मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा अष्टम सत्र
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
मंगलवार, दिनांक 23 फरवरी, 2021
( 4 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
[खण्ड- 8 ] [अंक-2]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 23 फरवरी, 2021
( 4 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
निधन का उल्लेख
(1) श्री मोतीलाल वोरा, भूतपूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश,
(2) श्री कैलाश नारायण सारंग, भूतपूर्व राज्यसभा सदस्य,
(3) श्री लोकेन्द्र सिंह, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(4) श्री गोवर्धन उपाध्याय, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(5) श्री श्याम होलानी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(6) श्री बद्रीनारायण अग्रवाल, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(7) श्री कैलाश नारायण शर्मा, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(8) श्री विनोद कुमार डागा, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(9) श्री कल्याण सिंह ठाकुर, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(10) श्री महेन्द्र बहादुर सिंह, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(11) श्री चनेश राम राठिया, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(12) श्रीमती रानी शशिप्रभा देवी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(13) डॉ. राजेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(14) डॉ. भानुप्रताप गुप्ता, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(15) श्री हीरा सिंह मरकाम, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(16) श्री लुईस बेक, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(17) ठाकुर देवप्रसाद आर्य, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(18) श्री पूरनलाल जांगड़े, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(19) श्री रामविलास पासवान, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(20) श्री जसवंत सिंह. भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(21) श्री तरूण गोगोई, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(22) सरदार बूटा सिंह, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(23) श्री माधव सिंह सोलंकी, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(24) कैप्टन सतीश शर्मा, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(25) श्री कमल मोरारका, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(26) श्री रामलाल राही, भूतपूर्व केन्द्रीय उपमंत्री,
(27) उत्तराखण्ड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ में मृतकों को श्रद्धांजलि, तथा
(28) सीधी जिले के शारदा पटना गांव में नहर में बस गिरने से मृतकों को श्रद्धांजलि.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका और आसंदी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हूं कि दिल्ली की सरहद पर सैकड़ों किसानों की मृत्यु हो गई है, उसका आज की कार्यसूची में कोई उल्लेख नहीं है. यह बहुत ही निंदनीय और सोचनीय विषय है कि हमारा अन्नदाता किसान,...
श्री दिनेश राय मुनमुन -- यह तो दिल्ली का मामला है.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ --दिल्ली का मामला कह रहे हैं बैठ जाओ, किसान अन्नदाता नहीं है क्या. दिल्ली भारत में नहीं है क्या...(व्यवधान).. यह पूरे देश का मामला है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया बैठ जाय,..(व्यवधान).. ( अनेक माननीय सदस्य लगातार जोर जोर से बोलते रहे ) .. आप बैठ तो जायें, शर्मा जी आप बैठ जायें,.(व्यवधान),.. माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है, आप बैठ जाइये, मैं आपकी बात सुनूंगा..(व्यवधान).. पहले मेरी बात तो आ जाने दीजिये..(व्यवधान).. माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि पहले मेरी बात तो आ जाने दीजिए. मैं माननीय सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि ऐसे समय में जब हम शोकाकुल परिवारों को या अपने दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा हुए हैं तब इस तरह का विवाद खड़ा करना उचित नहीं है और उसकी चिंता नहीं करें. माननीय मुख्यमंत्री जी.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ -- क्या किसान इस देश का निवासी नहीं है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सदन के नेता बोलने के लिए खड़े हुए हैं आप बैठ जाइये..(व्यवधान).. बाद में अपनी बात कहियेगा...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- हम तो केवल किसानों को श्रद्धांजलि देने की बात कर रहे हैं इसमें कोई वैसी बात नहीं है. हम यहां पर सबको श्रद्धांजलि दे रहे हैं तो किसान, अन्नदाता को क्यों नहीं दे सकते हैं....
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आपको संरक्षण देने का वायदा किया है. मैं उसको पूरा करूंगा. अभी आप सभी बैठ जायें सदन के नेता को बोलने दें...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- जी, धन्यवाद्.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- हम यहां पर वोरा जी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं....(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- क्या वह सरकार का विरोध कर रहे थे इसलिए उनको श्रद्धांजलि नहीं दी जायेगी...
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी एक ऐसा व्यक्तित्व थे कि जिन पर पूरा मध्यप्रदेश गर्व कर सकता है. वह केवल कांग्रेस के नेता नहीं थे, वह मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री रहे और 92-93 साल की उम्र में भी काम करने का जो जज़्बा और जो ऊर्जा मैंने देखी यह बिलकुल असाधारण थी. जिन्दगी की अंतिम सांस तक वह सक्रिय रहे. वे सहज थे, सरल थे, सबको स्नेह करने वाले थे. कांग्रेस तो उन पर गर्व कर ही सकती है. सचमुच में पूरे मध्यप्रदेश को उन पर गर्व था. एक श्लोक मुझे याद आता है - ''सम: शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयो:। शीतोष्णसुखदु:खेषु सड्गविवर्जित:।।'' शत्रु और मित्र में भी समान भाव रखने वाले, मान और अपमान में भी सम रहने वाले, सबको स्नेह करने वाले.
अध्यक्ष महोदय, मुझे याद आता है, मैं उस समय युवा मोर्चे में काम करता था. भोपाल गैस काण्ड के बाद बहुत से आंदोलन हमने किये. जब भी कोई आंदोलन करते थे श्रद्धेय वोरा जी सहजता से बुलाते थे और चर्चा करते थे और समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करते थे. वह आम आदमी के हमेशा निकट रहे और जिस पद भी उन्होंने काम किया, राजस्थान में जन्म लिया लेकिन फिर मध्यप्रदेश कार्यक्षेत्र रहा और इतने लोकप्रिय थे कि पांचवीं, छठवीं, सातवीं, आठवीं, नौवीं विधानसभा में लगातार निर्वाचित हुये. सार्वजनिक जीवन में जैसा उन्होंने स्थान बनाया लगभग असंभव सा है. चार बार राज्यसभा में, एक बार लोकसभा में और जिस भी पद पर रहे उसका निर्वाह उन्होंने पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ, पूरी गरिमा के साथ करने का प्रयास किया. मध्यप्रदेश की प्रगति और विकास में उनका जो योगदान है उसे कभी हम भुला नहीं सकते. राजनैतिक विचारधाराओं का अंतर हो सकता है लेकिन वोरा जी जैसे लोग सचमुच में असाधारण हैं. उनके चेहरे की चमक अंतिम समय तक रही. कई बार हम लोगों ने उनको चलते हुये देखा था, टीवी की बाईट में भी देखते थे, तो भले कमर थोड़ी सी उनकी झुकी हो लेकिन उसी ऊर्जा के साथ, जैसे जब तक जिएंगे तब तक काम करेंगे, उनको हमने काम करते हुये देखा है. उनके निधन से अविभाजित मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ और अत्यंत लोकप्रिय नेता को हमने खोया है. उनका योगदान मध्यप्रदेश कभी भुला नहीं सकता. मैं उनके चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, श्रद्धेय स्वर्गीय कैलाश नारायण सारंग जी, हम में से कम से कम प्रथम पंक्ति तो उनसे बहुत अच्छी तरह परिचित थी. भारतीय जनसंघ के बीज बोने से लेकर वट वृक्ष बनाने वाले उस पीढ़ी के अंतिम स्तम्भ थे. उन्होंने मध्यप्रदेश की राजनीति को एक अलग और नई दिशा दी. स्वर्गीय ठाकरे जी, राजमाता जी, पटवा जी, जोशी जी, प्यारेलाल खंडेलवाल जी और उनके साथ सारंग जी ने जनसंघ की जड़ों को पूरे मध्यप्रदेश में जमाने का अतुलनीय परिश्रम किया. छोटे से किराये के कार्यालय में कठिनाई से जीवन बिताते हुये दिन और रात परिश्रम करते हुये हमारे जैसे अनेकों कार्यकर्ताओं को गढ़ते हुये, इस पक्ष में जो साथी बैठे हैं उनमें से अनेकों ऐसे हैं जिनको उन्होंने उंगली पकड़कर राजनीति में चलना सिखाया. मैं विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता के नाते, मैं तो तब बच्चा था, तब भी अगर उनसे मिलता था, उसी स्नेह और प्रेम से वे सहयोग करते थे. युवा मोर्चा के कार्यकर्ता के नाते सदैव उनका मार्गदर्शन हमें मिलता था. वे राजनीतिक मतभेदों के ऊपर थे. मुझे अच्छी तरह से याद है जब पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती का एक कार्यक्रम 25 सितंबर को होना था, स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी उस समय मुख्यमंत्री हुआ करते थे, उस कार्यक्रम में स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी ने यह कहा था कि मैं अपनी विचारधारा को अक्षुण्ण रखते हुए आया हूँ. लेकिन राजनीतिक मतभेद अपनी जगह है, दीनदयाल जी दीनदयाल जी थे. हर दल में वे संबंध और संपर्क रखते थे. हमारे जैसा कार्यकर्ता अगर कभी निराश होता था, छोटा सा कार्यकर्ता भी, तो उसको नई उत्साह और ऊर्जा से भरने का कार्य अगर कोई करते थे तो वे स्वर्गीय कैलाश नारायण सारंग जी करते थे. वे केवल राजनेता नहीं थे, वे लेखक थे, वे कवि थे, वे पत्रकार थे, वे शायर थे. जब वे बोलते थे तो पता नहीं कितने शेर उनके मुँह से निकलते हुए चले जाते थे. वे कुशल संगठक थे. वे सफल प्रशासक थे. वे व्यक्ति नहीं, एक संस्था थे, बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. समाज सेवा के क्षेत्र में भी उनका अतुलनीय योगदान था. मुझे याद है कि एक बार वे मुझे बरेली ले गए, बरेली में जो पैतृक निवास स्थान था, मकान था उनका, वह मकान उनका बिक गया था, माता जी का, उसको फिर से उन्होंने खरीदा और खरीदकर वहां वृद्धाश्रम प्रारंभ किया, जो अब तक चल रहा है और बिना किसी के सहयोग के, संसद से पेंशन की जो राशि मिलती थी, उस पूरी की पूरी राशि को वे उसमें लगाते थे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- विश्वास भैया, पूरा सदन, पूरा प्रदेश आपके साथ है. हम सब आपके साथ हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, एक छोटे से गांव घाटपिपरिया में उनका जन्म हुआ है, रायसेन जिले में, गांव के प्रति उनका अनुराग और सहज संबंध सदैव बना रहा और आज तक वहां एक सदावृत का कार्यक्रम चलता है, जिसमें जो भी परिक्रमावासी आते हैं, नर्मदा तट पर जाने वाले मित्र जानते हैं, वहां सदावृत देने की परंपरा है. परिक्रमावासियों को, आगंतुकों को भोजन के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं और प्रबंध करना, यह काम सारंग जी करते थे. लेखक के नाते चरेवैति में हम सबने पढ़ा, इतने वर्षों तक चरेवैति का कुशल संचालन, एक पत्रिका को चलाना, यह अपने आप में असाधारण है. 'नवलोक भारत' उन्होंने स्थापित किया, उसमें उनके कई लेख ऐसे होते थे, जो अंतरात्मा को छू जाते थे और सचमुच में हमारी वह पीढ़ी जिसने हम लोगों को तैयार किया, आज हम देखते हैं कि जब तक वे थे, तो हमारे सर पर भी हाथ रखने वाला कोई था. जब भी कहीं गहरा अंधकार दिखता था, हम सारंग जी के पास जाते थे और कहते थे कि भाईसाहब, बताइये, क्या करें और स्वर्गीय सारंग जी बड़ी सहजता से हमें मार्ग दिखाते थे. उनके अनुभव का, उनके स्नेह का, उनके प्रेम का हम जैसे लोगों के जीवन के गठन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. वे जूझते भी रहे, जूझारू थे, 25 साल पहले उनका पहला बाइपास ऑपरेशन हुआ था, 25 साल तक लगातार, एक बाइपास, दो बाइपास, लेकिन लगातार काम करते रहे. जब उनका नाम लेता हूँ, तो केवल विश्वास सारंग ही नहीं, मैं भी भावुक हो जाता हूँ. बचपन से उन्होंने स्नेह और प्रेम दिया, हर काम में वे साथ देते थे, जब कोई हमें गंभीरता से नहीं लेता था, युवा मोर्चे के नाते, तब भी वे गंभीरता से हमें लेकर कहते थे कि चिंता मत करो, करो. हमने एक वरिष्ठ मार्गदर्शक खोया है, प्रदेश ने एक वरिष्ठ राजनेता खोया है. एक कुशल संगठक खोया है. "बडे़ गौर से सुन रहा था जमाना, तुम्हीं सो गए दासतां कहते-कहते". मुझे एक और पंक्ति याद आ रही है. अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्र: करुण एव च. किसी से द्वेश न रखने वाले, सबके मित्र और सबके प्रति स्नेह और करुणा रखने वाले ऐसे थे हमारे सारंग जी. उनके चरणों में मैं अपनी ओर से, सदन की ओर से श्रृद्धा के सुमन अर्पित करता हॅूं.
श्री लोकेन्द्र सिंह जी की भारतीय जनसंद्य से राजनीतिक यात्रा प्रारंभ हुई. वह अनेकों आंदोलनों में जेल गए. श्री लोकेन्द्र सिंह जी 6वीं और 10वीं विधानसभा के सदस्य रहे और बाद में लोक सभा के लिए भी निर्वाचित हुए. उनके निधन से भी हमने एक वरिष्ठ राजनेता खोया है, एक समाजसेवी खोया है.
श्री गोवर्धन उपाध्याय जी एक सरल और सहज व्यक्ति थे. हममे से अनेक मित्र उनको जानते थे. सिंरोज से वह विधायक निर्वाचित हुए. वह सरपंच और जनपद पंचायत लटेरी के अध्यक्ष भी रहे. श्री उपाध्याय जी ने विभिन्न संस्थाओं में पदाधिकारी के नाते, समाजसेवी के नाते भी काम किया.
श्री श्याम होलानी जी, अपराजेय स्वर्गीय श्री कैलाश जोशी जी की विजययात्रा के रथ को कोई रोक पाया, एक बार रोका था स्वर्गीय श्री श्याम होलानी जी ने. वह अत्यंत लोकप्रिय नेता थे.
श्री बद्रीनारायण अग्रवाल जी, जिनको हम गुरुजी के नाम से जानते थे. वह बडे़ सहज कार्यकर्ता थे. उनको भारतीय जनता पार्टी ने हरदा से टिकट दिया था. वह विधायक बने और उतनी ही सहजता के साथ काम करते-करते उनको हमने खोया है.
श्री कैलाश नारायण शर्मा जी गुना जिले में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जमाने में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान था. गुना जिले से वह सदस्य निर्वाचित हुए थे.
श्री विनोद कुमार डागा जी ने बैतूल में सहकारिता के क्षेत्र में काम करते-करते अपनी एक अलग पहचान बनाई थी.
श्री कल्याण सिंह ठाकुर जी विदिशा से ही उपचुनाव में सदस्य निर्वाचित हुए थे. वह सरपंच थे, सामान्य किसान परिवार से आते थे. लेकिन विधायकी के दायित्व को उन्होंने अपनी जनसेवा से एक नये आयाम दिये.
श्री महेन्द्र बहादुर सिंह जी, श्री चनेश राम राठिया जी, श्रीमती रानी शशिप्रभा देवी जी, डॉ.राजेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी, डॉ.भानुप्रताप गुप्ता जी इनके रुप में भी हमने लोकप्रिय जननेता और कुशल समाजसेवी खोये हैं.
दादा हीरासिंह मरकाम जी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक थे और उन्होंने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संगठन को एक नयी ऊंचाई प्रदान की थी. हम जानते हैं कि कई विधायक मित्र इस पार्टी से चुनकर आया करते थे. विशेषकर जनजाति समाज के लिये उन्होंने जो काम किया है, वह सदैव याद किया जाएगा.
श्री लुईस बेक जी, ठाकुर देवप्रसाद आर्य जी, श्री पूरनलाल जांगडे़ जी इनके चरणों में भी मैं श्रृद्धा के सुमन अर्पित करता हॅूं.
स्वर्गीय श्री रामविलास पासवान जी एक अद्भुत राजनेता थे. लोकप्रियता जैसे जन्म से ही भाग्य में लिखवाकर लाए थे और मैं समझता हॅूं कि एक विचित्र संयोग था कि लगभग सदैव ही वह मंत्री रहे. गठबंधनों की सरकारें बनीं, सरकारों में बाकी बदल जाया करते थे लेकिन श्री रामविलास पासवान जी नहीं. यह सच्चाई है हम लोग जानते हैं. वह केंद्र में मंत्री रहते ही थे और यह इस कारण कि उनकी अपनी जमीन बिहार में थी और उस जमीन को कोई तोड़ नहीं पाया. बिना उनके बिहार का समीकरण बनता ही नहीं था. सन् 1977 में उन्होंने देश में सर्वाधिक वोटों से जीतने का नया रिकार्ड स्थापित किया था. उस समय वह बहुत युवा थे. वह नौ बार लोक सभा और दो बार राज्य सभा के सदस्य रहे कुल मिलाकर उन्हें लोक सभा और राज्य सभा के 11 टर्न मिले हैं. यह अपने आप में अद्वितीय है. उन्होंने मंत्री के रूप में और जन नेता के रूप में भी पूरी कर्मठता के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह किया.
मुझे स्वर्गीय जसवंत सिंह जी का भी सदैव बहुत आशीर्वाद और सानिध्य मिला. हम सब वरिष्ठगण जानते हैं कि वह राजनीति में आने के पहले सेना के अधिकारी थे और सेना के अधिकारी के बाद फिर वह राजनीति में आए. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी संसद में वर्षों तक रहे हैं हम लोग देखते थे उनकी बोलने की अपनी शैली थी वह इतनी उत्कृष्ट अंग्रेजी बोलते थे कि कई बार तो अंग्रेजी जानने वाले भी आश्चर्यचकित रह जाते थे और संसद के ऐसे सदस्य हुआ करते थे जो हर विषय पर बोलने का माद्दा रखते थे. श्रद्धेय अटल जी के मंत्रीमंडल में मंत्री होने के नाते विशेषकर जब विदेश मंत्री थे उन्होंने जैसा काम किया सारे देश ने देखा है. वह प्रमुख विभागों के मंत्री रहे और भारतीय जनता पार्टी के संगठन को मजबूती प्रदान करने में उनका अहम रोल था. अटल जी, अडवानी जी के साथ तीसरा नाम जसवंत जी का ही आता था. वर्षों तक अस्वस्थ रहने के बाद वह हमें छोड़कर चले गए मैं उनके चरणों में भी श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं.
श्री तरुण गोगोई जी असम के बहुत लोकप्रिय राजनेता थे. वह लोक सभा में भी पांचवीं, छठवीं, सातवीं, दसवीं, तेरहवीं लोक सभा में भी निर्वाचित हुए. इससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है. केन्द्र सरकार में भी विभिन्न विभागों के मंत्री रहे और पांच बार असम विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए और तीन बार मुख्यमंत्री रहे केवल असम की ही नहीं देश की राजनीति में भी उनका एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान था. उनके निधन से भी हमने एक कुशल नेता और कुशल प्रशासक खोया है.
सरदार बूटा सिंह जी भी एक बहुत ही लोकप्रिय नेता थे. राजनीति करने की उनकी अपनी शैली थी. तीसरी, चौथी, पांचवीं, सातवीं, आठवीं, दसवीं बार भी वह तेरहवीं लोकसभा में न केवल सदस्य निर्वाचित हुए विभिन्न विभागों के मंत्री के रुप में अपने उन्होंने दायित्व का निर्वाह कुशलता के साथ किया.
स्वर्गीय माधव सिंह सोलंकी जी गुजरात के अत्यंत लोकप्रिय नेता थे. उनके बाद फिर गुजरात में कांग्रेस वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई. वह चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे सन् 1989 तक कांग्रेस को बढ़ाने में, मजबूत करने में उनका बड़ा योगदान रहा. मुख्यमंत्री के नाते और केन्द्रीय मंत्री के नाते भी उन्होंने अपनी एक अलग अमिट छाप छोड़ी.
कैप्टन सतीश शर्मा जी आदरणीय कमलनाथ जी के गहरे मित्र थे और संसद में मैं भी सदस्य था तो कई बार मुझे उनसे मिलने का अवसर मिला. वह अपनी तरह से राजनीति करने वाले एक अलग राजनेता थे. केन्द्रीय मंत्री के रूप में भी उन्होने देश की सेवा की.
श्री कमल मोरारका जी, वरिष्ठ राजनेता थे, हम सभी उनसे परिचित हैं.
श्री रामलाल राही जी, उनके रूप में भी हमने एक कुशल राजनेता और समाजसेवी खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तराखण्ड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के कारण जो प्राकृतिक आपदा आई और विद्युत परियोजना में कार्य कर रहे हमारे अनेक साथी हमारे बीच नहीं रहे, मैं उनके चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं. ऐसी घटना हमें यह सोचने पर जरूर बाध्य करती है कि पर्यावरण और विकास दोनों में कहीं न कहीं संतुलन के बारे में दुनिया को सोचना पड़ेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सीधी जिले के शारदा पटना गांव में ह्दय विदारक बस दुर्घटना हुई, जिसमें बाणसागर बांध की मुख्य नहर में एक बस समा गई और हमारे अनेक भाई-बहनों की जल समाधि हो गई. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण ह्दय विदारक घटना है. उसमें हमारे वे बच्चे भी शामिल थे, जो कहीं परीक्षा देने जा रहे थे. मैं अपने उन सभी साथियों के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्माओं को शांति दे, उनके परिजनों को, उनके अनुयायियों को, जिन वरिष्ठों का मैंने नाम लिया, उनको यह गहन दुख सहन करने की क्षमता दे. मैं अपनी ओर से दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करना हूं. ओम शांति.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ (महेश्वर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान पुत्र यदि सदन में किसानों के बारे में बोलते तो हमें पता चलता कि वर्तमान सरकार किसानों की कितनी हितैषी है ?
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य, माननीय नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ)- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस लंबी सूची में, हमारे बहुत सारे अपने साथी आज नहीं रहे. आज हम इस सदन में उन्हें याद करते हैं, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. सभी का समय आता है. हम सभी आज यहां जो बैठे हैं, हम सभी का भी समय आयेगा. सभी अपनी कोई न कोई छाप और यादगार छोड़कर जाते हैं. केवल अपने परिवार में ही नहीं अपितु समाज में, राजनैतिक क्षेत्र में, औद्योगिक क्षेत्र में अपनी पहचान छोड़ जाते हैं. इनमें से कई लोगों को हम करीब से जानते थे और कई लोगों को दूर से जानते थे. जिन्हें हम करीब से जानते थे, उनसे हमारे केवल राजनैतिक संबंध नहीं थे परंतु अपने जीवन में हमारे जो व्यक्तिगत संबंध बनते हैं, आज उन सभी के नाम पढ़कर बहुत सारी यादें ताजा हो गईं. मोतीलाल वोरा जी से, जब मैं जवान था, युवक कांग्रेस में हुआ करता था, उनसे मैं पहली बार दुर्ग (छ.ग.) में मिला था. वे बहुत ही सरल स्वभाव के थे. जब मैं उनसे पहली बार मिला था तब यह कभी नहीं सोच सकता था कि वे भविष्य में राज्यपाल बनेंगे, एक मुख्यमंत्री बनेंगे, एक केन्द्रीय मंत्री बनेंगे. अपने देश के इतिहास में ऐसे कितने लोग हैं, जिन्हें इतनी बार लोक सभा में, राज्य सभा में, विधान सभा में पद मिले. केन्द्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल इन पदों को हासिल किया है. ये केवल एक मौका नहीं था, मोतीलाल वोरा जी, एक ऐसे व्यक्ति थे जो सभी को अपने सरल स्वभाव से प्रभावित करते थे. अपने व्यवहार से वे सभी का दिल जीत लेते थे और इस सदन में जो इनके साथ रहे, मुझे तो उनके साथ इस सदन में मौका नहीं मिला, पर इस सदन के जो भी सदस्य उनके साथ रहे हैं उनको वह जरूर याद करते रहे होंगे कि एक सदन के नेता के रूप में उनका कैसे व्यवहार होता था.
मैं तो संसदीय कार्य मंत्री था जब वह राज्य सभा के सदस्य थे और जब मैं कभी किसी को समझा नहीं सकता था तो मैं मोतीलाल वोरा जी की मदद लेता था कि आप जरा उसको समझा दीजिये, वह उसको अपने तरीके से, अपने स्वभाव से उसका दिल और दिमाग जीत आते थे. मोतीलाल वोरा जी राजनीतिक व्यक्ति तो थे, पर एक समाज सेवक भी थे और समाज सेवा में भी उन्होंने अपना एक स्थान प्राप्त किया. आज हम उन्हें और कई साथियों को याद करते हैं. मैं उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
श्री कैलाश सारंग जी को मैं आखिरी दफा भोपाल में एक शादी में मिला( श्री विश्वास सारंग की ओर इंगित होते हुए) आपको याद है, इतने प्यार और मोहब्बत से कई दिनों बाद मिले थे. मैं इतने साल की राजनीति में विपक्ष के नेताओं से मिलता था, पर उस प्रेम से जो कैलाश सारंग जी ने मुझे दिया, मुझे याद है उनके घर जाते हुए, मैं भोपाल आता था विश्वास को याद होगा उनके घर जाते हुए, वे ऐसे व्यक्ति थे, ऐसा उनका स्वभाव था. मैं सोचता था कि अगर ऐसे नेता हमारे पास भी कई होते जो दूसरों के लिये उदाहरण बनते. कैलाश सारंग जी ने अपने जीवन में केवल चुनाव ही नहीं जीता, दिल जीते. चुनाव जीतना और दिल जीतने में बहुत अंतर होता है, वह दिल जीतने वालों में से थे. ऐसे कम राजनीतिक नेता होते हैं जो चुनाव भी जीत सकते हैं और दिल भी जीत सकते हैं और केवल अपने साथियों का ही दिल नहीं जो विपक्ष में हैं उनका दिल भी जीत सकते हैं. मैं उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
माननीय मुख्यमंत्री जी ने बहुत कुछ कहा है उसको मैं दोहराना नहीं चाहता हूं, पर बड़े संक्षेप में हमारे श्री श्याम होलानी जी, जो मेरे बड़े नजदीक रहे. हमारे श्री विनोद डागा जी, जिनके पुत्र आज इस सदन के सदस्य हैं वह तो मेरे करीबी जिले के थे उनका मेरे यहां बहुत आना-जाना होता था, बहुत निकट संबंध थे. बड़ा कष्ट हुआ जब जानकारी मिली कुछ महीनों पहले कि वह नहीं रहे, उसी दिन रात को वह भोजन में मेरे साथ थे और हम सब थे और उन्होंने कहा कि मैं बैतूल रवाना हो रहा हूं. मैंने कहा कि रात को क्यों जाते हो क्यों जाते हो सवेरे चले जाना, उन्होंने कहा कि नहीं मुझे जाना है, घर में मुझे सोना है और रास्ते में ही वह नहीं रहे. विनोद डागा जी ने अपना स्थान प्रदेश में बनाया.
हमारे श्री हीरा सिंह मरकाम जी ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को स्थापित किया, उन्होंने केवल मध्य प्रदेश में ही नहीं छत्तीसगढ़ में भी अपना स्थान बनाया. छत्तीसगढ़ के होते हुए उन्होंने मध्यप्रदेश में एक ऐसा संगठन बनाया जो आज भी मजबूती से हमारे उस समाज को जोड़कर रख रहा है, उस समाज की लड़ाई लड़ रहा है वह तो नहीं रहे पर जो संगठन छोड़ गये हैं वह संगठन आज उस समाज का रक्षक है.
श्री रामविलास पासवान जी, मेरे साथ सातवीं लोक सभा में थे और सबसे अधिक वोट से जीतकर आये थे. उस समय गिनीजिस् बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में उनका नाम था कि वह इतने लाख वोट से जीते. कम वोटर हुआ करते थे पर जब हम बात करें 3-4 लाख वोट से जीत कर आये. बहुत बड़ी बात हुआ करती थी उनका अनुभव था. मैं नया नया था सातवीं लोकसभा में उनसे मैंने बहुत ज्ञान प्राप्त किया. लगभग 10 महीने पहले उनसे फोन पर भी चर्चा कर रहा था उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं भोपाल जरूर आऊंगा. श्री तरूण गोगोई जी मेरे साथी रहे लोकसभा में जब मैं कांग्रेस का महासचिव था मैंने आसाम में उनके साथ बहुत नजदीकी से कार्य किया. वे तीन बार मुख्यमंत्री रहे उस समय वे मुख्यमंत्री बने जब आसाम में हिंसा का माहौल था. गैस पाईप लाईन को बंद कर दिया गया था उस समय चुनाव हुआ था उस समय वे मुख्यमंत्री बने तब आसाम में शांति आयी. उन्होंने इस शांति का आश्वासन दिया तो हमारे आसाम में शांति उसके बाद हमेशा के लिये रही. आज भी अगर शांति का हम पुरस्कार देना चाहते हैं तो श्री तरूण गोगोई जी को देना पड़ेगा. हमारे बूटासिंह जी पंजाब के नेता थे. वे गृहमंत्री रहे उनकी धार्मिक कार्यक्रमों में बड़ी दिलचस्पी रही. उन्होंने राज्यपाल के रूप में काफी समय गुजारा. मैं सतीश शर्मा जी तथा जो विभिन्न मेरे निकट थे उन्होंने मुझे फ्लाईंग सिखाई थी वे फ्लाईंग जानते थे वे कैप्टन थे. मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन एक दिन मुझे कहा कि चलो फ्लाईंग क्लब और फ्लाईंग सीखो उस समय मैंने यह तय किया कि यह मैं करूंगा तो हम साथ साथ दिल्ली के फ्लाईंग क्लब में संजय गांधी जी एवं मैं जाया करते थे. वहां पर हमने फ्लाईंग सीखी. श्री माधव सिंह सोलंकी वरिष्ठ नेता थे वे गुजरात में आज भी गांव गांव में श्री माधव सिंह सोलंकी जी का नाम है. श्री माधव सिंह सोलंकी जी ने अपने व्यवहार से, अपने नेतृत्व से केन्द्र में वे विदेश मंत्री थे और मैं भी मंत्री था. हर केबिनेट की मीटिंग में श्री माधव सिंह सोलंकी बड़े हलके आवाज में बोलते थे, यही उनकी खूबी थी. हमारे श्री रामलाल राही जी एवं सब हमारे साथी जो आज नहीं रहे आज हम एवं पूरा सदन इनको याद करता है. साथ साथ यहां उल्लेख है कि सीधी में जो दुर्घटना हुई मैं तो श्रद्धांजलि देते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी से अपील करूंगा जिनकी मौत हुई है उनको रोजगार देने का काम करेंगे. आपने उनके लिये राशि देने की घोषणा कर दी है. राशि तो आयेगी और जायेगी, पर उनको रोजगार देने का कुछ न कुछ प्रावधान करिये. वे बहुत ही गरीब परिवार के लोग थे, आप इस पर सोच-विचार करेंगे, मुझे पूरा विश्वास है. इसके साथ साथ उत्तराखंड में जो घटना हुई है कि यह घटना प्राकृतिक कारणों से हुई, यह एक बड़ी चुनौती हम सबके सामने है कि कैसे हम उसका संतुलन बनाये केवल उत्तराखंड जैसी जगहों पर नहीं पर अपने यहां भी यह संतुलन बनाना बहुत ही आवश्यक है. साथ साथ मैं जो मुरैना में शराब माफिया के कारण जिनकी मृत्यु हई है आपकी इजाजत से मैं सोचता हूं कि इस सदन को उनको भी श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिये. जिक्र किया था किसानों का, यह पक्ष एवं विपक्ष का प्रश्न नहीं है. अंत में यह किसान थे आपकी तरह सबकी तरह वे किसान थे. अगर 200 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है और यह सदन श्रद्धाजंलि दे रहा है तो क्या यह उचित होगा कि हम उन किसानों को जैसे भी गये हों. बस के एक्सीडेंट में इतने सारे किसान, क्योंकि आंदोलन हो रहा है. आंदोलन आपने भी किया है, हमने भी किया है आगे भी इस तरह के आंदोलन होंगे, पर उनको भी हम श्रद्धाजंलि अर्पित करते हैं. अध्यक्ष महोदय आप सबका धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन(सागर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष ने जो दिवंगत राजनेताओं का उल्लेख किया है, उनकी श्रद्धांजलि में मैं अपने आपको सम्मिलित करना चाहता हूं. उत्तराखड़ और सीधी जिले में जो हृदय विदारक घटना हुई है, उसमें जो मृतक व्यक्ति हैं, उनको मेरी श्रद्धांजलि है, उनके परिजनों को परमपिता परमेश्वर शक्ति और संबल दें. माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रद्धेय वोरा जी से मेरा 1989 में सम्पर्क हुआ, उस समय मेरे बड़े भाई साहब काफी बीमार हुए और उस समय उन्हें एयरलिफ्ट करके मुम्बई ले जाना था. हमारे परिजनों ने श्रद्धेय वोरा जी से टेलीफोन पर बात की, उस दिन उन्हें दिल्ली जाना था, लेकिन उन्होंने दिल्ली का कार्यक्रम निरस्त करके एयरक्राप्ट सागर भेजा और सागर से हम अपने भाई साहब को लेकर मुंबई जा पाएं. यह उनका एक जनमानस के प्रति, प्रदेश की जनता के प्रति जो एक सद्भावना थी, वह व्यक्त करती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रद्धेय कैलाश नारायण सारंग जी, मैंने जब 1992 में राजनीति में प्रवेश किया, तब उनसे मेरा सम्पर्क हुआ, वे एक कुशल संगठक थे और उन्होंने हमारे जैसे अनेक नेताओं को, अनेक कार्यकर्ताओं को गढ़ने का कार्य किया. वे संगठन के शिल्पी थे. मुझे याद आता है, मेरे राजनीति में प्रवेश के बाद उनका सागर आगमन हुआ. एक आंदोलन में हम उनके साथ थे, तो मेरे अपने जीवन का पहला भाषण उनके बहुत आग्रह पर और उनके निर्देश पर मैंने अपने जीवन का भाषण दिया, उन्होंने मुझे जीवन भर, जब तक वे जीवित थे, मेरा उनसे सम्पर्क था. उन्होंने हमेशा कार्यकर्ताओं को एक पिता के समान स्नेह दिया. मैं श्रद्धेय कैलाश नारायण सारंग जी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े होकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
अध्यक्ष महोदय - ओम शांति शांति शांति ..दिवंगतों के सम्मान में विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 24 फरवरी, 2021 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
पूर्वाह्न 11:59 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 24 फरवरी, 2021 (फाल्गुन 5, शक संवत् 1942) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल
दिनांक 23 फरवरी, 2021 ए.पी. सिंह
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा