मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
_________________________________________________
चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मई, 2017 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 24 मार्च, 2017
( 3 चैत्र, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 18 ]
___________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 24 मार्च, 2017
( 3 चैत्र, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
टाउनशिपों/कॉलोनियों के लिये विद्युत अधोसंरचना का विकास
[ऊर्जा]
1. ( *क्र. 4302 ) श्री राजेश सोनकर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इन्दौर शहर वृत्त के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में (फरवरी-2017 तक) कितनी नई टाउनशिपों/कॉलोनियों के कॉलोनाईजरों को उनकी विकसित की जा रही टाउनशिपों/कॉलोनियों में विद्युत अधोसंरचना विकसित किये जाने हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है? माह जनवरी-2017 की स्थिति में इन्दौर जिला अन्तर्गत शहर वृत्त इन्दौर में कितने घरेलू विद्युत मीटर खराब/बन्द हैं? (ख) इन्दौर शहर वृत्त के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में (फरवरी-2017 तक) कितनी नई टाउनशिपों/कॉलोनियों के कॉलोनाईजरों द्वारा कितनी राशि किस-किस मद में जमा कराई गई? शहर वृत्त इन्दौर के अन्तर्गत माह फरवरी-2017 की स्थिति में माह जनवरी में बदले जाने हेतु शेष मीटरों में से घरेलू उपभोक्ताओं के कितने खराब/बन्द विद्युत मीटर बदल दिये गये हैं और कितने बदले जाने हेतु शेष हैं? (ग) इन्दौर शहर वृत्त के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में (फरवरी-17 तक) कॉलोनाईजर द्वारा विद्युत अधोसंरचना एवं कॉलोनी विद्युतीकरण हेतु कितने प्राक्कलन स्वीकृत कराये गये हैं एवं उसमें से कितनी कॉलोनियों में कार्य पूर्ण होकर उक्त कॉलोनियों को विद्युत कंपनी को सौंप दिया गया है एवं कितनी कॉलोनियों को विद्युत कंपनी को सौंपा जाना/कनेक्शन दिया जाना शेष है? (घ) इन्दौर शहर वृत्त के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में (फरवरी-2017 तक) कॉलोनाईजर द्वारा विद्युत अधोसंरचना एवं कॉलोनी विद्युतीकरण हेतु कितने प्राक्कलन, कितने विद्युत भार के स्वीकृत कराये गये उसमें से कितनी कॉलोनियों में कार्य पूर्ण होकर कार्यपूर्णता की प्रमाणिकता विद्युत कंपनी के किस स्तर के अधिकारी ने निरीक्षण कर की क्या उक्त शेष कॉलोनियों के संबंध में नागरिकों द्वारा कोई विद्युत संबंधी शिकायत की गई? यदि हाँ, तो दोषी कॉलोनाईजर पर विद्युत कंपनी द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) इन्दौर शहर वृत्त के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 (फरवरी-2017 तक) में 17 नई टाउनशिपों/कॉलोनियों के लिये विद्युत अधोसंरचना विकसित किये जाने हेतु कॉलोनाइजरों को स्वीकृति प्रदान की गई है। माह जनवरी-2017 की स्थिति में शहर वृत्त इन्दौर के अंतर्गत बन्द एवं खराब घरेलू विद्युत मीटरों की संख्या 6217 थी। (ख) इन्दौर शहर वृत्त के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 (फरवरी-2017 तक) में 17 नई टाउनशिपों/कॉलोनियों हेतु विद्युत अधोसंरचना विकसित किये जाने हेतु कॉलोनाईजरों द्वारा मदवार जमा की गई राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। इन्दौर शहर वृत्त के अंतर्गत माह फरवरी-2017 में, माह जनवरी-2017 की स्थिति में बदले जाने हेतु शेष कुल 6217 बन्द एवं खराब घरेलू विद्युत मीटरों में से 2992 मीटर बदले गये एवं 3225 मीटर बदले जाने हेतु शेष हैं। (ग) इन्दौर शहर वृत्त के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 (फरवरी-2017 तक) में 17 नई टाउनशिपों/कॉलोनियों हेतु विद्युत अधोसंरचना विकसित किये जाने के लिये 17 प्राक्कलन स्वीकृत किये गये हैं। उक्त में से 2 कॉलोनियों के कार्य पूर्ण होने के उपरांत उन्हें म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर को सौंप दिया गया है। कतिपय कारणों से 15 कॉलोनियों के कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण उन्हें पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को सौंपा जाना शेष है। (घ) इन्दौर शहर वृत्त के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 (फरवरी-2017 तक) में 17 नई टाउनशिपों/कॉलोनियों हेतु विद्युत अधोसंरचना विकसित किये जाने के लिये कुल 29169 किलोवॉट विद्युत भार के 17 प्राक्कलन स्वीकृत किये गये। उक्त में से 2 कॉलोनियों के कार्य पूर्ण होने के उपरांत पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर के संबंधित सहायक यंत्री ने उनका निरीक्षण कर कार्य पूर्ण होना प्रमाणित किया है। जी नहीं। कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
श्री राजेश सोनकर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं, मेरा जो प्रश्न था कि इंदौर शहर में बिजली के जो मीटर खराब और बंद पडे़ हैं उन्हें कब तक ठीक कर दिया जाएगा ? साथ में इंदौर शहर के कॉलोनाइजर जो रहवासियों से पैसा लेकर सीधे-सीधे उनके साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं क्या इनके संबंध में कोई नियम बनेगा ? माननीय मंत्री जी ने खराब मीटरों की संख्या 6217 होना बताया है जिसमें से कुछ तो बदल दिए गए हैं और लगभग 3225 मीटर बदले जाना शेष हैं. माननीय मंत्री से मैं जानना चाहता हॅूं कि इन्हें कब तक बदल दिया जाएगा ? खराब एवं बंद पडे़ हुए मीटरों के कारण जो एवरेज बिल रहवासियों को दिए जा रहे हैं वह मनमाने तरीके से बिल आ रहे हैं तो क्या माननीय मंत्री जी रहवासियों को इसमें रियायत देने के लिए कुछ व्यवस्था करेंगे ? साथ ही कॉलोनाइजरों द्वारा अस्थाई रूप से दो वर्ष के लिए जो कनेक्शन लिए जाते हैं येन-केन-प्रकारेण उनको 8-8, 10-10 वर्षों तक स्थाई नहीं करवाया जाता है. कॉलोनाइजर रहवासियों से पैसा तो वसूल कर लेते हैं लेकिन उनको स्थाई कनेक्शन उपलब्ध नहीं करवाते हैं. इस बीच वे काम पूरा करके भाग जाते हैं. इस कारण से रहवासियों के ऊपर दोहरी मार पड़ती है. उनको अस्थाई कनेक्शन लेना पड़ता है, अधिक बिल देना पड़ता है. कॉलोनाइजर रहवासियों को कनेक्शन नहीं देते हैं. विभाग को भी पैसा जमा नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न तो कर दिया आपने. कृपया आप अपना दूसरा प्रश्न और कर दीजिए.
श्री राजेश सोनकर -- जी. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो कॉलोनाइजर रहवासियों के साथ भी धोखाधड़ी कर रहे हैं और विभाग के साथ भी धोखाधड़ी कर रहे हैं, माननीय मंत्री जी क्या उनके ऊपर कार्यवाही करने के लिए कोई नियम बनाएंगे ?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो खराब मीटर की बात सदस्य ने कही है वह वर्ष 2017 तक बदल दिये जाएंगे. दूसरी बात जो कॉलोनाइजर की इन्होंने कही है, जो कॉलोनी है वह कॉलोनाइजर को खुद को डेवलप करना पड़ती है.हम तो कनेक्शन करते हैं. इसका नियम है हम 10 दिन में कनेक्शन कर देते हैं. कॉलोनाइजर यदि उनको कम्पलीट कर दे तो हम कनेक्शन देने को तैयार है.
श्री राजेश सोनकर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कॉलोनाइजर रहवासियों से तो पैसा ले लेते हैं लेकिन विभाग को पैसा जमा नहीं करते हैं. इस तरह से वह रहवासियों और विभाग दोनों के साथ धोखा-धड़ी करते हैं तो ऐसे कॉलोनाइजर्स पर कार्यवाही करने के लिए कोई नियम मंत्री जी बनाएंगे? दूसरी बात खराब मीटरों के कारण जो अत्यधिक पैसा रहवासियों को देना पड़ रहा है उसके लिए रहवासियों को रियायत देने की व्यवस्था करेंगे ?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय,यदि सदस्य कोई विशेष कॉलोनी की बात करते हैं तो हम उस समस्या की जाँच करवा लेंगे उसको दिखवा लेंगे.
श्री राजेश सोनकर-- अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा में लगभग 10 से 15 ऐसी कॉलोनियाँ हैं जहाँ पर विद्युत कनेक्शन नहीं दिये गये हैं और रहवासियों से पैसा पूरा वसूल लिया गया है. इस कारण से रहवासियों को अस्थाई कनेक्शन लेना पड़ रहा है. कई जगह तो अवैध कनेक्शन लेना पड़ रहा है. उन पर दोहरी मार पड़ रही है पैसा देने के बाद कनेक्शन भी नहीं मिल रहा है और अस्थाई कनेक्शन के रूप में अधिक राशि उनको देना पड़ रहा है तो उन सभी कालोनी की जाँच करवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- आप मंत्री जी को जानकारी दीजिये वह जांच करवा लेंगे.
श्री अनिल फिरोजिया-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जो मीटर लगे हुए हैं उसको रीडिंग ना करते हुए सभी जगह एवरेज बिल दिये जा रहे हैं तो क्या मंत्री जी इसकी रीडिंग बढ़वाकर बिल देने की कृपा कराएंगे?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहाँ मीटर लगे हैं वहाँ हम रीडिंग के माध्यम से ही अधिकतर बिल देते हैं और जहाँ नहीं है वहाँ नियामक आयोग के मापदंड के अनुसार ही बिल भेजे जाते हैं.
श्री अनिल फिरोजिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी मैं आपको हजारों बिल लाकर दे सकता हूं जो एवरेज बिल दिये जा रहे हैं. गरीब लोग वह एवरेज बिल कहाँ से देंगे जिनका बिल तीन सौ, चार सौ रुपये महीना का आना चाहिए उनके हजार-हजार, पन्द्रह-पन्द्रह सौ रुपये के बिल आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- जहाँ मीटर लगे हैं वहाँ देंगे ऐसा वह कह रहे हैं.
श्री अनिल फिरोजिया-- जहाँ मीटर लगे हैं वहाँ पर एवरेज बिल दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप मंत्री जी को जानकारी में लाइए ताकि वह कार्यवाही कर सकें.
श्री राजेश सोनकर-- फिर भी कोई आश्वासन दे दें कि कोई नियम बनेगा क्या?
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सभी सदस्यों को बताना चाहता हूं कि समाधान योजना जो बंद कर दी गई थी वह 1 अप्रैल से हम वापस चालू कर रहे हैं. समाधान योजना से जो पहले थी, वह लागू करेंगे तो सबको यदि कोई समस्या है तो उसका समाधान उसमें हो जाएगा इसके साथ ही हमने सलाहकार समिति भी बनाई है और इसमें वहीं के वहीं बैठक होगी. सदन के बाद हम कलेक्टर्स को बुलाएंगे और अधिकारी लोग उनकी समस्या का वही निराकरण करेंगे.
सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
2. ( *क्र. 5545 ) श्री रामनिवास रावत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में वर्तमान में सौर ऊर्जा से कितना विद्युत ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है वर्ष 2010 से प्रश्नांकित दिनांक तक किन-किन निजी कम्पनियों से कितनी कितनी क्षमता के सौर ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं के एम.ओ.यू. कब कब हस्ताक्षरित हुए? इनमें से कौन कौन सी परियोजना में कितना कितना विद्युत उत्पादन हो रहा है? किन-किन परियोजनाओं का निर्माण कार्य जारी है? किन परियोजनाओं का निर्माण किस कारण से अप्रारम्भ है? जिन परियोजनाओं का निर्माण कार्य जारी है, उनमें उत्पादन कब तक प्रारंभ हो जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार जिन कंपनियों द्वारा एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किये हैं क्या उनको जमीन शासन द्वारा उपलब्ध कराई है? यदि हाँ, तो कितनी कितनी जमीन, कहाँ कहाँ, किस दर पर? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार जिन परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन हो रहा है, उनमें विद्युत उत्पादन की दर प्रति यूनिट क्या है? उक्त विद्युत ऊर्जा उत्पादन इकाईयों द्वारा कितने मिलियन यूनिट विद्युत किस दर पर शासन को विक्रय की गई, निम्न विवरण सहित बतावें – कम्पनी का नाम, स्थान, उत्पादन क्षमता (मेगावाट में), विक्रय की गई विद्युत (मिलियन यूनिट में), दर प्रति यूनिट, कुल राशि सहित वर्षवार जानकारी दें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) प्रदेश में वर्तमान में सौर ऊर्जा से 800 मेगावाट क्षमता का विद्युत उत्पादन हो रहा है। वर्ष 2010 से आज दिनांक तक 02 निजी कम्पनियों से एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किये गये हैं, जिनकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। दोनों परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। इन परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' में प्रस्तुत है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) वांछित जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सौर ऊर्जा से संबंधित है. सौर ऊर्जा का काफी ढोल सरकार पीट रही है. ऊर्जा में कितने एमओयू हस्ताक्षरित हुए और कितनों को जमीन किस रेट पर दी गई? निःशुल्क जमीन दी गई है. यह तो मंत्री जी ने अपने उत्तर में दिया है मैंने तीसरा प्रश्न पूछा है कि जिन परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन हो रहा है उनमें विद्युत उत्पादन की दर प्रति यूनिट क्या है. इसमें परिशिष्ट (स) में बताया गया है. इसमें एक कंपनी है, एक्मे कंपनी, इससे 115 करोड़ की बिजली खरीदी है. 115 करोड़ का भुगतान किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि इस एक्मे कंपनी से जो एमओयू सरकार ने हस्ताक्षर किये थे, वह क्या सोलर थर्मल सिस्टम के थे या सोलर प्लेट सिस्टम के थे, कृपया यह बता दें?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एमओयू जो हुआ था वह सोलर थर्मल से ही एमओयू हुआ है और हमारे माननीय सदस्य बहुत ही अनुभव वाले सदस्य हैं, मैं उनसे बताना चाहता हूं कि 25 मेगावाट जो 15 रुपये प्रति यूनिट की दर से विद्युत खरीदना था लेकिन हमने बाद में उसको 8 रुपये 5 पैसे में खरीदा है और यह भी स्पष्ट है कि कम रेट में खरीदा और सरकार का कोई नुकसान नहीं होने दिया है. लेकिन उस टाइम हमारी समस्या यह थी कि लाइट खरीदना थी इसलिए उसके ऊँचे भाव आए लेकिन इसके बाद 15 रुपये की जगह उस कंपनी से 8 रुपये और 5 पैसे में हमे एग्रीमेंट किया है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यहीं पर तो भ्रष्टाचार हुआ है यहाँ सरकार ने एमओयू हस्ताक्षरित किये, सोलर थर्मल सिस्टम के और उसके बाद उसको परिवर्तित कर दिया सोलर प्लेट सिस्टम में इसमें कम से कम करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार हुआ है. इसको बदलने के लिए जब एक बार फाइल गई तो कुछ अधिकारियों ने, जो नीरज मंडलोई और आशीष उपाध्याय थे, इन्होंने उस फाइल को निरस्त कर दिया कि एम.ओ.यू. को निरस्त किया जाता है, यदि लगाएँ तो सोलर थर्मल सिस्टम में लगाएँ और इसके बावजूद कुछ अधिकारियों ने षड्यंत्र करके ऐसा किया है क्योंकि सोलर थर्मल सिस्टम में लागत ज्यादा है और सोलर प्लेट सिस्टम में लागत कम है. इस एम.ओ.यू. को परिवर्तित करने के संबंध में लोकायुक्त में भी प्रकरण कायम हो गया है तो मेरा मंत्री जी से यह कहना है कि इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है, इसकी जाँच आप कराएँ, जाँच तो वैसे लोकायुक्त से होगी, जितने भी अधिकारी वहाँ पर बैठे हुए हैं क्या उनको आप हटाएंगे और जिस अधिकारी की इसमें प्रमुख भूमिका रही है, मृदुल खरे, उसने व्ही.आर.एस. ले लिया है, क्या इसके व्ही.आर.एस. की पूरी प्रक्रिया को रोकेंगे क्योंकि स्पष्ट भ्रष्टाचार सिद्ध होने के बाद भी वह सारे लाभ अभी प्राप्त कर रहा है ?
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय सदस्य को पहले ही बताया है और इसमें नियम के हिसाब से ही कार्यवाही हुई है. यदि इनको कुछ गलत लगता है तो ये कहीं भी चले जाएँ, कोर्ट में चले जाएँ, उसकी जाँच हो जाएगी.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हम कोर्ट में चले जाएँ, सरकार सोती रहती है. एम.ओ.यू. सोलर थर्मल सिस्टम हेतु किया और इसे आपने परिवर्तित कर सोलर प्लेट सिस्टम में कर दिया. कुछ भी करते रहें, क्या आप कुछ भी करोगे ? अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है और चिंता की जानी चाहिए. मंत्री जी कह रहे हैं कोर्ट में जाओ, तुम भ्रष्टाचार करो और हम कोर्ट में जाएँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप कुछ प्रश्न तो करिए.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न मैंने पहले ही कर दिया है कि क्या वहाँ पर बैठे हुए समस्त अधिकारियों को हटाकर जाँच कराएंगे ? या सदन के सदस्यों की समिति बनाकर क्या इसकी जाँच कराएंगे ? इसमें 5 से 10 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार है. आपके ही अधिकारियों ने एम.ओ.यू. निरस्त किया है.
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, क्या सरकार कोर्ट में जाएगी, अपने ही अधिकारियों के खिलाफ.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मैंने ऐसा कब कहा ?
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, अभी इन्होंने कहा कोर्ट में जाइये.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कह रहे हैं कि आप कोर्ट में जाओ, हमें कुछ नहीं करना, हम तो भ्रष्टाचार करेंगे, करवाएंगे, संरक्षण देंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. यदि यही कह रहे हैं कि लोकायुक्त में जाँच चल रही है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, इसमें क्या है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, पानी का पानी तो तब हो जाएगा जब भ्रष्टाचार करने वाले, एम.ओ.यू. को बदलने वाले अधिकारियों को हटा दें, क्योंकि वे वहीं के वहीं बैठे हैं. उन अधिकारियों को हटाने की बात करो, आप हटाओगे तभी तो लोकायुक्त में पूरे पेपर स्पष्ट रूप से पहुँच पाएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न हो गया, आपकी बात आ गई, वे एग्री नहीं हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, वे एग्री नहीं हैं तो इसका मतलब वे यह स्वीकार कर रहे हैं कि हम भ्रष्टाचार को संरक्षण देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ये उन्होंने कहाँ स्वीकार किया ?
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, और क्या है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रामनिवास जी अभी तक आपको समझ में नहीं आया कि सरकार किसको संरक्षण दे रही है ? ये भ्रष्टाचार को संरक्षण देगी और देती रहेगी. हम लोग सिर्फ अपनी बात उठा लें, बस.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मेरा उत्तर नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, एक बार और बोल दीजिए, जो रामनिवास रावत जी कह रहे हैं उसका उत्तर स्पष्ट और सपाट दे दीजिए. उनका प्रश्न सीधा यह है कि क्या अधिकारियों को हटाएंगे ? आप हाँ या ना में उत्तर दे दीजिए.
श्री पारस चन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि यदि प्रकरण लोकायुक्त में है तो उसकी जाँच हो जाएगी, उसमें क्या दिक्कत है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, एम.ओ.यू. में सरकार ने हस्ताक्षर किए और अधिकारियों ने बदल दिया, ऐसा क्यों हुआ ? लोकायुक्त हैं नहीं, किससे जाँच होगी ?
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी आपसे विनम्र प्रार्थना है, हालाँकि मैं आप पर कोई आक्षेप नहीं लगा रहा हूँ, लेकिन माननीय, आप हम लोगों के संरक्षणदाता हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उत्तर आ गया है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे इसलिए कह रहा हूँ कि अगर मंत्री गलत उत्तर देते हैं, मनमानी करते हैं तो आपका भी डंडा रखा हुआ है उसको चलना चाहिए. जब रोहाणी जी थे, मंत्री अगर गलत जवाब देते थे तो वे उनको निर्देशित कर देते थे.
अध्यक्ष महोदय -- देखिए, यह बहस का विषय नहीं है. वैसे तो गलत जवाब की भी प्रक्रिया है, किंतु आप कह रहे हैं कि गलत है और वे कह रहे हैं कि सही है, फिर ?
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आप स्वीकार कर रहे हैं कि अधिकारियों ने बदल दिए तो उनके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- ये उन्होंने कहाँ कहा, उन्होंने यह बोला कि उसमें कंडीशन में चेंज हो गया है, किंतु जो इन्होंने आरोप लगाया उस पर वे सहमत कहाँ हो रहे हैं ?
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एम.ओ.यू. में चेंज हुआ है, बिल्कुल उन्होंने शर्तें ही चेंज कर दी. एम.ओ.यू. की जो कंडीशन थी उसे चेंज कर दिया, एम.ओ.यू. सरकार ने किया और बदले अधिकारियों ने और मंत्री जी कह रहे हैं कि आप कोर्ट में जाओ, हमें जो करना है, करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- असल में आपका कोई सीधा प्रश्न नहीं है, प्वॉइन्टेड प्रश्न नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न सीधा है कि क्या इसकी जाँच कराएंगे? इसमें भ्रष्टाचार हुआ है, या क्या सदन के सदस्यों की समिति बनाकर जाँच करवाएंगे और जिस अधिकारी ने एम.यू.ओ. में चेंज किया है क्या उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे ?
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्पष्ट है कि 15 रुपये की जगह 8 रुपये में खरीदी की गई है, कोई जाँच की आवश्यकता नहीं है.
प्रश्न संख्या - 3 - (अनुपस्थित)
लोअर गोई, इंदिरा सागर परियोजना में कार्यरत श्रमिक
[नर्मदा घाटी विकास]
4. ( *क्र. 7102 ) श्री बाला बच्चन : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्र.क्र. 1381 दिनांक 23.02.2017 के (ख) उत्तर में वर्णित लोअर गोई परियोजना में निर्माणकर्ता कंपनी द्वारा कर्मचारियों/श्रमिकों के पी.एफ. कटौत्री का अंशदान करना माना है? अत: इन कर्मचारियों/श्रमिकों के नाम, पी.एफ. नंबर, इनका अंशदान, नियोक्ता अंशदान की जानकारी माहवार देवें। विगत 3 वर्षों का कंपनी का सेलरी स्टेटमेंट भी देवें। (ख) बड़वानी जिले में इंदिरा सागर परियोजना में कार्यरत श्रमिकों/कर्मचारियों के नाम, उनके पी.एफ. नंबर, इनका अंशदान, नियोक्ता अंशदान की जानकारी माहवार विगत 3 वर्षों की देवें? विगत 3 वर्ष का कंपनी का सेलरी स्टेटमेंट भी देवें?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है।
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह प्रश्न दूसरी बार लगाया है. मेरा प्रश्न क्रं-1381, दिनांक-23 फरवरी, 2017 को भी था. उस प्रश्न का सरकार जवाब नहीं दे पाई थी, इस कारण से मुझे प्रश्न रिपीट करना पड़ा है. मेरे बड़वानी जिले में लोअर गोई परियोजना का काम चल रहा है और उसके बाद बड़वानी जिले में ही इंदिरा सागर परियोजना की नहरों का काम भी चल रहा है तो मैंने प्रश्न में यह पूछा था कि इन परियोजनाओं में काम करने वाले कर्मचारियों और श्रमिकों का समय पर पी.एफ. जमा होता रहे, लेकिन सरकार ने जवाब नहीं दिया था, इस कारण फिर से मैंने यह प्रश्न पूछा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि लोअर गोई परियोजना की नहरों का काम बहुत धीमा चल रहा है, उससे संबंधित मैंने बात पूछी थी और तीसरी बात यह है कि इंदिरा सागर परियोजना का पानी किसानों को पिछले साल 31 मार्च तक दिया गया था, उस उम्मीद में लोगों ने मक्का की बोवनी कर ली है और अब उस नहर का पानी छोड़ना बंद कर दिया है और कई लोगों की हजारों हेक्टेयर जमीन की फसल खत्म होने जा रही है. मेरे यह तीन प्रश्न का जवाब मैं माननीय मंत्री जी से चाहता हूं, लेकिन मंत्री जी यहां पर दिख नहीं रहे है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब कौन देंगे ?
अध्यक्ष महोदय - श्री विश्वास सारंग जी जवाब देंगे.
श्री बाला बच्चन- माननीय मंत्री जी मैंने तीन प्रश्न किये हैं. आप उन तीनों प्रश्नों का जवाब देंगे तो मैं समझता हूं कि किसानों, कर्मचारियों और जो श्रमिक हैं उनको भी इससे राहत मिलेगी.
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय श्री बाला बच्चन जी ने बताया है कि इन्होंने इसी सत्र में 23/02/2017 को प्रश्न लगाया था, उसमें उनको विभाग ने जानकारी उपलब्ध करा दी है. पूरे एक-एक कर्मचारी का क्या पी.एफ. कट रहा है और कितना पी.एफ. कटा है, इसकी जानकारी उपलब्ध करा दी है. मैं श्री बाला बच्चन जी को आपके माध्यम से यह भी बताना चाहता हूं कि इसमें कहीं कोई गड़बड़ नहीं है, जितनी उनको पात्रता थी उतना उनका पी.एफ. कटा है, समय से कटा है और उनको पी.एफ. मिल भी चुका है. हमें इसके निमित्त कोई शिकायत भी प्राप्त नहीं हुई है.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह लिस्ट अभी मिली है और यह लिस्ट बहुत बड़ी है. अगर इसमें कोई कमी है तो क्या आप उनके खिलाफ सख्ती से पी.एफ. के नियमों का पालन करवायेंगे. दूसरा लोअर गोई बांध के बारे में पांच साल पहले जो पानी मिल जाना चाहिए था लेकिन अभी तक किसानों को लोअर गोई परियोजना का पानी नहीं मिल पा रहा है. मैंने तीसरी बात पूछी कि इंदिरा सागर परियोजना का पानी किसानों को मिलना अभी अत्यंत आवश्यक था क्योंकि उनके द्वारा पानी की उम्मीद में मक्का और दूसरी अन्य फसलें बो दी गई हैं, तो क्या आप उनको पानी दिलवायेंगे ? एक पानी के कारण सैकड़ों, हजारों किसानों को दिक्कत हो जायेगी. यह दो प्रश्न मेरे बचे हैं.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा श्री बाला बच्चन जी ने कहा है कि पी.एफ. से संबंधित यदि कोई भी शिकायत मिलेगी तो उसका निराकरण करेंगे. वैसे पी.एफ. की कमिश्नर के पास अपील होती है यह हमारे विभाग से संबंधित नहीं है, लेकिन फिर भी हमारी एजेंसी है और ठेकेदार हमारे अंडर में काम करते हैं, यदि ऐसी कोई भी बात होगी तो उसको हम पूरा करवा देंगे, मैं इसका आपको विश्वास दिलाता हूं. वैसे कहीं कोई गलती नहीं है. दूसरी बात जो लोअर गोई बांध के काम का बताया है तो इस वर्ष के दिसंबर तक यह काम पूर्ण हो जाएगा. तीसरी बात इंदिरा सागर परियोजना की है, तो उसमें लाईनिंग का काम अभी चल रहा है और लाईनिंग का काम जैसे ही पूरा होगा उसके माध्यम से समूचित सिंचाई की व्यवस्था शुरू हो जाएगी.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरा आखिरी प्रश्न है. पिछले वर्ष 31 मार्च तक इंदिरा सागर परियोजना से पानी रिलीज किया गया था इस उम्मीद में किसानों ने बड़ी मात्रा में मक्का बो लिया है. एक पानी के कारण हजारों किसानों को दिक्कत हो रही है और उनकी फसलें मर जाएगी. सिर्फ एक पानी छुड़वा दें, इतना मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मांग कर रहा हूं, नहीं तो किसानों के लिये बहुत गलत हो जाएगा. सिर्फ इंदिरा सागर परियोजना से एक पानी छुड़वा दें.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने बताया है कि लाईनिंग का काम चल रहा है, तकनीकी रूप से देख लेंगे. यदि ऐसा संभव होगा तो करायेंगे. लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि लाईनिंग का काम पूरा होते ही निश्चित रूप से हम वहां पर छुड़वाने की व्यवस्था करेंगे.
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक हो सकता है, वहां तक तो आप छुड़वा दें. माननीय मंत्री जी सब जगह तो काम नहीं चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - वह परीक्षण कर रहे हैं, आप पूछ लीजिए.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जैसा बताया है कि चूंकि तकनीकी मामला है इसलिए परीक्षण करा लेंगे और जो भी स्थिति बनेगी और जो भी किसानों के हित में होगा वह कराया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - श्री सचिन यादव जी, आप संक्षेप में और प्वाइंटेड बोलें.
श्री सचिन यादव - अध्यक्ष महोदय, इसी से जुड़ा हुआ मेरा प्रश्न है, इंदिरा सागर परियोजना और ओंकारेश्वर परियोजना, इसमें जब भी पानी छोड़ने की बात आती है तो कहीं न कहीं तालमेल की कमी है और जो अधिकारी हैं वे समय पर सूचना नहीं दे पाते हैं. जैसे अभी माननीय श्री बाला बच्चन जी ने बताया कि मक्के की बोनी हो गई, लेकिन जब पानी देने का समय आया तो नहरों को बंद कर दिया. ऐसी स्थिति हमारे ओंकारेश्वर में भी हुई थी. क्या माननीय मंत्री जी जो अधिकारी जमीनी स्तर पर हैं, उनको यह निर्देशित करेंगे और कोई एक ऐसा प्रोग्राम बनाने के लिए उनको निर्देश देंगे ताकि ऐसी समस्याएं बार-बार उत्पन्न न हों?
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, वैसे श्री सचिन जी ने जो प्रश्न किया है, वह इससे उद्भूत नहीं होता है. परन्तु मैं सदन को यह बताना चाहता हूं कि यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक-एक किसान तक हमने पानी पहुंचाने की व्यवस्था की है और हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं, एक-एक किसान को पानी मिलेगा, इसीलिए 4-4 बार कृषि कर्मण अवार्ड हमें मिले हैं.
श्री सचिन यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने कोई पाइंटेड प्रश्न पूछा हो? वैसे उन्होंने पाइंटेड प्रश्न पूछा नहीं है.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, अवश्य मई तक पानी छोड़ दिया जाता है और जब तक यदि कहीं काम होता है या लाइनिंग का काम है, वहां दिक्कत आती है. परन्तु मैं सुनिश्चित करता हूं, इसकी पूरी कार्य योजना बनी है और इसीलिए खेतों में लहलहाती फसल दिख रही है सचिन भाई.
श्री सचिन यादव - अध्यक्ष महोदय, समय पर पानी पहुंच जाय.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, जो आदरणीय श्री बाला बच्चन जी ने बात रखी है. आप कह रहे हैं कि लाइनिंग की वजह से पानी नहीं छोड़ा जा सकता है. वहां पर जब किसानों ने अपनी फसल बोई थी, यह उम्मीद से बोयी थी कि पानी मिल जाएगा. हम लोग चाहते हैं कि आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी फिर से कृषि कर्मण अवार्ड पाएं और वे खेत लहलहाते हुए दिखाई दें. इस वर्ष जब किसानों ने बोया है तो कोई न कोई विभाग के अधिकारियों के विश्वास के साथ बोया होगा कि पानी मिलेगा. एक पानी देने में क्या दिक्कत पड़ी हुई है? वहां पर लोगों ने धरने पर बैठना शुरू कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय - उसका परीक्षण करवा रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, जैसा नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा तो मैंने पहले भी निवेदन किया है कि उसका परीक्षण करवा लेंगे. जैसी जो भी सबसे सकारात्मक स्थिति बनेगी, उसका पालन किया जाएगा.
श्री सचिन यादव - अध्यक्ष महोदय, मेरा छोटा-सा निवेदन है कि अगर पानी नहीं दे सकते हैं तो पूर्व में उसकी घोषणा कर दें, किसान फसल बो देते हैं और बीच में ये लोग पानी बंद कर देते हैं?
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के दायित्व
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
5. ( *क्र. 6564 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा जनहित में क्या-क्या कार्य किये जाने के क्या प्रावधान हैं व कार्यों को मूर्त रूप देने हेतु विभाग द्वारा क्या मार्गदर्शिका अपनाई जाती है व उसके कार्यान्वयन हेतु क्या निर्देश/आदेश प्रचलन में हैं, की प्रति सहित जानकारी दी जाये। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में विगत तीन वर्ष में कितनी राशि जिला मुरैना को प्राप्त हुई व उक्त राशि से क्या-क्या कार्य किये गये। (ग) क्या प्रदाय राशि में से माननीय विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्रों में अनुशंसा सहित प्रस्ताव भेजने की पात्रता है व इस हेतु क्या नियम हैं? (घ) विधानसभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना में विगत तीन वर्ष में कितने कार्य जनहित में किये गये, विवरण दिया जावे? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा जनहित में किए जाने वाले कार्य एवं उन कार्यों के संबंध में आवश्यक प्रावधान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। निर्देश-आदेश की प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ख) पृथक से कोई राशि जिलों को नहीं दी जाती है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। हितग्राही अंश एवं केन्द्र/राज्य शासन के अनुदान पर आधारित योजनाओं पर विगत तीन वर्षों में मुरैना जिले में किये गये कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। तथापि प्रस्तावित कार्यों हेतु हितग्राही अंश की आवश्यकता होगी व उक्त की उपलब्धता पर कार्य कराए जा सकेंगे। (घ) विधानसभा क्षेत्र दिमनी, जिला मुरैना में विगत 3 वर्षों में पेयजल हेतु निम्नानुसार सोलर पम्प की स्थापना का कार्य किया गया है :- 1. ग्राम-दलजीत का पुरा, 2. ग्राम-मलवसई, 3. शासकीय अनुसूचित जाति कन्या आश्रम नवाली, 4. शासकीय अनुसूचित जाति कन्या आश्रम दिमनी। इसके अतिरिक्त 224 नग एल.ई.डी. बल्ब का विक्रय किया गया है।
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि प्रश्न में था कि क्रय बल्बों की जानकारी प्रस्तुत की जावे तो भविष्य में जो भी विभाग द्वारा कार्य कराए जाएं, मेरी विधानसभा की जानकारी मुझे दी जाय. मैंने जो प्रस्ताव भेजे हैं, उसकी जानकारी दी जाय. आपने बताया कि 224 बल्ब दिये हैं तो वह कौन-कौन से गांवों में दिये हैं उन गांवों के मुझे नाम बताए जाएं? उनका पता बताया जाए कि वास्तव में दिये हैं या भ्रष्टाचार कर बेच दिये हैं?
अध्यक्ष महोदय - एक तो उनकी बात यह है कि जो उनके क्षेत्र में नवकरणीय ऊर्जा के माध्यम से कार्य किये हैं, उसकी जानकारी उनको हो. दूसरा, उनके प्रस्तावों को तवज्जो दी जाय और तीसरा, आपका क्या कहना है?
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया - अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न और है कि मेरी विधान सभा में जिन गांवों में डीपी नहीं रखी गई है, लाइन नहीं खींची है, लेकिन वहां 3-3 साल के बिल आ रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - उसका उत्तर पहले ले लीजिए, डीपी का प्रश्न इसमें नहीं है.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया - अध्यक्ष महोदय, इन कामों को कब तक करा लिया जाएगा और जो मजरे-टोले छूट गये हैं, और कई गांव भी छूट गये हैं, पंचायतें भी छूट गई हैं, इनको कब तक पूरा करा लिया जाएगा, यह मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं?
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न से उद्भूत नहीं होता है.
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, नवकरणीय ऊर्जा की तरफ से 8 योजनाएं चल रही हैं. दूसरा यह है कि यदि इसको वे कराना चाहते हैं तो अपना अंशदान देंगे. अभी प्रदेश में हमारे मुख्यमंत्री जी की एक और योजना चालू हुई है सोलर पंप, 3 एचपी पर 90 प्रतिशत सब्सिडी है और 5 एचपी पर 80 प्रतिशत की सब्सिडी हम दे रहे हैं, यह अभी हमारे टेण्डर हो गये हैं और इससे बहुत सारे मजरे टोलों में नवकरणीय ऊर्जा के माध्यम से काम हो जाएंगे.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, मैं पहले भी दो बार विधान सभा में प्रश्न लगा चुका है, आपको कह चुका हूं, लिखकर दे चुका हूं कि जो गांव रह गये हैं, लेकिन फिर भी उनके बिल आ रहे हैं और जिनमें लाइट नहीं लगी है, डीपी रखी नहीं गई है और उनके 3-3 साल से बिल आ रहे हैं, उनको देखा जाय?
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, फिर भी यह लिखकर दे देंगे तो हम उसको दिखवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप लिखकर दे दीजिए, वे निराकरण करेंगे.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत--जो माननीय सदस्य ने कहा है कि पूरे प्रदेश के कई गांवों की यह स्थिति है. वहां लाईट है नहीं, लाईट लगी नहीं है. आवेदन भेज रहे हैं, उनको लाईट के बिल भेज रहे हैं लाईट पहुंच नहीं रही है.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाएं. प्रश्न क्रमांक 6 कुँवर सौरभ सिंह अपना प्रश्न पूछें.
प्राचीन मंदिरों का पर्यटन के रूप में विकास
[पर्यटन]
6. ( *क्र. 6149 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या राज्यमंत्री, संस्कृति महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में शासन द्वारा प्राचीन मंदिरों एवं दर्शनीय स्थलों को पर्यटन के रूप में विकसित किये जाने का प्रावधान है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो कटनी जिले की विधानसभा क्षेत्र बहोरीबंद के अंतर्गत ग्राम बांधा में राधाकृष्ण मंदिर, ग्राम मुहास में हनुमान मंदिर, ग्राम बिलहरी में गयाकुण्ड स्थान एवं पुष्पावती नगरी, ग्राम तिगवां एवं बड़गांव में प्राचीन शिलालेख है, क्या इन्हें पर्यटन के रूप में विकसित किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक और यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नकर्ता सदस्य के पत्र क्रमांक 1960, दिनांक 19.01.2017 पर क्या कार्यवाही की गई? तिथिवार, कार्यवाहीवार विवरण दें।
राज्यमंत्री, संस्कृति ( श्री सुरेन्द्र पटवा ) : (क) जी नहीं। स्थल विशेष को पर्यटन के रूप में विकसित किये जाने का प्रावधान नहीं है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
(ग)
कुँवर सौरभ सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि उनको मेरा पत्र मिल गया है. प्रश्न में संशोधन भी आ गया है. मंत्री जी से मेरा यही निवेदन है कि मेरी विधान सभा के कटनी जिले में अंगराज कर्ण की पुरानी राजधानी थी पुष्पावती के नाम से, झिंझरी में शेल चित्र के लेख हैं. मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्री जी एक दल बनाकर के कटनी में वहां पर पर्यटन की दृष्टि से जांच कराएंगे, इसमें काफी प्रॉसप्रेक्टिव हैं ?
श्री सुरेन्द्र पटवा--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का पत्र प्राप्त हुआ है. आज जो प्रश्न पूछा गया है उसमें तीन स्थान एएसआई के अंतर्गत आते हैं. बाकी जो तीन स्थान हैं पुरातत्व में नहीं आते हैं. स्थानीय धार्मिक स्थल है, वहां पर आवश्यकतानुसार पर्यटन की दृष्टि से कुछ सुविधाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकता होगी तो परीक्षण करके सुविधाएं वहां पर उपलब्ध करा दी जाएंगी.
कुँवर सौरभ सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी बात से सहमत हूं. मैं कहना चाहता हूं कि वहां पर प्रॉसप्रेक्टिव बहुत हैं एएसआई ने स्थान लिया है अंगराज कर्ण की पुष्पावती नगरी है वहां पर बहुत सी पुरानी मूर्तियां लगातार खुदाई में निकल रही हैं. जैसा खजुराहो है वहां वैसा डेस्टीनेशन पुरातत्व के हिसाब से बन सकता है. पर्यटन की दृष्टि से आप कटनी जिले को देखेंगे तो आपको इसका लाभ मिलेगा ?
श्री सुरेन्द्र पटवा--अध्यक्ष महोदय ठीक है.
नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत संचालित आगंनवाड़ी केन्द्र
[महिला एवं बाल विकास]
7. ( *क्र. 6966 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कौन-कौन से ग्रामों में आंगनवाड़ी केंन्द्र नहीं हैं? (ख) क्या ऐसे ग्रामों में आंगनवाड़ी केन्द्र प्रारंभ करने हेतु कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) कितने आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन हैं एवं कितने किराये के भवनों में संचालित हैं? (घ) क्या भवन विहिन आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिए भवन की व्यवस्था की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत बाल विकास परियोजना नरसिंहपुर के 01 ग्राम तथा बाल विकास परियोजना करेली के 27 ग्रामों में आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) भारत सरकार द्वारा जनसंख्या के निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति होने पर नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र/मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र खोले जाने की स्वीकृति दी जाती है। नरसिहंपुर विधानसभा क्षेत्र के उक्त 28 ग्रामों में निर्धारित मापदण्ड अनुसार जनसंख्या न होने के कारण आंगनवाड़ी केन्द्र खोला जाना प्रस्तावित नहीं है। (ग) नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 70 आंगनवाड़ी केन्द्र विभागीय भवन में, 120 आंगनवाड़ी केन्द्र अन्य शासकीय विभाग भवन में तथा 64 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवन में संचालित हैं। (घ) भवन विहीन 184 आंगनवाड़ी केन्द्रों में से 16 आंगनवाड़ी केन्द्रों हेतु भवन निर्माण की स्वीकृति शासन से प्राप्त हो गई। आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करती है, अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
श्री जालम सिंह पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी के द्वारा अधूरी जानकारी दी गई है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जिन्होंने अधूरी जानकारी दी उन संबंधित अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही करेंगे ? नरसिंहपुर ब्लॉक है उसमें लगभग 28 ऐसे गांव हैं, मजरे टोले हैं जिसमें आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं है इसमें जानकारी सिर्फ एक ही दी गई है. करेली में 27 जगहों की जानकारी दी गई है. मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि बच्चों में कुपोषण संबंधी कई प्रकार की बीमारियां रहती हैं. यह दिक्कत आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से ही दूर हो सकती है. मंत्री जी का जवाब है कि जनसंख्या न होने के कारण आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं खोले गये. जो लिस्ट में नाम आये हैं उसमें अधिकांश स्थान पर अनुसूचित जाति, जनजाति व कमजोर वर्ग के लोग हैं, मगर जनसंख्या में कम हैं. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जिन्होंने अधूरी जानकारी दी है उन पर कार्यवाही होगी ? जैसे माननीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने नियम बनाया था कि प्रधानमंत्री सड़क अनुसूचित जनजाति के गांव के लिहाज से कम कर दी थी वहां ढाई सौ तक की आबादी तक सड़क बनायी गई. इसी प्रकार से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि उन पर कार्यवाही करेंगे क्या ?
श्रीमती अर्चना चिटनिस--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य जी चाहते हैं जहां पर आंगनवाड़ी नहीं है उन गांवों में आंगनवाड़ी खुल जाए. मैंने जनसंख्या का मापदण्ड क्या है उसके बारे में कहा है. फिर भी इस पर बात करके कोई प्रोवीजन किया जा सकता है, उस पर विचार कर लेंगे.
श्री जालम सिंह पटेल--अध्यक्ष महोदय, नरसिंहपुर ब्लॉक के बारे में आपको गलत जानकारी दी गई है उसमें पंचायतों के नाम पढ़ सकता हूं.
अध्यक्ष महोदय--आप पंचायतों के नाम मत पढ़िये. आप तो बता दीजिये कि क्या गलत जानकारी दी है.
श्री जालम सिंह पटेल--अध्यक्ष महोदय, 28 जगहों के बारे में जानकारी नहीं दी. लिख दिया वहां आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं है.
श्रीमती अर्चना चिटनिस--माननीय अध्यक्ष महोदय, जानकारी गलत दी गई है तो उसका परीक्षण कराकर संबंधितों पर कार्यवाही कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय--ऐसे कितने केन्द्र हैं कि जहां पर लिख दिया है और वहां पर आंगनवाड़ी केन्द्र हैं ही नहीं.
श्री जालम सिंह पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पर केन्द्र ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी को लिखकर के दे दीजिये.
श्रीमती अर्चना चिटनिस--माननीय अध्यक्ष महोदय, जानकारी संख्या के हिसाब से दी है गांवों के हिसाब से दी भी नहीं है. संख्यात्मक दी है कि इतनी जगह पर है और इतनी जगह पर नहीं है.
श्री जालम सिंह पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, करेली ब्लाक में गांव के नाम भी दिये हैं कि इसमें आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं हैं, लेकिन नरसिंहपुर ब्लॉक में सिर्फ एक गांव का नाम दिया है. बाकी 28 जगहों के नाम ही नहीं दिये हैं.
अध्यक्ष महोदय--जो इसमें कमियां हैं उसके बारे में मंत्री जी को लिखकर के दीजिये उसका परीक्षण कराएंगी.
श्रीमती अर्चना चिटनीस-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक जानकारी देना चाहती हूं. बजट अनुदानों पर चर्चा के समय हम लोगों को बात करने का अवसर नहीं मिल पाया था, कि जहां मजरे-टोले हैं,दूरस्थ हैं, छोटे गांव हैं वहां रहवासी हैं, बच्चे रहते हैं वहां पर मोबाइल आंगनबाड़ी कॉन्सेप्ट पर भी विभाग विचार कर रहा है.
श्री संजय शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, गलत जानकारियां बहुत दी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग ने मेरे तेंदूखेड़ा विधान सभा की जगह दमोह जिले की जानकारी दे दी है.
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता. आप उसको प्रश्न संदर्भ समिति को दे दीजिए.
श्री संजय शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, सही जानकारी दें.
विद्युत का उत्पादन
[ऊर्जा]
8. ( *क्र. 7145 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विगत 10 वर्षों में अशासकीय/निजी संस्थाओं (केप्टिव, गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों को छोड़कर) से कितने विद्युत क्रय अनुबंध (पी.पी.ए.) किये गये? वितरण सहित सूची उपलब्ध करायें। (ख) ऐसे कितने प्लांट आज दिनांक तक संचालित हैं और उनसे वर्ष 2012-13 से दिसम्बर 2016 तक कितना विद्युत क्रय किया गया है एवं किस दर पर? विवरण सहित सूची उपलब्ध करायें। (ग) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का प्रति वर्ष विद्युत उत्पादन तथा उन वर्षों में प्रति इकाई (यूनिट) औसत उत्पादन लागत कितनी है? विगत तीन वर्षों (2013-14, 2014-15 एवं 2015-16) की जानकारी दें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विगत 10 वर्षों में अशासकीय/निजी संस्थाओं (केप्टिव, गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों को छोड़कर) से विद्युत क्रय अनुबंध (पी.पी.ए.) की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) संचालित पॉवर प्लांट्स एवं वर्ष 2012-13 से दिसंबर 2016 तक विद्युत क्रय एवं दर संबंधी विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का वर्ष 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 का प्रति वर्ष विद्युत उत्पादन तथा इन वर्षों में प्रति इकाई (यूनिट) औसत उत्पादन लागत निम्नानुसार है :-
वर्ष |
ताप विद्युत उत्पादन (मिलियन यूनिट में) |
जल विद्युत उत्पादन (मिलियन यूनिट में) |
प्रति इकाई औसत उत्पादन लागत (रू. प्रति यूनिट) |
2013-14 |
16196.4 |
3673.4 |
3.32 |
2014-15 |
16909.3 |
2749.8 |
4.12 |
2015-16 |
18601.8 |
1962.3 |
4.25 |
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि सरकार ने,विभाग ने निजी उत्पादकों से जो अनुबंध किए हैं, उसमें यह भी किया गया कि अगर हम उनसे बिजली नहीं लेंगे उसके बाद भी उनको पेमेंट करना पड़ेगा?
श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, अनुबंध अनुसार जब बिजली खरीदी जाती है और जिससे सस्ती बिजली मिलती है उससे ही हम खरीदते हैं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न किया कि बिजली खरीदना बहुत अच्छी बात है. बिजली में निर्भरता होना चाहिए लेकिन क्या ऐसा अनुबंध किया गया कि जिसमें अगर बिजली उनसे नहीं भी लेते हैं तो उसके उपरान्त भी उनको पेमेंट करना पड़ेगा?
श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, बिजली खरीदने का प्रश्न है तो समय समय पर हम खरीदते भी रहते हैं और सबसे कम रेट में जब हमको किसी से मिलती है तो उससे खरीदते हैं. इनका कहना है कि जब नहीं खरीदते हैं तब भी पैसा देते हैं क्या? उसमें मेरा कहना है कि शायद ऐसी कोई पाबंदी नहीं है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जो पूछना चाह रहा हूं कि क्या ऐसा अनुबंध किया गया है कि हम उनसे उत्पाद ले नहीं उसके उपरान्त भी उनको पेमेंट करना पड़ेगा?
श्री पारस चन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, रेग्युलर टैरिफ पर फिक्स चार्ज देना पड़ता है. जिससे हम एग्रीमेंट करते हैं उसको यह फिक्स चार्ज हमको देना पड़ता है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, उस समय जो संबंधित अधिकारी थे उन्होंने इस तरह का त्रुटिपूर्ण अनुबंध क्यों किया? क्या उन पर कार्रवाई की जाएगी?
श्री पारस चन्द्र जैन--यह नियामक आयोग का नियम है उसका हमको पालन करना पड़ता है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, 25 वर्ष के लिए अनुबंध करना और उसमें यह क्लॉज़ डालना कि हम आपसे उत्पादन नहीं भी लेंगे उसके उपरान्त भी आपको पेमेंट करेंगे तो जिस अधिकारी ने, जिस व्यक्ति ने किया है उसकी कहीं न कहीं मंशा मेनुपुलेटेड लग रही है. क्या इस पर कुछ कार्रवाई होगी?
अध्यक्ष महोदय-- आप नियामक आयोग का बताइये कि इसमें कुछ करेंगे क्या?
श्री पारस चन्द्र जैन-- अध्यक्ष जी, हमने जो अनुबंध किए हैं उस समय की परिस्थिति ऐसी थी कि जब बिजली खरीदना आवश्यक था. आज जरुर यह बात कि हम सरप्लस में हैं लेकिन उस समय यदि ऐसा नहीं करते तो जिन भी उद्योगपति या किसी से अनुबंध किये हैं, वह आते ही नहीं. यदि हमने अनुबंध किया तो नियमानुसार उसका पालन करना है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, क्या यह अनुबंध 10 वर्ष के लिए नहीं किया जा सकता था? क्या जरुरी था कि 25 वर्ष के लिए अनुबंध किया जाये.
श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, उस समय परिस्थितियों के अनुसार किए गए अन्यथा वे आते नहीं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, सरकार बिना बिजली खरीदे पैसे दे रही है. और वह भी 25 साल तक देंगे. किसानों की गाढ़ी कमाई का पैसा वैसे ही देते जाएंगे और किसानों से वसूल करेंगे और अगर पैसा नहीं देते हैं तो जेल भेजते जाएंगे. कितनी गंभीर बात है?
श्योपुर जिले में फीडर सेपरेशन योजना अंतर्गत किये गये कार्य
[ऊर्जा]
9. ( *क्र. 6450 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर जिले में फीडर सेपरेशन योजना कब प्रारंभ हुई तब से वर्तमान तक कितने व कौन-कौन से ग्रामों को योजना में शामिल किया गया, में से कौन-कौन से ग्रामों में विद्युतीकरण कार्य निर्धारित अवधि में पूर्ण हुआ? किन-किन ग्रामों में नहीं हुआ तथा क्यों? कब तक पूर्ण कराये जावेंगे। (ख) उक्त में से जिन ग्रामों में विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो चुका है, उनमें घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया तथा अब भी कई ग्रामों में खम्भे नहीं गड़े, कहीं तार नहीं खिंचे, जहां दोनों कार्य हो गये वहाँ ट्रांसफार्मर नहीं लगे, जहां लगे वहां खराब पड़े हैं, इन्हें नहीं बदला जा रहा है, इसका कारण बतावें? (ग) क्या उक्त योजना के तहत जिले में 527 ग्रामों में विद्युतीकरण कार्य निर्धारित अवधि में पूर्ण होना था, वह नहीं हुआ? वर्तमान तक 166 ग्रामों में ही यह कार्य पूर्ण हो पाया नतीजन जिले के घरेलू एवं कृषि उपभोक्ताओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है एवं वे योजना के लाभ से वंचित बने हुये हैं? (घ) क्या शासन पूर्ण हो चुके ग्रामों में विद्युतीकरण कार्यों की गुणवत्ता व कार्यों के अपूर्ण रहने के कारणों की जाँच करायेगा तथा शेष अविद्युतीकरण ग्रामों में विद्युतीकरण के कार्य एक निश्चित समय-सीमा में पूर्ण करवायेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) श्योपुर जिले में फीडर विभक्तिकरण योजना दिनांक 20.08.2011 से प्रारम्भ हुई थी, जिसमें फीडर विभक्तिकरण के कार्य हेतु 527 ग्राम सम्मिलित थे। उक्त कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु अवार्ड ठेकेदार एजेंसी मेसर्स ज्योति स्ट्रक्चर लिमिटेड को जारी किया गया था। उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा 134 ग्रामों के फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण किया गया, किन्तु निर्धारित समयावधि में कार्य पूर्ण नहीं कर पाने के कारण उसका अवार्ड निरस्त कर दिया गया। शेष 393 ग्रामों के फीडर विभक्तिकरण के कार्यों के लिए पुन: निविदा प्रक्रिया उपरांत टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स विकरान इंजीनियरिंग एण्ड एक्जिम प्रा.लि. को अवार्ड जारी किया गया है। वर्तमान तक उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा 102 ग्रामों के फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा 291 ग्रामों का कार्य शेष है। उक्तानुसार उक्त योजना में शामिल, पूर्ण एवं शेष ग्रामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। उक्त शेष ग्रामों के फीडर विभक्तिकरण का कार्य निर्धारित समयावधि नवम्बर 2017 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। (ख) फीडर विभक्तिकरण योजना में उपयोग की जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता की जाँच एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला में कराई जाती है। जाँच में सामग्री निर्धारित मानक स्तर के अनुरूप पाए जाने पर ही उपयोग में ली जाती है। उक्त योजना में जिन ग्रामों में फीडर विभक्तिकरण के कार्य पूर्ण किये गये हैं, उनमें निर्धारित प्रावधानों के अनुसार ही कार्य किये गये हैं तथा शेष कार्यों हेतु पुन: निविदा प्रक्रिया उपरांत चयनित ठेकेदार एजेन्सी को अवार्ड जारी किया गया है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में 35 जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर शत-प्रतिशत राशि बकाया होने के कारण नहीं बदले जा सके हैं, जिन्हें नियमानुसार बकाया राशि जमा होने के उपरांत बदलने की कार्यवाही की जा सकेगी। (ग) प्रश्नाधीन फीडर विभक्तिकरण के कार्य (विद्युतीकरण के नहीं) 527 ग्रामों में किये जाने थे, जिनमें से वर्तमान तक 236 ग्रामों के फीडर विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा 291 ग्रामों के फीडर विभक्तिकरण का कार्य शेष है, जिसे पूर्ण किये जाने की निर्धारित समयावधि नवम्बर, 2017 है तथा प्रश्नाधीन सभी ग्रामों में विभक्त किये गये/मिश्रित फीडरों के माध्यम से कृषि एवं गैर-कृषि उपभोक्ताओं को निर्धारित समयावधि हेतु विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (घ) फीडर विभक्तिकरण योजना में प्रश्नाधीन कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये निरीक्षण हेतु थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेंसी को अनुबंधित किया गया है, जिनके साईट इंजीनियरों द्वारा कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए निरीक्षण किया जाता है तथा निरीक्षण उपरांत कार्यों में कमी पाये जाने पर संबंधित ठेकेदार एजेंसी से आवश्यक सुधार कार्य कराए जाते हैं। थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेन्सी द्वारा इंगित त्रुटियों के निराकरण उपरांत ही ठेकेदार एजेन्सी के बिलों का भुगतान किया जाता है। अत: कार्यों की गुणवत्ता की जाँच कराने की आवश्यकता नहीं है। प्रश्नाधीन शेष कार्य निर्धारित समयावधि नवम्बर 2017 तक पूर्ण कराने के प्रयास किये जायेंगे।
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा प्रश्न श्योपुर जिले में फीडर विभक्तीकरण के कार्य को लेकर है. दिनांक 20.8.2011 को फीडर विभक्तीकरण का कार्य श्योपुर में प्रारंभ किया गया था और ज्योति कंस्ट्रक्शन कंपनी को इसका अवार्ड दिया गया था. 527 गांवों में यह काम होना था लेकिन आज 6 साल बीत जाने के बाद भी अभी 300 गांवों में यह काम नहीं हो पाया है. अभी बताया गया कि ज्योति कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा काम बंद कर दिया गया, इस कारण दोबारा अवार्ड किया. मैं पूछना चाहता हूं कि यह काम कब बंद हुआ और आपने अवार्ड कब निरस्त किया और दूसरा अवार्ड कब हुआ और जो 134 गांवों का काम पूरा किया गया था वह किस तारीख को पूरा हुआ ? उसके बाद बहुत लंबे समय तक अवार्ड नहीं होना, बीच में गेप हुआ और उसके कारण श्योपुर जिले में विभक्तीकरण का कार्य पूरा नहीं हो पाया. एक और प्रश्न मेरा यह है कि यह जो दूसरी कंपनी है उसने काम कब प्रारंभ किया और उसने भी अभी 102 गांवों का काम किया है तो 291 गांवों का काम कब पूरा होगा और बीच की अवधि में विलंब से वर्कआर्डर निरस्त करने के लिये कौन जिम्मेदार है ?
श्री पारसचन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने पूछा है तो ज्योति कंस्ट्रक्शन कंपनी का वर्क आर्डर दिनांक 8.6.2015 को निरस्त किया गया है और दूसरी कंपनी को यह कार्य दिया है.यह बात जरूर है कि इस कार्य में विलंब हुआ है.मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूं कि 2017 तक बाकी जितने फीडर सेपरेशन के कार्य हैं वह पूरे कर दिये जायेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय, सवाल यह है कि 4 साल तक लगातार यह काम क्यों नहीं पाया, आपने 4 साल बाद उसका अवार्ड क्यों निरस्त किया,पहले क्यों नहीं किया ? केवल 134 गांवों में जिस कंपनी ने काम किया और साल भर में यह काम हो गया था. 3 साल तक उसका वर्कआर्डर निरस्त नहीं करने के लिये कौन जिम्मेदार है ? इस कारण से श्योपुर जिले के किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को यह भुगतना पड़ा है. जो फीडर विभक्तीकरण का कार्य किया गया है वह बहुत घटिया किस्म का है. कई स्थानों पर जो ट्रांसफार्मर्स लगाए गए हैं, वह आज भी चालू नहीं हुए हैं. फुंके हुए ट्रांसफार्मर्स लगा दिये गये और बहुत घटिया स्तर का मटेरियल लगाया है. जहां काम पूरा भी हुआ है वहां लाईट नहीं जा पा रही है. उसकी जांच कराएंगे क्या.
श्री पारसचन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक नया वर्कआर्डर दिनांक 20.2.2016 को दिया गया और जो बात आपने जांच की कही है, आप ऐसा कोई स्पेसिफिक स्थान बताएंगे या लिखकर हमको देंगे, तो हम उसकी जांच कराने के लिये तैयार हैं.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय, 4 साल तक कार्य तक यह कार्य क्यों रोका गया ?
श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम उसकी जांच कराने के लिये तैयार हैं.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय,वर्ष 2011 में यह अवार्ड हुआ था 134 गांवों का काम 8 महीने में पूरा हो गया तो 4 वर्षों तक वह निरस्त क्यों नहीं हुआ ?
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य के 2 प्रश्न हैं मंत्री जी, एक तो जो 4 साल तक उसे अतिरिक्त समय दिया गया उसके लिये कौन जिम्मेदार हैं और दूसरा, जो काम गुणवत्ता स्तर का नहीं हुआ है क्या उसकी जांच कराएंगे ?
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय,गुणवत्ता का मैंने बताया है कि मटेरियल की जांच नियमित रूप से होती है फिर भी हमारे सदस्य कह रहे हैं तो उसकी जांच कराने को तैयार हैं.
श्री प्रदीप अग्रवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी जिलों में उस ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता विहीन काम हुआ है.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न का उत्तर नहीं आया कि 4 वर्ष तक उसका वर्कआर्डर क्यों निरस्त नहीं हुआ और उसके लिये कौन जिम्मेदार हैं ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, 4 साल तक वर्कआर्डर निरस्त करने के लिये कौन जिम्मेदार है, आप उसकी जांच कराएं.
श्री पारसचन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आपने आदेश दिया हम उसको दिखवा लेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय, 291 गांवों का काम कब तक पूरा हो जायेगा ?
अध्यक्ष महोदय - वर्ष 2017 में पूरा कर देंगे यह उन्होंने पहले कह दिया.
श्री रणजीत सिंह गुणवान - माननीय अध्यक्ष महोदय, फीडर सेपरेशन का काम पूरे प्रदेश में चल रहा है. हमारे क्षेत्र में जो बड़े गांव हैं, जिनका पहले से कनेक्शन भी है तो फीडर सेपरेशन का काम वहां क्यों नहीं चल रहा है ?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, फीडर सेपरेशन का काम पूरे प्रदेश में बहुत घटिया हुआ है.
लाड़ली लक्ष्मी योजना का क्रियान्वयन
[महिला एवं बाल विकास]
10. ( *क्र. 6920 ) श्री रामपाल सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शासन द्वारा बालिकाओं के प्रोत्साहन हेतु लाड़ली लक्ष्मी योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो उक्त योजना के प्रारंभ दिनांक से प्रश्न दिनांक तक शहडोल जिले के प्रत्येक महिला एवं बाल विकास परियोजना अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं में योजना अंतर्गत कितने प्रकरण पंजीकृत किये गये?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लाड़ली लक्ष्मी योजना के क्रियान्वयन के संबंध में मैं जानना चाह रहा था. प्रश्न ''ख'' के संबंध में मेरा जो प्रश्न था उसके संबंध में छेड़छाड़ की गई है, जो मूल चीज मैं जानना चाह रहा था वह लाइन ही गायब कर दी गई है. इसमें सिर्फ इतना जवाब में आया है कि परियोजना में कितने प्रकरण पंजीकृत किये गये हैं, इसमें एक अनुमानित संख्या ही बताई गई है. जबकि मेरा प्रश्न ''ख'' था कि पंजीकृत बालिका का नाम, पता, पंजीयन दिनांक के साथ अंतिम लाभांवित बालिका के नाम की जानकारी आदि मैं विस्तृत रूप से जानना चाह रहा था, किंतु यह जानकारी नहीं दी गई. सिर्फ पंजीकृत कितने किये गये हैं उसकी एक अनुमानित संख्या दी गई है. जबकि शहडोल जिले की प्रत्येक परियोजना जहां है, आज भी मैं यह उदाहरण बतौर बता सकता हूं. मेरे पास कितनी संख्या है, आज भी लाड़ली लक्ष्मी योजना में किसी को प्रमाण-पत्र नहीं दिया गया है. बहुत से ऐसे प्रकरण हैं जो लंबित पड़े हुये हैं. हजार, पंद्रह सौ, दो हजार रूपये जब तक न दें, उनका पंजीयन नहीं किया जाता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूं कि पंजीकृत बालिका का नाम पंजीयन दिनांक के साथ अंतिम लाभांवित बालिका का नाम, उत्तर तो आया नहीं है और इसमें जिसके द्वारा भी लापरवाही की गई है उनके प्रति आप क्या कार्यवाही करेंगी ?
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो जानकारी चाहते हैं उनको वैसी की वैसी संपूर्ण जानकारी देने की जवाबदारी मैं लेती हूं और लाड़ली लक्ष्मी योजना माननीय मुख्यमंत्री जी की बहुत ही महत्वाकांक्षी और बहुत संवेदनशील योजना है. सदस्य जितनी संवेदना से कह रहे हैं उसका मैं सम्मान करती हूं और जांच कराकर अगर इसमें कोई कमी, कोताही होगी तो हम उस पर नियमानुसार कार्यवाही कराना भी सुनिश्चित करेंगे.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरे शहडोल जिले की बात है, केवल मेरी ब्यौहारी और जयसिंहनगर की बात नहीं है. पूरे जिले में यह घोर लापरवाही की गई है. किसी के पास कोई प्रमाण-पत्र नहीं है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना में हमारा नाम पंजीकृत हुआ है या नहीं हुआ है. मैं यह चाहता हूं कि इसकी आप कितनी समय-सीमा में जांच करायेंगी और क्या दोषियों के विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की जायेगी ? माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह जानना चाहूंगा कि इसकी एक समय-सीमा निर्धारित कर दी जाये.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रथम तो अगर किसी को प्रमाण-पत्र नहीं मिले हैं तो मैं यह सुनिश्चित करूंगी की आने वाले महीने भर में सबको प्रमाण-पत्र मिल जायें और दूसरा जांच कराकर कार्यवाही तो नियमानुसार ही मैं कर पाऊंगी, इसका भी मैं प्रयास करूंगी कि जल्द से जल्द करा लें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है और आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रार्थना करना चाहूंगा कि इसमें आप कोई वरिष्ठ अधिकारी को भोपाल स्तर से भेज दें और इसकी जांच करायें क्योंकि वह आदिवासी जिला है और संवेदनशील मामला है. मुख्यमंत्री जी भी चाहते हैं लाड़ली लक्ष्मी योजना का जिक्र हरदम अपने उद्बोधन में करते हैं, उस तरह से भी इसका क्रियान्वयन हो जाये.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- मैं भोपाल से वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर जांच करा लूंगी.
नवीन विद्युत ग्रिड की स्थापना
[ऊर्जा]
11. ( *क्र. 2799 ) श्री अरूण भीमावद : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शाजापुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम रूलकी एवं ग्राम मेवासा सहित आसपास के लगभग 20-25 ग्रामों में विद्युत निम्न दाब की गंभीर समस्या होने से सिंचाई कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं? (ख) यदि हाँ, तो क्या शासन किसानों की इस गंभीर समस्या पर विचार कर रहा है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में यदि हाँ, तो क्या शासन उक्त स्थानों पर नवीन विद्युत ग्रिड स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान करेगा? (घ) यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) शाजापुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत वर्तमान में ग्राम रूलकी एवं उसके आस-पास के ग्रामों को 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र बेरछा से निर्गमित 11 के.व्ही. चैसला कुल्मी कृषि फीडर से सिंचाई हेतु सुचारु रुप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि रबी सीजन 2016-17 में 11 के.व्ही. चैसला कुल्मी फीडर पर अधिकतम भार 165 एम्पीयर एवं अंतिम बिन्दु पर वोल्टेज रेग्यूलेशन (व्ही.आर.) 20.04 प्रतिशत दर्ज हुआ है। 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र बेरछा से निर्गमित 11 के.व्ही. चैसला कुल्मी फीडर की कुल लम्बाई 14.45 कि.मी. है तथा इससे संबद्ध क्षेत्र में कम वोल्टेज की समस्या के निदान हेतु इस फीडर के विभक्तिकरण के लिये 4 कि.मी 11 के.व्ही. लाईन के निर्माण का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अन्तर्गत स्वीकृत है। उक्त कार्य पूर्ण होने के पश्चात नवीन 11 के.व्ही. चैसला कुल्मी फीडर एवं पुराने 11 के.व्ही. चैसला कुल्मी फीडर पर भार क्रमशः 65 एम्पीयर एवं 100 एम्पीयर रहेगा एवं अंतिम सिरे पर वोल्टेज रेग्यूलेशन क्रमशः 6.0 एवं 7.0 प्रतिशत रहेगा। इस प्रकार प्रश्नाधीन क्षेत्र में कम वोल्टेज की समस्या का निराकरण हो जायेगा। रबी सीजन 2016-17 में 11 के.व्ही. चैसला कुल्मी फीडर पर माह अक्टूबर-16 से फरवरी-17 तक औसतन 9 घंटे 39 मिनिट प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया गया है। ग्राम मेवासा एवं उसके आस-पास के ग्रामों को वर्तमान में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र मझानिया से निर्गमित 11 के.व्ही. सुनेरा-मेवासा कृषि फीडर से सिंचाई हेतु सुचारू रूप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। रबी सीजन 2016-17 में 11 के.व्ही.सुनेरा-मेवासा कृषि फीडर पर अधिकतम भार 165 एम्पीयर एवं अंतिम बिन्दु पर वोल्टेज रेग्यूलेशन (व्ही.आर.) 8.05 प्रतिशत दर्ज हुआ है, जो कि नियत सीमा में है। रबी सीजन 2016-17 में 11 के.व्ही. सुनेरा-मेवासा फीडर पर माह अक्टूबर-16 से फरवरी-17 तक औसतन 9 घंटे 27 मिनिट प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया गया है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार ग्राम रूलकी एवं आस-पास के ग्रामों में रबी सीजन में कम वोल्टेज की समस्या के निराकरण हेतु 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र बेरछा से निर्गमित 11 के.व्ही. चैसला कुल्मी फीडर के विभक्तिकरण के लिये दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत 4 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन के निर्माण का कार्य स्वीकृत किया गया है। (ग) एवं (घ) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में उक्त स्थानों पर वर्तमान में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र स्थापित करने की तकनीकी रुप से आवश्यकता नहीं है।
श्री अरूण भीमावद-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले आपका संरक्षण चाहूंगा क्योंकि पहलवान ऊर्जा मंत्री जी से हमारा पाला पड़ने वाला है. सबसे पहले तो मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि जब वह शाजापुर जिले के प्रभारी मंत्री थे उस समय उनका आखिरी दौरा शाम को 5 बजे जिस गांव में था उसमें एक मांग आई थी कि वहां पर नवीन विद्युत ग्रिड की स्थापना की जाये. मैंने अपने प्रश्न में ग्राम चैसला कुल्मी और रूलमी के बीच में और ग्राम मेवासा में नवीन ग्रिड की बात कही है. मेवासा का जहां तक मामला है वह क्लीयर हो चुका है. प्रश्न लगने के बाद ऊर्जा विभाग ने पूरी ताकत से वहां पर व्यवस्थित विद्युत सप्लाई कर दी है, एम्पीयर बढ़ा दिया गया है, लेकिन ग्राम चैसला कुल्मी में अभी तक किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की है जिसके कारण वहां आज भी 8 से 10 गांवों में सिंचाई के लिये विद्युत प्रवाह उस प्रकार से नहीं मिल पा रहा है जिस प्रकार से किसानों को मिलना चाहिये था. क्या वहां पर नवीन ग्रिड की स्थापना करेंगे ?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 11 के.व्ही. का जो सब स्टेशन है वह 30.06.2017 तक पूर्ण हो जायेगा. इनकी जो विद्युत प्रदाय की समस्या है उस समस्या का निराकरण हो जायेगा और इनको बराबर लाइट मिलने लगेगी. 11 के.व्हीं. का सब स्टेशन हम 30.06.2017 तक बना देंगे.
श्री अरूण भीमावद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपके संरक्षण की आवश्यकता है. क्योंकि विभाग द्वारा पिछले 15 वर्षों से यही उत्तर दिया जा रहा है. जबकि समस्या आज भी वहां जस के तस है. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि नवीन ग्रिड की स्थापना के बाद ही वहां पर समस्या का हल होगा. इसलिये मंत्री जी से निवेदन है कि वह इस मामले में विशेष कृपा करें. मंत्री जी उस दिन का आपका आखिरी दौरा मेरे क्षेत्र में था और वहां के गांव वालों ने आपको लड्डू-बाफले खिलाये थे.
श्री अजय सिंह-- मंत्री जी कम से कम लड्डू बाफले की लाज तो रख लो. (हंसी)भीमावद जी मंत्री जी अगर आज घोषणा नहीं करते हैं तो एक बार फिर से दौरा करा दीजिये.
श्री पारस चन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, लड्डू-बाफले यदि मैंने खाये होंगे तो सदस्य ने भी खाये होंगे. मैंने तो बगैर घी के खाये हैं (हंसी) माननीय सदस्य ने तो घी के लड्डू बाफले खाये हैं.
श्री बाला बच्चन --मंत्री जी आपके उत्तर से तो ऐसा लगता है कि वह भी सरकार ने खाये हैं.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर भी विधायक जी यदि कह रहे हैं तो उसका हम परीक्षण करवा लेंगे, साध्यता होगी, वित्तीय व्यवस्था होगी तो हम उस काम को करवा देंगे.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा मंत्री जी कह रहे हैं कि मुझे बगैर घी के बाफले खिलाये हैं इसलिये शायद वो इनको बिजली नहीं देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- बिजली मिलने के बाद घी वाले ही लड्डू बाफले खिलायेंगे वो.
श्री अरूण भीमावद -- मंत्री जी बहुत बहुत धन्यवाद.
घोषित वोल्टेज अनुसार विद्युत की सप्लाई
[ऊर्जा]
12. ( *क्र. 6960 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिवनी विधानसभा क्षेत्र के समस्त ग्रामों में म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता के अध्याय तीन के अंतर्गत घोषित वोल्टेज एवं विद्युत सप्लाई की जाती है? यदि हाँ, तो सिवनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सभी वितरण केन्द्रों में तीन वर्षों की औसत खपत की वर्षवार जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) में घोषित वोल्टेज यदि कम है, तो क्या विभाग उस क्षेत्र में नये उपकेन्द्र स्थापित करेगा? (ग) क्या उपभोक्ताओं को घोषित वोल्टेज एवं विद्युत सप्लाई देने के लिये विभाग बाध्य है, तभी बिल वसूल करने का हकदार है? यदि हाँ, तो कौन जिम्मेदार है? (घ) सिवनी जिले के विद्युत सप्लाई करने वाली विद्युत कंपनी की गत तीन वर्षों की सी.ए.जी. द्वारा अंकेक्षण रिपोर्ट एवं प्रश्नांश (क), (ख), (ग) की कार्यवाही रिपोर्ट पटल पर रखें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ, सिवनी विधानसभा क्षेत्र के सभी ग्रामों में म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के अध्याय 3 के अन्तर्गत घोषित वोल्टेज पर विद्युत प्रदाय किया जाता है। सिवनी विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सभी वितरण केन्द्रों में विगत 3 वित्तीय वर्षों में कुल विद्युत खपत की वर्षवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार सिवनी विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सभी ग्रामों में म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के अध्याय 3 के अन्तर्गत घोषित वोल्टेज पर विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि भविष्य में भार वृद्धि के दृष्टिगत दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत पीपरडाही में एवं आई.पी.डी.एस. योजनांतर्गत अशोक नगर (सिवनी) में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों के निर्माण का कार्य स्वीकृत किया गया है। (ग) उपभोक्ताओं को घोषित वोल्टेज पर विद्युत प्रदाय करने के लिये वितरण कंपनियाँ म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 में निहित प्रावधानों के अनुसार कटिबद्ध हैं एवं म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश के अनुसार ही बिल जारी कर विद्युत प्रदाय संहिता 2013 में निहित प्रावधानों के अनुसार वसूली की कार्यवाही की जाती है। इस प्रकार वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप ही प्रश्नाधीन क्षेत्र में कार्यवाही की जा रही है, अत: किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) सिवनी जिले के अन्तर्गत मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा विद्युत वितरण का कार्य किया जा रहा है। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 के वार्षिक लेखों की प्रति सी.ए.जी की अंकेक्षण रिपोर्ट सहित विधानसभा के पटल पर क्रमश: दिनांक 24.03.2015 एवं दिनांक 27.07.2016 को रखी जा चुकी है तथा वर्ष 2015-16 के वार्षिक लेखों की प्रति सी.ए.जी. की अंकेक्षण रिपोर्ट सहित विधानसभा के पटल पर रखने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
श्री दिनेश राय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मैंने अपने प्रश्न के भाग (क) में उत्तर चाहा था उसका विभाग द्वारा जो तीन वित्तीय वर्षों में कुल विद्युत खपत की वर्षवार जानकारी परिशिष्ट में दी गई है उस परिशिष्ट "पांच " को अगर आप स्वयं देख लेंगे तो आपको जानकारी हो जायेगी कि सिवनी जो शहरी क्षेत्र है यहां वर्ष 2013-14 में बिजली की खपत 327.11 यूनिट और वर्ष 2015-16 में 417.34 यूनिट है. मेरे विधानसभा क्षेत्र का जो छपारा और गनेशगंज क्षेत्र है यहां पर हम माईनस हो गये हैं. वर्ष 2013-14 में गनेशगंज में 2.01 यूनिट और 2015-16 में 1.84 यूनिट बिजली की खपत हुई है. इसका मतलब यह है कि कहीं न कहीं हम इस क्षेत्र में या तो बिजली की कटौती कर रहे हैं, या वोल्टेज कम है क्योंकि छपारा और गनेशगंज से हमारे ग्रामीण क्षेत्र की 34 पंचायतें जुड़ी हुई हैं. वहां वोल्टेज की समस्या है. मंत्री जी आपने मेरे क्षेत्र को उप विद्युत केन्द्र दिये हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि गोरखपुर क्षेत्र के लिये भी एक विद्युत उप केन्द्र स्वीकृत कर दें. क्योंकि उत्तर में ही स्पष्ट है कि कटौती अधिक है, बिजली की खपत कम है, वोल्टेज की समस्या है तो वहां उप विद्युत खोलेंगे क्या ?
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो मांग की है उसका हम परीक्षण करवा लेंगे यदि तकनीकी साध्यता होगी और आवश्यकता होगी तो यह सरकार तो किसानों की है, करेंगे साहब.
श्री दिनेश राय-- -- कब तक कर देंगे यह और बता दें.
श्री पारस चन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, इसकी समय सीमा बताना संभव नहीं है.
श्री दिनेश राय-- -- एक साल, दो साल, पांच साल कब तक करेंगे.मंत्री जी आपको धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि मेरा एक अशासकीय संकल्प जो आंगनवाड़ी केन्द्र और ग्राम पंचायतों को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिये आपने सहमति दी है. श्री विश्वास सारंग जी भी बैठे हुये हैं, गोपाल भार्गव जी उसमें कुछ तकनीकी त्रुटियां थी लेकिन मंत्री जी आपने उसको दिलेरी से उस प्रस्ताव को पास किया है, तो वह कब से चालू करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- वह प्रश्न उद्भुत नहीं होता है.
श्री दिनेश राय-- -- वह नहीं होता है तो इसको कब तक करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय- किस चीज को ? प्रश्न क्रमांक 13
श्री दिनेश राय-- - अध्यक्ष महोदय, अच्छे मंत्री हैं, बढ़ाई भी कर रहा हूं, बधाई भी दे रहा हूं.
श्री पारस चन्द्र जैन--मैंने कहा है कि अतिशीघ्र, जल्दी से जल्दी कराने की कोशिश करूंगा.
अध्यक्ष महोदय--जल्दी से जल्दी कहा है.
श्री दिनेश राय-- मंत्री जी धन्यवाद.
दतिया जिले में पोषण आहार का वितरण
[महिला एवं बाल विकास]
13. ( *क्र. 5015 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या दतिया जिले में स्थित आंगनवाड़ियों में बच्चों को स्व-सहायता समूहों द्वारा पोषण आहार दिया जा रहा है? (ख) क्या शासन के नियमों के तहत आंगनवाड़ी केन्द्रों से बच्चों की उपस्थिति संख्या सुपरवाईजर से प्रमाणित होने के उपरांत ही संबंधित आपूर्तिकर्ता को भुगतान किया जाना चाहिये? क्या स्व-सहायता समूहों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का कोई सगा संबंधी नहीं होना चाहिये? (ग) क्या दतिया जिले के सेवढ़ा/भाण्डेर विधानसभा क्षेत्र के कई आंगनवाड़ियों के स्व-सहायता समूहों को सुपरवाईज़र के उपस्थिति प्रमाणित कराये बिना दर्ज संख्या से अधिक बच्चों की राशि का भुगतान किया जा रहा है? (घ) भाण्डेर/सेवढ़ा विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्रों के दिनांक 01 जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक भुगतान किये गये पोषण का विवरण आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा सुपरवाईजरों द्वारा दिये गये उपस्थिति पत्रकों का विवरण उपलब्ध कराएं। साथ ही आंगनवाड़ी केन्द्रों को पोषण आहार आपूर्तिकर्ता समूहों के नाम की सूची उपलब्ध करायें तथा यह भी प्रमाणित करें कि इन समूहों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के कोई सगे संबंधी नहीं हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। विभागीय निर्देशानुसार दतिया जिले में स्व-सहायता समूह के माध्यम से आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों को पोषण आहार दिया जा रहा है। (ख) राज्य शासन के निर्देशानुसार स्व-सहायता समूहों द्वारा प्रस्तुत जानकारी के आधार पर परियोजना अधिकारी द्वारा अभिप्रमाणित एवं संकलित कम्प्यूटरीकृत देयक के आधार पर भुगतान किया जाता है। जी नहीं। (ग) जी नहीं। दतिया जिले की सेवढ़ा एवं भाण्डेर परियोजना में आंगनवाड़ी केन्द्र में दर्ज एवं उपस्थिति के मान से ही भुगतान किया जाता है। दर्ज संख्या से अधिक उपस्थिति का भुगतान नहीं किया जा रहा है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' एवं ''2'' अनुसार है।
श्री घनश्याम पिरोनियाँ : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि क्या दतिया जिले में स्थित आंगनवाड़ियों में बच्चों को स्व-सहायता समूहों द्वारा पोषण आहार दिया जा रहा है. (ख) में है कि क्या शासन के नियमों के तहत आंगनवाड़ी केन्द्रों से बच्चों की उपस्थिति संख्या सुपरवाईजर से प्रमाणित होने के उपरान्त ही संबंधित आपूर्तिकर्ता को भुगतान किया जाना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय- पिरोनियां जी, यह चीज तो लिखित में आ गई है. उत्तर भी आ गया है. यदि आपको इस उत्तर के बाद कुछ पूछना है तो पूछिये.
श्री घनश्याम पिरोनियां -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों की संख्या में गड़बड़ी की जाती है. जबकि वास्तव में सरकार की मंशा है कि सभी बच्चों को पोषण आहार मिले और वह आगे बढ़े इसी कारण से यह योजना प्रारंभ हुई है लेकिन इस योजना में सुपरवाईजर और अन्य कार्यकर्तागण योजना का पलीता लगाने का काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जब सरकार की मंशा है कि उन बच्चों को उनका हक और अधिकार मिले उसमें कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हो तो जो लोग इस मामले में दोषी हैं उनके खिलाफ आप कब तक कार्यवाही कर देंगी.
श्रीमती अर्चना चिटनीस - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य की जैसी इच्छा है, उसी अनुसार हम व्यवस्था को सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे.
श्री घनश्याम पिरोनियॉं - माननीय मंत्री, किसी अधिकारी को भेजकर करवा दीजिए.
श्रीमती अर्चना चिटनीस - किसी अधिकारी को भेज दूंगी.
श्री घनश्याम पिरोनियॉं - धन्यवाद मंत्री जी.
पाँच वर्षों से अधिक अवधि से पदस्थ अधिकारियों का अन्यत्र स्थानांतरण
[नर्मदा घाटी विकास]
14. ( *क्र. 5805 ) श्री तरूण भनोत : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में नर्मदा घाटी विकास विभाग में पदस्थ कितने कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री पिछले पाँच वर्षों से एक ही संभाग/मण्डल में पदस्थ हैं? जानकारी उनके नामवार, उनके संभाग में पदस्थी दिनांकवार बताई जावे। (ख) क्या शासन की स्थानांतरण नीति के अन्तर्गत प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को तीन वर्ष से अधिक एक ही स्थान पर नहीं रखने संबंधी शासन के निर्देश हैं? (ग) यदि वर्णित (ख) हाँ तो वर्णित (क) के अधिकारी जो विगत पाँच वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं, उन्हें कब तक हटाया जावेगा?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जी हाँ, स्थानांतरण नीति 2015 में उल्लेख है, परन्तु अनिवार्यता नहीं है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में कार्यपालन यंत्रियों/अधीक्षण यंत्रियों की सेवायें अन्य विभागों से प्रतिनियुक्ति पर ली जाती हैं। वर्तमान में प्राधिकरण में अभियंताओं की कमी है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पाइंटेड प्रश्न पूछना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार ने जो अपनी स्थानांतरण नीति बनाई है, क्या सरकार उसका पालन कर रही है?
राज्यमंत्री सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, स्थानांतरण नीति का पालन भी हो रहा है, माननीय सदस्य इसके बाद जो पूछेंगे उसका भी जवाब मैं दे देता हूं.
श्री तरूण भनोत - मंत्री जी आप बड़े समझदार है, पहले से ही पता है आपको कि क्या पूछेंगे. चोर की दाढ़ी में तिनका.
अध्यक्ष महोदय - प्रिसम्शन, प्रिसम्शन होता है.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह भी मालूम है कि सदस्य क्या पूछना चाहेंगे, इसलिए पहले ही मैं उनको यह सुविधा दे देता हूं. 2015 में स्थानांतरण नीति है, उसमें यह सही है कि समय सीमा तक ही कोई अधिकारी एक स्थान पर रहता है, उसके साथ साथ यह भी प्रावधान है कि विभाग की आवश्यकतानुसार एवं कार्य की आवश्यकतानुसार भी शिथिलता लाई जा सकती है.
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा पाइंटेड प्रश्न है कि ऐसी कौन सी आवश्यकता शासन की है, जब नीति आपने बनाई तीन साल से ज्यादा कोई अधिकारी नहीं रहेगा, साढ़े तीन साल रह ले, चार साल रह लें, लेकिन 6-6 और 8-8 साल से वह अधिकार है, जिनकी विभागीय जांच हो रही है, क्या जिनकी जांच हो रही है उनके अलावा ऐसे कोई अन्य अधिकारी नहीं है विभाग के पास में कि उनको वहां पर बैठा दें, इसका जबाव दे दें माननीय मंत्री?
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा घाटी विकास में खुद का कोई कैडर नहीं है. सभी अधिकारी डेपुटेशन पर आते हैं, इससे पहले भी प्रश्न में यहां पर चर्चा हुई कि काम किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने से संबंधित है तो एकदम से शिफ्टिंग में बहुत दिक्कत होती है, अधिकारी वैसे तो बहुत कम ही है, यदि आप चाहेंगे तो मैं यहां पर आंकड़ा बता सकता हूं, जितने अधिकारियों की जरूरत है, उससे आधे भी अधिकारी इस विभाग में अभी नहीं है, लगातार उसकी मांग की जाती है लेकिन, डेपुटेशन पर सभी अधिकारी नहीं आ पा रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे ही प्रतिनियुक्ति से दूसरे अधिकारी आएंगे तो इन अधिकारियों को हटा दिया जाएगा.
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अंतिम प्रश्न, यह भी पाइंटेड है तीन वर्ष की जगह पांच वर्ष 6 वर्ष और 7 वर्ष से जो वह अधिकारी पदस्थ हैं और जिनके ऊपर विभागीय जांच चल रही है, ऐसी शासन की क्या मजबूरी उनको नहीं हटा रहे, यदि आपके पास अधिकारियों की कमी है आपके पास पर्याप्त अधिकारी नहीं है, ईमानदार लोग नहीं है तो यह भी आपकी नाकामी है.
अध्यक्ष महोदय - आप पाइंटेड प्रश्न पूछ रहे थे न?
श्री तरूण भनोत - अध्यक्ष जी, मेरा सिर्फ यह कहना है कि जिनको तीन वर्ष की जगह 6 वर्ष हो गए और जिन अधिकारियों की विभागीय जांच चल रही है, आप क्या उन अधिकारियों को हटा देंगे?
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, आ गया आपका प्रश्न.
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, विश्वास भाई बड़ी किस्मत की बात है कि आप आज इस विभाग का जबाव दे रहे हैं. मैं बड़े विश्वास के साथ चाहता हूं कि आप इसका सही जबाव दें.
श्री विश्वास सारंग - आप अपनी सीआर ठीक कर रहे हो, या मेरी बिगाड़ रहे हो(हंसी...) अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने कहा है, जैसे ही रिप्लेसमेंट मिलेगा हम शिफ्ट कर देंगे.
श्री तरूण भनोत - मतलब 6 साल और लगेंगे आपको रिप्लेसमेंट ढूंढने में.
शासकीय महाविद्यालय धनेटा पोरसा में विद्युत व्यवस्था
[ऊर्जा]
15. ( *क्र. 3818 ) एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शा. महाविद्यालय धनेटा पोरसा जिला मुरैना, ग्राम धनेटा से कितनी दूरी पर स्थित है? (ख) क्या ग्राम धनेटा से कॉलेज तक विद्युत विभाग द्वारा बिजली के पोल नहीं डाले गये हैं, जिसके कारण आज दिन तक धनेटा पोरसा शा. महाविद्यालय विद्युत विहीन है? विद्युत व्यवस्था न होने से शास. कम्प्यूटर तथा अन्य आवश्यक उपकरण अनुपयोगी पड़े हुए हैं। (ग) क्या शासन छात्र-छात्राओं के हित को ध्यान में रखते हुए ग्राम धनेटा से शासकीय महाविद्यालय (दूरी लगभग 500 मीटर) तक पोल गाड़कर डी.पी. रखवाकर विद्युत व्यवस्था करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक, नहीं तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) शासकीय महाविद्यालय धनेटा पोरसा, जिला मुरैना ग्राम धनेटा से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। (ख) शासकीय महाविद्यालय धनेटा के विद्युतीकरण हेतु अधोसंरचना विकसित करने का कार्य नियमानुसार ''अ'' श्रेणी के विद्युत ठेकेदार से मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सुपरविज़न में महाविद्यालय प्रशासन द्वारा कराया जाना था, लेकिन महाविद्यालय प्रशासन द्वारा उक्त कार्य न करवाकर निम्न दाब लाईन से ही तात्कालिक समय में निम्न दाब कनेक्शन प्राप्त कर दिनांक 30.09.2005 से विद्युत का उपयोग किया जा रहा था। उक्त कनेक्शन की सर्विस लाईन जलने/खराब होने पर महाविद्यालय प्रशासन द्वारा सर्विस लाईन नहीं बदलवाने के कारण माह जून 2016 से विद्युत प्रदाय बंद है। उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय के प्राचार्य के द्वारा दिनांक 14.08.2015 को लाईन विस्तार कार्य एवं 25 के.व्ही.ए. क्षमता का एक वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित करने हेतु आवेदन दिया गया, जिस पर मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालय द्वारा दिनांक 06.01.2016 को राशि रू. 249719/- का प्राक्कलन स्वीकृत कर सुपरविज़न चार्ज एवं सर्विस टैक्स की राशि रू. 15,714/- का माँग पत्र जारी किया गया था, लेकिन आवेदक द्वारा उक्त राशि जमा नहीं करने के कारण प्रकरण में अग्रिम कार्यवाही नहीं की जा सकी। पुन: दिनांक 26.09.2016 को महाविद्यालय के प्राचार्य के द्वारा प्राक्कलन स्वीकृति हेतु आवेदन दिया गया, जिसके अनुसार उक्त कार्य नगरपालिका परिषद के द्वारा कराया जाना था, परन्तु प्राक्कलित राशि लगभग रू. 2.75 लाख होने के कारण नगरपालिका परिषद द्वारा उक्त कार्य करवाने में असमर्थता बतायी गई एवं उनके पास उक्त मद में मात्र रू. 2 लाख की राशि उपलब्ध होने के कारण पुन: पूर्व से स्थापित 100 के.व्ही.ए. क्षमता के ट्रांसफार्मर से निम्नदाब लाईन का लगभग 0.4 कि.मी. का विस्तार कार्य करने हेतु राशि रू. 1,94,496/- का प्राक्कलन स्वीकृत कर प्राचार्य, शासकीय महाविद्यालय धनेटा को कनिष्ठ यंत्री पोरसा के द्वारा सुपरविज़न चार्ज एवं अन्य प्रभार की राशि रू. 13,250/- का मांग पत्र दिनांक 04.03.2017 को जारी किया गया है। उक्त राशि आज दिनांक तक जमा नहीं कराई गई है। (ग) प्राचार्य, शासकीय महाविद्यालय धनेटा को कनिष्ठ यंत्री पोरसा के द्वारा सुपरविज़न चार्ज एवं अन्य प्रभार की राशि रू. 13,250/- का माँग पत्र दिनांक 04.03.2017 को जारी किया गया है। राशि जमा होने के उपरांत उक्त कार्य ''अ'' श्रेणी के विद्युत ठेकेदार के माध्यम से महाविद्यालय/प्रशासन नगरपालिका परिषद के द्वारा मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सुपरविजन में करवाया जावेगा। अत: कार्य पूर्णता की समय-सीमा बताना संभव नहीं।
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न शासकीय महाविद्यालय पोरसा में बिजली व्यवस्था को लेकर है, पोरसा नगर पालिका क्षेत्र है और उसमें आज तक लाइट का प्रबंधन नहीं है, वहां पर छात्र कम्प्यूटर या अन्य उपकरण चलाने के लिए परेशान है. मैं चाहता हूं कि वहां पर लाइट का प्रबंध करा दिया जाए और माननीय मंत्री महोदय, यह कब तक करा देंगे, यह विनम्र प्रार्थना करता हूं.
श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विभाग ने पहले भी एक लेटर 22.03.17 को लिखा था, नगर पालिका द्वारा सरचार्ज 13750 रूपए जमा करा दिया है, काम उनको ही कराना है, पैसा जमा हो गया है, हमने तो सरचार्ज लेकर काम की अनुमति दे दी है.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय नगर पालिका का जरूर है, लेकिन आप उसमें थोड़ी सी सक्रिय भूमिका निभाएं, यह छात्रों से जुड़ा हुआ विषय है, इसमें गंभीरता से आप कार्यवाही करने की कृपा करेंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अभी बताया हूं. राशि जमा करा दी है, हमने वर्कआर्डर दे दिया है, काम उनको ही करना है, किसी से भी काम करवा लें.
अध्यक्ष महोदय - आप राशि जमा करवा दीजिए.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार - धन्यवाद, माननीय मंत्री महोदय इसको आप प्राथमिकता के आधार पर करवा देंगे.
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं का क्रियान्वयन
[सामान्य प्रशासन]
16. ( *क्र. 6744 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 31 जनवरी 2017 को ब्यावरा नगर में आयोजित एन.एच.ए.आई. के फोरलेन भूमिपूजन कार्यक्रम एवं जिला स्तरीय अंत्योदय मेले में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई घोषणाओं के संबंध में कलेक्टर जिला राजगढ़ द्वारा अपने पत्र क्रमांक/11427/एस.सी. 2/2017 राजगढ़ दिनांक 04.02.2017 से प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल को आवश्यक कार्यवाही हेतु जानकारी प्रेषित की गई है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक उक्त घोषणाओं पर आवश्यक व त्वरित कार्यवाही हेतु किन-किन विभाग प्रमुखों को क्या दिशा-निर्देश दिये गये हैं? निर्देशों की प्रति सहित जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) क्या उपरोक्तानुसार माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई घोषणाओं के परिपालन की कोई समय-सीमा निर्धारित की गई? यदि हाँ, तो क्या?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) घोषणाओं के क्रियान्वयन की कार्यवाही एक सतत् प्रक्रिया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री नारायण सिंह पँवार -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री जी का दिनांक 16.3.2017 को दौरा हुआ था और उन्होंने 7-8 घोषणाएं की थीं, उसके परिपालन में कलेक्टर, राजगढ़ द्वारा दिनांक 4.2.2017 को प्रमुख सचिव, माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र भी प्रेषित कर दिया गया. मैं जानना चाहूंगा कि उसके परिपालन में क्या कार्यवाही हुई है, उत्तर में लिखा है कि जी हां पत्र प्रेषित कर दिया गया है. मेरी यह बहुत महत्वपूर्ण मांगें थीं, जिनकी मुख्यमंत्री जी ने घोषणाएं की हैं. जैसे सुठालिया नगर में महाविद्यालय स्थापित करना. टप्पा सुठालिया जिला राजगढ़ को तहसील का दर्जा प्रदान करना, ब्यावरा नगर में ऑडिटोरियम निर्माण की स्वीकृति, अस्थाई अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सब डिवीजन ब्यावरा को स्थाई करना, ब्यावरा में ड्रायविंग ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना..
अध्यक्ष महोदय -- वह तो इसमें सूची है. आप सीधा प्रश्न पूछ लीजिये.
श्री नारायण सिंह पँवार -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि मेरे अधिकांश प्रश्नों के उत्तर में विभागों ने कहा कि हमें कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है, जबकि केवलराम धुर्वे, अवर सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय के द्वारा दिनांक 23.2.2017 को इसकी जानकारी सभी संबंधित विभागों को दे दी गई है. तो क्या सभी विभागों ने इस पर कोई संज्ञान लिया है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि इन घोषणाओं पर कब तक अमल प्रारंभ हो जायेगा.
राज्यमंत्री, सहकारिता(श्री विश्वास सारंग) -- अध्यक्ष महोदय, जैसा विधायक जी ने कहा, मुख्यमंत्री जी की 8 घोषणाएं थीं और मुझे उनको यह बताते हुए प्रसन्नता है कि इसमें से 3 के ऊपर तो कार्यवाही शुरु हो गई है. 8वें नम्बर की घोषणा बजट में आ गयी है. 7वें नम्बर की घोषणा का भी पैसा उसमें आवंटित हो गया है और जो ऑडिटोरियम है, उस पर कार्यवाही चल रही है. बाकी जो भी घोषणाएं हैं, वह मुख्यमंत्री जी की घोषणा के पोर्टल में आ गई हैं और जल्दी से जल्दी उन पर कार्यवाही होकर के उसका निष्पादन हो जायेगा.
श्री नारायण सिंह पँवार -- अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे यहां सुठालिया नगर में महाविद्यालय इसी सत्र से प्रारंभ हो जाये और टप्पा सुठालिया जिला राजगढ़ को तहसील का दर्जा इसी सत्र में शुरु हो जाये, तो क्षेत्र के किसानों और विद्यार्थियों को लाभ मिल सकेगा और जो 7वें एवं 8वें नम्बर की घोषणा में जो बजट आवंटित हो गया है, इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 17.
मुरैना स्थित रिफाइनरियों से बाहर भेजा गया खाद्य तेल
[वाणिज्यिक कर]
17. ( *क्र. 5366 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना वाणिज्यकर जाँच नाके से मुरैना की रिफाइनरियों में वर्ष 2015-16 में कितनी मात्रा में खाद्य तेलों को बाहर से मंगाया गया? (ख) क्या वाणिज्यकर जाँच चौकी मुरैना की क्रूड ऑयलों की प्रविष्टियों मार्गों पर स्थित अन्य प्रदेशों की जाँच चौकियों से भिन्न है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्या शासन इन प्रविष्टियों की सत्यता की जाँच हेतु कोई प्रावधान बनायेगा? (ग) उक्त समयावधि में मुरैना रिफाइनरियों से कितनी मात्रा में रिफाइण्ड खाद्य तेल की कितनी मात्रा बाहर भेजी गई।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मुरैना वाणिज्यिक कर, जाँच नाके से मुरैना की रिफाइनरियों में वर्ष 2015-16 में रू. 3905462145.00 का खाद्य तेल बाहर से बुलाया गया। जाँच चौकी पर किसी कमोडिटी का रिकॉर्ड मात्रात्मक आधार पर संधारित नहीं किया जाता है। (ग) उक्त समयावधि में मुरैना रिफाइनरियों से रू. 2024284034.00 का रिफाइंड खाद्य तेल बाहर भेजा गया है। किसी कमोडिटी का रिकार्ड मात्रात्मक आधार पर संधारित नहीं किया जाता है।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार -- अध्यक्ष महोदय, मैंने वित्त मंत्री जी से यह जानना चाहा था कि मुरैना वाणिज्यिक कर जांच नाके से मुरैना की रिफाइनरियों में वर्ष 2015-16 में कितनी मात्रा में खाद्य तेलों को बाहर से मंगाया गया. मंत्री महोदय के द्वारा मुझे जो जवाब मिला है, मुरैना वाणिज्यिक कर, जांच नाके के मुरैना की रिफाइनरियों में वर्ष 2015-16 में रुपये 3905462145.00 का खाद्य तेल बाहर से बुलाया गया. जांच चौकी पर किसी कमोडिटी का रिकार्ड मात्रात्मक आधार पर संधारित नहीं किया जाता है. मुझे लगता है कि अगर मात्रात्मक आधार पर संधारित नहीं किया जायेगा, तो इसमें बहुत बड़ा मिलावटी काम जो हो रहा है, उसको बल मिलेगा. मेरा मंत्री जी से यह कहना है और वे मेरा प्रश्न लगाने का आशय भी समझ गये होंगे कि लगभग 50 से 60 टेंकर प्रति दिन सोयाबीन ऑयल, फूड फार्म ऑयल, सीड्स ऑयल यह सब सरसों के तेल में मिलाया जाता है. मिलावट को लेकर मैंने जो प्रश्न लगाया है, पूरे मुरैना जिले में एक बहुत बड़े लेविल का मिलावट का काम चल रहा है. जो व्यापारी अच्छा काम कर रहे हैं, उनके लिये मैं नहीं कहना चाहता, लेकिन मिलावट का एक बहुत बड़ा काम चल रहा है, क्योंकि मंत्री जी ने यह कहा है कि इसकी सत्यता के लिये जांच चौकियां अन्य राज्यों में अवस्थित नहीं हैं. अगर हम इसकी सत्यता की जांच नहीं करा पायेंगे, तो कैसे इस मिलावट के काम को बंद करा पायेंगे. मैं मंत्री जी से इसमें जानना चाहता हूं कि क्या इसके लिये सरकार कोई ठोस कदम उठायेगी.
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मानननीय सदस्य ने पूछा, मध्यप्रदेश वेट अधिनियम,2002 की धारा 9 के अंतर्गत वस्तुओं के विक्रय मूल्य पर कर लगाया जाता है और इसकी मात्रात्मक जानकारी संधारित नहीं की जाती है. इसकी जो दूसरी धाराएं हैं, जैसे इस अधिनियम की धारा 9 (क) है, जिसमें जैसे रेत, गिट्टी, सोरिंग स्टोन आदि हैं, तो इसको हम मात्रा के आधार पर लेते हैं. इसी तरीके से धारा 9 (कक) है, इसमें सारे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को लेते हैं. तो जो रिफाइनरियों में ऑयल आता है, इसके लिये मात्रात्मक जानकारी संधारित नहीं की जाती है.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार -- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो दूसरा प्रश्न किया था, उसमें मैंने यह जानना चाहा था कि क्या यह जो राजस्थान और यूपी की जांच चौकियां हैं, उनमें से हम अपना सत्यापन करा लेंगे, अपनी जो जांच चौकियां हैं, वाणिज्यिक कर की..
अध्यक्ष महोदय -- उनका कहना यह है कि सत्यापन की कोई व्यवस्था करेंगे क्या.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने यह कहा है कि वहां जांच चौकियां अवस्थित नहीं हैं. तो इसकी सत्यता के लिये एक कमेटी बनाकर इसकी जांच करा ली जाये.
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेदश से दो राज्य लगे हुए हैं राजस्थान और उत्तर प्रदेश, जहां से माल आता है और जो कांडला के पोर्ट से भी माल आता है गुजरात से, वह भी इन दोनों प्रदेशों के माध्यम से होते हुए आता है. परन्तु वहां पर कोई जांच चौकियां हैं नहीं.
दतिया जिलांतर्गत अवैध शराब की बिक्री
[वाणिज्यिक कर]
18. ( *क्र. 5672 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दतिया जिले में आबकारी विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2016-17 में कितने व्यक्तियों को कितनी-कितनी अवैध शराब देशी/विदेशी विक्रय करने का प्रकरण बनाकर उसके खिलाफ क्या कार्यवाही की? जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) देशी/विदेशी मदिरा ठेकेदारों को शासन द्वारा किसी शासकीय प्रतिष्ठान से उपलब्ध कराई जाती है या किसी निजी प्रतिष्ठान अथवा ठेकेदार से यानि खुले बाजार से? (ग) क्या आबकारी विभाग ठेकेदारों के माध्यम से एक लायसेंस से 4-5 दुकानें नगर में तथा पुलिस के साथ समझौता कर थाने के अंतर्गत आने वाले समस्त ग्रामों में मदिरा का अवैध बिक्री का कारोबार करवा रहा है? यदि नहीं, तो संपूर्ण प्रकरण की जाँच प्रश्नकर्ता के समक्ष कराई जावेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) आबकारी विभाग द्वारा जिला दतिया में वर्ष 2015-16 में कुल 640 प्रकरण एवं वर्ष 2016-17 में माह फरवरी 2017 अंत तक कुल 668 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये। दर्ज प्रकरणों में जप्त की गई मदिरा की विकासखण्डवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है, दर्ज प्रकरणों में आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34 के अंतर्गत कार्यवाही की गई है। (ख) दतिया जिले में देशी मदिरा का प्रदाय शासकीय देशी मद्य भाण्डागार दतिया से एवं विदेशी मदिरा का प्रदाय शासकीय विदेशी मद्य भाण्डागार ग्वालियर से किया जाता है। (ग) आबकारी विभाग दतिया द्वारा जिले में विदेशी मदिरा के फुटकर विक्रय हेतु 15 एवं देशी मदिरा के फुटकर विक्रय हेतु 54 लायसेंस एवं 02 एफ.एल. 3 लायसेंस जारी किये गये हैं। लायसेंसशुदा दुकानों से ही मदिरा का विक्रय किया जाता है। इसके अतिरिक्त कहीं भी मदिरा विक्रय की अनुमति नहीं दी गई है, अवैध मदिरा विक्रय की सूचना प्राप्त होने पर आबकारी विभाग/पुलिस विभाग द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध कर कार्यवाही की जाती है।
श्री प्रदीप अग्रवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न 'ख' के उत्तर में कहा गया है कि देशी मदिरा का प्रदाय शासकीय मद्य भण्डार दतिया एवं विदेशी मदिरा का प्रदाय ग्वालियर से किया जाता है. इसका मतलब यह है कि खुले बाजार में देशी और विदेशी मदिरा की बिक्री नहीं होती है. मेरा प्रश्न यह है कि 2015-16 एवं 2016-17 में जो प्रकरण बनाये गये हैं, उनमें जो मदिरा पकड़ी गई है, वह उनके पास कहां से आई ? क्योंकि खुले बाजार में नहीं बिकती है तो यह चोरी का माल है, यह तो निश्चित है, लेकिन चोरी किसकी हुई है तो क्या माननीय मंत्री महोदय यह बताने का कष्ट करेंगे कि वह मदिरा उनके पास कहां से आई ? मेरा एक प्रश्न इसी में और भी है कि जिनसे वह मदिरा पकड़ी गई है, उनके पास कहां से आई तो क्या उन ठेकेदारों पर कार्यवाही की जायेगी?
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने अपने उत्तर में बताया है कि किस वर्ष में, कितनी मात्रा में शराब पकड़ी गई है और जो शराब पकड़ी गई है, उनमें जितने लोग पकड़े गए हैं, उनके खिलाफ हमने न्यायालय में प्रकरण दिए हैं, उनके खिलाफ जांच हो रही है परन्तु जहां तक यह सवाल आता है कि किसके पास से शराब पकड़ी गई है, कई बार शराब पकड़ी भी जाती है परन्तु वे लोग नदी-नालों के किनारे बनाते हैं तो वे लोग पकड़े नहीं जाते हैं, उस तरह की भी अवैध शराब रहती है और जो शराब अवैध परिवहन होती है, जो पकड़ी जाती है, वह भी इसी प्रकार से रहती है, जिसमें लोग नहीं पकड़े जाते हैं.
श्री प्रदीप अग्रवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, बात देशी और विदेशी मदिरा की हो रही है. वह खुले बाजार में नहीं बिकती है. प्रश्न यही है कि इस प्रकार की कार्यवाही से ठेकेदारों को संरक्षण मिलता है क्योंकि ठेकेदार खुद देशी और विदेशी मदिरा दूसरे लोगों से खुले बाजार में बिकवाते हैं और जब शराब पकड़ी जाती है तो उसे बेचने वाला पकड़ा जाता है जबकि दोषी ठेकेदार होता है. यदि ठेकेदार पर कार्यवाही की जाती है तो इस प्रकार के कामों पर रोक लगाई जा सकती है.
श्री जयंत मलैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस व्यक्ति से शराब पकड़ी जाती है. अगर वह यह बताता है कि उसका सोर्स कोई ठेकेदार है तो उसके खिलाफ भी कार्यवाही की जाती है.
श्री प्रदीप अग्रवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूछना पुलिस का काम है. हमें प्रयास करना चाहिए कि वह बताए.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.03 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
12.04 बजे शून्यकाल में उल्लेख
अध्यक्ष महोदय - (इन्दिरा नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण के एक साथ खड़े होने पर) कृपया सब बैठ जाएं. आप सुन लें. आज बहुत विधेयक हैं. कुँवर सौरभ सिंह जी आप भी बैठ जाएं. अब मेरा श्री तरूण भनोत से अनुरोध है, मैंने कल उन्हें आश्वस्त किया था. आप अपनी बात बहुत संक्षेप में रखेंगे. उसके बाद आधा-आधा मिनट देंगे, 6 सदस्यों से ज्यादा नहीं देंगे.
(1)श्री तरूण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कल यहां जो मुद्दा उठाया था कि संसद में माननीय केन्द्रीय खाद्य मंत्री जी ने यह रिपोर्ट दी है कि मध्यप्रदेश में बीते 2 वर्ष में 157 लाख टन अनाज गोदामों में सड़ गया, जिसमें 53 लाख टन गेहूँ एवं 104 लाख टन चावल सरकारी गोदामों में सड़ गया. यह लोक महत्व का मुद्दा है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सन् 2010 में सभी राज्यों को यह ताकीद दी थी कि अनाज सड़ने से अच्छा है कि आप उसको गरीबों में बांट दें. अगर यह 157 लाख टन अनाज, जिसका मूल्य 4,000 करोड़ रुपये होता है. यदि मध्यप्रदेश के गरीबों को बांट दिया होता तो आज हम लोग अपने घरों में बैठकर आराम से खाना खा रहे होते. मैं माननीय सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि इसमें बहुत गंभीर भ्रष्टाचार हुआ है. क्या यह अनाज खरीदा भी गया था ? जिसका भुगतान हुआ है. इसकी सरकार को सी.बी.आई. जांच करवानी चाहिए. इसके साथ-साथ जो शराब निर्माता हैं, उनको जानकर षड्यंत्र करके इस अनाज को सड़ाया गया जिससे कि वह इसको कम मूल्य पर खरीद सके. इसकी जांच शासन द्वारा सी.बी.आई. के माध्यम से कराई जानी चाहिए.
(2) डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी ग्वालियर चंबल अंचल में गेहूं की फसल हरी है. 25 दिनों तक गेहूं के कटने की संभावना नहीं है. लेकिन विद्युत विभाग द्वारा गांव में जबर्दस्ती जिन लोगों ने पैसा जमा किया है उनके भी और जिन्होंने पैसा जमा नहीं किया है उनके भी ट्रांसफार्मर उतारे जा रहे हैं. मेरा उर्जा मंत्री जी से अनुरोध है कि जिन्होंने पैसा नहीं चुकाया है उनके ट्रांसफार्मर तो आप उतार सकते हैं लेकिन सामूहिक रूप से ट्रांसफार्मर उतारे जाएंगे तो किसान का खाद, बीज, मेहनत, मजदूरी सब चली जाएगी और किसान बर्बाद हो जाएगा. मेरा अनुरोध है कि आप ऐसे लोगों के ट्रांसफार्मर न उतारें जिन्होंने पैसा जमा कर दिया है.
(3) श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-- अध्यक्ष महोदय, मालवा में गेहूं की खरीदी बहुत अच्छी चल रही है. मैंने कल भी मुद्दा उठाया था कि हजारों क्विंटल गेहूं उपार्जन केन्द्रों पर आ रहा है. मैं आपके माध्यम से सहकारिता मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि 10 रुपए क्विंटल में बोरी भरना, छपाई करना और वेयरहाउस तक पहुंचाना यह सब संभव नहीं है. मैं आपके माध्यम से सहकारिता मंत्री जी से आग्रह कर रहा हूं कि लगभग 20 से 25 रुपए हम्माली कर दी जाए ताकि उपार्जन केन्द्रों में हम्माली सही हो सके.
(4) कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)-- अध्यक्ष महोदय, कटनी में 8 नवंबर के बाद 500 और हजार के नोट बंद किए गए तब रजनीश तिवारी के नाम से एक प्रकरण सामने आया. इसमें हजारों करोड़ रुपए का बेनामी फर्जी खाते से लेनदेन हुआ. इसमें देश से बाहर पैसा भेजा गया. इसमें कई बड़े लोग इसमें संलिप्त हैं. मैंने इस पर स्थगन प्रस्ताव भी दिया है. मैं आपके माध्यम से इस पर चर्चा चाह रहा हूं. एक भिखारी के नाम पर करोड़ो रुपए बैंक में रखे गए.
श्री रामनिवास रावत-- हजारों करोड़ो रुपए की हेरा-फेरी होती है. इसमें बड़े-बड़े लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. एस.पी. गौरव तिवारी जिसने वहां एफ.आई.आर. दर्ज की थी. जो फाइलें पकड़ी गई थीं उसमें कई ऐसी कंपनियां थीं जिन कंपनियों के बड़े बडे़ लोग उसमें संलिप्त हैं. स्थगन पर ऐसे विषय पर चर्चा नहीं कराओगे तो क्या मतलब रह जाएगा. केवल बात आने के लिए ही बात आई है.
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल में तो बात आने के लिए ही बोला जाता है. हमने आपकी बात सुन ली है. आप यहां बहुत सालों से हैं.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, बहुत सालों तक रहेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- यह गारंटी तो कोई नहीं ले सकता.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आप अच्छी बातें करें.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, यह वहीं रहेंगे जहां आज हैं. आगे नहीं बढ़ पाएंगे.
श्री अजय सिंह-- गौर साहब, इस बार तो आपकी अंतिम विदाई होगी.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आपकी शुभकामनाएं हमें प्राप्त नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप बार-बार इस सदन में आएं. हमारी पूरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सौरभ सिंह जी ने जो बात उठाई है. कटनी के रजनीश तिवारी का मामला जिसके ऊपर उन्होंने स्थगन दिया है. माननीय रावत जी ने भी अपनी चर्चा में यह बात कही और स्थगन प्रस्ताव भी दिया है. यह बड़ा गंभीर मामला है. रातों-रात वहां के एस.पी. गौरव तिवारी को हटाया जाता है. एक आदमी जिसके पास खाने के पैसे नहीं हों उसके खाते में से 25 करोड़ रुपए निकाले जाते हैं. वह बेचारा थाने में तीन दिन बंद रहा. टी.आई. द्वारा कहा जाता है कि आप लिखित में दे दो कि यह पैसे तुम्हारे हैं नहीं तो तुम्हें मरवा देंगे. अध्यक्ष महोदय, इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. हमारा आपसे अनुरोध है कि आप इस पर चर्चा कराने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय-- इस पर विचार करते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, एक आदमी मर गया. यह कितनी गभीर बात है. अगर आप इस पर चर्चा कराएंगे तो बड़ी कृपा होगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, आज की कार्यसूची में मेरा ध्यानाकर्षण 55 नंबर पर है. मैं आपसे संरक्षण चाहते हुए...
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक तरफ नरेन्द्र मोदी जी डिमोनेटाइजे़शन की बात करते हैं. दूसरी तरफ एक ही जगह पर करोड़ों रुपए की हेरा-फेरी की बात होती है. जब इसकी जांच हो रही थी तो रातों-रात एस.पी. को हटा दिया जाता है. इस गंभीर विषय पर आप चर्चा कराएं. हमने स्थगन दिया है आप कृपया इसको ग्राह्य करके चर्चा कराएं.
अध्यक्ष महोदय-- देख लेंगे जैसी स्थिति होगी वैसा कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, संदीप बर्मन, दो आदमी थे. जिन्होंने यह बयान दिए कि हमसे कौन आदमी यह काम करवाता था. उसी दिन से यह गायब हैं, इनका पता नहीं है. इनकी पत्नी और बच्चे कह रहे हैं कि यह गायब हैं. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार के लोग इसमें शामिल हैं.
श्री अजय सिंह--यदि आप भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते हैं स्वस्थ परम्परा लाना चाहते हैं तो कम से कम चर्चा तो हो जाए. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह--यह पूरा पैसा भारतीय जनता पार्टी के खाते में आ गया है. इसलिए दबा रहे हैं. (व्यवधान)
श्री अजय सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, हजारों की संख्या में लोगों ने कटनी शहर और जिले को बंद किया था. एक पुलिस अधिकारी को वापस वहां रखने के लिए (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--सात दिन तक लगातार वहाँ आन्दोलन चला. (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया है. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सत्र के पहले दिन ही मैंने स्थगन प्रस्ताव दिया है. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह--मेरा ध्यानाकर्षण भी है और स्थगन भी है. भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए आप लोग चुनकर आए हैं. किसलिए चुनाव हुआ है आपका. आप पूरा पैसा गोल कर रहे हो. करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार कर रहे हो. (व्यवधान)
12.11 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
कुंवर सौरभ सिंह, श्री सुखेन्द्र सिंह एवं श्री हरदीप सिंह डंग द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
कुंवर सौरभ सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस फर्जी लेनदेन पर मैंने स्थगन प्रस्ताव दिया है उस पर चर्चा कराएं.
(कुंवर सौरभ सिंह, श्री सुखेन्द्र सिंह एवं श्री हरदीप सिंह डंग, सदस्यगण कटनी जिले में नोटबंदी के दौरान हुए फर्जी लेनदेन पर चर्चा की मांग करते हुए गर्भगृह में आए तथा अध्यक्ष महोदय की समझाइश पर वापस अपने आसन पर गए.)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बड़े अनुशासित सदस्य हैं अपने स्थान पर जाकर वहीं से बात करें. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--इस विषय में आसंदी से कोई निर्देश आना चाहिए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सुन तो लीजिए. इसीलिए तो उनको विषय उठाने की अनुमति दी है. क्या आप लोग एक मिनट बात सुनेंगे. अभी कॉल अटेंशन के बाद में विनियोग विधेयक पर चर्चा है आप उसमें सब बात कह सकते हैं. शून्यकाल में मैंने आपको अनुमति दी. अब आप कृपया बैठ जाएं दूसरे सदस्यों को आधे-आधे मिनट, एक-एक मिनट अपनी बात रखने का अवसर दें. जो कॉल अटेंशन आए हैं वे भी महत्वपूर्ण हैं. उसके बाद में विधेयक है और फिर विनियोग विधेयक है. आपको बहुत समय मिलेगा, उसमें जो कहना है वह कहिए. बजट सत्र में स्थगन प्रस्ताव नहीं लिया जाता है, आप परम्परा देखिए.
श्री अजय सिंह--इस विषय पर हम लोग विनियोग विधेयक के दौरान चर्चा कर लें ?
अध्यक्ष महोदय--विनियोग के दौरान करिए चर्चा.
श्री अजय सिंह--ठीक है.
(5)श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रबंध संचालक, दुग्ध महासंघ ने 13 जनवरी को एक परिपत्र जारी किया है. दुग्ध संघ और दुग्ध सोसायटियां जो संभागीय स्तर की हैं उनके रुट पर दुग्ध कलेक्शन का काम प्रबंध संचालक, दुग्ध महासंघ करेगा. उसमें एनजीओ, एजेंसियों को आमंत्रित किया जा रहा है. मैं इस विषय पर माननीय मंत्री महोदय से वक्तव्य देने की मांग करुंगा.
(6)नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, पंजाब सरकार ने लालबत्ती कल्चर समाप्त किया है, उत्तर प्रदेश ने भी उसका अनुकरण किया है. मैं आपके माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री और पूरे सदन से प्रार्थना करना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश में भी लालबत्ती कल्चर समाप्त किया जाए. इससे एक नई परम्परा स्थापित होगी. क्या जरुरत है लालबत्ती की इसको समाप्त किया जाए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का माईक चालू है वे कुछ कहना चाह रहे हैं. (व्यवधान)
श्री अजय सिंह--मैं आज से ही मेरी लालबत्ती वापस करता हूँ. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी आपको कुछ कहना है क्या ? (व्यवधान)
श्री अजय सिंह--मैं लालबत्ती अपनी गाड़ी में नहीं लगाता हूँ और न ही लगाउंगा. आप भी अनुकरण करें. (व्यवधान)
पंचायत एंव ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो सुझाव दिया है कि लालबत्ती कल्चर मध्यप्रदेश में भी बंद होना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, वे इतने साल तक सत्ता में रहे, हुकूमत में रहे. मैं इनसे पूछना चाहता हूँ कि यह विचार इसके पहले तक इनके दिमाग में क्यों नही आया ? आज कह रहे हैं कि सभी लोग लालबत्ती न लगाएं लेकिन इसके पहले आपके विवेक में, आपके विचार में, आपके आचरण में यह बात क्यों नहीं आयी ?
श्री अजय सिंह--मैं पांच साल तक मंत्री था, कभी भी लालबत्ती की गाड़ी में नहीं चला हूँ.
अध्यक्ष महोदय--यह विषय अब यहीं समाप्त करें. माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी ने अपनी बात कह दी है. माननीय मंत्री जी आप कुछ कहना चाहते हैं क्या ?
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)- माननीय अध्यक्ष महोदय, यशपाल सिंह जी ने दुग्ध संघ के विषय में जो मामला उठाया है, मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1916 एवं उसके अंतर्गत बने, नियम व उपविधियों के अंतर्गत इस पूरे मामले में परीक्षण करवा लिया जाएगा और इसके बाद जो भी उचित कार्यवाही होगी, वह की जायेगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- धन्यवाद, मंत्री जी.
श्री तरूण भनोट- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह लोकहित का मुद्दा है. चार हजार करोड़ रूपये का अनाज बर्बाद हो गया. आप हमें इसका जवाब दिलवाइये. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय- हम जवाब देने के लिए किसी को बाध्य नहीं कर सकते हैं. बिना नोटिस के किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है. यशपाल सिंह जी की बात पर पहले से ही नोटिस दिया गया था.
श्री सचिन यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, खरीदी केंद्रों पर गेंहू का उपार्जन हो रहा है. ..( व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय- सचिन जी, आप बैठ जाईये. मधु भगत जी को बोलने दीजिए, आपके ही पक्ष के सदस्य हैं.
श्री तरूण भनोट- अध्यक्ष महोदय, हमारी शून्यकाल की सूचनाओं पर भी जवाब दिलवाइये या फिर यशपाल सिंह जी को प्राप्त जवाब कार्यवाही से विलोपित करवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय- उनको भी जवाब नहीं मिला है. किसी ने उनका जवाब नहीं सुना. ..( व्यवधान).. तरूण जी, आप बैठ जाईये.
(7) श्री मधु भगत (परसवाड़ा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले के थाना रूज्जर अंतर्गत ग्राम उकवा के सरपंच संजय मसकोले, उप सरपंच संजीव अग्रवाल, सचिव भजन वलके के विरूद्ध थाना रूज्जर एवं पुलिस अधीक्षक बालाघाट के समक्ष की गई लिखित शिकायत जिसमें स्टाम्प ड्यूटी चोरी, पंचायत में गबन एवं अनियमितताओं की शिकायत पर तीन माह बीत जाने के उपरांत भी अपराध दर्ज नहीं किया गया है, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. साक्ष्य एवं तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए यह मामला भारतीय दण्ड प्रक्रिया की संहिता धारा 420, 467 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है. अत: आप इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करें.
(8) श्री रजनीश सिंह (केवलारी)- अध्यक्ष महोदय, कल खैरीटोला में एक लाइनमैन हेल्पर की दुर्घटना में मौत हो जाती है. उसकी मौत का कारण यह है कि उसने सब स्टेशन से दो घंटे का परमिट लिया था, लेकिन स्टेशन से उसके पूर्व ही बिजली चालू कर दी गई. लाईनमैन की पर्याप्त व्यवस्था न होने कारण यह दुर्घटना घटी है. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि उस हेल्पर के परिवार को उचित मुआवजा मिलना चाहिए और इस प्रकरण की जांच होनी चाहिए. धन्यवाद.
(9) श्री प्रताप सिंह (जबेरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, दमोह जिले के नौरादेही अभ्यारणय का विस्तार तीन जिलों में आता है. वन विभाग के माध्यम से तीनों जिलों- नरसिंहपुर, सागर और दमोह के कलेक्टरों का पत्र भेजा गया है. पत्र में कहा गया है कि वहां से विस्थापित होने वाले करीब सौ गांवों में काम रोक दिया जाए. इससे उन गांवों के लोगों में काफी रोष है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा कि वहां तत्काल काम शुरू करवाये जायें, जिससे वहां के लोगों को रोजगार मिल पाये.
(कुछ माननीय सदस्यों द्वारा अधिकारी दीर्घा में जाकर चर्चा करने पर.)
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे सभी अपने-अपने स्थान पर जाकर बैठें.
(10) श्री गिरीश भंडारी (नरसिंहगढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र के बहुत सारे गांवों में बिजली काट दी गई है. जिसके कारण 10वीं और 12वीं की परीक्षा देने वाले बच्चों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मेरा निवेदन है कि कम से कम बच्चों की परीक्षा तक उन गांवों में बिजली चालू करवाई जाये.
(11) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा (धार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने इंदौर-अहमदाबाद लाईन के संबंध में ध्यानाकर्षण लगाया था. वहां पिछले 5 सालों से काम बंद पड़ा है. जिसके कारण वहां लगातार दुर्घटनायें हो रही हैं. वहां कोई मार्क भी नहीं है. मेरा आपके माध्यम से पी.डब्ल्यू.डी. मंत्री जी से निवेदन है कि वे उस जगह की मरम्मत करवा दें या कम से कम वहां मार्किंग करवा दें, जिससे वहां हो रही लगातार दुर्घटनाओं को रोका जा सके. धन्यवाद.
(12) श्री दिनेश राय (सिवनी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिवनी नगर पालिका में 62.5 करोड़ रूपये से ज्यादा की नल-जल योजना चल रही है. इस योजना में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार चल रहा है. मेरा नगरीय विभाग के मंत्री जी से आग्रह है कि जितने भी निर्माण कार्य वहां चल रहे हैं, उनकी जांच की जाए. जिससे आक्रोशित जनता को न्याय मिल सके और भ्रष्टाचारियों के ऊपर कार्यवाही हो सके.
(13) डॉ.रामकिशोर दोगने (हरदा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे हरदा जिले में नल-जन योजना गांवों में संचालित है. वहां नल-जल योजना की बिजली काट दी गई है जबकि शासन का निर्देश है कि यदि गांव वाले बिल नहीं भरते हैं तो जिला पंचायत उस बिल को भरेगी. इसके बावजूद वहां की बिजली काट दी गई है. इसकी जांच की जानी चाहिए. यह एक जनहित का मामला है इसलिए तुरंत बिजली सप्लाई को चालू करवाया जाए.
(14) श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र के हनुमना विकासखंड के अंतर्गत सरदमन एवं रघुनाथगढ़ में मनमाने क्रेशर संचालित होने की वजह से वहां के आस-पास के कई गांव प्रदूषित पर्यावरण में रहने को मजबूरी हैं और काफी परेशानी में हैं. घोघम रोड, प्रतापगंज रोड पूरी तरह से नष्ट हो गया है. आज लोगों का रास्तों से निकलना और जीना दूभर हो गया है. इस विषय पर हमने ध्यानाकर्षण एवं शून्यकाल की सूचना पूर्व में भी लगाई थी, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है. कार्यवाही न होने के कारण कल रात क्रेशर मालिक एवं ग्रामीणों के बीच विवाद हो गया, जिसमें काफी मारपीट भी हुई है. इसलिए मैं इस विषय पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं ताकि इस पर कार्यवाही हो सके. (15) श्री सचिन यादव(कसरावद)-- माननीय अध्यक्ष जी, हमारे खरगौन जिले में जो गेहूँ का उपार्जन हो रहा है, वहाँ पर खरीदी केन्द्रों में किसानों का जो भुगतान है, वह उनकी बिना सहमति के, उनके ऋण खाते में, उनका समायोजन किया जा रहा है. इसके कारण किसानों में भारी आक्रोश है.
(16) श्री उमंग सिंघार(गंधवानी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज के एक प्रश्न में सरकार ने जो जवाब दिया है, पूरे देश के अन्दर केशलेस व्यवस्था को माननीय नरेन्द्र मोदी जी चला रहे हैं, लेकिन मैंने आज एक सवाल किया था कि उसमें प्रश्न में जवाब दिया है कि देशी शराब और विदेशी शराब की दुकानों पर...
अध्यक्ष महोदय-- यह कोई विषय नहीं है. श्री हर्ष यादव कृपया अपनी बात कहें.
श्री उमंग सिंघार-- शराब को रोकने के लिए, कम करने के लिए केशलेस व्यवस्था की जाए. लेकिन सरकार केशलेस व्यवस्था नहीं चाहती. सरकार शराबबंदी भी नहीं चाहती है. आज सरकार ने जवाब दिया, रिकार्ड पर है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस प्रश्न में मैंने भी पढ़ा है कि जयन्त मलैया जी ने उत्तर दिया है कि कोई शराब की दुकान बन्द नहीं होगी. यह तय कर दें कि एक तरफ मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि नर्मदा तट पर, 5 किलोमीटर पर, आप ही के प्रश्न के उत्तर में 56 नंबर....
अध्यक्ष महोदय-- वैसे तो प्रश्न पर यहाँ चर्चा नहीं होती पर चूँकि माननीय नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हैं इसलिए उनको अनुमति है.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये नीति तय कर दें कि विदेशी शराब की दुकानें बन्द हो रही हैं कि नहीं हो रही हैं. दूसरी बात, हमारे पूरे प्रदेश में, माननीय तरूण भनोत जी ने कही है....
अध्यक्ष महोदय-- इस पर चर्चा नहीं होती. पर अब चूँकि प्रतिपक्ष के नेता जी बोल रहे हैं. उमंग सिंघार जी ने गलत विषय उठाया. कृपा करके आगे इसका ध्यान भी रखें. आपका विषय आ गया. मलैया जी आप कह दीजिए.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, तरूण भनोत जी ने जो बात कही है कि केन्द्र सरकार की रिपोर्ट में आया है...
अध्यक्ष महोदय-- वह विषय भी आ चुका है.
श्री अजय सिंह-- आ चुका है, उस विषय पर भी सरकार कोई संज्ञान लेकर कोई उत्तर देगी? करोड़ों रुपये का खाद्यान्न खत्म हो गया.
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं, आपने जो पहले विषय उठाया था, उसका उत्तर देना चाहते थे. श्री मुकेश नायक जी....
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष जी, आपने पहले हर्ष यादव जी का नाम बोला था.
अध्यक्ष महोदय-- हर्ष यादव जी आधा मिनट में बोल दीजिए.
(17) श्री हर्ष यादव(देवरी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर महापौर का ऑडियो वायरल हुआ था, वित्तीय अनियमितताओं का, कदाचार का आरोप लगा था, सरकार ने उसके वित्तीय पावर भी ले लिए थे. मगर अभी भी उसको पद से नहीं हटाया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बहुत बड़ा मामला आज संज्ञान में आया है, राजू आश्रय योजना में बहुत बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. 8 स्लम बस्तियों में काम होना था लेकिन एक ही जगह कार्य कराया गया है और बहुत घटिया निर्माण कार्य हुआ है, उसकी जाँच करवाई जाए.
अध्यक्ष महोदय-- मुकेश नायक जी, आप कृपया बोलिए, आप ही ने उनको टाइम दिलवाया था.
(18) श्री मुकेश नायक(पवई)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर नगर निगम के द्वारा बिना नियम, बिना प्रक्रिया का पालन करते हुए, अराजक तरीके से, मनमाने एवं तानाशाहपूर्ण तरीके से, बिना नोटिस दिए, सैकड़ो दुकानें, सैकड़ों घरों को, गिराने की कार्यवाही की जा रही है और वर्तमान में सागर मेयर के द्वारा इस्तीफे की चर्चा है, जिसके कारण नगर निगम में कोई नेतृत्व नहीं होने के कारण अधिकारी मनमाने पूर्ण तरीके से व्यवहार कर रहे हैं. इस पर नियंत्रण होना चाहिए. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- हरदीप सिंह जी, आप बैठ जाएँ. पत्रों का पटल पर रखा जाना, श्री जयन्त मलैया...
12. 19 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार -
(i) मध्यप्रदेश वेंचर फाइनेंस लिमिटेड की प्रथम वार्षिक रिपोर्ट और लेखा वित्तीय वर्ष 2015-2016, तथा
(ii) मध्यप्रदेश वेंचर फाइनेंस ट्रस्टी लिमिटेड की प्रथम वार्षिक रिपोर्ट और लेखा वित्तीय वर्ष 2015-2016, एवं
(ग) मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 (क्रमांक 20 सन् 2002) की धारा 71 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार -
(i) एफ-ए-3-11-2015-1-पांच (19), दिनांक 31 मार्च, 2015,
(ii) एफ-ए-3-60-2015-1-पांच (02), दिनांक 02 जनवरी, 2016,
(iii) एफ-ए-3-53-2015-1-पांच (38), दिनांक 01 दिसम्बर, 2015,
(iv) एफ-ए-3-58-2015-1-पांच (44), दिनांक 17 दिसम्बर, 2015, तथा
(v) एफ-ए-3-60/2015-1-पांच (11), दिनांक 22 जनवरी, 2016
पटल पर रखता हॅूं.
(2) मध्यप्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 48वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2013-2014
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 619-क की उपधारा (3) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 48 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2013-2014 पटल पर रखता हॅूं.
12.27 बजे ध्यान आकर्षण
श्री मुकेश नायक (पवई) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन साल में मेरा एक ध्यानाकर्षण 92 वें नंबर पर आया. अगर हम सीनियर विधायकों का पूरे कार्यकाल में एक भी ध्यानाकर्षण विधानसभा में नहीं आएगा तो हमारे विधानसभा सदस्य बनने का औचित्य क्या रह जाएगा?
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बहुत सदाश्यता दिखाते हुए और विधानसभा की जो गरिमा है उसको स्थापित करते हुए शायद विधानसभा के इतिहास में 58 ध्यानाकर्षण सूचनाऍं पहली बार ली हैं. इस कारण से मैं आपको बहुत धन्यवाद देता हॅूं क्योंकि इसके उत्तर माननीय सदस्यों के लिए मिलेंगे और सदस्य चाहें तो उसके बाद उस पर कार्यवाही कर सकते हैं. विधान सभा के नियम और प्रक्रिया है. संसदीय समितियॉं हैं उसके अनुसार कार्यवाही कर सकते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- यह तो परंपरा है.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बहुत धन्यवाद देता हॅूं. पहली बार 9 पेज की कार्यसूची आपने सारे विषयों के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए निकाली है. यह उल्लेखनीय है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय मंत्री जी, ऐसा नहीं है. अनेक बार ऐसा हो चुका है. श्री रोहाणी जी के समय में 61 थे. रिकार्ड निकाल लीजिए, 61 सूचनाएं आई थीं. शुक्रवार के दिन यह चर्चा नहीं होती.
कॅुंवर विजय शाह -- 58 सूचनाएं कभी नहीं आईं.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, महिला सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है. महिला दिवस के अवसर पर आपने मुझसे वादा किया था कि हम आपका ध्यानाकर्षण लेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया सुन लीजिए.
(1) भिण्ड जिले में रेत का अवैध उत्खनन होना
डॉ. गोविंद सिंह(लहार),(सर्वश्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा, आरिफ अकील)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-
जल संसाधन मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा कि न तो सड़कें टूटी हैं और न अवैध उत्खनन हो रहा है, 500 करोड़ रुपयों की चोरी करवाओ और 3 करोड़ रुपये पकड़ लो, यह क्या है ? और आप बोल रहे हैं कि यह सही नहीं है, अगर सही नहीं है तो आप माँ पिताम्बरा की कसम खाकर कह दो कि अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है, सड़कें नहीं टूटी हैं, हम अपना प्रश्न नहीं करेंगे. बस इसका ही जवाब दे दो, हमें प्रश्न नहीं करना है. (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, माँ पिताम्बरा की कसम ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यहाँ पर कसम नहीं खाई जाएगी, यहाँ तो एक ही चीज की शपथ ली जाती है जो सदस्यता के समय ली जाती है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह सदन भी सवा सात करोड़ जनता का पवित्र मंदिर है. आपको सब पता है आपके यहाँ भी हो रहा है, हम इसे रोकना चाहते हैं, हम चाहते हैं कि शासन को भी लाभ हो. सड़कें नहीं थीं, हमने बड़ी मुश्किल से श्रीमान जी से जैसे-तैसे लड़-झगड़ कर सड़कें बनवाईं और जो थोड़ी-बहुत सड़कें बनवा पाए, वे भी चकनाचूर हो गईं, हमें कष्ट इस बात का है.
अध्यक्ष महोदय, आप विश्वास नहीं करेंगे, दस-बारह वर्षों में हमारे करीब 72-73 प्रश्न विधान सभा में आ चुके हैं, हमारे 17 ध्यानाकर्षण लग चुके हैं, लेकिन हम पूरी तरह असफल हो चुके हैं, इसलिए हम आपकी शरण में आए हैं और हमने निवेदन किया है. मैं बताना चाहता हूँ कि वहाँ के खनिज अधिकारी, भदकारिया ने दीपक यादव से एग्रीमेंट कर लिया और अपने 15 ट्रक ड्राइवर के नाम से यूपी में चलवा रहा है, वह फ्री ले जाता है, एक ट्रक रेत कानपुर और उरई में 80 हजार रुपये की बिक रही है. वह प्रतिदिन चला रहा है, हमारे पास सी.डी. रखी है, सी.डी. में वह कह रहा है कि मेरे नहीं हैं, मेरा ड्राइवर चलवा रहा है. जब मैंने उससे कहा कि तुम रोज कहाँ तक चोरी करते हो तो बोला कि मेरे नहीं हैं वे ड्राइवर के हैं. लोग एफिडेविट दे रहे हैं, खनिज अधिकारी, भदकारिया, राजस्व के छोटे स्तर के अधिकारी और पुलिस वाले, एस.डी.ओ.पी. लहार मिलकर हमारे क्षेत्र को बिल्कुल लुटवा रहे हैं. मंत्री जी, हम आपसे चाहते हैं, अगर नहीं कर रहे हैं तो हमारी बात पर आप विश्वास मत करो, वैसे तो आपको सब सच्चाई पता है.
श्री रामनिवास रावत -- अवैध उत्खनन डबरा में भी तो होता है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अब वे भी क्या करें, मजबूरी है. मेरे पास स्वदेश अखबार है जो कि आपके ही संगठन आर.एस.एस. का प्रकाशन है, इनमें 25-30 खबरें हैं, प्रतिदिन की हैं इसमें लिखा है कि बेशर्मी की हद, आखिर कब तक रहेगी दलाली, प्रशासन बताए और क्या प्रमाण चाहिए अवैध खनन के.
अध्यक्ष महोदय -- अखबार पढ़ा नहीं जाता, आप वैसे ही रेफर कर दीजिए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- इस पेपर में 30 दिन की 30 खबरें हैं लगातार, यह ग्वालियर से निकलता है, आपके घर दतिया भी पहुँचता है. मेरे पास इस स्वदेश अखबार का पूरा बण्डल है, अगर आप कहें तो आपको भेंट कर सकता हूँ. पटल पर तो नहीं रखूंगा आप कहें तो आपके घर पर पहुँचा दें. आप दतिया में लुटवाओ, हमें कोई दिक्कत नहीं है, मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या आप लहार में अवैध उत्खनन बंद करा दोगे ? और क्या खनिज अधिकारी, भदकारिया और एस.डी.ओ.पी. लहार के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करोगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन बंद कराएंगे और अधिकारी दोषी होंगे तो उन पर कार्यवाही करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- भदकारिया के खिलाफ, जो मुख्य रूप से करा रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आप हमें सी.डी. दे दो, हम पूरी सी.डी. की जाँच करा लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अखबारों में पूरी सच्चाई लिखी है, यह अखबारों का बण्डल भी आपको दे दूँ ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- बिल्कुल दे दो.
(डॉ. गोविंद सिंह, सदस्य द्वारा स्वदेशी अखबारों का बण्डल मंत्री जी को सौंपा गया)
डॉ. गोविन्द सिंह -- सी.डी. और एफिडेविट दे देंगे आपको.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- अध्यक्ष महोदय, पलपटोरी गाँव में जून में खनन माफिया ने अवैध खनन किया, उन गाड़ियों को पकड़ा गया और पुलिस पर हमला करके उन गाड़ियों को छुड़ाया गया और उन्हें छुड़ाकर जो करोड़ों रुपयों की अवैध रूप से भूमि कब्जे में कर रखी है वहाँ रखा गया. 4 आदमियों पर प्रकरण दर्ज किया गया. दो फरार घोषित किये गये, उनको अभी तक आठ महीने से गिरफतार नहीं किया गया है. आपने उल्टे खनन माफिया के खिलाफ जिस पर कार्यवाही की गई और जिस पर दस करोड़ का जुर्माना किया गया है, उस खनन माफिया के ऊपर कार्यवाही करने वाले खनिज अधिकारी तक का स्थानांतरण कर दिया है. आपने जिस प्रकार से श्री गौरव त्रिपाठी का सतना से स्थानांतरण किया उसी प्रकार इस ईमानदार अधिकारी का भी जिसने खनन माफिया पर हाथ डाला, आपने उसका स्थानांतरण कर दिया है. क्या आप इस स्थानांतरण को रोकेंगे और क्या उन दो लोगों को गिरफतार करेंगे ? वह केवल खनन माफिया नहीं है, वह भू-माफिया भी हैं और राशन माफिया भी है. मैंने अशोक नगर जिले के बारे में दिया है.मैंने भिंड के बारे में नहीं दिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप बात कर सकते हैं, मैं उस पर आपत्ति नहीं उठा रहा हूं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - आपकी तैयारी होनी चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - बिल्कुल होनी चाहिए, आप सच कह रहे हैं. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जिस पर भी केस रजिस्टर्ड हैं, उनको हम गिरफ्तार करवायेंगे यह हमारी जिम्मेदारी भी है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - वह लोग आठ महीने से गिरफ्तार क्यों नहीं हुए हैं और वह खुलेआम घूम रहे हैं. यह मेरी तकलीफ है कि वह खुलेआम घूम रहे हैं, झंडा वंदन कर रहे हैं, बी.जे.पी. के स्टेट अध्यक्ष के साथ उप चुनाव में चुनाव प्रचार कर रह हैं. आठ महीने हो गये हैं, उनके ड्राईवर को गिरफ्तार कर लिया और विभिन्न गंभीर धाराओं में उनके ऊपर प्रकरण दर्ज हैं. लूट के प्रकरण दर्ज हैं, डकैती के प्रकरण दर्ज हैं, उस भू-माफिया और खनन माफिया ने शासकीय कर्मचारियों पर हमला किया और हमला करके वाहन छुड़ा लिये. ऐसे मामले में आप गिरफ्तारी नहीं करेंगे और खनन अधिकारी का आपने स्थानांतरण कर दिया, उसकी जान को खतरा है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी उत्तर दे दीजिए, फिर आगे बढ़ें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी की भी जान को खतरा नहीं होने देंगे, तत्काल कार्यवाही करेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय - वह गिरफतारी करने का कह तो रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, आठ महीने से वह फरार हैं और उनमें से एक ड्राईवर को गिरफतार कर लिया है. वह भू-माफिया ही नहीं है, राशन माफिया है और खनन माफिया है. जब माननीय मंत्री जी संसद का चुनाव लड़े थे, तब वह मंत्री जी के साथ चुनाव में काम कर चुका है, इसलिए आपका साफ्टकार्नर है. आप उसे गिरफतार नहीं कर रहे हैं. वहां के प्रभारी मंत्री और मुख्यमंत्री जी खनन माफिया को प्रदेश में संरक्षण दे रहे हैं. यह एक उदाहरण है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर मामला है. इसमें आप उत्तर दिलवाईये कि आठ महीने से गिरफ्तार क्यों नहीं हुए ?
अध्यक्ष महोदय - वह उत्तर दे तो रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, खनन अधिकारी को जिसने गिरफ्तार किया था और जिसको जान से मारने की धमकी दी, उसका स्थानांतरण कर दिया.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न आ गया है, अब रिपीटेशन हो रहा है. माननीय मंत्री जी आप बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उसको जानता भी नहीं हूं और मेरा उसने कोई प्रचार भी नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आप तो सीधा उत्तर दे दीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा सम्माननीय सदस्य ने कहा है उस पर सात बार पुलिस ने दबिश भी दी है और हम तत्काल उस पर कार्यवाही भी करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - श्री के.पी.सिंह जी आप सिर्फ एक प्रश्न पूछिए.
श्री के.पी.सिंह (पिछोर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या माननीय मंत्री जी यह बता देंगे कि क्या बहती हुई नदी में कोई खनन करने वाला पुल बना सकता है यह किसी नियम में है या नहीं है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, अवैध माईनिंग पर श्री के.पी.सिंह जी प्रश्न कर रहे हैं तो पहले मैं उनको प्रणाम कर लूं, क्योंकि मेरी इच्छा हो रही थी कि उनको प्रणाम कर लूं. दूसरा बात यह है कि खनन करने वाला पुल बना सकता है कि नहीं तो मैं टेक्नीकल आदमी नहीं हूं.
श्री के.पी.सिंह - आप टेक्नीकल आदमी नहीं है तो यह तो बता दें कि यह नियम में है कि नहीं है ?
अध्यक्ष महोदय - यह ध्यानाकर्षण में कहां उद्भूत हो रहा है ?
श्री के.पी.सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अवैध उत्खनन से ही संबंधित है. मैं क्लीयर आपको बता देना चाहता हूं कि आपके यहां भी नर्मदा नदी है और तमाम लोग उस नदी की धारा पर पुल बना देते हैं और पानी को डायवर्ट करके दूसरे किनारे से कर देते हैं, जिससे दूसरी तरफ से कटाव चालू हो जाता है और वह चौड़ा हो जाता है. मेरा यह कहना है कि ऐसा कहीं भी नियम में नहीं है. मैं यह आपकी जानकारी के लिये बता देना चाहता हूं कि कहीं भी यह प्रावधान नहीं है कि किसी नदी की धार को रोककर कोई बांध बना सके और उसके नीचे से फिर सारी की सारी रेत निकाले. क्या पूरे मध्यप्रदेश में जहां-जहां ऐसे पुल बनाकर अवैध उत्खनन हो रहा है उसके रोकने की कार्यवाही आप करेंगे, उन बांधों को मिटाने का काम करेंगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, जरूर करेंगे.
श्री अजय सिंह (नेता प्रतिपक्ष) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी ध्यानाकर्षण था आपने कहा था इसी विषय पर ले लेते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं 2011 में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था. छ: साल से ऊपर हो गये हैं, रेत के अवैध उत्खनन की चर्चा बहुत हुई, ढाई घण्टे मैंने बोला था और माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी बोला था. ज्यादा समय तक रेत अवैध उत्खनन की चर्चा हुई. साढे़ छ: साल बाद वही अवैध उत्खनन की चर्चा माननीय डॉ.गोविन्द सिंह जी और श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी कर रहे हैं, और चर्चा में सत्ता पक्ष के लोग भी शामिल हैं कि अवैध उत्खनन हो रहा है. माननीय मंत्री महोदय अभी उत्तर दे रहे थे कि शासकीय जमीन में गिट्टी के लिए लीज पर देने का प्रावधान है. मैं आपको शासन की नियमावली नियम 7(1), 7(2) के अनुसार पत्थर गिट्टी रोड मेटल की खदानें शासकीय भूमि पर केवल नीलामी से दी जाती हैं. बड़े चतुराई से उस पर एक शब्द का हेरफेर कर दिया. एक जगह गिट्टी लिख दी, एक जगह मेटल लिख दिया. अध्यक्ष महोदय, आप भी जानते हैं कि गिट्टी और मेटल, एक ही चीज है. यदि शासकीय जमीन पर इसकी नीलामी होती तो सरकार को सिर्फ दो जगह इंदौर और खंडवा में करीब 600 करोड़ रुपए का फायदा होता. लेकिन यह बारीक खेल कर रहे हैं. रेत के अवैध उत्खनन की चर्चा तो छोड़ दें. अध्यक्ष महोदय, यह किस तरह से हो रहा है, आपके जिले में, आपके क्षेत्र में मां नर्मदा मैया की आप बात करें.
अध्यक्ष महोदय - आप भिण्ड जिले की बात करें.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, मुझे यह पीड़ा है और आपको भी पीड़ा है, पूरा सदन जानता है कि आपको क्या पीड़ा है?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद की बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - यह भिण्ड जिले का मामला है.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, मुझे उत्तर मिले, न मिले. यह सरकार की नीयत साफ है कि जब तक शिवराज सिंह की सरकार रहेगी, एक तरफ मां नर्मदा की बात करेंगे और दूसरी तरफ उसी नर्मदा नदी पर अवैध रेत उत्खनन करेंगे. क्या इस पर आप उत्तर देना चाहेंगे?
अध्यक्ष महोदय - श्री सुदर्शन गुप्ता, अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
12.46 बजे
बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा
शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन की बात को लेते हुए सरकार उस पर गंभीर नहीं है, इसलिए हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा भिण्ड जिले में रेत का अवैध उत्खनन होने पर प्रस्तुत शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
(2) इंदौर शहर में अतिरिक्त फायर स्टेशन खोला जाना
श्री सुदर्शन गुप्ता (इन्दौर-1) - अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह ) - अध्यक्ष महोदय,
श्री सुदर्शन गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने जवाब में ही यह स्वीकार किया है कि एक ही क्षेत्र में 2016 में 39 दुर्घटनाएं हुई हैं. दो फायरब्रिगेड पश्चिम क्षेत्र में एक मध्य क्षेत्र में है. मेरा ध्यानाकर्षित करने का उद्देश्य यह था कि पूर्वी क्षेत्र में कोई भी फायर स्टेशन नहीं है. पूर्वी क्षेत्र काफी फैला हुआ है, यहां पर मॉल है, हाई राईज इमारतें हैं, हजारों की संख्या में मल्टियां हैं, रिंग रोड़ हैं, बायपास है तथा 100 से अधिक मेरिज गार्डन हैं. अगर वहां पर दुर्घटना होती है तो पश्चिम क्षेत्र एवं मध्य क्षेत्र से यहां पर फायरब्रिगेड आने में काफी विलंब हो जाता है, क्योंकि पूरा व्यावसायिक क्षेत्र बीच में आता है. भीड़‑भड़ाके के क्षेत्र हैं, संकीर्ण मार्ग हैं वहां से गुजरते हुए पूर्वी क्षेत्र से जब फायरब्रिगेड आती हैं तो काफी देर हो जाती है इससे बहुत अधिक आर्थिक हानि होती है. इसी आवश्यकता को देखते हुए इन्दौर विकास प्राधिकरण ने पूर्वी क्षेत्र में एमआर 11 पर भूमि फायर स्टेशन के लिये आरक्षित कर रखी है. मंत्री जी से मैं पूछना चाहता हूं कि आरक्षित भूमि पर फायर स्टेशन बनवाने की घोषणा करेंगी ?
नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई दो राय नहीं है कि इन्दौर हमारी कमर्शियल सिटी है जिस तरह के औद्योगिक क्षेत्र, हाईराईज बिल्डिंग्स, मॉल वगैरह हैं, जिसका जिक्र सम्मानीय सदस्य जी ने किया है मैं उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इन्दौर शहर में जो भी आवश्यकता है उसका आंकलन एवं परीक्षण करवा लूंगी, उसके साथ ही साथ पूर्वी क्षेत्र में फायर स्टेशन की आवश्यकता होगी तो उसकी पूर्ति की जाएगी.
श्री सुदर्शन गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, आपको भी धन्यवाद देता हूं. आपके माध्यम से मैं मंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूं.
(3) विदिशा जिले के अनेक विद्यालयों में पहुंच मार्ग न होने संबंधी
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक निर्माण एवं विधि विधायी मंत्री ( श्री रामपाल सिंह)--अध्यक्ष महोदय,
श्री निशंक कुमार जैन--अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए कुछ कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- सीधा प्रश्न करें. भाषण नहीं. भाषण में काम नहीं होते प्रश्न में ही काम होते हैं.
श्री निशंक कुमार जैन-- मैं अपनी बात कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- बात मत कहिए. सीधे काम की बात करिए.
श्री निशंक कुमार जैन--अध्यक्ष महोदय, यदि विधान सभा में आने के लिए रोड ही नहीं होगा तो यह बिल्डिंग किस काम की है? ऐसे ही हालत उन स्कूलों की है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछ लीजिए. अन्यथा अगला ध्यानाकर्षण लूंगा.
श्री निशंक कुमार जैन--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया. मैं पूछना चाहता हूं मंत्री जी कि आप जब खुद जिला योजना मंडल के प्रभारी मंत्री के रुप में आपने स्वीकार किया था कि वहां पर बच्चों को आने-जाने में तकलीफ है. एक तरफ शासन बच्चे-बच्चियों की स्कूलों के लिए तमाम तरह की घोषणाएं करता है और दूसरी तरफ बच्चियां गिर रही हैं. उनकी सायकल पंचर हो रही है. रास्ते में पानी भर जाता है. बच्चों के स्कूल जाने के लिए रास्ता नहीं है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहता हूं कि उन 6 स्कूलों में एप्रोच रोड की घोषणा कर दें क्योंकि आपने प्रभारी मंत्री के रुप में विदिशा में कहा था कि हम जल्दी करा देंगे.
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष जी, जिन 8 स्कूलों का उल्लेख किया गया है. शासकीय हाई स्कूल, बरखेड़ा और सुमेर दांगी स्कूल के पुराने भवन हैं, वहां सड़क है. 6 स्कूलों की बात आयी थी. उन्होंने जिला योजना समिति का उल्लेख किया है. जिला योजना समिति में भी जिला पंचायत को निर्देश दिए कि इसका प्रस्ताव बना कर यहां काम करें. लेकिन उस समय विधायक जी को हमने विधायक निधि देने से रोका नहीं था. छोटी सड़कें थीं. आपको हमने रोका नहीं था. आप बीच में राशि दे सकते थे लेकिन उन्होंने उस राशि का सदुपयोग नहीं किया. आपकी गंभीरता हमको दिखती अगर छोटे से काम के लिए दे देते तो हम कोई आपत्ति करते तो आप बताते.
श्री निशंक कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय, उतने पैसे तो आप होर्डिंग और विज्ञापनों में खर्च कर देते हैं. विधायक निधि पुल पुलियों में देते.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- एक प्रश्न पूछ लीजिए. 40-50 मीटर की सड़कें हैं.
श्री निशंक कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय, दुर्भाग्य देखिए. वह स्कूल भी मध्यप्रदेश सरकार ने नहीं बनवाये हैं. उस समय यूपीए की सरकार थी. 56 लाख रुपये प्रति स्कूल के हिसाब से पैसा यूपीए ने दिया. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करें. बैठ जाये.
श्री निशंक कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, जैसा आपने मुझे आश्वासन दिया था मेहरबानी करके उन स्कूलों के पहुंच मार्ग की घोषणा कर दें. आपकी एक घोषणा से बच्चियों के स्कूल जाने में सुविधा हो जाएगी. उनकी सायकल पंचर नहीं होगी. बारिश में वह आ जा सकेंगी.
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष जी, एक दो सड़कों के लिए तो आप विधायक निधि से दीजिए. बाकी हम शासन स्तर पर देखेंगे.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- निशंक जी बैठ जायें. इसीलिए आपको अलाउ नहीं करते. आप लोग दूसरों का समय लेते हैं. यह बिलकुल ठीक नहीं है.
12.54 बजे बहिर्गमन
श्री निशंक कुमार जैन, सदस्य द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन.
श्री निशंक कुमार जैन-- आपके असत्य वादे की नीति के विरोध में सदन से बहिर्गमन करते हैं. स्कूल शिक्षा के मामले में सरकार फैल है. बच्चियों को अनावश्यक आश्वासन दिए जा रहे हैं. (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- निशंक जैन जी जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री निशंक कुमार जैन--( XXX)
( श्री निशंक कुमार जैन, सदस्य द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)
...............................................................
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
(1.00 बजे) (4)श्योपुर जिले की नगर परिषद,विजयपुर में बी.डी.आर.एफ.योजनांतर्गत कराये गये कार्यों में अनियमितता होने
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) - अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - अध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक विधान सभा प्रश्न जुलाई 2014 का था, जिसका आश्वासन 171 था. उस समय उस आश्वासन में इन लोगों के खिलाफ प्रथमदृष्टया दोषी पाये जाने के कारण इनके विरूद्ध कार्यवाही होनी थी. आज तक कार्यवाही ठीक ढंग से नहीं हो पाई है, इसलिये यह ध्यानाकर्षण लाना पड़ा. वर्तमान में जो सीएमओ है, मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहूंगा कि परिषद ने वहां के कर्मचारियों पर कार्यवाही करने का प्रस्ताव दिनांक 12.09.2016 को पारित किया, पुष्टि का प्रस्ताव सीएमओ ने कब भेजा और पुष्टि आपने की है 22.03.2017 को और संचालनालय को कब प्राप्त हुआ. यह महत्वपूर्ण बिंदू इसलिये है कि सीएमओ ने प्रस्ताव भेजकर के प्रस्ताव एक तरफ डाल दिया, नगर पालिका से प्रस्ताव जाना तो दिखा दिया. बोले मेरा कोई कुछ नहीं कर सकता, मैं जो चाहूंगा वह कराऊंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, तो यह प्रस्ताव उसने किस दिनांक को भेजा और संचालनालय को किस दिनांक को प्राप्त हुआ. दूसरा है जो छोटे-छोटे कर्मचारी हैं उनके खिलाफ तो कार्यवाही हो गई, लेकिन ए.गनी का 2015 से लेकर आज तक जवाब ही प्राप्त नहीं हुआ. इसी तरह से इन्होंने नगर पंचायत के विभिन्न वार्डों में नालियों पर जाल डालने का, अधिक वजन का भुगतान कर दिया, कम वजन के जाल थे. आपने कह दिया कि तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा डलवाये गये. भुगतान किसने किया ? भुगतान तो जो वर्तमान नगर पालिका अधिकारी है उसके द्वारा किया गया. तीसरा अंबेडकर पार्क में मिट्टी डालने का प्रस्ताव, नोटशीट भेजी 20 हजार की, उसमें हेराफेरी करके 50 हजार कर लिया और भुगतान के लिये माप पुस्तिका के आधार पर अध्यक्ष के यहां 42188 रूपये का भेजा. उसके बाद जब अध्यक्ष ने आपत्ति ली कि आपने ऐसा क्यों किया, तब 25 हजार का भुगतान किया. माप पुस्तिका की बात करें तो नोटशीट दिखवा लें, उसकी जांच करा लें कि जब इतने अधिक का प्रस्ताव भेजा गया जब अध्यक्ष ने आपत्ति की तो 25 हजार रूपये का भुगतान कर दिया..
अध्यक्ष महोदय- आप सीधे प्रश्न कर दें.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जो मैंने जवाब दिया है उसमें सारी बातें हैं. आप उन्हीं बातों को दोहरा रहे हैं. आप बता दीजिये आप जो भी चाहेंगे हम वो करेंगे लेकिन आप प्रश्न तो करिये.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न है वर्तमान नगर पालिका अधिकारी जिसने भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का काम किया, भ्रष्टाचार कर रहा है.अध्यक्ष महोदय, विजयपुर के पेयजल संकट को देखते हुये 14 करोड़ 50 लाख की सतही आधारित नल जल योजना स्वीकृत करते हुये निविदायें आमंत्रित कर दी हैं. इसके लिये हम मंत्री जी के हृदय से आभारी हैं, उसके लिये आपको धन्यवाद देते हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप प्रश्न से भटक रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत- अध्यक्ष महोदय, बड़ी मुश्किल से यह निविदायें आमंत्रित की हैं लेकिन सीएमओ के खिलाफ क्या आप कार्यवाही करेंगी.यह मेरा प्रश्न है.
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 2015 में नई परिषद् चुनकर के आई उसके बाद से माननीय सदस्य के क्षेत्र में तीन साल में तीन सीएमओ बदल कर पहुंचे हैं. पहले प्रदीप शर्मा, फिर अजीज खान अब रामबरन राजौरिया. दो साल और रह गये हैं. तीन साल में तीन सीएमओ बदले हैं, जो वर्तमान में सीएमओ हैं राजौरिया जी उनके खिलाफ अगर कोई आरोप सिद्ध होता है, उसकी जांच चल रही है, जांच के बाद हम उनके खिलाफ निर्णय लेंगे लेकिन यह भी तो मैं कहना चाहती हूं कि यह सब आपकी सहमति से पहुंचे हुये लोग हैं फिर एक साल के अंदर ही उनके ऊपर आरोप लग जाते हैं तो अभी मैं सोच रही हूं कि एडवांस में आपसे दो नाम सीएमओ के और ले लेती हूं. (हंसी) वैसे अध्यक्ष महोदय यह मजाक की बात नहीं है . जिनके खिलाफ आरोप लगे थे उनकी जांच भी हुई जो दोषी पाये गये उनके खिलाफ कार्यवाही भी की गई है.
कुंवर विजय शाह, (स्कूल शिक्षा मंत्री) -- क्या बात है जो आपके यहां जाता है वह गड़बड़ हो जाता है.
श्रीमती माया सिंह-- इसमें पुष्टि का प्रस्ताव संचालनालय को प्राप्त हुआ है 24.1.2017 को. आप कह रहे थे न कि कब प्राप्त हुआ है तो हम जल्दी ही इस पर निर्णय लेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा तो मैं बताना चाहता हूं कि दो प्रभारी सीएमओ थे एक थे प्रदीप कुमार शर्मा, मेरे किसी प्रस्ताव से नहीं गया, दूसरा जब वहां पर कोई सीएमओ नहीं था तो वहां के आरएसआई को प्रभार दिलाने के लिये मैंने पत्र जरूर लिखा था. मेरा प्रश्न यह है कि कलेक्टर ने जांच भी कराई जांच में दोषी भी पाया गया और पत्र भी लिखा तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि वर्तमान सीएमओ को हटाकर जांच कराये जिस भी सीएमओ को आपको भेजना है आप भेज दें, आप नाम की कह रही हैं आप जिसको भी यहां भेज दें मुझे भरोसा है, क्योंकि वहां पर महिला अध्यक्ष है उनको भी बहुत परेशानी है. वर्तमान सीएमओ राजौरिया जो वहां पर पदस्थ हैं, डॉ.नरोत्म मिश्र, जल संसाधन मंत्री अभी सदन में नहीं हैं उनसे पूछ लें वह नरोत्तम मिश्र को भी एबाइड करता था.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय मंत्री जी हमारे यहां दबोह का और आलमपुर का सीएमओ हटाकर के वहां भेज दें वहां के हमारे यहां भेज दें.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी, सदस्य जी का प्रश्न यह है कि तीसरे सीएमओ कब हटायेंगी.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उनका प्रस्ताव संचालनालय में गया है. जो भी निर्णय होगा उसके आधार पर हम आगे की कार्यवाही करेंगे.
श्री रामनिवास रावत- सीएमओ को हटाने का निवेदन है.
श्रीमती माया सिंह -- मैंने कहा है कि उसका प्रस्ताव संचालनालय में गया है, आपने कहा था न कि संचालनालय में कब गया है. उसको देखकर के उनके खिलाफ जो भी..
श्री रामनिवास रावत- सीएमओ को हटाने का प्रस्ताव संचालनालय में क्यों जायेगा.
श्रीमती माया सिंह -- आपने जो पूछा था उसकी पुष्टि कर रही हूं. लेकिन अभी क्या है हम दिखवा लेंगे और जो भी आरोप सिद्ध हुये हैं और सही पाये जाते हैं तो हटायेंगे.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से सीधा निवेदन है कि सीएमओ को हटा दें , किसी को भी भेज दें, मुझे आपत्ति नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- उस पर मंत्री जी गंभीरतापूर्वक विचार कर लेंगी. मंत्री जी आपके प्रस्ताव पर विचार करेंगी.
श्रीमती माया सिंह - विचार करके आपको जवाब दे दूंगी.
अध्यक्ष महोदय- रावत जी, मंत्री जी ने आपकी बात को स्वीकार कर लिया है.
श्री रामनिवास रावत- मेरे यहां महिला अध्यक्ष है इसलिये निवेदन कर रहा हूं.
कुंवर विजय शाह -- रावत जी पहले आप भी मंत्री रहे हैं, क्या किसी अधिकारी को बिना जांच के हटाया जा सकता है, जांच के उपरांत ही हटेगा.?
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैं उत्तर लेना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय- वही बात बार बार चलेगी.आपकी बात आ गई और उन्होंने उसको गंभीरता से लिया है.
श्री रामनिवास रावत- मैं सीएमओ को हटाने की बात कर रहा हूं. उसको हटा दें.
अध्यक्ष महोदय--जबर्दस्ती नहीं कर सकते हैं....
1:17
बजे समिति
के लिए
निर्वाचन की
घोषणा
1:19 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति
प्राक्कलन समिति का पंचम प्रतिवेदन
श्री गिरीश गौतम - माननीय अध्यक्ष जी, मैं प्राक्क्लन समिति का पंचम प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं. इस प्रतिवेदन को तैयार करने में हमारे विधानसभा के कर्मचारी अधिकारी भाइयों को भी धन्यवाद करना चाहता हूं. प्राक्कलन समिति के उन तमाम सदस्यों को जो सदस्य थे, जिन्होंने मेहनत करके तमाम आडिटों का परीक्षण करके प्रतिवेदन तैयार करने में सहायता प्रदान की उनका भी धन्यवाद करता हूं.
शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति
शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का चौबीसवां, पच्चीसवां, छब्बीसवां, सत्ताइसवां, अठाइसवां, उनतीसवां, तीसवां, इक्तीसवां एवं बत्तीसवां प्रतिवेदन
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय(सभापति) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के पूर्व आश्वासन समिति के समस्त अधिकारियों का कर्मचारियों का और विशेषकर आपके संरक्षण में आश्वासन समिति ने तेजी के साथ काम किया, सक्रियता से काम किया आज तीसवां प्रतिवेदन माननीय अध्यक्ष महोदय समिति प्रस्तुत करने वाली है अगर विगत वर्ष में देखा जाए तो 13 वीं विधानसभा में मात्र एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था, इससे पूर्व मात्र 2 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए गए थे. समस्त सदस्यों का मैं हृदय से आभारी हूं कि उनकी बैठकों में निरन्तरता रही, सजगता रही, सक्रियता रही, उनके प्रति बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय मैं, शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का चौबीसवां, पच्चीसवां, छब्बीसवां, सत्ताइसवां, अठाइसवां, उनतीसवां, तीसवां, इक्तीसवां एवं बत्तीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
1.20 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
(3) पटल पर रखे गये गये पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति का चतुर्थ प्रतिवेदन
श्री रामलल्लू वैश्य (सदस्य) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, पटल पर रखे गये पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति का चतुर्थ प्रतिवेदन (चतुर्दश विधान सभा) प्रस्तुत करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं इसके साथ साथ सभी कर्मचारी, अधिकारियों को भी, जो इस कार्य में सम्मिलित थे, उन सबको भी बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
(4) प्रश्न एवं संदर्भ समिति का उन्नीसवां से उन्तीसवां प्रतिवेदन.
श्री अंचल सोनकर (सभापति) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रश्न एवं संदर्भ समिति का उन्नीसवां से उन्तीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं और सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों का, जिन्होंने इसमें सहयोग दिया एवं समिति के सभी सदस्य बैठकों में आते रहे, उनको भी धन्यवाद देता हूं.
(5) छात्रों द्वारा मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या किये जाने संबंधी
सामाजिक समस्या के समाधान हेतु गठित समिति का प्रतिवेदन.
श्रीमती अर्चन चिटनिस (सभापति) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के पहले यह कहना आवश्यक समझती हूं कि समिति के सभी माननीय सदस्यों ने, विधान सभा के अधिकारी/कर्मचारियों ने, शिक्षा विभाग के, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा और सभी विभागों के अधिकारियों ने इसमें बहुत सहयोग दिया. समिति की कुल 14 बैठकें आयोजित हुईं. समिति ने, हमने विज्ञापन करके विशेषज्ञों को मनोवेज्ञानिकों को, सोशलॉजिस्ट्स को, एजूकेशनिस्ट्स को आमंत्रित किया और उनकी भी सलाह करने के लिये एक बड़ी बैठक की. 118 लोगों के सुझाव प्राप्त हुए. मैं सभी विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, मनोवेज्ञानिकों, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रबुद्धजनों का भी आभार मानती हूं. साथ ही साथ हमने कोटा दौरा किया. वहां पर हमने विशेष अध्ययन किया. समिति के सभी वरिष्ठ सदस्यों का इसमें बहुत सहयोग रहा. प्रतिवेदन के प्रारुप को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें आत्महत्या के कारण, आत्महत्या रोकने के सुझाव और निष्कर्ष, तीनों पर विस्तार से बात कही गयी है. मैं इतना जरुर कहना चाहूंगी कि यह बहुत संवेदनशील विषय है. मुख्यमंत्री जी ने यह दायित्व हम सब पर सौंपा था और इसमें जो सुझाव दिये गये हैं, उन सुझावों में शिक्षा प्रणाली के साथ साथ समाज, परिवार व सब मीडिया के लोगों के लिये, सभी के लिये सुझाव दिये गये हैं और यह प्रतिवेदन निश्चित तौर पर सबके लिये बहुत उपयोगी होगा. उपाध्यक्ष महोदय, मैं, छात्रों द्वारा मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या किये जाने संबंधी सामाजिक समस्या के समाधान हेतु गठित समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करती हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)-- अध्यक्ष महोदय, आज माननीय चिटनिस जी द्वारा छात्रों द्वारा मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या किये जाने संबंधी सामाजिक समस्या के समाधान हेतु गठित समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है. यह संयोग की बात है कि चारों दीर्घाओं में छात्र, छात्राएं ही बैठे हुए हैं. छात्र, छात्राओं के तनाव को रोकने के लिये ही मुख्यमंत्री जी ने यह समिति गठित की थी और इससे अपेक्षा की थी. चिटनिस जी ने समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है. आज संयोग है कि सारे छात्र/ छात्राएं गेलरी में बैठे हुए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह संयोग अच्छा है.
1.24 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं सदन में प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
1.25 बजे
1.26 बजे अध्यक्षीय घोषणा
(भोजनावकाश न होने विषयक)
उपाध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में कार्यों की अधिकता और शुक्रवार को अंतिम ढाई घण्टे अशासकीय कार्यों के लिये नियत होने के कारण, आज भोजन अवकाश नहीं होगा. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.27 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जी ने जो पट्टाधृति अधिकारों का संशोधन विधेयक, 2017 प्रस्तुत किया है, मैं उसका समर्थन करता हूँ. वास्तव में जो इसका उद्देश्य है, वह सराहनीय है. ऐसे कई लोग जो 2012 के पहले, वे जिस भूमि पर, जिस नगर में रहते थे, जिस नगरीय निकाय की जमीन पर रहते थे, लेकिन इसमें राजस्व की जमीन या नजूल की जमीन का कहीं भी उल्लेख नहीं है. इसमें अगर राजस्व की जमीन पर कब्जा करते हैं, शासकीय भूमि, नजूल भूमि, नगरपालिका विकास प्राधिकरणों की भूमि पर कब्जा करते हैं तो उनको पट्टा देने के लिए शासन ने घोषणा की थी. लेकिन कई ऐसे लोग हैं, जो मजदूरी करने के लिए बाहर चले जाते हैं और गणना के समय, जब दोबारा परीक्षण होता है और दोबारा जब पूरा सर्वे हुआ तो उसमें कई नाम छूट गए हैं तो आपने उसके लिए अवधि बढ़ाई है तथा धारा 3 और 4 का संशोधन करते हुए 31 दिसम्बर तक बढ़ाया जाना सुनिश्चित किया है. लेकिन हमारा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि इसमें अगर हो सके तो इसे 31 दिसम्बर, 2015 किया जाये, कुछ लोग पिछले सर्वे में जो छूटने के कारण रह गए थे, वंचित रह गए थे, वे गरीब हैं, गरीबों के हित का मामला है. गरीबों के हित का मामला है. वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर लोग वर्षों से मजदूरी करने के लिए, नगरों में कब्जा करने के लिए आ जाते हैं, छोटी-छोटी नगर परिषदों में आ जाते हैं. वहां उनके आवास के लिए कोई पट्टा नहीं मिल पाया है. अगर उन्होंने कब्जा किया और अगर आज भी छूट गए हैं तो मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि इसकी सीमा वर्ष 2014 की बजाय वर्ष 2016 तक कर दी जाए. उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस संशोधन का समर्थन करता हूं और धन्यवाद भी देता हूं.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति अधिनियम 1984 में जो बिल प्रस्तुत किया गया है वह बहुत ही महत्वपूर्ण बिल है. इसके अंतर्गत ऐसे नगर निगम क्षेत्र, नगर पालिका, नगर परिषद जहां पर 31 दिसम्बर 2012 तक भूमिहीन व्यक्ति का कब्जा हो उसको पट्टा देने की बात कही गई है. इस अधिनियम के तहत जो संशोधन आया है इसमें नगर निगम क्षेत्र में 45 वर्गमीटर का पट्टा देने का प्रावधान है, नगर पालिका में 60 वर्गमीटर पट्टा देने का प्रावधान है, नगर पालिका परिषद में 80 वर्गमीटर पट्टा देने का प्रावधान है. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जो 31 दिसम्बर 2012 तक जो काबिज था उसकी कटऑफ डेट को 18 अप्रैल 2013 किया गया था. अब इसमें यह संशोधन किया जा रहा है कि अब यह तारीख 31 दिसम्बर 2014 तक की जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय शिवराज सिंह जी के द्वारा, नगरीय विकास मंत्री जी द्वारा पूरे मध्यप्रदेश के लिए यह बहुत ही अच्छा कदम उठाया गया है. इसके तहत प्रधानमंत्री आवास योजनातंर्गत पूरे मध्यप्रदेश में अभी तक 61 निकायों द्वारा 1 लाख 35 हजार आवास, 9 करोड़ 840 रुपए में स्वीकृत कर दिए गए हैं. साथ ही 44 ऐसे निकाय हैं जिनमें 1 लाख आवास हेतु, 5 हजार 260 रुपए का प्रस्ताव बनाकर माननीय मंत्री जी द्वारा भारत सरकार को प्रेषित कर दिया गया है. गरीबों के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार जो बिल लाई है निश्चित रूप से मैं डॉ. गोविन्द सिंह जी की बात से सहमत हूं कि इसकी अवधि और बढ़ा दी जाए. निश्चित रूप से इतना बड़ा कार्य है. वर्ष 2018 तक 5 लाख आवास बनाकर सरकार ने जो महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण की कंडिका क्रमांक 41 में कहा गया है कि 3 वर्षों में 5 लाख आवास पूरे मध्यप्रदेश के गरीबों को दिए जावेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि इसकी अवधि और बढ़ाने पर विचार करेंगे तो अच्छा रहेगा. गरीबों के लिए जो आवासहीन हैं, जिनको मध्यप्रदेश में रहने के लिए छत नहीं है. ऐसा महत्वपूर्ण अधिनियम माननीय मंत्री जी लाए हैं. मैं आपके माध्यम से उनको बधाई देता हूं और आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के कम आय और निम्न आय वर्ग के लोगों को आवास उपलब्ध कराने के दृष्टि से वर्ष 1984 में यह अधिनियम बना था. इस अधिनियम में अभी तक छह बार संशोधन किेए गए हैं. इस बार जो संशोधन आया है वह इस संकल्प के साथ आया है कि मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी और भारत के प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि कोई भी व्यक्ति जिसके पास आवास नहीं है, जो व्यक्ति आवासीय भूखण्ड से वंचित है. ऐसे व्यक्तियों को हर सूरत में आवास उपलब्ध कराया जाए. यह हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. वर्ष 1984 में जब गोविन्द सिंह जी आप थे जिसके कारण यह अधिनियम आया था अगर उस अधिनियम को आप पढ़ेंगे और आपने पढ़ा भी होगा उससे यह स्थिति स्पष्ट होती है कि अधिनियम जिस उद्देश्य को लेकर लाया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पायी थी. इसके कारण उसमें समय-समय पर संशोधन किए गए. मध्यप्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा नया कानून लाया जा रहा है. आवास गारंटी कानून, जिसके तहत पूरे प्रदेश में ऐसे व्यक्ति जिनको आवास उपलब्ध नहीं है, जिनके पास आवासीय भूखण्ड नहीं है जिनके पास रहने का कोई स्थान नहीं है. ऐसे व्यक्तियों को आवास की गारंटी देने के लिए यह अधिनियम लाया जा रहा है. मैं तो इस अवसर पर यही निवेदन करना चाहता हूँ कि पिछले समय में मध्यप्रदेश सरकार ने लगभग डेढ़ लाख लोगों को आवास उपलब्ध कराने का काम किया था. संकल्प यह है कि वर्ष 2018 तक मध्यप्रदेश में 5 लाख लोगों को आवास उपलब्ध कराए जा सकें. जब आवास उपलब्ध कराने की दृष्टि से विचार किया गया तो यह तथ्य सामने आया कि ऐसे लोग जो रोजगार की प्राप्ति के लिए या रोजगार की तलाश में गाँव छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर गए और शहरों में जाकर रहने लगे. वर्ष 2012 की स्थिति को माना जाए तो उनको वह हक और अधिकार प्राप्त नहीं होता है. उनको भी यह हक और अधिकार प्राप्त हो जाए यह प्रयास इस संशोधन के माध्यम से किया गया है. ऐसे व्यक्ति जो रोजगार की तलाश में अपना गाँव छोड़कर शहरी क्षेत्र की ओर पलायन कर गए हैं वहां जाकर सरकारी जमीन पर निवास करने लगे हैं. उन स्थानों पर भी उनको इस प्रकार के पट्टे आवंटित कर दिए जाएं जिससे आगे चलकर उनको आवास उपलब्ध हो सके. इस संशोधन में जो तारीख सुनिश्चित की गई है उस तारीख तक यह लोग जहां पर भी इनका कब्जा है या झोपड़ी बनाकर निवास कर रहे हैं. उन सब लोगों को यह अधिकार प्रदान कर दिया जाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, संशोधन छोटा है लेकिन इसके पीछे की जो भावना है और मध्यप्रदेश की सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी चाहते हैं कि हमारे प्रदेश के अन्दर कोई ऐसा व्यक्ति नहीं बचे जिसके पास रहने के लिए आवास न हो, जिसके सिर के ऊपर छत न हो. इस सब को ठीक करने की दृष्टि से यह कोशिश की जा रही है कि प्रत्येक पात्र व्यक्ति इसमें शरीक हो जाए. इसी उद्देश्य को लेकर कि शहरी क्षेत्र में जो लोग गांव से पलायन करके या अन्य स्थानों से जाकर जिन्होंने भूमि पर झुग्गी झोपड़ी या ऐसा स्थान बना लिया है. ऐसे सभी व्यक्तियों को उनका अधिकार प्राप्त हो जाए. इसी उद्देश्य को लेकर यह संशोधन लाया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ कि वे गरीबों के हितों की दृष्टि से यह संशोधन लेकर आए हैं. इस संशोधन से बहुत सारे गरीबों को लाभ मिलेगा. यही बात कहते हुए मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यशपाल सिंह जी को डॉक्टर ने कहा है कि यदि आप हर 15-20 मिनट में खड़े नहीं होंगे तो आप तिवारी जी जैसे हो जायेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- हाड़ा जी, आप डॉक्टर कब से बन गए हैं ? आप आचार्य जी थे, यह तो मुझे मालूम था, लेकिन आप डॉक्टर हो गए हैं यह नहीं मालूम था.
उपाध्यक्ष महोदय- जी हां, ये तो शिक्षक थे.
श्री बाला बच्चन- हाड़ा जी, आप देख लीजिए, आपकी सरकार ने आपको यह उपाधि दी है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- हमने आचार्यों को जिम्मेदारी नहीं दी है.
श्री सुंदरलाल तिवारी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हाड़ा जी को डॉक्टर साहब ने खड़े होने को मना किया है. वे अपनी बात नहीं बता रहे हैं कि डॉक्टर ने बार-बार खड़े होने को मना किया है, नहीं तो उनकी तबियत गड़बड़ा जायेगी.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज इस विधान सभा के इस सत्र के दौरान सदन में जो विधेयक प्रस्तुत हुआ है, यह मध्यप्रदेश के गठन 1956 के बाद ऐसा यह पहला विधेयक है. यशपाल सिंह जी विद्वान हैं, वकील हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने भी कहा कि मैं ज्यादा नहीं बोलता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- आप आज बोल रहे हैं, इससे पता चलता है कि यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा- उपाध्यक्ष महोदय, आज मैं यह कह सकता हूं कि जब हम छोटे थे और उपाध्यक्ष महोदय, तब आप थोड़े बड़े होंगे. नेता प्रतिपक्ष जी सदन से जा रहे हैं. पहले कहा जाता था कि जो सरकार रोटी-कपड़ा और मकान न दे सके, यह हमारे समय में एक बड़ा नारा था. यशपाल सिंह जी ने भी छोटी-छोटी झंडियां लेकर यह नारा बहुत लगाया होगा. कहा जाता था कि जो सरकार रोटी, कपड़ा और मकान न दे सके, मैं इसके बारे में आगे कुछ नहीं कहना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, इतिहास इस बात का साक्षी है कि आज मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने यह कार्य किया है.
डॉ.गोविंद सिंह- मैं कहना चाहता हूं कि राजपूत कभी चापलूसी नहीं करता है.
श्री सुखेन्द्र सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके संज्ञान में मैं एक बात लाना चाहता हूं कि अभी माननीय मंत्री जी ने जो प्रस्ताव प्रस्तुत किया है वह यह है कि मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक और सदन में इस पर चर्चा न होकर आवास पर चर्चा हो रही है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा- सुखेन्द्र जी, मैं आगे इसी बात पर आ रहा हूं. आपके पिताजी जब इस सदन में थे तो वे यह नहीं कर पाए. कम से कम आप इसे सुन तो लें. उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रार्थना करना चाहता हूं कि बहादुर सिंह जी ने, दुर्गालाल जी ने एक लाईन में बहुत ही सार-सार बात की है. गोविंद सिंह जी, दुर्गालाल जी से कह रहे थे कि सार-सार को तार-तार क्यों कर रहे हैं ? मैं कहना चाहता हूं कि यदि सदन में पूरी बात नहीं बताई गई तो यह हमारी बहुत बड़ी भूल होगी. इसलिए कितनी भूमि दी जायेगी, लोग आयेंगे तो उन्हें कितना क्या मिलेगा यह इस धरती पर पट्टा देने का काम किया जा रहा है. कोई भी आदमी अब भूमिहीन न रहे, यह वास्तव में बहुत ही अच्छी बात है और आज मैं सदन से चाहूंगा कि इस संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाए. यदि इसमें कोई कमी हो तो उसे जरूर पूरा किया जाए, लेकिन मेरे विचार से यह संशोधन विधेयक अपने आप में परिपूर्ण है. मैं समझता हूं कि इससे लाभ यह होगा कि मध्यप्रदेश में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसके पास जमीन का पट्टा न हो. केवल जमीन ही नहीं अपितु इससे आगे प्रधानमंत्री जी ने 2022 तक ''प्रधानमंत्री आवास योजना'' के तहत हर व्यक्ति को मकान देने की योजना बनाई है. मेरे विपक्ष के साथी कह रहे थे कि भूमि क्यों दी जा रही है, पट्टा क्यों बांटा जा रहा है, कितना दिया जा रहा है ? मैं कहना चाहता हूं कि इस संशोधन विधेयक में इन सारी बातों का उल्लेख है. मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता हूं. तिवारी जी, क्या आप खड़े हो रहे है ? यदि आपको कोई कष्ट हो तो उसे दूर कर लीजिए. यह सरकार सभी का कष्ट दूर करेगी. आनंद मंत्रालय भी इसी कारण बनाया गया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह आवास योजना इस देश में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जी के द्वारा शुरू की गई थी. मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं और स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह योजना इस देश में यू.पी.ए. सरकार के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जी ने शुरू की थी. उनकी स्वीकृत होकर बिल्डिंग भोपाल में बन चुकी है और खड़ी है. आप सभी जाकर वह बिल्डिंग देख लीजिए.
श्री विश्वास सारंग-- तिवारी जी, अभी 1 अप्रैल आने में देर है. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- हाड़ा जी, आप सबको उकसा क्यों रहे है?
श्री विश्वास सारंग-- दुनिया को मालूम है किसने शुरू की है. ..(व्यवधान)..
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- उन्होंने आपको आवास दिया होगा इसलिए आपको पता है. ..(व्यवधान)..
श्री के.के.श्रीवास्तव-- मनमोहन सिंह जी को आपने 10 साल बोलने नहीं दिया. एक ही बच्चे के चक्कर में पड़े रहे बेचारे. ..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय मंत्री जी, 1 अप्रैल को हाउस नहीं रहेगा इसलिए ये अभी बोल रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा असत्य मत बोलिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, बैठ जाइये, आपकी बात आ गई.
श्री के.के.श्रीवास्तव-- एक ही बच्चे को बेचारे को खिलाते रहे....
उपाध्यक्ष महोदय-- मान्यवर के के श्रीवास्तव जी, बैठ जाइये.
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदया को और माननीय मुख्यमंत्री जी, उन गरीब के, जो सबसे पीछे और सबसे नीचे है, उन सबके कल्याण के लिए और उनके आवास के लिए पट्टे के लिए ऐसा अद्भुत यह जो विधेयक लाए हैं, इसके लिए मैं उनको बधाई भी देता हूँ और आप सबसे आग्रह करता हूँ कि इसको पास करें और जो तिवारी जी ने खड़े होकर कहा कि मनमोहन सिंह जी ने किया है तो कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, उनका परिणाम भी आपने देखा है इसलिए आप तो इसी पर विचार करें. इसी विधेयक पर बोलेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा. बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- हाड़ा जी, आपने एक बात तो साबित कर दी कि कछुआ खरगोश से दौड़ में जीत सकता है. आपकी सार की बात एक ही मिनट की थी और आपने छःमिनट ले लिए. आपकी बात तो आ गई.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए. मंत्री जी, आप कुछ बोलेंगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)-- जी, माननीय उपाध्यक्ष जी, यह जो विधेयक है प्रदेश के नागरिकों को किफायती आवास के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध कराने की मंशा को मध्यप्रदेश शासन ने एक संकल्प के रूप में लिया है और यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में भूमिहीन व्यक्ति अधिनियम 1984 के अंतर्गत कुछ प्रावधान और संशोधन प्रस्तावित किए हैं और इसमें भी 1984 से वर्तमान तक, अभी तक, 6 संशोधन किए जा चुके हैं और यह हमारा सातवाँ संशोधन है. इस अधिनियम के अंतर्गत आज दिनाँक तक, मैं बताना चाहती हूँ सदन को कि लगभग 3 लाख 63 हजार पात्र हितग्राहियों को आवासीय भूखण्ड का पट्टा दिया गया है. यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है (मेजों की थपथपाहट) और मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि आजकल नगरीय क्षेत्रों में 2012 तक निवासरत गरीबों को आवासीय पट्टे देने की बात अभी आ गई है. मैं उसको दोहराना नहीं चाहती. लेकिन अब इसे 2012 के स्थान पर 2014 तक स्थापित किए जाने का संशोधन इस विधेयक में किया गया है और प्रदेश सरकार के द्वारा इस अधिनियम की धारा 3 (1) ii एवं धारा 4 की उपधारा (2) में आवश्यक संशोधन किया गया है. जो प्रदेश की जनता के व्यापक हित में है इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने जहाँ इस अधिनियम में संशोधन के माध्यम से शहरी गरीबों को भूमि का मालिकाना हक दिया है वहीं आवास गारंटी विधेयक के माध्यम से आज जो आगे आने वाला है, शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिए भी सरकार प्रतिबद्ध है तो निश्चित तौर पर मैं कहना चाहती हूँ कि इस संशोधन से प्रदेश की लाखों गरीब जनता लाभान्वित होगी और मैं सभी सम्माननीय विधायकों से आग्रह करना चाहूँगी कि सभी इसका समर्थन करें.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
उपाध्यक्ष महोदय :- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधयेक का अंग बने.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
नगरीय विकास एवं आवास (श्रीमती माया सिंह) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हॅूं कि मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.
(3) मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी
विधेयक, 2017
नगरीय विकास एवं आवास (श्रीमती माया सिंह) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं, प्रस्ताव करती हॅूं कि मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग हैं उनको आवास मिले, यह विधेयक जो माननीय मंत्री जी लेकर आयी हैं हम कांग्रेस पक्ष के सारे लोग भी स्वागत करते हैं पर कोई विधेयक, कोई गारंटी बने और उस गारंटी का सही रूप से क्रियान्वयन न हो, ऐसे कई उदाहरण भी हम आपको बताएंगे. सबसे जरूरतमंदों को आवास दिया जाना चाहिए, यह मंशा बिल्कुल सही है. इस विधेयक से कुछ गंभीर, मुद्दे कुछ विसंगतियॉं भी सामने आती हैं, उन पर गौर करना भी जरूरी है. पहले तो सरकार यह बताए कि आवास के लिए कितनी भूमि उपलब्ध है. जाहिर है कहीं भी आवास नहीं बन सकते. क्या गृह निर्माण मंडल एवं अधोसंरचना मंडल गरीबों को आवास देने में असफल हो गया है ? इसका उद्देश्य यह था कि हर व्यक्ति को उसकी क्रय क्षमता के अनुसार आवास सुविधा मिल जाए लेकिन गृह निर्माण मंडल तो निजी कन्ट्रक्शन कंपनी की तरह काम करने लगा है. और कल्याणकारी अवधारणा को ताक पर रख दिया है इसी तरह जो आपका विकास प्राधिकरण है वहां भी इसी तरह का जिस तरह हाऊसिंग बोर्ड का काम चल रहा है इसी तरह से विकास प्राधिकरण भी इसी तरह किसी निजी कंपनी की तरह काम कर रहा है.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) -- उपाध्यक्ष महोदय, गृह निर्माण मंडल अलग चीज है और यह विधेयक अलग चीज है. कहां से कहां का कनेक्शन जोड़ रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय मंत्री महोदय, यह उसी से रिलेटेड है, गवर्नमेंट की संस्थान है. गरीबों के लिए आवास बनाने का प्रोवीजन वहां भी है. इन संस्थाओं में भी है. उपाध्यक्ष महोदय, खुद इन विभागों के मंत्री रह चुके हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- जीजी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जी, माननीय मंत्री जी हमारी सम्मानीय है हमारी बुआजी हैं. हम उनका सम्मान करते हैं. अभी सरकार की ओर से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि मध्यप्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार कितने हैं और गरीब भमिहीन परिवार कितने हैं ? यह भी स्पष्ट होना चाहिए. विधेयक में यह कहा गया है कि न्यूनतम 25 वर्ग मीटर का आवास और नगरीय सीमा में 45 वर्ग मीटर और अन्य जगह 60 वर्ग मीटर भूमि आवास बनाने के लिए फ्री दी जाएगी. यह बात गोलमोल है. इसकी कोई नीति बनानी पडे़गी. मुख्यमंत्री जी की घोषणा है कि जो जहां रह रहा है....
1.55 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए}
श्री कमलेश्वर पटेल - ..... वह जमीन उसी की हो जाएगी. इससे अराजकता फैलने की भी आशंका है. भू-माफिया के सक्रिय होने और कानून व्यवस्था बिगड़ने का भी खतरा बन सकता है.इस विधेयक में सबसे बड़ी कानूनी कमी यह है कि राज्य में अब तक राजस्व और भूमि संबंधी जो कानून विद्यमान है, क्या इस विधेयक के परिप्रेक्ष्य में वह बदले जाएंगे? यह बात आना चाहिए. भूमि संसाधन राज्य का एक कीमती संसाधन होता है. इस पर भू-माफिया पहले से कब्जा करने के लिए तैयार बैठे हैं. इसे सरकार कैसे रोकेगी इसका कोई उपाय इस अधिनियम में दिखता नहीं है. केवल शिकायत समिति अकेले बनाने से काम नहीं चलेगा. इस समिति को प्रशासनिक अधिकार के अलावा न्यायालयीन अधिकार भी दिया जाना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय,कांग्रेस के समय केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए जब राजीव आश्रय योजना बनाकर राज्य सरकार को दी थी और कहा था कि राज्य भूमि उपलब्ध करा दें, आवास बनाने का पैसा केंद्र सरकार द्वारा दिया जाएगा. उस समय राज्य शासन द्वारा यह तर्क दिया गया था कि सरकार के पास आवास के लिए जमीन नहीं है. यह भी तर्क दिया गया था कि जो जमीन आवास के लिए दी जाएगी उसकी कीमत को ही राज्य का अंश मान लिया जाएगा. यह रहस्य ही है कि सरकार ने सोची समझी साजिश के तहत राजीव आश्रय योजना को जमीन पर आने ही नहीं दिया और जहाँ आई भी तो जैसा अभी माननीय मुकेश नायक जी ने चर्चा के दौरान सागर का उल्लेख भी किया था कि किस तरह से राजीव आश्रय योजना में भ्रष्टाचार हुआ और जिनको मिलना चाहिए उनको आवास नहीं मिला. आज राज्य सरकार खुद कानून ला रही है तो अब जमीन कहाँ से आ गई ? सरकार के इस रवैये के कारण राजीव आश्रय योजना फेल हो गई.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- अगर यह लिखा हुआ पढ़ना ही है तो पटल पर रख दीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल--- अरे, लिखा हुआ तो माननीय मंत्री जी लोग भी पढ़ते हैं, लिखा हुआ हमारे सदस्य जब भाषण करते तो वह भी पढ़ते हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--- वह तो मंत्री जी का जवाब रहता है तो मंत्री का लिखा हुआ ही कहलाएगा.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- इनके नेता भी लिखा हुआ पढ़ते हैं तो यह भी लिखा हुआ ही पढ़ेंगे और क्या पढ़ेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्रियों को लिखा हुआ पढ़ने की अनुमति रहती है. सदस्यों को पढ़कर नहीं बोलना चाहिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो विधेयक आया है महत्वपूर्ण विधेयक है, हम तार्किक बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप अपना विषय रखिये, आप आंकड़े पढ़िये लेकिन पूरा पढ़ेंगे तो वह एलाउड नहीं है.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, वह पढ़ नहीं रहे हैं, बीच-बीच में प्वाइंट्स देख रहे हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--- प्वाइंट्स नहीं देख रहे हैं,पूरे टाइम तो पढ़ रहे हैं एक बार भी नजर नहीं हटाई.
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग बैठे.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हुआ है, जो सरकार ने किया है वहीं बातें कर रहे हैं उससे अलग हटकर मैं नहीं कह रहा हूँ. हमारी थोड़ी सी और बातें रह गई हैं.
अध्यक्ष महोदय-- पढ़कर नहीं बोला जाता है यह परंपरा है.मंत्री पढ़कर बोलते हैं. आप प्वाइंट लिखकर लाइए और बोलिये उसमें दिक्कत नहीं है.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, वह आगे के लिए अभी से प्रेक्टिस कर रहे हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- अपने नेता को फॉलो कर रहे हैं. इनके राष्ट्रीय नेता पब्लिक मीटिंग भी पढ़कर भाषण देते हैं तो अपने नेता को फ़ॉलो कर रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- बच्चन जी, आपने प्रेक्टिस क्यों नहीं की, उनको क्यों करवा रहे हैं आप.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, सरकार के इस रवैये से राजीव आश्रय योजना फेल हो गई. गरीबों के आवास निर्माण हेतु राशि, जो भरपूर मात्रा में केंद्र सरकार से मिलने वाली थी उसका उपयोग राज्य सरकार ने गरीबों के लिए आवास बनाने में नहीं किया. आवास नहीं बनने दिये , गरीबों का अहित किया है. अब तक तो कितने गरीबों को राजीव आश्रय योजना के माध्यम से आवास मिल गये होते. एक छोटा सा उदाहरण और दूंगा जिस तरह से राजीव आश्रय योजना का हश्र हुआ है उसी तरह से इंदिरा आवास योजना जो संचालित थी उसको इसी सरकार ने बंद कर दिया. द्वितीय किश्त के लिए आज तीन-तीन साल से लोग चक्कर लगा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी हमेशा से भूमिहीनों को पट्टा वितरण करने से लेकर गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिए हमेशा से प्रयासरत् रही है. आजादी से लेकर जब तक, जहाँ भी कांग्रेस की सरकारें रही हैं. गरीबों के लिए कई नीतियाँ बनाई है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- 70 सालों में आपने कितना किया वह जमीन पर दिख रहा है. 50 साल तक आपने राज किया तो आपने क्या दिया वह जनता देख रही है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक दिन में कोई निर्माण नहीं हो जाता है, आप वरिष्ठ सदस्य हैं, जो भी आज दिख रहा है, उसकी बुनियाद कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी की सरकार ने रखी थी. यह कहना कि 50 साल में कुछ नहीं हुआ, 70 साल में कुछ नहीं हुआ, यह बिल्कुल गलत है. मेरा कहना यह है कि जो भी अधिनियम बने, जो भी गारंटी बने, उसका सही ढंग से क्रियान्वयन होना चाहिए. खाद्य सुरक्षा बिल बन गया, अधिनियम पारित हो गया, लेकिन यहाँ पर क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि गरीबों के लिए आवास बने, कांग्रेस पार्टी भी उसके पक्ष में है, पर उसका सही ढंग से क्रियान्वयन होना चाहिए, हम सारे लोग स्वागत करते हैं, इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप (रतलाम-सिटी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विेधेयक, 2017 के समर्थन में अपनी बात कहने के लिए मैं खड़ा हुआ हूँ. आवास की आवश्यकता सबको है और मैं ऐसा मानता हूँ कि आज मध्य प्रदेश विधान सभा का सबसे ऐतिहासिक दिन है. पूरे भारत में यह विधान सभा आवास की गांरटी देने का कानून पारित करने जा रही है. निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एक संवेदनशील मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने कई ऐसी कल्याणकारी योजना शुरू की हैं जिन्होंने लोकतंत्र को एक कल्याणकारी तंत्र में बदलने की जो कि हमारे संविधान निर्माताओं की भावना थी, उन भावनाओं के अनुसार कार्य किया है. आज का यह विधेयक मध्यप्रदेश में रहने वाले सभी नागरिकों को, जिनके पास आवास नहीं हैं, उन्हें आवास का अधिकार प्रदान करता है. यह भारतीय संविधान की धारा-21 के अनुसार, जो जीवन का अधिकार है और समय-समय पर हमारे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी जीवन की परिभाषा में आवास के महत्व को स्वीकार किया गया है और मुझे यह कहने में गर्व महसूस होता है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के शताब्दी वर्ष में हमारे मुख्यमंत्री जी ने यह जो संकल्प लिया है, यह जो आवास की गारंटी का विधेयक आज हमारे बीच में है, इसकी शुरुआत के बारे में बात करें तो 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव अधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र से प्रारंभ किया था और उस समय भारत सरकार ने उस घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर भी किए थे, परंतु 70 वर्षों तक आवास की गारंटी का कोई अधिनियम पूरे देश के अंदर किसी भी सरकार ने, न तो केन्द्र सरकार ने और न ही राज्य सरकार ने बनाया, परंतु आज हमारे मध्यप्रदेश के अंदर माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा यह आवास गारंटी अधिनियम पारित किया जा रहा है, यह ऐतिहासिक है. सन् 1966 में भी पूरे अंतर्राष्ट्रीय जगत में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर एक अनुबंध हुआ, उस अनुबंध में भी भारत सरकार ने हस्ताक्षर किए लेकिन उसका भी आगे कुछ नहीं हो पाया. अभी हमारे भाई कमलेश्वर जी कह रहे थे कि 70 सालों में हमने कई आवास योजनाएँ दीं परंतु वह अमली जामा नहीं ले सकीं. निश्चित तौर पर इन संधियों के बीच में भी आवास को महत्वपूर्ण स्थान नहीं मिल पाया. इसके पश्चात् सन् 1987 में पूरी दुनिया में संयुक्ट राष्ट्र संघ के द्वारा आवास वर्ष मनाया गया, भारत में भी मनाया गया, परंतु वह आवास वर्ष भी सार्थक नहीं हुआ, आज भी कम से कम 23 से 24 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में रहने वाले हमारे कई गरीब बंधु, हमारे मलीन बस्तियों में रहने वाले बंधु अच्छे आवास से वंचित हैं और अपना जीवन यापन नहीं कर पा रहे हैं. आवास का मतलब केवल जमीन का एक टुकड़ा नहीं होता है, इस विधेयक में आवास का स्पष्ट प्रावधान किया गया है. जमीनों की बात थी कि जमीन अगर उपलब्ध नहीं है तो बहुमंजिला इमारत बनाई जाएगी और 25 वर्गफिट शौचालय के साथ में दो कमरों का मकान दिया जाएगा, उस मकान के लिए भी इस विधेयक में प्रावधान है कि जिस व्यक्ति को यह भूमि आवंटित होगी वह केन्द्र सरकार या राज्य सरकार की जिस योजना के अंतर्गत पात्र होगा, वह उन लाभों को भी प्राप्त करेगा, निश्चित तौर पर यह आवास की गारंटी के साथ सिर्फ भूमि का टुकड़ा देने का कानून नहीं है या केवल आवास देने का कानून नहीं है, यह उसके जीवन को सँवारने का कानून है. ऐतिहासिक काल से आवास का मतलब हम लगातार सुन रहे हैं, हम जब स्कूल-कॉलेजों में पढ़ते थे तब से रोटी, कपड़ा और मकान की बात सुन रहे थे, परंतु मकान को सार्थक करने का कार्य मध्यप्रदेश की सरकार ने शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में किया है और इसमें एक प्रावधान बहुत महत्वपूर्ण है कि 25 वर्ष तक या जैसे ही कोई व्यक्ति विवाहित होगा, हमारे मुख्यमंत्री जी ने मामा होने के नाम को सार्थक किया है. उन्होंने अपनी भांजियों के लिए जिस तरह से लाड़ली लक्ष्मी योजना लाई, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के माध्यम से उनके विवाह का मार्ग सरल किया, उसी तरफ यह बात भी है कि जैसे ही वह विवाहित होगी तो भांजे को भी मकान का अधिकार प्राप्त होगा और वे अपना जीवन चला सकेंगे और बच्चों के जीवन को एक नया दर्शन दे पायेंगे और निश्चित तौर पर आवास के माध्यम से एक सुरक्षा का भाव पैदा होगा. हमेशा से जब भी हम देखते हैं हमारे ऐतिहासिक काल से एक आदमी को छत होना आवश्यक है. कई महानगरों के अंदर लगातार यह बातें रही हैं. हम मुंबई के अंदर यह सुनते रहे है कि रोटला उपलब्ध है पर ओटला नहीं मिलता है. यह कहावत रही है कि आवास एक बड़ी महत्वपूर्ण आवश्यकता है और इस देश के अंदर निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश की विधानसभा में जो हम आवास अधिनियम की ओर आगे बढ़ रहे हैं. यह पूरे देश और दुनिया के बीच में एक ऐसा राज्य जिसने सर्वप्रथम आवास के बारे में अपनी बात को आगे बढ़ाया है. यह किफायती मकान की बात है और किफायती मूल्य के ऊपर हमारे संयुक्त राष्ट्र संघ में 1995 के अंदर एक उपयोजना बनाई थी और उसने निश्चित तौर पर रेखांकित किया है कि आवास का मतलब मुफ्त में मकान देना नहीं है. आवास देने का मतलब है कि एक अच्छा आवास जिसके अंदर व्यक्ति अपनी पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक व्यवस्थाओं के अंदर रह सके और उसको एक किफायती मूल्य पर आवास दिया जाय.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हमने तीन लाख मकानों को और अभी दो लाख पचास हजार मकान हमारे नगरीय प्रशासन ने भी स्वीकृत किये हैं और अगले संकल्प के साथ दस लाख मकान ग्रामीणों को भी हम दे चुके हैं. इस प्रकार निश्चित तौर पर जो इंदिरा आवास योजना की बात थी, जिसमें 60 हजार रूपये की राशि 15 साल तक नहीं बदली गई लेकिन हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत डेढ़ लाख रूपये की राशि कर दी है क्योंकि 15 साल तक कभी यह चिंता नहीं हुई कि 60 हजार के अंदर हमारा गांव का गरीब कैसे आवास बनायेगा, वह उल्टा कर्ज के अंदर आ जाता था, उसको निकालकर एक गारंटी की बात की गई है. आवास की गारंटी देना और आवास की गारंटी के प्रति प्रतिबद्ध रहना निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश से ऐसे कई नये-नये कीर्तिमान हमारे मुख्यमंत्री जी के द्वारा रचे जा रहे हैं और आज का जो प्रावधान इस विधेयक के अंदर नगरीय प्रशासन विभाग की हमारे मंत्री श्रीमती माया सिंह और उनके अधिकारियों ने किया है, इसमें निश्चित तौर पर हर बात की चिंता रखी गई है कि कौन पात्र रहेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अपील आवंटन की है, अपील में कोई गलती है तो उसके ऊपर शिकायत रहेगी और निश्चित तौर पर एक विधेयक को जो एक परिपूर्ण विधेयक और निश्चित तौर पर यह मध्यप्रदेश का विधेयक पूरे देश के अंदर एक दिशा निर्देशक होगा और भारत के नागरिकों और गरीब परिवारों के लिये यह एक सपना होता है. व्यक्ति अपना पूरा जीवन निकाल लेता है और उसका एक स्वप्न होता है कि उसका अपना घर हो. अपनी छत और अपने घर के अंदर वह सुरक्षित महसूस करता है, जिस तरीके से एक संगठित नागरिक समाज लोकतंत्र के अंदर अपनी स्वतंत्रता के माध्यम से अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है, वैसे ही एक परिवार अपनी छत के नीचे रहकर अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं निश्चित रूप से मानता हूं कि गरीबी के उत्थान के लिये मैं 12 वर्ष पूर्व सक्रिय राजनीति में आया था. तब मैंने रतलाम में एक अहिंसा ग्राम बनाया था, जिसमें मैंने सौ गरीब परिवारों को मकान बनाकर दिये थे और आज उसमें 84 परिवार अपने जीवन को बदलाव के ऊपर लेकर आ गये हैं. करीब-करीब 105 बच्चे हैं, जो सब शिक्षित हैं और यह जो परिकल्पना थी, यह हमारे राष्ट्रीय स्वयं संघ के सर संचालक तत्कालीन श्री सुदर्शन जी के दर्शन के माध्यम से जब उन्होंने उस परिकल्पना को आगे देखा तो उन्होंने कहा कि राजनीति के माध्यम से ही हम समाज में बदलाव ला सकते हैं और मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री जी ने मेरे उस स्वप्न को सार्थक कर दिया है कि मैं जो स्वप्न लेकर आया था कि गरीबों का मकान गरीबों की अपनी छत हो आज वह सपना सार्थक होने जा रहा है. मैं इस विधेयक का पुरजोर समर्थन करता हूं. जय हिन्द धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, तथा निम्न आय वर्ग को आवास की गारंटी विधेयक के विषय में कहना चाहता हूं कि अगर सारे कानूनों का हम लोग परीक्षण करें तो गरीबों को मकान देने के बहुत सारे कानून केंद्र से लेकर राज्यों में पहले भी बने हैं. कांग्रेस के जमाने वह कानून बना कि महलों के बगल में भोपाल में ही आप देख लीजिए की गरीब आदमी जो झोपडि़यों में रह रहे हैं, उनके घरों में टी.वी., रेडियो, मोटरसाईकिलें मौजूद हैं. आप कागजों में गारंटी देकर दे रहे हैं और हमारी कांग्रेस की सरकार ने गरीबों को हमेशा से पूरा का पूरा भरोसा दिया है और झुग्गी, झोपडि़यों का जो पट्टा भोपाल में मिला है, अगर उस पक्ष के मित्रों ने देखा होगा और मेरा यह कहना है कि देख लीजिए गरीबों के प्रति कांग्रेस का क्या रवैया था.उसका जीता-जागता उदाहरण आप आखों से देख सकते हो. एक बात अभी मेरे मित्र कह रहे थे. मैंने कहा था कि यूपीए सरकार के जमाने में यह योजना चालू की गई थी तो हमारे मित्र काफी भड़क गये और हमारे ऊपर नाराज भी हुए. मैं उनको एक स्थान बताना चाहता हूं, आप भोपाल में जाकर देखें, अरेरा कालोनी में पेट्रोल पंप के पीछे चले जायं और यह देखें कि जेएनएनयूआरएम, जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्युवल मिशन के अंतर्गत गरीबों के लिए मकान बनाने की योजना शुरू की गई थी. बड़ी लंबी-लंबी इमारतें आज भी खड़ी हैं और गरीबों को वहां पर मकान वितरित किये गये हैं, मित्रों जाकर देख आओ. मेरा यह कहना है कि विरोध के लिए विरोध नहीं है. अगर पहले भी जो अच्छे काम हुए हैं, उनकी प्रशंसा होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे यह कहना है कि यह मल्टीपल लॉज़ तैयार किये जा रहे हैं. यह केवल दिखाने के लिए हो रहे हैं कि हमारी सरकार यह गारंटी दे रही है, क्या पहले के जो कानून उन गरीबों के लिए आवास के लिए बने हैं, उनको आप रद्द कर रहे हैं या एक की जगह 10-20 कानून बनाते चले जा रहे हैं और उसमें मैटर को और कॉम्प्लीकेटेड करते चले जा रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि यह ठीक है कि गारंटी का शब्द जो है वह बड़ा प्रभावित करता है और यह लगता है कि बिल्कुल अब आज से जैसे ही यह कानून इस सदन में पास हुआ तो गरीबों को एक-एक महल सबको यह सरकार बनाकर दे देगी, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि क्या इस कानून में आपने कहीं यह उल्लेख किया है कि गारंटी कब तक लागू हो जाएगी और गरीबों को कब तक मकान मिल जाएंगे, इसमें कहीं इस बात का उल्लेख नहीं है?
दूसरी बात, मेरा यह कहना है कि पहले भी जब कॉलोनाइजर्स को लाइसेंस दिया जाता था और आज भी मेरा ख्याल है कि वह शर्त होगी. मैंने इधर दो-चार महीने से नहीं देखा है. लेकिन यह शर्त रहा करती थी कि अगर कॉलोनाइजर्स कोई कालोनी विकसित कर रहा है तो उसका एक हिस्सा उन गरीबों को वितरित करने के लिए रखा जाय, मकान बनाकर उनको दिया जाय, जिनकी आमदनी बहुत कम हो या गरीब हों, उन कॉलोनाइजर्स को यह बाध्यता रहती थी कि उस शर्त का पालन करना पड़ता था जो आज भी मध्यप्रदेश में लागू है. अब यह अरेरा पेट्रोल पंप वाली बात हो गई है. अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि यह कानून अच्छा है... माननीय मुख्यमंत्री जी आए हैं, इसलिए एक मिनट के लिए मैं रुक गया. शहरों में पीने के लिए पानी नहीं है..
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - और यह तिवारी जी से अच्छा कौन जाता होगा कि कब रुकना है?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, ..तो मेरा यह कहना है कि इस गारंटी में कोई अवधि सुनिश्चित नहीं की गई है. कोई क्राइटेरिया सुनिश्चित नहीं है कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों को आप मकान वितरित करेंगे. इसमें गरीब या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कौन होगा? इसका भी उल्लेख इस एक्ट में नहीं है. इसमें यह तो लिखा नहीं है कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों को आप मकान बनाकर देंगे. इसका भी इसमें उल्लेख नहीं है तो मेरा कहना यह है कि यह कानून अभी अस्पष्ट है और पहले के जो बने हुए कानून हैं, उसकी क्या स्थिति होगी, जो गरीबों को मकान बनाने के लिए पहले से बने हुए जो कानून हैं, जैसे राजीव गांधी आश्रय योजना का जो कानून पहले से बना हुआ है, जिसमें झुग्गी-झोपड़ी बनाकर लोग रह रहे हैं और भी इस तरह के जो कानून हैं, क्या उन कानूनों को समाप्त करके एक कानून बनाया जाएगा कि सारे कानून विद्यामान रहेंगे या इसके साथ-साथ इस तरह के और कानून बनते चले जाएंगे और मल्टीप्लिकेशन उसमें होता रहेगा? यह जो कानून आया है, जो कमजोर वर्ग के लिए आवास गारंटी योजना है, मैं इसका विरोध नहीं, मैं इसका समर्थन करता हूं, यह बहुत अच्छा कानून है, लेकिन यह जमीन पर दिखना चाहिए और गरीब को इसका हक मिलना चाहिए. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक 2017 का मैं समर्थन करता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी यहां विराजित हैं. उनका गरीबों के प्रति, असहाय लोगों के प्रति, मन में जो वेदना, दर्द है उसको हर मंच पर माननीय मुख्यमंत्री जी अपने भाषणों में व्यक्त करते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी की हमेशा यह भावना रही कि गरीब टूटा-फूटा झोपड़ा बनाकर अपने परिश्रम के साथ स्थापित करके बैठा है. लेकिन उसकी झोपड़ी, उसका मकान कभी शासकीय योजनाओं के विस्तारीकरण के नाम पर अतिक्रामक कहा जाकर के नेस्तनाबूद कर दिया जाता है. उस गरीब का शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक नुकसान होता है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को दिल से बधाई देना चाहता हूं कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का यह जन्म शताब्दी वर्ष हम सब मना रहे हैं. उसके अंतर्गत को उनकी भावना थी कि समाज में जो अंतिम पंक्ति में जो बैठा है उसको हम मुख्यधारा से जोड़ें. मैं एक और बधाई माननीय मुख्यमंत्री जी को देना चाहता हूं कि विश्व का सबसे पहला लोक सेवा प्रबंधन गारंटी विधेयक यदि कहीं पारित हुआ है तो मध्यप्रदेश की इस विधान सभा में पारित हुआ है. आज दूसरा अवसर है. माननीय तिवारी जी ने जो बात कही है उन विधेयकों तथा योजनाओं का क्या होगा, पूर्व वक्ताओं ने कहा कि इंदिरा आवास का क्या होगा. योजनाएं अपनी जगह पर हैं लेकिन सरकार इस बात की गारंटी ले रही है. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का एक सपना है हाऊसिंग फॉर ऑल. उसको दृष्टिगत रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी का सपना है उसको माननीय मुख्यमंत्री जी ने आगे बढ़ाने की कोशिश की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, रोटी की जुगाड़ कहीं पर भी हो सकती है, रोटी बैंक होता है. सामाजिक स्वयं सेवी संगठन निःशुल्क भोजन कराते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने हाल ही में सारे लोगों को जागृत करने की कोशिश की है नेकी की दीवार, उस नेकी की दीवार पर अपने घरों के पुराने वस्त्र किसी गरीब को दे दिये जाएंगे तो आनन्द का अनुभव होगा. उस आनन्दम के माध्यम से कपड़ा भी प्राप्त कर लेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस बात को लेकर के मैं माननीय मंत्री महोदया को बधाई देना चाहता हूं. मैं नगर-पालिका से 30-35 वर्षों से सम्पर्क रखता हूं जब मैं नगरपालिका का पार्षद् था. मायासिंह जी पहली नगरपालिका, नगर निगम क्षेत्र से मंत्री महोदया हैं जिन्होंने महिला के उस दर्द को जो गृहणी घर में रहती है उसको चरितार्थ करते हुए मैं लंबे समय से देख रहा हूं नगरीय प्रशासन विभाग का दायित्व अक्सर पुरूष प्रधान वर्ग ने संभाला है. लेकिन माननीय मंत्री जी ने इसको संभालकर विधेयक उनके द्वारा प्रस्तुत किया गया है. इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. प्रतिपक्ष को भी बधाई देता हूं इसका प्रारंभ किया था. माननीय पटेल जी, सुन्दरलाल तिवारी जी ने भी इन विधेयक का समर्थन कर दिया है तो मैं समझता हूं कि पट्टे वाला पहला विधेयक सर्वानुमति से पारित किया गया तो इस विधेयक को भी सर्वानुमति से पारित किया जाये.
श्री उमंग सिंगार (अनुपस्थित).
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज का दिन एक ऐतिहासिक दिन है. सदन में आज ऐसे विधेयक पर पक्ष एवं विपक्ष हम सब लोग मिलकर विचार कर रहे हैं. मैं प्रतिपक्ष का आभारी हूं कि उन्होंने भावना का एवं भाव के साथ इस विधेयक का समर्थन किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आम-आदमी की जो बुनियादी जरूरतें हैं रोटी,कपड़ा और मकान, पढ़ाई-लिखाई एवं दवाई का इंतजाम इनके बिना आदमी जिन्दा नहीं रह सकता है. यह बुनियादी जरूरतें हैं. इस साल पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी का वर्ष है. इस सरकार ने तय किया है कि बुनियादी जरूरतें जनता की हम पूरी करेंगे. रोटी के लिये सस्ता राशन एक रूपये किलो गेहूं एवं चावल का हम लोगों के द्वारा इंतजाम किया. दूसरी बुनियादी जरूरत होती है जिसको हम सब लोग जानते हैं चाहे वह इधर के मित्र हों, या उधर के मित्र हों. अपना घर हो यह सपना हरेक व्यक्ति का चाहे वह गरीब हो, निम्न मध्यम वर्गीय हो या कोई भी परिवार हो, सबका होता है. अध्यक्ष महोदय, कहते हुए तकलीफ होती है. मध्यप्रदेश की धरती पर आजादी के 68 साल के बाद आज भी कई परिवार ऐसे हैं जिनके पास रहने की जमीन की टुकड़ा तक उनका नहीं है. अगर प्रकृति ने धरती बनायी, जमीन बनायी तो सबके लिए बनायी. पानी बनाया तो सबके लिए बनाया. हवा बनायी तो सबके लिए बनायी. खनिज बनाया तो सबके लिए बनाया. जो चीज़ बनी वह सबके लिए है. लेकिन अजीब हालत इतने सालों के बाद कि कोई तरस रहा उजियारे को, कोई सूरज बांधे सोता है. ऐसे कई लोग हैं जिनके पास अपने रहने की जमीन नहीं है. शहरों में सड़क किनारे पन्नियां तानकर रह रहे हैं. गांव में देखें विशेष कर हमारे गरीब बहन-भाई, आदिवासी बहन-भाई जहां जगह मिली मकान बना लिया. टापरी डाल ली. या अतिक्रमण कर लिया. फिर वहां कई बार प्रशासन आता है कहता है तोड़ेंगे, हटाएंगे. यह सरकार हो या पहले जो सरकार रही हो. हमेशा कई बार तोड़ा जाता है. हटाया जाता है. शहरों में प्रताड़ित किया जाता है.
अध्यक्ष महोदय, इसको धरती पर जिस भगवान ने भेजा तो उसको इतना हक नहीं है कि उसके रहने की जमीन का टुकड़ा अपना हो. जिनके पास रहने की जमीन का टुकड़ा नहीं है. कई बार रास्ते के पत्थर की तरह वह ठोकरें खाते हैं. इसलिए यह सरकार यह क्रांतिकारी विधेयक लेकर आयी है कि जिसने मध्यप्रदेश की धरती पर जन्म लिया है वह रहने की जमीन के टुकड़े का मालिक तो होगा ही.(मेजों की थपथपाहट) हम उसको वैधानिक मालिक बनाएंगे. उसको कानूनी अधिकार देंगे. जिससे वह चाहे जब ठोकरें न खा पाये. कभी दबंग डरायें, कभी दूसरे डरायें. इसलिए गांवों वह जहां रह रहा है या तो वहीं पट्टा देकर मालिक बनाएंगे. अगर जरुरत पड़ेगी तो उसको दूसरी जमीन उपलब्ध कराकर उसको मालिक बनाएंगे. लेकिन उसके बच्चे भी कह सकेंगे कि यह जमीन मेरी है. यह जमीन का टुकड़ा मेरा है और वहां घर बनेगा तो वह कहेंगे यह मेरे पापा का है. इस पर मेरा हक है, मेरा अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय, शहरों में चूंकि जमीन इतनी न हो इसलिए यह फैसला किया है कि हाईराइज़ बिल्डिंग बनेंगी, मल्टी बनेंगी. छोटे प्लाट पर भी बिल्डिंग बन कर खड़ी होगी तो कई गरीबों को मकान इसमें दिए जा सकते हैं, किफायती दरों पर दिए जा सकते हैं. आवासीय भूखंड निशुल्क और आवास किफायती दरों पर और जहां आवासीय भूखंड निशुल्क दिए जाएंगे वहां प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत, मुख्यमंत्री अंत्योदय आवास योजना के अंतर्गत क्रमशः उनके मकान बनाये जाएंगे. धीरे धीरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का वह सपना जो उन्होंने कहा कि 2022 तक कोई व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसकी अपनी छत न हो, जो अपने मकान का मालिक न हो. उस सपने को मध्यप्रदेश की सरकार पूरा करके दिखाएगी. (मेजों की थपथपाहट) इसलिए हम आवास गारंटी का विधेयक लेकर आये हैं. यह क्रांतिकारी विधेयक है. यह लोगों को उनका अधिकार देने का विधेयक है इसलिए मैं मानता हूं कि आज का दिन ऐतिहासिक है. अध्यक्ष महोदय, क्रमशः हमने इसलिए कहा कि एक दिन में, एक महीने में सबको मिल जाये यह हो नहीं सकता. व्यवस्था करने में समय लगता है और इसलिए गारंटी दे रहे हैं क्रमशः उसको पूरी करेंगे. मकान बना कर देंगे. हरेक के मकान बनाने का सपना सच होगा. पं. दीनदयाल उपाध्याय जी को यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी. रोटी-कपड़ा-मकान, पढ़ाई-लिखाई-दवाई का इंतजाम हर गरीब के लिए मध्यप्रदेश की धरती पर होगा. मैं सदन से अपील करता हूं कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की कृपा करें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--अध्यक्ष महोदय, हम आपकी भावनाओं का और प्रावधान का स्वागत करते हैं लेकिन आपसे अनुरोध करते हैं आपने कई बार घोषणाएं की हैं कि जो अवैध बस्तियां हैं उनको वैध करेंगे. जो अवैध बस्तियां हैं और जो अतिक्रमण नहीं हैं, अतिक्रमण नहीं की गई है ऐसे गरीब लोगों को बस्तियों को,मकानों को कब वैध करेंगे? आप उसके लिए शीघ्र मानदंड बनाकर अपने आश्वासन की पूर्ति आपको जल्दी करना चाहिए. अन्यथा इन भावनाओं का कोई मतलब नहीं है.
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, महेन्द्र सिंह जी हमारी हर भावना का मतलब होगा. आपकी भावना का भी हम आदर करते हैं. हमने अवैध बस्तियों को वैध करने के पूरे नियम और प्रक्रिया तय कर लिए हैं. मंत्री जी ने सदन में उसकी घोषणा भी की थी क्योंकि मैं स्वयं भी मानता हूं लोअर मीडिल क्लास के लोग हैं, गरीब हैं, मीडिल क्लास के लोग हैं जैसे-तैसे प्लाट लेकर मकान बना लिया उसको निश्चित तौर पर वैध किया जाएगा. मैं इसलिए यह संकल्प दोहराता हूं कि सारी अवैध कॉलोनियां को एक नियम प्रक्रिया के अंतर्गत, मैं फिर यह संकल्प दोहराता हूं कि सारी अवैध कालोनियां एक नियम प्रक्रिया के अंतर्गत वैध कर दी जायेंगी. हम कार्यवाही करेंगे लेकिन कार्यवाही उनके खिलाफ करेंगे जिन ठेकेदारों ने गरीब को प्लाट तो बेच दिये, कालोनी तो बना दी लेकिन सुविधाएं नहीं दीं इसलिये कार्यवाही अगर होगी तो उनके खिलाफ होगी. मैं मानता हूं कि गरीब दोषी नहीं है, मध्यमवर्गीय दोषी नहीं है,निम्न मध्यमवर्गीय दोषी नहीं है इसलिये अवैध कालोनियां भी वैध का जायेंगी. इतना मैं जरूर कहता हूं कि सार्वजनिक प्रयोजन के लिये अगर कोई स्थान की जरूरत पड़ेगी तो प्रापर पुनर्वास करके ही कोई जमीन ली जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक,2017 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 11 इस विधेयक का अंग बने
खण्ड 2 से 11 इस विधेयक का अंग बने
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 विधेयक का अंग बने
खण्ड 1 विधेयक का अंग बना
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक के अंग बने
श्रीमती माया सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक,2017 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक,2017 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक,2017 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(4) मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश(संशोधन)विधेयक,2017(क्रमांक 9 सन् 2017)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री(श्रीमती माया सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश(संशोधन)विधेयक,2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश(संशोधन) विधेयक,2017 पर विचार किया जाए.
श्री बाला बच्चन(राजपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2013 की यू.पी.ए. सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करना मैं समझता हूं कि पूरी तरह से गलत है. अभी वर्तमान की केन्द्र सरकार ने भी उस कानून में कोई परिवर्तन नहीं किया है,कोई छेड़खानी नहीं की है लेकिन मध्यप्रदेश सरकार इस संशोधन विधेयक के माध्यम से जो परिवर्तन करने जा रही है, मैं समझता हूं यह प्रदेश की जनता के हित में नहीं है. मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि धारा-34 इस संशोधन विधेयक में समाप्त की जा रही है. इस धारा में जिनको जमीन के मुआवजे का अधिकार था, वह अपने मुआवजे से भी वंचित हो जायेंगे. सरकार टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग के कानून में तीन माह में दो बार कर परिवर्तन कर चुकी है और लगातार संशोधन करने के प्रस्ताव विधान सभा में लाती है. इससे आम जनता का फायदा होने के बजाय नुकसान ही है. इससे प्रदेश की जनता का जो नुकसान होगा वह मैं बताना चाहता हूं कि मास्टर प्लान और सार्वजनिक उपयोग की जो जमीनें हैं, बिना मुआवजे उनसे वह जमीन सरकार छीन लेगी और उसके बदले में सरकार उन्हें एफ.ए.आर.(फ्लोर एरिया रेशो) अतिरिक्त मंजिल या निर्माण में छूट देगी. इससे पूरे प्रदेश में अफरा-तफरी मच जायेगी. प्रभावित के पास अगर जमीन नहीं है तो वह अन्य किसी को बेच सकेगा, लेकिन गांव और छोटे कस्बों में इसका भी विकल्प नहीं रहता है कि वह अन्य किसी को बेच सके.
माननीय मंत्री महोदया, मैं आपसे जानना चाहता हूं कि जो प्रदेश के हित में नहीं है, प्रदेश के अहित में है और जितना फायदा होना चाहिये उससे ज्यादा मैं समझता हूं प्रदेश की जनता का नुकसान है. ऐसे संशोधन विधेयक को लाने का क्या औचित्य है. बात यहीं समाप्त नहीं होती है. धारा 34 के समाप्त होने से जमीन से संबंधित राज्य सरकार के पास जो अधिकार था वह अधिकार भी समाप्त हो जायेगा. इस संशोधन विधेयक को लाने का कोई ज्यादा औचित्य नहीं है और प्रदेश की जनता का कोई फायदा नहीं है. धारा 16 में आप जो संशोधन कर रहे हैं उससे भी जो टाउनशिप के नक्शे में बिल्डर को बदलाव करने का और परिवर्तन करने का और उसको सहूलियत देने का अधिकार दिया गया है, जिससे क्या होगा कि सार्वजनिक उपयोग के लिये छोड़ी गई जो जमीनें हैं, पार्किंग और बगीचों के लिये, वह बिल्डर वहां तक भी घुस जायेंगे और उन जमीनों में भी प्लाट काट देंगे. माननीय मंत्री महोदया, आपको इस पर विचार करना चाहिये जितने मैंने सुझाव रखे हैं क्योंकि इस संशोधन विधेयक से प्रदेश की जनता का अहित हो जायेगा तो मैं समझता हूं कि यह फायदे की बजाय नुकसान वाला विधेयक है और मध्यप्रदेश की जनता को नुकसान वाली परिस्थितियों में खड़ा करके लाने वाला संशोधन विधेयक है. इस पर आपको विचार करना चाहिये या फिर मैंने जो सुझाव रखे उस पर आप अपना तर्क दें कि मध्यप्रदेश की जनता के हित में इस पाइंट ऑफ व्यू से यह अच्छा रहेगा. जब आप बोलें तो इस बात को स्पष्ट करें. मैं इस संशोधन विधेयक का विरोध करता हूं. आपने समय दिया. धन्यवाद.
श्री गिरीश गौतम- (अनुपस्थित)
श्री अशोक रोहाणी (जबलपुर केन्टोनमेंट)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो रक्षा भूमि में और रेलवे की भूमि में एक ईंट रखना मुश्किल होती थी और इस विधेयक से निश्चित रूप से केन्टोनमेंट क्षेत्र में विकास कार्य को पंख लगेंगे. साथ ही मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय मंत्री जी का इस विधेयक के माध्यम से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं एवं इस विधेयक का समर्थन करता हूं कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की धारा 1, 2, 16, 23 एवं 34 में महत्वपूर्ण संशोधन किया है. साथ ही धारा 1 में रेलवे एक्ट 1989 तथा वर्क ऑफ डिफेंस एक्ट 1903 में हुये प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के प्रावधानों को सुसंगत बनाने की दृष्टि से यह संशोधन प्रस्तावित किया है. अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन हो जाने से रेलवे की भूमि एवं रक्षा विभाग द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र में निजी विकास सुनियोजित रूप से हो सकेंगे. जहां से हम विधायक हैं केन्टोनमेंट क्षेत्र से, इसमें विकास कार्यों में बहुत कठिनाई आती थी. साथ ही कई बार ध्यानाकर्षण के माध्यम से भी मैंने इस पर ध्यानाकर्षित किया है. आज मुझे इस बात की खुशी है कि यह ध्यानाकर्षण विधेयक के रूप में परिवर्तन होकर आज सदन में लाया गया है, मैं इसका समर्थन करता हूं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय मंत्री जी को बधाई देता हूं. धन्यवाद.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक- (अनुपस्थित)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से इस सदन को अवगत कराना चाहती हूं कि प्रदेश सरकार के द्वारा प्रदेश के नागरिकों को भूमि का वास्तविक लाभ देने के लिये एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के माध्यम से सदन में लाया गया है. आप सब जानते हैं कि विकास योजनाओं में ऐसे अनेक भूमि के उपयोग शामिल रहते हैं जिसमें कि भूमि स्वामी को कोई वित्तीय लाभ नहीं होता किंतु यह जो भूमि है उसका उपयोग नगर और समस्त जनता के विकास की दृष्टि से बहुत आवश्यक होता है. इसलिये प्रस्तावित संशोधन विधेयक में इस समस्या को दूर करने के लिये भू-स्वामी की भूमि परियोजना क्रियान्वयन एजेंसी में शामिल करके उन्हें टीडीआर और या फिर हस्तांतरणीय विकास प्राधिकरण दिया जाना प्रस्तावित किया गया है. अन्य बातें मैं इसकी दोहराना नहीं चाहती हूं क्योंकि इसमें भारत सरकार के रक्षा विभाग और रेल अधिनियम के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में भी यह मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के प्रावधानों को बनाया जा रहा है इसके लिये हमने इन धाराओं में संशोधन किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और है कि इसमें भूमि उपांतरण की प्रक्रिया के सरलीकरण के लिये भी धारा 23(क)(एक) में संशोधन यहां प्रस्तावित किया गया है. यह प्रस्तावित संशोधन प्रदेश में नगरीय विकास को एक नया आयाम देगा और इस संशोधन से शहर के विकास की जो प्रक्रिया है, माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जो तीव्र गति से आगे बढ़ी है उसको और अधिक बल मिलेगा. मैं यह भी कहना चाहती हूं कि आदरणीय बाला बच्चन जी ने जो कहा है कि इससे प्रदेश का हित नहीं नुकसान होगा मैं उनसे कहना चाहती हूं कि आप इसे पढ़े इससे नुकसान नहीं बल्कि फायदा है. हमने उन सभी के हित में यह कदम उठाया है जो भू-स्वामी हैं और इसके साथ साथ विकास के लिये जो भूमि उपयोग में आती है उसमें भी कोई रूकावट नहीं हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 16 का जो जिक्र किया गया है उसमें ऐसे प्लानिंग एरिया जहां पर विकास योजना लागू नहीं है वहां धारा 16 में अनुमति जारी की जाती है.तो धारा 16 में जारी अनुमति में संशोधन के प्रस्ताव नहीं होने से यह धारा 30 के अनुसार संशोधन के प्रावधान इसमें किये गये हैं, जो मैंने आपको बताये हैं.
अध्यक्ष महोदय जिन माननीय सदस्यों ने इस विधेयक के संबंध में अपनी बातें रखी हैं मैं उनसे कहना चाहती हूं कि प्रदेश की जनता के हित में यह निर्णय लिया गया है इस निर्णय के लिये मुख्यमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देना चाहती हूं और आप सभी से आग्रह है कि इस विधेयक को सर्वानुमति से पास करने का कष्ट करें.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मंत्री जी से यह जानकारी चाही है कि भूमि स्वामी का जमीन का अधिकार, जमीन के मुआवजे का अधिकार है उससे आप भूमि स्वामी को वंचित किया जा रहा है. दूसरी बात जो सुनवाई के लिये सरकार के पास में वह जाता है उस अधिकार से भी आप उसे वंचित करने जा रहे हैं. उस क्लाज को आपने इस विधेयक में समाप्त कर दिया है. वह चीज इस विधेयक में कहां है कि जमीन से प्रभावित होने पर वह कहां जायेगा. जमीन के मुआवजे का अधिकार, उसकी सुनवाई का अधिकार मतलब सरकार पूरी तरह से उसके हाथ पैर बांधकर के उसको खतम करने जा रही हैं, इस संशोधन विधेयक के माध्यम से.
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 34 में अनिवार्य भूमि अर्जन के प्रावधान नहीं है. टीडीआर का प्रावधान भूमि स्वामी अपनी सहमति से ले सकेगा. इसके साथ ही जो आपने बात रखी है पहले आप इस विधेयक को पूरी तरह से पढ़ लें .इसमें किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं होगा बल्कि इसके लाने से सभी को प्रसन्नता है, इससे विकास भी प्रभावित नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश(संशोधन) विधेयक,2017 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
(5) मध्प्रदेश वेट संशोधन (विधिमान्यकरण) विधेयक 2017 (क्रमांक 2 सन 2017)
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश वेट संशोधन (विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्प्रदेश वेट संशोधन (विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) - अध्यक्ष महोदय, जैसे मैंने अभी निवेदन किया कि उच्च न्यायालय के एक निर्णय के प्रकाश में संशोधन किया जा रहा है. करयोग्य माल(अनुसूची 2 के माल) के निर्माण में प्रयुक्त कच्चेमाल आनुषांगिक माल पर पूर्ण दर से इनको टैक्स रिबेट दिया जाए तथा करमुक्त माल(अनुसूची 1 के माल) के निर्माण में प्रयुक्त कच्चे आनुषांगिक माल पर पांच प्रतिशत की दर से संगणित इनपुट टैक्स की रिबेट की राशि का रिवर्सल किया जाकर अर्थात इतनी राशि को रोककर, शेष रही इनपुट टैक्स रिबेट की राशि दी जाएगी. यदि किसी व्यवसायी द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित मालों का कुछ भाग करयोग्य तथा कुछ भाग करमुक्त होता है तो समस्या आती है कि निर्माण में प्रयुक्त कच्चेमाल पर पूर्ण दर से इनपुट टैक्स रिबेट देय होगा या निर्मित करमुक्त माल के मूल्य के अनुपात में कच्चे माल पर संगणित इनपुट टैक्स रिबेट की राशि का पांच प्रतिशत की दर से रिवर्सल होगा. इसमें भ्रम था हमारे जो सैल्सटैक्स आफिसर्स थे वे अलग अलग अपने हिसाब से निर्णय दिया करते थे, इस भ्रम की दृष्टि को दूर करने के लिए धारा 14 में दिनांक 07.01.2015 को संशोधन करते हुए इस आशय का स्पष्टीकरण जोड़ा गया कि करयोग्य तथा करमुक्त मालों का संयुक्त उत्पादन होने पर इसके निर्माण में प्रयुक्त कच्चे माल पर संगणित इनपुट टैक्स रिबेट का उसी अनुपात में पांच प्रतिशत की दर से रिवर्सल होगा, जिस अनुपात में करमुक्त माल का निर्माण किया गया है, इस संशोधन को प्रभावशीलता दिनांक 01.04.2006 से दी गई है. जब धारा 14 को इससे जोड़ा गया तो इसके लिए हमारे सोयाबीन एक्सटेंशन प्लाट काफी सारे हैं, इन्होंने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की, उक्त स्पष्टीकरण को दिनांक 01.04.2006 से प्रभावशील किए जाने को चुनौती दी, क्योंकि सोयाबीन सीड से करयोग्य सोयातेल तथा करमुक्त सोया डीओसी का संयुक्त निर्माण होने से करमुक्त सोया डीओसी के अनुपात में उक्त स्पष्टीकरण के अनुसार इनपुट टैक्स रिबेट के रिवर्सल की स्थिति बनती है. माननीय न्यायालय ने उक्त याचिकाओं का निर्वर्तन करते हुए यह निर्णय दिया कि धारा 14 में जोड़े गए उक्त स्पष्टीकरण की प्रभावशीलता उसी दिनांक से होगी, जिस दिनांक से उक्त स्पष्टीकरण जोड़ा गया है, अर्थात दिनांक 7.1.2015 से, माननीय न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया कि उक्त स्पष्टीकरण की वैधानिकता के लिए विधान सभा द्वारा विधिमान्यकरण अधिनियम(वेलिडेशन एक्ट)पारित किया जा सकता है. माननीय न्यायालय के उक्त निर्णय के प्रकाश में धारा 14 में जोड़े गए उक्त स्पष्टीकरण की वैधानिकता दिनांक 1.4.2006 से दिनांक 6.1.2015 तक बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश वेट संशोधन (विधिमान्यकरण) अधिनियम, 2017 अनुमोदन हेतु प्रस्तुत है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वेट संशोधन (विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
(6) मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) विधेयक,2017 (क्रमांक 3 सन् 2017) पर विचार.
संसदय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) विधेयक,2017 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) विधेयक,2017 पर विचार किया जाये.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) विधेयक,2017 का इसलिये विरोध करता हूं कि इसका कोई औचित्य नहीं है. इसको आप क्यों लाना चाहते हैं. आखिर ऐसी कौन सी आपत्ति आ गई या आसमान फट रहा है, जिसके कारण आप यह संशोधन विधेयक लेकर आये हैं. इसमें केवल कुछ लोगों की बेरोजगारी दूर करने के लिये आप इसको लेकर आये हैं. इसमें आपने लिखा है कि विधान मण्डल के सदस्य. भारतीय जनता पार्टी की नीति है और मोदी जी का दिन भर गुणगान करते हैं. मोदी जी आपके आराध्य देव हैं. ..(हंसी)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- डॉ. साहब, इसमें दिक्कत क्या है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उन्होंने कहा है कि एक व्यक्ति एक पद ही रहेगा. तो जिसको जनता ने विधायक चुना है, अपना प्रतिनिधि बनाकर विधान सभा में भेजा है, उसका दायित्व है कि जनता की समस्याओं के लिये या प्रदेश की जनता के लिये, सर्वाजनिक हित में लोक कल्याणकारी कामों के लिये यहां विधान सभा में नियम कायदे, कानून बनायें, लेकिन विधायक का काम भी करेगा और दूसरे ये निगम मण्डल जो आपने 16 हैं,पहले भी आप एक बार संशोधन लाये थे, पिछली विधान सभा के कार्यकाल में,13वीं विधान सभा में भी आप इस प्रकार का संशोधन लाये थे. जो कई विधायक गण आपसे नाराज हो जाते हैं, आपकी हां में हां नहीं मिलाते, उनको खुश करने के लिये यह संशोधन विधेयक लेकर आये हैं. यह सत्ता का दुरुपयोग है. आप लोगों ने जो 1 लाख 85 हजार करोड़ रुपये का कर्जा प्रदेश पर लाद दिया, उस खजाने को भी इसके माध्यम से लूटने का प्रयास है. इसमें विधायक जब पद पर रहेगा, आपने इसमें 12 कर दिये और बार बार संशोधन कर रहे हैं. जब सरकार की नीयत नेक नहीं हैं, नीयत में खोट है, तो यह जो विधेयक है, जिस प्रकार से मोदी जी ने तमाम विधेयक थे, कानून थे, समाप्त कर दिये. तो इसकी आवश्यकता क्या है. बार बार आप संशोधन विधेयक लाते हैं, खर्च करते हैं, आप मनमानी करिये. जनता ने आपको यहां भारी बहुमत देकर बैठाया है, तो आप उसका दुरुपयोग करिये. जब आपकी इच्छा है, मैं तो इसका घोर विरोध इसलिये करता हूं कि आपने इसमें जो बीज निगम है, अभी एक चुनाव अटेर का आ गया, तो बीज निगम में किसी को अध्यक्ष बनाना है, तो उसके लिये आप यह संशोधन विधेयक लेकर आये हैं. तो यह पद आप विधायकों को क्यों सौंपना चाहते हैं. कौन से विधायक नाराज हैं, हम उनसे बात कर लेंगे कि शांत रहो ..(हंसी).. जितने दिन हैं, समय काटो, ज्यादा से ज्यादा है, तो हमारे मंत्री जी से मिल लो, वह सब आपकी इच्छाएं पूरी करेंगे. यह काहे के लिये विधेयक पास करके उनको पदों पर बैठाना चाहते हैं. जो लोग क्षेत्र में जनता का काम कर रहे हैं,रात दिन खून पसीना लगा रहे हैं, अगर पद देना है, तो उनको दीजिये. इसलिये मैं यह पद विधायकों को देने का विरोध करता हूं.. (श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा द्वारा बैठे बैठे लालबत्ती मिल जायेगी कहने पर) लाल बत्ती तो वैसे ही धीरे धीरे खत्म हो रही हैं. आप लाल बत्ती एक की जगह दो-दो लगाओ सत्ता का दुरूपयोग कर रहे हो, लेकिन यह लाल बत्ती बांटने का प्रयास है इसलिए अभी लाल बत्ती विधायकों को बांटना नाजायज है, यह आपकी जिम्मेदारी है, आपके क्षेत्र की जनता की जवाबदारी है इसलिए आपसे अनुरोध है कि इस प्रकार का प्रतिबंध रहना चाहिए और जो निगम हैं, जिनमें आपने पहले निरर्हता कानून को समाप्त कराया था, हटाया था, उसको और इसमें शामिल कर दें ताकि वे भी न बन पायें. मैं इस विधेयक का घोर विरोध करता हूँ और अपनी बात समाप्त करता हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - (डॉ. गोविन्द सिंह की ओर देखकर) जो कागज आपको उमंग सिंघार जी ने दिया था, वह उन्हें वापस दे दीजिये, उनके काम आएगा. उन्होंने आपको दिया और उसको आपने पढ़ दिया, यह उनका लिखा हुआ था.
श्री उमंग सिंघार - (श्री यशपाल जी की ओर देखकर) यह मेरा लिखा हुआ नहीं है. यह तो सरकार की तरफ से है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - यह आपका लिखा हुआ था. गोविन्द सिंह जी ने लिया था.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - क्या यशपाल सिंह जी का माननीय गोविन्द सिंह जी से विरोध है. वे लाल बत्ती उन्हीं के लिए कर रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - इनसे हमारा विरोध नहीं है. इन्हें कैबिनेट मंत्री बनाइये, मैं समर्थन करूँगा.
डॉ. रामकिशोर दोगने - क्या यशपाल सिंह जी को लाल बत्ती मिल रही है ?
अध्यक्ष महोदय - जसवंत सिंह जी बैठ जाइये. डॉक्टर साहब बैठ जाएं. श्री उमंग सिंघार 2 मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री उमंग सिंघार (गंधवानी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि सरकार द्वारा असंतुष्ट लोगों को उपकृत करने के लिए एक रास्ता निकाला गया है और जहां पंजाब और उत्तरप्रदेश में लाल बत्ती बन्द हो रही है, यहां पर लाल बत्ती बढ़ाई जा रही है तो निश्चित तौर पर कहीं न कहीं बान्धवगढ़ और अटेर का उपचुनाव हो, किसी को लाभ पहुँचाने के लिए या किसी असन्तुष्ट को लाभ पहुँचाने के लिये व्यवस्था की जा रही है, इससे सरकार के बजट एवं सरकार पर आर्थिक बोझ आएगा. मैं यह कहना चाहता हूँ कि यहां पर जो विधायक चुनकर आते हैं, उन विधायकों के अधिकारों पर तो बात नहीं होती है और सरकार लाल बत्ती बांट रही है. मैं और आप अच्छी तरह जानते हैं कि किस प्रकार से ब्यूरोक्रेट्स, सरकार को चला रहे हैं, किस प्रकार से सरकार कठपुतली है, मुश्किल से 20-25 लोगों को सरकार के मंत्रियों को मैनेज किया जाता है और ब्यूरोक्रेट्स के हाथ में सरकार है. यह कहने के लिए व्यवस्थापिका, कार्यपालिका है लेकिन नियम बनाने वाली व्यवस्थापिका तो सिर्फ नाम मात्र के लिए अनुमोदन करती है. जो कार्यपालिका के लोग है, जो ब्यूरोक्रेट्स के अपने हितों के अन्दर नियम बनाते हैं और उसको रबर स्टाम्प की तरह व्यवस्थापिका एक अनुमोदन कर देती है, लेकिन एक जनहित की बात करना चाहता हूँ. आप सब विधायकों की बात करना चाहूँगा, पत्राचार होते हैं, कुछ पत्राचारों के ब्यूरोक्रेट्स जवाब नहीं देते हैं, कलेक्टर एवं एस.पी. जवाब नहीं देते हैं. आज लोकहित के ध्यानाकर्षण आते हैं तो अधिकारियों को बचा लिया जाता है. मेरा यह कहना है कि आप एक तरफ लोकतंत्र की बात करते हैं, चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी हो. हम कैसे लोकतंत्र को बचाएं. जो भ्रष्टाचारी अधिकारी हैं, जो सिस्टम में दीमक का काम कर रहे हैं, यदि हम उनका साथ देंगे तो लोकतंत्र कैसे बचेगा. हमें इस बात को समझना है. मैं आपसे यही कहना चाहूँगा कि व्यवस्थाएं तो नई-नई बनती जाती हैं, नियम भी नये-नये बनते जाते हैं लेकिन नियम बनाने वाले, व्यवस्थापिका के नाम से हैं. जो कार्यपालिका में कार्य कर रहे हैं, वे अपने दिमाग से काम कर रहे हैं. लेकिन हम लोग क्षेत्र के विकास के लिए यदि किसी को सड़क बनाना है, तालाब बनाना है, बिजली लाना है, हम इन जनहित के मुद्दों को विधानसभा में उठाते हैं. मैं इसमें यह कहना चाहता हूँ कि हम लोगों का क्या औ त्य है ? यहां पर 80 प्रतिशत असत्य जवाब दिए जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - इसमें विधेयक का विषय क्या है ?
श्री उमंग सिंघार - असत्य जवाब दिए जाते हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - बोलें, फिर हम भी ऐसे ही बोलेंगे. क्या करें ?
अध्यक्ष महोदय - आप विषय पर बोलिए. (हंसी)
श्री उमंग सिंघार - यह मामला विधायकों से जुड़ा हुआ है. आप कुछ विधायकों को उपकृत करना चाह रहे हैं.
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष जी, वे तैयारी नहीं कर पाये और गोविन्द सिंह जी ने वह पेपर ले लिया था.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - वह पेपर उमंग जी का ही था.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--अध्यक्ष महोदय, यह बैक डोर एंट्री है क्योंकि एक सीमा में ही मंत्री बना सकते हैं इसीलिए आप बैक डोर एंट्री देकर मंत्री पद की सुविधाएं दे रहे हैं, इसीलिए हम इसका विरोध करते हैं. यह बहुत गलत बात है आपको इसको डिस्करेज़ करना चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे काबिल दोस्त आदरणीय डॉ. गोविन्द सिंह जी ने इस विधेयक के विरोध की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि ऐसी कौन सी आफत आ गई थी, आसमान फट गया था जो आपको विधेयक लाना पड़ा. मैं बता दूं कि उनकी पार्टी में यह परम्परा होगी कि जब आफत आ जाए तभी वह कुछ करें. आग लगने पर कुआं खोदने की परम्परा उनके दल में होगी, हमारे दल में यह परम्परा नहीं है. हम तो सदविचार और सद्भाव लेकर सदैव अच्छा करने की सोचते हैं. दूसरी बात जैसा कि मेरे काबिल दोस्त ने कहा कि मोदी जी इनके आराध्य हैं. निश्चित रूप से मोदी जी हमारे आराध्य हैं लेकिन आप अपने आराध्य राहुल गांधी की तो सोचिए. हमारे आराध्य तो जब आते हैं कार्यकर्ताओं में, हमारे संगठन में जान फूंक देते हैं. इनके आराध्य ने तो पूरा संगठन ही फूंक दिया. समय-समय की बात है. हमारे आराध्य ने पूरे देश में केसरिया फहरा दिया, लोगों ने केसरिया होली खेली, होली के साथ दीपावली मनाई और आपके आराध्य ने क्या किया. यह सब समय-समय की बात है. जिस कांग्रेस पार्टी की पूरे देश में सरकारें हुआ करती थीं, पूरे प्रदेशों में सरकारें हुआ करती थीं, आज एक या दो प्रदेशों में हैं. जब उत्तर प्रदेश के परिणाम आ रहे थे मैं नक्शा देख रहा था....
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- यह विधेयक से संबंधित नहीं है आप विधेयक पर बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जो सवाल उठाए हैं उन पर ही बोल रहा हूं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- यह रिलेवेंट नहीं है. हम लोग बिना रिलेवेंट के बोल रहे हैं तो आप क्यों बोल रहे हैं. आप विधेयक पर ही बोलिए.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब पूरे देश में सरकारें थीं तब लालबत्ती त्यागने का विचार नहीं आया. जब एक प्रदेश में रह गई तब लालबत्ती त्यागने का विचार आया.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप कांग्रेस के टिकट पर नगर पालिका अध्यक्ष बने थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप एक बात बताइए वह नगर पालिक अध्यक्ष बने थे या नहीं पर लोग कांग्रेस छोड़-छोड़ के क्यों जा रहे हैं. आप लोग जरा इस पर विचार करना.
श्री उमंग सिंघार-- सातों राज्यों में कांग्रेस के नेता हैं तब जाकर आपकी सरकार बनी है. भारतीय जनता पार्टी के पास नेता नहीं है. गिना दूं वह सातों राज्य जो आपकी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है वह कांग्रेस के नेताओं की वजह से ही बनी है. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- निश्चित रूप से पर सरकार भाजपा की ही बनी है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी आप बैठ जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, मैंने शुरू ही किया है. उन्होंने मोदी जी का इतना बड़ा ज्वलंत मुद्दा उठाया है. मैं तो बता रहा था समय-समय की बात है. आपकी बात भी सही है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- एक व्यक्ति एक पद, आप तो इसी का पालन करो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, मेरी जानकारी है कांग्रेस की सरकार में विधायकों को हरी बत्ती तक दी गई थी और आप आज लाल बत्ती का विरोध कर रहे हो.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी गोवा और मणिपुर के हमारे जनादेश को चुराया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--और सरकार भाजपा की बनाई है. यह तो ठीक है कि आप लोग रखवाली भी ठीक से नहीं कर पाते हैं. हमने चैलेंज देकर चुरा लिया और आप रखवाली तक नहीं कर पाए. अपने नेता को बदलो, कुछ उसके बारे में सोचो.
श्री बाला बच्चन--जनादेश हमको मिला उसको आपने चुराया. पंजाब में आपकी पार्टी के क्या हाल हुए हैं. वही अब मध्यप्रदेश में भी करेंगे.
श्री के.पी. सिंह--वह तो हमारी भलमनसाहत है कि हमने कहा जाओ बना लो सरकार तुम भी क्या याद रखोगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अरे बड़ी मेहरबानी कर दी. मैं वही तो कह रहा था कि हमारा जो आराध्य देव है वह तो हमारे संगठन में जान फूंक रहा है और आपका आराध्य देव आपके संगठन को फूंक रहा है. यही तो मैं कह रहा था मैंने क्या गलत कहा है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (खांसते हुए)-- पंजाब में जान क्यों नहीं फूंक सका, पंजाब में 3 एमएलए हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अरे आराम से खांस लो.
श्री के.पी. सिंह--हमारी दरियादिली तो देखो उत्तर प्रदेश गया तो हमने कहा बाकी सब भी ले जाओ, तुम भी क्या याद करोगे. पंजाब ही बहुत है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--मेरी बात सुनो कालूखेड़ा जी पंजाब में हमारी सरकार कभी नहीं रही. हमारा मुख्यमंत्री कभी नहीं रहा है. जिस दिन हम अपने मुख्यमंत्री के नाम पर चुनाव लड़ेंगे उस दिन आपकी हालत उत्तर प्रदेश जैसी कर देंगे. सात आदमी बचोगे सात. एक बोलेरो में भरकर चाहे जो ले जाएगा. कुल सात बचे हो सात. आप कहो तो हम बोलेरो दान में दे दें. ऐसी हालत कर दी है.
अध्यक्ष महोदय--कृपा करके विधेयक पर बात करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह समय-समय की बात है, बिलकुल सही है. एक समय संसद में सिर्फ दो सांसद थे वह दिन भी याद करो. फिर से वही समय आएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--याद है मैं वही कह रहा था. आप सुन नहीं रहे हैं.
श्री अजय सिंह--फिर से वही समय आएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, यह समय-समय की बात है. जिस अंग्रेजों के जमाने में सूरज कभी डूबता नहीं था. उन अंग्रेजों के वायसराय के कपड़े हमारे यहां के बैण्ड वाले पहने रहते हैं. समय-समय की बात है जिसके पिताजी हवाई जहाज उड़ाते थे वह उत्तर प्रदेश में साइकिल में धक्के दे रहा था. समय-समय की बात है. जिस कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष जी उल्लेख कर रहे हैं वह कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कितनी सीटों पर लड़ेगी यह अखिलेश तय करता है और बिहार में लालू तय करता है. समय-समय की बात है.
अध्यक्ष महोदय--कृपा करके विधेयक पर बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, बात निकलेगी तो फिर दूर तक जाएगी. आप गोविन्द सिंह जी को रोकते नहीं उनको रोकें तो मैं रुकने को तैयार हूँ.
डॉ. गोविन्द सिंह--मैंने तो इतना कहा था कि आपके लीडर ने यह कहा है कि एक व्यक्ति एक पद उसका पालन करो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, अक्षरश: पालन होगा. हमारा नेता है हम उसका अक्षरश: पालन करेंगे. आप लोग अपने नेता की बात का पालन क्यों नहीं करते हैं. मुझे चिन्ता इस बात की है.
अध्यक्ष महोदय--आप तो अपनी बात करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, इनका नेता गोवा में गए और सरकार गिरवा दी पता नहीं कहां सोते रहे. उनको ऐसा करना था क्या ? गोविन्द सिंह जी आपने राजा साहब से बात की. इधर-उधर देखने लगते हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पहली बार नहीं आया है. इसके पहले सन् 1971, 1973, 1974, 1980, 1997 जिनमें से पांच जगह इन्ही की सरकार थी. सन् 1999, 2006 एवं 2014 यह संशोधन विधेयक आया है. इसमें हमने 9 संस्थाओं के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को इसमें जोड़ा है. पहले 103 मदें थी. मेरा निवेदन है कि इसको पास करें.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब, विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
3.05 बजे
(7) मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2017
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
श्री सुंदरलाल तिवारी (गुढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आप ऐसे वित्त मंत्री हैं जो कानून के साथ निरंतर खिलवाड़ करते चले जा रहे हैं. जब आपने वर्ष 2016-17 का बजट सदन में प्रस्तुत किया था तब मैंने आपसे निवेदन किया था कि ए-4 नियम में अमेंडमेंट करके घाटे की सीमा को 3.0 से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत आपने किया है. जिसकी केंद्र सरकार ने आपको स्वीकृति नहीं दी थी. तब आपने इसी सदन में कहा था और आपकी बातें रिकॉर्ड में भी हैं कि 14 वें वित्त आयोग ने यह सिफारिश की है कि यदि राज्य की आर्थिक स्थिति अच्छी हो तो डेफीसिट को बढ़ाया जा सकता है. इस तरह का जवाब आपके द्वारा दिया गया था. आपने यह भी कहा था कि हमने टेलीफोन से केंद्र सरकार से अनुमति ले ली है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह जानना चाहता हूं कि क्या 14 वें वित्त आयोग की जो रिपोर्ट सबमिट हुई थी, क्या उस रिपोर्ट को आज तक केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है ? यदि केंद्र सरकार द्वारा आज तक उस रिपोर्ट को स्वीकृत नहीं किया गया है तो आपके द्वारा किए टेलीफोन का हश्र क्या हुआ ? आपने जो टेलीफोन किया था, क्या उसका जवाब आज तक आया या आपके टेलीफोन की घंटी आज भी वहीं अटकी है, जहां पिछले साल अटकी हुई थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि यह राजकोषीय घाटे की सीमा 3.5, जो सरकार द्वारा निर्धारित की गई है. अभी वही मामला सैटल नहीं हुआ है और सरकार फिर से वही मामला ले आई हैं. बहरहाल इस बार ज्यादा गड़बड़ नहीं है. वित्त मंत्री जी आप मुझे इस बात का जवाब जरूर दीजिएगा क्योंकि मुझे मालूम नहीं है कि आज इसमें क्या स्थिति है, लेकिन मुझे पक्का विश्वास है कि वित्त आयोग की ऐसी रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया होगा. आज आप मंत्री हैं और बहुमत में हैं इसलिए कानून के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं. बहुमत का जमाना है और कोई सुनने वाला नहीं है. आप जो चाहेंगे वह करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा मैं विद्युत कंपनियों के बारे में कहना चाहता हूं कि आपने बजट पेश किया है और वित्त सचिव के स्मृति पत्र में उल्लेख किया है कि 7 हजार 3 सौ 61 करोड़ का ऋण उदय योजना के अंतर्गत जो शामिल किया गया है यदि इसे आप Consolidated Fund में सीधे जोड़ देंगे और अलग नहीं रखेंगे तो आपका राजकोषीय घाटा 4.63 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा. यह बात स्वाभाविक है कि वह 3.5 प्रतिशत से ऊपर चला जाएगा. आपने संशोधन में लिखा है कि केंद्र सरकार ने आपको यह अनुमति दी है कि विद्युत कंपनियों के घाटे को सरकार अपने ऊपर ले ले. आपके द्वारा कहा गया है कि ऐसा पत्र आपको मिला है. यह कार्य किन शर्तों पर किया है, इसका आपने उल्लेख किया है, लेकिन वह पत्र कहां है ? अध्यक्ष महोदय, वह पत्र न तो सदन में पेश किया गया है और न ही हम लोगों को इसके संबंध में कोई जानकारी है कि केंद्र सरकार ने सरकार को किन शर्तों पर यह अनुमति दी है. इसके अतिरिक्त मैं यह कहना चाहता हूं कि विद्युत कंपनियों का निर्माण इसलिए किया गया था ताकि बिजली के क्षेत्र में बेहतर प्रबंधन हो सके. कंपनियां अपने घाटे को स्वयं वहन करें और घाटे को धीरे-धीरे मेंटेन करने की कोशिश करें जिससे कि उनका घाटा भी शनै:-शनै: खत्म होता चला जाए. विद्युत कंपनियों के निर्माण की मुख्य वजह यही थी. दुर्भाग्यवश आज ये विद्युत कंपनियां उल्टा काम कर रही हैं. आज स्वयं विद्युत कंपनियों के द्वारा जो उनकी वित्तीय स्थिति खराब हुई है, उस खराब वित्तीय स्थिति के कर्जे का बोझ हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ले रही है. सरकार ने 7 हजार 3 सौ 61 करोड़ रूपये के लोन को अपने ऊपर ले लिया है. केन्द्र सरकार ने परमीशन दी, अध्यक्ष महोदय, मेरा केवल एक ही सवाल है कि क्या यह जो कर्ज लेने की अनुमति केन्द्र सरकार ने दी, इस कर्ज की आपको केन्द्र सरकार ने भरपाई कर दी क्या, यह पैसा केन्द्र सरकार ने आपको दिया है कि यह कर्ज मध्यप्रदेश की सरकार के पास रहेगा, यह बात, जो संशोधन आपने पेश किया है, उससे यह स्पष्ट नहीं रहा है तो इसको भी स्पष्ट करें कि क्या केन्द्र सरकार ने उस कर्जे को माफ किया है कि नहीं किया है? और मैं यह जो संशोधन ले आए हैं इसका विरोध करता हूँ. धन्यवाद.
वित्त मंत्री(श्री जयन्त मलैया)-- (माननीय सदस्य श्री के.पी. सिंह द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) क्या कहा? वैसे बहुत अति विद्वान लोग रहते हैं कई बार उनकी बातें समझ में नहीं आतीं.
श्री के पी सिंह-- वही मैं तिवारी जो से कह रहा था कि आपकी एक भी बात का जवाब नहीं आने वाला.
श्री जयन्त मलैया-- हम सामान्य बुद्धि के लोग अति विद्वान लोगों की बात नहीं समझ पाते.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि भारत सरकार ने विद्युत वितरण कंपनी के वित्तीय परिवर्तन हेतु उज्जवल डिस्काउंट एश्योरेंस योजना है उदय, को क्रियान्वित किया है. योजना का उद्देश्य राज्य के डिस्कॉम के परिचालन तथा वित्तीय दक्षता में सुधार करना है. योजना के अंतर्गत राज्य से 30 नवंबर 2015 तक के डिस्कॉम ऋणों का अधिग्रहण करने की अपेक्षा की जाती है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के अंतर्गत ऐसी निधियाँ उधार लेने के लिए विशेष अनुमति प्राप्त करेगा जिसकी गणना वर्ष 2016-17 में राज्य की सामान्य राजकोषीय घाटे की सीमा के अंतर्गत नहीं आएगी. राज्य ने इस योजना में सम्मिलित होने का विनिश्चय किया है और ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के साथ एक एमओयू हस्ताक्षर किया है. भारत सरकार द्वारा राज्य को इस योजना के अंतर्गत अतिरिक्त ऋण उधार लेने की अनुमति प्रदान की गई है. अतएव मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 क्रमांक 18 सन् 2005 की धारा 9 में एक नई उपधारा 3 को जोड़ा जाना प्रस्तावित है इसलिए यह विधेयक प्रस्तुत है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यहाँ दो बातें निवेदन करना चाहता हूँ, ये जो पिछली बार की बात बता रहे हैं, जरूरी नहीं है, हम तो 2017-18 के बजट पर बात कर रहे हैं. 2016-17 के बजट की बात की थी. मैं बताना चाहता हूँ कि 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार राजकोषीय घाटे की जो हमारी अनुशंसा है, उसका जीएसडीपी साढ़े तीन प्रतिशत रखने की अनुमति हमें प्राप्त हुई है और अध्यक्ष महोदय, जहाँ हम ये बात कर रहे हैं 7,360 करोड़ रुपये का जो अनुदान के रूप में हम इन विद्युत वितरण कंपनियों को दे रहे हैं इसके तहत 7,360 करोड़ रुपये की अनुमति का भी पत्र हमारे पास है और अगर आपको देखना हो तो आप इस पत्र को देख सकते हों परन्तु एक अच्छी खबर है, जो कल ही मेरे पास रिजर्व बैंक से आई है कि उनके माध्यम से 7,360 करोड़ रुपये के बॉण्ड राज्य को प्राप्त हुआ है, इस ऋण से विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा पीसीएफ, आरईसी, हडको और स्टेट बैंक आफ इंडिया द्वारा ऋण चुका दिया गया है. यह राशि विद्युत वितरण कंपनियों को राज्य द्वारा इक्विटी अनुदान के रूप में दिया जाना भी प्रस्तावित है. अध्यक्ष महोदय, यही मेरा निवेदन है, यह मेरा विधेयक प्रस्तुत है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने दोनों प्रश्नों का जवाब दिया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. लेकिन एक शब्द आपने उपयोग किया कि कुछ विद्वान ऐसे होते हैं. ..(व्यवधान)..आप जवाब न देने लायक रहें. तब मैं विद्वान हो जाता हूँ. माननीय वित्त मंत्री जी, मैंने पिछली बार भी यह सवाल आप से पूछा था और यह कहकर आप अपनी बात को जरा ज्यादा मजबूत साबित नहीं कर सकते हों. मुझे मालूम है आदमी जब उधर बैठता है तो ज्यादा विद्वान हो जाता है और जब इधर बैठता है तो सारी बुद्धिमानी खत्म हो जाती है...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आपने धन्यवाद दे तो दिया.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हॅूं कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, यह व्यवस्था का प्रश्न है. आपने कहा कि बाकी के जो तीन विधेयक हैं 8, 9, 10 नहीं लेंगे. क्या आपने ऐसी घोषणा की है ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह पद क्रमांक 7 तक की बात थी. कार्यसूची का पद क्रमांक 7 जो है उस तक की बात थी. उसके बाद अशासकीय संकल्प लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी सदन में जब कुँवर सौरभ सिंह जी बोल रहे थे तब आपने सुबह कहा था कि विनियोग विधेयक में चर्चा कर लेना. अभी ऐसी परम्परा है और आज तक का इतिहास है कि विनियोग विधेयक रेयर कभी ऐसी स्थिति आयी हो, तब हुआ हो. गुलोटिन हो गया हो, हल्ला-गुल्ला हो, लेकिन जनरली विधेयक पर बात हुई है और फिर हमारे पक्ष से भी कोई राय नहीं ली गई.
अध्यक्ष महोदय -- आप शायद उसको क्लीयर सुन नहीं पाए. पद क्रमांक 7 तक कार्य होने के बाद अशासकीय संकल्प लिये जाएंगे. पद क्रमांक 7 जो है उसमें आखिरी प्वाइंट है विनियोग विधेयक का, उसके बाद में अशासकीय संकल्प लेंगे. सब विधेयक लेंगे. 8, 9, और 10. उसके बाद में अशासकीय संकल्प लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- ठीक है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- डॉ. गोविन्द सिंह जी, कभी-कभी पढ़ भी लिया करें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- हमारी आप जैसी बुद्धि तो है नहीं.
(8) मध्यप्रदेश आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) संशोधन विधेयक, 2017
श्री विश्वास सारंग (राज्यमंत्री, सहकारिता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हॅूं कि मध्यप्रदेश आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) संशोधन विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) संशोधन विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री सारंग जी ने जो विधेयक रखा है इसका मैं समर्थन कर रहा हॅूं परन्तु मैं चाहता हॅूं कि आखिर इसमें दो वर्ष कर रहे हैं. इस विधेयक में साफ लिखा है कि इस अधिनियम के उपबंध मध्यप्रदेश लोक वानिकी अधिनियम, 2001 (क्रमांक 10 सन् 2001) के उपबंधों के अधीन लगाए गए वृक्षों को लागू नहीं होंगे. ये तो सही है जब वन विभाग पर लागू नहीं हो रही है केवल निजी भूमि पर लागू हो रही है. अगर कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति अपनी निजी भूमि पर पेड़ लगाता है हालांकि यह प्रावधान बरसों से है. कांग्रेस की सरकार के समय से है लेकिन मैं आपसे यह पूछना चाहता हॅूं कि अगर कोई अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति अपने भरण-पोषण के लिए, आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए मेहनत करके अपनी निजी भूमि पर सागौन के वृक्ष लगाता है इमारती लकड़ी लगाता है तो उसमें सरकार की परमीशन क्यों चाहिए ? मेरा जहां तक सवाल है कि वह खुद मेहनत कर रहा है खुद की जमीन है तो कलेक्टर के यहां चक्कर क्यों लगाए. फिर आपने लिखा कि दस लाख तक का प्रावधान कर दिया. उसके बाद अगर जाएगा तो धारा 9 में संशोधन कर दिया कि कमिश्नर तक अपील करेगा, तो वहां चक्कर लगाए. गरीब आदमी दर-दर की ठोकरें खाए, भटके और तब उसकी परमीशन ले तो हमारा तो आपसे अनुरोध है वैसे तो आपने उनके हित में किया है, बढ़ाया है उनको सहूलियत देने का काम किया है. उस समय की महंगाई में सागौन का एक पेड़ 20 हजार रूपये का मिलता था, आज 5 से 10 लाख रूपये का मिलता है. उस हिसाब से हमारा अनुरोध है कि इस कानून को पूरी तरह से समाप्त किया जाए. इसकी कोई जरूरत नहीं है. आदिवासियों की खुद की जमीन है. खुद लगा रहे हैं. अगर किशमिश के पेड़ लगांए तो किशमिश बेचें. चिरौंजी के पेड़ लगाएं तो चिरौंजी बेचें. शीशम लगाएं, हमें और आपको क्या दिक्कत आ रही है ? उनके हितों के लिए बरसों से वे दबे कुचले लोग रहे हैं, जंगलों में रहे हैं. उनकी आर्थिक स्थ्िाति मजबूत करने के लिए उनको दर-दर मत भटकाइए. 4-5 धाराएं हैं. हालांकि कुछ धाराओं में आपने सहूलियत दी है.लेकिन पूरी तरह से लाभ मिलने में दिक्कत है. कई लोग बीच में ही परमीशन में ही दलाली कर लेते हैं. आजकल हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है. हर जगह चढ़ौती चढ़ाओं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा अनुरोध है कि आज इसको पेंडिंग करा दें. इसको आगे अपने नेता, मुख्यमंत्री जी से चर्चा कर लें. इसको समाप्त करें.
श्री फुन्दे लाल सिंह मार्को - (अनुपस्थित)
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा यह अधिनियम, यह बिल आया है,आदिम जनजाति के मध्यप्रदेश में रहने वाले बंधुओं को एक बड़ी सहूलियत देने का काम मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. आदरणीय गोविंद सिंह जी ने भी अपने वक्तव्य में इस बात को स्वीकारा और माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से गोविंद सिंह जी ने कहा कि 2001 लोक वानिकी के बाद जो पेड़ लगे हैं उनको तो इस नियम से अलग किया ही गया है. उन्होंने शायद इसको पूरा पढ़ा नहीं है तो जिस व्यक्ति ने खुद ने लोक वानिकी योजना के अंतर्गत यदि अपनी जमीन पर पेड़ लगाये हैं तो उसको अधिनियम से, इस नियम से अलग रखा गया है उसको किसी परमीशन की जरूरत नहीं है. यह परमीशन तो उसको उन पेड़ों के लिए चाहिए जो सालों से लगे हुए हैं उसकी शायद पहले की पीढ़ी ने लगाये हों और यदि इसमें रेगुलेशन नहीं रहेगा तो ठीक नहीं रहेगा. असली बात माननीय अध्यक्ष महोदय, यह है कि इस अधिनियम में अभी बहुत सारी त्रुटियाँ थीं. व्यवहारिक रूप से बहुत सारी परेशानियाँ थीं और उसके कारण यह बात सही है कि हमारे जनजाति के लोग, जिनकी खुद की जमीन है, पेड़ उनके खुद के हैं, जिसका मालिकाना हक उनका है पर यदि वह एक समय के बाद उसको काटना चाहते थे तो उनको इधर-उधर की दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती थी. इतनी क्लिष्ट प्रक्रिया थी तो उनको उसका लाभ नहीं मिल पाता था इसलिए यह संशोधन विधेयक लाया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले यदि किसी व्यक्ति को पेड़ काटने होते थे तो वह कलेक्टर के यहाँ एप्लाई करता था और निराकरण की कोई समय सीमा नहीं थी. सालों तक वह प्रकरण पेंडिंग रहता था अब इस अधिनियम में यह परिवर्तन किया गया है कि अनिवार्य रूप से 90 दिन के अंदर उसके प्रकरण का निराकरण होगा और 90 दिन में उसको इत्तला दी जाएगी कि उसका प्रकरण मंजूर हुआ है या नहीं हुआ है. केवल 90 दिन में उसको इसकी सूचना मिलेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही गोविंद सिंह जी ने बताया कि पहले उसको केवल 50 हजार रुपये तक एक साल में जितने पेड़ की वैल्यू 50 हजार है उसी को काटने की अनुमति थी पर इसमें आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है. पांच लाख की हमने लिमिट बनाई है और उसके बाद भी यदि विशेष परिस्थिति है तो इसको दस लाख तक वह अनुमति लेकर काट सकता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज के जमाने में मुझे लगता है यह बहुत ही ठीक लिमिट भी है और इससे उसको बहुत फायदा मिलेगा. उसके साथ ही पहले जब इसमें पैसे देने का जो प्रावधान था उसमें कलेक्टर और भू-स्वामी का एक संयुक्त खाता होता था और उसके माध्यम से उसको यह पैसा मिलता था पर इस अधिनियम में आज यह संशोधन होगा कि अब जमीन जिसकी है, उसी का खाता होगा और उसी में सीधे पैसे उसको मिल जाएंगे. यह भी प्रक्रिया में सरलीकरण हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अधिनियम की एक धारा थी यदि किसी व्यक्ति की जमीन पर पेड़ लगे हुए हैं और वह पेड़ कट गये, चोरी हो गये या किसी और ने कूट ढंग से वह पेड़ काट दिये तो उसका परीक्षण होगा. पहले वह परीक्षण के बाद यदि यह सिद्ध होता था कि भू स्वामी की इसमें कोई गलती नहीं है तो उसको केवल 50 हजार रुपये मिलते थे और वह पेड़ तो राजसात् हो जाते थे लेकिन ररपउसको केवल 50 हजार की ही राशि भुगतान की जाती थी पर आज इसमें परिवर्तन हो रहा है और अब जो पेड़ की एक्चुअल कास्ट होगी वह पूरी की पूरी संबंधित के खाते में डाल दी जाएगी तो कहने का तात्पर्य यह है कि इसकी सभी धाराओं का सरलीकरण किया गया है और इससे निश्चित रूप से हमारे जनजातीय भाईयों को बहुत फायदा मिलेगा. मध्यप्रदेश की सरकार की जो मंशा है, मंतव्य है कि हमारे जनजातीय बंधुओं का लगातार उत्थान हो, उनके जीवन का उन्नयन हो, उनको ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके उसमें मुझे लगता है कि यह परिवर्तन मील का पत्थर साबित होगा. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन से निवेदन करता हूं कि इस विधेयक का सर्व सम्मति से पास किया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) संशोधन विधेयक, 2017 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
(9) मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 10 सन् 2017)
श्री जयंत मलैया, मंत्री (वाणिज्यिक कर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, आप कुछ कहेंगे ?
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो वेट (संशोधन) विधेयक, 2017 है, यह तीन चीजों को लेकर प्रमुख रूप से है. पहला, जो पहले हमारे यहाँ के अपंजीयत व्यवसाई थे, इनके प्रकरणों का एकपक्षीय निर्धारण आदेशों को अपात्र कर पुन: निर्धारण हेतु समय-सीमा निश्चित करने अपीलेट बोर्ड तथा अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष लंबित अपील प्रकरणों के निराकरण के लिए समय-सीमा में संशोधन किए जाने के लिए यह किया गया है. अब इसमें पंजीयत के अलावा अपंजीयत व्यवसाइयों को भी इस प्रकरण में समय-सीमा में लागू करना प्रस्तावित है. दूसरा, इसमें जो अपील प्रकरण हैं इनके निवर्तन हेतु निवर्तमान समय-सीमा 12 कैलेण्डर मास में वृद्धि किया जाना प्रस्तावित है. तीसरा, जो हमारे मध्यप्रदेश अपीलीय बोर्ड के समक्ष बहुत अधिक प्रकरण लंबित है परंतु इसके बावजूद भी मध्यप्रदेश अपीलीय बोर्ड में दायर अपील प्रकरण के निवर्तमान की समय-सीमा 10.08.2010 से दो कैलेण्डर वर्ष निर्धारित है परंतु मध्यप्रदेश अपील बोर्ड में पूर्णकालिक रूप से सदस्यों की पर्याप्त संख्या पूर्व में नहीं रही है, अब हमारी कोशिश रहेगी कि इसमें मेंबर्स जल्दी से जल्दी नियुक्त हो सकें और इस मामले को दो कैलेण्डर वर्ष के अनिवार्यता समाप्त करके एक कैलेण्डर वर्ष में निर्वतन किये जाने का प्रयास करेंगे. इस संबंधी प्रावधान प्रस्तावित हैं.
(10) मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2017 (क्रमांक 5 सन् 2017)
श्री जयंत मलैया, मंत्री (वित्त) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह नेता प्रतिपक्ष की लाज बचाएँ, अगर ये न हों तो कोई इनके पास बोलने वाले ही नहीं हैं.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि डॉ. नरोत्तम मिश्र जी यहां से चले जाएं तो कोई 'हां' और 'ना' कहने वाला नहीं है. (हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो संसदीय कार्यमंत्री हूं, मेरे ऊपर तो जिम्मेदारी है 'हां' करने की.
अध्यक्ष महोदय - मेरा डॉक्टर साहब से और अन्य सदस्यों से भी अनुरोध हैं कि वह कृपया संक्ष्ोप में बोलें ताकि सदन समय पर समाप्त कर सकें.
श्री के.पी.सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी ही जवाबदारी डॉक्टर गोविन्द सिंह जी के ऊपर हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - क्या डॉक्टर साहब चीफ हैं ?
श्री के.पी.सिंह- डॉक्टर साहब सुबह 11 बजे आते हैं और फिर सदन बंद कराकर जाते हैं. (हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सही है, यही तो मैं भी कह रहा हूं कि वह नेता प्रतिपक्ष की लाज बचाये हैं. . (हंसी)..
श्री के.पी.सिंह- जैसी जवाबदारी आपके ऊपर हैं, वैसी ही डॉक्टर साहब के ऊपर जवाबदारी है. दतिया और लहार एक ही रूट पर है. . (हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - बताओ तो क्या जिम्मेदारी है, आप बेचारे मेरे दोस्त को कुछ बनने नहीं देते हैं. आप जबर्दस्ती मजबूरी में करवा रहे हो. . (हंसी)..
श्री के.पी.सिंह- आप जैसे अपनी जवाबदारी निर्वाह कर रहे हैं, उसी तरह से डॉक्टर साहब अपनी जवाबदारी निर्वाह कर रहे हैं. . (हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आपने डॉक्टर साहब को कच्छ का बनाकर छोड़ दिया है(हंसी)..
डॉ. गोविन्द सिंह - आप तो बीच में एक घण्टा सोने चले जाते हो और फिर आ जाते हो (हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आज सोने नहीं गया (हंसी)..
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्ती मंत्री जी द्वारा विनियोग विधेयक पेश किया गया है. उसमें 1 लाख 85 हजार 564 करोड़ 27 लाख 74 हजार रूपये की मांग की है. प्रदेश में वर्ष 2017-18 के लिये मध्यप्रदेश के सभी विभागों की जो संचित निधि है, उससे पैसा निकालने का अधिकार सरकार प्राप्त कर रही है. यह बात सही है कि पैसा नहीं निकालोगे तो प्रदेश नहीं चलेगा, विकास कार्य ठप्प हो जाएंगे, लोगों की रोजी रोटी ठप्प हो जाएगी, अधिकारियों कर्मचारियों के वेतन बंद हो जाएंगे. इसलिए परम्परा है और बजट एक साल का जो लेखा जोखा है. लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पिछले वर्ष भी आपने बजट बढ़ा चढ़ाकर रखा था. कई विभागों के बजट आपने बनाये, लेकिन आपने उन पर बीच में प्रतिबंध लगाया कि आप दो-तीन महीने खर्च नहीं करेंगे. आपके पास पैसा इतना नहीं है इसलिए बजट बढ़ा चढ़ाकर दिखाने का कोई औचित्य नहीं है. आपकी सरकार पर दिनों दिन कर्जा बढ़ता चला जा रहा है. आप आमदनी का करीब 7-8 प्रतिशत ब्याज दे रहो हो. अब सही आंकड़े नहीं है, लेकिन आप बहुत ज्यादा 12-13 हजार करोड़ रूपये ब्याज दे रहे हो. मेरा आपसे कहना है कि सरकार जिस नियम कायदे कानून पर चल रही है उन पर भी आप ध्यान दें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि नर्मदा को बचाने के लिये आपके बजट में प्रावधान है और आप उस पर खर्च करना चाहते हो लेकिन आपके पांच जिलों की 32 नदियां सूख चुकी हैं, उनमें से केवल पांच नदियों में पानी चल रहा है, बाकी नदियां सूख गई हैं और नर्मदा में भी आप पेड़ लगा रहे हो.यह पेड़ लगाने की आपकी मंशा नहीं है बल्कि आपकी हर योजना राजनीतिक आधार पर जनता को गुमराह करके वोट कबाड़ने की है. अगर आप एक अकेली नदी को बचा लेंगे तो कैसे चलेगा. नर्मदा मध्यप्रदेश की बड़ी नदी है लेकिन इसके बाद चंबल है, सिंध है, बेतवा है, सोन है, तमस है, केन है. क्या इन नदियों के लिये भी आपने कोई योजना नहीं बनाई है ? आज भी उज्जैन में जो आपने क्षिप्रा नदी में पानी डाला है उसमें भी आपके विधायक श्री मोहन यादव जी ने कहा कि अभी तक क्षिप्रा में गंदा पानी जा रहा है. आपने उसमें भी करीब तीन सौ, साढ़े तीन सौ करोड़ रूपये खर्च किया, लेकिन उसका कोई सदुपयोग नहीं हुआ है. आप नदियों को चीरने का काम कर रहे हैं. होंशगाबाद में आपकी 119 खदानें हैं. श्री रामनिवास रावत जी के प्रश्न में सब कुछ पूरा आ गया है कि किस किस की खदानें हैं, आप पढ़ लेना. उसमें 95 प्रतिशत लोग फूल पर ठप्पा लगाने वाले आपके समर्थक लोग हैं. इसके अलावा आप और मनमानी कर रहे हो कि बीच नदी में से पोकलेन मशीनों से रेत ले रहे हो. नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल का आदेश है कि बीच नदी में से आप जहां पानी बह रहा है वहां रेत नहीं निकाल सकते हैं, लेकिन हमारे पास तमाम फोटो के प्रमाण रखे हुए हैं, कुछ प्रमाण आपको सुबह भी दिये थे, जिसमें मशीनों की फोटो भी छपी है, उनको भी आप देख लेना.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ मैं यह कहना चाहता हूं कि आपके यहां अध्यक्ष जी गोलीकांड नहीं करते लेकिन यहां तो दस वर्षों में 23 आदमियों की रेत में हत्या हो गई है. एक ही वर्ष में अभी 15 दिन पहले चौधरी साहब बैठे हैं इनके क्षेत्र में कछपुड़ा के पास एक कुशवाहा समाज और ढीमर समाज के लोगों के बीच में रेत पर गोली चली. अवैध खनन पर वे मारे गये. हमारे क्षेत्र के पिछले वर्ष में 4 लोग मारे गये. इस प्रकार से हत्याएं हो रही हैं और इसलिए हमारा आपसे कहना है कि रेवेन्यू बढ़ रही है. लेकिन आप अगर अंडे के साथ में मुर्गी भी खा जाएंगे तो आगे फिर रेवेन्यू बंद हो जाएगी. अंडा फिर कहां से आएगा? आज यही हालत हो रही है और कहीं तो छोड़े दें. नर्मदा बड़ी नदी है, लेकिन हमारी सिंध नदी में जहां आपके पीछे श्रीमान् जी विराजे हैं, उनसे लेकर, उन्होंने तो अपना पूरा साफ कर दिया और हमारे इलाके में भेज दिया अवैध ठेला. वहां तो पानी बचा ही नहीं है. नदी में डबरा के पुल के नीचे रेत बची नहीं है. हम हंस नहीं रही हैं, यह सच्चाई है. वहां पर रेत नहीं, मिट्टी बस रह गई है. अब वहां से जितने अवैध उत्खनन वाले हैं, सब हमारे क्षेत्र में पटक दिये हैं. एक एक हजार ट्रक जा रहे हैं. अब अपना तो साफ कर लिया है. अब हमें भी सफाया करने के लिए तैयार हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - पुल के नीचे मिट्टी नहीं बची है, वहां बांध बन गया है, स्टाप डेम. आपको पता न सता, ज्यों ही लगे रहते हो.
डॉ. गोविन्द सिंह - अच्छा चलो, कल आप देख लेना. हम भी चल रहे हैं.
श्री के.पी. सिंह - वहां तो अब पनडुब्बी काम कर रही है.
डॉ. गोविन्द सिंह - इसके अलावा मैं एक बात कहना चाहता हूं, बीचे में भी बोली थी और आज भी कह रहा हूं. वास्तव में आज मध्यप्रदेश की विधान सभा में भी बड़े परेशानियां काम करने में आ रही हैं. अध्यक्ष महोदय, हमारी आपसे विनम्र प्रार्थना है. आपके रहते जब आपने तमाम, अब मैं नवाचार तो जानता नहीं हूं कि ये नवाचार, नवाचार करते हैं, नवाचार क्या होता है? ये परिभाषा बताएं कि यह क्या है? लेकिन नये काम आप करें. जब श्री रोहाणी जी थे तब नेता प्रतिपक्ष की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी. कर्मचारियों का जो कैडर है, वह लोकसभा के हिसाब से हो. आज मध्यप्रदेश की विधान सभा में कोई खर्च करना पड़ता है सरकार के यहां आवेदन लगाना पड़ता है. उसी में मंत्री अपना दुरुपयोग करते हैं. यहां अधिकारियों, कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं. भृत्य हैं नहीं, रिपोर्टर है नहीं, सेक्शन अधिकारी है नहीं. एक-एक अधिकारी 10-10 सेक्शन का काम कर रहा है. डिप्टी सेकट्री का पद खाली है, एडिशनल सेकट्री के पद खाली पड़े हैं तो हमारी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि जो पैटर्न है स्वतंत्र रूप से, कम से कम एक जगह तो राजनीतिक हस्तक्षेप से अलग करके विधान सभा की गरिमा बनाए रखने के लिए सार्वभौम सत्ता यहां के विधान सभा के अध्यक्ष की होना चाहिए, यह हमारा आपसे अनुरोध है, प्रार्थना भी है. इसमें संसदीय कार्य विभाग की मांगों के लिए कह रहे हैं. आप जरा इसमें खासकर विचार करें और इसका पालन कराएं. अध्यक्ष जी आपके कामों में बाधक नहीं बनेंगे. आप यह काम तत्काल 2-3 महीने में करें ताकि यह जो विधान सभा में गलत सवाल आ रहे हैं, कोई देखने वाला नहीं है. अब रोज हल्ला मचता है और 70-80 प्रतिशत जवाब गलत आते हैं. कई में जवाब आता है कि जानकारी इकट्ठी की जा रही है. आश्वासन समिति को आज हम धन्यवाद देंगे. उन्होंने भी अपना काम पूरा किया है. श्री महेन्द्र सिंह ने पूरा काम किया है. अध्यक्ष जी, आप बोलते हैं कि प्रश्न एवं संदर्भ समिति में प्रकरण भेज दो. मैं प्रश्न एवं संदर्भ समिति में पिछले 8-10 वर्षों में 30-40 शिकायत भेज चुका हूं. एक का भी जवाब 10 वर्ष से नहीं मिला तो जब आगे हम ही लोग नहीं रहेंगे तो फिर जवाब का क्या मतलब है?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - इतने निराश मत हों. हम ही लोग नहीं रहेंगे, यह पहले से ही तय कर लिया? इतने निराश क्यों हो रहे हो?
डॉ. गोविन्द सिंह - कोई जरूरी है? आदमी अस्थिर है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप आशान्वित तो रहो.
डॉ. गोविन्द सिंह - वैसे ही अब हमें चुनाव लड़ना नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - इस शब्द को वापस लो या विलोपित कराओ अध्यक्ष जी कि मुझे आगे चुनाव नहीं लड़ना है. यह शब्द आप वापस लो. अच्छा, मेरे कहने से वापस ले लो. मेरे निवेदन पर ले लो.
डॉ. गोविन्द सिंह - अच्छा तो लड़ना है चलो. (हंसी)..
श्री कमलेश्वर पटेल - इसमें भी फिक्सिंग थी क्या?
श्री बाला बच्चन - मंत्री जी की मांग हमारे विधायक जी पूरी कर रहे हैं, सरकार की मांग हमारे द्वारा पूरी हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया अब समाप्त करें.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, एक दो लाइन और बोलेंगे. हमारा आपसे अनुरोध है कि सामान्य प्रशासन विभाग के कई पत्र निकल रहे हैं. अभी पिछले 4 वर्षों में 4 पत्र निकल चुके हैं. विधायक, सासंदों के पत्रों का उत्तर नहीं देना और उसका पालन नहीं हो रहा है. अखबारों में पढ़ रहे हैं, सूचना आ रही है कि कड़ाई होगी, लेकिन कड़ाई होगी कब? 10 वर्षों से आपके पत्रों को रद्दी की टोकरी में फेंकने का काम किया जा रहा है. जिले के, पूरे प्रदेश के अधिकारी जिनकी ड्यूटी है, वह न तो जवाब देते हैं, न पत्र प्राप्ति देते हैं, न कुछ एक्शन लेते हैं. यह परंपरा प्रजातंत्र के लिए घातक है. लोकतंत्र को समाप्त करने का प्रयास है. इसलिए जो अधिकारियों की निरंकुशता बढ़ रही है, उस पर जरा अंकुश लगाने का काम करें. गरीबी रेखा में अभी समस्या है. यह पोर्टल क्या होता है? इस पोर्टल में सभी लोग इकट्ठे कर दिये गरीब महिला, विधवा, पेंशनधारी महिला उनको साल भर से पेंशन नहीं मिल रही है. सेवढा के माननीय सदस्य चले गये. वहां के बेरछा गांव में एक साल से अभी तक पेंशन नहीं मिल रही है. पेंशनधारी का एक नंबर होता है वह भोपाल से फीड होगा उसको भोपाल से फीड करने की क्या जरूरत है ? आप सत्ता का विकेन्द्रीकरण करिये, सत्ता का केन्द्रीयकरण क्यों कर रहे हैं ? इस फीडिंग में भी दुरूपयोग हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय,पुलिस के बजट का इसमें उल्लेख करेंगे. हमारे यहां पर चौकियां थीं, स्वीकृत थीं वर्षों से काम कर रही थीं. अभी रावली, अजनार, रमपुरा, लहार की चौकियों में स्टॉफ नहीं है. स्टॉफ न होने से चौकियां बंद कर दी गई हैं, जबकि यह बीहड़ के गांव उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे हैं. लोग यहां पर आते हैं अभी बघेल समाज के लड़के से राईफल छीन ली. उत्तरप्रदेश लहार से लगा हुआ बार्डर है. हमारे नगर से तीन किलोमीटर पूर्व में उत्तरप्रदेश है इसलिये पुलिस के लिये बजट दिया है उसका पूरी तरह से पालन हो. बजट का सदुपयोग पूरे प्रदेश की जनता के लिये हो वह केवल मुख्यमंत्री जी के सीहोर के लिये है. पीडब्ल्यूडी की सब सड़कें वहीं पर बनाओगे तो बाकी के लोग यहां पर क्या करेंगे? माननीय सदस्य श्री जाटव जी बोल रहे थे कि हमारे क्षेत्र में कुछ नहीं हो रहा है. मुख्यमंत्री जी का इतना बड़ा काम है कि वह दूसरों के लिये कुछ बचने ही नहीं दे रहे हैं.
कुँवर सौरभ सिंह (कटनी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विनियोग विधेयक के विरोध में बोलना चाह रहा था. मैंने इसमें स्थगन की मांग रखी थी. हमारे माननीय सदस्य श्री सुन्दरलाल तिवारी, श्री जितू पटवारी, श्री रावत जी सहित कई सदस्यों ने मांग रखी थी दुर्भाग्यवश वह पूरी नहीं हो पायी. मैं विनियोग में इस विषय को रखना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मैं कटनी से चला तो मेरे छोटे बेटे रूद्र ने पूछा कि आप सदन में क्या करते हैं, हमने बोला कि हम जनता की मांग रखते हैं. कटनी जिले की पूरी जनता पिछले दिनों सड़कों पर आ गई. हमेशा जनता पुलिस अधीक्षक का विरोध करती थी. पहली बार वहां की जनता कह रही थी कि उसको रोकना है. उसको रोकने की जगह सरकार ने उसका ट्रांसफर कर दिया. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 8 नवम्बर को 500 एवं 1000 रूपये के नोट बंद किये. तब लोगों को ऐसा लगा कि सरकार की ऐसी मंशा है कि काला धन निकलकर के आ जाएगा. जब कटनी में एस.के.मिनरल, श्री रजनीश तिवारी के के नाम से एक रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं वहां के तत्कालीन एस.पी. श्री गौरव तिवारी का स्थानांतरण हो जाता है. वह रिपोर्ट ऐसी दर्ज करवाता है कि इन्कम टैक्स के नोटिस में लगभग 37 लाख रूपये के आसपास उसके ऊपर देने के लिये कर निकलता है. अंडर सेक्शन 220 क्लाज 2 में इसको नोटिस मिलता जिसका असेसमेंट ईयर 2009-2010 है जब वसूली के लिये नोटिस आता है तब मालूम पड़ता है कि एक भिखारी का बेटा जो मजदूरी करके अपनी जीवन-यापन करता है उसके नाम पर एक फर्म खुली हुई है जिसमें करोड़ो रूपये का आदान प्रदान हुआ है. इस तरह के कई खाते खुले हैं. कई खातों में इस तरह की शिकायतें आयी हैं. विनय जैन की शिकायत पर 22 जुलाई को एफआईआर हुईं. वह एक ऑटो पार्टस की दुकान में हजार रूपये महीने में काम करता है, उसकी भी 13 तारीख को एफआईआर हुई इसके नाम पर भी करोड़ो रूपये का फर्जी खाता है. श्री अमर की 22 दिसम्बर को इनकी एफआईआर दर्ज होती है इनके पिताजी होम गार्ड के रूप में काम करते हैं. एक संतोष गर्ग की ऑटो पार्ट्स की दुकान है वह काम करता है. श्री संतोष गर्ग वह व्यक्ति है जिसके ऊपर एफआईआर हुई इसी प्रकरण में वह फरार था हमारे वर्तमान एस.पी.जी इनको पकड़ने गये उनका कहना था कि उसने ज्यादा पी रखी थी इसीलिये उसको पकड़ा नहीं, यह फरारी में था तथा इनके ऊपर ईनाम भी घोषित था. बाद में मालूम पड़ा कि इसकी किन संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई. माननीय श्री रजनीश तिवारी को पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिग एक्ट) के तहत भी एक केस दर्ज किया गया है. कुल मिलाकर मेरा कहना यह है कि आज की स्थिति में कटनी की जनता की सरकार से अपेक्षा थी यह जो फर्जी ट्रांजेक्शन हुआ है इसमें शामिल बड़े लोग पकड़े जाएं, सफेदपोश लोग हैं उनका नाम आ नहीं रहा है. सरकार के पास फॉरेंसिंक रिपोर्ट आ गई कि जो श्री रजनीश तिवारी के दस्तखत थे वह फर्जी थे. जो एकाउंट थे वह फर्जी थे. नौकरी के नाम से उससे कहीं दस्तखत करवाये गए थे और उन कागजों का उपयोग किया गया था. सरकार और वहां का प्रशासन इस बात को देखने को तैयार नहीं है. लगातार पुलिस बार बार रजनीश को बुला रही है. बार बार उसको राशन कार्ड में साइन करने को बोलती है. अलग अलग तरीके से, 36 तरीके से साइन करने को बोलती है. कुल मिलाकर ऐसा लग रहा है कि सरकार का इरादा उनको क्लीन चिट देने का है. सिर्फ एक सफेद पोश नेता का नाम आने से सरकारी इतनी दब गई है कि कटनी जिले की पूरी जनता सड़क पर उतर आयी थी. कई दिन तक कटनी बंद रहा. यह कोई राजनीतिक विषय नहीं है. यह विषय जनता का है. मैं अपने बेटे को यह कह कर आया कि हम जनता की बात उठाते हैं.
अध्यक्ष महोदय, हर सदस्य वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का हो. हम लोग प्रश्नों के माध्यम से अपनी बात रखना चाहते हैं. हकीकत यह है कि जो जवाब आ रहे हैं. वह पूरे गोलमोल आ रहे हैं. मैं समझ रहा हूं कि यह विषय नहीं है और यह बहुत भारी होगा आपको सुनना लेकिन सदन में हम लोग जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए बैठे हैं. चाहे सदन लंबा खींचे चाहे दिवस बढ़ाइए. अगर जनता के लिए हम यहां बैंठे और वह काम हम नहीं कर पा रहे हैं तो बिलकुल ही गलत है.
अध्यक्ष महोदय, कहा जाता है कि बिना आइटम सॉंग के पिक्चर पूरी नहीं होती, हिट नहीं होती. मुझे लग रहा है कि शासन का मंत्रिमंडल भी बिना दागी के पूरा नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.
कुंवर सौरभ सिंह--माननीय मेरा निवेदन यह सुनें कि लगातार जो विषय चल रहा है और इस विषय में मनीष सरावगी को धारा 420, 468 दो-तीन प्रकरण में अरेस्ट किया गया और उसको जल्दी छोड़ दिया जाएगा. मेरा सिर्फ यह कहना है कि क्या गौरव तिवारी जैसे ईमानदारी अधिकारी को लाकर विवेचना करायी जाएगी? जनता कभी तो न्याय चाह रही है. अपन कब तक उसको मूर्ख बनाते रहेंगे. आप विधायकों को इतनी बड़ी बुकलेट देते हैं, हम जितने पेपर्स लेकर जाते हैं, कोई पढ़ भी नहीं पाता. हम लोग जिसकी तैयारी करके आते हैं, बोलने का अवसर नहीं मिलता. अध्यक्ष जी,स्थगन पर चर्चा करनी है, विनियोग पर बोल रहा हूं. जितने नए सदस्य चुनकर आते यह हम लोगों का दुर्भाग्य है. हम यह कहना चाह रहे हैं कि जनता की मांग को लेकर हम लोग यहां तक आ रहे हैं और जनता की एक रत्ती मांग पूरी नहीं हो रही है. हम इसी बात पर खुश हैं कृषि कर्मण अवार्ड मिल रहा है हकीकत यह है कि जनता को हमको कुछ देना हैं लेकिन हम एक प्रतिशत नहीं दे पा रहे हैं. जनता आजकल पॉलिटिशियन को सिर्फ गाली की नजर से देखती है. हमारे नेताओं का सम्मान खत्म होता जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय--समाप्त करें.
कुंवर सौरभ सिंह-- माननीय इस विषय में सरकार को कुछ करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--आपकी पूरी बात आ गई.
कुंवर सौरभ सिंह-- मैं बात कहने के लिए नहीं कह रहा हूं कि मुझे कहना है. अगर जनता की आवाज मैं यहां नहीं रखता हूं तो सदन में बैठने का कोई औचित्य ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--आपने जनता की आवाज रख दी ना.
कुंवर सौरभ सिंह-- उस निर्णय दें. आसंदी किसलिए है. सत्र क्यों बुलाया जाता है. हम लोग नियम बनाने के लिए है लेकिन नियम बनाने की जगह हम नियम का क्रियान्वयन 25 प्रश्नों के आधार पर करना चाह रहे हैं. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आसंदी इस पर कुछ निर्णय ले.
अध्यक्ष महोदय--आप नियम पढ़ लिया करें फिर बात किया करें. नियम प्रक्रियाओं की जानकारी ले लें.
कुंवर सौरभ सिंह-- मैं मानता हूं लेकिन नियम प्रक्रिया जनता के लिए ही तो बने हैं.
अध्यक्ष महोदय-- विनियोग विधेयक पर वाद-विवाद नहीं होता.
श्री बाला बच्चन( राजपुर )--अध्यक्ष महोदय, इस सरकार पर दिनोदिन कर्ज बढ़ता जा रहा है और कर्ज का भार भी प्रदेश की जनता पर बढ़ता जा रहा है. किस वर्ष में कर्ज कितना था और ब्याज कितना दिया जो प्रश्न का जवाब आया है उसके माध्यम से बताना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, 10 मार्च 2017 का प्रश्न क्रमांक 1555 में स्पष्ट उल्लेख है कि वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश सरकार पर जो कर्ज है उसका केवल और केवल ब्याज हमने 5573 करोड़ रुपये चुकाया है. 2015-16 में 8090 करोड़ चुकाया है. 2012-13 में 77413 करोड़ रुपये था और वह 2015-16 में बढ़ कर 1 लाख 11 हजार 101 करोड़ रुपये हो गया. माननीय वित्त मंत्री जी और संसदीय कार्य मंत्री जी, मैं समझता हूं यह बड़े चौकाने वाले आंकड़े हैं. यह कर्ज लेकर घी पीने वाली कहावत को चरितार्थ करता है. सरकार ऐसा क्यों कर रही है? इतना कर्ज और ब्याज में प्रदेश की जनता को डुबोती जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, आपका जो मुख्य बजट है वह 1 लाख 85 हजार करोड़ रुपये का बना मैं समझता हूं कि कर्ज और ब्याज की अदायगी में एक बड़ी राशि चली जाएगी. माननीय वित्त मंत्री जी इस पर विचार करें.
अध्यक्ष महोदय, जिन योजनाओं के लिए, कामों के लिए हम बजट प्रोवाइड करते हैं वह उस पर भी खर्च नहीं होता है. मांग संख्या 53 जो त्रिस्तरीय पंचायती राज से संबंधित वित्तीय सहायता अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत देने का होता है आपने तृतीय अनुपूरक में 50 करोड़ रुपये स्मार्ट सिटी पर खर्च कर दिए हैं, का जिक्र किया. माननीय वित्त मंत्री जी ऐसा क्यों किया? मैं जानना चाहता हूं कि आपने जिनके कल्याण के लिए जिस योजना में 50 करोड़ रुपये बजट का प्रॉवीज़न किया था वह निकाल कर आपने स्मार्ट सिटी में खर्च क्यों किया है वह बतायें?
अध्यक्ष महोदय, 2016-17 के बजट में आपने 100 करोड़ रुपये आदिम जाति कल्याण विभाग हेड के निकाल कर इंदौर और भोपाल के लिए मेट्रो ट्रेन की योजना पर खर्च करना बताया है.इन्दौर और भोपाल के लिये, मेट्रो ट्रेन का कहीं अता पता नहीं है. 28 करोड़ रुपये भोपाल की मेट्रो ट्रेन परियोजना की डीपीआर पर खर्च करना बताया है, लेकिन कहीं पर एक रत्ती भर भी काम नहीं हुआ. सरकार को इस पर रोक लगाना चाहिये. इस तरह की अव्यवस्थाएं सरकार की ओर से नहीं होनी चाहिये और व्यर्थ के कामों पर जो राशि खर्च की जाती है उस पर रोक लगानी चाहिये. यह बजट, जो मुझे समझ में आता है माननीय वित्त मंत्री जी, जनसंपर्क विभाग के द्वारा सरकार की ब्रांडिंग के इरादों को स्पष्ट करता है. परसों हम आपकी बात सुन रहे थे, आप सरकार की ब्रांडिंग कराने के लिये बड़ी राशि खर्च करते हैं. यह क्या है, नमामि देवी नर्मदे,नर्मदा सेवा यात्रा, जिस पर कितनी बड़ी धनराशि आपने खर्च की है, आनंदम् कार्यक्रमों पर आपने खर्च किया है, मिल बांचे कार्यक्रम पर आपने उसके प्रचार-प्रसार के लिये बड़ी राशि खर्च की और सरकार की कमियों को छिपाने का काम किया है. मैंने पूरे सत्र के दौरान सभी विधायकों की यह बात सुनी कि जो मूलभूत सुविधाओं पर पर खर्च होना चाहिये उसके बजाय बजट उनके कामों पर खर्च न करके दूसरे कार्यक्रमों पर खर्च किया है, यह दुख की बात है. माननीय वित्त मंत्री जी, अपने वित्तीय प्रबंधन को ठीक करें और व्यर्थ के कामों में यह राशि खर्च न करें. गर्मी सिर पर आ गई है और आपने एडवांस में केवल इसके लिये 70 करोड़ रुपये का बजट ही रखा है. इस 70 करोड़ से आप प्रदेश में जो पानी से संबंधित समस्याएं आएंगी उससे आप क्या कंट्रोल कर पाएंगे ? यह 6890 करोड़ रुपये का जो तृतीय अनुपूरक बजट है, यह अच्छे कामों पर और योजनाओं पर खर्च हो क्योंकि जिसके लिये हमें जनता चुनकर भेजती है,जब उसके काम नहीं होते तो जब हम यहां से जाते हैं तो जनता हम पर हंसती है. जिस तरह से सरकार के जवाब अव्यवस्थित होते हैं और यह तंत्र जो हम पर हावी और भारी पड़ता जा रहा है, माननीय संसदीय कार्य मंत्री और माननीय वित्त मंत्री जी इस पर विचार करना पड़ेगा. इससे हमारे मध्यप्रदेश की विधान सभा की गरिमा भी गिरती जा रही है . आप और उपाध्यक्ष महोदय, दोनों थोड़ा बहुत ध्यान देते हैं तो हमको अवसर मिलता है और हम इतनी बात कर भी लेते हैं. आज ही ध्यानाकर्षण क्रमांक-12 में तीन विधायकों ने यह बात रखी है बाबूलाल गौर जी, मोहन यादव जी, सचिन यादव जी ने नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना का काम पूरा न होने पर नगरीय विकास मंत्री का ध्यान आकर्षित किया है. फालतू की सरकार ढिंढोरा पीटती है और फालतू की प्रसिद्धि लेने का काम करती है तो सरकार ठीक काम करे और विधायकों की बात को सुनेंगे,उनका समाधान होगा तो मैं समझता हूं कि विधायकों का भी मान-सम्मान बढ़ेगा और हाऊस की भी गरिमा बनेगी और जिस मकसद और उद्देश्य को लेकर हम चुनकर आते हैं उसकी पूर्ति होगी. हैंडपंपों के लिये 70 करोड़ रुपये का बजट बहुत कम है, मंत्री जी इसको बढ़वाएं और इससे आने वाली समय में जो पानी,बिजली की समस्याएं आएंगी, वह दूर की जाएं. बहुत सारे मुद्दे हैं बोलने के लिये लेकिन समय की कमी को देखते हुए मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. आपने मुझे समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हमारे मध्यप्रदेश के अंदर माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप कि मध्यप्रदेश में लोग सुरक्षित रहें, बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ, बेटियां सुरक्षित रहें, लेकिन मेरे सतना जिले में ही उमा त्रिपाठी जो दिनांक 31.12.2016 को सुबह 9.00 बजे अपने घर से निकली थीं, वे बीमा कंपनी में काम करती थीं. आधे घंटे में ही उसका मोबाईल बंद हो गया. उस दिन काफी कोहरा था. वहां काफी खेत है. रैगांव विधान सभा क्षेत्र का मझगंवा गांव, जिसका थाना बाहुपुर लगता है. दिनांक1.1.2017 को उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई लेकिन पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज करने के बाद कोई कार्यवाही नहीं की गई. दिनांक 15.1.2017 को सुबह 10.00 बजे भरसुना गांव के निवासी ने बताया कि यहां पर एक लाश पड़ी हुई है. उमा त्रिपाठी की पहचान की गई, उसके बैग,मोबाईल,कपड़े के माध्यम से. उसका आधा सिर मिला,कुछ अस्थियां मिलीं, उस आधार पर गांव के लोगों ने पुलिस अधीक्षक को दिनांक 02.02.2017 को गांव के लोगों ने एक ज्ञापन भी दिया और वहां के लोग और बच्चियां बहुत आतंकित हैं. वहां पर भर्जुना हाईस्कूल है और 20 गांव उससे लगे हुये हैं, बच्चियां स्कूल पढ़ने नहीं जा रही. इसमें अभी तक एक अपराधी को पकड़ा गया, यह केवल एक अपराधी का काम नहीं है कि बच्ची को पकड़कर, उसका रेप करके उसकी हत्या कर दे. उसमें चार अपराधी थे जिसमें से सिर्फ एक अपराधी को पकड़ा गया, तीन अपराधी अभी भी छोड़ दिये गये, उनके ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही है. जिस तरह माननीय मुख्यमंत्री जी चाहते हैं, हमारे सतना जिले का दुर्भाग्य है कि जो एस.पी. अच्छा काम करते हैं, कानून व्यवस्था लाइन आर्डर का मजबूती से पालन करते हैं ऐसे एस.पी. को 8-9 महीनों में सतना जिले से भगा दिया जाता है. जो एस.पी. सिर्फ मीठी-मीठी बातें करते हैं, जी-जी हम बिल्कुल कर देंगे, हम देख रेख कर रहे हैं, व्यवस्था कर रहे हैं, ऐसे ही वहां रहते हैं. मेरा कहना है कि भारत देश के अंदर जिस तरह आतंकवादियों का बोलबाला था, हम यह महसूस करते थे कि पूरे भारत देश की हृदयस्थली हमारा मध्यप्रदेश और भोपाल इतना सुरक्षित है, लेकिन हमारे सतना जिले में 48 आतंकवादियों के तार जुडे़ हुये मिले. माननीय अध्यक्ष महोदय, सतना जिला भय से इतना भरा हुआ है, मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगी और माननीय मुख्यमंत्री जी से, माननीय मंत्री जी से कि जिस तरह सरकार की यह घोषणा है, माननीय मुख्यमंत्री जी हमेशा कहते हैं कि हम बेटियों के मामा है, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, लेकिन आज भय के कारण बेटियां पढ़ने लिखने नहीं जा रहीं. मैं चाहती हूं कि उस बच्ची की हत्या की सीबीआई जांच कराई जाये, उस बच्ची के माता-पिता बहुत दुखी हैं, अपराधियों को दंडित किया जाये ताकि उसके माता-पिता को संतुष्टि मिले. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया. धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से इस सरकार की वास्तविक तस्वीर रखना चाहता हूं और मैं चाहूंगा कि वित्त मंत्री जी इसका निश्चित इस सदन में जवाब दें. सही हालात यह हैं कि हमारे मध्यप्रदेश की आमदनी और आर्थिक स्थिति वर्ष, गतवर्ष धीरे-धीरे कम होती चली जा रही है और यह सरकार के आंकड़े हैं, यह मेरे आंकड़े नहीं हैं. आज हमारी मध्यप्रदेश की सरकार केन्द्र सरकार के टुकड़ों पर पल रही है और इनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती चली जा रही है, इस विषय पर हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ध्यान नहीं दे रही. इस विषय पर मैं बात करूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे पास 2004 और 2005 से लेकर 2015 और 2016 के बजट की कापी है जो केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा दिये गये हैं और प्राप्त किये गये हैं और दोनों को जोड़कर जो बजट के रूप में सदन में प्रस्तुत किया जाता है. 2004-05 में हमारे राज्य की क्या स्थिति थी और हमारा राज्य आज कहां पहुंच गया है और हम एक गलत दृष्टि, एक गलत पिक्चर मध्यप्रदेश में पेश कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, 2004 और 2005 में केन्द्र सरकार का 38 प्रतिशत हिस्सा था और राज्य सरकार का हिस्सा 62 प्रतिशत था. यह पूरे बजट की मैं बात कर रहा हूं. इसके बाद वर्ष 2005-06 में केन्द्र सरकार का हिस्सा 45 प्रतिशत आया और हमारे राज्य का 62 प्रतिशत से घटकर 55 प्रतिशत पर आ गया. एक वर्ष और आगे हम चले तो केन्द्र सरकार का हिस्सा 48 प्रतिशत आ गया और हमारे राज्य सरकार का हिस्सा केवल 52 प्रतिशत रह गया और हम निरंतर 62 से 52 प्रतिशत पर तीन वर्षों में आये हैं. यह 2004 से हम निरंतर आगे चलते चले जा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आज स्थिति यह है कि केन्द्र सरकार का हिस्सा 53%हो गया है और 47% से कम राज्य का हिस्सा है. मैं कह रहा हूं कि हमारी राज्य की स्थिति फिर कैसे अच्छी हो गई है ? किन आंकड़ों के आधार पर वित्त मंत्री जी सदन में कहते हैं और राज्य की जनता को बताते हैं कि हमारी वित्तीय स्थिति अच्छी हो गई है ? अध्यक्ष महोदय वास्तविक स्थिति यह है कि अगर केन्द्र सरकार अपना हिस्सा देना बंद कर दे तो हमारी राज्य सरकार पूरी तरह से ठप्प हो जायेगी. वर्ष 2004-2005 के पहले जो प्रदेश की स्थिति थी वह ज्यादा बेहतर स्थिति थी और राज्य ज्यादा आमदनी दे रहा था आज हमारा राज्य निरंतर आर्थिक रूप से कमजोर होता चला जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जरूर वित्त मंत्री जी ने आपके सामने कहा है कि जब सत्ता पक्ष में लोग मंत्री की कुर्सी में बैठ जाते हैं तो बुद्धि ज्यादा हो जाती है. विपक्ष में जब वही लोग आते हैं तो उनकी बुद्धि घट जाती है. जब आप कभी विपक्ष में आ जायेंगे, आगे की बात ईश्वर ही जाने लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि वित्त मंत्री जी इस सदन को बताये और प्रदेश की जनता को सही वित्तीय स्थिति बतायें. अंत में एक बात और कहना चाहता हूं कि हम यदि अपने कंसोलिडेट फंड को देखें तो निरंतर हमारा राजस्व व्यय बढ़ता चला जा रहा है और पूंजीगत व्यय घटता चला जा रहा है.वित्त मंत्री जी प्रदेश के लिये यह अच्छा सूचक नहीं है, शुभ संकेत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात मैं कहना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी और पूरी सरकार नर्मदा नदी की सफाई के बारे मे बात कहती है, बहुत अच्छी बात है, एक नदी नहीं सभी नदी साफ हों और क्रमश: एक एक करके सभी नदी यदि आप सफाई के लिये ले रहे हैं, यह भी बहुत अच्छी बात होगी. मेरा यह जरूर कहना है कि दूसरी दिशा में भी ध्यान दें . मार्च का महीना समाप्त होने जा रहा है और लोगों को पीने के पानी की समस्या गांव गांव में शुरू हो गई है. जिससे निपट पाना राज्य सरकार के लिये मुश्किल होगा.अध्यक्ष महोदय,इसलिये मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से यह कहना है कि मनुष्य और पशुओं का पानी मिल जाये, जीवन उनका बचा रहे इस दिशा में भी सरकार को काम करना चाहिये कोई धार्मिक उन्माद अगर फैलाया जा रहा है तो उससे हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी और आपके बगल में वित्त मंत्री जी भी बैठें हम वह नदी भी जानना चाहते हैं कि वह कौन सी नदी है जिसमें आपका मंत्रिमण्डल डुबकी लगता है और व्यापक भ्रष्टाचार करने के बाद भी साफ सुथरा हो जाता है.आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह )-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विनियोग विधेयक पर चर्चा हो रही है. हमारे साथियों ने बहुत सारी बातें कहीं है, महत्वपूर्ण सुझाव सरकार को दिये हैं . मैं ज्यादा विस्तार में नहीं जाना चाहता हूं लेकिन जो बातें आई हैं कि सरकार को खर्च पर नियंत्रण करना चाहिये लेकिन नहीं कर पा रही है. एक बात मुझे चुभी जो आदरणीय सौरभ सिंह जी ने कही कि एक तरफ कालेधन को समाप्त करने के लिये नरेन्द्र मोदी जी ने संकल्प लिया और इसी दौरान मध्यप्रदेश में एक जिले में ऐसी घटना हो जाये जहां पर करोड़ों रूपयों का हेरफेर हो जाये, साधारण से आदमी के ऊपर दिखाये जाये कि इनके खाते में 27 करोड़ से लेकर के 50 करोड़ रूपये तक की राशि जमा है, जो आदमी सुबह से शाम तक मजदूरी करता है, जिसने नौकरी के लिये आवेदन दिया हो उसके खाते में इतना पैसा निकल जाये, क्या आप इसी तरह का मध्यप्रदेश बनाना चाहते हैं ? क्या हम इस तरह का भी मध्यप्रदेश बनाना चाहते हैं कि कुछ चुने हुये लोगों को कोई सी भी लीज बिना नियम के दे दी जाए भले ही उससे सरकार को भारी राजस्व की हानि हो ? 500 एकड़ इस मध्यप्रदेश में तकरीबन 2000 बीघा बिना नीलामी के सरकारी जमीन दे दी गई है जो नियम के विरूद्ध है लेकिन उसके बाद भी कोई चिंता इस सरकार को नहीं है.माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा सौभाग्य है कि माननीय मुख्यमंत्री जी आज यहां उपस्थित है. इस विषय पर, कटनी के मामले में, आप बहुत ही संवेदनशील है आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय. अपराधी कौन थे, क्यों उनको बचाने की कोशिश की जा रही है, इसका भी थोड़ा ध्यान रखे और जो साधारण से साधारण मजदूर, दुकान पर काम करने वाले के खाते में जो पैसा निकल रहा है, उसकी भी बात इस तरह से हो. आपने एक व्यक्ति को पकड़ लिया, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कुछ दिन बाद वह भी छूट जाएगा, क्योंकि आपकी मंशा साफ नहीं है. सवाल इस बात का नहीं है कि एक जिले का मामला है. माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत ही संवेदनशील है. कहीं से भी बात आ जाती है तो कार्यवाही तुरंत करते हैं, लेकिन पूरे कटनी जिले की जनता सड़क पर आ गई तो उस एसपी का ट्रांसफर क्यों कर देते हैं रातों-रात. एक अधिकारी दूसरे अधिकारी को ऐसे डांटता है कि उसको हार्टअटैक हो जाए, क्या यही संवेदनशीलता की परिभाषा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय, कटनी वाले मामले में यदि सही जांच कराना चाहते हैं और यदि आपकी मंशा साफ है, तो गौरव तिवारी, एसपी जिन्होंने यह जांच शुरू की थी उनको तत्काल जांच अधिकारी बनाकर कटनी में पदस्थ करें, किसी भी रूप में पदस्थ करें, लेकिन जांच अधिकारी वह हो तो सही मायने में पता चल जाएगा कि काला धन किसका है, कहां से और कहां गया, तभी मध्यप्रदेश की जनता मानेगी कि आदरणीय मुख्यमंत्री जी सही में संवेदनशील और भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सदन को विदित है दिनांक 1 मार्च 2016 को वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजट विधान सभा के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में प्रस्तुत किया गया था. प्रस्तुत आय-व्ययक में भारित और मद दोनों राशि सम्मिलित है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल विनियोग की राशि रूपए 1 लाख 85 हजार 564 करोड़ है, शुद्ध आय की कुल राशि रूपए 1 लाख 69 हजार 954 करोड़ रूपए अनुमानित है. इस राशि में राज्य शासन द्वारा राजस्व एवं पूंजीगत व्यय, राज्य द्वारा लिए गए ऋणों का मूलधन एवं शासन द्वारा विभिन्न प्रकार के दायित्वों की व्यय करने की राशि शामिल है, उक्त राशि राज्य की संचित निधि से व्यय की जाएगी. मैं यहां यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि प्रदेश का यह बजट प्रदेश की जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप और जनहित में तैयार किया गया है. हमारे राज्य की कुल प्राप्तियां रूपए 1 लाख 69 हजार 503 करोड़ अनुमानित है, राजस्व प्राप्तियां रूपए 1 लाख 39 हजार 116 करोड़ एवं पूंजीगत प्राप्तियां रूपए 30 हजार 387 करोड़ रूपए है. कुल व्यय - राज्य का शुद्ध व्यय रूपए 1 लाख 69 हजार 954 करोड़ रूपए अनुमानित है, जिसमें राजस्व व्यय 1 लाख 34 हजार 919 करोड़ रूपए है, तथा पूंजीगत व्यय 35 हजार 435 करोड़ रूपए है. राजकोषीय स्थिति - वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट अनुसार सकल राज्य घरेलू उत्पाद से राजकोषीय घाटे का प्रतिशत 3.49 प्रतिशत है, सकल राज्य घरेलू उत्पाद से राजस्व आधिक्य का प्रतिशत 0.63 प्रतिशत है और ब्याज भुगतान का कुल राजस्व प्राप्तियों से प्रतिशत 8.30 है. आदरणीय नेता प्रतिपक्ष ने, डॉ गोविन्द सिंह जी ने, कुंवर सौरभ सिंह जी ने, श्रीमान बाला बच्चन जी ने, श्रीमती उषा चौधरी जी ने और श्री सुन्दरलाल तिवारी जी ने भी चर्चा में भाग लिया. बहुत बहुत धन्यवाद. बाला बच्चन जी ने कर्ज को लेकर के दो बातें कही, यह बात सही है कि वर्ष 2015-16 में हमारे ऊपर 1 लाख 11 हजार करोड़ रूपए का कर्ज था.परंतु मैं यह निवेदन करना चाहूंगा कि आप देखें कि उस वर्ष की, आपकी 2003-2004 की जीडीपी क्या थी, वह 1 लाख 11हजार करोड़ थी और हमारी 2015-16 की जीडीपी क्या थी, 565 लाख करोड़ रुपये थी. यह फर्क होता है. हमने पैसा लिया है, कर्ज उठाया है, आपके समय में जो आप पैसा लेते थे, आपकी रेवेन्यू रिसीट्स थीं, उसका आप 22 प्रतिशत खर्चा करते थे, ब्याज देने के ऊपर. आदरणीय तिवारी जी, हमारी जो रेवेन्यू रिसीट्स आज है, उसमें हम मात्र 8 प्रतिशत खर्च कर रहे हैं. हमने कहां से कहां पहुंचा दिया. हमने बिजली को कहां से कहां बढ़ा दिया, साढ़े 4 हजार मेगावाट से 17 हजार मेगावॉट,हमने सिंचाई कितनी बढ़ा दी. 7 लाख हेक्टेयर से लेकर 40 लाख हेक्टेयर, हमने चारों तरफ सड़कों का जाल बिछाया है. हमने विद्यालय बनाये हैं, महाविद्यालय बनाये हैं, कॉलेज बनाये हैं, मेडिकल कॉलेज बनाये हैं, हास्पीटल्स बनाये हैं, इनफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत राशि खर्च की और सैकड़ों हमारी सामाजिक सरोकार की योजनाएं हैं, जो प्रदेश के अन्दर पहले कभी नहीं चलती थीं, वह आज चल रही हैं. ..(श्री सुन्दरलाल तिवारी के बैठे बैठ हंसने पर) हां बिलकुल सही बात है. इसमें हंसने वाली बात नहीं है. एक-एक चीज को आप देख लीजिये.
श्री सुन्दर लाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, राज्य का राजस्व घटा है.
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय, मैं पुनः निवेदन करना चाहता हूं कि प्रदेश के विकास के लिये, अधोसंरचना के विकास के लिये, हमें अपने सामाजिक कार्यों के लिये अगर हमें और राशि कर्ज में लेना पड़ेगी, तो हम लेंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक,2017 पारित किया जाये.
4.13 बजे अशासकीय संकल्प
(1) प्रदेश में होने वाले समस्त स्थानीय निर्वाचनों को एक साथ कराया जाना.
श्री के.पी.सिंह (पिछोर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि - "सदन का यह मत है कि प्रदेश में होने वाले समस्त स्थानीय निर्वाचनों को एक साथ कराया जाए."
अध्यक्ष महोदय -- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री के.पी.सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं पिछले 23-24 वर्षों से इस सदन में सदस्य के रुप में निर्वाचित हो रहा हूं और वर्तमान में जो प्रक्रिया है, उसमें हर एक साल हम चुनकर आते हैं, उसके एक साल बाद नगर पंचायत चुनाव और एक साल के बाद फिर पंचायत चुनाव और उसके बाद फिर सहकारिता चुनाव और चौथे साल फिर आ जाता है मंडी चुनाव. ऐसा कोई वर्ष नहीं गुजरता, जिस वर्ष चुनाव हमारे प्रदेश में न हों. फिर पांचवें साल हमारा चुनाव दोबारा आ जाता है. मेरा अशासकीय संकल्प लाने का मकसद सिर्फ यही है कि बहुत सारे चुनाव जो लगातार हम कराते हैं, इनको हम क्या कारण है कि एक वर्ष के अन्दर नहीं करा सकते. पिछले शुक्रवार को जब मेरा अशासकीय संकल्प लगा था, तो मैंने इसको आगे बढ़ाने की बात की थी, वह इसलिये की थी कि शायद सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी और सरकार का जवाब जो उस समय आया था, उस समय उन्होंने लिखा था कि गहन विधिक परीक्षण की आवश्यकता है. उसका एक सार था. अब गहन विधिक परीक्षण की आवश्यकता मैंने सोचा चलो 7 दिन और होंगे और 7 दिन बाद सरकार इसका परीक्षण कर लेगी. आज क्या जवाब आयेगा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि यह परेशानी अकेले मेरी नहीं है, यह सदन के सारे सदस्यों की है. अगर एक वर्ष में सारे चुनाव हो जाएं तो हम 4 वर्ष अनवरत् रूप से काम कर लें और अपना पूरा समय तमाम सारी दिक्कतों को दूर करने में और विकास में लगा पाएंगे. हर साल फिर एक नये चुनाव में जुटना पड़ता है. अब तर्क यह दिया जा सकता है कि विधायकों को चुनाव में पड़ने की क्या जरूरत है. आप भी किसी क्षेत्र से विधायक चुनकर आए हैं, मंत्री भी विधायक चुनकर आए हैं और हम भी विधायक चुनकर आए हैं. ऐसा कोई विधायक सिर्फ कह तो सकता है कि मुझे क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है, किसी भी चुनाव से भागीदारी नहीं करनी है, हमारा सीधा कोई रोल नहीं होता है लेकिन हकीकत में हर विधायक एवं हर मंत्री अपने क्षेत्र के हर चुनाव में किसी न किसी रूप में पार्टिसिपेट करता है, यह हकीकत है. मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी के वक्तव्य भी समय-समय पर पढ़े हैं. वे वक्तव्य इन दिनों नहीं आ रहे हैं, लेकिन जब शुरूआत थी तब मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य आया था कि सारे के सारे निर्वाचन एक साथ कराने से हमारा समय बचेगा एवं हम पूरा ध्यान अन्य कार्यों में लगा पायेंगे और देश के प्रधानमंत्री भी इसी बात की चर्चा कर रहे हैं कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराये जायें और वास्तव में यह बात सही भी है कि बार-बार के चुनाव में पूरा अमला लगता है, पैसा खर्च होता है और जो पैसे का अपव्यय हो रहा है, उसको रोका जा सकता है.
माननीय अध्यक्ष जी, मेरा सारे सदन से अनुरोध है कि इस प्रस्ताव को पास करने में वैसे तो कोई कानूनी दिक्कत नहीं है. मैंने सरकार का जवाब पढ़ा था, जो पिछले समय आया था और उस जवाब में कोई तर्क नहीं दिया गया है. इसमें सिर्फ इतना लिखा गया है गहन विधिक परीक्षण की आवश्यकता है. मैं आपके माध्यम से, माननीय मुख्यमंत्री जी और उनके समस्त साथियों से अनुरोध करना चाहूँगा कि अब कोई चुनाव नहीं होने हैं. इस वर्ष मण्डी चुनाव हैं, वे 4-6 महीने बाद हो जाएंगे, इस सत्र के तो सारे चुनाव हो चुके हैं. लेकिन हम अगली व्यवस्था कर सकते हैं, इसमें संविधान के संशोधन की कोई जरूरत नहीं है, पंचायत चुनाव और नगर पंचायत चुनाव में 6 महीने का अन्तर होता है. हम 6 महीने नगर पंचायत को ज्यादा समय दे सकते हैं, पंचायत चुनाव और पहले नहीं करवा सकते हैं. सहकारिता का चुनाव तो कागजों में होता है, हकीकत में उसमें पब्लिक से कोई सीधा संबंध नहीं होता है. लेकिन मण्डी के चुनाव में जब हमारे मतदाता पंचायत चुनाव में चार वोट डालते हैं, एक सरपंच, एक पंच का, एक जिला पंचायत का एवं एक जनपद पंचायत का, चार वोट डाल सकते हैं- उनमें कोई दिक्कत नहीं होती है तो ऐसा क्या कारण है कि हम उसके साथ मण्डी चुनावों को नहीं जोड़ सकते हैं. वैसे भी मण्डी के चुनाव केन्द्र सरकार की संवैधानिक व्यवस्था नहीं है, यह तो राज्य सरकार की अपनी व्यवस्था है. अभी मण्डी चुनाव होने वाले हैं, अगर इन चुनावों को हम 3 साल के लिए भी करवा दें तो 3 साल की चुनाव सीमा कम है. अभी इस समय मैंने कल ही बात की थी. जब नरोत्तम मिश्र का विभाग था, इन्होंने सिंचाई संस्थाओं का कार्यकाल 2 वर्ष कर दिया है, चुनाव तो 5 वर्ष के लिए हो रहा है लेकिन अध्यक्ष का कार्यकाल 2 वर्ष का होगा और 2 वर्ष में फिर अध्यक्ष को दोबारा चुनाव लड़ना पड़ेगा तो आप इस व्यवस्था को कर सकते हैं. मण्डी चुनाव भी नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम, पंचायत और मण्डी चुनाव तीन चुनाव जो सीधे-सीधे जनता के द्वारा होते हैं. एक चुनाव में मतदाता अगर 4 वोट डालता है तो एक मतदाता को एक वोट और डालना पड़ेगा. जब कोई भी मतदाता 4 वोट डाल सकता है तो वह 5 वोट भी डाल सकता है. मैं समझता हूँ कि इसमें कहीं कोई कानूनी अड़चन नहीं है. अगर कोई कानूनी अड़चन हो तो माननीय मंत्री जी, मुझे नहीं पता है कि वह कैसा जवाब देने वाले हैं, विश्वास सारंग जी देंगे, यदि आपने ठीक से अध्ययन और परीक्षण किया है. माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में विराजमान हैं, इन्हें मध्यप्रदेश की सारी जानकारी वर्षों से है एवं बहुत लंबा समय हो गया है.
अध्यक्ष महोदय, डॉ. नरोत्तम मिश्र जी, हमारे विद्वान साथी हैं और वे कानून के बड़े जानकार हैं, साथ ही डॉक्टर भी हैं. मैं समझता हूँ कि यदि इस सदन में कोई अच्छा निर्णय हो जाये तो पूरे मध्यप्रदेश की जनता आपको धन्यवाद करेगी, वैसे भी एक दृष्टि से उ ित है कि हम राजनीतिक लोग हैं, हम यह देखते हैं कि एक चुनाव एक व्यक्ति हारता है तो वह दूसरे चुनाव में खड़ा हो जाता है, यदि पंचायत चुनाव हारा तो मण्डी चुनाव में पहुँच गया, नगर पालिका चुनाव हारा तो नई वोटर लिस्ट बनी तो उसने पंचायत में नाम लिखवा लिया तो वे बोले कि पंचायत से चुनाव क्यों लड़ता है ? तो अगर एक ही समय में चुनाव होंगे तो यह व्यवस्था भी हमारी ठीक हो जायेगी कि वह पहले नगर पंचायत, नगर पालिका से चुनाव लड़ा फिर गांव में नाम लिखा लिया और जिला पंचायत का चुनाव लड़ लिया एवं जनपद पंचायत का चुनाव लड़ लिया, फिर वह चुनाव हार गया तो वह मण्डी में चुनाव लड़ने चला गया तो बार-बार हारे हुए लोग चुनाव में भागीदारी करते हैं, जिनको जनता बार-बार रिजेक्ट करती है, फिर वे चुनाव में भागीदारी करते हैं तो उससे हमें मुक्ति मिल जायेगी और एक ही वर्ष में चुनाव हो जाएंगे तो मैं समझता हूँ कि एक बहुत बड़ा काम हो जाएगा. इससे धन का अपव्यय भी रूकेगा और सरकार की व्यवस्था भी होगी और पूरे चार साल हमारे विधायकों और अन्य माननीय राजनीतिज्ञों का भी सारा समय उनके क्षेत्र के विकास कार्यों में ठीक से लगा पाएंगे. मैं समझता हूँ कि सारा सदन इससे सहमत होगा. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने यह संकल्प यहां स्वीकार किया. मैंने एक संकल्प शराबबंदी के ऊपर दिया था. उसको आपने स्वीकार नहीं किया है. मेरी इस सदन में प्रार्थना है कि भविष्य में जो भी सत्र सदन में होगा उस पर भी चर्चा करा लेंगे और सभी सदस्यों की मंशा सुन लेंगे तो मध्यप्रदेश की जनता के लिए हितकर होगा. आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पंचायत के चुनाव राष्ट्रीय पार्टी के चिह्न द्वारा हो जाएं तो बहुत अच्छा होगा.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा (सोनकच्छ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन के वरिष्ठ सदस्य माननीय के.पी. सिंह जी के अशासकीय संकल्प पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. यह जो अशासकीय संकल्प आया है इसको लेकर देशव्यापी बहस यदि किसी ने छेड़ी है तो वह हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने छेड़ी है. सबसे पहले एक बार मैंने उनका वक्तव्य पढ़ा था. उन्होंने कहा था कि लोकसभा, विधान सभा दोनों चुनाव साथ होना चाहिए. यदि दोनों चुनाव एक साथ होंगे तो धन का अपव्यय भी बचेगा, मतदाताओं को भी वोट डालना पड़ता है उसमें भी सुविधा होगी और देश में जो अनावश्यक पैसा खर्च होता है वह भी बचेगा. मैं समझता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने जितने चुनाव 12 साल में फेस किए हैं और किसी ने नहीं किए होंगे. क्योंकि हर 6 महीने और साल भर में एक उप चुनाव आ जाता है. हालांकि मैं भी सबसे पहली बार इस सदन में उप चुनाव में ही चुनकर आया था. उप चुनाव के कारण सरकार की और सबकी उर्जा खर्च होती है. उससे कहीं न कहीं विकास के कार्य भी प्रभावित होते हैं. बार-बार आचार-संहिता के कारण चाहे गरीबों को मिलने वाली सुविधा हो या योजनाओं का लाभ हो वह भी नहीं मिल पाता है. मेरा ऐसा मानना है कि इस पर कोई सकारात्मक निर्णय निकलेगा. आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय के.पी.सिंह जी ने यहां पर एक अशासकीय संकल्प के माध्यम से सदन से निवेदन किया है कि स्थानीय चुनाव एक साथ हों. यह आदर्श स्थिति जरूर हो सकती है, आशावादी विचार भी है पर मुझे लगता है कि व्यावहारिक पक्ष पर हमें ज्यादा विचार करना पड़ेगा. आपने जिन-जिन चुनावों की बात की उसमें मुझे लगता है आप खुद ही इस बात पर जरूर विचार करेंगे कि त्रि-स्तरीय पंचायती राज के चुनाव की हम बात कर रहे थे वह पंचायती एक्ट के हिसाब से होता है. स्थानीय निकाय का जो चुनाव होता है वह किसी और एक्ट के अंतर्गत होता है, सहकारिता के जो चुनाव होते हैं वह सहकारिता एक्ट के अनुसार होते हैं, मण्डी के चुनाव का जिक्र किया गया उसके नियम और प्रावधान अलग हैं, उसका एक्ट अलग है. जल उपभोक्ता का आपने नाम नहीं लिया उसके भी चुनाव होते हैं. कहने का तात्पर्य यह है कि स्थानीय स्तर पर बहुत सारे चुनाव हैं. अलग-अलग नेचर के चुनाव होते हैं. अलग-अलग प्रक्रिया के तहत चुनाव होते हैं. इसमें हम केवल यह बात नहीं कह सकते. लोक सभा, विधान सभा की बात अलग है पर स्थानीय स्तर पर जो चुनाव होते हैं सब अलग-अलग नेचर के होते हैं, इसीलिए व्यावहारिक पक्ष यह है और मुझे ऐसा लगता है कि इन सब प्रक्रिया पर यदि विचार करेंगे तो एक लंबी एक्सरसाइज हमें करनी होगी. बहुत सारे परिवर्तन करने पड़ेंगे, क्योंकि इसका दायरा बहुत बड़ा है. जैसा हमारी बहन ने कहा स्थानीय निकाय के चुनाव दलगत स्तर पर होते हैं. पंचायत के चुनाव दलगत स्तर पर नहीं होते. कहने का तात्पर्य यह है कि सही मायने में यह व्यावहारिक पक्ष पर बातचीत नहीं होगी. अभी हम देखें तो बहुत सारे स्थानीय निकाय हैं जिनका कार्यकाल पूरा हो गया है, जिनका कार्यकाल बीच में होना है, बहुत सारे निर्णय ऐसे हैं जो माननीय न्यायालय के आदेश के कारण रुके हुए हैं. उस पर भी हम विचार नहीं कर सकते हैं. बहुत सारा परिसीमन होना है, बहुत सारे क्षेत्रों का मर्जर हो गया है. मेरा के.पी. सिंह जी से कहना है कि यदि हम इसकी वृहद संख्या की बात करें तो पूरे प्रदेश में 51 जिला पंचायत हैं, 313 जनपद पंचायत हैं, 22856 ग्राम पंचायत हैं. इन सब के एक साथ चुनाव होना और उसके साथ यदि हम नगरीय निकाय की बात करें तो 16 नगर निगम हैं, 98 नगर पालिका हैं, 264 नगर पंचायत हैं. कुल मिलाकर 378 नगरीय क्षेत्र की संस्थाएं हैं. यदि हम अभी की बात करें तो जो आज की स्थिति है, कोर्ट के कारण या बाकी स्थिति के कारण एक जिला पंचायत का चुनाव बाकी 51 जिला पंचायत से अलग होता है. उसका जो कार्यकाल चल रहा है उसकी जो पूरी रचना है वह भिन्न हो गई है. जनपद पंचायत का चुनाव भी इसी तरह अलग होता है. 252 ग्राम पंचायतों के चुनाव जो शेडयूल टाइम है उससे अलग होते हैं. 91 नगरीय निकाय के चुनाव शेडयूल डेट से अलग होते हैं. कहने का मतलब यह है कि यह व्यावहारिक रुप से बहुत ज्यादा फिजि़बल नहीं है. मुझे लगता है कि आदर्श स्थिति होनी चाहिए और यदि हम प्रैक्टिकल देखें तो शायद यह आज की स्थिति में बहुत संभव नहीं है. सामग्री वितरण कैसे होगा लॉ-एण्ड-ऑर्डर की स्थिति, स्थानीय निकाय की बात आती है तो स्थानीय पुलिस ही उसमें लगेगी. प्रदेश के ही अधिकारी, कर्मचारियों को लगाना पड़ेगा. इतने बड़े स्तर पर यदि चुनावी प्रक्रिया चलेगी तो यह संभव नहीं है. हर चुनाव की वोटर लिस्ट अलग-अलग होती है. इसलिये मेरा के.पी. सिंह जी से अनुरोध है कि वे इस अशासकीय संकल्प को वापस लें क्योंकि यह अभी व्यावहारिक रुप से फिजीबल नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--क्या माननीय सदस्य इस संकल्प को वापस लेने से सहमत हैं.
श्री के.पी. सिंह--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो व्यावहारिक कठिनाई की बात की है वह नहीं है. विधान सभा चुनाव में उन्हीं पोलिंग बूथों पर हमारी वही स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था सारे चुनाव कराती है. एक भी मतदाता ऐसा नहीं होता है जो उसमें भागीदारी नहीं करता है. अब चुनाव आयोग ने मतदान केन्द्र भी बहुत बढ़ा दिए हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में किसी समय 150 मतदान केन्द्र होते थे अब 350 से ऊपर हो गए हैं. अब उतनी ही व्यवस्था विधान सभा चुनाव में लगती है जितनी व्यवस्था इन सब चुनावों में लगती है. मंत्री जी आपका यह तर्क गलत है कि हम वह व्यवस्था नहीं कर पाएंगे. क्योंकि चुनाव कराने बाहर से लोग नहीं आते हैं. आपके स्थानीय कर्मचारी होते हैं, स्थानीय अधिकारी होते हैं, स्थानीय पुलिस होती है. वही पुलिस और होमगार्ड मिलकर चुनाव कराते हैं. इसलिये आपका यह तर्क गलत है कि यह हम नहीं करा सकते हैं. अब आपका मन नहीं है कराने का तो आपका बहुमत है, आपको नहीं कराना है मत मानिए.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--इसमें 9 वोट डालना पड़ेंगे.
श्री के.पी. सिंह--आप गलत सोच रहे हैं, अभी 4 वोट डालते हैं. एक और बढ़ेगा.
श्री गोपाल भार्गव--पंच को, सरपंच को, जनपद सदस्य को, जिला पंचायत सदस्य को, मण्डी के लिए, को-ऑपरेटिव के लिए.
श्री के.पी. सिंह--गांव के हुए 5 वोट, अभी 4 वोट डालते हैं, एक बढ़ेगा.
श्री गोपाल भार्गव--आप गिनती कर लो.
श्री के.पी. सिंह--आप भी गिनती कर लो न, अभी 4 वोट डालते हैं पंचायत चुनाव में पांचवा मंडी का हो जाएगा और नगर पंचायत चुनाव तो अलग ही होता है. नगर पंचायत वाला गांव में वोट डालने नहीं जाता है. मंडी अध्यक्ष का भी चुनाव नहीं होता है, डायरेक्टर का चुनाव होता है बाद में मंडी अध्यक्ष का चुनाव आता है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय के.पी. सिंह जी ने जो बात रखी है थोड़ा उस पर विचार करें.
श्री के.पी. सिंह--माननीय मुख्यमंत्री जी मैं चाहूंगा कि आप इस पर अपने विचार व्यक्त करें.
श्री अजय सिंह--इसको थोड़ा सा दूसरी तरह से सोचकर देखें. ग्रामीण क्षेत्र की जो वे बात कर रहे हैं वह अलग कर दें. दो तरह के चुनाव हो जाएं. दोनों अलग-अलग समय पर हो जाएं.
श्री गोपाल भार्गव--को-ऑपरेटिव चुनाव में नगरीय क्षेत्र के लोग भी भाग लेते हैं और ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी. आपने जोड़ा था न इसको भी.
श्री के.पी. सिंह--मैंने नहीं कहा. को-ऑपरेटिव का चुनाव तो होता ही नहीं है वह तो केवल कागजों में होता है.
श्री गोपाल भार्गव--वही व्यक्ति नगर में भी खड़ा होगा और देहात में भी खड़ा होगा.
श्री अजय सिंह--को-ऑपरेटिव की बात छोड़ दीजिए, जो ग्रामीण चुनाव पंच से लेकर जिला पंचायत तक होता है वह एक हिस्सा कर दीजिए और नगरीय निकाय में नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम इनकी एक तिथि कर दीजिए. इस तरह से दो हिस्से में बांट दें. अलग-अलग तारीख हो जाएं तो भी काम चल जाएगा.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बहुत अच्छा अशासकीय संकल्प हमारे मित्र श्री के.पी. सिंह जी ने यहां प्रस्तुत किया है. देश में भी इस पर बहस चल रही है. यह बात भी सच है कि मैं भी बार-बार इस बात को कहता रहा हूँ. लोकसभा और विधान सभा के चुनाव अलग हैं वे हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं. हम स्थानीय चुनावों की बात कर सकते हैं. सब चुनाव एक साथ हों ताकि समय भी बर्बाद न हो, धन का भी अपव्यय न हो और हम लोग 24 घंटे चुनावों में ही न लगे रहें. सिद्धांतत: मैं पूरी तरह से सहमत हूँ. मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है, वह तर्कपूर्ण है क्योंकि वास्तव में एक साथ चुनाव करवाने में अनेक कठिनाइयां हैं. मैं के.पी.सिंह जी को यह विश्वास दिलाता हूं कि स्थानीय चुनाव, जितने एक साथ हो सकते हैं, उन्हें हम एक साथ करवाने का भरसक प्रयास करेंगे. (मेजों की थपथपाहट) इसके लिए हमें एक बार चुनाव आयोग के साथ भी संपर्क कर चर्चा करनी होगी और व्यावहारिक कठिनाइयों को समझना पड़ेगा. इसके बाद ही हम इसे क्रियान्वित कर सकेंगे. मैं पूरी तरह से अंतरआत्मा से इस सिद्धांत के पक्ष में सहमत हूं. इसलिए सरकार पूरी गंभीरता के साथ अगले उप चुनाव, जो एक साथ हो सकते हैं, करवाने का प्रयास करेगी. कुछ चुनाव बिल्कुल अलग होते हैं. सहकारिता और स्थानीय चुनावों का कोई तालमेल नहीं है. हम चाह के भी इन्हें एक साथ नहीं करवा पायेंगे. मंडी के चुनाव के बारे में हमें देखना होगा कि स्थानीय चुनावों के साथ इनका कितना तालमेल है. ये सारे व्यावहारिक पहलू हमें देखने होंगे. हमें कुछ वैधानिक प्रावधान भी करने होंगे क्योंकि किसी का कार्यकाल जल्दी समाप्त करना पड़ेगा और किसी का कार्यकाल थोड़ा बढ़ाना पड़ेगा. इस तरह की कई चीजें हैं. यदि हम देखें तो हर तीन-चार महीनों में तीन-चार नगर पालिकाओं के चुनाव हो जाते हैं. हम लोग कमर कसकर चुनाव मैदान में ही होते हैं और यदि कभी किसी एक नगर पालिका का चुनाव हम हार जाते हैं तो हमारे मीडिया के मित्र डटे रहते हैं और कहते हैं कि पांव के नीचे से जमीन खिसक गई है. भले ही वह वार्ड का चुनाव ही क्यों न हो. कुल मिलाकर हमें हर एक चुनाव में पूरी ताकत लगानी पड़ती है और जीतना ही होता है वरना हमारी जमीन खिसकने लगती है. मैं समझता हूं कि इससे समय का बहुत अपव्यय होता है. इसलिए मैं लंबी बात न करते हुए इस विचार से सिद्धांतत: पूरी तरह सहमत हूं. मंत्री जी के अपने तर्क हैं और वे तर्क अपने स्थान पर सच भी हैं. हम लोग मिल-जुलकर पूरा प्रयास करेंगे और हम यह कोशिश करेंगे कि मध्यप्रदेश में एक उदाहरण बनायें कि कम से कम इतने चुनाव तो एक साथ करवाये ही जा सकते हैं, परंतु हम ऐसा कोई कमिटमेंट कि ये सब कर देंगे यह तब तक करना उचित नहीं होगा जब तक की सारी व्यावहारिक चीजें न देख ली जायें. हम सारी चीजें देखते हुए इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाते हुए यह प्रयास करेंगे कि मध्यप्रदेश में ऐसा उदाहरण बनाया जा सकें.
अध्यक्ष महोदय- क्या माननीय सदस्य इस संकल्प को वापस लेने के पक्ष में हैं?
श्री के.पी.सिंह- माननीय मुख्यमंत्री जी के सकारात्मक रवैये और भावना के अनुसार कि भविष्य में इस पर विचार करके इसमें कोई अच्छा निर्णय करेंगे, जिससे प्रदेश के निवासियों को इस अव्यवस्था से मुक्ति मिल सके. मैं अपना संकल्प वापस लेता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी आपकी सह्दयता का बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है ?
(सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई.)
(संकल्प वापस हुआ.)
अध्यक्ष महोदय- विषयों की एकरूपता को देखते हुए सदन की अनुमति की प्रत्याक्षा में आज की कार्यसूची में रेल संबंधी 6 अशासकीय संकल्पों को एकजायी कर सम्मिलित किया गया है. पहले इन संकल्पों से संबंधित माननीय सदस्यों द्वारा इन्हें एक-एक कर प्रस्तुत किया जायेगा, तदोपरांत प्रस्तुत संकल्पों पर एक साथ माननीय मंत्री जी जवाब देंगे.
मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
अब मैं प्रस्तुतकर्ता सदस्यों के क्रमश: नाम पुकारूंगा.
(2) (i) ट्रेन क्रमांक-19665, खजुराहो से उदयपुर (व्हाया झांसी-धौलपुर) तथा ट्रेन क्रमांक - 19666, उदयपुर से खजुराहो प्रतिदिन चलने वाली यात्री गाड़ियों को सप्ताह में दो दिन व्हाया भोपाल-चित्तौड़-भोपाल होकर चलाया जाना
(ii) उदयपुर राजस्थान से रतलाम होकर भोपाल तक एवं वापसी हेतु रात्रिकालीन एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जाए
(iii) जम्मूतवी यात्री गाड़ी क्रमांक 12477/12478 एवं 12475/12476 का दो मिनिट का स्टापेज विक्रमगढ़ आलोट स्टेशन पर किया जाना
(iv) गाड़ी क्रमांक 12296 दानापुर से बंगलुरू एवं गाड़ी क्रमांक 12295 बंगलुरू से दानापुर संघमित्रा एक्सप्रेस, गाड़ी क्रमांक 11471 इंदौर से जबलपुर एवं गाड़ी क्रमांक 11472 जबलपुर से इंदौर ओवरनाइट एक्सप्रेस, गाड़ी क्रमांक 12187 जबलपुर से मुम्बई तथा गाड़ी क्रमांक 12188 को मुम्बई से जबलपुर गरीबरथ एक्सप्रेस, गाड़ी क्रमांक 11093 मुम्बई से बनारस एवं गाड़ी क्रमांक 11094 बनारस से मुम्बई महानगरी एक्सप्रेस को गोटेगॉंव रेल्वे स्टेशन पर तथा गाड़ी क्रमांक 13202 लोकमान्य तिलक टर्मिनल से राजेन्द्र नगर एवं गाड़ी क्रमांक 13201 राजेन्द्र नगर से लोकमान्य तिलक टर्मिनल जनता एक्सप्रेस, गाड़ी क्रमांक 11464 जबलपुर से सोमनाथ एवं गाड़ी क्रमांक 11463 सोमनाथ से जबलपुर सोमनाथ एक्सप्रेस का स्टापेज करकबेल रेल्वे स्टेशन पर किया जाना.
श्री निशंक कुमार जैन- (अनुपस्थित)
श्री सुदेश राय- (अनुपस्थित)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी संकल्पों पर सरकार की सहमति है और पारित करें.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि-
“यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि –
(i) ट्रेन क्रमांक-19665, खजुराहो से उदयपुर (व्हाया झांसी-धौलपुर) तथा ट्रेन क्रमांक - 19666, उदयपुर से खजुराहो प्रतिदिन चलने वाली यात्री गाड़ियों को सप्ताह में दो दिन व्हाया भोपाल-चित्तौड़-भोपाल होकर चलाया जाए,
(iv) उदयपुर राजस्थान से रतलाम होकर भोपाल तक एवं वापसी हेतु रात्रिकालीन एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जाए ,
(v) जम्मूतवी यात्री गाड़ी क्रमांक 12477/12478 एवं 12475/12476 का दो मिनिट का स्टापेज विक्रमगढ़ आलोट स्टेशन पर किया जाए तथा
(vi) गाड़ी क्रमांक 12296 दानापुर से बंगलुरू एवं गाड़ी क्रमांक 12295 बंगलुरू से दानापुर संघमित्रा एक्सप्रेस, गाड़ी क्रमांक 11471 इंदौर से जबलपुर एवं गाड़ी क्रमांक 11472 जबलपुर से इंदौर ओवरनाइट एक्सप्रेस, गाड़ी क्रमांक 12187 जबलपुर से मुम्बई तथा गाड़ी क्रमांक 12188 को मुम्बई से जबलपुर गरीबरथ एक्सप्रेस, गाड़ी क्रमांक 11093 मुम्बई से बनारस एवं गाड़ी क्रमांक 11094 बनारस से मुम्बई महानगरी एक्सप्रेस को गोटेगॉंव रेल्वे स्टेशन पर तथा गाड़ी क्रमांक 13202 लोकमान्य तिलक टर्मिनल से राजेन्द्र नगर एवं गाड़ी क्रमांक 13201 राजेन्द्र नगर से लोकमान्य तिलक टर्मिनल जनता एक्सप्रेस, गाड़ी क्रमांक 11464 जबलपुर से सोमनाथ एवं गाड़ी क्रमांक 11463 सोमनाथ से जबलपुर सोमनाथ एक्सप्रेस का स्टापेज करकबेल रेल्वे स्टेशन पर किया जाए.”.
एकजाई संकल्प स्वीकृत हुए.
संसदीय लोकतंत्र में समर्थन-विरोध, सहमति-असहमति एवं दलीय प्रतिबद्धता और निष्ठा जैसे गुण तथा तत्व समाहित होते हैं. इसके चलते मतभेद होना भी स्वाभाविक है किन्तु लोकतंत्र की यही विशेषता है कि इसमें मत-भेद तो होता है मन-भेद नहीं होता. यह बात भी निर्विवाद रूप से सत्य है कि लोकतंत्र दोनों पक्षों सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के बिना नहीं चल सकता और मुझे प्रसन्नता है कि सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों ने और माननीय मंत्रीगणों ने इस दायित्व को निष्पक्षता और निर्भीकता से पूरा किया है.
इस सत्र के सुचारू संचालन के लिए मैं सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार मानता हॅूं. उनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं था. हमारे माननीय उपाध्यक्ष जी उनका सहयोग मुझे निरंतर मिलता है और मैं तो हमेशा यही कहता हॅूं कि यह मेरा सौभाग्य है कि इतने विद्वान और वरिष्ठ व्यक्ति मुझे उपाध्यक्ष के रूप में मिले हैं. उन्होंने बड़ी कुशलता से सदन का संचालन किया और इससे मुझे सही मायनों में बड़ा रिलीफ भी मिला. माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी अभी इस सत्र में प्रथम बार नेता के रूप में आए हैं, मैं उनका भी स्वागत करता हॅूं और यह बात भी हमारे लिए संतोष की है कि उनके प्रतिपक्ष के नेता बनने के बाद सदन में बहुत सार्थक चर्चाएं हुईं हैं. उन्होंने भी पूरी निर्भीकता से अपने प्रतिपक्ष के नेता का दायित्व का निर्वाह किया और सदन के संचालन में सहयोग भी किया है. मैं उनका भी आभार मानता हॅूं. मैं माननीय मंत्रीगणों का, बसपा विधायक दल के नेता का, सभापति तालिका के माननीय सदस्यों, सभी माननीय सदस्यों, सभी विधानसभा सदस्य, मीडिया के मित्रों, शासन तथा विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों, कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को धन्यवाद देता हॅूं. अब आपने सोचा होगा कि माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी का नाम मैंने सभी मंत्रियों के साथ क्यों लिया. मैं माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी का भी विशेष रूप से आभारी हॅूं. वे दोनों ही परिस्थितियों को संभालते हैं. उत्तेजित सभा को शांत करते हैं और शांत सभा को या नीरस सभा को ठीक-ठाक व्यवस्था में लाते हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, पाना में 12 होल होते हैं. हमारे संसदीय कार्यमंत्री 13 होल के पाना हैं. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- एक पेंच वाला पाना होता है जिससे सारे बोल्ट खुल जाते हैं. (हंसी) वह हमारे संसदीय कार्यमंत्री जी का रूप है और मैं एक बात बताने से अपना लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हॅूं कि बजट के उनके भाषण के बाद एक बडे़ वरिष्ठ पत्रकार ने ये कमेंट किया कि संसदीय कार्यमंत्री जी का भी एक विषय पीएचडी में रखा जाए. उनकी कार्यपद्धति के ऊपर उस पर डॉक्टरेट दी जाए. माननीय सदस्य उसमें डॉक्टरेट लेंगे, ऐसी मुझसे अपेक्षा है.
मैं प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुडे़ महानुभावों को भी धन्यवाद देता हॅूं जिन्होंने पूरी सजगता के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए सदन की कार्यवाही को आमजन तक पहुंचाया. अनेक सदस्य हमारे इस विधानसभा सत्र के समय लगभग पूरे समय बैठे और निश्चय ही सदन की सजगता उनके उपस्थित रहने से बढ़ी है, मैं उनका भी विशेष रूप से आभार मानता हॅूं. मैं अपनी ओर से और पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को गुड़ी पड़वा, चैतीचांद, रामनवमी एवं महावीर जयंती की बधाई एवं शुभकामनाएं देता हॅूं. अगले सत्र में हम सब ऐसे ही सुखद माहौल में पुन: समवेत् होंगे और जन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए आगे बढे़ंगे, इस अपेक्षा के साथ आप सब को पुन: धन्यवाद.
मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गीता में अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा था कि सात्विक कार्यकर्ता के लक्षण क्या हैं तो एक श्लोक उन्होंने कहा था "मुक्त संघो अनहम् वादी, द्युति उत्साह समन्वित: सिद्धि असिद्धि और निर्विकार: कर्ता सात्विक उच्यते." मुक्त संघो मतलब जो निष्पक्ष हो, संघ से युक्त न हो. अनहम् वादी मतलब जिसमें अहंकार न हो, घमंड न हो. द्युति मतलब जिसमें धैर्य हो और जो उत्साह से भरा हो और जो सफलता और असफलता में समान रहता हो,ऐसे कार्यकर्ता को सात्विक कार्यकर्ता कहते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मैं सदन का संचालन करते हुए आपको देखता हूं तो यह सारे सात्विक कार्यकर्ता के लक्षण मुझे आप में दिखाई देते हैं क्योंकि आप निष्पक्षता के साथ सदन का संचालन करते हैं. ईगो कभी आपमें हमने देखा नहीं और कई बार आपका धैर्य भी देखने लायक रहता है जब इधर से और उधर से तलवारें खिंचती हैं तब कई बार ऐसा लगता है कि झुंझलाहट आना स्वाभाविक है लेकिन उसमें भी आप जिस ढंग से रास्ता निकालते हैं, वह सचमुच में हम सब के लिए गर्व करने के लायक है और सदन की कार्यवाही लगातार चले इसका उत्साह भी आपके अंदर रहता है और जिस ढंग से आपने इस बजट सत्र का और इसके पहले के सत्रों का भी संचालन किया है, मैं आपका धन्यवाद देता हूं.साधुवाद देता हूं. पूरी गरिमा और शालीनता के साथ हमारे सदन की कार्यवाही आपने संचालित की है और जिन कार्यों का उल्लेख आपने किया है वह मैं दोहराना नहीं चाहता हूं. यही सत्र है जिसमें आवास गारंटी जैसा विधेयक इस सदन में पारित करके इस सत्र को ऐतिहासिक बनाया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे उपाध्यक्ष महोदय के बारे में आपने जो बात कही उसके बाद बहुत कुछ कहना शेष नहीं रह जाता है. वह धीर भी हैं, गंभीर भी हैं, शालीन भी हैं, शब्दों का भंडार उनके पास है, बहुमुखी प्रतिभा के वे धनी हैं और इसलिए सदन का संचालन उन्होंने जब भी किया पूरी निष्पक्षता के साथ किया. प्रभावी तरीके से किया. मैं उनका भी ह्रदय से आभारी हूँ. मैं हमारे बड़े भाई नेता प्रतिपक्ष श्रीमान् अजय सिंह जी, जिस गरिमा के साथ, यह मैं पूरी अंतरात्मा से यह बात कह रहा हूं कि नेता प्रतिपक्ष का यह दायित्व है कि वह सरकार को घेरे, यह ड्यूटी है, यह कर्तव्य है उन्होंने उस कर्तव्य का पूरा पालन किया.तीखे हमले किये लेकिन एक विशेष बात जो सदन की गरिमा को बढ़ाती है उन्होंने शालीनता और सदन की गरिमा को ध्यान में रखते हुए सारी कार्यवाही का सुचारू संचालन करने का अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया.यह लोकतंत्र की सचमुच में असली ताकत है. नहीं तो कई जगह हम देखते हैं जैसा वातावरण बनता है उसमें यह लगता है कि लोकतंत्र मजाक जैसा बन जाता है और जनता के भी फिर जो कमेंट हमारे बारे में आते हैं वह भी प्रजातंत्र की महत्ता और गरिमा को नहीं बढ़ाते हैं लेकिन उन्होंने पूरी शालीनता और गरिमा के साथ, पूरे तीखेपन के साथ अपनी भूमिका का निर्वाह किया है. मैं उनका भी आभार प्रकट करता हूं. हमारे संसदीय कार्यमंत्री के बारे में तो क्या कहूँ. जब यह रहते हैं तो मैं निश्चिंत रहता हूं. मुझे लगता है कि सदन की कार्यवाही का सुचारू संचालन निश्चित तौर पर होगा ही. जहाँ संतुलन बनाना आवश्यक हो वहाँ संतुलन बनाते हैं. कई बार ऐसे अवसर आते हैं कि जब कोई मंत्री अनुपस्थित है तो जवाब कौन देगा तो एक ही नाम हमारे सामने रहता है कि ठीक है, नरोत्तम जी को बोल दो, हर विभाग का उत्तर वह दे लेंगे. मैं उनको भी धन्यवाद देता हूं. हमारे सारे वरिष्ठ मंत्रियों ने, कनिष्ठ मंत्रियों ने मिल कर सरकार की तरफ जवाब देने की पूरी कोशिश की है और प्रतिपक्ष के और सत्ता पक्ष के माननीय सदस्यों ने अपने संसदीय दायित्वों का निर्वहन बहुत प्रखरता के साथ किया है, बहुत कुशलता के साथ किया है. थोड़े बहुत क्षण ऐसे आये जब लगा कि कुछ तनाव के क्षण हैं लेकिन हम सब ने मिल कर उनको अशालीन नहीं होने दिया और इसीलिए मैं सत्ता पक्ष के माननीय विधायकों का, प्रतिपक्ष के माननीय विधायकों का भी मैं आभार प्रकट करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन की कार्यवाही सुचारू चलती रहे इसलिए हमारा विधानसभा सचिवालय जितना परिश्रम करता है, हमेशा हम तहेदिल से उनको धन्यवाद देते हैं. दिन और रात काम में लगकर सहयोग करते हैं. अब ध्यानाकर्षण और बाकी चीजें कई बार देर रात भी आती हैं और वह सब चीजें ठीक से कैसे संचालित होती रहे, उसके लिए विधानसभा सचिवालय दिन और रात परिश्रम करता है. सभापति तालिका में हमारे जो वरिष्ठ सदस्य हैं, हम उनके भी आभारी है. जब समय आता है वह कुशलता के साथ संचालन करते हैं. हमारे मीडिया के मित्र हमारे विचारों को और सदन की कार्यवाही को जनता के बीच ले जाते हैं क्योंकि जनता को लोकतंत्र में जानकारी आवश्यक है. हम उनके भी आभारी हैं. विधान सभा सचिवालय के सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ यहाँ हमारे बाकी सुरक्षाकर्मी भी हैं, सुरक्षा में लगे साथी हैं, चाहे वह आंतरिक सुरक्षा हो, चाहे बाहर हमारे पुलिस के साथी हों, अनेक मित्र मिलकर इस सदन की कार्यवाही के संचालन में अपना योगदान देते हैं, मैं उनको भी अपनी तरफ से धन्यवाद देता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर एक बार त्योहारों की श्रृंखला प्रारंभ हो रही है, चैत्र की नवरात्रि प्रारंभ होने वाली है, गुड़ी पड़वा, चैती चांद, रामनवमीं, महावीर जयंती, इन सब पर्वों की भी मैं जनता को शुभकामनाएँ देता हूँ और यही प्रार्थना करता हूँ कि सुख-समृद्धि और रिद्धि-सिद्धि मध्यप्रदेश की जनता की जिंदगी में आए और मध्यप्रदेश प्रगति और विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ता जाए. अगली बार जब हम मिलेंगे तो मुझे पूरा विश्वास है कि फिर बहुत सुखद वातावरण में मिलकर हम प्रजातंत्र को और मजबूत बनाने का काम करते हुए मिलेंगे. मैं एक बार पुन: आपको और सभी मित्रों को धन्यवाद देता हूँ. धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट सत्र के समापन अवसर पर सदन के नेता हमारे संवेदनशील मुख्यमंत्री छोटे भाई आदरणीय श्री शिवराज सिंह जी ने शुरुआत में जो बात कही उसका पूर्ण रूप से मैं समर्थन करता हूँ. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके लिए जिस रूप से उन्होंने वर्णन किया है उससे ज्यादा मैं कुछ जोड़ नहीं सकता. आपमें सही में सत्ता पक्ष तथा विपक्ष दोनों को साथ लेकर सदन चलाने का एक कुशल नेतृत्व है और आप सही में बधाई के पात्र हैं. कांग्रेस विधायक दल की तरफ से मैं आपको तहे दिल से बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ. कभी-कभी ऐसा मौका आया कि आप थोड़ा सा गर्म हुए, लेकिन वह भी कोई खास नहीं हुए, उसके बाद भी आप मुस्कुरा के जो बैठते हैं, उसी में हम लोगों का आधा गुस्सा शांत हो जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब-जब आपने अपना स्थान छोड़ा और उपाध्यक्ष महोदय को बैठने का मौका दिया, उन्होंने भी बहुत ही कुशलतापूर्वक हम सबका आदर करते हुए यह महसूस नहीं होने दिया कि वे कांग्रेस विधायक हैं, दोनों पक्षों को साथ लेकर बहुत ही कुशलता के साथ उन्होंने भी विधान सभा का संचालन किया. इसी तरह से जो भी सभापति महोदय समय-समय पर उपस्थित हुए उन लोगों ने भी कुशलता से संचालन किया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संसदीय कार्य मंत्री महोदय के लिए क्या कहूँ, क्या न कहूँ, यह एक विषय ऐसा है कि आखिरी सत्र में वर्ष 2018 के बीच में ही उसका पूरा वर्णन किया जाएगा, क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी आपने जो कह दिया है वह इस समय के लिए पर्याप्त है, हम लोग आखिरी में आपको अपनी बात सुनाएंगे लेकिन एक बात जरूर है कि उनके चेहरे में कभी तनाव नहीं देखा है, यह डॉ. गोविन्द सिंह जी ही जानते हैं कि यह कला क्या है, क्योंकि आप और गोविन्द सिंह जी के बीच में जो एक संबंध है उसकी हम लोगों के विधायक दल में काफी चर्चा रहती है, समझने की कोशिश करते हैं कि क्या संबंध है, अध्यक्ष महोदय, इसी विषय पर पी.एच.डी. हो जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सत्र कुछ समय पहले समाप्त हो रहा है, हम सबकी परेशानी है क्योंकि त्योहार भी हैं और चुनाव भी हैं. सर्वसम्मति से यह हम सबने एक तरह से रास्ता निकाला है और इसमें कोई यह बात नहीं है कि आपने सत्र नहीं चलाना चाहा, हम लोगों ने भी अपनी सहमति दी है, लेकिन अगले सत्रों में सत्र का समय बढ़ाया जाए, यह हमारा आपसे अनुरोध भी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि सदन सुखद रूप से संचालित होता है तो यह जो सामने बैठे हुए अधिकारी हैं, जो अलग-अलग कमरों में पूरे विधान सभा में बैठकर दिन-रात काम करते हैं. उनको यदि धन्यवाद न दिया जाए तो बहुत ही गलत बात हो जाएगी. मैं विधानसभा सचिवालय स्टॉफ श्री ए.पी.सिंह जी से लेकर नीचे बाबू तक सभी को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, बाबू के बाद और भी नीचे स्तर के जो अधिकारी कर्मचारी जो दौड़ भागकर सब कुछ व्यवस्थित करते हैं, उनको भी बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. इसके साथ ही प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो हमारी बातें पूरे प्रदेश में पहुंचाती हैं, उनको भी मैं तहेदिल से धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय को बहुत बहुत बधाई के साथ-साथ एक अनुरोध भी करना चाहता हूं कि जब मैं 1985 में पहली बार विधायक बना था, उस समय आदरणीय मोतीलाल वोरा जी मुख्यमंत्री थे और विधायक दल की बैठक में ऐसी कुछ बात हुईं जिसमें उन्होंने कहा कि यदि सरकार का सही जायजा लेना हो तो मैं इसलिए सत्र के समय मैं प्रश्नकाल में जरूर उपस्थित रहता हूं, जिससे मुझे पूरी जानकारी मिल जाए. मेरे सोचने में शायद कुछ गलत नहीं है कि सत्ता पक्ष के भी विधायक भी यही चाहते हैं. हम लोग तो चाहते ही हैं कि मुख्यमंत्री पूरा समय दें लेकिन कम से कम प्रश्नकाल में रोजाना यदि आप उपस्थित हों, जिससे प्रदेश की जो मुख्य समस्याएं है, वह सामने उजागर हो जाएंगी और यह भी कि प्रश्न सही आ रहे है कि नहीं आ रहे हैं, उत्तर सही आ रहे हैं कि नहीं आ रहे हैं और क्या-क्या परेशानी हैं, उसकी भी जानकारी हो जाएगी. इस प्रकार जिस तरह से माननीय मुख्यमंत्री जी संवेदनशील हैं, आप मेरे सुझाव को अन्यथा न लेते हुए अगले सत्र से इसका पालन करें हम लोग की यही उम्मीद है और इससे हमारी आधी समस्या उसमें हल हो सकती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ी सफलतापूर्वक मंत्रिमण्डल के सदस्य लोगों ने अपनी कुशलता के साथ अपने चिर परिचत अंदाज से हम लोगों का समाधान करने की कोशिश की है, मैं उनका भी बहुत बहुत आभारी हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में जैसा कि त्यौहारों का समय है, मैं कांग्रेस विधायक दल की तरफ से मध्यप्रदेश की जनता को आपके माध्यम से गुढ़ी पड़वा, चैती चांद, रामनवमी और महावीर जयंती की बधाई देता हूं और जैसा आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय ने कहा है कि हम इसी रूप से अगले सत्र में आएं और प्रदेश की खुशहाली के लिये अपनी बात रखें, इस उम्मीद के साथ बहुत- बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) - सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट सत्र का सत्रावसान आज हो रहा है और बधाई और धन्यवाद देने का शिष्टाचार मुझे भी निभाना है, यह मेरा भी दायित्व है. आप जब उस आसंदी पर बैठते हैं तो आपका जो अनुभव, आपकी शालीनता और आपकी जो विद्वता है, उससे हमारे सदन में एक प्रकाश, एक ओरा निश्चित ही फैलता है, इसमें कोई संदेह नहीं है. सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने हमेशा दोनों पक्षों को, सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष को बराबर अवसर देने का काम किया है. मैं जानता हूं कि जब विभिन्न बजट के दौरान विभागों पर चर्चा होती है और निर्धारित समय सत्ता पक्ष का कहीं ज्यादा होता है और प्रतिपक्ष का एक तिहाई ही होता है. लेकिन मैं जब चार्ट उठाकर देखता हूं तो लगभग आधा-आधा समय आप दोनों पक्षों को देते हैं. आप आधा समय सत्ता पक्ष को एवं आधा समय प्रतिपक्ष को देते हैं और यही लोकतंत्र की विशेषता है कि प्रतिपक्ष की भी भूमिका है. इसी सदन में आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा था, वे जब आए थे. अध्यक्ष महोदय, तब आपने, मुख्यमंत्री जी ने, हम लोगों ने, माननीय श्री जयंत मलैया जी ने उनका स्वागत किया था. उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र, चिड़िया जो होती है, उसके दो पंख हैं, एक सत्तापक्ष है और दूसरा प्रतिपक्ष है. एक भी अगर कमजोर हो जाएगा तो वह चिड़िया ऊंचाइयों में उड़ान नहीं ले सकेगी तो इस बात का हमेशा आपने ख्याल रखा है. मैं आपका आभारी हूं. आपको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी, हमारे सदन के नेता हैं. नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे थे कि बहुत संवेदनशील हैं. निश्चित ही हर मायने में उनका एक बड़ा व्यक्तित्व है और यह व्यक्तित्व, जमीन से वह ऊपर तक उठे हैं और अपने एक प्रण के कारण जो उन्होंने लिया है कि प्रदेश की जनता का वह विकास करेंगे और लोगों की समस्याएं दूर करेंगे. अपने धैर्य के कारण, अपनी मेहनत के कारण और उनके वाक्य कहीं मैंने पढ़े थे, हमेशा मुझे याद रहते हैं कि सफल कौन होता है राजनेता, "जिसके पैर में चक्कर, सीने में आग, मुहं में शक्कर और माथे पर ठंडक," ये सारी चीजें जो खुद बोला करते हैं, जैसे गांधीजी कभी कुछ बोला करते थे तो खुद अपने ऊपर भी प्रयोग कर लेते थे, तब वे बोलते थे और तभी इतनी विश्वसनीयता थी गांधीजी की. लोग मानते थे. बापू कह रहे हैं यानी सही होगा.
माननीय मुख्यमंत्री जी, आप बहुत व्यस्त रहते हैं. लेकिन सदन के लिए आपने पर्याप्त समय निकाला. सदन जरूर चाहता है कि आपकी और उपस्थिति रहे. आपकी उपस्थिति से बहुत सारी जानकारियां यहां हम लोगों को मिलती हैं. शासन की दिशा, दशा, उसकी भी जांच होती है. माननीय मुख्यमंत्री जी, आपके हम बहुत आभारी हैं. हमारे वित्तमंत्री जी के बहुत आभारी हैं. सीनियर मंत्री हैं श्री गोपाल भार्गव जी और फिर हमारे सभी मंत्रियों के हम बहुत बहुत आभारी हैं. सबको धन्यवाद देते हैं. विशेषकर नरोत्तम जी की बात पर आएं. उनकी उपस्थिति यहां पर शत-प्रतिशत रहती है. हमारे इधर डॉ. गोविन्द सिंह जी हैं, उनको अगर कोई टक्कर देता है तो उन्हीं का मित्र देता है. दोनों मित्र हैं और कभी कभी सदन में इस तरह से वाद-विवाद होता है, लगता है कि इनसे बड़ा दुश्मन कोई नहीं है. लेकिन दूसरे ही पल दोनों हंसने लगते हैं तो हम लोग तो अब समझ गये हैं कि दोनों ये मिली-जुली लड़ाई लड़ते हैं. इनकी उपस्थिति और माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी और वे बहुत विद्वान हैं. हर विषय, जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर कोई मंत्री नहीं है तो छोड़ दिया जाता है नरोत्तम जी के ऊपर कि नरोत्तम जी संभाल लेंगे तो बड़ी कुशलता के साथ संभालते हैं. कभी कभी थोड़ा-सा अंदर अपने कक्ष में चले जाते हैं. जिस तरह से कहा गया है कि "काक चेष्टा बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च " अन्यथा न लीजिएगा. (हंसी).. उस निद्रा से, दो-चार मिनट की निद्रा से, 10 मिनट की निद्रा से, श्वान अपनी पूरी ऊर्जा में आ जाता है. पूरी ऊर्जा प्राप्त कर लेता है. यदि 5 मिनट, 10 मिनट के लिए जाते हैं फिर ऊर्जावान होकर वहां से लौटते हैं, उनकी चमक देखते ही बनती है.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय इस पक्ष के सभी सदस्यों को, भारतीय जनता पार्टी के, कांग्रेस पक्ष के सदस्यों को, हमारी बहन बैठी हैं श्रीमती शीला त्यागी जी, श्रीमती ऊषा चौधरी जी और श्री दिनेश राय जी अभी है नहीं, वे हर विषय पर बोलते हैं. कभी कोई विषय श्री दिनेश राय जी छोड़ते नहीं हैं. पता नहीं लगता कि वे क्या बोलेंगे? कटौती प्रस्ताव भी दे देते हैं और समर्थन भी कर देते हैं. वे आज नहीं है तो उनको भी हम धन्यवाद देते हैं.
हमारे सचिवालय के आदरणीय प्रमुख सचिव श्री ए.पी.सिंह जी, उनके जितने साथी और लोग हैं , जो विभिन्न कमरों में बैठकर बजट सत्र के दौरान या दूसरे जो विधान सभा के सत्र होते हैं, रात-दिन काम करते हैं, उनको भी मैं धन्यवाद देता हूं. मैं अपने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के साथी, न्यूज़ पोर्टल्स, कई कई तरह की चीजें सोशल मीडिया की आ गई हैं, उनको भी बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं. चूंकि यहां जो कुछ होता है. प्रदेश की जनता तक पहुंचाने का काम उन्हीं का होता है और हम लोग यहां क्या करते हैं, वह जनता तक पहुंचाते हैं. निश्चित ही उससे जो हमारा संसदीय प्रजातंत्र है, उसमें मजबूती आती है. स्वयं भी चौथे स्तंभ के रूप में जाने जाते हैं तो उनको भी मैं बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद देता हूं और अंत में त्यौहार आ रहे हैं, कई त्यौहार हैं. मैं नाम नहीं लूंगा. उन सब त्यौहारों के लिए सभी को मैं बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का जो मुझे समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
5.05 बजे
राष्ट्रगान
जन-गण-मन का समूहगान
अध्यक्ष महोदय - अब राष्ट्रगान होगा. कृपया सभी सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.
(सदन में राष्ट्रगान "जन-गण-मन" का समूहगान किया गया.)
सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाना
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 5.06 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 24 मार्च, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा