मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
पंचदश विधान सभा अष्टम सत्र
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
बुधवार, दिनांक 24 फरवरी, 2021
(5 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
[ खण्ड- 8 ] [ अंक-3 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 24 फरवरी, 2021
(5 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि आज मेरा पहला दिन है और मैं चाहता हूँ कि 18 वें, 20 वें एवं 25 वें नम्बर पर भी जो तारांकित प्रश्न लगे हैं, उन माननीय विधायकों का भी नम्बर आए. इसलिए जो पहले, दूसरे और तीसरे नम्बर पर हैं, उनको भी सावधानी बरतने की जरूरत है, जिससे कि उनका भी नम्बर आ सके. यह मेरा आप सबसे आग्रह है .
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष महोदय, गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने नगरीय निकाय के चुनाव में प्रचण्ड बहुमत से जीत दर्ज की है, निश्चित रूप से उनको बहुत बधाई.
श्री कांतिलाल भूरिया - माननीय अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 1 श्री संजय यादव. प्रश्नकाल खत्म हो जाये, आप उसके बाद बात कीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, सीधी जिले में बस हादसे में 54 लोगों की जानें गई हैं और सरकार की लापरवाही की वजह से गई हैं.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपको मौका दूँगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय - सज्जन वर्मा जी, आप बैठ जाइये. मैंने आते ही आप लोगों से अनुरोध किया है और आपसे सहयोग की अपेक्षा है. मेरी आप सबसे करबद्ध प्रार्थना है कि मुझे इस बात का मौका दीजिये कि किसी को भी, किसी तरह की परेशानी न हो. श्री संजय यादव.
(...व्यवधान....)
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य जी, आप प्रश्नकाल चलने दीजिये. (...व्यवधान...)
श्री कांतिलाल भूरिया (झाबुआ) - अध्यक्ष जी, (...व्यवधान...) सदन के सदस्यों को बाहर धमकी दी जा रही है. सरकार में विधायक भी सुरक्षित नहीं है तो किस विषय पर बात करें. मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि आप इसके बारे में बताएं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न आने दीजिये. प्रश्न क्रमांक 1, श्री संजय यादव.
श्री संजय यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय पर्यटन मंत्री से पूछना चाहता हूँ कि माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने पूर्व पर्यटन मंत्री ...
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - श्री कमलेश्वर जी, आप बैठ जाइये. हम आपकी बात को अवसर देंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - इसमें कई जानें गई हैं माननीय अध्यक्ष महोदय और हमने स्थगन प्रस्ताव दिया है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय कमलेश्वर जी, कल जब शोक संवेदना व्यक्त की जा रही थी, सीधी बस की दुर्घटना पर चर्चा हो रही थी, तब तो आप सीधी के होते हुए भी बोले ही नहीं, अब आज अचानक बात कर रहे हैं. आप उसको राजनीतिक मुद्दा मत बनाइये. आपको कल बोलना चाहिए था. कल आप नहीं बोले, सीधी की दुर्घटना पर आपने एक शब्द भी शोक संवेदना का व्यक्त नहीं किया, जो आपको करना चाहिए था. इसलिए आज उसको इश्यू मत बनाइये. आप प्रश्न आने दीजिये. श्री संजय यादव जी.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इतने गंभीर मामले में इनको राजनीति नहीं करना चाहिए.
11.05
बजे तारांकित
प्रश्नोत्तर
के मौखिक उत्तर
बरगी
विधानसभा
क्षेत्रांतर्गत
निर्माण कार्यों
की स्वीकृति
[पर्यटन]
1. ( *क्र.
870 ) श्री
संजय यादव : क्या
पर्यटन मंत्री
महोदया यह
बताने की कृपा
करेंगी कि (क)
क्या विभाग
द्वारा बरगी
विधानसभा
क्षेत्रांतर्गत
ग्राम
जमुनिया के
बड़ादेव
पुरानापानी
में राशि 199.41
लाख रू. की स्वीकृति
की गई थी? स्वीकृति
आदेश की प्रति
उपलब्ध
करायें। यदि
हाँ, तो आज
तक निर्माण
कार्य की
कितनी प्रगति
हुई एवं कितनी
राशि खर्च की
गई?
(ख) क्या
उपरोक्त स्वीकृत
राशि में से
कटौती कर
मात्र राशि 100
लाख रू. कर दी
गई है? यदि
हाँ, तो
कटौती करने के
कारण क्या
हैं एवं किसके
आदेश से कटौती
की गई? (ग) क्या
विभाग उक्त
कटौती की राशि
को पुन: स्वीकृत
करेगा? यदि
हाँ, तो कब
तक एवं उसकी
कार्ययोजना
क्या है? (घ)
क्या
उपरोक्त के
संबंध में
प्रश्नकर्ता
द्वारा पत्र
क्र. 1457/वि.बरगी/2020, दिनांक
22.12.2020
से विभागीय
मंत्री जी को
कटौती की राशि
पुन: स्वीकृत
कराने का
प्रस्ताव
दिया गया है? यदि
हाँ, तो
उक्त प्रस्ताव
पर आज दिनांक
तक क्या
कार्यवाही की
गई?
प्रस्ताव
संबंधी किये
गये समस्त
पत्राचार, नस्ती
की प्रति
उपलब्धकरायें।
पर्यटन
मंत्री (
सुश्री उषा
ठाकुर ) : (क)
जी हाँ। जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट अनुसार
है। (ख)
बजट
राशि सीमित
होने के कारण
शासन स्तर पर
निर्णय लिया
गया है। (ग)
बजट
प्राप्त
होने पर स्वीकृति
प्रदान की
जावेगी।
समय-सीमा
बतायी जाना
संभव नहीं है।
(घ)
वर्तमान
में इस संबंध
में कोई पत्र
प्राप्त
नहीं हुआ है।
शेष का प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता।
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय पर्यटन मंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी से मैं आपके माध्यम से बड़ी महत्वपूर्ण चर्चा करना चाहता हूं कि माननीय कमलनाथ जी सरकार ने,पूर्व मंत्री आदरणीय सुरेन्द्र हनी बघेल जी ने अनुसूचित जनजाति योजना 1271 पर्यटन नीति, निर्माण के तहत पुराना पानी बड़ा देव मंदिर ग्राम जमुनिया जबलपुर के बरगी विधानसभा क्षेत्र के पर्यटन विकास के लिये 199.41 लाख रूपये की स्वीकृति दी थी, एक तो तीस प्रतिशत काम बिलों में लिया गया, उसके बाद चलते काम से 99 लाख की कटौती कर दी गई है, उक्त स्थल बड़ा देव आदिवासियों की आस्था का केंद्र है. मेरे पास सूची है सिर्फ पुराना पानी बड़ा देव मंदिर के पास विकसित पर्यटन केंद्र में ही सरकार के पास पैसों की कमी आ गई, क्या सिर्फ एक काम में कटौती कर दी गई, ऐसा प्रतीत होता है कि आपकी सरकार जनजाति विरोधी सरकार है, आदिवासी विरोधी सरकार है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछे, माननीय सदस्य कृपया आप प्रश्न पूछे.
श्री संजय यादव -- मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से इसलिये जवाब चाह रहा हूं क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि विकास....
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य से आग्रह है कि आप प्रश्न पूछे, आप अपना प्वाइंटेड प्रश्न पूछे.
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न पर आ रहा हूं कि मात्र 99 लाख की कमी जनजाति बाहुल्य में बाकी मेरे पास सूची है, बाकी पांच काम और हैं जो पांच-पांच करोड़ के हैं, सिर्फ एक काम वह भी आदिवासी की आस्था का केंद्र, जनजातियों की आस्था का केंद्र उसमें कटौती कर दी गई, यह इस बात को सिद्ध करता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार आदिवासी विरोधी है, जनजाति विरोधी है. आज की सरकार के समय ही....
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य से अनुरोध है कि केवल सीधा प्वाइंटेड प्रश्न पूछे कि जब इस विषय पर आयेगा तब आप इस पर बोलना, अभी तो आप प्रश्न पूछिये कि आपका प्रश्न क्या है ?
श्री संजय यादव -- प्वाइंटेड प्रश्न यह है कि कटौती क्यों की गई, इस बात का जवाब दिया जाये और तत्काल आप स्वीकृति देंगे कि नहीं यह बतायें नहीं तो हम यह समझेंगे कि आप जनजाति विरोधी हैं.
सुश्री उषा ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी के पूछे गये प्रश्न के उत्तर के संदर्भ में (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट 'अ' अनुसार है। (ख) बजट राशि सीमित होने के कारण शासन स्तर पर निर्णय लिया गया है। (ग) बजट प्राप्त होने पर स्वीकृति प्रदान की जावेगी। समय-सीमा बतायी जाना संभव नहीं है।
श्री संजय यादव -- मेरा आपसे निवेदन है कि करीला माता मंदिर के लिये 5 करोड़ 74 लाख रूपये, ऐसा ही इंदौर में बॉयज एवं गर्ल्स हॉस्टल के लिये 2 करोड़ 41 लाख रूपये, मालवा रिसोर्ट के लिये 8 करोड़ 50 लाख रूपये, क्या सिर्फ आदिवासी जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के लिये 99 लाख रूपये, वह भी सिर्फ छोटी सी राशि मतलब सरकार तो उस तर्ज पर चल रही है कि (XXX). (व्यवधान...)
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है, इसे डिलिट करवायें. (व्यवधान...)
श्री संजय यादव -- यह अनुसूचित जनजाति विरोधी सरकार है. (व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे कार्यवाही से हटवायें. (व्यवधान...)
श्री संजय यादव -- (व्यवधान...) इतने से कामों के लिये पांच करोड़ रूपये में कटौती नहीं की गई है. लेकिन 99 लाख रूपये सिर्फ आदिवासी क्षेत्र के लिये(व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सदन में नहीं है, उनका यह नाम कैसे ले रहे हैं. (व्यवधान...)
श्री संजय यादव -- यह सरकार अन्याय कर रही है. (व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य से अनुरोध है कि कृपया प्वाइंटेड प्रश्न पूछे(व्यवधान...)
उच्च शिक्षा मंत्री(डॉ. मोहन यादव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पूछने का तरीका नहीं है, इस तरह से टिप्पणी करने का यह तरीका नहीं है, जिस ढंग से बात कर रहे हैं, यह घोर आपत्तिजनक है. (व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे आप डिलीट करवायें, जो नाम आये हैं वह हटवा दीजिये. (व्यवधान...)
डॉ. मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनको प्रश्न पूछना नहीं आ रहा है. (व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य जी आप बैठ जायें. (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने अपने आसन पर खड़े होने पर) आप सभी बैठ जायें, आपका नंबर भी आने वाला है. (व्यवधान...)
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, बेहतर होगा कि दूसरे नंबर वालों को बुला लें.
अध्यक्ष महोदय -- अभी मूल प्रश्नकर्ता का प्रश्न खत्म होने दीजिये, उसके बाद आप बात करिये, अभी तो उन्हीं की बात ही पूरी नहीं हुई है. आप पहले उनकी बात तो पूरी हो जाने दीजिये. (व्यवधान...)
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया जी से और मुख्यमंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि चलते काम में कटौती कर देना क्या जनजाति, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के साथ अन्याय नहीं है क्या ? और जब आपने 99 लाख रूपये, एक तरफ आप कहते हैं कि पैसों की कमी नहीं आने देंगे तो माननीय मंत्री महोदया जी आप आज सदन में घोषणा कर दें कि जिस राशि की कटौती की गई है, उसको दे दिया जायेगा ताकि आदिवासियों का जो बचा हुआ काम है, वह तो पूरा हो जाये, इनके साथ अन्याय क्यों ? आपसे मेरा विनम्र आग्रह है और मैं अध्यक्ष महोदय के माध्यम से, माननीय मुख्यमंत्री जी से भी मैं निवेदन करना चाहता हूं कि 99 लाख रूपये की राशि कोई बहुत बड़ी राशि नहीं है, लेकिन आदिवासी क्षेत्र में क्यों?
अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जायें, उत्तर आने दें.
श्री कांतिलाल भूरिया (झाबुआ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आदिवासी विरोधी हैं, इन्होंने नक्सलाइट भी कहा है और आज तक माफी भी नहीं मांगी है, तो उनसे आदिवासी के बारे में क्या उम्मीद करेंगे कि यह भलाई के काम करेंगे (व्यवधान..).....( शेम-शेम की आवाज)
अध्यक्ष महोदय -- आप उनका उत्तर आने दें, आप चाहते हैं कि उनके प्रश्न का उत्तर आये तो उत्तर आने दीजिये.
सुश्री उषा ठाकुर -- माननीय विधायक जी, कोविड -19 की विसंगतियों ने बजट की देयता को लेकर यह निर्णय लिया है और मैं आपको बता देना चाहती हूँ कि ऐसा नहीं है कि जनजाति क्षेत्र के इन स्थलों का हम विकास नहीं करना चाहते हैं, निश्चित रूप से करेंगे ही और राशि जो 199.41 लाख रूपये में से वित्तीय प्रगति में 73 लाख खर्च हुये हैं और कार्य की भौतिक स्थिति फिनीशिंग स्तर पर है फिर आप ऐसे निराधार आरोप नहीं लगाईये और आप पिन प्वाइंटेड प्रश्न पूछेंगे तो बहुत बेहतर होगा.
श्री संजय यादव-- माननीय मंत्री महोदया, आपसे निवेदन है, मेरा क्षेत्र है यहां अधिकारियों को बैठे-बैठे पता चल जायेगा कि काम फिनीशिंग स्तर पर है या नहीं. वहां न लाइट लगी न पंखा लगा, न गार्डन में पेवर ब्लॉक लगे, न मंदिर के आसपास जहां पर्यटन केन्द्र है न वहां कुछ काम हुआ फिर अधिकारी कैसे कह सकते हैं कि काम फिनीशिंग की ओर है, जो काम करना था वह फिनिश इसलिये किया गया कि राशि में कटौती कर दी गई, अगर राशि में कटौती नहीं कर दी गई तो निर्माण में जो शर्तें रखी गई थीं, शोल्डर बनाना या बेंच रखना, वहां आदिवासियों का बहुत बड़ा हाल बना हुआ है वहां बसंत पंचमी के दिन कार्यक्रम होता है. मैं आपसे यह पूछना चाह रहा हूं कि सिर्फ इसी काम में क्यों, कोविड काल के समय और भी जगह से भी राशि कटौती करना थी, इससे यह स्पष्ट हो रहा है न कि आप जनजाति विरोधी हो. आपने बाकी राशि में कटौती क्यों नहीं की, इस पूरे काम से स्पष्ट हो रहा है. ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- इस विषय पर सदन के नेता बोलना चाहते हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य की रूचि निर्माण में नहीं है, वह केवल यह सिद्ध करना चाहते हैं कि यह जनजाति ....(व्यवधान).... मैं घोर आपत्ति इसलिये व्यक्त कर रहा हूं कि जो इधर की सरकार है यह उधर जैसा नहीं सोचती, एक-एक काम चुन-चुन कर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के आपने काटे थे. हम इस नीयत से काम बिलकुल नहीं कर रहे और जनजाति विरोधी होने का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता. जो सबसे पीछे और नीचे है वह सबसे पहले है. ....(व्यवधान).... माननीय अध्यक्ष महोदय, पिन प्वाइंट प्रश्न पूछना चाहिये लेकिन रूचि केवल आरोप लगाने में है कि भारतीय जनता पार्टी आदिवासी विरोधी है, इसका कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. कोरोना काल में एक नहीं अनेकों काम रोके गये थे. 4 महीने तक एक नया पैसा टैक्स का नहीं आया था, लेकिन मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हूं, चाहे इधर के सदस्यों के काम हों और चाहे उधर के सदस्यों के काम हों जो स्वीकृत काम हैं वह पूरे किये जायेंगे, पैसे की संपूर्ण व्यवस्था की जायेगी, हम कर भी रहे हैं और मैं इसलिये खड़ा हुआ कि आपकी रूचि निर्माण कार्य में होना चाहिये लेकिन आप भी उठ गये और भूरिया जी भी सिद्ध कर रहे हैं, यह बिलकुल गलत है. ....(व्यवधान).... यह हमारी सरकार है सारे निर्माण कार्य पूर्ण करेगी. जब उधर की सरकार थी तो कर्जामाफी जैसे मामले में भी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों के क्षेत्र काट ही दिये, ऐसा घनघोर अन्याय आपने किया है यह भारतीय जनता पार्टी कभी नहीं करेगी. ....(व्यवधान)....
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- यह मिथ्या आरोप है. ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- सदन के नेता मुख्यमंत्री जी के आश्वासन के बाद इस पर आगे बोलने की आवश्यकता नहीं है. ....(व्यवधान).... प्रश्न क्रमांक 2 श्री कुणाल चौधरी जी.
मुख्यमंत्री की घोषणाओं का क्रियान्वयन
[सामान्य प्रशासन]
2. ( *क्र. 939 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय मुख्यमंत्री ने अप्रैल 2020 से नवम्बर 2020 तक कुल कितनी घोषणाएं की, विधान सभा क्षेत्रवार घोषणा की दिनांक, कार्य तथा अनुमानित राशि (यदि ज्ञात हो तो) की सूची देवें। (ख) हाल ही में जिन 28 विधान सभा क्षेत्रों में उप चुनाव हुये, उनमें अप्रैल 2020 से चुनाव तक माननीय मुख्यमंत्री जी ने कुल कितनी घोषणाएं की? विधान सभावार घोषणाओं की संख्या बतावें। (ग) माननीय मुख्यमंत्री ने प्रश्नांश (ख) के विधान सभा क्षेत्र में अप्रैल 2020 से सितम्बर 2020 तक कुल कितने शासकीय कार्यक्रम में शिरकत की, इन कार्यक्रमों में जनता को लाने के किये कुल कितनी बसें अधिग्रहित की तथा उनका कितना भाड़ा देय हुआ? (घ) प्रश्नांश (ग) उल्लेखित कार्यक्रम में कौन-कौन अतिथि मुख्यमंत्री के अलावा थे तथा उन्हें प्रोटोकाल के किस नियम के तहत आमंत्रित किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''अ'' अनुसार है । (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''ब'' अनुसार है । (ग) जिलों से प्राप्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''स'' अनुसार है । (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ''द'' अनुसार है ।
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको अध्यक्ष पद की बधाई देता हूं और मेरा सौभाग्य है कि आज मेरा प्रश्न चर्चा में आ गया और आपके सानिध्य की मुझे अपेक्षा है कि आपका संरक्षण मिलता रहे. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आज यह प्रश्न किस्मत से सदन के अंदर चर्चा में नहीं आता तो इसका जवाब जो दिया गया था जो आज की पुस्तक में है. ....(व्यवधान)....
श्री सोहन लाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष जी, इसी से जुड़ा हुआ मेरा भी प्रश्न है, मेरे क्षेत्र में लगभग 8 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गये थे, जिसके टेण्डर हो गये, वर्क आर्डर हो गये उसमें कटौती कर दी गई.
अध्यक्ष महोदय-- अब प्रश्न क्रमांक 2 आ गया, हम आगे बढ़ गये, पीछे लौटने की आवश्यकता नहीं है.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष जी, यह कौन सा विषय उठा रहे हैं. ....(व्यवधान)....
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे जो जवाब दिये गये उसमें अगर पहले प्रश्न नहीं आता तो जवाब दिया गया था कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. यह मेरा दर्द नहीं है, सदन में बैठे हर सदस्य का दर्द है कि जब तक प्रश्न चर्चा में किस्मत से नहीं आता है तो इसी तरह की जानकारी दी जाती है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, यह आपका उल्लेखित नहीं होता है. माननीय अध्यक्ष जी, आपको कल माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने ताकत बताई थी तो इसका उपयोग करके कम से कम इन विभागों को ठीक करने का काम करें कि जानकारी एकत्रित करके जानकारी देने का काम करें और जब तक यह जानकारियां नहीं देंगे लगभग आधी जगहों पर प्रश्नों में दिक्कत आती ही रहेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पहला प्रश्न यह है कि मुख्यमंत्री जी ने जितने कार्यक्रमों में शिरकत की. उन सभी की मद मिलाकर, कुल कितनी राशि का खर्च हुआ तथा वह खर्च किस-किस विभाग के, किस मद के, किस लेखा शीर्ष से उसका भुगतान किया गया, क्योंकि मुझे जो जानकारी दी गई है वह लगभग अधूरी से भी आधी जानकारी दी गयी है.
राज्यमंत्री,सामान्य प्रशासन (श्री इन्दर सिंह परमार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, 20 अप्रैल से 20 नवम्बर तक जो कार्यक्रम हुए हैं, चुनाव घोषणा के पहले यानी आचार संहिता लगने के पहले, उन कार्यक्रमों में जो सीधी-सीधी राशि का उल्लेख किया गया है. 33 घोषणाएं थीं उसमें 34 हजार 752 करोड़ रुपये अनुमानित लागत है. अलग-अलग विभागों के द्वारा उनका प्राक्कलन तैयार करके और जिसमें सीधी-सीधी राशि का उपयोग किया गया उसका यहां उल्लेख किया गया है. शेष विभागों की योजनाओं में उसका प्रावधान करते हुए आगे उनके काम जारी किये जायेंगे.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा सवाल यह था कि मुख्यमंत्री जी ने कितने कार्यक्रमों में शिरकत की और कितनी राशि का खर्च हुआ और वह खर्च किस विभाग के, किस मद से, किस लेखा शीर्ष से उसका भुगतान किया जायेगा ? मेरा कार्यक्रम की घोषणाओं का प्रश्न नहीं है.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने कुल 52 कार्यक्रमों में शिरकत की थी और उन 52 कार्यक्रमों में से 33 घोषणाओं की राशि का यहां उल्लेख किया गया है. शेष पूरी राशि की जानकारी इसमें संलग्न की गयी है और कुछ जानकारी अलग-अलग विभागवार है. वह हम माननीय सदस्य को वह जानकारी उपलब्ध कराने वाले हैं. पूरी सूची देने वाले हैं और जिन 28 विधान सभा क्षेत्रों का उल्लेख है उनमें जो अलग-अलग घोषणाएं हैं उसका भी उसमें उल्लेख है, वह भी हम उपलब्ध करा देंगे. यहां उसे पढ़ने में विलंब होगा लेकिन हमारी ऐसी कुल 229 घोषणाएं हैं. 421 टोटल घोषणाएं हैं. शेष जो अन्य जिलों की, यानी पूरे प्रदेश की हैं और जिलेवार है. इस प्रकार विस्तृत जानकारी दी गयी है, लेकिन फिर भी यदि आवश्यकता लगे तो हम बाकी जानकारी जो इसमें बची है, वह भी हम आपको देने वाले हैं.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा सवाल था कि कितने कार्यक्रम हुए उसमें कितना खर्च हुआ ? यह घोषणाओं की विस्तृत जानकारी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी ने विस्तृत जानकारी आपको दे दी है.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, जो बात आ रही है घोषणाओं की, घोषणाओं का मेरा दूसरा सवाल है कि जो घोषणाएं थीं क्या वह केवल चुनावी घोषणाएं थीं या इन्हें पूरा करना है. मैं रात भर से जानकारी को पढ़ रहा था कि यह किस विभाग के, किस लेखा शीर्ष में, किस जगह पर, इसका उल्लेख है. उसका क्या मद होगा और क्या यह केवल चुनावी घोषणा है या इन कार्यों को पूरा करने का भी काम किया जायेगा.अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिये. पहले सवाल का उत्तर ही नहीं आया. एक तो सवाल आता नहीं है गलती से आ गया तो उसके अंदर लिखा आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है
अध्यक्ष महोदय - गलती से नहीं आ गया.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, किस्मत से आ गया. नहीं तो बुक में पहले ही लिख दिया था कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. अब जानकारी जो दी है उसमें भी आधी अधूरी जानकारी दी है. कार्यक्रमों में कितना खर्च हुआ ? क्या सरकार के पास यह जानकारी नहीं है कि सब कार्यक्रमों में मिलाकर कुल कितना खर्च हुआ और किस विभाग में किस-किस मद के लेखानुदान में दिया गया और दूसरा मेरा प्रश्न है कि इनको पूरा करने के लिये क्या बजट में प्रावधान किया जायेगा और किस प्रकार से इन घोषणाओं को पूरा करेंगे यह सिर्फ घोषणाएं हैं या इन घोषणाओं को पूरा करने के लिये कोई कार्य योजना भी बनाई जा रही है ?
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो घोषणाएं की गई हैं. उनमें से कुछ घोषणाएं ऐसी हैं जो तत्काल पूरी हो चुकी हैं और कुछ घोषणाएं ऐसी हैं जैसे पथ विक्रेताओं की घोषणा है वह चालू हो चुकी है शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में. ऐसे ही कोई सैनिकों के नाम से घोषणा है, जिनके नाम से पथों का नाम रखना था. ऐसी घोषणाएं पूरी हो चुकी हैं और कुछ घोषणाएं ऐसी हैं जिसमें बड़ी राशि खर्च होनी है, उन घोषणाओं के प्राक्कलन तैयार करके जिस विभाग की जो घोषणा है विभागवार, उसको कार्य योजना में जोड़ा जा रहा है. कुछ काम ऐसे हैं, समय के अनुसार उसकी समयावधि थोड़ी लंबी रहेगी लेकिन जितनी घोषणाएं हैं हम उन घोषणाओं को पूरा करने वाले हैं सभी विभाग मिलकर.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 3. श्री शैलेन्द्र जैन जी.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा पूरा जवाब नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय - आपके सारे प्रश्नों का जवाब आ गया.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, खर्चे का उत्तर नहीं आया कि कितना खर्च हुआ ?
अध्यक्ष महोदय - आपके प्रश्नों का जवाब आ गया. प्रश्न क्रमांक 3 श्री शैलैन्द्र जैन जी. अब आप बैठ जाईये.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि करपा, सरई, केलमानिया मार्ग की घोषणा हुए 7 साल हो गये हैं, इस बजट में जोड़कर इसको स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- इस प्रश्न से यह उद्भूत नहीं होता है, आप बैठ जाइये.
राजघाट डेम पर पर्यटन स्थल स्थापित किया जाना
[पर्यटन]
3. ( *क्र. 323 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या पर्यटन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या सागर नगर की जलप्रदाय योजना राजघाट डेम पर वर्ष भर हजारों की संख्या में पर्यटकों का आना-जाना होता है एवं इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की अनेक संभावनायें हैं? (ख) क्या शासन सागर नगर की जल प्रदाय योजना राजघाट डेम स्थल का सर्वे कराकर इसे पर्यटन के रूप में विकसित किये जाने की कार्यवाही करेगा तथा कब तक?
पर्यटन मंत्री ( सुश्री उषा ठाकुर ) : (क) जी हाँ। विभाग द्वारा जारी नवीन पर्यटन नीति के अंतर्गत किसी स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने की कोई नीति नहीं है। (ख) जी नहीं वर्तमान में कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है।
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम मंत्री महोदया का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने स्वीकारोक्ति दी है कि राजघाट डेम जो सागर की जल प्रदाय योजना का एक बहुत महत्वपूर्ण केन्द्र है, वहां पर सैलानियों की बड़ी आवा-जाही होती है. मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि यह 567 हेक्टेयर में जल भराव क्षेत्र की एक हमारी योजना है और आगामी वर्षों में, मुख्यमंत्री जी ने इस बात की चिंता की है कि आगामी वर्षों में इस बांध की ऊंचाई डेढ़ मीटर और बढ़ाकर इसकी वजह से लगभग 400 हेक्टेयर जमीन पर और भी जल भराव होने की संभावना है. इसके चलते हुए एक बड़ी वाटर बॉडी जो है सागर शहर से लगभग 13 किलोमीटर दूर पर वह बनने वाली है. ऐसे समय में वहां सैलानियों का आना जाना स्वाभाविक है. सैकड़ों की तादाद में वहां सैलानी आते जाते हैं. ऐसे समय में नगरपालिक निगम निशुल्क जमीन देने के लिये तैयार है. मैं पर्यटन विभाग की मंत्री महोदया से निवेदन करना चाहता हूं कि इसका परीक्षण करा लें और परीक्षण के उपरांत, सर्वे कराने के उपरांत अगर संभव उन्हें लगता है, क्योंकि यह पीपीपी मॉडल में काम होना है. इसमें विभाग का एक भी पैसा खर्च नहीं होना है. अगर पीपीपी की तर्ज पर इसको किया जायेगा, तो बहुत अच्छा होगा.
सुश्री उषा ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय, सागर के विधायक जी ने प्रश्न के माध्यम से जो मांग रखी है, मैं उनसे निवेदन करना चाहती हूं कि जी हां, विभाग द्वारा जारी नवीन पर्यटन नीति के अंतर्गत किसी स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने की कोई नीति अभी हमारे पास नहीं है, पर आपने जो सुझाव दिये हैं, हम उसको डीएटीसी के पास सर्वेक्षण हेतु भेजेंगे और बजट की उपलब्धता होने पर इस पर अवश्य विचार करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, सागर में पर्यटन विभाग का एक उपक्रम शुरु होने वाला है. वहां पर एक मोटल बनाया जाना है, उसके लिये नगरपालिक निगम ने जमीन आवंटित कर दी है. पीपीपी मोड में विभाग का कोई पैसा खर्च नहीं होना है और इस तरह से निर्माण कार्य बन सकते हैं. पर्यटन स्थल आप घोषित करें अथवा न करें, वहां सैकड़ों की तादाद में प्रति दिन सैलानियों का आना जाना लगा रहता है. ऐसे में वहां पर समुचित व्यवस्थाएं करना, सुविधाएं जुटाना यह विभाग का काम है. हम चाहें तो नगरपालिक निगम से भी इस काम को करा सकते हैं, लेकिन वह सक्षम एजेंसी नहीं है. पर्यटन विभागी सक्षम एजेंसी है, अगर पर्यटन विभाग इसके लिये सहमति देगा, तो निश्चित रुप से सागर वासियों के लिये एक अच्छी बात होगी.
सुश्री उषा ठाकुर -- विधायक जी,पर्यटन विभाग ने जो व्यवस्था तय की है, उसके मुताबिक डीएटीसी को आपका यह प्रस्ताव, आप हमको जब भेजेंगे, हम उनके पास भेजकर इसका सर्वेक्षण अवश्य करवा लेंगे, बजट की उपलब्धता होने पर इसे क्रियान्वित करने की कोशिश करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद. माननीय मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद.
सोम डिस्टलरीज द्वारा खुले में स्थापित किये गये स्प्रिट रिसीवर टैंक
[वाणिज्यिक कर]
4. ( *क्र. 926 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिले के सेहतगंज में स्थित सोम डिस्टलरीज प्रा.लि. के द्वारा क्या खुले में स्प्रिट रिसीवर टैंक एवं स्टोरेज टैंक स्थापित किये हैं? यदि हाँ, तो कब कितने टैंक बनाए हैं एवं किस आदेश/नियम के तहत? क्या भोपाल के उपायुक्त आबकारी विभाग द्वारा की गई जाँच में अनियमिततायें सामने आई हैं? क्या आबकारी आयुक्त ने 22 जनवरी, 2021 से टैंक और परिसर में जमा शराब के उपयोग पर रोक लगा दी है? यदि हाँ, तो उक्त जाँच रिपोर्ट की एक-एक स्वच्छ प्रतिलिपि एवं जाँच रिपोर्ट का निष्कर्ष एवं प्रतिवेदन एवं अनुशंसा जो की गई हैं, उसकी एक प्रतिलिपि दें। (ख) क्या आबकारी विभाग के द्वारा सोम डिस्टलरीज के स्प्रिट रिसीवर टैंक क्रमांक आर-01 से 12 तथा स्पिरिट स्टोरेज टैंक क्र. एस.बी. 12 से एस.बी. 19 तक के उपयोग पर रोक लगाते हुये सीज कर दिया है? उक्त जारी सभी आदेशों की एक प्रति उपलब्ध करायें। अगर प्रश्न तिथि तक सील एवं सीज नहीं किया है तो कारण दें। नियमों की एक प्रति दें। (ग) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित शराब कंपनी ने नई यूनिट या अन्य के लिय राज्य शासन/विभाग से अनुमति ली थी? यदि हाँ, तो जारी अनुमतियों की एक प्रति उपलब्ध करायें। यदि नहीं, ली थी तो प्रश्नतिथितक शासन द्वारा उक्त कंपनी के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण एवं अन्य कार्यवाहियां क्यों नहीं की गई? नियमों की एक प्रति दें। कब तक प्रकरण दर्ज करवाया जायेगा? (घ) क्या उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य वर्ष 2015 में भी सोम ग्रुप द्वारा खुले में टैंक बनाए थे, जिस पर जुर्माना किया गया था? यदि हाँ, तो कितनी राशि का जुर्माना किया गया?
वित्त मंत्री ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) रायसेन जिले के सेहतगंज में स्थित सोम डिस्टलरीज प्रा.लि. सेहतगंज द्वारा खुले में कुल 11 रिसीवर टैंक एवं 08 स्टोरेज टैंक बनाए गये हैं। सहायक आबकारी आयुक्त जिला रायसेन से प्राप्त पत्र क्रमांक/आब/मु.लि./वि.स./2020-21/367 दिनांक 10.02.2021 अनुसार खुले में स्थापित स्प्रिट रिसीवर टैंक एवं स्टोरजे टैंक कब कितने टैंक बनाए हैं, के संबंध में कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है, जिसके लिये उनके द्वारा विधिसम्मत अनुमति प्राप्त नहीं की गई। यह सही है कि उपायुक्त आबकारी संभागीय उड़नदस्ता भोपाल द्वारा दिनांक 20.11.2020 को निरीक्षण उपरांत पत्र क्रमांक 1898 दिनांक 28.11.2020 से आबकारी आयुक्त को विस्तृत प्रतिवेदन प्रेषित किया गया, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। जी हाँ। आदेश की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ख) जी हाँ। आदेश की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में मेसर्स सोम डिस्टलरीज प्रा.लि. सेहतगंज, जिला रायसेन को आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश के पत्र क्रमांक 5 (2)/2015-16/5429 दिनांक 28.12.2015 द्वारा आसवनी (डी-1) लायसेंस में Zero Liquid Discharge के संदर्भ आधुनिकीकरण कार्य/निर्माण की अनुमति जारी की गयी है, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार अनुसार है। मेसर्स सोम डिस्टलरीज प्रा. लि. सेहतगंज, जिला रायसेन द्वारा बिना आबकारी आयुक्त की अनुमति के अपनी इकाई में परिवर्धन एवं आधुनिकीकरण का कार्य किया गया, जो कि मध्यप्रदेश आसवनी नियम 1995 के नियम 4 (24) का उल्लंघन होकर नियम 8 के अंतर्गत दण्डनीय है। आबकारी आयुक्त ग्वालियर द्वारा अपने आदेश क्रमांक 5395 दिनांक 23.12.2015 में इकाई पर 1 लाख रूपये की शास्ति आरोपित की गई, छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-पांच अनुसार है। (घ) वांछित जानकारी प्रश्नांश (ग) के उत्तर में समाहित है।
अध्यक्ष महोदय -- डॉ. गोविन्द सिंह जी, नाम ले लूं. अब उल्टा हो गया भाई साहब. आपका संसदीय कार्य मंत्री जी से सामना होना चाहिये था, पर चलिये कोई बात नहीं है. गोविन्द सिंह जी, प्रश्न करें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आप किसी और का नाम ले लीजिये, मैं बाद में प्रश्न कर लूंगा. ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- आपका और नरोत्तम जी का आमना सामना होता है, तो थोड़ा ठीक रहता है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मैं इनका छोटा भाई हूं, तो इनसे क्या लड़ पाऊंगा. ये मेरे बड़े भाई हैं. ..(हंसी)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, लेकिन यह काटने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय, दोनों ही नम्बर दो पर हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- और स्थाई हैं. ..(हंसी)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी से हमारा अनुरोध है कि आपने कार्यवाही की, जुर्माना भी किया, लेकिन आपने यह स्वीकार किया है कि ये टैंक लगाये गये और कब लगाये गये. तो प्रश्न यह है कि क्या 2004-05 में सोम डिस्टलरीज को धार के आबकारी आयुक्त ने ब्लैक लिस्टेड घोषित कर दिया था. हम ज्यादा लम्बा नहीं पूछेंगे. अगर किया था तो इतने समय तक लगातार यह डिस्टलरी चलती कैसे रही ? और जो अधिकारी आपने डिस्टलरी पर पदस्थ किये थे, आपने कहा कि टैंक कब लगे इसकी कोई तारीख नहीं है तो यह लगते रहे और जो अधिकारी थे वह फिर क्या देखते रहे, क्या उनका दोष नहीं है? एक बात तो यह है कि ब्लैक लिस्ट होने के बाद भी उसका काम कैसे चलता रहा? उसने हजारों, करोड़ों रुपयों की जीएसटी चोरी की, बिना अनुमति के सेनिटाइजर बनाया, उसमें टैक्स भी नहीं दिया. आप एक ही बार में यह बता दें कि यह डिस्टलरी लगातार कैसे चली? वह टैंक कब लगाये गये थे, जो दोषी अधिकारी हैं उन पर कार्यवाही आप करेंगे कि नहीं करेंगे? कंपनी पर कार्यवाही करो और उन्होंने गलती की है तो उन पर कार्यवाही करना चाहिए, ऐसे लोग जो शराब के नाम पर अवैध वसूली करते हैं, सरकार के टैक्स की चोरी करते हैं, उन पर भी कठोर कार्यवाही हो, साथ ही मिली-भगत से जो अधिकारी उसको चलवाते रहे, उनकी पदस्थापना जब से रही, इस दौरान इतने समय से उतने समय तक 2-4-5, 10 वर्ष पदस्थापना रही, उन पर भी क्या परीक्षण कराकर कार्यवाही करेंगे?
श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य हमारे बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं उन्होंने जो प्रश्न पूछा है. यह बात सही है कि 11 रिसीवर टैंक और 8 स्टोरेज टैंक बिना अनुमति के बने. वर्ष 2011 से 2015 के बीच में आधुनिकीकरण में वह बने हैं, लेकिन उनके ऊपर 1 लाख रुपये की शास्ति भी की गई और अभी आयुक्त आबकारी के द्वारा आदेश क्रमांक 16 भोपाल, दिनांक 19.1.20 से उक्त आसवनी के 11 रिसीवर टैंक एवं 8 स्टोरेज टैंक खुले आसमान में स्थापित थे, का उपयोग दिनांक 22.1.21 सायं 6 बजे से आगामी आदेश तक प्रतिबंधित हैं. आज की तारीख में वह बंद कर दिये हैं, निश्चित रूप से वह बहुत बड़ी त्रुटि है और कहीं विभाग के अधिकारियों की भी लापरवाही अगर होगी तो निश्चित रूप से कोई छूटेगा नहीं, कार्यवाही होगी.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, अधिकारियों पर कार्यवाही कितने समय में करेंगे?
श्री जगदीश देवड़ा - बिल्कुल शुद्ध, मैंने इस बात को उत्तर में भी स्वीकार किया है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने अधिकारियों की लापरवाही स्वीकार की है, इसके लिए आपको धन्यवाद.
श्री जगदीश देवड़ा - बहुत जल्दी कार्यवाही उन पर होगी.
सेंधवा विधानसभा की प्रस्तावित नल-जल योजनाएं
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
5. ( *क्र. 140 ) श्री ग्यारसी लाल रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आज की स्थिति में विकासखण्ड सेंधवा के अंतर्गत कितनी नल-जल योजनाएं अधूरी पड़ी हैं? (ख) अधूरी पड़ी नल-जल योजनाएं कब तक पूर्ण की जाएंगी? (ग) विधानसभा क्षेत्र सेंधवा के अंतर्गत कितनी नल-जल योजनायें प्रस्तावित हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एक योजना, ग्राम चाचरियापाटी की। (ख) 31.03.2021 तक प्रगतिरत कार्य पूर्ण किया जाना संभावित है। (ग) 64 योजनाएं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री ग्यारसी लाल रावत - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि आज की स्थिति में विकासखण्ड सेंधवा के अंतर्गत कितनी नल-जल योजनाएं अधूरी पड़ी हैं? अध्यक्ष महोदय, (ख) अधूरी पड़ी नल-जल योजाएं कब तक पूर्ण की जाएंगी? (ग) विधानसभा क्षेत्र सेंधवा के अंतर्गत कितनी नल-जल योजनाएं प्रस्तावित हैं?
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया)- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है, उसके संदर्भ में बताना चाहूंगा कि सिर्फ एक योजना चाचरियापाटी की लंबित पड़ी हुई है, जिसका काम प्रगति पर है और अतिशीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा.
श्री ग्यारसी लाल रावत - अध्यक्ष महोदय, यह विभागीय जानकारी जो बताई जा रही है जबकि वहां की स्थिति इस प्रकार है वरला, चिरमिरिया, झीरीजामली और वहां पर झापड़ीपारला, ये 4-5 योजनाएं इस प्रकार की हैं वह अधूरी पड़ी हुई है. पूरे ठेकेदार गुजरात के हैं, वे काम छोड़कर चले गये हैं. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्या ये अधूरे पड़े निर्माण कार्य को आप पूर्ण कराएंगे? क्योंकि ग्रामीण अंचलों में बसा हुआ क्षेत्र है, वहां आज भी पानी की बहुत दिक्कत हो रही है, गांव के लोगों को दूर दूर तक जाना पड़ता है, अगर यह नल-जल योजनाएं पूर्ण कराई जाएगी तो उनको सहूलियत होगी.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया- अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से जो लंबित पड़ी योजनाएं हैं उनको अतिशीघ्र पूर्ण किया जाएगा और चाचरियापाटी की जो योजना है, वह 2021 तक पूर्ण कर ली जाएगी. माननीय सदस्य के विधान सभा क्षेत्र में टोटल 64 योजनाएं प्रस्तावित हैं, जिसमें से 34 स्वीकृत हो गई हैं और उनको भी अतिशीघ्र ही पूर्ण कर लिया जाएगा.
श्री ग्यारसी लाल रावत - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मेरा सप्लीमेंट्री प्रश्न पूछने का राइट है.
अध्यक्ष महोदय - आपका नाम इसमें किसी दृष्टिकोण से है कि नहीं?
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - क्या मैं सप्लीमेंट्री प्रश्न पूछूं?
अध्यक्ष महोदय - अभी नहीं. प्रश्न क्रमांक 6.
प्राचीन मंदिरों के विकास एवं जीर्णोद्धार
[संस्कृति]
6. ( *क्र. 385 ) श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा : क्या पर्यटन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) मध्यप्रदेश के दिमनी एवं अम्बाह विधानसभा क्षेत्रांतर्गत पुरातत्व महत्व एवं प्राचीन धार्मिक महत्व के कुल कितने मंदिर एवं देव स्थान, राजस्व विभाग, धर्मिक एवं धर्मस्व विभाग एवं जिला कलेक्टर मुरैना की जानकारी में चिन्हित किए गए हैं? उनके नाम, कुल क्षेत्रफल वर्तमान स्थिति एवं उक्त मंदिर एवं धार्मिक स्थानों की भूमि पर हुए अतिक्रमण की जानकारी एवं उनके जीर्णोद्धार एवं विकास पर वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में व्यय की गई राशि की जानकारी पृथक-पृथक बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित मंदिर एवं धार्मिक स्थान ककनमठ सिहोनिया, बागेश्वरी मंदिर (चिल्हासन माता), महुआदेव, माता बसैया मंदिर एवं किसरोली मंदिर के जीर्णोद्धार एवं पर्यटक क्षेत्र में विकसित करने की विभाग की क्या योजना है। इस संबंध में पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करावें। क्या माननीय मंत्री महोदय प्रश्नकर्ता विधायक की अनुशंसा पर अथवा स्वयं विभागीय रूप से उक्त मंदिरों एवं धार्मिक स्थानों को मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम में शामिल कर उक्त धार्मिक क्षेत्रों को पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने हेतु कोई कार्य योजना बनाएंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) क्या दिमनी एवं अम्बाह विधानसभा क्षेत्र में पुरातत्व महत्व के सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर ककनमठ मंदिर, चिल्लाह माता मंदिर, माता बसैया मंदिर, महुआदेव एवं किसरोली मंदिर के जीर्णोद्धार एवं पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकास हेतु आगामी बजट सत्र फरवरी-मार्च 2021 में विशेष बजट का प्रावधान करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (घ) क्या दिमनी एवं अम्बाह विधानसभा क्षेत्र में पुरातत्व महत्व के उक्त ऐतिहासिक मंदिर की भूमि को चिन्हित कर उसके संरक्षण एवं संबर्द्धन की कार्ययोजना तैयार कर उक्त मंदिरों की भूमि पर अतिक्रमण को मुक्त कराने की कोई योजना बनाएंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
पर्यटन मंत्री ( सुश्री उषा ठाकुर ) : (क) दिमनी एवं अम्बाह विधानसभा क्षेत्रांतर्गत मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के नियंत्रणाधीन कोई भी मंदिर/देव स्थान नहीं है. कलेक्टर, मुरैना से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिमनी एवं अम्बाह विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत पुरातत्व महत्व एवं प्राचीन धार्मिक महत्व के कुल 162 शासन संधारित मंदिर हैं तथा मंदिरों से लगी भूमि पर कोई अतिक्रमण नहीं है. तहसीलवार मंदिरों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है. शासन द्वारा संधारित मंदिरों के जीर्णोद्धार पर वर्ष 2010 से कुल रू. 17,25,307/- व्यय किये गए हैं. जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है. (ख) पर्यटन क्षेत्र विकसित करना विभाग के कार्यक्षेत्र में सम्मिलित नहीं है. शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (घ) दिमनी एवं अम्बाह विधानसभा क्षेत्रांतर्गत मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के नियंत्रणाधीन कोई भी मंदिर/देवस्थान न होने से संरक्षण एवं संवर्धन की कार्ययोजना तैयार करने तथा अतिक्रमण मुक्त कराये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिडौसा -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं लोकतंत्र के मंदिर को नमन करता हूं. मैं माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न करना चाहता हूं कि क्या दिमनी और अम्बाह विधान सभा क्षेत्र में पुरातत्व महत्व के सैकड़ो वर्ष पुराने मंदिर ककनमठ और तोमर घार की कुल देवी मंदिर बागेश्वरी माता बसैया मंदिर महुआ देव और किसौली मंदिर इनके जीर्णोद्धार के लिए, पर्यटन क्षेत्र में विकसित करने हेतु आगामी बजट सत्र में फरवरी मार्च 2021 के बजट में विशेष प्रावधान रखा गया है.
सुश्री उषा ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष जी मंदिरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रावधान तो है लेकिन माननीय विधायक जी जिन मंदिरों की मांग कर रहे हैं वह उस सूची में नहीं आते हैं. संस्कृति विभाग के नियंत्रणाधीन वहां पर कोई मंदिर नहीं है.
श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिडौसा -- मैं आपके माध्यम से पुन: निवेदन कर रहा हूं कि चूंकि यह मंदिरों की सरकार है तो क्या इसमें मंदिरों के लिए अलग से भी कोई बजट में प्रावधान रखा गया है.
डॉ मोहन यादव -- इसका क्या अर्थ है कि आप मंदिर विरोधी हैं .
श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिडौसा -- मैं वह ही पूछना चाहता हूं कि ऐतिहासिक महत्व के बहुत प्राचीन मंदिर हैं. इसलिए इनको भी उस सूची में शामिल कर लिया जाय.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय मंत्री जी कह रहे हैं कि सदस्य मंदिर विरोधी हैं लेकिन वह तो मंदिरों के पक्ष में प्रश्न पूछ रहे हैं.
डॉ मोहन यादव -- हम तो डंके की चोट पर कह रहे हैं कि 100 प्रतिशत नहीं 1000 प्रतिशत मंदिरों की सरकार है लेकिन आपकी किसकी सरकार थी यह आप बता दें...(व्यवधान)..
श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिडौसा -- मेरा सीधा प्रश्न है कि क्या मंत्री जी उन मंदिरों को भी सूची में शामिल करेंगे.
सुश्री उषा ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय निश्चित रूप से हमारी सरकार मंदिरों की सरकार है हमारे मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि मध्यप्रदेश की जनता मेरी भगवान है और उसके पुजारी शिवराज सिंह चौहान और संपूर्ण भारतीय जनता पार्टी है, जब भी बजट की उपलब्धता होगी, जो भी मंदिर सूची में नहीं है उन पर भी अवश्य विचार करेंगे...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक -7
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ --( X X X )
श्री अरविंद भदौरिया -- ( X X X )
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ --( X X X )
श्री अरविंद भदौरिया -- ( X X X )
अध्यक्ष महोदय -- श्री प्रियव्रत सिंह जी के अलावा जो भी बोल रहे हैं इनका रिकार्ड नहीं किया जाय...(व्यवधान).. यह कुछ नहीं लिखा जा रहा है.
जीरापुर छापी बांध एवं कुण्डालिया बांध में पर्यटन केन्द्र विकसित किया जाना
[पर्यटन]
7. ( *क्र. 808 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या पर्यटन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या खिलचीपुर नगर, जीरापुर छापी बांध एवं कुण्डालिया बांध में पर्यटन केन्द्र विकसित करने हेतु डी.टी.पी.सी. (डिस्ट्रिक्ट टुरिजम प्रमोशन काउन्सिल) राजगढ़ द्वारा प्रस्ताव पर्यटन निगम को स्वीकृति एवं आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराये जाने हेतु भेजा गया है? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रस्ताव पर्यटन विकास निगम द्वारा शासन को आवश्यक स्वीकृति एवं आवश्यक धनराशि हेतु वित्तीय वर्ष 2020-21 में भेजा गया है? यदि हाँ, तो उक्त प्रस्ताव पर शासन द्वारा आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है एवं कब तक स्वीकृति प्रदान की जायेगी? (ग) उक्त प्रस्ताव के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा किस दिनांक को माननीय मुख्यमंत्री, माननीय पर्यटन मंत्री, पर्यटन विभाग एवं कलेक्टर राजगढ़ को कितने पत्र लिखे गये एवं उन पर क्या कार्यवाही की गई? इसका पत्रवार विवरण देवें।
पर्यटन मंत्री ( सुश्री उषा ठाकुर ) : (क) जी हाँ। (ख) वर्ष 2019-20 में निगम द्वारा प्रस्ताव शासन की ओर स्वीकृति हेतु प्रेषित किया गया था, किंतु कोविड–19 महामारी के कारण शासन द्वारा बजट सीमित होने तथा देयता अधिक होने के कारण प्रस्ताव सम्मिलित नहीं किया गया है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) दिनांक 06-08-2019, दिनांक 24-12-2019, दिनांक 16-01-2020, दिनांक 30-01-2020, दिनांक 20-02-2020, दिनांक 24-2-2020, दिनांक 04-01-2020, दिनांक 06-02-2020 एवं 03-03-2020 को पत्राचार किये गये। उक्त प्राप्त पत्रों के संबंध में कोविड–19 महामारी के कारण शासन द्वारा बजट सीमित होने तथा देयता अधिक होने के कारण प्रस्ताव सम्मिलित नहीं किया गया है।
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न ग में मैंने जानकारी चाही थी कि जो मैंने शासन के साथ में पत्राचार किया है . माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी के साथ में, कलेक्टर और विभाग के साथ में. उसमें क्या कार्यवाही की गई है. मुझे मंत्री जी की ओर से दिनांक तो उपलब्ध कराये गये हैं कि किन दिनांक में मैंने पत्र लिखे हैं, परंतु कार्यवाही विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है जो कि मेरे मूल प्रश्न का हिस्सा था. मैं मंत्री जी से एक अनुरोध करूंगा कि क्या वह मुझे कार्यवाही विवरण उपलब्ध करायेंगी. दूसरा मेरा अनुरोध है कि जो कुण्डालिया बांध जो कि एक वृहद सिंचाई परियोजना है. वहां पर अभी काफी सारी सरकारी जमीन उपलब्ध है. इको टूरिज्म का वहां पर एक बहुत अच्छा केन्द्र बन सकता है. मालवा में अभी कोई इको टूरिज्म का केन्द्र नहीं है. अगर उनके पास में बजट प्रावधान न हो या उनके पास में देने की क्षमता न हो तो क्या वह इस पूरे प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार के पास भेजेंगी ताकि वहां से हमें कुछ बजट मिल सके. साथ ही साथ दो और जो मेरे प्रोजेक्ट हैं छापी बांध का जो मैंने उल्लेख किया है और खिलचीपुर एक मध्यकालीन नगर है और वह वैसा ही है जैसा कि मध्यकाल में था वहां पर पर्यटन का अच्छा केन्द्र बन सकता है तो खिलचीपुर और छापी बांध के जो प्रोजेक्ट हैं वह दोनों प्रोजेक्ट आगामी वर्ष 2021-22 के बजट में प्रावधान करके स्वीकृति प्रदान करेंगे.
सुश्री उषा ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो विकास की योजनाएं चाही हैं उन सबका स्वागत है. आपने जो जवाब चाहे हैं वह निश्चित रूप से प्रेषित किये भी हैं और आप जिस प्रकार से चाहते हैं, आपको भिजवा दिये जाएंगे. मैं बस इतना ही निवेदन करना चाहती हूं कि कोविड 19 के इस चुनौतीपूर्ण दौर में बहुत दिक्कतों का सामना देश, दुनिया को करना पड़ा, इसी की वजह से थोड़ी दिक्कतें हुई हैं. आप जो सुझाव दे रहे हैं कि क्या मैं कुण्डालिया बांध की कार्य योजना केन्द्र सरकार की ओर प्रेषित करूंगी, तो इसका जरूर अध्ययन करा लेंगे और कोशिश करेंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैंने एक और अनुरोध किया है कि जो दो छोटे प्रोजेक्ट हैं खिलचीपुर नगर के और छापी बांध पर घाट निर्माण और बोटिंग क्लब निर्माण के तो उन दोनों प्रोजेक्ट को क्या आप वर्ष 2021-22 के बजट में सम्मिलित कर लेंगी ?
सुश्री उषा ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय, मैं परीक्षण करवा लूंगी और उसके पश्चात् कोशिश करूंगी.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन कर रहा हूं. उदार दिल रखें. अगर आप सम्मिलित करवा लें तो उचित रहेगा. कार्य हो जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- श्री बाला बच्चन जी, प्रश्न क्रमांक 8.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जवाब देने के लिये खड़ी हुईं थीं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी ने जवाब दे दिया है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, क्या 2021-22 के बजट में शामिल करा लेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी का जवाब तो आ गया है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जवाब नहीं आया है. उन्होंने कहा है परीक्षण करा लेंगे, मेरा अनुरोध है कि छोटे प्रोजेक्ट हैं करवा दीजिये. दीदी, आपसे अनुरोध है, आप बड़ी बहन हैं, कर सकती हैं. पर्यटन स्थल बनेगा, आपको भी बुलायेंगे, आप भी वहां पर घूमने-फिरने पधार सकती हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री बाला बच्चन जी, प्रश्न क्रमांक 8.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इतना विनम्र निवेदन से भी ज्यादा विनम्र निवेदन किया है.
अध्यक्ष महोदय -- एक तरफ आप बड़ी बहन कह रहे हैं. आप उनके पास चले जाना. मंत्री जी, आप उनको बुला लीजिये.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो चला भी जाउंगा. आप व्यवस्था दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- इसमें व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है, हमारी मंत्री जी सक्षम हैं.
प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया ऋण
[वित्त]
8. ( *क्र. 540 ) श्री बाला बच्चन : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01.04.2020 से 25.01.2021 तक प्रदेश सरकार ने कुल कितना ऋण लिया? माहवार जानकारी देवें। (ख) उपरोक्त अवधि में प्रदेश को केन्द्र सरकार से जी.एस.टी. प्रतिपूर्ति एवं अन्य मदों में कितनी राशि प्राप्त हुई? जी.एस.टी. की माहवार जानकारी देवें। अन्य योजनाओं से प्राप्त राशि भी माहवार बतावें। (ग) वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2020-21 में केन्द्र द्वारा घोषित कितनी योजनाओं में कितनी राशि की कटौती की गई है? तुलनात्मक चार्ट बतावें। यदि बढ़ोत्तरी हुई है तो उस राशि का तुलनात्मक चार्ट भी देवें। (घ) जिन योजनाओं में राशि कम हुई है एवं जी.एस.टी. प्रतिपूर्ति में कमी आने पर शासन ने केन्द्र सरकार को जो पत्र लिखे हैं, उनकी छायाप्रति देवें। इसके प्रति उत्तर की कापी भी देवें। यदि पत्राचार नहीं हुआ तो इसका कारण बतावें।
वित्त मंत्री ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) म.प्र. सरकार द्वारा अप्रैल 2020 से 25 जनवरी, 2021 तक का बाजार ऋण का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। अन्य ऋणों के संबंध में अंतिम लेखे महालेखाकार से प्राप्त नहीं होने के कारण दर्शाई अवधि में लिए गए कर्ज की जानकारी देना संभव नहीं है। (ख) एवं (ग) उपरोक्त अवधि में प्रदेश को केन्द्र सरकार से जी.एस.टी. प्रतिपूर्ति एवं अन्य मदों में प्राप्त राशि के लेखे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा अभी जारी नहीं किये गये है। अत: जानकारी दी जाना संभव नहीं है। (घ) जी, हाँ। पत्र की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बधाई देते हुये माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्न करना चाहता हूं. मैंने माननीय मंत्री जी से स्पेसिफिक चार प्रश्न किये थे- (क) (ख) (ग) और (घ)- एक को छोड़कर तीन के जवाब बिलकुल भी नहीं आये हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मैंने इस सरकार से और आपसे यह पूछा था कि विगत 11 माह का दिनांक 01.04.2020 से दिनांक 25.01.2021 तक इस सरकार ने कितना कर्ज लिया है. आपने जवाब दिया है कि 11 माह में 23 बार, 23 हजार करोड़ कर्ज लिया है, लेकिन आपने केवल बाजार से जो ऋण लिया है केवल उसकी जानकारी दी है, अन्य ऋण की जानकारी नहीं दी है. आपने महालेखाकार का उल्लेख करके इस जवाब का अंत किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक तो यह जानना चाहता हूं कि बाजार ऋण के अलावा भी अन्य ऋण जो इन 11 माह में लिये गये हैं मुझे उसकी भी जानकारी दें. भले बाद में दें, महालेखाकार जी के यहां से लेकर दें या जहां से भी लेना चाहें इसके बाद दें, लेकिन वह भी दें. दूसरा, मेरा एक प्रश्न यह भी था कि मध्यप्रदेश में जो जीएसटी एवं अन्य मदों की क्षतिपूर्ति की क्लेम की राशि होती है, उसको केन्द्र सरकार से लेने के लिये राज्य सरकार ने क्या प्रयास किया है, तो दो बार पत्र लिखने का उल्लेख किया है, वह भी अभी 5 माह में एक भी पत्र नहीं लिखा है, 6 महीने पहले दो पत्र लिखे थे. केन्द्र सरकार ने उन पत्रों का जवाब भी नहीं दिया है और राशि देने की बात तो दूर की है. मैं यह भी जानना चाहता हूं कि क्या यह मध्यप्रदेश का अपमान नहीं है ? जो 2,110.10 करोड़ रुपये की राशि हमको विगत कई वर्षों से लेना है वह राशि कब तक ले ली जाएगी ? तीसरा, मेरा प्रश्न था कि जो योजनाएं हैं, केन्द्र सरकार ने योजनाओं की राशि में कटौती कर दी है, वह क्यों की गई है ? मैं समझता हूं कि यह मध्यप्रदेश का दुर्भाग्य है. इन तीनों का मुझे स्पेसिफिक आंसर चाहिये. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है, उस प्रश्न का उत्तर बिल्कुल उसमें दिया गया है. कुल कितना ऋण का उन्होंने पूछा है, तो जो अभी बता सकते थे, चूँकि उत्तर में लिखा है कि लेखे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा अभी जारी नहीं किए गए हैं, अत: जानकारी दी जाना संभव नहीं है. ऐसा नियम है. 31 मार्च के बाद में जब ये सारी स्थिति सामने आएगी, उसके बाद ही तो ये चीज बताई जाएगी, पहले बताई ही नहीं जा सकती. जो बताई जा सकती है वह बाजार ऋण के बारे में हमने पूरा बता दिया है, पूरा चार्ट दे दिया आपको कि ये कितना हुआ, 23 हजार करोड़ रुपये का बाजार ऋण लिया गया और पत्र दिए, उन पत्रों की कॉपी आपको दे दी, जिन पत्रों पर हमने कार्यवाही की है. अब ये जो पूछा है इन्होंने, यह इसमें स्पष्ट है अन्य ऋण के बारे में, अन्य ऋण वित्तीय संस्थाओं जैसे नाबार्ड, एलआईसी, जीआईसी, लोक लेखा ऋण आदि से प्राप्त ऋण की अंतिम जानकारी वित्तीय वर्ष के अंत में ही ज्ञात हो पाती है, जो कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के द्वारा अंतिम करने पर ही ज्ञात होती है, जिसे विधान सभा के पटल पर रखा जाता है. वित्तीय वर्ष 2020-21, 31 मार्च 2021 को समाप्त होगा. परिणामत: अभी पूर्ण नहीं हुआ है, जिसके कारण नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से वित्त लेखे अंतिम किए जाने शेष है, अत: चालू वित्तीय वर्ष में वित्तीय संस्थाओं से लिए गए ऋणों की जानकारी इस सदन में माननीय सदस्य को अभी दी जाना संभव नहीं है. यह स्पष्ट हमने उसमें भी लिखा है, तो जो जानकारी दी जा सकती थी, वह जानकारी माननीय सदस्य को हमने उपलब्ध करवा दी है और बाकी जानकारी 31 मार्च के बाद आएगी तो देंगे.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्षतिपूर्ति क्लेम की राशि कब तक ली जाएगी, इसका भी मैंने उल्लेख किया, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. दूसरी बात यह है कि केन्द्र ने शासकीय योजनाओं में राशि की जो कटौती की है, वह क्यों की गई है ? यह मध्यप्रदेश का दुर्भाग्य है और मध्यप्रदेश के हितों की रक्षा अगर सरकार करना चाहती है, मैं समझता हूँ माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों जगह आपकी सरकार है, फिर ये 11-11 महीने आपके पत्रों का जवाब भी नहीं आता तो क्या मध्यप्रदेश की जनता का और मध्यप्रदेश का यह अपमान नहीं है ? ये मेरे दोनों, एक तो यह कि 2110.10 करोड़ रुपये की राशि कब तक प्राप्त हो जाएगी और दूसरी बात यह कि योजनाओं में जिस राशि की कटौती की गई है, वह राशि कब तक मध्यप्रदेश को मिल जाएगी, जिससे कि इन्फ्रास्ट्रक्चर या नवनिर्माण और विकास के लिए जो राशि हम लोगों को लगती है, कब तक मिलेगी. अध्यक्ष महोदय, यह कहानी हो गई है कि उधार लेकर घी पीने का काम यह सरकार कर रही है. एक तरफ तो आप 11 महीने में 23 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले रहे हैं, दूसरी तरफ हमारा जो हिस्सा मध्यप्रदेश का है, वह आप केन्द्र सरकार से ले नहीं पा रहे हैं, तो इससे आपके दो मतों वाली बात का पता चलता है और माननीय मुख्यमंत्री जी, अगर देश के प्रधानमंत्री जी से और देश की सरकार से आपके गहरे संबंध हैं तो फिर ऐसी दोहरी नीति क्यों अपना रखी है ? माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे मध्यप्रदेश की जनता के लिए और मध्यप्रदेश के लिए इसका जवाब चाहिए.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो प्रश्न के उत्तर में हमने सब जानकारी दे दी है, पर केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है. समय-समय पर जानकारी आई है और ये सब सार्वजनिक भी हुई है. इसमें कोई किसी से छिपाने की बात नहीं है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी, आपके पत्रों का जवाब भी उन्होंने नहीं दिया. श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, यह कहना बिल्कुल असत्य है...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- मई और सेप्टेंबर, 2020 में जो पत्र यहां की राज्य सरकार से गए हैं, आपके उन पत्रों का जवाब भी नहीं आया है, निधि की बात तो दूर की है. ..(व्यवधान)..
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, यह कहना बिल्कुल असत्य है. केन्द्र सरकार से पूरी सहायता मिल रही है. जीएसटी काऊंसिलिंग की बैठक में भी हमने उठाया और उन्होंने स्वीकार भी किया. ..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- नहीं मिला ना लेकिन. ..(व्यवधान)..
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार की तरफ से कोई दिक्कत नहीं है, पूरी सहायता मिल रही है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूँ कि ये पूरा जवाब पटल पर रखें, आपने 11 महीने में 23 हजार करोड़ रुपये कर्ज लिया है, उसका ब्याज कितना लग गया है. मध्यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई को इस तरह से प्रदेश की सरकार लुटा रही है. अध्यक्ष महोदय, मेरे दोनों प्रश्नों का जवाब अभी तक नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय -- तरूण भनोत जी, आप बोलें, उनका जवाब आ गया है.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, जनता के हित में सभी सरकारें ऋण लेती हैं, यह कोई नया काम नहीं है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी की इस बात से बिल्कुल सहमत हूँ कि सभी सरकारें ऋण लेती हैं और उससे ही काम होते हैं. मेरा तो सिर्फ माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से अनुरोध है कि दो तारीख को मध्यप्रदेश का बजट प्रस्तावित है. बजट आप लेकर आ रहे हैं, उसके पहले तो सारी तैयारियां हो ही गई होंगी, संकलित हो गई होगी और मैंने सुना है कि केबिनेट से बजट पास भी हो गया है, तो सदन में यह कहना कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, यह सही उत्तर नहीं है.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये भी वित्त मंत्री रहे हैं, यह बात सही है कि जब तक लेखे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा नहीं दिए जाते, 31 मार्च, 2021 के बाद ही ये चीज वहां सामने आएगी, ये पहले आ ही नहीं सकती.
अध्यक्ष महोदय -- इसीलिए तो उनको अवसर दिया था, वित्त मंत्री थे ना...(व्यवधान)..
...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- कर्ज तो आपकी सरकार ने लिया. महालेखाकार उसमें क्या करेगा. आपकी सरकार ने कर्ज लिया. आपके पास जानकारी है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय तरुण जी, आप वित्त मंत्री रहे हैं वित्त मंत्री की मजबूरियों को, सीमा को आप समझते हैं.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं सीमाओं को समझ रहा हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- आपको समझना चाहिए.
श्री तरुण भनोत -- बिल्कुल, जैसे मैंने शुरु में कहा कि कर्ज लेना गलत बात नहीं है कर्ज सरकारें लेती हैं मैं तो सिर्फ आपके माध्यम से यह कहना चाहता हॅूं कि जो बजट मध्यप्रदेश के केबिनेट में पास हो गया है उसके बाद मंत्री जी को यह उत्तर सदन में नहीं देना चाहिए कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. सारी जानकारी एकत्रित करने के बाद ही बजट प्रजेंटेशन केबिनेट के अंदर हुआ होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी ने और केबिनेट के अन्य साथियों ने उसको मंजूरी दी होगी, इसीलिए मैं सिर्फ इस बात पर आपत्ति उठा रहा हॅूं कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, इसका मतलब यह है कि बजट जो केबिनेट के सामने रखा गया, वह गलत रखा गया.
अध्यक्ष महोदय -- 2 तारीख को सामने आ जाएगा.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, तरुण भनोत जी हमारे भाई ऐसी सरकार के मंत्री थे, जिसके मुख्यमंत्री पूरे समय यही कहते रहे कि खजाना खाली है, खजाना खाली है तो वह कहां से बताएंगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, माननीय गृह मंत्री जी ने यहां जो कटाक्ष किया है सरकार का खजाना यदि खाली नहीं है तो कटौती क्यों की जा रही है ? यदि सरकार कटौती समय-समय पर करती है तो आप सब चीजों को स्वीकृत कर दें. बजट में जो पास होता है उसको समय-समय पर आधार बनाकर राशि जारी की जाती है. माननीय, आपके विभाग को भी ऐसी राशि मिलती है जो आप इकट्ठी मांगते हैं वह मिलती नहीं है. समय-समय पर मिलती है. मेरा सिर्फ यह निवेदन है कि बार-बार मैं यह कह रहा हॅूं कि जो बजट केबिनेट में पास कर दिया है उसके ऊपर किसी प्रकार की टीका-टिप्पणी, कम से कम विभाग के मंत्री की तरफ से नहीं होना चाहिए कि जानकारी एकत्रित की जा रही है तो क्या मध्यप्रदेश का जो बजट तैयार किया गया, यह अधूरी जानकारियों के आधार पर किया गया है...(व्यवधान)...
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, यह कहना गलत है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. यह तो इसमें कहा ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, आप बैठ जाइए. बाला बच्चन जी. तरुण जी, आप बैठ जाइए.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने अपने उत्तर में स्पष्ट कहा है कि एजी की रिपोर्ट आने के बाद ही, जो वित्तीय वर्ष के अंत में रिपोर्ट आती है उसके बाद ही कहा है. आप जुलाई के सत्र में पूछेंगे नहीं. वह ज्यादा प्रामाणिक होगा. अभी आप इस तरह से पूछेंगे तो वह प्रामाणिक नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी, यदि आपकी अनुमति हो, तो अब आगे बढे़ ?
श्री बाला बच्चन -- नहीं, माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- तरुण जी, आप बैठ जाइए. (श्री तरुण भनोत के खडे़ होने पर) अब इनका एक प्रश्न आ जाए, अब आगे बढ़ने की अनुमति दीजिए.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो कर्ज की बात पर आपने महालेखाकार का उल्लेख किया है लेकिन यह जो राशि हमारी क्षतिपूर्ति राशि जीएसटी और अन्य मदों की क्षतिपूर्ति, क्लेम की राशि जो अटकी पड़ी है जो लगभग ढाई हजार करोड़ रुपए के आसपास है आप उसको क्यों नहीं ले पा रहे हैं? आप मात्र 11 महीने में 23 हजार करोड़ रुपए कर्ज लेकर मध्यप्रदेश के ऊपर उसके ब्याज की राशि कितनी थोप रहे हैं और उसके बाद जो शासकीय योजनाओं में राशि देने में मध्यप्रदेश को जो कटौती की है उसमें तो महालेखाकार का और उनका कोई रोल ही नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपसे न्याय चाहते हैं और इस बात की उम्मीद करते हैं कि जो प्रश्न संबंधित विधायकगण लगाते हैं वह संबंधित विभागों से सही और एथेंटिक आंसर आए तो हमारा भी इंट्रेस्ट और रुचि बनी रहेगी. नहीं तो यदि ऐसे ही जवाब देते रहें तो सदन का कोई मतलब नहीं बचेगा.(मेजों की थपथपाहट) यह मेरा औचित्य का सवाल है और मैं बिल्कुल संतुष्ट नहीं हॅूं. मैं इस जवाब की घोर आपत्ति लेता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है. प्रश्न क्रमांक-9 श्री प्रागीलाल जाटव. बाला बच्चन जी, बात तो आ गई है...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- जीएसटी की राशि.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधो -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पर उसका जवाब तो आए.
अध्यक्ष महोदय -- उत्तर तो वही आएगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, कैसे आएगा.
अध्यक्ष महोदय -- उत्तर तो 31 मार्च के बाद का है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- जीएसटी की राशि क्यों नहीं आ रही है? यह हमारे प्रदेश का हक है. वह राशि क्यों नहीं आएगी.
श्री जगदीश देवड़ा -- कम्पंसेशन की राशि भी आयी है और आ रही है. लगातार आ रही है राशि...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक-9, श्री प्रागीलाल जाटव जी.
मुख्यमंत्री नल-जल योजना के तहत बनायी गयी टंकियां
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
9. ( *क्र. 914 ) श्री प्रागीलाल जाटव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला शिवपुरी में मुख्यमंत्री नल-जल योजना के तहत वर्ष 2018 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत में पानी की टंकी बनायी गई है? वर्तमान में क्या यह योजना संचालित है? योजना की लागत प्राक्कलन सहित खर्च की गयी राशि का ब्यौरा दें। (ख) क्या नल-जल योजना में जो टंकी बनायी गयी है, वह इतनी घटिया बनायी गयी हैं कि पानी नहीं भरा जा सकता है? (ग) योजना का कार्य किस-किस जनपद पंचायत में किस-किस ठेकेदार द्वारा कराया गया है? ग्राम पंचायतवार जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के संदर्भ में शिवपुरी जिला में नल-जल योजना में भारी भ्रष्टाचार हुआ है, क्वालिटी मेन्टेन नहीं की गयी है, जिसमें अधिकांश योजनायें बंद पड़ी हैं, क्या इसकी जाँच लोकायुक्त या विधानसभा की समिति बनाकर की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक, नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) टंकी के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखा गया है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी नहीं, शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री प्रागीलाल जाटव -- अध्यक्ष महोदय, सभी को प्रणाम. मैं नया विधायक हॅूं. मैं आपका संरक्षण चाहता हॅूं. मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से एक प्रश्न पूछना चाहता हॅूं कि आपने मेरे प्रश्न (ख) के जवाब में बताया है कि नल-जल योजना की टंकियों के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखा गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हॅूं कि शिवपुरी जिले में नल-जल योजनाओं की टंकी बनी है तो काफी घटिया किस्म के मटेरियल से बनी हुई है जिसका ठेका हुआ है वह पेट्टी पर दिया गया है जो 5 से 8वें नंबर के ठेकेदारों को दिया गया है. उन्होंने शिवपुरी जिले में जो टंकियां बनाई हैं उनमें से अधिकांश टंकियाँ पानी भरने के लायक भी नहीं हैं, गुणवत्ता का कुछ भी ख्याल नहीं रखा गया है. शिवपुरी जिले सहित पूरे मध्यप्रदेश में टंकियाँ भ्रष्टता से बनी हुई हैं तो क्या मंत्री महोदय जी उनकी गुणवत्ता की जाँच मेरे समक्ष कराएंगे?
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया)-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी का यह कहना कि पानी की टंकियाँ गुणवत्ता से नहीं बनाई गई हैं, यह निराधार है, पूर्ण गुणवत्ता का पालन किया गया है और प्रयोगशाला के मापदण्डों के अनुसार ही पानी की टंकी का निर्माण किया गया है, इसमें किसी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार नहीं दिखता है और आज तक कोई भी शिकायत, इस तारतम्य में प्रस्तुत नहीं की गई है.
श्री प्रागीलाल जाटव-- माननीय मंत्री जी, शिवपुरी में कोई भी टंकी सुचारु रूप से संचालित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, आपका कोई स्पेसिफिक हो तो दे दीजिएगा वे उसकी जाँच करा लेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया-- अगर आपका कोई स्पेसिफिक हो तो दे आप दीजिएगा, उसको दिखवा लेंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो कह रहे हैं कि मेरे समक्ष जाँच करा दें, तो जाँच करवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- आ गया ना, जाँच का कहा तो है, स्पेसिफिक दे दीजिए, जाँच करा लेंगे, कह तो दिया, जवाब आ गया.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया-- अरे भाई, विधायक जी के सामने दिखवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक.
शहडोल संभाग में कुपोषण से मृत बच्चों की संख्या
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
10. ( *क्र. 167 ) डॉ. सतीश सिकरवार : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल संभाग के किन जिलों में वर्ष 2020 से जनवरी 2021 तक कितने बच्चों की जिनकी उम्र दो माह से 10 वर्ष की है, मृत्यु हुई है? जिला सहित मृतक बच्चों के नाम, पिता का नाम, पता सहित जानकारी दी जावे। (ख) क्या मृतकों में अधिकांश बच्चों की मृत्यु कुपोषण के कारण हुई है? उनके स्वास्थ्य परीक्षण कब-कब कराये गये तथा स्वास्थ्य लाभ क्यों नहीं हो सका? (ग) उक्त मृतक बच्चों में कुपोषण के अलावा क्या अन्य बीमारी रही, उनका इलाज किन-किन चिकित्सकों द्वारा किया गया? क्या चिकित्सक बाल रोग विशेषज्ञ थे? (घ) क्या इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मृत्यु होती रही, जिसकी चिंता शासन द्वारा व्यापक स्तर पर नहीं की गई, जिससे शासन/चिकित्सकों की उदासीनता का संदेश पूरे प्रदेश में गया है?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) प्रश्न भाग की जानकारी पु्स्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) जी नहीं, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) बच्चों में मृत्यु के प्रमुख कारण निमोनिया, दस्तरोग, जन्मजात विकृति, संक्रमण इत्यादि रहे। प्रश्नांश की जानकारी पु्स्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। बच्चों का इलाज प्रमुखतः शिशु रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग चिकित्सक द्वारा किया जाता है, परन्तु जिन संस्थाओं में शिशु रोग चिकित्सक उपलब्ध नहीं है उन संस्थाओं में अन्य विधाओं के प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारी द्वारा उपचार प्रदान किया जाता है। (घ) बच्चों की मृत्यु को रोके जाने हेतु शासन स्तर से की जा रही गतिविधियों की जानकारी पु्स्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है।
डॉ.सतीश सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से यह प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि जनवरी 2020 से जनवरी 2021 तक शहडोल संभाग के किन-किन जिलों में कितने बच्चों की मृत्यु हुई, जिनकी आयु 2 माह से 10 वर्ष के बीच में थी? अध्यक्ष महोदय, कुपोषण के कारण शहडोल संभाग में बच्चे मरते रहे. सरकार आंकड़ा बनाने में लगी रही कि आज इतने बच्चे मर गए, आज इतने बच्चे मर गए, उनके नाम पते उजागर किए जाएँ. अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि उक्त मृत बच्चों में कुपोषण के अलावा अन्य क्या-क्या बीमारी थी जिनके कारण उनकी मृत्यु हुई और किन-किन डॉक्टर्स से उनका परीक्षण कराया गया और कब-कब कराया गया? क्या वे एक्सपर्ट थे और अगर वे एक्सपर्ट थे तो बच्चे मरते रहे, उस पर रोकथाम नहीं की गई, इससे अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों में, शासन और चिकित्सकों की उदासीनता का सन्देश पूरे प्रदेश में जाता है. इससे उनके मन में यह भावना पैदा होती है कि सरकार.....
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई, अब जवाब तो आने दीजिए. जवाब तो मांगिए ना, प्वाईंटेड प्रश्न पूछ कर जवाब मांगिए तभी तो जवाब आएगा.
डॉ. सतीश सिकरवार-- अध्यक्ष महोदय, आप मेरे पिताजी के साथ विधायक रहे, मेरे भाई के साथ विधायक रहे, अब मेरा सौभाग्य है कि आप मेरे समय पर अध्यक्ष हैं, अब मुझे आपके संरक्षण की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय-- मेरा भी सौभाग्य है कि तीन पीढ़ियों के साथ मैं हूँ और मेरा आग्रह यह है कि उनका जवाब तो आने दीजिए ना. जवाब नहीं आएगा तो क्या मतलब है.
डॉ. प्रभुराम चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो पूरक प्रश्न किया है, मैं आपके माध्यम से उनसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि जो आपने प्रश्न किया था, अगर आप उसका उत्तर पढ़ते, आप शायद उत्तर नहीं पढ़ पाए हैं. उत्तर में स्पष्ट रूप से दिया है कि शहडोल में 391, उमरिया में 204, अनूपपुर में 51, कुल 646 बच्चों की मृत्यु शहडोल संभाग में हुई है और 40 हजार बच्चों ने शहडोल संभाग में जनम लिया उनमें से 646 बच्चों की मृत्यु हुई, मृत्यु के जो मुख्य कारण हैं वे भी हमने उत्तर में आपको दिए थे, कि जो मुख्य कारण है मृत्यु का, उसमें निमोनिया, डायरिया, जन्मजात विकृति एवं संक्रमण, इसके मुख्य कारण रहे हैं. माननीय सदस्य ने जानना चाहा है कि उसमें आपने क्या संज्ञान लिया. मैं सदन को और माननीय सदस्य को आपके माध्यम से बताना चाहता हूँ कि जैसे ही वहां बच्चों की मृत्यु की खबर मिली तत्काल हमने जबलपुर से एक्सपर्ट की टीम भेजी. भोपाल से टीम भेजी. मैं स्वयं शहडोल गया. हमने पूरी जाँच कराई और जाँच प्रभावित न हो इसलिए हमने वहां से सीएमएचओ (सिविल सर्जन) को वहां से अलग किया. पूरे संभाग में डोर-टू-डोर हमने सर्वे कराया. हमने वहां पर मेडिकल कॉलेज में एक अतिरिक्त SNCU (Sick Newborn Care Unit) का वार्ड खोला और भी डाक्टर्स की व्यवस्था की. प्रकरण को पूरी तरह से संज्ञान में लिया गया है. सरकार बच्चों के मामले में चिन्तित है. प्रदेश में 51 जिलों में SNCU के वार्ड हैं, मेडिकल कॉलेज में भी SNCU के वार्ड हैं. PICU के वार्ड हैं वहां हम बच्चों की देखभाल कर रहे हैं ताकि मध्यप्रदेश में बच्चों की मृत्यु न हो.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पर डाक्टरों ने बच्चों का इलाज किया ही नहीं है. डॉक्टरों और सीएमएचओ में तीन महीने तक झगड़ा चलता रहा क्योंकि वहां पर डेंटल के डॉक्टर को सीएमएचओ बनाकर बैठा दिया गया. तीन महीनों तक झगड़ा चलता रहा और बच्चों का इलाज नहीं हुआ. इस कारण जो बच्चों की मृत्यु हुई है उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई. जब यह मामला संज्ञान में आया, अखबार की सुर्खियों में आया तो सीएमएचओ को हटा दिया गया. लेकिन तीन महीने तक डाक्टरों और सीएमएचओ के झगड़े के कारण अनुसूचित जाति, जनजाति के बच्चों की मृत्यु होती रही. माताओं की गोद उजड़ती रही लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई.
अध्यक्ष महोदय -- आप पाइंटेड प्रश्न पूछिए.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पाइंटेड प्रश्न ही तो पूछ रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- यह तो केवल आप बात कर रहे हैं. यह नहीं हुआ, वह नहीं हुआ, आप प्रश्न पूछिए मंत्री जी जवाब देंगे.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यही पूछना चाहता हूँ कि जिसको अधिकार नहीं था उसको सीएमएचओ बनाकर बैठा दिया गया. सीएमएचओ और डॉक्टरों के झगड़े के कारण बच्चों के इलाज पर ध्यान नहीं दिया गया.
अध्यक्ष महोदय -- इसमें आपका प्रश्न क्या है.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यही तो प्रश्न है कि उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा दुर्भाग्य का विषय है कि मध्यप्रदेश में खरीदे हुए जनादेश की सरकार बनाई और उसके माध्यम से जो लोग चुनाव की बलि चढ़े...
अध्यक्ष महोदय -- कम से कम अपने साथी का तो ख्याल रखिए.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य द्वारा प्रश्न किया जा रहा है कि तीन महीने तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, यह पूरी तरह से असत्य है. तीन-चार दिन के अन्दर तो मैं स्वयं शहडोल, उमरिया, अनूपपुर गया. हमारी पूरी टीम ने घर-घर जाकर सर्वे किया. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 640 बच्चों की मृत्यु पर ताली बज रही है. 640 बच्चों की मृत्यु हो गई और हमारे सत्ताधारी दल के सदस्य ताली बजा रहे हैं. आपने क्या कार्यवाही की है. (व्यवधान)
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अकेले शहडोल जिले में 311 दलों ने घर-घर जाकर जांच की. उमरिया में 260 दलों ने एक-एक गांव, एक-एक घर जाकर जांच की, अनूपपुर में 205 दलों ने घर-घर जाकर जांच की.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तो बच्चों की मृत्यु पर रोकथाम क्यों नहीं हो पाई.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पर जो बच्चे मिले 808 गांव शहडोल में, 730 गांव उमरिया में, 576 गांव अनूपपुर में जो बच्चे वहां पर स्क्रीनिंग में पाए गए उन सभी को एनआरसी के SNCU में भर्ती कराया गया, सभी का इलाज किया गया. हमने वहां पर वेन्टीलेटर भी बढ़ाए, हमने डाक्टर्स भी बढ़ाए. पूरी तरह संज्ञान में लिया गया. माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वयं मुझे निर्देश दिए कि आप जाएं और पूरे संभाग के एक-एक गांव में एक-एक टीम ने जाकर काम किया है. मैं शहडोल गया था हमारे माननीय सदस्य सराफ साहब अगर हमें वहां मिलते और कोई दिक्कत थी तो मुझे बताते. मैंने स्वयं संज्ञान में लिया. वहां के क्षेत्रीय विधायक और सांसद ... (व्यवधान)
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- जब इतने बच्चों का देहांत हो गया उसके बाद यह कार्यवाही की गई है. यह तो वह बता रहे हैं जब घटना हो गई, इतने बच्चों का देहांत हो गया उसके बाद यह कार्यवाही हुई है... (व्यवधान)
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- आपकी पार्टी के अनेक कार्यकर्ता आकर मुझसे मिले और उनसे मैंने बातचीत की उन्होंने भी जो मुझे कहा मैंने उसे भी पूरी तरह से संज्ञान में लेने की कोशिश की.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12:00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- आज निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. डॉ. सतीश सिंह सिकरवार
2. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
3. इंजी प्रदीप लारिया
4. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया
5. श्री विजय रैवनाथ चौरे
6. श्री दिलीप सिंह परिहार
7. आलोक चतुर्वेदी
8. डॉ. हिरालाल अलावा
9. श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी
10. श्री शैलेन्द्र जैन
(व्यवधान)....
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पेट्रोल और डीजल के भाव बड़े हुए हैं. आप हमारी बातों को संज्ञान में लें....(व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान चढ़ रहे हैं. सरकार सायकल पर चल रही थी जब 50 रुपए लीटर डीजल और 65 रुपए लीटर पेट्रोल था और महंगाई डायन कहा करते थे. आज पेट्रोल का दाम 100 रुपए लीटर हो गया है. इसको यह विकास कहते हैं. इनका विकास पागल हो चुका है. ....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया कर बैठ जाइए. ....(व्यवधान)
12:02 बजे अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना
(क) मध्यप्रदेश कराधान अधिनियमों की पुरानी बकाया राशि का समाधान अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 11 सन् 2020),
(ख) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 12 सन् 2020),
(ग) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 13 सन् 2020),
(घ) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 14 सन् 2020),
(ङ) मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 1 सन् 2021),
(च) मध्यप्रदेश हाई स्पीड डीजल उपकर (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 3 सन् 2021),
(छ) मध्यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 4 सन् 2021),
(ज) मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 5 सन् 2021),
(झ) पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 6 सन् 2021),
(ञ) डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 7 सन् 2021),
(ट) मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 8 सन् 2021),
(ठ) मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 9 सन् 2021),
(ड) मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 10 सन् 2021),
(ढ) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन अध्यादेश, (2020 (क्रमांक 11 सन् 2021), तथा
(ण) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 12 सन् 2021).
विधि और विधायी कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार निम्नलिखित अध्यादेशों को पटल पर रखता हूं -
(क) मध्यप्रदेश कराधान अधिनियमों की पुरानी बकाया राशि का समाधान अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 11 सन् 2020),
(ख) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 12 सन् 2020),
(ग) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 13 सन् 2020),
(घ) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 14 सन् 2020),
(ङ) मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 1 सन् 2021),
(च) मध्यप्रदेश हाई स्पीड डीजल उपकर (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 3 सन् 2021),
(छ) मध्यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 4 सन् 2021),
(ज) मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 5 सन् 2021),
(झ) पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 6 सन् 2021),
(ञ) डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 7 सन् 2021),
(ट) मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 8 सन् 2021),
(ठ) मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 9 सन् 2021),
(ड) मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 10 सन् 2021),
(ढ) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन अध्यादेश, 2020 (क्रमांक 11 सन् 2021), तथा
(ण) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 12 सन् 2021).
12:02 बजे बहिर्गमन
(श्री सज्जन सिंह वर्मा, सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय महंगाई के खिलाफ, डीजल पेट्रोल के मूल्यों में वृद्धि के खिलाफ हमारा दल सदन से बहिर्गमन करता है. (XXX) हमारी पार्टी के लोग बहिर्गमन करते हैं. (व्यवधान)..
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने एप्रिन पहन कर प्रदर्शन किया)
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आप हमारा संरक्षण नहीं कर रहे हैं, हमारी बात नहीं सुन रहे हैं हम इसके विरोध में बहिर्गमन करते हैं. जब तक पेट्रोल और डीजल के दाम कम नहीं किए गए तब तक हम आंदोलन करेंगे. (व्यवधान) ..
(श्री सज्जन सिंह वर्मा सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा डीजल एवं पेट्रोल के मूल्यों में वृद्धि के खिलाफ सदन से बहिर्गमन किया गया)
12:03 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड का 44 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2018-2019
वन मंत्री (डॉ. कुंवर विजय शाह) :- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड का 44 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2018-2019 पटल पर रखता हूं.
(2) (i) मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे वर्ष 2018-2019 खण्ड-I एवं II , तथा
(ii) विनियोग लेखे वर्ष 2018-2019, एवं
(ख) मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 (क्रमांक 18 सन् 2005) की धारा 11 की उपधारा (1) एवं उपधारा (3) (ख) की अपेक्षानुसार-
(i) वित्तीय वर्ष 2019-2020 की द्वितीय छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण, एवं
(ii) वित्तीय वर्ष 2020-2021 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण तथा वक्तव्य
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) :- अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के खण्ड (2) की अपेक्षानुसार –
(i) मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे वर्ष 2018-2019 खण्ड-I एवं II , तथा
(ii) विनियोग लेखे वर्ष 2018-2019, एवं
(ख) मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 (क्रमांक 18 सन् 2005) की धारा 11 की उपधारा (1) एवं उपधारा (3) (ख) की अपेक्षानुसार-
(i) वित्तीय वर्ष 2019-2020 की द्वितीय छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण, एवं
(ii) वित्तीय वर्ष 2020-2021 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण तथा वक्तव्य
पटल पर रखता हूं.
(3) मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड का 43 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री बिसाहूलाल सिंह) :- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड का 43 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 पटल पर रखता हूं.
(4) भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, 2018-2019 एवं 2019-2020
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह):- अध्यक्ष महोदय, मैं, द रियल स्टेट (रेग्युलेशन एण्ड डेव्हलपमेंट) एक्ट, 2016 (क्रमांक 16 सन् 2016) की धारा 77 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, 2018-2019 एवं 2019-2020 पटल पर रखता हूं.
12.05 बजे
(5) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2018-2019
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल)- अध्यक्ष महोदय, मैं, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 (क्रमांक 4 सन् 2009) की धारा 42 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2018-2019 पटल पर रखता हूं.
12.06 बजे
कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
12.07 बजे
सितम्बर, 2020 सत्र की स्थगित बैठकें दिनांक 22.09.2020, 23.09.2020 एवं दिसम्बर, 2020 निरस्त सत्र की बैठकें दिनांक 28, 29, एवं 30 दिसम्बर, 2020 की प्रश्नोत्तर सूचियाँ तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-5 एवं 6 पटल पर रखा जाना
12.08 बजे
नियम 267-क के अधीन सितम्बर, 2020 सत्र में सदन में पढ़ी गई सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना
12.09 बजे
राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
ध्यानाकर्षण
12.10 बजे
1. सागर जिले के कड़ान मध्यम सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र की भूमि का मुआवजा न दिया जाना.
इन्जी. प्रदीप लारिया(नरयावली):- अध्यक्ष महोदय,
जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) :- अध्यक्ष महोदय,
( नेता प्रतिपक्ष, श्री कमलनाथ के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा नारे लगाते हुए सदन में प्रवेश किया गया.)
इंजीनियर प्रदीप लारिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय जल संसाधन मंत्री जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि बुंदेलखण्ड की सूखी धरती पर और खास तौर पर नरियावली विधान सभा क्षेत्र में यह लगभग 12 हजार हेक्टेयर की 30 हजार एकड़ जमीन सिंचित होगी इसमें लगभग 56 गांवों में सिंचाई का पानी किसानों के खेत में जायेगा. माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है इसमें मैं पाईंटेड प्रश्न करूंगा. आपके उत्तर में ही खानपुर गांव जो डूब में जा रहा है इसमें आपने कहा है कि 24.2.2018 में एक कलेक्टर ने वहां पर जमीन पुनर्वास के लिये 5 हेक्टेयर की जमीन निश्चित कर दी मैं उसके लिये बधाई देना चाहता हूं. लेकिन मेरा प्रश्न यह है कि वर्ष 2018 से लेकर अब तक क्या कार्यवाही पुनर्वास विभाग ने की जब कि डेम का काम कम्पलीट होने जा रहा है और इस वर्षा में नाला क्लोजर हो जायेगा और यह बांध बनने के कारण यह गांव डूब जायेगा इसमें यह संकट रहेगा कि वहां के लोग कहां जायेंगे. आपकी टेण्डर की प्रक्रिया इतनी विलंब से क्यों हुई उसके लिये कौन जिम्मेदार है ? इसमें आगामी कार्यवाही कब तक पूर्ण कर लेंगे और यदि यह डेम बंध जायेगा और यह डूब में आ जायेगा तो वहां के लोग कहां रहेंगे. यह प्रश्न निश्चित तौर पर खड़ा है. एक यह विषय है पहले आप इस प्रश्न का उत्तर दे दें उसके बाद मैं दूसरे पाईंटेड प्रश्नों का उत्तर आपसे करूंगा.
श्री तुलसीराम सिलावट--माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य जी ने जो चिन्ता व्यक्त की है, इसके लिये यह सरकार भी सजग है. किसान का बेटा मुख्यमंत्री है इनकी भावनाओं के अनुरूप अब कोई विलंब नहीं किया जायेगा. जो बसाहट है उनको पूरा किया जायेगा.
(व्यवधान)
इंजीनियर प्रदीप लारिया--माननीय अध्यक्ष महोदय,आपको इसमें चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने डेम को बनाया है. मेरा मंत्री जी से केवल इतना ही निवेदन है कि वह बता दें कि उनके पुनर्वास का काम कब तक प्रारंभ किया जायेगा ? यह डेम बनने के बाद किसान डूब में आयेंगे उनका क्या समाधान होगा.
अध्यक्ष महोदय--इनका समाधान हो जाये.
श्री तुलसीराम सिलावट--माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य जी को आश्वस्त करता हूं कि यह कार्य अतिशीघ्र पूरा किया जायेगा.
श्री सोहनलाल वाल्मीक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य जी आप जानते हैं कि ध्यानाकर्षण में जिन 2-3 सदस्यों का नाम होता है केवल वही सदस्य प्रश्न पूछ सकते हैं. आप भी इस नियम को जानते हैं. हमारे सीनियर प्रतिपक्ष के नेता जी भी बैठे हैं इसको अलग से कैसे हम एलाऊ कर सकते हैं. अभी राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण में जब आप कहेंगे तो आपको अवसर मिलेगा.
इंजीनियर प्रदीप लारिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मंत्री जी समय सीमा बता दें.
श्री तुलसीराम सिलावट--माननीय अध्यक्ष महोदय, अतिशीघ्र कहा है इसमें सब कुछ आ जाता है. इसके बाद भी आपको कोई दिक्कत पड़ेगी तो मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से चर्चा कर लूंगा.
अध्यक्ष महोदय--श्री नीलांश चतुर्वेदी जी अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
12.19 बजे
(2) चित्रकूट स्थित मंदाकिनी नदी में प्रदूषित जल छोड़े जाने से उत्पन्न स्थिति.
श्री
नीलांशु
चतुर्वेदी
(चित्रकूट)--
अध्यक्ष
महोदय,
पर्यावरण
मंत्री (श्री
हरदीप सिंह
डंग) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
श्री निलांशु चतुर्वेदी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं और आपकी अनुमति से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि क्या चित्रकूट के बारे में आपको जानकारी है कि चित्रकूट की महत्ता क्या है?
अध्यक्ष महोदय - ये कोई प्रश्न नहीं है.
श्री हरदीप सिंह डंग - चित्रकूट वह स्थान है जो पवित्र है और रामजी के नाम से जाना जाता है, उसको सब प्रणाम करते हैं और यहां पवित्र नदी है.
श्री निलांशु चतुर्वेदी - माननीय अध्यक्ष जी, मैं बताता हूं, चित्रकूट वह जगह है, जिसने अयोध्या के राजा राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बनाने का काम किया है. साढ़े 11 साल वनवास का चित्रकूट में श्रीराम ने काटा है .(xxx) (... व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जाएगा. (... व्यवधान)
श्री हरदीप सिंह डंग - (xxx) (... व्यवधान)
श्री निलांशु चतुर्वेदी - (xxx) .
अध्यक्ष महोदय - सीधा प्रश्न करिए. (... व्यवधान)
श्री निलांशु चतुर्वेदी - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध यह है कि जो भी जानकारी आपको अधिकारियों द्वारा दी गई है, वह पूर्ण नहीं है. मेरा अनुरोध है कि वर्ष 2012 से लेकर 2021 आ गया आज तक आपका सीवर प्लांट तैयार नहीं हो पाया है. इस संबंध में एक कमेटी बना दें. मंदाकिनी का जल स्तर रोज का रोज गिरता जा रहा है. लाखों लाख श्रद्धालु वहां आते हैं दीपावली में, 20 लाख लोग एक दिन में आते हैं, हर अमावस्या में आते हैं. हमारे अध्यक्ष जी तो हर बात से बाकिफ है. मेरा निवेदन है कि आप इसकी एक कमेटी बनाकर टाइम लिमिट निश्चित करवा दें. हमारे क्षेत्र का मामला है कि हम मंदाकिनी नदी को सुरक्षित करने के लिए जो भी सीवर का प्लांट है या जो भी अन्य व्यवस्था है वह किस ढंग से करेंगे. यह मेरा आपसे अनुरोध है.
श्री हरदीप सिंह डंग - राम जी का नाम लेते ही आपको दिक्कत क्यों हो जाती है? आपको राम जी का नाम हज़म क्यों नहीं होता है.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी - क्योंकि असली राम भक्त हम लोग हैं. भगवान राम के पैरों के कांटे आपने नहीं निकाले हैं, हम लोगों के पूर्वजों ने ही भगवान राम के पैरों के कांटे निकाले हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग - माननीय अध्यक्ष जी, हमारे माननीय सदस्य ने जो बात उठाई है, उसमें हमारी जो लागत 6.20 करोड़ रुपये है, जिसका निर्माण कार्य सन् 2013 में दिनांक 26.4.2013 को प्रारंभ हो चुका था. भूमि विवाद के कारण उसको रोका गया था और सन् 2015 में भूमि का अलॉटमेंट किया गया और दिनांक 5.7.2017 को जो बाढ़ आई थी, वह उसमें क्षतिग्रस्त हो गया था. इस योजना को अभी 2019 में पूर्ण कर लिया गया है और जो द्वितीय कार्य चलने वाला है और सन् 2021 तक इसका कार्य पूर्ण हो जायेगा तथा जो भी कमी है, उसको पूरा कर लिया जायेगा.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि माननीय मंत्री जी इसमें एक कमेटी गठित कर दें. जो भी आपके पास जानकारी आई है क्योंकि हमारी वह जन्मभूमि है. चित्रकुट इतना महत्वपूर्ण स्थान है, जिसके बारे में आप जानते हैं, आप कमेटी गठित कर दें और एक टाइम लिमिट बता दें कि मंदाकिनी नदी और चित्रकूट के लिये कितने दिनों में यह चीजें हो जाएंगी और कितने दिनों में सीवेज प्लांट तैयार हो जायेगा ?
श्री हरदीप सिंह डंग - सन् 2021 तक उसके पूर्ण होने की संभावना है.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं पिछले 6 माह पूर्व चित्रकूट गया था. वहां पर लोक निर्माण विभाग का रेस्ट हाउस है, मैं वहां पर रुका था. जब मैं सुबह-सुबह वहां घूमने निकला तो जो सड़क के किनारे है, शायद आप भी वाकिफ होंगे. वहां 5 आश्रम ऐसे हैं, वहां से आश्रम का गंदा पानी सीधे नदी में जा रहा है और वह पानी आपकी सीवेज का है. वहां पर कई महात्माओं एवं संतों ने अपने-अपने आश्रम लगाए हुए हैं. हम लोगों ने उनसे पूछा तो वे बोले कि हम तो 2-3 किलोमीटर आगे से जाकर स्नान करके आते हैं, यहां स्नान करने की स्थिति नहीं है. मेरा आपसे अनुरोध है कि फिलहाल जब ट्रीटमेंट बने, तब बने लेकिन फिलहाल एक महीने के अन्दर, अगर आप वहां बड़े-बड़े गड्डे नीचे आश्रम के नीचे खुदवा देंगे तो गंदा पानी वहां इकट्ठा हो होने लगेगा और नदी में सीवेज का पानी नहीं जा पायेगा. क्या आप किसी विभागीय अधिकारी को भेजकर इस प्रकार की व्यवस्था करेंगे ?
श्री हरदीप सिंह डंग - जल्दी से भेज दिया जायेगा.
श्री जितू पटवारी (राउ) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने एक निवेदन किया है कि एक कमेटी बने. यदि नदी संरक्षण को लेकर देशव्यापी आह्वान किया जा रहा है तो यह तो सकारात्मक बात है. इसमें एक कमेटी बने, स्थानीय विधायक को लें और आगे बढ़ें तो पॉजिटिविटी होगी. आप इसमें संरक्षण दें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ) - अध्यक्ष महोदय, चित्रकूट जैसा पवित्र स्थान यह अपने प्रदेश का नहीं, देश का है और इसको कैसे सुधारा जाये, नदियों के प्रदूषण को कैसे सुधारा जाये ? कैसे प्रदूषणमुक्त किया जाये. यह एक चुनौती है और इसको प्राथमिकता मिलना आवश्यक है. यह इतने वर्षों से चल रहा है, यह नहीं है कि यह पिछले साल भर से ही शुरू हुआ, यह तो वर्षों से चल रहा है और जब मैं मुख्यमंत्री था, मेरा भी इरादा था पर मैं कर नहीं पाया. मेरा आपसे निवेदन है कि यह जो सुझाव है कि आप एक समिति इसके सुपरविजन के लिए बना दें, इसमें काम विभाग करेगा पर सुपरविजन के लिए. देश भर में और प्रदेश भर में यह अहसास हो कि अपना सदन चित्रकूट के सम्मान में, चित्रकूट के इतिहास में, चित्रकूट की संस्कृति से वाकिफ है और इससे अधिकारी वर्ग भी सतर्क रहेंगे और आप ऐसी समिति का गठन करने पर पूरा विचार करेंगे.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित मंत्री ने पूरी बात कह दी है, जांच की भी कह दी है और कार्य पूरा करने की तारीख भी कह दी है. मुझे नहीं लगता है कि इसकी आवश्यकता है.
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, उसकी समिति बना दें.
अध्यक्ष महोदय - आ गया है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, मैं इसी माध्यम से ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ कि यह मां नर्मदा नदी के तट पर संस्कारधानी जबलपुर में भी हो रहा है तो मैं आपसे निवेदन करना चाहता हॅू कि क्या सदन के माध्यम से मंत्री जी यह कहेंगे कि वह खुद चित्रकूट जाकर और नर्मदा जी के तट जबलपुर में जाकर अवलोकन करेंगे और देखेंगे कि प्रदूषण की क्या स्थिति है ? और जैसा कि नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बहुत बड़े अहंकार या अहं की बात है. अगर एक समिति का गठन हो जायेगा तो जनप्रतिनिधि उसमें शामिल होकर और बेहतर ढंग से उसके काम का संचालन कर सकेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है.
श्री तरूण भनोत -- इसका जवाब तो आ जाये, हमें आपका संरक्षण चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी ने जवाब दे दिया है.
श्री तरूण भनोत -- हम विभागीय मंत्री महोदय से जवाब चाहते हैं. विभागीय मंत्री महोदय यह बोल दें कि वह स्वयं दौरा करेंगे, हम लोग भी उनके साथ जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- वह दौरा करके आये हैं.
श्री तरूण भनोत -- नहीं वह कह रहे हैं कि मैं नहीं आउंगा, किसी को भेज दूंगा. वह सदन में कह दें कि वह खुद आयेंगे. डंग साहब, माननीय मंत्री जी यह कह दें कि वह दौरा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने ऐसा नहीं कहा है. वह ऐसा कैसे कह सकते हैं, वह ऐसा नहीं कहेंगे. आप आगे बढ़ने दीजिये, (व्यवधान...) (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने अपने आसन से कुछ कहने पर) आप सभी आज तो सहयोग कीजिये. आज का दिन ठीक से से निकलने दीजिये.
श्री हरदीप सिंह डंग -- मैं खुद दौरा करूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- (व्यवधान..) आपकी बात आ गई है वह खुद दौरा करेंगे.
12.30 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.
12.31 बजे सभा की सदस्यता से त्याग-पत्र.
मध्यप्रदेश विधान सभा के निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 55-दमोह से निर्वाचित सदस्य, श्री राहुल सिंह द्वारा विधान सभा में अपने स्थान का त्याग करने की सूचना.
अध्यक्ष महोदय -- निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 55-दमोह से निर्वाचित सदस्य, श्री राहुल सिंह ने विधान सभा के अपने स्थान से त्याग पत्र दे दिया है, जिसे दिनांक 25 अक्टूबर 2020 को स्वीकृत किया गया है.
12.33 बजे सभापति तालिका की घोषणा
अध्यक्ष महोदय :- मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उपनियम (1) के अधीन, मैं, निम्निलिखत सदस्यों को सभापति तालिका के लिये नाम निर्दिष्ट करता हूं:-
1. श्री लक्ष्मण सिंह,
2. श्रीमती झूमा सोलंकी,
3. श्री रामलाल मालवीय,
4. श्री केदारनाथ शुक्ल,
5. श्रीमती नीना वर्मा,
6. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया
12.33 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
1.सिविल प्रक्रिया संहिता (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2020 का पुर:स्थापन
विधि और विधायी मंत्री( डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मैं सिविल प्रक्रिया संहिता (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2020 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि सिविल प्रक्रिया संहिता (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2020 के पुर:स्थापन के अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई.
विधि और विधायी मंत्री( डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिविल प्रक्रिया संहिता (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2020 का पुर:स्थापन करता हूं.
12.34 बजे
2. मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन करता हूं.
12.34 बजे
3. मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन करता हूं.
12.35 बजे
4. मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन करता हूं.
12.35 बजे
5. मध्यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन.
वाणिज्यिक कर मंत्री( श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 5 सन् 2021) के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति प्रदान की जाये.
अनुमति प्रदान की गई.
वाणिज्यिक कर मंत्री( श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 5 सन् 2021) का पुर:स्थापन करता हूं.
6.
7.
12.36 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
12.37 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा
दिनांक 22 फरवरी, 2021 को प्रस्तुत निम्नलिखित
प्रस्ताव पर चर्चा
अध्यक्ष महोदय-- राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत हुये कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव संशोधनों पर चर्चा डॉ. सीतासरन शर्मा जी कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव के संबंध में अपना भाषण प्रारंभ करें.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- धन्यवाद अध्यक्ष जी, अध्यक्ष महोदय, अभी आपने स्वयं कहा वास्तव में महामहिम राज्यपाल का अभिभाषण सरकार ने जो पहले कुछ कार्य किये हैं उनका संक्षिप्त विवरण और आगे क्या करने वाली है इसका विवरण होता है और फिर जो कुछ भी इसमें आता है उसको मूर्त रूप देने के लिये बजट में प्रावधान किये जाते हैं, अध्यक्ष महोदय, यह एक विशेष अवसर भी आज है क्योंकि एक ऐसा संयोग आया है कि दोनों सरकारों की समीक्षा इसी कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर होगी, ऐसा पहली बार हुआ है, या तो वही सरकार आ जाती है तो चलता रहता है या दूसरी आती है तो उस पर, यहां ऐसा हुआ कि एक सरकार गई उसके 15 महीने निकले दूसरी सरकार आई उसके 11 महीने निकले और अब कृतज्ञता ज्ञापन पर चर्चा हो रही है, क्योंकि वर्ष 2020 में तो आपने कुछ दिया ही नहीं इसलिये इस पर चर्चा नहीं हो पाई, कोरोना काल भी आ गया था और आप भी चले गये थे और इसलिये 15 महीने और 11 महीने की तुलना भी इसमें की जायेगी और दोनों के, यह पुराना 2019 का आपका विजन डाक्यूमेंट राज्यपाल का अभिभाषण रखा है उस पर भी बातचीत करेंगे. अध्यक्ष महोदय, बड़े संकट के समय में हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान ने सरकार का कार्यभार 23 मार्च 2020 को संभाला था. जब यह सरकार आई इसके सामने 2 संकट थे, एक संकट तो यह था कि आपने 15 महीने में जो कचरा फैला दिया था उसको साफ करना था. ...(व्यवधान)... 15 महीने तो रहे ही ...(व्यवधान)... उस कचरे को साफ करने के लिये भी समय लगा. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, आपको भी मौका मिलेगा. ...(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा-- सुनने का साहस रखो, बतायेंगे कि आपने क्या-क्या कचरा फैलाया था. ...(व्यवधान)... अध्यक्ष महोदय, दूसरा संकट कोरोना काल का था, अब पहला संकट जो 15 महीने का था.... ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत-- यह कोरोना कब हो गया, आप तो बोलते थे डरोना है, यह कोरोना कब से हो गया.
अध्यक्ष महोदय-- तरूण जी आपका अवसर आयेगा. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत-- आपके तो बार-बार वक्तव्य आते थे कि कोरोना तो है ही नहीं, अब आप कोरोना का संकट बता रहे हैं, था कोरोना का संकट. ...(व्यवधान)...
डॉ.सीतासरन शर्मा - आपने की थीं क्या कोरोना की व्यवस्थाएं. अभी पढ़कर बताता हूं आपको.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री(श्री कमल पटेल) - कमलनाथ जी ने कहा था कि गया कोरोना वोरोना. अभी तो मेरे को विधायकों का संकट आया था. कहा था कि नहीं कमलनाथ जी आपने. हमको नया कोरोना लग गया विधायकों वाला. इनको बचाना है.
(..व्यवधान..)
डॉ.सीतासरन शर्मा - अरे बैठ जाओ भाई.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये.
श्री बाला बच्चन - नरोत्तम मिश्रा जी नो बोला था कि कोरोना नहीं डरोना है और यह जो संकट वाली बात कमल पटेल जी जो आप कह रहे हो यह आपकी तरफ उधर ट्रांसफर हो गया. ध्यान रखियेगा. कभी उठेगा.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये.
डॉ.सीतासरन शर्मा - जो पहला संकट था पंद्रह महीने का उसको तो प्रदेश की जनता ने साफ कर दिया.
श्री प्रियव्रत सिंह - सबसे पहले राहुल गांधी जी ने बोला था कि कोरोना से सावधान हो जाओ. आपके प्रधानमंत्री जी नहीं सुन रहे थे.उन्होंने कहा था कि कोरोना से लड़ाई लड़ने की तैयारी करनी चाहिये लेकिन फरवरी से केन्द्र सरकार ने कोई भी कदम नहीं उठाया.
डॉ.सीतासरन शर्मा - आप 114 मैं बैठ गये थे. 2 कम थे. अब प्रदेश की जनता ने कहा जाओ हम आशीर्वाद देते हैं. करेऊ कल्प भर राज तुम. एक कल्प तक राज करो. 18 सीट दे दी. अब हम हो गये 127 और आप बचे 98.
श्री प्रियव्रत सिंह - टन-टन थाली तो नहीं बजवाई आपकी तरह. कोरोना से लड़ने का नया तरीका थाली बजाओ.
(..व्यवधान..)
डॉ.सीतासरन शर्मा - आपको क्या मिला.
श्री कुणाल चौधरी - आपको कुछ भी नहीं मिलेगा. मार्गदर्शक मण्डल में चले गये आप तो. जितने वरिष्ठ थे सब मार्गदर्शक मण्डल में हैं.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठें. आपका समय आये तब बोलियेगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय,पहला संकट तो जनता ने दूर कर दिया और दूसरा संकट हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दूर कर दिया.शुरुआत में राज्य की टेस्टिंग क्षमता 2030 थी.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - सदस्यों से अनुरोध है कि बैठे-बैठे कोई कमेंट न करें.
डॉ.सीतासरन शर्मा - अब टेस्टिंग क्षमता 2030 से बढ़ाकर 30 हजार कर दी. टेस्टिंग लैब 3 से 32 कर दीं.
श्री विनय सक्सेना - xxx
अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से हटा दीजिये.
डॉ.सीतासरन शर्मा - 5 हजार से अधिक जनरल बेड्स और 9 हजार से अधिक आक्सीजन बेड्स और 3 हजार से अधिक आई.सी.यू. बेड्स कर दिये. पीपीई किट्स की उपलब्धता लगभग 18 हजार थी जो अब 3 लाख 50 हजार है और 2 लाख 40 हजार से अधिक टेस्टिंग किट्स उपलब्ध हैं. अध्यक्ष महोदय, यह तो हुई जांच की बात.
श्री सुरेन्द्र हनी सिंह बघेल - अध्यक्ष महोदय, एक बात रखना चाहता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में लोगों की कोरोना जांच ही नहीं हुई और वे कोरोना पाजिटिव हो गये.इसका तो बता दीजिये आप और कार्यवाही भी नहीं की.
डॉ.सीतासरन शर्मा - परसेंटेज क्योर रेट की है. रिकार्ड तो देख लीजिये फिर बात करिये.
श्री सुरेन्द्र हनी सिंह बघेल - अरे जांच ही नहीं हुई और उनको पाजिटिव बना दिया आपकी सरकार ने और वे भी आदिवासी.
डॉ.सीतासरन शर्मा - क्योर रेट सबसे अधिक, डेथ रेट सबसे कम. यह सरकार है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - विधान सभा नहीं करना हो तो निगेटिव को पाजिटिव और विधान सभा सत्र खत्म करना हो तो पाजिटिव को निगेटिव करती है.
डॉ.सीतासरन शर्मा - आपकी सहमति थी. ऐसा प्रतिपक्ष नहीं देखा जो विधान सभा सत्र नहीं बुलाना चाहे तो हमने कहा मत बुलाओ.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - सहमति नहीं थी. ये कहा गया था कि अपोजीशन का लीडर लिखकर दे कि सत्र चलायें या न चलायें. ये जवाबदारी सरकार की होती है. अपोजीनशन की नहीं होती सत्र चलाने की.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य जी, बैठ जाईये.
डॉ.सीतासरन शर्मा - उपचार के लिये 700 क्लीनिक खोली गईं. कोरोना वारियर्स का ध्यान रखा गया.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष जी, व्यवस्था का प्रश्न है. इस तरह से टोकाटाकी होगी तो ये ओपनिंग कर रहे हैं. कैसे हो पाएगा. एक व्यवस्था आ जाये.
अध्यक्ष महोदय - इनका अवसर आयेगा. आप सबका भी अवसर आयेगा. आपकी बात आये इसके लिये आपको शांत होकर सुनना पड़ेगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा - प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिये 1 लाख 55 हजार श्रमिकों के खाते में 15 करोड़ 50 लाख रुपये डाले गये. श्रम सिद्धि अभियान से जो प्रवासी मजदूर आये उनको रोजगार उपलब्ध कराया गया.
श्री प्रवीण पाठक - 5 किलो आटा दिया गरीबों को. निर्धन निवाला घोटाला किया.
डॉ.सीतासरन शर्मा - जरा स्वास्थ्य की बात कर लें. ये लोग सुनना नहीं चाहते.
(..व्यवधान..)
..(व्यवधान)..
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, जरा स्वास्थ्य की बात कर लें. यह लोग सुनना नहीं चाहते हैं.
..(व्यवधान)..
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, अगर यही परम्परा रही और सम्मानित सदस्य को नहीं बोलने देंगे और हम अगर ऐसा करेंगे तो फिर आप आपत्ति तो नहीं करेंगे. सबको अवसर मिलेगा, अपनी बात कहें. यही तो स्थान है, जहां दोनों पक्ष बोलते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि इसमें दोनों पक्षों को बोलना है. 8-10 माननीय सदस्य आपकी तरफ से हैं और 8-10 माननीय सदस्य इस तरफ से हैं. यदि आपने टोका-टोकी की, तो फिर उनको कैसे रोकेंगे हम और हमने आपको वचन दिया है आपके संरक्षण का और अगर आप मदद करेंगे, तब तो हम आपका संरक्षण कर पायेंगे. आप बात नहीं सुनेंगे, तो संरक्षण कैसे होगा. इसलिये मेरा आग्रह है कि आपका समय आयेगा और यदि आप चाहते हैं कि इसमें किसी तरह से वाकई में कोई विचार मंथन हो, तो दोनों पक्ष शांति से सुनिये और फिर अपनी बात करिये, जब आपका अवसर आयेगा, तब अपनी बात कहिये, जो आपको कहनी हो.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- अध्यक्ष महोदय, अब इनको 3 साल मिला है, बहुत अवसर मिलेगा, अब जरा शांति से सुनना सीखिये.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मैं खड़ा हूं. कम से कम इतना तो लिहाज करिये. ...(व्यवधान).. मैं खड़ा हूं ना.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, कोई भी बोलें हम सुनेंगे. लेकिन बैंगलोर वाले तो न बोलें. ये कोरोना वहां से कंट्रोल कर रहे थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- भनोत जी, उसकी वजह से ही आप वहां हो. ..(हंसी).. उसकी वजह से ही जो ऐसे वैसे थे, वे कैसे कैसे हो गये और जो कैसे कैसे थे, वो ऐसे वैसे हो गये. (हंसी)..
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिये. लेकिन ये बैंगलोर वाले तो न बोलें.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आप लोगों को संरक्षण का पूरा वचन दिया है, संकल्प भी लिया है और उसमें आपके भी सहयोग की आवश्यकता होगी. एक तरफा संरक्षण नहीं होगा. आप सहयोग कीजिये और निश्चित तौर पर आपको संरक्षण मिलेगा, पर सुनिये तो. (श्री कमलेश्वर पटेल,सदस्य के खड़े होने पर) कमलेश्वर जी, आप बैठ जाइये. कम से कम आप तो बैठ जाइये. आप रीवा संभाग से आये हैं, आपको इतना तो मालूम होना चाहिये कि अध्यक्ष खड़े हैं और आप बार बार खड़े होते हैं.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- अध्यक्ष महोदय, जो 5 साल के सपने देखकर आये थे, वह सपने इतनी जल्दी टूट गये..(व्यवधान).. जरा जोर से बोलो.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, कृपया आप बैठ जायें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- इनको दोनों दलों का अनुभव है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया सब लोग बैठ जायें. सीतासरन शर्मा जी.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में एक दो बात और बोलना चाहता हूं. सरकार में 50-60 साल ये सामने वाले रहे. कभी इनके मुंह से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का नाम नहीं सुना. हमारे मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनेंगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, तत्कालीन माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने जबलपुर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की घोषणा की थी. यह हम असत्य चीज नहीं सुनेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, यह कोई प्रश्नोत्तर काल है क्या.
अध्यक्ष महोदय -- साधौ जी, वे कोई बात उठा रहे हैं, अगर आप हर बार उसका खण्डन करेंगी, तो फिर आपका अवसर आयेगा, तो फिर ये कुछ नहीं होगा. आप थोड़ा सा धैर्य रखिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- साधौ जी, अब आप मंत्री नहीं हैं. अध्यक्ष महोदय, जरा इनको मर्यादा सिखायें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- मुझे आप अपनी मर्यादा मत सिखाइये. मैं मर्यादित हूं और अपनी मर्यादा में रहती हूं. आप जो असत्य बोल रहे हैं, मैं उसको बोल रही हूं.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- ये माननीय सदस्यों का बार बार खड़े होने का कोई मतलब नहीं है. शर्मा जी, आप जारी रखिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य 50-60 साल की बात कर रहे हैं. माननीय सदस्य जी, आपकी 60 साल पहले उम्र क्या थी. आप एकदम से इतने सयाने हो गये. तो धीर धीरे बढ़ते हैं. काहे के लिये आप 60-60 साल कह रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- ओमकार सिंह जी, आप बैठ जाइये, अभी हम बताते हैं. सब बतायेंगे, आपके समय का राज्यपाल जी का अभिभाषण रखा है. सब बतायेंगे, जरा सुनने की हिम्मत रखें. सत्य सुनना बड़ा कठिन होता है. अध्यक्ष महोदय, 50 साल में प्रदेश के अन्दर 6 मेडिकल कॉलेज खुले थे, उसमें से एक रायपुर, छत्तीसगढ़ में चला गया. 5 बचे थे. हमारे मुख्यमंत्री जी ने 15 साल में 18 और मेडिकल कॉलेज खोल दिये. यह है काम करने वाली सरकार. आज प्रदेश में 23 मेडिकल कालेज हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह - उसमें यूपीए की सरकार का भी उल्लेख कर दें.
डॉ. सीतासरन शर्मा - जरा अंतर समझना पड़ेगा, सरकारों का अंतर समझना पड़ेगा. यह आपने लिखकर दिया, अभी आता हूं ठहरो तो जरा.
श्री उमाकांत शर्मा - (XXX)
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, यह कार्यवाही से निकाला जाय. संतुलन बिगड़ गया है, यह बात कर रहे हैं, इसे कार्यवाही से निकाला जाय.
अध्यक्ष महोदय - शर्मा जी, इसको निकाल दिया है. यह रिकॉर्ड में नहीं आएगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा - वर्ष 2019 का इनका यह राज्यपाल महोदय का अभिभाषण है. वर्ष 2019 के अभिभाषण में इनकी सरकार थी, यह नये नये आए थे. इसलिए पीछे कुछ कहने को तो था ही नहीं. जो वर्ष 2003 का नतीजा था, वह तो कुल 230 में से आपको जनता ने 38 सदस्य दिये थे, तो मैदान साफ था. इन्होंने लिखा उसमें कि पिछली सरकार की ऐसी योजनाएं जो किसान एवं आम नागरिकों के हित में हैं अब प्रासंगिक नहीं रह गई हैं, उनकी समीक्षा कर शासकीय धन का अपव्यय रोका जाएगा. अब जरा कौन-सी योजनाएं रोंकी, वह आप सुन लीजिए. बच्चों के लेपटॉप रोक दिये? (शेम-शेम की आवाज)..ये करने बैठे थे आप? ये योजनाएं काम की नहीं थीं. इस प्रदेश का बच्चा पढ़ जाए. आधुनिक रूप से आगे निकल जाय, ये आपके मन में नहीं था. 25-25 हजार रुपये हमारे मुख्यमंत्री जी देते थे. आपने रोक दिये. इस साल फिर दे दिये. (मेजों की थपथपाहट)..शिवराज सिंह जी बैठे और कहा कि बच्चों पढ़ो, आधुनिक शिक्षा लो. अब बैलगाड़ी युग में नहीं रहना है.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी योजना जो इन्होंने बंद की. जरा इनका विज़न देखिए. ये कैसे लोग बैठ गये थे? संबल योजना बंद कर दी. (शेम-शेम की आवाज)...ये समीक्षा की आपने पूर्व मुख्यमंत्री जी? आपने संबल योजना बंद कर दी. संबल योजना में क्या करते थे? (श्री सज्जन सिंह वर्मा, सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) आपका यह राज्यपाल महोदय का अभिभाषण है. मैं संबल योजना का आपको बताता हूं. नया सवेरा और पुराना सवेरा, गर्भ के बच्चे को, 4000 रुपये गर्भवती माताओं को देते थे. (XXX)
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, आप सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक हैं. आसंदी पर अध्यक्ष रह चुके हैं किस प्रकार की मर्यादित भाषा का उपयोग आपको करना चाहिए. फिर आपसे हमसे अपेक्षा कर रहे हैं. (XXX) क्या यह ठीक है?आप फिर हम लोगों से भी यह अपेक्षा करेंगे.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - यह आपत्तिजनक है क्या अध्यक्ष जी. क्या बोलना है, क्या नहीं बोलना है, यह तय करेंगे?
श्री तरुण भनोत - (XXX) यह कौन-सी भाषा है? यह मर्यादित भाषा है? आप बोलिए, यह मर्यादित भाषा है, हम स्वीकार कर लेंगे. (XXX) और यह मर्यादित है, हम स्वीकार कर लेते हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा - आपने छीना, संबल योजना बंद करके. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जाएगा.
श्री तरुण भनोत - उसको विलोपित कराएं, अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - उसको विलोपित करा दिया है.
श्री तरुण भनोत - धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय.
श्री लक्ष्मण सिंह – (XXX)
डॉ. सीतासरन शर्मा - संबल योजना को बंद कर दिया, इनको अनुपयोगी समझ आई. नई सरकार आई, हमारे मुख्यमंत्री जी की, संबल योजना फिर से शुरू की. आपने तो संबल कार्ड निरस्त कर दिये थे जिनके कार्ड बने थे, जो संबल योजना फिर प्रारंभ की, वर्ष 2020-21 के वित्तीय वर्ष में 51000 हितग्राहियों को 456 करोड़ रुपए उनके खाते में डाले. (मेजों की थपथपाहट).. आपने भैया जो 456 करोड़ रुपये बचाए थे, उसका क्या किया? वही बता दो. आप कह रहे हैं कि मितव्ययिता कर रहे थे. आपने इस रुपये का क्या किया? जो आपने मजदूरों को नहीं देने दिये, जो आपने महिलाओं को नहीं देने दिये, इस रुपये का किया क्या? और लेपटॉप के पैसे आप रखकर बैठ गये, उसका आपने क्या किया?
श्री विश्वास सारंग - आईफा अवॉर्ड, आईफा अवॉर्ड.
श्री विजय रैवनाथ चौरे - 8 महीने से मेरी विधान सभा में संबल के खाते में पैसे नहीं डले हैं शर्मा जी. उसका भी जवाब दें. मुख्यमंत्री जी का लंबा-चौड़ा भाषण हमने भी सुना है. 8 महीने हो गये हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -आपको तो कोई अधिकारी ही नहीं है बोलने का. जब सरकार ने योजना बंद की थी, तब बोल देते एकाध बार. हमारे प्रधानमंत्री जी ने नया विज़न दिया आत्मनिर्भर भारत का और उसी आधार पर हमारे मुख्यमंत्री जी आगे आये सबसे पहले रोड मैप बनाया आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का, उसके चार कंपोनेंट रखे, यह विजन होता है. यह चार सौ छप्पन करोड़ कहां से आये हैं,अभी और बतायेंगे कहां कहां के आपने रोक रखे थे, यह जो पेज आपने लिखा है न राज्यपाल जी के अभिभाषण में कि हमने अनुपयोगी योजना रोक दी हैं. दो तो मैं बता चुका हूं तीसरी पर आता हूं जरा धीरज रखें. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश इसके चार कंपोनेंट हैं यह विजन है भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, अर्थव्यवस्था एवं स्वरोजगार यह चार कंपोनेंट हैं, जिनके आधार पर आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की नींव रखी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय शहरी और ग्रामीण पथ विक्रेताओं की लाक डाउन में हालत खराब हो गई थी. 10 हजार रूपये केन्द्र सरकार ने शहरी पथ विक्रेताओं के लिए और मध्यप्रदेश की सरकार ने ग्रामीण पथविक्रेताओं के लिए 10 हजार रूपये का बिना ब्याज का लोन दिया है यदि वह 10 हजार लौटा देंगे तो उनको 20 हजार का लोन लेने की पात्रता हो जायेगी और यदि वह 20 हजार लौटा देंगे तो उनको पचास हजार रूपये देंगे, यह है हमारा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश.
अध्यक्ष महोदय अब किसानों के बारे में बात कर ली जाय. आप किसानों के बड़े हितैषी बनते हैं, आपने क्या किया था, मैं फिर से वही आपकी लाइन याद दिलाता हूं. आपने कहा था कि अनुपयोगी, जो कि प्रासंगिक नहीं है. अच्छा किसान प्रासंगिक है या नहीं है. 200 रूपये बोनस दिया था मुख्यमंत्री जी ने, 1800 का गेहूं 2000 में खरीदा था आपकी सरकार में 1900 रूपये में खरीदा था. अब मैं क्या कहूं शेम बोलूं शेम. हमारे मुख्यमंत्री जी ने बोनस दिया है धान और गेहूं दोनों में दिया है और चालू वर्ष का भी दिया है और पिछले वर्ष का भी दिया है. आपने कितना उपार्जन किया है. आप कहते हैं कि एमएसपी बंद हो जायेगी, क्यों गुमराह करते हैं. 73 लाख टन आपका उपार्जन था, 1 करोड़ 29 लाख टन इस सरकार का उपार्जन है. एक साल में इतना अंतरर.
श्री कुणाल चौधरी -- यह गेहूं उत्तरप्रदेश और बाहर के राज्यों से तो नहीं आया यह चैक करना होगा.
डॉ सीतासरन शर्मा -- तुलाई करके सब रखा गया है गोदाम में, सब सुरक्षित है. इ स वर्ष 11 हजार करोड़ का अधिक गेहूं खरीदा गया है. धान आपने 25 लाख टन खरीदी हमारी सरकार ने 37 लाख टन खरीदी है, कहां हैं आप कहां कि बात कर रहे हैं. यह सारा प्रदेश देख और सुन रहा है. इसीलिए आपको वहां पर 15 माह में ही बैठना पड़ा है. किसानों के बारे में एक बात और कहना चाहता हूं 2200 करोड़ रूपये आपने कहां कर दिये थे. आपने तो बीमा का अपना हिस्सा ही नहीं डाला, एक साल निकल गया. आप किसानों की बात करते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पदभार ग्रहण किया और इंश्योरेंस की किश्त डाली और इस तरह से 44 लाख किसानों को 8800 रूपये की बीमा राशि मिली. आपके समय में कितनी मिली है, किसी को याद है, पूर्व वित्त मंत्री जी बैठे हैं.
श्री तरूण भनोत -- अभी बताऊं क्या.
डॉ सीतासरन शर्मा -- नहीं बाद में बता देना. आपका मौका भी आयेगा.यहां पर केवल फसल की बात नहीं है. गांवों का विकास भी करना है. इ सलिए जब अटल जी आये तब प्रधानमंत्री सड़क और मुख्यमंत्री शिवराज जी के आने पर मुख्यमंत्री सड़क बनना शुरू हुई हैं. अब ग्रामीण क्षेत्र की आबादी की मैपिंग हो रही है. उनको अधिकार पत्र दिये जायेंगे, कहां थे 70 साल से आप लोग. गांव की जनता दिखती थी या नहीं दिखती थी. यह काम आप भी तो कर सकते थे लेकिन नहीं किया, क्या करना है हम तो सत्ता में बैठे हैं और एक नेता जी हैं हमारे उनके नाम पर हम चुनाव जीत जायेंगे, अब देखें 40-45 सीट आ रही है. सिंचाई, यह भी किसान से संबंधित है. आपने एकाध फुट सिंचाई की व्यवस्था एक साल में की है ? एकाध फुट कह रहा हूं. यहां तो 7 लाख से 41 लाख हैक्टेयर पर आ गये और अब हमारा 65 लाख हैक्टेयर का लक्ष्य है. ग्रमीण क्षेत्र में एक और बड़ा काम हुआ है और वह था फीडर सैपरेशन का, क्योंकि थ्री फेस लाईन देते थे तो गांव में नहीं रहती थी और तब पुरानी सरकार माननीय दिग्विजय सिंह जी की थी, तब माननीय गोपाल भार्गव जी ने एक प्रश्न उठाया था कि ग्रामीण क्षेत्र में बिजली नहीं रहती है तो क्या आप वहां के बच्चों को बोनस अंक देंगे. हमारे मुख्यमंत्री जी ने आते से ही उसकी व्यवस्था की और कहा फीडर सैपरेशन करो, हम सिंगल लाईन देकर, सिंगल फेस देकर गांव में पूरे समय बिजली देंगे. यह है विज़न. इसको कहते हैं विज़न.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार ने अपनी योजना के माध्यम से किया था.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, एक साल में अर्थात इसी एक साल में आते से ही काम करना शुरू किया, 23 तारीख को शपथ ली और मीटिंग की कि कोरोना के संगट से निपटने के लिये क्या करना है. एक साल में 394 मेगावॉट बिजली की वृद्धि कर दी गई. पिछले साल से 9 परसेंट अधिक बिजली उपभोक्ताओं को दी. सोलर एनर्जी...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, बिजली बिल कितना कम किया था ?
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, वह भी कम हो जायेगा, सोलर एनर्जी आने तो दो. आपने तो कुछ किया ही नहीं था और एक साल में भी कुछ नहीं किया. जनता ने मौका दिया था कि साल भर, 15 महीने इनको टेस्ट कर लें, पूरे फेल हो गये. रीवा में एशिया का सबसे बढ़ा सोलर प्लांट डला और अब ओंकारेश्वर में 600 मेगावॉट का विश्व का सबसे बड़ा सोलर प्लांट डलने वाला है. उसमें 45 हजार सोलर पम्प लगाये जाने की योजना है. शिक्षा, कोरोना काल था, बच्चे पढ़ नहीं पाते थे, तो रेडियो विद्यालय शुरू किये. यह है सोच. यह जनता से जुड़ने की बात है. हमारे बच्चे क्या करेंगे, मुख्यमंत्री जी ने सोचा और अब एक नई योजना 9200 विद्यालयों की विचार में है, सर्वसुविधा युक्त स्कूल जिसमें सारे सब्जेक्ट्स के टीचर रहेंगे, सारी सुविधाएं रहेंगी, जो अच्छे से अच्छे प्रायवेट स्कूल में रहती हैं, ताकि हमारे बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे बढ़ सकें. खेलकूद के लिये, खेल में पिछले 15 साल का मध्यप्रदेश आप देख लीजिये, उसके बाद हमारे 15 सालों का देख लीजिये. एकतरफा बढ़ोत्तरी हुई. कई मेडल्स आये, मैं विवरण में नहीं जाना चाहता, समय भी हो रहा है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- अध्यक्ष महोदय, पंडित जी, थोड़ा मास्क लगा लीजिये, वायरस इधर आ रहा है.
01.03 बजे {सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए.}
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, आएगा ही, उधर आएगा ही, बचने वाले नहीं हैं, अभी तो 98 हैं, 9 बचेंगे. 50-50 एकड़ का ग्वालियर और भोपाल में वर्ल्ड लेबल का स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स खोला जा रहा है. उच्च शिक्षा के लिये 105 कॉलेजों को 554 करोड़ रुपये दिये गये. 200 के उन्नयन का कार्य जारी है. स्वच्छ भारत मिशन, सारी चीज़ों में तो हमारा प्रदेश एक साल में अग्रणी हो गया है. आपने बहुत पीछे कर दिया था. इंदौर फिर पहले नंबर पर आ गया, राजधानी में भोपाल फिर पहले नंबर पर, स्मार्ट सिटी में पहले नंबर पर है. स्वच्छ भारत मिशन जो हमारे प्रधानमंत्री जी का सपना है, उसमें मध्यप्रदेश सारे देश में अग्रणी राज्य है. अब आखिरी है सुशासन, सारी बात होती है सुशासन से. आप भी आये थे 15 महीने, जो मैंने शुरू में कहा था, हमारे पूर्व वित्त मंत्री भनोत साहब गुस्सा हो गये, मुझे कोई शब्द अच्छा नहीं मिला (XXX) इसलिये क्षमा चाहता हूं, वैसे तो मैं भाषा हमेशा अच्छी बोलता हूं. आपने 15 महीने क्या किये ?
राजस्व एवं परिवहन मंत्री (श्री गोविंद सिंह राजपूत) -- सभापति महोदय, मुरझाये हुये फूल बोल दीजिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, आपका सुशासन क्या था ? एक लाईन से 15 महीने में आपने सिर्फ ट्रांसफर किये. मैंने विधानसभा प्रश्न लगाया, उसका उत्तर आज तक नहीं आया कि कितने ट्रांसफर किये और कितने रुपये खर्च हुये, क्योंकि क्या उत्तर देते. हमारे होशंगाबाद जिले में एक साल में तीन कलेक्टर बदल दिये.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा) -- सभापति महोदय, नर्मदापुरम कहिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, धन्यवाद है माननीय मुख्यमंत्री जी को, हमारे प्रदेश की संस्कृति की भी रक्षा कर रहे हैं. हमारे नर्मदापुरम जिले में एक साल में 3 कलेक्टर आपने बदल दिये, हम तो अभी आपके कलेक्टर से एक साल से काम चला रहे हैं.
श्री पी.सी. शर्मा -- नहीं बदल पाओगे, मजबूरी है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- तीन आईजी बदल दिए. दो कमिश्नर बदल दिए. क्या यह सुशासन है ? अधिकारी समझ नहीं पाएंगे जिले को, संभाग को, तीन एसपी बदल दिए, क्या यह सुशासन है ? इसीलिए भराभरा के ताश के पत्ते के समान आपकी सरकार गिर गई. सभापति महोदय, बातें तो बहुत करनी हैं. एक बात और बता देता हूँ और अपनी बात समाप्त करूंगा. एक बात तो आप अपने नेता जी को बता देना, (XXX) एक ही तो नेता हैं इनके, चार-पांच हैं क्या ? एक ही है एक, ''एक ही धर्म, एक व्रत नेमा'', कि यहां पर मध्यप्रदेश में मत्स्य विभाग है. वे दिल्ली का कह रहे थे कि यहां पर मत्स्य विभाग खोल दो, वह तो था ही, उन्हें पता नहीं था. कहीं ऐसा न हो कि कभी वे मध्यप्रदेश आएं और कह दें कि मत्स्य विभाग क्यों नहीं है, तुलसी सिलावट जी बैठे हैं..(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदय, जो इस सदन के सदस्य नहीं हैं, उनका ये उल्लेख कर रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- उनका नाम हटा दें. ..(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदय, अभी बड़ी-बड़ी शिक्षा दे रहे थे, अगर हम लोग कटाक्ष करेंगे और दो लोगों की सरकार की बात करने लगेंगे, तो बुरा लगेगा. जो सदन के सदस्य नहीं हैं, उनका उल्लेख ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- वह विलोपित होगा. ..(व्यवधान)..
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अच्छा वह नाम हटा दो, पर मत्स्य विभाग है, यह तो खबर दे देना ..(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- ऐसी बात मत बोलो, अच्छा लग रहा है बार-बार आपकी बात काटनी पड़ती है. आप खुद अध्यक्ष रहे हैं..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- शर्मा जी, आपको नाम लेना ही नहीं था, सबको पता है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- गलती हो गई.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अगर शर्मा जी राहुल गांधी जी से बात करना चाहते हैं तो वे वहां संसद में क्यों नहीं चले जाते ?
श्री पी.सी. शर्मा -- शर्मा जी, आपका चांस जा चुका है, कितनी ही बात करो, मंत्री नहीं बन पाओगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, विषय बहुत हैं, हमारे बाकी माननीय सदस्य भी और विषय लेंगे. सिर्फ एक ही क्षेत्र में नहीं, सारे क्षेत्रों में हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने काम किया है. नई सरकार ने 11 महीने में काम किया है. पर एक बात आखिरी, 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जी जब बनी थीं, तब एक नारा आपने दिया था, जो सीनियर लोग हैं, वे जानते होंगे, '' गांव-गांव से नाता है, सरकार चलाना आता है''. अब गांव-गांव से तो नाता आपका बचा नहीं, 40 साल में फर्क आ गया, क्योंकि आपने गांव के लोगों के निवाले ही छीन लिए थे और सरकार चलाना भी नहीं आता, क्षमा करना, 15 महीने में ही चले गए. हमारे मुख्यमंत्री जी 15 साल से सरकार चला रहे हैं. आप 15 महीने में चले गए. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आप दिल्ली में अच्छे थे. आप क्यों यहां आए, इनके बीच में, ये नहीं चलाने देंगे आपको, ये ठीक से काम नहीं करने देंगे आपको, आपसे न तो सरकार चलती है, न प्रशासन चलता है, न आप किसान का हित देख सकते हैं, न आप शिक्षकों का हित देख सकते हैं, ये सारे काम इस प्रदेश की जनता ने हमारे नेता, सदन के नेता, माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को सौंपे हैं और वे बखूबी इस काम को 15 साल से कर रहे हैं. आगे 15 साल और करेंगे. कृपा करके आप वहीं बैठने की आदत डाल लीजिए, सभापति महोदय, मैं अपनी बात यहीं समाप्त करता हूँ. कृतज्ञता ज्ञापन आप सर्वसम्मति से पास करें, ऐसा आपसे अनुरोध करता हूँ.
श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदय, शर्मा जी से वर्ष 2023 में नर्मदापुरम् के सेठानी घाट पर मिलेंगे और आपका जरूर वहां पर घाट पर आशीर्वाद लेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ) -- (मेजों की थपथपाहट) माननीय सभापति महोदय, मैं बड़ी गंभीरता से डॉ.सीतासरन जी को सुन रहा था, समझने की कोशिश भी कर रहा था. मैंने बहुत सारे राष्ट्रपति और राज्यपाल के भाषण सुने हैं उनका जवाब भी सुना है उनकी बहस भी हुई है और उस बहस में लोक सभा में मैंने भाग भी लिया और जब मैं सीतासरन जी को सुन रहा था, मेरा प्रयास था कि किस गंभीरता से उन्हें लिया जाए, उस पर मैं बाद में आऊंगा. किसी भी राज्य में राज्यपाल का अभिभाषण राज्य सरकार की दिशा और दृष्टि को प्रस्तुत करना होता है. यह परम्पराएं हर राज्य में हैं. लोक सभा में है. दिशाहीन और दृष्टिविहीन है यह जो राज्यपाल का अभिभाषण था. मुझे दया आती है राज्यपाल पर कि उन्हें ऐसा भाषण पढ़ना पड़ा. शुरुआत हुई मोदी जी से, अंत में मोदी जी, दस दफे नाम लिया मोदी जी का. मैं सोच रहा था कि क्या मैं लोक सभा में बैठा हॅूं या विधानसभा में बैठा हॅूं (मेजों की थपथपाहट) इतनी दफे, कौन सा खौफ था. राज्य सरकार तो हमारे मुख्यमंत्री जी चलाते हैं पर कौन-सा खौफ था, कौन-सी छाया में यह भाषण था ?
1.12 बजे { अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए }
श्री कमल नाथ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे ताज्जुब हुआ क्योंकि राज्यपाल जी का भाषण एक गंभीर भाषण होता है. इसमें मैं समझता हॅूं कि मोदी जी को आवश्यकता नहीं है कि उनका प्रचार विधान सभा में किया जाए. उनको, क्या आवश्यकता है ? उनका यहां प्रचार करके आप उन्हें क्या संदेश दे रहे हैं. बहुत सारी बातें सीतासरन जी ने कहीं. माननीय राज्यपाल के अभिभाषण में उन्होंने बहुत सारी बातें कहीं, पर बहुत सारी बातें नहीं कहीं. यह भी हमें देखना है कि क्या कहा और क्या नहीं कहा. क्या उन्होंने किसानों के आंदोलन और किसानों के यह तीन कानूनों के बारें में कुछ कहा ? कहते, हम सहमत हैं (मेजों की थपथपाहट) क्या यह कहते कि हम असहमत हैं. जो मजबूरी में आपको कहना पड़ता है वह तो कह देते, पर अंत में जब आप कहते हैं कि हम किसान हित की बात करते हैं तो जो यह आंदोलन में लाखों लोग 210 लोग मर गए, यह क्या किसी पार्टी के हैं यह क्या बेकार बैठे हैं? यह आज सोचने की बात है. क्या राज्यपाल जी ने पेट्रोल, डीज़ल की बात कही ? कह सकती थीं कि हमें खेद है कि यह बढ़ रहा है, विश्व में ऐसी हालत है. हालत तो नहीं है पर कहने के लिये कुछ भी कह लो, तो जो बातें कहीं वह अपनी जगह हैं पर जो बातें नहीं कहीं, इसमें क्या कदम उठाये जा रहे हैं. जो महिलाओं के साथ हो रहा है क्या आज कृषि क्षेत्र हमारा संतुष्ट है ? सीतासरन जी कह रहे थे कि (XXX) और आप कैसे वहां पहुंचे. क्या मुझे समझाने की जरुरत है ? ..(व्यवधान)....डॉ. सीतासरन जी, आप तो यहां बैठै थे और आप उन सदस्यों में से थे जो यहां बैठे भी उतना मुस्कुराते थे, जो आप वहां बैठे हुए मुस्कुरा रहे हैं. कैसे आप वहां पहुंचे, आप जानते हैं, पूरा देश जानता है. जनता के कारण नहीं पहुंचे, जनता ने तो आपको वर्ष 2018 में घर बिठाया था. याद रखिएगा और आप कहते हैं कि (XXX). ..(व्यवधान)..
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल एक क्षण..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- सदन के नेता बोल रहे हैं चुप हो जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को पूरे ध्यान और सम्मान के साथ सुनेंगे, लेकिन मेरा एक ही निवेदन है कि जब हम बोलें तब वे जरूर यहाँ मौजूद रह कर हमें सुनें. हम एक-एक बात का जवाब देंगे.
श्री कमल नाथ-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी को मेरी बात का जवाब देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी क्योंकि मैं ऐसी कोई बात नहीं कहूँगा. मैं तो इनके (XXX) का जवाब दे रहा हूँ, ये कहते हैं (XXX) साफ किया है. सच्चाई और इतिहास सबके सामने है कि किसने (XXX) साफ किया, (XXX) और आप यहाँ बैठे थे. ये बात हमें कभी नहीं भूलनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, इन्होंने संबल की बात की, संबल योजना हमने समाप्त कर दी. इस पर मैं क्या बहस करूँ. संबल योजना में कितनी गड़बड़ी थी, कितने फर्जी सदस्य थे और हम “नया सवेरा” लाए, हमने तो बिजली दी थी, मैं उनमें जाना नहीं चाहता, मैं छुटपुट बातों में नहीं जाना चाहता. अध्यक्ष महोदय, अंत में एक बात पर मुझे विश्वास है कि जनता गवाह है, जनता गवाह है अंत में....(मेजों की थपथपाहट) आप जो भी कह लो यहाँ और मैं जो भी कह लूँ यहाँ, अंत में जनता गवाह है और समय बदल गया है, इस सदन में सब समझ लें, समय बदल गया है और समय को कोई रोक नहीं सकता. यह समय में परिवर्तन से राजनीति में भी बहुत परिवर्तन हो रहा है और यह परिवर्तन हमें समझना चाहिए. जिनको आप ज्ञान देने जाते थे वे आज आपको ज्ञान देने को तैयार हैं, तो आप हम कुछ भी यहाँ बोल लें या बाहर बोल लें, जनता अंत में, बहुत अन्तर है 10 साल पहले में, बहुत अन्तर है और यही अन्तर आगे का समय तय करेगा.
अध्यक्ष महोदय, कोरोना पर 18 पैराग्राफ ! राज्यपाल ने बस एक बात नहीं कही कि कोरोना शुरू हुआ काँग्रेस के कारण, सब कुछ कह दिया है, अव्यवस्था, वित्तीय संकट, 15 महीनों में प्रदेश बर्बाद हो गया, अभी सीतासरन जी कह रहे थे प्रदेश बर्बाद हो गया. आप यह भी कह देते कि अगर काँग्रेस की सरकार न होती तो मध्यप्रदेश में कोरोना नहीं होता. वह उसी लेवल की बात होती, हमने तो पहले से कहा था, जब मैं मुख्यमंत्री था, मैं कलेक्टर्स से जब वीडियो कॉन्फ्रेंस करता था, फरवरी में, जनवरी में, मैं तो पढ़ता रहता था कि दूसरे देशों में क्या हो रहा है. जब हमारे उस समय के अध्यक्ष ने स्थगन किया, मजाक उड़ाया गया, तब यह कहा डरोना-वरोना, यह सब बात तो हो गई. कोरोना के लिए तो कोई तैयार नहीं था. कोरोना अपने देश में आएगा, अपने मध्यप्रदेश में आएगा, कोई तैयार नहीं, मैं कहूँ कि हमने पूरी तैयारी की थी, गलत होगा. मैं वैसी भाषा नहीं बोलता कि हमने पूरी तैयारी कर ली थी. हम तैयारी करने जा रहे थे क्योंकि यह एक नई चीज थी, जो देश में पहली दफे आई, उसकी तैयारी में, अब मुझे कहना पड़ेगा, हमारे स्वास्थ्य मंत्री उस समय बैंगलोर थे, किससे मैं बैठकर बात करता? बुरा मत मानना. (मेजों की थपथपाहट) तो मैं आप से बात करता या अपने मित्र कर्नाटक के मुख्यमंत्री यदुरप्पा से बात करता?...(व्यवधान)...नहीं, नहीं, मैं कोई उंगली नहीं उठा रहा, मैं तो कह रहा हूँ जो प्रोग्राम था, तो व्यवस्था शुरू की पर यह कह देना कि, अब से 11... जो कहा, वह मैं पढ़ रहा हूँ कि, “अब से 11 माह पहले मेरी सरकार ने विषम परिस्थितियों में प्रदेश का कार्यभार संभाला, उस समय एक ओर कोरोना महामारी प्रदेश में तेजी से अपना पैर पसार रही थी तो दूसरी ओर सरकार की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी. प्रदेश में चारों ओर अविश्वास, असमंजस, आशंका और अव्यवस्था का वातावरण था.” हमने 15 महीनों में ही कर डाला, पूरा प्रदेश बर्बाद हो गया? ऐसी बात कहना, क्या सच है? मैं तो पूछना चाहता हूँ कौन जिम्मेदार है. 23 मार्च के बाद कौन जिम्मेदार है. 23 मार्च के बाद कितना कोरोना बढ़ा. अभी सीतासरन जी पढ़ रहे थे कि इतने टेस्टिंग किट आए, फलानी व्यवस्था की गई, की गई, यह तो करना थी. इसकी शुरुआत हुई क्योंकि अव्यवस्था अपने प्रदेश में हुई जो परिस्थितियां बनीं. मैं ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहता, सीतासरन जी मैं आपकी एक-एक बात का जवाब नहीं दूंगा. मैं तो इतना ही कहूंगा कि राज्यपाल के अभिभाषण और राष्ट्रपति के अभिभाषण में एक दृष्टिकोण, एक नजरिया दिया जाता है. बेरोजगारी के बारे में एक लफ्ज़ नहीं कहा गया है. आप कह सकते थे, मोदी जी तो कहते थे 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार मिलेगा. आप यह तो कह सकते थे कि 10 लाख नौजवानों को रोजगार देंगे.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल) -- इसके बारे में अभिभाषण में लिखा हुआ है. शायद आपने पढ़ा नहीं है.
श्री कमल नाथ -- हमारे लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है. यही नौजवान हमारे प्रदेश का भविष्य में निर्माण करेंगे, हमारे देश का निर्माण करेंगे. आज के नौजवान और बीस साल पहले के नौजवान में बहुत अन्तर है. अब वह पढ़ लिख लिया है, अब वह गांव का या शहर का नहीं रहा है. इसको मैं मानता हूं कि यह सबसे बड़ी चुनौती है. कृषि क्षेत्र की तो चुनौती है कि कैसे नई क्रांति लाएं, पर नौजवानों में कैसे क्रांति आए. उनकी जो पीड़ा है उस पर हमारी क्या सोच है. राज्यपाल के भाषण में इस पर कुछ नहीं कहा गया है. हम प्रदेश में ज्यादा निवेश लाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं. हमारा प्रदेश पांच प्रदेशों से घिरा हुआ है यह एक मैन्युफेक्चरिंग हब बन सकता है. जो मैन्युफेक्चरर पंजाब में अपना सामान बनाता है और केरल में बेचता है वह पंजाब में फेक्ट्री क्यों लगाए मध्यप्रदेश में क्यों न लगाए. यह एक सोच की बात होती है. यह एक नजरिए, दृष्टिकोण की बात होती है. मैं कहूं कि आपने सब कुछ बिगाड़ दिया या मैंने सब कुछ बिगाड़ दिया इस सब में एक बात याद रखिएगा कि यदि हम प्रदेश के विकास की बात करें, प्रदेश की उन्नति की बात करें. अगर हम वहां बैठे होते तो आपके बिना नहीं हो सकता था और अगर आप वहां बैठे हैं तो हमारे बिना भी नहीं हो सकता है. (मेजों की थपथपाहट) यह दोनों तरफ की बात है. कैसे हम मिलकर अपने प्रदेश के बारे में सोचें यह मेरा प्रयास है.
अध्यक्ष महोदय, कैसा प्रदेश मुझे सौंपा गया था. आत्म हत्या में नंबर वन, महिलाओं के अत्याचार में नंबर वन. बुरा मत मानिएगा शिवराज जी, मैं तो यह आंकड़े बता रहा हूँ. मैं आपके ऊपर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूँ. बेरोजगारी में नंबर वन. 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश की जनता ने बनाई थी और हमने 15 महीनों में पूरा कबाड़ा कर दिया. 15 साल में आपने इतने सारे अस्पताल बना दिए, 15 साल में आपने इतना सब कुछ कर लिया. 15 साल थे आपके पास. हमारे पास 15 महीने थे जिसमें से ढाई महीने लोक सभा चुनाव और आचार संहिता में चले गए, एक महीना उथल-पुथल में गया. मेरे पास तो 11 महीने थे, यह तो आपको समझना है. इस पर आप जरुर कुछ टिप्पणी करिएगा
श्री कमल पटेल -- हमें आपसे सहानुभूति है.