मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

                 __________________________________________________________

 

पंचदश विधान सभा                                                                                                   त्रयोदश सत्र

 

 

दिसंबर, 2022 सत्र

 

बुधवार, दिनांक 21 दिसंबर, 2022

 

(30 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1944)

 

 

[खण्ड- 13 ]                                                                                                                  [अंक- 3]

 

                  __________________________________________________________

 

 

 

 

 

 

 

 

मध्यप्रदेश विधान सभा

 

बुधवार, दिनांक 21 दिसंबर, 2022

 

(30 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1944)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

 

हास-परिहास

          अध्यक्ष महोदय--नरोत्तम जी जब मैं सदन में आता हूं तो गोविंद सिंह जी मेरी तरफ नहीं देखते हैं आपकी तरफ देखते हैं. जब मैं दो तीन बार प्रणाम करता हूं तभी जवाब देते हैं.(हंसी)

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, नजर बाद में नजर में उनको पढ़ते देखा था. नजर पड़ी जब उनके ऊपर नजर को झुकते देखा था. (हंसी)

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--यह यक्ष प्रश्न सदियों तक गूंजता रहेगा. (हंसी)     

तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर

 

वन विभाग के कार्यों की जानकारी

[वन]

1. ( *क्र. 938 ) श्री अनिल जैन : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                                 (क) क्या निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र में विकास हेतु एवं आदिवासियों की मूलभूत सुविधाओं हेतु सरकार के द्वारा वन विभाग के विभिन्न कार्य स्वीकृत किये गए हैं? (ख) प्रश्‍नांकित (क) अनुसार यदि हाँ, तो विगत 03 वर्षों में कौन-कौन से मद से कितनी-कितनी राशि के कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये थे? कार्यवार, राशिवार एवं किन-किन स्थानों पर उक्त कार्य किये गये? सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) उक्त स्वीकृत कार्यों में से कितने कार्य पूर्ण, अपूर्ण एवं प्रगतिरत हैं? अपूर्ण कार्यों को कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा? उक्त कार्यों की कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया है, कितनी राशि भुगतान हेतु शेष है तथा सत्यापनकर्ता अधिकारी का नाम एवं निर्माण कार्य एजेंसी का नाम बतावें।

वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है।

 

          श्री अनिल जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान क्षेत्र में वन विभाग के द्वारा जो विकास के कार्य कराये गये हैं उसकी सम्पूर्ण जानकारी माननीय मंत्री जी के द्वारा मुझे उपलब्ध करा दी गई है उसके लिये धन्यवाद देता हूं. लेकिन इसमें कई कार्य ऐसे भी हैं. जो पूर्ण नहीं हुए हैं उनको भी पूर्ण बता दिया गया है. कई कार्य ऐसे भी हैं जो कागजों पर भी हुए हैं उनका सत्यापन भी कर दिया गया है. माननीय मंत्री जी से चाहता हूं कि इन सारे विकास कार्य जो कराये गये हैं उनकी सम्पूर्ण जांच करायेंगे ?

          कुंवर विजय शाह--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी के प्रश्नानुसार जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया है. इन सारे कामों की लिस्ट दी गई है. विभागीय कार्य थे. विभाग ने ही सत्यापन कराया केवल कुछ 4-5 कार्य रह गये थे. कोविड के कारण विकास कार्यों में लेट हुआ है. लेकिन आने वाले एक से डेढ़ महीने में सारे काम कम्पलीट करा दिये जायेंगे.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी मैंने उसमें देखा है आपके उसमें 46 काम हैं.46 में से 9 काम प्रगतिशील हैं, 2 काम अपूर्ण हैं बाकी कामों को आपने कहा कि पूर्ण करा देंगे. विधायक जी का कहना है कि जिन कामों को आपने पूर्ण लिखा है वह मौके पर कोई काम हुआ ही नहीं है. उनका कहना है कि इसकी जांच करा लेंगे क्या ?

          कुंवर विजय शाह--अध्यक्ष महोदय,7 दिन के अंदर इनकी जांच करा करके विधायक जी को जानकारी उपलब्ध करवा देंगे.

          अध्यक्ष महोदय--विधायक जी भी उस जांच में शामिल हैं.

          कुंवर विजय शाह-- जी अध्यक्ष महोदय.

2. ( *क्र. 951 ) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दमोह जिले की जबेरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पारना जलाशय के निर्माण हेतु तीन बार निविदाओं का आमंत्रण किया गया है? निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात निर्माण एजेंसी निर्धारित की गई, किंतु एजेंसी द्वारा कार्य न किए जाने के कारण तीन बार निविदा प्रक्रिया निरस्त हुई है, इसका क्या कारण है? क्या निविदा प्रक्रिया के नियमों में शिथिलता व सरलीकरण की आवश्यकता है? चौथी बार निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर कब तक निर्माण कार्य पूर्ण किया जायेगा?                      (ख) जल संसाधन विभाग, उप संभाग तेंदूखेड़ा के अंतर्गत झापन नाला जलाशय, देवरी जलाशय आदि योजनाएं मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल में लंबित हैं? यदि हाँ, तो उक्त योजनाओं पर आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? (ग) उक्त योजनाओं की विभागीय स्वीकृतियां कब तक पूर्ण की जावेगी?

                   जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)--

            (ख) तथ्‍यात्‍मक स्थिति यह है कि झापन नाला जलाशय योजना की हाइड्रोलॉजी की स्वीकृति एवं देवरी जलाशय योजना की डी.पी.आर. अधीक्षण यंत्री, जल संसाधन मण्डल सागर कार्यालय में परीक्षणाधीन होना प्रतिवेदित है। (ग) शासन स्‍तर पर डी.पी.आर. प्राप्‍त होने पर गुण-दोष के आधार पर स्‍वीकृति हेतु निर्णय लिया जाना संभव होगा। स्वीकृति हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।

            श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक हमारे क्षेत्र में बहुत ही महत्‍वपूर्ण पारना जलाशय परियोजना है, जो लंबे समय से लम्बित पड़ी है. बीच-बीच में उसमें निविदाएं आमंत्रित होती हैं और टेण्‍डर भी लगते हैं. लेकिन तीन बार टेण्‍डर लगने के बाद वह निरस्‍त हो चुके हैं और फिर नये व्‍यक्ति के लिये टेण्‍डर लगने की प्रक्रिया शुरू होती है. मैं मंत्री महोदय जी से जानना चाहता हूं कि यह बार-बार टेण्‍डर लगते हैं और फिर निरस्‍त हो जाते हैं उसके कारण हमारे विधान सभा क्षेत्र में यह जो सिंचाई की परियोजना है, इससे लोगों में बड़ा आक्रोश है तो मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि यह प्रक्रिया कब तक पूर्ण होगी और हमारे विधान सभा क्षेत्र के लोगों को कब तक राहत मिलेगी ?

            श्री तुलसीराम सिलावट:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य का प्रश्‍न सही है. पारना जलाशल के निर्माण में तीन बार निविदाएं आमंत्रित की गयी हैं. पहली बार दिनांक 20, 2017 में निविदा आमंत्रित की गयी थी, किन्‍तु वन भूमि की स्‍वीकृति न होने के कारण निविदा को निरस्‍त करना पड़ा, दूसरी बार जून, 2019 में निविदा आमंत्रित की गयी, किन्‍तु मात्र एक मात्र एक टेण्‍डर निविदा होने के कारण नियमानुसार निविदा को निरस्‍त करना पड़ा, इसके पश्‍चात पुन: तीसरी बार जनवरी, 2022 को निविदा आमंत्रित की गयी, जिसे जुलाई, 2022 में खोला गया. शीघ्र निमार्ण एजेंसी से अनुबंध के बाद कार्य प्रारंभ किया जायेगा.

        श्री धर्मेन्‍द्रभाव सिंह लोधी:-माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शीघ्रता बता दें ?

            अध्‍यक्ष महोदय:- मंत्री जी आगे बता रहे हैं. वह जवाब दे रहे हैं,आप बैठ जाइये.

          श्री तुलसीराम सिलावट:-माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सम्‍माननीय सदस्‍य को यह विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि एक सप्‍ताह के भीतर इसका अनुबंध कर लिया जायेगा और सम्‍माननीय विधायक जी 24 जनवरी को जाकर भूमिपूजन भी कर लेना.

          अध्‍यक्ष महोदय:- बस ठीक है.

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी:- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के ख में..

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, आपके प्रश्‍न का निराकरण हो गया है. मंत्री जी ने पूरा तो बता दिया है.

          श्री धर्मेन्‍द्रभाव सिंह लोधी:- माननीय मंत्री मैं, आपको धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूं और मेरे प्रश्‍न के ख में यह पूछा है कि तेंदूखेड़ा के अंतर्गत झापन जलाशल..      

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा:- टेण्‍डर हो गया ?

          श्री तुलसीराम सिलावट:- सज्‍जन जी, मैं आपको बता दूं कि हो गया है और अनुबंध भी हो गया है .

          श्री धर्मेन्‍द्रभाव सिंह लोधी:- माननीय दूसरा पार्ट भी है कि हमारे यहां झापन नाला जलाशय और देवरी जलाशय यह दो मुख्‍य परियोजनाएं हैं, जो हमने दी हैं और बहुत समय से लम्बित हैं. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि कब तक इनकी स्‍वीकृति मिलेगा और कब तक यह काम पूरे होंगे. ?

          श्री तुलसीराम सिलावट:-अध्‍यक्ष महोदय, जलाशय का निर्माण किया जाना बहुत ही जिम्‍मेदारी का काम है, दोनों योजनाओं का परीक्षण किया जा रहा है, सभी तकनीकी परीक्षण किये जाने के बाद डीपीआर तैयार कर प्रशासकीय स्‍वीकृति प्रदान की जायेगी. यह दोनों योजना को विभाग से यथाशीघ्र स्‍वीकृति प्रदान की जायेगी, इसी तीन माह के समय में हम कार्य चालू करेंगे.

          श्री धर्मेन्‍द्रभाव सिंह लोधी:- धन्‍यवाद, माननीय मंत्री जी.

 

 

 

नहरों की लाईनिंग का गुणवत्‍ताहीन कार्य

                                                           [जल संसाधन]

3. ( *क्र. 919 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर के अंतर्गत वर्ष 2022 तक कितनी वृहद/मध्‍यम/लघु सिंचाई परियोजनायें संचालित हैं? नाम सहित जानकारी देवें। (ख) इन परियोजनाओं में जो लाईनिंग एवं पक्‍कीकरण का कार्य हुआ है, वह अत्‍यन्‍त ही गुणवत्‍ताहीन है, इस पर विभाग द्वारा क्‍या कार्यवाही की जा रही है? (ग) क्‍या प्रश्‍नकर्ता द्वारा नहरों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने एवं गुणवत्‍ताहीन कार्य होने के संबंध में विभाग को पत्र प्रेषित किये गये थे? यदि हाँ, तो कब-कब तथा प्रश्‍नकर्ता के पत्र पर विभाग द्वारा प्रश्‍न दिनांक की स्थिति में कब-कब और क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई? सम्‍पूर्ण विवरण सहित बतावें। (घ) बाईं तट नहरों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने तथा गुणवत्‍ताहीन कार्य होने से कौन-कौन अधिकारी एवं एजेन्‍सी जिम्‍मेदार हैं? अधिकारी एवं ठेकेदार का नाम बताते हुये क्‍या विभाग द्वारा उनके विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्‍या?

जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर के अंतर्गत वर्ष 2022 तक तवा वृहद परियोजना की दायीं तट नहर 0 से 07.10 कि.मी. तक दायीं तट नहर की पिपरिया शाखा नहर के 0 से 28.29 कि.मी. तक, बागरा शाखा नहर के कि.मी. 0 से कि.मी. 23.59 तक बायीं तट नहर प्रणाली के 0 से 23.47 कि.मी. तक तथा एक गुड्डीखेड़ा लघु जलाशय संचालित होना प्रतिवेदित है। (ख) नहर लाईनिंग एवं पक्कीकरण का कार्य मापदण्डों के अनुरूप कराया गया है, जिस स्थान पर गुणवत्ताहीन कार्य हुआ था, वहाँ लाईनिंग के कार्य को तोड़कर ठेकेदार से स्वयं के व्यय पर पुनः लाईनिंग का कार्य कराया जाना प्रतिवेदित है। (ग) अभिलेख अनुसार कार्य पूर्ण नहीं होने तथा गुणवत्ताहीन कार्य से संबंधित माननीय सदस्य का कोई पत्र शासन स्तर पर विभाग में प्राप्त नहीं होना प्रतिवेदित है। शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (घ) बायीं तट नहर का कार्य पूर्ण हो चुका है। बायीं तट नहर की आर.डी. 6523 से 23470 मीटर के मध्य लाईनिंग कार्य में कुछ स्थान पर गुणवत्ता अनुसार कार्य नहीं पाये जाने पर तत्काल कार्यवाही करते हुये उक्त स्थानों की लाईनिंग को तोड़कर संबंधित ठेकेदार मेसर्स सोरठिया वेलजी रतनम एण्ड कम्पनी से स्वयं के व्यय पर पुनः विभागीय मापदण्ड एवं गुणवत्तानुसार कार्य संपादित कराया जाना प्रतिवेदित है। कार्य से संबंधित अधिकारियों को जाँच उपरांत दोषी पाये जाने पर प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग के आदेश दिनांक 08.02.2018 द्वारा दण्डित कर एक-एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी जाना प्रतिवेदित है। दोषी अधिकारी के नाम निम्नानुसार है :- (1.) श्री अरविंद कुमार यादव, सहायक यंत्री। (2.) श्री एम. एल. चन्द्रोल, उपयंत्री। (3.) श्री बी. के. उपाध्याय, उपयंत्री। (4) श्री एन.के. सूर्यवंशी, उपयंत्री।

        श्री ठाकुर दास नागवंशी:- माननीय अध्‍यक्ष जी के माध्‍यम से मैं, माननीय मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि नहर की लाइनों की पक्‍कीकरण का कार्य गुणवत्‍ताहीन था. अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ उन्‍होंने जो कार्यवाही की है, उसके मैं आभार करता हूं. परन्‍तु उन्‍होंने यह कहा है कि जिस ठेकेदार ने गुणवत्‍ताहीन काम किया है वह स्‍वयं के व्‍यय पर उन लाइनों को ठीक कराया जायेगा.

          मैं माननीय मंत्री जी से इतना ही जानना चाहता हूं कि समय -सीमा और अवधि बता दें ?

            श्री तुलसीराम सिलावट:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदस्‍य की पीड़ा से मैं वाकिफ हूं. आप निश्चिंत रहें विधायक जी ऐसा आपको लगता है कि कहीं भी खराब काम हुआ है तो किसी वरिष्‍ठ अधिकारी को आपके साथ,जो भी अधिकारी उसमें दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय:- ठीक है.

          श्री ठाकुर दास नागवंशी:- आपको पुन: धन्‍यवाद. मैं इतना चाहता हूं लाइनों का काम कब तक पूरा किया जायेगा आप समय-सीमा बता दें ?

            श्रीतुलसीराम सिलावट:- अतिशीघ्र.

        अनुग्रह सहायता के लंबित प्रकरण

                                                                 [श्रम]

4. ( *क्र. 814 ) श्री बाबू जन्‍डेल : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सम्बल योजनान्तर्गत जनपद पंचायत श्योपुर में सामान्य मृत्यु के सामान्य अनुग्रह सहायता के पात्र हितग्राही 202 तथा दुर्घटना मृत्यु के 15 प्रकरण स्वीकृत होकर भुगतान हेतु लंबित हैं? यदि हाँ, तो प्रकरणवार (हितग्राहियों का), दिनांकवार कब से लंबित हैं? अवगत करायें।     (ख) प्रश्‍नांश (क) अनुसार स्वीकृत एवं पात्र प्रकरणों का भुगतान लंबित रहने का क्या कारण है? (ग) क्या ज.पं. श्योपुर में लम्बे समय से लंबित पात्र प्रकरणों की भांति ही श्योपुर जिले के समीपस्थ जिले शिवपुरी की ज.पं. करैरा, पोहरी या अन्य जनपदों में भी उक्त अवधि का भुगतान लंबित है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या उक्त जनपदों में भुगतान किये जाने के नियम मापदण्ड पृथक से बने हैं? यदि हाँ, तो अवगत करावें। (घ) प्रश्‍नांश (क) अनुसार ज.पं. श्योपुर में अनुग्रह सहायता के लंबित प्रकरणों का भुगतान कब तक किया जावेगा? यदि नहीं, तो कारण बतावें।

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। वस्तुतः जनपद पंचायत, श्योपुर में सामान्य मृत्यु के 190 प्रकरण भुगतान हेतु, 13 प्रकरण पात्रता सत्यापन हेतु लंबित है एवं दुर्घटना मृत्यु के 13 प्रकरण भुगतान हेतु एवं पात्रता सत्यापन हेतु 02 प्रकरण लंबित हैं, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) स्वीकृत एवं पात्र प्रकरणों में बजट उपलब्धता अनुसार भुगतान किया जाता है। (ग) जी नहीं। पूरे प्रदेश में समान नियम से भुगतान किया जाता है। (घ) स्वीकृत एवं पात्र प्रकरणों में बजट उपलब्धता अनुसार भुगतान किया जाता है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

        श्री बाबू जण्‍डेल:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे द्वारा पूछे गये प्रश्‍न क्रमांक- 814 के उत्‍तर में माननीय मंत्री महोदय ने स्‍वीकार किया है कि जनपद पंचायत श्‍योपुर में सम्‍बल योजना अंतर्गत सामान्‍य मृत्‍यु अनुग्रह सहायता 190 प्रकरण 2 लाख वाले 3 करोड़ 80 लाख रूपये दुर्घटना मृत्‍यु अनुग्रह सहायता के 13 प्रकरण, 4 लाख रुपये वाले, कुल राशि 52 लाख रुपये, इस प्रकार पात्र 203 हितग्राहियों को राशि 4 करोड़ 32 लाख रुपये का भुगतान, विगत 2 वर्ष से अधिक समय से, बजट उपलब्‍ध नहीं होने से लंबित हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे मुख्‍यमंत्री जी प्रदेश में जहां भी जाते हैं, हर सभा में, आयोजन में दावा करते हैं कि शासन की गरीब हितैषी योजनाओं के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी.

          अध्‍यक्ष महोदय-  जन्‍डेल जी, आप अपना प्रश्‍न पूछें ?

            श्री बाबू जन्‍डेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये प्रकरण 2 वर्षों से लंबित हैं, ये कब तक किये जायेंगे. मेरे पड़ोसी जिले शिवपुरी में राशि लोगों को मिली है. अन्‍य जिलों में राशि प्रभावितों के खाते में डाली जा रही है. मैं कांग्रेस विधायक हूं इसलिए मेरे जिले के साथ भेदभाव हो रहा है, मेरे जिले में पैसे खाते में कब तक डलेंगे ?

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे माननीय सदस्‍य ने अपनी बात रखी है, 190 प्रकरण पहले भुगतान हेतु लंबित थे. जिसमें 13 प्रकरण सत्‍यापन हेतु लंबित थे लेकिन उन सभी प्रकरणों का सत्‍यापन हो गया है. कुल 203 प्रकरण हैं, जो स्‍वीकृत हैं. इसी तरह 15 दुर्घटना के प्रकरण थे, जिनमें से 13 प्रकरण सत्‍यापित हो चुके थे और 2 का सत्‍यापन होना था लेकिन अब 15 सत्‍यापित हो चुके हैं और वे भी स्‍वीकृत हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्‍य ने कहा कि उनके जिले में भुगतान नहीं हो रहा है जबकि मैं, श्‍योपुर नगर पालिका का बता दूं कि इनके यहां पर जनपद में कुल-मिलाकर 14 करोड़ रुपये के करीब भुगतान हुआ है. जनपद पंचायत पोहरी और करैरा में क्रमश: 1.7 करोड़ और 1.9 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. जहां तक विधायक जी के स्‍वीकृत प्रकरणों के भुगतान का विषय है, इन्‍हें हमने अपनी ओर से बढ़ाया है और जैसे ही वित्‍त विभाग से हमें राशि उपलब्‍ध होगी, हम इसका भुगतान कर देंगे.

          श्री बाबू जन्‍डेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे इस बात से अवगत करवाया जाये कि जनपद पंचायत श्‍योपुर में यह राशि कब तक आवंटित हो जायेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय-  मंत्री जी कह तो रहे हैं कि जैसे ही वित्‍त विभाग से राशि उपलब्‍ध हो जायेगी, हम दे देंगे.

          श्री बाबू जन्‍डेल-  धन्‍यवाद.

खनिज प्रतिष्‍ठान निधि

[खनिज साधन]

        5. ( *क्र. 911 ) श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में प्रदेश में जिला खनिज निधि की कुल कितनी राशि संग्रहित है? जिलेवार जानकारी उपलब्‍ध करावें। (ख) जिला अनूपपुर में वर्ष 2018 से प्रश्‍न दिनांक तक खनिज प्रतिष्‍ठान मद से कुल कितनी राशि जिले की रॉयल्‍टी के नाम पर प्राप्‍त हुई? वर्षवार प्राप्‍त राशि की जानकारी उपलब्‍ध करावें। (ग) प्रश्‍नांश (ख) के अनुसार अनूपपुर जिले की पुष्‍पराजगढ़, कोतमा एवं अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र में जनसंख्‍या और स्‍थानीय आवश्‍यकतानुसार कितनी-कितनी राशि के कौन-कौन से निर्माण उक्‍त निधि से स्‍वीकृत किये गये? कार्य का स्‍वरूप सहित वर्षवार, विधानसभा क्षेत्रवार कार्य की जानकारी उपलब्‍ध करावें। (घ) उक्‍त अवधि एवं जिले में खनिज प्रतिष्‍ठान मद से कितने प्राथमिक, माध्‍यमिक, हायर सेकेन्‍डरी भवनों का निर्माण, मरम्‍मत, साज सज्‍जा, रख-रखाव पर कितनी राशि व्‍यय की गई? वर्षवार विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी उपलब्‍ध करावें। (ड.) विधानसभा क्षेत्र पुष्‍पराजगढ़ में स्‍थानीय विधायक की सिफारिश पर कौन-कौन से कार्य उक्‍त अवधि में स्‍वीकृत किये गये? स्‍वीकृत न होने के क्‍या कारण रहे? उक्‍त जिले में उक्‍त अवधि में खनिज प्रतिष्‍ठान निधि का कहां-कहां उपयोग किया गया तथा कौन-कौन से कार्यों को किया गया? कौन से कार्य पूर्ण हो गये तथा कौन से कार्य अपूर्ण हैं? अपूर्ण रहने के कारण सहित विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी उपलब्‍ध करावें।

        खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रदेश में जिला खनिज निधि की कुल राशि रूपये 5461.615 करोड़ संग्रहित है। जिलेवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ पर दर्शित है। (ख) अनूपपुर जिला खनिज प्रतिष्ठान मद में वर्ष 2018 से प्रश्‍न दिनांक तक रॉयल्टी जमा करने का प्रावधान न होने से रॉयल्टी के नाम पर कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। अतः शेष प्रश्‍नांश उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्‍नांश (ख) के उत्तर अनुसार प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उक्त अवधि में वर्ष 2018 से प्रश्‍न दिनांक तक जिला खनिज प्रतिष्ठान मद से प्रश्‍नांश अनुसार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है। (ड.) विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ में स्थानीय विधायक की सिफारिश पर स्वीकृत किये गये कार्यों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स पर दर्शित है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। प्रश्‍नांश अनुसार अनूपपुर जिले में वर्ष 2018 से प्रश्‍न दिनांक तक जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि के उपयोग के संबंध में वांछित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द पर दर्शित है।

          अध्‍यक्ष महोदय-  मार्को जी, आप अपनी बात प्रश्‍न पर अधिक आधारित रखियेगा.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपका संरक्षण चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  मैं, पूरा संरक्षण दूंगा लेकिन कल वाली बात याद मत कीजियेगा, आज सीधे प्रश्‍न कीजियेगा.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न खनिज प्रतिष्‍ठान मद से है. मुझे विभाग से जो उत्‍तर प्राप्‍त हुआ है, उसमें लिखा गया है कि अनूपपुर जिला खनिज प्रतिष्‍ठान मद में वर्ष 2018 से प्रश्‍न दिनांक त‍क रॉयल्‍टी जमा करने का प्रावधान न होने से रॉयल्‍टी के नाम पर कोई राशि प्राप्‍त नहीं हुई है. यह आपने उत्‍तर दिया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे परिशिष्‍ट-स में, आपने उत्‍तर दिया है, पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा के लिए जो राशि आपने खनिज प्रतिष्‍ठान मद  से स्‍वीकृत की है, वर्ष 2018-19 में निरंक, वर्ष 2020-21 में निरंक, वर्ष 2021-22  में निरंक और वर्ष 2019-20 में मात्र 16 लाख रुपये पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा को मिले हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, खनिज प्रतिष्‍ठान मद की सब धूल-धकड़ पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा के लोग खायें और "" में मुझे जो जानकारी मिली उसमें आपने 421 करोड़ रुपये की राजस्‍व वसूली की बात लिखी है और "" में आप कह रहे हैं कि हमारे यहां राजस्‍व वसूली का कोई नियम ही नहीं है. हमने विभाग के मंत्री को आवेदन, निवेदन किया है कि मेरी पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा आदिवासी क्षेत्र है, जहां       जंगल-पहाड़ों में लोग निवास करते हैं. वहां मुझे पानी दे दें, रोड, पुल-पुलिया की कनेक्टिविटी दे दें, वहां जो हाई और हायर सेकण्‍डरी स्‍कूल जर्जर स्थिति में हैं, उनको कृपया इस राशि से बनवाने की कृपा करें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब मंत्री महोदय जी ने नहीं सुना तो हमने माननीय मुख्‍यमंत्री जी को भी आवेदन दिया और हमने प्रश्‍न में यह पूछा कि प्रश्‍नकर्ता विधायक की अनुशंसा पर पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा में आपने कौन-कौन से काम किये मुझे उसकी जानकारी दे दें. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आम की जानकारी मांग रहा हूं और मुझे इमली की जानकारी मिल रही है. मैं आपसे निवेदन क‍रता हूं कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी को अनुसूचित जनजाति बाहुल्‍य क्षेत्र विभिन्‍न निर्माण कार्यों के लिए जो हमने आवेदन दिया और जिसको विभाग ने पंजीकृत किया सी.एम. साहब के यहां पत्र पंजीयन क्र. 2185/CMS/MLA/088/2022/ पत्र पंजीयन क्र. 2184/CMS/MLA/088/2022/ पत्र पंजीयन क्र. 2183/CMS/2022 पत्र पंजीयन क्र. 2182/CMS/MLA/088/2022/ पत्र पंजीयन क्र. 1934/CMS/MLA/088/2022/ पत्र पंजीयन क्र. 1934/CMS/MLA/088/2022 के तहत हमने आवेदन माननीय मुख्‍यमंत्री जी को दिया. मैं खनिज मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूं कि मेरे इन पत्रों पर क्‍या-क्‍या कार्यवाही हुई? कितनों का स्‍वीकृत हुआ ? कितनों का नहीं हुआ और कब त‍क स्‍वीकृत होगा कृपया यह बताने का कष्‍ट करें?

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक रायल्‍टी की बात की है जो प्रश्‍न था उसमें रायल्‍टी लिख गया था मैं मानता हूं कि वह त्रुटिपूर्ण होगा क्‍योंकि आपने डी.एम.एफ. की बात की है तो डी.एम.एफ. की राशि जो वर्षवार है वह करीब हमने वर्ष 2018-19 में 32.80 करोड़ रुपए, वर्ष 2019-20 में 57.77 करोड़ रुपए, वर्ष 2020-21 में 44.19 करोड़ रुपए, वर्ष 2021-22 में 76.46 करोड़ रुपए, वर्ष 2022-23 में 35.32 करोड़ रुपए इस तरह से कुल 246.53 करोड़ राशि हमें डी.एम.एफ. के माध्‍यम से प्राप्‍त हुई है. जहां तक आपके कार्यों की बात है आपने पुष्‍पराजगढ़ की बात की है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- मंत्री जी इसका मतलब है कि जो शून्‍य कह रहे हैं वह क्‍या डी.एम.एफ. नहीं रायल्‍टी की बात कर रहे हैं.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जी हां वह रायल्‍टी की बात थी जो उन्‍होंने बोला था उसमें इसलिए उस बात को कहा. दूसरी बात पुष्‍पराजगढ़ में जो बात कही गई है वह बात में बता दूं जो इनके काम हैं जो स्‍वीकृत किये गए हैं क्‍योंकि इन्‍होंने दो प्रश्‍न लगाए हैं एक स्‍कूल बाउण्‍ड्री और उसकी सुविधाओं को लेकर की हमारे स्‍कूल शिक्षा में क्‍या पैसा दिया गया और दूसरा अन्‍य कार्यों को लेकर किया गया है तो अन्‍य कार्यों में वर्ष 2018-19 में इनके जो कार्य स्‍वीकृत हुए हैं वह 22 कार्य हैं जिसमें कि 178 लाख रुपए के करीब राशि स्‍वीकृत हुई है, वर्ष 2019-20 में 42 कार्य हैं जिसके लिए 263 लाख रुपए की राशि स्‍वीकृत हुई है, वर्ष 2020-21 में 15 कार्य हैं जिसमें 18 लाख रुपए स्‍वीकृत हुए हैं और वर्ष 2021-22 में 36 कार्य हैं जिसमें 439 लाख रुपए स्‍वीकृत हुए हैं और इसी तरह से आपने जो स्‍कूल शिक्षा की बाउण्‍ड्री और हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूलों के सुदृढ़ीकरण की भी बात की है उसमें भी हमने वर्ष 2019-20 में 9 कार्य स्‍वीकृत हुए जिसके लिए 21.20 लाख रुपए दिये गये, वर्ष 2021-22 में 36 कार्य स्‍वीकृत हुए जिसमें 439.21 लाख रुपए आपको पुष्‍पराजगढ़ के लिए दिए गए इस तरह से जहां-जहां आपने कह रहे हैं कि हमारे पुष्‍पराजगढ़ में कहीं पर भी पैसा नहीं दिया गया है तो डी.एम.एफ. के माध्‍यम से आपके पैसे दिये गये हैं. जहां तक आपने जो लेटर बताए हैं कि हमने जो विभिन्‍न पत्र दिये हैं आपके उन पत्रों के माध्‍यम से आपने करीब 98 कार्य दिये चाहे वह हमारे डी.एम.एफ. के माध्‍यम से स्‍वीकृत करने के लिए 98 कार्य में जिसमें से आपके 4 कार्य स्‍वीकृत हुए हैं और बाकी 94 कार्य अस्‍वीकृत हुए हैं, लेकिन उसका मूल कारण हम नहीं हैं. वहां के जो आपके प्रभारी मंत्री हैं और वहां पर आप स्‍वयं मेम्‍बर हो क्‍योंकि वहां पर दो बोर्ड हैं गर्वनिंग बॉडी को बोर्ड प्रभारी मंत्री जो चेयरमेन हैं और उसके एग्‍जीक्‍यूटिव बॉडी के चेयममेन कलेक्‍टर होते हैं तो वहां पर जो स्‍वीकृतियां मिली हैं उस हिसाब से काम स्‍वीकृत हुए हैं और इनकी एजेंसी जिला पंचायत के सी.ई.ओ. रहते हैं वह काम कराते हैं इस तरह से इनका पूरा काम है.

            श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डीएमएफ को स्वीकृत करने का पहले नियम यह था कि जिला स्तर पर जो बॉडी है वह और विधायकगण, कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत इसका निर्णय लिया करते थे. प्रभारी मंत्री का आपने जिक्र किया है. आपने लिखा है कि स्वीकृत किया जाता है आदेश जारी करें.  प्रभारी मंत्री जी बैठे हुए हैं. जिन कामों का मैं उल्लेख कर रहा हूँ.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, वह माँ नर्मदा का उद्गम स्थल है, सैंकड़ों लोग पुष्पराजगढ़ से माँ नर्मदा की परिक्रमा करते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी से मैंने निवेदन किया था कि वे गांव में लोगों के रुकने की व्यवस्था कर दें. हैण्डपम्प लगा दें. सौर ऊर्जा से वहां पर लाइट की व्यवस्था हो जाए. जो लोग परिक्रमा करते हैं उनको एक आश्रय मिल जाए.  सरकार माँ नर्मदा के नाम का उपयोग कर रही है लेकिन जब हम सुविधा देने की बात करते हैं तो इनके पास पैसा नहीं हैं. यह 4-5 लाख रुपए का भवन नहीं बना पा रहे हैं. लोग ठण्ड में ठिठुर रहे हैं, बरसात में भीग रहे हैं. रोड, पुल-पुलिया जिसमें कमीशनबाजी ज्यादा हो उन कामों को डीएमएफ से स्वीकृत किया जाता है. हमने पेयजल की मांग की थी.

          अध्यक्ष महोदय -- मार्को जी अभी आपको ज्यादा लम्बा भाषण करने का मौका आएगा उसमें बोल लीजिएगा. अभी क्या चाहते हैं वह पूछ लीजिए.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष महोदय. डीएमएफ के माध्यम से माननीय प्रभारी मंत्री ने जिन कार्यों को स्वीकृति प्रदान की है और उन्होंने लिखा की स्वीकृत किया जाता है आदेश जारी करें. क्या इन कार्यों की स्वीकृति का प्रशासकीय आदेश जारी करेंगे. आपके कहने से मैंने भूमि पूजन कर दिया. यदि प्रभारी मंत्री लिखता है कि स्वीकृत, आदेश जारी करें तो काम क्यों नहीं हुए. माननीय मंत्री जी यह बताएं कि कब काम  होंगे, होंगे कि नहीं होंगे या फिर मैं अपने भूमि पूजन के नारियल को वापस ले लूं. (हँसी) मैं, मुख्यमंत्री जी जैसे नारियल रखकर नहीं चलने वाला हूँ कि जहां कहें वहीं फोड़ दें. ऐसा मैं नहीं करता हूँ.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आपको नारियल लेकर घूमने की इतनी जल्दी क्यों हो रही थी. हाथ में नारियल लेकर घूमते हो.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- आप बैठिए मैं मंत्री जी से बात कर रहा हूँ. (व्यवधान)

          श्री हरिसिंह सप्रे -- मार्को जी आप तो प्रश्न पूछो. तुम तो नारियल के लायक भी नहीं हो. (व्यवधान)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- इतनी जल्दी क्या हो रही थी हुजूर. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय - जवाब आने दीजिए. (व्यवधान)

          श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय..

          अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी उनका जवाब आने दीजिए, माननीय सदस्य को कुछ मिलने दीजिए. मैं खुद मार्को जी के साथ खड़ा हुआ हूँ. मंत्री जी हमारे माननीय विधायक ने वहां भूमि पूजन किया है. चुनाव के लिए साल भर बचा है जरा ख्याल अपने को करने की आवश्यकता है. अब आप बताइए.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बेसिकली किसी पत्र के माध्यम से यदि उसमें स्वीकृति लिख दी जाए तो मैं नहीं मानता, जब तक पूरी कमेटी और उसके मेम्बर उसमें साइन न कर लें. जब तक गर्वनिंग बॉडी से स्वीकृति न मिलकर, एक्जीक्यूटिव बॉडी उसके ऑर्डर जारी न कर दे.

          अध्यक्ष महोदय -- अब यह कानूनी तरीका हो गया. कैसे मदद करेंगे यह आप बताइए जिससे कि उनका काम हो जाए.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जो नए सर्कुलर हैं उसमें कलेक्टर  को वहां का इंचार्ज बना दिया गया है, डीएमएफ बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया है. माननीय सदस्य के जो भी काम हैं जो वे बोल रहे हैं जिनकी चिंता है, निश्चित रुप से जनप्रतिनिधि को होनी भी चाहिए. आप हमें जो भी प्रस्तावित करेंगे उसे हम वहां के कलेक्टर को प्रस्तावित कर देंगे. मीटिंग में रख लें वहां सभी विधायकों, मेम्बर्स को रहना है वहां पर अपनी बात कर लें.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अधिकारियों के आगे मंत्रियों की चलती नहीं है यह बात मार्को जी के प्रश्न से स्पष्ट हो गई है.

          अध्यक्ष महोदय -- सज्जन सिंह जी आप सुन लीजिए. आप स्वयं सब इस बात के लिए चिंता कर रहे हैं. मंत्री जी,  माननीय विधायक ने कुछ किया है तो उनका सम्नान रहना चाहिए तो यह प्रस्तावित करके हमारा प्रस्ताव जाए इसके एवज में यह भी प्रयास करिए कि कलेक्टर उनके कामों में से कुछ को स्वीकृत करें. यह प्रयास करिए.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो साल से बैठक नहीं हो रही है.                      

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे, अभी आपको मौका मिलेगा, बैठ जाइए.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, दो साल से बैठक नहीं हो पायी है. हमारे प्रभारी मंत्री जाते नहीं हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे आप चाहते हैं कि मार्कों जी को कुछ न मिले. आप बैठ तो जाइए.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- उनको मिले. मेरी बात भी हो जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठिए तो थोड़ा-सा, बैठिए.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक छोटा-सा प्रश्‍न करना चाहता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अभी आप बैठ जाइए न.

          श्री बृजेन्‍द प्रताप सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, जैसा आपका आसंदी से निर्देश है, निश्‍चित रूप से हम पालन करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बस ठीक है.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय,....

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपका काम हो गया मार्को जी.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्‍यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. कृपा बनाए रखिएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक-5 श्री आरिफ अकील जी. डॉ.नरोत्‍तम जी, इनके स्‍वास्‍थ्‍य की शुभकामना दे दीजिए.

 

वनग्रामों की भूमि का अन्‍तरण

[वन]

6. ( *क्र. 903 ) श्री आरिफ अक़ील : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                              (क) क्‍या भोपाल, सीहोर एवं रायसेन जिले के वनग्रामों के अन्‍तरण हेतु मंत्रालय से जारी आदेश क्रमांक 12427/1/64, दिनांक 07.10.1964 एवं आदेश क्रमांक 3263/10/62, दिनांक 26.4.1962 से अन्‍तरित ग्रामों की भूमि भा.व.अ. 1927 संशोधन 1965 धारा 20 '' के अनुसार आरक्षित वन प्रतिवेदित की जा रही है? (ख) यदि हाँ, तो वनग्राम की कितनी आबादी भूमि, कृषि भूमि, निस्‍तार मद की भूमि शासन के किस आदेश दिनांक के अनुसार राजस्‍व विभाग को किस दिनांक को हस्‍तांतरित की गई? इनमें से किस ग्राम की भूमि को धारा 20 '' के अनुसार आरक्षित वन भूमि प्रतिवेदित कर रहा है? (ग) 1962 एवं 1964 में अन्‍तरण के लिए आदेशित वनग्रामों की भूमि को 1965 में स्‍थापित धारा 20 अ के तहत आरक्षित वन प्रतिवेदित करने का आदेश या निर्देश वनमंडल को किस दिनांक को किसने दिया? यदि कोई आदेश नहीं है, तो आरक्षित वन प्रतिवेदित करने का कारण क्‍या है?

वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। (ख) मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग की अधिसूचना क्रमांक 3263-10-62, दिनांक 26.04.1962 एवं आदेश क्रमांक/5730/4640/10/2/75, दिनांक 4/12/1975 तथा 4670/3238/10/2/75, दिनांक 06.10.1975 से प्राप्त निर्देशानुसार भोपाल, सीहोर एवं रायसेन जिले के अंतर्गत आने वाले वन मण्डल भोपाल, सीहोर, रायसेन एवं औबेदुल्लागंज के अंतर्गत वनग्रामों को राजस्व विभाग को हस्तांतरित किया गया है। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) 1962 एवं 1964 में अन्तरण के लिए आदेशित वनग्रामों की भूमि को 1965 में स्थापित धारा-20 '''' के तहत आरक्षित वन प्रतिवेदित करने संबंधी कोई आदेश, प्रश्‍नाधीन जिलों के अंतर्गत आने वाले वनमंडलों के अभिलेख में उपलब्ध नहीं हैं। राजस्व विभाग को हस्तांतरित आरक्षित वनक्षेत्रों में स्थित वनग्रामों की उक्त भूमियां डिनोटिफाइड नहीं होने से भा.व.अ. 1927 की धारा-20 '''' के तहत आरक्षित वन प्रतिवेदित की जा रही है।

          श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आरिफ जी, एक सेकेंड रूक जाइए.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, आरिफ भाई काफी दिन बाद आए हैं. वह लंबे समय से अस्‍वस्‍थ थे. उनके शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की हम सबने सदन में भी प्रार्थना की थी.

          श्री बाला बच्‍चन -- माननीय गृह मंत्री जी, आप संसदीय कार्यमंत्री भी हैं, वह डेली आ रहे हैं.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे रूम के पास में कल बैठे थे, मुझे जानकारी मत दो आप, आप अभी तक नहीं बैठे हो, उनके पास जाकर. मैं कल उनके पास बैठकर आया हॅूं. आप मुझे जानकारी मत दो. मैं आया था कल आपके पास.

          श्री आरिफ अकील -- हां.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- यह बता दो, बाला भाई को. जब आप अस्‍वस्‍थ हुए थे, मैं तब की बात कर रहा हॅूं तो उसके बाद हमने सतत् उनके स्‍वास्‍थ्‍य की कामना की. परमपिता परमात्‍मा ने हमारी सुनी और इसी तरह से जल्‍दी स्‍वस्‍थ होकर वे जनता की सेवा करें, यही हमारी कामना है.

          श्री आरिफ अकील -- धन्‍यवाद. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि अधिनियम की धारा 20 "" के अनुसार आरक्षित वन प्रतिवेदित करने का आदेश कब-कब पारित किया आपने ? मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि अगर आदेश पारित नहीं हुए हैं तो जिन लोगों ने आरक्षित कर दिया है उनके विरूद्ध क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई है, कब की गई है और अभी कार्यवाही नहीं की है, तो कब कर देंगे ?

          कॅुंवर विजय शाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वन भूमि के जो आदेश की बात आप कर रहे हैं यह सारी जानकारी पूरे परिशिष्‍ट ए और बी में दे दी गई है. इसके अलावा आपने जो पूछा है चूंकि सारे जो गांव हैं, उसमें 24 गांव छोड़कर के 142 गांव थे, उसमें से 118 गांव कर दिये गये हैं. 24 गांव के लिये वन अधिनियम के अंतर्गत हम अपनी तरफ से कुछ कार्यवाही नहीं कर सकते. अब यह दिनांक 13.11.2000 से माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय का जो आदेश है उसके पालन में हमारी तरफ से हम कोई कार्यवाही अभी इसमें नहीं कर रहे हैं.

          श्री आरिफ अकील -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय न्‍यायालय के आदेश की प्रत्‍याशा में पहले क्‍या आदेश कर दिये गये, जो आदेश के पहले काम हुए हैं.

          कॅुंवर विजय शाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिले की जो कमेटी थी, उनसे जो प्रस्‍ताव बनकर आए थे और इस कारण से उनको राजस्‍व विभाग में दिया गया. अभी जो पहले हो चुके हैं उस पर तो कोई प्रश्‍न उपस्‍थित होना नहीं चाहिए. अब जो है आपकी असुविधा आपने जो व्‍यक्‍त की है लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट के कारण हमारी थोड़ी-सी असमर्थता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है. प्रश्‍न क्रमांक-7

अवैध उत्‍खनन के प्रकरणों में वसूली

[खनिज साधन]

7. ( *क्र. 890 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍नकर्ता द्वारा प्रश्‍न क्रमांक 3346, दिनांक 17.03.2022 के माध्‍यम से अवैध उत्‍खनन की जानकारी मांगी गई थी, जिसके उत्‍तर में माननीय मंत्री महोदय द्वारा बताया गया था कि 15 अवैध उत्‍खनन के प्रकरण दर्ज हुए थे, जिनमें से 13 प्रकरणों में कलेक्‍टर न्‍यायालय राजगढ़ द्वारा जुर्माना राशि जमा कराई जा चुकी है? शेष दो प्रकरण कलेक्‍टर न्‍यायालय राजगढ़ के समक्ष विचाराधीन बताये गए? (ख) प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित कलेक्‍टर न्‍यायालय राजगढ़ में शेष दो प्रकरण किस कारण से विचाराधीन हैं? क्‍या उपरोक्‍त दोनों प्रकरणों में करोड़ों रूपयों का जुर्माना लगाया गया है? यदि हाँ, तो कब तक वसूली हो जायेगी? (ग) प्रश्‍नांश (ख) में उल्‍लेखित जुर्माना नहीं वसूले जाने से शासन को जो वित्‍तीय हानि हो रही है, इसके लिये जिम्‍मेदार अधिकारी/कर्मचारियों पर क्‍या कार्यवाही की जायेगी? (घ) प्रश्‍नांश (ख) में उल्‍लेखित जुर्माना को शीघ्र वसूलने हेतु क्‍या कार्यवाही की जा रही है? कब तक वसूली हो जाएगी?

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्‍नांश (क) में उल्लेखित प्रकरणों में से 02 प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत् विचाराधीन हैं। एक प्रकरण में अर्थदण्ड राशि रुपये 11,51,05,500/- अधिरोपित की गई थी। इस आदेश के विरूद्ध अपील प्रकरण में संचालक, भौमिकी तथा खनिकर्म द्वारा अर्थदण्ड संबंधी आदेश को अपास्त किया जाकर शिकायत की जाँच तथा प्रकरण में पुनः विधि संगत कार्यवाही के निर्देश दिये गये थे। शेष 01 प्रकरण न्यायालय में आदेश हेतु नियत है। न्‍यायालयीन प्रक्रिया होने से जुर्माने की राशि वसूली की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) प्रश्‍नांश (ख) के उत्तर में उल्लेखित जुर्माने की राशि की वसूली के संबंध में पारित आदेश के विरुद्ध प्रस्तुत अपील प्रकरण में आदेश अपास्‍त किया गया है एवं निर्देशानुसार कार्यवाही प्रचलित है। अत: जुर्मान की राशि वसूली का प्रश्‍न नहीं है व शासन को वित्‍तीय हानि जैसी स्थिति नहीं है। शेष 01 प्रकरण में न्‍यायालयीन आदेश अपेक्षित है। अत: अधिकारी/कर्मचारियों पर किसी प्रकार की कार्यवाही का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्‍नांश (ग) के उत्तर अनुसार।

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने...

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रियव्रत सिंह जी, इस बार प्रयास करो कि अभी सबको मौका मिलेगा. प्रश्‍न ज्‍यादा निकल सकें, इस तरह का प्रयास करो.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रयास तो करूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, फिर वह लंबा बोलने लगते हैं.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- नहीं, मैं लंबा नहीं बोलूंगा, मैं तो एक मिनट में खतम कर दूंगा, पर मुझे जवाब सही मिल जाए और कार्यवाही सही से हो जाए. चार साल से मामला लंबित है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं अपनी तरफ से प्रयास कर रहा हॅूं कि जवाब सबका आ जाए, ठीक आए.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे यही अपेक्षा है. इसमें मैंने जो प्रश्‍न पूछा था कि यह जो खनिज प्रकरण बने हैं उनकी रिकवरी के मामले में था. इसमें मुझे एक में उत्‍तर मिला है जिसमें 11 करोड़ रूपए की रिकवरी होनी थी उसमें अर्थदंड संबंधी आदेश अपास्‍त किया जाकर शिकायत की जांच व प्रकरण में विधि संगत करने के निर्देश संचालक, भौमिक और खनिकर्म ने दिये हैं. अब यह जो आदेश उन्‍होंने दिया है, यह जो आदेश अपास्‍त किया है, करीबन इस बात को 3 साल बीत गये हैं और 3 साल से इसमें कोई कार्यवाही नहीं हुई है. मामला यह है कि जांच के लिये शिकायतकर्ता ने दिनांक-5.7.2018 को आवेदन कलेक्‍टर, राजगढ़ को दिया था. कलेक्‍टर राजगढ़ ने एसडीएम खिलचीपुर को इस प्रकरण की जांच करने के लिये निर्देशित किया था. एसडीएम, खिलचीपुर और कलेक्‍टर, राजगढ़ ने जब वर्ष 2019 तक कोई जांच नहीं की तो शिकायतकर्ता द्वारा मुख्‍यमंत्री जी को अनुरोध किया गया और उनके आदेश पर संचालक द्वारा भोपाल से एक टीम बनाई गई और उसने जाकर इस अवैध उत्‍खनन की जांच की. नापा-तौली की, पूरा अपना प्रतिवेदन दिया, जिसके आधार पर कलेक्‍टर, राजगढ़ द्वारा वर्ष 2019 में दिनांक 8.9.2019 को 11 करोड़ रुपये की वसूली आरोपित की गई. उसके पश्‍चात् एक महीने बाद जिन्‍होंने टीम बनाई थी, संचालक, भौमिक ने, उन्‍हीं ने इस ऑर्डर की अपील सुनी और उन्‍हीं ने इस ऑर्डर को स्‍टे कर दिया. तब से यह स्‍टे में रहा और उसके बाद दिनांक 5.9.2020 को यह ऑर्डर जारी किया कि इसको अपास्‍त करके वापस कलेक्‍टर को भेजा जाए. कलेक्‍टर, राजगढ़ दो बार संचालक, भौमिक को पत्र लिख चुके हैं, क्‍योंकि हाई-पॉवर कमेटी ने इसकी जांच पहले ही की थी, खनिज की कमेटी ने जांच की थी, जो कि संचालक, भौमिक और खनिकर्म ने बनाई थी, तो अब मैं जांच करने में इसमें असमर्थ हूँ. जब हॉयर अथॉरिटी ने जांच कर ली है तो जिला खनिज अधिकारी इसमें जांच करने के लिए अधिकृत ही नहीं है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह खुले रूप से एक व्‍यक्‍ति को बचाने के लिए विभाग इस पूरे प्रकरण को फुटबॉल बना रहा है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि क्‍या इसकी भोपाल से टीम गठित करके इसमें वे पुन: कार्यवाही करवाएंगे और यह जो 11 करोड़ रुपये की राशि आरोपित की गई थी, क्‍या उसमें वसूली की कार्यवाही करेंगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- कार्यवाही करेंगे या जांच कराएंगे ?

            श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जांच कराने की तो बात ही नहीं है, क्‍योंकि जिसने इसको रिटर्न किया है, जांच को, उन्‍हीं की टीम ने पूरी जांच करके प्रतिवेदन दिया है तो अब वहां पर तो इसकी कोई जांच हो ही नहीं सकती, जिला खनिज अधिकारी तो इसकी कोई जांच कर ही नहीं सकता.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप भोपाल से जांच टीम का कह रहे हैं ना.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस बीच में एक और चीज हुई है, जिस व्‍यक्‍ति के ऊपर यह रिकवरी आरोपित की गई थी, उसको पुन: लीज दे दी गई है. राजगढ़ में उसी तहसील जीरापुर में, मतलब पुन: उसको खनिज लीज दे दी गई है, एक तो जब तक यह 11 करोड़ रुपये वसूली का प्रकरण नहीं निपटता, उसकी खनिज लीज तो आप निरस्‍त करें.  

            श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्‍य ने बात कही है, निश्‍चित रूप से कलेक्‍टर, राजगढ़ के द्वारा उसमें अर्थदण्‍ड आरोपित किया गया था, लेकिन जो जांच टीम बनाई गई थी, जांच टीम का जो जांच प्रतिवेदन है, उसमें कई तरह की विसंगतियां भी थीं. इसलिए इन सब चीजों को देखकर जो हमारे डॉयरेक्‍टर, माइनिंग हैं, क्‍योंकि उसमें ऐसा लग रहा था कि इसमें एकतरफा कुछ चीजें चल रही हैं तो उसको प्रत्‍यावर्तित करके पुन: जांच के लिए कलेक्‍टर को आदेशित किया था. कलेक्‍टर से जो आदेशित हुआ है, उसमें कलेक्‍टर ने निश्‍चित रूप से पत्र लिखा कि इसकी जांच डायरेक्‍टरेट से हुई थी, अपर अथॉरिटी ने जांच की थी, लेकिन मैं यह मानता हूँ, क्‍योंकि जैसा कि यहां से शासन की तरफ से भी पत्र गया है कि कलेक्‍टर खुद एक न्‍यायालय है और न्‍यायालय में कोई भी यदि हमारा ज्‍युरिडिक्‍शन है तो उसमें निर्णय लेना चाहिए. आज निर्णय लेने के लिए कलेक्‍टर सक्षम है और जो भी न्‍यायालय है, वह सक्षम है और ये बेसिकली सब-ज्‍युडिस मामला है. यदि कलेक्‍टर नहीं कर पा रहे हैं तो उसमें निर्णय कर दें. उसके बाद जो अपील में आएगा तो यहां पर निराकरण होगा. लेकिन आज कलेक्‍टर न्‍यायालय में वह पेंडेंसी है तो उस पर हम अभी कैसे बात कर सकते हैं ?      

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिसके न्‍यायालय में अभी पेंडेंसी है, वह खुद चिट्टी लिख रहा है कि मैं इसकी जांच करने में अक्षम हूँ. मेरे पास जो अमला है, यहां पर खनिज का, वहां जिला खनिज अधिकारी जिले में सबसे बड़ा अधिकारी होता है, उससे ऊपर के अधिकारी ने जांच की है तो अब मैं किससे जांच करवाऊँ. दिक्‍कत तो अध्‍यक्ष महोदय, वहां आ रही है कि जब कलेक्‍टर यह लिख रहा है कि मैं जांच करने में अक्षम हूँ और मंत्री जी कह रहे हैं कि कलेक्‍टर एक न्‍यायालय है तो जब जो न्‍यायालय जांच करने में अक्षम है, तो फिर उसके ऊपर कौन सा न्‍यायालय बनेगा. इसकी जांच शासन स्‍तर पर हो सकती है. आप शासन स्‍तर पर कराएं और माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दिनांक 5.9.2020 के बाद मैं स्‍वयं तत्‍कालीन प्रमुख सचिव के पास गया. मैंने तत्‍कालीन प्रमुख सचिव को लिखित में पत्र दिया कि इस प्रकरण में संचालक, भौमिक ने जो आदेश पारित किया, उसमें उल्‍लेख किया है कि दिनांक 21.11.2019 को, 10.12.2019 को, 2.1.2020 को, 20.2.2020 को और 28.5.2020 को पांच बार संचालक, भौमिक और खनिकर्म ने कलेक्‍टर से इस मामले में अगर कोई विसंगति है तो प्रतिवेदन मांगा. एसडीएम से प्रतिवेदन मांगा. एसडीएम ऑफिस में फाइल गायब है, कलेक्‍टर ऑफिस में फाइल गायब है. कलेक्‍टर के पास कोई तरीका नहीं है इसकी जांच करने का और यहां संचालक, भौमिक और पूरा विभाग इस प्रकरण की जांच नहीं कराना चाहता, इसको उछालना चाहता है. अध्‍यक्ष महोदय, यह बड़ा मामला है, रॉयल्‍टी चोरी का, इसमें जो लोग अपराधी हैं, वे बड़े राजनीतिक रसूख वाले हैं. राजनीतिक रसूख रखते हैं इस वजह से इस प्रकार इसको फुटबॉल की तरह खेला जा रहा है. मंत्री जी पहुंचाते हैं कलेक्‍टर के पास, कलेक्‍टर किक लगाते हैं, पहुंचा देते हैं वल्‍लभ भवन में और मामला वहीं का वहीं अटका हुआ है. मध्‍यप्रदेश में मुख्‍यमंत्री जी की जो मंशा है कि माफिया के खिलाफ कार्यवाही हो यह आदेश उसकी धज्जियां उड़ा रहा है. मेरा आपसे सिर्फ यह अनुरोध है, मैं भाषण नहीं देना चाहता हूं, मैं तो यह चाहता हूं कि आप प्रमुख सचिव या सचिव स्‍तर के अधिकारी के द्वारा एक टीम गठित करके इसकी जांच करा लें और अगर हम लोग संतुष्‍ट नहीं होंगे तो हम अपील में जाएंगे, न्‍यायालय में जाएंगे, परंतु कम से कम जांच कराकर इसको क्‍लीयर तो करें और वहां पर प्रमाण हैं और इसी व्‍यक्ति को पुन: माइनिंग लीज़ दे दी गई है, उसी तहसील में, उसके एक अलग गांव में मतलब यह एक राजस्‍व गांव में थी, उसके बगल के राजस्‍व गांव में उसी व्‍यक्ति को माइनिंग लीज़ पुन: दे दी गई है. एक तो 11 करोड़ उसने जमा नहीं किए और वह खुले आम वापस अवैध उत्‍खनन कर रहा है, तो इसके खिलाफ तो कार्यवाही होनी चाहिए.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नेचुरल जस्टिस वाला मामला है. बेसिकली जब यह प्रकरण बना तो उस समय भी कुछ शिकायतें आईं और एकतरफा सब कार्यवाई हुई हैं. अब डायरेक्‍टर ने कोई चीज जांच में पाई हैं कि इसमें थोड़ा सा दूसरे पक्ष को भी सुनकर और एक वैधानिक तरीके से यदि कलेक्‍टर न्‍यायालय कोई फैसला कर देता है क्‍योंकि आज कलेक्‍टर न्‍यायालय के अंदर केस है, यदि वह सक्षम नहीं है या जांच नहीं करा पा रहे हैं तो निर्णय दे दें सीधी बात यह है, हमारे यहां डायरेक्‍ट्रेट में अपील आ जाएगी, प्रशासन में आ जाएगी तो हम यहां से जांच करा लेंगे.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- वह दे चुके हैं. कलेक्‍टर लिखित में दे चुके हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, एक सेकेंड, माननीय मंत्री जी, जिसको आप न्‍यायालय कह रहे हैं यदि न्‍यायालय स्‍वत: यह कह रहा है कि हम यह कार्यवाही नहीं करेंगे तो बार-बार हम क्‍यों कहते हैं कि वही कार्यवाही करे ?

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, बेसिकली अर्द्धन्‍यायिक प्रक्रिया में सब केस जाते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, सारी चीज मान ली आपने, आप मानते हैं तो इंट्रिम ऑर्डर मानिए ना कि कलेक्‍टर यह कहते हैं कि हम कार्यवाही नहीं कर सकते तो उसको इंट्रिम ऑर्डर मानिए ना.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- अब उसके लिए हमने फिर से लिखा है कि यदि आप नहीं कर सकते हैं तो एक वैधानिक तरीके से उसका ऑर्डर जारी करें और उसके बाद हम यहां से टीम गठित कर लेंगे या यहां पर हम काम कर लेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां, ठीक है.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- वह तो लिख चुके हैं, ''कलेक्‍टर हैज़ रिटन.'' मतलब कलेक्‍टर ने इनको लिखित में दे दिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, प्रियव्रत सिंह जी, उन्‍होंने यह स्‍वीकार कर लिया है, अब फिर लिख रहे हैं, यदि नहीं करते तो वह सीधे ऑर्डर यहां से करेंगे.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, अगर कलेक्‍टर वापस रिर्टन करते हैं चिट्ठी लिखकर तो उसमें तो आप कार्यवाही करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां करेंगे. कह रहे हैं करेंगे.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- आश्‍वासन दे दें.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह -- न्‍यायालय का कोई यदि प्रकरण होता है कलेक्‍टर लेबल से और फिर यदि वह हमारे पास आता है तो निश्चित रूप से हम उस पर कार्यवाही करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, उसको जो पुन: माइनिंग लीज़ दे दी गई है उस पर कुछ कार्यवाही, क्‍या उसकी जांच की कार्यवाही करेंगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- अभी तो नेचुरल जस्टिस कह रहे हैं ना वह.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, उसी को माइनिंग लीज़ वापस से दे दी है उस पर तो कार्यवाही करवा दें, उस चीज की कम से कम जांच तो कर लें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, वह तो नेचुरल जस्टिस की कह रहे हैं.

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविंद सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, शासन को अधिकार है. नामांतरण बंटवारे यह भी राजस्‍व न्‍यायालय में चलते हैं, लेकिन शासन निर्देश देता है कि एक महीने में, इतने दिन में आप निराकरण करें. यह कोई सिविल न्‍यायालय नहीं है, प्रशासनिक न्‍यायालय हैं, इनमें कई बार सरकार ने निर्देश दिए हैं. मुख्‍यमंत्री जी ने भी दिए हैं कि नामांतरण, बंटवारा तत्‍काल करें, तो इसमें निर्देश देने में आपको क्‍या आपत्ति है ? कलेक्‍टर अगर आपकी नहीं मान रहा है तो कलेक्‍टर के खिलाफ कार्यवाही करिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है. प्रश्‍न क्रमांक 8 पुरुषोत्‍तम लाल तंतुवाय जी.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, आप निर्देश कर दें, मैं आपका समय नहीं लेना चाहता, मैं दूसरे सदस्‍यों का भी सम्‍मान करता हूं. उसी व्‍यक्ति को आपने वापस लीज़ दे दी, हर चीज़ कलेक्‍टर पर थोड़ी डाली जा सकती है. मतलब अभी फुंदेलाल मार्को जी के मामले में कलेक्‍टर को चली गई, अब प्रियव्रत सिंह ने मामला पूछा तो वह भी कलेक्‍टर को चला गया. अगर कलेक्‍टर सरकार की नहीं सुन रहे हैं तो वह किसके प्रतिनिधि हैं ? आपके नहीं हैं ? सरकार कौन है, गवर्नमेंट कौन है ? यह स्‍पष्‍ट करें. कलेक्‍टर गवर्नमेंट हैं कि आप गवर्नमेंट हैं ? आप गवर्नमेंट चला रहे हैं कि वहां पर अधिकारी गवर्नमेंट चला रहे हैं ? अधिकारी आपकी नहीं सुनेंगे तो फिर इस विधायिका का क्‍या मामला निकलता है ? यहां मैं प्रश्‍न क्‍यों पूछूं ? मैं अपना समय क्‍यों जाया करूं ? मैं अपना कुछ और करूं. मैं विधायक बनकर आया हूं, एक प्रश्‍न पूछ रहा हूं बात कर रहा हूं, अपनी बात रख रहा हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं तीसरी बार इलेक्‍ट होकर आया हूं इस असेम्‍बली में. इस प्रकार से मुझे कभी भी मतलब एक तरीके से मैं आपने आपको अपमानित समझ रहा हूं, मेरी विधायिका को अपमानित समझ रहा हूं कि मैं यहां विधायक बनकर बैठा क्‍यों हूं ? अगर सरकार आदेश जारी नहीं कर सकती, सरकार कार्यवाही नहीं कर सकती तो अध्‍यक्ष महोदयय, मुझे पीड़ा है और यह मेरी पीड़ा नहीं यह 230 लोगों की पीड़ा होगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, उन्‍होंने कार्यवाही के लिए कहा है.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- आप उसी को माइनिंग लीज दे रहे हैं. उसी तहसील में दे रहे हैं, तो कम से कम आप उसकी अभी की माइनिंग लीज़ की तो जांच करवाएं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर एक न्यायालय है, कलेक्ट्रेट में जिला दण्डाधिकारी कहलाता है. यदि कोई न्यायालय में मामला प्रिज्यूडिस है, वहां मामला चल रहा है, जब तक वहां का निर्णय नहीं हो जाएगा. आज आपने दोषी बना दिया कि वह दोषी हो गया, उसको लीज न दी जाय. पहले दोष तो सिद्ध हो. हम आगे कैसे बढ़ें? आज आपने कलेक्टर की बात कही, कलेक्टर एक न्यायालय है, वह निर्णय दे दे. यदि वह सक्षम नहीं है तो निर्णय दे दें. हमने उसको सिलेक्ट किया है.

श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर ने तो लिख दिया कि मैं निर्णय लेने में अक्षम हूं. कलेक्टर यह बात लिख रहा है.

श्री तरुण भनोत - आप उसकी जांच तो करा दें. आप लीज कैंसिल नहीं कर रहे हैं, वह सही दी गई कि नहीं दी गई, माननीय सदस्य, वह यही तो कह रहे हैं कि उसकी जांच करा दें? जांच कराने में उसका कोई न्यायालयीन आदेश से मतलब नहीं है.

श्री आलोक चतुर्वेदी - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय एनओसी अनिवार्य है और उसके ऊपर 11 करोड़ रुपये की रिकवरी है तो यह एनओसी उसको कैसे मिल गई? एनओसी के बिना आप लीज नहीं दे सकते हैं.

श्री प्रियव्रत सिंह - उस व्यक्ति को एनओसी कैसे मिली, उसके भाई को एनओसी मिल गई, उसके परिवार के लोगों को माइनिंग लीज मिल गई?

श्री तरुण भनोत - आप जांच तो करा सकते हैं? हम यह नहीं कह रहे हैं आप निरस्त कीजिए, जो डिफाल्टर होते हुए उसको दूसरी लीज दी गई है. मैं नहीं मानता कि वह अभी डिफाल्टर घोषित हुआ है, लेकिन आप उसकी जांच तो करा सकते हैं कि नियमों का पालन किया गया कि नहीं किया गया? उसमें क्या रोक है?

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, ठीक है, यदि आप उसकी बात कर रहे हैं हम उसकी जांच करा लेंगे कि वह वैधानिक तरीके से दी गई कि नहीं दी गई.

श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, वैधानिक तरीके से तो हो ही नहीं सकती है, एनओसी कैसे मिल गई?

अध्यक्ष महोदय - आप जांच तो होने दीजिए.

श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, वैधानिक तो हो ही नहीं सकती है. विधान तो हम सब समझते हैं.

अध्यक्ष महोदय - श्री तरुण भनोत के प्रस्ताव को उन्होंने मान लिया है.

श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, जांच करा दें और कलेक्टर को यह पत्र लिख दें कि उसका जल्दी निराकरण करें, नहीं तो संचालक भौमिक के माध्यम से या सचिव स्तर की समिति बना दें, सचिव स्तर की समिति जाकर वहां पर जांच कर ले.

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, उसके लिए हमने अभी पत्र लिख दिया है, जो आप कह रहे हैं कि जल्दी निराकरण के लिए, उसके लिए पत्र जा चुका है.

श्री प्रियव्रत सिंह - आप तो सचिव स्तर की समिति बना दो, काम हो जाएगा.

अध्यक्ष महोदय - अभी समिति कैसे? अभी तो वह जांच करा रहे हैं.

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय,उसका निराकरण हो जाय, हम बना देंगे.

श्री प्रियव्रत सिंह - बना देंगे?

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - पहले निराकरण तो हो जाय.

अध्यक्ष महोदय - श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय.

श्री प्रियव्रत सिंह - अब बना देंगे तो मैं संतुष्ट हो जाऊंगा अध्यक्ष महोदय. सचिव स्तर की समिति बना दें.

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय,अभी न्यायालय का डिसीजन तो आने दें, आपके कलेक्टर न्यायालय से डिसीजन आ जाय उसके बाद अपील में आएंगे तो हम उस पर कार्यवाही करेंगे.

श्री प्रियव्रत सिंह - उसकी जांच करा दें  जो उसके परिवार को और उसको जो लीज दी गई है.

अध्यक्ष महोदय -  क्यों रिपीट करना,  उसको कह दिया है.

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, वैधानिक तरीके से यदि वह नहीं है तो उसमें हम कार्यवाही करेंगे.

श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय मंत्री जी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें, अधिकारियों से न दबे.

अध्यक्ष महोदय - श्री प्रियव्रत सिंह जी बैठिए.

रेत/पत्‍थर का अवैध उत्‍खनन

[खनिज साधन]

8. ( *क्र. 114 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह में रेत खदान व पत्‍थर खदान हेतु कितने घाट/स्‍थल चयनित हैं व रेत/पत्‍थर हेतु किन-किन ठेकेदारों को वर्ष 2022-23 का ठेका दिया गया है? नाम, पतावार, राशिवार जानकारी उपलब्‍ध करायें। (ख) क्‍या जिला दमोह में अवैध रेत/पत्‍थर उत्‍खनन का धंधा जोरों पर चल रहा है? यदि हाँ, तो प्रशासन द्वारा क्‍यों कार्यवाही नहीं की जा रही है? विगत वर्ष में प्रशासन द्वारा जिला दमोह में कितने केस दर्ज किये व क्‍या कार्यवाही की एवं जिला प्रशासन द्वारा अवैध उत्‍खनन रोके जाने हेतु क्‍या प्रयास किये हैं?

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' एवं 'पर दर्शित है। (ख) जी नहीं। विगत तीन वर्ष में दर्ज किये गये प्रकरणों की जानकारी संलग्न परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' पर दर्शित है। मध्‍यप्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम, 2022 अनुसार कार्यवाही की जा रही है।

परिशिष्ट - "एक"

 

श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से हमारे प्रश्न के बिन्दु ख का जो जवाब माननीय मंत्री के द्वारा  आया है. दमोह जिले में अवैध उत्खनन के लिए मना किया गया है जबकि दमोह जिले में लगातार अवैध उत्खनन जारी है. हमारी विधान सभा क्षेत्र के सुनान नदी, ब्यारवा नदी पर लगातार अवैध उत्खनन जारी है. हम मंत्री जी से आपके माध्यम से पुनः निवेदन करते हैं कि जो प्रशासन की मिली-भगत से लगातार अवैध उत्खनन जारी है, पुनः जांच कराकर उसको रोका जाय और संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही की जाय. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

श्री कमलेश्वर पटेल - पूरे प्रदेश में यही हो रहा है.

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, वहां पर जो कांट्रेक्टर थे, उनके खिलाफ उसको टर्मिनेट किया गया था, फिर दूसरा कांट्रेक्टर वहां पर आया उसकी भी जब वहां पर शिकायतें मिली और उसकी जो इंस्टालमेंट वगैरह है ठीक से काम न होने का, उसको भी टर्मिनेट किया गया, लेकिन वह हाईकोर्ट से जाकर स्टे लाया हुआ है और इसलिए स्टे होने के कारण वहां पर संचालन है लेकिन हमने विधिवत् जो भी हमारे विभाग के माध्यम से कार्यवाही होती है, वह हमने की हैं और उसमें करीब 71 लाख रुपये तक की हमने वसूली की है. उसमें हमने अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन, अवैध भण्डारण के हमने केसेस बनाए हैं और लगातार इसी तरह दूसरे अन्य खनिजों में भी हमने करीब 53 अवैध उत्खनन के और अवैध परिवहन के 147, अवैध भण्डारण के 11, इससे  83 लाख रुपये करीब के उसमें भी अर्थदण्ड अधिरोपित किया है और वसूली की है. इसमें निरंतर जो अपने विभाग की तरफ से हम कर सकते हैं वह वहां पर हम कर रहे हैं. लेकिन वह  उच्च न्यायालय से स्थगन होने के कारण वह कार्य वहां पर अभी भी है.

अध्यक्ष महोदय - विधायक जी का कहना यह है कि स्टे वह लाए हैं. एक पाइंट पर कोई आर्डर हुआ, उस पर स्टे आ गया. उनका कहना है कि अधिकारियों की, किसकी मिलीभगत से उनके क्षेत्र में उत्खनन हो रहा है, कम से कम उनके क्षेत्र की रक्षा हो जाय, यह तो जांच करा लेंगे.

श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य से वह जानकारी ले लेंगे, जहां की बात कर रहे हैं, हम उसकी जांच करा लेंगे.

संबल योजना में स्‍वघोषित प्रमाणीकरण व्‍यवस्‍था

[श्रम]

9. ( *क्र. 992 ) श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या संबल योजना में शहरी क्षेत्रों में नये पंजीकरण हेतु आवश्‍यक पटवारी प्रमाणीकरण के स्‍थान पर स्‍वघोषित प्रमाणीकरण व्‍यवस्‍था लागू करेंगे? (ख) पटवारी के प्रमाणीकरण प्रारूप के कारण हितग्राहियों को हो रही परेशानियों के संबंध में प्रश्‍नकर्ता द्वारा मंत्री जी को अवगत कराया था और मंत्री जी ने स्‍वघोषित प्रमाणीकरण व्‍यवस्‍था लागू करने का आश्‍वासन दिया था,  इस आश्‍वासन की पूर्ति कब तक कर दी जायेगी?

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) मुख्‍यमंत्री जनकल्‍याण (संबल 2.0) योजनांतर्गत पंजीयन हेतु वर्तमान में पटवारी प्रमाणीकरण आवश्‍यक नहीं है। अत: शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ख) मुख्‍यमंत्री जनकल्‍याण (संबल 2.0) योजनांतर्गत पंजीयन हेतु जारी दिशा निर्देश क्रमांक 745, दिनांक 05.05.2022 अनुसार भूमि प्रमाणीकरण हेतु पटवारी से प्रमाणीकरण आवश्‍यक था, जिसके स्‍थान पर संशोधित जारी आदेश क्रमांक 2504, दिनांक 29.08.2022 द्वारा भूमि प्रमाणीकरण हेतु भू-अभिलेख पोर्टल से बी-1 की प्रति के आधार पर भूमि प्रमाणीकरण किया जाना प्रावधानित किया गया है। अत: शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          अध्यक्ष महोदय - चेतन्य जी हैं. हमें पहले ही दिखाई पड़ना चाहिए. आप तो पहले ही दिख जाना चाहिए हम सबको, पता नहीं कैसे हो गया.

श्री चेतन्य कुमार काश्यप - अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना है. मैंने माननीय मंत्री जी से प्रश्न किया है. संबल योजना में शहरी क्षेत्रों में नये पंजीकरण हेतु आवश्यक पटवारी प्रमाणीकरण के स्थान पर स्वघोषित प्रमाणीकरण व्यवस्था लागू करेंगे. और इस  प्रश्न  के संबंध में  मैंने  अवगत भी कराया था  मंत्री जी  को और उन्होंने आश्वस्त भी किया  था, परन्तु मुझे अभी जो जवाब  प्राप्त हुआ है,  उसमें आपने लिखा है कि  हमने  पटवारी  का बी-1  लगाने का उसमें  जो मध्यप्रदेश पोर्टल से मिलता है,  बी-1  लगाने का  निश्चित किया है.  मुझे लगता है कि  मंत्री जी को अधिकारियों  ने गुमराह किया है, क्योंकि जो स्व प्रमाणीकरण है, उसकी  जगह बी-1 लगाना,  अगर जिसका खाता ही नहीं है शहरी क्षेत्र में, जमीन ही नहीं है, तो उसको  बी-1 से कोई प्रमाण पत्र  नहीं मिलता है और सारे सम्बल के  जो  नये कार्ड बन रहे हैं,  उन सारे व्यक्तियों  को पटवारी के यहां पर  जाना पड़ता है  और पटवारी  से एनओसी  लाने का मतलब मंत्री जी भी समझते हैं कि किस तरीके का समय लगता है.   तो  मेरा उनसे आग्रह है कि यह स्व घोषित करने के बारे में स्पष्ट  जवाब दें.क्योंकि यह जो जवाब है, यह खाली बी-1 लगाने  का है. जबकि बी-1 से  भूमि  नहीं होने  का कोई प्रमाण नहीं आता है.  दूसरा,  एक प्रश्न इसमें यह है कि  सम्बल  योजना के सारे विज्ञापनों में और उसकी सारी जानकारी  में वेबसाइट में  लिखा है कि  इस योजना को आयुष्मान  भारत का  लाभ मिलेगा. जबकि आयुष्मन भारत के उसमें पोर्टल  में सम्बल  योजना के पात्र होने के बाद भी  अभी तक कोई लाभ  नहीं दिया जा रहा है और  आयुष्मान  के डायरेक्टर का कहना है कि  इस तरीके की कोई  व्यवस्था अभी तक शासन द्वारा नहीं दी गई है.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय,  जहां तक वह पटवारी  के प्रमाणीकरण  की जो बात कही थी  माननीय सदस्य ने,  उसको हमने हटा दिया है  और अब सीधे सीधे पोर्टल से उसको किसी पटवारी से कोई भी प्रतिवेदन नहीं लेना है.  वह पोर्टल पर अपने बी-1  की कॉपी निकाल ले और  उसकी जो पात्रता है,  क्योंकि  उसमें वह सब पात्रताओं की अर्हताएं हैं कि क्या क्या चीजें होनी चाहिये और वह सीधा दे सकता है. हमने नया चेंज  कर दिया है, उस हिसाब  से   हमारी कार्यवाही  चालू भी हो गई है.

                   श्री चैतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय,  मैंने वही प्रश्न कहा है कि  जब व्यक्ति भूमिहीन है, शहरी क्षेत्र में  सारे असंगठित मजदूर  भूमिहीन होते हैं, तो उनके  लिये पोर्टल से  कोई जानकारी  नहीं निकलती है. तो उसे पटवारी के यहां  पर  चक्कर लगाने ही पड़ते हैं  और पटवारी के यहां चक्कर  लगाने  का मतलब  पूरा सदन भी जानता  है और आप भी जानते हैं कि  एक एनओसी लाने  में कितना समय लगता है  और क्या क्या  व्यवस्थाएं होती हैं. तो य हजो प्रश्न का  जवाब  आप जो दे रहे हैं,यह उस  बात  का कोई जवाब ही नहीं है.

                   अध्यक्ष महोदय--  विधायक जी, आप चाहते क्या हैं.

                   श्री चैतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, स्व प्रमाणीकररण  लागू किया जाये कि जिसकी  भूमि नहीं है, वह स्व प्रमाणीकरण करे.  मुख्यमंत्री जी हमेशा कहते रहे हैं इस बात को.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय,  यह  जो आज का  इसका फार्मेट है, इसमें खुद ही नीचे लिखा है कि  मैं यह शपथ पूर्वक  कथन करता हूं कि  मेरे द्वारा दी गई   उपरोक्त जानकारी सही है. यह उन्हीं का है कि  जो स्व प्रमाणीकरण करके  अपना शपथ देते हैं. सीधा सीधा है.   इसमें कोई प्रमाणीकरण  की जरुरत ही नहीं है.  वह उसी से हम लिखकर  के ले लेंगे.  जो वह देगा, उसी को हम मान रहे हैं.

                   अध्यक्ष महोदय-- नहीं नहीं, यह आश्वासन आ जाये कि  यह मानेंगे, यह चला जाये न.  अभी तो उनका कहना है कि  नहीं मानते हैं इसको.  तो यह आपका चला जाये, आपकी तरफ से  यह आश्वासन हो जाये  कि इसको माना जायेगा.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, हां, यह फार्मेट है,  इसको माना जायेगा, जो स्व प्रमाणीकरण है.

                   अध्यक्ष महोदय--ठीक है.

                   श्री चैतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें वही आपसे कह रहा है कि उसके फार्म में बी-1 की  आवश्यकता लिखी गई है.

                   अध्यक्ष महोदय-- फार्म में है क्या बी-1.

                   श्री चैतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय,मंत्री जी  इसका जवाब दे दें.

                   अध्यक्ष महोदय-- फार्म आपके पास भी होगा ना.

                   श्री चैतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय,फार्म है मेरे पास.  उसमें लिखा है कि बी-1  की कॉपी लगाई जाये.  तो जो भूमिहीन है,  उसको बी-1  मिलेगा ही नहीं.

                   अध्यक्ष महोदय-- जरा देखिये उसमें  बी-1 कहां है.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जो वहां का जांच अधिकारी  है,  क्योंकि  इसका एक प्रमाणीकरण  होता है,  यदि वह लिख देगा कि  इसमें इसकी  जरुरत नहीं है  तो वह  मान लिया जायेगा, उसमें कोई दिक्कत नहीं है.  जब है  ही नहीं उसकी जमीन  तो कैसे उसकी जरुरत है.

                   अध्यक्ष महोदय-- वह यही तो कह रहे हैं  न कि वह पटवारी वाला हो गया ना.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, तो उसमें निरंक  की एंट्री हो जायेगी न.  जहां पटवारी वाला कालम है,  वहां निरंक हो जायेगा.  जब बी-1 ही नहीं है.  पटवारी वाला तो कालम ही हटा दिया है.

                   अध्यक्ष महोदय-- कौन प्रमाणीकरण करेगा.  उसका जैसे   जिसने सत्यापन  किया स्वयं का, उसका प्रमाणीकरण फिर कौन करेगा.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जो वहां के  विहित अधिकारी हैं,  जो वहां पर   जमा करते हैं, उसका देखेंगे  और फार्मेट में यदि  वह निरंक लिख देगा  जमीन की जगह पर तो  उसको वह मान  लेगा, पोर्टल पर  देख लेगा  कि निरंक है.

                   श्री चैतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय,मेरा कहना है कि  ऐसा एक परिपत्र   मंत्री जी आश्वस्त कर दें कि ऐसा परिपत्र   जारी कर दिया जायेगा. क्योंकि उसमें बी-1 का कम्पलशन  है.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, परिपत्र जारी  है.  उसमें विहित अधिकारी लिख  देगा, जब पोर्टल में  है ही नहीं,  तो वह तो  माना ही जायेगा कि  वह निरंक है.

                   श्री चैतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, आयुष्मान भारत का जो मैंने  प्रश्न साथ में पूछा था,  आयुष्मान  भारत   की सम्बद्धता  का, उसका भी  मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया, वह कब तक पोर्टल पर  सम्बद्धता हो जायेगी.

                   अध्यक्ष महोदय-- सम्बल कार्ड  को  आयुष्मान में  नहीं मान रहे हैं.

 

            श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, बेसिकली आयुष्मान क्योंकि केन्द्र की योजना है. संबल, हम लोगों ने प्रदेश की योजना चलाई है. हम उसमें भी चाह रहे हैं कि हमारे जितने भी रजिस्टर्ड संबल के लोग हैं वह आयुष्मान के कार्ड की पात्रता रखें उस पर हमारी कार्यवाही चल रही है.

 

 

बीना परियोजना के डूब क्षेत्र में प्रतिपूरक वनीकरण

[वन]

10. ( *क्र. 710 ) श्री हर्ष यादव : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                      (क) क्या जिले की बहुउद्देशीय बीना-परियोजना के निर्माण में डूब में आई वनभूमि के एवज में प्रतिपूरक वनीकरण कार्य कराया गया है? विभागीय जांच में गड़बड़ी पाई गई? यदि हाँ, तो उक्त वनीकरण कार्य किन स्थानों पर कराया गया है, उसका स्थल-चयन एवं निगरानी के लिए किन-किन अधिकारियों को नियुक्त किया गया? उसकी प्रस्तावित रिर्पोर्ट में दर्ज व्यय का अनुमान क्या था, जिसे पूर्ण करने के लिए कितनी राशि जारी की गई एवं उसमें कितनी राशि व्यय कर कितना कार्य पूर्ण कराया गया है? (ख) प्रश्‍नांश (क) अनुसार वनीकरण-कार्य की विभागीय जांच में क्या गड़बड़ी पाई गई है? यदि हाँ, तो जांचकर्ता अधिकारी का नाम, जांच प्रतिवेदन एवं कृत कार्रवाई से अवगत करायें। (ग) प्रश्‍नांश (क) एवं (ख) अनुसार क्या विभागीय जांच एवं कार्यवाही में जिला-स्तरीय एवं निगरानीकर्ता अधिकारियों को बचाया गया है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो कृत कार्यवाही बतावें। नियमानुसार उनकी पदस्थापना अन्‍यत्र क्यों नहीं हुई? जांच में जिला-स्तरीय अधिकारियों की संलिप्तता एवं लापरवाही उजागर होने के बाद भी कार्यवाही लंबित है? लंबित कार्यवाही कब तक की जावेगी? जांच अनुसार दोषियों के विरूद्ध विभाग कब तक कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?

वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) सागर जिला के अंतर्गत बीना बहुउद्देशीय परियोजना के डूब क्षेत्र में आई वन भूमि के बदले गैर वन भूमि एवं बिगड़े वन क्षेत्रों में वन मण्डल दक्षिण सागर में रकबा 166.61 हेक्‍टेयर एवं उत्तर सागर में रकबा 1206.02 हेक्‍टेयर में प्रतिपूरक वनीकरण कार्य कराया गया है। रोपण स्थलों पर कराये गये कार्यों की मुख्यालय स्तर से हुई जांच में कार्यों में कमी पाई गई है। वर्नीकरण कार्य की स्थलवार जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 में है। वन विभाग में रोपण स्थलों के चयन का दायित्व परिक्षेत्र अधिकारी व उप वन मण्डल अधिकारी एवं निगरानी का दायित्व क्षेत्रीय वन अधिकारियों का होता है। वन मण्डल दक्षिण सागर एवं उत्तर सागर के अंतर्गत उपरोक्त योजनांतर्गत वनीकरण कार्यों को कराने हेतु तैयार की गई योजना का अनुमानित व्यय, कार्यों को कराने हेतु आवंटित राशि एवं कार्यों को कराने पर व्यय की गई राशि की स्थलवार जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 में है। (ख) प्रश्‍नांश (क) अनुसार मुख्यालय स्तर से वन मण्डल दक्षिण सागर के अंतर्गत कराये गये कार्यों की जांच श्री असीम श्रीवास्तव, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) म.प्र. भोपाल एवं वन मण्डल उत्तर सागर के अंतर्गत कराये गये कार्यों की जांच श्री संजय शुक्ला, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (सूचना प्रौद्योगिकी) व श्री एस. पी. शर्मा, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) म.प्र. भोपाल के द्वारा की गई है। जांच प्रतिवेदनों की प्रतियाँ पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 में है। जांच प्रतिवेदन अनुसार दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध प्रस्तावित अनुशासनात्मक कार्यवाही/विभागीय जांच की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-03 में है। (ग) जी नहीं, जिला स्तरीय एवं निगरानीकर्ता अधिकारियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 में है। तत्समय वन मण्डल दक्षिण सागर एवं उत्तर सागर में पदस्थ रहे वन मण्डल अधिकारियों की प्रशासकीय आधार पर पदस्थापना अन्यत्र की गई है। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 में है।

 

          श्री हर्ष यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, बेहद संवेदनशील और गंभीर मामला है. मेरे सागर जिले में बीना परियोजना के अंतर्गत जो वन भूमि डूब क्षेत्र में आई थी. उसमें उत्तर वन मण्डल और दक्षिण वन मण्डल में बहुत सारी जमीन प्लांटेशन के लिये आरक्षित की गई थी. उसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. जांच प्रतिवेदन भी मंत्री जी के द्वारा प्राप्त हुआ है मगर मेरा मानना है कि जो बड़े अधिकारी हैं जो रसूखदार लोग हैं उनको बचाने का काम किया जा रहा  और छोटे कर्मचारियों के ऊपर जो कार्यवाही हुई है उनको भी बहाल करके पद स्थापना कर दी गई है. जबकि करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है. हमारे जिले के अखबार रंगे पड़े हैं. माननीय भूपेन्द्र सिंह जी जी के क्षेत्र का ही मामला है. इन्होंने ही पत्र लिखा था. वह प्रतिवेदन भी मेरे पास है. उसके बाद भी ए.सी.एफ. स्तर पर जांच होने के बाद भी न जिले के अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही हुई न ऐसे लोगों के ऊपर कार्यवाही हुई है जो इसमें संलिप्त थे. ऐसे भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कब तक कार्यवाही करेंगे ?

          कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय सदस्य को बता देना चाहता हूं कि यह सरकार किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी.

          श्री हर्ष यादव - माननीय मंत्री जी यह जांच प्रतिवेदन मेरे पास है. अखबार मेरे पास हैं. करोड़ों रुपये प्रदेश सरकार ने खर्च किये हैं. 20 करोड़ रुपये के पौधे गायब हैं.

          अध्यक्ष महोदय - पहले जवाब आ जाने दीजिये.

          कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच प्रक्रियाधीन है. दो अधिकारियों को हटा दिया गया है और बाकी जो एक अधिकारी है उसको यथाशीघ्र हम वहां से हटा रहे है.

          श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उससे मैं बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं. कहीं न कहीं संरक्षण दिया जा रहा है.

          अध्यक्ष महोदय - हटाने का कह दिया. संरक्षण कहां दिया जा रहा है.

          श्री हर्ष यादव - डी.एफ.ओ. स्तर के अधिकारी हैं उनको अभी भी फील्ड में रखा गया है. उनकी देखरेख में,मेरे पास पूरी जानकारी है. मैं तथ्यात्मक बात करता हूं.

          अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी आपको आश्वासन दे रहे हैं. जिसके खिलाफ आप कह रहे हैं उनको भी हटा देंगे. अभी आपने उनको सुना नहीं.

          श्री हर्ष यादव - वित्तीय अनियमितताओं की जांच हो, रिकवरी हो. मेरा ऐसा निवेदन है. आप आसंदी से निर्देश देने का कष्ट करें.

          अध्यक्ष महोदय - अभी तो उन्होंने सब कह दिया.

          कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच भी यह सरकार कराएगी और आवश्यकता पड़ी तो हम ई.ओ.डब्लू. में भी केस देंगे.

          अध्यक्ष महोदय - अब तो धन्यवाद कर दो.

          श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, बहुत संवेदनशील मामला था. पूरे जिले से जुड़ा हुआ मामला था. बहुत-बहुत धन्यवाद मंत्री जी.

 

जांच प्रतिवेदन पर कार्यवाही

[खनिज साधन]

11. ( *क्र. 1053 ) श्री सुनील सराफ : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा में दिनांक 10.03.2022 को प्रश्‍न क्रमांक 1175 के आश्‍वासन संबंधी गठित जांच दल ने क्‍या कार्यवाही पूर्ण कर ली है? यदि हाँ, तो इस जांच रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति देवें। (ख) यदि जांच अभी तक पूर्ण नहीं हुई है तो कब तक पूर्ण कर ली जावेगी? (ग) जांच को लंबित रखने वाले अधिकारियों पर विभाग कब तक कार्यवाही करेगा?

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी हाँ। जाँच दल की रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट पर दर्शित है। (ख) प्रश्‍नांश (क) के उत्‍तर अनुसार प्रश्‍न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्‍नांश (क) के उत्‍तर अनुसार प्रश्‍न ही उपस्थित नहीं होता।

          श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो सवाल है वह इस सदन में 22.12.2021 से गूंज रहा है. यह पांचवीं बार सवाल लगा है और यह स्थिति इसलिये आई कि पांच बार से खनिज मंत्री महोदय को अधिकारी जो लिखकर दे रहे हैं वह यहां हमारी आवाज न सुनकर उसको पढ़ रहे हैं. प्रश्न क्रमांक 878 में जवाब आया था कि खटकोना में वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध न होने के कारण से गांव के अंदर से रेत का परिवहन किया जा रहा है. प्रश्न क्रमांक 880 में जवाब आया कि गांव के अंदर से नहीं किया जा रहा है. मैंने प्रश्न लगाया क्रमांक 1175 में तो उसमें जवाब आया कि दोनों में सही क्या है तो आपने फिर कमेटी बना दी. आपके निर्देश से कमेटी बनी मुझे भी उसमें शामिल किया गया.  फिर प्रश्न क्रमांक 1096 प्रश्न लगाया कि क्या रिपोर्ट आई तो उत्तर आया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. आज जो जानकारी जांच की आई है उसमें स्पष्ट है कि मेरी उपस्थिति में जो पंचनामा बना उसमें ग्रामीणों ने यह कहा कि गांव के अंदर से परिवहन हो रहा है. मैं खनिज मंत्री महोदय से यह पूछना चाहूंगा निवेदन के साथ कि क्या ऐसे अधिकारियों पर आप कार्यवाही करेंगे जो लगातार दो साल से सदन की गरिमा, विधायिका को हंसी खेल बनकर खेल रहे हैं. मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि आज कार्यवाही की घोषणा करें.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह लगातार इस पर बात चलती रही.

          अध्‍यक्ष महोदय--  पहले तो वह बड़े भाग्‍यशाली हैं कि 5 बार लगातार उनका तारांकित प्रश्‍न लगा. लॉटरी में उनका बार-बार आ रहा...

          श्री सुनील सराफ--  इसके लिये आपकी कृपा, आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद अध्‍यक्ष जी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- हमारा कोई कमाल नहीं, वह तो लॉटरी का कमाल है, आपके भाग्‍य का कमाल है.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कटकोना और बैहरटोला वाला पहले बसाहट का मामला आया फिर कटकोना का मामला आया फिर माननीय सदस्‍य ने बोला कि इसमें जांच कमेटी बनना चाहिये फिर जांच कमेटी बनाई गई उसमें बोला गया कि माननीय सदस्‍य भी साथ में रहें और माननीय सदस्‍य भी साथ में गये थे. जहां तक परिवहन की बात है उन्‍होंने बोला कि मैं खुद ही क्‍योंकि दिनांक 13.4 को निरीक्षण हुआ जिसमें माननीय सदस्‍य साथ में ही थे उसमें यह बात आई कि जो मुख्‍य रोग है, जो आपके कटकोना से बैहरटोला जो रास्‍ता जाता है वह अंडरब्रिज से होते हुये एन.एच. 43 में जाकर मिलती है. अब उसके बाद एक बात और आई कि वहां पर जब ग्रामीणों से पूछा गया तो यह बात भी आई कि इसके अतिरिक्‍त एक कोई देवीचौरा वाला मार्ग है उस कच्‍चे रास्‍ते से गाडि़यां आती हैं और कुछ गांव के अंदर से भी अपनी सुविधा अनुसार लोग बाग वहां से भी रेत को लेने के लिये जाते हैं, लेकिन जो वहां की मेन रोड है वह आज भी वही रोड है जो कटकोना से माइनिंग से होते हुये जाती है. अब कुछ ट्रेक्‍टर ट्राली सुविधानुसार अन्‍य कई रास्‍तों से निकलकर आ जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद वहां पर यह निर्देशित भी किया था और यह पंचनामा में भी आया है, आपके पंचनामा में ही लिखा है जिसमें आपके हस्‍ताक्षर हैं क्‍योंकि इसमें मैं पढ़कर भी सुना सकता हूं जो पंचनामा है कि इसके अतिरिक्‍त वह कटकोना और बैहरटोला में स्‍टेशन मार्ग में कुछ अन्‍य मार्गों से भी लोग बाग घुस जाते थे, वहां पर निर्देशित भी किया है और माइनिंग अधिकारी ने भी वहां पर निर्देशित किया कि अन्‍य मार्गों से कोई गाडि़यां न आयें और वहां का सुदृढ़ीकरण भी हो और वहां पर पानी के छिड़काव की व्‍यवस्‍था हो जिससे कोई परेशानी न हो, इसलिये गांव की सुविधा के हिसाब से लोग बाग चले जाते हैं, लेकिन मेन रोड आज भी बाहर से ही है.

          श्री सुनील सराफ--  माननीय मंत्री महोदय, बड़े दुख का विषय है कि आज भी आप वही गोल-गोल बात कर रहे हैं. आपके प्रश्‍न क्रमांक 880 में स्‍पष्‍ट उत्‍तर आया कि गांव के भीतर से कोई परिवहन नहीं हो रहा है. प्रश्‍न क्रमांक 878 में आया कि गांव के भीतर से वैकल्पिक मार्ग नहीं होने के कारण गांव के भीतर से परिवहन हो रहा है. दो में से सच क्‍या है जब हमने पूछा, आपके इस पंचनामा में स्‍पष्‍ट लिखा है कि जब हमने पूर्व में पंचनामा बनाया था तो ग्रामीणों ने बताया था कि बाहर से हो रहा है किंतु आज भी बता रहा है कि देवीचौरा के सामने से भी हो रहा है. यह जो सदन को इसके पहले गलत जानकारी दी गई, आपसे यहां पर असत्‍य बुलवाया गया, ऐसे अधिकारी के ऊपर क्‍या कार्यवाही करेंगे, क्‍या यह सदन लगातार 2 साल से एक असत्‍य को सत्‍य साबित करने में इतना समय जायेगा. बहुत छोटी सी बात है, क्‍यों आप अधिकारी का इतना पक्ष ले रहे हैं. सरकार चली जायेगी कोई नमस्‍कार नहीं करेगा. मंत्री महोदय, पक्ष न लें इस तरह से जिन अधिकारियों ने सदन को मजाक बनाकर रखा है. कृपा पूर्वक आप उन पर कार्यवाही का आश्‍वासन दें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  आपके साथ यही हो रहा है क्‍या ?

          श्री सुनील सराफ--  बिलकुल हो रहा है. ...(हंसी)...

          अध्‍यक्ष महोदय-- सराफ जी अब आप यह मत कहो, आपके सबसे सीनियर नेता कमल नाथ जी आश्‍वासन देकर, आशीर्वाद देकर गये हैं कि यह वहीं रहेंगे, हम यहीं रहेंगे, तो ऐसा क्‍यों कह रहे हो कि बदलने वाला है. माननीय मंत्री जी कुछ समाधान निकले.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं जो पंचनामा जिसमें माननीय सदस्‍य के खुद हस्‍ताक्षर हैं उसमें ...

          श्री बाला बच्‍चन--  आदरणीय कमल नाथ जी ने शिव‍राज सिंह जी को यह बोला है कि आपके लिये यह सीट गरम रखेंगे, उधर के लिये नहीं, इधर के लिये. आपने उसकी व्‍याख्‍या गलत कर दी.

          अध्‍यक्ष महोदय--  व्‍याख्‍या हमने गलत नहीं की, आप गलत व्‍याख्‍या कर रहे हैं.

          श्री सुखदेव पांसे-- आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, आप ऊपर बैठे हैं, आप न्‍याय कीजिये, स्‍पष्‍ट बात कीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  अब उन्‍होंने जो कहा है वही मैंने कहा है. आशीर्वाद दिया है तो आशीर्वाद में तो हम भी हैं न, दूसरा थोड़ी है.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो पंचनामा बनकर आया है जिसमें माननीय के हस्‍ताक्षर हैं.

          श्री सुनील सराफ-- वह मेरे पास भी है, उसकी कापी मेरे पास भी है.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह--  मैं वही पढ़ रहा हूं, आप उसको देख लें.

          श्री सुनील सराफ-- आप नीचे की लाइन पढ़ें.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह--  आज दिनांक को उपस्थित ग्रामीणों द्वारा रेत परिवहन मार्ग उक्‍त मार्ग पूर्व से बताये गये मार्ग के अतिरिक्‍त कटकोना के अन्‍य अंदर मार्गों से परिवहन होना भी बताया गया.

          श्री सुनील सराफ--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय....

          अध्‍यक्ष महोदय-- हो गया सराफ जी, प्रश्‍नकाल की सूचना समाप्‍त, आप जवाब लेना नहीं चाहते.

 

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 


 

12.01बजे                नियम 267(क) के अधीन विषय

          अध्‍यक्ष महोदय --  निम्‍नलिखित माननीय सदस्‍यों की शून्‍यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेगी.

          1. श्री उमाकांत शर्मा

          2. डॉ. अशोक मर्सकोले

          3. श्री पुरूषोत्‍तम लाल तंतुवाय

          4. श्री तरूण भनोत

          5. श्री सूबेदार सिंह सिकरवार राजौधा

          6. श्री संजय सत्‍येन्‍द्र पाठक

          7. श्री कमलेश्‍वर पटेल

          8. कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा

          9. श्री बहादुर सिंह चौहान

          10. श्री जालम सिंह पटेल

         

 

 

12.02 बजे           पत्रों का पटल पर रखा जाना.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची के पद 2 के उप पद 1 से 11 में उल्लिखित प्रतिवेदन एवं अधिसूचनाएं पटल पर रखी हुईं मानी जाएंगी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.02 बजे           प्रतिवेदनों की प्रस्‍तुति

          (1) प्रत्यायुक्त विधान समिति का पंचम्, षष्टम् एवं सप्तम् प्रतिवेदन.

            श्रीमती गायत्री राजे पवार (सभापति) - - अध्‍यक्ष महोदय ,  मैं, प्रत्यायुक्त विधान समिति का पंचम्, षष्टम् एवं सप्तम् प्रतिवेदन  प्रस्‍तुत करती हूं.

 

            (2) लोक लेखा समिति का चालीसवां से तैंतालीसवां प्रतिवेदन .

श्री पी.सी. शर्मा( सभापति) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं लोक लेखा समिति का चालीसवां से तैंतालीसवां प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करता हूं.

 

            (3) विशेषाधिकार समिति का प्रथम प्रतिवेदन .

            डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय( सभापति) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं विशेषाधिकार समिति का प्रथम प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करता हूं.

            (4) कृषि विकास समिति का द्वितीय कार्यान्वयन प्रतिवेदन .

श्री बहादुर सिंह चौहान (सभापति) --अध्‍यक्ष महोदय, मैं कृषि विकास समिति का द्वितीय कार्यान्वयन प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करता हूं और विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की सक्रियता और माननीय सदस्‍यों को भी धन्‍यवाद देता हूं.

 

 

 

 

 

 

 

12.03 बजे                                आवेदनों की प्रस्‍तुति .

            अध्‍यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्‍यों के सभी आवेदन प्रस्‍तुत हुए माने जायेंगे.

 

12.04 बजे     मंत्रि-परिषद् में अविश्वास का प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति  के लिए प्रस्ताव.

 

 
           

12.04 बजे                    स्‍वागत उल्‍लेख

          श्री पी.सी.शर्मा -- सदन की अध्‍यक्षीय दीर्घा में हमारे प्रमुख सचिव श्री ए.पी.सिंह की माता जी रामकुमारी जी गांव से आर्शीवाद देने आई हैं, हम उनका स्‍वागत करते हैं.

           

 

12.05 बजे                    शासकीय विधि विषयक कार्य.

         

                                                (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)


 

1. मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 (क्रमांक 25 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

 

          विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 (क्रमांक 25 सन् 2022) के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूं.

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 (क्रमांक 25 सन् 2022) के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाये.

                                                                   अनुमति प्रदान की गई.

         

          डॉ. नरोत्तम मिश्र --     माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 (क्रमांक 25 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन करता हूं.

                            

                                                               

(2) मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 26 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

सहकारिता मंत्री (डॉ. अरविन्‍द सिंह भदौरिया) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूँ.

अध्‍यक्ष महोदय प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाय.

अनुमति प्रदान की गई.

          डॉ. अरविन्‍द सिंह भदौरिया माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 का पुर:स्‍थापन करता हूँ.

 

(3) मध्‍यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

राज्‍यमंत्री लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी (श्री बृजेन्‍द्र सिंह यादव) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूँ.

अध्‍यक्ष महोदय प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाय.

अनुमति प्रदान की गई.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह यादव माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 का पुर:स्‍थापन करता हूँ.

 

(4) मध्‍यप्रदेश सिनेमा (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 29 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

नगरीय विकास और आवास मंत्री (श्री भूपेन्‍द्र सिंह) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश सिनेमा (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2022 के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूँ.

अध्‍यक्ष महोदय प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश सिनेमा (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2022 के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाय.

अनुमति प्रदान की गई.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश सिनेमा (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2022 का पुर:स्‍थापन करता हूँ.

 

(5) मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

नगरीय विकास और आवास मंत्री (श्री भूपेन्‍द्र सिंह) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूँ.

अध्‍यक्ष महोदय प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाय.

अनुमति प्रदान की गई.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 का पुर:स्‍थापन करता हूँ.

 

 

 

(6) मध्‍यप्रदेश निरसन विधेयक,  2022 (क्रमांक 25 सन् 2022)

          विधि और विधायी कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूँ कि मध्‍यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

          प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्‍डों पर विचार होगा.

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.

खण्‍ड 2 तथा 3 इस विधेयक के अंग बने.

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्‍न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूँ कि मध्‍यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 पारित किया जाये. 

 

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 पारित किया जाए.

          प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 पारित किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ

विधेयक पारित हुआ.

 

 

 

 

 

 

 

 

(7) मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक,  2022 (क्रमांक 26 सन् 2022)

          सहकारिता मंत्री (डॉ. अरविन्‍द सिंह भदौरिया) - अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूँ कि मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

          प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्‍डों पर विचार होगा.

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.

खण्‍ड 2 तथा 3 इस विधेयक के अंग बने.

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्‍न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक के अंग बने.

          डॉ. अरविन्‍द सिंह भदौरिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूँ कि मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022  पारित किया जाये. 

 

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022  पारित किया जाए.

          प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ

विधेयक पारित हुआ.

 

           


 

(8) मध्यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022)

अध्‍यक्ष महोदय -  मध्यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022)

श्री बृजेन्द्र सिंह यादव, राज्यमंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी,- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि  मध्यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न यह है कि मध्यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

          प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय - अब, विधेयक के खण्‍डों पर विचार होगा.

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 2 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्‍ड 2 इस विधेयक का अंग बने.

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्‍न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने

श्री बृजेन्द्र सिंह यादव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022) पारित किया जाए.

अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि  मध्यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

         

प्रश्‍न यह है कि मध्यप्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 28 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

        प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

(9) श्री भूपेन्द्र सिंह, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री, प्रस्ताव करेंगे कि मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन)  संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 29 सन् 2022)

अध्‍यक्ष महोदय - मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन)  संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 29 सन् 2022)

श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन)  संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 29 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन)  संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 29 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

प्रश्‍न यह है कि मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन)  संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 29 सन् 2022) पर विचार किया जाए

        प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.

          प्रश्‍न यह है कि खंड 1 से 4 तथा पूर्ण नाम अधिनियम सूत्र इस विधेयक के अंग बने.

          खंड 1 से 4 तथा पूर्ण नाम अधिनियम सूत्र इस विधेयक के अंग बने.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन)  संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 29 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन)  संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 29 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(10) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022)

 

          अध्‍यक्ष महोदय - मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

          प्रश्‍न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

        प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.

          प्रश्‍न यह है कि खंड 1 से 4 तथा पूर्ण नाम तथा अधिनियम सूत्र इस विधेयक के अंग बने.

          खंड 1 से 4 तथा पूर्ण नाम तथा अधिनियम सूत्र इस विधेयक के अंग बने.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूं कि कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

          प्रश्‍न यह है कि कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 30 सन् 2022) पर विचार किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

 

 


 

वर्ष 2022-2023 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान

 

 

 

शासकीय विधि विषयक कार्य

 

 

 

 

 

 

 

12.18

मंत्रि-परिषद के प्रति अविश्वास प्रस्ताव

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय, मैं निम्नलिखित प्रस्ताव प्रस्तुत करता हूं--

          " यह सदन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित मंत्रि-मंडल के प्रति अविश्वास प्रकट करता है".

          अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ--

          " यह सदन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित मंत्रि-परिषद के प्रति अविश्वास प्रकट करता है".

           विधान सभा की प्रक्रिया नियम 143 (3) के तहत इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिये 4 घंटे का समय निर्धारित किया जाता है. माननीय सदस्यों से अपेक्षा है कि समय सीमा को दृष्टिगत रखते हुए कार्यवाही के सुचारू संचालन में सहयोग करेंगे. इससे पहले अविश्वास के प्रस्ताव पर चर्चा प्रारंभ हो. मैं सदन में स्थापित परम्पराओं-प्रक्रियाओं नियमों की ओर माननीय सदस्यों का ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा. सदन की मान्य स्थापित परम्परा यह है कि ऐसे व्यक्ति जो इस सदन के सदस्य नहीं हैं. उन पर आरोप एवं टिप्पणी नहीं की जानी चाहिये. न्याय निर्णायाधीन मामलों पर चर्चा निश्चित है. विधान सभा की नियमावली में इस बात का उल्लेख है कि व्यक्तिगत आरोपों से बचा जाये. ऐसे आरोप भी सदस्य नहीं लगाये जाये जो सभा की गरिमा के विरूद्ध हों जिससे लोकहित सिद्ध न होता हो. मैं चाहूंगा कि दोनों पक्षों के माननीय सदस्य ऐसे आरोपों तथा आरोपों की पुनरावृत्ति से बचें ताकि चर्चा सार्थक हो. मुझे विश्वास है कि दोनों पक्षों के सदस्य इन बातों पर ध्यान रखकर ही चर्चा करेंगे. सदन की व्यवस्था बनाये रखने में मुझे सहयोग करेंगे. एक बात और इसमें लिखा नहीं है लेकिन मैं अलग से कह रहा हूं. मेरा सारे सदस्यों से आग्रह यह है कि बहुत गंभीर विषय पर आप चर्चा करने जा रहे हैं. मेरा आग्रह यह है कि जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हों तब कोई टोका-टाकी न हो. जब कोई विशेष बात हो तो हमसे अनुमति लें इसी तरह से जब सदन के नेता खड़े हों. अकसर यह देखा गया है कि अपनी बात कहने के बाद यदि कोई सदन का नेता खड़ा होता है तो फिर थोड़ी सी दिक्‍कत आती है. इसलिये मेरा दोनों पक्षों से आग्रह है कि जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हों या हमारे सदन के नेता बोल रहे हैं तो शांतिपूर्वक एक बार आप इसको सुनो.  अब मैं माननीय गोविन्‍द सिंह से चर्चा आरंभ करने का अनुरोध करता हूं.

          नेता प्रतिपक्ष( डॉ. गोविंद सिंह):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कल आपसे चर्चा हुई थी और संसदीय कार्य मंत्री जी भी थे. इस सदन की कार्यवाही अभी भी शाम के 5.30 बजे तक सदन चलता है. ऐसा लगता है कि आज 4.30 बजे ही खत्‍म हो जायेगा, आपने सदन की कार्यवाही और कम कर दी, जबकि पहले यह तय हुआ था कि सदन लम्‍बा चलाइये और अविश्‍वास प्रस्‍ताव लंबा चलेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, अब इसको कहने की आवश्‍यकता नहीं है. यदि ऐसा लगता है तो सदन का समय तो हमेशा बढ़ा लेते हैं, उसमें कौन सी दिक्‍कत है. यह कहने की आवश्‍यकता थोड़े ही है, यदि ऐसा लगता तो समय बढ़ा लेंगे. समय तो हर बार बढ़ाया जाता है, उल्‍लेख करने की इसकी आवश्‍यकता नहीं है.

          डॉ. गोविंद सिंह:- प्रश्‍न यह है कि यद सदन मुख्‍य मंत्री शिवराज...

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं यह हो गया है, आप शुरू करें.

          मुख्‍य मंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान):- अब तो आप सीधे आ जाओ और बॉलिंग करो.

          अध्‍यक्ष महोदय:- अब पिच सब लग गयी है तो केवल बैटिंग शुरू करो ना. अब वह बैट कमजोर पकड़ कर बेटिंग करेंगे तो हम क्‍या कर सकते हैं.

        डॉ. गोविंद सिंह:- माननीय अध्‍यक्ष जी, सबसे पहले वर्ष 1990 में, जब मैं, इस सदन में आया तो उसी समय माननीय शिवराज सिंह जी भी इस सदन के सदस्‍य के रूप में पहुंचे थे. उस समय मैं, यह देखता और सुनता था, मुख्‍य मंत्री जी तत्‍कालीन पूर्व विधायक उस समय लगातार धाराप्रवाह भाषण देते थे और मैं और गजराज सिंह जी थे. तो मैंने सोचा कि यह व्‍यक्ति आगे लंबे समय तक ऊंची की राजनीति में जायेंगे. सोचा था जायेंगे और ईश्‍वर ने उनको अवसर भी दिया और इनका एक भाषण और सुना था कि पांव में चक्‍कर, मुंह में शक्‍कर और दिमाग में ठंडक, लेकिन यह उस समय की बातें थीं. आज पूरी तरह से सत्‍ता के घमण्‍ड में मुख्‍य मंत्री जी ने इन बातों को तिलांजली दे दी. अब आप के आज के समय के भाषण सुनते हैं तो वह इस तरह के आक्रामक होते हैं कि भ्रष्‍टाचारियों को टंगवा दूंगा, गड्डे में गाड़ दूंगा. परन्‍तु आज तक एक वर्ष के अंदर न किसी को भाषण के अनुकूल गड्डे में गड़ा देखा, ना ही किसी को टंगा देखा. कई बार मैंने खुदे हुए गड्डे भी देखे कि यहां ना कोई गड़ गया हो, लेकिन वहां कोई गड़ा नहीं मिला. (हंसी) अब इसके बाद में कहना चाहता हूं कि आप कहते हैं कि यह हुआ, सत्‍ता में रहने के बाद मैंने यह सोचा था कि 17-18 वर्ष मुख्‍य मंत्री रहने पर बड़प्‍पन बढ़ जायेगा, गंभीरता आयेगी...

          श्री उमाकांत शर्मा:- यह कोई बात है, शुरूआत में ही..

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं उमाकांत जी.

          डॉ. गोविंद सिंह:- लेकिन वह सब समाप्‍त हो गयी. ना ही गंभीरता है, ना बड़प्‍पन है, (XXX) प्रजातंत्र के मूल्‍यों का धीरे-धीरे अवमूल्‍यन कर रहे हैं. पहले तो पंचायती राज में जो अधिकार दिये, वह सब अधिकार आपने छीन लिये. जिस प्रकार विधायक चुनते हैं और वह मंत्री बनते हैं तो वह अपने अधिकारों का उपयोग करते हैं, जो दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में जिला सरकार और पंचायती राज के संबंध में अधिकार दिये वह सब छीनकर शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को ट्रांसफर कर दिया, ताकि मनमानी तरीके से जो चाहें सो करायें. आज ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव के सब पॉवर रोक दिये, सब छीन लिये. जनपद और जिला पंचायत सब पॉवर लेस हो चुके हैं. केवल वहां के प्रतिनिधि CEO जिला पंचायत और ग्राम पंचायत के सचिव रह गये हैं. हमारे पास तमाम सरपंच आते हैं कि सचिव हस्‍ताक्षर ही नहीं करता है, कहता है हमें 20-25 प्रतिशत चाहिए. आज आपने धीरे-धीरे इसका अवमूल्‍यन कर दिया है. विधान सभा में जब पहली बार वर्तमान मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी सदन में उपस्थित थे, उस समय पटवा जी और जगदंबा प्रसाद निगम जी की एक विषय पर चर्चा प्रारंभ हुई और लगातार एक के बाद एक, चर्चा में रूलिंग रखी जाती थी, पौन घंटे तक एक ही प्रश्‍न पर विधान सभा चली. कहीं पटवा जी हाऊस ऑफ कॉमन की रूलिंग की बात कर रहे थे, तो कहीं कौल एण्‍ड शकधर की किताबों का उल्‍लेख हो रहा था. उस समय लगता था कि हम प्रजातंत्र के इस पवित्र मंदिर में आये हैं और प्रदेश का कल्‍याण करने, जनता की समस्‍या को सुलझाने के लिए, प्रदेश के विकास के लिए यहां आये हैं. परंतु अब मुख्‍यमंत्री जी ने ये सब परम्‍परायें समाप्‍त कर दी हैं. दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में लंबे समय तक सदन चलता था. अभी पीठासीन अधिकारियों का सम्‍मेलन माननीय लोकसभा अध्‍यक्ष जी द्वारा बुलाया गया था, उसमें आप भी उपस्थित हुए थे. उसमें तय हुआ था कि बड़ी विधान सभायें कम से कम 75-90 दिन चलें, लोकसभा कम से कम 120 दिन चले और छोटे राज्‍यों की विधान सभायें भी 30-40 दिन चलें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब से माननीय मुख्‍यमंत्री जी का 15-18 वर्ष का कार्यकाल हो गया, सबसे लंबे समय रहकर, इतिहास बनाया परंतु आपने सदन को कम से कम चलाने का इतिहास भी बनाया. मुख्‍यमंत्री जी आपको इस मामले में भी गोल्‍ड मैडल मिलेगा, जनता की आवाज नहीं चलने देना. राजनैतिक आधार पर सुशासन, पहले तो मैंने सोचा सुशासन होता क्‍या है ? मुख्‍यमंत्री जी का सुशासन, मैं सुनता रहा, देखता रहा.

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज लगातार विपक्षी दलों के साथ क्‍या बर्ताव किया जा रहा है ? आपने, भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय माननीय अध्‍यक्ष जी, आपके निर्देश पर करीब-करीब 17 आदेश सामान्‍य प्रशासन विभाग ने जारी किये. उनमें से 15 आदेश आपकी सरकार के समय के हैं. विधायकों का सम्‍मान किया जाये, कलेक्‍टर, एस.पी. के यहां जब विधायक जायें, तो वे उठकर उनका सम्‍मान करें. सम्‍मान से बैठायें, उन्‍हें कुर्सी दें. परंतु हमारे आठ विधायक साथी एक समस्‍या को लेकर रतलाम पहुंचे और वहां के कलेक्‍टर ने करीब 1 घंटा 45 मिनट उन्‍हें बाहर बैठाये रखा, उनसे मिले ही नहीं. आपके अधिकारी इतने निरंकुश हो गए हैं. प्रजातंत्र पर तंत्र हावी हो गया है, प्रजा रह गई है, तंत्र हावी है. आपने अपने सर्कुलर में लिखा है कि यदि कोई सम्‍माननीय विधायक या सांसद अगर किसी शासकीय अधिकारी, कर्मचारी को किसी समस्‍या से संबंधित कोई पत्र लिखता है तो वहां रजिस्‍टर रखा जायेगा और उसमें पत्र को दर्ज किया जायेगा और तीन दिन में जवाब दिया जायेगा कि आपका पत्र मिला और एक माह के भीतर यदि समस्‍या का निदान हो सकता है तो उससे अवगत करवाया जायेगा और यदि नहीं है तो बताया जायेगा कि यह काम इस तरह से संभव नहीं है. यह आपके समय का नया आदेश है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में यहां पक्ष-विपक्ष के सम्‍माननीय विधायक बैठे हैं, एक भी अधिकारी ने इस प्रकार का बर्ताव किया हो, पत्र का जवाब शासन के आदेशों का पालन करते हुए दिया हो, आजकल सभी अधिकारी निरंकुश होकर तानाशाही तरीके से काम करने में लगे हुए हैं. हमारे पत्रों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, क्‍यों न उड़ायें, इसलिए उड़ा रहे हैं क्‍योंकि पहले परंपरा थी, संसद और विधान सभा दोनों जगहों पर थी, जब कोई सम्‍माननीय विधायक या सांसद, यदि मुख्‍यमंत्री अथवा मंत्री जी को पत्र लिखते थे तो वहां से जवाब आता था लेकिन श्रीमान जी जब से आप इस पद पर विराजमान हुए हैं. तब से उसका भी कोई मूल्‍य नहीं रहा है. न काई सुनने वाला है और न ही कोई जवाब देते हैं. कोई गंभीर समस्‍या है तो उसका भी जवाब नहीं मिल रहा है. हमने आज भी दिल्‍ली में सरकार को पत्र लिखे और हम केवल माननीय गडकरी जी का धन्‍यवाद देते हैं कि उन्‍होंने हमसे बिना कभी मिले-जुले हमारे पत्र का उत्‍तर भी दिया और जो काम होने लायक था वह काम भी किया. यह परम्‍परा ऊपर से नीचे तक चालू हो गई है तो उसका पालन श्रीमान जी क्‍यों नहीं करेंगे? क्‍या यह आपका सुशासन है? विपक्षी दलों का अपमान करना, उनको झूठे मुकदमें में फंसाना, प्रताडि़त करना और अपनी पार्टी में शामिल करा लेना यह काम आपकी सरकार का चल रहा है. आपने सोचा कि जिस प्रकार के आपके भाषण हैं, काम हैं आप वही जनता के लिए करेंगे. आपने विकास तो किया नहीं पूरे प्रदेश को कर्ज की गर्त में डाल दिया है .मध्‍यप्रदेश की जो संस्‍थाएं खड़ी हुई थीं, जो संपत्तियां आजादी के बाद सृजित की गईं थीं जो कि करीब 38 संपत्तियां हैं, काफी उपयोगी संपत्तियां हैं और बड़ी कीमत वाली हैं. हजारों करोड़ की संपत्ति आपने केवल 459 करोड़ रुपए में बेच दी है. क्‍या यह सुशासन है जो इकट्ठा किया है हमारे बाप-दादाओं ने, हमारे पूर्वजों ने, पूर्व के मुख्‍यमंत्रियों ने उसको भी आप बेचने लगे. हमें नहीं लगता कभी ऐसा न हो कि (XXX). यह आपको अपनी क्षमता दिखाना था.

          श्री उमाकांत शर्मा-- यह असंसदीय है. विधान सभा बेची नहीं जा सकती.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- जब हमारे पोरसा का, अंबाह के बस स्‍टेण्‍ड बिक गए. बसे खड़ी होने को जगह नहीं है. करीब 80 करोड़ की जमीन 17, 18 करोड़ रुपए में बेच दी तो यहां मुख्‍यमंत्री जी के राज में सब हो सकता है. पंडित जी आपके राज में नहीं होगा. 

          श्री उमाकांत शर्मा-- आपके नेता (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय-- उमाकांत जी आप बैठ जाइए. (गोविन्‍द सिंह जी के पानी पीने पर) गोविन्‍द सिंह जी उन्‍होंने ऐसा कुछ थोडी़ बोला है कि आपको पानी पीना पड़े

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, आजकल हमारा गला खराब चल रहा है. मैं यह कहना चाहता हूं कि पिछले माह हमारे नेता राहुल गांधी जी पद यात्रा पर आए थे. मैं भी वहां पहुंचा मैंने आगर मालवा के कलेक्‍टर को, प्रशासन को पूर्व में सूचना दी वैसे तो हमें सैर-सपाटा करने का 5 स्‍टार होटल में ठहरने का ज्‍यादा शौक नहीं है. मैं गांव का किसान हूं, किसान का बेटा हूं और मुख्‍यमंत्री जी भी हैं, लेकिन उनके और हमारे रहन-सहन में काफी फर्क है. हम अपनी जीप से चलते हैं और आप उड़न-खटौला से चलते हैं तो यह तो आप मुख्‍यमंत्री होने के नाते व्‍यस्‍त रहते हैं समय कम होने के कारण आपको जाना भी पड़ता है इसमें हमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन कम से कम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का तो अपमान न कराएं. हमने इसके पूर्व में भी लिखा कि जो विधायक नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से सुविधाएं सरकार को देना चाहिए, लेकिन जब हम वहां वहां सर्किट हाऊस में पहुंचे तो पत्र आ गया कि यह आरक्षित है. जब हम वहां गए तो वहां कोई एस.डी.एम. रघुवंशी जी थे. वहां ताला लगा था, गंदगी का ढेर लगा था. उन्‍होंने कहा कि आपके लिए 4 नंबर कमरा खाली है आप 3 नंबर कमरे में नहीं ठहर सकते हैं तो हमने कहा कि क्‍या इसमें कोई और ठहरा है तो उन्‍होंने कहा कि यह सभी कमरे बुक हैं. आप जांच करा लें कि उस दिन कोई कमरा बुक नहीं था. बाहर के गेट में कुन्डी नहीं थी, नारियल की रस्सी से वह बंधा हुआ था. मैं उसका फोटो लाया हूँ और शायद मैंने आपको भी फोटो सहित लिखकर भेजा है. अन्दर जाकर जैसे ही मैंने बाथरुम की सीट पर पैर रखा तो बाथरुम की सीट गिर गई. उसके फोटो भी मैं लाया हूँ. वहां पर हमने नायब तहसीलदार को दिखाया. फिर मैं वहां पर मेरे एक मित्र के घर पर जाकर ठहरा था. यह हालत है. वल्लभ भवन के कई अधिकारी  मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव इनको फोन करें तो फोन नहीं उठाते हैं. यदि उनके स्टाफ को मिलने के लिए नोट करा दें तो दोबारा खुद कभी फोन नहीं करते हैं. जब यह नेता प्रतिपक्ष की स्थिति है तो बाकी हमारे साथी विधायकों की क्या दशा होगी. सत्तापक्ष के सदस्य तो मुख्यमंत्री जी के दबाव में ज्यादा कुछ नहीं कह सकते हैं. लेकिन हम लोगों को तो कहना पड़ेगा. आज बजट पास हुआ है. आपने भिण्ड जिले में करीब 30-35 सड़कें स्वीकृत की हैं. इसके पहले के बजट में भी इतनी संख्या थी. उसके पहले सप्लीमेंट्री में भी कुछ सकड़ें आईं थीं. लेकिन जो विधायक विपक्ष में हैं पत्र लिख रहे है, प्रस्ताव भिजवा रहे हैं. यही आपका सुशासन है, यही आपका न्याय है. जब आपने विधायक और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब आपने कहा था कि राग द्वेष, बिना पक्षपात के न्याय करेंगे. क्या आपका यही न्याय है जो आप कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भाजपा के प्रत्येक विधायक से 15 करोड़ रुपए के 4-4 मेगा प्रोजेक्ट लें. हम लोगों ने कौन-सा अपराध किया है जनता से चुनकर आए हैं. हो सकता है कि हमारे भी कुछ मंत्रियों ने भेदभाव किया होगा लेकिन गोविन्द सिंह ने कभी नहीं किया. मैं तो सोचता हूँ कि चुनाव जीत गए तो हम पूरे क्षेत्र के एमएलए हैं, एक क्षेत्र के या कांग्रेस पार्टी के नहीं हैं. विधायक पूरे क्षेत्र का होता है हम उसी प्रकार से बर्ताव करते हैं. हम लोगों का क्या दोष है, जनता का तो दोष नहीं है. हो सकता है हमसे आपकी नाराजगी हो परन्तु जनता के काम के लिए तो बड़ा दिल दिखाइए.

          अध्यक्ष महोदय, एक तरफ सर्कुलर जारी कर रहे हैं और दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों का अपमान हो रहा है. राजगढ़ में मुख्यमंत्री जी आप मेडिकल कॉलेज का घोषणा अनुसार शिलान्यास करने के लिए गए थे. वहां पर हमारे विधायक बापू सिंह तंवर भी थे. आपके निर्देश हैं कि आमंत्रण पत्र पर विधायक का नाम लिखा जाएगा. सम्मान सहित कुर्सी मिलेगी. लेकिन कुर्सी नीचे दी गई, आमंत्रण पत्र में कहीं नाम नहीं लिखा गया. न पट्टिका पर लिखा है. लेकिन उन्होंने सोचा कि जनता के प्रतिनिधि हैं...

          मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं टोका-टाकी नहीं करूंगा लेकिन मैं यह निवेदन कर रहा था कि बापू सिंह तंवर भी अच्छी तरह जानते हैं मैंने उनका भाषण करवाया था क्योंकि वे स्थानीय विधायक हैं तो वे जरुर बोलें.  पहले जरुर यह था कि हम लोग लेट पहुंचे थे तो मंत्री और मुख्यमंत्री के ही बोलने का था लेकिन उन्होंने कहा कि हम बोलेंगे तो हमने बाकायदा कहा बोलिए. मैं बीच में नहीं टोकता हूँ लेकिन यह सच नहीं है.

                                                                                               


 

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम यह बात कहने वाले थे कि आपने बुलवाया लेकिन क्‍या आपके सामने आपके उच्‍च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव जी वह आपका कुर्ता खींच रहे थे.

          उच्‍च शिक्षा मंत्री (डॉ.मोहन यादव) -- नेता प्रतिपक्ष जी, अभी बापूसिंह तंवर जी भी यहां मौजूद हैं, आप जरा उनसे भी पूछ लीजिए कि क्‍या हुआ...(व्‍यवधान)..

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- उन्‍होंने ही मुझे बताया है.

          डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि आपकी जानकारी के लिये मैं बड़ी विनम्रता के साथ कह रहा हॅूं कि मैंने अपना भाषण समाप्‍त किया, मैंने नहीं बोला. मैं प्रभारी मंत्री था लेकिन बापूसिंह जी को बोलने का मौका दिया. मैंने कहा कि आप बोल लीजिए, मैं नहीं बोलता. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी की....(व्‍यवधान)....

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- अगर ऐसा है उन्‍होंने हमें बताया नहीं....(व्‍यवधान)..

          डॉ.मोहन यादव -- इसीलिए मैंने आपसे विनम्रता से कहा कि इसमें कोई वाद-विवाद नहीं कर रहा हॅूं....(व्‍यवधान)...

          श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि आप पूछ लीजिए. मैं स्‍वयं यहां उपस्‍थित हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. मैंने पहले भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष जी खडे़ हैं तो आप मत खडे़ होइए. मत खडे़ होइए. मैं अनुमति नहीं देता हॅूं आपको. बैठ जाइए.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, जवाब तो देने दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- वह सक्षम हैं सारी बात का जवाब देंगे. अभी नहीं. नहीं, नहीं आप बैठ जाइए.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- सज्‍जन भाई, हम दे देंगे जवाब. अध्‍यक्ष महोदय, यह बात मैं कह रहा हॅूं कि अगर ऐसा नहीं है तो मैं अपनी बात वापस लेता हॅूं. उसमें क्‍या दिक्‍कत है. अगर बात आपकी है नहीं लेकिन हमें बताया गया, वह मैं कह रहा हॅूं. इसके साथ ही मैं कहना चाहता हॅूं कि हमारी माननीय विधायक डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ जी हैं. इनके महेश्‍वर में कार्यक्रम हुआ. इनका पट्टिका में न नाम लिखा गया और न आमंत्रण दिया गया और जबकि यह खुद विधायक हैं. कोरोना काल में अपने विधायक फंड से गैस के प्रोजेक्‍ट का प्‍लांट लगवाया और उसी के लिये पट्टिका में न नाम लिखा और न ही आमंत्रण दिया. ऐसे ही हमारे विधायक रामलाल मालवीय जी के साथ हुआ. खैर, अगर आपकी यही संस्‍कृति है तो हमें इसमें कोई बुराई नहीं है. हम लोग विपक्ष के लोग हैं. यह सब अपमान सहने के लिये पैदा हुए हैं. हम सहेंगे, सहर्ष सहेंगे.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- जनता के लिये सहेंगे.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- माननीय मुख्‍यमंत्री जी, पहले तो एक बात किसानों की कर लें. आप किसान परिवार के बेटे हैं और हम भी किसान के बेटे हैं. हमारे पिताजी भी खेती करते थे. आपने बेरोजगारी के लिये जो योजना बनायी थी. मुख्‍यमंत्री के नाम से चल रही तीन योजनाएं हैं. उद्यमी योजना, स्‍वरोजगार योजना, कृषि उद्यमी योजना, यह सब योजनाएं आपने बंद कर दीं. जो नगरीय प्रशासन विभाग है उसमें करीब 50-60 परसेंट पद खाली पडे़ हैं. शिक्षकों के भी पद खाली पडे़ हैं, करीब 60-70 हजार पद खाली पडे़ हैं. जैसा कि हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं और ऐसा कोई विभाग नहीं है कि जहां काम चल रहे हों. अब आपने बिजली विभाग में संविदा कर दिया. वह आज क्‍या रहे हैं. वह गांव में जाते हैं उनको कोई डर नहीं है. उनकी सेवा की कोई गारंटी नहीं है कि सस्‍पेंड होंगे. डेलीवेजेस पर हैं ठेकेदारी पर हैं, जब चाहे निकाल दिये जाते हैं तो वह फर्जी बिल बनाते हैं और जिनके कारखाने चल रहे हैं उनका बिल आ रहा है 5000 रूपए और जो किसान परिवार के हैं किसान हैं साढ़े पांच हार्सपावर पर साढे़ बारह हार्सपावर का बिल आ रहा है और साढे़ बारह हार्सपावर पर पन्‍द्रह हार्सपावर का बिल आ रहा है. यह दतिया, भिण्‍ड जिले में, हमारे क्षेत्र में सेंवड़ा में कम से कम 60-70 लोगों ने बिल के दिये. हम स्‍वयं गये. हम इंजीनियर को लेकर गये कि आप चैक करो तो जैसा उन्‍होंने कनेक्‍शन दिया पांच का तो पांच निकला, लेकिन वसूली जारी है तो इसलिए संविदा के नहीं, भले ही आप काम ज्‍यादा लें. काम के जो आप 6 घंटे लेते हैं वह आप 8 घंटे, 10 घंटे लें. उनको आप परमानेंट रखेंगे तो उनको डर भी रहेगा. इसलिए यह संविदा और आउटसोर्स समाप्‍त कर देना चाहिए. यह हमारा आपसे आग्रह है. इन सब योजनाओं के बाद भारत सरकार के द्वारा आपके जो लिखित रजिस्‍टर्ड आपके रोजगार कार्यालय में करीब 32 लाख और भारत सरकार का एक जो आंकड़ा आया है वह तो पढे़-लिखे और बिना पढ़े-लिखे रजिस्‍टर्ड और बिना रजिस्‍टर्ड बेरोजगारों की संख्‍या 1 करोड़ 30 लाख है. यह आंकड़ा भारत सरकार द्वारा मध्‍यप्रदेश के बारे में बताया गया है. इसमें गांव के किसान के बेटे भी सम्‍मिलित हैं. मैंने आपसे कहा था कि जब सरकार द्वारा आरक्षण की व्‍यवस्‍था है, सरकार कमजोर वर्ग को, सबको आरक्षण देती है. गांव के जो पढ़े-लिखे बच्‍चे हैं, इंटर पास हैं, बीए पास हैं, वे आज बिल्‍कुल बेरोजगार हैं. गांवों में सामान्‍य परिवार का किसान का बेटा, मजदूर का बेटा बेरोजगार है. पुलिस की भर्ती में जाता है, एसएफ की भर्ती में जाता है और छोटे-मोटे काम करता है. पुलिस की भर्ती की परीक्षा में आपने हमारी एक बात मानी, उसके लिए धन्‍यवाद. हालांकि वह बात भी आधी मानी है. गांव में जो बच्‍चा इंटर पास कर लेता है, वह घर में भैंस दोहता है, उनके लिए चारा लाता है, शाम को फिर उसके लिए पानी भरता है. एक तरफ शहर के पैसे वाले लोग हैं, धनाढ्य लोग हैं, 12-12 हजार रुपये की तो एक महीने की ट्यूशन लगाते हैं. अब आप उनकी बराबरी गांव वालों से करेंगे. 15 साल में सिपाही को एक फीता देते हैं, वे हवलदार की फीता लगाते हैं. 15 वर्ष में उसको फीता तो लगा रहे हैं, लेकिन तफ्दीश का अधिकार नहीं है. उसका काम है सुरक्षा गार्ड का, चोरों को पकड़ना, अपराधियों को पकड़ना, सुरक्षा गार्ड की ड्यूटी वह देता है. उसके लिए आपने परीक्षा का प्रावधान किया था. जो बड़ी-बड़ी सेवाएं हैं, कंप्‍यूटर चलाना है, जहां परीक्षा की जरूरत है, वहां तो आप परीक्षा कराएं. पहले परंपरा थी कि पहले फिजीकल परीक्षा होती थी तो गांव के लड़कों का कम से कम फिजीकल कराएं. आज के कम्‍पीटिशन के युग में बाहर के कई प्रांतों के बच्‍चे हमारे यहां नौकरी में आ जाते हैं, हमारे यहां के बच्‍चे नहीं आ पा रहे हैं. इसलिए कृपा करके इस पर सुधार कर सकें तो करा दें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसान की एक ही बात करूंगा, महंगाई की, पूरी महंगाई की लंबी बात तो नहीं करूंगा. लेकिन आपके किसान के लड़के गांव में बीए, इंजीनियरिंग, बीटेक, एमटेक करके बेरोजगार फिर रहे हैं. कंप्‍यूटर साइंस करने वाले बच्‍चे को 5 हजार रुपये में भी नौकरी नहीं मिल रही है. अभी एक छात्र मेरे पास आए कि मुझे माधोपुर में फैक्‍टरी में लगवा दीजिए. हमने दो-तीन बार बात की, एक बार खुद गए तो उन्‍होंने कहा कि 5 हजार रुपये तनख्‍वाह देंगे. वह छात्र 5 हजार रुपये में नौकरी करने के लिए तैयार है. यह हालत आज के बच्‍चों की हो गई है. मां-बाप अपने बच्‍चों की पढ़ाई-लिखाई पर लाखों रुपये खर्च करते हैं और जब बच्‍चों को रोजगार नहीं मिलता तो वे गलत कदम उठाते हैं. बुढ़ापे में बेटा अपने मां-बाप का सहारा बनना चाहता है, उसके पिताजी भी कहते हैं कि जाओ, कुछ कमाओ, बहन की शादी करना है. मां बीमार है, इलाज की व्‍यवस्‍था करना है. दिन भर वह बच्‍चा नौकरी के लिए घूमता है और जब उसे नौकरी नहीं मिलती तो वे पढ़े-लिखे बेरोजगार बच्‍चे फांसी लगा लेते हैं, कोई जहर खा लेता है और वे आत्‍महत्‍या करने को मजबूर हैं. इसलिए हमारा अनुरोध है कि उन बच्‍चों के रोजगार के लिए आप व्‍यवस्‍था करें.

          अध्‍यक्ष महोदय, किसान परेशान है. जनता परेशान है. आपने जनता पर बहुत टैक्‍स लाद दिए हैं. 10 बीघा जमीन, 2 हेक्‍टेयर वाले किसानों को प्रधानमंत्री सम्‍मान निधि के 6 हजार रुपये सालाना मिल रहे हैं और मुख्‍यमंत्री जी आप भी अलग से 4 हजार रुपये उनको दे रहे हैं. इस तरह 10 हजार रुपये सालाना हो गए. मैं खुद भी किसान हूँ. मैंने पूरा हिसाब लगाया है. पटेल साहब, आप भी हिसाब लगा लेना. वर्ष 2014 में डीजल का जो भाव था, उसमें अभी तक कितनी बढ़ोतरी हुई है. किसान को निंदाई, गुड़ाई, कटाई, थ्रेसिंग सब करना पड़ना है. ट्रैक्‍टर ट्राली से गन्‍ना ले जाना और फिर उसको जाकर मण्‍डी में बेचना, इन सब कामों पर 10 बीघा जमीन वाले किसान को, 2 हेक्‍टेयर वाले किसान को 7,300 रुपये खर्चा आया. यह अकेले डीजल के भाव बढ़ने से हुआ है. अब 10 हजार रुपये सालाना में से 2,700 बच गए. वह भी कल्‍टीवेटर, थ्रेसर, ट्रैक्‍टर और जो कृषि यंत्र हैं, उन पर भाव बढ़ा दिए. कुल मिलाकर किसान को देना और दूसरी जेब से निकालना. आज पूरे विश्‍व में भोजन पर कहीं टैक्‍स नहीं लगता. बीमारी होती है उस पर जीएसटी लग गई, तो कम से कम कुछ ऐसे काम हैं, बीमार है तो पलंग पर टैक्‍स जीएसटी, दूध पर टैक्‍स, आटा पर टैक्‍स, शक्‍कर पर टैक्‍स, तो इस तरह किसान की जेबें, आम गरीब आदमी की जेबें खाली करने का काम सरकार कर रही है. उनको कमजोर कर रही है और कमजोर क्‍यों यह एक नीति के तहत है, इसलिए कमजोर किया जा रहा है ताकि यह लोग इतने कमजोर रहें, पेट की भूख में ही लगे रहें, बच्‍चों की पढ़ाई लिखाई में लगे रहें, सोचते रहें, सरकार क्‍या गड़‍बडि़यां कर रही है उस तरफ उनका ध्‍यान ही नहीं जाए. लंबे समय तक राज करने के लिए यह योजना योजनाबद्ध तरीके से साजि़श चल रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय, अब मैं आपसे पूछना चाहता हूं मुख्‍यमंत्री जी, कि आप सबको चेतावनी दे रहे हैं तो आपका ईओडब्‍ल्‍यू क्‍या कर रहा है ? ईओडब्‍ल्‍यू में ई-टेंडरिंग की जांच पहले कांग्रेस की सरकार में हुई और उसके बाद आपने सबूत नष्‍ट किए, कोर्ट में गवाह, सबूत नहीं दिए तो सभी 6 लोग बरी हो गए. आप उसको वापस ले लो, कानून को खत्‍म कर दो. आर्थिक अपराध ब्‍यूरो को मैं देख रहा हूं कि इसका नाम बदलकर अब (XXX) कर दो क्‍योंकि इसमें कुछ हो ही नहीं रहा है, कई केस हैं कि केस लगाकर बदल जाते हैं, इधर उसकी एफआईआर दर्ज करो और उधर एफआईआर बाद में मिलजुलकर समाप्‍त करवाने का काम हो रहा है. यह इसलिए क्‍योंकि लोकायुक्‍त में आप 280 अधिकारियों पर चालान की परमीशन नहीं दे रहे हैं. भाई, जब आप पाक-साफ हो तो उनको परमीशन देने का काम करो, तो परमीशन मिल जाए. जब मैं सामान्‍य प्रशासन मंत्री था तब मेरे सामने केवल दो मामले सामने आए, अधिकारी नहीं चाहते थे कि इसकी परमीशन मिले, हमने दी. आपसे भी हमारा अनुरोध है कि ऐसे भ्रष्‍टाचारियों से प्रदेश नहीं चलेगा. ऐसे लुटेरे अगर प्रदेश में हमारे तंत्र को नष्‍ट कर रहे हैं, उनके विरुद्ध भी जैसी आपकी कथनी है वैसा करने का काम भी करो.

          अध्‍यक्ष महोदय, जब सरकार की हालत करीब साढ़े तीन-चार लाख करोड़ का कर्जा हो गया, बजट से दोगुना, तो आप जरा अपव्‍यय करना भी थोड़ा बंद करो. भाई-भाई हैं किस्‍मत में होगा तो बनेगा मुख्‍यमंत्री (XXX) करने से कुछ होता नहीं है. वह तो किस्‍मत में होगा तो होगा, नहीं होगा तो कोई बात नहीं. अब आपने महाकाल लोक के उद्घाटन में 12 करोड़ खर्च कर दिए. मोदी जी चीते लाए, चीता छोड़ने के लिए भी आपने लाखों, करोड़ों रुपये की बसें लगवाईं, क्‍या जरूरत थी, पिंजरे में चीते आए छोड़ देते ? हजार, दो-चार, पांच हजार में छूट जाते. उसके लिए आपने 12-15 करोड़ रुपये खर्च कर डाले ? तमाम विज्ञापन, रोजाना विज्ञापन छप रहे हैं. कहावत है कि ''घर में नहीं हैं दाने, तो अम्‍मा चली भुनाने.'' जब कुछ है नहीं, जब आपके पास खजाना खाली पड़ा है तो फिर उसके लिए आप क्‍यों पैसे की बर्बादी करा रहे हैं ?

          सीएजी तो भारत सरकार के अधीन है उसकी रिपोर्ट आ गई. उन सभी में आपके घोटाले बताए थे, उस दिन आपने बहस नहीं होने दी. टेक होम में, जब मध्‍यप्रदेश में कोरोना था, कर्फ्यू लगा हुआ था मार्च 2020 से जुलाई 2020 तक मात्र 4 माह की अवधि में ही 2 अरब, 8 करोड़, 339 लाख रुपये का पोषण आहार, और टेक होम राशन में आपने 89 करोड़, 50 लाख का व्‍यय कर दिया. सीएजी ने तो रिपोर्ट में लिखा है. जो आया नहीं उसका  करोड़ों का भी भुगतान हो गया. मोटरसाईकिल से, 100 क्विंटल एक मोटरसाईकिल पर धरकर आ गये. हम अपने भिण्ड जिले की बात करते हैं वहां पर आपके सामाजिक विकास विभाग का अधिकारी बैठा दिया है. सब तरह की खरीदी हो रही है. वह इंदौर का रहने वाला है वहीं से खरीदी हो रही है. जो वस्तु का मूल्य 100 रुपये है तो वह 200, 250 रुपये में खरीदी जा रही है, पता नहीं सरकार और हमारे जिले के कलेक्टर क्यों उस पर मेहरबान हैं?

अध्यक्ष महोदय, कोरोना के समय में जब तक कर्फ्यू रहा, किसी को घर से बाहर निकलने का अधिकार नहीं था, घर से निकलने नहीं दिया गया. एक बार हम निकल गये. बाहर पैदल सामने के घर में जा रहे थे तो बोले नहीं, नहीं साहब, कर्फ्यू लगा है. आप इसका उल्लंघन कर रहे हो तो हम वापस लौट गये. जब कोई निकल नहीं सकता था, गाड़ी चल नहीं सकती थी तो फिर उस समय भिण्ड जिले में कैसे अकेले लहार क्षेत्र में साढ़े 5 करोड़ रुपये का खाद्यान्न बंट गया? जब हमने विधान सभा में शिकायत की. मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा, कलेक्टर को लिखा. जोरदारी से प्रेस कांफ्रेंस की तो फिर क्या किया कि अधिकारियों ने जाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर बाद में हमारे मुद्दा उठाने के बाद, उन पर दबाव देकर, तुम्हारी नौकरी नहीं रहेगी. आपको हटा देंगे तो उनसे लिखवा लिया कुछ पैसे देकर कि कुछ ले लो और लिख दो कि हमें मिला है. आखिर वहां ले जाने की किसने परमिशन दी? परमिशन है नहीं तो कम से कम ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर भी तो आप कार्यवाही करें. अध्यक्ष महोदय, अब एक कोरोना की बात करता हूं. कोरोना में आपात संकट था. यह अचानक आया. दूसरी कोरोना की जब बाढ़ आई तो उस समय काफी लोगों हमारे साथी नहीं रहे. कोरोना में चिरायु अस्पताल पर आप बहुत मेहरबान रहे. चिरायु में करीब 70 करोड़ रुपये आपने दे दिये. अब आप कह सकते हो कि जमीन आपके समय की है.  कांग्रेस की सरकार में उसको 30 एकड़ जमीन दी थी, 25 एकड़ मेडीकल कॉलेज को और 5 एकड़ डेंटल कॉलेज को दी थी. हालांकि वह कैचमेंट की एरिया जमीन है. पिछली बार जब बाढ़ आई तो पलंग डूब चुके थे. कई लोगों ने बताया कि इतना पानी था, अखबारों में  दिखा,  कमर से नीचे तक डूबे थे. उसमें क्या हुआ. हम नहीं कहते, हमारे भी कुछ मित्र हैं. उसको संरक्षण दे रहे हैं. उनका स्वागत सम्मान हो रहा है. लेकिन आपने इतनी मेहरबानी उस पर क्यों की? एक ही अस्पताल को सबसे ज्यादा पैसा दिया.  शासकीय अस्पतालों को पैसा दे देते. इनको ज्यादा फायदा हो सकता था, यंत्र आ सकते थे. उसने क्या किया है मैं आपको जरा एक दर्दनाक बात कहना चाहता हूं. हमारे मित्र श्री लक्ष्मीकांत शर्मा जी पूर्व मंत्री, यह जब गये तो उनसे परिवार के लोगों को मिलने नहीं दिया गया, वहां पर कोई डॉक्टर नहीं, दिन दिन भर कोई देखने वाला नहीं था. सबसे ज्यादा अगर 455 मौतें कहीं हुई हैं तो उस अस्पताल चिरायु में हुई है. उसके बाद भी उस पर मेहरबानी? मुख्यमंत्री जी क्यों इतने मेहरबान हैं, कम से कम यह तो देखिए श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर हमारे मित्र साथी थे, उनका यह पत्र हमारे पास में रखा है. मार्मिक पत्र है वह ठीक से लिख भी नहीं पाए. उन्होंने लिखा है,वे राइटिंग ठीक  से नहीं लिख पा रहे थे.  विशेष आग्रह है, डी.एम., भोपाल.  लवानिया जी, एच.एम. के दामाद हैं.  आप उनके घर जाकर  एच.एम. से कहकर  हमारे  प्राण बचायें. यहां कोई देखने नहीं आता है.  छोटी स्लिप लिखी थी. कमलनाथ जी  और मैं जब उनके घर गये श्रृद्धांजलि देने,  तब उनके परिवार के लोगों ने  रो-रो कर यह दिखाईं.  यह दो चिट्ठी, पत्र हैं.  अब एक पत्र तो इसमें आया,  दूसरा  पत्र  है कि डॉक्टर साहब,  कभी कभी तो ध्यान दो. यहां कोई आता  नहीं है,  मैं तड़फ रहा हूं.  ठीक से सांसें नहीं चल रही हैं.   वह आदमी तड़फ तड़फ कर  मर गया.  हमारे राजगढ़ जिले के  विधायक वह भी  और  आप तो हमारे  यहां  विधायक जी बैठे हैं सामने, क्या बीती  इन पर. इन्होंने भी  जो सच्चाई थी,  उस पर नाराजगी व्यक्त की है, उसके खिलाफ बोले भी.  इसी प्रकार  हमारे  पूर्व विधायक थे  मनमोहन सिंह बट्टी जी. उनकी बेटी को, जब उन्होंने कहा कि  हम तो मर ही रहे हैं,  कम से कम हमारी बेटी को मिलवा दो एक बार. हम उनको देख लें, उनको भी नहीं जाने दिया.  वार्ड में दिन  दिन भर   कोई जाता नहीं था.  एक हमारे मित्र हैं सुबोध  अग्निहोत्री  जी,  25 साल   उन्होंने  आपकी पत्रिका   स्वदेश में  काम  किया और प्रभास  जी  के भी पारिवारिक संबंध हैं.  उन्होंने  उसको भर्ती तो करवा दिया.  लेकिन  वह तड़फ तड़फ कर  बीच में वहां से छोड़ कर आये, तब बच पाये.  अगर उसी अस्पताल में  बने रहते  तो  वे भी शायद  आज हमें दोबारा देखने को नहीं मिलते.  तो  ऐसे लोगों की  अगर हम कहें कि  कांग्रेस के समय में गलत आवंटन  हुआ  है, तो   आपने तमाम  सुधार  किये, तो उसका भी सुधार करो  और ऐसे आदमी को जो  लगातार  व्यापारी है,  बड़ा आदमी बन जाता है पैसे के लिये, कमा कमा कर के तो लोगों की फिर उसके प्रति रुचि बढ़ जाती है. ये व्यापारी लोग  जो हैं ऐसे,  सभी के  लिये   नहीं कह  रहा हूं,  बहुत अच्छे भी हैं,  लेकिन ऐसे कुछ लोग हैं,  जो बेरहम हैं,  जिन्होंने सुनवाई नहीं की.तो ऐसे लोगों  को तो कुछ  दंडित करना चाहिये.  ऐसे लोगों को  चिरायु  अस्पताल   जैसे,  जिसका नाम चिरायु है, लेकिन काम कर रहा है, मरायु जैसा. (हंसी)..  ऐसे लोगों   पर कड़ा  प्रतिबंध लगाना चाहिये.  आयुष्मान योजना का भी  पैसा  उसी को ज्यादा जा रहा है.  अगर कोई  जन प्रतिनिधि, एमएलए, परिवार  के  लोग हैं, बोलते हैं कि कैसे भी हम  लोग अपने परिवार के व्यक्ति के दर्शन कर लें,  बात कर लें. डाक्टर साहब से  बात करा दो, हमारे भाई के प्राण बचायें.  अस्पताल में मतलब  दिन में  देखने की व्यवस्था करा दो.  इस वार्ड से जनरल वार्ड   में  शिफ्ट करा दो, तो कम से कम कोई देखने आये. इसके लिये भी  उसने बात करना, जो पीड़ित परिवार   थे,  उनके लोगों से, परिवार के लोगों से   बात करना उचित  नहीं समझा.  कई गये मिलने.  जैसे डॉक्टर साहब के घर में  बड़े भाई हैं एक,  अरुण गोयनका  जी,  उनके घर पहुंचे.  उनसे निवेदन किया कि  आप हमारे  परिवार को मिलवा दो.  जनरल वार्ड में शिफ्ट करवा दो.  उसने कह दिया कि मेरे पास   टाइम नहीं है. आप अपना  काम करिये,  मैं अपना काम करुंगा.  यह इतना विद्वान आदमी है  अजय गोयनका.  कोरोना में क्या क्या नहीं हुआ.  पूरे प्रदेश में  मुख्यमंत्री जी, आपने  आश्वासन  दिया था कि  जो पीड़ित लोग हैं, सरकारी कर्मचारी  हैं,  अगर उनकी कोरोना  में मृत्यु हुई है, तो  उनके परिवार  को   नौकरियां दी जायेंगी,  कुछ राहत दी जायेगी.  लेकिन ऐसे परिवार के तमाम लोग अभी तक  भटक रहे हैं.  उनको अभी तक नौकरी नहीं मिल पाई.  कई लोगों को  आपने पैसा   देने  की बात कही थी.  हम 50 लाख रुपये देंगे.  वह भी  अभी नहीं मिल पाये.  इस पर भी जरा  आप सहृदयता से  उनकी मदद करें.

            मैं एक उदाहरण मुख्यमंत्री जी आपको देना चाहता हूं. मैं आपसे दो बार मिल चुका. यह भिण्ड जिले का है. भिण्ड जिले में 2018 और 2020 में ओला और अतिवृष्टि से 46 किसानों के खेत में नुकसान हुआ. आर.आई.,पटवारी,नायब तहसीलदार और कृषि विभाग के अधिकारियों ने सर्वे किया और जो सर्वे हुआ उसमें जिन किसानों का नुकसान पाया गया उनके लिये सरकार ने 32 करोड़ रुपये स्वीकृत किये और एस.डी.एम.,तहसीलदार ने क्या किया जो पीड़ित किसान थे  बकनासा,बरोना,केथोदा,छरेटा गांव के इनको पैसे नहीं दिये और जहां ओले नहीं गिरे थे और सरकार की जो सूची आई गांव के नाम से कि इन गांवों के खाते में राशि दी जाए परन्तु कनीपुरा और तीन गांव ऐसे हैं जहां किसानों के खेत में ओले नहीं गिरे,कोई नुकसान नहीं हुआ उनके खाते में पैसे डाल दिये. तरकीब क्या सोची कि पैसा जिनको डाला उन्हीं के नाम से लिस्ट में मंजूर किया और ट्रेजरी के अधिकारी,एस.डी.एम. जिनके पास  ड्राईंग,डिस्बर्सिंग पावर थी इन लोगों ने मिलकर जिन गांवों में ओले नहीं पड़े वहां के लोगों के खाते में पैसे डाल दिये. मेरे पास प्रमाण हैं. मैंने प्रमाण दिये. सिद्ध हो गये. किसान दो साल से लड़ रहे हैं. हमने धरना दिया. प्रदर्शन किया. आंदोलन किया. कलेक्टर के पास 17 बार लोगों ने शिकायत की. कमिश्नर को की. भोपाल में शिकायत की और हमने दो बार मुख्यमंत्री जी से मिलकर बताया और जब  हमने जोर लगाया तो  95 लाख रुपये वसूल लिये. दो पटवारी सस्पेंड कर दिये लेकिन जिन ट्रेजरी के अधिकारियों,एस.डी.एम.,तहसीलदार पर, जांच में रिपोर्ट भी आई कि भ्रष्टाचार हुआ है. हमने मार्च में ध्यानाकर्षण भी लगाया. उस दिन गोविन्द सिंह राजपूत उपस्थित नहीं थे. उसका जवाब दिया विश्वास सारंग जी ने और आपने स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार हुआ है. हम कार्यवाही करेंगे. जांच करेंगे. हमने कहा कि जब सिद्ध हो चुका तो जांच काहे की. हमने प्रमाण दिये. खाते नंबर दिये और जिन गांवों में ओले नहीं गिरे वहां एक व्यक्ति के नाम पर 16 बार पैसे डाले गये. उसमें पटवारी भी शामिल थे. सब शामिल थे नीचे से ऊपर तक. पैसा निकालो. 5-10 हजार दूसरों को दो और बाकी के ले लो और उसके बाद भी कार्यवाही हुई. मुख्यमंत्री जी मैं आपसे दो बार घर पर मिला हूं. आपने कहा कि सजा मिल गई. 95 लाख अगर दो पटवारियों ने जमा करा दिये लेकिन उसमें करीब 5 करोड़ रुपये खाये हैं. 2018 में भी ग्राम- बालन के पास वहां सरकारी जमीन पर मुआवजा बंट गया. वह खसरा नंबर  भी मंत्री जी ने जवाब में स्वीकार किया कि सरकारी जमीन पर मिला है. हमने कहा कि प्रमुख सचिव रस्तोगी साहब को जांच दे दो. वह ईमानदार व्यक्ति हैं और सही दोषी व्यक्तियों पर कार्यवाही होगी वे जेल जाएंगे. मंत्री,विश्वास सारंग जी ने कहा कि कमिश्नर,चंबल से जांच करा देंगे. दो महीने हो गये आपके विधान सभा में आश्वासन के बाद  भी. जांच के बाद काहे की जांच.

          जब पूरे प्रमाण दे दिये, देख लो, ट्रेजरी के दस्‍तावेज हैं, खजाने में पैसा जमा कराने के दस्‍तावेज हैं, पूरी जांच आपके सामने रखी है. हमारा अनुरोध है कि कम से कम न्‍याय दो जो किसान भटक रहे हैं उनको मुआवजा मिल जाये. जो नुकसान हुआ है वह क्षतिपूर्ति हो जाये, सरकार चाहेगी तो वसूली हो जायेगी, जब हमने अकेले लड़कर 95 लाख करा दिये. (श्री सज्‍जन सिंह वर्मा जी के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) बजट पर नहीं है, यह बजट थोड़ी है, यह सरकार का भ्रष्‍टाचार है, हम भ्रष्‍टाचार पर बोल रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, अब दूसरा उदाहरण उसी तहसील का, सरकार में बड़े-बड़े कारनामें हो रहे हैं. भिंड जिले की गोहद तहसील में क्‍योंकि वहां एमएलए ज्‍यादा बदल जाते हैं, रिजर्व सीट से एक बार आते हैं दोबारा हार जाते हैं. अध्‍यक्ष जी वहां तीन कोटवारों की नियुक्ति....

          अध्‍यक्ष महोदय-- कितना समय लेंगे, 50 मिनट हो गया.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  ठीक है हम जल्‍दी-जल्‍दी बताते हैं. 3 कोटवार और एक भृत्‍य की वर्ष 2018 में नियुक्ति हो गई, वर्ष 2021 के बीच जब हमने मामला उठाया वहां न कोटवार हैं न उनके नाम हैं दूसरे लोगों के नाम से उनकी नियुक्‍त वहां है नहीं और आपका तहसीलदार और एसडीएम जो बिल मंजूर करता है तो वह मंजूर करता रहा, करीब 3 साल तक तनख्‍वाह लेता रहा और ट्रेजरी वाले बिल पास करते रहे, जब उसकी शिकायत हुई, जांच हुई तो जांच में पाया गया, उन्‍होंने लिखकर दे दिया कि हमें तो पता ही नहीं है, एक ने कहा कि हमारे भाई वहां रहते हैं, मजदूरी करते हैं पैसा आता है तो उनके पास खाता नहीं है, जब जांच हुई जांच में रिपोर्ट आ गई कि सब फर्जी है. दो-दो साल खजाने से फर्जी पैसा जा रहा है, राजस्‍व का पूरा का पूरा आहरण हो रहा है और उसके बाद भी, कलेक्‍टर पर 17 शिकायतें हैं 17 बार शिकायतें कीं, अब आपने नहीं सुनी तो कलेक्‍टर कहां से हमारी सुनेगा, हम तो खुद मिले थे हमारे पास दो पत्र रखे हैं एक बार खुद मिले थे एक बार डाक से भेजा था, एक दिनांक 28.09.22 का है और एक वर्ष 2021 का है. अब क्‍या ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होना चाहिये, हालांकि करोड़ों नहीं है वह लाखों रूपये है, करीब 30-40 लाख के आसपास भुगतान हुआ है. अब उनको नौकरी से निकाल दिया और फिर क्‍या किया एक कोटवार है उसको बर्खास्‍त कर दिया कि यह बिल लेकर जाता है, वह बिल ले जाकर जमा करता था और उनके आदेश से पैसा लाकर दे देता था तो उसको बर्खास्‍त कर दिया, लेकिन जो दोषी हैं, इतना बड़ा घोटाला ट्रेजरी में हो गया, एसडीएम खुद फंसा हुआ है, हमने सब जगह लिखित में दीं, शिकायतें की, आंदोलन किया, धरना भी दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई. आखिर यह सरकार कैसे चल रही है, कभी सच्‍चाई पर जांच होगी, हम तो मय दस्‍तावेज के सारे प्रमाण दे देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, नर्सिंग कॉलेजों के घोटाले तो जगजाहिर हैं, क्‍या-क्‍या नहीं हुआ नर्सिंग कॉलेजों में, नर्सिंग कॉजेल के जो नॉर्म्‍स थे 100 बेड का अस्‍पताल और 22 हजार वर्गफीट में भवन बनना चाहिये. हमारे पास यह रिकार्ड है एक में तो आगे भैंसे बंधी है, एक कमरे का है वहां पर नर्सिंग कॉलेज चल रहा है. ऐसे करीब साढ़े पांच सौ नर्सिंग कॉलेज हैं, एफआईआर दर्ज हो गई इसके लिये धन्‍यवाद, दो, तीन, चार लोग गिरफ्तार हो गये, लेकिन छात्रों को बर्बाद करने का मानव बम बना दिये बिना पढ़े लिखे.

हरियाणा के, पंजाब के, दिल्‍ली के, बिहार के लोग यहां से फर्जी डिग्री लेकर चले गये हैं, न कभी कॉलेज लगे, न अस्‍पताल है, न डॉक्‍टर है, एक-एक व्‍यक्ति, कई ऐसे फैकल्‍टी में लोग हैं, जो वहां पर कहीं प्रिंसिपल हैं, कहीं प्रोफेसर हैं, कहीं असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, पांच जगह एक व्‍यक्ति, यह कौन सा जादू पढ़ आये बंगाल से, ये जगह-जगह पहुंच जाते हैं. जैसे एक बार रावतपुरा महाराज मंदिर दर्शन करने हम गये, तो हमने कहा कि महाराज कहां हैं? तो बोले ऊपर हैं, हम गये ऊपर तो बोले नहीं-नहीं अभी नहीं जाओगे छत पर, हमने कहा काये क्‍यों नहीं जायेंगे, अरे बोले अभी बंगाल में काली माई की पूजा कर रहे हैं.

श्री उमाकांत शर्मा -- अरे कम्‍प्यूटर बाबा कहां हैं?

            डॉ.गोविन्‍द सिंह -- देखो (XXX) पंडित जी, सुबह सुबह जब पांचवी क्‍लास में थे, तब से हनुमान चालिसा, बजरंग बाण, गायत्री जी का मंत्र, शिवजी का मंत्र और लेकर हमने लगाई अगरबत्‍ती, जय बजरंग बली तोड़ दुश्‍मन की नली और निकल गये (हंसी..) इसलिये कह रहे हैं कि इनको जरा देखें मुख्‍यमंत्री जी, इसमें बहुत से बच गये हैं, इन पर कार्यवाही करा दें, दोषियों को जरा पता लगे कि जे गढ़ गये, हालांकि गढ़ना तो आपको अधिकार नहीं है, सजा देना तो न्‍यायालय का काम है, लेकिन आज आप इतने सत्‍ता में, मद में बिल्‍कुल घमंडी हो गये हो. हम दो भाईयों की संपत्ति संयुक्‍त परिवार में रहते थे, बंटवारा हो गया, आपने बुलडोजर दूसरे के ऊपर कर दिया, अरे भाई यह आपका कहां न्‍याय है? न्‍यायपालिका को दंड देने का अधिकार है, कार्यपालिका को नहीं है, लेकिन आजकल हमारे मुख्‍यमंत्री जी न्‍यायाधीश भी बन गये हैं, लगातार लोगों को रोंधते चले जा रहे हैं, जे नहीं देख रहे हैं, अरे भाई अपराध किया है तो आप गवाह दो, सबूत दो, उनको फांसी पर लटकवाओ, जेल पहुंचाओ, सजा कराओ, आप ही न्‍याय करने लगे, लेकिन चल रहा है, जब तक आपका है चलेगा, समय है. इस प्रकार रावण का भी अंत हुआ था सबका होगा, हमारा भी होगा (हंसी...) अंत तो सबका होता है, का जिंदा रहें, अमर होकर आये का हम आप (हंसी..) अब आप बताओ एक ओर घोटाला. दूसरा यह एक हजार करोड़ रूपये का एन.पी.एस. घोटाला है, यह शायद आपकी जानकारी में नहीं आया होगा, यह शायद भोपाल का ही है, भोपाल में जो 13 मेडीकल कॉलेज हैं, उनमें करीब तीन हजार तीन सौ शासकीय मेडीकल चिकित्‍सक डॉक्‍टर हैं, नर्सिंग हैं, पैरामेडीकल स्‍टॉफ है, क्‍लेरीकल कर्मचारियों की संख्‍या कुल मिलाकर ऐसे लगभग पचास हजार के आसपास कर्मचारी हैं. न्‍यू पेंशन स्‍कीम आपने लागू की है, न्‍यू पेंशन स्‍कीम में उनका फंड कटता है और उतना ही दिया जाता है, यह भारत सरकार के तहत योजना है. आठ सौ करोड़ रूपये जमा हो गये हैं. कर्मचारी तीन महीने से मेडीकल कॉलेजों के परेशान हैं, धरना दे रहे हैं, ज्ञापन दिया, हमसे भी कई बार मिले, विधानसभा प्रश्‍न भी लगवाया. यह पैसा जमा होना चाहिये था, एक नये खाते में जमा होना चाहिये था, लेकिन पूरे मध्‍यप्रदेश के उसमें न कराकर मेडीकल कॉलेज के डीन के खाते में जमा करा दिया है, अब वह पैसा कहां उपयोग हो रहा है? डीन को क्‍या अधिकार, किस नियम के तहत, आठ सौ करोड़ रूपये मेडीकल के कॉलेज में कर दिया और उसका ब्‍याज भी नहीं मिल रहा है, अब जब रिटायर होंगे तो एन.पी.एस. में उनको कैसे पेंशन देंगे आप, इसका भी पता कर लें यह खाते में हैं भी या पूरा गायब हो गया है. बस एक आध विषय थोड़ा सा है. इसी प्रकार से इसमें बताया है. उसी प्रकार से आयुष्‍मान कार्ड से घोटाला, उनको प्रायवेट अस्‍पताल बिना देखे कैसे मंजूरी दे रहे हैं ? अस्‍पतालों में डॉक्‍टर्स नहीं हैं, कम्‍पाउण्‍डर नहीं हैं, उपकरण नहीं हैं, मरीज भर्ती नहीं हो रहे हैं. फिर एक-एक हॉस्पिटल से आपने एक-एक, दो-दो करोड़ रुपये वहां से ले लिये हैं और वीडियो भी वायरल हो चुका है कि पैसा लेन-देन कैसे हो रहा है. जिनके भी वीडियो वायरल हुए, उनकी भी जांच नहीं हुई, उन पर कार्यवाही नहीं हुई. मुख्‍यमंत्री जी, क्‍या आपका इसी प्रकार सुशासन चलेगा ? ठीक है, जब तक चलता है, तब तक आप चलाइये. रावण का भी चल गया, हिटलर का भी ऐसे ही चला था. कल के दैनिक भास्‍कर समाचार-पत्र में छपा है कि मनरेगा में अकेले हमारे भिण्‍ड जिले में जांच करा लो, अन्‍यथा हमारे खिलाफ कार्यवाही कर देना. मनरेगा के तहत भिण्‍ड जिले में सबसे ज्‍यादा गोहद में और सबसे कम लहार में है, इसलिए मेरी थोड़ी निगाह रहती है. कम से कम भिण्‍ड जिले में 50 करोड़ रुपये से ऊपर का ही घोटाला हुआ है, तालाब बने नहीं हैं, आपकी सुदूर सड़क योजना में सड़क बनती थी, वह सड़क नहीं बनी है. मुख्‍यमंत्री जी, यह सच्‍चाई है. भिण्‍ड जिले में लेबर नहीं है. भिण्‍ड जिले में एक भी मजदूर नहीं मिलता क्‍योंकि हमारे क्षेत्र के 1 से 1.25 लाख लोग 18 वर्ष के सामान्‍य परिवार के  किसान के बेटे पूरे देश में रोजगार करने चले गए हैं. वे हर जगह मिल जायेंगे. अभी हम कन्‍याकुमारी गये थे, वहां कुछ लोग पानी पुरी के ठेले लगाए हुए मिल गए. उन्‍होंने कहा कि 'डॉक्‍टर साहब, राम राम, तो हमने कहा कि तुम कहां के रहने वाले हो ?' तो उन्‍होंने कहा कि हम करियावली के हैं. मैंने कहा कि तुम यहां क्‍या कर रहे हो तो उन्‍होंने कहा कि फुल्‍की बेचने का काम कर रहे हैं. उनकी एक दिन कमाई वहां पर 1,000 रुपये, 1,200 रुपये तथा 1,500 रुपये हो जाती है, तो सब गांव के गांव खाली हो गए हैं, वहां केवल बुजुर्ग लोग मिल रहे हैं, तो इसलिए वहां पर एक सिंगल मजदूर भी नहीं है. अब वहां मजदूर नहीं मिल रहे हैं, यह 100 प्रतिशत सच्‍चाई है, लेकिन मशीनों में भी काम तो हो जाये, लेकिन काम ही नहीं हो रहा है, केवल बस कागजों में बन जाता है, कागजों में हो गया, हम नाम ही नहीं ले रहे हैं, आपको प्रमाण भी देंगे और 20 प्रतिशत तो जिला पंचायतें को वहां दे दो. अब मिल-बांटकर खाओ, जब चोर-चोर मौसेरे भाई हैं, का किस्‍सा हो गया है, तुम भी खाओ, हम भी खाएं, तुम भी चोर, हम भी चोर हैं. मिल-बांटकर खाओ, यह हालात हैं.

          खण्‍डवा में 5 करोड़ रुपये रोजगार गारंटी का अकेले एक पंचायत में घोटाला हो गया है. सिवाना में दुबई, कतर और दुबई में रहने वाले उनके रिश्‍तेदार के नाम पर मजदूरी निकाल ली गई. हिन्‍दू परिवार में मुस्लिम सदस्‍यों को जोड़कर 3,000 फर्जी जॉबकार्ड बनाये गए. फिर हम लोगों ने कुछ साथियों से पूछा, जिस पत्रकार से भी हमने बात की तो वे बोले कि हम गांव में गए थे, हमने जॉब कार्ड देखे, सब फर्जी थे, तब हमने यह लिखा है. हमने कहा कि इसमें ऐसा तो नहीं है कि गप्‍प लिख दिया गया हो. यह बिल्‍कुल सच्‍चाई है, आप आ जाओ, हम दिखा देंगे. इस तरह का पूरे प्रदेश में हो रहा है. हम यह नहीं कहते हैं कि यह आपकी देख-रेख में हो रहा है, लेकिन आखिर अधिकारी इतने निरंकुश क्‍यों हैं ? इतनी छूट उन्‍हें क्‍यों है कि खुले आम लूट हो रही है ? फिर हम आपको शिकायतें कर रहे हैं. हमने जो गोहद का मामला बताया था, उसकी कम से कम 20 शिकायतें हुईं. हम कलेक्‍टर से मिले, हमने कलेक्‍टर को पत्रकार वार्ता में कहा. हालांकि कलेक्‍टर के पैसे लेने की शिकायत नहीं है, वह स्‍वयं नहीं हैं. वे 2-3 अधिकारियों की गिरफ्त में हैं. वह खुद सज्‍जन व्‍यक्ति हैं. अभी हमने जब उसके खिलाफ पत्रकार वार्ता लगाई तो उसको बड़ा कष्‍ट हुआ कि वह इसमें नहीं हैं. लेकिन कहीं न कहीं से पता चल ही जाता है कि कौन सा कैसा अधिकारी है ? क्‍या कर रहा है ? श्री पघारे एडीएम, जिसका आपने अभी-अभी ट्रांसफर कर दिया. उसे साल भर भी नहीं हुआ, वह खुद ही चला गया. विधायक निधि में हम राशि मंजूर करें, लेकिन 4-4 महीने तक फाईल ही नहीं लौट रही है. हमने कहा कि दुबे, हमारा सब इंजीनियर है, हमने कहा कि फाईल 4 महीने से क्‍यों नहीं लौट रही है. वहां एक अधिकारी है.

          वहां एक योजना अधिकारी है, उसको हमने डांटा, 4-4 महीने फाइल रखे हों, वह बोला साहब आप हमें क्‍यों डांट रहे हो, हम क्‍या करें, फाइल तो वहां रखी है. तो वह चाहता था कि विधायक निधि, सांसद निधि से कमीशन मिले, उसने पीडब्‍ल्‍यूडी के इंजीनियर से कहा कि आप तो कमीशन खाते हो, हमें भी दो, पहले यहां दो, तब होगा. हमने कहा कि फाइल कहां रखी है तो फाइल उसके टेबल पर रखी है, वहां पर करीब 40 फाइलें रखी थी. मैंने उसको फोन लगाया कि पगारे जी, हमने कहा विधायकों की बड़े हिम्‍मती हो, बताओ कितने का चैक काट दे, तो कहने लगा, अरे साहब मैं नहीं हूं, मैंने तो कर दिया, वहां करीब 40 फाइलें रखी थी, हमारी भी फाइल थी और माननीय विधायकों की थी, तो मैंने कहा कि मैं यहीं भिण्‍ड में हूं मैं आ रहा हूं आपके पास,  जब तक मैं पहुंचा, मैं तो लहार में था, ऐसे ही कह दिया था, जब तक मैं पहुंचा तो उसने उसको बुलाया कहां है, किसको शिकायत की है, तो उन्‍होंने कहा हमें पता नहीं. तत्‍काल उसने सभी में दस्‍तखत किया और फाइलें दे दिया. हमने कहा कि अब कैसे फाइल एक घंटे में आ गई, तो कहा नहीं साहब दस्‍तखत तो कर दिया था, फाइल ने नहीं गया. ये हालत है आपके अधिकारियों को, अभी उसका ट्रांसफर हो गया, चला गया.

          इसलिए कभी कभी आपने जो अधिकार छीने हैं, पंचायतों के, जिला पंचायतों के. आपने अब वेतन का लालच दे दिया है, और बढ़ाओ, खुश करो, वे ऐसे खुश नहीं होने वाले हैं, आप उन्‍हें अधिकार दीजिए, वे भी जनता से चुनकर आए हैं. पहले योजना समिति में हमने कहा शासन को अधिकार आप इतने मत दो, लेकिन सब पर निगाहें हैं. अगर दवाईयां खरीदी जाती थी, तो जिला पंचायत के पक्ष विपक्ष सभी के सदस्‍य रहते थे, स्‍वास्‍थ्‍य समिति इसमें देखती थी कि माल आया या नहीं आया. कंपनी का चेक करती थी, अच्‍छी क्‍वालिटी की दवाएं हैं या नहीं हैं. आपका जो पोषण आहार का पैसा आता था, तो पहले वहां जाता था, सभी का कंट्रोल था, अब वे सभी अधिकारी निरंकुश हो गए और कुछ है भी तो पंचायतों के अधिकार छीन लिए, कहते हैं कि जनपद को कोई पावर नहीं है, सीधे भेजा, जिला पंचायत की जो भी योजनाएं हैं, उसमें जनपद को कोई पावर नहीं है, सीधे जाकर, यदि पावर भी है तो सीईओ होने नहीं देते, तो इस पर थोड़ा सुधार करवाइए.

          अध्‍यक्ष महोदय - ये तो आखिरी था न.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - बस आखिरी बात, संसदीय कार्य मंत्री बैठे हैं तो 7 बजे तक चल सकता है. बस खतम कर रहे है.

          दो छोटी छोटी बातें है, बस, पहली बात ये सिंचाई विभाग का है आपका कारम बांध, इसमें दिल्‍ली की जो कंपनी थी, उसको ठेका दिया और उसने जाकर हमारे भिण्‍ड जिले के आपकी पार्टी के आगे के टिकट के उम्‍मीदवार मेहगांव से उनको मिल गया, वे ब्‍लैकलिस्‍टेड थे, उन्‍होंने तीसरे अपने सहयोगी को पार्टनर बना लिया, पहले उन्‍होंने कमीशन लिया, पहले वाले ने फिर उन्‍होंने कहा हमारा हिस्‍सा दो कम तुम्‍हें दे रहे हैं. पेटी कान्‍टेक्‍ट पर दे दिया. अब उसमें से करीब 25 से 30 प्रतिशत तो बंट गया, कुछ अधिकारियों ने लिया होगा, अब वह ठेकेदार आखिरी था, उसने कहा कौन पूछे भाजपा का बड़ा नेता है इसलिए कोई कार्यवाही नहीं होना है.

 

 

 

 

1:28 बजे                 

अध्‍यक्षीय घोषणा.

भोजनावकाश न होने विषयक.

          अध्‍यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. माननीय सदस्‍यों के लिए भोजन की व्‍यवस्‍था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्‍ट करें.

1:29 बजे               मंत्रिपरिषद के प्रति अविश्‍वास प्रस्‍ताव(क्रमश:)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - बस अभी खत्‍म कर रहा हूं, और उन्‍होंने क्‍या किया आपको, उसमें मैं स्‍वयं गया था, उसमें बड़े बड़े बोल्‍डर डाल दिए. एक तो पेड़ कटा था, बोल्‍डर डाल दिए तो उसमें थोड़ी सांस हो जाती है, पानी आया, कच्‍चा बांध था, अब पेड़ पर कैसे रोलर चलेगा, तो उसमें छोटे छोटे छेद रह गए, अब बांध टूट गया. अभी तक कोई गिरफ़तारी नहीं हुई, न उसमें कोई काम हुआ. दूसरा आपके साथी अशोक भारद्वाज जी जिन्‍होंने अभी उनके छोटे भाई के नगर-पालिका मोह के अध्यक्ष थे वहां पर पेयजल योजना के लिये आपने उसमें 20-21 अथवा 29 करोड़ रूपये मंजूर किये. यह योजना सिंध नदी में पानी रोकने की है. वहां से 17 किलोमीटर की लाईन डली उस योजना का पूरा पैसा बर्बाद हो गया है. वहां पर नहर चलाते हैं तो फव्वारे निकलते हैं. उसी नदी में लहार की योजना भी बन रही है. आप उसकी जांच करा के देख लो पूरा का पूरा 20-21 अथवा 29 करोड़ रूपया चला गया है. मोह में भी आपकी पार्टी का अध्यक्ष है. अभी दोबारा बन गया है आप उनसे पूछो कि वहां पानी मिल रहा है क्या ? तीन-चार साल से योजना बन गयी और यही श्रीमान जी ठेकेदार थे आखिर उनको इतनी छूट क्यों दे रहे हो. कम से कम आप उसमें इतना तो करें कि टेंडर ज्यादा में ले लें और ठेकेदारी करें. वह बड़ा आदमी है वहीं जाकर के सब लोग नत-मस्तक होते हैं. आज ये प्रभारी मंत्री हैं उनके घर पर ही पहुंच जाते हैं भोजन चल रहा है तो काहे का डर जब सईंयां भये कोतवाल तो डर काहे का. वहां पर सामान्य योजना के कार्यक्रम वहीं पर चला रहे हैं उनके बंगले के अंदर सब अधिकारी बैठे हैं. वहीं पर विकलांगों को सायकिल बंटवा रहे हैं. तो उनको डर काहे का है. उनसे तो कलेक्टर भी डरता है. उनसे सब डर रहे हैं. एक मंत्री हैं एक का नाम तो ले लिया है. उनके यह परममित्र हैं वहां पर गरबईंयां डालते हैं आखिर उनको कोई डर नहीं हैं. ऐसे लोग जो पैसे का उपयोग कर रहे हैं. कुछ तो पैसा लगे उससे जनता का तो हित हो. इसकी भी आप जांच करा लें. पन्ना जिले में झुमटिली बांध था वह भी टूट गया है. बुंदेलखंड पैकेज योजना में जो काम लिये थे उसकी स्थिति भी अच्छी नहीं है. एक बार सिंचाई की आखिरी बात कहना चाहता हूं. धरमपुरी भी आपका है वहां पर आपने कुछ नहीं किया. अभी एक श्रीमान जी हैं जिनके खिलाफ शिकायत हमने की उसको विधान सभा में भी रखा उसमें सब असत्य जवाब मिले. अम्बाह बोरसा में पिछले पांच वर्षों से नहर की मिट्टी की सफाई नहीं हुई है. वहां पर हर साल होती है. वहां पर करोड़ो रूपये का घोटाला हो रहा है उसमें भी करोड़ो रूपये खा रहे हैं. वहां पर कोई नहीं सुन रहा है तो ट्रेक्टरों और जेसीबी से वहां पर मिट्टी की सफाई कर देते हैं. आप इसकी जांच करा लें इसमें आपकी पूरी सचाई का पता लग जायेगा. वहां पर कोई काम नहीं कराया है और वहां पर पूरा पैसा निकल रहा है. वहां चीफ इंजीनियर झा यह कार्य उनकी देख रेख में चल रहा है. उसकी हमने शिकायत की लोगों ने शिकायत की हमने उसका पत्र भी लिखा आपने उसकी जांच उसी को ही दे दी. इसके लिये तो आपको पद्मश्री अवार्ड देना चाहिये. जिसकी शिकायत उसी को उसकी जांच दे दी है. वहां पर क्या न्याय होगा ? ग्वालियर के चीफ इंजीनियर को राजघाट का भी चार्ज दे दिया. डबल चार्ज दोनों जगहों से लूटो अगर आपमें कोई दोष नहीं है आप कुछ गड़बड़ घोटाला नहीं कर रहे हैं तो आप उनको इतना संरक्षण क्यों दे रहे हैं ? आप विधान सभा की धज्जिया उड़ाओ प्रश्नों के गलत जवाब दो. जिसकी शिकायत करें उसी को उसी की जांच दे दो आखिर कुछ तो थोड़ा-बहुत लिहाज करो आपने तथा माननीय मुख्यमंत्री जी ने मेरी बातों को ध्यान से सुना आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

            1.29 बजे

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर एवं राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के प्रबंध मण्डल के लिये राज्य विधान सभा के क्रमशः तीन एवं एक सदस्य के निर्वाचन के संबंध में.

 

 

 

1.35 बजे

मंत्रिपरिषद के प्रति अविश्‍वास प्रस्‍ताव (क्रमश:)

          अध्‍यक्ष महोदय:- नरोत्‍तम मिश्रा चर्चा को जारी करें.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गृह मंत्री जी बोलें उसके पहले एक छोटा सा अनुरोध है. हमारी तरफ से 34 लोगों ने चर्चा में भाग लेने के लिये नाम दिये हैं. यह विधान सभा का सत्र 23 तारीख तक है. समय बहुत है और कोई बिजनेस है नहीं. मेरा आपसे अनुरोध है कि 34 सदस्‍यों को जिन्‍होंने अपने नाम दिये हैं. कृपा करके उनको बोलने का अवसर जरूर दीजिये.

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष जी को प्रणाम करने का मन हो रहा है. अद्भूत.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा:- अविश्‍सनीय.    

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा:- यह तो आपके लिये है, अविश्‍वसनीय. यही तो उनकी पीड़ा है.

          श्री गोपाल भार्गव:- ऐसा लग रहा था कि हर की पौढ़ी पर बैठकर कोई कथा कर रहा है. ( हंसी )

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा:- अध्‍यक्ष जी, अविश्‍वास के प्रस्‍ताव को लेकर आये तो हमारे सदन के नेता ने खुले दिल से उसको स्‍वीकार किया, सज्‍जन भाई अविश्‍वसनीय आपके लिये है. आप नेता प्रतिपक्ष पर अविश्‍वास करते हो, इसलिये ऐसा बोल रहे हो. देखिये आपके कुछ महीने तक नेता प्रतिपक्ष थे, वर्तमान में कांग्रेस के अध्‍यक्ष हैं, सदन के सम्‍मानित विधायक हैं. इससे महत्‍वपूर्ण कोई चर्चा नहीं होती, जब सरकार के खिलाफ अविश्‍वास लाया जाता है और वह आज पूरे समय अविश्‍वास प्रकट कर रहे हैं नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ, यह अविश्‍वास नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ हैं, हमारे खिलाफ नहीं है.

          श्री उमाकांत शर्मा:- मेरा अनुरोध है कि संरक्षण उनसे ले लें.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अच्‍छा होता...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा:- पूर्ण विश्‍वास करके गये हैं, दिल्‍ली में बैठक है कि मेरा नेता प्रतिपक्ष बहुत वजनदार है. इसलिये उन पर विश्‍वास करके गये है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा:- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आप तो एक बार नारको टेस्‍ट करा लो, कमलनाथ जी का. वह सज्‍जन सिंह वर्मा जी को ही नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते थे. वह आज भी आपको दिग्विजय सिंह का ही आदमी मानते हैं. आपने जब विभाग दिया था...

          डॉ. गोविंद सिंह:- माननीय मुख्‍य मंत्री जी आदमी का भी कोई आदमी होता है क्‍या ? (हंसी)

          श्री बाला बच्‍चन:- आदमी का भी कोई आदमी होता है, आप संसदीय कार्य मंत्री होकर भी यह बात कर रहे हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा:- बाला भाई मैं, आपकी पीड़ा मानता हूं. बहुत लंबा समय हो गया आपको आगे आने के लिये, कब के उप नेता हो और गोविंद सिंह सब पर छलांगें लगाकर आ गये.

          श्री बाला बच्‍चन:- हमारी कोई पीड़ा नहीं है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा:- जितनी आपकी और सज्‍जन भाई की है, मैं जानता हूं. मैं स्‍वयं चाहता था कि आप बनो, पर मैं क्‍या कर सकता था.

          ओमकार सिंह मरकाम:-

          श्री प्रियवत सिंह:- अपनी पीड़ा भी बता दो. आप वहां पहुंचना चाहते हो. ( मुख्‍य मंत्री जी को इंगित करते हुए) आप शिवराज सिंह जी को बाहर करना चाहते हो, यह पीड़ा भी बताओ, इस पीड़ा पर भी चर्चा करो..

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा:- सुनो, बैठ जाओ. आप लोग मेरे को तो बोलने ही नहीं दे रहे हो. मैं कह रहा हूं कि जो प्राप्‍त है, वह पर्याप्‍त है और हमारा नेता शिवराज सिंह चौहान है.( मेजों की थपथपाहट) इस पूरे सदन का नेता एक है. इसमें आप कोई विचार नहीं करना इस माईक से बोल रहा हूं. गोविंद सिंह जी आप नेता प्रतिपक्ष है तो आपसे एक निवेदन करना चाहता हूं, चूंकि मैं गृह मंत्री भी हूं और लॉ एण्‍ड आर्डर का आपका 19 नंबर पर प्रस्‍ताव भी है और आपने अपनी बातचीत में कहा भी. अभी परसों हमारी पुलिस फोर्स के जवानों ने 12 लाख रुपये के इनामी नक्‍सली, जिस पर छत्‍तीसगढ़, महाराष्‍ट्र और मध्‍यप्रदेश की पुलिस के इनाम थे, वह एरिया कमांडर था, वह मर गया, पुलिस ने उसे मार गिराया. (मेजों की थपथपाहट)

          आपके कांग्रेस पार्टी के किसी नेता का अगर इस पर बधाई देते हुए ट्वीट आता, आपका ट्वीट आ जाता, बधाई टी.वी. पर आ जाती, तो जवानों की हौसला अफजाई हो जाती.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-  चलो, अब सदन में बधाई दे देते हैं और आपको भी बधाई.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप सभी जानते हैं कि मध्‍यप्रदेश में पिछले एक साल पहले तक हमने 83 लाख रुपये से अधिक के नक्‍सलियों को मार गिराया या सीखचों के पीछे कर दिया और इस साल के अंदर 6 नक्‍सलियों को मारा, ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक साल में 6 मरे और इन 6 में भी ऐसा कभी नहीं हुआ कि दो लोगों से AK 47 बरामद हुई, आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, इतने इमान  1 करोड़ 12 लाख के नक्‍सली या तो मार दिये गए या जेल के पीछे हैं. गोविन्‍द सिंह जी आपकी सरकार में नक्‍सली घर के अंदर घुसकर मंत्री की हत्‍या कर देते थे. आज हिम्‍मत नहीं है किसी की कि इतनी बड़ी वारदात कर दे मध्‍यप्रदेश के अंदर. (मेजों की थपथपाहट) गोविंद सिंह जी, आप भिण्‍ड से गृह मंत्री थे.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-  हम गृह राज्‍य मंत्री थे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  राज्‍य मंत्री थे, यह तो ठीक है, मैं आपकी पीड़ा को जानता हूं. इन्‍होंने अभी भी आपको विभाग कहां दिया था, वो तो आप दौड़कर आ गए जी.ए.डी. ले लिया, नहीं तो ये दे ही नहीं रहे थे.

          गोविन्‍द सिंह जी, आपके राज्‍य मंत्री होते हुए भी, हमारे भिण्‍ड की पहचान डाकू समस्‍या को लेकर होती थी. वहां जगजीवन परिहार का गैंग हुआ करता था, निर्भय गुर्जर का गैंग हुआ करता था. बगल में दतिया में सरककर आ जाओ तो वहां रामबाबू गड़रिया, दयाराम गड़रिया, प्रताप गड़रिया की गैंग थी. हज़रत की गैंग थी, हन्‍नी की थी.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-  अब कहते-कहते ये मत कह देना कि गोविन्‍द सिंह जी की भी एक गैंग थी.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  डॉक्‍टर साहब आप इनका भाव समझ रहे हैं न ? आप समझ लीजिये. आप एक बार इनको प्रणाम तो कर लो, नहीं तो यहीं से बैठे-बैठे प्रणाम कर लो.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह इलाका जहां से एक और गृह मंत्री हुए जो अब हमारे बीच नहीं हैं सत्‍यदेव कटारे जी. मुरैना में एक बिटिया के साथ बलात्‍कार हुआ. उन्‍होंने 10 हजार रुपये की घोषणा कर दी. बिटिया थाने में गई डॉक्‍टरी जांच के लिए तो थाने में पुलिस ने दुबारा बलात्‍कार कर दिया. उन्‍होंने कहा कि क्‍या हो गया अगर दूसरी बार हो गया तो 10 हजार और दे दो. कहा था कि नहीं गोविन्‍द सिंह जी ? वैसे आप असत्‍य बोलते नहीं हैं. 10-10 हजार रुपये का रेट फिक्‍स कर दिया था बलात्‍कार का, उन गृह मंत्री जी ने.

          श्री तरूण भनोत-  XXX 

          डॉ.(कुंवर) विजय शाह-  XXX

...व्‍यवधान...

 

          श्री पी.सी.शर्मा-  XXX 

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-  गृह मंत्री जी, अभी माननीय अध्‍यक्ष महोदय ने निर्देश दिया था कि जो व्‍यक्ति इस सदन में नहीं है, उस पर आरोप नहीं लगाये जा सकते. 

...व्‍यवधान...

          श्री तरूण भनोत-  XXX

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  XXX

...व्‍यवधान...

          श्री तरूण भनोत-  XXX

...व्‍यवधान...

          लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-  XXX

 

          श्री तरुण भनोत-- XXX         (व्‍यवधान)

          श्री संजीव सिंह संजू-- XXX  (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय-- किसी का भी रिकार्ड में नहीं आएगा.

          श्री संजीव सिंह संजू-- XXX (व्‍यवधान)

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- अध्‍यक्ष महोदय, आपने विलोपित कर दिया है तो क्‍यों इस पर चर्चा कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- इसे विलोपित कर दिया है तो आप क्‍यों इस बात को बार-बार उठा रहे हैं. सब विलोपित करना है इनको किसी को नहीं लिखना है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍हीं का एक मंत्री जो आज कांग्रेस का कार्यकारी अध्‍यक्ष है उन्‍होंने कहा कि मैं बंदूक लेकर बीहड़ों में उतर जाऊंगा यह स्थिति डाकू समस्‍या की रही. यह भी रिकार्ड में है. मैं जितनी भी बातें कह रहा हूं और जितनी भी बात कहूंगा रिकार्ड के आधार पर ही कहूंगा. कोई काल्‍पनिक बात नहीं कहूंगा. वह कानून व्‍यवस्‍था थी और आज उस भिण्‍ड के अंदर शिवराज सिंह चौहान जी अटल प्रगति पथ बना रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव-- एक सूचना और अधिकारी भी बैठे हैं सभी को जानकारी होगी दस्‍तावेज हैं तीन किसान जो खेत पर पानी देने जा रहे थे पुलिस ने डकैती के आरोप में उनकी हत्‍या कर दी. दिग्‍विजय सिंह जी गए और उन्‍हें प्रमोशन दे दिया. स्‍टार अपने हाथ से लगाए. ऐसी घटनाएं हुई हैं बाद में जब यह मामला पूरा खुला तो उन्‍होंने कहा कि मुझे अफसोस है. आप बताएं दस्‍तावेज हैं, सच्‍चाई है, रिकार्ड है. बाद में उन्‍हें रिवर्ड किया गया.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यदि कोई घटना अनजाने में हो जाती है क्‍योंकि मैं इसलिए कह रहा हूं कि अभी प्रधानमंत्री जी मण्‍डला आए थे वहां इन्‍होंने जो अच्‍छे सरपंच थे जिन्‍होंने अच्‍छा काम किया है उनको ईनाम दिया है और जिन्‍होंने 5 करोड़ रुपए का घोटाला किया है उसको भी ईनाम मिला है आप पता कर लीजिए.

          श्री तरुण भनोत-- माननीय गोपाल भार्गव जी मुलताई में भी डकैतों के सीने में गोली मारी थी तो फिर चर्चा क्‍यों हो रही है. (व्‍यवधान)

          श्री लक्ष्‍मण सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक प्‍वाइंट ऑफ आर्डर है. मैं एक प्‍वाइंट ऑफ आर्डर रेज कर रहा हूं. गोपाल जी मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है (व्‍यवधान)

          श्री गोपाल भार्गव-- यह उससे रिलेवेंट है, उससे संबंधित है और दस्‍तावेजी सबूत है. इस घटना की बहुत चर्चा हुई थी. (व्‍यवधान)

          श्री लक्ष्‍मण सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय-- गोपाल जी वह प्‍वाइंट ऑफ आर्डर उठा रहे हैं. कोई बात कह रहे हैं तो कहने दीजिए.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पृष्‍ठ संख्‍या 65 अध्‍याय 17 मंत्री परिषद् में अविश्‍वास प्रस्‍ताव और पद त्‍याग करने वाले मंत्री का वक्‍तव्‍य यह जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव है यह मंत्री परिषद् के ऊपर है. अभी तक गृह मंत्री जी ने जो जवाब दिया है वह केवल अपने विभाग का दिया है और वह केवल अपने विभाग का जवाब दे रहे हैं तो एक तरह से यह स्‍वीकार्य है कि उनके विभाग में बहुत गलतियां हैं. गृह मंत्री जी मैं आपसे यह अपेक्षा करता हूं कि आप मंत्री परिषद् के अन्‍य सदस्‍यों के बारे में भी चर्चा करें धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय-- चर्चा करेंगे अभी तो शुरू किया है. 

          डॉ. सीतासरन शर्मा--आप कैसी बात करते हैं वह चर्चा तो मुख्‍यमंत्री जी करेंगे.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब माननीय नेता प्रतिपक्ष जी बोले तब हम लोगों की तरफ से कोई भी माननीय सदस्‍य खड़ा नहीं हुआ और पूरा एक सवा घण्‍टे तक जब तक माननीय नेता प्रतिपक्ष जी बोले हम लोगों ने पूरी शांति से सुना अब हमारे माननीय गृह मंत्री जी बोल रहे हैं तो सभी माननीय सदस्‍यों से आग्रह है आप हमारी बात को सुने. हम भी आपको शांतिपूर्वक सुनेंगे और जब आप बोलें तो आप अपनी बात बोलें. सदन की यह जो एक अच्‍छी परम्‍परा है उसे सब लोग बनाएं रखें तो अच्‍छा होगा नहीं तो किसी की बात फिर हो ही नहीं पाएगी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- वैसे भी जब नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हुए थे तो उस समय सभी चुप थे. केवल एक दो बार उमाकांत जी को छोड़कर बाकी कोई भी खड़ा नहीं हुआ था सबने सुना है तो मेरा सभी से यह आग्रह है कि कम से कम उसको उसी तरह से मेनटेन कीजिए जैसे कि अभी तक हुआ है नरोत्‍तम जी आप अपनी बात कहें.

            डॉ. नरोत्तम मिश्र - लक्ष्मण सिंह जी ने पूरी पढ़ी नहीं और जो पढ़ रहे थे वह भी गलत पढ़ रहे थे.

          श्री लक्ष्मण सिंह -- आप अपने आपको ज्यादा ज्ञानी समझते हो.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं नहीं समझता. अरे कहां राजाओं के आगे प्रजा. कहां आप कहां मैं. मैंने आपका बयान जरुर पढ़ा था जब कमलनाथ जी की सरकार थी कि दस महीने में दस पैसे का काम नहीं किया इस सरकार ने, ऐसी निकम्मी सरकार है. मैं पेपर की कटिंग और तारीख भी लेकर आया हूँ.

          श्री लक्ष्मण सिंह --अपने मंत्रिपरिषद की भी चर्चा करो.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री परिषद् के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव है तो मैंने यह कहा था कि हर विषय पर बात करूंगा. चूंकि मैं गृह मंत्री हूँ और कानून व्यवस्था उसमें एक मुद्दा है जो 19 नंबर पर है नहीं पढ़ा हो तो पढ़ लो.  मैं क्रमांक बता रहा हूँ और इसलिए मैं शुरुआत उससे करूंगा. राजा साहब उस पर क्यों बैचेन होते हो, उस पर भी आता हूँ.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, इसीलिए मैंने गोविन्द सिंह जी से पूछा था कि भिण्ड की छवि शिवराज सिंह जी के आने के बाद से बदली है कि नहीं बदली है. आज मध्यप्रदेश के अन्दर एक भी चिह्नित डाकूओं का गिरोह नहीं है. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री रविन्द्र सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, इसमें गृह मंत्री जी मेरा निवेदन है कि चंबल में जो डाकू, बदमाश बागी हुए हैं, संचार मीडिया आदरणीय राजीव गांधी जी की देन है, तब यह खत्म हुआ है.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, राजीव गाँधी, जिनके कार्यकाल में डाकू जेल से भाग गए हों. रामबाबू गडरिया, दयाराम गडरिया जेल से भागे थे तब दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी. जेल से भागकर उन्होंने अपराध घटित किए थे. वे अब राहुल गाँधी और राजीव गाँधी पर पहुंच गए. अब मैं राहुल गाँधी पर कुछ बोलूंगा तो कहेंगे कि उनका नाम मत लो फिर वे कोई रूलिंग दिखाएंगे. फिर वे दूसरी किताब लेकर खड़े हो जाएंगे. मैं सिर्फ यह कह रहा हूँ कि मध्यप्रदेश की स्थिति आप देखिए. वह इलाका जो वहां से होता हुआ विन्ध्य तक आता था. जहां पर ददुआ और ठोकिया जैसे गैंग होते थे, अध्यक्ष जी जहां से आप आते हैं. आप विन्ध्य से लेकर मुरैना, भिण्ड तक चले जाएंगे एक भी इनामी गैंग नहीं है. हम यदि बालाघाट इलाके में आते हैं जहां नक्सलियों का आतंक हुआ करता था उस इलाके में अब एक नक्सली वारदात नहीं है. वे पहले घर में खुसकर मारते थे अब हम उनको घर में घुसकर मार रहे हैं. यह उलटा-पलटा करके हमने उनको दिया है. यदि हम इस तरफ मालवा के अंचलों पर आ जाएंगे तो यह सिमी का नेटवर्क ऐसा फैला हुआ था इस मध्यप्रदेश के अंदर और कांग्रेस की सरकार थी. झिरिन्या के जंगलों में सूखा कुआं पूरा हथियारों से भरा हुआ मिला था. कुँआ पानी से भरा हुआ नहीं मिलता था. उस सिमी के नेटवर्क को मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार आने के बाद में ध्वस्त कर दिया गया. (मेजों की थपथपाहट).

          अध्यक्ष महोदय, न आज सिमी है न नक्सलाइट है और न डाकू हैं. मध्यप्रदेश को शांति का टापू बनाकर हमने उभारने की कोशिश की है. जितने भी चिह्नित और संगठित अपराध थे जो इन 15 महीनों में कांग्रेस की सरकार में पनप गए थे हमारे आते ही उन माफियाओं के ऊपर बुलडोजर चलना प्रारंभ हो गया. मध्यप्रदेश की इस धरती से माफिया को नेस्तनाबूद कर दिया. 21 हजार एकड़ भूमि, 15 हजार करोड़ रुपए की छुड़ाकर गरीबों के आवास बनाने का काम किया जा रहा है. यह काम होता है जनता के दिल जीतने का.

          अध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह जी ने अपना भाषण चालू किया और उन्होंने शिवराज सिंह जी जो बात पांव में चक्कर वाली बात बोलते रहते हैं वह बोली. आपके जो नेता है, अध्यक्ष हैं जितना पूरे एक साल में घूमते हैं न उतना एक सप्ताह में शिवराज सिंह जी पूरे मध्यप्रदेश में घूमते हैं. (मेजों की थपथपाहट) मैं ऐसे ही नहीं कह रहा हूँ, रिकार्ड देखना. जनता से सीधा संवाद.

          डॉ. गोविन्द सिंह -- वे उड़न खटोला से उड़ते हैं.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं जनता से संवाद की बात कर रहा हूँ. वो उड़ते हैं दिल्ली से भोपाल. दिल्ली से मुम्बई, भोपाल से मुम्बई. शिवराज सिंह जी मध्यप्रदेश के अन्दर बालाघाट, मण्डला, जबलपुर, ग्वालियर, भिण्ड सभी जगह जाते हैं पूरे मध्यप्रदेश के अन्दर उनके पांव का चक्कर लगता रहता है. ओला पड़ जाए, पाला पड़ जाए, सूखा पड़ जाए तत्काल पहुंच जाते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके नेता की तरह नहीं हैं कि मुख्यमंत्री थे, पांचवे फ्लोर पर बैठे थे. गणेश विसर्जन में भोपाल के अंदर 11 बच्‍चे तालाब में डूबकर मर गये. ऊपर से उतरकर नीचे नहीं आए. भोपाल के अंदर कोहराम हो गया. मुख्‍यमंत्री न होते, तो कोई बात न थी. एक वो मुख्‍यमंत्री थे, एक यह मुख्‍यमंत्री हैं कि उत्‍तराखंड में बस खाई के अंदर गिरी 8 बजे, 9 बजे समाचार आया , 10 बजे हमारा मुख्‍यमंत्री स्‍टेट हैंगर पर पूरे दल-बल के साथ है, 11 बजे उत्‍तराखंड में है, 12 बजे घायलों के बीच में है. यह तुलना होती है. क्‍या खाकर आप बात कर रहे हो. अगर मैं गलत कह रहा हॅूं तो कोई और उठे और यह बताए माननीय अध्‍यक्ष महोदय कि दुख के वक्‍त, पीड़ा के वक्‍त काम.....

          श्री पी.सी.शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, 11 बच्‍चों के समय आपने भी ..(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. यह गलत है...(व्‍यवधान)...

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- शर्मा जी, बैठ जाओ. सुन लो. सुनने की क्षमता रखो....(व्‍यवधान)..  

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय...

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, मैं आपको एलाऊ नहीं कर रहा हॅूं. बिल्‍कुल नहीं करूंगा. आप बैठ जाइए. इनका नहीं लिखा जाएगा.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- XXX

     अध्‍यक्ष महोदय -- आपका समय आएगा, तो बोलिएगा.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- आपका समय आएगा तो बोलना, अभी सुन लो भई.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, आपके समय में भ्रष्‍टाचार का ताडंव था. अद्भुत बात थी. 165 दिन के अंदर साढे़ चार सौ आईएएस, आईपीएस के ट्रांसफर कर दिये. कहां से फुरसत होगी गरीब के पास जाने की. कहां से फुरसत होगी आपको कमजोर के पास जाने की. कहां से फुरसत होगी आपकी सरकार को, उस 15 महीने की मजलूम के पास जाने की.

          श्री कुणाल चौधरी -- मकवाना जी का भी बता दीजिए कि 6 महीने में क्‍यों कर दिया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठकर कोई नहीं बोलेगा.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- कुणाल भैया, भैयासी सभ्‍यता रख, भव्‍यता बनी रहेगी, नहीं तो दिव्‍यता और जायेगी.

          कॅुंवर विजय शाह -- बता रहे हो या धमका रहे हो. (हंसी)

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- मेरा मित्र है कुणाल.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, ऐसा लग रहा है कि यह शिवराज सिंह जी के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव नहीं, यह कमल नाथ जी के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे भई, अभी आप शुरू तो होने दीजिए.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, यह अविश्‍वास आप लाए हैं किसके खिलाफ लाए हैं यह आप जानो. यह तो लाते समय सोचते. (हंसी) 

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- विपक्ष का कर्तव्‍य है इसलिए हम लाये हैं.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अरे भईया, तो किसके खिलाफ लाये हो, वह आप बताओ न.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- आप तो अपनी सरकार की बात करो, फॉरेस्‍ट के लोग मारे जा रहे हैं, डाकू हमला कर रहे हैं.

हास-परिहास

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष जी, सज्‍जन भाई क्‍या हैं कि यह गोविन्‍द सिंह जी के पीछे पडे़ हैं यह नहीं बन पाए, यह खिन्‍नता है. यह बार-बार उभर कर आती है यह आपकी चोटें हैं. सज्‍जन भाई, मैं जानता हॅूं. दुर्जनता हो गई आपके साथ में.(हंसी)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 165 दिन में साढे़ चार सौ आईएएस, आईपीएस के और 15 महीने के अंदर 15 हजार लोगों के स्‍थानांतरण और ट्रांसफर इस सरकार ने कर दिये. यह सरकार कहां से सुनती और उसका परिणाम क्‍या हुआ. उसका परिणाम हुआ, जब आईटी की रेड पड़ी. जब आईटी की रेड मध्‍यप्रदेश के अंदर पड़ी तो राजेन्‍द्र मिगलानी और अश्‍वनी शर्मा सहित 52 लोगों के घरों के ठिकानों पर रेड पड़ी और 281 करोड़ रूपया बरामद हुआ. आकंठ डूबा भ्रष्‍टाचार में, आकंठ डूबी हुई थी. वल्‍लभ भवन दलालों का अड्डा बना हुआ था और यह बात प्रमाणित हो गई कि किस तरह से इन्‍होंने सरकार चलाई. आदमियों के ट्रांसफरों की बात तो मैंने भी सुनी थी. पुरूष, महिला संवर्ग के ट्रांसफर होते हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 46 कुत्‍तों के ट्रांसफर हो गए. (हंसी) मैं मजाक की बात नहीं कर रहा हॅूं. हंसने को नहीं कह रहा. मेरे पास में स्‍थानांतर के ऑर्डर हैं. अगर कोई बोलेगा तो मैं दूं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- बाला बच्‍चन जी ने आदेश जारी किए थे. (हंसी)

          श्री भावसिंह लोधी -- सरपंचों के भी ट्रासंफर कर दिये थे.(हंसी)

          श्री हरिशंकर खटीक -- आपने सरपंचों के भी ट्रांसफर कर दिये थे.(हंसी)

          श्री बाला बच्‍चन -- आप लगभग ढाई साल से गृह मंत्री हैं उन कुत्‍तों को हाजिर किया क्‍या आपने. आपने उन कुत्‍तों को चिह्नित किया क्‍या...(हंसी)

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- आप तो सिर्फ इतना बता दो कि ट्रांसफर क्‍यों किए उन कुत्‍तों के. उनका क्‍या दोष था.(हंसी)

          श्री बाला बच्‍चन -- आपके 15 साल से ट्रांसफर ...(व्‍यवधान).....

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- आपकी सरकार के खिलाफ भौंक रहे थे.(हंसी)

          श्री बाला बच्‍चन -- हम बोलेंगे, जब आपको बताएंगे. हम बोलेंगे, तब आपको स्‍पष्‍ट करेंगे.(हंसी)

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- मैं प्रणाम करता हूँ बाला भाई आपको, आपके उस आदेश को भी नमन करता हूँ जो आपने निकाला, 46 कुत्‍तों का.

          श्री बाला बच्‍चन -- आप बोल लें, जब हम बोलेंगे तब इसको स्‍पष्‍ट करेंगे कि आपने ढाई साल में क्‍या किया.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- मैं तो कह रहा हूँ कि यह अच्‍छी परंपरा डॉ. गोविन्‍द सिंह जी ने डाली है. हमारे मुख्‍यमंत्री जी का भाषण हो, तब भी आप सब सुनना, पूर्व की भांति पलायन मत करना, यह एक स्‍वस्‍थ परंपरा सर्वदलीय बैठक में माननीय अध्‍यक्ष जी के सामने डॉ. गोविन्‍द सिंह जी ने प्रारंभ की, उस बैठक में सज्‍जन भाई भी थे और एनपी भाई भी उपस्‍थित थे. एक अच्‍छी परंपरा प्रारंभ हुई है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह कहना चाह रहा था कि ट्रांसफरों पर हम किस सीमा तक जा सकते हैं. किस सीमा तक सरकार ट्रांसफरों के अंदर लिप्‍त थी और उस समय मध्‍यप्रदेश का क्‍या हाल हुआ, उसकी तरफ ले जाना चाहता हूँ. अध्‍यक्ष महोदय, अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद थे कि सतना के अंदर दो बच्‍चों का अपहरण हो गया 12 तारीख को, उस समय सदन चल रहा था, सदन में हम चिल्‍ला रहे हैं. लेकिन वे बच्‍चे जिंदा नहीं लौटे. वे लाशें आईं, आप खुद विंध्‍य से आते हैं, आपको मालूम होगा कि क्‍या स्‍थिति थी उस समय, क्‍योंकि धनी धोरी कोई नहीं था, अंधेर नगरी, चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा, यह स्‍थिति उस कांग्रेस सरकार की थी. हमको कहते हैं कि हमने कानून-व्‍यवस्‍था नहीं देखी. सागर के अंदर दलित व्‍यक्‍ति की घर में घुसकर हत्‍या की गई, उसे जिंदा जला दिया गया. कोई सुनने वाला नहीं, सरकार का कोई प्रतिनिधि देखने वाला नहीं. भोपाल के अंदर माननीय शिवराज सिंह चौहान ने जब उस विषय को उठाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सरकार इस तरह से अकर्मण्‍य हो सकती है. यह उस समय पता चला. वर्तमान मुख्‍यमंत्री जो उस समय पूर्व मुख्‍यमंत्री थे, शिवराज सिंह जी चौहान, उस समय उनके घर पर भी गए थे.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ -- नेमावर की घटना भी बता दो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- बहन, जब बोलेगी तो नेमावर की घटना याद दिला देना. आपको कौन रोक सकता है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लॉ एण्‍ड ऑर्डर की स्‍थिति खराब हो क्‍यों रही है. यह भी विचारणीय बिंदु है. ये उत्‍तेजना फैला कौन रहा है, उत्‍तेजक बातें कर कौन रहा है. इस पर हम सबको गंभीरता से सोचना चाहिए. ऐसी भाषा नहीं बोलना चाहिए. मैं नहीं कहता किसी को दुर्जन, सब सज्‍जन हैं. लेकिन सच में राजा पटेरिया जी को ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए थी, जो एक देश के प्रधानमंत्री के बारे में बोली गई है. उसके बाद उसका एक्‍सक्‍यूज क्‍या देते हैं कि मैंने तो हराने के बारे में कहा था, हिंदुस्‍तान की कौन सी डिक्‍शनरी है, कौन सा शब्‍द-कोष है, हिंदी और इंगलिश की, जिसमें हत्‍या का मतलब हराना होता है. क्‍या इस सदन के अंदर कोई बता सकता है. ये लगातार उत्‍तेजना फैलाने का काम क्‍यों इस प्रदेश के अंदर किया जा रहा है. कोई विधायक लूट के केस में फंस जाता है, कोई डीपी पर ऊपर खंबे पर चढ़ जाता है. कोई उनको प्रश्रय दे देता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं नहीं कहता कि इस तरह के उत्‍तेजना फैलाने वाले बयान कोई भी दे. आज देश के अंदर देश की सेना के बारे में अगर इनका नेता कुछ बोलेगा तो मन को पीड़ा होती है. वह पिटाई जैसे शब्‍द का प्रयोग हमारी सेना के बारे में करेगा, इनका नेता अगर बोलेगा, यह बहुत ज्‍यादा असहनीय है. सेना पर सवाल उठाने का काम कांग्रेस क्‍यों करती है, आज तक मैं नहीं पहचान पाया. सर्जिकल स्‍ट्राइक हुई, सेना पर सवाल उठाया गया, एयर स्‍ट्राइक हुई, सेना पर सवाल उठाया गया, आज हमारे वीर, कल्‍पना करो मेरे मित्रों, माइनस टेम्‍प्रेचर में जब मेरा जवान वहां खड़ा रहता है, 45 टेम्‍प्रेचर पर, 48 टेम्‍प्रेचर पर जब वह वहां खड़ा रहता है, अपने परिवार को छोड़कर खड़ा रहता है, अपनी जान को हथेली पर लिए खड़ा रहता है, हम सबकी जानों के लिए वहां खड़ा रहता है, उसके लिए पिटाई जैसे शब्‍द का प्रयोग करना, जितनी निंदा की जाए कांग्रेस की, उतनी कम है. अध्‍यक्ष महोदय, आज यदि जरूरत पड़े तो देश के लिए सरहद पर हम जान लुटाने के लिए तैयार बैठे हुए हैं. लेकिन सेना के खिलाफ इस तरह की बयानबाजी...

          श्री आरिफ मसूद -- माननीय, सेना का आपने कहा, बहुत अच्‍छा लगा...

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइये.

          श्री आरिफ मसूद -- नहीं, अध्‍यक्ष महोदय, एक बात.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, बैठ जाइये.

          श्री आरिफ मसूद -- अध्‍यक्ष महोदय, शब्‍द पर आइये, बहुत प्‍वाइंट की बात है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- सुन लो भाई, सुन लो, आपका समय आए, तब बोलना.

 

            अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं आप लोग बैठ जाइए. इस तरह टोकाटाकी करेंगे तो कैसे काम चलेगा.

          श्री आरिफ मसूद -- अध्‍यक्ष महोदय, जब मेरे ( XXX )  बार-बार, क्‍योंकि आजादी की लड़ाई का इतिहास है. ( XXX

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, अब आप यह गलत बात कर रहे हैं. यह नहीं लिखा जाएगा. ..(व्‍यवधान)...

          आप सब लोग बैठ जाइए मैं इसको अलाऊ नहीं करूंगा. मैं इसको किसी कीमत पर अलाऊ नहीं करूंगा कि जिसकी बात नहीं हुई, उन्‍होंने समाज को कैसे जोड़ दिया. कहीं से बात आई हो तो हमको बताइए.

          ...(व्‍यवधान)..

          श्री आरिफ मसूद -- अध्‍यक्ष महोदय, रोज बयान छपते हैं, रोज कहा जाता है.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- यह समाज की बात करते हैं. यह कहते हैं कि मैं वंदे मातरम नहीं गाऊंगा. यह कौन से समाज की बात कर रहे हैं. यह श्री दिग्विजय सिंह की उपस्थिति में कहते हैं कि मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा. वह सेना के बारे में बताएंगा.

          श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या इतिहास है इस समाज का हम भी जानते हैं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- अध्‍यक्ष जी ने व्‍यवस्‍था दे दी है मंत्री जी. चलने दें. अध्‍यक्ष जी ने शुरू में ही यह संदेश दिया है कि जिस व्‍यक्ति का उल्‍लेख अविश्‍वास प्रस्‍ताव में नहीं है उसका उल्‍लेख नहीं करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सज्‍जन सिंह जी, मैंने नेता प्रतिपक्ष जी से आग्रह किया है.      श्री प्रदीप पटेल -- जब सुनना नहीं था अविश्‍वास क्‍यों लाए भाई.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइए प्रदीप जी, नेता प्रतिपक्ष जी मेरा आग्रह है कि विषयों को ऐसे मुद्दों की तरफ मत ले जाइए. कहीं कोई एक बात नहीं आई वह अचानक कैसे खड़े हो गए. थोड़ा सा रोकिए.

          डॉ. गोविंद सिंह -- नहीं अध्‍यक्ष महोदय, आपसे परमीशन मांगी थी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, परमीशन इसके लिए थोड़ी मांगी थी कि उसमें हम अपना जोड़ देंगे. यह वातावरण खराब करेंगे. जब उसकी चर्चा ही नहीं हुई. चर्चा फौज की हो रही थी.

          श्री तरुण भनोत -- मध्‍यप्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्‍वास आया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अविश्‍वास लाए हैं तो क्‍या उसमें आप समाज जोड़ देंगे.

          श्री तरुण भनोत -- उनको नहीं टोका अविश्‍वास कहां से आया शुरुआत कहां से हुई.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, शुरुआत वहां से नहीं हुई.

          श्री जितु पटवारी -- अध्‍यक्ष महोदय, आपका सम्‍मान है, परंतु निवेदन यह था कि जो रिलेवेंट है...

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- जब सेना की चर्चा हो रही है तो यह बात कहां से आ गई. यह माफी मांगे... (व्‍यवधान)..

          श्री तरुण भनोत -- सेना कहां से आ गई जब अविश्‍वास सरकार के खिलाफ आया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सब लोग बैठ जाइए. ..(व्‍यवधान)...

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- सदन में जो सदस्‍य नहीं है उसका उल्‍लेख क्‍यों किया जा रहा है. अलग-अलग तरीके से नाम लिया जा रहा है.

          एक माननीय सदस्य - माफी मांगो, माफी मांगो.

श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो बोला वह आप रिकॉर्ड में दिखवाइए, उससे समाज का ताल्लुक कहां से आ गया? गृह मंत्री जी ने तो यह शब्द ही नहीं बोला. समाज का ताल्लुक कहां से आया? गृह मंत्री जी ने तो शब्द ही नहीं बोला जिसमें समाज और जाति का ताल्लुक आ गया हो.

एक माननीय सदस्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जिस प्रकार की बात कर रहे हैं यह बात कदापि शोभा नहीं देती है.

नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, जहां तक अविश्वास का प्रश्न है तो सरकार के खिलाफ हमने रखा है. हमने जो मुद्दे उठाए हैं, उन पर सरकार को जवाब देना चाहिए. लेकिन गृह मंत्री विद्वान हैं भाषण में कलाबाज हैं. कम से कम हमने जो गृह विभाग पर आरोप लगाए हैं, हमारे श्री बाला बच्चन जी ने जो बोला हैं उस पर क्रम से आप जवाब देते.

अध्यक्ष महोदय - उसका जवाब देंगे.

डॉ. गोविन्द सिंह - पुरानी बातें, मतलब सरकार आपकी है और आप हम पर आरोप लगा रहे हैं, यह कौन सी नयी परम्परा चालू हो गई. आप पुराने अविश्वास प्रस्ताव देख लीजिए, पुराने अविश्वास प्रस्ताव देख लीजिए जब सत्ता पक्ष पर विपक्ष आरोप लगाता है तो उनका जवाब आप देते हैं लेकिन आप खुद ही पुराने समय यह हो गया, 30 पहले के गड़े मुर्दे आप कब तक रोओगे?

गृह मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- लेटेस्ट बता रहा हूं परसों की. चीन पर बोले हैं.

श्री गोपाल भार्गव - आप अपना भाषण निकलवाओ डॉक्टर साहब. आपने आरोप क्या लगाया है आपको खुद पता नहीं होगा.

डॉ. नरोत्तम मिश्र- आपका आज अद्भुत भाषण था. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहता हूं कि अविश्वास प्रस्ताव के विषय पर ही बोल रहा हूं, जो उन्होंने कहा है कि लॉ एंड आर्डर व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. ध्वस्त क्यों होती है माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्हें क्यों दिखाई देती है, उन कारणों की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहा हूं. बयान आ जाते हैं, हालांकि आप विद्वान हो, आप हमेशा बयान देते हो, ऐसा नहीं है अभी दे रहे हो, जब आपकी सरकार थी, आप सहकारिता मंत्री थे, श्री कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे.

अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, विद्वान शब्द पर जोर क्यों दिया?

डॉ. नरोत्तम मिश्र - मेरा मित्र भी है वह. विद्वता है, वास्तव में विद्वान है. मैंने आज उनका भाषण भी सुना ध्यान से. (श्री गोपाल भार्गव के बैठे बैठे कुछ कहने पर) डॉक्टर ढोर के हैं काहे के हैं, पता नहीं है? माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने उस समय मध्यप्रदेश की जनता से माफी मांगी थी कि हम अवैध माइनिंग रोक नहीं पा रहे हैं. मांगी थी ना गोविन्द सिंह जी? आप असत्य बोलते नहीं हैं. पूरे मध्यप्रदेश की जनता से माफी मांगी थी. माननीय अध्यक्ष महोदय, उस समय इनके मंत्री, एक मंत्री यह सहकारिता के थे, इनके वन मंत्री ने बयान दिया कि सरकार कोई और चला रहा है पर्दे के पीछे से. डोरी कोई और खींच रहा है पर्दे के पीछे से और नाम लेकर उन्होंने कहा कि रेत माफियाओं पर, शराब माफियाओं पर, सज्जन भाई आपके मन की बात बोल रहा हूं ना? रेत माफियाओं पर, शराब माफियाओं पर यह इनका राज है, यह करा रहे हैं मध्यप्रदेश के अंदर.

माननीय अध्यक्ष महोदय, आज की तारीख में मध्यप्रदेश में कोई ऐसे हालत नहीं हैं. हमारी सरकार को कोई पर्दे के पीछे से नहीं चला रहा है. हम सबका एकमात्र नेता शिवराज सिंह चौहान है और वह इतिहास पुरुष है. (मेजों की थपथपाहट) गोविन्द सिंह जी कह रहे थे कि गोल्ड मेडल मिलना चाहिए शिवराज सिंह जी को. हां, शिवराज सिंह जी को गोल्ड मेडल मिलना चाहिए गोविन्द सिंह जी कि मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री अगर कोई रहा तो शिवराज सिंह चौहान रहा. (मेजों की थपथपाहट)

माननीय अध्यक्ष महोदय, आज तक कभी कभी यह ख्याली पुलाव देखते होंगे. एन्टी-इनकमबेंसी और फलांनी इनकमबेंसी और फलांने में हम आ जाएंगे, ध्यान रखना जब तक शिवराज सिंह चौहान है, 20 साल हो गये आपको विपक्ष में, 20 वर्ष से आप वहां बैठे हो और आने वाले 20 साल  आपका कोई पन्ना नहीं पढ़ने वाला है. (मेजों की थपथपाहट) 20 साल में जितने चुनाव हुए, सबमें हमको वोट ज्यादा मिले.

श्री घनश्याम सिंह - हम लोग 4 वर्ष पूर्व आ ही गये थे.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप मेरे दतिया के राजा हो, मैं आपसे क्या कहूं राजा. मैं कह रहा हूं उसको आप सुन लो. मैं आपका जवाब नहीं दूंगा राजा साहब. माननीय अध्यक्ष महोदय, 20 साल में हमको वोट ज्यादा मिले हैं. आपको वोट ज्यादा नहीं मिले. आपकी सीट ज्यादा आ गई थी, परन्तु बहुमत आपको भी नहीं मिला था ध्यान रखना राजा साहब और माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर क्या हुआ, बहुमत नहीं मिला. तो फिर इन्होंने दिल  बीएसपी  का लगाया.  क्यों संजू. फिर इन्होंने  हाथ पैर सपा  के लगाये, क्यों शुक्ला जी. फिर इन्होंने  बाकी फेफड़े जो हैं निर्दलियों के सजाये. कहां गये शेरा भाई.  इन्होंने ऐसे करके  कहीं की ईंट कहीं का  रोड़ा और भानुमती ने कुनबा जोड़ा.

                   श्री कांतिलाल भूरिया--  मिश्र जी, जनता ने जनादेश तो हमको, कांग्रेस  को  ही दिया था, पर आप खरीदकर उधर बैठ गये.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी,  उसके  बाद चुनाव में गये और 62 हजार  से जीते  और ध्यान रखना भूरिया  जी.  ये जनादेश आपको नहीं मिला था.  सिंधिया जी का चेहरा दिखा दिखा कर के  वोट मांगे थे  और भांबरें  बुड्ढे आदमी से  पढ़ा दीं.  चेहरा दिखाया  आपने नौजवान लड़के का, सिंधिया जी के नाम  पर  वोट मांगे   और भांबरें  बुजुर्ग से  पढ़ा दीं.  तो फिर  तो क्या था  कि  इस दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा, कोई  वहां गिरा. ये परखच्चे उड़ गये  कांग्रेस  की सरकार के.   आप गलत मत कहो कि  आपको  बहुमत मिला था. बहुमत  जिसको मिला था,  वह अपने साथ में  आपकी बेवफाई  के कारण..

                   श्री बाला बच्चन --  सिंधिया जी तो खुद ही लोकसभा   चुनाव हार गये और अब आने दीजिये  2023 का  चुनाव. सिंधिया जी का चेहरा  लगाना आप,  फिर देखना आप.

                   श्री तुलसी राम सिलावट--  बच्चन जी, कमलनाथ जी जीते थे क्या.

                   श्री बाला बच्चन --   मध्यप्रदेश की जनता  बैंगलोर वाली घटना भूली नहीं है.  आने दीजिये, असली   बात 2023 के चुनाव में होगी.  वह उप चुनाव थे.  मुगालते में मत रहिये.  उप चुनाव थे, आने दीजिये  2023 का चुनाव.  सिंधिया जी के मुखड़े को भी देख लेंगे  और आप लोगों के चेहरों को भी देख लेंगे.

                   श्री तरुण भनोत --  अब आप किस के चेहरे पर चुनाव लड़ोगे.

                   श्री तुलसी राम सिलावट--  पूरे कमल के चेहरे पर, मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह जी के चेहरे पर  लड़ेंगे.

                   श्री तरुण भनोत -- आपके कुछ मंत्री तो  पुरानी भाजपा अभी से ढूण्डने लगे हैं.  पुरानी भाजपा दिख नहीं रही है.  आप ही  लोगों  से परेशान हैं वे.

..(व्यवधान)..

                   अध्यक्ष  महोदय-- सिलावट जी, तरुण जी, बस सब.  आपस में बहस नहीं करें. इस चर्चा में बोलने वाले सदस्यों  की संख्या काफी अधिक है.  माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि  अनावश्यक टोका-टाकी  न करें  तथा अपना क्रम आने पर ही  अपनी बात रखें,  जिससे  इस प्रस्ताव पर चर्चा  आज पूर्ण  करा सकें और  एक  दूसरी बात यह है कि  एक दूसरे के ऊपर आरोप  नहीं लगायें.  आमने-सामने  देख करके  बात नहीं करें, जो बात करना है,   हमारी तरफ देख करके बात करें.

                   (श्री तरुण भनोत, सदस्य द्वारा बैठे डॉ. नरोत्तम मिश्र जी को समाप्त करने के लिये बोलने पर)

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मेरे बोलने से ज्यादा तो  आप  बोले हैं, टाइम निकाल कर देख लो. समय सीमा देख लो आप.  इसी चक्कर में तो गोविन्द सिंह जी चले गये,  यहां पर ऐसी बातें करते रहते हैं. (श्री तरुण भनोत, सदस्य द्वारा बैठे  बैठे गोविन्द सिंह जी और आप ही  बोलें बस, कहने पर) गोविन्द  सिंह जी को तो नमन है,  वह पूरे दिन बोलें. तो भी हम सुनने को तैयार हैं.  आप तैयार हो.  अपनी तो बोला करो. हमारी तरफ अंगुली करते हो.  एक  अंगुली हमारी तरफ आती है, तीन अंगुलिया  आपकी तरफ जाती हैं. गजब करते हैं ये.  अपनी बिगड़ी  बना ना सके ये  और जमाने   घर के घड़ी  साज हैं ये. (श्री तरुण भनोत, सदस्य द्वारा बैठे  बैठे  आप दोनों की दोस्ती  सदन पर पड़ी  भारी, कहने पर ) मैं तो आपको कह रहा हूं ना, कल भी मैंने आपको कहा था कि  बरनोल भिजवाऊं. इतनी जलन क्यों है हमारी दोस्ती पर.  अध्यक्ष महोदय,  यह अभी गोविन्द सिंह जी ने, हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने  जब भाषण दिया, तो जो इनके कंग्रेस पार्टी के  अध्यक्ष हैं, सदन के सम्मानित सदस्य, कमलनाथ  जी,  जब वे बोलते हैं, तो छिन्दवाड़ा तक सीमित  रहते हैं. गोविन्द सिंह   जी बोले, तो भिण्ड तक ही सीमित  थे.  एक को छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश दिखाई देता है और एक को  भिण्ड मध्यप्रदेश दिखाई देता है.  आज वह थोड़ा सा निकले  और निकलकर पहुंचे चिरायु  अस्पताल पर.  थोड़ा सा वे बाहर निकले. बाहर कुछ झांका उन्होंने.   यह तो उन्होंने  बता दिया कि  1400 अस्वस्थ हुए, 400 लोग काल कवलित हुए. पर यह नहीं बता पाए वह कि 24 हजार लोग ठीक होकर उसी अस्पताल से पूरे मध्यप्रदेश के अंदर गये.  माननीय अध्यक्ष महोदय, वह अस्पताल क्यों करना पड़ा यह मूल बात है जो इन्होंने कहा कि आप सरकारी अस्पताल में दे देते वह इसलिये करना पड़ा क्योंकि जब कोरोना की आहट आई तब कमलनाथजी मुख्यमंत्री थे और उस दो महीने में उन्होंने सिर्फ 2 बैठकें कीं. सिर्फ बैठक, और ज्यादा बैठकें किसकी करीं,आईफा अवार्ड की. जैकलीन के साथ फोटो खिंचवाने के लिये उनके पास वक्त था लेकिन कोरोना के लिये आवश्यक निर्देश देने के लिये वक्त नहीं था वह तो परम पिता परमात्मा की कृपा थी कि शिवराज सिंह जी चौहान आ गये नहीं तो पता नहीं मध्यप्रदेश के अंदर क्या होता. जैसे बाकी के प्रदेशों के चित्र आए थे जैसी स्थिति आई थी वैसी मध्यप्रदेश की होती. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जानते हैं कि कोरोना का जो पहले का दौर था जो लाकडाउन का दौर था और दूसरा जब आया तो भय का काल था. आक्सीजन की कमी, रेमिडेसिविर इंजेक्शन और न जाने कितनी भ्रांतियां उसके अंदर फैली हुई थीं और भय फैला हुआ था. रात-रात भर जागकर मुख्यमंत्री जी ने डम्पर वालों से,टैंकर वालों के ड्राईवर तक से बात करने वाला कोई मुख्यमंत्री था तो वह शिवराज सिंह चौहान था. रात-रात भर जागकर अस्पताल के डाक्टरों से बात करने वाला, पैरामेडिकल स्टॉफ से बात करने वाला, नर्सिंग से बात करने वाला, मरीजों की चिंता, गांव-गरीब, किसान की चिंता करने वाला कोई व्यक्ति इस मध्यप्रदेश में था तो वह शिवराज सिंह चौहान था. इसीलिये हमको डाक्टर साहब चिरायु अस्पताल करना पड़ा था कि नि:शुल्क रहे. अच्छा एक बात बताओ डाक्टर साहब वैक्सीन लग गई आपको.

          डॉ.गोविन्द सिंह - अकेले चिरायु को इतना पैसा क्यो और भी थे.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - आपके वैक्सीन लगी है क्या. सज्जन भाई वैक्सीन लगी है.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा - दो लगी हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - बूस्टर लगा है क्या.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा - वह मोदी जी ने नहीं बनाई वैक्सीन वह साईंटिस्ट ने बनाई.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - बूस्टर डोज लग गई. क्या किसी की चवन्नी खर्च हुई वैक्सीन में. पुराने जमाने में  मैक्सीपोक्स की वैक्सीन आने में 38 साल लगे थे. बुखार की वैक्सीन हिन्दुस्तान में आने में 100 साल लगे थे और कोरोना की वैक्सीन आने में 8 महीने के अंदर. अरे, वैज्ञानिकों ने बनाई, जिसने भी बनाई.

          श्री कमलेश्वर पटेल - देश के वैज्ञानिकों को धन्यवाद दीजिये माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें माननीय शिवराज सिंह जी और मोदी जी का कोई रोल नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय - है क्यों नहीं है. सबका सहयोग है. बैठ जाईये.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - गोविन्द सिंह जी, चिरायु की चर्चा हुई. इनका मतैक्य देखिये आप. अभी कमलनाथ जी ने डाक्टर गोयनका का सम्मान किया पी.सी.सी. में बुलाकर. याद है. आप आज राशन-पानी लेकर पिल बैठे उस पर.

          डॉ.गोविन्द सिंह -  मैंने नहीं कहा था कि कुछ लोगों ने किया दोनों तरफ से.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - इस पर ताली बनती है गोविन्द सिंह जी के लिये.  कमलेश्वर पटेल जी, मैंने प्रधानमंत्री जी का नाम नहीं लिया. इसको बूस्टर डोज कहते हैं. आप लोगों ने वैक्सीन पर सवाल उठाए. आपके नेताओं ने कहा कि इसमें चर्बी  मिली है. एक तो बोला कि यह भा.ज.पा. की वैक्सीन है. मैंने बोला कि यह भा.ज.पा.की वैक्सीन नहीं कोरोना की वैक्सीन है. भा.ज.पा. की वैक्सीन तो अभी 2023 में लगेगी. 5 साल असर रहेगा.

          श्री  कमलेश्वर पटेल - कितनों की मृत्यु हुई और कितने लोगों को राहत राशि मिली हम बताएंगे आप बोलने का मौका दीजियेगा. हम अव्यवस्थाओं का भी बताएंगे.

          अध्यक्ष महोदय - आपका जब नंबर आएगा तब आप बोलना.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -  यह सुनते नहीं है.

            "" सर हो सजदे में और दिल में दगाबाजी रहे,

            ऐसे शहीदों से भला खुदा कब राजी रहे ""

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज मध्‍यप्रदेश की स्थिति इनकी सरकार ने यह बनाई है. होम डिलेवरी करने के लिये शराब नीति ले आये, शराब नीति भी कौन सी वह होम डिलेवरी करेंगे. महिलाओं के लिये अलग से शराब की दुकानें खुलेंगी, यह सोच था आप सबका और हमारे मुख्‍यमंत्री ने एक भी दुकान उसके बाद से मध्‍यप्रदेश में नहीं खुलने दी. इनकी सरकार में डिस्टिलरी को मंजूरी मिली, हमारी सरकार....

          श्री प्रवीण पाठक--  आप इतने साहस के साथ असत्‍य कैसे बोल लेते हैं समझ में नहीं आता.

          श्री तुलसी सिलावट--  तुम्‍हारे समझ में आयेगा भी नहीं.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  आपके समझ में आ रहा है. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय-- नरोत्‍तम जी आप जारी रखें.

          एक माननीय सदस्‍य--  जो लोग बिना चप्‍पलों के पैदल चल रहे हैं थोड़ा उनकी भी चिंता करवा दीजिये मंत्री जी. ...(व्‍यवधान)...

          श्रीमती सुनीता पटेल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे मध्‍यप्रदेश की महिलायें प्रताडि़त हो रही हैं, गांव-गांव में दूध के डिब्‍बों में शराब जा रही है, आपकी उमा भारती जी भी कह रही हैं. सबसे ज्‍यादा शराब की दुकानें स्‍कूल के सामने, मंदिर के सामने. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप बैठ जाइये, जब आपका नंबर आयेगा तब बोलियेगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसी भी सरकार की आलोचना करने का स्‍तर इतना नीचे जा सकता है विपक्ष का यह मेरी कल्‍पना नहीं थी. अब आप देखिये किसकी आलोचना की जा रही है इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव में ''महाकाल लोक की'' वह काम किया कि एक लाख सैलानी रोज आता हैं उज्‍जैन के अंदर और अकेला वह नहीं है पूरा बेल्‍ट उन धार्मिक धर्मावलंबियों से पटा पड़ा है ओंकारेश्‍वर से महांकालेश्‍वर तक का, उसकी आलोचना. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सिंहस्‍थ की आलोचना, अरे हमारे त्‍योहारों की आलोचना करते हो. (श्री सज्‍जन सिंह वर्मा के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) अरे है आपके आरोप पत्र में पढ़कर गिनाऊं आपको कि कहां है, आप खुद पढ़ लो, महाकाल लोक.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  आपके भ्रष्‍टाचार की आलोचना है जो आपने किया है उसकी बता रहा हूं, मंदिर में भी भ्रष्‍टाचार.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसी कांग्रेस के नेता ने इसके बारे में आलोचना की है क्‍या, कोई आपके पास ऑन रिकार्ड हो तो बतायें, इस तरह से असत्‍य बोलकर क्‍यों भ्रम फैला रहे हो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- ऑन रिकार्ड नहीं कह रहा सज्‍जन भाई, पढ़ने-लिखने की आदत तुमको है नहीं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- मैं रोज पढ़ता हूं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- देना लिस्‍ट जरा मैं आपको बता देता हूं इन्‍होंने महाकाल लोक कहां पर लिखा है, आपके अविश्‍वास में है, ऑन रिकॉर्ड है जो आपने सदन को दिया है. मैं फिर कह रहा हूं कि मैं जो बात बोलूंगा ऑन रिकार्ड बोलूंगा, एक भी बात रिकॉर्ड से हटकर नहीं बोलूंगा.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  डॉ. साहब ने जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव दिया है उसमें लिखा होगा तो मैं अभी इस्‍तीफा दिला दूंगा. ...(व्‍यवधान)...

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  सज्‍जन भाई आप तो यही चाह रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह 12 नंबर पर लिखा हुआ है अब इस्‍तीफा दिलवाओ, या माफी मांगे. ...(व्‍यवधान)...

          एक माननीय सदस्‍य-- महाकाल लोक में भ्रष्‍टाचार हुआ है ...(व्‍यवधान)...

          श्री प्रियव्रत सिंह--  आपका भ्रष्‍टाचार बाबा महाकाल तो देख रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  प्रियव्रत सिंह जी, आपका नाम आयेगा, आपका नाम लिस्‍ट में है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  सज्‍जन भाई, 12 नंबर पर है ...(व्‍यवधान)...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  आपने भगवान को भी नहीं छोड़ा, उसका उल्‍लेख नहीं करें, पैसा हम दें, भ्रष्‍टाचार तुम करो.

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  सज्‍जन सिंह जी, जहां तक आप कह रहे हो न ऐसे ही भ्रष्‍टाचार के आरोप आपने सिंहस्‍थ पर भी लगाये थे. यहां हाथ मटका-मटका के कप प्‍लेट इतने का इतने का, देखो जब धर्मात्‍मा राज करते हैं न तो परमात्‍मा मदद करते हैं, परमात्‍मा मदद करते हैं( मेजों की थपथपाहट) सिंहस्‍थ का क्‍या परिणाम  हुआ था, सिंहस्‍थ का यह परिणाम हुआ है कि बीस साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही है, ( मेजों की थपथपाहट)    माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दस साल से लोकसभा के अंदर नेता प्रतिपक्ष नहीं है और मैं आपके सामने आज वचन दे रहा हूं कि वर्ष 2023 में यहां पर नेता प्रतिपक्ष बनाने लायक लोग नहीं आयेंगे, जैसे गुजरात में आया है न परिणाम, नेता प्रतिपक्ष बनाने वाले लोग नहीं आये हैं, जिस तरह से आप महाकाल लोक का अपमान कर रहे हो, बाबा महाकाल माफ करने वाले नहीं है.(डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ, सदस्‍या द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) बहन बैठे-बैठे नहीं बोलते हैं, बहन बहुत सीनियर हैं मेरी बैठे-बैठे नहीं बोलते हैं.

नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्‍द सिंह) -- मैंने महाकाल लोक नहीं, आपने 1 करोड़ 20 लाख रूपये का जो भ्रष्‍टाचार किया है उसका उल्‍लेख किया है, पढ़ लो जरा, आपको किताब दे दें काय पर आरोप लगाये हैं, आपके ऊपर लगाये हैं, मंदिर के नाम पर कलंक किया है.

श्री जितू पटवारी -- महाकाल को भी नहीं छोड़ा है.

डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- हमको जलता देखने वालों फूंस का छप्‍पर आपका है और आपके पीछे तेज हवा है आगे मुकद्दर आपका है (हंसी..) (श्री तरूण भनोत, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) हम तो अपने कार्यकर्ताओं का, प्रदेश की जनता की सेवा में लगे हैं बोस, आपने क्‍या किया था 15 महीने में मैंने बताया है, उसका जवाब देना, मेरे बाद जो भी बोले उसका जवाब देना.

डॉ.गोविन्‍द सिंह -- मुख्‍यमंत्री जी के लिये भी समय देना है या यही बोलते रहेंगे नरोत्‍तम जी, अब समय इनका हो गया है.

डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- मेरे समय से ज्‍यादा आपने गोविन्‍द सिंह जी समय लिया है, आप निकाल लो समय.

डॉ. गोविन्‍द सिंह -- हम मुख्‍यमंत्री जी के टक्‍कर के हैं, आप हमारे टक्‍कर के नहीं हो (हंसी)..

डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- आज जो सज्‍जन भाई ने आपसे इस्‍तीफा मांगा है, उस पर आप क्‍या कह रहे हो ?यह बताओ पहले. (डॉ. गोविन्‍द सिंह, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) गोविन्‍द सिंह जी खड़े होकर माईक से बोलो. इस्‍तीफा मांगा हैं उन्‍होंने रिकार्ड देख लो.

डॉ.गोविन्‍द सिंह -- इस्‍तीफा मांग रहा है तो लिखकर दे दूंगा(हंसी).

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- नरोत्‍तम भाई हमें उन पर इतना विश्‍वास है कि यदि सज्‍जन वर्मा बोलें तो एक मि‍नट में वह इस्‍तीफा लिख सकते हैं, लेकिन आपके असत्‍य बयानों पर इस्‍तीफा थोड़े, वो तो एक दिन मेरा साथी मुख्‍यमंत्री बनेगा भाई. (हंसी).

डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धोखे की इंतहा, इस सदन में किसान कर्ज माफी की रोज चर्चा होती है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस प्रदेश के अंदर जो मूल विषय है उससे भटकाने के लिये इन्‍होंने अपने राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष से, प्रदेश अध्‍यक्ष से बुलवाया कि दस दिन के अंदर दो लाख रूपये का कर्जा हम किसान का माफ कर देंगे. मैं घोषणा पत्र इनका लेकर आया हूं जिसमें दस दिन के अंदर इन्‍होंने,   जख्‍म ताजा और हरा इसलिये हो गया है कि अभी परसों के दिन श्री कमलनाथ जी ने उस आर्डर का ट्वीट किया है, उस आर्डर को लगाया, माननीय अध्‍यक्ष महोदय धारा 420 का केस बनता है. एक आदमी का दो लाख का कर्जा माफ हुआ है, तो एक भी अगर यहां बैठा हुआ आदमी बता देगा तो इन्‍होंने गोविन्‍द सिंह से इस्‍तीफा लिया हो कि नहीं लिया हुआ हो, मैं इस्‍तीफा दूंगा, एक आदमी दो लाख रूपये का बता दें.(व्‍यवधान)..

श्री जितू पटवारी -- जितने ए.एम.यू. किसान थे, उन सबके दो लाख रूपये माफ किये हैं. .(व्‍यवधान). हमने लिस्‍ट मांगी तो आपने नहीं दी, दस बार लिस्‍ट मांगी सरकार दे नहीं पाई, जितने ए.एम.यू. किसान थे .(व्‍यवधान).

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- आपके मंत्री का जवाब है, सदन में दिये गये जवाब की कापी है, इस सदन में कमल पटेल ने जवाब दिया है कि 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ है, साढ़े 11 हजार करोड़ रूपये का कर्जा, इतन असत्‍य मत बोलो नरोत्‍तम भाई की प्रदेश की जनता शर्मा जाये. .(व्‍यवधान).

एक माननीय सदस्‍य -- सबसे पहले कमल पटेल से इस्‍तीफा ले लो. (व्‍यवधान).

श्री प्रियव्रत सिंह -- आप तो केस रजिस्‍टर्ड कर लो, अगर केस बनता है तो केस रजिस्‍टर्ड क्‍यों नहीं करते हो. (व्‍यवधान).

एक माननीय सदस्‍य -- एक आदमी का दो लाख रूपये का कर्जा माफ किया है. (व्‍यवधान).

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री प्रियव्रत सिंह जी बैठ जायें.

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- केस रजिस्‍टर्ड करेंगे तो.  फिर आप कहोगे की राजनीतिक प्रतिशोध से काम कर रहे हैं (श्री पी.सी.शर्मा, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) नहीं यह काम आप लोगों का था, आपका था, हमारा नहीं था. आपकी सरकार ने हमको सिखाया है, आपकी सरकार ने कमलनाथ जी ने सिखाया है, मेरे स्‍वयं के 18 लोग जेल में थे, बुलडोजर चलाया. मैंने गोविन्‍द सिंह जी से निवेदन किया, तब मंत्री थे और मेरे मित्र थे, मैंने इनके हाथ जोड़े कि मेरे मित्र का होटल मत तोड़ो, ये भी नहीं माने मेरी मित्रता को बिल्‍कुल मैं दुहाई देता रहा, मैं दुहाई देता रहा बुलडोजर चला दिया, पांच मंजिल के ऊपर. हमारे पाठक जी बैठे हैं क्‍या, इन पाठक  जी के रिसार्ट पर बुलडोजर चला दिया. श्री भूपेन्‍द्र सिंह जी पर, श्री विश्‍वास सारंग पर केस लगा दिये. कुँवर विजय शाह पर लगा दिए, डॉ. अरविन्‍द सिंह भदौरिया को लास्‍ट में धमकियां जा रही थीं. वहां पर भिण्‍ड में इनके घर आपकी पुलिस पहुँच गई थी और कमाल यह नहीं है कि आपने केस लगा दिए. चलो, खैर आपका उजड़ता हुआ आशियाना था.

          अध्‍यक्ष महोदय - तरुण भनोत जी, मैं विश्‍वस्‍त करता हूँ, सबको विश्‍वास दिलाता हूँ कि हमारे इस कैम्‍पस के अन्‍दर पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है. मैं यह विश्‍वास दिलाता हूँ.

          श्री तरुण भनोत - वह कह रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - वह कुछ कहते रहें. मैं नहीं करने दूँगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - मैंने कभी बन्‍द करने का नहीं कहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय - इसीलिए मैंने उनको स्‍पष्‍टीकरण दिया है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष महोदय, यह बूढ़ा हो गया, फिर भी नाम तरुण है तो अपने आपको तरुण समझता है. (हंसी) (तरुण भनोत जी के बैठे-बैठे बिना माइक के कुछ बोलने पर) वह तो रंगाई-पुताई है, कमलनाथ जी को कभी नहीं कहा, 78 वर्ष पर कभी नहीं कहा (हंसी). अगल-बगल में तो देखते ही नहीं है, सामने ही देखे जा रहे हो. सामने देखते रहते हो, इसलिए तो परखच्‍चे ओढ़ लेते हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने इसलिए आप सबसे प्रार्थना की है कि इस प्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार, एकमात्र ऐसी सरकार है. इन्‍होंने कुल दो-दो हजार, एक-एक हजार का सहकारिता वाला जो माफ किया था, जिसको रोज कहते हैं कि तुमने कहा था कि सोलह हजार रुपए के हो गए, छ: हजार रुपये के हो गए, दो हजार पर सेहरा बांधने की कोशिश कर रहे हैं. दो लाख रुपये की कहकर, अध्‍यक्ष महोदय, इनने तो किया होगा इतना. ये आज भी कह रहे थे कि खजाना खाली था, खजाना खाली है, खजाना खाली है. हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने उस खाली खजाने में कोरोना के लॉकडाउन में इसमें 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर का पैसा किसानों के खातों में अलग-अलग राशियों की मध्‍यप्रदेश के अन्‍दर पहुँचा दी. यह होती है सरकार. एक दिन नहीं कहा कि खजाना खाली है (मेजों की थपथपाहट) अलग-अलग योजनाओं में, बीमा का पैसा अलग योजना में हमने किसानों को दिया, इन्‍होंने तो गरीबों की संबल जैसी योजना बन्‍द कर दी, इन्‍होंने मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बन्‍द कर दी.     

          श्री पी.सी.शर्मा - यह गलत है, गलत मत बोलो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अरे भाई, एक रेल को झण्‍डी दिखा आये, तो कहने लगे कि हल्‍दी की गांठ मिल गई तो पन्‍सारी की दुकान खोलेगा क्‍या ?

          श्री पी.सी.शर्मा - तुम्‍हारे 2 वर्ष में 4 गई हैं, यहां उस समय 25 गई थीं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बस वहां जाकर एक को झण्‍डी दिखा आये और कह रहे हैं कि गलत है, गलत है, गलत है. हमें भी मालूम है. हम भी सदन में ही सदस्‍य थे न पी.सी. भाई. आपके छोटे भाई हैं, ऐसा क्‍यों कर रहे हो ? (हंसी)

          कुँवर विजय शाह - शादी-ब्‍याह के पैसे आज तक नहीं मिले.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 51,000 रुपये की असत्‍य घोषणा. 15 महीने में एक व्‍यक्ति को भी 51,000 रुपये दिये हों तो बताना, नौजवान को बेरोजगारी भत्‍ता 4,000 रुपये महीना दिया जायेगा. मैं तो आप लोगों की तारीफ करूँगा और वहीं आकर माला पहनाऊँगा. आप एक नाम भी लेकर बताना, जिसको आपने मध्‍यप्रदेश के अन्‍दर 4,000 रुपये महीना बेरोजगारी भत्‍ता दिया हो. यह होता है असत्‍य, यह होती है चार सौ बीसी. यह होती है जनता के साथ बेईमानी. यह होता है जनता के साथ छल, यह होता है जनता के साथ कपट.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब कह रहे हैं कि नया घोषणा-पत्र बनायेंगे. नया घोषणा-पत्र क्‍यों बनाना ? उसी में तारीख बदल दो न. उसमें नई तारीख डाल दो, उसमें वही का वही तो है, अरे वचन-पत्र मान लो भाई. कुछ तो मानो सज्‍जन भाई. मैं आपकी सज्‍जनता का कायल हूँ. आप गजब के सज्‍जन हैं. जब सरकार बन गई तो दूसरी विज्ञप्ति निकाल दी कि बच्‍चे अब ढोर चराएंगे या ढोल बजाएंगे (हंसी). यह जवाब होता है, माननीय अध्‍यक्ष महोदय. यह तरीका है, जनता के साथ छल करने का.

          श्री पी.सी.शर्मा - पकोड़े बनाएंगे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अरे हुजूर, वह भी एक रोजगार है और रोजगार देने का काम कर रहे हैं शिवराज सिंह चौहान. जिन्‍होंने एक लाख से ऊपर नौकरियां निकाल दीं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आप सबको वीर मानूँगा. अगर 15 महीने में एक सरकारी नौकरी का विज्ञापन भी दिखा दोगे, एक विज्ञापन भी दिखा दोगे. मैं वहां पर आकर आपकी पीठ ठोकूँगा, आपको माला पहनाऊँगा, अभिनन्‍दन करूँगा और यह शिवराज सिंह चौहान हैं, जिन्‍होंने 83,000 लोगों को रोजगार की विज्ञप्ति निकाल दी, रोजगार दे दिया, 6,000 पुलिस की भर्ती हो गई, 7,000 की विज्ञप्ति निकल गई, शिक्षकों की भर्ती हो गई. उनको नियुक्ति-पत्र देकर, नई विज्ञप्ति निकाल दी और हम आने वाले फरवरी-मार्च तक 1 लाख से ऊपर रोजगार देंगे. यह काम होता है. आप तो सिर्फ एक विज्ञप्ति दिखा देना, जो आपके 15 महीने में निकली हो.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐसी सरकार कभी नहीं चली, चूँकि बाद का कार्यक्रम है, मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूँ.       

          श्री तरुण भनोत(जबलपुर) -  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इस सरकार के प्रति अपना अविश्‍वास प्रकट करता हूं. बहुत सारे विषय हैं, और उस पर चर्चा हो रही है और होगी भी. सर्वप्रथम तो मैं इस सदन के माध्‍यम से माननीय हमारे ज्ञानी गृह मंत्री जी लॉ एंड आर्डर के ऊपर बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे और अपनी पीठ थपथपा रहे थे, जो इनका लंबा शासन काल है. मैं आज इस सदन को याद दिलाना चाहता हूं, 2009 बैच के उस आफिसर की, नरेन्‍द्र कुमार जी की, जिनकी नृशंस हत्‍या इसी सरकार के राज में हुई थी और रेत माफिया के द्वारा की गई थी. मुझे आज उज्‍जैन के प्रोफेसर सभरवाल भी याद आ रहे हैं, जिनको पीट पीटकर मौत के घाट उतार डाला था. तो किस प्रकार की कानून व्‍यवस्‍था और ये कौन सी पीठ थपथपा रहे थे. मैं उन्‍हें आज पुन: श्रद्धांजलि देना चाहता हूं इस सदन के माध्‍यम से जिन्‍होंने गैलेक्‍सी अस्‍पताल में कोरोना काल में जबलपुर में 8 लोग ऑक्‍सीजन की कमी से तड़प-तड़पकर मर गए थे. आज मैं चाहता हूं कि ये सदन पुन: उन सदस्‍यों को, परिवार के लोगों को ढांढस बंधाए और श्रृद्धांजलि दे. मैं याद दिलाना चाहता हूं कोविड काल में हम सब प्रयास कर रहे थे, वह एक ऐसी घटना थी, सरकार के साथ कंधा मिलाकर काम करने का प्रयास कर रहे थे और जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में, जबलपुर के सैन्‍य अस्‍पताल में आक्‍सीजन खत्‍म हो गई थी, सरकार की ऑक्‍सीजन नहीं पहुंची थी, उसके पहले 18-18 टन के दो ऑक्‍सीजन के टैंकर हम लोग स्‍वयं वहां पर लेकर गए, जिसमें किसी प्रकार का कोई शुल्‍क सरकार से नहीं लिया गया और जो लोग मौत के गाल में जा रहे थे, उनकी जान बचाई गई.

          आप अपनी पीठ थपथपा रहे, जो पैदल हजारो प्रवासी मजदूर चलकर नंगे पांव आ रहे थे, जिनके पैरों में छाले पड़ गए थे, माननीय विद्वान गृहमंत्री जी के मुख से एक शब्‍द भी उनके बारे में नहीं निकला. मुझे बड़ा आश्‍चर्य हुआ. इसीलिए मैं इस सरकार के प्रति अविश्‍वास प्रकट करता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, चाहे हमारा परिवार हो, चाहे हमारा व्‍यापार हो, चाहे किसी भी राज्‍य की और केन्‍द्र की सरकार हो, वह तब चल सकती है, जब उसका वित्‍तीय प्रबंधन बेहतर हो.

 

 

2:43 बजे       सभापति महोदय(श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए.

        श्री तरुण भनोत - सभापति महोदय, हमारे माननीय गृहमंत्री जी बहुत बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे. मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि 2003 तक मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. 2004 में आप सत्‍ता में आए, जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और अविभाजित मध्‍यप्रदेश था, तो इस पूरे प्रदेश के ऊपर कुल 26 हजार करोड़ रूपए का लोन था. थपथपाईए अपनी पीठ कि आपने आज मध्‍यप्रदेश की वित्‍तीय स्थिति की ये हालत कर दी कि आज हमारे ऊपर साढ़े तीन लाख करोड़ रूपए का कर्जा चढ़ा है और, उस कर्जे के साथ जितना लोन कुल मध्‍यप्रदेश और छत्‍तीसगढ़ के ऊपर था, उससे ज्‍यादा आप प्रतिवर्ष ब्‍याज भर रहे हैं, क्‍या इसका श्रेय लेंगे. कहेंगे कि आपने मध्‍यप्रदेश को हिन्‍दुस्‍तान के सबसे ज्‍यादा कर्जदार प्रदेशों में से एक बना दिया और मैं पूछना चाहता हूं साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्जा चढ़ गया, स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश तो नहीं बना, किसानों की आय तो दोगुनी नहीं हुई, यहां से मजदूर पलायन कर रहे हैं, बेरोजगार सबसे ज्‍यादा मध्‍यप्रदेश में बढ़ गए, महंगाई सबसे ज्‍यादा मध्‍यप्रदेश में है, सबसे महंगा पेट्रोल और डीजल मध्‍यप्रदेश में मिलता है तो ये कर्जे का जो पैसा लिया. आप बड़े बड़े डकैतों की बात कर रहे थे, कहीं गड़रिया की बात कर रहे थे, कहीं किसी को याद कर रहे थे. मैं तो यह कहना चाहता हूं कि वे सारे डकैत तो खत्‍म हो गए, पर बहुत सारे सफेदपोश डकैत भोपाल के अंदर बैठ गए, जो मध्‍यप्रदेश के खजाने को लूट रहे हैं, यहां की जनता की चिंता नहीं कर रहे हैं, न किसान की चिंता कर रहे हैं, न मजदूर की चिंता कर रहे हैं, न हमारे बेरोजगारों की चिंता कर रहे हैं, न हमारी माताएं बहनें जो महंगाई से परेशान है, उनकी चिंता कर रहे हैं. सभापति महोदय, हम जानना चाहते हैं, ये पैसा गया कहां?

          श्री संजय सत्‍येन्‍द्र पाठक - सब इन्‍हीं के पास है.

          श्री तरुण भनोत - पाठक जी, आप तो बिल्‍कुल न बोले, मेरे पास आज के बहुत सारे बयान पड़े हैं जो उस तरफ के साथियों ने आपके ऊपर लगाए हैं. रिकार्ड के ऊपर, इसलिए आप तो बिल्‍कुल न बोले. आप जानते हैं मैं आपका शुभचिंतक हूं.

          सभापति महोदय - तरुण जी, आपस में चर्चा न करें, सीधे चले.

          श्री तरुण भनोत -  सभापति महोदय, कर्जा मध्यप्रदेश में चढ़ गया. बेराजगारी दूर नहीं हुई, किसानों की आय नहीं बढ़ी. क्या मध्यप्रदेश की सरकार यह अनुसरण करेगी. राजस्थान की सरकार ने तीन दिन पहले यह निर्णय लिया हम बीपीएल में आने वाले लोगों को पांच सौ रूपये में गैस सेलेण्डर देंगे. अगर आप यह घोषणा आप सदन में खड़े होकर के करते हैं तो हमको आपके प्रति अविश्वास नहीं होता. हम यह मानते कि यह सरकार गरीबों, मजदूरों, किसानों के लिये काम कर रही है. माननीय वित्तमंत्री जी सदन में खड़े होकर यह स्वीकार करेंगे कि जितना कर्जा आपके ऊपर है.

          वित्तमंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)--सभापति महोदय, सारे काम आज जो मध्यप्रदेश में दिख रहे हैं यह काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार में ही हैं. हमने कर्जा लेकर के घी नहीं पिया. कर्जा लेकर तालाब, स्टापडेम तथा सड़कें बनायीं आपने घी पिया. आपने 15 महीने के शासनकाल में एक ईंट विकास की लगाई हो तो बताओ. यह राजस्थान का कर्जा 4 लाख 12 हजार 4 सौ 81 रूपये.

          श्री तरूण भनोत-- सभापति महोदय,आपका जब मंत्री जी मौका आयेगा तो आप इसमें जवाब दे देना. आप कागज में लिखिये जो जो मैं कह रहा हूं. या आप मंत्री पद से इस्तीफा दें या मैं इस सदन से सदस्य के रूप में इस्तीफा दूंगा. मैं इनको चेलेंज करता हूं कि यह अगर कह दें कि कांग्रेस की सरकार में 27 लाख किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ था. यह आन रिकार्ड पेश कर दें.अगर यह नहीं कह रहे हैं यह इस्तीफा दे दें. या आपको मैं सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे देता हूं. दोनों को जो सही हो उसको आप स्वीकार कर लें. माननीय कमलानाथ जी की सरकार में सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 300 रूपये से बढ़ाकर 600 रूपये कर दिया इसको वित्तमंत्री जी लिख लीजियेगा. मुझे बड़ा आश्चर्य होता है इस सरकार के ऊपर, इसकी कार्यप्रणाली के ऊपर मैं इसलिये अविश्वास प्रकट करता हूं कि सबसे सस्ती बिजली मध्यप्रदेश में बनती है. हमारे यहां पर हॉइडल का बहुत बड़ा उत्पादन भी है. उसके बाद तीन रूपये में मिलने वाली बिजली हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा महंगे दरों पर हमारी जनता को 9 रूपये में बेचते हैं उसके बाद भी घाटा है. वित्तमंत्री जी अपने जवाब में जरूर बताएगा. जब आप जवाब दें दिल्ली में, हरियाणा में, राजस्थान में बिजली का क्या रेट है और मध्यप्रदेश में क्या रेट है. उसके बाद आपकी डिस्काम कम्पनियां घाटे में चल रही हैं इसका दोषी कौन हैं ? अभी मैंने साढ़े तीन हजार रूपये के कर्जे की बात की उसके अलावा मध्यप्रदेश सरकार की विभिन्न डिस्काम कम्पनियां हैं, नगरीय निकाय हैं, अन्य संस्थाएं हैं जब वह कर्जा लेती हैं तो उसकी भी प्रतिभूति माननीय वित्तमंत्री जी आपके दस्तखत से दी जाती है. आप उस कर्जे का भी ब्यौरा दीजिये. आप 25 हजार करोड़ रूपये सालाना कर्ज की अदायगी में दे रहे हैं. ब्याज और रिफण्ड भी कर रहे हैं उसमें 50 हजार करोड़ रूपया आप किश्तों का कर्ज का दे रहे हैं . आप मध्यप्रदेश के विकास के कार्यों में कौन सा पैसा खर्च कर रहे हैं. मैं इसलिये आपके ऊपर अविश्वास प्रकट करता हूं. आज तक उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत बहुत सारे छात्र छात्राएं ऐसी हैं जिनका भविष्य खतरे में पड़ा हुआ है उनको आगे एडमीशन नहीं मिल रही हैं. क्योंकि उनकी छात्रवृत्ति की राशि आपकी सरकार के द्वारा जमा नहीं की गई. क्या इसके लिये अपनी पीठ तथा मेज थपथपाएंगे. हजारों लाखों छात्रों का भविष्य आपने अंधकारमय कर दिया.

          माननीय सभापति महोदय, इसी सदन में कल मेरा एक प्रश्‍न लगा था, प्रश्‍न क्रमांक-77 स्‍कूल शिक्षा से संबंधित था,उसमें मैंने ज्ञानी मंत्री जी से पूछा था कि आप यह बतायें की कोरोना काल के बाद में कितने बच्‍चे स्‍कूल से डॉप आउट हो गये, उसकी गलत संख्‍या बतायी गयी, मैं उसको लाऊंगा और उसके जवाब में क्‍या लिखा गया की कोविड के बाद इसलिये स्‍कूलों में सदस्‍य संख्‍या कम हो गयी तो इसका मुख्‍य कारण कोरोना काल में विद्यालय के बंद होने से अधिकांश छात्रों के के द्वारा आगामी कक्षा में प्रवेश नहीं लेना तथा इसको ध्‍यान से सुनियेगा, परिवार को रोजगार की तलाश में अन्‍यत्र जाना पड़ा. आप अपनी बड़ी पीढ थपथपा रहे थे अपनी कि बड़ा सुशासन मध्‍यप्रदेश में चल रहा है, सबको काम मिल रहा है, रोजगार मिल रहा है. आप अपने जवाब में स्‍वीकार कर रहे हैं कि उसके परिवार के पास में रोजगार का साधन नहीं था, जीवन-यापन का साधन नहीं था इसलिये उसको पलायन करके अन्‍यत्र जाना पड़ा. छात्रों भविष्‍य के साथ खिलवाड़, उसके अभिभावकों के साथ खिलवाड़ और आप अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. आप कह रहे हैं कि हम कंबल ओढ़कर घी नहीं पी रहे हैं. आप तो कंबल ओढ़कर छोडि़ये आप तो पूरा का पूरा कढ़ाह उठाकर पूरा घी पी गये. कर्ज के दलदल में आपने मध्‍य प्रदेश को पहुंचा दिया है

          एक और कि अभी ज्ञानी गृह मंत्री जी जो यह सोचते हैं कि उन्‍होंने संजीवनी बूटी खा ली है. वह हमेशा के लिये अमर हैं, वह कभी बुड्ढे भी नहीं होंगे. ऊपर-नीचे डेंटिंग-पेंडिंग करके काला-नीला पोत लेते हैं और सोचते हैं कि मैं आज भी नौजवान हूं. वह पीठ थपथपा रहे थे कि माननीय मुख्‍य मंत्री जी ने और उनकी सरकार ने लाखों लोगों को रोजगार दे दिया है. यह इसी सदन में जवाब दिया गया और प्रश्‍न लगाने वाले आदरणीय सज्‍जन सिंह वर्मा जी मेरे सामने ही बैठे हुए हैं. कितने पद मध्‍यप्रदेश सरकार में खाली हैं. लगभग 55 विभागों में पद खाली हैं. परन्‍तु मैं प्रमुख पढ़ देता हूं आपकी जानकारी के लिये और सदस्‍यों की जानकारी के लिये. उच्‍च शिक्षा विभाग में 5851 पद खाली हैं, तो शिक्षा की व्‍यवस्‍था क्‍या है, जब 5851 पद खाली हैं, उसके अलावा तकनीकी शिक्षक कौशल विकास एवं रोजगार, आप रोजगार की बात कर रहे थे, अभी बात कर रहे थे के लाखों लोगों को रोजगार दिया, 2937 पद इस विभाग में खाली हैं. आप चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था की बात कर रहे थे, कोरोना में सेवा की बात कर रहे थे. गृह मंत्री जी अभी फिर बाहर से डेंटिंग-पेंटिंग कर बाहर से आये हैं. आयुष विभाग में 2805 पद खाली हैं. मेरे पास पूरे विभागों की सूची है.

          सभापति महोदय:- आपको बोलते हुए 10 मिनट हो गये हैं.

          श्री तरूण भनोत:- अभी 15 मिनट और बोलेंगे.

          सभापति महोदय:- आपको बोलते हुए करीब 12 मिनट से ज्‍यादा हो गये हैं.

          श्री तरूण भनोत:- 1 लाख, 14 हजार, 111 पद सरकार के खाली हैं तो यह सरकार चल कैसे रही है. लगभग एक तिहाइ पद आपकी सरकार में रिक्‍त पड़े हुए हैं, और आप बता रहे हैं बहुत अच्‍छा मध्‍यप्रदेश में सुशासन चल रहा है.

          सभापति महोदय, अभी आप चर्चा कर रहे थे कि हमारे पास पैसे की कोई कमी नहीं है. मैं एक आंकड़ा यह मेरा बनाया हुआ डाक्‍यूमेंट नहीं है, यह रिजर्व बैंक आफ इंडिया की एक रिपोर्ट है, यह है आरबीआई बुलेटिन जुन, 2022, इसके अंतर्गत मैं आपका ध्‍यान आकर्षित करना चाहूंगा कि मध्‍य प्रदेश उन 10 राज्‍यो में से एक है, जिसने सबसे ज्‍यादा कर्जा लिया गया है और रिपार्ट में अंग्रेजी में लिखा है M.P over sought the fiscal deficit target  आपको ये यहां से इसलिए पढ़कर बताना चाहता हूं कि आप इसे संज्ञान में लें और अगर आपको इस बारे में पता नहीं है तो इसके बारे में एक पर्ची मंगवाकर जब जवाब दें तो वहां से पर्ची मंगवा लें जहां से आपकी पर्चियां आती हैं  In the first stage of the analysis, a panel of indicators is employed to indentify fiscal vulnerability Based on the debt GSDP ratio in 2020-2021, from among the 10 states identified by the necessary condition, Madhya Pradesh has the greatest number of debt GSDP ratio इसका मतलब आपको समझ में आया वित्‍त मंत्री जी ?  आ गया नहीं तो पूछ लीजियेगा. इसका मतलब यह है कि आपकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है कुछ दिनों बाद आप डिफॉल्‍ट करने वाले हैं. आपने क्‍या बोला मैंने सुना नहीं.

          सभापति महोदय- नहीं, नहीं कुछ नहीं आप जारी रखें.

          श्री जगदीश देवड़ा-  आपकी गलतफहमी है.

          श्री तरूण भनोत-  माननीय सभापति महोदय, आपकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. आपके फिजि़कल रेवेन्‍यू का जो आपका मैनेजमेंट है, आपके फायनेंशियल सिस्‍टम का, वह बहुत ही दोयम दर्जे का है और यह मैं नहीं कह रहा हूं, यह RBI के जारी बुलेटिन में कहा गया है कि आपकी स्थिति धीरे-धीरे यह बनती जा रही है कि आपको बैंक कर्ज देना बंद करने वाले हैं. 

          माननीय सभापति महोदय, यहां बैठे विद्वान सदस्‍यों का एक बार मैं पुन: ध्‍यान आकर्षित करना चाहूंगा कि किसी भी राज्‍य को उसकी GSDP (Gross State Domestic Product) के ऊपर 3 प्रतिशत, केंद्र सरकार से, ये नियम होते हैं कि वे कर्ज ले सकते हैं. अगर वह कैश पॉजि़टिव स्‍टेट है तो, रेवेन्‍यू पॉजि़टिव स्‍टेट है तो. आप यहां पर दिखा रहे हैं कि वर्ष 2022-23 के लिए आप प्रोजेक्‍ट कर रहे हैं, जो आपने बजट पेश किया, उसके अंतर्गत हमारे पास अतिरिक्‍त रेवेन्‍यू 5 हजार 8 सौ करोड़ रुपये का सरप्‍लस है. 5 हजार 8 सौ करोड़ रुपया आपके पास सरप्‍लस है और उसी में नीचे आप लिखकर प्रोजेक्‍ट करते हैं कि 55 हजार 250 करोड़ रुपये का प्रोजेक्‍टेड लोन हम इस वित्‍तीय वर्ष में लेने जा रहे हैं. यदि आप रेवेन्‍यू सरप्‍लस स्‍टेट हैं तो आप कर्ज लेने क्‍यों जा रहे हैं और यह कर्ज कौन चुकायेगा और इस कर्ज की कीमत क्‍या है, आपके प्‍लान और नॉन प्‍लान बजट का अंतर शायद आप जानते होंगे ? आपके पास विकास कार्यों के लिए पैसा कहां है ? आपके पास बच्‍चों की स्‍कॉलरशिप भरने के लिए पैसा नहीं है, आपको सस्‍ती गैस और गैस का चूल्‍हा देने के लिए आपके पास पैसा नहीं है. पेट्रोल सस्‍ता करने के लिए आपके पास पैसा नहीं है, डीज़ल सस्‍ता करने के लिए आपके पास पैसा नहीं है सबसे मंहगी बिजली आप मध्‍यप्रदेश में बेच रहे हैं, उसके बाद भी आपके डिसकॉम घाटे में चल रहे हैं. ऐसा क्‍यों हो रहा है ?

 

 

 

2.56 बजे

{अध्‍यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

          श्री तरूण भनोत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐसा इसलिए हो रहा है क्‍योंकि कहीं न कहीं आपके कुप्रबंधन ने इस राज्‍य को कर्ज के दलदल में धकेल दिया है इसलिए हम आपके प्रति अविश्‍वास प्रकट करते हैं और जितनी जल्‍दी आपकी सरकार और आपके प्रबंधन से इस राज्‍य को मुक्ति मिलेगी, उतना इस राज्‍य के लिए बेहतर होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आपका समय हो गया. बोलने वालों की संख्‍या बहुत अधिक है, 50 है.

          श्री तरूण भनोत-  क्‍या हो गया ? अभी तो सदन के दो दिन बाकी हैं, हमें तो 23 दिसंबर तक सदन चलाना है. आपने कहा था कांग्रेस सदन चलाने नहीं देती है, आपका सहयोग चाहिए. सत्‍ता पक्ष हम पर आरोप लगा रहा था. आप रात को 12 बजे तक सदन चलायें, हम तैयार हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  जो गोविंद सिंह जी ने कह दिया है, उसका रिपिटिशन न करें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-  अध्‍यक्ष जी, जब कुछ बोलने को नहीं होता है तो समय पास किया जाता है.          

          श्री तरूण भनोत-  नहीं, आप मेरी बात सुने. इन मुद्दों पर हम जो कह रहे हैं, आप उनका जवाब दीजियेगा. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा था कि हम 23 तारीख तक सदन चलायेंगे. कांग्रेस पार्टी तैयार है कि नहीं ?  हम तो तैयार हैं, आप सदन चलायें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये सभी महत्‍वपूर्ण विषय हैं और मैंने शुरूआत में कहा था कि जहां वित्‍तीय प्रबंधन अच्‍छा नहीं होता है. मैं अपनी बात तीन मिनट में समाप्‍त कर दूंगा.

             अध्‍यक्ष महोदय-  आप मेरी बात भी तो सुन लें. सदन चलाने का यह मतलब तो नहीं होता है कि किसी को असीमित समय दे दिया जाये कि जब आपकी इच्‍छा हो तब बैठना है. ऐसा तो होगा नहीं, कुछ न कुछ तो परंपरा का पालन करना होगा.

          श्री तरूण भनोत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर मैं ऐसी कोई बात कर रहा हूं, जो आपको लगता है कि राज्‍य के हित में नहीं है और उससे कुछ नुकसान हो रहा, इस विधान सभा की कोई परंपरा टूट रही है और मैं कोई गैर संवैधानिक बात कर रहा हूं, तो मैं बैठ जाता हूं, आप कह दें.

          अध्‍यक्ष महोदय-  मैं, आपकी कोई बात हटाऊंगा नहीं. आप सीनियर सदस्‍य हैं. नहीं, कोई नुकसान नहीं हो रहा है लेकिन समय का थोड़ा-सा ध्‍यान रखें.

          श्री तरूण भनोत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपका ध्‍यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा माननीय वित्‍त मंत्री जी यहां बैठे हैं, आपने यह कहा कि हमारा राजस्‍व आधिक्‍य है, तो कर्ज क्‍यों ले रहे हैं ? इस बात का जवाब आप जरूर दीजियेगा, जब आप सदन में जवाब देंगे. इसके बाद आपने लिखा कि इस वित्‍तीय वर्ष में सरकार 52 हजार 511 करोड़ रुपये का लोन लेने पर विचार कर रही है और एक महत्‍वपूर्ण बात, मैं, सदन के संज्ञान में लाना चाहता हूं कि राजकोषीय घाटा GSDC से सामान्‍य रूप से 3.5 प्रतिशत की सीमा में रखने का प्रावधान है, परंतु भारत सरकार से विशेष अनुमति लेकर राज्‍य सरकार निरंतर इस सीमा से अधिक अर्थात् अधिक कर्ज लेने की कोशिश कर रही है. आपने वर्ष 2020-21 में जब हमारी सरकार गिरी उसके बाद, 5.44 प्रतिशत की दर से कर्ज लिया. वर्ष 2021-22 में आपने 3 के ऊपर के बजाए 4.5 प्रतिशत की दर से कर्ज लिया, उसके बाद वर्ष 2022-23 में आपने 4.56 प्रतिशत की दर से कर्ज लिया. माननीय महोदय, ये कर्ज जो आप ले रहे हैं. मैं आपके ऊपर इसलिए अविश्‍वास प्रकट करता हूं कि मैंने कहीं भी आपके रेवेन्‍यू को बढ़ते हुए नहीं देखा है. आपने बजट के माध्‍यम से जितने आंकड़े सदन में प्रस्‍तुत किए हैं आपने आज यहां पर अनुपूरक भी रखा आप हमें एक ऐसी चीज बता दें जहां आपके प्रयासों से रेवेन्‍यू का इनहांसमेंट हुआ हो, आपका रेवेन्‍यू बढ़ा हो. आपने कहीं भी रेवेन्‍यू नहीं बढ़ाया. मध्‍यप्रदेश को कर्ज के दलदल में डुबोया, आपने सारे विभागों को चोपट किया इसलिए मैं आपको इस सदन के माध्‍यम से नाम देना चाहता हूं कि यह चौपट सरकार मध्‍यप्रदेश में चल रही है जिसने सारे विभागों को और सारी व्‍यवस्‍थाओं को चौपट करके रख दिया है इसलिए इस चौपट सरकार को एक मिनट भी सत्‍ता में रहने का अधिकार नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय, सरकार बजट का प्रशासकीय मद, अनुदान, ब्‍याज और भुगतान इसमें आप हमारे राज्‍य का 70 प्रतिशत से अधिक रेवेन्‍यू खर्च कर दे रहे हो तो हमारे विकास कार्यों के लिए आप जिस सर्वांगीण मध्‍यप्रदेश को बनाने की बात करते हो वह कैसे बनेगा. जब आपके पास पैसे का डेफेसेट है. पैसा आपके पास है नहीं आपका इस्‍टैब्लिशमेंट कॉस्‍ट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. मैं सिर्फ एक बात कहकर अपनी बात को समाप्‍त करूंगा कि देखिए आज किस प्रकार की विचित्र स्थिति इस प्रदेश के अंदर बनी है और आज ही के दिन इस सदन में आप 16 हजार करोड़ रुपए से अधिक का सप्‍लीमेंट्री लेकर आए हैं. बजट आप मार्च में लेकर आए थे और आप इस प्रदेश का दुर्भाग्‍य देखिए कि किस प्रकार की सरकार यहां काम कर रही‍ है. इस वित्‍तीय वर्ष के 9 महीने निकल चुके हैं और अभी तक यह 50 प्रतिशत व्‍यय भी नहीं कर पाए हैं जो इन्‍होंने बजट में इस सदन से स्‍वीकृति ली थी. माननीय आप क्‍यों नहीं कर पाए हैं कि आपके पास पैसा नहीं है और आप कर्जा लेकर पुराना कर्जा चुका रहे हैं  और ब्‍याज का पैसा भर रहे हैं जब आप 9 महीने में आपके द्वारा प्रस्‍तुत बजट का 50 प्रतिशत भी व्‍यय नहीं कर पाए तो क्‍या आपको सरकार में रहने का हक है? क्‍या मध्‍यप्रदेश की जनता को आपके ऊपर विश्‍वास करना चाहिए? मैंने जैसा कि शुरू में कहां था इसी बात को कहकर अपनी बात समाप्‍त कर रहा हूं कि चाहे हमारा परिवार हो, चाहे हमारा व्‍यापार हो और चाहे प्रदेश में चलने वाली सरकार हो अगर उसका वित्‍तीय प्रबंधन ठीक नहीं है तो इसका मतलब यह है कि उस प्रदेश का और उस जनता का आगे का भविष्‍य अंधकारमय है और हम आपको यह करने नहीं देंगे कि आप मध्‍यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता का भविष्‍य अपने गलत निर्णयों के कारण अंधकारमय करें. मध्‍यप्रदेश की जनता सचेत और तैयार बैठी है.  नरोत्‍तम जी आप जरूर इस बात पर ध्‍यान दीजिएगा कि जितना आपको और हमको आप भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की सरकार की बात कर रहे थे जितना हमको और आपको चुनाव का इंतजार नहीं है मध्‍यप्रदेश की जनता जो वर्ष 2018 में कांग्रेस पार्टी के पक्ष में अपना जनमत दिया था और वर्ष 2020 में जिस प्रकार से आपने उस जनमत को अनैतिक तरीकों से चुराया और खंडित किया जनता उसका बदला लेने के लिए तैयार बैठी है. माननीय गृ‍ह मंत्री महोदय आप कोरोना में बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे और मैं इस सदन को फिर से यह याद दिलाना चाहूंगा कि जब कोविड काल चल रहा था तो तत्‍कालीन सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बैंगलुरू के रिसोर्ट में बैठे हुए थे. इसलिए हमें आपके ऊपर अविश्‍वास है कि आप उस व्‍यक्ति को पुन: वहां ले आकर मंत्री बनाते हैं इसलिए मैं यह कहता हूं कि मध्‍यप्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बैंगलुरू के रिसोर्ट में बैठे थे और यह सरकार अपनी पीट थपथपा रही है कि हम कोविड में बहुत अच्‍छा काम कर रहे थे इसलिए हमें इस सरकार के ऊपर अविश्‍वास है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया मैं और भी बहुत कुछ कहना चाहता था और बहुत सारे आंकडे़ भी यह कहते हैं कि मध्‍यप्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है लेकिन मैं आपका सम्‍मान करते हुए आपने जो बोलने का मौका दिया उसके लिए आपको धन्‍यवाद देना चाहता हूं और साथ ही साथ यह जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव हमने यहां पर रखा है मैं चाहूंगा कि आप भी आसंदी से बैठकर एक नई परम्‍परा शुरू करें और आप भी अविश्‍वास प्रस्‍ताव का समर्थन करें.

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्‍द्र सिंह)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव विपक्ष के द्वारा लाया गया है यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव इसमें न तो कोई तथ्‍य हैं और न ही कोई तर्क हैं. इसके पूर्व में भी जब भी अविश्‍वास प्रस्‍ताव आए हैं तो विपक्ष के द्वारा हमेशा अविश्‍वास प्रस्‍ताव के समर्थन में कुछ तथ्य आपकी अनुमति से पटल पर रखे जाते थे और उसका जवाब सरकार देती थी. विपक्ष के द्वारा एक भी तथ्य या तर्क आपकी अनुमति से सदन के पटल पर नहीं रखा गया है जिसके बारे में सरकार तथ्यात्मक जवाब दे सके. यह पूरा अविश्वास प्रस्ताव एक तरह से अखबारों की कटिंग है. इसमें न तो को तथ्य हैं न तर्क हैं. कुंठा से ग्रस्त होकर यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इस संबंध में मैं दुष्यंत की एक पंक्ति कहना चाहूँगा --

          तुम्हारे पाँव के नीचे कोई जमीन नहीं,

        कमाल यह है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं.

 

        माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इस अविश्वास प्रस्ताव की सत्यता  है. इसी में एक शेर और जोड़ रहा हूँ --

          क्यों खाते हो हर बार सौ-सौ ठोकर,

        अविश्वास की हिमाकत जब यहां टिकती भी नहीं.

 

          माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय शिवराज जी की सरकार के खिलाफ, हमारी सरकार के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. यह डबल इंजन की सरकार है. यह ऐसी सरकार है, हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी जब केन्द्र सरकार की विकास और जनकल्याण की योजनाओं के बारे में बात करते हैं तो मध्यप्रदेश पहला राज्य होता है जो केन्द्र की योजनाओं को लागू करने के लिए सबसे तत्परता से सामने आता है.

          माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि पूरी तैयारी और मनोयोग से केन्द्र सरकार की योजनाओं को लागू करने में मध्यप्रदेश की श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार की क्षमता के वे कायल हैं. जिस तरह का अथक परिश्रम माननीय प्रधानमंत्री राष्ट्र को वैश्विक पटल पर शीर्ष पर ले जाने के लिए कर रहे हैं. वैसा ही परिश्रम मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी मध्यप्रदेश को देश में अग्रणी राज्य बनाने के लिए कर रहे हैं. काँग्रेस ने वर्ष 2003 में एक बीमारू और आर्थिक रुप से जर्जर राज्य भाजपा सरकार को सौंपा था. वर्ष 2005 में माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने जब मध्यप्रदेश की बागडोर सम्हाली थी, तब उनके मन में मध्यप्रदेश के समग्र विकास की जो परिकल्पना थी उसे हमने फलीभूत होते देखा है. तहस-नहस हो चुकी कानून व्यवस्था दुरुस्त करते हुए एक स्थिर और प्रगतिशील मध्यप्रदेश की आधारशिला उन्होंने रखी है. ऐसे नेता माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जिनके व्यक्तित्व और जिनकी लोकप्रियता आज विपक्ष के किसी नेता में मध्यप्रदेश के अन्दर नहीं है. यही इसका कारण है कि माननीय शिवराज जी के नेतृत्व में लगातार पिछले 18 वर्षों से मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही है. हम विश्वास के साथ यह बात सदन में हम कह रहे हैं कि इस बार फिर चुनाव में भारी बहुमत के साथ मध्यप्रदेश में माननीय शिवराज जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, बीच में एक अवसर काँग्रेस की सरकार को मिला था. वह अवसर भी इन्होंने गवां दिया था और वह अवसर जो था वह अवसर इनके आपसी षड्यंत्र में इन्होंने गंवाया था उसमें हम लोगों की तरफ से प्रयास नहीं हुए थे. हम लोग चाहते तो पहले दिन ही हम लोग सरकार बना लेते, कोई बड़ा अंतर नहीं था, पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने 11 बजे जाकर इस्‍तीफा दे दिया था और इनको सरकार बनाने का मौका मिला. अपनी गलतियों और अपने षडयंत्र की शिकार यह सरकार हुई और उसके बाद इस सरकार ने जिस तरह से जनविरोधी काम इस प्रदेश में किए, मैं समझता हॅूं कि जिस तरह से इस मानसिकता से एक प्रदेश को हमें पूरी तरह से तबाह करना है, लूटना है जिस तरह से एक लुटेरा जब जाता है तो पूरे प्रदेश को या पूरे राज्‍य को तबाह करते हुए, लूटते हुए जाता है, इस मानसिकता से सरकार ने काम किया. यह तो प्रदेश का सौभाग्‍य था और जनता की जनभावनाएं थीं कि मध्‍यप्रदेश में सरकार बदल गई और यह मध्‍यप्रदेश लूटने से बच गया. नहीं तो यह मध्‍यप्रदेश की जैसी हालत वर्ष 2003 में हो गई थी, वैसी ही हालत मध्‍यप्रदेश की फिर हो जाती. इस सरकार ने क्‍या नहीं किया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सवा साल में जो हमारी सरकार ने गरीबों के लिये राज्‍य बीमारी सहायता योजना शुरू की थी, वह योजना सरकार ने बंद कर दी. गरीबों की योजना थी, क्‍या अपराध था. हमारा बुन्‍देलखंड पिछड़ा हुआ क्षेत्र है जो मध्‍यप्रदेश का सबसे पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है. वहां की जो महत्‍वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना है उस परियोजना को रोकने का काम उस समय की कांग्रेस की सरकार ने किया. मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का और माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी का भी अभिनंदन करना चाहूंगा कि आज उन्‍होंने फिर से केन-बेतवा लिंक परियोजना को मंजूर किया है और जल्‍दी ही केन-बेतवा लिंक परियोजना पर काम प्रारम्‍भ होगा और बुन्‍देलखंड की तकदीर और तस्‍वीर बदलने का काम होगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किस तरह से गरीबों के मकान बनाने का काम माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने हमारे देश और प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की और मुझे बताते हुए खेद है कि माननीय कमल नाथ जी की सरकार ने प्रधानमंत्री आवास के उस समय केन्‍द्र सरकार द्वारा दिये गये 2 लाख 32 हजार आवासों को वापस कर दिया. मध्‍यप्रदेश से वापिस करने का काम 2 लाख 32 हजार आवासों को किया. यह गरीबों के आवास बनने से उस समय सरकार ने रोका.

          अध्‍यक्ष महोदय, किसानों की कर्ज माफी की बात होती है. कमल भाई भी उस पर बोलेंगे. मैं ज्‍यादा उस पर नहीं बोलूंगा, पर मेरे पास हमारे माननीय वरिष्‍ठ सदस्‍य माननीय लक्ष्‍मण सिंह जी का वह बयान और अखबार की कटिंग मेरे पास है और मैं आपका अभिनंदन करता हॅूं जिसमें आपने कहा है कि राहुल गांधी जी को घोषणा नहीं करनी चाहिए थी. इस साल नहीं होगी कर्ज माफी. आपने कहा है आपका अभिनंदन. आपने कहा है कि राहुल गांधी जी को 10 दिन में कर्ज माफी की घोषणा नहीं करना चाहिए थी. यह आपका फोटो है और यह आपका बयान है (कागज दिखाते हुए) यह कर्ज माफी की स्‍थिति है.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं स्‍वीकारता हॅूं.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आईफा के बारे में माननीय नरोत्‍तम जी बता चुके हैं इसलिए मैं आईफा को रिपीट नहीं करूंगा. शराब बंदी के बारे में, महिलाओं के बारे में माननीय नरोत्‍तम जी ने कहा है. संबल योजना आपने बंद की, जो हमारी सरकार ने शुरू की थी. मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना आपने बंद की, जो हमारी सरकार ने शुरू की थी. तीर्थ दर्शन योजना आपने बंद की. तेंदूपत्‍ता संग्राहक योजना आपने बंद की, जो हमारी सरकार ने शुरू की थी और माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने इस बात का भी प्रयास किया कि मध्‍यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव न हों, इसके लिए भी आपने प्रयास किया और मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी का अभिनंदन करना चाहूंगा कि उन्‍होंने अपनी सरकार को दांव पर लगा दिया, पर मध्‍यप्रदेश में पंचायत के चुनाव भी कराएं और नगरीय निकाय के भी चुनाव कराए और ओबीसी को आरक्षण दिलाने का काम भी किया. ये कांग्रेस पार्टी है, जिसने सुप्रीम कोर्ट में जाकर पंचायत के चुनाव में, नगरीय निकाय के चुनाव में किसी भी तरह से ओबीसी को आरक्षण न मिले, इसके सारे प्रयास किए.  इनके राज्‍यसभा के सांसद सुप्रीम कोर्ट में गए और महाराष्‍ट्र के गौली केस का उदाहरण देकर इस बात का प्रयास किया कि मध्‍यप्रदेश में ओबीसी को आरक्षण न मिले, पर मैं मुख्‍यमंत्री जी का अभिनन्‍दन करूंगा कि मुख्‍यमंत्री जी ने पिछड़ा वर्ग कल्‍याण आयोग बनाया. पिछड़ा वर्ग कल्‍याण आयोग ने मात्र 3 माह में अपनी रिपोर्ट दी और पिछड़ा वर्ग कल्‍याण आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ये तथ्‍य दिए कि मध्‍यप्रदेश में 48 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक की आबादी अनेक जिलों में ओबीसी की है. ये सारा डेटा हम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्‍तुत किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डेटा में कुछ कमी है और उसके बाद फिर हम लोगों ने नगरीय निकायों के अनुसार डेटा दिया और एप्‍लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन में गए. उस समय लोग कहते थे कि अब कोई रास्‍ता नहीं बचा है. पर मैं मुख्‍यमंत्री जी का अभिनन्‍दन करूंगा कि मुख्‍यमंत्री जी ने कहा कि हम दिल्‍ली जाएंगे. उन्‍होंने अपनी विदेश यात्रा निरस्‍त की और विदेश यात्रा निरस्‍त करके मुख्‍यमंत्री जी दिल्‍ली गए. मैं और नरोत्‍तम जी भी साथ में थे. रास्‍ते में मुख्‍यमंत्री जी ने कहा कि हम आखरी समय तक प्रयास करेंगे, न जाने किस भेष में नारायण मिल जाएं. हम लोग दिल्‍ली गए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता साहब से मिले, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नारायण मूर्ति जी से मिले और वरिष्‍ठ अधिवक्‍ताओं से भी मिले. हमारी एप्‍लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन उसी बेंच ने स्‍वीकार कर ली. भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि मध्‍यप्रदेश के पंचायत और नगरीय निकाय के चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाएगा. अगर ओबीसी को आरक्षण मिला तो मध्‍यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के कारण मिला, जिसको कांग्रेस सरकार ने रोकने का पूरा प्रयास किया. कांग्रेस पार्टी ने रोकने का पूरा प्रयास किया. इसलिए भी मैं माननीय शिवराज सिंह जी का अभिनन्‍दन ओबीसी आरक्षण के लिए  करना चाहता हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नगरीय निकाय से भी संबंधित कुछ विषय अविश्‍वास प्रस्‍ताव में रखे गए हैं. अरे आप नगरीय निकाय से संबंधित क्‍या विषय रखेंगे, आज स्‍वच्‍छता मिशन में पूरे देश में, पूरे भारत में मध्‍यप्रदेश इस साल पहले स्‍थान पर है. पूरे भारत में स्‍वच्‍छता मिशन में पहला स्‍थान अगर किसी शहर का है तो वह है हमारे मध्‍यप्रदेश का इंदौर शहर. स्‍वच्‍छता मिशन में अगर 16 में से 11 अवॉर्ड मिले हैं तो वह हमारे मध्‍यप्रदेश को मिले हैं. आज अगर प्रधानमंत्री आवास योजना में साढ़े 9 लाख आवास बनाने का काम अगर हो रहा है तो मध्‍यप्रदेश के अंदर हो रहा है. 40 हजार करोड़ रुपये की राशि हमारी सरकार खर्च कर रही है. अगर पीएम स्‍वनिधि योजना में देश में पहले स्‍थान पर कोई है तो वह हमारा मध्‍यप्रदेश है. कौन सा क्षेत्र है, जिसमें हमारा नगरीय प्रशासन विभाग देश में पहले स्‍थान पर नहीं है. हर क्षेत्र में हमारा विभाग देश में पहले स्‍थान पर है. यह मैं कहना चाहता हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विषय तो हमारे पास बहुत हैं. हमारे पास कांग्रेस सरकार के भ्रष्‍टाचार के भी बहुत सारे मामले हैं. अब मैं उन पर भी आना चाहता हूँ. जब भ्रष्‍टाचार की बात होती है, मेरा वैसे बहुत इस तरह का स्‍वभाव नहीं है, नरोत्‍तम जी ने उस बारे में कहा है, पर मेरे पास तो वह एक्‍सेल शीट भी है. जो इन्‍कम टैक्‍स के छापे में एक्‍सल शीट में नाम आए थे यह पूरी एक्‍सल शीट है,  सबके सामने राशि लिखी हुई है, मैं पढ़ना नहीं चाहता, इससे राज्‍य की बदनामी होगी. इसमें किसको कितनी राशि और किसने कितनी राशि दी है यह सारी राशि लिखी हुई है. उस समय की मंत्री अब तो वह नहीं हैं, उस समय माननीय इमरती देवी जी कांग्रेस में मंत्री थीं उन्‍होंने उस समय कहा था कि ट्रांसफर करवाने में पैसे लगते हैं. यह उनका बयान है और यह अखबार की कटिंग है. उस समय खरगापुर में एक किसान ने तहसीलदार की गाड़ी से अपनी भैंस बांध दी थी, यह भैंस बंधी है और यह तहसीलदार की गाड़ी है. आपके समय में यह हालत थी.

          अध्‍यक्ष महोदय, आप पोषण आहार की बात कर रहे थे, यह गौरी सिंह जो प्रमुख सचिव थीं इनको इस्‍तीफा क्‍यों देना पड़ा था, क्‍योंकि गौरी सिंह ने पोषण आहार को लेकर ही इस्‍तीफा दिया था. गौरी सिंह को पोषण आहार में ठेकेदारों की इंट्री रोकने का खामियाजा भुगतना पड़ा. यह भी आपकी सरकार में हुआ था. मध्‍यप्रदेश में सौभाग्‍य योजना में घोटाला आपकी सरकार में हुआ था. आपके तत्‍कालीन खनिज मंत्री, कारोबारियों ने खनिज मंत्री को सारी हकीकत से अवगत कराया, हर थाने में 50-50 लाख रुपये म‍हीने की वसूली सिर्फ रेत कारोबार से हो रही है, यह आपके उस समय के खनिज मंत्री का बयान है और यह फोटो है. मैं अब वल्‍लभ भवन के बारे में नहीं बोलूंगा पहले विषय आ गया है. बाकी बोलना ठीक नहीं है उससे कुल मिलाकर राज्‍य की बदनामी होगी विषय बहुत हैं. कुल मिलाकर मैं इतना कहना चाहता हूं कि देखिए, आज माननीय मोदी जी का जो देश में नेतृत्‍व है और मोदी जी भारत को एक शक्तिशाली, वैभवशाली, गौरवशाली और परम वैभव की तरफ ले जाना चाहते हैं और माननीय शिवराज जी मध्‍यप्रदेश को विकास के रास्‍ते पर और जिस तरह से रात-दिन सुबह 6 बजे से लेकर और रात को एक-एक, दो-दो बजे तक परिश्रम की पराकाष्‍ठा करते हैं, जिनकी विनम्रता, जिनकी सहनशीलता, जिस तरह से आज प्रदेश के विकास के लिए काम कर रहे हैं और इसलिए आज मोदी जी और शिवराज जी के नेतृत्‍व में जो डबल इंजन की सरकार चल रही है, इस डबल इंजन की सरकार में हम मध्‍यप्रदेश को, विपक्ष को विश्‍वास दिलाते हैं कि बहुत तेजी से विकास में और आगे बढ़ाएंगे और मध्‍यप्रदेश में हम गुजरात मॉडल को दोहराने का काम करेंगे. जो हालत विपक्ष की गुजरात में हुई है वह हालत मध्‍यप्रदेश में आने वाले चुनावों में होगी, यह विश्‍वास मैं आपको दिलाता हूं. बहुत धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जितु जी बोलेंगे. जितु भाई, मेरी तरफ देख लो. मेरा आग्रह यह है कि मुझे टोकना नहीं पड़े आप ध्‍यान रखिएगा.

          श्री जितु पटवारी -- अध्‍यक्ष महोदय, मुझे भी आपका आशीर्वाद और संरक्षण मिलेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हमारा पूरा संरक्षण है.

श्री जितु पटवारी (राऊ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अविश्वास प्रस्ताव किसी भी प्रदेश में किसी भी सरकार के लिए इसलिए लाया जाता है कि प्रदेश की जनता को अविश्वास इस सरकार पर, मुख्यमंत्री पर, मंत्रियों पर, व्यवस्था पर, तंत्र पर होता है और विपक्ष का जो दायित्व है, धर्म है, कर्म है, उसके तहत हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने यह अविश्वास सरकार पर और मुख्यमंत्री जी पर आपके समक्ष पेश किया है.

अभी श्री भूपेन्द्र सिंह जी घोटालों की बात कर रहे थे. प्रदेश की बदनामी की बात कर रहे थे. कुछ बातें छिपा रहे थे, कुछ बातें बता रहे थे. 101 घोटालों की लिस्ट यह है अगर एक-एक पढ़ना चालू करूं तो मेरा ख्याल है कि नरोत्तम जी से भी ज्यादा समय मुझे आपके संरक्षण के साथ चाहिएगा.

शिवराज जी को लेकर नरोत्तम जी ने जो कहा कि वह वर्ल्ड गोल्ड मेडिलिस्ट हैं सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने के लिए, बिल्कुल सही बात है. मैं भी तारीफ करता हूं इस बात की और बधाई देता हूं कि हमारे प्रदेश में आदरणीय मुख्यमंत्री जी को इतना लम्बा समय मिला. जो किसी और मुख्यमंत्री को, किसी और नेता को मध्यप्रदेश में तो नहीं मिला. यह गोल्ड मेडलिस्ट उस बात का तो है कि चुनाव वह तीन बार जीते और ईमानदारी से जीते. इसमें कोई संकोच नहीं है. जब हम भी शुरू शुरू में राजनीति में आए तो हम देख रहे थे कि किसान का बेटा भी प्रदेश का मुख्यमंत्री बनता है, इतना लोकप्रिय होता है और सबके साथ मिलजुलकर रोज सुबह से शाम तक मेहनत करके एक मेहनती मुख्यमंत्री की छवि बनाता है. परन्तु मुख्यमंत्री जी समय जाता गया और मुख्यमंत्री की जो सत्ता की लालसा है वह बढ़ती गई और किस हद दर्जे तक बनी कि जो मुख्यमंत्री, एक नये राजनीतिक कार्यकर्ता को एक अच्छा संकेत और अच्छा व्यक्ति दिखता था, धीरे धीरे उसमें कमियां दिखने लगीं.

मैं मानता हूं कि 16 साल के मुख्यमंत्री ने जिस तरीके से प्रदेश के हालत, मध्यप्रदेश की देश में बदनामी आई, व्यापमं का कलंक हुआ, ऐसा विश्व में कहीं कलंक नहीं हुआ. किसी सरकार के खिलाफ नहीं हुआ. भ्रष्टाचार कई देखे थे, सुने और पढ़े. सजाएं भी देखीं और छूटते हुए भी देखे. परन्तु प्रदेश के भविष्य के साथ अगर किसी ने घोटाला किया, भ्रष्टाचार किया तो नरोत्तम जी की सरकार है, इन्होंने ही किया. यही भ्रष्टाचारी लोग, जिन्होंने मध्यप्रदेश के भविष्य को कलंकित किया. मैं मानता हूं यह प्रदेश भूला नहीं है.

आप कह रहे हैं यह 15 साल तक, 16 साल तक रिकॉर्ड मुख्यमंत्री रहने का बनाया है. इन्होंने रिकॉर्ड बनाया (XXX).

अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जाएगा.

श्री जितु पटवारी - इन्होंने रिकॉर्ड बनाया कुपोषित मध्यप्रदेश बनाने का, इन्होंने रिकॉर्ड बनाया, हम महिलाओं पर अपराध में देश में नम्बर वन है. यह  रिकॉर्ड इसी सरकार ने बनाया. इसी सरकार ने आदिवासियों पर अत्याचार सबसे ज्यादा कैसे हों, यही हैं वह आरोपी लोग, जिन्होंने आदिवासियों का सबसे ज्यादा बलात्कार का तमगा इसी सरकार ने लगवाया. यही वह सरकार है माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे ज्यादा जिस मुख्यमंत्री ने घोषणाएं की और उन घोषणाओं को वापस फाईल में पैक करके दरवाजे के पीछे रख दिया. यह रिकॉर्ड भी हमारे मुख्यमंत्री के साथ ही है. भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का भी सबसे बड़ा तमगा अगर किसी को जाता है हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही जाता है.

आदरणीय अध्यक्ष जी, 268 मामले सरकार की अनुमति की प्रत्याशा में हैं कि भ्रष्टाचार का मुकदमा चले. जो मुख्यमंत्री रोज माईक लेकर नाटक करते हैं जो सरकार के पैसे से वीडियो, बिजुअल बनाते हैं, इवेंट करते हैं वह प्रदेश को नहीं बता पाए कि मैं क्लर्क को सस्पेंड करता हूं परन्तु 268 मुकदमें क्यों चलाने की  अनुमति नहीं देता हूं,यही सरकार 20 साल की है, यही मुख्यमंत्री हैं.

आदरणीय अध्यक्ष जी, 64 मामले तो इन्होंने समाप्त कर दिये, जिन पर लोकायुक्त ने जांच की थी, उनको कह दिया कि यह आरोप ही नहीं हैं. यह सरकार जज बन गई. यही तमगा, गोल्ड मेडलिस्ट हमारा मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान है. मैं मानता हूं 50 प्रतिशत जनता मध्यप्रदेश की गरीब बना दी. 48.8 परसेंट, यही मुख्यमंत्री को तमगा जाता है इतने लोगों को मध्यप्रदेश में सरकारी राशन मिलता है, यही 18-20 साल की सरकार है.

यही सरकार है जिसने नशेड़ी प्रदेश, मेरे मध्यप्रदेश को बना दिया. अभी एक मंत्री जी बोल रहे थे नरोत्तम जी ने कहा कि एक भी शराब की दुकान नहीं खुली. एक विधायक इस सदन का ऐसा बता दें जो शराब की एक दुकान की तीन दुकान नहीं हुई हो? एक ऐसी  शराब की दुकान जो 15/15 की थी. वह  आज 500x500  की हो गई  और हमारे बच्चे  भीड़ लगा करके खड़े रहते हैं, नशा करते हैं. हर दूसरा बच्चा इस प्रदेश का  नशा करने लग गया है.  ऐसा प्रदेश बनाया है इन्होंने.  ये बात कितनी भी करें,पर प्रदेश की जनता देख रही है.  समझ रही है कि कलंकित  करने वाले  अगर कोई लोग हैं मध्यप्रदेश को, तो यही सरकार है, यही मुख्यमंत्री  है.  बात रिकार्ड की इतनी नहीं है, अध्यक्ष महोदय, आपसे भी संबंधित है.  हमारे मुख्यमंत्री ने यह रिकार्ड बनाया कि  सबसे छोटा सत्र  किसी वर्ष में चले,  तो इस वर्ष चला है.  मध्यप्रदेश विधान सभा में  अब तक के इतिहास में  सबसे छोटा  सत्र शिवराज सिंह चौहान  जी  चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद  बनाया.  अब देखें कि बजट सत्र  16 और  20 मार्च को  दो दिन चला. जिसमें 17 मिनट  काम हुआ.  दूसरे  दिन   24 मार्च को मात्र 9 मिनट काम हुआ.  बजट सत्र   यह तमंगा लोकतंत्र  की हत्या का  इन्हीं को मिलता है. अध्यक्ष जी, तीसरा सत्र  21 दिसम्बर को   1 घण्टा 27 मिनट  चला.  4 दिन चलने वाले सत्र  में  1  घण्टा  43 मिनट  चर्चा हुईं, बातें हुईं, काम हुआ.  यह ऐसा तमंगा भी  मुख्यमंत्री को ही जाता है. बातें  बड़ी बड़ी हैं. अभी तरुण भैया  ने कर्ज की बात की.  बजट की बात की.  मेरे प्रश्न के उत्तर में सरकार ने कबूल  किया 3 दिन पहले.  मेरे प्रश्न के उत्तर  में कि हम  4 लाख करोड़ के कर्ज में मध्यप्रदेश  है, 3 लाख 98 हजार  करोड़ रुपये के. जिस प्रदेश को  3 लाख 98 हजार  करोड़ के कर्ज में धकेलने वाला  मुख्यमंत्री भी इस  प्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश का तमगा दे सकता है,  तो मैं नहीं मानता कि  मध्यप्रदेश की जनता  इतनी गुमराह होगी.  दिग्विजय सिंह जी का नाम आता है.  उनके उस समय के  20 साल के पहले के किये हुए कामों पर  टिप्पणियां की जाती हैं.  24 हजार करोड़ रुपये  उस समय कर्ज था.  आज सिर्फ ब्याज   24 हजार करोड़ रुपया प्रति साल देना पड़ता है.  ऐसा  इन्होंने मध्यप्रदेश को बनाया.  50 हजार करोड़ रुपये हर वर्ष  मध्यप्रदेश के जितने सम्मानित   विधायक  हैं, मैं आप सबसे  अनुरोध कर रहा हूं यहां पर.  हम सब विधायक बनेंगे,हटेंगे, सरकार बनेगी, हटेगी, पर आपका हमारा भविष्य  सुरक्षित  भावी पीढ़ी का नहीं रहेगा.  अगर इसी तरीके से  शिवराज सिंह चौहान जी कर्ज लेकर प्रदेश को  लुटाते रहे,  तो आपकी हमारी जो आने वाली भावी पीढ़ी है,  वह सही नहीं रह सकती है.  सरकार के प्रश्न में यह स्वीकार है कि  मेरे प्रदेश में  50 हजार करोड़ रुपया हर वर्ष देनदारियां हैं ब्याज और किश्त की.  मेरे प्रदेश में  शिवराज सिंह जी ने स्वीकार  किया कि यह  पैसा कर्ज लेते हैं हम  4 लाख करोड़ का कर्ज  लिया.  यह जाता कहां  है.  विकास के काम में जाता है.  किसानों के लिये जाता है. कहां जाता है.  तो मैं प्रदेश को यह बताना चाहता हूं कि  पिछले 20 साल में  12 अरब रुपये के विज्ञापन  दिये इस सरकार ने. कर्ज ले लेकर के.  12 अरब रुपये के विज्ञापन दोस्तों, भाइयों.  समझो इस बात को.  इस सरकार ने  ईवेंट,ईवेंट, जिस पर मुख्यमंत्री जी रोज  भाषण करते हैं, माइक ले लेकर.  उन ईवेंट्स  में  इन्होंने 10 अरब  रुपया जो  सरकारी हमारा जन सम्पर्क विभाग है,  उससे खर्च किया और 40 अरब रुपया  अलग अलग विभागों  से खर्च किया.  50 अरब रुपया  यह सरकार ने ईवेंट पर कर्ज लेकर खर्च किया.  यह स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनायेंगे, जिन्होंने 250 करोड़ रुपये  विदेशी  यात्राओं पर खर्च किया. यह स्वर्णिम मध्यप्रदेश  बनायेंगे,  जिसमें बहुत दुख के साथ  मुझे कहना पड़ता है, बहुत छोटी और ओछी बात  है.  नहीं कहना चाहिये.  भारत वर्ष में  हिन्दू धर्म में,  जिस धर्म से मैं आता हूं, भूखे को खाना खिलाना, सबसे बड़ी पूजा मानी गई है.  अध्यक्ष जी, मेरे मुख्यमंत्री  ने गरीबों के पैसे से, मेरे मुख्यमंत्री ने कर्ज  के पैसे से  भारतीय जनता पार्टी के  कार्यालय में,  कार्यकर्ताओं को, वहां की मीटिंग्स को  इतना दुख और र्दद , इतना भाव है, वहां पर 40 करोड़ रुपये का  खाना खिला दिया.  कार्यालय में अन्दर  और जो बात कह रहा हूं, रिकार्ड से कह रहा हूं.  यह मध्यप्रदेश के साथियों, विधायकों,  आप जन प्रतिनिधियों,  सत्ता के भी और विपक्ष के भी, यह देश का पहला मुख्यमंत्री  है,  जिसने सरकार के पैसे से  बीजेपी कार्यालय में  खाना खिलाया.

          श्री ओ.पी.एस. भदौरिया-- (अपने आसन से बाहर आकर जोर जोर से अपनी बात कहते हुए) अध्यक्ष महोदय, इनको प्रामाणिक बात करना चाहिये.

..(व्यवधान)..

          श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष जी, मैं रिकार्ड से बात कर रहा हूं.          

 

                      (...व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - आप अपने आसन से बात करें. बैठ जाईये.

          (..व्यवधान..)

          श्री जितु पटवारी – (XXX)

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - पीछे जाईये. मंत्री जी बैठ जाईये. जब इस पक्ष का नंबर आए तब खण्डन करिये. बैठ जाईये.          (..व्यवधान..)

          श्री कुणाल चौधरी -  35 करोड़ खाने वाले का दर्द है.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठ जाएं. मुझे कुछ कहने तो दो.

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -  अध्यक्ष महोदय, यह आचरण निंदनीय है.

          अध्यक्ष महोदय - अरे मुझे बोलने तो दो.(..व्यवधान..) नेता प्रतिपक्ष जी बोलें.(..व्यवधान..) दोनों पक्षों का हो गया. बैठ जाईये.

          श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, सिर्फ हम असत्य सुन रहे हैं सत्ता पक्ष का. यह कह रहे हैं शादियां रुक गईं. मेरे क्षेत्र में आईये. मेरा चेलेंज है.(व्यवधान.)

          अध्यक्ष महोदय -  कुणाल जी आपका आ गया.

          श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, यह असत्य बोल रहे है और डराने की भी बात कर रहे हैं. डरेंगे नहीं इनसे.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक - यह (XXX) नहीं चलेगी सदन के अंदर. यह कोई तरीका हुआ. यह कोई व्यवहार हुआ. अध्यक्ष महोदय, आप माफी मंगवाईये. हमें भी आता है. हम भी बाहें चढ़ाकर वहां जाएंगे.

          अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये. मुझे कुछ बोलने तो दीजिये. क्या करेंगे. आपस मे लड़ने थोड़ें देंगे.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक - यही होता रहेगा सदन मे. यही (XXX) होती रहेगी. हम लोग भी नहीं मानेंगे.

          अध्यक्ष महोदय - आप बैठ तो जाईये. माननीय मंत्री जी, मेरी तरफ देखिये.

          डॉ.गोविन्द सिंह - मंत्री हैं आप इनसे माफी मंगवाएं.

          अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, मेरा आग्रह सुनिये. यह कोई मैदान नहीं है. यह  विधान सभा है. इसकी परंपराओं को सुरक्षित रखने की हम सबकी जिम्मेदारी है. इतना ख्याल रखने की आवश्यकता है.  जिस पर कोई आरोप लगा रहे हैं उसको सुनिये. आरोपों का तर्कों के साथ जवाब दीजिये. कोई रोकेगा नहीं पर यह जो हो रहा है. यह ठीक नहीं है. आप मंत्री हो. जिम्मेदार हो. सरकार है आपकी. आरोप लगा तो जवाब दीजिये. कोई आरोप लगा तो अपनी सीट से जवाब दीजिये. सीट से बाहर आकर जवाब थोड़े देगा.

          श्री कुणाल चौधरी - वह असत्य आरोप लगा रहे हैं और उलटी बातें कर रहे हैं और दादागिरी करने की बात कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय - ठीक है मैंने कह दिया.

          श्री कुणाल चौधरी - यह डरा नहीं सकते हमें. यह माफी मांगें. इनका यह कृत्य अशोभनीय है. (XXX) यह बिल्कुल भी मान्य नहीं होगी.

          अध्यक्ष महोदय - नेता प्रतिपक्ष जी, मैंने आसंदी से कह दिया वह काफी है.

          डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि ओ.पी.एस.भदौरिया जी का व्यवहार बिल्कुल गलत है. सदन में ऐसा कृत्य उन्होंने किया है तो उसके लिये वह खेद  व्यक्त कर दें. बात खत्म.

          चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय,

          अध्यक्ष महोदय - मैंने व्यवस्था दे दी है.

          श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, आपने व्यवस्था दे दी है और उनका कोई ऐसा मतलब नहीं था यहां तक वे मेरे से बात करने आए थे.

          डॉ.गोविन्द सिंह - यह गलत है.

          (..व्यवधान..)

          श्री विश्वास सारंग - पूरी बात तो सुनिये. माननीय अध्यक्ष महोदय,आगे की कार्यवाही करवाईये.

          (..व्यवधान..)

          श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय,यह असत्य बोल रहे हैं. यह कह रहे हैं कि इनसे मिलने आए. यह असत्य बोलने वालों का जमावड़ा है सामने.

          श्री कांतिलाल भूरिया - अध्यक्ष महोदय, यह असत्य बोल रहे हैं.

          श्री प्रियव्रत सिंह - यह सदन की पूरी रिकार्डिंग निकाल लें.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदन चलाने का अधिकार आपका और सत्‍तापक्ष का है. सत्‍ता पक्ष का एक सदस्‍य माननीय मंत्री अगर इस तरह का आचरण करते हैं तो यह निंदनीय है. ...(व्‍यवधान)... मंत्री को इस सदन से माफी मांगना चाहिये, उनका आचरण ठीक नहीं है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विश्‍वास सारंग जी को भी खेद व्‍यक्‍त करना चाहिये.

          अध्‍यक्ष महोदय-- विजय लक्ष्‍मी जी मैंने आसंदी से व्‍यवस्‍था दे दी है और कह दिया है कि यह गलत है, यह मैदान नहीं है ...(व्‍यवधान)...

          श्री कुणाल चौधरी--  अध्‍यक्ष जी, इनसे माफी मंगवाईये, इनका व्‍यवहार सुधरवाईये और यह असत्‍य बोलते हैं, खरीदे हुये जनादेश की सत्‍ता में (XXX) करते हैं ...(व्‍यवधान)... यह खरीदे हुये लोग (XXX) करेंगे. ...(व्‍यवधान)... (XXX). ...(व्‍यवधान)...

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ...(व्‍यवधान)... अरे मुझे तो बोल लेने दो भाई, ...(व्‍यवधान)... माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने व्‍यवस्‍था दे दी, उन्‍होंने मान ली, मैं निवेदन करूंगा जितु पटवारी जी अपना वक्‍तव्‍य पूरा करें. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  मैंने ऐसा कृत्‍य किसी मंत्री का 30 वर्ष में पहली बार देखा है, अगर आपने इस तरह का बर्ताव किया है तो हमारा अनुरोध है कि आप खेद व्‍यक्‍त करें, इसमें आपका बड़प्‍पन है. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  नेता प्रतिपक्ष जी, मैंने यहां से व्‍यवस्‍था दी, उनके आचरण को हमने ठीक नहीं माना, यह आपके रिकार्ड में आ गई इसके बावजूद भी जरूरत है क्‍या.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  आपके निर्देश के बाद भी इस प्रकार की घटना कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  उसके बाद शायद आवश्‍यकता नहीं है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपसे बड़ा सदन में कोई नहीं है, आपने जो बोल दिया वह पर्याप्‍त है, जितु पटवारी जी अपना वक्‍तव्‍य दें.  ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  मैंने कह दिया न उनका आचरण ठीक नहीं है, इससे बड़ा आदेश क्‍या हो सकता है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री प्रियव्रत सिंह--  अध्‍यक्ष जी, इनकी मंशा यह है कि अविश्‍वास पर चर्चा न हो, इस तरह की घटना करवाकर विधान सभा स्‍थगित करवाना चाहते हैं, यह इनकी मंशा है क्‍योंकि यह आरोपों का सामना नहीं कर सकते, अपने सदस्‍यों को उठा-उठाकर हिंसा करवाना चाहते हैं. यह अविश्‍वास पर चर्चा नहीं चाहते, मुंह छिपा रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री विश्‍वास सारंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जितु पटवारी जी का वक्‍तव्‍य शुरू करवा दें मेरा निवेदन है.          ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  जितु जी शुरू करें.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  आप व्‍यवस्‍था दे दें.

          अध्‍यक्ष महोदय--  व्‍यवस्‍था दे दी.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  क्‍या व्‍यवस्‍था दे दी सुन नहीं पाये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  मैंने यह कहा कि उनका आचरण ठीक नहीं है, ऐसा आचरण नहीं करना चाहिये, यह सदन है, बाहर का मैदान नहीं है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  फिर इनकी निंदा करें. ...(व्‍यवधान)... यह सदन निंदा करती है. ...(व्‍यवधान)...  (नरोत्‍तम मिश्रा जी के सदन में आने पर नेता प्रतिपक्ष जी उन्‍हें घटना की जानकारी देते हुये)  जितु पटवारी जी का वक्‍तव्‍य चल रहा था, पता नहीं ओ.पी.एस. भदौरिया को क्‍या हो गया, आये एकदम पहलवानी करने चले आये, यह सदन में आज 30 वर्ष में यह पहली बार हुआ है, मंत्री के द्वारा इस तरह का कृत्‍य आज तक कभी सदन में नहीं हुआ, अगर आपने ऐसा किया है तो आपको खेद व्‍यक्‍त करने में क्‍या परेशानी है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  खेद व्‍यक्‍त कर रहे हैं.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  उनसे करवाओ, आप क्‍यों कर रहे हो.

          अध्‍यक्ष महोदय--  वह संसदीय कार्यमंत्री हैं न. ...(व्‍यवधान)...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने कहा कि उनका आचरण निंदनीय है तो वह दो शब्‍द खेद व्‍यक्‍त कर दें. हम निंदा प्रस्‍ताव लायें क्‍या फिर क्‍या करें.

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  आसंदी से व्‍यवस्‍था आ गई फिर क्‍या है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  एक तरफ जब आप यह कहते हैं कि मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्‍मेदारी होती है, उसी जिम्‍मेदारी का निर्वहन करते हुये संसदीय कार्यमंत्री जी ने खेद व्‍यक्‍त कर दिया तो उसमें मान लिया जाये कि खेद प्रकट हो गया.

      श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  जब सदस्‍य सदन में उपस्थित नहीं हो, तब संसदीय कार्यमंत्री जी बोलें, हम मान लेंगे, इस तरह का आचरण ठीक नहीं है.

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- अब यह ओ.पी.एस. हमारा दोस्‍त है, यह क्षेत्र में तो भीगी बिल्‍ली बने रहते हैं, यहां आकर (XXX) बता रहे हैं.

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री सज्‍जन जी आप बैठ जायें, डॉ. सीतासरन शर्मा जी आप बोलें.

डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्‍वाइंट ऑफ आर्डर यह है कि माननीय जितु पटवारी जी ने अभी भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाये हैं. क्‍या इन्‍होंने पहले लिखित सूचना दी है और यदि प्रमाण सहित नहीं दी है तो उसको विलोपित किया जाये.

श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरा लिखित में दिया है, सारी चीजें दी है, मतलब ये सदन में आरोप भी नहीं लगा सकते हैं.

डॉ.सीतासरन शर्मा -- यह नियम है, नियम है, अविश्‍वास प्रस्‍ताव का नियम   यह कि लिखित सूचना देना चाहिये और उसके डाक्‍यूमेंट्स देना चाहिये, यदि नहीं दिये हैं विलोपित की जायें. अध्‍यक्ष महोदय, माननीय श्रीनिवास तिवारी जी के समय का इसी विधानसभा का पूर्व उदाहरण हैं. (व्‍यवधान ..)

श्री कुणाल चौधरी --(व्‍यवधान..)  प्रदेश को लूटना नियम है, खरीदे हुए जनादेश की सरकार चलाना, यह नियम है, यह नियम चल रहा है. (व्‍यवधान ..)

अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें, श्री जितु पटवारी जी आप बोलें.

श्री जितु पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अनुरोध यह कर रहा था कि यही आवाज तो मैं उठाना चाहता था कि इस तरह की तानाशाही पर यह सरकार उतर आई है. यह उदाहरण इन्‍होंने दिया है( मेजों की थपथपाहट) अगर इनको मेरे पर हमला करके सांत्‍वना मिलती हो तो मैं स्‍वीकार करता हूं कि आप मारकर, मेरी हत्‍या करके अगर प्रदेश स्‍वर्णिम बना सकते हों तो बना सकते हो, रही बात जो मैंने आरोप लगाये हैं, एक-एक चीज जो बोला और जो बोलूंगा एक भी असत्‍य और अतार्किक नहीं है. यह मैंने जो बोला (व्‍यवधान)...

डॉ.सीतासरन शर्मा -- यहां प्रमाण रखना पड़ेगा.

श्री जितु पटवारी -- जहां तक आदरणीय वरिष्‍ठ सदस्‍य जी का सवाल है, इसी आसंदी पर थे, आपको देख देखकर ही सब सीखा हूं और आप जैसा समझाते थे, वही समझकर आज बात कर रहा हूं. मेरा अनुरोध तो इतना है कि मैंने यह कहा है कि एक मुख्‍यमंत्री देश का पहला है. (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र,संसदीय कार्यमंत्री जी की ओर देखकर) नरोत्‍तम जी, नरोत्‍तम जी, आपने गोल्‍ड मेडलिस्‍ट कहा है मेरे मुख्‍यमंत्री जी को उसी के संदर्भ में बात है, हैं गोल्‍ड मेडलिस्‍ट शिवराज सिंह चौहान नो डॉउट स्‍वीकार्य है (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र,संसदीय कार्यमंत्री जी की ओर देखकर) इधर देखकर ही बात करना पड़ेगी, इॅगनोर कितना भी करो, सच्‍चाई सुननी पड़ेगी आदरणीय मिश्रा जी(हंसी).. कितना भी करो, आपसे भी बहुत कुछ सीखा हूं दस साल में.

अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, उन्‍होंने कान आपकी तरफ कर लिया है.

श्री जितु पटवारी -- मेरा अनुरोध तो इतना ही था कि पहला मुख्‍यमंत्री है मेरा, जिसने भ्रष्‍टाचार नहीं किया, केवल सरकार के पैसों से (XXX) और बी.जे.पी. कार्यालय के अंदर यह प्रश्‍न सरकार का उत्‍तर है और पांच साल में 9 करोड़ रूपये का खाना खिलाया तो बीस साल में कितने का खिलाया होगा ? यह है स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश बनाने वाली सरकार, यह संदर्भ था कि यह कर्जा जो ले रहे हैं, यह जा कहां रहा है? यह कर्जा यहां जा रहा है कि हवाई जाहज खरीदी जा रही है और यह कर्जा कहां जा रहा है.

श्री हरिशंकर खटीक -- क्‍या पटवारी जी के पास ऐसा रिकार्ड है  ?

अध्‍यक्ष महोदय -- हरिशंकर जी आप बैठ जायें.

श्री जितु पटवारी --  XXX

अध्‍यक्ष महोदय -- यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.  

            श्री जितु पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 52 हजार रूपया प्रति व्यक्ति पर कर्जा हो गया है और फिर भी मुख्‍यमंत्री को गोल्‍ड मेडल मिलना चाहिये.  हर व्‍यक्ति जो आपका पोता है न घर पर, जिसको आप खिलाते हो, आप उस पर भी 52 हजार रूपये का कर्जा चुका सकते हो, पर मैं नहीं चुका सकता हूं. मेरी भी नातिन है, उस पर भी 52 हजार रूपये का कर्जा है, यह स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश आपने बनाया है. अब मैं आप पर आऊं, चंबल के डाकू इन्‍होंने समाप्‍त कर दिये हैं, इन्‍होंने विंध्‍य के भी डाकू क्‍या मालूम कौन-कौन से नाम हैं, शायद सबसे दोस्‍ती होगी इनकी सबके नाम लिये, एक नहीं बचा, नक्‍सली भी नहीं बचा और हमने ट्वीट नहीं किया भाई क्‍या आपत्ति इस पर है, आदरणीय गृहमंत्री जी आपत्ति इस पर है कि मोदी जी ने आपकी सबसे ज्‍यादा निंदा की है कि सबसे खराब गृह मंत्रालय आप चला रहे हो, समझ गये यह याद है हमें, आदरणीय अध्‍यक्ष जी शिवराज जी रोज भाषण देते हैं कि किसी अपराधी को नहीं छोड़ूंगा, अपराधियों को दस हाथ गहरे गड्ढें में गाढ़ दूंगा. बलात्‍कारी कोई नहीं बच सकता है, फांसी होगी. एक भी भ्रष्‍टाचारी मध्‍यप्रदेश की धरती पर नहीं टिकेगा. क्‍या मालूम क्‍या-क्‍या बोलते हैं ? पहले मुख्‍यमंत्री सरल, सौम्‍य अच्‍छे लगते थे. अब क्‍या मालूम कौन उनको ज्ञान देता है ? भगवान ही जानें. उन्‍होंने कहा कि ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया से कॉम्पिटिशन है तो यंग दिखो, नहीं तो वह मोदी जी को पटा रहा है, उसकी कुछ न कुछ आरएसएस में भी पकड़ बन रही है. अमित शाह भी उनको आजकल ज्‍यादा भाव दे रहे हैं,  तो लगे हुए हैं. यह अच्‍छा, वह अच्‍छा. यह कह रहे थे कि मेरा मुख्‍यमंत्री, मेरा मुख्‍यमंत्री, पर अमित शाह जी के पास जाकर क्‍या कहते हैं वह भी बता ही दो, वह भी बताओ. मेरा मुख्‍यमंत्री, मेरा मुख्‍यमंत्री- साहब, अगर शिवराज सिंह रहा, तो समझो सन् 2018 में जो हुआ, उससे भी बदतर हालत होने वाली है. आप कहते हो कि नहीं कहते हो, शपथ के साथ सच बताओ नरोत्‍तम जी, फिर वह कहते हैं कि किसको करें ? तो बात आती है ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया पर, तो फिर यह पीछे पैर रखते हैं कि वही अच्‍छा है, वही अच्‍छा है. कोई बात नहीं. आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी, मुझे पता है कि वह सुन रहे हैं और मैं चाहूँगा कि वह उत्‍तर दें. उनका एक वीडियो मेरे पास आया, मेरे भी नरोत्‍तम जी वीडियो खूब देखते हैं, मैं भी इनके वीडियो देखता रहता हूँ कि इनको एनसीआरबी के आंकड़ों की रिपोर्ट नहीं दिखती है, यह फिल्‍म के ट्रेलर देखते हैं और ट्रेलर में भी कपड़े, आप देखो. मैं समझ नहीं पाया आदरणीय अध्‍यक्ष जी. किसी ने मुझसे कहा कि मुख्‍यमंत्री का सीधा वक्‍तव्‍य है कि इतने लोगों को सस्‍पेंड करोगे तो सब नाराज हो जाएंगे, मैंने कहा कि मुझे किसी बात की परवाह नहीं, जो होगा देखा जायेगा. लेकिन बेईमान मध्‍यप्रदेश की धरती पर बचेगा नहीं. आप लोग यह रोज देख रहे हो न. मीडिया वाले भी देख ही रहे होंगे. तुलसी भैया आप भी सुनो, आखरी में उन्‍होंने कहा कि कमाने वाला खाएगा, लूटने वाला जायेगा, नया जमाना आएगा. यह शिवराज जी ने कहा, मैं नहीं कह रहा हूँ. मुझे यह पता नहीं है कि शिवराज की लूट है, लूट सके तो लूट ले, सब लगे हैं लूटने में, लूट सके तो लूट ले.

          आदरणीय अध्‍यक्ष जी, एनसीआरबी के आंकड़ों में 263 हैं, मैं अभी बोल चुका हूँ, पर बताना चाहता हूँ कि यह भ्रष्‍टाचारी जिस क्‍लर्क को सस्‍पेंड करते हैं, एसडीओ को करते हैं, एसडीएम को करते हैं, तो जिले का कलेक्‍टर क्‍या झांझ मजीरा बजाता है ? टीआई को सिपाही को सस्‍पेंड करना चाहिए, उसको मुख्‍यमंत्री करते हैं, तो यह तंत्र कैसा है. गृह मंत्री क्‍या कर रहे हैं ? मैं समझ नहीं पाया कि 263 मामले सरकार के पास रखे हुए हैं कि यह भ्रष्‍टाचारी लोग जिन पर मुकदमे लोकायुक्‍त में लगे हैं, उन पर मुकदमा चालू करो. शिवराज सिंह जी ने अपना मुंह क्‍यों सिल लिया ? हाथ क्‍यों बांध लिये ? उनकी आंखें उन फाइलों को क्‍यों नहीं देखती हैं ? अगर वह भ्रष्‍टाचार को मध्‍यप्रदेश की धरती पर रहने नहीं देना चाहते हैं तो क्‍या कारण है ? अगर आपकी नीयत में खोट नहीं है तो आप मुकदमे चालू करने की अभी, इस महीने घोषणा करो. 263 मुकदमों की आपने फाईल बन्‍द कर दी है. आपने फाईल क्‍यों बंद कर दी ? लोकायुक्‍त गलत था या आप गलत हो. लोकायुक्‍त को सजा दो या यहां सदन में खड़ा करो. जिसने उन पर मुकदमे लगाए थे, क्‍यों लगाए थे ? वह अधिकारी भ्रष्‍ट था, उसने दुर्भावना से लगाये, अगर लगाए हैं तो फिर उस पर सजा होनी चाहिए कि नहीं. अध्‍यक्ष जी, आप बताएं इस बात को, यह सदन बताए या आदरणीय गृह मंत्री बताएं. एक क्‍लर्क को सस्‍पेंड करके वाहवाही लेना है, किस ऑफिस में बिना पैसे से काम होता है, एक कर्मचारी/अधिकारी, जो यहां पर बैठे हैं या जिलों में हैं वह भी. किसकी पोस्टिंग बिना पैसों के हो गई ? इस प्रदेश में ऐसा कोई एक उदाहरण भी नहीं मिलेगा. आपने कहा कि वल्‍लभ भवन कमलनाथ जी के राज में दलालों का अड्डा बन गया था. मैंने पांच बार पूछा कि आदरणीय शिवराज जी आप जब अभी नये मुख्‍यमंत्री बने हैं, आपने कितने ट्रांसफर किए हैं? आईएएस, आईपीएस और अन्‍य लोगों की जरा लिस्‍ट दो, लेकिन 10 बार में भी लिस्‍ट नहीं मिली. अगर आपकी ईमानदारी होती तो देते, अरे मैंने ये पूछा मुख्‍यमंत्री जी ये उप चुनाव हुए, जनता जिसको जिता दे, जो जीता वह सिकन्‍दर, जिस दिन तक आप इधर उधर सब गए, हमने अपनी बातें कही, पर जिस दिन से आप वापस जीतकर आए, तो यहां बैठे हुए हमारे मुख्‍यमंत्री हैं, प्रदेश के मुख्‍यमंत्री हैं. हमें नहीं तकलीफ है, आप राज्‍य चलाओ, प्रदेश चलाओ, सही चलाओ हम हमारा काम करेंगे, पर मुख्‍यमंत्री जी आपने जो उपचुनाव में घोषणा की, जो मुंह में आया वह बोल दिया, जितनी बातें थी इनकी, जो चुनाव लड़ें, उनके क्षेत्रों में बोल दी, मैंने पूछा ये घोषणाओं की लिस्‍ट दे दो, 10 बार विधि-विधान से, एक बार भी नहीं दी, क्‍यों, केवल घोषणा सबसे ज्‍यादा करने वाले भी गोल्‍ड मेडलिस्‍ट मेरे भी मुख्‍यमंत्री हैं, नरोत्‍तम जी ये याद है कि नहीं आपको कि ये सर्टिफिकेट भी मैं बनाकर दूं. आदरणीय अध्‍यक्ष जी, मेरा अनुरोध सिर्फ इतना है कि अगर भ्रष्‍टाचार की लड़ाई लड़ना है तो लोकायुक्‍त के मुकदमें की अनुमति मिलनी चाहिए. दूसरी बात मकवाना जी को क्‍यों हटाया, ये भी मेरे पास रिकार्ड नहीं है, कोई पूछेगा रिकार्ड है क्‍या. मैं इस बात को मानता हूं कि..

          अध्‍यक्ष महोदय - थोड़ा पूरा करेंगे, आधा घंटा हो गया.

          श्री तरुण भनोत - 23 तारीख तक विधान सभा चलनी है, यही काम करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - तुम सभी बोलेंगे, कि उन्‍हीं को बोलने दे, आप अपना पूरा समय उन्‍हीं को दे दो, मैं तो एलाऊ करता हूं समय, कोई दिक्‍कत नहीं है.  एक दूसरे की सिफारिश करने की जरूरत नहीं है. अपना अपना समय दे दीजिए, पूरा बुलवाइए.

          श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्‍यक्ष जी, मेरे ऊपर तो हमला होते होते बचा. मुझे उसका खेद नहीं है, पर मैं थोड़ा ज्‍यादा बोल रहा हूं तो आपको, (भैया अनुमति है मुझे बोलने की विपक्ष के साथियों की तरफ देखते हुए) विपक्ष की सदस्‍यों द्वारा हां, बोले.

          अध्‍यक्ष महोदय - हां बस ठीक है, दूसरो की फिर कटौती होगी.

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, मेरा आपसे इतना अनुरोध है, नरोत्‍तम जी अभी कह रहे थे, और पास में बैठे हुए मंत्री जी भी कह रहे थे, उन्‍होंने कहा कि बलात्‍कार हुआ तो 10 हजार, फिर हुआ तो 20 हजार रूपए. बहुत दुख की बात है ऐसा नहीं कहना चाहिए. अगर दिवंगत व्‍यक्ति ने भी ऐसा कहा तो मैं समझता हूं कोई भी सभ्‍य समाज, सभ्‍य सदन उसकी किसी भी रूप में व्‍याख्‍या सही तरीके से नहीं कर सकता है. पर आदरणीय नरोत्‍तम जी आपको वह 30 साल पहले की घटना याद है, अच्‍छी बात है. पर मोदी जी ने कहा है कि दस हजार तीन सौ रेप आप ही के राज में हुए भाई साहब. उसमें आदिवासी बच्चियों के सबसे ज्‍यादा हुए हैं. अभी खंडवा में एक आदिवासी 18 वर्ष की लड़की के साथ रेप हुआ, भूरिया जी चिल्‍लाते रहे, आपके हलक से एक शब्‍द नहीं निकला. (XXX) और आप मेरी बात सुनने को तैयार नहीं है, नरोत्‍तम जी, इधर उधर बाहें और आंखें फैलाकर के बातें करके अपना ध्‍यान भटकाकर के समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि तेरे को नहीं सुनेंगे हम, यही तो लड़ाई है हमारी, आपकी कि सुन नहीं रहे हो आप. अध्‍यक्ष जी, ये प्रदेश की जनता नहीं सुन रहे हैं, ये जितने अहंकार में है, ऐसे ही अहंकार में किसी समय हमारे लोग भी थे, जब बदलाव होगा, समय बदलेगा, यही लोग (XXX). मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि एनसीआरबी के आंकड़े कहते हैं कि सबसे ज्‍यादा बलात्‍कार जो गृहमंत्री रोज ट्रेलर देखते हैं फिल्‍मों के उसी के कार्यकाल में हो रहे हैं. सबसे ज्‍यादा बड़े अपराध नरोत्‍तम मिश्रा जी आप ही के कार्यकाल में हो रहे हैं. मैं एनसीआरबी के आंकड़ों की सारी बातें करूं तो आपको समझ में आएगा कि गोविन्‍द सिंह जी अच्‍छा बोल रहे थे कि नहीं बोल रहे थे. मैं आपसे अनुरोध करता हूं अध्‍यक्ष जी, अगर ये पेश कर दूं इनके चरणों में कि इस पर सुधार करो, इसमें सुधार करो नरेन्‍द्र मोदी जी की रिपोर्ट है कि आप सबसे कम काम करने वाले मेरे इधर उधर के शब्‍द बोलने में नहीं आते, नहीं तो वह कहीं उसकी भाषा में न आ जाए, नहीं तो (XXX) हो, इसको स्‍वीकार करें. सच है, मैं थोड़ी कह रहा हूं, मोदी जी कह रहे हैं, ये एनसीआरबी के आंकड़े कह रहे हैं, नहीं आदमी बहुत भला है, बातें अच्‍छी करता है, हम में से कोई भी बात करें, तो यूं अरे यार तू तो मेरा बेटा है, भाई है, ले बता क्‍या करना है, इसमें नो-डाउट. पर अच्‍छा है, ये जितने लोकप्रिय उधर हैं, उतने लोकप्रिय इधर भी है, पर नहीं मैंने दो-तीन का बोला बिना पैसे का करवाया, कभी नहीं लिए, मैं गलत बात ही नहीं करुंगा, मैं सच्‍चा इंसान हूं, गांव का, गरीब का किसान का बेटा, तुलसी भैया मेरे पिता जी किसान है कि नहीं, आपके दोस्‍त है कि नहीं.

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्‍यक्ष जी, सब इसके जैसे गरीब बन जाए.

          श्री जितु पटवारी - नहीं ये शिकायत आती है, मुझे पता है कि बंदूक का लायसेंस बिना  2, 3-4 लाख का नहीं मिलता, पर गृहमंत्री जी नहीं लेते, मेरे से लिए नहीं तो मैं नहीं बोल सकता, मैं जो सच होगा वही बोलूंगा, भले मेरे पर ये आरोप लगा जाए कि गृहमंत्री और जितु पटवारी मिले हुए हैं, तो भी सच ही बोलूंगा, मेरे से पैसे नहीं लिये.जब भी आपको कोई काम बताया. अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही गंभीर विषय है 33 हजार अकेले ऐसे मामले हैं छोटी बेटियों के बलत्कार यह कभी नहीं होता कि 8 साल अथवा 10 साल की बच्चियों के साथ रेप के मामले में सबसे खराब है हमारा प्रदेश. दलितों की, आदिवासियों के अपराधों की सबसे बड़ी बात हमारे वरिष्ठ नागरिकों की जो अभी 60 साल के ऊपर के हैं इस पर भी 92 प्रतिशत सबसे ज्यादा केस एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार हमारे ही प्रदेश के हैं. आपका ऐसा गृह मंत्रालय है. आपने सिमी पर कार्यवाही की यह अच्छी बात है. देशद्रोही किसी भी रूप में देश में दिखे उन्हें नेस्तनाबूत करो. सिमी के आतंकवादी भागे भी आप ही के राज में थे उस समय आप ही मंत्री थे. यह मत भूलो कि भागने के बाद वह मारा गया. यही तो बात है कि आप कानून नहीं मानते हैं. वह आया था ऐसे ही मारने आप इस बात को समझो. अध्यक्ष महोदय, एनसीआरबी की रिपोर्ट 2020-21 की सड़क हादसे, दलितों पर अत्याचार कई लंबी फेहरिस्त है. शिवराज सिंह जी एक ओर बात करते हैं कि मेरे पास इनवेस्टर मीट का भी कागज है. कितने बच्चों को रोजगार मिला, उस पर कितना पैसा खर्च हुआ. देश विदेश की यात्राओं पर 100 करोड़ रूपये खर्च हुआ . पर्टीक्यूलर इन्दौर में इनवेस्टर मीट की बात है, वह इन्दौर में हो रही है. हर मुख्यमंत्री जो प्रदेश का मुखिया होता है उसका यह धर्म है कि इनवेस्टमेंट लाये ताकि बच्चों को रोजगार मिले. प्रदेश की तरक्की हो, यह सराहनीय कार्य है. इसमें किसी भी प्रकार का नकारात्मक दृष्टिकोण नहीं हो सकता है और यह इन्दौर में हो रहा है. पूरे दुनिया के लोग इन्दौर आते हैं और इन्दौर को पहचानते हैं. यह तो मेरे लिये और भी फक्र की बात हैं. आपने 100 करोड़ रूपये यात्रा में खर्च कर दिया. शिवराज जी का एक बयान बहुत ही पापुलर हुआ था कि अमेरिका की सड़कें मध्यप्रदेश से ज्यादा खराब है. आपने सुना होगा. उसमें उन्होंने सिर्फ सड़क की बात नहीं थी शिवराज सिंह जी वहां पर भी भिड़े थे उन्होंने वहां पर रोड़ शो अमेरिका में किया है. मेरे प्रश्न के उत्तर में रोड़ शो पर पैसा खर्च किया है, यह मुझे मिला है. अमेरिका में रोड़ शो कैसे कर लिया मुझे इसके बारे में आज तक समझ नहीं आया. क्या किया था नरोत्तम जी, कौन लोग थे वो जो रोड़ शो में हाथ हिला रहे थे कृपा, भगवान, ईश्वर अरे मोदी जी करें तो पता लगे कि टीवी पर आ रहा है कि टीवी पर मोदी मोदी ऐसी आवाज आती थी. शिवराज सिंह जी ने रोड़ शो कहां किया ? उसमें रोड़ शो का खर्चा? देश में किये गये ईवेंट एवं विदेशों में किये गये ईवेंट उसमें 28 सौ करोड़ रूपये का खर्च. आप तो समझने की कोशिश करो उसमें सरकारी सब्सिडियां जितनी कम्पनियों को सरकार सब्सिडियां दीं उनका ब्यौरा खरबों रूपयों में. सरकारी जमीनों का आवंटन में 1 लाख 20 हजार करोड़ रूपये जमीन का लेंड बैंक हमारे पास है. यह लेंड बैंक किसका है ? किसानों का है जिनसे आप जबरदस्ती जमीनें छीनते हैं. उन गरीब लोगों का है जो रोज दर ब दर कोर्ट के चक्कर काटते हैं. उन परिवार के लोगों ने जिन्होंने अपना पेट काट काट कर उन्होंने जमीनों को संरक्षित किया सांवेर में देपालपुर में, इन्दौर में, राऊ में, जमीनों के लिये सरकार की तरफ से जबरदस्ती लठ आप चलाते हैं. मैं समझता हूं कि ईस्ट इंडिया कंपनियों जैसा जमीनों के अधिग्रहण करने के मामले में व्यवहार है. यहां पर सभी किसान के बेटे हैं मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि किसान की खेती छीनने में सरलता अगर सरकार करे तो इसमें पक्ष एवं विपक्ष नहीं देखना चाहिये. यह पक्ष विपक्ष का विषय नहीं हो सकता है. यह विषय किसान उसके बेटे और भावी पीढ़ी का विषय उस जमीन माता का होता है. मैं मानता हूं कि सरकार अगर जमीनें छीनना बंद करेगी तो ही यहां पर अविश्वास का प्रस्ताव आया है. आप लोगों को किसान के बच्चे देख रहे हैं आप लोगों को. कुल कितनी कम्पनियों से एमओयू हुए और कितनी कम्पनियां आय यहां पर कार्यरत हैं इतने साल में रोज ईवेंट बने मीडिया मेनेजमेंट हुआ उसमें कितनी कम्पनियां कार्यरत् हैं. 228 आईटी की कम्पनियां आयीं उसमें 2750 और 1380 लोगों को रोजगार मिला यह आपका प्रबंधन है. उसमें 1380 और 2750, यह आपका रोजगार है. यह आपका मैनेंटमें है कि शिवराज ने 80000 हजार रोजगार दिये, अभी भाई साहब भाषण दे रहे थे. कितने  बच्‍चों को रोजगार दिये?  जगह-जगह आप बेरोजगारों को लड्ठ मार रहे हो.( सत्‍ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए.)  अभी भोपाल पीएससी के अभ्‍यर्थी भोपाल आये थे उनको कितने डंडे पड़े. एससी, एसटी के बैकलॉग के पद वाले बच्‍चे दौड़ रहे हैं, अभी व्‍यापम के जितने अभ्‍यर्थी हैं वह आपको ढूंढ रहे हैं और सही समय पर आपको ढूंढ कर ठपाठप यह जो आपने गुजरात और हिमाचल की बात की वह सब बतायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आपको बोलते हुए 40 मिनट से ज्‍यादा हो गया है.

          श्री जीतू पटवारी:- भईया मैं बोलूं या नहीं बोलूं. ( अपने सदस्‍यों को इशारा करते हुए)

          अध्‍यक्ष महोदय:- उनके बोलने से मैं, अनुमति थोड़े ही दूंगा. यह गलत बात है. मैं ऐसा अलाउ नहीं करूंगा. यदि वह कह देंगे कि समय दे दो तो क्‍या वह समय हो जायेगा और मैंने कहा है कि जिनको लगता है कि हमको नहीं बोलना है तो दीजिये ना, हम उनको समय देते हैं.

          श्री लाखन सिंह यादव:- मेरा समय आप दे दो.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप लिखकर दो ना कि किनको-किनको देना है. यह थोड़े चलेगा.

          श्री कुणाल चौधरी:- दिया.

          श्री जीतू पटवारी:- जो-जो मुझे अपना बोलने का समय देना चाहता है, वह लिखकर दे दें.

          अध्‍यक्ष महोदय:- जो बोलने वाली सूची में हैं, वह लिखकर दे दें कि हमको नहीं बोलना है.

          श्री जीतू पटवारी:- हां, लिखकर दे दो.

          अध्‍यक्ष महोदय:- हां, लिखकर दो.

          श्री तरूण भनोत:- अध्‍यक्ष जी आज और कल का समय हम इनको देते हैं, बाकि सदस्‍य बाद में बोल देंगे.

          श्री जीतू पटवारी:- अध्‍यक्ष जी, मेरे को सिर्फ 10 मिनट और दे दीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, अब आप खत्‍म करिये.

          श्री जीतू पटवारी:- अभी खास क्‍लाइमेक्‍स है. हां दे दो. इसमें 10 मिनट मेरे और बाकि जो कम कर दे उसका.

          अध्‍यक्ष महोदय:- उसमें लाखन सिंह जी का सूची में से नाम काट दीजियेगा, उन्‍होंने कहा है. (हंसी)       

          श्री जीतू पटवारी:- आदरणीय अध्‍यक्ष जी, सवाल रोजगार का है. नरेन्‍द्र मोदी जी की एक रिपोर्ट जिसका डॉक्‍टर साहब ने भी जिक्र किया था कि मध्‍यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र के अर्धकार्यरत- कार्यरत ऐसे 1 लाख, 30 हजार बच्‍चे नये बच्‍चे जो चालीस साल से नीचे के बेरोजगार हैं और मुख्‍यमंत्री रोज भाषण देते हैं कि भाइयों में 1 लाख नौकरियां खोलूंगा, फिर हम 2-3 महीने देखते हैं कि कोई विज्ञापन आये, परंतु नहीं आता है तो कैसे नौकरियां खुलेंगी, नहीं बता पाते हैं और ना ही आता है. फिर 3 महीने या 1 साल बाद लोग आंदोलन करते हैं तो फिर एक बयान. फिर मैं नौकरी खोलूंगा. मतलब बयानों से उन अभ्‍यर्थियों को नौकरी चाहने वाले लोगों को मैनेज करते हैं. फिर नहीं मानते हैं तो डंडे मारते हैं. यह सब देख रहे हैं. व्‍यापम में आज पांच अरब की एफडी हुई हैं. इस साल व्‍यापक से जो सरकार ने एक्‍जा़म लिया उसमें 114 करोड़ रूपये फिर उगा लिये. एक बेरोजगार, गरीब का बेटा जो तृतीय श्रेणी की नौकरी मांगता है उससे आप परीक्षा फीस के नाम पर अरबों रूपये खा रहे हो. यह खाने वाली सरकार गरीबों का, बेरोजगारों का पैसा खा रही है तो इसके खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव नहीं लायें तो क्‍या लायें.

          मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि ऐसे ही कहा कि बैकलॉग के पदों की बात हो हमारे पीएससी के अभ्यर्थियों के रिजल्‍ट की बात हो तो मुख्‍यमंत्री जी पीएससी के लोगों को बुलाकर कहते हैं कि जल्‍दी से रिजल्‍ट निकालो. अब चुनाव आने वाले हैं नहीं तो मेरा अवरोध होगा. ऐसी बातें करते हैं और जैसे-तैसे, गलत-सलत वह रिजल्‍ट निकाल देते हैं. फिर उन रिजल्‍टों के खिलाफ वापस वह कोर्ट जाते हैं और फिर वहीं का वहीं पीएससी का रिजल्‍ट रूक जाता है, इनका ऐसा शासन है.

          अभी कृषि मंत्री जी आये हैं.  यह भी रोज भाषण देते हैं, रोज बयान और ट्वीट करते हैं कि कमलनाथ को तो जेल भेज देना चाहिये. वह राहुल गांधी जिसने कहा था कि 10 दिन में हम कर्जा माफ करेंगे, वह कहां गये वह आ ही नहीं रहे हैं. आदरणीय कृषि मंत्री जी सचिन( कांग्रेस पक्ष के सदस्‍य) किनके रिश्‍तेदार का कर्जा माफ हुआ'' धर्म पत्‍नी का''. क्‍या आपके पत्‍नी से झगड़ा है, रेखा जी से घर पर बात नहीं होती है कि आपके साले-ससुर गरीब हो तों वह बता दो ? यह बात मुख्‍यमंत्री के रिश्‍तेदारों तो यह बात मुख्‍यमंत्री के रिश्‍तेदारों का हुआ 27 लाख किसानों का साढ़े ग्‍यारह हजार रूपये का कर्जा माफ हुआ. आपने आदरणीय जयवर्द्धन सिंह के प्रश्‍न के जवाब के उत्‍तर में कहा है,आदरणीय बाला बच्‍चन के  उत्‍तर में दिया. मैंने 10 बार पूछा, हमने 100 बार पूछा कि कृषि के ऋण माफी की क्‍या कार्ययोजना है,कितने कितने के हुए, कितने के नहीं हुए तो जानकारी निरंक. एक बार जानकारी एकत्रित की जा रही है यह 10 बार मेरा सवाल है.  आप यहां पर उत्‍तर नहीं देते हो और बाहर ट्वीट करते हो, इसलिये आपके खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव है. आप ध्‍यान रखो कि मंत्री की मर्यादा क्‍या होती है यह आपको पता नहीं है. हम तो बने नहीं थोड़े दिन ट्रेनिंग पर थे अगर हम अमर्यादित हो जाये तो चलेगा, पर तुम तो अनुभवी हो तुम क्‍यों अमर्यादित होते हो. एक कृपा करो आदरणीय कृषि मंत्री जी कि राजनीति के लिये राजनीति करोगे, किसान के बेटे तुम भी हो. हम तो आपके पुराने फैन थे लेकिन बाद में, जब बड़े हुए तो आप तो इतना असत्‍य बोलने वाले निकल गए. आदरणीय कृषि मंत्री जी, बातें बहुत सी हैं. मैं, व्‍यक्तिगत आरोप-प्रत्‍यारोप में नहीं जाऊंगा परंतु एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि बिजली का भी बहुत बड़ा कांड है, वो गटर में चले जाते हैं, खंभे पर चढ़ जाते हैं, वो ट्रांसफार्मर में कर लेते हैं. मैंने कल भी कहा था कि तुलसी भईया कृपा करके समझा देना कि हाथ से तार के करंट न चेक करने लग जायें.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, भूपेन्‍द्र सिंह जी से आग्रह करना चाहता हूं कि वे बिजली मंत्री हैं, तो खंभे पर चढ़ जाते हैं, उनका विभाग है लेकिन आपकी नालियों में जाने से रोको उनको, ये अच्‍छी बात नहीं है. नाली में उतर जाते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  जितु जी, अब आप समाप्‍त करें और भी वक्‍ता हैं.

‍          श्री जितु पटवारी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी बात मुख्‍यमंत्री जी सुन रहे होंगे, मुझे पता है जरूर सुन रहे होंगे और नहीं सुन रहे होंगे तो भूपेन्‍द्र भईया आप बता देना कि मैंने कई बार टी.वी. पर यह बात बोली है, कई वीडियो में भी है, मुझे नहीं पता यह बात यहां बोलनी चाहिए कि नहीं, संसदीय मर्यादा है कि नहीं, यदि कोई गलती हो तो मैं, पहले ही खेद व्‍यक्‍त करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  तो फिर मत बोलो ऐसी बात. जिस बात में स्‍वयं को संदेह हो, ऐसी बात मत बोलो.

          श्री जितु पटवारी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस सरकार के खिलाफ इसलिए अविश्‍वास प्रस्‍ताव आया है क्‍योंकि (XXX).

...व्‍यवधान...

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, एक बात कहना चाहता हूं कि (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय-  नहीं, नहीं, फिर विवाद हो जायेगा.

          श्री कुणाल चौधरी-  (XXX)

...व्‍यवधान...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-  हम तो शिवराज जी को आईना दिखा रहे हैं.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर-  एक बात और सुन लीजिये, यदि आप में लोगों की सेवा करने का साहस है तो चलो मेरे साथ, चलो. उस गरीब व्‍यक्ति की नाली साफ करने, आप यहां लोगों को गुमराह करने का काम कर रहे हो.

...व्‍यवधान...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-  वहां (XXX), नगर निगम तुम्‍हारी पकड़ नहीं हैं क्‍या ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  मंत्री जी, आप बैठ जायें.

...व्‍यवधान...

          श्री प्रियव्रत सिंह-  हम सतीश जी से कह देते हैं कि (XXX)

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर-  आपको CMO बना दें क्‍या ? आप में गरीब का सम्‍मान करने का साहस है क्‍या ? क्‍योंकि तुम्‍हारी इंसानियत मर गई है.

...व्‍यवधान...

          श्री जितु पटवारी-  अध्‍यक्ष जी, आप मुझे बता दीजियेगा कि मुझे कब बोलना है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  जितु जी, आपने 10 मिनट कहा था, आपके 10 मिनट पूरे हो गए हैं. 2 मिनट का हस्‍तक्षेप किया है, जब आपने 10 मिनट कहा, उस समय 4.02 मिनट हुए थे, यदि 2 मिनट की आपत्ति मान ली जाये तो अभी 4.13 मिनट हो रहा है.

          श्री जितु पटवारी-  अध्‍यक्ष जी, मैंने आपका सम्‍मान किया. मंत्री जी खड़े हुए हैं, उनकी बात नहीं सुनेंगे तो कैसे चलेगा ? अध्‍यक्ष जी, आपकी कृपा हम पर रहे. जब आप यहां से बोलते थे तो आप भी अध्‍यक्ष को कहते थे कि हमारे साथ न्‍याय कीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय-  वहां और यहां में बहुत फर्क है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-  जितु, तुमको मेरा भी समय दिया.

...व्‍यवधान...

          श्री जितु पटवारी-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं. मेरा केवल अनुरोध है कि शिवराज सिंह जी कह रहे थे, भूपेन्‍द्र सिंह जी ने भी कहा है कि रोज सुबह 6 बजे उठ जाते हैं, प्रेस कॉन्‍फ्रेंस भी कर लेते हैं. किसी भी विषय पर कॉन्‍फ्रेंस से अधिकारियों से बात करते हैं. यूरिया की कमी हुई तब भी बात की, बिजली को लेकर भी करते हैं. उत्‍तराखण्‍ड में जो त्रासदी हुई थी, वहां भी हमारे मुख्‍यमंत्री जी गए थे, अच्‍छी बात है. मुख्‍यमंत्री हो जाना भी चाहिए, यह उनका धर्म है. जब हमारे मुख्‍यमंत्री जी, जहां कहीं ऐसा कोई कृत्‍य होता है, वहां जाते हैं तो हमें भी अच्‍छा लगता है कि हमारे प्रदेश का मुख्‍यमंत्री एक्टिव है. परंतु मुख्‍यमंत्री जी तब आंखें क्‍यों मिच लेते हैं, जब देश में ऐसा कहीं नहीं हुआ है, यह विश्‍व रिकॉर्ड है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अब आप अपनी बात को समाप्‍त करें. बार-बार आप उसी को नहीं कहें.

          श्री जितु पटवारी-- देश में ऐसा कहीं नहीं हुआ यह भी विश्‍वरिकार्ड है. अध्‍यक्ष जी मैं समाप्‍त नहीं करुंगा पूरी बात करूंगा और अगर आप तरीके से अनुमति देंगे तो करूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आपके कहने से यह नहीं चलेगा. नेता प्रतिपक्ष जी जितु जी जी ने कहा कि दस मिनट से एक सेकेण्‍ड ज्‍यादा नहीं लूंगा. आपके कहने से मैंने आपको दस मिनट तक टोका तक नहीं.

           श्री जितु पटवारी-- मैं समाप्‍त कर रहा हूं. अगर आप बिना टोका-टाकी करवाएंगे तो जल्‍दी हो जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप आगे बढ़ जाते हो.

          श्री जितु पटवारी-- वह तो करना ही पड़ेगा. भूमिका तो ऐसे ही बनती है. शिवराज जी भी तो ऐसे ही बोलते हैं क्‍या मालूम कहां गए-कहां गए फिर यहां आते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- वह बाहर बोलते हैं. यहां नहीं बोलते हैं.

          श्री जितु पटवारी-- वह यहां भी बोलते हैं आप अभी देख लेना.

          अध्‍यक्ष महोदय-- 50 मिनट हो गया है.

          श्री जितु पटवारी-- अध्‍यक्ष महोदय, पांच मिनट और जैसे ही 55 मिनट हो जाएंगे मैं बैठ जाउंगा. भले ही बात खत्‍म हो या न हो.

          अध्‍यक्ष महोदय-- बहुत हो गया है.

          श्री जितु पटवारी-- बस पांच मिनट आप खुश हो जाओगे. अध्‍यक्ष महोदय केवल दो मिनट का समय दे दें.

          अध्‍यक्ष महोदय--आप एक मिनट में अपनी बात को समाप्‍त करें.

          श्री जितु पटवारी-- कमल जी मैंने आगे की बात तो की ही नहीं और आप बीच में खड़े हो रहे हैं नहीं तो आपका फिर बताऊं क्‍या.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप अपनी बात को समाप्‍त करें.

          श्री जितु पटवारी-- मेरा अनुरोध इतना है कि मुख्‍यमंत्री जी सुशासन की बात करते हैं, रोज मेहनत की बात करते हैं. अलग-अलग तरीके से अपने आपको एक्टिव बताने की बात करते हैं बिलकुल सब सच है. एक नंबर एक्टिव देश में सबसे नबंर एक एक्टिव कोई मुख्‍यमंत्री है तो मेरा मुख्‍यमंत्री इस प्रदेश का मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान है. पर जब इनकी आंखें क्‍यों नहीं देख पाती हैं कि उन्‍हीं के मंत्री मण्‍डल में एक मंत्री को उनके ससुर ने दहेज  दे दिया 100, 125 एकड़ जमीन जो कि शिवराज जी को नहीं दिखी. वह जब क्‍यों नहीं देखते हैं कि एक लड़की ने एक मंत्री पर आरोप-प्रत्‍यारोप लगाया. कोई बात नहीं व्‍यक्तिगत था पर उस घर को क्‍यों तोड़ दिया उस रिसोर्ट को तोड़ा क्‍यो? यह आतंकवादी गति‍विधि नहीं है तो क्‍या है.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे ख्‍याल से जितु न तो प्रदेश की बेटियों का सम्‍मान करता है, न बहुओं का सम्‍मान करता है. संबंधित व्‍यक्ति ने अपील की इनके पार्टी के नेताओं से और इनसे उन्‍होंने नहीं माना. राष्‍ट्रीय पदाधिकारी से राहुल गांधी पूरी पार्टी से अपील की और आज तक कार्यवाही नहीं हुई है.  (व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी-- अध्‍यक्ष महोदय आप यह बताएं. आप सभी जवाब देना आप यह बताओं कि भाई भतीजावाद का विरोध करने वाले हमारे मुख्‍यमंत्री जब बीजेपी के अध्‍यक्ष ससुर कुलपति बन जाते हैं तो फिर यह चुप क्‍यों रहते हैं इसका उत्‍तर क्‍यों नहीं है आपको यह बताना पड़ेगा? य‍ह चुप क्‍यों हैं    (व्‍यवधान)

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-- आप मध्‍यप्रदेश की बेटी को न्‍याय कब देंगे. (व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी-- अरे पूरा खर्रा है मेरे पास और हर एक का हिसाब है. राजवर्धन सिंह जी आप मैंने आपका नाम नहीं लिया है. आप बिना काम से परेशान मत हो (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय-- जितु जी आप अपना भाषण जल्‍दी खत्‍म करो. (व्‍यवधान)

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-- नाम तो मैंने भी किसी का नहीं लिया. (व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी-- मैं किसी भी व्‍यक्ति के नाम पर न जाता हूं और न जाऊंगा, आपका अपना विवेकाधिकार है पर यह बताऊंगा कि रिसोर्ट नहीं टूटना था यह अन्‍याय है. (व्‍यवधान) 

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-- सरकार की जवाबदेही है. न मैंने नाम लिया. (व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी-- यही बात उनने कही थी कि इसका तोड़ दिया, उसका तोड़ दिया. (व्‍यवधान)

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-- इनके सपने टूटे, इनकी सरकार गई, देश का कर्जा माफ नहीं हुआ, विधवा विलाप करते रही. (व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी-- रिसोर्ट क्‍यों तोड़ा. तोड़फोड़ क्‍यों की यह बताना पड़ेगा. आपका व्‍यक्तिगत कुछ हो सकता है.मुझे कोई लेना देना नहीं है. पर रिसोर्ट क्‍यों तोड़ा (व्‍यवधान)

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-- मेरा सारा जीवन सार्वजनिक है. है तो उसका जिसने अपील की है आपको और आपकी सरकार को और उसकी एक और बहन जो आपकी राष्‍ट्रीय पदाधिकारी, जो आपकी पूर्व युवा कांग्रेस की अध्‍यक्ष, जो आपकी पूर्व मध्‍यप्रदेश की सचिव उसको न्‍याय दे दो भाई बहन मांग रही है. (व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी--  दे  देंगे. सरकार आपकी है आप न्‍याय दो.

          4:14 बजे                     अध्‍यक्षीय घोषणा

 

          अध्‍यक्ष महोदय-- अविश्‍वास पर चर्चा के लिए चार घंटे का समय नियत किया गया था. जिसमें दलीय संस्‍था के अधार पर भारतीय जनता पार्टी के लिए 2 घंटे 4 मिनट एवं भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के लिए 1 घंटा 34 मिनट का समय निर्धा‍रित था. मैं चर्चा हेतु एक घंटे का समय और बढ़ा रहा हूं. तद्नुसार भारतीय जनता पार्टी के लिए 2 घंटा  32 मिनट एवं भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के लिए 1 घंटा 55 मिनिट का समय निर्धारित होता है.

          विस्‍तार से दोनों पक्षों के काफी सदस्‍य चर्चा में भाग ले चुके हैं. शेष सदस्‍यों से अनुरोध है कि बहुत संक्षेप में अपनी बात कहें ताकि निर्धारित समय में चर्चा पूर्ण हो सके.

                                                                     (व्यवधान)

4.20 बजे           मंत्रि-परिषद् के प्रति अविश्वास प्रस्ताव (क्रमश:)

          श्री जितु पटवारी -- कमल जी आप बड़े भाई हैं, एक मिनट बैठ जाइए. अध्यक्ष जी मैं एक मिनट में सम अप करना चाहता हूँ. मैंने जितनी बातें कही हैं. इसमें न दुर्भावना थी, न आरोप-प्रत्यारोप ऐसे थे जो तथ्यहीन और तर्कहीन थे. जो बातें मैंने कहीं जो सदन ने मुझे ताकत दी है, जो मर्यादा है, प्रश्नों के उत्तर से मैंने इकट्ठी कीं और उसके आधार पर तर्कसंगत सब बातें कही हैं. मैं आदरणीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि वे जो इन्दौर में इनवेस्टर्स मीट करना चाहते हैं, अभी तक जितनी की हैं वो सब जीरो बटे सन्नाटा थीं उनसे कुछ नहीं निकला है. लेकिन अब जो मीट हो उसमें मेरे बेटे-बेटियों को रोजगार मिले, आपके भांजे-भांजियों को रोजगार मिले. जितने मंत्री हैं उनके बारे में मैंने बताया कि मंत्रियों का दायित्व क्या होता है, मेरी आपसे दुर्भावना नहीं है. दूसरी तरफ मैं डर कर कोई काम नहीं करता हूँ. जय भारत, जय हिन्द. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया उसके लिए धन्यवाद.

          किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष द्वारा जो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है मैं उसका विरोध करता हूँ. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रदेश और यह देश गांव का, गरीब का और किसानों का है. जब देश आजाद हुआ था उस समय 80 प्रतिशत लोग गांवों में रहते थे 20 प्रतिशत लोग शहर में रहते थे. लेकिन जिनकी उस समय सरकार थी इन्होंने बजट का 80 प्रतिशत शहरों में और 20 प्रतिशत गांव में खर्च किया. लगातार 50 साल तक ऐसा किया गया जिसके कारण गांव पिछड़ गए और शहर आगे हो गए. जब अटल बिहारी बाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने, भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. तब तक 32 प्रतिशत लोग शहर में आ गए थे 68 प्रतिशत लोग गांव में रह रहे थे. उन्होंने विकास का जो पहिया उल्टा था उसको सीधा किया. बजट की 68 प्रतिशत राशि गांवों में खर्च की और 32 प्रतिशत राशि शहरों में खर्च की. इसलिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आई, किसान क्रेडिट कार्ड योजना लेकर आए और फसल बीमा योजना लेकर आए. जिसके कारण किसान की खेती जो हानि की थी वह लाभ का धंधा बनना शुरु हुई. यदि अभी तक कांग्रेस की सरकार रहती तो किसान मजदूर बन जाते.

          श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, यह तो बता ही नहीं रहे हैं कि यूरिया क्यों नहीं मिल रहा है. अटल जी की सरकार की बात ले आए. हमें अविश्वास इनके ऊपर है.

          श्री कमल पटेल -- आप बैठ जाओ. मैं किसानी के ऊपर ही बात कर रहा हूँ. जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने..

          श्री तरुण भनोत-- एक बात सच बोल दो किसानों का कर्जा माफ हुआ या नहीं हुआ.

          श्री कमल पटेल -- नहीं हुआ दो लाख का कर्जा माफ.

          श्री तरुण भनोत -- आप तो बोलते हैं यहां पर कि कर्जा माफ हुआ है. आप तो जवाब में बोलते हैं कि हुआ है. किसकी मानें, आपका जवाब है. आपने जवाब दिया हुआ है. सही बता दो, कर्जा माफ हुआ कि नहीं हुआ है.

          श्री कमल पटेल -- आप मेरी बात सुनिए तो सही, हमने आपको पूरी शांति से सुना तो क्या आप हमको शांति से नहीं सुनेंगे.

          श्री तरुण भनोत -- हम पूरी शांति से सुनेंगे पर आज सच बोल दो कि कर्जा माफ हुआ कि नहीं हुआ है. अध्यक्ष महोदय, आज तो सही बुलवा दीजिए.

          अध्यक्ष महोदय -- तरुण जी  मंत्री जी बोल रहे हैं.

          श्री कमल पटेल -- मैं एक एक चीज बता रहा हूँ. वे स्वामित्व योजना लेकर आए. गांव में प्रापर्टी हो, साढ़े छह लाख गांव हैं. मैं भी गांव का किसान का बेटा हूँ. हमारे पिता जी के पिता जी के पिता जी के समय से हम गांव में रहते हैं. लेकिन गांव में यदि किसान का प्लाट एक लाख रुपए का हो या एक करोड़ रुपए का हो उसकी गांव की वेल्यू 100 करोड़ रुपए हो फिर भी एक रुपये की कोर्ट से जमानत नहीं हो सकती थी. एक रुपए का लोन नहीं मिलता था. एक रुपए की लिमिट नहीं मिलती थी. एक रूपए की साल्वेंसी नहीं बनती थी. लेकिन शहर में आपके पास झोपड़ी भी है, छोटा सा प्लाट है तो कलेक्टर गाइडलाइन से उसकी वेल्यू होती है तो मकान के लिए, दुकान के लिए, उद्योग के लिए ऋण मिलता था. कोर्ट से जमानत होती और बैंक से जब लोन लेते थे तो सबसिडी मिलती थी. 25 परसेंट सब्‍सिडी शहर के लोगों ने ली है 50 साल तक, इसलिए मुट्ठी भर शहर के लोग जो हजारपति थे वह लखपति, करोड़पति हो गए, अरबपति हो गए और जो 80 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं खेती करते हैं,मजदूरी करते हैं उनको एक भी उद्योग के लिये ऋण नहीं मिला. सिर्फ खेती करने के लिये मजबूर किया गया था कि खेती करो तुम और माल कराएंगे शहर के लोग, उद्योगपति, व्‍यापारी. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने 24 अप्रैल 2020 को इस देश को स्‍वामित्‍व योजना देकर गांवों को सही मायने में आजादी दिलायी. भारत को तो आजादी 15 अगस्‍त 1947 को मिली लेकिन गांवों में रहने वाले किसान और मजदूरों को स्‍वामित्‍व योजना के माध्‍यम से आजादी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने दिलाई, जिससे अब किसान खेती के साथ व्‍यापार भी कर सकेगा, उद्योग भी लगा सकेगा, सब्‍सिडी भी ले सकेगा और उसके लिये 1 लाख करोड़ का किसान अधोसरंचना विकास फंड एआईएफ में प्रावधान किया है और उसके कारण अब किसान जो कभी 5 रूपए किलो में आलू बेचता है, 1 रूपए किलो में लहसून बेचता है लेकिन आलू की चिप्‍स 500 रूपए किलो में मिलती है. यह आपके समय के कानून थे लेकिन अब किसान उत्‍पादक समूह बनाकर हमारा किसान खेती भी करेगा. किसान का बेटा पढ़-लिखकर बेरोजगार है, जो नौकरी ढूंढता है, वह उद्योग लगायेगा. उसको सब्‍सिडी का लाभ भी मिलेगा और वह आलू के चिप्‍स की फैक्‍ट्री लगायेगा. टमाटर सॉस की फैक्‍ट्री लगायेगा, मैदा मिल डालेगा, वह ऑयल मिल डालेगा और वह उद्योग भी लगायेगा. यह पहली बार आजाद भारत में इन 75 सालों में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने गांवों के और किसानों के विकास के द्वार खोले हैं. अब गांवों की तकदीर और तस्‍वीर बदल रही है और इसीलिए वह आलू के चिप्‍स 500 रूपए किलो में नहीं बेचेगा, वह 100 और 200 रूपए किलो में बेचेगा तो देश में सस्‍ताई भी आएगी. जो मुट्ठी भर लोगों के पास पैसा आता था वह अब किसान के पास आयेगा. गांवों में मजदूरों को रोजगार मिलेगा. पलायन रूकेगा और गांव आत्‍मनिर्भर होगा. किसान आत्‍मनिर्भर होगा तो देश आत्‍मनिर्भर होगा, यह नीति है भारतीय जनता पार्टी की सरकार की. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी और उसमें मध्‍यप्रदेश देश में प्रथम स्‍थान पर है. कृषि अधोसंरचना विकास फंड में एक लाख करोड़ में से हमको साढे़ सात हजार करोड़ मिले हैं और अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सदन को बताना चाहता हॅूं.

          श्री सुखदेव पांसे -- आपने बताया था मध्‍यप्रदेश रेत में भी नंबर वन है. पिछली बार बताया था.

          श्री कमल पटेल -- आप बैठिए, मैं बता रहा हॅूं आपको. मध्‍यप्रदेश में हमने 5401 किसानों को, किसानों की समितियों को, कृषक उत्‍पादक समूहों को 2876 करोड़ रूपया उद्योग लगाने के लिये दिया है और जिसके कारण बेरोजगारी भी दूर होगी. गांव का किसान अब पहली बार आजाद भारत में उद्योग लगाकर गवर्नमेंट की सब्‍सिडी का फायदा लेगा. आपके 60 साल के राज में गांवों के किसान को 1 रूपया भी सब्‍सिडी नहीं मिली. सिर्फ खेती करने के लिए मजबूर किया, इसलिए घाटे की खेती होती थी लेकिन अब किसान का बेटा खेती करेगा. दूसरा व्‍यापार, उद्योग लगायेगा, निर्यात भी करेगा और मजदूरों को रोजगार भी देगा. इससे ही गरीबी हटेगी, बेरोजगारी मिटेगी और दो हाथों को काम मिलेगा, यह काम अब शुरू हुआ है. उसमें मध्‍यप्रदेश नंबर एक स्‍थान पर है. दूसरे स्‍थान पर राजस्‍थान है और तीसरे स्‍थान पर महाराष्‍ट्र है लेकिन मैं बताना चाहता हॅूं कि 2876 करोड़ रूपए का पुरस्‍कार मिला, दूसरे नंबर पर राजस्‍थान का 500-600 करोड़ ही है और तीसरे नंबर पर महाराष्‍ट्र है, वह भी 400 करोड़ ही खर्च कर पाया है लेकिन हमने देश में सबसे अधिक इसका उपयोग किया है और आने वाले समय में हम 10 हजार करोड़ रूपए खर्च करके किसानों के बेटों को उद्योग लगवाकर रोजगार से जोड़ रहे हैं, स्‍वरोजगार दे रहे हैं. नौकरी ढूंढने के बजाय नौकरी देने वाला बना रहे हैं और पहली बार गांव आत्‍मनिर्भर बनेगा और इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी की सरकार काम काम कर रही है और दूसरा आपने सरकार बनाने के लिये वर्ष 2018 में, कांग्रेस के नेता सब बैठे हैं कि शिवराज सिंह चौहान इतना अच्‍छा काम कर रहे हैं कि अपनी 3 बार सरकार चली गई. इस बार भी नहीं बनेगी, क्‍या करें. कुछ रिटायर आईएएस अधिकारियों को बुलाया गया, जिसमें से एक मेरे यहां का भी था. उसने इनको अकल दी कि आप ऐसा करो कि आपके घोषणा पत्र के ऊपर तो कोई विश्‍वास है नहीं क्‍योंकि 50 साल से आप घोषणा करते रहे, काम पूरा किया नहीं. इसलिए वचन पत्र दो, क्‍योंकि यह देश राम का देश है. "रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई " और इसलिए कसमें खा-खाकर नया वचन पत्र दिया गया और क्‍या कहा कि किसानों के वोट चाहिए तो 2 लाख का कर्जा माफ करा दो, महिलाओं के वोट चाहिए तो स्‍वसहायता समूहों का कर्जा माफ कर दो क्‍योंकि महिलाओं ने स्‍वसहायता समूह बनाकर बहुत कर्जा लिया है. सरकारी और प्राइवेट बैंक का भी माफ करेंगे. वचन पत्र में दे दो. युवाओं को रोजगार देंगे, नहीं तो 4 हजार रूपए बेरोजगारी भत्‍ता देंगे. ढोर चराने वाले को भी 4 हजार रूपए देंगे तो युवाओं के भी वोट ले लो. फिर क्‍या करो, वृद्ध, विधवा, निराश्रित, दिव्‍यांग को नहीं छोड़ा तुमने उनको कहा कि इनके वोट चाहिए तो क्‍या करो, बोले एक हजार तक की सामाजिक सुरक्षा पेंशन देंगे. दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को रेगुलर कर देंगे, घोषणा-पत्र में दे दो, वचन दे रहे हैं कसमें खा-खा कर और क्‍या करो कि अतिथि विद्वानों को रेगुलर कर देंगे, यानि हर वर्ग का वोट चाहिए, इसलिए ये लॉलीपॉप दे दो. बोले कि सरकार बनी तो करेंगे क्‍या, बोले कि सरकार तो बननी नहीं है पर कम से कम विपक्ष के नेता लायक तो बन जाएं. इसलिए इतने वचन दे दे कर फॉर्म भरवाए गए. राहुल गांधी ने क्‍या कहा था सभाओं में, एक, दो, तीन, चार, पांच, छ:, सात, आठ, नौ, दस, बस, अगर 10 दिन में 2 लाख रुपयों का कर्जा माफ नहीं हुआ तो मुख्‍यमंत्री बदल दूंगा. बोला था कि नहीं बोला था, कहां गया जितु पटवारी, जवाब दो, लेकिन पंद्रह महीने सरकार रही, बदला क्‍या मुख्‍यमंत्री.

04.31 बजे     (सभापति महोदय {श्री यशपाल सिंह सिसौदिया} पीठासीन हुए)

          सभापति महोदय, दो लाख का कर्जा माफ हुआ क्‍या. हां, कर्जा माफ किया है, कितना किया है, 50-50 हजार रुपये का और उसमें भी ....(व्‍यवधान)...

          श्री लाखन सिंह यादव -- प्रश्‍न के जवाब में तो आया है 2 लाख रुपये, आपने माना है कि नहीं माना, आपने सदन में यह उत्‍तर दिया है कि नहीं.. ...(व्‍यवधान)...

          श्री कमल पटेल -- अरे सुनो भाई. अरे मेरी बात सुनो. ...(व्‍यवधान)...

          श्री महेश परमार -- अध्‍यक्ष जी, वह प्‍याज का भावान्‍तर, मुआवजे का क्‍या हुआ. कृषि मंत्री जी, प्‍याज का भावांतर उज्‍जैन जिले का क्‍या हुआ. ...(व्‍यवधान)...

          श्री सुरेश राजे -- आपने सदन में स्‍वीकार किया कि नहीं कि ऋण माफी हुई है...(व्‍यवधान)...

          सभापति महोदय -- बैठिए, बैठिए, कमल जी, आप कन्‍टीन्‍यू करें.

          श्री कमल पटेल -- जब उपचुनाव आया, कांतिलाल भूरिया जी का, उन्‍होंने कहा कि चुनाव जीतना है तो वहां के किसानों का कर्जा माफ कर दो. 50-50 हजार रुपये तक के किए, उसमें भी सहकारी समितियां, मैं किसान हूँ, मैं अच्‍छी तरह से जानता हूँ कि किसानों की समितियों का जो पैसा रहता है, अंशपूंजी जमा करते हैं, किसानों की सोसाइटियों में किसानों का पैसा रहता है, आपने आदेश निकाल दिया कि 50 हजार रुपये का कर्जा माफ किया जाता है. उसमें 50 प्रतिशत राशि सहकारी समितियां वहन करेंगी. सहकारी समितियां किसकी हैं, किसानों की हैं, उसमें उनकी अंशपूंजी है, यानि 50 हजार का भी कर्जा माफ किया तो किसानों की अंशपूंजी में से किया, आधा पैसा, और उसके कारण पूरे मध्‍यप्रदेश की सहकारी समितियां कर्ज में आ गईं. डिफॉल्‍टर हो गईं और वह बैंक से ऋण लेने की पात्र नहीं रहीं, इसलिए किसानों को खाद नहीं मिला. वह (XXX), आपकी सरकार ने किया. कमलनाथ जी ने किया, सबसे माफी मांगनी चाहिए कि मध्‍यप्रदेश में इतनी मेहनत करके सहकारी समितियां बनी थीं, उनको आपने पूरा बर्बाद कर दिया, कर्ज में डाल दिया. कर्जा माफ करने का एक आदेश निकाला मुख्‍यमंत्री बनते से ही कि मध्‍यप्रदेश का मुख्‍यमंत्री शपथ लेकर आया वल्‍लभ भवन में और पहला ऑर्डर किया कि मध्‍यप्रदेश के किसानों का 31 दिसम्‍बर, 2018 तक का 2 लाख रुपये तक का कर्जा माफ किया जाता है, दस्‍तखत, कमलनाथ. प्रमुख सचिव ने ऑर्डर निकाल दिया. जब 2 लाख रुपये का कर्जा माफ कर दिया तो कर्जा माफ क्‍यों नहीं हुआ. मैं छिंदवाड़ा जिले का प्रभारी मंत्री हूँ. मैं पहली बार प्रभारी मंत्री बनकर छिंदवाड़ा गया, मुझे हजारों किसान मिले, बोले हमारा कर्जा माफ नहीं हुआ, आप माफ करा दो. ये छिंदवाड़ा की हालत है.

          श्री सोहन लाल वाल्‍मीक -- मैं छिंदवाड़ा जिले से हूँ. छिंदवाड़ा जिले के अधिकतर किसानों का कर्जा माफ हुआ है. आप प्रभारी हो, कभी आप आओगे तो मैं खड़ा कर दूंगा उन किसानों को जिनका कर्जा माफ हुआ है.

          सभापति महोदय -- माननीय वाल्‍मीक जी, बैठिए.

          श्री सोहन लाल वाल्‍मीक -- माननीय सभापति जी, ये सदन में असत्‍य बोल रहे हैं. मैं जानता हूँ, मैं भी छिंदवाड़ा से हूँ, परासिया से विधायक हूँ.

          सभापति महोदय -- आपस में चर्चा न करें.

          श्री सोहन लाल वाल्‍मीक -- सभापति महोदय, मुझे मालूम है कि छिंदवाड़ा में कितने किसानों का कर्जा माफ हुआ है. आप कभी आओगे तो मैं 2 हजार किसानों को आपके सामने खड़ा कर दूंगा.

          श्री कमल पटेल -- अरे सुनो..

          सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय कमल पटेल जी, आप इधर बात करें. उधर नहीं.

          श्री कमल पटेल -- माननीय सभापति महोदय, मैं इनसे ही पूछना चाहता हूँ.

          सभापति महोदय -- नहीं, आप इनसे मत पूछिए. सवाल-जवाब नहीं.

          श्री कमल पटेल -- मैं इन विधायकों से पूछना चाहता हूँ कि अगर तुमने कर्जा माफ कर दिया होता तो जनता ने तुमको इतना क्‍यों धक्‍का दिया कि उपचुनाव में तुम्‍हारा सफाया हो गया. जो कांग्रेस के विधायक जब कांग्रेस में थे, जो 5 हजार वोटों से जीते थे, वे भाजपा में आने के बाद 65-65 हजार वोट से जीते हैं. ये बैठे हैं प्रभुराम जी. ये तुलसीराम सिलावट जी बैठे हुए हैं, भारतीय जनता पार्टी में आने के बाद 54 हजार वोटों से जीते हैं. तुमने इनको गद्दार, बिकाऊ और सब कुछ कहा, उसके बाद जनता ने सील लगाई है. लोकतंत्र में सबसे बड़ी शक्‍ति होती है. इसका मतलब है कि तुम लोकतंत्र को नहीं मानते हो, तुम जनता के मत को नहीं मानते हो, तुम्‍हारा सफाया हुआ क्‍यों, तुम्‍हारा कारवां डूबा क्‍यों, क्‍योंकि तुमने जनता की आंखों में धूल झोंका. तुमने विधान सभा चुनाव जीतने के लिए ऐसे-ऐसे वादे कर लिए (XXX)

          सभापति महोदय -- यह नहीं लिखा जाएगा.

          श्री कमल पटेल -- तुम खुद कह रहे हो कि स्‍थिति ठीक नहीं है तो जब बजट नहीं था तो दो लाख रुपये के कर्जा माफ करने के दस्‍तखत क्‍यों किए कमलनाथ जी ने, इसलिए आज कमलनाथ जी यहां नहीं हैं. सुनने की हिम्‍मत नहीं है. वे अभी होते तो मैं पूछता कि आपने जब दस्‍तखत कर दिए 2 लाख रुपये के कर्जे की माफी के लिए और वह नहीं हुआ तो तुमको तत्‍काल इस्‍तीफा देना था. (XXX)

          सभापति महोदय -- यह रिकॉर्ड में नहीं आएगा. 

          श्री कमल पटेल -- हम जो कहते हैं, वह करते हैं.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अपना तो माफ हो गया. अपना तो माफ हो गया.

          श्री कमल पटेल -- मेरा भी सुन लो.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- आपका माफ हुआ ना. हुआ कि नहीं हुआ बता तो दो.

          श्री कमल पटेल -- मैं बता रहा हूं ना. अब मेरा भी सुन लो.

          सभापति महोदय -- मुझसे तो अनुमति ले लीजिए.

          श्री कमल पटेल -- सभापति महोदय, यह कह रहे हैं कि मेरी श्रीमती जी का कर्जा माफ हुआ. मैं बताना चाहता हूं कि इन्‍होंने जब कानून बनाया पहले तो यह कहा था सबके कर्जे माफ करेंगे, बाद में नियम (XXX). भ्रष्‍टाचार की जननी कौन है कांग्रेस. मैं नहीं कह रहा हूं. 

          श्री प्रियव्रत सिंह -- भ्रष्‍टाचार 20 साल से कौन कर रहा है ?

          सभापति महोदय -- प्रियव्रत सिंह जी, व्‍यवधान मत खड़ा करिए.

          श्री कमल पटेल -- सभापति महोदय, राजीव गांधी जी एक समय कहते थे कि मैं दिल्‍ली से एक रुपया भेजता हूं और गांव में जाते-जाते 15 पैसे रह जाते हैं बीच में (XXX). जब राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री थे तब पंच से लेकर प्रधानमंत्री तक कांग्रेस के थे, तो दलाल किसके हुए. मैं नहीं कह रहा हूं राजीव गांधी जी कहते थे. इसलिए देश का विकास नहीं हुआ और यह मुट्ठी भर लोगों के पास गया और उसके कारण पूरा देश गरीब रह गया. मेरे प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं न खाउंगा और न खाने दूंगा और इसलिए तकनीक का उपयोग किया.

          श्री कुणाल चौधरी -- न खा रहे हैं न खाने दे रहे हैं, मुझे लगता है वह भी दाल नहीं खाते और हमें भी किसी को नहीं खाने देंगे.

          श्री कमल पटेल -- सुनने की क्षमता रखो जरा. मैं बता रहा हूं ना सुनो जरा, इसलिए टेक्‍नालॉजी का उपयोग किया, जनधन खाते खुलवाए और सीधे खाते में पैसा जा रहा है एक पैसा कोई नहीं खा सकता, इसलिए देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है और पूरी दुनिया में सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री कोई है तो हमारे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी हैं और इन्‍होंने नियम बना दिए कि विधायक, मंत्री, जनप्रतिनिधि, मंडी अध्‍यक्ष जो इन्‍कम टैक्‍स देता है और जो सरकारी नौकरी में हैं, उनका कर्जा माफ नहीं होगा. जानबूझकर बीजेपी को बदनाम करने के लिए इन्‍होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शिवराज सिंह चौहान जी के भाई का भी कर्जा माफ कर दो, कमल पटेल के परिवार में भी माफ कर दो, फलाने का भी माफ कर दो, हमने कोई आवेदन नहीं दिया. मैं चैलेंज कर रहा हूं जांच करो.

          श्री कुणाल चौधरी -- आप विधायक हैं, आपकी श्रीमती जी विधायक नहीं हैं, शिवराज जी विधायक हैं उनके भाई विधायक नहीं हैं इसलिए उनका कर्जा माफ हुआ.

          सभापति महोदय -- कुणाज चौधरी जी, आपका नाम है क्‍या तब आप नहीं बोलेंगे ?

          श्री कमल पटेल -- मेरी बात सुनो भाई, मेरी श्रीमती के नाम पर 38,000 रुपये माफ करने का कागज आया. जैसे ही कागज आया मैंने कहा हमने आवेदन नहीं दिया और हम उस पात्रता में नहीं आते क्‍योंकि मैं विधायक हूं, विधायक की पत्‍नी और पति पत्‍नी एक ही होते हैं माफ हो नहीं सकता. क्‍यों किया, क्‍योंकि सरकार आपकी थी, आपने बदनाम करने के लिए अधिकारी को निर्देश दिया. मैंने अधिकारियों से पूछा तो उन्‍होंने कहा हमको ऊपर से आदेश दिया है, करना है इसलिए कर दिया. उसके खिलाफ आपने कार्यवाही क्‍यों नहीं किया ?

          श्री प्रियव्रत सिंह -- हम तो किसान का कर्जा माफ करना चाहते थे. हम तो चाहते हैं कि मध्‍यप्रदेश के किसानों का कर्जा माफ हो, आप चाहते नहीं हो, आप करना नहीं चाहते हो. अभी भाभी जी से बोलेंगे कि उनका कर्जा तो माफ कर दो कम से कम और किसी का नहीं कर पाए, पूरे किसानों का तो कर नहीं पाएंगे.

          सभापति महोदय -- प्रियव्रत जी, कुणाल जी बैठ जाइए. मंत्री जी अपनी बात रख रहे हैं उनको बोलने दें. आपको मौका मिलेगा तब सारी बातों का जवाब दीजिएगा.

          श्री कमल पटेल -- कारवां डूबा क्‍यों ? माननीय मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी गांव, गरीब, किसानों के मसीहा हैं, बहनों के भइया हैं, बच्चियों के मामा और युवाओं के हृदय सम्राट और गरीब माता-पिता के श्रवण बेटा हैं. वह तीर्थ दर्शन कराते थे आपने वह तीर्थ दर्शन योजना बंद कर दी.

          श्री कुणाल चौधरी -- सभापति महोदय, पूरे सदन में चैलेंज है, यह असत्‍य बोल रहे हैं.

          सभापति महोदय -- कुणाल जी, बैठ जाइए. हर बात पर उठना जरूरी नहीं है.

          श्री कुणाल चौधरी -- मेरा चैलेंज है अगर बेटियों की शादी के रुपये 48,000 मेरे क्षेत्र में मिले हों, मेरे क्षेत्र में उस समय तीर्थ दर्शन पर गए हों. मेरा चैलेंज है, या तो यह राजनीति छोड़ दें या मैं छोड़ दूंगा. सीधा चैलेंज है सदन के अंदर. इन्‍होंने यह योजना बंद की है, मेरे क्षेत्र में इनके पैसे तीन वर्षों से नहीं मिले हैं. 

          सभापति महोदय -- कुणाल जी, मैं खड़ा हूं आप बैठ जाइए. मंत्री जी, आप इधर बात करें.

श्री कमल पटेल -- सभापति जी, तीर्थ दर्शन योजना बंद कर दी. गरीबों को संबल के लिए 2,000 रुपये, अंत्‍येष्ठि के लिए 5,000 रुपये तत्‍काल देते थे. गरीब आदमी के माता-पिता या परिवार में बुजुर्ग गुजर जाएं तो वह गांव में पहले कांग्रेस के राज में सेठ के पास जाता था भइया जी मेरे दादा खत्‍म हो गए, 5 हजार, 2 हजार दे दो अंत्‍येष्ठि कर लूं. हाथ जोड़ता फिरता था घर में शव पड़ा रहता था, लेकिन यह संवेदनशील मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो कि गांव, गरीब किसानों का मसीहा जो मैं कहता हूं, उसने चिंता की कि समस्‍या क्‍या है, गरीब का कितना अपमान होता है और इसलिए 5,000 रुपये अंत्‍येष्ठि के लिए दिए. आपकी सरकार आते से ही आपने वह भी बंद कर दिया. संबल योजना बंद कर दी. आपने मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना के लिए कहा कि हम 51,000 रुपये देंगे लेकिन दिया नहीं. बच्चियों की शादी हो गई, बच्चियों के हमारे भांजा, भांजी हो गए लेकिन उनके खातों में पैसे नहीं आए. सारी योजनाएं बंद कर दीं और एक बड़ा पाप किया इन्‍होंने जिसके कारण इनकी सरकार गई गरीबों की बद्दुआएं लगीं. माननीय मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने हर ग्राम पंचायत में भजन मंडलियों के लिए 25-25 हजार रुपये दिए थे.

सभापति महोदय, 23000 ग्राम पंचायतें हैं लेकिन जैसे ही सरकार आई, मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने कहा कि यह मुख्यमंत्री निवास जो है. इसमें मैं नहीं रहूंगा. वहां बहुत दिन तक नहीं गये. बोले क्यों, बोले इसकी मरम्मत करना, अच्छा बनाना. क्योंकि वह रईस आदमी, फाइव स्टार में रहने वाले हैं. शिवराज सिंह जी तो सिम्पल रहते थे, कुछ सुधार किया नहीं. कहा कि इसकी मरम्मत करो. लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि साहब, बढ़िया है इसमें कोई कमी नहीं है तो दिल्ली से प्राइवेट टीम बुलवाई गई और बोले कि क्या करो कि इसमें दीमक लगा दो. उन्होंने कहा इसमें दीमक लग गई और मरम्मत की. पैसा नहीं तो कहां से लाएं? किसी अधिकारी ने कहा साहब वह भजन मंडली का पैसा हर पंचायत में जनपद में दिया तो वहां से वापस बुला लो. पूरा पैसा 58 करोड़ रुपया वापस बुलाया गया. 23000 ग्राम पंचायतों को भजन मंडली का दिया पैसा वापस बुलाया और उससे मुख्यमंत्री निवास बना. बताओ भजन मंडलियां होतीं तो कितनी दुआएं मिलती और जब उन भजन मंडली का पैसा आपने वापस बुलाया तो जितनी भी भजन मंडली की महिलाएं हैं.

श्री कमलेश्वर पटेल - इतना असत्य बयानी मत करिए. सदन को इतना गुमराह मत करिए. मैं पंचायत मंत्री था, मुझे पता है कि इस तरह की राशि आवंटित नहीं थी. उस समय हम थे.

श्री सुरेश राजे - जो प्रधानमंत्री जी के स्वागत पर खर्च कर दिया, वह कौन-सी राशि थी?

श्री कमल पटेल - वह राशि जब उनकी बद्दुआएं लगीं.

श्री कमलेश्वर पटेल - संवैधानिक पद पर बैठे हैं आपको इस तरह से गलत बयानी शोभा नहीं देती है.

सभापति महोदय - कमलेश्वर पटेल जी आपका चर्चा में नाम है, तब आप बताइएगा. आप बैठ जाइए.

श्री कमल पटेल - और इसलिए सभापति महोदय, सब गरीबों की बद्दुआएं लगीं और शिवराज सिंह चौहान को दुआएं लगीं.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - सभापति महोदय, ऐसा थोड़े ही है, अब इतना असत्य कोई थोड़े स्वीकार करेगा. हम टोका-टाकी कम कर रहे हैं. परन्तु इतना असत्य नहीं सुनेंगे.

सभापति महोदय -आप  नोट करें और उस समय जवाब देना.

श्री पी.सी. शर्मा - सभापति महोदय, इनके हाथ में गीता देकर बुलवाओ.

श्री कमल पटेल - और इसलिए हर वर्ग ने इनको बद्दुआएं दीं, इनकी सरकार गई और शिवराज सिंह चौहान को गरीब ने, किसान ने, महिलाओं ने, बच्चों ने दुआएं दी और गरीब माता-पिता, श्रवण बेटा जो तीर्थ यात्रा कराता था. उन्होंने कहा कि गलती हो गई कांग्रेस के चक्कर में आ गये. किसमें, 2 लाख रुपये के कर्जे में. किसी ने कहा कि 4000 रुपये में, ढोर चराने वाले को भी 4000 रुपये देंगे. मैं छिंदवाड़ा एक आन्दोलन में  गया था तब मैंने कहा कि मैं तो किसान का बेटा हूं. हम तो पैदा हुए तब से ढोर चराना जानते हैं लेकिन यह कांग्रेसी चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुए हैं, इनको ढोर चराना नहीं आता है और इसलिए कमलनाथ जी ने छिंदवाड़ा में एक ढोर चराने की ट्रेनिंग का स्कूल और एक बैंड बजाने की ट्रेनिंग का स्कूल खोला है. अब जितु भई तुम जब जाओ और छिंदवाड़ा में बैंड बजाने की और ढोर चराने की ट्रेनिंग लो, कभी सत्ता में नहीं आओगे.

श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी, मुझे सिद्ध करो कि मैं चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुआ हूं. आपने बोला यह कांग्रेसी. हमारे ऐसे कई साथी हैं, इनको सिद्ध करो. मंत्री होते हुए आप असत्य बयानी कर रहे हैं.

श्री सोहनलाल बाल्मीक - यह छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री हैं, इनको यह मालूम होना चाहिए कि कमलनाथ जी ने आईसीआई सेंटर खुलवाया और एफडीआई खुलवाई, उसके बारे में बताएं, यह कौन-सा तथ्य बता रहे हैं? हम भी छिंदवाड़ा में रहते हैं, इस तरीके का सदन में असत्य बोल रहे हैं.

श्री कमल पटेल - सभापति महोदय, मैं किसान का बेटा हूं, जब मैं कृषि मंत्री बना. तीसरे ही दिन मैंने 3 करोड़ रुपये की बढ़वाह में नकली बीज पकड़वाकर उसमें एफआईआर करवाई, रासुका लगवाई और तब से लेकर सैंकड़ों लोगों के खिलाफ कार्यवाही की. दूसरा, चना, सरसो, मसूर, इनकी कृषि विभाग खरीदी करता है और गेहूं और धान, समर्थन मूल्य पर खरीदी करता है खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग. मेरे पास में जैसे ही प्रमुख सचिव आए.

श्री कुणाल चौधरी - किसानों की आय कितनी हो गई? मैं चार बार सवाल पूछ चुका हूं.

श्री कमल पटेल - मैं बता रहा हूं सुनो तो सही. मैं उसी  पर आ रहा हूं.

सभापति महोदय - कुणाल जी उनको बोलने दो. आपका नाम सूची में है तब बताइएगा. आपको अवसर मिलेगा.

श्री कुणाल चौधरी - मैंने पूछा था, मेरे सवाल का जवाब था कि ऐसे कोई आंकड़े ही नहीं रखते.

श्री कमल पटेल - आपने एक एक घंटे बोला कुछ तो भी कहीं के कहीं. तब तो हमने कुछ नहीं बोला तो हमारी भी सुनो. सभापति महोदय, चना, सरसों, मसूर, यह मध्यप्रदेश कृषि प्रधान है, यहां गेहूं,चना, धान सब होता है, लेकिन जब मैंने फाईल देखी तो उसमें चना 15 क्विंटल प्रदेश भर में खरीदेंगे, लेकिन छिंदवाड़ा में 19 क्विंटल खरीदेंगे, सरसों 13 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पूरे प्रदेश में, जबकि मैं किसान हूं, मुझे यह पता है कि सरसों होती है 20 क्विंटल, 22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर औसत और चना होता है 20-25 क्विंटल. मेरे हरदा में 25 क्विंटल, 9 किलो प्रति हैक्टेयर देश में नम्बर वन है. नर्मदापुरम में होता है 24 क्विंटल, 14 किलो होता है. यह श्री सचिन यादव जी बैठे हैं, इनको पता है कि नहीं पता. परन्तु मुझे पता है कि खरगौन में 22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर चना होता है. आगर-मालवा में 23 क्विंटल होता है. नरसिंहपुर में 20 क्विंटल होता है. लेकिन सब जगह 15-15 क्विंटल खरीदा. इनका मुंह नहीं खुला कमलनाथ जी के सामने कि साहब आपके यहां  17क्विंटल  प्रति हेक्टेयर होता है और 19 क्विंटल  खरीद रहे हो. तो मेरे यहां 22 क्विंटल होता है, तो  कम से कम 19 क्विंटल मेरे यहां  भी खरीद लो.   जहां 22 क्विंटल होता है. लेकिन प्रदेश के किसानों के साथ  अन्याय किया,क्योंकि कमलनाथ जी  सिर्फ  मुख्यमंत्री थे छिंदवाड़ा के.  छिंदवाड़ा के अलावा उनको कोई मतलब  नहीं  प्रदेश से और इसलिये प्रदेश के साथ  अन्याय किया था.  मैंने प्रमुख सचिव से कहा कि  मैं दस्तखत  नहीं करुंगा.  बराबर  सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास प्रधानमंत्री जी का नारा है, उसके अनुसार करुंगा.  थोड़ी देर बाद  वह प्रमुख सचिव वापस आये.  आधे घण्टे बाद. हरदा, होशंगाबाद   20 क्विंटल और भिण्ड, मुरैना  चूंकि वहां भी मंत्री  हैं 20 क्विंटल.  यह जो अधिकारी मंत्री, मुख्यमंत्री  को खुश करने के लिये करते हैं,  लेकिन मैंने कहा कि  मैं  विधायक हूं हरदा का, लेकिन मंत्री पूरे प्रदेश का हूं.  इसलिये पूरे प्रदेश  में  20-20 क्विंटल किया जाये.  उसके बाद बोले कि  सर इतना पैसा लगेगा.  इतने हजार करोड़ लगेंगे.  (श्री कुणाल चौधरी के उठने पर) जरा बात तो सुनों काम की. जो हकीकत है, वह मैं आपको बता रहा हूं.

                   श्री कुणाल चौधरी-- आपने 2022 बोला था. आय  कितनी थी, कितनी हो गई.

                   श्री कमल पटेल -- हां, बता रहा हूं,  मैं उसी  पर आ रहा हूं.  हमने पूरे प्रदेश में  20-20 क्विंटल किया. ..(व्यवधान)..   सुनिये जरा.  आप सुनो तो सही.

..(व्यवधान)..

                   श्री विनय सक्सेना-- सभापति महोदय,  डॉ.सीतासरन जी ने कहा था कि कोई भी आरोप लगाओगे, तो प्रमाण पहले देना पड़ेगा.  अगर इनके पास कमलनाथ जी के खिलाफ कोई प्रमाण  हैं, तो पहले आपके  पास  प्रस्तुत करें.  यह सीतासरन शर्मा साहब ने कहा था कि आरोप लगाने के पहले  प्रमाण देना पड़ेगा.  प्रमाण तो ले लीजिये. नहीं तो इनसे खेद व्यक्त कराइये.

..(व्यवधान)..

                   सभापति महोदय-- विनय जी, आप बैठिये, आपका नम्बर है. तब आप पूरी बात बताइयेगा. अभी मंत्री जी को अपनी  बात कहने  दीजिये. कुणाल जी,  आपको समय बिलकुल कम मिलेगा उस समय.  चूंकि आपने बहुत ज्यादा व्यवधान खड़ा कर  दिया.

..(व्यवधान)..

                   श्री कमल पटेल-- सभापति महोदय, जैसे ही हमने  20-20 क्विंटल किया.  मैं बता रहा हूं, जो सरसों  के रेट  मण्डी में 3 हजार, 3200 था 2020 में,  समर्थन मूल्य का..

4.48 बजे                 अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.

                अध्यक्ष महोदय--कमल जी, आप समाप्त करिये.

                   श्री कमल पटेल-- समाप्त कर रहा हूं.  ..(व्यवधान)..4425 था,  किसान 13 क्विंटल तो बेचता था  आपके राज में,4425  में ...(व्यवधान)..

                   अध्यक्ष महोदय-- कमल जी,  समाप्त   करिये ना.

                   श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, आय का तो बता दूं.   दो मिनट. इसलिये  मध्यप्रदेश में हमने जो मई  में  खरीदी होती थी,  उसको मार्च में खरीदी शुरु की.  उसके कारण 10 हजार करोड़ किसान को ज्यादा दिलाये, जो व्यापारियों को जाते  थे  आपके समय.

..(व्यवधान)..

                   श्री कुणाल चौधरी-- बिजली है नहीं, खाद है नहीं, आप कह रहे हैं कि दोगुनी हो गई आय.  कैसे करोगे दोगुनी आय. यह तो बता दो.  दोगुनी आय कैसे करोगे.  किसान को खाद दे नहीं पा रहे हो.

..(व्यवधान)..

                   श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, आने वाले चुनाव में छिंदवाड़ा भी हम जीतेंगे और  सरकार भी यहां बनायेंगे, बहुत बहुत धन्यवाद.

                   अध्यक्ष महोदय-- गोविन्द सिंह जी, अभी हमने  एक घण्टे का समय बढ़ाया था और बोलने वाले माननीय सदस्यों की संख्या जो है,  बहुत ज्यादा है.  आपकी तरफ से है. तो कृपा करके  कुछ  नाम कम करिये.  मैं इधर से भी आग्रह करता हूं कि इधर से भी कम करिये. ..(श्री कुणाल चौधरी, सदस्य के खड़े होने पर)..  कुणाल जी, सुन लें.  मुख्यमंत्री जी को जवाब देने का अवसर मिले. सज्जन सिंह जी, देखिये, मेरी बात सुन लीजिये.

                   श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, हमने सप्लीमेंट्री बजट   में एक का भी नहीं बोला है.  मेरा अनुरोध है कि  हमने एक बार  भी न इंट्रप्ट किया, न बोला.

                   अध्यक्ष महोदय--सप्लीमेंट्री बजट पर थोड़ी बोल  रहे हैं.

                   श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, ऐसा है कि विधायक गण को बोलने का मौका मिल रहा है,  हम हाथ जोड़कर अनुरोध करते हैं, इस मामले में  आपसे हाथ जोड़कर  विनती है साहब. एक एक विधायक बोलेगा.

                   श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, आपका जो आदेश होगा,  हम  उसका पालन करेंगे.

                   श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, हमने आपकी बात कंसीडर की. सप्लीमेंट्री बजट में कोई भी नहीं बोलेगा.

                   श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, आपका जो आदेश  होगा, उसका पालन करेंगे. सज्जन भाई, आपने जो टाइम दिया था ना  उनको.  आपने बोले था कि सबका टाइम.  आपने बोला था.  आप डबल  बात नहीं करते.

..(व्यवधान)..

                    (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - सज्जन जी, मैं खड़ा हूं. एक तो बोलने वाले कम करिये. दूसरा मैं सबको अवसर दूंगा लेकिन 3-4 मिनट के भीतर पूरी बात करनी होगी. मैं यह भी कहता हूं कि सत्ता पक्ष के लोग नहीं बोलें सीधे मुख्यमंत्री जो को बोलने दीजिये.

          श्री विश्वास सारंग - आपका जो आदेश होगा उसका पालन करेंगे. ऐसा तो हो नहीं सकता कि हमारे यहां से कोई न बोले इनके बोलें.  बैलेंस तो करना ही पड़ेगा.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा - अविश्वास प्रस्ताव पर बहस दो-दो दिन चली है. इस तरीके से नहीं होता है. मैं स्पीच नहीं दूंगा लेकिन दूसरे लोग भी हैं.(..व्यवधान..) विधायकों की रक्षा तो करूं.

          (..व्यवधान..)

          डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, हमारा यह निवेदन है कि मुख्यमंत्री जी को जाना है तो जो शेष रह जाए कल विधान सभा चल जाए. मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है.

          श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय,अगर खानापूर्ति करनी है तो अभी खत्म कर दीजिये. कोई नहीं बोलेगा. मुख्यमंत्री जी का भाषण करा दीजिये. देखिये, अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं. सारे सदस्य जो सरकार की अव्यवस्थाएं हैं,कुरीतियां हैं उन पर सब चर्चा करना चाहते हैं.

          डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, हमारा यह निवेदन है कि मुख्यमंत्री जी को जाना है तो जो शेष रह जाएं वे कल बोल लें. कल विधान सभा चल जाए.

          अध्यक्ष महोदय - अभी बाला बच्चन शुरू करें.

          श्री बाला बच्चन(राजपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी को अवसर मिले.इसीलिये आज जो द्वितीय अनुपूरक बजट जो लगभग 16 हजार 71 करोड़ 44 लाख 95 हजार 2 सौ रुपये का हमने बिना डिबेट के पास किया है तो कम से कम हम लोग जो बोलना चाहते हैं उनको टाईम देना चाहिये ऐसा मेरा आपसे निवेदन है. हम 5-6 जो संशोधन विधेयक थे उन पर भी बोलना चाहते थे वह भी हमने पास किये. आप हमें संरक्षण प्रदान करें. माननीय मुख्यमंत्री जी और सारे मंत्रीगण यहां पर बैठे हैं. हमारे विधायक साथी भी बैठे हैं. डिबेट बहुत अच्छी चल रही है. उधर के मंत्रीगणों ने भी इस बारे में बात कही है. अभी कृषि  मंत्री जी बोले मैं उनसे एक बात स्पष्ट कर दूं. माननीय (XXX). आपने मुझे  जवाब दिया है. यह मेरे पास जवाब है. आपने कर्ज माफी का जवाब,ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा कि मंत्रीगण कितने होश में हैं और जो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है शिवराज जी के मंत्रिमण्डल के प्रति जो अविश्वास करते हैं इसमें मेरा भी समर्थन है और यह कहना चाहता हूं कि अभी आप लच्छेदार बात कह रहे थे. मैं कानून-व्यवस्था पर बाद में आऊंगा. माननीय मुख्यमंत्री जी आप भी सुनिये कि आप जो बाहर बात बोलते हो. आप ध्यान कितना देते हैं या पढ़ते कितना हो. एक तो विधायकों के प्रश्नों का जवाब आप देते नहीं हो. प्रश्न क्रमांक 350 मेरा है. अतारांकित,दिनांक 21.9.2020 का, मैंने प्रश्न पूछा था कि जय किसान फसल ऋण योजना का क्रियान्वयन और माननीय कृषि मंत्री जी मैंने आपसे क में प्रश्न पूछा था जिसे मैं पढ़ रहा हूं. प्रदेश में जय किसान फसल ऋण माफी योजना संचालन की स्थिति बताएं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह गुमराह कर रहे हैं, बाहर कुछ और बात बोलते हैं अंदर की कुछ और बात है, जिस तरह से गुमराह करने का और भ्रम फैलाने का षड़यंत्र जो भाजपा रचती है उसका यह उदाहरण है. मैं स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं कि आपने अपने जवाब में दिया है कि जय किसान फसल ऋण माफी योजना अंतर्गत कुल 51 लाख 53 हजार 533 आवेदन भरे गये. प्रथम चरण में 20 लाख 23 हजार 136 प्रकरण राशि रूपये 7 हजार 10 करोड़ लाख के स्‍वीकृत किये गये. द्वितीय चरण में 6 लाख 72 हजार 245 प्रकरण हैं और यह लगभग 4 हजार 53 करोड़ के हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, टोटल मिलाकर लगभग इस सरकार ने 27 लाख किसानों का करीब 11 हजार 600 करोड़ रूपये का कर्ज माफ किया है, यह आपका उत्‍तर है माननीय मंत्री जी, आप इस बात को बोलना बंद करें और इस बात से मैं भी सहमत हूं कि आपकी वाइफ का भी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी के रिश्‍तेदारों का भी कर्ज माफ हुआ है.

          श्री कमल पटेल--  2 लाख का बोला था, 2 लाख तक का कर्जा माफ किया है क्‍या. ...(व्‍यवधान)...

          श्री बाला बच्‍चन--  ओवर ड्यू किसानों का सबका 2-2 लाख रूपये का कर्जा माफ हुआ है. इसमें आपके उत्‍तर में है.  ...(व्‍यवधान)... 

          एक माननीय सदस्‍य--  आपने तो किसानों को डिफाल्‍टर कर दिया. ...(व्‍यवधान)... 10 दिन में माफ करना था 2 लाख का कर्ज. ...(व्‍यवधान)...

          श्री बाला बच्‍चन-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी कर्जमाफी की डेफीनेशन यह थी कि दिसम्‍बर 2018 तक का जो भी कर्जदार है जिसका कर्ज चाहे वह को-आपरेटिव बैंक का हो, सोसायटियों का हो राष्‍ट्रीयकृत बैंकों का हो, हमने 2-2 लाख रूपये कर्ज माफ करने की जो बात कही थी सबसे पहले जो डिफाल्‍टर किसान थे, ओवरड्यू वाले किसान थे उनका माफ किया, आपने नहीं देखा तो उसमें हमारा क्‍या गुनाह है.

          श्री कमल पटेल--  10 दिन में नहीं करेंगे तो मुख्‍यमंत्री बदल देंगे. ...(व्‍यवधान)...        

          अध्‍यक्ष महोदय-- सभी कृपया बैठ जायें. ...(व्‍यवधान)...

          श्री बाला बच्‍चन-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह पूरी लिस्‍ट यह आपने मुझे दी है, सदन ने मुझे दी है, मेरे प्रश्‍न का उत्‍तर है और जयवर्द्धन सिंह जी ने भी इससे संबंधित प्रश्‍न लगाया था और उसका उत्‍तर दिया है. माननीय मंत्री जी देखते नहीं हैं और इस कारण से यह स्थिति बनी है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री उमाकांत शर्मा--  कमलनाथ जी को और उमंग सिंघार जी को समापन के लिये बुलवाओ. ...(व्‍यवधान)...

      श्री बाला बच्‍चन-- पंडित जी आप बैठ जाओ, अभी मुझे बोलना है. ...(व्‍यवधान)... माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे मध्‍यप्रदेश में कानून व्‍यवस्‍था की स्थिति बहुत खराब है, बद्तर स्थिति है और मेरे मन से मैं कुछ भी नहीं बोलूंगा, जो कुछ सदन ने दिया है, हमारे विधायक साथियों ने जो प्रश्‍न लगाये हैं उन प्रश्‍नों के जो उत्‍तर आये हैं उन्‍हीं के माध्‍यम से मैं सदन को बताना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश की कानून व्‍यवस्‍था की स्थिति क्‍या है, वह आपको बताना चाहता हूं. न केवल अनुसूचित जाति, जनजाति या महिला ही नहीं जो कमजोर वर्ग के व्‍यक्ति हैं इससे संबंधित भी मेरा प्रश्‍न था और सरकार ने यह जवाब दिया है और सरकार ने इसको स्‍वीकार किया है कि अत्‍याचारों और अपराधों की संख्‍या मध्‍यप्रदेश में बढ़ी है.

 मेरा जो प्रश्‍न कमांक था, उसका जो उत्‍तर दिया है, वह मेरा प्रश्‍न क्रमांक-1162 , दिनांक-24/12/2021  था, इसमें यह बताया है कि वर्ष 2020 से जब से भाजपा की सरकार मध्‍यप्रदेश में बनी है, मध्‍यप्रदेश के 52 जिलों में से लगभग 51 जिलों में अपराध बढ़े हैं और अत्‍याचार बढ़े हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, और तब से लगाकर अभी तक, वर्ष 2020 से लगाकर अभी तक हजार प्रकरण ऐसे हैं, जिनके चालान अभी तक पुटअप नहीं हुए हैं. दो हजार अत्‍याचारी ऐसे हैं, अपराधी ऐसे हैं, असामाजिक तत्‍व ऐसे हैं कि जो आज भी गिरफतार नहीं हैं, चालान कोर्ट में पुटअप नहीं हो रहे हैं, अत्‍याचारियों की अगर गिरफतारी नहीं हो रही है तो सरकार इनको संरक्षण क्‍यों दे रही हैं, मैं यह जानना चाहता हूं और कानून व्‍यवस्‍था में कसावट कैसे आयेगी?

 माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने फिर दूसरा प्रश्‍न जब लगाया था, इसी से संबंधित वह मेरा प्रश्‍न क्रमांक-1478, दिनांक-29/07/2022 है, इसमें जानकारी यह बताई गई है कि पुराने प्रकरण और पुराने अत्‍याचारी न गिरफतार हुए न उनके चालान पुटअप हुए, इसमें आगे जवाब दिया है कि नये और अत्‍याचार, नये और प्रकरण, नये और अपराध जो हुए हैं, उसकी संख्‍या और बढ़ गई है, तो माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने आपको बोला था मैं जो बोलूंगा यहां ऑथेंटिक और तथ्‍यात्‍मक जानकारी जो सरकार की दी हुई है, जो आपके माध्‍यम से हमें मिलती है, हमारे विधायक साथियों को मिलती है, उसी को मैं यहां रख रहा हूं.

 माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बात यही समाप्‍त नहीं होती है, अभी जो बात आ रही थी और माननीय मुख्‍यमंत्री जी भी मैं समझता हूं कि खूब आदिवासियों की बात कर रहे हैं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी, देश में मैं समझता हूं कि मध्‍यप्रदेश सबसे बड़ा ट्रायबल स्‍टेट है और देश में जितने जो आदिवासी हैं, उसमें लगभग 14.70 प्रतिशत देश के आदिवासी मध्‍यप्रदेश में रहते हैं और उन पर जो अपराध होते हैं, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लगभग 23 से 24 प्रतिशत देश के आदिवासियों पर जो अत्‍याचार जो होते हैं, वह 23 से 24 प्रतिशत मध्‍यप्रदेश में होते हैं, माननीय मुख्‍यमंत्री जी आप क्‍या देख रहे हो ? आप आदिवासियों के हितों की रक्षा की बात करते हो, लेकिन मैं समझता हूं कि आपका यह दोहरा चरित्र और चेहरा है. नीमच की घटना किसी से छिपी हुई नहीं है, नीमच और देवास की घटना किसी से छिपी हुई नहीं है और उसके बाद मेरे पास मध्‍यप्रदेश में जहां-जहां चाहे विदिशा की बात हो, चाहे खरगोन की बात हो, सीधी और दतिया की बात हो, सिवनी की बात हो, जहां-जहां भी अपराध हुए हों, उसकी लिस्‍ट मेरे पास है और महिलाओं पर जो अत्‍याचार होते है, मैं समझता हूं कि कई वर्षो से हमारा जो प्रदेश महिलाओें में अत्‍याचार में पहले नंबर पर आ रहा हैं.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नाबालिग जो बालिकाएं हैं, उनकी हत्‍याएं और उनके साथ दुष्‍कर्म इससे भी संबंधित मैंने प्रश्‍न लगाया था, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह मेरा प्रश्‍न क्रमांक-4876,दिनांक-16/03/2021 था, जिसमें जानकारी यह मिली है कि इससे संबंधित 12 जो प्रकरण हैं, जबलपुर, इंदौर और ग्‍वालियर की उच्‍च न्‍यायालय में जो विचाराधीन हैं, उसमें से आठ प्रकरण ऐसे हैं जो आज तक लिस्‍टेड नहीं हुए हैं, उनमें आज तक कोर्ट में सरकार के प्रतिनिधि खड़े ही नहीं हुए हैं, बताओ हम बालिकाओं के ऊपर जो अत्‍याचार या दुष्‍कर्म हो रहे हैं, उनकी जो हत्‍याएं हो रही हैं, हम इससे संबंधित अपराधों को हम कैसे रोक पायेंगे? माननीय गृहमंत्री जी यहां पर है नहीं, वह बड़ी-बड़ी जो बातें कर रहे थे, कुत्‍तों के ट्रांसफर की बात भी कर रहे थे, मेरे हिसाब से उनके ध्‍यान में, उनके ख्‍याल में यह आया कैसे कि कुत्‍तों के ट्रांसफर भी, क्‍या यह जो जितने ट्रांसफर कर रहे हैं, इनसे पेट नहीं भरे हैं? क्‍या कुत्‍तों के ट्रांसफर आप करना चाहते हो? वह यहां पर है नहीं, मेरी बात को अगर सुने तो मेरी बात का जवाब दें. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो अपराध हो रहा है, आपने जो ओथ और जो शपथ, जो कसम जिस बात की ली है, क्‍या आप मध्‍यप्रदेश की जनता के हितों की रक्षा करेंगे ? और एक खोफ, एक डर जो आसामाजिक तत्‍वों पर होना चाहिये, अत्‍याचारियों पर होना चाहिये, कमलनाथ जी की सरकार में पंद्रह महीने की सरकार में यह असमाजिक तत्‍व मध्‍यप्रदेश छोड़कर भागने लगे थे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब यह वापस पूरे मध्‍यप्रदेश में आ गये हैं और फिर लोगों की नाक में दम कर रहे हैं, फिर अत्‍याचार कर रहे हैं, फिर अपराध कर रहे हैं,  यह हमारी सरकार में भूमिगत हो चुके थे और भाग गये थे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय,जो शुद्ध के लिये युद्ध हमने चलाया था और इस शुद्ध के युद्ध में मैं आपको बताना चाहता हूं कि एस.टी.एफ. और पुलिस मिलकर जो कार्यवाही करती थी, वह एक खोफ और एक डर बना था.हमको इन मुख्‍यमंत्री जी, जैसा कमलनाथ जी को बोलना नहीं पड़ता था कि मैं दस फिट गड्ढों में गुंडों को गाढ़ दूंगा, बिना डर के पुलिस प्रशासन हमारा सख्‍ती से कार्यवाही करता था और अच्‍छा लॉ एण्‍ड आर्डर चलता था.

जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) -- हां इधर देख लो, शुद्ध के लिये युद्ध मैंने चलाया था (हंसी)..

श्री बाला बच्‍चन -- माननीय अध्‍यक्ष महोय, एक मिनट मैं इन्‍हीं को जवाब देना चाहता हूं. यह हेल्‍थ मिनिस्‍टर थे, शुद्ध के लिये युद्ध हम और ये और कमलनाथ जी और हमारे मंत्रिमंडल के मंत्री और हम लोग मिलकर चला रहे थे, लेकिन उस मुहिम को चलाते-चलाते ये तुलसी सिलावट से अब ये मिलावट सिलावट हो गये हैं(हंसी).             

          श्री तुलसीराम सिलावट - अध्‍यक्ष महोदय, जिन्‍होंने यह आरोप लगाया है. यह बेबुनियाद, निराधार है, क्‍योंकि बाला भाई जो गृह मंत्री बने हैं, किसके कारण बने थे ? यह भी इनसे पूछ लो. ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के कारण बने हैं.

          श्री जितु पटवारी - अभी तो आरोप लगाया ही कहां है.

          चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग) - बाला भाई, अध्‍यक्ष जी ने मुझे अनुमति दी है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी आपने एक व्‍यवस्‍था दी थी कि हम सभी समय-सीमा का ध्‍यान रखें. हम तो पूरी तरह से, जब हमारे मंत्री जी बोल रहे थे, आपने इशारा किया था, बिना समाप्‍त किये ही बैठ गए. अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि आपकी व्‍यवस्‍था का पालन तो सभी को करना ही चाहिए. हम सब शॉर्ट करें. आपने बोला, जल्‍दी-जल्‍दी करें.

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह दतिया के हमारे लगभग 350 लोगों के ऊपर जो असत्‍य प्रकरण लगाए हैं और जिस तरह से, जो हालत आपने पुलिस से उनकी करवाई है. यह जो अन्‍नू पठान, जिला कांग्रेस कमेटी, दतिया कार्यकारी जिला अध्‍यक्ष थे और इन पर कोई अपराध नहीं था. दूसरा, राजेन्‍द्र यादव का आप यह फोटो देखिये (हाथ से फोटो दिखाते हुए) अरविन्‍द शुक्‍ला, सेवा दल उपाध्‍यक्ष और उसके बाद नरेन्‍द्र यादव, ऐसे लगभग 4 लोगों के साथ जिस तरह से आपने जो पुलिस से पिटाई करवाई है और जो फोटो खिंचवाया है और लोगों के बीच उसको वायरल करवाया है. आप क्‍या मैसेज और संदेश देना चाहते हैं ? आपसे ज्‍यादा सरकारें मध्‍यप्रदेश में और देश में हम लोगों ने चलाई हैं, ऐसा कभी भेद-भाव नहीं किया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी आप सुन लीजिये. जो अत्‍याचार मध्‍यप्रदेश में हो रहे हैं. प्रदेश में क्राइम रेट प्रति 1 लाख आबादी पर जो अपराध हो रहे हैं, उसकी तुलना हम अगर राष्‍ट्रीय औसत से करें.

          अध्‍यक्ष महोदय - यह तो जितु पटवारी जी बता चुके हैं. क्राइम रेट का बताया है. 

          श्री बाला बच्‍चन - अध्‍यक्ष महोदय, यह नहीं हुआ है. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मध्‍यप्रदेश में हत्‍याओं का राष्‍ट्रीय औसत 2.1 है, मध्‍यप्रदेश में 2.4 है, बलात्‍कार का राष्‍ट्रीय औसत 4.8 है, उसका मध्‍यप्रदेश में 7.2 है, किडनैपिंग मध्‍यप्रदेश में 11.2 है और राष्‍ट्रीय औसत 7.4 है, बच्‍चों के विरुद्ध राष्‍ट्रीय औसत 3.6 था. और मध्‍यप्रदेश में 66.7 है. ऐसे ही हिट एंड रन में 8.8 है और राष्‍ट्रीय औसत 3.2 है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अवैध हथियारों की तस्‍करी में भी प्रदेश पांचवें नम्‍बर पर है और अगर हम बुजुर्गों की बात करें, तो बुजुर्ग मध्‍यप्रदेश में सबसे ज्‍यादा अगर कहीं असुरक्षित हैं तो वह मध्‍यप्रदेश में हैं. इसका क्राइम रेट का राष्‍ट्रीय औसत 59.1 है, यह जितु पटवारी जी ने बोला था. इसमें मध्‍यप्रदेश का क्राइम रेट 92.3 है. मैं इस बात को जान रहा था, समझ रहा था. इस मुद्दे का उन्‍होंने उल्‍लेख किया था. यह जो महिलाएं और नाबालिग बालिकाओं की तस्‍करी हो रही है, यह देश में नम्‍बर वन पर है. इन बातों को ध्‍यान देना पड़ेगा और जहां तक प्रदेश में ई-कॉमर्स कम्‍पनियों के द्वारा नशीले पदार्थ, हथियार, एसिड जैसी जो प्रतिबंधित वस्‍तुएं हैं, उनकी डिलीवरी की जा रही है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी, इस बात पर ध्‍यान देना पड़ेगा. हमारे प्रदेश की स्थिति क्‍या हो जा चुकी है ? मैं सट्टे, जुएं, अवैध शराब और अवैध उत्‍खनन- जिसमें गिट्टी और रेत आती है, मैं, मेरे अपने जिले जहां से मैं बड़वानी से आता हूँ. वहां बहुत बुरे हाल हैं. सट्टेवाले खूब सट्टा चला रहे हैं, जुआं खूब चल रहा है, शराब खूब चल रही है, अवैध रेत और उत्‍खनन की खूब कालाबाजारी हो रही है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी, इस पर भी देखें क्‍योंकि गृह मंत्री जो बोल रहे थे, उसी समय से ही मैंने यह आंकड़े निकालकर रखे थे और जहां तक गुना जिले के बमोरी में एक महिला रामप्‍यारी बाई है, उसके ऊपर डीजल डालकर उसको जिन्‍दा जलाकर मार डाला है. यह अभी-अभी के उदाहरण हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सिवनी में दो आदिवासियों को मॉब लिंचिंग के चक्‍कर में बजरंग दल के लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला है. तीसरी घटना है, 2 सितम्‍बर की रात्रि में इन्‍दौर की है, 19 वर्षीय आदिवासी युवक अर्जुन सिंगारे के साथ मार-पीट की है और उसके बाद में उसकी मौत हो गई. मेरे हिसाब से यह लगभग सभी आदिवासी लोग हैं. चौथी घटना, अगस्‍त माह में विदिशा जिले के लटेरी की है, जो हमारे चैल सिंह भील थे, उनकी भी गोली मारकर हत्‍या कर दी गई है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी, अभी तक कोई न्‍याय नहीं दिला पाये हैं, यह हमारा आपसे आग्रह है. नेमावर की घटना किसी से छिपी नहीं है. लगभग 45 दिन तक कोई अता-पता नहीं लगने दिया था और मुख्‍यमंत्री जी गुण्‍डों के बारे में बोलते हैं कि 10 फीट जमीन में गाड़ दूंगा, लेकिन हमारे निर्दोष पांच आदिवासियों को मारकार के उन्‍होंने 10 फीट गड्ढे में उनको गाड़ दिया था और 45-50 दिन तक पता नहीं चला था, सरकार कितनी बेहोश है, इसलिए हम आपके खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाए थे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें और एक जो घटना हुई है, इंदौर में अभी 11 महीने में लगभग 3 हजार वाहनों की चोरी हुई है. केवल अकेले इंदौर में. बाकी हम बेरोजगारी की बात कर लें, महंगाई की बात कर लें, हम उसके प्रश्‍न लगाते हैं, उसकी सब जानकारी हम लोगों के पास है. मैं जिस जिले से आता हूं, मेरा बड़वानी जिला है, बड़वानी, अलीराजपुर और झाबुआ की हम बात करें तो मध्‍यप्रदेश में अलीराजपुर, बड़वानी, झाबुआ में सबसे बड़ी संख्‍या में आदिवासी लोग रहते हैं. अलीराजपुर में 89 प्रतिशत आदिवासी है, झाबुआ में 87 प्रतिशत आदिवासी रहते हैं,  बड़वानी में भी आदिवासी रहते हैं, वे अभी भी गरीबी रेखा के नीचे है, अलीराजपुर में लगभग 71.31 प्रतिशत अभी भी गरीब बने हुए है, ऐसे ही झाबुआ में 68.86 प्रतिशत गरीब अभी भी है, बड़वानी में भी 61 प्रतिशत अभी भी गरीब है. माननीय कमल पटेल जी मैं आपके बारे में बताना चाहता हूं मेरी विधान सभा में अभी आठ दिन पहले नकली खाद ठिकरी में पकड़ाया है, ओज्ञर में पकड़ाया है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नकली खाद, नकली बीज और कम पहले खाद पचास किलो हुआ करता था, अब जो खाद है वह करीब 45 किलो होने लगा है और नकली भी होने लगा है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपके 20 मिनट हो गए, आपने एक मिनट कहा था वह भी आपको दे दिया.

          श्री बाला बच्‍चन - अध्‍यक्ष महोदय, और भी बहुत सारे बिन्‍दु है, मैं आपसे एक निवेदन करना चाहता हूं कि जिला योजना मंडल की बैठकें ही नहीं होती. मैं पांचवी बार का विधायक हूं. मुझे बड़वानी जिले में जब से कमलनाथ जी की सरकार गई और शिवराज जी की सरकार बनी, तब से आज तक जिला योजना मंडल की बैठकें नहीं हो रही है, हमारे कांग्रेस के विधायकों को बुलाया नहीं जाता है. प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है. मेरा अविश्‍वास प्रस्‍ताव के और भी मेरे पास बिन्‍दु है, लेकिन जिस तरह से सरकार सुनना नहीं चाहती और सरकार बचना चाहती है, मैंने इधर उधर की बातें नहीं की है, मैंने सारी बातें स्‍टेट की है, आपकी अपनी विधान सभा के प्रश्‍नों के माध्‍यम से मैंने बात कही है और भी मैं बात कहना चाहता था, लेकिन वक्‍त की कमी के कारण माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मेरी बात समाप्‍त करता हूं, धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय एन.पी. प्रजापति जी, समय का ख्‍याल रखेंगे, आपसे आग्रह इसलिए किया हूं क्‍योंकि आप यहां पर बैठ चुके हैं.

          श्री एन.पी. प्रजापति (गोटेगांव)- आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, अविश्‍वास प्रस्‍ताव, शायद इस सदन के कई सदस्‍यों ने अविश्‍वास प्रस्‍ताव जब विक्रम वर्मा जी लाए थे, अविश्‍वास प्रस्‍ताव, जब सुन्‍दरलाल पटवा जी लाए थे, उस समय सदन की चर्चा अविश्‍वास प्रस्‍ताव, लाने वालों को ज्‍यादा मौका दिया जाता था और जिस मंत्री के ऊपर जो बात आती थी, सिर्फ उसको बोलने का मौका दिया जाता था. उसके कारण फिर अविश्‍वास प्रस्‍ताव, की समग्रता आती थी, वह अभी देखने को नहीं मिल रही, खैर. वर्ष 2002 में इसी मध्‍यप्रदेश में, इसी मध्‍यप्रदेश की रेत 1500 रूपए डंपर मिलती थी. इसी मध्‍यप्रदेश में इसी मध्‍यप्रदेश की रेत 250 रूपए ट्राली मिलती थी, क्‍या हुआ इस मध्‍यप्रदेश को. 18-19 साल में पी.व्‍ही.टी. एल.टी.डी कंपनी चालू हुई और आज वही रेत बड़े शहर में 56000 रूपए डंपर मिल रही है, छोटे शहरों में 26 हजार की डंपर मिलती है और गांव में चले जाओ तो रेत 9 हजार रूपए ट्राली मिल रही है. नरसिंहपुर में तो यह तक हुआ कि पुराने कलेक्‍टर जो रिटायर्ड हो गए. धन लक्ष्‍मी ये कंपनी का नाम है, फिर से पी.व्‍ही.टी. एल.टी.डी कंपनी, प्रायवेट लिमिटेड कंपनी जो 2002 से शुरू हुई. बम्‍बई रेता चली गई, मां नर्मदा से नरसिंहपुर से, ये कौन सा धंधा हो रहा है ये क्‍या हो रहा है और क्‍या ये हम गरीबों के साथ कुठाराघात नहीं कर रहे, इतनी महंगी रेत देकर, क्‍या 18 साल में कोई नीति बनाई कि गरीब पंचायतों में अगर रेत जा रही है तो वह फ्री ट्राली में जाएगी. क्‍यों नीति नहीं आयी, क्‍यों नीति नहीं आयी कि अगर कोई प्रधान मंत्री मकान बना रहा है, तो उसको भी आवास योजना में फ्री रेत मिलेगी. हमने मंहगाई क्‍यों बढ़ा दी हमें क्‍या अधिकार है. क्‍या यह रेत अमेरिका से आ रही है, क्‍या यह रेत जर्मन और आस्‍ट्रेलिया से आ रही है ? यहीं की प्राकृतिक देन और हम सिर्फ खजाना देखने के आम जनता का हित भूल गये हैं. फिर आती है पीवीटी और एलटीटी कम्‍पनी, यह किसकी है, जिसकी सरकार किसकी है जिसका चीफ सेक्रेटरी, जिसका प्रिंसिपल चीफ सेक्रेटरी किसकी है यह ? जिसका डायरेक्‍टर जिसका कमिश्‍नर, किसकी है ये. वही तो पदस्‍थ करते हैं, खनिज अधिकारी को जिले में नामा लेकर. जो जितना नामा देगा वह उतनी डिपाजिट नीचे से लेकर क्रमबद्ध तरीके से पीवीटी और एलटीटी कम्‍पनी को जमा करता जायेगा. यह 18-20 वर्ष से जो पीवीटी और एलटीटी कम्‍पनी चल रही है. वह आखिर प्रदेश को रेत के मामले में कहां ले जाना चाह रही है ? एक नरसिंहपुर का आईटी एक्‍टीविस्‍ट इसने बात उठायी कि 10 दिन पूर्व जताई आशंका श्री रमाकांत कौरव 23 नवंबर को जानलेवा हमला होगा, यह उससे पहले आशंका 22 नवम्‍बर में दिखाई, पहले आशंका दिखा दी लेकिन उसी एक्‍टीविस्‍ट के ऊपर असत्‍य केस वहां का खनिज अधिकारी बनाता है. क्‍यों बनाता है कि उसने शिकायत कर दी, किसके खिलाफ कर दी, हमने तो लक्ष्‍मी भर सुना था लेकिन हमारे यहां धनलक्ष्‍मी कंपनी है. आखिर यह क्‍यों हो रहा है 100 करोड़ के रेत घोटाले के ऊपर जानलेवा हमला, उसने मध्‍यप्रदेश शासन खनिज विभाग को शिकायत की कि यह 100 करोड़ का रेता का घपला है. क्‍योंकि ठेका बंद हो गया और उसकी मियाद खत्‍म हो गयी. उस मियाद के बाद यह रेत ढो रहा है. 100 करोड़ का घपला हो गया है. इसलिये उसके ऊपर जानलेवा हमला हुआ उसके खिलाफ रिपोर्ट भी लिख दी, पुलिस प्रशासन नरसिंहपुर ने. फिर क्‍या होता है अध्‍यक्ष महोदय कौरव कोर्ट में जाता है और कोर्ट में गलत साबित हुई रमाकांत कौरव पर दर्ज एफआईआर और कोर्ट ने कहा कि यह पैसे धनलक्ष्‍मी से वसूल करो. लेकिन धनलक्ष्‍मी पर इतनी कृपा, कैसी कृपा की धनलक्ष्‍मी अपने ही बेरियर लगाता है. कहने को सरकार कहती है कि हम लगा रहे हैं, उसके गुंडे, उसके बदमाश बंदूक लेकर वहां पर बैठते हैं और तो और मुख्‍य मंत्री जी एक बढि़या बात बताऊं की जितनी खदानें नरसिंहपुर की नीलामी में स्‍वीकृत हुई थीं तो यह धनलक्ष्‍मी तो पूरे जिले का मालिक बन गया. वहां को तो छोड़ो होशंगाबाद, सागर और जबलपुर का मालिक बन गया कैसे, खदानें थी सिर्फ 22 लेकिन जो खदानें नहीं थी, अगर वहां से भी कोई रेत उठायेगा तो उस पर वहां जाकर उसके गुंडे गोली चलायेंगे, डंडे चलायेंगे और पीवीटी कंपनी कैसी कि पुलिस विभाग उसके खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिखेगी. यह जो मिलीभगत ऊपर से नीचे तक हो रही है,इसलिये इसको मैंने प्रायवेट लिमिटेड कंपनी कहा है. नीचे याने जो खनिज अधिकारी जो कंपनी है, उसके ऊपर कमिश्‍नर है, उसके ऊपर पी.एस है, उसके ऊपर सी.एस है और उसके ऊपर सरकार है. अध्‍यक्ष महोदय, जब हम यहां पर 85 में आये थे तो यहां पर हमने पटवा जी और अर्जुन सिह जी को हमने सुना था और वह दोनों कहते थे कि हम जन-प्रतिनिधि चुनकर आये हैं और हम जनता की आवाज उठायेंगे. वह जो उस बेंच वाले लिखकर देते हैं तो मंत्री पहले यह देख लें कि यह जवाब जनता के हितकर है या सिर्फ अधिकारियों के हितकर है और मंत्री को फिर वैसा व्‍यवहार करना चाहिये, क्‍योंकि मंत्री जनता और अधिकारियों के बीच की वह धुरी है, जिसमें न्‍याय जनता को मिलेगा, लेकिन यहां कुछ और ही हो गया, इस रेत के मामले में वही प्रायवेट लिमिटेड कंपनी क्‍यों ? और आ जाइये रेत माफिया ने धमकाया शिकायत वापस लो, वरना मार डालेंगे, थाने में एफआईआर.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आपको 6 मिनट से ज्‍यादा बोलते हुए हो गया है. आप इसको कुछ लाइन में समाप्‍त कर दो. कह दीजिये क्‍योंकि आपने स्‍वत: कहा था कि हम पांच मिनट बोलेंगे.

           श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी):- देखिये अध्‍यक्ष महोदय ऐसा है कि मैंने कहा लेकिन मेरे पूर्व वक्‍ताओं को जिस प्रकार से समय दिया गया ता वह मेरी बात शून्‍यता में चली गयी. मेरा आपसे आग्रह है कि मैंने इसी सदन में आपके संरक्षण में दो बार ध्‍यानाकर्षण उठाया कि मैं टीम पहुंचा रहा हूं. वही मंत्री धनलक्ष्‍मी के कहने पर खा-पीकर आ जाती है और 10-10 करोड़ रूपये उनके माफ हो जाते हैं और अभी जब नरसिंहपुर में रेत का ठेका बंद है तो 16 करोड़ रूपये की आय हो गयी है और वह 16 करोड़ रूपये धरोहर राशि क्‍यों इनकी माफ कर दी धनलक्ष्‍मी की. जब कि उसके ऊपर आरोप है कि 10 करोड़ रूपये से ज्‍यादा उसने रेत खोद डाली, यह क्‍यों हो रहा है. या तो हम मानकर चलें कि सब मिले हुए हैं, नीचे से ऊपर सब मिले हुए हैं. हमको प्रश्‍न उठाने ही नहीं चाहिये क्‍योंकि जब सभी लोग मिले हुए हैं तो विपक्ष का विधायक आवाज उठाये तो क्‍यों उठाये. वह अधिकारी अपने अपने चेम्‍बर में हंसते हैं कि विधायक प्रश्‍न उठाते हैं और हम जो बोलते हैं वह मंत्री जी जवाब देते हैं. विधायक विधायक है, पांच-दस साल कहां का रह जायेगा. यही बात अभी मुरैना में, भिण्ड में एक वन अधिकारी को बांध कर मार दिया जाता है. वहां पर पुलिस वाले नहीं आते हैं. रायसैन, मंदसौर जहां पर रेत खनन हो रही है, यह क्यों हो रहा है ? मैं सिर्फ आपसे एक बात बोलना चाहता हूं कि हम अविश्वास इसलिये लाये हैं. हमको विश्वास तब होगा जब  मुख्यमंत्री जी इस पर कार्यवाही करना शुरू करेंगे. नहीं तो हमको अविश्वास है और रहेगा. हम यह मानकर के चलेंगे जनता यह मानकर के चलेगी कि कौन कौन सी कंस्ट्रक्शन कम्पनियों के नाम लूं मैं कहीं शिवा कंस्ट्रक्शन, रेडी बंधु.

          अध्यक्ष महोदय--श्री गोविंद सिंह राजपूत

          श्री एन.पी.प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय, ऐसा है कि अगर मैं एक विषय पर बोल रहा हूं मैं 10 विषयों पर नहीं बोल रहा हूं.

          अध्यक्ष महोदय--आपका विषय लंबा हो गया है.

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया-- यह कंपनियां कौन लेकर के आया है यह मैं आपसे प्रश्न करना चाहता हूं ?

          श्री एन.पी.प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय भाई साहब इसको छोड़ो ना.

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया-- अध्यक्ष महोदय माननीय कमलनाथ जी की सरकार में जिनका आप नाम ले रहे हैं यह तो आप ही लेकर के आये थे. मैं तो आपसे निवेदन करना चाहता हूं. आपको यह स्मरण होगा. आप विद्वान व्यक्ति हैं.

            श्री एन.पी.प्रजापति--भदौरिया जी आप विराजिये. देखिये आप 15 महीने के नाम पर कब तक विलाप करते रहेंगे. पहले आप 18 साल का याद करो.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--एक भी ठेकेदार हमारा नहीं है. सभी आपके लाये हुए हैं.

          श्री एन.पी.प्रजापति--देखिये लाये होंगे लेकिन उन पर कड़ाई करना बृजेन्द्र जी आपका काम है. जो आप नहीं कर रहे हो. वहां तो क्षेत्र में यह बोल रहे हैं कि (XXX)

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--आप यह बताईये उन पर लगातार कार्यवाहियां हो रही हैं. आज हमारी नाईस की रायल्टी 4 हजार से 8 हजार करोड़ रूपये हो गई है. यह खनिज विभाग है जो माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार में जस्ट डबल रायल्टी की है.

          श्री एन.पी.प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय, नहीं बिल्कुल नहीं. यह नीचे क्षेत्र में बात चल रही है कि अधिकारी मिले हैं, मंत्री मिले हैं. मैं इसलिये तो अविश्वास लाया हूं. यहां पर प्रश्न उठाने में कोई कार्यवाही नहीं होती है. अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद देता हूं कि पुनः यह स्मरण याद दिला रहा हूं कि यह जो अविश्वास प्रस्ताव है यह कभी 2-4 घंटे में इतिहास में मध्यप्रदेश के सदन में कभी ऐसा नहीं हुआ कि 2-4 घंटे चलकर अविश्वास खत्म हो गया. यह बहुत गलत रास्ते पर लोकतंत्र जा रहा है. मैं आपको आगाह कर रहा हूं.

          श्रीमती सुनीता पटेल (गाडरवारा)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस रेत के विषय में, मैं, भी दो मिनट बोलना चाहती हूं. हमारे यहां सबसे ज्‍यादा रेत की खदानें हैं, सबसे ज्‍यादा नदियां हैं और वहां पर अवैध खनन हो रहा है. मैंने नरसिंहपुर में जाकर धरना दिया था, मुख्‍यमंत्री जी ने आश्‍वासन दिया था कि इसकी जांच हो जायेगी. वहां के लोग 8 हजार रुपये ट्रॉली में रेत ले रहे हैं, उनके आवास नहीं बन पा रहे हैं, निर्माण कार्य नहीं हो पा रहे हैं. उनकी रेत पकड़ ली जाती है और जो.........

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे दिन भर में एक महिला बोल रही थी, उसका भी माईक बंद कर दिया और वह नरसिंहपुर जिले का विषय था, एक महिला बोल रही थी, उसका भी माईक बंद कर दिया, यह गलत परंपरा है.

           अध्‍यक्ष महोदय-  उनका सूची में नाम नहीं है. नाम पहले देना चाहिए न. आपने जो सूची दी है, महिला की बात यहां विजय लक्ष्‍मी साधौ बहन ने की. आपने मुझे 34 लोगों की सूची दी है, उसमें कोई महिला नहीं है और एक महिला का नाम लिखा भी है तो 34वें नंबर पर. (सत्‍ता पक्ष की ओर से शेम-शेम की नारे लगाये गए.)

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए, उस सूची में हिना कावरे का नाम है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  मैंने कहां कहा की नाम नहीं है. मैंने कहा कि जो नाम है वह सबसे नीचे 34वें नंबर पर है. इसको ऊपर रखना चाहिए था.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-  आपने कहा कि नाम नहीं है इसलिए कह रही हूं कि महिला का नाम है. आपका संरक्षण चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय-  मुझे नाम न पढ़ना पड़े. मैं संरक्षण ही तो दे रहा हूं, संरक्षण न देता तो कैसे कहता कि महिला का नाम जोड़ना चाहिए.

          राजस्व मंत्री (श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, करीब पांच घंटे से अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा चल रही है. मैं अपनी बात की शुरूआत में, अपने पुराने मित्रों के साथ थोड़ा अंतरंग होना चाहता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सरकार जब बन रही थी, हमारी पुरानी सरकार, कांग्रेस की सरकार. दिल में जो बात है, वही बयान कर रहा हूं. 

5.28 बजे

अध्‍यक्षीय घोषणा

सदन के समय में वृद्धि विषयक

          अध्‍यक्ष महोदय-  अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये, मैं, समझता हूं, सदन इससे सहमत है.

(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

5.29 बजे

मंत्रि-परिषद् के प्रति अविश्वास प्रस्ताव (क्रमश:)

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूतमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2018 में जब सरकार का, पार्टी का घोषणा पत्र बन रहा था तो बड़ी ही चिंता की स्थिति थी कि शिवराज सिंह जी की सरकार ने पिछले 14-15 साल में इतना काम किया है, इतना काम किया है कि हमारी कांग्रेस की जब पिछली सरकार थी तो न सड़कें थीं, न बिजली थी, न पानी था तो इसका नाम घोषणा पत्र  रखा जाये कि न रखा जाये. काफी चिंतन-मनन हुआ. मैं भी उस घोषणा पत्र कमेटी में था तो फिर तय हुआ कि इसका नाम रख दो, वचन-पत्र और वचन-पत्र का तो आप जानते ही हैं कि-

"रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई"

          श्री प्रियव्रत सिंह-  अपनी मत समझ जाना.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूतदेखो भाई, हमने बहुत सुना है आपको, अब आपको सुनना पड़ेगा. मैंने जितु भाई को पूरा सुना है.

          श्री विश्‍वास सारंग-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कृपया टोका-टाकी बंद करवायें.

          श्री जितु पटवारी- मैं, एक शब्‍द नहीं बोलूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-  जितु, ये टोका-टाकी मत करो. उनको बोलने दो. 

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूतमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब वचन पत्र में तय हुआ कि क्‍या डालें, सरकार बनाना है, कैसे भी बनायें, जो आया ये डाल दो, ये डाल दो, ये वचन पत्र में डालना है डाल दो. यहां तक कि वृद्धावस्‍था पेंशन 1 हजार रुपए करना है कर दो कोई दिक्‍कत नहीं है कर दो, दैनिक वेतन भोगी स्‍थाई करना है कर दो कोई दिक्‍कत नहीं है कर दो, अतिथि शिक्षकों को फुल फ्लेश करना है कर दो हमें तो सरकार बनाना है. मैंने कहा कि साहब कैसे करेंगे तो कहा कि अरे गोविन्‍द कर दो. सरकार बनाना है काम थोड़ी करना है. सरकार बनाओ. सरकार बन गई.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल-- आप असत्‍य मत बोलिए ऐसा तो कभी नहीं बोला.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपका नंबर आएगा तब बता दीजिएगा. आपका नंबर आने वाला है बता दीजिएगा. टोका-टाकी मत कीजिए.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत-- जितु यह बात सुनो. (XXX) मेरी बात तो सुनिए.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--दो साल में ऐसा असत्‍य बोलने का रंग चढ़ गया.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- दहेज वह भी 40 साल बाद इस पर तो श्‍वेत पत्र आना चाहिए.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत-- भैया बैठ जाइए.  अब सुनने में दिक्‍कत हो रही है, कष्‍ट हो रहा है. अभी शुरुआत ही तो हुई है. अभी तो शुरुआत ही हुई है सुन लो मेरे राजा सुनो जरा अब सारा वचन पत्र बन गया, सरकार बन गई, तामझाम सबकुछ हो गया, महफिल सज गई अब सब लोग पहुंचे. अध्‍यक्ष महोदय, हम लोग गांव जाएं तो महिलाएं कहें कि मंत्री जी एक हजार रुपए का क्‍या हुआ तो हम कहें कि बाई हो रही है. दैनिक वेतन भोगी आए और कहें कि क्‍या हुआ तो कहें कि हो जाएगा भाई. हम सब लोग परेशान हो गए. एक बार मैं बलदेवगढ़ में था तो मुझे याद है कि मैं राहुल लोधी जी के क्षेत्र में था और जैसे ही सिंधिया जी का वक्‍तव्‍य शुरू हुआ तो अतिथि शिक्षक कूद पड़े कि हमारी मांगे पूरी करो, हमारी मांगे पूरी करो. ऊधम शुरू हो गया. उन्‍होंने कहा कि ठीक है भाई शांत रहिए. अरे भाई तुम्‍हारे साथ हम भी मांगों पर उतरेंगे. उन्‍होंने एक सहज बात कर दी मगर कर तो दी, लेकिन फिर नेता को तकलीफ हुई नेता के पास प्रेस गई कि बोलिये साहब क्‍या कहना है उतर जाओ, उतरना है तो उतर जाओ. हम सारे मंत्री विधायक पहुंचे कि साहब देखिए बहुत सारी घोषणाएं कर दी हैं कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा. अरे गोविन्‍द घोषणाओं से काम चलता है. हमने तीस साल शासन किया है. घोषणाएं तो घोषणाएं रहती हैं. सरकार चलाना अलग बात होती है. आखिर सरकार चली गई. (व्‍यवधान)

          श्री लाखन सिंह यादव—(XXX) यह नरोत्‍तम जी को तो सुनने में बहुत आनंद आ रहा होगा. (व्‍यवधान)

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत-- अरे बैठो (व्‍यवधान)

          श्री लाखन सिंह यादव-- वहां जाकर इतनी बड़ी गद्दारी करके... (व्‍यवधान)

          डॉ. अशोक मर्सकोले—(XXX). (व्‍यवधान)

          श्री प्रियव्रत सिंह-- आप तो हवाई जहाज पर बैठकर बैंगलूरू  चले गए. उन अतिथि शिक्षकों के लिए सड़क पर उतरते न. हवाई जहाज पर चढ़ने के लिए, बैंगलूरू  जाने के लिए किसने बोला था. (व्‍यवधान)

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा --कमलनाथ जी ने यह बोला था कल उतरते हो तो आज सड़क पर उतर जाओ. (व्‍यवधान)

          श्री प्रियव्रत सिंह-- बैंगलूरू में क्‍या घोषणाएं हुई हैं. वहां बैंगलूरू की घोषणा पूरी हुई कि नहीं हुई. (व्‍यवधान)

            श्री दिलीप सिंह परिहार -- हमने भी सुना है (व्यवधान)

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, केबिनेट में एक ही व्यक्ति था मैं शान से कह सकता हूँ बोलने वाला हमारा बड़ा भाई डॉक्टर गोविन्द सिंह (मेजों की थपथपाहट) सच बोलते थे. कोई हो जो बोलना है सो बोल देना. दो लोग कांग्रेस पार्टी में हैं एक डॉक्टर गोविन्द सच बोलते थे केबिनेट के अन्दर और एक कांग्रेस पार्टी की सरकार चाहे राजा दिग्विजय सिंह जी की रही हो चाहे कमलनाथ जी की रही हो सच बोलने वाले दूसरे व्यक्ति हैं हमारे आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी. बाकी तो असत्य का पुलिंदा हैं. सच्चाई यह है.

          अध्यक्ष महोदय, सच यह है अभी राहुल गाँधी जी आए, क्षमा करना. उन्होंने कहा कि पार्टी में अब मैं नहीं हम चलेगा. उन्होंने एक तरफ कमलनाथ जी का हाथ पकड़ा एक तरफ दिग्विजय सिंह जी का हाथ पकड़ा और कहा अब मैं नहीं हम. मैंने कहा यह अच्छा शुरु हो गया. 8 दिन बाद पोस्टर लगा उसमें न दिग्विजय सिंह जी का फोटो, लिखा था मैं नहीं हम और फोटो अकेला कमलनाथ जी का. राजा दिग्विजय सिंह गायब, डॉक्टर गोविन्द सिंह गायब, राहुल भैया गायब, अरुण यादव गायब, पचौरी जी गायब, सब गायब. मैं नहीं हम. कांग्रेस में होता है हम नहीं मैं. भारतीय जनता पार्टी में होता है मैं नहीं हम. (मेजों की थपथपाहट) यहां सारे निर्णय सामूहिक होते हैं.

            श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सिंधिया जी का फोटो गायब हो गया है.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- सिंधिया जी का फोटो तो भारतीय जनता पार्टी के दिल में है.  भारतीय जनता पार्टी को बनाया राजमाता सिंधिया ने था. सच बात तो यह है कि  पिछले 15 माह अराजकता, अस्थिरता के थे. केबिनेट की मीटिंग हुई, अरे भाई विधायक कहाँ हैं, गायब तो नहीं हो गए. हर मंत्री को तीन-तीन विधायक बांट दिए थे. अरे केबिनेट जाए भाड़ में विधायक कहाँ हैं. हमारे जिम्मे थे शेरा भाई और हमारे राजवर्धन सिंह जी (हँसी). अरे कहाँ गए, कहाँ गए. 15 महीने इसी में लगे रहे, विधायकों को सम्हालते रहे, लेकिन निकल गए. (हँसी)

          अध्यक्ष महोदय, अब पछता रहे हैं. अब कह रहे हैं कि कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन. अब नहीं आने वाले.

          अध्यक्ष महोदय, हमारे जितने मित्र हैं, अगर इनकी अन्तर्आत्मा में आप यंत्र लगा दें तो यह कहेंगे कि गोविन्द सही कह रहा है. हमारे जो मित्र थे सरकार जाने पर वे कहते थे गोविन्द भाई सही किया. मरे जा रहे थे 15 महीने से कोई सुनवाई हो ही नहीं रही थी. अब हम नाम नहीं बताएंगे. वो कभी नहीं बताएँगे जिंदगी भर. लेकिन यह सच्चाई है. हर आदमी बड़ा परेशान था.

          अध्यक्ष महोदय, हम मंत्रियों का हाल कैसा था. शोले के ठाकुर जैसा. बोल नहीं सकते थे. शोले के ठाकुर के बेचारे के हाथ नहीं थे कम्बल डाले-डाले फिल्म निकल गई. ऐसे ही हमारे भी कम्बल डाले-डाले 15 महीने निकल गए. (व्यवधान)

          श्री सचिन यादव -- यह अपनी सरकार के अविश्वास प्रस्ताव पर बोल रहे हैं या हमारी सरकार पर बोल रहे हैं. (व्यवधान)

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- सचिन तुम मेरे छोटे भाई हो बैठ जाओ. गलती हमारी भी नहीं थी, इनकी भी नहीं थी. अध्यक्ष महोदय, असल में दो मुख्यमंत्री होते थे. एक मुख्यमंत्री और एक सुपर मुख्यमंत्री. इन दो के चक्कर में पार्टी ऐसी पिस रही थी. बड़े परेशान थे सब लोग. अध्‍यक्ष महोदय, पिछले 15 महीनों में ऐसा कोई काम नहीं कर पाए हमारे पुराने मित्र सरकार के, जो हम बता सकें. एक बार का किस्‍सा मैं सुनाता हॅूं. सच्‍चाई है. छोटा-सा काम होता है. गरीबी रेखा में नाम जुड़ते हैं. हम लोग बार-बार कैबिनेट में कहें कि साहब, गरीबी रेखा में नाम जुड़ना है तो कोई कह रहा है कि पोर्टल नहीं खुल रहा है, एनआईसी पोर्टल है, हैदराबाद से खुलता है. जैसे गरीबी रेखा में नाम जुड़ना इतना कठिन काम हो गया. हम लोग क्षेत्र में जाएं तो कहते हैं कि साहब नाम जोड़ना है. हमने कहा कि भईया, बहुत कठिन काम है. हैदराबाद में कोई मशीन है वह जोड़ ही नहीं रहा है. (हंसी) कई लोग कहते थे इनमें. सुनिए, मेरी बात सुनिए. (कई लोगों के एक साथ अपने आसन से कुछ कहने पर) मुझे फख्र है कि माननीय श्री शिवराज सिंह जी की सरकार बनी. पहली कैबिनेट में मैंने कहा और इन्‍होंने कहा कि क्‍या बात है. इन्‍होंने सीएस से कहा, नाम जुड़ना है. 25 लाख नाम इस मध्‍यप्रदेश में गरीबी रेखा में जुडे़. (मेजों की थपथपाहट) आपके भी जुडे़ होंगे. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- डेढ़ साल पोर्टल बंद रहा है, आप असत्‍य मत बोलो.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- अध्‍यक्ष महोदय, कुछ थोड़ी-सी काम की बात कर लें. अगर कोई व्‍यक्‍ति मर जाए, भगवान न चाहे...(व्‍यवधान)..

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष जी, आपने प्रजापति जी को मना कर दिया था कि समय हो जाएगा...(व्‍यवधान)...

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी पांच मिनट तो हुए हैं...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैंने आपकी तरफ से तीन लोगों को समय दिया था, उनको एक दिया. आपका तीन बुलवाया. तीन बोलने के बाद एक को समय दिया है. तीन लगातार बोले, इसके बाद एक को समय दिया है. आपके तीन लगातार बोले हैं. इसके बाद उनको समय दिया है.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- अध्‍यक्ष महोदय, भगवान न चाहे, अगर किसी की मृत्‍यु हो जाए. कांग्रेस सरकार में उसको जिन्‍दगी में 50 हजार रूपए मिलते थे. हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने दर्द पहचाना, आज उसको मृत्‍यु में 4 लाख रूपए की राशि मिलती है. इंसान ही नहीं, अगर पशु भी मर जाए, तो पशु के लिए पहले 4 हजार रूपए मिलते थे, आज हमारी सरकार 30 हजार रूपए दे रही है.(मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, किसी का मकान गिर जाए, उसके लिए पहले 12 हजार रूपए मिलते थे, अब 1 लाख रूपए मिलते हैं. यह शिवराज सिंह जी की सरकार है. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री शंशाक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- आंकड़ों में बात करो...(व्‍यवधान)..

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- तुम समझते नहीं हो, बैठो. यह विदिशा के लोग बडे़ खतरनाक होते हैं..(हंसी)

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, 50 एकड़ जमीन की बात है, 50 एकड़ जमीन कैसे मिलती है शिवराज सिंह जी की सरकार में.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- अध्‍यक्ष महोदय, गरीबों के लिये मकान की किसी ने कल्‍पना नहीं की थी. आज जितने भी लोग गांवों में रहते हैं, उनका खुद का घर नहीं था, मालिकाना हक नहीं था. यह मालिकाना हक स्‍वामित्‍व योजना किसने दी, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दी.(मेजों की थपथपाहट) आज लाखों लोगों का घर होगा, लाखों लोगों के मकान होंगे. गांव-गांव में अविवादित नामांतरण के कारण लोग परेशान होते थे. आज हमने साइबर तहसीलें खोलीं और पूरे भारत में पहली साइबर तहसीलें खोलीं हैं जिसमें अविवादित नामांतरण घर बैठे ऑनलाईन होंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, भिंड की बात आयी थी. डॉ.गोविन्‍द सिंह जी ने उठाई थी. मैं डॉ.साहब को बताना चाहता हॅूं कि जिन कोटवारों की बात आपने की थी, उनको बर्खास्‍त कर दिया गया है और जिन लोगों की भिण्‍ड जिले में ओलावृष्‍टि की शिकायत आयी थी, उन 19 अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के नोटिस दे दिए हैं लेकिन भिण्‍ड में कांग्रेस पार्टी के कई पदाधिकारी हैं जिनके खाते में पैसा चला गया. एक केशव देसाई हैं, एक ब्‍लॉक उपाध्‍यक्ष सतेन्‍द्र तोमर हैं. ऐसे कई नाम भी आए हैं.

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्‍द सिंह) -- अध्‍यक्ष जी, एक मिनट हमारी बात सुनेंगे. हम एक मिनट बोलेंगे. कार्यवाही से तो यह प्रमाण सिद्ध हो गया. विधानसभा में स्‍वीकार कर गये तो भई, पटवारियों को फिर यह बडे़ वाले लोग, फिर अगर आप एक तोमर की बात करते हो, तो फिर अब सुनने को तैयार रहना, फिर प्रमाण देंगे. आपकी पार्टी के कम से कम 32 लोग हैं जिन्‍होंने ये फर्जी दिया है. हमारे ने तो लिया, मुझे जानकारी मिली, सत्‍येन्‍द्र तोमर, अभी तत्‍काल वापस की है. वापस करके खजाने में जमा कराए.

          श्री उमाकांत शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, दोनों गोविन्‍द हैं, इन्‍हें बहस नहीं करना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- डॉ. गोविन्‍द सिंह जी, आपकी बात आ गई.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- अध्‍यक्ष महोदय, बस मैं थोड़ा समय लूंगा. बडे़ धूम-धाम से कहा था कि हम बेरोजगारी भत्‍ता देंगे. आश्‍वासन, छलावा, 4 हजार रुपये हर बेरोजगार को देंगे. बेरोजगार खुश हो गए. इन्‍होंने महिलाओं को भी नहीं छोड़ा. महिलाओं को कहा कि स्‍व-सहायता समूहों के कर्जे माफ कर देंगे. कई बार हमारे सारे मित्र कहते थे कि महिलाएं नाराज हैं, महिलाएं नाराज हैं, न महिलाओं के स्‍व-सहायता समूहों का कर्जा माफ हुआ, न बेरोजगारों को भत्‍ता मिला.

          अध्‍यक्ष महोदय, बस मैं अंत में इतना कहना चाहता हूँ कि ये शिवराज सिंह जी की सरकार है. ये भोपाल से चलने वाली सरकार नहीं है, ये चौपाल पर चलने वाली सरकार है. इस सरकार ने जो किया है, वह आपके सामने है, विपक्ष की करतूतें, उनके साथ हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी. श्री सचिन यादव जी. संक्षेप में करना भैया. मैं मुख्‍यमंत्री जी का जवाब दिलवाना चाहता हूँ. इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप अपनी बात कह लें तो उनका जवाब आ जाएगा.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, सामने वालों के चेहरे देखकर लग रहा है कि अधिकांश लोग भी अब परिवर्तन के मूड में आ गए हैं.

          श्री कुणाल चौधरी -- अध्‍यक्ष जी, मुख्‍यमंत्री जी का जवाब कल दिलवाना, परसों दिलवा देना, चर्चा तो होने दें.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, उनका जवाब कल दिलवा देना. अगर शेड्यूल में 23 तारीख तक विधान सभा चलने का है. हम लोग भी इंतजार कर रहे हैं, अपनी बातें सदन में रखना चाहते हैं.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- कम से कम हमारी बातें सुन तो लो, सरकार सच बात सुनना भी पसंद नहीं कर रही है.

          श्री कुणाल चौधरी -- अध्‍यक्ष महोदय, कल तक तो चलना चाहिए, पूरा समय दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सचिन जी, अपनी बात शुरू करें.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश में 21 प्रतिशत आदिवासी हैं और उनकी भी बात रखने का हमको मौका दिया जाए. कल तक सदन चालू रखा जाए. पिछले 4 साल से जहां पर हमको आदिवासियों का पक्ष दमदारी के साथ रखना चाहिए, सदन में हमको समय ही नहीं मिलता है. 2-3 दिन में सदन खत्‍म हो जाता है. हम लोग किसलिए विधायक चुनकर यहां पर आए हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सचिन यादव जी शुरू करें.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में 21 प्रतिशत आदिवासी हम लोग हैं. सदन में पहली बार विधायक चुनकर आए हैं और हमको अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलता है तो हम लोग यहां पर क्‍यों आए हैं, विधान सभा में.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह बात तो अपनी तरफ कहिए ना, सूची आई है तो वहां कहो ना, यहां थोड़ी दोष है.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- अध्‍यक्ष महोदय, कल भी चलाइये, परसों चलाइये. सूची के तहत चलाइये, अध्‍यक्ष महोदय, हमने नाम दिए हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सूची के हिसाब से ही चल रहे हैं, आपका नाम भी है. आप आदिवासी की बात करते हैं.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- हमारे लोग मारे जा रहे हैं और हम लोग अपनी बात तक नहीं रख पा रहे हैं.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- कल तक चलाइये, हमारा नंबर भी आ जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइये.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- 70 साल से हमारे साथ अत्‍याचार हो रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइये. सुन तो लो बात, फिर खड़े होना.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- हम न पांचवीं अनुसूची पर बात रख पाते, न छठवीं अनुसूची पर, न सदन हम लोगों की सुनता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सुन लीजिए. आपका नाम है सूची में. अभी आपने कहा कि हमको आदिवासियों को मौका नहीं दिया जा रहा है. यही कहा है ना आपने ?

     डॉ. हिरालाल अलावा -- बिल्‍कुल बोल रहा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ऐसा क्‍यों. हिना कावरे जी का नाम मैंने पुकारा, आपकी लिस्‍ट से हटाकर बाइसवें नंबर पर था तो भी मैंने नाम पुकारा. इस तरह की बात आप क्‍यों करते हो.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- हिना कावरे जी आदिवासी नहीं हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हिना कावरे जी का नाम मैंने पुकारा, आपका नाम सबसे नीचे था, तब भी मैंने आपका नाम पुकारा, पुकारा कि नहीं पुकारा. अब फिर समय दूंगा आपको. यह कार्ड वे क्‍यों खेलते हैं. ये कैसे करते हैं वे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- उन्‍होंने कहा कि हम आदिवासी हैं, हमको बोलने नहीं दिया जा रहा है.

          डॉ. अशोक मर्सकोले --  अध्‍यक्ष महोदय, सबका नंबर आ जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हिना कावरे जी का जब मैंने नाम लिया तो जितु ने इशारा किया कि अभी बाहर गई हैं तो हमने कहा कि बाद में ले लेंगे. आपका नाम 22वें नंबर पर था, पर भी मैंने ले लिया था.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, हिना कावरे जी ट्राइबल नहीं हैं.

          श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष जी, बाला बच्‍चन जी भी बोल चुके हैं.    

          अध्‍यक्ष महोदय -- उसके पहले आपने जो बात कही मैं उसका कह रहा हूं. बाला बच्‍चन जी बोल चुके हैं, हिना कावरे जी का मैंने नाम लिया, आप कह रहे हैं कि आदिवासी होने के कारण मुझे नहीं बोलने दिया जा रहा है.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, सदन 23 तारीख तक चलने का है.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा नाम भी है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपका नाम आएगा ना. अभी सचिन यादव जी को कह दिया है.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, सदन 23 तारीख तक का है, सदन में सब लोगों को बोलने दें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- उसमें व्‍यवस्‍था देंगे आप बैठो, आप परेशान न हों. सचिन जी, आप शुरू करें.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव (कसरावद) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं दूसरी बार का विधायक हूं. दूसरी बार चुनकर इस सदन में आया हूं और हमारे इस मध्‍यप्रदेश की विधान सभा का यह गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां पर जो नियम, प्रक्रिया और जिस प्रकार से यहां सदन का संचालन होता है उसका उदाहरण पूरे देश में दिया जाता है. यहां पर कही हुई बात का जो महत्‍व होता है, यहां पर एक-एक बात जो कही जाती है उससे यह समझा जाता है कि वह सत्‍य कथन हो रहा है. पिछले दिनों जो हमारे माननीय सदस्‍यों ने जय किसान ऋण माफी को लेकर प्रश्‍न लगाए और उन प्रश्‍नों को लेकर जो जवाब सरकार की तरफ से आता है उसमें सरकार ने यह स्‍वीकार किया कि मध्‍यप्रदेश में 27 लाख किसानों के 11,600 करोड़ रुपये का ऋण माफ करने का काम जय किसान फल ऋण माफी योजना के अंतर्गत किया गया है. आज हमारे इस गौरवशाली सदन की गरिमा संकट में है. आपकी और हमारे इस सदन में बैठे तमाम सदस्‍य हैं, चाहे वह सत्‍ता पक्ष के हों, चाहे विपक्ष के हों, सबकी प्रतिष्‍ठा दाव पर लगी हुई है. आज मीडिया गैलरी में हमारे लोकतंत्र के चौथे स्‍तम्‍भ के साथी भी बैठे हुए हैं जो हमारे इस सदन की कार्यवाही हो, यहां पर जो कही हुई बातें हैं उन बातों को अपने मीडिया के माध्‍यम से, समाचार पत्रों और चैनलों के माध्‍यम से जनता तक पहुंचाने का काम हमारी यह मीडिया करेगी. किस प्रकार का उदाहरण हम हमारे भविष्‍य के जो जनप्रतिनिधि चुनकर यहां आएंगे, किस प्रकार का उदाहरण हम हमारी जनता के बीच में पेश करने जा रहे हैं, क्‍या जो बयानबाज़ी हम और आप देख रहे हैं.

 

5.53 बजे                             अध्‍यक्षीय घोषणा

                 माननीय सदस्‍यों के लिये चाय की व्‍यवस्‍था विषयक

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍यों के लिए चाय की व्‍यवस्‍था लॉबी में की गई है, माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार चाय ग्रहण करने का कष्‍ट करें.

 

5.54 बजे                मंत्रि-परिषद् के प्रति अविश्‍वास प्रस्‍ताव (क्रमश:)

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव -- अध्‍यक्ष महोदय, हम क्‍या उदाहरण जनता के सामने पेश करने जा रहे हैं ? दर्शक दीर्घा में, अध्‍यक्षीय दीर्घा में भी लोग बैठे हुए हैं,  क्‍या इस सदन में कही हुई बातों को सिर्फ अपने स्‍वार्थ के लिए, सिर्फ अपनी राजनीति के लिए, क्‍या उसको नकारने का काम किया जाएगा, क्‍या उसको असत्‍य करार करने का काम किया जाएगा ? सदन की जो प्रक्रिया है उसमें माननीय सदस्‍य प्रश्‍नों के माध्‍यम से जानकारी एकत्रित करने का काम करते हैं. मुझे भी डेढ़ साल का मंत्री बनने का अवसर मिला और हम सब जानते हैं कि जब किसी प्रश्‍न का जवाब विधान सभा में दिया जाता है तो उसमें माननीय मंत्री के हस्‍ताक्षर होते हैं, उसके बगैर वह विधान सभा के पटल पर या विधान सभा में नहीं आता है. तो मैं पूछना चाहता हूं माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तरफ आप जवाब में स्वीकार करते हैं, हां, ऋण माफी हुई है, कर्ज माफी हुई है. 11600 करोड़ रुपये की ऋण माफी हुई है, 27 लाख किसानों की ऋण माफी हुई है. दूसरी तरफ सदन के अंदर भी और सदन के बाहर भी उस बात को नकारने का काम करते हैं, उसको असत्य करार करने का काम करते हैं. (शेम-शेम की आवाज) क्या यह सदन की अवमानना नहीं है? इस प्रकार का कृत्य जो सत्तापक्ष में मंत्री पद पर बैठे हैं क्या उन्हें इस तरह का कृत्य शोभा करता है? माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या इस तरह का व्यवहार शोभा करता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे पूछना चाहता हूं? आज हमारे इस सदन की गरिमा, प्रतिष्ठा आपके हाथों में है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको निर्णय, तय करना है. आपको तय करना है कि इस प्रकार का असत्य कथन, इस प्रकार की जादूगिरी इस मध्यप्रदेश में नहीं हो. इस तरह से सदन को गुमराह करने का काम, इस मध्यप्रदेश की जो जनता है उसको गुमराह करने का काम नहीं हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको यह तय करना है. अभी हम सुन रहे  थे. सत्तापक्ष में बैठे हुए माननीय मंत्री लोग हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे सिर्फ यह अनुरोध है कि क्या इस तरह का आचरण चलता रहेगा, सदन में आप एक तरह से लिखित में शासकीय जवाब देते हैं. राज्य सरकार जवाब देती है वह स्वीकार करती है कि ऋणमाफी होती है. 27 लाख किसानों की 11600 करोड़ रुपये की ऋण माफी होती है और सदन के अंदर आप उसको असत्य बताने का काम करते हैं. सदन के बाहर जाकर अनर्गल बयानबाजी करने का काम करते हैं.

माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारा जो भविष्य है, मध्यप्रदेश का जो भविष्य है उसके लिए यह अच्छा संकेत नहीं है.

5.57 बजे       {सभापति महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}

 

माननीय सभापति महोदया, हमारी जनता के सामने हम एक अच्छा आचरण, एक अच्छी कार्यप्रणाली प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं. जो सत्य है उस सत्य को स्वीकार करने की जो ताकत है वह सत्तापक्ष में बैठे हुए लोगों को रखनी चाहिए. मैं अभी सुन रहा था, कहा गया कि दो लाख रुपये तक के लोगों के कर्ज माफ नहीं हुए. आप तो स्वयं मंत्री हैं आपके पास में अधिकारी बैठे हैं. आप इस योजना को समझिए तो सही. योजना क्या थी. आप कह रहे हैं कि आपके नेता ने कहा कि 10 दिन में कर्जा माफ करेंगे. 1-2-3-4-5-6-7-8-9-10, 10 नहीं, 1 घंटा, माननीय सभापति महोदया, सिर्फ 1 घंटे के अंदर मैं समझता हूं कि इस प्रदेश नहीं, देश के इतिहास में पहले ऐसे नेता आदरणीय श्री कमलनाथ जी थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री की शपथ लेने के मात्र 1 घंटे में उस ऋण माफी के कार्यक्रम, उस ऋण माफी की योजना पर दस्तखत करने का काम किया. पहले ऐसे नेता हैं. उसमें दो लाख रुपये तक, जिनके कलातीत खाते थे, उनकी पूरी ऋण माफी हमने करने का काम किया. जो चालू खाते थे, उस चालू खाते में हमने 1 लाख रुपये तक का जिन पर ऋण था, उनको ऋण माफी के दायरे में लाने का काम किया है. 1 से 2 लाख रुपये, जिनके ऊपर ऋण था, उसको हम अगले चरण में ले जाने का काम करने वाले थे. अब आप अपने को बड़ा किसान हितैषी बताते हैं. अगर आप इतने ही किसान हितैषी हैं. आपके मुखिया कहते हैं कि किसान हमारा भगवान है, मैं उसका पुजारी हूं तो किसानों के लिए जो यह योजना चालू की गई थी, यह जो ऋणमाफी का कार्यक्रम लेकर हम लोग आए थे तो क्या कारण है कि उस योजना को आपने बंद कर दिया. उस योजना को आप आगे क्यों नहीं चला रहे हैं? इससे यह साबित होता है कि किसान आपकी प्राथमिकता में नहीं है.

                    माननीय सभापति महोदया, अभी  तमाम तरह की बातें मैं सुन रहा था. अगर यह कहेंगे और कहने की जरूरत नहीं है आप तो स्वयं सरकार में बैठे हैं, यह सरकार का जवाब है, पूरे जो 51 जिले हैं इन 51 जिलों में जो हमने 27 लाख किसानों की ऋणमाफी की है. आप  मुझे अगर इजाजत देंगे, तो  मैं एक एक जिले  की कितने कितने  किसानों की संख्या  और कितनी कितनी राशि  हमने माफ की है, वह मैं पूरे सदन को  इस लिस्ट के माध्यम से  बता सकता हूं.  आगर मालवा में  हमने 53322   किसानों के  380 करोड़ रुपये  के ऋण माफ करने का  काम  हमने किया. अलीराजपुर  में, अशोक नगर में,  बालाघाट में, अभी कह रहे थे कि  छिंदवाड़ा में  ऋण माफी नहीं हुई है.  छिंदवाड़ा में  74 हजार 48 किसानों के  331 करोड़  रुपये के  ऋण माफ करने का  काम किया.  छतरपुर  में  83 हजार किसानों  के  361 करोड़ के ऋण  माफ करने का काम किया.

                   सभापति महोदया-- सचिन जी, आपको 10 मिनट हो गये हैं. जल्दी खत्म करिये.

                   श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- सभापति महोदया, विषय ही ऐसा है.  हमारा कृषि प्रधान प्रदेश है और  इसमें हमारा किसान सबसे हमारी प्राथमिकता  में है. यह कह रहे हैं कि किसी का ऋण माफ नहीं हुआ.  हमने कोई फार्म नहीं भरा.  यह मेरे पास वह फार्म हैं.  इसमें रोहित सिंह जी, ग्राम का नाम जैतपुरा, ग्राम पंचायत  जैतपुरा.  इन्होंने फार्म भरा है.  इनके  फार्म पर दस्तखत हैं. यह पता करिये कौन हैं.  निरंजन सिंह जी,  यह भी ग्राम जैतपुरा के हैं. ग्राम पंचायत का नाम  जैतपुरा है, जैत है. ये निरंजन सिंह जी के साइन हैं. ये कौन हैं निरंजन सिंह.  अगर आपको नहीं मालूम है, तो मैं बता देता हूं.  श्री शिवराज सिंह चौहान के  भाई  रोहित सिंह, चाचा के बेटे निरंजन सिंह, रिश्तेदार कल्याण सिंह, कावेरी बाई, आहर सिंह,  साध्वी सिंह, निरंजन सिंह, प्रभा बाई चौहान,  अखिलेश चौहान, परेश, आदित्य, गोपाल सिंह चौहान, बृजेन्द्र बाई सहित  जैतपुरा  के तमाम गांव  के  किसानों के ऋण माफ  करने का काम किया.

                   सभापति महोदया-- सचिन जी,  जल्दी समाप्त करिये.

                   श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- सभापति महोदया, एक छोटी सी  और बात.   अभी  मैं सुन रहा था हमारे मंत्री जी को. कह रहे थे कि ऋण माफ नहीं हुआ मेरा.  रेखा बाई पति  कमल पटेल, हरदा,  खिरकिया,  इनका 45428 रुपये  का ऋण माफ हुआ है डिस्ट्रिक्ट कोआप्रेटिव्ह बैंक का.

                   श्री कमल पटेल -- सभापति महोदया, हमने कोई आवेदन नहीं दिया और दूसरी बात सुनों.  विधायक का कर्जा माफ हो नहीं सकता है.

                   सभापति महोदया-- मंत्री जी,  आप कृपया बैठ जाइये.

                   श्री कमल पटेल -- (xxx)

                   श्री जितु पटवारी-- (xxx)

                        सभापति महोदया--  इन दोनों की बातें नोट नहीं होंगी.  केवल सचिन जी की बात नोट होगी.  सचिन जी, एक मिनट में आपको अपनी बात समाप्त करना है.

                   श्री विश्वास सारंग -- सभापति महोदया, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है.  क्या यह इस तरह से   जो सदन में नहीं हैं,  उनके नाम ले सकते हैं.  कृपया यह आप विलोपित कराइये.  इससे पहले जो नाम लिये हैं,   विलोपित कराइये. ..(व्यवधान).. वह नाम  विलोपित कराइये.

..(व्यवधान)..

                   डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- सारंग जी, आपके लोगों ने  नाम लिया है. आपकी तरफ से कहा गया है कि लोगों के कर्ज माफ नहीं हुए हैं,  किसानों के कर्जे माफ हुए हैं.

..(व्यवधान)..

                   सभापति महोदया-- कृपया बैठ जाइये.

                   डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--  किसानों  के कर्जे माफी की  बात आपने नहीं की,  वह किसानों के नाम पढ़ रहे हैं.

                   सभापति महोदया-- सचिन जी, आप एक मिनट में अपनी बात समाप्त करिये.  आपका समय हो गया है.

                   श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- सभापति महोदया,आजकल तो सोशल मीडिया का जमाना है.  सूचना तंत्र इतना मजबूत  हो  चुका है कि हम लाख चाहें, तो  सच को छुपा नहीं सकते. यह मेरे पास फोटो है 28 जनवरी,2020 बमोरी, जिला गुना.  माननीय महेन्द्र सिंह जी बैठे हुए हैं, जो अभी पंचायत मंत्री हैं.  हमने  उनके यहां कार्यक्रम किया ऋण माफी का.  27 जनवरी,2020  सांवेर, हमारे आदरणीय  तुलसी सिलावट जी.  इसमें मैं हूं,  आदरणीय बाला बच्चन जी हैं, तुलसी सिलावट जी हैं, तमाम जो कार्यकर्ता हैं, वह हैं.

                   सभापति महोदया-- सचिन जी, समाप्त करिये.

                   श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- सभापति महोदया,        गोविन्द सिंह जी कहां गये.  29 जनवरी, 2020  राहतगढ़, जिला सागर.  जिसमें मैं उस कार्यक्रम में उपस्थित था.  आदरणीय गोविन्द सिंह जी उस कार्यक्रम में उपस्थित थे. ये सच्चाई है और मैं कहना चाहता हूं कि जब किसान का कर्ज माफ होता है तो इनके पेट में दर्द क्यों होता है, इनको परेशानी क्यों होती है और जब बड़े-बड़े धन्ना सेठों का कर्ज माफ होता है तो इनको कुछ नहीं होता.पिछले 5 सालों में 10 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ करने का काम केन्द्र की सरकार ने किया है तब इनको तकलीफ नहीं होती लेकिन जब हम किसान की सुध लेते हैं तो इनको परेशानी होती है. पूरे मध्यप्रदेश में खाद,यूरिया,डीएपी का संकट चल रहा है और (XXX). सरकार की तरफ से लगातार बयान आ  रहा है कि कोई संकट नहीं है लेकिन हमारा जो लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है वह लगातार अपने समाचारपत्रों के माध्यम से खबरें छाप रहे हैं.(पेपर कटिंग दिखाते हुए) निर्धारित दर पर ज्यादा दामों पर बेच रहे खाद, बीज  के बाद अब नकली खाद,टोकन से खाद नहीं मिलने पर किसानों ने किया चक्का जाम. खाद की कतारें लगीं. बढ़ी खाद की कालाबाजारी,राहत का इंतजार. सुबह साढ़े छह बजे से लाईन में लगे किसान और 5 घंटे बाद भी खिड़की नहीं खुली तो हंगामा. पुलिस पहुंची तब बंटी खाद. यह स्थिति है और इसके इंतजार में कई सारे हमारे किसान साथियों की जान चली गई. एक और कलाकारी इस सरकार के द्वारा की गई है.

          श्री उमाकांत शर्मा - सचिन जी की पीड़ा,अरुण जी की पीड़ा.सुभाष जी की पीड़ा बहुत पुरानी है. उनकी पीड़ा सामने आ रही है.

          उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.

          श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -  सभापति महोदया, एक तो खाद लोगों को नहीं मिल रहा है और जो कंपनियां हैं वह खाद की कालाबाजारी कर रही हैं और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि इसमें पूरा-पूरा संरक्षण सरकार और सरकार के नुमाइंदों की तरफ से प्राप्त है. खाद नहीं मिल रहा है. किसान खाद के लिये परेशान तो है ही दूसरी परेशानी यह है कि जब वह खाद लेने जा रहा है तो खाद के साथ उसको चार चीजें जबर्दस्ती दी जा रही हैं. यह ज्वाइंट सेक्रेट्री,फर्टिलाईजर, श्री नीरज अधिराम जी, उनका लेटर आया है 17 नवम्बर को मध्यप्रदेश शासन को. उन्होंने  उसमें लिखा है कि तत्काल प्रभाव से निजी कंपनियों के  लोग जो फर्टिलाईजर बेचते हैं वह फर्टिलाईजर के साथ-साथ अन्य सामग्रियां जो किसानों को बेच रहे हैं वह तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. मेरा अनुरोध है कि जो यह चीजें हो रही हैं इस पर तत्काल प्रभाव से लगाम लगाने काम किया जाए.  आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर)--  माननीय सभापति महोदया, एक समय यह था कि मैं भी आपके साथ था और आपको ध्‍यान हो, अच्‍छी तरह से इस बात को गौर से सुनना, शांति से सुनना मैंने आपको शांति से सुना है दोस्‍त, मेरी बात सुन लो, क्‍यों हम यह बात बोलना चाहते हैं आप शांति से सुनिये.

          श्री जितु पटवारी--  मंत्री जी मेरा एक अनुरोध है, चूंकि मैं भी आपका पुराना भाई हूं, आपके साथ काम किया है, आप जो भी भाषण दो इसी माइक से देना ऊपर चढ़कर मत देना प्‍लीज.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  देखिये मैं अब आपको यह कहना चाहता हूं मुझे बहुत अच्‍छी तरह से ध्‍यान है मैं पूरी तरीके से जो बात बोल रहा हूं, निष्‍पक्षता के साथ बोल रहा हूं कि कांगेस पार्टी के नेतृत्‍व ने यह कहा था कि मध्‍यप्रदेश के चुनाव का चेहरा श्रीमंत ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया होंगे. ...(व्‍यवधान)....

          श्री जितु पटवारी--  दम है तो बनवाओ. ...(व्‍यवधान).... चलो हमसे गलती हो गई अब बनवा लो. ...(व्‍यवधान)....

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  अरे सुन लो, अरे धैर्य तो रखो ...(व्‍यवधान).... आप देखिये फिर होता क्‍या है. ...(व्‍यवधान)....

          सभापति महोदया--  किसी की बात नोट नहीं होगी केवल मंत्री जी बोलेंगे. ...(व्‍यवधान)....

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  एक कहानी है यह कि जब बधु को वर दिखाया तो नौजवान और सुंदर वर दिखाया और जब शादी की गई तो 70 साल के बुजुर्ग के साथ की गई यह सबसे बड़ा धोखा कांग्रेस नेतृत्‍व ने किया, पहले तो इसके लिये क्षमा मांगो. अब मैं दूसरी बात शुरू करूंगा. ...(व्‍यवधान)....

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  प्रद्युम्‍न भाई यह कांग्रेस हाईकमान समझ गया था कि ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया लोक सभा का चुनाव हारने वाले हैं, यदि इनके हाथ में कमान दी तो मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी.

          सभापति महोदया--  कृपया आपस में बातचीत न करें, आसंदी की ओर होकर अपनी बात रखें. ...(व्‍यवधान)....

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  हमने इनको सुना.

          सभापति महोदया--  वह भी आपको सुनेंगे, आप अपनी बात जारी रखिये. ...(व्‍यवधान)....

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  अब मैं पूरा जवाब दूंगा न सुन लीजिये ...(व्‍यवधान).... अब एक दूसरी बात आई है भारतीय जनता पार्टी जिस समय हम उधर थे तो भारतीय जनता पार्टी ने यह नहीं कहा था कि हम 100 यूनिट बिजली 100 रूपये में देंगे. माननीय शिवराज सिंह जी ने नहीं कहा, यह बात कही थी उस समय की सरकार, उस नेतृत्‍व ने कही थी ...(व्‍यवधान).... आप सुन लीजिये, आप धैर्य तो रखिये, तब हम और आप केबिनेट में थे, रोज यह बात चलती थी कि केबिनेट में यह बिजली का कैसे यार ठीक करें, 100 की डेढ़ सौ यूनिट कैसे करें, कैसे इससे बाहर निकले, लेकिन गर्व के साथ हम कह सकते हैं उस वायदे को जनता के साथ माननीय शिवराज सिंह जी ने पूरा किया, उन्‍होंने 100 यूनिट बिजली 100 रूपये में दी और लगभग ... ...(व्‍यवधान)....

          सभापति महोदया-- कृपया बैठ जाइये, जब आपका नंबर आये तब आप बोलिये.

          श्री तरूण भनोत--  यह असत्‍य बोल रहे हैं. ...(व्‍यवधान)....

          श्री तरूण भनोत--  सभापति महोदया, जो बिजली के उपभोक्‍ता नहीं हैं उनको भी बिल दे रहे हैं ...(व्‍यवधान).... बिलकुल असत्‍य बात, मैंने कल भी कहा था, प्रद्युम्‍न जी इस सदन में आपको सुरक्षा प्राप्‍त है, बाहर जाकर जनता के बीच में बोलो कि 100 रूपये में 100 यूनिट बिजली मिल रही है, पब्लिक तुम्‍हें माफ नहीं करेगी. आप असत्‍य बोल रहे हो. ...(व्‍यवधान)....        

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  दूसरी बात 100 यूनिट बिजली 100 रूपये में देने का काम माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने जारी रखा, इस सरकार ने जारी रखा.

श्री तरूण भनोत -- माननीय सभापति महोदया, हमारे सत्‍ता पक्ष के साथी यहां बैठे हैं, आप उनसे पूछ लीजिये की बिजली की क्‍या हालत है? आज क्षेत्र में जहां हम लोग जाते हैं, जनता एक ही बात करती है कि बिजली मिल नहीं रही है. यह गलत वक्‍तव्‍य दे रहे हैं.

सभापति महोदया-- श्री प्रद्युमन जी आपकी बात नोट करेंगे, आप बैठ जायें.

जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) -- जो बोलना है बोल लिये, सुन लिये, अब बैठो.

सभापति महोदया --(श्री तरूण भनोत, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) आप बैठ जायें. (व्‍यवधान.) 

श्री तरूण भनोत -- (व्‍यवधान).. श्री यशपाल भाई कसम खा जाओ भगवान पशुपतिनाथ की तुम्‍हारे क्षेत्र में 100 रूपये में बिजली मिल रही है. (व्‍यवधान.) 

सभापति महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) कृपया बैठ जायें, उनको अपनी बात पूरी कर लेने दीजिये, कृपया बैठ जाईये. अभी इस पक्ष के बहुत से सदस्‍यों को बोलना है, कृपया आप बैठ जायें.

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- मानव प्रवृत्ति होती है, यह शायद भूल गये, वर्ष 2002 और 2003 को उसका स्‍मरण मैं जरूर इनको दिलाना चाहूंगा, याद रहना चाहिये आपको मैं याद दिला रहा हूं. (श्री प्रियव्रत सिंह, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) आप सुन तो लो.

श्री तरूण भनोत -- माननीय सभापति महोदया, असत्‍य बोलते हैं, इनकी बात कैसे सुनेंगे.

सभापति महोदया -- कृपया बैठ जायें, अभी बहुत से सदस्‍य आपके बोलेंगे, वह जवाब देंगे, इन सब बातों का आप शांत रहिये.

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- आप सुनिये तो शांति से. (व्‍यवधान.) 

श्री तरूण भनोत -- आपकी बात पर किसी को विश्‍वास नहीं है. (व्‍यवधान.) 

श्री प्रद्युमन सिंह तोमर -- नहीं है, तो मैं 33 हजार वोटों से जीतकर आया हूं, जनता का विश्‍वास है, तुम्‍हारे कहने से नहीं सदन में बैठा हूं, जनता जनार्धन का सेवक हूं. (व्‍यवधान.) 

सभापति महोदया-- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) तोमर जी आप उनकी बात का जवाब न दें, आप अपनी बात रखें. (व्‍यवधान.)

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- जरूरत होती है तो जनता के हित के लिये नाली में जाता हूं और सफाई करता हूं, जरूरत पड़ती है जनता के लिये तो उनके लिये मैं काम करता हूं, आपके कहने से नहीं आया हूं. (व्‍यवधान.)

सभापति महोदया -- तोमर जी आप अपना भाषण कम्‍पलीट करें. (व्‍यवधान.)

श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय सभापति महोदया, हम बिल्‍कुल नहीं टोकेंगे पर कम से कम सत्‍य बात करो यार.

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- सत्‍य ही बोलेंगे. 

सभापति महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) आप कृपया अपना भाषण समाप्‍त करें, आपस में बात न करें. (व्‍यवधान.)

श्री नीरज विनोद दीक्षित -- माननीय सभापति महोदया, यह असत्‍य बोल रहे हैं. (व्‍यवधान.)

श्री प्रियव्रत सिंह -- सच बोलें बस इतना है और सही बोलें. हमेशा खड़े होकर कुछ भी बोलने लगते हैं और पूरे सदन का डेकोरम बिगड़ता है, जब आप खड़े होते हो.

सभापति महोदया -- श्री प्रियव्रत जी आप बैठ जायें, आप अपना भाषण कम्‍प्‍लीट करिये.

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय सभापति महोदया, मैं यह बताना चाहता हूं कि वर्ष 2002 और 2003 में आप भी उसके साक्षी हो, लोग यह पूछते थे कि बिजली कब आयेगी, बिजली कब आयेगी और आज लोग यह कहते हैं कि बिजली कब जायेगी, अंतर समझ लो. (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) अभी रूक तो जाओ, सुन तो लो अभी.

सभापति महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने आसन से कुछ कहने पर)कृपया बैठ जायें, माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि कृपया बैठ जाईये और आप अपना भाषण कम्‍पलीट करिये.

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अभी देखिये मेरी बात को सुनते चलिये, मैं बोल रहा हूं और जो भी बोलूंगा सत्‍य बोलूंगा, सुन लो.

सभापति महोदया -- (श्री प्रियव्रत सिंह, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) श्री प्रियव्रत सिंह जी बैठ जायें.

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- मैं जो भी बोलूंगा, सत्‍य बोलूंगा सुन लो, देखिये कितना विस्‍तार हुआ है, यह मैं बताना चाहता हूं वर्ष 2003 और 2004 में 51 हजार मेगावाट की मांग लगभग हुआ करती थी. यह जो कहना चाहते हैं, उनको बताना चाहता हूं और जब पंद्रह महीने के लिये आप आये थे, उस समय 20 हजार 868 की मांग थी, आज देखिये 21 हजार 615 मेगावाट की सर्वाधिक सप्‍लाई हम किसानों को कर रहे हैं( मेजों की थपथपाहट) और यह रिकार्ड है. (व्‍यवधान)..

श्री आलोक चतुर्वेदी -- मंत्री जी, कनेक्‍शन कितने दे रहे हैं? (व्‍यवधान)..

श्री नीरज विनोद दीक्षित -- मंत्री जी आप असत्‍य बोल रहे हैं. (व्‍यवधान)..

श्री सुरेश राजे-- माननीय सभापति महोदया, पंद्रह-पंद्रह दिन गांव में बिजली नहीं है. (व्‍यवधान)..

सभापति महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने आसन से कुछ कहने पर)कृपया आप बैठ जायें, मंत्री आप अपना भाषण जल्‍दी समाप्‍त करें.

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय सभापति महोदया,मुझे सुना जाये. मैं तो दो मिनट भी नहीं बोल पाया, इन्‍होंने बोलने ही नहीं दिया है.

सभापति महोदया --  नहीं आप अपनी बात पूरी करिये, आपकी बात सारी आ गई है.

श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय सभापति महोदया, सत्‍य को सुनने का साहस हमारे मित्रों में नहीं है.

सभापति महोदया -- आप अपनी बात करिये. आप उनका जवाब न दें.

            श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय सभापति महोदया, बिजली की बात करने से पहले एक उदाहरण और दे दूं. हमारे सामने के मित्र यह भी बैठे हैं, यह जरूर है कि इनकी मजबूरी है कि इन्‍हें आज यहां बोलना है, यह कहा था कि हम बेटी की शादी में 51 हजार रूपये देंगे और 51 हजार रूपये का जो वादा किया, बच्‍ची की शादी हो गई, उसके मां बाप इंतजार करते रहे, पैसा नहीं मिला, उस गरीब ने कर्जा लेकर अपनी बच्‍ची का विवाह किया, परन्‍तु उसका बेटा, उसकी बेटी को बच्‍चा भी पैदा हो गया, वह उसे भी खिलाने लगी, पर कमलनाथ जी की सरकार में बैठे आप लोग उसे 51,000 रुपये नहीं दे पाये. यह बड़े दु:ख की बात है. अब मैं बात करना चाहता हूँ, आप यह देखें सन् 2003 में कांग्रेस की सरकार में जनता कहती थी बिजली कब आयेगी ? आज हम किसानों को 10 घण्‍टे बिजली देते हैं और आम उपभोक्‍ता को 24 घण्‍टे बिजली देते हैं. मैं आपको बताना चाहता हूँ, बड़े धैर्य से सुन लें कि सन् 2019-20 में आपकी सरकार थी, तब बिजली की जो यूनिटें हैं, वह 150 बार ट्रिप हुई हैं और हमारी सरकार में सन् 2020-21 में 106 बार ट्रिप हुई हैं और सन् 2021-22 में 88 बार ट्रिप हुई हैं.  हमने यह काम किया है.

          सभापति महोदया - मंत्री जी, कृपया जल्‍दी समाप्‍त करें. आपके 11 मिनट हो चुके हैं. डॉ. अशोक जी, आप बैठ जाइये, आपका नम्‍बर आयेगा. 

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - सभापति महोदया, मैंने अभी 2-3 मिनट ही बोला है. आप सुन लीजिये. आप खम्‍भे की बात कर रहे हैं. हमने अन्‍तर क्‍या किया है, आप समझ लीजिये. यह बात हम बिन्‍दुवार बता रहे हैं, अगर गलत हो तो उसको आप यहां पर रखना.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -  (XXX)

          सभापति महोदया - डॉ. अशोक जी की बात नहीं आयेगी. आप उनकी बात पर ध्‍यान मत दीजिये. आप अपनी बात खत्‍म कीजिये. उनकी बात रिकॉर्ड में नहीं आ रही है.          डॉ. अशोक जी, आप बैठ जाइये, जब आपका नम्‍बर आएगा, तब आप बोलिएगा. 

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - सन् 2019-20 में आपकी सरकार आई, उसके कार्यकाल में मात्र एक इकाई लगातार 100 दिन चली. जबकि इस वर्ष सन् 2022-23 में हमारे माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्‍व में 7 इकाइयों ने लगातार 100 दिन से अधिक उत्‍पादन करने का रिकॉर्ड बनाया और 3 इकाइयों ने लगातार 200 दिन से अधिक चलाने का रिकॉर्ड बनाया.

          श्री तरुण भनोत - जबलपुर में रात में 3 बजे घर जाकर गरीबों के घर के मीटर काट रहे हैं, वसूली करने के लिए. आप उसकी उपलब्धि नहीं बताएंगे. यह 4 दिन पुरानी खबर है. ये गरीबों के बीपीएल के बिजली के मीटर काट रहे हैं, उसको अपनी उपलब्धि बता रहे हैं.  

          सभापति महोदया - आप आसन्‍दी की तरफ होकर बात रखें.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - यह माननीय शिवराज सिंह की सरकार है.

          श्री तरुण भनोत - इसीलिए बिजली के मीटर काट रहे हैं.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - आप पूरा सच धैर्य से सुन लें.

          सभापति महोदया - आप उनको मत सुनाइये. आप आसन्‍दी की तरफ देखकर बात कीजिये और जल्‍दी खत्‍म कीजिये.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - सभापति महोदया, मेरा आपसे आग्रह है कि आप यह देखिये कि कोयले का संकट पूरे देश में था, लेकिन माननीय शिवराज सिंह की नीति के कारण  लगभग सभी प्रदेशों में कोयला विदेशी आयात किया गया, पर हमारे प्रदेश ने कोयला विदेशी आयात नहीं किया और अगर आयात करते तो चालीस पैसे यूनिट बिजली महंगी होती, उससे किसानों को, आम उपभोक्‍ताओं को कष्‍ट होता, उसको समझा, उसका मैनेजमेंट बनाया.

 

6.24 बजे                   {अध्‍यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूँ, इनके समय में सन् 2019-20 में जहां 7 प्रतिशत बिजली की वृद्धि हुई थी और वहीं सन् 2020-21 में हमने 1.98 प्रतिशत वृद्धि की और सन् 2021-22 में 0.63 प्रतिशत नाममात्र की वृद्धि की, तो यह देखिये यह हमारा सुशासन है. आप माननीय शिवराज सिंह चौहान को धन्‍यवाद दीजिये कि उस अंतिम पंक्ति के अंतिम व्‍यक्ति का जो बेटा पढ़ना चाहता है, उसके घर में लट्टू जल रहा है. यह काम माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्‍व में हुआ है, उन्‍हें इस बात के लिए धन्‍यवाद करें.      

          श्री तरुण भनोत - आप एक बात भी सत्‍य नहीं बोल रहे हो, चाहे बिजली की बात हो 51 हजार रूपए की बात हो.

          अध्‍यक्ष महोदय - तरुण जी, जो कागज आप दिखा रहे हो, वह दूसरे साथी को दे दो, वे दिखाएंगे, उनकी पूरी बात आने दीजिए. पूरे विपक्ष की तरफ से आप जवाब की जिम्‍मेदारी मत लीजिए.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - नेता प्रतिपक्ष जी कहां गये. तरुण जी, जब आप लोग बोलते हो, हम लोग पूरा धैर्य से सुनते हैं, आप लोग धैर्य से सुनना सीखो जरा.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं इस पूरे सदन को बड़े गर्व के साथ बताना चाहता हूं कि हमने इनके कार्यकाल में जो बिजली का लॉस होता था, (...व्‍यवधान) पूरी बात आप धैर्य से सुन लें. जो लॉस होता था, उसका वजन किस पर पड़ता था, आम उपभोक्‍ता के ऊपर, ये हमारी सरकार का कुशल मैनेजमेंट है कि जो हमने 20 प्रतिशत से ज्‍यादा लाइन लॉसेज कम किए हैं और इसका सबूत मैंने आपको दिया कि 2019-20 में कितनी बिजली की दर बढ़ी थी और आज कितनी बढ़ी है, ये आपके सामने है और अंत में एक बात कहकर बात को समाप्‍त करुंगा, ये ऑन रिकार्ड है, आप चाहे तो टेबल पर रख दूंगा, आप पढ़ लेना. आदरणीय सज्‍जन सिंह साहब आप भी उस समय एक गवाह हो, उस पीड़ा को आप अभिव्‍यक्‍त नहीं कर पाएंगे. साढ़े सात करोड़ जनता को जिस तरह से कांग्रेस नेतृत्‍व ने ठगा, एक नौजवान को दिखाकर 70 के बुड्ढे से शादी कर दी, ये दुर्भाग्‍य है इस प्रदेश का. अब मैं एक बात कहकर अपनी बात समाप्‍त करुंगा (...व्‍यवधान)

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - ये गम कब तक खाएगा तुम लोगों को. (...व्‍यवधान) के.पी. यादव जैसे अदना कार्यकर्ता से हार गए यार वह क्‍या जिताएगा. मध्‍यप्रदेश में सरकार बनाएंगे(...व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत - यदि आपको ये बात कह दे तो बुरा लगेगा (xxx)

          अध्‍यक्ष महोदय - ये रिकार्ड में नहीं आएगा, ये बंद करो. (...व्‍यवधान)

          श्री तुलसी राम सिलावट - तरुण मर्यादा मत तोड़ो यार. (...व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत - क्‍या मर्यादा, ये कोई मर्यादा है, तुम्‍हारी मर्यादा, मर्यादा है(...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रद्युम्‍न सिंह तोमर के अलावा किसी का नहीं लिखा जाएगा  (...व्‍यवधान) केवल प्रद्युम्‍न सिंह तोमर को लिखा जाएगा.

          श्री तरुण भनोत -(xxx)

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में समाप्‍त कर रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय - तरुण जी बैठ जाइए, गलत बात है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक सबसे बड़ी बात लास्‍ट मार्मिक बात है कि एक विधवा, मां, बुजुर्ग ने तो नहीं कहा था कि उनकी वृद्धा पेंशन आप हजार रूपए कर दो, उन्‍होंने कहा था क्‍या? आपने अपनी कुर्सी की खातिर उन बुजुर्गों को, उन विधवाओं को गुमराह किया और वचनपत्र में वचन दिया था कि हम आपको एक हजार रूपए विधवा, वृद्धा  पेंशन देंगे. ये बात माननीय शिवराज सिंह जी ने नहीं कहा था, माननीय कमलनाथ जी ने कहा था, ये बात सुन लें. (...व्‍यवधान) तो ये बता दें कि किसने आपको रोका था, 15 महीने की सरकार में आपने हजार रूपए पेंशन उनके खाते में क्‍यों नहीं डाली? किसने रोका था आपको? आज वे बददुआएं दे रही हैं, जिसके कारण आप विपक्ष में बैठे हो, उन विधवाओं की बद्दुआओं के कारण आप विपक्ष में बैठे हो, आपको किसी ने नहीं रोका था, ये मैं आपको बताना चाहता हूं. इसलिए मेरा कहना है कि आपको अपनी कथनी-करनी एक करनी होगी. आपके अंदर जो द्वंद चल रहा है, अभी माननीय सज्‍जन सिंह साहब आपने ही कहा था, मैं सुन रहा था, मैं बैठा था कि जितु पटवारी जी को बोलने दो, पर इनमें से कितने साथी बैठे हैं, छाती पर हाथ रख लें, वे अंदर से रो रहे थे, उनसे पूछो, एक असत्‍य बोलने वाले व्‍यक्ति  को अगर ऐसे ही राजनीति में आगे करोगे तो कांग्रेस सौ साल विपक्ष में बैठेगी, ये वादा मैं करता हूं आपको.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - हमारा रोने का काम नहीं है, यहां जिंदादिली से नेतागिरी करते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - लक्ष्‍मण सिंह जी आप शुरू करें.

            श्री लक्ष्मण सिंह(चाचौड़ा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज सुबह से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है. बहुत कुछ सुना है और बहुत कुछ देखा भी है. पहले कभी नहीं देखा था कि एक मंत्री बांहे चढ़ाकर के दौड़ के आयेगा हमारे एक विधायक को डराने. तो वह आज भी देख लिया. हम सब यहां लगभग 2 से ढाई लाख जनता द्वारा चुनकर के आये हैं. हमारा आचरण, हमारी भाषा उन तक पहुंच रही है. मैं 1990 से पहली बार चुनकर के आया हूं. शिवराज जी मेरे साथ चुनकर के आये. डॉ.गोविन्द सिंह जी 1990 में थोड़े बहुत विधायक आपकी तरफ से भी थे तीन चार पांच लोग अभी भी हम लोग हैं. हम पांछ छः लोग 1990 में 1990 में विधायक चुनकर के आये. उस समय स्वर्गीय श्यामाचरण जी शुक्ला हमारे नेता प्रतिपक्ष थे एवं सुंदरलाल जी पटवा हमारे मुख्यमंत्री जी थे. उस समय कभी भी अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति नहीं बनी, क्योंकि चर्चाएं होती थीं, मिलना जुलना होता था. माननीय श्यामाचरण जी शुक्ला सारे विधायकों को अपने घर पर आमंत्रित करते थे उसमें भाजपा के सदस्य भी होते थे. पटवा जी जब भोज देते थे हम सब लोग उनके यहां पर भोजन करने के लिये आते थे. हम राजनीतिक विरोधी हैं, हम कोई दुश्मन नहीं हैं. यह चलन कुछ सालों से मैं निरंतर देख रहा हूं. केवल यहीं नहीं सब जगहों पर देख रहा हूं और इसमें बड़ा दुःख होता है. अध्यक्ष महोदय, माननीय शीतला सहाय जी थे सिंचाई मंत्री मैं उनके पास में गया मैंने कहा कि मैं पहली बार चुना गया हूं. मेरे यहां पर एक बांध बनाना है, लोगों की मांग है. मुझे लगा कि मैं विपक्ष का हूं उस समय 320 सदस्यों का सदन होता था मुश्किल से कांग्रेस के 52 विधायक थे. उस समय आप तो जनता दल के थे. आप लोगों को मिलाकर के 70-80 लोग थे. बाकी भारतीय जनता पार्टी की बहुत बड़ी संख्या थी. लेकिन उन्होंने तत्काल बांध को स्वीकृत किया. मैंने सोचा कि मुझे हल्ला करना पड़ेगा पता नहीं क्या करना पड़ेगा ? प्रदर्शन करना पड़ेगा. मैंने उनसे कहा कि मुझे बांध बनाना है और ऐसा ऐसा है. उन्होंने उसी वक्त इंजीनियर को बुलाया और मंजूर कर दिया. ऐसा समय था. आज ऐसा नहीं हो रहा है. इसलिये यह स्थिति बन रही है. आज अगर सरकार जितने भी विधायक हैं हमारे पक्ष के उनकी विधान सभा में भी अगर काम करना शुरू कर दो, उनकी योजनाएं मंजूर करना कर दो तो अविश्वास की स्थिति कभी भी नहीं बनने वाली है. पर ऐसा नहीं हो रहा है. उसमें मेरा सुझाव यह है कि आपके पास में बड़े काबिल अधिकारी लोग हैं. सुशासन अकादमी है उसमें मेरे मित्र वहां डायरेक्टर थे उनसे मैं मिला वह मेरे साथ में कालेज में पढ़ते थे वह रिटायर हो गये हैं. मैंने उनसे कहा कि आप सुशासन अकादमी में क्या करते हो. वह बोला कि अगर सरकार हमसे कहे तो हम उनको पूरी विधान सभा का रोड़ मेप बनाकर के दे दो. यह कितनी अच्छी बात है. इस तरह की योजनाएं अगर आप लाओ कि हर विधान सभा का अभी जिलेवार बनती है. एक एक विधान सभा का आप रोड़ मेप बना दीजिये डवलपमेंट का उसमें विधायक बैठे उसमें कलेक्टर बैठे और जिला पंचायत का सीओ बैठे. रोड़ मेप वही होगा जो विधायक की मांगे हैं और क्या होगा ? इस तरह से हम लोग काम करना शुरू करें तो यह तू-तू मैं मैं और लड़ाई झगड़े की स्थिति नहीं बनेगी. माननीय मुख्यमंत्री जी कहा कि भू-माफिया के खिलाफ कार्यवाही करेंगे और करी और करना भी चाहिये मैं इसके पक्ष में हूं. यह भी कहा कि जो जमीन निकलेगी उसको हम गरीबों में बांटेंगे बहुत अच्छा विचार है, मैं इससे सहमत हूं. इंदौर का मैं आपको बताऊं, इंदौर में आपने भू-माफियाओं से हजारों एकड़ जमीन ली. अभी नरोत्‍तम जी कह रहे थे, सही कह रहे थे. लेकिन क्‍या वह जमीन गरीबों को मिली, नहीं. जो मेरी जानकारी है उस जमीन पर वही माफिया धीरे-धीरे फिर कब्‍जा कर रहा है और जो इंदौर का सबसे बड़ा भू-माफिया है, वह तीन-तीन नामों से जाना जाता है, जिसके खिलाफ आपने रासुका लगायी थी वह रासुका आपने हटा ली. क्‍यों हटा ली ? और मेरी जानकारी यह है कि मारीशस में जाकर कहीं छुपा हुआ है. इस तरह के जो भू-माफिया हैं उनको निकालिये, बंद करिये और गरीबों में जमीन बांटना शुरू करिये, हम सब आपके साथ हैं और आपका समर्थन करेगा.

          एक और प्रकरण गुना जिले का सामने आया है. भाई महेन्‍द्र सिंह जी बैठे हैं, एक आपका ओएसडी, जो आपका अभी ओएसडी है उसने कलेक्‍टर के फर्जी दस्‍तखत करके, यदि मैं गलत हूं तो कह दीजियेगा. फर्जी कलेक्‍टर के दस्‍तखत करके और आर्म्‍स लायसेंस इश्‍यू कर दिये और एक नहीं गई. मामला नोटिस में आया और उसके खिलाफ कार्यवाही हुई और उसको जेल भी हुई, लेकिन वह जेल से छूटकर आकर फिर से आपका ओएसडी बन गया, क्‍या मैं गलत बोल रहा हूं ?

          श्री महेन्‍द्र सिंह सिसौदिया:- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य जी जो बोल रहे हैं, वह बिलकुल असत्‍य का पुलिंदा है, उसके अलावा कुछ नहीं है.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह :- आप क्‍या बात कर रहे हो.

          श्री महेन्‍द्र सिंह सिसौदिया:- मेरा ओएसडी सिर्फ भोपाल में बैठता है, गुना में मेरा कोई ओएसडी नहीं है. यदि आपके पास प्रमाण हो कि ऑफिशियल मेरा कोई ओएसडी है तो मैं, अभी त्‍यागपत्र देने को तैयार हूं.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह:- आप दे दी दो, क्‍योंकि सिद्ध हो जायेगा, मेरे पास कागज हैं प्रमाणा हैं, मैं पटल पर रखूंगा.

          श्री महेन्‍द्र सिंह सिसौदिया:-सिद्ध नहीं हो पायेगा.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह:- आप असत्‍य बोल रहे हैं, ऐसा हुआ है. वह तो कोर्ट में गये हैं और कोर्ट से छूटकर आया है और फर्जी दस्‍तखत के लिये कलेक्‍टर ने आर्डर किये हैं उसको अरेस्‍ट कराने के लिये. असत्‍य का क्‍या सवाल है.  एक पुलिस का आईपीएस अधिकारी जो एसटी का फर्जी प्रमाण लेकर पूरे समय नौकरी कर लेता है और रिटायरमेंट होने के बाद ओबीसी कैटेगरी से जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ लेता है और उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोर्ट में कौन गया, मध्‍यप्रदेश सरकार खुद गयी. मध्‍यप्रदेश सरकार ने खुद उस अधिकारी के खिलाफ कोर्ट में कार्यवाही करी, लेकिन कुछ नहीं हुआ.  एक व्‍यक्ति एसटी का भी बनेगा और वही ओबीसी का भी बन जायेगा. यह आपकी किस तरह की आरक्षण प्रक्रिया है और किस तरह के आरक्षण नियम आपके चल रहे हैं. अध्‍यक्ष महोदय, फिर आपने कहा कि हम रोजगार दे रहे हैं, रोजगार नहीं मिल रहे हैं. यह भारत सरकार के रोजगार मंत्रालय का स्‍टेटमेंट है जो मैं आपको पढ़कर सुना रहा हूं कि मध्‍यप्रदेश में काम करने वाले श्रमिकों की कतार में 1 लाख, 96 हजार एजुकेटेड और 47 हजार, 823 प्रोफेशनल बने हैं श्रमिक. 47 हजार 823 प्रोफेशनल, वह श्रमिक बन गये हैं. 1 लाख, 96 हजार एजुकेशलिस्‍ट पड़े हुए हैं , वह श्रमिक बन गये और श्रमिक बनकर वह कह रहे हैं कि कुछ नहीं तो रोजगार भत्‍ता तो दे दो, जिसका वादा आपने भी किया था रोजगार भत्‍ता देने का. मैं अभी जब भोपाल आ रहा था तो मुझे स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के कर्मी मिले, वह भी 32 हजार स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के कर्मी हड़ताल पर हैं और आज गुना में या कल इसका तो विडियो भी है, इसको नकारना मत. उन स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों ने बैठकर किस तरह विरोध प्रदर्शन किया, उन्‍होंने अपने सामने भूसा रखा और भूसा खाकर विरोध प्रदर्शन किया है, गुना जिले में स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों ने, जिनको आपने नियमित करने का, क्‍या यह भी असत्‍य है इसका विडियो है, दैनिक भास्‍कर ने जारी किया है. बताइये क्‍या असत्‍य है, नहीं है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मनरेगा में, मजदूर के काम मांगने पर भी काम न पाने वाले में मध्‍यप्रदेश तीसरे नंबर पर है. यानि मजदूर काम मांगता है पर उसे मिलता नहीं है. पहले नंबर पर है गुजरात, प्रधानमंत्री जी का प्रदेश. ये केंद्र सरकार के आंकड़े हैं. जहां मजदूर काम मांगता है, पर उसे मिलता नहीं है. दूसरे नंबर पर बिहार है और तीसरे नंबर पर मध्‍यप्रदेश है. इसका क्‍या कारण है, क्‍यों मजदूरी नहीं मिलती है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वन मंत्री जी से संबंधित एक मामला है. रायसेन में एक आदिवासी ने दो सागौन के पेड़ काटे, काटने नहीं चाहिए, मैं, इसके बिलकुल विरोध में हूं. उस पर जुर्माना लगाया गया, 1 करोड़ 4 लाख रुपये, दो पेड़ पर और उसके लिए कहा गया कि ये पेड़ इतने समय में, इतने बड़े हो जाते और इतनी कीमत के हो जाते और उसे काट दिया. लेकिन आप हीरे की खदान, कोयले की खदान और उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के नाम पर जमीन देने के लिए, कम से कम 16 लाख पेड़ मध्‍यप्रदेश के कटवा रहे हैं. उसकी कीमत आप लगायें कि क्‍या होगी. आज ऐसे समय में, जब विश्‍व कार्बन सिंक की बात कर रहा है. जंगल बचाने की बात कर रहा है, पेड़ लगाने की बात कर रहा है और हम मध्‍यप्रदेश में जहां वन का घनत्‍व इतना घना है, उस पर हम ध्‍यान नहीं दे रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी चंबल में आपने पौधारोपण के नाम पर बबूल के बीज लिये, उन बीजों को पौधा बताकर, एक स्‍प्रे गन आती है, उस गन में रखकर बीजों को स्‍प्रे कर दिया. बबूल के बीज गिरेंगे तो पेड़ बनेगा ही. आपने लाखों पेड़ बता दिए कि हमने लाखों पेड़ लगा दिए. उस पेड़ को लगाने की जो वास्‍तविक कीमत होती है सागौन की, वह लगभग 15-20 रुपये होती है, पौधा बनाने की. आपका विभाग 78 रुपये में देता है, क्‍यों देता है ? बीज ऐसे ही फेंक देते हैं और उसको ही पौधा बताकर पैसा निकाल लेते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  लक्ष्‍मण सिंह जी ,10 मिनट हो गया है. मैं रोक नहीं रहा हूं, केवल समय याद दिला रहा हूं.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, समाप्‍त कर देता हूं. मुझे कोई दिक्‍कत नहीं है. अंत में, मैं, यही कहूंगा अभी बहुत-सी बातें थीं लेकिन समय नहीं है, कोई बात नहीं. आप लोग इस भावना से काम न करें कि ये कांग्रेस का है, ये ये है, ये वो है. इस भावना से नहीं चलेगा. यदि 18 वर्ष आप सत्‍ता में हैं तो इसलिए नहीं कि आपने बहुत अच्‍छा काम किया है, इसलिए कि हमारी भी कुछ कमजोरियां रही हैं, हम लोग भी सरकार नहीं बना पाये. मैं कहता हूं कि हमारी भी कमजोरी है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूतलक्ष्‍मण सिंह जी, की यही बात सही है कि वे सच बोलते हैं.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह-  आपका धन्‍यवाद. आप ये न समझें कि आप कोई बहुत अच्‍छा काम कर रहें हैं, भगवान राम जी का नाम लेकर आप सत्‍ता में बने हैं, भगवान राम की कृपा सभी पर बनी रहे, हम पर भी बनी रहे लेकिन ये जो दोहा है कि- "राम नाम जपना, सरकारी खज़ाना अपना." इससे ज़रा दूर रहें. सरकारी खज़ाना आपका नहीं है, सरकारी खज़ाना सारी जनता का है. धन्‍यवाद, जय हिन्‍द. 

          डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी सूचना केवल इतनी है कि पूर्व में सद्भावना इतनी थी कि कोई अविश्‍वास प्रस्‍ताव नहीं आया. सद्भावना थी, तब भी और अब भी है. 26 मार्च 1991 को श्री श्‍यामा चरण शुक्‍ला जी ने सुंदरलाल पटवा जी के विरूद्ध अविश्‍वास प्रस्‍ताव रखा था और उसमें आरोप भी बिलकुल निजी स्‍तर के लगाये गए थे. मैं, पढ़ना नहीं चाहता. आप लोग सद्भावना मानते कहां हैं ?

          लोक स्वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री (डॉ.प्रभुराम चौधरी)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विपक्ष के द्वारा, कांग्रेस पार्टी के द्वारा जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव यहां रखा गया है, कांग्रेस ने सोचा था कि हम कुछ बात सरकार के खिलाफ रखेंगे लेकिन ये उल्‍टा पड़ गया. वर्ष 2003 के पहले प्रदेश में क्‍या स्थिति थी. 15 महीने में कांग्रेस के शासनकाल में क्‍या स्थिति रही. यह अविश्‍वास लाए तो जनता को भी पता लग गया और सदन में जिन लोगों को नहीं मालूम था उन लोगों को भी पता लग गया कि 15 महीने में स्थिति क्‍या थी और वर्ष 2003 के पहले जो प्रदेश एक बीमारू राज्‍य कहा जाता था आज मध्‍यप्रदेश शिवराज सिंह जी के नेतृत्‍व में किस स्थिति में है. देश में अनेक मामलों में हम लोग नंबर एक पर हैं. मैं तो यह कहना चाहता हूं कि कांग्रेस एक असत्‍य की पाठशाला है. असत्‍य पर असत्‍य यह बोलते रहे यही इस चीज का कारण है कि आज कांग्रेस की यह स्थिति बन गई कि कांग्रेस ने असत्‍य बोलकर वर्ष 2018 में सरकार तो बना ली लेकिन जब उन्‍होंने जो वचन दिए थे उन्‍हें पूरा नहीं कर पाए तो जनता यह समझ गई.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं अब बताना चाहता हूं कि 15 महीने की सरकार में मैं भी मंत्री था. मुख्‍यमंत्री कमलनाथ जी थे केबिनेट में जब हम यह बात उठाते थे कि आपने जो वचन दिए उनको तो पूरा करो तो बोले कि पैसा ही नहीं है जब मिलने जाओ तो बोले चलो, चलो. दूसरी जगह मिलने जाओ तो बोले चलो-चलो. कई बा‍र तो स्थिति यह बन गई कि मैं केबिनेट का मंत्री मुझे ही नहीं पहचान पाए कि आप कौन यह स्थिति 15 महीने के समय में थी. कांग्रेस में कुछ लोग अच्‍छे भी हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सारे लोग एक जैसे हैं लेकिन स्थिति क्‍या है. हमारे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी प्रति‍दिन ए‍क पौधा लगाते हैं और अनेक सामाजिक लोग भी उनके साथ में जाकर पौधा लगाते हैं. कांग्रेस की स्थिति उल्‍टी है. कांग्रेस में तो यह होता है कि पौधा तो लगाते हैं, लेकिन पानी नहीं देते हैं. जो कुछ मित्र अभी वहां पर बैठे हुए हैं उनकी यही स्थिति है कि वह पौधा तो लगाते हैं लेकिन पानी नहीं देते हैं कुछ अपने आप बढ़ने लगते हैं और वह बढ़ने लगते हैं तो उन्‍हें भी उखाड़ दिया जाता है कि कहीं ऐसा न हो कि यह भी बड़ा हो जाए तो वहां पौधे को उखाड़ने की स्थिति बनी रहती है अनेक ऐसे जो विकास के मुद्दे सामने लाए गए लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि कमलनाथ जी की सरकार में उनको पूरा नहीं किया गया. मैं उन मित्रों से यह कहना चाहता हूं जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाए. आप लोग बताएं कि पहले कभी कांग्रेस के शासन में किसानों के लिए क‍भी कोई सम्‍मान निधि दी जाती थी क्‍या? कभी किसानों को कोई सम्‍मान दिया जाता था क्‍या? क्‍या कोई किसान कल्‍याण निधि दी जाती थी? यह मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं जिनके द्वारा किसानों के लिए आज किसान कल्‍याण निधि और किसान सम्‍मान निधि दी जा रही है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं हमारे विपक्ष के मित्रों के लिए यह बताना चाहता हूं कि जब प्रधानमंत्री आवास योजना देश के प्रधानमंत्री जी ने बनाई जिसमें गरीबों के लिए आवास मिला करते थे लेकिन जब केबिनेट में बात की जाती थी कमलनाथ जी के कांग्रेस के 15 महीने के शासन में उसको भी बंद कर दिया गया तो आपको सोचना चाहिए कि जब आप सरकार में थे तो गरीबों के लिए एक आवास नहीं बन पा रहा था. आज शिवराज सिंह चौहान बने तो कम से कम गरीबों के लिए आवास तो मिल रहे हैं तो इसमें आपको क्‍या दिक्‍कत है. अभी कई मुद्दे यहां पर स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में रखे गए तो मैं स्‍वास्‍थ्‍य पर बाद में आऊंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि मैं सभी को मौका देने वाला हूं चिंता मत कीजिए सभी को मौका मिलेगा. कृपया जो इस तरह की बात आती है जिस पर आपको लगता है कि इसको आपत्ति करने की आवश्‍यकता है तो जब आपकी बारे आए तब उसे उठाइए. बीच में टोका-टाकी मत कीजिए.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, संबल कार्ड इतनी अच्‍छी योजना है गरीबों के लिए उसमें सहायता मिलती थी. अब कांग्रेस के मित्रों से मैं पूछना चाहता हूं कि जब हम लोग उठा रहे थे उस समय आपने क्‍यों नहीं कहा कि संबल कार्ड योजना लागू रहे जिससे लोगों के लिए सहायता रहे. संबल कार्ड भी बंद कर दिए. तीर्थ  दर्शन योजना चलाई जा रही थी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के समय पर कमलनाथ जी ने इसे भी बंद कर दिया.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यह बातें यह लोग कह चुके हैं बता चुके हैं.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी --माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्वास्थ्य के क्षेत्र में बताना चाहता हूँ कि वर्ष 2003 में क्या स्थिति थी और आज क्या स्थिति है. विपक्ष के मित्रों से पूछना चाहता हूँ कि जब आप वर्ष 2003 तक सरकार में थे तो कितने आईसीयू के बेड थे, क्या किसी को याद है. जिला अस्पतालों में एक भी आईसीयू का बेड नहीं था. आज 2673 आईसीयू के बेड शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में बढ़ाए हैं. सामान्य बिस्तर मात्र 21234 थे. आज दोगुने से ज्यादा 42911 बेड स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़ाए हैं. उप स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 8 हजार से कम थी. आज प्रदेश में 10280 उप स्वास्थ्य केन्द्र हमने बनाए हैं और उनको हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर में परिवर्तित किया है. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या बढ़ी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आज 356 बनाकर तैयार किए गए. वर्ष 2003 के पहले  सिविल डिस्पेंसरी जो सिर्फ 97 थीं.  मैं तो सोच रहा था कि विपक्ष के मित्र हमारे काम की सराहना करेंगे. चिकित्सा के क्षेत्र में हर क्षेत्र में काम किया जा रहा है चाहे सिविल डिस्पेंसरी की बात करें, चाहे सिविल अस्पताल की बात करें, चाहे चिकित्सक और विशेषज्ञ बढ़ाने की  बात करें. अभी हमारे वरिष्ठ साथी आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी बात कर रहे थे. एनएचएम की संविदा के बारे में, कल ही मैंने उन लोगों से बात की है. मैं बताना चाहता हूँ कि कांग्रेस के टाइम पर तो एक आदमी को भी काम नहीं मिला था. आज 33 हजार लोगों को हम काम दे रहे हैं. औषधियों की बात करें. उस समय ईडीएल की मात्र 214 दवाइयों अस्पतालों में मिला करती थीं. आज 530 प्रकार की ईडीएल की दवाइयां अस्पतालों में उपलब्ध कराई जा रही हैं. कोविड की बात पूर्व में आ गई है इसलिए मैं उस बारे में बात नहीं करना चाहता हूँ. मैं बताना चाहता हूँ हमारे गृह मंत्री आदरणीय नरोत्तम जी ने बताया कि जब कोविड का काल चल रहा था, जब आक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही थी. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ड्राइवर तक से बात करके  मॉनीटर कर रहे थे. हम यह भी मॉनीटर कर रहे थे कि जबलपुर में ऑक्सीजन कब मिलेगी, एक घंटे में उतारकर पन्ना कब पहुंचेगी, पन्ना से टेंकर दमोह कब पहुंचेगा. इस तरह का मैनेजमेंट मध्यप्रदेश में किया गया जिसकी पूरे देश में सराहना हुई थी. स्वास्थ्य के क्षेत्र में इतना अच्छा काम किया है. वैसे तो मुझसे कांग्रेस के कई मित्र मिलते हैं तो कहते हैं कि बहुत अच्छा काम हो रहा है, लेकिन आज सदन में किसी ने बोला नहीं इसलिए मुझे बोलना पड़ रहा है. इतना काम स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम कर रहे हैं. ऑक्सीजन के 204 प्लांट स्थापित किए हैं. कांग्रेस के समय में एक भी ऑक्सीजन का प्लांट नहीं था. पैथालॉजी की सिर्फ 45 प्रकार की जाँचें हुआ करती थीं. आज जिला अस्पतालों में 132 प्रकार की जांचें होती हैं. रेडियोलॉजी की मैं बात करूं. गवर्मेंट अस्पताल में कभी सीटी स्केन इन लोगों ने देखी थी. आज मध्यप्रदेश के प्रत्येक अस्पताल में हमने सीटी मशीन की सुविधा दी है. डायलासिस की उस समय क्या सुविधा थी. अस्पताल में जीरो. आज अगर हम लोगों ने यह सुविधाएं दी हैं. आज 51 इकाइयां हमने स्थापित की हैं. यदि जनता का काम हो रहा है तो इसमें कहने में आप लोगों को कोई  आपत्ति हो रही है. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, जब मैंने कह दिया है कि सभी को समय दूंगा, पूरा समय दूंगा तो बीच में टोका-टाकी की क्या आवश्यकता है. किसी को लगता है कि यह बात गलत है तो जब उनका समय आए उस समय बोलें. जब सबको समय दे दिया है तो सहयोग करिए.

          डॉ. गोविन्द सिंह -- इसीलिए हम नहीं बोले, यह कह रहे हैं कि कमलनाथ जी इनको नहीं पहचान पाए,  दुनिया में कोई ऐसा है क्या जो इनको एक बार देखकर भूल सकता है.

          अध्यक्ष महोदय -- जब आपका नंबर आए और कोई बात इधर से कही जा रही है और उसका प्रतिकार करना है तो जब आपका नंबर आए तब आप बोलना.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो लोग केबिनेट के मंत्री को नहीं पहचानें, विधायक को नहीं पहचानें तो जो हाल आपका हुआ है वही हाल हमेशा होता रहेगा. कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आ पाएगी. अभी आपने आयुष्मान की बात की थी इस संबंध में बताना चाहता हूँ. आप बताइए कांग्रेस के समय में कभी भी प्रायवेट अस्पताल में क्या किसी पेशेंट का फ्री इलाज किया जाता था. आप बताओ कभी होता था क्या. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है आयुष्मान भारत योजना हमने बनाई. मध्यप्रदेश के अन्दर 1 करोड़ 8 लाख परिवार इसमें पात्र हैं. 4 करोड़ 70 लाख हितग्राही इसमें पात्र हैं. आज मध्यप्रदेश की 64 प्रतिशत जनसंख्या को आयुष्मान योजना में जोड़ा है जिससे प्रायवेट अस्पतालों में इन्हें फ्री में इलाज दिया जाएगा.

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज देश में मध्‍यप्रदेश नंबर वन पर है. जहां 470 करोड़ पात्र हितग्राहियों में से 3 करोड़ 36 लाख कार्ड हम लोगों ने आज तक बनाकर तैयार किए हैं. इस आयुष्‍मान भारत योजना के अंतर्गत 22 लाख 37 हजार नागरिकों के लिये, उन पेशेन्‍टों के लिए, हितग्राहियों के लिये फ्री में इलाज मध्‍यप्रदेश की जनता को इस शिवराज सिंह जी की सरकार के माध्‍यम से हम लोगों ने उपलब्‍ध कराया है. मध्‍यप्रदेश राज्‍य योजना अंतर्गत हितग्राहियों के लिये नि:शुल्‍क जो उपचार योजना प्रदेश में चलाई जा रही है, इसके लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना की चौथी वर्षगांठ के अंतर्गत राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य प्राधिकरण द्वारा मध्‍यप्रदेश को अच्‍छा काम करने के लिए भी सम्‍मानित किया गया है. यह प्रदेश में स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में हम लोग काम कर रहे हैं. लाभार्थियों की सुविधा के लिए एजेंसियां जो बेहतर काम यहां पर कर रही हैं हम लोग लगातार इसमें राज्‍य स्‍वास्‍थ्‍य परिषद् द्वारा योजना अंतर्गत जो शिकायतें प्राप्‍त होती हैं उनके लिए भी हम लोगों ने बेहतर व्‍यवस्‍था यहां पर बनाकर तैयार की है. जो नवाचार हम लोगों ने प्रदेश के अंदर किया है इसकी सराहना पूरे देश के अंदर हो रही है और इसके लिए दूसरे प्रदेश भी मध्‍यप्रदेश को देखने के लिए आ रहे हैं और प्रशंसा कर रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज आयुष्‍मान योजना की शिकायतों की बात की गई. मैं आपको बताना चाहता हॅूं कि आयुष्‍मान योजनान्‍तर्गत धोखाधड़ी नियंत्रण हेतु एक सशक्‍त तंत्र हमने विकसित किया है, जिससे ऑटोमेटिक पता लग जाता है कि कहीं कोई अगर धोखाधड़ी हो रही है तो उन पर हम लोग वहां पर कार्यवाही करते हैं. प्रदेश के अंदर आज तक 152 चिकित्‍सालयों के विरूद्ध जो उनके अनुबंध समाप्‍त किए गए, इसमें हम लोगों ने 26 चिकित्‍सालयों को उसे असम्‍बद्ध किया गया है. 18 की जो विषय विशेषज्ञता थी, उनको समाप्‍त किया गया. लगभग 3 अस्‍पतालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई और 3 करोड़ 19 लाख रूपए अर्थदंड भी दिया गया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, आप बात कर रहे हैं हम लोग लगातार प्रदेश के नागरिकों के लिए बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाए दे रहे हैं. प्रदेश के अंदर आज विकास हर क्षेत्र में हो रहा है. गरीबों का विकास हो रहा है. अनुसूचित जनजाति भाईयों के लिये आज मध्‍यप्रदेश ऐसा पहला राज्‍य है जहां माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने पेसा एक्‍ट लागू किया है. ग्रामीण अंचलों में उत्‍साह का एक वातावरण है. अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आज प्रदेश की सरकार काम कर रही है. ऐसे अनेक काम हमने प्रदेश के अंदर किए हैं इसलिए माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, मैं कहना चाहता हॅूं कि विपक्ष को (XXX). यह तो आपको उलटा पड़ रहा है. आपने कुछ काम तो किए नहीं हैं. आज प्रदेश के अंदर माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्‍व में लगातार प्रदेश प्रगति की ओर, विकास की ओर बढ़ रहा है. आज विकास दर भी हमारे प्रदेश की 19.7 परसेंट के करीब हो चुकी है और स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में आज मध्‍यप्रदेश आत्‍मनिर्भर बनने जा रहा है. हर क्षेत्र में हम काम कर रहे हैं. धन्‍यवाद, जय हिन्‍द.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर जब सत्‍ता पक्ष की ओर से हमारे गृह मंत्री, आदरणीय नरोत्‍तम मिश्र जी ने अपनी बात की शुरूआत की थी तो उन्‍होंने शुरूआत में ही नक्‍सलवाद की बात कही थी और उन्‍होंने कहा था कि हमने दो नक्‍सलियों को मार गिराया है और उसके लिए आपकी तरफ से बधाई देने की बनती है. निश्‍चित रूप से माननीय अध्‍यक्ष महोदय. साथ ही साथ उन्‍होंने एक और बात कही थी कि एक समय में कांग्रेस के समय में नक्‍सलवाद का ऐसा माहौल था कि मंत्री को घर में घुसकर मारा और आज हमारा शासन है, हम उनको घर में घुसकर मार रहे हैं. यह बात आदरणीय नरोत्‍तम मिश्र जी ने कही. बिल्‍कुल सही बात है. आप उनको घर में घुसकर मार रहे हैं लेकिन अब आपको शायद पता नहीं है कि उन्‍होंने इतने ज्‍यादा घर बना लिये हैं कि आप कहां-कहां घुसोगे. कल्‍पना से परे है. बालाघाट का यह दुर्भाग्‍य है कि पूरे मध्‍यप्रदेश में एकमात्र ऐसा जिला है बालाघाट, जो खनिज सम्‍पदाओं से भरा हुआ है लेकिन सबसे बड़ा तमाचा उसके गाल पर है, उसके मुंह पर है तो वह नक्‍सलवाद का है. मैं आपको बता दूं कि पूरे विश्‍व में कान्‍हा नेशनल पार्क बहुत प्रसिद्ध है. वहां बाहर से टूरिस्‍ट आते हैं लेकिन शायद आपकी जानकारी में नहीं होगा कि आपका नक्‍सलवाद वहां पर भी पैर जमा चुका है और यह कोई साधारण बात नहीं है. यदि आप इतने साल से सत्‍ता में हैं, यदि इतने साल से आप शासन कर रहे हैं, आप यदि नक्‍सलवाद पर लगाम लगा रहे हैं तो फिर यह नक्‍सलवाद ऐसी-ऐसी जगह पर घर कैसे बना रहे हैं. आप कल्‍पना करके देखिए कि जिस दिन कान्‍हा नेशनल पार्क का, हमारे बाहर के टूरिस्‍ट आना बंद हो जाएंगे तो वहां की क्‍या स्‍थिति होगी.

और इस गलतफहमी में आप कभी मत रहिए कि आपके कार्यकाल से, आपके काम से बालाघाट में नक्‍सलवाद में कोई कमी आई है. कोई कमी नहीं आई है. मैं आज आप सबके बीच यह बात कहना चाहती हूँ कि केवल और केवल बालाघाट को नक्‍सलवादी अपना रेस्‍ट जोन मानते हैं. वे जब भी कोई वारदात छत्‍तीसगढ़ में करते हैं या महाराष्‍ट्र में वारदात करते हैं, छिपने के लिए बालाघाट का इस्‍तेमाल करते हैं तो आप इस गलतफहमी में मत रहिए कि आपके काम की वजह से नक्‍सलवाद पर कोई लगाम लगी है. बिल्‍कुल लगाम नहीं लगी है, बल्‍कि और ज्‍यादा बढ़ा है. आपको तो अब इस पर काम करना है. आज फिर दोबारा कहने में मुझे कोई दो मत की बात नहीं है कि नक्‍सलवाद ने न केवल मेरे पिता स्‍वर्गीय श्री लिखीराम कावरे जी की हत्‍या की, बल्‍कि बालाघाट जिले के हर उस युवा के रोजगार को उसने छीना है, जो हमारा बालाघाट खनिज संपदाओं से भरा हुआ है. बालाघाट में कोई कमी नहीं है. न नदियों की कोई कमी है, न संसाधनों की कमी है. सब चीजों से भरपूर है. पास में नागपुर है, लगा हुआ रायपुर है, लेकिन उसके बाद भी यदि कोई उद्योगपति हमारे यहां कदम नहीं रखता तो उसका एकमात्र कारण है नक्‍सलवाद. इस चीज को यदि आप खत्‍म नहीं कर पाए तो मुझे नहीं लगता कि यह कोई आपकी उपलब्‍धि है. एक भी उद्योगपति हमारे यहां आकर उद्योग क्‍यों नहीं लगाता, हमारे जिले में किस संसाधन की कमी है. यदि कमी है तो उस कमी को दूर करने की जवाबदारी आपकी है और वह कमी आज मैं आपको बोलकर बता रही हूँ और यह अपेक्षा करती हूँ कि इतने लंबे कार्यकाल में यदि अविश्‍वास प्रस्‍ताव आया है तो क्‍यों गलत आया है. यदि आप इतने साल में अपना विश्‍वास पब्‍लिक पर नहीं जमा पाए हैं, हमारे बालाघाट जिले की जनता आज भी इस बात के लिए कहीं न कहीं त्रस्‍त है और एक जनप्रतिनिधि होने के नाते यह हमारा कर्तव्‍य बनता है कि हम इन सब बातों को यहां पर रखें. आज इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव के माध्‍यम से यह बात मैं यहां पर कह रही हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में डबल मनी का मामला हुआ. मैंने इसी विधान सभा के अंदर ध्‍यानाकर्षण के माध्‍यम से डबल मनी वाला मामला उठाया. वह मामला फरवरी, 2019 के बजट सत्र के समय का था. आदरणीय गोविंद सिंह जी का ध्‍यानाकर्षण लगा था. यदि उसी दिन उस डबल मनी वाले मामले में कार्यवाही हो जाती तो आज जिस तरीके से हमारे यहां के लोग, जिन्‍होंने लालच में आकर, हां, मैं कहती हूँ कि यदि किसी भी व्‍यक्‍ति को यह बात पता चले कि मेरा पैसा दस दिन में दुगुना हो रहा है. दस महीने में दुगुना हो रहा है तो वह लालच में आएगा और वह पैसा लगाएगा. हमारे क्षेत्र की जनता ने वह पैसा लगाया. आज उनका पैसा कहीं न कहीं दिक्‍कत में पड़ गया है. यदि आप उसी समय कार्यवाही कर देते तो मुझे नहीं लगता कि इतना बड़ा यह मामला बन जाता. रही बात जहां तक मामले की, तो मामला मैंने वर्ष 2021 में उठाया और एफआईआर हो रही है दिनांक 17.5.2022 को और जब एफआईआर हुई और जिस अधिनियम के तहत यह एफआईआर हुई है, उसमें यह प्रावधान है कि यदि कोई बड़ा आर्थिक अपराध हुआ हो और जिसके तार न केवल एक प्रदेश से, बल्‍कि अन्‍य प्रदेशों से जुड़े हुए होंगे तो वह मामला सीबीआई को जाएगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से गृह मंत्री जी को मैं कहना चाहती हूँ कि हमारे बालाघाट जिले के एसपी ने आपको अनुशंसा करके भेजी है कि आप मामला सीबीआई को दें, आप क्‍यों नहीं दे पा रहे हैं. मैंने इस बात को लेकर विधान सभा में प्रश्‍न लगाया, लेकिन यह मेरा दुर्भाग्‍य है कि चूँकि जो गृह मंत्री हैं, वे ही संसदीय कार्य मंत्री भी हैं और उन्‍होंने नियम का हवाला देकर उस प्रश्‍न को ही रिजेक्‍ट कर दिया. कोई बात नहीं, आपने अपने अधिकारों का उपयोग किया, लेकिन मुझे इस बात का बुरा लगा कि आप अपराधियों पर कार्यवाही करने की बजाय और मामला सीबीआई को देने की बजाय उन लोगों के बचाव में फोन करते हैं. इससे ज्‍यादा शर्म की बात हमारे लिए और कुछ नहीं हो सकती कि हमारे प्रदेश का गृह मंत्री इस तरह के काम करता हो. आज यदि मामला सीबीआई को जाएगा, क्‍योंकि सीबीआई पर हमको विश्‍वास है, हमारे क्षेत्र की जनता को विश्‍वास है कि जिस दिन मामला वहां जाएगा, हमारा पैसा हमको वापस मिलेगा. लेकिन आप क्‍यों मामला सीबीआई को नहीं दे रहे हैं, मैं आज इस सदन के माध्‍यम से यह बात आपके बीच रखना चाहती हूँ कि यह मामला सीबीआई को दें, ताकि हमारे लोगों का, जो गरीब लोगों का पैसा है, वह उनको वापस मिल सके. अध्‍यक्ष महोदय, बहुत सारे तो ऐसे मामले हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना का पैसा जिन लोगों को मिला, जिन लोगों को किश्‍त मिली, उन्‍होंने मकान न बनाकर डबल मनी में लगा दिया, ताकि उनको दुगुना पैसा मिल जाएगा तो उसका उपयोग अपने मकान के निर्माण में कर लेंगे. ऐसे-ऐसे लोगों का पैसा लगा हुआ है. आज ये सब बातें मेरे कहने का मतलब कहीं न कहीं यही है कि इस चर्चा के माध्‍यम से यह मामला सीबीआई को जाए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेटर तो बहुत सारे हैं, हमेशा सत्‍ता पक्ष के लोग कांग्रेस के घोषणा-पत्र या वचन-पत्र पर बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. बिल्‍कुल करनी चाहिए, आपका अधिकार है. लेकिन मध्‍यप्रदेश की जनता ने यदि आपको काम करने का मौका दिया है, तो आपने भी दृष्‍टि-पत्र दिखाकर ही वह मौका लिया है. कभी आपने अपने दृष्‍टि-पत्र पर ध्‍यान दिया है. थोड़ी दृष्‍टि उधर भी डालिए. क्‍योंकि 100 रुपये, आपने कहा है कि गैस सिलेण्‍डर पर सरकार देगी. क्‍या आपने उस पर इम्‍प्‍लीमेंट कर लिया है ? आपने कहा था हम उन छात्राओं को जिनके 75 परसेंट या उनसे ज्‍यादा अंक आएंगे हम उनको स्‍कूटी देंगे. क्‍या आपने उस बात की तैयारी कर ली है ? आज यह बात मैं इसलिए कह रही हूं क्‍योंकि आने वाले समय में अंतिम बजट आपकी सरकार का आएगा और आपके पास अभी भी समय है कि जितना अध्‍ययन आप कांग्रेस के घोषणा पत्र का और वचनपत्र का करते हैं उससे ज्‍यादा अध्‍ययन आप अपने दृष्टिपत्र का कर लीजिए तो कम से कम आपकी दृष्टि हमारे मध्‍यप्रदेश के लोगों के लिए तो खुल ही जाएगी. यह तो एक दो बातें हैं, ऐसी बहुत सारी बातें आपने भी की हैं इसलिए अब उल्‍टी गिनती शुरू हो गई है. आने वाला जो बजट का सत्र है मुझे अपेक्षा है कि उसमें भी आप लोग अपनी दृष्टि अपने दृष्टिपत्र के ऊपर रखेंगे और रही बात जहां तक कमलनाथ जी की, तो जहां तक कमलनाथ जी की कार्यशैली को मैं जानती हूं, पहले दिन से कमलनाथ जी ने अपने घोषणा पत्र और वचन पत्र में काम करना शुरू कर दिया था, कोई ऐसी विधायक दल की बैठक नहीं होती थी जिसमें उन्‍होंने इस बात की चर्चा ना की हो कि आप अपना पूरा ध्‍यान अपने घोषणा पत्र को पूरा करने पर लगाइए और उन्‍होंने शुरुआत किया. यहां पर बहुत घुमावदार जवाब आ जाते हैं कि 2 लाख तक का कर्जा किसका माफ हुआ है और नरोत्‍तम मिश्र जी तो इसमें मास्‍टर हैं, मैं तो कायल हूं उनकी मास्‍ट्री की कि वह जब पूछते हैं कि बताओ कोई ऐसा है जिसका 2 लाख तक का कर्जा माफ हुआ है, कोई बताओ, क्‍योंकि वह भी जानते हैं कि 2 लाख का तो एक का भी कर्जा माफ नहीं हुआ क्‍योंकि हमने शुरुआत ही की थी कि पहले 50 हजार तक का कर्ज माफ करेंगे.

          डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष जी,

          अध्‍यक्ष महोदय -- वह सक्षम हैं, वह बोल लेंगी. उनको बोल लेने दीजिए. वह स्‍पष्‍टीकरण खुद कर रही हैं ना.

          डॉ. गोविंद सिंह -- नहीं, मैं थोड़ा बीच में स्‍पष्‍ट कर देता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, वह खुद स्‍पष्‍टीकरण कर रही हैं. नहीं, वह स्‍पष्‍टीकरण कर रही हैं ना.

          डॉ. गोविंद सिंह -- 2 लाख तक के जो ओव्‍हरड्यू थे, सबसे पहले 2 लाख का कर्जा ओव्‍हरड्यू वालों का पूरा दिया ताकि वह दोबारा ऋण ले सकें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- गोविंद सिंह जी, वह खुद उसको क्‍लेरीफाइ कर रही हैं.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्‍यक्ष महोदय, शुरुआत में 50 हजार तक का रेग्‍युलर वाला, मैं वही अपनी बात कर रही हूं, हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने पूरी कर दी है. उसके बाद एक लाख तक की बात हुई और उसके बाद हुआ एक लाख से दो लाख तक का कर्ज माफ करेंगे. यह उस कर्ज माफी के काम की सच्‍चाई थी लेकिन चूंकि उसको हर तरीके से घुमा फिराकर बोलने की बात आई और हमारे यहां तो लिखित में उत्‍तर भी आया है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- बहन, ऐसा नहीं था जैसा आप कह रही हो. था यह कि 10 दिन में अगर 2 लाख नहीं किए तो मुख्‍यमंत्री बदल देंगे. यही है. यह वचन पत्र है. अगर 10 दिन का नहीं लिखा हो तो मैं मान जाऊं. वचन पत्र में अगर 10 दिन का उल्‍लेख नहीं है तो बताओ. आपके राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ने कहा है.

          श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री जी ने 15 लाख कहा था.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- आपके राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ने कहा मैं आपको क्‍लीपिंग सुनवा दूंगा. राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ने मुख्‍यमंत्री तो नहीं बदला परंतु उन्‍होंने राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बदल दिया.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- नरोत्‍तम भाई, उसमें जो लिखा है ना वह शब्‍द मैं आपको बता दूं कि 10 दिन में कर्ज माफी का निर्णय लेंगे. यह शब्‍द है उसमें.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी परसों उन्‍होंने ट्वीट किया है कमलनाथ जी ने उसमें वह आदेश लगाया है. सज्‍जन भाई, ऐसे अंध भक्‍त नहीं होना है.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपकी बात को पूरा करना चाहती हूं कि राहुल गांधी जी ने 10 दिन में कहा था, लेकिन हमारे नेता आदरणीय कमलनाथ जी ने एक घण्‍टे के अंदर कर्ज माफी पर साइन किया.

          श्री कमल पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, 2 लाख तक का कर्जा माफ किया जाता है, जब किया तब बजट में प्रावधान क्‍यों नहीं किया ? यह (XXX).

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- हम बताते हैं ना आपको, जवाब देते हैं, आप जो भी प्रश्‍न करेंगे हम आपको बताएंगे. कर्ज माफी का जब पूरा सिस्‍टम आया, जब सूची टंगी सोसायटी में कि किसको कितना कर्ज मिला, कई ऐसे किसान थे जिसको पता ही नहीं था कि मेरे नाम से भी इतना कर्ज ले लिया गया है. यह आप लोगों का भ्रष्‍टाचार था कि कई ऐसे लोग थे जिनको पता ही नहीं था कि मेरे नाम इतना कर्जा ले लिया गया है. पहले तो वह वेरीफिकेशन करना जरूरी था क्‍योंकि हमारे किसानों का कर्जा तो माफ हो रहा था लेकिन उनको इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए थी. 2-2, 3-3 खाते की बात तो अलग करो भैया, कई तो ऐसे लोग थे जो सीधे आते थे कि हमने तो कर्जा कभी लिया ही नहीं फिर हमारे नाम से कर्जा आया कैसे. यह भ्रष्टाचार की आप लोगों की करतूत है. जिसको ठीक करने जाते तो पता नहीं सदियों बीत जाती, लेकिन आदरणीय श्री कमलनाथ जी ने जितने अच्छे से हो सकता था उन्होंने कर्ज माफी की शुरुआत की.

श्री कमल पटेल - यह एनपीए वाले खाते थे. तुम्हारे कांग्रेसी हैं जिन्होंने पूरी बैंक को खा लिया था. जिनका दो-दो लाख रुपया माफ किया है, आप पूरी लिस्ट निकाल लो.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि आप हमेशा इधर वालों को व्यवस्था देते हैं तो आप ही बताइए.

अध्यक्ष महोदय - श्री कमल जी.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय मंत्री जी, आप तो इसलिए कुछ मत बोलिए क्योंकि जिन आदिवासियों की बात आप करते हो, जिन लोगों की बात आप करते हो, आप बजट की बात कर रहे हो. सूरजधारा योजना, अन्नपूर्णा योजना, पिछले 2 साल से बजट जीरो आ रहा है.

श्री कमल पटेल - एक मिनट.

अध्यक्ष महोदय - स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है.

श्री कमल पटेल - 10-10 हजार रुपए हर किसानों के खाते में डाल रहे हैं.

अध्यक्ष महोदय - संसदीय कार्यमंत्री जी, मैंने दोनों पक्ष के लिए कहा कि टोका-टाकी न करें. दोनों पक्षों को कहा है, एक पक्ष को नहीं कहा है.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, नहीं करेंगे.

श्री कमल पटेल - हम जब बोल रहे थे तब वह टोका-टाकी कर रहे थे.

अध्यक्ष महोदय - जब नम्बर आएगा तो वह बोल लेंगे.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे - आपका काम है आपने जो किया है वह बताना  और हमारा काम है कि जो आपने नहीं किया, उसको बताना. आप अपना काम करिए, हम अपना काम कर रहे हैं. आप खुद बताइए कि क्या सूरजधारा योजना के तहत आपने बजट में प्रावधान किया है, यह पिछली बार किया है? यह न आपके अनुपूरक बजट में है, न यह मुख्य बजट में है? और मुझे पूरा शक है कि आने वाले मुख्य बजट में भी आप उसके लिए प्रावधान नहीं करेंगे क्योंकि वहां हमारे आदिवासी भाइयों को हमारे एससी, एसटी, ओबीसी के भाइयों को सब्सिडी पर बीज मिलता है.

श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि कृपया मंत्री जी इस तरह से जवाब न दे. मुझे बहुत डिस्टर्ब होता है.

श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं जवाब दे रहा हूं.

(व्यवधान)..

अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्नकाल नहीं है कमल जी.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. आप यह वायदा कर दो कि आने वाले बजट सत्र में सूरजधारा योजना और अन्नपूर्णा योजना को बजट देंगे. मैं अभी बैठ जाऊंगी. (व्यवधान).. बीज उत्पादक समितियों को तो आप पैसा समय पर नहीं दे पा रहे हैं आप क्या बात कर रहे हो माननीय मंत्री जी?

श्री कमल पटेल - (व्यवधान)..किसानों को कर्जा नहीं लेना पड़ रहा है.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे - आप इन दोनों योजनाओं के लिए बजट दे दें तो मैं अभी अपना भाषण खत्म कर देती हूं. आपको हम आइना दिखा रहे हैं. आप सरकार में हैं आप कर सकते हैं.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - आप उठकर बोलोगे वह रिकॉर्ड में आएगा. हाथ उठाने से रिकॉर्ड में नहीं आएगा. हमारी सदस्य बोल रही हैं कि वह बैठ जाएंगी, आप दोनों योजना की घोषणा कर दो.

श्री कमल पटेल - जब से हमने किसान कल्याण निधि.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, क्या आप परमिट कर रहे हैं? क्या आपकी परमिशन से बोल रहे हैं?

श्री कमल पटेल -आप जरा सुनो तो सही, 10-10 हजार रुपया हर किसान को मिल रहे हैं.

अध्यक्ष महोदय - आप सुनिए, आप आसंदी के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. यह ठीक नहीं है. वह अपनी बात पूरा कर लें फिर कोई आपका खड़ा होकर उनसे कहलवाइए. अभी तो कई लोग बोलेंगे.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, अभी मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान का कार्यक्रम चल रहा है. मुझे भी जनपद से मैसेज आया कि हमारे यहां पर कार्यक्रम है और आपको आना है. शासकीय कार्यक्रम था. मैं  भी उस कार्यक्रम में गई और जब कार्यक्रम में जाने के बाद सब लोगों का उद्बोधन हुआ, उस दिन हमारे साथ मुख्यमंत्री जी ऑन-लाइन थे. उद्बोधन सुनने के बाद जब सब लोगों को स्वीकृति पत्र जारी हो रहे थे तो मैंने हमारे सीईओ से पूछा कि यह बताइए कि आप जो स्वीकृति पत्र हमारे हाथ से दिलवा रहे हैं, क्या आपके पास बजट आ गया है? जितने स्वीकृति पत्र आप जारी कर रहे हो, मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के तहत  क्या इसके लिए संपूर्ण बजट उपलब्ध है? उन्होंने कहा कि मैडम थोड़ा बहुत तो आया है लेकिन बहुत कुछ अभी आना बाकी है तो मैंने उनसे कहा कि केवल स्वीकृति पत्र देने के लिए आपने इतना बड़ा आयोजन कर लिया. अब वह स्वीकृति पत्र ले लेकर अधिकारियों के पीछे जाएंगे. चूंकि हम नेता हैं, हम कार्यक्रम में गये थे तो हमारे पास भी आएंगे कि मैडम आपने हमको पत्र दिया था परन्तु राशि तो अभी तक आई नहीं है. क्योंकि यह स्थिति हर बार निर्मित हो रही है.

आपको मैं बता दूं कि मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योजना,  बहुत सारे हमारे संबल के भी लोग हैं वह जो पात्र हैं आज भी उनको पैसा नहीं मिल पाया और उसका कारण बजट का आवंटन नहीं हो पाना है तो ये सारी बातें मैं इसलिए कह रही हूं क्योंकि आज भी कहीं न कहीं हमको एक साल इसी सरकार के साथ में काटना है और ऐसी स्थिति में इनको आइना दिखाने के जवाबदारी तो हमारी है. मैं बात आपसे कहना चाहती हूं कि वृक्षारोपण का बहुत जोर-शोर से प्रचार-प्रसार होता है. बहुत वृक्षारोपण में पैसे भी खर्च होते हैं, लेकिन वृक्षारोपण और वनीकरण दोनों में बहुत अंतर है. एम्पा जिसके तहत वनीकरण के लिए राशि दी जाती है, उस राशि का उपयोग वनीकरण में न करके वृक्षारोपण में पूरा का पूरा पैसा खर्च कर दिया जाता है. नया वन कहां से बनेगा? नया वन कैसे तैयार होगा? जब उसका पैसा ही आप वृक्षारोपण में खर्च कर रहे हैं और वृक्षारोपण में जो वृक्ष लगाए जाते हैं.

उनकी स्थिति तो मेरे से बेहतर  आप लोग जानते हैं कि कहां कौन सा वृक्ष  लगता है और कहां कितने  वृक्ष तैयार हो पाते हैं.  अध्यक्ष महोदय, आज ही  मेरा प्रश्न था 25 नम्बर पर. पर चूंकि  आ नहीं पाया.  भू अर्जन का मामला था.  केवल  भू अर्जन के लिये जो राशि भू अर्जन में देनी थी, वह राशि को  देरी से  देने की वजह से  ब्याज सरकार को भरना पड़ रहा है.  भू अर्जन की  पूरी जवाबदारी कलेक्टर की होती है  और जो मेरे पास जानकारी आई, पूरे मध्यप्रदेश   की मैंने जानकारी मांगी थी, लेकिन कुछेक  जिलों की  जानकारी आई,  बाकी निरंक बता दिया गया.  जिसमें विदिशा जिले में  सबसे ज्यादा  आंकड़ा तो मुझे अभी याद नहीं है  शायद 58 करोड़  के लगभग  ऐसा कुछ आंकड़ा है, जो आपने ब्याज  में दिया है.  यह भू अर्जन  का मामला है और इसमें केवल देरी की वजह से  ब्याज में आपको इतना पैसा  भरना पड़ रहा है.  हम लोग यहां लड़ते हैं.  एक एक विधायक लड़ता है कि हमको रोड मिल जाये,  हमको पुलिया मिल जाये और आप  बैठे बैठे सरकारी खजाने का  पैसा केवल ब्याज भरने  में दे रहे हैं.  मेरा आपसे निवेदन है कि  इस तरह के अपव्यय को रोका जाये.  मैं आपको बता दूं कि  जिस  समय तरुण  भनोत  जी यहां पर वित्त मंत्री थे, मैं उपाध्यक्ष थी,  हम दोनों बगल  में बैठते थे.  मैं हमेशा उनसे कहती थी कि तरुण भैया  जब शिवराज सिंह जी की सरकार थी,  तो  बहुत लोन  लिया करते थे,  आप लोन क्यों नहीं लेते.  आपको भी लोन लेना चाहिये.  आप क्यों नहीं लेते.  बोले बहन मैं  आपको क्या बताऊं.  कमलनाथ जी का ऐसा निर्णय है कि हमको लोन नहीं लेना है.  हमको हमारे खर्चे कम करना है.  अगर मैं लोन लूंगा,  उसका पूरा भार  मध्यप्रदेश  की जनता पर पड़ेगा. लेकिन हम लोन नहीं लेंगे, बल्कि हम अपने  खर्चों को कम  करेंगे  और जिस तरह से यह जो  अपव्यय हो रहा है या जिस तरह से शासन, प्रशासन  की लापरवाही से सरकारी खजाना  लुट रहा है, उस पर हम नियंत्रण करेंगे.  यह कमलनाथ जी की सोच थी. यह हमारे नेता की सोच थी. अध्यक्ष महोदय,  आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.

 

                   श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डोरी)-- अध्यक्ष महोदय, हमारे दल की तरफ से शिवराज सिंह सरकार के मंत्रि-मण्डल   के लिये जो अविश्वास  आया है,  मैं समझता हूं कि  वह  अविश्वास की सच्चाई को  जो जिम्मेदार मुख्यमंत्री जी तो हैं नहीं.  हम तो  नरोत्तम जी को ही   मुख्यमंत्री मानते हैं.  क्योंकि लड़ाई में आप लगे हुए हैं, जब  बन जायेंगे, कोई  दिक्कत नहीं है. हम जो बात करेंगे, बहुत सही करेंगे.  मैं पंडित जी, आपसे ही पूछना चाहता हूं कि  आप मां नर्मदा को मानते हो कि नहीं मानते हो. हमारे कितने सदस्य  हैं, जो मां नर्मदा को मानते हैं.  भैया हाथ उठाओ जरा.  यह वोटिंग नहीं हो रहा है.  उधर के नहीं उठ रहे हैं, बताओ.  आप लोग नर्मदा जी को नहीं मानते हो क्या, बताओ.

                   श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आपके कहने से नहीं हम परम्परागत रुप से  मानते हैं.  आपके सर्टीफिकेट  की  जरुरत नहीं है हमको कि हाथ उठाओ.  ये क्लास,कक्षा लग रही है क्या हाथ उठाओ.

..(व्यवधान)..

                   अध्यक्ष महोदय --   मरकाम जी, आप विषय पर रहें.

                   श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष महोदय, जब मुख्यमंत्री जी ने  नर्मदा सेवा यात्रा  प्रारंभ की थी. तो मैं विपक्ष का विधायक  होने के बावजूद भी  मैंने बहुत भव्य स्वागत  किया था. इसलिये किया था  कि  मां नर्मदा के लिये  हम कभी राजनैतिक चश्मे में  विचार नहीं लाते.  मां नर्मदा का अगर कोई भक्त  है  और अगर वह सेवा करना चाहता है,  तो हमारा कर्तव्य है कि  जितनी हमारी  सामर्थ्यता है, चूंकि  अगर अरंडी  आश्रम  में माननीय मुख्यमंत्री  जी का पहला  उनका कदम पड़ा और उदगम स्थल से डेढ़ किलोमीटर पर  मेरा कर्तव्य था,  मैं स्वागत करुं.  जब मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य  सुना,  तो  मैंने सोचा  कि मां नर्मदा का एक भक्त  आया है, जो मां नर्मदा  के लिये  कुछ  करना चाहता है.  सेवा यात्रा थी, परिक्रमा नहीं थी. सेवा यात्रा पर जब  मुख्यमंत्री जी ने  कहा कि मां नर्मदा  के दोनों आंचलों  को मैं हरी चुनरी चढ़ाने वाला हूं.  मैंने भी हृदय से स्वागत किया.  क्या बात है.  मां नर्मदा  की हरी चुनरी होगी,  तो  हमारे लिये आस्था  का केंद्र  होगा.  मां  नर्मदा जो  अविरल धारा है. जो अनादिकाल से हमारे मानव कल्याण के लिये अविरल उनकी धारा प्रवाह होती है उसकी हरी चुनरी हमारे कांग्रेस के लोगों ने कहा कि तुम स्वागत के लिये क्यों गये. मैंने कहा कि मैं नर्मदा भक्त का स्वागत करूंगा उस समय सौभाग्य का विषय था कि माननीय मुख्यमंत्री जी परिवार सहित थे और जब दाम्पत्य जीवन में हम कोई वचन लेते हैं तो उसको निभाते हैं. यही सनातन धर्म का परंपरा है परंतु ताज्जुब हुआ कि आज भी मां नर्मदा के किनारे पर जो हरी चुनरी की कार्य योजना थी. जो वृक्ष लगाये जाने की आपने बात कही थी. आपने तो 6करोड़ वृक्ष लगाने का कागज में दिया भी. आज आप लोग चलकर मेरे सामने नहीं मैं तो कांग्रेस का हूं तो आप लोग अविश्वास करेंगे. नर्मदा भक्त की उपस्थिति में आप बता दें कि आपके कितने पेड़ हैं जो नर्मदा चुनरी के रूप में मां नर्मदा के बीच में है इसीलिये नर्मदा भक्तों का अविश्वास है शिवराज सिंह जी के खिलाफ. 2008 में हमारे यहां मुख्यमंत्री जी करंजिया गये.

          एक माननीय सदस्य - नर्मदा भक्ति की बात कर रहे हैं राम को काल्पनिक बताने वाले नर्मदा भक्ति की बात कर रहे हैं.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - अरे, मैं आदिवासी हूं. मेरे पास गरीबी है परंतु ईमानदारी में आपसे अमीर हूं. इस देश में अगर ईमानदारी को तौलोगे तो अडानी कहीं नहीं लगता हमारे लंगोट छाप गरीब के पास कितनी ईमानदारी है अडानी कुछ नहीं है. मैं बोल रहा हूं ओमकार सिंह आदिवासी. ध्यान रखना. मैं यह कहना चाहता हूं कि जब करंजिया मुख्यमंत्री जी गये तो मोटर साईकल से रामनगर चले गये. स्वाभाविक है जनता अपने नेता को पाकर गौरवान्वित हो जाती है. वहां पर सोनकी बाई का एक पांव एक बीमारी से ग्रसित है. सौभाग्य से  मुख्यमंत्री जी वहां पहुंचे और सोनकी बाई से मिले और कहा कि बहन, एक मुख्यमंत्री किसी को बहन कहेगा साहब, तो दिल चौड़ा हो जाता है. यह रिश्ता ही ऐसा है. बहन आप चिंता मत करना शिवराज सिंह चौहान आपके पास आ गया. अब आपकी बीमारी का ईलाज हो जायेगा. एक पांव उसका बीमारी से ग्रसित था. शिवराज जी को ढूंढते-ढूंढते दूसरे पांव में बीमारी आ गया और आज भी वह ग्रसित है. इसीलिये सोनकी बाई का अविश्वास है शिवराज सिंह के लिये.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, तीसरा अविश्वास, जो मैं आपको बताना चाहता हूं.शहडोल में हमारे मंत्री जी हैं. इस बात का संज्ञान आप ले लीजिये. शहडोल में कस्तूरबा कन्या विद्यालय में कक्षा 12वी की छात्रा, जो वहां होस्टल में अध्ययनरत् है. कष्ट के साथ बताना पड़ रहा है चूंकि वह मेरे समाज की बेटी है. उसके साथ एक परिस्थिति घटित होती है और उसकी वहीं पर डिलेवरी होती है और लोक लाज के कारण वह गरीब बेटी जो अंडर एज थी.12वीं की छात्रा, उसने उस बच्चे को लोक लाज के कारण उस बच्चे को कहीं डाल दिया. उस बच्चे की मृत्यु हो गई. हमारे विद्वान गृह मंत्री जी अतिसंवेदनशील हैं. आपकी पुलिस जाती है उस बच्ची को 302 के तहत जेल में डाल दिया गया है. आप रिकार्ड देख लीजिये. मेरा प्रश्न यह है कि 9 महीने तक जब पेट में बच्चा रहता है तो स्वस्थ प्रसव होता है और वह 9 महीने तक वह होस्टल में थी और हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी,मामा जी के होस्टल में भांजी थी. 9 महीने तक आपने क्या देखा इसीलिये उस बच्ची का अविश्वास आपके प्रति है.अब मै आपको बताना चाहता हूं कि हमारे आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिये आप जब बात करते हैं तो मुझे लगता है कि हमारे विकास के लिये बहुत बड़ा काम होने वाला है.

          हमारे संपूर्ण आदिवासी प्रदेशों के साथ सभी भारत देश के आदिवासी अब एक साथ अपनी चर्चा करते हैं. विश्‍व आदिवासी दिवस का दिन मध्‍यप्रदेश के लगभग करोड़ो आदिवासी उस उत्‍सव में शरीक हुये, शायद सत्‍ता पक्ष के आदिवासी भाई हमारे क्‍या कर रहे थे, मुझे पता नहीं और उसमें हम लोग उत्‍सव के साथ अपनी संस्‍कृति, आर्थिक विकास, राजनैतिक विकास, सामाजिक विकास पर परिचर्चा कर रहे थे. रात को 10 बजे फोन आता है कि विदिशा के लटेरी के खटलापुरा में वन विभाग की निर्मम गोली चल गई और वहीं पर एक आदिवासी की मौत हो गई साथ में एक गौ माता की मौत हो गई. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उस आदिवासी का नाम स्‍व. चैनसिंह भील था. जब मैं वहां गया तो पता चला कि उसके चार छोटे-छोटे बच्‍चे और 11 लोग घायल हो गये. आदिवासी दिवस के दिन, आदिवासियों पर सरकार की बंदूक की गोली चली, आदिवासी की मृत्‍यु हुई, इसलिये आदिवासियों का विश्‍वास शिवराज सिंह के खिलाफ है. आज हम चाहते हैं माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी बहुत विषय हैं, मैं आपको बताना चाहता हूं अभी हमारे साथी कह रहे थे कि आपने क्‍या किया. मैं जिम्‍मेदारी के साथ कहता हूं, रिकार्ड चेक करा लीजिये हर गांव में शाह साहब 25 हजार रूपये मैंने बर्तनों के लिये दिया था, 50 किलो चावल जन्‍म पर दे रहा था, एक क्विंटल चावल मृत्‍यु पर दे रहा था मदद योजना, आपने बंद क्‍यों कर दिया. आदिवासियों की संस्‍कृति, संवर्धन के लिये, हमने बात सुनी है कि आप लोग कहते हैं कि पैसे की कमी नहीं है, हमारे साथी मैं खासकर मंत्री जी से पूछना चाहता हूं और मैं चुनौती देता हूं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को मैं आपके विधान सभा में दौरा करना चाहता हूं, आपके विधान सभा के पूरे प्राथमिक शाला में उपयुक्‍त भवन हैं, पेयजल व्‍यवस्‍था है, प्‍लेग्राउंड है, शौचालय है, आपके यहां स्‍कूल के लिये आप नहीं दे सकते और जिस देश की शिक्षा व्‍यवस्‍था कमजोर होगी उस देश का विकास नहीं हो सकता, यह आप सुन लीजिये, इसलिये इस प्रदेश के सभी छात्र-छात्राओं का अविश्‍वास माननीय शिवराज सिंह चौहान के ऊपर है इसलिये हम अविश्‍वास की बात करते हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे और विषय है, हमारे संविदा शिक्षाकर्मी, हमारे अतिथि विद्वान, हमारे रसोईया, हमारी आशा कार्यकर्ता, हमारे कोटवार ये सभी नियमितिकरण की मांग कर रहे हैं इसलिये इन सभी का अविश्‍वास इस सरकार के प्रति है, इसलिये नैतिकता के आधार पर मंत्रिमंडल इस्‍तीफा दे, शिवराज सिंह इस्‍तीफा दें, मैं यह मांग करता हूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री संजीव सिंह ''संजू'' (भिण्‍ड)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद कि आपने मुझे इस अति महत्‍वपूर्ण विषय पर बोलने का अवसर प्रदान किया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं कांग्रेसी मित्रों का बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि उन्‍होंने बहुत सही समय पर यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव पेश किया. कुछ समय बाद हम जनता के बीच में जाने वाले हैं, अब हो सकता है हमें अपनी बात रखने का समय न मिले, लेकिन आपने यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाकर जो यह असत्‍य का पुलिंदा आपने इकट्ठा किया है न, किताब लाते हो आप, रिकॉर्ड लाते हो आप (किसी माननीय सदस्‍य के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) हां हैं ईमानदार, बतायेंगे अभी आपको, हम हैं ईमानदार, ऐसे कटाक्ष नहीं कीजिये, हम भी जानते हैं आप कितने ईमानदार हैं. अब इनकी बात सुन लो.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह अभी परसों चीख रहे थे, माननीय अध्‍यक्ष जी सोहनलाल जी परसों बहुत जोर-जोर से चीख रहे थे, चिल्‍ला रहे थे कि छिंदवाड़ा को जनभागीदारी का पैसा क्‍यों नहीं पहुंचा? 15 मिनट इन्‍होंने हंगामा किया था.        माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे एक बात अभी तक समझ नहीं आई, आज यह इसलिये चिंतित है कि छिंदवाड़ा को जनभागीदारी का पैसा क्‍यों नहीं पहुंचा और तब यह इसलिये चिंतित थे कि छिंदवाड़ा को इतना पैसा क्‍यों जा रहा है, क्‍यों पहुंच रहा है (श्री तरूण भनोत, सदस्‍य द्वारा अपने आसने से कुछ कहने पर) चिंति‍त थे. हम बताते हैं आपको, यह सबको पता है, इनको सबको पता है, यह सब बैठे हैं. मुख्‍यमंत्री कार्यालय वल्‍लभ भवन में जब आप घुसते थे, एक सीधे हाथ पर इतनी बड़ी एक स्‍क्रीन लगी थी. आप लोगों ने देखी होगी, बहुत लोग गये हैं, यह राज्‍यवर्धन भाई साहब बैठे है, प्रद्युम्‍न सिंह जी बैठे हैं, उस टी.वी.स्‍क्रीन पर चलता क्‍या था?दिल पर हाथ रखकर तरूण भाई साहब बोलना और सच बोलना मुझे आपका पता है, आप सच ही बोलते हो, उस पर चलता क्‍या था? यह नहीं बोलेंगे, हम बोलेंगे, छिंदवाड़ा जिले में होने वाले विकास कार्यों की स्थिति, सिर्फ छिंदवाड़ा की, मुख्‍यमंत्री क्‍या आप छिंदवाड़ा के थे?

श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री तरूण भनोत आप बैठ जायें.

श्री तरूण भनोत -- उन्‍होंने मेरा नाम लिया है. (व्‍यवधान)..

अध्‍यक्ष महोदय -- नाम इसलिये नहीं लिया है कि कोई आरोप लगाया है. आपके ऊपर आरोप नहीं लगाया है. (व्‍यवधान)..

श्री तरूण भनोत -- मैं तो माईक छोड़कर आराम से बैठा था, मेरा नाम लिया है मैं जवाब दे दूंगा. (व्‍यवधान)..

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब वह स्‍क्रीन नहीं है.

अध्‍यक्ष महोदय -- मैं आपको अलाउ नहीं करूंगा. तरूण जी का नहीं लिखा जायेगा.

श्री तरूण भनोत -- XXX

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- XXX

अध्‍यक्ष महोदय -- यह जो आपने सामने विधायकगण बात करते हैं, उसको नहीं लिखा जायेगा, किसी का भी हो उनका नहीं लिखा जायेगा.

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- हमारे तरूण भाई साहब बहुत बड़े है खैर, अब चूंकि अब भाई साहब ने सवाल किया है तो जवाब देना पड़ेगा.

अध्‍यक्ष महोदय -- आप इधर देखकर संबोधित करिये.

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- भाई साहब ने पिछली बार भी जब मैं खड़ा होता हूं तो खड़े हो जाते हैं कि मैंने तुम्‍हारा काम किया. मैंने तुम्‍हारा काम किया.

श्री तरूण भनोत -- XXX       (व्‍यवधान..)

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- XXX (व्‍यवधान..)

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- अरे सुन तो लो सरकार हमारी बनाई हुई और हमारे काम का एहसान किया अब एहसान क्‍या किया यह बताता हूं. (व्‍यवधान..)

श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- आपसे सरकार नहीं बनी थी, आप फायदे के लिये सरकार में आये थे. (व्‍यवधान..)

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब बताता हूं,  जो आपने बोला है, मुंह में उंगली डाली है तो सुनिये, जिस दिन से सरकार बनी थी, मैं सबके जा जाकर पैर छू रहा था कि एक मेरा महत्‍वपूर्ण कार्य है, वह कर दीजिये, डेढ़ साल हो गये थे.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 05 मार्च 2020 को केबिनेट की जब सरकार आधी गिर चुकी थी, पूरे मंत्रिमंडल ने इस्‍तीफा दे दिया था और सबसे कह रहे थे कि लौट आओ, मंत्री बनाने वाले हैं, हम सब इस्‍तीफा दे चुके हैं. दिनांक 05 मार्च 2020 को इन्‍होंने मुझे बुलाकर कहा कि तुम्‍हारा काम कर रहे हैं, कब-कब जब आपकी अटक गई, तब आपने वह काम किया, ऐसे नहीं काम किया, इसमें एहसान की बात नहीं है.

श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष महोदय, पहली बात आपको बता दें, आप गलत तथ्‍य सदन में दे रहे हैं, 05 मार्च के पहले किसी मंत्रिमंडल के सदस्‍य ने इस्‍तीफा नहीं दिया था.

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- उसके बाद दे दिया होगा.

 श्री तरूण भनोत -- तुम भगोड़े भागकर बैंगलूरू चले गये थे, हम तो मंत्रिमंडल में काम कर रहे थे. आप गलत बात न बोले.

श्री संजीव सिंह''संजू'' -- आपकी सरकार गिर चुकी थी. सरकार अल्‍पमत में आ चुकी थी.

संसदीय कार्यमंत्री (डॉ.नरोत्‍तम मिश्र) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बोलने दें नया सदस्‍य है.

अध्‍यक्ष महोदय -- तरूण जी, संजीव जी एक सेंकेंड, 05 मार्च 2020 की डेट बताई है उन्‍होंने, जिसको चुनौती देना है उसको दो, वह 05 मार्च 2020 बता रहे हैं, उस तारीख को उनको आदेश मिला, जो उनका काम हुआ.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, उसको बोलने दें.

अध्‍यक्ष महोदय-- (श्री तरूण भनोत, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) वह 05 मार्च कह रहे हैं, नहीं-नहीं मैं दूसरी बात कह रहा हूं 05 मार्च 2020 कहा तो आप उसकी आपत्ति नहीं कर रहे हैं, आप दूसरी कोई आपत्ति कर रहे हैं.

श्री तरूण भनोत -- 05 मार्च 2020 को हमने किसी ने इस्‍तीफा नहीं दिया था.

श्री संजीव सिंह''संजू'' --  हां तो उसके बाद दे दिया होगा.

श्री तरूण भनोत -- वह कह रहे हैं. (व्‍यवधान.)

अध्‍यक्ष महोदय -- उन्‍होंने कहा कि 05 मार्च 2020 को काम हुआ. (व्‍यवधान.)

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री(श्री हरदीप सिंह डंग) -- मैंने दिया था सबसे पहले इस्‍तीफा, 05 मार्च 2020 को दिया था और सरकार की उल्‍टी गिनती चालू हो गई थी. . (व्‍यवधान.)

वनमंत्री(कुंवर विजय शाह) --  सुनने की क्षमता रखो, जब आप बोल रहे थे, तब कोई नहीं बोला था. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनको सुनने की क्षमता नहीं है, यह बोल रहे थे, तब कोई नहीं बोल रहा था, आप बर्दाश्‍त करने की क्षमता रखो. (व्‍यवधान.)

श्री हरदीप सिंह डंग -- 05 मार्च को सबसे पहले इस्‍तीफा मैंने दिया था.

            अध्‍यक्ष महोदय -- अब केवल संजीव का लिखा जायेगा. सिर्फ संजीव का लिखा जायेगा. आप जारी रखिये.

          श्री संजीव सिंह 'संजू' - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, डेढ़ साल में एक तसला गिट्टी कहीं नहीं डली. आपने एक काम किया. सरकार हमारी बनाई हुई, समाजवादी पार्टी के मित्र हम और निर्दलीयों के द्वारा बनाई गई सरकार और आपने हम पर अहसान किया. आपकी सरकार तो उसी दिन गिर गई थी, जिस दिन आपके मंत्रिमण्‍डल ने शपथ ली थी.(मेजों की थपथपाहट) हमको तो छोड़ो, आपने तो अपनों को नहीं बनाया था.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री जी, सदन में आ गए हैं. मरकाम जी बोल रहे थे कि हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी गए, करंजी बताया था, फिर मोटर साइकिल से एक जगह गए कि हमें अपने मुख्‍यमंत्री जी के ऊपर गर्व है, मोटर साइकिल से, साइकिल से, नाले में, रोडों पर. लोगों को ऐसा मुख्‍यमंत्री चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - संजीव के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)

          श्री तरुण भनोत - (XXX)

          श्री संजीव सिंह 'संजू' - अध्‍यक्ष महोदय, हमें गर्व है, आपको हो सकता है गर्व न हो.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)

          श्री संजीव सिंह 'संजू' - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मरकाम जी, आपने कहा कि रामनगर गांव मोटर साइकिल से गए. माननीय मुख्‍यमंत्री जी एक महिला सोहंती बाई से मिले, उसका एक पैर खराब था. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कहा कि आप चिन्‍ता मत कीजिये, सरकार आपके साथ है, सरकार आपका इलाज कराएगी. आप वहां के जनप्रतिनिधि हैं.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)

          श्री संजीव सिंह 'संजू' - अध्‍यक्ष महोदय, मैं तुलना नहीं कर रहा हूँ. आपने कहा कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ऐसा कहकर आये थे. अब मुख्‍यमंत्री जी को ढूंढते-ढूंढते उसका दूसरा पैर भी खराब हो गया. आप क्‍या इन्‍तजार कर रहे थे ? कि उसका दूसरा पैर भी खराब हो जाये अब मैं और बताता हूँ आपकी प्रवृत्ति. आप इक्‍जामपल चैक करना चाह रहे थे.

          अध्‍यक्ष महोदय - संजीव के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - (XXX)

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक - (XXX)

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)

          श्री संजीव सिंह 'संजू' - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब मैं बताऊं इसी बात पर और आगे आता हूँ. हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने एक अभियान चलाया. मुख्‍यमंत्री जनसेवा अभियान, उसमें पता है कि क्‍या परेशानी है कि हम लोगों ने जगह-जगह नगरपालिकाओं में, वार्डों में कैम्‍प लगाये, ग्राम पंचायतों में गए, गली-गली गए, जो पात्र हितग्राही हैं, किसी कारण से छूट गए हैं. उनको लेकर आए, उनके फार्म भरे, उनको जो हितलाभ मिलना चाहिए, वह दिलवाने का प्रयास किया.

          माननीय मुख्‍यमंत्री जी, पूरे संभागों में जा रहे हैं. हमारे यहां भी 24 तारीख को जाना था, लेकिन किसी कारणवश शायद कार्यक्रम आगे बढ़ गया है और जो हितग्राही हैं, उनको सर्टिफिकेट वगैरह बांट रहे हैं, दे रहे हैं. जब माननीय मुख्‍यमंत्री जी आते हैं तो पचास हजार, साठ हजार, तीस हजार और चालीस हजार की भीड़ होती है. हमारे कांग्रेसी मित्र वहां जाते हैं, मुख्‍यमंत्री जी तो सबको सर्टिफिकेट देते हैं और आप लोग क्‍या करते हो ? एक आदमी को पकड़ते हो. हो सकता है किसी अपात्र को सर्टिफिकेट मिल गया हो या किसी पात्र को किसी कारणवश सर्टिफिकेट न मिला हो. आप पचास हजार की भीड़ में दो लोगों को पकड़ते हो कि आपने गलत व्‍यक्ति को सर्टिफिकेट दे दिया है और सही व्‍यक्ति को सर्टिफिकेट नहीं दिया है. पचास हजार लोगों को हमारे मुख्‍यमंत्री जी सहायता प्रदान कर रहे हैं और आप दो लोगों को पकड़ते हो, इसका मतलब क्‍या है ?

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - (XXX)

          श्री संजीव सिंह 'संजू' - अध्‍यक्ष महोदय, आप मुख्‍यमंत्री जी की मानसिकता समझिये, उनका ध्‍येय समझिये कि भले ही दो, चार, दस अपात्र लोगों को फायदा मिल जाये लेकिन पात्र व्‍यक्ति छूटना नहीं चाहिये.

            श्री संजीव सिंह संजू -

          राम की चिरैया, राम के खेत,

          खूब खाओ चिरया, भर-भर पेट. 

          अध्‍यक्ष महोदय, ये हमारे मुख्‍यमंत्री जी का ध्‍येय वाक्‍य है. अब आप कहते हैं अब में उसमें आता हूं, पैर में चक्‍कर, बड़ी परेशानी है, हैलीकाप्‍टर, अरे भैया हमें गर्व है, हमको सुबह पता चलता है कि उत्‍तरखंड में हमारी बस गिर गई, हमारे प्रदेश के कुछ यात्री उसमें खत्‍म हो गए हैं. हमें गर्व है वे 10 बजे पहुंच गए, उसके बाद हमारी पार्टी का पूरा अमला पहुंच गया, प्रदेश अध्‍यक्ष पहुंच गए, सभी को लेकर आए, हर संभव मदद करने का पूरा प्रयास किया.

          श्री राकेश सिंह मावई - आपकी पार्टी कौन सी है संजू भैया ये तो बता दो. कौन सी पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष पहुंच गए.

          श्री संजीव सिंह संजू - वह भी बता रहे, आपको पता ही नहीं चला कि हमारी पार्टी कौन सी है, इनके साथ यही दिक्‍कत है, इनको अभी तक पता नहीं चला कि हमारी पार्टी कौन सी है. अध्‍यक्ष जी, 23 अगस्‍त 2022 को हमारे यहां बाढ़ आई. हमारे पिता तुल्‍य डॉ. गोविन्‍द सिंह जी ने उसका जिक्र भी किया था, सच तो वही बोलते हैं, चाहे कुछ भी परिस्थितियां हो. 23 अगस्‍त 2022 को बाढ़ आई. उन्‍हीं में दम है जो उन्‍होंने खेद भी प्रकट किया, और किसी में दम है क्‍या आप लोगों ने सुबह से जितना असत्‍य बोला है, सुबह से मैं सुन रहा हूं, उस पर खेद प्रकट किया क्‍या, नहीं किया. 23 अगस्‍त 2022 को भिण्‍ड में बाढ़ आई लगातार पानी बढ़ रहा था, 22 अगस्‍त को माननीय मुख्‍यमंत्री जी का फोन आया कि आपके यहां क्‍या स्थिति है. हमने उनको बताया कि पानी धीरे धीरे बढ़ रहा है. 23 की रात को पानी आ गया, 24 की सुबह माननीय मुख्‍यमंत्री जी मुरैना में थे, श्‍योपुर में थे, डबरा में थे. आप कब गए? है, पता है किसी को, हम बताते हैं, पता ही नहीं होगा किसी को, हम बताते हैं, आप गए 31 अगस्‍त को वह भी हैलीकाप्‍टर से और माननीय मुख्‍यमंत्री जी गए पैदल चलकर, गाड़ी से जहां जा सकते थे वहां और जो मदद कर सकते थे, वह मदद की.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - आपको मालूम मुख्‍यमंत्री जी कब गए, जब शराब कांड में लोग मरे, तब मुख्‍यमंत्री गए थे क्‍या वहां, कमलनाथ जी गए थे कि नहीं, ये देख लो जरा (XXX).

          श्री संजीव सिंह संजू - अब शराब की अगर बात होगी न, हम पहले ही कह रहे कि शराब पर मत जाओ. शराब पर जाओगे तो ठीक नहीं लगेगा. अध्‍यक्ष महोदय, हमारे पूर्व अध्‍यक्ष जी(श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति) ने रेत की बात की थी, हालांकि एक-दो ठीक बात की थी कि पंचायतों में जो निर्माण कार्य होते हैं और प्रधानमंत्री आवास बनते हैं, उनको फ्री मिलनी चाहिए, लेकिन आपने यह बात कही कि बाहर की कंपनी आती है शिवा कार्पोरेशन, कोई रेड्डी इत्‍यादि रेत नीति कब बनी थी, सेंड पॉलिसी पता है, तरुण भाई साहब कब बनी थी, बताओ न.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं नहीं, उनसे नहीं पूछना(...हंसी)

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीक- अध्‍यक्ष जी मैं बताता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय - बाल्‍मीक जी, आप बैठ जाइए.

          (वन मंत्री) कुंवर विजय शाह - कमलनाथ जी ने बनवाई थी, आपके नेता ने बनाई थी.

          श्री संजीव सिंह संजू - सेंड पॉलिसी जब बन रही थी, आपने आपत्ति लगाई थी, आपत्ति क्‍या लगाई थी? आपने जहां रेत की क्‍वांटिटी थी ही नहीं, जैसे मान लो हमारे भिण्‍ड में  15 लाख एमक्‍यू थी, उसको 30 लाख एमक्‍यू कर दिया, और जो रेड्डी बंधुओं की बात कर रहे थे.

          श्री तरुण भनोत - अध्‍यक्ष जी, वह मेरा नाम ले रहे, आप संरक्षण क्‍यों नहीं दे रहे. बता तो रहा हूं, आप बोलने दीजिए.

          श्री संजीव सिंह संजू - हमको मिलेगा संरक्षण, आपको नहीं मिलेगा. बैठो आप (..व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत - यही उम्‍मीद है, आपने सही बोला, ये बात सही बोल रहे हैं कि इनको संरक्षण मिलेगा.

          श्री संजीव सिंह संजू - हमने उस समय भी उस रेत नीति का विरोध किया था और माननीय डॉ. गोविन्‍द सिंह जी बैठे हैं मैंने इनको भी बताया था वह बात, हालांकि इन्‍होंने भी कहीं थी यह बात  30 लाख एमक्‍यू उसकी क्‍वांटिटी कर दी, रेता का ठेका बढ़ा दिया, मतलब नदियों में रेत है ही नहीं और आप लगातार क्‍वांटिटी बढ़ाए जा रहे हो, आपने टेण्‍डर कर दिया.

रेड्डी बंधु कहां से आये, किस समय आये ? उससे हानि हुई आपने क्वांटिटी इतनी बढ़ा दी इससे अवैध उत्खनन इतना बढ़ा उसको पैसे निकालने थे जो कम्पनी आयी उन्होंने 100 करोड़ में ठेका लिया. जब ठेका लेगी 100 करोड़ में तो डेढ़ सौ करोड़ रूपये कमाने का प्रयास करेगी. उसमें अंधाधुंध उत्खनन किया, अंधाधुंध परिवहन किया, यह आपने किया. अब आप कह रहे हैं कि रेड्डी बंधु कहां से आये. आप शिक्षा की बात करते हैं आपने उसकी बहुत बात की कहीं माध्यमिक विद्यालय में यह नहीं है, वह नहीं है. इस देश पर सबसे ज्यादा राज किसने किया.

          एक माननीय सदस्य--यह तो विषय से हट रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--यह किसी का नाम नहीं ले रहे हैं.

          श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, इस देश में सबसे ज्यादा किसी ने राज किया है तो वह कांग्रेस पार्टी ने किया है. दो विषय शिक्षा एवं स्वास्थ्य इन क्षेत्रों का राष्ट्रीयकरण होना चाहिये था बजाय इसके व्यवसायीकरण के. अगर उसका व्यवसायीकरण किया तो कांग्रेस पार्टी ने किया इनकी सरकार ने किया इनकी पूर्ववर्ती सरकारों ने किया. सीएम राईज स्कूल भिंड में हमें गर्व है कि इन्दौर के लेवल का स्कूल भिण्ड में बनने जा रहा है.

          सोहनलाल बाल्मीक--अध्यक्ष महोदय, निजी विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय अभी आपने लिया है. उसके बारे में आप बतायें.

          श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय,हमारे यहां पर 70 स्कूलों के टेंडर हो गये हैं. उसका भूमि-पूजन हो गया है उसमें काम प्रारंभ हो गया है सीएम राईज के स्कूलों का.

          एक माननीय सदस्य--हमें भी इतना ही समय दें अध्यक्ष महोदय.

          अध्यक्ष महोदय--आपकी तरफ से दो माननीय सदस्य बोल रहे हैं. इनकी तरफ से एक माननीय सदस्य बोल रहे हैं.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--निजी विश्वविद्यालय का बिल पास कराया है. उसका निजी व्यवसायीकरण कर रहे हैं कि नहीं. आप थोड़ा पढ़-लिख लिया करो.

          श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय,आप गोल्ड मेडल की बात कर रहे हैं अभी भाई साहब हैं नहीं. हमारे मुख्यमंत्री जी को गोल्ड मेडल दो. बिल्कुल नहीं दो मुख्यमंत्री जी को, किसको दो आपको ? क्यों संबल योजना बंद करने के लिये आपको गोल्ड मेडल दो, पंच परमेश्वर योजना को बंद करने के लिये आपको गोल्ड मेडल दो, दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना बंद करने के लिये आपको गोल्ड मेडल दो. लेपटाप खरीदने के लिये 25 हजार रूपये की राहत राशि बंद करने के लिये आपको गोल्ड मेडल दो, जन अभियान परिषद बंद करने के लिये आपको गोल्ड मेडल मिलना चाहिये. शून्य ब्याज दर पर किसानों को ऋण बंद करने के लिये आपको गोल्ड मेडल मिलना चाहिये. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना एवं मुख्यमंत्री निकाय योजना का लाभ बंद करने के लिये आपको गोल्ड मेडल मिलना चाहिये. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की बंद करने के लिये आपको गोल्ड मेडल मिलना चाहिये.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय मैं कुछ बोलना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--सज्जन सिंह जी आप बैठ जायें बीच में बोलने का तरीका आपका ठीक नहीं है.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--सिंरोज में कन्यादान योजना का इतना बड़ा घोटाला हुआ. किसान कर्ज माफी की योजना किसने बंद की.

          अध्यक्ष महोदय--आप बैठिये आप बीच में बोल रहे हैं यह आपका तरीका ठीक नहीं है.

          श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय,हमारे मुख्यमंत्री जन सेवा जनता की सेवा में लगे हुए हैं यह लगे हुए हैं घोटाले ढूंढने में यह परेशानी है और सपने देख रहे हैं 2023 के भईया 2023 में कुछ भी नहीं होने वाला. यह बात कर रहे हैं हमारे उस मुख्यमंत्री जी की उस पर अविश्वास प्रकट करने की, उस सरकार के ऊपर अविश्वास प्रकट करने की जो 18 साल से लगातार इस बीमारू प्रदेश से निकालकर एक विकसित राज्य की तरफ ले जाने का प्रयास कर रहे हैं. चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो अगर आप मुझे समय देंगे तो मैं रात भर बोल सकता हूं. इतने कागज हैं, सबकुछ हैं मेरे पास बहुत सारे कागज हैं. मैं बहुत सारी किताबें लेकर के आया हूं मैं बोल सकता हूं. हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री इस प्रदेश को अपना मंदिर, प्रदेश की जनता को अपना भगवान और खुद को उस मंदिर का पुजारी कहने वाले ऐसे मुख्यमंत्री पर अविश्वास प्रकट कर रहे हैं. जिस पर इस प्रदेश की साढ़े 7 करोड़ जनता का विश्वास है उस पर यह लोग अविश्वास प्रकट कर रहे हैं जनता का पूरा विश्वास माननीय मुख्यमंत्री जी पर है.

          माननीय हमारे मुख्‍य मंत्री के ऊपर साढ़े सात करोड़ जनता का आर्शीवाद है और विश्‍वास है. पी.एम निधि में मध्‍यप्रदेश नंबर-1, देश में जो सबसे तेज विकास दर है 19.74 वह मध्‍य प्रदेश की है. सात बार कृषि कर्मण अवार्ड जीता है. स्‍वच्‍छता में देश में नंबर-1 है, इंदौर स्‍वच्‍छता रेंकिंग में लगातार नंबर-1 है, मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में यदि कहीं पहले प्रारंभ हुई है तो वह मध्‍यप्रदेश है; आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिये पेसा का कानून लाये हैं तो वह हमारे मुख्‍यमंत्री आये हैं, लेकिन गोल्‍ड मैडल इनको नहीं देने देंगे, गोल्‍ड मैडल यह लेंगे जिन्‍होंने जनता के कल्‍याण के लिये इतनी सारी योजनाएं बंद कर दी, लेकिन गोल्‍ड मैडल इनको चाहिये.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप उधर देखकर नहीं बोलिये.

          श्री संजीव सिंह' संजू':- अब हम सड़कों की बात करते हैं, अभी कई लोग सड़कों की बात कर रहे थे.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति( एन.पी):- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका ध्‍यान इस ओर आकृष्‍ट कर रहा हूं कि मुझे बहुत जल्‍दी बैठा दिया गया था.

          अध्‍यक्ष महोदय:- मैंने जल्‍दी बैठाया था, उसके बाद भी आपने 18 मिनट लिये थे.

          श्री संजीव सिंह' संजू':- आप दिल पर हाथ रखकर कहना की आज जैसी सड़कें हैं, वह क्‍या 10 या 20 साल पहले थीं, थी क्‍या ? आज सड़कें  अमेरिका जैसी ही हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- संजय सिंह जी अब आप बैठ जाइये.

          श्री संजीव सिंह' संजू':- अटल प्रोग्रेस वे, जिसको इनकी सरकार ने मुरैना तक छोड़ दिया था और भिण्‍ड तक आने का जो रास्‍ता वह काट दिया था. उसको कौन लेकर आया ? अटल प्रगतिपथ को हमारे शिवराज जी और हमारी केन्‍द्र की सरकार लेकर आयी और इसके अलावा भी जो हमारा भिण्‍ड-ग्‍वालियर हाइवे बनने वाला है वह फोर लेन कौन बनाने जा रहा है, अभी जो हमारी सरकार है वह बनाने जा रही है. उसको भी टू लेन है हमारे मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने बनाया. उस रोड से सब हमारे कांग्रेसी मित्र भी आते जाते हैं तो मेरा आपसे कहना यही है कि यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव सिर्फ असत्‍य का पुलिंदा भर है. इसमें कोई सत्‍यता नहीं है, जनता का विश्‍वास और आर्शीवाद शिवराज सिंह जी चौहान के ऊपर है, भारतीय जनता पार्टी के ऊपर है और नरेन्‍द्र मोदी जी के ऊपर है. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री लाखन सिंह यादव:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष के द्वारा सत्‍ता पक्ष के खिलाफ लाये गये अविश्‍वास प्रस्‍ताव को मुझे लगता है साढ़े पांच-छ: घण्‍टे हो गये चर्चा होते-होते. कुछ सत्‍ता पक्ष के लोगों ने और कुछ विपक्ष के लोगों ने अपनी-अपनी बातें अपने-अपने स्‍तर से रखी. लेकिन मुझे आज हमारे जो नयी  भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं उनकी बातें सुनकर मुझको बड़ा आश्‍चर्य हुआ.

          श्री संजीव सिंह' संजू':- आपको आज पता चला है.

          श्री लाखन सिंह यादव:- बहुत स्‍तुति ज्ञान हो गया..

          अध्‍यक्ष महोदय:- आपकी बात रिकार्ड है, आपने अपना समय जीतु पटवारी का बोलने के लिये दिया था. उसके बाद भी मैं आपको बोलने का समय दे रहा हूं. वह बात रिकार्ड में है.

          श्री लाखन सिंह यादव:- अध्‍यक्ष महोदय, वह केवल इस अर्थ में था कि आप इसको 6 बजे खत्‍म कर रहे थे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, रिकार्ड में है.

          श्री लाखन सिंह यादव:- चूंकि आपने कहा कि कल तक हाउस चलेगा तो फिर मुझे भी समय दें.

          अध्‍यक्ष महोदय:- यह रिकार्ड में है आपका. इसीलिये तो मैंने आपको बुलाया है.

          श्री लाखन सिंह यादव:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पिछले 24-25 साल से इस सदन में लगातार हूं. पिछले 15 साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही, हम लोग विपक्ष में बैठे, लेकिन पिछले 15 साल में मुझे कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ, एहसास नहीं हुआ कि हम विपक्ष में हैं और सत्‍ता में है. लेकिन जब से यह  नयी भारतीय जनता पार्टी, जो इधर से उठकर उधर पहुंच गयी जब से यह भारतीय जनता पार्टी नयी मध्‍यप्रदेश में बनी. तब से पहली बार हम लोगों को यह एहसास हो रहा है कि हम लोग मध्‍यप्रदेश में विपक्ष में बैठे हुए हैं. अभी मैं यहां  गोविंद भाई और प्रद्युन्‍न भाई जो खम्‍भे पर ही चढ़े रहते हैं, नाली में पड़े रहते हैं. वीर जी, आप भी कल बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे.  आपको याद है, जब मैं, मंत्री था तब आप मेरे बाथरूम में आ गए थे कि साईन करिये और मैंने बाथरूम से निकलकर आपके लेटर में साईन किये थे. आप खड़े होकर बात करो.

          श्री तुलसीराम सिलावटमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये कोई तरीका है क्‍या कि खड़े होकर बात कर.

...व्‍यवधान...

          श्री लाखन सिंह यादव-  मेरे भाई, तुम सच बोलो, यह सदन सच्‍चा मंदिर है. आप सच कहो कि मैंने बाथरूम से निकलकर साईन किये थे कि नहीं ?

          श्री हरदीपसिंह डंग-  उस समय कोई काम करने को तैयार नहीं था.

...व्‍यवधान...

          डॉ.(कुंवर) विजय शाह-  ये क्‍या बोल रहे हैं, आप ठीक तरीके से बात करो. अपने आपको सुधारो, अगर आप जैसा आदमी 25 साल से विधायक है (XXX).

...व्‍यवधान...

          श्री लाखन सिंह यादव- ऊंची आवाज में बात नहीं. मैंने कौन-सी गलत बात सदन में की है. अगर मैंने गलत कहा है तो डंग जी खड़े होकर यहां बतायें. एक बार मैं और डंग जी डिबेट में थे और मैंने डिबेट में ये बात कही और उन्‍होंने इस बात को स्‍वीकार किया था.

          श्री हरदीपसिंह डंग-  उस समय मंत्रियों के यहां काम नहीं होते थे, दलाली चलती थी, (XXX) और यह सही बात है.

...व्‍यवधान...

          श्री तरूण भनोत-  तुम क्‍या बाथरूम के अंदर दलाली देने गये थे ?

...व्‍यवधान...

          श्री लाखन सिंह यादव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्‍यम से मुख्‍यमंत्री और गृह मंत्री जी से एक बात कहना चाहता हूं कि जिन लोगों को हमारे लोगों ने पाला-पोसा, बड़ा किया और इस लायक किया लेकिन हम इन लोगों को वह नहीं दे पाये, जो आपने दिया. जिसकी वजह से आप, आज उधर बैठे हैं और आपने आज हमारे ही प्‍यादों को हमारे सामने खड़ा कर दिया.

          श्री हरदीपसिंह डंग-  शिवराज सिंह जी, ने जो दिया वो तुम नहीं दे सकते हो. यहां हमें मान-सम्‍मान मिला है, हमें विकास मिला है. 21 अरब 64 करोड़ रुपये की सिंचाई योजना दी है, अस्‍पताल दिये हैं, सड़कें दी हैं, स्‍कूल दिये हैं और वहां तो केवल चलो-चलो था. केवल छिंदवाड़ा था.

...व्‍यवधान...

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर-  इनसे पूछो कि जब ये बसपा से कांग्रेस में आये थे तब इनको क्‍या मिला था ? तब आपको दिग्विजय सिंह जी ने क्‍या दिया था ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  यह नहीं लिखा जायेगा.

            श्री कुणाल चौधरी-  XXX

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर- XXX

            श्री लाखन सिंह यादव-  मैंने ऐसा कभी नहीं किया, जब मैं बसपा से कांग्रेस में आया तो मैंने अपने नेताओं की कभी अवहेलना नहीं की. आज तुम जिस ढंग से यहां बोल रहे हो, यह तुम्‍हारी कायरता को जाहिर करता है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आमने-सामने बात न करें.

          श्री लाखन सिंह यादव-  माननीय मुख्‍यमंत्री जी, गृह मंत्री जी मैं, आपको सचेत करना चाहता हूं कि ऐसे दो-मुंहे लोगों से सावधान रहिये. ये आगे क्‍या पता फिर आपके इधर से हमारे इधर आ जायें. यहां चर्चा चल रही है इसलिए आपको आगाह कर रहा हूं.

          श्री राकेश मावईइनका कोई भरोसा नहीं है कि कब इधर से उधर पहुंच जायें. शिवराज सिंह जी ने सही नाम दिया था विभीषण और विभीषण आज तक किसी का नहीं हुआ है.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूतमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, लाखन भाई हमारे बड़े भाई हैं. एक बार केबिनेट में मेरे पास बैठे थे, ये बोले हमसे कि गोविंद भाई ये मुख्‍यमंत्री साहब चलो-चलो क्‍या करते हैं ?  और सुनो इन्‍होंने मुख्‍यमंत्री जी से पूछा कि भाई साहब ये चलो-चलो क्‍या है. मैं सच बोल रहा हूं कि नहीं ?

...व्‍यवधान...

          श्री लाखन सिंह यादव-  आप मेरे भाई हैं, बिलकुल ठीक बोल रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये हम दो भाईयों बात आपके इशारे पर यहां बोल रहे हैं, मैं आपको बधाई देता हूं. आपने हमारे ही भाईयों को हमारे खिलाफ खड़ा कर दिया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, कहना चाहता हूं कि राजनीति की स्‍टाइल यहां जो दो महापुरूष बैठे हैं, इनसे सीखना चाहिए. जब मंच पर बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि राम-राज्‍य यहीं उतर आया हो. भारतीय जनता पार्टी हमेशा भगवान राम और गौ-माता पर राजनीति करती रही है और जब कमलनाथ जी की सरकार बनी और मुझे पशु पालन विभाग मिला तो मैंने जब पहली मीटिंग अपने विभाग की ली, मैंने ये देखा और उस मीटिंग में हमारे अधिकारियों ने बताया. मैंने कहा कि हमारा निराश्रित गौवंश इस धरती पर घूम रहा है यह कितना है और उससे पूर्व में कितना है और उससे पूर्व में कितना था तो उन्‍होंने उस समय कहां जब उस समय मैं पहली मीटिंग लिया था तब की बता रहा हूं. उस समय उन्‍होंने कहा कि इस समय मध्‍यप्रदेश में निराश्रित गौवंश जिसका इस धरती पर कोई धनी धोरी नहीं है ऐसा निराश्रित गौवंश 7 लाख के करीब इस मध्‍यप्रदेश में घूम रहा है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको एक मोटा-मोटा डेटा बता देता हूं कि उस समय मध्‍यप्रदेश में सबसे ज्‍यादा यदि अधिक निराश्रित गौवंश था तो सतना में 85 हजार गौवंश था. य‍ह मध्‍यप्रदेश का सबसे बड़ा जिला था जिसमें सबसे ज्‍यादा 85 हजार गौवंश था. इसके नीचे क्रम से सबसे छोटा हमारा 134 निराश्रित गौवंश था वह अलीराजपुर मे था. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब मैंने हमारे अधिकारियों से पूछा कि यह हमारा निराश्रित गौवंश है इसके लिए हम क्‍या कर रहे हैं तो उन्‍होंने कहा कि हम लोग इनको  3 रुपए प्रति केटल प्रतिदिन के हिसाब से दे रहे हैं तो मैंने कहा कि 3.32 पैसे एक पशु के लिए निराश्रित गौवंश के लिए यह तो बहुत कम पैसा है. उस दिन मुझे लगा कि भारतीय जनता पार्टी की  सरकार पिछले 15 साल से माननीय मुख्‍यमंत्री जी जो हमेशा किसान हितैषी, नर्मदा की भक्‍त जैसा कि अभी ओमकार जी बता रहे थे और भारतीय जनता पार्टी हमेशा गौमाता पर राजनीति करती है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि मैंने पहले ही दिन जब बैठक ली तो पहले ही दिन इसे 3 रुपए 32 पैसे से बढ़ाकर 20 रुपए प्रति केटल प्रति दिन के हिसाब से किया. यह कमलनाथ जी की सरकार थी और माननीय अध्‍यक्ष महोदय जब हमने कहा कि इस प्रदेश में हमारा 7 लाख निराश्रित गौवंश घूम रहा है जो जिस किसान के खेत में पहुंच जाता है तो किसान का पूरा खेत का सफाया कर देता है. ऐसे निराश्रित गौवंश को आदरणीय कमलनाथ जी ने पहले फेज पर 1 हजार गौशाला देने का काम किया. हमने गौशाला बनाकर तैयार की और जब हम सेकेण्‍ड फेज में और 3 हजार गौशाला देने वाले थे तब तक हमारे (XXX) भाइयों ने हमारी सरकार गिरा दी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जाए. 

          श्री लाखन सिंह यादव-- हमारी सरकार गिरी तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि उस समय एक हजार गौशाला हमने पहले फेज में दी. आज आप कहीं भी जाकर पूरे प्रदेश में चेक कर लीजिए कि गौशाला में एक भी गाय नहीं हैं. हमने उनके सरपंचों को उनके संरक्षण के लिए कहा था लेकिन जब से आज दिनांक तक कहीं भी किसी भी गौशाला में एक रुपए का भी इन्‍होंने फण्‍ड नहीं भेजा है. अभी एक बड़ा घोटाला हमारे प्रदेश में हुआ है. हमारे प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला..

          अध्‍यक्ष महोदय-- लाखन सिंह जी समाप्‍त करें. अंतिम करें.

          श्री लाखन सिंह यादव-- अध्‍यक्ष महोदय, अभी आगर मालवा में जो हमारे देश का सबसे बड़ा गौअभ्‍यारण्‍य था वह अभ्‍यारण्‍य भी इन्होंने बड़ी-बड़ी कंपनियां बेचने का काम ..

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप अपना भाषण समाप्‍त करें.

          श्री लाखन सिंह यादव-- अध्‍यक्ष महोदय, हजारों गाय मरी हैं और उसको 71 रुपए प्रति‍ केटल दिन के हिसाब से राजस्‍थान के पथमेढ़ा को बेच दिया. मैं आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहता हूं कि जो हमारे देश का सबसे पहला अभ्‍यारण्‍य था सालरिया जो आपने बेचा उसको वापस लिया जाए यह मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है नहीं तो मैं बता रहा हूं कि जिस गाय के लिए आपने इतना किया है मुझे लगता है कि गाय की हाय से फिर आप लोग इधर आ जाएंगे.

          श्री विनय सक्‍सेना-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने संजू भैया को 20 मिनट दिए हैं हमको 15 ही दे देना और जो टोका-टाकी है उसे मत जोड़ना.

          अध्‍यक्ष महोदय-- टोका-टाकी को काट देंगे.

            श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री की तारीफ में बहुत से कसीदे पढ़े जा रहे हैं जबकि अविश्वास उनके ही खिलाफ है, उनके मंत्रिमंडल के खिलाफ है. भारतीय जनता पार्टी के वो मंत्री जो कुछ दिन पहले हमारे यहां से गए वे वर्तमान मुख्यमंत्री की तारीफ करने की बजाए पूर्व मुख्यमंत्री की कमियां निकाल रहे हैं. जबकि कांग्रेस के सभी विधायक गवाह हैं कि जब भी हम मंत्रियों के पास कांग्रेस शासनकाल में गए हैं तो एक भी काम यह मंत्री नहीं करते थे और आज यह आलोचना कर रहे हैं. मैं माननीय मंत्रियों से एक आग्रह करना चाहता हूँ. जन सेवा की बात अभी संजू भाई कर रहे थे. मध्यप्रदेश विधान सभा का रिकार्ड उठाकर देख लीजिए. गरीब आदमी के परिवार का सदस्य जिसकी तबियत खराब होती है और माननीय विधायक लोग माननीय मुख्यमंत्री जी को इस आशय का पत्र लिखते हैं कि वे हमारे प्रदेश के मुखिया हैं, हमारे सदन के नेता हैं. एक भी कांग्रेस के विधायक के लेटर पेड पर मध्यप्रदेश के एक भी गरीब के इलाज के लिए एक रुपए की राशि जब से भाजपा की सरकार बनी है, अगर एक रुपए की भी राशि दी हो तो जो कहें मैं उस बात को इस सदन में स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ. जो मुख्यमंत्री गरीबों में भेदभाव करता हो. बीमार आदमी के बारे में कहा जाता है कि भगवान उसकी रक्षा करते हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री यदि उसमें भी भेदभाव करते हैं तो कैसे सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं. तारीफ करना बहुत आसान है, काम करना बड़ा कठिन है.

          अध्यक्ष महोदय, मैं एक और महत्वपूर्ण बात करना चाहता हूँ. प्रदेश के पैसे की कैसे बर्बादी हो रही है उसकी बानगी मैं बताना चाहता हूँ. माननीय मुख्यमंत्री जी पूरे समय ऐरोप्लेन का यूज करते हैं लेकिन मध्यप्रदेश का जो नया प्लेन 65 करोड़ रुपए में खरीदा गया लापरवाही से उसका इंश्योरेंस न होने से जनता का राशि का नुकसान हुआ. आज मध्यप्रदेश में आप एक स्कूटर, मोटर साइकिल खरीदने जाओ तो बिना इंश्योरेंस और आरटीओ के आप शोरुम से बाहर नहीं निकाल सकते हैं. लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके शासन के अधिकारियों की गलती से 65 करोड़ रुपए का वह नया प्लेन जिसका लापरवाही से उसका इंश्योरेंस नहीं कराया गया वह बर्बाद हो गया. सरकार नया प्लेन नहीं खरीद पा रही है. 26 करोड़ रुपए यात्राओं पर खर्च कर चुके हैं. आने वाले साल में यह व्यय 50 करोड़ रुपए का हो जाएगा. इस तरह की होली प्रदेश में जनता के पैसे की हो रही है लेकिन एक गरीब का 20 हजार रुपए का बिल पास नहीं किया जाएगा तो यह कैसी जनसेवा, कैसा सुशासन है. मैं नगरीय कल्याण के कुछ मुद्दों पर ध्यान दिलाना चाहता हूँ. इस प्रदेश में नगरीय निकाय में जेएनएनयूआरएम के तहत 2000 करोड़ रुपए की राशि जबलपुर शहर को मिली थी. प्रदेश सरकार को 20 प्रतिशत राशि मिलाना थी. इन्दौर को 4000 करोड़ रुपए मिला था, भोपाल को 3000 करोड़ रुपए मिला था. ऐसे ही ग्वालियर और सागर को मिला था. लेकिन स्मार्ट सिटी के नाम पर मात्र 100 करोड़ रुपए साल देकर सरकार ऐसे पीठ थपथपा रही है माननीय प्रधानमंत्री जी का नाम लेकर जैसे कोई बहुत बड़ा उपकार कर दिया हो. यह स्मार्ट सिटी अरबन मिनिस्ट्री का पैसा है किसी की व्यकितगत जागीर नहीं है. इसमें 50 प्रतिशत राशि किसको मिलानी है, प्रदेश सरकार को. माननीय मनमोहन सिंह जी के समय मात्र 20 प्रतिशत राशि मिलाना थी. लेकिन ढिंडोरा ऐसे पीट रहे हैं कि बहुत बड़ा काम कर रहे हैं. माननीय मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहता हूँ कि पूरे शहरों में डस्ट बिन की चिप लग रही है. 10-10 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है. लेकिन एक भी डस्ट बिन काम नहीं कर रही है. पूरी राशि ठेकेदारों की जेब में चली गई. उनके माध्मय से ऊपर तक आ गई. मैं जो कह रहा हूँ वह अकाट्य् प्रमाण के साथ कह रहा हूँ. डस्ट बिन की चिपें गायब हो गईं. डस्ट बिन गायब हो गए, पूरे प्रदेश का यही हाल है. एक और नई योजना चली डोर टू डोर की. जबलपुर सहित इंदौर, भोपाल सभी शहरों में. जो डोर टू डोर की चिप लगी थी वह भी गायब है. इसमें भी करोड़ों रुपए खर्च हो गए. फाइल ट्रेकिंग सिस्टम आया. जिसमें यह था कि नगर निगम में कहां पर फाइल पड़ी है वह ट्रेक हो जाएगी, कम्प्यूटर से पता चल जाएगा. यह पूरा सिस्टम फेल हो गया. नगर निगम में डीजल चोरी बचेगी, ट्रकों और गाड़ियों में ट्रेकिंग सिस्टम लगाया जाएगा. करोड़ों रुपए खर्च हो गया लेकिन सब सिस्टम फेल कर दिया गया. हम कहते हैं कि हमारे प्रदेश में बहुत अच्छा काम चल रहा है. यह जो जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है यह किसकी जेब में जा रहा है. लोकतंत्र की बात तो भारतीय जनता पार्टी करे नहीं. स्मार्ट सिटी में एक भी पार्षद, एक भी विधायक, एक भी सांसद एक भी मंत्री,  मैं तो यहां तक कहना चाहता हूँ कि जो प्रदेश के मंत्रिमंडल के सदस्य हैं वहां कलेक्टर इनके पिताजी बनकर बैठते हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित किया जाए.

          श्री विनय सक्सेना -- यह गलत कह रहा हूँ तो ऑन द रिकार्ड चेक कर लो. पहले तो झूठ बोला तब गोल कराया था आपने. यह क्या तरीका है, लोकतंत्र को आप बर्बाद कर रहे हैं कि हम कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- यह दोनों विलोपित किया जाए.

          श्री विनय सक्सेना -- हो सकता है मैंने गलत बोला हो उसको आप हटा दें. मैं इसमें नहीं पड़ने वाला लेकिन प्रदेश में कलेक्‍टर के ऊपर जनप्रतिनिधि हैं. हमारा जो प्रोटोकॉल है उसमें दिया रहता है कि कलेक्‍टर के सामने, पीएस के सामने विधायक की क्‍या स्‍थिति है लेकिन सांसद भी नहीं बैठ सकता उस बैठक में. यह स्‍मार्ट सिटियों के हाल हैं. मैं यह भी कहना चाहता हॅूं कि पूरे प्रदेश में हमारे इंदौर को नंबर वन आपने जरूर दे दिया लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी प्रदेश में पूरे वार्डों में जहां 50 प्रत्‍येक वार्ड दिये गये हैं किसी भी वार्ड में माननीय मंत्री जी, अगर आधे से ज्‍यादा कर्मचारी काम कर रहे हों और सब जगह आउटसोर्स का सिस्‍टम है. पूरे प्रदेश की नगर निकायों में चाहे उद्यान विभाग हो, चाहे सिक्‍योरिटी के नाम पर, फॉयर ब्रिगेड के नाम पर, कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर के नाम पर जितने घोटाले हो रहे हैं, यह राशि कहां जा रही है. आप सरकारी नौकरी देते नहीं हैं लेकिन ढिंढोरा पीट रहे हैं कि सरकार 1 लाख नये पद ला रही है. अगर 1 लाख नये पद ला रही है तो आउटसोर्सेज क्‍यों हो रहा है. बताइए, हर जगह सिस्‍टम. 1 लाख कर्मचारियों में भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कह दिया था कि उसमें भी आउटसोर्स सिस्‍टम चालू होगा तो आपकी सरकार क्‍या कर रही है. बेरोजगार अगर आउटसोर्स में जाएगा तो एक इंजीनियर को भी 5 हजार रूपए की तनख्‍वाह मिलेगी तो सरकार नौकरी दे रही है या दूसरी प्राइवेट एजेंसी का नौकर बना रही है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे यह भी कहना चाहता हॅूं कि मध्‍यप्रदेश में पूरे शहरों में एलईडी लाईट्स की खरीदी हुई. मैं माननीय मंत्री जी का ध्‍यान आकर्षण कराना चाहता हॅूं कि जितनी हजारों एलईडी लाईटें हर शहर में खरीदी जा रही हैं तो निकली हुई सोडियम लाईटें कहां जा रही हैं. यह अपने आप में एक गंभीर विषय है. अगर मंत्री जी इस पर गौर करें कि हर शहर में जितनी सोडियम लाईटें निकलीं, 4-4, 5-5 हजार, यह लाईटें गईं कहां. यह लाईटें किसने बेचीं. किस नेता के घर चली गईं या कबाड़ का पैसा किसने खाया, यह भी एक विचारणीय प्रश्‍न है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे यह भी कहना चाहता हॅूं कि सभी शहरों की खरीदी जो है चाहे जेसीबी मशीन हो, चाहे ट्रक हो या मशीनरी हो, सबको सेंट्रल परचेसिंग होने लगी है और सबमें परचेसिंग में 20 परसेंट कमीशन का खेल इस प्रदेश में चल रहा है. मैं आपसे माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह भी कहना चाहता हूँ कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी कल परसों की कैबिनेट बैठक में एक नया नियम ले आए. एक तरफ आप प्रदेश की सम्‍पत्‍ति बेच रहे हो. महिलाओं, बहनों तक को जमीन की रजिस्‍ट्री में शुल्‍क देना पड़ता है, लेकिन एक तरफ प्रदेश की जो सरकारी सम्‍पत्‍ति बेची जा रही है उसमें जो बडे़-बडे़ व्‍यापारी खरीद रहे हैं जो सत्‍ता से जुडे़ हुए हैं, उनको रजिस्‍ट्री शुल्‍क से माफ किया जा रहा है. उनको रजिस्‍ट्री शुल्‍क नहीं देना पडे़गा, ये प्रदेश में लूट का नया तरीका कैसे निकल गया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं चाहता हॅूं कि इस बात का जवाब जरूर लिया जाए. इसको गौर फरमाइए. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस बात पर गौर फरमाइएगा. प्रदेश में तो सरकारी सम्‍पत्‍ति बिक रही है उसको रजिस्‍ट्री शुल्‍क से फ्री कर दिया ठेकेदारों और बडे़ व्‍यापारियों को. एक गरीब आदमी मकान बनाएगा, उससे 10 परसेंट शुल्‍क लेते हैं रजिस्‍ट्री का, लेकिन जो सरकारी सम्‍पत्‍ति खरीदेंगे, उनको रजिस्‍ट्री से छूट दे दी गई. यह अपने आपमें एक इतनी बड़ी विडंबना है जिस पर रोक लगनी चाहिए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस प्रदेश में माननीय मुख्‍यमंत्री जी के द्वारा 15 हजार 652 घोषणाएं की गईं और 159 योजनाएं नस्‍तीबद्ध कर दी गईं. आदरणीय डॉ.नरोत्‍तम मिश्र जी बोल रहे थे कि माननीय कमल नाथ जी की कई घोषणाएं पूरी नहीं हुईं तो क्‍यों न उन पर धारा 420 लगाई जाए. आप तो ऑन द रिकार्ड हो, कि 169 आपने नस्‍तीबद्ध कर दीं तो क्‍यों न माननीय मुख्‍यमंत्री जी से डॉ.नरोत्‍तम मिश्र जी धारा 420 की बात करेंगे. हिम्‍मत है. मैं यह बोलना चाहता हूँ. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हॅूं कि हमारे जितने भी कैबिनेट के मंत्री उस समय हमारी सरकार के थे, आदरणीय गोविन्‍द सिंह जी, आदरणीय प्रद्युम्‍न सिंह तोमर जी, आदरणीय सिलावट भैया, आदरणीय प्रभुराम चौधरी जी. आदरणीय डॉ. प्रभुराम चौधरी जी के पास में मैं कभी गया, शिक्षा विभाग के ट्रांसफर के लिये, तो बोले मेरे हाथ में कुछ नहीं है. मैं माननीय कमल नाथ जी के पास गया तो बोले नहीं, बहुत गड़बड़ चल रही है वहां, इसलिए मैंने रोक लगा दी. वह सब कारण कोई नहीं बताएगा. सबने माननीय कमल नाथ जी की बुराईयां निकाल दीं. माननीय गोविन्‍द सिंह राजपूत जी के पास एक पटवारी के ट्रांसफर के लिए गया था, यार उसको मिलने भेजो, वह आया ही नहीं अभी तक. अब अगर ऐसे मुद्दे सामने लाओगे और बुराई माननीय कमल नाथ जी की करोगे. (श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत, राजस्‍व मंत्री जी के कुछ कहने पर) अब आप मत ही बोलो. आपने कहा था कि अपने समय बोल लेना. मैं पटवारी लेवल के ही भेजा था. अच्‍छा ठीक है, यह तो आरटीओ के ट्रांसफर करते थे मतलब...(हंसी)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय कमलनाथ जी की जितनी बुराईयां इन्‍होंने की हैं, काम इनके क्‍यों नहीं करते थे, इसके पीछे कारण सिर्फ यही है कि माननीय कमल नाथ जी इनकी जो गड़बड़ियां थीं, उसको रोकने का काम किया और जिसके कारण इनको तकलीफ होती थी और उसका नुकसान और खामियाज़ा इनको भुगतना पड़ा है. यह पूरे कांग्रेस के विधायक इस बात को बता देंगे. मैं दो मिनट और लूंगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोग कहते हैं कि सदन का नेता सबका होता है. यह कहते हैं कि अविश्‍वास प्रस्‍ताव क्‍यों ले आते हो, अगर सदन का नेता सबका होता है. तो माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने सरकार बनने के बाद कभी किसी कांग्रेस के विधायक को और भाजपा और कांग्रेस के सभी विधायकों को एक साथ अपने यहां कभी पानी पीने बुलाया. ये सभी 230 विधायकों को कभी एक साथ बुलाया कि कर्टसी में बुला लो, औपचारिकता में बुला लो. लक्ष्‍मण सिंह जी, आप सही कह रहे थे, अरे काम मत करते, आपकी तो आदत है गले में हाथ डालकर प्‍यार से टहला देते हैं, अपने मंत्रियों तक को टहला देते हैं, अगर इतना भी करते तो लगता कि चलो पहचानते हो, जानते हो.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूँ कि प्रदेश में बेरोजागारी के बहुत बुरे हालात हैं. पद निकाल देते हैं, उसको हाई कोर्ट में स्‍टे करा देते हैं. जितने करोड़ रुपये व्‍यापम और इनका जो कर्मचारी चयन मण्‍डल है, जितना वह फीस से कमाता है, उतनी भी नौकरियां नहीं दे रहा है और बहाने कर रहे हैं 2023 का चुनाव आएगा, तब फिर ये पद निकालेंगे और हाई कोर्ट से स्‍टे कराएंगे. आप रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिए. किसी कर्मचारी की सुनवाई नहीं है. 1 लाख 53 हजार स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारी कल धरने पर बैठे थे, जिन पर लाठी चल रही है. यह पूरे प्रदेश के हालात हैं. तारीफ करना, ताली बजाना, पीठ थपथपाना मंत्री जी लोग कर सकते हैं, लेकिन वास्‍तविकता जो प्रदेश की है, वे यह खुद भी जानते हैं. इतना ही मैं कहना चाहता हूँ. अध्‍यक्ष जी, आपका धन्‍यवाद.

8.17 बजे                                 अध्‍यक्षीय घोषणा

माननीय सदस्‍यों के भोजन विषयक

          अध्‍यक्ष महोदय -- अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर अभी तक लगभग 8 घण्‍टे चर्चा हो चुकी है. विपक्ष एवं पक्ष की ओर से काफी सदस्‍य विस्‍तार से चर्चा कर चुके हैं. शेष सदस्‍यों से अनुरोध है कि पुनरावृत्‍ति न कर संक्षेप में अपनी बात रखकर चर्चा पूर्ण करने में सहयोग करें.

          माननीय सदस्‍यों के लिए भोजन की व्‍यवस्‍था लॉबी में की गई है, माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्‍ट करें.

 

 

 

8.18 बजे                 मंत्रि-परिषद् के प्रति अविश्‍वास प्रस्‍ताव (क्रमश:)

          औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्‍साहन मंत्री (श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव) - - सम्‍माननीय माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे विपक्ष के एक साथी ने प्रधानमंत्री जी का नाम लिया. उन पर एक अशोभनीय टिप्‍पणी भी की. मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि वहां तक कभी नहीं पहुँच पाएंगे. जिस पार्टी और दल का नेता अपनी परम्‍परागत पैतृक सीट पर हार गया हो, उसकी बदहाली ये स्‍वयं बयान करता है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- ऐसी बात मत करो जो उछलकर आप पर आए. ऐसी बात मत करो, फिर सिंधिया जी का नाम आएगा. एक प्‍यादे से हार गए.

          श्री महेश परमार -- मंत्री जी, शिवपुरी, गुना में क्‍या हुआ.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक कहावत है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती.

8.18 बजे                 (सभापति महोदय {श्री देवेन्‍द्र वर्मा} पीठासीन हुए)

          सभापति महोदय, जब पूरा घटनाक्रम हुआ, गोविंद भाई ने तो काफी बातें बताईं, जहां ये छोड़ गए हैं, वहां से शुरू करता हूँ. जब ये घटनाक्रम हुआ तो मुझे बहुत से मित्रों ने पूछा कि एक बात तो बताओ कि फर्क क्‍या है भाजपा और कांग्रेस में, आप कैसा महसूस कर रहे हैं और फर्क क्‍या है दोनों मुख्‍यमंत्रियों की कार्यशैली में. आप कैसा महसूस कर रहे हैं. मैं जब उधर था तो तब भी खुलकर बोलता था, इधर हूँ, तब भी खुलकर बोलता हूँ. मैंने कहा साहब, मैंने तो दोनों से सीखा और दोनों का आभारी हूँ. मेरे स्‍वर्गीय पिताजी कहा करते थे कि क्षत्रीय का धर्म होता है जो शरण में आए, उसे संरक्षण दें, उसकी रक्षा, सुरक्षा करें. जो गलती मान ले, गलती स्‍वीकार ले, उसे माफ कर दें. इनमें ये दोनों गुण नहीं हैं. कमलनाथ जी से मैंने सीखा टाइम मैनेजमेंट कैसा होता है. इसमें उनकी महारत है, निस्‍संदेह महारत है. देश के शीर्ष नेतृत्‍व में वे रहे हैं. लंबे समय तक दस बार सांसद रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री भी रहे है. तमाम बड़ी बातें हैं. ग्‍लोबल लीडर हैं. उसमें किसी ने मुझसे सवाल पूछा था, मैंने कहा, है दोनों में बड़ा अंतर, यहां पर ऐसा मुख्‍यमंत्री आज हमारे पास में है, जिससे सीखने, समझने और जानने का मुझे अवसर मिल रहा है भारत का भाव क्‍या है. जय जननी, जन्‍मभूमि का भाव क्‍या है. सर्वस्‍व न्‍यौछावर कर देने का भाव क्‍या है.अब मैं ऐसे मुख्‍यमंत्री के साथ काम कर रहा हूं जिसको उसके क्षेत्र में पांव-पांव वाले भैया के नाम से जाना जाता है. जो उस गर्भ से निकला है जिसने गरीबी देखी है, मुफ्लस़ी देखी है, भूख देखी है, प्‍यास देखी है, पीड़ा देखी है, दर्द देखा है. चिलचलाती धूप में, सर्द रातों में, दिन सुबह, सवेर, समय नहीं देखा सिर्फ सेवा देखी है और उस धरा से उठाकर जन आशीर्वाद से शीर्ष पर आज बैठा है और जो ईर्ष्‍या करे करता रहे, हम क्‍या पता और ऐसा अंतर है और एक दूसरा अंतर दोनो पार्टियों में है और इस बात से इस सदन में कभी कोई इंकार नहीं कर पाया. वहां व्‍यक्तिवाद हावी है, यहां पर राष्‍ट्रभाव से राष्‍ट्र निर्माण के लिए अंत्‍योदय का ध्‍येय रखने के लिए कार्यरत हमारा एक एक कार्यकर्ता और जब मैं कार्यकर्ता कहता हूं तो मुख्‍यमंत्री भी पार्टी का वैसा ही कार्यकर्ता है जैसे हमारा बूथ का अध्‍यक्ष है और हमारे भाइयों ने कोरोना काल की बात की, कोरोना काल के दौरान मेरे पास दो जिले थे धार और अलीराजपुर और उस वक्‍त मुझे याद है वैश्विक महामारी थी ईश्‍वर कभी हमें ऐसा समय न दिखाये मेरे जीवनकाल में पहली बार मैंने ऐसा समय देखा. उस वक्‍त हमारे शीर्ष नेतृत्‍व ने हमसे एक आह्वान किया था. हमारे सभी जितने भी वरिष्‍ठ, कनिष्‍ठ कार्यकर्ता पदाधिकारी थे सबको एक ही आदेश था हमें सिर्फ और सिर्फ एक भाव से कार्य करना है और वह भाव है सेवा ही संगठन का भाव. जहां आज के युग मे, आज के जमाने में भाई भाई की नहीं सुनता, बेटा बाप की नहीं सुनता, एक ऐसा व्‍यक्तिव हमारे देश में, हमारे पास में है जिसने एक बार आह्वान किया और पूरे देश ने जनता कर्फ्यू लागू किया. हमारे प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने कहा आपदा का अवसर है हम सबको इसमें कार्य करना है और हमारा कार्यकता आपको हर जगह दिखा होगा. चाहे भोजन की व्‍यवस्‍था करनी हो, चाहे इलाज कराना हो, चाहे किसी को ले जाना हो, चाहे बाहर से मजदूर आ रहे हों उनको जूते, चप्‍पल, कपड़े, खाना हर चीज हमारा कार्यकर्ता तन मन धन से सेवारत् था. मुझे पता नहीं हमारे मित्र क्‍या कर रहे थे और कहां थे लेकिन एक बात जरूर मुझे उस वक्‍त भी बुरी लगी और आज मैं आप सबसे कहना चाहता हूं उस वक्‍त कम से कम राजनीति नहीं होनी थी. उस महामारी में राजनीति नहीं होनी थी, आलोचना नहीं होनी थी, हमारा आदमी काम कर रहा था, सरकार काम कर रही थी और इस मॉडल की सराहना पूरे देश में, विश्‍व में हुई है, मुख्‍यमंत्री जी ने क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी बनाई और वह क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटीज़ न सिर्फ जिले में थीं, ब्‍लॉक्‍स स्‍तर तक थीं, वह वार्ड में थी, वह पंचायतों तक गई और उन्‍हीं का परिणाम था कोई भी सरकार ऐसी महामारी से नहीं लड़ सकती असंभव है जनता के सहयोग के बिना. उसी का परिणाम था कि जनभागीदारी हुई और जनता कर्फ्यू लागू हुआ. हमने संक्रमण को रोका, कॉन्‍ट्रेक्‍ट ट्रेस किए, कट किए और हम उससे उभर पाए.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ -- दत्‍तीगांव भाई, असत्‍य की भी एक सीमा होती. अगर उस समय के आप अखबार देख लेंगे, शमशानों में कितनी लाशें जल रही थीं, लोग रो रहे थे.

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- टीवी चैनल दिखा रहे थे.        

डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ -- टीवी चैनल दिखा रहे थे, ऑक्‍सीजन नहीं मिल रही थी. रेमडेसिविर नकली मिल रहे थे.

श्री राजवर्द्धन सिंह दत्‍तीगांव -- मैं आपको जो बता रहा हूं यथार्थ है, आप उसमें निगेटिविटी देख सकते हैं.

डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ -- रेमडेसिविर नहीं मिल रहे थे, शमशानों में लाशें जल रही थीं वह आपको सब दिखाई नहीं दिया. 

सभापति महोदय -- माननीय सदस्‍य महोदय, माननीय मंत्री जी अपनी बात रख रहे हैं आपका समय आएगा तब आप अपनी बात रखिएगा. ..(व्‍यवधान)...

डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ -- चश्‍मा लगाए हुए थे. चाटुकारिता की भी एक सीमा होती है. उतना ही बोलो जो सत्‍य हो. लोग लाशों को लेकर शमशान में इंतजार कर रहे थे. ऑक्‍सीजन नहीं मिल रही थी.

श्री राजवर्द्धन सिंह दत्‍तीगांव -- हमारे मुख्‍यमंत्री जिनके लिए तरह तरह की बातें कही जा रही हैं लेकिन वह संकल्‍प के साथ आगे बढ़ रहे हैं...(व्‍यवधान)..

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- लोग 10-10 घंटे लाश जलाने का इंतजार कर रहे थे. भयावह स्थिति थी. शमशान घाटों में 10 घंटे की वेटिंग थी. कब्रिस्‍तान में जगह नहीं दफनाने की. वह दृश्‍य आपने देखा है. श्री राजवर्द्धन सिंह जी, वह दृश्‍य आपने देखे हैं. ..(व्‍यवधान).. गंगा में लाश बह रही है, नर्मदा में लाश बह रही है. यह दृश्‍य भी बोलो.  

डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - जो लोगों ने सहा है वह बोलो.

श्री पी.सी. शर्मा - उस काल की तारीफ मत करो.

डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - चाटूकारिता उतनी करो, जितनी हजम हो जाय.

श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव - मैं अपने मित्रों से निवेदन करना चाहता हूं सभापति महोदय, देखिए, यह राजनीति कर रहे हैं. मैंने अभी आग्रह निवेदन किया कि वह वैश्विक महामारी थी, वह किसी ने लाई नहीं थी, वह आई थी और जब महामारी आती है तो पक्ष, विपक्ष का धर्म होता है कि एकमत होकर वह उसको हराएं.

सभापति महोदय - श्री सज्जन सिंह वर्मा जी आप आपस में बातें मत करिए. जब आपका समय आएगा तब आप बोलिएगा.

श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव - मैं विपक्ष के साथियों से कहना चाहता हूं.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - राजनीति की किसने है? जो आप कह रहे हो कि राजनीति नहीं करना चाहिए.

(व्यवधान)..

डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - उस समय तो आप सरकार गिराने में लगे हुए थे. अगर वक्त पर चेत जाते तो इस देश में कोरोना नहीं आता.

(व्यवधान)..

श्री सज्जन सिंह वर्मा - उस समय तुलसी भाई कहां थे, उस समय स्वास्थ्य मंत्री कहां थे?

श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव - मैं हर बात का जवाब दूंगा. आप चिंत न करिए, आप विराजिए. आपकी हर बात का जवाब दूंगा. आप बैचेन न हों. व्याकुलता अच्छी नहीं होती है स्वास्थ्य के लिए. आप मेरे पिताजी के उम्र के हैं. अपने हृदय को आराम दें.

श्री गोविन्द सिंह राजपूत - आप पिताजी के उम्र के नहीं हैं. यह विलोपित करिए. यह तो हमारे दोस्त हैं, अभी युवा है. अभी सज्जन भाई की उम्र ही क्या है.

श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव - हमारे हम उम्र हैं.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - हम लोगों की दोस्ती रही है, यह बात सही बोल रहे हैं.

श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव - सभापति महोदय, श्री सज्जन सिंह वर्मा जी का मैं बहुत सम्मान करता हूं. यह जानते हैं कि इनके जमाई भी अभी थोड़ी देर पहले विराजमान थे, वह पधारे हैं, वह भी जानते हैं. श्री सज्जन सिंह वर्मा जी जानते हैं कि मेरे मन में उनके लिए कितना सम्मान है. हम दोनों की बहुत सी बातें हमारे बीच में सदैव रहेंगी. मैं वहीं पर आ रहा हूं, उस वक्त चुनाव अभियान समिति का गठन हुआ. चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष बनाए गए श्री सिंधिया जी, अब इसलिए बनाए गए वह बात गोविन्द भाई ने कही, नौजवान चेहरा था, लोकप्रिय थे. ऊर्जावान थे, जब चुनाव अभियान समिति की बैठक हुई उसमें श्री गोविन्द सिंह राजपूत जी भी थे, सब तमाम लोग थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री जी भी थे. सभी सदस्य लोग वहां विराजमान थे तो जैसा आप कह रहे थे. घोषणा पत्र पर चर्चा हो रही थी, यह भी डाल दिया जाय तो श्री सिंधिया जी ने उनसे प्रश्न किया कि साहब, ये सब चीजें उसमें डाल रहे हैं क्या आपके पास में उसका बजट एस्टिमेशन है तो वही क्या फर्क पड़ता है, चुनाव होने वाला है. अब यह बात मुझे तब याद आ गई जब बजट भाषण होना था तत्कालीन सरकार का. मेरे पास संदेशा आया कि आपको बजट पर बोलना है. डॉ. नरोत्तम मिश्र जी ने बोला था और उस वक्त मैं कांग्रेस की तरफ से बोला था. मुझे एक एक आंकड़ा उस बजट का याद है. मैंने पूरा बजट पढ़ा था. अब जिन बातों की बात यह कर रहे थे. श्री सिंधिया जी की बात, उस बात पर तो मैं बाद में आऊंगा. उस बजट के आंकड़ें में जो तमाम बातें थी, उनमें जो घोषणा पत्र था. आवास का अधिकार, अब आवास के अधिकार की बात तो की, लेकिन आप बताइए कि मैचिंग ग्रांट ही नहीं दी गई, ग्रामीण मध्यप्रदेश में एक भी आवास न दे पाए. हमारे मुख्यमंत्री आए, प्रधानमंत्री आए  10 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया. 31 लाख आवास हम मध्यप्रदेश में देने जा रहे हैं. (मजों की थपथपाहट)..उसके बाद रोजगार भत्ते की बात कही, रोजगार भत्ता इन्होंने नहीं दिया. इन्होंने महिला समूह को वायदा किया, उसकी कर्जमाफी नहीं की. हमारे मुख्यमंत्री आए, मात्र 2 परसेंट प्रति वर्ष से  उनको हम पैसा दे रहे हैं. अभी कुछ समय पहले एक सेवा पखवाड़ा चलाया गया. 33 हितग्राही योजनाओं में हम लोगों ने घर घर जाकर लोगों की मदद की और पहली बार शायद ऐसा हुआ है कि हितग्राहियों को उनका हक और अधिकार मिला. हमारी एक ऐसी सरकार है सभापति महोदय जो जीवन से परण से मरण तक हमारे मध्यप्रदेश के लोगों का ध्यान रखती है. जब बच्चा जन्म लेता है, बच्चा बढ़ा होता है, उसकी चाहे कोचिंग हो, फीस हो, पढ़ाई हो, लिखाई हो, जब शादी होती है,  तो  मुख्यमंत्री कन्यादान का पैसा फिर मिलता है और उसके बाद में सम्बल योजना की सहायता  हम फिर उन बच्चों को करते हैं.  ऐसा  समय जब कोई भी खड़ा न हो, तो  हमारी सरकार सहायता करती है.  एक और जब जन धन योजना  के खाते खुलवाये हमारे प्रधानमंत्री जी ने तो बड़ा उपहास हुआ.  लेकिन  जन धन योजनाओं के माध्यम से ही  आज  लाभ मिलता है  और चाहे एक्सीडेंट हो, चाहे  मृत्यु हो जाये.  कुछ थोड़ा सा पैसा  कट जाये तो पैसा  मिलता है.  एक और योजना,  जिसके बारे में बार बार प्रदेश की जनता को भ्रमित  किया जा रहा है,कर्ज माफी योजना.  मंदसौर की उस सभा में  मैं मौजूद था. जहां पर इनकी पार्टी  के  नेता ने कहा  कि 10 दिन  और गिनकर कहा कि 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10  और उन्होंने कहा कि  अगर 11वें दिन तक कर्जा  समूचे किसानों का  समूचा कर्जा  माफ  न हुआ, तो मुख्यमंत्री बदल दूंगा.  (व्यवधान) इतने  सारे विद्वान सदस्य विराजमान हैं,  इनमें से एक भी सदस्य   मुझे बता दें. ..(व्यवधान)..

                   सभापति महोदय-- जितु जी, आप बैठें, आप अपनी बात कर चुके हैं.  आप बैठ जायें.  आप अपने समय में अपनी पूरी बात रख चुके हैं. ..(व्यवधान).. कृपया सब लोग बैठ जायें.  उनको बोलने दीजिये.  उनको अपनी बात रखने दीजिये.

..(व्यवधान)..

                   श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव -- सभापति महोदय,  मैं नरोत्तम मिश्र जी की बात का  समर्थन करते हुए कहता हूं कि  इनमें से एक भी सदस्य   समूचे मध्यप्रदेश  के एक   व्यक्ति का भी नाम, एक खाते का नम्बर दे दें,  जिसमें एक भी रुपया कर्जा माफी का  10वें दिन डला हो.  एक भी नाम दे दें.

..(व्यवधान)..

                   सभापति महोदय-- मंत्री  जी, अब आप अपनी बात जल्दी समाप्त करें.

                   श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव-- सभापति महोदय, मैं अपनी बात कह रहा हूं, वह सुनने के लिये तैयार नहीं हैं.  एक भी खाता दे दें,  10वें दिन जहां पैसा डला हो.  ये एक भी  ऐसा नाम  नहीं दे पाये हैं.

..(व्यवधान)..

                   श्री जितु पटवारी-- सभापति  महोदय,  मंत्री जी, एक ही बात को बार बार बोलेंगे, लेकिन जो आरोप लगा है, उसका उत्तर दे नहीं  रहे हैं.

                   सभापति महोदय-- आप बैठिये,  उनको बोलने दीजिये.

..(व्यवधान)..

                    श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव-- सभापति महोदय, पैसा एक्ट का नोटिफिकेशन 1996 में हुआ. लागू किसने किया.  आदिवासियों की बात हुई,  जनजाति की बात हुई.  आप बताइये लागू किसने किया.  2002 में हमारे मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान जी ने किया. 

..(व्यवधान)..

                   सभापति महोदय-- मंत्री जी,अब आप समाप्त करिये. ..(व्यवधान).. बाला बच्चन जी बैठिये,  सज्जन सिंह जी बैठिये.

..(व्यवधान)..

                   श्री सज्जन सिंह वर्मा-- 2002 में हमारी सरकार थी. 2002 में  कौन मुख्यमंत्री था, इतना असत्य तो मत  बोलो.  2002 में कौन था मुख्यमंत्री,  2002 में मुख्यमंत्री, श्री दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी.  आपका यह असत्य कथन यहीं पर पकड़ा गया.  2002 में मुख्यमंत्री थे श्री दिग्विजय सिंह.

..(व्यवधान)..

                   डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--  2002 में दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी, मैं खुद मंत्री थी.

                   श्री बाला बच्चन--  उस समय  कांग्रेस की तत्कालीन  सरकार जिसके मुख्यमंत्री  दिग्विजय सिंह जी थे.  पैसा एक्ट से संबंधित  विधायी कार्य   शुरु हो चुके थे.  उस समय मैं भी मंत्री था.

                   श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव-- सभापति महोदय, मैंने कहा कि उस समय नोटिफिकेशन हुआ.  पूरे तरीके से लागू नहीं हुआ था.

..(व्यवधान)..

                    सभापति महोदय--  बाला जी, कृपया आप बैठें. आप अपनी बात रख चुके हैं.  मंत्री जी, अब आप जल्दी समाप्त करें.

                   श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव-- सभापति महोदय,  पूरे तरीके से लागू  शिवराज सिंह  जी ने किया.  महुआ ताड़ी  का विषय लम्बे समय से पेंडिंग था.

..(व्यवधान)..

                   सभापति महोदय-- कमलेश्वर पटेल जी,  कृपया बैठें.

                   श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, पुनरावृत्ति हो रही है.  बार बार एक ही  टॉपिक  बोला जा रहा है.

..(व्यवधान)..

          (..व्यवधान..)

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - सभापति महोदय, यह असत्य कथन कर रहे हैं.

          सभापति महोदय - मंत्री, आप अब समाप्त करिये.

          (..व्यवधान..)

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - सभापति महोदय, यह असत्य पर असत्य बोले जा रहे हैं.

          सभापति महोदय - मंत्री जी समाप्त करिये.

          श्री बाला बच्चन - पेसा एक्ट जो बना है. इससे तो बेहतर ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 है वह आदिवासियों के लिये पावरफुल है. पेसा एक्ट ने तो आदिवासियों के अधिकार पूरे खत्म कर दिये हैं.

          (..व्यवधान..)

          सभापति महोदय - कृपया सभी बैठें. मंत्री अपनी बात समाप्त करिये.

          श्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव - पहले 0.6 थी उद्योग की विकास दर आज 24 प्वाइंट है. बेरोजगारी की दर मध्यप्रदेश में 0.8 है जो पूरे देश में सबसे कम है.(..व्यवधान..) मैं तो इतना कहूंगा कि " आती जाती सांसों पर भी इतराना क्या, कांटे तो अब कांटे ठहरे कांटों से घबराना क्या " धन्यवाद.

          सभापति महोदय - कमलेश्वर पटेल जी कृपया संक्षेप में अपनी बात कहिये.

          श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल) - माननीय सभापति महोदय, आपको बहुत बधाई,शुभकामना. आप आसंदी से बहुत अच्छे लग रहे हैं और उम्मीद भी है कि सभापति महोदय के आसन पर जो आप विराजमान हैं पूरा संरक्षण देंगे और हम विषय से हटकर बात नहीं करेंगे.

          सभापति महोदय - 5 मिनट में अपनी बात समाप्त करिये.

          श्री कमलेश्वर पटेल - 5 मिनट में संभव ही नहीं है. बैठ जाते हैं. बात नहीं करते. आपका संरक्षण चाहिये.विषय पर बात करेंगे. चर्चा नहीं करानी है तो क्यों अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए.

          सभापति महोदय - आप अपनी बात शुरू करिये.

          श्री कमलेश्वर पटेल - सभापति महोदय, प्रतिपक्ष के हमारे साथी और नेता प्रतिपक्ष जो सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं.  जब उधर से गृह मंत्री जी ने बात रखी तो उन्होंने कहा कि सब डाकुओं का सफाया कर दिया तो बीहड़ वाले डाकू तो खत्म हो गये आजकल तो दिन दहाड़े लूट चल रही है. जिस आफिस में,तहसील में,जनपद,जिला पंचायत,कलेक्टर चले जाईये. आर.आई.,पटवारी पंचायत स्तर से लेकर बिना लिये दिये कोई काम नहीं हो रहा है. यही इस सरकार में हुआ है. यह सरकार तो इसी तरह से है कि जिस तरह नई नवेली दुल्हन की तरह यह सरकार जो रोटी कम बेलती है चूड़ी ज्यादा खनखनाती है जिससे मोहल्ले में सबको पता चल जाये कि बहू बहुत काम कर रही है. उस तरह की यह सरकार है सिर्फ प्रचार प्रसार,सिर्फ इवेंट. जिस आजीविका मिशन की स्वसहायता समूह की बात हमारे साथी मंत्री जी कह रहे थे. तो आजीविका मिशन में किस तरह से लूट मची हुई है. आजीविका मिशन में माताओं,बहनों को आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाना है उनके लिये आय का जरिया तैयार करना है. जो पैसा गरीब महिलाओं के प्रशिक्षण के लिये आता है उस राशि का किस तरह से बड़े-बड़े आयोजनों  में दुरुपयोग हो रहा है. विगत 2 वर्षों में मुख्यमंत्री जी द्वारा  स्ट्रीट वेंडर संवाद के नाम पर 10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की है आजीविका मिशन की दीदियों का जो पैसा होता है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  गोविंद सिंह जी, हंसो मत, एक यह हैं (मुख्‍यमंत्री जी की ओर इशारा करते हुए) जो सदन से जा नहीं रहे हैं, एक वह हैं जो आ ही नहीं रहे हैं.       

            श्री शिवराज सिंह चौहान--  माननीय सभापति महोदय, सदन की गरिमा का हर सदस्‍य को सम्‍मान करना चाहिये, जब अविश्‍वास प्रस्‍ताव चल रहा हो, इतना महत्‍वपूर्ण प्रस्‍ताव हम लोग जानते हैं तब मुख्‍यमंत्री यहां न रहे यह लोकतंत्र के लिये कतई उचित नहीं है इसलिये मैं यहां हूं.

          श्री जितु पटवारी-- मुख्‍यमंत्री जी असली बात क्‍या है वह भी बता ही दो, आप जा रहे थे, एकदम से क्‍या हुआ.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  ऐसा है कि असत्‍य को बार-बार जोर देकर सच कैसे कहना है यह कोई जितु पटवारी से सीखे.

          श्री बाला बच्‍चन-- माननीय मुख्‍यमंत्री जी, हम यह बात बीजेपी के लिये बोलते हैं हर गांव में, हर सभा में कि बार-बार किस तरह असत्‍य को सच कराने में बीजेपी जो उसको बोलती है, यह हम लोग बोलते हैं.

 

8.41 बजे             अध्‍यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुये.

 

          श्री कमलेश्‍वर पटेल-- माननीय मुख्‍यमंत्री जी आप विराजमान हैं और आपके सामने कोई बात हो रही है तो उम्‍मीद है कि आप उस पर तन्‍मयता से कार्यवाही भी करेंगे. जिस तरह से अभी हमने उल्‍लेख किया, समूह, संवाद, स्‍ट्रीट बेंडर संवाद के नाम पर 10 करोड़ से अधिक की राशि का व्‍यय हुआ है कोविड के टाइम में और यह गरीब महिलाओं के प्रशिक्षण के लिये राशि आती है. इसी तरह प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम पर 30 करोड़ से ज्‍यादा राशि खर्च हुई है उन गरीब महिलाओं की जिनके जीविकोपार्जन के लिये उनके आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिये आजीविका मिशन 2011 में यूपीए सरकार ने, सोनिया जी ने शुरूआत की थी, पर आज वह राजनीतिक अखाड़ा हो गया है. इसी तरह माननीय राष्‍ट्रपति महोदय के कार्यक्रम में 3 करोड़ रूपये खर्च किये गये हैं तो आजीविका मिशन का भी हमारे कई साथी जिक्र कर रहे थे, यह बात सच है कि अगर कांग्रेस की सरकार रहती तो आजीविका मिशन की दीदीयों का कर्ज भी माफ होता और हम जो उनको 10 हजार रूपये भी अगर वह कर्ज लेती थीं 24 प्रतिशत ब्‍याज देना पड़ता था, उसको घटाकर हमने 12 प्रतिशत करने का काम किया था और जीरो प्रतिशत का 500 करोड़ का एक मद भी बनाया था और केबिनेट से प्रस्‍ताव भी पारित हो गया था पर दुर्भाग्‍य है जो बिना ब्‍याज के उनको पैसे जीरो परसेंट पर देते पर यह सरकार आने के बाद उसका इम्‍प्‍लीमेंट नहीं किया. क्‍या वजह है कि एक सेवानिवृत्‍त आईएफएस अधिकारी है जो वर्ष 2018 में रिटायर्ड हो गये थे, बार-बार उनकी सीईओ के रूप में नियुक्ति क्‍यों की जा रही है और एक ऐसी ईमानदार महिला जो वहां पर एडिशनल सीईओ थी, उसने जांच की और उसमें दोषी पाये गये, लोकायुक्‍त में प्रकरण दर्ज है, उन लोगों ने आवेदन दिया, शिकायत की हुई है, ईओडब्‍ल्‍यू में शिकायत की हुई है, विधान सभा की समिति में शिकायत की हुई है आज तक कार्यवाही करने की वजाय क्‍या मध्‍यप्रदेश में कोई ऐसा अधिकारी नहीं है, कोई आईएएस नहीं है जिसको हम सीईओ के पद पर आजीविका मिशन जैसे महत्‍वपूर्ण पद पर बिठा सकें, क्‍यों, क्‍योंकि चुनाव जिताने का उनके पास पता नहीं कौन सा आंकड़ा है और माननीय मुख्‍यमंत्री जी उनसे प्रभावित हो जाते हैं. आज स्थिति यह है कि दो वर्ष से स्‍कूल के बच्‍चों का गणवेश जो गरीब बच्‍चों के लिये शासकीय स्‍कूल में पढ़ने वाले बच्‍चों का गणवेश वितरित नहीं हुआ है, सिर्फ इसी भ्रष्‍टाचार की वजह से और घटिया क्‍वालिटी के कपड़े खरीदे गये और महिलाओं को जो स्‍व-सहायता समूह को सिलाई करने के लिये देते हैं उनको मिला भी नहीं है बल्कि मार्केट से खरीद कर दिया जा रहा है और आज भी दो वर्षों से नहीं दिये गये हैं, इसकी जांच अगर निष्‍पक्ष हो जाये तो बहुत सारे लोग इसमें निपटेंगे और जो अधिकारी दोषी पाये जाते हैं जिनके ऊपर भ्रष्‍टाचार के केस रजिस्‍टर्ड हैं उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है, मेरे पास तो जांच रिपोर्ट भी है, माननीय अगर आप अनुमति दें तो हम इसको पटल पर भी रखने को तैयार हैं, जांच रिपोर्ट हैं जिसमें सीधे-सीधे नौकरियों की भर्ती में दोषसिद्ध हो रहा है नौकरियों की भरती में पर ऐसे अधिकारी के खिलाफ पता नहीं माननीय मुख्‍यमंत्री जी क्‍यों मेहरबान हैं, हम तो आपको ही बोलेंगे क्‍योंकि मुखिया आप हैं. हो सकता है आप मेहरबान न हों आपको कोई गलत जानकारी दे रहा हो और जो व्‍यक्ति पूरी तरह से आपको आंकड़ा दे देते हैं कि इतने लाख आजीविका मिशन के मेम्‍बर हैं, महिलायें हैं पर सच्‍चाई यह है कि भारत सरकार की एक एजेंसी है जिसने जांच की थी और उसमें आधे से ज्‍यादा समूह फर्जी पाये गये थे वह भी हमारे पास है, जांच रिपोर्ट भी है. ऐसे भ्रष्‍ट अधिकारी को क्‍यों संरक्षण दिया जा रहा है माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय, मेरा आपसे आग्रह है ऐसे अधिकारी के ऊपर तत्‍काल कार्यवाही होनी चाहिये. और किसी सक्षम अधिकारी की नियुक्ति होना चाहिये और जो आई.ए.एस. महिला, उस बहन को हम भी जानते हैं, वह पहले हमारे पास जब हम मंत्री थे, एक बार मिली थीं और रोकर गई थी कि है हमारी ईमानदारी की वजह से हमको कलेक्‍टर नहीं बनाया जा रहा और आज जिस तरह से उनके साथ बदतमीजी हुई, जिस तरह से हम लोगों ने पेपरों में पढ़ा था, एक ही बार मिले हैं, हम उनको जानते नहीं है, पर जिस तरह की कार्यवाही और जिस तरह से नेहा मराव्‍या शायद उनका नाम है, उन पर इस तरह से अगर किसी अधिकारी के साथ, किसी बहन के साथ अगर इस तरह से कोई ईमानदारी से काम करता है और इसके साथ इस तरह का बर्ताव होता है, तो हम समझते हैं कि उचित नहीं है.

 माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सरकार तो बहुत सारे नारे देती है, कभी रोजगार दिवस मनाती है, तो कभी आओ बनाये अपना मध्‍यप्रदेश तो कभी ग्राम उदय से भारत उदय, तो कभी आत्‍मनिर्भर भारत पर लाकर छोड़ दिया है और आजकल चल रहा है मुख्‍यमंत्री जन सेवा अभियान. माननीय मुख्‍यमंत्री जी, नो डॉउट व्‍यक्तिगत रूप से बहुत अच्‍छे इंसान है, बहुत अच्‍छे हैं. अभी तो कमल पटेल जी के यहां गये थे, हम कभी भाषण राजनीतिक सुनते थे, पर आपका हमने प्रवचन भी सुना. हम तो आपसे निवेदन करेंगे कि भविष्‍य में आप झांसाराम की जगह भी ले सकते हैं, बहुत अच्‍छा बोलते हैं आप, पहले वह भी बहुत अच्‍छा वक्‍ता थे, अब उनका नाम यहां इस सदन में लेना ठीक नहीं है, बहुत अच्‍छा और लाखों की भीड़ होती थी, पर आपने बहुत बढि़या, इतनी बढि़या बात की है कि हम तो आपका प्रवचन सुनकर आपके मुरीद हैं, पर आपसे निवेदन है कि जो आप बोलते हैं, उसी तरह से काम भी होना चाहिये, आज जिस तरह की प्रदेश में स्थ्‍िाति है, बिजली की समस्‍या ले लीजिये.

अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया अब, ऐसा मतलब थोड़े ही है कि बिजली पर कितनी बार बोल चुके हैं, कितने लोग बोल चुके हैं, उसी शब्‍द को क्‍या रिपीट करना है, आठ मिनट हो गया है, आप रिपीट मत करिये.

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, इस बीच में हम रूके भी थे, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने बोला था, गृहमंत्री जी ने बोला था, आपका संरक्षण चाहिये, चलिये बिजली पर बात नहीं करते हैं, (XXX)

अध्‍यक्ष महोदय -- आपको बोलने का अवसर दिया है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप बार बार रिपीट करें, आप रिपीट मत करिये.

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, जिस तरह से पोषण आहार है. पोषण आहार में हमारे सीधी, सिंगरौली जिले की बात कर रहे हैं, पूरे प्रदेश में यह हालत है कि तीन-तीन,चार-चार महीने से पोषण आहार वितरित नहीं हुआ है. हमारे जो कुपोषित बच्‍चे हैं, उनकी संख्‍या बढ़ी हैं, हमारी जो महिलाएं हैं, हमारी जो किशोरियां हैं, जिनके लिये ये आंगनवाड़ी केंद्रों में वितरित किया जाता है. अगर तीन-तीन, चार-चार महीने से जो हमारे पोषण आहार के केंद्र हैं, जहां से यह होम टेक राशन बनता है, कहां गलतियां हो रहीं है, हमने स्‍व सहायता समूह को दिया है, अच्‍छी बात है पर क्‍या वह सही में चला रही है, सच बात यह है कि वहां जो सी.ई.ओ. बनाकर बैठा दिया गया है, वह लोग संचालित कर रहे हैं और 18 करोड़ के घाटे में चल रहे हैं, क्‍या यह दीदियां, स्‍व सहायता समूह भुगतान कर पायेंगे जो घाटे में चल रहा है. इन पर भी सरकार को विचार करने की आवश्‍यकता है.

अध्‍यक्ष महोदय -- आपके दस मिनट हो गये हैं.

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी मनरेगा पर बात नहीं हुई है. अध्‍यक्ष महोदय, आप समय नहीं दे रहे हैं, इतने में तो हमारी बहुत सारी बातें हो जाती हैं.

अध्‍यक्ष महोदय -- आप ग्‍यारह मिनट बोल चुके हैं, एक मिनट में कम्‍पलीट करिये.

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे आवारा पशुओं से किसान सबसे ज्‍यादा परेशान हैं, उसके लिये सरकार को नीति बनाना चाहिये, जो गौशालाएं हैं वहां चारा भूसा नहीं दिया जा रहा है, सब बंद हैं, स्‍व सहायता समूहों को चलाने के लिये दिया हुआ है, आजीविका मिशन को चलाने के लिये दिया हुआ था, उनकी भी स्थिति खराब है.

अध्‍यक्ष महोदय -- आवारा पशुओं पर बोल चुके हैं, लाखन सिंह जी बोल चुके हैं, आप संक्षिप्‍त करिये और आपके विधायक ने निराश्रित कहा है और आप आवारा कह रहे हैं. लाखन सिंह जी ने गौवंश को निराश्रित कहा है और आप आवारा कह रहे हो. ( श्री लाखन सिंह यादव, सदस्‍य के अपने आसन से कुछ कहने पर) आप बैठे रहो, मैंने तो केवल आपकी तारीफ की है, वह दूसरी बात कह रहे हैं, आप संक्षिप्‍त करिये.

            श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, क्षमा चाहते हैं, निराश्रित कह लीजिये पर किसान परेशान है और आये दिन वे सड़कों पर मर रही है. राज्‍य के पांचवे वित्‍त आयोग की अनुशंसाओं का पालन नहीं हो रहा है, जो पंचायतों के लिये वित्‍तीय वर्ष के दस महीने निकलने के बाद भी आयोग द्वारा प्रावधानित 19 सौ करोड़ की राशि आज तक पंचायतों को वितरित नहीं हुई. एक मेटर माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुए बोलना चाहूंगा, हमारे आदरणीय भूपेन्‍द्र सिंह जी ने जिक्र किया था पिछड़े वर्ग का कि पिछड़े वर्ग का बहुत पंचायतों में आरक्षण कर दिया है, बहुत उनको अधिकार संपन्‍न बना दिया है, 12 जिला पंचायत होते थी. आज पिछड़ा वर्ग की 4 जिला पंचायत हैं. आपने आरक्षण छीनने का कार्य किया है, 27 प्रतिशत आरक्षण नौकरियों में होता था, यह अदालत में पैंडिंग है. एमपीपीएससी में पिछड़ा वर्ग का चार वर्ष से रिजल्‍ट नहीं आ रहा है, तो जिस तरह के हालात हैं. आज एससी- एसटी और ओबीसी के साथ, जो यह सरकार अन्‍याय कर रही है, स्‍कॉलरशिप के पैसे समय पर नहीं दे रही है, हायर एजुकेशन में भी, तो लोग बहुत परेशान हैं और जिस तरह के सरकार बहुत सारी राशि का प्रावधान कर रही है, उसके हिसाब से आवंटन नहीं हो रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि जो यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव लेकर आए हैं, इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव को स्‍वीकार करें और जो माननीय मुख्‍यमंत्री हैं और मंत्रीगण हैं, यह जो हमारे साथी, हमारा साथ छोड़कर उधर चले गए हैं, अगर वचन-पत्र पूरा नहीं हो पाया है, तो उसके सबसे बड़े कसूरवार आप सभी साथी हो. आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज सभी कांग्रेस दल के विधायक और हमारे नेता प्रतिपक्ष ने मध्‍यप्रदेश की सरकार और पूरे मंत्रिमण्‍डल के सामने अपना अविश्‍वास रखा है. अविश्‍वास रखने के कई कारण हैं क्‍योंकि मध्‍यप्रदेश की आम जनता, युवा, महिला, किसान, रोजगार सहायक, गरीब, आंगनवाड़ी, आशा कार्यकर्ता सबका विश्‍वास सरकार से उठ चुका है. मुझे तो लगता था कि सिर्फ इन्‍सान ही इन्‍सान को छल सकता है. लेकिन यहां पर बैठी सरकार ने तो भगवान राम को भी छलने का काम किया है. अभी थोड़ी देर पहले प्रभुराम चौधरी साहब बोल रहे थे कि वे कमलनाथ जी से मिले तो वह हमको एक-दो बार मिले तो चलो, चलो कहा और अगली बार तो पहचान भी नहीं पाये. लेकिन जहां तक मेरा मानना है कि प्रभुराम चौधरी से कोई एक बार मिलेगा तो उनको चांदनी रात में भी पहचान लेगा. इसमें कोई दो मत नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय - (श्री तुलसीराम सिलावट के खड़े होकर कुछ बोलने पर) नहीं, कुछ नहीं बोला है. केवल पहचान की बात कही है. ऐसा कुछ नहीं कहा है.

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी - अध्‍यक्ष महोदय, मैं भगवान राम के उस क्षेत्र चित्रकूट से आता हूँ. जहां भगवान राम ने 14 वर्ष में से 11.5 वर्ष अपना व्‍यतीत किया है.

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - यह पूरे एससी समाज का अपमान है, पूरे मध्‍यप्रदेश में एससी का अपमान है. ऐसा नहीं चलने देंगे. आप सदन से माफी मांगो. आप क्‍या पूरे समाज का अपमान करोगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय - नीलांशु के अलावा किसी और का नहीं लिखा जायेगा.

          श्री तुलसीराम सिलावट - (XXX

          श्री जितु पटवारी - (XXX

          श्री कुणाल चौधरी - (XXX)

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - (XXX)

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी - अध्‍यक्ष महोदय, मैं भगवान राम को छलने की बात इसलिए कर रहा हूँ क्‍योंकि मैं चित्रकूट क्षेत्र से आता हूँ. जहां भगवान राम के वनवासकाल का     11.5 वर्ष का समय व्‍यतीत हुआ है. लेकिन दु:ख भरी बात यह है कि अभी थोड़े दिन पहले जिस भगवान श्रीराम और सीता मैया में हमारी आस्‍था और गर्व है.

          अध्‍यक्ष महोदय - नीलांशु के अलावा किसी और का नहीं लिखा जायेगा.

          श्री लाखन सिंह यादव - (XXX)

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी - अध्‍यक्ष महोदय, अभी थोडे़ दिन पहले उच्‍च शिक्षा मंत्री आदरणीय मोहन यादव जी ने भगवान राम और सीता जी के बारे में जो बयान दिया था, उसने पूरे देश, चित्रकूट क्षेत्र, पूरे चौरासी कोस और पूरे हिन्‍दुस्‍तान के हृदय में घात किया है क्‍योंकि उन्‍होंने उनकी समाधि को आत्‍महत्‍या करार दिया और उनके त्‍याग को उन्‍होंने तलाक करार दिया है, इसके लिये उनको सदन और पूरे हिन्‍दुस्‍तान से माफी मांगनी चाहिए थी. आप देखिये कि छल की बात क्‍यों है ? हमारे सामने माननीय मुख्‍यमंत्री जी बैठे हुए हैं. आप जब सन् 2007 में चित्रकूट पधारे तो पूरे सन्‍तों के सामने हाथ उठाकर आपने संकल्‍प लिया था और आश्‍वासन दिया था कि हम श्रीराम वनगमन-पथ का निर्माण करेंगे. उसके बाद एक कमेटी बनाई गई. उस कमेटी ने सन् 2008 या सन् 2009 में अपनी रिपोर्ट सबमिट कर दी कि चित्रकूट में जो पौराणिक जगह है, जहां भगवान राम रहे हैं, उनका आध्‍यात्‍मिक महत्‍व हैं. ऐसे बहुत सारे स्‍थान हैं, चाहे वह कामता नाथ का पर्वत हो, चाहे सती अनुसुइया का धाम हो, सती अनुसुईया ऐसा धाम है जहां पर विश्‍व का पहला गुरुकुल हुआ था, जहां दत्‍तात्रेय ऋषि जी का आश्रम रहा है, चाहे वह सर्वंभ मुनि का आश्रम रहा हो, चाहे शुतिक्षण मुनि का आश्रम रहा हो, 84 कोष की वह परिधि है, जो चित्रकूट सतना जिले, पन्‍ना जिले, छतरपुर जिले से होते हुए अमरकंटक तक का जो रामपथ गमन है, ये वही 84 कोस है, जिसने अयोध्‍या के युवराज को मर्यादा पुरुषोत्‍तम राम बनाने का काम किया था, उसकी उपेक्षा की जा रही है, 2007 से लेकर आज 2022 आने वाला है. 14 साल के इतिहास में रामपथ के नाम पर एक पत्‍थर नहीं रखा गया है, रामपथ के नाम पर संरक्षण नहीं किया गया है, न तो कोई भी ऐसी व्‍यवस्‍था की गई है कि वहां पर आने वाले तीर्थ यात्री जो लाखों लाख लोग आते हैं, उनकी कोई व्‍यवस्‍था हो सके. चाहे गैबीनाथ धाम हो, चाहे धारकुड़ी आश्रम हो, चाहे बड़ेदेव आश्रम हो, चाहे मूरतध्‍वज हो, चाहे गुप्‍त गोदावरी हो, चाहे मां मंदाकिनी हो, चाहे पैसूनी और सरयू हो किसी के लिए कोई काम किया गया न बजट निर्धारण किया गया. जह हमारी कांग्रेस की सरकार आई तो वचन पत्र में इन चीजों को लिया गया कि हम राम वन  गमन पथ को बनाएंगे और तत्‍काल उसमें बजट का प्रावधान करते हुए 600 करोड़ रुपए स्‍वीकृत किए गए. एक एक जगह को चिन्हित किया गया और उसको ले जाकर उसको जो पहली किस्‍त थी, 3 करोड़, 4 करोड़ रुपए अलग अलग स्‍थान के डेवलपमेंट के लिए दिए गए, लेकिन उसके बाद आज तक वहां पर कोई भी काम नहीं हो पाया. चित्रकूट क्षेत्र में बहुत सारे स्‍थान हैं, पाथरकछार देवी हैं, घोड़ामुखी देवी है, जो अनादि काल से है और वह वही स्‍थान है, चाहे अगस्‍त्‍य मुनि का आश्रम हो, चाहे सुतिक्षण सर्भंग मुनि का आश्रम हो, अभी बीच में सिद्धा पहाड़ की बात भी आई थी, जिसमें जन विरोध की वजह से वहां पर माइनिंग और लीज को रद्द किया गया. वह वही स्‍थान है जहां पर भगवान श्रीराम ने दोनों हाथ उठाकर यह शपथ ली थी,

        निश्‍चर हीन करहूं मैं भुज उठाए, प्रण कीन.

          लेकिन सरकार के द्वारा वहां पर लीज दी गई और लैटराइट और बाक्‍साइट के नाम पर पूरे चित्रकूट क्षेत्र को छलनी करने का काम सरकार कर रही है. मेरा अनुरोध है कि उस पूरे क्षेत्र को खनन मुक्‍त किया जाए और जो सिद्धा पहाड़ है, उस पूरे सिद्धा पहाड़ को सिद्धा धाम घोषित किया जाए. न कि खनन धाम घोषित किया जाए. ये बहुत सारे ये जो चित्रकूट का परिक्षेत्र हैं, आज भी साधू संत निवास करते हैं, चाहे वह आचार्य आश्रम हो, चाहे धारकुडी के स्‍वामी जी हो, चाहे टाठीघाट में रहने वाले साधु संत हो, चाहे शुतिक्षण मुनि का आश्रम हो, पूरातन समय से ही साधू संत चले आ रहे हैं, तो हम लोगों ने कई बार इसको उठाया कि चित्रकूट को आप देश की आध्‍यात्मिक राजधानी घोषित करने का काम करिए, लेकिन कभी भी आध्‍यात्मिक राजधानी के नाम पर चर्चा करने की तो बात छोडि़ए, कभी उस दिशा में काम नहीं किया गया. चित्रकूट रामपथ गमन जो अमरकंटक तक जाना था, 300-400 किलोमीटर का, वह पथ के नाम पर एक भी पत्‍थर नहीं रखा गया है. बहुत सारे स्‍थान जो अब खराब हो रहे हैं, जिनमें कोई व्‍यवस्‍था नहीं होती. तीर्थयात्री लगातार आता है, दीपावली मेले में 25 से 30 लाख लोग चित्रकूट में आते हैं, दीपदान करते हैं, परिक्रम लगाते हैं, लेकिन दुर्भाग्‍य की बात देखिए कि दीपावली का मेला, मध्‍यप्रदेश का जो कैलेण्‍डर है, उसमें भी नहीं है. हर महीने की अमावस्‍या में वहां लाखों लोग आते हैं, लेकिन व्‍यवस्‍था के नाम पर वह कैलेण्‍डर में नहीं है, मेले की व्‍यवस्‍था के नाम पर कोई भी चीज कैलेण्‍डर में नहीं है. गैबीनाथ धाम, जो भोलेनाथ का प्राचीन स्‍थान है, बड़े देवधाम जो बड़ेदेव का स्‍थान है, पाछरकछार की देवी जो वीरगढ़ देवी के नाम से जानी जाती है, उन सारे स्‍थानों का वहां पर उल्‍लेख है, लेकिन कोई भी काम यहां पर नहीं किया गया है. मैं आपसे कहना चाहूंग कि ..

          चित्रकूट में रम रहे, रहिमन अवध नरेश,

        जा पर विपदा पड़त है, सो आवत वही देश.

          दुर्भाग्‍य यह है कि पूरी केबिनेट हर साल कम से कम दो बार चित्रकूट क्षेत्र जाती है. मुख्‍यमंत्री जी भी जाते हैं, हमारे सारे मंत्री जी भी जाते हैं, लेकिन चित्रकूट के नाम पर उनको एक बार भी विचार नहीं आता. चित्रकूट से सिर्फ आशीर्वाद लेकर आते हैं, चित्रकूट को देने का काम नहीं करते हैं, इसलिए मेरा अनुरोध है, ये पूरा अविश्‍वास है चित्रकूट क्षेत्र का और पूरा भगवान श्रीराम का धन्‍यवाद.

 

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, लगभग आठ साढ़े आठ घंटे हो गये हैं प्रतिपक्ष ने जो अविश्वास सरकार के प्रति और उस जनादेश के प्रति, जिस जनता ने भारतीय जनता पार्टी को जनादेश दिया उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये हैं. तर्क और तथ्यों से परे माननीय गोविंद सिंह जी ने शुरूआत करी वह लगभग 60-65  मिनट बोले हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी के बड़प्पन के संबंध में कुछ टीका-टिप्पणी की. कल माननीय मुख्यमंत्री जी कैसे थे आज उनके बड़प्पन में अंतर आ गया है. गोविंद सिंह जी विराजित नहीं हैं नहीं तो उनको बताता. लेकिन मैं कहूंगा जरूर क्योंकि कल ही सुबह एक परिदृश्य देखा. जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री आरिफ अकील जी अपनी सीट पर बैठे थे यह माननीय मुख्यमंत्री जी का बड़प्पन है बैठते ही सबसे पहले निगाह पड़ी माननीय मुख्यमंत्री आरिफ अकील के पास जाकर उनका कुशलक्षेम पूछा, यह उनका बड़प्पन है. मुंह में शक्कर पांव में चक्कर माथे पे ठंडग और दिल में जज्बा यह सिखाया था माननीय सुंदरलाल जी पटवा ने. माननीय मुख्यमंत्री जी में जो कुछ चीजे हैं वह उन्हीं शब्दों के कारण से हैं. किस प्रकार से पूरे मध्यप्रदेश को नापना, किस प्रकार से परिश्रम करना, जनता के बीच में रहकर के उन संवेदनाओं के साथ जो संवेदनाएं माननीय मुख्यमंत्री में हमने परोक्ष रूप से देखी हैं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एक आरोप लगाया था. 8 दिसम्बर को मंदसौर में गौरव दिवस था. माननीय मुख्यमंत्री जी ने मंदसौर जिले को सुवासरा एवं भानपुरा और महाराजगढ़ विधान सभा क्षेत्र के आठ सौ गांव जलजीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल. जो आरोप नेता प्रतिपक्ष ने लगाया कि कांग्रेस के विधायकों का पत्थर एवं कार्ड पर नाम नहीं आता. मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं. भले ही आलोट विधान सभा क्षेत्र मनोज चावला जी के ढाई सौ से तीन सौ गांव लाभांवित हो रहे हों. मंदसौर जिले के आठ से नौ सौ गांव लाभांवित हो रहे थे. लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदना एवं सामान्य प्रशासन विभाग के जो निर्देश हैं उसके तहत पत्थर तथा कार्ड पर भी मनोज चावला जी का नाम था इसलिये यह तथ्यहीन एवं तथ्यहीन, तर्कहीन यह अविश्वास प्रस्ताव है. सरकार ने नया नवाचार किया माननीय मुख्यमंत्री जी ने नया नवाचार किया.यह गौरव दिवस पहले क्यों नहीं मनते थे. गर्व करने का विषय होता है मेरा कस्बा, मेरा शहर, मेरा महानगर उसका परिणाम यह निकला उस गौरव दिवस से एक साहित्य, संस्कृति, संस्कार, इतिहास, पुरातत्व निकल कर के आया. आम जनता उससे जुड़ी है. इसलिये जनता सरकार के प्रति विश्वास प्रकट करती है. वह प्रतिपक्ष अविश्वास लाया है जिसको सरकार में रहते हुए 30-30 तथा 28-28 सीटें जीतकर के आये हैं. यह जनता का विश्वास है. कांग्रेस के प्रति विश्वास नहीं है. अगर कांग्रेस के प्रति जनता का विश्वास होता तो देश के क्या हाल हो गये. आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की जो ताकत बढ़ी है. 28.11.2011 का वो दृश्य जो मेरे आंखों के सामने है जब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा था. चौधरी राकेश सिंह जी सदन के उपनेता थे. आप इस सदन में उपनेता के रूप में यहां पर विराजित हैं.  अविश्वास प्रस्ताव प्रारंभ हुआ सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव को यदि किसी ने खारिज किया वह चौधरी राकेश सिंह जी ने किया है. यह रिकार्ड बोलता है. यह वह प्रतिपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया है. जिस पार्टी के आपस के विचारों में ही विश्वास नहीं है. मैं बानगी देना चाहता हूं. भारत जोड़ो यात्रा  में कांग्रेस निकल पड़ी. कमलनाथ जी का दायां मीडिया समन्‍वयक पाटी छोड़ देता है. कमल नाथ जी ने मुख्‍यमंत्री पद हटने के बाद यह वक्‍वव्‍य दिया था कि सरकार गिराने के बाद, मैं जिन कारणों से गया मुझे भरोसे में रखा गया था. इशारा उनका एक पूर्व मुख्‍यमंत्री और वरिष्‍ठ नेता की ओर था. मैं नाम नहीं लेना चाहता, क्‍योंकि प्रतिपक्ष कहेगा की जो सदन का सदस्‍य नहीं है, उसका नाम नहीं लिया जाए. कांग्रेस के विचारों में इतनी असमानता है, फसल बोता कोई ओर है और फसल काटता कोई और है. यह विचारों में अविश्‍वास है.

          माननीय अभी दो दिन पहले प्रसिद्ध कथा वाचक सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने एक टिप्‍पणी क्‍या कर दी तो विरोधाभास शुरू हो गया. नेता प्रतिपक्ष जी का बयान मैंने सुना है कि भारतीय जनता पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं और वही कथावाचक पंडित मिश्रा जी जीतु पटवारी जी के बुलावे पर कथा करते हैं, कांग्रेस के इंदौर के विधायक शुक्‍ला जी के निमंत्रण पर कथा करते हैं और सुनने में आ रहा है कि कमल नाथ जी भी करवाने जा रहे हैं. ये विचारों का आपस में टकराहट है

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा:- (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय:- सज्‍जन सिंह जी आप बैठ जायें. माननीय सदस्‍य श्री सिसौदिया के अलावा किसी का न लिखा जाये.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- जो अखबार में छपा है और मीडिया में आया है तो उसके बाद का रिएक्‍शन मैं बता रहा हूं. अगर उन्‍होंने कह भी दिया है कि एक घर से एक बजरंग दल का और एक राष्‍ट्रीय स्‍वयं संघ का सदस्‍य होना चाहिये तो उसमें इतनी तकलीफ कि पंडित मिश्रा जी को भारतीय जनता पार्टी का आपने एजेंट बता दिया और आपने उनकी कथाएं करायीं और आपके बड़े नेता भी कथा करा रहे हैं. कम से कम आपकी विचारधारा में तो आपस में प्रकट न करें. राम काल्‍पनिक थे, मैं नहीं कह रहा हूं, आपकी विचारधारा कहती है. जनेऊ पहन लेते हैं चुनाव के दौरान, आप शिव भक्‍त बन गये, बन जाओ. हनुमान चालीसा करने लगे,पूजन-पाठन करने लगे, आखिर इसकी आवश्‍यकता क्‍यों पड़ी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी के प्रति निरंतर बढ़ रहा विश्‍वास, यह करें अविश्‍वास. पंचायतों के चुनाव में 22 हजार ग्राम पंचायतों के सरपंच भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा वाले जीते हैं. जनपद और जिला पंचायतें जीती हैं,नगर पालिकाएं और नगर परिषदें जीती हैं. पूरे मध्‍यप्रदेश में कमल का फूल खिला है, आपकी 6-7 नगर निगम क्‍या आ गयी, भारतीय जनता पार्टी का तो जनादेश खिसक गया. कभी ईवीएम पर भरोसा नहीं करते हैं, कभी सरकार के कामकाजों का भरोसा नहीं करते हैं. उधर ईवीएम पर भी अविश्‍वास और इधर सरकार के प्रति भी अविश्‍वास. यह जरूर है कि यह प्रतिपक्ष के जितने भी वरिष्‍ठजन बैठे हैं और जो कनिष्‍ठ बैठे हैं, वह एक परिवार पर जरूर विश्‍वास करते हैं, अभी नाम ले लूंगा तो चार-पांच जन उठ जायेंगे. वह एक परिवार के माता, भाई और बहन उनके प्रति तो इतनी गहरी निष्‍ठा है कि यह अपने परिवार और अपने समाज से भी..

          श्री कमलेश्‍वर पटेल:- (XXX)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इस विधान सभा का सदस्‍य हूं. मुझे इस बात का गर्व है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्षस्‍थ नेतृत्‍व और इस देश के ख्‍यातनाम प्रधान मंत्री का पूरे विश्‍व में जो जलजला है और उनकी जो दम है...

          श्री कमलेश्‍वर पटेल:- (XXX)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- अगर पाकिस्‍तान के यूक्रेन के छात्र तिरंगा झंडा अगर निकल पड़ेंगे तो कहेंगे भारत माता की जय इनको जाने दो,  यह तो भारत के हैं. यह विश्‍वास है भारतीय जनता पार्टी के शीर्षस्‍थ नेतृत्‍व के प्रति. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसी सदन में पूर्व मुख्‍यमंजी ने नर्मदा को शिप्रा से मिलाने का जब एक प्रश्‍न आया, संकल्‍प आया और ध्‍यानाकर्षण आया तो तेज सिंह जी सेंधव भारतीय जनका पाटी की तरफ से विधायक थे. यह अविश्‍वास ला रहे हैं. तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी ने कहा असंभव, यह हो ही नहीं सकता. मैं, देवड़ा जी और मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं, इसलिए कि आज मैंने बजट पढ़ा और तेज सिंह सेंधव जी की उस मांग को मुख्‍यमंत्री जी ने पूरा करते हुए, न केवल नर्मदा को क्षिप्रा से मिलाया बल्कि आज के अनुपूरक बजट में 19 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, नर्मदा-क्षिप्रा को आगे बढ़ाने, कालीसिंध, पार्वती, नर्मदा, झाबुआ, पेटलावाद, थांदला, सरदारपुर, नर्मदा मालवा, गंभीर. आपकी सरकार होती तो असंभव हो जाता. माननीय मुख्‍यमंत्री जी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्‍य यदि किसी योजना को आगे बढ़ाने का काम करते हैं तो आप अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाते हैं. जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे समझ नहीं आता की कांग्रेस के लोग क्षेत्र में घूमते क्‍यों नहीं है, जनता के बीच जाते क्‍यों नहीं हैं, ये अविश्‍वास लायेंगे ? आपको स्‍वामित्‍व योजना नहीं दिखती, ड्रोन से जिस प्रकार से चित्र डिस्‍प्‍ले हुए, वर्षों से जिसका अधिकार था, उसको लाईनिंग डालकर अधिकार देने का काम किया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनको मंडियों की बेहतर हालात नहीं दिखती, मेरी विधान सभा क्षेत्र मंदसौर जिले में, यहां देवड़ा जी, हरदीप जी, देवीलाल जी भी हैं, हर घर तिरंगा योजना में स्‍व-सहायता समूह की बहनों ने 17 लाख रुपये का लाभ कमाया है, मुख्‍यमंत्री जी की कार्य योजना की वजह से.

          श्री कमलेश्‍वर  पटेल-  XXX

          श्री बापू सिंह तंवर-  XXX

          अध्‍यक्ष महोदय- इसे नहीं लिखा जायेगा.

...व्‍यवधान...

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनको एक जिला एक उत्‍पाद नहीं दिखता है, इनको पवन ऊर्जा नहीं दिखती है, इनको सौर ऊर्जा नहीं दिखती है, इनको शोर करने में आनंद आता है. इनको 6-8 लेन सड़कें नहीं दिखती हैं, इनको मध्‍यप्रदेश की जो आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है, वह नहीं दिखती है. खाली सदन में सिर्फ इसलिए कि आपके अंक बढ़ जायें और आप कहने की स्थिति में आ जाओ कि हमने अविश्‍वास प्रस्‍ताव रखा, इससे ज्‍यादा कुछ भी नहीं है. धन्‍यवाद.

          श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल-दक्षिण-पश्चिम)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो प्रस्‍ताव गोविंद सिंह जी ने रखा है, मैं, उसका समर्थन करना चाहता हूं और मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं, मुख्‍यमंत्री जी आप जा रहे हैं, सुन तो लें.

          अध्‍यक्ष महोदय-  वे सुन रहे हैं.

          श्री पी.सी.शर्मा-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मुख्‍यमंत्री जी को बधाई इस बात के लिए देना चाहता हूं कि गजब का मामला है. डेढ़ साल पहले तक जो हमारे नेता कमलनाथ जी को महामंडित करते थे, आज ऐसे उनका मर्जर हो गया है कि वे मुख्‍यमंत्री जी को महामंडित कर रहे हैं. लेकिन गृह मंत्री जी आप ध्‍यान रखना, ये आज जितने बोले हैं, ये जो नई भारतीय जनता पार्टी के लोग हैं, उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री जी के साथ, अपने नेता को भी महामंडित किया है. खतरा आ रहा है. आगे की सीट पर खतरा है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री जी अभी यहां से निकल गये. 15 हजार 6 सौ 52 घोषणायें उन्‍होंने की थी. उनमें से 163 घोषणायें नस्‍तीबद्ध हो गयीं और यह एक प्रश्‍न दिनांक 20 दिसंबर 2022 इसी साल के उत्‍तर में आया है. स्थिति यह है कि नगर निगम के चुनाव हुए तो उन चुनावों में जब मुख्‍यमंत्री जी भोपाल में गए तो एक जगह कहकर आ गये कि जो गरीब लोग यहां रह रहे हैं, वे यहां से हटेंगे नहीं. फिर उनकी घोषणा का हश्र वही हुआ, सड़क बनने आई और वहां पर नगर निगम और विभाग के लोग उनको हटाने के लिए बुलडोज़र लेकर आ गए तो यह कैसी घोषणा है कि जो आप कहकर आये और बार-बार यह कहा कि वर्ष 2014 के बाद, जो जहां रह रहा है, उसको वहीं बसायेंगे. यह कहा गया कि प्रधानमंत्री के नाम से मकान बन रहे हैं, यह मध्‍यप्रदेश की राजधानी है, भोपाल. यहां जिसका भूमिपूजन किया गया. जो काम जिसके टेंडर हो गए लेकिन एक बार टेंडर नहीं आने के बाद टेंडर नहीं हो रहे हैं. नगर निगम टेंडर नहीं कर रही है. अभी मैंने आदरणीय भूपेन्‍द्र सिंह जी से कहा कि भाई देखिए तो कि भोपाल की राजधानी में इतना बड़ा प्रोजेक्‍ट कोई नहीं आ रहा है. यह आज भी जो बजट आया है इस बजट में एलीवेटेड कॉरीडोर की बात है 847 अन्‍य सड़कें भी हैं, लेकिन प्रावधान कितना है जिसमें 347 करोड़ लगना है उसका प्रावधान केवल चौरासी हजार आठ सौ रुपए का है. फिर घोषणा, फिर इवेंट मेनेजमेंट इसमें 100 रुपए टोकन की बात की गई है. आगे चलकर यह चुनाव आ रहा है यह चीजें होंगी कहां से यह पैसा आएगा कहां से 1 हजार करोड़ रुपए हर महीने आप ऋण ले रहे हो. भोपाल में नगर निगम की बात करें तो तो अभी 15 तारीख तक वहां कर्मचारियों का भुगतान नहीं हुआ है, वहां ठेकेदारों के पेमेंट नहीं हो रहे हैं. यह पैसा आएगा कहां से और क्‍या होगा.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह-- आप साथ में आ जाओगे तो सब हो जाएगा. हालांकि संख्‍या बढ़ेगी लेकिन आप आ जाओ.

          श्री पी.सी. शर्मा-- यह जो आएं हैं आपको इनका भी भरोसा नहीं है. अभी सिसौदिया जी ने एक नाम लिया वह कुछ दिन वहां रहे और यहां आ गए. यह भरोसा मत करना. आप देख लेना यह फिर मण्‍डराते हुए यहीं आएंगे.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह-- आप भले आदमी हो, अच्‍छे आदमी हो.

          श्री पी.सी. शर्मा-- आदरणीय गृह मंत्री जी आप बात कर रहे थे कानून व्‍यवस्‍था की कि कहीं एक स्‍कूल जाने वाली बच्‍ची से दुष्‍कर्म करने के बाद उसकी हत्‍या कर दी गई. जिस तरह से मध्‍यप्रदेश के अंदर शराब बिक रही है एक के बाद दो, दो के बाद तीन दुकान यह भोपाल शहर के अंदर मंदिर के पास, स्‍कूल के पास और इसका हश्र यह हो रहा है कि जो आहते होते हैं वहां पुलिस ने एक काम कर दिया है कि वह उनके बाहर खड़ी रहती है और जो पीकर निकलता है उसे पकड़कर उसका टेस्‍ट करते हैं और उसकी गाड़ी ले जाकर थाने में बंद कर देते हैं. एक दिन एक की गाड़ी पकड़ ली थी. मैंने एक दिन फोन किया तो उसको छोड़ दिया और दूसरे दिन उसने आकर उसने बताया कि कोर्ट में 10 हजार रुपए लग रहे हैं. 10 हजार से 50 हजार तक का जुर्माना कोर्ट के अंदर हो रहा है. यहां आम बात है यदि जुर्माना ही करना है, पुलिस को यहीं काम करना है तो दारू की दुकानों को बंद करवा दो. यह आम गरीब आदमी जो कि दिनभर काम करता है अगर वह वहां पर थोड़ी बहुत पी लेता है तो या तो दुकाने बंद करवाएं या पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती जी की बात को माने कि यह सब बंद करा दें लेकिन वह लोग वहां पर परेशान हो रहे हैं.

          श्री महेन्‍द्र सिंह सिसौदिया-- सदस्‍य जी ने कहा कि थोड़ी बहुत पी लेता है इसीलिए तो जुर्माना लग रहा है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- शर्मा जी शाम का समय हो रहा है यह आपका विषय है क्‍या.

          श्री गोपाल भार्गव-- आठ-दस घंटे काम करते हैं थक जाते हैं इसीलिए पी लेते हैं. आपने ऐसा बताया है.

          श्री पी.सी.शर्मा-- पी लेते हैं पर उन पर जुर्माना तो मत लगाइए. उन पर जुर्माना करके दस-दस हजार, पचास-पचास हजार रुपए तो मत लो. वह अपनी गाड़ी छुड़ाने की स्थिति में भी नहीं हैं. यह स्थि‍ति हो गई है. हमारी सरकार ने विनिर्दिष्‍ट मंदिर विधेयक विधान सभा में पारित कराया था. आपने आकर इसे केन्‍द्र सरकार से वा‍पस ले लिया यह विधेयक इस बात के लिए था कि इस विधेयक से हम लोगों ने कोशिश की कि मध्‍यप्रदेश के जितने भी महत्‍वपूर्ण मंदिर हैं यह स‍ब चाहे वह मैहर का मंदिर हो यह महाकाल का मंदिर हो या जितने भी मंदिर हैं यह एक ही अधिनियम के अंदर आ जाए अगर उसमें कोई चेंज करना है तो एक सूचना जारी करके उस मंदिर में जो भी काम होना है वह‍ हो सकता था लेकिन आपने उसको वापिस ले लिया. वह इस विधान सभा में पारित हुआ था और जिसकी वजह से जो यहां बात हो रही है कि मंदिरों की व्‍यवस्‍थाएं ठीक हो. महाकाल की बात हुई यहां जयवर्द्धन सिंह जी, सज्‍जन वर्मा जी बैठे हुए हैं यह हम लोगों ने उज्‍जैन के अंदर मीटिंग ली और मीटिंग लेने के बाद कमलनाथ जी ने मंत्रालय में मीटिंग लेकर वहां के शास्‍त्री, वहां के पंडितों को बुलाया कि किस तरह से महाकाल कॉरीडोर की पूरी व्‍यवस्‍था की जाए और यह जो पूरा निर्माण हुआ है इसकी पूरी व्‍यवस्‍था इसका सेंग्‍शन कमलनाथ जी की कांग्रेस पार्टी ने किया था. आपने उसका श्रय लेने के लिए इवेंट मेनेजमेंट करने के लिए वहां 12 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री जी को लाकर उसका लोकार्पण कराया. लेकिन यह पूरी व्यवस्था कांग्रेस के जमाने की है. यहाँ अभी बृजेन्द्र भाई ने राम वनगमन पथ की बात की थी. राम वनगमन पथ इसके निर्माण का पूरा बजट 600 करोड़ रुपए का कांग्रेस की सरकार ने स्वीकृत किया था. उसमें एक चीज कहना चाहता हूँ कि हम लोग श्रीलंका गए थे. राम वनगमन पथ जब पूरा होगा जब सीता माता का मंदिर श्रीलंका में बनेगा.  हम जगह चिन्हित करके आए. वहां राष्ट्रपति जी से मिलकर आए, वहां प्रधानमंत्री जी से मिलकर आए थे. लेकिन पिछले डेढ़ साल से इस प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ है. जो काम कांग्रेस पार्टी की कमलनाथ जी की सरकार ने किया था उसके बाद इस पर कोई काम नहीं हुआ है. यह बात आ रही है कि तीर्थ दर्शन ट्रेन नहीं चली. 23 ट्रेनें चलीं और इनके कार्यकाल में कुल 5 ट्रेनें चली हैं. हम लोगों ने 31...

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- पीसी भाई एक तो इनको हमारे पास आए डेढ़ साल नहीं हुआ है. साढ़े तीन हो गए हैं. डेढ़ साल हमने नहीं किया साढ़े तीन साल कहो. डेढ. साल तो तुम रहे थे. ढाई साल हो गया है.

          श्री पी.सी. शर्मा -- आप तो साढ़े तीन साल कह रहे हो.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अगला एक साल भी तो जोडूंगा मैं, क्या अगले में आप आ जाओगे.

          श्री पी.सी. शर्मा -- कोई गारंटी नहीं है.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- 20 साल हो गए और अगले 20 साल की गारंटी है. ऐसे ही हर साल कहते हो. जब तक यह जितु है तुम्हारे पास यह बनी बनायी भी नहीं चलने देगा. यह बैंगलोर पहुंच गया था मैं लाता हूँ बैंगलोर से. इसने बनी बनाई सरकार मेट दी. सच बता रहा हूँ जब तक यह रहेगा तब तक कभी आपकी सरकार नहीं आएगी. बनी बनाई मेट दी और बनाने की बात कर रहे हो. तुम बनी बनाई नहीं चला पाए बनाओगे कहां से.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- आप ही बताओ जितु का क्या करें.

          श्री जितु पटवारी -- एक बात निकल कर आई कि यह जितने हमारे भाई उधर गए हैं इनमें से आधे लोगों को डर लगने लगा है  कि बीजेपी टिकट कब काट देगी पता नहीं है. दूसरा आपकी पीड़ा मैं समझता हूं मैं जीवन भर आपसे माफी मांगता रहूंगा कि पहले आपका पर्सनल खेल मैंने जो बिगाड़ा उसमें आप बार-बार उद्वेलित होते हो मुझे देखकर. बाद में आपने जो अमित शाह से मिलकर जो प्लान किया था इतने ले लूंगा उसमें चूक हो गई.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- पर्सनल और बाद में दोनों में खेल तूने ही बिगाड़ा था. इतना तो तय है.

          श्री पी.सी. शर्मा -- राजगढ़ में जोड़ा वाली माता जी इनकी बद्दुआ लगेगी आपको उनके मंदिर का काम हम शुरु करवाकर आए थे. विधायक जी बता रहे हैं आपने उस काम को बंद करवा दिया है. मंदिरों के जितने भी काम थे वह सब आपने बंद करवा दिए हैं. हमारे जितु भाई तैयार होकर आए थे लेकिन मुख्यमंत्री जी ने उनको डॉज दे दिया वो दिल्ली जाने वाले थे शादी में वो जा नहीं पाए.

          अध्यक्ष महोदय, मैं भूपेन्द्र सिंह जी से कहना चाहता हूँ कि स्मार्ट सिटी का काम पूरी तरह से बंद हो गया है उसमें 3 हजार करोड़ रुपए खर्च हो गए हैं. बुलेवर्ड रोड बन गई है वहां पर एक्सीडेंट हो रहे हैं. वहां कोई व्यवस्था नहीं है. कोई काम आगे नहीं हो रहा है. छोटे-छोटे दुकानदारों को आपने वहां से हटा दिया है. मकानों को हटा दिया है. वहां पर दुर्व्यवस्था हो रही है. इस प्रोजेक्ट को पूरा तो करो आप, सात साल हो गए हैं. भोपाल को आपने जो स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया है यह टांय-टायं फिस्स हो चुका है. इसको आप पूरा कराएं. पानी के इंडीविजुअल कनेक्शन देने बात कही गई थी वह भी नहीं दिया जा रहा है. इस पर गौर करें इसको करवाइए.  धन्यवाद.

          श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो आरोप-पत्र सम्मिट किया है उसी पर बात करूंगा. कोई रिपीटीशन नहीं होगा पर आपका थोड़ा संरक्षण चाहिए. मैं जिस विषय पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ और जो आरोप-पत्र मैंने सम्मिट किया है. इस सरकार के मंत्रिमंडल के खिलाफ, ऐसा विषय, ऐसा विभाग, चाहे कोई अमीर हो, चाहे गरीब हो, किसान हो या उद्योगपति हो. हर व्यक्ति को प्रभावित करने वाला विभाग है वह है बिजली विभाग. उधर बैठा हुआ सारा सदन जितनी भी पीठ थपथपा ले बिजली की हालत यह है कि 24 घंटे बिजली तो कहीं मिल नहीं रही है. 8 से 10 घंटे की हर कस्‍बे, हर गांव में आज कटौती हो रही है और जो एग्रीकल्‍चर फीडर हैं जिस पर 10 घंटे की बात और 10 घंटे के कसीदे यहां कई साथियों ने पढ़ दिये हैं पर एक बात मैं जरूर ध्‍यान में लाऊंगा. बिजली के बारे में मंत्री जी बोले, 2-3 मंत्री बोले लेकिन एक भी विधायक ने सरकार की पीठ नहीं थपथपाई, क्‍योंकि सत्‍ता पक्ष के भी विधायक जानते हैं कि खेत में किसान की क्‍या हालत हो रही है. 

           माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ट्रांसफार्मरों की परिस्‍थिति यह है कि चाहे पश्‍चिम डिस्‍कॉम हो जाए, चाहे मध्‍य डिस्‍कॉम हो जाए, चाहे पूरब डिस्‍कॉम हो जाए, अगर ट्रांसफार्मर जल जाता है तो 15 दिन तक वापस नहीं आता. 4 दिन पहले मैंने ही एमडी से बात की. एमडी से अनुरोध किया. मंत्री जी से बात की. मंत्री जी से अनुरोध किया.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय....

          अध्‍यक्ष महोदय -- इस के बाद आपका है.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शर्मा जी चमगादड़ पर भी आ जाएंगे. बैठ तो जाइए. आ रहे हैं उसी पर आ रहे हैं. मैं जानता हॅूं आपका दिमाग कहां है. अध्‍यक्ष महोदय, अपन दोनों भाई एक संभाग के रहने वाले हैं दोनों के दिल जुडे़ हुए हैं. चमगादड़ की बात भी होगी. मेरा अनुरोध है कि 100 केवी का ट्रांसफार्मर ही नहीं मिल रहा मध्‍य डिस्‍कॉम में. न 63 केवी का मिल रहा है. 15-15, 20-20 दिन की वेटिंग लिस्‍ट लगी हुई है और किसान मजबूर है, गांव मजबूर है. अंधेरे में गांव पडे़ हुए हैं पर मैं अपनी बात यहां से शुरू करने की जगह बिजली तीन विभागों में बंटी हुई है. एक जनरेशन कंपनी है, जो बिजली बनाने का काम करती है. एक ट्रांसमिशन कंपनी है जो बिजली पहुंचाने का काम करती है और एक डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनी है तीन डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनियां हैं जो बिजली उपभोक्‍ता तक पहुंचाती हैं. आप जनरेशन कंपनी के हालात देख लें. सिंगाजी ताप विद्युत गृह पॉवर प्‍लांट है बड़ा पॉवर प्‍लांट है. मल्‍टीस्‍पेशियालिटी पॉवर प्‍लांट है जिसकी छाती ठोकती है यहां की सरकार अभी, कि हमने बनाया, धम-धम-धम. इस पॉवर प्‍लांट में 202 करोड़ से ज्‍यादा का भुगतान इसलिए किया गया क्‍योंकि एक वर्ष में यूनिट एक 15 बार बंद हुआ. यूनिट दो 29 बार बंद हुआ. यूनिट तीन 14 बार बंद हुआ और यूनिट चार 21 बार बंद रहा.

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर) -- आपके समय में भी बंद रहा है, यह भी बताते चलना जरा.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- आप ही के समय में. कौन-सा समय आ गया. एक बात और है बड़ी अजीब-सी बात देखी मैंने आज के अविश्‍वास प्रस्‍ताव की चर्चा में. बहुत तरीके से डॉ.नरोत्‍तम मिश्र जी ने बंदूक सिंधिया जी के लोगों के कंधे पर रख दी. बैंगलोरी लालों के.(हंसी) यह जो बैंगलोरी लाल हैं ये इतना उचक-उचक के अपनी क्‍या सिद्धी स्‍पष्‍ट कर रहे हैं सरकार में न जाने किसको अपनी वफादारी का प्रमाण पत्र दे रहे हैं न जाने कहां (XXX) लगा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह शब्‍द नहीं लिखा जाएगा.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- डॉ.नरोत्‍तम जी, आप बड़ा विश्राम कर रहे हो अभी, पर आने वाला समय विश्राम का नहीं रहेगा. आने वाले समय में आराम हराम हो जाएगा. यह सब यहां आ जाएंगे. आप देख लो.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपने टॉपिक पर वापिस आता हॅूं. यही नहीं एक तरफ तो यह नुकसान हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रियव्रत सिंह जी, ऐसा प्रयास करो कि टॉपिक में वापिस न आना पडे़. टॉपिक पर ही चलते रहो.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं बिल्‍कुल लाइन पर चलूंगा. वह पुराने मित्रों को देखकर गाड़ी थोड़ी-सी पटरी से उतर जाती है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हड़बड़ाओ नहीं उनको देखकर.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- (कई सदस्‍यों के एक साथ अपने आसन से कुछ कहने पर) उनको भी अभी बड़ा उमड़ा. अरे कारम डेम फूट गया, भाई साहब. मत करवाओ..(हंसी)

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- चोटें उछलती हैं चोटें. चोटें उछलती हैं इनको देखकर.(हंसी)

          श्री प्रियव्रत सिंह -- चोट तो आपको लगने वाली है, हमें तो लग चुकी है. जो होना था, हो गया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रियव्रत सिंह जी, उनसे डरो मत. मैं हॅूं संरक्षण के लिये.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, डर तो किसी चीज का ही नहीं है. गांधी सागर जल विद्युत परियोजना की दो इकाईयां वर्ष 2019 से बंद पड़ी हैं. सबसे सस्‍ती बिजली मिलती है आइडल की. सस्‍ती बिजली की इकाईयां बंद और महंगी बिजली चालू. अब क्‍या खेल हो रहा है माननीय प्रद्युम्‍न सिंह तोमर जी, देखना पडे़गा. यह इस बात का अविश्‍वास है. अगर आपको नहीं समझ में आए तो मुझे एक दिन बुला लो, मैं सारी बात समझा दूंगा. एक और परिस्‍थिति है. एक तरफ तो सरकार का यह पैसा लग रहा है और 924 करोड़ रूपए प्रतिवर्ष यह सरकार बिना एक यूनिट बिजली खरीदे महंगे करार वालों को फ्री में भुगतान कर रही है और माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये 924 करोड़ में 15 महीने हमारी सरकार रही, हमने 75 मेगावॉट करार समाप्‍त करवाए. 75 मेगावॉट के महंगे करार समाप्‍त करवाए. अगर ऐसा ही है तो 19 रुपये में बिजली खरीद रहे हो टोरेंट इंडिया से, क्‍यों नहीं समाप्‍त करते, टोरेंट इंडिया का मालिक गुजरात में रहता है. गैस ऑपरेटेड पॉवर प्‍लांट भी गुजरात में है. एक यूनिट बिजली उससे नहीं खरीदी गई है. पर टोरेंट इंडिया से इनके निकलने की हिम्‍मत नहीं है. जब दिल्‍ली से फरमान आएगा और जिसने निकलने की कोशिश की उसकी कुर्सी चटक जाएगी. इसलिए मध्‍यप्रदेश की जनता को वह भुगतान करना पड़ रहा है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक तरफ तो यह पैसा लग रहा है, कोल इंडिया का समय पर भुगतान नहीं किया. कोल इंडिया का समय पर भुगतान नहीं किया तो 2022 में 14 रैक कोयले जो मिलने थे, उसकी जगह आपको 8 रैक कोयले मिले. आपकी जनरेशन कंपनी में अभी अगर आप देख लें तो लगभग-लगभग हर ताप विद्युत गृह में जनरेशन कंपनी की बहुत  हालत खराब है. मैंने थर्मल पॉवर प्‍लांट के संबंध में यह प्रश्‍न पूछा था, क्रमांक 1642, इसके उत्‍तर में मुझे जानकारी दी गई कि अप्रैल, 2020 से लेकर जनवरी, 2022 तक अमरकंटक ताप विद्युत गृह की इकाई 15 बार बंद हुई. सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की इकाई 61 बार बंद हुई. संजय गांधी ताप विद्युत गृह की इकाई 107 बार बंद हुई और सिंगाजी ताप विद्युत गृह की इकाई 138 बार बंद हुई, जिसका उल्‍लेख मैं पहले कर चुका हूँ. ये इकाइयां जब बंद हो रही थीं तो जूते-चप्‍पल निकाल कर पता नहीं कहां फावड़ा चला रहे थे.

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर) -- अब मेरी बात सुन लो.   

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय बैठिए.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं 2 मिनट बोलना चाहूँगा.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- इसलिए कहता हूँ कि सोए हुए शेर को मत छेड़ो.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तीनों डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनी, चाहे पूर्व क्षेत्र की डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनी हो. चाहे पश्‍चिम क्षेत्र की हो.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जानकारी भ्रमित है.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- चाहे मध्‍य क्षेत्र की डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनी हो..

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अब मेरी बात सुन लें, आपने ट्रिपिंग की बात की.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं इनकी एक नहीं सुनुंगा.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍होंने मुझे इंगित कर कहा है. अगर मैं जवाब नहीं दूंगा तो यह माना जाएगा कि ये सत्‍य बोल रहे हैं. ये असत्‍य बोल रहे हैं, उस पर मैं टिप्‍पणी कर रहा हूँ.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- आप ही ने उत्‍तर दिया है, दस्‍तखत करते हैं, नोट शीट पर दस्‍तखत करते हो, देखना चाहिए, उत्‍तर पढ़ना चाहिए. मैंने तो प्रश्‍न पूछा था, उत्‍तर आपने दिया है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- सुन लीजिए, मैं क्‍या बोलना चाहता हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रियव्रत सिंह जी, बैठ जाइये, उनको सफाई देने दीजिए. सीधे आपने उनसे कहा तो सफाई देने दीजिए ना.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, वितरण कंपनियों की हालत बहुत खराब है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रियव्रत सिंह जी, सीधा उनकी तरफ कहा ना, इसलिए उनकी बात एक मिनट में आ जाने दीजिए.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके समय में वर्ष 2019-20 में साल भर 150 बार ट्रिपिंग हुई है. अभी इस समय में टोटल 106 बार ट्रिपिंग हुई है. आपसे 50 बार कम हमारी इकाइयों की ट्रिपिंग हुई है.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- किसकी ट्रिपिंग की बात आप कर रहे हैं.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- जो इकाइयां हैं, मैं उनकी बात कर रहा हूँ. टोटल की मैं बात कर रहा हूँ. अगर चाहें तो मैं इसका रिकार्ड प्रस्‍तुत कर सकता हूँ.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- किस बात की ट्रिपिंग.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- हमारे प्‍लांट की ट्रिपिंग की बात बता रहा हूँ, आपने जो बोला है.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- यह तो मैंने आपको उल्‍लेखित किया है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अरे मैं आपकी संख्‍या बता रहा हूँ टोटल, आपके समय के कार्यकाल की और अपने समय की कार्यकाल की बात कर रहा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रियव्रत सिंह जी, आगे बढ़िए.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- प्रश्‍न के उत्‍तर में जो आपने संख्‍या बताई है, वह आपको प्रियव्रत सिंह बता रहे हैं, जितनी बार ट्रिपिंग हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सज्‍जन वर्मा जी, आगे बढ़ने दीजिए.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, विद्युत नियामक आयोग, विद्युत नियामक आयोग ने लिखा है लाइन लॉसेस के लिए कि आप लाइन लॉसेस कंट्रोल करने में अक्षम रहे हैं. बिजली की कीमत आपकी सरकार में वर्ष 2003 से वर्ष 2017 तक 27 बार बढ़ाई गई. ये डिस्‍कॉम कंपनियों का गठन वर्ष 2003 के इलेक्‍ट्रिसिटी एक्‍ट के बाद हुआ था. वर्ष 2004 से आपकी सरकार है वर्ष 2018 तक, वर्ष 2004 से 2018 तक 56 हजार करोड़ के घाटे में आप लेकर आए हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह कोशिश की जाती है, 15 महीने बनाम ढाई साल, आज पूरे अविश्‍वास प्रस्‍ताव में यह प्रयास किया गया है. मैं बोलना चाहता हूँ कि 15 साल बनाम 15 महीने, 15 महीने बनाम ढाई साल बात करें हम. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2020-21 और 2021-22 की ट्रिपिंग, जो लाइन लॉसेस हैं मध्‍य क्षेत्र के, 38 प्रतिशत हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 100 रुपये 100 यूनिट की बात की जा रही है. मैं अपने मुद्दे पर आ जाऊँ, 100 रुपये 100 यूनिट बिजली, बड़ी पीठ थपथपाई गई. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो ये 1 करोड़ 22 लाख डोमेस्‍टिक उपभोक्‍ताओं की बात कर रहे हैं और 1 करोड़, 22 लाख डोमेस्टिक उपभोक्‍ताओं में से 90 लाख को जो फायदा मिला है वह 2020-21 में मिला है, 2019-20 में मिला है, आज वह फायदा नहीं मिल रहा है. यह कोई कर्मचारी ने आपको गलत पर्ची पहुंचा दी है इसको जरा आप वेरीफाइ करवाइए. आज ढाई सौ रुपये यूनिट से बिल उठाया जा रहा है और एक तरफ जब 2019 में माननीय शिवराज सिंह चौहान जी जाते थे, गांव-गांव में जाकर भाषण, उनके बयान हैं ट्वीट पर, उनकी वीडियो क्‍लीपिंग है कि 200 रुपये से ज्‍यादा का बिल आए तो बिल मत भरना, बिल जला देना, लाइन कोई काट दे तो मामा जोड़ने आएगा. कांग्रेस की सरकार में 15 महीने में हमने किसी का कनेक्‍शन नहीं काटा, दावे के साथ छाती ठोककर कह सकता हूं, हमने किसी का कनेक्‍शन नहीं काटा, परंतु आज कनेक्‍शन काटे जा रहे हैं. धारा 135 और 138 का कमलनाथ जी की कैबिनेट में जिसमें माननीय आप भी बैठे थे, उसमें जो विद्युत अधिनियम की धारा 135 और धारा 138 को समाप्‍त करने का प्रस्‍ताव करके केन्‍द्र सरकार को भेजा था और हमने धारा 135 और धारा 138 के अंतर्गत मध्‍यप्रदेश के किसी किसान भाई के ऊपर कोई केस नहीं बनाया 15 महीने में, आपने 2 लाख किसानों से ज्‍यादा के ऊपर केस बनाए हैं और उसमें से कम से कम 50 हजार किसानों को जमानतें करानी पड़ी हैं और उसमें से 25 हजार तो जेल गए हैं, यह हैं किसान के बेटे का राज और इसीलिए आज अविश्‍वास की बात कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, बिलों की बात हो रही है आज, बिल में करेक्‍शन करने के लिए हमने समितियां गठित की थीं. स्‍थानीय स्‍तर की पद के नाम से समिति बनाई थी, उसमें एक किसान, एक व्‍यापारी प्रतिनिधि, एक पार्षद, एक जनपद या पंचायत का सदस्‍य, 5 लोगों की समिति रहती थी, उसमें जेई भी रहता था. हर महीने में दो बार इसकी मीटिंग होती थी, कोई भी किसान या आम उपभोक्‍ता इस मीटिंग में अपना बिल प्रस्‍तुत करके उसमें करेक्‍शन करवा सकता था. इन्‍होंने उन समितियों को खत्‍म कर दिया. समितियां खत्‍म करके आज डीई को पावर दिया है और डीई के ऊपर एसई को पावर दिया है. पहले डीई को दिया था और उसके बाद एसई को पावर दे दिया. अब एसई भी बिल ठीक नहीं करता है. क्‍या आम उपभोक्‍ता एसई के पास पहुंच सकता है. संभव है. आज बिल ले लेकर घूम रहे हैं. अभी जबलपुर की घटना है, माननीय मंत्री जी वहां जबलपुर गए वहां पर एक महिला आई, बड़े संवेदनशील मंत्री हैं, उनके घर पहुंच गए, उनका बिल करेक्‍शन करवा दिया. एक महिला तो मंत्री जी से मिल ली, पेपर में भी छप गया, न्‍यूज़ में भी आ गया, आज सैकड़ों महिलाएं, आम बच्‍चे, युवा जबलपुर में घूम रहे हैं, मैं एक मिनट में खत्‍म कर रहा हूं, बिजली के बारे में किसी ने बात नहीं की है, हमारे दल से किसी ने बात नहीं की है सबने मेरे लिए छोड़ा था इसलिए मैं बोल रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, एक मिनट में पूरा करिए.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, आज बिल की विसंगतियां ठीक करने वाला कोई नहीं है. जबलपुर पूरा घूम रहा है, राजगढ़ पूरा घूम रहा है. यहां तक कि ग्‍वालियर के लोग भी घूम रहे हैं माननीय, ग्‍वालियर की तो हो जाती ठीक पर क्‍या करें नाली साफ करना प्राथमिकता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, नये ट्रांसफार्मर्स की खरीद पर पूर्ण रूप से रोक है. अब अगर नए ट्रांसफार्मर्स नहीं आएंगे तो ट्रांसफार्मर बदलाएंगे कैसे, ठीक कैसे होंगे और ट्रांसफार्मर्स बदलाएंगे नहीं, ठीक नहीं होंगे तो फिर कैसे वहां पर विद्युत व्‍यवस्‍था स्‍थापित होगी. यह सारी विसंगतियां आज इस विभाग में हैं और ट्रांसमिशन कंपनी जो एक अकेली प्रॉफिट मेकिंग कंपनी थी वह इन्‍होंने अडानी जी को भेंट कर दी. भेंट हो गई वह पूरी कंपनी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया. पूरा कीजिए.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- आज एक भी 132 केव्‍ही का केन्‍द्र बनेगा तो वह अडानी जी बनाएंगे और 25 साल तक मध्‍यप्रदेश की उस संपदा का इस्‍तेमाल करेंगे. जेनको की संपदा इन्‍होंने बर्बाद कर दी. जेनको घाटे में है और पैसा देने के लिए सरकार तैयार नहीं है. यही स्थितियां आईपीपी ..

          अध्‍यक्ष महोदय -- बस हो गया आपने कहा, हमने एक मिनट दे दिया. 15 मिनट हो गया है.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- एनटीपीसी को 602 करोड़ रुपये की पेनाल्‍टी.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अडानी जी को ठेका किसने दिया था यह बताएंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- 15 मिनट हो गया, वही बात हर बार आ रही है. प्रद्युम्‍न सिंह जी, उनको खत्‍म करने दीजिए.

श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री स्‍वेच्‍छानुदान, नरोत्‍तम जी अपने दिल पर हाथ रखकर कह दीजिए, यहां पर भार्गव साहब भी हमारे सबसे वरिष्‍ठ विराजमान हैं आपसे भी अनुरोध करूंगा अगर कोई मर रहा है अस्‍पताल में तो क्‍या उसकी पार्टी पूछी जाती है.         

लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - मैं तो मौन हूं अभी. मैं स्मरण कराना चाहता हूं 22 साल पहले की बात है, पूरा वेस्टर्न ग्रिड फेल हो गया था.  श्री दिग्विजय सिंह जी उस समय थे.

श्री प्रियव्रत सिंह - 22 साल पहले मैं कॉलेज में पड़ता था.

श्री गोपाल भार्गव - रेलें ज्यों की त्यों खड़ी रहीं. कारखाने बैठ गये. सारी बातें यदि आपने रिकॉर्ड देखा हो तो आपकी जानकारी में होगा. हिन्दुस्तान में मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा उस दिन बदनाम हुआ. आपको मालूम होगा, आप पढ़ लेना.

श्री प्रियव्रत सिंह - उसके बाद इस देश के कमलनाथ जी पॉवर मिनिस्टर बने, और उन्होंने ग्रिड सिस्टम लागू किया और एक कमेटी बनाई जो ग्रिड के डिस्ट्रिब्यूशन को देखेगी.

अध्यक्ष महोदय, स्वेच्छा अनुदान का मामला बहुत महत्वपूर्ण है. कोई अस्पताल में तड़प रहा है.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - गोपाल भैया, आप मोहन जोदड़ो की खुदाई से निकालकर लाते हो,  22 साल पहले?

अध्यक्ष महोदय - स्वेच्छा अनुदान के मामले में व्यवस्था दे दी है. कमेटी बनाने का मैंने कह दिया है, स्वेच्छा अनुदान की कमेटी बनाने का कह दिया है, मैंने पहले उसको कह दिया है.

श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं बैठ जाऊंगा. मैं एक मिनट भी खड़ा नहीं रहूंगा.

अध्यक्ष महोदय - विधायकों का स्वेच्छा अनुदान.

श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, विधायक स्वेच्छा अनुदान की मैं बात नहीं कर रहा हूं. मैं सीएम स्वेच्छा अनुदान की बात कर रहा हूं. सीएम स्वेच्छा अनुदान में अगर अस्पताल में कोई भर्ती होता है, कोई तड़प रहा है उसका ऑपरेशन होना है, उसकी किडनी का ऑपरेशन होना है, उसका हॉर्ट का, लीवर का ऑपरेशन होना है और अगर कांग्रेस के विधायक का लेटर पैड जाएगा तो उसको रिजेक्ट कर दिया जाएगा, यह निंदनीय कार्य सरकार कर रही है. इसके लिए सरकार की जितनी निंदा हो सके, मैं करूंगा और अविश्वास व्यक्त करूंगा.

श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) - अध्यक्ष महोदय, जो यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है मैं उसके विरोध में खड़ा हूं. अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के तमाम सदस्य विभिन्न मुद्दों पर अपनी अपनी बात कह रहे हैं. हमारे सदस्यों ने, हमारे वरिष्ठ मंत्रियों ने भी अपनी बात कही है. चूंकि जब सदन के अंदर चर्चा होगी तो तुलनात्मक ही चर्चा होगी और जब हाल ही में इनसे जो दर्द है वह बार-बार निकल रहा है, उस पर भी चर्चा होगी क्योंकि वहां के सदस्य यहां आए हैं तो कोई तो कारण रहा होगा जिंदगी में अगर आदमी मनुष्य के रूप में पैदा होता है तो परमात्मा से वह सम्मान की दुहाई देता है. माता-पिता भी आज की तारीख में सम्मान की दुहाई देते हैं. आखिर यह निर्वाचित जनप्रतिनिधि है. हम जनता के द्वार पर वोट लेने जाते हैं तो वोट किस कारण लेना है यह बताते हैं और जब उसके कारण हमको जब वोट मिलते हैं तो जब हम जीतकर आते हैं तो निश्चित रूप से हम उसकी पूर्ति कराने के लिए संघर्ष करते हैं. माननीय जो श्री कमलनाथ जी की सरकार के बारे में चर्चा है. अभी बहुत सी बातें कहीं. श्री पी.सी. शर्मा जी ने पढ़ा ही नहीं. मेरे क्षेत्र में जो माननीय भारत सरकार के सहयोग से एलिवेटेड कॉरिडोर 221 करोड़ रुपये का आ रहा है. मध्यप्रदेश सरकार के बजट में यह है और यह डबल डेकर रोड साढ़े तीन कि.मी. बनेगा. भोपाल से इंदौर जाने वाला रास्ता मात्र 3 मिन में पूरा होगा. यह लालघाटी से बनेगा. दूसरा, मैं प्रार्थना करना चाहता हूं कि मंदिर की बहुत बात की. हमारे श्री लक्ष्मण सिंह जी बैठे हैं.

कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा - अध्यक्ष महोदय, 3 मिनट में कैसे हो सकता है?

श्री बाला बच्चन - इंदौर से भोपाल तीन मिनट में?

कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा- भोपाल से इंदौर तीन में मिनट में संभव ही नहीं है.

अध्यक्ष महोदय - वह कॉरिडोर की बात कर रहे हैं, जो साढ़े तीन कि.मी. लालघाटी के पास बन रहा है. इसका कह रहे हैं.

श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि या तो आप भयग्रस्त हैं या सुनने की मानसिकता में नहीं है. भाई साहब, जो तीन, साढ़े तीन कि.मी. का पुल बनेगा, वह ढाई से तीन मिनट में उसकी दूरी तय होगी क्योंकि जब आप इंदौर, बैरागढ़ के अंदर से जाते हैं तो कभी कभी आपको 15 से 20 और 25 मिनट भी जाम के कारण लगते हैं. मैं उसकी बात कर रहा हूं. चलिए, मैं दूसरी बात करता हूं. यह सरकार बहुत से विभिन्न मुद्दों पर बात कर रही है. अनुसूचित जाति की दुहाई दे रही है. मुझे बताइए, पूछिए श्री कमलनाथ जी से, सहरिया, भारिया, इनका एक हजार रुपये महीने जो वेतन माननीय श्री शिवराज सिंह जी ने शुरू किया था, वह इन्होंने बंद क्यों किया, क्या वह आदिवासी इनकी नजरों में नहीं है? क्या उनको नहीं देना चाहिए, यह बात करते हैं मंदिरों की. मंदिरों की बात करते हैं, यह पेपरों की कटिंग है. माननीय श्री पी.सी. शर्मा जी का चित्र है, बीच में श्री कमलनाथ जी विराजमान हैं. इधर मोहन्ती साहब विराजमान हैं. मंदिरों की जमीन को बेचने का प्रस्ताव है बिल्डरों को देने के लिए. यह प्रस्ताव है. एक में हम और श्री लक्ष्मण सिंह जी कमेटी में थे. यादव जी ने प्रस्ताव लाया था. इसी हाउस के अंदर हमने कहा था कि  आप जो  गौ कसी पर कानून  ला रहे हैं कमलनाथ जी, वह कसाइयों को  पावरफुल कर रहे हैं  और गौ पालकों को जेल भेजने की  तैयारी कर रहे हैं.  उस समय हमारे विरोध के बाद कमलनाथ जी ने वह प्रस्ताव वापस लिया.  लक्ष्मण सिंह जी और मैं उस कमेटी में थे.  हमने इन्दौर और तमाम जगह जाकर  बात की. तो जो सरकार में हैं,  उस समय जो सरकार में थे,  क्या यह बतायेंगे,  क्या मंदिरों की जमीन  आपको बैचने का अधिकार दिया है  भगवान ने.  अगर आप मंदिरों  की जमीन  बैचते हैं, तो फिर वक्फ बोर्ड की  जमीन  के बारे में  आपने  क्यों नहीं सोचा.  फिर उसके बारे में आपने  क्यों नहीं किया. हजारो,लाखों एकड़ सरकारी जमीन को  नाजायज  तौर तरीके से वक्फ बोर्ड ने केवल   सरकारी जमीन पर  वक्फ लिख दिया और  इतने में वह जमीन  उनकी हो गई  और उन्होंने स्वयं का कोर्ट गठित कर लिया मनमोहन सिंह जी के कारण.  मनमोहन सिंह जी  जो 2013 में एक कानून लाये,  उस कानून के कारण   आज मध्यप्रदेश की ही कम से कम 2 लाख हेक्टेयर जमीन  नाजायज तौर पर  वक्फ बोर्ड  के  कब्जे में हो गई  और यह इस बात पर विचार करना चाहिये.  इसका जवाब कांग्रेस देगी.  यह बहुत बात कर रहे थे ट्रांसफरों के बारे में.  अमर उजाला में एक खबर  छपी है.  इसमें छपा है कि  कमलनाथ जी की सत्ता  आते ही सम्बल योजना बंद. क्या सम्बल योजना में  भाजपा  के लोगों को लाभ दिया जाता था.  अगर मेरे सदस्य  उमंग सिंघार जी ने कोई बात की है,  अगर सम्बल योजना कमलनाथ जी की  लागू होती,  किसी बहन का पैर  खराब नहीं  हो  सकता. उसमें सबकी इलाज की गुंजाइश थी और 38 प्रकार की योजनाएं थीं.  वह योजनाएं इन्होंने बंद कीं. क्या इसके बारे में ये जवाब देंगे.  मैं दूसरी बात पूछना चाहता हूं कि  इन्होंने कहा कि कर्मचारी..

                   अध्यक्ष महोदय-- वह उमंग सिंघार नहीं थे.

                   श्री बाला बच्चन-- उमंग सिंघार जी ने बात कब कही थी.  उमंग सिंघार जी ने तो  छुट्टी ले रखी है.

                   श्री रामेश्वर शर्मा-- सॉरी,  ओमकार सिंह मरकाम जी ने कही थी.  मरकाम जी से अभी मेरी बात हुई है.

                   श्री ओमकार सिंह मरकाम -- शर्मा जी, आप इतनी जल्दी भूले  जा रहे हैं बात.

                   श्री रामेश्वर शर्मा-- नहीं भूलते हैं बात.   अब चूंकि इन्होंने उमंग सिंघार जी का  नाम ले लिया तो  उनका भी उल्लेख कर देते हैं.  उन्होंने क्या क्या कहा था.  इसलिये यह  लिखा है कि सिर्फ   अधिकारियों के  तबादले में  कमलनाथ सरकार ने  30 करोड़ रुपये खर्च कर डाले. यह है अमर उजाला की खबर.  मेरी नहीं है.  (प्रतिपक्ष की ओर से नकली पेपर है, की आवाज आने पर) यह क्या नकली पेपर हो गया.  वाह असली. यह पेपर नकली हो गया.  अगर सत्ता में आपको पैसे की जरुरत थी या  सत्ता से पैसे को बचाना था और जनहित में लगाना था, तो  इतने कर्मचारियों के आपने  तबादले क्यों  किये  कि 30 करोड़ रुपये खर्च हुए.  वही 30 करोड़ आप  चाहते तो  गरीब बेटा बेटियों  की शादी करा सकते थे.  उनका इलाज करा सकते थे या मुफ्त में  उनकी उच्च शिक्षा की  व्यवस्था करा सकते थे.  वह तो आपने नहीं की.

                   श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष जी, शर्मा जी को आपसे  प्रतिद्वंदिता है.  प्रोटेम स्पीकार थे, आप आ गये  तो   इसलिये थोड़ा सा प्रतिद्वंदिता है.

                   अध्यक्ष  महोदय-- नहीं नहीं. ये कोई प्रतिद्वंदिता  नहीं है.  आपने बोला तो पूरा टाइम दिया,  उनको भी टाइम दिया.

                   श्री रामेश्वर शर्मा-- आपकी क्या सबकी  गोविन्द सिंह जी से है. इसलिये मैं आपसे प्रार्थना करना चाहता हूं कि यह 30 करोड़ रुपये कहां खर्च किये.  ये बहुत सी बातें करते हैं,  सागर में  धन प्रसाद  अहिरवार,  यह अहिरवार अनुसूचित  जाति के  एक बेटे को मुसलमानों  ने  जिन्दा जला दिया,उस पर आपने क्यों बात नहीं की.  यह तो आपकी सरकार का मेटर था.  इसमें तो आपने कार्यवाही  नहीं की.  ये देखिये, यह भी इन्हीं की  सरकार का मेटर है.  मध्यप्रदेश में खुले में शौच करने पर  दलित  बच्चियों को पीट पीट कर हत्या कर  दी.  यह भी इन्हीं की सरकार का है.  मांगिये अनुसूचित जाति, जनजाति से माफी.  क्योंकि यह एक पाप है. यह निर्दोषों की हत्या  के लिये  सरकार अगर  अपराधियों को  संरक्षण देती रही और  निर्दोष इसी तरह  पिटता रहा और  मरता रहा,  अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के   व्यक्ति,तो इसकी जवाबदेही  आपकी नहीं थी  उस समय. इस पर आप विचार  नहीं कर सकते थे.  इसलिये बहुत सी चीजें ऐसी हैं,  जिन पर यहां पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन  मैं एक आपसे  निवेदन करना चाहता हूं कि  शिवपुरी..

          डॉ. सतीश सिकरवार—(XXX) मंत्री नहीं बन पायेंगे.

          श्री रामेश्वर शर्मा -   सतीश, (XXX) जहां तुम चले गये. (XXX) हम विचार के लिये लड़ते हैं. हम अपने धर्म और संस्कृति के लिये लड़ते हैं. (XXX) हम तो अपनी धर्म और संस्कृति के लिये लड़ रहे हैं. जिये या मरें पर देश के लिये लड़ते रहेंगे. इसीलिये राजनीति में (XXX) शब्द बंद कर दो वरना हमें भी बोलना आता है. एक सम्मानित चार-पांच बार के केन्द्र में मंत्री,भूल से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री. वे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बारे में कमेंट करते हैं (XXX) अगर पंडित जवाहर लाल नेहरू भी आज जिंदा होते. स्वर्गीय इंदिरा गांधी भी आज जिंदा होती स्वर्गीय इंदिरा गांधी भी आज जिंदा होतीं तो इस शब्द पर कभी कमलनाथ जी को माफ नहीं करतीं बल्कि यह कहतीं कि या तो मैं कांग्रेस में  रहूंगी या कमलनाथ जी कांग्रेस में रहेंगे. यह इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं. माननीय गोविन्द सिंह जी जिस तरह से आपकी घेराबंदी करके अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और आपको बलि का बकरा बनाया गया.

          डॉ.गोविन्द सिंह - मुझे बलि का बकरा न आप बन सकते हैं न ये बना सकते हैं. हम इतने कमजोर नहीं हैं.

          अध्यक्ष महोदय - डाक्टर साहब को कोई नहीं बना सकता कोई कुछ बना सकता है तो नरोत्तम जी बना सकते हैं बाकी कोई नहीं बना सकता.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैं उनको बड़ा भाई बना चुका हूं.

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -  जो आपने धर्म और संस्कृति की बात कही  तो ठेका आपने ही ले रखा है. आपके मंत्री जी ने अभी कुछ दिन पहले सीता मैया के बारे में जो शब्द कहे उसकी भी व्याख्या कर देते. धर्म का ठेका आपने ही नहीं ले रखा है. हम लोग भी धर्म और संस्कृति को जानते हैं. समझते हैं. उसका आदर करते हैं.

          अध्यक्ष महोदय - आपका समय आयेगा. पूरी बहस के दौरान 9 घंटे के भीतर आप लोग बोलते रहे. रामेश्वर जी, जैसे व्यक्ति ने एक शब्द कमेंट नहीं किया जो कि हर विषय पर बोल सकते है तो कम से कम उनको शांतिपूर्ण ढंग से सुनिये.

          श्री रामेश्वर शर्मा - मेरी बड़ी बहन और अनेक बार यह मंत्री रहीं. किसके बारे में क्या बोला यह आ जाता है लेकिन यह  कितने दुर्भाग्य की बात है कि एक सरकार हलफनामा देती है सुप्रीम कोर्ट में. जगत पिता,जगत ईश्वर,जगत जगदीश्वर भगवान श्रीराम को काल्पनिक कहती है वह आपकी सरकार है आपकी सरकार ने कहा सुप्रीम कोर्ट मे कहा. मनमोहन सिह जी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा. जो सरकार राम को नकार सकती है वह कांग्रेसियों ध्यान रखो तुम हिन्दुस्तानियों का भरोसा नहीं जीत सकते.

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -  इस विधान सभा के जो सदस्य हैं. जो सरकार के मंत्री हैं उन्होंने चार दिन पहले जो कहा उसके बारे में तो बोल दो. जो संस्कार और संस्कृति की बात करते हैं. जो शिक्षा मंत्री है. जिनके पास बच्चों को शिक्षित करने का जिनके पास बीड़ा है. उनके मुख से जो निकला है उसके बारे में तो बोलो.

          श्री रामेश्वर शर्मा - आपका यह कहना है तो जरा आप उसके बारे में भी तो बोलिये अवध के राम मन्दिर की आप बात करते हैं (xx) तो देश से माफी मांगकर कहो ना कि हमने राम को काल्पनिक कहने का अपराध किया.कांग्रेसियों माफी मांगो. क्यों नहीं मांगते आप माफी.

          अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जायेगा.

          श्री तरुण भनोत - कभी नहीं कहा.

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -  क्या आप तय करेंगे. आप कोई धर्म के ठेकेदार नहीं हो. यह आप तय नहीं करोगे कि हम किसको मानें किसको न मानें.

          (..व्यवधान...)

          श्री रामेश्वर शर्मा - क्या आप राम को काल्पनिक मानते हो. आपकी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है.(..व्यवधान..) मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा. सीता को हम वैदेही मानते हैं. जगत माता मानते हैं.

            (..व्यवधान..)

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - xx..xx

            अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जायेगा.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  अरे मेरी बहन, मेरी दीदी मुझे सुन तो लो. जय जय श्री राम भी बोल सकते हैं, जय सिया राम भी बोल सकते हैं, सीता माता भी हमारी है, राम भी हमारे हैं, अयोध्‍या भी हमारी है, तुम्‍हारा क्‍या, तुम्‍हारा अब बचा क्‍या है. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  तुम कोई ठेकेदार नहीं हो. ...(व्‍यवधान)...

          श्री तरूण भनोत--  तुम्‍हारे जैसे लोगों को धर्म की बात ही नहीं करना चाहिये. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  बैठ जाइये आप लोग ...(व्‍यवधान)... ऐसा लगता है कि पहले से तय करके रखा है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री जितु पटवारी--  अध्‍यक्ष जी, इनको माफी मांगनी पड़ेगी अन्‍यथा हम मुख्‍यमंत्री का भाषण नहीं सुनेंगे.  ...(व्‍यवधान)... हम मुख्‍यमंत्री के भाषण का बहिष्‍कार करेंगे, माफी मांगों ...(भारी व्‍यवधान)... 

          श्री इंदर सिंह परमार--  (XXX). ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  मैं व्‍यवस्‍था दे रहा हूं न, आप बैठ जाईये. ...(व्‍यवधान)...

          श्री जितु पटवारी--  राम को बांटने वाला हिन्‍दू हो ही नहीं सकता. ...(व्‍यवधान)... अगर यह माफी नहीं मांगेगे तो हम मुख्‍यमंत्री का भाषण नहीं सुनेंगे.

          श्री इंदर सिंह परमार--  अध्‍यक्ष महोदय, कोई माफी नहीं मांगेगा. ...(व्‍यवधान)... आपने राम को काल्‍पनिक बताया कि नहीं बताया ...(व्‍यवधान)...

          (सत्‍ता पक्ष के सदस्‍यों द्वारा जय जय श्री राम के नारे लगाये गये).

अध्‍यक्ष महोदय -- मैं व्‍यवस्‍था दे रहा हूं, पहले तो यह सुन लीजिये कि शुरू में ही मैंने कहा था कि अगर नेता प्रतिपक्ष को शांतिपूर्वक सब सुनेंगे तो सबको सुनना पड़ेगा, पहली बात तो यह है, अब आप जो यह कह रहे हैं कि नहीं हमको नहीं सुनना है बाहर जाना है. (श्री जितु पटवारी, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से बार-बार कुछ कहने पर) पहले आप जितु जी सुन लीजिये, यह गलत है, मैं खड़ा हूं तो आप नहीं खडे़ होंगे. आप बैठो तो. (व्‍यवधान..)

श्री जितु पटवारी --  अध्‍यक्ष महोदय. (व्‍यवधान..)

श्री इंदर सिंह परमार -- अध्‍यक्ष महोदय, पटवारी की गुंडागर्दी चलेगी क्‍या, यह नहीं चलने देंगे. (व्‍यवधान..)

अध्‍यक्ष महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) सब बैठ जायें, मैंने जब यह कहा कि सबको शांतिपूर्वक सुनना है, अब इससे यही पता चला है कि जो एक संदेह था, वही होने वाला है, ऐसा मत प्रदर्शित करो, उन्‍होंने क्‍या कहा पहले सुन लो, उन्‍होंने यह कहा कि हमारे राम है, हमारी सीता हैं, तुम्‍हारा क्‍या? आप भी यह कहो कि हमारे राम हैं, इसमें दिक्‍कत क्‍या है, कहो न हमारे राम हैं (व्‍यवधान)..

श्री जितु पटवारी-- अध्‍यक्ष महोदय, यह गलत बात है (व्‍यवधान)..

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- राम के मं‍दिर का चंदा खा गये. (व्‍यवधान)..

डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष महोदय, अब यह हमें बोलना पड़ेगा. (व्‍यवधान)..

श्री इंदर सिंह परमार -- राम कहो न सब, हम तो चाहते हैं कि आप सब कहो न सब राम, हमारे भी राम है, आपके भी राम है, बोलो राम. (व्‍यवधान)..

डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- राम के नाम का चंदा खा गये. यह हमको बतायेंगे. (व्‍यवधान)..

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- राम के नाम का खा गये. (व्‍यवधान)..

श्री जितु पटवारी -- हमारा अपमान किया है, हमारे राम का अपमान किया है, माफी मांगनी पड़ेगी. (व्‍यवधान)..

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- राम के नाम का चंदा खाने वाले लोग. (व्‍यवधान)..

श्री इंदर सिंह परमार -- सज्‍जन भईया चंदा और धंधे का काम आप ही करते हो डाका डालने का, राम मंदिर का, राम का पैसा किसने खाया, सारे देश को खा गये. यदि हम बोलने लगे तो आप सुन लो. (व्‍यवधान)..

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- आप धर्म के ठेकेदार हो. राम के नाम का चंदा खा गये शर्म आना चाहिये. भगवान के नाम का चंदा खाते हो (व्‍यवधान)..

श्री जितु पटवारी -- या तो वह माफी मांगे (व्‍यवधान)..

अध्‍यक्ष महोदय -- इसमें माफी मांगने का (व्‍यवधान)..  न तो असंसदीय है (व्‍यवधान).. यह तर्क आपका गलत है कोई यह कहता है कि हमारे सीताराम है, हमारे सियाराम है, हमारी जानकी है, इसमें गलत क्‍या कहा है, वह क्‍यों माफी मांगे(श्री जितु पटवारी, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से बार-बार कुछ कहने पर)  यह गलत है, आप भी बोलो हमारे सीताराम कौन आपको रोक रहा है, आपको जय सियाराम का नारा लगाना चाहिये तो बराबर हो जायेगा(श्री जितु पटवारी, सदस्‍य   एवं इंडियशन नेशनल कांग्रेस के कई सदस्‍यों द्वारा अपने आसन से बार-बार कुछ कहने पर) नहीं-नहीं, यह सब नहीं चलेगा, यह मैं नहीं चलने दूंगा. (व्‍यवधान)..

श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय, यह तो उनको करना ही था, लेकिन जल्‍दी कर गये. बिना मुद्दे के कर गये.  (व्‍यवधान)..

नेता प्रतिपक्ष(डॉ.गोविन्‍द सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐसा है (व्‍यवधान)..

श्री इंदर सिंह परमार -- यह कांग्रेस के लोगों का चरित्र है, सारे आरोप लगाकर बाहर भागना चाहते हैं. यह  लोग सारे आरोप लगाकर बाहर भागना चाहते हैं, बहस में टिकना नहीं चाहते हैं. हम सारे विषयों पर बहस करना चाहते हैं, जैसा चाहो वैसा बहस करना चाहते हैं, गलत जानकारी मत दो, गलत बातें मत बोलो, हम चाहते हैं, हम सारा इतिहास खोलकर रख देंगे कि तुमने क्‍या पढ़ाया देश के लोगों को? कितनी गलत जानकारियां दी हैं, कर लो बहस हो जायेगा फैसला, हम बहस करने के लिये तैयार है. (व्‍यवधान)..सेना के खिलाफ बोले, वैज्ञानिकों के खिलाफ बोले(व्‍यवधान)..

अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें. (व्‍यवधान)..

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- ये चंदा खोर हमसे बहस करेंगे. (व्‍यवधान)..

अध्‍यक्ष महोदय -- (श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) अरे मरकाम जी नेता प्रतिपक्ष खड़े हो रहे हैं, नेता प्रतिपक्ष जी को समय दिया है. (श्री रामेश्‍वर पटेल , सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) पहले डॉ. गोविन्‍द सिंह जी का हो जाये.

डॉ.गोविन्‍द सिंह -- यह जो विवाद हो रहा है, हमारा आपसे निवेदन है कि जो कहा है, वह कार्यवाही से निकाल दें.

अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, क्‍यों क्‍या गलत कहा है, पहले यह तय कर दो. गलत क्‍या कहा है ?पहले यह हमको बताओ, गलत होगा तब निकालेंगे.

डॉ. गोविन्‍द सिंह -- देखो ऐसा है कि सच्‍चाई तो यह है कि राम न इनके हैं, राम न इनके हैं, राम हमारे हैं, हम उनके वंशज हैं, हम रघुवंशी हैं, रघुवंशी हैं, सूर्यवंश के हैं.                   

अध्‍यक्ष महोदय - ठीक है, कोई बात नहीं(...व्‍यवधान)

          श्री विश्‍वास सारंग(चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री) - अध्‍यक्ष जी, बोलने दीजिए. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - संसदीय कार्यमंत्री की सुन लो, अभी संसदीय कार्यमंत्री को समय दिया है.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या जितु पटवारी जी नेता प्रतिपक्ष पर हावी है, ये गलत बात है, पटवारी जी, आप मर्यादाएं तोड़ रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं नहीं, गोविन्‍द सिंह जी के ऊपर कोई हावी नहीं है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - गोविन्‍द भाई अंग्रेज मत बनो, फूट डालो राज करो नहीं चलेगा. (...व्‍यवधान) रामेश्‍वर शर्मा, जरा सीना फाड़कर बता दो, हनुमान जी ने तो सीना फाड़कर बताया था कि राम सीता मेरे हैं. (...व्‍यवधान)

          श्री रामेश्‍वर शर्मा - ये 6 दिसम्‍बर को बता दिया था, पूरी कांग्रेस रो दी थी. (...व्‍यवधान) और मैं फिर कह रहा हूं(...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष महोदय, ये कैसा सवाल है, वे कौन होते हैं तय करने वाले कि मेरे राम है कि नहीं है.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा - आप कौन होते हो, मुझे बताने वाले. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - तो ये उन्‍होंने कहां कहा. (...व्‍यवधान) जोर से बोलने की आवश्‍यकता नहीं है. (...व्‍यवधान) बैठ जाओ.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - तुम ही कॉपी राइट ले आए हो. (...व्‍यवधान) हमको बता रहे, कॉपी राइट तुम ही ले आए हो, चंदा अलग खा गए, भगवान राम के नाम का. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए. (...व्‍यवधान) रिकार्ड निकलवाएं क्‍या.

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, हाथ जोड़कर निवेदन है ये माफी मांगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - ऐसा नहीं है. (...व्‍यवधान) रिकार्ड निकलवाएं क्‍या.

          कुंवर विजय शाह(वन मंत्री) - ये पागल हो गया है, इसके दिमाग की जांच करवाओ. (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, ये माफी मांगे हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है(...व्‍यवधान) आप थोड़ी तय करोगे कि हमारी भावनाओं को ठेक पहुंचाई कि नहीं पहुंचाई(...व्‍यवधान) ये हमारी आस्‍था का विषय है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - नहीं, मांफी मांग लो, इसमें क्‍या है. (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - तरुण भैया ये कैसे डिसाइड होगा कि मेरे राम है. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - संसदीय कार्यमंत्री जी बोलेंगे, इनको सुने. (...व्‍यवधान)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र(संसदीय कार्यमंत्री) - (...व्‍यवधान) अध्‍यक्ष जी, अभी तक जब भी मुख्‍यमंत्री बोले तब इन्‍होंने कभी नहीं सुना, तो क्‍या फर्क पड़ गया मुख्‍यमंत्री जी को, फिर नहीं सुनेंगे, रामेश्‍वर शर्मा ने कोई गलत नहीं किया माफी शब्‍द का '' भी नहीं कहेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - अच्‍छा ठीक है नहीं करेंगे. (...व्‍यवधान)

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - रामेश्‍वर शर्मा जी के पास कॉपी राइट है क्‍या (...व्‍यवधान)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आपके पास है, आप कहो, उसके पास है वह कह रहा है. (...व्‍यवधान) गोविन्‍द सिंह जी ने कहा नेता प्रतिपक्ष ने कि न तुम्‍हारे है न हमारे है, हमने ये बात मान ली(...व्‍यवधान) मान गए हम नेता प्रतिपक्ष की. (...व्‍यवधान)

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -  हां तो ये बात मान लो. ये अपने शब्‍द वापस लो न(...व्‍यवधान)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आप नेता प्रतिपक्ष की नहीं मान रहे, (...व्‍यवधान) ये आपकी आपस की लड़ाई है, आप नहीं मान रहे, हम तो मान रहे. हमने तो नेता प्रतिपक्ष की मान ली(...व्‍यवधान)

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - हमारा बड़ा भाई है, उसकी बात मानेंगे(...व्‍यवधान)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - बड़ा भाई है, (...व्‍यवधान) पूरा सदन देख रहा है कि आज सुबह से आप नेता प्रतिपक्ष को निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - जैसे आप मुख्‍यमंत्री को निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. (...व्‍यवधान)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -आप और जितु जो है न सबेरे से वह भी समझ रहे हैं, बड़ा आदमी है वह सीधा आदमी है, पूरे काम बंद करके जो निपटा रहे हो (...व्‍यवधान) सब समझ रहे है. (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - अगर ये तय करने वाले कौन होते हैं कि मेरे राम है कि नहीं. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं ये कहां कहा उन्‍होंने (...व्‍यवधान) उन्‍होंने नहीं बोला. (...व्‍यवधान) मैं पूरा सुन रहा था, उन्‍होंने क्‍या कहा मैं बता रहा हूं न(...व्‍यवधान) मैं पूरा सुन रहा था न, आप बैठ जाओ न(...व्‍यवधान) क्‍या कहा पहले सुन लो, मैं पूरा सुन रहा था(...व्‍यवधान) शायद आपने नहीं सुना (...व्‍यवधान) बैठ जाओ(...व्‍यवधान) मैं रिकार्डिंग दिखवा देता हूं(...व्‍यवधान) हां मैं रिकार्डिंग दिखवा देता हूं. (...व्‍यवधान)

          श्री जितु पटवारी - हां निकालो, दिखवाओ(...व्‍यवधान) 

            अध्यक्ष महोदय--उन्होंने यह कहा कि हमारे सियाराम हैं. फिर आप खड़े हो जाते हैं. (व्यवधान) क्या कहा है आप सुनना ही नहीं चाहते हैं. केवल आप लोग विवाद खड़ा करना चाहते हैं. आप लोग बैठ जाईये ना उन्होंने कहा कि हमारे सियाराम आप कहें तो इसका रिकार्ड निकलवा लें. तुम्हारे क्या आप भी कहो कि हमारे भी सीताराम इसमें कौन सी बुराई है. सीधा सवाल है झगड़ा खत्म है.

          श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, आप इसका रिकार्ड निकलवा लें. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--अभी रिकार्ड निकालकर देख लो. (व्यवधान)

          श्री इंदर सिंह परमार--आप इस प्रकार से आसंदी को दबा नहीं सकते हैं. आपकी इस प्रकार से गुंडागर्दी नहीं करेंगे. गुंडागर्दी करना है तो बाहर करिये यहां सदन में गुंडागर्दी नहीं चलेगी. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--रामेश्वर जी आप चालू रखें.

          श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैं एक छोटी सी प्रार्थना करना चाहता हूं. जो मैंने कहा क्या कांग्रेस इस बात का सबूत देगी कि उन्होंने राम को काल्पनिक नहीं कहा सुप्रीम कोर्ट में . मांगे देश से माफी क्यों नहीं मांगती ?

            अध्यक्ष महोदय--रामेश्वर शर्मा जी के अलावा जो भी बोलेगा उनका नहीं लिखा जायेगा.

          श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, जब मैंने मंदिरों की जमीन बेचने की बात की तो मानों नहीं तो शिवराज सिंह चौहान जी को माननीय नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद दो कि जिन्होंने महाकाल लोक का निर्माण किया. बोलो हर हर महादेव. अब तो बीजासन देवी जी का भी बन रहा है, चित्रकूट के घाट भी बनेंगे. अवध का घाट भी सजेगा, बाबा विश्वनाथ जी का घाट भी सज रहा है. पेट हिल रहे हैं, पानी हिल रहा है. अल्पसंख्यकों के डराव से आप लोग डर रहे हो. जो राम का विरोध करेगा वह बच नहीं पायेगा.

          अध्यक्ष महोदय--श्री प्रवीण पाठक जी.

          श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--बोलिये.

          श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय,इन्होंने अपनी सरकार का बहुत गुणगान किया एक पेपर में समाचार छपा है कि अब कांग्रेस जो है गाय हांकने की ट्रेनिंग देगी. मध्यप्रदेश के नौजवानों को कमलनाथ जी की सरकार गाय हांकने की ट्रेनिंग देगी. बेंड बाजा बजाने की ट्रेनिंग देगी. माननीय प्रद्मनसिंह जी, तुलसीराम जी आप लोगों ने माननीय मुख्यमंत्री को साथ दिया इसके लिये आप लोगों को बधाई देता हूं. जब भी आप प्रदेश के हित में भारतीय जनता पार्टी का साथ देंगे तब पार्टी के कार्यकर्ता आपका साथ देंगे. मैं दोनों हाथ उठाकर बोलता हूं कि जय जय सियाराम.  

          श्री प्रवीण पाठक--(xxx)

          अध्यक्ष महोदय--यह नहीं लिखा जायेगा.

          श्री प्रवीण पाठक--अध्यक्ष महोदय,सरकारी एलान हुआ है कि सच बोलो और घर में एक झूठों की एक बस्ती है और बाहर तख्ती लगा दी है कि सच बोलो. अध्यक्ष महोदय, सत्य मानवीय संवेदनाओं और सुशासन से परे असत्य--

          श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, इन्होंने हमारी सारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई अगर आप भी निष्पक्ष नहीं रहेंगे तो यह गलत बात है.

          अध्यक्ष महोदय--मैं निष्पक्षता के साथ कह रहा हूं.

          श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय,आप निष्पक्ष नहीं हैं.

          अध्यक्ष महोदय--मैं कह रहा हूं कि आप रिकार्ड देख लो ना.यदि तुमको कहा हो कि  सियाराम बोलते तो तुम्हारे राम..

          श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय,नहीं नहीं इन्होंने कहा कि तुम्हारा क्या और हमारा क्या ? हमारे हैं राम. इनके भी राम सबके राम. यह गलत बात है ना. यह गलत तरीका है. अध्यक्ष जी आप न्याय नहीं कर रहे हैं. हम आपका सम्मान कर रहे हैं, लेकिन आप न्याय नहीं कर रहे हैं.

            अध्‍यक्ष महोदय - पाठक जी, आप बैठ जाइये. प्‍वाइंट ऑफ ऑर्डर है.

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्‍द्र सिंह) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि इसके पहले भी अविश्‍वास प्रस्‍ताव आए हैं, पर जितने माननीय सदस्‍य इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर बोल रहे हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि इतने माननीय सदस्‍य अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर बोले हों. सभी को जिन लोगों को भी बोलना था, सभी को आपने अनुमति दी है और हम लोगों ने भी सहमति दी है. सभी माननीय सदस्‍य बोल रहे हैं और माननीय सदस्‍य जितु पटवारी जी तो लगभग एक घण्‍टा बोले हैं, तो हम लोगों ने शांतिपूर्वक सुना है. आज जिस तरह से विपक्ष का यह व्‍यवहार है, विशेष रूप से जितु पटवारी जी का.  माननीय अध्‍यक्ष जी, यह ठीक नहीं है. मेरा आग्रह है कि जब हम आपको शांतिपूर्वक सुन रहे हैं तो आपको भी शांतिपूर्वक सुनना चाहिए और रात के 11 बजे तक हम सब लोग बैठे हैं, सारे लोग सुन रहे हैं तो कम से कम इस मर्यादा को तो दोनों पक्षों को पालन करना चाहिए. जब हम लोग कर रहे हैं तो फिर आप लोगों को भी तो करना चाहिए.

          श्री जितु पटवारी - मंत्री जी, आपने अच्‍छी बात कही है और व्‍यवहार पर जहां तक प्रश्‍नचिन्‍ह है तो एक‍ व्‍यक्ति लगातार हमारा अपमान कर रहा है, हमारी भावनाओं से, हिन्‍दू धर्म से, हमारे माता-पिता ने हमको सिखाया है तो क्‍या हम अपना प्रतिरोध भी जाहिर नहीं करें.

          कुँवर विजय शाह - कहां भावनाओं का अपमान किया है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, ऐसा भी नहीं है कि आप कुछ भी करोगे तो चलेगा. ऐसा थोड़े ही होगा. ऐसा अब नहीं होगा.

          श्री जितु पटवारी - पहले इनने कही, फिर हमने व्‍यक्‍त की.

          कुंवर विजय शाह - इसमें अपमान वाली क्‍या बात हो गई ?

          अध्‍यक्ष महोदय - कुँवर विजय शाह जी, आप प्‍वाइंट ऑफ ऑर्डर पर बोलें.

          चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग) - अध्‍यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि जैसा  आपने कहा कि जो आशंका थी, उसकी तरफ विपक्ष जा रहा है, और डॉ. नरोत्‍तम जी ने भी यह कह दिया था कि आपमें पहले भी मुख्‍यमंत्री जी को सुनने का साहस नहीं था. यदि आप अभी फेस सेविंग के लिए यह माहौल बना रहे हो तो यह कोई बहुत अच्‍छी बात नहीं है, सब देख रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय. मुख्‍यमंत्री जी, बोलेंगे, ताकत के साथ बोलेंगे कल और हर बात का जवाब देंगे.    

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्‍द सिंह) - मैं पूरी ताकत के साथ सुनूँगा. मैंने अपनी जुबान दी है. मुख्‍यमंत्री के सामने चर्चा हुई है. 

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि वह पूरे समय बैठेंगे और सुनेंगे. हम उनका स्‍वागत करते हैं, सम्‍मान करते हैं. 

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रवीण पाठक जी, आप समय का ध्‍यान रखेंगे, शुरू करें.

          श्री प्रवीण पाठक (ग्‍वालियर दक्षिण)  - अध्‍यक्ष महोदय, बोलने देंगे तो अपनी बात रखॅूगा. सत्‍य मानवीय संवेदनाओं और सुशासन से परे असत्‍य और भ्रष्‍टाचार की बागडोर संभाली हुई सरकार के खिलाफ आज हमारे नेता और हम सबने मिलकर जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव रखा है, उसका मैं समर्थन करता हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यहां कई सारे सदस्‍य ऐसे बैठे हुए हैं, जिनका सदन में अनुभव मेरी उम्र से ज्‍यादा है, काफी लोग दर्शक दीर्घा में बैठे हुए हैं, हमारे पत्रकार साथी बैठे हुए हैं, जो हमेशा सरकार और विपक्ष को आईना दिखाने का प्रयास करते हैं. मुझे इस बात का आत्मिक दु:ख है कि नैसर्गिक तौर पर हमको जो अपने परिवार और समाज से संस्‍कार मिले हैं, उसकी अवहेलना हमको यहां पर देखने को मिलती है. कांग्रेस पार्टी का विधायक होने के पहले एक कांग्रेसी होने के पहले मुझे गर्व है कि मैं हिन्‍दू हूँ. हमें किसी के सर्टिफिकेट की आवश्‍यकता नहीं है. रामेश्‍वर जी, मैं आपको बोलना चाहता हूँ. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं विनम्रता से बोल रहा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप सीधा आरोप लगाइये, आप सीधा बोलिये. यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव रामेश्‍वर शर्मा के खिलाफ नहीं है, यह सरकार के खिलाफ है. उन्‍होंने अपनी बात कही है, आप अपनी बात कहिये.  

          श्री प्रवीण पाठक - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव तो मध्‍यप्रदेश में उस दिन ही आ गया था, जिस दिन इस सरकार के कैबिनेट मिनिस्‍टर को बिजली के खंभे में चढ़ना पड़ा था, यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव तो मध्‍यप्रदेश में उस दिन ही आ गया था, जब इस सरकार के कैबिनेट मिनिस्‍टर को नाले में उतरना पड़ा था. इस सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव मध्‍यप्रदेश में तो उस दिन आ गया था, जब इनके मंत्री को चप्‍पलें छोड़ना पड़ी  और कहना पड़ा कि हमारे क्षेत्र में विकास नहीं होता और सड़कें  नहीं बनती. मैंने तो कहावत सुनी थी की नया मुल्‍ला ज्‍यादा प्याज खाता है. अध्‍यक्ष महोदय, आज सदन में देख भी लिया. आज कमलनाथ जी के लिये मैंने कई लोगों की बात सुनी. आज मैंने कमल नाथ जी के विषय में सुना तो जो उठाते हैं कमल नाथ जी के रूतबे पर उंगलियां, उनके गले में मैंने सालों कमल नाथ जी के नाम के ताबीज़ देखें हैं, यह बोलना चाहता हूं और बहुत विनम्रता से बोलना चाहता हूं कि आज यह जो सभी सम्‍माननीय भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍य खड़े होकर इनकी बातों पर हंस रहे हैं, मुझे मालूम हैं कि इनको..

          श्री तुलसीराम सिलावट:- अध्‍यक्ष महोदय, यह क्‍या कह रहे हैं. यह आपत्तिजनक बोल रहे हैं, ऐसे थोड़ा ही चलेगा. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय:-इस शब्‍द को विलोपित किया जाये. (व्‍यवधान)

          श्री प्रवीण पाठक:- मेरे जो पालक मंत्री थे प्रभुराम चौधरी जी. उन्‍होंने हमारे नेता के विषय में कहा कि मैं तो केबिनेट मंत्री था कमल नाथ जी मुझे पहचानते नहीं थे. आपने बिल्‍कुल सही कहा. अगर वह आप लोगों को पहचान गये होते तो आज हमारी सरकार नहीं गिरती. जैसे आप सबने संस्‍मरण सुनाये तो मैं भी संस्‍मरण सुनाना चाहता हूं. यह सब लोग अपने संस्‍मरण सुना रहे थे. इन्‍होंने कमल नाथ जी के साथ भी अपने संस्‍मरण सुनाये. मैं सदन की अनुमति से एक संस्‍मरण मैं सुनाना चाहता हूं. जब सरकार में हम आये और हमारे जो नेता थे हमारे कमल नाथ जी, उन्‍होंने एक पहली बैठक पीसीसी में रखी थी, आप सबको याद होगा.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत:- आपके नेता श्री सुरेश पचौरी हैं.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत:- हमारे आज भी नेता सुरेश पचौरी हैं, आज भी श्री कमलनाथ हैं. मैं आपकी तरह आस्‍थाएं नहीं बदलता हूं , जो नैसर्गिक संस्‍कार मिले हैं उन पर अडिग रहता हूं और आज तो आपने गिरगिट को भी फेल कर दिया है

          श्री प्रवीण पाठक:- मैंने आपको बहुत शांति और विनम्रता से आपको सुना है.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत :-भाई आप पचौरी जी का नाम भी लो.

          श्री प्रवीण पाठक :- बिल्‍कुल लूंगा, आप बैठिये तो . यह नाम लेने की परम्‍परा हमारे यहां हैं, हमारे यहां नहीं है.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत:- उन्‍होंने ही तो आपको टिकट दिलवाया था.

          श्री प्रवीण पाठक:- सुन लीजिये, एक एक सदस्‍य को यह बात याद होगी, यहां पर तरूण भाई और जितु भाई बैठे हैं. सारे विधायक वहां बैठे थे. एकदम से दरवाजा टूटा और एक आवाज आई कि देखो-देखो कौन आया, शेर आया, शेर आया. हमको भी अच्‍छा लगा. हमारे ग्‍वालियर का नेता था, आज आपके शेर की हालत क्‍या हो गयी है, आपको बताना चाहता हूं कि चाबुक के डर से मैं सलाम करता हूं. अब मैं वह शेर हूं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे कहते हुए शर्म आती है. अभी रामेश्‍वर भाई ने कहा कि नेहरू जी होते, इंदिरा जी होंती, और कमलनाथ जी होते पार्टी में, तो वे कह देंती कि कमलनाथ जी या तो तुम रहोगे पार्टी में या मैं रहूंगी. मैं भी एक बात बोलना चाहता हूं कि यदि आज दीनदयाल उपाध्‍याय जी होते तो वे भी आपसे कह देते कि बीजेपी में या तो हम रहेंगे या आप रहोगे. जिस प्रकार की आपकी नीतियां, जिस प्रकार की आपकी कार्यशैली है और जो लोग ऐसा कहने वाले थे, उनको आपने मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया. हमारे यहां ऐसे संस्‍कार नहीं हैं रामेश्‍वर भाई, माफी के साथ आपसे कहना चाहता हूं.  

          श्री रामेश्‍वर शर्मा-  आपका यहां है ही कौन, जो मार्गदर्शक मंडल में होगा. क्‍या राहुल गांधी को मार्गदर्शक मंडल में रखोगे, सोनिया गांधी को मार्गदर्शक मंडल में रखोगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  पाठक जी, जल्‍दी करें.

          श्री प्रवीण पाठक-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राजवर्धन सिंह दत्‍तीगांव जी ने मुख्‍यमंत्री जी की बहुत प्रशंसा की है और बताया कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा, मैंने उनसे सीखा कि कैसे कर्त्‍तव्‍यपरायण हों, वे कितना गरीबों के लिए सोचते हैं. उनको पैदल-पैदल वाले नेता उनकी विधान सभा में कहा जाता है. मुझे खुशी तब होती मेरे बड़े भाई, जब आप माननीय मुख्‍यमंत्री जी से यह भी सीख लेते कि उनका, उनकी पार्टी के प्रति उत्‍तरदायित्‍व कितना है और समर्पण कितना है. उस दिन मुझे खुशी होती, पर आपने सीखा क्‍या ?

            श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्‍तीगांव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, केवल इतना कहना चाहता हूं कि मैंने दोनों से सीखा.

          श्री प्रवीण पाठक-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये सुशासन की बात करते हैं, ये प्रशासन की बात करते हैं, ये सरकार की बात करते हैं, यहां भारत सिंह कुशवाह जी बैठे हैं, 15 माह की हमारी सरकार थी, आप लोग बार-बार इस बात पर विधवा-विलाप करते हैं, हमारी 15 माह की सरकार में 4 जिला योजना समिति की बैठक हुई ग्‍वालियर में. भारत सिंह कुशवाह जी विपक्ष के विधायक थे, उसके बाद भी उनको सम्‍मानसहित बुलाया गया था. आज तुलसी भाई बैठे हैं यहां, ग्‍वालियर के प्रभारी मंत्री हैं और मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि ढाई वर्ष में जिला योजना समिति की एक बैठक नहीं हुई है और ग्‍वालियर जो दंश इस सरकार में झेल रहा है, "सरकार कुछ वहां करवाना चाहती है तो उसको सरकार नहीं होने देते और सरकार वहां कुछ करवाना चाहते हैं तो उसको सरकार नहीं होने देती है." ग्‍वालियर यह दंश झेल रहा है. मैं अपने विषय पर वापस आता हूं, मुझे कहा गया है स्‍कूल शिक्षा के विषय में बोलना है.

          श्री तुलसीराम सिलावट-  तो अभी तक कहां थे.

          श्री प्रवीण पाठक-  तुलसी भाई, आपकी इच्‍छा हो तो मैं और बोलूं. सिंधिया जी पर तो मैं दो-तीन दिन बोल सकता हूं. आपके कार्य-कलापों पर भी बोल सकता हूं. आपकी आस्‍था और समर्पण पर भी बोल सकता हूं, आपके रंग बदलने पर भी बोल सकता हूं.

          श्री तुलसीराम सिलावट-  मुझे पता है, मुझे आपके जवाब की जरूरत नहीं है.

          श्री प्रवीण पाठक-  तो मुझे भी आपके सर्टिफिकेट की जरूरत इस विधान सभा में नहीं है कि हम हिन्‍दु हैं, हमें भी आपका सर्टिफिकेट नहीं चाहिए कि हम कांग्रेसी हैं. आप यहां जो बैठकर सर्टिफिकेट बांट रहे थे कि डॉ. गोविंद सिंह जी सही बोलते हैं, लक्ष्‍मण सिंह जी ठीक बोलते हैं. यदि डॉ. गोविंद सिंह जी ठीक बोलते हैं और आपमें साहस है, इस बात को सत्‍यता के साथ बोलने का, तो आप भी उनके साथ इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव में खड़े जो जायें. आपकी कथनी और करनी में बहुत फर्क है. आपके भी चाल-चरित्र और चेहरे में भिन्‍नता है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  प्रवीण जी बंद करें. आपको 10 मिनट हो गए हैं.

          श्री प्रवीण पाठक-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने केवल सच बोला है. सच कड़वा होता है, ये आप महसूस कर रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐसे कैसे चलेगा ?

           अध्‍यक्ष महोदय-  तो कैसे चलेगा, आप 10 मिनट बोल चुके हैं.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये स्‍कूल शिक्षा पर बोलना चाहते हैं, 2 मिनट बोलने दीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय-  नेता प्रतिपक्ष कह रहे हैं, 2 मिनट में समाप्‍त करें.

          श्री प्रवीण पाठक-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, कहना चाहता हूं कि यह PGI की रिपोर्ट है, उसमें स्‍पष्‍ट लिखा है कि शिक्षा में जो बिहार की स्थिति है, वही मध्‍यप्रदेश की स्थिति है. अब आप साहस के साथ टेबल बजायें. आपको यह सोचकर दुख नहीं होता कि पिछले 2 साल में, 13 लाख 78 हजार बच्‍चों ने स्‍कूल छोड़ दिया, आप मामा बनते हैं ? आपको यह सोचकर दुख नहीं होता कि 9.5 लाख बच्‍चों ने आठवीं के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी. ऐसा स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश आप बनायेंगे, ऐसा गोल्‍ड मैडल चाहिए आपके मुख्‍यमंत्री जी को. आप बतायें मुझे, इस मध्‍यप्रदेश में 7 हजार विद्यालयों में हमारी बहनों के लिए शौचालय नहीं हैं ऐसे मामा बनेंगे. आठ हजार विद्यालयों में हमारे युवा साथियों के लिए शौचालय नहीं है ऐसे मामा बनेंगे. सवा लाख विद्यालयों में से साठ हजार से ज्‍यादा विद्यालयों में बिजली नहीं है. आपको ऐसा गोल्‍डमेडेलिस्‍ट चाहिए है. अपने जीवन में कई बार आपको सुनकर ऐसा लगता है कि वास्‍तव में नैतिक मूल्‍यों वाले लोगों को तो राजनीति नहीं करनी चाहिए. यह हमारे सभी पत्रकार साथी बैठे हैं सारे दर्शक दीर्घा में लोग बैठे हैं जिस प्रकार का आचरण आप लोगों ने किया दिल में तकलीफ होती है, बहुत तकलीफ होती है. अध्‍यक्ष महोदय मेरी विधान सभा में 20 में 20 प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर नहीं हैं, 20 मे से 20 माध्‍यमिक विद्यालयों में फर्नीचर नहीं  हैं, 8 में से 6 उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालयों में फर्नीचर नहीं है,. 6 में से 6 हायरसेकेण्‍डरी विद्यालयों में फर्नीचर नहीं हैं आपकी सरकार 18 साल से क्‍या रही है? लगभग 17 हजार बच्‍चों में 170 कम्‍प्‍यूटर हैं जिसमें 155 वर्ष 2022 में खरीदे गए हैं. क्‍या स्थिति हो गई है और आप सुशासन की बात करते हैं. आपको शर्म आनी चाहिए. केन्‍द्र सरकार से आपको पैसा मिलता है

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आपकी विधायक निधि कहां है.

          श्री प्रवीण पाठक-- केन्‍द्र सरकार से स्‍कूलों के उत्‍थान के लिए जो पैसा मिलता है वह पैसा वापस लौटकर जाता है और यह मैं नहीं कहता यह अखबार कहते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- प्रवीण जी आप अब बैठ जाएं. नेता प्रतिपक्ष जी ने जितना समय कहा हमने उतना समय दे दिया है. 

          श्री प्रवीण पाठक-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे यह अनुरोध करना चाहता हूं कि गरीब परिवार के लिए उसका जो बच्‍चा होता है वही उसका स्‍वर्णिंम भविष्‍य होता है. उसको लगता है कि यही बच्‍चा है जो पढ़-लिखकर अपनी परिणति बदल स‍कता है, परिवार का भविष्‍य बदल सकता है. मैं हाथ जोड़कर विनम्रता से माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश के भविष्‍य को गर्त में मत डालिए. आपको चिंता करनी पड़ेगी जैसे राजनैताओं का चारित्रिक पतन हो गया है वैसे बच्‍चों का भी चारित्रिक पतन हो जाएगा. यदि इसी प्रकार की व्‍यवस्‍था आपने रखी आपको केन्‍द्र से जो पैसा मिलता है  उसको आप खर्च नहीं कर पाते हैं खर्च केवल वह पैसा होता है जिसमें सप्‍लाई होती है और जिनमें इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर पैसा खर्च करना होता है आप नहीं कर पाते हैं. साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए पिछली साल केन्‍द्र सरकार से वापस गया है. शेम ऑन यू. केवल कमीशन के आधार पर आपकी शिक्षा नीति बनती है केवल कमीशन के आधार पर आपका विभाग काम करता है और बात करते हैं सीएम राईज़ की कितने सीएम राईज़ खोल दिए हैं एक सीएम राईज़ में क्‍या एक लाख बच्‍चे पढ़ेंगे. आप मध्‍यप्रदेश में किस प्रकार की व्‍यवस्‍था स्‍थापित करना चाहते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- नेता प्रतिपक्ष जी अभी तक दस घंटे से अधिक चर्चा हो चुकी है. मुख्‍य बातें विस्‍तार से आ चुकी हैं. अभी भी 24 सदस्‍यों के नाम हैं. अत: आप सभी से अनुरोध है कि आप सभी से बुलवाना चाहते हैं.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, आपके समक्ष यह तय हुआ था कि मुख्‍यमंत्री जी को सुनेगें तो आप सदन चलाएंगे तो हमने कहा कि हम सुनेंगे सबको बोलने दीजिए. आपने स्‍वीकार किया तो फिर बोलने दीजिए. 

          अध्‍यक्ष महोदय-- मेरा आग्रह सुन लीजिए. हम सब स्‍वीकार कर रहे हैं आप मेरी बात सुन लीजिए. यदि सबको बोलना है तो इसका समय कम कर दीजिए. यदि बीस-बीस मिनट बोलोगे और 24 लोग हैं तो यह परसों तक जाएगा.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- आप समय कम कर दीजिए. पांच-पांच मिनट में हो जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-- बिजली में भी सभी बोल रहे हैं. एक ही बात को एक ही विषय को लेकर बोल रहे हैं. इसका कोई मतलब नहीं निकलता है. एक ही विषय पर सारे लोग बोल रहे हैं. कम से कम यह हो जाए कि अलग-अलग विषय लें.

          श्री विश्‍वास सारंग-- आप रातभर चलाएं.

          अध्‍यक्ष महोदय--इसका मतलब यह नहीं है कि रातभर चले तो कोई दस घंटे बोलेगा. क्‍या मैं आसंदी से अनुमति दूंगा.  मैं अनुमति नहीं दूंगा. मैं अनुमति नहीं दे सकता हूं. मैं किसी भी व्‍यक्ति को दस घंटे बोलने की अनुमति नहीं दे सकता हूं. कोई न कोई समय लिमिट करनी ही पड़ेगी. 

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- आप समय ठीक कर दें. आप कर दीजिए आपको अधिकार है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- हम कल भी सदन चलाने को तैयार हैं लेकिन किसी को भी दस घंटे बोलने का समय नहीं दूंगा. आरीफ मसूद जी आप बोलें. 

          श्री आरिफ मसूद (भोपाल उत्तर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस अविश्वास प्रस्ताव का हम क्यों समर्थन करते हैं इसके बहुत कारण हैं. सरकार ने संवैधानिक शपथ ली है. सबका साथ, सबका विकास की बात की है. सबका साथ और सबके विकास के साथ सरकार चलना है लेकिन कहीं से ऐसा महसूस नहीं होता है कि सबका साथ और सबका विकास दिखता हो. उदाहरण के तौर पर तमाम अल्पसंख्यक संस्थाएं लगातार साढ़े तीन साल और ढाई साल इनकी सरकार के कहीं पर भी नियुक्तियां नहीं हुईं. अफसोस तब हुआ जब लोगों को उच्च न्यायालय जाना पड़ा और वहां से उच्च न्यायालय के आदेश के बाद वक्फ बोर्ड और हज कमेटी के चुनाव का प्रबंध शुरु हुआ. यह अच्छी परम्परा नहीं है कि ऐसे विभागों को अछूता समझा जाए उनको दूर किया जाए, उन पर गौर न किया जाए.  इसी तरह यूपीए गवर्मेंट में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और उस दौर के एवीएशन मिनिस्टर ने मध्यप्रदेश के अल्पसंख्यकों के लिए एक सौगात दी. जो हज पर धार्मिक यात्रा के लिए जाते हैं उनका एमीग्रेशन पाइंट भोपाल और इंदौर बनाया. कोरोना के कारण दो साल वह बंद रहा. सभी जगह बंद रहे, सब चुप रहे. लेकिन अभी कोरोना के बाद सब व्यवस्थित होने के बावजूद उस पर मेरे अनेकों पत्र लिखने के बाद भी मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की, यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

          अध्यक्ष महोदय, शिक्षकों की बात चल रही थी, भर्ती की बात चल रही थी. अभी मंत्री जी बोल रहे थे कि बहुत रोजगार दिए लेकिन वहां भी अल्पसंख्यकों के साथ बेईमानी हुई. वह बेईमानी यह हुई कि ऊर्दू शिक्षक की भर्ती जो खाली पद थे उस पर भी कई पत्र लिखने के बाद उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई वे पद खाली पड़े हैं. जब बहुत प्रयास किया गया तो उसकी प्रक्रिया शुरु भी हुई जब वह शुरु हुई तो उसमें स्कूल के ऊपर छोड़ा गया. ऊर्दू को तमाम सेकेण्ड लेग्वेंज के साथ शामिल किया गया. छात्रों की पर्याप्त संख्या के हिसाब से, डीईओ को इन्सट्रक्शन्स दिए गए. जो बच्चे ऊर्दू विषय में एडमीशन लेना चाहते है उन्हें ऊर्दू के अन्दर एडमीशन नहीं लेने दिया गया. जबरिया रोका गया ताकि वह संख्या कम बताई जाए और वह जब कम बताई जाए तो निरंक कर दिया जाए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

          अध्यक्ष महोदय, इसी तरह वक्फ बोर्ड के रिकार्ड की बात रामेश्वर शर्मा जी ने अभी कही. उन्होंने कहा कि वक्फ के रिकार्ड में नजूल की भूमि चढ़ा दी गई है. मैं बताना चाहता हूँ कि वक्फ एक्ट को पढ़ना चाहिए. वक्फ की संपत्ति को पढ़ना चाहिए. मैं समझता हूँ कि मैं अवगत कराऊं क्योंकि मुझे थोड़ा सा उसमें नॉलेज है. वक्फ प्रायवेट संपत्ति होती है और वह एक समाज वक्फ करता है. उस संपत्ति को जनता के उपयोग के लिए, शिक्षा के लिए, यतीमों के लिए, गरीबों के लिए, बेसहाराओं के लिए उसका उपयोग होता है. उसकी निगरानी कमेटी वक्फ बोर्ड होती है. बल्कि इसका उलटा हुआ है कि न जाने कितनी वक्फ की संपत्तियों को नजूल में चढ़ा दिया गया और रिकार्ड दुरुस्ती की मांग अनेकों बार हुई लेकिन उसका आज तक निराकरण नहीं हुआ है. ऐसे अनेकों उदाहरण हैं.

          अध्यक्ष महोदय, मसाजिद कमेटी भोपाल की चलती है उसको 15 साल से पैसा नहीं मिला है. कम राशि दी जाती थी. कमलनाथ जी की सरकार आई तो राशि बढ़ाई. उसकी राशि भी अभी इस वर्ष डेढ. करोड़ रुपए पेंडिंग है वह राशि भी नहीं दी गई है. अनेकों बार पत्र लिखे. मंत्री जी को मैंने स्वयं बोला. उन्होंने बोला करता हूँ लेकिन उसके बाद बात खत्म. बुलडोजर की बात आई है. डॉक्टर साहब ने सुबह कुछ कहा. सुबह मैं कुछ कहना चाह रहा था मेरी बात को लोगों ने गलत ढंग से ले लिया. मैं अनुरोध करता हूँ, मैंने यह कहा था. मैं नरोत्तम भाई की बात का ही सपोर्ट कर रहा था कि आपको एक चीज दिखी तो मुझे भी एक तकलीफ होती है कि जब मेरे समाज के फ्रीडम फाइटर्स के लिए लोग छींटाकसी करते हैं तो मैं कहने वाला था कि उस पर भी बोल दो. लेकिन वह बात शायद गलत दिशा में, शायद हमारे साथी समझ नहीं सके. मेरा उद्देश्‍य बड़ा स्‍पष्‍ट था कि इस देश के निर्माण में सबकी भागीदारी है और सबने बहुत खून बहाए. (मेजों की थपथपाहट) बड़ी मुश्‍किलों से यह देश आजाद हुआ है और आजादी के बाद इसका एक संवैधानिक ढांचा बना है उसको बचाने का काम हम सब लोगों का है तो मैं कहना चाह रहा था कि चाहे मैं हॅूं या चाहे कोई और हो, किसी को भी ऐसे लोगों के, ऐसे व्‍यक्‍तित्‍व के खिलाफ छींटाकसी नहीं करना चाहिए. मैं वह शब्‍द कहना चाह रहा था, जिसको गलत लिया, जबकि मेरी भावना बड़ी स्‍पष्‍ट थी.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं अभी भी कहना चाहता हॅूं कि बुलडोज़र के नाम पर खरगोन में, यह हमने कभी नहीं बोला अध्‍यक्ष महोदय, आप देख लीजिए, कभी भी किसी ऐसे संगठन के ऊपर जब आरोप लगा तो हम लोग नहीं बोले लेकिन खरगोन में एक व्‍यक्‍ति जो जेल में था और उसका पूरा मकान, उस पर मुकदमा लगा दिया और मुकदमा लगाने के बाद उसका मकान तोड़ दिया तो यह कहीं न कहीं लगता है. हो सकता है कि मुख्‍यमंत्री जी, गृहमंत्री जी के संज्ञान में न हो. न हो, तो अब ले लें. अगर ऐसा हुआ तो गलत हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय, एक गुना की घटना है. मैं गृहमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हॅूं. गुना में एक व्‍यक्‍ति भोपाल से गया. उसको पुलिस ने जुआं और सट्टे के नाम पर पकड़ा. हमको लगा कि शायद उसके ऊपर पुराने मुकदमे होंगे. उस पर कोई पुराना मुकदमा दर्ज नहीं था और उसको इतना पीटा गया कि उसकी मृत्‍यु हो गई. हमने अधिकारियों से बात की लेकिन असहाय जवाब मिला. यह बात सच है कि मैंने अक्‍सर माननीय गृहमंत्री जी को जब बोला है तो कहीं न कही इन्‍होंने संज्ञान लिया है और निष्‍पक्षता दिखाई है लेकिन गुना वाले प्रकरण में ऐसी भावना नहीं दिखी. मैं सदन से और सरकार से भी चाहता हॅूं कि हमारे आपसी वैचारिक मतभेद हो सकते होंगे लेकिन प्रदेश का नागरिक, प्रदेश में रहने वाला एक-एक व्‍यक्‍ति हमारा अपना है. चाहे वह किसी समाज, किसी वर्ग का हो. हमको सबको समेट कर सबकी समस्‍या को लेकर चलना चाहिए. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे संरक्षण चाहता हॅूं कि यह जो बुलडोज़र की परम्‍परा, दहश़त की परम्‍परा बिना बात के चलायी गई है, बिना सत्‍यता के, कार्यपालिका और न्‍यायपालिका का अंतर रखा जाए, ताकि न्‍यायपालिका का जो भी होगा, उसका हम सम्‍मान करेंगे. (मेजों की थपथपाहट) लेकिन कार्यपालिका का काम कार्यपालिका करे, न्‍यायपालिका का काम न्‍यायपालिका करे. केवल एक अखबार में न्‍यूज़ देने के बाद अधिकारी अगले दिन से बिना सोचे, बिना समझे भय का माहौल करते हैं, मैं समझता हॅूं कि यह प्रदेश के लिए अच्‍छा नहीं है. हम सब चाहते हैं कि मध्‍यप्रदेश स्‍वर्णिम बने. आप चाहते हो, हम भी चाहते हैं. इस मध्‍यप्रदेश को और इस देश को बनाने के लिए खून भी बहाना पडे़गा अध्‍यक्ष महोदय, तो बहाने को तैयार हैं और इस मध्‍यप्रदेश और इस देश को देश नंबर वन बनाने को तैयार हैं. धन्‍यवाद.

        अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष के सुझाव के अनुसार अब सभी वक्‍ताओं को 5 मिनट का समय निर्धारित करता हॅूं. 3 मिनट में पहली घंटी बजेगी. 5 मिनट पर अगले सदस्‍य का नाम पुकारा जाएगा. कृपया, इस व्‍यवस्‍था का सभी सदस्‍य पालन करेंगे, कष्‍ट करेंगे.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- अनुपस्‍थित.

          श्री बहादुरसिंह चौहान (महिदपुर) -- अध्‍यक्ष महोदय, उनके भी 5 मिनट मिल जाएंगे मुझे, तो ठीक रहेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप तो पाइंटेड बोलते हैं.

          श्री बहादुरसिंह चौहान -- माननीय अध्‍यक्ष जी, जो विषय नहीं आए हैं उसी विषय पर बोलूंगा. आज अविश्‍वास प्रस्‍ताव को लेकर पक्ष-विपक्ष की सारगर्भित चर्चा हो रही है. इस चर्चा में मैं अपने विचार रखना चाहता हॅूं. मैं वर्ष 2003 में पहली बार विधायक बनकर इस सदन में आया था. एक कृषक परिवार का होने के नाते प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि वर्ष में एक बार में 6 हजार रूपए तीन किश्‍तों में 2-2 हजार रूपए मिलते हैं. 1 दिसम्‍बर 2018 को यह प्रारम्‍भ हुई. हिन्‍दुस्‍तान के 35-36 राज्‍य, केन्‍द्रशासित राज्‍यों सहित मात्र मध्‍यप्रदेश एक ऐसा राज्‍य है जहां भारतीय जनता पार्टी की एक ऐसी सरकार है. हमारे संवेदनशील मुख्‍यमंत्री किसानों के हितैषी हैं वे ऐसे मुख्‍यमंत्री हैं जिन्‍होंने मुख्‍यमंत्री किसान कल्‍याण योजना प्रारम्‍भ की और आज माननीय श्री जगदीश देवड़ा जी, वित्‍त मंत्री ने इस योजना के तहत 258 करोड़ रूपए का प्रावधान भी इस बजट में किया है. दोनों योजना मिलाकर 10 हजार रुपये हो जाते हैं. राशि बहुत कम है, लेकिन इसको समझना बहुत जरूरी है कि मध्‍यप्रदेश में लघु और सीमांत कृषक 82 प्रतिशत है, जिनके पास 1 हेक्‍टेयर या 2 हेक्‍टेयर से ज्‍यादा जमीन नहीं है.

10.45 बजे         (सभापति महोदया{सुश्री हिना लिखीराम कावरे} पीठासीन हुईं)

          सभापति महोदया, इस 10 हजार रुपये का मूल्‍य वह किसान समझता है, जिसके पास 1 एकड़ जमीन है, 2 एकड़ जमीन है. इस 10 हजार रुपये से वह उन्‍नत किस्‍म का बीज लेता है. उन्‍नत किस्‍म की खाद अपने खेत में डालता है. मल्‍टीनेशनल कंपनी की जो फर्टिलाइजर दवाइयां आती हैं, वह डालता है. चाहे वह संतरे की खेती हो, चाहे सब्‍जी की खेती हो, ये 10 हजार रुपये उसके लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण होते हैं. ये दोनों योजनाएं एक गरीब किसान के लिए बड़ी महत्‍वपूर्ण हैं.

          माननीय सभापति महोदया, मैं जानता हूँ कि वर्ष 2003 में मध्‍यप्रदेश में प्रतिव्‍यक्‍ति आय केवल 13,953 रुपये थी और आज मध्‍यप्रदेश में प्रतिव्‍यक्‍ति आय 1 लाख 37 हजार रुपये है.

          माननीय सभापति महोदया, मैं इसी सदन में कहना चाहता हूँ कि वर्ष 2003 में जब मैं आया था, उस समय कृषि की विकास दर 3 प्रतिशत थी. आज मध्‍यप्रदेश की कृषि की विकास दर 18.89 प्रतिशत है, 7 गुना मध्‍यप्रदेश की कृषि दर बढ़ी है. साथ में मध्‍यप्रदेश में विकास दर वर्ष 2003 में माइनस 4.01 प्रतिशत थी, आज मध्‍यप्रदेश की विकास दर 19.74 प्रतिशत है, जो हिन्‍दुस्‍तान के जितने राज्‍य हैं, उनमें सर्वाधिक विकास दर है. इसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी की सरकार को, हमारे संवेदनशील मुख्‍यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी को जाता है.

          माननीय सभापति महोदया, चूँकि जल संसाधन विभाग और ऊर्जा विभाग बड़ा महत्‍वपूर्ण विभाग है. मुझे कहने में बड़ा गर्व है कि वर्ष 2003 में मध्‍यप्रदेश में 7 लाख 68 हजार हेक्‍टेयर भूमि पर सिंचाई होती थी. आज भिन्‍न-भिन्‍न योजनाओं को मिलाने के बाद 45 लाख हेक्‍टेयर भूमि पर सिंचाई हो रही है. 12 वृहद परियोजनाएं, 52 मध्‍यम परियोजनाएं और 374 लघु परियोजनाएं, इनके बन जाने के बाद 30 लाख हेक्‍टेयर भूमि पर और सिंचाई प्रारंभ हो जाएगी.

          माननीय सभापति महोदया, केन-बेतवा लिंक परियोजना हिंदुस्‍तान की पहली योजना है. बुन्‍देलखण्‍ड बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान है. केन-बेतवा केन्‍द्र सरकार की पूरी राशि बजट में प्रावधान किया गया है और मध्‍यप्रदेश के 9 जिले छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, पन्‍ना, सागर, विदिशा, रायसेन, शिवपुरी और गृहमंत्री का जिला दतिया भी इसमें सम्‍मिलित हो रहे हैं. साथ ही उत्‍तर प्रदेश के ललितपुर, झांसी, बांदा सहित चार जिले भी इससे लाभान्‍वित होंगे. इस केन-बेतवा लिंक परियोजना के बनने के बाद मध्‍यप्रदेश में 8 लाख 11 हजार हेक्‍टेयर पर सिंचाई बढ़ जाएगी. कुल मिलाकर वर्ष 2025 में मध्‍यप्रदेश में 65 लाख हेक्‍टेयर भूमि पर सिंचाई हो जाएगी. वर्ष 2003 में जब मैं आया था, उस समय ...

          सभापति महोदया -- बहादुर सिंह जी, समाप्‍त करें, आपके 5 मिनट हो गए हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदया, थोड़ा समय और दे दें मुझे. कुछ बात पूरी कर दूं मैं.

          सभापति महोदया -- एक मिनट में आप अपनी बात पूरी कर लीजिए.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- हमारे पक्ष से शैलेन्‍द्र जैन जी नहीं थे, उनके समय के लिए मैंने अध्‍यक्ष जी से निवेदन कर लिया था.

          सभापति महोदया -- नहीं, नहीं, अध्‍यक्ष जी ने मुझे निर्देशित किया है. खत्‍म करिए.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदया, जी हां, खत्‍म कर रहा हूँ. वर्ष 2003 में जब बिजली मध्‍यप्रदेश में 5,173 मेगावॉट थी और आज 2022 में 22,672 मेगावॉट है. वर्ष 2003 में मांग और पूर्ति में 1650 मेगावॉट का अंतर था. ऊर्जा के क्षेत्र में और सिंचाई के क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने और माननीय श्री शिवराज सिंह जी की सरकार ने काम किया, उस कारण एक बार नहीं, दो बार नहीं, बार-बार कृषि कर्मण अवॉर्ड हिंदुस्‍तान में मध्‍यप्रदेश को मिला है. इसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी की सरकार को, शिवराज सिंह जी की सरकार को जाता है.

          सभापति महोदया -- समाप्‍त करें बहादुर सिंह जी.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदया, एक मिनट में एक कहानी सुनाकर मैं समाप्‍त कर दूंगा. मैं बोलता हूँ, लेकिन समय मेरा आधा ही हो गया.

          सभापति महोदया -- कृपया समाप्‍त करें.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- मैं केवल एक बात कह कर समाप्‍त कर रहा हूँ. केवल एक मिनट मुझे आप दे दें. आप और हम सब जानते हैं कि जब मई और जून का जब गर्मी का महीना होता है. तो हम सब लोग ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं. कोई गर्म पानी पीना नहीं पसंद करता है. एक राह में, एक रास्‍ते पर एक मिट्टी का मटका था और एक स्‍टील का मटका था, जो भी राहगीर जाते थे तो वह सब मिट्टी के मटके से पानी निकालकर पीते थे, तो स्‍टील का मटका देख रहा था, तब स्‍टील का मटका मिट्टी के मटके से बोला कि हे मित्र, मटका तू भी है, मटका मैं भी हूं, पानी तुझमें भी है, पानी मुझमें भी है, क्‍या कारण है कि राहगीर मेरा पानी नहीं पीते और सिर्फ तेरा ही पानी पीते हैं. अब जो मिट्टी के मटके ने उत्‍तर दिया बड़ा महत्‍वपूर्ण है कांग्रेस के लिए, मिट्टी के मटके ने उत्‍तर दिया हे मित्र, मटका तू भी है, मटका मैं भी हूं, पानी तुझमें भी है, पानी मुझमें भी है, लेकिन जब पानी मेरे अंदर डाला जाता है तो मैं समर्पण भाव से पानी को ठंडा करता हूं, मेरा पानी ठंडा है, इसलिए सब लोग मेरा पानी पीते हैं. इसलिए पार्टी आपकी भी है, पार्टी हमारी भी है, हमारी पार्टी राष्‍ट्रीय विचारधारा के ओतप्रोत, हम राष्‍ट्र को सर्वोपरि मानते हैं. त्‍याग, तपस्‍या, साधना करने वाली पार्टी हमारी है. सभापति महोदया, एक बार पुन: आपने मुझे बोलने का मौका दिया धन्‍यवाद. एक बधाई खाली तुलसी सिलावट जी को दे देता हूं.

          सभापति महोदया -- कुणाल जी, आप बोलिए. नहीं-नहीं बहादुर सिंह जी, आप बैठ जाइए.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- 30 सेकेंड सभापति महोदया, मैं तुलसी सिलावट जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि इस बार बजट में मेरे क्षेत्र के दोनों डेम मंजूर कर दिए इसके लिए धन्‍यवाद करना चाहता हूं.

          श्री कुणाल चौधरी -- सभापति महोदया, एक तो चोरा-चोरी की सरकार, उस पर युवा, किसान और आमजन पर अत्‍याचार. महिलाएं असुरक्षित, युवा बेरोजगार और पूरे प्रदेश में महंगाई का प्रहार. फिर आप पर कोई कैसे विश्‍वास करे सरकार और अविश्‍वास ही है आज के समय की दरकार. यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव मैं लाया हूं उन किसानों की तरफ से जिनको झूठे सपने दिखाने का काम सरकार ने किया है और सरकार में बैठे मंत्री जिस तरीके से झूठे हैं, झूठे हैं इसलिए कहूंगा क्‍योंकि असत्‍य तरीके से जवाब देते हैं. मैंने कल एक सवाल पूछा उसका जवाब दिया गया कि 2022 तक जो किसानों की आय दोगुनी करने का था तो बोले मुख्‍यमंत्री ने ऐसी कोई घोषणा ही नहीं की. मैं एक यह पढ़ना चाहूंगा कि ''भाइयो और बहनो हम संकल्‍प लें कि वर्ष 2022 तक हम किसानों की आय को दोगुना करके छोड़ेंगे. यह कहां कहा गया, उस शेरपुरा में जो मुख्‍यमंत्री जी के गृह जिले में आता है. एक कागज़ी शेर आया था और उन्‍होंने कहा और साथ में ट्वीट भी किया कि शिवराज जी को बधाई देता हूं कि जिन्‍होंने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का तरीका बताया. मैं सवाल पूछे जा रहा हूं कि पहले तो यह बता दें सरकार में बैठे मंत्री, आज भी मैंने बीच में रोका टोकी की कि यह तो बता दें कि किसानों की आय जब 2016-17 में आपने घोषणा की थी तब कितनी थी और आज दोगुनी कितनी कर दी. एक बड़ा जुमला चला था कि लागत आधी कर देंगे, कीमतें दोगुनी कर देंगे. मैं समझ नहीं पा रहा हूं दिनभर किसानों के बीच में रहता हूं कि जब किसान की सोयाबीन की लागत एक हजार रुपये थी, वह साढ़े चार हजार रुपये क्विंटल सोयाबीन बेचा करता था और आज लागत तीन हजार हो गई. डीज़ल के भाव आप देख लो, खाद के भाव आप देख लो, दवाइयों के भाव आप देख लो, जिस तरीके से रोज स्थितियां बदलती जा रही हैं कहीं न कहीं लागत तीन गुना हो चुकी है और कीमतें वहीं की वहीं बैठी हैं और जब पूछा जाता है तो सवाल का जवाब दिया जाता है कि ऐसी कोई घोषणा नहीं की, इसलिए इनके खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव है. यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव उन किसानों की तरफ से है जिनका कर्जा माफ करने का सरकार का कोई इन्‍टेंशन नहीं है. खुद के घर के कर्जे माफ करा लिये, लगभग 27 लाख किसानों के कर्जे माफ हो गए, परंतु अब कर्जे किसके माफ होते हैं, पिछले 5 सालों के अंदर बैंकों ने 10 लाख करोड़ का कर्ज बट्टे खाते में डालने का काम किया, यह देश की वित्‍त मंत्री और प्रदेश की सरकारों के जवाब हैं. किसान के लिए पैसा नहीं है, गरीब के लिए पैसा नहीं है. इस देश के अंदर चंद चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए पैसा है, ऐसी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव है. बड़ी बड़ी बातें अभी गृह मंत्री जी ने कही थी कि सारे डकैत हमने खत्म कर दिये. डकैत के रूप में तो सारे लोग बीजेपी में शामिल हो गये. यह देखो, यूरिया जो किसान को मिलना चाहिए, उसका यूरिया घोटाला. डीलर के साथ अफसरों की सांठगांठ उजागर, कटनी रैक पाइंट पर पहुंचा 90 प्रतिशत सरकारी यूरिया, लोकल डीलर ने प्राइवेट में बेच दिया. यह बातें करते हैं कि रोज मैं देखता हूं क्षेत्र में जाता हूं तो किसान यूरिया के लिए त्राहिमाम कर रहा है और जब जाकर कलेक्टर रतलाम से भी पूछा. एक हमारा भाई विधायक जो किसानों को खाद दिलाने चला गया तो उसके ऊपर केस लगा दिया गया. जब कलेक्टर से पूछा तो मध्यप्रदेश के कलेक्टरों को यह नहीं मालूम है कि एक हैक्टेयर  के अंदर जमीन कितनी होती है और उस एक हैक्टेयर में यूरिया कितनी लगती है. बोले दो बोरी यूरिया देंगे. मैंने कहा कि पहले तो कलेक्टर साहब यह सुधार लो कि यूरिया आप तय क्यों करते हो और सरकार में बैठे लोग क्यों तय करते है कि कितनी यूरिया देनी है. क्या उसका अचार बनता है या सब्जियां बनती है, जितनी यूरिया किसान को जरूरत है कोई पानी की जमीन है, कोई कम पानी की जमीन है. किसी में यूरिया ज्यादा लगती है, किसी में कम लगती है.

          सभापति महोदया - अब समाप्त करें.

          श्री कुणाल चौधरी - माननीय सभापति महोदय, अभी तो यह मैंने बोलना शुरू किया है. कई मुद्दे हैं उनको मटका-मटकी के लिए 10 मिनट दे दिये, इन किसानों के लिए समय नहीं है, इन गरीबों के लिए समय नहीं है, पेंशन के लिए आन्दोलन करने वाले जो पुरानी पेंशन बहाली का आन्दोलन कर रहे हैं, उन लोगों की तरफ से यह अविश्वास प्रस्ताव है क्या इनके लिए समय नहीं है, क्या यह समय उन गरीब लोगों के लिए नहीं है, अतिथि शिक्षकों की बात हो, अतिथि विद्वानों की बात हो, अलग-अलग वर्गों की बात हो जो रोज सड़कों पर आन्दोलन करते हैं क्या उनके विश्वास की बात को करने के लिए समय नहीं है. यह अविश्वास प्रस्ताव उन लोगों की तरफ से है जो व्यापम के पीड़ित थे, जिनकी योग्यताओं का बेरहम कत्ल और पढ़ने वालों का सामूहिक नरसंहार इस सरकार ने किया. यह अविश्वास प्रस्ताव उन गरीब, मजदूर किसानों का है.

          सभापति महोदया - श्री कुणाल जी अब समाप्त करें और भी सदस्य हैं.

          श्री कुणाल चौधरी - आप मटका-मटकी के लिए समय दे सकते हैं, मुझे समय नहीं दे सकते हैं. मैं गरीब की बात कर रहा हूं. उस गरीब की जिसकी पेंशन 600 रुपये हो गई थी, 1000 रुपये होने वाली थी. परन्तु खरीदे हुए जनादेश की सरकार ने उस पेंशन को रोकने का काम किया.

सभापति महोदया, एक मिनट का समय तो मुझे देना पड़ेगा. एक मिनट की बात आपको करानी पड़ेगी, नहीं तो यह तो अत्याचार ही हो जाएगा कि यह गरीब की बात नहीं करूंगा और अभी बुलडोजर की बात चल रही थी. मेरे सवाल में एक जवाब दिया गया कि वह बालाघाट जिले से चिह्नित है कि बालाघाट जिले में पिछली बार 2020 के अंदर एक सेंट्रल की कमेटी एफसीआई के साथ आई, उसने मिलर्स के ऊपर छापे मारे तो पता पड़ा कि जो लगभग 93 हजार मीट्रिक टन जो चावल है वह अमानक इतना है कि जो जानवरों के खाने लायक नहीं है, जब सवाल पूछा कि उनके ऊपर क्या कार्यवाही की गई तो यह बोला गया उनको अमानक वापस देकर अच्छा चावल ले लिया गया. उन गरीबों का क्या हुआ जिनको वह वितरण हो चुका था,उन गरीबों का क्या हुआ, जो उसके खाने के कारण काल के गाल में समा गये. उनके ऊपर बुलडोजर चलाने की बजाय उनसे सिर्फ चावल बदलने की बात कर ली गई. यह तो जांचदल ने पकड़ लिया बाकी पूरे प्रदेश की हालत क्या है इसके ऊपर बुलडोजर चलाना चाहिए. मेरा निवेदन है कि यह बड़ा गंभीर विषय है कि किसान की बात है, गरीब की बात है, मजदूर की बात है. नौजवानों की बात है.

          सभापति महोदया - आपकी पूरी बात आ गई है.

          श्री कुणाल चौधरी - मेरी पूरी बात कहां से आ सकती है. सभापति महोदया, सबको इतना समय दिया, मटका-मटकी की कहानी उन्होंने कही. एक बात मुझे और कहनी है. बड़ी बात मंदसौर की सभा की थी तो मुझे भी याद है. मैं भी उस सभा में मौजूद था और मंदसौर के अंदर जिन शक्स की यह बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे ना, उनके शब्द थे कि शिवराज के हाथ किसानों के खून से सने हैं. जो मंदसौर गोलीकांड की बात है.

सभापति महोदया - कृपया आप बैठ जाइए. आपकी पूरी बात आ गई है, आप बैठ जाइए. श्री जयवर्द्धन सिंह.

श्री कुणाल चौधरी - (व्यवधान)..ऐसी सरकार को रहने का कोई अधिकार नहीं है. 

            श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- जयवर्द्धन सिंह जी, एक मिनट. आप अच्छे आदमी हो,  आपको जितु पटवारी  जी  कभी आगे नहीं आने देंगे, टांग खीचेंगे.

          श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़)-- आप टेंशन मत लीजिये,  हम संभाल लेंगे, अपने घर का मामला है.  सभापति महोदय,  आज हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने  सरकार के खिलाफ जो  अविश्वास प्रस्ताव  प्रस्तुत किया है,  मैं उसके समर्थन में  बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं और  विस्तृत चर्चा में  आज सदन में लगभग  11 घण्टे  बीत चुके हैं और विपक्षी दल के   अनेक विधायकों ने, हम सब ने तथ्यात्मक रुप से  हमारी बात प्रस्तुत की है  और लगभग हर विधायक ने  अलग अलग विभाग की  तथ्यात्मक जानकारी दी है.  लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि जो सत्ता पक्ष के  मंत्री  अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ बोलने  के लिये  खड़े हुए थे,  उन्होंने एक भी शब्द   जो पिछले ढाई साल  के सौदे में बनी  हुई सरकार के जो  काम हैं,  उसके पक्ष में एक   शब्द तक नहीं कहा है और यह बात उस दिन प्रतीत हुई थी कि  इनको स्वयं  इनकी सरकार पर  विश्वास नहीं है,  जब कुछ महीने पहले  महाराज  भाजपा के केबिनेट मंत्री  ने मुख्य सचिव  को  निरंकुश कहा था.  शायद पहली बार   प्रदेश के इतिहास में   पिछले 70  साल  में पहली बार ऐसा  हुआ है कि  एक केबिनेट मंत्री ने मुख्य सचिव को जो कहीं न कहीं  मुख्यमंत्री के काम  के प्रतीक होते हैं,  उनको निरंकुश कहा और आखिर  अगर यह स्थिति आज  भाजपा के मंत्रियों की हो गई है,  तो इससे स्पष्ट होता है कि  इनको स्वयं  न तो इनकी सरकार पर  न मुख्यमंत्री पर  कोई विश्वास है. गृह मंत्री जी उल्लेख कर रहे थे  शिवराज सिंह  चौहान जी  के बारे में और उन्होंने  कहा कि  हमारे प्रदेश के इतिहास में  सबसे लम्बा कार्यकाल रहा है शिवराज सिंह चौहान जी का सीएम के रुप में.  इस कार्यकाल में  उनके लगभग 15 साल के कार्यकाल  में अब तक  एक फिल्म बनी है  और वह उनके विकास  के लिये  नहीं, बल्कि व्यापम  के भ्रष्टाचार के लिये  बनी है.  जिसके द्वारा   जो हमारे पूरे   प्रदेश के युवा हैं,  उनका जो पूरा भविष्य है, वह खत्म कर दिया था.  इसके साथ साथ मैं  आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि युवाओं के बाद  पिछले कुछ सालों में  जो  हमारे  कुपोषित बच्चे हैं,  गर्भवती माता बहनें हैं,  उनके साथ इन्होंने खिलवाड़ किया है.  सितम्बर के महीने में  जो सीएजी की रिपोर्ट  प्रस्तुत हुई  थी सदन के अन्दर, उसमें  और जो पब्लिक की गई थी,  सीएजी ड्राफ्ट रिपोर्ट.  वह   उसी समय में प्रस्तुत हुई थी, जब हमारे प्रदेश में    6 चीता  श्योपुर  में लाये गये थे और उन 6 चीतों के लिये  सुनने में आया था कि  उनके  पेट भरने के लिये सरकार को बहुत चिंता थी और उनके पेट भरने के लिये  100 हिरण बुलाये गये थे अलग अलग जंगलों से.   एक तरफ चिंता सरकार  को थी  चीतों के पेट भरने की. लेकिन जो कुपोषित बच्चे,  जिनको यह सरकार  पोषण आहार पर्याप्त नहीं पहुंचा पाई, उनकी कोई चिंता इस सरकार  को नहीं थी. ऐसी  सरकार के खिलाफ   आज  हम अविश्वास प्रस्ताव  के पक्ष में बोल रहे हैं.  इस रिपोर्ट के अंतर्गत  जो  मुख्य 2-3 बिन्दु हैं,  वह आज मैं आपके बीच  प्रस्तुत  करना चाहता हूं.  इसमें   जो सबसे बड़ा मुद्दा है कि जो  पूरक पोषणा कार्यक्रम  और साथ में टेक होम राशि  एंड टीएचआर  जिसके द्वारा  हरेक  ऐसे कुपोषित बच्चे के लिये  और साथ में उन बेटियों के लिये, हमेशा शिवराज सिंह जी कहते हैं कि  वह विशेषकर  उनके जो  भांजे भांजियां हैं, उनके हित में काम करते हैं. लेकिन ऐसी बच्चियां जो शाला त्यागी बच्चियां थीं उनके लिये जो पोषण आहार आया था. उसमें करोड़ों रुपयों का घोटाला हुआ है. मैं इस पूरे मामले पर तथ्य के आधार पर कुछ आंकड़े प्रस्तुत करना चाहता हूं. सभापति महोदया, इसमें महिला बाल विकास विभाग के द्वारा जनवरी,2018 में केन्द्र सरकार ने आंकड़े मांगे थे, शाला त्यागी बालिकाओं के और विभाग ने आंकड़ा दिया था 36 लाख बालिकाओ का और वास्तविकता यह है कि सिर्फ 9 हजार बालिकाएं थीं और इनकी सरकार 36 लाख बालिकाओं के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रही थी.भ्रष्टाचार कर रही थी जबकि असली आंकड़े 9 हजार बालिकाओं के थे. आखिरी प्वाइंट है इसी संबंध में लगभग 10 से 12 संयंत्र हैं, फर्म हैं जिनके द्वारा टेक होम राशन और पोषण आहार निर्मित होता है जो सप्लाई करते हैं इन लोगों ने फर्जी वाहन के माध्यम से पैसे कमाए हैं. नाम दिया था ट्रक का,  लेकिन जब नंबर प्लेट चेक की तो बाईक निकली. जिसके द्वारा यह पोषण आहार का ट्रांसपोर्टेशन कर रहे थे और उसके साथ सिर्फ 8 जिलों का आंकड़ा सामने आया कि वहां 97 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार वितरित किया था उसमें सिर्फ अकाउंटिंग 86 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार की थी और 10 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार जो गायब हुआ है उसकी अकेले सिर्फ 8 जिलों में जो लागत है वह 262 करोड़ की है और अगर हम इसका अनुमान पूरे 52 जिले का लगाएंगे तो यह पूरा घोटाला 2 हजार करोड़ का सामने आयेगा और इसीलिये हम इस सरकार से मांग करते हैं कि इनको कोई नैतिक अधिकार है तो सभी मंत्रियों को और मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिये. आखिरी एक लाईन कहूंगा. चाहे महाभारत हो, चाहे रामायण हो, चाहे आज का समय हो जिसने  पाप करके राज करने का प्रयास किया है वहकभी सफल नहीं हो पाए हैं और पिछले ढाई साल के कार्यकाल में इनके पास एक भी मुद्दा नहीं है. एक भी ऐसा विकास कार्य नहीं है जिसका यह उल्लेख कर पाए हैं इस पूरे अविश्वास प्रस्ताव में. आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

          सभापति महोदया - डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय...(अनुपस्थित) 

          श्री हरिशंकर खटीक(जतारा ) - माननीय सभापति महोदया, हमारे विपक्ष के साथी मित्र अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं. काफी समय से बहस चल रही है. विपक्ष के मित्र बोलेंगे कि वास्तव में कई ऐसी योजनाएं मध्यप्रदेश की धरती पर शिवराज सिंह जी ने दी हैं जिनसे गांव और गरीबों का उद्धार हो रहा है. यह धन्यवाद प्रस्ताव के रूप में बोलेंगे कि हम धन्यवाद प्रस्ताव लाए हैं लेकिन वास्तव में यह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं तो इनको अविश्वास अपने आपस में ही नहीं है. मैं बताना चाहता हूं कि सबसे पहले रोटी, कपड़ा और  मकान की बात हम करें जब कांग्रेस का शासन था पहले तो न रोटी गरीब व्यक्ति को भरपेट मिल पाती थी. न उनके पास कपड़ा, न मकान और न दवाई, न पढ़ाई-लिखाई और न युवा भाईयों के लिये कोई रोजगार के धंधे थे. आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने और मध्यप्रदेश की सरकार ने गरीब व्यक्तियों के लिये जो सोकर उठता है भूखा उठता है शाम को भूखा वह न सोये उसके लिये 5 किलो गेहूं अनाज के रूप में देने का काम किया और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के माध्यम से उस गरीब को 1 रुपये किलो गेहूं देने का काम किया यानी दस किलो गेहूं एक गरीब व्यक्ति को मिल रहा है वह भूखा नहीं सो रहा है तो इसकी चिंता आपको हो रही है कि वह भूखा क्यों नहीं सो रहा है. हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने हमारी गरीब माताओं,बहनों के नाम पर उज्जवला योजना के माध्यम से गैस कनेक्शन उनको दिये. मध्यप्रदेश में 81 लाख माताओं,बहनों को गैस कनेक्शन दिये गये. इनको इस बात का भी कष्ट है.

          माननीय सभापति महोदया, एक जमाना वह था जब कांग्रेस के हमारे मित्र कहा करते थे, उस समय कांग्रेस के प्रधानमंत्री हुआ करते थे वह बोलते थे कि हम राशि भेजते हैं और गरीब तक 5 रूपया, 10 रूपया पहुंच पाता है, लेकिन आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि आज हमारे मध्‍यप्रदेश की धरती पर प्रधानमंत्री आवास योजना है उस आवास में खुले आसमान तले व्‍यक्ति निवास न करे उसके लिये मध्‍यप्रदेश की धरती में ग्रामीण क्षेत्र में 38 लाख आवास भवन बनकर तैयार हो गये हैं. प्रधानमंत्री शहरी क्षेत्र में भी 9 लाख 21 हजार आवासों में 5 लाख 58 हजार हमारे गरीब भाईयों के बन गये हैं, यह हमारी सरकार है, यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. माननीय सभापति महोदया, अभी हम आपके सामने बताना चाहते हैं, आप भी जनजाति समुदाय से आती हैं माननीय सभापति महोदया, यहां पर हमारे ओमकार सिंह भाई बैठे थे, शायद चले गये.

          सभापति महोदया--  खटीक जी आप अपनी जानकारी दुरूस्‍त कर लीजिये, मैं ओबीसी से आती हूं.

          श्री हरिशंकर खटीक--  सॉरी-सॉरी, माननीय सभापति महोदया ओबीसी से आती हैं. हमारे ओमकार सिंह मरकाम जी बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते थे और यहां पर जयस के हमारे भाई हीरालाल अलावा जी वह भी बार-बार बोलते थे जब भी विधान सभा में सदन में बात आती थी कि पेसा कानून आना चाहिये. आज मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी को आपको धन्‍यवाद देना चाहिये कि मध्‍यप्रदेश की धरती पर श्री शिवराज सिंह चौहान पेसा कानून लेकर आये और जनजातीय गौरव दिवस के दिन हमारे देश की प्रथम नागरिक आदिवासी समुदाय की हमारी राष्‍ट्रपति महोदया आदरणीय श्रीम‍ती द्रोपदी मुर्मू जी उस कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं और मध्‍यप्रदेश की धरती पर पेसा कानून लागू हुआ. माननीय सभापति महोदया, गांव के विकास की योजना पेसा कानून के माध्‍यम से हमारे जनजातीय समुदाय के भाई उसको हम बनायेंगे. माइनिंग खनिज संपदा के अधिकार भी उनको दिये जायेंगे. थाने में अगर रिपोर्ट लिखी जाती है तो उसे बैठक के माध्‍यम से सहमति के माध्‍यम से ही दिया जायेगा. आज जनजा‍तीय समुदाय भाईयों को जल, जंगल, जमीन और मजदूरी संस्‍कृति विरासत के संरक्षण हर प्रकार से सुविधायें देने का काम किसी सरकार ने किया तो हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. प्रदेश के जो 2827 ग्राम थे जो वनग्राम कहे जाते थे उनको अधिकार राइस ग्राम में परिवर्तित करने का काम किसी ने किया तो हमारी मध्‍यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी की सरकार ने किया है. बेगा, सहरिया और भारिया परिवारों के लिये जो अनुदान राशि है, हर महीने 2 लाख 39 हजार माताओं, बहनों को इसका लाभ दिया जा रहा है. हमारे देश के प्रधानमंत्री जी की सोच है और प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की सोच है कि कोई भी हमारी मातायें, बहनें घर से हेण्‍डपम्‍प एवं कुंए पर पानी भरने के लिये नहीं जायेंगी. जिसके लिये पूरे मध्‍यप्रदेश की धरती पर 50 हजार करोड़ रूपये की लागत से नल जल योजनायें हमारी बनाई गई हैं, जिनका काम जारी है. माननीय सभापति महोदया, धन्‍यवाद.

कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा (राजनगर)--  माननीय सभापति महोदया, मैं अपने नेता प्रतिपक्ष द्वारा लाये गये अविश्‍वास प्रस्‍ताव का समर्थन करता हूं. मैं अपनी बात माता बम्‍बरवेनी जो लवकुश नगर अनुभाग में हैं उनके यहां से शुरू करूंगा, उनको नमन करते हुये कि कई बार प्रयास करने के बावजूद भी आज तक माता बम्‍बरवेनी की नगरी लवकुश नगर को सरकार ने लगातार 2008 से लेकर के अभी तक बम्‍बरवेनी माता की नगरी को पवित्र नगरी घोषित करने का काम नहीं किया, जबकि एक पत्र मेरे लिखने पर, मैं तारीफ भी करना चाहूंगा केन्‍द्रीय मंत्री हमारे गडकरी जी का जिन्‍होंने हमारे उस क्षेत्र को वहां रोपवे की घोषणा की. मैं इसी प्रकार से चाहता हूं जब मुख्‍यमंत्री महोदय कल अपना वक्‍तव्‍य दें तो वह अपनी बात में इस बात को भी कहें कि माता बम्‍बरवेनी की नगरी लवकुश नगर को हमारी सरकार पवित्र नगरी घोषित करेगी. माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्‍यम से यह बताना चाहता हूं कि पूरे मध्‍यप्रदेश में बिजली का जो हाल है, बहुत से वक्‍ताओं ने बोल दिया, मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि हमारे बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर जिले में राजनगर विधानसक्षा क्षेत्र के अंतर्गत बरद्वाहा आज 35 दिनों से ट्रांसफार्मर विहीन है, आज हमारे विधानसभा क्षेत्र का एक गांव दिदवारा, जहां पर एक महीने से ऊपर ट्रांसफार्मर नहीं है, ये ऐसी छोटी-छोटी सी बातें हैं जो किसान को (श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत, द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) देखिये साहब जब ट्रांसफार्मर मिलेंगे ही नहीं, सागर में आपके यहां पर ट्रांसफार्मर उपलब्‍ध होते हैं, वहां से जब आयेंगे नहीं, बिलों में देखिये, बिजली के बिलों में भी आप देखिये.

श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा -- विक्रम सिंह नातीराजा साहब आपके भाषणों में पहली बार रोजड़ों की बात नहीं है.

कुंवर विक्रम सिंह ''नातीराजा'' -- मैं धीरे-धीरे उस पर भी आऊंगा. बिजली के बिलों में इतनी वृद्धि कर दी गई है, बिजली के बिलों का सुधार यह एस.ई. को दिया गया है, एस.ई. तक क्‍या आम जनता जा पायेगी? 140 किलोमीटर दूर पड़ता है चंदला का आखिरी गांव छतरपुर से, वहां पर क्‍या वह व्‍यक्ति बिजली का बिल सुधार करवाने के लिये जा पायेगा? ऐसी व्‍यवस्‍था करें जो पूर्व में थी, ऐसी व्‍यवस्‍था को सुचारू रूप से फिर से डी.ई. के पास में करने की कोशिश की जाये और एस.ई. के पास में करने की कोशिश की जाये.

माननीय वनमंत्री जी यहां पर विराजमान है, मैं आपके माध्‍यम से सभापति महोदया, हमारे बहुत गंभीर विषय है, केन घडि़याल सेन्‍चुरी का एरिया जो घडि़याल के प्रजनन के लिये जहां पर सेंड बैंक हैं, रेत के बैंक हैं, उस जगह पर अवैध उत्‍खनन मैं आपके उच्‍च अधिकारियों को कई बार फोन पर बता चुका हूं, परंतु आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है, चाहे वह पन्‍ना जिला हो, चाहे छतरपुर जिला हो, अवैध उत्‍खनन पार्क की सीमा के अंतर्गत हो रहा है, यह सरकार क्‍या कर रही है, सरकार क्‍या देख रही है, मैं यह कहना चाहूंगा.

माननीय सभापति महोदया, हमारे खजुराहो के पास में एक नया विकसित स्‍थान बागेश्‍वर धाम का है, बागेश्‍वर धाम की कथा माननीय हमारे गृहमंत्री जी करवा चुके हैं और वास्‍तव में वह धाम प्राचीन है, गौड़वाने जमाने का धाम है, वहां के लिये गृहमंत्री महोदय और मुख्‍यमंत्री महोदय एक चौकी और पुलिस स्‍टेशन की व्‍यवस्‍था वहां पर करें. दूसरा वहां पर एक अस्‍पताल की व्‍यवस्‍था करें.तीसरा गढ़ा आने के लिये ओढ़े से एक रोड का निर्माण करवाया जाये, इसी के साथ सभापति महोदया, मैं अपनी बात को विराम देता हूं, विराम देने से पूर्व एक बात और कहना चाहूंगा, जंगली जानवरों का एक्‍ट तो आपने बना दिया. जंगली सुअरों का और रोजड़ों का लेकिन आज तक उस पर इम्‍पलीमेंटेंशन क्‍यों नहीं हो पा रहा है? दूसरा मैं माननीय सभापति महोदया, हमारे विधानसभा क्षेत्र में रनेफॉल एक स्‍थान पड़ता है, रनेफॉल की जो चौकी है, वहां से लेकर के और पहाड़ी बावन तक का चार किलोमीटर का रोड है, जो एन.जी.टी. से और दिल्‍ली से अभी तक उसकी सेंक्‍शन नहीं मिल पाई है, उस रोड के साथ में 93 सड़कें और हैं जो फंसी हुई हैं, उन सड़कों के लिये कुछ करिये, ये सरकार जो कर रही है, ये अपना-अपना और अपने लोगों का काम भर कर रही है, बाकी द्ववेषभावनापूर्ण पूरे मध्‍यप्रदेश के सभी जगहों पर इसी प्रकार का काम हो रहा है, ये राम राम जरूर करते हैं, परंतु राम-राम के साथ में बगल में खंजर भी रखते हैं, जय हिन्‍द, जय भारत.

            श्री सुखदेव पांसे (मुलताई) - माननीय सभापति महोदया, नेता प्रतिपक्ष आदरणीय डॉ. गोविन्‍द सिंह जी के द्वारा जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाया गया है, मैं उसके समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूँ. (श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत के बिना माइक के बोलने पर) नेता हैं हमारे. मैं जिसके साथ खड़ा हूँ, दिल से, अंतर्आत्‍मा से, वफादारी और ईमानदारी के साथ खड़ा रहता हूँ और आप मुझे अच्‍छे से जानते हैं.  

          माननीय सभापति महोदया, अभी हमारे मित्र हरिशंकर खटीक जी बोल रहे थे- रोटी, कपड़ा और मकान. मैं पानी के बारे में बात करूँगा. जल ही जीवन है और रोटी, कपड़ा और मकान तो सेकेण्‍ड्री होती है इंसान के लिये. लेकिन सबसे पहले हवा के बाद यदि इंसान को जरूरत होती है, तो पानी की होती है, पेयजल की होती है. बिन पानी सब सून और बरसों से हमारे गांवों में, हमारी बेटियां, बहनें जो स्‍कूल में पढ़ती हैं, कॉलेज में पढ़ती हैं. उनका टाइम वेस्‍ट हो जाता था, केवल डण्‍डा चलाने में, पानी भरने में, कोठियों से पानी लाना पड़ता है, बैलगाड़ी से पानी लाना पड़ता है, टैंकरों से नि:स्‍वार्थ भाव से लोग पानी के लिए जल सेवा करते हैं. ऐसा पुनीत पुण्‍य का कार्य यह पानी का है और उस पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने भी सोचा और उनकी पीड़ा को महसूस किया. सन् 2012 में उन्‍होंने जल निगम की स्‍थापना की और सबसे पहले जल निगम की स्‍थापना करके उन्‍होंने अपने क्षेत्र बुधनी विधान सभा में मरदानपुर योजना के नाम से समूह नल-जल योजना के नाम से 200 गांवों की योजना बनाई. सन् 2012 में वह योजना बनी और उसका टाइम पीरियड 3 वर्ष का था, वह सन् 2017 में पूरी हुई. मुख्‍यमंत्री जी की नाक के नीचे उनकी खुद की विधान सभा में मरदानपुर समूह पेयजल योजना सरफेस वाटर के द्वारा नर्मदा नदी से पानी लेकर ट्रीटमेंट प्‍लांट लगाकर वह ग्रामीण अंचल को शुद्ध पेयजल देने के लिये यह योजना बनाई गई थी, लेकिन वह सन् 2017 में पूरी हुई. लेकिन ठेकेदारों से ऐसा क्‍या प्रेम था कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी, जब दीवाली के समय अपने गांव हर वर्ष दूसरे-तीसरे दिन जैत जाते हैं और जब वहां की पीडि़त महिलाएं इस समस्‍या को उठाती हैं, गांव वाले उठाते हैं कि आप 17 वर्ष से मुख्‍यमंत्री हैं, भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, लेकिन मूलभूत मुख्‍य समस्‍या पेयजल का निदान आप नहीं कर पाये तो मुख्‍यमंत्री जी झल्‍लाकर अधिकारियों के सामने बोलते हैं कि क्‍या टोंटी भी मैं चालू करूँगा ? स्‍टार्टर का बटन भी मैं दबाऊँगा. वह उसी दिन वापस सीएम हाउस आते हैं और सबेरे-सबेरे उनकी अंतरआत्‍मा की पीड़ा उजागर होती है और पूरे पीएचई के अधिकारियों को घर पर बुलाते हैं और उनको बोलते हैं कि आपने मेरी स्थिति क्‍या कर दी है  कि मैं अपने बुधनी विधान सभा क्षेत्र में ही मरदानपुर जैसी योजना को सफल नहीं कर पाया, इससे बड़ा क्‍या दुर्भाग्‍य हो सकता है ? ऐसे असहाय मुख्‍यमंत्री के रूप में यह 15-20 वर्षों में अपने क्षेत्र में पेयजल व्‍यवस्‍था को सुनिश्चित नहीं कर पाये. यह विडम्‍बना इस प्रदेश की सरकार की है और इसलिए जनता का अविश्‍वास इस सरकार के प्रति बना है, जो केवल शुद्ध पेयजल को उपलब्‍ध नहीं करा सकी है.

          सभापति महोदया - कृपया समाप्‍त करें.

          श्री सुखदेव पांसे - माननीय सभापति महोदया, नर्मदा से पानी लाना था, वह योजना बन गई. उसी योजना पर जब वह योजना असफल हुई, तो उसी एक ही योजना पर उसी स्‍पॉट पर अधिकारियों की अकर्मण्‍यता देखिये और उनकी निष्क्रियता के चक्‍कर में, उसी योजना पर जब नर्मदा नदी के जल से टंकियां भरना नहीं हुआ, तो वह ट्यूबवेल वहां पर खोद कर उस पर डबल पैसा लगाया, तो यह आर्थिक अपराध अगर किसी ने किया है तो यहां के उच्‍चाधिकारियों ने किया है और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. वह तो इलाका मुख्‍यमंत्री जी का था, इसलिए वहां की समूह नल-जल योजना में आपने डबल से वहां ट्यूबवेल से टंकियां भरवाने का काम कर रहे हैं. लेकिन जो पूरे प्रदेश में समूह नल-जल योजना फेल हो रही है, जो तकनीकी कारण से फेल हो रही है, जिन कारणों से फेल हो रही है. क्‍या वहां पर भी डबल पैसा इस मध्‍यप्रदेश सरकार का लगाने का काम करेंगे ?  यह समूह नल-जल योजना इसलिए बनाई गई थी कि गांव में पानी खत्‍म हो जाता था.         

          सभापति महोदय - कृपया समाप्‍त करें, पांच मिनट से ऊपर हो गए हैं.

          श्री सुखदेव पांसे - अभी बोलना शुरू किया है, पानी जैसे महत्‍वपूर्ण बात पर जिस पर जल जीवन मिशन का करोड़ों अरबों रुपए खर्च किया जा रहा है, उसका पूरा धराशायी भ्रष्‍टाचार मचा हुआ है इस प्रदेश में. यहां 230 विधायक है, ये गांव गांव जाएंगे, चुनाव हारेंगे, लेकिन जिन्‍दगी भर इनका गांव से नाता है. अगर उस गांव में जाएंगे तो गांव वालों की समस्‍या जिन्‍दगी भर के लिए खड़ी करके रख दी है, इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, जल जीवन मिशन के भ्रष्‍टाचार के माध्‍यम से. कहीं कोई पेयजल की व्‍यवस्‍था सुनिश्चित नहीं हो पा रही है. आज जो ये 25 समूह नल जल योजना ये बता रहे हैं, उनका पूर्णता प्रमाण पत्र आज तक जारी नहीं हुआ और सारा पेमेन्‍ट ठेकेदारों को कर दिया गया. जब वह योजना ही सफल नहीं हुई, ठेकेदारों को पेमेन्‍ट कर दिया तो उसकी जवाबदेही और जिम्‍मेदारी किसकी है, ये सुनिश्चित करने की आवश्‍यकता है नहीं तो पैसा भी व्‍यर्थ में जाएगा, हम वहीं के वहीं खड़े रहेंगे. जो जल मिशन के 22 हजार करोड़ रुपए के जो कान्‍ट्रेक्‍टर लगाए हैं, उसमें अर्हता नियम ऐसे लाए गए हैं कि हिन्‍दुतान में वह नहीं है. एक रुपए का भी कम्‍पलीट काम किए वाले ठेकेदार को ठेके देने के लिए 10-15 गांव के ठेके दे दिए जाते हैं, जिन्‍होंने एक रुपए का भी काम पूरा नहीं किया हो, ऐसी शर्तें इन्‍होंने तोड़ के रेट गिरा दिए. इतना महत्‍वपूर्ण मामला है. अंत में मेरे क्षेत्र की बात करुंगा. आदरणीय कमलनाथ जी ने ताप्‍ती न्‍यास इस मध्‍यप्रदेश की सरकार जब कमलनाथ जी मुख्‍यमंत्री थे ताप्‍ती न्‍यास बनाया था, लेकिन उसको खत्‍म करने का पाप अगर किसी ने किया है तो इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. आज किसान सब्‍जी-भाजी की लागत में, महंगाई के कारण पेट्रोल महंगा है, डीजल, बिजली बिल, महंगा है खेती की लागत बढ़ गई, टमाटर, गोभी पचास पैसे बिक रहा है, किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहा है, वह कर्जदार बनते जा रहा है, उनके लिए भी कुछ सुनिश्चित व्‍यवस्‍था इस सरकार को करना चाहिए, जो नहीं कर पा रही है.

          श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी) - माननीय सभापति महोदया, मैं सरकार के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. आज प्रतिपक्ष नेता जी ने जब अपना भाषण बोलना शुरू किया, अविश्‍वास प्रस्‍ताव में वह भिण्‍ड और अपने विधान सभा से बाहर नहीं निकल पाए, सिर्फ उन्‍होंने अपने भिण्‍ड जिले के बारे में बात की. अभी कुछ हमारे साथी जो बार बार इस बात का अहसास दिला रहे थे कि हम आदिवासी हैं, सबसे बड़ा जो पेसा कानून मध्‍यप्रदेश की सरकार ने लाई है, उससे घबराकर आज कांग्रेस के नेताओं ने आज अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाए हैं, उन जन जाति वर्ग को जो अधिकार मिलेगा, जो लाभ मिलेगा, जो जल है, जमीन है, जंगल है, जिसकी वे सुरक्षा और संरक्षण करते आए हैं, जिसका दोहन आज तक सरकारें करते आई, आपको साठ साल लग गए उस कानून को बनाने में. हमारी सरकार ने उसको लागू कर दिया. जिसके भय से, डर से प्रतिपक्ष के नेताजी ने आज अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाया है, उनको एक क्षण भी विश्‍वास नहीं है कि ये अविश्‍वास प्रस्‍ताव हमारा यहां पर रखा जाए. उसको लेकर अभी जिस तरीके से खुद उसका बहिष्‍कार करके बाहर गए.

          श्री बाला बच्‍चन - मुनमुन आप कौन से कानून की बात कर रहे हैं.

          श्री दिनेश राय मुनमुन - पेसा कानून.

          श्री बाला बच्‍चन - क्‍या है, पेसा कानून.

          श्री दिनेश राय मुनमुन - पेसा कानून, जल, जंगल, जमीन, उनका अधिकार जो हमारे ट्रायबल बेल्‍ट के लिए किया है, वहां के लोग, जो वहां पर तेन्‍दुपत्‍ता टूटेगा, वहां का जो जल है, वहां की जो जमीन है, जंगल की जमीन थी, जिसका अधिकार फारेस्‍ट विभाग के पास था, इससे जो राशि आएगी वह पहले सरकार को जाती थी, अब वह उस ग्राम सभा को विस्‍तार करने के लिए रखेगा.

          सभापति महोदया - कृपया आपस में बात न करें. आपका समय जा रहा है. आप अपनी बात करें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - बाला भैया, ये वह कानून है जो आप नहीं कर पाए.

          श्री दिनेश राय मुनमुन - अब हमारे आदिवासियों को वह अधिकार मिल गया, अब वे ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करेंगे, उस डर से उनका विश्‍वास खो चुके हैं, ये लोग, उन आदिवासी भाईयों का ये भला नहीं चाहते. आज हो हल्ला करने के लिये लाया गया है. 15 महीने की जो सरकार थी वह मात्र छिन्दवाड़ा की सरकार थी मेरा एक मेडिकल कालेज का भूमि-पूजन माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया उसका टेन्डर लग गया उसको केंसिल करने का काम कमलनाथ जी ने किया. मैंने उनसे निवेदन किया आप इसको क्यों केंसिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इतने पास में मेडिकल कालेज नहीं खुल सकता है. मेरे छिन्दवाड़ा जिले में खुल रहा है. उस समय तत्कालीन स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री जी के पास में गया. उनके ऐसे शब्द थे कि हम कैसे खोल देंगे हमारे पास में पैसा नहीं है. हम नहीं खोल सकते हैं आप माननीय कमलनाथ जी से बात करें. जिन्होंने भूमि-पूजन किया है उनसे आप बनवाओ. ऐसे शब्द मैंने सहे हैं. आज वह मेडिकल कालेज की बिल्डिंग सात आठ मंजिला बनकर के कम्पलीट होने जा रही है.

          11.31 बजे { अध्यक्ष महोदय(श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}

          अध्यक्ष महोदय, सिवनी में माईक्रो लिफ्ट एरीगेशन का काम शुरू हुआ. 15 महीने की सरकार ने सिवनी से वो भी छीनकर के छिन्दवाड़ा ले गये. आज कहते हैं कि हमारी यह सरकार हमारे साथ में भेदभाव कर रही है. मैं तो पड़ौसी जिले का हूं. मैं जो बोल रहा हूं उसमें एक भी अक्षरशः गलती हो तो माननीय कांग्रेस के नेता उसको प्रूफ करके दें. अभी छिन्दवाड़ा जिले के बिछुआ गांव में 10 दिन पहले मैं भी वहां पर था लगभग 2 हजार करोड़ रूपये की राशि का भूमि-पूजन और लोकार्पण माननीय शिवराज सिंह जी चौहान करके आये हैं. जिसमें एम्स मेडिकल कालेज के लिये भी राशि देकर के आये हैं. फिर भेदभाव किस बात का है. भेदभाव करना चाहते तो वह छिन्दवाड़ा से छीनते और सिवनी को देते जो काम आप लोगों ने किया है. एक बात बड़ी गंभीर है एक सामूहिक कन्या विवाह उन 15 माहों में हुआ था. मेरे ही सिवनी जिले में कम से कम दो हजार बच्चियों का विवाह हुआ था. वह बच्चियां सुसराल में चली गई हैं. जिनका विवाह इन्होंने करवाया वह जमाई राजा वह आज उन सालों को ढूंढ रहे हैं. भईया आप लोगों ने 51 हजार रूपये देने के लिये बोला था अपनी बहन बेटी को देने के लिये कम से कम आप वह तो दे जाते. वह भी आप लोग लेकर के चले गये. आज संबल योजना हो, या लाड़ली लक्ष्मी योजना हो, संबल योजना का दर्द हमने भोगा है. कोरोना काल की महामारी में कितने लोग काल-कल्वित हुए. आप वह संबल योजना बंद कर दी जिसके कारण हम उनको राशि नहीं दे पाये. अभी आप बात कर रहे थे आदिवासी दिवस की आपको मालूम नहीं है आदिवासी दिवस आदिवासी समाज के लिये है. आदिवासी दिवस उन आदि कम लोगों के लिये जहां पर उन देशों में कम संख्या में यह लोग रहते हैं. जो मूल यहां पर रहने वाले थे लेकिन उनकी संख्या वहां पर कम हो गई दूसरे लोग वहां पर रहने लगे वहां की जनसंख्या बढ़ गई उनके सम्मान के लिये यह आदिवासी दिवस था. जिसका आप विरोध करते हैं.

          श्री बाला बच्चन--आदिवासियों के बारे में आपको कुछ जानकारी है नहीं. विश्व आदिवासी दिवस जो हम मना रहे थे उस दिन कमलनाथ जी ने शासकीय अवकाश घोषित किया था आपकी सरकार तो विरोध करती थी. हम लोगों के खिलाफ तो केस लगाये थे. इसलिये हम अविश्वास का प्रस्ताव लाये हैं.

          श्री दिनेश राय मुनमुन--अध्यक्ष महोदय, यह आदिवासियों का दिवस नहीं है वहां के मूल निवासियों का दिवस है. आप गलत तरीके से आदिवासी भाई बहनों को बहला-फुसलाने का काम कर रहे हैं. आज तक आपने आदिवासियों को बहलाया फुसलाया है. आज आपकी जमीन सरकते देखते हुए आप पेसा कानून का विरोध कर रहे हैं. आप पेसा कानून पढ़िये. पेसा कानून राजपत्र में प्रकाशित हो गया है. जो हक जल, जंगल, जमीन का है उसको भी छीनने का काम आप कर रहे हैं. जो काम आपको करना चाहिये थी वह शिवराज सिंह जी की सरकार ने कर दिया. कोरोना महामारी में 12 बजे अथवा 2 बजे रात हो हम माननीय मुख्यमंत्री जी को फोन लगाते थे वह 2 बजे रात को फोन उठाते थे कि भाई साहब 2 घंटे बाद आक्सीजन की कमी हो सकती है. वह फोन उठाते थे और आक्सीजन उपलब्ध करवाते थे. एक नेता जी बोल रहे थे कि आपको एक देवी श्राप दे देगी. एक दिन भईया कहां से कपड़े फाड़ के आ गये और कहा कि मुन मुन राय तुम भस्म हो जाओगे. यह पार्टी के लोग अंधविश्वास फैलाने का काम कर रहे हैं. एक यहां पर यात्रा चली. यहां पर एक पद यात्रा, हाथ जोड़ों कौन-कौन सी यात्रा निकाल रहे हैं. हमारे तीज-त्‍यौहार निकले उसमें समय नहीं निकला. अब 25 दिसम्‍बर को क्रिसमस बड़ा दिवस आ रहा है,  जहां 7 दिन से ज्‍यादा इनकी यात्रा रूक रही है और कहते हैं कि जनेऊ पहनकर हम हिन्‍दु हैं.

          श्री प्रियव्रत सिंह :-क्रिसमस डे की बात कर रहे हैं. टाइम ज्‍यादा हो गया है दिनेश भैया, थोड़ा आराम से. अब आप किसी को भस्‍म मत कर देना.

          श्री दिेनेश राय 'मनमुन' :- आज भगवान राम का विरोध कर रहे हैं. एक आवास योजना उन गरीबों के लिये लेंटर वाला मकान बन रहा है उसमें भी आपको बुरा लग रहा है. कभी आपने इंदिरा आवास योजना चलायी थी. आज कोई भी एक विधायक बता दे कि उनका एक भी मकान बना बचा हो. उसमें भी इतना बंदरबांट किया. आज गरीबों को मिलने वाले लेंटर वाले मकान में आपको विकास नहीं दिखता, आप तो रेवड़ी बांटने का काम करते हैं कि हम तो कर्जा माफ कर देंगे, हम 200  यूनिट बिजली माफ कर देंगे. इससे आप सरकार बनाने के लिये जनता को भ्रमित कर सकते हो, यह आप वोट बैंक के लिये काम कर सकते हो. जितना आपने 15 महीने में लूटा  है, जितनी आपने 15 महीने में मलाई खाई है, उसकी आपको चिंता सता रही है, आने वाले 20 वर्ष आपको मौका नहीं मिलेगा. अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहत धन्‍यवाद देता हूं और वैसे भी अविश्‍वास प्रस्‍ताव खारिज हो गया है, इनकी चर्चा करना निरर्थक है.

          श्री सुनील सराफ( कोतमा):- अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. पहली बार का विधायक हूं. मैं विषय पर ही बात करूंगा, जो विषय आ गये हैं उस पर बात नहीं करूंगा. आज मैं हमारे नेता प्रतिपक्ष आदरणीय गोविंद सिंह जी द्वारा लाये गये सरकार के खिलाफ अविश्‍वास के समर्थन में खड़ा हुआ हूं और निश्चित रूप से अविश्‍वास प्रस्‍ताव तो इस सरकार के खिलाफ बहुत पहले आ जाना चाहिये था. क्‍योंकि जितने हमारे साथियों ने आरोप लगाये, एक-एक साथी अलग-अलग विषय पर बोला उसके बाद 25 साथियों ने अलग-अलग आरोप लगाये. इस सरकार के खिलाफ इतने आरोप हैं कि अगर सारे साथी भी आरोप लगायें तो आरोप कम पड़ जायेंगे, सारी रात बात हो तो आरोप कम पड़ जायेंगे. सारे साथियों के आरोपों को यदि समग्र रूप से एक साथ रखकर देखेंगे तो पूरा प्रदेश भय, भूख, भ्रष्‍टाचार और बेरोजगारी से पूरा प्रदेश परेशान है, कहां पर यह सरकार खरी ऊतर रही है. मंहगाई आज भगवान राम, हम सबके आराध्‍य के लिये इतना सब कुछ हो रहा था.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप सरकार के खिलाफ बोलिये, सरकार का अविश्‍वास प्रस्‍ताव है. उनके बारे में बोलिये. भगवान राम पर बहस नहीं हो रही है.

          श्री सुनील सराफ:- उनके ऊपर हम सबकी भी आस्‍था है. ठीक है, जैसा आपका आदेश. मैं इस सरकार के ऊपर सरकार की असफलताओं की एक छोटी सी बात बताना चाहता हूं कि गरीबों का जो निवाला, जो गरीबों को बंटने वाला राशन है, जिससे हमारे प्रदेश के करोड़ों गरीब जिस राशन दुकान के चावल से अपना जीविकोपार्जन करते हैं, वह पशु आहार को घटिया स्‍तर का बांटा गया. भारत सरकार के फूड एवं सिविल सप्‍लाई मिनिस्‍ट्री की टीम ने इस वितरित किये गये चावल की गुणवत्‍ता की जांच में पाया कि यह मुर्गे, मुर्गियों के रूप में देने वाला चावल है और मिनिस्‍ट्री ने 23 जुलाई, 2020 से मध्‍यप्रदेश सरकार को कहा कि इस चावल को बांटने पर रोक लगायी जाये. पूरे देश में हमारा प्रदेश यह घटिया चावल यह मुर्गी के दाने के चावल हमारे नागरिको को खिलाने के लिये बदनाम हुई. सरकार साल भर में लगभग 50 लाख क्विंटल धान का उपार्जन करती है और उसे मिलर को देकर के उस चावल को गरीबों में बांटने का काम करती है. लेकिन हमारे प्रदेश हो यह रहा है कि जो अच्‍छी गुणवत्‍ता का चावल है, वह सरकार के साथ सांठगांठ करके, वह मिलर उन चावलों को दूसरे प्रदेश में ऊंचें दामों पर बेच रहा है और बिहार और उत्‍तर प्रदेश से जो घटिया स्‍तर का चावल है जिसको रिसाइकल्‍ड करके पशुओं के खाने वाले चावल को हमारे मध्‍य प्रदेश की सोसाटियों से हमारे मध्‍यप्रदेश के गरीबों को खिलाया जा रहा है. इस तरह से भ्रष्‍टाचार करके उनके स्‍वास्‍थ्‍य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में कई ऐसी राईस मिलें हैं, जो बंद हैं, जिनका वर्षों से बिजली का कनेक्‍शन कटा है लेकिन उन राईस मिलों से भी हमारे यहां चावल आ रहा है. कटनी में फर्जी किसानों के नाम पर 8 करोड़ रुपये से अधिक का हजारों टन धान, केवल कागजों में खरीद लिया गया. राईस मिलर्स के द्वारा डिलीवरी भी स्‍वीकार कर ली गई और भुगतान प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई. मैं, उस जिले से आता हूं, जिस जिले से ही खाद्य मंत्री हैं, बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारे अनुपपूर जिले में 7 करोड़ रुपये से अधिक का चावल खुर्द-बुर्द करने का मामला सामने आया है. यही हाल डिण्‍डौरी जिले और यही हाल लगभग पूरे प्रदेश का है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे खाद्य मंत्री के जिले में एक अधिकारी लोकायुक्‍त से ट्रैप होता है, उसके बाद जो दूसरा अधिकारी लाया जाता है कुछ दिनों के बाद वह भी पैसा लेते हुए लोकायुक्‍त से ट्रैप होता है. उसके बाद तीसरा अधिकारी जो लाया जाता है, वह कुछ दिनों पहले डिण्‍डौरी में पैसा लेते हुए लोकायुक्‍त से ट्रैप हो चुका होता है. यह हाल है, उस जिले का, जहां के हमारे खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री हैं. पूरे प्रदेश में क्‍या हो रहा होगा, इसकी आप कल्‍पना कर सकते हैं और तो और अध्‍यक्ष महोदय मैं, बिना किसी का नाम लिए बताना चाहूंगा, इस सरकार के एक मंत्री जो राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अनुसार मुख्‍यमंत्री अन्‍नपूर्णा योजना का 55 किलो अनाज लेते थे. ठीक है लेते थे लेकिन दुर्भाग्‍य से उनके घर में 11 सदस्‍य थे, 55 किलो अनाज लेते थे. बहुत महत्‍वपूर्ण विषय है मैंने इसका प्रश्‍न भी लगाया था लेकिन वह ग्राह्य नहीं हुआ, वह नहीं आ पाया. (XXX)

          श्री विश्‍वास सारंग-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कृपया ये मृत्‍यु वाली बात हटवा दें.

          अध्‍यक्ष महोदय- इसे नहीं लिखा जायेगा.

          डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपका संरक्षण चाहते हुए, हमारे नेता गोविंद सिंह जी के माध्‍यम से लाये हुए अविश्‍वास प्रस्‍ताव का समर्थन करता हूं. मैं, सदन को अवगत करवाना चाहता हूं कि इस लोकतंत्र में, इस देश में और इस प्रदेश में आदिवासियों को न्‍याय नहीं मिल रहा है और मैं, इस बात को दावे के साथ कह सकता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपनी बात कविता के माध्‍यम से कहना चाहता हूं- 

ये कैसा राष्‍ट्र है जो इस देश के आदिवासियों को जीने नहीं देता,

ये कैसा लोकतंत्र है, जिसमें आदिवासियों की भाषायें,

और समुदाय धीरे-धीरे समाप्‍त होते जा रहे हैं.

 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस देश के आदिवासियों ने इस देश से क्‍या छीना कि इस देश ने आदिवासियों का जीना दूभर कर दिया है. इस राष्‍ट्र को इस बात से कोई दर्द नहीं है कि आज आदिवासी समुदाय समाप्‍त होते जा रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस देश में दुर्लभ प्रजाति के समाप्‍त हो रहे हिरणों, बाघ, शेर और भालू की चिंता है लेकिन इस देश में आदिवासी समाज धीरे-धीरे समाप्‍त हो रहा, इसकी चिंता किसी को नहीं है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आजादी के 70 साल बाद भी आजादी के इस अमृतकाल के अमृत महोत्‍सव में भी जहां पर आदिवासियों के जो संवैधानिक प्रावधान निर्धारित किए गए और उन प्रावधानों में एक स्‍पेशल व्‍यवस्‍था थी कि इस प्रावधान के तहत इन आदिवासियों को न्‍याय मिलेगा. जिन 200 सालों के अंग्रेजी शासनकाल में अंग्रेजो से लड़कर और मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि सबसे पहले विद्रोह अंग्रेजों के खिलाफ किया था तो आदिवासियों ने किया था. वह विद्रोह झारखण्‍ड के चाईबासा में रोरो नदी के किनारे किया था और उस समय सन् 1820 में उन्‍होंने एक स्‍वतंत्र कोलान स्‍टेट बनवाया था और उसी के तहत संविधान में हमें यह पांचवीं और छठवीं अनुसूची हमको मिली लेकिन माननीय अध्‍यक्ष महोदय मैं सदन को बताना चाहता हूं कि आजादी के 70 साल बाद भी पांचवी अनुसूचि के लिए जो प्रावधान निर्धारित किए गए इस देश की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था ने इस प्रदेश की व्‍यवस्‍था ने पांचवी अनुसूचि के प्रावधानों को आज तक इम्‍प्‍लीमेंट नहीं किया है. पांचवी अनुसूची के पार्ट ए के तहत प्रतिवर्ष महामहिम राज्‍यपाल के माध्‍यम से राष्‍ट्रपति जी को प्रतिवेदन भेजा जाना चाहिए, लेकिन प्रतिवेदन में सिर्फ आदिवासी अनुसूचित क्षेत्रों में कितना पैसा खर्च किया जा रहा है ट्रायबल सबप्‍लान का उस  पैसे की जानकारी दी जा रही है इस बात की जानकारी भी दी जा रही है कि आज मध्‍यप्रदेश में सबसे ज्‍यादा जेलों में आदिवासी बंद है. कुपोषण से सबसे ज्‍यादा आदिवासी बच्‍चे बेटियां मर रही हैं. सबसे ज्‍यादा आदिवासी बेटियों के साथ बलात्‍कार हो रहा है. सबसे ज्‍यादा आदिवासी बेटियों के साथ ह्यूमन ट्रेपिंग की घटनाएं हो रही हैं. इस बात की रिपोर्ट प्रतिवेदन के माध्‍यम से नहीं भेजी जा रही है. आजादी के 70 साल बाद भी जो जनजाति सलाहकार परिषद् बनाई गई है. हमारी सरकारों ने उसके नियम नहीं बनाएं हैं और आज जब जनजाति परिषद् कि नियम जब साल में एक दो बार बैठक होती है जो प्रस्‍ताव बनाए जाते हैं तो वह प्रस्‍ताव ही सरकार नहीं मान रही है. आज मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि पांचवी अनुसूचि के तहत पार्ट बी के पांच एक के तहत अनुसूचित क्षेत्रों की व्‍यवस्‍था के लिए जो विशेष कानून जो संसद में और विधान सभा में बनाए जाते हैं वह कानून आदिवासी इलाकों में लागू होंगे या नहीं होंगे उसके लिए राज्‍यपाल के द्वारा नोटिफाय किये जाएंगे, लेकिन मैं इस सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि बिना नोटिफिकेशन्‍स किए आदिवासी इलाकों में सामान्‍य कानून लागू कर दिये गये और आजादी के 70 साल बाद भी आदिवासी इलाकों में संवैधानिक व्‍यवस्‍था के जो प्रावधान थे वह लागू नहीं किए गए हैं. मैं इस सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मूल कानून सन् 1996 में बनने के बाद 26 साल बाद पेसा नियम 2022 बनाए. मैं मुख्‍यमंत्री जी का धन्‍यवाद करता हूं लेकिन मुझे इस बात का दुख है कि पेसा लाए लेकिन पैसा दिया नहीं. ग्राम सभाओं को जो वित्‍तीय पॉवर देना चाहिए था, ग्राम सभाओं को संसाधनों पर अधिकार देना चाहिए था वह‍ अधिकार नहीं दिया. ग्रामसभाओं के तहत आदिवासियों की रूढ़ी परम्‍परा और उनकी धार्मिक रीतिरिवाजों को संरक्षित करने का अधिकार देना चाहिए था. उसके लिए रूढ़ी जननिविधी संहिता विधेयक लाना चाहिए था लेकिन वह विधेयक नही लाया गया. मैं इस सदन को अवगत कराना चहता हूं कि वर्ष 2003 के बाद मध्‍यप्रदेश में वर्ष 2003 में परिसीमन हुआ था अनुसूचित क्षेत्रों के लिए जिसमें बड़वानी, डिंडोरी, मण्‍डला, झाबुआ पूर्णता शेड्यूल एरिया थे . वर्ष 2003 के बाद सरकार ने कभी नए शेड्यूल एरिया बनाने के लिए प्रयास नहीं किया जिसमें एक अलीराजपुर और अनूपपुर पूर्णत: शेड्यूल डिस्‍ट्रिक्‍ट बन सकता है. आज मध्‍यप्रदेश में कई ऐसे तहसील और कई ऐसे ब्‍लॉक हैं जहां पर पचास प्रतिशत से अधिक आदिवासियों की संख्‍या है उन क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन कर उनको शेड्यूल ब्‍लॉक में शामिल किया जाना चाहिए ताकि केन्‍द्र सरकार उपयोजना के तहत जो पैसा आ रहा है, विशेष केन्‍द्रीय योजना के तहत जो पैसा आ रहा है वह उन आदिवासी इलाकों में भी जाए उन आदिवासियों को भी मिले जो आज शेड्यूल एरिये में आज शामिल नहीं किए गए हैं. मैं एक और महत्‍वपूर्ण बात कहना चाहता हूं कि जो विशेष केन्‍द्रीय सहायता योजना है और आदिवासी उपयोजना के तहत जो पैसा हजारों करोड़ रुपए प्रतिवर्ष से राज्‍य सरकार और केन्‍द्र सरकार से आ रहा है उस पैसे का इस्‍तेमाल शेड्यूल एरिये में आदिवासी इलाकों में कैसे हो उसके लिए सरकार ने कोई रूल नहीं बनाए हैं और इसका परिणाम है कि आदिवासी उपयोजना के तहत आने वाला पैसा अन्‍य मदों में खर्च किया जा रहा है. आज हमारे आदिवासी इलाकों में बेरोजगार पलायन करके गुजरात और महाराष्‍ट्र जा रहे हैं. ऐसी एक योजना नहीं है कि आदिवासी युवाओं का पलायन रोके. आदिवासी बेटियों को अपने ग्राम स्‍तर पर रोजगार दे. आपने बोलने का मौका दिया धन्‍यवाद.

          डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आज यहां अविश्‍वास प्रस्‍ताव के पक्ष में अपनी बात रख रहा हूं. आज मध्‍यप्रदेश का कोई भी वर्ग हो, चाहे सरकारी कर्मचारी हो, युवा हो, किसान हो, सब के बीच असंतोष का माहौल है, अविश्‍वास का माहौल है और इस असंतोष और अविश्‍वास के माहौल को देखते, समझते हुए, हम इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव का समर्थन कर रहे हैं. अध्‍यक्ष महोदय, शिवराज सिंह जी की सरकार ने हमेशा निजीकरण को बढ़ावा दिया है. निजीकरण की कोख से यह ठेकेदारी और आऊट सोर्सिंग प्रथा लागू हुई है. सरकार को इन ठेकेदारों से इतना प्यार है कि आऊट सोर्सिंग कर्मचारियों की संख्या लगभग ढाई से तीन लाख है. सबसे आश्चर्य की बात है कि हमारे सचिवालय, संचालनालय इन आऊटसोर्स के कर्मचारियों से भरे हुए हैं. हमारे जितने भी काम होते हैं चाहे वे कितने भी सीक्रेट हों हम यह कैसे विश्वास कर लें कि वे लीक नहीं होंगे. व्यापम में भी कई ऐसी बातें उजागर हुई थीं. पेपर लीक हुए थे. यह असंतोष का माहौल है. युवा खून के घूंट पीकर अपना शोषण सहते हुए काम कर रहे हैं. आज एनएचएम के कर्मचारी हड़ताल पर है. आज आशा, आंगनवाड़ी की हालत ऐसी है. आज ओपीएस की मांग बड़े लेवल पर कर्मचारी कर रहे हैं. लेकिन किसी भी स्तर पर उनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैं. अस्पतालों की मैं बात करूं.कोरोना का कड़वा घूंट पीने के बाद भी आज बहुत सारी बातें हुई हैं लेकिन सच्चाई यह है कि डॉक्टर्स की बहुत कमी है. विशेषज्ञों की बहुत कमी है. इसके अलावा चाहे स्वीपर पोस्ट की बात करें, चाहे वार्ड बॉय की बात कर लें. सपोर्टिंग स्टाफ नहीं होने से भी परेशानी होती है. बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि अव्यवस्थाएं बहुत बड़े लेवल तक फैली  हैं. किसान कर्ज माफी की एक बात कहूं. यह हमारे समय का कर्जा नहीं था आपकी सरकार के समय किसान परेशान थे. आत्महत्या करने के लिए मजबूर थे. उनकी तकलीफ को देखकर कर्ज माफ किया गया था.

          अध्यक्ष महोदय जी,  परिवहन मंत्री जी यहां नहीं हैं. एक बात बताना चाहूंगा कि एक संभागीय उड़नदस्ता मण्डला के जबलपुर बॉर्डर पर है उसको पूरे संभाग पर रहना होता है. लेकिन उसने एक ऐसा अड्डा बना रखा है कि सब लोगों से 3 हजार, 5 हजार राशि वसूल लेते हैं. उनको किसी का भी डर नहीं है. न कलेक्टर, न कमिश्रर, न एसपी किसी का भी डर नहीं है. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि आपने उन्हें संरक्षण दे रखा है जिसके कारण वे किसी से नहीं डरते हैं. मण्डला-जबलपुर रोड 60 साल से बना हुआ है. माननीय मुख्यमंत्री जी आए, माननीय गोपाल भार्गव जी आए, गडकरी जी आए.  गडकरी जी ने सभा में मंच से रोड की लेतलतीफी के लिए माफी मांगी. लेकिन उस पर कुछ नहीं हो पा रहा है. आदिवासी क्षेत्रों की बहुत बड़े लेवल पर उपेक्षा हुई है.  केन, बेतवा लिंक, क्षिप्रा की बातें हो रही हैं लेकिन हमारा जो मण्डला क्षेत्र है. बरगी बांध से चाहे सिवनी का क्षेत्र हो, मण्डला का क्षेत्र हो, चाहे जबलपुर का क्षेत्र हो. सच्चाई यह है कि आज भी बिजली के लिए तरस रहे हैं. आज भी सिंचाई के लिए तरस रहे हैं. हजारों की संख्या में मजदूर पलायन कर रहे हैं. उनके पास में कोई व्यवस्था नहीं है. यही वजह है कि हमारा क्षेत्र पिछड़ा हुआ  है. अविश्वास क्यों न हो ट्रायबल के लिए काम नहीं हो रहा है. रेत की बात कर रहा हूँ. मुख्यमंत्री जी मण्डला गए थे. एक महिला ने पूछा कि सीमेंट फेक्ट्री में बनता है, लोहा फेक्ट्री में बनता है यह रेत कौन सी फेक्ट्री में बनता है कि इतना महंगा है. फ्री रेत आवासों के लिए मुख्यमंत्री जी ने बात की थी वह नहीं दिया गया है. पट्टे नहीं दिए हैं. धन्यवाद.

          श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के पक्ष में अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूँ.

          अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस जो अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है, मन दुखी भी है क्योंकि जो लोग असत्य वादे करके जनता की अदालत में जीतकर आए थे.दूध का दूध और पानी का पानी वापिस जनता ने किया और यह वापिस सड़क पर चले गए. आज यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव ला रहे हैं. मगर सिंचाई के क्षेत्र में मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री] पानीदार मुख्‍यमंत्री मान्‍यवर श्री शिवराज सिंह चौहान जी साढे़ सात लाख हेक्‍टेयर सिंचाई को आज 43 लाख हेक्‍टेयर सिंचाई करने का काम किया है. रहीम की एक कहावत है बिन पानी सब सून] मोती मानस चून. यदि संसार में पानी की जितनी आवश्‍यकता है उस पानी को यदि हम जितना रोक पाएंगे] उतना हमें फायदा होगा. मुझे याद है मध्‍यप्रदेश के हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री मान्‍यवर श्री शिवराज सिंह चौहान जी नीमच की धरती पर आए थे और उन्‍होंने जलाभिषेक का कार्यक्रम प्रारम्‍भ किया था. खेत का पानी खेत में रूके] गांव का पानी गांव में रूके. ऐसी अनेक जल संरचनाएं बनायी थीं. उसकी वजह से आज पानी संचय हुआ है. मान्‍यवर श्री शिवराज सिंह चौहान साहब पानीदार मुख्‍यमंत्री हैं जो नर्मदा का पानी क्षिप्रा में लेकर आए हैं. क्षिप्रा] कालीसिंध और गांधी सागर का पानी हमारे नीमच और मंदसौर जिले में प्‍यासे कंठों की प्‍यास बुझा रहा है. हम सब जानते हैं कि कांग्रेस के अभी सुखदेव पांसे जी बता रहे थे पानी के लिये. पानी आज प्रतिघर पहुंच रहा है. "हर घर पानी" यह योजना हमारे मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने हमें दी है.

        अध्‍यक्ष महोदय] 1409 करोड़ की जो मिशन योजना प्रधानमंत्री जी की मुख्‍यमंत्री जी ने इसे हमारे नीमच जिले को दी है] मैं इसके लिये धन्‍यवाद देता हॅूं. 1208 करोड़ की रामपुरा उद्धव सिंचाई योजना जो गांधी सागर मानव निर्मित सबसे बड़ी झील है जो कांग्रेस के समय बनी थी] हमारे बहुत से गांव उसमें डूबे थे और लगभग हमारी 34 हजार हेक्‍टेयर जमीन उसमें डूब गई थी. 250 गांव उसमें डूबे और लाखों लोगों को बेघर होकर छोड़ना पड़ा था. आज उसी गांधी सागर का पानी नीमच] मनासा और जावद में जा रहा है और यह योजना अभी 1208 करोड़ रूपए की रामपुरा उद्धव सिंचाई योजना मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी ने पास की है. हमारे सिंचाई मंत्री जी ने पास की है. इसके लिए मैं उन्‍हें बहुत धन्‍यवाद देता हॅूं. इस बात के लिए भी मैं धन्‍यवाद देता हॅूं कि हमारे दीनदयाल जी कहते थे "चलो जलायें दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है" तो हमारे मान्‍यवर मुख्‍यमंत्री जी जो भोपाल से नीमच और जावद जो अंतिम छोर में है उस अंतिम छोर में हमारे मान्‍यवर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जी श्री विश्‍वास सारंग जी मान्‍यवर मुख्‍यमंत्री जी ने हमें जो मेडिकल कॉलेज दिया है वह मेडिकल कॉलेज भी बिना भूमि पूजन के आज बनना प्रारम्‍भ हो गया है. इसके लिए भी हम बधाई देते हैं शुभकामनाएं देते हैं. उन्‍होंने किसानों के लिये जो किया है वह आज अद्भुत है. हम जानते हैं जब रामपुरा में बाढ़ आयी] उस समय माननीय कमलनाथ जी मुख्‍यमंत्री थे और वह मुख्‍यमंत्री होते हुए भी उस बाढ़ में नहीं आए और हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री मान्‍यवर श्री शिवराज सिंह चौहान जी साहब इतने-इतने पानी में मनासा के विधायक भाई माधव जी] ओम जी और हमारे साथ में पानी में घूमकर और लोगों को संबल देने का काम किया है तो ऐसे पानीदार मुख्‍यमंत्री हैं. जबकि आना कमलनाथ जी को था] मगर हमारे विपक्ष के होते हुए भी मुख्‍यमंत्री जनता के साथ खडे़ हुए थे. नई उद्योग नीति में हमारे दत्‍तीगांव जी] भाई सकलेचा जी ने बेरोजगारों को रोजगार देने का काम किया है. 1 लाख बेरोजगारों की अब भर्ती वापिस प्रारम्‍भ हो रही है. ऐसा सबका साथ] सबका विकास] सबका विश्‍वास लेकर चलने वाली सरकार माननीय मुख्‍यमंत्री जी की है. यह कांग्रेस के लोग दिवास्‍वप्‍न देखते हैं. माननीय श्री रामेश्‍वर जी ने जरा-सी चुटकी ली थी. मैं तो इस बात पर नहीं बोल रहा हॅूं. सबके राम किसी को मारे नहीं सबके दाता राम पापी तो खुद मर जाएंगे] गर करे खोटे काम, तो यह देश तो राम-रहीम का है और इस देश में गौ-माता की सेवा करने का संकल्‍प भी हमने लिया है और गौ-शालाएं भी हमारी सरकार और हमारे मुख्‍यमंत्री जी हर पंचायत स्‍तर पर खोल रहे हैं. मैं इसके लिए धन्‍यवाद देता हॅूं. मुख्‍यमंत्री जी और आगे जाएं. मध्‍यप्रदेश को स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश बनाएं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.     

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री महेश परमार जी. समय का ख्‍याल रखेंगे.

          श्री महेश परमार (तराना) -- बोलो गजाजन गणपति महाराज की, जय. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी आप बाबा महाकाल के दर्शन करने पधारे थे और आप बाबा महाकाल के अनन्‍य भक्‍त हैं. मैं हमारे नेता आदरणीय गोविन्‍द सिंह जी के द्वारा जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाया गया है, मैं उसका समर्थन करता हॅूं. एक बार जोरदार सदन से सभी साथियों से अनुरोध करता हॅूं कि बाबा महाकाल का जयकारा लगाएंगे. बोलो बाबा महाकाल महाराज की, जय. बोलो सियावर रामचंद्र भगवान की, जय. रामेश्‍वर जी, जोर से बोलिये. हमारे भी राम जी हैं आपके अकेले के नहीं हैं. बोलो, जय-जय श्रीराम, बोलो सीताराम, सीताराम.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यही पहले बोल लेते तो ये भी बात..

          श्री महेश परमार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये बोलने दें, तब तो बोलें. इन्‍होंने ठेका ले रखा है चिल्‍लाने का. रामेश्‍वर जी मेरे बड़े भाई हैं. हमेशा उनको सुनता हूँ मैं.

          कुंवर विजय शाह -- पहले ये आपत्‍ति लेते थे, आज जय सियाराम कर रहे हैं.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, पापियों से राम कहलवा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया. महेश जी, जारी रखें.

          श्री महेश परमार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भगवान महाकाल का मामला है.

          श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष जी, हम लोगों को आप मना कर रहे हैं. ये रामेश्‍वर जी अब वे जय सीताराम जी की बोल रहे हैं तो बोल रहे हैं कि सीताराम जी की नहीं, जय श्रीराम बोलो, ये सीता जी का अपमान है.

          श्री महेश परमार -- जय श्रीराम, जय जय श्रीराम, जय सीताराम, जय सियाराम, जय श्री महाकाल.

          श्री तरूण भनोत -- बोलो जय सीताराम जी की.

          श्री महेश परमार -- देवनारायण भगवान की जय हो, हरसिद्धी माता की जय हो, नर्मदा मैया की जय हो, गंगा मैया की जय हो, क्षिप्रा मैया की जय हो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे भाई, ये अविश्‍वास प्रस्‍ताव सरकार के खिलाफ है.

          श्री महेश परमार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहली बार आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. राधा कृष्‍ण की जय हो. काल भैरव महाराज की जय हो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- पीछे मुड़कर समय देख लें.

          श्री महेश परमार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका आशीर्वाद चाहता हूँ और भगवान महाकाल का मामला है. सबसे बड़ी बात इन लोगों ने मध्‍यप्रदेश के किसानों को ठगा. इन लोगों ने मध्‍यप्रदेश के युवाओं को ठगा. इन लोगों ने मध्‍यप्रदेश की माताओं-बहनों को,  बुजुर्गों को और मध्‍यप्रदेश के एक-एक नागरिक बंधुओं को ठगा और बड़े शर्म की बात है कि इन लोगों ने भगवान महाकाल को नहीं छोड़ा. मुझे इन लोगों के साथ बैठने में शर्म आती है. मैं हमारे नेता आदरणीय कमलनाथ जी को धन्‍यवाद देता हूँ. जब कमलनाथ जी की सरकार बनी और तीन मंत्रियों की कमेटी गठित की, उस समय के तात्‍कालिक मंत्री श्री सज्‍जन सिंह वर्मा जी, धर्मस्‍व विभाग के मंत्री श्री पी.सी. शर्मा जी, नगरीय प्रशासन मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह जी, ये तीनों लोग जब भगवान महाकाल के दर्शन करने आए, जब वहां भ्रमण किया, उज्‍जैन जिले के सभी विधायक साथियों के साथ और सबसे पहले प्रथम किश्‍त के रूप में 300 करोड़ रुपये कमलनाथ जी ने भगवान महाकाल के क्षेत्र के विकास के लिए, भगवान महाकाल वन क्षेत्र के लिए दिए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपनी मूल बात पर आता हूँ. उस राशि का सबसे बड़ा दुरुपयोग आजादी के बाद पूरे देश और मध्‍यप्रदेश में तीन आईएएस अधिकारी और 12 लोगों के खिलाफ और टोटल 15 लोगों के खिलाफ लोकायुक्‍त में प्राथमिकी दर्ज हुई. इससे बड़ी शर्म की बात क्‍या हो सकती है. सरकार जिम्‍मेदार है और इससे बड़ी बात, जिस लोकायुक्‍त के ईमानदार अधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज की, उस अधिकारी को हटा दिया गया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबसे बड़े अभियुक्‍त उज्‍जैन के कलेक्‍टर श्री आशीष सिंह हैं, वे आज भी उज्‍जैन के कलेक्‍टर हैं. यूडीए के सीओ, नगर निगम के कमिश्‍नर और ये सब अधिकारी माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक करोड़ रुपये की निविदा जब निकली वहां, स्‍मार्ट सिटी के माध्‍यम से पार्किंग शेड का निर्माण होना था, जो निविदा की शर्तें थीं, वे निविदा की शर्तें जो टेण्‍डर में थीं, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वे बदल दी गईं और उसकी जो दर थी, जो कीमतें थीं, जो अलग-अलग वस्‍तुएं खरीदी थीं, उसकी चार गुना राशि बढ़ा दी गई. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सत्‍ता पक्ष के लोग इसमें जिम्‍मेदार हैं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी का खास सिपहसालार उज्‍जैन का कलेक्‍टर आशीष सिंह पूरी उगाही करके महाकाल से और पूरे क्षेत्र से यहां देता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उससे एक और शर्मनाक और घृणा की बात है कि भगवान महाकाल के श्रीचरणों में पूरे देश और पूरे विश्‍व से जो श्रद्धालु आते हैं, उनके श्रीचरणों में जो भेंट चढ़ाते हैं, उस राशि का, उस दान का सरकारी उपयोग किया और लगभग 1 करोड़ रुपये जो शासन, प्रशासन और नगर-निगम को खर्च करना था, 1 करोड़ रुपये की लागत से वीआईपी के, यह तो एक छोटी चीज है, उस दान की राशि को सरकारी बताकर इन लोगों ने खर्च कर दिया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 300 करोड़ रुपये का प्रथम चरण का काम, वह पूरा नहीं हुआ. ये सबसे महत्‍वपूर्ण काम कि 300 करोड़ रुपये के कमलनाथ जी के काम आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी यहां नहीं हैं, पूरे मंत्री जिस तरह से राग दरबारी कर रहे थे, हमने तो टीवी में देखा कि जिस तरह से चारन और भाट का काम माननीय मंत्री जी कर रहे थे, भगवान महाकाल के ऊपर इनको संज्ञान लेना, सब लोगों के लिए बड़े शर्म की बात है, 100 करोड़ रुपये खर्च करके, अध्‍यक्ष महोदय, दो मिनट लूंगा, 100 करोड़ रुपये खर्च करके प्रधानमंत्री जी का प्रचार-प्रसार किया. वह राशि कहां से आई, हजारों बसें पूरे मध्‍यप्रदेश और पूरे देश से उन बसों में दो-दो, चार-चार, पांच-पांच लोग बैठकर आए. 300 करोड़ रुपये कमलनाथ जी ने दिए और 100 करोड़ रुपये सरकारी पैसा भगवान महाकाल के भक्‍तों का पैसा इन लोगों ने खर्च किया. एक और महत्‍वपूर्ण चीज़ महापुण्‍य सलिला मां क्षिप्रा में इंदौर की खान नदी का पानी मिलता है. लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी आज मां क्षिप्रा में वह गंदा पानी मिल रहा है. यह सब जिम्‍मेदार लोग यहां बैठे हैं. मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि जब धर्म की बात करते हो, जय-जय श्रीराम बोलते हो तो करोड़ों रुपये का भ्रष्‍टाचार आप लोगों को नहीं दिखता है. भगवान महाकाल में क्षेत्र में आकर अधिकारी, आपके नेता मिलकर सब ठेकेदारी यह लोग कर रहे हैं, तो मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप महाकाल के भक्‍त हैं, उज्‍जैन में एक तरफ मुख्‍यमंत्री जी कहते हैं कि गरीबों के मकान नहीं टूटेंगे, 2016 के पहले के मकान बुने हुए हैं, पूरी दादागिरी के साथ उज्‍जैन में वहां के निवासियों के मकान तोड़े जा रहे हैं. वहां बिजली का उनका कनेक्‍शन है, नल का उनका कनेक्‍शन है. 

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- महाकाल लोक अच्‍छा बना है कि नहीं, अभी तो यह बताओ.

          श्री महेश परमार -- अध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास उनको मिले हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री पांचीलाल मेड़ा जी,

          श्री महेश परमार -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन सुनिये.

          अध्‍यक्ष महोदय -- समय से ज्‍यादा आपको अवसर दिया है.      

          श्री महेश परमार -- अध्‍यक्ष महोदय, सीवेज़ लाइन का टाटा कंपनी उज्‍जैन में काम कर रही है. लगभग 30 लोगों की वहां मौतें हो गईं, एक भी जिम्‍मेदार अधिकारी नहीं बोला. आदरणीय मोहन यादव जी हमारे यहां के मंत्री जी हैं. सीता माता आत्‍महत्‍या नहीं करती हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, वह हो गया. वह आ चुका.

          श्री महेश परमार -- नहीं क्‍यों नहीं बोलेंगे. जब आप उनकी बात सुनेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक बार बोल दिया उन्‍होंने, रिपीट नहीं करते हैं. यह सब बिल्‍कुल नहीं. पांचीलाल मेड़ा जी.

           श्री महेश परमार -- भगवान राम और सीता माता, तो रामेश्‍वर भैया, बड़े भैया इस पर आप संज्ञान लो. इस पर भी आप उठकर जवाब दो. अध्‍यक्ष महोदय, भैया को एक मिनट का समय दो कि माननीय कैबिनेट मंत्री जी ने सही बोला कि गलत बोला. बोलो जय-जय श्रीराम और खड़े होकर बोलो. बोलिए भाई साहब, आप बहुत बड़े वक्‍ता हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब पांचीलाल मेड़ा जी का लिखेंगे बस. पांचीलाल मेड़ा जी शुरू कीजिए अब आपका लिखा जा रहा है.

          श्री महेश परमार --  (XXX)

          श्री पांचीलाल मेड़ा (धरमपुरी) -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे सदन के नेता प्रतिपक्ष जी ने जो अविश्‍वास प्रस्‍ताव सरकार के खिलाफ लाया है मैं अविश्‍वास प्रस्‍ताव का समर्थन करता हूं और सरकार की कथनी और करनी में जो अंतर दिख रहा है वह मैं आपको बताना चाहता हूं कि अभी वर्तमान में किसान जो हमारे अन्‍नदाता हैं उसको खाद, बिजली, पानी की व्‍यवस्‍था सरकार नहीं कर पा रही है. आज गांवों में बिजली की कटौती बहुत ज्‍यादा हो रही है. बिजली के बिल बड़े-बड़े दिए जाते हैं परंतु बिजली नहीं मिल पा रही है. आज खाद के लिए किसान भाई दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. रात से लाइन लगकर दो-दो दिन तक लाइनें लगती हैं तब कहीं एक बोरी, कहीं दो बोरी मिलती है और आज उनको कई जगह तो डण्‍डे भी खाने पड़ते हैं. आदरणीय अध्यक्ष जी, मैं यह भी बताऊंगा कि कुर्ता क्यों फटा. कारम डेम को पूरे प्रदेश ने देखा. कारण डेम में जो भ्रष्टाचार सरकार ने किया है, 304 करोड़ रुपये का जो भ्रष्टाचार किया है वहां पर हमारे अन्नदाताओं के लिए पानी की जो व्यवस्था होनी थी, सरकार की जो मंशा थी, वहां के किसानों के द्वारा मांग के अनुसार जो डेम बनाया जा रहा था, उस डेम में जो भ्रष्टाचार हुआ है. उस डेम को बनाने के लिए पहले तो वर्ष 2014 में उसका आपकी सरकार के द्वारा ही भूमि पूजन किया. बाद में सार्थक कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा उस डेम का निर्माण हुआ और तीन साल तक उसका काम चलता रहा. बाद में उस डेम को जैसे तैसे कच्ची मुरम और मिट्टी से बनाया गया. मेरे क्षेत्र का ही यह मामला है. उस डेम में जो भ्रष्टाचार हुआ है वह किस प्रकार से हुआ. वहां पर कलेक्टर के श्रेय से और हमारे माननीय सिंचाई मंत्री जी भी यहां पर बैठे हुए हैं. दो जिलों को पानी मिलने वाला था धार और खरगौन के किसानों को उसका फायदा मिलने वाला था. नर्मदा केनाल की जो नहरें थीं, वह नहरों के कमांड एरिया से जो जमीनें छूट रही थी, उन किसानों के लिए वह डेम का पानी मिलना था. परन्तु उस डेम के निर्माण में जो विसंगतियां हुई,  बिना दवाई और बिना वाइब्रेटर के वहां पर मिट्टी और मुरम से जो डेम बना, वह पानी के बहाव से ही बह गया और बहने के पहले वह इस प्रकार से गीला हुआ और गीली जब मिट्टी हुई तब वहां पर अपने आप फव्वारे  निकलने लगे, जिस प्रकार से कोई फोड़ा फूटता है. इस प्रकार से वह डेम पूरा फूटा और उस डेम को फोड़ने में मदद करने के लिए हमारे सदन के ही हमारी सरकार के तीन तीन मंत्री वहां पर बैठे रहे. परन्तु जब डेम बना था तब डेम बनने के पहले क्या चाहिए था कि वहां के जो किसान थे, उन किसानों को मुआवजा देना चाहिए था, उनके मकान तोड़े, उनके मकान के बदले मकान बनाना था और जो जमीनें उनकी गई, जमीनें उनको देना था.

          अध्यक्ष महोदय, यह सरकार को कब करना था, यह डेम बनने के पूर्व करना था परन्तु आज जिस डेम की वजह से वहां के आदिवासी भाई मेरे ही कोम के, मेरे ही परिवार के रिश्तेदार हैं.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया समय का ध्यान रखें.

            श्री पांचीलाल मेड़ा - अध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण बात है. जब न्याय यात्रा के लिए मेरी बात जब सदन में नहीं सुनी. मैंने न्याय यात्रा निकाली. मेरे किसान साथियों के साथ उस बात को जब हम राज्यपाल जी को बताने आए तब नौ दिन तक हमारे किसान पैदल चलकर आए और यहां पर जब भोपाल जैसे ही पहुंचते हैं तब क्या चमत्कार होता है. यहां की सरकार ने पुलिस प्रशासन लगा दिया उन आदिवासी भाई किसानों के लिए और हमको डंडे मारकर वापस भेजा. हम क्या करते? हम चोरी करने नहीं आए थे. मैं यह बताना चाहता हूं कि तीन माननीय मंत्री, आदरणीय श्री तुलसीराम सिलावट जी, हमारे प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी जी, श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव जी जो सरकार के जिम्मेदार मंत्री थी,वह आदिवासियों के एक भी घर में नहीं गये और तो और वहां पर जब भारतीय जनता पार्टी  का  प्रशिक्षण मांडव में  3  दिन हुआ  और 3 दिन के  प्रशिक्षणकाल में  मात्र वह 15  किलोमीटर   डेम की दूरी थी और किसी आदिवासी के मकान को देखने  कौन जाये.

                   अध्यक्ष महोदय-- अब हो गया, समाप्त करें.

                   श्री पांचीलाल मेड़ा-- अध्यक्ष जी, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.

                   अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब हो गया.

                   श्री पांचीलाल मेड़ा-- अध्यक्ष जी, मैं यह बताना चाहता हूं कि  3 दिन के प्रशिक्षण में  सब  मंत्री वहां पर  एशो-आराम करते रहे.  वहां पर उन आदिवासी  भाई जो आज जंगलों में रह रहे हैं, उनके पास मकान नहीं हैं.  झोपड़ियों में रह रहे हैं,  वहां पर बिजली नहीं है, पानी नहीं है. क्या सरकार ने वहां पर सुध ली. आज तक वहां पर कोई  नुमाइंदा   सरकार का कोई भी  व्यक्ति वहां पर नहीं गया.

                   अध्यक्ष महोदय-- अब समाप्त करें. श्री राकेश मावई.

                   श्री पांचीलाल मेड़ा-- अध्यक्ष जी,  इस प्रकार से  आदिवासियों   के  हितैषी ये मामा बनना चाहते हैं.  पूरे प्रदेश के आदिवासी समझ चुके हैं.

                   अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें. राकेश मावई जी बोलें. आपकी पूरी बात हो गई है. कुछ नहीं छूटा.

                   श्री पांचीलाल मेड़ा-- अध्यक्ष जी, दो मिनट चाहिये.  मैं यह बताना चाहता हूं कि हमारे आदिवासी  भाइयों के  बैकलॉग के   पद कब भरेंगे. हमारे आदिवासी छात्रों को  स्कालरशिप नहीं मिल रही है.  हमारे आदिवासी छात्र  विदेश में  जाते थे,  उनकी छात्रवृत्तियां  कहां हैं.  आज एक अधिकारी, कर्मचारी  का क्या समय रहता है.  अधिकारी को सुबह से शाम तक  आप उनको घिसते हैं.

                   अध्यक्ष महोदय-- पांचीलाल जी कृपया बैठें.  बस हो गया. आपकी सारी बातें आ गई हैं. राकेश मावई जी शुरु करें.

                   श्री पांचीलाल मेड़ा-- अध्यक्ष जी, जहां पर मुख्यमंत्री जी के  कार्यक्रम होते हैं, वहां पर लाने  ले  जाने  का कोई आंगनवाड़ी हो, मास्टर हो..

                        अध्यक्ष महोदय-- अब पांचीलाल जी  का नहीं लिखा जायेगा. राकेश मावई जी, आप अपनी बात शुरु करें.

                   श्री पांचीलाल मेड़ा-- (xxx)

                   श्री राकेश मावई (मुरैना)-- अध्यक्ष महोदय, बोलो हनुमान महाराज की जय.  हमारे नेता  आदरणीय डॉ. गोविन्द सिंह जी द्वारा जो अविश्वास प्रस्ताव  लाया गया है, उसका मैं समर्थन करता हूं  और  हनुमान  जी महाराज का जयकारा  मैंने इसलिये दिया कि मैं हनुमान भक्त हूं. यह हमारे साथी थे कुछ  बीच में   अधूरा  मुझे छोड़कर उधर  भाग गये थे.  मैं अकेला रह गया था. हमारे नेता भी चले गये  थे.  मुझे शरण  आदरणीय कमलनाथ जी ने, आदरणीय दिग्विजय सिंह जी ने दी.  जिस दिन मेरा टिकिट फाइनल हुआ,  उस दिन  मंगलवार था.  हनुमान जी का दिन था.  जिस दिन वोटिंग हुई थी,  उस दिन भी मंगलवार था,  हनुमान जी का दिन था. जिस दिन रिजल्ट आया था,  उस दिन  भी हनुमान जी का दिन था, बोल हनुमान महाराज की जय.  अध्यक्ष महोदय, मैं एक किसान का बेटा हूं  और मैं  किसान की बात करुंगा. मैं  सर्वप्रथम इस सरकार को इसलिये हटाने के प्रस्ताव का   समर्थन करता हूं, क्योंकि  मेरे मुरैना जिले में  और मेरी मुरैना विधान सभा  क्षेत्र में  भारी बारिश के कारण किसानों की फसलें  नष्ट हुई थीं, उसमें  बाजरा उनका नष्ट हुआ था. लेकिन जब मैंने  जिला प्रशासन  के खिलाफ मैंने  आंदोलन किया,  तब जाकर उसका सर्वे करवाया. सर्वे कराने के बाद कलेक्टर का आदेश आता है कि  नुकसान तो मात्र  5 परसेंट हुआ है.  अरे भैया,  जब आपको देना ही नहीं था, तो फिर  सर्वे क्यों कराया. सर्वे तो आपके हाथ में था.  मैं किसान का बेटा हूं,  किसान की पीड़ा  समझता हूं.  इसलिये इस सरकार को  हटाने का मैं  समर्थन करता हूं,  क्योंकि यह किसान विरोधी सरकार है. हमारी आदरणीय कमलनाथ जी की सरकार  में इस मध्यप्रदेश  में गौशाला खोलने का जो प्रावधान किया था, जिसमें  77 गौशालाएं हमारे  मुरैना  जिले में खोली गईं थी, जैसे  ही कुछ लोगों ने सरकार को गिरा दिया था,  उसके  बाद गौशालाएं बंद हो गईं. उन गौशालाओं के गौवंश के लिये सरकार से पैसा बंद हो गया और आज उनके गौवंश के कारण उन किसानों की फसलें नष्ट हो रही हैं. यह किसान विरोधी सरकार है इसीलिये इस सरकार को नहीं रहना चाहिये. हमारे सीनियर मित्र और सबसे दुर्भाग्य की बात है जो लोग उस सरकार की बात करते हैं सरकार के हर निर्णय में शामिल थे. आज कोई बात करते हैं तो कमलनाथ जी की सरकार की बात करते हैं लेकिन हर निर्णय में आप शामिल थे. अगर उस समय के मंत्री ठीक काम नहीं कर रहे थे तो तुम कौन से दूध के धुले थे.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें. रिपीट मत करें.

          श्री राकेश मावई - मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की हालत यह है जब सरकार का मुखिया बन जाता है. मैं पूछना चाहता हूं शिवराज सिंह जी से कि वे भारतीय जनता पार्टी के मुखिया है या मध्यप्रदेश के हर वर्ग की जनता के मुखिया हैं. क्यों भेदभाव है. आप भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के क्षेत्र में तो विकास की धारा खुल रही है और कांग्रेस के जो विधायक हैं उनके यहां विकास की धारा क्यों नहीं खुल रही. यह दोषपूर्ण तरीके से पूरा पक्षपात किया जा रहा है. इस तरह से पक्षपात करने वाले मुख्यमंत्री कोरहने का अधिकार नहीं है. इसीलिये उनको हटाने का मैं

XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

 

समर्थन करता हूं. क्या बात करते हैं राम राज्य की क्या बात करते हैं धर्म की मैं कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ जीवित है तो राम के नाम पर जीवित है और अगर राम का नाम जिस दिन लेना बंद कर देंगे उस दिन भारतीय जनता पार्टी के आगे जीरो लग जायेगा. आज हर बात में धर्म को लाने का काम करते हैं. विघटन का काम करते हैं. देश को धर्म,जाति,वर्ग में बांटने का काम करते हैं.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करिये. अब इनका नहीं लिखा जायेगा.

          उच्च शिक्षा मंत्री(डॉ. मोहन यादव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार का समर्थन करते हुए अपनी बात कहना चाहूंगा. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि  नई शिक्षा नीति को लेकर पूरे देश में अगर सबसे पहले किसी स्टेट में कोई सरकार आगे बढ़ी है तो वह मध्यप्रदेश की शिवराज जी की सरकार है और आजादी के बाद पहली बार एक मात्र ऐसी सरकार है जिन्होंने पाठ्यक्रम के अंदर वर्तमान के संदर्भों में हमारे धार्मिक ग्रंथों के समसामयिक विषयोंको जोड़ते हुए उनको स्थान दिया चाहे रामायण का स्थान हो.

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप महिलाओं का अपमान करते हैं. सीता माता के बारे में जो आपने बोला है पहले उसको स्पष्ट करें.

          डॉ.मोहन यादव - बहन जी मैं आपकी ही जानकारी  के लिये बताना चाहता हूं कि मां सीता के पाठ्यक्रम को हमने हिस्सा दिया है. हम माताजी का सम्मान करते हैं न कि आपकी तरह जो बात निकली थी. आपकी बात सुन ली.

          अध्यक्ष महोदय -  विजयलक्ष्मी साधौ जी का अब नहीं लिखा जायेगा.

          डॉ.मोहन यादव -  हमने बिल्कुल नहीं किया. हमने यह कहा कि प्रभु राम के जीवन चरित्र को लेकर जो विद्वान हैं उन विद्वानों के विषय को लेकर हम पाठ्यक्रम में आ रहे हैं. भगवानकृष्ण के चरित्र को लेकर भी आ रहे हैं जिसमें वह गीता के लिये बात कर रहे हैं ऐसे सभी विषयों को लेकर यह जो अनावश्यक,अनर्गल बात चलाई जा रही है मै उसका खण्डन भी करता हूं क्योंकि हमने मां सीता के बारे में कभी अपमान नहीं किया.

          डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -    xx .. xx

          डॉ. मोहन यादव-- मेरा निवेदन इतना ही है कि हमारे लिये राजनीति के लिये बहुत सारे विषय हो सकते हैं, लेकिन धार्मिक भावनाओं को लेकर के, धार्मिक उन्‍माद फैलाने का जो कुत्सित षड़यंत्र होता है उसकी मैं निंदा भी करता हूं और जब तक पूरी जानकारी न हो अधूरी जानकारी के बलबूते पर किसी पर आरोप लगाना यह सर्वथा निंदनीय है. मैं आपके सामने बताना चाहूंगा कि जो वातावरण बना है इस वातावरण को लेकर के मैं एक बार फिर स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं कि हमारे लिये इस प्रस्‍ताव के समर्थन में नई शिक्षा नीति के माध्‍यम से जो वर्तमान में हमने प्रयोग किये हैं वह प्रयोग भी इसी तरह काम के हैं, कृषि संकाय से लेकर सबको जोड़ने के, मैं उम्‍मीद करता हूं कि इस बात को समझते हुये हम सब माननीय शिवराज सिंह जी चौहान की सरकार के समर्थन में अपनी बात को यहीं समाप्‍त करता हूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद. भारत माता की जय.

         

12.26 बजे                            बहिर्गमन

                   इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यों द्वारा सदन से बहिर्गमन.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सीता माता का अपमान हुआ है.   

          श्री जितु पटवारी-- अध्‍यक्ष महोदय, हम लोग इसके विरोध में बहिर्गमन करते हैं.

          (इंडियन नेशनल सदस्‍यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)

 

 

12.27 बजे           मंत्रिपरिषद के प्रति अविश्‍वास प्रस्‍ताव (क्रमश:)

 

          श्री मुरली मोरवाल (बड़नगर)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर जो स्थिति चल रही है वह किसी से छिपी हुई नहीं है. चाहे विद्युत मंडल का मामला हो या पीडब्‍ल्‍यूडी का मामला हो या प्रधान मंत्री रोड का मामला हो. मैं तुलसी भैया को धन्‍यवाद देता हूं कि मैंने 3 साल पहले डेम का लिखकर दिया था उन्‍होंने कल मुझे फोन लगाया कि मुरली भाई दोनों डेम मंजूर हो गये, उनके टेंडर भी हो गये हैं तो आज भारतीय जनता पार्टी हमारे क्षेत्र के अंदर मैं आपको बताना चाहता हूं कि जो सड़कें ढाई-ढाई साल से, तीन-तीन साल से जो मंजूर हैं आज तक टेण्‍डर होने के बाद भी उनका काम नहीं चल रहा है, मैं मंत्री जी को कह-कहकर थक गया हूं, कई बार लिखकर भी दे चुका हूं ले‍किन आज तक उनका काम चालू नहीं हुआ है. आज मैं प्रभारी मंत्री जी से मिला, मैं आज पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री गोपाल भार्गव जी से भी मिला पर आज तक ढाई तीन साल हो गये उनका काम चालू नहीं हो रहा है, मैं चाहता हूं कि जो रोडें मंजूर हैं उनका काम चालू होना चाहिये और जो पेंडिंग क्‍यों रख रहे हैं जिस रोड से एक हजार वाहन निकलते हैं उस रोड का काम बंद कर रखा है और टेंडर भी हो गया उस टेंडर के बाद भी उस रोड का काम चालू नहीं हुआ है. अध्‍यक्ष जी मेरा आपसे निवेदन है कि जो काम मंजूर हैं उनको तत्‍काल स्‍वीकृत कराया जाये और दूसरा विद्युत मंडल की बात मैं कहना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- विद्युत मंडल की बहुत सारी बातें आ गई हैं.

          श्री मुरली मोरवाल-- मोहन यादव जी हमारे जिले के नेता भी हैं, मंत्री भी हैं, सीता जी के बारे में जो बोला मैं उसका विरोध करता हूं, मेरा निवेदन है कि जो काम पेंडिंग पड़े हैं उन्‍हें पूरा करायें. धन्‍यवाद.

श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष ने सरकार और मंत्रिपरिषद के खिलाफ जो अविश्‍वास लाया है मैं उसके पक्ष में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. बहुत ज्‍यादा नहीं कहूंगा मुख्‍य-मुख्‍य बिंदुओं पर मैं आना चाहूंगा. इसीलिये मैंने यह कह दिया कि मैं ज्‍यादातर घुमावदार बात नहीं करूंगा, इतना जरूर है जो यह अविश्‍वास आया है यह पूरा समय माननीय मुख्‍यमंत्री जी और मंत्रिपरिषद के द्वारा जिस तरह से प्रदेश की जनता को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर केऔर जो सरकार वाह वाही लूट रही है, उस वाह वाही लूट के मैं कुछ अंश बताना चाहता हूं, चूंकि मैं भी दो बार से इस सदन का सदस्‍य हूं और लगातार सरकार की कार्य प्रणालियों से बहुत अच्‍छे से वाकिफ हूं. हमारे आदरणीय मुख्‍यमंत्री महोदय को मैं याद दिलाना चाहता हूं, वित्‍तमंत्री जी हैं और माननीय मुख्‍यमंत्री जी के बाद गृहमंत्री जी हैं, वर्ष 2017 में मेरे विधानसभा क्षेत्र का मुख्‍यालय बुआ बिछिया जब आप गये थे, तब आपने बिछिया में बायपास के लिये घोषणा किया था क्‍योंकि बिछिया एक ऐसा शहर है, जो हमारे यहां एन.एच.-13 है, जो शहर के बीचों बीच से निकलती है, गुजरती है, अनेकों दुर्घटनाएं घटित होती हैं. मैं बिल्‍कुल संक्षिप्‍त में कह देना चाहता हूं कि अभी फिर नगर परिषद चुनाव के दरमियान.

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री नारायण सिंह जी यह सारी बातें बजट की हैं, जब बजट आयेगा, तब आप बोलना.

श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, कार्य रूप में क्रियान्‍वयन होना चाहिये.

अध्‍यक्ष महोदय -- बजट आयेगा, तब आप कहना.

चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्‍वास सारंग) -- आप बजट का भाषण दे रहे हो. 

श्री नारायण सिंह पट्टा-- बजट का भाषण नहीं दे रहा हूं,  मैं सिर्फ घोषणाओं पर बात कर रहा हूं. अभी नवंबर में नगर परिषद चुनाव में फिर सीधे स्‍वीकृति दी है. सीधे स्‍वीकृति माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने दिया है, लेकिन अनुपूरक बजट में नहीं आया, तो इस तरह से जो है असत्‍य बोलकर के वाहवाही. मैं तो विषय पर आ रहा हूं, माननीय मुख्‍यमंत्री जी के लिये मैंने प्रश्‍न भी लगाया है, उस घोषणा पत्र में यह अंकित है.

अध्‍यक्ष महोदय -- आपके विषय में आने के लिये आपके ही साथी साथ नहीं दे रहे हैं. आप विषय पर आना चाहते हैं, आपके साथी आपको छोड़कर चले गये हैं, आप विषय पर आ जाये.

श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्‍यक्ष महोदय, मंडला जिला आदिवासी जिला है, विटनरी डिप्‍लोमा कॉलेज की स्‍वीकृति हुई थी, जिसके लिये हम सब लोगों ने मिलकर जमीन भी विभाग को दे चुके थे, एक करोड़ का बजट संचालित करने के लिये आवंटित हुआ था, लेकिन दुर्भाग्‍य इस बात का है कि तीन साल हो गये, इस सरकार के आने के बाद से वह विटनरी कॉलेज चालू नहीं हो सका, यह आदिवासी जिले के साथ में भेद भाव है, अध्‍यक्ष महोदय जी धन्‍यवाद.

            श्री तरबर सिंह(बण्‍डा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अविश्‍वास प्रस्‍ताव के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. वर्ष 2018 में जब हमारी सरकार बनी थी, उस समय माननीय कमलनाथ जी ने और माननीय प्रियव्रत सिंह जी जो ऊर्जा मंत्री थे, उन्‍होंने एक नीति बनाई थी कि यदि कोई ट्रांसफार्मर जल जाता है, तो उसका बकाया दस परसेंट भरने पर दोबारा किसानों के लिये ट्रांसफार्मर रखा जाता था. लेकिन आपकी सरकार ने यदि ट्रांसफार्मर किसी किसान का जल जाता है, तो पचास प्रतिशत राशि आप भरवाते हैं, चाहे किसान की फसल सूख जाये और चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन ट्रांसफार्मर नहीं रखा जाता, इसमें भी माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब वर्ष 1998 और 2000 में आदरणीय श्री दिग्‍विजय सिंह जी ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिये पट्टे दिये थे, आपकी 19 वर्ष की सरकार ने आज तक उन आदिवासी और अनुसूचित जाति के लोगों को उस पर कब्‍जा नहीं दिया गया है. और सन् 2003 से आज तक आप लोगों की सरकार है. 19 वर्ष बीत गए हैं और इन 19 वर्षों में पिछड़ा वर्ग के 3 मुख्‍यमंत्री बने लेकिन आज तक किसी भी पिछड़ा वर्ग के मुख्‍यमंत्री ने ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण देने की बात नहीं कही और जैसे ही हमारी सरकार सन् 2018 में बनी. माननीय कमलनाथ जी ने सबसे पहले पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया, लेकिन आप लोगों ने उसको खत्‍म कर दिया. आज पूरे प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर असत्‍य प्रकरण बनाये जा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, अगर हमारे सागर जिले की बात करें तो कोई कांग्रेस का कार्यकर्ता झण्‍डा लेकर निकलता है तो कल उसके घर पुलिस पहुँच जाती है और उसके ऊपर एससी, एसटी और लूटपाट के मुकदमे लगाकर उसे जेल भेज दिया जाता है, यह स्थिति आपकी सरकार की है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपके 2 मिनट हो गए हैं. एक तो आपके लोग आपका साथ नहीं दे रहे हैं, उसके बाद भी आप उनके लिए लड़ रहे हैं.

          श्री तरबर सिंह - मैं तो खड़ा हूँ. धन्‍यवाद.           

          अध्‍यक्ष महोदय - अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा जारी रहेगी. विधान सभा की कार्यवाही आज दिनांक 22 दिसम्‍बर, 2022 को 11 बजे तक के लिए स्‍थगित.

            रात्रि 12.37 बजे विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 22 दिसम्‍बर, 2022  (1 पौष, शक संवत् 1944 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.

 

 

भोपाल :                                                                            अवधेश प्रताप  सिंह

दिनांक- 22 दिसम्‍बर, 2022                                                         प्रमुख सचिव

                                                                                    मध्‍यप्रदेश विधान सभा