मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा एकादश सत्र
जुलाई, 2016 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 22 जुलाई, 2016
(31 आषाढ़, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 11 ] [अंक- 4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 22 जुलाई, 2016
(31 आषाढ़, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 1 श्री मधु भगत.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि राजस्व विभाग ने 57 प्रश्नों के जवाब में यह बोला है कि कलेक्टरों से जानकारी अप्राप्त है, कलेक्टरों से जानकारी ली जा रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मैं नेताजी को जानकारी दे रहा हूं कि आप अपने खाने में देख लें, जानकारी आ गई है, सारे तारांकित प्रश्नों की जानकारी आ चुकी है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी, 57 प्रश्न ऐसे हैं जिनके जवाब नहीं दिये हैं, ऐसा मध्यप्रदेश के इतिहास में कभी नहीं हुआ है. मध्यप्रदेश की विधान सभा का यह अपमान है और क्या संबंधित जिलों के कलेक्टर विधानसभा से ऊपर हो गये. राजस्व विभाग ने 36 तारांकित और 21 अतारांकित कुल 57 प्रश्नों का इस तरह से जवाब दिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको सरकार को निर्देश देना होगा. कलेक्टर हमारे प्रश्नों को गंभीरता से नहीं लेते हैं ....(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- तारांकित प्रश्नों की जानकारी राजस्व विभाग के द्वारा खाने में दे दी गई है. ....(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है आप सदस्यों को संरक्षण दें....(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गलत बात है. ....(व्यवधान)...
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष जी, यह लगातार 4-5 वर्षों से चल रहा है, आज ही नहीं, यह कई वर्षों से चल रहा है. ....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - प्रतिपक्ष के नेता जी ने जो यह विषय उठाया है इसमें 2 बातें हैं एक तो यह बात है कि तारांकित प्रश्न जितने हैं उनके उत्तर आ गये हैं यद्यपि उनमें भी लिखा है कि कलेक्टर से जानकारी अप्राप्त है किन्तु उनके उत्तर आ गये हैं जो यहां सभा में उत्तर दिये जाने हैं फिर भी मेरी शासन से अपेक्षा है कि सभी उत्तर समय पर आयें और भविष्य में ऐसा न लिखा जाये इसको माननीय मंत्री जी सुनिश्चित करें.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय,अपेक्षा नहीं आसंदी की तरफ से निर्देश आने चाहिये.हम सदस्यों का निवेदन है, हम सदस्यों का संरक्षण आप ही तो करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जायें मंत्री जी वही कहेंगे जो आप सुनना चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत - वह तो हम कई बार सुन चुके हैं.पिछले तेरह वर्षों से लगातार चल रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आगे के तेरह वर्षों का भी इंतजाम है.
श्री रामनिवास रावत - वह समय बतायेगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आप हर बार यही कहते हो. हम हर बार यही बताते हैं.
श्री बाबूलाल गौर - आपके शासन में तो मुख्यमंत्री आते ही नहीं थे. आपके शासन में तो तकिया ही रहता था. तकिया छाप मुख्यमंत्री
श्री रामनिवास रावत -गौर साहब अब तो तकिया भी नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष जी, आपके आदेश का पालन किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - अपेक्षा के अनुरूप कार्यवाही की जायेगी इसीलिये अपेक्षा शब्द का उपयोग किया है.
श्री रामनिवास रावत - उन्होंने आदेश कहा तो आपसे निवेदन है कि आप सरकार को आदेश ही कर दें. कम से कम सदन के लिये तो कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - अपेक्षा के अनुरूप आदेशित करेंगे वह. भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी.
डॉ.गोविन्द सिंह - मंत्री जी का जवाब चौथी बार आया है. इसके पूर्व भी अनेक बार कह चुके हैं कि समय पर देंगे.
अध्यक्ष महोदय - अब की बार यह आश्वासन पूरा होगा इसका आश्वासन मैं आपको देता हूं.
टेण्डर दरों में अंतर की जाँच
1. ( *क्र. 1539 ) श्री मधु भगत : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग मनावर जिला धार में कार्यपालन यंत्री से सांठ-गांठ कर ठेकेदार श्री सुनील कुमार जायसवाल बाकानेर द्वारा अधिक दर पर कार्य स्वीकृत कराकर शासन को हानि पहुँचाई जा रही है तथा उक्त ठेकेदार ने मुख्य मंत्री सड़क योजना 2015-16 टेण्डर में, फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र प्राप्त कर कार्य लिया? (ख) क्या उक्त ठेकेदार द्वारा घटवाल नदी बाकानेर, आंगनवाड़ी सह-बैठक कक्ष बाकानेर तहसील मनावर जिला धार का कार्य 40% अधिक दर पर स्वीकृत करवा कर कार्य किया गया है, जबकि इसी संभाग में अन्य कार्य, अन्य ठेकेदारों द्वारा कम दरों पर किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्या जाँच कराकर कार्यवाही की जावेगी? (ग) क्या गंधवानी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत मुख्यमंत्री सड़क योजना 2015-16 के टेण्डर भी अन्य ठेकेदारों के रोककर 19 % अधिक दर पर स्वीकृत किये गये, जबकि धार जिले के ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग धार के 2015-16 के टेण्डर 25% कम दर पर मुख्यमंत्री सड़क योजना के स्वीकृत किये गये? यदि हाँ, तो यह कैसे उचित है? यदि नहीं, तो जाँच कर दोषी को दण्डित किया जायेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। विभागीय निर्देशों के अंतर्गत निविदाएं ऑनलाईन पद्धति से आमंत्रित की जाती हैं। प्रतिस्पर्धा में प्राप्त न्यूनतम दरों को स्वीकृत किया जाता है। निविदा दरें कार्य का स्वरूप, कार्य स्थल की भौगोलिक स्थिति, निर्माण सामग्री एवं कुशल श्रमिकों की उपलब्धता पर निर्भर होने से भिन्न होती है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से एक सवाल था जिसका जवाब इन्होंने बड़ी आसानी से दे दिया है.विभागीय निर्देशों के अंतर्गत निविदाएं आनलाईन पद्धति से आमंत्रित की जाती हैं. मैंने पूछा था कि क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मनावर,जिला-धार में कार्यपालन यंत्री से सांठ-गांठ कर ठेकेदार श्री सुनील कुमार जायसवाल बाकानेर द्वारा अधिक दर पर कार्य स्वीकृत कराकर शासन को हानि पहुंचाई जा रही है तथा उक्त ठेकेदार ने मुख्यमंत्री सड़क योजना 2015-16 टेण्डर में,फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र प्राप्त कर कार्य लिया. जिसमें इन्होंने बड़ी आसानी से जवाब दे दिया कि हमारे पास जो आनलाईन पद्धति होती है उसके आधार पर किया जाता है. जबकि इसमें साफ है कि श्री सुनील कुमार जायसवाल ने 18.96 प्रतिशत ज्यादा रेट पर टेण्डर स्वीकृत कर ठेके लिये हैं.इनके ज्यादा रेट पर ठेके दिये गये. जबकि इसके जैसे समान कार्य जो धार जिले के आसपास चल रहे हैं. वहां पैकेज क्रमांक 2217,जो 2.555 प्रतिशत कम है. पेकेज क्रमांक 2218 जो 2.535 प्रतिशत कम है. इसी प्रकार से पेकेज क्रमांक 2221, जो 13.80 प्रतिशत कम है. मेरा सवाल यह है कि इतने कम में हम एक ठेका एक ठेकेदार को देते हैं उसी ठेके को श्री सुनील कुमार जायसवाल को19 प्रतिशत बढ़कर क्यों दिया गया. ऐसी कौन सी बात है ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय,जिले से जो उत्तर प्राप्त हुआ है उसमें यह बताया गया है कि यह सारी सड़कें जो वन भूमि में हैं और इनके लिये 10 कि.मी. दूर से जो भी मिट्टी,मुरम लानी पड़ती है जो कुछ लाना पड़ता है वहां लीड ज्यादा है जो दूसरी सड़कें माननीय सदस्य बता रहे हैं वह सड़कें वन भूमि में नहीं हैं इस कारण से उनके रेट अपेक्षाकृत कम आये हैं लेकिन जिन सड़कों में लीड ज्यादा है उनके रेट इस कारण से ज्यादा आये हैं. जहां तक ठेकेदार की अयोग्यता का प्रश्न है. पी.डब्लू.डी. से वेरिफिकेशन करवाया है. पी.डब्लू.डी. ने कहा है कि यह सही है.
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहूंगा. आपने जवाब तो दे दिया लेकिन कहीं न कहीं इसमें 5 लोगों ने क्वालिफाई किया था. 2 लोगों के कम थे जिनको बाहर कर दिया गया तीसरे को किसी कारणवश बाहर कर दिया गया. फिर इन दो लोगों में से जिसके हायर रेट थे 18 परसेंट,25 परसेंट, उनमें से एक को दे दिया गया.
जबकि शासन के आदेश है कि आसपास के किये जा रहे कार्य के रूझान के रेट पर टेंडर दिये जाने चाहिए. यह 20-22 प्रतिशत दिया जाना एक प्रकार से अधिकारियों और ठेकेदारों की इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है. इसको मंत्री जी थोड़ा ध्यान रखेंगे क्योंकि यह जनता का ही पैसा है यह ठेकेदारों और अधिकारियों का पैसा नहीं है, इसकी पूरी तरह से जांच कराई जाये निष्पक्ष जांच कराई जाये. अध्यक्ष महोदय हम आपके माध्यम से मंत्री जी से यह प्रार्थना करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने बताया माननीय सदस्य वहीं के हैं वन भूमि में सड़के स्थित हैं और इस कारण से स्वाभाविक रूप से लागत और दूसरी बात हार्ड स्टेटा जब होता है तो इसमें भी लागत बढ़ती है, उसके बाद भी माननीय सदस्य कों इसमें लगता है कहीं कोई सुविधा दी गई है तो इसकी जांच करा लेंगे. वैसे मैंने स्वयं परीक्षण किया है तो ऐसा कोई विषय सामने नहीं आया है.
श्री मधु भगत - एक बार जांच करवा ले तो बहुत अच्छा है.
श्री गोपाल भार्गव - जांच करवा लेंगे.
इंदिरा आवास योजनांतर्गत अपात्रों को स्वीकृत राशि की जाँच
2. ( *क्र. 153 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिले के विकासखण्ड बहोरीबंद के ग्राम पंचायत बड़खेड़ा नीम में वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन हितग्राहियों को इंदिरा आवास योजना के तहत राशि स्वीकृत की गई? सूची नाम पता सहित दें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) के हितग्राहियों के आवास उक्त पंचायत क्षेत्र में ही निर्मित हैं तथा संबंधित हितग्राही रह रहा है, इस बात का सत्यापन किस अधिकारी द्वारा किया गया? नाम पद सहित बताएं। (ग) क्या प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कटनी को पत्र दिनांक 13.6.2016 लिखा है एवं प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास को कार्यालयीन पत्र क्रमांक 477 दिनांक 15.06.2016 को लिखकर सत्यापन किये जाने का आग्रह किया गया था? यदि हाँ, तो उक्त पत्र अनुसार क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या शासन द्वारा कटनी जिले में इंदिरा आवास के अंतर्गत जिन्हें एक किश्त प्राप्त हो चुकी है, उनका सत्यापन न कर उन्हें दूसरी किश्त की राशि प्रदान नहीं की जा रही है, किन्तु जो व्यक्ति उक्त क्षेत्र के निवासी हैं ही नहीं उन्हें आवास स्वीकृत की समस्त किश्तें जारी की जा रही हैं? यदि हाँ, तो क्या इसकी जाँच करवाकर कार्यवाही की जायेगी तथा दोषियों को दंडित किया जायेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) ग्राम पंचायत बड़खेड़ा नीम में वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक इंदिरा आवास स्वीकृत करने की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश्ा (क) के हितग्राहियों के आवास उसी पंचायत क्षेत्र में निर्मित हैं तथा हितग्राही उसी ग्राम में निवासरत हैं, इसका सत्यापन उपयंत्री श्री चेतन सोनी द्वारा किया गया (ग) जी हाँ, पत्र दिनांक 13.06.2016 के अनुसार इंदिरा आवास योजना के लाभान्वित आवासों का सत्यापन कराया गया। (घ) जी, नहीं। शेष का प्रश्न नहीं उठता।
कुँवर सौरभ सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण चाहिए. इस प्रश्न में मेरा यह कहना है कि जो भी हम योजना बना रहे है विधानसभा में हम लोग क्या उन योजनाओं का क्रियान्वयन कराने आ रहे है या विधान या नियम बनाने आ रहे हैं ? माननीय अध्यक्ष जी, मेरा आपसे निवेदन है और मैं आपसे यह जानना चाहता हूं.हम यहां आ क्यों रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय - नहीं, आप सीधा प्रश्न करिये यह उससे उद्भूत नहीं होता है.
कुँवर सौरभ सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न वही है, मैं उसी पर आ रहा हूं. मेरा प्रश्न यह है कि यह हितग्राही उस ग्राम में नहीं रहते हैं. शासन का जिले से जवाब आया है कि यह सब वहीं निवासरत है. संबंधित सरपंच और ग्राम पंचायत का प्रस्ताव इस विषय में है कि वहां पर वह लोग हैं ही नहीं और उसके बाद भी यह जवाब आ रहा है. जितना भी हम सरलीकरण करने के लिये कम्प्यूटराइजेशन कर रहे हैं या जितना भी होम इस्टेट की बात करें, इंदिरा आवास की बात करें, चाहे 2012-13, 2013-14 एवं 2014-15 की दूसरी किश्त हो निचले स्तर पर यह नहीं पहुंच रही है लेकिन आन रिकार्ड सारी चीजें सही आ रही है.
अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि हमारा उद्देश्य कोई बुराई निकालना नहीं है. मेरा कहना यह है कि जो भी इम्पलीमेंट सरकार कर रही है, कम्पयूटराईजेशन के नाम पर निचले स्तर पर इसका कोई फायदा जनता के पास नहीं हो पा रहा है. मैं यह चाह रहा था कि भोपाल से एक जांच दल जाये...
अध्यक्ष महोदय - आप मुद्दे पर ही रहें.
कुँवर सौरभ सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, विषय तो वहीं है प्रश्न क्यों लगाए जाते हैं सिर्फ एक काम के लिये इंदिरा आवास के लिये नहीं. विषय यह है कि सरकार की इतनी बड़ी स्कीम है जो इंदिरा आवास के नाम से था अब प्रधानमंत्री आवास के नाम से होने जा रहा है. इतने हजार करोड़ का लोगों को फायदा मिलने वाला है, लेकिन उसमें होता क्या है कि सिर्फ कम्पयूटराईजेशन में चार नाम आते हैं उसको माननीय मंत्री सही साबित करने लगते हैं हम गलत साबित करने लगते हैं. मुद्दा तो बदल गया जिनके लिये बना था...
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न सीधा कर दीजिये, जो कि लगभग आ ही रहा था लेकिन आप फिर भटक गये. आप सीधा प्रश्न करें.
कुँवर सौरभ सिंह - माननीय, आपने पहले मेरे प्रश्न का जवाब नहीं दिया है इसलिये मैं प्रश्न सीधा नहीं कर पा रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्न कर दीजिये, आप वेरिफीकेशन से संतुष्ट नहीं है. यही बात है तो आप उनसे (माननीय मंत्री जी) इस बारे में कि जो वेरिफीकेशन हुआ है उससे हम संतुष्ट नहीं है तो आप क्या फिर से वेरिफीकेशन करायेंगे.
कुँवर सौरभ सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यही पूछ लेता हूं ?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, इनका कहना है कि वह लोग वहां नहीं रहते है जिनके आवास स्वीकृत किये गये हैं और आपने वेरिफीकेशन कराया है उसमें उन्होंने कहा है कि वह लोग वहीं रहते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, कुल चार आवास कुटीरों का प्रश्न है. एक ग्राम पंचायत है, उसी ग्राम पंचायत में एक गांव है बरखेड़ा नीम और दूसरा गांव है बरखेड़ा भरदा. इन दोनों में चूंकि नाम के कारण से जो साफ्टवेयर है उसमें थोड़ी सी गड़बड़ी हुई थी वह दुरस्त कर ली गई है. कुल चार कुटीरे हैं और उन चारों कुटीरों के लिये किश्तें मिल चुकी है और जहां तक प्रदेश स्तर पर इसका प्रश्न है. यह बात सही थी कि पहले आवास कुटीरों की दूसरी किश्त मिलने में काफी विलंब होता था, इस कारण से हमने पहले भोपाल स्तर से जो हितग्राही हैं, उनके खाते में पैसा जाता था लेकिन अब हमने पिछले महीने से यह व्यवस्था दी है कि वहीं जनपद में राशि जाएगी वहीं वह अपना फोटोग्राफ देगा कि आधी कुटीर उसकी बन चुकी है, शेष कुटीर की किश्त उसको दे दी जाए ताकि वह पूर्ण हो जाए. जनपदों के पास यह अधिकार पहुंच गये हैं और जनपद की जो समितियों है और जनपद के जो कर्मचारी है वहीं इस काम को देख रहे हैं.
कुँवर सौरभ सिंह - माननीय अध्यक्ष जी जैसा मेरा कहना है वही चार आवास पर आ गये. केवल कटनी जिला नहीं है, लखापतेरी गांव में एक व्यक्ति को इंदिरा आवास दिया गया है उसी व्यक्ति को मुख्यंमत्री आवास भी दिया गया है. मेरा निवेदन यह है कि हम आवास की बात नहीं करें हम बात सिस्टम पर करना चाहते हैं कि क्या एक जांच दल भोपाल से भेजकर पूरी कटनी की जांच कराई जाय क्योंकि कटनी में जिस अधिकारी को आप बोलते हैं वहीं आपस में मिलकर अभी जो कम्पयूटर में एक गलती दिख रही है तो मान रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, अभी पिछले सप्ताह वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये उसकी राज्य स्तरीय समीक्षा की गई थी. यह पाया गया था कि आवंटन के विरुद्ध बहुत कम कुटीरों की राशि जारी की गई. इस कारण से 14 जिला पंचायत के सीईओज़ को नोटिस दिये गये हैं. मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार राजधानी से 14 जिला पंचायत के सीईओज़ जो डायरेक्ट आईएएस हैं, एडीशनल कलेक्टर हैं, उन सब के लिए हमने निर्देश जारी किये हैं और उनसे कहा है कि एक महीने में हमको पालन प्रतिवेदन दें अन्यथा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
कुंवर सौरभ सिंह--अध्यक्षजी, मेरा प्रश्न वैसा ही खड़ा है. माननीय मंत्रीजी अभी भी उन्हीं अधिकारियों की बात को सही बोल रहे हैं. मेरा निवेदन है कि यहां से एक जांच दल भेज दें. जिसको उचित समझे, उसको भेज दें.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य का कहना है कि इन्होंने जो केसेस उठाये हैं, इनके लिए आप कोई जांच करा लेंगे?
कुंवर सौरभ सिंह--यह तो उदाहरण है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, 4 कुटीरों के लिए कोई जांच दल जाएगा. यह कहां तक उचित है. अभी आप बता दें हमें कोई दिक्कत नहीं.
कुंवर सौरभ सिंह-- मंत्रीजी, चार कुटीरों का नहीं, पूरे जिले का सवाल है. मेरे पास लिस्ट रखी है.
श्री राम निवास रावत--माननीय मंत्रीजी, बात चार कुटीरों की नहीं है, उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जिन हितग्राहियों ने इंदिरा आवास लिये हैं, उन्हीं हितग्राहियों ने मुख्यमंत्री आवास भी लिए हैं. इस तरह से एक आदमी दो दो लाभ ले रहा है.
श्री गोपाल भार्गव-- नहीं, ऐसा नहीं है. उन्होंने दूसरे ग्राम का कहा है.
श्री रामनिवास रावत--कहीं का भी कहा लेकिन कटनी जिले का कहा है. लोग आवासों से वंचित हैं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मूल प्रश्न में यह कहा गया है कि दूसरे ग्राम के आवासहीनों के लिए कुटीरें दे दी गई तो मैंने कहा कि एक ही नाम के मिलता-जुलता गांव के कारण से साफ्टवेअर में थोड़ी सी गड़बड़ी हुई उसको दुरुस्त कर लिया गया. इसमें जांच दल भेजने की क्या बात है.
कुंवर सौरभ सिंह--अध्यक्षजी, इसी साफ्टवेअर से पूरी व्यवस्था चल रही है. मेरा निवेदन स्वीकार करें. मैंने चार कुटीरों का उदाहरण दिया है. जिले में ऐसे पता नहीं कितने केसेस हैं. एक जांच दल भेजकर, पात्र हितग्राहियों को आवास मिल जाएंगे, इसमें क्या समस्या है.
अध्यक्ष महोदय--आप मंत्रीजी को प्रमाण उपलब्ध करा दें. माननीय सदस्य कुछ कागज लाये हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आप अनुमति दे रहे हैं तो वे टेबल कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय--आप मंत्रीजी को उपलब्ध करा देंगे तो वे उसकी जांच करायेंगे.
कुंवर सौरभ सिंह--अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. अधिकारियों के सामने विधानसभा की नहीं चलेगी? मैं आपसे यह निवेदन कर रहा था.
श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, गोपाल भार्गव जी एक वरिष्ठ मंत्री हैं. उन्होंने कहा कि 14 सीईओज़ को नोटिस दिए हैं. जब 14 सीईओज़ को नोटिस दे सकते हैं तो एक छोटे से जिले का या जिला नहीं तो उनके जो दो ब्लाक हैं, वहीं की जांच करा दे.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, जांच किस बात की कराना है. हमे यह समझ नहीं आ रहा है. पहले बता दें कि किस विषय की जांच कराना है. मुद्दा क्या है.
श्री अजय सिंह-- कुटीरों में हेराफेरी का मुद्दा है. एक आदमी को इंदिरा आवास भी मिल गया और उसी को मुख्यमंत्री आवास भी मिल गया.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय,यह नियम संगत है ही नहीं. एक हितग्राही को एक बार ही आवास कुटीर दी जायेगी.
श्री अजय सिंह--यही तो मुद्दा है.
श्री गोपाल भार्गव-- जांच करा लेंगे.
श्री अजय सिंह-- ठीक है. जांच करा लीजिए.
कुंवर सौरभ सिंह--धन्यवाद.
मण्डी बोर्ड में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी
3. ( *क्र. 587 ) श्रीमती ममता मीना : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2007 से प्रश्न दिनांक तक मण्डी बोर्ड द्वारा विभिन्न कृषि उपज मण्डियों में अन्य विभागों के कर्मचारी/अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर कितने समय तक के लिए लिये गये थे? विभागों के नाम सहित विवरण दें। (ख) क्या मण्डी बोर्ड द्वारा जिन कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर निर्धारित समय के लिये लिया गया, वह उससे अधिक समय तक किस आदेश से अभी तक पदस्थ हैं? विभाग द्वारा अभी तक उन्हें वापिस क्यों नहीं किया गया? कारण सहित विवरण दें। (ग) क्या कृषि उपज मण्डी समिति, शिवपुरी में नियुक्त सचिव रियाज अहमद वर्ष 2007 से प्रश्न दिनांक तक प्रतिनियुक्ति पर समय पूरा होने के बाद भी पदस्थ है, किस आदेश से? क्या उसने विभाग की परीक्षा उत्तीर्ण की थी? इन्हें विभाग से कब तक हटायेंगे और दोषियों पर क्या कार्यवाही करेंगे? (घ) क्या प्रश्नांश (क) (ख) और (ग) के अंतर्गत अन्य सभी पात्र प्रतिनियुक्त कर्मचारी/अधिकारियों के अलावा अपात्र लोगों की जाँच और उनको संरक्षण देने वाले या उनको वेतन भत्ते देने वाले अधिकारियों पर विभाग कार्यवाही करेगा, हाँ तो कब तक?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) कर्मचारियों को प्रथमत: संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' के कालम नं. 05 में दर्शायी गई अवधि हेतु प्रतिनियुक्ति पर लिया गया था, इनमें से जिन कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो गई थी और प्रतिनियुक्ति अवधि में वृद्धि का आदेश जारी नहीं हुआ है, उन्हें भी पदों की पूर्ति होने तक प्रतिनियुक्ति पर यथावत रखने का निर्णय लिया गया है, जिसके अनुक्रम में वह अभी प्रतिनियुक्ति पर निरंतर कार्यरत हैं। परिप्रेक्ष्य में म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड में कार्य की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए प्रतिनियुक्त कर्मचारियों को वापिस नहीं किया गया है। (ग) म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड के आदेश दिनांक 27.06.2014 से श्री रियाज अहमद सचिव-स की प्रतिनियुक्ति अवधि में मार्च 2017 तक की वृद्धि होने के आधार पर श्री रियाज अहमद प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं जी नहीं, मण्डी बोर्ड में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी को विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करने के संबंध में म.प्र. राज्य मण्डी बोर्ड सेवा विनियम 1998 में प्रावधान नहीं है। अतएव शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है। (घ) उत्तरांश (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
श्रीमती ममता मीना--अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगी. माननीय मंत्रीजी ने प्रश्नांश ‘ग’ के उत्तर में बताया है कि कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के उपरान्त भी पदों की पूर्ति होने तक यथावत रखा गया है. संलग्न सूची अनुसार रियाज़ अहमद खान वर्ष 2007 से लगातार प्रतिनियुक्ति पर है. अध्यक्ष महोदय, मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि 9 वर्षों से इनकी प्रतिनियुक्ति बढ़ाई जा रही है. क्या मंडी बोर्ड में योग्य कर्मचारी नहीं है जिसको सचिव बनाया जा सके. जबकि रियाज़ अहमद खान जहां जहां मंडी सचिव रहे, मंडी घाटे में गई है. अभी वर्तमान में जहां पर वह पदस्थ है वहां की मंडी 51 प्रतिशत घाटे में गई है. इनकी प्रतिनियुक्ति लगातार क्यों बढ़ाई जा रही है? इनको मूल विभाग में वापस क्यों नहीं किया जा रहा है जबकि लगातार मंडी को घाटा हो रहा है. इनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त भी करना चाहिए और इनको अपने मूल विभाग में वापस भेजना चाहिए ताकि दूसरे जो कर्मचारी हैं उनको भी मौका मिले. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से ऐसा निवेदन है.
श्री गौरीशंकर बिसेन - अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां मंडी में सचिव-स के पद बहुत खाली हैं. इस समय में मंडी में हमने जो सूची दी है उनके संदर्भ में उसमें सिर्फ 35 वर्ष 2007 के दर्शाए हैं जो मंडी सचिव के पद पर कार्यरत् हैं. इसके अलावा और हमारे पास 40 ऐसे कर्मचारी हैं जो मंडी में वर्ष 1999 से उसके बाद क्रमशः प्रतिनियुक्ति पर हैं. चूंकि मंडी में हमारे पदों की स्थिति इस समय में जो रिक्तियों की है, वर्तमान में मंडी सचिव-स के स्वीकृत 169 पद हैं, जिसमें 129 भरे हैं, इनमें से 24 प्रतिनियुक्ति से भरे हैं और वर्तमान में मंडी सचिव-स के 40 पद खाली हैं. अध्यक्ष महोदय, सचिव-स के रिक्त पदों की भर्ती के लिए हमने प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड को दिनांक 3.5.16 को पत्र लिखा है. उनकी मेरिट सूची प्राप्त होकर भर्ती हो जाएगी. जब पदों की पूर्ति हो जाएगी तो तब हम प्रतिनियुक्ति पर जो लोग हैं उनको वापस कर सकेंगे.
श्रीमती ममता मीना - अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाह रही हूं क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी बहुत संवेदनशील हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी भी रात दिन इस बात के लिए लगे रहते हैं कि कैसे आम जनता तक सरकारी योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचे. इसलिए मैं यही कहना चाहता हूं कि 9 वर्षों इनको हो गये हैं. जबकि इनका एक विभागीय इंटरव्यू हुआ था, उसमें रियाज अहमद खान सबसे अयोग्य पाये गये थे. जब मंडियां जहां जहां इनकी पदस्थापना हुई वहां वहां घाटे में चलती रहीं और जहां पर वर्तमान में वे पदस्थ हैं वहां 51 प्रतिशत घाटे में चल रही है. ये 4-4 महीने मंडी की बैठकें नहीं बुलाते हैं, वहां के जो आदिवासी मंडी अध्यक्ष हैं उनसे कहते हैं कि तुम बैठक की कहोगे तो तुम्हें हटा और देंगे, इस तरह की धमकियां दी जाती हैं. मेरा यही प्रश्न है कि ऐसे अयोग्य व्यक्ति को मूल विभाग में वापस भेजा जाय. जहां जहां इनकी पदस्थापना रहती हैं वहां वहां मंडी घाटे में चलती है, अभी 51 प्रतिशत इनकी वर्तमान मंडी घाटे में है तो क्यों न इनको हटाकर मूल विभाग में वापस भेजा जाय?
अध्यक्ष महोदय - वह उत्तर तो दे दिया है.
श्री गौरीशंकर बिसेन - अध्यक्ष महोदय, इनके कार्यकाल में यदि मंडी घाटे में होगी तो मैं उसकी उच्च स्तरीय जांच कराऊंगा. दूसरा, यदि उस मंडी में घाटा है तो उसके कारणों की भी जांच होगी और सारे तथ्य जब हमारे सामने आएंगे उसके बाद में हम कोई कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती ममता मीना - अध्यक्ष महोदय, उसको पहले हटा दिया जाय, उसके बाद जांच कराई जाय. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगी.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने व्यवस्था दे दी है और उससे मैं सहमत हूं, वे जांच करा रहे हैं. आपने जो विषय उठाया है, उसकी जांच कराने के लिए वे तैयार हैं, उसके बाद कार्यवाही करने को भी तैयार है.
श्रीमती ममता मीना - अध्यक्ष महोदय, उसको पहले वहां से हटा दिया जाय, उसके बाद जांच कराई जाय, नहीं तो वह व्यक्ति जांच को भी प्रभावित करेगा.
अध्यक्ष महोदय - श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी कृपया अपना प्रश्न करें.
नकली खाद बीज निर्माता/विक्रेताओं पर कार्यवाही
4. ( *क्र. 1978 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत तीन वर्षों में खण्डवा जिले में कृषि विभाग द्वारा कितने उर्वरक एवं बीज विक्रेताओं के संस्थानों की जांच की गई। (ख) विगत दिनों खण्डवा जिले में किन-किन नकली बीज उत्पादकों एवं विक्रेताओं पर पुलिस प्रकरण दर्ज किए गए। वर्तमान में क्या कार्यवाही प्रचलित है? (ग) किसानों के हित में वर्षाकाल के पूर्व गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने हेतु कृषि विभाग की क्या कार्य योजना है? (घ) जिले में लंबे समय से किसान विरोधी अन्तर्राज्यीय नकली बीज के कारखाने संचालित होने के बाद भी कृषि विभाग के अधिकारियों का मौन रहने का क्या कारण है? ऐसे लापरवाह एवं भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध कब तक अनुशासनात्मक कार्यवाही करेंगे?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) विगत तीन वर्षों में खण्डवा जिले में कृषि विभाग के निरीक्षकों द्वारा उर्वरक के 284 एवं बीज के 480 विक्रेताओं के संस्थानों की जाँच (निरीक्षण) की गई। (ख) विगत दिनों खण्डवा जिले में मेसर्स सेठी सीड्स इंडिया प्रा.लि., भवानी माता रोड, खंडवा के प्रोप्राइटर श्री कमलेश माणकचंद सेठी एवं ईगल सीड्स एवं बायोटेक लिमिटेड, सिल्वर सेक्चौरा, आर.एन.टी. मार्ग इन्दौर के प्रबंध संचालक श्री वैभव जैन के विरूद्ध थाना छैगांवमाखन में पुलिस प्रकरण दर्ज कराया गया है। वर्तमान में प्रकरण पुलिस विवेचना में है। (ग) किसानों के हित में वर्षाकाल पूर्व कार्ययोजना के तहत खण्डवा जिले में बीज निरीक्षकों द्वारा अपने-अपने कार्यक्षेत्र में नियमित रूप से बीज विक्रय केन्द्रों एवं भंडारण केन्द्रों का निरीक्षण करते हुये समय-समय पर बीज के नमूने लिये जाकर परीक्षण हेतु प्रयोगशाला भेजे जाते हैं। अमानक पाये जाने पर गुण दोष के आधार पर बीज अधिनियम 1966 के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है। (घ) बीज विक्रेताओं के द्वारा भंडारित बीज एवं कृषकों को विक्रय किया जा रहा बीज मानक स्तर का हो, यह सुनिश्चित करने के लिये कृषि विभाग के निरीक्षकों द्वारा विगत तीन वर्षों में 480 बीज प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर खरीफ एवं रबी बीज के 457 नमूने लेकर बीज परीक्षण प्रयोगशाला को गुणवत्ता परीक्षण हेतु भेजे गये। अमानक नमूनों पर गुण दोष के आधार पर विधिसंगत कार्यवाही की गई। इस प्रकार कृषि विभाग के अधिकारियों का मौन अथवा लापरवाह होने का प्रश्न नहीं उठता।
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जिस प्रकार से उत्तर में कहा है कि उर्वरक 284 की जांच कराई थी तो मैं यह चाहता हूं कि जांच में क्या निष्कर्ष आए, उन निष्कर्षों पर क्या कार्यवाही की गई. दूसरा, जो उन्होंने यह कहा है कि पहले भी इस प्रकार की जांच कई उर्वरकों की जैसे कहा है कि 480 संस्थानों की जांच की गई. 457 नमूने लिये गये. इन जाचों का क्या निष्कर्ष आए और जिन नामों का इसमें उल्लेख किया गया है, उन पर क्या कार्यवाही की गई है. इसमें प्राथमिकी दर्ज तो हो गई, परन्तु क्या उन पर कार्यवाही की गई, उनके खिलाफ में कोई गिरफ्तारी हुई अथवा नहीं, क्या उनके लाइसेंस निरस्त किये गये, इसमें क्या कार्यवाही की गई है, यह मैं जानना चाहता हूं?
श्री गौरीशंकर बिसेन - अध्यक्ष महोदय, आज मूल प्रश्नकर्ता नहीं हैं और हमारे विधायक जी प्रश्न कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने उनको अधिकृत किया है.
श्री गौरीशंकर बिसेन - अध्यक्ष महोदय, ठीक है, अधिकृत किया है. मैं उनको यह जानकारी देना चाहता हूं कि पहली बात तो यह है कि जिस बीज कंपनी ने अमानक बीज का भण्डारण करके उसके टैक लगाए थे, उसके ऊपर हमने एफआईआर दर्ज की है, वह फरार है. उनके ऊपर कठोर कार्यवाही की जा रही है. दूसरा, यह प्रश्न में पूछा गया था कि समय-समय पर बीज एवं उर्वरकों के सेम्पल की जांच की जाती है अथवा नहीं की जाती है, विगत 3 वर्षों की हमसे जानकारी मांगी गई थी. मैं वह जानकारी को आपके माध्यम से सदन के सामने रखना चाहता हूं कि वर्ष 2013-14 में 136 नमूने प्रयोगशाला भेजे गये. वर्ष 2014-15 में 146 नमूने प्रयोगशाला भेजे गये. वर्ष 2015-16 में 130 नमूने प्रयोगशाला भेजे गये और इसमें जो नमूने अमानक पाये गये, उसमें वर्ष 2013-14 में 27, वर्ष 2014-15 में 23 और वर्ष 2015-16 में 26 थे. इन सभी में अमानक नमूने पाए गए. उनको कारण बताओ नोटिस जारी करके उनके विक्रय पर प्रतिबंध किया गया है. 2013-14 में दो के पंजीयन निलंबित किए गए, दो के पंजीयन निरस्त किए गए. 2014-15 में पांच के पंजीयन निलंबित किए गए और एक पर एफआईआर दर्ज की गई. 2015-16 में पांच के पंजीयन निलंबित किए गए और दो के पंजीयन निरस्त किए गए.
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों से जुड़ा हुआ मामला है जिन लोगों ने किसानों को गलत बीज दिया है, क्या उन पर एफआईआर दर्ज कराने से संतुष्टि होगी. कितने साल हो गए, कब तक उनकी गिरफ्तारी हो जाएंगी ?
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही तो हो रही है.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है वह फरार हैं और पुलिस उनको पकड़ने का प्रयास कर रही है. और बडे़-बडे़ लोग हैं. खंडवा का मामला पूरे प्रदेश में उजागर हुआ है, कोई नहीं बचेगा. एफआईआर दर्ज हो चुकी है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- बडे़ लोग फरार कैसे हो सकते हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- यह सब निकाल दो.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने एफआईआर दर्ज किया है कार्यवाही करने के बारे में मैं कहना चाहता हूँ हमने कुर्की करने के भी आदेश दिए हैं. हमारे बीज प्रमाणीकरण अधिकारी श्री के.के.पटेल संभागीय अधिकारी, उप बीज प्रमाणीकरण अधिकारी श्री उमाप्रसाद चौधरी, सहायक बीज प्रमाणिकरण अधिकारी रामवीर चौधरी एवं आर.डी.सरादर को जो केन्द्र के प्रभारी थे, इनको निलंबित करके विभागीय जांच भी प्रारम्भ कर दी गई है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मूल प्रश्न कर रहा हूँ यह बीज से जुड़ा हुआ दस्तावेज नौलखा बीज कंपनी ने रिकार्ड जलना बता दिया है रिकार्ड मेरे पास है.
अध्यक्ष महोदय -- यह अलाउ नहीं है. आप अपना प्रश्न करिए.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- नौलखा का अगला प्रश्न उसमें उठा है?
श्री बहादुर सिंह चौहान -- हॉं उठा है. मुझे मालूम है यह 8 करोड़ 31 लाख रूपये का है.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने और जानकारी चाही थी कि कौन-कौन से लोग हैं जिनके ऊपर कार्यवाही की गई. एफआईआर छैगावं माखन थाने में दर्ज हुई है । कमलेश सेठी एवं ईगल सीड्स श्री वैभव जैन के खिलाफ माननीय अध्यक्ष महोदय और इसमें 1011 क्विंटल जिसमें 3371 टेग पकडे़ गए ईगल सीड्स का उसमें मार्का था, उसमें कठोर कार्यवाही करेंगे ।
ग्राम पंचायत के अपूर्ण कार्यों की जाँच
5. ( *क्र. 2183 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महिदपुर वि.स. क्षेत्र की ग्राम पंचायत पेटलावद के दिनांक 01.01.10 से दिनांक 31.12.14 तक अपूर्ण कार्यों की जानकारी देवें। (ख) ये कब तक पूर्ण होंगे? (ग) इस समयावधि के गुणवत्ताहीन कार्यों की जाँच तकनीकी समिति से कब तक करा ली जावेगी? (घ) गुणवत्ताहीन व अपूर्ण कार्यों के दोषियों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ख) कार्य प्रगतिरत है, निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) ग्राम पंचायत के 66 कार्यों का तीन सदस्यीय दल जिसमें एक तकनीकी सदस्य भी थे, द्वारा भौतिक जाँच 02.07 2016 को की गई है। भौतिक जाँच में मौके पर अधिकतर कार्य होना पाया गया है। अतः शेष की जानकारी निरंक है। (घ) जाँच प्रतिवेदन का परीक्षण कर गुणदोष के आधार पर कार्यवाही की जा सकेगी।
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा ग्राम पंचायत पेटलावद को लेकर प्रश्न है और इसमें आपकी पूरी-पूरी कृपा चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना प्रश्न कर दीजिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा प्रश्न क्रमांक-4421 पर एक समिति पंचायती राज संस्था ने बनाई और उन्होंने जांच प्रतिवेदन दिया कि 5-7 को और उच्च स्तरीय समिति बनाकर जांच करने की आवश्यकता है. जब उच्च स्तरीय समिति बनी और उस समिति ने यह लिखा है कि जहां भोपाल से कि 20.07.2016 तक जिलाधीश उज्जैन स्पष्ट अभिमत के साथ अपना जांच प्रतिवेदन देवें. वह जांच प्रतिवेदन मेरे पास आ गया है लेकिन मंत्री जी के पास नहीं आया है और इसमें 40-50 लाख रूपये का गबन है. मैं आपको उपलब्ध करा सकता हूँ और 20 तारीख को प्रतिवेदन अनिवार्य रूप से जिला कलेक्टर उज्जैन को देना था और इसमें 40 से 50 लाख तक का गबन इस प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है माननीय मंत्री जी के पास जांच नहीं है और यह संचालनालय का आदेश मेरे पास 20 तारीख का है. सीधा-सीधा जांच में लिखा है कि जांच प्रतिवेदन का परीक्षण करने के बाद कार्यवाही की जावेगी. यह जांच प्रतिवेदन मेरे पास आ गया है क्या माननीय मंत्री जी के पास जांच प्रतिवेदन है ? उस राशि को वूसल करने के लिए 40 से 50 लाख रूपये की जो राशि है उस पर माननीय मंत्री जी पुलिस कार्यवाही करेंगे?
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय एक ग्राम पंचायत से संबंधित विषय है.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय कोई उत्तर नहीं है. बैठे हैं मंत्री जी खड़े तक नहीं हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप कोई उत्तर ही नहीं देने दे रहे हैं. आप तो बैठ जायें.
श्री मुकेश नायक -- आप जांच प्रतिवेदन वहां से यहां पर दे दें जरा सी तो दूरी है. हमेशा कांग्रेस के लोग कहते थे तो ये मना करते थे. (XXX) .
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दें. बड़े महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. आप लोग हल्का कर देते हैं बीच में बोलकर इसतरह से व्यवस्थाओं को , यह बात ठीक नहीं है, गंभीर बात हो रही हैं और उसको आप हल्का कर रहे हैं.
श्री शंकर लाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय मुझे एक बात कहना है कि प्रश्न लगते हैं इस तरफ से और जबरदस्ती दूसरे का ललना पालने में झुलाने का काम कांग्रेस के लोग करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- सभी लोग बैठ जायें, आप लोग उत्तर आने देंगे या नहीं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय एक ग्राम पंचायत पेटलावद से संबंधित विषय है. प्रत्येक सत्र में इस ग्राम पंचायत से संबंधित प्रश्न होता है. माननीय सदस्य कह रहे हैं कि 50 - 60 लाख रूपये का गबन हुआ है तो इतनी तो राशि ही आवंटित होती है ग्राम पंचायत को.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- 4 वर्ष में 2 करोड़ 12 लाख की राशि खर्च की है. मेरे पास में इ सके प्रमाण हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- मुझे यह बता दें कि इस पंचायत का क्या करना है वह किये देते हैं. क्यों बार बार प्रश्न करना. एक ग्राम पंचायत के बारे में हर विधान सभा में प्रश्न करना. बता दें क्या करना है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- यह जांच प्रतिवेदन है इस पर पुलिस कार्यवाही चाहिए जांच की.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य की उपस्थिति में भी जांच हो गई है. सारी बातें स्पष्ट हो गई हैं और क्या चाहते हैं बतायें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय जो 40 - 50 लाख का गबन आया है उसकी वसूली करने के लिए जो दोषी लोग हैं उन पर पुलिस कार्यवाही की जाये.
अध्यक्ष महदोय -- सदस्य के जानने पर नहीं, आप न्याय पूर्वक कार्यवाही करें ऐसी अपेक्षा है,
श्री गोपाल भार्गव -- बिल्कुल न्यायपूर्वक कार्यवाही करेंगे और प्रभावी कार्यवाही कर देंगे जैसी माननीय सदस्य चाहेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय जांच तो हो चुकी है. वह दोषी सिद्ध हो गये हैं. मेरा कहना यह है कि एक ग्राम पंचायत 4 वर्ष में 2 करोड़ 12 लाख खर्च करती है. यह जांच रिपोर्ट माननीय मंत्री जी को नहीं मिली है.
श्री गोपाल भार्गव -- यह जांच रिपोर्ट मेरे पास में नहीं आयी है जैसे ही आयेगी, जांच रिपोर्ट के आधार पर जो कुछ भी उस प्रतिवेदन में होगा, उसी दिन कार्यवाही कर दी जायेगी.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय पुलिस कार्यवाही करेंगे यह कहने में क्या तकलीफ है मैं तो इसमें पुलिस की कार्यवाही चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय यदि उसमें अपवंचन प्रभक्षण पाया जायेगा तो पुलिस की कार्यवाही भी करेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय ,धन्यवाद .
वृहत्ताकार सहकारी कृषि साख समिति में कार्यरत अमला
6. ( *क्र. 673 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में कुल कितनी वृहत्ताकार सहकारी कृषि साख समितियां हैं एवं उक्त संस्थाओं में कौन-कौन कर्मचारी कब से किस-किस पद पर कहाँ-कहाँ पदस्थ हैं? कर्मचारियों के नाम पदनाम सहित जानकारी देवें। (ख) क्या अधिकांश संस्थाओं में पर्याप्त कर्मचारी होने के बाद भी कान्टीजेंसी में कर्मचारी रखकर अनावश्यक रूप से आर्थिक क्षति पहुंचायी जा रही है? किन-किन संस्थाओं में कौन-कौन व्यक्तियों को कान्टीजेंसी कर्मचारी के रूप में रखकर कब से कार्य करवाया जा रहा है? कान्टीजेंसी कर्मचारियों को रखने के क्या नियम हैं? (ग) क्या बिना पंजीयक के अनुमति के किसी भी कान्टीजेंसी कर्मचारी को दो वर्षों से अधिक लगातार समय तक कार्य पर रखना उचित है? यदि हाँ, तो सहकारी सोसायटी अधिनियम के किस नियम के तहत्। (घ) क्या अधिकांश संस्थाओं में संस्था प्रबंधक एवं संचालक मण्डल के द्वारा कान्टीजेंसी में नियुक्त कर्मचारी से सांठ-गांठ, लेन-देन करके बगैर कार्य के जानबूझकर बिना अनुमति के लम्बे समय तक लगातार उनकी उपस्थिति बताकर बाद में इन्हें स्थायी कर्मचारी की पात्रता दे दी जाती है? यदि नहीं, तो क्या इसकी जाँच करवाकर ऐसे कर्मचारियों को तत्काल बंद किया जावेगा एवं दोषी अधिकारी एवं संचालक मण्डल के विरूध्द क्या कार्यवाही की जावेगी?
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) 126. शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है. (ख) प्रथम दृष्टया जी हां. जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र -2 पर है. कांटींजेंसी कर्मचारियों को रखे जाने के प्रावधान कर्मचारी सेवा नियम में नहीं है.(ग) जी नहीं. कान्टीजेंसी कर्मचारियों को रखे जाने के प्रावधान सहकारी अधिनियम/नियम तथा कर्मचारी सेवा नियम में नहीं है. (घ) जी नहीं. संस्थाओं में कान्टीजेंसी कर्मचारियों की नियुक्ति कर्मचारी सेवा नियम के प्रावधानों के विपरीत की गई है. ऐसे कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने एवं दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु निर्देश दिये गये हैं.
डॉ योगेन्द्र निर्मल -- माननीय अध्यक्ष महोदय आपका संरक्षण चाहता हूं. मंत्री जी को मेरे प्रश्न के उत्तर के लिए धन्यवाद देता हूं. लेकिन मेरा माननीय मंत्री जी से एक आग्रह है कि किन प्रावधानों के अंतर्गत सोसायटी में भृत्य, चौकीदार, लिपिक समय समय पर रखे जा सकते हैं एवं इसके अधिकार किसे प्राप्त हैं, यह बता दें.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय सदस्य ने जो पूछा है 26-2-2010 को समितियों के कर्मचारियों के सेवा नियम बने हैं. उसके तहत जिस समिति का जितना टर्न ओवर होता है उसके हिसाब से तय है कि किसमें कितने कर्मचारी होंगे, जिसका 3 करोड़ से ज्यादा का टर्न ओवर है वहां पर 1 प्रबंधक , 2 सहायक प्रबंधक,1 लिपिक, 1 चौकादीर और 1 भृत्य जिसका एक करोड़ से तीन करोड़ तक का ट्रन ओवर है वहां पर इस तरह से स्टाफ रखा जा सकता है.
डॉ योगेन्द्र निर्मल -- धन्यवाद् माननीय मंत्री जी.
जनशिकायत निवारण प्रकोष्ट में की गयी शिकायतों पर कार्यवाही
7. ( *क्र. 2050 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014-15, 2015-16 में प्रश्नकर्ता द्वारा विभागवार कितने शिकायती आवेदन दिये गये एवं उनमें क्या कार्यवाही की गयी? प्रतिवेदन उपलब्ध कराया जावे। (ख) क्या सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्र. एफ 19-76/2007/1/4 दिनांक 27.11.15 के अनुसार विधायकों के पत्रों पर कार्यवाही करते हुये जवाब तीन दिवस में दिये जाने का प्रावधान है? ऐसी स्थिति में उक्त पत्रों के जवाब न देने एवं कार्यवाही नहीं करने के कारण कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं? (ग) यदि संबंधित अधिकारियों के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई तो क्या म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण, अपील) के नियम 1966 के अंतर्गत की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या की गयी कार्यवाही से प्रश्नकर्ता को सूचित किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
श्री आर.डी. प्रजापति -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे यहां जो प्रश्न का उत्तर दिया गया है वह पूर्ण रूप से असत्य है जो मैंने अनेक विभागों को पत्र दिये हैं उसमें से आधे पत्रों को मेरे द्वारा ही दिया गया है इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है. मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जानकारी दी गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जानकारी दी गई है वह पूर्ण रूप से असत्य और भ्रामक है क्योंकि मैंने कई विभागों जैसे खनिज विभाग, जल संसाधन विभाग और जिलाध्यक्ष जी को मैंने तमाम लेटर दिए हैं लेकिन उन पत्रों की जानकारी नहीं दी गई है जबकि नियम यह है कि तीन दिवस के अंदर जानकारी देनी चाहिए लेकिन तीन माह तक मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई है और आज तक दो साल के अंदर भी जानकारी नहीं दी.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना प्रश्न करिए.
श्री आर.डी. प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, मेरे पास पूरे दस्तावेज हैं. मेरा मंत्री जी से एक निवेदन यह है कि कुछ विभागों जैसे वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और कृषि विभाग, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, इसका तो नाम ही नहीं आया, जबकि मैंने इसकी पूरी जांच करवाई थी तो मैंने जिन पत्रों को दिया है क्या उनकी जांच करेंगे, डिस्पेच नंबर और दिनांक सहित कब-कब मैंने पत्र दिए, क्या उनकी जांच करेंगे और उन पर क्या कार्यवाही करेंगे ? यह माननीय मंत्री जी बताने की कृपा करें.
श्री जयभान सिंह पवैया -- मान्यवर अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-16 में दिए गए शिकायती आवेदन-पत्रों के बारे में जानकारी चाही थी, यह जानकारी पुस्तकालय में हमने रख दी है. माननीय सदस्य का कहना यह है कि उन्हें सूचना नहीं दी गई है. सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के अनुसार तीन दिन में अभिसूचना देने का प्रावधान है मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है, उन सबकी अभिस्वीकृति दी गई है. शिकायत के निराकरण की अवधि तीन दिन नहीं है बल्कि अभिसूचना की अवधि है. दूसरी बात यह है कि अगर आपके पास अभिस्वीकृति तीन दिन में नहीं मिलने का कोई प्रमाण है, शिकायत है तो आप मुझे वह उपलब्ध करा दीजिए, इसकी जांच करने की जरूरत है कि अभिस्वीकृति नहीं दी है तो हम तत्काल उसकी जांच करा लेंगे.
श्री आर.डी. प्रजापति -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा जो जानकारी रखी गई है उसमें कहीं उल्लेख नहीं है कि विधायक जी को इन-इन पत्रों को, इन-इन दिनांकों में मैंने दिया है, केवल मेरे पत्र ही दिखाए गए हैं कि इतने पत्र दिए गए हैं. एक भी पत्र मुझे उन्होंने नहीं दिया है. दो साल के अंदर हर विभाग के लिए मैंने कम से कम दो हजार पत्र दिए हैं लेकिन एक पर भी कार्यवाही नहीं की गई, अगर की गई है तो मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वे बताएं. दूसरा मेरा निवेदन यह है कि सामान्य प्रशासन विभाग का दिनांक 27.11.2015 का जो आदेश है उस आदेश की कंडिका में जवाब न देने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्यवाही का भी प्रावधान है तो अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से चाहता हूँ कि अगर ऐसा पाया गया तो क्या कार्यवाही की जाएगी ?
श्री जयभान सिंह पवैया -- अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश की जो कंडिका-एक है उसमें माननीय संसद सदस्यों, विधायकों से प्राप्त पत्रों की अभिस्वीकृति तीन कार्यदिवसों में अनिवार्य रूप से भेजने का उल्लेख है और इसी अभिस्वीकृति के आधार पर अंतिम कंडिका में कार्यवाही करने का उल्लेख किया गया है. मुझे जो सूचना है उसके अनुसार अभिस्वीकृति माननीय सदस्य को दी गई है, अगर उन्हें नहीं मिली है तो मैं इसकी जांच के लिए तत्काल कहूंगा और इसकी जांच करा ली जाएगी, अगर दी है तो उसके प्रमाण हम अपने पास मंगा लेंगे और कोई विशिष्ट आपकी शिकायत हो तो आप मुझसे चर्चा कर लें, विशेष रूप से कोई बात हो, कोई शिकायत हो तो बताइये. मैं एक निवेदन और करूंगा कि माननीय जनप्रतिनिधियों का सम्मान प्रजातंत्र में सर्वोपरि होता है और इसलिए शिकायती आवेदन-पत्रों को लेकर बहुत स्पष्ट निर्देश हैं कि इसकी जो पंजीयिका रहेगी, वह हर विभाग में पृथक रहेगी और हर विभाग प्रमुख और कलेक्टर हर महीने में एक समीक्षा बैठक जन प्रतिनिधियों के शिकायती आवेदनों पर करेंगे अगर नहीं कर रहे हैं तो हम तत्काल इसके लिए फिर से निर्देश जारी करेंगे और इसका परिपालन सुनिश्चित करेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, ऐसे निर्देश तो पहले भी दिये जा चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय-- बात आ गई है.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, सभी विधायकों की तरफ से आपसे संरक्षण मांगना चाहता हूं चाहे विपक्ष के हों चाहे सत्तापक्ष के हों. माननीय पवैया जी अभी नये मंत्री बने हैं, बहुत अच्छी बात उन्होंने कही कि पंजी अलग होना चाहिए,जवाब जाना चाहिये. लेकिन किसी विभाग से किसी विधायक को जवाब नहीं मिलता है, आपके निर्देश का उल्लंघन हो रहा है तो क्या मतलब हुआ.
अध्यक्ष महोदय—वह बात आ गई है.
डॉ. गोविंद सिंह—अध्यक्ष जी, बात कहाँ आ गई. आपके निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. एक भी अधिकारी किसी भी जिले में जवाब नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपने पुस्तकालय की जानकारी नहीं पढ़ी इसलिए आप ऐसा बोल रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह—अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग के अनेकों सर्कुलर हैं, आपके निर्देश हैं, पिछली बार भी मंत्री जी निर्देश दिया था लेकिन पालन नहीं हो रहा है.
श्री आर.डी. प्रजापति—अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यहाँ से किसी अधिकारी को भेजकर मेरे सामने जांच कराई जाए नहीं तो फिर पूरे के पूरे फर्जी प्रमाणपत्र दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय--- प्रश्न आ गया है मंत्रीजी ने समाधान भी कर दिया है, डा. साहब आप बैठ जायें.
डॉ. गोविंद सिंह--- अध्यक्ष जी, आपका अधिकार है नहीं बोलने देंगे तो बैठ जाएंगे.लेकिन आप निर्देशित करें..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय--- मंत्री जी उसके लिए स्वयं तैयार हैं, इसमें निर्देशित करने की क्या जरूरत है. बैठ जाइए प्रजापति जी आप. हर्ष यादव जी अपना प्रश्न करें.
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जिला योजना समिति में भी निर्णय हो चुके हैं उसके बाद भी अधिकारी शासन के आदेशों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं. ...(व्यवधान)...संरक्षण दिया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आप हर्ष यादव जी को पूछने दें उनका भी अधिकार है. आप बैठ जाइए. मंत्री जी ने खुद स्वीकार कर लिया और निर्देश भी दे रहे हैं. हर्ष यादव जी, आप पूछेंगे कि नहीं? आप पूछिये
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह तो सरकार की तानाशाही है और अध्यक्ष जी आपके निर्देशों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई है. उन्होंने निर्देश दे दिया है.
डॉ. गोविंद सिंह-- लेकिन उसका पालन तो है, किसी के खिलाफ कार्यवाही तो हो.
अध्यक्ष महोदय-- आप वरिष्ठ विधायक हैं, मंत्री जी ने इतना साफ बोला है कि एक रजिस्टर अलग रखेंगे . आगे भी यदि ऐसी कोई बात हुई है तो वह कार्यवाही करेंगे ऐसा उन्होंने प्रजापति जी से कहा है. अब आप और क्या चाहते हैं. कार्यवाही आगे बढ़ने दीजिये.
डॉ गोविंद सिंह--- आपके निर्देश पहले भी थे लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- डॉ. साहब आप बैठ जाइए, प्रश्न क्रमांक 8.
सागर जिले में अनियमितता के प्रकरणों की जाँच
8. ( *क्र. 2245 ) श्री हर्ष यादव : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अता. प्रश्न संख्या 133 (क्रमांक 4872) दिनांक 10 मार्च, 2016 के उत्तर (ख) में प्राप्त जाँच रिपोर्ट में प्रबंध संचालक, बीज निगम ने अपने पत्र क्र. 3920 दिनांक 22 सितम्बर, 2015 के पैरा 3 में ''अन्य बीज समितियों को दिये गये उत्पादन एवं वितरण अनुदान की भी विस्तृत जाँच की जावेगी'' का उल्लेख किया था? यदि हाँ, तो अब तक कितनी व कौन-कौन सी समितियों की विस्तृत जाँच की गई? समितिवार जाँच परिणामों से अवगत करावें। (ख) प्रारंभिक जाँच प्रतिवेदन की कंडिका 4.4, 4.5 (3), 4.5 (5), 4.5 (6), 4.5 (7), 5.6 (2), 5.6 (4), 5.6 (5), 6.3 (2) एवं 6.3 (3) की जाँच विस्तृत रूप से कब कराई गई? जाँच में कौन-कौन दोषी पाया गया? (ग) गेहूँ प्रदर्शन 2014-15 में नीम तेल के उपयोग के प्रावधान न होने के बावजूद रू. 11.99 लाख के नीमतेल के भुगतान के मामले में क्या राशि वसूली योग्य पाई गई है? यदि हाँ, तो कब तक, किस-किस से वसूली की जावेगी? (घ) प्रश्नांश (क) उल्लेखित जाँच प्रतिवेदन में शासन को गंभीर आर्थिक हानि होना पाया गया है? इस प्रकरण में कौन-कौन से शासकीय सेवक लिप्त पाये गये हैं? इनके विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी? इनकी वर्तमान पदस्थापना का भी विवरण दें?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जी हाँ, जाँच संबंधी विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विवरण प्रश्नांश (क) एवं (ख) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) म.प्र. शासन के पत्र क्रमांक एफ 4ए/22/2015/14-1 दिनांक 04.12.2015 द्वारा आरोप पत्र जारी किये गये। आरोप पत्र के संबंध में अपचारी अधिकारी से प्राप्त बचाव उत्तर परीक्षणाधीन है। तत्कालीन उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला सागर श्री एम.एल. चौहान वर्तमान में उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला नीमच हैं।
श्री हर्ष यादव—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.यह किसानों से जुड़ा हुआ मामला है. विगत 10 मार्च में अतारांकित प्रश्न के माध्यम से मैंने एक प्रश्न किया था. उसका जांच प्रतिवेदन मुझे प्राप्त हुआ है, मैं इस संबंध में माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि डीडीए एम.एल.चौहान, उप संचालक सागर में पदस्थ थे, उन्होंने आर्थिक अनियमिततायें की हैं, करीब 6 करोड़ रुपये का घोटाला है. सहकारी बीज उत्पादक समितियों के लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से करीब 6 करोड़ रुपये की अनियमितता की गई है.
अध्यक्ष महोदय--- आप कृपया सीधा प्रश्न करें.
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि उक्त अधिकारी के खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे?
श्री गौरीशंकर बिसेन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो अतारांकित प्रश्न 10 मार्च 2016 को किया था उस संदर्भ में हमने श्री मांगीलाल चौहान, उप संचालक, सागर जो वर्तमान में नीमच में हैं तथा श्री संदीप यादव,सहायक संचालक, श्री एस.के. जैन, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, श्री मनोज श्रीवास्तव, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, श्री मुकेश चौचंदिया, कृषि विकास अधिकारी,श्री आर.सी. समैया, अनुविभागीय अधिकारी,श्री एम.के. सक्सेना, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, उप संचालक कार्यालय, सागर इन सबकी डिपार्टमेंटल इनक्वायरी प्रारंभ कर दी है और उनको अपना पक्ष रखने का अवसर दिया. यही नहीं इनकी जो जांच है, इसमें जो बिंदु आए थे उनमें कुछ जांच में ऐसा लगा कि पृथक से इसकी जांच कराने की आवश्यकता है. दो समितियां ऐसी आयी थी, जिनमें सन्मति एवं कस्तूरी बीज उत्पादक सहकारी समिति के विरूद्ध हमने उपसंचालक एम एल चौहान के खिलाफ आदेश दिनांक 6-1-2015 के द्वारा उनके ऊपर कार्यवाही प्रारंभ कर दी है और उनको एक पक्षीय कार्यवाही करते हुए उनके ऊपर हमने विभागीय जांच संस्थित कर दी. माननीय अध्यक्ष महोदय, अन्य चार समितियों के संदर्भ में जेडीए सागर कोरी की अध्यक्षता में दो सदस्यीय आर डी शिलावन और हिरेन ओंकार की जांच समिति गठित की और हम इसकी विस्तृत जांच करा रहे हैं. हम इस संदर्भ में बहुत गंभीर हैं. जो भी जांच प्रतिवेदन की रिर्पोट आयगी, उसके अनुसार कठोर से कठोर कार्यवाही हम करेंगे.
श्री हर्ष यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि जब तक यह जांच लंबित है, संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया जाए. चूंकि जांच प्रभावित होगी और जांच सही होना मुश्किल है. मेरा आप से निवेदन है कि आप मंत्री जी को निर्देशित करें कि जब तक यह जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया जाए. यह आर्थिक अनियमितता वाला मामला है. 6 करोड़ रूपये का मामला है.
श्री गौरीशंकर बिसेन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्य रूप से उपसंचालक एम एल चौहान का विषय है, उनका ट्रांसफर नीमच कर दिया गया है. इसलिए जांच प्रभावित होने का प्रश्न ही नहीं उठता है.
श्री शैलेन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये सागर जिले का विषय है. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं जब वो जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं, 11.99 लाख रूपये का उन्होंने गलत भुगतान किया है, ऐसे अधिकारी को अन्यत्र कहीं पदस्थ करने का क्या औचित्य है ? उनको वहां पदस्थ नहीं करना चाहिए.
श्री हर्ष यादव- लाभ दिलाने का औचित्य है ?
श्री गौरीशंकर बिसेन- माननीय अध्यक्ष महोदय, उपसंचालक एम एल चौहान को निलंबित किया जाता है, निलंबन के बाद जांच की जायेगी.
श्री हर्ष यादव- बहुत-बहुत धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
पात्र कर्मियों की परिवीक्षा अवधि समाप्त की जाना
9. ( *क्र. 54 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डी बोर्ड भोपाल द्वारा सीधी भर्ती 2011 में चयनित/नवनियुक्त सहायक उपनिरीक्षक/लेखापाल/सहा. लेखापाल की 02 वर्ष की परिवीक्षा अवधि 05 वर्ष पूर्ण हो जाने पर भी समाप्त क्यों नहीं की गयी? (ख) परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के लिये गोपनीय चरित्रावली की आवश्यकता 2013 तक की है जबकि हर साल गोपनीय चरित्रावली की जरूरत 01-01 साल बढ़ाकर 2016 तक क्यों की गयी? (ग) क्या परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के लिये गोपनीय चरित्रावली समय पर मण्डी बोर्ड भोपाल पहुँचाने का दायित्व आंचलिक कार्यालय तथा मण्डी बोर्ड भोपाल के कर्मचारियों/अधिकारियों का है? यदि हाँ, तो ये दायित्व नवनियुक्त कर्मचारियों पर क्यों थोपा जाता है? (घ) गोपनीय चरित्रावली मण्डी बोर्ड भोपाल पहुंचने के बाद भी वहां इसे गुमाने वाले दोषी अधिकारी/कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की गई?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड में सीधी भर्ती से नियुक्त सहायक उपनिरीक्षक/लेखापाल सेवकों की परिवीक्षा अवधि समाप्ति के लिये गोपनीय चरित्रावली सहित पुलिस चरित्र सत्यापन, जाति प्रमाण पत्र, शैक्षणिक योग्यता का सत्यापन होने के साथ ही विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करना भी आवश्यक है। उक्त औपचारिकताओं की पूर्ति करने वाले कर्मियों की परिवीक्षा अवधि समाप्त की जा चुकी है तथा शेष कर्मचारियों के संबंध में वांछित औपचारिकताओं की पूर्ति हेतु प्रयास किये जा रहे हैं जो कि एक निरंतर प्रक्रिया है। मण्डी बोर्ड में सहायक लेखापाल का पद नहीं है। (ख) परिवीक्षा अवधि समाप्त करने हेतु उत्तरांश (क) में वर्णित अभिलेखों के साथ सेवक के परिवीक्षाकाल अवधि के गोपनीय चरित्रावलियों की ही आवश्यकता है। इसलिये शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। नवनियुक्त एवं अन्य सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को स्वमूल्यांकन दर्ज कर निर्धारित समयावधि में वार्षिक गोपनीय चरित्रावली अपने नियंत्रणकर्ता अधिकारी को प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया जाता है, जो कि एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है और सभी कर्मियों पर समान रूप से लागू है। (घ) इस तरह का प्रकरण संस्था के संज्ञान में नहीं आने से कार्यवाही करने की स्थिति निर्मित नहीं हुई है।
श्री शंकर लाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा प्रश्न इस बात का उठाया गया था कि मंडी बोर्ड भोपाल द्वारा परिवीक्षा अवधि दो वर्षों की मान करके जो सहायक उपनिरीक्षक, लेखापाल, सहायक लेखापाल भर्ती किए गए थे व्यापम के माध्यम से और दैनिक वेतनभोगी नियमित करके बनाये गए थे. उस समय शर्त थी, कि दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि रहेगी और उसके बाद इनको नियमित कर दिया जायेगा. परंतु 5 वर्ष हो चुके हैं और मेरे प्रश्न के उत्तर में जवाब ये आया है कि उनकी चरित्रावली, उनके सारे दस्तावेज अप्राप्त हैं. जबकि दो वर्ष के कार्यकाल के भीतर ही उनके सारे दस्तावेज आंचलिक कार्यालय को भेजे जा चुके हैं. इसके अलावा यह तय था कि परिवीक्षा अवधि दो साल की चरित्रावली पर निर्भर होगी. परंतु वर्ष 2013 के बाद 2014, 2015, 2016 की चरित्रावली का अड़ंगा लगाया जा रहा है. मेरा प्रश्न है कि भोपाल में इन कर्मचारियों का शोषण हो रहा है, और वे नियमित नहीं हो पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप सीधा प्रश्न करिये.
श्री शंकर लाल तिवारी- मेरा सीधा प्रश्न ये है कि परिवीक्षा अवधि समाप्त हो चुकी है. उनकी चरित्रावली, दस्तावेज यहां आ चुके हैं, उन्हें कब तक नियमित किया जायेगा ?
श्री गौरीशंकर बिसेन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले तो हमारे वरिष्ठ सदस्य माननीय शंकर लाल तिवारी जी का स्वागत करना चाहता हूं एवं उन्हें धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं.
श्री शंकर लाल तिवारी- नजरे इनायत है.
श्री गौरीशंकर बिसेन- एक महत्वपूर्ण विषय हमारे नोटिस में उन्होंने लाया है. इससे हमारी सजगता बढ़ी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें पांच दस्तावेजों की जांच करनी पड़ती है. जाति प्रमाण पत्र का सत्यापन, शैक्षणिक योग्यता, पुलिस सत्यापन, विभागीय परीक्षा एवं गोपनीय चरित्रावली. लेकिन गोपनीय चरित्रावली भर्ती दिनांक से दो वर्ष तक भूतलक्षित माना जाएगा. उसके बाद की सीआर को हम नहीं देखते हैं. कर्मचारी को स्थाई करने के लिए उसकी आवश्यकता नहीं होती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, तब से हमने अभी तक परिक्षायें भी ली हैं, और हमारी जो विभागीय परिक्षायें होती हैं उसमें सभी लेखापाल उर्त्तीण हो चुके हैं, चार लेखापाल जो बाकी थे वे भी उर्त्तीण हो चुके हैं. 63 सहायक उपनिरीक्षकों के लिए विभागीय परीक्षा की तारीख 28-08-2016 को नियत की गई है. इसी के साथ-साथ मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि एक विशेष अभियान चलाकर हम इस प्रक्रिया में सरलीकरण भी करेंगे और एक कार्ययोजना बना करके हम इनको नियमित करेंगे. मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि अगस्त महीने तक हम आठ सहायक उप निरीक्षकों को नियमित कर देंगे और लेखापालों को सोलह को, आठ को हमने कर दिया आठ को और कर देंगे. इस तरह से चौबीस हो जाएँगे. बाकी जो रह जाएँगे उनकी सारी फार्मलिटीज पूरी होने के बाद कर देंगे. मैं पुनः तिवारी जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ.
श्री शंकरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का...
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- तिवारी जी स्वागत हो गया....
श्री शंकरलाल तिवारी-- एक सेकंड, कृपया बात आ जाए. मैं भी धन्यवाद दूँगा पर बात जरा साफ हो जाए....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- अभिनंदन हो गया, स्वागत हो गया, धन्यवाद हो गया.
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मुझे संरक्षण दिलाएँ.
अध्यक्ष महोदय-- उनका अधिकार है एक प्रश्न का (श्री सूबेदार सिंह रजौधा जी के खड़े होने पर) रजौधा जी आपका नंबर आ रहा है.
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा अधिकार दूसरे प्रश्न का तब आएगा जब पहले प्रश्न का उत्तर थोड़ा ठीक करा दें. मैं उन्हें इस बात के लिए कि वे वचनबद्ध हैं कि मैं इसको कर दूँगा. अगस्त में कर दूँगा, जो भी उन्होंने कहा, इसमें मेरा कहना यह है कि यह जबर्दस्ती की अड़ंगेबाजी यहाँ के अधिकारी लगाते हैं कि यह डाक्यूमेंट नहीं आया, यह चरित्रावली नहीं आई. यह मंगाना विभाग का काम है इसलिए मेरा कहना है...
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 10....
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरी विनती सुनिए.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आप भाषण देते हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी-- मेरा दूसरा प्रश्न यह है....
अध्यक्ष महोदय-- यह आपका दूसरा ही प्रश्न था.
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैंने अभी दूसरा प्रश्न किया नहीं. मैं यह कह रहा हूँ कि इनको उप निरीक्षक का पदनाम देने की बात सहायक निरीक्षकों को हुई थी और साथ में इसमें कई पढ़े लिखे लड़के हैं जो अन्य विभागो में भी....
अध्यक्ष महोदय-- इसमें वह प्रश्न नहीं है.
श्री शंकरलाल तिवारी-- है. काँपिटिशन में जाना चाहते हैं क्या उनको ये एनओसी देंगे?
अध्यक्ष महोदय-- रेग्यूलर करवाने के बारे में है.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- अध्यक्ष महोदय, अन्य विभाग में जाना चाहेंगे तो एनओसी देंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी-- उप निरीक्षक के पदनाम के बारे में....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 10 श्री सूबेदार सिंह रजौधा.
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय कृषि मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ.
भूदान किसानों की जमीनों पर किसानों को काबिज किया जाना
10. ( *क्र. 1052 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जौरा तहसील के राजस्व ग्राम रकेरा में दिनांक 8-4-1976 में भूदान यज्ञ भोपाल द्वारा 240 बीघा जमीन कृषि के लिये किसानों को दी गई थी? उस पर वन विभाग द्वारा बिना कारण बताये कब्जा कर किसानों को खेती कराने से वंचित कर दिया गया है? (ख) क्या लगभग 10 वर्ष पूर्व गेल इण्डिया लि. द्वारा उक्त भूमि में निकाली गई गैस पाईप लाईन का बतौर मुआवजा वन विभाग को न देकर किसानों को भूमि स्वामी मानकर मुआवजा किसानों को दिया गया था? यदि हाँ, तो स्पष्ट है कि उक्त भूमि पर वन विभाग का अवैध कब्जा है? (ग) क्या उक्त भूमि को किसानों ने कड़ी मेहनत करके पसीना बहाकर उक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया और 4-5 वर्ष खेती भी की लेकिन 1980-81 के समय वन विभाग ने किसानों को डरा धमका कर अपने अधिकारों का भय दिखाकर भगा दिया? (घ) क्या गरीब किसानों द्वारा उक्त भूमि पर खेती करने के उद्देश्य से के.सी.सी. ट्रेक्टर कृषि यंत्र भी ऋण लेकर खरीदे गये और वन विभाग ने उस भूमि पर खेती नहीं करने दी, जिससे किसानों द्वारा लिया गया ऋण कृषि यंत्र औचित्यविहीन अनुपयोगी हो गये और किसान भारी कर्ज में डूब गये? प्रकरण का स्थाई समाधान कब तक कर दिया जावेगा?
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)--
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा किसानों से जुड़ा हुआ प्रश्न है संवेदनशील है. सत्यता पर आधारित है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका व पूरे सदन का संरक्षण चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिए भाषण मत दीजिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार का सदस्य हूँ. मुझे विधान सभा की परंपरा और नियमों का ज्यादा ज्ञान तो नहीं है. लेकिन मैं इतना जानता हूँ कि इस मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सदन में आज जो निर्णय हो जाएगा....
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करें समय निकल जाएगा.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- वह ऐतिहासिक रहेगा. अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में भूदान यज्ञ के दौरान, भूदान यज्ञ बोर्ड द्वारा सैकड़ों किसानों को दो सौ चालीस बीघा जमीन पट्टे पर दी गई थी और किसान उसको आराम से कर रहा था. उस पर उसने ट्रेक्टर फायनेंस करा लिए, उसने कृषि यंत्र फायनेंस करा लिए. खाद, बीज के लिए केसीसी फायनेंस करा ली. इसके बावजूद वह आराम से खेती कर रहा था. लेकिन फॉरेस्ट विभाग ने उनको वन विभाग के कानून का भय दिखाकर के बेदखल कर दिया. आज किसान गाँव छोड़कर शहरों में मजदूरी कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न तो करें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न की भूमिका तो सदन में बता दूँ.
अध्यक्ष महोदय-- भूमिका नहीं. माननीय मंत्री जी, इनका प्रश्न यह है कि किसानों को जो जमीन भूदान में दी थी उस पर वन विभाग वालों ने कब्जा कर लिया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, मुझे पूरी बात कहने दो.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, भाषण नहीं देने देंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- मैं भाषण नहीं दूँगा. मैं महत्वपूर्ण बात कह रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न आ जाएगा. समय हो गया, मैं समय खत्म कर दूँगा. कुल सात मिनट बचे हैं. आप उत्तर नहीं लेना चाहते. भाषण देना चाहते हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में यह माननीय सूबेदार सिंह जी ने जो प्रश्न उठाया पूरे प्रदेश की यह समस्या मेरे ध्यान में आई है. इस प्रश्न के जवाब के लिए जब मैं सारी विषय-वस्तु में गया तो यह अनेक जगह समस्या है कि भूदान यज्ञ बोर्ड के माध्यम से किसानों को जो जमीन दी गई थी उसमें फॉरेस्ट और रेवेन्यू में विवाद होने के कारण कई जगह हजारों एकड़ ऐसी विवादित भूमि पड़ी है. वैसे जहाँ का आपने प्रश्न उठाया मैंने जवाब दिया है कि 1955 में वन के लिए रक्षित घोषित हो गई, 1976 में किसानों को पट्टे मिल गए, 1966 में फॉरेस्ट ने 4 (1) में इसको रिजर्व करने की अधिसूचना जारी कर दी. लेकिन इसमें 4 (1) के बाद भी धारा 20 में फायनल उसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई. ऐसे विवाद की स्थिति है और रेवेन्यू रिकार्ड में अभी वह भूमि सब किसानों के नाम पर ही है इसलिए केवल जौरा और मुरैना के लिए ही नहीं हमने यह तय किया है कि हम एक वरिष्ठ अधिकारी, हमारे जो रिटायर्ड एसीएस रहे हैं दाणी जी, आजकल भू सुधार आयोग का अध्यक्ष भी उनको बनाया है लेकिन उनकी अध्यक्षता में, मैंने कल वन मंत्रीजी से भी बात की थी. एसीएस रेवेन्यू और एसीएस फारेस्ट की एक कमेटी मैं आज घोषित कर रहा हूं. यह समिति 6 महीने के अन्दर ऐसे सारे मामलों का निमयानुसार किसानों के हित में जो भी किया जा सकता है वह हम करेंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय अध्यक्ष महोदय, 6 महीने का समय बहुत ज्यादा है और फारेस्ट के रिकार्ड में कहीं भी यह भूमि अंकित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--यह मंत्रीजी ने स्वीकार किया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--स्वीकार किया है तो 6 महीने का समय क्यों ले रहे हैं. वन विभाग का कहीं कब्जा अंकित नहीं है. वन विभाग कहीं काबिज नहीं है केवल भय का डंडा दिखाया जा रहा है कि वन विभाग के कानून के तहत आपको बंद करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय--इनसे विधान सभा क्षेत्र जौरा का निराकरण जल्दी करना चाहिए. बाकी दूसरों की जांच कराएं तो उचित रहेगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, इतना तो हक इनका बनता है कि इन्होंने ध्यान में लाया है तो सबसे पहले इसका हल करें. अभी जो मुझे जानकारी दी गई है कि वहां पेड़ खड़े हैं वहां कृषि नहीं हो रही है. लेकिन इस सब की जांच कराने के लिए मैंने कमेटी बनाई है लेकिन जौरा के प्रकरण का प्राथमिकता पर निराकरण करेंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी गलत जानकारी दी जा रही है, पेड़ खड़े हैं बताया जा रहा है. जब किसान को खेतों में नहीं जाने देंगे तो पेड़ तो अपने आप उगेंगे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--महत्वपूर्ण प्रश्न है आप उनको तो प्रश्न पूछने दो. (व्यवधान)
श्री दुर्गालाल विजय--इस 6महीने के दौरान स्थिति यथावत रखी जाए यह हमारा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय--वे पूछ लेंगे आप बैठ जाएं. आपको किसने एलाउ किया प्रश्न करने के लिए.
श्री रामनिवास रावत--भाजपा की संस्कृति ने.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी गेल इंडिया ने उसमें पाइप लाइन डाल दी है.
अध्यक्ष महोदय--इनका एक प्रश्न और है कि उस पर ऋण लिया गया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय अध्यक्ष महोदय, गेल इंडिया ने पाइप लाइन बिछाई है उसका मुआवजा उन्हीं किसानों को दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय--वह तो प्रश्न में आ गया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय अध्यक्ष महोदय, के सी सी और ट्रेक्टर के ऋण से दर-दर भटक रहे हैं उन किसानों के प्रति सहानुभूति होना चाहिए. इसे एक महीने में किया जाना चाहिए यह समय सीमा ज्यादा है.
श्री रामनिवास रावत--किसानों को जोतने से 6 महीने तक न रोका जाए.
अध्यक्ष महोदय--आप लोग किसानों का काम होने देंगे कि नहीं होने देंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें जो जानकारी दी गई है कि बैंक से कोई ऋण नहीं लिया गया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय--आप सुन तो लो महाराज.
श्री उमाशंकर गुप्ता--मैं तो वास्तव में आपको धन्यवाद दे रहा हूँ आपकी सभी बातें मान रहा हूँ.
श्री बाबूलाल गौर--महाराज कैसे हो गये, यह भी माननीय विधायक हैं. (हंसी)
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर वहां खेती हो रही होगी तो उसे नहीं रोका जाएगा यह मैं आपको बताता हूँ.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय अध्यक्ष महोदय, क्यों रोकेंगे वे कागज में काबिज नहीं हैं, कहीं उसका कब्जा नहीं है.
प्रश्न संख्या--11
विधानसभा क्षेत्र भितरवार की मुख्य रोड की सड़कों का निर्माण
11. ( *क्र. 1847 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मेरे पत्र क्र. 31 दिनांक 02.06.2016 को स्पष्ट करें? विधानसभा सत्र जुलाई, 2014 में दिनांक 07.07.2014 को प्रश्नकर्ता द्वारा पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 4 (क्र. 2078), में मा. मंत्री महोदय द्वारा सदन में आपसी सहमति उपरांत प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र की भितरवार मुख्य रोड ए.बी. रोड नयागांव से भितरवार तक जिसकी एक मुख्य रोड को ही तीन रोडों का नाम दिया था (1) ए.बी. रोड नयागांव से चीनोर. (2) चीनोर से करईया. (3) करईया से भितरवार को इन रोडों की हालत बहुत जर्जर होने के कारण पी.एम.जी.एस.वाई. से आज ही (07.07.2014 का) लोक निर्माण विभाग में हस्तांतरण कर दिया जायेगा ऐसा आश्वासन दिया था? (ख) प्रश्नांश (क) के रोडों का ग्वालियर जी.एम. या भोपाल से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा 07.07.2014 के बाद विधानसभा में मा. मंत्री जी द्वारा दिये आश्वासन की पूर्ति इतने लंबे समय तक न हो पाने के कारणों का गहराई से अध्ययन करने हेतु कब-कब भौतिक निरीक्षण किया है? क्या उन्होंने इस रोड की हालत से मा. मंत्री महोदय एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी/प्रमुख अभियंता महोदय भोपाल को लिखित रूप से इस रोड के निर्माण हेतु अवगत कराया है? यदि हाँ, तो कब-कब तारीख एवं पत्र स्पष्ट करें? यदि हाँ, तो आज दिनांक तक उक्त रोडों के संबंध में क्या कार्यवाही की गई है? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार उक्त रोडों के संबंध में अब विभाग की आगामी क्या योजना है? इसके निर्माण के लिये विभाग द्वारा अब क्या उपाय किया जायेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश (क) के मार्गों के संबंध में दिये गये आश्वासन अनुसार लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरण हेतु प्राधिकरण के पत्र क्रमांक 19259 दिनांक 24.09.2014 द्वारा लेख किया गया। सड़कों के हस्तांतरण हेतु महाप्रबंधक, म.प्र.ग्रा.स.वि.प्रा. पी.आई.यू. ग्वालियर के पत्र क्रमांक 747 दिनांक 30.05.2014 एवं पत्र क्रमांक 1329 दिनांक 06.09.2014, मुख्यालय स्तर से प्रमुख अभियंता का पत्र क्रमांक 13938 दिनांक 30.07.2014 एवं पत्र क्रमांक 21725 दिनांक 03.11.2014 तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी का पत्र क्रमांक 19259 दिनांक 24.09.2014 एवं पत्र क्रमांक 21272 दिनांक 28.10.2014 द्वारा लोक निर्माण विभाग को अवगत कराया गया। उल्लेखित मार्ग ए.बी. रोड नयागांव से चीनोर के निर्माण का लोक निर्माण विभाग द्वारा डी.पी.आर. तैयार किया जा रहा है। चीनोर से करईया एवं करईया से भितरवार मार्ग को एम.डी.आर. घोषित करने हेतु मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, द्वारा सहमति दी गई है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश (ख) में दिये गये उत्तर अनुसार मार्ग निर्माण की योजना है, अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री लाखन सिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने घोषणा की थी कि आज भी ट्रांसफर कर देंगे लेकिन आज तक वह ट्रांसफर नहीं हुआ. मैं आज मंत्रीजी से जानना चाहूंगा कि आज आप उसकी पुन: घोषणा करेंगे क्या कि यह भी फिर लंबित पड़ी रहेगी. मेरा दूसरा प्रश्न है कि यह रोड बहुत बुरी स्थिति में है यह ध्वस्त रोड है यह 54 किलोमीटर की सड़क है इसमें बीच-बीच में ज्यादा स्थिति खराब है वहां पर क्या आप कुछ मुरमीकरण का कार्य़ करा देंगे क्योंकि प्रोसेस में तो ज्यादा टाइम लगेगा. इन दो प्रश्नों को जवाब दें. यह 50-60 गांवों से संबंधित प्रश्न है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जिस सड़क का प्रश्न किया है यह सड़क बहुत महत्वपूर्ण है. पिछले सत्र में मैंने अपने उत्तर में कहा था कि यह सड़क हम आरआरडीए से पीडब्ल्यूडी को ट्रांसफर कर देंगे. इस संदर्भ में 24.9.14 को पत्र लिखा था. अध्यक्ष महोदय, 30.5.14 , 6.9.14, 30.7.14, 3.11.14, 24.9.14, 28.10.14 को पत्र लिखा गया फिर एक पत्र कल पी.डब्ल्यू.डी के लिये पत्र लिखा गया है. क्योंकि आर.आर.डी.ए. से पी.एम.जी.वाय.एस. के अंतर्गत सड़क नहीं बन सकती है, बहुत हेवी ट्रेफिक है, इस कारण से आवश्यक है कि पी.डब्ल्यू.डी. उस सड़क को बनाये.मैं पी.डब्ल्यू.डी मंत्री से व्यक्तिगत चर्चा करके आज ही कोशिश करूंगा कि जल्दी से जल्दी इसको शामिल कर लिया जाये.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन सूचना
(1) श्री ठाकुर दास नागवंशी - (अनुपस्थित)
(2) श्री दिलीप सिंह शेखावत - (अनुपस्थित)
12.03 बजे औचित्य का प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था.
प्रश्नकाल के तुरन्त बाद ध्यानाकर्षण लिया जाना.
अध्यक्ष महोदय:- पत्रों का पटल पर रखा जाना.
श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधान सभा के जो हमारे कार्य विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम हैं. उसके अनुसार चलायी नहीं जा रही है. इसलिये मैं आपसे अनुरोध करता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- कौन से नियम का उल्लंघन हो रहा है.
श्री बाबूलाल गौर:-माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करूंगा. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के अन्दर जो नियम और प्रक्रिया है और जो हमारे पास है, उसके अन्दर ध्यानाकर्षण प्रश्नकाल के तुरन्त बाद लिया जाना चाहिये. यह हमारी नियम और प्रक्रिया में लिखा है. इसलिये इसके पहले कोई कार्यवाही नहीं हो सकती है.इसलिये मैं नियम को पढ़कर सुनाना चाहता हूं. आप मेरी बात पर ध्यान देंगे. ''पृष्ठ क्रमांक 60 और 61 '' अध्याय 15 ध्यानाकर्षण- कोई सदस्य अध्यक्ष की पूर्व अनुज्ञा से, अविलम्बनीय लोक महत्व के किसी विषय पर मंत्री का ध्यान आकर्षित कर सकेगा और मंत्री संक्षित वक्तव्य दे सकेगा या बाद के किसी समय या तिथि को वक्तव्य देने के लिये समय मांग सकेगा. इसी नियम के (5) में लिखा है कि प्रस्तावित विषय में प्रश्नकाल के बाद इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि और कार्यसूची का कार्य प्रारम्भ करने से पहले उठाया जायेगा. तो ध्यानाकर्षण इस नियम के तत्काल 2 नम्बर पर उठाया जाना चाहिये. इसको 3 नम्बर पर क्यों किया गया है.''
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाईये मैं उनकी बात का उत्तर दे रहा हूं. माननीय वरिष्ठतम सदस्य गौर साहब ने जो प्रश्न उठाया है, उसके बारे में उनका ध्यान ' अध्यक्ष द्वारा दिये गये स्थायी निर्देश की ओर आकर्षित करना चाहता हूं. कृपा करके उनको एक प्रति उपलब्ध करा दें. इसमें पदक्रम लिखा हुआ है कि '' सभा के अध्याय 1- सभा के समक्ष कार्य का क्रम- शपथ या प्रतिज्ञान, राज्यपाल का अभिभाषण, मंत्रियों का परिचय, निधन संबंधी उल्लेख, प्रश्न पांच में है- प्रश्न (अल्प सूचना प्रश्न), सभा का कार्य स्थगित करने के प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति अर्थात् स्थगन प्रस्ताव. विशेषाधिकार भंग संबंधी प्रश्न. नियम 267-क के अधीन ऐसे मामले उठाना जो औचित्य का प्रश्न नहीं हैं. सभा पटल पर रखे जाने वाले पत्र.'' जो अभी हम रख रहे हैं. '' राज्यपाल के संदेश सुनाना. कार्यमंत्रणा समिति के प्रतिवेदन को स्वीकार करने के लिये प्रस्ताव, विधेयकों पर राज्यपाल अथवा राष्ट्रपति की अनुमति के बारे में सूचना. सभा के सदस्यों की गिरफ्तारी, नजरबंदी के संबंध में सूचना. 14 नंबर पर है - ध्यान दिलाने वाली सूचना.'' आपसे अनुरोध है कि आपने जो नियमावली कोड की है वह सही है.
अध्यक्ष महोदय--किन्तु अध्यक्ष के स्थायी आदेश के तहत पदक्रम निर्धारित किये गये हैं, उन पदक्रम के अनुसार यह कार्यवाही चल रही है.
श्री बाबूलाल गौर--जो नियम हैं उसी प्रक्रिया के अंतर्गत कार्यवाही होनी चाहिये. आपके आदेश का हम पालन करेंगे, लेकिन मैं आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--विषय समाप्त हो गया है, विषय उठाने वाले सदस्य जी ने भी सहमति दी है. इसलिये इस पर कोई भी बहस की अनुमति नहीं है. पाईंट ऑफ आर्डर पर कभी भी बहस की अनुमति नहीं होती है. अध्यक्ष द्वारा दी गई व्यवस्था पर कोई विचार-विमर्श नहीं होता है.
शून्यकाल में उल्लेख
श्री आरिफ अकील(भोपाल उत्तर)--- अध्यक्ष महोदय, मेरा अलग मामला है इससे संबंधित मामला नहीं है. भोपाल के पूरे शहर में पीने का गंदी पानी सप्लाई हो रहा है, लोग बीमार और परेशान हो रहे हैं. इसमें जो लोग अयोग्य हैं उनसे वॉटर सप्लाई की व्यवस्था करायी जा रही है. उस बारे में मैंने ध्यानाकर्षण दिया है, उसको आज नहीं लेंगे (XXX). आप उसको सोमवार को ले लीजिये.
अध्यक्ष महोदय--यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, उस पर जवाब तो ले लेंगे.
अध्यक्ष महोदय--जी हां ले लेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, गौर साहब ने बड़ा ही गंभीर विषय उठाया है. नियमों की बाते आयी हैं.
अध्यक्ष महोदय--तिवारी जी का सारा विषय डिसअलाऊड है. नियमों के विपरीत बोल रहे हैं आप कृपया करके बैठ जाएं. यहां पर जनता की समस्याओं की चर्चा हो रही है, यहां पर एकेडेमिक बहस नहीं हो रही है, उसको मैंने अलाऊ भी नहीं किया है.
श्री प्रदीप अग्रवाल(सेवढ़ा)--अध्यक्ष महोदय, पिछले चार-पांच दिनों से मेरे विधान सभा क्षेत्र में लाईट इतनी डिम आ रही है कि 100 वॉट का बल्ब भी जीरो वॉट की तरह जल रहा है. लगातार चार से पांच दिन हो गये हैं वहां पंखे तथा पानी की मोटरें नहीं चल रही हैं. ग्वालियर, दतिया, एवं विधान सभा क्षेत्र के समस्त अधिकारियों से सम्पर्क करने के बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है, उनके द्वारा यह कह दिया जाता है कि मैं क्या करूं व्यवस्था ऊपर से ही खराब है. जिसके कारण लोगों में बहुत ही आक्रोश व्याप्त है, शीघ्र ही व्यवस्था में सुधार किया जाए. किसान व वहां के जानवर प्यासे मर रहे हैं, स्थिति बहुत ही खराब है.
श्री निशंक कुमार जैन(बासौदा)-- अध्यक्ष महोदय, जिस बिन्दु पर आपके माध्यम से सरकार का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं, उस पर निश्चित रूप से आप भी सहमत होंगे तथा पूरा सदन सहमत होगा. मेरा एक सकारात्मक सुझाव है कि प्रति मंगलवार को जो जनसुनवाई होती है इसी सरकार ने यह जन-सुनवाई चालू की है. हम जनसुनवाई के बारे में तमाम अखबारों में पढ़ते हैं कि वह फार्मल्टीज होती जा रही है मेरा आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध है कि क्या उसमें ऐसी व्यवस्था देंगे कि जब भी मंगलवार को जनसुनवाई हो उस क्षेत्र का जो भी सिटिंग सदस्य हो उसको भी उसमें शामिल किया जाए, क्योंकि हम लोग भी जनता की बात करते हैं और आप लोग भी जनता की बात करते हैं.
अध्यक्ष महोदय--इस पर बहस की कोई गुंजाइश नहीं है. बस आपका बात आ गई है.
श्री निशंक कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय,मेरे दो और मुद्दे हैं.
अध्यक्ष महोदय--नहीं एक बार में एक मुद्दा. परसों फिर उसमें समय मिलेगा.
श्री निशंक कुमार-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय--इनके द्वारा जो भी बोला जा रहै उसको नहीं लिखा जाएगा. यह परम्पराएं मत बनाईये एक बार में एक मुद्दा उठाया जाएगा. 2-4 मुद्दे नहीं उठाये जाएंगे.
श्री दिनेश राय मुनमुन(सिवनी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र का ग्राम विजयपानी वहां की एक आदिवासी छात्रा एक प्रायवेट स्कूल में पढ़ती थी उसके साथ दहेज शोषण वहां के शिक्षक ने किया उसकी शिकायत करने के लिये पूरा परिवार कल जब बरघाट थाने में गया तो उनको 2-3 घंटे वहां पर बिठाला गया, उसके बाद उनको कान्हीवाड़ा थाने में पहुंचाया गया और कान्हीवाड़ा थाने में 4 घंटे तक उनकी कोई रिपोर्ट नहीं लिखी गई, वहां के टीईआई ने उनको गोली मारने तक की धमकी दे दी. मुश्किल से मैंने जब हस्तक्षेप किया तब जाकर के रात को 12.00 बजे रिपोर्ट लिखी गई है.
श्री दिनेश राय- मेरा निवेदन है कि ऐसी घटनाओं पर उस आदिवासी छात्रा के साथ सवर्ण जाति के व्यक्ति ने कुकर्म किया है उस पर कार्यवाही हो ।
श्री बहादुर सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, नगर में 3 जून को दंगा हुआ, 18 अपराधी नामजद हैं और 90 अज्ञात हैं । माननीय अध्यक्ष जी, मैंने ध्यानाकर्षण दिया है आप ले भी रहे हैं वह अपराधी आज खुलेआम घूम रहे हैं ।
अध्यक्ष महोदय- जब ध्यानाकर्षण ले रहे हैं तो आप प्रश्न क्यों उठा रहे हैं ।
श्री बहादुर सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न इसलिए उठा रहा हूं कि ध्यानाकर्षण लगने के बाद आज भी 90 अपराधी अज्ञात हैं, 307 के प्रकरण हैं । मैंने 12 तारीख को सबसे पहला ध्यानाकर्षण दिया है । शांति व्यवस्था को लेकर मेरा प्रश्न है । मेरा आग्रह है कि ध्यानाकर्षण पर आप कार्यवाही करें ताकि वह खुलेआम न घूमें । ।
श्री मुकेश नायक- माननीय अध्यक्ष महोदय, ब्लाक पवई,शाहनगर के अंतर्गत आने वाले जितने भी ग्रामीण अंचल हैं वहां पर जो ट्रांसफार्मर खराब होते हैं वह समय पर बदले नहीं जाते हैं । छतरपुर मुख्यालय से वह ट्रांसफार्मर दिए जाते हैं । वहां पर यह कह दिया जाता है कि ट्रांसफार्मर उपलब्ध नहीं हैं । मैं आपके माध्यम से शासन का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि समय पर ट्रांसफार्मर के बदले जाने के निर्देश दें और ट्रांसफार्मर के ट्रांसपोटेशन का भी अरेजमेंट नहीं होता है उसके भी निर्देश देने की कृपा करें ।
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में महीनों से ट्रांसफार्मर जले हुए हैं किसान परेशान है पानी भी नहीं गिर रहा है । किसानों ने जो रोपा तैयार करके रखा है बोनी नहीं कर पा रहा है । मेरा आपसे निवेदन है कि जो जले हुए ट्रांसफार्मर हैं चाहे वह अतरेला हो, लिलवार हो खोचीपुर हो, कई ऐसे गांव हैं जहां महीनों से ट्रांसफार्मर जले हैं । जहां दो साल से ट्रांसफार्मर जले थे, वहां लोक अदालत के माध्यम से गरीबों को नोटिस जारी हो गया है । जहां महीनों ट्रांसफार्मर जले रहे रहते हैं वहां के बिजली के बिल माफ किया जाए और जो जले हुए ट्रांसफार्मर हैं तत्काल बदला जाए ।
पत्रों का पटल पर रखा जाना
12.15 बजे ध्यानाकर्षण
(1) बड़वानी जिले में मनरेगा एवं अन्य योजनाओं में किये गये
कार्य अपूर्ण होना.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, इस ध्यानाकर्षण में मैंने जो मुद्दे उठाये हैं. मैं चाहता हूँ कि मुझे आपका संरक्षण मिले.
अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना विषय इस प्रकार है:-
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) – अध्यक्ष महोदय,
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, जो वर्षों से बड़वानी जिले के अपूर्ण कार्य हैं. इसलिए मैंने ध्यानाकर्षण के माध्यम से यहां विधानसभा में लगाये हैं. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. मैं यह बात माननीय मंत्री जी एवं सदन की जानकारी में आपके माध्यम से लाना चाहता हूँ. मैंने इस विभाग की अनुदान मांगों पर हमेशा अपूर्ण कार्यों को पूर्ण कराने के लिए बात रखी है. उसके अलावा 50 से अधिक बार इन कामों को पूर्ण कराने के लिए, मेरे प्रश्न लगे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ सब इंजीनियर्स, एस.डी.ओस और एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर्स को सस्पेंड करके सरकार इतिश्री करना चाहती है. अभी इसमें इस तरह से जो जवाब दिया है. आपने एक तो यह कहा है कि हरणगांव पुल बन चुका है. यह हरणगांव पुल वह नहीं है, जिसकी मैंने मांग की है, जिसमें 2 बैल मर गए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक राखी का पुल जिसमें सौ प्रतिशत डेढ़ करोड़ रुपए निकाले जा चुके हैं और 50 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र से राउंड लगाकर मध्यप्रदेश में आना पड़ता है ऐसे जो सात-आठ पुलों का मैंने उल्लेख किया है मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी आपने अपूर्ण कार्यों को अभी पूर्ण करने की जो जानकारी दी है कि वर्ष 2015-16 में 5518 तथा 2016-17 में 1472 कार्यों को आपने पूर्ण किया है इसके अलावा माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं आठ महीने पहले तक बड़वानी जिले में 18000 अधूरे काम थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां पहाड़ो से पानी आता है पहाड़ों से आने वाले पानी के लिए नालों पर यह पुल बनना है, गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाती है, जनता और बच्चे परेशान हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वर्ष 2006-07, 2007-08, 2008-09 की मंजूरियां हैं. मैं यह जानना चाहता हूं कि आपने जो छोटी- छोटी राशियां आहरित कर ली हैं ,वह तो आपने बता दिया है लेकिन जिन कामों में राखी पुल में एक करोड़ पचास लाख रूपए निकाले जा चुके हैं तीन किस्तों में राशि निकली है चार सौ मीटर लम्बा पुल बनाया है. आर.ई.एस. को यह बनाने की पात्रता भी नहीं है. मध्यप्रदेश की सरकार ने नियमों और कानूनों की किस तरह से धज्जियां उडा़ई हैं इन कामों से वह भी पता चलता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल दो प्रश्न आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पचास से अधिक बार मैं प्रश्न लगा चुका हूं अनुदान मांगों पर भी मैं इस बात को उठा चुका हूं लेकिन इन नालों के उपर पुल नहीं बने हैं एक तो मैं यह जानना चाहता हूं कि छोटी राशियां तो आपने बता दी हैं एक तो कोडि़या का पुल है उस पर भी 50 लाख में से 34 लाख रुपए निकाले जा चुके हैं उसका भी आपने उल्लेख नहीं किया है. आपका विभाग गुमराह कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय—आप सीधे अपना प्रश्न करें.
श्री बाला बच्चन – मैं यह जानना चाहता हूं कि मैंने जो वर्षों का उल्लेख किया है ऐसी स्थिति क्यों बनी अभी तक यह कार्य पूर्ण क्यों नहीं कराए गए. और दूसरी बात यह है कि कार्य कब तक पूर्ण करा दिए जाएंगे. मंत्री जी समय सीमा बताएं यह कार्य पूर्ण हों, लोगों को इसका लाभ मिले इसीलिए मैंने यह प्रश्न किया है. मेरे आग्रह पर प्राक्कलन समिति भी निरीक्षण के लिए गई थी. मध्यप्रदेश विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने भी अपनी रिपोर्ट वर्ष 2011-12 में दी है.
अध्यक्ष महोदय— अब आप कृपया अपना उत्तर ले लें.
श्री बाला बच्चन – उसने सारे पुलों को देखा है, सारे कामों को देखा है और उनने सही पाया है मेरे सिर्फ दो प्रश्न हैं कि ऐसी स्थिति क्यों बनी. अभी तक कार्य पूर्ण क्यों नहीं हुए और अब यह कार्य कब तक पूर्ण कर लिये जाएंगे जिनका उल्लेख मैंने ध्यानाकर्षण में किया है.
श्री गोपाल भार्गव – अध्यक्ष महोदय, दो विषय हैं एक विषय सबसे पहला यह है कि अपूर्ण कार्य पूर्ण क्यों नहीं हुए. विभाग ने यह तय किया है और मनरेगा अधिकारियों के लिए भी निर्देशित किया है कि जितने कार्य अपूर्ण हैं, सबसे पहले उन्हें पूर्ण करवाया जाए. इसके बाद ही नए कार्यों के लिए अनुमति दी जाए अन्यथा किसी भी कार्य के लिए स्वीकृति नहीं दी जाए. जब तक कार्य पूर्ण नहीं हो जाते पूरे प्रदेश के लिए अब यह नीति लागू रहेगी. दूसरा विषय जहां तक हमारे नेता प्रतिपक्ष ने प्रश्न किया है यह बात सही है कि जिन कामों के बारे में इन्होंने उल्लेख किया है 2006-07 में मनरेगा जब शुरू हुई थी रोजगार गारंटी योजना में यह उस समय के स्वीकृत कार्य हैं. अध्यक्ष महोदय जहां तक मैंने देखा है यह सारे कार्य मुझे स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि इनकी प्रशासनिक स्वीकृति नियम संगत नहीं थी. एक पुल की स्वीकृति तीन-तीन टुकड़ों में की गई है कैसे बन सकता था डेढ़ करोड़ रुपए का पुल मनरेगा में किस तरह से 60:40 अनुपात मेंटेन होता हमारा लेकिन यह मंजूरी दी गई अधिकारियों के विरुद्ध इस कारण से कार्यवाहियां की गईं. कलेक्टर सहित और भी जितने अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी थे सभी के विरुद्ध कार्यवाही हुई हैं कुछ के विरुद्ध एफ.आई.आर. हुई है कुछ के विरुद्ध रिकवरी की कार्यवाही हो रही है लेकिन माननीय सदस्य से कहना चाहता हूं कि ये पुल आज भी मनरेगा के अंतर्गत नहीं बन सकता और इस कारण से हम किसी दूसरी योजना के अंतर्गत या फिर हम किसी दूसरी मद से इसे व्यवस्थित करके और बनवाने की कोशिश करेंगे. बहुत साफ तौर से मैं यह बात कहना चाहता हूं क्योंकि यह बात सही है कि जिन कामों के बारे में लिखा है कुछ कार्य पूर्ण भी हो गए हैं लेकिन जो कार्य अपूर्ण हैं वह सिर्फ इस कारण से हैं क्योंकि वह अनुपात ही मेंटेन नहीं हो पाता है दूसरी बात जो टेक्निकल स्वीकृत थी.
श्री बाला बच्चन – कौन सा कार्य पूर्ण हुआ है यह जो मैंने उठाया है.
अध्यक्ष महोदय – उत्तर तो आ जाने दीजिए.
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय ,आप मुझे इसमें अवसर दीजिए. सरकार मंत्रियों को भी किस तरह से गुमराह कर रही है, उसका मैं पर्दाफाश करना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह आज का विषय नहीं है और माननीय सदस्य ने इस बात को स्वीकार किया है कि प्राक्कलन समिति ने भी खुद दौरा किया. उसकी रिकमंडेशन भी है और उसी के संदर्भ में, उसी के परिप्रेक्ष्य में कार्यवाहियां भी की गई हैं और आगे जो भी अपूर्ण कार्य हैं, हम किसी न किसी योजना के अंतर्गत उन्हें करवाने का काम करेंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जिस तरह से अनुदान मांग पर सब की बात सुनने के बाद भाषण देते समय..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, कृपा करके इस पर बहुत समय हो गया है और आपने दो प्रश्न कहा था, दोनों के उत्तर आ गये.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, जिस परपज से ध्यानाकर्षण मैंने लगाया, उसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं, लेकिन मैं यह आग्रह करना चाहता हूं कि ध्यानाकर्षण लगाने के बाद भी और 50 बार प्रश्न पूछने के बाद भी, अनुदान की मांगों पर चर्चा के बावजूद भी अगर यह पुल नहीं बनते हैं और राशियां निकाली जा चुकी हैं. ठीक है, आपने किन के खिलाफ कार्यवाही की है, उससे हमको मतलब नहीं है. क्षेत्र की जनता के लिये आप समय सीमा बतायें. वित्त मंत्री जी भी आपके पास बैठे हैं. यह पुल कब तक बना दिये जायेंगे. अध्यक्ष महोदय, मुझे इसके लिये आपका संरक्षण चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो जांच करके कार्यवाही ही कर सकता हूं. हमारा कोई अधिकारी अगर हवाई अड्डा मनरेगा से बनवाना चाहे तो मैं क्या उसके लिये स्वीकार करुंगा.
अध्यक्ष महोदय -- श्री बाबूलाल गौर.
श्री रामनिवास रावत -- आप इसके लिये ग्रांट से तो पैसा दे सकते हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैंने उसके लिये पनिश किया है. हमने दंडित किया है, सारे अधिकारियों को.
श्री रामनिवास रावत -- आप इसके लिये परफारमेंस ग्रांट से पैसा तो दे सकते हैं. इनको पूर्ण कराने के लिये.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने उत्तर में कहा है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य गण, बाबूलाल गौर जी खड़े हैं, अब कृपया उनका सम्मान करें और आप बैठ जायें.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, इतनी लापरवाही हुई है. ..
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात लम्बी हो गई. वाद विवाद के लिये ध्यान आकर्षण नहीं होता, यह आपको भी मालूम है. आप इतने वरिष्ठ सदस्य हैं. आप प्रतिपक्ष के नेता हैं. मैंने आपको बहुत समय दिया है, आपका मान रखते हुए, अब आप कृपया आसंदी की बात मानिये. आपका मान रखते हुए इतना समय दिया, दूसरे सदस्यों को इतना समय नहीं देता. ..
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मैं केवल यह चाहता हूं कि यह मेरे क्षेत्र की जनता से जुड़ा हुआ मामला है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आप यह तो निर्देश दे सकते हैं कि कहीं न कहीं से उन्हें पूर्ण करा दें. अधूरे पड़े हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, कोई निर्देश नहीं. श्री बाबूलाल गौर जी.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, फिर विधान सभा में यह विषय लाने का मतलब क्या बच जायेगा. ..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, कृपया अब नहीं. यह जिद नहीं चलेगी.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, 10 साल से अधूरे पुल हैं...
अध्यक्ष महोदय -- आप जबरदस्ती नहीं कर सकते.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि लापरवाही है, अनियमितताएं हैं..
अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके जबरदस्ती नहीं कर सकते.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, तो कहीं से उनको बनवाने के लिये तो कह दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- यह तो उन्होंने खुद ने कह दिया.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, नहीं बोला है.
अध्यक्ष महोदय -- कहा है कि किसी और दूसरी व्यवस्था से बनवायेंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, किसी और व्यवस्था के अंतर्गत बनवा दें..
अध्यक्ष महोदय -- कहा है उन्होंने. कृपा करके रिकार्ड देख लीजिये आप. उन्होंने कहा है कि हम किसी और व्यवस्था से बनवाने का प्रयत्न करेंगे. यह लिखा है उसमें.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, उसकी समय सीमा बतवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, समय सीमा नहीं बतवा सकते. श्री बाबूलाल जी गौर.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, फिर हम यहां विधान सभा में बैठ कर क्या करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- इसका निर्णय आप करिये. दिस इज नन ऑफ माय मेटर.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, फिर हम विधान सभा में बैठकर क्या करेंगे. आप बताइये...
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, यह निर्णय आप करिये. श्री बाबूलाल गौर.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गलत है. यह बहुत गलत बात है. आप समय सीमा बतवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप इस तरह से जिद नहीं कर सकते. कृपया बैठ जायें.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आप मंत्री जी से समय सीमा नहीं बतवा सकते.
अध्यक्ष महोदय -- आप जिद नहीं कर सकते. आप खुद मंत्री रह चुके हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, तो हम क्या कर सकते हैं, यह बताइये.
अध्यक्ष महोदय -- आप वरिष्ठ सदस्य हैं. आप प्रतिपक्ष के नेता हैं. यदि आप ही मर्यादा का पालन नहीं करेंगे, तो माननीय सदस्य गण कैसे करेंगे. आप कृपा करके बैठ जायें. मैंने आपकी बहुत मर्यादा रखी है.
श्री रामनिवास रावत -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- अब यह कुछ नहीं लिखा जायेगा. अब बात हो गई. वे अपनी बात पूछने के लिये सक्षम हैं. आप बैठ जाइये, मैंने आपको एलाऊ नहीं किया है. (श्री मुकेश नायक के खड़े होने पर) आप भी बैठ जाइये. नो बडीज अलाउड. श्री बाबूलाल गौर जी को मैंने बुलाया है, उनके सिवाय कोई खड़ा नहीं होगा. कुछ लिखा नहीं जायेगा.
श्री रामनिवास रावत -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब हो गई बात.
श्री मुकेश नायक -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- मैंने समझ लिया है. आप बहुत समझाते हैं सबको. आप सबको बहुत ज्ञान देते हैं, जरा खुद पढ़ लिया करिये अपना. कृपा करके अब यह ज्ञान देना आप बंद करिये. दूसरी भूमिका ले ली है आपने. ज्ञान देने की भूमिका छोड़ दें. श्री बाबूलाल गौर.
श्री मुकेश नायक -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आपको बोलने के लिये एलाऊ कहां किया है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आप मंत्री जी से समय सीमा नहीं बतवा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं बतवा सकते हैं. आप जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं.
श्री मुकेश नायक -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी बोल चुके हैं. मैंने उनको बहुत समय दिया. उनकी मर्यादा रखते हुए, उनको भी मर्यादा रखनी चाहिये थी.
श्री मुकेश नायक -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- इस तरह से जिद की जायेगी क्या. यह हद करते हैं आप.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि हमारे विधान सभा क्षेत्र में प्राक्कलन समिति गई है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कुछ बोलना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, बोल दीजिये, कुछ बोलना चाहते हैं तो.
पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) – अध्यक्ष महोदय, मेरे उत्तर से स्पष्ट है, मैं किसी अधिकारी को बचा नहीं रहा हूं, मैं किसी बात को छिपा नहीं रहा हूं. बात रही शेष कि किस मद से किस विभाग के द्वारा शेष निर्माण कार्य पूर्ण होंगे. पीडब्ल्यूडी मंत्री और भी संबंधित मंत्री मैं भी अपने विभाग के बजट से और देखूंगा कि यदि व्यवस्था हो सकती है. समय सीमा बताना इसलिए संभव नहीं है कि हम किसी बात में बंध जाएंगे और पूरी नहीं होगी, तीन काम हो सकते हैं, तीन काम नहीं भी हो सकते हैं. अध्यक्ष महोदय इस कारण से मैं यह कहना चाहता हूं लेकिन पूरी कोशिश करूंगा कि जो रूके हुए काम हैं, उनको पूर्ण किया जाएगा.
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
(2) भोपाल एवं इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना के कार्यान्वयन में विलम्ब होना
श्री बाबूलाल गौर (गोविंदपुरा)– अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
मंत्री, नगरीय विकास एवं आवास (श्रीमती माया सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में इस ध्यानाकर्षण का उत्तर देखकर मुझे बहुत दया आ रही है और यह सरकार की सक्षमता पर एक प्रश्नचिह्न है.अध्यक्ष महोदय,मंत्री जी स्वीकार कर रही हैं कि 6-7 साल पूर्व योजना बनाई गई थी और उसकी Pre-Feasibility Study (PFS) प्रारंभ कर दी थी. इस बात को आप स्वयं स्वीकार कर रही हैं कि इसका निर्णय हो गया था और जब मैं स्वयं इस विभाग का मंत्री था और 6-7 साल के बाद मे 2015 में मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी का गठन कराया गया. जबकि 6-7 वर्ष पूर्व ही योजना शुरू हो चुकी है फिर Pre-Feasibility Study (PFS) के बाद क्या क्या कार्यवाही विभाग के द्वारा की गई, क्या प्रगति हुई और उसके बाद में अभी भी कह रही हैं कि हमें देखना है, हम देख रहे हैं, हम देखेंगे. अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के एक प्रधान मंत्री जी यह शब्द बोलते थे. यह तो हम भी देख रहे हैं कि 6-7 साल में यही हो रहा है और मंत्री जी कह रही हैं कि हमने भारत सरकार को ऋण के लिये प्रकरण भेजा है. प्रकरण कब भेजा है बता दें और कौन कंसलटेन्ट बनाया है, बता दें. ऐसा अधिकारी बनाया है जिसको रेलवे का अनुभव नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्न करें.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय 2-4 मिनट तो बोल लेने दें. आप कहेंगे तो मैं बैठ जाऊंगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न कर लें.
श्री बाबूलाल गौर- अध्यक्ष महोदय, बड़ा महत्वपूर्ण मामला है इसलिये मेरा यह निवेदन है कि यह इंदौर और भोपाल का प्रश्न नहीं है, राजस्थान में जयपुर के अंदर मेट्रो शुरू हो गई है, हमारे बाद प्रारंभ हुई और वहां शुरू हो गई. इसी तरह से उत्तर प्रदेश के लखनऊ मे मेट्रो शुरू हो गई, सिकन्दराबाद में शुरू हो गई, एक साथ यह योजनायें शुरू की गईं थी और हम अभी तक देख ही रहे हैं. देखना है, हम प्रतिवेदन भेज रहे हैं. किस तारीख को प्रतिवेदन भेजा और किस अधिकारी को इस काम के लिये नियुक्त किया है , भोपाल मेट्रो कंपनी के इंजीनियर इन चीफ का रेल के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है, कितना अनुभव है हमें पता है यह वेयर हाउस कार्पोरेशन के अधिकारी हैं ,यह क्या रेल चलायेंगे, तो यह ब़ड़ा दया का उत्तर है . इसलिये मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि डिटेल में बतायें कि किस तारीख को प्रतिवेदन भेजा है, कितनी लागत की यह योजना है और यह कब तक शुरू हो जायेगी ?
श्री गौरीशंकर शेजवार-- बैठक तो आपके यहां ही हुई थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- गोविंद सिंह जी, आपके बारे में तो शेजवार साहब की ओर से यही कह सकता हूं कि "गाली हुजूर की तो लगती दुआओं जैसी". ....(हंसी)....
श्रीमती माया सिंह-- माननीय गौर जी, आपने पूर्व मुख्यमंत्री पटवा जी के समय भी और अभी वर्ष 2009 से 2013 तक इस विभाग को संभाला है और मैंने तो यह जिम्मेदारी अभी कुछ समय पूर्व ही संभाली है और आप इस बारे में सब जानते हैं और आपने जिस तरीके से सवाल पूछा है.
श्री गौरीशंकर शेजवार-- मैं स्थानीय शासन मंत्री जी को बहुत बधाई देना चाहता हूं कि इतना अच्छा बिलकुल परफेक्ट और सही समय पर वह कितना अच्छा उत्तर दे रही हैं, गौर साहब को तो निरूत्तर होना चाहिये.
श्रीमती माया सिंह-- मुझे तो यह लगा था कि गौर साहब पीठ थपथपायेंगे कि इतनी जल्दी इतने सारे काम हो गये हैं और यह इंदौर और भोपाल के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.
श्री बाबूलाल गौर-- प्रतिवेदन कब पेश किया है, कितने रूपये का ऋण मांगा है आप यह तो बतायें, मुझे तो पुलिस विभाग दे दिया था.
अध्यक्ष महोदय-- वह उत्तर दे रही हैं.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय गौर साहब जी, मैं आपको बताना चाहती हूं कि आपने कहा, क्या किया है. यह 6-7 साल पहले की जो बात कह रहे हैं कि यह शुरू हुई तो 2010 और 2011 में इसका पीएफएस कराने का निर्णय लिया और उसमें भी विस्तार से सारी जांचें होती हैं, उसके बाद ही यह सब तैयार होते हैं. पीएफएस के बाद मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने यह किया था और इसकी डीपीआर तैयार करने की कार्यवाही फिर 2013 में प्रारंभ कर दी गई और उसके बाद डीपीआर के अंतरिम प्रतिवेदन के आधार पर मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी का गठन किया गया, यानी स्टेप वाई स्टेप यह काम किये हैं. मेट्रो रेल का काम ऐसा नहीं है कि हम सड़क सीमेंट, कांक्रीट की बनायें और जल्दी कर दें, इसके लिये हर चीज को देखना पड़ता है, परखना पड़ता है. इस कंपनी के गठन के पश्चात् बहुत ही तेज गति से डीपीआर सारी पूरी की गईं और भारत सरकार के शहरी मंत्रालय को भेज भी दी गईं और डीपीआर के अनुक्रम में तकनीकी समीक्षा की गई और जो विभिन्न विभाग हैं, संबंधित विभागों, मंत्रालयों से अभिमत प्राप्त करके जो प्रतिवेदन है वह हमनें भारत सरकार को सौंपा है और इसी के साथ-साथ विभाग ने परियोजना की वित्तीय व्यवस्था के लिये जापान की जो कंपनी थी जायका, उससे लोन लेने का प्रस्ताव भी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया है तो आपने कहा क्रम बाय क्रम बतायें, तो यह सब इसलिये मैं बता रही हूं, पूर्व में भी अपनी बात मैंने कही है, लेकिन मैं फिर यह कहना चाहती हूं कि प्रथम चरण में जो काम हुआ प्री-फिजिबिलिटी स्टडी का वह हमारा ओके हुआ है, फिर दूसरे में डीपीआर बनाने का है वह हमारा ओके हुआ है. तृतीय में मध्यप्रदेश शासन से अनुमोदन है उसको भी ओके करके जल्दी हमने भेज दिया है और उसे भारत सरकार के अनुरूप ही मेट्रो रेल कमेटी का भी गठन हुआ है और पंचम में मतलब अब कंसल्टेंट के चयन की प्रक्रिया भी हम जल्दी शुरू करेंगे और इसके साथ ही साथ आपने पूछा है कि इसके खर्चे की बात, तो मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि मेट्रो परियोजना का क्रियान्वयन हम चरणवार कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि हम प्रथम चरण को 2016 और 2017 में प्रारंभ करेंगे और यह 2021 और 2022 तक पूर्ण हो जायेगा. प्रथम चरण में भोपाल में 28 किलोमीटर नेटवर्क है और इंदौर का 32 किलोमीटर का नेटवर्क इसमें क्रियान्वित होगा.
आपने लागत की जहां तक बात कही है तो वह यह जो प्रथम चरण का काम है वह भोपाल में 7 हजार करोड़ का और इन्दौर में लागत लगभग 8-9 हजार करोड़ रुपये की होगी और साथ ही साथ मैं यह बताना चाहती हूं कि 6 परियोजनाओं द्वारा "जायका" को प्रस्ताव भेजा गया है भोपाल है,इन्दौर है,चेन्नई-दिल्ली फेज-4 का है, विशाखापट्टनम का है, विजयवाड़ा का है और 6 में से 2 जो है हमारे हैं देश के 6 शहरों में से 2 जो हैं वह हमारे लिये गये हैं और साथ ही साथ मैं आपको यह भी बताना चाहती हूं कि सलाहकार जो हैं रोहित एसोसियेट्स आर्कीटेक्ट्स एण्ड इंजीनियर्स प्रायवेट लिमिटेड यह इसमें कंसलटेंट लिये गये हैं और 6-7 साल पहले ही पी.एफ.एस. करा दिया गया था. यह अनिवार्य प्रक्रिया है. तभी प्रोजेक्ट सफल हो पाता है और इसको करने में आदरणीय गौर साहब समय लगता है. यह बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है और साथ ही साथ बाहर से ऋण भी लिया जाता है तो इसमें कुछ समय तो लगता है इसलिये राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में कार्यवाहियां हमने बहुत तेजी से पूर्ण कर ली हैं और इस संबंध में किसी भी प्रकार का जनता में आक्रोश नहीं है बल्कि प्रसन्नता है कि इन्दौर और भोपाल को मेट्रो रेल की सुविधा मिलेगी इसीलिये वह खुश हैं.
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय,एक-दो प्रश्न मेरे और हैं. मैं यह चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के भोपाल और इन्दौर में किस प्रकार की मेट्रो ट्रेन बनेगी. पिलर्स पर बनेगी या अण्डरग्राउण्ड बनेगी और वह किस-किस एरिये से जायेगी और वह लग्जरी बनेगी या आर्डनरी बनेगी यह तो आप बता दें अगर आपने और आपके अधिकारियों ने अध्ययन किया हो. न हीं तो मुझे उस सीट पर बैठने की अनुमति दें तो मैं बता दूं.
(.. हंसी..)
अध्यक्ष महोदय - वह अधिकार उनका कहां है.
श्रीमती माया सिंह - मैं उनसे आग्रह कर रही हूं कि आप आईये हम लोग साथ-साथ बैठेंगे हम लोग अलग नहीं है. लाईट मेट्रो भोपाल की दो लाईनें हैं..
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय,2021 में शुरू होगी. आप भी नहीं रहेंगे हम भी नहीं रहेंगे विधान सभा में. खूब योजना आपने बनाई है और मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि हमारे देश के माननीय मेट्रो मेन श्रीधरन से हमारी तीन बैठकें हुई थीं और 20 जुलाई,2010 को दो दिन हम भोपाल, इन्दौर में घूमे उन्होंने कहा कि मैं पांच साल के अन्दर भोपाल में मेट्रो चालू कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - आप उत्तर तो ले लें.
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय,क्या उत्तर लें. हो गया उत्तर. जो बताने को तैयार नहीं हैं.
श्रीमती माया सिंह - अध्यक्ष महोदय,ये पी.एफ.एस.2010 से 2013 में सम्पन्न हुआ और केवल पी.एफ.एस. में ही तीन साल लगे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - गौर जी आपको क्या करना. आप तो यू.पी. के गवर्नर बनने जा रहे हैं. अब भोपाल की मेट्रो से आपको क्या करना.
श्री बाबूलाल गौर - बनवा दो तो चले जायेंगे आप तो भोपाल में भी नहीं रहने देना चाहते.
(...हँसी...)
डॉ.नरोत्तम मिश्र - ये भोपाल और ये गोपाल दोनों की युक्ति है.
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मैं एक बात कहना चाहती हूं.
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संतुष्ट नहीं हूं. मैं नहीं पूछना चाहता. मैं बहुत निराश हूं इस मामले में.
श्रीमती माया सिंह - मैं केवल यह कहना चाहती हूं कि इसी में तीन साल लगे हैं जो फिजिबिलिटी टेस्ट किया है पी.एफ.एस. का और उस समय माननीय गौर साहब मंत्री थे और 2013 में यह सम्पन्न हुआ तो मैं आपसे सवाल पूछना चाहती हूं कि आप नगरीय विकास मंत्री थे तो इसमें 3 साल क्यों लगे, इसमें देरी क्यों हुई ?
श्री बाबूलाल गौर - मैं मंत्री होते हुए भी वित्त विभाग द्वारा इसकी स्वीकृति नहीं हुई और उसको इंटरनेशनल टेण्डर को कहा गया और भोपाल की मेट्रो भारत सरकार के रेल विभाग को दे दी जाती तो अब तक प्रारम्भ हो जाती. यह मेरी राय थी.
श्री जितू पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी, बहुत अच्छी वार्ता हुई है क्योंकि उन्नति और विकास के लिये सारी आवश्यकता है, सत्ता पक्ष के दल से मेरा सवाल इतना है कि मंत्री जी ने बताया है कि 9000/- करोड़ रूपये इसमें मिला है. हम बच्चों की, बेटों की, परिवार जनों की, बुजुर्गो की भावनाओं की कद्र करके उनका काम जल्दी से पूरा करायें. श्री बाबूलाल गौर जी ने खुद ने कहा मैं रहूंगा नहीं तो उस मेट्रो का करूंगा क्या, तो मैं समझता हूं कि यह सवाल खड़ा है इसलिए सरकार थोड़ा जल्दी करे और दूसरा यह जायका कंपनी को जो काम मिला है, जहां तक श्रीधर जी की 2010 में मीटिंग और घूमने की बात आदरणीय श्री बाबूलाल गौर जी ने भी कही....
अध्यक्ष महोदय - आप भाषण मत दीजिये आप सीधा प्रश्न करिये. आपका नाम नहीं है फिर भी मैंने एलाउ किया है .
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय सीधा प्रश्न यह है कि किसी भी कंपनी को जो काम दिये हुए हैं, उससे जो अनुबंध हो रहे हैं, उसमें क्या स्पष्टीकरण है कि टाईम पर अगर नहीं हुआ तो उसके लिये उनके ऊपर कोई कार्यवाही की जाएगी, जायका के अलावा सभी अनुबंध में.
श्रीमती माया सिंह - मेरा यह कहना है जायका को काम नहीं मिला है बल्कि इससे उल्टा है हम तो उससे लोन ले रहे हैं. इसके लिये हम उससे पैसा ले रहे हैं . आपने जो सवाल पूछा है वह यही है .
श्री जितू पटवारी - मंत्री जी उसमें समय की पाबंदी थी कुछ बातें आपको समझनी पड़ेंगी.
अध्यक्ष महोदय - इस पर अब कोई बहस नहीं होगी.
श्रीमती माया सिंह - समय सीमा का सवाल है तो कोशिश की जा रही है कि बहुत तेजी से इसका काम हो.
अध्यक्ष महोदय - श्री अजय सिंह अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
श्री अजय सिंह - मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना इस प्रकार है-
लोक निर्माण मंत्री (श्रीरामपालसिंह)--अध्यक्ष महोदय,
श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने मेरे ध्यानाकर्षण के उत्तर में कहा कि...
श्रीमती ऊषा चौधरी अध्यक्ष महोदय,मैंने भी इस संबंध में ध्यानाकर्षण दिया था. जहां तक आक्रोश का मामला है. लोगों ने आंदोलन करके सतना कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया था. सतना कलेक्टर ने प्रोटोकॉल फॉलो न करते हुए हिटलरशाही की और ज्ञापन नहीं लिया.
अध्यक्ष महोदय-- अजय सिंह जी आप प्रश्न करिये.
श्रीमती ऊषा चौधरी--अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय--अभी प्रश्न तो शुरु करने दें.
श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, सतना शहर के बीचोबीच यह फ्लाईओवर का निर्माण हो रहा है. माननीय मंत्रीजी ने कहा कि मैंने अपने ध्यानाकर्षण में यह कहा है कि बस स्टेंड जो पूर्व और पश्चिम में बना दिये जाते हैं, प्रस्तावित हैं, अभी बने नहीं. यदि बन गये होते तो ट्रेफिक का दबाव नहीं होता. दूसरी बात, जो रिंग रोड़ की बात है तो एक अधूरी है और एक चालू है. यदि वही सही तरीके से हो जाये तो इस फ्लाईओवर का निर्माण शहर के बीचोबीच चूंकि शहर में एक ही रोड़ है जिससे लगता है सतना ‘शहर’ है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पहला प्रश्न पूछना चाहता हूं कि फ्लाईओवर निर्माण के पहले क्या कोई सर्वे किया गया? क्योंकि चाहे रेल्वे ब्रिज हो या कोई फ्लाईओवर हो उसके लिए ट्रैफिक का सर्वे किया जाता है. मंत्रीजी बता दें कि सर्वे कब कराया गया?
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय,जहां तक ट्रैफिक सर्वे की बात है वहां के जन प्रतिनिधि और जनता की तरफ से यह मांग आयी थी. वहां पर कई बार दुर्घटनाएं होती थीं. वहां पर कॉलेज,स्कूल है उस मांग को देखते हुए शासन ने बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय लिया और एक बड़ी सौगात (उपलब्धि) सतना को दी है.
श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया. बिना सर्वे के कोई फ्लाईओवर का निर्माण नहीं किया जा सकता. आप कहते हैं कि सतना की जनता ने कहा. यदि जनता की चिन्ता है और वहां पर कॉलेज,स्कूल है तो कोठी चौराहे से लेकर गहरिया नाला तक पूरा फ्लाईओवर बना दीजिए तो कॉलेज,स्कूल प्रभावित नहीं होंगे, ट्रैफिक उधर चला जायेगा लेकिन बीचोबीच एक फ्लाईओवर रेल्वे ओवर ब्रिज वाला उतरता है और उसके बीच में कुछ नहीं है और फिर एक फ्लाईओवर ! उसका कोई औचित्य नहीं है. जब सर्वे नहीं है तो फिर कहां से आप फ्लाई ओवर बना रहे हैं? उसका उत्तर दे दें, सर्वे क्यों नहीं हुआ?
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने उत्तर दे दिया है.
श्री अजय सिंह - बिना सर्वे के कैसे फ्लाई ओवर का निर्माण कर सकते हैं? बिना सर्वे के क्या कोई फ्लाई ओवर सरकार बना सकती है?
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि सर्वे किया जाय. लेकिन वहां से मैं आपको बता सकता हूं कि 24 घंटे में लगभग 50000 वाहन वहां से निकलते हैं. वहां पर एक्सीडेंट हुए हैं, थाने से इसके आप आंकड़ें ले सकते हैं, इसलिए वहां पर यह कार्य स्वीकृत किया गया. यह सतना की मांग पर किया गया है. यह बहुत अच्छा काम है. इसकी आपको प्रशंसा करना चाहिए.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर गोल-मोल दे रहे हैं. उसका सर्वे नहीं कराया है. मैं दूसरा प्रश्न पूछ लेता हूं कि जिस कंपनी को ठेका मिला है, स्काई लार्क, उस कंपनी ने हिन्दुस्तान भर में पहले किसी फ्लाई ओवर का निर्माण किया है अथवा नहीं?
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य से निवेदन करना चाहूंगा कि यह सब परीक्षण होते हैं. आप मंत्री रहे हैं. वह कंपनी अर्हता पूरी करती है इसलिए उसको काम दिया गया है. जो आप कह रहे हैं तो उस कंपनी की जहां तक बात है तो मैं आपको बता सकता हूं कि बैन गंगा एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड, मुम्बई, उसमें 33 करोड़ 78 लाख रुपए का काम किया है. पुल का काम भी 25 करोड़ रुपए का किया है, वे मापदंड पूरे करते हैं इसलिए चीफ इंजीनियर ने स्वीकृति दी है और बकायदा परीक्षण किया है.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, स्काई लार्क कंपनी ने किसी पुल का निर्माण नहीं किया है. कहीं फ्लाई ओवर का निर्माण नहीं किया. यह वही कंपनी है जिस कंपनी को मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग ने आपरेशन मेंटीनेंस और सिक्युरिटी का काम दिया था, जो इंटरस्टेट नाके बने हुए हैं, उसमें सिक्युरिटी का इनका फर्जी दस्तावेज था, उसको निरस्त किया गया. मेरा सीधा प्रश्न करना चाहता हूं कि उच्च स्तरीय किसी अधिकारी के माध्यम से इसके औचित्य की जांच करा ली जाए और क्या इस कंपनी ने कोई दूसरा फ्लाई ओवर बनाया है तो आप फ्लाई ओवर बनाएं और यदि बहुत ही ज्यादा चिंता है तो आदरणीय श्री शंकरलाल तिवारी जी की सहमति में उनके साथ हूं तो फ्लाई ओवर कोठी नाके से लेकर पूरे गहरा नाला तक फ्लाई ओवर बनवा दीजिए, पूरे सतना की समस्या हल हो जाएगी.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद)- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि जो नागौद से रीवा रोड है, यदि इनको फ्लाई ओवर बनाना है तो सोहावल मोड़ से गहरा नाला तक बनाया जाय. सतना की सीधी रोड पर फ्लाई ओवर से अतिक्रमण नहीं होने देना चाहिए. फ्लाई ओवर बनाना है तो इसके पहले नागौद रोड से सोहावल मोड़ से अमरपाटन और मैहर, रीवा तक का बाईपास इधर से बना है, उधर बाएं हाथ से भी बायपास कोठी रोड से मिलते हुए सज्जनपुर तक बायपास बना है. सतना में इसका कोई औचित्य नहीं है. हम सभी विधायक, मैं एकाध की बात नहीं करता हूं, कौन से विधायक ने मंत्री जी से आवेदन दिया है कि मंत्री जी, आप 45-46 करोड़ रुपए किसी के कहने से सतना फ्लाई ओवर का निर्माण कर रहे हैं. मैं विधायक हूं, आदरणीय भैया हमारे प्रतिपक्ष के नेता जी वहां से चुनाव लड़े, उन्हें सब व्यापारियों और अन्य संगठनों ने लिखकर दिया. सतना के कलेक्टर को व्यापारियों और शहर के लोगों ने लिखकर दिया, इसलिए मैं चाहता हूं कि फ्लाई ओवर की जगह वही पैसा यदि बायपास में लगा दें तो बहुत अच्छी यह बात होगी. फ्लाई ओवर न बनाया जाए, फोरलेन रोड बना दी जाय तो आवागमन के लिए अच्छा रहेगा. न वहां पर कोई कॉलेज का रास्ता है, न और कोई रास्ता है, सिर्फ रीवा रोड जाती है.
श्री प्रेम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे ध्यानाकर्षण का विषय इस प्रकार है.
अध्यक्ष महोदय -- यह तो पढ़ दिया है. माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछे हैं उसके बाद में आपको कुछ कहना हो, तो कह दीजिए आप.
श्री प्रेम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या इसको पढ़ने की जरूरत नहीं है?
अध्यक्ष महोदय -- जी नहीं, इसको पढ़ने की जरूरत नहीं है.
श्री प्रेम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा आप आदेश करें. हमें सूचना मिली तो है. जरूरत नहीं थी, तो सूचना मेरे पास क्यों आयी. पहले माननीय सदस्यों ने यह सवाल उठाया. मैं आपसे निवेदन करूंगा कि सतना जिला मुख्यालय से सतना कांस्टीटयूरेसी से प्रतिनिधि नहीं हैं, यह गलत बात है . हमारा सारा ताल्लुक तो जिला मुख्यालय से ही है. हमें चिन्ता इस बात की है.
श्री शंकरलाल तिवारी -- सतना विधानसभा आपकी भी है. कल ही मैंने कहा था कि परसो जब जभानसिंह कालोनी वाली बात आपने कही थी.
श्री प्रेम सिंह -- कल की तरह ही इस बात पर सपोर्ट कर दीजिएगा. जैसे कल आपने सपोर्ट किया था.
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधे प्रश्न पूछिए.
श्री प्रेम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से भी निवेदन करना चाहता हूँ कि जांच अवश्य करा लें देखें कि उसकी जो भौगोलिक स्थिति है क्या इसकी आवश्यकता है ? अगर जनहित में इसकी आवश्यकता है तो सहर्ष उस काम को किया जाए. कोई एतराज हम लोगों को नहीं है. एक ओवर ब्रिज बना है. नीचे से रेलवे लाईन जा रही है कुछ दूर में फ्लाई ओवर बन गया. बीच में गड्ढे हो गए. मैहर का एक दृष्टान्त देना चाहता हूँ. उदाहरण देना चाह रहा हूँ. बीच बाजार में इसी तरह फ्लाई ओवर बना दिया. अब आज अंधेरे
में रहते हैं, गुफा में पूरा मैहर दब गया है. मैहर की शोभा खतम हो गई है. सतना की जो शोभा है वह पूरी खतम हो जाएगी. उसमें इतने खंड-खंड हो जाएंगे कि रास्ता कहीं ऊंचा, कहीं नीचा, कहीं इधर, कहीं उधर. यह सब डिस्टर्ब हो जाएगा, जिससे सतना की सुंदरता चली जाएगी.
श्री केदारनाथ शुक्ल (सीधी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट बात करना चाहता हूँ. सीधी, सिंगरौली, रीवा और सतना के बीच में विन्ध्य की यह लाइफ लाईन है और हम सब रेल पकड़ने के लिए सतना रेलवे स्टेशन में आते हैं इस फ्लाई ओवर का बनना इतना आवश्यक है जितना एक प्राण वायु देने जैसा है और लाइफ लाईन खींचने जैसा है इसलिए यह फ्लाई ओवर बनना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- शंकरलाल जी, आप अपनी बात बोलिए.
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, शुक्ल जी के जिले में बना दिया जाए. हमारा इसमें एतराज है.
अध्यक्ष महोदय -- आप लोगों की बात आ गई है. माननीय मंत्री जी सबका उत्तर देंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम एक अनुरोध और करते हैं. पन्ना नाका से माधवगढ़ की तरफ डायवर्सन जा रहा है क्योंकि जब वहां से बड़े वाहन का रास्ता मिल रहा है तो यहां फ्लाई ओवर की क्या जरूरत है ?
अध्यक्ष महोदय -- श्री शंकरलाल तिवारी जी आप बैठ जाइए.
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यही है मैं कुछ जानकारी जुड़वाना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, जुड़वा दीजिए.
श्री शंकरलाल तिवारी –- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो फ्लाई ओवर बन रहा है जैसा कि ट्रैफिक सर्वे की बात आई है. एकदम अंधा व्यक्ति भी यह बात मानेगा जो सतना को जानता है जैसा कि केदारनाथ शुक्ल जी ने कहा, प्राणजीवन बचाने वाला है. मान्यवर अध्यक्ष महोदय, मैं सच में आश्चर्यचकित हूँ कि राहुल सिंह जी सबके नेता हैं विन्ध्य क्षेत्र के नेता हैं और उन्होंने कैसे यह कहा कि वे चाहते हैं कि कोठी से बन जाए, वे चाहते हैं नागौद से बन जाए. मुझे कहीं कोई आपत्ति नहीं है और यह फ्लाई ओवर जनता की 10-12 वर्षों की मांग के बाद माननीय मुख्यमंत्री जी ने सतना में एक बड़ी सभा में इसकी घोषणा की थी. दो वर्ष तक इसका एस्टीमेट बना, डिजाईन बनी.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, उसके बनने से आप सब सहमत हैं ?
श्री शंकरलाल तिवारी -- जी हॉं, माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सहमत हैं. मेरा एक प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- अब कोई प्रश्न नहीं. इस पर कोई वाद-विवाद नहीं होगा. माननीय मंत्री जी मेरा अनुरोध है कि सबका समेकित उत्तर दे दें....(व्यवधान)
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय सिंधु कालेज,सीएमए स्कूल, डिग्री कालेज, सरस्वती शिशु मंदिर इसके अलावा एक हायर सेकेण्ड्री स्कूल, बस स्टेण्ड निर्माणाधीन स्मार्ट सिटी का एरिया है यहां पर दुर्घटनाओं का तांता लगा हुआ है. एक ही स्पाट पर 10 - 10 लोगों की मृत्यु यहां पर होना, यह पाप है इस तरह का विरोध करना इसलिए वह फ्लाइओवर वहां पर जनता की मांग है, वह बनना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात पूरी हो गई है श्री केदारनाथ शुक्ल जी ने आप सबकी तरफ से एक वाक्य में पूरी बात कह दी है. अब किसी को एलाऊ नहीं करेंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं लोक निर्माण विभाग समिति की सदस्य हूं लेकिन मुझे कोई सूचना नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- कोई जरूरी नहीं है सूचना देना.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय हमारे प्रश्नों के उत्तर मंत्री जी से दिलवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- आपके सदस्य ही नहीं बैठ रहे थे हम क्या करते, हम उत्तर दिलवा रहे थे कोई तैयार ही नहीं था उत्तर लेने केलिए. मंत्री माननीय सदस्यों की बात का उत्तर दे दें और माननीय मंत्री जी के उत्तर के बाद में यह विषय समाप्त हो जायेगा. फिर माननीय सदस्य अपना ध्यानाकर्षण पढ़ेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय अजय सिंह जी ने जो प्रश्न किया है उसमें एक तो ठेकेदार के विषय में आपने बात कही है कि उनको अनुभव नहीं है. मैंने आपसे निवेदन किया है कि इस ठेकेदार ने काम किया है और उसको पूरा अनुभव भी है, इसके द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर बैन गंगा प्रोजेक्ट पर 33 करोड़ 78 लाख का साथ में इसे 20 करोड़ रूपये के पुल का भी अनुभव है और यह सब परीक्षण करके ही विधिवत इनको काम दिया गया है. यदि आपको कोई शंका है तो वह बतायें दूसरा यह भी कहना है कि इतना महत्वपूर्ण काम सरकार करती है, पवित्र भावना से जनता की सेवा के लिए करती है, सरकार जन भावनाओं के हिसाब से काम करती है, वहां पर बहुत ज्यादा ट्रेफिक निकल रहा है जिसके कारण वहां दुर्घटनाएं हो रही हैं. यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है सतना शहर के लिए. इसमें स्पष्ट करें कि यह बनना चाहिए या नहीं इसका समर्थन कर रहे हैं या विरोध दूसरी बात यह कि जहां तक ठेकेदार की बात है और कोई गड़बड़ है तो आप बतायें हम उसका परीक्षण भी करा लेंगे.
श्री अजय सिंह -- इस फ्लाई ओवर का कोई औचित्य नहीं है. आप पूछना चाहते हैं तो हम विरोध कर रहे हैं...(व्यवधान)..(श्री शंकरलाल तिवारी जी के कुछ कहने पर ) आपका ही कुछ औचित्य नहीं है,((XXX)....(व्यवधान )
गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
( श्रीमती ऊषा चौधरी एवं श्रीमती शीला त्यागी ध्यानाकर्षण पर बोलने की अनुमति दिये जाने की बात कहते हुए गर्भगृह में आईं एवं माननीय अध्यक्ष महोदय की समझाइश पर सदस्यगण अपने आसन पर वापस गये. )
श्री शरद जैन -- अध्यक्ष महोदय (XXX).
(4) प्रदेश में नई गाईड लाईन से अचल सम्पत्ति की बिक्री प्रभावित होना
श्री सुदर्शन गुप्ता (इन्दौर-1) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सुदर्शन गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही जनहित का मामला है और पूरे प्रदेश का मामला है, मैं इसमें आपका संरक्षण चाहूंगा. एक तरफ तो हमारे माननीय प्रधानमंत्री महोदय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने घोषणा की है कि पूरे देश के सभी गरीब और आवासहीनों को वर्ष 2022 तक हम मकान देंगे. उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लागू की है. हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने मुख्यमंत्री आवास योजना लागू की है और करोड़ों रुपयों का प्रावधान किया है. इसी तरह से हाऊसिंग बोर्ड प्राधिकरण और नगरीय निकाय भी दुकान, फ्लेट, मकान आदि बनाकर गरीबों को दे रहे हैं किंतु इतनी अधिक वह गाईड लाईन हो गई है कि जिसके कारण वे खरीद नहीं पा रहे हैं. इसी तरह केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री वेंकैया नायडू जी ने भी सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है और पत्र में उन्होंने कहा है कि देश भर में सस्ती परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए राज्यों से गरीबों के लिए आवास पंजीकरण स्टाम्प शुल्क घटाया जाए. वेंकैया जी ने यह भी लिखा है कि स्टाम्प शुल्क का उपयोग मूल तौर पर पंजीकरण रजिस्टर के रख-रखाव के लिए किया जाता है . किन्तु कुछ प्रदेशों इसे राजस्व का स्त्रोत बना लिया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपने कहा है कि गाइडलाइन दरों में हमने जीरो से 10 प्रतिशत तक वृद्धि की है. माननीय अध्यक्ष महोदय, दस साल में 10-10 प्रतिशत बढ़ाकर सौ गुना ज्यादा एक तरफ तो आपने गाइडलाइन बढ़ा दी. दूसरी तरफ आप कह रहे हैं कि रियल इस्टेट में मंदी के कारण यह हुआ. जब रियल इस्टेट में तेजी आती है तो आप गाइडलाइन 25 गुना 50 गुना बढ़ा देते हैं. अब जब पिछले तीन-चार-पांच वर्षों में रियल इस्टेट मंदी के दौर से गुजर रहा है तो आपको भी इसमें स्टाम्प ड्यूटी कम करना चाहिए तो एक तरफ तो बेचारे गरीब लोग मकान खरीदने के लिए तैयार हैं और किसी तरह से वह पैसा इकट्ठा करते हैं पर स्टाम्प ड्यूटी इतनी अधिक है कि वह खरीद नहीं पा रहे हैं तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जो यह गाइडलाइन बढ़ी हैं इन पर पुनर्विचार करेंगे क्या ?
श्री जयंत मलैया--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि पिछले वर्ष पूरे प्रदेश में हमने लगभग औसत 4 प्रतिशत बढ़ाया था इस बार हमने अपने प्रदेश में 26 जिलों में जिसमें इन्दौर भी शामिल है,कोई हमने ऐसे रेट नहीं बढ़ाये हैं जहाँ तक माननीय सदस्य कह रहे हैं जो भारत सरकार आज कह रही है वह तो हम पहले ही कर चुके हैं. हाउसिंग बोर्ड और डेवलपमेंट अथारिटी में जितने भी ईडब्ल्यूएस मकानात हैं, उसके ऊपर रजिस्ट्री शुल्क कुछ भी नहीं है, सब निःशुल्क है, हमने 100 परसेंट छूट दे दी है और जो आप एलआईजी की बात कर रहे हैं, हाउसिंग बोर्ड का मकान आप खरीदे या डेवलपमेंट अथारिटीज का मकान खरीदे उसके ऊपर 50 प्रतिशत की छूट है और तो और इसमें अगर एमआईजी मकान की खरीद होती है तो उस पर भी 25 प्रतिशत की रजिस्ट्री के ऊपर छूट है.
श्री सुदर्शन गुप्ता—अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्षों में जो रजिस्ट्रियाँ हुई हैं उसकी संख्या में लगातार कमी आती गई है. सरकार ने भले ही स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाकर अपना राजस्व बढ़ा लिया हो किन्तु जो आवास योजनायें तेजी के साथ बढ़ती जा रही हैं तो जो पंजीकृत रजिस्ट्रियाँ बढ़ना चाहिए वह तुलनात्मक रूप से कम होती जा रही हैं. आम आदमी मकान खरीदने में हिचकिचा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न करें.
श्री सुदर्शन गुप्ता--- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि जिस तेजी के साथ प्रधानमंत्री योजना, आवास योजना या अन्य जो योजनायें बनी हुई हैं, उनके कारण जो रजिस्ट्रियाँ बढ़ना चाहिए उसकी जगह रजिस्ट्रियों की संख्या उल्टे कम होती जा रही है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न क्या है, उत्तर तो उन्होंने दे दिया है, विषय को समाप्त कर दिया है.
श्री सुदर्शन गुप्ता--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इनके ऊपर पुनर्विचार होना चाहिए .
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, पुनर्विचार करेंगे क्या.(कई माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) किसी को एलाऊ नहीं करेंगे. सभी एक ही बात बोलेंगे.
श्री जयंत मलैया—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो उत्तर पढ़ा है, उसमें वह पूरी प्रक्रिया भी दी हुई है. अगर किन्हीं को आपत्ति है तो जिला में जो कमेटी है उसके माध्यम से वह अपनी आपत्ति दर्ज कराते हैं, वहाँ की टीप के साथ यहाँ पर आई.जी. (रजिस्ट्रेशन) के पास आती हैं. यहाँ उसका निराकरण होता है.
अध्यक्ष महोदय--- आप जिले की कमेटी को आपत्ति दर्ज करा दें.
श्री सुदर्शन गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और निवेदन है कि गाइडलाइन की मीटिंग मार्च के महीने में आखिरी दिनों में होती है और ताबड़तोड़ बना के वह पेश कर देते हैं और राज्य सरकार उसको स्वीकृत करा देती है यह प्रक्रिया दिसंबर-जनवरी से प्रारंभ होना चाहिए और उसमें जनप्रतिनिधि को बुलाये जाने का प्रावधान है किन्तु जनप्रतिनिधियों को नहीं बुलाते हैं और अपने आप यह करके अधिकारी इसको निर्धारित कर देते हैं.
अध्यक्ष महोदय—ठीक है आपकी बात आ गई है.
श्री जयंत मलैया--- अध्यक्ष महोदय, अगर ऐसी कोई जानकारी उनके पास है कि जनप्रतिनिधियों को नहीं बुलाया गया था तो मैं पता करूंगा कि इन्दौर की जो बैठक हुई थी उसमें वहाँ जनप्रतिनिधि को बुलाया गया था या नहीं बुलाया गया था.
श्री सुदर्शन गुप्ता--- अध्यक्ष महोदय, मैं इन्दौर सहित पूरे प्रदेश की बात कर रहा हूं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- ठहर तो जाईए , वह उत्तर दे रहे हैं. समस्या का हल कराना है या नहीं (कई माननीय सदस्यों के खड़े हो जाने पर) सब खड़े हो जाते हैं, मंत्री जी उत्तर ही तो दे रहे हैं...(व्यवधान)... आप बैठ तो जाइए उत्तर तो पूरा होने दीजिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के ऊपर ही तो बात हो रही है.
अध्यक्ष महोदय-- हर विषय पर खड़े होना जरुरी है क्या आपका, आपको क्या सारी चीजों का ज्ञान है, मास्टर ऑफ ऑल.
श्री सुंदरलाल तिवारी--- बिल्कुल नहीं, मैं बिल्कुल अज्ञानी हूं (हंसी) लेकिन यह जवाब जब आया है तब मेरा ज्ञान जगा है. वह कह रहे हैं कि इस समय रियल इस्टेट की वैल्यू घटी है और जब रियल इस्टेट की वैल्यू बढ़ती है तो रेट आप बढ़ा देते हैं . अब जब वैल्यू घटी है तो उस पर विचार करेंगे क्या.
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी बैठ जाएं. तिवारी जी बैठ जाइए, मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं.
श्री सुदशर्न गुप्ता--- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने खुद अपने जवाब में स्वीकार किया है कि रियल इस्टेट में मंदी हो रही है तो रेट भी कम होना चाहिए.
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय गुप्ता जी ने कहा है, जो बात वह कह रहे हैं, इसका हम परीक्षण करा लेंगे.
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
वक्तव्य
दिनांक 26 फरवरी, 2016 को पूछी गई अतारंकित प्रश्न संख्या 84 (1649) के उत्तर में संशोधन संबंधी राज्यमंत्री, सहकारिता का वक्तव्य.
राज्यमंत्री सहकारिता, भोपाल गैस त्रासदी, राहत एवं पुनर्वास (श्री विश्वास सारंग)- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 26 फरवरी 2016 की प्रश्नोत्तर सूची के पृष्ठ क्रमांक 215 में मुद्रित अतारांकित प्रश्न संख्या 84 (क्रमांक 1649) में, मैं निम्नानुसार संशोधन करना चाहता हूं. प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर के भाग (ख) के स्थान पर कृपया निम्नानुसार संशोधित उत्तर पढ़ा जावे.
1.28 बजे समितियों का निर्वाचन
(1)लोक लेखा तथा स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज लेखा समितियों में रिक्त हुए स्थान के लिए सदस्यों का निर्वाचन.
अध्यक्ष महोदय-- कार्य सूची के पद दो में उल्लेखित कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए.
मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
1.31 बजे वर्ष 2016-2017 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयन्त मलैया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2016-2017 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- मैं, इस प्रथम अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिए दिनाँक 25 जुलाई, 2016 को 2 घंटे का समय नियत करता हूँ.
1.32 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य.
मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन) विधेयक, 2016
(क्रमांक 15, सन् 2016) का पुरःस्थापन.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयन्त मलैया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन), 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन), विधेयक 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री जयन्त मलैया-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर (संशोधन), विधेयक 2016 का पुरःस्थापन करता हूँ.
3.13 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए. }
उपाध्यक्ष महोदय :- अतिवृष्टि से उत्पन्न स्थिति पर नियम 139 के अंतर्गत के चर्चा अगले कार्य दिवस पर करायी जायेगी. आज शुक्रवार है, अत: अब अशासकीय कार्य लिया जायेगा.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया जी आप अपना अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करें.
3.14 बजे अशासकीय संकल्प
(1) प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया की समयावधि को कम किया जाना.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि ''सदन का यह मत है कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया की समयावधि को कम किया जाये.''
उपाध्यक्ष महोदय :- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया (मंदसौर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दिनांक 15.12.2014 से 12.3.2015 लगभग तीन माह तक त्रिस्तरीय पंचायती राज के चुनाव की आदर्श आचार संहिता के कारण प्रक्रिया जारी रही. शायद पहली बार इतना लंबा चुनाव हुआ इस चुनाव के संचालन में प्रशासन को भी दिक्कत आयी है, कानून व्यवस्था का भी प्रश्न उपस्थित हुआ है, राज्य निर्वाचन आयोग को भी परेशानी हुई है. इतना लंबा चुनाव वह भी स्थानीय स्तर पर, यह अव्यवहारिक है, खर्चीला है, प्रशासनिक एवं कानून व्यवस्था को कहीं न कहीं परेशान करता है. मैं मंदसौर जिले का प्रतिनिधित्व करता हूं, वहां पर प्रथम, द्वितीय, तृतीय चरण जब यह तीन चरण में यह चुनाव संपादित हुआ. प्रथम चरण में पंच-सरपंच के नामांकन दखिले की तिथि 22.12.2014 से मतदान 13.1.2015 लगभग 22 दिन, मतगणना 13 जनवरी, 2015, यह लगभग 22 दिन में चुनाव सम्पन्न हो पाया. पंच एवं सरपंच का चुनाव एक स्थानीय चुनाव होता है. राजस्थान में दो दिन में चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. सुबह चुनाव चिन्ह का आवंटन होता है, नाम दाखिला होता है और अगले दिवस 2 दिवस के बाद चुनाव सम्पन्न हो जाते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--उपाध्यक्ष महोदय, यह दोनों राजा बैठे हैं इनसे पूछो कि इनकी प्रजा कहां पर चली गई. आप कुछ मार्गदर्शन करो, ऊपर तक रिपोर्टिंग होगी आज दर्शक दीर्घा में भी कई लोग आये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--रिपोर्टिंग करने वाले ओमकार सिंह जी हैं.
श्री गोपाल भार्गव--अच्छा है भले ही कम लोग हैं, कम से कम सो तो नहीं रहे हैं.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से जो द्वितीय चरण का जो चुनाव हुआ है, वह सीतामऊ व भानपुरा तहसील का हुआ है. यह मैं आपको मंदसौर जिले का एक उदाहरण दे रहा हूं. इसमें नामांकन दाखिले की तारीख 22.12.2014 रही, मतदान 5 फरवरी, 2015 को हुआ 45 दिन में यह चुनाव सम्पन्न हुआ और कुल-मिलाकर के पंच एवं सरपंच का चुनाव परिणाम 115 दिन तक. तृतीय चरण वही पंच एवं संरपंच का मंदसौर जिले के गरौठ एवं मल्हारगढ़ विकासखण्ड का उसका नामांकन 22.12.14 को दाखिल हुआ, मतदान 22.2.15 को हुआ 62 दिन में जाकर के मतदान हो पाया. इसका जो परिदृष्य देखने का मिला वहां पर भण्डारे चल रहे हैं, चुनाव बहुत ही खर्चीला हो गया, पैसे वाले लोग उसमें गरीब टिक ही नहीं सकता, मध्यम परिवार का व्यक्ति चुनाव में खड़ा हो नहीं सकता, उसमें शराब की भी व्यवस्था है. हर चीज का इसमें दुरूपयोग हुआ और इसका नतीजा यह निकला कि इतने लंबे चुनाव से कहीं न कहीं पूरी मशीनरी दिक्कत में आयी, यह तो हुआ चुनाव सरपंच का. कमोवेश यही स्थिति जनपद पंचायतों एवं जिला पंचायत के प्रतिनिधियों की भी रही उनका भी 22 दिन में नामांकन, 31 दिन में मतगणना, द्वितीय चरण में भी 45 दिवस, तृतीय चरण में वही 62 दिन कुल-मिलाकर के इतना लंबा चुनाव हमने कभी त्रिस्तरीय पंचायती राज में नहीं देखा. मेरा इस सदन में यह अशासकीय संकल्प लाने का मकसद ही यही था कि जितना लंबा स्थानीय स्तर पर चुनाव होगा उतना भ्रष्टाचार बढ़ेगा उतने ही आचार संहिता के उल्लंघन होंगे और उतना ही चुनाव खर्चीला होगा. जहां एक ओर पूरे देश में इस बात की बहस चल पड़ी है कि विधान सभा के चुनाव एवं लोकसभा के चुनाव एक साथ हों ताकि कहीं न कहीं देश के खर्चे बचें उसमें मशीनरी का उपयोग थोड़ा नियंत्रित हो पाये. वहीं दूसरी ओर इतने लंबे चुनाव होंगे तो इसके परिणाम भविष्य में जाकर के ठीक नहीं होंगे इसमें धन-बल हावी हो रहा है. मध्यम परिवार का व्यक्ति, आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति चुनाव में टिक ही नहीं पायेंगे क्योंकि 62-62 दिन तक मतदाताओं को संभाल करके रखना तथा उनके पास में बार-बार जाना उसमें कितना साहित्य छपा होगा, कितने पोस्टर तथा बैनर छपे होंगे और उसमें कितना दुरूपयोग हुआ होगा, यह बहुत ही विचारणीय एवं महत्वपूर्ण अशासकीय संकल्प है ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन लगाएगा तो धन निकालने की भी जुगत करेगा और शायद इसी कारण से निचले स्तर पर भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है । कई लाखों रूपए का भ्रष्टाचार शासन की योजनाओं का इस प्रकार से इंट्री करने वाले जनप्रतिनिधि कहीं से न कहीं से वसूल कर रहे हैं ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राजस्थान में एक और व्यवस्था है जहां दो दिन में चुनाव हो जाते हैं । पंच सरपंच के और जिला पंचायत के 15 दिन में चुनाव हो जाते हैं । पंच की अर्हताओं में सरपंच की अर्हताओं में पांचवी पास यदि कोई व्यक्ति होगा तो वह पंच का चुनाव लड़ पाएगा । यदि वह आठवीं पास है तो सरपंच का चुनाव लड़ेगा यदि वह दसवीं पास है तो वह जनपद पंचायत का चुनाव लड़ पाएगा यदि वह बारहवीं पास है तो जिला पंचायत का चुनाव लड़ पाएगा जहां एक ओर माननीय नरोत्तम मिश्र जी का बयान में पढ़ रहा था आपने ब्रीफिंग भी की थी केबिनेट ने निर्णय किया कि निकाय के चुनाव में जिस व्यक्ति के यहां शौचालय होगा वही व्यक्ति नामांकन दाखिल कर पाएगा । उसको भी हमने अर्हता में जोड़ा है ।
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय उपाध्यक्ष जी मैंने कहा था कि विधानसभा में पारित होगा ।
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- आपने ब्रीफि़ग किया था उसका विधेयक आने वाला है ।
डॉ. नरोत्तम मिश्र- मैंने ब्रीफिंग में ही कहा था कि केबिनेट ने विधानसभा को भेजा है ।
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन से निवेदन करूंगा माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि यह जो त्रिस्तरीय पंचायती राज के चुनाव इतने लम्बे हो गए हैं । 62 -62 दिन के लोकसभा और विधानसभा के प्रतिनिधि का इतना बड़ा क्षेत्र होता है उसको भी इतना समय नहीं लगात, 14 दिन में चुनाव संपन्न हो जाते हैं पता नहीं यह कहां से मध्यप्रदेश के त्रिस्तरीय राज्य में राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा किस व्यवस्था के अंतर्गत यह चुनाव किया । मैं समझता हूं कि विधानसभा इसको सर्वानुमति से पारित करेगी तो आने वाले समय में यह चुनाव जो खर्चीले जो रहे हैं जो धनबल बाहुबल के माध्यम से हो रहा है गरीब और मध्यम वर्ग का आदमी इसमें टिक नहीं पा रहा है राजस्थान की दर्ज पर यदि हम दो दिन में पंच सरपंच का चुनाव कर लें 10 या 12 दिन में हम जनपद और जिला पंचायत के चुनाव कर लें तो उचित होगा । चूंकि आज समय का अभाव था इसलिए मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता लेकिन मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि आदर्श आचार संहिता का पालन करना और सुनिश्चित कराने का हम सब का दायित्व बनता है इसलिए मैं सदन से आग्रह करूंगा कि यह महत्वपूर्ण अशासकीय संकल्प जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जो देश सोच रहा है प्रदेश सोच रहे हैं उसके माध्यम से पारित किया जाएगा तो आने वाले समय में पंचायती राज नगरीय प्रशासन में सभी चुनाव में जो आदर्श आचार संहिता होगी उसमें कहीं न कहीं कटौता होगा ।
पंचायत मंत्री( श्री गोपाल भार्गव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, संविधान के अनुच्छेद 243 ट में प्रावधान है कि पंचायतों के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार करवाने का काम और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण नियंत्रण निर्देशन राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा जिसे राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाएगा । संविधान के इस उपबंध के अधीन राज्य का विधान मण्डल विधि द्वारा पंचायतों के निर्वाचन से संबधित सभी विषयों के संबंध में उपबंध कर सकेगा । संविधान के उक्त प्रावधान अनुसार राज्य के विधान मण्डल द्वारा अधिनियमित मध्यप्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 42 में राज्य निर्वाचन आयोग की शक्तियां पंचायतों के लिए कराए जाने वाले समस्त निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नियमावली तैयार करवाने का और उन सभी निर्वाचनों के लिए संचालक अधीक्षण निर्देशन और नियंत्रण के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है ।
उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रावधान के अंतर्गत यह जो आयोग गठित हुआ है इस आयोग के द्वारा ही यह सारे चुनाव संचालित किए जाते हैं जहां तक माननीय सदस्य ने संकल्प रखा है व्यवहारिक है लेकिन आयोग से चर्चा के उपरान्त ही हम इसके बारे में निष्कर्ष निकाल पाएंगे कि कितनी अवधि में पंचायत का चुनाव प्रचार फार्म भरने से लेकर परिणाम आने तक होना चाहिए । कितनी अवधि में जनपद का कितनी अवधि में कितनी अवधि में जिला पंचायत का होना चाहिए । नगरीय निकायों के लिए भी यह व्यवस्था हो सकती है । समग्र रूप से हम इसकी चर्चा राज्य निर्वाचन आयोग से करके और उसके बाद में कुछ भी जो अच्छे से अच्छी व्यवस्था हो सकती है जैसा कि माननीय सदस्य ने चिन्ता व्यक्त की है यह बात सही है कि फिजूल खर्ची भी होती है कभी कभी इसमें गलत साधनों का भी इस्तेमाल किया जाता है बाद में उसके परिणाम भी जब वह निर्वाचित हो जाता है । तो जनता के लिए सहने पड़ते हैं, देखने पड़ते हैं, व्यवस्था में भी कहीं बुद्धिरूपता और कुरूपता आती है.
उपाध्यक्ष महोदय, इस कारण से समग्र रूप से विचार करके हम अपने अभिमत सहित राज्य निर्वाचन आयोग के सामने इस बात को रखेंगे और बेहतर से बेहतर निर्वाचन करवाने की भी व्यवस्था करेंगे. मेरा माननीय सदस्य से आग्रह है कि उन्होंने एक अच्छे विषय की तरफ ध्यान आकर्षित किया है लेकिन विषय चूँकि राज्य शासन के पूर्णत: अधीन नहीं है, इस कारण चर्चा के उपरान्त ही निर्णय कर सकते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि जिन्होंने अशासकीय संकल्प को व्यवहारिक करार दिया और जो परिस्थितियां चुनाव के बाद पैदा होती हैं, आपने उसके बारे में भी यहां पर अपना वक्तव्य दिया, लेकिन मैं चाहूँगा कि जल्दी से जल्दी आपकी सिफारिश, अनुशंसा राज्य निर्वाचन आयोग को तत्काल बैठकें आयोजित करके या जैसी भी आपकी प्रक्रिया हो, उसे करेंगे तो बेहतर होगा. मैं समझता हूँ कि जो घटना घट चुकी है, जितना विलम्ब हुआ है, अब आने वाले समय में यह न हो और इसके परिणाम सुखद हों.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूँगा कि पंच और सरपंच का चुनाव चूँकि स्थानीय स्तर का होता है, जनपद का होता है, जिला पंचायत का होता है, मतगणना भी एक साथ हो जानी चाहिए. क्योंकि हम विधायक 3 महीने तक अपने क्षेत्र में भ्रमण नहीं कर सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – सिसोदिया जी, माननीय मंत्री जी ने वैधानिक स्थिति स्पष्ट कर दी है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – मुझे स्वीकार है.
उपाध्यक्ष महोदय – वर्ष 1993 के एक्ट के अनुसार, हम लोगों ने अधिकार राज्य चुनाव आयोग को दिए हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – वह समय पर चला जाये, अच्छे तर्क के साथ चला जाये, अच्छी उम्मीद के साथ चला जाये क्योंकि विधायक 3 महीने तक विधायक निधि भी अनुशंसित नहीं कर पाये और हम डिकलेयर भी नहीं कर पाये. इतनी लम्बी आचार संहिता 3 महीने तक, एक वर्ष में से 3 माह हम चुनाव के दौरे में रहे और किसी भी तरह का विकास नहीं कर पाये.
मैंने इस संकल्प को इस उम्मीद के साथ वापस लेने का मन बनाया है और माननीय मंत्री जी ने आग्रह किया है. चूँकि इसमें बीच में राज्य निर्वाचन आयोग है कि उनसे चर्चा की जायेगी. यदि आप पूरा प्रस्ताव विधिवत् रूप से पेश कर देंगे तो इस प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया की समयावधि को कम किया जा सकता है.
उपाध्यक्ष महोदय – उन्होंने चर्चा करने के लिए भी कहा है. प्रश्न भर नहीं करेंगे, चर्चा भी करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया – उसके लिए मैं धन्यवाद देता हूँ और मैं यह संकल्प वापस लेता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय – क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है ?
सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई.
संकल्प वापस हुआ.
उपाध्यक्ष महोदय – अशासकीय संकल्प, श्रीमती रंजना बघेल.
श्रीमती रंजना बघेल – (अनुपस्थित)
(1) शहडोल ब्यौहारी-सीधी-इलाहाबाद रेल लाईन बनाई जाना.
(2) भिण्ड से दतिया तक नई रेल्वे लाईन का निर्माण किया जाना.
(3) बरगवां से व्हाया अमलोरी, बैढ़न तक रेल मार्ग का निर्माण कराया जाना.
(4) जबलपुर से बरगी, कुरई, खवासा, मनसर, कामठी, नागपुर तक सीधी नई रेल लाईन का निर्माण किया जाना
(5) मऊगंज से होकर रीवा-मिर्जापुर नयी रेल्वे लाईन का निर्माण कराया जाना.
उपाध्यक्ष महोदय – रेल्वे संबंधी संकल्प एकजाई रूप से लिये गये हैं. संबंधित माननीय सदस्य, अपने संकल्प क्रमश: प्रस्तुत करेंगे तथा संकल्प में, पक्ष में वक्तव्य देंगे तत्पश्चात् माननीय मंत्री जी द्वारा सभी संकल्पों पर एक साथ जवाब दिया जायेगा.
श्री केदारनाथ शुक्ल (सीधी) – उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूँ कि -
‘‘यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि शहडोल ब्यौहारी-सीधी-इलाहाबाद रेल्वे लाईन बनाई जाये.’’
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सन् 1910 में इलाहाबाद से शहडोल को जोड़ने की योजना अंग्रेजों ने बनाई थी. ललितपुर-सिंगरौली रेल्वे लाईन, इलाहाबाद-शहडोल रेल्वे लाईनें, ये प्रमुख रेल्वे लाईनें थीं, लेकिन तत्कालीन रीवा नरेश ने इसका विरोध किया. परिणामत: यह रीवा स्टेट से बाहर घूमते हुए सतना से मैहर-कटनी होकर यह घूमकर शहडोल पहुँची. शहडोल पहुँचने में इलाहाबाद से शहडोल की दूरी अगर हम सीधे रेल से जोड़ देंगे तो मात्र 200 किलोमीटर होगी लेकिन घूमकर 350 किलोमीटर जाना पड़ता है और विंध्य का अधिकांश भू-भाग जो आदिवासी बाहुल्य है, जो जनजाति बाहुल्य है. वे आवागमन के साधनों से दूर हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, अगर शहडोल से ब्यौहारी-सीधी और सीधे इलाहाबाद को जोड़ देंगे तो आदिवासी क्षेत्र आवागमन की दृष्टि से जुड़ जायेगा. इतना ही नहीं हमारा औद्योगिक क्षेत्र के मामले में भी इलाहाबाद से बड़ा नजदीक का सम्पर्क है पर यदि घूमकर सतना का आदमी जाता है तो उसे 150 किलोमीटर पड़ता है. रीवा का आदमी सतना जाता है, सीधी का आदमी उल्टा सतना 150 किलोमीटर जाता है. परिणाम यह है कि आवागमन की इस असुविधा के कारण हम ठीक से औद्योगिक क्षेत्र में भी विकास नहीं कर पा रहे हैं. इलाहाबाद शिक्षा का बहुत पुराना केन्द्र रहा है. माननीय अपाध्यक्ष महोदय, आप भी जानते हैं उसी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं हमारे यहां से पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी इलाहाबाद जाते रहे हैं और आवागमन की असुविधा के कारण हमारा वहां जाना वंचित हो रहा है और इस नाते शिक्षा, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी इलाहाबाद को जोड़ना जरूरी है. सांस्कृतिक और धार्मिक केन्द्र तीर्थ राज प्रयाग है भी और वहां हमारे यहां के तमाम साधारण से साधारण लोग अपने सांस्कृतिक और धार्मिक क्रियाकलापों के लिए जाते हैं व्यापारिक केन्द्र भी है और शहडोल, सीधी ओर इलाहाबाद के बीच में जो आवागमन से अछूते क्षेत्र हैं यह सब भी जुड़ जाएंगे यह एक व्यावहारिक हल है और जिसे तात्कालिक सामंतवादी व्यवस्था ने नहीं बनने दिया था. आज हम प्रजातंत्र में इस लाइन को जोड़ करके इस बात को साबित करें कि हम सर्वहारा वर्ग को आवागमन की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं. हमारा सदन एक स्वर से इस बात को पारित करे कि शहडोल ब्यौहारी-सीधी-इलाहाबाद रेलवे लाईन बनाई जाए मैं यह संकल्प प्रस्तुत कर रहा हूं आशा है आप सब इसको पारित करेंगे.
श्री प्रदीप अग्रवाल (सेवढ़ा) —माननीय उपध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि भिण्ड से दतिया तक नई रेलवे लाईन का निर्माण किया जाए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय भिण्ड से दतिया के बीच सैकड़ों की संख्या में ग्राम आते हैं राज्य शासन में जब रेलवे लाइनों का निर्माण हो रहा था तब भी भिण्ड से दतिया रेलवे लाइन बनाई जाना प्रस्तावित था किन्तु तत्कालीन महाराज द्वारा यह कहकर अनुमति नहीं दी गई थी कि मुझे इस क्षेत्र में शिकार में असुविधा होगी अत: मैं यहां से रेलवे लाईन नहीं डालने दूंगा. तब वह प्रोजेक्ट रुक गया तब से आज तक यह सारा क्षेत्र विकास की मुख्य धारा से अछूता है जबकि भिण्ड में रेलवे लाईन डाली जा चुकी है. माननीय उपध्यक्ष महोदय, इस संपूर्ण क्षेत्र में उद्योगों की पर्याप्त संभावनाएं हैं.नदी के साथ साथ उद्योग स्थापित करने के लिए भी पर्याप्त स्थान व उपयुक्त वातावरण है किन्तु रेलमार्ग व पर्याप्त आवागमन के साधन उपलब्ध न होने के कारण न तो इस क्षेत्र में उद्योगों का विकास हो पा रहा है और न ही इस क्षेत्र में पर्यटन का विकास हो पा रहा है जबकि माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस क्षेत्र में पर्यटन की दृष्टि से भी अनेकों महत्वपूर्ण स्थल हैं. यहां परमपिता के मानस पुत्रों सनक, सनन्दन, सनातन और सनत कुमार द्वारा घोर तपस्या की गई थी जिसका वर्णन हमारे वेदों और पुराणों में भी मिलता है यहां पर कार्तिक मास में कुम्भ स्नान का उसी तरह महत्व है जिस तरह हम लोग कुम्भ का स्नान करते हैं लेकिन रेल का साधन न होने के कारण बहुत कम लोग इस स्थान पर आ पाते हैं. यदि यहां रेलवे लाईन डाली जाती है तो निश्चित रूप से इस क्षेत्र में निवासरत युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा साथ ही उद्योगों एवं पर्यटन के क्षेत्र में भी विकास होगा अत: मैं सदन से अनुरोध करता हूं कि भिण्ड से दतिया रेलने लाईन डाले जाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाए.
श्री रामलल्लू वैश्य (सिंगरौली) —माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि बरगवां से व्हाया अमलोरी, बैढ़न तक रेल मार्ग का निर्माण कराया जाए. चूंकि ललितपुर सिंगरौली के नाम से रेल मार्ग का निर्माण तो प्रारम्भ है किन्तु बरगवां से बैढ़न सोलह सत्रह किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है जहां से जिला मुख्यालय, रिलायंस पॉवर और यूपी से लगा हुआ सिंगरौली थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट भारी आबादी का क्षेत्र यहां उपलब्ध है इसलिए मैं चाहता हूं कि ललितपुर-सिंगरौली मतलब बैढ़न यानि बरगवां से बैढ़न मार्ग बनने से काफी आमजन को सुविधा होगी और वहां से सीधे किसी भी और यात्रा करने के लिए उन्हें यह सुविधा मिल पाएगी इसलिए मेरा अनुरोध है कि बरगवां से अमलोरी-बैढ़न तक रेल मार्ग बनवाने के लिए केन्द्र शासन को प्रस्ताव भेजा जाए.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि- "यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि जबलपुर से बरगी, कुरई, खवासा,मनसर,कामठी, नागपुर तक सीधी नई रेल लाइन का निर्माण किया जाए."
उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान में जबलपुर-नागपुर सीधी रेल मार्ग नहीं होने के कारण उत्तर भारत और दक्षिण भारत की ट्रेनों को लगभग 528 किलोमीटर से ज्यादा इटारसी से होकर दूरी तय करके जाना पड़ रहा है. यदि जबलपुर- नागपुर रेल मार्ग को सीधा जोड़ दिया जाये, तो ट्रेनों को अतिरिक्त दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी और सरकार को हो रहे अतिरिक्त आर्थिक व्यय पर भी रोक लग जायेगी. जबलपुर से नागपुर रेल मार्ग सीधे जोड़े जाने से मध्य भारत के इन सबसे पिछड़े क्षेत्र में विकास के दरवाजे खुल जायेंगे. वर्तमान में ट्रेन जबलपुर से गोटेगांव-नरसिंहपुर, करेली, गाडरवाड़ा, पिपरिया, सोहागपुर, इटारसी, घोड़ाडोंगरी, बैतूल, मुलताई, पाण्ढुर्णा, सावनेर होते हुए नागपुर जाती है, जिसकी दूरी लगभग 528 किलोमीटर है. जबलपुर से नागपुर सीधे रेल लाइन व्हाया बरगी-धूमा-लखनादौन-छपारा-सिवनी-कुरई-खवासा-मनसर होते हुए नागपुर हो जाती है, तो ट्रेनों की 528 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी के स्थान पर मात्र लगभग 265 किलोमीटर ही जाना पड़ेगा, जिससे लगभग 263 किलोमीटर की बचत होगी. जबलपुर से इटारसी होते हुए नागपुर तक वर्तमान में ट्रेन से सफर करने पर लगभग 9.40 घंटे लग रहे हैं. यदि जबलपुर से नागपुर व्हाया बरगी-धूमा-लखनादौन-छपारा-सिवनी-कुरई-खवासा-मनसर-कामठी होते हुए नागपुर सीधा रेल मार्ग होगा,तो इसमें लगभग 2.30 घंटे का ही समय लगेगा. इससे समय की भी बचत होगी. महाकौशल क्षेत्र के नरसिंहपुर,मण्डला,डिंडोरी,जबलपुर एवं सिवनी जिले के हजारों लोग व्यापार-व्यवसाय एवं चिकित्सा सुविधा के लिये नागपुर जाते हैं. सीधे जबलपुर-नागपुर व्हाया सिवनी होते हुए रेल मार्ग बन जाने से क्षेत्र की हजारों, लाखों जनता को सरल सीधी सुविधा के साथ साथ आर्थिक लाभ एवं समय की बचत होगी.
उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान में इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के लोगों को बसों से सफर करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें काफी आर्थिक क्षति हो रही है. साथ ही त्वरित उच्च चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. जबलपुर से नागपुर व्हाया सिवनी सीधे रेल मार्ग नहीं होने से इस आदिवासी बहाल्य पिछड़े क्षेत्र में कोई बड़े उद्योग स्थापित नहीं हो पा रहे हैं. यदि रेल मार्ग सुविधा होगी, तो निश्चित ही इस पिछड़े क्षेत्र में उद्योग के लिये कच्ची सामग्री इत्यादि सस्ती और सुलभ उपलब्ध होने लगेगी, जिससे यहां बड़े उद्योग स्थापित होंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, महाकौशल क्षेत्र के इस आदिवासी क्षेत्र के गरीब वर्गों को सीधे रेल मार्ग जबलपुर से नागपुर व्हाया बरगी-धूमा-लखनादौन-छपारा-सिवनी-कुरई-खवासा-मनसर-कामठी होते हुए नागपुर प्रारंभ होने से रोजगार मिलेंगे, साथ ही मालभाड़ा भी यहां पर काफी मात्रा में मिलेगा. साथ ही रेल्वे की आय भी बढ़ेगी और व्यवसाय तथा युवाओं एवं सबको रोजगार मिलेगा. इसमें सबसे बड़ी बात एक और है कि बरगी के पास सुकरी तक हमारी रेल लाइन है और वहां मनसर तक रेल लाइन है. अगर हम सीधे बरगी के सुकरी के पास हमारा ग्राम है मंगेला से ज्वाइंट करेंगे और मनसर के पास इसको ज्वाइंट करने से मात्र 180 किलोमीटर सरकार को रेल लाइन बनानी पड़ेगी, इससे लगभग 6 घंटे का सफर बचेगा और उत्तर भारत से दक्षिण भारत के लोगों को आपस में आने-जाने में सुविधा होगी. अतः मैं सदन से अनुरोध करता हूं कि इस अशासकीय संकल्प को स्वीकृति प्रदान करे और इसको पास करने की कृपा करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि - "यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि मऊगंज से होकर रीवा-मिर्जापुर नयी रेल्वे लाइन का निर्माण कराया जाए."
उपाध्यक्ष महोदय -- संकल्प प्रस्तुत हुए.
श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं भी यह चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में भी रेल लाइन का निर्माण किया जाए. सीहोर में रेल लाइन है. सीहोर से आष्टा, आष्टा से सोनकच्छ होते हुए देवास जुड़ जाए और इधर शुजालपुर से आष्टा और यदि हरदा जुड़ जाये. क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र बन रहा है. अगर यह हो जायेगा तो आवागमन में बहुत ही लाभ मिलेगा. यही मैं आपसे आग्रह करता हूं. मंत्री जी से भी मेरा आग्रह है कि हमारा आष्टा भी उसमें सम्मिलित कर लें. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- आपने संकल्प तो दिया नहीं है. अब आप यह संकल्प अगली बार लाइयेगा.
सुखेन्द्र सिंह – माननीय उपाध्यक्ष जी, रीवा-मिर्जापुर रेल लाइन की आवश्यकता है. अभी विधायक आदरणीय केदारनाथ शुक्ला जी ने भी अपने उदबोधन में इलाहबाद, बनारस सबका महत्व बताया है. चाहे धार्मिक दृष्टिकोण हो, चाहे आर्थिक दृष्टिकोण हो. रीवा से मिर्जापुर की दूरी 170 किलोमीटर है, अभी जितनी ट्रेनें जाती हैं, सतना से होकर से सीधे व्हाया इलाहाबाद होकर से मिर्जापुर जाती है लगभग 400-500 किलोमीटर की दूरी पड़ती है और चार पांच घंटे का समय भी लगता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर रीवा से होकर से सीधे व्हाया मउगंज होकर के मिर्जापुर की रेल लाइन मंजूर होगी तो निश्चित रूप से 170 किलोमीटर की दूरी पड़ेगी और सीधे आवागमन बनारस, इलाहाबाद के लिए और मध्य वहां से सिंगरौली जो एक व्यवसायिक क्षेत्र है, उसके लिए भी काफी नजदीक पड़ेगा, इससे आर्थिक रूप से धार्मिक रूप से हर तरह से युवाओं के रोजगार के लिए जैसा कि दिल्ली और मुम्बई का रास्ता और बम्बई और कलकत्ता का भी सीधा रास्ता बनता है, इसलिए इसे जनहित में देखते हुए यह केन्द्र शासन से आपके माध्यम से अनुरोध है कि इसको पारित किया जाए.
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) – माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्य केदारनाथ शुक्ला जी के द्वारा जो अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया गया है. शहडोल व्यौहारी, सीधी इलाहाबाद रेल मार्ग के संचालित हो जाने से इस क्षेत्र में निवासरत अधिकाधिक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ अन्य गरीब जनता के लिए इलाहाबाद, प्रयाग तथा काशी की धार्मिक एवं चिकित्सीय तथा दुर्गम यात्राएं सुगम, सरल एवं सस्ती हो जाएगी. अत: शहडोल, व्यौहारी सीधी, इलाहाबाद रेल लाइन बनाए जाए परिवहन विभाग माननीय विधायक जी के इस प्रस्ताव से सहमत है. हम भारत सरकार को यह प्रस्ताव भेज देंगे. माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्य श्री प्रदीप अग्रवाल जी के द्वारा जो संकल्प प्रस्तुत किया गया है, इसमें संसदीय कार्यमंत्री डा. नरोत्तम मिश्र जी ने भी कई बार इस संबंध में कहा है, श्री प्रदीप अग्रवाल जी द्वारा यह जो संकल्प प्रस्तुत किया गया है कि भिण्ड से दतिया रेल लाइन न होने के कारण क्षेत्र के लोगों को बेरोजगारी एवं आवागमन में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. अत: भिण्ड से दतिया व्हाया इंदरगढ़ होते हुए नई रेल लाइन का निर्माण किया जाए, परिवहन विभाग इससे सहमत है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री रामलल्लू वैश्य जी के द्वारा संकल्प प्रस्तुत किया गया है कि बरगवां से व्हाया, अमलोरी, बैढन तक रेल मार्ग का निर्माण होने से आसपास के ग्रामीण लोगों को जिला मुख्यालय सिंगरौली तक रेलमार्ग से आने जाने की सुविधा मिलेगा. अत: बरगवां से व्हाया, अमलोरी, बैढन तक रेल मार्ग का सर्वे निर्माण कराया जाए, सरकार इससे सहमत है, यह प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेज देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्य श्री दिनेश राय जी के द्वारा संकल्प प्रस्तुत किया गया है कि सिवनी से नागपुर तक एकमात्र सिवनी जिला होने के कारण यहां बरगी, लखनादौन, छपारा, सिवनी, कुरई, खवास, मनसर, कामठी, नागपुर तक नई रेल लाइन का निर्माण कराया जाए नई रेल लाइन के निर्माण से 250 से 300 किलोमीटर की दूरी कम होगी, जिससे रेल विभाग को काफी हद तक समय की बचत होगी. व्यावहारिक दृष्टि से भी सिवनी व आसपास के क्षेत्रों को काफी फायदा होगा, जिला मुख्यालय होने के कारण निरंतर लोगों का आना जाना रहता है सीधी रेल लाइन न होने के कारण लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती है. अत: जबलपुर से लखनादौन, छापरा, सिवनी, कुरई, खवासा, मनसर, कामठी, नागपुर तक सीधी नई रेल लाइन का निर्माण किया जाए. परिवहन विभाग इससे सहमत है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री सुखेन्द्र सिंह जी के द्वारा जो संकल्प प्रस्तुत किया गया है. जिला रीवा पहुंच रेल लाईन के दोहरीकरण का कार्य स्वीकृति उपरान्त रीवा-सिंगरौली रेल लाईन का निर्माण कार्य प्रारंभ है. ऐसी स्थिति में रीवा-मिर्जापुर नई रेल लाईन का निर्माण होने से खर्च एवं समय दोनों की बचत होगी . रीवा मिर्जापुर नई रेल लाईन परियोजना के सर्वेक्षण का कार्य लगभग 28 फरवरी 2016 तक पूर्ण होने के लक्ष्य से अवगत कराया गया था. सर्वेक्षण की मंजूरी तथा मऊगंज से लेकर रीवा-मिर्जापुर नई रेल लाईन परियोजना का निर्माण कराया जाये, परिवहन विभाग इससे भी सहमत है. हम सदस्यों की भावना से भारत सरकार को अवगत करा देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी आज उदार हैं. प्रश्न यह है कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि :-
(1) शहडोल ब्यौहारी-सीधी-इलाहाबाद रेल लाईन बनाई जाये
(2) भिण्ड से दतिया तक नई रेलवे लाईन का निर्माण किया जाये,
(3) बरगवां से व्हाया अमलोरी, बैढ़न तक रेल मार्ग का निर्माण कराया जाये
(4) जबलपुर से बरगी, कुरई, ख्वासा, मनसर, कामठी, नागपुर तक सीधी नई रेल लाईन का निर्माण कराया जाये तथा
(5) मऊगंज से होकर रीवा-मिर्जापुर नयी रेलवे लाईन का निर्माण कराया जाये.
एकजाई संकल्प सर्वसम्मति से स्वीकृत हुए.
विधानसभा की कार्यवाही सोमवार दिनांक 25 जुलाई, 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 3.47 बजे विधानसभा की कार्यवाही,सोमवार, दिनांक 25 जुलाई, 2016 (श्रावण 3, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल: अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक-22 जुलाई,2016. प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधानसभा.