मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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चतुर्दश विधान सभा                                                                     दशम् सत्र

 

 

फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र

 

बुधवार, दिनांक 24 फरवरी, 2016

 

(5 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1937 )

 

 

[खण्ड-  10 ]                                                                              [अंक- 2 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

बुधवार, दिनांक 24 फरवरी, 2016

 

(5 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1937 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 10.32 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

(10.32 बजे)                                  निधन का उल्लेख

 

(1)              श्री बलराम जाखड़, पूर्व लोकसभा अध्‍यक्ष,

(2)             श्री मुफ्ती मोहम्‍मद सईद, जम्‍मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री,

(3)             श्री बसोरी सिंह मसराम, पूर्व लोकसभा सदस्‍य,

(4)             श्री विनय कुमार दीवान, पूर्व विधानसभा सदस्‍य, तथा

(5)             डॉ. रामनारायण तैनगुरिया, पूर्व विधानसभा सदस्‍य.

 

 

            अध्‍यक्ष महोदय-- मुझे सदन को सूचित करते हुये अत्‍यंत दुख हो रहा है कि पूर्व लोकसभा अध्‍यक्ष एवं राज्‍यपाल डॉ. बलराम जाखड़ का 03 जनवरी, जम्‍मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री श्री मुफ्ती मोहम्‍मद सईद का 7 जनवरी एवं पूर्व लोकसभा सदस्‍य श्री बसोरी सिंह मसराम का 25 जनवरी, तथा पूर्व विधान सभा सदस्‍य श्री विनय कुमार दीवान का 30 जनवरी, एवं डॉ. रामनारायण तैनगुरिया का 12 फरवरी 2016 को निधन हो गया है.

          डॉ. बलराम जाखड़ का जन्‍म 23 अगस्‍त, 1923 को पंचकोसी, जिला फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था. डॉ. जाखड़ 1972 में पंजाब विधान सभा के सदस्‍य निर्वाचित हुये एवं मंत्रिमंडल में उप मंत्री सहकारिता, सिंचाई और विद्युत विभाग रहे. तदनंतर आप 1977 में पुन: सदस्‍य निर्वाचित हुये और विपक्ष के नेता रहे. आप 1980 में सातवीं, 1984 में आठवीं, 1991 मे दसवीं एवं 1998 में बारहवीं लोकसभा के सदस्‍य निर्वाचित हुये. आपने 1980 से 1989 तक लगातार दो बार लोकसभा के अध्‍यक्ष के रूप में कार्य किया. डॉ. जाखड़ 1991 में केन्‍द्र सरकार में कृषि मंत्री रहे. आपने 30 जून, 2004 से जून 2009 तक मध्‍यप्रदेश के राज्‍यपाल के पद को सुशोभित किया था.

          आपके निधन से देश ने एक वरिष्‍ठ राजनेता, संसदविद्, कुशल प्रशासक एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.

          श्री मुफ्ती मोहम्‍मद सईद का जन्‍म 12 जनवरी, 1936 को बीजबेहरा, जिला अनंतनाग (जम्‍मू-कश्‍मीर) में हुआ था. आप 1975 में प्रदेश कांग्रेस के अध्‍यक्ष रहे. आपने 1999 में पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया. श्री मुफ्ती 1962-1972 तक जम्‍मू-कश्‍मीर विधान सभा एवं 1972-1977 में जम्‍मू-कश्‍मीर विधान परिषद के सदस्‍य रहे. आप राज्‍य सरकार में समय-समय पर विभिन्‍न विभागों के मंत्री भी रहे. तदनंतर आप 2008 तथा 2014 में विधान सभा सदस्‍य निर्वाचित हुये. श्री मुफ्ती 2002 से 2005 तक तथा 2015 से 7 जरवरी, 2016 तक दो बार जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य के मुख्‍यमंत्री रहे. आप 1986-1989 एवं 1992-1996 में राज्‍यसभा तथा 1989 में नौंवी एवं 1998 में बारहवीं लोकसभा के सदस्‍य रहे. आप 1986-1987 में केन्‍द्र सरकार में पर्यटन मंत्री तथा 1989-1990 में गृह मंत्री रहे.

          आपके निधन से देश ने एक वरिष्‍ठ राजनेता एवं कुशल प्रशासक खो दिया है.

         

          श्री बसोरी सिंह मसराम का जन्‍म 29 नवम्‍बर, 1945 को ग्राम डुंगरिया, जिला मण्‍डला में हुआ था. श्री मसराम 1966-1976 तक शासकीय सेवा में रहे. आप 1977 में कांग्रेस में शामिल हुये. श्री मसराम ने प्रदेश की दसवीं विधान सभा (1993-1998) में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की ओर से बजाग क्षेत्र का प्रतिनिधित्‍व किया और मई 1998 से राज्‍यमंत्री, सामान्‍य प्रशासन, ग्रामोद्योग, विधि और विधायी कार्य तथा संसदीय कार्य विभाग रहे. वर्ष 2009 में आप पन्‍द्रहवीं लोकसभा के सदस्‍य निर्वाचित हुये थे.

          आपके निधन से प्रदेश ने एक कर्मठ समाजसेवी एवं कुशल प्रशासक खो दिया है. 

 


 

         

          श्री शिवराज सिंह चौहान(मुख्यमंत्री)--माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री बलराम जाखड़ जी नहीं रहे. उनका नाम लेते ही एक स्वस्थ, प्रसन्न व्यक्ति थे. वे केवल कद में ऊंचे नहीं थे, उनका व्यक्तित्व भी बहुत बड़ा था. हर दिल अजीज थे. उनके होंठों पर मुस्कराहट मैंने खेलते हुए देखी. वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वे विरोधियों का दिल भी जीतते थे. गीता में एक श्लोक है. अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा था कि सात्विक कार्यकर्ता कौन है? तो श्रीकृष्णजी ने कहा था मुक्त संघों अन्हमवादी,धृत उत्साह समनविता,सिद्ध असिद्ध निर्विकारा,कर्ता सात्विक उचते. मुक्त संघों मतलब जो संघ से मुक्त हो न राग हो, न द्वेष हो. जो सबको समान मानते हों. जो सबको अपने व्यक्तित्व से प्रभावित करते हों. अन्हमवादी मतलब जिसमें अहंकार न हो. वे दो दो बार लोकसभा के अध्यक्ष रहे. पंजाब विधानसभा से निर्वाचित विधायक और अलग अलग विभागों के मंत्री. भारत सरकार के कृषि मंत्री. मध्यप्रदेश के गर्वनर. एक नहीं, अनेक पदों को उन्होंने सुशोभित किया था. लेकिन अहंकार उनको छू तक नहीं गया था. अन्हमवादी थे.

          अध्यक्ष महोदय, वे हमेशा धैर्य से भरे रहते थे. मैंने कभी उनको उत्साहहीन नहीं देखा.  अध्यक्ष महोदय, दो तरह के लोग होते हैं. एक वह होते हैं, जिनके पास जाओ तो हमेशा निराशाजनक बातें करते हैं कि नहीं, नहीं कुछ नहीं हो सकता, सब बेकार है. अगर उनके पास जायें तो अपना उत्साह भी खत्म हो जाये. लेकिन दूसरे ऐसे होते हैं जो मुर्दे में प्राण फूंक दे. जाखड़ साहब मुर्दों में प्राण फूंकने वालों में से थे. सफलता और असफलता में सम रहने वाले नेता थे. मैं जो कह रहा था कि श्रीकृष्ण भगवान ने कहा था कि ऐसे कार्यकर्ता को सात्विक कार्यकर्ता कहते हैं. बलराम जाखड़ सही अर्थों में एक सात्विक कार्यकर्ता थे.

          अध्यक्ष महोदय, कृषि मंत्री के रुप में उन्होंने देश में कृषि के विकास में जो काम किया है, कभी भूला नहीं जा सकता. मध्यप्रदेश में राज्यपाल के नाते जब भी मैं उनके पास जाता प्राकृतिक आपदाएं भी उस समय आयीं, वे कहते थे चिन्ता मत कीजिए, मेरी जरुरत जहां  हो, बताईये. किसानों के लिए प्रधानमंत्रीजी से मिलना है, या और किसी से मिलना है तो मैं चलता हूं आपके साथ. खेती कैसे ठीक हो, उस पर सुझाव और सलाह और मार्गदर्शन देने का काम करते थे. वे खुद किसान थे. कृषि पंडित भी थे. व्यावहारिक रुप से किसान थे.  आपमें से कई माननीय सदस्यों को ध्यान होगा कि उनके खेत का किनू वे बुलवाते थे और मुझे भी और बाकी कई माननीय सदस्यों को घर पर किनू भेजते थे कि यह मेरे खेत का किनू है. खेती में कैसे उसका वेल्यू एडिशन हो सकता है, उसका जूस, अंगूर..अलग-अलग उन्नत खेती करते थे. व्यावहारिक रूप से वे खेती को समझते थे. किसानों के दर्द को जानते थे. खेती कैसे आगे बढ़े, वेल्यू एडिशन कैसे हो, इस बात के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते थे.

माननीय अध्यक्ष महोदय, राजभवन में जब वे गवर्नर थे, कोई भी उनसे मिलने जाता था, मैं सोचता हूं कि कभी निराश नहीं लौटता था. समाज के अलग-अलग वर्ग के लोगों को उन्होंने जोड़ा था. वे ऐसे गवर्नर नहीं थे कि राजभवन में केवल संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करें, वे सामाजिक सरोकारों से भी सदैव जुड़े रहते थे. मैंने जिंदगी में कभी उनको निराश होते नहीं देखा. एक बड़ा दुर्भाग्यशाली क्षण उनके जीवन में आया था. जब उनके रहते हुए, उनके सुपुत्र का स्वर्गवास हो गया था. तब मैं उनसे मिलने गया था तो मैं बड़े उसमें था कि कैसे उनसे बात करूंगा, क्या बात करूंगा क्योंकि दुनिया में इससे बड़ा दर्द और तकलीफ हो नहीं सकती. बाप के सामने अगर बेटे की अर्थी उठ जाए तो आप कल्पना कर सकते हैं कि मनोदशा क्या होगी? लेकिन उन क्षणों में भी जो धैर्य मैंने उनमें देखा तो मुझे लगा कि सचमुच में वे एक निष्काम कर्मयोगी हैं और बड़ी से बड़ी तकलीफ को भी वे सह जाते हैं, पी जाते हैं. वे ऐसे विराट व्यक्तित्व हैं जो दलों के पार था. वे केवल कांग्रेस के नेता नहीं थे, वे कांग्रेस के तो थे ही, इसमें कोई दो मत नहीं है. लेकिन सचमुच में उनका व्यक्तित्व इतना विराट था कि देश ने उन्हें अपना नेता मान लिया था. सभी दलों के लोग समान रूप से उनका आदर करते थे. उनकी मित्रता का, उनके संबंधों का दायरा बहुत बड़ा था. ऐसे विराट व्यक्तित्व को हमने खोया है. मैं मानता हूं कि ऐसे हर दिल अजीज, बहुमूखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व की कमी आसानी से पूरी नहीं हो सकती, अपूरणीय क्षति हमारे देश को हुई है.

माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री मुफ्ती मोहम्मद सईद साहब, जम्मू-कश्मीर के अत्यंत लोकप्रिय नेता थे. राजनीति का प्रारंभ कांग्रेस से किया. लेकिन उनकी लोकप्रियता और उनका जनाधार इतना व्यापक था कि बाद में उन्होंने 'पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी' का गठन किया. वे जम्मू-कश्मीर की विधान सभा के सदस्य भी रहे. वे विधान परिषद के सदस्य भी रहे और राज्य सरकार में अलग-अलग विभागों के मंत्री रहे. जम्मू-कश्मीर के विकास में वहां की जनता को जोड़े रखने में उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है, अतुलनीय योगदान है. वे भारत सरकार में गृह मंत्री भी रहे. उन्होंने प्रशासनिक दक्षता का, कुशलता का परिचय दिया और दो बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे. अभी तो सीटिंग मुख्यमंत्री थे, मैं समझता हूं कि शायद बहुत कम ऐसी घटनाएं होती हैं, जब मुख्यमंत्री रहते हुए किसी का निधन हो जाय, स्वर्गवास हो जाय.

माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री जी ने सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीम का जो एक सब ग्रुप बनाया था, उसके संयोजक का दायित्व मुझे सौंपा था और माननीय मुफ्ती साहब उसी सब ग्रुप के एक माननीय सदस्य थे. मैंने तब उनका गांभीर्य देखा! वे छोटी से छोटी बात पर भी जितने महत्वपूर्ण और गंभीरता के साथ सुझाव देते थे, उनके सुझाव मुझे रिपोर्ट बनाने में बड़े सहायक लगे. दिल्ली की बैठकों में वे आते थे. मुझे लगा कि वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे हमारे भारत देश के कि जम्मू-कश्मीर की समृद्धि और विकास में वे न केवल रुचि लेते थे, बल्कि उनका बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहता था. जम्मू-कश्मीर की जनता के कल्याण में सदैव निरत रहते थे. वे असमय चले गये. बड़े गौर से सुन रहा था जमाना तुम ही सो गये दास्तां कहते कहते. अभी समय नहीं था कि वह हमारे बीच से जाते लेकिन वह अचानक हमें छोड़कर चले गये. उनके निधन से भी हमने एक कुशल राजनेता और एक कुशल प्रशासक को खोया है.

          अध्यक्ष महोदय श्री बसोरी सिंह मसराम जी आदिवासी समाज के लोकप्रिय नेता थे. वे इस समाज के लोगों की तरक्की के लिए, विकास के लिए, कल्याण के लिए जीवन भर प्रयत्नशील रहे. कांग्रेस के वह अच्छे कार्यकर्ता थे और कांग्रेस की ओर से ही उन्होंने बजाग क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था 1998 से वह राज्य मंत्री रहे थे सामान्य प्रशासन, ग्रामोद्योग विधि विधायी विभाग , संसदीय कार्यमंत्री भी वे रहे और उन्होंने अपनी प्रशासनिक कुशलता का भी परिचय दिया. उनके निधन से मध्यप्रदेश ने एक कर्मठ समाजसेवी और एक कुशल प्रशासक को खोया है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय बचपन से मैं नाम सुना करता था. स्वर्गीय विनय कुमार दीवान जी का. मेरा गांव होशंगाबाद में नर्मदा जी के उस तरफ था हम बहुत छोटे थे तब से हम सुना करते थे उनका नाम कि वह बहुत बड़े कर्मठ नेता हैं, बहुत लोकप्रिय नेता हैं और सुनते भी क्यों, अध्यक्ष महोदय वह केवल राजनीतिकि कार्यकर्ता ही नहीं थे. वे होशंगाबाद जिले की भूदान समिति के संयोजक थे. वे महाकौशल की भूदान समिति के सदस्य थे. भूदान में जो जमीन प्राप्त हुई थी  वह कैसे गरीब लोगों में बंटे उसके लिए काफी उन्होंने प्रयास किये थे. उनका नाम उस इलाके में हर व्यक्ति की जु़बान पर रहता था 1969-70 में कृषि उत्पादन सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने काम किया, उनकी इतनी लोकप्रियता थी कि वे लगातार तीन बार तीसरी, चौथी और पांचवी विधान सभा के सदस्य रहे . उनके निधन से हमने एक लोकप्रिय समाज सेवी को खोया है, कुशल राजनेता, एक लोकप्रिय नेता को खोया है. उनके निधन से प्रदेश को एक अपूरणीय क्षति हुई है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय डॉ रामनारायण तैनगुरिया जी बहुत सहज और सरल थे. जब वे चुनाव लड़े तो उस समय, मुझे यह कहते हुए संकोच नहीं है कि भाजपा के लोगों ने उस समय यह माना था कि यह क्या चुनाव जीतेंगे, लेकिन ऊपर से सहज सरल दिखने वाले रामनारायण तैनगुरिया जी उस समय भारी बहुमत से चुनाव जीते थे और बड़ी सहजता और सरलता के साथ में जनता से मिलते थे और जनता की सेवा करने का काम करते थे और समाज के हर वर्ग में उनकी लोकप्रियता थी 1993-98 तक बासोदा विधान सभा क्षेत्र से उन्होंने इस सदन में प्रतिनिधित्व किया था . उनके निधन से भी हमने एक सहज और सरल राजनेता को अपने बीच से खोया है. उनके निधन से भी हमारे जीवन को अपूरणीय क्षति हुई है. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं अपनी ओर से सदन की ओर से और प्रदेश की साढे़ सात करोड़ जनता की ओर से जो दिवंगत आत्माएं हैं, उनके चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं, परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि उन्होंने उनको अपने श्रीचरणों में स्थान दिया ही होगा क्योंकि उनका व्यक्तित्व उनके काम ऐसे थे कि जो परमात्मा को भी प्रिय थे, उनके अनुयायी उनके परिजन और बाकी उनके समाज के जो लोग थे जिनके वह निकट रहे हैं वैसे तो वह सबके ही निकट थे उनको यह दुख सहन करने की शक्ति दे दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें. ओम शांति, शांति , शांति.

          उप नेताप्रतिपक्ष( श्री बाला बच्चन ) -- अध्यक्ष महोदय डॉक्टर बलराम जाखड़ साहब कांग्रेस पार्टी के बहुत बड़े कद्दावर नेता थे, वे हमारे देश के भी बड़े नेता थे. मध्यप्रदेश के वह पूर्व राज्यपाल रहे हैं. वे आज हमारे बीच में नहीं रहे हैं. वे 92 वर्ष के थे लंबे समय से बीमार थे और दिल्ली में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका बड़ लंबा राजनीतिक जीवन रहा है अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि संसदीय लोकतंत्र किस तरह से मजबूत हो और इसके लिए उन्होंने एक से एक बढ़कर काम किये और हमारे लोकतंत्र को मजबूत कराने में उनकी सराहनीय भूमिका रही है. उनका जन्म 23 अगस्त 1923 को  पंजाब के पंचकोषी गांव में हुआ था जो कि फिरोजपुर जिले में आता है. और पहले वह खेती-किसानी से जुड़े हुए थे बाद में वे राजनीति में आए और जिस तरह से आपने भी अभी अपनी बात में यह उल्‍लेख किया है कि पहला चुनाव 1972 में उन्‍होंने विधायक के रूप में लड़ा और चुने गए. उसके बाद पंजाब राज्‍य की सरकार में वे उपमंत्री बने. सहकारिता विभाग, सिंचाई विभाग के वे मंत्री रहे और उसके पश्‍चात् सन् 1977 में विधान सभा का दूसरा चुनाव उन्‍होंने लड़ा और जीते तथा पंजाब विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष बने. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 1980 में उन्‍होंने फिरोजपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लोकसभा चुनाव वे जीते. उसके बाद पंजाब राज्‍य की सिकर सीट को उन्‍होंने अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुना और वहां से अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया. मैं आपके माध्‍यम से सदन की जानकारी में लाना चाहता हूँ कि उन्‍होंने उस सीकर सीट से चुनाव लड़ते हुए अपने राजनीतिक जीवन को शिखर तक पहुँचाया और उसके बाद उस शिखर पर अपने राजनीतिक जीवन को उन्‍होंने मेन्‍टेन भी किया. सीकर सीट से उन्‍होंने दो बार चुनाव लड़ा और दोनों बार वे जीते. उसके बाद सन् 1980 से 1982 तक वे लोकसभा के स्‍पीकर भी रहे हैं. सदन के संचालन में उनका यह तरीका होता था कि हमेशा सदन में सबको लेकर वे चलते थे. उनका सदन को चलाने का तरीका हमेशा पारदर्शी होता था और सब उनकी सराहना करें, कहीं भूल न हो जाए, कहीं चूक न हो जाए, इस बात का भी वे हमेशा ध्‍यान रखते थे. मुझे याद है कि उस समय के दो-दो प्रधानमंत्री, जब वे संसद के स्‍पीकर थे तब श्रीमती इंदिरा गांधी जी प्रधानमंत्री थीं, दूसरी बार श्री राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री थे, वे ही नहीं उस समय के जो लीडर ऑफ अपोजिशन मधु लिमये जी थे, वे भी उनकी तारीफ करते थे. श्री जॉर्ज फर्नांडिस जी भी उनकी तारीफ करते थे, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भी उनकी तारीफ करते थे, इतना अच्‍छा उनका राजनीतिक कार्यकाल रहा है. उसके बाद हमारे मध्‍यप्रदेश के वे राज्‍यपाल 30 जून, 2004 से 29 जून, 2009 तक रहे हैं. इस तरह से लंबा राजनीतिक जीवन उनका रहा है और प्रदेश और देश के लिए खूब बढ़-चढ़कर उन्‍होंने हम सबके लिए काम किया है और लंबा मार्गदर्शन उनका हमें मिलता रहा है. उनके निधन से हमने एक वरिष्‍ठ राजनेता, संसदविद् और कुशल प्रशासक एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है. मैं उन्‍हें विनम्र शब्‍दों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ, मैं अपनी तरफ से, अपने दल के सभी विधायक साथियों की तरफ से ईश्‍वर से इस बात की प्रार्थना करता हूँ कि ईश्‍वर उनकी आत्‍मा को शांति प्रदान करें और उनके शोक-संतप्‍त परिवार के प्रति मैं संवेदना व्‍यक्‍त करता हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, श्री मुफ्ती मोहम्‍मद सईद जी का जन्‍म 12 जनवरी, 1936 को बीजबिहारा, जिला अनंतनाग, जम्‍मू कश्‍मीर में हुआ था. सन् 1975 में मध्‍यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के वे अध्‍यक्ष रहे हैं और कई बार जम्‍मू कश्‍मीर विधान सभा के वे विधायक रहे हैं, कई बार वे वहां की विधान परिषद् के भी सदस्‍य रहे हैं. दो बार वे जम्‍मू कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री रहे हैं. वे राज्‍य सभा सदस्‍य रहे हैं, लोकसभा सदस्‍य रहे हैं और भारत सरकार में पर्यटन मंत्री और गृह मंत्री भी रहे हैं. उनके निधन से देश ने एक वरिष्‍ठ राजनेता एवं कुशल प्रशासक खो दिया है. मैं उन्‍हें भी अपनी तरफ से तथा अपने दल की तरफ से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, श्री बसोरी सिंह मसराम जी का जन्‍म सन् 29 नवंबर, 1945 को डुंगरिया जिला मंडला में हुआ था. वे सन् 1966 से 1976 तक शासकीय सेवा में रहे और उसके बाद 1977 में उन्‍होंने कांग्रेस ज्‍वॉइन किया था, इसके पश्‍चात् सन् 1993 से 1998 की टर्म में मेरे साथ वे विधायक रहे हैं, हम दोनों ही साथ-साथ में विधायक थे. उसके बाद मई, 1998 में वे राज्‍यमंत्री बने और सामान्‍य प्रशासन विभाग को देखते थे. उन्‍होंने भी अपने विधान सभा क्षेत्र और प्रदेश के लोगों की अच्‍छी सेवा की है और मैं समझता हूँ कि उनके निधन से एक कर्मठ समाजसेवी और कुशल प्रशासन को हम लोगों ने खो दिया है, मैं उन्‍हें भी अपनी तरफ से तथा अपने दल के सभी विधायक साथियों की तरफ से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ. 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, श्री विनय कुमार दीवान जी का जन्‍म मार्च, 1926 में हुआ था और श्री दीवान जी मध्‍यप्रदेश की तीसरी, चौथी एवं पांचवीं विधान सभा के सदस्‍य रहे हैं. उनके निधन से भी हमने एक लोकप्रिय नेता और कर्मठ समाजसेवी को खो दिया है. उन्हें भी मैं श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं . ऐसे ही डॉ. रामनारायण तैनगुरिया जी का जन्म 25 मार्च 1951 को बासोदा जिला विदिशा में हुआ था, उन्होंने प्रदेश की दसवीं विधानसभा 1993 से 1998 के बीच में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से बासोदा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी किया, उनके निधन से भी प्रदेश के सार्वजनिक जीवन की अपूरणीय क्षति हुई है.

           माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा भी जो पठानकोट के हमले में , उसके बाद सियाचीन और पंचोर के शहीदों को भी मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और देश के उन वीर सैनिकों को सैल्यूट करता हूं जो माइनस 60 डिग्री सेल्सियस पर भारत की सीमाओं की रक्षा करते हुए हम लोगों के लिए लड़ते हैं और हमारी रक्षा करते हैं.शहीद हनुमंथप्पा जी की जीवटता का भी मैं विशेष रूप से जिक्र करना चाहता हूं, छ: दिन तक बर्फ में संघर्ष करते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए हैं, मैं उन्हें भी श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं.

            माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा भी हमारे प्रसिद्ध चित्रकार सुधीर तैलंग जी, साहित्य जगत से निदा फाजली जी और कला जगत से प्रख्यात नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई को भी उनकी सेवाओं के लिए मैं श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं.  मेरी तरफ से तथा  कांग्रेस दल के सभी विधायक साथियों की तरफ से जिन-जिन दिवंगत आत्माओं का मैंने उल्लेख किया है, उन सभी के प्रति मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी दिवगंत आत्माओं को शांति प्रदान करे और उनके शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. ओम शांति.

 

          एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार( अम्बाह)--- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके द्वारा निधन का उल्लेख किया गया है वास्तव में इन महान विभूतियों के हम सबके बीच से चले जाने से अपूरणीय क्षति हुई है. उन सभी को  सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में उनके महती भूमिका के लिये हमेशा उन्हें याद किया जाएगा. उनके निधन से उनके परिवार को, हम सबको गहरा दु:ख पहुंचा है. मैं प्रकृति से  कामना करता हूं कि उनके परिवारों को इस दु:ख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे. मैं अपनी तथा अपने दल की ओर से एवं सभी विधायकगणों की ओर से उन्हें  हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

 

          अध्यक्ष महोदय--- मैं,सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.

 

 

 

(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई)

 

 

         

          विधानसभा की कार्यवाही ,गुरुवार, दिनाँक 25 फरवरी 2016 के प्रातः  10.30 बजे तक के लिये स्थगित.

         

          पूर्वाह्न 10.59  बजे विधानसभा की कार्यवाही, गुरुवार, दिनाँक 25 फरवरी 2016 (6, फाल्गुन, शक संवत् 1937) के पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिए स्थगित की गई.

 

 

भोपालः                                                                             भगवानदेव ईसरानी

दिनाँक- 24 फरवरी 2016                                                            प्रमुख सचिव

                                                                                      मध्यप्रदेश विधानसभा