कि इतना बड़ा कृत्य, सनातन का सबसे बड़ा मेला पूरे विश्व में हमारी पहचान है.
अध्यक्ष महोदय- परमार जी, कृपया आप समाप्त करें.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष जी, आप मेरी बत तो सुन लीजिये. उन किसानों को दुखी कर दिया गया है. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि क्या उन किसानों की जो भूमि है तो क्या उसको जब आप विकास के लिये 50 प्रतिशत भूमि ले रहे हैं. आप बड़ी-बड़ी संस्थाओं को, उद्योगपतियों और अडानी जी, अंबानी जी और रामदेव जी को बेचेंगे तो क्या बची हुई 50 प्रतिशत भूमि, वह किसान बेच पायेगा ? मैं यह आपसे पूछना चाहता हूं. जब वह 50 प्रतिशत भूमि बेच देंगे तो सिंहस्थ जैसा महापर्व कहां होगा ?
अध्यक्ष महोदय- महेश जी, आपकी बात आ गयी है. कृपया अब समाप्त करें.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष जी, आप मुझे दो मिनिट का समय दीजिये. यह किसानों का संवेदनशील मामला है. 1800 किसान और लगभग 10,000 परिवार दुखी हो गये हैं.
मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं कि यदि समय रहते उनके ऊपर ध्यान नहीं दिया गया तो वह लोग आत्म हत्या करेंगे, वह मरने के लिये मजबूर हैं, कोई उनकी बात सुनने के लिये तैयार नहीं हैं. आप किसान के बेटे हैं और सदन में यहां सभी सदस्य किसानों के माध्यम से आये हैं. मेरा आप सबसे हाथ जोड़कर विशेष प्रार्थना है, वहां पर दादागिरी से किसानों की जमीन ली जा रही है. उनकी कोई सुन नहीं रहा है और एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं इसमें कोई राजनीतिक नहीं करना चाहता.
अध्यक्ष महोदय- महेश जी, कृपया समाप्त करें.
महेश परमार- माननीय अध्यक्ष जी, तीन-तीन दिन तक सिंहस्थ के क्षेत्र में किसानों के चूल्हे नहीं जल रहे हैं. एक साथी ने वहां बोला तो नोटिस जारी कर दिया गया. उसने किसानों की बात की. अध्यक्ष जी, आप मेरी यह पीड़ा सुनिये.
अध्यक्ष महोदय- महेश जी, आप कृपया अपना स्थान ग्रहण कीजिये.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष जी, आप मेरी पीड़ा सुनिये. आपसे मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि आपको मेरी पीड़ा सुननी पड़ेगी. मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि आप वहां के लिये उच्च स्तरीय दल बनाइये और उन किसानों से मीलिये. यह किसान हित की सरकार है.
अध्यक्ष महोदय- महेश जी, कृपया आप स्थान ग्रहण करिये.
श्री महेश परमार- माननीय अध्यक्ष जी, मेरे यह आंसू किसानों के लिये हैं. मैं भगवान महाकाल और क्षिप्रा मां को साक्षी मानकर कहता हूं कि वह किसान बहुत दुखीं है और तड़प रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी, आप अपनी बात शुरू करें.
( श्री महेश परमार, सदस्य द्वारा अपने आसन से उठकर आसंदी की तरफ देखकर दंडवत प्रणाम किया.)
अध्यक्ष महोदय- प्लीज, महेश जी आप अपना स्थान ग्रहण करें. प्लीज महेश जी.
श्री महेश परमार- आप सदन में हमारी बात नहीं सुनेंगे, उन किसानों की बात नहीं सुनेंगे.
अध्यक्ष महोदय- आपकी भावना आ गयी है. अब सदन की कार्यवाही आगे बढ़ने दीजिये. कृपया आप अपना स्थान ग्रहण कीजिये.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम संशोधन विधेयक, 2025 में वर्ष 1973 की धारा-66- क के प्रतिष्ठापन के लिये लाये गये प्रस्ताव के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. मैं अभी बहुत गंभीरता से माननीय विश्नोई जी की बात सुन रहा था और जैसा बीच में अभी माननीय महेश जी के कहने के बीच में दो बार माननीय कैलाश जी ने कहा कि यह बिल उज्जैन के उस विषय से कन्सर्न नहीं है. वह विषय वहां पर अलग एक्ट लागू होता है और यह विषय सिर्फ गांव में कहीं पर 40 हेक्टेयर से बड़ी जमीन और 500 करोड़ से ज्यादा बड़ा इन्वेस्टमेंट का कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर का प्रोजेक्ट आता है, तो उसके लैंड की कंसोलिडेशन करने के लिये है. इस कंसोलिडेशन के माध्यम से वह बीच का पैच किसी किसान का आता है, तो उसका मुआवजा, रेट, विवाद, कोर्ट- कचहरी इनसे बचते हुए उसको आधी जमीन उसको वहीं मिल जाती है, तो उसका पैसा, उसके पास जमीन रहेगी और उसकी जमीन की कीमत कई गुना, चूंकि 500 करोड़ से बड़ा प्रोजेक्ट आयेगा, तो जमीन की कीमत भी बढ़ेगी और बढ़ी हुई कीमत से उसकी लाईफ डिस्टर्ब न हो और वह स्मूथली बजाये नगद पैसे के, अगर जमीन रहेगी, तो वह काम करेगा. ऐसा मैंने व्यक्तिगत रुप से भी महाराष्ट्र में कई जगह यह प्रोजेक्ट डेव्हलप होते देखे हैं और अगर मैं कहूं कि पुणे विशेष एक ऐसी सिटी है, जहां हजारों की संख्या में किसानों ने अपनी जमीन देकर कोऑप्रेटिव्ह के माध्यम से बनाया और उनको 50 प्रतिशत डेव्हलपर ने दिये और 50 प्रतिशत उन्होंने. ऐसी ही कई इण्डस्ट्रीज आईं. तो हर चीज में हमें उसका पॉजिटिव व्यूह भी देखना पड़ेगा और जहां कभी अगर कोई ऐसी कोई किसी की भावना आती है, तो उस विषय पर अलग से भी चर्चा की जा सकती है. लेकिन प्रदेश इतना बड़ा है, जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर की डेव्हलपमेंट के लिये मैंने देखा कि कई जगह जब मैं इण्डस्ट्री मिनिस्टर था, थोड़े से पैच के लिये आपका इण्डिस्ट्रियल एरिया तैयार हो गया, एक किसी की आधा एकड़ जमीन फंस गई और वह पूरा डेव्हलमेंट रुक गया. तो यह सब चीजें ऐसे ही इन्फ्रास्ट्रक्चर केवल इण्डस्ट्री ही नहीं और किसी के लिये भी है और इसमें दूसरा यह है कि सरकार की कोई भी शत प्रतिशत आधिपत्य वाली कोई भी एजेंसी काम कर सकती है, क्योंकि यह भी बहुत जरुरी है कि सरकार की एजेंसी कोई भी हो, क्योंकि कई बार क्या होता है कि किसी एक एजेंसी के पास जरुरत से ज्यादा काम होता है, वह समय पर दूसरा डेव्हलपमेंट नहीं कर सकती है और तीसरा इसका एरिया थोड़ा सा नगर सीमा से बाहर भी कहीं का भी ये एरिया ले लेंगे, क्योंकि अब जैसे केवल शहर नहीं, उसके पीछे की एक बहुत बड़ी सोच यह है कि अगर ग्रामीण एरिये में कहीं कोई बड़ा उद्योग या कोई बड़ा केंद्र सरकार का भी प्रोजेक्ट आता है, तो ग्रामीण क्षेत्र का तो डेव्हलपमेंट कभी होने का अवसर ही नहीं आयेगा, क्योंकि नगर पालिका और नगर निगम तो हमेशा साथ लगे हुए एरिये की बात करेंगे. तो रुरल बेल्ट की जमीन में भी कोई बड़ा प्रोजेक्ट,बड़ा डेव्हलपमेंट आये, उसके लिये इस संशोधन की अति अनिवार्यता है. इसीलिये मैं इस संशोधन विधेयक के पक्ष में सम्माननीय कैलाश जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई भी देता हूं कि उन्होंने वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र के किसानों की और डेव्हलपमेंट का क्षेत्र फेले, केवल शहरों तक नहीं, गांव को शहरों के रुप में बदलने का इसके माध्यम से अवसर मिलेगा और जो दूर के गांव हैं, वहां पर भी डेव्हलपमेंट होगा और डेव्हलपमेंट होगा, तो सब जगह उसका फायदा होगा. चूंकि लिक्विडिटी नहीं मिलेगी, क्योंकि इसका एक नुकसान हरियाणा में बहुत देखने को मिला है. हरियाणा में बहुत तेजी से जब विकास हुआ, तो नगद पैसा बहुत बंटा. वह पैसा कभी भी 50 प्रतिशत लोगों का खर्च हो गया और उसके बाद उसकी नेक्स्ट जनरेशन को बहुत तकलीफ हुई. यहां पर उसकी जमीन आधी डेव्हलप लैंड उसके पास रहेगी, इसलिये यह संशोधन बहुत अनिवार्यतः, बहुत आज की जरुरत के अनुरुप है. मैं इस संशोधन विधेयक के समर्थन में खड़ा इसी लिये हुआ हूं, मैं वास्तव में बधाई देना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री जी एवं नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जी ने इस दिशा में सोचकर एक बड़े प्रोजेक्ट में आने वाली सबसे बड़ी असुविधा का समय कम करते हुए उसको तेजी से आगे बढ़ने का इन्फ्रा के लिये पैसा भी सरकार को उतना ज्यादा इनीशियल उनमें लगाने के बजाए प्रोजेक्ट में लगे ताकि डेवलेपमेंट सामने आये और सबकी तरक्की एक साथ और एक तरीके से हो और क्या वास्तव में क्या रूलर को ऐसा अधिकार कभी मिल पायेगा, क्योंकि डेवलेपमेंट तो नगरीय निकाय में होता रहा, तो रूलर के डेवलेपमेंट के लिये यह संशोधन अनिवार्य है .इसलिये समर्थन किया. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया उसके लिये धन्यवाद.
समय 2.31 बजे अध्यक्षीय घोषणा
श्री कमलेश्वर डोडियार सदस्य से अपना अनशन खत्म करने संबंधी
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य श्री कमलेश्वर डोडियार जी से अपर सचिव द्वारा दो बार चर्चा की गई, उन्हें सदन में बताई गई व्यवस्था के बारे मे बताया और अनशन खतम करने का आग्रह किया. विधायक जी द्वारा अवगत कराया गया है कि डॉ. को निलंबित किया जाये. स्थानीय पुलिस अधिकारियों को वस्तुस्थिति बताकर उन पर निगरानी बनाने के लिये सूचित कर दिया गया है. ..
मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2025
(क्रमांक 3 सन् 2025) क्रमश:
अध्यक्ष महोदय-- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी अपनी बात रखें..
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार )-- माननीय अध्यक्ष महोदय, में मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2025 जो विचार के लिये प्रस्तुत किया गया है उस पर अपने विचार रखने के लिये खड़ा हुआ हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर पर सरकार को विकास करने के लिये कहीं न कहीं जमीन की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन अध्यक्ष महोदय, इसमें है कि राज्य सरकार लोकहित में यदि आवश्यक समझती है तो अधिसूचना के द्वारा किसी भी बड़ी अधोसंरचना विकास परियोजना क्षेत्र को अपने प्रभाव क्षेत्र में जमीन अधिग्रहित कर सकती है, 40 हेक्टेयर से अधिक की और 500 करोड़ से ज्यादा. मेरा इसमे यह कहना है कि इतने सारे प्रदेश में प्राधिकरण बने हुये हैं ,फिर सरकार को इस संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ रही है. क्या ऐसी जमीनें जो बड़े उद्योगपति या बड़े लोगों की नजर में है कि जिसका अधिग्रहण करके हम एक मौटा पैसा बना लें.अगर ऐसा है तो मैं समझता हूं कि इस संशोधन की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पहले से ही कलेक्टर को यह अधिकार होते हैं धारा 6 से लेकर धारा 4 में पूरी कार्यवाही करने के. लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि अधिग्रहण को लेकर के सरकार की तरफ से यह बात तो स्पष्ट होना चाहिये कि उस किसान को क्या 2013 का जो भूमि अधिग्रहण नियम है उसके हिसाब से उसको मुआवजा मिलेगा, अगर किसी की निजी जमीन जाती है तो, सरकारी जमीन तो ठीक है लेकिन मेरी चिंता यह है कि अभी भी बाजार की गाइड लाइन से पैसा किसानों को नहीं मिल रहा है. अभी हमारे साथी महेश जी ने उज्जैन का मामला सदन में उठाया था. वहां पर 14 गांव के किसान परेशान हैं क्योंकि वहां की गाइड लाईन ही नहीं बढ़ाई गई 14 गांव की उनको आप कम मुआवजा दे रहे हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ऐसी ही स्थिति सिंगरौली में बनी है, जब मैं सिंगरोली दौरा पर गया था मैंने देखा है कि वहां पर भी गाइड लाइन नहीं बढ़ाई गई. जो कोयला कंपनी वहां पर हैं वह भूमि ले रही हैं और सिंगरौली में कलेक्टर द्वारा गाइड लाइन ही नहीं बढ़ाई गई, उसके कारण किसानों को कम पैसों के अंदर अपनी जमीनों को देना पड़ रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें भिन्नता इतनी है कि सड़क के एक तरफ 30 लाख रूपये एकड़ जमीन का भाव और वहीं सड़क के दूसरी तरफ 8 लाख रूपये एकड़ का भाव. बहुत बड़ा अंतर राशि का है , गाइड लाइन का खेल चल रहा है जहां पर भी जमीन अधिग्रहित करना है वहां पर कलेक्टर के माध्यम से गाईड लाइन में राशि बढ़ाई नहीं जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जहां पर आपको जमीन का अधिग्रहण करना है वहां पर भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के हिसाब से होना चाहिये. कौन से प्रोजेक्ट कहां पर आ रहे हैं इसकी जानकारी भी प्रदेश की जनता को होनी चाहिये. 500 करोड़ के ज्यादा के ऐसे कौन से प्रोजेक्ट हैं, किस जिले में आ रहे हैं, उसमें कौन कौन सी जमीनें अधिग्रहण में आ रही हैं यह सब स्पष्ट होना चाहिये, मंत्री जी यदि आपके पास में इस तरह के प्रोजेक्ट आ रहे हैं उसकी लिस्ट है तो उसकी जानकारी भी सदन को होना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहता हूं कि पारदर्शिता रखें नहीं तो इसमें भी बड़ी बड़बड़ी की आशंका है, बड़ा भ्रष्टाचार होने का अंदेशा है. मैं इस संशोधन विधेयक का विरोध करता हूं और कहना चाहता हूं कि अलग से प्राधिकरण बनाने की आवश्यकता नहीं है अगर आप बना रहे हैं तो उसमें स्पष्ट रूप से मुआवजा नीति का उल्लेख होना चाहिये, नहीं तो आप कह देंगे कि पहले से ही मुआवजा नीति बनी हुई है लेकिन जब कलेक्टर के द्वारा गाईडलाइन को बढ़ाया नहीं जाता है तो किसान को पैसा उस हिसाब से नहीं मिलता है जितना उसको मिलना चाहिये. तो मैं आपसे यही अनुरोध करना चाहूंगा कि सरकार विकास तो करे लेकिन विकास के साथ किसी किसान का, किसी गरीब का घर नहीं उजड़े , सड़क पर नहीं आये, उनको अधिग्रहित भूमि का सही मुआवजा मिले,यही मेरा अनुरोध है. आपने समय दिया धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. इस प्रस्ताव में एक संशोधन है. डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2025 में निम्नानुसार प्रस्ताव करता हूं. विधेयक पर राय जानने के लिये उसे परिचलित किया जाए अथवा विधेयक को सभा की प्रवर समिति को सौंपा जाए. हमारे विद्वान साथी आदरणीय बाला बच्चन जी, डॉ. हिरालाल अलावा जी, महेश जी और नेता प्रतिपक्ष जी ने बहुत विस्तार से और स्पष्टता के साथ इस संशोधन विधेयक के बारे में अपनी बातें कहीं. बाला बच्चन जी ने उन कंडिकाओं में जहां संशोधन किया जा रहा है उसका सब उल्लेख किया. मैं इन सब बातों को दोहराना नहीं चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय, भूमि या जमीन ऐसा विषय है जो हमेशा बहुत चर्चित रहता है. हमारे जो इतिहास के पन्ने हैं उसमें जर, जोरू और जमीन इनका उल्लेख आता है. निश्चित ही जब जमीन की चर्चा होती है तो तरह-तरह के प्रश्न खड़े होते हैं और स्वाभाविक है कि बहुत सारे संदेह, बहुत सारी जिज्ञासाएं यहां पर इस विधेयक को लेकर उपस्थित हुई हैं. महाभारत जैसा युद्ध हो गया है. सुई की नोक के बराबर जमीन न देना, 5 गांव की बात थी. इतना महत्वपूर्ण विषय है. कोई भी बड़ी परियोजना आती है, बड़े बांध आते हैं, शहरों का विस्तार होता है. यह आवश्यक तो है परंतु यह भी सही है कि जब विकास होता है तो शहरीकरण होने लगता है. जो प्रतिशत् ग्रामीण आबादी का 1947-1948 में था वह आज नहीं है घट गया है और शहर का क्षेत्र बढ़ रहा है. यह विकास का द्योतक होता है. इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि जब हम इन योजनाओं के लिये भूमि लेते हैं तो इसमें मानवीय पहलू होना बड़ा अनिवार्य है. हम किसकी जमीन ले रहे हैं. उस गरीब की ले रहे हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी उमसें पसीना बहाता आया है खेती करता आया है. लोग कह देते हैं कि उसको मुआवजा तो मिलेगा. हमारे किसी साथी ने कहा कि उससे जो उद्योग धंधे बनेंगे, तरह-तरह के मॉल बनेंगे, खैर मॉल बनाने के लिये तो लेना भी नहीं चाहिये, उसमें वह भागीदार हो जाएगा, वह व्यवसाय करेगा. शायद विश्नोई जी ने कहा था. मैं समझता हूं इस पीड़ा को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं चूंकि एक अंतर्राज्यीय परियोजना बांण सागर मेरे निर्वाचन क्षेत्र में है जिसमें लगभग 120 गांव विस्थापित हुये थे. लोगों को मुआवजा मिला. बहुत से लोग हैं अभी बहुत बड़ी संख्या तो नहीं है लेकिन अभी जो आज भी अपने मुआवजा की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. जिन्हें मिला भी आप मान लीजिये 90 फीसदी, मेरा अनुभव है कि हमारा किसान खासकर गरीब छोटा किसान यह नहीं जानता कि उसको मिले तात्कालिक रूप से रुपये का निवेश कैसे करे और वह इधर-उधर पैसे खुद-बुर्द हो जाते हैं. शादी अगर उसको पहले 1 लाख रुपये में करता तो पैसे हाथ में आ जाने से 5 लाख खर्च कर देता है. दोपहिया और चारपहिया खरीद लेता है. तरह- तरह से अपव्यय करता है. मानव स्वभाव है और कालांतर में वह सड़क पर आ जाता है तो हमें चिंता उस व्यक्ति की करनी चाहिये. चाहे वह पक्ष हो या यह पक्ष हो. हमारा राजनीति का जो केन्द्र बिन्दु है, हमारा फोकस है, वह वही व्यक्ति है गरीब व्यक्ति. वह सड़क पर न आ जाए उसका पर्याप्त हम ध्यान रखें. कोई भी नियम कानून बने वह जनहित में हो. जनहित के मामले की बात जब हम करते हैं तो गरीब आम आदमी से जुड़ी जो हित की बात है उसको जनहित कहते हैं. हम चन्द उद्योगपतियों के लिए जमीन ले लें. बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए अक्वायर कर लें यह जनहित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान भी लिया है. पहले सरकार उद्योगों के लिए जो जमीनें अक्वायर कर लेती थी उस पर बंदिश लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था दी है कि यह जनहित नहीं है. आप उनको खरीदने दीजिए. वर्ष 2013 का भूमि अधिग्रहण जो कानून है वह भी यही उल्लेख करता है कि आपसी सहमति से होना चाहिए. खरीदने दीजिए उन लोगों को वे बड़े-बड़े लोग हैं उनके पास अकूत पैसा है. हम उनकी चिंता न करें, हम गरीब आदमी की चिंता करें. अब फिर रही हमारे शहरों के विकास की बात. हम शहरों के लिए जमीनें लेते हैं. अब सवाल यह है कि हमारा मास्टर प्लान ही नहीं बन पाता है. भोपाल का मास्टर प्लान वर्ष 1994-95 में बना था. माननीय अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी विद्वान व्यक्ति हैं, जानकारी रखते हैं. उसके बाद से मास्टर प्लान नहीं बना है. बहुत से शहर हैं जहां मास्टर प्लान अवेटेड है. इंदौर का मास्टर प्लान भी मैं समझता हूँ वर्ष 2005-06 में बना था, लेकिन भोपाल का तो वर्ष 1994-95 से नहीं बना है.
अध्यक्ष महोदय, कितनी विसंगति आ रही है. मैं आपको उदाहरण देना चाहता हूँ कि हमारा जो भोपाल शहर है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मुझे क्षमा करें मैं राजेन्द्र सिंह जी को टोक रहा हूँ. वे बड़े विद्वान हैं. यह जो बिल है उसका इन बातों से कोई संबंध नहीं है. यह सीधा-सीधा कैसे तेजी से डेवलपमेंट हो उसके लिए बिल है. किसानों को मुआवजा देने वाला भी नहीं है. इसमें नगद एक्सचेंज भी नहीं है. मैं समझ नहीं पाया हूँ कि राजेन्द्र सिंह जी ने पूरा बिल पढ़ा है या नहीं पढ़ा है. वे हमेशा पढ़कर आते हैं. आज शायद वे पढ़ना भूल गए हैं. आप एक बार फिर बिल देख लीजिए. यह मध्यप्रदेश और किसानों के हित का बिल है. इसमें किसानों के हित का ध्यान रखा गया है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी विकास की बात कर रहे हैं. विकास क्या आप हवा में करेंगे, जमीन पर ही विकास करेंगे उसके लिए आपको अधिग्रहण करना पड़ेगा. प्रक्रिया का पालन करना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय -- राजेन्द्र कुमार सिंह जी, मंत्री जी ने जो व्यक्त किया है मुझे लगता है हमें उस पर ध्यान रखना चाहिए. यह समग्र भूमि अधिग्रहण कानून की चर्चा नहीं हो रही है उसका एक पार्ट है हमें उस पार्ट तक ही सीमित रहना चाहिए, तो ठीक रहेगा.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि किसकी नजरें कहां हैं मुझे नहीं मालूम है. हो सकता है परमार जी जो कह रहे हों जय बाबा महाकांल की, हो सकता है वहां पर हो. लेकिन कहां है यह मुझे नहीं मालूम है मैं तो पूरे मध्यप्रदेश की बात कर रहा हूँ और किस तरह से प्रक्रियात्मक दोष है उसकी बात कर रहा हूँ. मैं आपको एक उदाहरण दे रहा हूँ, अध्यक्ष महोदय आप सुन लीजिए, मंत्री जी आप भी सुन लें. क्यों मास्टर प्लान बनना चाहिए. भोपाल शहर जिसकी आबादी 23 लाख है. आप हंस रहे हैं, क्या हम गलत बोल रहे हैं. हर दो-तीन मिनट में एक बच्चा पैदा हो जाता है जोड़ते जाइए जब तक हम भाषण दे रहे हैं. साढ़े 23 लाख मान लीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- बजट पर चर्चा के दौरान मास्टर प्लान और इन चीजों पर बहुत चर्चा हो गई है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल की 23 लाख की आबादी और 350 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- आप तो विद्वान हैं. गागर में सागर भर ही सकते हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इलाहाबाद जहां अभी कुम्भ हुआ था. कुम्भ का नाम ले रहे हैं कैलाश जी खुश हो जाइए. महाकुम्भ आप दावा करते थे कि करोड़ों लोगों ने स्नान किया. मैंने भी स्नान किया, पत्नी के साथ जाकर डुबकी लगाकर आया क्योंकि आप मुझे दोष न दें. मैं भी ईश्वर को मानता हूँ. भगवान की पूजा पाठ करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- जोर से बोलो ना.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, "इलाहाबाद" (जोर से बोला गया), प्रयागराज. वहां 73 लाख की आबादी है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत दिन से सोच रहा था कि ऊपर की खेती बड़ी अच्छी हो गई है लगता है यह प्रयागराज के पानी का प्रभाव है. (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी के सिर की तरफ इशारा करते हुए) (हंसी)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी के तरह-तरह के अंदाज होते हैं. मुझे अच्छा लगा वे कम से कम हंसे तो सही, वे बड़े गंभीर दिख रहे थे. वे सोच रहे थे कि हम इसका जवाब कैसे देंगे. दिमाग में वे तमाम ताने-बाने बुन रहे थे. प्रयागराज 260 स्कवायर किलोमीटर में है तो हमारे यहां क्या नहीं हो जाना चाहिए था. भोपाल का विस्तार आप होरिजो़न्टल किये जा रहे हैं. वर्टिकल करो. होरिजो़न्टल का जमाना गया और उसमें आपको अधिक जमीन लेनी पड़ेगी, आपको अधिक से अधिक किसानों को बेघर करना पड़ेगा, उनकी जमीनों को छुड़ाना पड़ेगा तो आप ऐसा क्यों करते हैं. मैं इस संशोधन विधेयक से सहमत नहीं हूं क्योंकि कई एजेंसियां हैं, डेव्हलपमेंट अथॉरटीज़ हैं वह जमीने अक्वायर कर रही हैं. शासन के पास पहले से अधिकार मौजूद हैं, लेकिन अगर आप अक्वायर करते हैं तो उसको आप क्या मुआवजा देंगे. भूमि अधिगृहण 2013 का अनुपालन आवश्यक है. उसको आप इसमें समाहित कीजिए क्योंकि आपने उसका शॉर्टकट निकाल लिया है. उसमें चार गुना रेट ग्रामीण क्षेत्र में और बाजार दर यह आपका कलेक्टर गाइडलाइन नहीं है. बाजार दर का ही उल्लेख अधिनियम में है. बाजार दर का चार गुना और शहरी क्षेत्र का दो गुना आप इसमें इसका भी प्रावधान कीजिए कि आप उचित मुआवजा देंगे और उस किसान को, उस व्यक्ति को जिसकी आप जमीन ले रहे हैं उसको आप उस विकास में कैसे शामिल करेंगे, भागीदार बनाएंगे क्योंकि अंततोगत्वा हम सभी का लक्ष्य तो उनकी ही सेवा है, उन सभी का विकास है. मैं अपनी बात को कन्क्लूड करूं कि यह जो संशोधन मूल अधिनियम 1973 नगर तथा ग्राम निवेश जो मूल अधिनियम है उसमें इन्होंने संशोधन प्रस्तावित किये हैं मैं समझता हूं यह उचित नहीं है मैं इसका समर्थन नहीं करता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब खण्ड दो में एक ओर संशोधन है. आपका भाषण तो विस्तार से हुआ है मैं समझता हूं कि आप उसको भी प्रस्तुत कर दें तो मंत्री जी का जबाव दोनों संशोधनों और विधेयक पर एक साथ आ जाएगा.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह--अध्यक्ष महोदय, आज हम बोलेंगे नहीं क्योंकि आज आपका सुनने का मन नहीं है. मैं भांप गया था कि जन गण मन की तैयारी हो रही है. मुख्यमंत्री जी भी आ गये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- मेरा मन तो सुनने का है, लेकिन आज भोजनावकाश भी नहीं हुआ और भोजन का प्रबंध भी नहीं हुआ इसलिए मैं जो बाकी लोगों के चेहरों को देख रहा हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह--अध्यक्ष महोदय, ''भूखे पेट भजन, न होय गोपाला''. सभी भूखे बैठे हैं (हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र जी संशोधन प्रस्तुत कीजिए.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि खण्ड 2 में इस प्रकार संशोधन किया जाय:-
''धारा 66 क. में नई उप धारा (तीन) इस विधेयक के प्रावधान सिंचित कृषि भूमि तथा सिंहस्थ मेला क्षेत्र उज्जैन के अधिग्रहण पर लागू नहीं होंगे'' जोड़ी जाए.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यध महोदय, यह जो अधिनियम लाया गया है यह हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, माननीय डॉ. मोहन यादव जी जो विकसित भारत का सपना देख रहे हैं उस सपने को साकार करने के लिए लाया गया है कि विकसित मध्यप्रदेश कैसा हो, यह बिल उसमें मदद करेगा. मुझे समझ में नहीं आया कि इसमें विरोध करने जैसा क्या है. हमारे विद्वान मित्र उमंग सिंघार जी उन्होंने इसमें मुआवजा का कहा परंतु इसमें तो मुआवजे की बात ही नहीं है. उनसे ज्यादा विद्वान राजेन्द्र सिंह जी हैं. वह इसमें मास्टर प्लान ले आये. इसमें मास्टर प्लान है ही नहीं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह--अध्यक्ष महोदय, जब कोई किसी विषय पर बोलता है तो उसमे कुछ न कुछ भूमिका तो रहती ही है. इसमें मास्टर प्लान की भूमिका तो है. आप इससे कैसे इंकार कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब मंत्री जी स्पष्ट कर रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यध महोदय, अभी जीआईएस संपन्न हुई उसमें लगभग 30 लाख के एमओयू हुए हैं. हमें औद्योगिक क्षेत्र विकसित करना है. हम औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए न नगर निगम जा सकते हैं न प्राधिकरण जा सकते हैं, तो कौन करेगा. इंडस्ट्रियल अथॉरिटी को यह अधिकार दे रहे हैं कि आप वहां पर बड़ा औद्योगिक क्षेत्र विकसित करें और 50 प्रतिशत जमीन का डेव्हलप एरिया वह किसान को दे दें. इसमें नगद Exchange है ही नहीं, पैसे देने ही नहीं हैं, पैसे का लेन-देन ही नहीं है, जमीन की कीमत ही नहीं पूछना है. इसमें पैसे का लेन-देन कहां से आ गया कि किसान को पैसा मिल जायेगा, उसके हाथ में पैसा आयेगा ही नहीं, उसे केवल विकसित ज़मीन मिलेगी.
अध्यक्ष महोदय, इसका प्रयोग मैंने इंदौर में किया था, आप जाकर देख लीजिये. इंदौर में शेखावत जी जानते ही हैं इन्फ़ोसिस और TCS हम इंदौर में लाये हैं. हमने इंदौर डेवलपमेंट अथॉरिटी को आदेश दिया कि आप 50 प्रतिशत विकसित ज़मीन किसानों को दे दीजिये. मैंने किसानों की बैठक ली थी, बैठक में कहा कि अभी आपकी जमनी की कीमती कितनी है, पता चला कि 10 लाख रुपया एकड़. मैंने कहा कि मैं आपकी ज़मीन विकसित कर दूंगा तो उसकी कीमत 50 लाख रुपया एकड़ हो जायेगी, आप हमें आधी जमीन दे दीजिये, वे तैयार हो गए. जो 10 लाख रुपया एकड़ की जमीन थी, वह आज 10 करोड़ रुपया एकड़ की हो गई है, 10 गुना की वृद्धि हुई है. आज वहां का हर किसान करोड़पति है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, जब विकास होता है तो जमीन का भाव कई गुना बढ़ जाता है. हम किसान को संपन्न करने के लिए यह विधेयक ला रहे हैं, यह किसान के लिए हितकारी विधेयक है. जिस प्रकार का माहौल बनाया जा रहा है कि यह बिल किसान विरोधी है, मैं, पूछना चाहता हूं कि कहां से किसान विरोधी है. हम तो जमीन का भाव ही नहीं पूछ रहे हैं, कलेक्टर गाईड लाईन पूछना ही नहीं है. हमें तो यदि 50 एकड़ की ज़मीन चाहिए तो हम 100 एकड़ इकट्ठी करेंगे और उसमें से 50 प्रतिशत विकसित करके किसान को दे देंगे. विकास के बाद उस जमीन की कीमत कई गुना हो जायेगी और ये छोटे प्रोजेक्ट के लिए है ही नहीं. कोई कह रहा था मॉल बनेंगे, मेरे भाई ये मॉल के लिए है ही नहीं. आपने इसको पढ़ा ही नहीं. इसमें 40 हेक्टेयर से बड़ा प्रोजेक्ट होना चाहिए, इसमें मॉल कहां से बनेगा, आपने क्या कभी देशभर में 40 हेक्टेयर में कोई मॉल देखा है ? 500 करोड़ रुपये से अधिक की योजना होनी चाहिए.
श्री बाला बच्चन- मंत्री जी, आपने इसमें यह भी तो स्पष्ट नहीं किया है कि क्या बनेगा ? किसानों की आशंका है, मैंने पहले उल्लेख किया है कि आपके ही इंदौर जिले के 88 गांव के किसान, जो परेशान हो रहे हैं, 32 गांव के किसान देवास जिले के भी हैं. आपने इसमें इसका कोई उल्लेख नहीं किया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, उस समस्या के निराकरण के लिए ही, यह विधेयक लाया गया है. यदि कोई भी प्लान हो, बायपास लाना हो, हम किसान को विकसित ज़मीन 50 प्रतिशत दे देंगे. जैसे ही वहां से सड़क निकलेगी, उस ज़मीन की कीमती 10 गुना हो जायेगी. इसलिए यह किसान के हित में है, आप इसे समझने की कोशिश करें.
अध्यक्ष महोदय, आप इंदौर में जाकर देख लें, किसानों से पूछ लें, मैं तो आपको प्रमाण दे रहा हूं. हर किसान करोड़पति बन गया है, ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं.
अध्यक्ष महोदय- राजेन्द्र जी, आपकी सारी बातें विस्तार से आ गई हैं. मंत्री जी की बात पूरी हो जाने दीजिये फिर यदि आपका कोई प्रश्न होगा तो कहियेगा. (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी के अपने आसन पर खड़े होने पर)
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी शंकायें इसमें जाहिर की गई हैं कि हम इसमें क्या करेंगे. मैं इस विधेयक पर बहुत ही साफ कहना चाहता हूं कि यह सिर्फ विकास की गति को बढ़ाने वाला है, इससे विकास नहीं रूकेगा. आप देखें प्रदेश भर में जो प्रोजेक्ट आये हैं, जैसे नर्मदा जी लानी थीं, 10 वर्ष का कार्य, 50 वर्षों में भी नहीं हुआ है. कोई सुप्रीम कोर्ट चला गया, कोई हाईकोर्ट से स्टे ला रहे हैं क्योंकि किसान संतुष्ट नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, इसमें न कर्ज लेना है, न पैसा लगेगा. "न हींग लगे न फिटकरी और रंग आए चोखो." वाली बात है. कर्ज लेना है तो उनको लेना है जो जमीन को विकसित करेंगे, किसान को कोई कर्ज नहीं लेना है. यह प्रदेश के हित में, विकसित मध्यप्रदेश बनाने का बहुत बड़ा विधेयक है और यह प्रधानमंत्री जी तथा डॉ.मोहन यादव जी के सपनों का बिल है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, अब इसमें सिंहस्थ कहां से आ गया. सिंहस्थ के लिए तो एक अलग से मद बनी हुई है. सिंहस्थ में सारे अधिकार कलेक्टर के पास होते हैं और वे अपने हिसाब से कार्य करते हैं. इसलिए मेरा करबद्ध निवेदन है कि इस विधेयक पर सर्वानुमति होनी चाहिए, यह प्रदेश के विकास का बिल है, किसानों के लिए हितकारी है, पूर्व में किसानों का गला घोंटने वाले जो विधेयक थे, यह उन सभी का रिपेयर करने वाला विधेयक है. इसमें कहीं पर भी किसानों का अहित नहीं है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, हम लोग कोई बड़े-बड़े जागीरदार नहीं हैं, हमें यह चीज विरासत में नहीं मिली है. हम कहीं से नहीं आए हैं. मेरे पिताजी मिल में काम करते थे, मुख्यमंत्री जी के पिताजी भी मिल में काम करते थे, हम वहां से आए हैं. हम कभी भी ऐसा कोई निर्णय नहीं करेंगे, जिसमें जनता का अहित हो. (मेजों की थपथपाहट) क्योंकि हमने हमारी जिन्दगी की शुरूआत फांके मारकर की है और इसलिए मैं बहुत विनम्रता से कहना चाहता हूँ. हम ऐसा कोई पाप ही नहीं कर सकते, जो मध्यप्रदेश के अहित में हो. (मेजों की थपथपाहट) इसलिए यह बिल प्रदेश के हित में है, प्रदेश के विकास के लिए है, किसान के हित में है और यह विकसित मध्यप्रदेश बनाने का सपना पूरा करने वाला बिल है, इसलिए मैं सभी माननीय सदस्यों से यह निवेदन करूँगा कि आप सर्वानुमति से इसको पारित करेंगे तो बड़ी कृपा होगी. धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय. (मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2023 में जीआईएस हुई थी.
अध्यक्ष महोदय - बाला जी, अब पूरा हो गया है. मंत्री जी का जवाब आ गया है.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिति इन्दौर में हुई थी. लगभग 6,957 आवेदन आए थे, 781 पर इन्होंने उद्योगपतियों को जमीन दी थी, 281 से आज भी काम शुरू नहीं किया है, लेकिन उनसे जमीन ले ली गई और आज तक भी वहां काम शुरू नहीं हुआ और उनको मुआवजा भी नहीं मिल पा रहा है. मैंने इस बात का उल्लेख किया है, लगभग 14 वर्ष हो गए हैं, मंत्री जी के यहां पर जो आऊटर रिंग रोड बना है, उसका मुआवजा अभी तक इन्दौर में नहीं मिला है. यह किसान विरोधी बिल है, हम इसका विरोध करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - इस मामले में मंत्री जी ने कह दिया है कि इस बिल में मुआवजे का सवाल नहीं है. बाला जी, मंत्री जी ने पूरा स्पष्ट कर दिया है.
श्री बाला बच्चन - यह भू-माफिया और निवेशकों के इशारे पर लाया गया बिल है, मैं समझता हूँ कि किसान इसके पक्ष में नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ, प्रश्न यह है कि
(1) विधेयक पर राय जानने के लिए उसे परिचालित किया जाए, अथवा
(2) विधेयक को सभा की प्रवर समिति को सौंपा जाए.
प्रस्ताव अस्वीकृत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. प्रश्न यह है कि खण्ड 2 में इस प्रकार संशोधन किया जाये :-
''धारा 66क. में नई उपधारा (तीन) इस विधेयक के प्रावधान सिंचित कृषि भूमि तथा सिंहस्थ मेला क्षेत्र उज्जैन के अधिग्रहण पर लागू नहीं होंगे.''
संशोधन अस्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
3.10 बजे सत्र का समापन
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यगण, मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधान सभा का पंचम सत्र अब समाप्ति की ओर है. इस सत्र में 09 बैठकें हुईं जिसमें विधायी,वित्तीय तथा लोक महत्व के अनेक कार्य सम्पन्न हुए.
इस सत्र में सदन ने अन्य कार्यों के अलावा वर्ष 2025-26 के आय-व्ययक को पारित किया वहीं वर्ष 2024-25 की द्वितीय अनुपूरक मांगों को अपनी स्वीकृति प्रदान की गई.
इस सत्र में कुल 2939 प्रश्न प्राप्त हुए,जिसमें 1448 तारांकित,1491 अतारांकित प्रश्न थे. ध्यानाकर्षण की कुल 624 सूचनाएं प्राप्त हुईं,जिनमें 33 सूचनाएं ग्राह्य हुईं.शून्यकाल की 183 सूचनाएं एवं 510 याचिकाएं प्राप्त हुईं.04 शासकीय विधेयक तथा 01 अशासकीय संकल्प भी पारित किया गया. इसके साथ ही अनेक सभा समितियों के 59 प्रतिवेदन भी प्रस्तुत हुए.
प्रदेश के 12 पारंपरिक विश्वविद्यालयों की सभा(कोर्ट) के लिए विधान सभा के 8-8 सदस्यों का निर्वाचन किया गया तथा विधान सभा की वित्तीय समितियों के लिए 11-11 सदस्यों का निर्वाचन कर पुनर्गठन किया गया.
माननीय सदस्यों द्वारा राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर 11 घंटे 30 मिनिट एवं बजट पर सामान्य चर्चा 09 घंटे 44 मिनिट तथा 16 घंटे 30 मिनिट अनुदान की मांगों पर विस्तृत चर्चा की गई. वहीं भोजनावकाश स्थगित कर एवं सदन के समय में वृद्धि कर भी चर्चाएं पूर्ण कराई गईं.
उल्लेखनीय है कि इस सत्र में दोनों पक्षों के सदस्यों ने राज्यपाल के अभिभाषण,बजट पर सामान्य चर्चा,अनुदान मांगों पर चर्चा व अन्य विषयों पर गंभीरता से विस्तृत चर्चा की गई एवं किसी भी कारण सदन की कार्यवाही स्थगित किये जाने की स्थिति निर्मित नहीं हुई.सदन की कार्यवाही लगभग 56 घंटे से अधिक चली.
आज भोजन अवकाश में भी सदन के समय में वृद्धि कर विधेयकों पर विस्तार से चर्चा की गई.सदन में सार्थक चर्चा के माध्यम से ही जनता की समस्याओं का निराकरण होता है. सदन का चलना और चर्चा होना पक्ष और विपक्ष दोनों के हित में है. इससे जहां एक ओर विपक्ष को प्रश्नों,ध्यानाकर्षण और विभिन्न संसदीय माध्यमों से सरकार को उत्तरदायी बनाने का अवसर मिलता है,वहीं सरकार को अपनी कार्यप्रणाली में कमियों को दूर करने हेतु बहुमूल्य सुझाव भी प्राप्त होते हैं इससे जहां प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार करने और उसमें कसावट लाने में सुविधा होती है,वहीं विधायिका का कार्यपालिका पर नियंत्रण की वास्तविक तस्वीर भी परिलक्षित होती है. वास्तव में हमारा लक्ष्य यही होता है कि लोकतंत्र समृद्ध हो और संसदीय कार्यप्रणाली प्रदेश और उसकी जनता की प्रगति तथा उन्नति का माध्यम बने.
इस सत्र के सुचारू संचालन के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी,माननीय नेता प्रतिपक्ष सहित सभी माननीय मंत्रीगणों,सभापति तालिका के सदस्यों,सभी माननीय सदस्यों,प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े महानुभावों,विधान सभा के प्रमुख सचिव,विधान सभा सचिवालय तथा शासन के अधिकारियों/कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को हृदय से बहुत धन्यवाद देता हूं.
मैं अपनी और पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को गुड़ी पड़वा,चैत्र नवरात्र,चैती चांद तथा ईद-उल-फितर की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उनकी ओर प्रदेश की समृद्धि तथा खुशहाली की कामना करता हूं.
अगले सत्र में हम सब पुन: समवेत होंगे,धन्यवाद.
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आभार मानता हूं हमारे सभी माननीय मंत्रीगणों का,माननीय नेता प्रतिपक्ष सहित विपक्षी सदस्यों का, हम सब खासकर इस सत्र में आज अंतिम दिन तक लगातार सब लोग चर्चा में बने रहे यह स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा में हृदय से आपका स्वागत और अभिनंदन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - और आज तो बिना भोजन के भी उत्साहवर्द्धक चर्चा हो रही है.
संसदीय कार्य मंत्री,श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष जी,यह निर्देश मत दे देना कि अगली बार से भोजन बंद.
डॉ.मोहन यादव - यह वाकई आपने ठीक ध्यान दिलाया कि हमने तो यह सोचा था कि आखिरी दिन है तो 11-12 बजे प्रश्नकाल,ध्यानाकर्षण के बाद लेकिन चर्चा में अभी तक जो रस आता रहा अलग-अलग प्रकार से. मैं बाकई बधाई देना चाहूंगा आपके माध्यम से सभी माननीय सदस्यगणों को और इस नाते से भी कि जब बजट सत्र का समापन सत्र हो रहा है तो समापन सत्र में भी कमोबेश अधिकांश लोग यहां बैठे हैं, यह एक अच्छी परंपरा है. हम हमारे मत रखें, हम हमारे विषय रखें, लेकिन हम अपनी बात को भी कहें और सामने वाले की बात भी सुने इसी से लोकतंत्र का गौरव और गरिमा बढ़ती है. मुझे इस बात का भी आनंद है, यशस्वी प्रधानमंत्री के नेतृत्व में श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी ने विरासत भी और विकास भी सबका साथ, सबका विकास करते हुये यशस्वी प्रधानमंत्री जी के माध्यम से हमारी सरकार के गठन होने के साथ गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी इस पर आधारित केन्द्रीय बजट का जब उन्होंने हमसे आव्हान किया और उसी के आधार पर मुझे इस बात की प्रसन्नता है अब तक का विधान सभा का सबसे बड़ा बजट 4 लाख 21 हजार करोड़ का पहली बार यहां यह बजट पारित करने का सौभाग्य मिला. मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि यह बजट पिछले वर्ष के बजट अनुमान से 15 प्रतिशत से ज्यादा है. यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है और यह भी मैं बताना चाहूंगा कि हमारे इस बजट को आगामी 5 वर्ष में हमारी सरकार दोगुना करने के लिये प्रतिबद्ध है, उस तरह से हम लगातार इस दिशा में चल रहे हैं. यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत 2047 के संकल्प को पूरा करने के लिये जैसा कि मैंने अपने कृतज्ञता भाषण में उल्लेख भी किया था, अभी हम इस बात को दोबारा दोहराना चाहेंगे कि जब एक तरफ हमारे बजट के अंदर अनुमानों को लेकर चलने वाले सभी खाके खींचे गये कि यह किस प्रकार से शनै:शनै: चलता जायेगा, लेकिन यह लक्ष्य भी तय किया गया कि आगे जाकर राज्य के बजट का आकार क्या होगा और आगे जाकर बजट के आधार पर व्यक्ति की भी आय कहां तक जायेगी. मुझे इस बात की प्रसन्नता है एक तरफ हमने यह आंकड़ा दिया था कि वर्ष 2002-03 में 11 हजार आय प्रति व्यक्ति की थी, आज 1 लाख 52 हजार प्रति व्यक्ति आय हमारे इस बजट के माध्यम से रेखांकित हुई है. इसी को वर्ष 2047 तक यह बजट 250 लाख करोड़ का होने का खाका बना है आने वाले 25 साल तक उसी का यह सिलसिलेवार अगला कदम है, जिस आधार पर प्रति व्यक्ति आय 22 लाख 50 हजार रूपया प्रति व्यक्ति की आय होगी, इस अनुमान से आगे बढ़ रहे हैं. जब इसकी बात हम कर रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से विकास के लिये लक्षित पूंजीगत व्यय को बढ़ाना सड़क, सिंचाई, बिजली सुविधाओं का विस्तार करना, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ सुविधाओं का विकास करना, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण, महिला कल्याण तथा रोजगार श्रृजन हेतु निवेश को आकर्षित करने की बात भी हमने रखी है. जब निवेश को आकर्षित करने की बात कर रहे हैं, जब हमारे राज्य को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं तो वह सब भी प्रयास किया है. मैं उल्लेख करना चाहूंगा अभी-अभी थोड़ी देर पहले डिबेट में मैं भी शामिल हुआ था जब हमारे माननीय नेता प्रतिपक्ष और माननीय सदस्यों ने उधर से बात रखी, माननीय मंत्री जी ने अपनी बात कही. यह बिलकुल सही बात है कि हमको आज बदलते दौर में उन सारी बातों से मैं यह जोड़ना और घटाना नहीं कर पा रहा था जब माननीय बाला बच्चन जी ने कहा कि 2023 के समय के प्रसंग आपने उल्लेख किये. मैं माननीय बाला बच्चन जी विनम्रता के साथ कहना चाहूंगा आपकी शंका का समाधान ही माननीय कैलाश जी ने किया है यह आपको केवल ध्यान देने की जरूरत है कि वह जब हम पूरी जमीन लेकर के केवल मुआवजा देते थे तो वह सारी कठिनाईयां थी, हम अब मुआवजा नहीं दे रहे हैं, हम तो भागीदार बना रहे हैं और यह भागीदार बनाने से ही भला होगा हमने इसी तरह से देखा है कि आज यह मास्टर प्लान की बात माननीय मंत्री जी के सामने माननीय नेता प्रतिपक्ष और बाकी लोगों ने खड़ी की इसमें मास्टर प्लान नहीं है. जहां पूरे प्रदेश के अंदर विकास के लिये कोई भी क्षेत्र में जायेंगे तो किसी प्रकार की लेण्ड की आवश्यकता है उस लेण्ड में इसी प्रकार से जोड़कर विकास का नया कारवां, नया एक तरह से आयाम बन रहा है जिसके आधार पर किसानों को सीधा-सीधा भागीदार बनायेंगे तो यह बाकई नये दौर का नया सबेरा है, इसको समझने की जरूरत है. मैं आज जब इस बात को देखता हूं कि पूंजीगत व्यय वर्ष 2025-26 में अधोसंरचना के लिये लगभग 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, मुझे इस बात की प्रसन्नता है पहली बार 31 प्रतिशत पूंजीगत परिव्यय की जो राशि बढ़ी है इसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि कुल स्वीकृत बजट की 17 प्रतिशत राशि अधोसंरचना के विकास के लिये रखी गई है, यह बाकई बहुत बड़ा निर्णय है, मैं इसके लिये भी बधाई देना चाहूंगा. जब घरेलू उत्पादन 16 लाख 94 हजार करोड़ रूपये के आधार पर हम इसका अनुमान लगा रहे हैं, ऐसे में मैं यह बताना चाहता हूं कि इस आधार पर, वर्तमान मूल्यों के आधार पर, मध्यप्रदेश देश की तेजी से बढ़ने वाले अर्थव्यवस्था में दूसरे नंबर पर देश के अंदर यह राज्य स्थापित हुआ है, मैं आप सबको इस बजट के माध्यम से बधाई देना चाहूंगा. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, जेंडर बजट का विगत छ: वर्षों में केवल इसी तरीके से बढ़ने से यह दोगुना आकार हो गया है और कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में भी छ: वर्षों में दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई है, यह बजट के माध्यम से हमारे लिये जानकारी अत्यंत आवश्यक है. मैं आपको यह बताना चाहूंगा और मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि नीति आयोग द्वारा राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक प्रतिवेदन में राज्य को व्यय की गुणवत्ता में प्रथम स्थान दिया है. (मेजों की थपथपाहट) पूरे देश में मध्यप्रदेश एकमात्र राज्य है जो प्रथम स्थान पर आया है. आर.बी.आई. ने भी प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में राज्य की इस उल्लेखनीय उपलब्धि का उल्लेख किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक जानकारी देना चाहूंगा मेरे सम्माननीय प्रतिपक्ष के मित्रों को, उनके बीच में से कहीं से निकला है या हमने पेपर में भी पढ़ा था और कहीं सुनने में भी आया था, आपने कहा कि राज्य में बजट तो आया है लेकिन कोई एक योजना लागू नहीं हुई है. मैं योजनाओं को थोड़ा बताना चाहूंगा जो लागू हुई है और उनकी धनराशि आपकी मदद से यहां पारित हुई है. गीता भवन हमारे लिये सौभाग्य की बात है ,पांच हजार साल पहले भगवान कृष्ण सांदिपनी आश्रम में आते हैं, 64कला, 14विद्या,18पुराण, सारे उपनिषद, चारों वेद, सबका अध्ययन करने के बाद एक भीषण युद्ध के माहौल में भी एक यहां से सीखा हुआ शीक्षार्थी, विद्यार्थी जो अपने मुखारबिंदु से गीता के 18 अध्याय का वाचन करता है, तब वाकई वह अद्भुत रचना बनती है और गीता के माध्यम से कर्म योग,सन्यास योग,सांख्य योग, सभी प्रकार की शिक्षा दीक्षा होते हुए, गीता वाकई अद्भुत ग्रंथ है. ऐसे में हमने कहा कि जब हमारे शहरों से एक तरह से टाउन हॉल की पंरपरा खत्म होती जा रही है, तो गीता भवन के माध्यम से हम पुन: उसको स्थापित करने जा रहे हैं, इसके लिये लगभग सौ करोड़ रूपये की धनराशि रखी गई है.मैं बधाई देना चाहूंगा हमारे वित्तमंत्री को जिन्होंने बजट में इसका प्रावधान किया है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना जैसे मैंने उल्लेख किया था कि हमारे यहां राज्य की दूध उत्पादन क्षमता 9 प्रतिशत है और हम इसको बीस प्रतिशत ले जाना चाहते हैं और वृंदावन गांव के माध्यम से जैसी सबकी चिंता भी है कि हमारे गांव आदर्श गांव बने और आदर्श गांव के लिये वृंदावन योजना के माध्यम से आपने सौ करोड़ रूपये की धनराशि इस बजट में रखी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसके लिये बधाई देना चाहूंगा. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मां नर्मदा वास्तव में विश्व की एकमात्र नदी है, जिनकी परिक्रमा होती है, उद्गम से लेकर उनके अपने समुद्र से गंतव्य स्थान तक जाने की, ऐसे में अविरल नर्मदा बेसन के लिये भी 25 करोड़ की धनराशि रखी है, इसके लिये मैं बधाई देना चाहूंगा. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कृष्ण पाथेय योजना, श्री राम वन गमन पथ योजना हमारे यहां पहले से काम कर रही है. हम भगवान राम के चित्रकूट के धाम को सजाने का काम कर रहे हैं, माननीय राजेन्द्र सिंह जी उस क्षेत्र से आते हैं, चित्रकूट में काम चल रहे हैं, हम तो चाहेंगे कि आपके माध्यम से भी इस श्री कृष्ण पाथेय में भी माननीय नेता प्रतिपक्ष के क्षेत्र में वह धार का ही जिला है, जहां भगवान रूकमणि हरण के समय रूक्मी से युद्ध करते हुए रथ का पहिया आज भी इस बात का गवाह है कि वह भगवान का धाम वास्तव में अद्भुत स्थान है, तो ऐसे स्थान सहित जानापाव भी महू, इंदौर जिले में आता है. जहां भगवान श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र परशुराम जी द्वारा दिया गया था, ऐसे कई स्थान हैं. एक श्री दिनेश जैन बोस अपने यहां महिदपुर के विधायक भी बैठे होंगे, आपके यहां नारायण धाम हैं. जहां भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता हुई और यह मित्रता आज भी समसामयिक है. एक धनाड्य या शक्ति संपन्न व्यक्ति गरीब से गरीब आदमी की दोस्ती कहां तक निभाता है. यह वास्तव में नारायण का अद्भुत स्थान है, ऐसे प्रत्येक स्थान को तीर्थ के रूप में विकसित करने के लिये लगभग सौ करोड़ रूपये की राशि रखी गई है, इसके लिये मैं बधाई देना चाहूंगा. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना जब सहकारिता के माननीय मंत्री जी ने विषय रखा होगा, मैं आपको बड़ी विनम्रता के साथ बताना चाहूंगा कि सहकारिता के आंदोलन को नीचे तक बहुउद्देश्यीय समिति के आधार पर ग्राम पंचायत तक पहुंचाने के लिये सहकारिता का बड़ा मोमेंट चालू कर रहे हैं, तो स्वाभाविक रूप से हमको इसकी तैयारी की आवश्यकता पड़ेगी और इस तैयारी के लिये जब नीचे तक इसको ले जायेंगे, तो इसमें सभी प्रकार से किसानों की, गांव वालों की आय बढ़ना चाहिए, ऐसे में दूध उत्पादन के लिये मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना के लिये भी पचास करोड़ रूपये की राशि रखी है, इसके लिये मैं बधाई देना चाहूंगा.(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना लगभग 850 करोड़ की लागत से यह कृषकों की उन्नति के लिये जरूरी है, इसी प्रकार से कामकाजी महिलाओं के छात्रावास के लिये भी हमने सौ करोड़ रूपये की धनराशि इसमें रखी है, पहली बार वास्तव में लंबा समय निकल गया, हम सबको मालूम है कि गांव के अंदर सड़कें बन गई, बिजली हो गई, अब सब प्रकार के आवास भी मिलने लगे हैं. लेकिन आवागमन के साधन को लेकर दोबारा हमने मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा के लिए भी 80 करोड़ रुपए रखे हैं. जिसके माध्यम से सरकारी स्तर पर फिर ये आवागमन की राज्य परिवहन सुविधा प्रारंभ होगी. एक विषय कई बार निकलता था आदिवासी अंचल से कि मजरे टोले में सड़कों की आवश्यकता है, सड़कें नहीं होने के कारण से बड़े पैमाने पर इसमें दिक्कतें होती हैं, तो मंजरे टोले की योजना में 100 करोड़ रुपए की राशि इस बजट में रखी गई है. एक बड़ी योजना है, पीएम कृषक मित्र सूर्य योजना, ये थोड़ा सा माननीय नेता प्रतिपक्ष और सभी मित्रों से कहना चाहूंगा, ये बड़ा संकल्प है. इस प्रदेश के अंदर लगभग 32 लाख किसान है और 32 लाख किसान में से 2 लाख किसान ऐसे हैं जो टेम्पररी कनेक्शन लेते हैं, बाकी 30 लाख किसान ऐसे हैं जिनके पास परमानेंट कनेक्शन है. परमानेंट या टेम्पररी कनेक्शन हो तीन साल के अंदर हम प्रयास करेंगे कि सभी को सोलर पंप देकर के बिजली के बिल से मुक्ति दिला दें, उनको फ्री बिजली मिले इस पर हमारी सरकार ने बड़ी धनराशि रखी है, ये लगभग 442 करोड़ रुपए की है. फसल उपार्जन बोनस जैसा हमने कहा है कि इस बार जो चालू किया है, 2600 रुपए प्रति क्विंटल और उसी के आधार पर 4000 रुपए हेक्टेयर धान पर भी हम बोनस दे रहे हैं. सभी बोनस के लिए हमने 1 हजार करोड़ की धनराशि इसमें भी रखी है. गौ संवर्द्धन, पशु संवर्द्धन हमारी देसी नस्लों के संवर्द्धन के लिए भी 550 करोड़ रुपए की धनराशि इसमें रखी है. सभी माननीय विधायकों के यहां एक एक खेल का स्टेडियम बनेगा, जिस स्टेडियम को मल्टी परपज रूप से उपयोग करेंगे, पूरे साल खेलने के भी काम आएगा और वक्त जरुरत पर कभी हमें एयर एंबुलेंस की जरूरत पड़ी या हेलीकाप्टर से किसी मरीज को ले जाने की जरुरत पड़ी तो वहां पर जो परमानेंट हैलीपैड की सुविधा रहेगी, उससे उस मरीज के लिए भी वह काम आएग, मैं बधाई देना चाहता हूं वित्त मंत्री जी को कि 129 करोड़ रुपए की धनराशि इसमें भी रखी गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय सिंहस्थ के लिए भी आपका लगातार आशीर्वाद मिला है. यह बात भी सही है कि अभी तक की हमारी परम्परा है कि सिंहस्थ में दिन दूनी रात चौगुनी न केवल यात्री बढ़ रहे, व्यवस्थाएं बढ़ रही और हमें इस बात का गर्व है, परमात्मा की कृपा है, इसमें हमारा दोष नहीं है, लेकिन यह बात सही है कि जाने अनजाने जब भी सिंहस्थ आता है तो हमारी सरकार बनती है(...मेजों की थपथपाहट) और हम जनता की सेवा करते हैं, इसके लिए भी लगभग 2 हजार करोड़ से ज्यादा की धनराशि हमने रखी है. वेदांत पीठ हम सब जानते हैं कि मां नर्मदा के किनारे ओमकारेश्वर महाराज पर 1400 साल पहले शंकराचार्य जी केरल से चलकर सात साल की आयु में आए और वहां न केवल उन्होंने विशेष प्रकार का व्यक्तिव उनका अलग निखरा बल्कि हम सब जानते हैं कि शंकराचार्य जी ने बाद के समय में बहुत बड़ी भूमिका देश और सनातम धर्म के लिए निभाई है. ऐसे में 500 करोड़ रुपए हमने उनकी पीठ की स्थापना के लिए धनराशि इसमें रखी है. निजी निवेश संपत्ति निर्माण अर्थात एक केवल प्राधिकारण हाउसिंग बोर्ड यही विकास करेंगे ऐसा नहीं है इसके अलावा भी कई सारे दूसरे विभाग है, वह भी निजी निवेश की पॉलिसी से अपने विकास के प्लान बनाए. अपने यहां पर भी बात निकली थी कि इंडस्ट्री ही डेवलपमेंट कर सकता है वह अपनी खुद की योजना घोषित कर सकता है तो लगभग इसमें भी 100 करोड़ रुपए से ऊपर की धनराशि रखी है. मुख्यमंत्री समग्र परिवार समृद्धि योजना में 125 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है. मैं बहुत सारी योजनाओं का उल्लेख कर सकता हूं लेकिन जैसा आपने कहा अध्यक्ष जी कि भोजन नहीं हुआ है तो मुझे यह भी ध्यान रखना पड़ रहा है कि बड़ी बात न करते हुए संकेत में मैं बात करुं तो ये योजनाएं नहीं है तो क्या है. ये धनराशि सहित बता रहे हैं आप एक योजना की बात कर रहे हैं, मैं सौ से ज्यादा योजनाओं को गिना सकता हूं, लेकिन मैंने संकेत रूप में कुछ बातें गिनाई है. ये बात सही है कि बजट सत्र में विस्तार से चर्चा हुई अनेक सार्थक चर्चाएं हुईं, अनेक विधेयक पारित हुए.
अध्यक्ष जी आपका लंबा अनुभव लोक सभा और विधान सभा का भी है; मैं आपके प्रति भी आभार मानता हूं कि वास्तव में आपके आशीष से हमारा सदन सभी प्रकार से गौरवान्वित हो रहा है और हमारे में से कई सारे सदस्य पहले भी आए थे पहले के सत्रों से किसी की कोई तुलना नहीं करना चाहिए, लेकिन मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष सहित, माननीय सदस्यों को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि पहली बार आप भी ऐसी सकारात्मक चर्चाओं में भाग ले रहे हैं, असहमति और सहमति सदन का गौरव होती है. आपकी बात आना अच्छी बात है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक – विधायक निधि को भी थोड़ा बढ़ाने की बात कर लें तो सभी के लिए अच्छा होगा.
डॉ. मोहन यादव – आ जाना आपको बता देंगे, कुछ न कुछ कर देंगे चिन्ता मत करो.
अध्यक्ष महोदय – मुख्यमंत्री जी को पूरी बात कर लेने दीजिए.
सोहन भईया, अभी सबको बजट देकर के सबसे खेल स्टेडियम की बात कही, कोई ऐसा तो नहीं कहा कि इधर वालों को देना है और उधर वालों को नहीं देना है. ऐसे लगातार जो विकास के मामले में हम सभी को जोड़ रहे हैं. मैं आपके सामने बताना चाहूंगा कि यहां पर सभी माननीय मंत्रीगण, नेता प्रतिपक्ष जी, उप नेता प्रतिपक्ष दोनों पक्ष के सभी माननीय सदस्यों ने विभिन्न चर्चाओं में भाग लेकर के अपनी सक्रिय भूमिका अदा की. मैं सच में उनका हृदय से आभार मानता हूं और उम्मीद करता हूं कि इसी के साथ-साथ हमारी इस चर्चा में विधान सभा सचिवालय के सभी अधिकारीगण-कर्मचारीगण, सभी माननीय पत्रकारगण, सभी ने इस सत्र के संचालन में अलग-अलग भूमिका अदा करते हुए सहयोग प्रदान किया. मैं आपके माध्यम से सबका आभार मानता हूं. उम्मीद करता हूं कि अगला सत्र हमारा इससे और अच्छी ऊंचाइयां हासिल करेगा. बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--नेता प्रतिपक्ष जी के अलावा जो भी बोलेंगे उनका रिकार्ड में नहीं आयेगा. माननीय नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार जी.
श्री कैलाश कुशवाह-- (xxx)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का भाषण सुन रहा था, यह समापन है या शुरूआत है, मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था. जो उन्होंने भाषण दिया उसमें धन्यवाद की बजाय सरकार की उपलब्धियों के गुणगान में लग गये. आप सदन में बजट के समय बोलते रहते तो ज्यादा उचित रहता. मेरा मूल स्वभाव भी है कि मैं किसी की व्यक्तिगत आलोचना में विश्वास नहीं रखता हूं, न ही गुणगान करने में विश्वास रखता हूं. निश्चित तौर से आपने सदन का सफल संचालन संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ किया, तो सबसे पहले मैं आपको बधाई देना चाहता हूं, बड़ा सराहनीय कदम है. लोकतंत्र की गरिमा बनी रही. माननीय सदस्यों ने जनता के मुद्दे उठाये. आपने उन्हें बोलने का अवसर दिया. महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चाएं हुईं, सरकार की नीतियों पर चर्चाएं हुईं. आरोप-प्रत्यारोप लगे कि क्या कमी है, क्या अच्छाई है ? आपने क्या सीखा और क्या समझा, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा ? सत्तापक्ष से हमेशा विपक्ष यह अपेक्षा करता है कि स्पष्टता और पारदर्शिता होना चाहिये. निश्चित तौर से आपने बताया कि कई हजार प्रश्न लगे, 600 के करीब ध्यानाकर्षण की सूचनाएं आयीं. लेकिन मैं 230 माननीय सदस्यों से तथा माननीय मंत्रियों से भी पूछना चाहता हूं, आपके अधिकारियों से भी आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि क्या हमने सही में हर समस्या पर न्याय किया ? क्या हमने उस गरीब को न्याय दिलाया, उस युवा को न्याय दिलाया, उस किसान को न्याय दिलाया, जिसके लिये हम इस लोकतंत्र के मंदिर में बैठे हैं ? मैं कोई पक्ष अथवा विपक्ष की बात नहीं करना चाहता हूं. लेकिन मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को कहना चाहूंगा कि प्रदेश की कोई भी समस्या जब इस विधान सभा में, इस लोकतंत्र के मंदिर में आती है तो यह हमारी समस्या नहीं है, उस समस्या के पीछे एक वर्ग है, एक युवा है, एक शिक्षाकर्मी है, एक पीड़ित पक्ष है. क्या हम उनकी भावनाओं को रखते हुए उनके साथ हम न्याय करते हैं ? यह हमारे लिये महत्वपूर्ण होना चाहिये. यह नहीं कि, कागज पर कुछ भी जवाब दे दें. इस प्रकार से कितने प्रश्नों के जवाब सही आये, कितने गलत आये ? यह आप सब जानते हैं. मैं इसमें कुछ नहीं कहना चाहता. विधानसभा के अंदर इतनी सारी समितियों की जरूरत नहीं है. अगर प्रश्न के जवाब सही आएंगे, तो कोई प्रश्न एवं संदर्भ समिति में नहीं जाएगा. कोई आश्वासन समिति में नहीं जाएगा. कोई घोटाले नहीं होंगे, तो कोई लोक लेखा समिति में नहीं जाएगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मेरे दल की ओर से निवेदन करना चाहता हॅूं कि इस विधायिका के पद पर हम लोग हैं, तो हमारे पीछे जो हजारों-लाखों लोग हैं, उनके प्रति हमारा न्याय होना चाहिए, उनके प्रति हमारी भावना होनी चाहिए. आपने सदन को पूरा चलाया. आपने सभी को बोलने का मौका दिया. हर चर्चा के अंदर कई सदस्यों ने अपनी बात रखी, इसके लिए मैं अपने दल के सदस्यों की तरफ से आपको धन्यवाद देना चाहता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट) मैं समझता हॅूं कि जनता के प्रति हमारी जवाबदारी है और उनकी भलाई के लिए हमें सदन चलाना है, तो मैं इस बात को मानता हॅूं कि कई ऐसी घटनाएं होती हैं, आरोप-प्रत्यारोप होते हैं. आपने एक अच्छी व्यवस्था दी है, पहले भी थी और संसदीय कार्यमंत्री माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी ने भी कहा, किसी पर व्यक्तिगत आरोप नहीं होना चाहिए. मैं इस बात से सहमत हॅूं. मैं कभी बाहर भी रहता हॅूं तो कभी मीडिया में मैं किसी पर व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाता लेकिन जो प्रमाण है, प्रमाण के साथ बोलने में विश्वास रखता हॅूं. मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद कभी नहीं होना चाहिए और यही कारण रहा कि हमारे मतभेद थे. हर मुद्दे पर विपक्ष की जो भूमिका हमने निभायी, हमारे साथियों ने निभायी लेकिन आपने होली-मिलन का जो कार्यक्रम रखा, उसके अंदर जो मतभेद थे, वह भी खत्म हो गए, मनभेद भी हमारा नहीं है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, आपने यह अच्छी परम्परा निश्चित तौर से बढ़ायी. पहले आपने कहा भी, माननीय कैलाश जी ने भी कहा कि कई पुराने वरिष्ठ विधायक थे, मंत्री थे. उनके घरों में भी इस प्रकार से होली-दीपावली मिलन कार्यक्रम रखा जाता था, यह एक अच्छी परम्परा है. यह बात सच है कि जब वाद-विवाद होता है तो कहीं न कहीं मतभेद होने लगते हैं लेकिन इस परम्परा के माध्यम से मनभेद न हो, इसलिए मैं आप सबको धन्यवाद देना चाहता हॅूं और साथ में यह भी कहना चाहूंगा कि इस सत्र के सफल संचालन के लिए विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव, सचिव, अपर सचवि, समस्त अधिकारी/कर्मचारीगण, सुरक्षा में तैनात मॉर्शल, पुलिस अधिकारी/कर्मचारीगण, शासन के समस्त अधिकारी/कर्मचारीगण, तकनीकी विशेषज्ञों, प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कर्मियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही. जिन्होंने इतना समय इसमें दिया. मैं अपने दल की ओर से सभी के प्रति आभार व्यक्त करता हॅूं और अंत में मेरा आपसे अनुरोध है कि आपने सत्र की बैठकों में वृद्धि तो की, यह अच्छी बात है लेकिन इसमें और वृद्धि होना चाहिए. यह दोनों पक्ष के माननीय सदस्यों ने भी मुझे कहा. (मेजों की थपथपाहट) आपके पक्ष के माननीय सदस्यों ने भी मुझे कहा. वे नहीं बोल पाते, वह अलग बात है. लेकिन मैं दोनों पक्षों की बात कहना चाहता हॅूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस बजट के अंदर लाइव टेलीकॉस्ट की बात नहीं हो पायी. लाइव टेलीकॉस्ट के लिए बजट नहीं रखा गया. लाइव टेलीकॉस्ट कैसे हो, इसके लिए भी बजट होना चाहिए. इसके साथ ही मेरे साथियों ने विकास निधि की बात की. निश्चित तौर पर मैंने पहले भी कहा है कि बार-बार योजनाओं के प्रति सब जनप्रतिनिधियों को देखना पड़ता है. मुहं तांकना पड़ता है. मैं समझता हॅूं कि विकास निधि को लेकर माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, उपमुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल जी ने भी कहा था कि मुख्यमंत्री जी तय करेंगे. आप उस समय नहीं थे. मैं चाहूंगा कि इस पर भी विचार होना चाहिए क्योंकि छोटे-छोटे तालाब सड़क, बिजली, ट्रांसफार्मर्स की गांवों में समस्याएं होती हैं तो वह दूर होना चाहिए. अंत में यही कहना चाहूंगा, माननीय मुख्यमंत्री जी का जन्मदिन कल है, मेरे दल की ओर से अग्रिम शुभकामनाएं आपको देना चाहता हूं और इस सदन के बारे में इतना कहना चाहूंगा कि -
"जनता की उम्मीदों का आइना है यह सदन,
हर दर्द, हर सवाल का जमीं है यह सदन,
सुने जो धड़कनें वह फैसला करे,
जनता के विश्वास की अमानत है यह सदन."
धन्यवाद, अध्यक्ष जी. (मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय - वाह, बहुत बढ़िया. क्या मुख्यमंत्री जी कुछ बोलना चाहते हैं?
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) - अध्यक्ष महोदय, एक विषय छूट गया था, मैं सबको बताना चाहूंगा. हमने अपनी सरकार के गठन के समय से सभी माननीय विधायकों से कहा है कि वह अपने विधान सभा क्षेत्र का अपना-अपना विज़न डाक्यूमेंट बनाएं और उसी सिलसिले में इस बजट में एक बात जोड़ी थी, आम तौर पर हमारी जो जिला स्तर पर स्थानीय इकाइयां जो निर्वाचित इकाइयां हैं लेकिन बड़े पैमाने पर डॉक्टर, वकील, इंजीनियर ऐसे कई सभ्रांत वर्ग हैं, जिनका विकास के अंदर कोई योगदान नहीं होता तो हमने विकास समिति बनाने की बात कही. मैं आपके माध्यम से हमारे नेता प्रतिपक्ष और सभी मंत्रीगण से कहना चाहूंगा कि जिला स्तर पर यह कमेटी बनाएंगे और उसके आधार पर जो विज़न डाक्यूमेंट बनाएंगे, इसका तालमेल करेंगे तो विकास के लिए बहुत अच्छा रहेगा. हम इस पर बहुत तेजी से काम करने वाले हैं तो जितने भी इसमें जो सुझाव आना चाहिए, उन सारे सुझावों पर विकास के मामले में पर्याप्त धनराशि हम देने का प्रयास करेंगे, यही बात मैं बताना चाहता था.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, निश्चित ही सदन आज जितना समय था उसका अधिकतम उपयोग करके बड़ी अच्छी चर्चा की. सदन चलता तब ही है, जब नौंकझोंक हो, मजा तभी आता है और मैं कोशिश करता हूं कि बीच-बीच में मजाक करके लाइट अवस्था में सदन चले तो मेरे मजाक करने में यदि किसी को कुछ बुरा लगा हो, किसी को अच्छा नहीं लगा हो तो सबसे पहले तो मैं दोनों हाथ जोड़कर माफी मागूंगा.
अध्यक्ष महोदय, आप बहुत अनुभवी हैं, दीर्घ अनुभवी हैं और मुझे कहते हुए बहुत गर्व है कि मध्यप्रदेश सदन की चर्चा, देश में जिन सदनों में सर्वश्रेष्ठ चर्चा होती है, उसमें एक मध्यप्रदेश भी है. कई बार उत्तेजना में ऐसे क्षण आ जाते हैं कि हम लोग उत्तेजना में कुछ ऐसा बोल देते हैं, आपने उसको डिलीट भी किया और मुझे गर्व है इस बात का कि माननीय डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी ने उसको इंगित किया और आपने पूरी कार्यवाही को सदन से निकाला. इसकी पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिए. मैं माननीय सभी सदस्यों से कहना चाहता हूं क्योंकि सदन की गरिमा रखना यह हमारा काम है. इसकी विरासत हमें पूर्वजों ने दी है. मैं सौभाग्यशाली वह विधायक हूं जो मैंने श्री श्यामाचरण शुक्ल जी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में देखा. श्री अर्जुन सिंह जी को सामने देखा, श्री कृष्णपाल सिंह जी को सामने देखा और इस कुर्सी पर श्री राजेन्द्र शुक्ला जी को अध्यक्ष के रूप में देखा. हम लोग जब चर्चा करते थे तो यह बड़े-बड़े नेता बाद में हमारी पीठ थपथपाते थे कि तुमने बहुत अच्छा बोला. यह सदन की परंपरा है. पक्ष हो या विपक्ष हो. मुझे कहते हुए गर्व है कि सबसे बड़ी इस बजट सत्र की विशेषता है कि जो पहली बार के विधायक आए हैं, उन्होंने बहुत अच्छा बोला और अध्ययन करके बोला, इसलिए मैं पहली बार के विधायकों को बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा. जो अनुभवी हैं वह तो बोलते ही हैं, परन्तु पहली बार के विधायकों ने बहुत अच्छा बोला. मैंने श्री भगवानदास जी को मेरे विषय को ओपन करने के लिए बोला. उन्होंने बड़ा अच्छा भाषण दिया. जो पहली बार के विधायक हैं वास्तव में मैं उनको धन्यवाद देता हूं. श्री गौरव पीछे बैठे हुए हैं. ऐसे बहुत सारे विधायक हैं. श्री आशीष तो बहुत अनुभवी हो गया है. तीन-चार बार के विधायक हो गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ी बात है कि सबसे बड़े पहली बार के तो श्री प्रहलाद सिंह पटेल हैं. (हंसी) मतलब इनको भी संसदीय ज्ञान इतना अच्छा है कि मुझे बड़ी मदद करते हैं. जब भी कोई ऐसा अवसर आता है कि तनाव हो गया या विधान सभा पटरी से उतर रही है तो यह पहली बार के विधायक हमारी बड़ी मदद करते हैं तो मैं चाहता हूं कि मेज थपथपाकर श्री प्रहलाद जी का भी अभिनंदन करें. श्री राकेश सिंह जी भी पहली बार के हैं (मजों की थपथपाहट) तो अध्यक्ष महोदय, मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि हम सबकी जवाबदारी है और सबसे बड़ी बात यह है कि सदन बड़ा छोटा कैसा भी चले परन्तु सदन चलना चाहिए और इस बार चला. अतिरिक्त समय देकर आपने चर्चा कराई. रात को 9 बजे, 10 बजे मैंने विभाग का अपना भाषण 10 बजे समाप्त किया था और विधायकों का धैर्य है और आपका कुशल संचालन है, जिसके कारण बजट में बहुत अच्छे से चर्चा हुई, इसलिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश के उस कोने में बैठे हुए कर्मचारी, चपरासी से लेकर यहां के मुख्य सचिव, यहां के प्रमुख सचिव और यहां का पूरा स्टॉफ, पत्रकार बंधु, सारे विधायक जो यहां पर हैं चाहे इस दल के हों, चाहे उस दल के हों, इस बार चर्चा का स्तर बहुत अच्छा था. एक-दो क्षणों को हम छोड़ दें तो चर्चा का स्तर बहुत अच्छा था, इसलिए मैं सभी माननीय विधायकों को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. आने वाली गुड़ीपड़वा और जितने भी त्योहार आ रहे हैं उन सबकी बधाई. जल्दी ही हम अगले सत्र में मिलेंगे और फिर से आपस में चर्चा करेंगे और एक खुशहाल माहौल में विधान सभा चले. इसका हम सब मिलकर प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, आपको भी फिर से एक बार साधुवाद. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जिस प्रकार आपके नेतृत्व में और विशेषकर नेता प्रतिपक्ष आजकल बहुत गंभीर हो गये हैं. मतलब जैसे-जैसे देख रहा हूं कि उनकी परिपक्वता बढ़ती जा रही है. उमंग जी बहुत अच्छा बोल रहे हैं और अध्ययन करते बोल रहे हैं, तर्क के साथ बोल रहे हैं. जब अध्ययन नहीं करते हैं तो वह भी समझ में आ जाता है कि आज इन्होंने अध्ययन नहीं किया है. जैसे आज इस बिल में इन्होंने अध्ययन नहीं किया था. पर नेता प्रतिपक्ष हैं, बोलना है तो बोल दिया. बाद में इनको समझ में आया कि बिल में जो विषय बोले वह उसमें था ही नहीं. अध्यक्ष महोदय, कई बार गलती हो जाती है. अध्यक्ष महोदय, मेरी आदत है कि विधान सभा मस्त चले. इसका मैं प्रयास करता हूं तो एक बार फिर से आपको बधाई, माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई, नेता प्रतिपक्ष को बधाई और आप सभी माननीय मित्रों को बहुत-बहुत बधाई के साथ, धन्यवाद देता हूं, नमस्कार. (मेजों की थपथपाहट)
3.45 बजे
बधाई एवं शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री, डॉ. मोहन यादव को जन्म दिन की अग्रिम बधाई
अध्यक्ष महोदय- कल मुख्यमंत्री जी का जन्म दिन है. मेरे स्वयं की ओर से और सदन की ओर से आपको बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
आप सभी सदस्यों से अनुरोध है कि ''जन गण मन'' के लिये अपने स्थान पर खड़े हो जायें.
3.46 बजे
राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूह गान किया गया.)
3.47 बजे
विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिये
स्थगित किया जाना: घोषणा
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चिकाल के लिये स्थगित.
अपराह्न 3.48 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.
भोपाल अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 24 मार्च, 2025 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा.