मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
गुरूवार, दिनांक 23 मार्च, 2017
( 2 चैत्र, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 17 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 23 मार्च, 2017
( 2 चैत्र, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
निधन का उल्लेख
अध्यक्ष महोदय - मुझे सदन को यह सूचित करते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री रबि राय का 06 मार्च, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री पी.शिवशंकर का 27 फरवरी, मध्यप्रदेश विधानसभा के भूतपूर्व सदस्य श्री गुरूचरण सिंह का 12 मार्च तथा डॉ. धर्मवीर का 16, मार्च 2017 को निधन हो गया है.
श्री रबि राय का जन्म 26 नवम्बर, 1926 को ग्राम भउरागढ़ जिला-पुरी(उड़ीसा) में हुआ था, आप चौथी, नवीं दसवीं लोकसभा तथा 1974-1980 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे. श्री राय 1979-1980 में केन्द्र सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रहे. आपने 1989 से 1991 तक लोकसभा के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था.
आपके निधन से देश ने एक वरिष्ठ राजनेता, संसदविद् एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.
श्री पी.शिवशंकर का जन्म 10 अगस्त, 1929 को ममीडीपल्ली जिला हैदराबाद (आंध्रप्रदेश) में हुआ था. श्री पी.शिवशंकर आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे. आप योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे. आप छटवीं और सातवीं लोकसभा तथा 1985-1987 एवं 1987-1993 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. आप राज्य सभा में सदन के नेता तथा बाद में विपक्ष के नेता एवं केन्द्र सरकार में अनेक मंत्रालयों के मंत्री रहे. आपने सिक्किम एवं केरल राज्य के राज्यपाल के पद को भी सुशोभित किया था.
आपके निधन से देश ने एक वरिष्ठ राजनेता, कुशल प्रशासक तथा कर्मठ जनसेवी खो दिया है.
श्री गुरूचरण सिंह का जन्म 01 जनवरी, 1937 को ग्राम चौके(पंजाब) में हुआ था. श्री सिंह दो बार भा.ज.पा. के जिला अध्यक्ष तथा नगर सुधार न्यास विदिशा के अध्यक्ष रहे. श्री सिंह ने प्रदेश की बारहवीं विधानसभा(2003-2008) में भारतीय जनता पार्टी की ओर से विदिशा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
आपके निधन से प्रदेश के सार्वजनिक जीवन की अपूरणीय क्षति हुई है.
डॉ.धर्मवीर का जन्म 02 अगस्त, 1930 को ग्वालियर में हुआ था. आप 1984 में ग्वालियर के महापौर तथा आठ वर्ष तक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे. डॉ. धर्मवीर प्रदेश की आठवीं एवं नौंवी विधानसभा में भाजपा की ओर से सदस्य निर्वाचित हुए थे.
आपके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेता खो दिया है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय रबि राय जी, माननीय पी. शिवशंकर जी, माननीय गुरूचरण सिंह , एवं डॉ. धर्मवीर जी ये सभी ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनके बारे में आज यदि हम सदन में चर्चा करते हैं तो श्री रबि राय जी का लोकसभा अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री के रूप में जो कार्यकाल रहा, वह निश्चित रूप से देश का अविस्मरणीय संसदीय कार्यकाल था. माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने अपने संसदीय ज्ञान से, अपने अनुभव से और अपनी विद्वता से और लोकसभा के कुशल संचालन से एक इतिहास लिखा है. हमारे सुभाष कश्यप जी की और कौल साहब की किताबों की नजीरों में श्री रबि राय जी की रूलिंग्स मिलती हैं. हमें श्री रबि राय जी के अध्यक्षीय कार्यकाल से बहुत कुछ सीखने को मिला है और इस मामले में विधानमण्डलों ने भी उनका काफी अनुसरण उनका किया है. वह उड़ीसा के ही नहीं बल्कि पूरे देश के बहुत प्रतिष्ठित और मान्य नेता थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री पी. शिवशंकर जी ने भी केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में रहते हुए एवं स्वास्थ्य विभाग को संभालते हुए अनेकों अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किये हैं और कुशल प्रशासन इस देश के लिये दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय गुरूचरण सिंह जी मेरे साथ में विधायक भी रहे थे और विदिशा के हमारे बहुत ही वरिष्ठ और काफी लोकप्रिय नेता भी थे. उनके निधन से हम सभी लोगों को काफी दुख है और उनके निधन से प्रदेश को अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. धर्मवीर जी ग्वालियर में काफी लोकप्रिय थे और समस्त ग्वालियर चंबल संभाग उनकी लोकप्रियता का मुरीद था. आज वह भी हमारे बीच में नहीं है. चारो महानुभावों के लिये श्रद्धांजलि देते हुए मैं निश्चित रूप से स्वयं भी और पूरे सदन की ओर से उनके शोक संतप्त परिवारों के लिये सांत्वना देना चाहता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह उनकी आत्माओं को शांति प्रदान करें, धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- अध्यक्ष महोदय, जो आज आदरणीय श्री गोपाल भार्गव जी ने और आपके माध्यम से 4 महान् आत्माओं के निधन का उल्लेख हुआ. जैसा श्री गोपाल भार्गव जी ने कहा कि श्री रबि राय जी बहुत बड़े विद्वान थे. लोकसभा और राज्यसभा के कार्य में उन्होंने बड़ी उपलब्धि हासिल की थी. एक फाइटर के रूप में भी उड़ीसा में वे जाने जाते थे. लेकिन एक विद्वान के रूप में बाद में उनकी ख्याति प्राप्ति हुई.
आदरणीय श्री पी. शिवशंकर जी, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे, आंध्रप्रदेश के थे और बहुत ही अच्छा उनका कार्यकाल पेट्रोलियम और अन्य विभागों में रहा है. उल्लेखनीय काम उन्होंने किये.
आदरणीय श्री गुरुचरण सिंह जी, हम लोगों के साथ विधायक थे. विदिशा नगरपालिका के अध्यक्ष थे, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी थे, उनके लिए भी हम संवेदना व्यक्त करते हैं.
आदरणीय डॉ. धर्मवीर जी, ग्वालियर के इतिहास पुरुष माने जाते थे. वे भी हम लोगों के बीच में आज नहीं हैं. मैं कांग्रेस विधायक दल की तरफ से इन चारों पुण्यात्माओं के लिए ईश्वर से कामना करता हूं और उनका परिवार भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वे स्वस्थ रहें और इस क्षति में हम लोग उनके साथ हैं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन 2 मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
अध्यक्ष महोदय - दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(11.12 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.18 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
पुल-निर्माण की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
1. ( *क्र. 1618 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न संख्या 56, (क्रमांक 503) दिनांक 05 दिसम्बर, 2016 के उत्तर की कंडिका (ख) में माननीय विभागीय मंत्री महोदय द्वारा बताया गया था कि खिलचीपुर व्हाया सेमलीकलां से रामगढ़ मार्ग पर ग्राम बटेडिया में छापी नदी पर, ग्राम लिम्बोदा से कुंडालिया मार्ग पर तथा ग्राम काशीखेड़ा में छापी नदी पर पुल निर्माण कार्य वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता के कारण स्वीकृत नहीं किया जा सका है? यदि हाँ, तो क्या वर्तमान में उक्त पुलों के निर्माण हेतु विभाग द्वारा कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) उपरोक्तानुसार क्या शासन उक्त स्थानों पर पुल निर्माण कार्य का आगामी मुख्य बजट में प्रावधान करेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। तीनों पुल कार्यों के डी.पी.आर. तैयार कर बजट में सम्मिलित करने की कार्यवाही की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्न में वांछित अनुसार बजट में सम्मिलित करने की कार्यवाही की गई है।
कुँवर हजारीलाल दांगी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर से मैं पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं कि मेरी विधान सभा क्षेत्र की जनता की लंबे समय से चली आ रही मांग को माननीय मंत्री जी ने स्वीकार करते हुए बजट में सम्मिलित किया है. मैं आपके माध्यम से उनको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. एक अनुरोध मंत्री जी से करना चाहता हूं कि जो तीन पुलियाएं बजट में स्वीकृति की गई हैं, उनका कब तक टेन्डर बुलाकर कार्य प्रारंभ कर देंगे? यह मुझे आश्वासन दें ?
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, आप बड़े जागरूक सदस्य हैं. माननीय सदस्य जब दूसरे पक्ष में थे तब कोई काम नहीं हो पाये थे, लेकिन मुझे लिखकर के दिया. मैंने उनसे पूछा भी आप तो बहुत सक्रिय सदस्य हैं. आज धन्यवाद दे रहे हैं. काम भी शीघ्रता के साथ शुरू करेंगे. आपने मुझे धन्यवाद दिया. मैं भी आपको धन्यवाद देता हूं.
श्री अमर सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, इसी विषय पर मेरे भी अतारांकित में पुल-पुलिया से संबंधित 4 प्रश्न हैं.
अध्यक्ष महोदय-- इसी से संबंधित?
श्री अमर सिंह यादव-- जी.
अध्यक्ष महोदय-- चलिए पूछिए. मंत्री जी, जानकारी हो तो बता दीजिए.
श्री अमर सिंह यादव--राजगढ़ विधान सभा में राजस्थान सीमा से लगे किलामर्गर में और बोरधनपुरा में एक पुल की मांग की थी.
अध्यक्ष महोदय-- इससे उद्भूत नहीं होता. बैठ जाएं.
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी सब विवरण लिख कर दे दें, उस पर बड़ी गंभीरता से विचार किया जाएगा.
श्री अमर सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, दो साल से लिखा-पढ़ी कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता.
श्री अमर सिंह यादव-- वहां के जिला अधिकारी द्वारा असत्य जानकारी दी है. 20 करोड़ रुपये का इसने घपला कर रखा है. वह जिला अधिकारी सुनता ही नहीं है. मैं परेशान हूं.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइए. यह ठीक बात नहीं है. अब नहीं लिखा जाएगा.
श्री अमर सिंह यादव-- XXX
चंबल नदी पर वृहद डेम का निर्माण
[जल संसाधन]
2. ( *क्र. 5598 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र के नागदा शहर में ग्रेसिम उद्योग द्वारा चम्बल नदी पर क्रमबद्ध 4 स्टॉप डेमों का निर्माण कराया गया था? क्या वर्तमान में ग्रेसिम, केमिकल डिवीजन, लेंसेक्स उद्योग, नागदा नगर, खाचरौद नगर एवं रेल्वे की आवश्यकताएं काफी बढ़ जाने के कारण इन डेमों से पूर्ति नहीं हो पा रही है, इस कारण ग्रीष्मकाल में उद्योग बन्द हो जाते हैं? साथ ही इन छोटे डेमों में पर्याप्त जल नहीं होने से किसानों को सिंचाई भी नहीं करने दी जाती है, जिससे किसानों की फसलें भी प्रभावित होती हैं? (ख) क्या उपरोक्त समस्याओं के निवारण के लिये चम्बल नदी पर एक वृहद डेम के निर्माण की अत्यंत आवश्यकता है? (ग) वृहद डेम निर्माण करने के लिये शासन द्वारा क्या योजना बनाई जा रही है? यदि योजना नहीं बनाई गयी है तो कब तक बना ली जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) चंबल नदी पर कोई वृहद परियोजना प्रस्तावित नहीं है। उज्जैन जिले के नागदा खाचरौद क्षेत्र में सिंचाई, पेयजल एवं औद्योगिक उपयोग के लिये जल कमी की पूर्ति हेतु चंबल नदी की सहायक बागेड़ी नदी पर नागदा नगर से 18 कि.मी. अपस्ट्रीम में चंदवासला परियोजना की साध्यता स्वीकृति प्रदान कर डी.पी.आर. बनाने के निर्देश दिये गये हैं।
श्री दिलीप सिंह शेखावत--अध्यक्ष महोदय, मैं आपको भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि 20 तारीख को मेरा ध्यानाकर्षण आपने ग्राह्य किया था. उस डेम को बनाने के लिए माननीय नरोत्तम सिंह जी और श्रीमती माया सिंह जी दोनों ने भूमिका निभाई. इसमें नरोत्तम जी ने घोषणा भी कर दी थी. मैं उनको एक बार फिर बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.मेरा छोटा सा एक प्रश्न है कि क्या इसी वर्ष आप उसकी डीपीआर बना कर स्वीकृत कर देंगे ? अध्यक्ष जी, नागदा-खाचरौद दोनों जगह पेयजल का संकट रहता है. किसानों को सिंचाई का संकट रहता है. इसके कारण हमारे यहां दो महीने उद्योग बंद रहते हैं जिससे लगभग 60 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष राजस्व की हानि शासन को होती है. कृपया इसी वर्ष डीपीआर बनाकर स्वीकृत कर देंगे तो उचित होगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी, आपका निर्देश था. निनावद खेड़ा के लिए आदरणीय माया सिंह जी ने भी आश्वस्त किया था. जैसा वह कहेंगी लेकिन मेरा माननीय सदस्य से निवेदन है कि चांद-बासला का जो डेम था उससे सिंचाई भी हो रही थी तो जल संसाधन विभाग को वहां डेम बनाने में ज्यादा फायदा था और वहां 17 एमसीएफसी पानी रुक भी रहा था. आपका जो निनावद खेड़ा है यहां पर 4.5 एमसीएम पानी रुकता है इससे सिंचाई भी नहीं हो पाती है लेकिन फिर भी आपका निर्देश था, जैसे ही आदरणीय माया सिंह जी करती हैं, हम कर देंगे.
सी.आर.एफ. मद से निर्मित सड़कें
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 5184 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भारत सरकार के सी.आर.एफ. मद से लोक निर्माण विभाग को विगत 3 वर्षों में कुल कितनी राशि प्राप्त हुई? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त राशि से डिंडौरी जिले में (क) अवधि में विभाग अन्तर्गत किन मार्गों का निर्माण कार्य कब प्रारम्भ हुआ? कार्य कब पूर्ण हुआ? कार्य पर कितना व्यय हुआ? (ग) सी.आर.एफ. के मद से लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित कौन-कौन सी सड़कों की पुन: मरम्मत व निर्माण किया जा रहा है? कितनी राशि स्वीकृत की गयी तथा स्वीकृत राशि में कितनी राशि व्यय की गयी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) वर्ष 2014-15 में रूपये 180.99 करोड़, वर्ष 2015-16 में रूपये 209.69 करोड़ तथा वर्ष 2016-17 में रूपये 128.80 करोड़। (ख) विगत तीन वर्षों में डिण्डोरी संभाग के अंतर्गत सी.आर.एफ. मद में कोई कार्य स्वीकृत नहीं है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री ओमकार सिंह मरकाम--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि सीआरएफ मद में सड़क निर्माण के लिए कितनी-कितनी राशि,किस-किस वर्ष में मिली? मैंने पूछा था कि कब से शुरु हुआ? विभाग ने उसको घुमाकर तीन साल तक में सीमित कर दिया. यह कहां से गड़बड़ी हुई? अध्यक्ष महोदय, कब से शुरु हुआ यह जानकारी लेने का हमारा इतना अधिकार नहीं रहेगा तो मैं समझता हूं कि बड़ा मुश्किल हो जाएगा कि हम लोग जनता को कैसे जवाब दे पाएंगे. अध्यक्ष जी, सीआरएफ मद में कितनी राशि, किस वर्ष में स्वीकृत हुई इसका जवाब विभाग देने के लिए तैयार नहीं है तो यह खेद का विषय है. मैं आपके माध्यम से चाहता हूं कि मैंने जो उत्तर मांगा था कि कब से शुरु हुआ और उसमें किस वर्ष में कितनी राशि मिली यह जानकारी बताने में कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए. यह जानकारी दिलाने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्न कि लोक निर्माण विभाग की वर्तमान में जो डीपीआर बना रहे हैं. इनका सीएसआर का जो सिस्टम है, उसमें मुझे ऐसा लग रहा है कि सीआरएफ मद में जो रिन्यूअल रिपेरिंग हो रहा है इसमें हमको देखना चाहिए यह हमारी जिम्मेदारी है. अध्यक्ष जी, हमारे यहां जो रिन्युअल किये हैं, उसमें डिंडोरी में गाड़ासरई से बजाग सड़क का रिन्युअल किया है. मेरा क्षेत्र हैं, मुझे खुशी है कि रिन्युअल हो रहा है लेकिन उसमें मेरी शंकाएं हैं उनकी जांच के लिए EnC साहब से कहा.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न यह है कि गाड़ासरई से बजाग और बोंडा से गाड़ासरई सड़कों का जो रिन्युअल/निर्माण हुआ है वह सीआरएफ मद से और आपके विभाग के रेगुलर बजट से हुआ था. इन सड़कों के कार्य में गडबड़ी हुई है. माननीय मंत्री जी, क्या वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हमारी उपस्थिति में इसकी जांच कराएंगे?
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो विधायक जी से निवेदन कर रहा हूं कि उन्होंने 3 वर्ष की ही जानकारी पूछी थी तो 3 वर्ष की जानकारी बता दी. ज्याद वर्षों का चाहिये तो और लिखकर दे दें तो पूरी जानकारी आपको उपलब्ध करा देंगे. दूसरा जांच का मामला है तो हम कहीं दूसरी जगह जहां का आप बताओगे वहां से हम जांच करा लेंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - श्री माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मुख्यमंत्री जी इस
नर्मदा सेवा यात्रा में लगे हुए हैं और हजारों की संख्या में नर्मदा जी को मानने वाले भक्त मेरे क्षेत्र में आते हैं खासकर गुजरात के लोग मेरे क्षेत्र में आते हैं. मेरे क्षेत्र में चकरार नदी है,गोमती नदी है और ताकी नाला है. आप भी वहां गये थे तो हमने आपसे अनुरोध किया था अमरकंटक के अरण्डी आश्रम में,उसमें 2 पुलियों के लिये हम लोगों ने मांग की थी 2 पुलिया बन गईं. 3 पुलियों के लिये एक साथ टेंडर हुआ था और 2 पुलिया बनकर तैयार हो गई तीसरी चकरार की पुलिया का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है तो वह चकरार की पुलिया क्यों प्रारंभ नहीं हुई, किसके कारण विलंब हुआ और उसका काम कब प्रारंभ हो जायेगा और बारिश से पहले नर्मदा भक्तों को वह सुलभ रास्ता मिल जाये. यह मंत्री जी करेंगे क्या ?
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय का आप पर बड़ा स्नेह है. इसलिये विषय से हटकर आपको अवसर दिया है. अगर पुलिया नर्मदा तट पर है उसका आप पत्र लिखकर दे दीजिये उसे हम प्राथमिकता पर कराएंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - श्री माननीय अध्यक्ष महोदय, एक छोटा सा निवेदन हैमैं मंत्री जी से यह चाहता हूं कि 3 पुलियों का टेंडर हुआ 2 का काम चालू हो गया 1 का काम चालू क्यों नहीं हुआ, कौन अधिकारी इसके लिये जिम्मेदार हैं उसको आप जरूर देख लें.
अध्यक्ष महोदय - वह उसके लिये राजी हैं.
श्री रामपाल सिंह - जी अध्यक्ष महोदय.
सहकारी बैंकों से राशि आहरण की सीमा
[सहकारिता]
4. ( *क्र. 5374 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के सहकारिता विभाग द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में जिला सहकारी बैंक संचालित किये गये हैं? यदि हाँ, तो नोटबंदी में उपभोक्ताओं को राशि आहरण के प्रतिबंध की सीमा सभी बैंकों के समान ही लागू की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में क्या जिला सहकारी बैंक की शाखाएं ब्लॉक मुख्यालयों पर संचालित हैं, जहां पर राशि का लेन-देन किया जाता है? यदि हाँ, तो क्या सरकारी बैंक की शाखाएं बचत बैंक के रूप में सहकारी समितियों के माध्यम से ग्रामों में संचालित हैं? (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के प्रकाश में ब्लॉक मुख्यालय पर स्थित सहकारी बैंक से बचत खाते हेतु प्रश्न दिनांक के समय 24 हजार रूपये हफ्ता के आहरण हेतु लिमिट निर्धारित है? यदि हाँ, तो क्या इन बचत बैंकों में बहुत सारे ग्रामीण उपभोक्ताओं के खाते खुले हुए हैं? यदि हाँ, तो प्रत्येक खातेधारी को अपने खाते से आहरण हेतु 24 हजार रूपये प्रति हफ्ता आहरण सीमा निर्धारित है? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) के प्रकाश में सहकारी समिति बचत बैंक किस प्रकार से सभी खातेदारों को प्राप्त 24 हजार में वितरण किया जा रहा है? स्पष्ट करें। क्या ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को 24 हजार आहरण की सीमा से वंचित रखा जा रहा है? इसके लिये कौन दोषी हैं? क्या सहकारी समिति बचत बैंक को भी प्रत्येक उपभोक्ता को आहरण सीमा 24 हजार रूपये हफ्ता की पूर्ति कराई जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक समय-सीमा बतावें? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें? (ड.) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) एवं (घ) के प्रकाश में ग्रामीण क्षेत्रों के दूर-दराज इलाकों में जहां सहकारी बचत बैंक संचालित हैं, वहां उन्हें प्रतिदिन एवं शादी ब्याह हेतु पैसा सीमा के अंदर भी प्राप्त नहीं हो रहा है? इसके लिये कौन दोषी है? दोषी के खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी? नहीं की जावेगी तो क्यों? कारण स्पष्ट करें। उपभोक्ताओं की परेशानी के लिये कौन जिम्मेदार है? स्पष्ट करें।
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) प्रदेश के 51 जिलों में 38 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक संचालित हैं। जी हाँ। (ख) जी हाँ, ब्लॉक मुख्यालय के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर भी संचालित हो रही हैं। जी नहीं, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखाएं बचत बैंक के रूप में समितियों के माध्यम से ग्रामों से संचालित नहीं हैं। (ग) जी हां. जी हां. प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं द्वरा संचालित बचत बैंकों में ग्रामीण उपभोक्ताओं के खाते खुले हुए हैं. जी नहीं.(घ) वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रति सप्ताह आहरण की सीमा समाप्त कर दिये जाने से बचत बैंकों के खातेदारों को मांग अनुसार राशि उपलब्ध कराई जा रही है. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होते.(ड.) उत्तरांश "घ" अनुसार प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं द्वारा संचालित बचत बैंक द्वारा खातेदारों को मांग अनुसार राशि उपलब्ध कराई जा रही है. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होते.
श्री सुखेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा प्रश्न सीधा किसानों से जुड़ा हुआ था. नोटबंदी से परेशान किसानों को लेकर हमने प्रश्न किया था.यह बात सही है कि जो जवाब मंत्री जी की तरफ से आया है उसमें सहकारी केन्द्रीय बैंकों में यह कर दिया गया है कि वहां से 24 हजार रुपये की लिमिट के ऊपर किसान चाहे जितना पैसा ले सकते हैं लेकिन इसके बावजूद आज किसान परेशान हैं, इन बैंकों में भटक रहे हैं. खासकर वे किसान जिन्होंने धान की बोनी की थी, उनके पैसे भी इन बैंकों में हैं. मंत्री जी, मैं 3-4 बैंको का नाम बताता हूं, वहां मेरे क्षेत्र में किसान परेशान हैं ,उनको पैसे नहीं मिल पा रहे हैं. मैंने शून्यकाल में भी यह प्रश्न उठाया था कि एक किसान की वहां हार्टअटैक से मौत हो गई थी. मेरा अनुरोध है कि पटेहरा,पहाड़ी,खटकरी,हटवा यह प्राथमिक स्वास्थ्य समितियां हैं, इनमें पैसे उपलब्ध नहीं हैं और वहां के किसान परेशान हैं, तो क्या यह समस्या चलती रहेगी या सुलझ जायेगी ?
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जिन समितियों के बारे में बताया है उसको दिखवाकर उसको वरीयता क्रम में लेकर जो समस्याएं हैं उसका निदान करवा देंगे.
विधायक निधि से कराए गए कार्य में अनियमितता
[लोक निर्माण]
5. ( *क्र. 6914 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधायक निधि से शा.प्रा.शाला खैबरलाइन-कटनी में प्रश्नकर्ता के पत्र दिनांक 23.03.2015 द्वारा 10.00 लाख से नवीन भवन निर्माण्ा हेतु एवं 23.10.2015 द्वारा 45 हजार राशि डिसमेंटलिंग कार्य हेतु प्रदान की गई थी और विभाग द्वारा राशि 8.93 लाख से भवन एवं 1.07 का विद्युतीकरण कार्य का प्राक्कलन तैयार किया गया था? यदि हाँ, तो प्राक्कलन का विवरण और किये गये कार्य के कार्यादेश, माप पुस्तिका (एम.बी.) एवं किये गये भुगतान के देयक उपलब्ध करायें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के तहत प्रदत्त 10.45 लाख की राशि में से विभाग को 7.53 लाख की राशि ही सर्वर के माध्यम से प्राप्त हुई थी? यदि हाँ, तो कारण बतायें? (ग) क्या उपरोक्त 7.52 लाख की राशि से ही भवन निर्माण कार्य विभाग द्वारा करा लिया गया? यदि हाँ, तो प्राक्कलन में क्या परिवर्तन किये गये? किये गये परिवर्तन से प्रश्नकर्ता विधायक को क्यों नहीं अवगत कराया और विधायक विकास निधि से अनुशंसित किये गये कार्यों को कराये जाने एवं सदस्य विधानसभा को अवगत कराने संबंधी शासनादेश क्या हैं? (घ) प्रश्नांश (क) से (घ) के तहत अनुशंसित कार्य के निर्माण एवं राशि के उपयोग की कार्यवाही किस प्रकार सही है? राशि कम प्राप्त होने की जानकारी प्रदाय न करने, विकास निधि की पूर्ण राशि का उपयोग न करने, निर्माण अपूर्ण रहने, राशि लेप्स होने का कौन-कौन जिम्मेदार है? क्या इस अनियमितता पर कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) प्राक्कलन अनुसार प्रदाय राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। प्रश्न में चाही शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1, 2, 3, 4 अनुसार है। (ख) किये गये कार्य के अनुसार राशि 7.53 लाख का आहरण किया गया है। (ग) जी नहीं। भवन निर्माण में सिविल कार्य पूर्ण, विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर, प्राक्कलन में कोई परिवर्तन नहीं। अत: शेष जानकारी का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में कार्यवाही आवश्यक नहीं।
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न के जवाब में जो जानकारी दी गई है और मेरे पास जो जानकारी है दोनों में बहुत अंतर है. अतिरिक्त विधायक निधि मेरे द्वारा दी गई है. जो राशि का अंतर है वह गंभीर है. इसको देखते हुए मैं चाहूंगा कि इसकी पूरी जांच करा ली जाये कि राशि कहां खर्च की गई और कितनी राशि शेष बची है ? ताकि जो मेरी अतिरिक्त राशि वहां पर है उसका मैं अन्यत्र उपयोग कर सकूं.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय विधायक महोदय ने 10 लाख 45 हजार रुपये की स्वीकृति दी थी और उसमें 45 हजार रुपये भवन तोड़ने की राशि थी, वह राशि बचा ली गई है. वह राशि भी उनकी बच गई और दूसरी राशि भी उनकी बच गई है. उसका तो उपयोग होगा, लेकिन जांच कराने की माननीय सदस्य की मांग है तो हम जांच करा लेंगे.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल - धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी विधायकों की यह चिंता है कि उनकी राशि जल्दी उपयोग हो जाये. यह चिंता सिर्फ माननीय विधायक की ही चिंता नहीं है. आपके विभाग में जितने भी 3-4 सालों से इस तरह के राशि के मामले लंबित हों तो उस राशि का उपयोग सुनिश्चित कर दें ताकि इस वर्ष में काम पूरे हो जायें.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने जो बात कही है इसको गंभीरता से लेंगे और जो ऐसे मामले हैं उनका परीक्षण करके शीघ्र उनका निराकरण करायेंगे.
मंदसौर-नीमच जिले में संचालित ए.डी.जे. कोर्ट
[विधि और विधायी कार्य]
6. ( *क्र. 5923 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर-नीमच जिले में कितने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ए.डी.जे. कोर्ट संचालित हैं एवं स्थापना वर्ष की जानकारी देवें? (ख) उपरोक्त संचालित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ए.डी.जे. कोर्ट में आवश्यक मूलभूत सुविधाएं तथा न्यायालय भवन, न्यायाधीश आवास, गृह जेल/उपजेल स्टॉफ के पदों की पूर्ति सब सुविधा है या कौन-कौन सी कमी है? जानकारी देवें। (ग) उपरोक्त मंदसौर-नीमच जिले में प्रत्येक ए.डी.जे. कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में कितने-कितने गांव हैं तथा ए.डी.जे. कोर्ट से सबसे अधिक दूरी पर कौन सा गांव स्थित है? गांव का नाम व दूरी सहित जानकारी देवें। (घ) सीतामऊ न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोर्ट में कितने गांव सम्मिलित हैं, सबसे अधिक दूरी वाला गांव कौन सा है? गांव का नाम व दूरी सहित जानकारी देवें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) :
श्री हरदीप सिंह डंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे आज 3 प्रश्न हैं 1 तारांकित और 2 अतारांकित हैं. एक तो एडीजे कोर्ट के बारे में है. प्रश्न क्रमांक है 5923, 5924 और 5925.
अध्यक्ष महोदय-- आप तो सीधे प्रश्न करिये.
श्री हरदीप सिंह डंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तीनों एक ही हैं. मेरा एक ही निवेदन है, पहले प्रश्न में मैंने पूछा था कि मंदसौर नीमच जिले में कितने एडीजे कोर्ट संचालित हैं, दूसरी जबलपुर कोर्ट के आदेश की कापी, वर्ष 1995 से कोर्ट ने आदेश दिये हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि वित्तीय स्वीकृति अगर प्रदान हो जाये तो 22 साल पहले जो कोर्ट ने आदेश दिये थे वह कार्य आपके हाथों से हो जाये तो वहां पर अपर जिला सत्र न्यायालय प्रारंभ हो सकता है. जो आंकड़े दिये गये हैं, मंदसौर में 60 किलोमीटर दूर आखिरी गांव है और यहां नारायणगढ़ में 35 किलोमीटर दूर है. हमारी विधान सभा में 120 किलोमीटर दूर आखिरी गांव है और 2 तहसीलें हैं, उसके बाद भी एडीजे कोर्ट वहां नहीं है. मेरा निवेदन है कि सीतामऊ में आज ही आप वित्तीय स्वीकृति प्रदान करें जिससे 1 अप्रैल से वहां पर एडीजे कोर्ट प्रारंभ हो सके ?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का प्रश्न वास्तव में सही है, लेकिन यह भी आग्रह है कि यह नपाई की बात कहते हैं कि कितनी दूर गांव है, कितनी दूर आना जाना है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी पूरी जानकारी माननीय विधायक जी को उपलब्ध करा दी गई है. जहां तक सीतामऊ का प्रश्न किया है, उसका पत्र न्यायालय से आया है और जिला कलेक्टर से भवन और रहने की, ठहरने की और पूरी व्यवस्थाओं की जानकारी मांगकर इसका जल्दी ही निराकरण करायेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- मेरा निवेदन है, तहसीलदार द्वारा पत्र दिया गया है कि वहां पर सारी सुविधायें उपलब्ध हैं और अगर नहीं होंगी तो हम कैसे भी चाहे जनभागीदारी से चाहे किसी और मद से उपलब्ध करायेंगे, लेकिन आप वित्तीय स्वीकृति का पत्र आज ही जारी करा दें. नारायणगढ़ में मात्र 175 गांव हैं और यहां पर 229 गांव हैं, यहां की दूरी 120 किलोमीटर और वहां 35 किलोमीटर की दूरी है, जबकि यहां 2 तहसीलें हैं. मेरा निवेदन है कि आप यहां से आज ही पत्र जारी करें ताकि 1 अप्रैल से वहां पर एडीजे कोर्ट प्रारंभ हो सके. आपके एक पत्र से हजारों व्यक्तियों को फायदा हो जायेगा. आप पत्र पहुंचा दें, मेरा आपसे यह निवेदन है.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका विधि विभाग की भी है, हाईकोर्ट की भी है. हम माननीय न्यायालय को भी आग्रह पत्र लिखेंगे और शीघ्र इसके निराकरण का प्रयास करेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज ही लिख दें, आज ही इसका पालन करा दें.
अध्यक्ष महोदय-- आप जबर्दस्ती नहीं कर सकते. बैठ जाइये आप.
कृषि यंत्रों पर सब्सिडी
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
7. ( *क्र. 5897 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या किसानों को ड्रिप/स्प्रिंकलर/मोटर पंप क्रय करने पर शासन द्वारा सब्सिडी देने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो वह कितनी राशि है? पृथक-पृथक बतायें। सब्सिडी किसके खाते में जमा होगी? किसान या सप्लाय करने वाली कंपनी? इस संबंध में जारी निर्देशों की प्रतिलिपी उपलब्ध करावें। (ख) किसानों द्वारा कृषक अंश जमा करने के उपरान्त किसान स्वयं अपनी इच्छा से ड्रिप/स्प्रिंकलर/मोटर पंप क्रय करना चाहे तो किसानों के सीधे बैंक खाते में सब्सिडी की राशि जमा हो सकती है? यदि हाँ, तो नियमावली की प्रतिलिपी उपलब्ध करावें? नहीं तो क्यों? किसानों को कंपनी द्वारा ड्रिप/स्प्रिंकलर/मोटर पंप क्रय करने पर कितनी मात्रा में सामग्री एवं कौन सी गुणवत्ता की उपलब्ध करायी जाती है?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जी हाँ। योजनावार सब्सिडी देने के पृथक पृथक प्रावधान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। यंत्रों पर किसानों द्वारा स्वयं अपनी इच्छा से शासन द्वारा पंजीकृत अधिकृत विक्रेताओं के माध्यम से क्रय करने की स्थिति में हितग्राही को देय अनुदान उसके बैंक खाते में सीधे (डी.बी.टी.) जमा किया जावेगा। मध्यप्रदेश राज्य कृषि उद्योग विकास निगम/मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित से सामग्री क्रय करने की स्थिति में यदि हितग्राही द्वारा केवल कृषक अंश की राशि जमा कर सामग्री क्रय की गई है तो अनुदान राशि का भुगतान संबंधित संस्था के बैंक खाते में सीधा किया जावेगा। इस संबंध में जारी निर्देशों की प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ख) जी हाँ। निर्देशों/नियमावली की प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार किसानों द्वारा स्वयं अपनी इच्छा से शासन द्वारा पंजीकृत अधिकृत विक्रेताओं के माध्यम से क्रय करने की स्थिति में हितग्राही को देय अनुदान उसके बैंक खाते में सीधे (डी.बी.टी.) जमा किया जावेगा। मध्यप्रदेश राज्य कृषि उद्योग विकास निगम/मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित से सामग्री क्रय करने की स्थिति में यदि हितग्राही द्वारा केवल कृषक अंश की राशि जमा कर सामग्री क्रय की गई है तो अनुदान राशि का भुगतान संबंधित संस्था के बैंक खाते में सीधा किया जावेगा। किसानों को कंपनी द्वारा ड्रिप/स्प्रिंकलर/मोटर पंप क्रय करने पर संबंधित योजना के प्रचलित निर्देशों में उल्लेखित मात्रा में सामग्री आई.एस.आई. मार्क एवं निर्धारित गुणवत्ता की उपलब्ध कराई जाती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है।
श्रीमती झूमा सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये है जिसमें किसानों को ड्रिप और मोटर पम्प वगैरह विभाग के द्वारा दिये जाते हैं वह ऑनलाइन होता है जिसमें राशि या तो सीधे उनके खातों में जमा होती है और दूसरा किसानों द्वारा अंशदान राशि जमा करने पर विभाग द्वारा संबंधित संस्था को भुगतान की राशि दी जाती है, यह दोहरी व्यवस्था है. इसमें हमारे क्षेत्र में देखा गया है कि किसानों को इसका सीधा फायदा न मिलते हुये सीधे संस्थाओं को इसका ज्यादा फायदा हो रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से पूछना चाहती हूं कि क्या यह दोहरी व्यवस्था खत्म करके सीधे किसानों के बैंक खातों में सब्सिडी की राशि जमा होगी और जो शतप्रतिशत संस्थाओं को राशि दी जा रही है, क्या वह इस पर पाबंदी लगायेंगे ?
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पूरे प्रदेश से संबंधित है. मुझे लगता है कि किसानों के हित में भी है. पहले मैं श्रीमती झूमा सोलंकी जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि इतना अच्छा प्रश्न उन्होंने किया है. अध्यक्ष महोदय, हमने इसमें परिवर्तन किया वह यह है कि एमपी एग्रो पिछले समय तक जो डीलर उपकरण सप्लाई करते थे उनको पैसा देता था. शासन ने अब नीति बदल दी है जिससे कि अनियमिततायें न हों, अब हम उत्पादक को जहां से प्रोडक्शन होता है उसको सब्सिडी देंगे. दूसरा अभी तक हम लाटरी के माध्यम से इसका चयन करते थे. उदाहरण के लिये एक विकास खण्ड में 25 हितग्राहियों ने आवेदन किया तो उसका लाटरी से चयन होता था लेकिन अब हमने परिवर्तन कर दिया है प्रथम आवे प्रथम पावें आन लाइन एप्लीकेशन होगी जिसकी एप्लीकेशन पहले आयेगी उसको प्राथमिकता दी जायेगी. अध्यक्ष महोदय, अब हमने डायरेक्ट बेनिफिट योजना चालू की (डीबीटी) इसमें बेनिफिशरी को उसके खाते में ही सीधे पैसा दिया जायेगा, अंश जमा करने के बाद में सब्सिडी का पैसा सीधे खाते में जायेगा. यह डी.बी.टी. योजना मध्यप्रदेश के सभी जिलों में हमने प्रारंभ भी कर दी है. अब पैसा किसी के हाथ में नहीं आयेगा. प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुसार हम सीधे अनुदान की राशि किसानों के खाते डालेंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और है कि जो आन लाइन की प्रक्रिया है इसमें परेशान यह है कि जो पढ़े लिखे किसान हैं वह तो प्रक्रिया का पालन कर लेते हैं लेकिन जो ग्रामीण किसान हैं उनको आन लाईन एप्लाई करने में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि विभाग ऐसी व्यवस्था करे कि ग्राम सेवक या कृषि विस्तार अधिकारी, किसानों की आन लाइन की प्रक्रिया को पूर्ण करवायें.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन के माध्यम से मध्यप्रदेश के सभी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, एसडीओ, एसएडीओ, हमारे डिप्टी डायरेक्टर, पी़डी आत्मा और डायरेक्टर को निर्देशित करता हूं कि वह किसानों की एप्लीकेशन लेने के लिये उनके घर जायेंगे, उनके फार्म भरवायेंगे और सीधे उनकी मदद करेंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री अनिल फिरोजिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित प्रश्न है . मैं मंत्री जी से निवेदन चाहता हूं कि जो एक बीघा या दो बीघा जमीन के किसान हैं उनको डी.बी.टी योजना में सीधा लाभ नहीं मिल रहा है. वह पहले खरीदें और उनके खाते में पैसा जायेगा. हमारे जो निर्धन किसान हैं उनके लिये भी आप कुछ राहत दे दें. उनको तो डी.बी.टी. योजना से मुक्त करें.
श्री गौरीशंकर बिसेन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की जानकारी में लाना चाहता हूं कि एग्रो से किसान लेता है उसको अंश जमा करना है. बाकि सब्सिडी का पैसा एग्रो के माध्यम से कंपनी को जायेगा.
श्री अनिल फिरोजिया -- उनके पास में पैसा ही नहीं है.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- सुनिये तो. अध्यक्ष महोदय, एमपी एग्रो के माध्यम से पैसा अंश का नहीं देना है लेकिन हम अब प्रायवेट लीडर्स के माध्यम से भी नई व्यवस्था करने जा रहे हैं जिसमें कि उनसे भी लेने पर उनको अपना अंश नहीं देना पड़ेगा.
श्री अनिल फिरोजिया -- मंत्री जी, इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजना का संचालन
[जल संसाधन]
8. ( *क्र. 2076 ) श्री कुंवर सिंह टेकाम : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी/सिंगरौली जिलांतर्गत विधानसभा क्षेत्र धौहनी में कितनी लघु एवं मध्यम सिंचाई योजनायें संचालित हैं? सूची उपलब्ध करायें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) के संदर्भ में बकिया बांध, कोड़ार बांध एवं जमधर बांध तथा वरचर बांध की मुख्य नहरों के पक्कीकरण आर.आर.आर. के माध्यम से कराये जाने का प्रस्ताव है? यदि हाँ, तो उसकी स्वीकृति कब तक प्रदान कर निर्माण कार्य कराया जायेगा? यदि नहीं, तो आर.आर.आर. के तहत क्या शामिल किया जाएगा? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में लघु सिंचाई योजनाओं से संबंधित जीर्णोद्धार हेतु कितने प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं? प्रस्तावित कार्यों की स्वीकृति कब तक प्रदान की जायेगी? (घ) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में जीर्ण-शीर्ण माइनर नहरों का मरम्मत कार्य कराये जाने की क्या योजना है? क्या मरम्मत कार्य कराया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश में उल्लेखित परियोजनाओं में नहरों के पक्कीकरण करने का कोई प्रस्ताव स्वीकृति हेतु विचाराधीन नहीं है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं। (ग) एवं (घ) पूर्व में स्वीकृत जीर्णोद्धार कार्यों की स्थिति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। लघु सिंचाई परियोजनाओं के जीर्णोद्धार कराने का कोई नवीन प्रस्ताव स्वीकृति हेतु विचाराधीन नहीं होने से शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री कुंवर सिंह टेकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि मेरा विधानसभा क्षेत्र गौंड बाहुल्य क्षेत्र है और मेरे क्षेत्र में शासन ने 928 करोड़ रूपये की लागत से "गौंड सिचाई परियोजना" के नाम से स्वीकृति प्रदान की है. उसके लिये विधानसभा क्षेत्र की जनता की ओर से आपका आभार व्यक्त करता हूं. यह "गौंड सिंचाई परियोजना" जो नाम दिया है इससे गौंड जनजाति के उस क्षेत्र के लोग बहुत प्रफुल्लित हैं, हर्षित हैं, वह भी आपको बधाई देना चाहते हैं तो उनकी बधाई भी इस सदन के माध्यम से आपको देना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न किया था लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के बारे में आर.आर.आर. योजना से बनाये जाने के संबंधी उसमें विभाग ने उत्तर में कहा है कि हमारे पास में प्रस्ताव नहीं आया है. मेरा निवेदन है कि नहरों का पक्कीकरण का कार्य आर.आर.आर. योजना के माध्यम से कर दिया जाता तो सिंचाई की रूपांकित क्षमता तक हम पहुंच पाते और किसानों को सही समय पर और सही तरीके से पानी भी मिल जाता. मंत्री जी से अनुरोध है कि क्या बकिया बांध, कोडार बांध एवं वरचर बांध है तो इन तीनों में मुख्य नहरों के पक्कीकरण का कार्य क्या आर.आर.आर. के माध्यम करायेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- टेकाम जी, कोई भी बधाई हो तो वह मुख्यमंत्री जी को ही जाती है हमको नहीं जाती है.
श्री कुंवर सिंह टेकाम -- मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी और आप दोनों को बधाई दी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जैसे हम लोग आंदोलन करते थे तो ज्ञापन राज्यपाल जी के नाम से ही होता है. पूरी बधाई बजट में वित्त मंत्री जी ने ली 928 करोड़ की और वास्तव में आपकी विधानसभा की 14000 एकड़ जमीन उससे लाभान्वित हो रही है, बड़ी योजना है, बड़ा काम है . जहां तक आपने नहरों के पक्कीकरण की बात की है. इन तीनों तालाब के हम घटते क्रम में पक्कीकरण का प्रस्ताव भी भेज देंगे.
श्री कुंवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, दूसरा एक और है मोहराडोल बांध की आपने पिछले वित्तीय वर्ष में स्वीकृति प्रदान की थी, उसके लिए भी धन्यवाद, इसकी टेण्डर प्रक्रिया तो पूरी हो गई, लेकिन काम अभी तक प्रारंभ नहीं हुआ, क्या जल्दी से जल्दी इस बांध का निर्माण का कार्य शुरू कराएंगे.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, वन विभाग का थोड़ा सा मामला है, उसको जल्दी शॉर्टआउट कर देंगे.
वेयर हाउसिंग में कराये गये कार्य
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
9. ( *क्र. 6238 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सागर जिले की मंडी/उपमंडी प्रांगणों में बुन्देलखण्ड परियोजना के तहत वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन में अधिकारियों के द्वारा निर्माण कार्य कराया गया है? (ख) क्या वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के इंजीनियरों द्वारा मण्डी/उपमंडी में घटिया निर्माण कार्य कराए गए हैं एवं इस संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई हैं? (ग) मंडी/उपमंडी प्रांगणों में घटिया निर्माण कार्य होने के कारण किन-किन मंडियों द्वारा आज दिनांक तक निर्मित कार्यों का आधिपत्य नहीं लिया गया है?(घ) घटिया निर्माण कराने वाले तकनीकी अधिकारियों के विरूद्ध आज दिनांक तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई? यदि की जावेगी तो कब तक?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। जी हाँ, शिकायतें प्राप्त हुई हैं। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) उत्तरांश (ख) के अनुक्रम में निर्माण कार्यों में गुणवत्ता संबंधी जाँच मुख्य तकनीकी परीक्षक संगठन द्वारा की जा रही है। जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने के उपरान्त गुण-दोष के आधार पर संबंधित संस्था द्वारा कार्यवाही की जावेगी। परिशिष्ट - ''दो''
श्री शंकर लाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि बुन्देलखंड परियोजना के तहत सागर में मंडी, उपमंडी का निर्माण हुआ था, उस निर्माण में भारी भ्रष्टाचार तत्कालीन कार्यपालन यंत्री फूलचंद तोमर जी जो कृषि उपज मंडी विभाग के हैं उन्होंने किया था, जिसकी तमाम मंडियों ने जैसे सागर मंडी, शाहपुर मंडी, जैसीनगर मंडी, गढ़ाकोटा मंडी, इन मंडियों के तमाम लोगों ने शिकायत की थी, वहां हालत यह है कि गेहूं अगर प्लेटफार्म में डाला जाए, और गेहूं उठाया जाए तो एकाध तसला गिट्टी साथ में आ जाती है, इन चारों पांचों मंडियों को आज तक हैण्डओवर नहीं लिया, इसमें जिस व्यक्ति ने यह सारा भ्रष्टाचार किया, एक बार विधान सभा में भी और पहले यह विषय आ चुका है उसकी आज तक कोई जांच नहीं कराई गई, तीन साल पहले का मामला है. शिकायतों में कहा गया है कि हमने जांच भेज दी है मुख्य तकनीकी परीक्षक को, उसमें भी तमाशा यह किया गया कि यही फूलचंद तोमर ने कार्यपालन यंत्री रहते हुए, एक एक मंडी करोड़ों रूपए की बनी है, और जो मंडी बनी थी, उसमें भ्रष्टाचार किया और आज जांच के लिए जो उत्तर आया है कि तकनीकी परीक्षक को जांच दी है, तकनीकी परीक्षण में वह स्वयं कार्यपालन यंत्री के पद पर तैनात है, क्या उनको निलंबित करेंगे, क्या विभागीय जांच करवाएंगे, क्या उन्हें तकनीकी परीक्षक में जहां वह बैठे हैं, जिनको जांच करनी है, उत्तर में कहा गया है कि हम उनसे जांच करवा रहे हैं, तो क्या उनको वहां से हटाएंगे, उन्हें मुअत्तिल करेंगे?
श्री गौरीशंकर बिसेन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री गोपाल भार्गव जी, हमारी विधायक बहन पारूल साहू केशरी, हमारे मंडी सचिव, विधायक हर्ष यादव जी और तमाम हमारे जनप्रतिनिधियों ने यहां पर उपयंत्री मंडी जैसीनगर, सचिव जैसीनगर, सचिव गढ़ाकोटा, माननीय गोपाल भार्गव जी, इन सभी लोगों ने गढ़ाकोटा, जैसीनगर, उसके बाद सागर, शाहपुर को छोड़कर सभी जगह में निर्माण कार्य की शिकायत की है. हमारे वरिष्ठ मंत्री माननीय गोपाल भार्गव जी और जितने भी शिकायतकर्ता है, सभी की शिकायत गंभीर है. हमने इसको गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए भेजा है और इसकी जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक कर रहे हैं, जांच का प्रतिवेदन अभी आया नहीं है, मुझे लगता है हमने जांच के लिए लिखा है, हमारे माननीय गोपाल भार्गव जी का जो पत्र है यह पत्र है दिनांक 10.03.16 को पत्र मिला है, इसकी जांच में समय लगेगा, हमारे एक सचिव का पत्र वर्ष 2015 का है, एक सचिव का 2016 का है, एक और सचिव का 2015 का है.
श्री शंकर लाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, आज तक इनको सस्पेंड क्यों नहीं किया गया, आज तक भ्रष्टाचार प्रमाणित होने के बाद उसे मुअत्तिल नहीं किया, आप मुख्य परीक्षक से जांच कराने की बात कर रहे हैं और वहीं पर उसे कार्यपालन यंत्री बना दिया, पहले उसको मुअत्तिल करने की बात करिए.
श्री गौरीशंकर बिसेन - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2015-16 में इसकी गंभीर शिकायत हुई है. इस सरकार के वरिष्ठ मंत्री, केबिनेट मंत्री श्री गोपाल भार्गव जी की शिकायत को मैं गंभीरता से ले रहा हूं.
श्री शंकर लाल तिवारी - मंत्री जी आपने, भार्गव जी के पत्र लिखने के बाद भी वहां के विधायक के कहने के बाद भी सस्पेंड नहीं किया.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय, फूलचंद तोमर, कार्यपालन यंत्री हमारे मंडी के हैं और यह प्रतिनियुक्ति पर सिटी में है. मैं अभी अपने विभाग से आज ही इसको प्रतिनियुक्ति से वापस लेने के निर्देश जारी करता हूं, इसके बावजूद इन्होंने भ्रष्टाचार किया है, इसको निलंबित किया जाता है.(मेजों की थपथपाहट....)
श्री शंकर लाल तिवारी - माननीय मंत्री जी को मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं.
आई.सी.डी.पी. योजना अंतर्गत गोदाम निर्माण
[सहकारिता]
10. ( *क्र. 5860 ) श्री संजय उइके : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में आई.सी.डी.पी. योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2011-12 से प्रश्न दिनांक तक गोदाम निर्माण हेतु भूमि आवंटन के लिए किन-किन समितियों से प्रस्ताव, कलेक्टर बालाघाट के समक्ष आये हैं? (ख) कौन-कौन सी समितियों को भूमि आवंटित कर गोदाम निर्माण हेतु कितनी राशि कब प्रदान की गई है? (ग) भूमि आवंटन में घास एवं छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि में गोदाम निर्माण में अवरोध उत्पन्न होने से किन-किन समितियों को भूमि आवंटन नहीं किया गया है? समितिवार जानकारी देवें। (घ) क्या शासन स्तर पर उक्त मद परिवर्तन कर गोदाम निर्माण हेतु विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा है?
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। (ग) 11 समितियों को। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। (घ) वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही प्रावधानित है।
श्री संजय उइके -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सहकारी समिति के गोदाम भवनों हेतु भूमि से संबंधित राजस्व विभाग से संबंधित था, उसको बदलकर सहकारिता विभाग को दे दिया गया. फिर भी मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जो उन्होंने उत्तर (घ) में जवाब दिया है कि वन संरक्षण अधिनियम,1980 के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही प्रावधानित है. क्या वह एनओसी के लिये है या मद परिवर्तन के लिये है, यह मैं जानना चाहता हूं.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, 67 गोदाम बनाने का प्रस्ताव था, जिसमें से 56 बनकर तैयार हुए हैं. 11 के लिये कलेक्टर ने पहले फेज में, क्योंकि यह वन भूमि थी, इसलिये रिजेक्ट किया था, पर हमने नये प्रारुप में उसको फिर से एप्लाई किया है और हमें ऐसा विश्वास है कि जल्दी से जल्दी उसकी परमीशन मिलेगी और ये 11 गोदाम भी हम बना देंगे.
श्री संजय उइके -- मंत्री जी, धन्यवाद.
मझगवां सघन बस्ती में राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
11. ( *क्र. 3265 ) श्री मोती कश्यप : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2015-16 की अवधि में कटनी-अनूपपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 78 के अंतर्गत तहसील बड़वारा के ग्राम मझगवां में बायपास निर्माण हेतु कृषकों के द्वारा मा. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रस्तुत किये गये किसी वाद और पुनरीक्षण याचिका पर किसके पक्ष में किन्हीं दिनांकों को कोई निर्णय दिये गये हैं? (ख) क्या कलेक्टर कटनी के परामर्श पर निर्माण एजेन्सी द्वारा मझगवां के मध्य से जाने वाले सकरे मार्ग पर सैकड़ों वर्ष से निवास कर रहे ग्रामीणों के आवासों को ध्वस्त कर वर्तमान प्रचलित मार्ग का निर्माण किया जाना वैधानिक है? (ग) क्या विभाग द्वारा जनविरोध के विध्वंस को बचाते हुए दायीं दिशा की शासकीय व बंजर पड़ी कृषकों की भूमि से बायपास का निर्माण कराकर ग्रामीणों को राहत प्रदान की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। (ख) जी हाँ। ग्राम मझगवां बायपास में भू-अर्जन प्रक्रिया पूर्ण न हो पाने के कारण व परियोजना को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, नई दिल्ली, भारत सरकार द्वारा निर्धारित अनुबंधानुसार समय-सीमा में पूर्ण करने हेतु अथॉरिटी इंजीनियर के अभिमत पर विद्यमान मार्ग का निर्माण मझगवां के मध्य से विद्यमान मार्ग पर कार्य किया जा रहा है। विद्यमान मार्ग में पर्याप्त चौड़ाई उपलब्ध है व विभाग द्वारा कुछ ही जगहों पर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण तोड़कर निर्माण संभव होगा। (ग) जी नहीं। मार्ग निर्माण विद्यमान सड़क सीमा में किया जा रहा है अतः विरोध की कोई स्थिति नहीं है।
श्री मोती कश्यप -- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो राष्ट्रीय राजमार्ग 78 के संबंध में प्रश्न किया था, उसका जो कटनी से उमरिया का खण्ड है ,तो उसमें मझगवां जो गांव बीच में पड़ता है. उस गांव की बाईं दिशा से मार्ग की अधिसूचना भारत के राजपत्र में प्रकाशित हुई थी. अब उसको बदलकर ये जो मार्ग बना रहे हैं, उससे 50 कृषक सब्जी उगाने वाले प्रभावित हो रहे हैं. अब उसको बदलकर गांव के बीच के सकरे मार्ग से इस मार्ग को बनाया जा रहा है. जो परिशिष्ट दिया है, उसमें भी यह उल्लेख है कि किसानों ने माननीय हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई थी. एक याचिका में माननीय हाई कोर्ट ने निर्णय दिया कि भूअर्जन अधिकारी, सक्षम अधिकारी उसकी सुनवाई करे, पक्षों को सुनें और उसके बाद कोई निर्णय ले. इसमें दूसरी याचिका भी लगी है, उस याचिका का अभी तक फैसला नहीं हुआ है, वह लम्बित, विचाराधीन है. लेकिन उस सबके बावजूद भी इन्होंने मार्ग परिवर्तन कर दिया. किसानों का अपना यह मानना है कि बाईं दिशा से मार्ग न बनाकर दाईं दिशा की जो बंजर भूमि है, जिसमें शासकीय भमि का रकबा बहुत ही अधिक है, उस भूमि पर मार्ग को बनायें, तो उसमें मुश्किल से 2,3,4 किसान कृषि के प्रभावित होंगे अन्यथा इसमें पचासों किसान प्रभावित हो रहे हैं. तो यह प्रश्न जो मैंने लगाया, जहां तक जन सुनवाई का प्रश्न है, तो जन सुनवाई तो हुई नहीं. कलेक्टर के पास किसानों का डेलीगेशन गया. कलेक्टर ने उनको डांटकर भगा दिया कि तुम लोग यदि बाधा उत्पन्न करोगे तो हम तुम लोगों को जेल भिजवा देंगे. मैं मंत्री जी से यह प्रश्न करना चाहता हूं कि माननीय उच्च न्यायालय ने जो निर्देश दिया है कि सक्षम अधिकारी, भू अर्जन अधिकारी पक्षों को सुनें और उसके बाद निर्णय दे. तो उनके द्वारा किस तारीख को इस पर सुनवाई की गई और क्या निर्णय दिया गया.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो प्रश्न है, इसमें मुख्य अभियंता स्तर के, भारत सरकार के अधिकारी भी आये थे, बायपास बना रहे थे, वहां उसका विरोध शुरु हुआ. फिर किसान माननीय उच्च न्यायालय गये. न्यायालय ने भूअर्जन अधिकारी को निर्देश दिया कि सुनवाई करके निराकरण करें, जो वहां के जिला कलेक्टर हैं, सब ने मिलकर चर्चा की और शहर से बनाने का उसका निर्णय किया. शहर से मार्ग का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो रहा है. बायपास में बाधा आ रही थी. इस तरह से प्रक्रिया पूरी की गई है, दोनों पक्ष को सुना गया, जो सक्षम भूअर्जन अधिकारी हैं और उनको सुनने के बाद तय हुआ कि बीच में से ही मार्ग बनाया जायेगा. तो मार्ग बीच में से बनाया जा रहा है. विधायक जी, अब आप जिस तरह जो बायपास मार्ग का चाहते हैं,तो आप वहां के जन प्रतिनिधि हैं, अच्छी तरह से समझ सकते हैं. लोगों की क्या भावना है और क्या आप चाहते हैं, तो उस हिसाब से आप बतायें और हम आपके हिसाब से क्या कर सकते हैं,थोड़ा मार्गदर्शन आप हमें करें.
श्री मोती कश्यप -- अध्यक्ष महोदय, मार्गदर्शन की जहां तक बात है, तो एक तो पहली चीज यह है कि जो दूसरी याचिका है, उसमें न्यायालय का अभी तक निर्णय नहीं हुआ. दूसरी जो मेरी मांग है, चूंकि बाईं तरफ बनेगा, तो उसमें पचासों किसान प्रभावित होंगे, दाईं तरफ शासकीय भूमि है और बंजर भूमि है. उसमें केवल 2,3, 4 किसानों की भूमि है, वह भी बंजर भूमि है. पेट्रोल पम्प के पीछे एक या दो किसान हैं, जिनकी भूमि आती है. तो पचासों किसानों की भूमि का बलिदान न देकर दाईं तरफ 1,2 किसानों की भूमि आ रही है और एक बात और हम आपको बता दें कि जब भी जवारे का मौसम आता है या दशहरे का मौसम आता है, वह पूरा मार्ग अवरुद्ध हो जाता है और प्रचलित मार्ग में से यदि हम बनायेंगे, तो वह बहुत ही सकरा मार्ग है और हमको इसमें तोड़-फोड़ करना पड़ेगी तथा पचासों मकान धवस्त हो जायेंगे. तो उसकी बजाये, लोगों को बर्बाद करने की बजाये जो बंजर भूमि है, शासकीय भूमि है, उधर से उस मार्ग को निकाला जाये, मेरा आग्रह केवल इतना है. मंत्री जी, मैं चाहूंगा कि इस दिशा में प्रयत्न करें, तो बहुत ही अच्छा होगा.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, बायपास बनाने का पहले भी प्रयास किया गया था, उसमें वन भूमि भी आ रही थी. उसमें भी भारत सरकार को पत्र लिखा गया है, वहां से भी अनुमति नहीं मिली एवं कार्य में विलम्ब हुआ और वहां पर जनता ने विरोध किया. माननीय न्यायालय भी गए थे और इसमें काफी विवाद हुआ था इसलिए इस कार्य में काफी विलम्ब हो रहा है. लेकिन माननीय हमारे साथी मोती कश्यप जी का कहना है तो हम भारत सरकार को एक बार और आग्रह पत्र लिख देते हैं तथा इनकी भावनाओं से अवगत करा देते हैं, लेकिन वहां की जवाबदारी आपको संभालनी पड़ेगी, वहां पर जो पहले विरोध हुआ था और इसकी वजह से हमको शहर में से मार्ग बनाना पड़ रहा है. उसका सामना आप भी करें एवं आप जनमत तैयार करें. हम लोग उनकी भावनाओं से सहमत हैं.
जबलपुर-भोपाल सड़क मार्ग का रख-रखाव
[लोक निर्माण]
12. ( *क्र. 6282 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जिले के अंतर्गत आने वाले जबलपुर-भोपाल (NH-12) मार्ग के जबलपुर से प्रश्नकर्ता के गाँव बेलखेड़ा तक विगत एक वर्ष में सुधार, रख-रखाव के क्या-क्या कार्य कितनी-कितनी राशि से किन-किन ठेकेदारों से कराये गये? (ख) क्या प्रश्नांश (क) रोड का एक वर्ष से सुधार कार्य नहीं होने के कारण सड़क गड्ढों में तब्दील हो गयी है? मात्र 50 कि.मी. यात्रा में उक्त रोड पर 3 घंटे का समय लग रहा है? क्या शासन उक्त जर्जर मार्ग का सुधार शीघ्र कराने के निर्देश MPRDC को देगा? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। जी नहीं। मार्ग की मरम्मत म.प्र. रोड़ डेव्हलपमेंट कार्पो.लि. द्वारा जारी है। जबलपुर से हिरन नदी तक विद्यमान मार्ग पर चारलेन में उन्नयन हेतु केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है।
श्रीमती प्रतिभा सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहती हूँ कि जबलपुर-भोपाल एन.एच.12 मार्ग की मरम्मत एवं संधारण का कार्यादेश परिशिष्ट के अनुसार दिनांक 3/12/2016 को ठेकेदार को दिया गया था और कार्यादेश के अनुसार कार्य पूर्ण करने की दिनांक 2/2/2017 थी, लेकिन अभी तक सिर्फ 48 किलोमीटर तक का पेंचवर्क किया गया है, इसमें कार्य ठीक से नहीं किया गया है और छोटे-छोटे गड्ढों को छोड़ दिया गया है, जो पुन: बड़े हो जाएंगे एवं जिससे पुन: परेशानी होने लगेगी तथा लगभग 20 किलोमीटर तक मनखेड़ी से मेरे गांव बेलखेड़ा मार्ग का कार्य अपूर्ण है. जिसमें बहुत बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिससे की सभी को बहुत परेशानी हो रही है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करती हूँ कि यह कार्य जो करीब 20 किलोमीटर का मनखेड़ी से मेरे गांव बेलखेड़ा तक बचा हुआ है क्योंकि इसमें हमारी 10 अप्रैल को नर्मदा यात्रा भी है तो माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि एक सप्ताह के अन्दर यह कार्य पूर्ण कर दिया जाये.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में यह कार्य 628 करोड़ रुपये का है एवं इसे एम.बी.एल.इन्फ्रास्ट्रक्चर, नई दिल्ली ने लिया है और इसका आदेश हो गया था लेकिन इन्होंने कार्य प्रारंभ नहीं किया है. हमने इसको हटाने का पत्र भारत सरकार को लिखा है. लेकिन माननीय विधायक जी की जो चिन्ता है. जो मार्ग का कुछ कार्य अभी रह गया है, हम अपने स्तर पर उस मार्ग को एक सप्ताह के अन्दर दुरुस्त करवा देंगे, ठीक करा देंगे.
श्रीमती प्रतिभा सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन और था, जैसा अभी मंत्री जी ने कहा है क्योंकि यह एन.एच.12 जबलपुर- भोपाल मार्ग है और मेरी विधानसभा का करीब 65 किलोमीटर मार्ग इसमें आता है, यह कार्य भी जल्दी हो जाये. जो दिल्ली की कम्पनी स्वीकृत की गई है. आपने कहा है कि गडकरी जी से भी बात की थी तो मैं आपको धन्यवाद देती हूँ. यह मार्ग जल्दी से बन जाये, इसके लिये निवेदन करती हूँ क्योंकि वह कम्पनी कार्य नहीं करना चाहती है, उसको टर्मिनेट कर दिया जाये एवं किसी दूसरी कम्पनी को कार्य दिया जाये.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमको यह सफलता बहुत प्रयासों के बाद मिली है. एन.एच.12 मार्ग आपका है, बहन मेरा गांव भी वहीं पड़ता है. आप चिन्ता न करें, हम उसके लिये पूरी मेहनत कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री की घोषणा का क्रियान्वयन
[जल संसाधन]
13. ( *क्र. 5160 ) श्री रणजीतसिंह गुणवान : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आष्टा विधान सभा क्षेत्र में माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि झीकडी मनीपुरा तालाब की पाल बढ़वाई जायेगी? (ख) यदि हाँ, तो अभी तक घोषणा पर कार्य क्यों नहीं हुआ? (ग) कब तक कार्य प्रारम्भ कर दिया जायेगा? इसके लिये कौन जिम्मेदार है?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) से (ग) जी हाँ। मान. मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 25.01.2016 को की गई घोषणा क्र. बी-1558 है। घोषणा के परिप्रेक्ष्य में सर्वेक्षण कार्य किया गया। प्रस्ताव परीक्षणाधीन है।
श्री रणजीतसिंह गुणवान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न इस प्रकार से है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने मेरे आष्टा विधानसभा क्षेत्र में घोषणा की थी, मैं 12 तालाबों का नाम बता दूँ, कान्याखेड़ी, गुराड़याबर्मा, पाल्याखेड़ी, बिलपान और लाख्या धर्मपुरी, बड़खौला, देवली, छापर, छायन, भौरा, भटोली और देवली, इसमें से एक तालाब की पाल ऊँची करने का मुख्यमंत्री जी ने हमें आश्वासन दिया था. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जो हमारे 12 तालाब हैं, उनमें से कम से कम 6 तालाब तो ले लें. मेरे क्षेत्र में तालाब नहीं हैं. किसान को सिंचाई करने के लिए पानी नहीं है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि आप घोषणा कर दें. मुझे पूरा विश्वास है कि आप मुझ पर कृपा करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप मुख्यमंत्री जी के खास हैं. आप पर तो वह ही कृपा कर रहे हैं. मैं कहां हूं. अध्यक्ष महोदय, परसों जब घोषणा हुई थी आप ही आसंदी पर थे. मैंने परसों ही मनीपुरा तालाब को बजट में शामिल कर लिया है और बजट में घोषणा भी कर दी. इसके बाद इन्होंने जो दूसरी बात कही है..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, यह कह रहे हैं कि आप मुख्यमंत्री जी के खास हैं. यह चाहते हैं कि बदले में विधायक इनसे कहें कि नहीं साहब आप सबसे ज्यादा खास हैं तो इन्हें तो किसी ने कहा ही नहीं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मेरा काम तो डॉक्टर साहब से चल जाएगा. दूसरे का भी एक माह में हम तत्काल परीक्षण करा लेंगे.
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि पांच स्टॉप डेम हैं. उनकी डी.पी.आर. हो गई है. उनका टेंडर होना शेष है.
अध्यक्ष महोदय-- स्टॉप डेम का टेंडर होना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, उसका भी परीक्षण करा लेंगे.
घूघस सिघौरा नदी पर पुल निर्माण
[लोक निर्माण]
14. ( *क्र. 7073 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सुमावली विधानसभा क्षेत्र मुरैना में घूघस-सिघौरा नदी पर पुल निर्माण कार्य क्यों बंद किया गया है? फरवरी 2017 की स्थिति में जानकारी दी जावे। (ख) उक्त पुल निर्माण की स्वीकृत राशि कितनी थी? कितनी राशि अभी तक खर्च की जा चुकी है? कौन सी कम्पनी कार्य कर रही है? कितना प्रतिशत निर्माण कार्य किया जा चुका है? (ग) अभी तक कितना कार्य कराया जा चुका है? क्या उक्त पुल के निर्माण की शासन द्वारा वैकल्पिक योजना बनाई गई है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) निर्माणाधीन पुल के डाउनस्ट्रीम में जल संसाधन विभाग द्वारा बैराज का निर्माण स्वीकृत होने के कारण पुल डूब क्षेत्र में आने से। वर्तमान में पुल निर्माण कार्य बंद है। (ख) रू. 645.85 लाख। रू. 107.27 लाख। मेसर्स चम्बल डेवलपर्स ग्वालियर। लगभग 18 प्रतिशत। (ग) लगभग 18 प्रतिशत कार्य पूर्ण। जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। वर्तमान में पुल एवं पहुंच मार्ग के निर्माण हेतु वैकल्पिक कार्य योजना तैयार करने की कार्यवाही संबंधित विभागों के संयुक्त समन्वय से की जावेगी।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न किया था उसमें माननीय मंत्री महोदय ने जवाब दिया है कि निर्माणाधीन पुल के डाउनस्ट्रीम में जल संसाधन विभाग द्वारा बैराज का निर्माण स्वीकृत होने के कारण पुल डूब क्षेत्र में आने से वर्तमान में पुल निर्माण का कार्य बंद है. मैं माननीय मंत्री महोदय से यह पूछना चाहता हूं कि क्या जल संसाधन विभाग ने लोक निर्माण विभाग को इस विषय को लेकर कोई पत्र लिखे हैं ?
अध्यक्ष महोदय-- आप किससे प्रश्न पूछ रहे हैं.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय मंत्री महोदय से पूछ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- इसका उत्तर पी.डब्ल्यू.डी. मंत्री देंगे.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक अप्रैल 2013 को घूघस-सिघौरा नदी पर पुल निर्माण स्वीकृत किया गया था. इसके बाद जल संसाधन विभाग ने वर्ष 2016 में एक डेम की स्वीकृति प्रदान कर दी. इससे हमको कठिनाई आई और 6 करोड़ 40 लाख रुपए का हमने पुल स्वीकृत किया था उसको हम नहीं बना पा रहे हैं फिर हमने जल संसाधन विभाग से चर्चा की, राशि के संबंध में पत्राचार भी किया गया. लेकिन वर्ष 2016 में जल संसाधन विभाग ने स्वीकृत कर दिया. हमारा काम 18 प्रतिशत में हो गया था लेकिन अब सिंचाई विभाग से चर्चा करके वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था करेंगे.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि करीब 4 पत्र जल संसाधन विभाग ने लिखे हैं. मेरे पास वह पत्र उपलब्ध हैं. उन्होंने अपने पत्र में यह कहा है कि लोक निर्माण विभाग ने जो पुल स्वीकृत किए हैं उसकी जो राशि लोक निर्माण विभाग खर्च करने वाला है. उसके अतिरिक्त ऊंचाई बढ़ाने में जो व्यय आएगा वह जल संसाधन विभाग करेगा. यहां से केवल उसका एस्टीमेट बनकर जाना है. जल संसाधन विभाग से वह स्वीकृत हो जाएगा.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पहला पत्र तो जल संसाधन विभाग ने काम रोकने के लिए लिखा है. फिर हमने लिखा कि हमारा पैसा यदि स्वीकृत है फिर उन्होंने कहा कि ठीक है आप प्रस्ताव भेजिएगा कितनी राशि है. उसके बाद हम चर्चा करके इसका निराकरण करेंगे और जल्द ही आपकी समस्या का समाधान होगा.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवर-- धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
बांध सुजारा परियोजना से विस्थापितों का पुनर्वास
[जल संसाधन]
15. ( *क्र. 5209 ) श्री के. के. श्रीवास्तव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में बांध सुजारा बांध परियोजना में जिन गाँवों की जमीन डूब क्षेत्र में प्रभावित हुई उन प्रभावितों को जहां पुनर्वासित किया जा रहा है, वहाँ मूलभूत अधोसरंचना के अंतर्गत क्या-क्या निर्माण कार्य हुये हैं और अब तक क्या-क्या किये जा चुके हैं? अलग-अलग बसाहटों की स्पष्ट जानकारी दें। (ख) नवीन बसाहटों में कब तक निर्धारित मापदण्डों के तहत निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा? (ग) शासन के निर्धारित मापदण्डों के अधीन निर्माण कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जाना चाहिये? अवधि बताये तथा पुनर्वास की शर्तों के अधीन प्रश्न दिनांक तक निर्माण न कर पाने वालों के विरूद्ध क्या कार्यवाही निरूपित की गई है? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) विस्थापित परिवारों के लिये टीकमगढ़ जिले में 02 पुनर्वास कॉलोनी, नवीन पुरैनिया एवं नवीन दरगुंआ बनाई जा रही है। नवीन पुरैनिया कॉलोनी में प्राथमिक शाला भवन, माध्यमिक शाला भवन, सामुदायिक भवन, आंगनवाड़ी भवन, मन्दिर, शान्तिधाम, पेयजल हेतु पानी की टंकियाँ, डब्ल्यू.बी.एम. सड़क, जल निकासी हेतु नालियाँ, विद्युत व्यवस्था आदि निर्माण कार्य 95 प्रतिशत तक पूर्ण कराये जा चुके हैं एवं नवीन कॉलोनी दरगुंआ में प्राथमिक शाला भवन, सामुदायिक भवन, आंगनवाड़ी भवन, मन्दिर, शान्तिधाम, पेयजल हेतु पानी की टंकियाँ, डब्ल्यू.बी.एम. सड़क, जल निकासी हेतु नालियाँ आदि के कार्य 50 प्रतिशत पूर्ण होकर प्रगतिरत हैं। (ख) नवीन पुरैनिया में मार्च 2017 तक तथा नवीन दरगुंआ में मई 2017 तक निर्माण कार्य पूर्ण होना संभावित है। (ग) इस वर्ष बाँध में जल भराव 311 मीटर तक होने की संभावना है। इस स्तर तक जल भराव के पूर्व प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की कार्यवाही पूर्ण कर ली जावेगी। पुनर्वास कॉलोनियों के अधोसंरचना निर्माण संबंधी अब तक की कार्यवाही संतोष-जनक होने से किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने की स्थिति नहीं है।
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सुजारा बांध में दो पुनर्वास कॉलोनी बनने का था. उसमें उत्तर मिला है कि 95 प्रतिशत कार्य मार्च में पूरा कर लिया जाएगा. काम तो चल रहा है और मैं संतुष्ट भी हूं, लेकिन अभी काम की स्पीड कम है. इसलिए उस काम को और तेज स्पीड से बढ़ाने की कृपा करें. इसी सुजारा बांध से संबंधित एक प्रश्न और है कि हमारे यहां से 526 गांव की मुख्यमंत्री समूह जल प्रदाय योजना 975 करोड़ की आपने स्वीकृत की है. उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. अभी इरीगेशन ने उसमें 29 एम.सी.एम. पानी देने के लिए हमें मना किया है. केवल 10 एम.सी.एम. पानी दे रहे हैं. इससे पीने के पानी का संकट पैदा हो जाएगा. बुंदेलखण्ड में सूखा है. 29 एम.सी.एम. पानी पूरा मिला जाए तो टीकमगढ़ जिले के 4 विधान सभा क्षेत्र के 526 गांव पीने के पानी के संकट से मुक्त हो जाएंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री से चाहता हूं कि पीने का पानी मिल जाए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, पहला सम्माननीय सदस्य का प्रश्न है कि स्पीड बढ़ा दें तो के.के.भाई के बोलने की जो स्पीड है उस स्पीड पर उसे लाने की कोशिश करेंगे. दूसरा जो प्रश्न है उस पर पी.एच.ई. विभाग से बात करके आगे कार्यवाही करेंगे.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पीने के पानी का संकट है. सिंचाई भले ही कम हो जाए लेकिन पीने का पानी जरूरी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- पीने के पानी का विभाग अलग है.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन पानी तो आप ही को देना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, दोनों से बात कर लेंगे.
उर्वरक, बीज एवं कीटनाशक दवाइयों की जाँच
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
16. ( *क्र. 6924 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विकासखण्ड बड़नगर में वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में विभागीय अधिकारियों के द्वारा कितनी दुकानों से उर्वरक, बीज एवं कीटनाशक दवाइयों के नमूने जाँच कराने हेतु लिये गये? (ख) कितनी दुकानों के लायसेंस निरस्त हुए, कितने व्यापारियों को चेतावनी दी गई, कितने व्यापारियों एवं दुकानों के विरूद्ध कार्यवाही की गई? (ग) वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में विकासखण्ड बड़नगर में कितने व्यापारियों को नये लायसेंस जारी किये गये तथा किस अधिकारी द्वारा जारी किये गये?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) विकासखण्ड बड़नगर में वर्ष 2014-15 में 41 लायसेंसधारी से एवं 2015-16 में 48 लायसेंसधारी से विभागीय अधिकारियों के द्वारा उर्वरक बीज एवं कीटनाशक दवाइयों के नमूने जाँच कराने हेतु लिये गये। (ख) वर्ष 2014-15 में 10 लायसेंसधारी को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर अमानक नमूने के शेष स्कंध का विक्रय प्रतिबंधित किया गया। जिनमें से 03 लायसेंसधारी के लायसेंस निरस्त किये गये तथा 02 लायसेंसधारी के लायसेंस निलंबित किये गये। वर्ष 2015-16 में 06 लायसेंसधारी को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर अमानक नमूने के शेष स्कंध का विक्रय प्रतिबंधित किया गया। जिनमें से 01 लायसेंसधारी का लायसेंस निरस्त किया गया तथा 01 लायसेंसधारी का लायसेंस निलंबित किया गया। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री मुकेश पण्ड्या--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा ऊर्वरक और कीटनाशक दवाइयों के संबंध में वर्ष 2014-15 व 2015-16 के बारे में प्रश्न पूछा गया था. इसका उत्तर दिया गया है कि वर्ष 2014-15 में 42 लायसेंसधारी एवं वर्ष 2015-16 में 48 लायसेंसधारी लोगों की अमानक की जांच की गई थी. जबकि वर्ष 2014-15 में केवल 10 लायसेंसधारियों की जाँच की गई जिसमें से 3 लायसेंसधारियों के लायसेंस निरस्त किए गए तथा 2 लायसेंसधारियों के लायसेंस निलंबित किए गए. साथ ही वर्ष 2015-16 में 6 लायसेंसधारियों की जांच की गई. मेरा यह कहना है कि जो शेष बचे हुए लोग हैं जिनकी जाँच की गई उस जाँच में क्या कार्यवाही की गई. जो शेष बचे हैं क्या उनके लायसेंस निलंबित किये जायेंगे ?
किसान कल्याण मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी जो कहेंगे वह हम कर देंगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री मुकेश पण्डया--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे नियम 267 (क) के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय--निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएँ सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी--
1. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
2. श्री मुकेश नायक
3. श्री सूबेदार सिंह रजौधा
4. श्री ठाकुरदास नागवंशी
5. श्री सुखेन्द्र सिंह
6. श्री हरदीप सिंह डंग
7. श्री जालम सिंह पटेल
8. श्री मधु भगत
9. श्री प्रदीप अग्रवाल
10. श्री चन्दर सिंह सिसोदिया.
12.02 बजे सम्पत्ति का विवरण पटल पर रखा जाना
श्री गौरीशंकर बिसेन, किसान कल्याण तथा कृषि मंत्री का सम्पत्ति विवरण.
किसान कल्याण तथा कृषि मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्वयं एवं पत्नी का चल-अचल संपत्ति का विवरण दिनांक 21 मार्च 2017 की स्थिति मे पटल पर रखता हूँ.
श्री तरुन भनोत (जबलपुर-पश्चिम)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बड़ा गंभीर मुद्दा है कि एक तरफ गरीबों को अनाज नहीं मिल रहा है. सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइडलाइन है.
अध्यक्ष महोदय--मैं आपको बाद में समय देता हूँ.
12.02 बजे
औचित्य का प्रश्न
मंत्री द्वारा संपत्ति विवरण पटल पर रखने विषयक.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय आप कहते हैं कि विधान सभा कानून और कायदे से चलती है. माननीय मंत्री जी आपने अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधान सभा के अंदर किस कानून नियम के तहत रखा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--आप भी रख दें आपको भी अनुमति दे रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मर्जी का सवाल नहीं है. नियम, कानून और प्रक्रिया का सवाल है.
अध्यक्ष महोदय--आपने अपनी बात बोल ली न.
श्री गौरीशंकर बिसेन--आप मध्यप्रदेश विधान सभा के माननीय सदस्य हैं. माननीय मंत्रीगणों को अपनी संपत्ति का विवरण रखना चाहिए. प्रक्रिया पढ़ो. संपत्ति का विवरण रखने का मुझे अधिकार है. माननीय अध्यक्ष महोदय से अनुमति लेने के बाद रखा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सफाई देने के लिए अदालत बनी है. जो भ्रष्टाचार हुआ हो उसकी अदालत में गवाही दें, या जो अपने आप को मुल्जिम मानता हो.
श्री गौरीशंकर बिसेन--मुझे संपत्ति विवरण रखने का अधिकार है.सारे माननीय सदस्यों को रखने का अधिकार है. पूरी संपत्ति को सार्वजनिक करुंगा. एक-एक संपत्ति को सार्वजनिक करुंगा.
अध्यक्ष महोदय--आप एक मिनट सुनेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हां सुनेंगे.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, इन्हीं ने संपत्ति विवरण रखा, बाकी मंत्रियों ने क्यों नहीं रखा. सब क्यों नहीं रख रहे हैं. ऐसा क्या हुआ जो इनको अपना संपत्ति विवरण अचानक रखना पड़ा. ऐसा क्या हुआ कि इनको एकदम से रखना पड़ा(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप आपस में तय कर लो किसको रखना है और किसको नहीं रखना है. आप बगल वालों से तो तय कर लो (व्यवधान)
श्री तरुन भनोत—(XXX) (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अगर अदालत में कोई मामला है तो संपत्ति विवरण अदालत में दें. सदन के अन्दर किसी ने इन पर आरोप ही नहीं लगाया है. हम लोगों ने तो कोई आरोप नहीं लगाया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाएं, प्रतिपक्ष के नेता खड़े हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, कल कांग्रेस विधायक दल के साथियों ने, कल हम लोगों ने एक किताब की आपत्तिजनक बातों का उल्लेख करते हुए सदन में बात रखी थी. उस विषय पर यह चर्चा हुई कि माननीय मुख्यमंत्री जी या मंत्री जी वक्तव्य देंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि पहले उस पर वक्तव्य हो जाए. इसके बाद आगे कार्यवाही बढ़े.
अध्यक्ष महोदय- कल माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी ने और प्रतिपक्ष के अन्य माननीय सदस्यों ने जो विषय उठाया था वह निश्चय ही अत्यंत गंभीर है. कल भी शासन की ओर से अनुरोध किया गया था कि वह वक्तव्य देने के लिए तैयार है. जैसा कि प्रतिपक्ष के नेता जी ने आज कहा है. मैं इससे सहमत हूँ और उच्च शिक्षा मंत्री जी को निर्देशित करता हूँ कि वे इस विषय में अपना वक्तव्य दें.
अध्यक्ष महोदय- सुंदरलाल तिवारी जी, आप बैठेंगे कि नहीं ? आपको वक्तव्य सुनना है कि नहीं ? यदि सुनना है तो कृपया बैठ जाईये. शायद इनको वक्तव्य नहीं सुनना है. इनका अब कुछ नहीं लिखा जाएगा. ये जानबूझकर नहीं सुनना चाह रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी- XXX
अध्यक्ष महोदय- तिवारी जी, आप कृपया बैठ जाईये. आपकी बात आ गई है. यह प्रश्नोत्तरकाल नहीं है. आपको मालूम होना चाहिए कि प्रश्नोत्तरकाल 12 बजे समाप्त हो गया है.
12.06 बजे
शासकीय वक्तव्य
श्री जयभान सिंह पवैया, उच्च शिक्षा मंत्री का ''भारत का भूगोल'' नामक पुस्तक पर वक्तव्य
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल प्रतिपक्ष के नेता और प्रतिपक्ष के मेरे मित्रों ने ''भारत का भूगोल'' नामक एक किताब को लेकर सदन में मुद्दा उठाया. मेरी कल ही इच्छा थी कि मैं इस विषय पर अपनी ओर से तथ्य सदन के समक्ष रख दूं, लेकिन मुद्दा किताब का था और सदन के गर्भगृह में नारे कुछ और ही लगाए जा रहे थे. उनका भी मैं जिक्र करूंगा. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि यदि सदन में सभी धैर्य से मेरे तथ्यों को सुन लेंगे और तथ्यों को सुनने के अलावा मेरे भी कुछ सवाल सुन लेंगे तो मैं फिर उठकर आप सभी के सवालों का जवाब देना चाहूंगा. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि जिस किताब के अंशों को सदन में रखा गया और उस किताब हेतु सरकार को जिम्मेदार बताया गया. इस विषय में मैं साफ कर देना चाहता हूं कि यह किताब शासन की सिलेबस कमेटी के द्वारा अनुमोदित नहीं है. इसके अतिरिक्त सरकार की ओर से किसी विषय के लिए पुस्तकों की एक सजेस्टिव लिस्ट निकलती है. मेरे पास अभी वह परिपत्र है जो शासन जारी करता है, इस परिपत्र में 12 पुस्तकों का सुझाव दिया गया है. इसमें भी उस किताब का कोई उल्लेख नहीं है कि इस किताब को खरीदना चाहिए. अध्यक्ष महोदय
की अनुमति होगी तो मैं पुस्तकों से संबंधित इस परिपत्र को सदन में पढ़कर सुना दूंगा या प्रस्तुत कर दूंगा. सदन में उल्लेखित पुस्तक एक निजी प्रकाशक द्वारा छापी गई पुस्तक है. श्री हरीश कुमार खत्री और एम.एस.सिसौदिया इसके लेखक हैं. निजी प्रकाशकों द्वारा जब कोई पुस्तक या ग्रंथ प्रकाशित किया जाता है तो वे पुस्तकालयों में उन पुस्तकों को विक्रय करने हेतु जाते हैं. प्रकाशक चाहते हैं कि पुस्तकालयों में उनकी किताब रखी जाए. 20 फरवरी को उच्च शिक्षा विभाग को सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से अजाक्स द्वारा दी गई शिकायत प्राप्त हुई थी. तत्काल हमारे द्वारा इस शिकायत की जांच शुरू कर दी गई. कुलसचिव की कमेटी अलग से बनाई गई. प्राचार्य से भी इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाई गई. इससे एक यह तथ्य सामने आया कि महाकौशल आर्ट एण्ड कॉमर्स कॉलेज के पुस्तकालय हेतु यह पुस्तक प्राचार्य द्वारा स्थानीय स्तर पर क्रय की गई थी. इसके अतिरिक्त दो-चार अन्य कॉलेजों के विषय में मुझे अभी जानकारी मिली है, जहां कुछ संख्या में पुस्तकें पुस्तकालयों में रखी हैं. पुस्तकालयों में एडिशनल बुक्स के रूप में या संदर्भ ग्रंथों के रूप में ऐसी सैकड़ों पुस्तकें रखी जाती हैं और स्थानीय स्तर पर क्रय भी की जाती हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात यह है कि चूंकि पुस्तक प्राचार्य द्वारा खरीदी गई और स्थानीय स्तर पर खरीदी गई, जब यह विषय हमारे संज्ञान में आया और पूरी जांच रिपोर्ट आ गई तो हमने तत्काल कार्यवाही की है. हमारे द्वारा कार्यवाही के रूप में महाकौशल आर्ट एण्ड कॉमर्स कॉलेज के प्राचार्य को तत्काल निलंबित कर दिया गया है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि इस पुस्तक को उच्च शिक्षा विभाग के किसी भी पुस्तकालय में न खरीदा जाए इसलिए पुस्तक और उसके लेखक को तत्काल प्रभाव से ''ब्लैक लिस्टेड'' कर दिया गया है. (मेजों की थपथपाहट)
(इंडियन नेशनल कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के अनेक सदस्यगण अपने-अपने स्थान पर खडे़ होकर एक साथ बोलने लगे.) ..(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
(श्री ओमकार सिंह मरकाम सहित इंडियन नेशनल काँग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अनेक सदस्यगण अपने-अपने स्थानों पर एकसाथ खड़े होकर अपनी-अपनी बातें कहने लगे)
..(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य-- रोज यही करोगे, दो दिन हो गए ..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- यह क्या तरीका है? ..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- किसी बात का कोई मुद्दा नहीं है. ..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- डाँटना शुरू कर दिया. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- वक्तव्य पूरा होने दें. ..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- शांति से वक्तव्य सुनिए. शांति से सुनना पड़ेगा. पहले
से तैयारी करके आए हो क्या? ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मरकाम जी, कृपया वक्तव्य पूरा होने दें. ..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- बाद की बात का पता नहीं. वह स्पष्ट वक्तव्य दे रहे हैं, पहले वक्तव्य तो सुनो. आप सदन में गलत जानकारी लेकर आए. कल पूरा प्रकरण तथ्यों से विपरीत था. ..(व्यवधान)..
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- भाई लोगों, जो तथ्य सामने आ रहे हैं, सब आराम से सुनिए. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- बात तो पूरी होने दें. ..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय मंत्री जी असत्य जानकारी दे रहे हैं. मैं आपको बताना चाहता हूँ. ..(व्यवधान)..
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- आप पहले सुनिए, उसके बाद यदि कोई बात है तो फिर प्रश्न करिए. आप जरा सुनने की क्षमता रखिए. ..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- शासन का प्रकाशक नहीं है और उसके ऊपर भी सरकार कार्यवाही कर रही है. ..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- हमको भी पता है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- ओमकार सिंह जी मरकाम, यदि आप वक्तव्य पूरा नहीं होने देंगे तो मैं आगे बढ़ूँगा. ..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- (XXX) मंत्री जी, यह जो कॉलेज आप महाकौशल.... ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप यदि वक्तव्य पूरा नहीं होने देंगे तो मैं आगे बढ़ जाऊँगा. आपकी बात फिर वहीं की वहीं रह जाएगी. वक्तव्य हो जाने दीजिए उसके बाद जो कहना है वह आप कहिए. मैं आपको रोक नहीं रहा पर पहले आप उनका वक्तव्य होने दीजिए. पहले मैंने उनको अनुमति दी है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, निशंक जी, बैठ जाइये, राजेश जी. ..(व्यवधान)..
श्री जयभान सिंह पवैया-- मान्यवर अध्यक्ष महोदय, मुझे ऐसा लगता है कि यह विषय बहुत गंभीर है. हम लोगों को जो और कुछ कहना हो, वह बाहर भी कह सकते हैं. मेरे बाद में कह सकते हैं, प्रचार के लिए जो करना हो. लेकिन बहुत ईमानदारी से और दलों की सीमाओं से हमें सामाजिक समरसता के मामले में ऊपर उठकर ही बोलना और सुनना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) आप बोलेंगे, मैं नहीं बोल पाऊँगा इसलिए मैं बहुत प्रार्थना करता हूँ कि आप बात तो सुन लीजिए. आप जो कहेंगे, आगे क्या कदम उठाना है, अगर हमें उचित लगेगा तो वह कदम सरकार उठा लेगी. तीसरा हमने पत्र लिख दिया है भोपाल कलेक्टर और आईजी भोपाल को, कि हमारी जाँच कमेटी ने, विश्वविद्यालय की ने, इसको पूरी तरह तथ्यों से विपरीत माना है जो पुस्तक में अंश लिखे गए हैं और इसलिए प्रकाशक की इस किताब से सामाजिक समरसता भंग होती है इसलिए कानूनी कार्यवाही, उस प्रकाशक के खिलाफ भी की जाएगी, यह पत्र भी शासन ने लिख दिया है. (मेजों की थपथपाहट)
मान्यवर अध्यक्ष महोदय, जो कुल सचिव की कमेटी हमने बनाई थी उसकी 5-7 पंक्तियों के मैं अंश सुनाना चाहता हूँ. उन्होंने लिखा है कि, अँग्रेजों के समय में गोंड को सर्वभक्षी शब्द लिखा जाता था, अँग्रेज लोगों ने जो लिखा और अँग्रेज लेखकों ने इस सर्वभक्षी विशेषण के आधार पर वह शब्द जोड़ दिया, जो उन्हें अपनी साम्राज्यवादी नीति के तहत उपयुक्त लगा. अँग्रेज विद्वान, जो या तो ब्रिटिश सरकार के अँग्रेज अधिकारी होते थे या फिर ब्रिटेन में धर्मांतरण के लिए प्रशिक्षित पादरी होते थे. ब्रिटिश सरकार की उस नीति को सफल बनाने में कृतसंकल्प थे, जिससे पूरा आदिवासी समाज गैर हिन्दू साबित हो सके ऐसा होने पर धर्मांतरण सरल होता और यह विद्वान, ऐसी हर चीज को अपने साहित्य में स्थान दे रहे थे, जिससे आदिवासियों का गैर हिन्दू होना साबित हो सके. गौ मांस का भोजन भी ऐसी ही एक असत्य बात उन्होंने लिखी है. यह कमेटी का उल्लेख है. दुर्गावती विश्वविद्यालय ने जनजातियों की ब्रिटिश साम्राज्यवादी दृष्टिकोण से स्थापित पहचान को दूर करने के लिए जनजातियों की भारतीय पहचान पर सतत् कार्य किया है और वर्ष 2014 में पंडित कुंजीलाल दुबे ग्रन्थमाला के अंतर्गत भारतीय जनजातियों की सांस्कृतिक पहचान पुस्तक का प्रकाशन किया, जिसमें इस वर्ग की भ्रांतियों का निराकरण किया गया है. मैंने इन कार्यवाहियों का जिक्र किया है और बहुत गहराई से हमने तहकीकात करा ली है कि किसी लाइब्रेरी ने बिना अध्ययन के ऐसी पुस्तकें अगर खरीदी है तो शो-कॉज नोटिस उन संबंधित प्रिंसिपल को भी हम जारी कर देंगे. कल पूरे दिन जानकारी मंगाने के बाद मुझे 4-5 लाइब्रेरी की जानकारी प्राप्त हुई है. शासन ने एक परिपत्र और जारी कर दिया है और वह परिपत्र यह है कि जो प्रकाशक पुस्तकों को लाइब्रेरी में विक्रय करते हैं उनको बिना पढे़, उनका बिना अध्ययन किए उसके लिए एक ऐसी समिति बना दी जाए जो हर कॉलेज में स्टडी करने के बाद ही उस पुस्तक को लाइब्रेरी के लिए खरीदेगी. (मेजों की थपथपाहट). मैं बहुत विनम्रता से और मुझे लगता है कि मैं भी बैठकर आपको सुनूंगा इसलिए अजय सिंह जी दुष्यन्त की पंक्तियॉं हैं कि हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग, डर-डर कर बात कहने की आदत नहीं रही. (मेजों की थपथपाहट). इसलिए पहले तो मैं प्रश्न यह करूंगा कि वर्ष 2007-08 में और मैं जो यह बात कह रहा हॅूं तो अपने इस पक्ष को रखते हुए कि हमारे किसी सिलेबस में हमारे द्वारा अथोरॉइज किसी पुस्तक में किसी प्रकार की भूल नहीं हुई है. लेकिन वर्ष 2007-08 में दिल्ली में किसकी सरकार थी ? एनसीईआरटी की पुस्तकें कौन छापता है ? समाज विज्ञान की पुस्तक में मेरे कांग्रेसी मित्रों आपकी केन्द्र सरकार और एचआरडी मिनिस्टर ने जिन पुस्तकों को प्रकाशित किया, सिलेबस में दिया उसमें लिखा गया था कि आदि गौमांस का भक्षण किया करते थे. (सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा नारे लगाए गए). वर्ष 1981-82 में किसकी सरकार थी ? वर्ष 1991-92 में एचआरडी मिनिस्टर कौन थे, मैं उस इतिहास में बिल्कुल नहीं जाना चाहता. मैं व्यक्तिगत आक्षेप बिल्कुल नहीं करूंगा. ये तथ्य आप भी जरा पलटकर देख लीजिए और अपने पापों का प्रायश्चित् करो. (सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा मेजों को थपथपाने पर). आप भी मेज न बजाएं, फालतू में उत्तेजना आती है, शांति से आप भी सुन लीजिए. जैन तीर्थंकरों को विक्षिप्त की तरह निर्वस्त्र घूमने का समाज विज्ञान की किताब में किसने पढ़ाया था ? जाट जैसी बहादुर कौम को उद्दंड नाम का शब्द किसने दिया था ? आपने उसको पाठ्यक्रम में दिया......(व्यवधान).........और मैं प्रमाण के रूप में यह बता रहा हॅूं.... ....(व्यवधान)....एनसीईआरटी टेक्स्ट बुक कंट्रोवर्सीज के नाम से यह प्रकाशित है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आप यह क्या व्यवस्था चला रहे हो. आप वहां की बात कर रहे हो, अरे यहां तो संभाल लो, जो प्रदेश में है. पहले अपना प्रदेश तो संभालो, वहां के लिए आप बात कर रहे हो. माननीय अध्यक्ष जी, आप यहां का उत्तर दिलवाइए.
श्री जयभान सिंह पवैया -- आप हमारी बात सुन लीजिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां का उत्तर दिलवाएं.....(व्यवधान)....
श्री जयभान सिंह पवैया -- आप मेरी बात सुन लीजिए, मैं बहुत संक्षेप में कह रहा हॅूं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो कल का विषय है उस पर अनुमति दी जाए, न की पूरा भाषण दे दें, पुरानी हिस्ट्री की......(व्यवधान)......आपके द्वारा माननीय अध्यक्ष महोदय कल जो घटना घटी है उस पर बोलने की अनुमति दी है, न कि आप 50 साल का इतिहास बोलने लगो.....(व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय -- विषय समाप्त हो गया है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- यह भाषण नहीं, ज्ञान है ज्ञान.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, वक्तव्य समाप्त हो गया है, आगे बढे़ आप. वक्तव्य समाप्त हो गया.
अध्यक्ष महोदय-- भनोत जी, अपनी बात रखें. अकेले भनोत जी को ही मैंने टाइम दिया है...(व्यवधान)..यदि भनोट जी के अलावा और कोई खड़ा होगा तो मैं आगे बढूंगा. मैंने उनको टाइम दिया है और किसी को नहीं दिया है. आप अपनी बात कह दीजिये, आपके लोग कोई डिस्टर्ब नहीं करेंगे.नहीं तो मैं आगे बढ़ूंगा.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के सरकारी गोदामों में सरकार की गलती से...(व्यवधान)....
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष महोदय, मुझे इस विषय में बोलने दिया जाये. मैं आपसे अनुरोध करता हूँ.आप हमको बोलने नहीं दे रहे हैं..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- पत्रों का पटल पर रखा जाना.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष महोदय जी, आप हमको बोलने नहीं दे रहे हैं.हमको दबा रहे हैं...(व्यवधान)... यह आदिवासियों के शुभचिंतक हैं.हम लोगों की जाति पर बोलेंगे तो..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- भनोत जी आप बोलते क्यों नहीं हैं.....(व्यवधान)..आप लोग सुनते क्यों नहीं हैं. ...(व्यवधान).....उनकी पूरी बात हो जाने दीजिये..(व्यवधान)...आपको टाइम दिया था. पर आपके ही लोग व्यवधान कर रहे हैं.
एक माननीय सदस्य-- पूरा प्रकरण तथ्यों से विपरीत था.
12.21 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
श्री ओमकार सिंह मरकाम,श्री तरुण भनोत एवं श्री निशंक कुमार जैन,सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
(श्री ओमकार सिंह मरकाम, श्री तरुण भनोत एवं श्री निशंक कुमार जैन,सदस्य अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आ गये एवं अध्यक्ष महोदय की समझाईश पर अपने स्थान पर गये)
12.22 शासकीय वक्तव्य (क्रमशः)
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विषय ओमकार सिंह जी ने डिंडौरी में एक सभा में उठाया था और राज्यपाल के नाम से कलेक्टर को इस विषय पर ज्ञापन दिया था और उस पर अनुरोध किया था. माननीय मंत्री महोदय ने कार्यवाही की. मंत्री महोदय अपनी कार्यवाही करने के साथ जो भाषण दे रहे थे कि 1980, 1914, 1990, 1991,यह एनसीईआरटी की चर्चा यहाँ नहीं हो रही है. हम लोग इस किताब की बात कर रहे हैं. वैसी चर्चा यदि करनी चाहें तो यह आपकी माखनलाल विश्वविद्यालय की एक किताब आज ही मिली है, उसमें नाथूराम गोंडसे और रावण को महापुरुष लिखा गया है.यह किस तरह का काम चल रहा है पवैया जी? यह आपकी माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय की किताब है, मोनिका वर्मा,सुरेन्द्रपाल की. यह आप लोग यदि सुनिश्चित कर लें कि इस तरह की किताब पर कार्यवाही हो. एक किताब का जिक्र हुआ तो आपने कार्यवाही कर दी. एफआईआर कर दिया लेकिन इस तरह की और जो किताबें छप रही हैं .इस किताब में 22 नंबर पर महापुरुष का नाम रावण बताया है. 15वें नंबर पर नाथूराम गोंडसे का नाम है. यह महापुरुष हैं हिंदुस्तान के? यह जिस तरह से बात हो रही है...(व्यवधान).. भई, रावण महापुरुष की बात नहीं हो रही.अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करूँगा..
श्री शंकरलाल तिवारी-- (XXX).
श्री अजय सिंह-- नाथूराम गोंडसे महापुरुष रहा?...(व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय--तिवारी जी बैठ जाइए. अब इसमें प्रतिपक्ष के नेता जी की बात के बाद में मैं आगे बढ़ूंगा....(व्यवधान)...
श्री अजय सिंह-- जिस आदमी ने गाँधी जी की हत्या की वह महापुरुष है?...
श्री शंकरलाल तिवारी-- (XXX)...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी की बात कार्यवाही से निकाल दीजिये. तिवारी जी आप बैठ जाइए.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह किस तरह की बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी की बात निकाल दी है. ...(व्यवधान)
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात शुरु हुई ओमकार सिंह जी मरकाम से. माननीय मंत्री महोदय ने बहुत विस्तार से अपनी बात रख दी. मेरा आपसे अनुरोध है कि हमारे ओमकार सिंह मरकाम जी, जिनको पढ़कर क्षोभ हुआ उनको दो मिनट बात करने दी जाये.
अध्यक्ष महोदय-- वैसे अब कार्यवाही आगे बढ़ गई है परन्तु प्रतिपक्ष के नेता जी ने कहा है तो मरकाम जी सिर्फ दो मिनट बोलेंगे और इस पर कोई वाद-विवाद नहीं होगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, जैसे ही डिंडौरी के उस कॉलेज में जहाँ मैंने ग्रेजुएशन किया है वहाँ गया तो हमारे संज्ञान में आया कि भारत का भूगोल पुस्तक में इस तरह से लिखा गया है. तो समाज के 20-25 हजार लोग इकट्ठे हुए और 25 जनवरी को हमने महामहिम राज्यपाल के नाम से ज्ञापन दिया, वहाँ पर कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था, भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण भी उस कार्यक्रम में उपस्थित थे. इसके बाद 25 जनवरी को ही विधायक के लेटर-पैड में इस पर कार्यवाही हेतु मांग की, परंतु मुझे दु:ख है कि कार्यवाही नहीं हुई. माननीय मंत्री जी जब एक विधायक ज्ञापन देता है तो कार्यवाही होनी चाहिए और हमने राज्यपाल महोदय के नाम से ज्ञापन दिया था, आप अभी 20 फरवरी से एक्शन टेक-अप की बात कर रहे हैं, 25 जनवरी को जब आपको विधायक ने समाज के साथ ज्ञापन दिया तो सरकार ने उसे अनदेखा क्यों किया ? उसमें कार्यवाही क्यों नहीं की ? आपके नॉलेज में यह बात क्यों नहीं आई ? जबकि हमने ज्ञापन दिया है हम यह कह रहे हैं. अगर वहाँ पर कार्यवाही हो गई होती तो सदन में इस बात को उठाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती. हम आपसे किसी राजनीतिक द्वेषता से या चुनावी मुद्दे पर बात नहीं कर रहे हैं, हम मानवीय दृष्टिकोण से बात कर रहे हैं. इस लेख के कारण मुझे जो मेरे समाज के लोगों ने कहा, वह मैं आपको व्यक्त करूंगा तो ऐसा लगेगा कि ...
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आपकी बात आ गई है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि इस लेख के कारण जो हमारे समाज की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है तो हमारी प्रतिष्ठा को कायम रखने के लिए सरकार क्या करेगी ? शासकीय चन्द्रविजय महाविद्यालय, डिण्डोरी के प्राचार्य पर आप क्या कार्यवाही करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आपकी पूरी बात आ गई है, आपका विषय आ गया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है माननीय मुख्यमंत्री जी, जो कि प्रदेश के मुखिया हैं... ...(व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, अब आप कृपा करके बैठें, आपका पूरा विषय आ गया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी इस विषय पर स्पष्ट चर्चा करें, यह मेरा निवेदन है. ...(व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय -- आगे बढ़ने के बाद आपको समय दिया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ कि सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि सरकार समाज से क्षमा मांगे.
अध्यक्ष महोदय-- पत्रों का पटल पर रखा जाना.
12.26 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम,भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 1013-2014 एवं 2014-2015
पशुपालन मंत्री (श्री अंतर सिंह आर्य)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अधिनियम, 1982 (क्रमांक 37 सन् 1982) की धारा 27 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 1013-2014 एवं 2014-2015 पटल पर रखता हूँ.
(2) आयुक्त, निःशक्तजन, भोपाल, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन
सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, निःशक्तजन व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (क्रमांक 1 सन् 1996) की धारा 65 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार आयुक्त, निःशक्तजन, भोपाल, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हूँ.
12.27 बजे अध्यक्षीय घोषणा
श्रीमद् राजचन्द्र मिशन, धरमपुर द्वारा नाटक ''युग पुरुष'' का आयोजन करने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज, गुरुवार दिनाँक 23 मार्च, 2017 को सायं 7.00 बजे विधान सभा परिसर में माननीय सदस्यों के लिए श्रीमद् राजचन्द्र मिशन, धरमपुर द्वारा संस्कृति विभाग के सौजन्य से नाटक ''युग पुरुष'' का आयोजन किया गया है. उक्त कार्यक्रम में माननीय सदस्यों की उपस्थिति प्रार्थित है. ...(व्यवधान) ...
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, आपने भानोत जी के लिए कहा था कि मैं समय दूंगा, श्री भानोत जी केवल एक बात उठाना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी, आपके आग्रह पर मैंने रिवर्स गाड़ी डालकर ओमकार सिंह मरकाम जी को समय दिया. मेरा आपसे अनुरोध है कि अब इतना आप शिथिल न कराएँ, वो जो बोलना चाहेंगे कल मैं उनको बोलने दूंगा.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे अनुरोध के पहले ही आपने उनको अनुमति दे दी थी.
अध्यक्ष महोदय -- उनको अनुमति दी थी पर जब उन्होंने नहीं बोला तो मैं आगे बढ़ गया.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यदि थोड़ा सा रिवर्स गेयर किए हैं तो थोड़ा और ज्यादा कर दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- अब मैं आगे बढ़ गया, उस वक्त आगे बढ़ा नहीं था और मंत्री जी को मैंने बैठा दिया था, किंतु अब कार्यवाही बहुत आगे बढ़ गई है, कल उनको मैं अनुमति दूंगा इसका मैं आपको आश्वासन देता हूँ. श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं थोड़ा ज्ञानवर्धन करना चाहता हूँ कि क्या किसी कार्यवाही को रिवर्स में डाला जा सकता है ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, विशेष अनुमति मैंने दी थी. श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इनकी गाड़ी तो हरदम रिवर्स में ही चलती है और जहाँ गढ़ाकोटा पहुँच जाते हैं फिर रिवर्स नहीं होते हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं आज भी कह रहा हूँ कि यह परम्परा ठीक नहीं है, असंवैधानिक है.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, ये आपके ऊपर आरोप लगा रहे हैं और आप इसको विलोपित नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- सबको स्वतंत्रता है बोलने की, माननीय मंत्री जी का वह मत हो सकता है पर मेरा मत उससे डिफ्रेंट है. श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं आसंदी से क्षमा चाहते हुए माननीय नेता प्रतिपक्ष से कहना चाहता हूँ कि ऐसा काम मत करवाएँ कि जिससे हमारी संसदीय लोकतंत्र की परंपराएँ आहत होती हों.
अध्यक्ष महोदय -- मेरे से कोई काम नहीं करवाता, मैं अपने विवेक से करता हूँ.
श्री अजय सिंह -- (श्री गोपाल भार्गव की ओर देखकर) आपने सुन लिया अब, क्या कहा उन्होंने.
12.32 बजे ध्यानाकर्षण
(1) छतरपुर जिले के मातगुंआ थाना प्रभारी द्वारा पद का दुरूपयोग किया जाना
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक (बिजावर)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
गृहमंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - अध्यक्ष महोदय, कर्तव्य में लापरवाही बरतने पर उप निरीक्षक अनुमेहा दुबे को पुलिस अधीक्षक द्वारा निलंबित कर अनुविभागीय अधिकारी पुलिस बिजावर से प्राथमिक जांच कराई जा रही है, इसके लिए मैं माननीय गृह मंत्री जी का बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं और धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. एक विषय की ओर मैं यह ध्यान आकर्षित कराना चाहता था कि पुलिस का ध्येय वाक्य है, 'देशभक्ति - जनसेवा.' और इससे कोई पुलिस का अधिकारी भटकता है, ध्येय से भटकता है तो उसका ध्यान आकर्षित करना और ध्यान में कोई बात आती है तो उसको बताना, सामाजिक दायित्व के नाते मेरे दायित्व निर्वहन की जिम्मेदारी थी. इस नाते पिछले 2-3 महीनों में कई बार फोन पर मैंने पुलिस अधीक्षक को, एसडीओपी को, एडिशनल एसपी को इसकी बार-बार जानकारी दी कि यह घटना हुई. जो भी घटनाओं का हमने उल्लेख किया है. इन सभी घटनाओं को हमने फोन पर सूचित किया है. लेकिन फोन पर सूचित करने के बाद भी कार्यवाही कुछ नहीं हुई. जब यह विषय आपके माध्यम से विभाग में पहुंचा और गृह मंत्री जी की तत्काल कार्यवाही की वजह से उनकी सुघड़ कार्यनीति की वजह से यह हो सका कि उसको निलंबित किया गया. लेकिन सवाल यह है कि इस तरह यदि कोई अधिकारी पथभ्रष्ट होते हैं, अपने ध्येय से भटकते हैं तो उनके खिलाफ समुचित कार्यवाही समय पर हो तो लोगों को न्याय मिलेगा. सोमवती अहिरवार का मैंने जो जिक्र किया है. इसमें विभाग की टीप में आया है कि सूचना थाना मातागुंवा में की. सूचना थाना मातागुंवा में की तो मातागुंवा थाने ने क्या किया, इसका कहीं कोई जिक्र नहीं है? इसकी जानकारी मिल जाए तो अच्छा रहेगा. दूसरा, यह कि थाना प्रभारी अपनी निजी गाड़ी में घूमती हैं, वसूली करती हैं, इस बात की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है तो माननीय अध्यक्ष महोदय, जब फरियादी अपनी फरियाद लेकर जाता है तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो सामान्यतः कोई गाड़ी लेकर घूम रहा है, वसूली कर रहा है, इस बात की थाने में कौन रिपोर्ट करेगा और क्यों करेगा? मेरा निवेदन यह है कि एक घटना का उल्लेख चूंकि इसका जो प्रारूप है, उसमें बहुत कम बातें लिखी जा सकती हैं. एक घटना देवेन्द्र सिंह बुंदेला के साथ दिनांक 1.2.17 को हुई. पुलिस की गाड़ी में थाना प्रभारी का निजी ड्रायवर जाकर किसी का ट्रेक्टर रोक ले और उससे कहे की थाने चलो तो यह जो घटना हुई, इसकी मैंने रात को ही सूचना दी, तब कोई कार्यवाही नहीं हुई. यह पुलिस की गाड़ी में उसकी निजी गाड़ी में पीली बत्ती लगी होने के बाद थाना प्रभारी के ड्रायवर ने ऐसी हरकत की, जिसकी सूचना मैंने समय पर दी तो मैं यह जो सूचना दे रहा हूं, इसको क्या शिकायत नहीं माना जाएगा?
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप सीधा प्रश्न कर दें.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि एक तो जो सोमवती की शिकायत लिखी है कि सूचना थाना मातागुंवा में की गई तो इस पर क्या कार्यवाही हुई, नहीं हुई तो क्या कार्यवाही की जाएगी? दूसरा, जो इसमें फरियादी प्रीति द्विवेदी का जिक्र आया है, इसमें मैंने शिकायत की है कि रिपोर्ट कर्ता कोई और था विनोद रायकवार, उसकी दो बार रिपोर्ट नहीं की गई. उसने जो रिपोर्ट की, वह रिपोर्ट नहीं ली गई, यह तीसरी घटना है, जिसकी थाना मातागुंवा में रिपोर्ट नहीं हुई है. सिविल लाइन, तीसरे थाने में रिपोर्ट हुई है तो उसने जो पहले कार्यवाही के लिए मांग की थी उस पर कोई कार्यवाही होगी क्या? और अभी इस संबंध में माननीय मंत्री जी आश्वासन देंगे क्या कि हमारे क्षेत्र में इस तरह की कोई ऐसी गतिविधि होती है, जिससे समाज को दिक्कत होती है और समाज को तत्काल न्याय नहीं मिले तो माननीय गृह मंत्री महोदय ऐसी व्यवस्था करेंगे कि फोन पर सूचना मिलने पर भी तत्काल उसका निराकरण हो सके? यह मैं माननीय गृह मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह सारा विषय विभाग के ध्यान में आया. तत्काल इसमें कार्यवाही की गई और जो बिन्दु माननीय श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक जी ने उठाए हैं, सभी बिन्दुओं की जांच करने के लिए वहां पर जो एसडीओपी पदस्थ हैं, वह एसडीओपी सभी बिन्दुओं की जांच कर रहे हैं और जांच रिपोर्ट के आधार पर और कोई आगे कार्यवाही करना होगी, वह कार्यवाही विभाग सुनिश्चित करेगा और एक बार फिर हम पुलिस मुख्यालय से हमारे सभी प्रदेश के पुलिस अधीक्षकों को इस बात के लिए कहेंगे कि हमारे माननीय विधायकगण अगर कोई विषय ध्यान में लाते हैं तो उसको गंभीरता से देखें और उसमें क्या कार्यवाही की गई है, उससे माननीय विधायक जी को अवगत कराएं.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, गृह मंत्री जी की त्वरित कार्यवाही के लिए उनका बहुत-बहुत आभार और मुझे लगता है कि उनके नेतृत्व में गृह विभाग अच्छा काम करेगा और सुख शांति हमारे प्रदेश में बनी रहेगी, बहुत- बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत आभार.
श्री बाबूलाल गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बहुत ही गलत बात हमारे नेता प्रतिपक्ष ने कह दी, इस पुस्तक में नाथूराम गोडसे का नाम नहीं है. यह नाथूराम गोंड हैं, यह नाथूराम गोंड है. इन शब्दों को निकाला जाये.
श्री वैलसिंह भूरिया--अध्यक्ष महोदय, यह हमेशा असत्य बोलते हैं. असत्य चीज लाकर के बताते हैं.
श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष महोदय, यह नाथूराम गोंड हैं. नाथूराम गोडसे का नाम इस पुस्तक में नहीं है.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष जी, एक पुस्तक आपको हम भेंट कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--मैं पुस्तक को अपने कक्ष में देख लूंगा.
(व्यवधान)
श्री बाबूलाल गौर -यह नाथूराम गोंड है महापुरुषों में.
अध्यक्ष महोदय- मैं उसको कक्ष में देख लूंगा.
(व्यवधान)
एक माननीय सदस्य - अध्यक्ष महोदय, क्लास लगानी पड़ेगी, ठीक से उच्चारण कराने के लिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - शिवराज सिंह चौहान इसमें महापुरुष हैं.
अध्यक्ष महोदय - मैं उसको कक्ष में देख लूंगा.
श्री वैलसिंह भूरिया--माननीय शिवराज जी महापुरूष हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह--बताइए शिवराज सिंह जी महापुरूष कब से हो गये हैं ?
अध्यक्ष महोदय--सारी बातें रिकार्ड में आ गई हैं. अब मैं उसको कक्ष में देख लूंगा. श्री कमलेश्वर पटेल अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
(2) प्रदेश के अनेक जिलों में विद्युत कटौती से उत्पन्न स्थिति
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) माननीय अध्यक्ष महोदय,
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- कृपया भाषण नहीं देंगे और एक प्रश्न पूछेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. माननीय मंत्री जी ने तीन पेज का जवाब दिया है.
अध्यक्ष महोदय--एक प्रश्न प्वाइंटेड पूछ लीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सारी स्थिति बहुत अनुकूल है तो फिर हम कुछ पूछते ही नहीं हैं. मंत्री जी ने बहुत बढ़िया भाषण कर दिया.
अध्यक्ष महोदय--आप सीधा प्रश्न करें. आप नियम पढ़ लें.
श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, क्या विधायक असत्य जानकारी दे रहे हैं. हम लोग गांव-गांव घूमते हैं. सब जगह की परेशानी देखते हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष जी, एक दिन बिना प्रशासन को बताए आप गांव चलें.
अध्यक्ष महोदय-- हम भी ग्रामीण क्षेत्र से ही आते हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, जिस तरह का जवाब माननीय मंत्री जी ने दिया है, पढ़कर मुझे दुख भी हो रहा है. इस तरह से प्रशासनिक अधिकारी और बिजली विभाग के अधिकारी/कर्मचारी कार्य कर रहे हैं. आपका संरक्षण चाहेंगे. अध्यक्ष महोदय, कितने ऐसे औद्योगिक संस्थान हैं जहां पर इस तरह से बिजली डिस-कनेक्ट कर दी हो. एक तरफ सरकार गरीब कल्याण वर्ष मना रही है और दूसरी तरफ गरीबों को जेल में डाल रही है. कितने उद्योगों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की है? जिस तरह से अनुसूचित जाति, जनजाति, किसानों को, पिछड़े वर्ग के लोगों को....
अध्यक्ष महोदय--आप भाषण दे रहे हैं कि प्रश्न कर रहे हैं?
श्री कमलेश्वर पटेल-- प्रश्न पूछ रहे हैं कि कितने ऐसे औद्योगिक संस्थान हैं जिनके ऊपर इस तरह की कार्रवाई की है जिस तरह से गरीबों और किसानों के साथ कर रहे हैं.
आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- इसमें यह बात कहां हैं? उसमें भी संरक्षण दें. आपने जिस समस्या के लिए ध्यानाकर्षण लगाया है, वह पूछिये ना.
श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं संचालित हैं. अन्य परीक्षाएं भी चल रही हैं. गांव-गांव में बिजली काट दी है. इसमें जवाब दिया कहीं भी बिजली नहीं काटी है. क्या सरकार गरीबों,किसानों को 10-15 दिन का समय नहीं दे सकती? आपके माध्यम से मेरा इतना निवेदन है कि क्या यह वसूली अभियान विद्युत विभाग रोकेगा? और दूसरा प्रश्न पूछा था कि कितने उद्योगों पर इस तरह की कार्रवाई की है जिस तरह से किसानों पर की है.
अध्यक्ष महोदय--इसमें उद्योगों का कहां लिखा है?
श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं. क्या मंत्री जी ऐसी व्यवस्था बनाएंगे कि जब तक किसानों की फसल नहीं आ जाती तब तक यह वसूली अभियान रोकेंगे?
श्री पारसचन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो उद्योग बिल नहीं देते हैं उनके भी कनेक्शन काटे जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - उद्योगों का प्रश्न मैंने डिसअलाऊ कर दिया है.
श्री पारसचन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात जो इन्होंने कही है तो पूरे मध्यप्रदेश में साढ़े पांच लाख ट्रांसफार्मर्स हैं जिसमें से मात्र 7291 बंद हैं जिनमें से 3500 ट्रांसफार्मर्स ऐसे हैं जिनके अगर पैसे भर दिये जायेंगे तो वे ट्रांसफार्मर्स हम चालू कर देंगे. हम विपक्ष के साथियों से भी चाहते हैं कि वे लोगों से अपने क्षेत्रों में कहें कि जो लोग बिजली का उपयोग कर रहे हैं वे बिल के पैसे तो भरें.
अध्यक्ष महोदय - श्री रामपाल सिंह ब्यौहारी..(..व्यवधान..) आप उनको पूछने दीजिये. ध्यानाकर्षण का नियम नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल- ट्रांसफार्मर जले हैं. गांव-गांव में बिजली नहीं है. मंत्री जी जो मैंने पूछा उसका जवाब नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय - आप जवाब लेते कहां हैं चार आदमी खड़े हो जाते हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल- अध्यक्ष महोदय, मैं कई गांवों के गांव बता सकता हूं हमारे क्षेत्र में ही 25 गांवों की बिजली काट दी गई.
अध्यक्ष महोदय - श्री रामपाल सिंह ब्यौहारी..आप प्रश्न पूछें. कोई अलाऊ नहीं है. किसी का नहीं लिखा जायेगा.
(..व्यवधान..)
श्री रामपाल सिंह ब्यौहारी - अध्यक्ष महोदय,मैं यह जानना चाहता हूं.
श्री कमलेश्वर पटेल - XXX
अध्यक्ष महोदय - आप उनको पूछने देंगे कि नहीं.
श्री कमलेश्वर पटेल- XXX
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठिये. रामपाल सिंह ब्यौहारी..अपना प्रश्न पूछें..नहीं तो मैं आगे बढ़ूंगा. प्रतिवेदनों की प्रस्तुति....
12.52 बजे गर्भगृह में प्रवेश
बिजली कटौती से प्रदेश के किसानों,गरीबों और छात्रों को हो रही परेशानी विषयक
( मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बिजली के मामले में किसानों के साथ गरीबों के साथ,छात्रों के साथ अन्याय होने के विरोध में श्री कमलेश्वर पटेल,श्री सचिन यादव,श्री शैलेन्द्र पटेल, श्री यादवेन्द्र सिंह गर्भगृह में आए एवं नारेबाजी की गई.)
12.53 बजे बर्हिगमन
नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों का सदन से बर्हिगमन
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विषय पर सही जानकारी नहीं आने के कारण हम लोग सदन से बर्हिगमन करते हैं.
( श्री अजय सिंह,नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों द्वारा सदन से बर्हिगमन किया गया.)
12.54 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति/स्वीकृति
(1) गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का उन्नीसवां प्रतिवेदन
(2) याचिका समिति का अड़तालीसवां,उनचासवां,पचासवां,इक्यानवां प्रतिवेदन
श्री शंकरलाल तिवारी,सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं, याचिका समिति का याचिका समिति का अड़तालीसवां,उनचासवां,पचासवां,इक्यानवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(3) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का एक सौ तेईसवां से एक सौ चवालीसवां प्रतिवेदन
श्री यशपालसिेंह सिसौदिया,सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का एक सौ तेईसवां से एक सौ चवालीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं,आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि आपके दिशा-निर्देश में आपने जो जिम्मेदारी सभापति होने के नाते मेरे ऊपर और समिति के सदस्यों पर दी,मुझे कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि विगत सत्र में समिति ने 21 प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत किये थे और इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए 2004-05 से 2011-12 के आडिट रिपोर्ट से संबंधित यह प्रतिवेदन प्रस्तुत किये गये. मैं अध्यक्ष महोदय, आपका, समिति के सम्मानित सदस्यों का, विधान सभा के प्रमुख सचिव का एवं सचिवालय का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आपको भी धन्यवाद. सारी कार्यवाही अपडेट रखेंगे तो कार्य करने में सुविधा रहेगी.
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित याचिकाएं सदन में प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
12.55 बजे वक्तव्य
(1) अतारांकित प्रश्न संख्या 120 (क्रमांक 1175) दिनांक 22 फरवरी 2017 एवं अतारांकित प्रश्न संख्या 181 (क्रमांक 5612) दिनांक 09 मार्च 2017 के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री का वक्तव्य.
अध्यक्ष महोदय-- अब माननीय श्री सूर्यप्रकाश मीणा, राज्यमंत्री, उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण दिनांक 22 फरवरी, 2017 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 120 (क्रमांक 1175) के उत्तर के भाग-(ख) के परिशिष्ट के प्रपत्र-ब तथा दिनांक 09 मार्च, 2017 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 181 (क्रमांक 5612) के उत्तर के भाग (क) के संलग्न परिशिष्ट में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री(श्री सूर्यप्रकाश मीणा)-माननीय अध्यक्ष महोदय,
माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- अब श्री भूपेन्द्र सिंह, गृह मंत्री, राज्य सरकार द्वारा सेना में शहीद सैनिकों के माता-पिता को प्रतिमाह रूपये 5 हजार की पेंशन दिये जाने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
(2) सेना में शहीद सैनिकों के माता-पिता को प्रतिमाह रूपये 5 हजार की पेंशन दिये जाने के संबंध में गृह मंत्री का वक्तव्य.
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही अच्छा निर्णय लिया गया है. यदि 5 हजार से कुछ राशि बढ़ा दी जाये तो और उचित रहेगा क्योंकि संख्या ज्यादा नहीं रहेगी. मेरे ही क्षेत्र में शहीद पदमाकर हुये थे और उनके माता-पिता के पास कुछ नहीं था और डिफेंस मिनिस्ट्री से जो राशि मिली उसे उनकी पत्नी अपने मायके लेकर चली गईं. वास्तव में माता पिता को कुछ नहीं मिला और वह भी बहुत कमजोर वर्ग के थे. इस तरह से अगर इसे 5 हजार रूपये से बढ़ाकर 7500 रूपये कर दें तो ज्यादा उचित होगा, यह हम लोगों की राय है.
1.00 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.00 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी
विधेयक, 2017 (क्रमांक 6 सन् 2017)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री, (श्रीमती माया सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक, 2017 (क्रमांक 6 सन् 2017) के पुर:स्थापन की अनुमति चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक, 2017 (क्रमांक 6 सन् 2017) के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्ग को आवास गारंटी विधेयक, 2017 (क्रमांक 6 सन् 2017) का पुर:स्थापन करती हूं.
1.05 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
माननीय मंत्री द्वारा संपत्ति विवरण पटल पर रखने विषयक
अध्यक्ष महोदय- आज श्री सुंदरलाल तिवारी जी ने एक विषय उठाया था कि माननीय मंत्री जी को कैसे क्यों अनुमति दी और उन्होंने कैसे पढ़ दिया. संसदीय प्रणाली में सुचिता के लिये स्थापित परम्परा है. पूर्व में भी 1995 में तब विद्वान अध्यक्ष श्री श्रीनिवास तिवारी जी इस आसंदी पर थे, ने मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों द्वारा संपत्ति विवरण पटल पर रखे गये हैं. इसी तरह वर्ष 2008 एवं 2012 में भी विवरण रखे गये हैं. (श्री सुंदरलाल तिवारी,सदस्य द्वारा बोलने हेतु माईक की लाईट जलाये जाने पर ) आपको बोलने की अनुमति नहीं है.उसको बंद कर दीजिये. साथ ही विधानसभा में प्रक्रिया में सदस्यों के पालनीय नियम क्रमांक 255 यह पढ़ने के बाद में यदि आपको कुछ बोलना हो तो कल अनुमति दूंगा. इस नियम के अंतर्गत भी कोई सदस्य अध्यक्ष की अनुज्ञा से वैयक्तिक विवरण दे सकते हैं.
1.06 बजे
वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:).
(1) |
मांग संख्या – 3 |
पुलिस |
|
मांग संख्या – 4 |
गृह विभाग से संबंधित अन्य व्यय |
|
मांग संख्या – 36 |
परिवहन.
|
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
आप लोगों से एक और निवेदन है कि आज बहुत से विभाग की मांगों पर चर्चा पूर्ण होना है. सदन के सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि बोलने वाले सदस्यों की संख्या भी ज्यादा है उसको कम करने का प्रयास करें और समय सीमा का भी ध्यान रखें ताकि मांग गुलेटिन नहीं करना पड़े. इसलिये सभी सदस्य कृपया संक्षेप में अपनी बात करने का प्रयास करेंगे.
श्री मुकेश नायक(पवई) -- माननीय अध्यक्ष, गृह विभाग की अनुदान मांगों पर सदन में चर्चा हो रही है. पिछली बार भी सम्मानित सदस्यों ने गृह विभाग की चर्चा पर अपने मूल्यवान सुझाव दिये थे. गृह विभाग की अनुदान मांगों पर समय सीमा का ध्यान रखूंगा. बहुत संक्षिप्त में गृह विभाग की मांगों पर अपनी बात रखूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस वर्ष का जो बजट मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रस्तुत किया गया है और मध्यप्रदेश की सुरक्षा और गृह विभाग के प्रबंधन को लेकर के बजट में जो कटौती की गई है यह बहुत चिंता का विषय है यह नहीं होना चाहिये था. सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिये क्योंकि मध्यप्रदेश बहुत बड़ा राज्य है.इसका क्षेत्रफल बहुत बड़ा है. किसी भी प्रकार का समझौता राज्य के नागरिकों के हित में नहीं होना चाहिये. पिछले बजट सत्र में जब अनुदान मांगों पर चर्चा हुई थी तो यह सुझाव आये थे कि मध्यप्रदेश में अपराध करने वाले बच जाते हैं . उसका कारण यह है कि जो भौतिक साक्ष्य है उनकी जांच करने के लिये हमारे पास में न तो कोई वैज्ञानिक इक्यूपमेंट हैं, न हमारे पास में लैब है. आज भी मध्यप्रदेश में डीएनए टेस्ट की लेबोरेटरी नहीं है. आप बताईये आम तौर पर यह शिकायत आती है कि सामाजिक स्पर्धा को लेकर परस्पर राग और द्वेष को लेकर के बलात्कार की झूठीं शिकायतें थानों में होती हैं और हमारा कानून ऐसा है कि अगर किसी महिला ने रिपोर्ट दर्ज कर दी तो मुकदमा दर्ज होना है . कभी कभी अपवाद स्वरूप ऐसा भी हो जाता है कि कोई बहुत अच्छे व्यक्ति की जिंदगी भी इसमें तबाह हो जाती है और हो सकती है. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से गृह मंत्री जी से यह कहना है कि अगर डी.एन.ए. टेस्ट का इन्फ्रास्ट्रक्चर लेब आप यहां पर विकसित करते हैं तो हम बहुत निष्पक्षता से इसकी जांच कर सकते हैं, हम सही निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं और दोषी व्यक्ति जो बलात्कार के प्रकरण में लगभग 70 प्रतिशत ऐसे लोग बच जाते हैं जिन्हें सजा नहीं होती है, हम उनको सजा दिला सकते हैं और जो निरपराध व्यक्ति है उसको हम बचा भी सकते है. अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात पिछली मांगों के समय यह हुई थी कि हमारा बेलस्टिक डिपार्टमेंट, हमारी अपराध विज्ञान की जो लेबोरेटरी है जिसमें फिंगर प्रिंट , बेलेस्टिक, जले कटे पदार्थों का परीक्षण, उल्टी का परीक्षण, विसरा का परीक्षण जहां पर वैज्ञानिक आधार पर हम किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि अपराध का वास्तविक उद्धेश्य और आब्जेक्ट क्या है वह इन्फ्रास्ट्रक्चर मध्यप्रदेश में नहीं है. मेरी विनती है कि कम से कम संभागीय मुख्यालयों में यह अन्वेषण की सुविधा और लैब होना चाहिए, ताकि जल्द से जल्द अपराध करने वालों को जेल भेजा जा सके, उसको सजा मिल सके और निरपराध व्यक्ति को बचाया जा सके. मुकदमों में विलंब का एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि ये लेबोरेट्रीज मध्यप्रदेश पुलिस विभाग के पास नहीं है. सायबर क्राइम को लेकर जिस तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर, जिस तरह का एक्सपर्टीज और जिस तरह का मैनपावर हमें चाहिए वह नहीं है. आज पूरे देश में, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सायबर क्राइम हो रहे हैं और यह उसका जमाना है, जो पढ़े लिखे लोग है और ऑर्गनाइज्ड जो क्राइम होते हैं, उसमें सायबर क्राइम मुख्य आधार होता है. इसलिए इस पर बजट देने की आवश्यकता है, और भी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करने की आवश्यकता है.
1:11 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
उपाध्यक्ष महोदय - मध्यप्रदेश में थानों में पुलिस बल है ही नहीं, बड़े बड़े त्यौहार होते हैं, बड़े बड़े जलसे और जुलूसों का देश है, हर 15 दिन में भीड़ भरे त्यौहार होते हैं, सड़कों पर होली के त्यौहार मनाए जाते हैं, देवी शक्तिपूजा की प्रतिमाएं सड़कों पर रखी जाती हैं, गणेश पूजन की प्रतिमाएं सड़कों पर रखी जाती है. सम्माननीय सदस्यों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या हमारी सड़कें यातायात के लिए हैं, या इस तरह के त्यौहार मनाने के लिए हैं. नेताओं की सभाओं सड़कों पर होती हैं, होलिका सड़कों पर जलाई जाती हैं, गणेश प्रतिमाएं सड़कों पर रखी जाती है, काली जी की प्रतिमा सड़कों पर रखी जाती है, बारातें सड़कों पर निकाली जाती है, कोई एक ऐसा कानून, ऐसा एक्ट सदन में बनना चाहिए ताकि सुचारू रूप से चलने वाला यातायात बाधित न हो और हमारे जनप्रतिनिधि, पब्लिक ओपीनियन क्रियेट करने वाले लोग, हमारे प्रशासन के लोग सजग रहे कि सड़कें केवल यातायात के लिए हैं, इस तरह के व्यवधान के लिए सड़कें नहीं हैं, यह ओपीनियन जब नेताओं के बीच में सदन में बनेगा, तब जाकर ग्रॉसरूट लेविल पर इसके पालन में अधिकारियों को सहायता मिलेगी. उपाध्यक्ष जी, पुलिस बल कम है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में रहपुरा, पवई, सिमरिया थाने है, 25-30 आदमी मिलकर के अगर थाने पर हमला कर दें तो पुलिस थाने ऐसी स्थिति में नहीं है कि अपने थाने को बचा सके. वह तो भगवान की कृपा है कि ऐसी अपरिहार्य स्थिति आती नहीं है, लेकिन अगर ऐसी स्थिति आ जाए तो थानों में इतना पुलिस बल नहीं है कि वे थानों को बचा सके. इसलिए यहां उपस्थित समस्त सदस्यों से मेरी प्रार्थना है, वित्तमंत्री जी भी बैठे हैं कि इस तरह की वित्तीय कटौती जब होती है तो हमारे कानून व्यवस्था को लेकर, अपराध को रोकने पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है, इसलिए इस तरह की वित्तीय कटौती न होकर यह राशि दी जानी चाहिए ताकि जिला पुलिस बल में वृद्धि हो सके. उपाध्यक्ष जी, हमारे यहां मध्यप्रदेश में होमगार्ड है, होमगार्ड महिला पुलिस से भी कमजोर है, बेचारे दीन-हीन लोग, उनका कैडर सुनिश्चित नहीं है, जब चाहे उनसे किट जमा करा ली जाती है, अगर ठीक अधिकारी नहीं बैठा तो भोजन ही ठीक नहीं मिलता है, टूट डण्डा लिये सड़क पर घूम रहा है. मेरा यह कहना है कि होमगार्ड पुलिस बल को नए कैडर में तब्दील करना चाहिए और उनके भविष्य को लेकर एक सुरक्षित सर्विसेज होना चाहिए, सही वेतनमान होना चाहिए, उनको एक शक्ति मिलना चाहिए, होमगार्ड पुलिस जिला पुलिस बल को बहुत सहायता कर सकता है. मध्यप्रदेश में पुलिस की स्पेशल ब्रांच है, उसमें भी जिला बल के लोग भेजे जाते हैं, आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा में भी जिला बल पुलिस के लोग भेजे जाते हैं, लोकायुक्त में भी जिनके कोई सोर्स नहीं है, जो दीन हीन लोग है, जिनकी थाने में कोई सिफारिश नहीं करता ऐसे लोगों को भेज दिया जाता है, कोई कर्मचारी लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा में नौकरी नहीं करना चाहता, यह पद थाने के लिए होते है लेकिन सजा के तौर पर लूपलाइन में इनको भेज दिया जाता है, यह दुर्भाग्यजनक है. अगर सभी के अलग अलग कैडर बना देंगे, होमगार्ड, स्पेशल ब्रांच, आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा, सायबर क्राइम के अलग कैडर बनाइए, जिला पुलिस बल के लोगों को चाहे जहां भेज देते हों वह उसका जानकार हो या न हो, आपने भेज दिया चले जाओ, उसका कोई माई-बाप नहीं होता है, बेचारा चला जाता है और वहां नौकरी करने की बजाए दिन रात इस बात की कोशिश में लगा रहता है कि वहां से कैसे निकले. तनख्वाह कम होने के कारण भी ऐसा होता है. उपाध्यक्ष महोदय, स्पेशल ब्रांच में कितना गंभीर काम होता है यह आप भी समझ सकते हैं, इसमें व्यक्ति को लूपलाइन के तौर पर भेजा जाएगा, एक शिथिल सेवाओं के रूप में देखा जाएगा तो यह कितना महत्वपूर्ण अमला है जरा आप सोचे, इतनी आतंकवादी गतिविधियां होती है, संगठित अपराध होते हैं, उसकी समय पर सूचना मिलना इसके लिए साधन चाहिए, एक्सपर्टीज चाहिए, लेकिन उसको वहां भेज दिया जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय - आदरणीय नायक जी, आपको दस मिनट हो चुके हैं, जल्दी समाप्त करो. माननीय अध्यक्ष भी उल्लेख कर गए हैं, आज 9 विभागों की मांगों पर चर्चा होनी है, अगर समय ज्यादा लगा तो सभी विभाग को गुलेटिन कराने पड़ेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए.
श्री मुकेश नायक - आप इसी से समझ लीजिए कि मध्यप्रदेश में गृह विभाग कितना महत्वपूर्ण विभाग है, 5 मिनट, 10 मिनट की चर्चा गृह विभाग में (हंसी..) साढ़े सात करोड़ लोगों की सुरक्षा का प्रश्न है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप चाहते हैं गुलेटिन हो जाए, अन्य विभाग महत्वपूर्ण नहीं है क्या ?
श्री मुकेश नायक - उपाध्यक्ष जी, यह नहीं चाहता कि बाकी विभागों पर चर्चा न हो लेकिन जैसे पहले परम्परा रही है, ज्यादा समय देने की तो ज्यादा समय देना चाहिए. उपाध्यक्ष जी, जो आपने कहा है मैं तो उसी समय सीमा में अपनी बात समाप्त कर सकता हूं. लेकिन कुछ सुझाव देना चाहता हूं, इसलिए यह बात कर रहा हूं. उपाध्यक्ष महोदय मैंने अभी कहा कि समस्त पुलिस सेवाओं के कैडर अलग अलग होना चाहिए, दूसरा, बीच में जब माननीय नंदन दुबे, डी.जी.पी. थे, उस समय पुलिस में प्रमोशन हुए, नहीं तो बेचारा हवलदार कभी एसआई नहीं बन पाया, एसआई, इन्सपेक्टर नहीं बन पाया, आईपीएस और आईएएस अधिकारी अपना प्रमोशन तो ले लेते हैं, उनका तो समय निश्चित है, लेकिन सिपाही से लेकर ऊपर तक जो पुलिस बल है, उनके प्रमोशन को लेकर भी कोई तरीका, नियम, समयबद्ध रूपरेखा होना चाहिए. आईएएस अधिकारी तो इस देश में भगवान है, यह समय चल रहा है भारतवर्ष में, जब भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की औचित्य पर बहस होने लगी है इसके रिफार्म्स की बात होने लगी है, क्योंकि जिन अंग्रेजों ने हमारे देश में आईएएस बनाया, उन्होंने अपने देश में नहीं बनाया, यह भगवान है, भारतवर्ष का सबसे बड़ा संगठित गिरोह है, जिस तरह से राजनैतिक और प्रशासनिक अधिकारों को केन्द्रित करने वाला यह अमला है, इस पर देश में बहस चल पड़ी है. मुझे उम्मीद है कि हम लोगों के जिन्दा रहते यह जो प्रशासनिक सर्विसेज है यह रिफार्म्स होगी राजनैतिक और प्रशासनिक शक्तियों का विक्रेन्दीकरण होगा. आप एक व्यक्ति मुझे बताओं जो 10-25 किताबें पढ़ने वाला व्यक्ति कितनी गंभीर सेवाओं में चला जाता है, और विधान सभा में दो दिन पहले देखा आपने किस तरह से रेपरकेशन होते हैं, अगर कोई सनकी व्यक्ति इतनी गंभीर सेवा में आ जाए तो देश को तीस साल झेलना है उसको, उसकी सनक भी आदेश होती है, वह कीड़ा मकौड़ा समझता है दूसरे आदमियों को, कोई भी व्यक्ति उसके सामने जाता है तो वह समझता है कि कैसे दीन हीन आदमी उसके सामने आ गए. आज अगर देश का सबसे बड़ा कोई सामंतवादी है तो वह आईएएस अधिकारी है.
उपाध्यक्ष महोदय - मुकेश जी यह तो जीएडी की चर्चा है, आप गृह विभाग पर आ जाइए.
श्री मुकेश नायक - सबसे पहले पुलिस प्रशासन को आईएएस अधिकारों को नीति, सिद्धांत और नियंत्रण से बाहर करना चाहिए, इसलिए मैंने इतनी चर्चा की (श्री कमलेश्वर पटेल जी के द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) नहीं मैं किसी को केन्द्र में रखकर बात नहीं कर रहा हूं, उनको तो इस प्रदेश सभी लोग जानते हैं कि वे किस तरह के आदमी है और क्या क्या करते हैं, बहुत लोग है जिनका ईमानदारी का अभियन इतना शक्तिशाली होता है कि उस पर से पर्दा जीवन भर उठता ही नहीं है. ऐसे बहुत लोग मैंने देखा हूं यह मेरा अनुभव है, कई दफे से जनप्रतिनिधि हूं, सरकार में मंत्री रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- मुकेश जी, आप कमलेश्वर जी की सलाह पर चल रहे हैं क्या.
श्री वैलसिंह भूरिया -- उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के राज में एक भी आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई. हमारी पार्टी की सरकार में कई अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हुई है.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, बात कांग्रेस और बीजेपी की नहीं हो ही रही है.
उपाध्यक्ष महोदय -- वैलसिंह जी, हमेशा उठना जरुरी है क्या .मुकेश जी, अब समाप्त करें और बहुत सारे माननीय सदस्य हैं.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं अंत में केवल यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में जो अपराध की स्थिति है, खासतौर से महिलाओं के अपराध को लेकर,कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर, उनसे छेड़छाड़ को लेकर, योन उत्पीड़न को लेकर, उस पर मध्यप्रदेश में नियंत्रण होना चाहिये. बाल अपराध को लेकर नियंत्रण होना चाहिये. मैं एक जिले का उदाहरण देना चाहूंगा कि आज दमोह जिले में जिस तरह का अपराध हो रहा है, देखिये कि पिछले 3-4 महीने में किस तरह से वहां हत्याएं हुई हैं, आप पूर रिकार्ड उठाकर देख लें. किस तरह से बच्चों की हत्याएं हुई हैं. किस तरह से अंधे कत्ल हुए हैं, कोई खोजने वाला नहीं है. पूरे जिले में जुआ,सट्टा हो रहा है और ऐसा भ्रष्टाचार इतने वर्ष के राजैतिक जीवन में मैंने पुलिस में विभाग में ऐसा भ्रष्टाचार नहीं देखा, जैसा दमोह जिले में आज है और उसका कारण है कि राजनैतिक संरक्षण है. सैंया भये कोतवाल, तो फिर डर काहे का. इसलिये वित्त मंत्री जी भी यहां बैठे हैं, उनके संज्ञान में भी लाना चाहता हूं, कृपा पूर्वक वे भी ध्यान देंगे. वैसे उम्मीद है कि वे अच्छे एवं संवेदनशील व्यक्ति हैं, लेकिन कभी कभी ऐसा होता है कि अच्छा व्यक्ति भी जब निरन्तर उसकी कोई बात मानता है, तो वह जो इमप्लीमेंट करने वाला व्यक्ति है, वह अच्छे व्यक्ति को अपने नियंत्रण में ले लेता है और वह फिर अपनी बुरी हरकतें भी करता रहता है और वह संज्ञान में नहीं आती हैं. धन्यवाद.
श्री बहादुर सिह चौहान(महिदपुर) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3,4 एवं 36 के समर्थन में बोलते हुए कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. पुलिस और परिवहन पर चर्चा हो रही है. मध्यप्रदेश सरकार के जितने भी विभाग हैं, उनके सब कार्यालयों पर..
उपाध्यक्ष महोदय -- बहादुर सिंह जी, एक मिनट. आदरणीय मुकेश जी, आज आपको मंत्री जी का उत्तर सुनना पड़ेगा.यह आसंदी से कई बार व्यवस्था दी गई है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय,यह चले जायेंगे. ये हमेशा बोलकर चले जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- मैं उनको ताकीद कर रहा हूं.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, हम सुनेंगे, जरुर सुनेंगे. हम हमेशा बोलकर नहीं जाते हैं. कोई ऐसी बात नहीं है. आप बीच में व्यवधान न डालें, अपनी बात कहें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, जी, सुनेंगे, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. मध्यप्रदेश सरकार के जितने भी विभाग हैं, उनके कार्यालयों पर शाम के बाद ताले लग जाते हैं और पुलिस विभाग ही एक ऐसा विभाग है, थानों पर कभी ताले नहीं लगते हैं, वहां 24 घंटे काम करना पड़ता है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- उपाध्यक्ष महोदय, पुलिस विभाग का 24 घंटे कार्यालय खुला रहता है, इसीलिये बजट का आवंटन कम कर दिया गया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं उसी पर आ रहा हूं. मैं बजट बढ़वाने के लिये बात कर रहा हूं. अपराध कायम करना पुलिस के लिये बहुत सरल होता है, प्रथम दृष्टया तत्काल अपराध कायम हो जाता है, लेकिन उसका जो चालान लगाना रहता है, पूरा इनवेस्टीगेशन होकर के जो चालान कोर्ट में पुटअप होता है, वह बड़ा कठिन होता है. केरल के बाद मध्यप्रदेश ही एक ऐसा राज्य है, जो चालान पेश करने में दूसरे नम्बर का राज्य है और चालान पेश करने की संख्या का जो प्रतिशत है, वह 93.33 प्रतिशत है. यह पुलिस का अद्भुत कार्य है. 45 योजनाएं हैं और इसके अतिरिक्त 3 योजनाओं की पीएससी और हो चुकी है, इस प्रकार 48 योजनाओं के लिये पुलिस विभाग की ओर से एक हजार करोड़ की डिमांड रखी गई थी,क्योंकि राज्य योजना आयोग द्वारा 45 योजनाओं में रुपये 1005.32 करोड़ की प्लान सीलिंग निर्धारित की गयी थी. वैसे पुलिस विभाग की डिमांड 1722.62 करोड़ की थी, उसमें से विभाग को मात्र 739 करोड़ रुपये मिले हैं. वित्त मंत्री जी भी बैठे हैं, गृह मंत्री जी भी है. यह विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. जनता की सुरक्षा से जुड़ा हुआ विभाग है. छोटी मोटी कमी,पेशी और कहीं की जा सकती है. 25 योजनाओं के लिये तो 739 करोड़ रुपये मिल गये हैं, लेकिन 28 योजनाएं ऐसी हैं, जिनके लिये 261 करोड़ रुपये और देना चाहिये. मैं वित्त मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं और मुझे उम्मीद है कि वित्त मंत्री जी इस पर ध्यान देते हुए पुलिस विभाग को 261 करोड़ रुपये और देंगे, यह मैं मांग करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, गृह मंत्री जी की तो तारीफ जितनी की जाये, उतनी कम है. भूपेंद्र सिंह जी ने जो उज्जैन में सिंहस्थ 2016 आया था, उसमें पुलिस की जो भूमिका है, उसका चित्रण करने का समय नहीं है. (श्री सुन्दरलाल तिवारी द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) मैं असत्य नहीं बोल रहा हूं. अभी तो मैंने कुछ कहा ही नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, बैठकर टिप्पणी नहीं करें. यह परम्परा शुरु नहीं करें.
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन) -- उपाध्यक्ष महोदय, तिवारी जी तो सिंहस्थ में आये नहीं थे, उनको क्या मालूम.
श्री अजय सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, जिस सीट से बहादुर सिंह जी आये हैं, वहां पर इसी तरह से बातचीत होती है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय,कल्पना परुलेकर जी आपकी पार्टी की विधायक थीं. आप सब खुश हो, कल्पना जी अभी हाउस में नहीं है, कांग्रेस खुश है, मैं इस बात को अच्छी तरह से जानता हूं और अगली बार भी आप मुझे सहयोग करेंगे, यह मुझे पूरी उम्मीद है. ..(हंसी).. पुलिस की प्रशंसा सिंहस्थ,2016 को लेकर की जानी चाहिये. अप्रैल-मई की जो गर्मी थी, उसमें सिंहस्थ में 8 करोड़ लोगों का आवागमन हुआ था. उस समय मैंने पुलिस को अपनी आंखों से देखा. हमको विधायक होने के नाते वीआईपी पास मिला था, लेकिन उसमें हम नहीं जा पाये. हम भी 2-3 किलोमीटर दूर रह गये. लेकिन यदि किसी यात्री की गाड़ी बंद हो गई तो पुलिस को उसको धक्का देते हुए देखा है. पुलिस कभी धक्का देकर गाड़ी स्टार्ट नहीं करवाती है. यह कार्य सिंहस्थ महा पर्व में पुलिस का रहा है और पुलिस की प्रशंसा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिंहस्थ को लेकर की गई. मैं इसके लिये गृह मंत्री,श्री भूपेन्द्र सिंह जी की प्रशंसा करुंगा कि एक पूरा माह वे उज्जैन में रुके. साधु संतों के चरण स्पर्श करते रहे..
श्री अजय सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, पुलिस प्रशासन की बात सिंहस्थ में, जोकि आपने सही तारीफ की. लेकिन सिंहस्थ में जो घोटाला हुआ, उसका भी थोड़ा जिक्र कर दीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, अब सिंहस्थ घोटाला वाला विषय तो यहां पर नहीं है. जब अच्छा काम है..
उपाध्यक्ष महोदय -- आप अपने विषय पर बोलें.
श्री गोपाल परमार -- उपाध्यक्ष महोदय, यह वास्तव में उज्जैन में एक अद्भुत काम हुआ है, ऐसी आप कल्पना नहीं कर सकते.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा हूं कि 12 वर्ष बाद सिंहस्थ महापर्व आता है. 12 वर्ष बीत जाने के बाद यह हम सौभाग्यशाली हैं,उस जिले के निवासी हैं और मां मोक्ष दायिनी क्षिप्रा उज्जैन से होते हुए महिदपुर में जाती है और आगे वह राजस्थान में चली जाती है. लेकिन मैं तुलना करना चाहता हूं, मेरे क्षेत्र के बार्डर पर झालावाड़ जिला लगता है. मेरा थाना, उज्जैन जिले का बार्डर झालावाड़ से लगता है. मैंने राजस्थान की पुलिस को भी देखा है और मध्यप्रदेश की पुलिस को भी देखा है, जमीन आसमान का अंतर है. जितनी मध्यप्रदेश पुलिस की प्रशंसा की जाये, उतनी कम है और गृह मंत्री जी की तो प्रशंसा इसलिये भी करना चाहिये कि ऐसे ईमानदार गृह मंत्री जी हैं. यह हम गारंटी देते हैं और हमारी, विधायक की अनुशंसा पर और आपके भी काम हुए होंगे. कांग्रेस के सदस्यों के काम भी निश्चित ही हुए होंगे. पहली बार ऐसे गृह मंत्री जी के बनने के बाद निचले स्तर के आरक्षक भी, हैड कांस्टेबल भी, वन,टू,थ्री स्टार के मन में भय व्याप्त है कि कार्य करते समय कोई भी गलती करेंगे, तो गृह मंत्री जी के यहां से कोई भी राहत मिलने वाली नहीं है. उसका परिणायम यह आया है कि धीरे धीरे अपराध कम होते जा रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि वर्ष 2016-17 में अनुसूचित जाति पर विगत् 2015-16 की तुलना में 35.50 प्रतिशत अपराध कम हुए हैं. अनुसूचित जाति और जनजाति में जो अपराध हैं, उसमें 46.62 प्रतिशत की कमी आई है. यह एक रिकार्ड है. इस तरह से 35 और 46 प्रतिशत की कमी हुई है. अभी बच्चों के विरुद्ध अपराध का जो विषय आया था, वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2016-17 में 14.76 प्रतिशत की कमी आई है और महिलाओं के अपराधों को लेकर 15.84 प्रतिशत की कमी आई है. निश्चित रुप से यह सिद्ध हो रहा है कि मध्यप्रदेश में अपराधों में धीरे धीरे कमी होती जा रही है. सबसे खराब कार्यालय किसी विभाग के बने हैं, आप थाना क्षेत्रों में जाकर देखेंगे, तो पुलिस विभाग के बने हुए हैं. उनमें दरारें पड़ी हुई हैं. उनमें फर्श नहीं है, उसके लिये यह पहली सरकार है, जिसने हुडको से ऋण लेकर चार चरणों में मध्यप्रदेश के पुलिस के रहवासी मकान बनाने के लिये 10500 मकान बनाकर पुलिस विभाग को दिये जा रहे हैं. यह पहली सरकार है. यातायात प्रबंधन के लिये इतने बड़े शहर हैं. इन्दौर और उज्जैन बहुत सारे शहर हैं. यातायात प्रबंधन के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है, इसके लिये मैं माननीय वित्त मंत्री जी का धन्यवाद करना चाहता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रशिक्षण संस्थाओं का पुनर्गठन करने के लिए, यह गतिविधि पुलिस विभाग में हमेशा चलती रहती है, इसके लिए 30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. पुलिस लाइनों का उन्नयन करने के लिए इसमें 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. दस्यु रक्षितवाहिनियों के लिये 32.32 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. मैं आपके माध्यम से माननीय भूपेन्द्र सिंह जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे ईमानदार प्रभारी मंत्री मिले हैं. भूतभावन महाकाल बाबा की कृपा आपके ऊपर है और निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी की सरकार और माननीय शिवराज सिंह जी के लिए सिंहस्थ, 2016 सम्पन्न करवाना एक चैलेन्ज के रूप में था. जिसमें मध्यप्रदेश के समस्त विभाग लगे थे और जिन अधिकारियों, कर्मचारियों और पुलिस कर्मचारियों ने अच्छे काम किये हैं, उनको प्रोत्साहित किया गया है, उनको इनाम भी दिये गये हैं, 5-5 हजार नकद पुरस्कार भी वितरित किये गये हैं. मैंने देखा है कि सिंहस्थ के मद से मकान पुलिस विभाग के बने हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - बहादुर सिंह जी, आपके 10 मिनट हो गए हैं. मैं आपको समय बता रहा हूँ.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उपाध्यक्ष महोदय, मैं परिवहन पर दो बातें कहकर अपनी बात समाप्त करूँगा. पुलिस विभाग के साथ हमारे गृह मंत्री, परिवहन विभाग के भी मंत्री हैं. परिवहन विभाग में कई परिवर्तन आपके नेतृत्व में हुआ है. जिस तरह खनिज माफियाओं, भू माफियाओं एवं बस माफियाओं का राज इस मध्यप्रदेश में चलता था. आपके आने के बाद एवं परिवहन मंत्री बनने के बाद बस माफियाओं के गुण्डे-बदमाशों के साथ सख्ती से व्यवहार किया गया. आज सभी बस संचालक अच्छे से अच्छा कर रहे हैं. इन्दौर से उज्जैन आने के लिए मात्र ढाई से तीन घण्टे में हम वाल्वो बस से आ जाते हैं. आप बहुत अच्छे परमिट दे रहे हैं. मध्यप्रदेश सरकार के ऐसे कस्बे हैं, जहां के बस स्टैण्ड जीर्ण-शीर्ण हैं, उनके उन्नयन के लिए मध्यप्रदेश इन्टरसिटी ट्रांसपोर्ट का गठन किया गया है, यह बड़ा सराहनीय कार्य है. इसके उन्नयन करने से आम जनता को सुविधा मिलेगी. ग्वालियर और इन्दौर, ये दोनों बड़े शहर हैं और मध्यप्रदेश में और भी बड़े शहर हैं, लेकिन पंजीयन करने के लिए जो डीलर हैं, उनको ही कार्य दिया गया है, यह निश्चित रूप से प्रशंसनीय है. प्रदूषण के केन्द्रों को खोलने के लिए बहुत ही अच्छा सरलीकरण किया गया है और सबसे अच्छा कार्य किया है. मैं माननीय गृह मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा. आपने ट्रैक्टर -ट्रालियों में रिफ्लेक्टर लगाये जाने का कार्य किया है तथा 3.20 लाख रिफ्लेक्टर लगाये हैं. आप एक्जामिन करवा लें, जांच करवा लें. सामान्यत: सड़कों में रात के समय ट्राली के पीछे कोई भी रेडियम का रिफ्लेक्टर न होने के कारण मेरा मानना है कि उससे 50 प्रतिशत एक्सीडेंट हो जाते हैं. मैं गृह मंत्री जी से आपके माध्यम से आग्रह करूँगा कि इसको कम्पल्सरी कर दें कि ट्रैक्टर लेते ही यह पीछे लगाना ही पड़ेगा, इससे एक्सीडेंट से बचाव हुआ है, इसमें थोड़ा पैसा खर्च करने से हमारे प्रदेश की कई जानें बच जाती हैं. मेरे क्षेत्र में जनता के द्वारा, जो थाना झालड़ा, मैतूर तहसील का है, उसमें एक रणरापीर नाम से चौकी है, जो राजस्थान बॉर्डर से लगी हुई है. मैं सन् 2003 में जब विधायक बना था, उस समय जनसहयोग से करीब 6-7 लाख रुपये की बहुत अच्छी बिल्डिंग बनाकर दी गई है, वहां पर अभी ए.एस.आई. रहते हैं एवं हेड साहब रहते हैं लेकिन वह चौकी घोषित नहीं हुई है, अभी 82 नवीन थाने घोषित किए हैं, 133 पुलिस चौकियां घोषित की गई हैं और 13 पर्यटन चौकियां घोषित की गई है. मैं आपके माध्यम से गृह मंत्री से आग्रह करूँगा कि रणरापीर की बिल्डिंग जो ऑलरेडी बनी हुई है, उसमें कुछ खर्चा करने की जरूरत नहीं है और थाने की पुलिस वहां रहती है. राज्य शासन द्वारा एक आदेश निकाल दें ताकि वह स्थायी हो जाये. मैं एक महत्वपूर्ण बात और कहना चाहता हूँ. इस विधानसभा में हमने बीज माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्यवाही की है और पुलिस ने अपराध कायम किया है. मेरे ख्याल से यह मध्यप्रदेश का पहला केस है. जिसका चालान लग गया है, जिस पर चार्ज फ्रेम हो गया और माननीय हाई कोर्ट ने उस एफ.आई.आर. को निरस्त कर दिया है. माननीय हाई कोर्ट के आदेश का हम पालन करते हैं, लेकिन मैं आपके माध्यम से, मैं गृह मंत्री का ध्यानाकर्षण करना चाहता हूँ कि वह इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर कौन था, वह थाना प्रभारी कौन था, चालान पेश एवं चार्ज फ्रेम होने के बाद हाईकोर्ट ने एफ.आई.आर. को निरस्त किया है. मैं कह सकता हूँ कि कहीं न कहीं वह अधिकारी दोषी है. मुझे पता है कि माननीय कृषि मंत्री महोदय ने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्दी हाई कोर्ट के विरुद्ध पुलिस विभाग सुप्रीम कोर्ट में अपील करने वाला है, उसके साथ ही साथ एक कमेटी और भी बनी हुई है कि जो जांच हुई थी, उसके अलावा ए.डी.जी. लेवल की हमारे मध्यप्रदेश की पुलिस सी.आई.डी. के द्वारा उसकी जांच की जा रही है. मैं आपके माध्यम से आग्रह करना चाहता हूँ कि बीज वाला मामला 100 हत्याएं करने जैसा है. एक किसान मारा जाता है, इसमें किसान आत्महत्याएं करते हैं. मैं एक बार पुन: आपके माध्यम से गृह मंत्री से चाहूँगा कि इस पर जो जांच चल रही है, वह जांच और त्वरित की जाए और सुप्रीम कोर्ट में इसकी अपील की जाये. आपने बोलने का मौका दिया, मैं आपको बहुत धन्यवाद देते हुए मेरी बात को एक बार पुन: गृह एवं परिवहन मंत्री को बधाई देते हुए, अपनी बात समाप्त करता हूँ.
श्री मुकेश नायक - विधायक जी, दो महीने से जिस टी.आई. के लिये प्रयत्न कर रहे हैं. माननीय गृह मंत्री जी से निवेदन है कि उनका कर दें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - वह हटा दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में शामिल 9 विभागों की मांगों पर चर्चा पूर्ण की जानी है. अत: माननीय सदस्य दो-दो मिनट में अपने क्षेत्र की समस्याएं रखकर सहयोग प्रदान करें. प्रतिपक्ष की तरफ से माननीय नायक जी ने 15 मिनट लिये एवं श्री बहादुर सिंह चौहान जी ने भी 15 मिनट लिये हैं. अब सभी माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है ताकि हम सभी विभाग की मांगों पर आज चर्चा कर सकें. संक्षेप में ही अपनी बातें रखें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मांग संख्या 4 के विरोध में, मैं खड़ा हुआ हूँ. अभी उस पक्ष के हमारे विद्वान साथी माननीय बहादुर सिंह, गृह मंत्री जी को ईमानदार तथा उनकी काफी प्रशंसा कर रहे थे. मैं बड़ी देर से वह शब्द तलाश रहा था कि ईमानदार का अपोजिट क्या है ? क्या आप बताएंगे ?
श्री सतीश मालवीय - यह तो आप ही बता सकते हैं क्योंकि आपको ज्यादा अनुभव है. हम तो ईमानदार को ईमानदार ही कहेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये, उनको अपनी बात कहने दें.
श्री सुदर्शन गुप्ता - तिवारी जी, आपने काला चश्मा लगा रखा है इसलिए सब काला ही काला दिख रहा है.
श्री सतीश मालवीय - ईमानदार की परिभाषा आप बता दो. ईमानदार आदमी पर आरोप लगा रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय - मालवीय जी, आप बैठ जाएं.
श्री सतीश मालवीय - आपको कुछ तो भी बोलने की बीमारी हो गई है.
श्री कालू सिंह ठाकुर - आपका 2 मिनट का समय खत्म हो गया है. दूसरे को चान्स दो.
उपाध्यक्ष महोदय - यह क्या तरीका है ? आप बैठ जाइये.
श्री सतीश मालवीय - आप कुछ तो भी आरोप लगा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप अपने समय में बोल दीजिएगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान - ऐसे गृह मंत्री जी के बनने से विधायकों का मान-सम्मान मध्यप्रदेश में बढ़ा है.
श्री सतीश मालवीय - मध्यप्रदेश के गृह मंत्री के ऊपर इस तरह का आरोप लगाना .......(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - अभी उन्होंने कोई आरोप नहीं लगाया है.
श्री सतीश मालवीय - यह ईमानदार का विपरीत पूछ रहे हैं. यह इनका कौन सा तरीका है ?
उपाध्यक्ष महोदय - उनकी पूरी बात सुन लीजिये. बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने तो कोई आरोप लगाया ही नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - मैं सुन रहा था, कोई आरोप नहीं लगाया है.
श्री सतीश मालवीय - - इनका समय पूरा हो गया है.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया - बोलने को नम्बर नहीं आया था.
उपाध्यक्ष महोदय - कोई माननीय सदस्य, इस तरह से टोका-टाकी नहीं करेगा. क्या डण्डौतिया जी आप तो बड़े अनुशासित हैं ? बैठ जाइये. तिवारी जी, जारी रखें. समय की कमी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अभी 2 दिन पहले एक ध्यानाकर्षण में हमारे माननीय गृह मंत्री जी यहां जवाब दे रहे थे और जवाब देते वक्त उन्होंने भोपाल की जेल से जो कैदी भागे थे, उनको आतंकवादी शब्दों से संबोधित किया था.
श्री सतीश मालवीय - आपके जैसे 'जी' थोड़े ही लगाएंगे. आतंकवादी को तो आतंकवादी ही बोलेंगे. ....(व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आप बात सुन लीजिये. जब मैं गलत बोलूँ तो आप बोलिएगा.
उपाध्यक्ष महोदय - आप लोगों ने क्या सदन को प्राथमिक कक्षा समझ लिया है? बैठ जाइये. मालवीय जी, अब आप नहीं बोलेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय गृह मंत्री जी आप बहुत बड़े जिम्मेदारी के पद पर आप बैठे हुए हैं और कानून का पालन करने की जिम्मेदारी आपके ऊपर है, पूरे प्रदेश कानून का पालन करने की जिम्मेदारी आपके ऊपर है. पूरे प्रदेश में कानून विधिवत काम करे, यह जिम्मेदारी आपके ऊपर है. एक अंडर ट्रायल बिजनेस, जिसको किसी अदालत ने आतंकवादी घोषित नहीं किया, उनका परीक्षण भी पूरा नहीं हुआ और उनको इस सदन के अंदर आपने आतंकवादी कहा है. क्या यह किसी कानून में उचित है? क्या यह न्यायोचित है? क्या आपको उन शब्दों का उपयोग करना चाहिए? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय गृह मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि अपराधी किसी भी जाति या किसी भी समुदाय का हो, जिस तरह संबोधित करने के लिए कानून आपको इजाजत देता है उसी तरह उसको संबोधित करिए और सरकार की वाहवाही के लिए, अपनी वाहवाही मत करिए. गलत शब्दों का उपयोग मत करिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. इस देश के उच्चतम न्यायालय ने पूरे हिन्दुस्तान के लिए एक आदेश, एक डायरेक्टिव दिया था. जो सारे राज्यों में लागू होना था. रिटायर्ड डी.जी.पी. उत्तर प्रदेश के प्रकाश सिंह जी और मिस्टर एन.के. सिंह जी ने एक पी.आई.एल. सुप्रीमकोर्ट में दायर की थी. उस पी.आई.एल. के माध्यम से ही यह मांगा था कि पुलिस विभाग में सुधार आएं और कुछ सुधार किए जाएं जिस पर से एक डायरेक्टिव सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया था और उसमें 6-7 महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए थे. यह कहा गया था, यह मांग की गई थी कि यह सभी राज्यों में लागू किया जाए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दुर्भाग्य है कि वर्ष 2006 से हमारे मध्यप्रदेश राज्य में उच्चतम न्यायालय का वह आदेश लागू नहीं हुआ है. क्या वजह है? हम लोग आज 2017 में हैं और इतने वर्षों से सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का पालन मध्यप्रदेश की सरकार ने नहीं किया है. वर्ष 2006 में आप की ही सरकार थी और आज भी सत्ता में आप बैठे हुए हैं. आप कह रहे हैं कि हमारा गृह मंत्रालय, हमारी राज्य सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है. इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश से आप सहमत नहीं हैं या सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को लागू कर देंगे. राजनैतिक दबाव देकर आप मध्यप्रदेश के पुलिस अधिकारियों से गलत करवा रहे हैं, शायद उसमें आप सफल न हों. आपकी सरकार वह कृत्य न कर सके जो मध्यप्रदेश में हो रहा है. उदाहरण के लिए हमारे समीपस्थ एक जिला है कटनी, गौवर तिवारी वहां के एस.पी. थे.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी आप एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, अगर एक मिनट में समाप्त करना है तो अगर मैं कोई गलत बात करूं, रिपीट करूं मुझे कह लेने दिया जाए इतना बड़ा विभाग है.
श्री सतीश मालवीय-- तिवारी जी और भी सदस्य हैं, उनका नंबर कब आएगा?
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, विभाग कितना भी बड़ा हो लेकिन मैंने आसंदी से शुरू में ही यह अनुरोध किया था कि सभी को दो-दो मिनट का समय दिया जाएगा. आपको तो पांच मिनट से ज्यादा दे चुके हैं. मैंने व्यवधान का समय काटकर बताया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, हम आपकी बात का पालन करेंगे. कटनी जिले में हवाला कांड की जांच कर रहे तत्कालीन एस.पी. गौरव तिवारी का रातों-रात तबादला कर दिया गया. जो 6 महीने भी कटनी में नहीं टिका. मेरा आज किसी मंत्री पर आरोप अभी नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि एक ईमानदार अधिकारी का तबादला रातों-रात क्यों हो गया? जो 2 हजार करोड़ रुपए से ऊपर गड़बड़ किए गए हवाला कांड में फर्जी कंपनियों की जांच कर रहा था. उसका परिणाम यह हुआ कि सुबह होते-होते कटनी की जनता इस मांग के साथ सड़कों पर आ गई कि पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण निरस्त किया जाए. वह कोई बड़ा राजनैतिक दल नहीं था. हम उसको तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के लिए भी श्रेय नहीं देंगे. अचानक जो जनता सड़क पर आ गई यह वहां की जनता का उस एस.पी. के प्रति विश्वास था और वह जो कार्य ईमानदारी से जिले में कर रहे थे यह उसका ही परिणाम था. यह क्या हो रहा है? ईमानदार अधिकारी यहां प्रताडि़त हो रहे हैं. इसीलिए वह पुलिस रिफार्म जो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है उसको मध्यप्रदेश में लागू नहीं किया जा रहा है. जिससे आप ईमानदार अधिकारियों के साथ, पुलिस अधिकारियों के साथ चाहे वह एस.पी. हों, आई.जी. हों, डी.आई.जी. हों खिलौने की तरह मध्यप्रदेश की सरकार उनके साथ खेल सके. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन को यहां लागू नहीं किया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, हिन्दुस्तान के अंदर सबसे ज्यादा बच्चे मध्यप्रदेश में मिसिंग हैं. यह एक पीडा़ का विषय है. माताएं घर में बैठी हैं. वह अपने बच्चे को तलाश करना चाह रही हैं. मध्यप्रदेश की सरकार अक्षम है. वह बच्चे कहां हैं. उनकी तलाश कौन करेगा. अभी बहादुर सिंह जी लंबी लंबी बात कर रहे थे. सिंहस्थ में पूरे प्रदेश के लोग गए पर वह बेचारी मां सिंहस्थ कहां मनाएं जिनके बच्चे मध्यप्रदेश से गुम गए हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि उनका सिंहस्थ कहां है? जिनके बच्चे लापता हैं और न ही उनको मालूम है कि वह जिन्दा हैं, या नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपकी महत्वपूर्ण बात आ गई है. अभी वैलसिंह जी बोल रहे हैं.... (व्यवधान)
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कानून व्यवस्था बहुत अच्छी है. मैं हमारी सरकार को हमारे गृह मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में बहुत ही अच्छी कानून व्यवस्था है. इसके पहले कभी भी ऐसी कानून व्यवस्था नहीं थी कांग्रेस के राज में अपराधों के ऊपर कोई अंकुश नहीं लगाया जाता था.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- यह राज्य का बहुत महत्वपूर्ण विभाग है और एक एक करके बहुत सारी महत्वपूर्ण बातें हम कहना चाहते हैं. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी बैठ जाइए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठा रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- हां आपने कोई सवाल नहीं उठाया है. आप बैठ जाइए.
श्री वैलसिंह भूरिया-- उपाध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश के अंदर कहीं भी एक चीख आती है ....(व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--- क्योंकि मैं नहीं जानता हूं कि वह ईमानदार हैं या बेईमान हैं, भगवान ही जाने. लेकिन एक अच्छे इंसान के रूप में हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी जो भी बात कह रहे हैं वह कोई बात नहीं लिखी जाएगी. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- इसके बाद आपकी कोई भी बात कार्यवाही में नहीं आ रही है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी यह गलत है आपको बोलते हुए 8 मिनट से ज्यादा हो गए हैं. दो मिनट की बात हुई थी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी आपके जो भी सुझाव हैं मैं खड़ा हुआ हूं आप बैठ जाइए कम से कम आप इस परम्परा का पालन करिए. आपके पास कोई भी सुझाव हों आप कृपा करके बोलने के बजाए मंत्री जी को लिखित में दे दीजिए.
श्रीमती शीला त्यागी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वैलसिंह जी सभी सदस्यों के बीच में बहुत टोका टाकी करते हैं इनके समय में कटौती की जाए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं यह कह चुका हूं.
श्री वैलसिंह भूरिया --उपाध्यक्ष महोदय, आम जनता की सुरक्षा के लिए प्रदेश के पुलिसकर्मी दिन रात निरंतर ड्यूटी पर रहते हैं. अब होली, रंगपंचमी, गणेश चतुर्थी एवं नवरात्रि के त्यौहार निकल जाते हैं. फील्ड में तैनात पुलिस अधिकारियों को यह भान भी नहीं रहता है, ऐसे पुलिसकर्मियों को आवासगृह उपलब्ध कराना मूलभूत आवश्यकता है. किन्तु पुलिसकर्मी शासकीय आवासगृहों की कमी से.....
उपाध्यक्ष महोदय-- वैलसिंह जी आप पढि़ए मत आप पढ़ने के बजाए भाषण दीजिए.
श्री वैलसिंह भूरिया-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूं. बधाई इसलिए देना चाहता हूं कि जो पुलिसकर्मी रात दिन जनता की सेवा करता है उसको रहने की जगह नहीं होती. निवास के लिए उनको कुछ आवास भाड़ा तक नहीं मिलता था, लेकिन हमारी सरकार ने मकान बनाकर उनको देने का प्रावधान किया है. हमारी सरकार पुलिसकर्मियों को पुलिस के जो अधिकारी, कर्मचारी हैं उनको आवास बनाकर देती है. कितनी अच्छी बात है. पहले ऐसा नहीं होता था. आज मैं आपके माध्यम से यह बता देना चाहता हूं कि सिंहस्थ में बहुत अच्छा मेला लगा था. दुनिया का और विश्व का सबसे बड़ा मेला लगा था. दस करोड़ से अधिक समाज और जनता ने क्षिप्रा में डुबकी लगाई. इतनी अच्छी कानून-व्यवस्था हमारी सरकार में है, ऐसी पहले कभी नहीं थी. कांग्रेस के राज में धरना, प्रदर्शन और आन्दोलन करना पड़ता था. मैंने विद्यार्थी परिषद् और आदिवासी समाज में काम किया है. छात्रावास आश्रम में रहकर शिक्षा प्राप्त की है. मैंने देखा है टीआई रिपोर्ट नहीं लिखता था और जो रिपोर्ट लिखवाने जाता था उसको थाने में बैठा लिया जाता था. आज भारतीय जनता पार्टी की कमल के फूल वाली सरकार में ऐसा नहीं होता है. एक फोन लगा दो पुलिस वाले दौड़कर आते हैं. माता, बहन बेटी को सुरक्षित ले जाते हैं अस्पताल में भर्ती कर देते हैं. कोई दंगा फसाद हो जाता है तो तत्काल आते हैं. अस्पताल तो पहुंचाते ही पहुंचाते हैं थाने पर ले जाकर बिना दबाव के रिपोर्ट लिख लेते हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इन्होंने ही इस सदन में बोला था कि एक आदिवासी को खड़े-खड़े मार दिया था और टी आई ने नहीं सुना.
श्री वैलसिंह भूरिया--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की कुछ समस्याएं बता दूं. मेरे बाजू में शीला बहन बैठी हैं यह बहुत डिस्टर्ब करती हैं. काँग्रेस के राज में एक कहावत थी. काँग्रेस के राज में जब हम बस द्वारा भोपाल आते थे ऐसा लगता था कि किस वाहन में बैठकर आ रहे हैं. खड़-खड़ की आवाजें आती थीं.
श्रीमती शीला त्यागी--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कभी किसी को नहीं टोकती हूँ परन्तु यह असत्य बोल रहे हैं इसलिये टोक रही हूँ.
श्री वैलसिंह भूरिया--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,एक बुजुर्ग से हमने पूछा था कि यह क्या हो रहा है दिग्गी राजा के राज में तो उसने जवाब दिया था कि रायपुर की नारी, रीवा की रीवाड़ी और मध्यप्रदेश राज्य परिवहन की गाड़ी कब कहाँ खड़ी हो जाए कोई भरोसा नहीं है. मैंने उनसे पूछा यह कब तक चलेगा तो उन्होंने कहा कि साल-छह महीने इन्तजार करो. (व्यवधान)
कुँवर विक्रम सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, रीवा के ऊपर जो इन्होंने टिप्पणी की है इसे विलोपित किया जाए.
श्रीमती शीला त्यागी--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रीवा संभाग का नाम विश्व में है.
कुँवर विक्रम सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, रीवा के ऊपर जो इन्होंने टिप्पणी की है इसे विलोपित किया जाए.
श्री वैलसिंह भूरिया--उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की समस्या बताना चाहता हूँ. धार जिले में सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र में बीलखेड़ी स्थान है वहां पर आए दिन लूटपाट, चोरी और डकैती होती रहती है. क्रायम वाला एरिया है. वहां हमेशा कुछ न कुछ होता रहता है. लोग उसको मुद्दा भी बनाते हैं. उस एरिये में काफी अपराधी लोग रहते हैं इसलिये बीलखेड़ी क्षेत्र में एक पुलिस चौकी स्वीकृत की जाए. आदिवासी क्षेत्रों में विशेष थाने स्वीकृत किए जाएं. अनुसूचित जाति, जनजाति की एफआईआर जो कि जिला मुख्यालय पर होती है वह थाने में ही लिखी जाए.
उपाध्यक्ष महोदय--अब आप बैठ जाएं. अब आप जो कहेंगे वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री वैलसिंह भूरिया--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाइए आपका भाषण लिखा नहीं जा रहा है.
कुँवर विक्रम सिंह (राजनगर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3,4 और 36 का विरोध करता हूँ. मैं सीधे अपने क्षेत्र की बात करुंगा. मेरे क्षेत्र में एक राजनगर थाना है वहां पर अभी टीआई पदस्थ नहीं है. वहां पर वीरेन्द्र सिंह चार्ज में हैं. वीरेन्द्र सिंह जी के पास में मध्यप्रदेश सरकार का एक बांध, कुटनेपोषक जलाशय है. इस कुटनेपोषक जलाशय में मछली के शिकार का मध्यप्रदेश फिशिंग कार्पोरेशन से मछली के शिकार का वहां पर ठेका हुआ है जो कि अली हसन और पप्पू के नाम से है. इसमें क्या हुआ है कि बिहार की शिकारी पार्टी है उसके साथ में कुछ लोगों ने मारपीट की उनके हाथ पैर टूट गए. थाने में रिपोर्ट लंबित पड़ी हुई है. तीन महीने से ज्यादा का समय हो गया है, लगातार छह वारदातें हो चुकी हैं. इसके बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. मेरे क्षेत्र में झमटुली एक गांव है जो कि 25 गांवों से लगा हुआ है. डी श्रीनिवास जी जब हमारे जिले के एसपी थे वे आज यहां दर्शक दीर्घा में मौजूद हैं. उन्होंने भी झमटुली में चौकी बनाने का प्रस्ताव भेजा था. आज तक वह चौकी नहीं बनी है.
उपाध्यक्ष महोदय--आप अधिकारी दीर्घा, दर्शक दीर्घा का उल्लेख न करें.
कुँवर विक्रम सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, विक्रमपुर में पुलिस चौकी की आवश्यकता है. पठा जैसे चौकी है इसी प्रकार से एक चौकी बगमउ या कटेरा में भी होना चाहिए. यह मेरा आपसे निवेदन है. मैं चाहूंगा कि राजनगर थाने का जो घटनाक्रम है इसकी जानकारी मंत्री जी लें और उस पर कठोर से कठोर कार्यवाही करें. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री पन्नालाल शाक्य (अनुपस्थित)
श्री सुदर्शन गुप्ता आर्य (इंदौर-1)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3,4 और 36 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश का गृह विभाग प्रदेश में कानून-व्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा तथा शांति व्यवस्था बनाए रखने में पूर्णतया सफल साबित हुआ है. मध्यप्रदेश जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी फैला हुआ है. यहां पर 7 करोड़ से अधिक जनसंख्या है. क्षेत्रफल 3 लाख 8 हजार 252 वर्ग किलोमीटर है. इसमें पुलिस थानों की संख्या 1061 है, पुलिस चौकियों की संख्या 575 है. पुलिस वाहिनियों की संख्या 22 है. यह सभी मुस्तैदी के साथ कार्य कर रही हैं. प्रदेश में आतंकवादी गतिविधियां हों, नक्सली समस्या हो या दस्यु उन्मूलन समस्या हो इस पर गृह विभाग ने पूरी तरह नियंत्रण कर रखा है और शांति व्यवस्था बनाए रखी है. कानून-व्यवस्था की स्थिति काफी सुदृढ़ है. यहां जितने भी वर्ग और समुदाय हैं उन सभी के त्यौहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जा रहे हैं. साम्प्रदायिकता का माहौल है. इसके साथ-साथ लोकसभा के चुनाव, उप चुनाव, विधान सभा के उप चुनाव, नगरीय निकाय के चुनाव हुए हैं यह सभी पूर्णत: शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से हुए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी सिंहस्थ की बात आई थी. भारतीय जनता पार्टी का यह सौभाग्य है कि जब-जब सिंहस्थ आता है तब-तब मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रहती है. इसको सम्पन्न कराने का श्रेय भारतीय जनता पार्टी को मिलता है. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और गृह मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह जी को धन्यवाद दूंगा. यह विश्व का बहुत बड़ा आयोजन हुआ था जिसमें पुलिस विभाग ने पूरी मुस्तैदी के साथ कार्य किया. पुलिस के जवानों ने गरीब, निसहाय और विकलांग लोगों को कंधे पर उठाकर सिंहस्थ का स्नान कराया था और उनको उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया था.
उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के जो अपराध होते थे उन पर पुलिस विभाग द्वारा नियंत्रण किया गया है. इसी प्रकार महिलाओं पर पहले तेजी के साथ अपराध बढ़े थे उन पर नियंत्रण किया गया है. महिलाएं हमारे परिवार की महत्वपूर्ण अंग होती हैं. आज हम महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं. आज महिलाएं व्यापार, व्यवसाय, उद्योग कर रही हैं. नौकरी के क्षेत्र में जा रही हैं. अपराधी तत्व यदि महिलाओं के खिलाफ घटना करते हैं तो पुलिस के द्वारा तुरंत कार्यवाही की जाती है. इसी के साथ महिला डेस्क, फास्ट ट्रेक कोर्ट, परिवार परामर्श केन्द्र, मानव दुर्व्यवहार इकाइयों का गठन, निर्भया पेट्रोलिंग के साथ महिलाओं को जागरुक करने के लिए महिला पुलिस अधिकारी सतत् प्रयासरत् हैं और महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन्हें आत्मनिर्भर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मेरे क्षेत्र की बात करना चाहता हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र में बाणगंगा थाना है वहां पर एक बड़ा पुल बन गया है जिसके कारण उस थाने के आवागमन का रास्ता बंद हो गया है. इसके लिये हमने एक प्रस्ताव बनाकर भेजा है. जिला कलेक्टर के माध्यम से वहां पर भूमि आवंटित करा दी है. मैं आपके माध्यम से गृह मंत्री जी से आग्रह करुंगा कि वे उसके लिए राशि आवंटित कर दें. राशि आवंटित हो जाएगी तो बिल्डिंग बन जाएगी. वहां थाना तो बना हुआ है. वहां लोगों को आने-जाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि इंदौर एक महानगर क्षेत्र है और यहां लोग लगातार पढ़ने-लिखने, व्यापार-व्यवसाय और उद्योग लगाने के लिए आते हैं. इसी वजह से इंदौर में यातायात काफी तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय गृह मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि यातायात का अमला भी इंदौर में बढ़ाया जाना अति आवश्यक है. इसी प्रकार वहां आवासीय क्षेत्र भी बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहा है. इंदौर में प्रतिदिन नई-नई कॉलोनियों कटती जा रही है और बसती जा रही हैं. इसलिए वहां पुलिस थाने बढ़ाये जाने की भी आवश्यकता है. मेरे विधान सभा क्षेत्र क्रमांक 1 में भागीरथपुरा पुलिस चौकी है. इस पुलिस चौकी को थाने में परिवर्तित करने का निवेदन मैंने माननीय गृह मंत्री जी से किया है. कृपया वे इस ओर ध्यान दें. इसी के साथ-साथ मैं कहना चाहता हूं कि पुलिस विभाग द्वारा बहुत ही मुस्तैदी के साथ काम किया जा रहा है. पिछले वर्षों में हुए अपराधों की तुलना में अब वे अपराध घटकर बहुत कम हो गए हैं. पुलिस प्रशासन के अधिकारी बहुत ही मुस्तैदी के साथ काम कर रहे हैं. इसके लिए मैं आपके माध्यम से गृह मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- गुप्ता जी अब आप समाप्त करें.
श्री सुदर्शन गुप्ता- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की ही बात कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- मैं मानता हूं कि आपके क्षेत्र की बातें हैं, परंतु अब आप समाप्त करें, समय की सीमा है.
श्री सुदर्शन गुप्ता- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से गृह मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि इंदौर शहर में वाहन चेकिंग के नाम पर कुछ ज्यादतियां हो रही हैं. गरीब व्यक्ति, महिलाओं और परिवार के साथ जो लोग यात्रा करते हैं, उन्हें परेशान न किया जाए. इसी तरह इंदौर अब महानगर की गिनती में आने लगा है. इसलिए यहां साइबर क्राइम की भी घटनायें बढ़ी हैं. इस क्षेत्र को भी सशक्त किए जाने की जरूरत है. पुलिस आवासगृहों की हालत बहुत ही जर्जर हो गई है, उन्हें ठीक करने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय- सुदर्शन जी, अब आप समाप्त करेंगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता आर्य- उपाध्यक्ष जी, परिवहन विभाग का एक विषय रह गया है. मैं केवल आधे मिनट में बोल दूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय- नहीं सुदर्शन जी, अब आप समाप्त करें. आप अपनी बात किसी और बोलने वाले सदस्य को दे दीजिएगा. मैं अब आपको और समय नहीं दे पाऊंगा. सुदर्शन जी, अब आप जो भी कहेंगे वह नहीं लिखा जाएगा. कृपया बैठ जाईये. अब आपका बोला हुआ कुछ नहीं लिखा जा रहा है.
श्री सुदर्शन गुप्ता आर्य- (XXX)
कुँवर विक्रम सिंह- महोदय, जितू पटवारी को एक मिनट का समय दे दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय- विक्रम जी, आप बैठ जाईये. शीला जी बोल रही हैं. विक्रम जी, आप ही बताईये उन्हें किसका समय दे दिया जाए. आपके दल ने नाम भेजे हैं. यह तय हुआ था कि जितने नाम आयेंगे, जिन नामों को दल भेजेगा, उतने लोग ही चर्चा करेंगे. एक मिनट वाला सिस्टम आज नहीं है. आज 9 विभागों पर चर्चा होनी है. आप ही बताईये मैं किसका नाम लिस्ट से काट दूं फिर मैं उनका नाम रख सकूंगा.
कुँवर विक्रम सिंह- महोदय, मेरा नाम पर्यटन की चर्चा से काट कर मेरा समय जितू को दे दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय- पर्यटन पर अभी चर्चा नहीं हो रही है. आप गृह विभाग की चर्चा पर दिए गए नामों की बात करिये. शीला जी, आप जारी रखिये.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कानून व्यवस्था बनाए रखने एवं सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस विभाग का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है. वर्तमान में प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है. कानून व्यवस्था चरमरा रही है. अपराध, लूट, डकैती, कत्ल, बलात्कार जैसी घटनायें आज आम हो गई हैं. प्रदेश में लॉ एण्ड ऑर्डर कंट्रोल में नहीं है. पुलिस अधिकारी और अपराधियों के बीच में आज काफी तालमेल हो गया है. पुलिस विभाग द्वारा जारी 100 डायल की सुविधा इसलिए दी गई थी ताकि लोगों में भाईचारा बना रहे, त्वरित न्याय मिले, लड़ाई-झगड़े समाप्त हों, लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको और आपके माध्यम से मंत्री जी एवं सदन को इस बात से अवगत कराना चाहती हूं कि 100 डायल में सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी, कर्मचारी, ड्रायवर और गार्ड, ये सभी मिलकर जनता को लूटने का काम कर रहे हैं. अगर देवरानी-जेठानी में, भाई-भाई में लड़ाई हो जाए तो वे दोनों से पैसे ले लेते हैं और दोनों की ही जेब में डाका डालते हैं. इसलिए इस सुविधा को और अधिक सुदृढ़ और सुरक्षित करने की जरूरत है. 100 डायल में नियुक्त अधिकारी-कर्मचारियों को आपके द्वारा सख्त हिदायत देने की जरूरत है.
उपाध्यक्ष महोदय- शीला जी, आप एक मिनट में समाप्त करें.
श्रीमती शीला त्यागी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अपने दल की ओर से केवल मैं ही बोल रही हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- मैं इस बात को स्वीकार करता हूं, लेकिन फिर भी आप एक मिनट में समाप्त करें.
श्रीमती शीला त्यागी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और संवेदनशील मामला यह है कि पुलिस विभाग के एस.सी., एस.टी. और ओ.बी.सी. के कर्मचारियों को मैदानी क्षेत्रों में पोस्टिंग नहीं दी जाती है. जिनकी राजनैतिक पकड़ है या जो लोग समाज में अपनी धाक रखते हैं, ऐसे लोगों को ही मैदानी क्षेत्रों में पोस्टिंग दी जाती है. इस संबंध में भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. मेरे विधान सभा क्षेत्र में दो थाने गुढ़ और मनगवां हैं. ये थाने उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहती हूं कि आज भी ये थाने आधुनिक नहीं हुए हैं. वहां आज भी शिकायतें ऑनलाईन दर्ज नहीं की जाती हैं. देश की संस्कारधानी- बनारस और इलाहाबाद जो कि उत्तरप्रदेश में है. मेरे क्षेत्र के थाने से होकर पूरे देश के लोग वहां जाते हैं. वे इन थानों से होकर ही उत्तरप्रदेश जाते हैं. वहां पुलिस बल की भारी कमी होने के कारण जब भी पुलिस इंचार्ज या वहां के अधिकारी को कोई सूचना दी जाती है तो वे कहते हैं कि माननीय विधायक महोदया, हमारे यहां पुलिस बल की कमी है. हम नईगढ़ी को देखें कि लालगांव को देखें. मैं माननीय मंत्री जी से गुजारिश करती हूं कि लालगांव चौकी का थाने में उन्नयन किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय- शीला जी, अब आप समाप्त करें. अब दिनेश राय जी, बोलेंगे. शीला जी, आप अनुशासित सदस्य के रूप में सदन में जानी जाती हैं. कृपा करके आप बैठ जाईये.
श्रीमती शीला त्यागी- उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहती हूं कि आप ही बताइये, हम एक मिनट में अपने क्षेत्र की क्या मांगें रखेंगे ? इससे अच्छा तो आप चर्चा ही मत करवाइये.
श्री मुकेश नायक- उपाध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इनके बाद हमारे युवा विधायक जितू पटवारी को आप थोड़ा समय दे दें. महोदय, वह तैयारी करके आया है.
उपाध्यक्ष महोदय- मुकेश जी, बोलने वालों की संख्या पहले से ही निर्धारित है. आपकी बात मानने से सत्ता पक्ष की ओर से भी नाम आने लगेंगे. यह एक अंतहीन सिलसिला है.
श्री मुकेश नायक- महोदय, अब तो लंच भी यहीं है. आप विधान सभा देर तक चलने देंगे तो माननीय सदस्यों को बोलने का समय मिल जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय- मुकेश जी, मेरे पास जितने नाम आये हैं यदि कोई माननीय सदस्य अपने समय को फोरफिट कर दे तो मैं जितू जी को समय देने के लिए तैयार हूं. कमलेश्वर पटेल जी का नाम यहां है. यदि वे नहीं बोलना चाहेंगे तो मैं समय दे दूंगा. (श्री कमलेश्वर पटेल द्वारा हाथ उठाकर उपाध्यक्ष महोदय से बोलने के लिए समय मांगा गया.)
श्रीमती शीला त्यागी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आधे मिनट के लिए एक निवेदन करना चाहती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- शीला जी, आप बैठ जाईये. आपकी सारी महत्वपूर्ण बातें आ गई हैं. आपके बॉर्डर एरिया के थानों की बात, आपके क्षेत्र की बात, सभी कुछ आ गया है. यदि अब आपको कुछ कहना है तो कृपया आप माननीय मंत्री जी को लिखकर दे दीजिए. अब आपका कुछ भी लिखा नहीं जायेगा.
श्रीमती शीला त्यागी- (XXX) ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय- शीला जी, कृपा करके बैठ जाईये. अब आपका कुछ लिखा नहीं जा रहा है. आज आपको क्या हो गया है ? आप आज दूसरों को भी टोक रही थीं और आप स्वयं भी अनुशासन नहीं मान रही हैं. मुनमुन जी, आप जारी रखें.
श्री दिनेश राय (सिवनी)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3, 4 एवं 36 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि हमारे क्षेत्र में पुलिस कर्मचारियों की संख्या बहुत ही कम है. हमारे यहां अतिरिक्त बल के द्वारा ही सुरक्षा बल प्रदान किया गया है. वहां चेकिंग के नाम पर अवैध वसूली होती है. पुलिस जब वाहनों को रोकती है तो स्कूल के बच्चों, महिलाओं और परिवार के साथ अभद्र व्यवहार होता है. मेरा विनम्र आग्रह है कि चेकिंग के समय पुलिस के Without Dress कर्मियों को ही सामने खड़ा करके वाहनों को रोका जाए और फिर चेकिंग की जाए. हमारे जिले में ऐसा माहौल बन गया है कि किसी भी रोड से ग्रामीण क्षेत्र का व्यक्ति शहरी क्षेत्र में आने से डरने लगा है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग कहते हैं कि शहर जायेंगे तो पुलिस रोकेगी, पकड़ेगी, चालान काटेगी या फिर अंदर कर देगी. पुलिस वाले लोगों से बदतमीजी से व्यवहार करते हैं. इससे आम आदमी में बड़ा भय है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि आप पुलिस कर्मचारियों की ड्रेस बदल दीजिए. पहले जब हम उधम करते थे तो अपनी मां से सुनते थे कि पुलिस आ जायेगी. हम लोगों को जो डराया गया है तो आज भी पुलिस वालों की ड्रेस देखकर सभी डरते हैं. मैं मानता हूं कि पुलिस का खौफ होना चाहिए, लेकिन ये खौफ अपराधियों में होना चाहिए. सामान्य व्यक्तियों में पुलिस का जो भय है, वह समाप्त किया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पुलिस कर्मचारियों को भी पर्याप्त छुट्टी का समय दिया जाना चाहिए, जिससे कि वे अपने परिवार के साथ समय व्यतीत कर सकें. पुलिस वाले भी 24 घंटे ड्यूटी करके थक जाते हैं. आप उन्हें सप्ताह में एक दिन छुट्टी और त्यौहारों में अपने परिवार के साथ समय बिताने का अवसर दें.
उपाध्यक्ष महोदय- राय जी, एक-दो महत्वपूर्ण सुझाव देकर, अब आप अपनी बात समाप्त करें.
श्री दिनेश राय- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्राचीन काल से चले आ रहे हमारे धार्मिक कार्यों से संबंधित परमीशनों में कई बार आपत्तियां लग जाती हैं. मैंने रामनवमी और नववर्ष से संबंधित आयोजनों के बारे में आग्रह किया था, आपने कहा कि उसकी अनुमति मिलेगी. इस संबंध में मैंने मुख्यमंत्री जी से भी निवेदन किया है. मैं कहना चाहता हूं कि धार्मिक कार्यों की अनुमति मांगने की क्या आवश्यकता है ? मेरे हिसाब से उनकी केवल सूचना दी जानी चाहिए क्योंकि ये हमारे परंपरागत धार्मिक कार्यक्रम हैं. इनके हमेशा ही जुलूस निकलते हैं और इनकी सदैव परमीशन मिलती रहनी चाहिए. इतना कहकर मैं अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा. आपने बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- धन्यवाद.
श्री पन्नालाल शाक्य (गुना)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज पुलिस, गृह एवं परिवहन विभाग के संबंध में बोला जाना है. पुलिस विभाग के संबंध में मैं कहना चाहूंगा कि इसके तीन ध्येय वाक्य हैं- '' देशभक्ति, जनसेवा और अनुशासन''. पुलिस के जवान 24 घंटे समाज की सुरक्षा करते हैं तो देशभक्ति वे करते ही हैं और जनसेवा में पुलिस अपराधी किस्म तथा लूटखसोट करने वाले लोगों को पकड़ती है. पर मेरा माननीय गृह मंत्री जी से एक निवेदन है कि इस पर गौर कर लिया जाए कि इसमें कभी कभी अनुशासन की जो कमी आती है, वह थोड़ा चिंतनीय विषय है. जैसे अभी डीजीपी का एक ऑर्डर निरीक्षकों के स्थानांतरण के विषय में निकला है, पर उसमें किसने रोक लगा दी? क्या यह अनुशासन है? या उस डीजीपी महोदय का अपमान है? तो मैं माननीय गृह मंत्रीजी से निवेदन करूँगा कि उस पर गौर करें और आपका भी सम्मान बना रहेगा तथा थोड़ा हमारा भी नाम बना रहेगा. दूसरा इसमें एक और निवेदन यह है कि पुलिस प्रशासन के द्वारा 100 डायल की एक प्रक्रिया चालू की है, जिससे तुरत-फुरत मालूम पड़ जाता है कि कहाँ अपराध होने वाला है, तो उन अपराधियों को तुरन्त पकड़ लिया जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा एक और विषय यह है कि मेरे चुनाव जीतने के बाद मेरे विधान सभा क्षेत्र में स्मैक का भारी कारोबार था. मैंने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जी से निवेदन किया कि किसी भी कीमत में गुना के अन्दर स्मैक नहीं बिकना चाहिए. पीढ़ियाँ बर्बाद हो रही हैं. यहाँ बहुत लोग बैठे हैं, पता नहीं इनमें से कौन कौन उसका सहयोग करता होगा. पहले अपने सीने पर तो हाथ रख कर बताएँ ये कि ऐसे उद्योगों को बढ़ावा देते हैं क्या? उनको तो पुलिस ही रोकती है. पर ये उनको रुकवाते नहीं हैं, कहते हैं ये हमारा आदमी है इसे छोड़ देना.
उपाध्यक्ष महोदय-- ये वेल सिंह भूरिया जी की तरफ कर रहे हैं इशारे से?
श्री पन्नालाल शाक्य-- लेकिन मैंने उन पुलिस अधीक्षक से निवेदन किया कि यह किसी भी कीमत पर खत्म होना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, चुनाव जीतने के बाद मेरे को कहा कि अपने नगर में 4-5 जगह जुँए के फड़ चलवा दो. मैंने कहा मैं इसके लिए चुन कर नहीं आया. ये विचार करें. अपने में से कौन कौन चलवाता है? और फिर पुलिस को दोष देते हैं. (मेजों की थपथपाहट) पुलिस को क्यों दोष दे रहे हों, पहले हम खुद तो सुधरो और पुलिस को कह रहे हैं कि ये हमारे यहाँ ऐसा कर देते हैं, वे ऐसा कर देते हैं. पुलिस जिस दिन नहीं होगी, इस प्रदेश में अराजकता फैल जाएगी. जितनी है उतनी हमारे लिए सुरक्षा दे रही है, तो उसकी प्रशंसा करो. हम उसको गालियाँ क्यों देते हैं?
उपाध्यक्ष महोदय-- पन्नालाल जी, आपने अखबार की सुर्खियाँ तो बटोर लीं. अब खत्म करिए.
श्री पन्नालाल शाक्य-- उपाध्यक्ष महोदय, हमारा गुना, चौराहे पर स्थित है. ये चार चंबल, बुंदेलखण्ड, राजस्थान और मालवा है. मैं माननीय परिवहन मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि इन स्थानों पर चारों दिशाओं में बस स्टेण्ड कायम करवा दिए जाएँ. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- शाक्य साहब, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अतिरिक्त पुलिस बल और नवीन चौकी के लिए जब भी मेरे द्वारा मांग की गई तो कहीं न कहीं गाइड लाइन और वित्त की कमी होने के कारण उसकी अभी तक पूर्ति नहीं हो पाई है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा मानना है कि नक्सल इलाके होते हैं, सामान्य इलाके होते हैं और कंजर इलाके होते हैं, तो गाइड लाइन के हिसाब से जब नक्सल इलाके के लिए 8-8 किलोमीटर पर एक पुलिस चौकी खोली जा सकती है तो कंजर के इलाकों में जहाँ कंजर राजस्थान की सीमा से जुड़े हुए हैं और दूसरी सीमा का फायदा उठाते हैं, दिन में जहाँ पर कंजर घूमते हों, जैसे खेताखेड़ा में शाम के समय कंजर आ गए हों, अजयपुर में, रुणिजा में, नकेड़िया में, दिकनिया में, जब दिन में कंजर घूमते हैं, शाम को वारदात कर देते हैं, रात को मुठभेड़ होती है, एक जगह 3 कंजर मरे, दूसरी 2 जगह मर गए, इतनी वारदात होने के बाद, कौनसी गाइड लाइन तय की जाती है? मैं माननीय गृह मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि लेटर पर तो उन्होंने स्वीकृति दी है कि पुलिस चौकी खेताखेड़ा और नकेड़िया में खोल दी जाएगी. मेरा निवेदन है कि उसको तुरन्त खोला जाए क्योंकि कोई भी बड़ी वारदात वहाँ पर हो सकती है इसलिए आज अगर मंत्री जी अपने भाषण दें तो उसमें कम से कम खेताखेड़ा और नकेड़िया की चौकी का जिक्र जरूर करें कि उसको तुरन्त खोल दिया जाए. न तो वित्त की कमी है, न गाइड लाइन की कमी है. मेरा मानना है कि इसका जिक्र जरूर होगा और खजूरीनाग तथा खेजड़िया में जो पुलिस चौकी थी, उनको बीच में हटा दिया गया था, इसमें खेजड़िया तो वापस अतिरिक्त पुलिस बल भेज दिया गया है और जबकि मेरे को जो प्रश्न में उत्तर आया था कि खजूरीनाग में भी अतिरिक्त बल भेज दिया गया है. लेकिन मैं गृह मंत्री जी को बताना चाहता हूँ कि वहाँ पर अभी तक नहीं पहुँचा है इसलिए आप वह भी देखें.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक और यह भी कहना है कि जब कोई पुलिस के यहाँ पर शिकायत करता है तो पुलिस उसकी जाँच करती है. लेकिन जब पुलिस की कोई शिकायत करता है तो उसकी जाँच कौन करेगा? क्योंकि आज कुरावण में एक देवेन्द्र सिंह चन्द्रावत राजपूत समाज के हैं. वे 20.3.17 को, अभी 4 दिन पहले, मोटरसाइकिल लेकर शामगढ़ थाने पर गए. अपनी रिपोर्ट दर्ज करा रहे थे, पर टीआई महोदय की शिकायत पहले हेल्पलाइन में की थी तो टीआई साहब को वह बात याद आ गई कि इसने मेरी शिकायत कर रखी है. उसको थाने में इतना मारा कि उसके सिर में पाँच टाके आए और 2 दिन तक अन्दर रखा तथा उसको 6 पेटी दारू के केस में असत्य फँसाकर, उसको आज भी जेल में डाल रखा है. उसकी जाँच की जाए कि शामगढ़ टीआई ने, जब उसकी हेल्पलाइन में शिकायत हुई तो क्या कारण वही था कि मेरी शिकायत क्यों की? जब किसी पुलिस अधिकारी की शिकायत होती है तो वे उस पर टेढ़ी नजर रखते हैं. इस पर भी ध्यान जाए और यह जो शामगढ़ थाने में घटना घटी है इसकी जाँच कराई जाए.
उपाध्यक्ष महोदय-- हरदीप सिंह जी, अब आप अंतिम बात कहकर समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- उपाध्यक्ष महोदय, जो पुराने वाहन थाने में पड़े हैं, जो न्यायालयीन प्रक्रिया में नहीं हैं, उनको पुलिस विभाग तुरन्त नीलाम करे और जो पुलिस विभाग के पास ऐसे पुराने वाहन हैं जो गाँव तक पहुँच नहीं पाते हैं, जैसे 100 डायल अभी यहाँ पर आई, उसकी उपयोगिता हो रही है, पुलिस स्टाफ की वैसे ही कमी है और पुलिस विभाग के पास वाहन की भी कमी है, तो इनको वाहन उपलब्ध कराएँ और स्टाफ भी उपलब्ध कराएँ और मेरा फिर निवेदन है कि आज यहाँ खेताखेड़ा और नकेड़िया की नवीन पुलिस चौकी की घोषणा कर दें. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- श्री हजारीलाल जी दांगी, अपनी बात कहें. माननीय, आज समय का ध्यान जरूर रखेंगे.
कुँवर हजारीलाल दांगी(खिलचीपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे को याद है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3, 4 और 36 के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, आज पुलिस विभाग की जो चर्चा हो रही है. इसमें सारे सदस्यों ने जो अपने सुझाव रखे हैं. मध्यप्रदेश में आज अपराधों में कमी आई है और अपराध में कमी आने का कारण है कि मध्यप्रदेश में जितनी जनसंख्या बढ़ रही है उस हिसाब से पहले जो स्टाफ स्वीकृत था, उसकी वजह से पहले अपराध ज्यादा होते थे और आज इस प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर गृह विभाग के मुखिया माननीय भूपेन्द्र सिंह जी ने 50 प्रतिशत जो पुलिस बल में वृद्धि की है और पुलिस बल की वृद्धि की वजह से आज पुलिस की चौकसी की वजह से अपराध में कमी आई है और उसी की वजह से आज मध्यप्रदेश में शांति है और मेरे साथी ने जो बात बताई है कि वास्तव में पुलिस की वजह से सभी प्रोग्राम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होते हैं. आज उसी की मेहरबानी है कि आज मध्यप्रदेश में शांति है. पहले कितने अपराध होते थे. कितनी अप्रिय घटनाएँ घटती थीं. कितने लड़ाई-झगड़े होते थे. लेकिन आज मध्यप्रदेश में शांति है और आज पुलिस विभाग ने नये थाने जो कायम किए हैं, नई चौकियाँ कायम की हैं, ये सब उसी की मेहरबानी है कि जो पुलिस बल में आज वृद्धि की है उससे सारी जगह शांति है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज जो चोरियाँ पकड़ में आ रही हैं, अपराधियों के अपराध पर जो अंकुश लग रहे हैं, अभी पुलिस विभाग ने जो नई इकाइयाँ कायम की हैं एटीएस, एसटीएफ, हॉक फोर्स, सायबर सेल, ये ऐसी इकाइयाँ कायम की हैं कि अगर कोई भी किसी भी प्रकार का अपराध करेगा, उपाध्यक्ष महोदय, मेरा खिलचीपुर विधान सभा क्षेत्र बिल्कुल राजस्थान की बॉर्डर पर है. लेकिन बॉर्डर पर होने के बाद राजस्थान के चोर अपने मध्यप्रदेश में चोरियाँ करते हैं. लेकिन इन इकाइयों के माध्यम से उन अपराधों के ऊपर नियंत्रण हुआ है और चोरों पर लगाम लगी है. कितनी भी बड़ी चोरी की होगी तो वह पकड़ में आ जाती है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं अनुरोध करूँगा कि मेरा विधान सभा क्षेत्र राजस्थान बॉर्डर से लगा हुआ है, उसका एक थाना माचलपुर है, इस थाने के अन्दर एक भगौरा चौकी है, जो बहुत लंबे समय से स्वीकृत है. भवन बना हुआ है लेकिन वहाँ चूँकि बॉर्डर पर लगी हुई थाने की चौकी है. वहां चौकी में स्टॉफ की कमी है. पोस्टिंग के जो पद स्वीकृत हैं वह कम होने की वजह से स्टॉफ पर्याप्त नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय गृहमंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि वह जो भगोरा चौकी है उसमें कम से कम स्टॉफ की पर्याप्त स्वीकृति मिल जाए और वहां पोस्टिंग हो जाए तो राजस्थान बॉर्डर की जो चौकी है वह सुचारू रूप से चल सके. मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक जीरापुर थाना है उसमें झाड़मऊ एक बड़ी जगह है. जहां हाट भी लगता है, हॉयर सेकेण्डरी स्कूल है, बैंक भी हैं, सब कुछ है लेकिन वहां पुलिस चौकी नहीं है. अगर झाड़मऊ में भी पुलिस चौकी स्वीकृत हो जाती है तो राजस्थान से लगी हुई सीमा में कम से कम सुरक्षा की दृष्टि से उसकी व्यवस्था कराने की कृपा करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चूंकि राजस्थान की सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है वहां पर स्टॉफ की बढ़ोत्तरी तो की है लेकिन इसके बावजूद भी वहां कंट्रोल करने के लिए और स्टॉफ की जरूरत है. राजस्थान से लगे हुए जो थाने हैं वहां सब जगह स्टॉफ की पर्याप्त व्यवस्था कराई जाए ताकि राजस्थान से जो चोर इधर आते हैं उनके ऊपर कंट्रोल हो सके. आपने बोलने के लिए समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. आप अपने इलाके के चोरों को डेपुटेशन में राजस्थान क्यों नहीं भिजवा देते ?
श्री गिरीश भंडारी -- जीरापुर में जुएं के अड्डे बंद कराने की मांग करो आप.
उपाध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए.
श्री हजारीलाल दांगी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक निवेदन और है कि राजस्थान की जो बॉर्डर है. बॉर्डर के ऊपर मध्यप्रदेश में इतने चोर नहीं हैं, जितने राजस्थान में हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गृह विभाग बहुत महत्वपूर्ण विभाग है. मैं पुलिस, गृह और परिवहन की मांग का विरोध करते हुए और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते हुए अपनी बात को प्रारम्भ करूंगा. गृह विभाग हमारे प्रदेश की व्यवस्था और आम आदमी की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है पर इसमें सुविधाओं की बहुत कमी है. आज हम देंखे कि हमारे जो पुलिस के जवान हैं, हेड हैं, एसआई हैं इनको रहने की सुविधाएं माकूल नहीं हैं. पूरे परिवार सहित दो कमरों में रहते हैं और 24 घंटे नौकरी करते हैं. अगर उन्हें एक कमरा एक्स्ट्रा दिया जाए ताकि वे आराम कर सकें क्योंकि जो रात को नौकरी करके आएगा उसको आराम की जरूरत पड़ती है. उन चीजों की कमी है. इस पर माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. इसके साथ ही 24 घंटे जो नौकरी ली जाती है, मानव आयोग को इसकी जॉंच करना चाहिए. हम देखते हैं कि किसी भी विभाग में 8 घंटे से ज्यादा नौकरी कहीं भी नहीं ली जाती है. पर पुलिस में 24 घंटे नौकरी ली जाती है. इस कारण इनमें मानसिक विकृतियॉं पैदा होती हैं तो वह स्थिति ठीक हो. इनके साथ जो अन्याय हो रहा है उसकी जॉंच होना चाहिए और उनसे 8 घंटे से ज्यादा नौकरी नहीं ली जानी चाहिए. इनके साथ ही उनको पौष्टिक आहार भत्ता दिया जाता है. दो सौ, तीन सौ, पॉंच सौ रूपये में पौष्टिक आहार भत्ता दिया जाता है. उसमें इनका क्या होता होगा. इन्हें वाहन भत्ता नहीं दिया जाता. पूरे क्षेत्र में 20 किलोमीटर, 30 किलोमीटर में थाना होता है. वे क्षेत्र में घूमते हैं मोटरसाइकिल से जाते हैं, लेकिन भत्ता नहीं दिया जाता है, तो वह भत्ता दिया जाए. इसके साथ ही दूसरे प्रदेशों में 45 साल से ऊपर वाले जो पुलिस कर्मी हैं उनकी कड़ी ड्यूटी नहीं ली जाती है पर हमारे यहां एक बुजुर्ग आदमी जो 55 साल का है उसको कैदी को पकड़ा दिया जाता है फिर वह कैदी भाग जाता है उसके ऊपर डीई चलती है, उसके परिवार को नुकसान है उसको सस्पेंड कर दिया जाता है, बर्खास्त कर दिया है तो वह व्यवस्था भी होना चाहिए कि 45 साल से ऊपर वाले पुलिस कर्मियों को कड़ी ड्यूटी नहीं दी जाए. इसके साथ ही मेरा निवेदन है कि मेडिकल सुविधा जैसे मिलिट्री में कार्ड बना दिया जाता है और मिलिट्री वाले कार्ड लेकर अस्पताल जाते हैं तो इलाज हो जाता है. इसी तरह से पुलिस विभाग के कर्मचारियों के लिए कार्ड बनाकर दिया जाना चाहिए जिससे उनका इलाज सरल रूप में हो जाए. इसके साथ ही इनके बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था होना चाहिए. इनके बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं इसलिए पढ़ाई के लिए माहौल बनाना चाहिए. इनके बच्चों के लिए अच्छे स्कूल में एडमीशन करवाना चाहिए क्योंकि वे अपने बच्चों की तरफ ध्यान नहीं दे पाते है इसलिए बच्चे पढ़ नहीं पाते है. उसके साथ ही मैं एक और बात करना चाहूंगा कि अभी बीच में एक नियम आया था कि कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल और एसआई अपने मूल जिले में रह सकते हैं पर उसमें अभी इम्प्लीमेंट नहीं हुआ है, उसका इम्प्लीमेंट किया जाए. मेरे विधानसभा क्षेत्र में तीन जगह हरदा में मगरधा, मोरगढ़ी और सोनतलाई में पुलिस चौकी की आवश्यकता है तो वहां पुलिस चौकी बनाई जाएगी तो अच्छा रहेगा, क्योंकि हमारा जिला नया बना है. पुलिस के स्टॉफ की बहुत कमी है और सुविधाओं की भी कमी है तो वे सुविधाएं भी दी जाएं और ये तीन पुलिस चौकियॉं बना दी जाएंगी तो अपराधों पर नियंत्रण होगा जिससे जिले में सुरक्षा व्यवस्था बनी रहेगी. इसी के साथ आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
श्री नथनशाह कवरेती (जुन्नारदेव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3 एवं मांग संख्या 4 पर बोलना चाहता हॅूं. मेरा विधानसभा क्षेत्र कोयले का क्षेत्र है. जिस प्रकार अभी धनबाद में घटनाएं हुईं, ऐसे ही कोयले का क्षेत्र है वहां आए दिन घटनाएं होती हैं. मेरा माननीय मंत्री जी निवेदन है कि मेरे क्षेत्र में रामपुर अस्थाई थाना चौकी है तो रामपुर, चावलपानी और बिंदरई ऐसे तीन क्षेत्रों में पुलिस चौकी खोलने की कृपा करेंगे जिससे कि जो घटनाएं होती हैं वह घटनाएं होने से रूकेंगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- (अनुपस्थित)
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री कमलेश्वर पटेल जी आपने एक ही मिनट मांगा था.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग में अच्छे अधिकारियों की भी कमी नहीं है पर अपराधों पर नियंत्रण करने में अपना कर्तव्यपालन करने में भी पुलिस विभाग के अधिकारी/कर्मचारी किसी प्रकार से कमी नहीं करते हैं. आपके माध्यम से माननीय गृह मंत्री जी ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा कि जिस तरह की घटनाऍं मध्यप्रदेश में घट रहीं हैं और जिस तरह से आपराधिक प्रवृत्ति के लोग थानों को चला रहे हैं यह चिन्ता का विषय है. उदाहरण के लिए जिस तरह से बालाघाट जिले में घटना घटी थी और पूरे आईजी, एसपी पूरे प्रशासन को चेंज कर दिया गया. एक तरफ दिनदहाडे़ अपराध हो रहे हैं. कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है. महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री पटेल जी आपके क्षेत्र की कुछ मांग करनी है तो मांग लीजिए और खत्म करिए. आपने एक मिनट का समय मांगा था.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष जी, जिस तरह बालाघाट जिला नक्सल प्रभावित जिला है. सरकार एक तरफ कहती है कि हमारे प्रदेश में नक्सली लोग नहीं हैं या नक्सली जिला नहीं है. दूसरी तरफ बजट का भी प्रावधान किया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप अपने क्षेत्र की मांग नहीं कर रहे हैं. मुझे समाप्त करना पडे़गा, यह गलत बात है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में डाकुओं का उम्मूलन हो गया है और उसके लिए भी बजट का प्रावधान करते हैं, खर्चा करते हैं. यह थोड़ा चिन्ता का विषय है. इन दोनों बातों में विरोधाभास है. जिलों में पुलिस बल की भारी कमी है, थानों में पुलिस बल की भारी कमी है. इसके लिए सरकार को विचार करना चाहिए और जो अवैध वसूली करते हैं, रेत माफिया के मामले में मध्यप्रदेश नंबर वन पर है, महिलाओं पर अत्याचार के मामले में नंबर वन पर है, कई ऐसे मामले हैं जिनमें मध्यप्रदेश नंबर वन पर है. ये चिन्ता का विषय है. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और परिवहन विभाग का क्या कहना ? परिवहन में क्या लुटाई मची है. किसी को भी कहीं भी खड़ा करके चेकिंग करते हैं. कभी ओवरलोडिंग के नाम पर, तो कभी किसी चीज के नाम पर. इनके टोल टैक्स हैं, जो नाका है वहां किस तरह से एंट्रिया होती हैं, किस तरह से वसूली होती है इस पर कंट्रोल करना चाहिए. आम जनता काफी परेशान है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सतीश मालवीय (घट्टिया)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अपनी बात रखना चाहता हूं. बहुत देर से, बहुत सारे माननीय सदस्यों ने तरह-तरह की बातें इस सदन में रखी. मैं अपनी दो लाइनें कहकर इस बात को शुरु करना चाहता हूं, माननीय मंत्री जी के लिए " आग लगाना मेरी फितरत में नहीं, मेरी सादगी से लोग जलते हैं, मेरा क्या कसूर". जिस दिन से माननीय गृह मंत्री जी ने गृह विभाग को संभाला है उस दिन से निश्चित ही गृह विभाग नये आयामों को छू रहा है. चूंकि मुझे एक मिनट का समय दिया है. मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि चाहे इस मध्यप्रदेश में कितनी ही बड़ी घटना या दुर्घटना हुई हों जैसे जेल ब्रेक के आरोपी हों, चाहे रेल विस्फोट के अपराधी हों, चाहे नकली एक्सचेंज चलाने वाले अपराधी हों उनको तुरंत कुछ ही घंटों के अंदर धर पकड़ कर के कानून ने अपने शिकंजे में कसा है. यह इस मध्यप्रदेश के गृहमंत्री जी की बहुत बड़ी उपलब्धि रही है. निश्चित ही गृह विभाग को और पुलिस को हम बहुत ज्यादा अच्छी नजरों से नहीं देखा करते हैं और सख्ती के साथ देखा करते हैं लेकिन जिस दिन से गृहमंत्री जी ने यह विभाग संभाला उनकी सहजता और उनकी सौम्यता, जिस प्रकार से उनका चेहरा है उसके बाद से इस विभाग को भी सौम्यता के साथ, सादगी के साथ चलाते हुए उन्होंने अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही की है दूसरी ओर उन्होंने आम जनता में जिस प्रकार से फरियादी होते हैं, उनके दिल में भी पुलिस के प्रति जगह और विश्वास बनाया है. निश्चित ही गृहमंत्री जी की जिस प्रकार की सादगी है, सौम्यता और सरलता है, उन्होंने इस मध्यप्रदेश का नाम इस देश में सर्वोच्च शिखर पर ले जाने का प्रयास किया है. मैं बहुत ज्यादा समय ना लेते हुए सुझाव देना चाहता हूं और अनुरोध करना चाहूंगा कि जो साइबर सेल की ट्रेनिंग होती है वह जिला स्तर पर की जाये इसको जिला स्तर पर करने से आसपास के जो कुछ मोबाइल संबंधी या अन्य प्रकार की कुछ समस्या होती है उससे फरियादी को या क्षेत्र की जनता को फायदा मिलेगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह(मऊगंज)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3, 4, 36 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ गृह विभाग सुरक्षा का विषय है. निश्चित रूप से साढ़े 7 करोड़ जनता की सुरक्षा का सवाल है लेकिन बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ता है कि इस बार इसके लिए बजट कम दिया गया है. मैं ज्यादा कुछ ना कहते विशेष रूप से यह कहना चाहता हूं कि जब कोई घटना किसी के साथ घटती और वह थाने में जाता है तो भयभीत रहता है और मेरा मंत्री जी से यह कहना है कि इस तरह की कुछ व्यवस्था बनाई जाए कि जब किसी के साथ कोई घटना घटे तो थाने में अगर कोई व्यक्ति जाये तो वह डरा हुआ ना रहे.वहाँ पर स्थितियाँ यह बन जाती है कि लगता है कि उसी के खिलाफ रिपोर्ट ना हो जाये तो यह परिस्थितियाँ हैं थानों की. इस विषय पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं. दूसरी बात हेलमेट चेकिंग पूरे प्रदेश में एक बहुत बड़ा गंभीर विषय है. लेकिन खास कर रीवा जिले में, बीच में तो हेलमेट चेकिंग बंद थी लेकिन अभी दो तीन दिनों से फिर से शुरु हो गई है और जब हेलमेट चेकिंग शुरु होती है तो लोग तमाम तरह के रास्ते चेंज करके आना-जाना शुरु कर देते हैं उसमें आए दिन एक्सीडेंट भी होते हैं तो मेरा कहना यह है कि इस हेलमेट चेकिंग को व्यवस्थित रूप से कराया जाये कि हेलमेट भी चेकिंग हो,कागजात चैकिंग हो लेकिन लोग डरे नहीं, उसमें भी लोग भागते रहते हैं. वह वसूली का एक अड्डा बन जाता है. अब पुलिस के पास एक ही काम रहता है कि हमें शाम को चार बजे से हेलमेट चेकिंग करनी है तो हमको लगता है कि विभाग का बजट कम करके इस हेलमेट चेकिंग के माध्यम से बजट बढ़ाया जाएगा, ऐसा महसूस हो रहा है. इसमें सुधार की जरूरत है. दूसरी बात 100 डायल निश्चित रूप से एक अच्छा काम करती है कि मौके पर कोई दुर्घटना घटती है तो लोग बाग फोन करके बुला लेते हैं. इसी तरीके से कुछ घटनायें ऐसी घटती हैं जो सीधे डायरेक्ट लोग बाग कहने में डरते हैं तो इसके लिए कोई सेल का गठन हो जिसमें अपना नाम बताये बिना लोग मुख्यालयों में अपराधी के बारे नोट करा दें और उनके नामों की जानकारी भी किसी को ना हो. यह एक बड़ा महत्वपूर्ण विषय है. मेरी विधानसभा उत्तर प्रदेश से लगी हुई है वहाँ पर तीन चौकियाँ हैं लेकिन पुलिस बल की कमी है, वहाँ टोल प्लाजे भी लगे हैं, आरटीओ चेक पोस्ट भी है और कुछ क्रेशर वगैरह भी लगे हैं. लेकिन पुलिस अपराधी को पकड़ने के बजाय सिर्फ इन तीन कामों में लगी रहती है तो मेरा कहना यह है कि वहाँ पर जब आरटीओ विभाग है और सब तरह की बाते हैं तो सबका काम अलग अलग होना चाहिए. पुलिस का काम यह नहीं है कि डंपर पकड़े या दूसरे अन्य कामों में लगे. तो इसमें भी सुधार की जरूरत है और पुलिस बल बढ़ाया जाये. आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी (राऊ)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस बार बहुत अच्छी बात यह लगी कि अभी जितने भी माननीय सदस्य खड़े हुए उन्होंने इस बार पुलिस के पक्ष को समझा और उसको भी रखा और यह भी कोशिश की कि सिपाही से लेकर कर्मचारी कितने दुखी हैं. वह चाहे तनख्वाह को लेकर हो या उनके 24 घंटे के काम को लेकर हो या अन्य-अन्य बातें रहवास का एरिया हो, मेडीकल की बातें हों. इस पर सुधार की आवश्यकता है और वित्तमंत्री जी इसमें बजट बढ़ाएंगे तो बेहतर होगा. आदरणीय गृहमंत्री जी से मैं अनुरोध करना चाहता हूं और दो-तीन बातें कहना चाहता हूं और गंभीरता से सुनकर वह उनका उत्तर भी देंगे. राज्यपाल के अभिभाषण में मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य हुआ था उन्होंने धार जिले की एक घटना का जिक्र भी किया और मंत्री जी मैं अनुरोध करना चाहता हूं सकारात्मकता से यह बात कहना चाहता हूँ कि धार जिले में भूतिया गाँव की कुछ आदिवासी महिलायें व कुछ दो तीन सौ लोग एक विधायक के पास आते हैं और यह कहते हैं कि हमारे साथ दुर्व्यवहार हुआ, बलात्कार हुआ. पुलिस से जब इस पूरी घटना के लिए संपर्क किया गया तो पुलिस ने कहा कि यह अपराधियों का गाँव है. सौ-डेढ़ सौ अपराधी रहते हैं और उनको जब हम पकड़ने जाते हैं तो यहाँ हर तरीके की हरकतें होती हैं, हुज्जत होती हैं, महिलायें भी आगे आती हैं. उन्होंने अपना पक्ष रखा लेकिन इस पूरी परिस्थिति में विधायक को क्या करना चाहिए.क्या उनको यह कह दें कि जाओ तुम, अगर तुम कह रही हो तुम्हारे साथ बलात्कार हुआ तो तुम चले जाओ, मैं देखूंगा ही नहीं. एक जन प्रतिनिधि का क्या कर्तव्य है. अगर उसने कोई बात रखी और उस पर प्रशासन व सरकार यह कहे कि तुम अपराधियों और डाकुओं के साथ रहते हो. यह बड़ी निंदनीय बात है. हम सब माननीय है. हम सब चुन कर आए हैं. मैं समझता हूं कि यह सबके सम्मान का विषय था इसमें सुधार की आवश्यकता है. मध्यप्रदेश देश का दूसरे नंबर का वर्ष 2015-16 की आरबीसी रिपोर्ट के अनुसार सबसे भ्रष्ट राज्य है. अब इससे ही पता लगा सकते हैं कि बाकी चीजें अपनी जगह हैं. ऐसी ही एक घटना मुरैना की सिटी कोतवाली की है.
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू जी, आपके दो मिनट हो गये हैं.समय का सवाल है.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बहुत सकारात्मक बात कहता हूं. मेरा अनुरोध यह है कि मैंने तीन बातें बोलने का कहा था तो एक-एक मिनट में तीन बात होती है.आप ऐसा करते हो, बीच में अगर आप ही टोका-टाकी करते हैं तो हम भी बात नहीं कर पाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--- पटवारी जी इस तरह से कहना अनुचित है. यह मेरा काम है. मैं अपना काम कर रहा हूँ आप अपना काम करिये.अब आप एक मिनट में समाप्त करेंगे.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, एक (XXX) लड़की के साथ बलात्कार होता है तीन दिन से वह भोपाल में घूम रही है. अधिकारियों के पास आ रही है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- उपाध्यक्ष महोदय, जिसके ऊपर बलात्कार हुआ है कम से कम उस बिटिया का नाम तो नहीं आना चाहिए.
श्री शंकरलाल तिवारी-- बिटिया का नाम ले रहे हैं सार्वजनिक रूप से, यह अपराध है. इस पर कार्यवाही कराइए.
उपाध्यक्ष महोदय-- हाँ यह गलत है. इसको विलोपित कर दें. नाम नहीं लिया जाता है.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, माफी चाहता हूं. मैं इस पर खेद व्यक्त करता हूं. यह कान पकड़ लिये. अब हो गया. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक सिटी कोतवाली मुरैना की घटना है..
श्री मुकेश नायक-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि...
उपाध्यक्ष महोदय -- मुकेश जी, अब इसमें क्या बचा है, उन्होंने माफी मांग ली, कार्यवाही से विलोपित हो गया.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, नाम गोपनीय नहीं रहा, पूरे मीडिया में आया है और सब जान गए हैं. उन्होंने बोला था तो खेद प्रकट कर दिया, उसके बाद इस तरह से व्यवधान डालना, विचारों को तोड़ना उचित नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- मुकेश जी, पीड़िता का नाम जनरली हाऊस में लिया नहीं जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मुकेश जी, बाहर कौन क्या रहा है ? इससे हमें लेना-देना नहीं है, हमारे सदन में क्या हो रहा है, हम लोगों को यह देखना चाहिए, चिंता हमें इसकी करनी चाहिए. जितू जी, चलिए अब समाप्त करिए.
श्री जितू पटवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, एक महिला से तीन महीने पहले बलात्कार होता है, उससे सिटी कोतवाली, मुरैना में एफ.आई.आर. लिखाई जाती है, तीन महीने से उस अपराधी को पकड़ा नहीं जाता है. तीन दिन से वह भोपाल में घूमती रहती है, संयोग से उसे एक विधायक मेरे पास लेकर आते हैं, गृह मंत्री जी से मिलवाने के लिए कल भी मैंने समय मांगा था, इस तरह की अव्यवस्थाओं से गृह विभाग और पुलिस विभाग पर कहीं न कहीं शंका होती है.
उपाध्यक्ष महोदय, आँकड़े बहुत हैं पर क्षेत्र की एक मेरी बात है. मैंने मंत्री जी से पहले भी अनुरोध किया था, पूरे राऊ क्षेत्र की जनता, कांग्रेस और बी.जे.पी. सभी चाहते हैं, एक भी कार्यकर्ता बंटा हुआ नहीं है सब चाहते हैं, मेरे विरुद्ध जो चुनाव लड़े आदरणीय जितू जिराती जी भी चाहते हैं कि थाना बने, अपराध रूकें, पर जगह का बदलाव हो, मेरा गृह मंत्री जी से इतना अनुरोध है कि आप कृपा करके आज सदन में उस थाने के स्थान में परिवर्तन कर दें तो मेहरबानी होगी, धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगाँव) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैंने भी नाम दिया था, मुझे 3 दिन से बोलने नहीं दिया जा रहा है.
श्री घनश्याम पिरौनियाँ -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे केवल आधा मिनट चाहिए.
डॉ. कैलाश जाटव -- उपाध्यक्ष जी, मुझे भी आधा मिनट चाहिए.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट हमें भी बोलना है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, सब बैठ जाइये. ऊषा जी, बैठ जाइये, अनुशासन का पालन करिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे 3 दिन से कह दिया जाता है कि बैठ जाइये, जबकि सबसे पहले मैं नाम देती हूँ, मेरा कटौती प्रस्ताव में भी नाम है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, यह मेरे पास शीट है, इसमें आपका नाम कहीं नहीं है. आपके दल से श्रीमती शीला त्यागी जी का नाम है और वे बोल चुकी हैं. चलिए मैं एक मिनट दूंगा, आप एक मिनट से ज्यादा का समय नहीं लेंगी.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- उपाध्यक्ष महोदय, 3 दिन से किसी भी विषय पर मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आपका दल नाम तो देता नहीं है.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं स्वयं नाम देकर आई हूँ, सचिव महोदय जी कह रहे थे कि आपका नाम है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अभी मेरे पास आपका नाम आया है. हम आपको एक मिनट बोलने के लिए अलाऊ कर रहे हैं, एक मिनट में बोल लीजिए.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया -- उपाध्यक्ष महोदय, हमें भी एक मिनट बोलना है.
उपाध्यक्ष महोदय -- डण्डौतिया जी, अब 55 विधायक कांग्रेस के हैं, 55 बोलेंगे क्या ? भाजपा के 165 विधायक हैं तो क्या 165 बोलेंगे ? बसपा के आपके 4 विधायक हैं, एक ने बोल लिया है.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी बात सुनिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- ऊषा जी, आप बात क्यों नहीं सुनती हैं ? बैठ जाइये. पिरौनियाँ जी बैठ जाइये, शंकरलाल जी बैठ जाइये, यह गलत बात है, मैंने पहले ही कहा था कि एक मिनट वाली संस्कृति नहीं चलेगी, जितने नाम आए हैं उन्हीं को बोलने दूंगा. ऊषा जी, आप एक मिनट में अपनी बात रखेंगी.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 3 दिन से मुझे बोलने नहीं दिया गया. आज गृह विभाग है यह मानव की सुरक्षा से जुड़ा हुआ विभाग है, बहुत से अपराध मेरे क्षेत्र में हुए हैं और एक मिनट में हम क्या कह लेंगे ?
उपाध्यक्ष महोदय -- ऊषा जी, यह आप गलत बात कह रही हैं, आप हर विभाग में बोली हैं कार्यवाही उठाकर देख लीजिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- उपाध्यक्ष महोदय, एक भी विभाग में मैंने नहीं बोला है, इस बार मैं अस्वस्थ हूँ और माननीय सचिव महोदय से कहा भी था. क्षेत्रीय समस्याएँ मेरी भी हैं, हमेशा आप मंत्री जी को बोलने के लिए कह देते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- इसका मतलब आप बोलना नहीं चाहती हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष महोदय, नहीं, नहीं, मैं बोलना चाहती हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट में कैसे बोल पाऊंगी, इतनी गंभीर समस्याएँ हैं, मैंने ध्यानाकर्षण भी दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप आसंदी से इस तरह व्यवहार नहीं कर सकती हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे सतना जिले के अंदर विभिन्न थानों के अंतर्गत आए दिन अपराध हो रहे हैं और उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. बलात्कार, अपहरण आदि की घटनाएँ रोज हो रही हैं, एक घटना यह है कि मेरे विधान सभा के अंदर एक कल्पा गाँव है इस गांव का शिवशक्ति द्विवेदी पिता श्री सुरेन्द्र द्विवेदी नाम का छात्र चित्रकूट संस्कृत विद्यालय में पढ़ता था, एक साल पहले उसके साथ मार पीट कर उसे जंगल में फेंक दिया गया, वह किसी तरह बचकर आ गया, दूसरे साल उसको फाँसी लगा दी गई, और आज तक अपराधियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. दूसरी घटना यह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के एक ग्राम भाद में पवन कुमार चौधरी घर से अपनी पत्नी को यह कहकर निकला कि हॉस्पिटल में जाँच कराने के लिए मैं तुम्हारी पर्ची बनाने के लिए जा रहा हूँ, दूसरे दिन उनके घर में पुलिस का फोन आता है कि उसकी हत्या हो गई है, उसे दो टुकड़ों में करके रेलवे लाइन पर फेंक दिया गया, लेकिन आज तक अपराधियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है और न ही अपराधी पकड़े गए हैं. तीसरी घटना यह है कि जबलपुर में जगदीश चौधरी ने 3000 रुपये उधार लिए थे और 300 रुपये प्रति महीने वह ब्याज देता था, उसे कहा गया कि 10 हजार रुपये दो, उसने 10 हजार रुपये देने से मना कर दिया तो उस व्यक्ति को रामहरक का बगीचा, छोटे बाबा के पास वाली गली में ले जाकर जाति सूचक शब्दों से प्रताड़ित किया गया, उसके सीने में पत्थर मारा गया और इस तरह से मार डाला गया. लोगों ने देखा तो पुलिस को खबर की और उसको मेडिकल कॉलेज, जबलपुर में भर्ती कराया गया लेकिन आज दिनाँक तक अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है. इस तरह की घटनाएँ पूरे मध्यप्रदेश में हो रही हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- ऊषा जी, अब आप समाप्त करिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
उपाध्यक्ष महोदय -- एक मिनट क्या आपको बोलते हुए दो मिनट हो गये हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं गंभीर विषय की बात कर रही हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- गंभीर कितना भी हो, समय-सीमा है.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लड़कियों से जुड़ा हुआ मामला है. मेरे विधान सभा क्षेत्र के भरजुना कला गाँव में प्रभा शुक्ला नाम की बच्ची का अपहरण हो गया, उसका बलात्कार हुआ और हत्या की गई, उसका कंकाल मिला. एक व्यक्ति को पकड़ा गया, पूरा जिला जानता है, प्रशासन जानता है, माननीय शंकर लाल तिवारी जी भी जानते हैं कि गलत व्यक्ति को पकड़ लिया गया.
उपाध्यक्ष महोदय -- चलिए, अब आप बैठ जाइये.
श्री शंकरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, उस लड़की का नाम इन्होंने गलत बोला है, उसका नाम उमा तिवारी है, मैं भी इनकी बात का समर्थन करता हूँ, इसमें अपराधियों को छोड़ा गया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नाम मत लीजिए, नाम लेने का क्या मतलब है.
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वह मृतक हो चुकी है.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- उपाध्यक्ष महोदय, उसका कंकाल मिला है और उसके माँ-बाप तड़प रहे हैं. अपराधियों को पकड़ा नहीं गया है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगी कि इसमें सी.बी.आई. जाँच कराएँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जाइये. श्री यादवेन्द्र सिंह जी, एक मिनट बोलिएगा और इस शर्त पर कि अगले विभाग में आपके पक्ष ने कहा है कि तकनीकी शिक्षा में सिर्फ एक व्यक्ति बोलेगा.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में एक कुटकाहा गाँव है जो जंगल से जुड़ा हुआ है मैं यहाँ पर उप-थाने की मांग कर रही हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये ऊषा जी, क्या बोलती ही रहेंगी ? अब ऊषा जी जो बोलेंगी, लिखा नहीं जाएगा.
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सतना में साढ़े तीन सौ एकड़ जमीन पुलिस विभाग को 20 साल पहले दी गई थी, उसमें चित्रकूट में प्रशिक्षण केन्द्र खोलना था, तीन, साढ़े तीन सौ एकड़ जमीन आपके पास है, मेरी मांग है कि उस जमीन को अवैध कब्जे से बचाएँ, वह पुलिस विभाग की जमीन है और उसमें प्रशिक्षण केन्द्र खोलें.
उपाध्यक्ष महोदय -- शंकरलाल जी, क्या बात है, अब तो आप वरिष्ठ सदस्य हो गये हैं, जब मन आता है तभी खड़े होकर बोलने लगते हैं, बैठ जाइये.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय -- ऊषा जी, कुछ नहीं लिखा जा रहा है, बंद करिए अपना भाषण. श्री यादवेन्द्र सिंह जी, आप बोलें.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में परसवनिया, पठार क्षेत्र है उसमें 82 गाँव हैं, आधे पहाड़ में जसोद थाना लगता है और आधे हिस्से में ऊँचेहरा थाना लगता है, वहां पर पुलिस चौकी है मैं चाहता हूँ कि उन 82 गाँवों के बीच में पठार में एक थाना खोल दिया जाए और नागौद थाने के अंतर्गत 18 गाँव हैं जो कि 20 किलोमीटर के क्षेत्र में हैं, इन गाँवों में काफी अपराध होते हैं, जैसे वहां पर अवैध शराब की बिक्री होती है, तो यहां पर बड़े गांव में चौकी खोल दी जाए. एक निवेदन और है कि एक एस.डी.ओ.पी. संतोष डेहरिया नागौद में थे, तीन महीने पहले वहां के सिंगपुर चौराहे पर उनसे काफी विवाद हो गया, मारपीट हो गई, तो मैं चाहता हूँ कि उन्हें वहां से हटाना जरूरी है क्योंकि उनकी एक तरह से वहां पर बेइज्जती भी हो चुकी है, अब उनका वहां रहना उचित नहीं है और उनके द्वारा अब दुश्मनी के तौर पर कुछ काम किए जा रहे हैं, अत: मेरा गृह मंत्री जी से अनुरोध है कि उन्हें वहां से हटाया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, नागौद थाने के अंतर्गत जयमंगल सिंह पवैया सहित तीन लोगों की हत्याएं हुई थीं, 302 में अभी तक कोई खुलासा नहीं हुआ है, इस घटना को लगभग ढाई साल हो चुके हैं, मंत्री जी ने आदेश भी दिया था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय, एक बात यह भी है कि सतना जिले में असिस्टेंट आर.टी.ओ. बैठता है जबकि रीवा में आर.टी.ओ. है, सतना में भी काफी अधिक वाहन हो चुके हैं अत: सतना में भी आर.टी.ओ. की नियुक्ति की जाए. आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री घनश्याम पिरोनियाँ (भाण्डेर) -- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय गृह मंत्री महोदय जी के प्रति मैं धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कि उन्होंने मेरे विधान सभा क्षेत्र, भाण्डेर में पंडोखर में एक नया थाना बनाकर हमें कृतार्थ किया है. साथ ही मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि कामद में और पिपरौआ में एक-एक पुलिस चौकी खोलने के लिए आदेशित कर दें. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मुझे बोलने का समय दिया.
गृहमंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद. हमारे माननीय वरिष्ठ सदस्य और पूर्व मंत्री माननीय श्री मुकेश नायक जी ने चर्चा की शुरूआत की और उनके द्वारा बहुत- बहुत महत्वपूर्ण सुझाव आये हैं और माननीय सदस्य सर्वश्री बहादुर सिंह चौहान, सुन्दरलाल तिवारी, वैलसिंह भूरिया, कुंवर विक्रम सिंह, सुदर्शन गुप्ता, बहन श्रीमती शीला त्यागी, सर्व श्री दिनेश राय मुनमुन, पन्नालाल शाक्य , हरदीप सिंह डंग, हजारीलाल दांगी, डॉ. रामकिशोर दोगने, नथनशाह कवरेती, कमलेश्वर पटेल, सतीश मालवीय, सुखेन्द्र सिंह, जितू पटवारी, श्रीमती ऊषा चौधरी, सर्वश्री यादवेन्द्र सिंह, घनश्याम पिरोनियां ने भी चर्चा में भाग लिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसी भी राज्य के विकास का आधार उस राज्य की कानून व्यवस्था होती है और मुझे सदन को यह बात कहते हुए बहुत प्रसन्नता है कि आज अगर हम पूरे देश के अंदर देखें तो पूरे देश में मध्यप्रदेश को लोग शांति के टापू के रूप में जानते हैं और इसका सर्वाधिक श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जो हमारे मध्यप्रदेश की पुलिस लगातार शांति व्यवस्था बनाने के लिए काम कर रही है, उसको जाता है. यह इसी का ही परिणाम है कि आज मध्यप्रदेश लगातार विकास में आगे बढ़ रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि पुलिस के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं और उन चुनौतियों में जितनी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारे प्रदेश की पुलिस की है उतनी ही जिम्मेदारी हम सब जन प्रतिनिधियों की भी है. इसलिए जब तक पुलिस के बीच में, जनप्रतिनिधियों के बीच में और समाज के बीच में जब तक समन्वय और सामंजस्य नहीं होगा तब तक निश्चित रूप से पुलिस को काम करने में कठिनाई आती रहेगी. इसलिए मैं इस सदन के माध्यम से सभी जनप्रतिनिधयों से आग्रह और निवेदन करूंगा कि हमारे राज्य में पुलिस अच्छा काम करे, हमारे राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी हो, इसके लिये हम सब भी राज्य की कानून और व्यवस्था बनाने में पुलिस का सहयोग करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वैसे तो जब से माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की सरकार बनी है, तब से लेकर लगातार राज्य की कानून व्यवस्था मजबूत और सुदृढ़ हो, यह माननीय मुख्यमंत्री जी की प्राथमिकता रही है. माननीय उपाध्यक्ष जी विशेष रूप से हम देखें तो इस वर्ष में जो पुलिस ने काम किया है और जो भी उपलब्धियां मध्यप्रदेश सरकार के नाम पर दर्ज हुई हैं, उस आधार पर हम कह सकते हैं कि आज पूरा देश इस बात को मान रहा है कि पूरे देश में अगर सबसे अच्छा काम कोई पुलिस कर रही है तो वह हमारे मध्यप्रदेश की पुलिस कर रही है.(मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक कार्यक्रम है और सिंहस्थ में लगभग 27 हजार पुलिस कर्मियों ने रात दिन परिश्रम किया है. माननीय उपाध्यक्ष जी, सिंहस्थ में 9 करोड़ लोग स्नान करने के लिये आयें और स्नान करके चले जायें और कहीं पर भी कोई घटना न हो, कहीं पर भी क्राउड मैनेजमेंट की समस्या न हो और इतना बड़ा धार्मिक कार्यक्रम और इतना बड़ा धार्मिक उत्सव जिस तरह से सम्पन्न हुआ इसमें मध्यप्रदेश पुलिस की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है.(मेजों की थपथपाहट). माननीय उपाध्यक्ष महोदय,यह हम नहीं कह रहे हैं. यह हमारे दुनिया के अनेक लोगों ने और दुनिया की अनेक टीमें आईं, उन सबने इस बात को कहा है कि मध्यप्रदेश की पुलिस ने जो काम सिंहस्थ में किया है, वह दुनिया में अद्वितीय है और दुनिया में इस तरह का काम कभी हुआ ही नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह वर्ष हम लोगों के लिए चुनौतियों का वर्ष था. दीपावली की रात जेल ब्रेक की घटना हुई थी, यह निश्चित रूप से प्रदेश के लिये चिंता का विषय था क्योंकि आठ लोग जेल से भाग गये. यह लोग भागने के बाद हमारे राज्य की शांति व्यवस्था के लिये, देश की शांति व्यवस्था के लिये खतरा हो सकते थे, यह एक बड़ी चुनौती थी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश पुलिस की प्रशंसा करना चाहता हूं कि जब दीवाली की रात में पूरा प्रदेश दीवाली मना रहा था, हमारे प्रदेश की पुलिस ने उन ऐसे आठ लोगों का मात्र पांच-छ: घण्टे के परिश्रम में पता लगाने का काम किया है और उन्हें एनकाउंटर के माध्यम से मार गिराने का काम मध्यप्रदेश की पुलिस ने किया है (मेजों की थपथपाहट). माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर वह लोग निकल भागते तो पता नहीं कितने निर्दोष लोगों की हत्या कर देते, पता नहीं कितने निर्दोष लोगों को मार देते. वह सफलता भी मध्यप्रदेश की पुलिस को मिली है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उसके बाद फिर हमारे सामने एक चुनौती थी हमारे देश के अंदर एक पेरेलल एक्सचेंज चल रहा था. वह पेरेलल एक्सचेंज जासूसी का काम करता था, हमारे देश की सूचनाएं देने का काम करता था, कॉल ट्रांसर्फर करने का काम करता था. माननीय उपाध्यक्ष जी, उस पेरेलल एक्सचेंज का अगर पता लगाने का काम किसी ने किया है तो वह हमारी मध्यप्रदेश की पुलिस ने किया है (मेजों की थपथपाहट). यह काम सिर्फ राज्य के लिये नहीं हुआ है, यह पूरे राष्ट्र के लिये एक बड़ा काम हुआ है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, फिर हमारे सामने एक चुनौती आई. हमारे राज्य के अंदर एक आतंकवादी माड्यूल स्थापित करने का प्रयास हुआ. ट्रेन ब्लॉस्ट करने की कोशिश हुई. देश में यह पहली ऐसे आतंकी घटना है, जिसमें हमारी मध्यप्रदेश की पुलिस ने पांच घण्टे के अंदर आरोपियों को गिरफतार करने का काम किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में इस वर्ष सारे त्यौहार शांतिपूर्वक संपन्न हुए. कई त्यौहार ऐसे आए कि कभी ईद दीवाली साथ में आ गई, कभी अन्य त्यौहार साथ में आ गए लेकिेन पुलिस ने पूरे प्रदेश में जिस शांति के साथ यह सारे के सारे त्यौहार संपन्न कराये. मैं मध्यप्रदेश पुलिस को बहुत-बहुत बधाई देता हूं कि उन्होंने पूरे प्रदेश में शांति के साथ सारे त्यौहार संपन्न कराए.
उपाध्यक्ष महोदय, हम सब इस बात को जानते हैं कि पुलिस को रात-दिन काम करना पड़ता है, 24 घंटे काम करना पड़ता है और इसको हम तभी ठीक कर सकते हैं, जब हम राज्य में पुलिस बढ़ाने का काम करें. मैं सदन को बताना चाहूंगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने, मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी पहली प्राथमिकता थी कि हमारे राज्य में पुलिस बल बढ़े. हमारे पुलिस के पास आधुनिक संसाधन हो और इसलिए पुलिस बल बढ़ाने का निर्णय लिया गया. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि पिछले इन वर्षों में मध्यप्रदेश में हमने 40000 पुलिस कर्मियों की भर्ती करने का काम किया है. (मेजों की थपथपाहट).. अभी 11600 पुलिस कर्मी भर्ती किये. पुलिस बल बढ़ाने का यह काम निरंतर चल रहा है. इस वर्ष 6000 पुलिस कर्मी फिर भर्ती कर रहे हैं. हमारी सरकार यह फिर कर रही है. पुलिस बल बढ़ेगा तो स्वाभाविक रूप से पुलिस पर काम का दबाव कम होगा. दबाव कम होगा, उनको समय मिलेगा, उनका तनाव कम होगा, वे अपने परिवार के साथ समय व्यतीत कर सकेंगे, उनको समय दे सकेंगे और इसलिए पुलिस बल बढ़ाने का काम लगातार हमारे मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहूंगा कि अनेक माननीय सदस्यों ने यह कहा कि उनके यहां पर पुलिस बल की कमी है. अभी यह जो 11600 पुलिस कर्मियों की भर्ती हुई है, इनकी जैसी ही ट्रेनिंग समाप्त होगी, इन सबको थानों में पदस्थ कर दिया जाएगा और मैं समझता हूं कि 2-3 महीने के बाद हमारे प्रदेश का कोई थाना ऐसा नहीं रहेगा जहां पर पुलिस बल की कमी रहेगी. सभी थानों में हम पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था करेंगे. हम लोगों ने लगभग 200 नये थाने खोलने का काम इन वर्षों में किया, जिससे जहां पर थाने की आवश्यकता है और भी अनेक जगह पर है, उसको भी करेंगे. नये थाने खोलने का काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए जो आधुनिक तकनीक है, उस आधुनिक तकनीक में हमारी पुलिस प्रशिक्षित हो, इसलिए हम लोगों ने अब यह तय किया है कि जो पुलिस का प्रशिक्षण हो रहा है, इस प्रशिक्षण में कम्प्यूटर ट्रेनिंग, साइबर क्राइम के लिए जितनी भी आधुनिक टेक्नालॉजी है, यह सारा हमारी ट्रेनिंग का पार्ट होगा. यह सारी ट्रेनिंग देने का काम हमारे जो प्रशिक्षण संस्थान हैं, उनके माध्यम से यह काम हम करेंगे, जिससे हमारे मध्यप्रदेश की जो पुलिस है, यह पुलिस स्मार्ट पुलिस हो. आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित पुलिस हो. लोगों के साथ समन्वय बनाकर और जो चुनौतियां समाज के सामने हैं उन चुनौतियों का सामना कर सके. इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं. पुलिस के आधुनिकीकरण की दिशा में, आधुनिक तकनीकी की दिशा में हम लोगों ने साइबर क्राइम पर नियंत्रण करने को बहुत मजबूत करने का काम किया है. हम हर जिले में साइबर थाना खोलने का काम कर रहे हैं. हमारे हर थाने में कम्प्यूटर के जानकार जो पुलिस के आरक्षक हैं, हैडकांस्टेबल हैं, वे हों, वह व्यवस्था हम कर रहे हैं. देखिए, सबसे ज्यादा यह जरूरी है कि हमारी पुलिस सड़कों पर ज्यादा दिखे, जिससे अपराधियों के मन में कानून का डर हो और इसलिए हमारा राज्य पूरे देश में ऐसा पहला राज्य है, जहां पर डायल 100 प्रारंभ की. देश का सबसे पहला राज्य हमारा था, जहां पर हमने डायल 100 के माध्यम से 1000 गाड़ियां पूरे प्रदेश में पुलिस को देने का काम किया है. जो डायल 100 है, यह डायल 100 एम्बुलेंस का काम भी कर रही हैं. अगर कहीं एक्सीडेंट होता है तो एम्बुलेंस का काम भी कर रही हैं. हमारे जो हाइवे हैं उन पर पेट्रोलिंग का भी काम कर रही हैं. अगर कहीं पर कोई नवजात बच्चा झाड़ियों के अंदर पड़ा हुआ है तो उस नवजात बच्चे को उठाकर उसको भी अस्पताल तक पहुंचाने का काम हम डायल 100 के माध्यम से कर रहे हैं और 1000 गाड़ियां हमारी डायल 100 में आज प्रदेश में चल रही है, जिससे जगह जगह पुलिस मौके पर हमें दिखती है. इसके माध्यम से जो आधुनिक संसाधन हमारी पुलिस के लिए हो सकते हैं वह आधुनिक संसाधन जुटाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से हम यह कोशिश कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, यह जो आधुनिक संसाधन हैं, इन आधुनिक संसाधनों के माध्यम से सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम हम कर रहे हैं. हमारे सभी शहरों में सीसीटीवी कैमरे लगा रहे हैं और पुलिस मुख्यालय में इन सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से हम लोग 24 घंटे निगरानी थानों की, चौराहों की, हम भोपाल में भी करेंगे और इसलिए जितनी आधुनिक तकनीकी हमारे प्रदेश में हो सकती है वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हम मध्यप्रदेश पुलिस में कर रहे हैं. प्रदेश में पुलिस बल को, पुलिस के अधिकारियों को सुविधाएं हों, इसको ध्यान में रखकर सरकार ने यह निर्णय लिया है कि हम 25000 आवास बनाने का काम मध्यप्रदेश पुलिस के लिए कर रहे हैं. यह 25000 आवास बनाकर हमारे जो पुलिस के अधिकारी हैं, पुलिस कर्मी हैं, उनको अच्छे आवास की सुविधा उपलब्ध करा सकें.
उपाध्यक्ष महोदय, महिलाओं पर अपराध के बारे में भी यहां पर बातचीत हुई है. मैं कहना चाहूंगा कि महिला अपराध रोकने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस लगातार काम कर रही है. हमने 141 महिला डेस्क स्वीकृत किये हैं. मध्यप्रदेश के सभी 51 जिलों में फास्ट ट्रेक कोर्ट का गठन किया है. लगभग 2006 कन्या महाविद्यालयों में संवाद शिविर का आयोजन किया है, जिसके माध्यम से छात्र-छात्राओं को हम लोग प्रशिक्षित कर जानकारी देने का काम कर रहे हैं. हमारे प्रदेश में अपराधों को रोकने की दृष्टि से लगातार हम काम कर रहे हैं. इसी के अंतर्गत हमने एक किसान कांटेक्ट योजना शुरू की है. इस किसान कांटेक्ट योजना के माध्यम से आन-लाइन जो फ्रॉड होता है, उससे किसानों को सावधान करने के लिए, जो चिट फंड कंपनियां हैं, इनके बहकावे में आने से बचाने के लिए जागरूकता अभियान, मंडियों में उपार्जन समितियों के साथ चलाया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, हम एक नया काम और शुरू कर रहे हैं. जो केरेक्टर सर्टिफिकेट होता है, जिसके लिए लोगों को पुलिस अधीक्षक के कार्यालय जाना पड़ता था. इसको भी हम अब आन-लाइन कर रहे हैं. अब आन-लाइन केरेक्टर सर्टिफिकेट प्राप्त हो जाएंगे. यह व्यवस्था हम कर रहे हैं और 15 दिवस में आन-लाइन के माध्यम से सर्टिफिकेट मिल जाएगा. हमारा जो इंदौर का पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय है, इसको देश में प्रशिक्षण के लिए पहले स्थान पर चयनित किया गया है. जो मध्यप्रदेश पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन है, इसको भी भारत सरकार के नगरीय विकास मंत्रालय द्वारा अच्छी गुणवत्ता के लिए लगातार तीसरे वर्ष अवार्ड दिया गया है. जो काम मध्यप्रदेश पुलिस के द्वारा हो रहे हैं, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भी लगभग 463 ब्लैक स्पाट हम लोगों ने चिह्नित करने का काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारा जो लोक अभियोजन विभाग है इसके माध्यम से जो चिन्हित जघन्य सनसनीखेज अपराध हैं. इनमें 2016 में सजा का 67 प्रतिशत रहा है. हम लोगों ने यह काम किया है. अभियोजन विभाग में नयी वेबसाईट व नये एप को इसी वर्ष प्रारंभ कर रहे हैं. नये अधिकारियों की नियुक्ति करने का काम भी कर रहे हैं. उच्च न्यायालय के निर्देशों के बारे में माननीय तिवारी जी ने कहा था जिसमें हम लोगों ने पुलिस स्थापना बोर्ड का गठन किया. स्टेट सिक्योरिटी कमीशन का गठन किया गया है, पुलिस एक्ट भी विचाराधीन है. इस तरह से मध्यप्रदेश पुलिस के सशक्तिकरण, आधुनिकीकरण के लिये लगातार प्रयास कर रहे हैं. हमारे प्रदेश में लोक परिवहन बढ़े इसको ध्यान में रखकर लगातार हम लोग प्रयास कर रहे हैं. हमारे प्रदेश में परिवहन विभाग की सारी सेवाएं हम लोगों ने ऑन-लाईन कर दी हैं. 90 प्रतिशत सेवाएं ऑनलाईन हैं. हमारे प्रदेश में लोग सुरक्षित यात्रा कर सकें. हमारे प्रदेश का परिवहन सुरक्षित हो, दुर्घटना, प्रदूषणरहित हो, इसको ध्यान में रखकर हम लोग लगातार कार्य-योजना बनाने का काम कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि हम लोगों ने हमारे प्रदेश में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जो हमारे महाविद्यालयों में छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. यह छात्र-छात्राएं बसों के माध्यम से कॉलेज जाने का काम करते हैं. हमारे राज्य के बच्चे शिक्षा में आगे बढ़ें इसको ध्यान में रखकर हमारे विभाग ने निर्णय लिया है कि जो भी ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे बसों से कॉलेज में जाएंगे उन सभी बच्चों को हम निःशुल्क व्यवस्था करेंगे उनका पैसा बसों में नहीं लगेगा, उनको निःशुल्क रूप से कॉलेज में आने-जाने के लिये व्यवस्था करेंगे, जिससे कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे कॉलेजों में जा सकें छात्र-छात्राएं पढ़ सकें. यह सरकार ने लिया है.
श्री के.पी.सिंह--प्रायवेट या सभी बसों में?
श्री भूपेन्द्र सिंह--प्रायवेट अथवा सभी बसों में निशुल्क आने-जाने के प्रावधान किया है. उपाध्यक्ष महोदय, यह बड़ा निर्णय सरकार ने लिया है. एक निर्णय हम लोगों ने और लिया है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र में माननीय मुख्यमंत्री जी की बार बार यह चिन्ता रहती है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी परिवहन सुविधा उपलब्ध हो इसीलिये हम लोगों ने यह तय किया है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र के जितने रूट हैं उन सभी रूट में जो भी गाड़ियां जाएंगी हम उनको पूरी तरह से करमुक्त करने का काम करेंगे, जिससे हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को यह सुविधा मिल सके. यह दो निर्णय परिवहन विभाग के माध्यम से हम लोगों ने लिये हैं. एक बार फिर सदन के नेता प्रतिपक्ष जी को सम्पूर्ण सदस्यों को, सम्पूर्ण सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि राज्य की कानून व्यवस्था में जो भी हम लोग कर सकते हैं, वह करने का काम करेंगे. हमारे जितू जी ने एक बात कही है कि राऊ के थाने का एक मामला है. हमारे अधिकारीगण यहां पर उपस्थित है. हम इसके बाद बातचीत कर लेंगे. हम कोशिश करेंगे कि उसका रास्ता निकले.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति सुदृढ़ हो इसका हम लगातार प्रयास करेंगे. हमारे अनेक माननीय सदस्यों ने कहीं थाने,चौकियों की बात कही है मैं एक एक माननीय सदस्य के साथ बैठकर डीजीपी को साथ में बिठाकर चर्चा करके जितना संभव होगा करने की कोशिश करेंगे. आपने समय दिया धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--मैं पहले कटौती प्रस्ताव पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 3,4, तथा 36 के कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जाएं.
(कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए)
अब मैं मांगों पर मत लूंगा.
(2) मांग संख्या - 15 तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं.
मांग संख्या- 47 तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्ताव हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा प्रारंभ होगी.
जैसा कि पूर्व में आसंदी से अवगत कराया गया है कि आज कार्य सूची में शामिल सब विभागों पर चर्चा पूर्ण की जाना है. मेरा सभी पक्षों के मुख्य सचेतकों से अनुरोध है कि सीमित संख्या में ही दल के सदस्यों के नाम दें तथा पृथक से बाद में आने वाले अतिरिक्त नाम शामिल नहीं किये जायेंगे. जिससे नियम अवधि में वित्तीय कार्य समाप्त हो सके.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 15, 47 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव के पक्ष में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. राज्य सरकार दावे तो बहुत बड़े बड़े करती है कि तकनीकी शिक्षा पर बहुत ध्यान दे रहे हैं. पर हकीकत यह है कि तकनीकी शिक्षा सम्पन्न जो हमारी जनशक्ति है. युवाओं ने तकनीकी शिक्षा से ज्ञान अर्जित कर लिया है, डिग्रिया भी ले ली हैं उनके पास में आज रोजगार के अवसर नहीं है . वह दर दर भटक रहे हैं, इस पर सरकार को चिन्ता करना चाहिये. जब छात्र एडमीशन लेते हैं एडमीशन लेने के बाद जब सेकेण्ड ईअर अथवा थर्ड ईअर में पहुंच जाते है तो जो भी औद्योगिक संस्थान हैं उनसे टाईअप करके जिस तरह के युवाओं की तकनीक की जिस तरह के उद्योगों में आवश्यकता होती है उनसे टाईअप करके उद्योग, इंजीनियरिंग कॉलेज अथवा पॉलिटेक्निक के छात्र हैं उनके बीच में अनुबंध करके उनके अनुरूप कोर्स का प्रशिक्षण दिलवाते हैं. तो ऐसे छात्र पढ़कर किसी ऐसे कॉलेज से पढ़कर के निकलते हैं जो औद्योगिक संस्थान हैं उनसे रिलेटेड कोर्स का अध्ययन करते हैं उनसे भी छः अथवा एक साल का अनुबंध करके इस पर माननीय उद्योग मंत्री से बैठकर चर्चा करके टाईअप करना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, आज सबसे बड़ी बेरोजगारी अगर है तो युवाओं में है. जो पढ़े-लिखे इंजीनियर्स हैं, आईटीआई हैं, डिप्लोमा होल्डर हैं वह भटक रहे हैं, दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. इसके लिए सरकार को चिन्ता करने की आवश्यकता है. तकनीकी शिक्षा विभाग करीब 100 से ज्यादा ट्रेड में प्रशिक्षण दे रहा है. लेकिन यह ट्रेड किस उद्योग में काम आएगा इसकी संभावना बिलकुल नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, एक गंभीर बात यह है कि कई इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अपनी सीटें कम कर दी है. क्या बच्चों का रुझान इंजीनियरिंग शिक्षा की तरफ नहीं रहा. क्या बच्चे इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त नहीं करना चाहते यदि ऐसा है तो राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए और बच्चों का जिस तरफ रुझान है या जिस क्षेत्र में आवश्यकता है वह कोर्स सरकार शुरु क्यों नहीं कर रही है? उस पर भी ध्यान देना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरे राज्यों में जो नई टेक्नालॉजी के कोर्स चल रहे हैं उस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए और उस पर विचार करना चाहिए, उनको भी शुरु करना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, सबसे जरुरी बात यह कि जितनी संख्या में तकनीकी कौशल शिक्षा के प्रशिक्षण केन्द्र खुल रहे हैं उस अनुपात में उद्योग और रोजगार नहीं खुल रहे हैं. पहले हमारे यहां उद्योग आये फिर उनकी जरुरत के हिसाब से हम कुशल व्यक्ति तैयार कर रहे हैं. दूसरी बात, गुणवत्ता की है. क्या हमारे पास पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित स्टॉफ है यदि नहीं तो पहले स्टॉफ की नियुक्तियां होना चाहिए. कई ट्रेड्स के शिक्षक नहीं हैं. उपाध्यक्ष जी, हमारे यहां एक संस्थान हैं जिसके माध्यम से विभिन्न परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं वह प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) है, कम से कम उसके माध्यम से शिक्षकों की भर्ती नहीं कराएं. वह बच्चों का भविष्य खराब करेंगे. मंत्री जी इसके लिए व्यवस्था करें. जिस तरह से व्यापम जैसा घोटाला हुआ है वह भविष्य में नहीं हो. जो हमारे शिक्षक भर्ती हों इतने अच्छे हों, प्रशिक्षित हो, इतने विद्वान हो कि बच्चों को इंजीनियरिंग कॉलेज में, पॉलिटेक्निक कॉलेज मे, आईटीआई में बहुत अच्छे से प्रशिक्षित कर सके. यह भी व्यवस्था मंत्री जी को करने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, तकनीकी शिक्षा और लघु एवं मध्यम उद्योग विभागों में बिलकुल समन्वय नहीं है. उनमें समन्वय स्थापित करने की जरुरत है. क्योंकि तकनीकी शिक्षा विभाग, लघु,मध्यम उद्योग के बीच में समन्वय नहीं होगा तो प्रशिक्षण का कोई फायदा नहीं है. क्योंकि यह विभाग प्रशिक्षण देने की बात तो करता है. कई जगह इसने प्रशिक्षण आयोजित भी किए लेकिन वह प्रशिक्षण सिर्फ खाना पूर्ति के हो जाते हैं. इस पर मंत्री जी विशेष ध्यान देने की जरुरत है. यह तय होना चाहिए कि तकनीकी प्रशिक्षण सिर्फ एक ही विभाग दे फिर चाहे किसी भी विभाग से संबंधित प्रशिक्षण हो.
3.23 बजे श्रीमती नीना विक्रम वर्मा (सभापति महोदया) पीठासीन हुईं.
सभापति महोदय-- हमारे प्रदेश में अभी सिर्फ एक ही तकनीकी विश्वविद्यालय है. जो रजिस्ट्रार हैं उनका 17.1.2017 को ट्रांसफर हो गया है. सरकार की कौन सी ऐसी मजबूरी है. मंत्रीजी किनके दबाव में कि कुलपति को रिलीव नहीं कर रहे हैं. दो माह हो गए हैं. उनके ऊपर गंभीर अनियमितताओं के आरोप भी लगे हैं. इस राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार श्री सुरेश जैन हैं, उन्हें (XXX) राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, ऐसी चर्चा है. जैन साहब के कार्यकाल में 65 हजार डिग्रियां तैयार थीं लेकिन डिग्रियां बांटने के कंटेनर उपलब्ध नहीं कराने के कारण डिग्रियां नहीं बांटी जा सकी जिससे छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- सभापति महोदया, इसमें (XXX) कहां से जिक्र आ गया? इसको विलोपित करें.
सभापति महोदया-- इसे विलोपित करें.
श्री अजय सिंह-- सभापति महोदया, माननीय विधायक जी ने यह कहा कि जैन रजिस्ट्रार हैं जिनका ट्रांसफर हो गया लेकिन उसके बाद भी उनको रिलीव नहीं किया जा रहा है. उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं फिर भी नहीं हटाये जा रहे हैं. उनको (XXX) कौन सा संरक्षण है इसमें क्या बुराई है? संरक्षण है इसलिए तो नहीं हट रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सरकार का संरक्षण है. हमारा सोचना है कि मंत्री जी इस पर तत्काल कार्रवाई करेंगे क्योंकि मंत्री जी ध्यान भी देते हैं और संज्ञान भी लेते हैं. उम्मीद है कि माननीय मंत्री जी इस पर विशेष ध्यान देंगे क्योंकि यह बहुत बड़ी समस्या है. बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है. इसको संज्ञान में लेकर तत्काल रिलीव कराएंगे.
सभापति महोदया, मध्यप्रदेश में एक ही तकनीकी विश्वविद्यालय राजीव गांधी टेक्नालॉजी यूनिवर्सिटी है. हमारे तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी के समय उसकी स्थापना हुई थी. दुखद बात है कि वहां पर कुलपति नहीं है. कार्यवाहक कुलपति के भरोसे कार्य चल रहा है. हालांकि प्रमुख सचिव महोदया उसकी प्रभारी कुलसचिव हैं बढ़िया काम कर रही हैं लेकिन उनके पास विभाग की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. अगर वहां पर कुलपति की नियुक्ति हो जाती है तो हम समझते हैं विश्वविद्यालय का विधिवत् संचालन हो पाएगा.
सभापति महोदया, आपके माध्यम से मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि जिस तरह सभी रीज़न में बहुत सारे विश्वविद्यालय हैं उसी तरह मध्यप्रदेश में भी महाकौशल,विंध्य,मालवा रीज़न में भी विश्वविद्यालय की आवश्यकता है. इंदौर या उज्जैन, जबलपुर और रीवा में तकनीकी का एक विश्वविद्यालय खोलें. छात्र काफी दूर से आते हैं जबकि कॉलेजों की संख्या बहुत ज्यादा है. मुझे उम्मीद है कि माननीय मंत्री जी इसमें जरुर ध्यान देंगे. हमने छात्रों के भविष्य को देखते हुए विश्वविद्यालय खोलने के लिए जो निवेदन किया है उसकी कार्रवाई करेंगे.
सभापति महोदया, भविष्य में जब भी शिक्षकों की भर्ती हो तो अच्छे शिक्षकों की भर्ती हो. आपने इंफ्रास्ट्रक्चर तो कई जगह बना दिया. हमारे सीधी जिले में भी कई आईटीआई, पॉलीटेक्निक कॉलेज खुल गए. सिंगरौली जिले में भी आईटीआई खुल गया लेकिन वह कब खुलता है, कौन शिक्षक है कोई अता-पता नहीं रहता. आपने इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर दिया लेकिन आपके पास प्रशिक्षित टीचर नहीं है. आपने फैकल्टीज़ की भर्ती नहीं की तो कैसे काम चलेगा. प्रदेश में बहुत तेजी से बहुत सारे इंजीनियरिंग, आईटीआई,पॉलिटेक्नि कॉलेज, डिप्लोमा कॉलेज खुले और उसी तेजी से बंद भी हो रहे हैं. एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार इन्वेस्टर्स मीट करती है, दूसरे राज्यों के लोगों को बुलाती है और यहां पर शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती है. लेकिन प्रदेश में जो तकनीकी शिक्षा संस्थान चल रहे हैं उनके प्रोत्साहन के लिए भी सरकार को विचार करना चाहिए. प्रदेश में जो निजी संस्थान हैं उनके बच्चों को भी औद्योगिक संस्थानों के साथ मप्र सरकार को तकनीकी शिक्षा विभाग को टाई अप करके, उनको भी प्रशिक्षण दिलवाना चाहिए सिर्फ शासकीय महाविद्यालय के ही छात्रों को ही प्रशिक्षण नहीं दिलवाना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि मंत्री जी इस ओर विशेष ध्यान देंगे. तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में जो विसंगतियां हैं उसमें सुधार करें. धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)-- सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 15 और 47 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
सभापति महोदया, किसी भी प्रदेश के लिए उसकी तकनीकी शिक्षा का मजबूत, आज के समयानुकूल और पूरी दुनिया में जहां पर जाकर मध्यप्रदेश के बच्चे अपनी प्रतिभाओं का योगदान देकर अपने प्रदेश का नाम रोशन कर सके ऐसी प्रतिभाएं निकालने में सहयोग दे सके.यह आज की चर्चा का मूल उद्देश्य है.
सभापति महोदया, मैं तकनीकी शिक्षा में जितनी तेजी से तरक्की हुई. चाहे डिप्लोमा में पिछले 10 वर्षों में 300 प्रतिशत से ज्यादा तरक्की की है. इंजीनियरिंग में भी तरक्की की है. लेकिन अब तरक्की के साथ साथ उसकी क्वालिटी पर भी थोड़ा ध्यान देने की अति आवश्यकता है. हमने चाहे जितनी तरक्की की चाहे 21 नए पॉलिटेक्निक महाविद्यालय खोले. जैसा मेरे पूर्व वक्ता ने कहा कि बहुत सारे प्रायवेट इंजीनियरिंग कॉलेज खुले उसमें रुचि कम होना कहीं-न-कहीं सरकार की उन पर सख्ती कम होना या उनके वहां पर प्रापर तकनीकी स्टाफ का न होना.कहीं न कहीं सरकार की उन पर सख्ती कम होना या वहां पर प्रापर तकनीकी स्टाफ का न होना और बच्चों का प्लेसमेंट न होना, शायद उसका कारण हो, ऐसा मैं समझता हूं. कोई इंजीनियरिंग कालेज हो या डिप्लोमा कालेज हो, उस कालेज ने पिछले दस वर्षों में कितना प्लेसमेंट करवाया, यह सरकार को देखना चाहिये. मैं अपने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के भविष्य के साथ उसका खिलवाड़ मानता हूं क्योंकि ये जितने प्रायवेट कालेजेज हैं, वे लालच देकर, बच्चों की भर्ती करके, पांच साल उस बच्चे का कैरियर बर्बाद करके, उसे बिल्कुल शुद्ध रूप से ऐसा छोड़ देते हैं कि वह व्हाईट कालर क्रिमिनल बनने की प्रवृत्ति में बढ़ जाता है. सभापति महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यान इस बात पर दिलाना चाहता हूं कि हमने बहुत तरक्की की, बहुत कालेज खोल लिये. अब अगर उनकी क्वालिटी पर ध्यान देंगे तो अच्छा होगा. मैं इस बात की भी बधाई देता हूं कि आपने 38 पोलिटेक्निक महाविद्यालयों में 50 छात्रों के छात्रावास बनाए ताकि उनको बेहतर शिक्षा मिल सके, उसके लिये कोशिश की. मुझे एक बात और याद आती है. पिछले कार्यकाल में मैं विधायक दल के डेलीगेशन में यू.के. गया था. वहां तकनीकी शिक्षा के बारे में एक ही बात उठी थी कि मेकाले की हमने बहुत बुराई की, उन्होंने हमारी शिक्षा पद्धति बिगाड़ी, लेकिन उसकी जो रिपोर्ट थी, उस रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण वाक्य यह था कि जितने भारत में गुलामी के पहले महाविद्यालय और तकनीकी शिक्षा थी, अगर उसका दस प्रतिशत भी यूरोप में हो तो हम पूरी दुनियां पर कब्जा कर सकते हैं. हमें वापस उस स्तर पर पहुंचने के लिये जितने भी संसाधनों की जरूरत हो उतने संसाधन लगाने चाहिये और आज की जरूरत के अनुरूप उस शिक्षा को ले जाना पड़ेगा. मैं मुख्यमंत्री जी की घोषणा और मंत्री जी की इस बात की प्रशंसा करूंगा कि उन्होंने चिंता करते हुए कि हमारे यहां के बच्चों की अगर बाहर और सही महंगे इंस्टीट्यूट में जाने की उनकी आर्थिक क्षमता न हो, तो उन्होंने घोषणा की कि 75 प्रतिशत से ज्यादा नंबर लाने वाला कोई भी बच्चा किसी कांपिटिटेटिव एग्जाम में पास होकर अगर वह अच्छे इंस्टीट्यूट में जायेगा तो उसका पूरा शिक्षा का खर्च सरकार उठाएगी. मैं इस बात की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं और मुझे उम्मीद है कि अगर हमारा तकनीकी शिक्षा विभाग मजबूत हो गया और ट्रेंड स्टाफ उससे निकल गया तो उद्योग भी अपने आप आएंगे क्योंकि उद्योग आने के पहले तीन बातों पर चिंता करते हैं. पहली कि भरपूर बिजली और इंफ्रास्ट्रक्चर हो, दूसरा तकनीकी शिक्षित संस्थानों को चलाने में सक्षम हो, ऐसा स्टाफ उनको मिले उसके लिये जो हमारे प्रदेश ने कौशल विकास के लिये साढ़े चार लाख युवाओं के लिये कौशल संवर्धन का जो लक्ष्य रखा है वह भी पूरे भारत में सबसे पहले रखा है उसकी भी बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं. मैं यह निवेदन करना चाहूंगा कि एक मध्यप्रदेश शासन की तरफ से, हर वर्ष किस-किस फील्ड में कितने-कितने जॉब्स की अपार्चुनिटी है, उसका एक कैलेण्डर बनाकर हमें उसे नेट पर देना चाहिये क्योंकि आने वाले बच्चों के ध्यान में वह आ जाये कि कौन-कौन सी नयी फील्ड हैं, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे जो इंजीनियरिंग में आते हैं, तो उनको क्या-क्या अल्टरनेट हैं उसका ज्ञान नहीं होता है. उसके लिये मेरा एक छोटा सा सुझाव है. मैं इस बात के लिये भी मंत्री जी को बधाई दूंगा कि मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्तर की कई संस्थाओं को बुलाकर, उन्हें मध्यप्रदेश में जगह देक,र मध्यप्रदेश के बच्चों को आगे बढ़ने का जो मौका दिया उसके लिये, चाहे वह वर्ष 2005 में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंफार्मेशन टेक्नालाजी डिजाईनिंग एण्ड मैनुफैक्चरिंग,जबलपुर में खोला हो चाहे वर्ष 2000 में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नालाजी (NIFT) जो पूरी दुनियां में फेमस हो, उसकी ब्रांच खुलवाने का प्रयास किया है.
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह) - माननीय सभापति महोदय, जो-जो आप बता रहे हो, आई.आई.आई.टी.जबलपुर,निफ्ट भोपाल, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साईंस भोपाल यह सब केन्द्र सरकार के समय पर यहां पर चालू की गई थीं जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी यह भी बता दिया करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - माननीय नेता प्रतिपक्ष जी मैंने यह नहीं कहा. आप यह भी कह देते कि जितने सबस्टैंडर्ड इंजीनियरिंग कालेजेज की घोषणा कर-करके, बिना किसी व्यवस्था के एप्रूवल्स आपने दिये, जिसके कारण लाखों बच्चे व्हाईट कालर क्रिमिनल बने, उसकी जिम्मेदारी के बारे में भी सोचना चाहिये. जितने सबस्टैंडर्ड कालेज उस समय खुले उसके लिये कौन जिम्मेदार है ? मैंने पिछली बार भी यह बात सदन में कही थी मैं इस विषय को राजनैतिक दृष्टिकोण से नहीं ले जाना चाहता.
श्री अजय सिंह - माननीय सभापति महोदय, कौन से व्हाईट कालर क्रिमिनल बन गये. व्यापम में क्या हुआ.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय सभापति महोदय, यह ज्ञान की बात बाटते रहेंगे, इस तरह की बात सदन के अंदर सखलेचा जी बोलेंगे, यह मेरी समझ में नहीं आता है. जो बातें आप बोल रहे हो, यदि आप बहुत ज्ञानी होते, बहुत अच्छे होते, तो मेरे ख्याल से दीपक जी की जगह पर आप बैठते.
3.37 बजे उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - धन्यवाद. यह विषय नहीं है विषय यह है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - यह इंफ्रास्ट्रक्चर की बात कर रहे हैं. आज इँफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर इंजीनियरिंग कालेजों की क्या हालत है. 40 परसेंट बच्चे इंजीनियरिंग कालेज में एडमीशन ले रहे हैं. आधे से ज्यादा इंजीनियरिंग कालेजों से निकले बच्चों के लिये रोजगार की व्यवस्था नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं. सखलेचा जी दो मिनट में समाप्त करें. आपका नहीं लिखा जायेगा.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - मैं बात भी वही कह रहा हूं कि जो सबस्टैंडर्ड कालेजों को खोलने की आपने परमीशन दी और उन सबस्टैंडर्ड कालेजों के पढ़े बच्चों को प्लेसमेंट नहीं मिलती हो,ऐसे कालेजों के बारे में उनके तकनीकी ज्ञान और उसके बारे में जांच करके उनको नोटिस दें तथा जिन कालेजों में प्लेसमेंट बिल्कुल नहीं हो रही हो उनके बारे में जानकारी सार्वजनिक करें ताकि मध्यप्रदेश का युवा बच्चा उनके झांसे में आकर अपना पैसा और अपना समय बर्बाद न करे. मैं आज यहां से भी अपने आपको उतना सक्षम मानता हूं कि हम अपनी बात रख सकते हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं 2-3 बातें और रखना चाहता हूं । सरकार को कुछ विषयों के और कोर्सेस के बारे में भी चिंता करनी चाहिए । जैसे सोलर मिशन और पूरे भारत में एक लाख मेगावाट सोलर इंजीनियरिंग, सोलर पॉवर जनरेशन की बात आ रही है । सोलर सब्जेक्ट को लेकर डिप्लोमा, इंजीनियरिंग के कॉलेज और इंस्टीट्यूट खोलने चाहिए । क्योंकि उससे कहीं न कहीं हमारे बच्चों को प्लेसमेंट में ज्यादा सुविधा होगी । हमें माइनिंग टेक्नॉलाजी के मामले में जिस तरह से माइनिंग की टेक्नॉलाजी बदल रही है उसके वेस कोर्स की तैयारी के लिए आज के समय के अनुसार नए उपकरण और सुविधा के अनुरूप माइनिंग टेक्नॉलाजी के बारे में सोचना चाहिए । हमें सीमेंट तकनीक के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि मध्यप्रदेश में सीमेंट का बहुत बड़ा उद्योग है लेकिन सीमेंट तकनीक और सीमेंट उद्योग के मामले में, आई.टी. और इनफार्मेशन टेक्नालॉजी में भी सोचना चाहिए । इस बात पर हमारे पूर्व के वक्ता ने भी कहा था मैं उनकी इस बात का समर्थन वापस करता हूं कि आई.टी. सेक्टर में जितने भी प्लेसमेंट आ रहे हैं उनकी जरूरत के अनुरूप कोर्स को री-डिजाईन करने के प्रयास करना चाहिए ताकि उनके प्लेसमेंट की व्यवस्था 100 प्रतिशत हो सके उसके बारे में भी चिन्ता करना चाहिए । पहली बार यह विषय आया है, बस एक छोटी सी बात और कहना चाहता हूं कि सदन में कुछ ऐसे विषय भी रखना चाहिए जहां राजनीति से हटकर बात करें क्योंकि आने वाले हमारे बच्चों का हम ज्यादा से ज्यादा बीस साल और मार्गदर्शन कर लेंगे, लेकिन उन बच्चो के भविष्य के बारे में भी समय पर सीमा रखेंगे तो कहीं न कहीं आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी । बहुत बहुत धन्यवाद, आपने समय दिया उसका बहुत आभार.
श्री अजय सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सखलेचा जी ने माइनिंग के बारे में कहा है कि माइनिंग के ऊपर ध्यान देना चाहिए । सिंगरोली में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग के लिए घोषणा हो गई थी । केन्द्र सरकार ने मंजूरी दी थी पर वहां जमीन का विवाद है इस कारण वह चालू नहीं हो पाया है । सारे हिन्दुस्तान में धनबाद के बाद सिर्फ सिंगरौली में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग की बात होती है ।
श्रीमती शीला त्यागी- (अनुपस्थित)
श्री दिनेश राय मुनमुन- (अनुपस्थित)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय एक मिनट का समय दे दें.
उपाध्यक्ष महोदय- यशपाल जी यह बात तय हुई है कि एक एक वक्ता बोलेंगे । आपके दल से तय हुआ है, इधर से भी तय हुआ है, आप बैठ जाइये. के.पी. सिंह जी आप एक लाईन में अपनी बात कहिए ।
श्री के.पी.सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, आई.टी.आई. के लिए जितने नए संस्थान ब्लॉक हेडक्वार्टर पर खुले हैं वहां पर पढ़ाने वाले प्रशिक्षक नहीं हैं । एक जगह पर एक है और कहीं पर एक भी नहीं है इस बारे में जब आप वक्तव्य देंगे तो कृपया बताएंगे कि आप इस बारे में क्या व्यवस्था करने वाले हैं ।
तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास राज्यमंत्री (श्री दीपक जोशी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले माननीय कमलेश्वर पटेल जी, ओमप्रकाश सखलेचा जी और समस्त सदन का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने मेरे बजट को आगे बढ़ाने के लिए कुछ न कुछ अमूल्य सुझाव दिए हैं । तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास किसी भी देश और प्रदेश के विकास की रीड़ होती है । आदमी की मूलभूत रोटी कपड़ा और मकान, पढ़ाई लिखाई और दवाई का इंतजाम यदि इन चीजों को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयत्न कोई करता है तो वह मेरा विभाग तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास विभाग करता है । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आज अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं इस देश के सर्वमान्य नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जो नारा देश में दिया था जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान यदि उसे भी आगे बढ़ाने का प्रयास कोई करेगा तो वह मेरा विभाग तकनीकी शिक्षा और कौशल विभाग करेगा । हमारे प्रधानमंत्री के सपनों का भारत भी स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टेंडअप या स्टार्टअप इन सबको यदि कोई अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास करेगा तो मेरा विभाग करेगा । हमारे मुख्यमंत्री जी के स्वर्णिम मध्यप्रदेश की कल्पना को भी गति देने का काम मेरा विभाग ही करेगा और शायद इसीलिए आज विश्व के सबसे युवा देश होने के नाते इस देश के युवाओं के साथ साथ यह प्रदेश भी आधे से अधिक युवा जनसंख्या के साथ रहने वाला प्रदेश है और इस युवा शक्ति के बारे में किसी ने खूब कहा है कि-
''जब हम सिसकते हैं तो आसमां सिसक जाते हैं,
जब हम मचलते हैं तो तूफां मचल जाते हैं,
हमको बदलने की कोशिश मत कर ए जमाने,
जब हम बदलते हैं तो इतिहास बदल जाया करते हैं.''
आज मध्यप्रदेश के युवाओं में वह क्षमता है और उस क्षमता को परिचित करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी ने आज कौशल संवर्धन के लिए जो मध्यप्रदेश के लिए योजनाएं समर्पित की हैं जिसमें हमने लगभग साढ़े सात युवाओं को रोजगार से जोड़ने का संकल्प लिया है । अब हम मिशन मोड में इस कौशल के कार्यक्रम को लेने जा रहे हैं । भाई कमलेश्वर जी ने जो बात रखी है जिसमें उन्होंने कहा है कि हमको विभिन्न विभागों से विभिन्न संस्थाओं से सामंजस्य बैठाना चाहिए । मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसी साल हमने अलग संभागों में अलग अलग उद्योगपतियों से व्यापारियों से और आमजनों से शिक्षाविदों से और युवाओं के साथ अलग अलग वर्कशॉप करने का निर्णय लिया है । जिसके तहत वहां की जो लोकल आवश्यकता है उसको चिन्हित करके कैसे कौशल से युवाओं को जोड़ा जाए और जो मांग है उस मांग के अनुरूप उस कौशल को वहां पर प्रदाय किया जाए इस मांग के अनुरूप व्यवस्था हम करने जा रहे हैं । माननीय उपाध्यक्ष, जी शायद भारतीयता और राष्ट्रीयता आज कहीं न कहीं हमारे देश में विलुप्तता की स्थिति में आ गई है । हमारी मातृभाषा हिन्दी जिसके बारे में मैं कह सकता हूं कि शायद संसार की सबसे समृद्वशाली भाषा है । हमारे नेता अटल विहारी वाजपेयी जी ने सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी का गुणगान करते हुए हिन्दी में अपना भाषण दिया था । हमारे प्रधानमंत्री जी भी निरन्तर हिन्दी की बात करते आए हैं । हमारे लिए बड़ा गौरव का विषय है कि तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन भोपाल में संपन्न हुआ था और उसी विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रधानमंत्री जी ने देश से मांग की थी कि हम सब लोग मिलकर राष्ट्र भाषा के लिए कुछ न कुछ करें हमने मुख्यमंत्री जी के सामने एक योजना भेजी. उस योजना को मुख्यमंत्री जी ने तत्काल अमलीजामा पहनाने का हमको निर्देश दिया । आज मध्यप्रदेश का एक मात्र तकनीकी विश्वविद्यालय राजीव गांधी प्राद्यौगिकी विश्वविद्यालय पूरे भारत का नहीं अपितु संसार का ऐसा विश्वविद्यालय है जो हिन्दी माध्यम से भी तकनीकी की परीक्षाएं लेगा । यह हमने हिन्दी के पक्ष में बहुत बड़ा फैसला किया है । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वैसे तो इंजीनियरिंग की संख्या और गुणवत्ता पर भाई कमलेश्वर पटेल जी ने कुछ प्रश्नचिन्ह उठाए, लेकिन निजी विद्यालयों को खोलने का जो नियम होता है उसके तहत विद्यालय स्थापित होते हैं । उनकी गुणवत्ता को चेक करने के लिए एआईसीटी के कुछ प्रावधान होते हैं । निर्धारित मापदंडों पर यदि वह नहीं चलते हैं तो हम उनके लिए पत्र लिखते हैं । आई.टी.आई के लिए हमने जरूर एक बहुत बड़ा काम किया है, जो कौशल संवर्धन के सबसे बड़े केन्द्र हैं. करीब 709 आईटीआई हमारे यहां निजी क्षेत्र में संचालित थे । माननीय राजीव प्रताप रूढ़ी जी ने भी जिस फैसले का समर्थन किया और मध्यप्रदेश की प्रशंसा की । मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने 103 आईटीआई बंद करने का केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है और शीघ्रातिशीघ्र हमारे यहां 103 आईटीआई केन्द्र बंद हो जायेंगे जो गुणवत्ता से नहीं जुड़े थे, जहां गुणवत्तापूर्ण लेब या गुणवत्तापूर्ण शिक्षण की व्यवस्था नहीं थी ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आने वाले समय में चूंकि यह बात उठी है कि उद्यमिता को कैसे सीधा सीधा जोड़ा जाये. हमारे विभान ने सबसे पहले उद्यमिता विकास सेल की स्थापना भी कर ली है. अब हम बच्चों को एक ही प्लेटफार्म पर, उनको किस ट्रेड में जाना है, ट्रेड में जाने पर उनको कहा रोजगार प्राप्त होगा, उनको किस प्रकार से बैंकिंग की सुविधा मिलेगी, उनको किस प्रकार से इन्फ्रास्ट्रक्चर लगाने के लिये साधन मिलेंगे यह हमारे उद्यमिता विकास सेल के माध्यम से सीधा सीधा उनको एक ही केन्द्र से प्रदान कर दिया जायेगा. अभी हमने इस सेल की स्थापना भोपाल में की है. लेकिन आने वाले समय में इस सेल की स्थापना संभागीय स्तर पर करके बच्चों को सीधा सीधा उद्यमिता से भी जोड़ने का प्रयास करेंगे. हमने जो इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने के प्रयास किये हैं उसमें छापा में और शहडोल में हमने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विकास के फंड से इंजीनियरिंग कालेज के संचालन की व्यवस्था की है. सिंगरौली के बारे में आदरणीय नेता प्रतिपक्ष ने जो बात कही है तो मैं उनसे यह कहना चाहता हूं कि उसके लिये भी प्रयास अतिशीघ्र शुरू हो रहे हैं और उस महाविद्यालय को भी हम बहुत जल्दी वहां स्थापित कर देंगे. शिवपुरी और धार. धार अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र है वहां पर भी इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का हम कहीं न कहीं प्रयत्न कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो गति आज माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमारे विभाग को मिली है उससे मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश का युवा उस युवा के रूप में पहचान बनायेगा जिसकी अपेक्षा हमारे प्रधानमंत्री जी ने हमारे प्रदेश से की है. उनके उस नारे को जिसमें उन्होंने भारत के युवाओं को कौशल से जुड़कर के भारत को फिर से उस स्थाप पर प्रदान करने की अपेक्षा की है जिसके लिये भारत जाना जाता है. आज हम कौशल संवर्धन को आगे बढ़ाते हुये मिशन मोड में लेकर जो चिह्नित ट्रेड हैं उन ट्रेड के अलावा उन ट्रेड की भी स्थापना करने जा रहे हैं जैसे कि सिंगरौली, नीमच और मंदसौर. यह सीमेन्ट और माईनिंग के सेक्टर हैं क्या इनसे जुड़कर के हम कोई कौशल के सेक्टर खोल सकते हैं. हमारा पीथमपुर और भोपाल के पास मंडीदीप यह टेक्सटाइल के सेक्टर हैं . क्या इनको टेक्सटाइल से हम जोड़ सकते हैं. इसके अलावा आटोमोबाइल का सेक्टर हमारे यहां बहुत बड़ा है उससे जुड़कर के रोजगार कैसे दिया जा सकता है .इसके लिये भी हम प्रयास कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी हमेशा कहीं न कहीं महिला सशक्तिकरण के लिये अपनी बात को रखते आये हैं, उसी सशक्तिकरण के कार्यक्रम में मध्यप्रदेश भारत का पहला राज्य है . आपने अभी तक लेडी डॉक्टर सुना होगा, लेडी इंजीनियर सुना होगा, सारे काम करने वाले लेडी आपने सुने होंगे लेकिन मोटर मैकेनिक कभी नहीं सुना होगा. मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने कि लेडी मोटर मैकेनिक भी बनाया है. 40 बच्चियों को हमने मोटर मैकेनिक का प्रशिक्षण दिया और एक साथ 40 बच्चियों का आज प्लेसमेंट भी हो गया है. यह प्रयास भी हमारे विभाग के द्वारा किया गया है. आने वाले समय में रोजगार से जुड़कर के जो अधिकतम प्रयत्न हो सकते हैं वह करने का हम सब लोग प्रयत्न कर रहे हैं . माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से सदन से यही अनुरोध है कि सर्वानुमति से मेरे विभाग के बजट को पास करने का कष्ट करें. बहुत बहुत धन्यवाद.
मांग संख्या – 33 |
आदिम जाति कल्याण |
मांग संख्या – 49 |
अनुसूचित जाति कल्याण.
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उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री के.पी. सिंह(पिछोर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिस विभाग पर हम चर्चा करने जा रहे हैं उसमें मध्यप्रदेश की जो जनसंख्या का प्रतिशत है वह अकेले अनुसूचित जाति का प्रतिशत आता है वह 21 प्रतिशत के आसपास. चूंकि मेरी बात इसी वर्ग पर केन्द्रीत रहेगी और माननीय लालसिंह आर्य जी भिण्ड जिले से हैं और पूर्व में कई बार चर्चा में आपने अच्छी बातें कही हैं इसलिये मैं आपसे उम्मीद करता हूं कि जो विषय मैं आपके समक्ष रखूंगा उस पर आप कारगर परिणाम देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जिस संभाग से आता हूं उस संभाग में सहरिया विकास अभिकरण काम करता है जिसमें श्योपुर, शिवपुरी, गुना, ग्वालियर, दतिया जिले आते हैं. हम लोग जब अपने विधानसभ क्षेत्रों में या संभाग के अन्य स्थानों पर दौरा करते हैं तो मेरी कोशिश यह रहती है कि जो कमजोर वर्ग के लिये सरकार के द्वारा योजनायें बनाई गई हैं उनका पालन हो रहा है या नहीं तो उनके बारे में मैं ज्यादा चिंतित और इच्छुक रहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुभव कहता है कि मध्यप्रदेश में जहां पर भी मुझे जाने का अवसर मिला है और इस विभाग के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का जो बखान इनके डाक्यूमेंट में रहता है , छात्रावासों में जाकर के जब हम छात्रावास की हालत को देखते हैं , भवनों की हालत देखते हैं तो वहां जाकर के ऐसा लगता है कि जैसा हम यहां पर कहते हैं वह मात्र कल्पना है . नीचे उस कल्पना को साकार करने का सरकार का कोई मंतव्य ही नहीं है. कई बार आप निर्देश जारी करते हैं. 2014 में भी आपने एक निर्देश जारी किया कि समस्त छात्रावासों में पालक समितियां बनायेंगे. उन पालक समिति में कौन कौन लोग होंगे इसका भी आपने निर्धारण कर दिया. लेकिन इन पालक समितियों की स्थिति यह है कि बैतूल में चुनाव थे मैं वहां पर दौरे पर गया था, वहां जाकर के पूछते हैं तो कहते हैं कि यह पालक समिति कौन है , वहां के छात्रों की बात को आप छोड़ दीजिये जो छात्रावास के अधीक्षक हैं उनको तक यह पता नहीं है कि पालक समितियों का गठन क्या है और क्या होना है. अब जब पालक समितियों का गठन नहीं हुआ, छात्रावास अधीक्षकों को पता नहीं है तो विकास और सुधार कौन करेगा, कौन उनको सलाह देगा. अब कागजों में आपके पास में जिलो से लिस्ट या नाम आ गये हो तो मेरे पास इसका कोई उपचार नहीं है लेकिन हकीकत में आप भी कभी जाकर के देखना, आप श्योपुर जिले के प्रभारी भी रहे हैं. मैं समझता हूं कि जिस वर्ग से आप हैं आपने वहां पर जाकर के देखने का प्रयास भी किया होगा कि वास्तव में यह पालक समितियां वहां पर काम कर रही हैं या नहीं कर रही हैं. न तो सदस्यों को पता, न अधीक्षकों को पता, जब अधीक्षक और सदस्यों को पता नहीं है तो छात्रों को कहां से पता होगा. एक बड़ी विचित्र व्यवस्था भी है 50 सीटर और 100 सीटर छात्रावास हैं यहां पर देखते हैं तो कभी भी छात्रों की संख्या पूरी नहीं मिलती है. कभी भी संख्या पूरी नहीं मिलती, जब गहराई से उनसे पूछते हैं कि बात क्या है तो कहते हैं कि साहब हमारे साहब का आदेश यह है, कौन से साहब ? जिले वाले साहब, मैं यहां वाले साहब की बात नहीं कर रहा हूं जिले वाले साहब का आदेश यह है कि बस 50 प्रतिशत रखना है, 50 प्रतिशत क्यों रखना है, जब आपने 50 सीटर छात्रावास खोला है तो, 50 प्रतिशत छात्र रखने की हिदायत क्यों देते हैं? तो बताते हैं कि साहब क्या करें, हमें भी कुछ चाहिए, कुछ जिले में भी चाहिए, बीच में बाकी लोग हैं उनको भी चाहिए. (नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह द्वारा अपनी सीट पर बैठे बैठे कुछ कहने पर) नहीं मंत्री जी इसमें शामिल नहीं है, जहां तक मुझे जानकारी है. लालसिंह जी यह बड़ी विचित्र व्यवस्था आपके मंत्रालय में हो रही है, क्योंकि यह मंत्रालय अभी आपके पास आया है, इसको थोड़ा देखें. जिस वर्ग के लिए आप काम कर रहे हैं, अगर उस वर्ग के लिए कुछ परिणाम नहीं दे पा रहे हैं तो आपके काम करने का अर्थ क्या है. मेरा आपसे अनुरोध है, अगर आप करना चाहें तो, इसका उपचार भी मैं आपको बताता हूं, एक तो इन छात्रावासों में सामान्य वर्ग के अधीक्षक बिल्कुल भी पदस्थ नहीं होना चाहिए, जहां-जहां सामान्य वर्ग के लोग हैं वहां व्यवस्था ज्यादा खराब है, क्योंकि शोषित वर्ग इन्हीं से शोषण का शिकार हो रहा है, और इसमें काम्पटीशन चलता है कि वहां किसको नियुक्त किया जाए, जब अन्य जगह आप व्यवस्था कर सकते हैं तो यहां क्यों नहीं कर सकते कि जिस वर्ग के बच्चे वहां है, उन्हीं वर्ग के अच्छे लोग जिनकी सी.आर. और रिकार्ड भी अच्छा है, उनको अधीक्ष्ाक के रूप में पदस्थ किया जाए. छात्रावासों में कहीं कहीं बिजली भी नहीं है, हम अपने क्षेत्र में तो जैसे तैसे व्यवस्था करवा देते हैं, लेकिन पूरे मध्यप्रदेश में तो व्यवस्था नहीं करवा सकते, बिजली अगर नहीं है तो क्यों नहीं है, रात को छात्र कैसे रहते होंगे, गांव का इलाका है, मच्छर होते हैं और कई तरह की परेशानियां होती हैं. कई मां बाप अपने बच्चों को इसलिए छात्रावास से लेकर आ जाते हैं क्योंकि बच्चे बीमार पड़ जाते हैं. स्वास्थ्य की चिन्ता आपने की है, पेयजल व्यवस्था की बात की है, प्रशासनिक प्रतिवेदन में शिक्षा की व्यवस्था की बात है. माननीय ज्ञान सिंह जी चूंकि अब विधानसभा के सदस्य नहीं हैं, लेकिन उन्हीं के जमाने का एक जिक्र मैं करता हूं. जब वे मंत्री थे तो उन्हीं के जिला उमरिया में माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड का जो परिणाम आया, लालसिह जी आप देख लेना माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परिणाम का जिक्र आखिरी पन्ने में किया है, उमरिया का वर्ष 2015 का 32.81 प्रतिशत आया है यह मंत्री का जिला है और उन्हीं के पड़ौसी में(माननीय अजय सिंह जी विराजमान है) सीधी का परिणाम 2015 में 32.17 आया, यह बढ़ा नहीं है और 2016 में उमरिया का 31.46 और सीधी का आया 32.16 ये मंत्री जी जिनके पास लगातार लगभग तीन साल से विभाग रहा, उन मंत्री जी के जिले की यह हालत है तो बाकी मध्यप्रदेश का क्या होगा यह आंकड़े कितने सही है, इसमें मैं जाना नहीं चाहता लेकिन उदाहरण दे रहा हूं कि इन जिलों में जिन मंत्री जी के पास प्रभार रहा उनका यह परिणाम आया है. इसी तरह से भाषा संस्कृति की संरक्षण की बोली की बात आपने इसी प्रतिवेदन में कही है, उसमें आप जनजाति संस्कृति और बोलियों के संरक्षण की बात करते हैं, आप अपने प्रशासनिक प्रतिवेदन को पढ़ लेना जबकि पूरे मध्यप्रदेश में वर्ष 2016-17 में इससे संबंधित एक भी सेमीनार नहीं हुआ 31 मार्च को पूरा एक साल हो जाएगा, सिंगल सेमीनार पूरे मध्यप्रदेश में कहीं नहीं हुआ, इससे आप अंदाज लगा लीजिए कि आपकी प्रशासनिक मशीनरी और आपके पुराने मंत्री जी क्या देख रहे थे. पूरे मध्यप्रदेश में साल भर में एक भी सेमीनार नहीं हुआ तो जिन इलाकों में गरीब लोग निवास करते हैं, जहां इनकी भाषा और संस्कृति की बात होती है वहां तो कोई गया ही नहीं होगा, मंत्री जी आपके ही प्रशासनिक प्रतिवेदन में इसका जिक्र है, जरा इसको आप देख लीजिए. आलोचना करने का मेरा मंतव्य नहीं है, मेरा मंतव्य परिणाम का है. अब दो साल आपके पास है, मंत्रालय आपके पास रहेगा या नहीं रहेगा यह आपकी व्यवस्था है, लेकिन दो साल में आप क्या करेंगे यह आपको सोचने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष जी, सहरिया विकास अभिकरण, ग्वालियर संभाग को मैं देख रहा हूं. आपने सहरिया विकास अभिकरण का गठन किया है. सहरिया विकास अभिकरण का चैयरमैन किसी आदिवासी को होना चाहिए, इन सहरिया विकास अभिकरणों में जितने आपने जिला संयोजक बनाए हैं, एकाध तो मैं नहीं कह सकता, जितने भी जिला संयोजक होंगे सारे के सारे ऐसे वर्गों से हैं, जिनको लूटने के अलाव कोई काम नहीं है, मंत्री जी यह हकीकत है. मैं आपको गुना जिले का उदाहरण बताता हूं आपकी एक योजना है कि जो माता पिता अपने बच्चों को स्कूल में भेजेंगे उनको भी सहायता करेंगे, कहने को छोटी सी बात है, लेकिन उन्होंने योजना का क्या हाल किया, 66 हजार रूपए इस योजना के नाम पर विड्रा हुए, जब इसकी शिकायत हुई और जांचकर्ता अधिकारी ने जब पूछा.
उपाध्यक्ष महोदय - के.पी. सिंह जी और कितना समय लेंगे.
श्री के.पी. सिंह - उपाध्यक्ष जी, बस मैं खत्म करने वाला हूं, मंत्री लाल सिंह जी कुछ उम्मीद जगाते है, इसलिए मैं इनके सामने बात रख रहा हूं, इस बात के बाद समाप्त कर दूंगा. (डॉ गोविन्द सिंह जी द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) अब डाक्टर साहब को ज्यादा अनुभव है. उपाध्यक्ष जी जब गुना जिले में जांच करने गए तो जिसने पैसा निकाले वह बोलता है 66 हजार रूपए निकाले थे, कुछ बीआरसी ने ले लिए और किसी किसी ने ले लिये, मेरे पास तो सिर्फ 200 रूपए बचे हैं, आप कहते हैं तो उनसे मांगकर पूरा पैसा जमा कर दूंगा, थोड़ा समय दे दो, जिसके लिए योजना बनाई थी, उस तक एक रूपए नहीं पहुंचा. चैक से पैसा देना था, लेकिन चैक की बजाए पैसा निकाल लिया और उसको नगद बंटवारा दिखा दिया, तो आपकी योजनाओं की हालत क्या हो रही है. मेरा आपसे आग्रह है कि मेहरबानी करके इसमें थोड़ा सा सुधार कर सकते हो तो करो. छात्रावासों के लिए भी एक और बात ध्यान में लाना चाहता हूं, क्योंकि एससी और एसटी दोनों के हॉस्टल यहां हैं, इसमें इमरजेंसी फंड के नाम से कुछ पैसा आपके यहां से जाता है, लेकिन इमरजेंसी फंड सिर्फ अनुसूचित जाति वालों को मिलता है, अनुसूचित जनजाति को यह फंड क्यों नहीं मिलता? छात्रावास तो दोनों एक ही है और बच्चे तो अनुसूचित जनजाति के ज्यादा कमजोर वर्ग के हैं, मेहरबानी करके जो इमरजेंसी फंड जाता है वह दोनों छात्रावासों के बच्चों के लिए पूरे मध्यप्रदेश में जाना चाहिए. ऐसा मेरा अनुरोध है. आलोचना करने के लिए तो बहुत सारी बातें हैं, मैं उन बातों में नहीं जाना चाहता. आपसे मैंने भाषायी शिक्षकों वाली बात बार बार कहीं है और आपने उसको स्वीकार भी किया है. मैं आपके पिछले भाषण में नहीं था, आप बोले कि नहीं बोले मुझे याद नहीं है, आज अगर भाषायी शिक्षक की व्यवस्था जो आपने श्योपुर जिले में श्योपुर के विद्यार्थी के लिए की थी श्योपुर में सभी को नौकरी में लगा दिया और हमारे जिले व अन्य जिलों में आज भी लोग घूम रहे हैं, कृपा करके आज उस घोषणा को किस रूप में आप करें यह आपका मकसद है, लेकिन भाषायी शिक्षकों के हितों का ख्याल करते हुए आज जब आपका वक्तव्य हो तो उसमें स्पष्ट बात कहें कि आप क्या करने जा रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (देवसर) - उपाध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं अनुदान मांगों पर मांग संख्या 33 और 49 के पक्ष में अपने विचार रखने के लिए उपस्थित हुआ हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय किसी भी राज्य का संपूर्ण विकास उस राज्य में निवासरत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के वर्ग के लोगों के विकास के बिना असंभव होता है. इस बात की अगर किसी ने संवदेनशीलता के साथ चिन्तन की है और ईमानदारीपूर्वक, निष्ठा के साथ चिन्ता की है. तो प्रदेश के विकास पुरुष इस सरकार के मुखिया, श्रद्धेय शिवराज सिंह जी चौहान और इस विभाग के मंत्री जी ने किया है. मैं शिवराज सिंह जी चौहान, मंत्री जी एवं इस विभाग को धन्यवाद देता हूं कि आपने कम से कम इस वर्ग की चिंता करके इनका जीवन स्तर कैसे ऊंचा हो और मानव का जीवन स्तर ऊंचा होने के लिये शिक्षा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. इस सरकार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण के सर्वांगीण विकास के लिये अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित की है. इस वर्ग के कल्याण के लिये सरकार ने प्रदेश में आबादी के समानुपात से अधिक बजट में राशि का प्रावधान किया है. मैं मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी को साधुवाद एवं धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने अनुसूचित जाति के कल्याण के लिये, इनके बच्चों के विकास के लिये आने वाले समय को देखत हुए जो पांच वर्षीय पैकेज तैयार किया है,जिसमें आपने चिंता की है कि इनका विकास करने के लिये जो 5 वर्षीय पैकेज होगा, उसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बस्ती विकास, आवास, कौशल विकास आदि घटक सम्मिलित होंगे.महत्वपूर्ण बात यह है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की संवैधानिक सुरक्षा को भी सरकार की प्राथमिकता में रखा है, यह प्रशंसनीय कार्य किया है. इनके कौशल विकास के लिये सरकार ने विभिन्न कौशल उन्नयन तथा प्रशिक्षण योजनाओं के अंतर्गत अब तक अनुसूचित जाति के 2456 युवाओं को रोजगार दिया है. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में इस वर्ष 6111 युवाओं के लिये 135 करोड़ से ज्यादा ऋण की सहायता दी गई है. इसमें विशेष बात यह है कि सभी हितग्राही मूलक योजनाओं का भुगतान ई पेमेंट से किया जा रहा है. हमारे 10 संभागीय मुख्यालयों पर इस वर्ग के बच्चों का ज्ञानवर्द्धन करने के लिये इनकी शिक्षा बढ़ाने के लिये ज्ञानोदय विद्यालय में प्रतिभावान विद्यार्थियों को उत्कृष्ट शिक्षा दी जा रही है. साथ ही साथ इन ज्ञानोदय विद्यालयों में इनके शारीरिक मापदण्ड, इनके खेलकूद की भी व्यवस्था की गयी है. इसलिये स्पोर्ट्स काम्पलेक्स भी बनाये जा रहे हैं. पहले सबसे बड़ी समस्या यह हुआ करती थी कि इस वर्ग के बच्चे आर्थिक अभाव में जीते थे और आर्थिक अभाव के कारण वह अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते थे. मैं ईमानदारीपूर्वक इस प्रदेश के विकास पुरुष, संवैदनशील व्यक्तित्व के धनी, श्रद्धेय शिवराज सिंह जी को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने इतनी उदारता का परिचय देकर जो हमारे अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चे जहां निवासरत हैं और वहां पर महाविद्यालय में पढ़ने की सुविधा नहीं है और वह अपने स्थान से छोड़ कर दूसरी जगह या तो तहसील में या कस्बे में या जिले में या किसी संभागीय स्तर पर या प्रदेश के स्तर पर पढ़ने जाते हैं और पहले जब पढ़ने जाते थे, तो जो हमारे छात्रावास हुआ करते हैं, उसमें स्थान सीमित होते हैं. अब स्थान जब सीमित होते हैं, तो जितने चयनित विद्यार्थी हुआ करते थे, उनको स्थान मिल जाता था और जो शेष विद्यार्थी हुआ करते थे, उनको स्थान नहीं मिलने के कारण, उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण या वह विद्यार्थी या उनके पिता आर्थिक अभाव की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही बंद कर देते थे और आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते थे. इस बात की चिंता प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं इस विभाग के मंत्री जी ने की, इनको मैं साधुवाद देना चाहता हूं कि ऐसे जो बच्चे छात्रावास में जिनका प्रवेश नहीं होता था, उन बच्चों को उन्होंने अपने संभागीय स्तर पर प्रत्येक विद्यार्थी प्रतिमाह एक हजार रुपये, जिला स्तर पर प्रति विद्यार्थी प्रति माह 1250 रुपये और इन्दौर,जबलपुर,उज्जैन, भोपाल ऐसे स्थानों पर 2 हजार रुपये प्रति विद्यार्थी प्रति माह देने का जो अद्वितीय कार्य किया, इस योजना को जमीन पर लाया है, इसके लिये भी मैं मुख्यमंत्री जी को दिल से साधुवाद और धन्यवाद देता हूं. मैं भी चूंकि उस वर्ग से आता हूं, मैंने उस आर्थिक पीड़ा को झेला है, इसलिये महसूस करता हूं कि मेरे विपक्ष के वरिष्ठ विद्वान मित्र जब भी अपनी बातें रखते हैं, तो सदन में हमेशा आलोचना के रुप में रखते हैं. मेरी उनसे करबद्ध प्रार्थना है कि जब आप देखते हैं तो ग्लास में जब आधा पानी भरा रहता है, आप वह खाली वाले हिस्से को देखकर अपनी बातों को रखते हैं. भरे हुए हिस्से को जिस दिन आप देखना चाहेंगे, तो आपको लगेगा कि 12 वर्ष पूर्व एवं आजादी के बाद आपको लगभग साढ़े 48 साल राज करने का सुअवसर प्राप्त हुआ, तब आपकी बुद्धि कहां गयी थी, तब आपने इन वर्गों की चिंता नहीं की, इनके विकास की चिंता नहीं की, उस समय आपको ध्यान देना चाहिये था.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- उसी समय में आप पढ़े हो. उसी समय की आपकी शिक्षा है.
श्री राजेन्द्र मेश्राम -- मरकाम जी, मैं बहुत अनुशासन में रहता हूं. कभी भी मैंने आपको टोकने का प्रयास नहीं किया.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- आपकी अभी आर्थिक स्थिति ठीक है कि नहीं.
श्री राजेन्द्र मेश्राम -- आप लोग सुनने का प्रयास करिये, धैर्य रखिये. बहुत उतावले मत होइये.
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठें. मेश्राम जी,कृपया आपस में बात न करें. अपनी बात जारी रखें.
श्री राजेन्द्र मेश्राम -- उपाध्यक्ष महोदय, क्षमा करेंगे. आप लोगों को सुनना चाहिये. आप लोगों के साथ दिक्कत क्या है कि आप पढ़ते कम हैं, बोलते ज्यादा हैं. यह देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह सब पर लागू होता है.
..(हंसी)..
श्री राजेन्द्र मेश्राम -- उपाध्यक्ष महोदय, बिलकुल. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मैं अनुसूचित जाति क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं. उदार हृदय के मंत्री जी सदन में हैं, श्रद्धेय मुख्यमंत्री जी नहीं हैं. लेकिन जब भी आप अपनी बात रखने के लिये खड़े हों, तो मेरा निवेदन स्वीकार करें कि मैं अनुसूचित जाति क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं, उस क्षेत्र में मंगल भवन की कमी है, इसलिये आज जब आप बोलें तो विधान सभा देवसर में कम से कम 5 मंगल भवन की घोषणा अवश्य करेंगे. प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति का विकास का प्रतिशत बढ़ा है एवं प्रदेश के विकास में इन वर्गों की सहभागिता हुई है, जिसके कारण विकास की गति बढ़ी है. अनुसूचित जाति एवं जनजाति का कहीं भी अगर विकास हुआ है, तो वह शासकीय सेवाओं में नौकरी प्राप्त करने से हुआ है. इसलिये मेरा निवेदन है कि जब आप पढ़ेंगे, शिक्षा एक ऐसा हथियार है, क्योंकि जो समृद्धशाली लोग होते हैं, वह तो अपनी जमीनें बेच-बेच कर अपने एशो-आराम का जीवन जी लेते हैं. लेकिन यह अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग इनके पास आर्थिक अभाव होता है तो ये बेचारे कहां से जमीन बेचें. इस बात की अगर किसी ने चिंता की है, तो माननीय मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी ने की है. तो मैं इस बात की ओर मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि अगर नौकरी प्राप्त होती है,तभी इनका विकास होता है. अभी प्रदेश में बहुत सारे एसी,एसटी के रिक्त पद हैं, विशेष भर्ती अभियान चलाकर इनको भरने की भी कृपा करें. उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति का पृथक मंत्रालय होना चाहिए. आपके माध्यम से, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि अनुसूचित जाति का पृथक से मंत्रालय का गठन किया जाये और जो विशेष रूप से अनुसूचित जाति के लिए जो कम्पोनेन्ट प्लान आते हैं और हम लोग कम्पोनेन्ट प्लान की राशि का व्यय करते हैं, उसका व्यय पूर्ण नहीं कर पाते हैं और हमारी वह राशि आधी-अधूरी रह जाती है. मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि इस राशि पर निगरानी रखने के लिए एक निगरानी समिति का भी गठन किया जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और निवेदन करना चाहता हूँ कि इतनी महत्वपूर्ण योजना का जो हमारा कम्पोनेन्ट प्लान है, उसकी जो राशि खर्चा नहीं हो पाती है, कोई अधिकारी, कर्मचारी तथा हमारे विभाग का कोई व्यक्ति उस पर ध्यान नहीं देता है तो उनकी कमी की वजह से होता है तो मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि उनकी जवाबदारी का भी निर्धारण होना चाहिए. माननीय मंत्री जी जब आप बोलें तो इस बात को सुनिश्चत करें कि जो वे पैसा खर्च नहीं कर पाते हैं तो उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक अंतिम बात करते हुए समाप्त करूँगा. माननीय मंत्री महोदय यह बिल्कुल सत्य है कि इस वर्ग के लोगों को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना से ऋण देने की अभिनव पहल की गई है और वह सार्थक भी है पर यह सच है, अपने क्षेत्र में देखा है कि जब हमारे वर्ग के लोग जाते हैं वे बेचारे बैंक के चक्कर लगाते रह जाते हैं और उन्हें ऋण नहीं मिल पाता है. इस बात की भी सुव्यवस्था आप करें, बैंक के लोगों से एक बार जिला कलेक्टर को निर्देश देकर बैठक करवाने की आवश्यकता है. आपने मुझे समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - राजेन्द्र जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 33 और 49 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूँ. हम आदिम जाति कल्याण और अनुसूचित जाति कल्याण के विषय पर चर्चा कर रहे हैं पर हमें भरोसा ही नहीं है कि मंत्री जी उधार पर चल रहे हैं. मंत्री जी अभी तो उधार में कह देंगे ? अभी तो बड़ी-बड़ी बातें कह जाएंगे पर मंत्री जी का कोई ठिकाना नहीं है कि मंत्री कौन है ? यह पहली बार हो रहा है कि यहां पर्याप्त हैं.
डॉ. कैलाश जाटव - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसको कार्यवाही से निकलवा दें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - यह उधार का ही है.
श्री शंकरलाल तिवारी - उधार तो आपका जीवन भी है. आपका भी ठिकाना नहीं है. धरती में जो चीज है, वह सब नश्वर है. अगर आप इतने निराश हैं तो घर बैठिये.
उपाध्यक्ष महोदय - शंकरलाल जी, आपको एकदम से क्या हो गया ?
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आपकी विद्वानता को प्रणाम. आप किसी को परमानेन्ट मंत्री तो बनवा दीजिये, जो उत्तर दे दें. अभी तो यह विषय है पर हमें आर्य साहब पर भरोसा है क्योंकि आप भी हमारे दु:ख-दर्दों को समझते हैं, कुछ निर्णय ऐसा ले लेना जिसमें ठीक-ठाक रहे.
उपाध्यक्ष महोदय - आप मुद्दे पर आ जाइये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आज एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा चल रही है और इसमें हम बात करेंगे. सत्तापक्ष वालों को तो 'कनक कनक ते सो गुनी, मादकता अधिकाय. वही पात बोरात हैं, वही खाए बोराए' बड़े घमण्ड में आए हैं. वे कुछ भी कहते रहते हैं. सच्चाई यह है कि अभी जिस तरह से कहा जा रहा था कि विकास पुरुष माननीय मुख्यमंत्री जी की बड़ी उपलब्धि है, आप हाई स्कूल बिल्डिंग तो बनवा नहीं पा रहे हो, हम हाई स्कूल सेनगुड़ा, विकास करंजिया, जिला- डिण्डोरी के लिए कई बार बोल चुके हैं. आप हॉस्टल की बिल्डिंग नहीं बनवा पा रहे हैं, वहां पानी नहीं दे पा रहे हैं. मैं राहुल गांधी जी को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने हमारी आई.ए.पी. योजना ...
श्री राजेन्द्र मेश्राम – (XXX)
श्री रजनीश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह विलोपित किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय - इस शब्द को विलोपित किया जाये.
श्री के. के. श्रीवास्तव – (XXX)
डॉ. रामकिशोर दोगने – (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - के.के.श्रीवास्तव जी, किसी का भी नाम सम्मान से लिया जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – (XXX)...(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - जितना वार्तालाप हुआ है, सब निकाल दीजिये.
डॉ. कैलाश जाटव - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, (XXX), यह बताएं.
उपाध्यक्ष महोदय - जाटव जी, आप बैठ जाइये. आपका नाम वक्ता में है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - उपाध्यक्ष महोदय, यह बात मैं प्रमाणित करता हूँ और सत्ता पक्ष में दम है तो इस बात को झुठलाकर बताये, सन् 2010-11 में 30 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार से डिण्डोरी में आया था. उसके तहत हमने .....
श्री शंकरलाल तिवारी – (XXX).......(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - क्या बात है ?
डॉ. रामकिशोर दोगने – (XXX)…(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक – (XXX)
श्री सोहन लाल बाल्मीक - उपाध्यक्ष जी, (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - माना कि वे बूढ़े नहीं हैं, दाढ़ी सफेद है.
कुँवर विक्रम सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मैं चाहूँगा कि आप मेरे दल के सदस्य को संरक्षण दें.
उपाध्यक्ष महोदय - उनको मेरा संरक्षण मिल रहा है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - यह इस बात का प्रमाण है कि आदिवासी विरोधी मानसिकता सत्ता पक्ष के लोगों के पास कितनी ज्यादा है. उस दर्द को पण्डित जी थोड़े ही समझेंगे कि हमारे यहां स्कूल नहीं हैं. सन् 2010-11 में 30 करोड़ आई.ए.पी. योजना से आया था. यह सरकार के रिकॉर्ड में भी है, ट्रायबल डिपार्टमेन्ट से लेकर सब जानते हैं और व्ही.आर.जी.एफ. में भी हमारी यूपीए की सरकार थी तो 16 करोड़ रुपये आता था, 46 करोड़ रुपये से डिण्डोरी में विकास की बात करते थे और उसमें काम करते थे. यह विषय योजना से बिल्कुल प्रमाणित है और उसके बाद अभी आज की जो स्थिति है, मैं यह जानना चाहूँगा कि बहुत से लोग विकास पुरुष की बात कर रहे हैं तो क्या सेनगुड़ा का हाई स्कूल बिल्डिंग बनाना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी में नहीं है, क्या ट्रायबल विभाग की जिम्मेदारी में नहीं है ?
श्री राजेन्द्र मेश्राम - यह आपकी कमजोरी है. आपने इसमें ध्यान नहीं दिलाया.
उपाध्यक्ष महोदय - मेश्राम जी, बैठ जाइये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - हमने 25 बार आन्दोलन किए. आप जैसे लोग वहां रहेंगे तो ऐसा ही हाल होगा. जिनको असत्य बात पर दर्द ही पता नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - मरकाम जी, आपको उनको जवाब नहीं देना है. आप जारी रखें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ कि वर्तमान समय में माननीय मंत्री जी और आपसे अनुरोध कर रहा हूँ कि आप सदन के बाद, थोड़ा सा समय हमारे गरीब बच्चों के लिये दे दें. माननीय मुख्यमंत्री जी के निवास के बगल में पोस्ट मैट्रिक छात्रावास है, वहां के बच्चे एक समय भोजन करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि वहां 500 रुपये उनको दिया जाता है और विगत 3 महीनों से कोई बजट नहीं है. आपने 500 रुपये में कौन सा मेन्यू तय कर दिया है कि 500 रुपये में उनको भोजन कैसे मिलेगा. मैं मुख्यालय की बात कर रहा हूँ. जहां ये 350 बच्चे रहते हैं, मैं एक दिन रात में गया तो वहां हमने देखा तो पोस्ट मैट्रिक में जो हमारे बच्चे हैं उनकी पूरे दिन में हालात दयनीय हो जाती है कि वे 500 रुपये में कैसे काम करेंगे ? यह उपलब्धि माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय मंत्री जी की है. अगर आप इसमें कुछ देखना चाहते हैं तो आज ही घोषणा करें, पिछले समय दूसरे बच्चों को 1,000 रुपये दिया जा रहा था तो आदिवासी बच्चों को अगर 500 रुपये दिया जा रहा है, उसकी प्रतिपूर्ति आप 1,000 रुपये से करें. जैसे अधिकारियों का वेतन बढ़ता है, जून में बढ़ता है लेकिन जनवरी से दिया जाता है तो ऐसा ही उन बच्चों के लिए यदि कुछ हो जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप 2 मिनट में समाप्त करें. आपको बोलते हुए काफी समय हो गया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात आपके यहां जो वन क्षेत्र हैं, वहां वन क्षेत्रों में पट्टा वितरण के लिये हमने अनेक बार कोशिश की. जब मंत्री जाएंगे तो 5 लोगों को खड़े कर पट्टा दे दिया लेकिन बाकी लोगों का ध्यान ही नहीं है. उसमें अनेकों बार कोशिश की जा रही है कि साहब पट्टा देना है. अभी जो माननीय मंत्री जी ने 'सबका साथ, सबका विकास' कहकर हमारी आदिवासी उपयोजना को समाप्त करने के लिए जो सरकार ने कहा है, मैं पूछना चाहता हूं कि जैसे हमारा डिण्डोरी में पोस्टमेट्रिक हॉस्टल जब खोला गया था तब 50 सीट स्वीकृत थीं और आज भी वहां 50 सीट ही हैं. आपने कौन सी उपलब्धि कर दी? हमने वहां की हॉस्टल की रिपेयरिंग के लिए साढ़े 6 लाख रुपए आ.ए.पी. के मद से दिए. आपका ट्रायबल डिपार्टमेंट इस समय सिर्फ हॉस्टलों में रिपेयरिंग, उन पर भोपाल से सप्लाई और यहां से अधिकारियों की पोस्टिंग के लिए है और यहां कोई सुनने वाला नहीं है. हायर सेकेण्डरी खोलने के लिए जो आपकी नीतियां बनी हैं, वह जनसंख्या और आदिवासियों के मांग पर आधारित नहीं हैं. मेरे यहां झनकी में हायर सेकेण्डरी स्कूल खोलने के लिए जब गांव वाले आंदोलन करते हैं तो उनके ऊपर सरकार मामला पंजीकृत कराती है, उन पर कार्यवाही कर दी. हायर सेकेण्डरी तो खोल नहीं पा रहे हो और उल्टे उन पर कार्यवाही कर रहे हो. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि मंत्री जी इस पर गंभीरता से सोचें. आदिवासी उपयोजनाओं के लिए सरकार ने जो निर्णय लिया है. यह हमारे अधिकारों का हनन है. संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत विकास कार्य के लिए जो हमको अधिकार मिलता है उसमें यह हमारा हक बनता है और इसको समाप्त नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही आदिवासी छात्रावास हैं, आदिवासी आश्रम हैं. माननीय मंत्री जी आप इसमें कृपा करके अगर एक टीम भेजकर सभी दलों के विधायकों के दो चार लोगों के बीच में निरीक्षण करा कर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि क्या जरूरत है. जो विशेष भर्ती अभियान चलता था. जिसमें एस.टी., एस.सी. लोगों के वर्ग के लिए विशेष भर्ती अभियान में अवसर दिया जाता था उसको बंद दिया है और यहां तक कि आदिवासी वर्ग की जो भर्तियां हैं उस पर भी काम नहीं कर पा रहे हैं. मैं आपके माध्यम से एक और महत्वपूर्ण अनुरोध कर रहा हूं ट्रायबल विभाग की जनपद पंचायत हैं. जहां मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पदस्थापना कमिश्नर ने की है. दूसरी तरफ ग्रामीण विकास ने भी कर दी है. यह जो गड़बडि़यां है इनको तत्काल ठीक किया जाए. माननीय मंत्री जी आप हमारे दर्द को समझते होंगे. कुछ ऐसा निर्णय ले लें ताकि आने वाला जो सत्र हो उसमें आप परमानेंट मंत्री बन जाएं, ऐसा हमारा अनुरोध है. उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
4.34 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 33 और 49 के समर्थन में यहां बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के नाते हम इस वर्ष गरीब कल्याण वर्ष मना रहे हैं और यह गरीब कल्याण वर्ष जिस प्रदेश में आबादी का 21 प्रतिशत अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग का है ऐसे में आज बजट पर चर्चा हो रही है. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जिस तरीके से पंडित दीनदयाल जी के सपनों को पूरा करने का काम यह मंत्रालय कर रहा है हम उनको साधुवाद देना चाहते हैं. आज इस मंत्रालय की चर्चा में बहुत सारे विषय आए हैं. कई लोगों ने इस विषय को अपनी अपनी विचारधारा के अनुसार रखा है. इन 70 वर्षों में जिस समाज और जाति वर्ग के लिए बजट आया है उस समाज की जिन्होंने दुर्गति की है आज वह उसके कटौती प्रस्ताव की बात कर रहे हैं. मेरा यह कहना है कि जब आपने 70 वर्षों में कुछ भी नहीं दिया और आज जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस समाज वर्ग को खड़ा करने का काम कर रही है, उत्थान करने का काम कर रही है तो आपके पेट में मरोड़ उठ रही है. आप क्यों परेशान हो रहे हैं. हमारी सरकार काम कर रही है. आपको दिक्कत नहीं होना चाहिए. आपने सिर्फ वोट मांगने के लिए फायदे के लिए उपयोग किया, समाज को बांटने में इनका उपयोग किया. समाज जब आज संगठित हो रहा है, समरस हो रहा है तो कहीं न कहीं हमारे साथियों के पेट में दर्द हो रहा है. मैं आपके माध्यम से यह बताना चाहता हूं कि जिस तरीके से हमारे सदन के एक साथी ने बोला कि उधार के मंत्री हैं. हमारे मंत्री उधार के नहीं होते हम लोग चुनकर आते हैं और चुनने के बाद सरकार में बैठते हैं और फिर सरकार मंत्री बनाती हैं. यह हमारे समाज के लोगों को समझना चाहिए कि कहीं न कहीं उधार का मंत्री किसी भी सरकार में नहीं होता है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप विषय पर बोलिए. वैसे ही समय कम है.
डॉ. कैलाश जाटव-- गोविन्द सिंह जी मैं विषय पर ही बोल रहा हूं. जब आपके साथी बोल रहे थे तब आपने उन्हें क्यों नहीं बोला कि विषय पर बोलिए. हम तो उनकी बातों का जवाब दे रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप जवाब नहीं दो, जवाब मंत्री जी दे देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- गोविन्द सिंह जी आप अनावश्यक बात न करें. बैठ जाइए.
डॉ. कैलाश जाटव-- डॉक्टर साहब मैंने आपका पूरा विषय सुना. उनका विषय भी सुना.
उपाध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब उनको बोलने दें. उनका समय है उतने समय में उन्हें जो बोलना हो बोलने दीजिए. उससे ज्यादा समय हम नहीं देंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह-- क्यों ज्यादा बोलेंगे. विषय पर बोलें.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप यह तय नहीं करेंगे कि उन्हें क्या बोलना है ,क्या नहीं बोलना है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रात के 12 बज जाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--गोविन्द सिंह जी आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं .क्या यह आप तय करेंगे कि वह क्या बोलेंगे? आप बैठ जाइए. जाटव जी आप बहुत अनुशासित हैं आप जारी रखें.
डॉ. कैलाश जाटव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद आज ही तो आपके नेतृत्व में बोलने का मौका मिला है.
श्री के.पी सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, आज आप सभी को ज्यादा समय दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- इनके बोलने के बाद समय में कटौती कर दी जाएगी.
डॉ. कैलाश जाटव--उपाध्यक्ष महोदय, जिस सरकार ने इस समाज को खडा़ करने का काम किया जिस समय...
श्री कमलेश्वर पटेल-- यहां आपको बोलने का अवसर भी माननीय उपाध्यक्ष जी दे रहे हैं और यहां आप बोल पा रहे हो तो कांग्रेस सरकार की वजह से बोल पा रहे हो. संविधान में व्यवस्था नहीं होती तो आप आज यहां नहीं बैठे होते.
उपाध्यक्ष महोदय-- कमलेश्वर जी यह क्या बात हुई ऐसी बाते नहीं करते. आप जवाब नहीं देंगे.
डॉ. कैलाश जाटव- कांग्रेस ने तो बाबा साहब अंबेडकर को हराने का काम किया है. बाबा साहब अंबेडकर को कहां बढ़ाने का काम किया है. आज संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं इसीलिए भाई साहब मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं कि मुझे बोलने दें और अगर नहीं बोलने देंगे तो मैं दूसरे तरीके से बोलूंगा फिर आपको सुनना पड़ेगा. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपकी बात मान रहा हूं मैं बजट पर ही बोल रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप चर्चा क्यों कर रहें हैं?
डॉ. कैलाश जाटव-- मैं चर्चा नहीं कर रहा हूं वह बोलने ही नहीं दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- वह उनसे बात कर रहें हैं आप आसंदी को संबोधित करिए और अपना भाषण जारी रखिए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- उपाध्यक्ष महोदय, आपने हमें तो समय नहीं दिया. इनकी लड़ाई में इतना समय निकाल रहे हैं. इतना समय अगर युवाओं के ज्ञान की बात करने में अगर आप देते तो कहीं न कहीं मध्यप्रदेश के युवा आपको धन्यवाद देते.
डॉ. कैलाश जाटव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ईमानदारी से अपनी बात को रखना चाह रहा हूं लेकिन माननीय सदस्यों ने मुझे उससे गुमराह करने का प्रयास किया उसके लिए मैं उनको धन्यवाद भी देता हूं. अभी मैं आपकी बात भी कर रहा हूं हम लोकतंत्र के प्रहरी हैं और लोकतंत्र में जो दिखता है उसको भी बोलना चाहिए. कहीं न कहीं हम सरकार में बैठे हैं. आज माननीय मंत्री महोदय से मैं स्पष्ट रूप से एक विषय को रखना चाहूंगा कि आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा आपके जिला स्तर पर योजनाओं के लिए जो राशि जाती है उस राशि की आप मॉनिटरिंग करवाइए. उस राशि का बहुत जमकर दुरुपयोग हो रहा है. मैं सत्तापक्ष का सदस्य जरुर हूँ पर बताना चाहता हूँ कि उसमें 10 से 15 प्रतिशत का लेनदेन हो रहा है. यह मैं स्पष्ट बताना चाहता हूँ, सबूत के साथ बताना चाहता हूँ. जो अनुदान हमारे जिले में जाता है उस पर आप मॉनिटरिंग करें. जिले में अध्यक्ष के रुप में एक अनुसूचित जाति वर्ग के विधायक को चेयरमेन बनाया जाता है उसकी बैठकें समय पर हों इसकी माननीय मंत्री जी चिंता करें. जहां तक आदिवासी समाज का प्रश्न है. वर्ष 2014-15 में मेरे विधान सभा क्षेत्र में 1500 रुपए प्रतिव्यक्ति राशि जमा कराई गई एकबत्ती कनेक्शन के लिए, यह संख्या तीन-चार गांव की मिलाकर लगभग 600 परिवार की है. इनके कनेक्शन अभी तक नहीं हो पाए हैं. इस पर मंत्री जी ध्यान दें. हमारे जिले में पट्टे वितरण का काम हुआ है उसके लिए मैं आपको साधुवाद देना चाहूँगा. आपकी नीति में था कि विकासखण्डों में मांगलिक भवन दिया जाएगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में विकासखण्ड गोटेगांव, नरसिंहपुर में अभी तक मांगलिक भवन नहीं दिया गया है. नियमानुसार जब सभी को मांगलिक भवन दिया गया है तो मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी ब्लाक स्तर पर देना चाहिेए. इसको भी आप आज चर्चा में रख लें. मंत्री जी मेरा विनम्र अनुरोध है कि आपके विभाग की जिला स्तर पर जो राशि जाती है उसकी सही मॉनीटरिंग करेंगे तो जो भी योजनाएँ हैं उनकी सही देखभाल हो पाएगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मैं मांग 33 और 49 का विरोध करती हूँ और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करती हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की 15 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व इस विभाग को दिया गया है. अनुसूचित जाति विकास विभाग प्रदेश के महत्वपूर्ण विभागों की श्रेणी में आता है. विभाग को बजट इसलिए दिया जाता है कि वह इन वर्गों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक उत्थान के लिए प्रयासरत् रहे. इनको बराबरी पर लाने के लिए विभाग की जितनी भी संस्थाएं संचालित हैं उनका सही रुप से क्रियान्वयन हो. लेकिन विभाग द्वारा संचालित संस्थाओं में भ्रष्टाचार व्याप्त है. अनुसूचित जाति बस्ती विकास के लिए भारी भरकम बजट दिया जाता है ताकि इन बस्तियों में पानी, बिजली, पुल-पुलिया निर्माण किया जाए. यह राशि नियमानुसार खर्च नहीं की जाती है. ट्रायबल विभाग की जो शिक्षण संस्थाएं हैं, छात्रावास हैं इनमें एससी, एसटी के जो बच्चे पढ़ रहे हैं. उन छात्रों की जो छात्रवृत्ति है वह महँगाई के अनुसार बहुत कम है इसे बढ़ाया जाए. सैनिक स्कूल, डीपीएस स्कूल और भी जो सरकारी स्कूल हैं इनमें जो एससी, एसटी के बच्चे पढ़ते हैं उनकी फीस दी जाती है. इसी प्रकार से जो एससी, एसटी के बच्चे निजी स्कूलों में अध्ययनरत हैं जैसे संस्कार वैली, बिलाबांग स्कूल, कॉर्मल कान्वेट स्कूल, भोपाल आदि स्कूलों में भी एससी, एसटी के बच्चों को आर्थिक सहायता दी जाए उनकी फीस शासन के द्वारा जमा करवाई जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे संज्ञान में यह बात आई है कि सैनिक स्कूल और डीपीएस की फीस तो जमा की जाती है लेकिन हमारी मांग है कि माननीय मुख्यमंत्री जी हर सभा में घोषणा करते हैं कि मेरे भांजे-भांजी जो अनुसूचित जाति, जनजाति के हैं वे यदि निजी स्कूल में पढ़ाई करना चाहते हैं उनकी फीस उनका मामा भरेगा. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करती हूँ कि इन स्कूलों में भी शासन के द्वारा फीस जमा करवाई जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरी दूसरी मांग है कि छात्रावासों की संख्या बढ़ाई जाए. जो एससी, एसटी के विद्यार्थी हैं जो किराए के मकान में रहते हैं. एससी, एसटी और ओबीसी के लोग जहां मकानों में रहते हैं वहां उनके साथ भेदभाव होता है इससे उनमें हीन भावना आती है. इसलिये आपसे गुजारिश है कि छात्रावासों की संख्या बढ़ाई जाए. यह जो नियम है इसको पूरी तरह से हटाया जाए. ट्रायबल स्कूलों के छात्रावासों में जो शिक्षक नियुक्त हैं उन्हीं को वार्डन बना दिया जाता है वे सुबह से शाम तक दाल-चावल खरीदते रहते हैं और शिक्षण कार्य नहीं करते हैं. वार्डन की भर्ती अलग से की जाना चाहिए. विदेशों में उच्च शिक्षा अध्ययन सहायता के लिए अभी 50 छात्रों की संख्या बताई गई है इसको 100 के लगभग कर दिया जाए तो बहुत अच्छा होगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--उपाध्यक्ष महोदय, आदिम जाति कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग पर चर्चा हो रही है इसमें हम लोग नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा. अरे कम से कम कुछ बात तो हो.
उपाध्यक्ष महोदय--कुछ व्यवस्था होती है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--माननीय महोदय, व्यवस्था मैं जानता हूँ कि नियम प्रक्रिया से चर्चा हो रही है. आप समय से बंधे हैं. लेकिन मध्यप्रदेश में 21-22 प्रतिशत ट्रायबल है उसके बारे में आप 5-10 मिनट में चर्चा कराएंगे ?
उपाध्यक्ष महोदय--यह क्या कह रहे हैं आप,बैठ जाएं आप. आपको अनुमति हम नहीं देंगे. दोनों दलों की सहमति है. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी यहां से सचेतक हैं. दो-दो सदस्य ही इस पर बोलेंगे चूंकि 9 विभाग आज लेने हैं. रात के 11-12 बज जाएंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक--2 मिनट 3 मिनट में अनुदान मांगों पर चर्चा होगी?
श्री हरदीप सिंह डंग--2 मिनट में क्या बोलें ?
उपाध्यक्ष महोदय--जरुरी नहीं है कि सभी माननीय सदस्य चर्चा में भाग लें. यह कहीं नियम नहीं है. दोनों दलों की सहमति से ही मैं कर रहा हूँ. आप अपने सचेतकों से बात करिए.
श्री सोहनलाल बाल्मीक--उपाध्यक्ष महोदय, 2 मिनट में क्या कोई बात रखी जाएगी आप ही बताइए.
उपाध्यक्ष महोदय--जी हाँ रखी जा सकती है. 2 मिनट में भी रखी जा सकती हैं और दो घंटे में भी नहीं रखा जा सकती है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय--यह जो कह रहे हैं यह कार्यवाही में नहीं आएगा.इसे रिकार्ड न किया जाए. यह क्या कह रहे हैं आप मार्को जी. अनुशासित रहिए, बैठ जाइए. यहां बहुत सारे माननीय सदस्य हैं जो ट्रायबल क्षेत्रों से चुनकर आते हैं. आप बैठ जाइए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--(XXX)
श्री हरदीप सिंह डंग--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
उपाध्यक्ष महोदय--बैठ जाएं आप, बैठिए. आप इस तरह से बातें नहीं करेंगे. आपकी कोई बात कार्यवाही में आ ही नहीं रही है. डंग साहब आप तो बैठ जाइए. डंग साहब आप हर विषय पर बोलते हैं, हर विभाग पर बोलते हैं बैठ जाइए. ऐसा है मार्को साहब आप एक दो मिनट में समाप्त कर दें. दोनों तरफ से सहमति बनी है तब मैं यह कर रहा हूँ. सहमति दोनों तरफ से है दो मिनट में आप अपनी बात समाप्त करें. आपको जो सुझाव देने हैं सुझाव दे लीजिए. बाकी माननीय सदस्य लिखित में माननीय मंत्री जी को दे दें.
डॉ. गोविन्द सिंह--दोनों तरफ के सदस्यों को 2-2 मिनट बोल लेने दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय--गोविन्द सिंह जी आप यह बताइए कि आप गारंटी लेते हैं कि सब दो-दो मिनट बोलेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह--सब नहीं बोलेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--देखिए ऐसा है. नीचे चर्चा कुछ होती है उसके बाद आप वहां से कुछ और कहने लगते हो यह बात ठीक नहीं है. नीचे चर्चा हो चुकी है कि 2-2 सदस्य दोनों तरफ से बोलेंगे इसलिये मैंने मंत्री जी को बुलाया. नीचे सहमति हो चुकी थी 2-2 लोग बोलेंगे इसलिए मैंने मंत्री जी को बुलाया है. फुन्देलाल सिंह जी को मैं सिर्फ दो मिनट की अनुमति देता हूँ.
डॉ.गोविंद सिंह- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय पी.एस. जी यहां बैठे हुए हैं, तय यह हुआ था कि इस मांग तक सभी बोलेंगे. इसके बाद की मांगों पर एक ही सदस्य को बोलने का मौका दिया जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय- डॉ. साहब, ऐसा नहीं है. इस मांग के लिए भी यही तय हुआ था. संसदीय कार्य मंत्री और मुख्य सचेतक जी भी यहां बैठे हैं. डंग जी, आप तो कम से कम बैठिये. आप हर विषय पर बोलते हैं. आप लिखित में मंत्री जी को सुझाव दे दीजिए. इस तरह आप आसंदी के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं. आप चुपचाप बैठिये. मार्को जी, आप जारी रखें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्यवाद. आज मांग संख्या 33 और 49 पर चर्चा हो रही है और मैं उस समाज से ही आता हूं. मुझे बातें तो कई कहनी थीं. सबसे पहले मैं सरकार से यह कहना चाहूंगा कि कम से कम एक बात तो आज सदन में तय हो जाए कि आदिम जाति कल्याण विभाग के बजट से इस बार प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकण्डरी विद्यालयों के जितने भी भवन हैं, उनको पूर्ण कर दिया जाए. भवनविहीन कोई भी विद्यालय अब नहीं रहेगा, इस बार इस बात का सदन में निर्णय ले लिया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि इस बार के बजट में यह तय किया जाए कि सड़क से लगे हुए जितने भी विद्यालय हैं, उन सभी के बाउण्ड्री वॉल बना दिए जायें ताकि किसी प्रकार की कोई घटना न हो पाए. मैं चाहूंगा कि यह निर्णय सदन में सर्वसम्मति से लिया जाए. इसके अलावा ऐसे छात्रावास जहां पानी टपकता है, जहां छात्रों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है, भवनविहीन है, शौचालय की व्यवस्था नहीं है, पीने के पानी, बिजली, पलंग, चादर, दरी, गद्दे, तकिए और तो और फिनाइल तक की व्यवस्था छात्रावासों में नहीं है. मैं यह सब कुछ अपनी आंखों से देखकर आया हूं. पुरानी-पुरानी चादरें और गद्दे छात्रावासों में सप्लाई किए जाते हैं. पता नहीं ये लोग कहां से तय कर लेते हैं. चीजें एक छात्रावास से दूसरे छात्रावास घूमती रहती हैं. भोपाल के छात्रावास की चादरें पुष्पराजगढ़ में पहुंच जाती हैं और पुष्पराजगढ़ का सामान कहीं दूसरी जगह पहुंच जाता है. इस तरह से चीजें ट्रांसफर कर दी जाती हैं. आप उन छात्रावासों की हालत जाकर देखिये. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वे धरातल में छात्रावासों में जाकर देखें कि वास्तव में असली आदिवासी छात्र-छात्रायें, छात्रावासों में किस तरीके से रह रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी मांगों को सदन में पढ़ना चाहता हूं. मेरे क्षेत्र से नवीन छात्रावासों हेतु सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, अनुपपूर के माध्यम से पत्र यहां भिजवाया गया है. नवीन छात्रावास अमगंवा 9वीं से 12वीं, नवीन छात्रावास सरफा, करौंदी, बिलासपुर, लीलाटोला, छात्रावास कन्या गिरारी 6वीं से 8वीं, नवीन छात्रावास नवगंवा, ताली, खाटी, चिल्हिामार, पोडकी, गिरारीखुर्द, गिरारीकल, छात्रावास मौहारी, बड़ी तुम्मी और बेलडोंगरी में नवीन छात्रावास खोले जायें क्योंकि 20-25 किलोमीटर की दूरी से बच्चे विद्यालय में अध्ययन करने आते हैं. इसलिए मैं सरकार से निवेदन करूंगा कि यहां नवीन छात्रावास खोले जायें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सीनियर छात्रावासों हेतु पूर्व ही प्रस्ताव विभाग को भेजा जा चुका है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि यह आदिवासी क्षेत्र है और मां नर्मदा की सेवा यात्रा भी उसी क्षेत्र से गुजरनी है. इसलिए मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस यात्रा को देखते हुए उस क्षेत्र को बढि़या चकाचक कर दिया जाए तो बहुत ही बेहतर होगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र से उच्चर माध्यमिक विद्यालय लखौरा, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करपा, कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गिररी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करौंदी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमगंवा, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बालक बेनीबारी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कन्या बेनीबारी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खाटी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पोंडकी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पडमनिया, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भेजरी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमरकंटक, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लेढरा, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खमरौध, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दमहेडी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मॉडल पुष्पराजगढ़, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमदरी के प्रस्ताव हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में पिछले 32 वर्षों से मात्र क ही महाविद्यालय संचालित है और आज तक वहां बालक-बालिकाओं का पोस्ट मैट्रिक छात्रावास नहीं बना है. माननीय मंत्री जी से मैं विनम्र प्रार्थना करता हूं कि 32 सालों से महाविद्यालय वहां है. यदि आप वहां के लिए बालक-बालिकाओं के छात्रावास संचालित करने की स्वीकृति दे देंगे तो बड़ी कृपा होगी. महोदय, समय देने के लिए आपको पुन: धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- धन्यवाद.
श्री घनश्याम पिरोनियां (भाण्डेर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति वर्ग की अनुक्रमणिका में, मध्यप्रदेश की अनुसूचित जातियों की सूची में, ''बरहर'' लिखा हुआ है जबकि पूर्व में ''बराहर'' लिखा जाता रहा है. मेरा निवेदन है कि इसमें संशोधन करके बरहर की जगह बराहर, संख्या 6 में लिखा जाए. संख्या 8 में बसोड़, बरोड़, बसौर, बासोड़ी, बांसफोड़, बंसार और 20 नंबर पर धानुक लिखा हुआ है. ये सभी लगभग बांस का, बैण्ड का और उस समय दाई-जनाई का काम करने वाले समाज हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि ये सभी समाज समकक्ष हैं, इन्हें एक सूची में अंकित करके अनुसूचित जाति की पात्रता की श्रेणी में रखा जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक और निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे बंशकार समाज के लिए मंत्री जी द्वारा मध्यप्रदेश बांस विकास निगम का गठन किया गया है. इसकी भी घोषणा शीघ्र की जाए, ऐसा मैं माननीय मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं. इसके अतिरिक्त मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा में उनाव और भाण्डेर में दो डॉ.अम्बेडकर मांगलिक भवन बन जायें. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- सभी माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि वे अपने प्रस्ताव माननीय मंत्री जी को लिखित में दे दें. उन प्रस्तावों को भी उतना ही महत्व मिलेगा जितना कि आपके सदन में यहां बोलने पर मिलेगा. मैं आसंदी से यह निर्देश दे रहा हूं कि आप सभी अपने प्रस्ताव मंत्री जी को लिखित में दे दीजिए.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की अनुदान मांगों पर सदन के माननीय 7 सदस्यों ने भाग लिया है. आदणीय के.पी.सिंह, मेश्राम जी, ओमकार मरकाम, डॉ.कैलाश जाटव, श्रीमती शीला त्यागी और फुन्देलाल सिंह मार्को एवं घनश्याम पिरोनियां जी ने इसमें भाग लिया है. मैं इन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, जो माननीय सदस्य सदन में नहीं बोल पाए हैं, आप उन सभी के प्रस्ताव भी स्वीकार कर लीजिए.
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कह सकता हूं कि के.पी.सिंह जी सहित अन्य सम्माननीय सदस्यों ने आज जो बातें सदन में उल्लेखित की हैं, वे सारी स्वाभाविक हैं. उनके द्वारा कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं. मैं सदन में एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि देश को आजाद हुए लगभग 70 वर्ष हो गए हैं और मध्यप्रदेश के गठन को भी 1 नवंबर 1956 से लगभग-लगभग 70 साल हो गए हैं. मध्यप्रदेश और देश में एक नहीं अपितु कई प्रकार की सरकारें आयी और गई हैं. मध्यप्रदेश में एस.सी. 15.6 प्रतिशत और एस.टी. 21.0 प्रतिशत है अर्थात् लगभग 37 प्रतिशत इन जातियों की संख्या है. इन 37 प्रतिशत में वनों में रहने वाले वनवासी और झोपड़ी में रहने वाले गरीब लोग हैं. यदि पिछले 70 सालों में इनके लिए लगातार ठीक ढंग से बजटिंग कर दी गई होती, ठीक ढंग से मॉनीटरिंग कर दी गई होती और ठीक ढंग से उनका उत्थान, कल्याण व विकास कार्य कर दिया गया होता तो मैं समझता हूं कि आज इसके लिए बहुत बड़े बजट की आवश्यकता नहीं पड़ती. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी स्वीकार करता हूं कि यदि सब कुछ ठीक हो जाएगा तो फिर राम-राज्य आ जाएगा. इसका मतलब यह है कि कहीं न कहीं गुंजाईश है इसलिए अनुसूचित जाति, जनजाति के विकास और कल्याण की दृष्टि से मध्यप्रदेश में अभी बहुत कुछ करना बकाया है और हमारे मुख्यमंत्री जी कहते भी हैं कि हमारे पड़ाव हैं, मंजिल नहीं है इसलिए उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह बताना चाहता हूँ कि अनुसूचित जाति, जनजाति के जो हमारे छात्रावास हैं, आश्रम हैं, स्कूल हैं, खेल परिसर हैं, उनके शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, अधोसंरचना के विकास और साथ ही उनके रोजगार की व्यवस्था क्या की जा सकती है, इसके बारे में मैं सदन को बताना चाहता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि कुछ शंकाएँ, कुछ सुझाव, अभी माननीय के पी सिंह जी ने दिए थे, मैं उनका समाधान करना चाहता हूँ क्योंकि सदन के माध्यम से कहीं न कहीं शंकाएँ न रहें, उसका कुछ निदान निकले. आपने कहा था कि भाषायी शिक्षक हैं, इसका कुछ निदान होना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, मैंने प्रभारी मंत्री रहते अपने श्योपुर में 43 में से 36 बच्चों को वापस कराया. लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूँ कि संविदा शाला शिक्षक के रिक्त पदों की पूर्ति हो, इसमें बीएड और डीएड की छूट के लिए प्रस्ताव शासन के पास है क्योंकि डीएड, बीएड, का जैसे ही बैरीकेड्स लगता है और भाषायी शिक्षकों की नियुक्ति में कहीं न कहीं दिक्कत आ रही है. लेकिन के पी सिंह जी, यह प्रस्ताव छूट के लिए विधि विभाग के अभिमत के लिए हम लोगों ने भेज दिया है और मुझे लगता है कि बहुत जल्दी हमको इसमें सफलता मिलेगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने कहा था कि अनुसूचित जाति, जनजाति छात्रावासों में कंटेनजेंसी राशि नहीं दी जाती..
श्री के पी सिंह-- मंत्री जी, यह डीएड, बीएड, की जो बात है, इसमें आप बाद में भी ट्रेनिंग करा सकते हों क्योंकि 10-10 साल वे पढ़ा चुके हैं. इसकी ट्रेनिंग आप अपनी सेवा में लेकर भी करा सकते हों क्योंकि वे ट्रायबल के लोग हैं उनके पास पैसा नहीं है, वे कहाँ से एक एक लाख रुपये फीस के जमा करेंगे?
श्री लाल सिंह आर्य-- इसीलिए शासन ने, इसीलिए मुख्यमंत्री जी ने, विचार किया कि इसकी छूट दे दी जाए पर पहले उनको भर्ती कर लिया जाए, उसके बाद डीएड, बीएड, करा लिया जाए. ये विधि विभाग के पास प्रस्ताव चला गया है.
श्री के पी सिंह-- मतलब उम्मीद करें?
श्री लाल सिंह आर्य-- जी, उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जनजाति के छात्रावासों में मैंने कहा कि अनुसूचित जाति के छात्रावासों में ही राशि भेजी जाती है. लेकिन मैं कहना चाहता हूँ कि 36,000 रुपये प्रति छात्रावास अनुसूचित जनजाति के छात्रावासों में भी यह राशि भेजने का प्रावधान है और 10 करोड़ की राशि अगले वर्ष के प्रावधान से की गई है.
श्री के पी सिंह-- यह पहले से ही है कि अभी किया है?
श्री लाल सिंह आर्य-- पहले हुआ है और अभी 10 करोड़ का प्रावधान अगले वर्ष के लिए और किया है.
श्री के पी सिंह-- अभी किया है कि पहले से है यह बता दो?
श्री लाल सिंह आर्य-- पहले से, अभी पिछली बार हुआ है और 10 करोड़ का प्रावधान अगले वर्ष के लिए.
उपाध्यक्ष महोदय, एक विषय और आया था कि कोई सम्मेलन, कोई कार्यशाला नहीं हो रही है. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आदिम जाति अनुसंधान संस्थान द्वारा जनजातीय बोलियों के संरक्षण हेतु जो कार्य किया जा रहा है उसमें भोपाल में ही यह कार्यशाला यहाँ पर इसी वर्ष आयोजित हुई है. लेकिन आप सही कह रहे हों कि इसको और ज्यादा करने की आवश्यकता है.
श्री के पी सिंह-- मैं ज्यादा करने की नहीं कह रहा हूँ, यह आप ही का डाक्यूमेंट है, इसमें लिखा है कि वर्ष 2016‑17 में कोई सेमिनार आयोजित नहीं कराया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- के पी सिंह जी, कभी कभी इंटरवेंशन ठीक है. लगातार न करें.
श्री के पी सिंह-- मैं नहीं कर रहा हूँ, मैं तो जो लिखा है वह बता रहा हूँ. आप खुद तय कर लें.
उपाध्यक्ष महोदय-- अपनी कुछ शंकाएँ आप कायम रखिए. सबका समाधान क्यों करवा रहे हों?
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पोस्ट मैट्रिक छात्रावास में शिष्यवृत्ति की बात आई थी कि 300, रुपये दे रहे, 500 रुपये दे रहे, ऐसा नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं सदन को बताना चाहता हूँ कि 1000 रुपये उन छात्रों के लिए यह कहीं न कहीं राशि दी जाती है.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही यह पहली बार हुआ है कि मध्यप्रदेश में जब से माननीय शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री बने हैं, इन 11 सालों में पहली बार अनुसूचित जाति, जनजाति, की जो आबादी है उसके मान के हिसाब से बजट दिया जा रहा है. अगर यह बजट लगातार इसी प्रकार से मिल रहा होता तो मुझे लगता है कि जैसे हमारे भैय्या मार्को जी कह रहे थे कि वह हाई स्कूल का भवन नहीं है, बाउण्ड्री नहीं है, हो सकता है कि यह सब हो गया होता. लेकिन आने वाले समय में यह सब हम लोग कहीं न कहीं चरणबद्ध तरीके से करते चले जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, आदिम जाति कल्याण विभाग में कक्षा 1 से 12 वीं तक..(व्यवधान)..18,723 शैक्षणिक संस्थाओं में लगभग 18 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. 2,547 छात्रावास आश्रम में 01 लाख 50 हजार अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थी निवासरत हैं. अनुसूचित जाति के 1,944 छात्रावासों में लगभग 97,000 अनुसूचित जाति के विद्यार्थी निवासरत हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और चीज यह भी बताना चाहता हूँ कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री जी ने अपने निवास पर एक सम्मेलन बुलाया था और उस सम्मेलन में उन्होंने तय किया कि जो छात्रावास हैं, इन पर कहीं न कहीं टीका-टिप्पणी होती रहती है, समाचार-पत्रों की सुर्खियाँ बनती रहती हैं इसलिए वनवासी क्षेत्र में जो हमारे बच्चे पढ़ रहे हैं, चाहे एस सी के हों, चाहे एस टी के हों, इनको शहरी शिक्षा, शहरी आवासीय व्यवस्था, किस प्रकार से ठीक दी जाए. इस पर भी चिन्ता करने का काम माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में 150 विशिष्ट संस्थाओं में लगभग 26,000 अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. मैं यहाँ यह भी उल्लेख करना चाहता हूँ कि मैं पिछले दिनों इन्दौर गया था. 10 जगह ज्ञानोदय विद्यालय हैं. इनमें 2,800 अनुसूचित जाति के छात्र अध्ययनरत हैं. उस छात्रावास के वार्षिक स्नेह सम्मेलन में मैं गया, पूरे मध्यप्रदेश के बच्चों के खेल की प्रतिस्पर्धा हुई थी, सांस्कृतिक गतिविधियों की हुई थी, मैं बहुत गौरव के साथ कहना चाहता हूँ कि संभवतः किसी प्रायवेट स्कूल में भी इतनी अच्छी व्यवस्था, इतने अच्छे आयोजन, नहीं हो सकते, जितना अच्छा आयोजन इन्दौर के उस ज्ञानोदय विद्यालय में मैं देख कर आया हूँ इसलिए पूरे मध्यप्रदेश में इसी प्रकार से आने वाले वर्ष 2017-18 में अनुसूचित जनजाति के 10 जूनियर छात्रावास, 20 सीनियर छात्रावास, 20 महाविद्यालयीन छात्रावास, अनुसूचित जनजाति की 20 माध्यमिक शालाओं का हाई स्कूल में उन्नयन और 40 हाई स्कूलों का उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन का भी लक्ष्य हमने रखा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एकलव्य आवासीय परिसर मध्यप्रदेश में 29 हैं. कन्या परिसर 80 हैं. मॉडल 8 हैं, क्रीडा परिसर 23 हैं और इनकी अच्छी व्यवस्था करने के लिए...
श्री वेल सिंह भूरिया-- माननीय, सरदारपुर में खेल परिसर...
श्री लाल सिंह आर्य-- आप लिख कर दे देना. उपाध्यक्ष महोदय, छात्रवृत्ति की दृष्टि से भी एस टी के 27 लाख, एस सी के 20 लाख, कुल 47 लाख बच्चों को, हम 659 करोड़ की छात्रवृत्ति इस मध्यप्रदेश में दे रहे हैं और अगले वर्ष भी 2017-18 में हमने अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों के लिए 564 करोड़ रुपये और अनुसूचित जाति के वर्ग के लिए 668 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान भी किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आवासीय सहायता योजना, यह एक अनुकरणीय पहल है, मध्यप्रदेश में नवाचार हुआ है. जिन बच्चों को छात्रावासों में जगह नहीं मिलती है. आखिर वे एससी, एसटी, के बच्चे कहाँ जाएँ? इसलिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने फैसला लिया कि ऐसे बच्चे यदि, चाहे वे जिला मुख्यालय पर हों, चाहे संभागीय मुख्यालय पर हों, चाहे ब्लाक मुख्यालय पर हों, अगर वे किराए का मकान लेकर रहते हैं तो ऐसे बच्चों का किराया का पैसा भी मध्यप्रदेश की सरकार भरेगी. उनके परिवार को नहीं भरना पड़ेगा. ऐसे छात्रों की संख्या एसटी के 38,575 और एससी के 35,240 यानि की 73,815 छात्रों के 101 करोड़ की किराए की राशि मध्यप्रदेश की सरकार ने, जिनको छात्रावासों में जगह नहीं मिल पाई थी...(व्यवधान)..उपाध्यक्ष महोदय, एक चीज और कहना चाहता हूँ. यह योजना जो बनी है. यह 2013-14 में माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में बनी. उपाध्यक्ष महोदय, विदेश में जो छात्र अध्ययन करने जाते हैं, जिन्हें स्नातकोत्तर और पीएचडी में एडमिशन लेना है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, झोपड़ी में रहने वाली वह प्रतिभा विदेश में कैसे पढ़ सकती है ? जहां लगभग 10 लाख, 15 लाख, 20 लाख रूपये खर्च होते हों. मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश की सरकार ने एसटी, एससी के उत्थान के लिए जो नवकरणीय प्रयाय किए हैं उसमें एक प्रयास विदेश अध्ययन का भी है. अभी तक एससी के 43 बच्चे और एसटी के 4 बच्चे कुल मिलाकर 47 बच्चे अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, स्वीडन, पौलेंड, स्वीट्जरलैंड, मलेशिया, चीन, रूस और आइलैंड में पढ़ रहे हैं. यदि यह प्रयास छात्रों के लिए 70 साल पहले प्रारम्भ कर दिया गया होता तो आज लाखों बच्चे एसटी, एससी के कहीं न कहीं बडे़ पदों पर बैठ गए होते और इसके लिए 2017-18 में भी बजट दिया गया. अनुसूचित जनजाति के लिए 3 करोड़ रूपये और अनुसूचित जाति के लिए 14 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. सरकार यहीं नहीं रूकी है. एक-एक स्टेप चाहे शैक्षणिक हो, चाहे छात्रावास हो, चाहे आवासीय व्यवस्था हो. इसके बाद कोचिंग और उसको प्रोत्साहन दिया गया. मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हॅूं कि आईआईटी, एनआईटी, मेडिकल, क्लेट एसटी के 200 बच्चों को हम कोचिंग दे रहे हैं. वर्ष 2015-16, 2016-17 में दिया है और एससी के आईआईटी में 44, एनआईटी में 51, क्लेट में 25, मेडिकल में 217 कुल मिलाकर 337 छात्रों को हमने काम्प्टीशन में भाग लेने और उनको कोचिंग देने का काम किया है. यूपीएससी की परीक्षा में अनुसूचित जनजाति के 89 और अनुसूचित जाति के 92 विद्यार्थियों को भी हमने कोचिंग उपलब्ध कराई है और अबकी बार इसका बजट भी बढ़ा दिया है. वर्ष 2017-18 में सौ-सौ बच्चों को कोचिंग एससी, एसटी के बच्चों को दी जाए, सरकार ने कहीं न कहीं यह प्रावधान किया है. अनुसूचित जनजाति के लिए डेढ़ करोड़ रूपये, और आठ करोड़ रूपये अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए कोचिंग देने और प्रोत्साहन राशि देने के हम लोगों ने प्रयास किया है. केवल यह कोचिंग और प्रोत्साहन ही नहीं है. बैंकिंग, रेलवे, कर्मचारी चयन आयोग, एमपीपीएससी, टॉफेल जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं अभी तक 388 बच्चों को इस अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रशिक्षण के कारण मध्यप्रदेश में नौकरी प्राप्त हो गई है. इसमें से 183 बच्चे एमपीपीएससी में सिलेक्ट हुए हैं और अन्य परीक्षाओं में 76 बच्चे सिलेक्ट हुए हैं. यह प्रशिक्षण ग्वालियर, भोपाल, सागर, जबलपुर, इंदौर, रीवा और मुरैना में दिया जा रहा है. इसके अतिरिक्त 415 आदिवासी छात्र, 814 अनुसूचित जाति के छात्रों को सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए क्रमश: 78 लाख और 1 करोड़ 68 लाख की प्रोत्साहन राशि भी देने का काम कर रहे हैं. 23 क्रीड़ा परिषदों का संचालन मध्यप्रदेश में विभाग कर रहा है. वर्ष 2016-17 में 386 विद्यार्थियों द्वारा राज्य स्तर की खेल प्रतियोगिता में भाग लिया गया था उसमें से 110 बच्चों को स्वर्ण पदक, 101 को रजत पदक और 135 को कांस्य पदक प्राप्त हुए हैं और राष्ट्रीय स्तर पर जो विभिन्न जिलों में 134 खिलाडियों द्वारा भाग लिया गया था उसमें 2 स्वर्ण, 1 रजत कहीं न कहीं हमारे इन बच्चों को मिला है. यह एसटी के लिए है और इसमें 34.87 करोड़ रूपये का प्रावधान वर्ष 2017-18 के बजट में किया गया है. ये तीन-चार बातें मैं नवाचार की करते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हॅूं. मैंने पहले ही कहा है कि 21 जनवरी 2017 को एक नेतृत्व विकास शिविर मुख्यमंत्री आवास में लगा था. मुख्यमंत्री जी की यह पीड़ा है कि जो वनवासी क्षेत्रों में हमारे बच्चे पढ़ते हैं, स्वाभाविक है जिस प्रकार से आप सब ने कहा है कुछ छात्रावास में कमियॉं रहती हैं उनको दुरुस्त कैसे किया जाए. जो वनवासी क्षेत्र के बच्चे हैं उनको ब्लॉक में, जिला स्तर पर, संभागीय मुख्यालय पर सुविधाऍं ज्यादा से ज्यादा कैसे दी जाएं और इसलिए मुख्यमंत्री जी ने नेतृत्व विकास शिविर में यह तय किया कि अब आने वाले समय में जो छात्रावास, आश्रम होंगे, उनके जो कक्ष होंगे या विद्यालय होंगे अब उसमें एक-एक रूम में 15-15, 20-20 बच्चे नहीं रहेंगे. बल्कि एक कक्ष में दो से तीन बच्चे ही रहा करेंगे और उनको डायनिंग टेबल पलंग के साथ, फिक्स टेबल, कुर्सी होगी. पलंग का निर्माण साथ होगा, टॉयलेट होगा. वॉटर होगा. पानी भी नल का होगा, हैंडपम्प का नहीं होगा. उनको कहीं न कहीं फिल्टर का पानी मिले, ऐसे छात्रावासों का निर्माण मध्यप्रदेश की सरकार माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए करने जा रही है. स्वच्छ जल उपलब्ध हो, खेलकूद मैदान हो. ऐसे छात्रावास मध्यप्रदेश में आगामी दिनों में 750 छात्रावासों का निर्माण होगा. कोई एक नहीं. अनुभव है. आप सब को भी जब आप कहीं न कहीं प्रवास में जाते होंगे, ये कठिनाइयॉं मिलती होंगी और इन्हीं को ध्यान में रखते हुए जब हम लोग मुख्यमंत्री जी को बताते हैं तो उनको लगता है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के बच्चों को यह नहीं लगना चाहिए कि हम कोई अलग हैं. इसलिए उनको भी लगे कि हम पूरे समृद्ध समाज के साथ चल रहे हैं सरकार हमारी चिन्ता कर रही है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी अब समाप्त करें.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे कहते हुए गौरव महसूस हो रहा है कि जो ज्ञानोदय विद्यालय है यह 10 जगह बने हुए हैं. इसमें बच्चों का एडमीशन होता है, वह काम्प्टीशन के आधार पर होता है. मैं कहते हुए फख्र महसूस कर रहा हॅूं कि कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा हुई, ज्ञानोदय विद्यालय में जो बच्चे पढ़ रहे हैं 91 प्रतिशत बच्चे दसवीं की परीक्षा में प्रथम आए हैं. 84 प्रतिशत बच्चे बारहवीं में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं और यह कहते हुए और फख्र हो रहा है कि एक भी बच्चा फेल नहीं हुआ है. सारे के सारे बच्चे इस ज्ञानोदय विद्यालय में पास हुए है और उत्कृष्टता कैसे आए, यह भी हम लोग प्रयास कर रहे हैं. संस्थाओं में आईआईटी, एनआईटी, क्लेट और मेडिकल परीक्षाओं में जो हमारे बच्चे सफल हो रहे हैं उनके बारे में भी बताना चाहता हॅूं. अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राएं आईआईटी में 1, एनआईटी 6, क्लेट में 25 और मेडिकल में 8 बच्चे सफल हुए है. इसी प्रकार से केवल यही नहीं इन बच्चों को रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जाए और रोजगार उपलब्ध कराया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब समाप्त करें. 21 मिनट हो गए हैं.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बस दो बातें कर रहा हॅूं. विभाग द्वारा अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम, आदिवासी वित्त विकास निगम के माध्यम से 3616 आदिवासी युवाओं को तथा 10804 अनुसूचित जाति के युवाओं को वर्ष 2016-17 में विभिन्न व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण हम लोगों ने दिया है. इसमें से 22351 आदिवासी युवाओं को, 315.42 करोड़ का ऋण और अनुदान और 1 लाख 94 हजार 805 अनुसूचित जाति के युवाओं को 1439 करोड़ का ऋण देकर उनको रोजगार दिलाने का काम किया है. अंत में एक विषय वनाधिकार पट्टे का आया था. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का विकास, कल्याण कहीं न कहीं चूंकि मुख्यमंत्री जी की प्राथमिकता में है. इसलिए अभी विषय आ रहा था कि वनाधिकार पट्टे नहीं दिए जा रहे हैं. मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हॅूं कि अब तक 2 लाख 11 हजार 429 वन निवासियों को व्यक्तिगत एवं 27 हजार 422 सामुदायिक वनाधिकार पत्र वितरित किए जा चुके हैं. वनाधिकार पत्र धारकों में से 49 हजार 580 को कपिलधारा कूप निर्माण के लिए दिया है. 21 हजार 617 को डीजल विद्युत पम्प दिए गए हैं 45 हजार 405 को आवास एवं 54 हजार 49 को मेड़ बंधान समतलीकरण के लिए भी कहीं न कहीं व्यवस्था करने की हम लोगों ने कोशिश की है. हमने कोशिश की है. बस केवल एक अंतिम बात कहते हुए समाप्त कर रहा हूँ. हमारे के.पी. सिंह जी पिछले विधानसभा सत्र के एक प्रश्न में छात्रावास के लिए कहा था उन्होंने पत्र भी दिया है इसके अलावा किसी ने कहा है कि हाईस्कूल, किसी ने कहा है कि सामुदायिक भवन चाहिए.छात्रावास के लिए कहीं न कहीं परीक्षण होता है लेकिन के.पी. सिंह जी ने कहा है तो वह एक छात्रावास हमने कल ही ब्रीफिंग में अधिकारियों से कहा है कि वह देना आवश्यक है क्योंकि उधर भी कहीं न कहीं लोग रहते हैं. दूसरा जिन विधायकों ने मंगल का भवन कहा है, यदि अनुसूचित जाति की 40 परसेंट से ज्यादा घोषित बस्तियाँ हैं, उस बस्ती के मानदंड में आ रहे होंगे तो वह मंगल भवन भी स्वीकृत होंगे और आपके माध्यम से मैं सदन से आग्रह करता हूं कि हमारी अनुदान मांगों को स्वीकृत करने का कष्ट करें.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 33 एवं 49 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
मांग संख्या 26 संस्कृति
मांग संख्या 37 पर्यटन
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्ताव पर एक साथ चर्चा होगी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 26 और 37 पर अपनी बात रखने के लिए खड़ी हुई हूं । माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं पिछले सत्र में पीयूसी कमेटी की सदस्य थी । इस सत्र में भी सदस्य हूं हमारे सभापति महोदय भी यहीं उपस्थित हैं । पीयूसी कमेटी जब दौरे पर गई । उस दौरान एमपी टूरिज्म की होटल में जाने का वहां रूकने का वहां अवसर मिला । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब हम गए और जाने के बाद जब हमारी बात चीत हुई और अक्सर मेरे मन में एमपीटी को लेकर बात रहती थी क्योंकि वहां के जो चार्जेस हैं वह इतने हाई हैं कि वहां चाह कर भी कोई रूकना नहीं चाहता । यह बात मेरे मन में थी और मुझे अवसर भी मिल गया ।
05 25 बजे - ( सभापति महोदया, (श्रीमती नीना विक्रम वर्मा ) पीठासीन हुई)
माननीय सभापति महोदया, माननीय सिसौदिया जी भी यहां उपस्थित हैं । जब हमने वहां बात की कि आपके यहां इतने ज्यादा चार्जेस क्यों हैं उन्होंने कहा कि हमारी अर्द्वशासकीय संस्था है और हमको शासन के नियमों के अनुसार ही सबको वेतन देना पड़ता है । इसके चलते हम चार्जेस कम नहीं कर सकते । प्रायवेट होटल वाले कम वेतन में काम चला लेते हैं इसलिए उनका चल जाता है लेकिन हमारे लिए बहुत मुश्किल होगा ।
माननीय सभापति महोदया, हम लोग यह बात अच्छे से जानते हैं कि एमपीटी के जहां जहां होटल हैं उसका एक क्रेज हैं निश्चित रूप से वहां लोग रूकना चाहते हैं परन्तु चार्जेस की दिक्कत है और उसको हमें ठीक करना पड़ेगा । मैं आपको बताना चाहती हूं विधायकों को छूट मिली हुई है कि यदि आप एमपीटी की होटल में रूकते हैं तो आपको इतने परसेंट छूट दी जाएगी । मैं आपसे कहना चाहती हूं कि अभी हमारे यहां सातवां वेतनमान लागू हुआ है । सातवें वेतनमान के बाद निश्चित रूप से केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की बात हो या हमारे राज्य के कर्मचारियों की बात हो इन सब लोगों का वेतन बहुत अच्छा हुआ है । मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि ऐसे शासकीय कर्मचारी जब प्रायवेट दौरे पर जाएं, पारिवारिक दौरे पर जाएं तो उनको भी ऐसी छूट दी जाए क्योंकि शासन का वह इतना काम कर रहे हैं, इसलिए कहीं न कहीं एक तरफ से देना और दूसरे तरफ से लेना हो जाएगा, पर उनकी इच्छा अनुसार वह अपनी खुशी से दें तो ऐसी व्यवस्था हमको एमपीटी की तरफ से करनी पड़ेगी । यह बात सही है कि अक्सर यह देखने में आता है कि एमपीटी के होटल महीने में 15 दिन भरे रहते हैं और 15 दिन खाली रहते हैं । अगर आप चार्जेस कम करेंगे तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि एमपीटी के होटल हमेशा भरे रहेंगे । कहीं न कहीं एवरेज जब आप निकालेंगे तो आप फायदें में रहेगे इस बात पर माननीय सभापति महोदय मैं चाहती हूं कि माननीय मंत्री जी विशेष ध्यान दें और दूसरी बात अभी एक स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाने का मुझे मौका मिला । मैं उस गांव का भी जिक्र करना चाहती हूं । बहेला गांव से इस विधानसभा के सदस्य रहे स्वर्गीय श्री यशंवत राव खोंगल जी का गृह ग्राम है । जब मैं उस स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रम में गई तो वहां मेरे दिमाग में था कि जब स्कूल में प्रतिवेदन पढ़ा जाएगा तो बाउन्ड्रीवाल, फर्नीचर और भी इस तरह की मांगें आएंगी यह मेरे दिमाग में था और मांग आई भी मैंने घोषणा भी की लेकिन तब मैं कार्यक्रम के दौरान बैठी थी तो उस समय मैंने देखा कि एक बच्ची जिन्होंने इतना शानदार नृत्य किया इतना शानदार उनका परफारमेंन्स था कि मैं तो क्या मेरे साथ जितने भी लोग थे सब दंग रह गए कि ऐसी प्रतिभा भी इस गांव में हो सकती है । हम लोग बहुत आश्चर्यचकित थे और उस समय मुझे ऐसा लगा कि हम सब विधायक निश्चित रूप से चुनाव के बंधन में ऐसे बंध जाते हैं । जीत के दायरे में इतने हम लोग गुंथ जाते हैं कि हमारा दिमाग रोड,पुल,पुलिया इन सबसे ऊपर जाता ही नहीं है । जब उस बच्ची को मैंने देखा तो मेरे दिमाग में यह बात आई और मैंने मंच से भी कहा कि यदि मुझे ऐसा कोई अवसर मिलेगा कि मैं इस प्रतिभा को प्रदेश स्तर पर दिखा पाऊं तो मैं जरूर प्रयास करूंगी और मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि ऐसी बहुत सारी प्रतिभाएं गांव में हैं । मैं तो वहां चली गई इसलिए मुझे यह प्रतिभा दिख गई और आज जब मुझे बोलने का मौका मिला है तो मैं इस अवसर को बिल्कुल जाने नहीं दूंगी और मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि बहुत सारी ऐसी प्रतिभाएं हमारे गांव में हैं । संस्कृति विभाग इतने बड़े बड़े आयोजन करवाता है । ख्याति प्राप्त कवियों को,ख्याति प्राप्त कलाकारों का आयोजन करवाता है और करोड़ों रूपए उनमें खर्च किए जाते हैं । माननीय सभापति महोदया, कुछ ऐसी व्यवस्था माननीय मंत्री और उनका विभाग करे कि प्रत्येक विधायक जो उनके विधानसभा क्षेत्र में 5 ऐसे प्रतिभाशाली छात्रों को 5,3 या 2 जैसी उनकी सुविधा बने उस अनुसार यदि आप प्रत्येक विधायकों से आप नाम मागेंगे तो मुझे पूरा विश्वास है कि केवल रोड, पुल, पुलिया से ऊपर उठकर विधायक की नैतिक जवाबदारी बन जाएगी और निश्चित रूप से ऐसी प्रतिभाएं जो लोग ख्याति प्राप्त कर चुके हैं उनके लिए आप करोड़ों रूपए खर्च करते हैं और जिनके अंदर प्रतिभा छुपी है उसको बाहर लाने का काम भी तो हमारा ही और जवाबदारी भी है । मुझे पूरा विश्वास है कि इस बात पर भी माननीय मंत्री जी पूरा विचार करेंगे । माननीय सभापति महोदय, मां नर्मदा निश्चित रूप से मां नर्मदा हमारी संस्कृति का प्रतीक है । बाकी देवी-देवता जो आशीर्वाद देते हैं वह तो हमको प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देता, लेकिन माँ नर्मदा की आस्था, उनकी वजह से जो हमारे प्रदेश में खुशहाली है, हरियाली है, इसको किसी के प्रमाण की जरुरत नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने नर्मदा सेवा यात्रा निकाली है, मैं उसका स्वागत करती हूँ और बहुत धन्यवाद भी करती हूँ यह हम सबकी आस्था का प्रश्न है लेकिन इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री जी ने प्रस्ताव रखा है कि नर्मदा नदी के किनारे जो किसान निवास करते हैं, जो वहाँ खेती करते हैं यदि वे किसान अपनी खेती में फलदार वृक्ष लगाएँ तो उनको 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तीन साल तक शासन देगा. माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहती हूँ कि नर्मदा के किनारे रहने वाला कौन सा किसान ऐसा है जो 20 हजार रुपये लेकर अपनी खेती को फलदार वृक्ष लगाने के लिए देगा, शासन को यह राशि तय करते वक्त कम से कम एक बार सर्वे जरूर करवा लेना चाहिए था कि वहाँ पर प्रति हेक्टेयर किसानों की आय कितनी है ? इसमें एक बात और महत्वपूर्ण है कि आपने फलदार वृक्ष लगाने की बात तो कही है लेकिन कम से कम कितने वृक्ष लगाने होंगे, इसको भी सार्वजनिक करना चाहिए, क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि नर्मदा जी की योजना के चलते, नर्मदा जी की भलाई के चलते, अधिकारी इसका दुरुपयोग न कर लें.
माननीय सभापति महोदया, दूसरी बात आज मैं इस सदन में यह भी कहना चाहती हूँ कि हमारे सामाजिक क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फूले और पहली महिला शिक्षिका माता सावित्री फूले जी की प्रतिमा इस विधान सभा के परिसर में लगवाई जाए ताकि हम सब विधायकगण उनसे प्रेरणा लें और विपरीत परिस्थितियों में यदि सामाजिक परिवर्तन करने की बात आए तो हम उनसे मार्गदर्शन लें, उनसे प्रेरणा लें, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से और इस पूरे सदन से यह मेरा निवेदन है.
माननीय सभापति महोदया, आप जिस तरह से घड़ी देख रही हैं तो मेरी भी हॉर्ट-बीट बढ़ रही है, अब मैं सीधे अपने विधान सभा क्षेत्र की बात पर आ जाती हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत लांजी में किला है जो पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है और कोटेश्वर मंदिर भी है जहाँ शंकर जी की मूर्ति है तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि उसको आप पर्यटन स्थल घोषित करें, चूँकि हमारे यहाँ कोटेश्वर मंदिर भी है, यह क्षेत्र महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से लगा हुआ है, इन राज्यों से काफी श्रद्धालू वहाँ पर आते हैं, अगर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा तो निश्चित रूप से लांजी को तो फायदा होना ही है लेकिन प्रदेश की आय में भी वृद्धि होगी, यह मुझे विश्वास है.
माननीय सभापति महोदया, एक बात और है कि हमारे जितने नेशनल पार्क्स हैं, चाहे अभ्यारण्य हैं, एक समय था जब हमें इनमें पर्यटकों को लाने की चिंता होती थी, आजकल हम चिंता करते हैं कि पर्यटक कम आएँ. मैं बताना चाहती हूँ कि बालाघाट जिले से सटे मण्डला जिले में कान्हा नेशनल पार्क है, इस नेशनल पार्क का एक गेट बालाघाट जिले में भी आता है और हमने अक्सर देखा है कि पर्यटक इतने ज्यादा आ जाते हैं कि उनको सफारी के लिए इंट्री नहीं मिल पाती है और वे इंतजार करते रहते हैं, 2 दिन, 4 दिन और कई बार तो बिना सफारी के ही वे लोग लौट जाते हैं. अत: मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हॅूं कि आप नाइट सफारी के बारे में सोचें, क्योंकि जंगली जानवर तो रात में भी विचरण करते रहते हैं, नाइट सफारी के लिए रिसर्च करवा लीजिए, आप देख लीजिए, क्योंकि हम भी चाहते हैं कि जानवरों को भी दिक्कत न हो. अत: नाइट सफारी की व्यवस्था यदि सभी नेशनल पार्क्स और अभ्यारण्य में हो जाए तो यह बहुत अच्छा कदम रहेगा.
माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूँ कि मध्यप्रदेश में जितने धार्मिक स्थल हैं इन धार्मिक स्थलों पर आस्था के नाम पर जो लोगों को लूटा जाता है, इस पर विशेष ध्यान आपको देना पड़ेगा. हमारे यहाँ उज्जैन में महाकाल है, मैहर में शारदा माता है, हमने देखा है कि वहाँ पर धार्मिक आस्था के चलते मध्यप्रदेश से ही नहीं, सारे देश से और विदेशों से भी तीर्थयात्री आते हैं तो आस्था के नाम पर उनको लूटा जाता है. बात लूट की नहीं है, हमें लूट की चिंता उतनी नहीं है जितनी कि प्रदेश का नाम और देश का नाम खराब होने की है क्योंकि हम इसे आस्था से जोड़कर देखते हैं. इसलिए मैं चाहूंगी कि इस चीज को भी बहुत ही गंभीरता से देखा जाए.
माननीय सभापति महोदया, अपनी बात खत्म करने से पहले मैं एक और बात करना चाहती हूँ कि ताजमहल जहाँ शाहजहाँ और मुमताज को दफन किया गया है, इसको देखने पूरे देश और दुनिया से लोग आते हैं. मैं कोई ऐसी बात नहीं कह रही हूँ, मुझे यह बोलना है इसलिए मैं बोल रही हूँ, जब कोई भोपाल में आता है तो वह पूछता है कि मैडम व्यापमं का कार्यालय कहाँ स्थित है, अत: मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री से कहना चाहती हूँ कि (XXX).
सभापति महोदया -- आप विषय पर बात करिए, विषय से हटकर न बोलें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय सभापति महोदया, मैं अनर्गल कुछ नहीं बोल रही हूँ. ,,,(व्यवधान) ... पर्यटन से हटकर मैंने बात नहीं की है, अब ये और बात है कि आप इसको जिस दृष्टि से देखना चाहें.
सभापति महोदया -- इसे विलोपित किया जाए, यह विषय से हटकर है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय सभापति महोदया, आपने मेरी बात सुनी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) -- माननीय सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 26 और 37 के समर्थन में यहाँ पर अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मध्यप्रदेश की सरकार भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सदैव सहेजने और संरक्षित करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है. हमारी कोशिश है कि जो हमारी संस्कृति है, जो हमारी पहचान है, जो हमारा अतीत है, उस संस्कृति को और ऊँचाइयाँ हम कैसे दे सकें. मध्यप्रदेश की सरकार इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही है. हमने कभी चौदह विद्या, चौंसठ कलाओं का नाम तो सुना था लेकिन उनका कभी दर्शन नहीं किया, उन कलाओं को कभी देखा नहीं, उन कलाओं को कभी जाना नहीं, यह मध्यप्रदेश की पहली सरकार है कि चौदह विद्या और चौंसठ कलाओं के बारे में, हमारी सरकार ने संदीपनी ऋषि के आश्रम में जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की, उस आश्रम में श्रीकृष्ण द्वारा प्राप्त उन चौंसठ कलाओं और विद्याओं की कलादीर्घा बनाकर एक अनूठा उदाहरण, एक अलग पहचान लोगों के सम्मुख प्रस्तुत की है.
माननीय सभापति महोदया, सिंहस्थ के समय में शैव, शाक्य, वैष्णव इन संप्रदायों के बारे में चर्चा बहुत से लोग करते हैं लेकिन इनकी कला अभिव्यक्तियों के बारे में, इनकी धाराओं के बारे में, इनके अखाड़ों के बारे में कि शैव, शाक्य और वैष्णव क्या हैं, इनकी क्या परंपराएँ हैं, इनकी क्या मान्यताएं हैं, इनको कभी जाना नहीं, पहचाना नहीं, यह मध्यप्रदेश की सरकार है कि सनातन संस्कृति को, जो भिन्न-भिन्न संप्रदायों में, मतों में, मत-मतांतरों में अलग-अलग हम विभक्त हैं, हमारे मानने वाले लोग हैं, हमारे साधु संत हैं, मनीषी हैं, उनको हमने त्रिवेणी के नाम से स्थापित करने का एक अनूठा प्रयास पूरे भारत में और मध्यप्रदेश में अलग सोच के साथ करने का काम किया है.
माननीय सभापति महोदया, हमारे मध्यप्रदेश में कई संस्कृतियाँ हैं, निमाड़ की संस्कृति है, बुंदेली संस्कृति है, मालवी संस्कृति है, महाकौशल की संस्कृति है, इन सब संस्कृतियों को न केवल सहेजने का काम किया है, बल्कि इन संस्कृतियों के माध्यम से उनके क्षेत्रों में जगह-जगह क्या होना चाहिए, वहाँ के लोगों का स्वाद क्या है, उन संस्कृतियों को और कैसे हम परिमार्जित कर सकते हैं इसके लिए मध्यप्रदेश की सरकार ने विभिन्न लोकोत्सवों के माध्यम से, विभिन्न महोत्सवों के माध्यम से, कभी धार्मिक उत्सवों के माध्यम से, कभी शहीद महोत्सवों के माध्यम से उन संस्कृतियों को समाज के बीच बिखेरने का काम हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को और उनके संस्कारवान कुकड़ेश्वर से संबंध रखने वाले मंत्री भाई सुरेन्द्र पटवा जी को जिन्होंने कुकड़ेश्वर के साथ-साथ कुंडेश्वर में, हमारे विधान सभा क्षेत्र में शिवरात्रि के पर्व पर तीन दिवसीय संस्कृति महोत्सव की हमें दो वर्ष पहले सौगात दी, आज वह कार्यक्रम वहाँ हो रहा है.
माननीय सभापति महोदया, जिस समय राज्यों का और रियासतों का विलयकरण चल रहा था उस समय हमारे क्षेत्र के अमर शहीद क्रांतिकारी नेता नारायण दास खरे, जिनकी वहाँ हत्या हुई, सामन्ती प्रवृत्तियों ने वहाँ उनकी हत्या की, उन सामन्तियों ने जब उनको मार दिया तो उनको सम्मान देने के लिए, पहली बार टीकमगढ़ में रियासतों के विलयकरण के समय कोई अगर अमर शहीद हुआ है तो वह एकमात्र क्रांतिकारी है अमर शहीद नारायण दास खरे, जिनकी स्मृति में भी शहीद महोत्सव नरोसा नाला पर जहां उनकी हत्या सामंतों ने की थी, वहां पर शहीद महोत्सव की सौगात हमारे माननीय मंत्री ने दी है, मैं उनको और उनके विभाग को धन्यवाद देना चाहता हूं.
श्री यादवेन्द्र सिंह - सामंत कौन है, नाम बताओ.
सभापति महोदया - आप डिस्टर्ब न करें. कृपया आप बैठ जाएं.
श्री के.के. श्रीवास्तव - माननीय सभापति महोदया, मैं बात कर लूं. क्या आप सामंत हैं ?
श्री यादवेन्द्र सिंह - आप सामंत किसे कह रहे हो. भईया सामंत में कौन आता है. आप परिभाषा बताओ तब आप आगे बढ़ो.
श्री के.के. श्रीवास्तव - मैं आपसे कुछ नहीं कह रहा हूं. सामंत कौन है यह बता दें, मैं बैठ जाता हूं. XXX.
श्री यादवेन्द्र सिंह - यह कैसे बोल रहे हैं, कौन से सांमत ने मारा था. राजे रजवाड़ों के कौन से सामंत ने मारा था. (व्यवधान)..
श्री के.के. श्रीवास्तव - XXX
सभापति महोदया - आप उनका जवाब मत दीजिए आप अपनी बात जारी रखिए.
श्री यादवेन्द्र सिंह - XXX
श्री के.के. श्रीवास्तव - XXX
श्री यादवेन्द्र सिंह - XXX
सभापति महोदया- आप अपनी बात रखिये, आप उन्हें डिस्टर्ब न करें. (व्यवधान)..
डॉ. रामकिशोर दोगने- XXX
सभापति महोदया - आप बैठ जाईये.
श्री के.के. श्रीवास्तव - माननीय सभापति महोदया, मैं पुरातत्व के बारे में अपनी बात करना चाहता हूं. (व्यवधान)..
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - माननीय सभापति महोदया, सामंती मतलब यही है कि यह बहुत अच्छी बढि़या बात बोल रहे हैं और इसके बीच में डिस्टर्ब करना यही तो सामंतवाद है. XXX(व्यवधान)..
सभापति महोदया - श्री के.के.श्रीवास्तव जी आप अपनी बात जारी रखें. इनकी सारी बातें निकाल दीजिए, इनकी कोई बात रिकार्ड में नहीं आएगी.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - XXX(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान - हर व्यक्ति प्रजातंत्र का प्रतिनिधि है और जनता ने जिताकर भेजा है पाठक जी. (व्यवधान)..
श्री यादवेन्द्र सिंह - XXX(व्यवधान)..
श्री के.के. श्रीवास्तव - मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि आप बैठ जाएं. (व्यवधान)..
सभापति महोदया - यह सब बातें रिकार्ड में नहीं आएंगी, श्रीवास्तव जी आप अपनी बात जारी रखिए, आप अपने विषय की बात करिए.
श्री के.के. श्रीवास्तव - आप बैठ जाएं. यादवेन्द्र सिंह जी मैं आपसे बैठने का निवेदन कर रहा हूं (व्यवधान)..
श्री यादवेन्द्र सिंह - XXX (व्यवधान)..
सभापति महोदया - आपकी कोई बात नहीं लिखी जाएगी. आप बैठ जाईए.
श्री यादवेन्द्र सिंह - माननीय सभापति महोदया, बार-बार यह सामंत शब्द नहीं आना चाहिए. (व्यवधान)..
………………………………………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
सभापति महोदया - वह नहीं बोल रहे हैं, वह तो अपनी बात कह रहे हैं. वह विषय पर बोल रहे हैं. आप बैठ जाएं. (व्यवधान)..
श्री के.के. श्रीवास्तव - माननीय सभापति महोदया, टीकमगढ़ में दो सूर्य मंदिर है मैं संस्कृति मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि वह सूर्य मंदिर जीर्णशीर्ण हालत में है और पुरातत्व विभाग के अधीन है, लेकिन वहां व्यवस्थाएं नहीं है. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि वहां आने-जाने का मार्ग सुगम कराया जाए और इसको पर्यटन की धारा से जोड़ दिया जाए. वह सूर्यमंदिर अनूठा है. जब कभी हम उड़ीसा में जाकर कोणार्क का सूर्य मंदिर देखते हैं तो उसी प्रकार टीकमगढ़ में भी मड़खेड़ा के सूर्यमंदिर और उबरी के सूर्यमंदिर को संरक्षित करके पर्यटन के नक्शे पर लाया जाए.
05.43 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ में 1857 की क्रांति के नायकों में से एक अमर शहीद तात्याटोपे जी ने अंग्रेजों से युद्ध करने के समय पर रणनीति बनाई थी, उस अस्तोन के किले में भूमिगत होकर वह रहे थे. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि वह अस्तोन का किला जीर्णशीर्ण हालत में है. क्रांतिकारी तात्याटोपे की भूमिगत और रणनीति स्थली, जहां पर उन्होंने युद्ध के मामले में वहां बानपुर के महाराज मर्दन सिंह, शाहगढ़ के राजा बख्तबली शाह, उनके साथ बैठकर योजनाएं बनाई थी, वहां पर उनके उस किले को संरक्षित कर उसे स्मारक घोषित किया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बड़ी चर्चाएं हो रही थी, लोग ताना देते हैं हम पर अंगुलियां उठाते हैं, लेकिन यह नहीं पता है कि तीनों अंगुलियां खुद पर हैं. मध्यप्रदेश की सरकार ने एक अनूठी योजना बनाई है. उपाध्यक्ष महोदय घर का बेटा तीर्थ नहीं करा पाते हैं. अगर कोई कहे कि हमें बद्रीनाथ जाना है, मथुरा जाना है, कुंडेश्वर जाना है, भोपाल के किसी राजा भोज के मंदिर जाना है, उज्जैन जाना है तो बेटा कहेगा कि पैसे तो हमारे खर्च होना, आप यहीं हर हर गंगे कर लो . यह मध्यप्रदेश की सरकार है, जिसने लोगों को तीर्थों पर भेजने की योजना बनाकर और मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बनाई. आरोप लगाना आसान है, लेकिन काम करना और धरातल पर काम दिखना कठिन काम होता है. यह मध्यप्रदेश की सरकार है जिसने काम प्रारंभ किया है.
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य से यह पूछना चाहता हूं कि किस विभाग की चर्चा कर रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - यह आम सभा हो रही है. (हंसी)..
श्री अजय सिंह - यह आम सभा नहीं हो रही है. (हंसी)..
उपाध्यक्ष महोदय - श्री बहादुर सिंह जी बैठ जाएं. (हंसी)..
श्री अजय सिंह - भाई यह पर्यटन और संस्कृति में तीर्थ योजना नहीं है. मैं कृपया करके आदरणीय से प्रार्थना करूंगा कि आप अपने विभाग के विषय पर चर्चा करें.
श्री के.के.श्रीवास्तव - आप प्रार्थना न करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को बताता हूं. यह संस्कृति को बचाने की बात हो रही है. यह तीर्थदर्शन भी संस्कारों से जुड़ा मामला है, संस्कृति से जुड़ा मामला है. अब अगर सोच नहीं है तो मैं क्या करूं.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री के.के.श्रीवास्तव जी आप मेरी बात ही नहीं सुनते हैं. भाई नि:संदेह आप बहुत बेहतरीन वक्ता हो, लेकिन अब आप नगरपालिका से विधानसभा आ गये हो, आप यहां तथ्य की बात करो, मैं चाहता हूं कि आप संसद भी जाओ. लेकिन यहां पर आप विभाग की बात करो.
श्री के.के.श्रीवास्तव - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं समापन ही कर रहा हूं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने यह प्रश्न उठाया कि मैं किस विषय पर बोल रहा हूं तो मैंने उनसे कहा कि मैं सस्कृति और संस्कारों पर बोल रहा हूं और यह बात शायद उनकी समझ में आ गयी हो. आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद और सदन का भी बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद(हंसी)... श्री गिरीश भंडारी जी आप बोलिए.
श्री गिरीश भंडारी (नरसिंहगढ़) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पर्यटन विभाग और संस्कृति विभाग पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. निश्चित रूप से किसी भी प्रदेश के विकास के लिये पर्यटन का अपना एक महत्व होता है और संस्कृति विभाग निश्चित रूप से किसी भी प्रदेश की अपनी संस्कृति होती है और संस्कृति से उस प्रदेश की पहचान होती है. मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि मेरा नरसिंहगढ़ क्षेत्र मालवा का मिनी कश्मीर के नाम से जाना जाता है और वहां पर वर्षा ऋतु के समय एक बहुत अच्छा पर्यटन की दृष्टि पर्यटन स्थान विकसित हो सकता है. आज से चार-पांच साल पहले हमने प्रयास किया था और केंद्र सरकार से पर्यटन के नाम पर कुछ राशि मध्यप्रदेश सरकार को मिली थी. पर्यटन विभाग के माध्यम से वहां पर नरसिंहगढ़ में ऐतिहासिक स्थल छोटे महादेव, बडे़ महादेव खजूर पानी, नादिया पानी, के कुछ काम हुए है. निर्माण कार्य तो हुआ, लेकिन उसका यह निर्धारण नहीं हुआ है कि उसकी देखरेख कौन करेगा. वह बिना किसी देखरेख के है. उसकी देखरेख न नगर पालिका कर पाई, न पर्यटन विभाग देखरेख कर पाया. पर्यटन विभाग ने सिर्फ अपनी जवाबदारी यह समझी की उन्होंने निर्माण कार्य कर दिया लेकिन कोई देखरेख के लिये कोई व्यवस्था नहीं की और न ही नगर पालिका ने उसकी देखरेख की कोई व्यवस्था की है. आज यह हालत वहां है. करीब पांच छ: साल पहले वहां निर्माण कार्य हुए और उन पांच छ: सालों में आज यह हालत है कि जो वहां पर मार्बल या लाल पत्थर या ग्रेनाइट लगा था वह पचास प्रतिशत उखड़ चुका है. वहां शासन का जो पैसा लगा, वह निर्थक गया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चूंकि माननीय मंत्री जी का नरसिंहगढ़ से एक विशेष संबंध है. मेरी उनसे इस बारे में चर्चा भी हुई है कि उसको विकसित करना चाहिए. चूंकि वहां सो दस बारह किलोमीटर दूर एक चिढ़ीखौ सेंचुरी है, उसी के पास में एक सांका जागीर में सोलहवी शताब्दी की ऐतिहासिक छत्री है. वहां पर नरसिंहगढ़ में एक एतिहासिक किला भी है. अगर इन सब को लिंक करके एक अच्छी योजना बनाई जाए तो मैं समझता हूं कि नरसिंहगढ़ मध्यप्रदेश का एक बहुत अच्छा पर्यटक स्थल बन सकता है. मैं निश्चित रूप से यह उम्मीद रखता हूं कि मंत्री जी इस बारे में विचार विमर्श करेंगे और विभाग को निर्देशित करेंगे कि वहां पर बैठकर उसकी योजना बनाई जाए, जिससे मध्यप्रदेश में हम एक अच्छा पयर्टन स्थल घोषित कर सकें क्योंकि पर्यटन के लिये जो चीजें आवश्यक होती वह वहां नरसिंहगढ़ में है. वहां पर
शहर के बीच में एक बहुत बड़ा तालाब है, जहां वोटिंग भी होती है, यहां ऐतिहासिक मंदिर है छोटे महादेव, बड़ा महादेव, खजूरी पानी, चिढ़ी खौ सेंचुरी है. एक ऐतिहासिक छत्री है, अगर इन सबको मिला दें तो हम निश्चित तौर पर नरसिंहगढ़ को एक पर्यटन स्थल घोषित कर सकते हैं और एक पर्यटन स्थल बना सकते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी के साथ में एक दूसरी बात और रखना चाहता हूं कि बीते सालों में आज से तीन-चार वर्ष पूर्व नरसिंहगढ़ में नरसिंहगढ़ महोत्सव मनाया जाता था और यह महोत्सव मनाने के पीछे उद्देश्य यही था कि कहीं न कहीं इसको पर्यटकों से जोड़ा जाए और इसको पर्यटन स्थल घोषित करने और पर्यटक स्थल बनाने में इस महोत्सव की एक महत्वपूर्ण भूमिका हो.
लेकिन पिछले 3 सालों से नरसिंहगढ़ महोत्सव जो वहां पर होता था, वह बंद हो गया है. मेरे एक प्रश्न के उत्तर में भी आपने आश्वासन दिया था कि यह नरसिंहगढ़ महोत्सव शुरू किया जाएगा. कहीं न कहीं मैं लगातार प्रयास करता रहा, लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण अभी तक वहां की तारीख निश्चित नहीं हो पाई है. मैं चाहता था कि विभाग के माध्यम से वह नरसिंहगढ़ महोत्सव मनाया जाय. मैंने उसका आपको सुझाव भी दिये था कि 3 दिन का नरसिंहगढ़ महोत्सव हो जिसमें कि एक दिन आपके अनुबंधित जो कलाकार हैं उनके माध्यम से किया जाय. एक दिन हमारे नरसिंहगढ़ के जो प्रतिभावान छात्र-छात्राएं हैं, जो हमारी संस्कृति है, उसका एक दिन का कार्यक्रम रखा जाय और क्योंकि नरसिंहगढ़ कवि सम्मेलन के लिए बहुत मशहूर रहा है तो एक दिन वहां पर कवि सम्मेलन रखा जाय, ऐसा मेरा सुझाव था. निश्चित रूप से माननीय मंत्री जी आज अपने भाषण में जरूर उस बात का उल्लेख करेंगे. चूंकि मैंने जैसे पहले आपको बताया है कि वहां पर करीब साढ़े चार, पांच करोड़ रुपए जो आज से 5-6 साल पहले लगा था, उस राशि का बिल्कुल दुरुपयोग हो चुका है. कहीं कहीं तो यह स्थिति है कि जो काम नहीं हुए, जैसे उसमें कहा गया था कि हमने सूचना के बोर्ड लगाए हैं, इन सब चीजों के नाम पर जो राशि खर्च की गई है और वह काम वहां पर नहीं हो पाए. मैं चाहूंगा कि उन चीजों की जांच कराई जाय और जो काम अधूरे रह गये हैं, उन कामों को पूरा किया जाए. दूसरा एक बहुत महत्वपूर्ण बात है कि वहां पर पर्यटन विभाग ने नरसिंहगढ़ में एक पर्यटक होटल खोला, लेकिन पता नहीं किन कारणों से, किन परिस्थितियों में वह ऐसी जगह बना दिया गया कि आज 7 साल होने के बाद भी वह होटल बंद पड़ी है. वह चालू नहीं हो पाई है, उसका सबसे बड़ा कारण है कि इसका जो चयन किया गया, वह बहुत गलत जगह पर किया गया, क्योंकि पुराने समय में 5-6 साल पहले चयन हुआ, फिर बनी. वह इतना गलत चयन हुआ कि आज भी हमारे ब्यावरा के विधायक अभी बैठे हुए नहीं हैं, वे देखते हैं तो हमेशा इस बात को कहते हैं कि गिरीश इस बात को उठाओ कि यह जगह कैसी धूल खा रही है? वह होटल आज से 6 साल पहले बनी है लेकिन आज तक वह चालू नहीं हो पाई है. उसका सबसे कारण है कि वह गलत जगह बनी है. अब जो बन गई है तो मेरा यह सुझाव है कि उसको तत्काल चालू किया जाय. उसको लीज पर देकर या जैसे भी विभाग की व्यवस्था है, उस विभाग की व्यवस्था के माध्यम से उस होटल को चालू किया जाय. उपाध्यक्ष महोदय, मैं बिल्कुल ज्यादा समय नहीं लूंगा, आपके आदेश का पालन करते हुए मेरा यह जो सुझाव है कि नरसिंहगढ़ को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने की बात, नरसिंहगढ़ महोत्सव की बात, निश्चित ही माननीय मंत्री जी इस बारे में यहां पर सदन में घोषणा करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरौद) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 26 एवं 37 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और मैं यह निश्चित रूप से कहूंगा कि पर्यटन विभाग ने मध्यप्रदेश में विगत 10-12 वर्षों में जो अभूतपूर्व काम किये हैं क्योंकि मेरा लगभग पूरे मध्यप्रदेश में जाना हुआ है, चाहे भेड़ाघाट हो, कान्हा हो, शिवपुरी हो, ओरछा हो, खजुराहो हो, ग्वालियर हो, ओंकारेश्वर हो, महेश्वर हो, पचमढ़ी हो, भीमबेटका हो, सांची हो, मांडव हो, हनुवंतिया हो, ऐसे अनेक स्थान हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, जब मैं वर्ष 2004 में मांडव सबसे पहले गया क्योंकि मैं ऊर्जा विकास निगम का अध्यक्ष था और वहां एक गौशाला में जब बायोगैस प्लांट का उद्घाटन करने गया था तो मैंने देखा कि पूर्व की सरकारों ने किस प्रकार से निर्ममता के साथ में उस मांडव को खत्म होने दिया. जब मैं एक अच्छे गाइड को लेकर गया और जिस टेक्नीकल दृष्टि से वह महल बना होगा, उस वक्त के लोगों ने जिन हाथों से उस महल को बनाया होगा. लेकिन पुरातत्व की चीज को बेरहमी से खत्म होने दिया. लेकिन जब मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और निश्चित रूप से मैं आज गर्व के साथ कहूंगा कि उसको हमने संवारने का काम किया है. महेश्वर के नर्मदा जी के घाट को अगर देखेंगे तो पूरे मध्यप्रदेश में ही नहीं, पूरे हिन्दुस्तान में शायद ही कम घाट ऐसे होंगे जो महेश्वर का घाट था, उसको हम पर्यटन की दृष्टि से अच्छा विकसित कर सकते थे. वहां विदेशी आ सकते थे. भारत के लोग आ सकते थे. मैं यह भी कहना चाहूंगा कि निश्चित रूप से पर्यटन जो भी आता है, भारत से आता है, विदेश से आता है. 2-3 चीजों के कारण आता है. उसे रहने की अच्छी सुविधाएं चाहिए. सड़कें अच्छी चाहिए. बिजली चाहिए. हमने इन 10 वर्षों में पर्यटन का विस्तार करने के लिए निश्चित रूप से ये सारी चीजें दी हैं. हमने अच्छी होटलें दी हैं. अब कुछ मेरे मित्रों ने कहा. मैं यह कहना चाहूंगा कि होटल प्लाश की आप व्यवस्थाएं देखें. होटल प्लाश आज से 10 साल पहले क्या था? 10 साल पहले भोपाल और इंदौर के बीच में डोडी मिड-वे था, पहले क्या स्थिति थी? आज डोडी को हमने विकसित किया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बड़ी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि डोडी के समय जो उद्घाटन हुआ था, वह किसने चालू किया था, उसका थोड़ा पता लगा लीजिए, इसके बाद कहिएगा.
(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अब व्यवस्थाएं बेहतर हो गई हैं. इस बात को कह रहे हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी - (व्यवधान)..तो बहुत खराब लगता है, तब आप कहते हो कि 2003 के पहले की बात क्यों करते हो?
श्री अजय सिंह - वह चालू हुआ, हमने चालू किया तो वह बात मैं न कहूं? (व्यवधान)..पंडित जी, अपना के माधवगढ़ के किला काहे चालू नहीं हो पा रहा? ओखर एकढू दीवाल गिर गया, पर्यटन विभाग लय हैं. काहे नहीं चालू करा रहे? ओखे खितीर बात न करें.
श्री शंकरलाल तिवारी - आपको धन्यवाद जो आपने माधवगढ़ के किले की चर्चा की. एक करोड़ रुपया मैं माननीय मंत्री जी से मांग चुका हूं. उन्होंने देने के लिए भी कहा है, आगे काम बढ़ जाएगा.
श्री अजय सिंह - वहव बताए देव दीवाल गिर गय है, जब पैसा मिला है.
श्री शंकरलाल तिवारी - नहीं, दीवाल की आपको गलतफहमी है. आप हमेशा ऐसे ही भ्रम में बोलते हैं. दीवाल स्टेडियम की गिरी है बाढ़ में. किले की अभी कोई दीवाल नये सिरे से साल, छह महीने में नहीं गिरी है.
उपाध्यक्ष महोदय - शंकरलाल जी, आप बैठ जायं. स्टेडियम की दीवाल नहीं गिरी, पूरा स्टेडियम बह गया है. आप बैठ जाइए. शंकरलाल जी, वे अपनी बात कहने में सक्षम हैं.
श्री दिलीप सिंह शेखावत - माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आप एक दल के नेता प्रतिपक्ष हैं, निश्चित रूप से आप बड़े भाई हैं, अनुभवी हैं. मैं आपको बहुत विनम्रता से कहना चाहूंगा कि मुझे पता है कि डोडी कब बनी थी. लेकिन वर्ष 2005 के बाद की स्थिति में और आज की स्थिति में क्या अंतर है, आप निश्चित रूप से समझदार हैं और होटल प्लाश भी वर्ष 2005 के पहले क्या था, आज वह क्या है? अगर आप आंकलन सच्चे दिल से करेंगे तो आप भी स्वीकार करेंगे कि मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी ने ठीक तरीके से व्यवस्थाएं की हैं. मैं आपको बहुत विनम्रता से कहना चाहूंगा. मैं अभी मेरे पास में बैठे हुए मित्रों से कह रहा था, चूंकि मेरा जन्म राजस्थान का है. मैं कहना चाहूंगा कि जयपुर और ग्वालियर के राज घराने में वहां के जो राज परिवार के महल हैं. दूसरी चीजों में बहुत कोई अंतर नहीं है, लेकिन इतना अंतर जरूर है कि अगर 1000 विदेशी टूरिस्ट जयपुर आता है तो 10 ग्वालियर आता है. यह हमारी कमी थी. हमारी मार्केटिंग की कमी थी. हम 70 साल की आजादी में अगर मार्केटिंग करते, केवल पर्यटन देखने की वस्तु नहीं होती है, उसके कारण रोजगार भी मिलता है. मध्यप्रदेश, किस प्रकार का मध्यप्रदेश है. मध्यप्रदेश की संस्कृति क्या है, हमने 70 साल में मध्यप्रदेश में क्या किया, यह मेसैज भी टूरिस्ट लेकर जाता है,इसलिए मैं मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी को आज धन्यवाद देना चाहता हूं कि नयी-नयी सोच के साथ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो मध्यप्रदेश में काम किया है. आज वाटर टूरिज्म की जो कल्पना की है और खंडवा में उसको जो संजोया है, वह वास्तव में केवल आज भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में आज की तारीख में मध्यप्रदेश के इस काम को सराहा जा रहा है. जैसा आदरणीय श्री दिलीप सिंह परिहार जी ने कहा है कि आने वाले सालों में हम गांधी सागर को विकसित करना चाहते हैं. अगर आज कुंभ के मेले में पूरे तीन दिन का संस्कृति विभाग ने कार्यक्रम करके एक मेसैज दिया है, वह अनुकरणीय है. आज हिन्दी को संवारना चाहिए. हिन्दी विकसित होना चाहिए. हिन्दी में और क्या संभावनाएं हैं, भोपाल में अगर संस्कृति विभाग ने कार्यक्रम किया है तो निश्चित रूप से वह तारीफ-ए-काबिल है और इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि जैसा पुरानी चीजों का मैंने उल्लेख किया. मांडव का उल्लेख किया, महेश्वर का उल्लेख किया, ओरछा का उल्लेख किया, खजुराहो में विधायकों का जब ट्रेनिंग केम्प था, मैंने देखा है खजुराहो को, इसलिए टूरिस्ट एक या दो दिन केवल मंदिर देखने के बाद जो पहले चले जाता था, लेकिन आज की तारीख में वहां लाइट एंड साउंड सिस्टम देखने के लिए आदमी शाम को रुकता है, उसको नयी चीज का पता लगा है. मैं माननीय मंत्री जी से एक आग्रह और करूंगा कि उज्जैन में निश्चित रूप से बाबा महाकाल है, मंदिर है. धार्मिक स्थान है, लेकिन बाबा महाकाल के मंदिर में लाईट एवं साऊंड अगर लगायेंगे तो निश्चित रूप से आने वाले समय में और पर्यटक रूकेंगे. हम मंदसौर के मंदिरों को विकसित कर सकते हैं. ऐसी कई चीजें मध्यप्रदेश के अंदर हैं.
उपाध्यक्ष महोदय,आज की तारीख में मध्यप्रदेश का गान है, उसकी गाथा है. उस गाथा के बाद लगता है कि वास्तव में मध्यप्रदेश के साथ में जो न्याय होना चाहिये था वह न्याय किसी ने किया है मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. अभी अधिकारियों के साथ बात कर रहा था आखिर इन वर्षों में कितने पर्यटक बढ़े हैं आज जब इन्होंने संख्या दी तो मेरा सीना भी गर्व के साथ फूला है कि 10 साल पूर्व लाखों की संख्या में पर्यटक आते थे. आज 7 करोड़ पर्यटक मध्यप्रदेश में आते हैं, मध्यप्रदेश को देखने के लिये आते हैं, मध्यप्रदेश सरकार की तारीफ करने के लिये आते हैं. अभी बहुत सारी चीजें हैं जो कह सकते हैं.
6.01 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री को बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा. एक उनसे विनती जरूर करूंगा कि नागदा में राजा जन्मयजय जी की नगरी है जहां बहुत बड़ा नागदा हुआ था. माननीय गेहलोत जी ने भी अधिकारियों से चर्चा की है जहां नागदा हुआ था वहां पर बहुत बड़ी टेकरी है. आप पर्यटन की दृष्टि उस टेकरी को संवारेंगे तो निश्चित रूप से यह नागदा शहर के लिये एक अनुकरणीय पहल होगी.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में महाराणा प्रताप जयंती का कवि सम्मेलन लगभग 50 सालों से होता था महाराणा प्रताप जयंती पर यह कार्यक्रम हो जाए. दो तीन मंदिरों के विस्तारीकरण और सौदर्यीकरण के प्रस्ताव आपके पास मीन, नरसिंहगढ़, मुवासा एवं छापानेर इनमें 6-6,7-7 लाख रूपये के सभा मंडप के प्रस्ताव हैं.
अध्यक्ष महोदय,अंत में माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से निवेदन करूंगा कि अगर आपके दल के व्यापम की बात करते हैं तो आपको खड़े होकर बोलना चाहिये. आपने के.के.श्रीवास्तव जी को बोला कि आप किस विषय पर बोल रहे हैं तो वक्ता बहन को भी बोलना चाहिये विषय से बाहर नहीं जाएं तो ठीक होगा. धन्यवाद
अध्यक्ष महोदय--मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अभी पांच विभागों पर चर्चा होना बाकी है. पांच विभाग के मंत्री भी उत्तर देंगे. आज एक कार्यक्रम भी है. इसीलिये सभी सदस्यों तथा माननीय नेता प्रतिपक्ष का भी ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. सदन में माननीय मंत्रिगण एवं संसदीय कार्य मंत्री जी भी बैठे हैं. यदि आप लोग अनुमति दें. अभी माननीय मंत्री जी पांच मिनट में अपनी बात समाप्त कर देंगे. एक सदस्य इधर से बोले और यहां से माननीय मंत्री जी उत्तर दें तो बाकी के पांच विभागों पर चर्चा हम कर सकते हैं. क्या सभी इससे सहमत हैं.
श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, हम सभी लोग सहमत हैं. लेकिन मंत्रिगण ज्यादा नहीं बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय--नियम यह है कि आज विभागों पर चर्चा समाप्त करके विनियोग विधेयक का पुरःस्थापन कराना ही पड़ेगा. चूंकि विभाग की मांगों पर चर्चा का आज अंतिम दिन ही था. आप कृपया करके देख लें. आप बैठ जाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, गुलोटिन करवा लें.
अध्यक्ष महोदय--प्रतिपक्ष के नेता जी एवं संसदीय कार्य मंत्री जी तय कर दें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के उत्तर के बाद गुलोटिन करवा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उसके बाद गुलोटिन करेंगे.
श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, इसके बाद एक और विभाग हो जाए, फिर गुलोटिन करा लीजिये.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी आप पांच मिनट में समाप्त करिये.
राज्य मंत्री,पर्यटन,संस्कृति एवं पुरातत्व (श्री सुरेन्द्र पटवा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास तीन बड़े बड़े विभाग पांच मिनट का समय तो कम रहेगा. जैसा कि आपने निर्देशित किया है समय की कमी को देखते हुए मैं भी कोशिश करूंगा तीनों विभागों में जितना सीमित हो सकता है उतना सीमित करने का काम करूंगा. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में लगातार हम पर्यटन संस्कृति एवं पुरातत्व में काफी काम कर रहे हैं. जैसा कि आप सबको मालूम है आप सबके लिये सौभाग्य का विषय है कि मध्यप्रदेश एक तिहाई वन क्षेत्र से आच्छादित है लगभग 25 हमारे यहां पर . वाईल्ड लाईफ है. लगभग 9 नेशनल पार्क हैं. मध्यप्रदेश के लिये गौरव का विषय है कि मध्यप्रदेश में तीन हेरीटेज हैं सांची, खजुराहो एवं भीमबेटका है. महाराष्ट्र देश में ऐसा स्टेट है जहां पर चार है. मध्यप्रदेश का देश में दूसरा स्थान आता है. दो-दो ज्योतिर्लिंग हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जलाशयों के विकास करने का काम किया है. चाहे इंदिरा सागर हो, गांधी सागर हो, बाण सागर हो, माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में तय किया कि पर्यटन को कैसे बढ़ाया जाये और पर्यटन के मामले में चिन्ता की और लगातार हम मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में काम कर रहे हैं. देश में सबसे पहली बार मध्यप्रदेश में पर्यटन केबिनेट का गठन हुआ है. जिस तरह से मध्यप्रदेश में कृषि केबिनेट का गठन हुआ. उसी तरह से मध्यप्रदेश में पर्यटन केबिनेट का गठन हुआ. जल पर्यटन के मामले में मध्यप्रदेश ने देश में इतिहास रचने का काम किया है. मैं जल महोत्सव की बात करूं तो हमारे यहां खंडवा जिले में हनुवंतियां में इस साल लगभग पांच लाख पर्यटक यहां पर आये. एशिया की सबसे बड़ी स्क्वायर मीटर की वॉटर बॉडी हमारे यहां पर है. न केवल हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी आज हनुमंतिया चर्चा का विषय है. लगभग दो बार वहां पर मंत्रिमंडल की बैठक भी हो चुकी है. टापूओं पर निवेश करने का काम हम लोग कर रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने आने वाले समय में बाणसागर, गांधीसागर अन्य हमारे जल से संबंधित पर्यटन स्थल है उनका भी हम लोग विकास करने का काम कर रहे हैं. हम लोगों ने 2016 के बाद से जो पर्यटन नीति बनी है उसके पहले पूरे प्रदेश में सबसीडी नहीं मिलती थी. अगर किसी भी इनवेस्टर को कहीं इन्वेस्ट करना है तो मध्यप्रदेश में नियम के अनुसार टूरिज्म विभाग की तरफ से सबसिडी देने का काम कर रहे हैं. पर्यटन की 16 श्रेणियों में अलग अलग सुविधाएं हैं जिनमें अनुदान दिया जाएगा. भूमि आवंटन की जो प्रक्रिया है. बहुत पारदर्शी बनाने का काम किया है. लगभग 5 लाख प्रति हेक्टेयर ग्रामीण एवं 10 लाख प्रति हेक्टेयर शहरी भूमि का आरक्षित मूल्य करने का काम किया है. इसी तरह से पर्यटक हेरीटेज नीति बनाने का काम हम लोगों ने किया है. हम लोग गोविन्दगढ़ एवं ताजमहल को 90 साल के लिये लीज पर देने का काम कर रहे हैं. आने वाले समय में मांधवगढ़फोर्ट जिसका कि अभी उल्लेख हुआ है. उसका एक बार टेन्डर हो चुका था. टेन्डर निरस्त हो गया है. आने वाले समय में बहुत जल्दी फिर से टेन्डर हो रहा है. उस टेन्डर के बाद में वहां का विकास किया जाएगा. जैसा कि हम सब जानते हैं कि 2003 में लगभग 58 लाख पर्यटक मध्यप्रदेश में आये. उसके बाद लगातार माननीय मुख्यमंत्री, विभाग के अधिकारियों ने काम करने का प्रयत्न किया. मुझे बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि 2016-17 में लगभग 15 सौ पर्यटक मध्यप्रदेश में आये.
अध्यक्ष महोदय, मुझे बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि 2016-17 में लगभग 17 करोड़ पर्यटक मध्यप्रदेश में आये. विदेशी पर्यटकों की संख्या 2002-03 में 96 हजार थी और अभी 3.67 लाख की संख्या है. मैं इस बात से सहमत हूं कि कहीं न कहीं देश की और पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था के कारण विदेशी पर्यटक हमारे यहां कम आये हैं.
अध्यक्ष महोदय, जहां तक बजट का सवाल है. 2002-03 में 22 करोड़ रुपये का बजट हुआ करता था आज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने विशेष रुप से 271 करोड़ रुपये का बजट करने का काम किया है. निगम का टर्न ओव्हर 2002-03 में 11 करोड़ रुपये था. माननीय अजय सिंह जी अभी कह रहे थे कि उन्होंने डोडी शुरु किया था. 2003 के पहले कांग्रेस की सरकार पर्यटन के मामले में कांग्रेस की सरकार कहां थी? वह अच्छी तरह जानते हैं. उसका काम आपने शुरु किया लेकिन उसके बाद कहीं न कहीं 2004-05 में यह स्थिति बन गई थी कि निगम को बंद करने का प्रस्ताव आने लगा था लेकिन हम लोगों ने योजना बनाकर ऐसा काम करने का प्रयास किया निगम का टर्न ओव्हर 11 करोड़ से 104 करोड़ रुपये हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय, उस समय 42 आवासीय होटलें हुआ करती थीं. आज हमारे यहां लगभग 72 आवासीय होटल जो सभी प्रॉफिट में चल रही है. जहां तक डोडी का सवाल है. मैं माननीय अजय सिंह जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. वहां रोजाना 5 हजार पर्यटक आते हैं और महीने में लगभग 1 लाख पर्यटक आते हैं. वे साईट एमिनिटिज़ की जो सुविधाएं हैं वह हम लोग वहां पर उपलब्ध कराते हैं.
श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि वे साईट एमिनिटिज़ के लिए पूरे मध्यप्रदेश में आपने अभी ढांचे खड़े किए हैं. वह कब से चालू हो जाएंगी उनके बारे में जिक्र कर दें.
श्री सुरेन्द्र पटवा-- अध्यक्ष महोदय, आपने ढ़ांचे की बात कही है. स्वाभाविक रुप से पहले इन्वेस्टमेंट होता है फिर टेंडर की प्रक्रिया होती है. हम लोग 3 साल में मध्यप्रदेश में एक इतिहास रचेंगे कि 300 वे साईट एमिनिटिज़ का जाल बिछाया जाएगा. उसमें 3 तरह के मॉडल होंगे. पहला मॉडल ब्राउन फील्ड का जिसमें लगभग 75 वे साईट एमिनिटिज़ हमारी तैयार हैं जिसमें से 21 की लीज़ प्रक्रिया पूरी कर ली गई. दूसरा ग्रीन फील्ड मॉडल जिसमें 2 हेक्टेयर तक की शासकीय भूमि वे साईट एमिनिटिज़ बनाने के लिए 30 साल की लीज़ पर दी जाएगी. तीसरा, फ्रेंचाइजी मॉडल जिसमें प्रदेश में किसी भी जिले में कोई अच्छे ढंग से वे साईट एमिनिटिज़ या होटल चला रहा है, अगर उनका टूरिज्म की तरफ, हमारी तरफ इनक्लिनेशन होगा, टूरिज्म में इंटरेस्ट दिखाएंगे तो निश्चित रुप हम लोग हमारी ब्रांडिंग के तहत हमारा नाम देकर उनको फ्रेंचाइजी देने का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, आने वाले समय में पूरे देश और विदेश से जो पर्यटक मध्यप्रदेश में आते हैं, उसमें हमने सबसे पहला ध्यान रखा कि ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं कैसे पर्यटकों को मिले. इसी के तहत वे साईट एमिनिटिज़ और अन्य सुविधाओं का काम हम लोग कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, तीन साल पहले एयर टैक्सी बंद हो गई थी. उसके जो भी कारण रहे होंगे. लेकिन हम लोगों ने फिर टेंडर कर दिया है. अप्रैल में प्रभातम् एविएशन इंदौर,भोपाल और जबलपुर से एयर टैक्सी की शुरुआत करेंगे जिससे भविष्य में पर्यटकों को आने-जाने में बहुत सुविधा होगी.
अध्यक्ष महोदय, पर्यटन निगम पहले से चल रहा था लेकिन लंबे समय से यह देखने में आया कि टूरिज्म कार्पोरेशन होटल्स के साथ-साथ नए इन्वेस्टमेंट, एडवेंचर टूरिज्म और जितने भी पर्यटन से संबंधित काम हैं, कहीं न कहीं इन्वेस्टर्स को लाने में निगम के पास बहुत ज्यादा काम होता था. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हम लोगों ने पर्यटन बोर्ड का गठन किया है. आने वाले समय में होटल्स निगम चलाएगा, उसकी देखरेख करेगा लेकिन यह जो नया बोर्ड बना है इस बोर्ड के तहत चाहे जलाशयों का विकास करना हो. टूरिज्म को बढ़ाने का काम हो, विज्ञापन का काम हो. इनोवेशन का काम हो, इन्वेस्टर्स लाने का काम हो या एडवेंचर्स को लाने का काम हो पूरे प्रदेश में इन्वेस्टर्स को लाने के लिए यह बोर्ड काम करेगा.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में लगातार 3 साल से ट्रेवल मार्ट का आयोजन कर रहे हैं. इसमें हमारे स्वदेशी ट्रेवल आ रहे हैं. एक बहुत ऐतिहासिक काम होने जा रहा है मिन्टो हॉल भोपाल जिसके लिए माननीय अध्यक्ष जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपकी सहृदयता,उदारता और आपके निर्देशानुसार हमने उसका काम शुरु कर दिया है. लगभग 32 करोड़ रुपये खर्च करके 500 सीट्स का कन्वेंशन सेंटर भोपाल में तैयार हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, जहां केन्द्रीय आर्थिक सहायता की बात है इस योजना में हमको वाइल्ड लाइफ सर्किट में 92 करोड़ रुपये, हेरिटेज़ सर्किट में 99 करोड़ रुपये और बुद्धिस्ट सर्किट में 74 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत हो चुका है. वाइल्ड लाइफ सर्किट में जो जगह आ रही है उसमें पन्ना,मुकुंदपुर,संजय,बांधवगढ़,कान्हा और पेंच हैं. हेरिटेज़ सर्किट में ग्वालियर,ओरछा,खजुराहो,चंदेरी और भीमबेटका हैं. बुद्धिस्ट सर्किट में सांची,सतना,रीवा,मंदसौर और धार है. इस प्रकार लगभग 300 करोड़ रुपये के आसपास केन्द्र सरकार से हमको बजट मिला है.
कुंवर सौरभ सिंह-- अध्यक्ष जी, कटनी में गौतम बुद्ध का स्तूप है. अशोक स्तम्भ है.
श्री सुरेन्द्र पटवा-- ऐसे बीच में नहीं बोलें. मैं बाद में बात कर लूंगा. आप कृपया लिख कर दे दीजिए. अध्यक्ष महोदय, किसी भी विभाग के काम करने का एक पैमाना होता है. विभाग कैसा काम कर रहा है. विभाग के अधिकारी कैसे काम कर रहे हैं. मंत्री किस तरह से काम कर रहे हैं. लगातार 3 सालों में वैसे देखा जाए तो 5 सालों में 70 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार पर्यटन विभाग को मिले हैं. 2013-14 में 12 में से 3 पुरस्कार. 2014-2015 में 12 में से 6 पुरस्कार पिछली बार 12 में से 5 पुरस्कार मिले जिसमें देश में मध्यप्रदेश को सबसे बेस्ट स्टेट का अवार्ड मिला है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पर्यटन को टीवी विज्ञापन एमपी में दिल हुआ बच्चे सा को एफिल अवार्ड न्यूयार्क अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन द्वारा प्रभावी एडवरटाइजिंग प्रोग्राम के लिए दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय, जिन विधायकों ने अपने क्षेत्रों का, जिलों का उल्लेख किया. हम लोगों ने कोशिश की है कि आने वाले समय में पहले डिस्ट्रिक्ट प्रमोशन काउंसिल 16 जिलों में हुआ करती थी आने वाले समय में 51 ही जिलों में डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म काउंसिल होगी. मैं सभी विधायकों से अनुरोध करना चाहूंगा कि जितनी डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म काउंसिल हैं उसके माध्यम से वहां के टूरिज्म को रखरखाव के लिए भी पैसा पर्यटन विभाग द्वारा दिया जाएगा और आप लोगों के जो भी सुझाव होंगे निश्चित रुप से उन सुझावों के अनुसार डीटीसी काम करेगी.
अध्यक्ष महोदय, पर्यटन के क्षेत्र में हम लोगों ने जो वर्ष में जो काम किए हैं. नए होटल्स और सुविधाएं दी हैं उनमें विंध्य रिट्रीट रीवा, बाईल्स रिसोर्ट, मढ़ई. सागौन रिट्रीट देलावाड़ी. टूरिस्ट कॉम्पलेक्स, हनुवंतिया और मध्यप्रदेश में पहली बार हुआ है कि केरल के दो हाउस बोट हमने हनुवंतिया में चालू करने का काम किया है. क्रूज़ बोट सागर में और उज्जयिनी होटल उज्जैन में शुरु की है. पचमढ़ी, खजुराहो और भोपाल के होटलों का उन्नयन करने का काम किया है. आगामी वर्ष में औंकारेश्वर बांध में सैलानी रिसोर्ट. गांधी सागर बांध में चम्बल रिसोर्ट. मढ़ीखेड़ी बांध में सिंध रिसोर्ट निजी निवेश की मदद 15 जलाशयों में हाउस बोट,क्रूज बोट और वॉटर स्पोर्ट्स प्रारंभ होंगे.
अध्यक्ष महोदय, 100 से ज्यादा मिड-वे ट्री जैसा मैंने पहले भी कहा कि देश की टॉप टेन होटल ब्रांच को मध्यप्रदेश में लाने का काम हम लोग करेंगे. सांची में बौद्ध थिंक पार्क होगा. ग्वालियर में संगीत म्यूज़ियम होगा. पन्ना में डायमण्ड म्यूज़ियम होगा. ऐसे और भी काम जो पर्यटन की दृष्टि से आवश्यक होंगे निश्चित रुप से हम पर्यटन को बढ़ाने के लिए लगातार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की जो संस्कृति है. हमारी सभ्यता. हमारे रीति-रिवाज. हमारी परम्परा. इन सबको सृजित करने का काम हमको करना है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक अलग संदेश दिया है. विकास के साथ-साथ, सामाजिक सरोवर को बढ़ाने का काम अगर किसी ने किया है तो वह माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है. संस्कृति विभाग के द्वारा हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं कि किस तरह हम लोग हमें विरासत में जो संस्कृति मिली है, उसको सृजित करें.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में 8 बार प्रधानमंत्री जी आये हैं. उस आठ बार में चार बार संस्कृति के जो प्रोग्राम होते हैं उसमें प्रधानमंत्री जी स्वयं आते हैं. चाहे शौर्य स्मारक की बात करें, चाहे हिन्दी सम्मेलन की बात करें या चाहे चन्द्रशेखर आजाद स्मारक पर जाने की बात करें या विचार महाकुंभ, जो हमारा उज्जैन में हुआ था. हमारे यहां संस्कृति विभाग द्वारा लगभग दो-तीन बड़े समारोह होते हैं, वैसे संस्कृति विभाग द्वारा छोटे,बड़े मिलाकर 1800 समारोह होते हैं. 30 राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सम्मान और पुरस्कार हम देते हैं. 30 में से 23 राष्ट्रीय और 7 राज्य स्तरीय होते हैं. मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि यह प्रदेश के लिये गौरव का विषय है कि देश के जाने माने कवि हरिओम पवार जी, उन्होंने मध्यप्रदेश में इस बात को कहा कि देश में अगर कवियों का सम्मान कहीं होता है, वह मध्यप्रदेश में होता है. वह सम्मान संस्कृति विभाग के द्वारा कवियों को बुलाकर किया जाता है. हम लोगों ने भोपाल में रविन्द्र भवन के उन्नयन करने का काम किया. लगभग 6 करोड़ रुपये के आसपास से उसके रिनोवेशन का काम चल रहा है. माननीय मुख्यमंत्री जी की अनुमति से 1 हजार सीटों की केपेसिटी वाले नया रविन्द्र भवन जिसकी लागत 24 करोड़ है उसे बनाने का काम चल रहा है. कई और विषय हैं जो हम संस्कृति विभाग द्वारा कर रहे हैं. चाहे टंट्या भील स्मारक की बात हो,चाहे सिंहस्थ में लगातार हम लोगों ने ग्लोबल वार्मिंग मूल्य आधारित,जीवन मानव कल्याण के लिये धर्म, विज्ञान और अध्यात्म, इन सब विषयों पर बात करने का काम किया है. भीमा नायक प्रेरणा केन्द्र की स्थापना हुई है और उसका लोकार्पण मुख्यमंत्री जी ने 21 जनवरी को किया है. जैसा मैंने कहा कि यह आप और हम सबके लिये,हमारे प्रदेश और देश के सभी नागरिकों के लिये बड़े हर्ष और गर्व का विषय है कि भोपाल में भारतीय शहीदों की स्मृति और सम्मान में शौर्य स्मारक का निर्माण किया गया है जो कि पूरी दुनियां में सबसे अच्छा अगर कहीं बना है तो मध्यप्रदेश में बना है. इसके बाद आने वाले समय में हम लोग बहुत ही जल्दी 9 करोड़ रुपये के बजट से शौर्य स्मारक के बाद वीर भारत की कल्पना के अनुसार वीरों की प्रदर्शनी लगाने का काम करेंगे. हम लोगो ने 5 नये सम्मान देने की स्थापना की है. आजाद हिन्द बहुत लंबे समय से हमारे यहां चल रहा है. आदिवासी संग्रहालय का माननीय राष्ट्रपति महोदय प्रणब मुखर्जी द्वारा उद्घाटन किया गया था. उनके उद्घाटन करने के बाद देश-विदेश के पर्यटक वहां आते हैं. मैं कह सकता हूं कि पूरी दुनियां में अगर कहीं जनजातीय संग्रहालय है तो वह मध्यप्रदेश के भोपाल में है. शौर्य स्मारक की बात मैंने कही थी. लगभग 8 लाख पर्यटक शौर्य स्मारक को देखने के लिये आ चुके हैं. जो हमारे लिये गौरव का विषय है. अंत में, जो हमारे विधायकों ने बातें कहीं हैं, हमारी बहन हिना जी ने जो बात कही है, मैं उनको बताना चाहता हूं कि प्रतिभा खोज के नाम से हमने सिंहस्थ में पूरे मध्यप्रदेश में एक आयोजन किया था. हर संभाग से टेलेण्ट सर्च के नाम से एक कांपटीशन हुआ था. अलग-अलग क्षेत्र से, कला के क्षेत्र से, लेखन के क्षेत्र से, चित्रकारी के क्षेत्र से हम लोगों ने बहुत सारे छात्र,छात्राओं को बुलाकर एक प्रतियोगिता आयोजित की थी और उसका फाईनल भोपाल में हम लोगों ने किया था.मैं आपके सुझाव की प्रशंसा करना चाहूंगा और यहां उपस्थित सभी विधायकों से मैं कहना चाहूंगा कि हमारे जिले में,हमारे विधान सभा क्षेत्र में अगर इस तरह की प्रतिभाएं हों तो 4-4,6-6 नाम आप हमें दे सकते हैं ताकि हम, हमारी प्रतिभाओं को मौका देने का काम करें. पर्यटन निगम के होटलों में किराये की जो बात आपने कही है. पर्यटन होटलों की गुणवत्ता में पिछले दस सालों में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है. इसमें खर्च भी ज्यादा होता है और अगर आप तुलना करेंगे तो दूसरों से हम लोग कांपटीशन के मामले में कहीं पीछे नहीं है. कांपटीशन का जमाना है इस कारण से रेट हम ज्यादा नहीं रख सकते हैं और रेट कम रखेंगे तो निगम घाटे में चलेगा और निगम को बंद करने की कभी स्थिति हो सकती है. बाहर से आने वाले जितने पर्यटक हैं कहीं न कहीं उनका फीड बैक हमको मिलता रहता है और समय-समय पर उनसे भी हमको जानकारी मिलती रहती है और हम लोग उसके अनुसार काम करते हैं. के.के.श्रीवास्तव जी ने 2 बातें कही थीं. टीकमगढ़ जिले में स्थित सूर्य मंदिर मरखेड़ा तथा सूर्य मंदिर ऊमरी, राज्य संरक्षित स्मारक घोषित है.. सूर्य मंदिर की अवस्था का शीघ्र निरीक्षण किया जाकर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी. उसमें आसतौन का किला है, वह भी संरक्षित है, उसका काम भी जल्दी से जल्दी किया जायेगा. नरसिंहगढ़ के हमारे विधायक गिरीश जी ने दो-तीन बातें रखी हैं, उनकी बातों के संबंध में समय कम है लेकिन जैसा मैंने कहा कि डी.डी.पी.सी. के माध्यम से हम निश्चित रूप से वहां विकास करने का काम करेंगे आप मेरी इस बात से सहमत होंगे कि टूरिज्म में नगर पालिका,ग्राम पंचाय,त इन सबका भी हम कहीं न कहीं सहयोग लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, अभी एक विभाग और लेना है फिर मांगों को गुलोटिन करना है उसके बाद.
श्री सुरेन्द्र पटवा - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद और मैं आपके माध्यम से सदन से अनुरोध करना चाहूंगा कि आज जो हमारा विधान सभा में युगपुरुष का आयोजन है, उसमें आप सब लोग पधारें और मेरे विभागों से संबंधित मांगों को स्वीकृत किया जाये.
श्री यादवेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, जिन सदस्यों ने यहां अपनी बात कह दीं उनके बारे में तो मंत्री जी ने कह दिया कि कार्यवाही करेंगे लेकिन जो माननीय सदस्य अपनी बात कह नहीं पाये उनके सुझावों पर क्या होगा.नागौद में नागेन्द्र सिंह जी के समय में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ था जब से वहां कार्यक्रमों के लिये पैसे नहीं दिये हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, यादवेन्द्र सिंह जी ने जो बात कही है वह सही है. जो माननीय सदस्य नाम लिखवा देते हैं उनको हम बोलने नहीं देते हैं. उनको हम कंसीडर नहीं करेंगे तो आगे से यह व्यवस्था हमेशा गड़बड़ होगी. मेरा आपसे अनुरोध है कि जिन माननीय सदस्यों ने इसमें नाम दिये थे इसके अलावा और भी सदस्य कल तक लिखकर दे दें और मेरा आपसे अनुरोध है कि आप उसको कंसीडर करें जैसा कि बोलने वालों के लिये कर रहे हैं.
श्री सुरेन्द्र पटवा - ठीक है अध्यक्ष महोदय. माननीय सदस्य मुझे लिखकर दे दें.
अध्यक्ष महोदय - अब मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 26 एवं 37 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब मैं मांगों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च,2018 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को--
अनुदान संख्या - 26 संस्कृति के लिये दो सौ उन्नीस करोड़ बयालीस
लाख,अठहत्तर हजार रुपये, तथा
अनुदान संख्या - 37 पर्यटन के लिये, दो सौ छप्पन करोड़,सोलह लाख,
अड़सठ हजार रुपये
तक की राशि दी जाय.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
(5)मांग संख्या - 17 सहकारिता
मांग संख्या - 42 भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास
सहकारिता राज्यमंत्री(श्री विश्वास सारंग) -
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले 12-13 वर्षों में वास्तव में यह विभाग पूरी तरह से बंद होने की कगार पर पहुंच चुका है, परंतु नौजवान मंत्री हैं इनसे कुछ उम्मीद रखता हूं कि इसमें कुछ सुधार होगा. यह लाखों किसानों से जुड़ा हुआ विभाग है, उनके हित का है. गांव की तरक्की हो, किसान की तरक्की हो आर्थिक स्थिति ठीक हो, दोगुनी आमदनी मिले और यह सहकारिता के माध्यम से ही हो सकता है. मैं कुछ आपको सुझाव दूंगा और मुझे उम्मीद है कि आप लगन से कार्य करेंगे तो उसमें सुधार होगा. पूरा सहकारिता विभाग चौपट है इसे ठीक करने में आपको समय लगेगा, लेकिन गति आ जायेगी. पुराने वाले ने पूरा सत्यानाश कर दिया. वर्षों पहले जो संस्थायें खड़ी हुईं थीं वह सब गिरने की कगार पर पहुंच गई, भूमि विकास बैंक, म.प्र. कृषि ग्रामीण विकास बैंक बंद हैं. सहकारिता मंत्री जी ने यह भी बयान दिया है कि मैं इनको मर्ज करना चाहता हूं परंतु आज ही हमारे प्रश्न के उत्तर में आपने कहा है कि संभव तो है, लेकिन किन-किन संस्थाओं में कर्मचारियों का संविलियन किया जायेगा इसकी समय सीमा नहीं बताई है. एक-एक वर्ष से कर्मचारी भटक रहे हैं और आपके पास पूरे मध्यप्रदेश की जिला कोआपरेटिव बैंक और अपेक्स बैंक हैं, उनमें कुल मिलाकर 3 हजार से अधिक पद खाली पड़े हैं और पूरे मध्यप्रदेश के भूमि विकास बैंक और कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के कुल मिलाकर 1200 के आसपास कर्मचारी हैं और उनमें भी जो योग्य हैं उनको ले लें, अयोग्य हैं तो उनको छोटे पद पर रखें. उनकी 10-10 साल की सर्विस बकाया बची है तो वह कहां जायेंगे. परिसमापन तो आपने कर दिया, लेकिन हमारा आपसे अनुरोध है कि उनको आप जल्दी से जल्दी रोजगार देने का काम करें. मध्यप्रदेश का जो सहकारिता का ढांचा है, इनमें अपेक्स बैंक और जिला सहकारी बैंक केन्द्रीय सहकारी बैंक पर आधारित हैं. आपके पास 38 बैंके हैं, उनमें से 12 बैंके बंद होने की कगार पर हैं. आप प्रयास कर रहे हैं उसके लिये धन्यवाद, आप बधाई के पात्र हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के मुताबिक सी.आर., ए.आर. का भी पालन नहीं हो पा रहा है. जब मैं सहकारिता मंत्री था उस समय इसमें स्वायत्ता देने का ज्यादा प्रयास किया था. हमने सोचा था कि जनता के चुने हुये प्रतिनिधि इसे संभालें, लेकिन इसमें भारी पैमाने पर दुरूपयोग हुआ. पूरी की पूरी सोसायटियों में केडर सिस्टम बंद हुआ इस कारण उनका पूरी तरह से कंट्रोल बंद हो गया. पहले बैंक का जो प्रबंधक रहता था उसकी गारंटी रहती थी कि वह उसकी देखरेख करेगा, उसकी व्यवस्था करेगा. उसमें अगर गबन और भ्रष्टाचार होता था तो वह उसके लिये जिम्मेदार होता था. मेरा आपसे अनुरोध है कि पुन: केडर सिस्टम प्रारंभ करें क्योंकि उन पर कोई कंट्रोल नहीं होता और इसमें अगर आवश्यकता पड़े तो संशोधन करें. आज छोटी सोसायटियों के जो अध्यक्ष हैं वह मनमानी तरीके से कर्मचारी रख लेते हैं. मैंने विधान सभा में प्रश्न लगाया था भिण्ड जिले में कितनी सोसायटियां हैं, 168 सोसायटियां हैं, इनमें केवल 6 सोसायटियां लाभ में हैं बाकी 162 सोसायटियां घाटे में चल रही हैं और एक-एक कर्मचारी पर 20-20, 25-25 लाख रूपये हैं, उनसे वसूली क्यों नहीं हो रही. आपका सहकारिता कानून बना हुआ है, सहकारिता न्याय प्राधिकरण बना हुआ है, आप प्रदेशभर में इसकी समीक्षा करायें. कई प्रकरण असिस्टेंट रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार, ज्वाइंट रजिस्ट्रार के यहां पड़े हुये हैं उनका निराकरण आज तक नहीं हुआ. अगर कोई सोसायटी का कर्मचारी भ्रष्टाचार करता है वह डी.आर., ए.आर. को पैसा दे देता है और वह उसको स्टे दे देते हैं. सालों तक स्टे चलता रहता है उन पर कोई सुनवाई नहीं हो रही. करोड़ों रूपये कर्मचारी खाये बैठे हैं और वह आज भी काम कर रहे हैं. आपकी 5-5, 6-6 सोसायटियों पर एक सेक्रेट्री बचा है. सहकारी बैंकें किसानों की रीढ़ हैं, उनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो जायेगी. कर्मचारियों की भर्ती पहले जिले में होती थी, अब आपने बोर्ड बना दिया, ठीक है आप करें, बैंकों में योग्य कर्मचारी पहुंचेंगे. लेकिन जो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं और उनसे कम स्तर के कर्मचारी हैं उनको आप वहीं पर अधिकार दे दें ताकि उनकी भर्ती हो सके. आपका आवास संघ भी है वह पूरी तरह से बंद होने की कगार पर है. हम आपको यह सुझाव देना चाहते हैं, अभी प्रधानमंत्री आवास बन रहे हैं. आवास संघ में इंजीनियर है, एस.ई. हैं आप ऐसी योजनायें जो शासन की हैं इनको दें ताकि वह आवास संघ अपने पूर्व रूप में आ जाये, वह प्रदेश की एक सम्मानीय संस्था बन सकती है. मध्यप्रदेश में जितने भी शासकीय दस्तावेजों की छपाई का काम होता है वह सहकारी प्रेस से छपें. वहां पर एक तो वह सस्ते छपेंगे और इसके साथ-साथ आपकी जो सहकारी प्रेस बंद होने की कगार पर पहुंच गई है वह फिर खड़ी हो जायेगी. अगर आप इसे संभागीय स्तर पर भी बढ़ायेंगे तो कम से कम हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा. इसी प्रकार मध्यप्रदेश में कोल्ड स्टोरेज की कमी है, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया की जमीन पंजाब के समान है, बड़ी उपजाऊ जमीन है, सोना उगलने वाली जमीन है, वहां लोग आलू पैदा करते हैं लेकिन रखने की जगह नहीं है. आप कोआपरेटिव बैंक में ऐसी नीति बनायें कि सहकारिता के माध्यम से अगर कोई कोल्ड स्टोरेज खोलना चाहता है तो बैंक का जितना भी कंट्रोल है, आप ज्वाइंट बेंचर कर लें और आपका जो विभागीय ऑडीटर या सहकारी निरीक्षक है, उस पर मैनेजर बनकर वह काम करे, उस पर कंट्रोल रखे, इससे एक तो आपकी आमदनी बढ़ेगी और लोगों को रोजगार मिलेगा एवं उत्पादन भी बढ़ेगा जिससे मध्यप्रदेश का किसान सम्पन्न होगा. इसके साथ ही साथ मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि आपने सहकारिता चुनाव अभिकरण बनाया है, उसका कोई काम नहीं है. उसको अगर आप ईमानदारी से संशोधन करके लाये हैं तो फिर आप उसे मध्यप्रदेश राज्य चुनाव आयोग को दे दें, विभाग का खर्चा भी बचेगा और चुनाव में भी पारदर्शिता रहेगी. जब एक अधिकारी आर.परशुराम जी को आपने नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव के लिये बनाया है तो यह चुनाव का काम भी आप उन्हीं को दे दें क्योंकि यह मध्यप्रदेश सरकार के अधीन है. आप सहकारिता कानून में संशोधन करें, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सिविल कोर्ट में भी चालान प्रस्तुत करने का काम करें. सहकारिता विभाग में अगर आप समीक्षा करायेंगे तो 10-10, 12-12 वर्षों से सब पड़े हुये हैं. मार्कफेड की जितनी भी सहकारी विपणन संस्थायें हैं वह बंद होने की कगार पर हैं, घाटे में चल रही हैं. कुछ संस्थाओं को छोड़ दें तो उनके पास कोई काम ही नहीं बचा. आपने पीडीएस का काम हटाकर दूसरे को दे दिया. किसानों से संबंधित जितनी भी खरीदी होती हैं वह मार्केटिंग फेडरेशन और मार्केटिंग सोसायटियों के नाम से करायें इससे नौजवानों को रोजगार मिलेगा और वह संस्था फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो जायेंगी. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि हमारे लहार में हमारे गांव की एक सोसायटी है वह करीब पौने दो करोड़ के लाभ में है. उसमें शासन का कोई शेयर नहीं, बैंक का कोई शेयर नहीं, बैंक की कोई पूंजी नहीं और खुद की संस्था ने कमा करके 2 करोड़ से अधिक की निजी सम्पत्ति के कार्यालय और गोडाउन बना रखे हैं. आप कोआपरेटिव बैंक की ब्रांच लहार को और दमोह को करीब साढ़े 7 करोड़ डिपाजिट कर रहे हैं जिससे आपकी ब्रांच चल रही हैं. आप हमारे लहार की उस संस्था में किसी को भेजकर देखिये और वह पैटर्न पूरे मध्यप्रदेश में लागू करें तो हमें उम्मीद है कि जो आपकी सहकारी सोसायटियां गर्त में जा रही हैं वह भी अपने पैरों पर खड़ी हो सकेंगी. उसका एक कारण है उसमें आपको बचत बैंक चालू करना पडेगी. जो संपन्न है जहां पर संभावना है, बड़े बड़े गांव है वहां पर बचत बैंक चालू हो सकती है. लेकिन आप अधिकारी उसमें जरूर करें क्योंकि जब तक यह कैडर सिस्टम नहीं होगा यह व्यवस्था सुधरने वाली नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता संघ के बारे में कहना चाहता हूं. जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब यह तय किया था कि सहकारी उपभोक्ता भण्डारों को अपैक्स को और डिस्ट्रिक को भण्डार क्रय नियम के तहत किया था. उसी के तहत खरीददारी के अधिकार दिये गये थे. अब यह काम लघु उद्योग निगम कर रहा है. लघु उद्योग निगम का काम है उद्योग चलाना ,उघु उद्योग निगम का काम खरीदी करना नहीं है. इस निगम में इतना भ्रष्टाचार है कि इसका नाम लघु उद्योग निगम की जगह पर लूट उद्योग निगम हो जाना चाहिये. इस निगम में हर स्तर पर कमीशन चलता है. मंत्री जी, मैं इसका उदाहरण भी आपको देना चाहता हूं. भिड जिले का मामला है आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग का, जिले से वह आर्डर ले गया और 25 प्रतिशत उसको कमीशन मिला, 20 लाख का काम है तो 25 प्रतिशत कमीशन आर्डर पर ही दे देते हैं. शासन के पैसे का कितना अपव्यय हो रहा है . मंत्री जी इसमें आप कड़ाई करें, नियम में संशोधन करे, आपके लिये कोई बड़ी बात नहीं है. मध्यप्रदेश सरकार की जो भी खरीदी होती है, अन्य निगमों की, सरकार की आप भण्डार निगम से कराईये. इससे भण्डार निगम भी चालू हो जायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय,अंतिम बात कहना चाहता हूं कि सोसायटी से आप गेहूं उपार्जन करवा रहे हैं. पल्लेदारी, सुताई, छापा लगाना, सिलाई सब मिलाकर के आप 10 रूपये दे रहे हैं , इतनी मंहगाई में पल्लेदारी में सोसायटी पर करीब 20 रूपये का खर्चा आ रहा है उसके बाद शासन की योजना के अनुसार खरीदी होती है और शासन की तरफ से दो दो-दो वर्ष तक पैसा नहीं पहुंच पाता है तो उसको ब्याज देना पड़ता है. शासन ने जो जीरो प्रतिशत पर ब्याज चालू किया है, आप समीक्षा करें तो देखें आपको पता चलेगा कि जीरो प्रतिशत पर सोसायटियों को पैसा नहीं मिल पाता है, बैंक उनसे ब्याज की वसूली कर रही है इसलिये आपकी सोसायटियां गर्त में जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा जो सहकारिता मंत्री को सुझाव दिये गये हैं उन पर गंभीरता से विचार करें, सहकारिता के जो अनुभवी लोग है उनके साथ में विचार विमर्श करें, बहुत बड़ा विभाग है. राजनैतिक विभाग है लूटमार जरूर नहीं है. इसमें मेहनत का काम है, परोपकार का काम है, जनकल्याण का काम है. हमें उम्मीद है कि आपकी इच्छा शक्ति मजबूत होगी तो विभाग में सुधार होगा जो संस्थायें मध्यप्रदेश में बंद होने की कगार पर हैं मेरे सुझाव पर अमल करेंगे तो वे खड़ी हो जायेंगी . सहकारिता का परचम मध्यप्रदेश में फहरायेगा. अध्यक्ष,महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री शंकरलाल तिवारी(सतना) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 17 और 42 के समर्थन में अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. अध्यक्ष महोदय, जैसा अभी डॉ.गोविन्द सिंह जी कह रहे थे मैं उनकी बात का समर्थन करता हूं कि अभी अभी उन्होंने कहा कि यह राजनैतिक विभाग है. यह राजनैतिक विभाग भर नहीं यह पिछले कालखण्ड में राजनैतिक चारागाह रहा और तुष्टिकरण के लिये रहा. एक एक सोसायटी में पिछले कालखण्ड में करोड़ करोड़, 50-50 लाख रूपये के भ्रष्टाचार रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह -- तिवारी जी आप 13 साल का कार्यकार उठाकर के देख लें अगर हमारे कार्यकाल से 100 गुना भ्रष्टाचार आज नहीं हो तो कहना. मेरे कार्यकाल में किसी की हिम्मत नहीं थी कि वह भ्रष्टाचार करे. आप रिकार्ड उठाकर के देख लें.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय तिवारी जी के ध्यान में यह बात लाना चाहता हूं कि वे यह भी कह दें कि सतना जिला को-आपरेटिव बैंक के 11 सदस्यों में से 8 सदस्य अयोग्य घोषित हो गये हैं फिर उसको क्यों चारागाह बनाये हुये हैं. यही बता दें.
श्री शंकरलाल तिवारी- यह सब आपकी ही देन है.आपकी ही देन है महाराज.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- नेता प्रतिपक्ष जी उनके पीछे बैठने वाले तिवारी जी(श्री सुंदरलाल तिवारी की सीट की तरफ इंगित करते हुये) और आगे बैठने वाले तिवारी (श्री शंकरलाल तिवारी की तरफ ईशारा करते हुये) इन दोनों से परेशान है.
श्री शंकरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, खाद्य के बारे में जो बार बार हल्ला होता है.
अध्यक्ष महोदय- तिवारी जी अब नहीं. आपका समय समाप्त हो गया है. बहादुर सिंह जी, एक मिनिट में सिर्फ सुझाव देकर के अपनी बात को समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे दो महत्वपूर्ण सुझाव देना है. पहला, पंचायतों का, जनपद वार्डों का, जिला वार्डों का, परिसीमन होता है, लेकिन इन सोसायटियों का परिसीमन अभी तक नहीं हुआ, परिसीमन करवाया जाए, क्योंकि किसी में 36 गांव, किसी में 6 गांव हैं. दूसरा सुझाव, यह है कि जैसा माननीय गोविन्द सिंह जी ने भी जो गेहूं उपार्जन की जो बात की है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है और अतिसंवेदनशील मुद्दा है, अभी खरीदी 20 रूपए प्रति क्विंटल भी नहीं हो रही है और संस्था को मात्र साढ़े दस रूपए दे रहे हैं, इसमें माननीय मंत्री जी गंभीरता से विचार करें नहीं तो वह खरीदी बंद होने की स्थिति में है. अन्य संस्था से यदि हम खरीदी कराएंगे तो यह 30 रूपए प्रति क्विंटल का खर्च आएगा, सहकारिता विभाग बहुत ही अच्छा कार्य कर रहा है. मेरा आग्रह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में गांव झालड़ा, इंदोख, कासोन, खेड़ामतदा और हिड़ी में 1000 मेट्रिक टन के गो-डाउन देने की कृपा करेंगे, माननीय अध्यक्ष जी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) - माननीय अध्यक्ष जी, मेरे दो सुझाव है, मैं माननीय सहकारिता मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि आपके विभाग में 4530 सहकारी संस्थाओं से जुड़े 70 हजार कर्मचारी सीधे किसानों से जुड़े रहते हैं, पीडीएस का कार्य करते हैं, ऋण वितरण का कार्य करते हैं, हितग्राही मूलक योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने का काम करते हैं, उनका जिला कैडर, वेतनमान, स्थानांतरण आदि को लेकर के जो नियम कमेटी का प्रस्ताव किया जा चुका है, उसमें अभी तक अमल नहीं हुआ है. दूसरा, माननीय अध्यक्ष महोदय, पशुपालन विभाग के अंतर्गत दुग्ध महासंघ के प्रबंध संचालक के 13 जनवरी 2017 के पत्र क्रमांक 224/2017 में अनावश्यक रूप से दुग्ध सोसायटी के ऊपर ओवरलेपिंग करने की कोशिश की है. दुग्ध संग्रहण केन्द्र की स्थापना को लेकर पशुपालन विभाग के दुग्ध महासंघ के प्रबंध संचालक ने व्यक्तियों को, एजेंसियों को, संस्थाओं को, एनजीओ को आमंत्रित करते हुए दुग्ध सोसायटियों के ऊपर 1960 की धारा 73(1) का अनावश्यक उल्लंघन किया है, इससे दुग्ध सोसायटियां चरमरा जाएगी और सहकारिता का तंत्र लड़खड़ा जाएगा. दुग्ध महासंघ के प्रबंध संचालक द्वारा ने निर्देश-आदेश जारी किये हैं, कृपया इसको दिखवाने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सहकारिता मंत्री जी से अनुरोध है कि संक्षेप में करेंगे.
राज्यमंत्री सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - जी माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय अध्यक्ष जी, जैसा आदरणीय गोविन्द सिंह जी ने, तिवारी जी ने, यशपाल सिंह जी ने, बहादुर सिंह जी ने अपनी बात यहां रखी. यह बात सही है कि यह विभाग नीचे तक किसानों से जुड़ा हुआ विभाग है और सही मायने में नीचे सरकार की बहुत सारी योजना को इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी के रूप में भी यह विभाग काम करता है. अध्यक्ष महोदय, कहा जाता है कि जहां व्यक्ति है, वहां सहकारिता है. बिना सहकारिता के न समाज का निर्माण होगा, न व्यक्ति का विकास होगा. ''बिना सहकार नहीं उद्धार, बिना संस्कार नहीं सहकार'' माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, हम इस लाइन पर काम कर रहे हैं, लगातार हमने यह कोशिश की है कि इस विभाग के माध्यम से हम किसानों को जो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी का सपना है कि किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाए, उस काम में यह विभाग लगातार लगा हुआ है. यदि हम आधुनिक सहकारिता की बात करें तो इसके जनक इंगलैंड के रॉकडेलपायनियर कहलाते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि हम भारत के प्राचीन इतिहास को उठाकर देखे तों रामजी ने यदि रामसेतु बनाया था तो वह भी सहकारिता थी, मोहनजोदड़ों की खुदाई में तालाब के जो अवशेष मिलते हैं, उसमें यह अवधारणा थी कि तालाब बने और उस पानी का उपयोग सहकारिता के माध्यम से सभी लोग करें. कहने का तात्पर्य यह है कि भारत में सहकारिता और सहकारिता आंदोलन बहुत पहले से चलते आ रहा है. यदि मैं सहकारिता की बात करूं तो '' समन्वय, सद्भाव, सहयोग और सहभागिता'' यह चार 'स' से ही सहकारिता बनती है, लेकिन अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि केवल चार 'स' से काम नहीं चलेगा, इसलिए हमने विचार किया कि जब तक इसमें पांचवां 'स' संवाद नहीं जुड़ेगा, जैसे गोविन्द सिंह जी ने बोला, जब तक संवाद नहीं जुड़ेगा, इस आंदोलन को हम जनआंदोलन नहीं बना सकते, क्योंकि यह विभाग नहीं है, यह जन आंदोलन है. इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने सितम्बर के महीने में संवाद स्थापित करने के लिए एक अनुकरणीय कार्यक्रम किया, सहकारी मंथन के माध्यम से सहकारी आंदोलन में जुड़ा हुआ हर व्यक्ति चाहे वह अधिकारी हो, कर्मचारी हो, जनप्रतिनिधि हो, नीचे से लेकर ऊपर तक सभी सहकारी आंदोलन से जुड़े हुए लोगों को बुलाया और सहकारी मंथन के माध्यम से इस बात को स्थापित करने की कोशिश की कि पूरे आंदोलन को हम किस ढंग से ठीक करें, जो हमारा वर्तमान का आंदोलन है वह तो मजबूत हो, उसका तो हम सुदृढ़ीकरण करें ही करें, उसके साथ साथ ऐसे कौन कौन से नवाचार है, जिससे कि हम किसी और क्षेत्र में भी जाकर सहकारिता के माध्यम से रोजगार का सृजन कर सकें. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने 16-17 सितम्बर 2016 को यह सहकारी मंथन का कार्यक्रम किया. मुझे बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि यह केवल मंचीय कार्यक्रम तक सीमित नहीं था. इसमें हमने 9 अलग अलग ग्रुप बनाये और उन ग्रुप डिसकशन के माध्यम से 9 विषयों पर पूरे सहकारी आंदोलन को हम किस ढंग से स्ट्रेंथनिंग कर सकते हैं, इस पर हमने विचार विमर्श किया और उसके बाद सेम डे उसकी रिपोर्ट आई. नेक्स्ट डे लगभग 142 सिफारिशें उन 9 ग्रुप्स की आईं और उसको हमने नीचे तक लागू करने का काम किया. जो सिफारिशें आईं, उसमें सबसे महत्वपूर्ण यही थीं कि हम अभी का जो सहकारी आंदोलन है, उसको मजबूत करें, उसमें पारदर्शिता लेकर आयें. जैसा कि गोविन्द सिंह जी ने बताया कि बहुत सारे प्रकरण ऐसे होते हैं, जो सालों से किसी एक अधिकारी की मिलीभगत के कारण वहीं पर रुके हुए हैं. मुझे यह सदन में बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश में हम पहले विभाग हुए, जिसने फाइक ट्रेकिंग सिस्टम हमारे विभाग में हमने लागू किया, उसके माध्यम से कौन सी फाइल किस स्थान पर है, कितने दिन से है, किस अधिकारी ने किस कारण से आगे नहीं बढ़ाया, यह इस फाइल ट्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से हमें पता लग जाता है. अभी गोविन्द सिंह जी ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात की और केवल गोविन्द सिंह जी ही नहीं जो भी सहकारी आंदोलन से जुड़े हुए लोग हैं, हमारे सहकारी मंथन में भी जो सबसे प्रमुख रुप से बात आई कि हमारे यहां नीचे जो केडर है, उसकी बहुत कमी है. उसके कारण जो रोजमर्रा की हमारी कार्य प्रणाली है, वह कहीं न कहीं प्रभावित हो रही है. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमारे यशपाल सिंह जी एवं गोविन्द सिंह जी ने भी यह बात बोली. मुझे बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि हमने इसमें कदम उठाया. आईबीपीएस संस्था, जो कि पूरे देश की बैंकिंग की नियुक्तियां करती है, उसको हमने भर्ती का काम दिया है. गोविन्द सिंह जी, उसका एक विज्ञापन आ गया है, दूसरा विज्ञापन आने वाला है. मैं इस सदन में इस बात को लेकर खुशी व्यक्त करता हूं कि इसमें हमने जो अर्हता रखी है, वह केवल मध्यप्रदेश का मूल निवासी ही इसमें एप्लाई कर सकेगा, जिससे कि ऐसे लोगों को नौकरी मिले, जोकि मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं. उसके साथ जैसा हमारे गोविन्द सिंह जी ने बोला, थोड़ा सा आंकड़ा ज्यादा निराशाजनक था, 38 बैंकों में हमारे अब 11 बैंक खराबी की स्थिति में नहीं हैं. यह बात अलग है कि 2003 में जब हमें यह बैंक मिले थे, तो 38 में से 28 बैंक खराब स्थिति में थे. अभी तक हमारे 12 बैंक खराब स्थिति में थे, पर हमने एक नया नवाचार किया. हमने इन सब बैंकों में जो हमारे 11-12 बैंक दिक्कत की स्थिति में थे, उसमें हमने शीर्ष स्तर के अधिकारियों को लगाया और उनको हमने नाम दिया पालक अधिकारी. वह पालक अधिकारी की अवधारणा को हमने नीचे तक ले जाकर काम किया. उन पालक अधिकारियों का पूरा 3 महीने का कैलेण्डर बनाया. वह पालक अधिकारी उस ब्रांच में जाते थे, बैंक में जाते थे और उन्होंने उस पूरे सिस्टम को ठीक करने में सरकार के साथ आरसीएस कार्यालय, पीएस कार्यालय, मंत्री कार्यालय और नीचे का जो हमारा बैंक है, उसमें सब में कोआर्डिनेशन किया. मुझे यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि हमने जो पालक अधिकारी की व्यवस्था की, उसमें अब केवल गोविन्द सिंह जी जो हमारी बीआर एक्ट (बेंकिंग रेगुलेशन एक्ट) की धारा 11 (1) में केवल 3 बैंक ही इस धारा में आते हैं. बाकी सब बैंकों को हमने निकाल लिया है. मैं सदन को यह बताना चाहता हूं कि हम लगातार इसमें काम कर रहे हैं और मुझे ऐसी आशा है कि अगले 3-4 महीने में और अगले वित्तीय वर्ष तक तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश के 38 के 38 बैंक हम पूरी तरह से ट्रेक पर लेकर आयेंगे, कहीं कोई दिक्कत नहीं रहेगी, यह मैं सदन में आश्वासन देना चाहता हूं. हम 2017 में सभी बैंकों में एटीएम की व्यवस्था शुरु करने वाले हैं. जैसा मैंने कहा कि मुख्यमंत्री जी का सपना है कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का जो उनका संकल्प है, जो उनके 5-7 आयाम हैं, उसमें सबसे महत्वपूर्ण आयाम है किसानों की खेती को फायदे का धंधा बनाना. इस बात को लेकर सरकार ने काम भी किया और प्रत्यक्ष हमारे पास है, हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या.यह हमारे सामने है, चार चार कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश की सरकार को मिले. मैं इसके लिये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान जी को और मध्यप्रदेश के किसानों को बहुत बधाई देना चाहता हूं कि 4-4 कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश को मिले. यह बात सही है कि इसमें कृषि विभाग का बहुत बड़ा योगदान है.हमारे सिंचाई मंत्री बैठे हुए हैं, मैं उनको बधाई देना चाहता हूँ, उनका बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि लाखों हेक्टेयर में सिंचाई हुई है और उसी का परिणाम है कि हमारा खाद्यान्न ज्यादा संख्या में हुआ है. मुझे विनम्रता के साथ यह कहते हुए प्रसन्नता है कि कुछ न कुछ योगदान सहकारिता विभाग का भी इसमें जरूर रहा है क्योंकि जो योजनाएं माननीय मुख्यमंत्री जी ने किसानों को दी हैं. चाहे वह जीरो प्रतिशत पर ऋण देने की बात हो, चाहे 10 प्रतिशत सबसिडी देने की बात हो, चाहे उपार्जन की बात हो, चाहे फसल बीमा की बात हो, इस विभाग ने जीरो प्रतिशत ब्याज पर पूरी प्रामाणिकता के साथ काम किया है. अभी माननीय गोविन्द सिंह जी ने यह बात उठाई थी. यह सही है कि शुरू के कुछ समय हमें वह पैसा नहीं मिल पाया, लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि अभी स्थिति बिल्कुल ठीक है और आपने जो बताया है कि ब्याज अनुदान की राशि सन् 2015-16 की तो हमने पहुँचा दी है और सन् 2016-17 की हम अग्रिम दे रहे हैं, यह पहली बार हो रहा है. पेक्स सोसायटी को हम अग्रिम अनुदान पहले ही दे देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि हम शून्य प्रतिशत का इतिहास देखें तो सन् 2003-04 तक 16 प्रतिशत था और लगातार नीचे आते-आते हम जीरो प्रतिशत की ब्याज पर ऋण दे रहे हैं और मुझे यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि सन् 2003-04 में किसानों को केवल 1,273 करोड़ रुपये फसल का ऋण दिया जाता था. सरकार की मंशा इन आंकड़ों से परिलक्षित होती है कि जब 16 प्रतिशत ब्याज था तो सरकार को ज्यादा पैसा मिल सकता था परन्तु उस समय ब्याज को देने का आंकड़ा छोटा था. सन् 2016-17 में हम जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण देते हैं और लगभग 10,992 करोड़ रुपये फसल का ऋण एक साल में वितरित करते हैं. उसके साथ ही, हमने सन् 2006-07 से सन् 2015-16 तक लगभग 2,596 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी है. इस बार बजट में इस निमित्त लगभग 630 करोड़ रुपये प्रावधान रखा गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बहुत बड़ी योजना है कि 'आम के आम और गुठलियों के दाम' मैं चुनौती के साथ कहता हूँ कि यदि हम पूरी दुनिया का फाइनेन्शियल मॉड्यूल देखें तो मुझे लगता है कि इस तरह का फाइनेन्शियल मॉड्यूल कहीं नहीं मिलेगा कि आप 1 लाख रुपये लेकर जाएं और 90,000 रुपये देकर जाएं, यह माननीय मुख्यमंत्री जी की एक अभिनव योजना है, माननीय मुख्यमंत्री सहकारी कृषक ऋण सहायता योजना है. दुनिया में मुझे नहीं लगता कि कहीं भी इस तरह की योजना होगी और इस योजना के तहत सन् 2015-16 में हमने लगभग 6,12,000 किसानों को लगभग 88 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है और इस वर्ष 275 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में इस योजना में किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर बहुत सारी बातें हुईं और सदन में भी बात हुई. कृषि मंत्री जी ने भी कहा कि इसको लेकर हमें बहुत सारे कंफ्यूजंस हैं, उनको ठीक करना हैं. लेकिन मैं इस सदन में यह कहना चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरूआत हुई तो वह भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में ही हुई थी. पण्डित अटल बिहारी वाजपेयी जब इस देश के प्रधानमंत्री थे तब इसकी शुरूआत सन् 1999-2000 में हुई थी. उस समय इसकी इकाई विकासखण्ड हुआ करती थी, सन् 2006-07 में मांग आई और इसकी इकाई को और छोटा किया गया, पटवारी हल्का किया गया पर मैं इस सदन में हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को बहुत धन्यवाद एवं साधुवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने अब इसकी इकाई कृषक का खेत कर दिया तो निश्चित रूप से उसका ही परिणाम निकला कि हमने मध्यप्रदेश में लगभग 4,600 करोड़ रुपये इसके अनुदान के रूप में इस साल किसानों को दिए हैं. यह निश्चित रूप से बहुत बड़ी बात है. अभी तिवारी जी ने एक अच्छी बात कही कि यह वही प्रदेश है, जहां यूरिया को लेकर आंदोलन होते थे, आगजनी होती थी, किसानों के बड़े-बड़े धरने होते थे, चक्के जाम होते थे. मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता है कि यह शिवराज सिंह चौहान जी का नेतृत्व है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आप कितना समय लेंगे ?
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं 5-7 मिनट लूँगा, यह बड़ा विभाग है. मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता है कि एक भी आन्दोलन यूरिया को लेकर नहीं हुआ. संकट समाप्त हुआ.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप सही बताएं. वित्त मंत्री जी खड़े हुए हैं. हम लोग यूरिया खाद का एडवांस करते थे. केवल 20 प्रतिशत व्यापारी पर और 80 प्रतिशत ...(व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह परिहार - उस समय लाईन लगती थी. दंगे होते थे, कंट्रोल में खाद मिलती थी.
डॉ. गोविन्द सिंह - आन्दोलन आपके समय पर हुए थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अग्रिम भण्डारण की व्यवस्था भी की गई है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप पुराना रिकॉर्ड उठाकर देख लें.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- गाडि़यां इनकी इच्छा के हिसाब से ले जाते थे. किसान को तो मिलता ही नहीं था.
श्री शंकरलाल तिवारी-- एक हजार नई दुकाने बन गई हैं.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही बीज को लेकर भी हमारी सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है. मैं आज इस सदन को बताना चाहता हूं कि हमारा बीज संघ है उसके अंतर्गत हमने आज ही निर्णय लिया है. हमारी सोसायटियां हैं जो बीज का निर्माण करती हैं पर वह अभी ऑर्गेनाइज़ सेक्टर में नहीं हैं. आज मुझे सदन को बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि हमने यह निर्णय लिया है कि हम पूरी तरह से बीज का जो वितरण है बीज संघ के माध्यम से आर्गेनाइज़ करेंगे. जिस प्रकार से यूरिया और खाद का वितरण होता है वैसे ही हम बीज का वितरण भी करेंगे. उसके साथ ही इस बार बजट में 4 करोड़ रुपए का बीज संघ की स्थापना प्रबंधकीय अनुदान के लिए प्रावधान रखा गया है. खाद्यान का उपार्जन एक बड़ा मामला है. मुझे बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश में इसको लेकर हमने बहुत विस्तृत कार्य योजना बनाई है. आजकल किसानों को अपने उपार्जन देने के लिए एस.एम.एस. के माध्यम से हम समय से उसको इत्तला देते हैं और उसके कारण बहुत अच्छी व्यवस्था हुई है. मैं मुख्यमंत्री जी को एक बात के लिए और बधाई देना चाहता हूं कि देश में मध्यप्रदेश फिर पहला राज्य बना जिसमें उद्यानिकी की फसल के लिए भी उपार्जन हुआ. प्याज के किसानों को जब बहुत दिक्कत आई तो यह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ही हैं जिन्होंने एक मिनट में निर्णय लिया और हमने प्याज का उपार्जन किया. उसके माध्यम से किसानों को जो बड़ा नुकसान होना था उसकी भरपाई माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने की. खेती को यदि लाभ का धंधा बनाना है तो निश्चित रूप से प्राकृतिक आपदा के समय भी सरकार को किसानों के साथ खड़ा होना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं फिर रिपीट करना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने फिर एक बड़ा काम किया, अनुकरणीय काम किया. जब अल्पकालीन ऋण को हमने मध्यकालीन ऋण में बदलने का निर्णय लिया. यदि प्राकृतिक आपदा आती है और अल्पकालिक ऋण यदि मध्यकालिक ऋण में परिवर्तित होता है तो वह भी बिना ब्याज पर किसानों को मिलता है. यह कहीं भी नहीं होता और इसके लिए वर्ष 2017-18 में हमने 366 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया है. अध्यक्ष महोदय, मैंने इतनी सारी योजनाओं के बारे में बताया पर हमने यह देखा कि बहुत सारे किसान अभी भी ऐसे हैं जो कि हमारे पैक्स के मेंबर नहीं हैं और इसको लेकर कभी कोई विस्तृत कार्यक्रम भी नहीं चलाया गया. जनवरी के महीने में हमने एक नवाचार किया. हमने सदस्यता अभियान का एक पखवाड़ा बनाया और मुझे सदन को बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि उस सदस्यता अभियान में हमें आशा से ज्यादा सफलता मिली और लगभग दस हजार किसानों को, नए किसानों को पैक्स का मेंबर बनाया जिनको इन सब योजनाओं का आगे आने वाले समय में लाभ मिलेगा. अब हमारी प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था की सदस्य संख्या लगभग 70 लाख से बढ़कर 80 लाख हो गई है. जो निश्चित रूप से हमारे इस अभियान की सफलता का परिचायक है. अभी गोविन्द सिंह जी ने कुछ भ्रष्टाचार की बात कही. हमारा मानना है कि यह निश्चित रूप से हो रहा है और यह पूरे देश के सहकारी आंदोलन पर कहीं न कहीं प्रश्नचिह्न भी लगाता है. जब हम भ्रष्टाचार की बात करते हैं, उसको रोकने की बात करते हैं. पारदर्शिता एक बड़ा आयाम होता है. हमने यह निश्चित किया है कि आई.टी. का जितना हम इन्वॉल्वमेंट कर सकते हैं हम आई.टी. का इन्वॉल्वमेंट करके इस भ्रष्टाचार को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने यह निर्णय लिया है अगले 6 महीने में हम 100 प्रतिशत पैक्स को कम्प्यूटराइज्ड कर देंगे. इसका पूरा वादा माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है. वह हमें उसका पैसा देने वाले हैं. हम डी.एम.आर. (डिजिटल मेंबर रजिस्टर) कर रहे हैं. 12 लाख मेंबर का हमने डिजिटल रजिस्ट्रेशन कर दिया है. अब हमारे हर मेंबर का डिजिटल रिकार्ड हमारे पास है और उसके माध्यम से आगे आने वाले समय में हमारे प्रधानमंत्री जी का जो सपना है कि हर किसान के पास रूपे कार्ड हो. मैं आज इस सदन में यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में भी हम हर किसान को रूपे कार्ड मध्यप्रदेश में भी हम हर किसान को रुपे कार्ड उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने वाले हैं. माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी ने कैशलेस ट्रांजिक्शन पर बड़ा काम किया है. सहकारिता विभाग ने भी उसमें कदम से कदम मिलाते हुए काम किया है. देश में हम पहले सहकारी विभाग बने जिसने की नि:शुल्क एनईएफटी और आरटीजीएस शुरु किया. इसके साथ ही बैंकर्स चेक और डिमाण्ड ड्राफ्ट को भी हमने नि:शुल्क किया. अभी बहादुर सिंह जी ने एक बात कही, मैं समझता हू्ं कि गोविन्द सिंह जी और कांग्रेस व भाजपा के सभी सदस्य मेरी बात से पूरी तरह सहमत होंगे. पिछले 20-30 साल से जो हमारी पैक्स हैं उनका पुनर्गठन नहीं हुआ, उनका परिसीमन नहीं हुआ. मैं आज यह घोषणा करना चाहता हूं कि हम एक कमेटी बनाकर पूरे प्रदेश की पैक्स सोसायटी का परिसीमन भी करेंगे और पुनर्गठन करने की भी हम आज घोषणा करते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--आपने अभी नोटबंदी की बात की थी. नोटबंदी के दौरान कनवर्ज़न की किश्त अदायगी की जो तिथि आई थी वह नोटबंदी के मध्य में फंस गई. मेरा आपसे अनुरोध है कि किसानों को उसमें लाभान्वित करें.
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने कहा कि हम पुनर्गठन करेंगे उससे पूरे आन्दोलन में आमूलचूल परिवर्तन आएगा. मैं सदन को बताना चाहता हूँ कि गबन के कारण लगभग 50 पैक्स सोसायियां डिफंग हो गईं. जिसके कारण किसान सालों से बीज और खाद का फायदा नहीं ले पा रहे हैं. जीरो प्रतिशत ब्याज का फायदा नहीं ले पा रहे हैं. जब हम पुनर्गठन कर देंगे तो वे सब इसमें लाभान्वित होंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सहकारी आन्दोलन का तो हम सुदृढ़ीकरण कर ही रहे हैं. हमने विचार किया है कि और कौन-कौन से आयाम हैं जिसमें हम सहकारिता के माध्यम से, नवाचार के माध्यम से रोजगार का सृजन कर सकते हैं. मुझे बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि इसमें हमने बहुत सफलता प्राप्त की है. पर्यटन में, परिवहन में, रहवासी क्षेत्र में, जैविक कृषि के क्षेत्र में, उद्यानिकी में, सुरक्षा सेवाओं में हमने अलग-अलग सोसायटियों का निर्माण किया है. इन सेक्टर में आगे आने वाले समय में हम को-ऑपरेटिव के सेक्टर में भी रोजगार के अवसर सृजित करेंगे. मुझे सदन में यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि परिवहन के मामले में हमने ई-रिक्शा चालू करने का विचार किया. मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि भोपाल के लगभग 11 रुट पर ई-रिक्शा को-ऑपरेटिव को उसका रुट मिल गया है. जबलपुर में हमने शुरू कर दिया है. जबलपुर में हमारी एक परिवहन संस्था है वह 48 बसों का संचालन कर रही है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--प्रबंध संचालक, दुग्ध महासंघ आपके रुट पर अतिक्रमण कर रहे हैं. सहकारिता से जुड़े दुग्ध संघ की जो सोसायटियां हैं उस पर आप बोलिए.
श्री विश्वास सारंग--मैं बोलूंगा. हमने भण्डार संघ की भी एक परिकल्पना की है वह हमने रजिस्टर्ड कराया है. गोविन्द सिंह जी मेरे बड़े भाई है वे शायद मुझे इस बात के लिए शाबासी देंगे. आईसीडीपी के माध्यम से प्रदेश में भण्डार गृह बनाए, मण्डी के सहयोग से बनाए पर उनका संचालन ठीक ढंग से नहीं हो रहा था. हमने कल्पना की है कि हम भण्डार संघ बनाएंगे. वेयर हाउसिंग फेडरेशन और जितने भी हमारे वेयर हाउसिंग है उसमें जैसी आपने कोल्ड स्टोरेज वाली बात कही उस पर भी हम विचार कर सकते हैं. इसके माध्यम से हमारे भण्डार की जो क्षमता है उसको हम चैनलाइज़ करेंगे उसको आर्गेनाइज़ सेक्टर में लेकर आएंगे.
अध्यक्ष महोदय, "नमामि देवी नर्मदे" मुख्यमंत्री जी का एक बड़ा कार्यक्रम है. उसमें उन्होंने जो उद्यानिकी का काम लिया है कि नर्मदा जी के दोनों तरफ एक-एक किलोमीटर पेड़ लगाना है. उसमें हमने यह निश्चित किया है कि उद्यानिकी की सोसायटी बनाकर उसमें भी हम सरकार का साथ देंगे. हमने विभिन्न क्षेत्रों में 135 सहकारी सोसायटियों का निर्माण किया है. जो एपेक्स बॉडीज़ हैं उनको लेकर हमने विस्तृत कार्यक्रम बनाया है. अभी गोविन्द सिंह जी ने आवास संघ की बात की. निश्चित रुप से आवास संघ की स्थिति खराब है. बड़ा घोटाला हुआ, बड़ा घपला हुआ, किसके समय हुआ, क्यों हुआ, इस पर मैं नहीं जाना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे मंत्री बनने के बाद हमने चुनौती के साथ इसमें काम करना प्रारंभ किया. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमने आवास संघ की सिविल विंग को मजबूत किया है. अभी हमारे तकनीकी शिक्षा मंत्री सदन में नहीं है. मैं श्री दीपक जोशी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि डेढ़ सौ करोड़ रूपये के आई.टी.आई. बनाने का काम उन्होंने हमें आवास संघ में दिया है. गोविंद सिंह जी, हम इसे एक हजार करोड़ रूपये तक ले जायेंगे. हम एक नवाचार कर रहे हैं. जैसे सस्ते मूल्य की राशन की दुकान होती है वैसे ही हम आवास संघ के माध्यम से देश में, दुनिया में पहली बार बिल्डिंग मटेरियल बैंक बना रहे हैं. इसमें सस्ते मूल्य का बिल्डिंग मटेरियल का सामान उपलब्ध होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यशपाल जी ने आज थोड़ी सी कंजूसी कर दी. फोन पर वे रोज मुझे बधाई और धन्यवाद देते हैं. विधायकों की आवास समिति के यशपाल जी चेयरमैन हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, रचना नगर में आपके आर्शीवाद से हमें जो कार्य मिला था, बीच में ऐसा लग रहा था कि वह काम वापस चला जायेगा, परंतु मुझे हर्ष है कि इसमें मुझे 4-4 बार प्रशंसा पत्र प्राप्त हुआ है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- मुझे आज बोलने का अवसर ही नहीं दिया गया है. मैं सारे विधायकों की ओर से आपको धन्यवाद देता हूं.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में बताना चाहता हूं कि ''रचना टावर'' हम समय से विधायकों को उपलब्ध करायेंगे. यह कार्य हम आवास संघ के माध्यम से कर रहे हैं. मैं उपभोक्ता संघ के बारे में कहना चाहता हूं कि हमने यह निश्चित किया है कि उपभोक्ता संघ के माध्यम से हम क्रय भंडार नियम में माननीय मुख्यमंत्री जी एवं सरकार से निवेदन कर रहे हैं, जिससे कि वह कार्य हमें मिल जाये. इसके साथ ही हम हर पैक्स को मिनी मॉल बनाना चाहते हैं. हम इन्हें मल्टीयूटीलिटी शॉप में परिवर्तित करना चाहते हैं. पतंजलि ब्राण्ड और रामदेव बाबा के साथ हमारा कॉलोब्रेशन हो गया है. हमारी पैक्स की दुकानों में हम रामदेव बाबा के प्रोडक्स रखेंगे.
डॉ.गोविंद सिंह- हम रामदेव बाबा के प्रोडक्स नहीं रखने देंगे.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्य सहकारी संघ जो एज्यूकेशन और ट्रेनिंग का था. सहकारी आंदोलन में पहली बार स्कील डेव्हलपमेंट को हमने अपने हाथ में लिया है. प्रधानमंत्री जी के सपने को हम सहकारी संघ के माध्यम से साकार करेंगे. इसके साथ ही अंकेक्षण के मामले में मैं कहना चाहूंगा कि ऑडिट हमारी जान है. ऑडिट न होने के कारण बहुत से घपले, घोटाले होते थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि हमने 15 मार्च तक लगभग 95 प्रतिशत सहकारी संस्थाओं का ऑडिट करवा लिया है. अभी भी हमारे पास 8-10 दिन शेष हैं और मैं कह सकता हूं कि हम लगभग 98 प्रतिशत तक पहुंच जायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल गैस त्रासदी के संबंध में मैं एक मिनट में अपनी बात कहकर समाप्त करूंगा. हमने यह निश्चित किया है कि भोपाल गैस त्रासदी के जो पीडि़त हैं, उनके तीनों आयामों सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सेवाओं का हम एक सर्वे करवा रहें है. इसे लेकर हम विस्तृत कार्यक्रम कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप स्वयं डॉक्टर हैं और मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमने पहली बार हमारी रेडियो डायग्नोस्टिक की आधुनिक जांच, जो कि हमारे पास उपलब्ध नहीं है, उसे हमने आउट सोर्स किया है. हमारे सभी गैस पीडि़तों को हम यह सुविधा दे रहे हैं. हम एक आधुनिक कम्पोनेंट बेस्ड, ब्लड बैंक बना रहे हैं. हम सभी गैस पीडि़तों को ''स्मार्ट कार्ड'' देने वाले हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे और आपके माध्यम से सदन से निवेदन करता हूं कि अनुदान मांगों पर विचार कर सभी को पास किया जाए. धन्यवाद.
7.14 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
वर्ष 2017-18 की शेष अनुदानों की मांगों को बिना चर्चा स्वीकृत किए जाने विषयक (आंशिक मुखबंध)
अध्यक्ष महोदय- जैसा कि सायं 4.30 बजे आसंदी से घोषणा की गई थी कि विधान सभा प्रक्रिया के नियम 153 (2) के अनुसार आज कार्यसूची में उल्लेखित सभी विभागीय मांगों पर चर्चा एवं मतदान पूर्ण कर विनियोग विधेयक पुर:स्थापित किया जाना है.
परन्तु आज लगभग सवा सात बजे तक चर्चा के उपरांत अभी भी 4 मंत्रीगण की मांगों पर चर्चा शेष है. विभागीय मांगों पर सामान्य चर्चा तदुपरान्त दिनाँक 7.3.17 से विभागवार चर्चा विस्तार से सदन में हो चुकी है. साथ ही कार्यमंत्रणा समिति द्वारा नियत समय से काफी अधिक समयावधि व्यतीत होने के बाद भी चर्चा शेष है. अतः शेष मांगों पर अब मुखबन्ध (गिलोटिन) होगा. इस संबंध में मतदान हेतु शेष विभागों की अनुदान मांगें माननीय वित्त मंत्री जी एक साथ प्रस्तुत करेंगे तथा उन पर एक साथ मत लिया जाएगा.
वित्त मंत्री (श्री जयन्त मलैया)--
7.18 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य.
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक 2 )विधेयक, 2017 का पुरःस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री जयन्त मलैया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक 2) विधेयक, 2017 का पुरःस्थापन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनाँक 24 मार्च 2017 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 7.19 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनाँक 24 मार्च, 2017 (3 चैत्र, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल अवधेश प्रताप सिंह
दिनाँक 23 मार्च, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा.