मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 21 दिसम्बर, 2021
(6 फाल्गुन, शक संवत् 1936 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11.04 बजे स्थगन प्रस्ताव
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हेतु निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन एवं आरक्षण पूर्ववर्ती कार्यकाल के अनुसार किये जाने से उत्पन्न स्थिति
अध्यक्ष महोदय-- कमलेश्वर पटेल जी अपनी चर्चा शुरू करें.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिंहावल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने हमारे नेता प्रतिपक्ष जी की भावना का सम्मान करते हुए अतिमहत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की अनुमति दी. माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़े दु:ख के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (डी) में बड़ा स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि पंचायतों का चुनाव पांच वर्षों में आरक्षण में, रोटेशन एवं परिसीमन करके ही करवाना चाहिए. जैसा कि स्वर्गीय राजीव गांधी जी ने 73वां एवं 74वां संविधान संशोधन विधेयक लाकर, त्रिस्तरीय पंचायती राज और नगरीय निकाय के हमारे जन-प्रतिनिधियों को ताकतवर बनाया था, उन्हें अधिकार संपन्न बनाया था. (मेजों की थपथपाहट)
आज हम बड़ी खुशी के साथ कह सकते हैं कि इस सदन में भी हमारे बहुत सारे साथी जो जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ग्राम-पंचायत के पंच-सरपंच, पार्षद, महापौर और नगर निगम के अध्यक्ष बनने के बाद, यहां आये हैं. यदि रोटेशन में यह प्रक्रिया नहीं होती तो आज वे यहां, सदन में विधायक के रूप में उपस्थित नहीं होते, मंत्री के रूप में उपस्थित नहीं होते. परंतु बड़े दुर्भाग्य की बात है कि एक तरफ विधान सभा का सत्र 23 नवंबर, 2021 को आहूत किया गया और दूसरी तरफ 4 दिसंबर, 2021 को पंचायत चुनावों की आचार संहिता लागू कर दी जाती है, वह भी दोहरे मापदण्ड के साथ. एक तरफ जिला पंचायत अध्यक्ष के पद हेतु आरक्षण प्रक्रिया में है और दूसरी तरफ पहले से जिनका परिसीमन वर्ष 2019 में कमलनाथ जी की सरकार में किया गया था और साथ ही साथ पंचायतों का आरक्षण भी किया गया था, चाहे वे जिला पंचायत के सदस्य हों, चाहे जनपद अध्यक्ष, चाहे जनपद सदस्य हों, चाहे पंच और सरपंच का हों, सारी प्रक्रिया नियम-कायदों के तहत की गई थी. मुझे बड़ा दु:ख होता है कि संवैधानिक पद पर बैठे हुए हमारे सम्माननीय मंत्रीगण, जब वे हल्की बयानबाज़ी करते हैं, तो शर्म आती है. क्योंकि यह सारी प्रक्रिया प्रदेश और जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा की गई थी, किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं की गई थी. हमने कई बार इनका वक्तव्य सुना कि सब कुछ फर्जीवाड़ा है. कांग्रेस द्वारा अपने लोगों को उपकृत करने के लिए, इस तरह का प्रावधान किया गया था लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि यह एक प्रक्रिया थी, जो कि पांच वर्षों में आरक्षण, रोटेशन में और परिसीमन करवाने की प्रक्रिया थी. विगत 15 वर्षों से परिसीमन नहीं हुआ था. हमने ऐसी बड़ी पंचायतें को, जो 15-15 किलोमीटर के दायरे में थीं, जनसंख्या के आधार पर कि एक हजार की आबादी से छोटी पंचायत नहीं होनी चाहिए परंतु लोगों को इससे असुविधा भी नहीं होनी चाहिए. हमारे प्रदेश के गांवों में रहने वालों की सुविधा को देखते हुए, हमारे माननीय पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी द्वारा यह व्यवस्था की गई और इसे अधिकारियों से गहन विचार-विमर्श और चर्चा के पश्चात्, सभी तरह के पहलुओं को ध्यान में रखकर किया गया था.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय कई ऐसे गांव थे, जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में थे, डूब के क्षेत्र में थे, वहां भी परिसीमन करना आवश्यक था. हमारा जो नया जिला बना है- निवाड़ी. आज भी निवाड़ी जिले का जिला पंचायत कार्यालय टीकमगढ़ जिले से संचालित होता है. यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि हमने नया जिला तो बना दिया लेकिन सुविधा पाने के लिए लोगों को दूसरे जिले में जाना पड़ता है और अभी भी यह स्थिति बनी हुई है कि यदि परिसीमन लागू करके चुनाव नहीं करवाया जाता तो किसी तरह से व्यवस्था में सुधार होगा, ये सारी बातें बड़ी महत्वपूर्ण थीं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत ही जल्दबाज़ी में इस तरह का निर्णय मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लिया गया. इसी सरकार द्वारा पूर्व में, तीन बार 15 वर्षों तक रोटेशन में चुनाव करवाया गया. उस समय कौन-सी नियम प्रक्रिया थी ? मुझे बहुत अच्छे से संज्ञान में है, हमने अध्ययन किया है कि जब मध्यप्रदेश में आदरणीय दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी, त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू करने वाला मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य था. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, पंचायतों को अधिकार संपन्न बनाया गया था. चाहे पंचायतों के जन प्रतिनिधि हों, चाहे नगरीय निकाय के जन प्रतिनिधि हों, उन्हें शिक्षकों की भर्ती, आंगनबाड़ी के कार्यकर्ताओं की भर्ती, पंचायत के सचिवों से लेकर बहुत सारे अधिकार दिए गए थे. मेरा आरोप है कि हमने जो अधिकार उन्हें दिए थे, विगत 15 वर्षों में सरकार ने एक-एक करके उन अधिकारों को छीनने का काम किया है और आज भी उसी दिशा में काम हो रहा है. एक तरफ हम कहते हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए हम रोटेशन में चुनाव करवायेंगे लेकिन यह अभी-भी नहीं हो पाया है, आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है, नई मतदाता सूची तैयार नहीं हुई है, जो हमारे मतदाता माह जनवरी में 18 वर्ष पूर्ण करेंगे, उनको मत का अधिकार नहीं मिलेगा. एक तरफ स्व. राजीव गांधी जी थे उन्होंने 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष के नौजवानों को मताधिकार का अधिकार दिया और दूसरी तरफ मध्यप्रदेश सरकार हमारे नौजवानों का, जो 18 वर्ष के होने वाले हैं उनको मत से रोकने का काम कर रही है, उनके अधिकार छीनने का काम कर रही है. आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, दूसरी तरफ एक बात हम और बड़ी संजीदगी से कहना चाहते हैं और यहां पर हम सभी लोग जिम्मेदार बैठें है, वह चाहे पक्ष से हों या विपक्ष से हों, अगर जनता हमें यहां पर चुनकर भेजती है तो अपने अधिकारों के लिये भेजती है कि हमारा जनप्रतिनिधि चाहे पक्ष का हो या विपक्ष का हो, वह हमारे अधिकारों की लड़ाई लड़ेगा. क्या जरूरत थी इतनी जल्दबाजी में अध्यादेश लाने की, अगर विधान सभा आहूत थी तो यही अध्यादेश आप विधान सभा में चर्चा कराकर लाते, सबकी सहमति बनाते, फिर आप चुनाव डिक्लियर करते तो हम समझते कि हमारे जो लाखों, करोड़ों हमारी मध्यप्रदेश की जनता है, जो हम सबको चुनकर भेजती है, हम उनके अधिकारों की चिंता कर पाते. यह जो त्रि-स्तरीय पंचायती राज का संविधान बना था, इस पर महीनों चर्चा हुई थी, गांव-गांव में जातीय समीकरण के आधार पर सर्वे कराये गये थे, हम वर्ग के लोगों को मौका मिले समानतामूलक समाज बने, आज हम कह सकते हैं कि आज हम कह सकते हैं कि अगर हर वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व मिला है. हमारे कई ऐसे साथी हैं जिनको हम जानते हैं पक्ष और विपक्ष के, जो जिला पंचायत अध्यक्ष थे, उनमें से कोई सांसद बन गया हम सतना के सांसद की बात करें, सीधी के सांसद की बात करें, वह चाहे किसी भी वर्ग के हों, यहीं हमारे सदन में बैठें है पहले वह कटनी के महापौर थे आज विधायक के रूप में बैठे हैं, हमारे यादव जी उज्जैन के महापौर थे, जो आज विधायक के रूप में बैठे हैं और अभी सरकार में मंत्री बने बैठे हैं. कई इस तरफ भी हैं, इस प्रकार हमारे बहुत सारे साथी हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- वह सीट अनुसूचित जाति की है.
श्री कमलेश्वर पटेल:- कौन सी ?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- उज्जैन की.
श्री कमलेश्वर पटेल:- नगर निगम में अध्यक्ष थे, जहां तक मुझे जानकारी है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:-आप जानकारी ठीक कर लीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल:- नहीं भी रहे होंगे, चलिये हम मानते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- नहीं, बन ही नहीं सकते, आप गलत जानकारी दे रहे हैं, कुछ तो भी बोल रहे हो.
श्री कमलेश्वर पटेल:- हमारे साथी महेश परमार बैठे हैं, यहां पर बहुत सारे साथी हैं. आपके पीछे हमारी बहन बैठी हैं, वह जिला पंचायत अध्यक्ष थीं यह खुद नगर निगम में पार्षद थे. आप शांति से बैठे रहे वह अच्छा रहेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- अभी खण्डवा से उप चुनाव में जो सांसद बने, वह स्वयं जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- देखिये, यहां पिछड़ा वर्ग की बात हो रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की बात हो रही है और माननीय मुख्यमंत्री ने जैसा बोला था, हम लोग भी कोशिश करेंगे, उनको सुनेंगे. परन्तु हमारी बात भी सुनी जाये. आज हम यह कह सकते हैं कि जितने भी अधिकारी आज पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिये गये हैं, चाहे वह महाजन आयोग की सिफासिश हो, उसका गठन अर्जुन सिंह जी के समय में किया गया था और दिग्विजय सिंह जी ने 14 प्रतिशत आरक्षण लागू किया, चाहे वह नौकरियों में हो और अर्जुन सिंह जी ने किया. चाहे 27 प्रतिशत उच्च शिक्षा में आरक्षण की बात हो श्रीमती सोनिया गांधी जी यूपीए की चेयरमेन थी और मनमोहन सिंह जी देश के प्रधान मंत्री थे और अर्जुन सिंह जी मानव संसाधन मंत्री थे और हमारे कमल नाथ जी भी केन्द्र में मंत्री थे तब उच्च शिक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. कांग्रेस सरकार ने देने का काम किया, पर बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आज मिले हुए अधिकार को छीनने का काम कर रहे हैं.
श्री जालम सिंह पटेल:- व्ही.पी.सिंह जी की सरकार ने दिया थी 27 प्रतिशन आरक्षण.
श्री कमलेश्वर पटेल:- व्ही.पी.सिंह जी की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिश लागू की थी. वह भी मैं आपको बताना चाहता हूं कि..
श्री बाला बच्चन:- व्ही.पी. सिंह की सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण ओ.बी.सी का कर दिया था इसलिये भाजपा ने उनसे समर्थन वापस लिया था और उनकी सरकार गिर गयी थी.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये. वह बेहतर तरीके से अपनी बात रख रहे हैं, भरोसा रखिये.
श्री कमलेश्वर पटेल:- अध्यक्ष महोदय, बड़ा गंभीर विषय चल रहा है, हम बात कर रहे हैं मंडल आयोग की.
अध्यक्ष महोदय:- आप गंभीर विषय रख रहे हैं तो बीच में व्यवधान कौन कर रहा है यह भी तो देखिये.
श्री कमलेश्वर पटेल:-दोनों तरफ से हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय:- इधर से भी हो रहा है, मैं कह रहा हूं कि आप बैठ जाईये, बैठ जाइये.
श्री बाला बच्चन:- माननीय अध्यक्ष महोदय, उधर से दो एमएलए खड़े हुए थे इसलिये मैं खड़ा हुआ था.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये, आपस में चर्चा मत करिये, उनको बोलने दीजिये अच्छा बोल रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- वह भी एक बड़ा दुख का विषय है मध्यप्रदेश सरकार के लिये मंडल आयोग का गठन उस समय जो प्रधान मंत्री थे उन्होंने किया था पर इंदिरा जी उस समय चुनाव हार गयीं थी. हमारी जब सरकार बनी, इंदिरा जी प्रधान मंत्री बनीं, तो मंडल आयोग के बी.पी.मंडल जो चेयरमेन थे उनको हटाया नहीं, 10 साल तक उनको मंडल आयोग का (पिछड़ा वर्ग आयोग) चेयरमेन बनाकर रखा और उन्होंने समतामूलक समाज स्थापित करने में हमारे नेताओं ने मदद की, हटाया नहीं. आज मध्यप्रदेश के जितने आयोग है, दुर्भाग्य की बात है कि वहां ताला जड़ा हुआ है, पिछड़ा वर्ग आयोग संवैधानिक पद है, संवैधानिक अधिकार देंगे पर अधिकार संपन्न पिछड़ा वर्ग के लोगों को नहीं बनायेंगे. इनके नेता बात करते हैं, हमने संवैधानिक दर्जा दे दिया पिछड़ा वर्ग आयोग को. हमें संवैधानिक दर्जा नहीं चाहिए. हमें संवैधानिक अधिकार चाहिए जो कांग्रेस सरकार ने दिए थे, कांग्रेस पार्टी ने दिया है, देश और प्रदेश में दिया है. पर बड़े दुर्भाग्य की बात है, माननीय अध्यक्ष महोदय अगर रोटेशन में चुनाव हो रहे होते तो आज माननीय न्यायालय में पीडि़त पक्ष के लोगों को नहीं जाना पड़ता. आज पंच से लेकर, सरपंच से लेकर, जनपद से लेकर जिला पंचायत, चाहे जनपद अध्यक्ष हो, चाहे जिला पंचायत अध्यक्ष हो, चाहे मेम्बर का चुनाव हो. लोगों ने सपने संजोकर रखे थे कि इस बार हमारी सीट रिजर्व है, इस वर्ग के लिए, अगली बार हमारा नम्बर लगेगा और लोगों ने दो साल से तैयारियां करके रखी हुई थी, पर पता नहीं इस सरकार को क्या हो गया था, किसने इसको सलाह दे दी. हम तो यही कहेंगे कि हिडन एजेंडा था, छुपी हुई राजनीति थी इसके पीछे. अगर आप नियम-प्रक्रिया से चुनाव करवाते, त्रिस्तरीय पंचायती राज अधिनियम का पालन करके आप चुनाव करवाते तो लोगों को न्यायालय में नहीं जाना पड़ता. न्यायालय में पीडि़त पक्ष गया था और बदनाम कांग्रेस पार्टी को कर रहे है. विवेक तन्खा जी एक अधिवक्ता है, उनके पास कोई भी जाएगा वे उसको न्याय देने का काम करेंगे और वे न्याय देने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे, पिछ़डे वर्ग के आरक्षण को रोकने के संबंध में.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय कमलेश्वर जी, न्यायालय में कांग्रेस ने भेजा है, वह डी.पी. धाकड़ जो किसान आंदोलन का प्रणेता रहा है, उसने किसानों को भड़काया. रतलाम जिले का जिला पंचायत का उपाध्यक्ष, उस डी.पी. धाकड़ को विशेष विमान, माननीय कमलनाथ जी ने उपलब्ध करवाया,(...व्यवधान) ये प्रमाणिकता के साथ मैं सदन में रख रहा हूं, आपकी जानकारी में रहना चाहिए, डी.पी. धाकड़ को भेजा गया था वह जिला पंचायत का अध्यक्ष. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए(...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष जी, (...व्यवधान) इन्हें ये नहीं मालूम, इन्हें समझाइए, पिछड़ा वर्ग विरोधी भाजपा है. ये देश का आरक्षण खत्म करना चाहते हैं. आरक्षण खत्म करने की साजिश भारतीय जनता पार्टी की है. (...व्यवधान)
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - डी.पी. धाकड़ ने किसानों को भड़काने का काम किया, किसानों की हत्या हो गई. किसान प्रताडि़त हुए, किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए. उस डी.पी. धाकड़ को विशेष विमान उपलब्ध करवाया माननीय कमलनाथ जी ने और वह विशेष विमान से गया हुआ है (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष जी, भारतीय जनता पार्टी ने 27 प्रतिशत का अभी जो आरक्षण था जो चुनाव करवा रहे थे, उसे खत्म करके (...व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - आप इस आरक्षण पर फंस गए हो. (...व्यवधान) आप ओबीसी विरोधी है, आप किसान विरोध है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मैं व्यवस्था दे रहा हूं, आप बैठ जाइए. (...व्यवधान) मेरा आग्रह यह है कि मैंने जैसे पहले कहा. बहस को सुचारू रूप से चलने दीजिए, टोकाटाकी करेंगे तो ठीक नहीं होगा. दूसरा आग्रह यह है जब सदस्य बोलते हैं, जब मैं खड़ा होता हूं तो कम से कम मेरी तरफ तो देख लिया करो. अब हम हाथ उठा रहे तो आप हमारी तरफ देख ही नहीं रहे हो, तो कम से कम देखो तो, हमारी तरफ. मेरा आग्रह है कि बहस को चलने दीजिए. अवसर आएगा तो आप भी बोलिए, अब कोई तथ्यात्मक बात आती है, ऐसा लगता है तो आप बोलिए, लेकिन इस तरह से टोका टाकी करेंगे तो ठीक नहीं होगा. कमलेश्वर पटेल जी आप भी देखिए आपको 12-13 मिनट हो रहा है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, कमलेश्वर पटेल जी बोल रहे हैं. इन्होंने कहा कि पीडि़त पक्ष ने याचिका लगाई थी तो उनका नाम भी खुलासा कर दें और वह किस क्षेत्र से आता है और कांग्रेस में किस स्थिति में है. (...व्यवधान) माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के प्रवक्ता है और कमलनाथ जी के खास है, छिन्दवाड़ा से आते हैं, जिन्होंने रिट लगाई थी(...व्यवधान) और ये कह रहे पीडि़त पक्ष. (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, याचिका लगी थी 2019 में आरक्षण रोटेशन के लिए, (...व्यवधान) इस पर शुरु से आप ओबीसी का विरोध कर रहे हो.
श्री विश्वास सारंग - ये तो मान गए न कि विवेक तन्खा जी के कारण आरक्षण रुका है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - हो गया, विश्वास जी. गोविन्द सिंह जी.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि अभी शुरूआत है, पक्ष की तरफ से आपको भी बोलना है. अगर हम कोई गलत बात कर रहे हैं और आप हमसे असहमत है तो जब आप बात करेंगे तब उसमें आप उल्लेख कीजिए. अभी दो तीन बार जो व्यवधान आया है वह सत्ता पक्ष की ओर से आया है और मैं बताऊंगा कि पीडि़त कौन था, याचिका किसने लगाई. मैं बोलूंगा, लेकिन आपको पूछने का अधिकार नहीं है, अध्यक्ष जी कहेंगे तब बताऊंगा.
श्री विश्वास सारंग - मैं तो नाम बताने का बोल रहा हूं.
डॉ. गोविन्द सिंह - मैं बताऊंगा. (...व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग - नाम बता दें न इतने विद्वान हो तो, (...व्यवधान) इन्होंने मान लिया न कि विवेक तन्खा जी के कारण रुका है, यही तो हम बोल रहे. इन्होंने तो मान ही लिया, यही तो हम बोल रहे कि विवेक तन्खा जी की याचिका के कारण रुका है. कह रहे कि अधिवक्ता के रूप में गए थे.
.......व्यवधान.....
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये.
श्री विश्वास सारंग - यह तो इस्टेबलिश हो गया न कि कांग्रेस के कारण पिछड़े वर्ग का विकास रुका है, यह तो हम कह रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - जो व्यक्ति सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम सदन में नहीं लिया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय - विश्वास जी, आप बैठ जाइये.
श्री विश्वास सारंग - श्री विवेक तन्खा जी का नाम लिया, वह कौन है ? श्री विवेक तन्खा जी आपके नेता है कि नहीं. उन्हें राज्य सभा में किसने भेजा है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - उस समय आपको टोकना था. आप तो प्रेरित कर रहे हैं. .
.......व्यवधान.....
श्री कुणाल चौधरी - आप तो आरक्षण के लिए गए थे ... जो आपने चुनाव कराया...
.......व्यवधान.....
श्री विश्वास सारंग - जिन्होंने यह लगाया है, वह कांग्रेस के प्रवक्ता थे. श्री कमलनाथ जी के खास आदमी हैं, छिन्दवाड़ा से आते हैं.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, आप बैठ जाइये.
श्री प्रियव्रत सिंह - विश्वास भाई और सरकार, अपना हिडन एजेण्डा बता दें. आपका क्या एजेण्डा है ?
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. यदि किसी बात का खुलासा करवाना है तो जब आपकी बारी आये तो आप तब पूछिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जो भी स्थिति पैदा हुई है. इसके लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है और यह स्वीकार करना चाहिए. आज जिस तरह की चुनाव की प्रक्रिया हो गई है, पिछड़े वर्ग के लोग नॉमिनेशन नहीं कर सकते. क्या अलग से चुनाव होंगे ? क्या उनके लिए अलग से वोटिंग होगी ? क्या उनके लिए अलग से ईव्हीएम मशीन तैयार होगी ? क्या पंच-सरपंच और क्या प्रदेश की जनता दो बार मतदान करने जायेगी ? अभी भी अस्थिरता का माहौल है और यह सारी प्रक्रिया जल्दबाजी में की गई है और अगर सबसे चर्चा करके, विधिवत् नियम प्रक्रिया में की जाती और अगर मध्यप्रदेश सरकार मध्यप्रदेश की महिलाओं को मध्यप्रदेश की अनुसूचित जाति-जनजाति के, मध्यप्रदेश के पिछड़ा वर्ग के, मध्यप्रदेश के सामान्य वर्ग के सबके हितों की रक्षा करना चाहती तो जो पुरानी प्रक्रिया चली आ रही थी, उसको यह नियमानुसार कराती, पर बड़ा स्पष्ट उल्लेख है. भारतीय अनुच्छेद 243 (डी) की कण्डिका 6 में ''इस भाग की कोई बात किसी राज्य के विधान मण्डल को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में किसी स्तर पर, किसी पंचायत में स्थानों के या पंचायतों में अध्यक्षों के पद के आरक्षण के लिए कोई उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी.'' नहीं कर सकती. यह जो अध्यादेश लाये हैं, जल्दबाजी में लाया गया है. हम उसका विरोध करते हैं. यह सोची-समझी साजिश के तहत है. अगर मध्यप्रदेश की सरकार बहुत हितैषी हैं और भारतीय जनता पार्टी के नेता जो कहते हुए थक नहीं रहे हैं तथा हमारे नेताओं पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस इसकी विरोधी है. कांग्रेस ने तो 27 प्रतिशत आरक्षण दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी, तब भी पिछड़ा वर्ग को दिया था और 15 वर्ष आपकी सरकार रही, एक बार भी विधान सभा या कैबिनेट में लेकर आए हों, पारित किया हो. यहां तक की पैरवी तक नहीं की और पैरवी नहीं करने की वजह से दिग्विजय सिंह की सरकार ने जो 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था, वह निरस्त हो गया और उसके बाद दोबारा फिर जब हमारी सरकार बनी तो 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया.
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव) - अध्यक्ष महोदय, एक बात को रिपीट कर रहे हैं. कृपया एक ही बात बार-बार न बोलें.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया, नोटिफिकेशन कर दिया. लोगों को लाभ मिलना शुरू हो गया. लेकिन कुछ प्रायोजित लोग जिस तरह से यह आरोप लगाते हैं, हम यह नहीं कहेंगे कि यही गए थे, पर कुछ लोग थे जो सुनियोजित तरीके से कोर्ट में गए और इस पर रोक लगाई. इसमें रोक सिर्फ तीन विभागों में लगी थी, पर दुर्भाग्य है कि सरकार को समझने में साल भर से ज्यादा का समय लग गया और (XXX)
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत आपत्तिजनक है. यह कह रहे हैं कि जस्टिस बना दिया. इस सदन में अब यह चर्चा होगी.
अध्यक्ष महोदय - यह विलोपित किया जाये.
...व्यवधान....
अध्यक्ष महोदय - उसको हटा दिया है. अब उस पर चर्चा नहीं करें.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब हुआ है.
श्री एन.पी.प्रजापति - यह आपत्तिजनक नहीं है. सदस्य ने किसी का नाम नहीं लिया है. यह आपत्तिजनक नहीं है. उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- चलिये, श्री कमलेश्वर पटेल जी आप बोलें. (व्यवधान..)
श्री कमलेश्वर पटेल -- हम तो यही कहेंगे कि उनको उपकृत किया गया है, उनको सम्मानित किया है. (व्यवधान..)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- जितने न्यायाधीश बन रहे हैं, वह हमारी अनुशंसा से बन रहे है, नहीं यह गलत है, बिल्कुल गलत है. (व्यवधान..)
श्री कमलेश्वर पटेल -- उनको सम्मानित करने का काम सरकार ने किया है, यह सरकार ने किया, किसने किया, भगवान जाने, पर अगर इतने योग्य होते तो साल भर हमारे पिछड़े वर्ग के लोगों द्वारा जो उच्च शिक्षा के लिये नौकरियों के लिये जो बीच-बीच में आवेदन किये गये, उनको लाभ लेने से वंचित करने का काम किया है, जो लाखों लोगों का भविष्य खराब करने का काम किया है और ऐसे लोगों को हम उपकृत ही तो कर रहे हैं. अगर बहुत क्लीयर कांसेप्ट है तो मेरा आपके माध्यम से यह निवेदन है कि यह जो चुनाव हुए, पहली बार... (व्यवधान..)
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव -- आप न्यायपालिका पर टिप्पणी कर रहे हैं. (व्यवधान..)
श्री कमलेश्वर पटेल -- न्याय पालिका पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- न्याय पालिका पर टिप्पणी नहीं आयेगी. न्याय पालिका पर कोई टिप्पणी आती है तो वह कार्यवाही में नहीं आयेगी, चलिये अब आप बैठ जाईये. (व्यवधान..)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- किसी को उपकृत नहीं किया है, कभी उपकृत नहीं किया है, यह उपकृत करने का काम आपकी सरकारों के समय होता होगा, जो आपको याद आ गया है.
अध्यक्ष महोदय -- श्री यशपाल जी, न्याय पालिका पर कोई टिप्पणी आती है तो उसको विलोपित माना जायेगा.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने न्याय पालिका की बात ही नहीं की है, हम तो जो हुआ है, वह बता रहे हैं कि किस तरह से पूरे मध्यप्रदेश में हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- आपको न्याय पालिका पर कोई टिप्पणी नहीं करना है. . (व्यवधान..)
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तेगांव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इनका पूरा भाषण देख लें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपके माध्यम से एक प्रस्ताव भी लाना चाहते हैं, अगर मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार बहुत ही पिछड़ा वर्ग की हितैषी है, तो जब भी इस तरह का निर्णय किसी भी न्यायालय में जाता है, वहां भी अगर आरक्षण प्रक्रिया लागू होगी, चाहे हमारा उच्च न्यायालय हो, चाहे हाईकोर्ट हो, सुप्रीमकोर्ट हो और यहां तक की हमारा संघ लोक सेवा आयोग हो, चाहे राज्य लोक सेवा आयोग हो, यहां भी और चाहे हमारे जितने भी इंटरव्यू के लिये बोर्ड बनते हैं, अगर इन वर्गों का प्रतिनिधित्वकर्ता वहां बैठेगा तो इस तरह का निर्णय नहीं आयेगा, अगर कहीं हितों का टकराव होता है और हितों के टकराव होने की वजह से इस तरह की व्यवस्था आती है. मेरा तो आपसे निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- आप सुझाव दे रहे थे, आप सुझाव देने की जगह आप भटक गये हैं. आप सुझाव दीजिये कि आप क्या सुझाव दे रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सुझाव ही दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अभी आपने कहां सुझाव दिया है, आप तो दूसरी तरफ चले गये हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी तरफ नहीं गये हैं, यह हमारा सुझाव ही है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका बीस मिनट का समय हो गया है, दूसरे लोग भी बोलेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से यह निवेदन है कि आज एक प्रस्ताव यहां पारित होना चाहिये, जिससे भविष्य में न सरकार संकट में आये और न पिछड़ा वर्ग के लोग संकट में आये, जिस तरह से आज चाहे हमारा माननीय न्यायालय है, वहां कोई आरक्षण नहीं है, वहां भी आरक्षण लागू होना चाहिये, सर्वोच्च न्यायालयों में भी और जितने हमारे संघ लोक सेवा आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग और हमारे जितने भी इंटरव्यू के बोर्ड बनते हैं, सभी जगह हमारे आरक्षित वर्ग के लोगों को भी प्रतिनिधत्व मिलना चाहिये, आज एक प्रस्ताव पारित करके भारत सरकार को लोकसभा में भेजे और दूसरा यह जो चुनाव विसंगतिपूर्ण तरीके से हो रहा है, इस पर रोक लगाई जाये. मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीमकोर्ट में जाये और विसंगतिया दूर करके नये सिरे से परिसीमन कराये, रोटेशन में आरक्षण कराये और उसके अनुरूप चुनाव हो. यही आपके माध्यम से निवेदन है, माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- मैं सदस्यों से एक बार फिर आग्रह करता हूं कि जिस तरह से अभी यह शुरू हुआ है, तो ऐसा लगता है कि यह जल्दी खत्म नहीं होगा, इतना समय यदि आप लेंगे तो समय का निर्धारण आप स्वत: करें. दूसरी बात जो सदस्य कई बार किसी बात को रिपीट करते हैं तो आप इतना मान लीजिये कि जो समय आप रिपीटेशन में लेंगे उतना समय मैं आपके बोलने से काट लूंगा, उतने समय आपको एलाउ नहीं करूंगा, उसी समय में चाहे आप बार बार रिपीट कर लो और चाहे अपनी अगली बात कह लो, यह आपको निवेदन कर रहा हूं और सभी बोलने वालों से आग्रह है कि कम समय में बोलें.
11.34 बजे सभापति तालिका की घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उप नियम (1 ) के अधीन मैं निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिये नाम निर्दिष्ट करता हूं.
1. श्री लक्ष्मण सिंह
2. श्रीमती झूमा सोलंकी
3. श्री रामलाल मालवीय
4. डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय
5. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया
6. श्रीमती नंदनी मरावी
11.35 बजे स्थगन प्रस्ताव (क्रमश:)
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हेतु निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन एवं आरक्षण पूर्ववर्ती कार्यकाल के अनुसार किये जाने से उत्पन्न स्थिति.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में चाहे पंचायतों के चुनाव हो, चाहे नगरीय निकायों के चुनाव हों, यह हमारी स्थानीय सरकार है और इन चुनावों में हमारे स्थानीय जनप्रतिनिधि निर्वाचित होकर आयें जिससे हमारी स्थानीय सरकारें जो हमारे लोकतंत्र का सपना भी हैं, चुनी हुई सरकारें हर पंचायत के अंदर हों और इसीलिये माननीय अध्यक्ष महोदय हमारी सरकार ने माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह निर्णय लिया कि पंचायत के चुनाव शीघ्र कराये जायें. चूंकि बीच का काल हम सबके ध्यान में है, बीच में कोरोना काल के कारण चुनाव में विलंब हुआ और इसलिये सरकार ने यह कोशिश की कि पंचायत के चुनाव जल्दी कराये जायें जिससे कि निर्वाचित प्रतिनिधि वहां पर पहुंच सकें और जनता की समस्याओं का निराकरण हो सके, विकास हो सके और माननीय अध्यक्ष जी, हमने नियम प्रक्रिया के अनुसार जो रोटेशन की प्रक्रिया थी उसका पालन करते हुये हमारी सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि चुनाव कराये जायें, हमने इस पर अध्यादेश भी जारी किया, अध्यादेश जारी करने का अधिकार सरकार को है. जब आपकी सरकार थी तब आपने भी 1200 नई पंचायतें बनाईं, 500 पुरानी पंचायतें आपने खत्म कर दीं, रोटेशन भी आपने अपने मनमाने तरीके से किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम चाहते तो यह सब हम भी कर सकते थे.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय ....(व्यवधान)...
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अब सुने, अब आप सुनिये.
अध्यक्ष महोदय-- आप सुनिये तो फिर जवाब दीजिये न. ....(व्यवधान)...
श्री भूपेन्द्र सिंह-- हम (XXX) नहीं कर रहे, तथ्यों की बात कर रहे हैं, हम (XXX) नहीं करते. ...(व्यवधान)... आपके आधे घंटे के भाषण में कोई विषय था ही नहीं.
अध्यक्ष महोदय-- यह शब्द विलोपित कर दें.
श्री विश्वास सारंग-- आप ऐसी अपेक्षा कैसे कर रहे हैं कि उनके भाषण में कुछ होता.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, हम चाहते थे चुनाव जल्दी हो और इसलिये हमने रास्ता निकाला और रास्ता निकालकर पंचायत चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हुई, राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत की प्रक्रिया आरंभ की, चुनाव शुरू हो गये और जैसे ही चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हुई वैसे ही पहले दिन से कांग्रेस ने यह प्रयास करना शुरू कर दिया कि किसी भी तरह से पंचायत के चुनाव रोके जायें और पंचायत के चुनाव रोके जायें इसके लिये कांग्रेस पार्टी के लोग 5 बार उच्च न्यायालय जबलपुर गये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पांचों बार के नाम आपको पढ़ देता हूं. यह माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस पार्टी की तरफ से...
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट मैं बोलना चाहूंगा...
अध्यक्ष महोदय-- अभी प्रश्न पूछने लायक कोई बात उन्होंने कही ही नहीं है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- हम प्रश्न नहीं पूछ रहे हैं, इस सदन में हम लोग चर्चा के लिये आये हैं और नियम और प्रक्रिया के तहत काम करने के लिये आये हैं और ऐसा नहीं कि आप जो भी बात करें हम मूकदर्शक बनकर बैठे रहे. यह हम बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये, सारा काम नियम प्रक्रिया से ही हो रहा है. पहले आप नियम प्रक्रिया पढ़कर आओ, आप बैठ जाओ.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ओबीसी आरक्षण के विरोध में जितनी भी याचिकायें प्रस्तुत की गईं सारे के सारे कांग्रेस पार्टी के लोग हैं.
श्री सुखदेव पांसे-- रोटेशन के विरोध में की हैं, ओबीसी आरक्षण के विरोध में नहीं की हैं. ...(व्यवधान)... आपकी नियम प्रक्रिया रोटेशन के खिलाफ की है. कांग्रेस के किसी भी व्यक्ति ने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ नहीं की है. ...(व्यवधान)...
श्री सचिन यादव-- कांग्रेस पार्टी के लोग थे साबित करें ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, आपको अवसर मिलेगा ...(व्यवधान)...
श्री भूपेन्द्र सिंह-- सत्य तो स्वीकार करना पड़ेगा न ...(व्यवधान)... आप सुने तो, आप सुने तो ...(व्यवधान)...
श्री सचिन यादव-- आप साबित करिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- आप जवाब दें न, आप जवाब दें.
श्री सचिन यादव-- आप बताइये न, आरोप आप लगा रहे हैं, आप प्रमाण दीजिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अरे भैया अरूण यादव के साथ क्या हुआ, मुझसे क्यों.....
श्री सचिन यादव - वह अलग विषय है. वह हमारे घर का विषय है.आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. अरुण यादव सक्षम हैं. हमारे परिवार का मामला है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठिये.
(..व्यवधान..)
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष जी, ऐसे तो बोल नहीं पाएंगे. आपने तो कोई काम की बात नहीं कही. (XXX) अब बोल रहे हैं तो सुन नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - यह शब्द हटा दें.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय सदस्य क्या (XXX) करता है अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - हटा दिया.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, इस विधान सभा का सदस्य अपनी बात अगर यहां पर रखता है तो क्या वह (XXX) होती है.
अध्यक्ष महोदय - हटा दिया. जिस बात को विलोपित कर दिया. उसको क्यों बोल रही हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - आप वरिष्ठ हैं. आप सुनें तो. अध्यक्ष महोदय, पहली याचिका क्रमांक है. WPC- 13512021, कांग्रेस की नेत्री, जया ठाकुर, पत्नि वरुण ठाकुर, निवासी छिन्दवाड़ा. दूसरे जो याचिकाकर्ता हैं.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - उनको बोलने दीजिये ना. जब आप लोग कहें तब कहें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - दूसरे जो याचिकाकर्ता हैं जबर सैय्यद तनय मुन्ना खान, दिनांक 11.12.2021, इन्होंने पंचायत चुनाव के लिये जो कांग्रेस के प्रवक्ता हैं. इन्होंने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ चुनौती दी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - इन्होंने रोटेशन के खिलाफ आवेदन लगाया अध्यक्ष जी, यह इस तरह से गुमराह करेंगे सदन के अंदर मंत्री जी, यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको हस्तक्षेप करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, आप बैठ जाएं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, अगर एक भी शब्द गलत होगा तो मैं इस्तीफा देने के लिये तैयार हूं. अगर एक भी शब्द गलत बोल रहा हूं तो इस्तीफा देकर चला जाऊंगा. एक-एक शब्द रिकार्ड से बोल रहा हूं. हाईकोर्ट के रिकार्ड और सुप्रीम कोर्ट के रिकार्ड से बोल रहा हूं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - तो इस्तीफा दे दें सदन से.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. पहले सुन लीजिये. अभी उन्होंने जो कहा किसी का नाम लेकर कहा कि वह कांग्रेस के प्रवक्ता हैं. आप ज्यादा से ज्यादा यह करें, प्रदेश के कांग्रेस के अध्यक्ष बैठे हैं वह खण्डन करें कि हमारा कुछ नहीं है. बीच में आप लोग मत बोलिये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - बाल खण्डन की नहीं है. सदन के अन्दर कह रहे हैं वह गलत है. वह सदन के सदस्य नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप सुनिये. आप कह रहे हैं उधर से कि वह सदस्य नहीं हैं. आप कह रहे हैं कि हमारे सदस्य नहीं हैं. हमारे साथी नहीं हैं. इसका खण्डन करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, अभी कोर्ट की पिटीशन का नंबर, किसने दी. यह सब बात तो कहीं परंतु जो बात नहीं कही वह भी जरा कह दें कि अगर कोई कोर्ट में गया तो वह किस कारण से गया, क्या वह आरक्षण के विरोध में गया.
श्री भूपेन्द्र सिंह - कहेंगे वह भी कहेंगे. आप बैठें तो.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, साल भर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के एडवोकेट जनरल और सरकारी जो वकील थे वह कोर्ट में मौजूद नहीं थे.इसलिये उन्होंने स्वमोटो संज्ञान लेकर इसलिये उसको स्टे किया. सच्चाई तो यह है और यह रिकार्ड में है. आप यह अपने महाधिवक्ता से. यह रिकार्ड में है. यह सच्चाई है. इसका स्पष्टीकरण दीजिये. आपमें सो जो भी वक्ता इस बात का स्पष्टीकरण हाऊस में देना चाहता है जरूर इस पर स्पष्टीकरण दे कि महाधिवक्ता और सरकार वकील हाई कोर्ट में ओबीसी आरक्षण के पक्ष में खड़े क्यों नहीं हुए. यह बात हम आपके मुंह से जरूर सुनना चाहेंगे.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, इस तरह से बोलना अलाऊ है क्या.
श्री तरुण भनोत -- अरे वाह, आपको एलाउड है. सच्ची बात बोली, तो बहुत कड़वी लगी. कांग्रेस के लोगों को ले जाकर सरकार बनाते हो और कांग्रेस के लोग हाई कोर्ट में भी नहीं जा सकते और कांग्रेस के लोगों की बेसाखी से सरकार बनाते हो.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई, आप बैठ जाइये ना. आ गई ना. सच्चाई तब बताइये, जब आपका नम्बर आयेगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- तरुण भैया, आप सुनें, मैं सब बोलूंगा. आप सुनो तो.
श्री तरुण भनोत -- मंत्री जी, आप तो यह बता दो कि चीफ जस्टिस महोदय ने कहा कि नहीं कहा कि चार बार लगातार पेशी में सरकार का पक्ष रखने के लिये कोई उपस्थित नहीं हुआ. मैं इस्तीफा दे दूंगा, अगर गलत बोल रहा हूं तो. अगर यह गलत होगा, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- आपका नम्बर आयेगा, तब बोलियेगा. आप बैठ जाइये.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- मैं बता रहा हूं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, पदोन्नति के आरक्षण के मामले में सरकार ने 57 बार कोर्ट में अपना प्रतिनिधि नहीं खड़ा किया है. आप तो इसमें 4 बार का ही बोल रहे हैं. 57 बार आपने प्रतिनिधि खड़ा नहीं किया है पदोन्नति में आरक्षण के मामले में, सरकार का यह हाल है. अध्यक्ष महोदय, 57 बार.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसके आगे अगर हम देखें, तो जो कांग्रेस से राज्यसभा के माननीय सांसद हैं और वरिष्ठ अधिवक्ता हैं श्री विवेक तन्खा जी. तन्खा जी ने दिनांक 29.11.2021 को हाई कोर्ट, जबलपुर में ओबीसी आरक्षण के विरोध में याचिका क्रमांक... (व्यवधान)..
श्री तरुण भनोत --आरक्षण के विरोध में नहीं परिसीमन का विरोध किया है. यह गलत बात है. ..(व्यवधान).. यह बिलकुल गलत बात है. माननीय तन्खा जी तो ओबीसी का केस लड़ रहे हैं, बगैर फीस के लड़ रहे हैं.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ जाइये, आप लोगों को अवसर मिलेगा.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, रोटेशन पर पिटीशन लगी थी, ओबीसी आरक्षण पर नहीं.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- ऐसे कैसे काम चलेगा. आपका अवसर आयेगा, हम हर बात पर खड़े हो जायेंगे, तो कैसे चर्चा हो पायेगी.
..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह -- आप लोगों को जनता माफ नहीं करेगी, जमानत जप्त हो जायेगी.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने तो रोटेशन पर पिटीशन लगाई थी.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, ये गलत तरीके से पेश करके सदन को भ्रमित कर रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- यहां जोर जोर से बोलने से काम नहीं चलेगा.
..(व्यवधान)..
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप सदन को भ्रमित कर रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- आप माफी मांगो. यह प्रदेश की 60 प्रतिशत आबादी को आप लोगों ने आरक्षण से वंचित किया है.
..(व्यवधान)..
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, वहां शासकीय अधिवक्ता क्या कर रहे थे, भजन करने गये थे. अगर विवेक तन्खा जी ने गलत किया तो (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आपका तो हो गया भाई. आप बैठ जाइये.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- (व्यवधान के मध्य) अध्यक्ष महोदय, याचिका क्र. डब्ल्यू.पी. 26440..
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट. हाईकोर्ट के रिट पिटीशन नम्बर के साथ वे बता रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- पिटीशन नम्बर बता रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- पिटीशन नम्बर बता रहे हैं. ..(व्यवधान)..आप लोग सुन तो लीजिये. हाई कोर्ट के बारे में चर्चा नहीं कर रहे हैं, रिट पिटीशन बता रहे हैं, उसका नम्बर बता रहे हैं. उसका कैसे रोका जा सकता है. कोई हाई कोर्ट में पेंडिंग किसी मामले की चर्चा करता है कि रिट पिटीशन पेंडिंग है, इसको कहने से कैसे रोका जा सकता है. क्यों रोका जा सकता है उसे.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, ये अगर हाई कोर्ट के पिटीशन के बारे में असत्य बोलकर श्रेय लेकर पब्लिसिटी करना चाहते हैं, तो इनको आप रोकें. यह तो हाई कोर्ट का अपमान है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह सुन नहीं पायेंगे. यह पूरा नहीं सुन पायेंगे. अभी शुरुआत है.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट बैठ जायें. किसी उच्च न्यायालय या किसी सर्वोच्च न्यायालय में किसी लंबित प्रकरण का कोई भी पिटीशन नम्बर और प्रकरण क्रमांक के साथ कहते हैं कि यह प्रकरण लंबित है, यह प्रकरण चल रहा है, इसमें सुनवाई है, तो इसमें आपत्ति क्या है. इसमें आप कैसे आपत्ति करेंगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय आपत्ति यह है कि जो पिटीशन लगी थी, वह रोटेशन पर लगी थी, ओबीसी आरक्षण पर नहीं है. यह विषय से भटक रहे हैं.
..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, यह पिटीशन परिसीमन के खिलाफ लगाई है. ओबीसी आरक्षण के विरोधी तो आप लोग हो.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - एक सेकण्ड रुक जाइए. मंत्री जी आप थोड़ा बैठ जाइए. आप सभी बैठ जाइए. मैं पहले आपसे आग्रह कर लूं. नेता प्रतिपक्ष से मेरा आग्रह है कि स्थगन प्रस्ताव आपका है. आप चर्चा के लिए लाए हैं तो चर्चा कराइए. यह चर्चा नहीं है. यह कोई चर्चा नहीं है. आपने अपनी बात कही. श्री कमलेश्वर पटेल जी ने शुरुआत की, उसका वह जवाब दे रहे हैं. आपका भी अवसर आएगा. सारे तथ्यों को जब आपका नम्बर आए, तब रखिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - पिटीशन का मतलब गलत है.
अध्यक्ष महोदय - तो आप कहिए कि गलत है. जब आपका अवसर आएगा तब कहिएगा कि गलत है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - इस तरह से नहीं चलेगा.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपसे आग्रह करता हूं कि चर्चा आगे बढ़ सके.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस तरह जो एतराज हो रहा है कि पिटीशन नम्बर, पिटीशन डेट, किसने फाइल की, इसकी बात तो रख दी. हम तो यह कहते हैं कि यह पिटीशन के अंदर क्या है, पिटीशन में क्या है और कोर्ट का क्या आर्डर है, वह पटल पर रख दें. दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तैयार हूं. यह सारे डाक्यूमेंट्स मैं पटल पर रखने के लिए तैयार हूं और अगर एक भी नम्बर गलत हो, मैं अभी रख देता हूं.
श्री कमल नाथ - यह घूमाकर बात कहनी, पिटीशन नम्बर, पाटिशन की तारीख, यह किस चीज की है?
संसदीय कार्यमंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र )- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है कि सम्मानित सदस्य ने जो विषय रखा. हमारे सदस्य शांति से सुनते रहे. यह जो बात कह रहे हैं, अगर इनको गलत लगती है तो जब इनके वक्ता बोलें, तब वह कहें. इस पर व्यवस्था आए. दूसरा, श्री विवेक तन्खा जी के नाम पर आपत्ति इन्होंने की, उनकी पूरी हाईकोर्ट की यहां पर बहस है. आप अनुमति दें तो इसी स्क्रीन पर यह देख लें. उन्होंने आरक्षण की बात की है कि नहीं की है? मेरे पास में यह है, इसमें उन्होंने रोटेशन की बात की है. आप अगर अनुमति देंगे तो यहां पर स्क्रीन पर यह दिखाई जा सकती है, कैसे कांग्रेस ने वहां पर इस पिछड़े वर्ग के साथ में पाप किया है. इस प्रदेश की जनता के साथ पाप किया, उनके हकों को किस तरह से मारने का पाप किया. यह कितना भी कुछ भी कर लें, हल्ला मचाने से इनके पाप नहीं धुल सकते हैं. इनके पाप कभी नहीं धुलेंगे. यह पूरी की पूरी क्लिपिंग स्क्रीन पर लेकर आया हूं, इसको सुना जाय. (व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी - आपने अन्याय किया, 20 साल से वोट लेते रहे. मुख्यमंत्री पिछड़ों की बात करते हैं, पिछड़ों के अधिकारों के साथ खेलते हैं.(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए. अभी आपको अवसर मिलेगा. चर्चा बंद नहीं हुई है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय संसदीय कार्यमंत्री ने क्लिपिंग दिखाने को कहा है. हम तैयार हैं. अध्यक्ष महोदय, कृपया आदेश दें.
अध्यक्ष महोदय - श्री भूपेन्द्र सिंह जी के बोलने के बाद आपका ही नम्बर आएगा. जिन तथ्यों को उन्होंने रखा है, जैसा लगता है कि यह तथ्य ठीक नहीं है. उसका आप स्पष्टीकरण दीजिएगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - हमारा आप सभी से अनुरोध है कि आप आरोप लगा रहे हैं तो आपको भी जवाब देने का मौका है. आप उनके तथ्यों का खंडन करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - वह क्लिपिंग दिखाएं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - डॉ. गोविन्द सिंह जी से जरा सीखो.
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार का विधायक हूं. मैं आपसे एक चीज का जवाब चाहता हूं. (XXX)
अध्यक्ष महोदय - जब अवसर आए तब बोलिएगा. अभी आपका अवसर आने वाला है. अभी आपको बोलने का अवसर मिलेगा. डॉ. गोविन्द सिंह जी ने कहा कि सबको अवसर मिलेगा.
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब से उच्च न्यायालय की बात हो रही है. सरकार अपना पक्ष क्यों नहीं रख रही है? सरकार अपना पक्ष रखे.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए. वह अपना ही पक्ष रख रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, याचिका क्रमांक 26440221 दाखिल की गई, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट में दिनांक 9.12.21 को विस्तृत सुनवाई हुई. माननीय हाईकोर्ट जबलपुर ने पंचायतों के आरक्षण एवं निर्वाचन प्रक्रिया में दखल देने से साफ इंकार कर दिया. दिनांक 09.12.2021 को आदेश हाईकोर्ट द्वारा याचिका क्रमांक 26440/21
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, जिनका हमने पहले उल्लेख किया था, जिन्होंने 27 प्रतिशत आरक्षण न्यायालय में समझने में एक साल लगा दिया. 3 विभागों में रोक थी, आपने तो उनको उपकृत कर दिया. आपने तो उनको बहुत बड़े पद पर बिठा दिया, संवैधानिक पद पर बिठा दिया, जिसने पिछड़े वर्ग का नुकसान किया. साल भर नौकरियों से, उच्च शिक्षा से वंचित हुए, उनको आपने उपकृत करने का काम किया, उनको तो आप विलोपित करवा रहे हैं...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- हो गई आपकी बात. यह बात पहले भी आ गई थी.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- विवेक तन्खा साहब कह रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय में ओबीसी को जो आरक्षण दिया गया है, यह गलत दिया गया है, इसके लिए मैं उच्चतम न्यायालय में गया था. यह ''टाइम्स ऑफ इंडिया'' में है, विवेक तन्खा साहब यह कह रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ कहना चाहती हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अभी रूक जाइये.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- नहीं, नहीं, ऐसा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- अभी रूक जाइये, आपको अवसर दूंगा.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, दोनों पक्षों की बात सुनी जाती है, हम लोगों की बात क्यों नहीं सुनी जाती ?
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह बोलना चाहती हूँ कि...
अध्यक्ष महोदय -- अवसर दूंगा बोलने का, बैठ जाइये.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह पिछड़ों की बात है, यह बर्दाश्त नहीं की जाएगी. आप दोनों पक्ष बैठकर समझौता बनाएं और पिछड़ों का जो अधिकार है, वह दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं दोनों से पक्षों से यह बोलना चाहती हूँ. सत्ता पक्ष से और विपक्ष से भी मैं यह बोलना चाहती हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आपको भी बोलने का अवसर मिलेगा, आप बैठ जाइये.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, सुनता ही कौन है, कौन सुन रहा है हम लोगों की.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसमें आगे देखें, पत्र जा रहा है शशांक जी की तरफ से, श्री विवेक तन्खा जी, सीनियर एडव्होकेट को नियुक्त किया जाना आवश्यक है. इसके लिए श्री तन्खा को राशि रुपये 25 लाख की हियरिंग का भुगतान तथा दिल्ली से आने-जाने के लिए चार्टर्ड प्लेन उपलब्ध कराने की अनुशंसा की गई है, यह शशांक शेखर जी की चिट्ठी है और माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कांग्रेस की तरफ से व्यवस्था की गई. यह पत्र है, जिसमें चार्टर्ड प्लेन किया गया, 25 लाख रुपये अलग से फीस की व्यवस्था की और ये सारा का सारा कांग्रेस पार्टी की तरफ से किया गया कि किसी भी तरह से ओबीसी को आरक्षण न मिले. इन्होंने पंचायत चुनाव का भी विरोध किया. ...(व्यवधान)...
श्री कमलेश्वर पटेल -- यह सारा कूटरचित दस्तावेज है. ये इसमें माहिर हैं. ये इसमें माहिर हो चुके हैं, लगातार असत्य बयानी कर रहे हैं. मध्यप्रदेश के पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं. यह कूटरचित दस्तावेज यहां पर बता रहे हैं. प्रस्तुत करें, जो भी है, पटल पर रखें...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- जातियां पे जातियां जोड़ीं, 54 प्रतिशत आबादी के साथ धोखा किया और जब 27 प्रतिशत किया गया, उसको खत्म करने के लिए 2014 के मुताबिक चुनाव कराए गए, क्यों होंगे 2014 के मुताबिक चुनाव.. जिस बात को बताना चाहिए, उस पर सदन में चर्चा नहीं कर रहे हैं...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट, माननीय मंत्री जी, भूपेन्द्र सिंह जी, और आप कितना समय लेंगे ?
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक घण्टा लग जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, आप कितना समय लेंगे ?
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष जी, एक घण्टा.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, माननीय सदस्यगण, इस स्थगन प्रस्ताव के विषय में इसके महत्व तथा आप सभी के अनुरोध पर मेरे द्वारा प्रश्नकाल में ही इसे चर्चा के लिए लिया गया है. लेकिन माननीय सदस्य संयम के साथ तथ्यात्मक चर्चा के स्थान पर वाद-विवाद करें, यह उचित नहीं है. अत: सभी पक्षों के माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया बोलने वाले सदस्य के भाषण के समय व्यवधान न करें, उसके संबंध में खण्डन या अन्य तथ्य अपना क्रम आने पर प्रस्तुत करें, जिससे व्यवस्थित ढंग से यह चर्चा पूर्ण हो सके. माननीय भूपेन्द्र सिंह जी, समय थोड़ा सा कम करके अपनी बात पूरी करें, जिससे दूसरों को भी मौका मिले.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम बोल रहे थे, तब सबसे ज्यादा व्यवधान तो इन्होंने किया था. बोलने नहीं दिया.
अध्यक्ष महोदय -- अब वह रिकॉर्ड निकलवाएंगे तो दिक्कत आएगी, निकलवाना न पड़े. कितना व्यवधान किसके भाषण में हुआ है, यदि वह निकलवाएंगे तो दिक्कत आएगी सबको, इससे बेहतर है कि उसको राज ही रहने दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि विषय बहुत बड़ा है और हमारे माननीय अन्य वक्ता भी इस पर बोलेंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि पूरी तरह से ये जो ओबीसी का आरक्षण है, यह ओबीसी का आरक्षण कांग्रेस पार्टी की तरफ से रोका गया है, इसको लेकर पूरे प्रदेश में ओबीसी वर्ग में आक्रोश व्याप्त है. अध्यक्ष महोदय, मैं इस फोरम के माध्यम से, इस सदन के माध्यम से यह कहना चाहता हॅूं कि अगर जान भी देना पडे़ तो जान दे देंगे परन्तु ओबीसी के आरक्षण को किसी भी कीमत पर हम रूकने नहीं देंगे. किसी भी कीमत पर रूकने नहीं देंगे. (मेजों की थपथपाहट) यह कितना ही प्रयास कर लें, पर हमारी सरकार प्रतिबद्ध है हम लोग किसी भी कीमत पर रूकने नहीं देंगे.
श्री सुखदेव पांसे -- अरे, आरक्षण दे दो, जान नहीं चाहिए भई.
डॉ.गोविन्द सिंह (लहार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आजादी के पूर्व चूंकि भारत में जो समाज में विषमता थी उसके लिए आजादी के पूर्व भी समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी इस आरक्षण की मांग को उठाते रहे हैं और जब भारत का संविधान बना तो भारत के संविधान में सभी सम्माननीय संविधान सभा के सदस्यों ने यह प्रावधान किया कि संविधान के अनुच्छेद 245 (द) में भारत में कोई भी राज्य विधानमण्डल, इसमें साफ स्पष्ट है विधानमण्डल पिछडे़ हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में अपने स्तर पर पंचायत के स्थानों में या पंचायत के अध्यक्षों के पदों के आरक्षण में उपबंध करने से निर्वासित नहीं करेगी. मतलब संविधान में यह साफ और स्पष्ट उल्लेख है कि अगर इस अनुच्छेद 245 के तहत मध्यप्रदेश या भारत के राज्य जो हैं वह कहीं भी आरक्षण लगाकर कर सकते हैं इसमें कोई रोक नहीं है तो जब संविधान में प्रावधान था इसीलिए सबसे पहले भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने वर्ष 1953 में काका कालेलकर आयोग बनाया. इस आयोग ने अपने 4 मानक स्थापित किए. उसमें आयो ने पूरा परीक्षण किया. आयोग ने उसमें काम किया. भारत में 2399 जातियों को पिछड़ा माना, जिनमें से 843 जातियॉं पिछड़ी थीं. यह भारत के प्रधानमंत्री ने किया. इसके बाद मंडल कमीशन मुरार जी देसाई ने 20 दिसम्बर 1978 को बिंदेश्वरी सिंह प्रसाद जी की अध्यक्षता में कमीशन बनाया. इस कमीशन की रिपोर्ट उन्होंने दी, तब उस समय कांग्रेस पार्टी की सरकार के पहले श्री व्ही.पी.सिंह की आयी, उस समय रिपोर्ट आ गई थी उन्होंने लागू किया, हल्ला हुआ लेकिन लागू होने के बाद भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी आयीं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय गोविन्द सिंह जी हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं वह जो पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का उल्लेख कर रहे हैं जो काका कालेलकर समिति बनी थी. माननीय नेहरू जी ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था और लिखकर यह कहा था कि यह जो ओबीसी का आरक्षण है यह किसी भी राज्य में न दिया जाए. यह मेरे पास प्रमाण हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, ठीक है. आपके पास प्रमाण है तो रखे रहें. आपको धन्यवाद. मैं भी प्रमाण के आधार पर ही बता रहा हॅूं. भारत में लोकसभा ने जो आयोग बनाया था, मैं उसके समय का निकालकर पढ़कर बता रहा हॅूं. (हंसी)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष जी, महात्मा ज्योतिबा फुले वर्ष 1933, अब लिखने-पढ़ने से आपका क्या संबंध है. (हंसी) "तू इधर-उधर की न बात कर, यह बता कि काफि़ला क्यों लौटा. मुझे रहजनी से गिला नहीं, तेरी रहबरी पर सवाल है." अरे यह बताओ कि क्यों विरोध किया. क्यों विरोध किया ओबीसी आरक्षण का.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, उसके बाद जब माननीय अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री थे, उन्होंने 5 सितम्बर 1980 को रामजी महाजन आयोग बनाया. रामजी महाजन ने आयोग की रिपोर्ट दी उसमें साफ और स्पष्ट लिखा था कि 27 परसेंट आरक्षण मिलना चाहिए और जब उन्होंने किया तो उसके बाद मैं आपसे कहना चाहता हॅूं कि कांग्रेस पार्टी के बारे में जो माननीय मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह जी बता रहे हैं कि लगातार विरोध कर रही है अगर विरोध कर रही थी तो कांग्रेस पार्टी की सरकार जो माननीय कमल नाथ जी के नेतृत्व में बनी, उसके वचन पत्र के पेज नंबर 226 (3) में निवेदन किया कि अगर हमारी सरकार बनती है तो हम पिछड़ा वर्ग आयोग बनाएँगे और पिछड़ा वर्गों को 27 परसेंट आरक्षण देंगे. (मेजों की थपथपाहट) यह माननीय कमल नाथ जी ने किया और सामान्य प्रशासन मंत्री होने के नाते जो घोषणा पत्र में वचन दिया था उस वचन का पालन, आपने विधान सभा में, आप सभी ने, सर्वसम्मति से इसको पास किया और हमने 8 जुलाई 2019 को इसको बजट में रखा, धारा 4 में संशोधन किया और 14 परसेंट के स्थान पर कमल नाथ जी ने साफ लिखा है, पिछड़े वर्ग के 14 प्रतिशत आरक्षण के स्थान पर शब्द, अंक, पिछड़े वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण स्थापित किया जाए. (मेजों की थपथपाहट) जब अगर हम विरोध में थे, काँग्रेस पार्टी, जैसा कि आप कह रहे हैं, तो यह लगातार हमने किया है. देश में लगातार आपके प्रधानमंत्री रहे, आपको भी अवसर मिला, हमारे माननीय मोदी जी लगातर 7 वर्ष से हैं, पिछड़े वर्ग के हैं, उन्होंने कोई ऐसा पालन नहीं किया. आप लगातार 2003 से, सवा वर्ष छोड़कर, आप लगातार मुख्यमंत्री हैं और आपके तीनों मुख्यमंत्री पिछड़े वर्ग के हैं. क्या आप यह कानून पारित नहीं कर सकते थे? (मेजों की थपथपाहट) आप बताइये मध्यप्रदेश की विधान सभा में आपके पास कौनसा ऐसा वचन है जिसमें आपने पिछड़े वर्गों के आरक्षण की चिन्ता की हो? आपका एक भी ऐसा उदाहरण न दिल्ली की सरकार में है, न आपके मध्यप्रदेश की सरकार में है, जिसमें पिछड़े वर्गों के लिए आपने चिन्ता की हो. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष जी, अब मैं कहना चाहता हूँ कि जब 73 वाँ संविधान संशोधन हुआ, उस संशोधन के बाद जब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी 1993 में.....
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- डॉक्टर साहब, उस समय सर्वानुमति से जो प्रस्ताव...
डॉ.गोविन्द सिंह-- पास हुआ, मैं कह रहा हूँ ना उस समय आप शामिल थे. जब आप दोनों पक्ष तैयार थे तो झगड़ा कहाँ है?
श्री गोपाल भार्गव-- उस समय मैं नेता प्रतिपक्ष था. लेकिन एक बात मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या एक भी पद आपने ओबीसी के लिए, उस पूरे कार्यकाल में दिया क्या? आप बताएँ.
डॉ.गोविन्द सिंह-- जवाब दूँगा. अभी बता दूँगा.
श्री गोपाल भार्गव-- एक भी नौकरी दी क्या?
डॉ.गोविन्द सिंह-- मैं आपको स्पष्ट करूँगा, आप पूछ रहे हैं तो मैं जवाब दूँगा. अध्यक्ष महोदय, माननीय दिग्विजय सिंह जी के समय में उसमें आपने जो लिखा है. यह है धारा 13, मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 13 में पंचायतों का गठन, इसमें साफ लिखा हुआ है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियाँ, अगर जिस पंचायत में जनसंख्या में, उनकी जनसंख्या के अनुपात में किया जाएगा आरक्षण और अगर आरक्षण 50 प्रतिशत से कम है, जगह नहीं, तो फिर पंचायतों में जहाँ अनुसूचित जाति, जनजाति के, जिस पंचायत में मतदाता जनसंख्या कम है 50 परसेंट से तो वहाँ दिग्विजय सिंह जी की सरकार ने साफ लिखा, उस पंचायत में जितने पद हैं, उन कुल की संख्या का 25 प्रतिशत स्थान अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित किए जाएँगे. (मेजों की थपथपाहट) ऐसा स्थान धारा 13 (4-ii) के अधीन कलेक्टर द्वारा पंचायत के विभिन्न वार्डों को विहित रीति में रोटेशन में आवंटित किए जाएँगे, अध्यक्ष जी, झगड़ा यह है. रोटेशन की बात संविधान में हैं, रोटेशन की बात पंचायत राज अधिनियम में भी है. लेकिन रोटेशन झगड़ा यहाँ से शुरू हुआ कि आपने मनमाने तरीके से, संविधान में यह भी उल्लेख है कि 6 महीने में आप पूर्व से चुनाव की तैयारी करेंगे. माननीय कमल नाथ जी ने कार्यकाल समाप्त होने के 6 महीने पूर्व से चुनाव की तैयारी की. पंचायतें बनाईं, लेकिन अध्यक्ष जी, यह पंचायतों का चुनाव दलगत आधार पर नहीं होता, पंचायतों में राजनीति न पड़े, राजनीति में गाँव के लोग झगड़े में न फँसे इसलिए इसको गैर राजनैतिक आधार पर पंचायत चुनाव करने का मध्यप्रदेश सरकार ने निर्णय लिया, वह आज भी आपने पारित किया. अब सवाल इस बात का है कि अब झगड़ा यहाँ से शुरू हुआ कि आप नहीं चाहते थे कि चुनाव हो और यह बिल्कुल स्पष्ट था, जिस दिन से आपकी यह नीयत थी कि आन्दोलन चल रहा है. किसान आन्दोलन है महंगाई चरमसीमा पर है. एक दो दिन छोड़ दें बाकी आप समाचार-पत्र पढ़ेंगे तो देखेंगे कि पढ़े लिखे नौजवान बीई, एमए, इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की पढ़ाई किए हुए रोजाना आत्महत्या कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं हो रही हैं. मुख्यमंत्री जी आप बेरोजगारी की समस्या पर ध्यान दीजिए. जब नौजवानों को रोजगार नहीं मिलेगा तो बेरोजगारी बढ़ेगी. आपने किया इसलिए हम गए. आप कहते हैं कि तनखा जी ने पैरवी की है. मैं कहना चाहता हूँ कि तनखा जी वकील भी हैं. आपके रामजेठमलानी पार्टी के थे उनको आपने राज्यसभा का सांसद बनाया था. कांग्रेस पक्ष के कई नेता उनके पास गए तो उन्होंने उनके लिए भी पैरवी की, केस लड़े. उन्होंने तो आतंकवादियों के भी केस लड़े थे. वकील होने के नाते यह उनका काम है वे नहीं जाएंगे पैरवी नहीं करेंगे तो कौन करेगा. यह उनका व्यापार है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब ने हमारी जानकारी में वृद्धि कर दी है कि तनखा जी ने आतंकवादियों के केस भी लड़े हैं.
श्री जितू पटवारी -- डॉक्टर साहब ने राम जेठमलानी का बोला है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि आपकी सरकार ने उनके कांग्रेस के सदस्य होने के बाद भी उनसे अपनी पैरवी कराने का काम किया है. तनखा जी का जो ट्विटर है, मैं तो यह ट्विटर के बारे में ज्यादा नहीं जानता हूँ. हमें हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि कांग्रेस पार्टी के सांसद होने के बाद भी विवेक तनखा जी ने आपकी सरकार की पैरवी करने का काम किया है. माननीय भूपेन्द्र सिंह जी मुझे बड़ा कष्ट है आपसे मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि आप सदन में असत्य बात करेंगे. आपने उल्लेख किया है 207/0/2021, इसमें कहीं भी उल्लेख नहीं है कि यह रिट मैंने लगवाई है. जब आरक्षण की रोटेशन प्रणाली पर चोट हुई. वही दस साल पहले का जो कानून के विपरीत है, संविधान के विपरीत है, संविधान ने लगातार रोटेशन की बात कही है. मध्यप्रदेश के पंचायत अधिनियम में भी रोटेशन की बात है. आपने उसकी धज्जियाँ उड़ाईं, आप नहीं चाहते हैं कि चुनाव हों इसलिए आपने साजिश रचकर जानबूझकर रोटेशन की अवहेलना करते हुए चुनाव की घोषणा की, अध्यादेश जारी किया. अध्यादेश जारी न करके आप चाहते तो आरक्षण की व्यवस्था करके एक महीने में कर सकते थे. अब तनखा जी ने जो किया है आपने उसका उल्लेख किया है. यह रिट हमारे नेता माननीय कमलनाथ जी के आदेश से भिण्ड जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष के द्वारा हमने ग्वालियर में लगवाई थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- इसी रिट पर पिछड़े वर्ग पर यह ऑर्डर आया है. अब सिद्ध हो गया है कि आपके अध्यक्ष ने यह रिट लगवाई है. उसी पर यह सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आया है. इसके बाद क्या बचता है. आपने जो रिट लगवाई उस पर सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग आ गई. उसको स्पष्ट स्वीकार तो कर लिया है. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी का यह छुपा हुआ एजेंडा था कि पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म करेंगे, इसके पीछे साजिश थी. सरकार की साजिश थी कि लोग न्यायालय जाएंगे, पीड़ित लोग न्यायालय जाएंगे और वहां पर हम इस तरह का निर्णय करवाएंगे. यह इनकी सोची-समझी साजिश थी. इनके नेता बोलते हैं कि आरक्षण पर समीक्षा होनी चाहिए और उसी को इन्होंने पूरा करने का काम किया है.(व्यवधान)
श्री जयवर्धन सिंह -- रोटेशन की बात इनको समझ में नहीं आती है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग -- एक रिट गोविन्द सिंह जी लगवाई और एक रिट कमलनाथ जी ने लगवाई....(व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह -- हाँ हाँ मैंने लगवाई. मैं कहता हूँ मैंने लगवाई है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- गोविन्द सिंह जी को बोलने दीजिए. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि ग्वालियर में यह रिट मैंने पेश करवाई है क्योंकि आप कानून की धज्जियां उड़ा रहे थे...(व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यही तो हम बोल रहे हैं (व्यवधान)
डॉ. मोहन यादव -- कमलेश्वर जी गोविन्द सिंह जी से पूछ लो उन्होंने खुद ने स्वीकार किया है. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जब आरक्षण पर चोट हुई तब मध्यप्रदेश के संविधान के पंचायत राज अधिनियम की भारतीय जनता पार्टी द्वारा धज्जियां उड़ाई गईं, संविधान का अपमान किया गया. संविधान की रक्षा के लिए उसमें केवल दो बातें हैं. आरक्षण रोटेशन से हो और आरक्षण किया जाए. यही रिट जिसमें आपने उल्लेख किया है मैं आपसे यह जानना चाहूंगा कि आप कृपया करके इसमें बाद में स्पष्टीकरण दे दें. इसमें कहीं भी आरक्षण का शब्द नहीं हैं. यह शब्द है कि रोटेशन कराएं आरक्षण की इसमें अवमानना भी हो रही है. पूरा रोटेशन नहीं होगा तो यह कानून के खिलाफ हो रहा है इसलिए हम लोग गए थे.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा. मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आप आज भी कोई ऐसा रास्ता निकालें जिसमें पिछड़े वर्ग का सम्मान रहे, सब अधिकार मिलें. आप भी पिछडे़ वर्ग का हित चाहते हैं सार्वजनिक रूप से चाहते हैं और मैं भी चाहता हूं, हमारा दल भी चाहता है तो ऐसा कोई रास्ता निकालें ताकि पिछड़े वर्ग का आरक्षण सुरक्षित रहे. उनके हकों की अवमानना न हो उन्हें जो हक संविधान में दिया गया है, मध्यप्रदेश की पंचायत राज अधिनियम में दिया है उस अधिनियम का पालन हो. जहां तक एक सवाल है ओबीसी जो आपने रिट लगाई है जहां तक हमारा ध्यान है इसमें कांग्रेस पार्टी का छिंदवाड़ा का ऐसा कोई भी सदस्य नहीं है और अगर कोई सदस्य पार्टी के नीति के विपरीत भी रिट लगाता है तो अध्यक्ष जी का आदेश है कि उसको तत्काल बर्खास्त भी किया जाएगा. ऐसे आदमी जो आपके षड्यंत्र में आपकी साजिश में अगर रिट लगाते हैं... (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मामला पूरा क्लियर हो गया है. (व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन-- यह स्वीकार योग्य है. आप यह स्वीकार कर रहे हैं कि वह आपके दल के सदस्य हैं. आपने सोची समझी साजिश के तहत वह रिट लगवाई. (व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग-- इन्होंने तन्खा जी का बोल ही दिया. तन्खा जी को पार्टी से निकालो. यदि यह बात कर रहे हैं तो क्या कमलनाथ जी अभी तन्खा जी को पार्टी से निकालने की घोषणा करेंगे? (व्यवधान)....
श्री कमलेश्वर पटेल-- आरोप सिद्व कीजिए. जो बात यहां पर रख रहे हैं वह पटल पर रखिए आप कुछ भी बोलेंगे. (व्यवधान)....
श्री हरिशंकर खटीक-- कमलनाथ जी घोषणा करेंगे कि विवेक तन्खा जी को कांग्रेस पार्टी से बाहर किया जाता है. (व्यवधान)....
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसलिए बोल रहा हूं कि यह वास्तव में षड़यंत्रकारी लोग हैं. जोसेफ गोएबल्स हिटलर के प्रचार मंत्री थे उनका कहना था कि यदि असत्य को हजार बार बोलें तो वह सत्य हो जाएगा. उसी हिटलर के सिद्वांत पर यह चल रहे हैं. हो सकता है कि (XXX) जब आप विधायकों को ले सकते हैं तो शायद आप इस (XXX) हों. इसलिए आपकी इस कला की महत्ता को पूरा प्रदेश जानता है.
अध्यक्ष महोदय-- इस शब्द को विलोपित किया जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह-- मैं आपसे केवल एक बात कहकर इसे समाप्त करना चाहता हूं चूंकि आप भी तैयार हो हम भी तैयार हैं आप भी ऐसा कोई रास्ता निकालें जहां आपको कानूनी व्यवधान न हो दोनों दल के नेता बैठ जाएं और आपके वकील भी बैठ जाएं अगर अभी भी कोई रास्ता निकालें तो हमारी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि पिछड़े वर्ग के हितों के लिए आप तैयार रहें और हम दोनों मिलकर कोई रास्ता निकालें ताकि पिछड़े वर्गों का नुकसान न हो उनका अहित न हो मेरा आपसे यही अनुरोध है धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- सभी समय का ध्यान रखेंगे. अभी समय का निर्धारण नहीं किया है लेकिन समय का ध्यान रखें.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और प्रार्थना है कि आपको बोलने के बाद हमारे माननीय नेता कमलनाथ जी को लखनऊ जाना है वह आपसे पहले से ही निवेदन कर चुके थे. उनको वहां ढाई बजे पहुंचना है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--मुख्यमंत्री जी की बात तो सुनना पड़ेगी. सदन के नेता की बात तो सुनना पड़ेगी.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप बोल लें इसके बाद मैं सुनने को तैयार हूं.
अध्यक्ष महोदय- गोविंद सिंह जी, मुख्यमंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विनम्र प्रार्थना है कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है और इस विषय पर पूरी सारगर्भित चर्चा होनी चाहिए और जब चर्चा का समापन हो तो कार्यकर्ताओं का कार्यक्रम महत्वपूर्ण हो सकता है लेकिन उस चर्चा में माननीय नेता प्रतिपक्ष भी रहें. यदि हम कार्यकर्ता सम्मेलन को ज्यादा महत्वपूर्ण मानकर, इस चर्चा को छोड़कर जायेंगे तो यह उचित नहीं है, यह मेरी प्रार्थना है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ)- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधान सभा के प्रारंभ में ही मैंने आपको, माननीय मुख्यमंत्री जी को सूचित किया था कि मुझे 21 दिसंबर को लखनऊ जाना है. मैंने यह बात आज नहीं कही है, इस बात से मैंने आपको सूचित किया था, तब माननीय मुख्यमंत्री जी भी वहां बैठे थे. मैं चाहूंगा कि मैं यहां रहूं, मैं अपनी बात समाप्त करके, यदि मुख्यमंत्री जी अपनी बात सदन में रखना चाहेंगे तो मैं उन्हें अवश्य सुनूंगा, मैं तो बड़े शौक से उन्हें सुनूंगा, मैं सुनना चाहूंगा कि क्या उपाय हैं. मैं पहले अपनी बात बोल लूं, उसके बाद उनकी बात सुनकर ही यहां से जाऊंगा.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि नेता प्रतिपक्ष यहां बैठें, लखनऊ में बचा ही क्या है ? उत्तरप्रदेश में है क्या ? वे उत्तरप्रदेश जा ही क्यों रहें हैं, यहां आराम से बैठें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि पक्ष-विपक्ष से केवल दो लोग, नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री ही बोल लें, तो बात पूरी हो जायेगी.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके दल के लोग अपनी ओर से नेता प्रतिपक्ष माननीय कमलनाथ जी को अधिकृत कर दें, हम अपनी तरफ से माननीय मुख्यमंत्री जी को अधिकृत कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय- सदन में सभी की ओर से जो प्रस्ताव आ रहा है, उसके अनुसार पहले नेता प्रतिपक्ष बोलें और फिर सदन के नेता मुख्यमंत्री जी बोलें. यह ज्यादा बेहतर होगा.
(मेजों की थपथपाहट)
श्री कमल नाथ- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बड़े ध्यान से सदन की बहस को सुना. मैंने अपने राजनैतिक जीवन में संसद में 40 वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण बहसें सुनी हैं. मुझे विधान सभा का अनुभव कम है, यह आप सभी जानते हैं. परंतु मैंने कभी इस प्रकार की बहस, जो विषय से हटकर हो और उसे इस प्रकार प्रस्तुत किया जाये, असत्य पिटीशन का नंबर, मैंने स्वयं पढ़ा है. कृपया मुझे कोई टोके नहीं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कहा गया कि हमारे पास रिकॉर्डिंग है, वह रिकॉर्डिंग सभी के पास है, यहां जो बैठे हैं, सभी ने वह रिकॉर्डिंग सुनी है. यहां हमारी चर्चा किस बात की है, चर्चा हमारे प्रदेश की लगभग 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी के बारे में है, जो कि पिछड़ा वर्ग की है. इसके बारे में चर्चा है और इसके बारे में पीड़ा क्या है, मुख्यत: तीन बातें हैं- परिसीमन, रोटेशन और आरक्षण. हमारे कार्यकाल में हमने परिसीमन की कार्यवाही की, हमने रोटेशन की कार्यवाही की. हमारी मन-मंशा थी, उस समय नहीं बहुत पहले से हमारी मन-मंशा थी कि पंचायती राज का हमारा जो ढांचा है, वह मजबूत हो. हमने शुरूआत की, आज हमारी सरकार नहीं रही लेकिन आपके पास डेढ़ साल था, मैं मानता हूं बीच में कोविड-काल आया लेकिन उसी कोविड-काल में उप-चुनाव तो हो गए ताकि आपकी सरकार टिकी रहे. 28 उप चुनाव हो गए परंतु पंचायत चुनाव नहीं हो सका. आपके पास डेढ़ साल था, यदि आप सोचते थे कि यह परिसीमन गलत है, तो आप नया परिसीमन पेश करते, अगर रोटेशन गलत था, तो नया रोटेशन ला सकते थे. आपके पास पूरा डेढ़ साल था. यदि आप आरक्षण ही हटाना चाहते थे, जो कि लगता है कि आपकी नीयत और नीति थी, जिसके बारे में मैं, आगे बताऊंगा, आप यह कर सकते थे. पर अचानक एक अध्यादेश आया, किस बात पर यह मामला कोर्ट में गया, विवेक तन्खा की जी बात की गयी, विवेक तन्खा जी बहस के समय वहां आपके वकील भी थे, वहां आयोग के वकील भी थे और यह बहस केवल रोटेशन पर हुई. अब यह कहा जाये की उन्होंने आरक्षण का विरोध किया, आरक्षण तो विषय ही नहीं था यह तो मामला घूमफिर कर क्योंकि उस समय हमारे जो आदरणीय जज थे उनको महाराष्ट्र के बारे में जानकारी थी, उन्होंने महाराष्ट्र की सुनवाई की थी और जो मैंने निचौड़ निकाला और इसलिये मैं यह बात समझाना चाहता हूं कि मैं यह नहीं कर रहा हूं कि किसी का दोष उस समय था, यह मामला महाराष्ट्र की तरफ मुड़ता गया. विवेक तन्खा जी ने कहा कि हां महाराष्ट्र की बात थी, यह रिकार्डिंग में है, आपके वकील थे, आयोग के वकील थे किसी ने एतराज़ नहीं किया और एक ऐसा आर्डर पास हो गया, जिससे आरक्षण समाप्त. लगभग 40-45 करोड़ लोगों का अधिकार छीन लिया गया, क्या किसी कोर्ट का ऐसा जजमेंट हो सकता है, ऐसा अधिकार हो सकता है ? यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है इसलिये मैं टोका-टाकी में नहीं पड़ना नहीं चाहता, मैं कोई उल्लेख नहीं करना चाहता आपकी नीति और नीयत पर. मैं तो उपाय पर उल्लेख कर चाहता हूं. (मेजों की थपथपाहट) उसी के अगले दिन आप वापस कोर्ट में जा सकते थे, आपका वकील शांत रहा, इसमें तो जज ने रिमार्क्स करे, जज ने टिप्पणी करी.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं यह गड़बड़ है.
श्री कमल नाथ:- नहीं महाराष्ट्र का ऐसा है. आपका वकील खड़े होकर यह कह सकता था कि आरक्षण का समापन हम स्वीकार नहीं कर सकते हैं, चुप रहे वीडियो रिकार्डिंग हैं. (मेजों की थपथपाहट) सहमत हो गये और इस प्रकार का जजमेंट आया. अब आप कहेंगे की कोर्ट ने कह दिया हां, मैं कहता हूं कि कोर्ट ने तो कहा है, यह तो लिखित में कहा है, कोर्ट का तो आर्डर है, पर क्या आपको स्वीकार है] क्या आपको स्वीकार है? बुनियादी प्रश्न, आत्मा की आवाज यहां से आयेगी कि क्या आपको स्वीकार है यह.अगर यह स्वीकार नहीं होता, अगर आप सोचते कि करोड़ों लोगों के अधिकार छीने जा रहे हैं, आप दूसरे दिन कोर्ट में जाते वापस, कोर्ट में वापस जा सकते थे कि हम यह स्वीकार नहीं कर सकते इसमें संशोधन किया जाये, ऐसा भी प्रावधान है, हमाने कानून में ऐसा प्रावधान है, हमारे संविधान में ऐसा प्रावधान है कि हम कोर्ट में संशोधन के लिये जा सकते हैं. पर कितने दिन हो गये कोई आवाज नहीं, जब आवाज उठनी शुरू हुई तो आपने यह नहीं कहा कि हम उपाय ढूढेंगे, आप कहते हैं कि यह कांग्रेस ने किया है, यह कांग्रेस ने किया है. सब असत्य बोल लो उसके बाद जय श्रीराम बोलो और असत्य भी सत्य हो गया, यह क्या ? हम तो इस सदन में बैठे हैं, अभी जैसे कहा गया कि हम लोगों के अधिकार का प्रतिनिधित्व बनकर यहां बैठे हैं और अगर उनका अधिकार छीना जा रहा है, क्या हमें स्थगन प्रस्ताव पेश करने की जरूरत भी पड़ती ? आपको तो शुरू में कहना चाहिये था कि यह हमें स्वीकार नहीं है. हम अपना स्थगन प्रस्ताव वापस लेते हैं. मुख्यमंत्री आप यह कहिये कि हमें यह नहीं स्वीकार और मैं तो आपसे इसमें जाऊं, इसने यह किया, इसमें यह लिखा है वह लिखा है फलांना कोर्ट गया, हम किस तरफ इसको मोड़ रहे हैं, हम क्या बहाना ढूंढ रहे हैं. इस तरफ के हों या उस तरफ के हों एक दूसरे पर आरोप लगायें. मैं तो आपसे बड़े संक्षेप में निवेदन करता हूं कि आप यहां कहें कि हमें यह स्वीकार नहीं है (मेजों की थपथपाहट) और हमें पहले दिन यह कहना चाहिये था, हम इसका उपाय ढूंढते हम आपके साथ हैं, आप कोर्ट में जाइये हम भी आपके साथ कोर्ट में जाने को तैयार हैं (मेजों की थपथपाहट) अगर दोनों पार्टियां कोर्ट में जाती है तो कौन सा कोर्ट होगा, जो हमें राहत नहीं देगा. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन में खुले रूप से कहना चाहता हूं कि हम आपके साथ जाने के लिए तैयार हैं पर आप तैयार हो जाइए, अगर आपकी आत्मा साफ है तो कल चले कोर्ट में(...मेजों की थपथपाहट) कल चले कोर्ट में और कहें कि ये चुनाव न रोटेशन से न परिसीमन से, न आरक्षण से क्या ऐसा कोई चुनाव अपने इतिहास में हुआ है, एक ट्रंककेटेड चुनाव जिसको कहते हैं, बिल्कुल ट्रंककेटेड. यहां होगा, वहां नहीं होगा, जहां हो रहा है वहां भी हमारे पिछड़े वर्ग के लोग हैं. उनके दिल में कितनी चोट आई होगी. आज हम उसको अहसास करें. मैं अंत में माननीय मुख्यमंत्री जी, सदन के नेता से निवेदन करता हूं कि ये आपने किया, किसने किया, कोर्ट ने किया इसमें जाने की जरूरत नहीं है. अगर हम हितैषी हैं, अगर हमारी आत्मा की आवाज हैं, हम उपाए ढूंढेंगे, हम कोर्ट में जाएं, अभी हमारे सामने कोर्ट का आर्डर है, ये बहाना न बनाए कोर्ट के ऑडर हैं, ये बहाना बन जाता है. कोर्ट ने कहा, क्योंकि आप गए, हम गए ही नहीं, बच्चा किसी और के यहां हुआ, मिठाई आप बांट रहे हैं(...हंसी मेजों की थपथपाहट) ये भी अजीब बात है. कोर्ट में गए हम, किसलिए गए, रोटेशन के लिए गए, परिसीमन के लिए गए, हम आरक्षण के लिए नहीं गए कि आरक्षण समाप्त किया जाए. अगर हम नहीं गए, आप नहीं गए तो चलिए वापस कोर्ट में, हम साथ चलते हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि यह सदन सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी पास करें कि हम इसे अस्वीकार करते हैं. यह अस्वीकार करते हैं और उपाए ढूंढेंगे और यह केवल उस तरफ और इस तरफ का उपाए नहीं हो सकता, यह दोनों तरफ का उपाए होगा और मुझे पूरा विश्वास है कि हम सब मिलकर जिस लिए हम बैठे हैं, जिस अधिकार की सुरक्षा के लिए हम बैठे हैं. हम अपने कर्तव्यों की पूर्ति करेंगे, अध्यक्ष जी बहुत-बहुत धन्यवाद. (...मेजों की थपथपाहट)
गृहमंत्री(डॉ नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष जी, एक प्रार्थना थी, आपने देखा है सदन का कोई सदस्य अपने स्थान से नहीं उठा, सदन के नेता बोले, तब भी ऐसी ही मर्यादा बनी रहे आपसे यह प्रार्थना है.(...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मैं सदस्यों से आग्रह करता हूं, क्योंकि नेता प्रतिपक्ष को बिना किसी टोकाटाकी के एक शब्द पिनड्राप साइलेंस सभी ने सुना. मेरा आग्रह है कि माननीय मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं, चूंकि सब सहमत हो तो क्यों इस तरह की टीका टिप्पणी करना, मुख्यमंत्री जी को बोलने दीजिए.
मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान) -...मेजों की थपथपाहट, माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सरकार की सदैव से यह नीति रही है. सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ, हर समाज को लिए साथ में, आगे हैं बढ़ते जाना, और इसलिए चाहे मामला ओबीसी के कल्याण का हो, अनुसूचित जाति, जनजाति के कल्याण का हो. यहां तक कि सामान्य वर्ग के गरीबों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण अगर दिया तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दिया(...मेजों की थपथपाहट) सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ, उसके एक नहीं अनेकों उदाहरण है. जहां तक ओबीसी का सवाल है, मैं पहले ही अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करता हूं, हमने पिछड़े वर्गों के कल्याण में न तो कोई कसर छोड़ी है और न कोई कसर छोड़ी जाएगी. (...मेजों की थपथपाहट) लेकिन चूंकि कई तरह के आरोप हम पर लगाए गए. इसलिए मेरी जिम्मेदारी है कि इस महान सदन में मैं उन आरोपों का उत्तर दूं. नहीं तो संदेश गलत जाएगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. ओबीसी वर्ग को नीट की परीक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला इस देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है और इस फैसले से प्रदेश के भी हजारों विद्यार्थियों को फायदा होगा. अभी बात पिछड़े वर्ग के कल्याण की हो रही थी, पिछड़े वर्गों के कल्याण की ऐतिहासिक पहल करते हुए पहली बार प्रधानमंत्री श्रीमान् नरेन्द्र मोदी जी ने पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, झुनझुना नहीं पकड़ाया (मेजों की थपथपाहट) और उसी का अनुसरण प्रदेश की सरकार ने भी किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सबसे पीछे और सबसे नीचे है. जो विकास की दौड़ में पिछड़ गया है, उसको न्याय देना हम सबका कर्तव्य है. लेकिन मैं बात आगे बढ़ाऊँ. उसके पहले मेरे विद्वान मित्र श्री कमलेश्वर पटेल ने कई तरह की बातें कही हैं. आज मैं कुछ सवाल खड़े करना चाहता हूँ. आपने बात 27 प्रतिशत रिजर्वेशन की कही, हम भी आपके साथ खड़े थे. नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव थे. आपने दिनांक 8 मार्च, 2019 को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया, हम आपके साथ थे. लेकिन फैसले के पीछे क्या आपकी सद्इच्छा थी. लोक सभा का चुनाव सामने दिखाई दे रहा था, हार का संकट छाया हुआ था. इसलिए फैसला तो आपने कर लिया, उस फैसले के खिलाफ दिनांक 10 मार्च, 2019 को उच्च न्यायालय में पिटीशन दायर की गई. दिनांक 19 मार्च, 2019 को केस की सुनवाई हुई, लेकिन आपके विद्वान महाधिवक्ता सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए. कमलनाथ जी बहुत अनुभवी और विद्वान हैं. आप उनकी क्षमता पर भरोसा रखिये. अगर उनको कोई जवाब देना होगा तो वे देंगे. आपने जो कहा, इसलिए मैं कुछ बातें कह रहा हूँ, नहीं तो मैं इतनी लम्बी बातें नहीं करता.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके स्थान पर अतिरिक्त महाधिवक्ता उपस्थित हुए और उन्होंने कोई तथ्य-तर्क नहीं रखे. उन्होंने कहा कि हमें समय दीजिये. उसी दिन कोर्ट ने स्टे दे दिया. आपका 27 प्रतिशत आरक्षण केवल दिखावे के लिए था, केवल झुनझुना था. आपने उसको गंभीरता से लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया. मैं पूछना चाहता हूँ कि आपके एडवोकेट जनरल ने कोई तथ्य और तर्क क्यों नहीं रखे, फिर मैं यह भी पूछना चाहता हूँ कि उस स्टे के खिलाफ आपने क्या किया ? ताकि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल जाता. क्या आप हाईकोर्ट के बाद आप सुप्रीम कोर्ट गए ? जैसे आप अभी रोटेशन के मामले में चले गए थे, और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी रोटेशन भी तो आरक्षण का ही होता है. एससी के बजाय एसटी हो जाये, एसटी के बजाय सामान्य हो जाये. मैं रोटेशन और आरक्षण के फर्क के बारे में बात में बाद में बोलूँगा. लेकिन आज मैं पूछना चाहता हूँ कि क्यों पिछड़े वर्ग की पीठ पर छुरा घोंपा गया ? क्यों उस स्टे को बैकेट नहीं कराया गया ? क्यों आप हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में नहीं गए ? आपने चुनाव निकल गया, परिणाम भी सामने आ गए, लेकिन आप चुपचाप बैठे रहे. दिनांक 8 मार्च से दिनांक 18 मार्च तक आपकी सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी रही. न ही आपने कैविएट दायर की, न ही आपके वकीलों ने निर्णय के विरुद्ध न्यायालय में उतरकर कोई अपील की और उसका खामियाजा पिछड़े वर्ग को भुगतना पड़ा. आपके शासनकाल में एक भी नौकरी मिली हो तो बता दो, 27 प्रतिशत आरक्षण के माध्यम से एक भी नौकरी मिली हो तो बता दो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़े दुख के साथ कहना चाहता हॅूं कि एक और महत्वपूर्ण तथ्य है, जिसे सदन भी जाने और सदन के माध्यम से प्रदेश की जनता भी जाने. माननीय उच्च न्यायालय ने जब निर्णय दिनांक-19 मार्च 2019 में ओ.बी.सी. के आरक्षण को 27 प्रतिशत से घटाकर 14प्रतिशत करने वाली बात शैक्षणिक संस्थानों के संदर्भ में कही थी, परंतु कांग्रेस सरकार ने स्वयं कोर्ट में जाकर यह पूछा कि क्या यह स्थगन पी.एस.सी. पर भी लागू होगा, लोक सेवा आयोग पर भी लागू होगा और इसी आधार पर कोर्ट ने लोक सेवा आयोग में भी 27 प्रतिशत आरक्षण पर स्टे दे दिया. आपने पी.एस.सी. का भी आरक्षण खत्म करवा दिया. आपका वकील वहां पहुंचता है और आप पिछड़े वर्ग के हितों की बात करते हो, हमें पिछड़े वर्गों का विरोधी बताते हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि 27 प्रतिशत आरक्षण भी शासकीय सेवाओं में मिले, उसके लिये भी हम लोग पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, आपने केवल दिखावा किया था (मेजों की थपथपाहट) यह बिल्कुल स्पष्ट है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- आपके वकील नहीं पहुंचे हैं, दिसंबर में 6 से 16 तारीख तक हेयरिंग थी, लेकिन आपके वकील उपस्थित नहीं हुए थे. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- कमलेश्वर जी आप बैठ जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- श्री कमलेश्वर जी आपने ही यह बात रखी है, इसलिये मैं उत्तर दे रहा हूं और उत्तर देना मेरा धर्म है. (व्यवधान..)
श्री कमलेश्वर पटेल -- आपने 27 प्रतिशत आरक्षण का जो नोटिफिकेशन किया है, वह जो पिछली डेट में हमारी सरकार ने जो आदेश किया था, आपने वही नोटिफिकेशन किया है. आप असत्य बयान नहीं करें, मेरा यह निवेदन है. कांग्रेस सरकार ने ही लागू किया था और अभी उसकी 6 तारीख से 16 दिसंबर तक हेयरिंग थी, आपका शासकीय अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ है, अनिश्चतकालीन के लिये उसे स्थगित कर दिया गया.
अध्यक्ष महोदय -- श्री कमलेश्वर पटेल जी आप बैठ जाईये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो तथ्य और तर्कों के साथ सारी बातें सदन के सामने रख रहा हूं, अब आपने कहा कि हमने क्या किया तो मैं वह भी बता देता हूं. यह आज का विषय नहीं था लेकिन आप पूछ रहे हैं तो मुझे बताना पड़ेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ओ.बी.सी. के हितों पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात न हो इसलिये हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि केवल उन प्रकरणों में ओ.बी.सी. आरक्षण जिनमें न्यायालय ने स्थगन दिया है, उनमें 14 प्रतिशत रहेगा, लेकिन जिनमें स्थगन नहीं दिया है, उनमें 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला हमने किया और उसके उदाहरण भी मैं आपको बताना चाहता हूं.(मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, हाल ही में हमने 6 हजार 269 पदों पर भर्ती की है और मुझे कहते हुए गर्व है कि हमने शासकीय नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है और हमने शासकीय नौकरियों में भर्ती भी कर दिया है.(मेजों की थपथपाहट) राज्य सरकार दिसंबर 2021 से 2022 में भी 23 हजार से अधिक पदों के लिये भर्ती परीक्षाएं आयोजित करने जा रही है, उनमें भी 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा. आप कैसी बातें करते हैं मैं आपके (XXX) करना चाहता हूं. कांग्रेस शासनकाल में लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2019 में आरक्षण के नियमों में परिवर्तन किया और वह परिवर्तन भी अब सारी दुनिया सुन ले मैं बताना चाहता हूं. आपने परिवर्तन यह किया कि मेरिट के आधार पर अगर ओ.बी.सी. का कोई बच्चा सिलेक्ट हो जाता था, तो वह 14 प्रतिशत आरक्षण की सीमा में नहीं आता था, वह उसके ऊपर मेरिट में होता था, आपने नियम बदलकर यह तय कर दिया कि मेरिट में भी आयेगा तो वह भी 14 प्रतिशत के आरक्षण में ही गिना जायेगा. आपने हजारों बच्चों का भविष्य तबाह और बर्बाद करने का (XXX) किया है और आज आप हमसे बात करते हो (शेम-शेम की आवाज). (व्यवधान..)..........माननीय अध्यक्ष महोदय, यह किया है. ...(व्यवधान)...
श्री कमलेश्वर पटेल-- आप सदन को गुमराह कर रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- मैं गुमराह नहीं कर रहा हूं, पूरी जिम्मेदारी के साथ आपके (XXX) को, आपके (XXX) को, आपके (XXX) को उजागर करने का काम कर रहा हूं ...(व्यवधान)...
श्री कमलेश्वर पटेल-- आपकी सरकार (XXX) है, कांग्रेस नहीं है, कांग्रेस सरकार ने देने का काम किया है, देश के एससी, एसटी, ओबीसी को उठाने का काम किया है, समानता का अधिकार दिया है, (XXX) आप करते हैं, आप सिर्फ भाषण देते हैं ...(व्यवधान)... दिये हुये अधिकारों को छीनने का काम करते हैं ...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य-- यह विलोपित किया जाये. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- यह शब्द विलोपित कर दें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- नहीं विलोपित नहीं किया जाये. ...(व्यवधान)... वह हमें (XXX) कहेंगे, वह हमें (XXX) कहेंगे, माननीय अध्यक्ष महोदय, बिलकुल बर्दाश्त नहीं हैं ...(व्यवधान)... हमारी पार्टी हमारे नेता जो कहते हैं वह करके बताया है और जिस नीट का उदाहरण दे रहे हैं 27 प्रतिशत आरक्षण का यह बहुत पहले प्रावधान हो गया था ...(व्यवधान)...
श्री कमल पटेल-- जब सदन के नेता बोल रहे हैं तब कोई नहीं बोलेगा यह तय हुआ था, माननीय अध्यक्ष जी इनको बिठाइये. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये ...(व्यवधान)... आप बैठ जाइये, सदन के नेता खड़े हैं, आप बैठ जाइये. कमल जी आप भी बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष जी, आपने नई पहल की ...(व्यवधान)... क्या मुख्यमंत्री जी ने (XXX) यह शब्द आपके थे कि नहीं थे.
अध्यक्ष महोदय-- इन शब्दों को हटा दिया (हटाने का इशारा करते हुये), हटा दिया सबको ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- मैं आपसे यह पूछ रहा हूं कि यह सदन के नेता को शोभा देता है क्या. ...(व्यवधान)... आप इस पर निर्णय कीजिये अध्यक्ष जी, यह आप ही ने पहल की हमें शब्दों की एक नियमावली दी गई ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- सब हटा दिया है, कमलेश्वर जी बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- हिम्मत नहीं है सही सुनने की ...(व्यवधान)...
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस ने आरक्षण को खत्म करवाया है. ...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह शब्द विलोपित करवाईये.
अध्यक्ष महोदय-- हटा दिया, विलोपित कर दिया है...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ...(व्यवधान)...पिछले 12 सालों में मैंने शिवराज सिंह जी को ऐसे चिल्लाते हुये कभी नहीं देखा. ...(व्यवधान)... आप तथ्यों को छिपा रहे हैं, नेता प्रतिपक्ष जी ने जिन मुद्दों पर बोला कि अगर आपकी नीयत साफ है तो सदन में प्रस्ताव पारित कराईये ...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह व्यवस्था का प्रश्न है, हमारे नेता बोल रहे हैं और यह बार-बार खड़े हो रहे हैं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- जितु जी बैठ जाइये ...(व्यवधान)... आप भी बैठ जाइये. ...(व्यवधान)... अरे जितु जी बात तो सुन लीजिये ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- आप 20 साल से ...(व्यवधान)... और वहां भी रोटेशन पर रोक लगा दी, आखिर रोटेशन से आपकी दुशमनी क्या है ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रतिभाशाली पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के भविष्य को पैरों तले रोंद कर बर्बाद कर दिया जाये और हम गुस्सा भी न करें यह कोई बात होती है क्या. उनके अधिकारों के लिये ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष महोदय .....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह हर बार खड़े होंगे क्या. आपने अनुमति ली है क्या ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- जितु जी बैठ जाईये ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास मंत्रिपरिषद का आदेश है. यह मंत्रिपरिषद का आदेश ''राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 आईटम क्रमांक-2 दिनांक 05 फरवरी 2020 निर्णय लिया जाता है कि राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 में विभागीय संक्षेपिका दिनांक 10 जनवरी 2020 की कंडिका 2 एवं कंडिका 4 के अनुसार संशोधन किया जाये तथा यह संशोधन राज्य सेवा परीक्षा 2019 से लागू होगा'' आपने यह किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- नहीं किया.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- मैं कह रहा हूं किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- आपने किया होगा. ...(व्यवधान)... उपेक्षित करने में आप लोग माहिर हैं. ...(व्यवधान)... यह हमारी सरकार ने नहीं किया.
अध्यक्ष महोदय-- कमलेश्वर जी आप बैठ जाइये, वह मंत्रिपरिषद का निर्णय पढ़ रहे हैं न. ...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन-- किसी सदस्य को धमका नहीं सकते माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस टॉपिक पर बात हो रही है, जिस सबजेक्ट पर बात हो रही है, जिस ईश्यू पर बात हो रही है उस पर भटक रहे हो. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं आप बैठ जाइये.
श्री बाला बच्चन-- आप अगर आरक्षण देना चाहते हो ...(व्यवधान)... नेता प्रतिपक्ष ने जो रखा है आप उस पर आईये ...(व्यवधान)...
(...व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - रुक जाईये. तय यह हुआ कि नेता प्रतिपक्ष बोलेंगे तो उस तरफ से कोई टीका-टिप्पणी नहीं होगी. माननीय सदन के नेता जब बोलने खड़े हुए तब भी यह तय हुआ कि टीका-टिप्पणी नहीं होगी. सवाल यह है कि स्थगन प्रस्ताव आपका है और जब कमलेश्वर पटेल जी ने बोलना शुरू किया तो बहुत सारे सवाल खड़े किये आरोप के रूप में किसी तरह से, उनका जवाब जरूरी है. सुनना पड़ेगा. जवाब देने दीजिये. जवाब आने दीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - आए थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास.
श्री शिवराज सिंह चौहान - पहले कपास मेरे विद्वान मित्र तुमने ओटा मैं उसका जवाब दे रहा हूं. तुम सीधे इस पर बात करते जैसे कमलनाथ जी ने बात कही तो मैं इसी पर बात करता. अब आपने आरोप लगाया उत्तर मुझे देना पड़ेगा. इसके बाद कमलनाथ जी की बात पर आऊंगा.
श्री कमलेश्वर पटेल - आप भी उनका अनुसरण करिये. आपके बाकी साथियों ने, विद्वान मित्रों ने जवाब दे दिया. आप भी अनुसरण करिये और विषय पर बात करिये.
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, कमलेश्वर पटेल जी सदस्य हैं आप मुख्यमंत्री हो तो काहे को उलझन में पड़ गये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ उदाहरण देना चाहता हूं कि हमारी सरकार पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिये और समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए कितनी प्रतिबद्ध है. मैं उसके कुछ उदाहरण दे रहा हूं चूंकि आज चर्चा पिछड़े वर्ग की हो रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने उच्च माध्यमिक शिक्षक की परीक्षा के लिए ओबीसी के लिए विज्ञापित 2757 पदों में से 2219 को 27 प्रतिशत आरक्षण के मान से आदेश जारी किये. आप हमें पिछड़ा वर्ग का विरोधी बता रहे हैं. हमने माध्यमिक शिक्षा के 1138 पदों में से 807 की परीक्षा हुई. 27 प्रतिशत के आधार पर आदेश जारी कर दिये. इसी प्रकार उच्च माध्यमिक,माध्यमिक शिक्षा के 3895 विज्ञापित पदों में से 3026 के लिये 27 प्रतिशत आरक्षण के आधार से नियुक्ति आदेश जारी कर दिये. आयुष चिकित्साधिकारी, संविदा लैब टैक्नीशियन, संविदा एसटीएलएस,संविदा महिला पोषक प्रशिक्षक, संविदा दंत शल्य चिकित्सक, विकासखण्ड लेखा प्रबंधक, जिला चिकित्सालय लेखापाल, संविदा स्टाफ नर्स, संविदा ए.एण्ड एम., विकासखण्ड कार्यक्रम प्रबंधक, मैं बता रहा हूं कि यह हम आदेश जारी कर चुके हैं. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
श्री सचिन यादव - हमने किया.
अध्यक्ष महोदय - सचिन जी, आप बैठ जाईये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जो पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम केवल बात नहीं कर रहे.
श्री सचिन यादव - 27 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून तो हमारी सरकार लेकर आई थी. माननीय कमलनाथ जी लेकर आए थे. यह तो सिर्फ उसका पालन कर रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आप लेकर आए थे लेकिन आपने फिर उसको किल कर दिया पीछे से जाकर वही तो मैं बता रहा हूं. हमला भी कर रहे हैं. आपने समाप्त उसको समाप्त कर दिया.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - चर्चा आगे बढ़ने दीजिये.
श्री बाला बच्चन - आपने तो संविधान को ही किल कर दिया. डेमोक्रेसी को ही किल कर दिया. आपने जो ओबीसी का आरक्षण नहीं दिया है जो पाप किया है उसको छिपा रहे हो आप.उसको स्पष्ट करो यहां.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आप तो लो पहले. अब मैं ऐसे अनेकों पद गिना सकता हूं. पूरी सूची है मैं पटल पर रख दूंगा मैं फिर यह कह रहा हूं कि हम पिछड़े वर्ग के, सामान्य वर्ग के, एससी,एसटी वर्ग के हितों के लिये प्रतिबद्ध यह सरकार है. सबके कल्याण के लिए हम काम करेंगे एक उदाहरण और देकर मैं फिर कमलनाथ जी की बात पर आऊँगा क्योंकि उनको भी जाना है, लंबा नहीं करूंगा मैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी जब हमारे कुछ विद्वान सदस्य बोल रहे थे तो मैं कहना चाहता हूं कि जब इधर की सरकार थी, तब पिछड़े वर्ग के कल्याण की मदों में हमने प्रावधान कितना किया था और 2019 में जब आप आये, तब आपने कितना प्रावधान किया, इसी से अंदाजा लग जायेगा कि कौन पिछडे़ वर्ग के लोगों का कितना पक्षधर है. हमारी सरकार ने जितनी योजनाएं चालू की थीं या तो वह बंद कर दीं आपने या उनके प्रावधान कम कर दिये. पिछड़े वर्ग के हमारे 33 लाख बेटे, बेटियों को कक्षा 6 से 10 तक पढ़ाई जारी रखने के लिये हमने वर्ष 2017-18 में 138 करोड़ रुपये और वर्ष 2018-19 में 217 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. आपको बढ़ाना था, आपने घटाकर उसको 190 करोड़ कर दिया.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- यह आप बजट भाषण पर बोल लें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अच्छा नहीं बताऊं यह.
श्री जितु पटवारी-- मुख्यमंत्री जी, आप आरक्षण देंगे कि नहीं देंगे, इन्होंने क्या कहा कि समन्वय से काम करो, कैसे आरक्षण लागू हो, पिछड़े वर्ग के लोगों का हित कैसे करो, उस पर तो आप बात करें.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- मुख्यमंत्री जी, यह बजट भाषण में बोल लेना. आप बच्चों के मुंह कहां लग रहे हैं. बड़े व्यक्ति, श्री कमलनाथ जी की बात का जवाब दे दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, ये बच्चे नहीं हैं. अब मुझे आज पता चला कि कमलेश्वर जी की हैसियत कांग्रेस में बच्चे की है.
श्री जितु पटवारी -- मुख्यमंत्री जी, ऐसा है कि आप बच्चों की बात कर रहे थे, तो सज्जन भैया ने कहा कि आप बच्चों को मत गिनाओ, आप बड़े की बात का जवाब दो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- वर्मा जी, क्या कमलेश्वर जी की हैसियत बच्चे वाली है कांग्रेस में. बेचारे को आप बच्चा कह रहे हैं. वह तो हमारे मुख्यमंत्री जी ने उनको विद्वान कहा. आप लोग उसको बच्चा कह रहे हैं.
..(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी रोटेशन की बात नहीं कर रहे हैं, नरोत्तम जी के बारे में वे कह दें कि वे रोटेशन के पक्ष में हैं कि नहीं हैं. सरकार में भी रोटेशन. मुख्यमंत्री जी, आपने कभी रोटेशन तो किया नहीं. नरोत्तम जी तो वहीं के वहीं रह गये, बिना रोटेशन के. वे बच्चे से बूढ़े हो गये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं तो जहां हूं, वहां ठीक हूं, आप कहां पहुंच गये, यह तो सोचो.
श्री प्रियव्रत सिंह -- हम जहां हैं, मजबूत हैं. आप जिनको लेकर गये हैं, उन्होंने आपके आधे लोगों का हक मार दिया. (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जायेगा. कृपया बैठ जाये.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मेरा मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि सदन में नेता प्रतिपक्ष जी ने अपनी भावनाएं प्रकट की हैं. आप सदन के नेता हैं, आप सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव यहां रखिये, जो गलत है, उसको हम ठीक करने की दिशा में हम आगे बढ़ें, बाकी बहस बाद में होती रहेगी.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी के अलावा जो बोले हैं, वह रिकार्ड में नहीं आना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मुख्यमंत्री जी के अलावा कुछ भी नहीं लिखा जायेगा.
श्री उमाकांत शर्मा -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- आपका नहीं लिखा जा रहा है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह आरोप लगाये गये थे, इसलिये मैं बता रहा हूं कि हमने पीएससी में भी जो अन्याय हुआ था पिछड़े वर्ग के प्रतिभाशाली बच्चों के साथ, आपने नियम बदला था, हमने फिर से उस नियम को बदल कर पिछड़े वर्ग के बच्चों को अधिकार दे दिया है. मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि अनेक योजनाओं में, मैं अब सब योजनाएं नहीं गिनाऊंगा,लेकिन हमने शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण देने के लिए वर्ष 2017-18 में 20 करोड़ रुपये, वर्ष 2018-19 में 69 करोड़ रुपये का बजट दिया था, आपने उसको अपने शासनकाल में घटाकर केवल 15 करोड़ रुपये कर दिया था.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - (XXX)
अध्यक्ष महोदय ‑ मुख्यमंत्री जी के अलावा कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि ..
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, एक बात और कहने पर मैं विवश हूं कि यह भारतीय जनता पार्टी है, जिसने पिछड़ों के 3-3 मुख्यमंत्री दिये. वहां श्री अरुण जी के क्या हाल हैं यही देख लीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - (XXX)
श्री तरुण भनोत - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
श्री बाला बच्चन - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जाइए.
श्री प्रियव्रत सिंह - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मुख्यमंत्री जी के अलावा कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं सीधे नेता प्रतिपक्ष जी की बातों पर आता हूं. माननीय श्री कमल नाथ जी कह रहे थे कि आप अगले दिन कोर्ट क्यों नहीं गये? मैं पूछना चाहता हूं कि याचिका आपकी थी. भारतीय जनता पार्टी की सरकार, हमारी सरकार पंचायतों के चुनाव करवा रही थी. ओबीसी आरक्षण के साथ करवा रही थी. चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ थी. आरक्षण का प्रावधान था. आप कोर्ट में क्यों गये?
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने यह बात स्पष्ट की कि हम रोटेशन के लिए गये और परिसीमन के लिए गये. यह अगर एक सबूत हो, एक सबूत, सच्चा सबूत. यह गुमराह करने वाली तो बहुत बातें आप कर लेते हैं. परन्तु एक सबूत हो कि हम आरक्षण के विरोध में गये. हम गये थे क्योंकि एक ऐसा चुनाव हो रहा था, जहां न रोटेशन था, न परिसीमन सही हुआ था. आपका वकील, मैंने यह बात कही थी कि आपके वकील थे, आयोग के वकील थे. जैसे ही यह मामला आरक्षण का उठा. आप कहते हैं कि कोर्ट क्यों नहीं गये? आप तो कोर्ट में मौजूद थे. आपको जाने की क्या जरूरत है? उसी वक्त अगर, हम गये रोटेशन के लिए, यही तो मैं कह रहा हूं. मैं बार-बार कह रहा हूं. हम रोटेशन के लिए गये, परिसीमन के लिए गये. आरक्षण का तो प्रश्न ही नहीं था.
डॉ. मोहन यादव - माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, अगर यह मालूम था कि महाराष्ट्र में फैसला आ गया.
श्री कमल नाथ - अगर यह महाराष्ट्र की तरफ मुड़ रहा था. आपके वकील थे, आयोग के वकील थे, साफ स्पष्ट कर देते यह हमें मंजूर नहीं है. चलिए, उस समय नहीं किया. मैं तो कह रहा हूं कि उसके बाद आप जा सकते थे. अब आप जा सकते हैं. मैंने तो कहा, आप अब जा सकते हैं. हम आपके साथ चलने के लिए तैयार हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, रोटेशन किसका? रोटेशन आरक्षण का ही है. रोटेशन और किसका है? आपको क्या तकलीफ थी. अगर हमने अध्यादेश जारी किया था तो संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, अनुरुप ही हमने किया था. आप जानते हैं जो अध्यादेश हम लेकर आए थे, हमारा अध्यादेश संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप था. अगर ऐसा नहीं होता तो हाईकोर्ट में और सुप्रीम कोर्ट में उसको रोका जाता. अगर हमारा अध्यादेश संविधानों के प्रावधानों के अनुरूप नहीं होता तो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट उसे रोक देते, परंतु ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस के मित्रों ने अध्यादेश को रोकने का भरपूर प्रयास किया. वह सफल नहीं हुए. मैं यह कहना चाहता हूं कि कमल नाथ जी अभी रोटेशन की बात कह रहे थे, वह कह रहे थे कि ओबीसी आरक्षण का विरोध नहीं किया, लेकिन चक्रानुक्रम आरक्षण का विरोध किया. यह ओबीसी के आरक्षण का विरोध ही है. माननीय कमल नाथ जी, यह रोटेशन और आरक्षण एक ही है और आपकी इसी याचिका पर यह फैसला आया है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, जो कुछ कहना होगा नेता प्रतिपक्ष जी कहेंगे. आप बैठ जाइए.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आप घुमा फिराकर फिर ओबीसी के आरक्षण पर हमारे ऊपर ला रहे हैं. आप घुमा फिराकर फिर वही बात ला रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी, कमल नाथ जी को कहने दीजिए. आप बैठिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, आपने चक्रानुक्रम आरक्षण का विरोध किया है यह मैं कह रहा हूं. उसी पर से यह फैसला आया है. आप तलवार लेकर हाथ काटने निकले थे और सिर कट गया तो कहते हैं कि अब हमारा कसूर क्या है. आप ही तो निकले थे.
श्री कमल नाथ -- माननीय अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री जी से मेरी सहानुभूति है कि अब इनके पास कुछ नहीं बचा. मेरा तो प्रश्न सीधा था. कहते हैं कि रोटेशन माने आरक्षण का विरोध कर रहे हैं, आप तो साथ-साथ यह भी कह दीजिए कि हम परिसीमन का जब विरोध करते हैं तो हम आरक्षण का विरोध कर रहे हैं. यह भी साथ-साथ कह सकते हैं और एक बात मुख्यमंत्री जी ने कही, यह मैं बाद में कहता, परंतु अभी कह देता हूं. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो हमने किया दिखावे के लिए किया. मैं इसमें यही कहना चाहता हूं कि मैंने और हमारी सरकार ने कुछ दिखावे के लिए नहीं किया. आज पूरे प्रदेश की जनता गवाह है कि दिखावे के लिए कितने आदेश अभी इश्यू हुए, किसका क्रियान्वयन हुआ, कितने नियम बने, इसका कितना क्रियान्वयन किया ? जो आपकी तरफ बैठे हैं वही आकर मुझसे रोना रोते है, आपको तो छोडि़ये. वह रोना रोते हैं कि घोषणाएं हो जाती हैं कुछ होता नहीं है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, इधर वाले रोते नहीं हैं. एक तो मैं यह कह दूं कि इधर रोने वाला कोई नहीं है, जो हैं वह उधर ही हैं. दूसरा निवेदन मेरा यह है कि मैंने तो तथ्यों के साथ आपको बताया और मैं किसी भी मंच पर बहस के लिए तैयार हूं कि आपने कभी भी 27 परसेंट आरक्षण का लाभ ओबीसी को नहीं लेने दिया. मैंने एक-एक बात सिलसिलेवार रखी. इस बात को आप कहां से नकारेंगे ? आप नकार ही नहीं सकते.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, आप तो 15 साल थे. आप 27 परसेंट लाए ? हम तो 15 महीने ही थे आप 27 परसेंट लाए ? आप कहते हैं कि हमने दिखावे के लिए किया. आप तो 15 साल थे. आप पिछड़े वर्ग के बड़े हितैषी बनते हैं, आप ला सकते थे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, हितैषी बनते नही हैं हितैषी हैं. यही सरकार हितैषी है. न केवल पिछड़े वर्ग की बल्कि सब गरीबों की, सामान्य वर्ग की भी, एससी की भी, एसटी की भी हितैषी है.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष जी, मुझे पता नहीं इनको इतनी सफाई देने की आवश्यकता क्या है ?
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, अब आप सच सुनना नहीं चाहते. मैं एक-एक नौकरी का फिर से पढ़ना शुरू करूं कि कितनी नौकरियों में हमने दे दिया ? मैं फिर से शुरू कर देता हूं. एक-एक चीज मैं बता दूंगा. अब आप परेशान हो.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष जी, एक मिनट लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, सब लोग बैठ जाइए. मैं किसी को अनुमति नहीं दूंगा.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट लूंगा. मुख्यमंत्री जी ने अनुमति दे दी है. सदन में बड़ी सार्थक चर्चा हुई है और मैं समझता हूँ कि पूरा सदन इस बात से सहमत है कि पिछड़ा वर्ग का आरक्षण सुरक्षित होना चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री जी से केवल मैं एक निवेदन करूंगा कि एससी, एसटी के पद भी बहुत सारे खाली पड़े हुए हैं, उनको भी भर दें और सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत जो आरक्षण आपने दिया है, उनको भरने के लिए भी कुछ कर दें. धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, जरूर करेंगे, लक्ष्मण सिंह जी, आप चिंता न करें, निश्चित तौर पर यही सरकार करके देगी, सामान्य वर्ग के लिए भी, पिछड़े वर्ग के लिए भी और एससी, एसटी वर्ग के लिए भी. मैं केवल इतना कह रहा हूँ कि अभी कमलनाथ जी ने बड़े जोर से कहा तो मेरा यह कहना है कि आपके विद्वान अधिवक्ता उसी कोर्ट में थे, जब ये फैसला आ रहा था, तब क्या वे यह नहीं कह सकते थे कि मैं अपनी याचिका वापिस लेता हूँ क्योंकि आपकी ही याचिका थी, फैसला आपकी याचिका पर हुआ है. आपकी एसएलपी पर फैसला हुआ है. चुपचाप उन्होंने स्वीकार कर लिया, क्योंकि उनकी मंशा यही थी कि पिछड़े वर्ग वाले मारे जाएं. आज पंचायतराज अधिनियम में हमने जो प्रावधान किए थे, अध्यादेश में हमने उनमें कोई परिवर्तन नहीं किया. मैं फिर यह कहना चाहता हूँ, केवल यह सरकार नहीं, केन्द्र सरकार भी सुप्रीम-कोर्ट में जा रही है, कोई कसर नहीं छोड़ेगी ओबीसी के आरक्षण को हमारे जो चुनाव हैं, उनमें जारी रखने के लिए, उनमें बरकरार रखने के लिए, नंबर एक, और दूसरी बात, मैं इस सदन के माध्यम से पिछड़े वर्ग के भी सभी भाइयों और बहनों को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि ओबीसी के आरक्षण के साथ ही चुनाव हों, हम यह व्यवस्था करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. इसलिए कोर्ट में भी जा रहे हैं.
श्री कमलनाथ -- मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि आपने हमारी आवाज सुनी और आपने हमारी मांग स्वीकार की.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, ऐसा है कि हम तो दीन-दुखियों की, गरीबों की, शोषितों की, वंचितों की, पिछड़ों की, चाहे सामान्य वर्ग के गरीबों की, सबकी हम आवाज सुनते हैं. हम उनकी आवाज पर ही काम करते हैं और इस सदन में मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ और मैं एक बार फिर सदन के नेता के नाते इस सदन के माध्यम से चाहे पिछड़े वर्ग हों, चाहे किसी भी वर्ग के गरीब भाई-बहन हों, मैं सबको आश्वस्त करता हूँ कि उनके हितों की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध रहेंगे. साथ ही ओबीसी के आरक्षण के साथ ही पंचायत के चुनाव हों, हम इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. अगर कोई हमारा साथ देगा तो उसके साथ, कोई अगर साथ नहीं देगा तो उसके बिना और कोई हमारा विरोध करेगा तो उसके बावजूद हमारा ओबीसी को ओबीसी के हितों के संरक्षण और आरक्षण का यह अभियान जारी रहेगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलनाथ -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो अभी कहा है, जो आश्वासन दिया है, यह अगर दो दिन पहले दे दिया होता तो हमारे स्थगन प्रस्ताव का प्रश्न ही नहीं उठता.
श्री कमल पटेल -- याचिका वापिस ले लेते तो यह स्थिति नहीं आती.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दिन और रात विधिवेत्ताओं के साथ और मैं आज यह कहना चाहता हूँ आपने कहा है इसलिए कि केन्द्र सरकार, सम्माननीय प्रधानमंत्री जी से लेकर सम्माननीय विधिमंत्री जी, केन्द्रीय गृह मंत्री जी, सबके साथ संपर्क में रहके कैसे ओबीसी वर्ग को उसका अधिकार दिलाया जाए, इसके लिए प्रयत्नरत था, दिन और रात काम कर रहा था, और अभी भी काम कर रहा हूँ, मेरी ये पूरी टीम काम कर रही है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं माननीय सदस्यों के विचार और शासन का वक्तव्य सुनने के पश्चात् इसको प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं देता हूँ.
सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.30 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.20 बजे से 3.30 बजे तक अंतराल)
3.35 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
नियम 276-क के अधीन विषय
3.36 बजे अध्यादेश का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 14 सन् 2021)
3.37 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(क) (i) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन सामान्य एवं सामाजिक क्षेद्ध 31 मार्च, 2019 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2021 का प्रतिवेदन संख्या-1,
(ii) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राजस्व क्षेत्र पर प्रतिवेदन 31 मार्च, 2019 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2021 का प्रतिवेदन संख्या-2,
(iii) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का आर्थिक क्षेत्र पर प्रतिवेदन 31 मार्च, 2019 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2021 का प्रतिवेदन संख्या-3,
(iv) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर मार्च, 2019 को समाप्त हुए वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2021 का प्रतिवेदन संख्या-4,
(v) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2021 का प्रतिवेदन संख्या-5 एवं
(vi) मध्यप्रदेश सरकार के विनियोग लेखे वर्ष 2019-2020 एवं मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे (खण्ड-I एवं II) वर्ष 2019-2020, तथा
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धाररा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार दि प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड का 88 वां एवं 89 वां प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015 तथा 2015-2016
(2) राजस्व विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं
(क)(i) क्रमांक एफ 2-12-2018-सात-7, दिनांक 10 मार्च, 2021
(ii) क्रमांक एफ-2-12-2018-सात-शा-7 (शुद्धि पत्र), दिनांक 29 जून 2021, एवं
(iii) क्रमांक एफ-2-2/2020/सात/7, दिनांक 04 अगस्त, 2021, जिसे मध्यप्रदेश राजपत्र में 06 अगस्त, 2021 को प्रकाशित किया गया, तथा
(ख) अधिसूचना क्रमांक एफ-2-7/2015/सात/7, दिनांक 29 जुलाई 2021, जिसे मध्यप्रदेश राजपत्र में दिनांक 30 जुलाई, 2021 को प्रकाशित किया गया.
(3) मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 एवं 2018-2019
(क)
(i) मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल का 18 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(ii) मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड का अठारहवां वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2019-2020,
(iii) मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड का 18 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(iv) शहपुरा थर्मल पॉवर कम्पनी लिमिटेड, जबलपुर का 14 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(v) मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 18 वां वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2019-2020,
(vi) बाणसागर थर्मल पॉवर कम्पनी लिमिटेड, जबलपुर का 9 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020, एवं
(vii) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर का 18 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(ख) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के वर्ष 2019-2020 के अंकेक्षित लेखे,
(ग) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, एवं
(घ) विद्युत विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं:-
(i) क्रमांक 983/मप्रविनिआ/2021, भोपाल, दिनांक 15 जुलाई, 2021,
(ii) क्रमांक 984/मप्रविनिआ/2021, भोपाल, दिनांक 15 जुलाई, 2021,
(iii) क्रमांक 985/मप्रविनिआ/2021, भोपाल, दिनांक 15 जुलाई, 2021,
(iv) क्रमांक 986/मप्रविनिआ/2021, भोपाल, दिनांक 15 जुलाई, 2021,
(v) क्रमांक 987/मप्रविनिआ/2021, भोपाल, दिनांक 15 जुलाई, 2021, एवं
(vi) क्रमांक 1023/मप्रविनिआ/2021, भोपाल, दिनांक 22 जुलाई, 2021.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2017-2018 एवं 2018-2019,
(ख) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2019-2020,
(ग) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2019-2020,
(घ) मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित, संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2018-2019 एवं 2019-2020,
(ङ) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2018-2019,
(च) मध्यप्रदेश राज्य पॉवरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित, बुरहानपुर का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2016-2017, 2017-2018, 2018-2019 एवं 2019-2020, तथा
(छ) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2020-2021.
सहकारिता मंत्री (डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- (XXX)
श्री कमलेश्वर इन्द्रजीत कुमार-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- ये जो बोला गया है वह रिकार्ड में नहीं आएगा.
(क) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020, एवं
(ख) अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल का सप्तम् वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 एवं अष्टम् वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020.
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ.मोहन यादव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं,
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
(7) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
(8) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेवलपमेन्ट कॉरपोरेशन, ग्वालियर लिमिटेड का वित्तीय लेखे वर्ष 2018-2019
(9) (क) मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम का वार्षिक प्रतिवेदन एवं अंकेक्षित लेखे वित्तीय वर्ष 2019-2020, एवं
(ख) मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन एवं अंकेक्षित लेखे वित्तीय वर्ष 2019-2020
3.46 बजे
अगस्त, 2021 सत्र की स्थगित बैठकें दिनांक 11 एवं 12 अगस्त, 2021 की प्रश्नोत्तर सूचियां तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-8
3.47 बजे
नियम 267-क के अधीन अगस्त, 2021 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा
उनके उत्तरों का संकलन
3.48 बजे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना .
3.49 बजे
3.50 बजे ध्यानाकर्षण
भोपाल नगर निगम क्षेत्र की भूमियों पर भू-राजस्व/ लगान पर पंचायत उपकर का आरोपण किया जाना
श्रीमती कृष्णा गौर (गोविन्दपुरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- कुछ बातें गुप्त हैं उन्हें गुप्त ही रहने दो काहे उन्हें सदन के सामने उजागर कर रहे हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैंने देखा है कि आप हमेशा गोविन्द सिंह जी से जलते रहे हैं एक पार्टी में रहकर इतनी ईर्ष्या भी अच्छी नहीं होती है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी अपना उत्तर पढ़ें.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (महेन्द्र सिंह सिसौदिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
और इसके बाद भी यदि आपके पास है तो आप मुझे बता दें.
श्रीमती कृष्णा गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2014 में बहुत सारी ग्राम पंचायतें नगर निगम की सीमा में शामिल हुईं बावजूद इसके तहसील हुजूर से बहुत सारे नोटिस उन भूमि मालिकों को भेजे गए जिनकी जमीनें नगर निगम की सीमा में आ गईं थीं. मेरे पास प्रमाण हैं हो सकता है त्रुटिवश यह काम हो रहा हो लेकिन वर्ष 2014 से वर्ष 2021 तक लगातार उपकर के पैसों की वसूली हुई है. मैं चाहूंगी कि या तो उनका पैसा वापस किया जाए या उन अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए जिन्होंने यह त्रुटि की है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विश्वस्त करना चाहूंगा कि निश्चित रूप से इसका पूरा संज्ञान लेते हुए हम इस पूरे प्रकरण की जांच करांएगे और यदि इसमें कोई शामिल होगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
3.55 बजे
(2) ग्वालियर एवं चंबल संभाग सहित अन्य जिलों में बाजरे की खरीदी न होना
डॉ.सतीश सिकरवार (ग्वालियर-पूर्व) [श्री संजीव सिंह ''संजू'', श्री राकेश मावई]- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण (श्री बिसाहूलाल सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री आशीष गोविन्द शर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे जुड़ा मेरा भी एक प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- पहले जिनका मूल ध्यानाकर्षण है उनको तो प्रश्न करने दें. डॉ. सतीश सिकरवार जी एक प्रश्न करें.
डॉ. सतीश सिकरवार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर चंबल संभाग में वर्षा ऋतु में बाजरा की फसल होती है और वर्षा ऋतु में इस प्रकार वर्षा हुई कि पुल, पुलिया और रोड सभी बह गए.
अध्यक्ष महोदय:- यह तो भूमिका है आप प्रश्न पूछें ना.
डॉ. सतीश सिकरवार:- अध्यक्ष महोदय, यह उसी से संबंधित विषय है. उसके कारण बाजरा के रंग में जो थोड़ा सा अंतर आया है उस कारण बाजरा की खरीदी नहीं हो रही है. जिन लोगों ने बाजरा का रजिस्ट्रेशन कराया,जब रजिस्ट्रेशन कराया तो उस समय न तो सरकार को मालूम था कि अति वर्षा होगी, न किसान को मालूम था कि अति वर्षा होगी, जिन लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया उनको मैसेज जा रहे हैं, मेरे पिता इस सदन के सदस्य रहे हैं श्री गजराज सिंह सिकरवार उनको मैसेज जा रहा है, लेकिन बाजरा खरीदी कहीं नहीं हो रही है. पूरे भिण्ड, मुरैना में बाजरा खरीदी नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय, अब किसान के यहां शादी है और उसको शादी में बाजार में बाजरा बेचना पड़ रहा है सरकार का जो निर्धारित रेट है 2250 रूपये, उसकी जगह 1700, 1600 और 1500 रूपये में बेचना पड़ रहा है तो क्या जो डिफरेंस राशि है वह सरकार उन किसानों को देगी ? किसान के खेत में किसान ने कोई बनाया नहीं है, जो खेत में पैदा हुआ है वही बाजरा लाया है. अध्यक्ष महोदय, क्या डिफरेंस राशि देंगे और उसकी कोई समय-सीमा है ?
अध्यक्ष महोदय:- आपका प्रश्न आ गया है.
श्री बिसाहूलाल सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार द्वारा जो निर्धारित मापदण्ड हैं...
डॉ. सतीश सिकरवार:- अध्यक्ष महोदय, जो सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील होना चाहिये..
अध्यक्ष महोदय:- आप उत्तर तो ले लीजिये.
श्री बिसाहूलाल सिंह:- अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार के द्वारा जो निर्धारित मापदण्ड हैं उसमें 1.5, 4.5 और 4 प्रतिशत का खरीदने का प्रावधान है, परन्तु मुरैना जिले में 15.7 प्रतिशत दाने क्षतिग्रस्त हुए और 12.5 प्रतिशत आंशिक क्षतिग्रस्त हुए और ग्वालियर जिले में 8 प्रतिशत क्षतिग्रस्त हुए तो ज्यादा क्षतिग्रस्त होने के कारण हमने केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है, वहां से दो सदस्य नियुक्त हो चुके हैं वह आज ग्वालियर में जांच कर रहे हैं और जांच उपरांत जो भी आदेश होगा उसका पालन करेंगे, खरीदी करेंगे कोई दिक्कत नहीं है.
डॉ. सतीश सिकरवार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको कोई समय-सीमा है. लेकिन किसी के यहां शादी है और अगर किसान व्यापारियों को बाजरा बेच रहा है, मण्डी में बेच रहा है तो यह जो डिफरेंस राशि है वह सरकार किसानों को देगी ?
अध्यक्ष महोदय:- आज जांच समिति गई है तो उसकी रिपोर्ट तो आने दीजिये.
डॉ. सतीश सिकरवार:- अध्यक्ष महोदय, मुरैना और भिण्ड में एक ही फसल बाजरे की होती है, जब सरकार बाजरे का समर्थन मूल्य ही नहीं देगी तो कैसे चलेगा. माननीय मुख्यमंत्री जी पहले कहते थे कि बाजरे का एक-एक दाना खरीदा जायेगा, अब वह दाना क्यों नहीं खरीदा जा रहा है, एक-एक दाना खरीदने की बात हुई थी.
अध्यक्ष महोदय:- चलिये, आपका प्रश्न हो गया. उन्होंने कहा कि आज जांच समिति गई है, जांच करके रिपोर्ट आने दीजिये.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय:- उनका प्रश्न आ जाने दीजिये, जिनका ध्यानाकर्षण लगा है. श्री संजीव सिंह जी.
डॉ. सतीश सिकरवार:- अध्यक्ष महोदय, समय-सीमा निर्धारित की जाये.
श्री संजीव सिंह''संजू''(भिण्ड):- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष 2020 में सितम्बार माह में मात्र 13 एमएम बारिश भिण्ड में हुई थी, अक्टूबर माह में कोई बारिश ही नहीं हुई थी. सितम्बर, 2021 में 171 एमएम बारिश हुई, अक्टूबर, 2021 में 100 एमएम बारिश हुई,जो कि पिछले साल मात्र 13 एमएम बारिश दो माह में हुई थी. वही इस साल दो माह में 271 एमएम बारिश हुई और यह बारिश होने के बाद आपने बाजरे का पंजीयन प्रारंभ किया. आपने कहा कि खरीदी के 38 पंजीयन केन्द्र और बढ़ाये गये हैं. इतनी बारिश होने के बाद प्रत्येक गांव का सर्वे कराया, जो आपदा आयी उसके लिये आपने मुआवजा दिया, किसी का घर बहा तो घर का पैसा दिया, भेड़, बकरी , भेंस जो भी नुकसान हुआ आपने उसका भी पैसा दिया, तो जब आप मानते हो कि इस बारिश की वजह से इस बार बाजरे का कलर प्रभावित हुआ है तो आप इस बाजरे को क्यों नहीं खरीद रहे हो. आप मेरे को पढ़ कर बता रहे हो जो कि मापदण्ड है, जो डेमैज्ड ग्रेन है उसका मापदण्ड 1.5 है.
अध्यक्ष महोदय--यह तो बताया जा चुका है.
श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाह रहा हूं कि आपने किसानों से पंजीयन कराया, भिण्ड में 8 हजार8 सौ 70 किसानों का पंजीयन कराया, मुरैना में 39 हजार 02 किसानों का पंजीयन कराया. आपने भिण्ड में 635 किसानों से बाजरा खरीदा उसके एक पैसे का भी भुगतान आज दिनांक तक नहीं हुआ. आपने मात्र 145 किसानों का बाजरा मुरैना में खरीदा वहां पर भी एक पैसे का एक भी किसान को भुगतान आज दिनांक तक नहीं हुआ है. मैं आपसे यही कहना चाहता हूं कि हमारे यहां पर बाजरा की फसल बरसात के बाद में आती है. उसके बाद की जो फसल आती है वह गेहूं और सरसो है. बाजरा की फसल हमारे यहां पर किसान अपने घर का खर्चा चलाने के लिये जैसे उनके परिवार में शादी-ब्याह होता है उसके लिये करता है, जैसे ही फसल बिक जाती है उसके घर का खर्चा चल जाता है, क्योंकि उनका मेक्जिमम इनवेस्टमेंट होता है सरसो एवं गेहूं में वह किसानों के खेतों में होता है. अब वह फसल उनकी बिक नहीं रही है. अगर किसान उक्त फसल को बाजार में बेचने के लिये जाता है तो उनकी फसल 15 सौ, 16 सौ तथा 17 सौ रूपये प्रति क्विंटल के भाव से बिक रही है. किसानों को 8 सौ से साढ़े आठ सौ रूपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है. तो मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि उसके नुकसान की भरपाई सरकार करे तथा बाजरा की खरीदी तत्काल प्रभाव से करें. मंत्री जी कह रहे हैं कि हम खरीदी के लिये प्रयास कर रहे हैं. 21 नवम्बर, 2021 से बाजरा की खरीदी चालू होनी थी. आज 21 दिसम्बर 2021 हो चुका है इस एक महीने में सिर्फ पत्रों का आदान प्रदान ही चल रहा है. आप देखिये 10 तारीख से लगातार इस तरह की शिकायतें आ रही हैं. 10 दिसम्बर, 2021 को राज्य शासन की तरफ से भारत सरकार को पत्र लिखा गया है कि जो अमानक फसल है उन किसानों को थोड़ी राहत दी जाये. इतने दिन हो रहे हैं किसान अपना बाजरा कहां पर रखेगा.
अध्यक्ष महोदय--आप इस संबंध में प्रश्न पूछिये.
श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यही है कि आप किसान से बाजरा की खरीदी कब तक चालू करेंगे यह बतायें और जिन किसानों की बाजरा की फसल का नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करेंगे कि नहीं करेंगे ? यह दो प्रश्न का उत्तर मंत्री जी बता दीजिये.
श्री बिसाहू लाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, खरीदी हमने बंद नहीं की है इसमें भारत सरकार के जो मापदण्ड हैं कि आकस्मिक वर्षा अथवा ओले गिरने के कारण वहां पर फसल की क्षति हुई है. आज ही भारत सरकार की दो दलीय समिति ग्वालियर के प्रवास पर गई है वहां का उन्होंने फसलों का मुआयना भिण्ड एवं मुरैना में किया है उनका जो निर्णय होगा उसके उपरांत हम खरीदी का काम प्रारंभ करेंगे.
श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर में जितना बाजरा हुआ है वह पूरा अमानक है क्या ? जो वहां पर बाजार 60 से 70 प्रतिशत मानक है, वह तो खरीद ही सकते हैं आप उसकी खरीदी को क्यों रोके हुए हो, आपने बाजरा की खरीदी बंद करके रखी है.
श्री बिसाहूलाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, अभी बाजरा 10 हजार 524 मेट्रिक टन अभी खरीदा है और भी अभी खरीदेंगे जब भारत सरकार अनुमति देगी तो.
एक माननीय सदस्य--45 हजार किसानों के पंजीयन हुए हैं उसमें से 145 किसानों से बाजरा खरीदा है.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी भी खरीदने की बात कर रहे हैं.
श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, मुरैना में डेढ़ लाख मेट्रिक टन का पंजीयन हुआ है. आज दिनांक तक एक महीने में आपने 10 हजार मेट्रिक टन बाजरा किसानों से खरीदा है. वहां पर 60 से 70 प्रतिशत बाजरा सही है तो उसको तो आप किसानों से खरीदें.
श्री राकेश मावई--अध्यक्ष महोदय, मैं सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूं कि मुरैना जिले में बाजार का समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रतिक्विटंल तय की है. बाजरा की खरीदी 20 नवम्बर, 2021 से 21 दिसम्बर 2021 तक की गई है जिसमें से जिले में 39 हजार 102 किसानों का पंजीयन किया गया है.
अध्यक्ष महोदय--मावई जी आप प्रश्न करिये यह सारी बातें आ चुकी हैं.
श्री राकेश मावई--अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि 2020 में जब चुनाव था तो बाजरा की फसल खराब हुई थी तब तो किसान से खरीदा गया लेकिन आज चुनाव नहीं है किसानों से बाजरा क्यों नहीं खरीदा जा रहा है तो किसान कहां पर जाये. माननीय मुख्यमंत्री जी अपने आप को किसान का बेटा कहते हैं लेकिन इसमें किसान के हित की कोई बात नहीं कर रहे हैं. अगर किसान से ऊपर वाला भगवान रूठ जाये तो किसान मारा जाये. मैं कहना चाहता हूं, आखिर किसान का कसूर क्या है.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न करें.
श्री राकेश मावई - मेरा प्रश्न यह है कि मुरैना जिले में बाजरा की खरीदी क्यों नहीं की जा रही है, इसका क्या कारण है. यह माननीय मंत्री जी बताए और नहीं की जा रही है तो कब तक की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय - यह तो मंत्री जी ने बता दिया है. कोई दूसरा प्रश्न करो, इसका जवाब तो वे दे चुके हैं कि जांच दल आया है जांच कर रहा है.
श्री राकेश मावई - जवाब दे चुके हैं, लेकिन मैं मुरैना की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - जवाब ले लीजिए. (...व्यवधान)
श्री रविन्द्र सिंह तोमर - हम इस जवाब से संतुष्ट नहीं है. (...व्यवधान)
डॉ. सतीश सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, जो डिफरेंस आ रहा है 2250 रूपए का वह राशि देंगे कि नहीं देंगे किसानों को. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - जवाब ले लीजिए. (...व्यवधान)
श्री बिसाहूलाल सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मैं पूर्व में ही अवगत करा चुका हूं कि भारत सरकार का मापदंड मुरैना में 1.5 प्रतिशत है और 15 प्रतिशत यहां क्षतिग्रस्त हुआ है, उसी का मुआयना करने जांच दल गया है, जो भी निर्देश होगा, उसका पालन किया जाएगा. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - डॉ गोविन्द सिंह जी, अभी इसको और क्लेरिफाय करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री सहकारिता डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने, केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी से मिले और मैंने भी बात की तो उन्होंने कहा कि अगर ये सार्वजनिक वितरण प्रणाली में यदि बाजरा वितरण करें तो वह खरीदने को तैयार है. दूसरा मैं कहना चाहता हूं कि ये बहाना बनाकर खरीदी टाली जा रही है. अध्यक्ष जी हम ये आपके ऊपर छोड़ते हैं, हमने बाजरा का आटा लाये हैं, हमारे पास ढाई किलो आटा अभी रखा है, जिसको मैं खा रहा हूं वह आपको मैं दे रहा हूं आप रोटी बनवाइए अगर आपको लगे कि ये बाजरा खराब है और खाने लायक नहीं और ये आटा मंत्री जी को भी भेज दूंगा और आप ईश्वर को साक्षी मानकर फैसला करना कि ये बाजरा खरीदने लायक है या नहीं. हम आपको आज आटा भेजा देंगे अगर आपकी आज्ञा हो तो.
अध्यक्ष महोदय - हमको मत भेजिए, संसदीय कार्यमंत्री जी को भेज दीजिए. (..हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र(संसदीय कार्य मंत्री) - माननीय अध्यक्ष महोदय, वे मेरे मित्र हैं, और वे जानते हैं मुझे मीठे का शौक है. (...व्यवधान)
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - माननीय अध्यक्ष जी, मुझे आधा मिनट का समय दिया जाए, माननीय अध्यक्ष जी मेरा इससे जुड़ा हुआ प्रश्न है. देवास जिले में भी समर्थन मूल्य पर ज्वार की फसल का उपार्जन किया जा रहा है, चूंकि इस बार बारिश सितम्बर-अक्टूबर तक ज्यादा मात्रा में हुई इस कारण किसान अपनी फसल को खेत से काटकर नहीं ला पाया, इसके कारण उसका जो दाना था वह थोड़ा काला रंग का हो गया है उसके कारण उसे नॉन एफएक्यू बताकर उपार्जित नहीं किया जा रहा है. मध्यप्रदेश की सरकार किसान हितैषी है, इसमें कोई संदेह नहीं है. मेरा आप सबसे आग्रह है वहां खाते गांव में जो समर्थन मूल्य का खरीदी केन्द्र है, वहां पर किसान पिछले आठ दिनों से अपनी ट्राली लेकर खड़े हुए हैं, लेकिन उनका ज्वार उपार्जित नहीं किया जा रहा है.
04:13 बजे {सभापति महोदया (श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं}
04:14 बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बर्हिगमन
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय सभापति जी, सरकार किसानों की हितैषी नहीं है, ग्वालियर चंबल संभाग के किसानों की विरोधी सरकार है किसानों की फसल की खरीदी नहीं की जा रही इसलिए कांग्रेस पार्टी बहिर्गमन करती है.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा डॉ गोविन्द सिंह, सदस्य के नेतृत्व में शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बर्हिगमन किया गया.)
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि किसानों की ज्वार की फसल को उपार्जित किया जाए और बारिश के कारण जो दाना खराब हुआ है इसे नॉन एफएक्यू बताया जा रहा है, ताकि सैकड़ों किसानों को इस नीति का फायदा मिल सके. लगभग 300 किसानों की ज्वार की फसल का पंजीयन हुआ है. मैं आपके माध्यम से माननीय खाद्य मंत्री महोदय से आग्रह करना चाहता हूं, सरकार से आग्रह करना चाहता हूं.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - माननीय सभापति महोदया, इसी से जुड़ा हुआ एक सवाल मेरा है, विदिशा जिले में भी ज्वार की खरीदी हो रही है, लेकिन मामूली सा लाल दाना आने के कारण (..व्यवधान)
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अरे जाओ बहिर्गमन करो, पार्टी से बाहर हो जाओगे.
सभापति महोदया - सदस्य महोदय, अब आगे बढ़ गए हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - आप तो बाहर हो गए.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि मक्का की खरीद की घोषणा जब सरकार ने की थी तो क्या कारण हैं कि मक्का का रजिस्ट्रेशन न करके मक्का की खरीदी विदिशा जिले में नहीं हो रही है ?
सभापति महोदया - आप बैठ जाइये.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - सभापति महोदया, मेरे प्रश्न का माननीय मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - प्रियव्रत जी, आप जैसा बोलते-बोलते हम यहां पर आ गए हैं. आपके मन में लड्डू फूट रहे हैं, आप जल्दी से यहां पर आ जाओ.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय सभापति महोदया, आपने कितने लड्डू खाये, जरा सदन को भी बताइये. कहां-कहां खाये, बैंगलोर में कितने खाये, दिल्ली में कितने खाये.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - मक्के की खरीदी के केन्द्र क्यों नहीं बनाये गए ? इस बात का जवाब माननीय मंत्री जी की तरफ से नहीं आया है.
सभापति महोदया - आप बैठ जाइये.
4.16 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) याचिका समिति का तृतीय, पंचम, षष्टम् एवं सप्तम् प्रतिवेदन
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (सभापति) :- सभापति महोदया मैं, याचिका समिति का याचिकाओं से संबंधित तृतीय, पंचम, षष्टम् एवं सप्तम् प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
माननीय सभापति महोदया, मैं आदरणीय अध्यक्ष जी के निर्देश और उनके मार्गदर्शन पर याचिका समिति की निरन्तर बैठकों का आयोजन करके, विधान सभा सचिवालय, विशेषकर प्रमुख सचिव, सचिव और हमारी पूरी टीम, साथ में हमारी समिति के तमाम सदस्य जो निरन्तर बैठकों में उपस्थित रहते हैं. हमारी एक बैठक भी कभी कोरम के अभाव में स्थगित नहीं हुई है एवं याचिका समिति निरन्तर इस दिशा में आगे बढ़ रही है. मैं सचिवालय का भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ.
4.17 बजे
(2) प्रत्यायुक्त विधान समिति का द्वितीय प्रतिवेदन
श्रीमती गायत्री राजे पवार (सभापति) :- सभापति महोदया मैं, प्रत्यायुक्त विधान समिति का द्वितीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करती हूँ. धन्यवाद.
4.18 बजे
(3) लोक लेखा समिति का अठारहवां से तैतीसवां प्रतिवेदन
श्री पी.सी.शर्मा (सभापति) :- सभापति महोदया मैं, लोक लेखा समिति का अठारहवां से तैतीसवां प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूँ.
मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक लेखा समिति के सदस्यगणों एवं विधान सभा के अधिकारी-कर्मचारियों का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जिन्होंने इन प्रतिवेदनों को बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि इस बार लोक लेखा समिति का एक महत्वपूर्ण दौरा देश की लोक सभा में हुआ था. जहां संसद की लोक लेखा समिति को 100 वर्ष पूरे हो गए हैं और 100 वर्ष पूरे होने पर वहां पर एक सम्मेलन हुआ था, एक संगोष्ठी हुई थी. जिसमें देश के सभी राज्यों की लोक लेखा समिति के सभापतिगण, सभी विधान सभाओं के अध्यक्षगण मौजूद थे. इस संगोष्ठी को परम आदरणीय राष्ट्रपति जी, उपराष्ट्रपति जी और लोक सभा के अध्यक्ष महोदय ने संबोधित किया था और वहां पर सभी सभापतियों ने उनके प्रदेश के अपने विचार वहां पर रखे और कुल मिलाकर इसका निचोड़ यह था कि लोक सभा के अध्यक्ष आदरणीय श्री ओम बिरला ने सम्मेलन के समापन पर अपनी बात रखी कि एक समिति लोक सभा की बनाई जायेगी. लोक लेखा समिति लोक सभा में भी है. एक समिति बनाकर, इन समितियों को पूरे देश के अन्दर कैसे और मजबूत किया जाये, इसके लिए कार्य किया जायेगा और खास तौर पर लोक सभा में विधान सभा के अध्यक्षों ने जो अपने विचार रखे, उससे बहुत कुछ नई जानकारियां मिलीं कि दूसरे प्रदेशों में लोक लेखा समिति कैसे कार्य करती है ? हमारे सदस्य आदरणीय श्री रामपाल जी और श्री राजेन्द्र शुक्ल जी, जो इस समिति के सदस्य हैं, वे भी हमारे साथ गए थे. हमारी विधान सभा के माननीय अध्यक्ष जी, श्री गौतम जी भी वहां गए थे और हमें वहां पर बहुत कुछ जानकारियां मिलीं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - पी.सी. भाई, क्या एन.पी. भाई साथ में गए थे. (श्री एन.पी. प्रजापति को देखकर) आप नहीं गए थे क्या.
श्री पी.सी.शर्मा - नहीं, एन.पी. भाई नहीं गए थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप नहीं गए थे. मैं तो जानकारी ले रहा था. इसमें क्यों नाराज होते हो.
श्री एन.पी.प्रजापति (एन.पी.) - नरोत्तम भाई, आप मेरे भाई हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - 100 परसेंट.
श्री एन.पी.प्रजापति (एन.पी.) - आप गोविन्द सिंह जैसे चोटियां क्यों ले रहे हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं अपने शब्द वापिस लेता हूँ. (हंसी)
श्री पी.सी.शर्मा - सभापति महोदया, यह एक अच्छा अनुभव था. जिसका लाभ आगे भी लेंगे. धन्यवाद, जय हिन्द.
4.19 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
सभापति महोदया - आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएँगी.
4.20 बजे
4.22बजे
4.24 बजे निर्वाचन
का कार्यक्रम
सभापति महोदया:-
4.25 बजे शासकीय विधि विषय कार्य
4.27 बजे अध्यक्षीय घोषणा
मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2021आगामी तिथि में लिया जाना.
सभापति महोदया-- शासकीय विधि विषयक कार्य में क्रमांक-5 पर उल्लेखित विधेयक संबंधी भारसाधक मंत्री के अनुरोध पर आगामी तिथि को लिया जायेगा.
4.28 बजे वर्ष 2021-2022 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
सभापति महोदया-- विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 22 दिसम्बर, 2021 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 4.29 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 22 दिसम्बर 2021 (01 पौष, शक संवत्1943) तक के लिये स्थगित की गई.
ए.पी. सिंह
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा
भोपाल.
दिनांक 21 दिसम्बर, 2021