मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
गुरूवार, दिनांक 23 फरवरी, 2017
( 4 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 3 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 23 फरवरी, 2017
( 4 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न संख्या--1 श्री मुकेश नायक
श्री सुन्दरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा एक स्थगन प्रस्ताव दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल के बाद बात करिये. नहीं मैं इसको अलाऊ नहीं कर रहा हूं. तिवारी जी यदि आप रोज़ प्रश्नकाल में इस तरह से बाधा डालेंगे तो मुझे कुछ कार्यवाही करनी पड़ेगी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्नकाल में बाधा नहीं डाल रहा हूं. मैंने एक स्थगन प्रस्ताव दिया है.
अध्यक्ष महोदय--बैठिये आप.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, आपने देखा भी होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने--
अध्यक्ष महोदय--कृपया करके बैठ जाएं. बिलकुल नहीं सुना जाएगा और न ही लिखा जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--- (XXX)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्रा)--अध्यक्ष महोदय, यह जो बात कह रहे हैं वह शून्यकाल में नहीं कही जा सकती.
अध्यक्ष महोदय--कह सकते हैं, लेकिन उनको तो प्रश्नकाल में व्यवधान डालना है.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--शून्यकाल में जो कहना है वह कहें.
अध्यक्ष महोदय--मैं उनसे कह रहा हूं कि 12.00 बजे के बाद में बात करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, दूसरे सदस्यों के भी प्रश्न महत्वपूर्ण हैं, यह प्रश्नकाल को बाधित करने की परम्परा अच्छी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--यह जान-बूझकर कर रहे हैं. तिवारी जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं. आप कृपा करके कार्यवाही करने के लिये मुझे मजबूर न करें. बैठ जाईये आप 12.00 बजे के बाद बात करिये मैं आपकी सब बातों को सुनूंगा. मैं आपकी बात सुनने को मना कहां कर रहा हूं.
पवई विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत डी.पी. सुधार
[ऊर्जा]
1. ( *क्र. 772 ) श्री मुकेश नायक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले की पवई विधान सभा क्षेत्र के पवई एवं शाहनगर जनपद पंचायतों में कितने डी.पी. एवं पोल क्षतिग्रस्त स्थिति में हैं? ग्रामवासियों/पंचायतों द्वारा उक्त हितग्राहियों द्वारा डी.पी. एवं पोल के लिये कितने हितग्राहियों ने आवेदन किये हैं? हितग्राहियों के आवेदन पर क्या कार्यवाही की गई? (ख) उक्त क्षतिग्रस्त डी.पी./पोल का सुधार कार्य कब तक किया जावेगा? (ग) क्या विभाग द्वारा उक्त में से कोई ट्रांसफार्मर/विद्युत पोल को अन्यत्र स्थान पर लगाने की कोई कार्य योजना है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) पन्ना जिले के पवई विधानसभा क्षेत्र के पवई जनपद पंचायत क्षेत्रान्तर्गत 4 डी.पी. स्ट्रक्चर/ट्रांसफार्मर एवं 104 पोल तथा शाहनगर जनपद पंचायत क्षेत्रान्तर्गत 18 डी.पी. स्ट्रक्चर/ट्रांसफार्मर एवं 154 पोल, भिन्न-भिन्न तिथियों में आई आंधी/तूफान के कारण से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन क्षतिग्रस्त डी.पी. स्ट्रक्चर/ट्रांसफार्मरों एवं पोलों से सम्बद्ध उपभोक्ताओं में से 3 हितग्राहियों/उपभोक्ताओं यथा (1) ग्राम बड़खेरा के आवेदक सरपंच एवं समस्त ग्रामवासी (2) ग्राम चौमुखा के आवेदक श्री रामप्रकाश तिवारी (3) ग्राम सुडोर के आवेदक श्री सोनू शुक्ला द्वारा आवेदन पत्र संबंधित कार्यालय में दिए गए। प्राप्त आवेदनों पर त्वरित कार्यवाही करते हुए सर्वे उपरान्त प्राक्कलन स्वीकृत कर कार्य आदेश जारी किये जा चुके हैं। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाये गये कार्य प्रगति पर हैं, जिन्हें दिनांक 31.03.2017 तक पूर्ण किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। (ग) पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा उक्त क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर/पोलों को अन्यत्र स्थान पर लगाने की कोई योजना नहीं है।
श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में यह कहा है कि ग्राम बरखेरा के आवेदक सरपंच एवं समस्त ग्रामवासियों की बिजली नहीं होने की उन्हें शिकायत मिली है. बाढ़ आने के बाद यहां पर खम्भे गिर गये थे. इसमें मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि आवेदन में कितनी तारीख को खम्भे गिरे थे और कितनी तारीख को इस गांव की बिजली गोल हुई, बताएं ?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य बता रहे हैं यह बात सही है कि खम्बे गिरे थे और खम्बे सुधारने में अलग अलग तारीख लगी है, उन्होंने खम्भों की तारीख पूछी है.
श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल स्पेसिफिक ग्राम बरखेरा के बारे में उत्तर में जिक्र किया है. इसमें मेरा स्पेसिफिक प्रश्न है कि ग्राम बरखेरा में किस तारीख को बाढ़ आने से खम्भे गिरे थे, किस तारीख को आपने प्राक्कलन तैयार किया, किस तारीख को प्राक्कलन स्वीकृत हुआ, किस तारीख को यह काम शुरू किया? यह तीनो मेरे स्पेसिफिक प्रश्न हैं इसका उत्तर मंत्री जी दें ?
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदस्य महोदय को बताना चाहता हूं कि वहां के जो प्राक्कलन हमने तैयार किये हैं उस प्राक्कलन में 11 वर्क आर्डर हमने 45 लाख रूपये के जारी किये हैं.
श्री मुकेश नायक--नहीं नहीं.मेरा प्रश्न दूसरा है.
अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी के उत्तर को सुन लें. आपने तारीखों के बारे में पूछा है.
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें से 2 कार्य पूर्ण हो गये हैं बाकी दिसम्बर 2016 के कार्य बाकी हैं उनको भी पूर्ण कर देंगे.
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूं और मेरे प्रश्न का आशय यह है कि कितनी तारीख को उस गांव में बिजली नहीं थी और आज तक क्यों नहीं आई है, मुझे आप यह स्पेसिफिक बतायें.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न मंत्री जी समझ गयें हैं कि आप उनसे तारीख पूछ रहे हैं, माननीय मंत्री जी आपके पास क्या तारीख उपलब्ध है ? यदि तारीख आपके पास हो तो आप बता दें, अगर उपलब्ध नहीं हो तो आप बाद में तारीख बता दीजियेगा.
श्री पारसचंद्र जैन - अभी इसकी कोई जानकारी मेरे पास नहीं है लेकिन तीन आवेदन इन लोगों के मेरे पास आये थे.
श्री मुकेश नायक - मैं एक अनुपूरक प्रश्न आपकी अनुमति से पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट रूकिये आपने जो प्रश्न पूछा उसका मंत्री जी कुछ जवाब दे रहे हैं.
श्री पारसचंद्र जैन - बरखेड़ा में जुलाई, अगस्त से आपूर्ति बाधित है, ग्रामवासियों के आपसी विवाद के कारण यह काम पूर्ण नहीं हो पा रहा है. हमने प्राक्कलन माह नवम्बर एवं दिसंबर में बनाये हैं.
श्री मुकेश नायक - जुलाई में बिजली गोल हुई, इन्होंने दिसंबर और नवम्बर में प्राक्कलन तैयार किया है, यह इस तरह से मंत्रालय चला रहे हैं. आप कल्पना करिये अगर एक दिन आपके घर की बिजली गुल हो जाये तो क्या आपके बच्चे आपसे शिकायत नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करें, इस तरह से आप व्यक्तिगत बात नहीं कर सकते हैं.
श्री मुकेश नायक - जुलाई में बिजली गोल हुई है और आप दिसंबर में प्राक्कलन तैयार करवा रहे हैं.
श्री पारसचंद्र जैन -माननीय सदस्य जी आपके टाईम पर तो बिजली मिलती ही नहीं थी.
श्री मुकेश नायक - आप सोते रहते है, इस तरह से मंत्रालय चला रहे हैं, आपको कोई चिंता नहीं है.
श्री पारसचंद्र जैन -हम तो मंत्रालय चला रहे हैं, आपके समय तो पहले आदेश निकले थे कि आठ बजे बाद दुकानें बद कर लो.
श्री मुकेश नायक - मैं आपसे स्पेसिफिक प्रश्न पूछना चाहता हूं कि नौ महीने से उस गांव में बिजली नहीं है, आप विधानसभा को इस संबंध में क्यों नहीं बताते हैं.
श्री पारसचंद्र जैन - मैं भी स्पेसिफिक ही बता रहा हैं. बाढ़ आने के कारण वहां के लोगों के आपसी विवाद हैं, हम उसको सुधारना भी चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप दूसरा प्रश्न कर लें, आप भाषण नहीं दे सकते हैं,
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, नौ महीने से दो हजार जनसंख्या वाले उस गांव में बिजली नहीं है और यह इस तरह से विधानसभा में उत्तर दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप दूसरा प्रश्न करें.
श्री मुकेश नायक - मेरा दूसरा प्रश्न यह है, इनकी कोई तैयार नहीं है इनसे प्रश्न पूछने का मतलब है, (XXX).
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें, यह उचित नहीं है.
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्पेसिफिक प्रश्न माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि इन्होंने शाहनगर ब्लॉक और पवई ब्लॉक की चर्चा की है. माननीय मंत्री जी आप यह बतायें ग्राम सर्रा, ग्राम छिरिया, ग्राम जमड़ा, ग्राम महुआडोल, महियागांव घाट, कनकी यह शाहनगर ब्लॉक के गांव हैं. दूसरा पवई ब्लॉक जिसमें ग्राम मझगवां, सतधारा, ताला, अमझोरा, सरसा, बुधवानी, रोहनियां, केमुरिया, जूही, रामगढ़, बीजादोह, खुलचारी, पगरा, टोला, गहरवार, उमड़ी, जमगढ़ इन गांवों में कब से बिजली नहीं हैं, इस संबंध में आप बतायें ?
श्री पारसचंद्र जैन - गांवों में बिजली पर्याप्त है और बरखेड़ा में बिजली मिल नहीं रही है.
श्री मुकेश नायक - आपको यह ही पता नहीं है कि इन गांवों में ट्रांसफार्मर ही नहीं लगा है तो बिना ट्रांसफार्मर के बिजली कैसे पहुंचेगी.
श्री पारसचंद्र जैन - बरखेड़ा में बिजली नहीं है यह मैं भी तो कह रहा हूं लेकिन वहां की लाईन टूटने के बाद वहां आपसी किसानों का विवाद है .
श्री मुकेश नायक - आपके विभाग के ओआईसी ने मुझे लिखकर दिया है कि यहां ट्रांसफमर नहीं है, मेरे पास हस्ताक्षर किया हुआ कागज है.
श्री पारसचंद्र जैन - जहां-जहां बरखेड़ा में ट्रांसफार्मर है वह यह चाहते हैं कि ट्रांसफार्मर को बदले, लेकिन वह ट्रांसफार्मर नहीं बदल सकते हैं.
श्री मुकेश नायक - मैं यह कह रहा हूं कि विभाग के जूनियर इंजीनियर ने एक जनप्रतिनिधि के कहने पर, उसकी चिट्ठी पर अपने हस्ताक्षर से लिखकर दिया है कि गांव में ट्रांसफार्मर जले हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है ?
श्री मुकेश नायक - मेरा प्रश्न यह है कि यह बतायें कि इन गांवों में कब से ट्रांसफार्मर जले हुए हैं और आप इनको कब रिप्लेस कर देंगे ?
अध्यक्ष महोदय - ऐसा आपके प्रश्न में नहीं है.
श्री पारसचंद्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके प्रश्न में ऐसा नहीं है.
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय इन्होंने शिकायत में मूल प्रश्न के उत्तर में इन ब्लॉकों के बारे में स्पेसिफिक लिखा है, आप देखिये. 4 डी.पी., 104पोल, इन्होंने अपने उत्तर में लिखा है.
श्री पारसचंद्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय बरखेड़ा को छोड़कर बाकी सब जगह बिजली मिल रही है.
श्री मुकेश नायक - मैं इनसे कह रहा हूं इनके विभाग के जूनियर इंजीनियर ने मुझे लिखकर दिया है, कि ट्रांसफार्मर जले हुए हैं, मैं विभाग के एसीएस से जो नये नये आये हैं, उनसे खुद जाकर मिलकर आया हूं, वह अच्छे अधिकारी हैं, मैंने एसीएस से आग्रह किया था कि महाशय यहां ट्रांसफार्मर जले हुए हैं उन्होंने खुद विभाग के एमडी को फोन करके कहा था कि तत्काल आप इनको रिप्लेस करिये, आपकी कोई तैयारी ही नहीं है,(XXX).
श्री पारसचंद्र जैन - मैं आपसे ज्यादा पढ़ा लिखा हूं.
श्री मुकेश नायक - आप क्या पढे़ हैं ? आप कितने पढे़ लिखे हैं.
श्री पारसचंद्र जैन - मैं बी.कॉम. हूं और आप बेकाम हो.
श्री बाबूलाल गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य कह रहे हैं (XXX).
अध्यक्ष महोदय - यह सब कार्यवाही से निकाल दें और श्री मुकेश नायक जी की वह बात भी निकाल दें जिसमें उन्होंने कहा है कि पढ़ते लिखते नहीं है. माननीय मुकेश नायक जी आप बैठ जायें.
बरबटी उद्वहन सिंचाई योजना को पूर्ण किया जाना
[नर्मदा घाटी विकास]
2. ( *क्र. 602 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जिले में स्वीकृत बरबटी उद्वहन सिंचाई योजना में अब तक कितना कार्य हुआ है? उपरोक्त उद्वहन सिंचाई योजना के निर्माण कार्य में विलंब होने के क्या कारण हैं? (ख) किसानों के हित में उक्त सिंचाई योजना शीघ्र पूर्ण करने हेतु क्या शासन निर्देश जारी करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) ठेकेदार द्वारा बरबटी लिंक सिंचाई योजना का सर्वेक्षण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। योजना का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। निर्माण कार्य की डिजाईन, ड्राइंग में विलंब के कारण निर्माण कार्य में विलंब हुआ है। (ख) जी हाँ। निर्देश जारी किये जा रहे हैं।
श्रीमती प्रतिभा सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि बरबटी सिंचाई उद्वहन सिंचाई योजना दिनांक 24.5.13 को स्वीकृत की गयी एवं 8.5.15 को ठेकेदार द्वारा इसका कार्य प्रारंभ किया गया. लगभग दो वर्ष होने वाले हैं लेकिन इस सिंचाई योजना में 5 प्रतिशत कार्य भी नहीं हुआ है. अधिकारी एवं ठेकेदार कार्य के प्रति उदासीन हैं तो किसानों की स्थिति कैसे सुधरेगी. इस योजना से 850 हेक्टेयर रकबे की सिंचाई होना थी, लेकिन दो वर्ष पूर्ण होने के बाद 5 प्रतिशत भी कार्य नहीं किया गया है.
मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि क्या ठेकेदार को ब्लैकलिस्टेट किया जायेगा.
श्री लाल सिंह आर्य :- माननीय अध्यक्ष महोदय, बरबटी लिंक सिंचाई योजना के निर्माण की एजेंसी स्वीकृत की गयी थी, यह बात सही है. यह बात भी सही है कि सरकार की इच्छा है कि किसानों को पानी मिले, लेकिन हमने कई बार ठेकेदार को पत्र जारी किया है उनको नोटिस भी जारी किया है, इसके बाद भी कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है, हम ठेकेदार को अंतिम नोटिस कार्य प्रारंभ करने के लिये दे रहे हैं, यदि उसके बाद भी वह कार्य प्रारंभ नहीं करता है तो जो भी प्रक्रियाधीन कार्यवाही होगी वह करेंगे.
श्रीमती प्रतिभा सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्य पूर्ण होने की समय-सीमा मंत्री जी बतायेंगे कि कब तक यह कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा ?
श्री लाल सिंह आर्य :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि हम अभी उसको ब्लैकलिस्टेड कर भी दें तो हमको दूसरी कार्यवाही करना पड़ेगी, यदि हम दूसरी कार्यवाही करेंगे तो उसमें 6 महीने लगेंगे. हम चाहते हैं कि उसको अंतिम नोटिस देकर कि आप कार्य प्रारंभ कर दे, इससे किसानों का भला भी होगा और आपकी भावना भी पूर्ण हो जायेगी.
श्रीमती प्रतिभा सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि उस ठेकेदार को टर्मीनेट करें, क्योंकि उस ठेकेदार से लगातार दो वर्षों से जानकारी ले रहे हैं और अधिकारी भी लगातार आश्वासन दे रहे हैं कि कार्य होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी का दौरा 26 जनवरी नमामि नर्मदे योजना के समय हुआ था, उस समय भी ठेकेदार ने मेरे से कहा था कि हम कार्य प्रारंभ कर रहे हैं और 6 माह में ही हम कार्य पूर्ण कर देंगे. लेकिन उसके बावजूद भी ठेकेदार ने कार्य पूर्ण नहीं किया और वह अपना पूरा सामान लेकर चला गया, इसलिये मेरा आपसे निवेदन है कि उसको टर्मीनेट किया जाये.
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी, आप अंतिम नोटिस में ठेकेदार को कितना समय देंगे ?
श्री लाल सिंह आर्य :- अध्यक्ष महोदय, हम अंतिम नोटिस उसको शीघ्र जारी कर रहे हैं और यदि वह कार्य प्रारंभ नहीं करेगा तो मैं आश्वस्त कर रहा हूं कि उसको टर्मीनेट कर दूंगा.
श्रीमती प्रतिभा सिंह :- माननीय मंत्री जी आप समय-सीमा बतायें कि कितने समय में कार्य पूर्ण करा दिया जायेगा. किसानों में इससे आक्रोश है उनका आक्रोश कैसे दूर होगा. माननीय अध्यक्ष मैं आपसे सहयोग चाहती हूं. मैं लगातार दो वर्ष से प्रश्न लगा रही हूं, दो वर्ष से परेशान हूं. दो साल से प्रश्न लगा रही हूं और आज यह प्रश्न चर्चा में आया है. मैं आप आपसे समय-सीमा चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी आप उनका कार्य जल्दी करायें.
श्री लाल सिंह आर्य :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने तो एक साल मांगा है एक साल नहीं, हम उसको अंतिम नोटिस एक महीने के अंदर दे रहे हैं यदि उन्होंने कार्य प्रारंभ नहीं किया तो उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती प्रतिभा सिंह :- अध्यक्ष महोदय, मैं समय-सीमा चाहती हूं कि कार्य पूर्ण कब होगा ?
अध्यक्ष महोदय :- अब आप बैठ जाइये, मंत्री जी ने समय-सीमा बता दी है.
श्रीमती प्रतिभा सिंह :- अध्यक्ष महोदय, मैं समय-सीमा चाहती हूं कि कार्य कब पूर्ण होगा और सिर्फ ठेकेदार के ऊपर ही नहीं दोषी अधिकारियों के ऊपर भी कार्यवाही होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय :- आपकी बात भी आ गयी है और आपका कार्य भी हो गया है, अब आप बैठ जाइये. एक महीने के अंदर नोटिस देंगे.
श्रीमती प्रतिभा सिंह :- अध्यक्ष महोदय, मैं समय-सीमा चाहती हूं और जो संबंधित अधिकारी दोषी हैं उनके ऊपर कार्यवाही करेंगे ?
श्री लाल सिंह आर्य :- अध्यक्ष महोदय, एक महीने के अंदर नोटिस देंगे और उनसे शीघ्र कार्य प्रारंभ करने के लिये कहेंगे और यदि नहीं होगा तो एक साल तो बहुत दूर हम तो और जल्दी कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी ने कहा है कि एक साल के अंदर कार्य कर देंगे.
अवैध शराब की बिक्री पर प्रतिबंध
[वाणिज्यिक कर]
3. ( *क्र. 1225 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र में आबकारी विभाग की कितनी देशी एवं विदेशी शराब की दुकानें संचालित हैं? सभी दुकानों का नाम, संचालक फर्म का नाम, पता, रजिस्ट्रेशन नम्बर, ठेके की वैधता सम्बन्धी जानकारी दें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) अनुसार दी गई दुकानों से ही शराब बेचने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो निरंतर क्षेत्र के गांवों एवं शहरों से अवैध शराब (कच्ची एवं पक्की) बिक्री की आ रही शिकायतों में क्यों वृद्धि हो रही है? अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में किये गये दौरों की वर्ष जनवरी 2014 से आज दिनांक तक की लॉग बुक की छायाप्रति दें। (ग) मुलताई विधानसभा क्षेत्र में वर्ष जनवरी 2014 से आज दिनांक तक विभाग द्वारा कितने प्रकरण (अवैध शराब बिक्री की सभी मान्य धाराएं) दर्ज किये गये। दिनांकवार प्रकरण दर्ज करने वाले अधिकारी के नाम सहित जानकारी दें, साथ ही यह भी दर्शायें की प्रकरण पर कार्यवाही की गई है या नहीं? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई। सभी प्रकरणों के विभाग द्वारा की गयी कार्यवाही के दस्तावेजों एवं पत्राचार की छायाप्रति दें। (घ) मुलताई विधानसभा क्षेत्र से संबंधित उपरोक्त विषय के मामले जो मा. न्यायालयों में चल रहे हैं, में विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति की विगत दो वर्षों की संपूर्ण जानकारी, संबंधित अधिकारी के नाम सहित दें?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मुलताई विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2016-17 में आबकारी विभाग की 14 देशी मदिरा दुकानें एवं 04 विदेशी मदिरा दुकानें संचालित हैं। समस्त 18 मदिरा दुकानों का नाम, संचालक फर्म का नाम, पता, रजिस्ट्रेशन नम्बर, ठेके की वैधता संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) जी हाँ। उत्तर (क) में वर्णित लायसेंसी दुकानों से ही शराब बेचने का प्रावधान है। क्षेत्र में महिला संगठनों की सक्रियता से आयी जन जागरूकता एवं सी.एम. हेल्प लाईन, जन सुनवाई जैसे उचित फोरम के कारण गांवों एवं शहरों से अवैध शराब (कच्ची एवं पक्की) बिक्री की शिकायतों में वृद्धि हुई है। अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में स्थित आबकारी केन्द्रों के निरीक्षण एवं उपलंभन कार्य हेतु वर्ष जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में किये गये दौरों से संबंधित वाहन लॉग बुक की प्रमाणित छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ग) मुलताई विधान सभा क्षेत्र में वर्ष जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक अवैध शराब के कुल 609 न्यायालयीन प्रकरण पंजीबद्ध किये गये हैं। दिनांकवार प्रकरण दर्ज करने वाले अधिकारी के नाम सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। जी हाँ, प्रकरण पर कार्यवाही की गई है। विभाग द्वारा की गई कार्यवाही से संबंधित अभिलेखों की प्रमाणित छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार अनुसार है। (घ) क्षेत्र से संबंधित उपरोक्त विषय के कुल 03 प्रकरण सक्षम न्यायालय में विचाराधीन हैं। विगत दो वर्षों की संपूर्ण जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-पाँच अनुसार है।
श्री चन्द्रशेखर देशमुख- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मैं जानना चाहता हूं कि मुलताई विधान सभा क्षेत्र में 2014 से आज दिनांक तक अवैध शराब के कुल कितने प्रकरण दर्ज किए गए हैं ?
श्री जयंत मलैया- अध्यक्ष महोदय, मुलताई विधान सभा में जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक कुल 609 न्यायालयीन प्रकरण धारा 34 के अंतर्गत कायम किए गए हैं.
श्री चन्द्रशेखर देशमुख- क्या मंत्री जी यह बतायेंगे कि इन पर क्या कार्यवाही की गई ?
श्री जयंत मलैया- माननीय अध्यक्ष महोदय, पंजीबद्ध 609 न्यायालयीन प्रकरणों में से 404 प्रकरण सक्षम न्यायालय द्वारा निर्णीत कर 4,36,800 रूपये का जुर्माना लगाया गया है एवं शेष प्रकरणों में कार्यवाही प्रचलन में है.
132 के.व्ही. ग्रिड की स्थापना
[ऊर्जा]
4. ( *क्र. 559 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 10.01.2016 को खाचरौद प्रवास के दौरान अन्त्योदय मेले में घोषणा की गयी थी कि ग्राम गढ़ी भैसोला में 132 के.व्ही. ग्रिड की स्थापना शीघ्र की जावेगी? (ख) यदि हाँ, तो यह कार्य कब तक प्रारम्भ हो जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) ग्राम भैसोला, जिला उज्जैन में 132 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना के कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति दी जा चुकी है। इस कार्य को 13वीं पंचवर्षीय योजना में सम्मिलित किया गया है। इस हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। वित्तीय संसाधन उपलब्ध होते ही कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
श्री दिलीप सिंह शेखावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम में मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि 132 के.व्ही. उपकेंद्र की प्रशासकीय स्वीकृति जारी हो गई है. लेकिन मंत्री जी ने अपने उत्तर में कहा है कि वित्तीय संसाधन उपलब्ध होते ही कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा, क्योंकि मेरे पूरे विधान सभा क्षेत्र में केवल एक ही 132 के. व्ही. का ग्रिड है. दिल्ली-मु्ंबई के रेल्वे ट्रैक के दोनों तरफ लगभग 60-70 गांव हैं. बुरानाबाद से जो रेल्वे लाईन आती है, यदि उसमें कोई फॉल्ट होता है तो वे 70 गांव जो गढ़ी भैसोला की ओर हैं, उनमें कई दिनों तक बिजली नहीं रहती है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि वे समय सीमा बतायें कि यह कार्य कब तक प्रारंभ होगा.
श्री पारस चन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, 132 के.व्ही. उपकेन्द्र की प्रशासकीय स्वीकृति हो गई है. इसे विभागीय मद से यथाशीघ्र पूर्ण किया जावेगा.
श्री दिलीप सिंह शेखावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यह एक गंभीर विषय है, इसलिए मंत्री जी कृपया समय सीमा बतायें. आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से एक और आग्रह करना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा में बड़ागांव में 33 के.व्ही. का ग्रिड है, जिसमें से 75 किलोमीटर घरेलू एवं कृषि की अलग से लाइनें हैं. जिसमें पिपलोदा, भाटेसोड़ा, भीलसोड़ा तक 15 किलोमीटर एवं सन्डावदा, सन्दला, सुरेल, लोहारी, सन्डावदा सोमचिड़ी में 45 किलोमीटर और एक फीडर बागेड़ी, चन्दवासला में है. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि सुरेल, सन्दला के बीच में एक 33 के.व्ही. का ग्रिड यदि बन जाये तो लगभग 35 गांवों के किसानों को लाभ मिलेगा. इसका प्रपोजल बना हुआ है. आप कृपया मुझे आश्वासन दे दें कि किसानों के लाभ से जुड़ा हुआ यह ग्रिड आप इस वर्ष बनवा देंगे, तो मैं आपका बहुत आभारी रहूंगा.
श्री पारस चन्द्र जैन- अध्यक्ष महोदय, सदस्य द्वारा 33 के.व्ही. के जिस उपकेंद्र की मांग की जा रही है, हम उसे दिखवा लेंगे, यदि वह तकनीकी रूप से साध्य होगा तो आगामी योजना में हम इसे शामिल कर लेंगे.
कैनाल कार्य में अनियमितता
[नर्मदा घाटी विकास]
5. ( *क्र. 1166 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 06 दिसम्बर 2016 में मुद्रित परि.अता.प्रश्न संख्या 100 (क्र. 1296) के दिए गए उत्तर के परिप्रेक्ष्य में 78,93,235/- रूपये की पी.एफ. राशि में से अभी तक संबंधितों के खाते में कितनी राशि जमा कर दी गई? (ख) यदि नहीं, तो संबंधित ठेकेदार के विरूद्ध अधिनियम में वर्णित प्रावधानों के तहत क्या-क्या कार्यवाही की गई? कार्यवाही विवरण एवं दस्तावेज सहित बताएं तथा ऐसी स्थिति में अधिनियम में क्या प्रावधान हैं? प्रतियां उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा प्रमुख सचिव नर्मदा घाटी को कार्यालयीन पत्र क्रमांक 1713, दिनांक 19/12/2016 लिखा गया, उस पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) रूपये 78,93,235/- पी.एफ. की राशि ठेकेदार से वसूल कर ली गई है। कर्मचारियों के पी.एफ. विवरण प्राप्त होने पर संबंधितों के खाते में जमा की जावेगी। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में अब कोई कार्यवाही आवश्यक नहीं है। (ग) पत्र विभाग में प्राप्त नहीं हुआ है।
श्री जयवर्द्धन सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने उत्तर में बताया है कि ठेकेदार से 78 लाख रूपये की राशि वसूल की गई है, लेकिन आज जब हमारे देश के प्रधानमंत्री कैशलेस सोसायटी, डिजिटल पेमेंट की बात करते हैं तो फिर उन कर्मचारियों का पी.एफ. चालान आज तक जमा क्यों नहीं किया गया है. मेरा आरोप है कि मंत्री जी संबंधित ठेकेदार को संरक्षण दे रहे हैं. मंत्री जी द्वारा अपने उत्तर में यह बहाना दिया गया है कि कर्मचारियों के खातों से संबंधित विवरण प्राप्त नहीं हुआ है क्योंकि कोई भी कार्य प्रारंभ होने पर ठेकेदार द्वारा सभी कर्मचारियों के अन्य विवरणों के साथ ही बैंक खातों की जानकारी भी ली जाती है. माननीय मंत्री जी समय-सीमा बतायें कि कब तक वे सभी कर्मचारियों के खातों में पी.एफ. की राशि जमा करवा देंगे.
श्री लालसिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम माननीय सदस्य को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने यह प्रश्न सदन में उठाकर इस ओर हमारा ध्यान आकर्षित करवाया. हमने कर्मचारियों के पी.एफ. फण्ड की राशि ठेकेदार की देयकों से प्राप्त कर ली है. माननीय सदस्य ने कहा कि हम ठेकेदार को संरक्षण दे रहे हैं, यह बात पूरी तरह से गलत है. हमारी यह सरकार सिर्फ मजदूरों और गरीबों को संरक्षण देती है, हमारे यहां कभी ठेकेदारों को संरक्षण मिल ही नहीं सकता है. अध्यक्ष महोदय, पी.एफ. कमीशनर इस राशि को जमा करवाते हैं. हम यथाशीघ्र कर्मचारियों के बैंक खातों की सूची को एकत्रित कर राशि उनके खातों में जमा करवा देंगे. इस बाबत् हमने पूर्व में पी.एफ. कमीशनर को लिखा भी है.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मजदूरों का सवाल है कम से कम माननीय मंत्री जी समय सीमा बताएं और साथ में दो कंपनियों को इसमें टेंडर मिला था ई.सी.एल. और पटेल ग्रुप को, उसके बाद इन्होंने सबलेट किया था कोस्टल कंपनी को अब कोस्टल कंपनी अपना काम अधूरा करके छोड़ चुकी है और अब वहां पर ठीक से उपस्थित भी नहीं है. कम से कम माननीय मंत्री जी यह बताएं कि क्या एक सप्ताह में पी.एफ. चालान का पूरा पेमेंट मिल जाएगा या फिर एक महीने की बात है. जैसा मैंने पहले कहा आज का समय डिजीटल पेमेंट का है उसमें तो एक या दो दिन में कार्यवाही पूरी होनी चाहिए और माननीय मंत्री जी ने कहा भी है कि पूरी जो सूची है वह एकत्रित हो चुकी है. मैं मानता हूं. एक-दो दिन या फिर अगले हफ्ते ही पेमेंट हो जाए. मंत्री जी इतना आश्वासन दे दें.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पी.एफ. की राशि को जमा कराने का अधिकार पी.एफ. कमिशनर के पास है. हमने उनसे आग्रह भी किया है और हमारी कोशिश है कि तत्काल राशि एक माह में मजदूरों के खाते में जमा करा दें.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अगर एक माह में जमा नहीं होगी तो क्या पी.एफ. कमिशनर पर कार्यवाही होगी?
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारे लिए संभव ही नहीं है क्योंकि राशि जमा करने का अधिकार पी.एफ. कमिशनर को है. हमने उन्हें पत्र लिखे हैं लेकिन हम आपसे कह रहे हैं कि एक महीने के अंदर पी.एफ. की राशि उनके खाते में जमा हो जाए इसके लिए हम उनके सारे नंबर एकत्रित कर रहे हैं उनके खाते में जमा होगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आग्रह क्यों माननीय मंत्री जी एक माह का आश्वासन दे रहे हैं या तो ठेकेदार पर कार्यवाही हो या उससे फाइन लिया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रिजम्शन क्यों कर रहे हैं अभी आप प्रिजम्शन न करें. नहीं होगा तब देखेंगे.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय मंत्री जी कम से कम इतना तो आश्वासन दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- हाउस में आश्वासन दे दिया.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- मंत्री जी ने कार्यवाही की बात नहीं कही है. कम से कम कार्यवाही का भी तो आश्वासन दे दें. माननीय मंत्री जी इतना और कर दें.
विद्युत बिलों की समीक्षा
[ऊर्जा]
6. ( *क्र. 511 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा विधान सभा में दिये गये भाषण दिनांक 14.03.2016 को सदन में बताया गया था कि मऊगंज विधान सभा में अकेले 80,000 मीटर खराब हैं। रीडिंग नहीं ली जाती है। औसत बिल के नाम पर उपभोक्ता के साथ अन्याय हो रहा है। (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में कितने मीटर बदले गये? ग्रामवार संख्या उपलब्ध करावें। (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा 27 सितम्बर 2016 को मऊगंज एवं दिनांक 09.09.2016 को हनुमना में किये गये एक दिवसीय घेराव (धरना) में एम.पी.ई.बी. की विभिन्न समस्याओं से संबंधित प्राप्त आवेदनों पर निराकरण किया गया है? यदि हाँ, तो प्रत्येक आवेदन पर किये गये निराकरण का विवरण, आवेदक का नाम, पूर्ण पता सहित समस्या का विवरण, निराकरण का विवरण देवें? यदि नहीं, तो क्यों एवं इसके लिए कौन-कौन दोषी है? दोषी के खिलाफ क्या कार्यवाही होगी? (घ) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र मऊगंज में जाँच/चेकिंग के नाम पर अनियमितता/विद्युत चोरी का कारण बताकर ऊर्जा क्षति के नाम पर फर्जी तरीके से रूपये वसूले गये हैं, जबकि स्थल पर ऐसा नहीं किया गया, क्या इसकी समीक्षा करायेंगे? ऐसे प्रकरण का निराकरण करायेंगे? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) दिनांक 01.04.2016 की स्थिति में मऊगंज विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत 14359 मीटर खराब थे। जी नहीं, अपितु स्थापित मीटरों की नियमानुसार रीडिंग ली जाती है। मीटर बंद/खराब होने की स्थिति में विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 8.35 में निहित प्रावधानों के अनुसार आंकलित खपत एवं म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दरें आदेश के अनुसार ही बिल दिये जाते हैं। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में 2708 मीटर बदले गये हैं जिनकी ग्रामवार संख्या पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) दिनांक 27.08.2016 को मऊगंज में एक दिवसीय प्रदर्शन एवं दिनांक 09.09.2016 को हनुमना में आयोजित शिकायत निवारण शिविर में प्राप्त सभी आवेदनों का यथोचित निराकरण कर दिया गया है, जिसका विवरण क्रमश: पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'स' अनुसार है। अत: किसी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में जाँच/चेकिंग के दौरान विद्युत चोरी पाए जाने अथवा विद्युत का अनाधिकृत उपयोग पाए जाने पर वास्तविकता के आधार पर ही प्रकरण बनाए गए हैं, अत: प्रश्न ही नहीं उठता। तथापि नियम विरूद्ध बनाया गया कोई प्रकरण यदि संज्ञान में लाया जायेगा, तो उक्त प्रकरण की जाँच कर नियमानुसार कार्यवाही किया जाना संभव हो सकेगा।
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो मेरा प्रश्न है अवैध बिजली वसूली का मामला है बगैर मीटर की रीडिंग लिए हुए का मामला है और मैं समझता हूं कि यह पूरे प्रदेश स्तर का मामला है. पूरे प्रदेश में उपभोक्ता परेशान हैं इस मुद्दे को लेकर मैंने जो प्रश्न किया है कि 80,000 मीटर खराब हैं तो जो जानकारी माननीय मंत्री जी ने दी है वह पूरी तरह से असत्य है. मेरा उनसे यह प्रश्न है कि क्या इसी तरीके से गलत जानकारी देकर के प्रदेश की जनता को, हमारी मऊगंज की जनता को लुटवाते रहेंगे या इसमें कोई सुधार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप स्पेसिफिक प्रश्न पूछें.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- इसमें मेरा प्रश्न यह है कि मेरे पास प्रूफ है कि कई उपभोक्ता जो मेरे पास अवैध वसूली का मुद्दा लेकर आए हैं आप कहें तो मैं नाम सहित आपको गिनवा सकता हूं कि क्या उनकी जांच कराएंगे क्या विभाग के ऊपर कार्यवाही कराएंगे. और उन्होंने ढ़ाई हजार जो जानकारी दी है कि मीटर सुधारे गए हैं. कुल बी.टी.एल. कंपनी के जो मीटर लगाए गए हैं उसकी जानकारी दी है बाकी जो मीटर लगे हुए हैं उनके बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है. जानकारी पूरी तरह से असत्य है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि इस पर माननीय मंत्री जी क्या करेंगे?
श्री पारस चन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, हमारे पास कुल संख्या 298 आई थी और हमने उसमें से 30 का निराकरण किया है जो शिकायत निराकरण योग्य नहीं पाई गईं वह 268 हैं और ट्रांसफर के संबंध में कुल संख्या 25 आई थी हमने उसमें से 18 का निराकरण किया है एक उसमें बाकी है. मीटर बदलने के संबंध में हमारे पास 2 शिकायतें हैं. एक का हमने निराकरण कर दिया और एक रह गई है. विद्युत केबल खराब होने के संबंध में 10 हैं जिसमें से 5 का हमने निराकरण कर दिया है. विद्युत चोरी के प्रकरण समाप्त करने के संबंध में 7 में 7 ही बकाया हैं. कुल 342 में से हम 54 का निराकरण कर चुके हैं. 288 हमारी अभी बाकी हैं लेकिन जो आप यह बता रहे हैं इनके मेरे पास बिल हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने चार-चार पांच-पांच साल से पैसा नहीं दिया है. यदि आप देखें तो मेरे पास भी कुछ बिल हैं एक बिल में 251 रुपए भरने थे लेकिन पांच साल तक इनके पैसे न भरने के कारण सरचार्ज होने के बाद यह राशि बढ़ती गई है और इसके लिए बीच में ''समाधान योजना'' भी हम लाए थे लेकिन वह लोग यदि इसमें आ जाते तो इनको राहत मिल जाती.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास नाम हैं फतहखान छिरयारी, मऊगंज दिनांक 11.11.2016 को 16920 बिल पर संशोधन 6 हजार 86 रुपए करके 10835 रुपए शेष बचा जिसमें 7000 जमा किया तो शेष बचा 3835 किन्तु जनवरी के बिल में 20702 समायोजन राशि निकाल दी जबकि नवम्बर में समायोजन हो चुका था. ऐसे ही जो बिल शेष हैं वे लाखों में पहुंच रहे हैं. इसी तरह से श्री चन्द्रमणि प्रसाद मिश्र, जयवीर प्रसाद पटेल (देवरी), रुकबुद्दीन अंसारी, नीलेश गुप्ता (मऊगंज), रामनरेश पाण्डेय. पूरे क्षेत्र में इस तरह के कई उदाहरण हैं. मैं अक्षरश: हर गांव का नाम बता सकता हूँ. इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है और उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है. यह साधारण बात नहीं है इस तरह से प्रदेश की जनता को लूटा जा रहा है. क्या इसी तरीके से लुटवाएंगे ? यह पूरा प्रदेशव्यापी मामला है, सरेआम लुटवाया जा रहा है. मैं नामजद गिना रहा हूँ इसकी जांच करवाइये (व्यवधान) असत्य जानकारी दी जाती है.
अध्यक्ष महोदय--आप पहले उनका उत्तर तो आने दें. (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह-- इस तरह से पूरे प्रदेश में किसानों और गरीबों के साथ...
अध्यक्ष महोदय--जो मामले यह बता रहे हैं उनकी जांच कराकर उसका न्यायपूर्वक निराकरण करेंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह--यह पूरे प्रदेश का मामला है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--पहले उनका काम तो होने दो (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह--माननीय मंत्री जी को आज आपके माध्यम से जवाब देना होगा कि पूरे प्रदेश के किसानों को गरीबों को इसी तरीके से लूटा जाएगा? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आपने जो नाम बताए हैं. उनके क्षेत्र की समस्या तो हल हो जाने दीजिए फिर आप अपनी बात करना.(व्यवधान)
श्री तरुण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में यह हो रहा है आपके क्षेत्र में भी हो रहा है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप उनका उत्तर आ जाने दीजिए उसमें सबका समाधान हो जाएगा.
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी बताया है कि जो खराब मीटर के बिजली के बिल हैं उनके बिल आयोग के निर्देशानुसार बनाए जाते हैं. उसमें यदि शहर का बिल है तो 100 और ग्रामीण क्षेत्र का बिल है तो 75. जो एवरेज बिल बनाए जाते हैं वे उसी हिसाब से बनाए जाते हैं. कुछ सुधार तो हमने किया है बाकी यदि कोई बिल है और कोई स्पेसिफिक बताएंगे तो हम दिखवा लेंगे, हम मना नहीं कर रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई एक गांव का मामला नहीं है (व्यवधान)
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने उनके विधान सभा क्षेत्र मऊगंज के बारे में पूछा था कि 80,000 मीटर खराब हैं जो कि रीडिंग लेने की स्थिति में नहीं हैं. इसमें सरकार ने यह स्वीकार किया है कि 80000 नहीं बल्कि 14359 मीटर खराब है जिसमें से 2708 मीटर बदल दिए गए हैं. हम यहां यह जानना चाहते हैं कि यह 14359 मीटर जो खराब थे इनके उपभोक्ताओं की रीडिंग किस तरह से लेकर उनको बिल दिए गए हैं. यह केवल एक विधान सभा क्षेत्र का मामला है पूरे मध्यप्रदेश में फर्जी बिल दिए जा रहे हैं और बड़े-बड़े बिल दिए जा रहे हैं. माननीय मंत्री जी से इसका उत्तर दिलवाइए.
अध्यक्ष महोदय-- आपने कोई स्पेसिफिक प्रश्न नहीं पूछा है.
श्री बाला बच्चन -- हम यह चाहते हैं कि इसकी समीक्षा करवाइए. इसकी जांच हो जाए. माननीय मंत्री जी आप इतने असहाय क्यों नजर आ रहे हैं ? पूरे मध्यप्रदेश के मीटर खराब हैं उपभोक्ताओं को मनमाने तरीके से बिजली के बिल दिए जा रहे हैं. मऊगंज विधान सभा का प्रकरण तो जिस तरह से हण्डी में चावल चेक किया जाता है वह वाली स्थिति जैसा है. क्या आप पूरे मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं के बिजली के मीटर चेक करवाएंगे और उनके मुताबिक बिजली के बिल दिलवाएंगे ? यह मनमाना तरीका नहीं चलेगा. पहले ही किसान बहुत परेशान है. इसका आप जवाब दीजिए कि क्या आप पूरे मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के बिजली के मीटरों को जांच करवाएंगे जिनको फर्जी बिल दिए जा रहे हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- बाला बच्चन जी, किसान कितना परेशान है और कितना नहीं है. आप दिग्विजय सिंह जी के समय मंत्री थे आपको मालूम है 24-24 घंटे बिजली नहीं आती थी..(व्यवधान)
श्री बाला बच्चन -- आप फालतू की बात कर रहे हैं (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- आप अभी परेशानी की बात कर रहे थे (व्यवधान) आपको कहने का कोई अधिकार नहीं है, आपको यह सब कहने का (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन -- आप किसान विरोधी बात कर रहे हैं (व्यवधान)
श्री हर्ष यादव -- 13 साल से आपकी सरकार है (व्यवधान)
..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- आपको यह सब कहने का कोई अधिकार नहीं है. ..(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- आप किसानों के विरोध में बात कर रहे हों. ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- आपने पूरे प्रदेश को सालों अँधेरे में डाले रखा. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 7 डॉ मोहन यादव.... ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- आपको यह कहने का कोई अधिकार नहीं है. आप जिस तरह से कहना चाहते हों कोई अधिकार नहीं है आपको कहने का. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्नकाल चलने दें.
श्री बाला बच्चन-- आप किसानों के विरोध की बात कर रहे हों.
श्री गोपाल भार्गव-- वे अँधकार के दिन, बच्चों की परीक्षाएँ, बच्चों की आत्महत्याएँ, किसानों की आत्महत्याएँ, आपकी बिजली बंदी के कारण हुई. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी कृपया बैठ जाएँ. प्रश्न क्रमांक 7 डॉ मोहन यादव. ..(व्यवधान)..
श्री सचिन यादव-- अध्यक्ष महोदय, इनकी सरकार को 13 साल हो गए...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग सुनते कहाँ हैं. ..(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर दिलवाइये. ..(व्यवधान)..यह मध्यप्रदेश के किसानों का मामला है. उत्तर आना चाहिए. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर सुनने को तैयार नहीं हैं. ..(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में अन्याय हो रहा है. फर्जी बिल, 10-10 वर्षों से न ट्रांसफार्मर हैं, न खम्भे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी बिल भेजे जा रहे हैं और धारा 38 में बिल न चुकाने के कारण कई किसानों को जेल भेजा जा रहा है. जबकि उनके ऊपर बिल का कोई बकाया नहीं है. 10 वर्ष से न ट्रांसफार्मर हैं, न खम्भे हैं, न तार हैं और एक एक लाख के बिल भेजे गए और जिनसे वसूली नहीं हो पाई तो उनको जेल भेजा गया.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें उत्तर दिलवाइये.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाएँ. ..(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- एक मिनट उत्तर ले लीजिए. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाएँ. ..(व्यवधान)..मैं आगे बढ़ जाऊँगा. ..(व्यवधान)..
श्री दिनेश राय-- अध्यक्ष जी, मैं तो निर्दलीय हूँ. मैं तो पूछ सकता हूँ. मुझे क्या लेना देना काँग्रेस कार्यकाल से. कम से कम मेरा ही जवाब दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- आपका जवाब नहीं देंगे.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न का उत्तर तो दिला दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- उनका समाधान हो जाने दें.
श्री बाला बच्चन-- आप उत्तर दिलवाइये.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाएँ. माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी ने जो विषय उठाया है. उस संबंध में यदि आपके पास कोई शिकायतें आती हैं और माननीय सदस्य सुखेन्द्र सिंह जी जो आपको नाम दे रहे हैं उनकी आप सूक्ष्म जाँच करा लें और उस हिसाब से निराकरण करें. अब आगे डॉ मोहन यादव अपना प्रश्न करें. ..(व्यवधान)..
11.33 बजे
बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इंडियन नेश्नल काँग्रेस के सदस्यों का सदन से बहिर्गमन.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं इसलिए हम बहिर्गमन करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई, आपका समाधान होगा.
(प्रभारी नेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन के नेतृत्व में इंडियन नेश्नल काँग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
11.34 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)
प्रश्नकर्ता के पत्रों पर कार्यवाही
[वाणिज्यिक कर]
7. ( *क्र. 987 ) डॉ. मोहन यादव : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि.अता. प्रश्न संख्या 19 (क्रमांक 1260), दिनांक 11.03.2016 का गलत जवाब दिये जाने के कारण प्रश्नकर्ता द्वारा प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन को प्रेषित पत्र क्रमांक ए-1318/उ.द./2016 दिनांक 12.06.2016 कलेक्टर, जिला उज्जैन को प्रेषित पत्र क्रमांक ए-1321/उ.द./2016 दिनांक 12.06.2016 जो कि 20.06.2016 को संबंधित को प्राप्त हुआ, वरिष्ठ जिला पंजीयक महोदय के संबंध में विभाग को प्रेषित पत्र क्रमांक ए-1319/उ.द./2016 दिनांक 12.06.2016 जो कि 20.06.2016 को संबंधित को प्राप्त हुआ? उक्त पत्रों के संबंध में विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? की गई कार्यवाही का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करें तथा उक्त संबंध में प्रश्नकर्ता को कब जानकारी उपलब्ध कराई तथा चाही गई जानकारी मय दस्तावेजों के उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार प्रश्नकर्ता के पत्रों पर संबंधित अधिकारियों के द्वारा कार्यवाही नहीं करते हुये नियत समयावधि में कोई जबाव नहीं देने के लिए कौन अधिकारी दोषी हैं? दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) विधानसभा प्रश्न क्रमांक 1260 दिनांक 11/03/2016 के संबंध में प्रश्नकर्ता का पत्र क्रमांक ए-1318/उ.द./2016, दिनांक 12/06/2016 के संबंध में विभागीय पत्र क्रमांक-बी-15-24/2016/2/पाँच, दिनांक 17 अक्टूबर, 2016 द्वारा प्रकरण की वस्तुस्थिति से विधानसभा सचिवालय को अवगत कराया जा चुका है। जिसकी छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। कलेक्टर उज्जैन को प्रेषित पत्र क्रमांक ए-1321/उ.द./2016 एवं वरिष्ठ जिला पंजीयक उज्जैन को प्रेषित पत्र क्रमांक ए-1319/उ.द./2016, दिनांक 12/06/2016 के संबंध में वरिष्ठ जिला पंजीयक उज्जैन द्वारा प्रश्नकर्ता को पत्र क्रमांक 527/जि.पं./बा.मू./गा.ला./2016 दिनांक 22/06/2016 द्वारा वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया था। जिसकी छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक जन हितैषी और माननीय लोकप्रिय मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के परिपालन में जो थोड़ी त्रुटि हो रही है उस तरफ ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूँ. हमारे अपने मुख्यमंत्री द्वारा 2014 में ही यह निर्देश जारी कर दिए गए थे कि गरीबों के आवास के पंजीयन में कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. इसी प्रकार से किसानों के भूमि बंधन विलेख बनाने में भी पंजीयन शुल्क से छूट मिलेगी. लेकिन दुर्भाग्य से प्रक्रिया की गलती के कारण से नीचे लेवल पर आज भी यह शुल्क लिया जा रहा है. इस विसंगति के कारण से कई सारे लोग, कई बड़ी राशि, अलग अलग जिलों में देकर के परेशान हो रहे हैं, तो मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से इस संबंध में जवाब जानना चाहता हूँ कि वे ठीक से इसका परिपालन कराने की दिशा में कुछ कार्यवाही कर रहे हैं?
श्री जयन्त मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है उससे उद्भूत होता नहीं है परन्तु चूँकि उन्होंने प्रश्न पूछा है उसका हम समाधान करा लेंगे.
डॉ मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का धन्यवाद है कि उन्होंने कहा कि हम ठीक से निर्देश जारी कर देंगे ताकि विसंगति दूर हो जाए. एक और यह जो गरीबों के अलावा जो अंतिम समय में या वसीयत करने के संबंध में पहले निर्देश जारी थे कि घर जाकर के, कोई अंतिम समय में जाकर वसीयत करता है या दस्तावेज पंजीयन कराना चाहता है तो, डी आर या सब रजिस्ट्रार जाकर वह पंजीयन करा देता था. लेकिन अभी यह प्रक्रिया थोड़ी बंद है. इसके कारण से वह ऊपर तक की परमीशन लेकर आएँगे फिर कराएँगे तो इसके चक्कर में व्यक्ति मर जाता है, तो वह जो मूल काम है वह छूट जाता है, तो बेहतर होगा कि इस संबंध में निर्देश जारी करें या वह ठीक से अपनी बात जिला रजिस्ट्रार तक पहुँचाए या इस संबंध में क्या निर्देश हैं थोड़ा बताने का कष्ट करें?
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विजिट के दस्तावेजों के संबंध में अब मुख्यालय स्तर से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है जिला स्तर पर ही यह कार्यवाही पूर्ण हो जाए ऐसे निर्देश यहाँ से दिये जा चुके हैं.
डॉ. मोहन यादव-- मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 8 (अनुपस्थित)
अनुदान योजना के तहत स्थाई पंप कनेक्शन का प्रदाय
[ऊर्जा]
9. ( *क्र. 295 ) श्री जतन उईके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्रांतर्गत शासन की अनुदान योजना के तहत स्थाई पंप कनेक्शन हेतु वर्ष 2013-14 में एवं 2014-15, 2015-16 में 31 मार्च 2016 तक कितने आवेदन म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड छिंदवाड़ा के संबंधित कार्यालयों को प्राप्त हुए हैं? (ख) पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्रांतर्गत वर्ष 2013-14 से वर्ष 2014-15, 2015-16 में दिनांक 31 मार्च 2016 तक अनुदान योजना के अन्तर्गत कितने स्थाई पंप कनेक्शन प्रदान किये गये? ग्रामवार बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र में ''कृषक अनुदान योजना'' के अंतर्गत स्थाई पम्प कनेक्शन हेतु वर्ष 2013-14 में 7, वर्ष 2014-15 में 18 एवं वर्ष 2015-16 में 21 इस प्रकार प्रश्नाधीन अवधि में कुल 46 आवेदन म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के संबंधित कार्यालयों में प्राप्त हुए हैं। (ख) पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत वर्ष 2013-14 में 7, वर्ष 2014-15 में 18 एवं वर्ष 2015-16 में 21 इस प्रकार प्रश्नाधीन अवधि में प्राप्त सभी 46 आवेदनों के कार्य पूर्ण कर स्थाई पम्प कनेक्शन प्रदान कर दिए गए हैं। उक्तानुसार दिये गये स्थाई पम्प कनेक्शनों का ग्रामवार एवं वर्षवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री जतन सिंह उईके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय से प्रश्न था कि मुख्यमंत्री अनुदान कनेक्शन योजना के अंतर्गत वर्ष 2013, 2014, 2015 में कितने प्रकरण दिये थे. प्रश्नांश (क) और (ख) का उत्तर मुझे दिया गया है. मैं जानना चाहता हूँ कि प्रकरण जमा होने और राशि जमा करने के कितने दिन के दरम्यान डी.पी. और पोल लगा दी जाती है, उसकी समय-सीमा बतायें?
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा 23 दिसंबर 2016 को अनुसूचित जनजाति हेतु विद्युतीकरण योजना लागू की है और इसमें जिन लोगों की इस प्रकार की समस्या है, उनका निराकरण करने का काम हम करेंगे. उक्त कार्यों के आवेदन जिला स्तर पर प्राप्त किये जाएंगे. माननीय सदस्य वहाँ आवेदन दे दें, वहाँ पर एक समिति कलेक्टर की देख-रेख में बनी हुई है उसके माध्यम से जब हमारे पास एस्टीमेट आता है तब हम उस पर कार्य करते हैं.
श्री जतन सिंह उईके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था कि प्रकरण जमा होने और राशि जमा होने के कितने दिनों के भीतर डी.पी. और पोल लगा दिये जाते हैं, उसकी समय-सीमा बतायें.
श्री पारस चन्द्र जैन-- 6 माह के समय के बाद इसमें काम हो जाता है.
श्री जतन सिंह उईके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और पूरक प्रश्न था कि आदिवासी परियोजना के तहत पहले पोल और डी.पी. सौ फीसदी अनुदान पर लगाये जाते थे. क्या यह योजना बंद हो गई है.यदि बंद नहीं हुई तो इसको कब तक चालू किया जाएगा?
अध्यक्ष महोदय-- यह उद्भूत नहीं होता है लेकिन मंत्री जी,यदि आपको जानकारी हो तो इसको बतला दें.
श्री जतन सिंह उईके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ट्राइबल सब प्लान के तहत 100 परसेंट अनुदान में डी.पी. और पोल लगा दिये जाते थे क्या वह योजना बंद हो गई है ?
अध्यक्ष महोदय-- यह उद्भूत नहीं होता है.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह योजना बंद नहीं हुई है इसकी जगह नई योजना चालू कर दी गई है.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एकीकृत आदिवासी परियोजना के अंतर्गत जो ट्राइबल एरिया लगता है वहाँ बिजली लगाने के काम किये जाते थे.बिजली के खंभे,तार,डीपी लगाने के काम किये जाते थे वह अब हम विधायक राशि देते हैं उसके बावजूद भी सरकार नहीं कर रही है पहले यह होता था. मेरे अकेले विधानसभा में 10 फड़ें जो अभी अविद्युतीकृत हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नई योजना प्रारंभ हो गई है, मंत्री जी बता रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, लेकिन विधायक अपनी निधि से देता है या जो केंद्र सरकार की आईटीडीपी योजना संचालित है उसमें राशि आती है तो उसको सरकार ने क्यों बंद कर दिया है, माननीय सदस्य उसकी जानकारी चाह रहे हैं.
श्री जतन सिंह उईके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह योजना बंद कर दी गई है क्या उसको सरकार चालू करेगी ?
अध्यक्ष महोदय-- उसका उत्तर उन्होंने दे दिया है कि उसकी जगह दूसरी योजना आ गई है.
श्री जतन सिंह उईके-- अध्यक्ष महोदय, नई योजना का नाम बता दिया जाये.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जनजाति बस्तियों में विद्युतीकरण, अनुसूचित जनजाति के कृषकों को सिंचाई सुविधा हेतु विद्युत लाईन का विस्तार,पंपों का ऊर्जीकरण योजना नियम 2016 योजना ,जो मैंने उनको बताई है, मेरे पास है. इसमें उनको शामिल कर लेंगे.
सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं को अनुदान
[संस्कृति]
10. ( *क्र. 1208 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या राज्यमंत्री, संस्कृति महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं को अनुदान हेतु चयनित किये जाने एवं प्रदान किये जाने की क्या प्रक्रिया एवं नियम हैं और किन सक्षम अधिकारियों द्वारा किन अनुशंसाओं के आधार पर किया जाता है।(ख) कटनी जिले में वर्ष 2012-13 से वर्तमान तक किन-किन संस्थाओं को किन-किन आयोजनों हेतु कब-कब एवं कितना-कितना अनुदान किस-किस की अनुशंसा पर किस नियम के तहत स्वीकृत किया गया? संस्था का नाम, पता, पंजीयन एवं संचालक मंडल की जानकारी सहित बतायें। क्या इन संस्थाओं द्वारा अनुदान हेतु कोई आवेदन किया गया था? यदि हाँ, तो दस्तावेज उपलब्ध करायें? यदि नहीं, तो किस आधार पर अनुदान स्वीकृत किया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत इन संस्थाओं द्वारा कहाँ-कहाँ एवं कब-कब, क्या कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, कार्यक्रमवार व्यय राशि का पूर्ण विवरण बतायें एवं क्या संस्था द्वारा व्यय की गई राशि का परीक्षण एवं सत्यापन किसी अधिकारी द्वारा किया गया? यदि हाँ, तो विवरण बतायें एवं यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (ख) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में क्या संस्थाओं के चयन एवं अनुदान राशि के उपयोग में नियमानुसार कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो क्या सक्षम प्राधिकारी ऐसा होने का सत्यापन करेंगे? यदि नहीं, तो क्या कार्यवाही की जायेगी?
राज्यमंत्री, संस्कृति ( श्री सुरेन्द्र पटवा ) :
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धर्म निरपेक्ष, साहित्यिक प्रदर्शनकारी कलाओं के शिक्षण-प्रशिक्षण, अनवेषण और प्रदर्शन के आयोजन के लिए राज्य शासन के द्वारा जिन संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है, उसके लिए मैं धन्यवाद देना चाहूंगा और मेरे दो छोटे-छोटे बिन्दु हैं. एक मेरा प्रश्न था कि जो संस्था के आय-व्यय के निरीक्षण से संबंधित रिपोर्ट का विवरण है, उसमें जवाब दिया गया कि सी.ए. द्वारा करवाया जाता है, तो उसका विवरण प्रदान कर दिया जाए. दूसरा कटनी में मात्र हर साल तीन संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है. उसमें से एक संस्था किरण है जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन और आयोजन करती है लेकिन हर बार बढ़ते-बढ़ते पिछले साल उसकी राशि कम कर दी गई और अन्य संस्थाओं के प्रकरण भी पेंडिंग पडे़ हुए हैं तो इस संबंध में विशेष ध्यान देने की मैं मांग करता हॅूं.
श्री सुरेन्द्र पटवा -- पूरी विस्तृत जानकारी मेरे उत्तर में है. उसके बाद भी माननीय विधायक जी चाहेंगे तो ऑडिट रिपोर्ट की कॉपी उन्हें दे दी जाएगी और उसके अलावा भी कोई जानकारी चाहिए तो आपको उपलब्ध करा दी जाएगी. धन्यवाद.
प्रश्न संख्या-11 (अनुपस्थित).
प्रश्न संख्या -12 (अनुपस्थित).
11.41 बजे स्वागत उल्लेख
श्री कांतिलाल भूरिया , पूर्व मंत्री एवं वर्तमान सांसद का सदन में स्वागत
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय श्री कांतिलाल भूरिया जी केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं. 6-7 बार से सांसद रहे हैं. मध्यप्रदेश सरकार के भी कई विभागों के मंत्री रहे हैं, वे हमारे बीच में उपस्थित हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आज सदन की दीर्घा में माननीय सांसद, पूर्व मंत्री श्री कांतिलाल जी भूरिया उपस्थित हैं, सदन की ओर से उनका स्वागत है.
11.41 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
अनियमित भुगतान के दोषियों पर कार्यवाही
[नर्मदा घाटी विकास]
13. ( *क्र. 519 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बरगी डायवर्जन परियोजना की सतना-रीवा मुख्य नहर (बरगी दायीं तट नहर) आर.डी. कि.मी 154.050 से आर.डी. कि.मी. 196.650 तक और बरगी डायवर्जन परियोजना पूर्ण वितरण प्रणाली सहित नागौद (सतना) शाखा नहर आर.डी. कि.मी. 0.00 से आर.डी. कि.मी. 33.175 तक के दो कार्यों हेतु टर्नकी आधार पर वर्ष फरवरी 2009 में कार्यादेश दिया गया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त कार्य को पूर्ण करने की कार्यावधि क्या थी? ठेकेदार को कब-कब, किस-किस माध्यम से भुगतान किया गया? क्या कार्य निर्धारित समय एवं अनुबंधानुसार कराया गया? क्या कार्य पूर्ण करने हेतु कार्यावधि भी बढ़ायी गई? अगर बढ़ायी गई तो अनुबंध के शर्तों के अनुसार लागत में वृद्धि कर ठेकेदार को लाभ पहुँचाया गया? अगर वृद्धि की गई तो किस मान से? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में कार्यपालन यंत्री (ई.ई.) एन.डी. संभाग क्रमांक 07, सतना (नागौद शाखा नहर) और कार्यपालन यंत्री एन.डी. संभाग क्रमांक 09 मैहर (सतना-रीवा मुख्य नहर) के अभिलेखों की जाँच दिसम्बर 2014 में की गई, जाँच में 99.69 लाख रूपये का अधिक भुगतान ठेकेदार को करना पाया गया? (घ) यदि प्रश्नांश (ग) हां, तो क्या फर्जी दस्तावेज, बिल-वाऊचर तैयार कर भारत सरकार द्वारा प्रकाशित मूल्यांक से ज्यादा की गणना कर भुगतान करने के लिए संबंधित दोषी अधिकारियों एवं ठेकेदार के विरूद्ध आपराधिक गबन का प्रकरण दर्ज कराते हुए राशि की वसूली ब्याज सहित करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक, अगर नहीं तो क्यों?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। (ख) कार्य अवधि कार्यादेश दिनांक से 30 माह एवं 40 माह थी। ठेकेदार को किये गये भुगतान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’ एवं ‘’ब’’ अनुसार है। जी नहीं। जी हाँ। अनुबंध की कंडिका 113.2 के प्रावधानुसार ठेकेदार को किये गये कार्य पर मूल्यवृद्धि का भुगतान किया गया। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। महालेखाकार द्वारा आपत्ति उठाई गयी थी। (घ) प्रश्नांकित दोनों अनुबंध वर्ष 2009 में किये गये थे। उस समय (आधार वर्ष 1994-95) लागू मूल्य सूचकांक के आधार पर प्रावधानों के अनुसार गणना कर मूल्यवृद्धि का भुगतान फरवरी/मार्च 2010 से किया जा रहा था। जिनका महालेखाकार दल द्वारा नियमित परीक्षण किया जाता रहा है एवं इस बावत् कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई। वर्ष 2014-15 में (आधार वर्ष 2004-05) के आधार पर सितम्बर 2010 से प्रभावशील पुनरीक्षित सीरीज के अनुसार अधिक भुगतान की बात कही गई है। तद्नुसार अनुबंध की कंडिका 108.2 में निहित प्रावधानों के अनुसार कार्यपालन यंत्री, नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 7 सतना द्वारा राशि रूपये 51.76 लाख एवं कार्यपालन यंत्री नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 9 मैहर द्वारा राशि रूपये 45.52 लाख ठेकेदार के चलित देयकों से समायोजन कर महालेखाकार को सूचित कर दिया गया है। मुख्य अभियंता द्वारा उक्त अवधि में पदस्थ अधिकारियों को गलत सूचकांक पर आधारित भुगतान करने हेतु ‘’कारण बताओ सूचना पत्र’’ जारी किये गये हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि बरगी डायवर्जन परियोजना की सतना-रीवा मुख्य नहर में जो 99.69 लाख रूपये का अधिक भुगतान किया गया है, इसके बारे में आपने स्वीकार किया है कि हॉं, लगभग 1 करोड़ रूपये अधिक भुगतान कर दिया गया है और मंत्री जी ने यह कहा है कि जिन लोगों ने अधिक भुगतान किया है उनको इस संबंध में नोटिस भी दिया गया है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हॅूं कि यह नोटिस आपने किस तारीख को और किन-किन अधिकारियों के खिलाफ दिया है? क्या इस नोटिस में वे ठेकेदार भी शामिल हैं जिन्होंने अधिक भुगतान प्राप्त किया है ?
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेसर्स मोंटेकार्लो, अहमदाबाद की जो संस्था है, माननीय विधायक जी का मुख्यत: प्रश्न मूल्य वृद्धि को लेकर और उसमें जो भुगतान हुआ है उसको लेकर है. जो राशि भुगतान हुई थी वह राशि हम लोगों ने उनसे वसूल कर ली है. जनवरी 2017 में कार्यपालन यंत्री को नोटिस भी दिया गया. अगर हम नोटिस नहीं देते, तो यह जो राशि है इसकी हमें जानकारी प्राप्त नहीं होती. महालेखाकार द्वारा जो भी ऑडिट हुआ, उसके आधार पर हम लोगों ने आपत्ति ली और समय पर हमने उस राशि की वसूली कर ली है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, निरंतर वर्ष 2009 से यह भुगतान किया जा रहा था. महालेखा परीक्षक की जो टीप आई है, यह वर्ष 2015 की है. मैंने एक प्रश्न किया, आपने जवाब में दिया है कि हमने नोटिस जारी किया है. मैंने पहला प्रश्न यह पूछा कि इनको नोटिस किस तारीख को जारी किया गया है और किस-किस को जारी किया गया है? इसका जवाब अभी सदन में नहीं आया है.
श्री लालसिंह आर्य -- जनवरी 2017 में कार्यपालन यंत्री को नोटिस जारी किया था.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब देखा जाए कि जब यह प्रश्न लग गया, उस प्रश्न लगने के बाद संबंधित अधिकारी को नोटिस इन्होंने दिया है. वर्ष 2009 से निरंतर यह भुगतान चल रहा है. वर्ष 2009 से और यह प्रश्न लगने के बीच में, यह जो भ्रष्टाचार हुआ है इस पर कार्यवाही न करने के लिए कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार थे, जिन्होंने इस मामले को 6-7 वर्ष दबाकर रखा.दूसरी बात मुझे यह कहनी है कि चाहे इसे मिसएप्रोप्रिएशन ऑफ फंड कह लीजिए, या भ्रष्टाचार कह लीजिए तो क्या इसमें अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करके उन पर कार्यवाही करेंगे या नहीं ? यह मैं इसलिए पूछ रहा हूँ कि सरकारी पक्ष से नर्मदा नदी के सफाई के काम की बात की जा रही है तो यह सफाई कब शुरू होगी ?
अध्यक्ष महोदय -- आप अपने विषय पर आइये, आप भाषण दे रहे हैं कि प्रश्न पूछ रहे हैं ?
श्री सुन्दर लाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करके ठेकेदार और इंजीनियर जो भी इसमें शामिल थे, अविलंब उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी या नहीं ? यह आश्वासन सदन को मंत्री जी दे रहे हैं या नहीं ? यह नोटिस तो फार्मलिटी है.
श्री लालसिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि माननीय तिवारी जी सदन को गुमराह कर रहे हैं. मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि ऑडिट 4 बार हुई है. पहली बात यह है कि ऑडिट रिपोर्ट में कहीं आपत्ति नहीं ली गई है. दूसरी बात वर्ष 2014 में महालेखाकार ने आपत्ति ली कि मूल्यवृद्धि की राशि की गणना के लिए सूचकांक आधार वर्ष 1994-95 के स्थान पर वर्ष 2004 को लिया जाना चाहिए था. गलत सूचकांक आधार वर्ष लिए जाने से ठेकेदार को रु. 99.69 लाख का भुगतान हुआ. जैसे ही हमारे संज्ञान में यह मामला आया, मूल्यवृद्धि का सूचकांक आधार वर्ष 2004-05, जो कि भारत सरकार द्वारा दिया गया है, वह हमारे पास लेट आया, वर्ष 2010 में भूतलक्षी प्रभाव से हमने रु. 99.69 लाख की राशि वसूल कर ली है, माननीय अध्यक्ष महोदय, भ्रष्टाचार कहाँ हो गया ? यदि हम राशि की वसूली नहीं करते तो ठेकेदार को कहीं न कहीं सरंक्षण होता और जहाँ तक आप बात कह रहे हैं, हमने दिनांक 25.01.2017 को कुल 27 अधिकारियों को नोटिस दिए हैं, जिसमें सी.ई. हैं, ए.ई. हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, ऑडिट की जो आपत्ति दिसंबर, 2014 में आई उसकी वसूली वर्ष 2016 में की गई. इसलिए एक पैसे का भी भ्रष्टाचार इसमें नहीं हुआ है. यह गलतफहमी तिवारी जी को नहीं पालना चाहिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट को मंत्री जी ने पढ़ा, मैं भी पढ़ के सुना रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आपके दो पूरक प्रश्न हो गए हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट की बात कही है, मैं एक मिनट का समय लूंगा और मैं इस रिपोर्ट की दो लाइन को पढ़कर आपको सुनाना चाहता हूँ. मंत्री जी भी सुन लें, फिर जो जवाब देना होगा दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न आ गया और उसका उत्तर भी आ गया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार गलत मूल्यवृद्धि सूचकांक के निर्धारण के कारण...
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप बैठ जाएं. दूसरों के भी प्रश्न महत्वपूर्ण हैं.
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में दर्ज प्रकरण की जाँच
[सामान्य प्रशासन]
14. ( *क्र. 1246 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यालय आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ई.ओ.डब्लू.) सचिन तेन्दूलकर मार्ग ग्वालियर का पत्र क्रमांक 3509, दिनांक 18.10.2016 जारी किया गया है? यदि हाँ, तो प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत जिला योजना कार्यालय भिण्ड का पत्र क्र. 2265, दिनांक 28.11.2006 के अंतर्गत शासकीय संस्थाओं को कम्प्यूटर प्रदाय के लिए क्या मापदण्ड निर्धारित किए गए थे? क्या मापदण्डों का पूर्णत: पालन किया गया है? (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) के अंतर्गत जिला योजना भिण्ड के कार्यालयीन आदेश क्र. 794 व 795, दिनांक 04.11.99 के द्वारा कम्प्यूटर प्रोजेक्ट योजनान्तर्गत शासकीय विद्यालयों में कम्प्यूटर स्थापित करने के लिए 1293000.00 मैसर्स कम्प्यूटर स्टडीज एण्ड सर्विसेज रीवा के नाम से जारी की गई? यदि हाँ, तो क्यों? सत्यापन किसके द्वारा किया गया? (घ) कार्यालय जिला योजना समिति के आदेश क्र. 71, दिनांक 29.1.2000 मैसर्स कम्प्यूटर स्टडीज एण्ड सर्विसेज रीवा को 484675.00 प्रति विद्यालय के मान से 6 विद्यालयों को आदेश जारी किया गया? यदि हाँ, तो पुनरावृत्ति कैसे हुई, इसके लिए कौन उत्तरदायी हैं?
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) --
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भिण्ड में बहुत बड़ा घोटाला हुआ था, पूर्व सांसद और एक आईएएस अधिकारी द्वारा 16 साल पुराना घोटाला है.
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न पूछिए.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- इसमें उत्तर में लिखा है कि जाँच चल रही है, यह मामला हाईकोर्ट गया, हाईकोर्ट ने डायरेक्शन दिया कि इसमें कार्यवाही करें, हाईकोर्ट के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया, सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसमें कार्यवाही करें, फिर यह मामला ई.ओ.डब्ल्यू. को दिया गया, 16 साल से आज तक जाँच क्यों नहीं हुई ? केवल एक उत्तर लिख दिया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- पृथक से उत्तर आ गया है.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो जानकारी चाही थी वह हमने दी है. यह बात सही है जो वह कह रहे हैं कम्प्यूटर क्रय किए गए, 23 स्कूलों में कम्प्यूटर दिए गए लेकिन यह मामला माननीय उच्च न्यायालय में गया, उच्च न्यायालय ने जो एक्शन लिया, उसके आधार पर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि हाईकोर्ट ने जो डिसिजन दिया है वही जाँच इसकी करवानी चाहिए, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर ई.ओ.डब्ल्यू. को जाँच के लिए दिया गया. ई.ओ.डब्ल्यू. इसकी जाँच कर रहा है. जैसे ही ई.ओ.डब्ल्यू. के जाँच के बिंदु आ जाएंगे, जो दोषी होगा उस पर कार्यवाही होगी.
नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय ईओडब्ल्यू को 7 वर्ष हो गये हैं जांच करते करते. इनको क्या रिपोर्ट चाहिए, ईओडब्ल्यू की जांच क्या कह रही है, ईओडब्ल्यू की जांच कह रही है कि इसमें क्रय नियम के विरूद्ध कार्यवाही हुई है. कलेक्टर ने पत्र लिखा है कि जांच कराई जाय, जानबूझकर आईएएस अधिकारी और सांसद जी को बचाया गया है. यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है. ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट मेरे पास में है इनके पास में नहीं है तो मेरे पास से ले जायें. इसमें सुप्रीम कोर्ट का डायरेक्शन है. ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट कलेक्टर का पत्र,
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न पूछें कि जांच कब तक पूरी हो जायेगी.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय ईओडब्ल्यू ने जांच कर दी है जांच रिपोर्ट मेरे पास में आ गई है, इनके पास में नहीं होगी. मेरे पास में वह जांच रिपोर्ट है ईओडब्ल्यू ने दोषी पाया है, इनके पास में जांच रिपोर्ट नहीं है, यह मंत्री हैं, सदन में असत्य जवाब दे रहे हैं, सदन को गुमराह कर रहे हैं. ईओ़ब्ल्यू की रिपोर्ट हमारे पास में है कलेक्टर ने लिखा है इसमें घपला हुआ है, इसमें 1 करोड़ 20 लाख रूपये का घपला हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- आप उत्तर तो ले लें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- उत्तर कहां दे रहे हैं, वह कह रहे हैं कि जांच रिपोर्ट उनके पास में नहीं है, ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट मेरे पास में हैं...(व्यवधान).. ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट हमारे पास है, मैं इनको रिपोर्ट दे सकता हूं, मैं इनको तथ्य दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य आप उत्तर ले लें नहीं तो मैं आगे बढूंगा...(व्यवधान).. आपने अपनी बात कह ली है तो उनको उत्तर तो देने दें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय मैं आपका संरक्षण चाहता हूं यह गलत जानकारी सदन में दे रहे हैं, आप यह बतायें कि सांसद और आईएएस अधिकारी पर कब तक कार्यवाही करेंगे...(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय वह सांसद कौन सी पार्टी के थे.
अध्यक्ष महोदय -- आप उत्तर नहीं लेंगे तो हम आगे बढ़ जायेंगे...( व्यवधान)..
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय, सांसद और आईएएस अधिकारी पर कब तक कार्यवाही करेंगे, जांच रिपोर्ट मैं आपको दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना उत्तर लें नहीं तो हम आगे बढ़ जायेंगे..(व्यवधान)..
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- मैं प्रश्न कर रहा हूं कि आप कब तक कार्यवाही करेंगे, केस कब तक दर्ज करेंगे.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय मैंने जवाब बहुत स्पष्ट रूप से दिया है और फिर कह रहा हूं कि प्राथमिक दृष्टि से यदि जांच में गलतियां नहीं पायी गईं होती तो ईओडब्ल्यू को प्रकरण क्यों दिया जाता हमारा बचाव करने का कोई उद्देश्य नहीं है. ईओडब्ल्यू को हमने प्रकरण दिया है ईओडब्ल्यू द्वारा जांच करने के बाद ही अगर उसमें दोषी पाया जायेगा,उसमें कार्यवाही होगी आप निश्चिंत रहिये.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट हमारे पास में आ गई है उसमें दोषी पाया गया है. आपके पास में रिपोर्ट क्यों नहीं है. इस रिपोर्ट में विवेचना करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर भी हैं...(व्यवधान).. इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है.
श्री आरिफ अकील –(XXX)...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- इसे कार्यवाही से निकाल दें...(व्यवधान)..
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट हमारे पास है जो डीएसपी विवेचना कर रहा है उसकी रिपोर्ट हमारे पास में आ गई है.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने आश्वस्त किया है.....(व्यवधान)..
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- जो अधिकारी विवेचना कर रहा था उसकी एक प्रति मेरे पास में आ गई है....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप वह रिपोर्ट मंत्री जी को उपलब्ध करा दीजियेगा, मंत्री जी आप उनकी बात सुन लीजियेगा, उनके पास में क्या कागज है...(व्यवधान)
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- आखिर क्या सबूत चाहिए उनको, केवल इतना बता दें कि प्रकरण कब कायम होगा....(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय सदन में मंत्री जी गलत जवाब दे रहे हैं..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- समय कम है आप बैठ जायें...(व्यवधान)..
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय जो विवेचना अधिकारी था उसकी प्रति मेरे पास है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न आ गया है, आपकी बात का उत्तर आ गया है, आप संतुष्ट नहीं है तो उसकी और अन्य प्रक्रियाएं हैं उसमें आप कार्यवाही करें....(व्यवधान)..
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- आप यह बतायें कि प्रकरण कब कायम करेंगे...(व्यवधान) कलेक्टर लिख रहा है कि वह दोषी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप यह उत्तर सुनकर बैठ जायेंगे.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय अभी प्रारंभिक जांच ही पूरी नहीं हुई है, वह होते ही दोषी पाया जायेगा तो अपराध पंजीबद्ध या जो भी कार्यवाही होगी वह करेंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- मंत्री जी धन्यवाद्.
एवरेज बिल दिए जाने की जाँच
[ऊर्जा]
15. ( *क्र. 1289 ) श्रीमती सरस्वती सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिगंरौली जिले के विधान सभा क्षेत्र में कुल कितने घरेलू एवं व्यवसायिक कनेक्शन दिए गए हैं? पृथक-पृथक विवरण दें। उक्त कनेक्शनों में कितनों में मीटर लगे हैं, कितनों में नहीं? अलग-अलग संख्या बताएं। (ख) क्या जिन घरेलू एवं व्यवसायिक उपभोक्ताओं के विद्युत कनेक्शनों में मीटर नहीं लगाए गए, उन्हें एवरेज (अनुमानित) बिल दिए जा रहे हैं और किस आधार पर दिये जा रहे हैं? (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) के परिप्रेक्ष्य में उपभोक्ताओं के यहां विद्युत खपत आकलन हेतु मीटर लगाकर बिलों को पुनरीक्षित किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) के परिप्रेक्ष्य में पूरे प्रकरण की जाँच कराकर क्या दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) सिंगरौली जिले के अंतर्गत सभी विधानसभा क्षेत्रों में दिये गये घरेलू एवं गैर घरेलू (व्यवसायिक) श्रेणी के मीटरयुक्त एवं बगैर मीटर वाले (अनमीटर्ड) कनेक्शनों की जानकारी निम्नानुसार है :-
क्र. |
टैरिफ श्रेणी |
कुल कनेक्शन |
मीटरयुक्त कनेक्शन |
अनमीटर्ड कनेक्शन |
1 |
घरेलू |
66919 |
65573 |
1346 |
2 |
गैर घरेलू |
7461 |
7461 |
0 |
(ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन सभी गैर-घरेलू कनेक्शनों में मीटर लगाए गये हैं। बिना मीटर वाले घरेलू उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार निर्धारित आंकलित खपत के आधार पर नियमानुसार बिल दिए जा रहे हैं। (ग) जिन उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगने शेष हैं, उनके यहां मीटर लगाने की कार्यवाही की जा रही है। उपभोक्ताओं को विद्युत बिल नियमानुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत् दिए गए हैं अत: बिलों को पुनरीक्षित करने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश के अनुसार ही बिना मीटर वाले उपभोक्ताओं की बिलिंग की जा रही है। अत: उक्त परिप्रेक्ष्य में किसी के दोषी होने अथवा किसी प्रकार की जाँच कराए जाने का प्रश्न नहीं उठता।
श्रीमती सरस्वती सिंह - अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं जो हमारे पूर्व ऊर्जा मंत्री रहे श्री राजेन्द्र शुक्ल जी को बधाई देना चाहती हूं कि उन्होंने मेरे पत्र का सम्मान किया और 2 टॉवर मंजूर किये. अध्यक्ष महोदय, अभी जो ऊर्जा मंत्री हैं उनसे मैं पूछना चाहती हूं कि हमारे यहां बिना मीटर के जो लोगों को बिल भेजे जाते हैं और कहते हैं कि जितना वे लोग बिजली जलाते हैं उसके अनुसार बिल भेजा जाता है तो मैं यह पूछना चाहती हूं कि आप कैसे यह आकलन कर लेते हैं कि इनके यहां पर मीटर नहीं लगा है, फिर भी इनको इतना बिल भेजा जाता है, जबकि उनका एक बत्ती कनेक्शन है? एक बल्व जलाते हैं फिर भी 1000 रुपए का बिल उनको भेजा जाता है, कैसे यह आकलन कर लेते हैं? उनके यहां मीटर नहीं लगा है फिर भी यह कैसे आकलन कर सकते हैं कि उनके यहां इतना बिल पहुंचाया जाय?
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, मैं पहले भी बता चुका हूं कि शहरी क्षेत्र के उपभोक्ता का 100 यूनिट के हिसाब से बनाते हैं और ग्रामीण क्षेत्र में 75 यूनिट के हिसाब से बनाते हैं. लेकिन इन समस्याओं को देखते हुए हमने एक समिति बनाई है. हर जिले में विद्युत सलाहकार समिति का हमने गठन किया है, जिसमें हमने विधायक को भी रखा है.
श्रीमती सरस्वती सिंह - अध्यक्ष महोदय, नहीं रखा है. आप असत्य बोल रहे हैं. (व्यवधान)..
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, आपके शासन में ये समितियां नहीं थीं. हमने ये समितियां बनाई हैं. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - (कई सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) आपकी बात समझ नहीं आ रही है. यह महत्वपूर्ण विषय है. आप सुन लें कोई आपत्ति हो तो वह माननीय सदस्या उठाएंगी.
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, एक बात और है कि किसी भी उपभोक्ता की बिल अधिक आने की शिकायत पर वह फोरम में अपील भी कर सकता है. वे अपील करें. यह पैसे वहां नीचे के लोग भरते नहीं हैं और नहीं भरने के कारण बिल ज्यादा आते हैं. यदि समय पर बिल भर दें तो सरचार्ज नहीं लगेगा. (व्यवधान)..
श्रीमती सरस्वती सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से सवाल है कि जब आपने समिति बनाई है तो कितने बार विधायकों के साथ विभाग ने मीटिंग ली है? (शेम-शेम की आवाज)...क्या हमें इसकी जानकारी मिली है, क्या हमारे पास इसका पत्र आया है, यह मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं?
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर को तीन माह में एक बार मीटिंग बुलाना है.
श्रीमती सरस्वती सिंह - अध्यक्ष महोदय, एक भी बार मीटिंग नहीं बुलाई गई है. (व्यवधान).
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, मीटिंग नहीं बुलाई है.
श्री सचिन यादव - अध्यक्ष महोदय, मीटिंग नहीं बुलाई है.
श्री निशंक कुमार जैन - अध्यक्ष महोदय, एक बार भी मीटिंग नहीं बुलाई है.
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, वहां सब व्यवस्था है, यह आर्डर निकला है. मेरे यहां बैठक हुई है और दूसरी जगह भी बैठकें हुई है. (व्यवधान)..आपके शासन में यह व्यवस्था नहीं थी. हमने यह व्यवस्था की है.
अध्यक्ष महोदय - (कई सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) आप समाधान नहीं होने देंगे. समाधान हो रहा है. आप बैठ जाएं, वह सक्षम हैं, वह अच्छे प्रश्न पूछ रही हैं.
श्रीमती सरस्वती सिंह - अध्यक्ष महोदय,जैसा माननीय मंत्री जी बोल रहे हैं कि तीन महीने में मीटिंग बुलाना चाहिए, लेकिन हम लोगों के तीन साल बीत गये हैं, एक भी बार मीटिंग नहीं बुलाई गई है. (शेम-शेम की आवाज)..मेरे यहां के अधिकारी आपके यहां बगल में बैठे हुए हैं.
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, मैं यही बता रहा हूं कि पहले ये समितियां नहीं थीं, हमने ये समितियां बनाई है. समिति के अलावा अब बैठक बुला भी रहे हैं. हमारे पास ऐसे आंकड़ें हैं और अब जहां बैठक नहीं हुई, वहां बैठक बुलाएंगे और वहां जो समस्या है, उन समस्याओं का हम निराकरण करेंगे.
एक माननीय सदस्या - अध्यक्ष महोदय, इसकी समय-सीमा बताएं?
अध्यक्ष महोदय - एक प्रश्न और पूछ लीजिए, उसके बाद आगे बढ़ेंगे.
श्रीमती सरस्वती सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत ही जरूरी है. बिजली का बिल ज्यादा आता है तो किसान आत्महत्या भी करते हैं. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि जब बिना मीटर लगाए इन्हें बिल का आकलन हो जाता है तो आप मीटर क्यों लगाते हैं? फिर सरकार का करोड़ों रुपयों क्यों खर्च करते हैं? आप मीटर मत लगवाइए, वैसे ही उनको बता दीजिए? अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न और है कि मेरे यहां जो 1386 उपभोक्ता हैं जिनके यहां पर मीटर नहीं लगा है, उनके यहां कब तक मीटर लग जाएगा? उसकी कोई समय-सीमा बताएंगे?
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, इसमें समय-सीमा बताना संभव नहीं है.
(व्यवधान)..
श्री सचिन यादव - अध्यक्ष महोदय, उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है.
महेश्वर जल विद्युत परियोजना की पूर्णता
[ऊर्जा]
16. ( *क्र. 1310 ) श्री राजकुमार मेव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नर्मदा नदी पर मण्डलेश्वर में महेश्वर जल विद्युत परियोजना (महेश्वर हाईड्रोलिक प्रोजेक्ट) के तहत बांध एवं संपूर्ण परियोजना की स्वीकृति किस वर्ष में दी गई? इसे कब तक पूर्ण करना था? इसकी लागत क्या निर्धारित की गई थी एवं किस कंपनी को यह परियोजना स्वीकृत की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में महेश्वर जल विद्युत परियोजना पर कंपनी द्वारा कुल कितना व्यय किया गया एवं किस-किस कार्य पर कितना-कितना व्यय किया? कंपनी द्वारा किये गये व्यय का ऑडिट किन-किन संस्थाओं द्वारा किस-किस वर्ष में किया गया एवं उसमें कौन-कौन सी आपत्तियां ली गईं? कितनी आपत्तियों का निराकरण किया गया एवं कितनी राशि की आर्थिक अनियमितताएं पाई गईं? (ग) कंपनी द्वारा निर्धारित समयावधि में कार्य पूर्ण नहीं किये जाने के कारण कब-कब कार्य पूर्ण करने हेतु कार्यावधि बढ़ाई गई एवं लागत में भी कब-कब कितनी-कितनी वृद्धि की गई? क्या कार्य पूर्ण नहीं किये जाने के कारण कम्पनी को हटा दिया गया? उस पर कितनी आर्थिक अनियमितताओं के तहत राशि वसूली योग्य है? किस नई कंपनी को यह परियोजना पुन: कितनी लागत के साथ स्वीकृत की गई? (घ) प्रश्न (क) के संदर्भ में महेश्वर जल विद्युत परियोजना में कितने कर्मचारी, किस-किस वर्ग के कार्य कर रहे थे, कितने कर्मचारियों को वर्तमान में हटाया गया एवं कितने कर्मचारियों को उनके पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना शेष है? जिन कर्मचारियों को कार्य से हटाया गया उन्हें पुन: कार्य पर लगाया जावेगा? यदि नहीं, तो कारण बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. शासन द्वारा महेश्वर जल विद्युत परियोजना की स्थापना, संचालन एवं संधारण का कार्य निजी क्षेत्र की कंपनी मेसर्स एस.कुमार्स को एक जनरेटिंग कंपनी के रूप में सौंपने की स्वीकृति वर्ष 1992 में दी गई। परियोजना का कार्य प्रारम्भ होने से 5 वर्ष की अवधि में पूर्ण किया जाना प्रस्तावित था। परियोजना की कुल अनुमानित लागत रू. 736 करोड़ थी। वर्ष 1994 से इस परियोजना का कार्य मे. एस.कुमार्स द्वारा स्थापित कंपनी श्री महेश्वर हायडल पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। (ख) प्रश्नांश की जानकारी निजी कंपनी श्री महेश्वर हायडल पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड से संबंधित है। निजी कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार परियोजना पर कंपनी द्वारा दिनांक 31.03.2016 की स्थिति में कुल 5411.15 करोड़ रूपये व्यय किए गए। कार्यवार व्यय विवरण निम्नानुसार है :- (1) डिजाइन इंजीनियरिंग एवं कन्सलटेंसी-52.56 करोड़ रूपये, (2) सिविल कार्य-896.66 करोड़ रूपये, (3) हायड्रो मैकेनिकल कार्य-301.83 करोड़ रूपये, (4) इलेक्ट्रो मैकेनिकल कार्य-302.39 करोड़ रूपये, (5) प्लांट एवं मशीनरी-20.66 करोड़ रूपये, (6) प्रि-ऑपरेटिव्ह खर्च (आई.डी.सी. व आर.एंड.आर. सहित)-3837.05 करोड़ रूपये। कंपनी द्वारा चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म से समय-समय पर आडिट कराये जाने की जानकारी दी गई है। कंपनी के अनुसार इसमें किसी आर्थिक अनियमितता के पाये जाने का उल्लेख नहीं है। अत: प्रश्न के शेष भाग संबंधी जानकारी निरंक है। (ग) श्री महेश्वर हायडल पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा परियोजना को निर्धारित समयावधि में पूर्ण नहीं किये जाने के कारण वर्ष 2006 में परियोजना की पुनरीक्षित लागत 2449 करोड़ रूपये आंकी गई थी। मार्च 2006 में परियोजना से वाणिज्यिक उत्पादन मार्च 2010 से प्रारम्भ करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। कार्य पूर्ण न किये जाने के कारण कंपनी को हटाया नहीं गया है। कंपनी के प्रवर्तकों के विरूद्ध एम.पी. स्टेट इण्डस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लि. द्वारा आई.सी.डी. संव्यवहार में की गई अनियमितताओं एवं तत्पश्चात दिनांक 16.09.2005 में हुये समझौते के तहत् दिनांक 31.12.2016 की स्थिति में वसूली योग्य राशि 107.99 करोड़ (ब्याज रूपये 85.08 करोड़) की वसूली लंबित है। परियोजना हेतु किसी नई कंपनी का चयन नहीं किया गया है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत सरकार की संस्था पॉवर फायनेंस कार्पोरेशन एवं ऋण प्रदाता वित्तीय संस्थाओं द्वारा वर्तमान में कंपनी के प्रबंधन पर नियंत्रण लिया गया है। (घ) प्रश्नांश निजी कंपनी श्री महेश्वर हायडल पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड से संबंधित है। निजी कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वर्तमान में परियोजना में वर्कमेन स्टाफ एवं पुनर्वास कार्यालय के कुल 91 कर्मचारी एवं 50 अधिकारी कार्यरत हैं। किसी भी कर्मचारी को वर्तमान में हटाया नहीं गया है। कुल 93 कर्मचारियों को उनके पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना शेष है। दो कर्मचारी स्वेच्छा से कार्य छोड़कर चले गये थे। किसी भी कर्मचारी को हटाया नहीं गया है अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता।
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, यह जो वर्ष 1992 में योजना की एस.कुमार्स को स्वीकृति दी गई थी, यह रुपए 736 करोड़ की थी. यह वर्ष 2017 तक अभी अधूरी है, यह कब तक पूरी कर ली जाएगी और इसमें पुनर्वास हो पूरा हो गया कि नहीं, और जिन अधिकारियों, कर्मचारियों ने इसमें गड़बड़ी की है, उनके खिलाफ आप क्या कार्यवाही करेंगे? जिनका पेमेंट रुका हुआ है, उनका पेमेंट कब तक कर दिया जाएगा?
श्री पारसचन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, महेश्वर हायडल पावर कार्पोरेशन से संबंधित प्रश्न है. वर्तमान में इस कंपनी को वित्तीय संस्थाओं ने एक जून 2016 से अधिग्रहित कर लेने के उपरान्त कर्मचारियों का भुगतान नियमित हो रहा है. कर्मचारियों को पुराने भुगतान करने और ठेकेदार को बकाया भुगतान हेतु संबंधित कंपनी को निर्देशित किया गया है.
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, इसको हटा कर नया टेंडर कब कर लिया जाएगा? और इसने जो गड़बड़ी की है उसमें जो अधिकारी दोषी हैं, उन पर कब तक कार्रवाई की जाएगी? जो कर्मचारी वहां पर कार्यरत् हैं, उनको कब तक पेमेंट कर दिया जाएगा? आपने उत्तर में कहा है कि उनका पेमेंट शेष रहा है तो कब तक पेमेंट कर दिया जाएगा? अध्यक्ष महोदय, इसका जवाब दिलवा दें.
श्री पारसचन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, जिनका पेमेंट बकाया है, उनका पेमेंट कर रहे हैं. कोई स्पेसिफिक बताएंगे तो हम दिखवा लेंगे.
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी--आपने अपने उत्तर में कहा है इतने कर्मचारियों का भुगतान शेष है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न काल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
(व्यवधान)
12.01 बजे शून्यकाल में उल्लेख
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़)-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय दिया है जिसमें मध्यप्रदेश के 634 व्यक्ति जिसमें आधे पढ़ने वाले विद्यार्थी और आधे जो डॉक्टर बन चुके थे, पास कर चुके थे उनकी डिग्री समाप्त करने और जो विद्यार्थी पढ़ रहे थे, उनका प्रवेश रद्द करने का आदेश जारी किया है. इस पर सरकार ने क्या कार्रवाई की और 634 लोगों के निकालने से इनकी पढ़ाई पर मप्र सरकार की कितनी राशि बर्बाद हुई?
अध्यक्ष महोदय-- आपने इस विषय पर क्या दिया है?
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हमने स्थगन प्रस्ताव दिया है. हमारा निवेदन है कि इस पर चर्चा करायी जाए.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है उस पर विचार करेंगे.
श्री हर्ष यादव(देवरी)-- अध्यक्ष महोदय, सागर के महापौर का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक ठेकेदार से कमीशन मांगा जा रहा है. इसकी लोकायुक्त से जांच करवाएंगे क्या? यह वीडियो इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में लगातार वायरल हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई. बैठिये
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली)-- अध्यक्ष महोदय, मैंने ओला-पाला से किसानों को जो भारी नुकसान हुआ है उसके संबंध में स्थगन और ध्यानाकर्षण दिया है. रेत खदानों में जो भ्रष्टाचार हो रहा है. बड़े-बड़े लोग उसमें इन्वाल्ड हैं उसके बारे में भी दिया है. व्यापम के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है उसके कारण जो स्थिति उत्पन्न हुई है. बहुत सारे नकली डॉक्टर काम कर रहे हैं. सैकड़ों मरीजों के हेल्थ से खिलवाड़ कर रहे हैं अभी तक उनको हटाया नहीं गया है. इस पर मैंने सूचना दी है. आपसे निवेदन है कि किसी भी रुप में इनको लेने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है.
श्री जितू पटवारी(राऊ)-- अध्यक्ष महोदय, यह घोषणा हुई थी कि मध्यप्रदेश के किसानों, जिन पर ओला-पाला से नुकसान हुआ है, उनकी किसी भी प्रकार की कुर्की नहीं होगी. पूरे मप्र में टीवी, टेलिफोन, मोटर सायकल और जो जो भी मिल रहा है, वह विद्युत मंडल उठाकर ले जा रहा है. किसानों को डरा-धमका रहे हैं. यह काम मंडल रात में कर रहा है. मैं समझता हूं कि यह मुख्यमंत्री जी के उस भाव की भी अवहेलना है. मैंने ध्यानाकर्षण भी दिया है अगर वह लग जाए तो आपकी मेहरबानी होगी. उस पर चर्चा हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- अब शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ेंगे.
12.04 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
प्रदेश सरकार द्वारा पॉलीथीन,धूम्रपान व गुटखा पर प्रतिबंध लगाने.
श्री आरिफ अकील(भोपाल-उत्तर)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
भोपाल में शासन के प्रति भारी जनाक्रोश व्याप्त है. स्थिति अत्यंत विस्फोटक बनी हुई है.
भिण्ड स्थित ऐतिहासिक किले के संरक्षण के संबंध में.
डॉ गोविन्द सिंह (लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
3. सरकार द्वारा खोले गये जन औषधि केन्द्रों का मरीजों तक लाभ न पहुंचना
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
4. रीवा जिले में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृत्ति न मिलना
श्री सुखेन्द्र सिंह(मऊगंज) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
5. मुरैना जिले में जंगली जानवरों से किसानों की फसल की रोकथाम किया जाना
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार(सुमावली) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
6. नागदा स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में मेडिकल अधिकारी एवं कार्यालय संचालित न होना
श्री दिलीप सिंह शेखावत(नागदा-खाचरोद)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
नागदा नगर उज्जैन जिले का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. यहां तहसील मुख्यालय एवं शासकीय अस्पताल भी संचालित है. नगर की 1.25 लाख की आबादी है एवं इसमें 63 ग्राम पंचायतें सम्मिलित हैं. इसके बाद भी यहां ब्लाक मेडिकल आफिसर का पद एवं कार्यालय संचालित नहीं है जबकि समीपस्थ कस्बा उन्हेल काफी छोटा होने के बाद भी यहां ब्लाक मेडिकल आफिस है. नागदा में ब्लाक मेडिकल आफिस एवं पद सृजित न होने से स्थानीय नागरिकों में जनाक्रोश व्याप्त है.
अध्यक्ष महोदय-- श्री शैलेन्द्र जैन (अनुपस्थित)
9. अनुसूचित जाति की सूची में गौड़ गोवारी जनजाति के संबंध में भ्रम की स्थिति.
श्री के.डी. देशमुख (कटंगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
10. सिवनी जिले में खेल मैदानों के निर्माण संबंधी.
श्री दिनेश राय (सिवनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का टाइम मैं भी चाह रहा था. 17 नंबर पर मेरा प्रश्न था और 16 नंबर पर प्रश्नोत्तर काल समाप्त हो गया था, तो एक मिनट मैं चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- अब रिवर्स हो जायेगा मामला, क्योंकि अब उसका उत्तर भी नहीं आ सकता.
श्री बाला बच्चन-- हां उत्तर भले ही न आ सके, माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं, एक मिनट वह बात तो मैं कह डालूं.
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल है, बात कह दें.
5. शून्यकाल में उल्लेख (क्रमश:)
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मामला यह है, पदोन्नति में आरक्षण वाला, 58 बार हाईकोर्ट में केस चला और 4 साल तक केस चला और उसके बाद वह पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित कर्मचारी और अधिकारी जो अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के थे, सरकार डाटा उपलब्ध नहीं करा पाने के कारण वह हाईकोर्ट में केस हार गये अब सुप्रीम कोर्ट में तारीख चल रही है, 8 तारीखें लग चुकी हैं, वकीलों को किसी को 10 लाख, किसी को 11 लाख, किसी को 9 लाख 70 हजार रूपये दे चुके हैं, उसके बाद वकील वहां सुप्रीम कोर्ट में भी उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं, तो मैं सरकार से और माननीय मुख्यमंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि क्यों नहीं आप वकीलों को वहां पहुंचा पा रहे हैं या जिस तरह से आपने व्यापम में जो .... (व्यवधान)... खड़े किये थे आप ऐसे वकील सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं खड़े कर पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई, जो आप कहना चाह रहे थे, पत्रों का पटल पर रखा जाना.
श्री बाला बच्चन-- क्यों इनको पदोन्नति में आरक्षण से वंचित करा रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी अभी नहीं कभी भी आप इसका जवाब दें क्योंकि बहुत सारे अधिकारी, कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं..... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- बहुत सारे अवसर आयेंगे, कृतज्ञता ज्ञापन पर अवसर आयेंगे. ..... (व्यवधान)....
श्री बाला बच्चन-- मैं समझता हूं सरकार इसमें गंभीर नहीं है ..... (व्यवधान)....
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को सूचना देना चाहता हूं कि माननीय अजय सिंह नेता प्रतिपक्ष बनाये गये है. मैं उनको नेता प्रतिपक्ष बनने पर बधाई देता हूं. सदन की ओर से बधाई देता हूं आप सभी को बधाई देता हूं.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर गोविंद सिंह जी की सूचना सही है तो हम भी उनको बधाई देते हैं.
डॉ. गोविंद सिंह -- (डॉ.नरोत्तम मिश्र से) आपको आईना दिखाने के लिये अजय सिंह जी का नेता प्रतिपक्ष बनना जरूरी था.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- हमने तो बधाई दे दी. वैसे भी जब वे पहले नेता प्रतिपक्ष थे तो आप ही को आईना दिखा.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन(श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की विधानसभा में प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के रूप में एक अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति बहुत प्रभावी ढंग से अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे थे. यह अनुसूचित जनजाति विरोधी चेहरा कांग्रेस का उजागर हुआ है.
डॉ.गोविंद सिंह -- आप भी मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति का बना दो.
श्री आरिफ अकील -- अभी वे सदन में आये भी नहीं हैं और अभी से डरने लगे.
12.16 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
1.मध्यप्रदेश वित्त निगम का 61वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16
वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, दि स्टेट फायेनेंशियल कार्पोरेशन एक्ट 1951 (क्रमांक 63 सन्,1951) की धारा 37 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश वित्त निगम का 61 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16 पटल पर रखता हूं.
2.(क) मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम(उज्जैन)लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2015-16 तथा
(ख) मैग्नीज ओर इंडिया लिमिटेड(मॉयल लिमिटेड) की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2015-16.
मंत्री,वाणिज्य, उद्योग और रोजगार(श्री राजेन्द्र शुक्ल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, (क) कंपनी अधिनियम 2003 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम(उज्जैन)लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16 तथा मैग्नीज ओर इंडिया लिमिटेड(मॉयल लिमिटेड) की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2015-16 पटल पर रखता हूं.
3.(क)मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम मर्यादित,भोपाल का 52वां वाषिक प्रतिवेदन
वर्ष 2013-14 तथा
(ख) मध्यप्रदेश स्टेट टेक्सटाईल कार्पोरेशन लिमिटेड,भोपाल का 37वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा मार्च 2008.
राज्यमंत्री, सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम(श्री संजय पाठक)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम मर्यादित,भोपाल का 52वां वाषिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14 तथा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश स्टेट टेक्सटाईल कार्पोरेशन लिमिटेड,भोपाल का 37वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा मार्च 2008 पटल पर रखता हूं.
समय 12.17 बजे
कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
अध्यक्ष महोदय-- कार्य मंत्रणा समिति की बैठक दिनांक 22 फरवरी, 2017 को सम्पन्न हुई जिसमें "मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 (क्रमांक 1 सन् 2017)" पर चर्चा हेतु एक घण्टे का समय आवंटित किये जाने की सिफारिश की गई है. अब इस संबंध में डॉ. नरोत्तम मिश्र, संसदीय कार्य मंत्री प्रस्ताव करेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि अभी अध्यक्ष महोदय ने शासकीय विधेयक पर चर्चा के लिये समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाई, उसे सदन स्वीकृति देता है.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. प्रश्न यह है कि जिस कार्य पर चर्चा के लिये समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिश पढ़ कर सुनाई, उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
12.18 बजे दिसम्बर, 2016 सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों
का पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय-- दिसम्बर, 2016 सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर खण्ड-9 का संकलन पटल पर रखा गया.
12.18 बजे नियम 267-क के अधीन दिसम्बर,2016 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा
उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय-- नियम 267-क के अधीन दिसम्बर,2016 सत्र में सदन में पढ़ी गई शून्यकाल सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन सदन के पटल पर रखा गया.
12.19 बजे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
अध्यक्ष महोदय- विधानसभा के विगत सत्र में पारित 10 विधेयकों को माननीय राज्यपाल महोदय की अनुमति प्राप्त हो गई है. अनुमति प्राप्त विधेयकों के नाम दर्शाने वाले विवरण की प्रतियां माननीय सदस्यों को वितरित कर दी गई हैं. इन विधेयकों के नाम कार्यवाही में मुद्रित किए जाएंगे.
12.19 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुये}
12.19 बजे ध्यानाकर्षण
1. इछावर क्षेत्र के आबादी बाहुल्य ग्रामों को राजस्व ग्राम में शामिल न
करने से उत्पन्न स्थिति.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
इछावर विधानसभा के सीहोर ब्लाक के ग्राम पंचायत खारी के ग्राम सेमलाघाटा, इछावर ब्लाक के ग्राम पंचायत खजूरिया घेंघी के ग्राम घेंघी और ग्राम पंचायत कराड़िया भील के ग्राम नयापुरा ब्लाक, सीहोर अंतर्गत आते हैं. इन ग्रामों में आबादी अधिक है, किंतु यह ग्राम अभी तक राजस्व ग्रामों की सूची में दर्ज नहीं हैं इससे इन ग्रामों में मूलभूत सुविधाओॆं का अभाव बना हुआ है. लोगों को आवागमन हेतु सड़क की सुविधा भी नहीं है. इससे लोगों में रोष व्याप्त है.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- उपाध्यक्ष महोदय,
श्री शैलेन्द्र पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा इस समस्या को सदन में लाने का उद्देश्य यह था कि निश्चित रुप से मुझे कलेक्टर का पत्र प्राप्त हो चुका था. जब कलेक्टर का पत्र प्राप्त हुआ, उसके बाद मुझे लगा कि यह बात किसी भी माध्यम से सदन में लाई जाये,ताकि नियमों में बदलाव लेकर आया जाये. जहां तक मंत्री जी अपना जो उत्तर दे रहे थे, उन्होंने सड़क का उल्लेख किया, तो मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि जो उन गांवों की दूरी है, वह लगभग दो किलोमीटर से ज्यादा है. यह कोई समस्या मेरे अकेले विधान सभा के गांवों की नहीं है, पूरे मध्यप्रदेश की है और दो किलोमीटर से जब दूरी की सड़क है, तो वहां पर सड़क बनी ही नहीं है. न वह मुख्यमंत्री सड़क योजना में है, न प्रधानमंत्री सड़क योजना में है और न वहां पर कोई मुरम सड़क है. जो स्थिति है, वह एक पगडंडी की जो सड़क होती है, जो गांव की सड़क होती है, उन सड़कों का वहां पर निर्माण हुआ है. तो कुल मिलाकर यह जो सदन है, हम यह मानते हैं कि यहां पर नियम संशोधन के लिये ही यह सदन बना है. उनकी जब आबादी बढ़ गई है, तो उनको राजस्व ग्राम कैसे बनाया जायेगा,पहले तो मैं यह चाहता हूं कि मंत्री जी वह नियम हमें बता दें कि क्या क्या नियम हैं, जिसके अंतर्गत यह मंजरे टोले ग्राम में बनते हैं, तो उसके बाद मैं अपनी बात रखना चाहूंगा. उन नियमों का आप उल्लेख कर दें कि कोई जो टोला होगा, कब वह राजस्व ग्राम में आयेगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, वैसे कलेक्टर ने जो माननीय विधायक जी को पत्र लिखा है, जिसकी प्रति मेरे पास भी है, उसमें उन बातों का उल्लेख उन्होंने कर दिया है. फिर भी अगर आप कहें, तो मैं उसी पत्र को पढ़कर सुना दूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आवश्यकता नहीं है. कलेक्टर ने आपको पत्र भेज दिया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि यह बात सदन में आये, क्योंकि यह मेरे अकेले की समस्या नहीं है, पूरे मध्यप्रदेश में ऐसे सैकड़ों गांव हैं. यहां सारे विधायक गण बैठे हैं, जो इस समस्या से ग्रस्त हैं और उन गांवों में जो मूलभूत सुविधायें हैं, वहां उनका नितांत अभाव है. वहां पर उनको वह सुविधायें नहीं मिल पा रही हैं, जो एक गांव को मिलना चाहिये. आप अगर उनको पढ़कर सुनायेंगे, तो मैं उसके बाद में बात रखूंगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, अगर आप कहते हैं, तो मैं पढ़कर सुनाता हूं. वैसे उसमें काफी लम्बे प्रावधान हैं,
उपाध्यक्ष महोदय -- आप अलग से ले लीजियेगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि इसमें कोई आपके सुझाव हो तो दे दें. जो विधिक प्रावधान हैं और अलग से भी कलेक्टर ने आपको दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी यह कह रहे हैं कि आपके पास कोई सुझाव हों, तो दे दीजिये. पत्र तो आपके पास स्वयं है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बता देता हूं. उसमें 200 की आबादी का प्रावधान है. दो किलोमीटर का प्रावधान है और जमीन का एक प्रावधान है कि उस गांव में जो निवासी हैं, उनके पास इतनी जमीन होना चाहिये, इतने एकड़ की जमीन होना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह जवाब में भी उल्लेख हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, जी हां.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप स्पेसीफिक प्रश्न करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि अगर कोई गांव बस गया है, जिसकी आबादी 500,700,800,1000 अलग अलग इस तरह के टोले हैं और दूरी भी है, लेकिन उनके पास जमीन नहीं है, तो अगर जमीन नहीं होगी, तो क्या वह गांव नहीं कहलायेगा. क्या किसी राजस्व गांव को घोषित होने के लिये, जो किसी जमाने में जमीन का प्रावधान था, क्या वह आज न्याय संगत है. अगर कोई गांव बस गया, जिसकी आबादी बढ़ गयी हैं और जिसकी दूरी भी मुख्य गांव से उतनी दूरी है, तो सिर्फ जमीन के क्लॉज के कारण ये गांव राजस्व ग्राम घोषित नहीं हो पा रहे हैं. क्या आज सरकार को इस नियम में संशोधन की आवश्यकता पड़ेगी ? क्या सरकार इसमें संशोधित करके, इस नियम को चेन्ज करेगी और उन गांवों को राजस्व गांव घोषित करने की ओर अपना कदम उठाएगी ?
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शायद माननीय सदस्य ने कलेक्टर का पत्र नहीं पढ़ा है. उसमें जिस भूमि का, वे उल्लेख कर रहे हैं वह प्रावधान में नहीं बताया गया है कि किसान के पास कितनी भूमि होनी चाहिए ? यह कहा गया है कि जिस एरिये को राजस्व ग्राम बनाना है, उसे कम से कम 200 एकड़ होना चाहिए. फिर उसमें एक शर्त यह भी है कि अगर जो ग्राम में अलग-अलग मजरे हैं, उनमें अगर बाकी व्यवस्थाएं एक ही जगह हैं और वहां उन मजरों में वे सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, इसमें 3-4 प्रावधान हैं. इसमें आप जो कह रहे हैं, वे नियम नहीं हैं कि व्यक्तिगत किसान के लिए कितनी खेती होनी चाहिए, यह कोई नियम नहीं है. इसमें टोटल एरिया 200 एकड़ होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय - यह तो स्पष्ट है. लगता है कि आपने कलेक्टर का जवाब नहीं पढ़ा है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे मंत्री जी का जवाब ही नहीं मिला है, जो मिलना चाहिए था. उन गांवों में रोड़ की सुविधा नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री सड़क योजना के अन्तर्गत जो राजस्व ग्राम हैं, उनको जोड़ा गया है, मंजरे-टोलों के पास रोड़ नहीं हैं और पंचायत के पास जो चौदहवें वित्त आयोग की राशि मिलती है, उसमें संभव नहीं है कि उन गांवों को रोड़ से जोड़ा जा सके. उन गांवों की सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि वहां सड़कों का निर्माण हो.
उपाध्यक्ष महोदय - जो मंत्री जी ने आपको जवाब दिया है, वह शायद आपने पढ़ा नहीं है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - मुझे मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय - यह जवाब दिया है कि उनका विकास ग्राम पंचायतें कर सकती हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल - उपाध्यक्ष जी, ग्राम पंचायत के पास कोई भी ऐसा बजट नहीं है कि जिससे उनकी रोड़ बनाई जा सके, हम यह सब भली-भांति जानते हैं. जो पंच-परमेश्वर योजना की राशि होती है, उससे वे गांव की इन्टरनल रोड़ तो बना सकते हैं लेकिन दोनों गांवों को बीच से जोड़ने के लिए कोई फण्ड नहीं है, उन गांवों के लिए, जिन गांवों का मैंने उल्लेख किया है. ऐसे कई गांव हैं, उन दोनों गांवों के बीच में से कोई रोड़ आज तक नहीं बनी है.
उपाध्यक्ष महोदय - शैलेन्द्र जी, कई योजनाएं हैं. सुदूर सड़क योजना है, यह सब ग्राम पंचायतें संचालित करती है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय उपाध्यक्ष जी, ग्राम सुदूर सड़क योजना के अंतर्गत मनरेगा के तहत, वे सारे रोड़ बनते हैं. मैं उसे भली-भांति जानता हूँ. लेकिन जहां पर मजदूर उपलब्ध नहीं हैं, वहां पर ये रोड़ नहीं बन पा रही हैं और मैं यह स्थिति इसलिए बता रहा हूँ कि मैं इन गांवों को खुद जाकर देखकर आया हूँ और इन गांवों में रोड़ नहीं हैं. ऐसे दुर्गम रास्तों से जाना पड़ता है. ऐसा लगता है कि आज भी हम 19 वीं सदी में जी रहे हैं. इन रोड़ों का बनना नितान्त आवश्यक है. इन नियमों में बदलाव लाया जाये ताकि जो छोटे-छोटे मजरे-टोले हैं, राजस्व गांव बनेंगे तभी उनमें सड़क का निर्माण हो पायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय - एक विकल्प विधायक निधि भी है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय उपाध्यक्ष जी, विधायक निधि से हम देते हैं लेकिन जो रोड़ का निर्माण होना है. कोई भी गांव में 50 लाख रूपये या 1 करोड़ रूपये से कम के रोड़ नहीं बनेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है.
श्री सचिन यादव - उपाध्यक्ष महोदय, यह जो ध्यानाकर्षण आया है यह न सिर्फ माननीय शैलेन्द्र जी के क्षेत्र का मामला है बल्कि मैं समझता हूँ कि पूरे मध्यप्रदेश की हर विधानसभा का मामला है. कई सारे गांव ऐसे हैं, जहां पर वर्तमान में गांव हैं, उससे बड़ी आबादी वहां बस चुकी है. लेकिन उन आबादी में शासन की योजनाओं का लाभ इसलिए नहीं मिल पाता है क्योंकि वे गांव आबादी घोषित गांव नहीं हैं. चूँकि यहां सदन में जो नियम-प्रक्रियाएं एवं कानून बनते हैं तो मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि अगर इस प्रकार के कोई नियम नहीं हैं तो नियम बनाए जाएं और उन तमाम लोगों को शासन की जितनी भी योजनाएं हैं, वहां पर जो मूलभूत सुविधाएं हैं, उन सुविधाओं का लाभ सारे ग्रामवासियों का मिले, ऐसा मेरा आग्रह आपके माध्यम से है. अगर कोई कानून नहीं है तो कानून बनाने का भी काम किया जाये.
श्री उमाशंकर गुप्ता - उपाध्यक्ष जी, यह कहीं रोक नहीं है कि कोई मजरा है तो उसमें काम नहीं कर सकते हैं, कोई भी काम नहीं रूकता है कि उसके लिए राजस्व ग्राम होना जरूरी नहीं है. आप भी इस बात से भली-भांति परिचित हैं. अगर कहीं कोई काम किसी विभाग का नहीं हो पा रहा है तो हमें वहां प्रयास करना पड़ेगा. अगर माननीय सदस्य कोई समस्या उठायेंगे तो मैं भी संबंधित विभाग के मंत्री जी से आग्रह कर दूँगा.
उपाध्यक्ष महोदय - सचिन जी, आप इसमें संशोधन के लिए प्रायवेट मेम्बर्स बिल ले आइये. आपको मजरे-टोले में काफी सहयोग मिलेगा. शैलेन्द्र जी आपका खत्म हो गया है. अब अंतिम ध्यानाकर्षण लेंगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल - उपाध्यक्ष जी, अंतिम बात.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री यशपाल जी प्रश्न पूछ चुके हैं, शैलेन्द्र जी, उसके बाद वापस कैसे आएंगे ?
(2) भोपाल दुग्ध संघ द्वारा दुग्ध परिवहन हेतु दोष पूर्ण निविदा की कार्यवाही से उत्पन्न स्थिति
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है.
पशुपालन मंत्री (श्री अंतर सिंह आर्य)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने पक्षपातपूर्ण कार्यवाही से इंकार किया है, लेकिन मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का उन तीन बिंदुओं की तरफ ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं, जिसमें लग रहा है कि कहीं न कहीं पक्षपात हुआ है. धरोहर राशि पचास हजार से बढ़ाकर एक लाख रूपये कर दी गई है, जबकि मध्यप्रदेश के अन्य दुग्ध संघों में यह धरोहर राशि पच्चीस हजार रूपये से, पचास हजार रूपये के समकक्ष होती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा पक्षपातपूर्ण रवैया प्रारंभिक दृष्टि में यह नजर आ रहा है कि गुना, पिपरिया और नरसिंहगढ़ जैसे महत्वपूर्ण परिवहन मार्गों को निविदा से विलोपित कर दिया गया है, निविदा से हटा दिया गया है और उन मार्गों को छोड़ दिया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तीसरा पक्षपातपूर्ण रवैया यह परिलक्षित हो रहा है कि भोपाल शहर के दुग्ध संघ परिवहनकर्ताओं की जहां एक ओर अवधि बढ़ा दी गई हैं, वहीं नवीं निविदाओं में यह दर्शा दिया गया है कि जो ट्रांसपोर्ट लाईसेंसी होंगे, वे ही परिवहन में अपने भागीदारी सुनिश्चित कर पायेंगे. ऐसा पहले कभी हुआ नहीं है, इससे जो छोटे छोटे कारोबारी हैं, जो छोटे-छोटे परिवहनकर्ता हैं, जिनके छोटे छोटे वाहन हैं, उस प्रक्रिया से दूर हो जायेंगे और बड़े-बडे़ लोगों का, पांच ट्रांसपोर्ट व्यवसायिओं का यह दो ट्रांसपोर्ट व्यवसायिओं का इसके ऊपर आधिपत्य हो जायेगा और छोटे लोग जो बेरोजगार हैं और जो इस व्यवसाय में अपनी सेवाएं देने के लिये कर्ज पर, लोन पर वाहन खरीदकर ले आये हैं, वह जब वाहन नहीं चला पायेंगे तो उनकी रोजी रोटी का सवाल उठेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए माननीय मंत्री जी से यह अपेक्षा करूंगा की क्या वह संपूर्ण प्रक्रिया जो पक्षपातपूर्ण है, द्वेषपूर्ण है, कहीं न कहीं पूरे प्रादेशिक स्तर की जिस प्रकार से एक निविदा की प्रक्रिया बनना चाहिए उसमें भोपाल दुग्ध संघ ने कहीं न कहीं त्रुटि की है, उस त्रुटि को सुधारते हुए संपूर्ण प्रक्रिया की आप जांच करायेंगे ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह भी आग्रह करूंगा कि निविदा प्रक्रिया जो अब तक संपादित की गई थी क्या आप उस प्रक्रिया को निरस्त करने की घोषणा करेंगे ?
श्री अंतर सिंह आर्य - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो ध्यानाकर्षण लगाया है, मैं जहां तक समझता हूं कि प्रक्रिया का सही पालन हुआ है परंतु जो एक नई शर्त, जो लाईसेंस वाली बात आई है, जिसके कारण छोटे व्यवसायी या जिनके पास सिंगल वाहन है, ऐसे लोग इसमें भाग नहीं ले सकेंगे, माननीय सदस्य ने इस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से यह बात रखी है. मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूं और आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि हमारी जो निविदा प्रक्रिया है जो वर्तमान में चल रही है, उसको हम स्थगित कर रहे हैं, दूसरा जो निविदा में ट्रांसपोर्ट लाईसेंस की मांग वाली बात कही गई है, इसको भी हम इस निविदा से हटा देंगे और नये सिरे से हम टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ कर देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
उपाध्यक्ष महोदय - आपकी सभी समस्याओं का हल हो गया.
12.40 बजे सभापति तालिका की घोषणा
उपाध्यक्ष महोदय :- मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उपनियम (1) के अधीन, मैं, निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिए नाम-निर्दिष्ट करता हूं :-
1. श्री कैलाश चावला
2. श्री दुर्गालाल विजय
3. श्रीमती नीना विक्रम वर्मा
4. श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल
5. श्री लाखन सिंह यादव, तथा
6. श्री के.पी.सिंह
12.41बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय :- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
12.41 वक्तव्य
अध्यापक संवर्ग की अंर्तनिकाय ऑनलाईन संविलियन की नीति विषयक
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह):- उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने अध्यापकों के लिये एक अभिनव योजना उन हजारों-हजार, बल्कि में कहूं तो हमारे जो लाखों अध्यापक होंगे, जो वरिष्ठ अध्यापक, सहायक अध्यापक हैं या हमारी जिन बहनों की शादी कहीं दूसरी जगह हो गयी और वह अपने पति के पास नहीं रह पा रही हैं या जिनके माता-पिता या बच्चों को गंभीर बीमारी है वह अपने परिवार के साथ नहीं रह पा रही हैं. ऐसी अनेक विसंगतियां थीं, ऐसे तमाम अध्यापकगण हमारे जनप्रतिनिधियों के पास आते थे और उनसे निवेदन करते थे, सरकार में मंत्री होने के नाते वह हमारे पास भी आते थे कि हमारा संविलियन कर दिया जाये और हमें हमारे परिवार के साथ भेज दिया जाये और हमारा संविलियन कर दिया जाये. यदि किसी के परिवार में कोई दुर्घटना हो जाती थी और उसके परिवार का काई प्रिय चला जाता है और उसका वहां पर रहना मुश्किल होता था. शासन से बार-बार निवेदन करने के बाद वह अध्यापक बे-मन से पढ़ाते थे, आज उनको हमारी सरकार एक बहुत बड़ी राहत देने जा रही है. सदन के सभी सदस्यों की भी चिंता होती थी कि हमारे जो वरिष्ठ अध्यापक, सहायक अध्यापक और अध्यापक हैं, जो बीमार हैं, परित्याक्ता बहनें हैं या कोई गंभीर रोग से पीडि़त हैं अब उनको बिना किसी परेशानी के, बिना किसी विधायक या मंत्री से निवेदन किये और न ही उनको कोई आवेदन देना है, इतनी क्रिस्टल, क्लीयर संविलियन की नीति हमारी सरकार ने लागू की है, उसकी जानकारी मैं आपके माध्यम से सदन को देना चाहता हूं-
अध्यापक संवर्ग के पुरूष अध्यापकों की संविलियन नीति नहीं होने से उन्हें अपने पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने में परेशानी होती थी. उनकी कठिनाई को देखते हुए मंत्रि-परिषद द्वारा निर्णय लिया गया है कि पुरूष अध्यापकों को भी अन्तर्निकाय ऑनलाईन संविलियन नीति में शामिल किया जायेगा. उनको अपने स्कूल से डायसकोड भरकर ऑनलॉइन आवेदन करना है. किसी नेता को आवेदन नहीं देना है.
इस नीति में स्वयं अथवा परिवार के सदस्य की गंभीर बीमारी से पीडि़त, विवाह के कारण पति के निवास अथवा कार्यस्थान पर संविलियन हेतु इच्छुक महिला अध्यापक, नि:शक्त कोटे के अंतर्गत नियुक्त महिला एवं पुरूष अध्यापक, विधवा अथवा परित्यक्ता महिला अध्यापक, गैर आदिवासी क्षेत्र से आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में जाना चाहते हैं, नगरीय क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में जाना चाहते हैं, संविलियन हेतु इच्छुक महिला एवं पुरूष अध्यापक इसके अतिरिक्त कार्य निष्पादन एवं वरिष्ठता को अंतर्निकाय संविलियन में प्राथमिकता दी जायेगी. संविलियन के इच्छुक अध्यापकों को 20 स्थान अध्यापकों से ऑनलाईन मांगे जायेंगे. उन 20 स्थानों में से जहां भी जगह खाली होगी उनकी वरिष्ठता को देखते हुए स्वयमेव ही उनका स्थानांतरण कम्प्यूटर के माध्यम से ही हो जाएगा. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदय, मैं सदन को बताना चाहता हूं कि इस नीति को लागू करने पर अंतर्निकाय संविलियन की संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाईन होने से पूर्ण पारदर्शिता के साथ निर्धारित मापदंड के अनुसार महिला एवं पुरूष अध्यापकों को अंतर्निकाय संविलियन का लाभ प्राप्त हो सकेगा. अंतर्निकाय संविलियन की संपूर्ण प्रकिया, यथा रिक्तियों का प्रदर्शन, अभिलेखों का सत्यापन, अनुमति जारी करने की समस्त कार्यवाही ऑनलाईन प्रक्रिया के द्वारा समय सारणी के अनुसार सम्पन्न होगी. आवेदन की प्रक्रिया 1 अप्रैल से 30 अप्रैल 2017 तक रहेगी. अध्यापकगण एक माह तक ऑनलाईन आवेदन कर सकते हैं. पूर्व नियमों के अनुसार अंतर्निकायों में अनापत्ति प्राप्त नहीं होने पर अध्यापक स्थानांतरित नहीं किए जाते थे. इस समस्या का उपाय हमारे द्वारा यह किया गया है कि हम एक माह तक इंतजार करेंगे. किसी अन्य निकाय के अनापत्ति प्रमाण पत्र का हम केवल एक माह तक इंतजार करेंगे. यदि एक माह में निकाय द्वारा किसी कारण से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया गया तो सरकार यह मानेगी कि निकाय को कोई आपत्ति है ही नहीं और अध्यापक को स्वमेव अनुमति प्राप्त हो जायेगी. हमारे द्वारा 1 मई से 30 मई 2017 तक अनापत्तियां प्रदान कर दी जायेंगी. अंतिम सूची का प्रकाशन 1 जून से 15 जून 2017 तक कर दिया जावेगा. संविलियन की संपूर्ण प्रक्रिया 16 जून से 30 जून 2017 तक पूर्ण कर ली जायेगी. अंतर्निकाय ऑनलाईन संविलियन की इस नीति से महिला अध्यापक, नि:शक्त परिवार आधारित अध्यापकों के अलावा पुरूष अध्यापकों को भी अंतर्निकाय संविलियन में लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि इससे सरकार की कर्मचारी हितैषी, महिला हितैषी एवं परिवार हितैषी छवि को अतिरिक्त बल प्राप्त होगा. यह जानकारी आपके माध्यम से मैं सदन को देना चाहता था. धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी एवं शिक्षा मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. पिछले 21 वर्षों से हमारे अध्यापक साथी विशेषकर पुरूष अध्यापक इस संविलियन की सुविधा को चाह रहे थे. मैं एक और विनम्र आग्रह शिक्षा मंत्री जी से करना चाहता हूं कि महिलाओं के लिए पूर्व में यह सुविधा थी कि 2 शिक्षक प्राइमरी स्कूल में और 3 शिक्षक मीडिल स्कूल में हों और यदि इससे अधिक शिक्षक होंगे तो ही अनापत्ति प्राप्त होती थी. यदि किसी स्कूल में शिक्षक रिक्त पद पर स्थानांतरित होकर जा रहा है तो वर्तमान में वह जिस स्कूल में कार्यरत है, वहां भी तो पद रिक्त हो ही जायेगा. अनापत्ति के इस बंधन को हटाया जाए.
कुंवर विजय शाह- विधायक जी से निवेदन है कि अभी विस्तार में न जायें. कई लोगों को सरकार की इस नीति का लाभ मिलेगा. आप अध्यापक संवर्ग से ही आए हैं, हम आपका आदर करते हैं. इस विषय में विस्तार से बाद में चर्चा कर ली जायेगी.
श्री मुरलीधर पाटीदार- हमारे शिक्षा मंत्री जी बहुत जांबाज है. मेरे दो बिंदु और रह गए हैं. मैं उनका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाईये. मंत्री जी के वक्तव्य पर चर्चा नहीं होती है.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा अंतर्निकाय संविलियन की ऑनलाईन प्रक्रिया पर जो वक्तव्य दिया गया है, इस पर मेरा सुझाव है कि गैर आदिवासी क्षेत्र से आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र, नगरीय क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में संविलियन हेतु इच्छुक महिला एवं पुरूष अध्यापकों तक तो ठीक है. लेकिन ऐसा न हो जाए कि ग्रामीण क्षेत्रों से और विशेषकर आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में अध्यापकों का संविलियन करना आप शुरू मत कर दीजिएगा.
कुंवर विजय शाह-- नेता प्रतिपक्ष जी आपने मेरा वक्तव्य ठीक से पढ़ा ही नहीं अगर आप पढ़ेंगे तो उसमें कहीं भी इस बात का हवाला नहीं है कि हम गांव के टीचर को शहर भेज रहे हैं. हम शहर के टीचर को गांव भेजेंगे, गांव के टीचर को शहर में नहीं.
श्री बाला बच्चन -- मेरा कहना यह है कि आप यह करना शुरू नहीं कर देना.
कुंवर विजय शाह-- आप चिन्ता मत कीजिए.
श्री बाला बच्चन -- उसका शिक्षा जगत पर और बड़ा असर आएगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपके वक्तव्य को किसी ने नहीं पढ़ा मंत्री जी पहली बार सदन में आ रहा है.
कुंवर विजय शाह-- मेरा माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से कहना है कि अच्छी बातों के लिए धन्यवाद दें. कुछ कमियां होंगी तो मिलकर दूर करेंगे.
श्री बाला बच्चन-- हम धन्यवाद दे ही रहे हैं लेकिन यह ध्यान रखा जाए कि रूरल एरिया से शहर में करना शुरु न कर दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपका सुझाव बहुत अच्छा है.
श्री बाला बच्चन-- धन्यवाद.
12.51 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 (क्रमांक 1 सन् 2017) का पुर:स्थापन
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री, (श्रीमती माया सिंह) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
श्रीमती माया सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करती हूं.
12.52 बजे.
राज्यपाल के आभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा
उपाध्यक्ष महोदय -- अब सुश्री, उषा ठाकुर सदस्य, कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव के संबंध में अपना भाषण प्रारम्भ करेंगी.
सुश्री उषा ठाकुर (इन्दौर-3) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी के पितृपुरुष परमश्रद्धेय दीनदयाल जी का यह शताब्दी वर्ष है. जिसे हम गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने जा रहे हैं. मैं राज्यपाल जी के कृतज्ञता ज्ञापन पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहती हूं. अन्त्योदय और मानव एकात्मवाद दीनदयाल जी के यह दो सर्वाधिक प्रिय सिद्धान्त थे. इन दोनों सिद्धान्तों को उन्होंने वेद की पुनीत व्यवस्थाओं से ही लिया था. माननीय दीनदयाल जी इस बात को जानते थे कि एक न एक दिन यह विचारधारा सफलता के चरमोत्कर्ष को प्राप्त करेगी लेकिन उनकी अपेक्षा थी कि जब भी हमारे लोग सत्ता में पहुंचे, सत्ता के अहंकार भाव से मुक्त कर्मयोगी की तरह जनसेवा में जुट जाएं. मध्यप्रदेश के लोकनायक भाई शिवराज जी ने दीनदयाल जी के इन दोनों सिद्धांतों को अपनी रग-रग में समाहित किया है और व्यावहारिक धरातल पर उन्हें उतारने के लिए वह प्रण प्राण से जुटे हैं. अहर्निश 18 घंटे कार्य करने का ही यह सद्परिणाम है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उन्होंने सैकड़ों कल्याणकारी योजनाएं बनाईं जो समाज परिवर्तन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखती हैं. गुरुवर नानक जी की पंक्ति याद आती है कि-
''शूरा सो पहचानिए, जो लड़े दीन के हेत''
''पुर्जा- पुर्जा कट मरे, कबहु न छोड़े खेत''
सच्चा शूरवीर वही है जो दलित पीडि़त शोषित जन की सेवा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सम्पूर्ण राष्ट्र इस बात का साक्षी है कि मध्यप्रदेश में सर्वप्रथम लोकतंत्र की सच्ची परिभाषा जनता का जनता के लिए, जनता द्वारा शासन को परिभाषित किया. व्यावहारिक धरातल पर हम सब जानते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने सभी मत, पंत, वर्ग की पंचायतें अपने आवास पर आहूत कीं. उन्हीं से पूछा की तुम्हारे सर्वांगीण विकास के लिए हम क्या करें और उन्हीं के निर्देशों, उन्हीं के सुझावों के मुताबिक जनकल्याणकारी योजनाओं का निर्माण किया. उपाध्यक्ष जी सिर्फ निर्माण ही नहीं किया उसका समुचित लाभ जन-जन तक पहुंचे इस बात की भी पुख्ता व्यवस्था की है. माननीय उपाध्यक्ष जी हमने ग्रामोदय, नगरोदय अभियान के माध्यम से तीन चरणों में इस व्यवस्था को जुटाने की कोशिश की. 5 प्रशासनिक लोगों की टोली एन-1 से एन-5 तक सभी विधानसभावार, वार्डवार इन हितग्राहियों को चिह्नित करने में लगी हुई है. वास्तविक हितग्राही जो चिह्नित होंगे उन्हें लाभ भी सुनिश्चित कराया जाए, यह टोली का संकल्प है.
उपाध्यक्ष महोदय, इस नगरोदय अभियान में हमारी विधान सभा में समाजसेवी भाई-बहनों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने भी प्रशासनिक टोली के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर घर तक पहुंचने का संकल्प किया. उन 15 दिनों का लाभ हमने इस प्रकार उठाया कि एक दिन में दो बूथों पर जाते थे और प्रत्येक व्यक्ति से मिलते थे. पुरजोर कोशिश की है कि कोई भी अभावग्रस्त व्यक्ति, कोई भी हितग्राही जो पात्रता रखता है वह इन योजनाओं से वंचित न रहे.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की इन लोक कल्याणकारी योजनाओं से प्रेरित होकर केन्द्र की सरकार भी हितग्राही योजनाओं के निर्माण में जुटी और उसने हितग्राही निर्माण योजनाओं की एक लंबी श्रृंखला खड़ी कर दी. माननीय प्रधानमंत्री जी ने जन-धन योजना, मुद्रा योजना, फसल-बीमा, जीवन-बीमा, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टेंड-अप इंडिया, कौशल विकास उन्नयन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की चिंता की. इन सबसे बढ़कर उनकी फिक्र यह थी कि इस देश के अन्नदाता की आमदनी अगले पांच वर्षों में कैसे दोगुनी हो जाए. हमें कहते हुए गर्व है, प्रसन्नता है कि इसमें भी मध्यप्रदेश ने बाजी मारी. मध्यप्रदेश पहला प्रदेश है जिसने पांच साल में कैसे किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाए इसका रोडमैप तैयार करके उस पर विधिवत् काम शुरु कर दिया.
उपाध्यक्ष महोदय, डिजिटल इकोनॉमी में हम अग्रणी हैं. कैशलेस ट्रांजेक्शन में मध्यप्रदेश 70 प्रतिशत तक पहुंचा. हमारे राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 16.6 प्रतिशत है जो हमारी समृद्धि को दर्शाता है.
उपाध्यक्ष महोदय, संस्कृति संस्कारों की जननी होती है और किसी भी राष्ट्र की अस्मिता, आन-बान और शान होती है. संस्कृति के दो पहलू होते हैं भौतिक और अभौतिक. हमें यह कहते हुए गर्व है कि इन दोनों ही संस्कृतियों के चरम को हमने सफलतापूर्वक छूने की पुरज़ोर कोशिश की है. यदि हम भौतिक संस्कृति में अधोसंरचना की बात करें तो हम पाते हैं कि सड़कें जो नितांत आवश्यक हैं, जो विकास की धमनी कही जाती हैं. कुशल प्रशासक शेर शाह शूरी ने ग्रांट ट्रंक रोड बनाते वक्त यह बात कही थी कि यदि किसी राज्य को विकास के चरम को छूना है तो सड़कें उसकी अनिवार्य शर्त होंगी. सड़कों के मामले में हमने 3025 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग स्वीकृत कर दिए. 138 बड़े पुल बनाए हैं. 1502 किलोमीटर जिला मार्गों के उन्नयन की भी चिंता की है. प्रधानमंत्री सड़क योजना में 787 बसाहटों को मुख्य मार्ग से जोड़ने की जहां चिंता हुई जो शेष बचीं उनके लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से 8389 किलोमीटर की कार्य योजना बना डाली.
उपाध्यक्ष महोदय, सबके लिए आवास यह जीवन की मूलभूत आवश्यकता है. हमने शहरी क्षेत्रों में 5 लाख और ग्रामीण क्षेत्रों में 15 लाख आवास बनाने का लक्ष्य रखा है.
उपाध्यक्ष महोदय, ऊर्जा उन्नति का सशक्त मार्ग है उसमें भी हम स्वावलंबी हो गए और 17400 मेगावॉट उपलब्धता हमारी है. हमने नवाचार भी ऊर्जा के क्षेत्र में किए हैं और विश्व की सबसे बड़ी सौर इकाई रीवा में स्थापित की. जिसकी लागत 4500 करोड़ है जो कि 750 मेगावॉट बिजली हमें उपलब्ध कराएगी.
उपाध्यक्ष महोदय, उजाला योजना के माध्यम से एक करोड़ एलईडी बल्ब का वितरण करके हमने 1825 मिलियन यूनिट्स बिजली की बचत का कीर्तिमान स्थापित किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, कृषि के संदर्भ में देखें तो हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. इस राष्ट्र की आत्मा गांवों में ही बसती है. कृषि के लिए हमारा अन्नदाता अहर्निश मेहनत करता है, वह सब विपरीत मौसमों को झेलते हुए संपूर्ण मानवता के पालन-पोषण के लिए फसल उत्पादित करता है. मध्यप्रदेश की सरकार किसानों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती है, उनका अभिनंदन करती है. उनकी अथक मेहनत और उनके परिश्रम ने हमें चार बार "कृषि कर्मण पुरस्कार" से पुरस्कृत करवाया है. माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं दावे से कह सकती हूँ कि पाँचवा "कृषि कर्मण पुरस्कार" भी हमें ही मिलने वाला है (मेजों की थपथपाहट) क्योंकि दलहन, तिलहन, सोयाबीन, चना, मसूर, लहसून, टमाटर, इन सभी में हम देश में प्रथम स्थान पर हैं.
माननीय उपाध्यक्ष जी, कृषि में नवाचारों को माननीय मुख्यमंत्री जी जोड़ने के लिए कटिबद्ध हैं. उन्होंने कृषि वानिकी, कृषि उद्यानिकी, के प्रशिक्षण प्रारंभ किए और प्रदेश की 21 मंडियों को राष्ट्रीय मंडी से जोड़ने का क्रांतिकारी काम किया. आगामी वर्षों में 30 मंडियों को भी जोड़ दिया जाएगा. सभी जिला मंडियों पर आधुनिकतम प्लेटफार्म निर्मित किए जा रहे हैं. जिनमें क्लिनिंग, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, कोल्ड-स्टोरेज, जैसी सुविधाएँ मिलेंगी ताकि किसान अपनी मेहनत का सही-सही दाम प्राप्त कर सके.
माननीय उपाध्यक्ष जी, जब हम सिंचाई की बात करते हैं तो हमारा मस्तक गर्व से उन्नत हो जाता है. हमने इस वर्ष चालीस लाख हैक्टेयर का लक्ष्य तय किया है और सिर्फ लक्ष्य ही तय नहीं किया बल्कि उसके लिए 18 वृहद् योजनाएँ, 36 मध्यम, और 460 लघु परियोजनाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश की इस पावन भूमि को हम शस्य श्यामला बनाएँगे, धानी चुनर उड़ाएँगे.
माननीय उपाध्यक्ष जी, भौतिक संस्कृति के बाद यदि हम अभौतिक संस्कृति की बात करें तो हमें अति प्रसन्नता होती है कि हमारे प्रदेश में ढाई सौ से तीन सौ कला और संस्कृति से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. लोक नृत्य, लोक नाट्य, क्रांतिकारी, साहित्यकार, समाजसेवी, इन सबके अभिनंदनों में संत-महन्त, इनके अभिनंदनों में हम अग्रणी हैं और यह सब उपक्रम हम इसीलिए करते हैं कि हमारी आगामी पीढ़ी इनके महत्व को समझे, इनके गौरवशाली जीवन को अपने जीवन में समाहित करते हुए समाज सेवा के लिए प्रवृत्त हो.
माननीय उपाध्यक्ष जी, शौर्य स्मारक ने तो हमारे गौरव को विश्ववंदित किया. आजादी के बाद पहली बार देश में बनने वाला यह सैनिक शहीदों को समर्पित स्मारक है. उपाध्यक्ष जी, जब कोई सैनिक सीमा पर खड़ा अपने सर्वस्व न्यौछावर का भाव लाता है तो निःसंदेह मैं मानती हूँ कि उनकी प्रेरणा, हमारे क्रांतिकारी, हमारे आजादी दिलाने वाले, महानायक ही होते होंगे और वह इसी भाव से उत्प्रेरित होकर अपना सर्वस्व न्यौछावर करता होगा--
कि गर देश हित मरना पड़े, मुझको सहस्त्रों बार भी,
तो भी न इस कष्ट को निज ध्यान में लाऊँ कभी,
ए ईश भारतवर्ष में शत बार मेरा जन्म हो.
कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो.
मरते रौशन बिस्मिल लहरी, अश्फाक-अत्याचार से.
होंगे पैदा सैकड़ों इनके रुधिर की धार से.
इनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देश का.
तब नाश होगा सर्वदा, दुःख-शोक के लवलेश का. (मेजों की थपथपाहट)
1.04 बजे
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
माननीय अध्यक्ष जी, यह उत्कट भाव ही शहीदों को सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए प्रेरित करता होगा कि मेरे देश के नागरिक सुख-शांति से अपने घरों में जीवन जी सकें. माननीय अध्यक्ष जी, शौर्य स्मारक के बाद जो हमारी बड़ी उपलब्धि है, जो हमारे बच्चों में, आने वाली पीढ़ी में, देश भक्ति के भाव को प्रसारित करेगी वह अभियान है. आजादी सत्तर, "जरा याद करो कुर्बानी", इस अभियान ने हमारी युवा पीढ़ी को, हमारे जन-जन को, राष्ट्रनायकों के प्रति समर्पित सम्मान के भाव से जागृत किया है. माननीय अध्यक्ष जी, हमने इसमें एक नया प्रयोग अपनी विधान सभा में किया. हमने एक क्रांति रथ बनाया था और वह क्रांति रथ 108 शिक्षण संस्थाओं में घूमा.हर विद्यालय में भारतमाता की आरती, संपूर्ण वन्दे मातरम् और जन-गण-मन शुद्धतापूर्वक गाया गया. विद्यार्थियों में क्रांतिकारियों के प्रति सम्मान का भाव जागृत हो इसीलिये तीन प्रकार की प्रतियोगितायें आयोजित की गई. पहली क्रांतिकारियों के चित्र को पहचानो और उन पर कथा लिखो. दूसरा कोई देशभक्ति की कविता कंठस्थ करके सुनाओ. तीसरा क्रांतिकारियों का चित्र बनाओ. निस्संदेह ये प्रतियोगिताएं उनकी चित्त में राष्ट्रभक्ति का पावन भाव निर्मित करेंगी. 950 विजेताओं को इसमें हमने पुरस्कृत भी किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रभक्ति, दिव्यांगों के लिये भी, ऐसी चिंता करने वाले अति संवेदनशील मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी हैं. फिल्म समारोह के माध्यम से देशभक्ति की फिल्में दिव्यांग बच्चों को दिखाई गई. उनमें सुभाषचंद्र बोस, वीर सावरकर, महात्मा गाँधी, भगत सिंह पर बनी श्रेष्ठ फिल्मों के प्रदर्शन ने उन बच्चों में उत्साह का भाव संचारित किया. उनकी प्रसन्नता और उत्साह देखते ही बनता था. अध्यक्ष जी, लगता है सचमुच कोई व्यक्ति इस मातृभूमि पर जन्म लेकर देशभक्ति से वंचित रह ही नहीं सकता. दिव्यांगों के प्रति हमारे मुख्यमंत्री बहुत ज्यादा चिंतित हैं उन्होंने दिव्यांग दंपत्तियों को कन्यादान में मिलने वाली सुविधाओं के अलावा 50 हजार का अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया है. अस्थिबाधित 230 और 138 दृष्टिबाधित दिव्यांगों को आई.टी.आई. का प्रशिक्षण हमने दिया. रोजगार मेला आयोजित करके 400 को रोजगार भी दिलवा दिया, यह आपने आप में एक कीर्तिमान है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम युवाओं की बात करें तो चिंता होती है. क्योंकि यह देश की शक्ति हैं, सामर्थ्य हैं, यही तो देश का भविष्य और भावी पीढ़ी हैं इसका संस्कारित, अनुशासित,शीलवान्,चरित्रवान होना आवश्यक है क्योंकि जब तक वह अपनी इन अच्छी बातों को व्यक्तित्व में समाहित नहीं करेगा तब तक अपनी संपूर्ण क्षमताओं को मानव सेवा के लिए समर्पित नहीं कर पाएगा. युवाओं के लिए हमारे मुख्यमंत्रीजी ने पहली बार प्लेसमेंट पोर्टल का निर्माण किया जो युवा और उद्योग के बीच संवाद की भूमिका निभाएंगे. युवा यदि खाली रहा तो किसी ने कहा है "Empty mind is devils workshop" उसकी ऊर्जा सकारात्मक दिशा में जाए, राष्ट्र सेवा की दिशा में जाए, मानव सेवा की दिशा में जाए यह हमारा प्रण है, यह हमारी प्रतिज्ञा है. मैं युवाओं को आह्वान करते हुए उनके सम्मान में कहना चाहती हूं कि..
" तुम युवा हो, काल को भी काल-से लगते रहे हो, देश का सौभाग्य अपने खून से लिखते रहे हो, ज्वाल की, भूचाल की साकार परिभाषा तुम्हीं हो, देश की समृद्धि की सबसे प्रबल आशा तुम्हीं हो,तुम अगर जो ठान लोगे, युग को नई तस्वीर दोगे, गर्जना से शत्रुओं के तुम कलेजे चीर दोगे."
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे युवाओं को दीनदयाल अंत्योदय आजीविका मिशन के माध्यम से 5 लाख 46 हजार को रोजगार देने की व्यवस्था हुई.माननीय मुख्यमंत्री जी की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, आर्थिक कल्याण योजना इसी दिशा में लगातार काम कर रही है. कक्षा 12वीं में 85 प्रतिशत अंक लाने वाले बच्चों की उच्च शिक्षा की सारी चिंता शासन ही करने वाला है. साथ ही 60 प्रतिशत अंक यदि हमारी अनाथ बेटियाँ लाएंगी तो उनकी भी चिंता शासन करेगा और 85 प्रतिशत अंक वाले बच्चों को राशि देने के स्थान पर लेपटॉप इस बार से दिया जाएगा ऐसा हमने तय किया है. शैक्षणिक जगत् में बच्चों को कोई कमी ना रहे इसीलिए आज तक 6 लाख साइकिलें वितरित हुईं, 95 लाख पाठ्य-पुस्तकें बंटी, 72 लाख गणवेश बंटे, 17,896 लेपटॉप और 1 लाख स्मार्टफोन बच्चों को शिक्षा में प्रेरित करने के लिए हमने दिये. ताकि वह सब बातों से निश्चिंत होकर और अपना ध्यान सिर्फ पढ़ाई की ओर केन्द्रित करे और अपने इस मानव जीवन को संवारे. पढ़ाई में गुणात्मक विकास हो, इसलिए संभागीय स्तर पर एक-एक उत्कृष्ट विद्यालय, महाविद्यालय स्थापित है. व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु आई.टी.आई. की भी व्यवस्था की गई है. सब-इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज में स्मॉर्ट क्लासेस की व्यवस्था की जा रही है. शिक्षा का नवाचार हमने प्रारम्भ किया, व्यावसायिक पाठ्यक्रम एवं जल-प्रबन्धन जैसे व्यावहारिक विषयों में स्नातक कोर्स प्रारम्भ किया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सुपर-100 तो अपने आप में अनूठा है क्योंकि इसमें बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ एम.बी.ए., सी.ए., आई.आई.टी., एन.डी.ए. जैसे विषयों की भी कोचिंग दी जा रही है ताकि हम मिलिट्री के 15,000 खाली पड़े पदों को भरवा सकें. हमने हमारी विधान सभा में फोर्स नामक संस्था का गठन किया और उसके माध्यम से मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि इस बार 27 युवक मिलिट्री में भर्ती हुए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार, हमारे मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता देखिए कि वे केवल योग्य बच्चों के लिए ही चिंतित नहीं हैं बल्कि उन्होंने अयोग्य बच्चों की भी फिक्र की, क्योंकि वे जानते हैं कि एक असफलता उन्हें कुंठा, मानसिक अवसाद से ग्रस्त कर सकती है. कई बार बच्चे निराश होकर अपना जीवन ही समाप्त कर लेते थे, पर हमने रूक जाना नहीं जैसा अभिनव प्रयोग प्रारम्भ किया और यह बताते हुए मुझे हर्ष होता है कि फिर से 2 लाख बच्चों को परीक्षा का मौका मिला, उसमें से 61 हजार बच्चे सफल भी हुए. मनुष्य जीवन अनमोल है. इसकी महत्ता समझते हुए इस पावन अभियान ने बच्चों के जीवन में उत्साह को भरा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मिल बांचें मध्यप्रदेश जैसा अभिनव प्रयोग वंदनीय है क्योंकि यह शिक्षा जगत में शिक्षा के गुणात्मक विकास को बढ़ाएगा. यदि समाज की सहभागिता शासकीय विद्यालयों तक पहुंचेगी तो निस्संदेह शिक्षा का स्तर सुधरेगा, गुणात्मक विकास में चार चॉंद लगेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के ज्ञापन में हम यदि खेलों की बात करें, तो हम देखते हैं कि राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर हमने सैकड़ों पुरस्कार प्राप्त किए हैं और हमारी महिला हॉकी प्रेसीडेंट अवॉर्ड को प्राप्त कर चुकी है. सामाजिक समरसता के विषय में बात करते हुए निवेदन करना चाहती हॅूं क्योंकि सामाजिक समरसता किसी भी राष्ट्र के निर्माण का एक अनिवार्य हिस्सा है. अन्तर्राष्ट्रीय षडयंत्र अपनी कुत्सित माध्यमों से इस देश की एकता, अखण्डता को छिन्न-भिन्न कर देना चाहता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के भाई-बहनों के उत्थान हेतु सैकड़ों योजनाएं बनाकर उन्हें भी राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया है. दीनदयाल वनांचल योजना ने उनके लिए शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा की व्यवस्था की. हम जानते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी चिकित्सा स्वेच्छानुदान से 2 लाख तक की सेवाएं उन्हें प्रदान करते हैं और 15 जनवरी से 27 फरवरी तक तो एक अनूठा अभियान पूरे संपूर्ण मध्यप्रदेश के हर जिले में चलाया गया. जितने भी हितग्राही वहां आए, जो भी रोगी थे वे चाहे बीपीएल के हों, एपीएल के हों या सामान्य जन हों उनका परीक्षण बहुत ही धैर्यपूर्वक किया गया. उनकी बीमारियों को चिन्ह्ति करते हुए समूल उपचार की व्यवस्था जुटाई गई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चिकित्सा के क्षेत्र में जो क्रांतिकारी कदम मध्यप्रदेश की सरकार ने उठाया, उसके संदर्भ में मैं धन्यवाद देना चाहती हॅूं क्योंकि प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र, जो चिकित्सक से मुक्त थे उन्हें यूनानी चिकित्सक और आयुर्वेदाचार्यों के माध्यम से भरने की जो कोशिश की जा रही है, वह वंदनीय है. इसके माध्यम से हम जन-जन को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रामाणिकता से पहुंचा पाएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आप तो जानते ही हैं कि यूनानी चिकित्सा और आयुर्वेदिक चिकित्सा हमारी अति प्राचीन पद्धतियॉं हैं जो रोगों को जड़-मूल से समाप्त करने की हिम्मत और ताकत रखती हैं.माननीय अध्यक्ष जी, यदि हम इतिहास के गौरवशाली पन्नों को पलटें तो हमें लग जाता है कि सुश्रुत और चरक जैसे चिकित्सकों ने अति प्राचीनकाल में प्लास्टिक सर्जरी, हृदय प्रत्यारोपण भी किया और बहुत ही महत्वपूर्ण काम उस समय भी किए जब तथाकथित विकसित कहे जाने वाले अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देश बुखार आ जाने पर रक्त बहाकर ही तापमान नियंत्रित कर पाते थे. ऐसी चिकित्सा सुविधाओं को, ऐसी चिकित्सा पद्धतियों को जो मान मध्यप्रदेश की सरकार ने दिया है, मैं इसके लिए उनका कोटि-कोटि अभिनन्दन करती हूँ.
माननीय अध्यक्ष जी, पशुधन संरक्षण में भी हम अग्रणी हैं. गौ-संर्वधन के लिए हमने आचार्य विद्यासागर योजना प्रारंभ की. गौ-पालकों को हम पाँच गाय देंगे और 10 लाख रुपये तक का ऋण भी उन्हें उपलब्ध कराएंगे. हम जानते हैं कि गौदुग्ध उत्पादन में हम राष्ट्र में सर्वाधिक हैं, 12 प्रतिशत से कुछ अधिक दर इसमें सुनिश्चित हुई है. गायों के लिए वेदों ने कह दिया '' गावो विश्वस्य मातर:, मातर: सर्वभूतानाम्, गावो सर्वसुखप्रदा'' हमने उसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन किए हैं. वह भारतीय अर्थतंत्र की रीढ़ है. उसका बचाया जाना नितांत आवश्यक है. हमें गर्व है कि मध्यप्रदेश ऐसा पहला प्रदेश है जहां गौवध पर प्रतिबंध लगा हुआ है क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी अपनी माताओं ने तो हमें दो साल, ढाई साल, तीन साल दूध पिलाया होगा लेकिन गौमाता तो संपूर्ण मानवता को आजीवन दूध पिलाती है. ऐसे जीव का संरक्षण, संवर्धन हमारे प्राथमिक कार्यों में शामिल होना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष जी, इस मौके पर हिन्दी की महत्ता पर बात किए बिना भी मैं नहीं रह सकती क्योंकि हम जानते हैं कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान ने पहली बार हिंदी में प्रश्न-पत्र छपवाया है और हिंदी के माध्यम से विद्यार्थी परीक्षा दे पाएंगे. माननीय अध्यक्ष जी, श्रद्धेय अटल जी ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने राष्ट्र संघ के मंच पर हिंदी में अपने उद्गार प्रकट किए थे. माननीय शिवराज सिंह जी भी उनके सच्चे अनुगामी हैं, उनके सच्चे उत्तराधिकारी हैं, इसीलिए उन्होंने दसवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन मध्यप्रदेश में आयोजित किया था. इस सम्मेलन में जो कुछ तय हुआ, वह हम सबके सामने है कि मध्यप्रदेश का हर विभाग हिंदी में ही काम करेगा, उसी को सर्वोच्च स्थान देगा. उच्च न्यायालय के निर्णय तक हिंदी में प्रकाशित किए जाएंगे ताकि व्यक्ति अपने को मिले हुए निर्णय को खुद पढ़ सके नहीं तो जब वह अंग्रेजी के निर्णयों को लेकर पढ़वाने पहुँचता है तो उसे ढाई से तीन हजार शुल्क लग जाता था. राष्ट्रभाषा का सम्मान राष्ट्र सम्मान की अनिवार्य आवश्यकता है. हम विश्व पर दर्शन डालें तो हम देखते हैं कि विश्व की पाँचों महाशक्तियाँ फ्रांस, रूस, चीन, जापान और ब्रिटेन सब अपनी राष्ट्रभाषा का उपयोग करते हुए ही विश्व की सर्वोच्च शक्ति बने हैं. हमें भी प्रण करना ही होगा कि राष्ट्रभाषा के मान-सम्मान में हम अपना सर्वस्व न्यौछावर करेंगे. इस मौके पर मुझे अनायास याद आती हैं अटल जी की वे पंक्तियाँ -
राष्ट्र संघ के मंच से, हिंदी का जयकार,
हिंदी का जयकार, हिंदी हिंदी में बोला,
देख स्वभाषा-प्रेम, विश्व अचरज से डोला,
कह कैदी कविराय, मेम की माया टूटी,
भारत माता धन्य, स्नेह की सरिता फूटी,
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय का यह अपमान है. राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा चल रही है और न माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में हैं, न अधिकारी दीर्घा में अधिकारी लोग उपस्थित हैं. लगता है कि सरकार गंभीर नहीं है.
सुश्री उषा ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष जी, हिंदी की महत्ता को स्थापित करने में हमें निरंतर प्रयासरत रहना ही चाहिए. इस मौके पर महिला सशक्तिकरण की बात किए बिना भी नहीं रहा जा सकता. हम सब जानते हैं कि भारतीय दर्शन इस बात की गवाही देता है कि यदि कोई मनुष्य मातृ ऋण, पितृ ऋण, राष्ट्र ऋण से उऋण नहीं होता तो परमपिता परमात्मा उसे दोबारा मनुष्य योनि में इस धरती पर कदापि नहीं भेजेंगे. मैं गर्व से कह सकती हूं कि अनेक कल्याणकारी योजनाएं मातृशक्ति के सर्वांगीण विकास हेतु मुख्यमंत्री जी द्वारा बनायी गई हैं और वह मातृ ऋण से उऋण हुए. यदि हम सब सदस्यगण मातृ ऋण से उऋण होना चाहते हैं तो उसका एक ही उपाय है मातृशक्ति के सम्मान में बनायी गई इन कल्याणकारी योजनाओं का शतप्रतिशत लाभ हम अपने अपने क्षेत्रों में अवश्य ही दिलायें.
अध्यक्ष महोदय, हमारी आंगनबाड़ियां जन जागरण का केन्द्र बनी हुई हैं. इसीलिए 4 हजार से अधिक नई आंगनबाड़ियां खोलने जा रहे हैं. 600 से अधिक मिनी आंगनबाड़ी खोलेंगे. यह आंगनबाड़ियां अपने क्षेत्र में बहनों को रक्ताल्पता ( खून की कमी ) से मुक्त करने के प्रयास में निरंतर लगी हुई हैं. हमने लालिमा अभियान चलाया है और लालिमा अभियान के अंतर्गत अपनी विधान सभा की 37 आंगनबाड़ियों को हमने सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए बहनों को यह प्रशिक्षण देना प्रारम्भ किया है कि रक्ताल्पता से यदि उन्हें मुक्त होना है तो उन्हें गुड़, मूंगफली, कच्चा पपिता, कच्चा कैला और सुरजना जैसा उपयोग अपने दैनंदिन आहार में करना चाहिए. हमने सुरजना फली के व्यंजनों की प्रतियोगिता करायी और उसमें पुरस्कार भी दिये हैं, नि:संदेह यह सब कार्य, यह सब प्रतियोगिताएं बहनों को संतुलित आहार की ओर अग्रसर करेंगी और वह रक्ताल्पता जैसे कलंक से मुक्त हो पायेंगी. समाज के श्रेष्ठीजन को कुपोषण के इस आंदोलन में हमने सहयोगी बनाया है.
अध्यक्ष महोदय, हम प्रशंसा की अनुभूति और प्रसन्नता की अनुभूति करते हैं और सरकार की प्रशंसा करते हैं कि इस प्रदेश में 20 लाख लाड़ली लक्ष्मियों को इस योजना का लाभ मिला है और इस वर्ष जो बच्चियां 6वीं में पहुंची हैं उन्हें 2 हजार की छात्रवृत्ति ई-पेमेंट के माध्यम से सीधे उनके खाते में हमने पहुंचा दी है. लाड़ो योजना के माध्यम से हमने बाल विवाहों को रोकने पर सफलता पायी है. 82 हजार बाल विवाह हमने रोके हैं. मातृशक्ति के सम्मान में किये गये यह कार्य मानवता का उपकार हैं, आने वाली पीढ़ी हमें इन पावन बातों के लिए धन्यवाद देने वाली हैं.
अध्यक्ष महोदय, नमामि देवी नर्मदे के साथ ही मैं अपने इस अभिभाषण को समाप्त करना चाहूंगी. हम सब जानते हैं कि नदी बचाओ यह विश्व का सबसे बड़ा आंदोलन बन गया है. जन जन मां नर्मदा की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो गया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह प्रण किया है कि नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर संपूर्ण मध्यप्रदेश में उनके दोनों किनारों पर एक एक किलोमीटर तक फलदार वृक्ष लगाये जायेंगे. सरकारी जमीन पर सरकार और निजी भूमि पर कृषक स्वयं लगायेंगे. उनके जीवन की व्यवस्था की भी चिंता की है जो निजी भूमि पर कृषक लगायेंगे उन्हें 20 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैसा दिया जायेगा, ताकि उनका जीवन सुचारू रूप से तीन वर्ष तक चल सके. तीन वर्ष तक यह व्यवस्था लागू रहेगी और जब पेड़ बड़े होंगे तो वह आमदनी को अपने उपयोग में ला पायेंगे. अध्यक्ष महोदय, हम जानते हैं कि एक फलदार पेड़ अपने नीचे 10 हजार लीटर पानी संचित रखता है, 10 डिग्री तापमान को कम करता है. विश्व तो आज ग्लोबल वार्मिंग और जलवायू परिवर्तन के लिए चिंतित है, सेमिनार ही कर रहा है लेकिन हमने तो उसे व्यावहारिक रूप से धरातल पर उतार कर बता दिया है. नदी बचाओ के इस पावन अभियान में हम नदी के घाटों को अंतिम संस्कार से मुक्त करना चाहते हैं. नदी के किनारों से थोड़ी दूर पर इनकी व्यवस्था होगी. पूजन सामग्री के लिए भी विशेष कुण्ड बनाये जा रहे हैं. माता बहनों के लिए चैंजिंग रूम, घाटों का निर्माण यह सब पावन काम बहुत ही चिंता मुस्तैदी और सक्रियता से किया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष जी नर्मदा क्षिप्रा लिंक के जोड़ने से हमें विश्व ख्याति प्राप्त हुई और इस बार का सिंहस्थ बहुत ही सफलतापूर्वक इसके माध्यम से संपन्न हुआ था. माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि क्षिप्रा के बाद में गंभीर, काली सिंध और पार्वती नदियों को भी इससे जोड़ा जाय तो निहायत आवश्यक हो जाता है कि मॉ नर्मदा में भरपूर पानी हो, वह सदा नीरा रहें वह स्वच्छ और निर्मल बनी रहें, यही हम सबकी चिंता होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, यह पावन प्रयास हमें सफलता दिलायेंगे क्योंकि मां नर्मदा भगवान शिव की कन्या हैं वह उनकी बेटी हैं और दानी शंकर ने उन्हें वरदान दिया है कि नर्मदा तुम्हारे तट का हर कंकर प्राण प्रतिष्ठित शंकर होगा. हम जानते हैं कि जब देवी देवताओं को भी कोई साधना करना हो तो वह नर्मदा के तट पर ही आते हैं. अध्यक्ष महोदय मैं आपसे अनुमति लेकर सदन के सभी सदस्यों से प्रार्थना करती हूं कि आइए, आज हम सम्वेत स्वरों में मां नर्मदा के सम्मान में मां नर्मदा अष्टक का पाठ करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - यह एलाऊ नहीं है. आप अपनी बात समाप्त करें.
सुश्री उषा ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहती हूं और मुख्यमंत्री जी, शिक्षा मंत्री जी और सदन के संपूर्ण सदस्यों से यह प्रार्थना करती हूं कि मां नर्मदा अष्टक, संस्कृत के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाय. हमने 5000 बच्चों को इसे कंठस्थ कराया और इस पर पताका योग भी सिखाया. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का मौका दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, भारत माता की जय!
अध्यक्ष
महोदय - सदन की
कार्यवाही
अपराह्न 3.00 बजे
तक के लिए
स्थगित.
(1.27 बजे से 3.10 बजे तक अन्तराल)
3.10 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह )पीठासीन हुए.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल के अभिभाषण में जो संशोधन प्रस्ताव दिए हैं, उनका मैं समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण में सुशासन लाने और भ्रष्टाचार मिटाने की बात हमेशा पहले या दूसरे पेज पर होती थी लेकिन इस बार मैंने देखा यह पेज 50 पर पैरा 136,137 और 138 पर है. जिसमें कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और महिलाओं पर अपराध प्रमुख हैं. अच्छा किया आपने इन विषयों को बहुत बाद में रखा है क्योंकि कोई उपलब्धि इसमें आपकी है नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में लोकायुक्त नहीं है. आप किसी को लाना नहीं चाहते. भ्रष्टाचार सब तरफ व्याप्त है. कोई फाईल पैसे दिए बिना आगे बढ़ती नहीं है. जिस कर्मचारी के यहां छापा मारो, करोड़ों रुपये मिलते हैं. चपरासी के यहां छापा मारो तो भी करोड़ों रुपये मिलते हैं, क्योंकि साहब चपरासी के थ्रू ही लेते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने पिछली बार विधानसभा में बहुत लंबे-लंबे हाथ करके बोला था कि हम फलां में नंबर एक हैं, हम फलां में नंबर एक हैं आदि आदि. मैं आपको आईना दिखाना चाहता हूं कि आप और किन किन चीजों में नंबर एक हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्रा-- अजय सिंह जी का गुस्सा हम पर क्यों उतार रहे हो. (हंसी)
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- प्रथम प्रहर में मामला बहुत अच्छा था....(हंसी)
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- मुझे गुस्सा आता ही नहीं. (XXX)
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- कल कालूखेड़ा जी प्रदर्शन में गए भी नहीं थे इसलिए कल का बचा स्टॉक यहां निकालेंगे. कल वहां पहुंच भी नहीं पाये थे, जल्दी गिरफ्तारी देकर लौट आये थे.
उपाध्यक्ष महोदय-- महेन्द्र सिंह जी को क्रोध नहीं आता.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- उपाध्यक्ष महोदय, ये भ्रष्टाचार में नंबर दो हैं, शुक्र है नंबर एक पर नहीं है. महाराष्ट्र पहले नंबर पर है, आप महाराष्ट्र के बाद हैं. 2015 में देश में जितने भ्रष्टाचारी पकड़े गए नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट के आर्थिक अपराधों के आंकड़े दे रहा हूं. 2014 में 465 सन् 2015 में 436 कुल 1099 भ्रष्टाचार के मामले पकड़े गए. उसमें से सिर्फ 439 मामलों में पुलिस ने
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
चालान रखा और 340 मामले अभी भी लंबित हैं. 26 मामलों में 44 करोड़ 24 लाख रुपये जब्त हुए. दोषी कर्मचारियों/अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन की अनुमति नहीं देने में भी आप नंबर वन हैं. 320 मामले लंबित हैं. एक भी मामले में जांच पूरी नहीं हुई और एक भी व्यक्ति दंडित नहीं हुआ है. स्वर्णिम मध्यप्रदेश है और आनन्द मंत्रालय आपका है तो आनन्द ही आनन्द है. क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के अलावा आप और कहां कहां नंबर वन हैं वह बताता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, शिशु मृत्यु दर में आप नंबर एक हैं. कु-पोषण से हुई मौत में नंबर एक हैं. एसआरएस(नमूना पंजीकरण प्रणाली) के अनुसार शिशु मृत्यु दर मप्र में 52% है जबकि राष्ट्रीय औसत 40% है. छत्तीसगढ़ में 45, महाराष्ट्र में 25, गुजरात में 37 जबकि आपके यहां 52 है. सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर ! उपाध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग का करोड़ों रुपया खर्च करने और आई.सी.डी.एस. और पी.डी.एस. के बाद भी यह हालत है. मातृ मृत्यु दर में भी आप नंबर एक हैं. स्वर्णिम मध्यप्रदेश के लिये आपने आनंद मंत्रालय क्या इसीलिये बनाया.महिलाओं के विरुद्ध अपराध और दुष्कर्म के मामलों में आपके आंकड़े 4391 हैं इसमें आप नंबर वन हैं. शिशु हत्या के मामलों में भी आप नंबर एक है. संज्ञेय अपराध में 26846 आपके आंकड़े हैं. इसमें आप नंबर दो हैं. शील भंग हमलों के मामलों में,महिलाओं पर हमलों के मामलों में आपका आंकड़ा 8049 है.इसमें आप नंबर दो हैं. यौन अपराध के आंकड़े 12887 हैं इसमें आप नंबर दो हैं. आगजनी के प्रकरण 834,इसमें आप नंबर दो हैं. बच्चों से दुष्कर्म के मामले आपके यहां 1568 हैं इसमें आप देश में नंबर दो हैं. पुलिस हिरासत में मौत के आंकड़े 2016 हैं. आपके नौ महीनों के आंकड़े हैं 3400 रेप,1600 हत्याएं,150 लूट,4500 चोरियां. जबकि पुलिस सभी प्रकरण दर्ज नहीं करती तब भी यह हालत है. रोज 12 बलात्कार और हर महीने 300 रेप की घटनाएं मध्यप्रदेश में होती हैं. कल भोपाल में जेबकतरों ने बस में एक व्यक्ति की हत्या कर दी. एक महिला को अगवा कर गाड़ी में भोपाल राजधानी में घुमाया. पुलिस के विरुद्ध शिकायतों में भी मध्यप्रदेश नंबर वन है. वर्ष 2015 में 1589 पुलिस वालों की शिकायतें थीं उसमें आपने जांच की और 1236 मामलों में शिकायतें सही पाईं. एस.सी.,एस.टी. के विरुद्ध अपराधों भी आप बहुत आगे हैं. मध्यप्रदेश में 14016 केस दर्ज हुए हैं. स्कूल छोड़ने वाली बच्चियों में भी आप प्रथम पांच में हैं. वन भूमि में अवैध कब्जे की घटनाओं में भी आप देश में नंबर एक हैं. शिक्षकों की कमी के मामले में नंबर दो हैं. किराए के शिक्षक स्कूलों में जाते हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में मैंने 5 ऐसे लोगों को पकड़ा है जो 30 हजार रुपये तनख्वाह लेते हैं लेकिन 2 हजार रुपये महीने में किराये का शिक्षक रखते हैं. सांप्रदायिक हिंसा के मामले वर्ष 2014 में 56, 2015 में 86. इसमें 53 प्रतिशत की वृद्धि है. भारतीय राज्य भूख सूचकांक में आप अव्वल हैं. भुखमरी में आपका प्रतिशत 30.9 है. इसमें आप नंबर एक हैं. देश की दर 23 है और झारखण्ड,बिहार,छत्तीसगढ़,गुजरात सबसे हम आगे हैं. इतनी सारी उपलब्धियों के बाद भी आप स्वर्णिम मध्यप्रदेश बोलते हैं और आनंद मंत्रालय में आनंद मनाते हैं. आनंद मंत्रालय बना दिया यह हमारी समझ में नहीं आता है. आपसे निवेदन है कि कृपया एक अवसाद मंत्रालय भी बना दें,जनवेदना मंत्रालय भी बना दें ताकि ये पीड़ित लोग जिनका मैंने वर्णन किया है ये लोग उस मंत्रालय में जाकर आवेदन दे सकें और उसके बाद आनंद मंत्रालय में जाएं. बोगस खातों में भी मध्यप्रदेश नंबर एक है. कटनी के एक्सिस बैंक में 100 से ज्यादा बोगस खाते पकड़े गये जिनके 15 राज्यों में कारोबार है. कटनी घोटाला 2600 करोड़ रुपये का है. मुन्ना भाई डाक्टर्स सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में हैं. अभी सुप्रीम कोर्ट ने जिनको निकाला है वे सब प्रेक्टिस कर रहे हैं. उनकी गलत दवाईयों से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई होगी. तो सबसे ज्यादा मुन्ना भाई डाक्टर बनकर मध्यप्रदेश में काम कर रहे हैं और सैकड़ों लोगों की जान खतरे में डाल चुके हैं. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया है. 2500 प्रोफेसरों की भर्ती की जांच हो रही है. आप लोग ही जांच कर रहे हैं. मध्याह्न भोजन एवं गरीबों के राशन को ब्लेक करने में भी आप नंबर एक हैं. मेरे अशोक नगर में राशन की दुकानें हैं वे सारी की सारी भूमाफियाओं के पास हैं और सारा का सारा मध्याह्न भोजन नहीं बंटता है और कोई कार्यवाही नहीं होती है क्योंकि वह ऊपर तक पैसा बांटता है. भूमाफिया भी मध्यप्रदेश संरक्षण में चल रहा है. इसमें भी आप नंबर एक हैं. पूरे प्रदेश में भूमाफियाओं ने सरकारी जमीनों पर कब्जे कर रखे हैं आप उन्हें हटा नहीं पा रहे हैं. मेरे अशोक नगर जिले में भी नगर पालिका के सामुदायिक भवन पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया,पंचायतों के भवनों पर कब्जा कर लिया. बड़ी मुश्किल से मैं उनको एक-एक करके छुड़ा रहा हूं.
स्वर्णिम मध्यप्रदेश में आनंद है, आप पेट्रोल और डीजल पर टेक्स में नंबर एक हैं, पेट्रोल पर 40 रूपया टैक्स, डीजल पर 32 रूपया टैक्स, पूरे देश में भोपाल में पेट्रोल 78.47 रूपया लीटर, डीजल 66.61 लीटर. मुम्बई, अहमदाबाद, बैंगलौर, हैदराबाद सबसे ज्यादा पेट्रोल की कीमत आप वसूल कर रहे हैं, इन शहरों में भी इतनी वसूली नहीं की जाती है. बार्डर एरिया में लोग पेट्रोल भराने जाते हैं और पेट्रोल पम्पों से आमदनी नहीं होने से राज्य को हानि हो रही है. अवैध खनन और रेत खनन में भी मध्यप्रदेश नंबर एक है. मुख्यमंत्री जी के जिले में उनके निकट के लोग धड़ल्ले से रेत का अवैध खनन कर रहे हैं. डंपर पकड़े जाते हैं तो छुड़वा लिये जाते हैं. मेरे अशोकनगर में रेत माफिया की इतनी हिम्मत है कि जब पुलिस ने उनको पलकटोई गांव में रात को पकड़ा और उनके जो अवैध वाहन पकड़े गये तो भूमाफिया ने पुलिस पर, प्रशासन पर, तहसीलदार पर सब पर हमला करके वाहन छुड़ा लिये. अब अधिकारियों को जोश आया कि यह तो हमारी बहुत बड़ी बेइज्जती हो गई तब वे वापस एक अतिक्रमण की हुई जमीन से वाहन वापस लाये और विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किये लेकिन गिरफ्तार नहीं किया. जो खनन माफिया है वह अभी भी खुलेआम घूम रहा है. मध्यप्रदेश सरकार का पूरा संरक्षण खनन माफिया को है.
आईएसआई के जासूसों में भी मध्यप्रदेश नंबर एक है. हिंदुस्तान में निराला ही काम है कि यहां सबसे ज्यादा जासूस पकड़े गये और वह बड़े-बड़े नेताओं के निकट के भी हैं, मुख्यमंत्री जी के साथ उनके फोटो आये हैं, कैलाश विजयवर्गीय जी के साथ भी उनके फोटो आये हैं, शायद आपके साथ भी हो (पक्ष की तरफ इशारा करते हुये).
हवाला में भी मध्यप्रदेश नंबर एक पर है. सराबगी जी पर छापे डाले, गर्ग जी की मौत हो गई, मर्डर हो गया उनका. व्यापम में ही मर्डर होते थे अब इसमें भी मर्डर होने लग गये. अब कितने हवाला में मर्डर होंगे पता नहीं और व्यापम का भूत तो आपका पीछा छोड़ेगा नहीं, क्योंकि अभी अभी सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में कई डॉक्टरों की डिग्रियां अवैध घोषित कर दी हैं. मध्यप्रदेश में 6 वर्ष में 53 हजार बच्चे गायब, वर्ष 2010 से 2015 के बीच इंटरनेशनल एनजीओ के हिसाब से, आरटीआई के उत्तर में वर्ष 2010 से 2014 के बीच सीआईडी के जोनल ब्यूरो ने जानकारी दी है कि इस बीच 72 प्रतिशत लड़कियां गायब हैं, जिनका पता नहीं चला. ग्वालियर, बालाघाट, अनूपपुर में वर्ष 2014 में 90 प्रतिशत लड़कियों का पता नहीं चला है. वर्ष 2015 में 7797 बच्चे गायब हुये उसमें इंदौर के 4 हजार बच्चे थे, यानि 24 बच्चे रोज गायब हो रहे हैं और 60 बच्चियां किडनेप हो रही हैं, बच्चियों में 72 प्रतिशत नहीं मिलीं. घरेलू हिंसा में भी एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार आप नंबर वन हैं, वर्ष 2012 में 9536 प्रकरण दर्ज हुये, आपके बाद तमिलनाडू है. बच्चे जो आत्महत्या करते हैं उसकी संख्या भी 240 प्रतिशत है. हमारे दीपक जोशी जी ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि वर्ष 2010 में 459, वर्ष 2011 में 456, वर्ष 2012 में 595, वर्ष 2013 में 667 और वर्ष 2014 में 645 बच्चों ने आत्महत्या की है. रेगिंग में भी 4 साल में कितनी ही घटनायें हुई हैं कि बच्चों की रेगिंग में भी आप नंबर वन हैं. आपकी योजनायें बहुत अच्छी हैं, खूब तारीफ की आपने उन योजनाओं की, लेकिन उन योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो रहा है, क्योंकि पूरा तंत्र भ्रष्टाचार में व्याप्त है, पेज 47 पैरा 227, मृत्यु प्रमाण पत्र, सीमांकन, नामांतरण, सिटीजन चार्टर बनाने के बाद में और एक्ट बनाने के बाद में भी पटवारी बिना पैसे के काम नहीं करते. लोक सेवा केन्द्र, एमपी ऑन लाइन कियोस्क वह भी फेल है और आपके 28 विभागों में 207 सेवायें अधिसूचित की हैं और लोक सेवा प्रबंधन विभाग और लोक सेवा अभिकरण और सीएम हेल्पलाइन सब आपने बनाया है, लेकिन जनता को राहत नहीं मिल रही है क्योंकि क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. न्याय में भी बहुत विलंब हो रहा है, पेज 35 में आपने न्याय के बारे में लिखा है, पैरा 96 दिसम्बर 2016 तक 1 लाख 35 हजार प्रकरण सिर्फ इंदौर न्यायालय में पैंडिंग हैं और 70 वर्ष पूर्व एक रंभाबाई पुत्र महेन्द्र सिंह जो वकील हैं उनका केस चल रहा है, आज तक उसका फैसला नहीं हुआ है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार द्वारा अपनी उपलब्धियों को बढ़ चढ़कर के बताया गया है. मैंने जो आपको कमियां बताई हैं उनको ठीक करने के लिये तो सरकार ने अभिभाषण में राज्यपाल महोदय से कुछ भी नहीं कहलवाया है.राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के पेज 2 पर आपने लिखा है कि "मेरी सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कल्पनाशील नेतृत्व में देश के विकास में योगदान देने के लिये तेजी से काम कर रही है. प्रधानमंत्री जन-धन योजना, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, कौशल विकास, बीमा योजना, मुद्रा योजना, ईज आफ डूइंग, प्रधानमंत्री फसल सुरक्षा बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना सबके लिये आवास योजनाओं इत्यादि-इत्यादि" का जिक्र किया है कि प्रदेश की सरकार बड़े संकल्प से काम कर रही है लेकिन इन योजनाओं से जिन गरीबों को लाभ मिलना चाहिये वह उनको नहीं मिल रहा है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बहुत कम लोगों के बीमा के लिये नाम लिखे जा रहे हैं और इन्श्योरेंस कंपनियां बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रही हैं.वह किसानों के फोन तक नहीं उठाती हैं जिसके कारण किसानों को जो लाभ मिलना चाहिये वह उनको नहीं मिल रहा है इसको सरकार को ठीक करना चाहिये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के पैरा-4 में जनवरी, 2016 में कहा है कि प्रदेश के कुछ जिलों में ओलावृष्टि से फसलें प्रभावित हुई हैं. सरकार ने सभी प्रभावितों को तत्काल राहत पहुंचाने की बात कही है. मैं कहता हूं कि यह असत्य बात है. अभी तो फसलों का आकलन भी नहीं हुआ, राहत भी नहीं मिली. पिछले माह ही बहुत शीतलहर और ओलावृष्टि थी. गुना के मुंगावली में 3 साल से फसले खराब हो रही हैं कभी सूखे के कारण, कभी चने के अफलन के कारण और राहत में गुना और अशोक नगर में ही अंतर आप देख लीजिये 11 करोड़ रूपये आपने गुना को दिये हैं और अशोक नगर को 24 लाख दिये है जबकि अशोक नगर - मुंगावली में ज्यादा नुकसान हुआ है. इस प्रकार का भेदभाव यह सरकार कर रही है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आपका इंटेंशन खराब है लेकिन अधिकारियों ने समय पर आकलन करके नहीं भेजा . इस कारण से कई जिलों में किसानों को जो राहत मिलना चाहिये थी वह उनको नहीं मिल पाई है. इस सरकार का अधिकारियों पर कन्ट्रोल नहीं है. किसान परेशान है, मंडी के चेक का भुगतान नहीं हो रहा है. आपकी भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी जी ने नोटबंदी का विरोध किया था वह वीडियो भी वायरल हुआ है, तब नोटबंदी खराब थी, अब नोटबंदी अच्छी हो गई और अब आप नोटबंदी के फेल होने पर 95 प्रतिशत रूपये वापस आने पर आप डिजिटल इकोनॉमी की बात कर रहे हैं. यह एक फैशन हो गया है. आपके प्रदेश में एटीएम और बैंक कितने हैं, एम्पालाईज कितने कम हैं, कैसे आप डिजीटल एकानॉमी की बात कर रहे हैं और कैशलेस इकानॉमी की आप बात कर रहे हैं क्योंकि आपका नोटबंदी फेल हो गया इसलिये यह बात आप कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, फ्रांस की महारानी मैरी थी, एक बार जब फ्रांस मे अकाल पड़ा और लोग भूखे मरने लगे तो भूखे लोग महारानी के पास में खाना मांगने गये तो उन्होंने कहा कि यह केक क्यों नहीं खाते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि नोटबंदी फेल हो गई तो आप कैशलेस पर आ गये.
उपाध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी बताई गई है.1 लाख 20 हजार करोड़ रूपये का कर्ज था उसको आपने 1 लाख 11 हजार करोड़ कर दिया है और प्रति व्यक्ति पर 13 हजार 853 रूपये का कर्ज है. अभी तो भारत के महालेखा नियंत्रक का एकाउन्टस नहीं आया है, उनका नोट नहीं आया है, हो सकता है कि यह बहुत ज्यादा हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में ही राज्य की वित्तीय स्थिति खराब नहीं है, अनुशासन नहीं है और जिला स्तर पर तो बहुत ज्यादा अनुशासनहीनता है. जिलाधीश कोषालयों का और जिला योजना अधिकारी कोषालय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और व्यक्तिगत खातों में बिना शासन की अनुमति के पैसे जमा करवा रहे हैं. वित्तीय वर्ष समाप्त होते ही खाते बंद होना चाहिये परंतु ऐसा नहीं हो रहा है. गत वर्ष 2704 करोड़ रूपया जमा था और 2009 में शासन ने निर्देश दिये थे कि बिना अनुमति के कोई खाते नहीं खोले जायेंगे लेकिन 11 आदिवासी जिलों में अफसरों ने 200 करोड़ रूपये खातों में जमा करा दिये. कहने का तात्पर्य अनुशासन यहां पर भी नहीं है और जिलों में भी नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के पैरा-8 से लेकर के पैरा-13 तक आपने खेती को लाभदायी बनाने के बारे में जिक्र किया है और कृषि विकास दर की 20 प्रतिशत की बात कही है. कृषि कर्मण्य पुरस्कार चौथी बार प्रदेश को मिलने का जिक्र किया है . मेरा आपसे यह अनुरोध है कि फिर यह धरती पर दिखता क्यों नहीं है. कृषि में आपने इतनी प्रगति की है तो धरती पर दिखना चाहिये. फिर इतनी प्रगति के बाद भी प्रदेश के किसानों ने बड़ी संख्या में आत्महत्यायें क्यों की हैं ? प्रदेश के गृह मंत्री ने अपने जवाब में स्वीकार किया है कि 1 जुलाई से 30 अक्टूबर, 2015 तक 193 किसानों ने, 149 कृषि मजदूरों की हत्या होने की बात स्वीकार की है. हालांकि उसके कई कारण आपने बताये हैं परंतु प्रश्न यह है कि यह आत्महत्यायें प्रदेश के किसान क्यों कर रहे हैं. अशोक नगर जिले में ग्राम बानोरा में अशोक अहिरवार ने फांसी लगाकर के आत्महत्या की है, महिदपुर में राम यादव, इछावर में गौरे लाल, सोनारे में राजकुमार रघुवंशी, पन्ना में मुखिया गौड़, खरगौन में करण सेन पिछले वर्ष 5650 किसानों ने आत्महत्यायें की हैं. पिछले वर्ष 5650 किसानों ने आत्महत्या की है, उसमें मध्यप्रदेश के 826 हैं. यानि 15 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश का है. ये क्यों आत्महत्या कर रहे हैं. दूसरा, प्रति वर्ष 1500 किसान, हर रोज 8 किसान और हर घण्टे में एक किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है. आपने जीडीपी का जिक्र किया है, तो आप बताइये कि जीडीपी में कृषि का हिस्सा क्यों नहीं बढ़ रहा है. यदि आप कृषि में इतना अच्छा कर रहे हैं, तो आपका कृषि में जीडीपी का हिस्सा नहीं बढ़ रहा है. जो वर्ष 2004-05 में 59.9 प्रतिशत था, वह 2012 में घटकर जीडीपी में हिस्सा 25 प्रतिशत क्यों हो गया. गत वर्ष विधान सभा के बजट सत्र में आर्थिक सर्वेक्षण में भी यह आपने स्वीकार किया है. यदि कृषि में इतना अच्छा काम हो रहा है, तो बिजली की खपत क्यों नहीं बढ़ रही है. खाद की खपत वर्ष 2009-10 में प्रति हेक्टेयर 77.2 केजी कम क्यों हुई, जबकि पंजाब में 222 है, राष्ट्रीय औसत 135 है. बीज और कीटनाशक की खपत क्यों नहीं बढ़ी. यह सब चीजें सोचने की हैं. विधान सभा में मेरे ही प्रश्न के उत्तर में उमाशंकर गुप्ता जी ने बताया था कि वर्ष 2004 में 1638 किसानों ने आत्महत्या की. वर्ष 2006 में 1248, वर्ष 2007 में 1263, वर्ष 2008 में 1389, वर्ष 2009 में 1395, वर्ष 2010 में 1237 और इस तरह से प्रति वर्ष एक हजार से ज्यादा आत्महत्याएं हो रही हैं, इसका क्या कारण है. अगर किसानी और खेती में आपका अच्छा काम है, तो पिछले साल सर्वाधिक किसान आंदोलन क्यों हुए. वर्ष 2007 में 109, फिर वर्ष 2008 में 112, फिर वर्ष 2009 में 106, फिर वर्ष 2010 में 363, फिर वर्ष 2011 में 588 ये सब हुए और भारतीय जनता पार्टी का जन संकल्प, घोषणा पत्र था, उसको आपने पूरा नहीं किया है. यशपाल सिंह जी, आपके घोषणा पत्र में था कि अफीम उत्पादक किसानों को 20 हजार रुपये तक बीमा दिया जायेगा, लेकिन आपकी सरकार उनको मध्यप्रदेश के किसान मानती ही नहीं. केंद्र सरकार के किसान मानती है....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आप तो सांसद भी रहे हैं. एनडीपीएस का जो कानून है, वह तो भारत सरकार बनाती है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- किसान तो आपके हैं. उसको मुआवजा तो आप दे सकते हैं न.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- उसका निरीक्षण करना, उसका अवलोकन करना, उसकी नप्ती, वह करती है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- वह सब ठीक है. लेकिन आप उसकी हानि का मुआवजा तो दे सकते हैं न. गेहूं, कपास, चांवल का मुआवजा देंगे आप, लेकिन अफीम का नहीं देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आप भी सांसद रहे हैं. यह भारत सरकार का काम है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- मुआवजा तो राज्य सरकार देगी.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- आप तो सपोर्ट करो, आप विरोध क्यों कर रहे हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग -- आपने भी इसका मुआवजा देने की आवाज उठाई है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप सदन के बाहर बात कर लीजियेगा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- उपाध्यक्ष महोदय, यह बहुत सारे आपने वादे पूरे नहीं किये हैं. मेरे पास इसकी पूरी लिस्ट है. इन वायदों को आपने पूरा नहीं किया है.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- महेंद्र सिंह जी, आप अफीम वालों की तरफ से बोल रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- हां, हमारे मंदसौर संसदीय क्षेत्र में अफीम बहुत होता है. आप वहां आयेंगे, तो हम आपको अफीम की सब्जी खिलायेंगे, उसमें नशा नहीं होता है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अफीम में नशा होता है कि नहीं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- अफीम में नशा होता है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- तो आप अफीम वालों की तरफ से बोल रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- महेन्द्र सिंह जी, अफीम की तैयारी है कि संसदीय क्षेत्र की तैयारी है. ..(हंसी)..
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी बिहार में भषण देते हैं कि 1200 रुपये साल में जमा कराओ और पूरे साल भर 24 घण्टे बिजली लो. यह वीडियो वायरल हुआ है. आप किसानों के हाथों में हथकड़ियां डाल देते हैं. मंदसौर में किसानों को बिजली चोर बनाकर आपने हथकड़ियां डाली हैं. बिजली चोरी लाइनमेन के सहयोग से ही होती है. उसको तो आपने हथकड़ी नहीं डाली. उद्योगपति बिजली चुराते हैं, उनको आपने हथकड़ी नहीं डाली. आपने सैकड़ों किसानों पर विद्युत चोरी के प्रकरण दर्ज कर लिये. किसी एक लाइनमेन पर प्रकरण दर्ज किया, जो कि बिजली चोरी करवाता है. किसान परेशान है, रोजघोड़े, हिरन, सुअर उसकी फसलें खा रहे हैं और उसको कोई राहत नहीं मिल रही है. उसको शासन द्वारा राहत दी जानी चाहिये. मैंने आपके पास कुछ किसानों को भेजा था. लोग परेशान हैं. रोजघोड़े अफीम खाकर मस्त होकर नशे में दोड़ते हैं और गाड़ियां तोड़ते हैं. पेज 5 बिन्दु 14 में उद्यानिकी का आपने जिक्र किया है. ड्रिप और स्प्रिंकलर इरीगेशन में इंदौर, उज्जैन, पिपलौदा में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है. नकली बीज, खाद और कीटनाशक पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है. मेरे ख्याल से जो कृषि में फायदा हो रहा है, उसका सारा फायदा अधिकारियों के पास जा रहा है. कृषि संचालक के पास, जब उन पर छापा पड़ा तो करोड़ों रुपए पकड़े गए हैं. आपने प्रदेश में कृषक आयोग सन् 2006 से सन् 2016 तक तो रखा, उसके 3 अध्यक्ष भी हुए लेकिन आपने उनकी सिफारिशों पर कोई कार्यवाही नहीं की तो इससे सिद्ध होता है कि आप कृषि को किस तरह से लेते हैं. पेज नं.6 पर पशु संवर्धन संबंधित आपने दूध की उपलब्धता तो 428 बताई लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूँ कि 71 फीसदी गांवों में, गांव दुग्ध संघ के बाहर हैं और 27,000 गांवों में दूध का उत्पादन सिर्फ 29 प्रतिशत है, आपको इसको बढ़ाना चाहिए.
डॉ. वर्गीस कुरियन ने एन.डी.टी.वी. से एक टीम भेजी थी. उन्होंने दुग्ध समितियां कायम करने के लिए गांव के नाम भी दिए हैं. एन.डी.टी.वी. ने दुग्ध के लिए उज्जैन को सबसे ज्यादा पोटेन्शियल बताया था. लेकिन वहां पाउडर प्लांट नहीं दे रहे हैं, वहां केटल फीड प्लांट भी नहीं दे रहे हैं. मुझे डॉ. कुरियन की जगह नेशनल डेयरी को-ऑपरेटिव्ह फेडरेशन का 3 वर्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहने का मौका मिला था. जबकि अभी मैंने पटवा जी से मुलाकात भी की थी] लेकिन जो आपको दुग्ध क्रान्ति को मदद करना चाहिए थी, आप उतनी नहीं कर रहे हैं. आप राजस्थान की तरह प्रति लीटर सब्सिडी दीजिए क्योंकि हर इनपुट में वृद्धि हो गई है, पशु आहार की कीमत में वृद्धि हो गई है. किसान को दूध की वाजिब कीमत नहीं मिल रही है, उसका खर्च नहीं निकल रहा है. आनन्द पैटर्न सबसे अच्छा है, उसको भी भ्रष्ट कर दिया गया है. हमारे यहां दुग्ध समिति में वही सदस्य वोट दे सकता है, चुनाव लड़ सकता है, जो वर्ष में निर्धारित दिनों में, निर्धारित मात्रा में दूध दे. आपने कानून का ऐसा इन्टरप्रिटीशन किया है कि कई व्यक्ति एक ही दिन में 4,000 लीटर डालकर सदस्य बन गए और वोटर बन गए. यह सब कैसे हो रहा है ?
आपने बिजली इधर खरीदी और उधर बेची. आप बाहर बिजली भेज रहे हैं लेकिन हमारे किसानों को नहीं दे रहे हैं. आप 24 घण्टे बिजली देने की बात भी गलत कर रहे हैं, यह असत्य है. बिजली कम्पनियों ने 9 बार सालाना टैरिफ व कीमत चार्ज बढ़ाया. विद्युत नियामक आयोग ने 2012 की तिमाही में मनमाने दाम से वसूली की थी. आपके फीडर सेपेरेशन में काफी भ्रष्टाचार हुआ, खराब एवं गलत खम्भे लगे, फ्यूल कोट एडजस्टमेन्ट के नाम पर आपने वसूली की है. आप किसानों को बड़े-बड़े बिजली के बिल भेजते हैं और ज्यादा बिल होने पर किसान आन्दोलन करते हैं, अपनी मांग रखने का प्रयास करते हैं तो उनको शासकीय कार्य की बाधा में जेल भेज दिया जाता है. राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना में भी काफी भ्रष्टाचार हुआ है और आज ही मेरे प्रश्न के उत्तर में बताया गया है कि करीब 4000 किलोमीटर लाईन के तार और बड़ी भारी संख्या में ट्रांसफॉर्मर चोरी हो गए हैं और यह आपके विद्युत के ठेकेदारों ने अशोक नगर में करवाया है.
उपाध्यक्ष महोदय, आपने पेज नं.18 में ओ.डी.एफ. की बात कही है. ओपन डेफिकेशन फ्री के मामले में एक तरह की होड़ हो गई है कि ओ.डी.एफ. इस गांव हो गया, उस शहर में हो गया लेकिन अगर आपने पानी की समुचित व्यवस्था नहीं की तो शौचालय का क्या मतलब रह जायेगा ? इसका कोई मतलब ही नहीं है. 76 प्रतिशत गांवों में सिर्फ कागजों में ओ.डी.एफ. है और 16 जिलों में सर्वेक्षण के बाद यह मामला उठा है. अगर आप पानी का इन्तजाम नहीं करते हैं तो यह सब बनाने का कोई मतलब नहीं है. पेज नं.17 में पैरा नं 4245 ग्राम पंचायतों के बारे में, मैं आपसे यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि जो स्व. राजीव गांधी जी ने संविधान में संशोधन करके ग्राम पंचायतों को अधिकार दिए थे, वे अधिकांश अधिकार आपने छीन लिए हैं. पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने बहुत सारे आन्दोलन किए हैं. आप उनको लाल बत्ती का लालच तो दे देते हैं लेकिन उनको वास्तव में अधिकार नहीं दे रहे हैं. सचिव, सरपंचों को अधिकार दे रहे हैं, कई सरपंच आदिवासी हैं, अनुसूचित जाति, कम पढ़े-लिखे हैं. सचिव उनका जैसा मर्जी शोषण करते हैं और उनको कई मामलों में फँसा देते हैं. कपिलधारा योजना में गरीबों को लूट लिया गया है और वे शिकायतें करते हैं तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है. सांसद-विधायक फण्ड और सरपंचों के पास जो पैसा आता है, उसमें आर.ई.एस. के इंजीनियर और योजना विभाग, सभी लोग उसमें रिश्वत मांगते हैं. आप उसको रोक नहीं पा रहे हैं. 13, 41, 42 एवं 43 में गरीबों के आवासहीन परिवारों के भूखण्ड या आवास देने को दीनदयाल अन्त्योदय योजना, ग्रामीण आजीविका मिशन सब फेल हो गए हैं. राशन माफियाओं ने सेल्फ हेल्प ग्रुप और स्व-सहायता ग्रुप में कब्जा कर लिया है.वह राशन नहीं बांटते हैं तथा मध्यान्ह भोजन भी स्कूलों में नहीं बांटते हैं आपको इनकी जांच करनी चाहिये कि अच्छे एनजीओ कौन से हैं और खराब एनजीओ कौन से हैं ? जिन एनजीओ की शिकायतें हैं उनको आपको हटाना चाहिये ताकि लोगों को राशन मिले. मेरे अशोक नगर के छेवलाई में एनजीओ पर भू-माफिया ने कब्जा कर रखा है वह राशन बांटते ही नहीं हैं अगर उनकी कोई शिकायत करता है तो उनको धमकी दी जाती है कि हम मारेंगे. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, प्रधान मंत्री आवास योजना इन सब में भ्रष्टाचार हो रहा है, क्योंकि इसका वितरण ठीक से नहीं हो पा रहा है. पेज 17 और 39 पेयजल के बारे में है उसमें 5337 बसाहटों में पानी देने के लिये कहा है, मैं समझता हूं कि यह असत्य है. आप शुद्ध पेयजल कितनी बसाहटों में दे पा रहे हैं, यह भी बताने का कष्ट करें. 15229 नल योजनाएं चल रही है उसमें 50 प्रतिशत से अधिक नल योजनाएं खराब हैं, क्योंकि आपने लघु वनोपज से खराब पाईप लिये, पानी की टंकी भी खराब बनी वहां पर पेयजल की योजनाएं चल नहीं रही हैं. मैंने प्राक्कलन समिति में माननीय सकलेचा जी के साथ नीमच तथा मंदसौर में निरीक्षण के दौरान देखा था वहां पर अधिकांश नल-जल योजनाएं बेकार पड़ी हैं. इसीलिये मेरा आपसे अनुरोध है कि आप एक ही ठेकेदार को सारा काम दीजिये पाईप लाईन तथा टंकी का तथा उसको 3 साल तक चलाने की भी जिम्मेदारी दीजिये, यह मैं आपको सुझाव भी दे रहा हूं, तभी यह मामला आपका सुधरेगा अन्यथा यह सुधरने वाला नहीं है.
पेयजल के बारे में मेरा अनुरोध है कि आपका वॉटर लेवल बहुत ही नीचे चला गया है आपके गर्मियों में सभी हैंडपम्प सूख जाते हैं आपके करोड़ों रूपयों का उपयोग नहीं हो रहा है. जितनी आपकी सिंचाई की योजनाएं हैं, स्टाप डेम हैं तथा जीवित नदियां हैं उनके आसपास आप पेयजल योजनाएं सिंचाई तथा पी.एच.ई विभाग बनाये तभी मेरे ख्याल से यह हो सकता है नहीं तो पेयजल पर बहुत संकट होने वाला है. शहरी विकास के लिये यू.पी.ए की जे.एन.एन.यू.आर.एम योजना का नाम आपने बदलकर अटल मिशन फार रिज्यूविनेशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन (अमृत) योजना कर दिया है इसमें 33-34 शहरों में पानी, सीवेज, ड्रेनेज, पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि के लिये 8251 करोड़ रूपये का प्रावधान था उसको केन्द्र सरकार ने काटकर 6200 करोड़ कर दिया है इसमें भोपाल को 580 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है. यब सब कटौतियां केन्द्र सरकार कर रही है. जब मनमोहन सिंह जी प्रधान मंत्री थे तो माननीय मुख्यमंत्री जी हड़ताल करने चले जाते थे तथा धमकियां देते थे, अब हड़ताल पर क्यों नहीं बैठते हैं. 25 जून 2015 को अमृत योजना 45 हजार रूपये की बनी है इसमें सभी राज्यों को जनसंख्या के अनुपात में उसमें आवंटन होता है, लेकिन अब उसमें कुछ नहीं हो रहा है. पेज 23 पैरा 63 में घुमक्कड़-अर्द्ध घुमक्कड़ जातियों में सैंकड़ों बंजारा, मोंगिया, सांसी आदि जातियों के यहां पर पेयजल तथा बिजली सड़कों की कमी है. मेरे क्षेत्र में मीरकाबाद, चिन्कूपुरम, माधोगढ़, सिंधिया गढ़ आदि कई गांव हैं जहां पर क्रिमीनल ट्राईब रहते थे और जिनको वहां पर बसाया गया था उनको को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनाकर शासकीय भूमि देनी चाहिये और वहां पर बिजली, सड़क, पेयजल और एप्रोच रोड़ देना चाहिये. पेज 19 पैरा 50 तीन चरणों में उदय अभियान यह योजना भी फेल है. अधिकारी असत्य आंकड़े देकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. नगर-पालिका क्षेत्र के वार्डों में गंदगी का अंबार है वहां पर कई कॉलोनियां अंधेरे में डूबी हैं वहां पर लोगों को राशन नहीं मिल रहा है. पात्र बीपीएल हितग्राही को बीपीएल कार्ड तथा उसको पर्ची नहीं मिल रही है और अपात्र लोग बी.पी.एल कार्ड का लाभ उठा रहे हैं ऐसे लोगों के खिलाफ माननीय रोहाणी जी जब अध्यक्ष थे तो उन्होंने उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा था इसमें जिन लोगों ने इस प्रकार से लाभ लिया है उनसे वसूली की कार्यवाही होनी चाहिये. अभिभाषण के पेज 13 में पीडब्ल्यूडी में पैरा 36-37 तथा 40 में उसके बारे में क्या जिक्र किया जाए भोपाल शहर की सड़के बन करके उखड़ रही हैं आप अखबारों में रोज पढ़ते हैं तथा देखते हैं. भोपाल, नरसिंहगढ़, ब्यावरा सड़क को देख लीजिये वहां पर रोड़ पूरी तरह से उखड़ गई है वहां पर धूल के कारण फसलें तथा स्वास्थ्य को खराब कर रही है. आप ब्यावरा, कुरावर जाकर देख लीजिये यह मध्यप्रदेश के अधिकांश शहरों में सड़कों की यह स्थिति है. नेशनल हाईवे 12 की भी यही स्थिति है. मेरे विधान सभा क्षेत्र पिपरई में अशोक नगर पिपरई रोड़ बनी वह दो साल में ही पूरी उखड़ गई है. मध्यप्रदेश रोड़ डेव्हलपमेंट कारपोरेशन पीपीपी यह जो योजना है इसको पीपल्स पिलन्डर योजना इसका नाम बोलूंगा. इसके बारे में माननीय गिरीश गौतम जी ने पूरा डिटेल्स दिया था इस प्रकार से वृक्षारोपण के भी असत्य आंकड़े एम.पी.आर.टी. सी रोड़ ने दिये. लेबर नया गांव पर हम सभी माननीय सदस्यगण गये थे. हमारे साथ विधायक लोग और श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी भी गये थे, एस्टीमेट भी गई थी, उन्होंने बहुत बड़ी रिपोर्ट दी, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है. शासन ने जो एम.ओ.यू. ठेकेदार और कंपनी से किया है उसका कोई प्रचार प्रसार नहीं हुआ है. मनमानी दर पर जमीनें ले ली गई हैं और ठेकेदार को एक पब्लिक ग्रेवीयेंस से सेल रखना चाहिए. वह सेल दस बजे से पांच बजे तक खुला रहना चाहिए, पीपीपी, एग्रीमेंट के अनुसार लेकिन ऐसा कोई सेल नहीं लगता है. 1575 करोड़ रूपये का प्रोजेक्ट है, यहां इनपुट है कि मनी, मटेरियल, मेथड् और लैंड यह सब महत्वपूर्ण हैं लेकिन भूमि अधिग्रहण में कंपनी के हित की जगह कपंनी के हित का ध्यान रखा गया है. कॉरपोरेट (सी.एस.आर.)सोशल रिस्पोंस्बलिटी कम से कम चार प्रतिशत रूपया उनको अलग रखना चाहिए और उसे पब्लिक के हित के लिये खर्च करना चाहिए. वह नहीं कर रही हैं कंपनियां. गुड प्रेक्टिसिस का प्रावधान भी पी.पी.पी. में है, इसका उल्लेख भी एग्रीमेंट में है कि "Good Industry Practice" means those methods, techniques, standards, skills, diligence and prudence which are generally and reasonably accepted and accepted internationally from a reasonably skilled and experienced operator engaged in the same type of undertaking as envisaged under this agreement and acting generally in accordance with the provisions of the applicable.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि पी.पी.पी. योजना है यह पीपुल्स प्लंडर योजना बन गई है. मेरा आपसे यह भी अनुरोध है कि पवन चक्कियां लग रही हैं, यह अच्छी बात है जट्रोफा बॉयोफ्युल के नाम से सैकड़ों तीस हजार हैक्टेयर जमीन आपने बड़े बड़े लोगों को दी है. झाबुआ, मुरैना, अशोक नगर में कितना जट्रोफा उत्पादन हुआ जरा बताईये. पवन ऊर्जा के नाम पर आपने चारागाह की सैकड़ों एकड़ भूमि दे दी है और कंपनी वाले लोगों को छूट दे दी है कि वे लूटपाट करें, किसानों की जमीनें जबरदस्ती छीने और परेशान करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय ''बजट अभिभाषण का पेज नं-23, स्वास्थ्य सेवाएं'' मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बहुत बुरा हाल है. न डॉक्टर हैं, न नर्स हैं और न तक्नीशियन हैं लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिये जो प्रयास होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ''बजट अभिभाषण का पेज नं-11, पैरा-31'' सहकारिता का बी.जे.पी ने पूरा सरकारीकरण कर दिया है. जब कांग्रेस की सरकार थी, तब बहुत चिल्लाते थे कि सरकारीकरण कर रहे हैं. अब आपने भी वही काम कर दिया है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा ( शुजालपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा यह बात तो कह गये कि हमारे जैसा ही कर दिया है, यह कौन सा बुरा हुआ है, यह तो अच्छा हुआ है, ऐसा तो आप बोलिये.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - पार्टी विथ ए डिफरेंश आप वही करेंगे तो फिर कैसे काम चलेगा. सहकारी बैंकों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है और केंद्र सरकार ने जो कर्जा माफ किया था, उसे होशंगाबाद, भिंड, रतलाम कई जिलों में अपात्र लोगों का कर्जा माफ कर दिया है, पात्र लोगों का कर्जा माफ नहीं किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मनरेगा में 27 करोड़ रूपये से अधिक की मजदूरी बाकी है और मनरेगा के कारण जो अकाल सूखा पड़ता है, उस समय बहुत मदद मिल सकती है, वह मदद मनरेगा में पैसा नहीं आने के कारण नहीं मिल रही है. बेरोजगारी दूर करने के लिये भी दीर्धकालीन नीति आवश्यक है और इसके लिये बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, इसको आपको देखना पड़ेगा और मध्यप्रदेश बेनामी संपत्ति पर कार्यवाही करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा यह गृहमंत्री और राजस्व मंत्री ने घोषणा की थी, मैं समझता हूं कि इस दिशा में बेनामी संपत्ति को जप्त करने के लिये कोई कार्यवाही नहीं की गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग में बहुत भ्रष्टाचार है, पटवारी नामांतरण नहीं करते हैं और राजस्व विभाग में आपको पूरे प्रदेश में अतिक्रमण से भूमि को मुक्त करना चाहिए और अतिक्रमण की हुई भूमि को, खेल के मैदानों और सरकारी योजनाओं के लिये पटवारी रिकार्ड में आरक्षित कर देना चाहिए, यह मेरे सुझाव हैं, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद, श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी आप बोलें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर):-माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के द्वारा जो अभिभाषण दिया है उसके संबंध में मैं दो बातें कहने के लिये यहां पर उपस्थित हुआ हैं. उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में 2018 के दृष्टिपत्र को संबोधित करते हुए प्रसन्नता है, गर्व है इस बात को लेकर के चरैवती-चरैवती का जिन्होंने संदेश दिया कि समाज की अंतिम पंक्ति में बैठने वाले व्यक्ति को मुख्य धारा में कैसे जोड़ा जाये, यह संदेश देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का यह जन्मशति वर्ष चल रहा है और इसके अंतर्गत अभिभाषण में रोटी, पढ़ाई और दवाई इसकी व्यवस्था को सुनिश्चित करते हुए जो अभिभाव थे, वह गरीब कल्याण वर्ष 2017 के रूप में मनाने को लेकर थे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,अब यदि थोड़ा सा पीछे जायें 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जन्म शताब्दी के अवसर पर अब के इतिहास को कोई भी प्रधान मंत्री महू जाने की कोशिश नहीं करता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज तक के जितने प्रधानमंत्री हुए हैं,उन्होंने भाबरा में जाकर के चन्द्रशेखर की प्रतिमा पर पुष्पांजति अर्पित नहीं की. यह मैं इसलिये बोल रहा हूं कि अभिभाषण में 14 अप्रैल अम्बेडकर की जन्म जयन्ती के अवसर पर नगर उदय अभियान चलाने की बात उल्लेखित की गयी है. यह हमारा सौभाग्य है कि देश के प्रधान मंत्री मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के ठीक एक महीने पूर्व से ही उनका आगाज मध्यप्रदेश की सरकार की योजनाओं को देखने, उनको प्रोत्साहित करने का प्रारंभ हो गया था. घटना है नीमच जिले के डीकेन क्षेत्र भगवानपुरा की जहां देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट का लोकार्पण करने का अवसर आया, मैं विधायक के नाते वहां पर उपस्थित था. मंदसौर और नीमच जिले के सभी विधायक और माननीय मुख्यमंत्री भी वहां पर थे. यह जो सिलसिला माननीय प्रधानमंत्री जी का मध्यप्रदेश में आगमन को लेकर के. उसमें सरकार की नीतियां थी, हितग्राहीमूलक योजनाएं थी.
उपाध्यक्ष महोदय, उद्योगों में निवेशकर्ताओं को आमंत्रित करने और ग्लोबल समिट करने को लेकर के और माननीय प्रधानमंत्री जी का महू आगमन हो, भाबरा आगमन हो, देश का पहला शौर्यस्मारक बना तो वह मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बना और उसका यदि इसका अवसर किसी को मिला तो वह मध्यप्रदेश की सरकार वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मिला है. उसका लोकार्पण करने का शुभ कार्य भी माननीय प्रधानमंत्री जी के हाथों से हुआ. आदर्श फसल बीमा योजना को लेकर सीहोर के नजदीश शेरपुर में माननीय प्रधानमंत्री जी का आगाज हुआ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हिन्दी साहित्य सम्मेलन एक अद्वितीय घटना है. लालपरेड मैदान पर उसको देखने और सुनने के लिये मैं भी वहां पर गया था और देश के साहित्यकारों और हिन्दी प्रेमियों को एकत्रित करने का काम हुआ और इसमें उल्लेख किया गया है और हिन्दी सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री का आगाज हुआ. अभिभाषण में उज्जैन सिंहस्थ और उज्जैन-नर्मदा- शिप्रा लिंक परियोजना की बात की गयी है. उज्जैन में वैचारिक महाकुंभ जो विश्व की अद्वितीय घटना है. पूरे विश्व से जो ख्यातनाम राजनेता, जननेता और विचारक आये उन सभी को महाकाल का दर्शन करने का, वैचारिक कुंभ में आमंत्रण प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ और उस वैचारिक महाकुंभ में भी माननीय प्रधानमंत्री जी का आगाज हुआ.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पंडित दीनदयाल उपाध्याय के उस सपने को साकार कर रहे हैं ''चरैवती-चरैवती'' पर चलते जा रहे हैं और यह उसी का परिणाम है ''नमामि देवी नर्मदे'' एक यात्रा चल पड़ी, आदरणीय ऊषा जी ने उसको उल्लेखित किया है. जनसमूह उसके पीछे चल रहा है, मैंने उस फिल्म का फिल्मांकन देखा जो बहुत छोटी है, माननीय अमिताभ बच्चन जी की शिवराज जी के प्रति सद्भावना नर्मदा सेवा यात्रा को लेकर दिया गया उनका वक्तव्य, देश की ख्यातनाम गायिका का नर्मदा यात्रा को लेकर के कमेंट्स, दलाईनामा नामा जी, महामंडलेश्वर अवधेशानंद जी,ख्यातनाम गीतकार भजनगायक अनूप जलोटा इन सब ने जिस प्रकार से इस यात्रा की सराहना की है, इस यात्रा में उमड़े जन सैलाब ने आज एक आंदोलन का रूप ले लिया है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने नागरिकों को नर्मदा के दायें और बायें तट पर वृक्षारोपण हेतु प्रेरित किया है. नर्मदा के तटों पर लोग किसी प्रकार का प्रदूषण न करें. नर्मदा के किनारे दोनों तरफ की शराब की दुकानों को हटाये जाने का निर्णय भी सरकार द्वारा लिया गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण में इसका उल्लेख किया गया है. दलहन, तिलहन, चना, मसूर, सोयाबीन, लहसून और टमाटर के उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश, देश में प्रथम स्थान पर उभरकर आया है. इसी कारण से मध्यप्रदेश को चाहे यू.पी.ए. की सरकार हो या एन.डी.ए. की सरकार हो, लगातार चार वर्षों से कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त होता आ रहा है. इसके पीछे किसानों की मेहनत छिपी हुई है और किसानों की उस मेहनत में मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार का वृहद हस्त सहयोग भी शामिल है. किसानों को इस बात का विश्वास है और उन्हें सरकार के ऊपर भरोसा है कि उन्हें नुकसान होने पर मुआवजा तथा बीमे की राशि समयावधि के भीतर प्राप्त हो जाएगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खरीफ की वर्ष 2015 की फसल में 20 लाख 47 हजार किसानों को लाभ देकर देश में एक नया कीर्तिमान मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा बनाया गया है. किसानों को 4 हजार 416 करोड़ रूपये के बीमा दावे का लाभ प्राप्त हुआ है. इसके अतिरिक्त गत एक वर्ष में 18 हजार 444 करोड़ रूपये की राशि मध्यप्रदेश के किसानों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सहायता राशि के रूप में दी गई है. हम बात करते हैं कि सहकारिता के क्षेत्र में श्री महेन्द्र महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी का बहुत योगदान रहा है. लेकिन अऋणी किसानों के बारे में आज तक किसी सरकार ने नहीं सोचा है. उनकी हमेशा अनदेखी ही की गई है. जो किसान ऋण लेता है, वह ऋणी होने के कारण बीमे और मुआवजे की राशि का लाभ प्राप्त करता है लेकिन मध्यप्रदेश में यदि हम देखें तो 4 लाख से अधिक की संख्या में वे किसान जो अऋणी हैं और आज मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा पहली बार अऋणी किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से इसका लाभ मिला है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की 21 कृषि मंडियां, राष्ट्रीय कृषि मंडियों से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं और इस वित्त वर्ष में अन्य 30 कृषि मंडियों को राष्ट्रीय कृषि मंडियों से जोड़ने का सरकार प्रयत्न कर रही है. दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में वित्तीय वर्ष 2015-16 में 6.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. खेती को यदि हम लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं तो हमें मत्स्यपालन, कुटकुट पालन और दुग्ध उत्पादन की ओर ध्यान देना होगा. किसान को खेती के अलावा कोई सहयोगी कारोबार का अवसर उपलब्ध कराना होगा. मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा आचार्य विद्या सागर गोसंवर्धन योजना को लागू किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के जमाने में केवल 2900 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता था. आज हमारी सरकार केवल नवकरणीय ऊर्जा के अंतर्गत पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा के माध्यम से ही 3019 मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर रही है. मेरे साथी हैं, श्री हरदीप सिंह डंग उनके क्षेत्र सुवासरा के रूनीजा में एन.टी.पी.सी. का 250 मेगावॉट का उपक्रम लगाया गया है. डीकेन, भगवानपुरा, नीमच जिले के बाद मध्यप्रदेश में मंदसौर जिले के सुवासरा विधान सभा क्षेत्र में रूनीजामें यह दूसरा उपक्रम लगाया गया है. इस उपक्रम का अवलोकन हरदीप जी द्वारा अधिकारियों के साथ तीन दिन पूर्व ही किया गया है. नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अनुकरणीय काम किए गए हैं और इसी वजह से आज हमारे प्रदेश में बिजली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. पिछले 11-12 वर्षों में केवल 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर भूमि पर ही सिंचाई हो पाती थी. आज 40 लाख हेक्टेयर में सिंचाई का रकबा बढ़ गया है और 2018 तक 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का सरकार का संकल्प है. प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत गरोठ, भानपुरा, सुवासरा, सीतामऊ और मंदसौर में गांधी सागर का पानी नीमच जिले तक पहुंचे. पानी को सिंगरौली, जावद, रतनगढ़, तक पहुंचाने के लिए ड्रिप सिंचाई योजना, फुव्वारा, टपक, माइक्रो सिंचाई योजना की ओर सरकार बढ़ रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मालवा क्षेत्र का मैं प्रतिनिधित्व करता हूं. मेरे क्षेत्र की कहावत थी '' मालव धरती गहन गंभीर, डग-डग रोटी, पग-पग नीर''. यह कहावत भूजल के स्तर गिरने के कारण समाप्त होती जा रही थी. श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने अभी अपने भाषण में उल्लेख किया कि भूजल का स्तर 1000-1200 फीट तक नीचे चला गया है. किसान कितना भी बड़ा कुंआ खोद ले, कितना गहरा ट्यूबवेल लगवा ले लेकिन धरती में पानी बचा ही नहीं है. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में इसका उल्लेख है कि गांधी सागर में इस बात का प्रावधान किया गया है कि आने वाले समय में नर्मदा, क्षिप्रा नदी को गंभीरी और चामला नदी से जोड़ा जाएगा और उसका पानी आगे तक लाने का प्रयास किया जायेगा. सहकारिता के क्षेत्र में 9 हजार 762 करोड़ 63 लाख रूपये का ऋण शून्य प्रतिशत की दर पर 53 लाख किसानों को दिया गया है. सहकारिता के क्षेत्र में किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को मिलेगा इसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी. पहली बार इसकी कल्पना भी हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा ही की गई थी. उनका कहना था कि व्यावसायिक बैंकों में यदि उद्योगपतियों का क्रेडिट कार्ड बन सकता है तो किसानों का क्यों नहीं बन सकता है. मध्यप्रदेश की सरकार ने माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसको और आगे बढ़ाते हुए सहकारिता के क्षेत्र में किसान क्रेडिट कार्ड से लाभान्वित किया. पहली बार जब मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना मिली 250 से कम आबादी वाले, 500 से कम आबादी वाले मध्यप्रदेश में मैं पिछली बार जब विधायक था. मुझे कहते हुए अत्यन्त प्रसन्नता है कि अभिभाषण में भी उसका उल्लेख किया गया है. अब 500 और 250 की आबादी वाले जो गांव पिछले 5 वर्षों में अर्थवर्क से जुड़े थे, ग्रेवल रोड़ से जुड़े थे इस बार 500 से कम आबादी वाले उन तमाम गांव में डामरीकृत सड़कों का लाभ किसानों को, ग्रामवासियों को मिलेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भारत सरकार के सहयोग से मध्यप्रदेश का जो स्वरूप बदल रहा है अमृत सिटी, प्रधानमंत्री आवास योजना, पेयजल प्रबंधन स्मार्ट सिटी, यू.डी.आई.एस.एस.एम.टी. यह तमाम प्रकार की जो योजनाएं भारत सरकार से प्राप्त हुई हैं एक अनुकरणीय उदाहरण देखने को मिल रहा है. माननीय मुख्य मंत्री जी 51 जिलों में जबलपुर से, उज्जैन से, देवास से महेश्वर से, किसी हितग्राही सम्मेलन को संबोधित करतें हैं तो वहां पर हमारे साथ विधायक बैठे रहते हैं, हमारे क्षेत्र के हितग्राही बैठे रहते हैं. जब महेश्वर से, जबलपुर से हितग्राहियों को लेकर के देवास में घुमक्कड़, अर्द्धघुमक्कड़ जाति के लोगों के सम्मेलन करते हैं और माननीय मुख्यमंत्री जी जब बैठते हैं तो जब हम उस परिदृश्य को देखते हैं और वहां जब तालियां बजती हैं तो हितग्राहियों के हाथ नहीं रुकते हैं. वे भी ताली के साथ ताली बजाकर के बात करते हैं फिर चाहे बीमे की राशि का मामला आया हो, आवासीय पट्टे का मामला आया हो, प्रधानमंत्री आवास का आया हो, मुख्यमंत्री आवास आया हो और साथ-साथ अन्य जो योजनाएं आती हैं उसको लेकर के यह अलग बात है कि प्रतिपक्ष ने इन कार्यक्रमों की आलोचना की है और आलोचना किस प्रकार से की है कि टेंट क्यों लगा दिया गया, किसानों को भोजन क्यों कराया जा रहा है, किसानों को पानी क्यो पिलाया जा रहा है. दस-दस लाख किसानों को एक साथ मध्यप्रदेश के 51 जिलों में माननीय मुख्यमंत्री जी ने संबोधित किया तीन-तीन हजार, छ:-छ: हजार मेरी विधानसभा क्षेत्र मंदसौर जिले में तीन हजार आवासीय पट्टे 3500 लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अधिकार पत्र यह देने की जब बात चलती है तो पूरे 51 जिलों मे एक साथ आवाज उठती है. अभिभाषण के पृष्ठ क्रमांक 46 में पैरा 126 में तीर्थ दर्शन का उल्लेख किया है. एक लाख दो हजार वरिष्ठ नागरिक इससे लाभान्वित हो चुके हैं और इसी अभिभाषण में इस साल से पटना साहिब तथा गंगा सागर को जोड़ने की बात कही गई है. माननीय उपाध्यक्ष जी आप भी जानते हैं, हम सब भी जानते हैं कहा जाता है कि सारे तीर्थ बार बार गंगा सागर एक बार, अब माननीय मुख्यमंत्री जी की जो तीर्थ दर्शन योजना है और अधिकांश लोग बात करते हैं तीर्थ यात्रा से लौटकर आते हैं कि कैसा लगा क्या मांगा तो सहज और सरल रूप से गांव के लोग कहते हैं हम जब दर्शन करने गए तो हमने दो बातें मांगी हैं कि भगवान प्रदेश का विकास करो, मध्यप्रदेश का विकास करो और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भला करो. लोगों की भावनाएं सरकार की लोककल्याणकारी, जनकल्याणकारी हितग्राहीमूलक योजनाओं से जुड़ गई है. एक प्रकार से रिश्तों की डोर में मध्यप्रदेश की जनता और जनता के जन नायक श्री शिवराज जी जुड़ चुके हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारा सौभाग्य है कि हम न केवल देश में अनेक मामलों में अव्वल हैं बल्कि विश्व की सबसे बड़ी सोलर इकाई यदि कहीं स्थापित हो रही है तो 750 मेगावाट का रीवा जिले में हो रहा है. 4500 करोड़ के प्लांट के लिए ऑनलाईन नीलामी हुई और देश में सबसे कम दर 2.97 रुपए प्रति यूनिट दर से उसमें राशि प्राप्त हुई है. अनेक नवाचार हुए हैं. अभिभाषण में 19 पर्यटन स्थल, 10 परिवहन, 9 ई-रिक्शा, 17 जैविक कृषि, सहकारी समितियां इसके माध्यम से पंजीकृत हैं. पहले सहकारिता के क्षेत्र में यह माना जाता था कि सहकारिता का क्षेत्र किसान, सोसायटी, खाद, बीज, लेन-देन लेकिन सहकारिता के क्षेत्र में एक कदम सरकार ने आगे बढ़ाया है उसमें पर्यटन को लिया गया है. पर्यटन की सहकारी संस्थाओं में इसको परिभाषित किया है, परिवहन को परिभाषित किया है. रहवासी ई-रिक्शा साथ में जैविक कृषि सहकारी समितियों को भी स्थान इस अभिभाषण के माध्यम से दिया गया है. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन 55 शहरों में क्रियान्वित होने जा रहा है. मध्यप्रदेश का उसका भी देश में प्रथम स्थान है. स्वरोजगार और शेल्टर होम में गत वर्ष देश में मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर था. लोकसभा गारंटी के अंतर्गत धीरे धीरे एक कदम आगे बढ़ रहे हैं. पहले 16 विभाग थे अब 28 विभागों की 207 सेवाएं अधिसूचित हो चुकी हैं. मैं कभी कभी विचार करता हूं एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को तत्कालीन सरकारों के समय में 250 रुपए, 500 रुपए, 150 रुपए की पेंशन मिला करती थी या यूं कहा जाए कि उनको सम्मान निधि मिला करती थी. आज उसको बढ़ाते हुए, अभिभाषण में मैं पढ़ रहा था मैंने देखा, मैंने सुना है कि मध्यप्रदेश के तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सम्मान निधि 25 हजार रुपये प्रतिमाह कर दी गई है. विकास के क्षेत्र में विश्वास के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में मेरे विधान सभा क्षेत्र का भी उल्लेख है, मेरे जिले का भी उल्लेख है. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और संबंधित विभाग के मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. एक ओर जहां इंदौर, शिवपुरी, होशंगाबाद और दमोह में हॉकी का एस्ट्रोटर्फ सेन्टर स्वीकृत हुआ है. वहीं लगभग 4-5 करोड़ की राशि मंदसौर को भी हॉकी के मैदान के लिए प्राप्त हुई है. अभिभाषण में उसका उल्लेख किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि पर्यटन के क्षेत्र में जिस प्रकार से हनुवंतिया को स्थान मिला है और हनुवंतिया में पिछले 6 महीने में 5 लाख पर्यटक पहुंचे. इससे पहले कोई हनुवंतिया को जानता नहीं था. खंडवा को किशोर कुमार जी के कारण जानते थे. लेकिन खंडवा के आसपास कोई हनुवंतिया स्थान है जहां पर 5 लाख पर्यटकों ने अभी तक आमद दी है. वहां 2 हाउस बोट उपलब्ध करा दी गई हैं. उसी के तहत मंदसौर के गांधीसागर को भी स्थान मिला है वहां पर भी पर्यटन बढ़ेगा और उसके साथ-साथ जो जलक्रीड़ा है उसमें सरकार की महती भूमिका होगी. महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण में शासन की उपलब्धियों को बताते हुए जो आगामी कार्य योजनाएं हैं यह उसका दृष्टिपत्र था.
उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल ( इछावर ) --माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया धन्यवाद. मैं आपका ध्यान कोरम की तरफ आकर्षित करना चाहता हूँ कि मात्र 16-17 सदस्य अभी सदन में मौजूद हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- आप लोग बोल बोलकर यदि ऐसे जाएंगे, जरा देखो तो क्या स्थिति है. कालूखेड़ा जी ने शुरु किया वे चले गए.
श्री दिलीप सिंह परिहार--कांग्रेस के केवल एक ही सदस्य बैठे हैं और कोई नहीं बैठा है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा--कांग्रेस की इतनी खराब स्थिति सदन में पहली बार देखने को मिल रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--आप इस बात को समझो कि विपक्ष को मूल रुप से अपने विषय रखना चाहिए परन्तु आप लोग देखो तो सही क्या स्थिति है. आप लोग यह क्या कर रहे हो क्या अजय सिंह जी का बायकाट कर रहे हो.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- वह तो आपको सोमवार को पता चल जाएगा चिन्ता मत करिए. अभी सोमवार आने ही वाला है सोमवार में ज्यादा दिन नहीं हैं. आयेंगे तब आप देख लीजिए क्या होगा क्या नहीं होगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--चिंता आपको होगी, हमें किस बात की चिंता है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- उपाध्यक्ष जी, सामान्यत: कार्य मंत्रणा समिति की चर्चाएं सदन में नहीं की जाती हैं लेकिन मैं यह कहना चाहता हूँ कि 4 दिन से ज्यादा की मांग हो रही थी, अभी 4 घंटे भी नहीं हुए और यह स्थिति है. मेरा एक सुझाव है कि जैसे लोक सभा और राज्य सभा का लाइव प्रसारण चलता है उस तरह की व्यवस्था यहां भी करवा दें जिससे कम से कम लोगों को मालूम तो चलेगा कि हमारा विपक्ष कैसा है.
श्री शैलेन्द्र पटेल--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ.
अभिभाषण किस तरह से पेश किया गया वह मैं चंद लाइनों में प्रस्तुत करना चाहता हूँ. अहमद कमाल परवाज़ी की कुछ लाइने हैं—
वो अब तिजारती पहलू निकाल लेते हैं,
मैं कुछ कहूं तो तराजू निकाल लेते हैं,
मैं इसलिए भी तेरे फ़न की कद्र करता हूँ
तू झूठ बोलकर भी आंसू निकाल लेता है.
वो फूल तोड़े हमें कोई एतराज नहीं,
मगर वो तोड़कर खुशबू निकाल लेते हैं.
यह पंडित दीनदयाल जी की जन्म शताब्दी का वर्ष है. वे भारतीय जनता पार्टी के पितृपुरुष थे उनकी याद में यह वर्ष गरीब कल्याण वर्ष के रुप में मनाने का निर्णय सरकार ने लिया है. लेकिन एक बात और सामने आती है कि दीनदयाल उपाध्याय जी की जो मंशा थी कि अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचे. मैं यह जानना चाहता हूँ कि सरकार ने 13 वर्ष बाद यह निर्णय लिया है कि गरीबों का कल्याण हो. एक सवाल मेरे मन में उठता है कि क्या इन 13 वर्षों में गरीबों का कल्याण नहीं हुआ. अ ब सरकार को याद आई की गरीब का कल्याण वर्ष मनाएं, गरीबों की तरफ हम देखें. प्रश्न उठता है कि 13 साल से सरकार में है और 13 साल बाद गरीब कल्याण की बात यह सरकार कर रही है जिसका अभिभाषण में उल्लेख किया गया. यह अपने आप में एक बहुत बड़ा प्रश्न है. मध्यप्रदेश की आबादी का 44.30 प्रतिशत गरीबी की श्रेणी में आता है और यह हमारे आँकड़े नहीं हैं, केन्द्र सरकार के आँकड़े हैं और यह पोल खोलने में काफी हैं. एक तरफ तो हम कहते हैं कि हमारा प्रदेश स्वर्णिम मध्यप्रदेश बन रहा है, बीमारू राज्य से बाहर निकल रहा है. लेकिन हमारे यहाँ आज भी 44.30 प्रतिशत जो लोग हैं, वे आज कहीं न कहीं गरीबों की श्रेणी में आते हैं. गाँवों के विकास और गरीबों के उत्थान के नाम पर मध्यप्रदेश का जो बजट है उस पर लगभग-लगभग डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा का आज कर्ज ले चुके हैं. लेकिन विसंगति यह है कि 44.30 प्रतिशत आबादी अभी भी गरीबी रेखा के नीचे है. मध्यप्रदेश सरकार का दावा है कि वह उसके बजट का 45 प्रतिशत गरीबों के कल्याण पर, गरीबी उन्मूलन वाली योजनाओं के ऊपर, खर्च करती है. लेकिन अभी तक गरीबों के लिए जो काम किए गए हैं वे नाकाफी हैं. उपाध्यक्ष महोदय, जब पूरे देश में हम देखेंगे तो 36.29 करोड़ लोग गरीबी की श्रेणी में आते हैं. वहीं मध्यप्रदेश में उनकी संख्या लगभग 3.27 है और जो हम प्रतिशत, जो देश का एवरेज निकालेंगे, तो आज हमारे प्रदेश में 14.87 प्रतिशत गरीबी ज्यादा है. देश के जो पाँच सबसे ज्यादा गरीब प्रदेश की जो श्रेणी है उसकी सूची में हमारा नंबर चौथा है. छत्तीसगढ़ नंबर एक पर आता है, जहाँ पर 47.9 प्रतिशत गरीब हैं. फिर मणिपुर आता है, फिर उड़ीसा आता है, उसके बाद मध्यप्रदेश का नंबर आता है. और तो और जो देश में सबसे ज्यादा भूखे प्रदेश हैं, अगर उनके आँकड़े निकाले जाएँ तो इंडियन स्टेट हंगर इंडेक्स के अनुसार उसमें भुखमरी के मामले में मध्यप्रदेश नंबर एक पर आता है और जो देश की दर है वह 23.3 है तथा मध्यप्रदेश की दर है वह 30.9 है. देश के एवरेज से लगभग 7 प्रतिशत ज्यादा भुखमरी मध्यप्रदेश में है.
उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी हमेशा बार-बार एक ही बात कहते हैं कि मध्यप्रदेश उनका मंदिर है, जनता उनकी भगवान है और जब तक एक-एक व्यक्ति को लाभ नहीं मिलता वे चैन से नहीं बैठेंगे. लेकिन स्थिति उससे बहुत उलट-पुलट है क्योंकि कभी प्रदेश खनिज माफियाओं से दुखी होता है तो कभी महिलाओं पर जो अत्याचार के मामले आते हैं उस पर मध्यप्रदेश शर्मसार होता है. भूख, गरीबी, कुपोषण, अत्याचार, जैसे दानव सरकार की बखियाँ उधेड़ने में लगे हुए हैं. जो अभी तक खोटे प्रयास हुए हैं उन्हीं का परिणाम है कि आज मध्यप्रदेश की आधी आबादी गरीब हो गई है एवं लाखों पात्र लोगों को आज भी बीपीएल कार्ड नहीं मिले हैं. अगर उन गरीबों को भी हम सम्मिलित कर लें, जो समय-समय पर मांग कर रहे हैं कि उनका नाम भी बीपीएल सूची में डाला जाए, अगर वे जुड़ जाएँगे तो आँकड़े और भी भयानक हो जाएँगे.
उपाध्यक्ष महोदय, एक ओर हम कुपोषण की बात करते हैं. जब कुपोषण के बारे में अभी कालूखेड़ा जी ने भी कुछ आँकड़े दिए थे. आज मध्यप्रदेश में जो 55 प्रतिशत से भी ज्यादा जो बच्चों की मौत होती है उसमें कुपोषण एक सबसे महत्वपूर्ण कारण होता है और देश में अगर सर्वाधिक कम वजन के बच्चे हैं तो वह मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं और मध्यप्रदेश की जो कुपोषण की स्थिति है वह 64 प्रतिशत से बढ़कर 76 प्रतिशत हो गई. लगातार कुपोषण की स्थिति प्रदेश में बढ़ती जा रही है और 1 से 3 वर्ष की जो आयु वर्ग के बच्चे हैं.....
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कोरम का अभाव है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- उपाध्यक्ष महोदय, विचित्र लोग हैं, अभी एक मिनट पहले आए हैं....कोरम का अभाव है. देखिए, क्या स्थिति है. अभी एक भी नहीं था. जीतू तो बहिष्कार कर रहे हैं, जब से सुनी है अजय भैय्या की.
श्री जितू पटवारी-- नहीं, मेरे को क्या, मैं कोई लेने में न देने में, मैं गरीब आदमी हूँ, मेरे को कहाँ इस पचड़े में पटक रहे हों?
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- मैं देख रहा था कि कैसे बाला भाई के पास, फिर कालूखेड़ा जी के पास आप सहानुभूति व्यक्त कर रहे थे.
श्री कमलेश्वर पटेल-- मंत्री जी, हम लोग भी आपको एक नंबर में देखना चाहते है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- हमारे यहाँ सब शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में एक हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- वैसे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आपका ही नंबर है आगे आने का.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- शिवराज सिंह जी के साथ सब एक हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता.
राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा (श्री संजय पाठक)-- कमलेश, कम से कम आप तो मत बोलो.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- उपाध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश की जो 1 से 3 वर्ष की आयु वर्ग के जो बच्चे हैं उनमें से 4 में से....
उपाध्यक्ष महोदय-- कमलेश्वर जी, कोरम है. मैंने देख लिया है. 23 लोग उपस्थित हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, 4 में से 3 बच्चे एनिमिया से ग्रसित हैं. लगभग 75 परसेंट जो बच्चे हैं 1 से 3 वर्ष के वे एनिमिया से ग्रसित हैं. यूनिसेफ के आँकड़े कहते हैं कि 5 वर्ष से कम आयु के एक हजार बच्चों में से चार बच्चों को रतौंधी है तो यह आँकड़े हमारे नहीं हैं. यह कहीं यूनिसेफ के आँकड़े हैं, कहीं केन्द्र सरकार के आँकडे़ हैं. और तो और मध्यप्रदेश में जो अनुसूचित जनजाति क्षेत्र हैं उसमें 1.10, मतलब एक लाख दस हजार आँगनवाड़ियाँ होनी चाहिए. लेकिन उसके उलट अभी मात्र पचास हजार आँगनवाड़ियाँ संचालित हो रही हैं. लगभग 60 हजार आंगनवाड़ियों की कमी मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में है.रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के सेंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर देश में नंबर एक है. मध्यप्रदेश वह राज्य है जहाँ हर 1 हजार बच्चों में से 52 बच्चे अपना पहला जन्मदिन नहीं मना पाते, उसके पहले ही उनकी मृत्यु हो जाती है. यूनिसेफ के मनीष माथुर की रिपोर्ट है कि जो नवजात शिशु मृत्यु दर का जो राष्ट्रीय औसत है वह 26 प्रतिशत है और मध्यप्रदेश का जो औसत है वह 35 प्रतिशत ज्यादा है, 11 प्रतिशत देश के औसत से ज्यादा है और शिशु मृत्यु दर का जो राष्ट्रीय औसत है वह 39 परसेंट है और मध्यप्रदेश का 52 प्रतिशत है लगभग 13 प्रतिशत ज्यादा है. पांच वर्ष से छोटे बच्चों का मृत्यु दर का राष्ट्रीय औसत 45 है तो मध्यप्रदेश का 65 प्रतिशत है. तो जहाँ भी हम बात करेंगे, हमारे जो बच्चे पैदा हो रहे हैं, उन सबकी मृत्यु के आंकड़े देखेंगे तो पूरे देश में मध्यप्रदेश नंबर एक पर है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे ज्यादा चिंताजनक हालत ग्रामीण क्षेत्रों में है जहाँ मृत्यु दर 57 प्रतिशत है मतलब वहाँ यदि 1 हजार बच्चे पैदा होते हैं तो 57 बच्चों की मृत्यु हो जाती है और-तो-और ग्रामीण क्षेत्रों में हर हजार लड़कियों में से 58 लड़कियों की मौत 1 साल के पहले हो जाती है यह सोचने और समझने की बात है कि हम अभी तक बच्चों को मृत्यु से नहीं बचा पा रहे हैं. नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशियन, हैदराबाद के अध्ययन के अनुसार मध्यप्रदेश के 52 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं जबकि अन्य राज्यों के आंकड़े 24 प्रतिशत हैं. कहीं-न-कहीं आंकड़ों की बाजीगरी में भी हम नंबर एक हैं. हम हमारी उपलब्धियों को बताने का प्रयास करते हैं और आंकड़ों की हेराफेरी करते रहते हैं. एक और ताजा आंकड़ा जो राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो की तरफ से आया है वह चौंका देने वाला है. आरटीआई से जो जानकारी मिली है उसमें पिछले छह वर्षों में 6594 किसानों की आत्महत्या की बात सामने आई है और उसमें यह बात कबूल की गई है कि 80 प्रतिशत किसानों ने कर्ज के कारण आत्महत्या की है. यह हमारे आंकड़े नहीं है यह तो जो रिकार्ड आरटीआई में सरकार ने दिया है उसके आंकड़े हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मध्यप्रदेश में एक और समस्या बड़ा विकराल रूप लेते जा रही है, वह बेरोजगारी की समस्या है.प्रदेश में लगातार बेरोजगारी बढ़ती जा रही है जबकि अन्य राज्यों में बेरोजगारी घट रही है. श्रम और रोजगार मंत्रालय की रिपोर्ट जो संसद में पेश की गई है उसमें यह बताया गया है कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2011-12 में जो बेरोजगारी की दर थी वह 2.1 थी. वर्ष 2012-13 में 1.8 थोड़ी कम हुई थी. वर्ष 2014 में बढ़कर 2.3 हो गई और 2016 में 3.0 हो गई है इस प्रकार लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है. केन्द्रीय योजनाओं का भी यहाँ बुरा हाल है. पी.एम.रोजगार सृजन योजना में पिछले तीन वर्षों में 2 अरब 2 करोड़ 93 लाख की फंडिंग की गई उसके बाद भी सिर्फ 43,713 लोगों को रोजगार मिल पाया है. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 3 वर्षों में जो युवाओं को रोजगार मिला है उसके आंकड़े इस प्रकार है कि वर्ष 2015 में 21,896 लोगों को रोजगार मिला, वर्ष 2016 में वह आंकड़ा घटकर 16,597 हुआ हैं और अभी तक 5320 है तो लगातार बेरोजगारी के आंकड़े बढ़ रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने बेटी बचाओ अभियान के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपये फूंक दिये परिणाम क्या निकला. लोकसभा प्रश्न के उत्तर में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने जवाब में बताया कि मध्यप्रदेश भ्रूण हत्या के मामले में पूरे देश में नंबर एक है तो यह आज एक सोचने की बात है कि जिस चीज को हम पूरे देश में प्रचार-प्रसार कर रहे हैं और भ्रूण हत्या की बात आती है तो उसमें हम नंबर एक हैं. घुमक्कड़ जातियों का हवाला इसमें दिया गया है लेकिन अभी तक मध्यप्रदेश में कितने घुमक्कड़ जाति के लोग रह रहे हैं इसके आंकड़े सरकार के पास नहीं है जबकि इस पर करोड़ो रुपये उन्होंने खर्च कर दिये हैं लेकिन अभी तक उनकी आबादी का ही पता नहीं है तो क्या योजना बन रही है यह एक सोचने की बात है. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में स्मार्टसिटी योजना का लेख किया गया है इसमें भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर शहरों को शामिल किया गया है और सतना व सागर का प्रस्ताव भेजा गया है. लेकिन इसमें कितने वृक्ष काटे गये, कितने लोगों को विस्थापित किया गया? यदि हम भोपाल की बात कर रहे हैं तो नॉर्थ टी.टी. नगर को इसमें शामिल किया गया है और भोपाल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है,हरियाली के लिए जाना जाता है,झीलों की नगरी कहलाता है ऐसे में ना जाने कितने हरे-भरे वृक्ष काटे जाएंगे और वहाँ के रहवासियों को कहाँ विस्थापित किया जाएगा उसके बारे में अभी सरकार की कोई योजना सामने नहीं आई है. पूर्व में शिवाजी नगर में स्मार्ट सिटी बनाये जाने का प्रस्ताव था लेकिन वहाँ के रहवासियों ने इसका विरोध किया तो नये भोपाल के बहुत से स्थान ना केवल रहने हेतु आदर्श हैं अपितु समस्त सुविधा आसपास ही हैं. सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल, बाजार आदि मूलभूत सुविधाएं आसानी से सुलभ हैं.तो कहने का यह मतलब है कि हम ऐसे विकसित क्षेत्र को उजाड़ रहे हैं जहां पर सारी सुविधाएं हैं और उसके बदले में केवल यह धन का अपव्यय है. यदि कोई जगह पर आप बनाते हैं और नई सुविधाएं देते हैं तो वह बहुत ज्यादा बेहतर होता और तो और भोपाल के टी.टी.नगर में गेमन इंडिया लिमिटेड के अंतर्गत दीपमाला कंस्ट्रक्शन द्वारा सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट बनाई जा रही है यह भी विवाद में आ गया है और काम बंद है. इसके बारे में भी सरकार को कुछ सोचने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड के आवासीय प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पा रहे हैं. भोपाल में बोर्ड ऑफिस के पास ही कीलनदेव और अन्य प्रोजेक्ट अधूरे पडे़ हैं. बुकिंगधारी परेशान हैं और यह उनकी बढ़ी हुई राशि की लगातार उनसे मांग की जा रही है तो यह कब तक बनेंगे ? इसके बारे में भी सरकार को विचार करना चाहिए. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में लेख किया गया है कि भोपाल एवं इंदौर की मेट्रो रेल परियोजना की डी.पी.आर. भारत सरकार को भेजी जा चुकी है. इंदौर में शायद कुछ हो रहा है. माननीय बाबूलाल गौर जी ने भी सदन में कहा था और कई बार इनके सवाल के ऊपर भी प्रश्न उठे हैं कि कब तक रेल आएगी ? वह तो शायद बैलगाड़ी की स्पीड से आ रही है, मेट्रो ट्रेन कब तक आएगी ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में कुछ बिन्दु हैं. मैं बिन्दुवार आपके सामने रखना चाह रहा हॅूं कि क्रमांक-4 में ओला प्रभावित किसानों की बात कही गई है. अभी हाल में ओले गिरे हैं. कहीं पर भी कोई आदमी, कोई सरकार के नुमांइदे नहीं पहुंचे हैं और तो और जो पिछले वर्ष के ओला प्रभावित किसान हैं जो खरीब फसलें हैं, उनकी बीमा राशि बहुत से किसानों को आज तक नहीं मिली है. सरकार बातें तो बड़ी-बड़ी करती हैं लेकिन किसान को जो फायदा होना चाहिए, वह फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है. कल श्री वरूण गांधी इंदौर आए थे. किसानों के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार किसान हितैषी नहीं है. उन्हें आज पता चला जब यू.पी. में स्टार केंपेनिंग से हटा दिया. जब उन्हीं की भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने आकर प्रदेश में किसानों की हालत के बारे में कहा. आज सडे़ टमाटर सड़क पर फेंके जा रहे हैं. प्याज की हालत हम सभी को पता है तो आज किसान कहीं न कहीं परेशान है. ऊपर से कैशलेस आ गया. मंडियों में पैसों की व्यवस्था नहीं है. तीन तरह के रेट चल रहे हैं. अभी सोयाबीन मंडी में बेचने जाते हैं कोई नगद में किसी को भुगतान होना होता है तो 2200/- रूपये का भुगतान मिलता है. एक हफ्ते का चेक मिलता है तो 2400/- रूपये का मिलता है और अगर जो कैशलेस व्यवस्था में एक महीने में पैसा मिलता है तो 2900/- रूपये का मिलता है. एक ही फसल है लेकिन पैसे की व्यवस्था में तीन-तीन रेट उसको आज भुगतना पड़ रहा है और किसान अगर आज सबसे ज्यादा परेशान है तो इस भावों के कारण परेशान है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खेती को लाभ का धन्धा बनाने की बात करते हैं और एक ओर आत्महत्या के आंकडे़ प्रदेश में लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. जो भी योजनाएं आती हैं हमारे मुख्यमंत्री जी ने ही आदर्श खेती की योजना बताई थी. स्वयं उन्होंने अनार की जो खेती करते हैं उसका उदाहरण दिया था और आज यह स्थिति आ गई कि उनका जो अनार का बगीचा है कहीं न कहीं बगीचा तोड़ना पड़ रहा है.
4.22 बजे { अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
अनार से भी लाभ नहीं मिल रहा है. शेरपुर जो कि इस विधानसभा के सीहोर जिले में आता है. माननीय प्रधानमंत्री जी वहां पर पहुंचे तो नई फसल बीमा योजना का उन्होंने वहां से उदघोष किया था, शुभारम्भ किया था लेकिन अभी तक उसकी स्पष्ट गाईडलाइन नीचे तक नहीं पता है. हाल ही में पिछले वर्ष खरीफ में सोयाबीन की फसल ज्यादा बारिश के कारण खराब हुई थी. किसी भी किसान को, जिसके नदी या नाले के किनारे के खेत हैं उनको उसका लाभ नहीं मिल पाया.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें और भी वक्ता हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कोशिश करता हॅूं. क्रमांक-15 में पशुधन संरक्षण की बात की गई है. आज दूध के भाव से किसान परेशान है, आप गांव में जाकर मालूम करिएगा.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया, अपनी बात समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पांच मिनट में अपनी बात समाप्त करता हॅूं. किसान को आज दूध का भाव नहीं मिल रहा है. बिजली सस्ती खरीदी जा रही है और किसानों को महंगी मिल रही है और तो और जो फीडर सेपरेशन का काम चल रहा है इतना घटिया चल रहा है कि खम्भे और तार छूट रहे हैं. गांवों में 24 घंटे बिजली देने की बात कर रहे हैं. गांव के बाहर जो नई कालोनियॉं बन गई हैं, रोड के किनारे घर बन गए हैं उनको 24 घंटे की बिजली नहीं दी जा रही है. बजट के अभाव की बात कहकर नई आबादी में बिजली नहीं मिल रही है. क्रमांक-19वें नंबर पर स्थाई कनेक्शन की बात कही गई है. लोगों से पैसे ले लिए गए और अब कह रहे हैं कि वर्ष 2019 तक हम स्थाई कनेक्शन कर देंगे और किसानों को लूटा जा रहा है. तीन हार्सपॉवर का टेम्परेरी कनेक्शन नहीं मिलता. लेने जाओ तो पांच हार्सपॉवर से कम का नहीं मिलेगा. वह भी चार महीने से कम का नहीं मिलेगा तो कहीं न कहीं किसान परेशान है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा, क्षिप्रा नदी को जोड़ने की जो बात कही गई है अन्य योजनाएं भी इंतजार कर रही है कि कब तक प्रदेश में दूसरे क्षेत्रों में सिंचाई की योजनाएं बढे़ंगी. सरकार का जो नियम है, जो नई नीति आ गई है उसमें भूमि अधिग्रहण के अंतर्गत जमीनों के रेट बढ़ गये हैं और जमीनों के रेट बढ़ने के कारण छोटे तालाबों का बनना संभव नहीं है. सरकार को इस ओर निर्णय लेना पडे़गा कि हम उस नियम में बदलाव लाएं ताकि छोटे-छोटे तालाब भी बन सकें और तो और जो रोडों की स्थिति है बहुत खस्ता हाल हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात आपको इंगित करना चाहता हॅूं कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत ब्लॉक हेडक्वार्टर से तो गांवों को जोड़ दिया गया है लेकिन एक ही पंचायत के जो दो गांव हैं उन्हें आपस में नहीं जोड़ा गया है. उसी प्रकार जो मजरे-टोले हैं जो गांव मुख्य गांव से लगभग 1-2 किलोमीटर दूर हैं उनके बीच में भी अभी रोड नहीं बनी है, उस ओर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें. आपको बोलते हुए 17 मिनट हो गए हैं और भी वक्ताओं को बोलना है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- पंचायतों के अधिकार छीन लिए गए हैं. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के जो लोग हैं वे लोग बिजली के लिए दर-दर भटक रहे हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवारा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रस्ताव पर अपने विचार रखना चाहता हूँ. इस वर्ष को जो कि पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मशती वर्ष है, हमारी सरकार ने गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का संकल्प लिया है. इसके लिए सरकार काम भी कर रही है. पिछले वर्षों में भी सरकार ने हर क्षेत्र में विकास के कार्य किए हैं. हम कृषि का क्षेत्र लें क्योंकि मध्यप्रदेश कृषिप्रधान प्रदेश है. यहाँ खेती के लिए बहुत संभावनाएँ हैं और सरकार ने खेती के लिए काम भी बहुत किया है. आज हमारी कृषि विकास दर बढ़कर 20 प्रतिशत के लगभग हो गई है जो कभी 4-5 प्रतिशत हुआ करती थी. सरकार ने जो कृषि के विकास के कार्य किए उनमें सरकार का योगदान यह है कि जो हमारी सिंचाई क्षमता वर्ष 2003 में 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुआ करती थी आज वर्ष 2016-17 में 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता है. इसे वर्ष 2025 तक 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में करने का सरकार का संकल्प है. इससे हमारे प्रदेश का बहुत बड़ा रकबा सिंचित हो जाएगा. आज दलहन, तिलहन, चना, मसूर, सोयाबीन, लहसून, टमाटर में हमारा प्रदेश प्रथम स्थान पर है. गेहूँ के उत्पादन में हमारा प्रदेश दूसरे स्थान पर है. लगातार 4 वर्षों से मध्यप्रदेश को जो कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है वह इस बात को दर्शाता है कि माननीय शिवराज सिंह जी चौहान की सरकार ने मध्यप्रदेश में खेती के लिए बहुत काम किया है. इस वर्ष खरीफ की फसलों का उत्पादन 236 लाख मैट्रिक टन हमारे प्रदेश में होने का अनुमान है. रबी की फसलों के लिए 117 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी हुई है. इस वर्ष गेहूँ की फसल का उत्पादन 2 करोड़ मैट्रिक टन हुआ है जो कि एक रिकार्ड है. वर्ष 2015 में 20 लाख 47 हजार किसानों को देश के इतिहास में सर्वाधिक 4416 करोड़ रुपये की फसल बीमा दावा राशि का वितरण किया गया है जो कि एक रिकार्ड है. हमारी सरकार ने पिछले एक वर्ष में प्रदेश के किसानों को विभिन्न उद्देश्यों हेतु 18,444 करोड़ रुपये की राशि सहायता के रूप में उपलब्ध कराई है. आज 4 लाख अऋणी किसानों को बीमा योजना से जोड़ा गया है पहले अऋणी किसानों को नहीं जोड़ा जाता था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में बिजली की स्थिति यह है कि वर्ष 2003 में संभागीय मुख्यालय में 2 घंटा बिजली कटती थी, जिला मुख्यालय में 4 घंटा बिजली कटती थी, तहसील मुख्यालय में 8 घंटा बिजली कटती थी और ग्रामीण क्षेत्रों में तो 16 घंटे बिजली कटती थी, गाँवों में पहले कोई आदमी कूलर-पंखे नहीं लेता था क्योंकि बिजली ही नहीं मिलती थी लेकिन आज छोटे से छोटे गाँव में भी 24 घंटे बिजली हमारी सरकार दे रही है और खेतों के लिए 10 घंटे थ्रीफेज़ बिजली दे रही है ताकि किसानों की सिंचाई अच्छे ढंग से हो सके और जो मजरे-टोले अटल ज्योति योजना के अंतर्गत छूट गए हैं, उन मजरे-टोलों को भी दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के तहत जोड़ने का प्रयास इसी वर्ष शुरू हो रहा है ताकि छूटे हुए मजरे-टोले बिजली से जुड़ जाएं. हमारे प्रदेश में इस वर्ष 17412 मेगावाट बिजली की उप्लब्धता है जबकि वर्ष 2003 में सिर्फ 2600 मेगावाट बिजली की उपलब्धता थी. इसे वर्ष 2022 तक 22 हजार मेगावाट करने का लक्ष्य है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष अप्रैल में हमारी सरकार ने घोषणा की थी कि जितने भी अस्थाई कनेक्शन हैं उनको स्थाई कर दिया जाएगा तो मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना में वर्ष 2019 तक 5 लाख अस्थाई कनेक्शन को स्थाई में बदला जाएगा.इस वर्ष एक लाख अस्थायी कनेक्शनों को स्थायी कनेक्शन में बदला गया है. बिजली के क्षेत्र में अगर बिजली मीटर के द्वारा काउंट करके दी जाय तो 30 से 32 हजार रूपया 5 हार्स पावर का एक वर्ष के लिए लगेगा, लेकिन 1400 रूपया प्रति हार्स पावर प्रतिवर्ष सरकार बिजली का बिल ले रही है, 20 से 25 हजार रूपये 5 हार्स पावर पर सब्सिडी है, सरकार किसानों के खाते में उस सब्सिडी को जमा करती है बिजली के क्षेत्र में और भी जैसे एक बार अस्थायी कनेक्शन की बिजली माफ हुई थी और किसानों को स्थायी कनेक्शन नहीं दिये गये थे जिसके कारण किसान परेशान थे. अस्थायी कनेक्शन लेते थे 3 माह के लिए 5 हार्स पावर का लगभग 8 से 9 हजार रूपया लगता था लेकिन उसे अटूट बंधन योजना के द्वारा सरकार ने एक हजार फीट की दूरी तक के जितने भी कनेक्शन हैं उनको स्थायी कर दिया था, किसानों से केवल स्थायी कनेक्शन के लिए 6 हजार रूपये जमा कराये थे. इन कनेक्शनों को स्थायी करने के लिए पहले ट्रांसफार्मर नहीं थे, महापंचायत योजना के द्वारा किसानों के खेत में ट्रांसफार्मर लगवाए हैं.
अध्यक्ष महोदय, कृषक अनुदान योजना के द्वारा 5 एकड़ से कम के अनुसूचित जाति जनजाति के किसान हैं उनको 5 हजार रूपये प्रति हार्स पावर के हिसाब से 5 हार्स पावर के लिए 25 हजार रूपये जमा करके, भले ही उसकी लिमिट नहीं है, स्थायी पंप कनेक्शन योजना है उसकी लिमिट नहीं है पहले यह 1.5 लाख रूपये तक की लिमिट थी, अब वह लिमिट बढ़ भी सकती है तो किसानों के खेत में खम्भे भी लगाये जायेंगे, साथ में ट्रांसफार्मर भी लगाये जायेंगे. यदि 5 एकड़ तक के अन्य वर्ग के किसान हैं उनको प्रति हार्स पावर 7 हजार रूपये लगते हैं 35 हजार रूपये लगेंगे उनके खेतों में भी कनेक्शन लगा दिये जायेंगे, ट्रांसफार्मर लगा दिये जायेंगे और 5 एकड़ से ऊपर के जो किसान हैं उनको 50 हजार रूपये में 11 हार्स पावर के लिए उनके खेतों में बिजली पहुंचा दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय बिजली के क्षेत्र में सरकार ने बहुत काम किया है और इसी का फल है कि कृषि का उत्पादन बढ़ा है बिजली की उपलब्धता बढ़ी है और सुगमता से किसानों को बिजली मिली है इसलिए सिंचाई का रकबा बढ़ा है.
सहकारिता के क्षेत्र में जीरो प्रतिशत ब्याज जो कि कभी 12 से लेकर 18 प्रतिशत तक होता था, वह कर्ज अब जनता को जीरो प्रतिशत पर दिया जाता है. इस वर्ष 9762 करोड़ 63 लाख का फसल ऋण किसानों को जीरो प्रतिशत की ब्याज दर पर किसानों को दिया गया, सहकारिता विभाग ने बताया है कि 2017-18 में 15 हजार करोड़ के अल्पावधि ऋण बांटे जायेंगे, 13 लाख 12 हजार किसान क्रेडिट कार्ड जो सहकारिता विभाग के द्वारा किसानों को उपलब्ध कराये गये हैं, 2017-18 में 5 लाख किसान क्रेडिट कार्डो और उपलब्ध कराये जायेंगे.
मध्यप्रदेश की सरकार ने किसानों के मामले में पहले जैसे फसलों का नुकसान होता था तो कहीं पर 100 रूपये या 200 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से मिलता था और जो आरवीसी 6(4) कभी एक बहाना होता था उसको ब्रम्हा की एक लकीर मानते थे, इसके बंधन के कारण हम नहीं बढ़ा सकते हैं लेकिन जब से मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार माननीय शिवराज जी की सरकार आयी है तो आरबीसी 6(4) में संशोधन किया गया है और जो कभी 2 से 3 हजार हेक्टेयर तक फायदा मिलता था किसान को अब 11 हजार हेक्टेयर तक किसानों को फसलों का फायदा मिलता है इसके कारण किसानों की हालत सुधरी है. आज किसानों के लिए सिंचाई की क्षमता बढ़ने के कारण, जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिलने के कारण और पर्याप्त बिजली मिलने के कारण उत्पादन बढ़ा है और किसान खुशहाल हुआ है उसमें मध्यप्रदेश की सरकार का योगदान है. किसान होने के नाते मैं किसानी तक ही अपनी बात को सीमित रखता हूं इसलिए बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा (सोनकच्छ) - अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. अध्यक्ष महोदय, महामहिम का अभिभाषण किसी भी सरकार का दस्तावेज होता है. यह सरकार जो है वह दीनदयाल जी के जन्मशती वर्ष में उनके विचारों पर चलने वाली सरकार है. दीनदयाल जी का मानव एकात्मवाद हम सबको इस बात की प्रेरणा देता है कि समाज में जो सबसे पीछे, जो सबसे नीचे हैं, हमको उनके लिए काम करना है. मुझे सदन में यह कहते हुए बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि माननीय श्री शिवराज जी की सरकार उस दृष्टि में सबसे आगे, जो समाज में सबसे पीछे है उसके लिए काम कर रही है. यह सरकार पढ़ाई, लिखाई, दवाई, कमाई, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने वाली सरकार है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यदि कृषि की बात करूं तो खेती को लाभदायी धंधा बनाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. किसान वह होता है जो हमारा अन्नदाता होता है. लगातार 4 वर्षों से प्रदेश की कृषि की विकास दर 20 प्रतिशत प्रतिवर्ष है, जो कि देश में सर्वाधिक है. दलहन, तिलहन, चना, मसूर, सोयाबीन, लहसुन, टमाटर के उत्पादन में देश में मध्यप्रदेश सबसे प्रथम नम्बर पर है. हम लगातार 4 वर्षों से कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त कर रहे हैं. 2 वर्षों से केन्द्र में हमारी सरकार ने और इसके पहले जो केन्द्र में प्रतिपक्ष की कांग्रेस की सरकार थी, उस समय की सरकार ने लगातार 2 वर्ष हमको कृषि कर्मण अवार्ड दिया और मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि इस वर्ष भी यह पुरस्कार निश्चित रूप से किसानों की मेहनत और सरकार की सफलतम नीति के बल पर लाने में सफल रहेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं अनुसूचित जाति वर्ग से आता हूं. मुझे सदन में यह कहते हुए बड़ी प्रसन्नता है कि भीमराव अंबेडकर को हम सब लोग अपना मसीहा मानते हैं. पहली बार उनकी जन्मस्थली पर कोई प्रधानमंत्री गया है. इसके पहले अनेकों प्रधानमंत्री हुए, लेकिन कोई भी उस शोषित, पीड़ित, दलित समाज के उस स्मारक पर नहीं गया, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी वहां पर गये हैं. यही नहीं चाहे भाबरा की बात हो या शौर्य स्मारक की बात हो, मध्यप्रदेश सरकार की अनेकों उपलब्धियां ऐसी हैं, जो मध्यप्रदेश को देश की प्रथम पंक्ति में प्रथम स्थान पर खड़ा करती है. अनुसूचित जाति वर्ग की मैं बात करूं तो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए लगातार सरकार ने काम किया है और इस वर्ग के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार लगातार प्रतिबद्ध है. समानुपात से अधिक राशि व्यय कर रही है. पांच वर्षीय पैकेज तैयार किया है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बस्ती विकास, आवास, कौशल विकास के इत्यादि घटक उसमें सम्मिलित किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, जनता का विश्वास हम पर है. यदि हम नेपानगर विधान सभा उप चुनाव की बात करें या शहडोल के लोकसभा उप चुनाव की बात करें तो उसमें भी हमने लगातार सफलता प्राप्त की है. कांग्रेस पार्टी का कहीं नामो-निशान नहीं है. चाहे उप चुनाव की बात हो या नगर निगम के चुनाव की बात हो या जिला पंचायतों के चुनाव की बात हो. 51 में से 41 जिला पंचायत के अध्यक्ष हमारे हैं. 16 के 16 नगर निगम हमारी है. यह इस बात को इंगित करता है कि मध्यप्रदेश सरकार का विश्वास श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ है. श्री शिवराज जी का हर परिवार से चाहे वे भले ही मुख्यमंत्री हों, लेकिन उन्होंने अपना एक भावनात्मक रिश्ता मध्यप्रदेश की जनता के साथ बनाया है, इसलिए जनता का विश्वास हम पर है और इस विश्वास पर हम लगातार खरे उतरने की कोशिश कर रहे हैं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए मैं सदन में अपने विचार रखता हूं. वर्ष 2017 मानव एकात्मवाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती के रूप में हम मना रहे हैं. इस वर्ष को हमारी सरकार गरीब कल्याण के रूप में भी मना रही है. सर्वहारा वर्ग के लिए समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के विकास के लिए रोटी, मकान, दवाई, पढाई और रोजगार के लिए यह सरकार कृतसंकल्पित है. जब वर्ष 2003 में पहली बार मैं विधायक बनकर आया था, उस समय जैसा कि हमारे मुख्यमंत्री कहते हैं, नवाबों द्वारा, राजाओं द्वारा, अंग्रेजों और कांग्रेस द्वारा कुल सिंचाई का रकबा 7 लाख 50 हजार हैक्टेयर था. आज इन 13 वर्षों में मध्यप्रदेश का रकबा 37 लाख हैक्टेयर से भी अधिक हो गया है. मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि उस समय श्री दिग्विजय सिंह की सरकार थी, उसके बाद हमारी सरकार आई. उस समय मध्यप्रदेश में समस्त स्रोतों से बिजली की उपलब्धता मात्र 2900 मेगावाट थी. आज मुझे यह कहने में बड़ा गर्व है, मैं एक किसान हूं कि आज समस्त स्रोतों से मिलाकर 17412 मेगावाट बिजली मध्यप्रदेश के पास है. अध्यक्ष महोदय, सिंचाई और कृषि का संबंध उर्जा से है. कृषक होने के नाते मुझे यह बात कहने में अत्यंत प्रसन्नता है कि अभी तक बिजली विभाग की जितनी भी योजनाएं निकली हैं उसमें एक बहुत महत्वपूर्ण योजना-मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना हमारी सरकार ने किसानों के लिए लागू की है. ऐसे व्यक्ति जिनके पास दो हेक्टर जमीन है और वह अनुसूचित जाति/ जनजाति का है तो 25 हजार रुपये में उसका ट्रांसफार्मर स्थापित हो जाएगा. अगर सामान्य या पिछड़े वर्ग का है तो 35 हजार रुपये में हो जाएगा. मध्यप्रदेश के ऐसे किसान जिनकी दो हेक्टर से अधिक जमीन है तो सामान्य के लिए 65 हजार रुपये और एससी/एसटी के लिए मात्र 45 हजार में ट्रांसफार्मर लगते थे. यानी अब एक ट्रांसफार्मर पर 2.50 लाख रुपये हमारी सरकार खर्च करेगी.
अध्यक्ष महोदय,खरीफ 2015 में ओला वृष्टि हुई और किसानों की फसल खराब हुई तो 47 हजार किसानों को 4416 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम इस मध्यप्रदेश सरकार ने वितरित किया है. चूंकि काफी विभागों पर चर्चा हो चुकी है और रोड्स पर किसी सदस्य ने बात नहीं की इसलिए मैं रोड्स पर ही बात करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, आज मप्र की सरकार ने 5500 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर दिए जिसमें से 3025 किमी की स्वीकृति प्रदान हो गई. 2883 किमी की सैद्धांतिक स्वीकृति मप्र सरकार दे चुकी है. इसके साथ-साथ सरकार 3778 किमी राजमार्ग(स्टेट हाईवे) घोषित कर चुकी है.
अध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश में एमडीआर(जिला मार्ग) में पहली बार 4211 किमी रोड की घोषणा हमारी सरकार ने की है. इस वित्तीय वर्ष में 101 ब्रिज हमारी सरकार ने बनाये हैं. बिजली के मामले में 2003 में एक ट्रांसफार्मर जल जाता था, मैं ईमानदारी के साथ कह रहा हूं कि 15-20 दिन से पहले ट्रांसफार्मर बदल नहीं सकते थे. आज प्रदेश में ट्रांसफार्मर जलने का प्रतिशत 2.88 हो गया है जो कि नगण्य है. 100 में से मात्र 2.88% ट्रांसफार्मर जल रहे हैं. आज हमारे क्षेत्र में 25, 67 या 100 केवी का ट्रांसफार्मर अधिकतम 3 दिन में बदल रहे हैं. यह बात सत्य है कि 200 केवी के ट्रांसफार्मर आने में समय लग जाता है तो वह अधिकतम 7 दिन में बदलता है.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि जब मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ शामिल था उस समय मध्यप्रदेश हिंदुस्तान का सबसे बड़ा राज्य हुआ करता था. लेकिन छत्तीसगढ़ अलग होने के बाद हमारा प्रदेश का जो क्षेत्रफल है वह 3 लाख 8 हजार 245 वर्ग किमी रह गया है. इस क्षेत्रफल में जो भी संसाधन हैं उसका उपयोग कर रहे हैं. 2003 में हमारा प्रदेश बीमारु राज्य की श्रेणी में था. क्षेत्रफल की दृष्टि से हमारा प्रदेश दूसरे स्थान पर है जबकि छत्तीसगढ़ के साथ हम पहले स्थान पर थे. क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का दूसरा राज्य होने के बाद भी आज यह प्रदेश विकासशील राज्य की श्रेणी में आ गया है. अध्यक्ष महोदय, यह माननीय मुख्यमंत्रीजी और भारतीय जनता पार्टी के अथक प्रयास से संभव हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे कहने में गर्व है कि 5 नवम्बर को एक दिन का विशेष सत्र मप्र की सरकार ने बुलाया और किसानों के लिए राहत राशि और बीमा राशि की घोषणा सदन में माननीय मुख्यमंत्री जी ने की. राज्य के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि विधानसभा का एक दिन का सत्र किसी मुख्यमंत्री जी या सरकार ने बुलाया हो.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, मुझे पता है कि समय की कमी है. हमें भी जाना है. मैं समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. जैसे सभी सदस्यों ने अपने विचार यहां पर रखे उसमें रोटी,कपड़ा,मकान और रोजगार के मामले में जो यहां पर बताया गया उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात युवाओं के रोजगार की आती है. रोजगार के बारे में बहुत बड़ी-बड़ी बातें यहां पर कही गईं. जब मध्यप्रदेश के युवा मध्यप्रदेश के बाहर नौकरी हेतु आवेदन करते हैं तो उनका नौकरियों में आरक्षण सीमित रहता है, लेकिन जब मध्यप्रदेश में कोई नियुक्ति निकलती है तो दूसरे राज्यों के युवाओं की 90-95 प्रतिशत यहां पर नौकरी लगती है. कम से कम यह व्यवस्था की जाये कि मध्यप्रदेश के युवाओं को नौकरियों में सबसे पहले प्राथमिकता दी जाये और मात्र 5 से 10 प्रतिशत नौकरियां ही बाहर के प्रदेशों के युवाओं हेतु रखी जायें क्योंकि बाहर के युवा मध्यप्रदेश के युवाओं का रोजगार छीन रहे हैं. खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात कही गयी है. जो आंकड़े पेश किये गये हैं आज चंबल जो सबसे बड़ी नदी है पानी वहां भरपूर है और हम कई बार मांग कर चुके हैं कि किसान के खेत तक पानी नहीं जा रहा है. आप बड़े-बड़े डेम बना रहे हैं. उस पर बहुत खर्च कर रहे हैं. हमारे पास पानी की उपलब्धता होने के बावजूद भी चंबल डेम का पानी हमारे किसानों को खेतों तक नहीं मिल पा रहा है तो आप कैसे सिंचाई की बात कह रहे हैं. हमारे यहां पर जल संसाधन विभाग द्वारा 7-8 तालाब चिन्हित कर दिया है उनके एफ.डी.आर.तैयार हो चुके हैं उनके लिये राशि अभी तक स्वीकृत नहीं हुई है. जिसमें झांगरया,भटूनी,कांकड़सेमली,सेदराम,करनाली,बंजारी और प्रतापपुरा ये सात तालाब कब से स्वीकृत होने की स्थिति में हैं लेकिन आज तक इनकी स्वीकृति नहीं मिली है तो मैं यह मानता हूं कि कैसे किसानों की समस्या हल होगी. एक योजना और हमारी है. श्यामगढ़-सुवासरा-चंबल सिंचार्ई परियोजना जो 930 करोड़ रुपये की है. उसकी कब से डीपीआर तैयार हो चुकी है परंतु क्या कारण है कि उसको बजट में सम्मिलित नहीं किया जा रहा है. जब इतनी बड़ी सिंचाई योजना हमारे पास है उसको स्वीकृति दिलाई जाये जिससे क्षेत्र में सिंचाई बढ़ाई जा सके. सीतामऊ-क्यामपुर सिंचाई परियोजना जिसका सर्वे हो चुका है. इसको भी अगर बजट में सम्मिलित किया जाता है तो सिंचाई के और अवसर बढ़ेंगे. स्वास्थ्य के बारे में इसमें कहा गया है. यह कहा जाता है कि हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह-यह सुविधाएं दे रहे हैं. क्यामपुर में नरोत्तम मिश्रा जी जब स्वास्थ्य मंत्री थे उन्होंने घोषणा की थी कि एक पेरामेडिकल अस्पताल क्यामपुर में खोला जायेगा. वहां दो डाक्टर रखे जायेंगे और दस बिस्तरों का अस्पताल खोला जायेगा. उसके बावजूद भी आज तक उसका पालन नहीं हो पाया है. तो हम स्वास्थ्य सेवाएं उस क्षेत्र में कैसे बढ़ाएंगे. श्यामगढ़ में सोनोग्राफी मशीन पड़ी हुई है परंतु एक डाक्टर दो साल तक उसके लिये उपलब्ध नहीं हो पाया है जिसके कारण वह मशीन आज भी यथा स्थिति में पड़ी हुई है. एम्बुलेंस की बातें कह रहे हैं. हमारे यहां नाहरगढ़ और श्यामगढ़ में खटारा एम्बुलेंस हैं. जिसके टायर जाम हो चुके हैं और पूरी खटारा हो चुकी है वहां आज तक एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाई है. ऐसे हम स्वास्थ्य सेवाएं कैसे बढ़ाएंगे. सुवासरा में डिजिटल एक्सरे मशीन की कब से मांग की जा रही है. सबसे बड़ी शहर है,मुख्यालय है,तहसील है आज तक वहां एक्सरे मशीन उपलब्ध नहीं है. रूड़िजा और बसई में पी.एच.सी. के लिये कई बार हम मांग कर चुके हैं आज तक वह स्वीकृत नहीं हुए हैं. शिक्षा की बात करें तो शालाओं के उन्नयन की बात अभिभाषण में लिखी है कि इतने स्कूलों का उन्नयन किया गया. हमारे यहां लदूना जो दस हजार की आबादी का गांव है वहां आठवीं तक का स्कूल है और उसको बताया जाता है कि सीतामऊ के पास है जबकि वहां पंचायत है,सरपंच है. बड़ी पंचायत है और वहां मात्र आठवीं तक का स्कूल है अगर वह हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी नहीं बन सकता है तो हम शिक्षा की क्या बात करते हैं ? ऐसे ही बोरखेड़ी,आगर,लदूना,रहीमगढ़,खेताखेड़ा में हायर सेकेण्डरी स्कूल खोले जा सकते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में जो स्कूलों के लिये भवन बनाने की बात कही जा रही है तो हमारे यहां चंदवासा में चौबीस साल पहले एक हाई स्कूल खुला था, उसमें हजारों बच्चे हैं परंतु वे जिस बिल्डिंग में पढ़ते हैं वह बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है. मैं कई बार इस भवन की मांग कर चुका हूं लेकिन यह भवन आज तक नहीं बन पाया है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, अभी शुरू ही किया है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया सहयोग करें एवं दो मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही कॉलेज के लिये सुवासरा की बिल्डिंग की डीपीआर तैयार हो चुकी है उसको स्वीकृत कराया जाये, सुवासरा इलाका पूरा कंजर बेल्ट है, कई बार पुलिस चौकी की वहां पर मांग कर चुके हैं और गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह जी ने इस बारे में खेताखेड़ा, नकेडि़या में पुलिस चौकी खोलने का आदेश भी दिया परंतु आज तक वह नहीं बन पाई है और कभी भी कोई बड़ी घटना वहां घट सकती है. सुवासरा में 25 लाख रूपये का खेल मैदान 7 साल पहले बना, वह आज भी अधूरा है अगर उसको बढ़ाया जाता है तो खेल में भी प्रतिभायें सामने आ सकती हैं. ऐसे ही सीतापुर, श्यामगढ़, नाहरगढ़, लदुना और रूवीजा में भी यह खोला जाये और प्राथमिक स्कूल में खेल विभाग द्वारा जो जिम मशीनें दे रखी हैं वह वहां पड़ी हैं, जबकि वह जिम मशीनें हायर सेकेण्डरी और कॉलेज में होनी चाहिये और आज वह जिम मशीनें वहां पर धूल खा रही हैं जिसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है इसको भी देखा जाये. ऐसे ही ऊर्जा विभाग में अभी यशपाल जी बोले थे कि हमारे यहां पर हब खुल चुका है, विकास के लिये 2 प्रतिशत राशि जो गांव के लिये खर्च की जाती है, वहां 1 रूपया भी अभी तक नहीं आ पाया है और ऊर्जा विभाग द्वारा एक वसूली ऐसे की गई कि गोवर्धनपुरा में एक भग्गा जी नाम का व्यक्ति 85 साल का लखुआ पीडि़त है, बिजली विभाग वाले 10 बजे सुबह उसको बंद करते हैं और रात को 10 बजे तक वह व्यक्ति उस कमरे के अंदर बंद रहता है और बिजली विभाग वाले सील लगाकर जाते हैं, ऐसे वसूली हो रही है. ऐसे ही एक जमाई जी अपने ससुर जी के यहां चाय पीने आते हैं, उसकी मोटर साइकिल उठाकर ले जाते हैं, अपने मेहमानों की मोटर साइकिल ले जायें यह ठीक बात नहीं है, इस पर भी आप ध्यान दें. कृषि में शीत लहर से जो नुकसान हुआ है उसका सर्वे कराकर अतिशीघ्र उसका मुआवजा दिया जाये. हमारे मंदसौर जिले की सरकारी बैंक में 36 करोड़ 25 लाख 82 हजार रूपये पुराने नोट जमा किये हैं वह आज तक निकालने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है क्योंकि प्रतिबंध लग चुका है और 2 लाख रूपये प्रतिदिन बैंक के ब्याज के लग रहे हैं यह भी देखा जाये. पीडब्ल्यूडी की सड़कों को भी देखा जाये. पंचायत में शौचालय का भुगतान नहीं हो रहा है, वह भुगतान भी किया जाये और सरपंचों को जो पावर हैं जो छीने गये हैं वह वापस दिये जायें. वन विभाग में 21 रोजड़े पकड़ने के 55 लाख रूपये लगे, इसकी भी जांच कराई जाये. धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मौका दिया इसके लिये धन्यवाद. मैं माननीय राज्यपाल जी के कृतज्ञता प्रस्ताव पर अपने कुछ शब्द रखना चाहता हूं. हमारी सरकार ने इस वर्ष को दीनदयाल शताब्दी वर्ष मनाने का निर्णय लिया है और इसमें सबसे ज्यादा ध्यान गरीबों की आखरी छोर के व्यक्ति की तरक्की के लिये देने का निर्णय लिया है. इसका यह अर्थ नहीं है कि केवल इसी वर्ष हम गरीबों की तरक्की के बारे में सोचना शुरू कर रहे हैं, हम लंबे समय से चाहे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा वर्ग जो खेती किसानी से जुडा है उसकी तरक्की से शुरूआत करें तो उसकी तरक्की का आलम इतना ही मैं बता सकता हूं कि अभी पिछले वर्ष ग्रामोदय से भारत उदय कार्यक्रम में मैं अपने क्षेत्र के तकरीबन ढाई सौ गांव में गया था, मुझे एक भी गांव ऐसा नहीं मिला जहां रोज 10-15 किसानों के नये मकान न बन रहे हों, क्या यह तरक्की का परिचायक नहीं है, क्या इससे बड़ा कोई और सबूत चाहिये, कुछ मित्रों ने कहा है कि तरक्की में यह कमी है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि आज मध्यप्रदेश के किसी भी गांव में ऐसी स्थिति हो कि जहां तरक्की न दिख रही हो, यही सबसे बड़ी मूल बात है. जहां तक हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी का सवाल है उनका बहुत स्पष्ट सोचना था, रोटी, मकान, पढ़ाई की तो उन्होंने चिंता की, लेकिन इस वर्ष से दवाई पर उन्होंने विशेष योजना बनाई. हर जिले में एक बड़ा शिविर लगाया, वहीं पर मरीजों को चयनित किया और मरीज के चयन के बाद में उसके इलाज कराने की उचित व्यवस्था भी की और उनको लाभान्वित भी किया. केन्द्र सरकार की बात करना चाहूंगा उसका भी सहयोग रहा है. चाहे जनधन योजना हो, चाहे मेड इन इंडिया हो, चाहे स्मार्ट इंडिया योजना हो या स्किल डेवलेपमेंट हो इन सब माध्यमों से सरकार का उद्धेश्य एक ही है गांव से लोगों का पलायन रोका जाये. गांव में ही उसके रोजगार का अवसर प्रदान किया जाये. इस दिशा में केन्द्र की सरकार के साथ कदम कदम मिलाकर के प्रदेश की सरकार चल रही है इसका भी मूल उद्धेश्य यही है कि कैसे गांव में रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर उपलब्ध कराये जायें. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय यह साधन तभी उपलब्ध हो सकते थे जब हमारे पास में सरप्लस बिजली उपलब्ध हो. मुझे वह दिन भी याद है जब 2004 में इसी सदन में हम बात कर रहे थे कि प्रदेश में कुल 2700 मेगावॉट बिजली है और हम कहां से मध्यप्रदेश में बिजली की पूर्ति कर सकेंगे, आज की स्थिति में उसी मध्यप्रदेश में 17000 मेगावॉट बिजली हमारे प्रदेश में उपलब्ध है. जब बिजली सरप्लस हुई तो अन्य विकास भी अपने आप तेजी से बढ़े, तेजी से खेती हुई, और भी उद्योग धंधे प्रदेश में चलने लगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक प्रदेश की वित्तीय स्थिति की बात है तो आज की तारीख में मध्यप्रदेश में बेहतर प्रबंधन के कारण 15 से 16 % सकल उत्पाद में हमारी वृद्धि की दर रेखांकित की गई है. यह पूरे भारत में सबसे अच्छी रेखांकित की गई है. कृषि विकास की दर के बारे में कई माननीय सदस्यों ने इसी सदन में कहा कि 4 वर्षों से हमें कृषि कर्मण्य अवार्ड मिल रहा है, अगले साल भी मिलेगा तो यह अवार्ड हर व्यक्ति के सहयोग और हर व्यक्ति की तरक्की और हर व्यक्ति के योगदान से ही संभव हो पा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में किसानों को बीमा की राशि पहली बार मिली, पहली बार ऐसी स्थिति आई कि बीमा के पैसे के साथ मुआवजा और बीमा दोनों किसानों को मिलाकर 8 हजार करोड़ से ज्यादा किसानों को एक वर्ष में राशि मिली है यह अपने आप में महत्वपूर्ण बात है. इसके कारण गावं से शहरों की तरफ आने वाली नई पीढ़ी जो आ रही थी, जिसका खेती पर से विश्वास उठ गया था उसको वापस वहीं पुनर्स्थापित करना सरकार की बड़ी उपलब्धि है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि केवल खेती को खेती तक ही सीमित न रखें उद्यानिकी का रकवा भी बहुत तेजी से बढ़ाया है. 5 लाख हेक्टेयर से लेकर के उसे 14.5 हेक्टेयर तक उद्यानिकी में बढ़ाने से कहीं न कहीं नियमित रूप से आमदनी बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है. इस कार्य के लिये भी सरकार ने चाहे उनको आर्थिक सहयोग प्रदान किया, चाहे ज्ञान उपलब्ध कराया हो, चाहे कृषि प्रदर्शनी के माध्यम से जगह जगह कृषि रथ को चलाकर के गांव गांव में जागरूकता पैदा की , क्योंकि कई दिशाओं में एक साथ काम करने पर ही विकास संभव है जो कि प्रदेश में अब दिख रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सोलर ऊर्जा की बात करना चाहता हूं. मुझे वह दिन भी याद है जब हमारे क्षेत्र में 150 मेगावॉट का एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लान्ट लगा और माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं उस प्लान्ट का लोकार्पण करने के लिये हमारे यहां पर पधारे थे तो वह कहने लगे कि इस प्लान्ट के पहले गुजरात भारत का नंबर सोलर पॉवर में था सिर्फ एक प्रोजेक्ट से मध्यप्रदेश ने उस पर कब्जा कर लिया और आज यदि हम पूरे भारत में नवीनीकरण ऊर्जा के बारे में बात करें तो 25 प्रतिशत हिस्सा हमारे मध्यप्रदेश का ही है. लेकिन अध्यक्ष जी, मैं यहां पर सरकार को एक सुझाव भी देना चाहता हूं. सोलर ऊर्जा के संयंत्र चालू करना उतना ही महत्वपूर्ण है उससे कई ज्यादा महत्वपूर्ण बात उस सोलर ऊर्जा के संयंत्र की पूरे कंपोनेंट बनकर उसकी पूरी मेन्यूफेक्चरिंग यूनिट, सोलर सेल की, सोलर वेफर बनाने, इंगद बनाने के लिये अगर मध्यप्रदेश प्रयास करे तो वह बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि अभी हम जो काम कर रहे हैं उससे हमारा रोजगार कम पैदा होता है और बिजली में हमें जरूर सहयोग मिल रहा है लेकिन आज जब हम सरप्लस बिजली की स्थिति में आ गये हैं . तो हमें इंगद में कुछ सबसिडी देकर सोलर के वेफर बनाने की और सेमी कंडक्टर चिप की यूनिट मध्यप्रदेश में लगाने के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, मैं अगर थोड़ी सी बात करुं कि केवल बिजली सरप्लस होने के कारण हमारी सरकार ने यह नहीं सोचा कि हमारे ग्राहकों से ज्यादा से ज्यादा बिजली बेचकर उनका बिल वसूला जाये. उन्होंने फिर भी एक करोड़ एलईडी बल्ब बांट कर सामान्य व्यक्तियों की 1095 करोड़ रुपये की सालाना बचत की. मतलब सरप्लस बिजली होते हुए भी सामान्य व्यक्तियों को एक करोड़ एलईडी बल्ब देकर के उन लोगों को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया. यह हमारी सरकार की नीति और नीयत स्पष्ट करती है. मैं अगर बात करुं कि केवल कृषि और उद्यानिकी के साथ साथ अगर दुग्ध उत्पादन और पशुपालन के बारे में भी सोचें, तो उसमें भी आज की तारीख में पूरे भारत में हमने सबसे ज्यादा तरक्की की है. हमारे यहां औसत जहां पूरे देश में प्रति व्यक्ति औसत 350 ग्राम का दूध का उत्पादन है,हमारे यहां 450 ग्राम का है, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकार्ड है. मैं एक दो विषयों पर और आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. पहला, हमारे देश के प्रधानमंत्री जी का जैसा निर्देश था, उसमें मध्यप्रदेश भी सबसे आगे रहकर पूरे मध्यप्रदेश में एक भी आवासहीन न बचे, उसके बारे में सबसे तेजी से योजना बनाना, 15 लाख ग्रामीण क्षेत्र में और 5 लाख नगरीय क्षेत्र में आवास बनाने का संकल्प अगले 3 वर्षों में लेकर उस कार्य को तेजी से शुरु करना भी अपने आप में बड़ा एक ऐतिहासिक कार्य है. अगर मैं आर्थिक कल्याण के बारे में और डिफरेंट योजनाओं के माध्यम से बात करुं, तो नौजवानों को गांवों में छोटे-छोटे उद्योग के माध्यम से 91 करोड़ रुपये का ऋण देकर 14114 छोटे उद्यमियों को रोजगार से लगाया, जिसके माध्यम से 3 लाख लोगों को गांवों में रोजगार मिला. यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण बात है. अगर मैं बात करुं नगर उदय अभियान में तो उसमें भी काफी लोगों को अलग अलग योजनाओं से फायदा दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्यक्ष महोदय, जैसा आपका आदेश. आपने बोलने के लिये समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव (उज्जैन-दक्षिण) -- अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए यद्यपि मेरा जो बोलने का क्रम है, मैं कोशिश करुंगा कि अभी तक जितनी बातें आई हैं, उसको छोड़ करके बात करुं. इस राज्यपाल महोदय के अभिभाषण की जो विशेषता है, जो छूटी है, खास करके मुझे इस बात का गर्व है कि हमारे देश में पूर्व प्रधानमंत्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जो नदियों का रिचार्ज करने का सपना था, मुझे इस बात को कहते हुए गर्व है और मैं सदन में मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा कि न केवल नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना, बल्कि नर्मदा-गम्भीर योजना भी इसके माध्यम से वह आज क्रियान्वितन होने की स्थिति में पहुंच रही है. मुझे तो ज्यादा इसलिये अपनी खुशी भी है कि मालवा की यह दोनों नदियां, जो मेरी विधान सभा के दोनों दायें-बायें छोर पर जाती हैं. दोनों नदियों के माध्यम से यह देश की पहली एकमात्र ऐसी सिटी उज्जैन हो जायेगी, जहां गम्भीर और क्षिप्रा दोनों नदियां आप्लावित होंगी और हमको इसका लाभ मिलेगा. न केवल पीने के पानी के लिये इन्दौर में, उज्जैन में बल्कि 13 विधान सभाओं के 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ये सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने जा रही हैं. मैं एक बात की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि सिंहस्थ की बहुत सारी उपलब्धियां आई हैं, लेकिन सिंहस्थ की जो स्थाई सौगात मिली है त्रिवेणी संग्रहालय की, इस त्रिवेणी संग्रहालय में पुरातत्व की दृष्टि से भगवान कृष्ण की, आदि शक्ति दुर्गा जी की और साथ ही साथ शिव परिवार की, प्रदेश की एकदम श्रेष्ठतम प्रतिमाओं का संग्रहालय उज्जैन में बनाया गया. हमारी प्राचीन संस्कृति, पुरातत्व की संस्कृति और साथ साथ पेंटिंग्स एवं विभिन्न प्रकार के वाद्यों के माध्यम से हमारे गौरशाली इतिहास को सामने लाने का प्रयास इस सरकार ने किया है, मैं इसके लिये मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा कि जिस प्रकार से ये जो हमारे यहां काम हुए हैं, जिससे स्थाई सौगात हमारे प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को पर्यटन के खासकर हमारे गौरवशाली इतिहास को जानने वाले लोगों को अवसर उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने यह प्रयास किया है. मैं विधानसभा के सभी सदस्यों को, आपके माध्यम से कहना चाहूँगा कि आप 'सूर्य स्मारक स्थल' देखने जरूर जाएं. हमारी तीनों सेनाओं के विविध पक्षों जैसे सेना के हथियारों, उनकी ड्रेसों का, उनकी पदोन्नति का जिस प्रकार से अनूठा प्रयोग है, इसको माननीय मुख्यमंत्री जी ने तीर्थ स्थान बना दिया है. यह अद्वितीय योजना बनी है, मैं उसके लिए भी खासकर आप सब एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को आभार व्यक्त करता हूँ और मैं अभिभाषण में कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ कि सरकार के काम हों तो इस प्रकार से होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, यद्यपि उज्जैन की बहुत सारी चीजों में से एक बाबा महाकाल के अलावा बीमारों की दृष्टि से भी एक तीर्थ बन गया है. एक कैन्सर यूनिट बनाया गया है, इस कैन्सर यूनिट में उज्जैन में मध्यप्रदेश में सबसे अच्छी कैन्सर की सुविधा, मरीजों की दृष्टि से न केवल इलाज कीमोथैरेपी की सारी व्यवस्था होने के अलावा 50,000 रुपए का इन्जेक्शन भी बहुत सहजता से फ्री दिया जाता है. प्रदेश के सबसे ज्यादा मरीज उज्जैन आ रहे हैं, उसके साथ-साथ, इसमें आगे बढ़कर गंभीर बीमारी के मरीज, जिनके जीवन का कोई ठिकाना नहीं है, उनके लिए एक यूनिट बनाया है. जिसमें उनके अंतिम समय में, जब घरवाले साथ छोड़ दें तो सरकार उनके साथ खड़ी दिखाई दे. उनका प्रत्येक पल, प्रत्येक मिनट, प्रत्येक सेकेण्ड अच्छे से गुजरे, उनके उस कष्ट में जितना बन पड़े, उतना सहयोग करने के भाव से वातावरण बने इसलिए सेवाभावी लोगों को भी जोड़ने का प्रयास किया गया है. उनको तमाम प्रकार की दवाइयां और सुविधाएं देने का प्रयास भी किया गया है वाकई वह कैंसर यूनिट हम सब लोगों के लिए एक तीर्थ केन्द्र के रूप में है.
अध्यक्ष महोदय, भगवान न करे कि किसी को यह बीमारी हो जाए लेकिन अगर बीमारी हो गई तो बीमारी के क्षण में समाज और सरकार किस प्रकार से खड़ी दिखाई देती है ? वह अद्भुत स्थान है. मैं आपके माध्यम से उनको बधाई देना चाहूँगा कि यह जो योजना बनाई गई है, इसमें 3 योजनाएं अद्भुत देखी गई हैं- एक योजना हमारी अपनी जो खासकर सर्किटों के लिए देखी गई है और जो वर्तमान में बुद्धिस्ट सर्किट की योजना टूरिज्म के माध्यम से बनाई गई है वाकई ये योजनाएं केवल हमारे लिए नहीं हैं. इस बुद्धिस्ट सर्किट योजना के माध्यम से हम दुनिया भर में फैले बुद्धिस्ट लोगों को अपने से जोड़ने का प्रयास करेंगे. इसके माध्यम से, हम उन्हें अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित कराने का प्रयास करेंगे और आज जो वर्तमान विश्व का परिदृश्य दिखाई दे रहा है. चूँकि अंतत: हमें यह बात माननी पड़ेगी कि बुद्ध कहां के थे और बुद्ध धर्म क्या कहने वाला है ? और वर्तमान के हिंसाग्रस्त माहौल में बुद्ध की भावना को समझते हुए भारत से जोड़ने का विश्वव्यापीकरण माननीय प्रधानमंत्री जी के माध्यम से जो हो रहा है, निश्चित रूप से माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार के माध्यम से उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम शनै:-शनै: बढ़ते जा रहे हैं. मैं कोशिश करूँगा कि जिस प्रकार से आपने कहा है कि अभी समय की सीमा भी है. कल महाशिवरात्रि है, मुझे जल्दी जाना है एवं सबसे अन्त में बोलने का मौका मिला है. मैं कहना चहूँगा कि 300 विद्यालयों में रोपणी की स्थापना करने का सरकार ने निर्णय लिया है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. यादव जी पूरे मन से नहीं बोल पा रहे हैं. मुझे इन्हीं के बाद बोलने की अनुमति प्रदान करें.
अध्यक्ष महोदय - अभी अन्य सदस्यों को भी बोलना है.
डॉ. मोहन यादव - आप जैसा चाहेंगे, मैं बोलना बन्द भी कर सकता हूँ, कोई दिक्कत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - आप एक मिनट में समाप्त कर दें.
डॉ. मोहन यादव - मेरी बात समाप्त हो गई है. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के कृतज्ञता भाषण के समर्थन पर अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ हूँ. चौदहवीं विधानसभा के इस चौथे बजट सत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के शताब्दी वर्ष के अवसर पर, हम दीन-दुखी और गरीबों के उन्नयन के लिए, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार लगातार काम कर रही है और हम देख रहे हैं कि एक से लेकर 143 योजनाओं या उपलब्धियों का विस्तार से उल्लेख महामहिम राज्यपाल महोदय जी ने किया था तो सारा सदन मंत्रमुग्ध होकर उस बात को सुन रहा था और देख रहा था कि सारी एक से एक योजनाएं गरीबों के विकास के लिए अंतिम पंक्ति में बैठे हुए व्यक्ति के विकास के लिए बनी हुई है. उनका उल्लेख हमारे कई महानुभावों ने किया है. मैं कुछ बातों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करूँगा कि माननीय प्रधानमंत्री जी की उज्ज्वला योजना के तहत जब हम लोग गांवों में जाते थे.उज्जवला योजना के तहत जब हम लोग गांव में जाते थे तो गरीब महिलाएं चूल्हा फूंक-फूंक कर अपनी आंखों की रोशनी को खोती थीं उन गरीब महिलाओं को जब उज्वला योजना में गैस के कनेक्शन मिले तो उनके मन से सरकार के लिये दुआएं निकलीं और जब सरकार के लिये दुआएं मिलती हैं तो सरकार लगातार चलती हुई नजर आती है. हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री उज्वला योजना के अंतर्गत 18 लाख 63 हजार निशुल्क गैस के कनेक्शन मध्यप्रदेश में दिये गये मध्यप्रदेश इस योजना के तहत दूसरे स्थान पर आया. जब बहिने गैस कनेक्शन लेकर के जाती थीं तो वह इस सरकार को दुआएं देकर के जाती थीं. जब हम देखते हैं कि जो सीनियर सिटीजन हो जाता है और उसके परिवार में कोई यात्रा कराने वाला नहीं मिलता है तो मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन यात्रा में जब कोई भी वरिष्ठ नागरिक तीर्थ दर्शन के लिये जाता है तो उस समय उसके चेहरे के भाव अद्भुत होते हैं और उन उद्भुत भावों को देखने के लिये मन का सुख प्राप्त हो जाता है.
5.11 बजे {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र प्रसाद सिंह) पीठासीन हुए}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम सब लोग भलि-भांति जानते हैं कि मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन यात्रा में हिन्दू-मुसलमान-सिक्ख-ईसाई सबके तीर्थ स्थलों को उसमें शामिल किया गया है. इस वर्ष पटना साहिब एवं गंगा सागर को भी शामिल किया गया है इसके लिये भी बहुत धन्यवाद देता हूं. सारे तीर्थ बार बार गंगा सागर एक बार. उस गंगा सागर की यात्रा जब हमारे बुजुर्ग लोग करके आयेंगे तो उनके चेहरे के भाव बहुत ही आत्मीयता के सुख को प्राप्त करने वाले होंगे. मध्यप्रदेश की सरकार लगातार ऐसी-ऐसी योजनाएं बना रही हैं जिन योजनाओं में गरीब को कहीं न कहीं लाभ पहुंच रहा है. दीनदयाल जी कहते थे कि चलो जलाएं दीप वहां जहां अब भी अंधेरा है. उन गरीबों की झोपड़ी में दीपक जलाने का काम यह सरकार कर रही है और इस सरकार ने जो योजनाएं बनायी हैं उनको अन्य प्रदेशों में भी लागू कर रहे हैं. यही नहीं केन्द्र में भी मध्यप्रदेश में चल रही योजनाओं का अधिक से अधिक लागू करके उनका लाभ भी उनको दिया जा रहा है. नगरीय क्षेत्र में जो गरीब रहते हैं उनको दो जून की रोटी नहीं मिलती है. अभी हमारी सरकार ने अपनी उपलब्धियों में दीनदयाल थाली योजना जो प्रारंभ की है उसमें 5 रूपये में जब व्यक्ति भरपेट भोजन करेगा तो वह भी कहीं न कहीं इस सरकार के प्रति अपना आभार प्रकट करेगा. हम देखते हैं कि जब लोग मजदूरी करने के लिये गांवों से शहरों की ओर आते हैं उन्हें सोने के लिये अटल रैन बसेरा मिलता है तथा भोजन प्राप्त करने के लिये 5 रूपये में भरपेट थाली मिल जाएगी. तो यह योजना सभी शहरों में तथा सभी जिला स्तरों पर लागू हो जाएगी तो इसका भी लाभ सबको मिलने वाला है. हम सब लोग जानते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे थे जिन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी जिन्होंने लोकतंत्र की बेड़िया काटी जब प्रजातंत्र पर ताला लग गया था, जो लोग आपातकाल में जेलों में रहे हैं, उन लोगों के लिये सम्मान निधि जो 15 हजार रूपये मिलती थी लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी के सम्मान में उस निधि को बढ़ाकर 25 हजार रूपये प्रति माह करके लोकतंत्र का सम्मान किया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पशुधन के संबंध में भी बहुत ही उल्लेखनीय कार्य किया है. हम सब जानते हैं कि जो गऊ माता हिन्दू को दूध पिलाती है वह मुसलमान को भी दूध पिलाती है तथा बच्चों को भी दूध पिलाती है वह गऊ माताएं काटी जा रही थीं उनको संरक्षण देने के लिये गौ अभ्यारण्य की व्यवस्था की है. वहीं आचार्य विद्या सागर गौ-संवर्धन योजना के तहत 5 गाय देने तथा 10 लाख का ऋण देने का भी प्रावधान के साथ ही 17 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की है. यह भी एक अभिनन्दनीय कार्य है गौ माता जिनको हम सब लोग जानते हैं जिनकी पूजा से वैतरणी पार होती है उस गौ-माता के संरक्षण की भी व्यवस्था की है. सरकारी दुग्ध सागर योजना में 230 नयी दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया गया है. सरकार वहीं तालाब बना रही है, बिजली दे रही है, बीज खाद दे रही है. सरकार कहीं न कहीं मछली पालन को प्रोत्साहन देने के लिये उनको ऋण देने का काम किया है. मध्यप्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण पर भी बहुत बल दिया गया है. आज हमारी बहिनें, पचास प्रतिशत का आरक्षण लेकर अनेक पदों पर सुशोभित हो रही हैं. आंगनवाड़ी में लाड़लो अभियान, हमारी लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत भी पच्चीस लाख से अधिक बहनों ने इसका लाभ लिया है. शौर्य दल के माध्यम से भी हमारी बहिनें कहीं न कहीं आगे आ रही हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री दिलीप सिंह जी समाप्त करें आपने काफी समय ले लिया है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बजट अभिभाषण का समर्थन करते हुए आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद के आधार पर यदि हम जनता की सेवा करते रहेंगे, योजना का लाभ देते रहेंगे तो हम जनप्रतिनिधियों को भी मन का सुख मिलेगा और हम सब लोग जानते हैं कि हितग्राहियों को यदि सही ढंग से लाभ मिल रहा है, तो वह सरकार को दुआएं दे रहे हैं. आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (देवसर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. मैं महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण के लिये कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं और उसके पक्ष में अपने विचार रखने के लिये उपस्थित हूँ. मैं प्रयास करूंगा कि किसी विषय की पुनर्रावृत्ति न हो. चूंकि मैं मूल रूप से भैषज हूं, इसलिए मैं चिकित्सा पर अपने विचार रखूंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार सदस्य बना हूं और मैं देखता हूं कि पक्ष और विपक्ष में लोग विरोध के लिये विरोध करते हैं, यह एक अच्छे, स्वस्थ्य लोकतंत्र की परंपरा नहीं है. अगर हमें लगता है कि सरकार जनकल्याणकारी कार्य कर रही है, तो हमें उसका समर्थन भी करना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको याद दिलाउं 2003 के पूर्व जब मैं सर्विस में हुआ करता था, तब चिकित्सालयों में कहीं दवाईयां नहीं हुआ करती थी आज अगर आप देखें तो चिकित्सालयों में एंटीबॉयोटिक्स की रेंज, हाइपरटेंसियल ड्रग्स की रेंज, एंटीडायूरेटिक्स की रेंज, एनालिसिस की रेंज, सारी दवाईयों की रेंज भरी पड़ी हुई है. एक समय था कि जब हमारे प्रदेश का मानस जब चिकित्सालयों में जाता था, तब डॉक्टर प्रिस्क्रिपशन तो लिखते थे, लेकिन उनको दवाईयां उपलब्ध नहीं होती थी. आज हमारे पास एक तरह-तरह की दवाईयां हैं, इसलिए मैं सरकार को और सरकार के मुखिया को धन्यवाद और साधुवाद देना चाहता हूं क्योंकि आपने गांव की गरीब जनता की चिंता करते हुए चिकित्सालयों में दवाईयों को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है, मैं इसके लिये सचमुच में सरकार और सरकार के मुखिया और चिकित्सा मंत्री को साधुवाद और धन्यवाद देना चाहता हॅू.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जिला सिंगरौली विधानसभा देवसर का जनप्रतिनिधि हूं. हम लोग बिजली के मामले में जिला सिंगरौली से 26 प्रतिशत बिजली देश को देते हैं. यह क्षेत्र ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है. एक समय ऐसा हुआ करता था, मुझे याद है वह दिन जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी और जब भी मैं अपने चाचाजी के यहां जाता था, तब मेरे छोटे चाचाजी जब भी खेत पर जाते थे तो बड़े वाले चाचाजी खेत पर पंप के पास खड़े होकर पूछते थे कि बब्लू लाईट आई तो मेरे छोटे चाचाजी कहते थे कि लाईट गई. मतलब हमने मध्यप्रदेश में वह दिन देखा था.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज हमने नवकरणीय ऊर्जा और बिजली के क्षेत्र में जो हमारी सरकार ने कार्य किये हैं, सचमुच में वे साधुवाद के पात्र हैं. आज हम 24 घंटा बिजली दे रहे हैं. हमारे विरोधी भाई विपक्ष में होने के कारण सिर्फ विरोध के लिये विरोध करते हैं, यह अच्छी बात नहीं है. अगर कोई अच्छाई है तो अच्छाई की चर्चा होना चाहिए, यह सदन इसी बात के लिये है. लेकिन हम लोग सिर्फ विरोध की बात करते हैं. यह जनता जानती है कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री लोगों के दिलों में राज करता है, जन- जन के दिलों में बसा हुआ है. विपक्ष के पास कोई नाम नहीं है, एक ही नाम है शिवराज सिंह चौहान और इस नाम का हमारे विरोधी मित्रों को फोबिया हो गया है , इनकी सरकार में कभी चिंता नहीं की गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब कांग्रेस की सरकार केंद्र में हुआ करती थी और प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी हमारे कानून है, संविधान में नियम बनाया गया है कि जहां से हमारा उत्खनन होता है वहां जो रायल्टी होती है, उसी क्षेत्र में खर्च होना चाहिए, लेकिन ऐसा कभी नहीं किया गया. लेकिन जब केंद्र में हमारी जनता की चुनी हुई बहुमत की सरकार आई, राष्ट्रवादी विचारों की सरकार आई और प्रदेश के मुख्यमंत्री जी से भी निवेदन किया तो आज पहली बार जिला सिंगरौली में वहां की रायल्टी के पैसे के लिये नियम बनाया गया. मैं इसलिये भी माननीय नरेन्द्र मोदी जी को और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को बधाई देता हूं कि वहां की 30 प्रतिशत रायल्टी हमको इस वर्ष से मिलना शुरू हुई है वह 300 करोड़ रूपये होती है. 300 करोड़ रूपये कोई कम नहीं होते हैं. आने वाले पांच साल में जिला सिंगरौली किसी भी प्रकार से किसी पर आश्रित नहीं रहेगा और हमको छोटे-छोटे कामों को करवाने के लिये देखना पड़ेगा कि कहां हमारे क्षेत्र का विकास हो.
माननीय उपाध्यक्ष जी अभी बुद्धिस्ट सर्किल की चर्चा हो रही थी. मैं उनको धन्यवाद और साधुवाद देना चाहता हूं कि आज देश को सचमुच में बुद्ध विचारों की आवश्कता है, क्योंकि लोग पढ़ते नहीं हैं, यह हम लोगों की सबसे बड़ी कमी है कि हम अध्ययन नहीं करते हैं, हम कम पढ़ते हैं और ज्यादा बोलते हैं. लेकिन जिस दिन हम पढ़ना शुरू कर देंगे, जिस दिन हम पढ़कर उसको आत्मसात करना शुरू कर देंगे तो बहुत सारी चीजें अपने आप ठीक होने लगेगी. आज बुद्धिक की आवश्कता है. हमारे प्रधानमंत्री देश से कहते हैं कि आज युद्ध की नहीं बुद्ध की आवश्यकता है और जिन-जिन देशों ने उनके विचारों को आत्मसात किया है वह निश्चित रूप से वह अग्रणी रहे हैं और हम भी अग्रणी रहेंगे. इतना कहते हुए मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं.
श्री आशीष शर्मा (खातेगांव):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर मैं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. वास्तव में मध्यप्रदेश की शिवराज जी की सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के सपनों को साकार कर रही है. आज इस सरकार ने मध्यप्रदेश का न सिर्फ चहुंमुखी विकास किया है, बल्कि भारत के कई सारे राज्य इस सरकार की विकास योजनाओं को, जनकल्याणकारी योजनाओं को अपने यहां पर लागू कर रहे हैं कि सरकार की योजनाएं बहुत अच्छी हैं. हम जब बात करते हैं कि इस मध्यप्रदेश का चहुंमुखी इस सरकार के समय हुआ है तब हम उस बदहाल स्थिति को नहीं भूल सकते जो 2003 में मध्यप्रदेश की हुआ करती थी. आज मध्यप्रदेश में स्कूल बच्चों से भरे पड़े हैं, आज महिलाओं का सम्मान बढ़ा है, आज बेटी के प्रति समाज का रवैया बदला है, आज बुजुर्गों को जो अपना बुढ़ापा घर में बैठकर या किसी मंदिर की चौखट में बैठकर काटते थे, जिन्हें घर का कोई सदस्य बाहर तक नहीं ले जाना चाहता था उनको आज हमारी सरकार तीर्थ दर्शन यात्रा के लिये ले जा रही है. आज मध्यप्रदेश में बिजली की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार आया है, न सिर्फ अभूतपूर्व सुधार आया है बल्कि हम बिजली उत्पादन करने वाले राज्यों में अग्रणी पंक्ति में पहुंच गये हैं. यह सुनियोजित विकास और यह विकास की एक बानगी इस मध्यप्रदेश ने पूरे भारत में सामने एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत की है. निश्चित तौर पर अगर सरकार के होते प्रदेश में कोई भूख से पीडि़त होता है, प्रदेश के किसी के पास मकान की व्यवस्था नहीं होती है और वह खुले में रहने के मजबूर होता है तो यह सरकार के लिये एक बहुत शर्मनाक स्थिति होती है. लेकिन हम आज गर्व के साथ कह सकते हैं कि प्रदेश की सरकार ने रोटी, कपड़ा, मकान और इंसान के लिये काम किया है. आज मध्यप्रदेश में इलाज के अभाव में किसी गरीब की मृत्यु नहीं होती है. हमारे यहां 300 तरह की दवाएं निशुल्क दी जा रही हैं, जीवन रक्षक दवाएं और इंजेक्शन अस्पतालों में मौजूद हैं, जिला मुख्यालयों पर आज डायलिसिस की मशीनों की व्यवस्था है, केंसर के ईलाज की व्यवस्था है, दो लाख रूपये तक का इलाज जिला कलेक्टर के माध्यम से गरीब का हो रहा है और उससे भी ज्यादा इलाज में खर्च हो रहा है तो मध्यप्रदेश की सरकार उसको प्रदान कर रही है. उपाध्यक्ष महोदय, हम उस कल्पना से सिहर उठते हैं जब घर में किसी मुखिया को गंभीर बीमारी हो जाती थी तो उसको अपने परिवार की मूल्यवान सम्पत्ति गिरवी रख कर इलाज करवाना पड़ता था और मुखिया की अगर मृत्यु हो जाती थी तो कई बार उस मुखिया की मृत्यु के साथ उस परिवार को भी गंभीर संकटों का सामना करना पड़ता था. आज हमारी सरकार गरीब के इलाज में उसके साथ खड़ी है. आज मध्यप्रदेश में गरीब के बच्चे को शिक्षा के अधिकार कानून के माध्यम से पढ़ने का मौका मिला है, उनकी फीस हमारी सरकार भर रही है इसलिये आज अमीर और गरीब के बीच की खाई आज इन प्रायवेट स्कूलों के माध्यम से खत्म हुई है. जहां पर सरकार गरीब के बच्चों को, हमारे एस सी एस टी के बच्चों को भी पढ़ने का मौका प्रदान कर रही है. वास्तव में यह एक बहुत अच्छा काम मध्यप्रदेश में हो रहा है. आज मध्यप्रदेश में विकास हमको दिख रहा है. जहां पर सड़कों में गड्ढे हुआ करते थे, हमको 50-50 किलोमीटर का सफर करने में तीन-तीन, चार-चार घंटे का समय लगता था, आज वहां पर लोगों को चलने के बढि़या सड़कें उपलब्ध हैं. वास्तव में आज विकास की जो तस्वीर आज मध्यप्रदेश में दिख रही है कहीं न कहीं उसमें सड़कों का बहुत बड़ा योगदान है. आज हजारों किलोमीटर सड़के हमारे प्रदेश में बनी है. जिस मध्यप्रदेश में केवल सड़कों पर पैचवर्क का काम किया जाता था. हम लोग शिकायत करते थे तो थोड़ी-बहुत मिट्टी और मुरम से गड्ढे भर दिए जाते थे. आज हजारों किलोमीटर की सड़के सरकार के माध्यम से बन रही हैं और इसी कारण मैं मानता हूं कि मध्यप्रदेश के विकास का चक्र बहुत तेजी से घूमा है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि आज न केवल शहरों का विकास हो रहा है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों का भी विकास हुआ है. नगर उदय अभियान में लाखों लोगों को हमने मंचीय कार्यक्रम के माध्यम से शिविर लगाकर और हितग्राही सम्मेलनों में स्वीकृति पत्र वितरित किए हैं. आप कल्पना कीजिए उस आदमी की, जो जीवन भर इंदिरा आवास की कुटीर के लिए प्रतीक्षा करता हुआ पंचायतों के चक्कर लगाता था, आज प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उन लोगों के पक्के मकान न सिर्फ बनना शुरू हो गए हैं बल्कि कई जगहों पर अगले एक माह में उन मकानों का कार्य पूर्ण भी हो जाएगा और उस गरीब का पक्के मकान में रहने का सपना साकार हो जाएगा. आज जब हम ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं तो देखते हैं कि जो महिलाएं जंगल से सिर पर लकड़ी लेकर आती थीं और अपना चूल्हा जलाकर परिवार के लिए भोजन तैयार करती थी, आज उसके चौके में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस का कनेक्शन देखकर हमें संतुष्टि होती है. आजादी के इतने वर्षों के बाद गरीब के चौके में गैस का कनेक्शन पहुंचाने का कार्य हमारी सरकार ने किया है. इसी कारण सरकार की योजनाओं में, कार्यों में गरीबों का विश्वास है. आज मध्यप्रदेश में तेजी से जो विकास हो रहा है, उसके लिए हमारे मुख्यमंत्री जी के प्रयास सराहनीय हैं. उन्होंने इस बीमारू प्रदेश को एक अच्छे और विकसित प्रदेश के रूप में देश में पहचान दिलाई है.
जिस मध्यप्रदेश से कोई खिलाड़ी नहीं निकलता था, आज यहां खेल एवं युवा कल्याण विभाग के माध्यम से विधायक कप जैसी प्रतियोगितायें हो रही हैं और आज हमारे प्रदेश में खेलों का एक वातावरण सा बन गया है. आज स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे, गांव में रहने वाले बच्चे खेलना चाहते हैं, खेल में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं. वे जानते हैं कि खेल के क्षेत्र में यदि वे अपना भविष्य बनायेंगे तो सरकार के नियम उनकी सहायता करेंगे और सरकार आगे बढ़कर उनका सहयोग करेगी. इसी वजह से आज ग्रामीण क्षेत्रों से भी अच्छे-अच्छे तीरंदाज और धावक निकलकर आ रहे हैं. मैं मानता हूं कि आने वाले कुछ वर्षों में मध्यप्रदेश के खिलाड़ी राष्ट्रीय एवं विश्व मंच पर मध्यप्रदेश को गौरव अवश्य दिलायेंगे. गृह विभाग के स्थिति आज बहुत ही अच्छी है. कानून व्यवस्था इतनी दुरूस्त है कि कहीं भी कोई अपराध घटित होने से डायल 100 करने पर पुलिस अविलंब पहुंच जाती है. मौके पर पुलिस पहुंचकर किसी बड़ी घटना को होने से तत्काल रोक देती है और मामला वहीं सुलझ जाता है. जनता के प्रति सरकार ने अपनी जवाबदेही का निर्वहन किया है. पुलिस प्रशासन बहुत दक्षता के साथ कार्य कर रहा है. मैं मानता हूं कि निश्चित तौर पर किसी अच्छे राज्य की पहचान यही है कि वहां की कानून व्यवस्था सुदृढ़ रहे. कानून व्यवस्था की यह स्थिति देखकर सरकार के प्रति जनता का विश्वास बढ़ता है. मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश में खेती लाभ का धंधा बन गई है. किसानों का सर सम्मान से ऊंचा हो गया है. किसान खेती करने में संकोच नहीं करता है. आज सरकार की बिजली प्रदान करने की योजना, समय पर खाद-बीज उपलब्ध कराने, खेत तक रोड बनाने की योजना, जीरो प्रतिशत ब्याज पर त्रण उपलब्ध कराना, फसल का नुकसान होने पर बीमे और मुआवजे की राशि प्रदान कराना, हर मोर्चे पर सरकार सफल है. इसी कारण आज खेती किसान के लिए फायदा देने वाला व्यवसाय बन गई है. मध्यप्रदेश का समुचित विकास जो, हम आज देखते हैं, वह सरकार द्वारा हर उस वर्ग तक पहुंचने के कारण हुआ है, जहां तक पहले विकास की योजनायें पहुंच नहीं पाती थीं. यही स्थिति मध्यप्रदेश को देश में अग्रणी बनाती है. '' सबका साथ और सबका विकास'' इस परिभाषा को मध्यप्रदेश की सरकार ने साकार किया है और प्रधानमंत्री जी के संकल्प को पूर्ण किया है. आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया, इस हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - विधानसभा की कार्यवाही सोमवार दिनाँक 27 फरवरी, 2017 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 5.29 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनाँक 27 फरवरी, 2017 ( 8 फाल्गुन, शक संवत् 1938) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 23 फरवरी, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा