मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________________
षोडश विधान सभा प्रथम सत्र
दिसम्बर, 2023 सत्र
गुरुवार, दिनांक 21 दिसम्बर, 2023
(30 अग्रहायण, शक संवत् 1945 )
[खण्ड- 1 ] [अंक- 4 ]
__________________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 21 दिसम्बर, 2023
(30 अग्रहायण, शक संवत् 1945)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.04 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
शपथ/प्रतिज्ञान
अध्यक्ष महोदय - जिन सदस्यों ने शपथ नहीं ली है या प्रतिज्ञान नहीं किया है, वे शपथ लेंगे या प्रतिज्ञान करेंगे, सदस्यों की नामावली में हस्ताक्षर करेंगे और सभा में अपना स्थान ग्रहण करेंगे.
226. श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर) - शपथ.
11.07 बजे अध्यादेश का पटल पर रखा जाना.
मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश, 2023 (क्रमांक 2 सन् 2023)
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) - अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश, 2023 (क्रमांक 2 सन् 2023) पटल पर रखता हूं.
11.08 बजे
राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना.
11.09
अनुपस्थिति की अनुज्ञा.
(1) . निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक - 126 छिन्दवाड़ा के सदस्य श्री कमलनाथ
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष जी, इस सदन में नहीं आने लायक उनको बनाया तो इनकी पार्टी ने बनाया है. न नेता प्रतिपक्ष बनाया, कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया, अब वह किस मुंह से यहां पर आएं. पर फिर भी सहमति प्रदान कर दीजिए.
श्री कैलाश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कैलाश जी को बैठना कहां था और वे कहां पर बैठे हैं, पहले वे अपनी चिन्ता कर लें, माननीय हमारे वरिष्ठ हैं.
अध्यक्ष महोदय - विषय सिर्फ इतना ही है अनुज्ञा प्रदान की गई.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी को शायद पता नहीं है, उनके यहां परिवार में गमी हो गई है, इस कारण नहीं आ पाए.
अनुपस्थिति की अनुज्ञा.(क्रमश:)
(2) . निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक - 127 परासिया के सदस्य श्री सोहनलाल बाल्मीक.
11:10 बजे
श्री चेतन्य कुमार काश्यप, सदस्य द्वारा वेतन भत्तों एवं पेंशन का समर्पण: सूचना
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, श्री चेतन्य कुमार काश्यप जी अब एक सूचना देंगे.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप (रतलाम सिटी) -- सर्वप्रथम आप जैसे धीर गंभीर व्यक्तिव को विधानसभा अध्यक्ष सर्वानुमति से निर्वाचित किया गया है, मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि आपके नेतृत्व में मध्यप्रदेश विधानसभा का गौरव पूरे देश के अंदर एक प्रमुख विधानसभाओं में जो गिनती है, उसमें अभिवृद्धि होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक सूचना अभी रखना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रसेवा और जनहित मेरा ध्येय है और इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये मैं राजनीति में आया हूं. .मैं किशोरवस्था से ही समाज सेवा के कार्यों में अग्रसर हूं तथा कई सेवा संस्थानों में प्रकल्पों का संचालन कर रहा हूं. ईश्वर ने मुझे इस योग्य बनाया है कि मैं जन सेवा में थोड़ा सा योगदान कर सकूं, इसी तारतम्य में मैंने विधायक के रूप में प्राप्त होने वाले वेतन भत्ते एवं पेंशन नहीं लेने का निश्चय किया गया है, पिछली दो विधानसभा भी मैंने वेतन भत्ते ग्रहण नहीं किये थे. मैं चाहता हूं कि मुझे प्राप्त होने वाले वेतन भत्तों एवं पेंशन की राशि का राज्यकोष से ही आहरण नहीं हो, ताकि उस राशि का सदुपयोग प्रदेश के विकास एवं जनहित के कार्यों में हो सके. अध्यक्ष महोदय, अनुरोध है, आप मेरे निवेदन को स्वीकार कर अनुग्रहीत करने की कृपा करेंगे. धन्यवाद, जह हिंद.
11.12 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री कैलाश विजयवर्गीय, सदस्य द्वारा दिनांक-20 दिसम्बर, 2023 को प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा
श्री कैलाश विजयवर्गीय (इंदौर 1) -- अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता हेतु अपना वक्तव्य प्रारंभ कर रहा हूं. आपने मुझे अनुमति प्रदान की इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, मुझे याद आ रहा है जब मैं पहली बार सदन में आया था और पीछे बैठा था और इस पवित्र आसंदी पर जहां आप विराजमान हैं, वहां बहुत ही वरिष्ठ नेता राजेन्द्र प्रसाद जी शुक्ला बैठे थे, निश्चित रूप से उनका संसदीय अनुभव बहुत जबर्दस्त था, बहुत ही वरिष्ठ नेता थे, पर अध्यक्ष महोदय आप भी कम नहीं है. मैं कल विधानसभा लायब्रेरी में देख रहा था, आज तक ऐसा विधानसभा अध्यक्ष एक भी नहीं बना जिसको चारों सदन का अनुभव हो. राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम चारों का अनुभव है. निश्चित रूप से आपका भी इस आसंदी पर बैठना इस पीढ़ी के सभी विधायकों के लिये सौभाग्य की बात है, उस वक्त मैंने राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला जी को आपकी कुर्सी पर बैठे देखा था, इधर भी मूर्धन्य नेता थे
और उधर भी मूर्धन्य नेता थे, श्री श्यामाचरण शुक्ला जी जो नेता प्रतिपक्ष थे, अर्जुन सिंह जी, मोतीलाल बोरा जी, कृष्णपाल सिंह जी, ऐसे बड़े-बड़े दिग्गज सामने की कुर्सी पर थे, इधर सुंदरलाल पटवा जी, कैलाश जोशी जी, शीतला सहाय जी, रामहित गुप्त जी, बाबूलाल गौर साहब मेरा सौभाग्य है कि इतने बड़े-बड़े नेताओं के सामने मुझे बोलने का अवसर प्राप्त हुआ था और आज भी मेरा ऐसा मानना है कि यह विधानसभा सबसे गरिष्ठ विधानसभा है.आप जैसे मूर्धन्य नेता आसंदी पर बैठे हुए हैं, यहां राजेन्द्र सिंह जी नहीं है, कमलनाथ जी आज नहीं आये हैं.
रामनिवास जी हैं यहां पर बहुत वरिष्ठ नेता हैं, राहुल भैया भी दिखाई नहीं दे रहे हैं, राजेन्द्र भारती जी हैं, उमंग जी तो हैं ही नेता प्रतिपक्ष, इधर भी मोहन जी हैं और साथ में गोपाल भार्गव जी, जयंत मलैया जी, 8-8, 9-9 बार के विधायक, 80-80 साल के हमारे दो युवा विधायक नागेन्द्र सिंह गुढ़ और नागेन्द्र सिंह नागौद. यह विधान सभा भी बहुत बलिष्ठ और गरिष्ठ विधान सभा है. अध्यक्ष महोदय, बहुत वर्षों बाद इतने अनुभवी लोग यहां पर हैं, मेरे लेफ्ट हेण्ड पर प्रहलाद जी है, राइट हेंड पर राकेश जी हैं, वह सचेतक रहे हैं और यह विधान सभा बहुत ही गरिष्ठ विधान सभा है और इस विधान सभा में मुझे बोलने का फिर से अवसर प्राप्त हो रहा है, अध्यक्ष जी, मैं आपको धन्यवाद देता हूं. मुझे इस बात का गर्व है कि वर्ष 2023 की सरकार में हमारे नये मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के नेतृत्व में अब हम सब लोग काम करेंगे. ...(मेजों की थपथपाहट)... मोहन यादव जी को मैं काफी बचपन से जानता हूं, मतलब मैं कई बार सोचता था कि इनमें और मुझमें काफी समानता है, इनके पिताजी भी मिल में काम करते थे, मेरे पिताजी भी मिल में काम करते थे, मैं भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में जाता था, ये भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में जाते थे, मैं विद्यार्थी परिषद का नेता बना, यह भी विद्यार्थी परिषद के नेता बने. हम लोग कॉलेज में गये पर जब कॉलेज में इनका मैंने एजुकेशन देखा तो मैंने अपना कदम पीछे कर लिया, बड़ी वर्सेटाइल पर्सनालिटी है मोहन जी की, एक तो यादव, दूसरा कुश्ती प्रेमी, तीसरा बनेटी चलाने वाले, चौथा कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष, पांचवा जब एजुकेशन देखेंगे आप तो बीएससी, एमए, एलएलबी, एमबीए, पीएचडी अध्यक्ष जी, मैंने अपना कदम पीछे हटा लिया, मैंने कहा अब बाकी सबमें तो मैं ठीक हूं मोहन जी के साथ पर शिक्षा में, फिर मैं कल माननीय सभी सदस्यों की शिक्षा देख रहा था, मुझे इतना शिक्षित व्यक्ति इस सदन में मेरी जानकारी जितना मैं देख पाया एक भी नहीं है, सबसे ज्यादा यदि कोई शिक्षित है तो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी और मुझे गर्व है कि उनके नेतृत्व में यह सरकार चलेगी और मध्यप्रदेश के विकास में माननीय मोदी जी के आशीर्वाद से हम विकास में चार चांद और लगायेंगे. मुझे बहुत प्रसन्नता इस बात की है कि एक मजदूर का बेटा जब मुख्यमंत्री बनता है तो सबसे पहले चिंता करता है मजदूरों की. मुझे याद है मेरे पिताजी भी मिल में काम करते थे, हुकुमचंद मिल वर्ष 1990 में बंद हुआ, हम लोगों ने आंदोलन किया तब से लेकर कोर्ट की बहुत सारी समस्यायें हैं लोअर कोर्ट, हाईकोर्ट 30 साल से केस चल रहा था अध्यक्ष महोदय पर मुझे यह कहते हुये गर्व है कि 30 साल से हुकुमचंद मिल के श्रमिक पैसों की उम्मीद में कई लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी पर वह महत्वपूर्ण निर्णय मोहन जी ने सबसे पहले अपनी केबिनेट में लिया, इसलिये इस विधान सभा के माध्यम से और इंदौर की जनता के माध्यम से मैं उनको धन्यवाद देता हूं. सिर्फ यहां के मजदूर नहीं हैं अध्यक्ष महोदय वर्ष 2023 का हमारा संकल्प पत्र, हमने घोषणा की थी कि हमारे वह मजदूर जो तेंदूपत्ता तोड़ते हैं उनको 3 हजार प्रति मानक बोरा मिलता था, हमारे संकल्प पत्र में 4 हजार प्रति मानक बोरा हमने घोषणा की थी वह संकल्प पत्र को जमीन में उतारने का काम कर दिया है. अध्यक्ष महोदय 162 करोड़ रूपया उन मजदूरों को अतिरिक्त बांटने का काम हमारी सरकार ने किया है. मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि एक व्यक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति क्या होती है, हमारे मीडिया के बंधु बैठे हुये हैं, 3 दिन तक समाचार चलाया कि महाकाल राजा हैं, वहां पर कोई राजा नहीं रूकता है. आज तक कोई मुख्यमंत्री वहां नहीं रुका. क्या होगा मोहन जी का, मेरे को भी लगा कि आज तक कोई मुख्यमंत्री वहां रुके नहीं. मैंने फोन किया मोहन जी को, तो उन्होंने कहा कि मैं राजा थोड़े हूं मैं तो सेवक हूं मैं तो वहीं रुकूंगा भईया. क्योंकि मध्यप्रदेश का पहला सेवक हूं मैं. यह काम करने की भावना मुझे गर्व है कि ऐसे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हम सब लोग आगे मध्यप्रदेश के विकास में संलग्न होंगे. यह संकल्प पत्र जो है हमारा जिसका कि महामहिम राज्यपाल जी ने उल्लेख भी किया यह सिर्फ संकल्प पत्र नहीं है यह मोदी गारंटी है. वह गारंटी इस बात की गारंटी कि कोई कुछ भी गारंटी करे पर जो मोदी जी ने गारंटी की है वह निश्चित रूप से वह गारंटी पूरी होगी यह संकल्प पत्र का आशय है. मुझे गर्व है कि जब हम चुनाव मे गये थे तो हमने कहा था कि मोदी के मन में एम.पी. और एम.पी. के मन में. मोदी जी ने सरकार बनने के साथ ही हमें आशीर्वाद दिया और आशीर्वाद देने के साथ ही कमजोर वर्ग के कल्याण के लिये विकसित भारत संकल्प यात्रा जो मध्यप्रदेश में भी निकल रही है सारी देश में भी निकल रही है. गरीब कल्याण की जितनी भी योजनाएं हैं वह सिर्फ विकसित भारत संकल्प यात्रा नहीं है वह भी मोदी गारंटी योजना है. आज गांव-गांव में जा रही है और गरीब कल्याण की जितनी योजनाएं उनसे वंचित लोगों के फार्म भरवाकर उन्हें वह हक दिलवाने का काम मोदी जी के माध्यम से हमारी सरकार कर रही है. मोदी जी ने रथ भेजा है. एक कार्यक्रम भेजा है कि हर पंचायत में जाईये और वहां पर सरकारी योजनाओं के जितने भी हितग्राही हैं उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर उन्हें लाभ दिलाईये. मुझे गर्व है कि प्रधानमंत्री आवास जैसी योजना. कल हमारे मित्र रामनिवास जी एक बात का जिक्र कर रहे थे कि यह राज्यपाल का अभिभाषण है या केन्द्र सरकार का है. अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ उनको यह स्मरण दिलाना चाहता हूं तो हमने एक ही वादा किया था कि डबल इंजन की सरकार का दस्तावेज है यह. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि इंदिरा आवास योजना आपकी सरकार ने दी थी. मध्यप्रदेश में कितने मकान बने थे. मुझे कहते हुए गर्व हो रहा है कि 50 लाख से ज्यादा मकान मध्यप्रदेश में बने हैं. यदि एक-एक मकान की कीमत हम 2-2 लाख रुपये ही समझें तो कितना पैसा आया सिर्फ प्रधानमंत्री आवास योजना से मध्यप्रदेश में और वह पैसा जब मध्यप्रदेश के अंदर उस उपभोक्ता के पास आया तो उसने सीमेंट कहां से खरीदी, उसने सरिया कहां से खरीदा हमारे प्रदेश से तो यह जो 5 हजार करोड़ रुपये आये हैं यह 5 हजार करोड़ रुपये मध्यप्रदेश के बाजार में गये हैं और बाजार में जायेगा तो उस पर जी.एस.टी. मिलता है. तो भारत सरकार के सहयोग से मध्यप्रदेश में सरकार का बजट भी बढ़ा है. मैं उसको बाद में बताऊंगा. अध्यक्ष महोदय, मुझे बहुत गर्व है कि केन्द्र की सरकार ने गरीब कल्याण की जितनी भी योजनाएं लागू की. महिला सशक्तीकरण की जितनी भी योजनाएं लागू कीं उन सब योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है और उसकी प्रगति भी साफ दिखाई दे रही है. अध्यक्ष महोदय, मैंने 2003 में इस सदन में पी.डब्लू.डी. मंत्री के रूप में काम किया था. मुझे याद आता है 2003 में मध्यप्रदेश की सड़कों की क्या हालत थी यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है यह सब लोग जानते हैं. मेरा रिकार्डेड भाषण है इस सदन के अंदर. मैंने कहा था सदन के अंदर दिग्विजय सिंह जी मैं गुजरात का प्रभारी हूं. अहमदाबाद से गाड़ी में बैठता हूं सो जाता हूं जैसे ही नींद खुलती है समझ जाता हूं कि आपका प्रदेश आ गया. यह मध्यप्रदेश की सड़कों की स्थिति थी. आज आप कहीं से भी आइये, जागते हुए आइये, अगर आपको नींद लग जाए तो समझ लेना मध्यप्रदेश की चमचमाती हुई सड़कें आ गई हैं. यह मध्यप्रदेश के हालात हैं.
अध्यक्ष महोदय, मुझे याद आता है वर्ष 2003 में इस प्रदेश के अंदर 60 हजार किलोमीटर सड़कें थीं और वह भी गड्ढे वाली, एक सिर्फ देवास बाइपास था, जिसमें एक भी गड्ढा नहीं था. बाकी पूरे प्रदेश में गड्ढे ही गड्ढे थे. आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ 60 हजार किलोमीटर सड़कें वर्ष 2003 में थीं, आज लगभग 5 लाख 10 हजार किलोमीटर सड़कें हैं और वह भी बिना गड्ढे वाली. कितनी है जरा बताइये, 5 लाख 10 हजार किलोमीटर सड़कें बिना गड्ढे वाली.
अध्यक्ष महोदय, सिंचाई की क्षमता हमारी कितनी थी, 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर सिंचित जमीन थी. कितनी थी, 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर, आज कितनी है, आज 47 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित है और वर्ष 2025 तक यह 65 लाख हेक्टेयर हो जाएगी. कितनी हो जाएगी, 65 लाख हेक्टेयर. अध्यक्ष महोदय, मैं ये प्रदेश की सरकार की प्रगति की सौगात बता रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा मैं पीडब्ल्युडी मिनिस्टर था, फिर पॉवर मिनिस्ट्री भी मेरे पास रही. यदि मैं वर्ष 2003 का इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट देखूँ तो यह लगभग 3,878 करोड़ रुपये था. आज वर्ष 2023 में इसकी बात करूँ तो यह 56,256 करोड़ रुपये है. यदि मैं बिजली के उत्पादन की बात करूँ, जब मैं पॉवर मिनिस्टर था, बिजली का उत्पादन कितना था तो 5,173 मेगावॉट था, जबकि उस समय रिक्वॉयरमेंट 13,000 मेगावॉट थी. मतलब 8,000 मेगावॉट की कमी थी. आज 29,000 मेगावॉट का उत्पादन यह मध्यप्रदेश कर रहा है और सरप्लस बिजली वाला प्रदेश है. अध्यक्ष महोदय, ये सब भारतीय जनता पार्टी की सरकार से हुआ है. सरकारें पहले भी चलीं, पर गड्ढे वाली सड़कें थीं, अंधेरे वाला प्रदेश था.
अध्यक्ष महोदय, सौभाग्य से यदि मैं वर्ष 2003 के मध्यप्रदेश के बजट की बात करूँ, उमा जी उस समय मुख्यमंत्री थीं, उस समय जो हमारा बजट था, वह 23,161 करोड़ रुपये था, आज यह 3 लाख 14 हजार 75 करोड़ रुपये हो गया है. एकदम 12 गुना वृद्धि. यह प्रदेश की प्रगति है. मुझे यह कहते हुए भी बहुत गर्व है कि वर्ष 2003 में हमारे प्रदेश की जीडीपी 4.43 थी, आज 16.48 है. कितनी है, 16.48 है. यदि मैं प्रतिव्यक्ति आय की बात करूँ तो पर कैपिटा इन्कम थी 11,718 रुपये थी, आज यह 1,40,583 रुपये है. कितनी है 1,40,583 रुपये प्रतिव्यक्ति आय है. हमने प्लान बनाया है कि ये प्रतिव्यक्ति आय आने वाले 7 वर्षों में हम दोगुनी कर देंगे. अध्यक्ष महोदय, इस विधान सभा में हम यह करके दिखाएंगे. यह मैं हमारी आर्थिक प्रगति की बात कर रहा हूँ. हमारे देश के प्रधानमंत्री जब अमेरीका गए (विपक्ष के एक माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन से बैठे-बैठे कुछ कहने पर) तुम्हारे समझ में नहीं आएगी, ये तुम्हारे समझ की बात ही नहीं है, इस पर क्यों बोल रहे हो. जिसमें समझ हो वह बोले, अब जिसमें समझ ही नहीं है, क्यों बोल रहे हो. अध्यक्ष महोदय, तो एक हमारा जो प्लान है आगे का मध्यप्रदेश के विकास का यह महामहिम राज्यपाल ने जो दस्तावेज दिया है. हम आने वाले समय में बजट सत्र में आएंगे, तो आपको बताएंगे कि हम किस प्रकार प्रदेश का विकास करना चाहते हैं. मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नौ बातों का आग्रह किया है. अगर देश की जनता इन नौ बातों का ध्यान रखे तो देश के विकास में हम सब बहुत बड़ा योगदान करेंगे. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि हमने स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किये, जब हमने अमृत महोत्सव मनाया था, जब प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि यह अमृतकाल है, तो आने वाले 25 वर्षों में हम सब देशवासी यह संकल्प लें कि सन् 2047 में जब स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे हो जाएं तो यह देश दुनिया का सबसे ताकतवर देशों की श्रेणी में खड़ा हो. अध्यक्ष महोदय, उसमें मध्यप्रदेश की भूमिका भी बड़ी महत्वपूर्ण होगी. देश के विकास में भी मध्यप्रदेश की भूमिका बड़ी होगी, देश की जीडीपी को बढ़ाने में भी मध्यप्रदेश की भूमिका बड़ी होगी क्योंकि हमने जिस प्रकार का मध्यप्रदेश के विकास का मास्टर प्लान बनाया है, वह देश की प्रगति में बहुत बड़ा सहायक होगा.
अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री जी ने नौ आग्रह किए हैं, पहला, पानी की हर बूँद बचाएं, दूसरा, गांव-गांव को डिजिटल बनाएं. यह हमने संकल्प लिया है. तीसरा, गांव, शहर, मोहल्ले को स्वच्छ बनाएं, स्वच्छता अभियान में इन्दौर लगातार देश के अन्दर स्वच्छता में नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. चौथा, प्रधानमंत्री जी की राय थी कि लोकल मेड बनाएं, मेड इन इण्डिया प्रोडक्ट प्रमोट करें, निश्चित रूप से हमारे देश का उत्पादन, हमारे देश के लोग ही खरीदेंगे क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और इस बाजार में यदि हमारे द्वारा उत्पादित चीजें, यदि हमारे लोग लेंगे तो निश्चित रूप से हमारे देश की ग्रोथ में, प्रदेश की ग्रोथ में बड़ी प्रगति होगी.
अध्यक्ष महोदय, पहले हम अपने देश में घूमें. अपने देश का पर्यटन बढ़ाएं. मुझे कहते हुए गर्व है. मैं एक उदाहरण देना चाहता हूँ. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी उज्जैन के हैं, उन्होंने महाकाल लोक बनाया, महाकाल लोक बनाते ही उज्जैन की इकोनॉमी बदल गई, जहां प्रतिदिन 15 हजार लोग आते थे, वहां 1 लाख लोग प्रतिदिन आ रहे हैं. उज्जैन की होटलें तो फुल भर जाती हैं, इन्दौर में भी रविवार और सोमवार को होटल्स में किराये पर कमरे नहीं मिलते हैं. सिर्फ एक मन्दिर के विकास से, हमारा स्थानीय पर्यटन इतना बदला है. यह जो सांस्कृतिक अभ्युदय हो रहा है, निश्चित रूप से इसमें भारतीय जनता पार्टी की बड़ी महती भूमिका है. अध्यक्ष महोदय, मुझे स्मरण आ रहा है कि माननीय पटवा जी, उस समय मुख्यमंत्री थे, राम मन्दिर आंदोलन चल रहा था, केन्द्र में सरकार कांग्रेस समर्थित थी. उन्होंने कहा कि राम मन्दिर का समर्थन करते हैं कि विरोध करते हैं, हमने कहा कि हम राम मन्दिर का समर्थन करते हैं, पटवा जी ने यहीं से, इसी सदन से कहा कि हम कुर्सी को ठोकर मार देंगे बाकी हम हमारी विचारधारा के साथ में रहेंगे. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि सांस्कृतिक अभ्युदय के कारण आज राम मन्दिर भी बन रहा है. दिनांक 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मन्दिर की प्राण-प्रतिष्ठा है. यह देश के लिए गौरव की बात है, प्रदेश के लिए गौरव की बात है क्योंकि हमने भी उस राम मन्दिर आंदोलन में अपनी महती भूमिका अदा की थी.
अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने प्राकृतिक खेती के प्रति भी जागरुक रहने का आहवान किया है. हम इसको भी आत्मसात करेंगे. मिलेट्स, जिसका नाम उन्होंने श्री अन्न दिया है. हमारे यहां की सरकार ने श्री अन्न पैदावार करने लिए किसानों को बीज उपलब्ध कराये, बल्कि उनके उत्पादन को मार्केट दिखाना इसकी भी व्यवस्था की है, जिससे मिलेट्स के उत्पादन हमारे प्रदेश में बढ़ा है. योगा आप सब जानते हैं. स्पोर्टस इस क्षेत्र में भी देश ने बहुत प्रगति की है. हमारे मध्यप्रदेश के बहुत सारे खिलाडि़यों ने राष्ट्रीय स्तर पर मेडल प्राप्त किए हैं. उसके लिए भी माननीय प्रधानमंत्री जी ने आग्रह किया है. एक आग्रह बड़ा संवेदनशील किया है कि देश का हर एक व्यक्ति यह सोचे कि क्या मैं एक गरीब परिवार की मदद कर सकता हूँ ? अध्यक्ष महोदय, यह सदन संकल्प ले कि हर व्यक्ति एक गरीब परिवार के उत्थान में क्या भागीदारी निभा सकता है. इस दिशा में अवश्य काम करे. अध्यक्ष महोदय, मैं, महामहिम राज्यपाल महोदय के इस अभिभाषण का समर्थन करता हूं, कृतज्ञता व्यक्त करता हूं और यह विश्वास इस सदन को दिलाना चाहता हूं कि यह नई सरकार जो हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री मोहन जी के नेतृत्व में काम करने वाली है, वह विकास के कीर्तिमान रचेगी, सांस्कृतिक अभ्योदय के कीर्तिमान रचेगी क्योंकि हमने संकल्प लिया है कि जितनी भी हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं, इस प्रदेश के अंदर जैसे महाकाल लोक बना है, ऐसे ही ओंकारेश्वर लोक बने. मुझे यह कहते हुए भी गर्व है कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति, जिसका हमने विद्यार्थी परिषद के जमाने से विरोध किया था, देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नई शिक्षा नीति लागू की, हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी जो उस समय शिक्षा मंत्री थे और मध्यप्रदेश वह पहला प्रदेश था, जिसने नई शिक्षा नीति को लागू किया और इस शिक्षा नीति को लागू करने के लिए, एक वृह्द कमेटी बनाई और उस कमेटी के माध्यम से मध्यप्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे बढ़े, इसके लिए प्रदेश काम कर रहा है. (मेजों की थपथपाहट)
मैं, एक बार फिर से महामहिम राज्यपाल के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं और सदन को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी सरकार मध्यप्रदेश के विकास का संकल्प ले चुकी है. जो प्रधानमंत्री का सपना है कि वर्ष 2047 में यह देश, दुनिया का ताकतवर देश बने, वैसे ही मध्यप्रदेश भी देश को ताकतवर बनाने में अपनी महती भूमिका अदा करेगा. बहुत-बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में मुझे 31 माननीय सदस्यों के संशोधनों की सूचनायें प्राप्त हुई हैं.
संशोधन बहुत विस्तृत स्वरूप के हैं, इसलिए पूरे संशोधनों को न पढ़कर केवल उनके प्रस्तावकों के नाम और संशोधन क्रमांक ही पढॅूंगा. जो माननीय सदस्य सदन में उपस्थित होंगे उनके संशोधन प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
अब, राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री कैलाश विजयवर्गीय सदस्य द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव और संशोधनों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री गोपाल भार्गव (रेहली)- अध्यक्ष महोदय, पूर्व में सदन में परंपरा यह थी कि जो संशोधन दिए जाते थे, उस पर हाथ उठाकर सदस्य अपनी उपस्थिति जताते थे.
श्री राम निवास रावत (विजयपुर)- मैंने तो हाथ उठाया है.
श्री गोपाल भार्गव- केवल आपने उठाया है. मैंने देखा कि अन्य सदस्यों ने नहीं उठाया.
अध्यक्ष महोदय- कुछ सदस्यों ने हाथ उठाये थे.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- आसंदी से ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं आई. हम भी यहां उपस्थित थे, इसलिए हमने हाथ नहीं उठाया.
श्री गोपाल भार्गव- बाला भाई, आप भी यह जानते हैं कि यह सदन की एक स्थापित परंपरा है.
श्री राम निवास रावत- हम आपकी बात से सहमत हैं. इसका पालन किया जाना चाहिए. आप सचिवालय से पूछिये हाथ उठाया है कि नहीं ?
श्री गोपाल भार्गव- इसलिए संशोधन अमान्य किए जाने चाहिए थे.
अध्यक्ष महोदय- जो सदस्य सदन में उपस्थित हैं कृपया वे हाथ उठायें. इनके प्रस्ताव प्रस्तुत माने जायेंगे, धन्यवाद.
(संशोधनों से संबंधित, सदन में उपस्थित माननीय सदस्यों द्वारा हाथ उठाये गए.)
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)- अध्यक्ष महोदय, यह तो आपकी दरियादिली है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल से ही सदन प्रारंभ हुआ है दो दिन तो शपथ और अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ. मैं सभी माननीय सदस्यों को बधाई देते हुए हमारे आदरणीय, सम्माननीय और मुझसे वरिष्ठ कैलाश विजयवर्गीय जी द्वारा प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव से असहमत होते हुए अपनी बात करने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो एक बात कैलाश जी ने कही मैं उससे सहमत हूं. हम सब जनता के द्वारा चुनकर आते हैं और हम सभी का एक ही उद्देश्य रहता है कि हमारे क्षेत्र का विकास, गरीबों का विकास, गरीबों की सेवा हो चाहे वह सत्ता पक्ष के हों, चाहे विपक्ष के हों हम में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हम सभी का उद्देश्य एक ही रहता है और मैं तो यह कहूंगा कि किसी गरीब की आंखों में आंसू की जगह आपकी वजह से मुस्कान आ जाए तो उससे बड़ी सेवा और कोई दूसरी नहीं हो सकती है. हम इस उद्देश्य को लेकर यहां आए हैं. अध्यक्ष महोदय, का अभिभाषण किसी भी सरकार का दर्पण होता है, किसी भी सरकार का आईना होता है. राज्यपाल के अभिभाषण से यह परिलक्षित होता है कि सरकार भविष्य में इस प्रदेश के लिए, प्रदेश की जनता के लिए, गरीबों के उत्थान के लिए क्या- क्या करने जा रही है. मैं यही कहना चाहूंगा कि मैंने कल जिस तरह से राज्यपाल का अभिभाषण सरकार का दर्पण होता है, सरकार को पूरे प्रदेश में प्रतिबिम्बित करता है इसी तरह से हम सदस्यों के लिए सदन एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसके कारण हमारी क्षमता, हमारी दक्षता और हम लोगों की कितनी जागरुकता, कितनी प्रतिबद्धता जनता के प्रति है जनता के मुद्दे उठाने के लिए यह एक मात्र सदन है.
अध्यक्ष महोदय, मैं इसके लिए संरक्षण चाहता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पदभार ग्रहण करते ही सुशासन और अपराध रोकने की बात की थी. सुशासन सभी लोग चाहते हैं और घोषणाएं सभी लोग करते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की कि जितने भी नामांतरण हैं वह सभी रजिस्ट्री के साथ किए जाएं, लेकिन वह फील्ड में हो रहे हैं कि नहीं हो रहे हैं हम सभी सदस्यगण प्रश्नों के माध्यम से उसकी जानकारी लेते हैं और वह जानकारी सरकार को आती है. अध्यक्ष महोदय, मैं एक अनुरोध करना चाहूंगा कि हम सदन में प्रश्न उठाते हैं. हमारे सदस्य बनते ही हमें ब्रीफकेस दिया गया और दो किताबें दी गईं. एक किताब मध्यप्रदेश की प्रक्रिया तथा संचालन संबंधी नियम और दूसरी माननीय अध्यक्ष के स्थाई आदेश की थी. उसमें एक संशोधन था मैं उसका उल्लेख यहां करना चाहूंगा कि विधान सभा के किसी भी कार्यकाल के समस्त सत्रों में सदन की बैठकों हेतु प्राप्त प्रश्न की वह सूचनाएं जो स्वीकृत होकर विभाग के उत्तर हेतु भेजी जा चुकी हैं, के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर सभा के विघटन होने के ठीक पूर्व प्राप्त नहीं होने पर सभा के विघटन पर व्यपगत माने जाएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस स्थाई आदेश से हमारे प्रश्न करने का कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा. अगर कोई अधिकारी जिसके खिलाफ प्रश्न उठा है, किसी भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रश्न उठा है वह तो यह भेज देगा कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. उसकी न तो सदन के प्रति प्रतिबद्धता रहेगी और न ही सदन के प्रति कर्तव्यनिष्ठा रहेगी. मैं इसे सभा के अंतिम सत्र के संबंध में तो ठीक समझता हूं, लेकिन प्रथम सत्र से लेकर अंतिम सत्र तक अगर जानकारी एकत्रित की जा रही है तो हमारे प्रश्न करने का कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा.
श्री अजय विश्नोई-- आप राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा कीजिए.
श्री रामनिवास रावत-- जब सदन में बात करने का कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा, सदन में किसी मुद्दे को उठाने का अर्थ ही नहीं रहा जाएगा तो इसका क्या मतलब है.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- आप यह विषय नियम समिति में रखिए.
श्री बाला बच्चन-- अभी आप सभी ने कैलाश विजयवर्गीय जी को भी सुना है.
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास जी आप अपना भाषण जारी रखें.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मैं जब पहली बार चुनकर आया था उस समय मैं समझता हूं कि आदरणीय भार्गव जी थे, विजयवर्गीय जी थे, पटवा जी थे, अर्जुन सिंह जी थे, शुक्ला जी थे, वोरा जी थे. सामने कैलाश जोशी जी थे और उस समय अध्यक्ष जी, आसंदी पर सम्माननीय बृजमोहन मिश्र जी हुआ करते थे. उस समय सदन की जो महत्ता थी, सदन का जो महत्व था आज लगातार हम देख रहे हैं निरंतर कहीं न कहीं कम होता जा रहा है. प्रशासन में अगर सुशासन स्थापित करना हो तो सदन में पूछे गए प्रश्नों का, सदन में कही गई बातों का जवाब ठीक से मिलना चाहिये और समय पर मिलना चाहिये. मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पर कृपया पुनर्विचार कर लें. आपको अधिकार है. आप स्थाई आदेश दे सकते हैं. मैं समझता हूं कि सदन में हमारे बोलने का मतलब तभी रह जाएगा. अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात को यहीं समाप्त करते हुये मैं आगे अपनी बात कहना चाहूंगा.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण मैंने पढा.
अध्यक्ष महोदय -- आप भाषण शुरू कर रहे हैं ?
श्री रामनिवास रावत -- जी अध्यक्ष महोदय, शुरू कर रहा हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, पहले ट्रेलर था फिल्म अब आएगी.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हमें कोई आपत्ति नहीं है केन्द्रीय योजनाओं का नाम होना चाहिये. कल मैंने जो कहा हमारे विजयवर्गीय जी ने उल्लेख किया. अभिभाषण में 48 बिंदु हैं और 48 बार मोदी, पीएम, प्रधानमंत्री का उल्लेख आया है. (श्री अजय विश्नोई द्वारा आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) नहीं, कोई बुराई नहीं है आप तो पूरी तरह से सीएम को गायब कर दो तब भी कोई बुराई नहीं मानेंगे. मात्र 14 बार सीएम का उल्लेख आया है. इसलिये कहा था विजयवर्गीय जी, कि ऐसा लग रहा है कि जैसे मोदी जी द्वारा भेजा हुआ किसी केन्द्र शासित प्रदेश की विधान सभा में यह अभिभाषण पढा जा रहा है. हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव (रहली) -- रामनिवास जी, आप जानते हैं कि भारत सरकार प्रत्येक योजना में 60 प्रतिशत राशि का योगदान देती है या कहीं-कहीं किसी योजना में 90 परसेंट का योगदान देती है. उल्लेख क्यों नहीं होना चाहिये ? आप बताएं.
श्री रामनिवास रावत -- मैंने अपनी बात कह दी. अगर यही आप करते रहते, उल्लेख तो अब इसलिये भी करना पडेगा क्योंकि उल्लेख के बिना काम नहीं चलेगा. अब जो भी चलेगा वहीं से चलेगा. जो त्वमेव माता च पिता त्वमेव करेगा वही वहां तक पहुंच पाएगा. नहीं देख लो बाकी कितनी आगे की लाइन में कितने यहां तक आ गए. ..(हंसी).. मेरी सरकार या मेरा प्रदेश कहा तो आप भी नहीं बचोगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अरे आप तो एक परिवार की आरती उतार रहे हो.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- अध्यक्ष महोदय, रामनिवास रावत जी, आप अपनी चिंता तो करिये, जितु बने नहीं और आपने इस्तीफा थमा दिया. आपकी स्थिति तो पहले बताइये.
श्री तुलसीराम सिलावट -- आप कहां खडे हो ?
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, कृपया विषय पर रहें, नहीं मूल तत्व रह जाएगा आप जो कहना चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मेरी स्थिति मैं जहां हूं मैं ठीक हूं. माननीय विजयवर्गीय जी ने उत्थान की बात की, गरीबों की बात की. मैंने अभिभाषण पढा और इस अभिभाषण में दिया हुआ है कि मोदी जी का संकल्प है गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाएं ही हमारी सब वीवीआईपी हैं. उनकी सेवा करना ही हमारा फर्ज है. विकास एक अनवरत् चलने वाली प्रक्रिया है. वर्ष 2003 में जब सरकार थी तब वर्ष 2003-04 में कर्ज था 30 हजार करोड, आज कर्ज बढकर हो गया है 3 लाख, 85 हजार करोड. उस समय प्रति व्यक्ति कर्ज था 20 हजार रुपये और आज प्रति व्यक्ति कर्ज हो गया है 50 हजार रुपये. मैं आपकी बात से सहमत हूं. आपके अभिभाषण में दिया हुआ है कि गरीब कल्याण अन्य योजना के माध्यम से हम 5 करोड, 31 लाख लोगों को नि:शुल्क राशन देते हैं. हम इसमें बुराई नहीं मानते, लेकिन साढे आठ करोड इस प्रदेश की जनता है, अगर 5 करोड, 31 लाख गरीबों को राशन देते हैं तो किधर गरीबी मिटी ? किधर गरीबों का विकास हुआ ? यह सबसे बडे दुर्भाग्य की बात है. उस समय गरीबी रेखा के नीचे वर्ष 2003-04 में 35 प्रतिशत् हुआ करता था. अगर इस प्रतिशत् को निकालोगे तो 70 प्रतिशत् आज गरीब हैं. कहां जा रहा है यह पैसा ? अगर विकास हो रहा है प्रदेश का आपने जो बताई 1 लाख 48 हजार प्रति व्यक्ति आय, किसकी है? जब 5 करोड़ 37 लाख लोग अन्न योजना के तहत राशन ले रहे हैं, तो यह किसकी है? अध्यक्ष महोदय, मैं तो यह पूछना चाहूँगा. गरीबों के लिए काम करें.निश्चित रूप से आय बढ़ी है. बजट भी बढ़ा है, लेकिन कुछ लोगों के लिए, आय कुछ लोगों की बढ़ी है. गरीबी और अमीरी का निरन्तर गैप बढ़ता जा रहा है. गरीब अति गरीब होता जा रहा है. अमीर अति अमीर होता जा रहा है. पैसा कुछ ही लोगों के पास पहुँच रहा है. मैं समझता हूँ कि विजयवर्गीय जी और सभी इस बात का चिंतन करेंगे कि 5 करोड़ 37 लाख अगर गरीब अन्न योजना के तहत राशन लेते हैं तो यह चिंतनीय बात है कि हम प्रदेश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने शपथ लेते ही 2-3 आदेश निकाले. मांस खुले में नहीं बिकना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, सरकार के आदेश तो पहले से ही हैं, इसका पालन कराएँ और लाउड स्पीकर का, हमें आपत्ति नहीं है, हम इससे असहमत नहीं हैं. लेकिन हम चाहते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री अगर आदेश करते प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने के लिए, प्रदेश की समस्त शासकीय कार्यालयों में रिक्त पड़े पदों पर तत्काल भर्ती की जाएगी. (मेजों की थपथपाहट) अगर यह आदेश करते तो माननीय मुख्यमंत्री जी, हम आपका स्वागत करते, पूरी सरकार का स्वागत करते. कैलाश जी, आपको भी धन्यवाद देते. लेकिन आपको युवाओं और बेरोजगारों की चिन्ता नहीं है. आज बेरोजगारी का यह आलम है कि एम.पी.रोजगार पोर्टल पर 37 लाख 80 हजार 679 शिक्षित बेरोजगार हैं. 1 लाख 12 हजार 470 अशिक्षित आवेदकों के पंजीयन जीवित हैं. यह जानकारी विधान सभा प्रश्न में दी गई है और अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न के उत्तर में बताया गया, आपकी 20 साल से सरकार है लेकिन आपने रोजगार कार्यालयों के माध्यम से 3 वर्षों में मात्र 21 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. यह विधान सभा प्रश्न क्रमांक 429 के उत्तर में है.
अध्यक्ष महोदय, कर्मचारी चयन मंडल द्वारा जो भर्ती की भी प्रतियोगिता परीक्षाएँ आयोजित कीं. बेरोजगारों से करोड़ों रुपये वसूल किए और पटवारी परीक्षा का क्या आलम हुआ, यह आप सबकी जानकारी में है कि किस तरह से परीक्षाएँ हो रही हैं, किस तरह से भर्ती की जा रही है, यह किसी से छुपा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय विजयवर्गीय जी ने जो केन्द्र शासन से, केन्द्र की सहायता राज्य को मिलती है, मैं उसके बारे में भी ध्यान दिलाना चाहूँगा कि कितनी सहायता वर्ष 2023-24 में अभी तक नहीं मिली. लगभग 8 सौ करोड़ की राशि आपकी जी.एस.टी. की आ गई हो, तो इस संबंध में बताएँ. अध्यक्ष महोदय, अभी तक नहीं आई है. आपने संकल्प पत्र की बात की है. मोदी जी की गारंटी की बात की है. आपने किसानों का उल्लेख किया है, तो मैं आप से यही पूछना चाहूँगा कि आपके संकल्प पत्र में गारंटी थी कि किसानों से 27 सौ रुपये क्विंटल गेहूँ खरीदेंगे, अभी गेहूँ का तो समय आएगा. लेकिन अभी धान खरीदी का समय चल रहा है. 31 सौ रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी की व्यवस्था करने का संकल्प था, था या नहीं था? मैं एक बात पूछना चाहूँगा...(व्यवधान)..है तो फिर 21 सौ रुपये क्यों खरीद रहे हों, 31 सौ रुपये क्यों नहीं खरीद रहे हों? क्या 31 सौ रुपये के हिसाब से धान बेचने वाले किसानों को राशि देंगे? अध्यक्ष महोदय, मोदी जी की गारंटी है यह, कैलाश जी, कि जो गारंटी मोदी देते हैं वह करते हैं, तो 31 सौ रुपये धान क्यों नहीं खरीद रहे? क्या 31 सौ रुपये धान की राशि देंगे?
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, अभी बजट सत्र आएगा उसमें बजट में प्रावधान होगा. यह कोई घर से थोड़े ही दिया जाता है यह.
श्री रामनिवास रावत-- अभी अभिभाषण में उल्लेख नहीं है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को यह बताना चाहता हूँ कि मोदी जी की गारंटी भी है और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता की भी गारंटी है कि जो संकल्प 2023 हमने पारित किया है. उसका अक्षरशः पालन करेंगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री रामनिवास रावत-- हम वही तो कह रहे हैं क्या 31 सौ रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी की राशि देंगे?...(व्यवधान)..आपकी स्थिति क्या है?
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास जी, अभी आपकी चर्चा का जवाब मुख्यमंत्री जी देंगे.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु-- आपकी 15 महीने की सरकार में कौन सी गारंटी दे दी थी, कौन सा वादा पूरा कर दिया था आपने. ढाई लाख आवास हीनों के आवास देने से इन्कार कर दिया था कमलनाथ जी ने. आप उलझा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास रावत जी, आप कन्टीन्यू करें.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु-- आप गरीबों की बात कर रहे हैं और गरीबों को मकान नहीं दे रहे थे.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं मारु जी. कृपया आप बैठ जायें.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु-- आपकी सरकार ने योजनाएं बंद कर दी थीं, सम्बल योजना बंद कर दी थी. गरीबों की सारी हितकारी योजनाएं बंद कर दी थीं.
...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय--मारु जी, कृपया बैठ जायें. कृपया सब सदस्य बैठ जायें. रामनिवास रावत जी, अब आप भाषण पूरा करें.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, तो मैं इसका जवाब मुख्यमंत्री जी से चाहूंगा कि क्या किसानों से 3100 रुपये क्विंटल धान खरीदी करेंगे और क्या गेहूं 2700 रुपये क्विंटल खरीदा जायेगा, इसकी व्यवस्था दें. करोड़ों लाडली बहनाओं को यह मोदी जी की गारंटी है, मासिक आर्थिक सहायता के साथ मिलेगा आवास का लाभ. आवास का लाभ तो दूर गया. करोड़ों लाडली बहनाएं, जिनकी वजह से आप सरकार में हैं और जिनको कहा था, 1 हजार रुपये देना शुरु किया, फिर 1250 रुपये देना पहुंचाये, उन लाडली बहनाओं का राज्यपाल के अभिभाषण में कहीं कोई उल्लेख नहीं है. यह उन लाडली बहनाओं के साथ धोखा है. उसका इसमें उल्लेख क्यों नहीं है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- पैसा तो उनके खाते डला ना.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, इस महीने का पैसा डला है क्या.
श्री रामेश्वर शर्मा-- डला है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, चुनाव के पहले डला है, उसके बाद नहीं डला.
श्री रामेश्वर शर्मा-- डला है. ...(व्यवधान).. आपने भाभी जी से पूछा कि पैसा डला है कि नहीं डला.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कृपया शांति बनाये रखें. यह प्रश्नकाल नहीं है. राज्यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है. रामनिवास रावत जी, आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, आप चर्चा को कन्टीन्यू रखें.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय,ये डिस्टर्ब तो करते हैं.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार)-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि अगर इस प्रकार से बीच में किसी वरिष्ठ सदस्य के बोलने पर खलल होगा, फिर हमारे सदस्य भी सब खड़े होंगे. व्यवस्था आपको देना है.
अध्यक्ष महोदय--मैंने इसलिये कहा कि रामनिवास जी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, वह बोलने के बाद उधर से उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे थे.
श्री उमंग सिंघार-- उनके भाषण के बीच में सत्ता पक्ष की तरफ से सदस्य भी बोल रहे हैं, आप एक बार बता दें, इस बात को लेकर मैंने बोला. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--रामनिवास रावत जी, आप कन्टीन्यू रखो. अपनी बात पूरी करो.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैं उत्तर की प्रतीक्षा नहीं कर रहा हूं, मैं तो चाहता हूं कि जब मुख्यमंत्री जी जवाब देंगे, तब मैं इनका उत्तर चाहता हूं. वैसे मरी शुभकामनाएं हैं मुख्यमंत्री जी को. जिस तरह से वे चल रहे हैं, उसी तरह से चलें, कतई अपनी सरकार नहीं कहें. मोदी जी की सरकार है, आप 5 साल रहें, हमारी शुभकामनाएं हैं, हमारे वर्ग के हो और जिसने जन गण मन नहीं किया, जिसने त्वमेव माता च पिता नहीं किया, वह सब ये बैठे हैं. ..(हंसी).. मैं केवल इस संबंध में इतना ही मुख्यमंत्री जी से उत्तर चाहूंगा, जब इस अभिभाषण में यहां गैस पीड़ित महिलाओं को पेंशन लागू करने का उल्लेख कर दिया है. तो क्या लाडली बहनाएं हैं प्रदेश की, जिनकी वजह से सरकार आई. असल में गलती शिवराज सिंह जी से हो गई. मोदी जी की लाडली बहना कहते, तो वह शायद नहीं हटते. लेकिन उन्होंने मेरी लाडली बहना, मेरे भांजे- भांजी, मेरी सरकार. तो जिसकी वजह से यह सरकार आई. उनके साथ वादाखिलाफी न हो. आप उत्तर में कहें कि क्या इस योजना को चालू रखेंगे और क्या लाड़ली बहनाओं को 3 हजार रूपये तक राशि मुहैया करायेंगे ? मैं केवल यह पूछना चाहता हूं और लाड़ली बहनों को मासिक आर्थिक सहायता के साथ देंगे, यह मैं, माननीय मुख्यमंत्री जी से जानना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने अपने अभिभाषण में विकसित भारत संकल्प यात्रा का जिक्र इन्होंने भी किया है. देश के युवाओं की स्थिति, देश के युवाओं के बारे में भी उल्लेख किया गया है कि देश के युवा भी VIP है. मैं पहले कि कह चुका हूं कि यदी देश के युवा VIP होते तो 2 करोड़ रोजगार देने का भी वायदा भी मोदी जी ने प्रतिवर्ष किया था और 2 लाख रोजगार देने के लिये मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने वायदा किया था. 2 लाख का इसमें भी उल्लेख है, लेकिन रोजगार आप कैसे देंगे ? क्या आप प्रदेश के सभी शासकीय विभागों में रिक्त पदों की भर्ती सुनिश्चित करायेंगे और उसके माध्यम से रोजगार उपलब्ध करायेंगे, इसका जवाब भी मैं आपसे चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, विकसित भारत के संकल्प की भी कही. विकसित भारत का क्षेत्र तो केवल जो अन्य योजनाएं है उनकी जो संख्या है वह काफी चिन्ताजनक है और आपने महाकाल लोक की बात करी. मैं महाकाल लोक के संबंध में इतना ही कहना चाहूंगा कि आपने निर्माण किया बहुत अच्छा है. हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है. हम आपको बधाई देते हैं, लेकिन उस निर्माण का छोटे से तूफान में क्या हुआ ? इसकी भी चर्चा आदरणीय विजयवर्गीय जी कर देते तो हमें अच्छा लगता कि उस निर्माण में कमी जिसने भी की उसके खिलाफ हम अच्छे से कार्यवाही करेंगे. उस निर्माण में कोई न कोई लिप्त तो नहीं है, भष्ट्राचार तो नहीं हुआ, उसमें कोई संलिप्त तो नहीं है उसको भी हम देखने का काम करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में अपराध रोकने की बात कहीं है, मध्यप्रदेश में अवैध खत्खनन जबरदस्त रूप से हो रहा है, उस पर कोई अंकुश नहीं है. अवैध उत्खनन सत्ता और प्रशासन की मिलीभगत से लोग अवैध उत्खनन जबरदस्त रूप से कर रहे हैं. अपराधियों के हौसले बुलन्द हैं. अभी चुनाव के बाद एक महिला तहसीलदार अवैध रूप से उत्खनन रोकने गयी, उस पर किस तरह से हमला हुआ किसी से छुपा नहीं है, एक पटवारी की हत्या कर दी गयी और एक आई.पी.एस की हत्या भी पूर्व में हुई थी वह भी अवैध उत्खनन के कारण हुई थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अपराधों में भी निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है. मैं तो यह चाहता हूं कि अपराधों की रोकथाम बंद हो. शासन में, प्रशासन में भय समाप्त हो गया है. महिलाओं के साथ दुष्कर्म की जो स्थिति है वह प्रतिदिन 31 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं इस प्रदेश में होती है.इनमें से 8 अवयस्क महिलाओं के साथ होता है. इस तरह से यह स्थिति चिन्ताजनक है. मध्यप्रदेश के आपराधिक आंकड़ों के संबंध में भी सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ की है कि मध्य प्रदेश के गजब आंकड़ें हैं. राज्य में 1951 दुष्कर्म पीडि़ताएं हैं और राज्य सरकार हरेक को 6 हजार 500 रूपये मदद दे रही है, क्या आप भीख दे रहे हैं, क्या आप ऐसा करते हैं. उनके सम्मान के लिये इस तरह की घटनाएं होती हैं तो उनके विरूद्ध जबरदस्त कार्यवाही की जाये. आप कर रहे हैं, इसमें कोई शंका नहीं है लेकिन भय क्यों नहीं बन पा रहा है इस पर रोकथाम क्यों नहीं लग पा रही है. मैं इसके संबंध में भी कहना चाहूंगा कि प्रतिदिन प्रदेश में 52 महिलाएं गायब हो रही हैं, गुमशुदगी के कई मामले अंकित हैं प्रतिदिन औसत 23 अवयस्क महिलाएं गायब हो रही हैं. बेरोजगारी की जो स्थिति है वह किसी से छिपी नहीं है. कुल बेरोजगारों की संख्या मैंने बतायी, इसमें पटवारी के 9 हजार 300 पदों पर 12 लाख आवेदन आये, जिनमें उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त और उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगार थे. ग्वालियर के 57 चपरासी के पदों पर भर्ती के 60 हजार आवेदन आये इसमें 80 प्रतिशत स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रीधारी थे. सभी पद जो प्रदेश के शासकीय विभागों में रिक्त पड़े हैं, उनको भर्ती करने के आदेश तुरन्त दिये जाये. आपने उच्च शिक्षा की बात की. इसमें शिक्षा का उल्लेख आया है. शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में भी बात कही गई है, लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि आप शिक्षा की गुणवत्ता सुधारेंगे कैसे? आपने जो सामान्य स्कूल थे, उनको सीएमराईज स्कूल कर दिया. पहले मॉडल स्कूल बनाया, मॉडल स्कूल के बाद सीएमराईज बना दिया, लेकिन टीचिंग स्टॉफ? जो शिक्षक सामान्य स्कूल में थे, मॉडल स्कूल में थे, सीएमराईज स्कूल में थे, वही के वही इनमें हैं, क्या इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है? क्या स्कूल में इनफ्रास्ट्रक्चर देने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है? शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, आपके शिक्षक देने से, फैकल्टी देने से, जब तक आप अच्छी फैकल्टी नहीं देंगे. आप कॉलेज खोल देते हैं तो उसमें प्राध्यापक नहीं है. प्रोफेसर नहीं है. आप मेडिकल कॉलेज खोल रहे हो, उनमें डॉक्टर नहीं हैं, डॉक्टरों के कितने पद रिक्त पड़े हैं? कितने मेडिकल कॉलेजों की स्थिति क्या है? यह प्रस्तुत करें. कितने स्कूलों की स्थिति क्या है? (माननीय सदस्य, श्री प्रहलाद सिंह पटेल के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) बिल्कुल देंगे प्रधानमंत्री का. मुझे कोई आपत्ति नहीं है और मैंने तो उनको सलाह भी दे दी, हम चाहते हैं कि आप 5 वर्ष तक रहें और 5 वर्ष नहीं, और.
श्री तुलसीराम सिलावट - आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत - आगे मोदी जी के खास बने रहें, मैंने यह कहा है, आगे क्या रहें यह नहीं कहा. मोदी जी के कृपापात्र बने रहें, यहां से वहां पहुंच जाएंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, आप अनुमति दें तो एक शेर याद आ गया है. अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार हमारी मदद कर रही है और हमें उनके गुणगान करना चाहिए, प्रधानमंत्री का गुणगान करना चाहिए. इनकी नेता तो इनको कट भी नहीं पिलाती तो भी उनके ये गुणगान करते हैं. परन्तु मुझे फिर भी एक शेर याद आ गया. "वह बेवफा थे, जो नज़रे चुराकर चल दिये, हम बावफा हैं जो नज़रे झुकाकर सलाम करते हैं."
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मैं शिक्षा की स्थिति प्रदेश में बताना चाहूंगा. प्रदेश में आठवीं कक्षा के मात्र 10 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं जो हिन्दी वर्णमाला पहचानते हैं. आठवीं कक्षा के 16 प्रतिशत छात्र गणित में 1 से 9 तक के अंक पढ़ पाते हैं, यह प्रदेश की स्थिति है! 21 प्रतिशत विद्यार्थी मापन तक नहीं कर सकते हैं और 28 प्रतिशत छात्र ही अंग्रेजी का सामान्य विषय लिख सकते हैं. यह स्थिति है. पांचवीं की स्थिति तो और बेकार है. यह एक सर्वे हैं जहां 45 हजार स्कूलों में खेल के मैदान नहीं हैं, 5176 स्कूलों में पीने का पानी नहीं है. 53345 स्कूल असुरक्षित हैं वहां पर बाउंड्रीवॉल नहीं है. 10763 स्कूलों में पुस्तकालय नहीं हैं. 64278 में प्रधान अध्यापक कक्ष नहीं हैं. यह पूरे प्रदेश में शिक्षा की स्थिति है.
माननीय मुख्यमंत्री जी, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएं, शिक्षा का प्रतिशत बढ़ाएं. इस बात से हम सहमत हैं कि जब तक पूरा प्रदेश शिक्षित नहीं होगा. विकास की बात हम चाहे जितनी करते रहें. विकास का पैमाना इनकम नहीं होती है, विकास का पैमाना शिक्षा होता है, जो प्रदेश जितना शिक्षित होगा, वह उतना ही विकसित होगा. मैं तो यही निवेदन करूंगा. स्वास्थ्य की जो हालत है, वह भी किसी से छिपी हुई नहीं है. नीति आयोग से जारी स्वास्थ्य सूचकांक के अनुसार 20 वर्षों के बाद भी हम 17वें नम्बर पर खड़े हैं. नीति आयोग के सूंचकांक के अनुसार लड़कियों के जन्म दर में 8 अंक की गिरावट आई है फिर आपकी बेटी बचाओ, बेटी योजना कहां गई? यह धरातल पर लागू हो रही है कि नहीं हो रही है, यह देखना बहुत आवश्यक है. मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कोई कमी नहीं आई है. सामाजिक क्षेत्र में भी राष्ट्रीय औसत का प्राइमरी हेल्थ सेंटर का व्यय 42 प्रतिशत है. प्रदेश की प्रति हजार 54 हजार महिलाएं एनीमिक हैं. कुपोषण की जो स्थिति है. मृत्युदर बढ़ती जा रही है और कुपोषण से हमारा प्रदेश आज भी पूरे देश में ही नहीं, बल्कि एशिया में कई जिले ऐसे हैं जो सबसे ज्यादा कुपोषित हैं. कुपोषण हमारे प्रदेश के माथे पर एक कलंक है. इसको मिटाने के लिए हम सब मिलकर इसका सहयोग करें. कुपोषण के तहत कुपोषण मिटाने के लिए 1000 रूपए प्रतिमाह महिलाओं को दिया जाता है. उनके लिए इस तरह की व्यवस्था करें, जिससे कुपोषण से हम लोग मुक्ति पा सकें. कुपोषण के कारण 0 से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चे प्रतिदिन काल के गाल में जा रहे हैं. यह हमारे लिए चिन्ता का विषय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस बजट में कई योजनाएं हैं. मैं बजट के एक बिन्दु क्रमांक-5 के बारे में उल्लेख जरूर करना चाहूंगा. माननीय प्रधानमंत्री जी के गौरवशाली नेतृत्व में विगत साढे़ नौ वर्षों में भारत में "माई-बाप सरकार" के युग की समाप्ति और "सेवक सरकार" के युग का प्रारम्भ हुआ है. प्रदेश में तो आपकी 20 वर्ष से सरकार है. इसमें 9 वर्ष का उल्लेख किया है. यह भी मैं समझता हॅूं कि इससे अभिभाषण और सरकार कैसे चलेगी, इससे यह प्रदर्शित हो जाता है. आपने जिन योजनाओं का उल्लेख किया है, निश्चित रूप से माननीय श्री कैलाश जी, सड़कें बनीं हैं. माननीय कैलाश जी, आपने सिंचाई क्षमता के संबंध में 47 लाख हेक्टेयर कहा है. यह सिंचित क्षेत्र नहीं है. यह सिंचाई क्षमता है. सिंचित क्षेत्र कितना है. यह सिंचाई क्षमता है. सिंचित क्षेत्र और भी कम है बहुत कम है...(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- आप तो हमें दोनों का अंतर समझा दीजिए...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत -- दोनों में यही अंतर है कि जितनी सिंचाई क्षमता हमारी है उसका उपयोग हम नहीं कर पा रहे हैं. यह कहां पर है. कहीं डिस्ट्रीब्यूटरी खराब है. जबलपुर की जो बरगी परियोजना है उससे पूरी सिंचाई आज भी इतने वर्षों के बाद नहीं हो पा रही है..(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- रामनिवास रावत जी, रीवा, जबलपुर यहां सब दूर दौरा करके आया. उस क्षेत्र के अंदर किसानों की आमदनी दोगुना और तीन गुना हो गई है. पूछिए राजेन्द्र जी से, क्या मैं गलत बोल रहा हॅूं...(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- सिंचाई क्षमता बढ़ी है हम स्वीकार कर रहे हैं. लेकिन सिंचाई क्षमता का जितना निर्माण हुआ है, आप अभी तक का ...(व्यवधान)..
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, इनके जमाने में 6 या 7 हेक्टेयर में सिंचाई होती थी...(व्यवधान)...
डॉ.हिरालाल अलावा -- आप सरकार में थे...(व्यवधान).. साधन नहीं दे रहे हैं और इधर से उधर चले गए...(व्यवधान)..
श्री पंकज उपाध्याय -- आप कहां थे उस जमाने में. भईया, मैं तो आपको याद दिला रहा हॅूं. उस समय में आप कांग्रेस में थे. आपकी भूमिका थी उसमें...(व्यवधान)..
डॉ.हिरालाल अलावा -- अपना जमाना भूल गए आप...(व्यवधान)..
श्री तुलसीराम सिलावट -- इधर की बात बता रहा हॅूं...(व्यवधान)..
श्री दिनेश गुर्जर -- तुलसी भैया, ऐसे एक्शन लेना बंद करो. मर्यादाओं में बात करो....(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, पहले हमें बंटवारे में 25 प्रतिशत मिला था. लेकिन हम उसका उपयोग नहीं कर पाए. हम डेम नहीं बना पाए. इस कारण पुन: बंटवारा हुआ, तो बंटवारे में हमें हम कम दिया. हमारे पास 18.25 मिलियन...(व्यवधान)..आपके पास होता, तो आप उपयोग कर लेते..(व्यवधान)..
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय, 25 मिलियन हेक्टेयर ...(व्यवधान)..
श्री दिनेश परमार -- विश्नोई जी, इस बार भी आपको मंत्री नहीं बना रहे हैं, इसलिए आप बीच-बीच में टोकें नहीं...(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, बंटवारे में जो प्राप्त हुआ है, उसको जल्दी से जल्दी उपयोग करें, मेरा यही कहना है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और आप सबको धन्यवाद देते हुए एक ही अपेक्षा करता हॅूं कि प्रदेश की लाड़ली बहनों के बारे में आप अपने जवाब में जरूर उल्लेख करें कि लाड़ली बहना योजना चालू रखी जाएगी और 3000 रूपए तक बढ़ायी जाएगी और दूसरा किसानों को 3100 रूपए प्रति क्विंटल धान का मूल्य अंतर की राशि दी जाएगी. अभी 2100 रूपए में खरीदा जा रहा है. वह दी जाएगी या कब तक लागू करेंगे या नहीं लागू करेंगे. मोदी की गांरटी का और आगे गेहूं खरीदी में 2700 रूपए क्विंटल गेहूं खरीदने का काम करेंगे. यह मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से जवाब चाहता हॅूं. आपने मुझे समय दिया, इसके लिए मैं आपका हृदय से आभारी हॅूं. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद देता हॅूं और आशा करता हॅूं कि मैंने जो पहला बिन्दु उठाया था, जो सदन से संबंधित है, प्रश्न कें संबंध में है उसका निर्णय जरूर करके सदस्यों को बता देंगे तो सदस्य कम से कम विश्वस्त होंगे कि हमारे उठाये गये प्रश्नों का जवाब हमें निश्चित रूप से मिलेगा. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. बहुत-बहुत आभार.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल (नरसिंहपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका हृदय से धन्यवाद करता हूं. मैं पहली बार विधान सभा के सदस्य के रूप में महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर माननीय कैलाश जी ने जो प्रस्ताव रखा है, उसके समर्थन के लिये मैं खड़ा हुआ हूं. मैं आपका संरक्षण भी चाहूंगा कि पहली बार मैं अपना भाषण सदन में रख रहा हूं. जितनी मेरी समझ है, मेरा व्यवस्था का प्रश्न आपके सामने है कि जिसको सदन की आसंदी की अनुमति हो उसका अगर माईक चालू रहे तो शायद व्यवस्था ठीक होगी. सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष उनको तो हस्तक्षेप करने का अधिकार है और रहना भी चाहिये. मुझे लगता है कि मेरे जैसे व्यक्ति के सामने जो अभिभाषण है मैं उसको यहां से प्रारंभ कर रहा हूं कि महामहिम राज्यपाल के इस कोट के साथ कि मेरी सरकार ने कार्य भार ग्रहण करते ही आजादी के अमृतकाल में प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता के लिये विकसित भारत हेतु विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण के नये विजन और नये मिशन पर नई ऊर्जा, नये उत्साह, नये उल्लास, नयी उमंग और नये संकल्प के साथ काम करना प्रारंभ कर दिया है. इसलिये मैं इस सदन में खड़े होकर हमारे मुख्यमंत्री आदरणीय डॉ.मोहन यादव जी का हृदय से अभिनन्दन भी करता हूं और उनको शुभकामनाएं भी देता हूं कि संकल्प को हम आने वाले पांच साल में जरूर पूरा करेंगे जो महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण में उन्होंने जो अपेक्षा की है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास माननीय प्रधानमंत्री जी के इस मूल मंत्र को लक्ष्य बनाकर मध्यप्रदेश को हर क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने का संकल्प 2023 मेरी सरकार ने आत्मसात कर लिया है. मेरे लिये समर्थन में भाषण करने से ज्यादा आज का दिन इसलिये महत्वपूर्ण है कि हम जिन सदनों में होकर के आते हैं जो बात माननीय कैलाश जी ने कही थी कि आप चार सदनों के प्रतिनिधित्व करने वाले पहले विधान सभा के अध्यक्ष हैं. मेरे लिये सब समर्थन करना जरूरी नहीं है. मेरे लिये जीवन में महत्वपूर्ण बात है कि हम महामहिम राज्यपाल जी का पहला अभिभाषण सदन सुनता है उसी समय यह तय हो जाता है कि हम आने वाले पांच सालों में किस दिशा में हम जाने वाले हैं. सरकार अपना मंतव्य बताती है. लेकिन सदन को यह तय करना होगा कि हम किस नीयत और नीति के साथ इन पांच सालों में अपनी यात्रा को पूरा करेंगे, यह बात मेरे लिये जरूरी है, हम सबके लिये जरूरी है. जो पहली बार इस सदन के भीतर आये हैं, वह आज से ही अपनी धारणा बनाएंगे कि यह सदन कैसे चलेगा. पक्ष और विपक्ष के बीच में जो बहस होगी वह व्यक्तिगत होगी या संस्थागत ऊंचाइयां देने के लिये होगी. आने वाले पांच वर्षों में मध्यप्रदेश किस ऊंचाई पर पहुंचेगा. यदि देश के प्रधानमंत्री इस बात का संकल्प लेते हैं कि हम 2047 का विजन रखते हैं और आने वाले पांच साल सालों के भीतर भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले तीन स्थानों पर होगी. जब उन्होंने यह बात कही थी तो लोगों ने उनका मजाक उड़ाया था. लेकिन पता नहीं चला अभी पूरे 10 साल नहीं हुए हैं और हम चौथी अर्थव्यवस्था के पायदान को हम प्राप्त कर गये हैं. अभी 7 साल हमारे पास बाकी हैं, मुझे लगता है कि इससे हर भारतीय को यह गर्व होगा. हममें किसी के यहां पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यदि मध्यप्रदेश देश के अव्वल राज्यों में नहीं होगा तो शायद ये लक्ष्य हम प्राप्त नहीं कर सकते. मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं. मेरे भाषण करने का तरीका किसी को खुश करने का नहीं होता. मध्यप्रदेश सुन्दर राज्य है इससे कोई असहमत नहीं होगा. मध्यप्रदेश के पास में संसाधन है, इससे कोई असहमत नहीं होगा. मध्यप्रदेश के सामने संभावना है, इससे कोई असहमत नहीं होगा. मध्यप्रदेश के पास जो है, ये चीजें और भी जगह हो सकती है, लेकिन जो हमारी भौगोलिक परिस्थिति है, उस परिस्थिति में सप्लाई चैन का सबसे बड़ा केन्द्र अगर कोई हो सकता है, तो वह मध्यप्रदेश हो सकता है. इससे कोई इंकार नहीं कर सकता (..मेजों की थपथपाहट)
और इससे बड़ी बात जो होती है, जिसको महामहिम ने अपनी बात में एक बिन्दु में कही भी है कि मध्यप्रदेश शांति का टापू था, शांति का टापू है और शांति का टापू रहेगा, लेकिन जो हमारी सबसे बड़ी पहचान है. आप अन्य राज्यों में जाइए, क्षमा करिए जहां सरकार किसी की भी हो, क्या वहां नस्लीय भेद नहीं है? क्या वहां भाषायी भेद नहीं है? लेकिन मध्यप्रदेश ऐसी धरती है, जहां पर हर जाति धर्म का व्यक्ति अपनी आजादी के साथ रहता है, नौकरी करता है और उसके बाद उस पर कभी उंगलिया नहीं उठती. हम नौकरियों के सवाल को जब पैदा करते हैं और पिछड़े और अगड़े की बात करते हैं तो क्या बाकी राज्यों को मिसाल के तौर पर आप नहीं देखते, तुलना नहीं करते. इसलिए मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश को, मध्यप्रदेश की छवि के अनुरूप, उसकी संभावनाओं के अनुरूप आगे बढ़ने की इजाजत मिलनी चाहिए. अगर हमें संकल्प दोहराना है, आलोचना हो सकती है, जब आप इस बात पर आलोचना करते हैं कि प्रधान मंत्री का नाम क्यों लिया जा रहा है, 14 बार मुख्यमंत्री का नाम लिया है, 28 बार उनका नाम ले लिया. मैं आपसे विनम्रता के साथ कहता हूं. मैं केन्द्रीय मंत्री रहा हूं. जहां मिलेट्स की बात आती है, ये आंकड़े मैं सिर्फ नए सदस्यों की जानकारी के लिए दे रहा हूं. वरिष्ठों से तो मैं सीखने के लिए आया हूं, लेकिन जो पहली बार चुनकर आए हैं, उनको पता होना चाहिए कि वह अन्न श्री अन्न जो दुनिया का सबसे बेहतरीन भोजन था, उसको गरीबों का खाना बनाने वाले कौन थे, रावत साहब आप जहां से आते हैं, आप श्री अन्न के उस स्थान पर बैठे थे, जहां सर्वाधिक उत्पादन होता था, इसे गरीब का खाना बताकर हमको दिशाहीन बनाने वाले लोग कौन थे, क्या इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. आज पूरी दुनिया भारतीय खान-पान, भारतीय जीवन पद्धति, भारतीय वेशभूषा इस सब के तरफ अग्रसर हो रही है और आज पूरी दुनिया आपसे मिलेट्स मांग रही है. आज पूरी दुनिया में 40 प्रतिशत श्री अन्न पैदा करने वाला अगर कोई देश है तो वह भारत है और जो मध्यप्रदेश का स्थान है वह दूसरे और तीसरे नंबर पर है. इसे पूरी दुनिया आपसे मांग रही है. इसलिए मुझे लगता है कि इन चीजों को हमें एक बार पलटकर देखना होगा. गल्तियां हमने कर लीं, इसलिए उसको चलने देंगे. मुझे लगता है अध्यक्ष जी, इस बारे में सदन में विचार होना चाहिए. मेरे एक स्वर्गीय मित्र थे, संग साथ पढ़ते थे, उन्होंने एक पत्र लिखा जिसको मैंने सदन में लोकसभ में भी उनकी बातों का उल्लेख किया, उसमें एक बात लिखी थी -
पुराने खत पढ़ने का मजा ये है कि जवाब नहीं देने पड़ते..
लेकिन जब मैं भाषण सुनता हूं तो हम उन्हीं बातों का उल्लेख करते हैं और जवाब मांगते रहते हैं. हम नई दिशा में आगे बढ़ने की बात करें, आगे चले, तब कहीं जाकर लगेगा कि नहीं, हम ठीक तरीके से आगे बढ़ने की तरफ, आगे बढ़ रहे हैं. मैं एक कहानी कहता हूं जो किसी की आलोचना के लिए नहीं, लेकिन जो बारीकियां हम कई बार छोड़ देते हैं, उसके लिए है.
अध्यक्ष जी, ये महाभारत की सत्य कथा है कि जब सारा संवाद हो गया, अर्जुन युद्ध के लिए तैयार नहीं थे, कृष्ण ने उनको तैयार कर लिया, लेकिन जैसे ही अर्जुन तैयार हुए और सेनाएं आमने-सामने खड़ी थीं तो कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि अर्जुन ये जो वृक्ष दिख रहा है, वहां जाना वहां पर एक घोंसले में एक पक्षी के चार अंडे रखे हैं, उनको निकालना और इतनी दूर रखकर आना कि यहां पर युद्ध कितना भी भीषण हो उसका ताप इन अंडों पर पड़ना नहीं चाहिए. अर्जुन उद्वेलित हो गए, क्रोधित हो गए कि जब मैं आपसे कह रहा था कि युद्ध में लाखों लोग मरेंगे, परिजन समाप्त होंगे तब तो आपने मुझे युद्ध के लिए तत्पर किया, लेकिन आज आपको पक्षी के अंडे दिख रहे हैं, और आप हमसे कह रहे है कि आप उनको दूर रखकर आइए. तब कृष्ण ने जो बात कही थी वह हम सबके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा था कि जो युद्ध के लिए तत्पर है, उनके मरने और उनके जीने का का कोई महत्व नहीं है, लेकिन जिसका युद्ध से सरोकार न हो, अगर उसका नुकसान होता है तो ये हिंसा है. (..मेजों की थपथपाहट) हिंसा और अहिंसा के बीच का ये फर्क सिर्फ इसी बात से तय होता है. अध्यक्ष महोदय, हम विरोधी है, विरोध के पक्ष में बैठे हैं, आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन व्यवधान करना और किसी की चुटकी लेना, यह दोनों में अंतर है, चुटकी स्वीकार है और चुटकी इतनी भारी पड़ती है कि शायद गालियों से भी ज्यादा असर करती है और दोनों को करती है, करने वाले को भी करती है और सुनने वाले को भी करती है और पूरे सदन पर उसका असर होता है और इसलिये आज हम इस बात पर जरूर और मेरी अपेक्षा तो यही है कि हम संवाद को बेहतर बनायें. आलोचना सुनने की हममें भी हिम्मत होना चाहिए और आलोचना करने की आपकी जितनी धार होगी, वह सरकार को और इस राज्य के विकास को दोनों को मदद करेगी यह बात आप मानकर चलें और इसलिये कहीं फर्क करना है तो हम यह कर सकते हैं कि अहंकार और स्वाभिमान के बीच के फर्क को हमें तय करना होगा, प्रेम और वासना के बीच के अंतर को तय करना होगा, मंत और मोह के बीच के अंतर को तय करना होगा, न्याय और अन्याय के बीच की रेखा बहुत बारीक है, विरोध और समर्थन के बीच के अंतर को फर्क करना होगा और यह बारीक रेखा मनुष्य के विवेक पर निर्भर करती है और मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूं, यह हमारे स्वयं के संस्कारों पर निर्भर करता है कि हम किस परिवेश में पले बढ़े हैं,उसके बाद यह तय होता है कि हमारी भाषा क्या होगी.
अध्यक्ष महोदय इसलिये मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहता हूं, जब हमारे प्रधानमंत्री इस बात को कहते हैं, जब मैं भाषण करता हूं चाहे सदन में करूं, चाहे जनता के बीच में करूं, मैं हमेशा कहता हूं कि हमें भविष्य की पीढ़ी के बारे में जरूर विचार करना चाहिए, क्योंकि हमको बाकी जिंदगी वहीं गुजारना है, पत्र का दूसरा हिस्सा यह भी था और मेरे मित्र ने मुझसे कहा था कि हमेशा हमें भविष्य के बारे में विचार करना चाहिये, क्योंकि हमें सारी जिंदगी भविष्य में गुजारनी है, अगर मेरी उम्र ज्यादा है तो मेरे बच्चे और आने वाली पीढ़ी के भविष्य के बारे में मुझे सोचना होगा कि उसकी जिंदगी कैसे बेहतर बनेगी, अगर यह ध्येय हमारे भीतर है, लेकिन अगर मुझे ही बने रहने का लालच है तो फिर न तो मैं किसी आगे आने वाली पीढ़ी की चिंता करूंगा, शायद खुद के भविष्य की चिंता करूंगा, यह फर्क जरूर है.
अध्यक्ष महोदय, इसलिये मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूं यदि गरीब कल्याण हमारा पहला पायदान है तो गरीब कल्याण के लिये जो कुछ भी सरकारें करती हैं, उसका अभिनंदन होना चाहिए, अगर आप पांच करोड़ लोगों की बात करते हो कि उन्हें अन्न योजना के तहत उनको अनाज मिला है, आयुष्मान कार्ड मिला है तो फिर आपको भी पलटकर देखना होगा, आप भी सरकारों में रहे हैं. मैं तो तुलना की गारंटी देता हूं, आप हमारी आलोचना भर मत करिये, आप अपनी सरकारों की भी तुलना करिये कि आप भी सरकार में थे तो आपने क्या किया ? फिर उसके बाद जनता फैसला करेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा पायदान है महिला सशक्तिकरण का आपको लगता है कि हम अपनी सरकार की तारीफ कर रहे हैं या प्रधानमंत्री की तारीफ कर रहे हैं, तो नहीं ऐसा नहीं है, यह तो पहली पीढ़ी थी, जब हमने शौचालय दिया, दूसरी पीढ़ी थी जब हमने उज्जवला दिया, तीसरी पीढ़ी थी जब हमने प्रधानमंत्री आवास दिया, चौथी पीढ़ी थी, जब हमने जन जीवन मिशन का पानी उसके घर पर पहुंचाया, लेकिन फिर उसके बाद पांचवी पीढ़ी थी कि हमने उसको महिला आरक्षण सदनों के भीतर दिया, लेकिन यहां पर काम बंद नहीं हुआ है(मेजों की थपथपाहट) यह वोट का खेल नहीं है. हम दो हजार साल पहले का आपको इतिहास पलटकर बताना चाहते हैं कि आपने भी पढ़ा होगा, मैं आपको अनपढ़ नहीं मानता हूं, आपमें भी विद्वान लोग हैं, जिन्होंने इतिहास पढ़ा है, इतिहास कोई बदल नहीं सकता है, इतिहास दो हजार साल पहले का कहता है, आदिगुरू शंकराचार्य के पहले का कि यह मातृ सत्ता से संचालित होने वाला देश है, यह मुगलों की गुलामी ने हमें इस परिवेश में लाकर खड़ा किया है कि हमारे बेटियां, हमारी बहुएं पर्दे के पीछे गईं, चार दीवारी के पीछे गईं, आप इस कदम को ढोना चाहते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन हम तब तक नहीं रूकेंगे जब वह मातृ सत्ता की सर्वोच्चता यहां पर स्थापित नहीं हो जायेगी, यह सांस्कृतिक विरासत है. (मेजों की थपथपाहट) और इसलिये मुझे लगता है कि कई बार हमारी आलोचना करेंगे कि आप तो रूढिवादी हैं, मुद्दों से हटा देते हैं, नई साहब हम विकास चाहते हैं लेकिन विरासत के साथ चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय विद्वान सदस्य बोल रहे हैं और मैंने पहले भी कहा विकास एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है. हरित क्रांति का नारा भी कांग्रेस ने दिया था, हमारे प्रधानमंत्री ने दिया था और श्वेत क्रांति का भी दिया है. मातृशक्त्िा की जहां बात कर रहे हैं. पूर्व में यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता वाली बात हमेशा कही गई है मैं तो यह चाहता हूं. मातृ शक्ति को मजबूत करना है तो यह सदन प्रस्ताव करे कि विधानसभा, लोकसभा में आरक्षण तत्काल लागू किया जाये, यह प्रस्ताव करके केंद्र सरकार को भेजा जाये. (मेजों की थपथपाहट) और पंचायतों का आरक्षण , नगर पालिका, नगर पंचायतों का आरक्षण यह कांग्रेस के समय में किया था, पंचायत अधिनियम पूरा मैंने ही बनाया था, उस समय आरक्षण हमने ही दिया था, हां 33 प्रतिशत को बढ़ाकर 50 प्रतिशत आपने किया है, इस बात से मैं सहमत हूं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि हम मांग के लिये यहां पर चर्चा में खड़े नहीं हुये हैं. जब मांग की बात आयेगी, पैसा मांगें चाहे अधिकार मांगें, अपन बात करेंगे. आज पहला दिन है और हम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बात कर रहे हैं और जो बात मैं कह रहा था कि जब मैं यह कहता हूं हमारा विकास विरासत के साथ हैं, जो आपने गलती की आजादी के बाद यह आपकी सबसे बड़ी भूल है, आप पलटकर देखना. आज आप महापुरूषों की बात करते हैं. मैं सदन का सदस्य वर्ष 1989 में बनकर पहुंचा था. वर्ष 1990 के पहले संसद के सेंट्रल हॉल में डॉ. अंबेडकर को स्थान नहीं था, यह आपकी भूल है और इसमें मुझे लगता है कि महापुरूषों के साथ में जो डिस्क्रिमिनेशन हुआ, उनके साथ अगर भेदभाव हुआ है, इतिहास किसी की मर्जी से लिखा नहीं जा सकता, इतिहास किसी की मर्जी के आधार पर चल नहीं सकता, इतिहास आइना दिखाता है आने वाली पीढ़ी को, गलतियां कोई भी करे वह लिखी जाती हैं और इसलिये मैं कहता हूं कि हमारा विकास सिर्फ विकास नहीं है, हमारा विकास विरासत के साथ विकास है, कांग्रेस कि अगर कोई सबसे बड़ी भूल है अध्यक्ष महोदय तो वह विरासत का अपमान करना है. मैं मानता हूं कि मध्यप्रदेश जैसी धरती पर जहां पर हजार साल पुराने, 1200 साल पुराने, 1500 साल पुराने हमारे स्थान हैं, मैं पूछता हूं आप इतने लंबे समय सरकार में रहे हैं, आपने उनका किया. ...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्नकाल नहीं हैं ...(व्यवधान)... हमारे महापुरूष अंबेडकर जी के बारे में ...(व्यवधान)... इसको विलोपित कर दें.
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास जी, यह प्रश्न काल नहीं है, उनको अपनी बात पूरी करने दीजिये. ...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- लेकिन उन्होंने आरोप लगाया है, कानून मंत्री भी हमने बनाया ...(व्यवधान)...
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- नहीं-नहीं मैंने आरोप नहीं लगाया. ...(व्यवधान)...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतने वरिष्ठ सदस्य हैं और ऐसी बात कर रहे हैं, यह तरीका ठीक नहीं है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि यह प्रश्नकाल नहीं है, यदि किसी तरफ से कोई बात आ भी रही है तो हमारी तरफ से बहुत सारे दूसरे सदस्य बोलने वाले हैं, वह लोग उसका जवाब दे सकते हैं, वाद विवाद करेंगे, प्रश्न करेंगे तो टाइम भी लगेगा और बात भी नहीं हो पायेगी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि जब आप कल व्यवस्था दे चुके हैं तो माननीय विद्वान सदस्य को भी आप कह सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कल उस पर व्यवस्था आ गई है. आप कंटीन्यू करें.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मैं प्रतिपक्ष से आग्रह करता हूं कि जब भी कोई वरिष्ठ सदस्य खड़ा होगा, हमें सुनना चाहिये तो मैं सम्मान से बैठा. मैं यह बात इसलिये कह रहा हूं कि हमारे महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण में 48 बिंदु हैं अध्यक्ष महोदय तो उतना तो मैं नहीं बोल सकता, कुछ चयनित बिंदु ही बोलने होंगे, लेकिन जब टिप्पणियां यह की जाती हैं तो मैं कहता हूं कि जातिवाद की बातें तो सदन के अंदर बहुत हुई हैं, लेकिन जो प्रधानमंत्री जी ने नई जातियों की बात की है कि हमारा गरीब हमारी एक जाति हो सकती है, महिला, युवा और चौथा किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ आज भी किसान है, लेकिन किसानों के लिये जो चीज हुई हैं क्या उस पर हम इस सदन में चर्चा करेंगे और उसमें हम कमी बेसी ढूंडें और जरूरत पड़े तो कुछ ऐसे सुझाव दें ताकि उनमें कुछ और सुधार करके हम आगे बढ़ सकें और इसलिये मैं वही कह रहा हूं जो मैंने अनुभव किया है जो मैंने देखा है. मैं जिन मंत्रालयों का सदस्य रहा, आपने कहा कि इतने स्कूलों में पानी नहीं है, यह आंकड़ा पुराना है, यहां हर दिन मीटर चलता है, सरकार कांग्रेस की राज्यों में हो या भारतीय जनता पार्टी की हो. भारत सरकार अपने आंकड़े नहीं देती, राज्य सरकारों से आकड़े लेती है और मुझे गर्व है कि जल जीवन मिशन 15 अगस्त 2019 को शुरू हुआ था अध्यक्ष महोदय तब कुल 13 करोड़ 27 लाख परिवारों के पास पाइप लाइन से पानी था, तब स्कूलों में, अस्पतालों में, ग्राम पंचायत भवनों में कहीं पर भी 30 प्रतिशत से ज्यादा पानी का कनेक्शन नहीं था, लेकिन आज राज्य में जहां कांग्रेस की भी सरकार होगी वहां भी पलटकर देखिये कि 80 फीसदी से कम का आंकड़ा नहीं है जहां पर पानी न पहुंचा हो. उस समय केवल 13 प्रतिशत के पास पानी था और आज जब मैं सदन में भाषण कर रहा हूं तो 73 प्रतिशत परिवारों के पास देश में पानी है. मैंने यह नहीं कहा कि इस राज्य में है या उस राज्य में है और यह मीटर, अगला जब मैं भाषण दूंगा तब तक यह आँकड़ा बदल चुका होगा. कल जब आप वेबसाईट देखेंगे तो आंकड़ा बदल जायेगा. इस प्रशासनिक काम करने के तरीके का अभिनंदन होना चाहिये. यह कार्यप्रणाली ऐसी है जो सिर्फ आश्वासन नहीं देती. आपने विकसित भारत संकल्प यात्रा की बात कही है. हमें पहले जानने की तो कोशिश करनी चाहिये. पहले जनता नेता के दरवाजे पर जाती थी. जनप्रतिनिधियों के पास जाती थी. आज सरकार कह रही है. एक बार जाईये. सरकारी अमला भी जायेगा. जनप्रतिनिधि भी जायेंगे. जरा देखिये, कोई गरीब रह तो नहीं गया जिसके सर के ऊपर पक्की छत नहीं है यह ढूंढने के लिये. यह वोट के लिये नहीं है. क्या इस समीक्षा के लिये आप तैयार नहीं है. यही तो आप अधिकार मानते हैं. विपक्ष का अधिकार यह है कि आप कमियां ढूंढकर सरकार के सामने रखते हैं. अरे, सरकार ही कमियां ढूंढने के लिये निकली है. यह विकसित भारत संकल्प यात्रा का संकल्प है और इसलिये मुझे लगता है कि आप तो एक जनप्रतिनिधि हैं और इसलिये अगर विधायक कांग्रेस का है और नहीं जायेगा यह लोकतंत्र में आपकी गलती होगी. हम सबकी जिम्मेदारी है गरीब आदमी को अधिकार देना. हम सबकी जिम्मेदारी है कमजोरियों को ढूंढना. इस सच्चाई को आप इंकार नहीं कर सकते. सरकारें आपकी भी रही हैं लेकिन लोगों के साथ अन्याय हुआ है. उनके अधिकार छीने गये हैं. हमारा प्रशासनिक अमला होने के बावजूद भी, हमारे यहां कानून होने के बावजूद भी उसे हक नहीं मिला है क्या यह सच्चाई नहीं है ऐसे हजारों उदाहरण आपके पास भी होंगे और हजारों उदाहरण मेरे पास भी हैं और क्योंकि हमने जब राजनीति शुरू की थी तो विरोध की राजनीति थी लेकिन आज जो विकास का पैमाना हमारे सामने है. इस गति को बरकरार रखना या इसे आगे बढ़ाना या इसे रोकना यह तीन विकल्प हैं हमारे सामने. मैं तो यही प्रार्थना करूंगा कि हम गति को और आगे बढ़ाएं. गति को इतनी ऊँचाईयों तक ले जाएं कि देश के प्रधानमंत्री होने के नाते जब वह यह अपेक्षा करते हैं मध्यप्रदेश से कि यह प्रदेश देश के राज्यों की श्रेणी में 5 साल बाद ही सही नंबर एक पर पहुंचेगा तो मुझे लगता है सिर्फ हम नहीं आप भी गौरवान्वित होंगे और यही भारत की अर्थव्यवस्था में हमारा सही योगदान होगा. भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों की बात आएगी कि इस सदन ने कैसे कामकाज किया. सरकारें कामकाज करती हैं उसका भी मूल्यांकन होता है लेकिन सदन कैसे कामकाज करता है इसका भी मूल्यांकन होता है. ऐसा नहीं है कि लोग देखना नहीं चाहते. आज की नौजवान पीढ़ी एक-एक चीज को देखती है. कल तक तो जो अखबार में छपता था तो तभी जानते थे. आज तो जो अखबार में नहीं छप पाता उसके पहले करोड़ों लोगों तक पहुंच जाता है.यह तकनीक का जमाना है. यह तकनीक हम सबको वह अवसर देती है कि हम अपने कर्तव्यों के निर्वहन में ईमानदार रहें. अध्यक्ष महोदय, इस अवसर का लाभ लेकर मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि जब मैं पहली बार संसद सदस्य बना था तो श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मुझसे कुछ बात कही थी. आपके माध्यम से कम से कम वह नये सदस्यों तक पहुंच जायेगी. उन्होंने मुझसे कहा था कि आप चुनकर आये हो तो एक बात का ध्यान रखना कि जितनी वोटें एक लोक सभा क्षेत्र में होती हैं उतनी सभी में होती हैं. 5-10 प्रतिशत कम ज्यादा हो सकती हैं. यहां बैठा हुआ प्रत्येक विधायक उन्हीं ढाई-पौने तीन लाख मतदाताओं के बीच से चुनकर आया है. हमारी हैसियत किसी की कम और ज्यादा नहीं है. आप मजाक उड़ा सकते हैं लेकिन किसी की हैसियत ज्यादा नहीं है क्योंकि मेरे नेता ने मुझसे कहा था कि सबकी हैसियत एक है उतने ही वोटों से लोग चुनकर आए हैं. कुछ तो उसमें होगा तो ध्यान रखना बोलने का मौका भले न मिले नये होने के नाते लेकिन सुनने का मौका तुम्हारे पास है उसे कभी छोड़ना मत दूसरी उन्होंने मुझसे बात कही थी कि आसंदी जो डिवीजन नंबर तय करेगी उसके अलावा किसी की सीट पर बैठना नहीं. वह पीछे भी हो सकती आखिरी में. तुम्हारे भीतर वह सामर्थ्य होनी चाहिये कि आसंदी और सदन जब तुम बोलो तो तुम्हें सुने और जब तुम्हारा नाम पुकारा जाये तो आसंदी की नजर सीधे उसी कुर्सी पर जाए. यह अधिकार, यह विश्वास और यह संकल्प हमारे भीतर होनी चाहिये. तीसरी बात उन्होंने मुझसे कही थी कि यह जो वैल है इसमें कभी मत जाना. मुझे गर्व है कि मैं अपने जीवन में 9 जुनाव लड़ चुका हूं. छठवीं बार जीता हूं. मैं अपने नेता की बात पर कायम हूं मैंने अपवाद स्वरूप भी कभी इसमें पैर नहीं रखा. व्यवधान करना गलत है लोकतंत्र में. चुटकी लेना,टिप्पणी करना सही है. हम यह सुधारने के लिये भी कर सकते हैं. विरोध करें लेकिन उसमें इतना विनोद हो कि सदन भी प्रसन्न हो और जनता भी उस बात को देखे. मैं अपने प्रथम बार आने वाले सदस्यों से मैं प्रार्थना करता हूं यह छोटी चीजें हैं लेकिन आदमी को बड़ा बना देती हैं और सदन छोटा-बड़ा नहीं होता. मैं सभी प्रतिपक्ष के लोगों से भी कहूंगा कि कई बार हमें लगता है कि हमें विरोध के लिए विरोध करना है, यह प्रवृत्ति की बात है और इसलिए मैं रूस के एक लेखक लियो टॉल्सटाय, वे बहुत बड़े लेखक थे, मैं उनकी एक कहानी के साथ अपनी बात को समाप्त कर दूंगा. उनकी मां राजघराने से थी. लियो टॉल्सटाय लेखक थे. उनकी मां को नाटक देखने का बहुत शौक था. जहां पर भी नाटक हो तो वह नाटक देखने के लिए जाती थीं. जब नाटक देखने के लिए जाती थीं तो वहां पर रोती भी थीं. कोई भावनात्मक बात हो या भावनात्मक उदाहरण हो तो कई बार रोते-रोते भी घर वापस आती थीं. लियो बार-बार इस घटना को देखते थे. एक दिन कड़कड़ाती ठंड में रूस में एक नाटक हुआ तो उनकी मां भी वह नाटक देखने के लिए गईं. नाटक देखने के बाद जब वह बाहर निकलीं तो उनके तांगे को चलाने वाला जो सारथी था, वह बाहर बैठा था और ठंड से वह मर गया था. दूसरा तांगा चलाने वाला आया, उनको लेकर घर आ गया. उस समय मोटर-गाड़ियां नहीं थी तो उस समय गाड़ी हांकने वाले गाड़ी हांकते थे. वह रोती जा रही थीं और लौटकर घर जा रही थीं. उनकी मां रो रही थीं नाटक देखकर, लियो के सामने वह घटना आई. लियो ने कहा नाटक देखकर मां तुम्हारी आंखों से आंसू निकल आते हैं, लेकिन तुम्हारा तांगा चलाने वाला मर गया, उस पर तुम्हारे आंसू नहीं आए. घटनाओं को कहना और घटनाओं को अनुभूत करना, बहुत अलग बात है. हम किसी घटना से प्रभावित हों, किसी पात्र से प्रभावित होते हों, लेकिन वास्तविक घटनाओं से प्रभावित न हों, यह दुराव समाज के बीच में चलेगा नहीं. इसलिए मुझे लगता है कि संवेदनशीलता यह कहती है कि हम खाली नाटक न करें, हम अभिनय से मुक्त होकर सत्य घटनाओं की तरफ आगे बढ़ें. महामहिम राज्यपाल महोदय का अभिभाषण आने वाले 5 सालों में मध्यप्रदेश को ऊँचाइयां देने वाला है. हम भारत सरकार के सहयोग से, अपने विचारों की ताकत से काम करेंगे. हमारा संकल्प हमारा संकल्प है. जनता की बीच में हम जो लेकर गए थे, वे वादे, वे चाहे अनाज खरीदने के हों या घर तक पानी पहुँचाने के हों, हम वोट के लिए नहीं करते, ये हम पूरा करके बताएंगे. आप लाडली बहना की बात कर रहे हैं, हम लखपति बहना बनाकर बताएंगे. (मेजों की थपथपाहट) और इसलिए मुझे लगता है कि जो समूहों की चर्चा की गई है, आप भी जानते हैं, आप भी गांव के परिवेश से हैं, मैं भी ग्रामीण क्षेत्र के परिवेश से आता हूँ. प्रधानमंत्री ने जब कहा था कि फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में 24 लाख लघु उद्यमी काम करते हैं, हम 2 लाख लघु उद्यमियों को छांटें, उनको तकनीक भी दें और पैसा भी दें. 10 हजार करोड़ रुपये प्रधानमंत्री ने इसके लिए रखा था. अध्यक्ष महोदय, कोई रोडमैप नहीं था. लेकिन मुझे गर्व है कि आज चाहे वह व्यक्ति हो, चाहे वह सोसाइटी चलाता हो, चाहे समूह चलाता हो, चाहे एफपीओ चलाता हो, उसके पास में विकल्प है, उसे तकनीक का साधन भी मिल सकता है, पैसा भी मिल सकता है और आज आपकी आंखें भी देखती होंगी कि जिनको हमने चारदिवारी में बंद किया था, आज वे स्वाभिमान के साथ धन कमाकर अपने परिवार में भी अपना सम्मान कायम कर रही हैं. ये यात्रा चलती रहेगी. मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का समर्थन करते हुए, आपको धन्यवाद देते हुए और सदन को धन्यवाद देते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.43 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज भोजनावकाश नहीं होगा. लॉबी में भोजन की व्यवस्था है. माननीय सदस्य अपनी सुविधा से भोजन ग्रहण कर सकते हैं.
12.44 बजे राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर
चर्चा (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय -- अभिभाषण पर चर्चा के लिए पक्ष और विपक्ष के बहुत सारे सदस्यों के नाम मेरे पास उपलब्ध हैं. अभी चूँकि दोनों पक्ष के प्रमुख लोग बोल चुके हैं और इसलिए बाकी सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि वे अपना उद्बोधन और अपनी बात 3 से 5 मिनट के भीतर रखेंगे तो सभी को बोलने का अवसर मिलेगा और सदन निरंतर चलता रहेगा. बाद में मुख्यमंत्री जी का जवाब भी होना है और इसलिए अब मैं अनुरोध करता हूँ श्रीमान बाला बच्चन जी से कि वे अपनी बात रखें.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव से असहमत हूँ और मैं विरोध में अपनी बात कहना चाहता हूँ. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं असहमत क्यों हूँ, मैं उसको स्पष्ट करूँगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका और मेरा प्रथम विधान सभा का जो चुनाव रहा है, उसके बारे में, सर्वप्रथम मैं आपको मध्यप्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष बनने की बधाई देता हूँ, शुभकामनाएं देता हूँ. जहां तक मेरी जानकारी में है कि सन् 1993 में प्रथम विधान सभा चुनाव आप और हम साथ-साथ लड़े थे, जब आप भारतीय युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे और मैं यूथ कांग्रेस (एनएसयूआई) मध्यप्रदेश का पदाधिकारी था. मैंने सन् 1993 से लगाकर अभी तक 7 विधान सभा चुनाव लडे़ हैं और सन् 2003 का विधान सभा का चुनाव छोड़कर मैं सारे चुनाव जीता हूँ. मैं छटवीं बार इस सदन का सदस्य हूँ. शुरूआत आदरणीय विजयवर्गीय जी ने की है, दूसरा हमारे रामनिवास रावत जी बोले, फिर आदरणीय प्रहलाद सिंह पटैल जी बोले. आप तीनों की बातें मैंने जो सुनीं. महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण में 29 पृष्ठ हैं और 48 कण्डिकाएं हैं, मैं इससे रिलेवेंट और संबंधित बात ही कहूँगा और दूसरा आपने जो मध्यप्रदेश की जनता से जो विधान सभा के चुनाव में कमिटमेंट किया था कि मध्यप्रदेश संकल्प-पत्र 2023 मोदी जी की गारंटी, भाजपा का भरोसा. आपने कितना भरोसा निभाया, कितना भरोसा तोड़ा और उस संकल्प को आपने महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण में कितना इन्क्लूड किया है, कितना शामिल किया है ? कथनी और करनी में भाजपा का कितना अन्तर है, मैं यह स्पष्ट दर्शाऊँगा. सत्ता पक्ष से दो वक्ता बोले हैं, मेरे दल की तरफ से मैं दूसरे नम्बर पर बोल रहा हूँ. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. मुझे भी महामहिम राज्यपाल जी का अभिभाषण पढ़ने के बाद यह लगा कि मध्यप्रदेश कब से केन्द्र शासित प्रदेश बन गया है ? जिस तरह का जो अभिभाषण है, अभिभाषण में 29 पेज और 48 कण्डिकाएं हैं. यह विकट संवैधानिक स्थिति मध्यप्रदेश शासन की स्पष्ट करती है.
12.47 बजे [सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए.]
सभापति महोदय, अभी हमारे दोनों जो वक्ता बोले, बहुत लम्बे समय बाद आदरणीय विजयवर्गीय जी इस सदन में आए, प्रहलाद पटेल जी फर्स्ट टाइम इस विधान सभा के सदस्य बने. मैंने भी आपको बताया कि मैं छटवीं बार इस सदन का सदस्य हूँ और हमेशा मैं भाजपा मध्यप्रदेश की जनता से जो कमिटमेंट करती थी, जो वादे करती थी, उन मुद्दों को मैं उठाता रहा लेकिन कभी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. अभी भी इस बार भी ध्यान नहीं दिया है. मैं हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी जो अभी सदन से जा रहे हैं, दो-दो उपमुख्यमंत्री बैठे हुए हैं. अभी एक जो उपमुख्यमंत्री जी हैं, मैं उनके संज्ञान में, उनकी जानकारी में लाना चाहता हूँ. और सदन की भी जानकारी में लाना चाहता हूँ. आपने मध्यप्रदेश को केन्द्र शासित प्रदेश मान लिया है और बना दिया है. लेकिन क्या जो मध्यप्रदेश की राशि जो केन्द्र सरकार के पास है, आप उस राशि को लाने में असमर्थ क्यों हो ? इस बात को हम पिछले सत्रों में उठाते आए हैं कि लगभग माननीय सभापति महोदय मध्यप्रदेश की जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि लगभग 5,000 करोड़ रुपये की राशि पिछले 3 वर्ष से लेना बाकी है. हमारे दोनों उपमुख्यमंत्री जी, जो यहां पर बैठे हुए हैं. आप बहुत वरिष्ठ सदस्यगण यहां पर हैं. केन्द्र सरकार में आप केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं, सांसद भी रहे हैं. लेकिन उसके बावजूद भी मैं जानना और पूछना चाहता हूँ कि माननीय दोनों पूर्व वित्त मंत्री जी यहां पर बैठे हैं, जिनमें से एक उपमुख्यमंत्री बन गए हैं. उपमुख्यमंत्री बनने के बाद आप देश के प्रधानमंत्री जी और देश के नेताओं से भी आप मिलने गए, लेकिन आपने 5,000 करोड़ रुपये की राशि पिछले 3 वर्ष की जीएसटी की क्षतिपूर्ति की राशि आपने क्यों नहीं ली ? मैं यह भी जानना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश की जनता की जो राशि है, जो अन्य विभागों की है, आप उस राशि को लेने में असमर्थ क्यों हो ? आपकी क्या मजबूरी है और जो केन्द्रांश 75 प्रतिशत हम लोगों को मिला करता था, आज आपने उसको 60 प्रतिशत क्यों कर दिया है ? आप हमारे हितों की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं. मध्यप्रदेश की जनता की लड़ाई आप नहीं लड़ पा रहे हैं. मुझे लगा कि राज्यपाल जी का अभिभाषण बहुत अच्छा आयेगा. मध्यप्रदेश की जनता के हितों की रक्षा करने वाला अभिभाषण आयेगा. लेकिन खोदा पहाड़ और निकली चुहिया. हमें मुख्यमंत्री जी के बदले में प्रधानमंत्री जी का अभिभाषण लगा कि यह संसद के सदन का अभिभाषण है. माननीय सभापति महोदय, ऐसा नहीं चलेगा. आपको इस बात का जवाब देना पड़ेगा और मध्यप्रदेश की जनता के हितों की रक्षा करनी पड़ेगी. जहां तक मैं, आप लोगों को बताना चाहता हूं कि मोदी जी की गारंटी केवल वोट लेने की गारंटी है, क्या उनकी गारंटी इस बात के लिए नहीं है कि मध्यप्रदेश आर्थिक दृष्टिकोण से पूरी तरह से कंगाल होता जा रहा है. उस पर सरकार ध्यान क्यों नहीं दे रही है. आपने यहां जो आंकड़े रखें हैं, मैं, आगे इनको स्पष्ट करूंगा.
सभापति महोदय, यह भाजपा का संकल्प पत्र है. इसमें जो कुछ कहा गया था, वह राज्यपाल जी के अभिभाषण में बिलकुल नहीं है. कुछ बिंदु और कंडिकायें ऐसी हैं जो आपने चुनाव के समय मध्यप्रदेश की जनता को वायदे किये थे, उनको आपने न राज्यपाल के अभिभाषण में और न ही अपने संकल्प पत्र में रखा है. ऐसा आपने क्यों किया ? यह मध्यप्रदेश की जनता के साथ छलावा और धोखा है. मैं, जानना चाहता हूं कि लाड़ली बहना और लाड़ली लक्ष्मी एक तरह से दोनों स्थानों पर गायब कर दी गई है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी हर जगह इस बात को कहते थे कि मैं लाड़ली बहनों को 1250 रुपये प्रतिमाह की जगह 3000 रुपये कर दूंगा और फिर उनको लखपति बना दूंगा. इस बारे में यहां एक शब्द का उल्लेख, न राज्यपाल जी के अभिभाषण में है और न ही भाजपा के चुनावी संकल्प पत्र में है. यह हमारी लाड़ली बहनों के साथ बहुत बड़ा छलावा है, धोखा है. माननीय मुख्यमंत्री जी जब इस विषय पर बोलें, तो इस बात को स्पष्ट करें. यहां तक की उन लाड़ली बहनों के सम्मान में एक शब्द भी, राज्यपाल के अभिभाषण में नहीं आया है.
सभापति महोदय- माननीय सदस्य, कृपया जल्दी समाप्त करें. माननीय अध्यक्ष जी समय-सीमा तय करके गए हैं.
श्री बाला बच्चन- सभापति महोदय, हमारी ओर से अभी केवल रावत जी बोले हैं. मैं दूसरे नंबर पर बोल रहा हूं.
सभापति महोदय- रावत जी, ये सारे विषय उठा चुके हैं. आप पुनरावृत्ति कर रहे हैं. मेरा निवेदन है कि समय बचाने के लिए कोई भी सदस्य विषय की पुनरावृत्ति न करे, जिससे हम समय-सीमा में कार्य समाप्त कर सकें.
श्री बाला बच्चन- सभापति महोदय, मेरा यह भी कहना है कि आपने 450 रुपये में गैस टंकी देने की बात कही गई थी. राज्यपाल के अभिभाषण की कंडिका 25 में कहा गया है कि केवल 22 लाख महिलाओं को 450 रुपये में गैस टंकी दी जा रही है जबकि आपके संकल्प-पत्र के पेज नंबर 29 में इन महिलाओं की जो संख्या बताई गई थी, वह 1 करोड़ 31 लाख महिलाओं की थी. आप 1 करोड़ 31 लाख महिलाओं के स्थान पर केवल 22 लाख महिलाओं को 450 रुपये में गैस टंकी दे रहे हैं. आप सीधे-सीधे 1 करोड़ 9 लाख महिलाओं के साथ धोखा कर रहे हैं.
सभापति महोदय, जब मुख्यमंत्री जी बोलें, ये सरकार बोले तो आप, हमें इसकी जानकारी दिलवायें. रावत जी ने यह बात कही थी और मैं उनकी बात से सहमत हूं कि लाड़ली बहना की आवास योजना को भी गायब कर दिया गया है और इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जी ने अपने इस्तीफे समय जो बात कही थी कि- "जस सकी तस धर दीन्ही चदरिया".
सभापति महोदय, जस सकी तस धर दीन्ही चदरिया. इस चदरिया को आपने कितना कलंकित किया है, कितने दाग आपने इस चदरिया पर लगाये हैं. वर्ष 2003 में हमारे ऊपर मात्र लगभग 26 हजार करोड़ का कर्ज था, आज वह कर्ज लगभग 4 लाख करोड़ का हो गया है, उसका दाग आपने चदरिया पर लगाया है. आपने व्यापम घोटाले का दाग लगाया है, पटवारी भर्ती घोटाले का दाग लगाया है, मंदसौर में किसानों की हत्या के दाग लगाये हैं. नेमावर, नीमच और सिवनी में हमारे निर्दोष आदिवासियों की हत्याओं का दाग आपने लगाया है. मैंने यहां जो आंकड़ा रखा है करोड़ों महिलाओं के विश्वास की हत्या के दाग भी आप पर लगे हैं. आपने कहा था कि 3000 रुपये महीना कर दूंगा और हर लाड़ली बहना को लखपति बना दूंगा.
सभापति महोदय- माननीय सदस्य कृपया समाप्त करें.
श्री बाला बच्चन- सभापति महोदय, मैं, एक-दो मिनट और लूंगा. बात यहीं समाप्त नहीं होती है. आदरणीय विजयवर्गीय जी ने बात प्रारंभ की थी, मुझे इस बात की उम्मीद थी कि जिस शहर से वे आते हैं, जनवरी 2023 में वहां ग्लोबल इंवेस्टर समिट हुई थी, उसके बारे में वे जरूर कहेंगे लेकिन उन्होंने इस बात को छुआ भी नहीं. 100 करोड़ रुपये खर्च कर आपने जो समिट की थी और पूर्व मुख्यमंत्री जी ने यह कहा था कि मैं 29 लाख बेरोजगारों को रोजगार दूंगा और लगभग 15 लाख करोड़ का निवेश लाऊँगा, उसका क्या हुआ ? इसके बारे में आदरणीय विजयवर्गीय जी ने कोई उल्लेख नहीं किया है. मैं, नई सरकार से, यहां दोनों उपमुख्यमंत्री जी बैठे हैं, मुख्यमंत्री जी मेरी बात जरूर सुन रहे होंगे. होने वाले मंत्रीमण्डल के सदस्यों से भी मैं जानना चाहता हूं कि शिवराज सिंह जी की 15 हजार घोषणाएं अधूरी पड़ी हैं क्या यह सरकार उन घोषणाओं को पूरा करेगी.
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य कृपया आप बैठ जाइए. आप दस मिनट से ज्यादा बोल चुके हैं.
श्री बाला बच्चन-- सभापति महोदय, यह सरकार कंडिका 23 में युवा रोजगार की बात करती है, लेकिन पटवारी भर्ती परीक्षा की जो जांच छ: माह से चल रही है आज तक सरकार उसके रिजल्ट पर नहीं पहुंची है.
सभापति महोदय-- मैं अगला नाम पुकार रहा हूं. सम्माननीय गोपाल भार्गव जी कृपया अपना विषय रखें. माननीय बाला बच्चन जी से मेरा निवेदन है कि आप अपनी बात को समाप्त करें.
श्री बाला बच्चन-- सरकार जोर शोर से 2023 युवा नीति की घोषणा की बात करती है, लेकिन उसका भी अभिभाषण में कोई उल्लेख नहीं है. शिवराज सिंह जी सीखो और कमाओ योजना की बात करते थे लेकिन वह भी इस परिदृश्य से बाहर है. सभापति महोदय, मैं एक और बिंदु कहना चाहता हूं. कंडिका 14 में सरकार मछली पालन में लगातार उल्लेखनीय वृद्धि के लिए अपनी पीठ थपथपाती है, लेकिन कंडिका आठ में मछली विक्रय जो सामान्य तौर पर खुले में होता है, जो जीएसटी मुक्त व्यापार है को अभियान चलाकर उसको प्रतिबंधित करने की बात करती है. मैं उल्लेख करना चाहता हूं कि आपका विधान सभा का यह जो 2023 का संकल्प पत्र है इसके पेज नंबर 29 पर लिखा है कि मध्यप्रदेश में पोल्ट्री विकास मिशन आएगा. क्या यह भी मोदी जी की गारंटी है. इस पर सरकार अपना रुख स्पष्ट करे.
सभापति महोदय-- बाला बच्चन जी कृपया समाप्त करें.
श्री बाला बच्चन-- सभापति महोदय, जो ठेले के छोटे व्यापारी हैं, छोटी दुकानों के व्यापारी हैं उनके व्यापार को बंद करके क्या यह व्यापार बड़ी कंपनियों को देना चाहती है. हमको इस सरकार के ऊपर अंदेशा है और हमारा बिलकुल भी भरोसा इस सरकार के ऊपर नहीं बचा है. इससे पहले वक्ताओं ने जो बात कही है यह राज्यपाल जी के अभिभाषण से और इनके संकल्प पत्र से बहुत कम रिलीवेंट थी. मैं अपनी सारी बात इससे रिलीवेंट करना चाहता हूं. हम मध्यप्रदेश के हितों की रक्षा के लिए इस सदन में लडेंगे. हम दमदारी से यह लड़ाई लड़कर इस सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहेंगे. आपने युवाओं के बारे में कहा, महिलाओं के बारे में कहा, किसानों के बारे में कहा, कर्मचारियों के बारे में आपने अपने संकल्प पत्र में कहा, सर्वहारा वर्ग के सर्वांगीण विकास की जो बात कही थी यह सरकार भटक रही है. मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूं. मैं विजयवर्गीय जी की एक बात से सहमत हूं कि जो कल उन्होंने बधाई देते हुए बोला था कि सदन लगातार चलना चाहिए. हमारी यह पीड़ा रही है और सदन के सभी सदस्यों की यह पीड़ा रही है कि सरकार जीत की हां कराकर भागती है और मध्यप्रदेश की जनता के साथ धोखा करती है. सदन पूरे समय तक चलना चाहिए. हम और हमारा दल हम इससे पूरी तरह से सहमत हैं. आपने मुझे जो समय दिया बहुत सारे बिंदु और बोलने के हैं लेकिन जब जो बड़ा सत्र बजट सत्र आएगा हम उसमें हमारी बात को रखेंगे.
सभापति महोदय-- आप उस सत्र में अपनी बात रख दीजिएगा.
श्री बाला बच्चन-- मुझे मालूम है कि एक-एक दिन के सत्तावन-सत्तावन प्रश्नों के जवाब आते थे कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, लेकिन जो आप वरिष्ठ सदस्य चुनकर आए हैं और आपका कहना और मानना है कि सदन चलना चाहिए हम आपकी बात पर भरोसा करके देखते हैं. आने वाला जो बजट सत्र आएगा वह सत्र कितना चलेगा. सत्र चलने से सरकार को भी एक आईना दिखता रहता है. विपक्ष को अपनी बात कहने का हक और अधिकार बना रहता है. मेरे विधान सभा क्षेत्र राजपुर के बड़वानी जिले में कई सड़कें नहीं बनी हैं, पुल पुलियाएं नहीं बनी हैं, भवन नहीं बने हैं.
सभापति महोदय-- बाला बच्चन जी आप फिर विषय से बाहर जा रहे हैं. जब बजट सत्र आएगा तब आप यह विषय रख लीजिएगा.
श्री बाला बच्चन-- मैं जहां से चुनकर आता हूं मेरे क्षेत्र में अवैध उत्खनन नर्मदा जी में खूब हो रहा है. मेरी राजपुर विधान सभा के अंजड़ और राजपुर में अवैध शराब का कारोबार सट्टा और जुआं खूब चल रहा है. मैं सरकार से उम्मीद करता हूं.
सभापति महोदय-- बाला बच्चन जी ऐसा लग रहा है कि जैसे आप आखिरी बार बोलने के लिए खड़े हुए हैं. और अवसर आएंगे समय आएगा तब आप विषय को रखिएगा. आप समय सीमा का ध्यान रखिए. मैं बार-बार कह रहा हूं कि आप वरिष्ठ सदस्य हैं आप यह बात स्वयं बता रहे हैं कि आप छठवी बार चुनकर आए हैं तो आप तो सदन का सम्मान रखिए.
श्री बाला बच्चन-- सभापति महोदय, मैं टाईम देख रहा था. मैंने दोनों पक्षों का टाईम देखा है.
सभापति महोदय-- अब बाकी माननीय सदस्य भी तो बोलेंगे.
श्री बाला बच्चन-- माननीय सभापति महोदय, मैंने अपनी हैसियत और दायरें में रहकर मेरी बात कही है. वह सदस्य जैसे चुनकर आए हैं मैं भी अपनी विधान सभा की जनता के द्वारा चुनकर आया हूं. मुझे मेरी और मेरे क्षेत्र की जनता की बात कहने का पूरा अधिकार है. आप टाईमिंग निकाल कर देख लीजिए, टाईमिंग को चेक कर लीजिए. मैंने कोई उल्लंघन नहीं किया है.
श्री गोपाल भार्गव (रहली) -- सभापति महोदय, अभी इस घंटे में दो वक्ताओं के भाषण मैंने और सदन ने सुने. एक भाषण हमारे सम्माननीय प्रह्लाद जी का और दूसरा भाषण हमारे जो वरिष्ठ सदस्य बाला भाई का, तो सोच में, चिंतन में, दर्शन में कितना अंतर होता है, एक ए-फाइव पर और दूसरा आप नाली पर ले गये. आप अपने क्षेत्र की सडक पर ले गये. जब बजट आएगा तब देखेंगे. वैसे भी मैं यह कह सकता हूं कि बाला जी आपको और आपकी पार्टी के, आपके दल के सदस्यों को यह कहने का अधिकार नहीं है. कैलाश जी ने सडकों की लंबाई के बारे में, सडकों की उन्नति के बारे में, उन्नयन के बारे में सारी बातों का उल्लेख कर दिया था मैं उनको दोहराना नहीं चाहता हूं, आपके समय, आपके कार्यकाल में जितनी सडकें थीं, जितनी लंबाई की थीं, कैसी उनकी गुणवत्ता थी, सारी बातों के बारे में जानकारी है, प्रदेश को जानकारी है और मेरी आयु के जो लोग हैं या मुझसे जो 10-20 साल, 25 साल छोटी आयु के हैं उन सभी ने उन सडकों को देखा है भोगा है.
सभापति महोदय, मैंने 10 साल सागर से भोपाल आने के लिये रेल मार्ग पकडा मैं सडक से नहीं आ पाया. मैं जब अपने गांव से जबलपुर जाता था तो आधी सडक तो खेतों में से थी मैं खेतों में से गाडी ले जाता था. आपको इस बात को स्वीकार करना होगा नकार नहीं सकते हैं. यही स्थिति बिजली की थी. मैं जब विधायक विश्राम गृह में रहता था, जब मैं विधायक था तो उस समय बिजली की क्या स्थिति थी सुबह जब 6.00-7.00 बजे अखबार आता था तब एमएलए रेस्ट हाउस में अंधेरा रहता था और मुझे चिमनी जलाकर और मोमबत्ती से अखबार पढना पडता था. यह आप सभी सदस्यों ने देखा होगा. जंग लगी हुईं लालटेनें निकल आती थीं. जंग लगी हुईं लालटेनें निकल आई थीं उनको साफ करके लोग जलाते थे. क्या स्थिति थी बिजली की, क्या स्थिति सडकों की, क्या स्थिति थी सिंचाई की. 10 गुना से ज्यादा सिंचाई का रकबा बढ गया. क्या यह सरकार के लिये, पिछले कार्यकाल के लिये और अभी जो राज्यपाल जी ने अभिभाषण दिया क्या इसके लिये हमें धन्यवाद नहीं देना चाहिये ? और इसलिये मैं धन्यवाद देता हूं. 4 दशक पहले जब मैं वर्ष 1984-85 में विधायक बनकर आता था एक भी लोक कल्याण की योजना मध्यप्रदेश में लागू नहीं हुई और वर्ष 1988 में सिर्फ 60 रुपये महीने निराश्रित और सामाजिक सुरक्षा पेंशन शुरू हुई. कोई भी सदस्य बता दे कि एक भी लोक कल्याण की योजना चालू थी. लाडली बहना की बात करते हैं, लाडली लक्ष्मी की बात करते हैं, कन्यादान योजना की बात करते हैं, तमाम बातें करते हैं. भारतीय जनता पार्टी की इन 20 वर्षों में दर्जनों योजनाएं हैं
सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं जो होता है. प्रह्लाद जी ने भी अभी वही बात कही हम छोटी-छोटी बातों पर यदि विचार करते रहें, झगडते रहेंगे, तू-तू, मैं-मैं करते रहेंगे तो मैं कह सकता हूं कि हम बेहतर मध्यप्रदेश नहीं बना सकते हैं. हम बेहतर राज्य नहीं बना सकते हैं और इसके लिये बहुत आवश्यक है कि हम इन सब चीजों से निकलें. रामनिवास जी ने अभी कहा शिक्षा की व्यवस्था के बारे में, रोजगार के बारे में, क्या सीएम राइजिंग स्कूल गलत हैं नहीं खुलना चाहिये थे ? क्या गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा गलत थी ? क्या यह सोच गलत थी, चिंतन गलत था, योजना गलत थी ? मैं आज जानना चाहता हूं आपके ही दल के विधायक अनेकों कहते थे कि हमारे ब्लाक में भी, हमारे क्षेत्र में भी कम से कम दो स्कूल होना चाहिये और स्कूल जो तीव्र गति से बनना शुरू हुये आज मैं कह सकता हूं कि एक वर्ष के अंदर हमारे जो बहुत महंगे पब्लिक स्कूल हैं उन महंगे पब्लिक स्कूलों से भी यह शानदार शिक्षा इन विद्यालयों में होगी. हमारे लिये गर्व की बात होना चाहिये. हमारे लिये गर्व की बात होना चाहिये कि मेरे विधान सभा क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में कोई सस्ते राशन की व्यवस्था नहीं थी. आपको मालूम होगा कि हमारे यहां तो जब 70 की पसेरी जिसको हम 5 किलो की बोलते थे हो गई थी और पूरे मध्यप्रदेश के हाट बाजार लुटने लगे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी ने हमारी यह अन्नपूर्णा योजना लागू की थी पीले और नीले राशन कार्ड की, जिसके कारण से आज गरीब जिसको दो रोटी खाने के लिये नहीं मिलती थी वह रोटी खा तो सकता है. उसके बच्चे सो रहे हैं. सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि जो अच्छा हुआ है हमें उसकी प्रसंशा करनी चाहिये. आज मैं कहना चाहता हूं कि प्रधान मंत्री जी का क्यों नहीं नाम लें, आज 80 करोड लोगों के लिये यदि नि:शुल्क राशन मिल रहा है. उनके बच्चे भर पेट खाकर सो रहे हैं. माता-पिता भूखे नहीं सो रहे हैं. सभापति महोदय, एक अखबार में यह तक आया था कि भूखे रहने के कारण माताओं के स्तनों से दूध कम आ रहा है, कुपोषण बढ़ा है, आपकी सरकार में. अब कुपोषण में कमी आई है, मैं इसीलिए कहना चाहता हूँ, यथार्थ है. इसके लिए अन्यथा न लें.
सभापति जी, मैं कहना चाहता हूँ कि जब हमने लोक कल्याण की योजनाएँ लागू कीं. निःशुल्क अनाज की योजनाएँ लागू कीं. जो बताया अभी, पेयजल की, सिंचाई की, सभी योजनाएँ हमने लागू कीं, उसके लिए मैं चाहता हूँ कि आप धन्यवाद दें. आपने क्या किया, हमारे इतने मेडिकल कॉलेज हैं इस समय. मध्यप्रदेश के अन्दर आपके कार्यकाल में कुल 5 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे और आज की तारीख में मध्यप्रदेश में 23 मेडिकल कॉलेज हमारे मध्यप्रदेश में स्वीकृत हुए हैं. (मेजों की थपथपाहट) क्या आप इस बात से इन्कार कर सकते हैं? जहाँ आपके सौ बेड थे आज दो हजार बेड की स्थिति हमारी सरकार में है. 20 गुनी ज्यादा संख्या हमारे अस्पतालों में बेड की हो गई है.
सभापति महोदय, नौकरी की जहाँ तक बात करते हैं 1 लाख नौकरियाँ अभी चुनाव के पहले, बेरोजगारों के लिए, सभी प्रकार की, शिक्षा विभाग की तो कम से कम 25-30 हजार नौकरियाँ थीं, अन्य विभागों की नौकरी अभी नौजवानों के लिए दी गई हैं. पुलिस की नौकरी निकली है. स्वास्थ्य विभाग की निकली हैं. सभी विभागों की नौकरियाँ निकली हैं. अशासकीय नौकरियों की बात नहीं कर रहा हूँ. मैं शासकीय नौकरियों की बात कर रहा हूँ. इतनी नौकरियों के बावजूद भी आप यह कह रहे हैं. आपकी सरकार ने तो 28 हजार दैनिक वेतन भोगियों को निकाल दिया था, जब दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे, आप सबको याद होगा. (शेम शेम की आवाज) लेकिन हमने नौकरियाँ देने का काम किया है. हमने किसी के, नौजवानों के, पेट पर लात मारने का काम नहीं किया. आपने तो कैसी नौकरी निकाली थी सवा साल में, कमल नाथ जी जब मुख्यमंत्री थे, मवेशी चराने का काम, साँप पकड़ने का काम, 5 सौ रुपये देंगे, आपको याद है और क्या किया था बाला भाई, बैण्ड बजाने वाले, उनके लिए नौकरियाँ, इतना मेहनताना देंगे. था कि नहीं था? मैं इसीलिए कह रहा हूँ कि आपको तो कहने का अधिकार ही नहीं है. आपको तो कुछ कहने का हक ही नहीं है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- जिनको बैंड बजाने की ट्रेनिंग दी थी उन्होंने इनके बैंड बजा दिए. (हँसी)
श्री बाला बच्चन-- अभी सब समझ रहे हैं कि आगे किनके बजना हैं.
श्री लखन घनघोरिया-- पकोड़े तलने का भी बता दें गोपाल भैय्या.
श्री विजय रेवनाथ चौरे-- काँग्रेस के राज में तो शक्कर और मिट्टी का तेल मिलता था, अभी केवल चावल मिल रहा है, राशन से गेहूँ गायब हो गया है.
श्री गोपाल भार्गव-- गेहूँ गायब नहीं हुआ, बल्कि गेहूँ निःशुल्क दिया जा रहा है और मैं धन्यवाद दूँगा प्रधानमंत्री जी के लिए और हमारी इस राज्य सरकार....
श्री विजय रेवनाथ चौरे-- एकाध राशन की दुकान बता दीजिए जहाँ गेहूँ बँट रहा हो.
सभापति महोदय-- सदस्य कृपया टोकाटाकी न करें. विषय समय पर समाप्त हो जाए.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति जी, कोविड के काल में 10 किलो, अभी तो जो 5 किलो दिया जा रहा है, 10 किलो अनाज, गेहूँ अथवा चाँवल प्रत्येक यूनिट के हिसाब से दिया गया, इससे बड़ी बात क्या हो सकती है?
श्री कैलाश कुशवाह-- 20 लाख करोड़ आया था कोविड काल में साहब, उसका हिसाब ही नहीं है अभी तक.
सभापति महोदय-- गोपाल जी, आप अपनी बात रखिए.
श्री रामेश्वर शर्मा-- सभापति जी, कोविड काल में अगर मोदी जी नहीं होते तो कई चित्रों पर माला टंगी होती, इतना ध्यान रखना.
श्री गोपाल भार्गव-- कैलाश जी ने जो कहा इन्हीं छोटी छोटी बातों में उलझे रहोगे तो आप कोई नीति नहीं बना सकते, कार्यक्रम नहीं बना सकते, आप कुंठित हो जाएँगे और मैं यह कहना चाहता हूँ मित्रों, सभापति जी, प्रधान मंत्री जी यदि किसान सम्मान निधि देते हैं तो क्या हमें प्रधान मंत्री जी की चर्चा इस हाउस में नहीं करना चाहिए? (मेजों की थपथपाहट)
सभापति जी, हमारा केन-बेतवा लिंक और यह बहुत वृहद् परियोजना, इसमें भारत सरकार का सहयोग और पूरे राज्य के बहुत बड़े हिस्से में उसकी सिंचाई होगी तो क्या हमें उसकी चर्चा नहीं करना चाहिए? अनेकों विकास के काम, एन.एच.ए.आई. से जो सड़कें बन रही हैं, जो भारत सरकार सड़कें बना रही हैं, भारत सरकार का भूतल परिवहन वहाँ सड़कें बना रहा है, ये सड़कें जो मैं आपको बताना चाहता हूँ, लेकिन आपके समय वह संभव नहीं हो पाया. लेकिन हमारे समय गडकरी जी जो सड़कें बनवा रहे हैं, हवाई जहाज तक, उन सड़कों पर उतर सकते हैं, ऐसे स्टेंडर्ड की सड़कें बन रही हैं. सभापति जी, अटल प्रोग्रेस वे, नर्मदा प्रोग्रेस वे, ये तमाम के काम शुरु हो गये. अभी हमारे मरकाम जी कह रहे थे कि अभी शुरु नहीं हुआ. बात है बजट में प्रावधान की. पिछले बजट में भी प्रावधान किया. हमारे दृष्टि-पत्र में भी इस बात का उल्लेख है.
श्री रामनिवास रावत -- यह अटल प्रोग्रेस वे कहां पर है.
श्री गोपाल भार्गव-- आपके ही जिले से है.
श्री रामनिवास रावत -- आप चलें मेरे साथ.
श्री गोपाल भार्गव-- आपको सारी जानकारी होगी. आप जागरुक सदस्य हैं.
श्री रामनिवास रावत -- सब पर बेन लगा दिया. सब पर रोक लगी है. काम ही बंद हो गया.
श्री गोपाल भार्गव--भू-अर्जन की कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है. कोई रोक नहीं लगी है.
सभापति महोदय-- काम पूरा होने पर सड़क दिखेगी. भार्गव जी, आप तो अपनी बात विषय पर रखिये.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति जी, मैं यही कहना चाहता हूं कि यदि भाजपा की सरकार ने हमारे उज्जैन में जो महाकाल मंदिर है, उसका लोक हुआ. ऐसे 18 प्रोजेक्ट राम राजा सरकार ओरछा से लेकर, चित्रकूट से लेकर और हमारे जो 18 धार्मिक पौराणिक स्थान हैं, यदि एक काम हाथ में लिया है, तो इससे बड़ा काम कोई नहीं हो सकता. इससे पर्यटन भी बढ़ेगा और रोजगार भी बढ़ेगा और हमारी आस्था के जो केन्द्र हैं, उनका पुनर्निर्माण होकर, उनका विकास होकर यह एक बहुत ही उल्लेखनीय बात होगी. आयुष्मान भारत योजना से लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये प्रति दिन का मध्यप्रदेश में भुगतान हो रहा है, निशुल्क इलाज हो रहा है. आपके समय में यह योजना क्यों नहीं लागू हुई थी. आपके समय में कोई ऐसी योजना थी. कोई योजना लागू नहीं हुई. इसका उल्लेख नहीं हो, तो कैसे नहीं होगा. तमाम कंडिकाएं गिनी हैं, इनती कंडिकाओं में नाम है प्रधानमंत्री जी का, इतनी कंडिकाओं में भारत सरकार का नाम है. मैं जानना चाहता हूं कि जहां से राशि मिल रही है, अधिकांश योजनाएं ऐसी हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना हो, घर के ऊपर पत्ते छाये रहते थे. तिरपाल लगी रहती थी, सीलन भरी दीवारें होती थीं. एक कमरे में पूरा परिवार रहता था. नौनिहाल को मां अपनी छाती से चिपकाये इधर से उधर जब बारिश होती थी, सावन भादों के महीने में, इधर से उधर होती रहती थी बेचारी. उसके लिये यदि मध्यप्रदेश में 50 लाख आवास मिले और इतने ही आवास हम और लाने की कोशिश करेंगे. तो क्या यह गलत कल्पना थी. आपके समय में तो एक गांव में एक इन्दिरा आवास मिलता था, वह भी 25 हजार रुपये का, आप सबको याद होगा. आपके क्षेत्र में भी यह आवास होगा.
सभापति महोदय-- गोपाल जी, कृपया समय का ध्यान दें.
श्री रामनिवास रावत -- उस समय रुपये का मूल्य क्या था और आज रुपये का क्या मूल्य है.
श्री गोपाल भार्गव-- आप अपने मेनिफेस्टों की बात देखें. आपने कहा था कि चार हजार रुपये महीना बेकारी भत्ता देंगे. रामनिवास जी, आप इस बात को, अपने घोषणा पत्र को, मैं अभी घोषणा पत्र की कंडिका भी पढ़ दूंगा. लेकिन आपने किया क्या. किसानों के साथ क्या छल हुआ. आप क्या इसका उल्लेख करेंगे.
श्री बाला बच्चन -- सभापति जी, आपने मुझे बोलने नहीं दिया था. टाइम को मैं भी देख रहा हूं.
सभापति महोदय-- मेरे टोकने के बाद भी आप लगातार बोलते रहे थे. मैंने गोपाल जी को भी टोका है. आप जरा उठाकर देख लीजियेगा कार्यवाही को.
श्री बाला बच्चन -- सभापति जी, मुझे आपे 3 मिनट बाद में टोकना शुरु कर दिया था.
सभापति महोदय-- आपको वक्तव्य कल छपा हुआ मिल जायेगा, देख लीजिये उसमें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- सभापति महोदय, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. कभी भी आसंदी की तरफ इस प्रकार अंगुली उठाकर बोलना यह बिलकुल असंसदीय है. मैं समझता हूं कि माननीय सदस्य को इसलिये क्षमा मांगना चाहिये.
श्री बाला बच्चन -- आपने भी अंगुली उठाई थी इसके पहले.
सभापति महोदय-- तर्क वितर्क बंद करके गोपाल जी कृपया अपना भाषण समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत --सभापति महोदय, आसंदी का हम पूरा सम्मान करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदय, अंत में मैं यही कहना चाहता हूं कि हमारे राज्यपाल जी के अभिभाषण के पैरा 12 में जो बात आई है कि किसानों की समृद्धि ही प्रदेश की सुख-समृद्धि का आधार है. मेरी सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, समर्थन मूल्य पर उपार्जन, कृषि अधोसंरचना निधि आदि विभिन्न किसान कल्याण योजनाओं के अंतर्गत विगत साढ़े 3 वर्षों में किसानों के खातों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की राशि अंतरित हुई है और मैं इसलिये कहना चाहतता हूं कि जो यह विषय आया है कि यह कि यह बोनस देंगे या नहीं. सभापति महोदय, जब प्याज सस्ती हो गयी थी तो हमने प्याज तक खरीदी है नैफेड के माध्यम से. शासन को कितनी भी हानि हो इसकी हमने चिंता नहीं की है और आज मैं, इस चर्चा के माध्यम से आपको विश्वास दिलाता हूं कि मध्य प्रदेश की सरकार किसानों की सरकार है, गरीबों की सरकार है, मुफलिसों की, बदहालों और बेबस लोगों की सरकार है. आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. हमारा नेतृत्व हमेशा इस बारे में चिंता करता है और करता रहेगा. धन्यवाद्.
सभापति महोदय:- सभी सदस्यों से निवेदन है कि कृपया आप अपनी बात पांच मिनट में समाप्त करेंगे. ताकि अन्य सदस्यों को भी बोलने का अवसर मिल सके.
श्री फूल सिंह बरैया( भांडेर) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय सदस्य ने कहा था कि राज्यपाल महोदय का जो अभिभाषण है, यह पांच वर्ष का आइना है उस पर पांच वर्ष के हिसाब से चर्चा करेंगे.
सभापति महोदय:- चर्चा के लिये आपको अभी बहुत समय मिलेगा. बजट सत्र आयेगा तो आपको अपनी बात रखने के लिये बहुत समय मिलेगा.
श्री फूल सिंह बरैया:- जी. राज्यपाल महोदय का जब अभिभाषण हो रहा था, अगर उस वक्त आंख बंद कर लेते तो लग रहा था कि हम लोक सभा, दिल्ली में बैठे हैं, मैं उसका टाइम और नंबरिंग में किस तरह से नाम लिये गये हैं. अभिभाषण में पीएम रिपीट हुआ है 50 बार से ज्यादा, सीएम 15 बार, ओबीसी का सिर्फ एक बार रिपीट हुआ है और रिपीट हुआ ही नहीं.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे:- आप कोई नयी बात बोलिये. समय क्यों खराब कर रहे हैं.
श्री फूल सिंह बरैया:- नयी बात है. समय मेरा खराब होगा, आपका नहीं. ओबीसी और अन्य पिछड़ा वर्ग को एक बार बोला गया है. अनुसूचित जाति का नाम एक बार बोला गया है, अल्पसंख्यक का नाम एक बार बोला गया है, महात्मा गांधी जी का दो बार और बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर का नाम एक बार बोला है. बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर की चर्चा कई बार हो चुकी है कि हमने फोटो लगाये, चित्र लगाये. बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के फोटो के साथ-साथ संविधान को भी देख लीजिये उनके हाथ से लिखा हुआ है.
सभापति महोदय, संविधान को पढ़ाने की, कि आरक्षण के ऊपर जब भी चर्चा करते हैं, संविधान की चर्चा करते हैं तो आप एक बार आरक्षण को संविधान के नजरिये से समझ लें और आप अपने माननीय सदस्यों से कहें कि संविधान भी रखें और पढ़ें, क्योंकि आरक्षण कोई भीख नहीं है. आरक्षण की जो पृष्ठभूमि है उसको पढ़कर के ही चर्चा करें. फोटो लगाने से ही पेट नहीं भरेगा.
सभापति महोदय:- बरैया जी, आप विषयांतर कर रहे हैं.
श्री फूल सिंह बरैया:- विषय यही है. मैं उसी के अंदर बोल रहा हूं. ओबीसी, बाबा साहब अम्बेडकर ने संविधान में लिखा, भारतीय संविधान भाग-16 अनुच्छेद-2340 और अन्य इसमें माननीय राहुल जी ने खुद कहा कि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी होनी चाहिये. लेकिन यहां हिस्सेदारी छोडि़ये, नाम भी नहीं लिया जा रहा है तो बाबा साहब अम्बेडकर जब कह गये तो भले ही राज्यपाल महोदय न भी कहें तो भी हम अपना हक लेकर रहेंगे और हम आपको बताना चाहते हैं कि यही नहीं है, इसके आगे मैं, रिपीट नहीं करना चाहता हूं लाड़ली लक्ष्मी योजना का नाम ही नहीं लिया और एक बड़ा विषय है जो किसानों के लिये सरदर्द बना है,वह है आवारा पशु. आवारा पशुओं के बारे में नहीं कहा गया है. गायों के बारे में इन्होंने कहा है, लेकिन मैं, आज कहना चाहता हूं कि गाय को पूरी तरह से इस सरकार ने आवारा पशु बना दिया है. मानननीय कमल नाथ जी ने गौशाला बनायी थीं. इस सरकार के माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में गौशाला का नाम नहीं है और जब गौशाला नहीं होगी तो गाय आवारा पशु बन गयी और आवारा पशु के कारण गौशालाओं में गायें नहीं रहती हैं, रोड पर लेटती है. जब ड्रायवर शराब पीकर आता है और उसको कुचल कर चला जाता है. सभापति महोदय यह भी हिसाब लगाइये कि मध्यप्रदेश में एक दिन में कितनी गायों का कत्ल हो रहा है, रोड पर, कितनी गायें मारी जा रही है इसको भी आप थोड़ा सा काउंट कराइये, लाखों गाय रोज मारी जा रही है और किसके कारण मारी जा रही हैं, इसी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कारण और मैं आपसे कहना चाहूंगा कि यही नहीं है, ध्वनि विस्तारक यंत्र की रोक के हम पक्षधर है. मैं कहूंगा कि ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगनी चाहिए, लेकिन सरकार का जो अंदाज है, सरकार की जो नीति है, वह प्रदूषण पर रोक की नहीं है. उन्हें मुसलमानों की मस्जिद का प्रदूषण दिखाई दे रहा है उन्हें और कोई दिखाई नहीं देता है. यही नहीं, मैं आपसे कहना चाहूंगा कि मांस, मछली बेचने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है और प्रतिबंध कैसा लगाया है कि रोडों पर नहीं बेचेंगे.
सभापति महोदय, उनको सरकार ने दुकानें दे दी थी क्या? अगर मांस मछली बेचने वालों को, अंडा बेचने वालों को अगर दुकानें दे दी होतीं, फिर अगर वह रोड पर बेचते तो आप न सिर्फ बंद कराते बल्कि कार्यवाही भी कराते कि हमने दुकानें दी हैं और दुकानों में वह नहीं बेच रहे हैं. मैं आपसे कहना चाहूंगा कि यह मांस, मछली बेचने वाले कोई और नहीं, सरकार ने सोचा कि यह मुसलमान होंगे. नहीं, भोई और मछुआरों के पेट पर लात मार दी है. गरीब अंडा बेचता है, अंडे से दो का काम चलता है, जो सुबह से भूखा हैं उसको दो अंडे मिल जाय तो पूरे दिन का काम चल जाएगा और बेचने वाले का भी काम चलता है. सरकार ने उनके पेट पर लात मारी है. तमाम जातियां जो करोड़ों की संख्या में हैं, करोड़ों की संख्या में जो जातियां हैं.
सभापति महोदय, मैं आपसे कहना चाहूंगा कि इन जातियों के पेट पर लात मारी गई है और इसमें सब गरीब लोग हैं, कमजोर लोग हैं. इसमें कोई धनवान नहीं है और यही कहूंगा कि आगे विद्युत का मामला है.
सभापति महोदय - फूल सिंह जी समाप्त करेंगे.
श्री फूल सिंह बरैया - सभापति महोदय, एक लाइन में समाप्त करूंगा. अटल गृह ज्योति योजना, 100 यूनिट बिजली, 100 रुपये का बिल दिया जा रहा है और 1 करोड़ 3 लाख उपभोक्ता प्रतिमाह इससे लाभ ले रहे हैं, यह सब असत्य योजना है और मैं आपसे कहना चाहूंगा कि जो भाषण देने वाले हैं कि घर घर हम खुशहाली पहुंचाएंगे. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, माइनॉरिटी, पिछड़ा वर्ग, इनकी संख्या देश में गिनना चाहता हूं, 6743 जातियों के घरों में खुशहाली अगर आई है तो बाबा साहब आम्बेडकर ने संविधान में आरक्षण नहीं दिया होता, न इनके चेहरों में चमक होती, न पेट में दाना होता और उसी बाबा साहब आम्बेडकर का नाम नहीं लिया गया है. मैं बाबा साहब का सम्मान करते हुए उनका नाम लेकर बंद कर रहा हूं. जय भीम.
श्री दिलीप अहिरवार (चांदला) - सभापति महोदय, अभी जो मैंने बात सुनी है, जो कही गई कि आरक्षण पढ़ा. हमारी सरकार ने आरक्षण पढ़ा भी है और उसको लागू भी किया है. मगर कांग्रेस के मेरे मित्र द्वारा जो बाबा साहब की बात की गई है (व्यवधान)
श्री फूल सिंह बरैया - आरक्षण की पृष्ठभूमि बता दीजिए. (व्यवधान) आरक्षण दिया कैसे जाता है, यही इनको पूछ लीजिए. आरक्षण की पृष्ठभूमि पूछी, आरक्षण किसको दिया जाता है और क्यों दिया जाता है?
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) - सभापति महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के प्रस्ताव पर कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं, उनका जो अभिभाषण हुआ, निश्चित ही आने वाले 5 वर्ष की इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार का दृष्टिपत्र है. मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 के बाद से लगातार भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिला. कांग्रेस हो या विपक्ष हो, लोकतंत्र में जब सरकारें अच्छा काम करती हैं तो जनादेश उनके साथ जाता है. इसका उदाहरण है लगातार दो बार केन्द्र की मान्यवर मोदी जी की सरकार और मध्यप्रदेश में प्रचंड बहुमत वाली भारतीय जनता पार्टी की वर्ष 2023 की सरकार, हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, निश्चित ही बाबा महाकाल की नगरी से आते हैं. उनका प्रखर राष्ट्रवादी व्यक्तित्व है और बाल्यकाल से उन्होंने संघर्ष और गरीबी को देखा है. उज्जैन जो कि ज्योतिष की नगरी है जहां से कर्क रेखा गुजरती है, सम्राट विक्रमादित्य की अद्वितीय शासन व्यवस्था की जो गवाह रही है, उनकी काल गणना को स्थापित करने के लिए नव वर्ष मनाने का मामला हो, या देश की संस्कृति से जुड़ी हुई अन्य हमारी परम्पराएं हों, उन सबके निर्वाह करने का काम हमारे मुख्यमंत्री जी ने किया है, मजदूरों को भी देखा है, गरीबों के दर्द को भी देखा है और इसलिए हमें विश्वास है कि यह सरकार भी समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए काम करेगी. इस बीमारू राज्य को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक उन्नत राज्य बनाया है. स्वर्णिम मध्यप्रदेश राज्य बनाने का काम भारतीय जनता पार्टी की यह सरकार करेगी. निश्चित ही जब बात होती है तो केन्द्र और राज्य के संबंधों को अलग नहीं किया जा सकता. हमने उत्तरप्रदेश के चुनाव हों या अन्य राज्यों के चुनाव हों, देश की जनता के सामने एक विज़न दिया कि सिंगल इंजन से यदि डबल इंजन की सरकार होती है तो विकास और तेजी के साथ होता है. आज यदि मान्यवर नरेन्द्र मोदी जी, जो कि वैश्विक नेता हैं, हमारे गौरव हैं जिन्होंने भारत का नाम दुनिया में बहुत गौरव के साथ स्थापित करने का प्रयास किया है, जो इस देश की 140 करोड़ जनता को अपना भगवान मानते हैं और खुद को प्रधान सेवक मानते हैं उसी सेवक की भावना से काम करने का जज्बा भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता में है और हर जनप्रतिनिधि सेवक की भावना से काम करता है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार जो काम जनता के बीच लेकर जाती है उनका प्रगटीकरण देखने के लिए मिलता है. इसलिए हम सेवक की भावना के साथ इस मध्यप्रदेश को भी एक अच्छी सरकार देना चाहते हैं.
सभापति महोदय, निश्चित ही किसानों के क्षेत्र में हम बात कर लें. महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बात कर लें. मजदूरों के संबल के लिए बात कर लें. भारतीय जनता पार्टी की सरकार की योजनाओं का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचा है और इस सरकार ने अपने प्रारम्भिक चरण में ही मुख्यमंत्री जी ने जिस तरह से ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए आप, हम सब इस दर्द को महसूस करते हैं, कई बार रात में आवाज के कारण सुबह 5 बजे लोगों की नींद खुल जाती है. बच्चे पढ़ना चाहते हैं लेकिन बार-बार ध्वनि विस्तारक यंत्रों से उनको डिस्टरबेंस होता है. उस पर सरकार ने फैसला लिया.
सभापति महोदय, जो लोग शाकाहार को अपनाते हैं वह जब सार्वजनिक रास्तों से निकलते हैं और उन्हें इस तरह का व्यापार होते हुए दिखता है तो उनके मन को पीड़ा पहुंचती है. इसलिए इस दिशा में भी सरकार ने काम किया.
सभापति महोदय, निस्संदेह आने वाले समय में जो हमारा संकल्प पत्र 2023 है, उसके अनुरूप भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरी वचनबद्धता के साथ काम करेगी. कांग्रेस ने भी एक वचनपत्र 2018 के चुनाव में दिया था लेकिन न तो उनके वचन पत्र पर जनता का विश्वास रहा, न उनकी सरकार पर जनता का विश्वास रहा. लेकिन हमारे लिए संकल्प पत्र निश्चित ही हमारा एक ग्रंथ है जिस पर यह सरकार आने वाले समय में काम करेगी. किसानों की खेती लाभ का धंधा बने, इसलिए किसानों की मांग के अनुरूप 2700 रूपए प्रति क्विंटल गेहूं का उपार्जन, जिसे हमारी पूववर्ती सरकार ने माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने अधिकांश अनाजों का उपार्जन प्रारम्भ किया था, उसे आगे बढ़ाने का काम यह सरकार भी निश्चित करेगी. सबसे बड़ी बात है कि जिन किसानों के खेतों तक बिजली नहीं पहुंच पाती थी, जिन किसानों को अपनी फसल का सही समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता था, उसकी व्यवस्था हमारी सरकार ने की और सबसे बड़ी बात इस संकल्प पत्र में, चूंकि भोपाल हमारा राजधानी क्षेत्र है, इंदौर हमारा व्यावसायिक क्षेत्र है. जब इंदौर, भोपाल हम जाते हैं, जब हम मेट्रो रेल का काम होते हुए देखते हैं और आने वाले 2 से 4 माह में जब मुंबई, चेन्नई, दिल्ली की तरह हमारे इन महानगरों में भी मेट्रो रेल चलेगी और आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र के अनुसार इसे ग्वालियर और जबलपुर तक विस्तारित किया जाएगा, तब लगेगा कि एक नया मध्यप्रदेश गढ़ने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. इस बार के चुनाव में हमें समाज के हर वर्ग का समर्थन मिला है. इसलिए अनुसूचित जाति के पूजा स्थलों के लिये भी हमारे संकल्प पत्र में हमनें घोषणा की है कि लगभग 100 करोड़ रूपए की राशि उनके आराध्य स्थलों के विकास के लिये आने वाले समय में सरकार करेगी.
सभापति महोदय, निश्चित ही मध्यप्रदेश की साढे़ आठ करोड़ जनता को दोनों समय भोजन की व्यवस्था अच्छे से हो, इसके लिए आने वाले 5 वर्षों तक नि:शुल्क राशन देने की व्यवस्था मान्यवर मोदी जी की सरकार ने की है. कल्पना कीजिए जिस देश में उड़ीसा के कालाहांडी की खबरें पूरे वैश्विक मंचों पर छपती थी, जहां भूख से लोग मर जाते थे. हमारे छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के भी कई ट्राइबल इलाकों में, जहां दोनों समय भोजन की व्यवस्था नहीं होती थी, आज उनको 5 साल तक का नि:शुल्क अनाज दिया जा रहा है. खासकर के ट्रायबल ब्लॉक में, जहां पर ट्रायबल के ही बच्चों के द्वारा शासन के अनुदान से जो वाहन उनको दिये गये हैं उनसे घर पहुंच राशन की व्यवस्था हमारी सरकार कर रही है. एक नया मध्यप्रदेश हम बनाने जा रहे हैं. जिसमें सबके पास काम होगा, जिसमें सबके पास भोजन की व्यवस्था होगी. दीनदयाल जैसा अभिनव प्रयोग हमारी सरकार ने मध्यप्रदेश में किया. आज इंदौर, भोपाल जैसे महानगरों में जो लोग अपने निजी कामों के लिए आते हैं उन्हें भरपेट भोजन मिलता है यह वास्तव में सरकार का एक अभिनव काम है. मैं आज यह कहना चाहता हॅूं चूंकि मैं मॉं नर्मदा के किनारे से मेरी विधानसभा है मॉं नर्मदा की परिक्रमा पथ आने वाले समय में बने क्योंकि प्रतिदिन हजारों की संख्या में पदयात्री उस परिक्रमा पथ से निकलते हैं. उज्जैन का बाबा महाकाल लोक जहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. उसी तरह नेमावर के सिद्धनाथ धाम को भी सिद्धनाथ लोक के रूप में निर्मित करने की इस सरकार से मैं आशा व्यक्त करता हूं. निश्चित ही भारत एक धार्मिक क्षेत्र है यहां धर्म के प्रति लोगों की अगाथ श्रद्धा है, आस्था है. यह हमारा बहुत प्राचीन देश है. इसलिये जिस तरह से भगवान राम का भव्य मंदिर देखने के लिये पूरी दुनिया 22 जनवरी के बाद पहुंचेगी. उसी तरह से हमारे मध्यप्रदेश के 18 तीर्थ स्थानों को विकसित करने का उनको लोक के रूप में मान्यता देने का काम आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी की सरकार करेगी तो निश्चित ही मध्यप्रदेश का नाम पूरी दुनिया में और गौरवान्वित करेगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिये धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी)--सभापति महोदय, महामहिम द्वारा प्रस्तुत अभिभाषण के कृतज्ञता का जो पक्ष है उसका मैं विरोध करता हूं, उससे मैं असहमत हूं. इसलिये असहमत हूं कि लोकतंत्र में तीन व्यवस्थाएं हैं कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका. विधायिका में हम जब आते हैं उसमें एक पक्ष होता है और एक विपक्ष होता है. जब पक्ष गलती करता है तो हम सब गवर्नर साहब के पास में जाते हैं कि महामहिम जी आप इंसाफ करिये. जब महामहिम जी जब हमसे मिलते हैं तो हम उनसे उम्मीद करते हैं कि जनता की बात होगी, निष्पक्ष होगा. क्योंकि न्यायपालिका का सर्वोच्च न्याय का जो स्थान है वह सुप्रीमकोर्ट में अगर कोई निर्णय होता है तो महामहिम राष्ट्रपति जी उस पर विचार करते हैं, उस पर जो भी निर्णय लेते हैं वह स्वीकार होता है, यह हमारी परम्परा है. महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण से मैं इसलिये असमहत हूं कि 5 अक्टूबर 2021 को चारा में महामहिम जी गये थे. हमारे गरीब लोग उनसे मिलने आये कि हमारे वन अधिकार पत्र महामहिम जी हमको नहीं मिले हैं. हमारे रहने के लिये मकान नहीं है, जिस मिलेट की बात कर रहे हैं पूरे भारत देश के लिये मुझे गर्व है कि मेरे क्षेत्र की लहरीबाई बैगा इस हिन्दुस्तान के अंदर सबसे ज्यादा मिलेट कलेक्शन कर रही है जिसके मकान में पानी टपकता है, बड़ी दिक्कत है. उन्होंने निवेदन किया कि
श्री विश्वास सारंग(नरेला)--सभापति महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. व्यवस्था का प्रश्न यह है कि महामहिम पर सीधे टिप्पणी करना मुझे लगता है कि यह ठीक नहीं है. मुझे लगता है कि इसको डिलीट करवा दिया जाये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--सभापति महोदय, महामहिम जी स्वयं गये हैं यह लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.
सभापति महोदय--आप महामहिम के भाषण पर विचार-विमर्श करिये कृपया महामहिम के बारे में विचार मत करिये .महामहिम के बारे में जो व्यक्तिगत टिप्पणी की गई है उसको रिकार्ड न किया जाये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--(xxx)
सभापति महोदय--आप विषय पर बोलिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--सभापति महोदय, आप कह रहे हैं कि विकसित भारत तो आपके नजरिये में क्या है विकसित भारत यह मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर कितना जितनी निष्पक्षता पर हमको उम्मीद है इसलिये उनके अभिभाषण पर मैं असहमत हूं. इस पर मैं कहना चाहूंगा कि महामहिम जी के अभिभाषण में अमृतकाल का जिक्र हुआ है. मैं बहुत हृदय की गहराईयों से धन्यवाद देना चाहता हूं कि 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ पांच वर्ष लगे पहला चुनाव 1952 में हुआ. 1952 में जब देश के एक एक गरीब आदमी को मतदान का अधिकार देने का जो काम किया गया मैं बहुत हृदय के साथ धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद जी को, इस देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल जी को और हमारे संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर इन्होंने जो अमृत काल का सपना देखा था, वह आपका नहीं है, ये डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के द्वारा लिखित संविधान, देश के पहले प्रधान मंत्री जी ने स्वीकृत करके राष्ट्रपति जी ने इस देश को समर्पित किया, उनका लगाया हुआ पौधा है, जो आज आप अृमतकाल कर रहे हैं, आपका इसमें कुछ नहीं है. आज मैं कहना चाहता हूं, पता नहीं एक नया षडयंत्र भारतीय जनता की पार्टी की सरकार आते ही हो गया. पंडित जी लोगों से नाराजगी क्या है, क्या नाराजगी है पंडित जी लोगों से क्यो लड़ाना चाहते हैं, अनुसूचित जाति और पंडित जी लोगों को बीच में. अरे भाई आपको फोटो लगाना है तो वह फोटो में आपको दे दूंगा जिसमें बाबा साहब, संविधान को देश के राष्ट्रपति जी को समर्पित कर रहे हैं, जिसमें जवाहर लाल नेहरू जी है, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी है, अंबेडकर जी है, उसको दिखाने में आपका षडयंत्र नहीं चलेगा, फूट डालो राज करो, वाह..वाह. क्या तरीका है. मैं चाहता हूं आप और हम इसी रास्ते पर बढ़ेंगे तो देश के अंदर अराजकता होगी, वैसे भाजपा अराजकता के माध्यम से ही आती है. सभापति महोदय जी यहां पर आज मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं.
सभापति महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आप हमारे जबलपुर के हैं तो दो मिनट और दे देंगे.
सभापति महोदय - चलिए जबलपुर के नाते दो मिनट ले लीजिए पर दो मिनट में समाप्त कर दीजिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - इसलिए हम रोहाणी दादा जी से ले लेते थे. माननीय महोदय जी, जिस तरह से आपके और हमारे बीच में जो विकास की, सच्चाई की जो बात कर रहा हूं. मैं आज भी चाहता हूं कि मेरा मध्यप्रदेश बहुत आगे बढ़े और हमारे मुख्यमंत्री जी के सानिध्य में प्रदेश आगे बढ़े हमारी बहुत इच्छा है, और जिस तरह का घटना क्रम हुआ. अब द्वापर में हुआ मामा का युद्ध मोहन ने किया तो हम क्या करें.. अब उसके माध्यम से कुछ परिस्थितियां गड़बड़ होगी तो उसमें भी हम साथ देंगे. क्योंकि हमारा उद्देश्य है विकास को आगे बढ़ाए. उस विकास को आगे बढ़ाने में मैं आपसे एक संरक्षण चाहता हूं, आप सहमति दे देंगे तो बड़ी कृपा होगी. आप भी गाड़ी से आते हैं, जबलपुर से भोपाल हम भी आते हैं, रास्ते में बहुत गायों की वहां पर घटना हो जाती है, हमारे भार्गव जी और हमारे माननीय पटेल साहब नहीं है, वे भी बड़े नेता है उन पर हमें भरोसा है. ये जो प्रतिदिन दो चार गाय की मृत्यु होती है, क्यों होती है, इसको कैसे रोका जाए, इस पर भी अगर हम प्रयास कर लेंगे तो मैं समझता हूं कि हमारे लिए बड़ी अच्छी व्यवस्था हो जाएगी एक उम्मीद और करते हैं.
सभापति महोदय - बैठ जाइए आपका विषय आ गया.
श्री उमाकांत शर्मा - गायें कटवाई जाती थी और हम सुरक्षा करते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - मैं जानता हूं हमारे पंडित जी पिछले बार भी बड़ी लड़ाई करते थे और इस बार धर्मस्व विभाग के मंत्री आप बन जाऐंगे तो मैं आपका गुलदस्ता से स्वागत करूंगा.
एक अनुरोध और करना चाहूंगा हमारे महाकौशल की धरती बहुत मजबूत और पवित्र धरती है, महाकौशल की धरती का भी भाजपा की सरकार में सम्मान हो, पिछली बार बालाघाट से हमारे एक साथी को राज्य में लिया गया था, हम चाहते हैं कि जिस तरह से कमलनाथ की सरकार में महाकौशल का दबदबा था, उस तरह से हम तो चाहते हैं सभापति जी आप कोई विभाग में मंत्री बन जाए हमारी ऐसी आशा है. आपने बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) - माननीय सभापति जी, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर उनके समर्थन में विचार व्यक्त करने के लिए खड़ा हुआ हूं. अभी वरिष्ठ जनों के, समस्त साथियों के विचारों को भी ग्रहण किया उन्हें ध्यानपूर्वक सुना. मन में अनेक विचार आते हैं और निश्चित रूप से जब बदलाव की बाहर आती है, जब बदलाव प्रारंभ होता है तो वह जो पुरानी ग्रंथियां मन में बैठे होती है, पुराने विचार जो मन में बैठे रहते हैं, .....
01.40बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- ....वह बदलाव स्वीकार नहीं करते हैं, अभी माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने शपथ लेने के तत्काल बाद ही निर्णय लिया कि ध्वनिविस्तारक यंत्रों पर नियंत्रण किया जाये, मांस विक्रय पर नियंत्रण किया जाये, इसमें से जातियां कहां से निकलकर आ जाती हैं, इसमें से धर्म कहां से निकलकर आ जाता है, इसमें से धार्मिक भावनाएं आहत हो जायेंगी यह कहां से निकलकर आ जाता है. सीधी-सीधी सी बात है, स्वास्थ्य से जुड़ी हुई बात है, विचारों से जुड़ी बात है, मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी हुई बात है, जीवन की प्रत्येक आवश्यकताओं से जुड़ी हुई बात है, कबीरदास जी ने तो सैंकड़ों वर्ष पूर्व कहा था, तब उन्होंने कोई भेद नहीं किया था, तब उन्होंने कोई भेद भाव नहीं किया था, उन्होंने तो सीधे-सीधे सपाट कहा था, माला फेरत जुग भया, भया न मन का फेर, करका मनका छारिके, मनका-मनका फेर और कबीरदास जी यहीं नहीं रूके थे, कबीरदास जी ने उसके आगे भी कहा था कि कंकड़ पत्थर जारिके, मस्जिद ली बनाए, ता चढ़ी मुल्लाबाग दे, क्या बहरा हुआ खुदाए, तब कौन सा धर्म, तब कौन सी जाति, तब कौन सा समाज, बार बार कांग्रेस को एक ही समाज, अल्पसंख्यक वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग में कितने वर्ग आते हैं, जरा विद्वान साथियों से यह भी जानना चाहता हूं. मैं भी मुस्लिम रियासत से आता हैं, नवाबी स्टेट है, मेरा विधानसभा क्षेत्र भी नवाबी स्टेट रहा है. हमने तो धर्मनिरपेक्ष वातावरण में वहां पर लगातार काम किये हैं, आपके आर्शीवाद से चौथी बार मुझे सदन में आने का सौभाग्य भी मिला है, हमने तो कभी ऐसा अमानवीय दृष्टिकोण पर विचार नहीं किया और इसलिये एक विद्वान के विचार भी ध्यान में आते हैं, एक विद्वान ने कहा है, कहीं पढ़ने में आया था कि किसी देश को पूरी तरह से समाप्त करने के लिये कोई बड़ी कार्रवाई की जाये तो वहां मिसाईल की आवश्यकता नहीं है, वहां तोप और गोलों की आवश्यकता नहीं है, उस देश के मूल विचारों को उस देश की मूल संस्कृति को, उस देश के मूल संस्कारों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाये, वह देश अपने आप समाप्त हो जायेगा, शायद कांग्रेस उसी दिशा की और चलती जा रही है, शायद कांग्रेस ने विभाजन के बाद में जो प्रारंभ किया है, वह तब से लेकर अब तक इस आजादी के दौर में भारतवर्ष के जन-जन ने महसूस किया है, भारतवर्ष के जन-जन में वह बैठा हुआ है कि आखिरकर कांग्रेस कर क्या रही है? कांग्रेस किस तरह की नीतियां ला रही हैं ?कांग्रेस किस तरह की योजनाएं ला रही है ? और यहां तक कह दिया जाता है कि इस देश में अगर सबसे पहले अगर किसी का हक, किसी का अधिकार बनता है, सबसे ज्यादा अधिकार बनता है तो वह सिर्फ और सिर्फ अल्पसंख्यक वर्ग का बनता है, जब विभाजन हुआ था, विभाजित हुए थे, बंटवारा हुआ था, जिन्हें जहां जाना हैं, वह चले जायें, वह चले गये, यह भारतवर्ष की सहृदयता थी, यह भारतीय संस्कृति की संहिष्णुता थी, यह भारतवर्ष की संवेदना और संस्कार रहे हैं, वासुदेव कुटुबंकम का भाव रहा है और तब यह कहा था उसे भी स्वीकार किया गया कि जो यहां रहना चाहें, वह यहां रहे, लेकिन देश भक्ति के साथ में रहे, वह राष्ट्रभक्ति के साथ में रहे, वह राष्ट्रीय विचारों के साथ में रहे [ XXX ]
श्री रामकिशोर दोगने -- अध्यक्ष महोदय, यह कौन सा भाषण हो रहा है. मेरा निवेदन है कि यह बातें क्या राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर हो रही है, यह आपकी पुस्तिका में कहां उल्लेख है. (व्यवधान..)
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया था. आप सच्चाई सुनिये और सच्चाई को सुनने का धर्म बनता है(व्यवधान..)
श्री रामकिशोर दोगने -- यह कोई अभिभाषण का विषय है. (व्यवधान..)
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, इसमें व्यवस्था का प्रश्न है. (व्यवधान..) राजेन्द्र भाई आप बहुत सीनियर हो, मेहरबानी करके इस चीज का थोड़ा ध्यान रखे, आप बहुत वरिष्ठ है मैं आपका सम्मान करता हूं, लेकिन टिप्पणी ऐसी मत करो. . (व्यवधान..)
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- आप मेरा निवेदन स्वीकार करें, भाई ने इस तरह की टिप्पणियां की, तब आपने .... (व्यवधान..)
श्री रामकिशोर दोगने -- राज्यपाल के भाषण में कहां उल्लेख है इनका जो उल्लेख कर रहे हैं . (व्यवधान..)
नेताप्रतिपक्ष( श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, इसको कार्यवाही से हटा दें.
श्री आरिफ मसूद-- मैं राजेन्द्र भाई की इज्जत करता हूं, बहुत सम्मानीय हैं, लेकिन इस पर मैं चाहूंगा राजेन्द्र भाई कि इस तरह का वक्तव्य न दें.
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र जी, जल्दी पूरा करें, समाप्त करना है.
श्री आरिफ मसूद-- अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करा दें.
अध्यक्ष महोदय-- उसको कार्यवाही से हटवा दिया है. ..(व्यवधान)... उमाकांत जी प्लीज आप बैठ जाइये, राजेन्द्र पाण्डेय जी अपनी बात जारी रखें.
श्री उमाकांत शर्मा-- जब भगवान का शब्द प्रयोग होता है तो अल्लाह का शब्द भी प्रयोग हो सकता है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- अगर किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं क्षमा चाहता हूं. यह नारा मैंने नहीं दिया, जहां से लगाया गया था, जो सुना था वह व्यक्त किया है, फिर भी किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो माननीय अध्यक्ष महोदय विलोपित करवा दिया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, केन्द्र के बारे में, माननीय प्रधानमंत्री जी के बारे में लगातार आक्षेप किये जा रहे हैं, यहां से सदन में यह बात भी आई कि 60 प्रतिशत से लेकर के 90 प्रतिशत तक राशि विभिन्न योजनाओं में चाहे केन्द्र की हो, चाहे राज्य की हो वह प्रवर्तित योजनायें होती हैं और उसका समन्वय करते हुये क्रियान्वयन होता है तो निश्चित रूप से प्रधानमंत्री जी माननीय मोदी जी का नाम इसमें उल्लेखित होगा और आज तो पूरा देश ही नहीं पूरा विश्व ही मोदी जी जहां जाते हैं मोदी, मोदी, मोदी के नारे, मोदी जी के जयकारे लाखों की संख्या में, हजारों की संख्या में लगाये जाते हैं यह हमारे देश के साथ-साथ विदेशों में जाने पर भी हम सबने देखा है. अगर मोदी जी के नाम से इतनी चिढ़ है, इतनी नाराजगी है तो थोड़ा यह भी जानने की आवश्यकता होती है कि जब कोरोना काल आया था, लॉकडाउन जब हुआ था और लॉकडाउन के बाद वैक्सीन की जरूरत जब पूरे देश को पड़ी, मैं इस देश के कुशल नेतृत्वकर्ता माननीय मोदी जी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं और निश्चित रूप से मैं वैज्ञानिकों के प्रति भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने तत्काल कोरोना वैक्सीन तैयार की.
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र जी समाप्त करना पड़ेगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- अध्यक्ष महोदय, क्षमा करें, सबको टाइम अधिक मिला, मैंने तो प्रारंभ किया और बीच में व्यवधान आ गया. उस व्यवधान के कारण मुझे थोड़ा समय अधिक दे दिया जाये. क्या कोरोना वैक्सीन कांग्रेस के मित्रों ने नहीं लगवाई. हम तो सौभाग्यशाली हैं कि हमारे देश ने कोरोना वैक्सीन को इजाद किया. लगभग 46 से 48 अन्य देशों को भी वैक्सीन भेजने का काम भारतवर्ष ने किया, यह मोदी है तो मुमकिन वाली बात को निश्चित रूप से सार्थक करता है और इसीलिये मोदी जी की बार-बार याद आती है. जहां तक गरीबी हटाओ की बात है, गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ मैंने बचपन से वर्ष 1971 से नारा सुना है. वर्ष 1977 से मेरा गांव में जाना प्रारंभ हुआ था कार्यकर्ता के रूप में, गरीबी को बहुत नजदीक से देखा है और बदलाव को भी हम वर्तमान में देख रहे हैं. जब हम वर्ष 1977 में जाया करते थे तो बमुश्किल पोलिंग के लिये जब वाहन की आवश्यकता होती थी, जब एक गांव से दूसरे गांव में मतदान के लिये जाया जाता था, कहते थे कि भई थोड़ा ट्रेक्टर ट्राली की व्यवस्था हो जाये, फलां गांव वाले ठाकुर साहब के पास है, फलां गांव वाले मुखिया जी के पास है यह कहा जाता था. आज जब हम गांव में जाते हैं एक-एक गांव में सेकड़ों फोर व्हीलर हमें देखने को मिल जाते हैं, हर गांव में सेकड़ों वाहन हमें देखने को मिल जाते हैं, यह प्रगति की ओर बढ़ने का कदम है, यह उन्नति की ओर बढ़ने का कदम है और गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ की बात है जरा योजनाओं पर ध्यान दें, केन्द्र सरकार की और राज्य सरकार की योजनाएं. एक मकान किसी को क्यों न चाहिये, एक अच्छा मकान बन जाये, उस मकान में उसे 100 यूनिट बिजली मिल जाये, उसमें गैस का चूल्हा मिल जाये, पकाने के लिये सस्ता अनाज मिल जाये, अगर बीमार हो जाये तो 5 लाख रूपये तक उसे इलाज की गारंटी मिल जाये, अगर उसको एजुकेशन निशुल्क रूप से मिलना प्रारंभ हो जाये, बिटिया जवान हो जाये तो उसकी शादी की व्यवस्था हो जाये, अगर कोई मृत्यु हो जाये तो उसकी अंत्येष्टि की व्यवस्था हो जाये, अगर वह कहीं ओर पढ़ने के लिये बाहर जाना चाहती है तो उसकी पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था हो जाये और हम तो धर्म नीति पर चलने वाले लोग हैं. अगर वह तीर्थ दर्शन करने के लिये जाये तो तीर्थ यात्रा करने के लिये भी प्रबंधन हो जाए. यह सारे के सारे योजना और कार्य प्रारंभ होते हैं तो कौन सी कठिनाई होती है और जहां तक प्रगति की बात है. मेडिकल कालेज की बात आई. मेडिकल कालेज हमारे यहां पर कितने हुआ करते थे. आज हमारे यहां मेडिकल कालेज की संख्या सीधे 6 से बढ़कर 25 तक पहुंच जाती है. निश्चित रूप से उससे डाक्टरों की संख्या में भी लाभ मिलेगा. आज प्रत्येक गांव में डाक्टरों की आवश्यक्ता महसूस होती है क्योंकि गांव-गांव में अब आरोग्य केन्द्र बनना प्रारंभ हुए हैं. पहले जिला मुख्यालय पर या जिला मुख्यालय से दूर जाने की हमें आवश्यकता होती थी. आज हम तेजी के साथ में प्रगति और उन्नति के साथ बढ़ रहे हैं. मैं अपनी ओर से माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का स्वागत करता हूं. अभिनंदन करता हूं. समर्थन करता हूं. आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जयवर्द्धन सिंह ( राघौगढ़ ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोलने का मौका दिया उसके लिये मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं. मैं आपको भी शुभकामना देता हूं. आप अध्यक्ष के आसन पर विराजमान हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि एक-एक सदस्य को आपसे बहुत कुछ सीखने का सौभाग्य मिलेगा और इस सदन में भी जो निर्वाचित होकर आए हैं मैं सभी को शुभकामना देता हूं. अनेक अनुभवी सदस्य इस सदन में हैं. उन सबसे भी हम सबको काफी कुछ सीखने को मिलेगा और जो नये सदस्य आए हैं उनसे भी अनेकों चर्चाएं होंगी और हम सब एक दूसरे से अलग-अलग बातों पर चर्चा भी करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे ऐसा अहसास हो रहा है कि आज से पांच साल पहले जब पंद्रह साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी थी. नये मुख्यमंत्री कांग्रेस के बने थे तो हमें काफी खुशी हुई थी और शायद 17 साल बाद नये मुख्यमंत्री भा.ज.पा. में बने हैं और सत्ता पक्ष में भी इस बात की खुशी है कि नये मुख्यमंत्री आए हैं. कुछ शायद मायूस भी हैं और कुछ चिंतित भी हैं कि मंत्रिमण्डल का विस्तार कब होगा शायद माननीय मुख्यमंत्री जी भी दिल्ली जा रहे हैं उनको शुभकामनाएं और जैसा मैं उल्लेख कर रहा था कि अनेक वरिष्ठ सदस्य जिनकी राजनीति सिर्फ प्रदेश तक सीमित नहीं रही है बल्कि देश तक की राजनीति उन्होंने की है. सम्माननीय प्रह्लाद पटेल जी का भाषण मैं सुन रहा था और उन्होंने कहा था कि यह सत्र वह सत्र है जिसमें अगले पांच साल की रूपरेखा तय की जायेगी. किस दिशा में सरकार को काम करना है. क्या-क्या सरकार की प्राथमिकताएं हैं उन पर चर्चा होगी और उसी प्रकार से जब माननीय मुख्यमंत्री जी शपथ लेने के बाद पहला आदेश देते हैं उन आदेशों के माध्यम से भी कहीं न कहीं मुख्यमंत्री जी की क्या सोच है उनके कार्यकाल की क्या रूपरेखा रहेगी उसका भी एक उदाहरण मिलता है और पहला आदेश था कि अण्डा कहां बिकना चाहिये कहां नहीं बिकना चाहिये उसकी उनको बहुत चिंता थी और अभी हमने शायद कल के अखबार में हमको जानकारी मिली कि सबसे पहले इस नियम का उल्लंघन शायद सतपुड़ा पार्क में किया गया था जहां खुली चिकन पार्टी चल रही थी. उस पार्टी में कौन-कौन लोग शामिल थे. किस पूर्व मंत्री के द्वारा पार्टी दी गई थी. मैं जानता हूं कि निशाना कहीं और था लेकिन तीर कहीं और लग गया. मेरे मित्र सिद्धार्थ भाई ध्वनि प्रदूषण की बात कर रहे थे. धार्मिक स्थलों में लाउड स्पीकर नहीं बजने चाहिये तो क्या जब भजन,कीर्तन होंगे. भजन संध्या होगी तब भी क्या हनको वाल्यूम कंट्रोल करना चाहिये मैं सबसे पूछना चाहता हूं और इन दोनों आदेशों के द्वारा किस प्रकार जो नीचे के कर्मचारी हैं वे इसके माध्यम से कैसे शोषण कर सकते हैं. इसका उदाहरण कल ही सामने आया. मुझे कल शाम को राघौगढ़ से एक फोन काल आया. बसोड़ समाज के लोग बैण्ड बजा रहे थे. किसी ने शिकायत की. शिकायत करने का असर यह हुआ कि उनको बैण्ड बंद करना पड़ा. किसी के यहां कुछ कार्यक्रम था और यह स्थिति बन गई तो इस पर भी हमें विचार करना चाहिये कि आखिर ये जो आदेश निकाले जा रहे हैं, क्या ये सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए हैं या फिर आखिर उद्देश्य क्या है ? जैसा रामनिवास रावत जी ने कहा था कि अगर हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए तो यह होनी चाहिए कि आखिर जो हमारे प्रदेश के युवा हैं, उनके लिए, उनकी बेहतर शिक्षा के लिए हम क्या करेंगे. उनको रोजगार देने के लिए आखिर सरकार की क्या नीतियां हैं. इसके बारे में हमें विचार करना चाहिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वॉइन्ट ऑफ इन्फर्मेशन है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो आदेश दिया है, वह यह है कि हाई कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं, उसका पालन करना है. अगर हाई कोर्ट ने ये निर्देश दिए हैं कि साऊण्ड पॉल्यूशन नहीं हो तो मैं समझता हूँ कि उसका पालन सरकार कर रही है और नियम के अनुसार कर रही है. अध्यक्ष महोदय, इसलिए इसमें कोई प्रश्न नहीं उठता.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी बहुत ही वरिष्ठ नेता हैं. मैं तो उनके सामने बहुत छोटा हूँ. लेकिन जो मेरा प्वॉइन्ट ऑफ इन्फर्मेशन था, उस आदेश का गलत फायदा न उठाया जाए और वह हो रहा है. जैसा मैंने कहा, मैंने उदाहरणस्वरूप आपको एक प्वॉइन्ट प्रस्तुत किया है, जिसमें कि बसोड़ समाज के लोगों का बैण्ड बंद कराया गया. सिर्फ इस कारण कि यह जो एक आदेश निकाला गया है. मैं चाहता हूँ कि आदेश माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो निकाला था तो उनके पास यह भी विकल्प है कि एक और आदेश निकाला जाए कि भजन संध्या हो...
श्री उमाकांत शर्मा -- बसोड़ समाज कहने की जगह अगर उनको वंशकार कहें तो अच्छा लगेगा, अनुसूचित जाति के लोग कहें तो अच्छा लगेगा.
अध्यक्ष महोदय -- उमाकांत जी, आपको बोलने का अवसर मिलेगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उमाकांत शर्मा जी इस रंग में मालवा के जो संतरे होते हैं, वैसे सुंदर दिखते हैं. वे हमारे बहुत पुराने मित्र भी हैं. हमारे पड़ोस के विधायक हैं. हमारे संबंध बहुत अच्छे भी हैं. जब भी इनसे चर्चा होती है, मुझे बहुत आनंद और खुशी होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैं अर्ज कर रहा था कि राज्यपाल के अभिभाषण में पेज-6 पर नारी शक्ति के बारे में उल्लेख किया गया है और हम सबको उम्मीद थी कि लाडली बहना योजना के बारे में भी इसमें उल्लेख किया जाएगा. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री जी से ऐसी क्या नाराजगी है कि पूरे अभिभाषण में लाडली बहना योजना का उल्लेख भी नहीं किया गया. ये एक चर्चा का विषय है और जरूर जैसा हमारे विपक्ष के पूर्ववक्ताओं ने कहा है, हम भी चाहेंगे कि जब माननीय मुख्यमंत्री जी अपना उद्बोधन देंगे तो वे इस बात को स्पष्ट करें कि आखिर लाडली बहना योजना का क्या भविष्य है. जो बात पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कही थी कि इस योजना को 3 हजार रुपये प्रति माह तक ले जाया जाएगा, क्या वह सत्य था या सिर्फ एक चुनावी वादा था. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पर हमें जानकारी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण के पेज-7 पर अन्न उत्पादकों के बारे में लिखा गया है और जो विशेषकर पिछले कुछ सालों में अन्न का उत्पादन बढ़ा है, गेहूँ का उत्पादन बढ़ा है, यह तो अगर किसी की देन है तो किसान की देन है. लेकिन अगर किसान सरकार से कुछ उम्मीद करता है, मध्यप्रदेश शासन से कुछ उम्मीद करता है तो वह यह उम्मीद करता है कि उसको अपनी फसल का सही दाम मिले. जैसा रामनिवास जी कह रहे थे, वर्तमान में धान खरीदी हो रही है, लेकिन धान खरीदी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल पर नहीं की जा रही है. अगर धान की खरीदी हो रही है तो 2,200 रुपये तक शायद खरीदी हो रही है. अगर माननीय मुख्यमंत्री जी इस बात पर भी गंभीर होते तो मुख्यमंत्री बनने के बाद तत्काल सबसे पहले आदेश इसका करते और हमें उम्मीद है कि जब उनका भाषण होगा तो वे इस बात का उल्लेख भी करेंगे कि तत्काल आदेश दिया जाए कि पूरे प्रदेश में धान खरीदी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल पर हो और गेहूँ की खरीदी 2,700 रुपये प्रति क्विंटल पर की जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारी मांग रहेगी.
अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में उसके बाद उच्च शिक्षा की गारंटी का उल्लेख किया गया और शायद एक-एक सदस्य जो इस सदन के अंदर है, हम सबकी जिम्मेदारी बनती है. आखिर आज का जो युवा है, वह हमारा भविष्य है और एक तरफ अगर हम युवाओं को अच्छी शिक्षा, प्रशिक्षण और सलाह नहीं देंगे तो कहीं न कहीं उनका भविष्य खतरे में आ सकता है. लेकिन हम हमारे युवाओं को शिक्षा देंगे, उनको सही राह पर ले जाएंगे तो वे हमारे भविष्य का मानव संसाधन भी बनेगा और इसी के संबंध में मैं आपसे अर्ज करना चाहता हूँ कि जो बात मोदी के गारंटी के बारे में, प्रधानमंत्री की गारंटी के बारे में लगातार अभिभाषण में की गई है. आज जो पूरे प्रदेश का युवा है, वह भी भाजपा सरकार से पूछ रहा है कि जिन युवाओं ने पीएससी की परीक्षा दी थी, उनको नौकरी की गारंटी क्यों नहीं मिल पा रही है ? उन्होंने तो स्पष्ट कहा है कि यदि रिजल्ट नहीं दे सकते तो इच्छा मृत्यु दे दो. यह स्थिति आज प्रदेश के युवाओं की मध्यप्रदेश में है और हम चाहते हैं कि इस भाजपा सरकार के द्वारा रोजगार की गारंटी दी जाये. पीएससी के छात्र जिन्होंने सही परीक्षा दी है, जिनका अधिकार है, उनको तत्काल इंटरव्यू की डेट मिले, उनकी नियुक्तियां की जाएं. यह हमारी मांग रहेगी, हम तभी मानेंगे कि मोदी की गारंटी का कोई असर भी है. मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि इसमें एक बात और स्पष्ट की जाये कि आजकल पिछले कुछ वर्षों से भाजपा सरकार के द्वारा हर सरकारी परीक्षा के फॉर्म भरने में शुल्क लिया जाता है, हम चाहेंगे कि ऐसी गारंटी वर्तमान सरकार के द्वारा दी जाये, जिसके माध्यम से कहीं पर भी परीक्षाएं हों, लेकिन उन मासूम युवाओं से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाये, यह हमारी मांग रहेगी और इसके साथ-साथ मैं आपसे अर्ज करना चाहता हूँ कि आज जब हम लाड़ली बहना योजना के बारे में बात कर रहे थे और हमारे अनेकों पूर्व सत्ता पक्ष के वक्ता हैं, उन्होंने इस बात का उल्लेख किया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना से अनेकों लोगों को लाभ मिला है, यह बात सही है. लेकिन प्रधानमंत्री योजना की आधी किश्त, वह प्रदेश सरकार से आती है और पिछले एक वर्ष से एक भी नई कुटीर पूरे प्रदेश में नहीं मिली है. चाहे हम शहर की बात करें या गांव की बात करें क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री ने पूरा पैसा लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए डायवर्ट किया था. उसका परिणाम यह हुआ कि इस वित्तीय वर्ष 2023-2024 में एक भी नया आवास कहीं भी नहीं दिया गया है और मैं यह चाहूँगा कि इसके बारे में जब माननीय मुख्यमंत्री जी अपना भाषण देंगे तो वह हमें दिशा बताएं कि आखिर भविष्य में इसके बारे में क्या विचार किया जायेगा ?
डॉ. सीतासरन शर्मा - 16 आवास अभी परसों ही आवंटित हुए हैं, दो दिन पहले आवंटित हुए हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह - (सिद्धार्थ तिवारी जी द्वारा बंद माइक से बोलने पर) सिद्धार्थ भाई, जब अभिभाषण में ही 48 बार प्रधानमंत्री का नाम लिया गया है.
अध्यक्ष महोदय - श्री जयवर्द्धन सिंह जी, सिद्धार्थ तिवारी जी आपस में बात मत करें, हमारी तरफ मुखातिब होकर जल्दी समाप्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने इस बात को भी अभिभाषण में देखा है कि उनकी बहुत चिंता चीताओं की है. चीताओं की क्या हालत श्योपुर में है ? उनका पेट भरा है, नहीं भरा है. कितने चीतल एवं कितने हिरण उनके लिए भेजे गए हैं ? इस बात की उन्हें बहुत चिंता है. लेकिन एक तरफ श्योपुर में जो चीते भेजे गए हैं. श्योपुर वही जिला है, जहां सबसे अधिक कुपोषण की स्थिति भी है. हम चाहेंगे कि माननीय मुख्यमंत्री जी कुछ हमको इस बात का भी आश्वासन दें कि जो पोषण आहार घोटाला पूर्व सरकार के द्वारा किया गया था, उसमें अभी तक क्या जांचें हुए हैं, उसमें कौन-कौन दोषी लोग उसमें पकड़े गए हैं और किन-किन पर कार्यवाही गई है ? अगर आज सरकार में ऐसे लोग हैं, जो कुपोषित बच्चों के लिए पोषण आहार आ रहा है, उसको बेचकर मालामाल हो रहे हैं, तो ऐेसे लोगों पर भी तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए. यह हमारी मांग रहेगी. जैसा कि सभी लोग जानते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी महाकाल भगवान की नगरी से आते हैं, महाकाल लोक का जो निर्माण हुआ है, हम सबके लिए गर्व की बात है लेकिन मैं यह बात भी कहना चाहता हूँ कि महाकाल लोक का भूमिपूजन कमलनाथ सरकार के द्वारा किया गया था, उस समय उस योजना का नाम मृदा (MRIDA) योजना था. जिसका फुल फॉर्म होता है- महाकाल रुद्र सागर इंटीग्रेटेड रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट. लेकिन प्रधानमंत्री जी के उद्घाटन के कुछ महीने बाद ही हल्की सी हवा से सप्तऋषियों की मूर्तियां खण्डित हुई थीं, उनको देखकर हम सभी को बहुत दु:ख और अफसोस हुआ था. मुझे पूरा विश्वास है कि जिन लोगों ने ऐसे विकास कार्यों में भी भ्रष्टाचार का पाप किया है, माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा उन दोषियों पर कार्यवाही होगी. हमारे मुख्यमंत्री जी महाकाल की नगरी से आते हैं, वे हमें भी इस कार्यवाही के विषय में बतायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, अंत में कहना चाहता हूं कि अगामी सत्र, बजट सत्र होगा और बजट सत्र में वित्तीय वर्ष 2024-25 की योजनाओं, नई सरकार की विकास के प्रति क्या सोच है, इन सभी बातों का उल्लेख किया जायेगा. लेकिन हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आज जितना मध्यप्रदेश सरकार का बजट है, उतना ही कर्ज मध्यप्रदेश सरकार पर है. आज लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज सरकार पर है. यह सही है कि प्रत्येक मुख्यमंत्री यह बात कहते हैं कि कर्ज जो भी है, जितना भी है, जनता के हित में लिया जा रहा है. लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि जितना कर्ज बढ़ता जायेगा, उतना ही ब्याज सरकार पर बढ़ेगा और यदि ब्याज बढ़ेगा तो हमारा जो पूंजीगत व्यय है, जो राजस्व व्यय है, जो आपकी संपत्तियों पर खर्च होता है, आपके सरकारी कर्मचारियों पर खर्च होता है, वह व्यय आपको कम करना पड़ेगा, हमें इस पर भी विचार करना चाहिए. इन बिंदुओं पर जब माननीय मुख्यमंत्री जी बोलेंगे, वे नए मुख्यमंत्री हैं, उन्हें आगामी पांच वर्षों का रोडमैप प्रस्तुत करना है, मुझे पूरा विश्वास है कि जब उनका उद्बोधन होगा, तो इन सभी बिंदुओं पर वे कुछ-कुछ अवश्य कहेंगे. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद. राज्यपाल जी के अभिभाषण पर, मैं, अपने विचार रख रहा हूं. मैं, यहां किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं. मेरा यह कहना है कि पिछले जो 20 वर्ष बीते हैं, वर्ष 2001 के बाद, इसमें पूरी दुनिया दौड़ी है और चीजें बहुत ही तेजी से बदली हैं. एक वर्ष 1947 से 2000 तक का समय था और फिर वर्ष 2001 के बाद का जो समय है, इसमें काफी परिवर्तन आया है. मैं, यह मानता हूं कि मध्यप्रदेश में भी सड़कों का, नहरों का, जो मूलभूत संरचनाओं का काम है, हम यह नहीं कह सकते कि नहीं हुआ है. इसके पूर्व भी जो सरकारें थीं, उन्होंने भी काम किया है और इधर भी काम हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी मूल बात यह है कि हम आज उस सरकार से बात कर रहे हैं जो इस प्रदेश में विगत 20 वर्षों से लगातार काबिज़ है. यह 20 वर्ष की स्थापित सरकार है, जिसमें 18 वर्ष लगातार एक ही व्यक्ति हमारे मुख्यमंत्री रहे हैं. मैं यह समझना चाह रहा हूं कि इन 18 वर्षों के प्रारंभ में, जो हमारी लाड़ली लक्ष्मी पैदा हुई थीं, जिनका जन्म तब हुआ था, आज उनकी भी लाड़ली लक्ष्मी का जन्म हो गया है. प्रारंभ की लाड़ली लक्ष्मी का पिता मजदूरी करता था, वह लाड़ली लक्ष्मी भी मजदूरी कर रही है और आज उसकी बच्ची भी मजदूरी कर रही है. किसान किसी तरह से अपना जीवनयापन कर रहा हैं, बच्चे को पढ़ा रहा है. वह आज भी एक कार खरीदने की हैसियत में नहीं है. आज भी जब उसकी बिटिया की शादी होती है तो उसको जमीन का एक टुकड़ा बेचना ही बेचना है. अगर चुनाव जीत लेना हमारे विकास का मापदण्ड है तो निश्चित रूप से हम कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने बहुत विकास किया है क्योंकि वह बार-बार चुनाव जीत रही है, आखिर जनता वोट दे रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा यह कहना है कि यदि सड़क बना देना, भवन बना देना, अधोसंरचना का विकास ही सब कुछ है और जीवन स्तर में कोई परिवर्तन नहीं है, वह भी प्रदेश की 80 प्रतिशत आबादी वाली जनता का, जो किसान है, मजदूर है, गरीब है तो फिर मैं यह मानता हूं कि हम असली विकास से अभी-भी बहुत दूर हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त वर्ष 2003 में हमारा जो प्रतिव्यक्ति कर्ज था वह 3 हजार 300 रुपये था. आज यह बढ़कर 44 हजार रुपये हो गया है. आज डबल-ईंजन सरकार की बार-बार बात आती है, जब यह डबल-ईंजन की सरकार आयी, उस समय हमारा कर्ज 11 हजार रुपये प्रतिव्यक्ति था. 10 वर्ष पूर्व मोदी जी की केंद्र में सरकार आने के बाद, यह कर्ज 11 हजार रुपये से बढ़कर आज 44 हजार रुपये कैसे हो गया ? जब डबल-ईंजन सरकार है तो यह कर्ज क्यों बढ़ता जा रहा है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक परिसंपत्ति एक विभाग है. इससे मध्यप्रदेश की पूरी जमीनें क्यों बिक गई हैं ? लेकिन एक अच्छी बात यह है कि इसमें जो जमीनें बिकी हैं यह बहुत अच्छे दामों में बिकी हैं. 18 हजार हजार रुपए वर्ग फुट में बिकी हैं. सरकार को धन की कमी थी उसके लिए उन्होंने व्यवस्था की लेकिन हमारे रीवा में पुनर्घनत्वीकरण योजना जारी है. मध्यप्रदेश में और भी जगह पेरलल क्यों जारी है. जो जमीन लोक संपत्ति विभाग में 18 हजार, 20 हजार रुपए वर्ग फुट बिक रही है वहीं हमारे रीवा में मुख्य चौराहे पर जो ओपन ऑक्शन पर 25 हजार रुपए वर्ग फुट में बिकेगी वह 2200 रुपए वर्ग फुट बिक रही है. 500 करोड़, 1 हजार करोड़ रपए का घोटाला एक तरफ से पेरलल रूप से हो रहा है. मेरा यह कहना है कि क्या विकास के नाम पर हम चीजों को इसी तरह से लुटाते चले जाएंगे. हमारा अगला बिंदु यह है कि केन्द्रीय किचन सेट और रेडी टू ईट यह दो ऐसी योजनाएं हैं जो कोई नहीं जानता है कि यह योजनाएं कागजों पर चलती हैं. एक योजना आंगनवाड़ी से चलती है और एक योजना जिले से चलती है. आप इसका खर्च देखेंगे यह देखेंगे कि वह खर्च कितना जा रहा है. हम यह देखें कि हम कितने कर्ज में डूबते जा रहे हैं. हम कहां थे और कहां पहुंच गए हैं. हमारी अधोसंरचना का सर्वांगीण विकास तो हुआ है, लेकिन क्या हम खर्चों को कम कर सकते हैं, क्या हम करप्शन वाली मनी को रोक सकते हैं. अभी हमारे नए मुख्यमंत्री बने हैं एक नई शुरुआत हुई है अभी भी अगर हमने अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया और एक सुनियोजित प्लान के तहत अभी तक हम तृष्टिकरण पर काम करते हैं. शायद हमको ऐसा लगता ही नहीं था कि हर पांच वर्ष में हमारी सरकार बन जाएगी तो हम शॉर्टकट में तुरंत का तुरंत कि कैसे लोग संतुष्ट हों और चुनाव जीतना हमारा मुख्य लक्ष्य था. परंतु मेरा ऐसा मानना है कि माननीय मुख्यमंत्री जी और आप सब लोग मिलकर के एक लंबा प्लान बनाएं कि हम ईमानदारी से मध्यप्रदेश के हित में काम करें जनता अपने आप आएगी. यह जो चीजें हैं जो यह लीकेज है इस पर कंट्रोल हो सकता है. आप खुद सोचिए कि सिंगरौली में एक ही व्यक्ति लगातार तीन बार के प्रभारी मंत्री हैं ऐसा क्या था कि वही लगातार प्रभारी मंत्री हो रहे हैं और तीन वर्षों में सिंगारौली में क्या बदल गया, सिंगरौली को क्या मिला जबकि सबसे ज्यादा रेवेन्यू हमारे सिंगरौली और इंदौर से आता है. मेरा यह कहना है और कुछ बिंदु ऐसे हैं जैसे अन्य दूसरी योजनाएं इसमें दी गईं हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी अब आप अपना भाषण समाप्त करें.
श्री अभय मिश्रा-- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन किया जाएगा.
श्री गौतम टेटवाल (अनुपस्थित)
श्री आरि़फ मसूद (भोपाल मध्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. हमें आपका अनुभव मिलेगा और बहुत अच्छी बात है कि आप आसंदी पर विराजमान है. अध्यक्ष महोदय आज प्रहलाद जी का जो भाषण था वह हमें अच्छा लगा. उन्होंने बहुत सारी बातें सदन को चलाने को लेकर कहीं, सदन की गरिमा को लेकर भी कहीं और छींटाकशी को लेकर भी कहीं. इससे कहीं न कहीं यह महसूस हुआ कि सदन के एक-एक व्यक्ति को अपनी बात रखने का अवसर अच्छे ढ़ंग से मिलेगा और सदन के सभी लोग उसका पूरा पालन करेंगे. अभिभाषण में कहीं भी ऐसा नहीं है कि जिस पर हम उनका स्वागत करें. राज्यपाल के अभिभाषण में ऐसी चीजें देखने को नहीं मिली. बार-बार कई बातें आ चुंकी हैं. अब समय भी नहीं है. अध्यक्ष महोदय मैं चाहूंगा कि नई सरकार है और सबका साथ सबका विकास का नारा इसमें अभी भी आया है. हम उम्मीद करेंगे कि पूरी सरकार पांच साल में उसी का पालन करे और सबका साथ और सबके विकास की जो परिभाषा इसमें बताई गई है उसको लेकर चलें. इसमें विवाह निकाह योजना का उल्लेख पहले भाषणों में बहुत रहा अभी के अभिभाषण के अंदर उसका उल्लेख नहीं है लाडली बहना का जिक्र सबने कर दिया लेकिन मैं चाहूंगा कि विवाह और निकाह योजना के बारे में भी बताया जाए. भोपाल के लिए गैस पीडितों की बात अभिभाषण में आई कि उनको पहली बार दोबारा पेंशन का प्रावधान किया गया इसके लिए भी मैं धन्यवाद दूंगा लेकिन बेहतर है कि सरकार इसमें एक कदम और आगे बढाए कि गैस पीडितों के मुकदमे में अभी भी सुप्रीम कोर्ट में जिस तरह से पैरवी होनी थी नहीं हो पाई. उसके कारण वह भी अभी शायद विचाराधीन है. उस पर एक बार जरूर सरकार पहल करेगी.
अध्यक्ष महोदय, अभी जयवर्द्धन सिंह जी ने भी इस बात का जिक्र किया. कई लोगों ने किया. ओमकार जी ने भी किया. ध्वनि विस्तारक को लेकर पहला आदेश आया. ठीक है, ध्वनि यंत्र के लिये अभी कैलाश जी ने भी यह बात बोल दी, लेकिन मैं चाहूंगा कि मुख्यमंत्री जी बहुत स्पष्ट करें कि उसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बात आई है कि जो सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसका पालन हो. उसका हम सब लोग सम्मान करते हैं. निश्चित रूप से जो आदेश दिया गया है उसका सब पालन करेंगे, लेकिन उसके नाम पर ग्रामीण अंचलों में धार्मिक स्थलों पर बेजा परेशान किया जा रहा है. जबकि वह सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर दिखा रहे हैं लेकिन वहां यह कहा जा रहा है कि टोटल प्रतिबंध कर दिया गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में प्रतिबंध शब्द कहीं नहीं है और आपके राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में भी प्रतिबंध शब्द नहीं है, उसको सीमित करना उसमें स्पष्ट दिया है, लेकिन बावजूद उसके तंग किया जा रहा है, तो मेरा आग्रह है कि उसके ऊपर मुख्यमंत्री जी की ओर से जरूर स्पष्ट होना चाहिये जिससे निचले स्तर पर जो अधिकारी बार-बार परेशान कर रहे हैं वह न करें.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यहीं चाहूंगा कि हम लोगों ने सबके साथ सबके विकास की बात की, पिछले 5 साल की सरकार भी देखी. बराबर सोचता रहा कि केन्द्र से हमारे अपने लोगों को बहुत सारा जो ग्रांट सबके साथ सबके विकास के नाम के उल्लेख के साथ दी जाती है वह ग्रांट्स रुकी हैं. चाहे मदरसा बोर्ड हो, चाहे उर्दू एकेडमी हो. अब जब नया बजट आएगा तो हम उम्मीद करेंगे कि वह ग्रांट्स भी वापस चालू हो जाएं. मैं आपसे यही अनुरोध करूंगा कि हम भी चाहते हैं कि यह प्रदेश और यह देश विकास करे. हम भी चाहते हैं. हमारे बुजुर्गों का लहू इस देश की आजादी में बहा है. हमारे लाखों बुजुर्गों ने कुर्बानियां दी हैं. हम इस देश को दुनिया का आला देश बनाना चाहते हैं. हम आपके साथ चलना चाहते हैं लेकिन हम आपसे भी उम्मीद करते हैं कि आप भी मोहब्बत भरी निगाहों से हमारी तरफ देखिये, हमें अपनाइये. हमें साहस दीजिये. हमारा एक समाज है जो आपसे बहुत उम्मीद करता है कि हम सब मिलकर इस प्रदेश को आगे बढाएं, इस देश को आगे बढाएं. जहां आवश्यकता होगी आज भी हम लोग गर्व से कहते हैं कि इस देश को कोई आंख दिखाएगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम सबसे पहले अपनी जान की आहूति देने को तैयार हैं, लेकिन हम सरकार से भी उम्मीद करते हैं कि जब सत्ता में बैठे हैं तो वह हमारे हितों की रक्षा करें. यह उम्मीद करूंगा कि ध्वनि विस्तारक यंत्र को लेकर बार-बार बहुत ज्यादा ऊहापोह हो चुकी है तो उस पर स्पष्ट होना चाहिये कि किस तरह का सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश है, वह निचले स्तर तक पालन कराया जाए इस पर जरूर मुख्यमंत्री जी अपना वक्तव्य देंगे. अध्यक्ष महोदय, इसमें जरूर हम आपसे संरक्षण चाहेंगे. आपने अवसर दिया. सभी लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. चिन्तामणि मालवीय (आलोट) -- अध्यक्ष महोदय, आपकी ओर से यह भी स्पष्ट होना चाहिये कि यह वक्तव्य आपका व्यक्तिगत है या आपकी पार्टी का है.
अध्यक्ष महोदय -- चिंतामणि जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व) -- चिंतामणि जी, इसकी चिंता आप ना करें मुख्यमंत्री जी कर लेंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण से अपनी असहमति व्यक्त करता हूं. मैं अभी कैलाश भैया को सुन रहा था और प्रह्लाद भाई को भी सुन रहा था. कैलाश भैया ने तो एक सेर के माध्यम से अपनी बात कही. उनके इंदौर का ही एक सेर है कि ''लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार तुम्हारा है, तुम झूठ को सच लिख दो, अखबार तुम्हारा है और इस दौर के फरियादी जाएं तो कहां जाएं, सरकार तुम्हारी है, दरबार तुम्हारा है.''
अभी चिंतामणि जी जो चिंता व्यक्त कर रहे थे. प्रह्लाद भाई, हमने अभिभाषण को लेकर भाषण भी सुने और प्रवचन भी सुने. गजब लगा, लेकिन हो सकता है कि केन्द्र की सरकार की स्थितियां अलग हों लेकिन प्रदेश की हकीकत की जो जमीन है हम उस पर आकर बात करें. सच्चाई जो है उस पर आकर बात करें. वैसे हमारे जबलपुर के ही महान व्यंगकार और साहित्यकार हुए हैं डॉ. हरिशंकर परसाई जी. उनका एक लेख है कि एक बाल काला कि सब बाल काले अर्थात् जिनके कान के पास के बाल सफेद हो गए हों वे कृपया उपदेश दें और जिनके कान के पास के बाल अभी भी काले हों वे उपदेश सुनें, तो मैं आपके उपदेश सुनने बैठा था.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- अध्यक्ष जी, जिन्होंने बाल रंग लिए हैं कम से कम वे न बोलें. (हँसी)
श्री लखन घनघोरिया-- प्रहलाद भाई, आप सीखने, सीखने की बात कर रहे थे कि पहली बार सदन में आए लेकिन वास्तव में प्रबोधन का कार्यक्रम हो, तो उसमें आप मुख्य वक्ता के रूप में रहें, यह मेरा आप से आग्रह है और चूँकि आसन्दी पर माननीय हम सबके आदर्श के रूप में, छात्र राजनीति के जितने लोग हैं, उनके आदर्श के रूप में रहे हैं इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय से संरक्षण भी चाहूँगा. अध्यक्ष महोदय, प्रदेश की कई चीजें बड़ी अलग हैं, भारतीय जनता पार्टी के तमाम लोग जो हैं, वे अपनी जीत का आधार, मातृ-शक्ति, लाड़ली बहना, को नहीं मानते हैं. वे मोदी जी की गारंटी को मानते हैं, मानें, लेकिन फिर यह भी मानें कि जब सबकी गारंटी खत्म होती है तब मोदी जी की गारंटी शुरू होती है और यह गरीब कल्याण के लिए प्रहलाद भाई कह रहे थे कि गरीब कल्याण के लिए सबसे पहले, तो सबसे पहले गाज गिरी गरीबों पर, अपंजीकृत मजदूरों की मृत्यु पर जो एक लाख रुपये का अनुदान मिलता था, अनुग्रह राशि, सबसे पहले वह बन्द हुई, प्रहलाद भाई, वो अभी बन्द हुई, 38 विभागों की योजनाओं पर वित्तीय रोक लगी है वित्त विभाग से और आपकी वे सारी योजनाएं हैं, इस अभिभाषण में जिनका उल्लेख है. मेट्रो ट्रेन उसमें है और धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग द्वारा संचालित तीर्थ दर्शन योजना भी उसमें है, जिसमें वित्त विभाग से रोक लगी है, प्रहलाद भाई, आप उसकी जानकारी ले लें. आपको शायद जानकारी न मिली हो और उसी में यह मजदूरों की बात है, साथ में गृह विभाग के अन्तर्गत थानों का सुदृढ़ीकरण, जो पूरे उसमें है, परिवहन विभाग की ग्रामीण परिवहन नीति का क्रियान्वयन, खेल विभाग से खेलो इंडिया, एम.पी., सहकारिता विभाग, मुख्यमंत्री समाधान योजना, लोक निर्माण विभाग की विभागीय संपत्तियों का संधारण, स्कूल शिक्षा विभाग की निःशुल्क पाठ्य सामग्री आपूर्ति और इन सबका उल्लेख अभिभाषण में है. प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को लेपटाप की आपूर्ति और जनजातीय कार्य विभाग द्वारा टंट्या भील और मंदिरों के जीर्णोद्धार, पता नहीं 3 लाख करोड़ रुपये किसमें खर्च करेंगे? जब स्कॉलरशिप एस.सी., एस.टी., के बच्चों को नहीं मिल रही, मायनॉर्टी के बच्चों को नहीं मिल रही, तो वह 3 लाख करोड़ रुपये किस चीज में खर्च हो रहा है, यह बड़ा एक चिन्ता का विषय है, ठीक है, मोदी जी की केन्द्र सरकार की वाहवाही होना चाहिए. जब जिसका समय आता है, वाहवाही होती है, वाहवाही होना चाहिए, उसमें हमको कोई तकलीफ नहीं है. लेकिन हकीकत की जमीन भी देखना चाहिए कि सच्चाई क्या है? यथार्थ में हम कहाँ खड़े हैं? कैलाश भैय्या बोल रहे थे कि हमारा कुल बजट 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ है, लेकिन कुल कर्जा भी तो अपने पास 3 लाख 32 हजार करोड़ है, यह भी तो बोलना चाहिए. मतलब बजट से ज्यादा हमारे ऊपर कर्जा और ज्यादा नहीं, 2018 से 2023 का बस अन्तर देख लीजिए. 2018 में 25 हजार रुपये प्रति व्यक्ति ऋण था. अब वह बढ़कर 2023 में 50 हजार हो गया है, जस्ट दुगना, एक रिजिम में और उसके बाद हम वाहवाही की बात कर रहे हैं आर्थिक हालात प्रदेश के क्या हैं. आर्थिक हालात प्रदेश के क्या हैं. अभी प्रहलाद भाई कह रहे थे कि 73 परसेंट लोगों को पेयजल उपलब्ध हो रहा है. बड़ी गजब बात है. हम नर्मदा की गोद में बसे लोग हैं. जबलपुर शहर से आते हैं. प्रहलाद भाई भी वहीं से आते हैं. राकेश सिंह जी भी वहीं से आते हैं. उदय प्रताप सिंह जी भी वहीं से आते हैं. हम सब लोग वहीं से आते हैं. लेकिन शहरों की स्थिति क्या है, पेयजल संकट है. नर्मदा की गोद में बसे होने के बाद भी.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- जल जीवन मिशन के अंतर्गत यह ग्रामीण क्षेत्र का है.
श्री लखन घनघोरिया-- कहीं की भी बात करें. ग्रामीण की भी स्थिति यही है. आप पूछ लें सबसे. नल जल योजना में नल लगा है और उसमें हवा निकलती है, जल नहीं है. पानी की लकीरों से मुकद्दर बनायेंगे और बुनियादों के पत्थर के बिना घर बनायेंगे. वाह, ये लोग जिनकी आंखों का पानी मर गया, दावा है इनका कि ये समुद्र बनायेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- लखन भाई, समापन के लिये ये शेर अच्छा था. ..(हंसी)..
श्री लखन घनघोरिया-- अध्यक्ष महोदय, मैं छोटी छोटी दो तीन बातें कहना चाहता हूं. ये तुलसी भैया से जुड़ी बात है. ..(हंसी).. चिकित्सा के क्षेत्र में हम बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं. गोपाल जी बोल रहे थे कि 23 मेडिकल कॉलेज खोल दिये. 5 हजार डॉक्टरों की कमी है, पद रिक्त पड़े हैं और 65 हजार पैरा मेडिकल स्टॉफ की कमी है. हम बड़ी अपनी पीठ थप थपा रहे हैं. कौन सा रोजगार दे रहे हैं. गिना जरुर रहे थे. पटवारी की भर्ती में क्या है. युवाओं के साथ क्या हो रहा है, यह सबको मालूम है. किसानों के साथ क्या किया आपने. गारंटी में आपने चार वर्ग को चुना. गरीब, किसान, नारी शक्ति और युवा. और धान की खरीदी भी आप देख रहे हैं, पटवारी की भर्ती का भी क्या आलम है, सब देख रहे हैं और लाडली कहां है, यह भी सब देख रहे हैं. कितने लाडलों को अब जगह मिल रही है, यह भी देख रहे हैं. खैर यह अलग बात है, मैं तो सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि यदि आर्थक संकट से हमारा प्रदेश जूझ रहा है, तो इसके लिये दोषी यदि पुराने समय की प्रदेश सरकार रही, तो उसके खिलाफ श्वेत पत्र जारी होना चाहिये और आर्थिक संकट से लड़ने की हमारी तैयारी होना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद, आपने बोलने के लिये समय दिया.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी(भीकनगांव) -- अध्यक्ष जी, पहले तो मैं आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं देती हूं कि एक विद्वान के रुप में, विद्वता तो सभी ने बताई आपके बारे में, किन्तु मैंने भी काफी कुछ आपके लिये सुना था और हमारा सौभाग्य रहेगा कि आप आसंदी से हमें मार्गदर्शन भी करेंगे और मैं चाहती हूं कि आप हमारा संरक्षण भी करें. काफी विद्वान लोगों ने अपनी बात रखी और जो लोकसभा में अपना दायित्व निभाकर यहां आये हैं, उन्होंने भी अपनी बातें रखीं, तो एक पल जरुर लगा कि हम विधान सभा की बजाय लोकसभा में बैठे हैं और यह भी महसूस हुआ कि यह जरुर देश की राजनीति में अपनी भूमिकाएं निभा रहे होंगे और केंद्रीय नीतियों में अपनी भागीदारी निभाये होंगे और नव रत्नों में एक रत्न के रुप में भी काम किया होगा. पर ऐसी क्या जरुरत पड़ गई कि इन नव रत्नों का डिमोशन करके हमारे प्रदेश में भेज दिया गया. एक बड़ी विचित्र बात मुझे जरुर लगी ये. यह मेरा व्यक्तिगत कथन है कि इतने विद्वान लोगों को जिनकी आवश्यकता देश में है, उनका जरुर यह डिमोशन ही हुआ, जिनको यहां पर भेजा गया है. मैं महिला विधायक हूं, निश्चित ही तीसरी बार की विधायक हूं, तो मैं महिला सशक्तिकरण से ही अपनी बात शुरु करुंगी और यह एक बहन की विडम्बना भी है. इसको बुरा न मानें.
कि लाड़ली बहना योजना से इस प्रदेश का परिदृश्य बदला है और हरेक को इस बात को मानना चाहिये और शिवराज सिंह जी को भी याद करना चाहिये कि उन्होंने इस योजना को लागू किया. अब क्या स्थिति कहें कि उन्होंने घुटने के बल खड़े होकर उन्होंने बहनों से निवेदन किया की सरकार बनायें और बहनों ने सरकार बनायी भी, पर उस व्यक्ति को यहां से और कहीं भेज रहे हैं तो यह एक प्रजातंत्र में किस तरह से खेला होता है, वह भी सोचनीय बात है कि बहनों ने जिस भाई पर भरोसा किया, वह भाई यहां से नदारत है यहां से, तो अध्यक्ष जी यह योजना जो लाये हैं कि 3 हजार तक, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री जी तीन हजार नहीं उसको 10 हजार तक की बात कर रहे हैं और काफी विद्वान लोगों ने कहा कि उसको लखपति तक ले जायेंगे. आप अपनी बात पर कायम रहें, क्योंकि इतिहास हर बार दोहरायेगा, पिछली बात को आप बार-बार करते तो आने वाले समय में इस सदन में जो सदस्य उपस्थित होंगे तो वह भी यह कहेंगे कि कहां दूर तक आप बात ले गये और यहां तक कैसी सीमित रह गयी. मेरा कहना है कि बहनों के साथ न्याय हो. तीन हजार से दस हजार देने की जो बात हो रही है उसको जरूर आप पूरा करें. इस योजना की एक बात मैंने देखी है कि इसने घरों में सास-बहू का झगड़ा भी करवाया है. वह इस तरह से कि जहां तक इसमें उम्र की बात है तो 60 साल के भीतर वालों को इस योजना का लाभ दे रहे हैं तो भाई सास ने क्या गलती की, जो उनको छोड़ दिया गया है. मेरे सामने कई माताओं-बहनों ने यह बात रखी है कि इसमें हमारी गलती क्या है, क्या हमारी उम्र ज्यादा है इसलिये हमको छोड़ दिया गया है, इस उम्र में पैसों की आवश्यकता हमको ज्यादा होती है तो निश्चित ही हमको सबसे पहले देना था, लेकिन हमें छोड़ा गया. मैं नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री जी से, जब वह अपनी बात रखें तो इस बात को जरूर रखें कि जो बहने 60 साल की उम्र होने के बाद छूटी हुई उनको भी इस योजना में शामिल किया जाये, जिससे उनको भी इसका फायदा मिले, ऐसी मेरी मंशा है.
अध्यक्ष जी, किसानों की बात करें, चूंकि केन्द्रीय योजनाओं में इस वर्ग को प्राथमिकताओं के साथ लिया गया है. किसान हमारे भगवान स्वरूप हैं और इस देश के निर्माता कहें, जिनके बगैर कोई कुछ नहीं कर सकता है. मेरा जिला जहां से शुरू होता है तो खण्डवा और खरगौन के बीच मेरी विधान सभा आती है तो सबका विकास, जहां बात आती है तो मेरे साथ अन्याय हर बात वहां होता है. एक सीमा रेखा जहां इधर खण्डवा होता है और उधर खरगौन होता है. यदि अतिवृष्टि, सूखा या कुछ भी स्थिति होती है तो खण्डवा जिले को तो भरपूर मुआवजा दिया जाता है लेकिन मेरे जिले को ऐसा छोड़ते हैं, जैसे वह हमारे मध्यप्रदेश का क्षेत्र नहीं, बल्कि पाकिस्तान का हो. इतना ज्यादा भेदभाव होता है. हमारे जो नये मुख्यमंत्री जी आये हैं, उनसे निवेदन है कि कम से कम यह भेदभाव तो नहीं है, यह मैं चाहती हूं और साथ ही आज की जो बिजली की स्थिति है, बिजली के वोल्टेज के अभाव में किसान अपने खतों में पानी नहीं दे पा रहा है. ट्रांसर्फामर बहुत चल रहे हैं, एक सप्ताह बाद जब नया ट्रांसर्फामर है तब तक उसकी पूरी फसल सूख जाती है. आप इस स्थिति पर भी नजर रखें कि मात्र उत्सव नहीं मनायें कि सरकार बन गयी तो हम सिर्फ मध्यप्रदेश में उत्सव मनायेंगे और अच्छी बातें कहेंगे. किन्तु वास्तविकता से सरकार नहीं भाग सकती है.
अध्यक्ष जी, यदि सिंचाई के साधनों की बात और आगे बढ़ायें तो, चूंकि मेरा आदिवासी क्षेत्र है. सिंचाई के अभाव में हमारे यहां के किसानों का बहुत पलायन होता है. यहां से किसान गुजरात, महाराष्ट्र और बाहर के राज्यों में मजदूरी करने जाते हैं. हमारे यहां सिंचाई की बिंजलवाड़ा योजना चल रही है उससे जून में किसानों को सिंचाई के लिये पानी मिलना चाहिये था. वह योजना आज तक अधूरी है और किसानों के खतों में पानी नहीं आया है इसको भी ध्यान में रखा जाये.
अध्यक्ष जी, यदि शिक्षित बेरोजगारों की बात करें तो पटवारी भर्ती योजना सबके सामने है उसका आइना आप सब लोग देख चुके हो. किन्तु नर्सिंग के भी विद्यार्थी ऐसे हैं, जो पढ़ाई तो करते हैं उनसे फीस भी वसूली जाती है. किन्तु परीक्षा की बात होती है तो उनकी परीक्षाएं नहीं होती हैं और वह भटकते रहते हैं और लाखों नौजवान ऐसे हैं, जिनको नौकरियां चाहिये, चाहे शिक्षा विभाग हो या अन्य विभाग हो उनके अभाव में बेरोजगारी का भटकाव आ रहा है. जब चर्चा होती है तो बात आती है कि नौजवान पकौड़े तलें, तब उनकी मनोदशा क्या होती होगी हमको इस बारे में सोचना चाहिये. अध्यक्ष जी, इसके अलावा पेयजल की बात करती हूं. तो आपकी नलजल योजना जो केन्द्र की ही योजना है और सबकी मंशा है कि हर गांव में, हर मोहल्ले में पानी मिले, टंकियां बनी जरूर हैं किन्तु पानी का कोई अता-पता नहीं है. इतने कर्मचारियों के अभाव में एक-एक उपयंत्री 60 से 70 परियोजनाओं का निरीक्षण करता है, वह कब जाएगा, वह सारी की सारी नलजल योजना भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुकी हैं. इनको भी देखने की आवश्यकता है. यदि सही रूप में लागू किया जाय तो निश्चित ही उसकी देख-रेख की जरूरत है. पैसा आ रहा है किन्तु उसके निरीक्षण के अभाव में, उसकी देख-रेख के अभाव में पीएचई विभाग के कंट्रोल से यह बाहर चला गया है. यह बड़ी योजना है, जिसको लागू करना है और जिसकी आवश्यकता है. पानी के बगैर हर परिवार में दिक्कतें हैं और मेरी विधान सभा विशेष तौर से प्रभावित है.
अध्यक्ष महोदय, शिक्षा की बात करें. शालाएं चल रही हैं, शिक्षक नहीं हैं, भवन नहीं हैं किन्तु हमारे राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में भी यह बात कहीं नहीं आई है, इसलिए मैंने कही है. मेरा आदिवासी क्षेत्र है, ज्यादातर दुर्गामी पहाड़ी क्षेत्रों में भवनों की आवश्यकता है, वहां पर शिक्षक भी रहें ताकि विद्यार्थी पढ़ाई करें. सीएमराईज स्कूल, एक ब्लॉक में स्कूल इस तरह से दिया है जहां हमारा विधान सभा क्षेत्र ही खत्म होता है, उस जगह पर उसको बना दिया गया है. पूरा ब्लॉक का ब्लॉक अधूरा है, जहां इतनी दूर बच्चे नहीं जा सकते हैं. यह चयन का स्थान की जनप्रतिनिधियों से भी राय ली जाय ताकि वह अच्छी जगह बने, माननीय मुख्यमंत्री जी जरूर इस पर ध्यान देंगे. क्योंकि पढ़ाई लिखाई में वे सबसे आगे हैं, बहुत अच्छी बात है. यदि प्रदेश का मुखिया इतना अच्छा डिग्रीधारी हैं तो डिग्रीधारियों की भी वह चिंता जरूर करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मेरी एक बात और है, सिकल सेल एनिमिया, चूंकि राज्यपाल महोदय ने जरूर इसका जिक्र किया है और यह ज्यादातर बीमारी आदिवासी समाज के लोगों में ही होती है. इस कमी को दूर करने के लिए कार्ड भी बने हैं. इलाज की व्यवस्था भी है, परन्तु मेरे हिसाब से जो मैं देख रही हूं, हमारा लोग काफी लोगों से परिचय होता है. वह लोग जो अपनी समस्या बताते हैं, हर जिला स्तर पर इनका अलग से अस्पताल बने ताकि उनका इलाज समुचित रूप से हो जाय और जिन व्यक्तियों को यह बीमारी हो जाती है, उनको जीवन भर इलाज की आवश्यकता होती है तो यह अस्पताल की व्यवस्था हर जिले में हो. बकायदा उनकी जांच हो, इलाज भी हो, उनका पूरा संरक्षण हो, बल्कि मैं तो चाहूंगी कि कई तरह की पेंशनें दी जा रही हैं तो इन लोगों को अलग से कुछ भत्ता दिया जाय ताकि उनके परिवार का गुजर बसर भी अच्छा हो क्योंकि वह काम करने की स्थिति में नहीं के बराबर होते हैं. ये सारी समस्याओं का समाधान हो, नई सरकार, नई उम्मीदों के साथ नये विकास के आयाम लिखे, मेरी भी बहुत बहुत शुभकामनाएं. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री उमाकांत जी शर्मा. समय का ध्यान रखना पंडित जी.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) - अध्यक्ष महोदय, 16 मिनट श्री जयवर्द्धन सिंह जी को दिये थे. मुझे आप थोड़ा-सा संरक्षण प्रदान कर देना. सनातन की जय हो, भारत माता की जय हो, धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सदभावना हो. मैं सर्वप्रथम लोकतंत्र के पावन मंदिर मध्यप्रदेश की विधान सभा के सदन में सभी माननीय सदस्यों का प्रणाम करने के पहले, हमारे सभा के सभापति, सदन के अध्यक्ष महोदय को सादर प्रणाम करता हूं पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों के माननीय सदस्यों को सादर प्रणाम करता हूं. अध्यक्ष महोदय,
वरमेको
गुणी पुत्रो न
च
मूर्खशतान्यपि
।
एकश्चन्द्रस्तमो
हन्ति न च
तारागणोऽपि च
॥
आप नरेन्द्र हैं, दिल्ली में भी नरेन्द्र हैं और आप भी नरेन्द्र हैं. जो भी राजा होता है वह नरेन्द्र होता है और आप हम सब 230 विधायकों के नरेन्द्र हैं और उसी प्रकार जैसे एक चन्द्रमा अंधकार का हरण कर औषधियों को पोषण देता है, तिमिर का नाश करता है, शीतलता प्रदान करता है, वह व्यक्तित्व आपके अंदर है, मैं उसको भी प्रणाम करता हूं. (मेजों की थपथपाहट) और 16 वीं विधानसभा में सदन में उपस्थित सभी सदस्यों को पुन: प्रणाम करते हुए हार्दिक बधाई और अच्छे कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देता हूँ. माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के लिये कृतज्ञता ज्ञापित करने हेतु हमारे वरिष्ठतम मार्गदर्शक सदस्य माननीय श्री कैलाश विजयवर्गीय जी के कृतज्ञता ज्ञापन के प्रस्ताव का समर्थन करता हॅूं. Modi is the Great Leader. He Indian to take bold and Unique decisions. मोदी एक महान नेता हैं. (मेजों की थपथपाहट) वे साहसिक और अद्वितीय निर्णय लेते हैं. बोल्ड, बडे़ वजनदार, यूनिक एक नमूने के रूप में, जिससे शिक्षा ली जाए, ऐसे डिसीज़न लेते हैं और किसी भी प्रधानमंत्रियों ने आज तक ऐसे डिसीज़ंस नहीं लिए. यह उदाहरण हैं कश्मीर से धारा 370 हटाना, धारा 35 ए हटाना. राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त करना और देश के लिए गारंटी देना.
सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामय,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तू, मा कश्चित दुख भाग भवेत्.
यह मोदी जी की भावना है और फिर मैं यह कहना चाहता हॅूं कि Our Prime Minister Shri Narendra Modi ji the great Prime Minister of Bharat Varsh. लोग कहते हैं अकबर महान. बाबर की संतान विदेशी थे. उज्बेकिस्तान, ताशकंद या समरकंद जैसे देश के नाती थे और यह हमारे मोदी जी महान प्रधानमंत्री हैं. Our Prime Minister Shri Narendra Modi ji the greatest Prime Minister in the World. हमारे प्रधानमंत्री प्रिय भारत देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सारे संसार के सर्वश्रेष्ठ महान प्रधानमंत्रियों में सर्वाधिक प्रभावी नेता हैं. (मेजों की थपथपाहट) इसके लिए मैं धन्यवाद देता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय, जीवन का लक्ष्य सुख होता है.
"सुखस्य मूलं धर्म:, धर्मस्य मूलम् अर्थ:,
अर्थस्य मूलं राज्यम्, राज्य मूलं इन्द्रियजय: "
इन्द्रियजयस्य मूलम् विनय:, ,विनयस्य मूलम् वृद्धोपसेवा
वृद्धसेवाया विज्ञानम्.
राजनीति का विज्ञान सीखकर जो बनता है वह राजा कहलाता है. सुखस्य मूलम् धर्म: इसको आप लोग भूल गए. गांधी जी के रामराज्य को भूल गए. गांधी जी के राम को भूल गए. गांधी जी के स्वराज्य को भूल गए.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हॅूं कि महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करने हेतु मैं इसलिए खड़ा हुआ हॅूं. मध्यप्रदेश की सरकार ने कार्यग्रहण करते ही आजादी के अमृतकाल में मध्यप्रदेश की साढे़ आठ करोड़ की जनता के लिए, मध्यप्रदेश के लिए नयी दिशा और विज़न प्रदान किया है. मध्यप्रदेश के नये निर्माण के लिए, नये विजन और मिशन के लिए ऊर्जा और उत्साह के साथ, नये संकल्प के साथ हमारे नेता माननीय यादव जी ने कार्य प्रारम्भ किया है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास, सबको प्रधानमंत्री आवास, सबको सुखी करने की भावना माननीय प्रधानमंत्री जी के मूल मंत्र को लक्ष्य मानकर मध्यप्रदेश में भी सुरक्षा की, समता की, समानता की गारंटी माननीय प्रधानमंत्री जी ने दी है. महामहिम राज्यपाल महोदय जी ने उद्घोषणा की है.
अध्यक्ष महोदय--उमाकांत जी आप भाषण पूरा करिये.
श्री उमाकांत शर्मा--अध्यक्ष महोदय, इसलिये मैं उनकी प्रशंसा करता हूं. इसलिये मैं अपने कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव के प्रति अपना समर्थन देता हूं. माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश की 147 करोड़ जनता को अपना परिवार माना है. मोदी जी की गारंटी है कि उनको जनता पर भरोसा है आम आदमी उनकी गारंटी पर भरोसा करता है. विकसित भारत यात्रा जो गांव गांव पहुंच रही है. अभी एक सदस्य महोदय बोल रहे थे अब यहां पर राजनीति की जा रही है. यह तो देश में पहले से ही चल रही है. दो बातें जरूर कहना चाहूंगा लोग कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--अब आप समाप्त करिये.
श्री उमाकांत शर्मा--(xxx)
श्री विजय रेवनाथ--अध्यक्ष महोदय, यहां पर यह कुछ भी बोल रहे हैं किसी की भावनाओं को इस तरह से ठेस पहुंचा रहे हैं, इसको विलोपित करवा दिया जाये.
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय-- उमाकांत जी की इस बात को रिकार्ड न किया जाये.
श्री कमलेश्वर डोडियार(सैलाना)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद मौका देने के लिये. मैं ना तो सत्तापक्ष से हूं, ना ही विपक्ष से हूं. मैं बीच के रास्ते से आया हूं और लोगों की भलाई करना चाहता हूं. मैं आदिवासी इलाके से चुनकर के आया हूं. सदन में 230 सदस्य हैं. हम सबके हाथ में प्रदेश का वर्तमान है, भविष्य है. मैं पश्चिम मध्यप्रदेश से रतलाम जिले के सैलाना से चुनकार आया हूं. मेरे इलाके के अंतर्गत झाबुआ जिला एवं अलीराजपुर जिला और धार भी पड़ता है. वहां के निर्वाचन क्षेत्र से भी यहां पर माननीय सदस्यगण मौजूद हैं. आदिवासी इलाके से सदियों से आदिवासी लोगों को कहीं कहीं पर अपनी जमीनों से बेदखल किया जाता है. कारपोरेट निर्माण के लिये लोगों को जमीनें दी जाती हैं. मैं बीच के रास्ते से निकलना चाहता हूं ताकि लोगों को भला हो सके. अगर उद्योग बनते हैं तो आदिवासियों की जमीनें जा रही हैं तो पहले वहां के लोगों के बातचीत करना चाहिये उन्हें कहीं न कहीं उनकी परमानेंट आजीविका सेटिल करने के लिये सबसे पहले उनको समाधान दिया जाना चाहिये. मेरा सदस्य होने के नाते मुझे बात करने का अवसर मिल रहा है. आदिवासी इलाकों में जो बड़े बड़े डेम बनाये जाते हैं, बड़े बड़े तालाब बनाये जाते हैं. मेरा यहां पर मत है कि छोटे छोटे डेम बनने चाहिये ताकि लोगों की जो जमीनें हैं वह ज्यादा न जायें और छोटे-छोटे तालाब बनाए जाए और उन्हें गहरा किया जाना चाहिए. ताकि आदिवासियों की जमीनें डूब क्षेत्र में न जा सके. अगर आदिवासियों की जमीनों पर ध्यान न दिया जाए और लगातर विकास की दौड़ में भाग जाए, आदिवासियों की आवाज सुना न जाए तो जो अनपढ़ और अकुशल आदिवासी है, उनकी जमीनें चली जाएगी, डैम बने या जो भी निर्माण हो, 8 लेन सड़क बने, तो ये अनपढ़ और अकुशल आदिवासी लोग जो होते हैं वह नगरों और महानगरों की ओर जाएंगे और भटकेंटे, इन्हें काम नहीं मिलेगा, अकुशल लोगों को काम नहीं मिलता, ये चाहे छोटे शहर जाएं या बड़े शहर जाएं. आदिवासी इलाकों में एक समस्या है, इन इलाकों में ग्रामवार एक डायरी सिस्टम चलता है, अवैध तरीके से शराब बिक्री करने के लिए. इसमें रेवेन्यु जनरेट होता है या न होता है, मुझे इसका आइडिया नहीं, अगली बार इसकी स्टडी करके आउंगा. डायरी के आधार पर शराब की बिक्री होती है, लोग बहुत बिगड़ते हैं. इस पर मंथन होना चाहिए.
माननीय राज्यपाल महोदय का जो अभिभाषण है, इसमें संशोधन किया जाना चाहिए. मैं कहना चाहता हूं कि आदिवासी इलाकों में शराब पूरी तरह से बंद हो जानी चाहिए. क्या हम लोग शराब बेचकर ही रेवेन्यु जनरेट कर पाएंगे, दूसरे बहुत सारे तरीके है रेवेन्यु जनरेट करने के. (...मेजों की थपथपाहट) व्यापारी लोग व्यापार करेंगे और रेवेन्यु जनरेट होगा. आदिवासी इलाकों में शराब पिलवा-पिलवाकर लोगों की जिंदगियां बरबाद हो रही है रेवेन्यु जनरेट करने के बहाने और ग्रामीण क्षेत्र के जो स्कूल हैं, वहां की हालत बहुत ज्यादा खराब है. मेरी सैलाना विधान सभा में भी हालत खराब है. पूरे पश्चिम मध्यप्रदेश रतलाम, झाबुअ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खंडवा, खरगौन इधर भी हालत खराब है. स्कूल्स के अंदर कक्षाएं ठीक से संचालित नहीं हो रहीं हैं, शिक्षक बहुत कम संख्या में है और जो है तो उन्हें भी और दूसरे काम दिए जाते हैं. शासन की दूसरी कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए कक्षाएं ठीक से संचालित नहीं होती. पढाई में क्वालिटी एजुकेशन दिया जाना चाहिए, मैं यह ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से सरकार को अपनी बात कहना चाहता हूं, सरकार के अलग अलग बहुत सारे विभाग है, अलग अलग मंत्रालयों में बहुत विभागों में हजारों वेकेंसी खाली पड़ी है, इन्हें भरा जाए. अगर भरेंगे तो काम अच्छे से होगा और सरकार की जो जनकल्याणकारी योजनाएं हैं, वह ठीक से लागू हो पाएगी. योजनाओं का लाभ हर एक व्यक्ति को मिल सकता है. जब हमारे पास कर्मचारी ही नहीं होंगे तो योजनाओं का क्रियान्वयन कौन करेगा. आदिवासी इलाकों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है, बहुत चरम सीमा पर है. पंचायतों में, दोनों ही सरकारें, जब हम डबल इंजन की सरकार हम कहते हैं, तब पंचायतों में विकास कार्य करने का सबसे ज्यादा जो जिम्मेदारी होती है, वह सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक की, इसके अलावा एक इंजीनियर भी होते हैं, इन पर नियंत्रण रखना बहुत जरुरी है.
अध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी, कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर डोडियार - दो मिनट और दीजिए अध्यक्ष जी, आज से लगभग 22 साल पहले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी साहब भारत के प्रधानमंत्री थे, इस देश में दो इलाके ऐसे थे, जहां पर आदिवासी लोग बहुत ज्यादा परेशान थे, उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा था. वर्ष 2000 में ही मेरे ख्याल से झारखंड और छत्तीसगढ़ दो अलग राज्य बने थे. मैं यहां ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, अभिभाषण में इस बात का जिक्र न हुआ हो, लेकिन मैं कानून का पालन करते हुए हमारे इलाके में जो आंदोलनकारी लोग है, उन्हें भी हम लोग शिक्षा देंगे, हमें कानून का पालन करना है और संविधान को मानना है, भील प्रदेश राज्य की मांग पिछले कई सालों से हो रही है. मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र चार राज्यों का जो भील आदिवासी बहुल वाला इलाका है वहां हालात बहुत ज्यादा खराब है, आर्थिक तौर पर तो एक अलग राज्य की मांग पूरे चार राज्यों के लोग कर रहे हैं, मैं अकेला नहीं कर रहा हूं, इसके ऊपर थोड़ी चर्चा और मंथन होना चाहिए. 230 माननीय सदस्यों से भी मेरा अनुरोध है कि इसके ऊपर चर्चा होना चाहिए. अलग राज्य बनने से इस राष्ट्र को कोई नुकसान नहीं है. वर्ष 2000 में झारखंड बना तो भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ. छत्तीसगढ़ बना वहां पर अभी हालात बहुत अच्छे हैं, विकास हुआ है. अगर अलग से भील प्रदेश राज्य बनता है तो भारत की राष्ट्रीयता को, एकता को कोई नुकसान नहीं है. एक अलग राज्य बनना चाहिए. बात रखने का मौका दिया और सुना इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
श्री महेश परमार (तराना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद और आपका हृदय से आभार क्योंकि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है और मैं अपने आपको सौभाग्यशाली मानता हूं और मेरे जैसे पहली और दूसरी बार बनने वाले विधायक जिस तरह से आप अपने अनुभव बताये और आदरणीय प्रहलाद पटेल जी, कैलाश जी, रामनिवास रावत जी जब आपने बताया कि आप सब लोग पहली बार चुनकर आये तो हम भी भविष्य में बतायेंगे कि हम आदरणीय विधानसभा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर जी या प्रहलाद जी या रामनिवास रावत जी या कमलनाथ जी के साथ विधायक रहे, निश्चित रूप से हम सबके लिये बड़े सौभाग्य की बात है.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण से असहमत हूं और मैं अपने विचार रखना चाहता हूं. मैं भगवान महाकाल के क्षेत्र उज्जैन से आता है और हमारे मुख्यमंत्री आदरणीय डॉ.मोहन यादव जी के जिले से तराना ग्रामीण विधानसभा से विधायक हूं और निश्चित रूप से जिस जगह का मैं प्रतिनिधित्व करता हूं और जिनकी सेवा करने का मुझे अवसर मिला वहां अधिक संख्या में हमारे किसान भाई रहते हैं. माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में एक बिंदू माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने पढ़ा और उसको समझा कि तीन लाख करोड़ रूपये मध्यप्रदेश के किसानों के खाते में आये हैं.माननीय अध्यक्ष महोदय मैं वर्ष 2018 से 2023 की पिछली विधानसभा में विधायक था, उसके पहले उज्जैन में जिला पंचायत अध्यक्ष था, पिछले लगभग वर्ष 2015 से आज तक उज्जैन जिले या मालवा या मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 से लेकर आज तक जो राशि, जो आंकड़ें महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में इस किताब में दिखाये गये हैं, वह बिल्कुल असत्य हैं, वह असत्य का पुलिंदा हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि सबसे ज्यादा अगर कोई संकट में है तो वह किसान भाई है और यह सरकार किसानों से वादा करके बनी है. मालवा, उज्जैन हो, मंदसौर हो, नीमच हो, आगर हो, इंदौर हो या मालवा निमाड़ में सर्वाधिक गेहूं होता है. माननीय अध्यक्ष महोदय पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के घोषणा पत्र में था कि गेहूं सत्ताईस सौ रूपये में खरीदे जाये तो लगभग एक से डेढ़ महीने बाद आने वाले समय में गेहूं की खरीदी चालू होगी तो मेरा आपसे निवेदन है प्रार्थना है कि मुख्यमंत्री हमारे जिले से आते हैं तो आदरणीय मुख्यमंत्री जी जब अपना वक्तव्य देंगे तो इस विषय पर चर्चा करेंगे.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, लाड़ली बहनों के नाम से सरकार बनी लेकिन किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति या माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक बार भी लाड़ली बहनों का जिक्र नहीं किया है, सबसे पहले भगवान राम और गौमाता के नाम पर राजनीति करने वाले, मालवा और आगर में सबसे बड़ी गौशाला सालरिया गौशाला है, जो करोड़ों रूपये की लागत से निर्मित हुई लेकिन वह गौशाला निजीकरण ठेके पर दे दी गई है. मैं आपके माध्यम से चाहता हूं कि आदरणीय मुख्यमंत्री आज मेरे पूर्व साथी विधायकों ने भी कहा कि हजारों की संख्या में जब हम जाते हैं तो किसान भाईयों की फसल खराब हो रही है और उससे ज्यादा हमारी गौमाता जिसमें 36 करोड़ देवी देवता वास करते हैं, उनकी दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो रही है, यह बड़ी दु:खद बात है. गौमाता के नाम पर राजनीति करने वाली सरकार गौमाता के नाम पर सिर्फ वोट लेने वाली सरकार अगर गौमाता के नाम पर गौमाता की रक्षा करेगी और कमलनाथ जी ने हजारों की संख्या में गांव गांव में जो गौशालाएं बनकर तैयार की थीं, उन गौशालाओं की तरफ सरकार राशि आबंटित करेगी तो निश्चित रूप से गौमाता का संरक्षण होगा और किसान भाईयों की फसल बर्बाद होने से बचेगी.
अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, जनजाति पिछड़ा वर्ग छात्रवृत्ति की योजना आदरणीय महामहिम जी की इस किताब में है. अध्यक्ष महोदय, पिछले लगभग दो से तीन साल से अनुसूचित जाति, जनजाति पिछड़ा वर्ग के छात्र और बहनों को अभी तक छात्रवृत्ति नहीं मिली है, यह स्थिति है. एक तरफ संबल योजना के नाम पर ढिंढोरा पीटने वाली सरकार , दो से तीन साल हो गये हैं, अभी तक संबल योजना का पैसा जो मृत्यु के बाद दो लाख , चार लाख रूपये मिलता है,वह आज तक जो पात्र लोग हैं, उनके खाते में अभी तक नहीं पहुंचा है. एक तरफ मैंने कल आपको सुना तो आपने कहा था कि प्रथम बार जब आप चुनकर आये तो एक महाविद्यालय बनाने के लिये आपने कितना संघर्ष किया. मेरे विधानसभा क्षेत्र तराना, मध्यप्रदेश या उज्जैन जिले में जितने भी प्राथमिक, माध्यमिक या हाईस्कूल या हायरसेकण्डरी स्कूल हैं, आज उनकी स्थिति ऐसी है कि पिछले 10-15 साल जब उनका निर्माण हुआ था, वह सब जीर्णशीर्ण हो रहे हैं, ग्रामीण क्षेत्र में जो हमारे परिवार के बेटे बेटियां पढ़ते हैं, उनकी बड़ी स्थिति खराब है.
अध्यक्ष महोदय, आयुष्मान भारत के नाम पर पूरे मध्यप्रदेश और देश में ढिंढोरा पीटा जा रहा है, लेकिन आदरणीय अध्यक्ष महोदय मेरा निवेदन है कि आयुष्मान योजना के नाम पर उज्जैन में एक दो चिन्हित अस्पताल हैं, पूरे मध्यप्रदेश के जिलों की स्थिति यही है, जब गंभीर बीमारी से पीडि़त होकर मरीज वहां जाता है तो कोई उनकी सुनने वाला नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि इस ओर गंभीरता से ध्यान दें और जो गंभीर और गरीब लोग हैं, उनको इस योजना का लाभ मिले.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय मोहन यादव जी मेरे जिले से हैं हम सब लोग सौभाग्यशाली और अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि उज्जैन जिले का दूसरी बार मुख्यमंत्री बना, लेकिन आदरणीय अध्यक्ष महोदय 38 योजनायें जो वित्त विभाग से रोक लगाई गई उसमें महाकाल लोक के विकास विस्तार के लिये जो राशि थी वह राशि रोक दी गई, मुझे लगता है कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से प्रार्थना करता हूं कि इस विषय में सोचें और इस योजना को आगे विस्तार के साथ जिस तरह से आदरणीय कैलाश जी कह रहे थे कि 10 हजार, 15 हजार लोग आ रहे थे, आदरणीय अध्यक्ष महोदय, अनादि काल से भगवान महाकाल हम सबके आशीर्वाददाता हैं, वहां लाखों की संख्या में लोग आते हैं और इस महत्वपूर्ण योजना की शुरूआत वर्ष 2018 में, माननीय अध्यक्ष महोदय, दो मिनट का समय लेना चाहूंगा, आप हमारे आशीर्वाददाता हैं और आपके ही संरक्षण में जैसा कि हम सब लोगों को आगे बढ़ना है और हम विपक्ष के विधायक हैं तो आपका आशीर्वाद मिलेगा माननीय अध्यक्ष महोदय तो बड़ी कृपा होगी. उज्जैन में मेडीकल कॉलेज की बात हुई थी आज तक भी, घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर प्रधानमंत्री जी जब उज्जैन आये तब भी घोषणा हुई लेकिन आज तक उज्जैन में मेडीकल कॉलेज की शुरूआत नहीं हुई है. श्रेय लेने के लिये वहां के चुने हुये भारतीय जनता पार्टी के हमारे साथी, जनप्रतिनिधि बार-बार समाचार पत्रों में और मीडिया में जरूर बोलते हैं. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय प्रहलाद पटेल जी और कैलाश जी चले गये हैं, आप इस सदन के सर्वश्रेष्ठ पद पर विराजित हैं, भगवान महाकाल और आप सबके सहयोग से मोहन यादव जी मुख्यमंत्री बने हैं तो यह प्रतिस्पर्धा यहीं खतम करें और मोहन जी को पूरे पांच साल यह सभी साथी निकालने दें, मेरी ऐसी प्रार्थना है क्योंकि सिंहस्थ आने वाला है और सनातन का सबसे बड़ा मेला मुझे लगता है इससे बड़ा सौभाग्य मध्यप्रदेश के लिये कोई है नहीं, अब आदरणीय मोहन जी मुख्यमंत्री बने हैं तो सिंहस्थ भूमि वहां सुरक्षित रहेगी और क्षिप्रा मां जिसके जल को हम अमृत मानते हैं उसमें लगभग सेकड़ों की संख्या में गंदे नाले मिल रहे हैं, आने वाले समय में आदरणीय मोहन जी वहां क्षिप्रा परिक्रमा करते थे और निरंतर कार्यक्रम करते थे, लेकिन कहीं सुधार नहीं हो पाया, अब आदरणीय मुख्यमंत्री जी हमारे जिले से हैं तो निश्चित रूप से इस ओर ध्यान देंगे, मां क्षिप्रा मैया शुद्ध होंगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, गांव में सबसे ज्यादा बिजली का संकट है और पूरे मालवा का किसान परेशान है, कहीं पोल है तो तार नहीं है और तार है तो ट्रांसफार्मर नहीं है और घरों के बिजली के बिल कहने के लिये हैं कि 100 यूनिट 100 रूपये बिल, हजार, दो हजार, तीन-तीन हजार रूपये बिजली के बिल आ रहे हैं, किसान भाई लाइन में लगे हुये हैं और माननीय अध्यक्ष महोदय सबसे ज्यादा अगर कोई संकट में है तो वह हमारा किसान है, हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो शुरूआत की अगर मुख्यमंत्री जी सबसे पहले पटवारी परीक्षा का परिणाम लाकर मध्यप्रदेश के युवा और हमारी बहनों को देते तो निश्चित रूप से अच्छी शुरूआत होती, लेकिन फिर भी हमारे उज्जैन के मुख्यमंत्री महाकाल की कृपा से बने हैं तो हम तो मुख्यमंत्री जी का सहयोग करेंगे, लेकिन आप सब वरिष्ठ नेताओं से आदरणीय कैलाश जी और प्रहलाद जी और आप सब जितने भी लोग हैं सभी आदरणीय मोहन जी का सहयोग करें ऐसी मेरी प्रार्थना है रामेश्वर भैया. जय श्री महाकाल, जय श्री राम, भारत माता की जय, जय भीम.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको ढेर सारी शुभकामनायें और बधाई के साथ आसंदी को प्रणाम करता हूं और माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में मैं बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में कई महोत्सवों का उल्लेख किया गया है, लेकिन मैं व्यथित हूं, दुखित हूं कि मां नर्मदा के जन्मोत्सव का उल्लेख माननीय राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण में शामिल नहीं किया गया, माननीय राज्यपाल महोदय जी यदि मां नर्मदा के नाम और महोत्सव का भी उल्लेख किया होता तो इस सदन की गरिमा ही बढ़ती. जो मां नर्मदा लाखों करोड़ो करोड़ लोगों की जीवनदायिनी है जो पवित्र नगरी अमरकंटक से चलकर और मध्यप्रदेश के अंतिम सीमा तक प्रवाहित होती है उनकी कल-कल, छल-छल धारायें, हम लाभ तो लेते हैं लेकिन उसका नाम इस अभिभाषण में शामिल नहीं हुआ और यह अपराध जो आपने किया है उनके नाम का उल्लेख न करने का, जन्मोत्सव के उल्लेख न करने का. कालांतर में इसका परिणाम भोगना तो पड़ेगा. माननीय अध्यक्ष जी,माननीय प्रह्लाद पटेल जी चले गये. आप जब केन्द्रीय मंत्री थे आपने 50 करोड़ रुपये वहां के सौंदर्यीकरण और विकास के लिये दिये. प्रसाद योजना की तरह लोगों ने उस पवित्र नगरी को भी नहीं छोड़ा. प्रसाद की तरह वह राशियां बंट गईं. यह इस सदन में कहा गया था कि जो मां नर्मदा में छोटी-छोटी गंदी नालियां सीधे मिल रही हैं उसको रोकने का काम सरकार करेगी लेकिन आज तक वह नहीं हुआ. मां नर्मदा का जहां उद्गम है. हमारी अमरकंटक नगरी का पानी, शहर का पानी सीधे मां नर्मदा में प्रवाहित हो रहा है नालियों,नालों के रूप में. लाखों, लाख लोग वहां जाकर स्नान करने जाते हैं दर्शन करने जाते हैं. देश-विदेश के लोग मां नर्मदा की जल धारा को देखने आते हैं और जब आचमन का समय आता है तो एक बार उनको सोचना पड़ता है. मैं चाहता हूं कि ऐसी पवित्र नगरियां, मां नर्मदा जो इस प्रदेश को सम्पन्न बना रही हैं. उनके नाम को लोग देश,विदेश में जानते हैं तो उनका जन्मोत्सव भी उतना ही विराट और विशाल होना चाहिये था लेकिन कभी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नहीं सोचा. वहां कई बार आप दर्शन करने जाते हैं. मां नर्मदा का उपयोग करते हैं लेकिन उनके जन्मोत्सव को हृदय से मनाने का प्रयास नहीं किया गया. वह शासकीय कैलेण्डर में शामिल नहीं हुआ. उसको 2019-20 में हमने सरकार से लड़कर शामिल कराया. उनकी भव्य और दिव्य जयंतियां भी मनाईं. लाखों लोगों ने तीन दिन तक उनकी जयंती मनाई. मां नर्मदा का पूजन और अर्चन किया गया. यदि आप उसको आगे बढ़ाते तो आपका भी नाम होता. लेकिन जैसे सुन्न कर दिया गया. वहां का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट 2017 में इसी सदन से हमने स्वीकृत कराया था. आज तक वह चालू नहीं कर पाए. आप देख लीजिये. यह स्थितियां प्रदेश के उद्गम स्थल की है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - 50 हजार से अधिक ग्राम ओ.डी.एफ. में कर दिये आपने. ओ.डी.एफ. बताईये कि क्या है. आपने शौचालय बना दिये. ग्रामों को ओ.डी.एफ. कर दिया. कोई खुले में शौच करने नहीं जायेगा. मैं आपको बताऊं वह शौचालय आपने कैसा बनाया है. 12 हजार का शौचालय बना और गांव में उसका नाम है पिचघुच्चा शौचालय. न दायें मुड़ सकते हैं न बायें मुड़ सकते हैं. यह पैसा मध्यप्रदेश के किसानों का पैसा है. जो वह लगान में देते हैं. वह पैसा है जो कर्मचारी,व्यापारी अपने टैक्स के रूप में दे रहे हैं उस राशि का जिस तरह से दुरुपयोग होता है और जब वही किसान पानी की मांग करता है जब वही अन्नदाता पानी की मांग करता है तो वह शुद्ध पानी पीने का अधिकारी नहीं है.
माननीय अध्यक्ष जी, देश के गरीब को, देश के किसान को, देश की नारी शक्ति को, देश की युवा शक्ति को, माननीय प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि ये मेरे वीआईपी हैं. इन वीआईपी की क्या दुर्दशा है. वीआईपी तो बोतलों में पानी पीते हैं, बिसलरी में पानी पीते हैं, लेकिन मेरे गांव के वीआईपी ऐसे हाथ में चुल्लू में पानी निकालकर पीते हैं. आप गांवों में जाइये और देखिए, आपकी नल जल योजना, जल जीवन मिशन क्या दिल्ली से पैदल चल रही है जो आज गांवों तक वह नहीं पहुँच पाई है. मेरे किसान, मेरे भाई जो गांवों में, जंगलों में और पहाड़ों में निवास कर रहे हैं, क्या उनको शुद्ध पानी पीने का अधिकार नहीं है ? हम भी चाहते हैं कि जिस तरीके से शहर में सड़कों के दोनों तरफ लाइटें लगी हुई हैं और प्रकाश हो रहा है, चकाचक रोड, पुल-पुलिया और नालियां बनी हुई हैं, हम गांव के लोग भी चाहते हैं कि मेरे गांवों में भी इस तरीके की व्यवस्था हो. यदि सड़कों के दोनों तरफ लाइटें न भी हों तो उनके घरों में सिंगल बत्ती तो लगनी ही चाहिए. हम उससे भी वंचित हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बहुत सारी बातें कहनी थीं, लेकिन समय का अभाव है. आपका आशीर्वाद मुझे मिलता रहेगा. इसलिए मैं ज्यादा कुछ और न कहते हुए ये जरूर कहना चाहूँगा कि यदि हम स्मार्ट सिटी बना रहे हैं तो मेरा स्मार्ट विलेज भी बन जाए. ऐसी मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ. इन्हीं शब्दों के साथ बहुत-बहुत आभार.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी (जबेरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं आपको बहुत-बहुत बधाई प्रेषित करता हूँ कि आप जैसे वरिष्ठ नेता के मार्गदर्शन में हम सब लोगों को काम करने का अवसर प्राप्त हो रहा है. माननीय अध्यक्ष जी, आपको बधाई देते हुए मैं कहना चाहता हूँ कि सूरज की किरणें तेज दें आपको, खिलते हुए फूल खूशबू दे आपको, हम लोग जो भी देंगे वह कम होगा, देने वाला जिंदगी की हर खुशी दे आपको. आपका बहुत-बहुत हार्दिक वंदन और अभिनंदन करते हैं और साथ ही साथ हमारे नवनियुक्त माननीय मुख्यमंत्री जी आदरणीय मोहन यादव जी का भी हम सब लोग इस सदन के माध्यम से बहुत-बहुत स्वागत करते हैं, वंदन करते हैं, अभिनंदन करते हैं. निश्चित रूप से बाबा महाकाल की कृपा से और आप सबके आशीर्वाद से निरंतर यह मध्यप्रदेश नित नई ऊँचाइयों को छुएगा और नई ऊर्जा के साथ मध्यप्रदेश आगे बढ़ेगा. ऐसी मैं परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष जी, तमाम प्रकार की बातें इस सदन में हुई हैं और मुझे लगता है कि हमारे जो विपक्षी मित्र हैं, जो विपक्षी साथी हैं, उन्होंने जिस प्रकार से अपनी बात रखी है, मुझे लगता है कि उनको देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नाम से घोर आपत्ति है. मुझे तो लगता है कि विपक्षी दलों को जब माननीय नरेन्द्र मोदी जी का नाम आता है तो जैसे बैल को कोई लाल कपड़ा दिखा दे, वह भड़क जाता है, ऐसे ही हमारे विपक्षी मित्र माननीय नरेन्द्र मोदी जी का नाम सुनते ही भड़कने लगते हैं. आज हम सब लोगों को गर्व होता है जब सदन में माननीय नरेन्द्र मोदी जी का नाम जो केवल देश के ही नहीं, अपितु विश्व के भी सर्वमान्य राजनेता के रूप में उभरे हैं. उनका नाम जब हर पन्ने पर आता है तो हम सब लोग गौरवान्वित महसूस करते हैं. लेकिन विपक्षी सदस्यों को यह बात पचती नहीं है क्योंकि हमारे पास आज कुशल नेतृत्व है. आज हमारे पास ऐसा विजन वाला नेता है, जो कहता है कि यह देश फिर से विश्व गुरु बनना चाहिए. जो यह कहता है कि यह देश दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनना चाहिए. इसलिए मैं अपने विपक्ष के मित्रों से कहना चाहता हूँ कि नरेन्द्र मोदी जी का नाम आते ही, आप सब लोगों के पेट में दर्द होना स्वाभाविक है, क्योंकि नरेन्द्र मोदी जी एक ऐसे नेतृत्व वाले व्यक्ति हैं, जो इस देश को फिर से विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप संक्षिप्त करें.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी - अध्यक्ष महोदय, ऐसी तमाम बातें इस सदन में आ चुकी हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि अभी हमारे विपक्षी मित्र संकल्प पत्र दिखा रहे थे कि यह संकल्प पत्र है, इसमें से कुछ नहीं हुआ है. मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि ''धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय.''
श्री दिनेश गुर्जर (मुरैना) - अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण से असहमत हूँ, इसलिए अपनी बात रखना चाहता हूँ. मैं सौभाग्यशाली हूँ कि इस सदन ने मुझे पहली बार आपने बोलने का अवसर दिया. चम्बल संभाग से आज आप विधान सभा अध्यक्ष पद पर विराजमान हैं, आसीन हैं. यह हम सब चम्बल संभाग के लोगों के लिए गौरव की बात है. मैं पूछना चाहता हूँ कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा अंग्रेजी का विरोध करती है और जैसे हमारे साथी जयवर्द्धन सिंह जी ने कहा था कि लाल भगवा वस्त्र पहने हैं, उसके बाद भी वह अंग्रेजी में ही भाषण दे रहे हैं. इससे यह महसूस होता है कि भारतीय जनता पार्टी कहती कुछ और करती कुछ है. मैं एक प्रार्थना करना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में जितने भी थाने आते हैं, उन थानों में सुबह से शाम तक वाहन चैकिंग के नाम पर गरीब किसान, नौजवानों को लूटने का काम हो रहा है, प्रशासन को यह अवगत कराया जाये कि जो मुरैना नेशनल हाइवे पर 3-3 घण्टे का ट्रेफिक जाम लगता है, पुलिस-प्रशासन ट्रेफिक उस पर ध्यान नहीं देता है, सिर्फ वाहन चैकिंग करके अवैध वसूली का काम मुरैना क्षेत्र में हो रहा है, इस पर रोक लगनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री गोपाल भार्गव जी ने कहा है कि अभी शिक्षा का स्तर बढ़ा है और मेरे विधान सभा क्षेत्र में हाल ही में मतदान हुआ है. बड़ापुरा गांव के पिछड़े वर्ग के लोगों ने मतदान का विरोध किया, मतदान नहीं किया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि वहां छात्र-छात्राओं के लिए कोई विद्यालय की व्यवस्था नहीं है. इसलिए मैं इस ओर भी ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि यहां विद्यालय की व्यवस्था हो सके. खाद के लिए किसान लाईन में लगे हुए हैं. वर्तमान में हमारे क्षेत्र में बाजरा की फसल होती है, समर्थन मूल्य में फसलों की खरीदी नहीं की जा रही है. जितने भी तुलाई केन्द्र हैं, वहां पर फसलों के समर्थन मूल्य पर फसल नहीं खरीदी जा रही है. जहां तक हम बिजली की बात करें. अभी किसान भाईयों को फसल की सिंचाई की आवश्यकता है और वर्तमान परिस्थितियों में बिजली के कनेक्शन काटे जा रहे हैं. बिजली विभाग इस समय ही वसूली कर रहा है. जब फसल ही किसान की अच्छी नहीं होगी तो वह बकाया बिल कहां से जमा करेंगे ? इसलिए हम चाहते हैं कि क्षेत्र के अन्दर अभी बिजली की कटौती न की जाये, उनके ट्रांसफॉर्मर न हटाये जाएं, लगभग 20 से अधिक ट्रांसफॉर्मर हटाये गए हैं. मुरैना जिले का किसान अपने आपको लुटा हुआ, ठगा हुआ महसूस कर रहा है. नल जल योजना के अंतर्गत जो पाईपलाईन बिछाई जा रही हैं, उसमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं दिया जा रहा है, पूरे गांव में पानी नहीं पहुंच रहा है, मुरैना जिले के अन्दर जो नल जल योजना संचालित हैं, उनकी भी जांच करके पर्याप्त पानी गांव में पहुँचे, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए. इसलिए मैं ध्यानाकर्षण करना चाहता हूँ. अभी जब भार्गव जी कह रहे थे और हमारे वरिष्ठ लोग कह रहे थे कि हमारा 28,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन है तो किसानों को महंगी बिजली क्यों दी जा रही है ? 16 हजार मेगावॉट बिजली की खपत है और 22 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, उसके बाद भी किसान भाईयों से वसूली, उस समय की जा रही है, जिस समय उन्हें फसलों की सिंचाई करनी है.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री दिनेश गुर्जर- अध्यक्ष महोदय, यह हमार सौभाग्य है कि हमें अध्यक्ष महोदय हमारे क्षेत्र से मिले हैं तो हमें एक-दो मिनट अतिरिक्त सीखने का मौका आप सभी के सम्मुख मिलेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं, चाहता हूं कि धान की खरीदी 3100 रुपये में की जाये. 450 रुपये में जिस गैस सिलेंडर की बात की गई थी, 450 रुपये में वह गैस सिलेंडर हमारी आम जनता तक पहुंचाया जाये. किसान भाईयों को समय पर खाद-बीज मिले, इसकी व्यवस्था की जाये. चूंकि प्रदेश में विगत 20 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और सरकार को पता है कि किसानों को कितना खाद लगना है, उसके बाद भी किसानों को 4-4 दिन लाईनों में लगना पड़ता है. कालाबाजार से उन्हें खाद खरीदनी पड़ती है, सरकार को इसकी पहले से पर्याप्त व्यवस्था करना चाहिए. इसी के साथ मैं, अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे सदन में बोलने का अवसर दिया.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि कुछ और सदस्य बोलना चाहते हैं, यदि आपकी अनुमति हो तो उन्हें एक-एक मिनट का ही समय दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय- उमंग जी, हमारी कल बात हुई थी. अभी मुख्यमंत्री जी का जवाब भी आना है, उन्हें प्रस्थान भी करना है. वैसे भी एक-एक मिनट व्यावहारिक नहीं होता है.
डॉ. हिरालाल अलावा- अध्यक्ष महोदय, हमें जनता को भी जवाब देना होता है. हम उनके लिए एक उम्मीद बनकर आते हैं.
अध्यक्ष महोदय- आगामी सत्र में आप सभी को पर्याप्त समय मिलेगा. जब नेता प्रतिपक्ष का नाम ले लिया जाये तो हम सभी को मान लेना चाहिए कि अब सदन आगे बढ़ गया है.
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार राज्यपाल के अभिभाषण में प्रधानमंत्री जी का कई बार नाम लिया गया, उनकी योजनाओं का नाम लिया गया, हमें ऐसा लग रहा था कि हम सभी संसद में बैठे हैं और हम सभी अपने आप को सांसद महसूस कर रहे थे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- इससे अधिक हर्ष का विषय क्या होगा ?
श्री उमंग सिंघार- आप तो यहीं दिल्ली ले आयें. अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रहलाद भाई की बात का समर्थन करता हूं और आलोचना में ज्यादा विश्वास नहीं करता हूं. मैं कहना चाहता हूं कि मैं सत्ता के साथ नहीं, सत्ता के समानांतर रहना चाहता हूं. मैं विरोधी नहीं हूं, प्रश्नकर्ता हूं.
अध्यक्ष महोदय, इस अभिभाषण में 16 वीं विधान सभा के, पिछले छ: माह से कई प्रलोभन, घोषणायें भाजपा ने की हैं और चुनाव लड़ा. सरकार बनी, पूर्व मुख्यमंत्री जी दौड़ते रहे, छिंदवाड़ा से लेकर यहां तक कि मैं प्रदेश को एक करूंगा लेकिन दिल्ली वाले और कुछ सोच रहे थे. दिल्ली के कई नेताओं को यहां भेज दिया गया. वे भी रह गए, हमारे नए मुख्यमंत्री जी आ गए लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि 18 वर्ष पूर्व जो लाड़ली बहना पैदा हुई थी, उसके पिताजी आज मजदूरी कर रहे हैं और वह लाड़ली बहना भी आज मजदूरी कर रही है. जब उसकी शादी होगी तो आने वाले समय में उसकी संतान भी मजदूरी करेगी क्योंकि ये लोग 3000 रुपये लाड़ली बहना को नहीं देंगे, इस सदन में मैं, यह गारंटी के साथ कहना चाहता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी ने सड़कों की बात कही. वे हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं. जब हम इंदौर में कॉलेज में पढ़ते थे, सड़कें बनीं लेकिन राज्य परिवहन की बसें बंद हो गईं. जो 10 किलोमीटर, 20 किलोमीटर अपने जंगल से जो किसान, गरीब, दलित, आदिवासी जब उसको रात को मेडिकल सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है या उसके परिवार को आवश्यकता पड़ती है तो उनको गाड़ी नहीं मिलती, बस नहीं मिलती. हमने हमारे घोषणा पत्र में यह बात भी कही थी कि आने वाले समय में हम बसें वापस चालू करवाएंगे. मुख्यमंत्री जी मेरा आपसे अनुरोध है और यह एक मानवीय पहलू है. कई साल पुरानी बात बताना चाहता हूं. मेरे पास उस समय एक कमांडर जीप थी. मैं दस किलोमीटर दूर एक गांव में था. यह बीस से पच्चीस साल पुरानी बात है. मैं उस गांव में रुका था. उस गांव के अंदर कहीं पर एक साथी के यहां किसी महिला को प्रसव पीड़ा हुई और उन्होंने कहा कि आप आपकी गाड़ी भेज दो हम अस्पताल ले जाना चाहते हैं. मेरी गाड़ी वहां से पांच किलोमीटर दूर कालीबावड़ी गांव में गई थी. गाड़ी को लौटकर आने में समय हो गया तो वह उस महिला को बैलगाड़ी में लेकर निकले. उस महिला की रास्ते में ही मृत्यु हो गई. वह घटना आज भी मेरे दिलो, दिमाग में है और मुझे झकझोरती है. इस प्रकार से हम लोग यहां चर्चाएं करते हैं, वादे करते हैं, घोषणाएं करते हैं लेकिन आम जनता जो चाहती है, जो उसकी भावना है उसको पूरा करने में हम लोग कहीं न कहीं कमी छोड़ देते हैं मेरा आपसे अनुरोध है, इस सरकार से अनुरोध है कि मध्यप्रदेश के अंदर ऐसे हजारों गांव हैं जिसमें आज भी लोग परिवहन को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. आज भी लोग किस प्रकार से जाते हैं आप समझ सकते हैं तो आप इस पर विचार करें. मैं छात्रवृत्ति की बात करना चाहूंगा. युवाओं की, बच्चों की पहली से पांचवी तक अभी भी हमारे आदिवासी क्षेत्रों में 250 रुपए साल की छात्रवृत्ति दी जाती है. 250 रुपए मतलब 25 रुपए महीना, न तो उससे कपड़े आ सकते हैं और न तो किताबें आ सकती हैं. 18 साल से भाजपा ने यह नहीं बढ़ाए, इन्होंने 18 साल से कभी नहीं सोचा. मुख्यमंत्री जी मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा कि अगर आपकी भावना है तो इस बारे में भी आप विचार करें. धान की खरीदी के बारे में कई लोग बोल चुके हैं लेकिन मैं चाहता हूं कि आपके संकल्प पत्र के हिसाब से 3100 रुपए में आप कब चालू करवाएंगे यह मुख्यमंत्री जी जरूर बताएं ऐसा नहीं है कि पांच साल की सरकार में आप आखिरी के साल में शुरू करवाएं और किसान चार साल धान का इंतजार करता रहे. उज्जवला योजना की बात कही, प्रधानमंत्री गारंटी की, राखी पर 450 रुपए में सिलेंडर बांटे थे उसके बाद नहीं बांटे. राखी गई और अगली राखी आने वाली है. यह भी बता दीजिएगा कि अगली राखी में बांटेंगे कि हर महीने बांटेंगे क्योंकि जनता यह भी जानना चाहेगी. घर का चूल्हा हो गया महंगाई के हवाले, इस बात का आप विशेष ध्यान रखें. आपके संकल्प पत्र की बात कर रहा हूं. सरकार पर 350 लाख करोड़ रुपए के आसपास कर्ज है. उधार का सिंदूर लेकर सरकार मांग भर रही है तो यह भी आपको समझना है. मैं चाहता हूं कि राजकीय वित्तीय स्थिति पर सरकार की तरफ से एक श्वेत पत्र आना चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री जी इस बात को समझेंगे. भाजपा आत्मनिर्भर की बात करती है यह सिर्फ जुमले में है. मध्यप्रदेश में कितने स्टार्टअप चालू हुए, कितने युवाओं को स्टार्टअप में अनुदान मिला और कितने बंद हो गए यह बताएं. मैं आपसे कहना चाहता हूं जब मुख्यमंत्री शिवराज जी थे, वह एग्रीकल्चर की बात करते थे लेकिन एग्रीकल्चर के नाम पर सिर्फ एक कल्चर बना दिया था, तो अगर आप वास्तव में चाहते हैं कि एग्रीकल्चर को एक उद्योग, उससे जो फूड प्रोसेसिंग के आप प्रोजेक्ट बनाना चाहते हैं तो कल्चर छोडकर एग्रीकल्चर पर आना पडेगा. ईमानदारी से युवाओं को जोडना पडेगा. इस पर प्रयास करना पडेगा तभी कैलाश जी, आपकी केन्द्र शासित डबल इंजन की सरकार चलेगी. मध्यप्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की स्थिति हमारे रावत जी ने बताई. रोजगार पोर्टल पर 1 लाख, 12 हजार अशिक्षित आवेदकों का एवं 37 लाख शिक्षित बेरोजगारों का पंजीयन है और 3 वर्षों में सिर्फ 21 लोगों को रोजगार मिला है.
श्री प्रह्लाद पटेल -- आप गलत आंकडे बता रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार -- ठीक है, आप आंकडे दे देना हम दुरुस्त करा देंगे. अगर मिल जाए आप दे देना. हम 37 लाख का बोलेंगे. 24 घंटे मजरे-टोले में बिजली की बात शिवराज जी ने कई बार बोली. मैं पिछले 15 सालों से सुन रहा हूं. फीडर सेप्रेशन की बात दो बार उन्होंने बोली कि 24 घंटे हमने गांव के हर मजरे-फलिये में बिजली करा दी. मैंने बोला आप झूठ बोल रहे हैं अगर आपकी बात सच है तो मैं विधायकी पद से इस्तीफा देने को तैयार हूं यह मैंने कहा था और आज भी कहता हूं कि अगर आपकी बात सही है तो आज नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने को तैयार हूं अगर आपने हर गांव, हर फलिये में 24 घंटे बिजली करा दी है, लेकिन आप इस बात पर जवाब नहीं दे सकते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- ऐसा मत करो आप जैसे नेता प्रतिपक्ष हमको नहीं मिलेंगे.
श्री उमंग सिंघार -- कैलाश जी, मैं जीवन में कभी भी पद के भरोसे नहीं रहा और न ही कभी पद की लालसा रखता हूं. ईमानदारी से लडाई लडता हूं यह मेरा व्यवहार है, नेचर है. प्रदेश में बिजली की समस्या है. 12 घंटे किसानों को बिजली नहीं मिलती है. हमारे विधायक आतिफ जी कल बता रहे थे कि भोपाल शहर के अंदर परेशानी है. जबरन् बिजली के बिल वसूले जा रहे हैं. चुनाव आता है तो बिजली के बिल माफ होते हैं चुनाव जाता है तो दो महीने के बाद बिजली के बिल आने लगते हैं. यह कैसी नीति है ? इस बात को मुख्यमंत्री जी, आपको देखना है.
अध्यक्ष महोदय, नल जल योजना पर काफी व्याख्यान किया गया. हमारे वरिष्ठ सदस्य प्रह्लाद भाई ने कहा कि जल मिशन की बात कर रहा हूं. अभी हमारे लखन भाई ने कहा कि नल तो लग गये लेकिन नल में पानी नहीं है हवा आ रही है. इस बात को मैंने कई बार उठाया. तब मैं विधायक था. जांच भी लिखी. एक-एक करोड की योजना एक-एक गांव में अगर मैं मेरी विधान सभा की बात करूं तो 200 गांव के अंदर योजना है, ढाई सौ करोड रुपये की योजना है साल भर हो गया आज भी चालू नहीं हुई है. नई योजना है. क्या इसके पीछे घोटाले का कारण है. कहीं ऐसा तो नहीं कि पूरे प्रदेश के अंदर हजारों करोड की योजना बिछाई गई लेकिन चुनाव के पहले इसमें भ्रष्टाचार करके चुनाव लडा ? भाजपा ने ऐसा तो नहीं किया. मैं आपसे समझना चाहता हूं कि इस पर भी माननीय मुख्यमंत्री जी, स्पष्ट करेंगे.
श्री प्रह्लाद पटेल -- सिंघार जी, इस पर मैं क्लैरीफिकेशन दे सकता हूं. मेरा निवेदन यह है कि जल जीवन मिशन पर मैंने जो कहा अगर वह स्टेटमेंट असत्य है तो आप तो चुनौती दे रहे हो मैं आपको चुनौती देता हूं क्योंकि जब आपकी भी सरकार थी तब का आंकडा और वर्तमान का आंकडा साइट पर मिल जाएगा, प्रह्लाद पटेल को सदन में बोलने की जरूरत नहीं है. इसलिये मिस लीड मत करिये.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से प्रह्लाद जी से कहना चाहता हूं कि आंकडों का खेल तो हम कई सालों से देख रहे हैं, आप भी देख रहे हैं. मैं आंकडों में विश्वास नहीं करता हूं हकीकत में विश्वास रखता हूं और आपको चाहिये तो इस पर एक कमेटी बनाकर पूरे प्रदेश की नल जल योजना को नपा लें, मालूम पड जाएगा कि आज क्या स्थिति है. और मैं विपक्ष के विधायकों की बात नहीं कर रहा हूँ. आपके उधर के विधायक हैं, सत्तापक्ष के, वे भी इस भावना को अच्छी तरह जानते हैं.
अध्यक्ष महोदय, खाद्य सुरक्षा की बात, ये जितनी भी गारंटी है, आपके मोदी जी ने गारंटी दी है, खाद्य सुरक्षा अधिनियम, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, बी.पी.एल. कर्मकार, अति गरीब को देना गेहूँ चाँवल, अति गरीब, वह व्यक्ति जो संघर्ष कर रहा है एक रोटी के लिए, अति गरीब, जो मजदूरी कर रहा है शाम की रोटी के लिए, अपने परिवार को पालने के लिए, वह जब मजदूरी करना जाता है खेत में, जब ठेला धकाता है, बोरे उठाता है, उसके अंगूठों के निशान गायब हो जाते हैं, आज इतने सालों से बायो मीट्रिक चला रहे हैं आप, उनके नाम के अनाज की कालाबाजारी हो रही है, क्यों नहीं आप ध्यान देते? आप बायो मीट्रिक हटाएँ, अगर आप चाहते हैं कि हर व्यक्ति को खाद्यान्न मिले तो मेरा आप से अनुरोध है कि इस योजना में परिवर्तन लाना पड़ेगा. (मेजों की थपथपाहट) यह मोदी जी की गारंटी है.
अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ, मुख्यमंत्री जी वहीं से आते हैं. मेरा आप से आग्रह है, अनुरोध है कि सिंहस्थ की जो 10148 हैक्टेयर जमीन जो सिंहस्थ के लिए अधिगृहित की गई. आपकी सरकार अभी तक हर 12 साल में करती है और वहाँ के आप सर्वेसर्वा हैं, मैं चाहता हूँ कि लाखों, करोड़ों, जो लोग आएँगे उज्जैन के अन्दर, इस महाकाल की नगरी में, दाऊद खेड़ी और सावरा खेड़ी, इन जमीनों को भी, जो उसका उपयोग मास्टर प्लान में होना चाहिए, ऐसा मेरा आप से अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय, किसान खाद के लिए परेशान है. रोज मीडिया में छप रहा है. एक सत्तापक्ष के किसी सदस्य ने नहीं बोला, मोदी की जरूर बात की, लेकिन उस किसान की फसल की बात नहीं की, उसके खेत की बात नहीं की. जैविक खाद की बात करते हों लेकिन आज वह संघर्ष कर रहा है अपनी जमीन के लिए, अपनी फसल के लिए, उसकी आपने बात नहीं की. किसान की खाद उसको नहीं मिल रही है. सुबह 4 बजे से लाइनें लग रही हैं. आपने क्या व्यवस्था की? इस बारे में आपको सोचना चाहिए माननीय मुख्यमंत्री जी. अध्यक्ष जी, इस पर भी आपको करना है क्योंकि ये सत्ता पक्ष प्रतिपक्ष की बात नहीं है, एक आम किसान की बात है. इस पर विचार करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, प्रधान मंत्री जी ने एक और गारंटी दी थी सॉइल टेस्टिंग कार्ड, आज जितनी प्रयोगशालाएँ गाँव गाँव में, ब्लाक्स में बनी हैं, वहाँ मशीनें धूल खा रही हैं, कहीं सॉइल टेस्टिंग नहीं हो रही है. ये गारंटी है मोदी की? आप करना तो चाहते हैं लेकिन जमीन तक नहीं ले जाते, यह दुख की बात है.
अध्यक्ष महोदय, वन ग्राम, अमित शाह जब आए थे मण्डला, जबलपुर, उन्होंने कहा था कि वन ग्राम को हम राजस्व ग्राम में बदलेंगे. सरकार, मुख्यमंत्री चेंज हो गए, लेकिन अभी तक उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय, हमारे साथी जयवर्द्धन सिंह जी ने मध्यप्रदेश में चीतों की बात की, जब मैं वन मंत्री था, मैंने ही इस फाइल को स्वीकृत किया था, सरकार चली गई, अलग बात है. लेकिन मैं जानना चाहता हूँ कि जब अफ्रिका से चीते आ सकते हैं तो गुजरात से, गिर से, हमारे यहाँ एशियाटिक लॉयन क्यों नहीं आ सकते? (मेजों की थपथपाहट) यह आपको पूछना पड़ेगा. क्या गुजरात को प्रधान मंत्री मोदी देश का अलग हिस्सा मानते हैं? कई बार यहाँ के वन विभाग ने एशियाटिक लॉयन के लिए लिखा, लेकिन आज तक इस पर कोई विचार नहीं हुआ. प्रकाश जावड़ेकर जी का मेरे पास पत्र आया था कि हम इस पर विचार कर रहे हैं. मैंने प्रधानमंत्री मोदी जी से अनुरोध किया था लेकिन इतने साल हो गए आज तक कोई जवाब नहीं आया तो मेरा आप से कहना है कि अगर आप हिन्दुस्तान को एक मानते हैं तो एशियाटिक लॉयन भी इस मध्यप्रदेश में होना चाहिए क्योंकि हमारे यहाँ एक वन संपदा है, काफी बड़ी जगह है. जो वहाँ पर बीमारियों में मर रहे हैं, सड़कों पर आ रहे हैं, एक्सीडेंट हो रहे हैं, लेकिन मोदी जी नहीं चाहते, ब्रॉण्डिंग चाहते हैं, बातें बहुत सारी हैं, ज्यादा समय नहीं लूँगा. बस आखरी में यही कहना चाहता हूँ--
न रोजगार है, न धंधा, न लाड़ली बहना, चुनाव जीतकर गूंगों को कुछ नहीं कहना, सड़क न बिजली न पानी, न पेंशन पर बात, यह पाँच साल भी जनता को बहुत सहना पड़ेगा. धन्यवाद.
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)-- अध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन का नेता होने के नाते माननीय राज्यपाल महोदय के प्रति विशेष रुप से आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने सोलहवीं विधान सभा के प्रथम सत्र में अभिभाषण देते हुए सरकार के विजन और मिशन को सामने रखा, हम सबको कृतार्थ किया है. अध्यक्ष महोदय, अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेया: सप्तैता मोक्ष दायिका. ऐसी 7 दुनिया की पवित्रतम् नगरियों में से एक नगरी अवन्तिका है, हमारा सौभाग्य है, ऐसी नगरी के हम इस राज्य के निवासी भी हैं और मैं वहां से आता हूं, जिसका कभी अंत नहीं हुआ, ऐसी अवंतिका की इस नगरी के एक सामान्य से मिल मजदूर के परिवार के बालक को यह केवल भारतीय जनता पार्टी ही कर सकती है, जिसने एक छोटे से मजदूर परिवार के बच्चे को लाकर के मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचाया. मैं अपने सभी राष्ट्रीय नेतृत्व का, सभी वरिष्ठ नेताओं का आभार भी मानता हूं. हमारी पार्टी के लोकतंत्र की यह खूबसूरती है और न केवल मैं यह वर्तमान का लोकतंत्र गौरवान्वित होगा, जो यशस्वी प्रधानमंत्री के रुप में एक चाय बेचने वाले परिवार से निकल करके देश के प्रधानमंत्री बनाते हैं और एक मिल मजदूर के परिवार को उठाकर मुख्यमंत्री बनाते हैं. कांग्रेस के पास इसका अभाव है. ये सर्वथा इस मामले में केवल केवल एक परिवार, वह भी धनी परिवार, जिसके कपड़े भी प्रेस करने के लिये लंदन जाते हैं, ये उस परिवार के लोग गरीबों की क्या बात करेंगे, क्या समझेंगे. मैं आज इस बात को करने आया हूं, मेरे मन में श्रद्धा है इस बात की कि लोकतंत्र की खूबसूरती है, कांग्रेस हो, बीजेपी हो, हम और आप परमात्मा की दया से लाखों लाख लोगों की आशाओं के केन्द्र हैं. 8 करोड़ से ज्यादा हमारा परिवार है मध्यप्रदेश, उस परिवार से सबकी आशा एवं अपेक्षा के आधार पर हम जनता के बीच में अपना एजेण्डा लेकर के जाते हैं और जनता हमारे उस एजेण्डे पर मोहर लगाकर के सरकार गठन के लिये हमारा मार्ग प्रशस्त करती है. लेकिन हम अहंकार के धनी नहीं हैं. हम उस विनम्रता के सेवक हैं, जिसके माध्यम से भविष्य के लिये एक कोई नई इमारत खड़ी करने के लिये निकलें और उसमें हम सबका सहयोग लें. मुझे इस बात की प्रसन्नता है, जिस बात को मैं कहने के लिये खड़ा हूं, मेरे सभी मित्रों ने पक्ष हो, विपक्ष हो. अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात के लिये आनन्दित हूं कि आज अपने यहां जिस कुर्सी पर आप विराजमान हैं. मुझे मालूम है कि आज आसंदी पर जो विराजमान हैं, उनका कितना विराट व्यक्तित्व है. हमने कल उनका निर्वाचन किया है. अध्यक्ष महोदय, हम सब इस बात को जानते हैं कि जिस छोटे से परिवार के साथ पार्षद के रुप में आपने यह राजनैतिक यात्रा चालू की. उसके पहले विद्यार्थी नेता के नाते से छोटे से गांव से आकर के भारत सरकार के लोकप्रिय और सबसे बड़े मंत्रालय में आपने सफलता से काम किया. कई बार हमारे अपने इस सदन के भी आप मंत्री रहे. प्रदेश भाजपा के कई बार आप अध्यक्ष रहे. आपके नेतृत्व में प्रदेश में पार्टी ने इस बार फिर संगठन के आधार पर चुनाव लड़ा और अभी आपने यही भारतीय जनता पार्टी की विशेषता है, मैं आभार मानता हूं, आपकी इस विनम्रता का भी और यह बात हम सबके लिये अत्यन्त आनन्द की है कि मेरी सरकार आपकी इस छत्रछाया में अपने विकास के कदम बढ़ायेगी और हम सब आपसे समय समय पर चाहे पक्ष हो या विपक्ष हो, आपसे हम आश्रय भी चाहेंगे कि हमारे द्वारा किये गये कामों पर आपके मार्गदर्शन में हम और नई ऊंचाइयां प्राप्त करें. इस चर्चा के इस सत्र में माननीय कैलाश जी विजयवर्गीय, वास्तव में आपने सही कहा भाई साहब, चाहे कैलाश जी हो, चाहे प्रहलाद जी हो, चाहे राकेश जी हो, चाहे गोपाल भार्गव जी हो, हमारे इधर सामने से भी रामनिवास रावत जी हो, हमारे अपने सारे, मैं तो कितना सौभाग्यशाली हूं. दो-दो विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष मेरे इस सदन के साथ में डॉ. सीतासरन शर्मा जी, गिरीश गौतम जी, हम सब इतने आनन्द में हैं, क्या नये, क्या पुराने सभी प्रकार के, मैं सभी का अलग अलग, मेरे एजूकेशन की भी बात की है. मैं इस बात के लिये भी आनन्दित हूं कि यहां पर जो अधिकांश सदस्य, जिनकी अपनी शैक्षणिक योग्यता और शैक्षणिक योग्यता से ज्यादा उनकी राजनैतिक योग्यता भी इस लायक है कि इस सदन को वे गौरवान्वित करेंगे. मैं आप सबका भी अभिनन्दन करता हूं. आज के इस चर्चा के सत्र में माननीय रामनिवास रावत जी, बाला बच्चन जी, जो पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे, पता नहीं किस कारण से बाला जी आपका नम्बर नहीं आया. मेरे आप खास मित्र हो, लेकिन उमंग जी भी आपके ही साथी हैं. पर मैं उम्मीद करता हूं कि आपके अन्दर के दलों में जैसे हमारे यहां तो थोड़ा ध्यान रखते हैं अगली पीढ़ी का और आप ठोकर खाने के बाद ध्यान रखते हैं. मैं उम्मीद करूंगा कि अगली बार हमसे सीखेंगे कि क्योंकि यह जो व्यवस्था है, उमंग जी मैं तो आपका ही धन्यवाद अदा कर रहा हूं. मैंने तो प्रारंभ में भी कल अपनी बात कही थी कि हम और आप सब मिल करके, यह जो दुनिया का सबसे युवा देश भारत है और दुनिया के सबसे युवा देश को अगर सबसे आगे जाना है प्रधान मंत्री के नेतृत्व में, तो निश्चित रूप से युवाओं को आगे लाने की आवश्यकता है. यह अलग बात है कि हमने नंबर मारा और हम परमात्मा की दया से जनता के बीच गये और जनता ने हमारे निर्णय को मोहर भी लगायी और आपने ठोकर खाने के बाद की है, लेकिन आपकी पार्टी का एक रिकार्ड गलत है, आपने अरूण यादव जी से पूरे समय काम करवा लिया और अब मौका आया तो फिर पता नहीं अरूण यादव जी कहां चले गये और फिर कमल नाथ जी और दिग्विजय सिंह जी आ गये. इसलिये यह जो परम्परा है, इससे आपको नुकसान होता है.
श्री उमंग सिंघार:- मुझे लगता है कि यह आपका यादव फ्रेम आ रहा है क्या. वह हमारे साथी हैं और रहेंगे.
डॉ. मोहन यादव:- मैं तो आप ही की बात कह रहा हूं. अभी खाली आप ही की बात हुई तो आप और हम तो आनंद लेने के लिये सुन रहे हैं. यह बात सही है कि इतिहास को कोई नकार नहीं सकता है. बाला भैया, आपके साथ तो बहुत अन्याय हुआ.
श्री बाला बच्चन:- हम आपका मुख्यमंत्री जी वाला भाषण सुनना चाहते हैं.
डॉ. मोहन यादव:- आपके साथ तो इतना अन्याय हुआ कि पूछो मत. आप तो लड़ते रहे नेता प्रतिपक्ष करके और मुख्यमंत्री का मौका आया तो कमल नाथ जी ले गये. मैं आपकी भावनाओं से सहमत हूं, मैं आपसे सहमत हूं और आपके साथ हूं, यह मैंने पहले ही कहा था. इस व्यवस्था के आधार पर ही हम अपनी-अपनी बात कर रहे हैं. मैं आज इस बात को लेकर चलना चाहता हूं, अभी सभी अलग-अलग विभागों के बारे में बात हुई. यद्यपि यह बात सही है कि एजेंडे की बात कही. मैं आपके बीच गर्व से कह सकता हूं कि भारतीय जनता पार्टी का संकल्प पत्र यह हमारे लिये एक पवित्र धर्मग्रंथ की तरह है, यह गीता, रामायण की तरह है. ( मेजों की थपथपाहट) एक-एक अक्षरश: पांच साल तक हम अपने इस एजेंडे को लेकर आये हैं, सरकार बनाने के लिये. एक महीने की सरकार के लिये नहीं है, न ही 13 महीने की सरकार के लिये है और हम और आप पांच साल बात करेंगे कि आप और हमने जो निर्णय किये थे, अपने संकल्प पत्र को लेकर आगे बढ़े थे तो हम किस रूप में आगे बढ़ें.
मैं आज खासकर के आपको दो-तीन चीजें बताना चाहूंगा कि राज्य सरकार होती है, मूलभूत सुविधाओं के लिये. उस पर भी हम काम कर रहे हैं. लेकिन सरकार अपने प्रदेश का मान, देश का मान और भारतीय सनातन संस्कृति का मान दुनिया में बढ़े, इसके लिये भी काम करने की आवश्यकता है और मुझे इस बात की प्रसन्नता है, ऐसे कई विषयों को लेकर के, जब से हमारी सरकार बनी है ऐसे कई एजेंडों को लेकर हम आगे चल रहे हैं. आपकी जानकारी के लिये बतायें कि आज से 300 साल पहले तक दुनिया में भारत का टाईम स्टैडंर्ड माना जाता था. लेकिन काल के प्रवाह में जब हम गुलाम हुए तो फ्रांस की राजधानी पेरिस में 50 साल तक टाईम स्टैडंर्ड वहां तय होता रहा, उसके बाद 250 साल पहले जब अंग्रेज हावी हुए तो अंग्रेज इस चीज़ को पेरिस से उठाकर ग्रीनविच ले गये और ग्रीनविच से वह हमारा स्टैडंर्ड टाईम तय करने लगे. अब आप अंदाज लगा लें. कहने के लिये हम पूर्व के देश हैं, वह पश्चिम के देश हैं और यह जो समय की गणना का केन्द्र है, आप कभी अंदाज लगा लो आज भी उमंग भाई कितनी बड़ी विसंगति है, बताइये यहां दुनिया में दो प्रकार के ही प्राणी पाये जाते हैं. एक प्राणी जो सूर्योदय से अपनी दुनिया चालू करते हैं और सूर्यास्त पर खत्म करते हैं. दूसरे प्राणी रात्रि या निशाचर वाले हैं, लेकिन मध्य रात्रि में कौन से प्राणी अपनी दिनचर्या चालू करते हैं. यह मध्य रात्रि में 12 बजे दिन बदलेगा इसका कौन सा स्टैडंर्ड है, यह कौन सा पैमाना है. लेकिन यह वो पैमाना है जिस पैमाने को मैं, थोड़ा सा आपके सामने बताना चाहूंगा. यह वह पैमाना है जिसके माध्यम से भारतीय संस्कृति को लज्जित करने का का प्रयास किया. मैं अभी अपने विषय पर आ रहा हूं, भाषण खत्म नहीं कर रहा हूं. आपको भी मौका दूंगा आप अपनी आंखों से जाकर देखना कि 21 जून और 22 दिसम्बर को दिन के 12 बजे उज्जैन की ऑब्जर्वेट्री में जाना, वहां एक संकु यंत्र है, जो 300 साल पहले बना है और आधुनिक साइंस की दृष्टि से जीपीएस है फिजिक्स का बना हुआ. जहां से आप डिसाइड कर सकते हैं कि दुनिया का सेंटर पाइंट कौन सा है. आपको गर्व होगा कि वह उज्जैन और डोंगला है. जहां पर 23 दशमलव् 26 अंश मिलेगा. लेकिन हमारे आधुनिक साइंस के उपकरण भी बता रहे हैं, जो हजारों साल से हमारे पूर्वज जानते थे. ऐसे गौरवशाली चीज़ को हम विस्मृत करके केवल पश्चिम अनुकरण जो करने लगे हैं, उस काल के प्रवाह के चक्र को बदलते हुए. ऐसे रहस्यों को भी सबके सामने लाने का काम हमारी सरकार कर रही है.इसलिये वह पुरानी ऑब्जर्वेट्री जो राजा जय सिंह के समय बनायी हुई थी, 5 ऑब्जर्वेट्री. लेकिन एक नई ऑब्जर्वेट्री साइंस टेक्नालाजी विभाग के माध्यम से हम बना रहे हैं. जिसको आई.आई.टी के बच्चे रिसर्च करने जायेंगे, आई.आई.एम के बच्चे भी रिसर्च करेंगे. मध्यप्रदेश के 16 विश्वविद्यालयों में से फिजिक्स के माध्यम से वहां 10 से ज्यादा विश्वविद्यालयों ने एम.ओ.यू किया है और वह रिसर्च कर रहे हैं कि हां यह बात सही है कि हमारे लिये अगर स्टैडंर्ड टाईम की बात तय होगी तो एक बात और आपको बता दूं कि यह जो विषय हमने रखा है, इस विषय में कई मामलों में हमारे एशिया के कई देशों से संबंध उन्नीसे,बीसें हो सकते हैं, लेकिन वह सारे के सारे देश, दक्षिण एशिया सहित, चाहे चाईना हो, चाहे पाकिस्तान हो या अफगानिस्तान हो. ये सारे लोग मानते हैं कि स्टैण्डर्ड टाइम अगर तय करने की बात होगी तो भारत पर यह बात जाएगी और भारत में उज्जैन का मान बढ़ेगा, भारत का मान-सम्मान बढ़ेगा. यह जो कहा कि सरकार से क्या संबंध है तो सरकार ने वह ऑब्जर्वेट्री खड़ी की है और एक नया प्रस्ताव सरकार के माध्यम से दे रहे हैं कि भविष्य की दृष्टि से आईआईटी सैटेलाइट टाऊन उज्जैन में इंदौर का विस्तारीकरण करेंगे, जिसके माध्यम से ऐसे भविष्य के कई विषय भी जैसे बाबा महाकाल की नगरी, यह केवल धर्म की नगरी नहीं है, यह जियोग्राफिकली फिजिक्स की नगरी भी है, भूगोल की नगरी भी है, ज्ञान की नगरी भी है. आप अंदाज लगा लें कि 2000 साल पहले जो आर्यभट्ट् ने हमारा अक्षांश देशांतर निकलने वाला जो यंत्र है, आप मानकर चले कि आज भी हवाईजहाज आपको उतारना है तो आप बताइए जैसे हवाईजहाज ऊपर उड़ेगा तो लगभग 1 लाख मीटर प्रतिघंटे की गति से पृथ्वी घूमती है, वह वापस मुकाम पर आने के लिए अक्षांश देशांतर की जरूरत पड़ेगी, यह सिद्धांत अगर किसी ने खोजा है तो आर्यभट्ट ने खोजा है. यह गौरवशाली पक्ष हमारा सबके बीच में आना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) मैं अभी आपके बीच में आ रहा हूं. यह इसलिए कह रहा हूं, आपको लगेगा कि पोंगापंथी बातें हैं, अगर आपको कुछ बात कहना हो तो जरूर पूछ सकते हैं.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री उमंग सिंघार ) - अध्यक्ष महोदय, दिल्ली से प्लेन यहां बुलवा लें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत अच्छा सुझाव है, क्यों न अपना प्रदेश का समय चेंज कर लें. सब उसके बाद फालो करते रहेंगे.
डॉ. मोहन यादव - इसी मानसिकता ने पीछे किया है. मैं आपके सामने बता रहा हूं. अभी आपको बताता हूं कि समय कैसे तय होता है. यह समय मेरे तुम्हारे कहने से स्टैण्डर्ड टाइम यहां तय नहीं होता है. यह समय तय होता है फिजिक्स के वैज्ञानिकों के माध्यम से.
श्री बाला बच्चन - माननीय मुख्यमंत्री जी अभिभाषण पर आ जाइए. मध्यप्रदेश की योजनाओं पर आ जाइए.
डॉ. मोहन यादव - एक मिनट बाला भाई, सुने तो सही. आपकी बात पर तो हमने रोका नहीं.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, जब नेता प्रतिपक्ष बोले थे, हम सबने उनको सुना है.
श्री तुलसीराम सिलावट - सदन के नेता बोल रहे हैं आप बीच में टोक रहे हैं.
श्री महेश परमार - जय श्री महाकाल, हमारे मुख्यमंत्री जी को बोलने दो, उज्जैन के हैं उनको बोलने दो. जो भी कहें सही कहें. मुख्यमंत्री जी, न खाता न बही, मुख्यमंत्री जी जो कहें वही सही. जय महाकाल मुख्यमंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय - कृपया शांति बनाए रखें.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे सहमत हूं. मेरा इतना कहना है कि अपने यहां वैज्ञानिकों की विज्ञान कांग्रेस है और हमारी सरकार भारतीय विज्ञान कांग्रेस के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस कराकर स्टैण्डर्ड टाइम कहां से तय होना चाहिए, इस दिशा में भी अपनी सरकार साइंस टेक्नालॉजी विभाग के माध्यम से कार्य कर रही है, अगर वह तय करेगी तो निश्चित रूप से इसमें बदलाव आएगा. (मेजों की थपथपाहट) मैं आपको वह याद दिलाना चाहता हूं कि इसमें न केवल राज्य सरकार की, बल्कि भारत सरकार की भूमिका भी है और भारत सरकार यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करेगी, लेकिन इसके लिए प्लेटफार्म बनाने का काम अपनी सरकार कर रही है और अपने विभाग कर रहे हैं, यह उसके बाद होने वाला काम है, मैं उसकी बात आपको थोड़ी-सी बताना चाह रहा हूं और केवल यही नहीं, कुछ और भी विषय हैं, लेकिन कहीं ज्यादा हो जाएगा, इसलिए मैं उससे थोड़ा बचना चाहता हूं. आप अंदाज लगा लो, मैं इसकी बात इसलिए कर रहा हूं, अपने बीच में से जैसे आप ध्यान दीजिएगा कि हमारे यहां सम्राट विक्रमादित्य, अब संवत् की बात अगर हम करते हैं तो आप अंदाज लगा लें कि जो संवत् है. संवत् के मामले में आज भी मैं कांग्रेस पर इस ढंग से आरोप लगाता हूं कि आज भी कांग्रेस के उस तत्कालीन निर्णय के कारण से शक संवत् की शासकीय मान्यता है, जबकि संवत् की मान्यता होना चाहिए विक्रम संवत् की और विक्रम संवत्, यह सम्राट विक्रमादित्य के नाम का है. यह हमारा गौरवशाली पक्ष है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री महेश परमार - माननीय मुख्यमंत्री जी दो संवत्.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, आसंदी से व्यवस्था होना चाहिए, सदन के नेता बोल रहे हैं तो यह टोका-टाकी ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - सभी शांत रहें. जब मुख्यमंत्री जी का उद्बोधन हो रहा है तो हम लोगों को शांति से सुनना चाहिए.
डॉ. मोहन यादव - मैं स्मरण करा रहा हूं कि बीच में मैंने बोला नहीं, इसलिए उम्मीद यह कर रहा हूं कि आपके सबके बीच में से जिसका वक्तव्य आए, आपको उस बात में जरा यह लगता है कि बाद में भी बात कर सकते हैं तो मुझसे बात कर लीजिएगा, मैं तैयार हूं, लेकिन ये सारे विषय इसलिए रख रहा हूं कि यह सरकार का हिस्सा है. यह सरकार से अलग नहीं है. मैं जो भी बात रख रहा हूं, उसमें प्रत्येक चीज में सरकार इनवॉल्व है. सरकार की मदद के बाद वह चीज खड़ी हुई है, उसमें कुछ भी अलग से नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) इसलिए जैसे मैंने विक्रमादित्य की बात कही है, अभी अयोध्या की बात करेंगे. अयोध्या भी विक्रमादित्य पर जाकर टिकेगी. अयोध्या और विक्रमादित्य का अंतर नहीं है. आप इसका रिकॉर्ड देखिए, पिछली बार हमारे उज्जैन में उत्तरप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी साथ में आए थे. उन्होंने ही इस बात को कोट किया कि बाबर द्वारा अयोध्या का जो मंदिर तोड़ा गया वह 2 हजार साल पहले विक्रमादित्य ने उज्जैन से जाकर के बनाया था यह 84 काले-कसौटी का खम्भे का मंदिर विक्रमादित्य काल का था. उसको कोर्ट ने प्रमाणित किया है. यह मेरे या आपसे नहीं हुआ है. ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने डिसाइड किया कि यह मंदिर इतना पुराना है और आप अंदाजा लगा लीजिए कि दुनिया में 3 भाईयों की जोड़ी प्रसिद्ध हुई है. एक भगवान राम-लक्ष्मण, दूसरा भगवान कृष्ण-बलराम और तीसरी जोड़ी मध्यप्रदेश के विक्रमादित्य और भृर्तहरि. इस तीसरी जोड़ी ने मध्यप्रदेश को गौरवान्वित किया है. इसलिए यह दो भाई दुनिया के ऐसे भाई हैं जो दोनों ही अद्वितीय रहे हैं. जिनके जीवन के अलग-अलग पक्ष हैं. जब भृर्तहरि ने शासन चलाया और भृर्तहरि ने जो साहित्य बनाया, वह भृर्तहरि का साहित्य आज भी दुनिया में अद्वितीय है. उन्होंने तीन पुस्तकें लिखीं. श्रृंगारशतक, नीतिशतक और वैराग्यशतक. यह तीनों पुस्तकें प्रत्येक के लिये पढ़ने लायक हैं. उसकी विविधता हम सबके लिए जानने लायक है. लेकिन उसकी गहराई को भी समझने की जरूरत है. विक्रमादित्य शोधपीठ के माध्यम से विक्रमादित्य फेलोशिप देते हुए हम रिसर्च सेंटर के माध्यम विक्रमादित्य का विराट व्यक्तित्व दुनिया के सामने आना चाहिए. एक ऐसा व्यक्ति जो न्यायप्रिय था. विक्रमादित्य के कितने पक्ष हैं. विक्रमादित्य और उनका नवरत्न आप अंदाज लगा लीजिए कि विक्रमादित्य की बात को ले जाने के लिए हमारे पाठ्यक्रम से विक्रमादित्य का हिस्सा गायब कर दिया. विक्रमादित्य को काल्पनिक बताया गया. विक्रमादित्य कौन से हैं, इसको निश्चित करने के लिए प्रश्न खडे़ किए गए. यह रिसर्च सेंटर के माध्यम से हमने सारे जवाब दिए हैं कि विक्रमादित्य अपने इस देश के हैं और उज्जैन के हैं. हर साल इसकी अलग-अलग प्रकार की फेलोशिप देकर के जो रिसर्च आती है उसकी पुस्तकों का प्रकाशन मध्यप्रदेश शासन के माध्यम से करा रहे हैं और विक्रमोत्सव के आयोजन केवल एक ही प्रकार के नहीं हैं उनके एकेडमिक साईड के भी और उनके जनरंजन के कार्यक्रम भी हैं. विक्रमादित्य के बारे में तो हमारी ज्यूडिशियरी, विक्रमादित्य का न्याय, विक्रमादित्य की वीरता, विक्रमादित्य की दानशीलता, उनका पराक्रम, उनका पौरूष, क्या कोई कल्पना कर सकता है कि एक व्यक्ति में इतने गुण हो सकते हैं और उसके बावजूद उनकी उदारता ऐसी, जो आदमी तो आदमी, भूत को पकड़ ले, क्या ऐसी वीरता किसी में हो सकती है. यह केवल एक आदमी में हो सकती है. जिसको विक्रमादित्य के नाम से जानते हैं. मैं आज इस बात के लिए आनंदित हॅूं आज इस सदन में यद्यपि हमारी सरकार के माध्यम कई-कई प्रकार के काम हुए. कई-कई प्रकार की बातें आयीं. ऐसे कई विषयों पर बात करने के साथ नई शिक्षा नीति के मामले में मित्रों ने बात खड़ी की, आप अंदाज लगा लीजिए कि नई शिक्षा नीति दुनिया को जो शिक्षा देने वाला और गुरू करके जो हजारों-हजार साल से जिसकी मान्यता है ऐसे भारत वर्ष के अंदर शिक्षा के मामले में लॉर्ड मैकाले ने 1835 में जो गलती की, कांग्रेस ने 60 साल तक उस गलती को दुरूस्त करने का काम नहीं किया. हमें इस बात की प्रसन्नता है कि यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी ने नई शिक्षा नीति लागू करके हमारे देश की संस्कृति से जोड़कर के शिक्षा को जीवन के सर्वांगीण विकास के साथ जोड़ने का प्रयास किया और मुझे इस बात का गर्व है कि मध्यप्रदेश के सीमित संसाधन के बावजूद भी नई शिक्षा नीति दुनिया में अगर किसी ने लागू की है तो सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार ने लागू की है. (मेजों की थपथपाहट) अपनी नई शिक्षा नीति के बारे में अगर सरकार के इस विषय को मैं सदन में रखता हॅूं तो आप सबके लिए भी यह विषय अच्छा रहेगा. आप भी बात करेंगे कि आप हमारे अपने महाविद्यालय के अंदर अगर पढ़ना चाहें, तो कोई आयु बंधन नहीं है. पोता, पिताजी, दादाजी जिनको एडमिशन लेना है, वे ले सकते हैं. कोई बंधन नहीं है. एक व्यक्ति दो डिग्री लेना चाहे, दो डिग्री ले सकता है. इसमें कोई बंधन नहीं है. हमारे कोर्स की डिज़ाइन भी बीए, बीकाम, बीएससी से बदलकर के कोई साइंस का व्यक्ति यह इच्छा रखे कि मैं एक ऑर्ट्स का विषय पढ़ना चाहता हॅूं तो वह ऑर्ट्स का विषय पढ़ सकता है और ऐसे कई प्रकार के कोर्स हैं, जिन कोर्स के बलबूते पर हमको अपने जीवन के मार्ग तय करना है, जीवन की दिशा तय करना है, वह हम कर सकते हैं. ऐसे सारे विषयों को लेकर नई शिक्षा नीति बहुत बड़ा रोल अदा कर रही है. इस नई शिक्षा नीति के मामले को लेकर के कभी मौका पडे़गा, तो आप एक विशेष सत्र बुलाएं और हम सब इस पर खुलकर के चर्चा करें क्योंकि नई शिक्षा नीति के क्रमश: तीसरे वर्ष में हमने प्रवेश किया और अंतिम वर्ष में प्रवेश करते-करते ऐसे फालतू के कई बंधन हम खत्म करेंगे, जिन बंधन के आधार पर केवल कागज की डिग्री लेने के लिए विद्यार्थी प्रेरित होते थे. कागज के बजाय जो डिग्री मिले, उससे जीवन में सार्थकता आए. जीवन में उसका उपयोग हो. इसीलिये हमारी अपनी सरकार ने, अपनी सरकार की पहली बैठक में हमने एक निर्णय लिया कि सभी प्रकार के कोर्स एक जिले में कम से कम एक ऐसा एक्सीलेंस कालेज खोलें जिसमें पढ़ने का मौका मिलेगा तो 52 ही जिलों में हमने 52 एक्सीलेंस और अब जो सरकारी 55 हुए हैं तो उसको बढ़ाकर के 55 तक ले जायेंगे, एक्सीलेंस कालेज में ले जायेंगे. इसी में निर्णय लिया है कि कालेज किस प्रकार के होंगे ? कालेज सर्व-सुविधा युक्त होंगे . जिसमें खेलने का मैदान, होस्टल, सभी प्रकार के पाठ्यक्रम को पढ़ने की गुंजाइश, उसी में ई लायब्रेरी और इसी के साथ साथ बस की व्यवस्था भी रहेगी. 20 किलोमीटर के रेडियस में जाकर के बच्चों को अपने ही महाविद्यालय में आने के लिये किसी और पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. हमने इसमें दूसरी व्यवस्था की डिजी लॉकर की. हमारे बच्चे जो अपनी मार्कशीट को स्थानांतरण सर्टिफिकेट को लिये लिये घूमते थे. अब डिजी लॉकर के माध्यम से मध्यप्रदेश देश का एक ऐसा पहला राज्य बना है, जिसको कोई पत्र अथवा पेपर ले जाने की जरूरत नहीं है. वह सारी की सारी सुविधाएं सबके लिये उपलब्ध रहेगी. हमारी सरकार ने तीसरा निर्णय लिया रजिस्ट्री करने के बाद आपको हमारे अलग अलग पटवारियों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है. सबका नामांतरण अपने आप होगा. 1 जनवरी से यह योजना लागू होगी व्यवस्था ताकि बीच की जो अव्यवस्था है, यह अव्यवस्था हम खत्म करने वाले हैं. हमारी सरकार ने ही निर्णय किया है कि जो सुप्रीम कोर्ट निर्णय करती थी. पता नहीं क्यों हमारे मित्र हम पर आरोप लगाते हैं, पता नहीं क्यों लगाते हैं. सुप्रीम कोर्ट निर्णय करती है, सुप्रीम कोर्ट से बड़ी कोई ताकत नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू कराने की कभी आपके मित्रों आपकी पूर्ववर्ती सरकार में हिम्मत नहीं रही. सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय किया कि तीन तलाक को खत्म कर दो तो आपकी सरकार ने उस फैसले को लोकसभा में बदल दिया. यह आपकी दुर्भाग्यपूर्ण अव्यवस्था है. हमारी सरकार ने 40 साल पहले पुराने लिये तीन तलाक के निर्णय को भी माननीय मोदी जी के नेतृत्व में बदल के रख दिया है सरकार होती है निर्णय लागू कराने के लिये. अगर निर्णय अच्छा है और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है, जनहितैषी है, महिला हितैषी है, वह निर्णय क्यों लागू नहीं होना चाहिये. डंके की चोट पर लागू कराने का निर्णय है. हमारी सरकार ने यह निर्णय किया है कि आपके मामले में राम मंदिर के मामले को कितने प्रकार से उलझाया गया, कितने प्रकार से लटकाया गया, यह आपकी सरकार थी. हमारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया कि राम मंदिर वहीं बनेगा तो डंके की चोट पर राम मंदिर के मामले में सरकार ने निर्णय लिया माननीय मोदी जी स्वयं वहां पर उपस्थित हुए और हमारी सरकार ने राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त किया. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने निर्णय लिया है कि राम भक्तों पर जहां जहां पर गोलियां चली थीं बाऊंड्री पर जहां जहां पास के राज्य में जिनकी आपकी पीछे से सपोर्ट थी उन सरकारों को हमारे लोगों को गोलियों से भूना गया था, कारसेवकों का अपमान किया गया था. हम उनके लिये फूल बिछायेंगे आनन्द के साथ 22 जनवरी को पूरी मध्यप्रदेश की सरकार इसका स्वागत करेगी. राम दर्शन करने वालों का तथा राम मंदिर में जाने वालों का और तीर्थ दर्शन यात्रा के माध्यम से हमारी ट्रेनों से बसों से जिनको भी अयोध्या जाने की इच्छा होगी उनको पहुंचाने का प्रयास करेगी. यह हमारी व्यवस्था के आधार पर हम तो सबका स्वागत करेंगे. हम सब चलें भगवान राम के लिये हम सबको मालूम है कि राम कैसे हैं. आप भी राम कहना सीखे हो, लेकिन हमारे राम कैसे हैं आप बताओ की कभी ऐसा शासक हो सकता है कि जिसके केवल नाम में, नाम तो केवल राम है, लेकिन कहां कहां और कैसे कैसे दिखाई देते हैं. राम हमारे दिखाई देते हैं हम राम राम कहते हैं तो हमको लगता है कि अभिवादन कर रहे हैं, बोलते हैं जयसिया राम तो हम आनन्द में आ जाते हैं. आराम सोने भी जायें तो भी राम के पास, विश्राम तो भी राम और आप राम नाम सत्य कराने वाले को कोर्ट में सर्टीफिकेट देते थे कि राम का अस्तित्व कहां पर है. कपिल सिबल का आज भी एफीडेबिट इस बात के लिये लज्जित करता है कि आपने प्रभु श्री राम पर प्रश्न उठाये थे. आज आप उनकी बात करते हैं कि हमारे भी राम हैं. अगर तुम्हारे राम होते तो यह सर्टिफिकेट क्यों देते ? यह मामले क्यों उलझाते, राम मंदिर के मामले में क्यों बाधाएं खड़ी करते, यह बड़ा ही दुर्भाग्य का विषय है. अब फिर यह मामला आया है चलो आप भी संभल जाओ, कोई बात नहीं. राम की बात पूरी हो गई. अब आ जाओ कृष्ण भगवान पर कृष्ण कन्हैया लाल की जय, आओ मथुरा में आपको कौन मना कर रहा है. भगवान कृष्ण की जय-जयकार करो. यह हमारी सरकार है कि मध्यप्रदेश के अंदर भगवान कृष्ण जी के जहां जहां पर भी पांव पड़े हैं, जहां जहां पर लीला रची है. चाहे अपना उज्जैन जहां पर उन्होंने 64 कला 14 विद्याएं सीखीं, या धार के पास अमझेरा जहां रूकमी के साथ उनका युद्ध हुआ. जानापाव इन्दौर के पास की पहाड़ी जहां पर परशुराम जी भगवान को सुदर्शनचक्र देते हैं, वह सारे स्थान एक तीर्थ के रूप में विकसित करेंगे, यह हमारी सरकार का निर्णय है. इन सारे निर्णयों के लिये इस सरकार में आये हैं. हम इसकी कोशिश कर रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री जी राज्यपाल के अभिभाषण पर बोल रहे हैं, क्या है अभिभाषण?अभिभाषण में ये कहां है?मुददे पर बात ही नहीं हो रही है, अभिभाषण पर बात ही नहीं हो रही है. राम राम तो गांव का हर व्यक्ति शुरू से करता है.
अध्यक्ष महोदय - मुख्यमंत्री जी को पूरी बात रखने दीजिए.
मुख्यमंत्री(डॉ. मोहन यादव) - अध्यक्ष जी, मैंने थोड़ी देर पहले ही कहा था कि पहले राम की बात की, तो इन्होंने कोर्ट में शपथ पत्र दिया, अभी कृष्ण की बात की तो फिर बात बदलने लग गए, कृष्ण राज से क्यों नफरत है, पता नहीं क्या कारण है. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि इनके बारे में ..
श्री उमंग सिंघार - कोई नफरत नहीं है, आपको व्याख्यान करना है तो किसी मंदिर में बैठकर पुजारी बनकर कीजिए, यहां पर प्रदेश के मुद्दों की बात हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी सदस्य शांत रहिए, मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं.(सदस्य उमांकात शर्मा के खड़े होने पर)
श्री बाला बच्चन - भगवान को भी बांट लो, राम जी केवल आपके हैं, हमारे राम जी नहीं है?
डॉ. मोहन यादव - कपिल सिब्बल किसके थे, वेणुगोपाल किसके थे, कांग्रेस के सारे महासचिव क्यों शपथ पत्र देने गए. भगवान राम के मामले में, रामसेतु के मामले में, ये सारे सुप्रीम कोर्ट के अंदर दस्तावेज क्यों लगाए, हमने तो नहीं लगाए, हम तो हमेशा उसकी बात करने गए. (..व्यवधान)
डॉ. मोहन यादव - थोड़ी सी बात अपने काम की भी करें, जिस तरह से आगे हमने निर्णय किए हैं. मैं दो तीन बातों को बताकर अपने विषय पर आऊंगा. ये विषय आपके सामने इसलिए बताया, क्योंकि ये विषय पक्ष विपक्ष के नहीं हैं. तथ्यात्मक बात है, जिसमें सरकार का योगदान है, जिसके माध्यम से हम आगे बढ़ रहे हैं, हमने आपको कहा कि अगर महाकाल का महालोक बनाया है, तो महाकाल के महालोक में त्रिवेणी संग्रहालय भी बनाया है. जहां त्रिवेणी संग्रहालय में, भगवान महाकाल के कारण तो उज्जैन जाना ही जाता है, लेकिन हम ये जानकारी ले लें कि शैव सम्प्रदाय की लंबी परम्परा है. फिर हमारी दूसरी परम्पर देवी परम्परा है, जो हमारी 51 शक्तिपीठ हैं, उसमें से माता हरसिद्धि का भी एक स्थान है, उसी प्रकार से भगवान कृष्ण की वैष्णव परम्परा भी है, तो कृष्णायन भी बनाया. ये सब शासन के माध्यम से बनी हुई चीजें हैं, इसको कोई हमने मर्जी से नहीं बनाया और उनके जीवनकाल से लेकर उनकी विविधता वाले सारे साहित्य, सारी वनस्पति, सारा आर्केयोलॉजी से संबंधित विषय, सारे संग्रहालय उनको जोड़कर के हमारी सनातन संस्कृति को केवल हिन्दु मुसलमान नहीं विदेश से भी कोई आकर के हमारी संस्कृति को देखना समझना चाहे तो ये उनके लिए भी अवसर उपलब्ध कराने की बात है. हमारे लिए तो सौभाग्य की बात है. हमारे लिए आज वर्तमान के दौर में, दुनिया में मोदी जी के नेतृत्व में जिस प्रकार से मोदी जी ने भारत का मान बढ़ाया, सम्मान बढ़ाया, दुनिया भारत को जानना चाहती है, दुनिया सनातन संस्कृति को जानना चाहती है, दुनिया हमारे बीच में वह सारी चीज ढूंढना चाहती है जो..
सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया.
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दु:खभाग भवेत्.
हमारी सारी संस्कृति को लोग देखना, समझना चाहते हैं, हमारी अच्छाइयों को लोग जानना चाहते हैं, उन विषयों को हम अपने साथ लेकर के, हम उनको पाठ्यक्रम का भी हिस्सा बनाना चाहते हैं. मैं आज अपने बीच में दो-चार बातें और कहूंगा. यद्यपि मैंने माननीय अध्यक्ष जी से कहा था कि तीन बजे के आसपास मुझे जाना है, लेकिन अब चार बज गया है, भाषण तो इतना लंबा है कि बात करेंगे तो ज्यादा समय हो जाएगा, लेकिन फिर भी हम इसको समापन की तरफ लाते हैं, आपने सड़कों की बात कही. आप अंदाज लगा लो, अभी किसी मित्र ने एक बात रखी थी, उन्होंने कहा था कि वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार का जो केन्द्रांश है...(..व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मुख्यमंत्री जी मेरा निवेदन है कि आपने महाकालेश्वर की तो बात की है, कृपया नर्मदा के उदगम स्थल अमरकंटक एवं नर्मदा जी के बारे में भी बात करें.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए, मुख्यमंत्री जी बताएंगे, वे अभी क्षिप्रा जी के नजदीक है, नर्मदा के ऊपर भी बोलेंगे.
डॉ. मोहन यादव - नर्मदा के मामले में कौन जान सकता है कांग्रेस से ज्यादा. कांग्रेस ने वर्ष 1977 में एनबीडीए के निर्णय को लागू न करके मध्यप्रदेश की जनता का अपमान किया है. मुझे इस बात का गर्व है कि यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकान ने एन.बी.डी.ए. के माध्यम से हमारे सारे डेम पूरे किये है
अध्यक्ष महोदय -- (श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य द्वारा बार-बार अपने आसन से कहने पर) जब मुख्यमंत्री बोल रहे हैं,कृपया आप डिस्टर्ब न करें.
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, इसी विधानसभा में वह रिकार्ड दर्ज है, जब इन्होंने कहा था कि नर्मदा का पानी क्षिप्रा में मिल नहीं सकता है, चंबल में, अपने मालवा में जा नहीं जा सकता है, निमाड़ में जा नहीं सकता है, वह सारे डेम पूरे हो नहीं सकते हैं, वह सारे डेम भी पूरे हुए और अभी नर्मदा के पानी के लिये हमारे वह डेम तो पर्याप्त थे. हम उस एम.ओ.यू. को भी रिव्यू कर रहे हैं, जिसके बलबूते पर बाकी जगह भी नर्मदा का पानी खपाकर के इस प्रदेश की बेहतरी के लिये काम करें, यह हम सारे निर्णय ले रहे हैं, जिसके आधार पर नर्मदा जी से पूरा प्रदेश लाभांवित हो. (मेजों की थपथपाहट)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय मुख्यमंत्री जी अमरकंटक से मां नर्मदा का उद्गम है और आपके उज्जैन में भी नर्मदा जी का जल है, मैं चाहता हूं आप नर्मदा जी के विकास के लिये भी कुछ बोलें.
डॉ. मोहन यादव -- अरे आप जो कहोगे, वह बिल्कुल करेंगे, चिंता मत करो,बस आपका पक्ष गलत है, इधर आ जाओ तो और ज्यादा करेंगे. अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री बाला बच्चन जी ने एक विषय उठाया, आपने कहा पहले केंद्र सरकार 75 प्रतिशत राशि देती थी, अब घटकर 60 प्रतिशत हो गई, आपकी जानकारी के लिये बता दूं, पहले वास्तविक स्थिति 75 प्रतिशत को घटाकर 60 प्रतिशत इसलिये किया गया कि केंद्रीय राज्यांश में राज्य का हिस्सा केवल 32 प्रतिशत था, जबकि अब यह बढ़कर 42प्रतिशत हो गया है, यह केंद्र सरकार ने हमारा राज्यांश बढ़ाया है, कम नहीं किया है, इसी प्रकार से कई और मद हैं, जिन मदों का मैं उल्लेख करूंगा तो भाषण लंबा हो जायेगा. लेकिन प्रत्येक मद में भारत सरकार में यशस्वी मोदी जी ने अपनी राशि को तीन गुना, चार गुना किया है, कुल मिलाकर राज्य बजट का आधे से ज्यादा हिस्सा इसी प्रकार से हमारी योजना के माध्यम से मिल रहा है, इसी कारण से हमारा यह बजट बढ़कर के पर्याप्त रूप से सारी योजनाओं को पूरा करने वाला हुआ है, कुछ विषय अपने बीच में आये हैं, कोई योजना पूरी नहीं होगी, बंद हो जायेगी, यह अनावश्यक डर है. माननीय अध्यक्ष महोदय, लाड़ली लक्ष्मी योजना से लगाकर सारी योजनाएं, कोई योजना बंद नहीं होगी, सारी योजनाओं के लिये पर्याप्त धनराशि हमने रखी है, इसी प्रकार से गैस कनेक्शन की बात आई, गैस कनेक्शन की राशि भी सभी को बराबर मिलेगी, किसी की कोई राशि नहीं कटेगी.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर इन्होंने कहा है कि कोई योजना बंद नहीं होगी, तो लाड़ली बहना पर कानून ही बनवा दें. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ.मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, सारी राशि जब-जब जिसकी तारीख है, उस तारीख में डलती जा रही है, अब यह अलग बात है कि आपको जानकारी नहीं है तो मैं क्या कर सकता हूं.
श्री उमंग सिंघार -- मेरा अनुरोध है, कानून ही बनवा दें.
डॉ. मोहन यादव -- कानून किसका बना दें.
श्री उमंग सिंघार -- लाड़ली बहना पर बना दें, अगर खाद्य सुरक्षा अधिनियम बन सकता है तो इस पर एक बना दें.
डॉ. मोहन यादव -- अभी एक मिनट, अभी आप माननीय मोदी जी को धन्यवाद दो, जिन्होंने कहा है कि कुल चार जातियां हैं, उसमें से उन्होंने बहनों, महिलाओं के लिये भी रखा है, महिला, युवा,गरीब किसान अब आप उसमें महिला सशक्तिकरण की योजना में कानून बना रहे हैं, अब आपके लोग तो वहां दिल्ली में बाहर काला लेकर घूम रहे हैं तो मैं क्या करूं. आप उनको समझाओ कि भईया उनके लिये हम सब तैयार है, अगर आप सब तैयार हो तो मैं आपके साथ खड़ा हूं, बहनों के लिये जो बेहतर हो सकता है यशस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत की सारी राज्य सरकारें इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं.
श्री उमंग सिंघार -- आप इसके लिये सहमत हैं.
डॉ.मोहन यादव -- अब यह चर्चा बाद में कर लेंगे, बाद में और भी मौका मिलेगा. अध्यक्ष महोदय, डबल इंजन सरकार का चमत्कार क्या होता है, बताना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश से बीमारू राज्य का कलंक हटा, पांच लाख किलोमीटर से अधिक लंबाई की चमचमाती सड़कें अगर बनी हैं तो केवल डबल इंजन सरकार के कारण बनी हैं, 47 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा अगर बढ़ी है तो केवल डबल इंजन सरकार में माननीय मोदी जी के कारण से बढ़ी है. हमारी विकास दर आज 16 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है, तो केवल मोदी जी की सरकार के कारण से हुई है, यह हमारा सौभाग्य है, प्रति व्यक्ति एक लाख चालिस हजार से अधिक अगर हुई है तो उसमें एकमात्र कारण माननीय मोदी जी का है
अध्यक्ष महोदय, एक और बात आपने कहा सिंहस्थ, तो हां सिंहस्थ होगा यह तो भगवान ने हमको सौभाग्य दिया है कि जब-जब सिंहस्थ होता है, केवल एकमात्र कारण भाजपा की सरकार बनती है, या पूर्ववर्ती सरकारें बनती हैं और सिंहस्थ को हर पुराने सिंहस्थ से ज्यादा अच्छे से कराने का हमारा ही उस मामले में योगदान रहता है. मैं आज आपको गारंटी दे सकता हूं कि वर्ष 2028 का सिंहस्थ जिसको हम बाकी लोग कुंभ राशि के कारण कुंभ मेला कहते हैं, फिर हम करायेंगे और किसी को बाल बराबर तकलीफ नहीं आने देंगे (मेजों की थपथपाहट),लेकिन सरकार विकास के काम भी बराबर करेगी और अवैध विकास को कभी बढ़ावा नहीं देगी, किसी भी कारण से अवैध कॉलोनियों को बढ़ावा नहीं देगी, नियम कानून के अंतर्गत जो-जो हो सकता है, वह सारे प्रबंध हम करने वाले हैं. इसमें किसी प्रकार का कोई कम्प्रोमाइज नहीं करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, विषय तो बहुत लंबे हैं और बहुत सारी बात करना है, चूंकि सवा चार बज गया है, आज सदन के समापन का समय आया है. मैं आज अपने सारे वरिष्ठों का, सारे मित्रों का जिन्होंने सकारात्मक माहौल में एक अच्छे विषय को अच्छे ढंग से जिसकी शुरूआत ही आप शुभांकर हैं हमारे सदन के, आपके चयन में नेता प्रतिपक्ष ने उनकी कांग्रेस पार्टी ने, हेमंत कटारे जी आपने कल कोट किया था, मैं कांग्रेस पार्टी को धन्यवाद देता हूं कि एक सामूहिक नेतृत्व करके एक अच्छी परंपरा स्थापित की है कि सदन का अध्यक्ष सर्वानुमति से बनना चाहिये और इसी प्रकार से चर्चायें भी सभी होना चाहिये मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है, मैं आपको धन्यवाद भी देना चाहूंगा, बीच में टोका-टाकी तो चलती है, लेकिन स्वस्थ आलोचनाओं का यह क्रम जारी रहे इसमें कोई मना नहीं है. हमारे मनभेद नहीं होना चाहिये, मतभेद हो सकते हैं, सरकार की आलोचना करने का आपको अधिकार है, आप आलोचना जरूर करें, लेकिन जो सरकार अच्छा कर रही है उसमें रचनात्मक सहयोग आप भी दें, मैं आपसे अपेक्षा करता हूं और यह पूरे समूचे सत्र के एक तरह से चूंकि यह हमारा पहला राज्यपाल का अभिभाषण था. अभी तो सरकार ने अपनी आंख भी नहीं खोली है, लेकिन धीरे-धीरे कदम बढ़ाएगी और ताकत पायेगी, आपका सबका सक्रिय सहयोग मिलता रहेगा, इसी अपेक्षा के साथ माननीय अध्यक्ष महोदय बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत धन्यवाद मुख्यमंत्री जी.
मैं समझता हूं, राज्यपाल के अभिभाषण के उत्तर में प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में जितने संशोधन प्रस्तुत हुये हैं उन पर एक साथ ही मत ले लिया जाये.
समस्त संशोधन अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि-
''राज्यपाल ने जो अभिभाषण दिया, उसके लिये मध्यप्रदेश विधान सभा के इस सत्र में समवेत सदस्यगण अत्यन्त कृतज्ञ हैं,''
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
4.17 बजे सत्र का समापन
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्र समापन भाषण में मैं सबसे पहले अध्यक्ष महोदय, आपका और आपने सबको बोलने का मौका दिया और यह अनुकूल माहौल बनाया इसके लिये आपका आभार मानता हूं. मेरे मित्र,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, नेता प्रतिपक्ष, उमंग सिंघार जी, सहयोग उपमुख्यमंत्रीगण, माननीय जगदीश जी, माननीय राजेन्द्र शुक्ला जी, हमारे सभी वरिष्ठ नेतागण, पक्ष-प्रतिपक्ष के सभी सदस्य,सभापति तालिका के सभी माननीय सदस्यगण, प्रमुख सचिव,विधान सभा, अन्य अधिकारी,कर्मचारी,सुरक्षा कर्मी, प्रिंट मीडिया,इलेक्ट्रानिक मीडिया और अन्य सभी बंधुओं का हृदय से आभार मानता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि एक काफी धीर,गंभीर अध्यक्ष हमें मिले. माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने उज्जैन की पूरी कहानी सुनाई हमें. ज्ञान दिया उसे हम स्वीकार करते हैं. हमारे दोनों उपमुख्यमंत्रियों को मैं हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं. सभी विधान सभा के सदस्यों को हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं. अधिकारी दीर्घा में सभी अधिकारियों को, मीडिया तथा विधान सभा के अधिकारी,कर्मचारियों को हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं. इसी सौहार्द से हमारे सत्र चलते रहें.जनता की आवाज हम लोग कहते रहें और उस पर निर्णय होता रहे धन्यवाद.
4.24 बजे राष्ट्रगान "जन-गण-मन" का समूहगान
अध्यक्ष महोदय - अब राष्ट्रगान होगा.
( सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान "जन-गण-मन" का समूहगान किया गया.)
4.25 बजे
विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना : घोषणा
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 4.25 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.
भोपाल
दिनांक : 21 दिसम्बर,2023
अवधेश प्रताप सिंह
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा