मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
सोमवार, दिनांक 22 जुलाई, 2019
(31 आषाढ़, शक संवत् 1941)
[खण्ड- 3 ] [अंक-11]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 22 जुलाई, 2019
(31 आषाढ़, शक संवत् 1941)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.04 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)) पीठासीन हुए.}
निधन उल्लेख
(1) श्रीमती शीला दीक्षित, दिल्ली की भूतपूर्व मुख्यमंत्री तथा
(2) श्री नेमीचंद जैन, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--माननीय अध्यक्ष जी, पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित जी की बहुत सारी यादें हैं, वे आज मेरे सामने आती हैं. जब मैं युवक कांग्रेस का सदस्य था और पहली दफा संसद में चुना गया था उस समय से मेरा उनसे संबंध था. अपने देश की राजनीति में, मुझे ख्याल नहीं है, पर मैं सोचता हूं कि बहुत कम व्यक्ति ऐसे होंगे या कोई नहीं होगा. जो केन्द्र में मंत्री भी रहा हो, राज्यपाल भी रहा हो और इतने वर्ष मुख्यमंत्री भी रहा हो. वे केवल राजनीतिक व्यक्ति
ही नहीं थीं बल्कि एक समाज सेविका भी थीं. उनका स्वभाव, उनका नजरिया, आज सबूत हमारे सामने है. एक नई-दिल्ली का है. दिल्ली 20 साल पहले क्या था और आज क्या है ? आज मेट्रो की बात हो, आज दिल्ली के फ्लाई-ओव्हर की बात हो, यह सब शीला जी का एक नक्शा था. उन्होंने जो दिल्ली के लिये नक्शा बनाया था. जब वह प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री थीं. लगभग हर विभाग से वह डील करती थीं. उस समय भी ऐसे प्रधानमंत्री कार्यालय की मंत्री, जिनके सब सांसद कुल-मिलाकर 414 लोकसभा में थे, सब उनसे खुश, यह था उनका स्वभाव. मेरे कार्यकाल में जब मैं परिवहन मंत्री बना, वे आकर न केवल अपने विचार ही रखती थीं बल्कि वह इस प्रकार से अपनी बात रखती थीं कि वे कुछ न कुछ हमेशा ले ही जाती थीं. उसके बाद जब मैं शहरी विकास मंत्री था तब मेट्रो की बात आयी, फेस-2 तथा फेस-3 की बात आयी और दिल्ली का मेट्रो अपने देश के लिये एक उदाहरण बना. बाकी राज्यों में भी आज हम भी यह प्रयास कर रहे हैं कि दिल्ली की नकल का हम यहां पर मेट्रो बनायें. यह उनका नेतृत्व था जिससे आज दिल्ली की पहचान बनी. दिल्ली पर आज हमें गर्व है. 20-30 साल का दिल्ली पहले कुछ और था, यह उनका दृष्टिकोण था. उन्होंने अपने समाज सेवा के जीवन में और राजनीतिक जीवन में पता नहीं कितनों से मधुर संबंध बनाये होंगे. मैं 2001 में जब कांग्रेस का महामंत्री था तब दिल्ली का प्रभार मेरे पास था तो लगभग रोज ही कुछ न कुछ चर्चाएं हमारी होती थीं, आप जानते ही हैं कि दिल्ली तो एक बड़ा सेन्सेटिव राज्य है. कुछ विवाद भी होता था, पर ऐसे मधुर संबंध थे कि शीला जी से कोई नाराज नहीं हो सकता था. आज शीला दीक्षित जी नहीं रहीं. यह केवल एक पार्टी का प्रश्न नहीं है. यह प्रश्न आज दिल्ली के आगे आने वाली पीढ़ियों का भी प्रश्न है कि किस प्रकार का दिल्ली उन्होंने सौंपा है, किस प्रकार की पटरी पर वह दिल्ली को छोड़कर के गयी हैं. मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं तथा उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं.
श्री नेमीचंद जैन जी, भी एक सक्रिय समाज सेवक थे, वे विधानसभा में रहे. मेरा सौभाग्य नहीं था, उस समय विधानसभा में मेरा कोई सम्पर्क नहीं था, पर उनके परिवार के प्रति मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष जी, आज शीला दीक्षित जी हमारे सबके बीच में नहीं रहीं, जैसे कि मुख्यमंत्री जी ने कहा. यह बात सही है कि ऐसे बहुत कम व्यक्तित्व और व्यक्ति होते हैं, जो अपने दीर्घकालिक राजनीतिक जीवन में विभिन्न पदों पर रहते हुए भी अपनी क्षमता, अपनी बुद्धिमत्ता, अपने चातुर्य के साथ में इतिहास पुरूष बन जाते हैं, इतिहास में नाम लिखवाते हैं. शीला जी पंजाब में जन्मी, उत्तरप्रदेश में उनका ससुराल था, हमारे जो कांग्रेस वरिष्ठ नेता थे, उमाशंकर दीक्षित, उनके परिवार में विवाह के बाद दिल्ली में उन्होंने राजनीति की. अध्यक्ष जी ऐसे बहुत कम व्यक्तित्व होते हैं जो तीन-तीन राज्यों से संबंधित हो. यह बात जो अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने कही है. यह बात सही है कि दिल्ली के आधुनिकीकरण करने एवं उसको व्यवस्थित करने में और भी कार्य जैसे कॉमनवेल्थ गेम जैसे आयोजन करने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा. वे बुद्धिमान तो थीं हीं, लेकिन दृष्टिवान भी थीं. देश की राजधानी कैसे बने, उसमें बेहतरी कैसे आये, और दुनिया के लोग जब देश की राजधानी में आए तो उनको लगे कि हिन्दुस्तान ने काफी प्रगति की, तरक्की की, आगे बढ़ा है, क्योंकि राजधानी ही सबसे बड़ा दर्पण होती है देश को आंकने का, देखने का. शीला जी ने अपनी पूरी बुद्धिमत्ता और विजन के साथ में दिल्ली को बहुत बेहतर बनाया. एक बहुत अच्छे और श्रेष्ठ परिवार से वे आईं थीं. आज वे हमारे बीच में नहीं रहीं, बड़ी रिक्तता हुई और मैं तो यह मानकर चलता हूं कि जब से वह दिल्ली की मुख्यमंत्री नहीं रहीं, उसके बाद से दिल्ली की राजनीति में काफी राजनीतिक रिक्तता आई और जो लोग अभी उस रिक्तता को भर रहे हैं, वे महसूस कर रहे हैं कि शीला जी की शख्सियत क्या थी. अध्यक्ष जी, मैं उनके लिए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष जी, नेमीचंद जी नौवीं और दसवीं विधानसभा में मेरे साथ सदस्य रहे, बहुत ही लगनशील एवं कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे, उसके बाद में वे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष भी बने. मेरे पास में जब कॉ-ऑपरेटिव विभाग का प्रभार था, उस समय वे मेरे पास आते थे और सहकारिता के क्षेत्र में समय समय पर बेहतर क्या हो सकता है, इसकी चर्चा करते थे. वे मीसा में भी रहे, आपातकाल में जेल में रहे, लेकिन वह अपने विचाराधारा से डिगे नहीं, वे हमारे श्रद्धा के पात्र थे. आज दोनों व्यक्तित्वों के लिए, व्यक्तियों के लिए, शीला जी को और नेमीचंद जी को मैं अपनी और अपने दल की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, उनके परिवार के लिए, शीला जी के सुपुत्र हैं, उनके लिए और नेमीचंद जी के परिवार को भगवान इस गहन दु:ख को सहन करने की शक्ति दे. यही प्रभु से प्रार्थना है, ओम शांति.
अध्यक्ष महोदय - मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े होकर दिवंगतों के प्रति श्रृद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
अध्यक्ष महोदय - दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 23 जुलाई, 2019 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
पूर्वान्ह्न 11.15 बजे विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 23 जुलाई, 2019 ( श्रावण 1, शक संवत् 1941 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 22 जुलाई, 2019 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा