मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा दशम् सत्र
दिसम्बर, 2021 सत्र
बुधवार, दिनांक 22 दिसम्बर, 2021
(1 पौष, शक संवत् 1943 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 3 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 22 दिसम्बर, 2021
(1 पौष, शक संवत् 1943 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्षीय घोषणा
प्रश्नकाल में केवल महिला विधायकों एवं प्रथम बार के विधायकों द्वारा ही प्रश्न पूछा जाना
अध्यक्ष महोदय - आज केवल प्रथम बार के जो विधायक आए हैं उनके प्रश्न हैं और उनके साथ हमारी जो महिला माननीय सदस्या हैं और चूंकि मैंने यह विशेष दिन बनाया है कि आज केवल पहली बार के विधायकों के और महिलाओं के प्रश्न लेना है तो मैं आपसे फिर आग्रह करना चाहता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमलनाथ) - अध्यक्ष महोदय, मैं भी पहली बार का विधायक हूं.
अध्यक्ष महोदय - अब हम 75 साल वाले को 18 साल मानने की गल्ती नहीं करेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, ऐसे पहली बार वाले न हों जो प्रश्नकाल को बाधित करें.
अध्यक्ष महोदय - मेरा आप सबसे आग्रह यह है कि जिनका प्रश्न आया है, मदद इस बात की करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा विधायकों को प्रश्न करने का अवसर मिल सके और उसके लिये तरीका यही है कि आप प्रश्न को नहीं पढ़ें. उत्तर को नहीं पढ़ें. आप पढ़कर आए होंगे तो सीधा प्वाइंटेड प्रश्न पूछें जिससे हम आगे बढ़ सकें और मैंने कल भी इसकी घोषणा की थी और सदन उसमें सहमत भी था. यदि इस तरह की कोई बात आएगी तो मुझे अगले प्रश्न की ओर बढ़ जाना पड़ेगा.
श्री कमलनाथ - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. सिर्फ एक मिनट लूंगा. कल हमारी चर्चा इस सदन में स्थगन प्रस्ताव के मौके पर हुई. माननीय मुख्यमंत्री जी ने सदन को आश्वासन दिया कि कोई चुनाव बिना आरक्षण के नहीं होगा. मैं बस यही पूछना चाहता हूं कि इसमें सरकार ने क्या फैसला किया है, इस सदन में आश्वासन के बाद, कृपा करके सदन को अवगत कराएंगे.
11.05 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
अपात्र व्यक्तियों को सहायता राशि का भुगतान
[श्रम]
1. ( *क्र. 689 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में दिनांक 01 अप्रैल, 2019 से प्रश्नांकित दिनांक तक मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों की पुत्री के विवाह हेतु जनपद पंचायत सिरोंज, जनपद पंचायत लटेरी, नगरपालिका परिषद सिरोंज, नगर परिषद लटेरी में कितने प्रकरणों में कितने हितग्राहियों को विवाह सहायता राशि स्वीकृत की गई है? श्रमिक का नाम, पता, पंजीयन क्रमांक, वर-वधु का नाम, विवाह तिथि सहित जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश 'क' के संदर्भ में क्या अपात्र व्यक्तियों का भी मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल में पंजीयन किया गया है? यदि हाँ, तो इसके लिए दोषी कौन है एवं किन अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा अपात्र व्यक्तियों को विवाह सहायता की राशि उपलब्ध करवाई गई है? इसके लिए दोषी कौन है? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या जनपद पंचायत, सिरोंज एवं लटेरी में विवाह सहायता योजना के नाम पर आर्थिक लेन-देन की शिकायत प्राप्त हुई थी? यदि हाँ, तो किसके द्वारा जांच की गई? जांच प्रतिवेदन उपलब्ध करावें। यदि जांच नहीं की गई है तो इसकी जांच विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम बनाकर कब तक करवाई जावेगी? (घ) जनपद पंचायत, सिरोंज एवं लटेरी में मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना के श्रमिकों के आश्रितों के कितने प्रकरण स्वीकृत हुए हैं? स्वीकृति आदेश की छायाप्रति उपलब्ध करावें। स्वीकृति आदेश क्रमांक 154092, दिनांक 15.11.2019 श्रमिक आई.डी. क्रमांक 190849534 के अनुग्रह सहायता का भुगतान कब तक कर दिया जावेगा?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रदेश में दिनांक 01 अप्रैल, 2019 से प्रश्न दिनांक तक म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों की पुत्री के विवाह हेतु जनपद पंचायत सिरोंज में 5976 हितग्राहियों को राशि रूपये 304022000/-, नगर पालिका परिषद सिरोंज में 08 हितग्राहियों को राशि रूपये 408000/-, नगर परिषद लटेरी में 15 हितग्राहियों को राशि रूपये 765000/- की विवाह सहायता राशि स्वीकृत की गई है, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल अंतर्गत योजना के नियम अनुसार केवल पात्र श्रमिकों का ही पंजीयन किया गया है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जनपद पंचायत सिरोंज में विवाह सहायता योजनांतर्गत भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त हुई है, इसकी जांच मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत विदिशा द्वारा गठित दल द्वारा की जाकर जांच प्रतिवेदन जमा किया जा चुका है, जांच प्रतिवेदन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना के श्रमिकों के आश्रितों के जनपद पंचायत सिंरोज अन्तर्गत 354 प्रकरण स्वीकृत हुये हैं एवं जनपद पंचायत लटेरी अन्तर्गत 147 प्रकरण स्वीकृत हुये हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। स्वीकृति आदेश क्रमांक 154092, दिनांक 15.11.2019 श्रमिक पंजीयन क्रमांक 190849534 के अनुग्रह सहायता का भुगतान श्रमायुक्त कार्यालय के आदेश क्रमांक 56 इन्दौर दिनांक 17.01.2020 के अनुक्रमांक 404 के माध्यम से जनपद पंचायत लटेरी को आवंटित किया जा चुका है। किन्तु निकाय द्वारा इस राशि का उपयोग अन्य हितग्राही को भुगतान हेतु कर लिया गया है, जिस संबंध में शासन के आदेश क्रमांक 204, दिनांक 11.02.2021 के अनुसार प्रतिपूर्ति ई.पी.ओ. की कार्यवाही प्रचलित है।
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं पक्ष और प्रतिपक्ष के माननीय सभी सदस्यों को सादर प्रणाम करता हूं. अध्यक्ष महोदय और सदन के सभी सदस्यों के लिये एक सम्मान में श्लोक पढ़ रहा हूं. पयसा कमलं कमलेन पयः। पयसा कमलेन विभाति सरः।। मणिना वलयं वलयेन मणिः। मणिना वलयेन विभाति करः।। शशिना च निशा निशया च शशिः। शशिना निशया च विभाति नभः।। भवतः च सभा सभया च भवन्।। भवतः सभया च विभाति वयम्।।
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, एक अनुवाद और कर दूं.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, नहीं आप प्रश्न करें. सीधे प्रश्न पूछें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमलनाथ) -- अध्यक्ष महोदय, आप शाम को एक कार्यक्रम बनायें मनोरंजन का, ताकि पूरे सदन को लाभ मिल सके.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछें.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री विवाह सहायता के अंतर्गत विदिशा जिले के सिरोंज विकास खण्ड में जो अनियमितताएं हुई थीं, आर्थिक भ्रष्टाचार हुए थे, उस संबंध में आदेश क्र. 204, दिनांक 11.2.2021 को हितग्राही को प्रतिपूर्ति हेतु ईपीओ भेजा गया था. 10 माह से कार्यवाही प्रचलन में है. इतनी देर क्यों हो रही है. जांच प्रतिवेदन में अधिकारी/ कर्मचारियों को दोषी पाया गया है, इसके बाद भी उन पर कार्यवाही एक साल में क्यों नहीं की गई और यदि नहीं की गई तो कब तक कर दी जायेगी.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने बताया. मूलतः यह विवाह योजना के तहत इनको पैसा मिलने वाला एक मामला था, जिसमें एक ही गांव के घुदुआ के 2 व्यक्ति थे, जिन्होंने एक शिकायत की थी श्री जवाहर सिंह और श्री गोविन्द सिंह ने. और उस शिकायत के अंतर्गत विवाह सहायता के अंतर्गत उन्होंने यह बोला था कि जो विवाह सहायता की राशि है, उसमें हमें कम राशि मिली है और उसके तहत यह पेपर के माध्यम से बात आई थी, जिसकी जिला पंचायत सीईओ, विदिशा ने उसकी जांच कराई. जांच में यह विसंगति आई कि रजिस्ट्रेशन बाद में हुआ है, विवाह पहले हो गया है. जो कि कहीं न कहीं गलत था और मैं यह मानता हूं कि उसके लिये हमने एक विभागीय जांच संबंधित जनपद सीईओ, जो सिरोंज थे, उस समय के तत्कालीन पर, उनकी हमने जांच गठित की है और उस पर हमने जांच के लिये कार्यवाही की है और जहां तक पैसे का मामला है, पैसे देने का, 51 हजार रुपये ईपीओ के माध्यम से आपके श्री जवाहर सिंह की बच्ची को एक को मिले हैं, दूसरा, जो श्री गोविन्द सिंह की दो बच्चियां थीं, दोनों के नाम से 51 हजार, 51 हजार रुपये ईपीओ के माध्यम से उनके खाते में जा चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, इसमें जो प्रश्न आया, उसमें आपका उत्तर आया, उसमें यह देखिये कि एक ही ब्लाक में एक साल के भीतर लगभग 6 हजार हितग्राहियों को 30 करोड़ विवाह के लिये दिये गये हैं. लगभग 6 हजार, 5976 एक ही ब्लाक में इतनी शादियां कैसे हो गईं, वह कोरोनाकाल पीरियेड में, इसकी थोड़ी सी जांच हो जाये, तो हमको लगता है कि ज्यादा ठीक रहेगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जैसा आपका निर्देश है, इसकी हम निश्चित रुप से जांच करा लेंगे और उस जांच की प्रक्रिया में हम इन सब चीजों को एक नीतिगत भी हम लोग ले रहे हैं,क्योंकि इसमें सेल्फ डिक्लेरेशन वाला मामला रहता है. यदि वह कार्ड जो देता है और एफिडेविट देता है, तो हम उसी समय की तिथि निश्चित कर लेते हैं और उस हिसाब से हम कार्यवाही करके और जब हमें कोई शिकायत मिलती है, तो उस पर हम जांच करते हैं और इस तरह के सेंट्रल के हमारे पास ऑर्डर्स भी हैं कि वह जब सेल्फ डिक्लेरेशन कर रहा है और यदि वह बोल रहा है, तो उसको हमें मानना पड़ रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह 6 हजार ..
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, वह हम जांच करा लेंगे. जैसे कि आपने बात रखी है.
अध्यक्ष महोदय -- यहां से जांच कराइयेगा. जिला से नहीं, यहां से कोई अधिकारी भेजकर जांच कराइये.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- जी हां.
अध्यक्ष महोदय - अब तो हो गया ना?
श्री उमाकांत शर्मा - नहीं, अभी पूरा नहीं हुआ. अध्यक्ष महोदय, आप यह देखिए कि मेरे यहां विकासखण्ड सिरोंज में जब 1 अप्रैल, 2019 से 21 मई 2020 तक शादी 669 हुईं. लटेरी में 7 हुई, कुरवाई में 10 हुई, बासौदा में 96 हुईं, नटेरन में मात्र 92 हुईं और मेरे यहां उसी कार्यकाल में लगभग 769 शादी हुईं. वहां का सीईओ 2 बार स्टे लेकर वहां जमा हुआ है, उसके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई. शासन का संरक्षण मिल रहा है. इसमें पूरा उत्तरदायित्व सीईओ का है. उनको हटाकर निलंबित करके और उन्होंने गरीबों का हक मारा है, उस पर जरूर कार्यवाही होना चाहिए. प्रदेश स्तर की टीम बनना चाहिए. मैं मांग करता हूं कि मंत्री जी सदन में घोषणा करें कि गरीबों के हित में, आम आदमी के हित में वह सीईओ को वहां से तत्काल हटाकर, आप नियमानुसार दंडात्मक कार्यवाही करेंगे और प्रदेश स्तर की टीम इसकी जांच करेगी.
अध्यक्ष महोदय - टीम जांच करेगी, यह हो गया है.
श्री उमाकांत शर्मा - इसकी समय-सीमा भी दें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - जो 2 व्यक्तियों की बात की है.
श्री उमाकांत शर्मा - श्रीमान् अकेले 2 व्यक्ति नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - वह हटाने की बात कह रहे हैं.
श्री उमाकांत शर्मा - 30 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है. (शेम-शेम की आवाज)..
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - जो आपका प्रश्न आया है उसी के तहत मैंने जवाब दिया है.
श्री उमाकांत शर्मा - मैंने ध्यानाकर्षण भी लगाया है, शिकायत भी की हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - जवाब दे दीजिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - जो आदेश आसंदी से मिला है कि शादियों की जो संख्या है.
श्री उमाकांत शर्मा - संख्या की नहीं, प्रत्येक हितग्राही की जांच होना चाहिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - वह रिपोर्ट आ चुकी है और जो आपके द्वारा आसंदी से आदेश दिये गये हैं उसकी जांच हम प्रदेश स्तर की कोई टीम भेजकर करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - सीईओ को हटाने की मांग की है.
श्री उमाकांत शर्मा - उनसे ही जांच करा रहे हैं यह जांच कैसे होगी? 20-20, 25-25 हजार रुपये की रिश्वत ली गई है.
अध्यक्ष महोदय - यह हो गया है कि यहां की टीम जाकर जांच करेगी, वह विषय हो गया है.
श्री उमाकांत शर्मा - सीईओ अगर पदस्थ रहे तो वह बहुत मेंटेन करते हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - उसकी विभागीय जांच गठित हो गई है और वह वहां पर है भी नहीं और इसलिए मैं यह मानता हूं कि विभागीय जांच में जो निष्कर्ष आएगा, उस पर हम कार्यवाही करेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा - समय-सीमा बताएं कि कितने दिन में जांच हो जाएगी?
अध्यक्ष महोदय - सीईओ को हटाकर जांच कराने की मांग कर रहे हैं उसके बारे में क्या कहना है?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - वह तो पंचायत मंत्री का विशेषाधिकार है, हम पंचायत मंत्री जी से बात कर लेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा - पंचायत मंत्री जी भी हैं, इसका स्पष्ट निर्णय हो जाना चाहिए, नहीं तो यह भ्रष्टाचार चलता रहेगा.
नेमन नदी पर बैराज (स्टाप डेम) की स्वीकृति
[जल संसाधन]
2. ( *क्र. 632 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कार्यपालन यंत्री सम्राट अशोक सागर संभाग क्रमांक-2 विदिशा द्वारा जल संसाधन विभाग को आकांक्षी जिले के रूप में प्राप्त 3 करोड़ रूपये की राशि से ग्राम धनोरा तहसील गुलाबगंज के पास स्थित नेमन नदी पर धनोरा बैराज निर्माण कार्य हेतु कार्यालय पत्र क्रमांक 7035/टी.एस./दिनांक 27.12.2019 के द्वारा 248.63 लाख रूपये की तकनीकी स्वीकृति के आधार पर प्रशासकीय स्वीकृति हेतु प्रस्ताव वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्तुत किया गया था? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ है तो उक्त राशि से कार्य को प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई? यदि नहीं, तो कारण सहित बतावें कि धनोरा बैराज निर्माण कार्य को अभी तक प्राप्त राशि उपलब्ध क्यों नहीं कराई गई? (ग) क्या विभाग द्वारा क्षेत्र के लगभग 10 से अधिक ग्रामों की सिंचाई सुविधा हेतु महत्वाकांक्षी जिले के रूप में प्राप्त 3 करोड़ रूपये की राशि अन्य कार्य के लिये आवंटित की गई? यदि हाँ, तो क्या शासन प्रस्तावित धनोरा बैराज निर्माण कार्य हेतु विभागीय बजट में राशि का प्रावधान करेगा? यदि हॉ तो कब तक, नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) से (ग) विभाग द्वारा कलेक्टर सेक्टर के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान नहीं की जाती है। प्रश्नाधीन धनौरा बैराज विदिशा जिले की आकांक्षी योजना के तहत प्रस्तावित होकर कलेक्टर जिला विदिशा के माध्यम से बिना प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान किए प्राप्त हुई थी जो विभागीय प्रक्रिया के अनुरूप नहीं होने से प्रस्ताव वापिस कर दिया गया है। अतः शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - अध्यक्ष महोदय, आपका आदेश है कि प्रश्न न पढ़ा जाय. मैं सीधे प्रश्न करता हूं. विदिशा जिले में वर्ष 2019 में आकांक्षी योजना के अंतर्गत 3 करोड़ रुपये भारत सरकार से मदद मिली थी, उसमें यह बात कही गई थी कि इसको जल संसाधन और पेयजल के लिए उपयोग किया जाय, उस समय हमने इस योजना का जल संसाधन मंत्री के द्वारा साध्यता कराई, टेक्नीकल एप्रेज़र कराया और कुछ समय बाद वहां के तत्कालीन कलेक्टर ने उस राशि को लेप्स करके दूसरी जगह भेज दिया और जल संसाधन मंत्री के यहां पर सूचना भी नहीं दी. मेरा जल संसाधन मंत्री जी से निवेदन है कि इस योजना को आपके विभागीय मद से चालू करवाएं या कलेक्टर के ऊपर कार्यवाही करके क्योंकि निर्वाचित प्रतिनिधि को भी उन्होंने विश्वास में नहीं लिया. मुझे ऐसा लगता है कि हमारे यहां कलेक्टर राज चल रहा है. जो पूर्व कलेक्टर थे उन्होंने कई बातें ऐसी की हैं उसके बारे में भी मैं आपसे चर्चा करूंगा, लेकिन मैं यह चाहता हूं कि विभागीय मद से योजना को तुरन्त चालू करवाया जाय, यह मेरा निवेदन है.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, विदिशा जिले में वर्ष 2019 में शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन में क्षेत्र के श्रेष्ठ स्थान प्राप्त होने के फलस्वरूप 3 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी और सम्मानीय जिलाधीश महोदय ने बैराज के लिए आज तक कोई धनराशि आवंटित नहीं की है, परन्तु यह सरकार..
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - माननीय मंत्री जी आपने पिछली विधानसभा में लिखित जवाब दिया है कि इसकी राशि 3 करोड़ रुपया आकांक्षी जिला योजना के तहत आवंटित की है.
अध्यक्ष महोदय - उनका पूरा उत्तर आ जाने दीजिए.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, सीधे सीधे मैं यह बोल रहा हूं कि जिलाधीश महोदय विदिशा द्वारा हमारे विभाग को कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - फिर आपने मुझे लिखित जवाब कैसे दे दिया कि 3 करोड़ रुपया राशि आवंटित हुई है और इससे निर्माण कार्य कराया जाएगा. पिछली विधान सभा में आपने लिखित में उत्तर दिया है.
अध्यक्ष महोदय - आप चाहते क्या हैं, यह बताइए? आप क्या नहीं चाहते हैं कि वह 3 करोड़ रुपया मिलकर वहां काम हो जाय?
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि योजना का कार्य पूरा हो जाय, भले ही जल संसाधन विभाग कराए या..
अध्यक्ष महोदय - आप यही चाहते हैं ना कि 3 करोड़ रुपये मिलकर आपका काम हो जाय.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - जी हां.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, यह सरकार किसानों की सरकार है.
अध्यक्ष महोदय -- हां, आप इनकी मदद करिये.
श्री तुलसीराम सिलावट -- (कई सदस्यों के खड़े होने पर) यह उधर बैठकर आप बातें न करें.
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग सुन लीजिए, आज मैं किसी दूसरे विधायक को सपोर्ट में खड़े होने के लिए अलाऊ नहीं करूंगा. आज कम से कम क्षमा करिए. आज उनको रहने दीजिए.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, देखिए लक्ष्मण सिंह जी, मैं उत्तर ही दे रहा हूं. सम्माननीय सदस्य ने जो मंशा जाहिर की है, मैंने कहा कि यह सरकार एक किसान के पुत्र ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, कोई नहीं बोलेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इनसे यह कहिए कि प्वाइंटेड जवाब दें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सज्जन भाई, कल आपने उनको बच्चा बोल दिया. आज इनको क्या बोलेंगे. मैं एक बात कह रहा हूं अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जो कहा है मैं सीधा-सीधा जवाब दूंगा कि नीतिगत हमारे विभाग से इसमें कुछ नहीं बनता, लेकिन मैंने कहा कि किसान के हित में सकारात्मक किया जाएगा आप निश्चिंत रहें.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आपने किसानों की सरकार कहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका जवाब आ गया है, बैठ जाइए. उन्होंने आश्वासन दे दिया है करने के लिए.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आधा मिनट लूंगा. आप जानते हैं बेतवा-केन लिंक प्रोजेक्ट में 44 हजार करोड़ रुपये की राशि सेंट्रल गवर्नमेंट ने दी है, लेकिन वह योजना मकोडि़या डेम से शुरू हुआ करती थी उस योजना को आपने हटा दिया. आप कह रहे हैं किसानों की सरकार है. जाखा डेम को उसमें से हटा दिया जिससे विदिशा विधान सभा की 20 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होना थी.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश को गर्व होना चाहिए. बेतवा-केन लिंक परियोजना बुंदेलखंड के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होगी.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 3, श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या जी अपना प्रश्न करें.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मकोडि़या डेम से वह योजना शुरू हुई थी. आपने उसे हटा दिया. मंत्री जी, आश्वासन तो दे दीजिए कि वह योजना पूर्ण की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, आप केन-बेतवा का विरोध कर रहे हैं. मैं पूरे बुंदेलखंड की बात कर रहा हूं.
उप तहसील प्रारंभ करने के संबंध में
[राजस्व]
3. ( *क्र. 846 ) श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरघाट विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत दो तहसील एवं एक उप तहसील है, उप तहसील गंगेरूआ का कार्यक्षेत्र बहुत बड़ा है, प्रश्नकर्ता द्वारा शासन को अनेकों बार पत्र एवं ज्ञापन दिया गया है, अत: गंगेरूआ को पूर्ण रूप से तहसील बनाये जाने के लिए आज तक क्या कार्यवाही की गयी? (ख) विधानसभा क्षेत्र बरघाट में कुरई ब्लॉक जो कि भौगोलिक दृष्टिकोण से दो भागों में बटा हुआ है, एक घाट के ऊपर एवं दूसरा घाट के नीचे। घाट के नीचे कुरई तहसील संचालित है, परंतु घाट के ऊपर के ग्रामों के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण घाट के ऊपर के ग्राम सुकतरा पंचायत में उप तहसील प्रस्तावित है, परंतु अब तक इस उप तहसील को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की गई, इस उप तहसील को कब तक प्रारंभ किया जाएगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। (ख) तहसील कुरई के अंतर्गत ग्राम सुकतरा में सप्ताह में 01 दिन उप तहसील कार्यालय का संचालन प्रारम्भ करा लिया गया है। अत: शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- अध्यक्ष महोदय, मैं बरघाट विधान सभा से आता हूं. मेरी बरघाट विधान सभा में दो ब्लाक हैं, एक बरघाट और दूसरा कुरई. बरघाट के अंतर्गत एक उप तहसील गंगेरूआ बनाई गई है. वर्ष 2003-04 में बिल्डिंग तैयार हो गई लेकिन अभी मात्र 2-3 साल से ही वहां पर एक नायब तहसीलदार को बैठाया जा रहा है और वह 3 दिन के लिए बैठ रहे हैं. वहां पर स्टाफ भी नहीं है. मेरा मंत्री महोदय से आपके माध्यम से आग्रह है कि गंगेरूआ को तहसील का दर्जा दिया जाए या फिर उसका समय जो 3 दिन के लिए वहां पर नायब तहसीलदार को बैठाया जा रहा है उसकी अवधि को बढ़ाया जाए ताकि वहां पर किसानों को जो दिक्कतें हो रही हैं वह न हों और दूसरा, वहां स्टाफ की कमी है, नायब तहसीलदार खुद चपरासी का काम करते हैं, बाबू का भी काम करते हैं, इन हालातों में बड़ी दिक्कतें हो रही हैं. दूसरा, मेरी एक तहसील कुरई है वहां 2010 में माननीय मुख्यमंत्री जी गए थे और कुरई के अंतर्गत सुकतरा एक उप तहसील बनाने की बात की गई थी, लेकिन बड़े दुख की बात है कि अभी जब मैंने यहां पर प्रश्न लगाया तब जाकर अभी सुकतरा को उप तहसील बनाकर एक दिन के लिए वहां पर नायब तहसीलदार को बैठाया जा रहा है. मेरा आग्रह यह है कि जो घोषणाएं की गई हैं और जो एक भौगोलिक दृष्टि से बड़ी असुविधा होती है, तो सुकतरा को भी उप तहसील बनाया जाए और वहां पर एक दिन के लिए नहीं पूरे सप्ताह में कम से कम 5 दिन के लिए स्टाफ की व्यवस्था की जाए ताकि किसानों को दिक्कत न हो.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने गंगेरूआ में जो उप तहसील है उसको तहसील बनाने की मांग की है, तहसील बनाने का कोई पत्र अभी शासन को प्राप्त नहीं हुआ है. तहसील बनाने की कार्यवाही कलेक्टर के द्वारा जो पत्र शासन को आता है उस पर शासन कार्यवाही करता है. दूसरा, आपने कहा कि उप तहसील है और वहां पर स्टाफ की व्यवस्था कर दी जाए, तो मैं स्टाफ की व्यवस्था के लिए आश्वस्त करता हूं कि व्यवस्था जो संभव होगी मैं करवाऊंगा और माननीय सदस्य ने दूसरा प्रश्न सुकतरा का किया है और सुकतरा में उप तहसील खोलने की मांग उन्होंने की थी तो सुकतरा में उप तहसील हमने खोल दी है. अभी एक दिन के लिए हमने चालू की है, माननीय सदस्य की इच्छा है कि इसको बढ़ाया जाए तो इसको और बढ़ाने के लिए हम कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया -- धन्यवाद माननीय महोदय, लेकिन मैं चाह रहा हूँ कि....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया, आपकी दोनों बातें हो गईं.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया -- अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद दे रहा हूँ कि माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि शीघ्र ही बढ़ा दिया जाएगा, साथ ही स्टॉफ की घोषणा कर दी जाए तो आपका बहुत ही धन्यवाद हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- कर दिया, उन्होंने कह दिया कि कर देंगे.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 4. (श्री हर्ष विजय गेहलोत) - अनुपस्थित
स्वीकृत, प्रस्तावित बांध एवं स्टाप डेम
[जल संसाधन]
5. ( *क्र. 316 ) श्री बैजनाथ कुशवाह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सबलगढ़ जिला मुरैना में वर्ष जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक कितने बांध एवं स्टाप डेम प्रस्तावित, स्वीकृत हैं? पूर्ण जानकारी देवें। (ख) वर्ष 2019 के बाद स्वीकृत बांध एवं स्टाप डेम की प्रक्रिया किस स्तर में है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) एवं (ख) प्रश्नाधीन विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक चाही गई जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। डी.पी.आर. अंतिम नहीं होने से स्वीकृति दिए जाने की स्थिति नहीं है।
श्री बैजनाथ कुशवाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि मेरी विधान सभा सबलगढ़, जो कि मुरैना जिले में है, वहां मेरा जो विधान सभा क्षेत्र है, उसके अंतर्गत एक क्षेत्र ऐसा है, जो हेडर्क्वाटर से काफी दूर है और ऐसा लगता है कि जैसे इंडिया का अंडमान और निकोबार द्वीप है. मैंने हर सत्र में यह बात उठाई है कि वहां पर उस क्षेत्र में पानी की बहुत कमी है. जमीन के अंदर भी पानी नहीं है. 7-7 सौ, 8-8 सौ मीटर जब मशीन से बोर करते हैं तो भी सूखा ही है. वहां के लोग मार्च महीने में पलायन कर जाते हैं. मार्च में वहां के लोग अपने पशुओं को लेकर पूरी आधी आबादी से ज्यादा पलायन कर जाती है. कई बार मैंने विधान सभा में बात भी उठाई और मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ आदरणीय कमलनाथ जी को कि उन्होंने वहां एक क्वारी नदी पर सात करोड़ रुपये का एक स्टॉप डैम बना दिया, जिससे लगभग 20 गांवों की समस्या हल हो चुकी है. लेकिन उस इलाके में कम से कम सौ गांव हैं, वहां दो बड़े डैम हैं, गौलारी का मछेड़नाला और बेरखेड़ा की बांसरी नदी, अगर ये दोनों काम स्वीकृत हो जाते हैं तो लगभग सभी सौ गांवों की समस्या हल हो जाएगी और एक लाख से भी ज्यादा आबादी वहां से पलायन नहीं करेगी. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से यह निवेदन है. इन दोनों कामों की साध्यता भी हो चुकी है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों बांधों एवं दोनों स्टॉप डैमों की साध्यता स्वीकृत की जा चुकी है. आप जानते हैं कि पूरा राष्ट्र और पूरा मध्यप्रदेश कोविड की चपेट में है और इसके कारण थोड़ा विलंब हो रहा है. पर शीघ्र ही इन योजनाओं का सर्वेक्षण कार्य किया जाकर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी, माननीय सदस्य निश्चिंत रहें.
श्री बैजनाथ कुशवाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बड़ी तकलीफ है और पूरे इलाके की तकलीफ से मैं अवगत करा रहा हूँ, अगर समय-सीमा निश्चित कर दें तो बहुत अच्छा हो जाएगा. अगर एक बांध शुरू कर दिया जाए तो उससे कम से कम 50 गांवों को फायदा हो जाएगा. अगर बजट की कमी है तो एक ही बांध स्वीकृत कर दिया जाए, दूसरा अगले बजट में ले लें. माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया समय-सीमा निश्चित करवा दें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि अतिशीघ्र.
प्रश्न संख्या - 6 (श्री बाबू जण्डेल) -- अनुपस्थित
श्री हर्ष विजय गेहलोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा चौथे नंबर का प्रश्न था.
अध्यक्ष महोदय -- आप नहीं थे, अब आगे निकल गए हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, वे पहली बार के विधायक हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब जब रिपीट करेंगे, तब उनका नंबर आएगा.
प्रश्न संख्या - 7 (श्री राकेश गिरि) -- अनुपस्थित
अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवजा
[राजस्व]
8. ( *क्र. 818 ) डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2019-20 में खरगौन जिले के महेश्वर एवं बड़वारा तहसील में अतिवृष्टि से हुई क्षति से जो कृषक प्रभावित हुये, उन्हें कुल कितनी राहत राशि स्वीकृत की गई है? कितनी आवंटित की गई है व कितनी शेष है? (ख) यदि शेष है तो कृषकों को राशि का वितरण कब तक होगा।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) वर्ष 2019-20 में तहसील महेश्वर में अतिवृष्टि से हुई क्षति से कुल 29221 कृषक प्रभावित हुये जिन्हें राशि रू. 94,37,94,311/- स्वीकृत की गई। राहत राशि 04 किश्तों में वितरण करने का निर्णय शासन स्तर से लिया गया था। प्रथम किश्त 25 प्रतिशत के मान से 23,59,48,578/- वितरित की जानी थी। जिसमें से राशि रू. 22,63,20,926/- वितरित की गई तथा राशि 96,27,652/- रूपये जो कृषक अन्यत्र ग्राम में निवासरत होने/विवादित होने से वितरण हेतु शेष है। तहसील बड़वाह में अतिवृष्टि से हुई क्षति से कुल 19613 कृषक प्रभावित हुये जिन्हें राशि रू. 62,22,90,076/- स्वीकृत की गई। प्रथम किश्त 25 प्रतिशत के मान से राशि रू.15,55,72,519/- वितरित की गई है। (ख) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं।
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो किसानों के बारे में प्रश्न किया था और जिस तरह से माननीय जल संसाधन मंत्री जी ने किसानों के हित की सरकार बताई, यह कैसे हित की सरकार है, आज आपकी गलत नीतियों के कारण किसान आत्महत्या की कगार पर बैठा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- अब आपको मैं सलाह दे नहीं सकता, पर हमारी मदद करें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, मैं उसी पर आ रही हूँ. मेरे प्रश्न के उत्तर में यह बताया गया है..
अध्यक्ष महोदय -- आप बहुत सीनियर हैं, मैं आपको सलाह नहीं दे सकता. मैं आपसे आग्रह ही कर सकता हूँ.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उसी पर आ रही हूँ, भले ही असंवैधानिक रूप से सामने ये लोग सरकार में बैठे हुए हैं, लेकिन जो किसानों की अहितकारी सरकार बैठी हुई है, आज किसान आपकी गलत नीतियों के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया, जो आदरणीय कमलनाथ जी के शासन में मेरे जिले की बड़वाह और महेश्वर तहसील में जो 29,221 किसानों हेतु 94,37,94,311 रुपये स्वीकृत हुआ था...
अध्यक्ष महोदय -- यह सब प्रश्नोत्तरी में है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, उसी पर आ रही हूँ. यह उसी से उद्भूत होता है.
अध्यक्ष महोदय -- जो लिखा है, आप उसी को रिपीट कर रहे हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, यह उसी सी उद्भूत होता है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उद्भूत वही है. यह उल्लेख है कि इतना पैसा मंजूर हुआ. 25 परसेंट का भुगतान हुआ उसमें से थोड़ा-सा माइनस है, बैलेंस है. अब अगला प्रश्न करिए न, यह तो उसमें लिखा हुआ है. उत्तर में लिखा हुआ है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तो मैं आपसे ही निवेदन करती हॅूं आपसे ही संरक्षण चाहती हॅूं कि इन्होंने जो जवाब दिया है कि शेष समय-सीमा बताना संभव नहीं है. 3 साल से किसान परेशान हो रहा है. आदरणीय, मैं आपका ही संरक्षण चाहते हुए इस सरकार से यह निवेदन करना चाहती हॅूं, किसान विरोधी सरकार से कि यह कब तक राशि उन किसानों की, जिनकी कि फसलें बरबाद हुई, कब तक स्वीकृत करेंगे और कब तक वितरण होगा.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने महेश्वर और बड़वाह के बारे में प्रश्न पूछा था तो महेश्वर और बड़वाह में 48 हजार 834 कृषक प्रभावित हुए थे. इन तहसीलों के लिए कुल 1 अरब 56 करोड़ 60 लाख रूपए से अधिक राशि स्वीकृत की गई थी, जो आपके रिकार्ड में है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय, जो सलाह मुझे आपने दी है, वह माननीय मंत्री जी को भी दे दें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- आपको भी मिल जाएगी.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब लिखा हुआ है. मैं तो स्पष्ट चाहती हॅूं कि कब तक यह देंगे. कब तक किसानों का हित साधेंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- आप सुन तो लीजिए. विधायक महोदया, इतनी [xxx] क्यों हो रही हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उतना जिक्र आ गया...(व्यवधान)...
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- [xxx] तो होंगे कि जिस तरह से किसान मर रहा है...(व्यवधान)....किसान आत्महत्या के लिए मजबूर है आपकी गलत नीतियों के कारण. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- यह शब्द विलोपित करें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अरे, सुनिए तो. अभी सुनिए तो.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- आप यह घुमा-फिराकर बात मत करिए, सीधे उत्तर पर आइए.
अध्यक्ष महोदय -- उतना जिक्र तो अभी आपने भी कर दिया न.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- घुमा-फिराकर भी आएंगे, उत्तर पर भी आएंगे. आप जैसा पूछेंगी, वैसा उत्तर देने के लिए तैयार हैं....(व्यवधान)...
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- वाह, वाह. ये क्या मुझे चैलेंज दे रहे हैं, क्या चैलेंज दे रहे हैं मुझे. एक मंत्री जी इस तरह से जवाब दे रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सदस्य के नाते...(व्यवधान)...
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय, यह इस तरह की बात कर रहे हैं. क्या मतलब है, यह किस तरह की भाषा का उपयोग कर रहे हैं...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. उत्तर आने दीजिए, उत्तर आने दीजिए...(व्यवधान)..
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह किस तरह की भाषा का उपयोग कर रहे हैं...(व्यवधान)...यह कहना क्या चाह रहे हैं. यह कोई तरीका है बात करने का...(व्यवधान)..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, (श्री तरूण भनोत के अपने आसन पर खडे़ होकर कुछ कहने पर) अरे, वह आप आपसे सीनियर हैं. बैठ जाइए...(व्यवधान)...आप परेशान मत होइए...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, क्या गलत बोल दिया. इसमें असंसदीय क्या है..(व्यवधान)..
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- इनको सिखाएं...(व्यवधान).. अनैतिक रूप से यह सरकार बैठी हुई है. कम से कम इनको संवैधानिक व्यवस्थाओं के अंतर्गत किस तरह से व्यवहार करना चाहिए, किस तरह से सदन का मान करना चाहिए, इनको सिखाएं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- ऐसा भी कोई असंसदीय नहीं हुआ, अभी असंसदीय नहीं हुआ...(व्यवधान)..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- आपको बोलने का अधिकार है, आपको तेज-तेज बोलने का अधिकार अध्यक्ष जी ने दिया है, थोड़ा दीदी हमको भी सुन लो.
श्री तरूण भनोत -- ऐसे ही दीदी, दीदी करो.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो नुकसान हुआ था बड़वाह और महेश्वर में, उसके लिए 25 प्रतिशत की राशि स्वीकृत की, जिसमें 38 करोड़ 18 लाख से अधिक रूपए का वितरण हो चुका है. यह बात सही है यह बात माननीय सदस्य महोदया स्वीकार कर रही हैं. अभी हमने, जो इन्होंने कहा कि समय-सीमा बताना संभव नहीं है पैसा हमने बांटा है. अभी आपके यहां ही तहसील में हमने वर्ष 2020-21 में 11 करोड़ रूपए बांटा. कीटनाशक का. वर्ष 2021-22 में हमने आपके यहां 11 करोड़, 10 करोड़ रूपए फिर बांटा. 10 करोड़ 11 लाख रूपए पुन: बांटा. माननीय सदस्या जो किसान विरोधी सरकार कह रही हैं, यह किसान हितैषी सरकार है. इस सरकार ने जब माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार दोबारा बनी, तो देखिए हमने वर्ष 2020-21 में 764 करोड़ रूपया बांटा, लगभग 66 प्रतिशत बांटा. वर्ष 2020-21 में हमने पुन: पैसा 421 करोड़ रूपया बांटा, मतलब हमने 100 प्रतिशत पैसा बांटा.
अध्यक्ष महोदय -- अब उनका उत्तर आ गया.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब उनका उत्तर आ गया.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुन लें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. उनका उत्तर आ गया.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- आप पूछ लीजिए. (श्री सज्जन सिंह वर्मा के अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ बोलने पर)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- पूछना होता तो पहले ही पूछ लिया होता.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अभी नहीं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार, जो पैसा हमने पुराना बाँटा, 38 करोड़ 18 लाख रुपये हमने आपको दे दिया.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय, यह असत्य कथन है. जो यह संख्या बाँटने की बता रहे हैं यह इन्होंने नहीं बाँटा, यह कमल नाथ जी की सरकार के द्वारा 25 प्रतिशत राशि बाँटी गई थी. (मेजों की थपथपाहट) 75 प्रतिशत राशि तो बाकी बची थी जो इनको बाँटना था, मेरा प्रश्न उसके ऊपर है. जो हम बाँट चुके थे उसके बारे में नहीं पूछना है मुझे, 25 प्रतिशत राशि आदरणीय कमल नाथ जी की सरकार में वितरित हो चुकी थी. 75 प्रतिशत राशि जो शेष बची थी, जो आपके इसमें उद्भूत होता है, आप सदन को गुमराह मत करिए. मैं उस पर जानना चाहती हूँ कि उस 75 प्रतिशत की राशि आपने जो यहाँ बताया मैंने नहीं पढ़ा यह आपका ही पढ़ा है मैंने कि आपने जो बताया कि समय सीमा बताना संभव नहीं है, यह आपने बताया है, तो मैं उस समय सीमा के ऊपर पूछना चाहती हूँ कि यह समय सीमा कब आएगी और आपकी सरकार कब इसका वितरण करेगी? सीधा प्रश्न है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या बहुत विद्वान सदस्य हैं ये कह रही हैं कि आपने नहीं बाँटा कमल नाथ जी की सरकार ने बाँटा.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- बाँटा.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- तो कमल नाथ जी की सरकार, खरीफ का पैसा था, उसके बाद सरकार जाने में......
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय, मेरा सीधा प्रश्न है, मुझे उसका उत्तर चाहिए. 75 प्रतिशत राशि कब बाँटेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- हाँ बस. बीच में आपने थोड़ा सप्लीमेंट कर दिया था बगल में इसलिए उनको आने दीजिए, अब वे सीधा पूछ रही हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने कहा कि यह पैसा कमल नाथ जी की सरकार ने बाँटा.....
अध्यक्ष महोदय-- अब फिर वही. वह हो गया, उसमें आ जाइये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- आप सुन ही नहीं रही हैं, आप सुन तो लीजिए माननीय सदस्य महोदया.
अध्यक्ष महोदय-- वह आ गया.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि यह खरीफ का पैसा था. जो कमल नाथ जी की सरकार ने बाँटा था कमल नाथ जी की सरकार नौ महीने और रही तो आपने उस समय क्यों नहीं बँटवा दिया पूरा पैसा? ..(व्यवधान)..
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय, आपने डेढ़ साल में क्या किया, यह कोई जवाब है क्या? ..(व्यवधान).. डेढ़ महीने में तो आप भागम-भाग कर रहे थे आपको पकड़ने में लगे रहे थे. डेढ़ महीने में तुम तो बैंगलोर में बैठे हुए थे. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- सज्जन सिंह जी, सुन लीजिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी तैयारी करके नहीं आए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- विजय लक्ष्मी साधौ जी का सपोर्ट करने की आवश्यकता नहीं है भाई, बैठ जाइये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- तुम्हारी सरकार का खजाना खाली है. सारा पैसा लूट लिया, खजाना खाली है, किसान को एक पैसा नहीं दे रहे हों. ..(व्यवधान)..खजाना खाली है मान लो ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, मेरी बात तो सुनिए.
अध्यक्ष महोदय-- उनको सपोर्ट करने की आवश्यकता नहीं है, मैंने भी अपना सीनियर माना है और आप सपोर्ट करने के लिए खड़े हो गए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, 75 परसेंट पैसा सत्र समाप्त होने के पहले बाँट देंगे, यह बोल दो.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठिए, नहीं, आप उनका उत्तर नहीं डाल सकते उनके मुँह में.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, अगर शिवराज सिंह सरकार का खजाना खाली होता तो हम जब सरकार में बैठे उसके बाद हमने 700 करोड़ का
बाँटा..... ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- वह सब आ गया.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, उसके बाद हमने, सुनिए..(व्यवधान)..
आप सुन ही नहीं रहे.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. मुझे मेरे सवाल का स्पष्ट जवाब चाहिए ..(व्यवधान)..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा सीधा जवाब दे रहा हूँ. अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न हमारी माननीय विधायक जी कर रही हैं, जो प्रश्न सज्जन भाई ने सपोर्ट में किया, मैंने उसी का जवाब दिया. खजाना खाली नहीं है, खजाना खाली होता तो सरकार में बैठने के बाद हमने सौ प्रतिशत पैसा बाँटा.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- तो दो ना, खजाना खाली नहीं है तो पैसे दो ना.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- मैं कह रहा हूँ ना. ..(व्यवधान)..
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, पैसा दें ना.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्रा)-- माननीय अध्यक्ष जी, सम्मानित सदस्या ने जो प्रश्न उठाया है अतिशीघ्र कार्रवाई करके अतिशीघ्र इसका भुगतान कराएँगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अतिशीघ्र का आशय क्या है. अतिशीघ्र मतलब कब देंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, समयसीमा बताया जाना संभव नहीं है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ --अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगी. आप व्यवस्था दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप मेरा आग्रह सुन लीजिए. इसके बाद में व्यवस्था देता हूँ. अभी संसदीय कार्य मंत्री ने दो बातें कही हैं. एक उन्होंने कहा है कि अतिशीघ्र करेंगे और दूसरा उन्होंने कहा है कि समयसीमा बताया जाना संभव नहीं है. उन्होंने उत्तर को स्पष्ट कर दिया है. अब इसमें बार-बार बाध्य न करें. आप भी सरकार में रहे हैं तो अतिशीघ्र तो आप भी समझते हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार बने हुए दो साल हो गए हैं. आज हमारा किसान कोरोना की मार झेल रहा है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- विजयलक्ष्मी जी मैं आपको अलाऊ कर रहा हूँ आप प्रश्न पूछें. मैं किसी और को अलाऊ नहीं कर रहा हूँ. (व्यवधान)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है. हमारे यहां कॉटन प्रोडक्ट एरिया है, हमारे यहां कपास पैदा होता है, सोयाबीन होता है. दो साल से बेमौसम बारिश हो रही है. किसान बहुत परेशान है. आज किसान को इन पैसों की आवश्यकता है. मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि किसान के हित के लिए, किसान आत्महत्या न करे. उस पर चारों तरफ से मार पड़ रही है. उसके बिजली के बिल आ रहे हैं. आपसे निवेदन है कि आपने अतिशीघ्र जो शब्द कहा है उसमें एक समयसीमा बता दी जाए. सरकार की तरफ से गोलमोल जवाब न देते हुए स्पष्ट जवाब दे दिया जाए. कितने समय के अन्दर किसानों को पैसों का वितरण करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, राशि बड़ी है. इन्होंने भी 25 प्रतिशत देकर राशि देना प्रारंभ किया था इकट्ठा इन लोगों ने भी नहीं दिया था. इन्होंने दो लाख की कर्ज माफी की बात कही थी और 2-2 हजार रुपए देना शुरु किया था. पूरे 15 महीने में दो लाख रुपए नहीं दे पाए थे. एक व्यक्ति को भी यह एक साथ दो लाख रुपए नहीं दे पाए थे. अध्यक्ष महोदय, यह राशि बड़ी है. इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने समयसीमा गिनती गिनकर बताई थी. एक,दो,तीन, चार, पांच, छ, सात, आठ, नौ, दस. दस दिन की समयसीमा बताकर कहा था कि दस दिन में नहीं दिया तो मुख्यमंत्री बदल दूंगा. क्या इन्होंने मुख्यमंत्री बदला था. अगर इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष के हिसाब से मुख्यमंत्री बदलता तो एक महीने में तीन मुख्यमंत्री बदलते. 15 महीने में 45 मुख्यमंत्री बदल जाते पर नहीं बदले गए. 15 महीनों में 45 मुख्यमंत्री नहीं बदल पाए. यह राशि बड़ी है इसीलिए उसको क्रम से बांटना होगा. समयसीमा में कैसे बांधेंगे. यह खुद ही नहीं दे पाए. बाढ़ में इनके मुख्यमंत्री खुद ही नहीं पहुंचे थे, बाढ़ उतरने के बाद गए थे. पानी उतर गया तब बाढ़ देखने गए थे. मुझे समझ ही नहीं आया कि पानी उतरने के बाद कौन सी बाढ़ देखने गए थे.
अध्यक्ष महोदय, हम कितना साफ कह रहे हैं कि आपने स्वयं ने किश्तों में देना शुरु किया था. राशि बड़ी है जैसे जैसे बजटीय प्रावधान होता जाएगा वैसे वैसे देते जाएंगे. कितनी सरल सी बात है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. यह गंभीर प्रश्न है. मेरा निवेदन है यहां दो तरह की बातें हो रही हैं. राजस्व मंत्री बता रहे हैं कि सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं है. माननीय संसदीय कार्य मंत्री बोल रहे हैं कि राशि बड़ी है किश्तों में दी जाएगी. मेरा निवेदन है कि आप किश्तों में ही दे दीजिए. 25 प्रतिशत राशि दे दीजिए 50 प्रतिशत की फिर किश्तें बना दीजिएगा. कम से कम 25 प्रतिशत राशि किसानों को मिल जाए. मैं आपके माध्यम से यही निवेदन करना चाहती हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री ने अतिशीघ्र कहा है तो आप इतना भरोसा रखिए मार्च में बजट आने वाला है. तीन महीने के भीतर अतिशीघ्र को समझकर रखिए. मार्च में बजट आएगा और मंत्री जी ने अतिशीघ्र कहा है तो मार्च बजट तो फिर आएगा. यह हम अपनी तरफ से कह रहे हैं यह आपके लिए अवसर है. यदि अतिशीघ्र भुगतान नहीं हुआ तो मार्च के बजट सत्र में फिर से आपको मौका मिलेगा. इसीलिए अतिशीघ्र का यह अर्थ निकालिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डेढ़ साल की सरकार में इन्होंने एक फूटी कौड़ी नहीं दी है फिर आपकी सरकार से किसान क्या उम्मीद करेगा. मार्च के बजट में दे देंगे यह बता दो...(व्यवधान)
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- आप नौ महीने में क्यों नहीं ले पाए थे. हमारी सरकार के आने के बाद से हमने बांटना शुरु कर दिया है. आपको अपनी सरकार से 25 प्रतिशत क्यों मिला... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- इस प्रश्न पर 15 मिनट हो गए हैं..प्रश्न क्रमांक 9 श्री राकेश मावई.. (व्यवधान)
तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक को निलम्बित कर एफ.आई.आर. दर्ज कराने बावत्
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
9. ( *क्र. 907 ) श्री राकेश मावई : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014-15 में जिला धार म.प्र. वेयरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक कार्यालय शाखा धामनोद, मनावर एवं बिल्लौद पर गोदामों में हुई खाद्यान्न एवं अन्य वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक श्री पी.के. गजभिये के विरूद्ध चल रही जांच में प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई तथा इतनी लम्बी अवधि तक जांच का निराकरण क्यों नहीं किया गया और दोषी अधिकारी को दण्डित क्यों नहीं किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार हुई वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में श्री पी.के. गजभिये के विरूद्ध एफ.आई.आर. क्यों नहीं की गई तथा इन्हें निलम्बित क्यों नहीं किया गया?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) शाखा धामनोद मनावर एवं बिल्लोद पर हुई अनियमितताओं के संबंध में तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक श्री पी.के. गजभिये, उप महाप्रबंधक द्वितीय श्रेणी अधिकारी के विरूद्ध आदेशित विभागीय जांच पूर्ण होकर द्वितीय श्रेणी अधिकारी हेतु समक्ष प्राधिकारी निगम कार्यकारिणी समिति के समक्ष निर्णय हेतु प्रकरण आगामी बैठक में प्रस्तुत किया जा रहा हैं। (ख) शाखा धामनोद मनावर एवं बिल्लोद पर हुई अनियमितताओं के संबंध में तत्समय पदस्थ अधिकारी द्वारा श्री पी.के. गजभिये तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक इन्दौर के विरूद्ध विभागीय जांच कराने का निर्णय लिया गया था। श्री गजभिये के विरूद्ध विभागीय जांच की वर्तमान स्थिति का उल्लेख प्रश्नांश (क) के उत्तर में वर्णित है।
अध्यक्ष महोदय-- राकेश जी आप प्रश्न को पढि़ये नहीं आप केवल सीधा प्रश्न पूछिये.
श्री राकेश मावई-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा प्रश्न ही पूछ रहा हूं. क्या माननीय खाद्य मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि तीन वर्षों से जो जांच कर रहे हैं उनके खिलाफ एफआईआर हुई? क्या कार्यवाही की और कब तक की?
श्री बिसाहूलाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पीके गजभिये, शाखा प्रबंधक धार, धामनोद, मनावर एवं घाट बिल्लोद के सीधी संलिप्तता को देखते हुए उनके विरुद्ध एफआरआई दर्ज करने की कार्यवाही की गई.
अध्यक्ष महोदय-- एफआईआर हो गई है.
श्री राकेश मावई-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निलंबन की कार्यवाही नहीं की है. एफआईआर हो गई है और तीन वर्षों से जांच चल रही है. जांच पूरी हो गई है तो निलंबन की कार्यवाही क्यों नहीं की गई है.
अध्यक्ष महोदय-- जांच के आधार पर ही तो एफआईआर की है.
श्री राकेश मावई-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निलंबन की कार्यवाही क्यों नही की है. निलंबित होना चाहिए.
श्री बिसाहूलाल सिंह-- जांच उपरांत यदि दोषी पाए गए तो निलंबन की कार्यवाही भी की जाएगी.
श्री राकेश मावई-- जब दोषी पाए ही नहीं गए हैं तो एफआईआर कैसे हो गई?
श्री बिसाहूलाल सिंह-- एफआईआर दर्ज की गई है फिर भी विभागीय जांच हो रही है.
श्री राकेश मावई-- माननीय मंत्री जी आप यहां पर निलंबन की घोषणा कीजिए.
श्री बिसाहूलाल सिंह--अगर यह दोषी पाए जाएंगे तो निलंबन की कार्यवाही भी की जाएगी.
जब्त वाहन को छोड़ने में अनियमितता
[खनिज साधन]
10. ( *क्र. 876 ) श्री सुनील सराफ : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01-09-2021 से 25-11-2021 के मध्य सीतापुर रेत खदान जो सोन नदी जिला अनूपपुर में माईनिंग ऑफिस के पास स्थित है, में चल रही पोकलेन, पुलिस अधीक्षक अनूपपुर द्वारा जब्त की गई थी, लेकिन कलेक्टर अनूपपुर द्वारा इसे संबंधित को वापिस कर दी गई। ऐसा किस नियम/आदेश के तहत किया गया? (ख) क्या संबंधित पोकलेन स्वामी पर कोई दंड राशि लगाई गई या अन्य कोई दांडिक कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो इन्हें लाभान्वित करने का कारण बतावें। विगत 6 माह में खनन करते हुए कितनी मशीनें जब्त की गई? उनके प्रकार, वाहन स्वामी का नाम, नंबर सहित बतावें। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार इन वाहनों को किस आधार पर छोड़ा गया/जब्त है, की स्थिति वाहनवार देवें। इन पर लगाई दंड राशि की जानकारी भी वाहन प्रकार, वाहनवार बतावें। (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार वाहनों पर लगाई दंड राशि व प्रश्नांश (क) अनुसार वाहन पर दंड में अंतर क्यों है? इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। पुलिस अधीक्षक जिला अनूपपुर से प्राप्त जानकारी अनुसार थाना कोतवाली अनूपपुर द्वारा दिनांक 26.10.2021 को सीतापुर रेत खदान में चल रही पोकलेन मशीन को जब्त कर अप.क्र. 505/2021 धारा 379, 414 ताहि 4/21 खनिज अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध किया गया है, जो कि जिला न्यायालय अनूपपुर में विचाराधीन है। उक्त जब्तशुदा पोकलेन मशीन को माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनूपपुर के सुपुर्दनामा आदेश क्रमांक-क्यू/न्या/2021 दिनांक 17.11.2021 के पालन में थाना अनूपपुर द्वारा सुपुर्दगी पर दिया गया है। (ख) थाना प्रभारी अनूपपुर द्वारा जब्त मशीन को अप.क्र. 505/2021 धारा 379, 414 ताहि 4/21 खनिज अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध कर जिला न्यायालय में दाण्डिक कार्यवाही/निराकरण हेतु प्रस्तुत किया गया है। विगत 6 माह में खनन करते हुए 01 पोकलेन मशीन जब्त की गई है, जिसका इनवाइस नंबर एम.सी.19-20/035 इनवाइस डेट 19.11.2019 एवं जी.एस.टी. आई.एन.-23 सी.डी.एस. 6873 आर 2 जेड आई तथा वाहन स्वामी का नाम मानवेन्द्र सिंह पिता श्री नागेन्द्र सिंह निवासी मौहारटोला चचाई है। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार जब्त पोकलेन मशीन को मान्नीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनूपपुर के आदेश क्रमांक-क्यू/न्या/2021 दिनांक 17.11.2021 के पालन में सुपुर्दगी में दिया गया है। पंजीबद्ध प्रकरण वर्तमान में जिला न्यायालय अनूपपुर में दाण्डिक कार्यवाही/निराकरण हेतु विचाराधीन होने से शेष प्रश्नांश की जानकारी निरंक है। (घ) प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने से शेष प्रश्नांश के संबंध में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
श्री सुनील सराफ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके निर्देशानुसार सीधे विषय पर आता हूं. मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय खनिज मंत्री जी ने कहा है कि धारा 379, 414 तजेराते हिंद 4/21 खजिन अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया और जिला न्यायालय अनूपपुर के आदेश के अनुसार उसे सुपुर्दनामा कर दिया गया. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि 4/21 जो खनिज अधिनियम है इसमें तो कलेक्टर को अधिकार है. 4/21 में क्या कार्यवाही हुई माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करें कि बिना किसी कार्यवाही के पोकलेन मशीन को कैसे छोड़ दिया गया?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो विषय यह है कि यह न्यायालयीन में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनूपपुर में यह लंबित है और इसलिए जो न्यायालय में लंबित प्रकरण है इस पर चर्चा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए पहले यह तय हो.
श्री सुनील सराफ-- माननीय मंत्री जी, न्यायालय में धारा 379 और 414 का मामला लंबित है. मैं 4/21 की बात कर रहा हूं जिसको सुनने का अधिकार कलेक्टर को है. वह मामला न्यायालय में नहीं जाता है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस विभाग ने इसका पंजीयन किया था जिसको उन्होंने सीधा न्यायालय में भेज दिया इसमें माईनिंग डिपार्टमेंट की तरफ से कोई भी कार्यवाही..
श्री सुनील सराफ-- माननीय मंत्री जी, कृपा पूर्वक आप खनिज मंत्री है. सभी सदस्य जानते हैं कि 4/21 का मामला न्यायालय में नहीं जाता है वह कलेक्टर के पास ही जाता है आप गोल-गोल न घुमाएं आप तो उस अधिकारी की बात करें जो सदन को इस तरह से दिग्भ्रमित करते हैं, जो इस सदन में इस तरह का जवाब देते हैं कि 4/21 का मामला न्यायालय में लंबित है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एफआईआर में 4/21 जो खनिज विभाग की धारा है वह पुलिस प्रशासन ने लगाकर न्यायालय में पेश की है और उसके बाद इस्तगा़सा हमारे विभाग को भेजा है इसको करने के लिए जो कि न्यायालय के माध्यम से आया है जबकि उनको पुलिस को डायरेक्ट पेश नहीं करना चाहिए था उन्हें खनिज विभाग के माध्यम से पेश करना चाहिए था जो कि कहीं न कहीं विसंगति हुई है.
श्री सुनील सराफ-- माननीय मंत्री जी, यदि विसंगति हुई है तो इसमें गलती किस की है.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने आपकी बात को स्वीकार कर लिया है.
श्री सुनील सराफ-- माननीय मंत्री जी, उसमें जिम्मेदारी फिक्स हो.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रकरण न्यायालय में होने के कारण इसमें खनिज विभाग या कलेक्टर महोदय के द्वारा यहां पर कोई सा भी लंबित केस नहीं है. यह सीधा न्यायालय में चल रहा है और इसलिए सदन में न्यायालय के प्रकरण पर चर्चा होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए पहला विषय तो यह है.
श्री सुनील सराफ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं न्यायालय की बात ही नहीं कर रहा हूं. माननीय मंत्री जी, मैं तो आपको यह बताना चाह रहा हूं कि इसमें आपका भी दोष नहीं है. आपके अधिकारी जो आपको बता देते हैं वह आप कहते हैं. मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूं कि अनूपपुर में जहां पर यह पोकलेन मशीन जप्त हुई माईनिंग ऑफिस से 20 मीटर की दूरी पर वह जगह है. ठीक बगल में नदी में वह पोकलेन मशीन जप्त हुई. माईनिंग विभाग देखता रहा मशीन पुलिस को जप्त करनी पड़ी, पुलिस को कार्यवाही करनी पड़ी उसके बाद भी माईनिंग विभाग ने कार्यवाही नहीं की. 4/21 भी उनको न्यायालय में पेश करना पड़ा. इसमें जिम्मेदार अधिकारी कौन है ? आप बात की गंभीरता को समझिये कि आपका विभाग, आपके अधिकारी किस तरह से गुमराह कर रहे हैं. उनकी नाक के नीचे मशीन चल रही है, वे स्वयं कार्यवाही नहीं कर रहे हैं, पुलिस कार्यवाही कर रही है तो उसमें वे साथ नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप सीधा प्रश्न करें. न्यायालयीन बात को छोड़कर सीधा प्रश्न करें.
श्री सुनील सराफ- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी से प्रश्न कर रहा हूं कि 4/21 में कार्यवाही के बिना, जिसका अधिकार कलेक्टर को है, कैसे मशीन छोड़ दी गई और यदि मशीन छोड़ दी गई है तो क्या वे दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे?
अध्यक्ष महोदय- मशीन न्यायालय द्वारा छोड़ी गई है.
श्री सुनील सराफ- न्यायालय द्वारा 4/21 में नहीं छोड़ा गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- एफ.आई.आर. नंबर तो एक ही होगा. उसमें अलग-अलग धारा होंगी. उसी में धारा 4/21 खनिज की होगी, उस एफ.आई.आर. को इन्होंने न्यायालय में पेश किया है.
श्री सुनील सराफ- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक पीड़ा इनके विभाग से है कि इनके विभाग से लगातार ऐसे जवाब आते हैं, आज ही मेरे, इनके विभाग से दो प्रश्न हैं. जिसमें से प्रश्न क्रमांक 878 में मेरे पूछने पर इन्होंने कहा है कि रेत का परिवहन ग्राम पंचायत कटकोना बैहाटोला वर्तमान में उपलब्ध मार्ग होने से एवं अन्य कोई वैकल्पिक मार्ग न होने से परिवहन किया जा रहा है.
उसी में प्रश्न क्रमांक 880 में देखिये कि इनका जवाब क्या आ रहा है- प्रश्नांश अनुसार गांव के भीतर परिवहन नहीं हो रहा है. अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (XXX) कि एक प्रश्न में वही कह रहे हैं कि उस गांव से परिवहन हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय- इसमें प्रश्न पूछिये.
श्री सुनील सराफ- मैं, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि इस तरह के जवाब से सदन को गुमराह करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्यवाही होगी ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बार-बार वही बात कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय- अब न्यायालय वाली बात नहीं हो रही है, उन्होंने वह बात हटा ली है. उनका पूछना है कि विभाग से दो अलग-अलग तरह के जवाब आ रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय सदस्य, पता नहीं कौन-सा प्रश्न पूछ रहे हैं ? जो प्रश्न यहां उद्भूत ही नहीं हो रहा है, उसकी बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न है, आज की प्रश्नोत्तरी में ये प्रश्न हैं.
श्री सुनील सराफ- प्रश्न क्रमांक 878 एवं 880 आज ही लगे हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- हमारी तारांकित प्रश्नोत्तरी में तो ये प्रश्न नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय- तारांकित में नहीं है लेकिन आज की प्रश्नोत्तरी में ये प्रश्न हैं. सुनील जी, आप एक आवेदन दे दीजिये, जिसकी आप जांच चाहते हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय सदस्य जिस अतारांकित प्रश्न की बात कर रहे हैं. उसकी हमें एक विषय-वस्तु बनाकर दे दें, हम उसका परीक्षण करवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय- आपकी जो शिकायत है, वह दे दीजिये, मंत्री जी उसकी जांच करवा लेंगे.
श्री सुनील सराफ- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल एक सेकण्ड और.
अध्यक्ष महोदय- आप दे दीजिये. मैं कह तो रहा हूं कि जांच करवा लेंगे.
श्री सुनील सराफ- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी पिछली बार भी मेरा ऐसा ही प्रश्न था, उसमें भी यही जवाब आया था कि आप लिखकर दे दीजिये हम जांच करवाकर, कार्यवाही करेंगे लेकिन एक साल हो गया है कोई जांच नहीं होती है, कोई कार्यवाही नहीं होती है.
अध्यक्ष महोदय- पिछली बार का नहीं, आप, अभी इसमें आईये. आप सारे तथ्यों के साथ एक आवेदन जांच के लिए बनाकर दे दीजिये, मंत्री जी करवा लेंगे.
श्री सुनील सराफ- धन्यवाद.
मकान, दुकान का अर्जन
[राजस्व]
11. ( *क्र. 327 ) श्री ब्रह्मा भलावी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या एन.एच. 59 ए. एवं 69 के लिए बैतूल एवं होशंगाबाद जिले के वनग्राम बरेठा, धार, कुसरना, गवासेन, खोखराखेड़ा, ढेकना की भूमि, मकान, दुकान के अर्जन की कार्यवाही और प्रभावितों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन की कार्यवाही प्रश्न दिनांक तक भी पूरी नहीं की गई? (ख) किस ग्राम के किस आदिवासी एवं किस गैर आदिवासी के कब्जे की कितनी भूमि, मकान, दुकान के अर्जन का प्रकरण बनाया गया? किस वनग्राम की भूमि, मकान, दुकान के अर्जन का प्रकरण किन कारणों से प्रश्न दिनांक तक भी नहीं बनाया गया? (ग) भूमि, मकान, दुकान के अर्जन से प्रभावित आदिवासियों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन से संबंधित प्रावधान क्या वर्तमान में लागू हैं? उसके अनुसार किस-किस के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन से संबंधित क्या कार्यवाही प्रश्नांकित दिनांक तक की गई? यदि नहीं, की गई हो तो कारण बतावें। (घ) भूमि, मकान, दुकान के अर्जन का प्रकरण बनाए जाने और प्रभावितों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन की कार्यवाही किए जाने के संबंध में क्या-क्या कार्यवाही वर्तमान में की जा रही है? वह कब तक पूरी की जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) एन.एच. 69 में प्रभावित वन ग्राम बरेठा एवं धार के धारकों के भूमि, मकान, दुकान आदि के भू अर्जन की कार्यवाही प्रकरण क्रमांक 07/अ-82/वर्ष 2016-17 में की जाकर अधिनिर्णय दिनांक 20-01-2020 को पारित किया गया। इन वन ग्रामों पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन के संबध में हितबद्ध पक्षकार द्वारा न्यायालय आयुक्त एवं मध्यस्थता प्राधिकारी नर्मदापुरम संभाग होशंगाबाद के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया गया है। तत्संबध में न्यायालयीन कार्यवाही प्रक्रियाधीन हैं। 2. एन. एच. 59 ए सड़क निर्माण में प्रभावित वनग्राम कुरसना, गवासेन, खोखराखेडा की भूमि, मकान, दुकान के अर्जन के संबध में शिकायत प्राप्त हुई हैं, जिसमें प्रारंभिक जॉंच की जा रही है, जॉंच में पुष्टि होने के उपरांत गुणदोष के आधार पर भू' अर्जन की कार्यवाही NHAI Act. के तहत की जावेगी। 3. एन एच 59 ए सड़क निर्माण में प्रभावित वनग्राम ढेकना जिला होशंगाबाद की जानकारी निरंक है। (ख) एन.एच. 69 के अन्तर्गत आने वाले वनग्राम धार एवं बरेठा के आदिवासी एवं गैर आदिवासी के कब्जे की भूमि मकान एवं दुकान के अर्जन का भू-अर्जन प्रकरण क्रमांक 07/अ-82/वर्ष 2016-17 बनाया गया था जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 1 एवं 2 अनुसार है। अवार्ड अनुसार मुआवजा राशि का भुगतान किया जा चुका है। 2- बैतूल अनुविभाग के अंतर्गत वनग्राम कुरसना, गवासेन, खोखराखेडा की भूमि 59 ए टू-लेन में किसी भी हितग्राही की भूमि मकान, दुकान प्रभावित नहीं हुए हैं। तत्सबंध में अनुविभागीय अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्ग का पत्र दिनांक 13-12-2021 संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है, जिसके कारण वर्तमान तिथि तक भू अर्जन का प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। इसके अतिरिक्त कतिपय हितग्राहियों द्वारा अपनी भूमि, मकान, दुकान आदि का ग्राम कुरसना, गवासेन, खोखराखेडा के एन.एच. 59 ए के टू-लेन में प्रभावित होने की शिकायत की थी। जिसकी संयुक्त जॉंच की जा रही है, जॉंच में हितग्राहियों की भूमि प्रभावित होने की पुष्टि होती है तो नियमानुसार भू अर्जन की कार्यवाही समय सीमा में की जावेगी। (ग) एन.एच. 69 के अन्तर्गत आने वाले वनग्राम धार एवं बरेठा भूमि अर्जन की कार्यवाही राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 (1956 का 48) के तहत की गई है। अत: भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 31, 41 एवं 51. प्रभावी नहीं। अत: कार्यवाही किये जाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता हैं। 2- एन.एच. 59 ए के सड़क निर्माण में प्रभावित वन ग्राम कुरसना, गवासेन, खोखराखेडा के प्रभावित धारकों की जांच कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उक्त जांच के निष्कर्षों के आधार पर राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत भू अर्जन की आगामी कार्यवाही की जावेगी। 3- एन.एच. 59 ए के सड़क निर्माण में प्रभावित वन ग्राम ढेकना जिला होशंगाबाद की जानकारी निरंक है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिपेक्ष्य में कार्यवाही की जा रही है जांच के निष्कर्ष के उपरान्त आगामी भू अर्जन की कार्यवाही समय सीमा में की जावेगी।
श्री ब्रम्हा भलावी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि बैतूल जिले के अंतर्गत तहसील शाहपुर में वनग्राम बरेठा, धार में फोरलेन का मुआवज़ा अभी तक वहां नहीं मिला है और यदि मिला भी है तो कम रूप में मिला है. केवल एक किश्त दी गई है दूसरी किश्त नहीं दी गई है, तो मैं जानना चाहता हूं कि यह कब तक दिया जायेगा ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- माननीय अध्यक्ष महोदय, बैतूल जिले के वनग्राम बरेठा और धार के भू-अर्जन के बारे में माननीय सदस्य ने बात की है. इसमें दिनांक 20.01.2020 को मुआवज़ा राशि 2 करोड़ 37 लाख रुपये की राशि बरेठा और धार के प्रभावितों को दी गई है. माननीय सदस्य का प्रश्न बहुत ही लंबा है. इन्होंने एक तो मुआवज़े की बात की है और साथ ही इन्होंने पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन की बात की है. मैं बताना चाहूंगा कि मुआवज़ा दे दिया गया है. शेष रहा पुनर्वास, में संभाग आयुक्त नर्मदापुरम के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है और कार्यवाही अभी न्यायालय में प्रचलित है.
आवागमन मार्ग बंद करने की शिकायत का निराकरण
[राजस्व]
12. ( *क्र. 715 ) श्री महेश परमार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रशासन द्वारा उज्जैन स्थित कालियादेह पैलेस, सूर्य मंदिर, भेरु मंदिर और इनके निकट स्थित बावनकुंड पहुँचने का आम रास्ता बंद कर दिया गया है? श्रद्धालुओं को दर्शन से क्यों वंचित किया जा रहा है? (ख) क्या आम रास्ता बंद होने से आसपास के ग्रामीण एवं आमजन को लगभग 8 किमी अतिरिक्त आगर रोड से घूमकर गाँव और शहर का आवागमन करना पड़ रहा है? शासन इस प्रकार के कृत्य को लेकर क्या कार्यवाही कर रहा है? (ग) क्या प्रशासन द्वारा आम रास्ता बंद करने की अनुमति प्रदान की गयी है? यदि हाँ, तो क्या आम नागरिकों को भी अपने कार्य स्थल पर निर्माण कार्यों के लिए आम रास्ता बंद करने की अनुमति दी जा सकती है? यदि हाँ, तो किन नियमों के द्वारा प्रशासनिक अधिकारी द्वारा आम रास्ता बंद करने की अनुमति प्रदान की है? नियमों की प्रति देवें। (घ) जिले के प्रमुख समाचार पत्रों में आम जनता की शिकायत प्रकाशित होने के बाद प्रशासन द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाहियाँ की गयी? इस संबंध में समस्या के निराकरण के लिए किस अधिकारी को दायित्व सौंपा गया? इस मामले में आम जनता की परेशानी को लेकर कुल कितनी शिकायतें मिली हैं?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं, उज्जैन स्थित कालियादेह पैलेस, सूर्य मंदिर और इनके निकट स्थित बावनकुंड पहुंचने का आम रास्ता प्रशासन द्वारा बंद नहीं किया गया है। (ख) आम रास्ता मौके पर अवरुद्ध नहीं है। (ग) जी नहीं। (घ) आम रास्ता बंद होने के संबंध में किसी प्रकार का आवेदन तहसील घट्टिया में प्राप्त नहीं हुआ है। परन्तु समाचार-पत्र व जनप्रतिनिधियों से प्राप्त सूचना के आधार पर मौके पर दिनांक 30.11.2021 को नायब तहसीलदार श्री लोकेश चौहान टप्पा पानबिहार तहसील घट्टिया को भेजा गया।
श्री महेश परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि उज्जैन में कालियादेह पैसेल का रास्ता क्यों रोका गया ? वहां सूर्य मंदिर, भेरू मंदिर और इनके निकट स्थित बावनकुंड में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, मां क्षिप्रा मईया के दर्शन को आते हैं तो किसके कहने पर इन मंदिरों का रास्ता रोका. मेरे प्रश्न के जवाब में उत्तर आया है कि कोई रास्ता नहीं रोका गया है. वहां लगभग 7 दिन तक रास्ता रोका गया और 10-10 पुलिस के जवान तैनात थे. वह तो पूरे देश, प्रदेश और उज्जैन जिले का मीडिया और हमारे विधायक साथी रामलाल मालवीय जी ने जब कलेक्टर के ऊपर दबाव बनाया, तब जाकर रास्ता खोला गया. माननीय मंत्री यह बताने की कृपा करें कि किसके कहने पर रास्ता रोका गया ?
अध्यक्ष महोदय:- रास्ता तो खुल गया है ना ?
महेश परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तरफ धर्म की बात करने वाली सरकार....
अध्यक्ष महोदय:- रास्ता तो खुल गया है ना ?
श्री महेश परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसके कहने पर रास्ता रोका गया, लगभग 10 से 15 गांवों का रास्ता और हजारों की संख्या में श्रद्धालु रोज आते हैं और पंचकोशी में लगभग 10 लाख श्रद्धालु और सोमवती अमावस्या के दिन कम से कम 25 लाख श्रद्धालु उस समय आते हैं.
अध्यक्ष महोदय:- बस हो गया, मंत्री जी का जवाब आने दीजिये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन के कालियादेह पैलेस, सूर्य मंदिर और बायनकुंड में पहुंचने का जो रास्ता था, बंद नहीं किया गया और इसकी अखबारों में कुछ कटिंग निकली थी और कुछ मीडिया पर दिखाया गया था. समाचार पत्रों में खबर आने के बाद हमने 30.11.2021 को नायब तहसीलदार, तहसीलदार इन सबको मौके पर भेजा, जहां रास्ता खुला पाया गया और आज भी रास्ता खुला हुआ है. सभी के लिये जाने की व्यवस्था है, आराम से जायें और धर्म का लाभ लें.
श्री महेश परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह असत्य जानकारी है. आप मेरा निवेदन सुन लीजिये यह गंभीर मामला है...
अध्यक्ष महोदय:- जब वह स्वीकार ही नहीं कर रहे हैं बंद का.
श्री महेश परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह असत्य जानकारी दे रहे हैं, जैसे सुनील सराफ जी ने भी पूर्व प्रश्न में कहा था. हम आपसे संरक्षण चाहते हैं, वहां पहली बार..
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ तो जाइये, आप थोड़ा बैठ तो जाइये.
श्री रामलाल मालवीय:- अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये, मैं आज किसी को अलाउ नहीं करूंगा.
श्री रामलाल मालवीय:- अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा का मामला है, मेरा अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्य जी आप रास्ता बंद करने की बात कर रहे हैं और मंत्री जी कह रहे हैं कि कोई रास्ता ही बंद नहीं हुआ तो किस चीज का प्रश्न आप करेंगे.
श्री रामलाल मालवीय:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बैठे हैं आप पूछ लीजिये रास्ता बंद हुआ और जब हम लोगों ने धरना, प्रदर्शन किया तब जाकर खुला.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी कह रहे हैं कि रास्ता बंद ही नहीं हुआ, उनका सीधा जवाब है कि रास्ता बंद ही नहीं हुआ.
श्री रामलाल मालवीय:- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरा 7 दिन रास्ता बंद रहा. आप हमारी बात तो सुनें.
श्री महेश परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस तरह सबसे बड़े सदन में असत्य जानकारी देंगे तो हम कहां जायेंगे. आपसे निवेदन है कि जिस अधिकारी ने यह असत्य जानकारी दी है, उसका परीक्षण करके आप जांच करवाइये.
अध्यक्ष महोदय:- आप दीजियेगा.
श्री महेश परमार:- अध्यक्ष महोदय आप जांच का आदेश दीजिये.
अध्यक्ष महोदय:- जब उन्होंने यह कहा कि कोई रास्ता बंद ही नहीं है.
श्री महेश परमार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 गांव हैं और उज्जैन महाकालेश्वर की नगरी है. एक तरफ समाचार पत्रों में, न्यूज चैनलों में...
श्री रामलाल मालवीय:- आप एक बार जांच करवा लो.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय मंत्री जी यह जो कह रहे हैं आप इसकी जांच करवायेंगे ?
श्री महेश परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आगे भी जो प्रभावशाली लोग हैं, फिर रास्ता बंद करवायेंगे. एक तो धर्म की बात करने वाली सरकार और सूर्य भगवान का मंदिर बंद करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मंत्री जी के इशारे पर हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये, उत्तर तो दिलवाने दीजिये, आपके प्रश्न का समाधान होने दीजिये. माननीय मंत्री जी माननीय सदस्य गंभीरता से कह रहे हैं कि रास्ता बंद था तो कम से कम जांच तो करवा लीजिये, वह कह रहे हैं कि जांच करा लीजिये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत:- अध्यक्ष महोदय, यह सरकार धर्म को मानने वाली सरकार है, यह पूरा देश, पूरा विश्व जानता है. जहां तक रास्ते की बात है तो रास्ता अखबार और मीडिया में आया तो खुला पाया गया, फिर भी सदस्य महोदय कह रहे हैं तो दिखवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- जांच.
श्री महेश परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय,....
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जायें, मंत्री जी ने कह दिया है कि करा लेंगे.
पेंच टाईगर रिजर्व क्षेत्र के कार्य
[वन]
13. ( *क्र. 883 ) चौधरी सुजीत मेर सिंह : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले के चौरई विधान सभा क्षेत्र में पेंच टाईगर रिजर्व उपवन मण्डल में वर्ष 2019-20, 2020-21 में हो रहे, वानिकी कार्य एवं निर्माण कार्यों की सूची परिक्षेत्रवार प्रदान की जाए। (ख) इनमें कार्यरत मजदूरों की सूची, मजदूरी राशि, कार्य नाम, स्थान नाम सहित देवें। दिनांक 01.06.2020 से 21.11.2021 तक के संदर्भ में देवें। मजदूरों का खाता नम्बर भी देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) अवधि में सप्लाई सामग्री की जानकारी सप्लाईकर्ता फर्मवार देवें, इस अवधि की टेंडर प्रक्रिया की जानकारी भी देवें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्टके प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्टके प्रपत्र-3 एवं 4 अनुसार है।
चौधरी सुजीत मेर सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पहली बार के विधायकों को शामिल करने की व्यवस्था दी है उसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
हमारे विधान सभा क्षेत्र में पेंच टाईगर रिजर्व उपवन मण्डल के अंतर्गत जो वानिकी कार्य और निर्माण कार्य किये जाते हैं, जैसे वन मार्ग मरम्मत का कार्य, तालाब निर्माण कार्य, कूप निर्माण कार्य, मिट्टी बंधन निर्माण कार्य और भी इस प्रकार के कई कार्य संचालित होते हैं, जिसमें गुणवत्ता का बिल्कुल अभाव होता है, गुणवत्ताविहीन कार्य कराये जाते हैं, साथ में फर्जी मस्टररोल की शिकायतें भी बहुत प्राप्त होती हैं और फर्म को जो टेण्डर दिये जाते हैं उसमें भी पारदर्शिता नहीं रखी जाती है तो मेरा आपके माध्यम से वन मंत्री जी से आग्रह है कि इसकी उच्च अधिकारियों से जांच करायी जाये ताकि भविष्य में इसकी पुनरार्वत्ति न हो.
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो माननीय सदस्य जी का थोड़ा सा ज्ञानवर्धन कर दूं कि मस्टररोल अब इस सरकार में नहीं चलते पहले चलते होंगे. डायरेक्ट पैसा ऊपर से आता है और डायरेक्ट जाता है. पहले कहावत थी कि कितना आता है और कितना जाता है मैं उसमें नहीं पड़ना चाहता हूं. यहां पर जितना होता है उतना पूरा खाते में जाता है. आपने जो प्रश्न पूछा है उसमें बकायदा विज्ञप्ति दी गई. 3 हजार 952 मजदूरों के खातों में दो साल में हमारा जो प्रावधान था छोटे छोटे काम करने का उसमें 1 करोड़ 18 लाख 34 हजार 437 रूपया 3 हजार 952 मजदूरों के खातों में डाला गया है, यह मेरे पास खातों की लिस्ट है, बैंक एकाऊंट नंबर है. एक एक व्यक्ति के आप चाहें तो उसको चेक कर सकते हैं इसको मैंने सदन के पटल पर भी रखा है.
बाढ़ पीड़ितों को आर्थिक सहायता वितरण में अनियमितता
[राजस्व]
14. ( *क्र. 976 ) श्री मेवाराम जाटव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माह अगस्त 2021 में ग्वालियर एवं चम्बल संभाग में आई बाढ़ से कितनी-कितनी जनधन एवं पशुधन की हानि हुई एवं कितने हेक्टेयर क्षेत्र की फसल नष्ट हो गई तथा शासकीय संपत्ति को कितना-कितना नुकसान पहुंचा? जिलेवार विवरण दें। (ख) उक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में प्रशासन/शासन द्वारा बाढ़ से हुए नुकसान का सर्वे कराकर कितने हितग्राहियों को कितनी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई? जिलेवार जानकारी दें। (ग) क्या शासन द्वारा बाढ़ में हुए वास्तविक नुकसान का आकलन करने हेतु जांच दल/अध्ययन दल का गठन किया गया था? यदि हाँ, तो क्या जांच दल द्वारा जांच प्रतिवेदन शासन को सौंप दिया गया है? यदि नहीं, तो कब तक सौंपा जाएगा? (घ) क्या बाढ़ पीड़ितों को क्षतिपूर्ति मुआवजा वितरण में अनियमितता बरती जाकर वास्तविक हितग्राहियों को राहत राशि/आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाने की शिकायतें प्रशासन/शासन को प्राप्त हुई? यदि हाँ, तो उन शिकायतों की जांच कराकर जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) माह अगस्त, 2021 में ग्वालियर एवं चम्बल संभाग में आई बाढ़ से हुई क्षति की जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में दिये गये प्रावधान अनुसार प्राकृतिक आपदा से क्षति के आंकलन हेतु जिलों में राजस्व, कृषि, उद्यानिकी और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के संयुक्त दल द्वारा सर्वेक्षण कार्य कराया गया है। सर्वे पश्चात जांच दल द्वारा प्रतिवेदन सौंप दिया गया है। अत: शेष प्रश्न उदभूत नहीं होता। (घ) ग्वालियर जिले में राहत राशि हेतु प्राप्त शिकायतों का परीक्षण कर प्रभावितों को नियमानुसार राहत राशि प्रदाय की गई है। शेष जिलों में राहत राशि वितरण संबंधी प्राप्त शिकायतों की जानकारी निरंक है। अत: शेष प्रश्न उदभूत नहीं होता।
श्री मेवाराम जाटव--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि ग्वालियर चंबल संभाग में बाढ़ की तबाही से शिवपुर, विजयपुर, डबरा एवं लहार विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत कितने पशुओं की मृत्यु हई है, कितनी कितनी फसल नष्ट हुई, कितने आवास एवं कच्चे मकान बाढ़ में बह गये, उनसे कितने प्रभावित परिवार हैं ?
अध्यक्ष महोदय--यह तो प्रश्नोतरी में आया है. आप इनसे संबंधित प्रश्न पूछिये ?
श्री मेवाराम जाटव--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि उस समय मैं भ्रमण के लिये माननीय दिग्विजय सिंह जी के साथ डबरा, लहार तथा शिवपुर में गया था वहां सारे गांव के गांव बह गये थे. वहां की जो जमीन है उसकी जो उर्वरा शक्ति है वहीं की सारी मिट्टी भी बह गई थी. किसानों को सरकार द्वारा कोई मुआवजा नहीं दिया है. जिला प्रशासन के लोगों को वहां के जन प्रतिनिधियों तथा किसानों ने अवगत कराया है, लेकिन अभी तक किसी को मुआवजा नहीं मिला है. मेरा प्रश्न यह है कि जो मुआवजे के लिये शेष किसान रह गये हैं, जिन किसानों की जमीनें बंजर रह गई हैं तथा जिनके मकान बह गये हैं उनको मुआवजा कब तक दिलाया जायेगा उसकी समय सीमा बतायें ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत--अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर, चंबल संभाग में बाढ़ आयी थी माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं वहां पर दो बार गये वहां का दौरा किया हमारे सारे अधिकारीगण गये. ग्वालियर, चंबल संभाग में आयी बाढ़ में 40 जनहानि में 16 सौ 06 पशु हानि हुई. 1 लाख 73 हजार से अधिक की फसलें नष्ट हुईं विभिन्न विभागों के 9 हजार 765 शासकीय सम्पत्तियों को नुकसान हुआ कुल 705 करोड़ रूपये के नुकसान का आंकड़ा हमारे पास है. ग्वालियर, चंबल संभाग में 3 लाख 66 हजार से अधिक हितग्राहियों को 2 अरब 55 करोड़ से अधिक की सहायता दी गई है. आर.बी.सी.64 में प्रावधान के अनुसार प्राकृतिक आपदा में क्षति के अंतर्गत भी प्रावधान किया है. पैसा भी इसमें काफी दिया है. जहां तक शिवपुर की माननीय सदस्य बात कर रहे हैं तो शिवपुर में मुख्यमंत्री जी ने सिंगल क्लिक से स्वयं जाकर 23 करोड़ से अधिक की राशि 19 अगस्त 21 को दी, 6 सितम्बर 21 को पुनः 31 करोड़ रूपये की राशि सिंगल क्लिक से राशि वितरित की गई. 6 सितम्बर, 21 को 163 करोड़ रूपये जो कि बड़ी राशि होती है, वहां पर वितरित की इस प्रकार से कुल 303 करोड़ रूपये की राशि ग्वालियर, चंबल संभाग में वितरित की गई है. सदस्य महोदय ने यह भी पूछा था कि वहां पर आवास के लिये कितना पैसा दिया गया, क्यों कि वहां पर आवास भी गिरे हैं. आवास के लिये 70 करोड़ रूपया आवासों के लिये दिया गया है. मिट्टी बह जाने की बात यह नहीं पूछ सके हैं इन्होंने कल हमसे बात की थी. मिट्टी बह जाने के लिये पहली बार 187 हितग्राहियों के लिये 68 करोड़ रूपये की राशि मिट्टी बह जाने वाले हितग्राहियों को दी है.
प्रश्न संख्या 15 (अनुपस्थित)
राजस्व क्षेत्र की भूमि
[राजस्व]
16. ( *क्र. 669 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में कितने राजस्व क्षेत्र हैं? प्रत्येक राजस्व क्षेत्र में कितनी शासकीय भूमि (रकबा/हल्का) उपयोग में है एवं किस उपयोग में है? (ख) कितने राजस्व क्षेत्र में कितनी शासकीय भूमि रिक्त है, जो भविष्य में जनहित के उपयोग में आ सके?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जिला अंतर्गत कुल 730 राजस्व क्षेत्र (पटवारी हल्के) हैं। जिला अंतर्गत कुल 307946 हे. शासकीय भूमि है। शासकीय भूमि की मदवार जानकारी निम्नानुसार है :- (1) आबादी - 4130, (2) अमराई व फलोद्यान - 1038, (3) बड़े झाड़ का जंगल (वन) - 203736, (4) छोटे झाड़ का जंगल (चारागाह झुडपी जंगल घास) - 43268, (5) नदी/नाला/तालाब (पानी के नीचे) - 30635, (6) पहाड़/चट्टान - 12461, (7) सड़क/इमारत - 12678 कुल शासकीय भूमि - 307946. (ख) ऐसी रिक्त भूमि जो भविष्य में जनहित के उपयोग में आ सके, की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि हमने प्रश्न के (ख) कालम में कितने राजस्व क्षेत्र की कितनी शासकीय भूमि रिक्त है, जो भविष्य में जनहित के उपयोग में आ सकती है. श्री गोविन्द सिंह राजपूत - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य का सीधा प्रश्न है कि कितनी राजस्व क्षेत्र की कितनी भूमि रिक्त है, जो भविष्य में जनहित के उपयोग में आ सकती है, तो जिले में 32,743 हेक्टेयर भूमि रिक्त है. जिसका उपयोग व्यापक हित में अंधोसंरचना इत्यादि में जहां शासन द्वारा समय समय पर जारी होता है वहां किया जा सकता है.
(प्रश्न काल समाप्त)
अध्यक्ष महोदय - मैं सभी साथियों को, नेता प्रतिपक्ष को, संसदीय कार्यमंत्री को, सभी को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं कि आज प्रश्नों को आगे बढ़ाने में आपने मदद की है. इसीलिए हम प्रश्न क्रमांक 16-17 तक पहुंचे हैं. इसलिए सभी माननीय सदस्यों को धन्यवाद करता हूं.
12:01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय.
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जाएगी.
12:02 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख.
नेता प्रतिपक्ष(श्री कमल नाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, कल मैंने शुरू में ये प्रश्न पूछा था कि कल मुख्यमंत्री जी ने सदन में आश्वासन दिया. ये आश्वासन, कि पंचायत चुनाव आरक्षण के साथ होगा, इसमें कार्यवाही की आवश्यकता है. सरकारी कार्यवाही होगी या कानूनी कार्यवाही होगी. ये आवश्यक है. मैं तो यही चाहता हूं कि उन्होंने सदन में घोषणा की है, कहीं बाहर घोषणा नहीं की. पिछले 24 घंटे में उन्होंने जो इसमें शुरूवात की है, इस सदन को उसकी जानकारी दे दे. उनके आश्वासन से तो हम सहमत है, हम यह चाह रहे थे, मैं तो धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारी मांग स्वीकार की. पर सदन का हर सदस्य जो अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय - नेता प्रतिपक्ष जी, इस पर काफी चर्चा हो चुकी है, सीधे प्रश्न कर दे.
श्री कमल नाथ - वे कार्यवाही से सभी को अवगत करवा दें ताकि आज प्रदेश भर की पंचायतों को इसकी सूचना मिल जाए. चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है, फार्म भर रहे हैं, क्या वे विड्रा करें, क्या वे चुनाव लड़ें. ये आज जो एक ऐसी स्थिति बन गई है, इसमें मैं सोचता हूं शासन का कर्तव्य है कि इस सदन को अवगत कराएं. (...व्यवधान)
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो नेता प्रतिपक्ष का यह कहना कि हमारी मांग स्वीकार की गई, यह अर्द्धसत्य है. गुनहगार अपने पर्दे को, जिन्होंने गुनाह किया हो अदालत में जाकर पिछड़ों के साथ में अन्याय जिन्होंने किया हो, वे मांग कर ही नहीं सकते हैं.
''कातिल ने बचने का अजब रास्ता निकाला, भीड़ में घुस के खुद ही पूछने लगा, इसे किसने मार डाला.''(...मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, ये स्थिति कांग्रेस की है, 50 प्रतिशत आबादी.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप ओबीसी करते हो और शिवराज जी को फायदा होता है बार बार.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, जब इनके नेता बोलते हैं, हम खामोश रहते हैं.
श्री कुणाल चौधरी - आप गलत बयानबाजी करेंगे तो. आपको फायदा कुछ नहीं है, फायदा उनको है. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - ये आपका गुनाह था, जो हम ढोये आप ये चाहते हो, गलती आपने की है. आप अदालत में गए, आपको वापस लेना था या रिवीजन लगाना था, रिवीजन क्यों नहीं लगाया (...व्यवधान) हमसे सवाल कर रहे तो हम क्या जवाब देंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार जो मुख्यमंत्री जी ने कहा है उसका अक्षरश: पालन कर रही है, रिवीजन में जा रहे हैं, केन्द्र भी रिवीजन में जा रहा है. (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, जैसे भाषण देखकर घोषणा करते हैं, वैसे ही घोषणा की है क्या, ये भाषण है या घोषणा है. (...व्यवधान)
श्री कमलनाथ - अध्यक्ष जी, अगर यह आरक्षण के हित में होते ....
अध्यक्ष महोदय - माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, कल इस पर बहुत बहस हो गई, बहुत चर्चा हो गई.
श्री कमल नाथ - बस एक लाईन में खत्म करता हूँ, तो हमें यह स्थगन प्रस्ताव लाने की जरूरत ही नहीं थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष जी, (XXX) कांग्रेस के पास कोई रास्ता नहीं था. जिस तरह का अन्याय कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग के साथ किया है, 50 प्रतिशत की आबादी आपको क्षेत्र में नहीं जाने देती है, आप इलाके में घुस नहीं पाते हैं. इन्होंने इतनी बड़ी गलती की थी.
...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय - (विपक्ष के कुछ सदस्यगण के खड़े होकर लगातार बोलने पर) मैं किसी को अलाऊ नहीं कर रहा हूँ. श्री जितु पटवारी. केवल जितु पटवारी बोलेंगे.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी, मुझे एक मिनट का समय दीजिये. अभी किसान खेती को लेकर पूरे देश में पिछले 2 वर्ष से बहस चल रही है. अब मध्यप्रदेश में तीनों काले कानून को एकसेप्ट करने में हमारी सरकार अग्रणी रही. देश के प्रधानमंत्री ने 700 किसानों की शहादत के बाद स्वीकार किया कि हमसे गलती हुई. मैं पॉजिटिव सकारात्मकता से यह चाहता हूँ कि .....
...व्यवधान...
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष जी, हमें इस पर आपत्ति है. इस तरह से सदन चलेगा क्या.
श्री जितु पटवारी - गलती स्वीकार नहीं की क्या. माफी देश से नहीं मांगी क्या. देश के प्रधानमंत्री ने माफी ....
...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय - मैंने आपको अलाऊ किया है. किसी और को अलाऊ नहीं किया है. आप विषय से मत भटकिये. आप लोग बैठ जाइये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - (XXX)
श्री पी.सी.शर्मा - (XXX)
श्री जयवर्द्धन सिंह - (XXX)
...व्यवधान...
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, इसको रिकॉर्ड न किया जाये.
अध्यक्ष महोदय - हमें दिये गये समय का सदुपयोग करना चाहिए.
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष जी, देश के किसानों की हत्या .....
...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये.
श्री जितु पटवारी - देश से माफी मांगी है, देश के प्रधानमंत्री ने. हमारे मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया था कि .....
...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय - कल इस पर खूब चर्चा हो गई है.
...व्यवधान...
12.07 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम मर्यादित का चौदहवां वार्षिक लेखा एवं
प्रतिवेदन वर्ष 2017-1018
(2) (क) दि प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड का 90 वां एवं 91 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 तथा 2017-1018
(ख) (i) वित्तीय वर्ष 2020-2021 की द्वितीय छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण एवं
(ii) वित्तीय वर्ष 2021-2021 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण,
(ग) वाणिज्यिक कर विभाग की निम्न अधिसूचनाएं -
(i) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-58-2015-1-पांच (79), दिनांक 4 नवम्बर, 2021 एवं (ii) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-58-2015-1-पांच (80), दिनांक 4 नवम्बर, 2021, तथा
(घ) वाणिज्यिक कर विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-बी- 04-02-2021-2-पांच -
(03), भोपाल दिनांक 13 अगस्त, 2021
(3)
मध्यप्रदेश
वेयरहाउसिंग
एण्ड
लॉजिस्टिक्स
कार्पोरेशन
का 16 वां
वार्षिक
प्रतिवेदन
एवं हिसाब
पत्रक वर्ष 2018-2019
(4) इन्दौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 तथा द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार इन्दौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 तथा द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
(5) मध्यप्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 एवं 2019-2020
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल)-- अध्यक्ष महोदय, मैं,मध्यप्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम अधिनियम, 1980 की धारा 30 (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 एवं 2019-2020 पटल पर रखता हूं.
(6) अधिसूचना क्रमांक एफ 2-2-2020-सात-शा.7, दिनांक 24 नवम्बर, 2021, मध्यप्रदेश राजपत्र में दिनांक 26 नवम्बर, 2021
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन् 1959) की धारा 258 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार अधिसूचना क्रमांक एफ 2-2-2020-सात-शा.7, दिनांक 24 नवम्बर, 2021, जिसे मध्यप्रदेश राजपत्र में दिनांक 26 नवम्बर, 2021 को प्रकाशित किया गया, पटल पर रखता हूं.
(7) (क) मैगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (मॉयल) का 59 वां वार्षिक विवरण वर्ष 2020-2021, तथा
(ख) (i) जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला सागर, सीधी, ग्वालियर, नीमच एवं दमोह का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
(ii) जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला छतरपुर, सीधी, झाबुआ, नीमच, धार, बालाघाट, अलीराजपुर, बैतूल एवं दमोह का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
खनिज साधन मंत्री (श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मैगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (मॉयल) का 59 वां वार्षिक विवरण वर्ष 2020-2021, तथा
(ख) मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18 (3) की अपेक्षानुसार -
(i) जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला छतरपुर, सीधी, झाबुआ, नीमच, धार, बालाघाट, अलीराजपुर, बैतूल एवं दमोह का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ii) जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला सागर, सीधी, ग्वालियर, नीमच एवं दमोह का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 पटल पर रखता हूं.
(8) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अंकेक्षित लेखे वर्ष 2020-2021
ऊर्जा मंत्री(श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 104 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अंकेक्षित लेखे वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूं.
(9) (क) जबलपुर इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(ख) भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020, तथा
(ग) मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 36 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री(श्री ओमप्रकाश सखलेचा)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार -
(क) जबलपुर इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(ख) भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020, तथा
(ग) मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 36 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 पटल पर रखता हूं.
(10) (क) (i) म.प्र. राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2020-2021,
(ii) म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2020-2021,
(iii) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2019-2020 एवं 2020-2021, तथा
(iv) मध्यप्रदेश राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित, बुरहानपुर (म.प्र.) का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2020-2021,
सहकारिता मंत्री (डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 58 की उपधारा (1) (घ) की अपेक्षानुसार -
(i) म.प्र. राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2020-2021,
(ii) म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2020-2021,
(iii) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2019-2020 एवं 2020-2021, तथा
(iv) मध्यप्रदेश राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित, बुरहानपुर (म.प्र.) का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2020-2021,पटल पर रखता हूं.
(11) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा संपरीक्षण वर्ष 2020-2021
सहकारिता मंत्री (डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम, 2007 के नियम 22 एवं 23 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा संपरीक्षण वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूं.
(12) (क) म.प्र.प्लास्टिक पार्क डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल के वित्तीय वर्ष 2019-2020 के अन्तिम लेखे, एवं
(ख) एम.पी.इण्डस्ट्रीयल डेवलपमेन्ट कार्पोरेशन लिमिटेड का 41 वां वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखे वित्तीय वर्ष 2017-2018
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री (श्री राजवर्द्धनसिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार -
(क) म.प्र.प्लास्टिक पार्क डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल के वित्तीय वर्ष 2019-2020 के अन्तिम लेखे, एवं
(ख) एम.पी.इण्डस्ट्रीयल डेवलपमेन्ट कार्पोरेशन लिमिटेड का 41 वां वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखे वित्तीय वर्ष 2017-2018पटल पर रखता हूं.
(13) एन.एच.डी.सी.लिमिटेड का 21 वां वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2020-2021
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास (श्री भारत सिंह कुशवाह)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार एन.एच.डी.सी.लिमिटेड का 21 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति ''एन.पी.''-- अध्यक्ष महोदय, मेरा औचित्य का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- अभी तो कार्यवाही आगे बढ़ने दीजिये तब न आयेगा.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति ''एन.पी.''-- अभी जो चीजें रखी गईं उसी पर औचित्य का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- इसमें क्या है, यह तो उन्होंने पटल पर रखा, कोई बहस तो हो नहीं रही है.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति ''एन.पी.''-- कृपा पूर्वक मेरा अनुरोध सुन लीजिये, संसदीय मंत्री जी, मेरा औचित्य का प्रश्न यह है-
इतने सारे प्रतिवेदन प्रतिवर्ष प्रस्तुत किये जाते हैं मैं यह चाहता हूं, सदन यह चाहता है कि कम से कम प्रतिवेदनों के ऊपर भी चर्चा शुरू करवाई जाये. यह मेरा औचित्य का प्रश्न है.
12.16 बजे ध्यानाकर्षण
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा नियमावली के नियम 138(3) के अनुसार किसी एक बैठक में दो से अधिक ध्यान आकर्षण की सूचनाएं नहीं ली जा सकती हैं, परंतु सदस्यों की ओर से अभी तक प्राप्त ध्यान आकर्षण की सूचनाओं में दर्शाये गये विषयों की अविलम्बनीयता तथा महत्व के साथ ही माननीय सदस्यों के विशेष आग्रह को देखते हुये सदन की अनुमति की प्रत्याशा में नियम को शिथिल करके मैंने आज की कार्यसूची में 4 सूचनाएं सम्मिलित किये जाने की अनुज्ञा प्रदान की है, लेकिन इसके साथ ही मेरा अनुरोध है कि जिन माननीय सदस्यों के नाम सूचनाओं में हों, केवल वे ही प्रश्न पूछकर इन ध्यान आकर्षण सूचनाओं पर यथा शीघ्र चर्चा समाप्त हो सके, इस दृष्टि से कार्यवाही पूरी कराने में सहयोग प्रदान करें.
मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(1) भोपाल सहित अन्य क्षेत्रों में खपत से अधिक राशि के विद्युत बिल दिये जाना.
श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण पश्चिम) (श्री आरिफ आकील, श्री कमलेश्वर पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, जितने लंबे-लंबे बिल आ रहे हैं उतना ही लंबा इन्होंने यहां भाषण दे दिया और हमें इनके उत्तर की कापी नहीं मिली. (बिल दिखाते हुए) यह है एक 1 लाख 22 हजार का बिल, यह है 58 हजार का बिल और यह है झुग्गी-झोंपड़ी वालों को जो छोटे-छोटे मकान दिये हैं. जब यू.पी.ए की सरकार थी उस समय के, यह है एक पूर्व पार्षद का 52 हजार का बिल. यह आपके बिल हैं और आप कह रहे हैं कि लोगों को राहत दी गई है और कोरोना काल में मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि कोरोना काल के जितने बिल हैं माफ किये जाएंगे. आम लोग इस बात को जानते हैं. मंत्री जी, यह बिजली विभाग है यह कोई टायलेट, नाला नहीं है जिसको साफ कर दिया हो गया मामला. जब कमलनाथ जी की सरकार थी जब 100 रुपये 100 यूनिट तक बिल हुआ था. इंदिरा ज्योति योजना के तहत्, अगर आपको इंदिरा जी से दिक्कत है तो महाराज योजना लगा दो लेकिन बिजली तो 100 यूनिट की 100 रूपये दे दो. यह देने में क्या हो रहा है. (परिवहन मंत्री, श्री गोविन्द सिंह राजपूत के खड़े होने पर) आपने तो एक हजार आटो बंद करा दिये गरीबों के. कोरोनाकाल में पैसे नहीं दे पाये, तो एक हजार आटो बंद करा दिये.
श्री प्रियव्रत सिंह -- (xxx)
परिवहन मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जायेगा.
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, श्री शिवराज सिंह, मुख्यमंत्री, जब पूर्व मुख्यमंत्री थे, इनका वीडियो है मेरे पास. इन्होंने कहा था कि यह लाखों के बिल आ रहे हैं और कनेक्शन मैं खुद जोड़ूंगा. कमलनाथ जी घबरा गये हैं, ऐसा नहीं है, कनेक्शन खुद जोड़ने जायें, कुछ गड़बड़ हो जाये, तो उन्होंने 100 रुपये 100 यूनिट कर दिये. जो सरकारी ड्रायवर, क्वार्टर्स में रहने वाले कर्मचारी हैं, इनके 100 रुपये, 90 रुपये बिजली के बिल आते थे. आज उनके हजारों के बिल आ रहे हैं. लाखों के बिल आ रहे हैं और यह कह रहे हैं कि यह सब्सिडी दे दी. आरटीएस उसका पूरा फुल फार्म बता दो, क्या है आरटीएस का. अब देखो पढ़ा हुआ, लिखा हुआ है वहां पर. अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि जब कोरोनाकाल में काम धंधे बंद, आपका कर्फ्यू चल रहा है, लॉक डाउन चल रहा है, तो उस समय के बिजली के बिल के पैसे कहां से देंगे लोग. उनके बिल नहीं देने के कारण, उनके कनेक्शन काटे जा रहे हैं. मुख्यमंत्री जी ने कहा था, उस समय जब वे पूर्व मुख्यमंत्री थे, उन्होंने कहा था कि कनेक्शन मैं जाकर जोड़ूंगा. मंत्री जी, हमारे साथ चलो और कनेक्शन यहीं बगल में है भीम नगर. यह बगल में है सरदार वल्लभ भाई पटेल नगर, ओम नगर, कनेक्शन चलकर जोड़िये वहां पर. मंत्री जी, ये चलिये, कनेक्शन जोड़िये लोगों के, जो काट दिये हैं आपने. उनके ये हजारों के जो बिल आये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछिये.
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि कोरोनाकाल के जो बिल हैं, वह आप माफ करेंगे और जो कनेक्शन काटे जा रहे हैं, उन पर रोक लगाई जायेगी क्या. जो गरीब लोग, जिनके काम धंधे बंद हो गये हैं, जो बेचारी बाईयां काम करती थीं, कोरोनाकाल में उनको सब घरों में लोगों ने घुसना बंद करा दिया था. तो अब इनके 100 रुपये के हिसाब से भी अगर बिल ज्यादा आ गया है, तो वह बिल भी किश्तों में लिया जाये. कोरोनाकाल का बिल माफ किया जाये. दूसरा, कनेक्शन कभी काटे नहीं जायें. लोगों की पढ़ाई-लिखाई, बच्चे वहां स्लम्स एरिया में रहते हैं. यह मेरी मांग भी है और यह मेरे प्रश्न भी हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं एक आग्रह यह करना चाहता हूं कि सदन के सभी साथियों ने इस लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में यह शपथ ली थी कि हम सच बोलेंगे. आज मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि बड़ा साफ शब्द है कि ये लोग, इन्होंने यह कहा है कि मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है बिल माफ करने की. (प्रतिपक्ष के सदस्यों के खड़े होने पर) हमने आपकी बात शांति से सुनी है और जोर से तेज बोलना मुझे भी आता है. आप समझ लें. तो पहले आप यह समझें कि इन्होंने सदन में यह बोला कि मुख्यमंत्री जी द्वारा बिल माफ करने की घोषणा की गई है. नहीं की गई है. इसके लिये ये सदन में माफी मांगें.
श्री पी.सी. शर्मा -- (मोबाइल दिखाते हुए) अध्यक्ष महोदय, यह वीडियो है, जिसमें उन्होंने घोषणा की है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, आप पाइंटेड जवाब दे दीजिये.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि कोरोनाकाल के बिजली के बिल माफ किये जायेंगे. मंत्री जी, असत्य भाषण आप कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, सदन को गुमराह करके असत्य बोलकर के, लोगों को भ्रमित करके कांग्रेस पार्टी बहुत दिन तक राजनीति नहीं कर पायेगी, इसलिये ये आपकी दुर्गति हो रही है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, उनके प्रश्नों का जवाब दीजिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं जवाब दे रहा हूं. लगभग 1 करोड़ 19 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं मध्यप्रदेश में. जिसमें से हम 1 करोड़ लोगों को 100 यूनिट 100 रुपये में बिजली के बिल में बिजली दे रहे हैं. ..(व्यवधान).. सुन लें आप लोग.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. मंत्री जी, पी.सी. शर्मा जी ने कुछ उदाहरण पेश किये हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं अभी उसी पर बात कर रहा हूं. बिल हम दे रहे हैं. मेरा यह कहना है कि अगर यह वास्तव में गरीबों के हितैषी हैं, यह सेवक प्रद्युम्न सिंह तोमर और माननीय शिवराज सिंह जी की साफ मंशा है कि घरों में जाकर उनके अगर बिल अधिक आ रहे हैं, तो उन बिलों में संशोधन कराया है, नेतागिरी नहीं की है. अगर ऐसे कोई बिल हैं, एक से एक लाख तक बिल हैं, उन्हें दें, उनमें अगर त्रुटि होगी, सुधार हम करायेंगे, हम जनता के हित में काम करेंगे.
श्री पी.सी. शर्मा - हमने धरना, प्रदर्शन किया, हमने विभाग को बिल दे दिये हैं. कोई सुधार नहीं हुआ. बिजली के कनेक्शन काट दिये गये. मेरे पास में मुख्यमंत्री जी का यह वीडियो है, मुझे इसे चलाने की अनुमति दी जाय.
अध्यक्ष महोदय - नहीं. शर्मा जी, वह कह रहे हैं कि उन बिलों को हमको बताया जाय.
श्री पी.सी. शर्मा - मैं एक चीज कहना चाहता हूं कि मंत्री जी, जब कमलनाथ जी की सरकार में मंत्री थे.
अध्यक्ष महोदय - वह विषय मत उठाइए. प्रश्न पर आइए.
गृह मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, वही तो जख्म है और कुछ नहीं है.
श्री पी.सी. शर्मा - नरोत्तम जी, सुन तो लें. यह वीडियो चला दें. आप कल कह रहे थे कि तन्खा साहब का वीडियो चलाएं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, वह बाहर चलाना, मैंने यहां की अनुमति नहीं दी है.
श्री पी.सी. शर्मा - मैं आपसे यह निवेदन करना चाहता हूं कि जब आप मंत्री थे और 100 रुपये, 100 यूनिट का इंदिरा ज्योति का प्रस्ताव आया तो उन्होंने कहा कि बड़ी अच्छी योजना है, कमलनाथ जी आपका फोटो लगाकर बिल के अंदर चलाइए. जैसे शिवराज चलाते थे तो वह तारीफ करने वाले और अब आप लोगों से इतना पैसा वसूल कर रहे हैं. लाखों रुपया वसूल रहे हो. मैं जो कह रहा हूं पिन पाइंटेड आप जवाब दीजिए कि कोरोना काल के बिल उनके पास में पैसे है ही नहीं, वह कहां से लाएंगे? वह बिल माफ करेंगे क्या, जैसा मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी. दूसरा, बिजली के कनेक्शन उनके काटना बंद करेंगे? तीसरा, जिसका बिल है, हजार, दो हजार रुपये का भी है, वह किश्तों में लेंगे क्या?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कहा कि बिल माफ करेंगे क्या तो मैंने कहा कि बिल माफ करने की घोषणा नहीं की गई. माननीय मुख्यमंत्री जी इतने संवेदनशील हैं, जो कोरोना आया, उसमें लोगों का निश्चित रूप से आर्थिक नुकसान हुआ. हमारी सरकार ने सोचा कि यह बिल नहीं भर पाएंगे. इनकी भी उस समय सरकार थी. यह मुख्यमंत्री थे. परन्तु इनके मुख्यमंत्री ने कोई उस समय घोषणा नहीं की थी.
श्री कुणाल चौधरी - राजस्थान ने की.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, आप रुक तो जाओ. अभी मैं राजस्थान की बात भी कर लूंगा. अभी आप रुक जाओ या तो मुझे सुन लो. मैं शांति से आपकी पूरी सुन रहा था. हमने उन कोरोना काल के बिल स्थगित किये और स्थगित बिल जब स्थिति सामान्य बनी, हमने रखे. उस पर हमने कोई ब्याज नहीं लिया. हमने जब यह योजना लागू की तो हमने कहा कि हम 100 प्रतिशत सरचार्ज माफ करेंगे. मूलधन 40 प्रतिशत एक मुश्त में माफ करेंगे और किश्तों में देंगे तो 25 प्रतिशत करेंगे. उसके बाद भी हमने जो छूट दी है इससे 2700 करोड़ रुपये राज्य शासन पर भार आया, मतलब उपभोक्ताओं को हम लाभ दे रहे थे. एक बात तो यह है कि हम नियमानुसार आज भी उपभोक्ताओं को क्योंकि हम जनता के हित का ध्यान रखते हैं, हमारी सरकार रखती है. जो 100 रुपये के बिल की यह बात कर रहे हैं, जैसे इन्होंने अभी कहा कि 80000 रुपये , 85000 रुपये का बिल है. यह पटल पर रखें. यह 80000 रुपये का बिल कितने दिन का है? यह गुमराह क्या कर रहे हैं? क्या वह 10 महीने का बिल है कि 1 महीने का बिल है? अगर 1 महीने का बिल है, मैं सदन में कह रहा हूं कि मैं अभी इनके साथ जाऊंगा और उसका निरीक्षण करके उसकी सत्यता की जांच कराकर बिल जितना होगा, वह जनता को मिलेगा. यह सदन को गुमराह कर रहे हैं. असत्य बोल रहे हैं.
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं यह पटल पर रख रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं अनुमति नहीं दे रहा हूं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, मैं इसकी जांच कराउंगा.
श्री कुणाल चौधरी - आप तो मंत्री जी को लेकर चलिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, मुझे इसको देना, यह पटल पर रखने की जरूरत नहीं है.
श्री पी.सी. शर्मा -एकाध दिन आप चले ही चलना, यह बगल में है. यह नाले और टायलेट आप छोड़ दो.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, सुन लीजिए. वह जो बिल दिखा रहे हैं वह आपको दे देते हैं उसकी जांच करा लीजिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, मैं अभी तुरन्त करा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - शर्मा जी, आप वह दे दीजिए, वह जांच करा लेंगे.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, दूसरा आप यह देखो. यह कह रहे हैं कि नौटंकी, (XXX) आप सुन तो लें. यह क्या है, यह पूछो जरा. (XXX) तो वह काम सही है और सेवक झाड़ू लगाता है तो आप उसे नौटंकी कहते हो. (XXX)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, जो सदन के सदस्य नहीं है..
अध्यक्ष महोदय - आप सुनिए तो जो सदन के सदस्य नहीं हैं उनके बारे में आपने जो कहा उसको हटा दीजिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप सच-सच ईमानदारी से बताइए कि आप खम्भे पर चढे थे कि नहीं, यह कसम खाकर कहो. यह खुद चढ़े थे.
अध्यक्ष महोदय -- आगे बढ़ता हूं. आरिफ अकील जी, श्री कमलेश्वर पटेल जी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, यह बता दो कि वह मुख्यमंत्री थे कि पहले मंत्री थे जब चढ़े ? पहले मंत्री थे तब चढ़े या मुख्यमंत्री बनने के बाद चढ़े ? मुख्यमंत्री बनने के लिए आप भी चढ़ जाओ.
कुँवर विजय शाह -- आपने सूली पर चढ़ा दिया. सरकार गिरा दी.
अध्यक्ष महोदय -- कमलेश्वर पटेल जी, सीधा प्रश्न करना है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- इसकी जांच करा लो (कागज दिखाते हुए).
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, उसको रखिए. उसको मत दिखाइए.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह बड़े गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है और आपने इसको ध्यानाकर्षण में लेकर मध्यप्रदेश के किसानों की, मध्यप्रदेश के बेरोजगारों की, मध्यप्रदेश के गरीबों की और यहां तक कि जो छोटे-छोटे दुकानदार हैं, उद्यमियों की आपने भावना को समझने की कोशिश की और इतने महत्वपूर्ण विषय पर सरकार की तरफ से जो मंत्री जी जवाब दे रहे हैं वह गंभीर नहीं है. हम आपके माध्यम से चाहते हैं कि गंभीरता से जवाब दें. विषय वस्तु पर बात करें. यहां-वहां की बात नहीं करें. पहली बात तो यह है कि हम जानना चाहते हैं कि क्या माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने कोरोना काल के द्वितीय ...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह तो आ गया. उन्होंने कह दिया कि नहीं की घोषणा.
श्री कमलेश्वर पटेल -- गलत जानकारी दे रहे हैं. सदन को गुमराह कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अभी तो मंत्री जी ने जवाब दे दिया. पी.सी. शर्मा जी ने पूछा क्या मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की, तो मंत्री जी का जवाब आया कि घोषणा माफी की नहीं की थी स्थगित की की थी. यह जवाब आ गया. अब वह गलत दे रहे हैं या नहीं इसकी अलग कार्यवाही करिए. अब उनको बाध्य तो नहीं कर सकते. आपके कहने पर, जो आप चाहते हैं वह उत्तर कैसे दे देंगे ?
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है एक तो माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि जो यह वसूली अभियान गांव-गांव में चल रहा है यह एक सिर्फ पी.सी. शर्मा जी के विधान सभा क्षेत्र की बात नहीं है यह पूरे मध्यप्रदेश में किसानों को सभी लोगों को ...
अध्यक्ष महोदय -- अभी तो वहीं तक सीमित करके रखो जहां का प्रश्न है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, हमने भी प्रश्न लगाया है. हमारे ध्यानाकर्षण में पूरे प्रदेश का उल्लेख किया है, अपने क्षेत्र का भी उल्लेख किया है. जो यह वसूली अभियान चल रहा है समाधान योजना के माध्यम से क्या इस पर तत्काल रोक लगाई जाएगी ?
श्री कांतिलाल भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, इतने बड़े बिल आदिवासियों के आ रहे हैं कि आदिवासी घर छोड़कर भाग रहा है. एवरेज 100 रुपये का बिल बताया था, हजार रुपये, एक-एक लाख रुपये का बिल आ रहा है. आदिवासी क्षेत्रों में भी आ रहा है. आदिवासी परेशान है. जब मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 100 रुपये से ज्यादा नहीं लेंगे तो यह बड़े बिल क्यों दे रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय कांतिलाल जी, कमलेश्वर जी, अभी प्रश्न पी.सी. शर्मा साहब की तरफ से आया है, कुछ बिल बताए उन्होंने 1 लाख, 1 लाख 10 हजार, 80 हजार रुपये का, मैंने मंत्री जी को निर्देशित किया कि आप इनके बिल ले लीजिए और इनकी जांच कराइए. मैं आप सबसे भी आग्रह करना चाहता हूं कि इस तरह के यदि कोई बिल हैं तो दीजिए वह सबकी जांच कराएंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, इस तरह के बिल आने के बाद बहुत सारे किसानों ने, गरीबों ने नोटिस आने के बाद, लोक अदालत का नोटिस आने के बाद मजबूरी में जमा कर रहे हैं. अपना सामान गिरवी रखकर जमा कर रहे हैं, मेरा आपसे यही निवेदन है कि जो इस तरह के बिल बढ़े हुए आ रहे हैं इस पर तत्काल रोक लगाई जाए. जिस तरह का देश में संकट हैं, मध्यप्रदेश में भी कोरोना से बहुत सारे लोगों की जान गई है. मेरे दो और प्रश्न हैं, एकसाथ ही उनका जवाब दे दें. दूसरा, जो जले हुए ट्रांसफार्मर हैं 6-6 महीने से, साल-साल भर से जले हुए हैं उनको बदलने में लीपा-पोती हो रही है और बिजली का बिल बराबर आ रहा है, लोग बिजली का उपयोग नहीं कर रहे हैं. कई जगह खंभे टूट गए हैं, कई जगह तार टूटे हुए हैं, कब तक दुरुस्त कराएंगे ? सबसे बड़ी एक और समस्या यह है कि इनके पास कर्मचारियों का अभाव है. मेन्टेनेंस नहीं हो पाता. मेन्टेनेंस के लिए क्या यह कर्मचारियों की व्यवस्था करेंगे ? इनके लाइनमेन नहीं हैं. इनके जो भी कर्मचारी आऊटसोर्स में रखे हुए हैं उनको धंधा बना लिया है, निकालते हैं फिर रखते हैं पैसे लेकर, यह सारी व्यवस्था कब तक दुरुस्त कर लेंगे ?
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, ऐसे बिल भी दे दिये हैं जिसका कनेक्शन नहीं है, ऐसे लोगों का भी बिजली का बिल दे दिया गया है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष जी, हम सब लोग जनता के लिए चुनकर आते हैं और जवाबदेह हैं. मैं सामने वाले साथियों से कह रहा हूं कि अगर वास्तव में जवाबदेह हैं तो आपने निर्देश दिया अध्यक्ष जी, उसका पूरा पालन मैं और मेरी सरकार करेगी. वह बिल हमको दें और हम उनको सही कराकर देंगे और जो दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे. अध्यक्ष महोदय, अनप्रेक्टिकल बात है या प्रेक्टिकल तो ये बता दें प्रेक्टिकल बात.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप जवाब दीजिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष जी, दूसरा मेरा यह कहना है कि कमलेश्वर जी जो बोल रहे हैं, मैं यह प्रमाणित कर सकता हूँ कि ये असत्य बोल रहे हैं. कैसे यह कर सकता हूँ, पहली बात तो इन्होंने जो लिखकर दिया है कि मुख्यमंत्री जी ने बिल माफ करने की घोषणा की, यह असत्य है, इसको जिस जगह चाहेंगे, मैं सिद्ध कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- वह हो गया. ...(व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सुन लीजिए साहब, वह इसलिए कि ये असत्य बात करते हैं, कल भी मैंने देखा कि पिछड़े वर्ग के मैटर पर जिस तरह से ये असत्य बोल रहे थे. मैं इसलिए ऐसा कह रहा हूँ कि असत्य का सुनना भी अपराध है. नहीं तो असत्य बोलने वालों की संख्या बढ़ जाएगी. ...(व्यवधान)....
श्री कुणाल चौधरी -- आप मुख्यमंत्री का भाषण सुनो. ...(व्यवधान)... आप मुख्यमंत्री के भाषण सुनेंगे तो आपको समझ में आएगा. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, आगे बढ़ने में मदद करें. उनके दो प्रश्न हैं, एक प्रश्न का आपने जवाब दे दिया कि जितने बिल आएंगे, हम जांच करा लेंगे, वह विषय खत्म हो गया. ...(व्यवधान)...
श्री पी.सी. शर्मा -- मुख्यमंत्री जी का वीडियो... ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, यह नहीं, उन्होंने सदन के भीतर वक्तव्य दिया कि इस तरह की घोषणा नहीं हुई है. तब तो उनके ऊपर विश्वास करिए ना, यदि आपके पास प्रमाण हैं तो उसके दूसरे तरीके हैं, शर्मा जी, आप सीनियर हैं, दूसरे तरीके से जा सकते हैं. ...(व्यवधान)...
श्री पी.सी. शर्मा -- मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की वह तो नियम हो गया ना.. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, आप यहां के वरिष्ठ विधायक हैं, आपको पता है कि यदि गलत उत्तर दिया जाता है तो उसमें आगे क्या कार्यवाही होती है. यहां क्यों बार-बार उनको बाध्य कर रहे हैं. अपना उत्तर डलवाने के लिए उनको बाध्य मत करिए. माननीय मंत्री जी, कमलेश्वर पटेल जी का दूसरा सवाल यह है कि जब तक ये जांच कराएंगे, क्या बिल की जो वसूली है, उसको रोकेंगे ? इसका सीधा उत्तर दे दीजिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मेरा बड़ा सीधा सा जवाब है कि वे तो तत्काल जाएं, जिसका बिल है. मैं सदन में यह घोषणा करता हूँ कि वे एई के पास जाएं, बिल देते ही उसकी वह तत्काल जांच कराएगा. अगर वह जांच नहीं कराता है तो हमारे व्हाट्सएप नंबर पर या हमारे यहां लिखकर, संबंधित क्षेत्र का जनप्रतिनिधि या वह स्वयं, भेजेगा, उसकी जांच यह सेवक, प्रद्युम्न सिंह तोमर और माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार कराएगी.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, बस एक मिनट लूंगा. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, पहले इनका पूरा हो जाए. अब दो बातें आ गईं. अब मैं जितु पटवारी जी को टाइम दे रहा हूँ. ...(व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अब एक बात साहब मैं और इनको कह दूँ, इन्होंने कहा कि खंबे गिर गए. इनसे पूछो खंबे गिर कहां के गए, स्थान पता है क्या, ये सिर्फ भ्रमित करना चाह रहे हैं... ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बात आगे मत बढ़ाइये. ...(व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- ट्रांसफार्मर कहां के गिर गए.. ...(व्यवधान)...अध्यक्ष महोदय, आप ये सदन में तय करें कि इनको असत्य नहीं बोलने दिया जाएगा. असत्य बोलना अपराध है... ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, हमने सदन में तय करके रखा है कि ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं होने देंगे. श्री जितु पटवारी जी, आप बोलें.. ...(व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- ये असत्य बोलना बंद करें. ...(व्यवधान)...
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूँ कि ... ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया, कमलेश्वर जी, जो रह गया है जितु पटवारी जी पूछ लेंगे. जितु को पूछने दो. जितु जी, विषय से बाहर मत जाना. विषय पर ही रहना.
श्री जितु पटवारी -- आदरणीय अध्यक्ष जी, मैं स्पेसिफिक एक प्रश्न पूछूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- इसी विषय पर रहना, विषय से बाहर मत जाना.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, इसी विषय पर, मंत्री जी ने कहा कि जितने बढ़े हुए बिल हैं, अगर किसी प्रकार की उसमें कोई खोट है या कोई परिस्थिति ऐसी है जिससे विसंगति आ रही है तो सुचारू रूप से जांच करा के क्लियर करेंगे. अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध यह है कि मंत्री जी ये बताएं कि विद्युत मण्डल बेचने की प्लानिंग तो नहीं है ? हां या ना में बताएं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, यह कोई प्रश्न नहीं है. शशांक भार्गव जी प्रश्न करें. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी -- सरकार विद्युत मण्डल का निजीकरण करेगी कि नहीं करेगी, बताएं ?...(व्यवधान)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय लूंगा.. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- लक्ष्मण सिंह जी, पहले मूल प्रश्नकर्ता का प्रश्न आ जाए. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष जी, विद्युत मण्डल के निजीकरण के खिलाफ सारे कर्मचारी हड़ताल करते हैं, प्रदर्शन करते हैं, क्या सरकार की मंशा निजीकरण की है या नहीं, बताएं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह विषय से दूर है, यह विषय नहीं है. शशांक भार्गव जी प्रश्न पूछें. ...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- जब तक तैयारी नहीं होगी, अध्यक्ष जी, जितु भाई ऐसे ही प्रश्न पूछेंगे. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, पहले मूल का प्रश्न हो जाए. ...(व्यवधान)...
श्री शशांक भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सदन के माननीय सदस्यों से निवेदन है कि कृपया मुझे इन्ट्रप्ट न करें. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी -- याद रखना आज का दिन, दो साल में ही बिकेगा कि नहीं बिकेगा, यह भी याद रखना.. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- शशांक जी, आप बोलें.. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग – (XXX). ...(व्यवधान)...
श्री शशांक भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से प्वॉइंटेड सवाल है.. ...(व्यवधान)...
...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी -- पूरे देश की सम्पत्ति बिक रही है. लीगल बिक रही है या इलीगल....(व्यवधान)... 70 लाख करोड़ की सम्पत्ति 7 लाख करोड़ रूपए में बेच दी. यह लीगल थी या इलीगल. 70 साल में कांग्रेस ने क्या किया, यह सवाल पूछने वालों ने बेच दी. यह लीगल है या इलीगल...(व्यवधान)..
श्री शंशाक श्रीकृष्ण भार्गव (विदिशा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से प्वाइंटेड सवाल है, उसका जवाब दे दें. हमारे यहां कोरोना काल में जो कनेक्शन हुए, उसके लिए मीटर के 1500 रूपए जमा करा लिए, इसके बाद कनेक्शन नहीं दिया गया. आज 70 हजार रूपए का बिल दे दिया गया. आपने 1500 रूपए जमा कराए थे, हमने मीटर लगाया, नहीं लगाया इससे कोई मतलब नहीं है. जो गांवों में दुकानदार, अपने घर में छोटी-सी दुकान चला रहे हैं उनको कॉमर्शियल के बिल दिये जा रहे हैं. आप समाधान योजना लेकर आए. इसमें मेरा निवेदन है कि अगर कोई हितग्राही चोरी करता है तो 30 प्रतिशत की छूट लोक अदालत में दे दी जाती है. कोरोना काल में जो लोग बिल जमा नहीं कर पाए, उसे मात्र 40 परसेंट की छूट दी जा रही है जबकि 100 परसेंट की छूट होना चाहिए.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पाइंट ऑफ आर्डर है. अध्यक्ष जी, आपने बहुत अच्छी सह्दयता के साथ इस विषय पर ध्यानाकर्षण स्वीकार किया. तीन लोगों का नाम है....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- शंशाक जी, सुनिए, आप बैठ जाइए....(व्यवधान)..
श्री शंशाक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय...
श्री विश्वास सारंग -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन पर खडे़ होकर कुछ कहने पर) माननीय अध्यक्ष जी, एक ध्यानाकर्षण पर कितने लोग बोलेंगे. हमारे मंत्री जी भी थक गए बोल-बोलकर....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आप सुनिए, बैठ जाइए. श्री कुणाल चौधरी जी, श्री पी.सी.शर्मा जी आप बैठ जाइए...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- 139 पर चर्चा ले लो. सदन एक नियम-धर्म से चलेगा या आपके हिसाब से चलेगा...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल जी, एक सेकेंड. रूक जाइए. बहुत सारा समय दे दिया. श्री पी.सी.शर्मा जी, बहुत समय हो गया...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- क्या कांग्रेस पार्टी समझ रखे हैं.....(व्यवधान)... कोई नियम नहीं, यह सदन नियम से चलेगा....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए, बैठ जाइए. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- ...(व्यवधान)...यह चिंता किस गरीब की है आपको चिंता क्यों नहीं हो रही है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. अब इतना बहुत हो गया. तमाम दूसरे भी प्रावधान हैं जिसके भीतर चर्चा हो सकती है.
श्री शंशाक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मेरी बात तो पूरी हो जाए.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात पूरी हो गई है.
श्री शंशाक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मेरी बात पूरी नहीं हुई है, आपसे मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात पूरी हो गई है, आपकी बात को मैं पूरी कर देता हॅूं. आप बैठ जाइए. अरे आप बैठ जाइए.
श्री शंशाक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, हमारे पूर्व मुख्यमंत्री ने विदिशा में 12 दिसम्बर को....(व्यवधान)...आंदोलन करने के बाद यह कहा कि अगर कोई..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपकी बात को पूरी कर रहा हॅूं, आप बैठ जाइए. नहीं तो मुझे आगे लेना पडे़गा...(व्यवधान)...
श्री शंशाक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय,...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- श्री जालम सिंह पटेल जी, आप अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढे़ं. ...(व्यवधान)...
12.48 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं बहिर्गमन किया जाना
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा नारे लगाते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया.)
डॉ.गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष जी, बिजली के बिल माफ नहीं किये जा रहे हैं, इसके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं....(व्यवधान)..
(डॉ.गोविन्द सिंह, सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा बिजली बिल माफ न किये जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया)
12.49 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
(2) नरसिंहपुर जिला विपणन सहकारी समिति में गबन के दोषी पदाधिकारियों से वसूली की कार्यवाही न होना.
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) -- अध्यक्ष महोदय,
सहकारिता मंत्री (डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री जालम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि जब 2018 में आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार थी तो एक नीति बनी थी कि जितने भी किसानों के गबन हुए थे उनके लिए सरकार ने भुगतान किया था. 2018-19 का मामला है और उसके बाद, मैं सारे किसानों की तरफ से अपनी बात कह रहा हूँ कि गबन कर्मचारी करते हैं, कुछ लोग कर देते हैं या कमी हो जाती है और किसानों का भुगतान नहीं होता. किसानों की उसमें कोई गलती नहीं, किसानों ने अपना अनाज दिया है और उनका भुगतान नहीं हो रहा है. यह मामला लगभग चार साल से चल रहा है इसलिए मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इसका किसानों का भुगतान शीघ्र कराएँ. ऐसी कोई योजना बनाएँ, ऐसा मैं निवेदन करता हूँ.
डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय विधायक महोदय आदरणीय जालम सिंह पटेल साहब की पीड़ा बहुत जायज है. वे किसानों के प्रति संवेदनशील रहते हैं. हमारी सरकार भी हमेशा किसानों के प्रति संवेदनशील रहती है. उन्होंने जो सुझाव दिया है उस सुझाव को मैं हमारे वरिष्ठतम माननीयों के बीच में रखूंगा और केबिनेट में भी अनुमति लेकर आपके प्रस्ताव को ले जाएंगे क्योंकि इसमें वास्तव में किसानों का कोई दोष नहीं है. इस प्रकार से हम आपको आश्वस्त करते हैं कि विधि सम्मत कार्यवाही के साथ किसानों का पेमेंट हो जाए.
श्री जालम सिंह पटेल -- माननीय मंत्री जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.56 बजे
(3) प्रदेश में रासायनिक खाद की कमी
डॉ. गोविन्द सिंह (भिण्ड) (डॉ. सतीश सिकरवार, श्री आरिफ अकील) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम, माननीय मंत्री जी के तमाम बयान और समाचार पत्रों में पढ़ रहे हैं कि कहीं यूरिया की कमी नहीं है और पूरे प्रदेश में यूरिया की, डी.ए.पी. की हाहाकार मची हुई है. यह हो सकता है कि इस वर्ष बोवनी ज्यादा हुई है क्योंकि इस वर्ष वर्षा अच्छी हुई है, ज्यादा हेक्टेयर में फसल लगी हो लेकिन आज भी भिंड जिले में यूरिया की, डी.ए.पी. की कमी से सरसों की बोवनी, जो होनी थी, वह केवल 50 प्रतिशत ही हो पाई है. मैं, पटेल जी से कहना चाहता है कि आप तो बहादुर आदमी हैं, आप सरकार से इतना क्यों चिपक गए ? आप कुर्सी चिपक क्यों हो गए ? आप कह रहे हैं कि कोई कमी नहीं है, आपने कल ही जितू पटवारी के प्रश्न के जवाब में कहा था कि हमने मांगी थी 20 लाख टन और हमें मिला है 11 लाख टन. आखिर ऐसी क्या बात है, सच बोलने में क्या दिक्कत है ? नहीं है, तो नहीं है. हम कमी को पूरा करेंगे, कोशिश कर रहे हैं, प्रयास कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पूर्व में यूरिया के संबंध में नीति थी और 80-20 का हिसाब था. क्या आपने सोसायटियों को 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत व्यापारियों को यूरिया देने की नीति अपनाई है कि उसे छोड़ दिया है क्योंकि आपने खुली छूट दी है, यूरिया की कमी का यही कारण है, आपने इसे फ्री कर दिया इसलिए व्यापरियों ने गोदाम भर लिए और सोसायटियां खाली रह गई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि मार्कफेड को आपने खरीदी के लिए नोडल एजेंसी बनाया, आप बतायें कि आपने मार्कफेड को कितने समय के लिए बिना ब्याज के ऋण दिया और मार्कफेड पर पिछला जो बकाया है, उसकी कितनी पूर्ति की, यह बता दें क्योंकि खाद की कमी वहीं से हुई है.
श्री कमल पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने स्पष्ट बताया है कि हमको अभी तक 30 लाख 27 हजार मीट्रिक टन उपलब्ध हो गया है और 5 लाख 16 हजार मीट्रिक टन हमारे पास गोदामों में उपलब्ध है, कोई कमी नहीं है. मैं तो विपक्ष के सदस्यों से कहना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को बधाई दें, भारत सरकार को धन्यवाद दें कि इस बार पूरी दुनिया के अंदर कोरोना का संकट था.
....(व्यवधान)....
श्री कमल पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहूंगा कि रेट बढ़ गए, एक बोरी डी.ए.पी. जो कि 1200 की थी, 1900 की थी और उस पर 700 की सब्सिडी थी.
श्री नीरज विनोद दीक्षित- आपने हम लोगों की गिरफ्तारी करवाई, हम पर लाठियां चलवाई हैं.
....(व्यवधान)....
श्री कमल पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके बावजूद भी, एक रुपया भी किसान पर बोझ नहीं आने दिया. भारत सरकार ने 1650 रुपये से अधिक की सब्सिडी एक बोरी पर किसानों को दी है. 64 हजार करोड़ से भी अधिक की सब्सिडी भारत सरकार द्वारा दी गई है. प्रदेश के किसानों पर बोझ नहीं आने दिया. हम मध्यप्रदेश के किसानों की ओर से भारत के प्रधानमंत्री को बधाई देते हैं और यह विधान सभा, माननीय प्रधानमंत्री जी और भारत सरकार को कोटि-कोटि धन्यवाद देती है कि 2850 रुपये की एक बोरी, मात्र 1200 रुपये में किसानों को मिल रही है प्रत्येक बोरी पर उन्हें 1650 रुपये की सब्सिडी दी गई है.
....(व्यवधान)....
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मैंने बिंदुवार जो प्रश्न किया था, उसका जवाब नहीं दे रहे हैं, केवल भाषण दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी, गोविन्द सिंह जी ने जो प्रश्न पूछा है, उसका सीधा जवाब दे दीजिये.
श्री कमल पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं गोविन्द सिंह जी को बताना चाहता हूं कि आपने अपने प्रश्न में कहा कि हमने प्राइवेट वालों को ज्यादा दे दी और सोसायटियों को कम दिया.
डॉ. गोविन्द सिंह- मैं केवल यह पूछ रहा हूं कि आपने नीति बदली है कि नहीं?
....(व्यवधान)....
श्री कमल पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, नीति यह है कि हम 70 प्रतिशत सोसायटियों को देते हैं और 30 प्रतिशत हम प्राइवेट को देते हैं ताकि आपकी सरकार के कारण जो हजारों किसान डिफाल्टर हो गए, वे नकद या उधार में दुकानों से भी खरीद सकें और यह तकलीफ आपके कारण ही हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि इनके जमाने में भ्रष्टाचार होता था, यूरिया पर हजारों-करोड़ की सब्सिडी उद्योगपति खा जाते थे.
डॉ.गोविन्द सिंह:- आप फालतू बातें कर रहे हैं. आप जवाब नहीं देना चाहते हैं. मैंने आपसे दो प्रश्न पूछे थे, आपने एक प्रश्न का जवाब दे दिया है. मेरा दूसरा प्रश्न है कि आपने कब समीक्षा करके नोडल एजेंसी के गोदाम भरवाये, उनको कितनी राशि दी ? आपने उनको राशि नहीं दी, ब्याज नहीं दिया इसलिये वह खरीद नहीं पाये.
श्री कमल पटेल:- कौन ?
अध्यक्ष महोदय:- मार्कफेड.
डॉ.गोविन्द सिंह:- मार्कफेड सोसायटी, जो आपकी नोडल एजेंसी है.
श्री कमल पटेल:- मार्कफेड को हमने पर्याप्त खाद उपलब्ध करवाया है, राशि भी उपलब्ध करवायी. हमने 70 प्रतिशत खाद सोसायटियों को दिया है और 30 प्रतिशत खाद प्रायवेट को दिया है. पर्याप्त खाद है और खाद की कोई कमी नहीं है.
डॉ.गोविन्द सिंह:- मैं यह पूछ रहा हूं कि कितनी राशि दी ?
श्री कमल पटेल:- और दूसरा हमने नकद भी सोसायटियों को देने का आदेश कर दिया है,किसान को सोसायटियों के माध्यम से नकद में भी मिल रहा है.
डॉ.गोविन्द सिंह:- मैं आपसे सीधा प्रश्न पूछ रहा हूं और आप भाषण दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- गोविन्द सिंह जी, एक प्रश्न का तो सीधा उत्तर आ गया ना?
डॉ.गोविन्द सिंह:- एक का आ गया.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, दूसरा वह जो मार्कफेड का कह रहे हैं उसका भी सीधा उत्तर दे दीजिये.
डॉ.गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष महोदय, एक मिनिट और सुन लीजिये.
अध्यक्ष महोदय:-नहीं, अब आप उत्तर आने दीजिये. इसमें कई सदस्य हैं उनको प्रश्न करने का अवसर दूंगा.
श्री शंशाक श्रीकृष्ण भार्गव:- मार्कफेड वाला जवाब नहीं दिया है मंत्री जी ने.
अध्यक्ष महोदय:-आप लोग बैठ जाइये, मार्कफेड वाला प्रश्न किया है उसका जवाब आने दीजिये.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष महोदय, यह बोल रहे हैं कि हम लोगों ने 70 प्रतिशत सोसायटियों को दिया है, यह (XXX) है.
अध्यक्ष महोदय:- इस शब्द को विलोपित कर दीजिये.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:- मेरे पास आंकडे़ं हैं, मुझे इसको जवाब चाहिये. आप कैसे बंद करेंगे माइक. माइक बंद करने से आवाज थोड़े ही बंद हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय:- माइक थोड़े ही बंद कर रहे हैं, इस शब्द को हटा रहे हैं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:- मेरे पास आंकड़े हैं मुझे इसका जवाब चाहिये. यह पूरे किसानों की बात है, सदन में 70 प्रतिशत असत्य बोला जा रहा है.
श्री कमल पटेल:- 600 करोड़ रूपया राज्य सरकार ने पहले ही मार्कफेड को पहले ही उपलब्ध करा दिया है और हमारे पास पर्याप्त मात्रा में खाद है. आज भी हमारे पास 5.16 लाख मीट्रिक टन खाद है. लेकिन अध्यक्ष महोदय आज भी जो ब्लैक मार्केटिंग करते हैं, जो अवैध भंडारण करते हैं हम उनको नहीं दे रहे हैं, हम सीधा किसानों को पीओएस मशीन के माध्यम से दे रहे हैं, ताकि एक-एक किसान को खाद मिले और मिला है, किसी के पास तो पिछले बार की तुलना में ज्यादा हो गयी है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आप भाषण क्यों दे रहे हैं, हमने आप की बात मान ली आप आगे इसका भी जवाब दें कि ..
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष महोदय, मेरे पास आंकडे हैं, अगर इस सदन में सत्य नहीं बोला जा सकता है, सही नहीं बताया जा सकता है तो सदन किस काम का है. यह किसानों के हित की बात है
अध्यक्ष महोदय:- आप पूछ लो( डॉ गोविन्द सिंह की ओर इंगित होते हुए.)
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:- नहीं, मैं भी पूछूंगी. क्या मेरे क्षेत्र के किसानों की ...
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, आपने लगाया है क्या, कोई आवेदन दिया है क्या,
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:- आवेदन देने से कौन सुनता है उधर.
अध्यक्ष महोदय:- ध्यानाकर्षण लगाया है क्या ?
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:-नहीं.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं लगाया तो जिन्होंने लगाया है उनको पूछने दीजिये ना.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:- ध्यानाकर्षण लगाया है, ध्यानाकर्षण लगाने पर भी कोई सुनवाई नहीं होती.
अध्यक्ष महोदय:- जिन्होंने लगाया है उनको पूछने दीजिये.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह:- जो भी लगाया है, उसके बावजूद भी सब किसानों की बात है, अपनी बात सब पूछेंगे और मुझे इसका जवाब चाहिये. मैं किसानों के हित की बात कर रही हूं और मुझे इस आंकड़े का जवाब चाहिये.
डॉ. गोविन्द सिंह:- ''आपके किसान संघ के अध्यक्ष और महामंत्री श्री दांगी ने कहा है कि अब आंदोलन किसान राय पर यूरिया की कमी से बन रही समस्या.'' मैं पूछना चाहता हूं कि आप कब तक वास्तव में जिन जगह बोवनी नहीं हुई वहां आप एग्रीकल्चर से, कलेक्टर से जिस एजेंसी से जांच कराकर जो किसान बोवनी से वंचित रह गये हैं उनको हर्जाना देने की कार्यवाही करेंगे ?
श्री कमल पटेल:- अध्यक्ष महोदय, एक तो यह बिल्कुल गलत प्रश्न है. कोई बोवनी से वंचित नहीं रहा, बल्कि पिछली बार 1 लाख 21 हजार ...(व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह:- जांच भी नहीं करवायेंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय:- गोविन्द सिंह जी, उत्तर आ गया.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आप सब सत्य बोल रहे हैं. आपकी पार्टी के नेता सब और कुछ बोल रहे हैं.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आगे बढने दीजिये,गोविन्द सिंह जी उत्तर आ गया.
श्री कमल पटेल:- अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर में पिछली बार 27 हजार, 300 मीट्रिक टन विक्रय किया गया था, इस बार हमने 35,567 मीट्रिक टन ग्वालियर में उपलब्ध कराया है, गुना में 19960 किया गया था, इस बार हमने 19335 उपलब्ध कराया. . अशोक नगर में (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह:- वह तो मैंने जवाब पढ़ लिया.(व्यवधान)
श्री कमल पटेल:- शिवपुरी में 29720 था, इस बार हमने 30500 उपलब्ध कराया. दतिया में 18270 था इस बार हमने 30770 कराया.(व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष जी, यह तो सब आपके जवाब में है.
अध्यक्ष महोदय:- उत्तर तो वही देंगे, दे दिया उत्तर ना.(व्यवधान)
श्री कमल पटेल:- यह टोका-टाकी सब इसलिये हो रही है कि हम ब्लैक मार्केटिंग नहीं होने दे रहे हैं.(व्यवधान) कालाबाजारी करते थे इसलिये तकलीफ हो रही है.
श्री कुणाल चौधरी:- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में खाद की कमी है, बुरी स्थिति है.
डॉ. गोविन्द सिंह :- आप कृपा करके भाषण नहीं, हमने जो पूछा है उसका बता दो आप.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्यगण मैं आप लोगों को एक सूचना दे दूं. सूचना यह है कि उत्कृष्ट विधायक का पुरूस्कार का निर्णय भी हो रहा है. समिति सदन में बैठी हुई है, वह भी ध्यान रख रही है इसका ख्याल रखियेगा इसके बारे में आपको बता देता हूं. समिति यहां पर बैठी हुई है, वह देख भी रही है, विधायक की उत्कृष्टा का चयन होना है. आप लोग कृपया करियेगा जो मंत्री जी ने उत्तर दे दिया है. आपको जो उत्तर चाहिये वह मंत्री जी से कहलवा नहीं सकते हैं, जो उनको उत्तर देना है, वही उत्तर देंगे. श्री सतीश सिकरवार जी आप पूछिये.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैंने जो पूछा है उसका उत्तर तो देने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--जो भी दिया है उसको स्वीकार करिये.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैंने यह पूछा कि वास्तव में परीक्षण करवा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी का उत्तर यह है कि पिछली बार से ज्यादा उन्होंने वहां पर बोवनी करवाई है, यह उन्होंने कहा है. उनका उत्तर तो आया है.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, इस बार पानी ज्यादा बरसा है इसलिये वहां जरूरत पड़ी. भिण्ड जिले में सरसों की बोवनी प्रभावित हुई कि नहीं हुई. यह बता दें.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाईये इस बार आपको मैं मौका दूंगा.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, इसकी आप जांच करवा लो.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाईये आपको पारी से बाहर मौका दूंगा. आप कृपया बैठ जाईये. श्री सतीश सिकरवार जी आप पूछिये.
श्री कमल पटेल--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन के साथियों तथा प्रदेश के किसानों को यह बताना चाहता हूं कि पिछली बार जो हमने नीति परिवर्तित की सरसों की फसल आती है गेहूं के पहले आप खरीदते थे उसको बाद में आप माननीय कमलनाथ जी सरकार आयी तब 13 क्विंटल प्रति हैक्टेयर खरीदते थे हमारी सरकार द्वारा प्रति हैक्टेयर 20 क्विंटल खरीद रहे हैं और उसके कारण रेट भी बढ़ा है. आप अच्छी बातों को सुनना ही नहीं चाहते हैं आप लोगों को अच्छी बात सुनने में भी तकलीफ हो रही है. आपके समय में रेट चल रहे थे 25 सौ से 38 सौ हमने 45 सौ से 56 सौ रेट दिलाये हैं और मूल्य समर्थन जो प्रति व्यक्ति था वह भी बढ़ा तथा 3 लाख हैक्टेयर से ज्यादा की बोवनी भी हमने करवायी है. (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी मेहनती हैं मैं उनकी तारीफ भी करता हूं. आपका क्या उत्तर है, यह समझ से परे है. अध्यक्ष महोदय जी आप उनसे सही उत्तर दिलवाईये. सरकार (xxx) बोलती है.
श्री कमल पटेल--अध्यक्ष महोदय, (xxx)
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, क्यों बैठ जाऊं आप सदन में(xxx) बोलेगे क्या ? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--इस शब्द को विलोपित करें.(व्यवधान)
श्री कमल पटेल--अध्यक्ष महोदय, (xxx) इसलिये तो यह हालत हुई आप लोगों की, जनता ने आपको दिया धक्का मान्यता हुई आपकी खत्म. पिछली बार की तुलना में इस बार ग्वालियर, चंबल संभाग में 3 लाख हैक्टेयर में ज्यादा बोवनी हो चुकी है और अभी भी हो रही है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--मुझे आगे बढ़ने दीजिये. यह खाद बीज का बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है इसलिये तो इस ध्यानाकर्षण को लिया है. श्री सतीश सिकरवार जी आप पूछिये.
श्री सतीश सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, आपने सदन में कई नियम बनाये हैं कि माननीय सदस्यों को मर्यादित भाषा में सदन में अपनी बात रखना है. मैं पहली बार का विधायक हूं. मैं सदन में एक साल पहले ही चुनकर आया हूं, लेकिन मैं देख रहा हूं कि हमारे सम्मानीय मंत्री महोदय की भाषा ही अमर्यादित हो जाती है.
श्री कमल पटेल--अध्यक्ष महोदय, आप बतायें कि मेरी कौन सी भाषा अमर्यादित हो गई है. एक शब्द हो तो बतायें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप सब लोग कृपया बैठ जाईये. मंत्री जी आप भी बैठ जाईये. किसी भी तरह की असंसदीय एवं अमर्यादित भाषा को मैं विलोपित करता हूं. सिकरवार जी आप सीधा सीधा प्रश्न करिये.
श्री सतीश सिकरवार--अध्यक्ष महोदय,आप मुझे बोलने तो दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--आपको बोलने दे रहा हूं, लेकिन आप विषय से बाहर जाते हो. आप सीधे सीधे प्रश्न करिये.
श्री सतीश सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा सीधा प्रश्न पूछ रहा हूं यह किसानों से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय--आप सीधा प्रश्न करिये नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊंगा मैं आपको मौका देना चाहता हूं आप मौका लेना ही नहीं चाहते हैं.
श्री सतीश सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, यह किसानों से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- यह किसानों से जुड़ा हुआ मामला है तभी तो लिया है. आप सीधा प्रश्न करिये.
श्री सतीश सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, आप बता दीजिये कि किस प्रकार बोलना है. अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी से प्रश्न करिये.
डॉ. सतीश सिकरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, 1057 समितियों की अमानक जांच आई और 1057 समिति के खाद के नमूने अमानक आए, इन्होंने 1057 समितियों पर क्या कार्यवाही की? कार्यवाही की कार्यवाही करेंगे कि नहीं करेंगे? कब करेंगे यह जवाब चाहिए? दूसरा माननीय मंत्री जी जो अधिकारियों ने लिखकर दिया है वह बोल रहे हैं, पूरे प्रदेश में यूरिया को लेकर डीएपी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. किसान सड़कों पर ठिठुरती सर्दी में रात भर लाइन में लगे हैं और उनको क्या मिलता है? खाद की जगह लट्ठ मिल रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो अन्नदाता है उनको लट्ठ मिल रहे हैं, उनको खाद नहीं मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय - आपने अमानक समितियों का जो पूछा है उसका उत्तर तो आने दीजिए.
डॉ. सतीश सिकरवार - 1057 समितियों का अमानक आया है, उसमें क्या कार्यवाही की है? कार्यवाही करेंगे कि नहीं करेंगे?
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उत्तर दिया ही है, अध्यक्ष जी 1000 नहीं 12750 नमूने लिए गए है.
डॉ. सतीश सिकरवार - 1055 समितियों के नमूने अमानक आये है, उसमें क्या कार्यवाही की है?
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके पास ये भी गलत जानकारी है कि 1055 नमूने आए हैं, 1246 आए हैं और उनको हमने सभी के लायसेंस(...व्यवधान)
डॉ. सतीश सिकरवार - ये और भी अच्छी बात है.
श्री कमल पटेल - वही तो बता रहे हैं, आपके समय में कोई कार्यवाही नहीं हुई, हमने कार्यवाही की है.
अध्यक्ष महोदय - आप उत्तर दीजिए, वहीं विवाद खड़ा हो जाता है.
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास जैसे ही जानकारी आती है, सीधे छापा डलवाता हूं, एफआईआर करवाता हूं.
डॉ गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, इनको ट्रेनिंग सेन्टर भेजो(...हंसी)
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष जी, 99 उर्वरक विक्रेताओं के विरुद्ध लायसेंस निरस्त किए गए हैं, निलंबित भी किए हैं, 78 एफआईआर करवाई है, रासुका की कार्यवाही भी की गई है, किसी को नहीं छोड़ा जाएगा. दूसरा बता रहा हूं इस बार जो हाहाकार मच रहा है, उसका कारण है. अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार ने यूरिया पर 100 प्रतिशत नियम कोटे किए हैं, जो ब्लैक मार्केटिंग होती थी, जो मुनाफा उद्योगपति कमाते थे, उसको वंचित करके फायदा किसानों को दिया है. दूसरा पीओएस मशीनों से किसानों को दे रहे हैं. (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - जो हाहाकार कह रहे हैं वह क्यों मच रहा है, संरक्षण देकर माफिया(...व्यवधान)
श्री कमल पटेल - माफिया तो तुमने तैयार किए थे. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी सीधा उत्तर दे दीजिए. (...व्यवधान)
श्री कमल पटेल - पीओएस मशीन के माध्यम से किसानों को खाद दिया जा रहा है, इसलिए लाइन लग रही हैं, क्योंकि किसानों को ही खाद दे रहे हैं, नहीं तो क्या होता था खाद ट्रकों से जाता था और वह खाद किसानों को ब्लैक में बेचते थे(...व्यवधान) अध्यक्ष महोदय हमने 2850 की डीएपी 1200 में दिया है किसानों को (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - हो गया आप सुनिए, बैठ जाइए. शशांक जी बैठिए, आपका उत्तर आ गया है.
डॉ. सतीश सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, उत्तर सही नहीं आया. उन्होंने कहा 1200 जांच अमानक आई और 99 के खिलाफ कार्यवाही की और 78 के खिलाफ एफआईआर की, शेष के खिलाफ क्यों नहीं की? क्या वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं? उनके खिलाफ कार्यवाही होगी की नहीं होगी? होगी तो कब तक होगी, उन पर कार्यवाही क्यों नहीं