मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा त्रयोदश सत्र
दिसम्बर, 2022 सत्र
गुरुवार, दिनांक 22 दिसम्बर, 2022
(1 पौष, शक संवत् 1944)
[खण्ड- 13 ] [अंक- 4]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 22 दिसम्बर, 2022
(1 पौष, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11:03 बजे मंत्रि-परिषद पर अविश्वास के प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण
अध्यक्ष महोदय - अविश्वास प्रस्ताव पर अभी तक 12 घंटे 12 से अधिक मिनट चर्चा हो चुकी है. जिसमें दोनों पक्षों के कुल 45 सदस्यों द्वारा विस्तार से अपनी बात मध्य रात्रि 12:37 बजे तक कार्यवाही में रखी जा चुकी है. इस चर्चा में माननीय नेता प्रतिपक्ष सहित 30 कांग्रेस एवं 1 बसपा सहित, कुल 31 विपक्ष के सदस्यगण, शासन की ओर से 8 मंत्रीगण एवं 6 भाजपा सदस्य सहित कुल 14 सदस्यगण ने भाग लिया गया.
अब मंत्रि-परिषद पर अविश्वास के प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा, श्री शिवराज सिंह चौहान, माननीय मुख्यमंत्री चर्चा का उत्तर देंगे. (..मेजों की थपथपाहट)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - (..व्यवधान) माननीय अध्यक्ष महोदय, माफी मांगना चाहिए. जो गलत कथन हमारे देवी देवताओं के ऊपर किया गया है, इन दोनों को माफी मांगनी चाहिए. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ, जाइए.
श्री कांतिलाल भूरिया - माफी मांगना चाहिए, उसके बाद ही हम सदन चलने देंगे, अध्यक्ष जी आप आदेश दें, माफी मांगे. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ, जाइए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मैं मानता हूं कि रात को साढ़े 12 बजे तक हमने सदन चलने दिया.
अध्यक्ष महोदय - बिल्कुल नहीं चलने दिया, आप बहिष्कार करके गए हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - यदि दोनों महानुभाव माफी मांगेगे(..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - ये तय हुआ था कि जब तक विधान सभा चलेगी, जब तक बहस पूरी नहीं हो जाएगी, फिर भी आपने अपने साथियों का बहिष्कार किया है(..व्यवधान), आपके कांग्रेस के ही दो वक्ता थे, जिनको बहिष्कार करके आप चले गए, क्या सुना आपने (..व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मतलब भगवान राम के बारे में कुछ भी बोले, माता सीता के बारे में कुछ भी बोले(..व्यवधान) (XXX). (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आपके साथी बोल रहे थे, उनको नहीं सुना आपने(..व्यवधान) आपके तरबर लोधी जी और एक साथी उनका भाषण सुने बिना आप चले गए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - ऐसा थोड़ी कुछ भी बोले जाएंगे (..व्यवधान) सीता माता के बारे में बोलेंगे, राम भगवान के बारे में जैसे कॉपी राइट लेकर आए हैं ये, असत्य सत्य की दुकान थोड़ी चलने देंगे, यदि माफी मांगेंगे तो सदन चलने देंगे. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - संसदीय कार्यमंत्री जी. (..व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र (संसदीय कार्यमंत्री) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब तो सुन लो बहना, आपने सवाल उठाया, जवाब तो सुन लो, माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्यों को कल भी कहा था, आदरणीय मोहन जी ने भी स्पष्ट किया था, रामेश्वर जी ने भी स्पष्ट किया था, मैं भी स्पष्ट कर रहा हूं कि भगवान राम हमारे भी हैं, आपके भी हैं, लेकिन आपको लगता है कि कोई गलत कहा गया है तो हम खेद व्यक्त करते हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माफी मांग लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माफी मांग रहे, हमने कहा न, हमने बोल दिया हुजूर, बोल तो दिया हुजूर (..व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ:- नंबर-2. (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- पूरा सुनना जाना मत.
अध्यक्ष महोदय:-नहीं अब हो गया.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- आप माफी मंगवा दो, हम सुनने के लिये तैयार हैं, बोल तो रहे हैं. (व्यवधान.
अध्यक्ष महोदय:- तो कर दो, माफी तो मांग ली है ना.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा:- सज्जन भाई, यदि कोई मंत्री अनुपस्थित रहता है तो संसदीय कार्य मंत्री के नाते मैं ही जवाब देता हूं. आप वह सारे जवाब सुनते हैं. आज वह अनुपस्थित हैं, नहीं वह भी माफी मांगते. हम कह रहे हैं कि सबके राम हैं और इसलिये हमने आपसे माफी मांगी. आप मुख्यमंत्री जी को ध्यान से सुनो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- मैं आपसे एक अनुग्रह कर रहा हूं कि मोहन यादव अनुपस्थित हैं. यदि कमल नाथ जी अनुपस्थित हो जाते हैं तो आपके तीर निकलते हैं. क्या एआईसीसी की बैठक नहीं करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा:- आपके नेता प्रतिपक्ष अनुपस्थित हैं, जो अविश्वास लाये वह अनुपस्थित हैं. हमारी तीर निकले क्या. आपके षड़यंत्र के वह शिकार हुए, हमारे तीर निकले क्या. हम तीर नहीं निकालेंगे, आप ध्यान से सुनो. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- आपके बयान चल रहे हैं. (व्यवधान) आपके मीडिया में बयान आये आपके ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- सज्जन भाई वही कहलवाना चाह रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- आप मोहन यादव को बुलाकर माफी बुलवा दो. हम सुनने को तैयार हैं. (व्यवधान)
मुख्य मंत्री( श्री शिवराज सिंह चौहान):- यह क्या तरीका है माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं बस हो गया. किसी को बुलाया नहीं जा सकता है. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्रा:-मैंने बोला ना. एक बार दोबारा बोलता हूं कि भगवान राम सभी के हैं. हमारे भी हैं और वह आप के भी हैं. सीता माता भी सब की है, हमारी भी है, आपकी भी है. इसके बावजूद भी अगर सज्जन भाई को या किसी भी सम्मानित सदस्य को ठेस पहुंची है तो हम खेद व्यक्त कर रहे हैं और माफी मांग रहे हैं और क्या कहना है और बताओ और बोलता हूं.आप सुनो बस, भागों मत मैं और बोल रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय:- बस, अब हो गया.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- माननीय मुख्यंत्री जी एक मिनट बस. जो शब्द मोहन यादव जी ने सीता माता के बारे में बोला, उसे वापस ले लिया गया है, उसको वापस ले लिया गया है, ऐसा बोल दो.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, अब सब हो गया है. क्लियर हो गया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा:- उन्होंने वापस ले लिया है यह रिकार्ड में है कल. कल आपके सामने रिकार्ड में है, इसके बावजूद भी मैं, खेद व्यक्त कर रहा हूं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- बस हो गया. माननीय मुख्यमंत्री जी.
मुख्य मंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान):- अध्यक्ष महोदय, मैं आज अपनी बात प्रारंभ करूं, उसके पहले गुरू गोविंद सिंह के चरणों में नमन करना चाहता हूं. इसी सप्ताह 21 से लेकर 27 दिसम्बर तक, पूरे विश्व का सिख समुदाय शहीदी दिवस मनाता है और हम जानते हैं कि धर्म की रक्षा की खातिर गुरू गोविंद सिंह के साहबजादों को चमकौढ़ गढ़ी की लड़ाई में उन्होंने अपनी शहादत दी थी और दो छोटे बेटे, उनको दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था. गुरू गोविंद के बच्चे, उमर में थे अभी कच्चे, मगर थे सिंह के बच्चे, धर्म इमान के सच्चे, गरज कर बोल उठे थे यूं सिंह मुंह उठे हो ज्यों, रखो ईटें भरो गारा, चुनो दीवार हत्यारों उखड़ती सांस बोलेगी, हमारी लाश बोलेगी, हमारे देश की जय हो, पिता दशमेश की जय हो, हमारे पंथ की जय हो, श्री गुरूग्रंथ की जय हो. ( मेजों की थपथपाहट) पूरा सिख समुदाय शहीदी मनाता है. मैं उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और उनके इन शब्दों को दोहराना चाहता हूं -
देश शिवा पर मोहे ईहे,
शुभ कर्मन ते कभुं ना टरूं,
डरों अरि सौं जब जाय लड़ौं
निश्चय कर अपनी जीत करौं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने यह भी तय किया है कि 19 से 24 दिसम्बर की अवधि में बीर बाल दिवस, मध्यप्रदेश में मनाया जायेगा, प्रधान मंत्री जी ने भी इसकी घोषणा की है. आज नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं, मैं उनका बहुत आदर करता हूं. लेकिन अभी मुझे संसदीय कार्य मंत्री जी ने बताया कि उनकी माता जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. भगवान उनकी माता जी को जल्दी स्वस्थ्य, वह दीर्घायु हों और लम्बी आयु दें. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय कल कमल नाथ जी भी नहीं थे. अगर डॉ. गोविंद सिंह जी होते तो पूछता कि अविश्वास प्रस्ताव जब वह जाये तो क्या सबसे सलाह करके लाये ? अकेले ले आये और मुझे आश्चर्य होता है. कमलनाथ जी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, पूर्व मुख्यमंत्री हैं, कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं, चुनाव में भी कांग्रेस के नेता और चेहरा हैं, जितनी मेरी जानकारी है और जो हम लोग समझते है, कल वे विदिशा जिले में थे और वहां वे कह रहे थे, वह वीडियो मेरे पास भी आ गया है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लोग, आज ही करवा रहे हैं क्योंकि उन सभी को कैलाश विजयवर्गीय जी के यहां शादी में जाना है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सच थी कि हम कैलाश जी के यहां जाना चाहते थे. मेरी भी इच्छा थी, बाकी मित्रों की भी इच्छा थी कि हम कैलाश जी के यहां जायें लेकिन जब हमने अपने प्रतिपक्षी सदस्यों के मन यह तड़प देखी कि हमें बोलना है, तो तय किया कि सदन चले और जब तक सभी सदस्य न बोल लें, तब तक चले. लेकिन उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी कि ये सब तो शादी में जाने वाले हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इस सदन को लोकतंत्र का पवित्र मंदिर मानते हैं. यदि जरूरत पड़े तो रिश्ता निभाने की बात को छोड़कर भी, हम इस सदन में हाजि़र रहते हैं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन कमलनाथ जी कहां हैं, ये उनका लोकतंत्र के प्रति विश्वास है ? यह सदन ईंट-गारे का भवन नहीं, लोकतंत्र का मंदिर है. कल से हमने बड़े ध्यान से हमारे सभी मित्रों की बात सुनी है, ऐसा लचर अविश्वास प्रस्ताव, मैंने तो देखा ही नहीं. यदि अविश्वास की बात करें तो कांग्रेस में कौन, किस पर विश्वास करता है, यह समझ में ही नहीं आता है. कई बार नेता प्रतिपक्ष को, हमने कल भी देखा था कि नेता प्रतिपक्ष क्या कर रहे थे और बाकी क्या कर रहे थे और फिर कैसे अंदर आये लेकिन मैं, आज इस पर भी नहीं जाऊंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मैं, प्रारंभ से प्रारंभ करना चाहता हूं. बड़ी कसक प्रकट हो रही थी, सरकार जाने की, सरकार तोड़ दी, सरकार गिरा दी लेकिन मैं, आज कहना चाहता हूं कि क्या हमने सरकार गिरायी ? 11 दिसंबर को गिनती का दिन था, रात के 11 बजे भारतीय जनता पार्टी 111 सीटों पर आगे थी और कांग्रेस 112 सीटों पर आगे थी. रात के 2 बजे तक हमने चुनाव परिणाम देखे और जो परिणाम आये, उसमें हमारी 109 सीटें थीं और कांग्रेस की 114 सीटें थीं. हम पर यह आरोप लगाया गया कि हमने सत्ता की खातिर सरकार तोड़ दी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मैं, यहां प्रकट करना चाहता हूं कि रात में, मैं, यह निश्चय करके सोया था कि सुबह ही मैं इस्तीफा दे दूंगा. हमारी पार्टी के भी मित्र थे, सुबह सभी इकट्ठे हुए थे. कई मित्रों का यह जोर देकर कहना था कि बहुमत तो उनका भी नहीं है. हम Give Up न करें. शाम तक इंतजार करें, परंतु निर्दलीय मित्र थे, जो बाकी साथी थे, उनमें से हमारे पास आ रहे थे. आज यहां शेरा भाई बैठे हैं क्या ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र- बैठे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे तय करने के बाद भी स्वर्गीय नंदकुमार चौहान जी के साथ ये आये थे. जहां मैं सी.एम. हाऊस में था. एक नहीं अनेक सदस्य रास्ते में थे. भूपेन्द्र जी गवाह हैं. इनकी होटल में लोग आ गए थे. मुझे कहा गया, जोर देकर कहा गया कि इस्तीफा नहीं देना है लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा कि मेरा कॉन्शियस एलॉऊ नहीं करता है. (मेजों की थपथपाहट) सीट कांग्रेस की ज्यादा हैं और यह सरकार उनको बनाने दें. हमें यदि तोड़नी होती तो हम बनने ही नहीं देते लेकिन हमने फैसला किया, मैंने इंतजार नहीं किया, जोड़ा-तोड़ी की परवाह नहीं की. उसके लिए समय नहीं लिया सीधे उतरकर गया और मैंने मीडिया को कहा कि मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं. मैंने रास्ते से कमलनाथ जी को फोन किया कि आपको बधाई आपकी 114 सीटें हैं और मैं सीधे जाकर राज्यपाल जी को इस्तीफा देकर आया. मीडिया के मित्र गवाह हैं उन्होंने मुझसे प्रतिक्रिया पूछी तो मैंने यही कहा कि Now I am Free लेकिन, माननीय अध्यक्ष महोदय उसके बाद आज मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि हमारे मन में अगर यह नीयत होती कि कैसे भी सत्ता में बने रहें येन केन प्रकारेण. उनको अपनी सरकार बनानी थी, लेकिन यह भारतीय जनता पार्टी है हमने तय किया कि अब तक जो प्रतिपक्षी मित्र रहे हैं उनको सत्ता में आने का अवसर मिलना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शपथ ग्रहण समारोह में था और प्रसन्नता के भाव से सबसे मिला "क्या हार में, क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं, कर्तव्य पथ पर जो मिला यह भी सही वह भी सही" हमने वहां जाकर बधाइयां दीं और उसके बाद मुझे उम्मीद थी कि कांग्रेस अब 15 सालों के बाद सत्ता में आई है बहुत अच्छी सरकार चलाएगी, बहुत ढ़ंग से सरकार चलाएगी. वादे पूरे करेगी, वचन निभाएगी और उसके बाद भी मैं चुप नहीं बैठा. अब हेलीकॉप्टर की बात हो रही थी कि मैं हेलीकॉप्टर से जाता हूं तो मैं मुख्यमंत्री हूं तो हेलीकॉप्टर से जाता हूं. मैं कमलनाथ जी तो हूं नहीं कि मुख्यमंत्री न हूं तो भी मुझे हेलीकॉप्टर मिल रहा है. मैं जब मुख्यमंत्री नहीं था तो मैं तो बाय रोड जाया करता था. आज सदन में डॉ. गोविन्द सिंह जी नहीं हैं. वह कल सर्किट हाऊस में कमरे की बात कह रहे थे कि उनको कोई दूसरा कमरा मिल गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम भी गए थे यशपाल जी बैठे हैं. मैं रात को ट्रेन से मंदसौर उतरा था. बीच में मैंने रोड से यात्रा की थी और वहां उतरकर जब हम सर्किट हाऊस में पहुंचा तो मुझे तो यह लगा कि मैं 13 साल मुख्यमंत्री रहा हूं मुझे ठीक-ठाक जगह मिल ही जाएगी, लेकिन कमरे में बड़ा ताला जड़ा था. मुझे कहा गया कि आपको उधर वाले कमरे में रुकना है. मैं तो जाने लगा लेकिन यशपाल जी थोड़े नाराज हुए, सुधीर गुप्ता जी भी थे इन्होंने कहा कि आप पूर्व मुख्यमंत्री हैं. मैंने इन्हें कहा कि अरे छोड़ो छाड़ो काहे के पूर्व मुख्यमंत्री.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष जी के सम्मान से रुकने की व्यवस्था करूंगा, बाकी विधायकों के मान की भी चिंता करूंगा, लेकिन हमें दूसरा कमरा दिया गया, हम उसमें रुक गए. उसमें क्या दिक्कत है. हम लड़ते रहे. अब आप तो धरना वरना देते होंगे दो चार घंटे का हम तो 48-48 घंटे बैठते थे.
अध्यक्ष महोदय, मैं अपना यह संकल्प व्यक्त करना चाहता हूं कि चाहे किसी भी स्थिति में रहें मध्यप्रदेश की जनता हमारे रोम-रोम में रमी है. हमारी हर सांस में बसी है और उनकी सेवा के लिए जिन्दगी है. हम जियेंगे तो उनके लिए मरेंगे तो उनके लिए यह केवल कहने के लिए नहीं है, लेकिन सरकार क्यों गई आप एक बार सोचो? प्रतिपक्ष के मित्रों सोचो? सरकार गई क्यों. आपने पांच महापाप किए. आज मैं गिनाना चाहता हूं.
श्री लक्ष्मण सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अविश्वास प्रस्ताव में हमारे सदस्यों ने जो मामले उठाए थे हम अपेक्षा करते हैं कि मुख्यमंत्री जी उनका उत्तर दें. सरकार गिरी कैसे गिरी, नहीं गिरी यह सभी जानते हैं इसे रिपीट न करें.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात बार-बार कही गई और हमारे साथियों के बारे में कही गई.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मुख्यमंत्री जी क्योंकि आपकी पूरी बहस का फोकस यही था कि मंत्रीमंडल इस पार से उस पार गया है. यह बार-बार कहा गया. कई चीजों को हमको काटना पड़ा इसलिए उसकी सफाई यह दे रहे हैं तो कोई गलत बात नहीं है ठीक है.
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक बिंदु है कि हमारे 34 विधायक बोले बहुत सारे ऐसे विधायक जो पहली बार चुनकर आए हैं और पहली बार बोले उनकी अपेक्षा है कि उनके उत्तर मिल जाएं और कुछ नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- चाहे जिन्होंने बोला हो कल सभी बोले.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- उत्तर जरुर दूंगा. मेरा निवेदन है कि मैंने शांति से सभी को सुना है, गोविन्द सिंह जी भी बैठे थे. स्वस्थ लोकतंत्र की परम्परा यही है कि स्वस्थ बहस हो. हम सवाल पूछें और जवाब भी सुनें. पहली चीज जिसका कष्ट और कसक मेरे मन में है. कमलनाथ जी की सरकार ने भ्रष्टाचार का लोकव्यापीकरण कर दिया. मैं यह कभी नहीं कहता कि भ्रष्टाचार कभी बिलकुल नहीं था. लेकिन मैं दावे के साथ कहता हूँ कि वर्ष 2003 तक भी काँग्रेस की सरकार थी. कभी कलेक्टर और एसपी की पोस्टिंग में पैसा नहीं लिया गया. इतिहास में यह पहली बार हुआ था कि कलेक्टर और एसपी की पोस्टिंग में भी पैसे लिए गए. चारों तरफ चर्चा का विषय है. अनेकों अफसर बदल दिए गए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ, नरोत्तम जी यहां बैठे हैं. दतिया में 3-3 कलेक्टर बदले गए. एक नहीं, दो तीन बदले गए. हालत यह होती थी कि कौन कितने देने वाला है. एक ने दिए अगर उससे ज्यादा वाला आ गया तो दूसरे को कर दो, फिर तीसरे को कर दो. मध्यप्रदेश के इतिहास में पदों की बंदरबांट की गई. दतिया का मामला तो लोकायुक्त में है. अभी उसकी जांच चल रही है. कल हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा था.
श्री सचिन यादव -- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने जो बात कही क्या इसके इनके पास प्रमाण हैं. क्या यह इसको प्रमाणित कर सकते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- सदन के नेता खड़े हुए हैं, बैठ जाएं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त में मामला चल रहा है. दिल पर हाथ रखकर यह कह दो कि यह होता था कि नहीं होता था.
(व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे हर बात में टोकेंगे तो कैसे जवाब होगा. सचिन भाई, ऐसे हर बात में खड़े होंगे तो कैसे होगा. मुख्यमंत्री जी जवाब दे रहे हैं. हम लोग एक बार भी खड़े नहीं हुए थे.
श्री सचिन यादव -- इस बात को आप प्रमाणित करें. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक आग्रह है...
अध्यक्ष महोदय --कुणाल जी बैठ जाइए, अब कागज मत दिखाइए. कल दिखा दिए हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 165 दिन में 450 से अधिक आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले हुए हैं. 15 हजार से ज्यादा ट्रांसफर किए गए. (XXX) यह ऑन रिकार्ड मैं कह रहा हूँ. वहां बैठकर कौन पैसे गिनते थे. किसके पैसे फिर बाद में इन्कम टैक्स के छापे में बरामद हुए. जो एक्स सीएम का वह ऑडियो वायरल हुआ, उनके ओएसडी का, कौन नहीं जानता दुनिया में, मैं पूछना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश की धरती पर यह पहली बार हुआ है. उसके कारण भ्रष्टाचार की विष बेल ऐसी फैली, ऐसी पनपी कि पूरे मध्यप्रदेश में त्राहि-त्राहि मच गई. हम इस विष बेल को काटने की कोशिश कर रहे हैं. आज मैं इस सदन में कहना चाहता हूँ कि जब तक उस विष बेल की जड़ में मठा डालकर पूरी तरह से समाप्त नहीं कर देंगे, हम चैन से नहीं बैठेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पहला पाप था. अगर पूछना चाहते हैं तो मैं बताना चाहता हूँ. एक नहीं अनेकों मामले हैं. आप कह रहे हैं कि प्रमाण बताओ. सिंचाई परियोजना में महाघोटाला किया गया. विधायक नहीं बैठते थे यह जाते थे, टाइम नहीं मिलता था, चलो-चलो. ठेकेदार या बड़ा आदमी आ गया तो कहते थे आओ-आओ. तय होता था कि कौन को.
...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- लेकिन डेम नहीं फूटा था. चलते-चलते ही डेम फूट रहा है और बनते-बनते ही डेम फूट रहा है और उसी आदमी को वापस फिर ठेका दे देते हैं...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- पांचीलाल जी, सज्जन जी, आप लोग बैठ जाइए ....(व्यवधान)..
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- डेम और पुल फूटे...(व्यवधान).. किसका दौर था. अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए, बैठ जाइए...(व्यवधान)..
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, एक कंपनी को साढे़ तेरह सौ करोड़ रूपए दिए, एक रूपया वापस नहीं मिला...(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मैं बताता हॅूं....(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अरे, मेरे क्षेत्र की सिंचाई योजनाएं ठप्प हो गईं. सारा पैसा दे दिया आपने....(व्यवधान)....
श्री शिवराज सिंह चौहान -- एक मिनट, आप धैयपूर्वक सुन लें. टेंडर की शर्तों में बांध की नींव तक निर्माण होने के बाद पाईप लाईन के पैसों का भुगतान का प्रावधान था लेकिन आपकी सरकार ने मापदण्ड शिथिल कर दिये और गलत तरीके से कुल 877 करोड़ 57 लाख रूपया भुगतान किया है, आपने किया है, आपकी सरकार ने किया है. माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने किया है. (शेम-शेम)
अध्यक्ष महोदय, छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स पाईप लाईन वितरण प्रणाली के उपयोग में आने वाली सामग्री बिना पूरी सामग्री प्राप्त किये ही 2 हजार करोड़ रूपया एडवांस दे दिए गये. 2 हजार करोड़ रूपया. आप प्रमाण मांग रहे हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, मौके पर एक चौथाई सामग्री भी प्राप्त नहीं हुई. एक और मैं सदन के माध्यम से, जनता के दरबार में भी यह बात ले जाना चाहता हॅूं. प्रिस्क्राइप्ड पाईप प्रणाली में कौन से पाईप लगेंगे, पहले तय था. सिंचाई परियोजना में इन्होंने 18 निविदाएं वर्ष 2019 में आमंत्रित कीं और उनकी शर्तों में दिनांक-25.4.2019 को संशोधन किया. पहले यह प्रावधान था कि जो प्रिस्क्राइप्ड पाईप लाईन बिछायी जाएगी, उसमें एमएस एवं डीआई पाईप बिछाये जायेंगे लेकिन ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिये बंदरबांट करके बदल दिया गया और संदिग्ध गुणवत्ता की जीआरपी पाईप लगाने का प्रावधान आपकी सरकार ने किया जबकि यूनिफाईड शेड्यूल ऑफ रेट्स में आयटम के रूप में यह शामिल नहीं था, क्यों किया भैया. घटिया पाईप फूटते ही किसानों के खेतों में पानी नहीं जाता. सरकार आते ही हमने बदल दिया और हमने तय किया कि बेहतर पाईप ही लगाएं जाएंगे, घटिया पाईप लगाने का कोई स्थान नहीं होगा. (मेजों की थपथपाहट) आप उदाहरण पूछ रहे थे, सबूत पूछ रहे थे, जब सरकार जा रही थी. उस समय आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल देने के लिये, इस्तीफा देने के 15 मिनट पहले 63 करोड़ का मोबाइल का सौदा कर डाला. कमाल की सरकार, कमाल की सरकार.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राइवेट वेयर हाउस को खरीद केन्द्र बनाकर चहेते लोगों को उपकृत करने का काम भी किया था, तो आपकी सरकार ने किया था. कृषि यंत्र खरीदी के मामले में घोटाला हुआ. आईफा अवॉर्ड में भी घोटाला. उद्योगपतियों पर दबाव डाला गया. कोई कंपनी थी पता नहीं कौन-सी. कौन-सी कंपनी थी...(व्यवधान)....
श्री रामचन्द्र दांगी -- सुठालिया सिंचाई परियोजना में भी 500 करोड़ रूपया एडवांस दिया है ब्यावरा में...(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह नहीं बोलता कि प्रमाण की बात नहीं होगी. अगर आप कहोगे, तो प्रमाण के ऑडियो टेप भी सामने रख दिये जाएंगे. (मेजों की थपथपाहट) मैं कोई भी बात कह रहा हॅू तो पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हॅू.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो दूसरा बड़ा पाप किया, जिसका मैं आज जिक्र करना चाहूंगा. निर्दोषों पर कार्यवाही. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, माननीय कमल नाथ जी, माननीय दिग्विजय सिंह जी, मैं सबका आदर करता हॅूं. व्यक्तिगत रूप से मानवीय गरिमा का सम्मान होना चाहिए. वह 3 दिन पहले आए और उन्होंने कहा कि लोगों पर असत्य केस बनाए जा रहे हैं, प्रताडि़त किया जा रहा है. सरकार आते ही क्या हो गया था, इनको. चुन-चुन के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर मामले लादे गए. प्रकरण बनाए गए. डॉ. नरोत्तम मिश्रा कल बता रहे थे कि उनके परिवार के लोग बंद थे. चाहे विजय शाह जी हों, भूपेन्द्र सिंह जी हों, विश्वास सारंग हों, संजय पाठक हैं कि नहीं आज, हालत यह हो गई थी कि एयरपोर्ट से निकलना था तो खेतों से दौड़-दाड़ के पता नहीं कैसे पुलिस से बच बचाकर भाग के आया और फोन किया. खदानें बंद कर दो. रिसोर्ट तोड़ दो. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता की 80 दुकानें, कई वर्ष पहले की, आपने पूरी तरह से तबाह करवाई.
अध्यक्ष महोदय, आज मैं कह रहा हूँ. आरिफ भाई सामने बैठे हुए हैं. मैं भगवान से दुआ करता हूँ कि उनको लंबी उम्र मिले, वे शतायु हों. वे स्वस्थ हों. हम उनके साथ खड़े हैं. लेकिन मैं अपने विधान सभा क्षेत्र में एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के घर गया था, क्योंकि वह शांत हो गया था, उसका स्वर्गवास हो गया था. मैं उनके यहां बैठने गया था. एक शिक्षक भी वहां मुझसे मिलने के लिए आ गए. जिनकी मृत्यु हुई थी, वे उस शिक्षक के ससुर थे. मैं वहां से गया और वे शिक्षक सस्पेंड हो गए. मैंने आरिफ भाई से कहा कि उसका क्या दोष है. उसको क्यों सस्पेंड किया. उसको बहाल कर दो. वह बहाल नहीं हुआ. मैंने कमलनाथ जी से कहा कि निकालना है, बदला लेना है तो मुझसे ले लो, गरीब मास्टर से क्यों बदला ले रहे हो. कई दिन तक मैंने कोशिश की, लेकिन मैं उसको न्याय नहीं दिला पाया. उसका अपराध केवल यह था कि मैं जहां बैठने गया था, वहां वह आ गया था, क्योंकि मरने वाले व्यक्ति उसके ससुर थे. किसने शुरू किया ? मुझे कई बार कह रहे थे, 16 साल में हमने पहले आपको ऐसा नहीं देखा. मैंने शुरू नहीं किया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मैं बताना चाहता हूँ. जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री बना, मैं मार्गदर्शन लेने माननीय दिग्विजय सिंह जी के पास गया कि आप दस साल मुख्यमंत्री रहे हैं. मुझे बताइये. एक बार ब्रीफ कर दीजिए, कौन-कौन सी चीजें हुई हैं. बाकी कैसे बेहतर करनी चाहिए क्योंकि मैंने हमेशा मानवीय गरिमा का सम्मान किया है. उस समय भी जब मुझसे यह पूछा गया कि ईओडब्ल्यू, फलाना-ढिमका, मैंने कहा, देखो कोई विद्वेषपूर्वक कार्यवाही किसी के खिलाफ नहीं होगी. हम इसके लिए नहीं आए हैं. हमने हमेशा मानवीय गरिमा का सम्मान किया है. लेकिन हमारे एक नहीं, अनेक कार्यकर्ताओं पर केस लादे गए. अब कोई दोस्त है तो उसका होटल ही साफ कर दो क्योंकि हमारी सरकार है. अब हम रूकेंगे नहीं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने भी कार्यवाही की, लेकिन इसके कारण नहीं की. गुण्डों पर कार्यवाही की, दबंगों पर कार्यवाही की, माफियाओं पर कार्यवाही की और मैं आज कह रहा हूँ कि कोई इसको अहंकार न कहे. यह मन की तड़प है, जो गुण्डे हैं, बदमाश हैं, माफिया हैं, अवैध कब्जा करने वाले हैं, दूसरों की जिन्दगी से खेलने वाले हैं, क्या उनको छोड़ा जाना चाहिए. नहीं छोड़ा जाना चाहिए. आज मैं कहना चाहता हूँ कि गुण्डे, माफिया, जनता की जिंदगी से खेलने वाले, कोई भी हों, नहीं बचेंगे. कोई उनको नहीं बचा सकता. यह हमारा संकल्प है. उन पर कार्यवाही होगी. हम निर्दोषों पर कार्यवाही नहीं करेंगे, निर्दोषों को हम छेड़ेंगे नहीं और दोषियों को हम छोड़ेंगे नहीं. भोपाल में ही अभी 40 एकड़ जमीन मुक्त कराई थी. मैं गया था, रामेश्वर शर्मा जी बैठे हैं. उनके क्षेत्र में गया था. वहां गरीबों के मकान बना रहे हैं. हम माफियाओं से छुड़ाएंगे. गरीबों के मकान बनाएंगे. इंदौर में भी बनाएंगे. उज्जैन में भी बनाएंगे. जो समाज के दुश्मन हैं, उनको हम नहीं छोड़ सकते, लेकिन आपने तो हमारे कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही की थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तीसरा पाप जो किया, वह भी मैं आपको बताना चाहता हूँ. योजनाओं को बंद कर दिया गया. एक नहीं, अनेक योजनाओं को बंद करने का काम किया. आज बाला बच्चन जी मुझे नहीं दिख रहे हैं. डॉ. हिरालाल अलावा जी बैठे हैं और ओमकार सिंह मरकाम जी भी बैठे हैं क्या, मेरे ओमकार भाई, आपके क्षेत्र में भी बैगा समाज के लोग रहते हैं. बैगा, सहरिया, भारिया, इन तीन अत्यन्त पिछड़ी जनजातियों के लिए हमने तय किया था कि इनकी स्थिति अत्यन्त दयनीय है, बहनों की, और इसलिए पोषण भत्ते के नाम पर 1 हजार रुपये महीना इनको दिया जाए. क्या हमने गलत किया था. क्या हमने पाप किया था. सरकार आते ही हिरालाल जी सुन लेना, आप जनजाति के बड़े पैरोकार हैं, आपने कभी आवाज उठाई बैगा, सहरिया, भारिया इनके 1,000 रुपये क्यों बंद कर दिए गए. ओमकार जी कल कह रहे थे...
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, यह गलत बोल रहे हैं...
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी बैठ जाइए.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, जब कल यह बोल रहे थे कोई खड़ा नहीं हुआ, अध्यक्ष जी, रोकिए यह पद्धति ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उसमें गलत कुछ नहीं बोला. मरकाम जी बैठ जाइए. अलावा जी, बैठ जाइए. यह प्रश्न पूछा है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अच्छा बोल दें, आप बता दें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय मुख्यमंत्री जी, ऐसी मुझे जानकारी है कि 275(1) के तहत जो राशि आती है, आपसे निवेदन है कि इनका जो भुगतान है किस हैड से दिया जा रहा है, आपने स्टेट के कौन से मद से उसको प्रावधानित किया है ? यह जो पैसा रुका था यह माननीय मोदी जी ने नहीं दिया था और आपने बदला लेकर के हमने जो मदद योजना बनाई थी, आप भी मदद कहते हैं, मदद योजना जो मैंने बनाई थी जिसमें 25 हजार बर्तन के लिए, 50 किलो जन्म पर और 1 क्विंटल दशगात्र पर, आपने तो नहले पर दहला ठोकने का काम किया है, जो हम राज्य के बजट से दे रहे थे, तो निवेदन है.
श्री शिवराज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, ''तू न इधर-उधर की बात न कर, यह बता कि कारवां क्यों लुटा.'' क्यों बंद की गई यह बताओ, आपने कभी आवाज उठाई ? और आज मैं कह रहा हूं इस सदन में कल आपने एक मामला उठाया था.
ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय मुख्यमंत्री जी...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- बार-बार नहीं, सीएम ने बोलने का पूर अवसर दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, अब हो गया मरकाम जी, आप बैठ जाओ. आपने पूछ लिया. हो गया, सुन लीजिए, अब बैठ जाइए. आपका हो गया. जितु भाई, आप भी बैठ जाओ, नहीं जितु भाई.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, बस एक मिनट, उन्होंने मामला उठाया. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आदिवासियों की योजना कमलनाथ सरकार ने बंद कर दी, ऐसा कोई भी आदेश हो तो पटल पर रखो. असत्य बोलकर गुमराह करना यह गलत बात है.
11.43 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय -- सदन की मान्य संसदीय परम्परा एवं शिष्टाचार यह है कि सदन के नेता बोल रहे हों तो कोई सदस्य खड़ा नहीं होगा, परंतु यदि कोई सदस्य भाषण के संबंध में कोई जानकारी चाहता है या हस्तक्षेप करना चाहता है तो माननीय सदन के नेता के बैठने पर ही आसंदी की अनुमति से ऐसा कर सकेगा. यदि सदन के नेता अपने स्थान पर न बैठे हों तो वह सदस्य वापस अपनी सीट पर बैठ जाएगा और sकोई व्यवधान नहीं करेगा. सदन की गरिमा और सार्थक चर्चा के लिए माननीय सदस्य ही संसदीय शिष्टाचार का पालन करेंगे ऐसी मेरी अपेक्षा है.
11.44 बजे मंत्रि-परिषद पर अविश्वास का प्रस्ताव (क्रमश:)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है माननीय मुख्यमंत्री जी, क्या सदस्य यह नहीं बोलेगा कि क्या आपके पास आदेश है कि हमारी सरकार ने बंद कर दिया था, यह आदेश लाकर दीजिए ? मेरा कहना यह है अध्यक्ष जी, यहां भाषण सुनने थोड़े ही आए हैं. बात आएगी तो उसका निराकरण भी करना पड़ेगा ना, प्रमाण सहित बात करो हम तैयार हैं ना. बैठे हैं ना. यदि आदेश की कॉपी हो तो रख दो आप.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ा प्रमाण सज्जन जी, मैं प्रमाण दे रहा हूं ना.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- बैठो सज्जन भाई, प्रमाण दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- हां, दे रहे हैं ना.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास सबसे बड़ा प्रमाण है सहरिया, बैगा और भारिया बहनें जिनके खाते में पैसा नहीं पहुंचा जब तक इनकी सरकार थी, हमारी सरकार ने फिर से डालना शुरू कर दिया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि इसका आप ऑडिट करा लीजिए. जो हमारा अकाउण्ट में पैसा जाता है, आडिट करा लीजिए उसमें हमने पैसे भेजे थे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हां आडिट करा लेंगे. अच्छा, दूसरी बात यह बता दो माननीय मरकाम जी ने एक बात कल उठाई थी सोनकी बाई की, मैं तुरंत निर्देश दे रहा हूं इसी सदन से कि श्री मनीष रस्तोगी, कलेक्टर से बात करें और सोनकी बाई को ढूढ़ें, गाड़ी भेजें, बुलवाएं, अस्पताल में भर्ती करवाएं, पूरा इलाज़ करवाएं.
श्री ओमकार सिह मरकाम -- हम आपसे यही तो चाह रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहत धन्यवाद करता हूं, बधाई देता हूं. आपसे यही तो उम्मीद कर रहे हैं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- यह सदन की घोषणा है सब लोग बैठ जाइए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- वह धन्यवाद दे रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- इतने महीने पुरानी बात है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह सदन की घोषणा है सज्जन जी, आप बैठ जाइए. इसमें हस्तक्षेप नहीं करें. विजय लक्ष्मी जी, आप भी बैठ जाइए ना.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ – (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, यह मैंने इसलिए कहा कि हमारे माननीय विधायक साथी एक पैर में बीमारी थी, दूसरे का इंतजार करते रहें. जल्दी हम इसलिए करना चाहते हैं कि वह यह न करें कि कहीं और, कहीं हाथ में भी हो जाय. अध्यक्ष महोदय, यह पूरा सदन बैठा है, रोज सैंकड़ों गरीबों का इलाज भारतीय जनता पार्टी की सरकार करवाती है. हम करवाते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आपके पास लाया था, आपके स्वेच्छानुदान में स्वीकृत ही नहीं करते. हमने आपके पास लाया था.
(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान - रास्ते में जहां मिलते हैं वहां से लाकर इलाज करवाते हैं. सोनकी बाई का भी इलाज होगा.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री बीमारी सहायता में भी आप डिस्क्रिमिनेशन कर रहे हो. कांग्रेस विधायकों के जो भी प्रकरण आते हैं आप उसको रिजेक्ट कर देते हो. आपको मैंने दो बार बोला. उसके बाद भी आपने रिजेक्ट किये, मुख्यमंत्री राहत योजना में कांग्रेस विधायकों के लेटर को आप रिजेक्ट कर देते हो.
अध्यक्ष महोदय - (कई माननीय सदस्यों के एक साथ बोलने पर) आपकी बात आ गई. आपकी जो जिज्ञासा है वह आ गया, उसके बाद भाषण अलाऊ नहीं करूंगा. आपकी जो जिज्ञासा थी वह आपने पूछ लिया, उसकी जानकारी दी. उसी में आप भाषण करेंगे तो कल भाषण कर चुके जिनको करना था. माननीय मुख्यमंत्री जी. (श्री जितु पटवारी के खड़े होने पर) नहीं, नहीं जितु. आपका प्रश्न ही नहीं है. कल एक घंटा बोला है.
श्री जितु पटवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - श्री जितु पटवारी का नहीं लिखा जाएगा. (व्यवधान)..(कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) आप सभी बैठ जाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - इनको सहायता में भी दिक्कत हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अलावा जी, आपसे भी बात करूंगा.
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - कुछ नहीं लिखा जाएगा. मुख्यमंत्री जी के अलावा बिना मेरी अनुमति के कोई बोलता है तो वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - अध्यक्ष महोदय.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अब नहीं, बाद में बोल लीजिए. ऐसा नहीं होता है ना.
अध्यक्ष महोदय - ऐसा नहीं, प्रश्न उत्तर का समय नहीं है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप चिंता मत कीजिए, जो जरूरतमंद कोई भी होगा, उसका इलाज किया जाएगा, उसमें कोई भेदभाव नहीं होगा. वैसे ही करते हैं मेरे पास जो आता है मैं कभी निराश नहीं भेजता हूं.
श्री प्रियव्रत सिंह - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - यह सवाल जवाब का सत्र नहीं है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - (XXX)
श्री प्रियव्रत सिंह - (XXX)
श्री जितु पटवारी - (XXX)
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जाइए. सदन के नेता खड़े आप सभी बैठ जाइए.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - जितु, आप एक ही बात को बार-बार बोल रहे हैं, उन्होंने क्लियर कर दिया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -आपने जो दूसरी योजना बंद की मेरिट में आने वाले (श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव के कुछ बोलने पर) अब नहीं, मैं अलाऊ नहीं कर रहा हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्नकाल नहीं है. जब आप कल बोले थे, तब क्यों नहीं बोले? कुछ नहीं लिखा जाएगा, आप बोलते रहो.
(व्यवधान)..
श्री प्रदीप पटेल - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - मैं अलाऊ नहीं कर रहा हूं. आज यह पूरे प्रदेश की जनता देख रही है. जनता तय करेगी. आप सभी बैठ जाइए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने दूसरी योजना बंद की.
श्री उमाकांत शर्मा - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए ना.
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने दूसरी योजना बंद की सम्बल योजना. 75 लाख लोगों के नाम काट दिये गये. गरीब का सहारा बनने वाली थी सम्बल योजना. सज्जन भाई आपके क्षेत्र के लोगों के नाम भी कटे होंगे. ..(श्री सज्जन सिंह वर्मा के उठने पर) हर बात में मत उठिये.
श्री जितु पटवारी-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा.
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात पूछना चाहता हूं कि मेरिट में जो बच्चे आते थे नम्बर लेकर 75 परसेंट उन मेधावी बच्चों को हम लेपटॉप देते थे, ताकि उच्च शिक्षा के लिये काम आ सके. वह लेपटॉप देना बंद क्यों किया. मेधावी बच्चों ने क्या बिगाड़ा था.
श्री जितु पटवारी -- मुख्यमंत्री जी, कोई आदेश हो तो आप बताओ ना कि जितु पटवारी यह आपने बंद किया था. आप मुख्यमंत्री हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप ही बता दें कि एकाध लेपटॉप किसको दिया था.
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान-- जितु जी, देखो इधर उधर की बात मत करो.
श्री जितु पटवारी-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा. जितु जी, आप बैठ जाइये.
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, बच्चों का लेपटॉप बंद कर दिया. पंच परमेश्वर योजना आपने बंद की.पंचायतों का पैसा रोक दिया. पंच परमेश्वर बंद करके आपने सीमेंट कांक्रीट की सड़कें तक गांव में नहीं बनने दीं. कितनी योजनाओं के नाम बता दूं. ..(व्यवधान).. फसल बीमा योजना का पैसा नहीं भरा आपने .
श्री जितु पटवारी -- मुख्यमंत्री जी, हमने हाथ जोड़कर निवेदन किया है कि हमें मुख्यमंत्री जी की पूरी बात संयम से सुनना है. पर कृपा करके आप बोलें, आपका अधिकार है. आप जो भी कह रहे हैं, उनका एक एक प्रमाण पटल पर रखते जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, एक एक चीज का प्रमाण है, हम एक एक चीज का प्रमाण देंगे.
..(व्यवधान)..
लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, जो जितु पटवारी जी कह रहे हैं, मैं नेता प्रतिपक्ष था, मैंने 3 बार विधान सभा प्रश्न इस मामले में लगाये, लिखित में भी, स्थगन सूचनाएं दीं, ध्यानाकर्ण सूचनाएं दीं. आप उस विभाग के मंत्री थे. लेकिन आपने कभी स्वीकार नहीं किया कि हम लेपटॉप देंगे, दिया तो बात अलग है, आप देंगे, यह भी नहीं कहा आपने कभी. कभी पूर्व मुख्यमंत्री ने नहीं कहा. इस बात का सबूत है.
श्री जितु पटवारी -- आदरणीय मंत्री जी, आप प्रमाण दें, मैं सार्वजनिक माफी मांगूंगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रमाण प्रस्तुत करुंगा.
श्री जितु पटवारी-- मैंने अपने विभाग का मंत्री रहते हुए ऐसा किया ही नहीं. मैं कमल पटेल जी थोड़ी हूं कि कुछ भी लिख दूं, कुछ भी बोलता रहूं.
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, आपने फसल बीमा योजना के प्रीमियम की राशि भी आपने किसान की नहीं भरी थी. एक नहीं कई जन हितैषी और लोक कल्याणकारी योजनाओं को आपने बंद किया.
(..व्यवधान..)
श्री सचिन यादव - यह असत्य बोल रहे हैं कि फसल बीमा योजना इन्होंने प्रारम्भ की.
एक माननीय सदस्य - अध्यक्ष महोदय, यह प्रावधान पहली बार कमलनाथ जी ने किया फसल माफी,ऋण माफी में कमलनाथ जी ने प्रावधान किया. 750 करोड़ रुपये.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - सब गलत बात बोल रहे हैं. किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री सचिन यादव - (xx)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - (xx)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नहीं अनेकों गरीबों की और किसानों की (XXX) और चौथी बात आप ध्यान से सुन लेना.
श्री जितु पटवारी - सब हमने 15 महीने में कर दिया.
श्री भूपेन्द्र सिह - यह गलत बात है जितु भाई बार-बार आप खड़े हो रहे हो.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन चीजें और, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जल जीवन मिशन प्रारम्भ किया और जल जीवन मिशन इसलिये कि गांवों में पाईप से लाईन बिछाकर घरों में टोंटी वाला नल लगाकर पानी दें ताकि हर घर में पानी आए. आपने जल जीवन मिशन योजना अपने यहां प्रारम्भ ही नहीं की. क्या दिक्कत थी इसमें. गरीबों के घर में पानी जाता. माताओं,बहनों को दिक्कत नहीं होती.
(..व्यवधान..)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मेरे यहां भूमि पूजन हुआ. मेरे यहां लागू हुई. आप कह रहे हो कि हुआ नहीं. कमलनाथ जी ने भूमि पूजन किया.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - यह जो कह रहे हैं यह सही नहीं है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - यह गलत बात है आप वरिष्ठ सदस्य हो. आप बार-बार खड़े हो रहे हो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मेरे यहां योजना लागू हुई. आप कुछ भी बोले जाएंगे. मैं प्रमाण दे रहा हूं. क्या बात करते हो आप.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें केन्द्र सरकार का 50 परसेंट और 50 परसेंट राज्य सरकार का पैसा होता है आपने स्टेट का फंड नहीं दिया.
श्री सुखदेव पांसे - इतना असत्य इस सदन में आपके मुंह से अच्छा नहीं लगता. आप मुख्यमंत्री हो.
श्री शिवराज सिंह चौहान - मैं जो कह रहा हूं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं.
श्री सुखदेव पांसे - प्रमाण के साथ आप बताईये हमने कहां रोका. पटल पर रखिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - मैं प्रमाण दूंगा आपको.
(..व्यवधान..)
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है. माननीय अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष जी जब बोले एक नहीं उठा. हमने रात साढ़े बारह बजे तक धैर्य से सुना. यह हर बात में, जो मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि बंद हो गई. यह कह रहे हैं प्रमाण दें. हम हर चीज का प्रमाण रख रहे हैं. इसके साथ-साथ प्रमाण आ रहा है. आप आवेदन दें और लें. कौन रोक रहा है आपको. हर चीज का प्रमाण दिया जा रहा है और मुख्यमंत्री जो बात बोलता है सदन में वह अपने आप में एक प्रमाण होता है. उसे किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होती है.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठ जाईये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - एक-एक चीज का प्रमाण मिलेगा. आवेदन लगाओ.
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, मैं कई बार पूछ चुका हूं कि किसान की आय दुगुनी हुई कि नहीं आज तक जवाब नहीं दिया.
अध्यक्ष महोदय - कुणाल जी बैठ जाएं. मैं व्यवस्था दे रहा हूं. सभी बैठ जाएं.
सदन के नेता के भाषण के बीच में सदस्यों का बार-बार खड़े होना उचित नहीं है और अभी मेरे द्वारा संसदीय शिष्टाचार का उल्लेख किया गया लेकिन खेदजनक है कि प्रतिपक्ष के माननीय सदस्य इसका पालन नहीं कर रहे हैं. प्रतिपक्ष के सभी सदस्य कल विस्तार से अपनी बात रख चुके हैं. अब मुख्यमंत्री जी का इस चर्चा पर उत्तर सुनना चाहिये. मेरा सदस्यों से अनुरोध है कि इस महत्वपूर्ण चर्चा को पूर्ण करने में सहयोग करें. सज्जन जी और विजयलक्ष्मी जी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आपको हर विषय पर बोलने की जरूरत है तो आप दल से तय कराकर यहां आ जाईये.(नेता प्रतिपक्ष के आसन की ओर इशारा करते हुए) कोई दिक्कत नहीं आयेगी.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संरक्षण चाहूंगी. आपने आसंदी से जो मुझे बोला है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - यह कह रहे हैं कि कांग्रेस ने योजना चलाई ही नही.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठ जाईये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- ठीक है आपने कह दी, हमने कह दी अब बैठो. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनेकों विषय हैं, मैं जल्दी आगे बढ़ना चाहता हूं. मैंने कहा आपने प्रधान मंत्री आवास योजना में केन्द्र सरकार ने जितने मकान दिये थे आपने कटौती कर दी. 2 लाख से ज्यादा मकान आपने वापिस किये. आपको 40 प्रतिशत देना था, आपने शेयर नहीं दिया, गरीब मकानों से वंचित हुआ. माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान सम्मान निधि प्रधान मंत्री 6 हजार रूपये दे रहे थे, अपना क्या जाता था, हमको तो केवल सूची ही देनी थी, आपने पूरी सूची नहीं दी. कई किसानों को किसान सम्मान निधि से आपने वंचित करने का काम किया और माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और अंत में जो आपसे हुई वह थी सत्ता का अहंकार, जहां जाते थे, कैसे नहीं सुनोगे, करना पड़ेगा, कई जगह तो कार्यकर्ता ही कलेक्टर के दरवाजों में लात मारकर घुस जाते थे, हमारी सरकार है, यह ठीक नहीं होता और इसलिये माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार हमने नहीं गिराई, हम तो चुपचाप अपना काम कर रहे थे, सरकार गिरी उस अहंकार के कारण जब आपने सिंधिया जी के ऊपर वाहें तान दी की उतर जाओ सड़क पर, आत्म सम्मान को चोट पहुंचाई, तब परेशान होकर जो कल आपके साथी थे जो आज हमारे मित्र हैं आपको छोड़कर आये, इसलिये सरकार बनी और दूसरी बात कही जा चुकी है लेकिन मैं फिर ऑन रिकॉर्ड कहना चाहता हूं, कोई मेहरबानी पर नहीं आये, हमने जनादेश प्राप्त किया, उप चुनाव लड़े और उपचुनाव लड़कर पहले प्रभुराम चौधरी कितने वोटों से जीते थे.
श्री प्रभुराम चौधरी-- 10 हजार.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- और अब कितने वोटों से जीते.
श्री प्रभुराम चौधरी-- 64 हजार से जीते.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- तुलसी सिलावट कितने से जीते.
श्री तुलसी सिलावट-- 54 हजार.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- गोविंद सिंह राजपूत कितने से जीते.
श्री गोविंद सिंह राजपूत-- पहले 21 हजार से अब 41 हजार से.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- यह बैठे हैं दत्तीगांव कितने से जीते.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव-- 32 हजार से.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- और प्रद्युम्न सिंह कितने से जीते भैया बताओ.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- 34 हजार से.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- महेन्द्र सिंह कितने से जीते.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- 53 हजार से.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह इसलिये कहलवा रहा हूं कि अगर आपके काम पवित्र होते.
अध्यक्ष महोदय-- डंग रह गये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- डंग कितने से जीते.
श्री हरदीप सिंह डंग-- 30 हजार से.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- पहले यह 500 वोटों से जीता था. मैं यह इसलिये कह रहा हूं कि आपके काम ठीक होते तो इस घटना के बाद कि आपकी सरकार गिराकर लोग इधर आ गये, जनता बुरी तरह से हमको पराजित करती, लेकिन भारी बहुमत से जीत का जनादेश प्राप्त करके फिर हमने यह सरकार बनाई और इसलिये यह कहना गलत है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- इमरती देवी के बारे में नहीं बताया.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- ऐसा है मेरे भैया....
श्री राकेश मावई-- माननीय मुख्यमंत्री महोदय, सरकार गिराने वालों को नाम भी आपने अच्छा दिया जो आज तक पिता अपने पुत्रों का नाम नहीं रखता ''विभीषण''.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अच्छा आपको भी धन्यवाद महाराज, बहुत विद्ववान हो आप, प्रणाम आपको. माननीय अध्यक्ष महोदय, कोविड की बात की, आपने आरोप पत्र में कहा....
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं लिखा जायेगा. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कोविड की बात की कि कोविड में हम लोग केवल महिमा मंडन करते रहे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं कल आपको बहुत मौका दिया आप बिना बोले चले गये. मैं कल सारी रात बैठने को तैयार था, कई सारे लोग बिना बोले ही चले गये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कोविड के महिमा मंडन की बात की, मैं एक तो चिंता भी प्रकट कर रहा हूं पक्ष से प्रतिपक्ष से कि चीन में कोविड के कारण अभी हालत काफी खराब है और वेरीएंट भी चीन का आपने आज समाचारों में देखा होगा अपने देश में आया है तो फिर सावधान रहना है.
मैंने तो 23 मार्च को रात को 8 बजे शपथ ली और रात को 9 बजे में वल्लभ भवन पहुंच गया. वहां कोविड की हमने बैठक की और मुझे आश्चर्य हुआ कि इतनी भयानक महामारी जिसके बारे में पहले से समाचार आ रहे थे, प्रधानमंत्री जी ने अनेकों उपाय किये, उनका मजाक भी तब उड़ाया गया कि ये थाली बजवा रहे हैं, घंटा बजवा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री जी ने अवेयर करने की कोशिश की, जब कोई तैयारी नहीं थी. अभी डॉ. गोविन्द सिंह जी नहीं है, उन्होंने कहा कि फलाना अस्पताल ले लिया, माननीय अध्यक्ष महोदय (डॉ. अशोक मर्सकोले, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) मत करो भाई, ये टोका टाकी बार-बार ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मर्सकोले जी बैठ जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिन और रात अगर दिल से कांग्रेस के मित्रों से भी पूछेंगे तो वह दो साल इस बार जो सरकार चलाई उसमें पौने दो साल तो केवल कोविड से लड़ाई लड़ते ही गुजर गये, 550 बैठकें मैंने रोज की हैं. हम वर्चुअल बैठक करते थे और वर्चुअल बैठक मैंने अस्पताल से भी नहीं छोड़ी, जब मैं खुद कोविड से इफेक्टेड रहा. (श्री पी.सी.शर्मा, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) श्री पी.सी.शर्मा जी (XXX), अब तो आगे बढ़ गये हैं.
श्री पी.सी.शर्मा -- लॉकडाउन अगर पहले लग जाता तो इतनी जान नहीं जाती.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी आप बैठ जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री पी.सी.शर्मा जी भी अस्पताल में भर्ती थे और मैं भी भर्ती था. आप भी चिरायु अस्पताल में भर्ती थे और मैं भी था, क्योंकि उस समय हमको व्यवस्था बनानी थी, केवल भोपाल में नहीं हमने इंदौर में भी प्रायवेट अस्पताल किया, जो तात्कालिक रूप से जितनी जानकारी कोविड के बारे में थी कि टेस्ट करो, पहचानों, कई तरह की अफवाहें फैलाई गईं. आपको पता है स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले तक उस समय हुए, हमने समझाकर, बुझाकर सैंपल लेना प्रारंभ किया.
शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- XXX
अध्यक्ष महोदय -- इनका नहीं लिखा जायेगा.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ सवाल यह है कि यह b4.7 नया जो वेरिएंट आ रहा है, इसके लिये हम क्या तैयारी कर रहे हैं, थोड़ा उसका भी उल्लेख कर दें क्योंकि यह बड़ा खतरनाक वेरिएंट हैं, धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, सभी सी.एम.एच.ओ. को निर्देश दे दिये गये हैं, जनता को अभी सलाह दी जा रही है कि भीड़ भरी जगह अब मास्क लगाना प्रारंभ करें, बूस्टर डोज लगवाने का काम करें और अब लगभग हर सप्ताह हम फिर समीक्षा करेंगे. लेकिन मैं यह निवेदन कर रहा था कि उस समय दिन और रात एक ही काम था, हम टेस्ट करें, आइसोलेट करें, उनका फिर इलाज करने का काम करें. मैं उसके बहुत विस्तार में नहीं जा रहा हूं, लेकिन उस समय जो उपाय समझ आये, सरकार ने पूरी शिद्दत के साथ किये. हमने क्रायसिस मैनेजमेंट कमेटियां बनाई, क्रायसिस मैनेजमेंट कमेटियों में केवल सरकारी अफसर और मंत्री नहीं थे, हमने पंचायत स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर, जिला स्तर पर कमेटियां बनाकर जनता को इन्वॉल्व किया. जब ज्यादा लोगों को रखने की जरूरत पड़ी तो हमने कई जगह कोविड केयर सेंटर अनेकों स्थान पर बनाये,यहां तक कि कई ग्राम पंचायतों में बनाये, स्कूलों में बनाये, कोविड केयर सेंटर्स ने भी काफी अच्छा काम किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब दूसरा दौर आया जो महा भयानक था और सचमुच में उसमें तो हम भी बुरी तरह से हिल गये थे, क्योंकि उस समय ऑक्सीजन की जो जरूरत थी, उसकी गंभीरता आपने भी महसूस की होगी, क्योंकि जितने लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत थी, यह सच था कि उतनी ऑक्सीजन की व्यवस्था हम लोगों के पास नहीं थी, क्योंकि कभी जरूरत वैसी पड़ी नहीं थी. लेकिन आप जानते हैं, उस समय हम ऑक्सीजन एक्सप्रेस के लिये प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं. ऑक्सीजन एक्सप्रेस चली और ट्रेनों से टेंकर लादकर ऑक्सीजन प्रदेशों में लाये गये. हवाई जहाज से खाली टेंकर वापिस भेजने का काम हुआ और दिन और रात लगभग 12 दिन मुझे कहते हुए महिमा मंडित नहीं होना है, लेकिन दिन और रात सोए नहीं, केवल एक ही चिंता थी क्योंकि जगह-जगह से यह समाचार आते थे कि अब एक घण्टा की ऑक्सीजन, आधे घण्टे की ऑक्सीजन, उस समय सांसे थम जाती थी. लेकिन मैं अपने सारे डॉक्टर्स को, कोविड के लड़ाई लड़ने वाले हमारे कोरोना वॉरियर्स को, हमारे कई मित्रों ने उसमें मदद की, मैं उनको हृदय से धन्यवाद देता हूं, मिल जुलकर हमने उस लड़ाई को लड़ने की कोशिश की और दूसरी लहर पर भी हम काबू पाने में सफल हुए. पूरी शिद्दत से, पूरी ईमानदारी से कोविड की लड़ाई लड़ने का काम हम लोगों ने किया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी मेरा एक सुझाव है कि मैंने प्रश्न लगाया था कि कितने लोग मध्यप्रदेश में ...
अध्यक्ष महोदय - यह सुझाव नहीं हुआ.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव यह है कि जो लोग होम आइसोलेशन थे, वह 6 लाख लोग थे और जो हॉस्पिटल में एडमिट थे, वह 2 लाख लोग थे. 2 लाख में से 10,000 लोगों की मृत्यु हुई थी.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष जी, यह प्रश्नोत्तरी थोड़ी नहीं है, इसको हटवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - (संकेत से) श्री ओमकार सिंह मरकाम का नहीं लिखा जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं इस पूरे सदन का ध्यान चूँकि जनजाति समाज की स्थितियों पर आपने आरोप-पत्र पर अपनी बात कही हैं. मैं निवेदन करूँगा कि आप मेरी बात को ध्यान से सुनने की कृपा करें. मैं इधर सामने भी कहना चाहूँगा. मेरे प्रिय मित्रों, मैं जनजातियों की बात कर रहा हूँ, एक नहीं, अनेकों कदम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने जनजातीय समाज, आदिवासी भाइयों और बहनों के कल्याण के लिए उठाये. यह अलग बात है कि राजनैतिक कारणों से आप उनका जिक्र न करो या भ्रम पैदा करने की कोशिश करो, तो मैं बहुत से कदमों के बारे में आज बात नहीं करूँगा लेकिन मुझे यह कहते हुए गर्व है कि भोपाल में यहां की शासिका थीं, यहां की रानी थीं- रानी कमलापति. उनकी प्रतिमा भोपाल में अगर लगाई तो इस सरकार ने, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लगाई. इन्दौर में टंट्या मामा की प्रतिमा भंवरकुआं चौराहे पर लगवाई, नहीं तो बड़े शहरों में तो केवल कुछ लोगों की, विशेषकर एक खान-दान से संबंधित उनकी प्रतिमाएं लगा करती थीं, हमने टंट्या मामा की प्रतिमा लगाई, हमने भीमानायक की प्रतिमा लगाई, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, रानी दुर्गावती हो और हमने छिन्दवाड़ा कॉलेज का नाम भी राजा शंकर शाह जी के नाम पर रखने का काम किया है (मेजों की थपथपाहट), मण्डला कॉलेज का नाम भी राजा हृदय शाह के नाम पर रखने का काम किया है. हमने हर जगह स्मारक बनाने की कोशिश की है. 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा.' जनजातीय हमारे क्रांतिकारियों को सम्मानित करने का काम कभी उधर की सरकार ने नहीं किया, किया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - जो हमारे जनजातीय क्रांतिकारी वीर थे, आप उनके विचारों का पालन नहीं कर रहे हैं. उनके बताए गए मार्ग में नहीं चल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - (संकेत से) श्री ओमकार सिंह मरकाम का नहीं लिखा जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - श्री हरिशंकर खटीक जी, आप बैठ जाइये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय मुख्यमंत्री जी, जिस रानी कमलापति का आपने जिक्र किया, उनका किला आपके विधान सभा क्षेत्र में है, वह अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. उस पर भी दो शब्द बोल दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - (डॉ. हिरालाल आलावा के खड़े होकर कुछ बोलने पर) आप पूरी सुन लो, पेसा पर तो आ जाने दो. डॉ. हिरालाल जी पेसा पर आ जाने दो.
डॉ. हिरालाल अलावा - अध्यक्ष महोदय, उसके लिए मैं आदिवासी समाज की तरफ से आपको धन्यवाद देता हूँ. लेकिन मेरा एक सुझाव है. सरकारी डॉक्यूमेंट में आज भी टंट्या भील को लुटेरे के नाम पर दर्ज किया गया. आपसे अनुरोध है कि क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में टंट्या भील को स्थान दिया जाये.
एक माननीय सदस्य - कांग्रेस के टाइम पर टंट्या (XXX) और आप उसी पार्टी से बिलांग करते हो. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जिसने टंट्या मामा को पूरा सम्मान दिया है. बिरसा मुंडा को पूरा सम्मान दिया है.
अध्यक्ष महोदय - आप सभी लोग बैठ जाइये, सदन के नेता खड़े हुए हैं. अलावा जी आप बैठ जाइये. मरकाम जी बैठ जाइये. आपने कल बहुत बोल लिया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, नैतिकता का तकाजा है कि मैं आदिवासी भाई-बहनों की बात कर रहा हूँ, मुझे कम से कम ध्यान से सुन तो लो. पेसा एक्ट की बहुत बात हुई, बार-बार चर्चाएं हुईं. मैं सामने वालों से पूछना चाहता हूँ और मैं बताऊंगा कि मैंने क्या किया ? क्या पेसा के नियम कभी कांग्रेस की सरकार में बनाए गए ? (XXX) और उसके बाद उसे क्रियान्वित ही नहीं करो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे गर्व है मध्यप्रदेश की धरती पर पेसा एक्ट और उसके नियम लागू किए तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लागू किए (..मेजों की थपथपाहट)
श्री कांतिलाल भूरिया – xxx (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - अलावा जी बैठ जाइए, मरकाम जी बैठ जाइए. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र(संसदीय कार्य मंत्री) - अद्भुत है यह पेसा भी, (XXX) (...व्यवधान)
श्री कांतिलाल भूरिया – xxx (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए. (...व्यवधान) सदन के नेता खड़े हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हीरालाल जी से प्रार्थना करता हूं कि मैं पेसा के बारे में बात रख रहा हूं, कम से कम पेसा तो सुन लो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - xxx(...व्यवधान)
श्री हीरालाल अलावा - xxx(...व्यवधान)
श्री कांतिलाल भूरिया - xxx(...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए, अलावा जी बैठ जाइए, पांचीलाल जी बैठ जाओ, हो गया (...व्यवधान)
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष जी, ये बिना (XXX), कृपा ये बताने की कृपा करें आसंदी से कि ये व्यवस्था कौन करेगा, इनका नेता अभी कौन है. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - ये अगर पहले कह देते तो नेता ही बन जाते. तुम्हारी खिचड़ी जो अलग पकती है न उस चक्कर में नहीं बन पाए. (...व्यवधान)
श्री प्रियव्रत सिंह - मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करुंगा xxx(...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - नहीं लिखा जाएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आप 18 साल की बात कर रहे, मैं 18 हजार बता रहा हूं (...व्यवधान)
श्री प्रियव्रत सिंह - xxx(...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - 18 साल के आरोप का सवाल नहीं है. (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - पहले मैं 18 साल का सुनाऊंगा, बाद में पेसा सुनो(...व्यवधान) माननीय अध्यक्ष महोदय, 18 साल में जनजातीय क्षेत्र में, आदिवासी क्षेत्रों में अगर सड़के बनाई तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने (..मेजों की थपथपाहट) पीने का पानी लाई तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने (..व्यवधान) 18 साल की सुनना पड़ेगा और हीरालाल जी, ये जितने आश्रम शालाएं हैं. जितने आदिवासी क्षेत्र हैं जितनी आश्रम शालाएं खोलीं शिवराज सिंह चौहान ने जितने छात्रावास खोले, शिवराज सिंह चौहान ने, स्कूल खोले तो शिवराज सिंह चौहान ने. आदिवासी बेटा बेटियों को सायकिल दी तो शिवराज सिंह चौहान ने. सिंचाई की योजनाएं दीं शिवराज सिंह चौहान ने (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठिये.
कुंवर विजय शाह--अध्यक्ष महोदय, शिवराज सिंह चौहान ने बहुत कुछ किया है.
श्रीमती मीना सिंह माण्डवे--अध्यक्ष जी हमने अलीराजपुर को जिला बनाया है यह बात कर रहे हैं. इन्होंने पिछले 44 सालों में जब आपकी सरकार थी तो क्यों काम नहीं किया है. (व्यवधान) आपको काम करना चाहिये ना आप 18 साल की बात कर रहे हैं. आपने तो 44 साल तक शासन किया है, तब आपको काम करना चाहिये ना. आपने आदिवासियों को पैसा नहीं दिया है और यहां पर आप बात कर रहे हैं उनके कल्याण की. (व्यवधान)
डॉ.अशोक मर्सकोले--आपने बजट है उसका उपयोग नहीं हो पाया (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--यह फेयर नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--यह न तो बजट का भाषण चल रहा है, ना ही प्रश्नकाल. मर्सकोले जी आप बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत विनम्रता के साथ कह रहा हूं कि आप आंकड़े उठाकर देख लेना कि हमारी सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में कितने हाईस्कूल खोले, कितने हायर सेकेण्डरी स्कूल खोले, कितनी आश्रम शालाएं खोलीं, कितने छात्रावास खोले, अरे और तो और आपको दहेज के लिये टीम मिली हीरालाल जी वह पढ़े-लिखे बच्चों की टीम उनको पढ़ाने लिखाने का काम शिवराज सिंह चौहान ने किया है मुख्यमंत्री छात्र गृह योजना बनाकर के, वह भी मैंने किया है. कांग्रेस ने नहीं किया है. आप गलत जगह पर पहुंच गये हो. (व्यवधान)
श्री कांतिलाल भूरिया--मुख्यमंत्री जी पहले आदिवासी अनपढ़ हुआ करते थे. उनको पढ़ाने का काम हम लोगों ने किया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--श्री शिवराज सिंह चौहान जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा. (व्यवधान)
श्री ओंकार सिंह मरकाम-- (xx)
श्री प्रियव्रत सिंह-- (xx)
श्री हीरालाल अलावा-- (xx)
श्रीमती मीना सिंह माण्डवे--अध्यक्ष जी आपने शिवभानु सोलंकी को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया. (व्यवधान)
श्री कांतिलाल भूरिया--असत्य बोलने की भी एक सीमा होती है. हमारी सरकार ने किसानों के ऋण माफ किये. (व्यवधान)
श्रीमती मीना सिंह माण्डवे--भूरिया जी आपको कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे आप बैठ जाएं. (व्यवधान)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आपने भूरिया जी को मंत्री नहीं बनाया वह आपको जिताकर के लाये. आपने जमुनादेवी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, आपने शिवभानु सोलंकी जी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया भूरिया जी आपको जिताकर के लाये मंत्री के नाम पर आप लोगों ने वोट मांगे आपने भूरिया जी को मंत्री नहीं बनाया यह काम आप करते हो. आपने इस तरह से आदिवासियों को धोखा दिया है मध्यप्रदेश के अंदर (व्यवधान)
श्रीमती मीना सिंह माण्डवे--इन लोगों को तो सुनने का साहस ही नहीं है. जरा सुन लो 44 सालों में आपने कुछ नहीं किया. (व्यवधान)
श्री प्रियव्रत सिंह:- (xxx)
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- यह कुछ भी नहीं लिखा जायेगा.
श्री जितु पटवारी:- (xxx)
(व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान:- अध्यक्ष महोदय , मेरा निवेदन यह है कि हमारे आदिवासी हिरालाल अलावा की तरह डॉक्टर बन सकें, इसलिये उनकी फीस भी भरवाने का काम मामा कर रहा है, आदिवासी बेटा, बेटी विदेशों में पढ़ रहे हैं. (व्यवधान)
डॉ; हिरालाल अलावा :- (xxx)
श्री शिवराज सिंह चौहान:- अध्यक्ष जी, अब पेसा पर आ जायें.
श्री प्रियव्रत सिंह:- (xxx)
श्री प्रियवत सिंह :- आपकी सब बात मानने को तैयार हैं. परन्तु यू.पी.ए का तो उल्लेख कर दें.
सुश्री मीना सिंह मांडवे:- अरे, आपने एक बच्चे की फीस बढ़ायी क्या ?
डॉ. हिरालाल अलावा :- (xxx)
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, हिरालाल जी आप बैठ जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- यदि आप 18 साल की बात करते हैं तो अब पेसा पर आ जायें.
श्री प्रियवत सिंह :-आप पूर्व प्रधान मंत्र मनमोहन सिंह का उल्लेख नहीं कर रहे हैं.... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- हिरालाल अलावा, जी आप बैठ जाओ
डॉ. नरोत्तम मिश्रा:- मनमोहन सिंह ने इतना पैसा दिया कि आप 20 साल से हार रहे हो और अगले 20 साल की गारंटी है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप सब लोग बैठ जायें. श्री पी.सी शर्मा जी आप बैठ जाइये. जो 12घण्टे 50 मिनट की जो बात हुई है, उसमें से साढ़े सात घण्टे विपक्ष को बोलने के लिये दिये हैं. और कई बार तो आप 50-50 मिनट बोले हैं. आप लोग बैठ जाइये, मैं किसी को अलाउ नहीं करूंगा. हमने आपको साढ़े सात घण्टे का समय दिया है. यदि आपने यह तय करके रखा है कि बोलने नहीं देना है तो यह सीधे बताओ ना. आप मुख्य मंत्री जी को सुनो ना. जिसके बारे में आपने आरोप लगाया, उसका जवाब तो आपको सुनना पड़ेगा. आप अविश्वास लाये और आरोप लगाये, यह काम नहीं हुआ, वह का नहीं हुआ तो उसका जवाब तो मुख्य मंत्री जी दे रहे हैं ना तो कम से कम आप जवाब तो सुनो. मुख्य मंत्री जी के अलावा मेरी अनुमति से कोई बोले तो उसका नहीं लिखा जायेगा. माननीय मुख्य मंत्री .
श्री शिवराज सिंह चौहान:- मेरी प्रार्थना है कि गरीबों की बात हो रही है. (व्यवधान) पेसा में हमने जमीन के अधिकार, जंगल के अधिकार, एक नहीं उनकी परम्पराओं और जीवन मूल्यों के संरक्षण के अधिकार दिये हैं, कम से कम वह तो सुन लें. पहली चीज जमीन का अधिकार, हमने पेसा के नियमों में तय किया है कि हर साल ग्राम सभा में, आप जानते हैं, मैं बहुत विस्तार में नहीं जा रहा हूं, ग्राम सभा बनेगी, ग्राम सभाएं बन रही हैं, लगातार मैं मॉनिटरिंग कर रहा हूं. संबंधित 20 जिलों के कलेक्टरों की मैं बैठकें कर रहा हूं कि ग्राम सभा के गठन से लेकर बाकी चीज जो जाये.जमीन के अधिकार में हर साल पटवारी और बीट गार्ड, खसरे और अक्स की नकल, बी-1 की नकल सीधे ग्राम सभा में रखेगा. ताकि कोई आदिवासी की जमीन इधर से उधर ना कर पाये. धन्ना की जमीन पन्ना के नाम पर हो जाये और पता ही नही चले. अब यह नहीं होगा. पूरा रिकार्ड ग्राम सभा में रखा जायेगा. कई बार छल से, कपट से बेइमानी से जनजाति भाई-बहनों की जमीन और एक षडयंत्र और मैं विशेषकर अपने आदिवासी मित्रों को कहना चाहता हूं, एक षड़यंत्र और चल रहा है, आदिवासियों की जमीन अगर खरीदना है तो कैसे भी किसी आदिवासी बेटी से शादी लो और उसके नाम से जमीन खरीद लो और वह जमीन अपने नाम हो जाये. यहां तक की कई जगह सरपंची का चुनाव लड़ाने के लिये भी इस तरह का षड़यंत्र करते हैं. ऐसे षड़यंत्रों से सावधान रहें, यह आदिवासी समाज को बहुत नुकसान पहुंचायेगा. अब तय किया है कि छल वल से अगर कोई ऐसी जमीन ले ली गयी तो ग्राम सभा, उसमें हस्तक्षेप करेगी और वह जमीन वापस दिलाने में महत्वपूर्ण रोल अदा करेगी. यह पेसा में प्रावधान किया गया है.
डॉ. अशोक मर्सकोले- XXX
श्री तरूण भनोत- XXX
श्री कांतिलाल भूरिया- XXX
...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय- आपमें से किसी का नहीं लिखा जायेगा. आप सभी बैठ जायें. मुख्यमंत्री जी सारे कानूनों की बात कर रहे हैं, आप सुनोगे नहीं और जबर्दस्ती की बात करते हो. अभी तो ये बता ही रहे हैं कि आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए, उस कानून से कौन-कौन से नियम बनाये गए हैं, आप सुनने को तैयार ही नहीं हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने पेसा के जो नियम बनाये हैं, उन नियमों में अगर गांव के अधिकार क्षेत्र में, यदि कोई गिट्टी की खदान, कोई रेत की खदान, गौण खनिज होगा, तो उस पर पहला अधिकार आदिवासी जनजातीय समिति का होगा, यह प्रावधान है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, कहना चाहता हूं कि आदिवासी बेटा-बेटी कोई क्रेशर नहीं लगा सकते क्या, कोई गिट्टी के काम में नहीं आ सकते क्या, रेत के काम में नहीं आ सकते क्या, हमने ये प्रावधान करने का काम किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पेसा के अंतर्गत हमने यह फैसला किया है कि अगर मजदूरों को कोई लेकर जाता है तो कई बार पता ही नहीं चलता कि कहां चले गए ,कई बार मुसीबत में फंसते हैं, बंधुआ मजदूर बन जाते हैं, कई तरह की दिक्कतों का समाना करना पड़ता. अब बिना ग्राम सभा को जानकारी दिये, कोई भी एजेंट हो या कोई एजेंसी हो, इन भाई-बहनों को बाहर नहीं ले जा सकती और कोई ले जायेगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी, इस बात का प्रावधान किया है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल (कुक्षी)- माननीय मुख्यमंत्री जी, कुक्षी विधान सभा में ग्राम खराजना है, सरपंच आदिवासी है, एस.डी.एम. और तहसीदार को शिकायत कर-करके थक गया, पर वहां से रेत जा रही है. कृपया, इसे रूकवा दीजियेगा और यह पैसा पंचायत के काम में आये. उसकी कोई नहीं सुन रहा है, आवेदन दे-देकर थक गया है.
डॉ.(कुंवर) विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार से टोका-टाकी करेंगे क्या ?
आदिम जाति कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री (कुमारी मीना सिंह मांडवे)- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये खुद ही रेत के ठेकेदार थे.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल- मैडम, आप विधान सभा में प्रमाण प्रस्तुत कर देना.
...व्यवधान...
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, पेसा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर, मैं, चाहता हूं कि विधायक भी जानें पेसा क्या है.
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जायें. नियमों और प्रावधानों की जानकारी तो देने दीजिये, बोलने तो दीजिये. बाद में कहना की रेत की ट्रॉली आपके गांव से चली गई. पहले अभी सुन तो लें.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल- XXX
कुमारी मीना सिंह मांडवे- XXX
श्री तुलसीराम सिलावट- XXX
...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय- कुछ नहीं लिखा जा रहा है आपका, आप बैठ जायें.
श्री विश्वास सारंग- सज्जन भाई, आप सीनियर हैं. मैं, हाथ जोड़कर निवेदन कर रहा हूं. आप कांग्रेस के विधायकों को थोड़ी गरिमा में रखें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- अरे विश्वास भाई, जिस व्यक्ति ने कभी रेत नहीं देखी, उस पर रेत के ठेकेदार होने का आरोप लगा रहे हैं, ऐसा कैसे चलेगा ?
अध्यक्ष महोदय- सज्जन जी, मैं, आपसे मुखातिब हो रहा हूं. आप मेरी बात सुन लें. माननीय वर्मा जी, कृपया प्रतिपक्ष के माननीय सदस्यों को नियंत्रित करें और सदन के नेता का जवाब, सदन की गरिमा अनुसार सुनें, मेरा आपसे आग्रह है.
...व्यवधान...
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये हम पर गलत आरोप न लगायें. अगर ये बोलेंगी तो हम भी बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय- क्यों बोलोगे ? कल तो 7.25 घंटे आप लोग बोले हो.
...व्यवधान...
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल- लेकिन ये ठीक नहीं है, ये बोल रही हैं कि आप रेत की खदान चलाते हो. शिवराज जी, ये गलत बात है, कुछ भी आरोप लगा रहे हैं, हमने तो कभी आपके बारे में गलत नहीं बोला है.
अध्यक्ष महोदय- आप कल होते तो बोलते. सज्जन जी आप देखें.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर यह है कि डेढ़ घंटे हो गए हैं मुख्यमंत्री जी के लिए दो मिनट भी बगैर इंटरप्शन के बोलने नहीं दिया गया है. अध्यक्ष जी मैं प्रतिपक्ष से आग्रह भी करता हूं, निवेदन भी करता हूं. आज आप अपना एक नया नेता बना लें क्योंकि आपके (XXX). (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- आप नई बहस मत छेड़ो. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव-- आप अपना एक नया नेता चुन लें. आप आसंदी की नहीं मान रहे हैं, आप सदन के नेता की नहीं मान रहे हैं, आप अपना एक नेता चुन लें वह आपके लिए तय करे कि कौन बोले. यह प्रश्नोत्तर काल से भी गया बीता काल हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, अभूतपूर्व है. आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ जैसा आज हो रहा है. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या (XXX). यह बोल रहे हैं कि दो नेता फरार हैं. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव—(XXX) (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- यह वरिष्ठ सदस्य हैं, यह इस तरीके से बोलेंगे. संसदीय गरिमा ही नहीं है. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- सदन का नेता बोलना चाहता है पेसा पर लेकिन मुझे कदम-कदम पर टोका जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की विधान सभा की अपनी एक गरिमा है ऐसा कभी नहीं हुआ. ऐसी रोका-टोकी कभी नहीं हुई. ऐसा थोड़ी होता है. (व्यवधान)
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- गरिमा का पालन नहीं कर रहे हैं. आप आदिवासी विधायकों को बोल सकते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- कल आपको 7 घंटे 31 मिनट दिया गया. आप अपनी बात को कहने के लिए नहीं थे. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- आप थोड़ी गरिमा रखो. (व्यवधान)
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- विश्वास जी वह गलत बोल रही हैं. हम हमारी बात बोलेंगे. विधान सभा में उन्होंने ऐसा बोला है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- आपकी बात आ गई है आप थोड़ी गरिमा रखो. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिहं चौहान-- मैं यह कहना चाहता हूं कि मेरे आदिवासी भाई-बहनों को भी आप सुनने दो. आप भी अगर नहीं समझे हैं तो पेसा समझ लो मेरे भाई और समझ रहे हो तो मैं आपका सहयोग चाहता हूं. आप जाओ और लोगों को समझाओ. पेसा में हमने तय किया है कि अगर गांव में कोई बाहर से भी आएगा तो उसको सूचना देनी पड़ेगी कि वह क्यों आया है. मनमर्जी से कोई नहीं घुस पाएगा. क्योंकि कई ऐसे इरादों वाले लोग जिनका भाव ठीक नहीं रहता है वह भी आ जाते हैं इस बात का प्रावधान पेसा में किया गया है. दो वनोपज होती हैं एक तेंदूपत्ता और दूसरा हमारी गौण वनोपज होती है जिसमें हर्रा, बहेड़ा, आंवला, महुआ, महुए का फूल, महुए की गुल्ली, करंज का बीज, नीम की निबोली अलग-अलग तरह की वनोपज आती हैं. हमने यह प्रावधान किया है कि अगर ग्रामसभा चाहेगी तो तेंदूपत्ता तोड़ने का काम ग्रामसभा करेगी. तेंदूपत्ता तोड़े, तेंदूपत्ता सुखाए और तेंदूपत्ता बेचे. यह ऐतिहासिक अधिकार ग्रामसभा को देने का काम किया है और केवल इतना ही नहीं हमने सीधे वन विभाग से यह कहा है लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दें. ट्रेनिंग देनी पड़ेगी, थोड़ा सा सिखाना पड़ेगा. नए-नए भाई-बहन आए तो एकदम कैसे बेचेंगे. कोई बिचौलिया आकर कम दामों पर न खरीद ले जाए और इसीलिए पूरी तरह से प्रशासकीय अमला उनको ट्रेनिंग देने का काम, संरक्षण का काम करेगा. दो तीन साल में सारी चीजें ठीक हो जाएंगी. हमने अभियान चलाकर यह कोशिश की है कि ग्रामसभा की बैठक हो जाए और ग्रामसभा तेंदूपत्ता तोड़ने का काम करे. यह केवल तेंदूपत्ता तोड़ने का काम नहीं है, वनोपज संग्रहण का काम नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बार छिंदवाड़ा जिले में गया था. वहां पाताल कोट में अचार की चिरौंजी बहुत अच्छी होती है. वह तोड़कर बीनकर लेकर आते थे. सस्ते दामों पर बिक जाती थी, आने पौने दामों पर बिक जाती थी. हमने तय किया कि वनोपज संघ खरीदेगा लेकिन, अब तय किया है कि इस वनोपज का महुए के फूल सहित संग्रहण का काम ग्रामसभा करेगी. किस रेट पर बेचना है जो कि तर्कसंगत हो उसका काम भी ग्रामसभा करेगी. उसमें से जो आमदनी आएगी वह ग्रामसभा का खाता खोलेगी उसके पास आएगी. मजदूरी देने काम यह सारे के सारे काम वनोपज के ग्रामसभा को देने का ऐतिहासिक फैसला अगर किया गया है तो पेसा के अंतर्गत किया गया है. हमारी परम्पराएं, नई दारू की शराब की दुकान किसी भी गांव में ग्रामसभा की अनुमति के बिना नहीं खोली जाएगीं यह प्रावधान भी किया गया है कि ग्रामसभा अगर चाहे तो सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने पर वह प्रतिबंध लगा सकती है, यह प्रावधान भी किया गया है कि ग्रामसभा अगर चाहे तो किसी दिन को ड्राई डे भी घोषित कर सकती है.
श्री कुणाल चौधरी- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी यह गलत बात है. कुणाल का कुछ भी नहीं लिखा जाएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उस पर भी आऊंगा. मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ कि मुझे केवल भाषण नहीं देना है. यह जो अविश्वास प्रस्ताव है मैं अच्छा और तू बुरा के बजाए इसका जनहित में भी उपयोग हो जाए उसकी मैं कोशिश कर रहा हूँ. इसलिए मैं एक-एक मुद्दे को रेखांकित करने का काम करुंगा. अनेकों प्रावधान हैं अगर मैं बोलूंगा तो घंटों पेसा पर ही बोल सकता हूँ. लेकिन मैं आपका भी सहयोग चाहता हूँ. मेरे जो विधायक साथी हैं पक्ष के प्रतिपक्ष के उन दोनों से कहना चाहता हूँ पेसा किसी के खिलाफ नहीं है. मुझे पता चला है कि यह आग लगाने की भी कोशिश हो रही है कि पेसा तो बाकी लोगों के खिलाफ है और यह काम भी कांग्रेस ही करती है. सामाजिक समरसता के साथ ...
श्री जितु पटवारी -- आपको किसने कहा कि आग लगाने का काम, आपकी इसमें नीयत ठीक नहीं है. आपने कौन से कांग्रेसी को देखा कि पेसा के अगेंस्ट किसी ने बयान दिया है क्या. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हम पेसा को लागू करने का काम करेंगे. मेरी प्रार्थना है.
श्री जितु पटवारी -- मुख्यमंत्री जी आप एक प्रमाण दो कि इस कांग्रेसी ने पेसा के खिलाफ बयान दिया (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल जी बैठ जाए. जो बिना अनुमति के बोलेंगे उनका नहीं लिखा जाएगा.
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX)
श्री नीलांशु चतुर्वेदी -- (XXX)
श्री प्रियव्रत सिंह -- (XXX)
श्री सचिन यादव -- (XXX)
डॉ. अशोक मर्सकोले -- (XXX)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय विधायक हैं मैं उनका सहयोग भी चाहता हूँ. मैं कई गांवों में गया हूँ मैं अनेकों स्थानों पर पेसा ढंग से समझाने के लिए गया हूँ. मैं प्रतिबद्ध हूँ कि पेसा के नियमों को जमीन पर लागू करके अपने आदिवासी भाई और बहनों का आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण करूं. पेसा के कारण एक नई समृद्धि और विकास का मार्ग...
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पेसा एक्ट लागू किया बहुत अच्छी बात है. मैं रिकार्ड के लिए बताना चाहता हूँ कि वर्ष 1986 में राजीव गांधी जी ने पेसा एक्ट ड्राफ्ट किया था और उनकी हत्या हो गई नहीं तो बहुत पहले यह आ गया होता.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि मैं इस विभाग का मंत्री हूँ मैं माननीय लक्ष्मण सिंह जी को बताना चाहता हूँ कि वर्ष 1996 में दिग्विजय सिंह जी ने यह प्रथम बार शुरु किया था मगर पेसा एक्ट को उन्होंने कूड़ेदान में डाल दिया था.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जाएगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ कहना चाहता हूँ.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- ठीक है बोल लें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, इस पेसा एक्ट में वित्तीय प्रावधान क्या होगा. पेसा एक्ट जब लागू होगा बहुत सारे काम हम समिति के माध्यम से करेंगे. वह धनार्जन कहां से होगा, हमारा स्त्रोत क्या होगा. किस स्त्रोत के माध्यम से हम पेसा एक्ट के तहत ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य करेंगे. क्या सरकार की ओर से वित्तीय प्रावधान होगा इसका भी उल्लेख करने की कृपा करें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं इस आशंका को भी निर्मूल करना चाहता हूँ. पंचायतें करेंगी गांव के विकास के काम. गांव में सड़क बनाना, गांव में निर्माण के काम करना, विकास के काम करना. पंचायत के अधिकार अपने स्थान पर सुरक्षित हैं उनके पास जो पैसा आएगा उन्हीं के गांव में रहेगा.
अध्यक्ष महोदय --फुन्देलाल सिंह मार्को जी बैठ जाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- लेकिन कृपया करके गलतफहमी मत फैलाइए, भ्रम मत फैलाइए. इससे किसी भी मछुआरे का कोई नुकसान नहीं है. कुछ लोग यह प्रयास भी कर रहे हैं कि इन्होंने पेसा एक्ट लागू कर दिया, अब हम ढीमर, भोई, माझी उस समाज को भड़काने का काम करें. उनका भी कोई अहित नहीं है. किसी का कोई अहित नहीं है. मैं सभी माननीय सदस्यों से यह निवेदन करना चाहता हॅूं कि पेसा एक्ट लागू हुआ है तो उसको जमीन पर ठीक ढंग से उतारने में कृपया करके हम सब मिलकर काम करें, हमें सहयोग करने की कृपा करें ताकि मैं और तू में न उलझें. जनजाति समाज का सही अर्थों में आदिवासी भाई-बहनों का हम कल्याण का काम कर सकें.
डॉ.हिरालाल अलावा (मनावर) -- माननीय मुख्यमंत्री जी, आप पेसा एक्ट मध्यप्रदेश में 26 साल बाद लेकर आए हैं, मैं तहेदिल से आपको धन्यवाद देता हॅूं. इसमें मेरे 2-3 सुझाव हैं. एक तो वर्ष 1996 में जब संसद में पेसा कानून लाया गया था तो मूल भावना यह थी कि पेसा कानून को 6वीं अनूसूची के पैटर्न पर लागू किया जाएगा. 6वीं अनुसूची का पैटर्न मतलब स्वायत्त परिषद्, जिला परिषद् और स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद्. दूसरी इसमें पेसा कानून में 4 (क) (ग) में जो महत्वपूर्ण बात है कि पेसा कानून का जो मूल आधार है कि आदिवासियों की रूढ़ी, उनकी परम्पराएं, उनके रीति-रिवाजों का संरक्षण एक रूढि़ जन्यसंहिता के माध्यम से किया जाएगा. जो पेसा एक्ट 2022 मध्यप्रदेश सरकार लेकर आयी है उसमें रूढि़ जन्यसंहिता को विधि को मान्यता नहीं दिया गया, उसके बिना आदिवासियों की परम्पराओं, रूढि़ओं को हम कैसे संरक्षित करना चाहेंगे, यह आदिवासी समाज जानना चाहता है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हिरालाल भाई, अब आप चिंता मत कीजिए. रूढि़यां, परम्परा वह सब अक्षुण्ण रखी जाएंगी और बनाए रखने के लिए जो आवश्यक व्यवस्थाएं हैं वह सब सारी की सारी की जाएंगी. (मेजों की थपथपाहट) हमारी परम्पराएं हैं, हमारे जीवन मूल्य, हमारी संस्कृति उसको अक्षुण्ण बनाए रखने के हर एक प्रयास किए जाएंगे. आप निश्चिंत रहें. मैं मानता हॅूं कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण काम करने का सौभाग्य हमें मिला है, उसको हम किसी भी हालत में अधूरा नहीं छोडे़ंगे. अधूरा छोड़ने का काम नहीं करेंगे. आग्रह मेरा इतना ही है कि हम सब मिलकर उसको कोई गलतफहमी और भ्रम पैदा किए बिना जमीन पर ढंग से उतर जाए, इसका प्रयास करें.
डॉ.हिरालाल अलावा -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं निवेदन करना चाहता हॅूं. कल काफी चर्चा हुई और हम पर कहा गया कि किसानों के मामले में हमारी नीति, हमारी नीयत उस पर कई तरह के सवाल उठाये गये. मैं पूरी विनम्रता के साथ कहना चाहता हॅूं कि कल कर्जा माफी पर काफी चर्चा हुई है और इसलिए मैं बहुत विस्तार में उसमें नहीं जाऊंगा लेकिन मैं केवल रेखांकित करना चाहता हॅूं. अगर टोकाटोकी नहीं करेंगे, तो जल्दी रेखांकित करके मुझे आगे बढ़ने का मौका मिल जाएगा.
श्री सचिन सुभाष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना पूछना चाहता हॅूं कि आप अपनी बात रखें तो कृपया इतना बता दें कि ऋण माफी के कार्यक्रम को चालू करेंगे कि नहीं करेंगे....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- अभी तो शुरू ही नहीं किया है. अभी तो शुरू ही नहीं किया है. सचिन जी, यह कौनसी बात हुई. अभी तक शुरू ही नहीं किया है और सज्जन सिंह जी, कैसे खडे़ हो गए. अभी शुरू नहीं किया और वह खडे़ कैसे हो गए....(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष जी, कांग्रेस में कोई किसी की सुनता है क्या.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर दोहराना चाहता हॅूं कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में इनके नेता श्री राहुल गांधी जी ने जो बात कही थी, वह टेलीविज़न पर दिखाई गई. ऑडियो है, वीडियो है. तय किया था कि 10 दिन में और उन्होंने गिनकर कहा था 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 और 10 दिन में अगर कर्जा माफ नहीं किया, तो मुख्यमंत्री बदल दूंगा, यह उन्होंने कहा था. यह ऑन रिकार्ड है माननीय अध्यक्ष महोदय.
श्री सुखदेव पांसे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने 15 लाख का नहीं बोला था, 15 लाख का नहीं बोला था..(व्यवधान)..
श्री प्रहलाद लोधी -- अरे भईया, शांत बैठिए...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, आपने कर्जा माफी का कचरा कर दिया पूरा. कर्जा माफी आपने सबकी कही थी, फिर लोग छांट दिए उसमें से. हरा, सफेद, गुलाबी अलग-अलग रंग-रंग के आवेदन पत्र भरे गए. किसान आवेदन पत्र भरने में भटकता रहा. फिर पहले सब कर्जा माफ, फिर कहा कि केवल सहकारी और राष्ट्रीयकृत बैंकों का होगा. प्राइवेट बैंक आपने बाहर कर दिये फिर कह दिया, केवल एक खाते का ही होगा...(व्यवधान)..
श्री सचिन सुभाष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय.....
श्री प्रहलाद लोधी -- हर बार क्यों खडे़ हो जाते हो..(व्यवधान)..
श्री सचिन सुभाष यादव -- सहकारी बैंक भी थे, राष्ट्रीयकृत बैंक भी थे, ग्रामीण बैंक भी थे...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- वह तो रिकार्ड बोल रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री सचिन सुभाष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन में सरकार की तरफ से जवाब आया है. इसमें सरकार ने स्वीकार किया है. 27 लाख किसानों के 11 हजार 600 करोड़ के ऋण माफ हुए हैं. यह कमल पटेल जी ने यह सब दिया है. क्या यह अवमानना नहीं है, माननीय अध्यक्ष महोदय...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- पहले सुन तो लो पूरा...(व्यवधान)...
श्री सचिन यादव -- क्या यह सदन की अवमानना नहीं है...(व्यवधान)...
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- जब आप लोगों ने बोले, तब हमने नहीं बोला, तो बार-बार क्यों खड़े हो रहे हो. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मेरे छोटे भाई सचिन, क्यों बार-बार गुस्सा हो रहे हो, इस उम्र में इतना गुस्सा होना ठीक नहीं है भैया. अरूण यादव जी ने ट्विट करके उस सरकार के बारे में क्या कहा था, वह ट्विट भी अरूण यादव जी का है कि कैसे पश्चाताप कर रहे थे, तुम भी पढ़ लेना ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- (XXX)
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- ये नहीं लिखा जाएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर ये सरकार ईमानदारी से कर्ज माफी करती तो 53 हजार करोड़ के कर्जा माफ होते, 11 हजार करोड़ इन्होंने जवाब दिया था, यह बात सत्य है, लेकिन 11 हजार करोड़ केवल स्वीकृत हुए थे, केवल 7 हजार करोड़ रुपये आपने कर्जा माफी का दिया है. ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- बहुत-बहुत धन्यवाद. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- इतना आपने माना, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- आपने मान लिया कि कर्जमाफी हुई है. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- पूरा सुन तो लो...(व्यवधान)...और आपने जो 7 हजार करोड़ रुपये बजट में स्वीकृत किया...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार – (XXX)...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र (विपक्ष के कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर) – (XXX). ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- सभी बैठ जाएं. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वीकार किया कि हमने कर्जा माफ किया. ...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- तरूण भाई, बैठो ना. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- मैंने अध्यक्ष महोदय से आज्ञा ली है. ...(व्यवधान)...
कुंवर विजय शाह -- जनता जानती है कि आपने कैसा कर्जा माफ किया...(व्यवधान)... अगर किया होता तो यहां होते, वहां नहीं. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- मुख्यमंत्री, मंत्री सब कह रहे हैं कर्जा माफ हुआ है. जनता भी कह रही है. ...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- ऊँट के मुंह में जीरा. छोटी सी बात का बवण्डर ज्यादा कर रहे थे. ...(व्यवधान)...
श्री सुनील सराफ -- (XXX)
श्री दिलीप सिंह परिहार -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जाएगा.
श्री तरूण भनोत -- माननीय मुख्यमंत्री जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि मात्र 7 हजार करोड़ रुपये कांग्रेस ने अपने शासन काल में किसान भाइयों का माफ किया. माननीय मुख्यमंत्री जी, मैंने पहले भी, जब बजट माननीय वित्त मंत्री जी ने रखा था, तो एक बात को समझाने का प्रयास किया था. शायद समझ नहीं पाए. हमने किसानों के ऊपर, जब 9 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, यहां पर बहुत सारे अधिकारी भी बैठे हैं, वही अधिकारी आज भी काम कर रहे हैं. हमने मध्यप्रदेश सरकार का पैसा बचाया था और किसानों के ऊपर जो 9 हजार करोड़ रुपये...(व्यवधान)...
डॉ. योगेश पंडाग्रे -- तरूण भैया, एक चीज पूछना चाह रहा हूँ, जो भाजपा शासित विधान सभा क्षेत्र थे, उसमें कितनी निधि और बाकी में कितनी निधि ... ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- बैठो, कर्जा आपने चढ़ाया...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बात ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मैं जवाब दूंगा, आप चिंता मत करो. ...(व्यवधान)...
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- (XXX)
श्री हरिशंकर खटिक -- (XXX)
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह सब नहीं लिखा जाएगा.
श्री तरूण भनोत -- अपने नेता की बात तो सुन लो भाई. हमारी मत सुनो..(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- जल्दी कर लो. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- मैं खत्म कर रहा हूँ. ...(व्यवधान)...
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- आपने कल एक घंटा बोला, फिर और क्या बात कर रहे हो ...(व्यवधान)... आप भी अपने नेता की बात सुनो.
श्री तरूण भनोत -- हम तो अपने नेता की बात सुनते हैं...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आपके नेता कौन, सज्जन भाई या आप या जितु पटवारी ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- मैं आपको धन्यवाद दे रहा हूँ...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- कल हमको सुन लेते भाई ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अपने नेता की बात सुन लो भाई ...(व्यवधान)...
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- कांग्रेस और बीजेपी शासित का अलग-अलग आप बजट बता दीजिए कि वहां पर कितना माफ हुआ था, कांग्रेस में कितना माफ हुआ था और बीजेपी में कितना माफ हुआ था...(व्यवधान)...
श्री तरुण भनोत -- माननीय मुख्यमंत्री जी, आप भी इस बात की प्रशंसा करेंगे कि जहां सरकार के 30 हजार करोड़ रुपये लगने थे, क्योंकि किसानों के ऊपर जो 30 हजार करोड़ रुपये का बिल था हमने वित्तीय संस्थानों से बात करके, बैंकों से बात करके अगर मध्यप्रदेश की सरकार का पैसा बचाया और उन संस्थाओं से 9 हजार करोड़ में सेटलमेंट किया, आपको तो धन्यवाद देना चाहिए कमलनाथ जी को और हमारी सरकार को कि किसान भाइयों का 30 हजार करोड़ का ऋण हमने 9 हजार करोड़ में सेटल कर दिया. आपका यह कहना कि नहीं हुआ और आपको धन्यवाद कि आपने सदन के नेता होने के नाते यह स्वीकार किया कि कांग्रेस के राज में किसानों का कर्जा माफ हुआ था.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, कर्जा माफ होना था 53 हजार करोड़ रुपये का और लाली पॉप पकड़ाया 7 हजार करोड़ का, ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं है और 7 हजार करोड़ आपने कर्जा माफ की बात की. हमने 17 हजार करोड़ रुपया फसल बीमा योजना में किसान को बांट दिया. यह आंकड़े हैं. आपने किसानों को डिफाल्टर कर दिया और तरुण जी, यह बात स्वीकार करना कि आपने कर्जा भी चीन्ह-चीन्ह कर माफ किया. जहां कांग्रेस के विधायक थे वहां आपने कर दिया, बाकी जगह आपने छोड़ दिया. कई जगह आपने नहीं किया.
श्री प्रागीलाल जाटव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां करेरा विधान सभा में मेरे क्षेत्र में एक टका भी नहीं मिला. मेरे क्षेत्र में किसानों को एक टका नहीं मिला.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, केवल जहां उप चुनाव थे वहां किया, जहां कांग्रेस के विधायक थे. ऐसा कहीं होता है क्या. जहां उपचुनाव थे वहां कर दो. जहां कांग्रेस के विधायक थे वहां थोड़ा कर दो. इससे बड़ा धोखा हो नहीं सकता. किसान डिफाल्टर हो गए. किसान कर्जदार हो गए और आज मैं कह रहा हूं ब्याज के कारण डिफाल्टर होने के कारण जो ब्याज का बोझ किसानों के मत्थे आया वह ब्याज अब यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार भरवाएगी जो डिफाल्टर होने के कारण हुआ है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- आपकी सरकार का, वचन पत्र में आपने दिया था. जिसने बनाई थी उसका पैसा रुका है.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, 2008 के घोषणा पत्र में आपने घोषणा की थी कि 50 हजार कर्जा माफ किया जाएगा उसमें एक कौड़ी आपने माफ किया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- भारतीय जनता पार्टी ने जो-जो घोषणाएं कीं सब पूरी की थीं. एक बार आप सुन लें किसानों की सरकार कैसी होती है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सीएम साहब से सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि ( XXX )
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं बिल्कुल नहीं लिखा जाएगा. मुख्यमंत्री जी आप जारी रखें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा हूं केवल इन ढाई सालों में किसानों को जो दिया है वह जानने का अधिकार आपको भी है. आप सुनिए, शून्य ब्याज दर पर किसानों को अल्पावधि फसल ऋण हमने दिया 44,244 करोड़ रुपये, किसानों को खेती के लिए बिजली कनेक्शन में अनुदान हमने दिया 35,972 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ हमने दिया 15,196 करोड़ रुपये और हमने उसमें जोड़ दिया मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ अभी 6,352 करोड़ रुपये हुआ है, अभी फिर डालने वाला हूं किसानों के खाते में, फिर पैसा जाएगा, फसल बीमा योजना की राशि का भुगतान एक किश्त दी 3,372 करोड़ रुपये की तत्काल सरकार बनते ही. दूसरी दी 6,016 करोड़ रुपये की और पिछले साल 7,752 करोड़ रुपये फिर फसल बीमा योजना के खाते में डाले.
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, यह बीमा क्या होता है. मुख्यमंत्री जी, आज यह क्लीयर करें बीमा क्या होता है ? बीमा सरकार देती है ?
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल जी, चुप रहो भैया, थोड़ा सा चुप हो जाएं, सुनने दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, फसलों के नुकसान पर आपने राहत की राशि बांटी नहीं थी, केवल 25 परसेंट दी थी. कई किसानों को एक पैसा नहीं मिला. हमने पिछले साल 3,867 करोड़ रुपये डाले. सरकारी बैंकों को आपने बदनाम किया था.
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फसल बीमा में किसान की प्रीमियम कटती है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष जी, किसान 2 रुपये किलो लहसुल बेच रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं सज्जन जी. यह बजट पर नहीं हो रहा है भैया. इतने सीनियर विधायक हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अब यह ठीक नहीं है सज्जन भाई, आप जैसे सीनियर नेता से यह अपेक्षा नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, किसान 2 रुपये किलो लहसुन बेच रहा है. खाद के लिए चार-चार दिन लाइन लगा रहा है. हमारे कांग्रेस के विधायक को आप जेल में डाल रहे हैं. वह खाद के लिए किसान की लड़ाई लड़ रहा है, उसे जेल में डाल रहे हैं. 2 रुपये किलो किसान को लहसुन बेचना पड़ रही है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- फसलों के नुकसान पर राहत की राशि 3,867 करोड़ रुपये, सहकारी बैंकों को प्रदत्त राशि जो आपने कर्जा माफी के नाम पर नहीं दी थी वह हमने दी 800 करोड़ रुपये. उद्यानिकी फसलों की बीमा राशि का प्रदाय, हमने किया 193 करोड़ 66 लाख रुपया, सोलर पंप योजना में किसानों को अनुदान 111 करोड़ रुपया, एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में 3491 करोड़ रुपया, 2 लाख 12 हजार 464 करोड़ रुपया हमने किसानों के खाते में दिया. आपने केवल ऊंट में मुहं में जीरा जैसा कर्जा माफ कर दिया. अब जनता फैसला करेगी कि किसानों की सरकार कौन-सी थी. आपकी थी या हमारी है भारतीय जनता पार्टी की.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन और करना चाहता हूं शिक्षा के बारे में, आपने कई तरह के सवाल उठाए हैं. आप पहले अपनी सरकार के कार्यकाल को देख लो. पहले के कार्यकाल को भी देख लो. (श्री ओमकार सिंह मरकाम के कुछ कहने पर) हां, हां, मैं पढ़ा हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि पूरी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने का अपराध हुआ था तो कांग्रेस की सरकार में हुआ था. (शेम-शेम की आवाज). गुरुजी रख दिये. आपने रखे गुरुजी 500 रुपये में, आपने रखे शिक्षा कर्मी, कर्मी कल्चर खड़ा करके आपने बच्चों के भविष्य को चौपट और बर्बाद करने का पाप किया है. हमने वह शिक्षा कर्मी हो चाहे गुरुजी हो, पूरे अध्यापक बनाए. आज उनकी सैलरी सम्मानजनक है. आज 35000, 40000, 45000 रुपया उनको सैलरी मिल रही है. शिक्षकों की भर्ती का काम लगातार जारी है. 1 लाख भर्तियां मैंने कही है, अब तक 113000 की योजना बन चुकी है. 15 अगस्त तक शिक्षकों की भी भर्ती होगी. पुलिस में भी भर्ती होगी. कोई विभाग नहीं छूटेगा. भर्तियों का काम जारी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक जो नवाचार किया है, उसका मैं जिक्र करना चाहूंगा. हमने सीएम राइज स्कूल खोलने का फैसला किया है ताकि गरीबों के किसानों के, निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों के बेटा बेटियों की पढ़ाई ढंग से हो सके और इसलिए पूरे मध्यप्रदेश में सीएम राइज स्कूल बनाने का कार्य प्रारंभ हमने किया है. अच्छा भवन 30 से लेकर 95 करोड़ रुपए का.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - आप यह भी उल्लेख कर दीजिए कि ओल्ड पेंशन स्कीम कब चालू करेंगे? इसके बारे में भी बता दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - वहां प्लेग्राउंड और स्कूल से भी लेने के लिए बस जाएगी गांव में और बस बच्चों को लेकर आएगी, 20-25 गांवों के सेंटर में एक सीएम राइज स्कूल होगा. बच्चे ढंग से पढ़ेंगे. स्मॉर्ट क्लॉस ऐसी की वहां बैठकर दिल्ली, मुम्बई और भोपाल के भी अच्छे शिक्षक हमारे बच्चों को पढ़ा सकें. यह कर रही है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मेरी विधान सभा सोनकच्छ में, सोनकच्छ की स्कूल आपने काटी है, वह लिस्ट में आ गई, चूंकि मेरी विधान सभा में थी, इसलिए आपका विशेष अनुग्रह है. मेरी सोनकच्छ की सीएम राइज स्कूल का लिस्ट में नाम आ गया. आपने अपने हाथ से मेरी क्षेत्र की स्कूल काट दी, इस तरह का अनुग्रह है. मुझे भोपाल में मकान मत दो, मुझे नहीं चाहिए लेकिन बच्चों के लिए स्कूल दो. आप घोषणा कर दो.
श्री शिवराज सिंह चौहान - चिंता मत करो, बिल्कुल देंगे. सीएम राइज स्कूल जहां भी मापदण्ड में आएगा, वहां जरूर खोला जाएगा. आप चिंता मत कीजिए. यह तो आप स्वीकार कर लीजिए कि सीएम राइज स्कूल बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाएंगे. एक बात और, मैं गर्व के साथ कह रहा हूं देश में सबसे पहले यह हुआ है. पहली बार हुआ है. अंग्रेज चले गये. अंग्रेजी छोड़ गये और कांग्रेस ने भी अंग्रेजी का हउव्वा खड़ा कर दिया. हालत यह हो गई कि बड़े बड़े लोगों के बच्चे राजनेता, उद्योगपति और बाकी सब लोग वह तो इंग्लिश मीडियम स्कूल में चले गये. गांव का धन्नू, पन्ना, कल्लू, लल्ला, मन्ना, जुम्मन उसके बेटा बेटी कहां जाएंगे? अंग्रेजी भाषा के रूप में मैं अंग्रेजी का विरोध नहीं हूं. अंग्रेजी सीखें. बुरी बात नहीं है. लेकिन अंग्रेजी ऐसी लाद दी गई कि अंग्रेजी के बिना करियर बनेगा ही नहीं और इसके कारण हमारे गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति हो, अनुसूचित जनजाति हो, किसान हो, गरीब हो, उनके बेटा बेटी प्रतियोगी परीक्षाओं में पीछे पिछड़ते चले गये. मैं एक बच्चे को जानता हूं जो मेरे पास आया. उसका मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हुआ, बाद में एक साल में उसने मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी. मैंने उससे पूछा कि बेटा, तुमने यह पढ़ाई छोड़ी क्यों? तो उसने कहा मामा, अंग्रेजी मुझे समझ में नहीं आती तो मैं हीन भावना से ग्रसित हो गया, इसलिए मैं पढ़ाई छोड़कर ही आ गया. बच्चे हीन भावना से ग्रस्त होते थे. अंग्रेजी का मतलब टेलेंट नहीं है. अंग्रेजी का मतलब विद्वता नहीं है. अपनी मातृ भाषा में भी पढ़ाई हो सकती है और दुनिया का हर देश, चीन में चीनी में पढ़ाई होती है, जर्मनी में जर्मन में पढ़ाई होती है, फ्रांस में फ्रेंच में पढ़ाई होती है. हमने तय किया है कि मध्यप्रदेश की धरती पर मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिन्दी भाषा में की जायेगी, ताकि गरीबों के बेटा-बेटी, किसानों के बेटा-बेटी, निम्न मध्यम वर्ग के बेटा-बेटी, वह भी आयें और बच्चे ढंग से पढ़ने का काम कर सकें. अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति समाज, हमारे पिछड़े समाजों में आता है और इसलिये हमने एक नहीं अनेकों योजनाएं अनुसूचित जाति के समाज लिये बनाने का काम किया है. उन योजनाओं के विस्तार में मैं नहीं जाऊंगा. एक नहीं, एक दर्जन योजनाएं, उन पर हम काम कर रहे हैं और 5 फरवरी को संत रविदास जी की जयंती पर फिजिकली उन सबको उन योजनाओं का लाभ सार्वजनिक रुप से देने का काम करेंगे. उनकी जिंदगी बदलने का भी काम होगा. अनुसूचित जाति हो, अनुसूचित जनजाति हो, पिछड़े वर्ग के बारे में कल भूपेन्द्र सिंह जी ने विस्तार से चर्चा की थी. मैं उस पर चर्चा नहीं करना चाहता. उस समय भी पिछड़े वर्ग को छलने का काम किया गया था. आप ही थे, जिन्होंने यह फैसला किया, स्टे तो लिया ही नहीं था. स्टे हो जाने दिया और बाद में पीएससी के संदर्भ में एक फैसला आया था, तो क्या आप पीएससी में भी इसको लागू कर देंगे 27 परसेंट की जगह 14 परसेंट नहीं दिया जाये. कल बात हो गई है. इसलिये उसमें मैं बहुत विस्तार में नहीं जाना चाहता और सामान्य वर्ग के गरीबों के कल्याण के लिये भी हमने सामान्य वर्ग आयोग बनाया है. ईडब्ल्यूएस वाले आरक्षण को लेटर और स्पिरिट में हमने लागू करने का काम किया है. हमने ईडब्ल्यूएस को भी 10 परसेंट आरक्षण दिया है, यशपाल सिंह जी आप जानते हैं. हम किसी वर्ग को छोड़ने नहीं वाले. सब समाज को लिये साथ में, आगे है बढ़ते जाना. अब आप रोजगार पर सवाल उठा रहे थे. मैं कहना चाहता हूं कि मैंने शासकीय नौकरियों में भर्ती की बात अभी विस्तार से आपके सामने कही है. कल यह बात आई थी कि रोजगार कहां है. मेरे प्रिय मित्रों, महीने में एक दिन अब हम रोजगार दिवस के रुप में..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- मुख्यमंत्री जी, आपने अनुसूचित जाति, जनजाति का आरक्षण ही खत्म कर दिया, सब आपने निजीकरण में लाकर के आउट सोर्स से, जितने पीएस बैठे हैं, इनसे पूछिये कि अनुसूचित जाति, जनजाति का आपने अधिकार खत्म किया है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान--मेरी सरकार होते हुए अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग सब के हित सुरक्षित रहेंगे. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, किसी का अहित नहीं होने दिया जायेगा. अध्यक्ष महोदय, उद्योंगों की बात.
श्री प्रियव्रत सिंह -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा. आप बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, निवेश के बारे में कल बड़ी चर्चा हुई. रोजगार के बारे में चर्चा हुई. महीने में एक दिन हम रोजगार दिवस के रुप में मनाते हैं मध्यप्रदेश में और जितनी योजनाएं हैं, स्वरोजगार की होती हैं. उन योजनाओं का लाभ सूची के साथ कार्यक्रम करके, आप कहते हैं कि ईवेंट कर रहे हो, हम ईवेंट नहीं करते. लोगों को भटकना न पड़े, इसलिये हम कार्यक्रम करते हैं. हमने तय किया था पिछले साल 12 जनवरी को. 12 जनवरी को विवेकानन्द जयंती पर कि हम 2 लाख नौजवानों को स्वरोजगार की योजनाओं का हर साल लाभ देंगे. मुझे आज बताते हुए खुशी है कि ढाई लाख से ज्यादा लोगों को हम स्वरोजगार योजना का लाभ हर महीने दे रहे हैं. रोजगार दिवस आयोजित करके, कार्यक्रम करके..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा. आप बैठ जायें. मुख्यमंत्री जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- हम प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, एक नहीं,मैं उस विस्तार में जाऊंगा, तो समय बहुत लगेगा. एक दर्जन योजनाओं के माध्यम से हम ढाई लाख से ज्यादा बच्चों को रोजगार हर महीना दे रहे हैं. हम शासकीय नौकरियों में भी रोजगार देंगे. हम निवेश के माध्यम से भी रोजगार लायेंगे और हम स्वरोजगार के माध्यम से भी रोजगार देंगे. मुझे कहते हुए गर्व है कि स्टार्टअप के क्षेत्र में हमारे बच्चे चमत्कार कर रहे हैं. 2500 से ज्यादा स्टार्ट अप प्रारम्भ हो चुके हैं. सज्जन सिंह वर्मा जी जानते होंगे कि इन्दौर में कितने स्टार्ट अप प्रारम्भ हुए. उनमें यूनिकॉर्न भी बन गया. 8-8 हजार करोड़ की कम्पनियां मध्यप्रदेश के बच्चों ने बना ली हैं और इसलिये हमने योजना बनाकर जिन बच्चों के पास इनोवेटिव्ह आइडियाज हैं, उनमें पैसा लगाकर उनके स्टार्टअप को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया है. कल हमें यह कहा जा रहा था कि बड़ी विदेश यात्राएं कर लीं. रोजगार कर लिया. मेरे प्रिय मित्रों, पिछले केवल तीन सालों में कोविड के बावजूद, कोरोना के बावजूद, कोविड के कठिन काल में 447 बड़ी औद्योगिक इकाईयां स्थापित की हैं जिनमें 8500 करोड़ का निवेश और 32 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है. मेसर्स हितिज, कैलाश ग्रेन मिल्स, मेसर्स डाबर, मेसर्स सालिस, मेसर्स जी कामर्शियल, मेसर्स जिंदल, Mayur uniquoters , भैरव बायो फ्यूल, सिद्धांत फार्मा, विहान इंटरप्राइजेज, Highrise इंडस्ट्रीज, हिन्दुस्तान टैब्स. यह पूरी सूची है और जितू जी, इन्दौर को को जानते हो. टी.सी.एस. कौन लेकर आया. इन्फोसिस कौन लेकर आया. सिम्बायसिस कौन लेकर आया. Narsee monjee indore कौन लेकर आया. आटोमोबाईल सेक्टर की कंपनी कौन लेकर आया.टेक्सटाईल की कंपनियां कौन लेकर आया. अगर लाये तो हमारे इन्वेस्टर्स समिट के परिणामों के कारण हमने रोजगार का माहौल बनाया और उसके कारण आज नहीं कई वर्षों से निवेश लगातार आ रहा है और अब फिर आप सुन लें, फिर हमारा इन्वेस्टर्स समिट होने वाला है. प्रवासी भारतीय सम्मेलन 8,9,10 तारीख को इन्दौर में होगा. 80 से ज्यादा देशों के लोग आएंगे फिर 11 और 12 को इन्वेस्टर्स समिट होगा. इस बार तो मैं विदेश गया ही नहीं तीन सालों में. एक बार सोचा था जाने का तो आप लोगों ने पिछड़े वर्ग में आप लोगों ने टांग अड़ाई तो मैंने दौरा केंसिल कर दिया. मैं यहीं रह गया लेकिन मैं कहता हूं कि पूरी शिद्दत से, पूरी गंभीरता से निवेश के नये अवसर मध्यप्रदेश में कैसे सृजित हों और एक बात बताना चाहता हूं आन रिकार्ड मैंने कहा है. जब कमलनाथ जी के समय इन्दौर में निवेश का कार्यक्रम हुआ था निवेश का तब मुझे पत्रकारों ने पूछा था आलोचनात्मक दृष्टिकोण से पूछा था कि शायद मैं कोई उल्टी-पुल्टी बात कहूंगा लेकिन मैंने तब कहा था कि यह मध्यप्रदेश है. मुख्यमंत्री कोई भी हो. उनके नेतृत्व में हो रहा है तो उनके नेतृत्व में हो. मैं इन्वेस्टर्स से यह कहना चाहूंगा. अपील करके मैंने कहा था कि मध्यप्रदेश से बेहतर राज्य निवेश के लिये कोई नहीं है. आईये, मध्यप्रदेश में निवेश कीजिये तब श्री कमलनाथ जी मुख्यमंत्री हुआ करते थे. ये कोई ऐसे मुद्दे हैं जिनमें पक्ष और विपक्ष में, सत्ता आनी-जानी है. मतभेद कभी नहीं होने चाहिये. इनमें मिलकर काम करने का हमको प्रयास करना चाहिये. मिलकर काम करने का सोचना चाहिये. रोजगार,रोजगार,रोजगार, यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और अक्टूबर में बेरोजगारी की दर के हमेशा आंकड़े आते हैं. मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की दर 0.8 प्रतिशत देश में सबसे कम दरों में से एक थी. राज्यों की जो रैकिंग होती है उसके अनुसार हमारे प्रयास निरंतर निवेश के मामले में भी मेरे मित्रों, जारी रहेंगे. आप चिंता मत कीजिये. आपने अर्थव्यवस्था के कई सवाल उठाए थे. ऐसा हो गया. कर्जा ले लिया और आपने तो यह भी कह दिया था कि बी.जे.पी. कार्यालय में खाना खिला दिया. धन्य हो महाप्रभु, कहां से आपने ज्ञान प्राप्त किया है. मैं पूरी जिम्मेदारी और दावे के साथ कहता हूं कि बी.जे.पी. कार्यालय में एक नया पैसा कभी सरकार का कार्यकर्ताओं को खिलाने में नहीं लगाया गया. आप तो अंधेरे मे लट्ठ मारते रहते हो.
श्री जितु पटवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं यह पटल पर रखना चाहता हूं जिसमें मुझे आपके जनसंपर्क विभाग से बी.जे.पी. का 90 बार भोजन कार्यालय में हुआ. बी.जे.पी. कार्यालय ही लिखा हुआ. अधिकारियों के साईन से दिया हुआ. अगर यह नकली हो तो मेरी सदस्यता निरस्त की जाए और अगर असली हो तो उस अधिकारी को सस्पेंड किया जाए जिसने षड़यंत्र रचा.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आप सदन को मिसलीड कर रहे हो.
श्री जितु पटवारी - या आप प्रदेश से माफी मांगें. तीनों में से एक चीज होगी. यह प्रश्न का उत्तर है. मुझे पता था कि यह आयेगा. मैं लेकर आया हूं. आप कहो तो पटल पर रख सकता हूं. आप कहो तो सदन में रख सकता हूं. आप कहो तो मीडिया को दे सकता हूं.
अध्यक्ष महोदय - अब आप बैठ जाएं. आपका आ गया. अब इनका नहीं लिखा जायेगा.
श्री जितु पटवारी - (xx)
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी जिम्मेदारी से कहता हूं कि बी.जे.पी. कार्यालय में खाना खिलाने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
(..व्यवधान..)
डॉ. कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, सदन के नेता से अगर यह इस तरह से बात करेंगे तो हम भी इनसे बात करना जानते हैं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री जितु पटवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये जितु जी, सारी बातें आपके हिसाब से चलेंगी क्या. आप बैठ जाइये, मैं कह रहा हूं. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- पूरी जिम्मेदारी के साथ मैं कह रहा हूं बीजेपी कार्यालय में कभी सवाल ही पैदा नहीं होता. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- (XXX)
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- पटल पर रखने की जरूरत नहीं है. बैठ जाइये आप. ...(व्यवधान)... आपके प्रश्न के उत्तर को किसी मंत्री ने जवाब दिया इतनी जानकारी प्राप्त कर लो, इसीलिये कहते हैं ट्रेनिंग की आवश्यकता है. यदि कोई असत्य कथन आये उसके प्रश्न संदर्भ में समिति किसलिये होती है, यदि आप कह रहे हैं दावा है तो लगाईये आप दावा, वह दावे के साथ बता रहे हैं कि है. आप बैठ जाईये बस हो गया ...(व्यवधान)... आगे किसी का नहीं लिखा जायेगा. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अर्थव्यवस्था की बात कर रहे थे, कर्जा ले लिया, फलाना कर लिया, ढिमका कर लिया. मुझे कहते हुये आनंद और प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश की आर्थिक विकास की दर 19.74 प्रतिशत है देश में सबसे ज्यादा आज आर्थिक विकास की दर है तो वह मध्यप्रदेश की है. मुझे कहते हुये गर्व है और मैं उसके लिये मध्यप्रदेश की जनता का हृदय से आभार प्रकट करता हूं कि हम यहां तक पहुंचे. आप कह रहे थे कि आर्थिक हालत बड़ी खराब है, मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ आपको बता रहा हूं, हमने कभी भी खाली खजाने का रोना नहीं रोया, हमने कोशिश की फंड्स जुटाने की. मध्यप्रदेश का जो सकल घरेलू उत्पाद पहले मध्यप्रदेश का हिस्सा 3.6 प्रतिशत हुआ करता था....
श्री राकेश मावई-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- कुछ नहीं लिखा जा रहा, बैठ जाओ.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में मध्यप्रदेश का हिस्सा पहले 3.6 प्रतिशत हुआ करता था जो अब बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पर केपिटा इनकम कभी मध्यप्रदेश की होती थी केवल 13 हजार रूपया, अब बढ़कर मध्यप्रदेश की पर केपिटा इनकम हो गई है 1 लाख 37 हजार रूपया, लगातार हम जनता की जिंदगी बदलने का गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं. आप कह रहे थे कि कर्ज ही कर्ज ले लिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब आपकी सरकार थी तब भी आपने कर्ज लिया, क्योंकि कर्ज लेने का एक मान्य सिद्धांत है कि जीडीपी का आप कितने प्रतिशत तक कर्जा ले सकते हो, 3.5 प्रतिशत, तरूण जी यहां बैठे हैं आपने भी कर्जा लेने का काम किया उसके हिसाब से आपने भी मध्यप्रदेश की जब आपकी सरकार थी तब आपने भी कर्जा लेने का काम किया है. कर्जा लेना और कर्जा लेकर क्योंकि हमने जब भी कर्जा लिया पूंजीगत कामों के लिये लिया, पूंजीगत व्यय आपके समय था 30 हजार करोड़, हम उसको बढ़ाकर 48 हजार करोड़ रूपया तक ले गये, हमने कर्जा लेकर घी नहीं पिया, हमने कर्जा लेकर विकास के कामों में लगाया, हम सड़कें बना रहे हैं, हम सिंचाई की योजनायें बना रहे हैं, हम पीने का पानी ला रहे हैं, हम गरीबों के मकान बना रहे हैं तो कर्जा हमने लिया, लेकिन जो निश्चित सीमा है उसको क्रास करके हम कभी ऊपर नहीं गये और मध्यप्रदेश से ज्यादा कर्जा की बात करें तो राजस्थान में भी मध्यप्रदेश से ज्यादा कर्जा है, वहां तो कांग्रेस की सरकार है.
श्री जितु पटवारी -- हमारे मुख्यमंत्री तो आप हो, राजस्थान के मुख्यमंत्री से पूछने कहां जाये, आपसे पूछें कि बाहर जायें
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कह रहा हूं कि आपने भी 34 हजार करोड़ के आसपास कर्जा लिया था.(श्री जितु पटवारी, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) अरे तुलनात्मक बात तो की जायेगी.
श्री तरूण भनोत -- मैंने खुद कहा कि कर्जा लेना बुरा नहीं है. आपको अधिकारियों ने एक जानकारी अधूरी वहां से दी है कि कर्जे की सीमा 3.5 प्रतिशत के अंदर लिया गया. आपने विशेष रूप से आग्रह करके केंद्र सरकार से उस सीमा को बढ़वाया और 5 प्रतिशत तक की सीमा पर कर्जा लिया क्योंकि आपका काम नहीं चल रहा था, यह जानकारी भी वहां से देते तो बेहतर होता. दूसरा राजस्थान की सरकार ने कर्जा लिया तो गैस सिलेंडर गरीबों के लिये पांच सौ रूपये कम कर दिया, आप घोषणा कर दीजिये, कर्जा ओर लीजिये और आप पांच सौ रूपये का सिलेंडर कर दीजिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मेरे प्रिय मित्र केंद्र सरकार ने कोविड के दौरान कुछ मापदंड तय किये थे कि अगर यह सुधार करोगे तो आपको 0.5 परसेंट और कर्जा लेने का मौका मिलेगा, यह सुधार करोगे तो फिर 0.5 परसेंट और आपको कर्जा लेने का मौका मिलेगा. मध्यप्रदेश ने बेहतर सुधार किये, यह सबके लिये थे केवल मध्यप्रदेश के लिये नहीं थे. कोविड की विशेष परिस्थितियों में यह तय किया गया था कि सरकार कोविड की परिस्थिति से मुकाबला भी करे और गरीबों की मदद भी हो जाये और बाकी काम भी न रूके इसलिये 3.5 परसेंट की सीमा का उल्लंघन इन शर्तो पर हो सकता है. मध्यप्रदेश की सरकार एक भी शर्त के बाहर नहीं गई है और हमारी आर्थिक स्थिति आज भी पूरी तरह से बेहतर है, नियंत्रित है और फाईनेंशियल मैनेजमेंट के मामले में आज भी मध्यप्रदेश का नाम लिया जाता है और इसलिये यह कहना गलत है कि हमने कर्जा ज्यादा ले लिया है, कर्जे के कारण भूचाल आ जायेगा परेशानी आ जायेगी. आप चिंता मत कीजिये, मध्यप्रदेश सुरक्षित रहेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में प्रगति और विकास के लिये एक नहीं अनेकों काम चल रहे हैं, भविष्य में हमारा मध्यप्रदेश और आगे बढ़े उसके लिये कानून और व्यवस्था की स्थिति हो, अब उस पर भी कई तरह के सवाल खड़े किये गये थे, डॉ.नरोत्तम मिश्र,गृहमंत्री जी ने कल बहुत प्रभावी ढंग से एक-एक तर्क के साथ, तथ्यों के साथ, पूरी ताकत के साथ अपनी बात सदन में यहां रखी थी.
अध्यक्ष महोदय, मैं रिपीटेशन नहीं करना चाहता हूं लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि हमें यह कहते हुए गर्व है कि डकेतों का सफाया हुआ है, हम यह कहते हुए गर्व हैं कि नक्सलियों को, कल नरोत्तम जी ने बताया कि एक साल में छ:-छ: नक्सली मारे गये, सिमी के नेटवर्क को हमने ध्वस्त किया है और यह हमारा अपना मध्यप्रदेश ही राज्य है, जहां हमने यह तय किया है कि अगर किसी मासूम बिटियां की तरफ कोई गलत नजर से देखेगा, दुराचार करेगा तो सीधे फांसी के फंदे पर लटकाया जायेगा और मध्यप्रदेश में केवल यह किया ही नहीं गया है बल्कि हमने कानून बनाया है और इसीलिये आप देखेंगे एक दो नहीं हमने अनेकों लोगों को इस कानून से 41 प्रकरणों में मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी बच्चियों और बहनों को फुसलाकर और बहलाकर धर्मांतरण का पाप किया जाता था, उस धर्मांतरण को प्रतिबंधित करने के लिये हमने कानून बनाया, मध्यप्रदेश की धरती पर लोभ, लालच, भय, प्रलोभन से धर्मांतरण किसी भी कीमत पर नहीं किया जा सकता है और इसीलिये पिछले दो सालों में 113 लव जिहाद के प्रकरण दर्ज कर आरोपियों को जेल भेजने का काम किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आप आंकड़े देखेंगे तो हमारी सरकार बनने के बाद मैं नरोत्तम मिश्र, गृहमंत्री जी को बधाई देता हूं कि वर्ष 2020 से लेकर अब तक भू माफियाओं से 23 हजार एकड़ जमीन मुक्त कराई गई है, केवल भूमि मुक्त नहीं कराई है बल्कि भू माफिया को जेल की सलाखों के पीछे भी भेजा गया है. 206 भू माफियाओं को एन.एस.ए. के अंतर्गत जेल भेजा है, 529 का जिला बदर किया गया है, रेत माफिया को कुचलते हुए 12 हजार से अधिक से ज्यादा वाहन हमने राजसात किये हैं. 2 लाख घन मीटर रेत जप्त की गई है और कई अपराधियों के खिलाफ एन.एस.ए. तथा जिला बदर की कार्यवाही की गई है.
श्री सुरेश राजे -- XXX
शशांक कृष्ण भार्गव -- XXX
अध्यक्ष महोदय -- इनका नहीं लिखा जायेगा.
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मिलावट माफिया के खिलाफ कड़ा प्रहार करते हुए, 1600 अपराध दर्ज किये गये हैं. 3,500 अपराधियों को गिरफ्तार करते हुए 150 लोगों के खिलाफ एनएसए की कार्यवाही की गई है और चिटफंड माफिया पर नकेल कसते हुए 1,000 करोड़ रुपये की राशि 1.50 लाख निवेशकों को वापस कराने का काम किया है, तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है, दबंगों और माफियाओं के खिलाफ मैंने पहले ही कह दिया है, इनके खिलाफ कार्यवाही जारी रहेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरी शिद्दत से, पूरी गंभीरता के साथ मध्यप्रदेश को लगातार आगे बढ़ाने के काम में लगी हुई है, हम उसमें कभी कोई कसर नहीं छोड़ने वाले हैं और इसलिए मध्यप्रदेश का, जो आने वाले मध्यप्रदेश का रोडमैप हमने बनाया है, वह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश है, अधोसंरचना का विकास हो, अब हम केवल सड़कें नहीं बना रहे हैं, अटल एक्सप्रेस-वे बन रहा है, हम नर्मदा एक्सप्रेस-वे बनाने वाले हैं. सड़कों के मामले में, यातायात के मामले में, केवल सड़क मार्ग का नहीं बल्कि आकाश मार्ग का भी उपयोग करके रोप-वे, मेट्रो ट्रेन जैसी चीजें भी मध्यप्रदेश की धरती पर आ रही हैं, सिंचाई का रकबा हमने बढ़ाकर अभी 45 लाख हेक्टेयर किया है, इसको 65 लाख हेक्टेयर तक ले जाने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. उसके लिए हम तेजी से काम करने का प्रयास कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रतिपक्ष के मित्रों से भी यह निवेदन है कि वे केवल आरोप लगाने का काम न करें, रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएं. लेकिन मध्यप्रदेश हम सबका है. आइये, हम सब मिलकर, एक बेहतर मध्यप्रदेश, एक समृद्ध मध्यप्रदेश बनाने के काम में लगें. आपका जो आरोप-पत्र है, वह पूरी तरह से असत्य का पुलिंदा है और उसमें कोई दम नहीं है, लचर है, बेकार है और कुछ नहीं मिला तो आपने कुछ भी बिन्दु और मुद्दे बनाकर आरोप-पत्र पेश कर दिया. मैं इस आरोप-पत्र को सिरे से खारिज करता हूँ, इसमें कोई दम नहीं है. धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि यह सदन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित मंत्रिपरिषद् के प्रति अविश्वास प्रकट करता है.
प्रस्ताव अस्वीकृत हुआ.
1.27 बजे
विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित की जाना : प्रस्ताव
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, विधान सभा के वर्तमान सत्र के लिए निर्धारित समस्त वित्तीय एवं अन्य आवश्यक कार्य पूर्ण हो चुके हैं. अत: मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 12-ख के द्वितीय परंतुक के अंतर्गत, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. प्रश्न यह है कि सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
1.28 बजे राष्ट्रगान जन-गण-मन का समूहगान
अध्यक्ष महोदय - अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान किया गया.)
1.29 बजे
सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना : घोषणा
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 1.30 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 22 दिसम्बर, 2022 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा